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DELHI PUBLIC SCHOOL BANGALORE NORTH

चाँद से थोड़ी-सी गप्पें(कविता)

I.शब्द-अर्थ
१.सिम्त-दिशाएँ
२.निरा -परू ा
३.दम -साँस
४.मरज़ -बीमारी
५.गोकि- हालाँकि,यद्यपि
६.बिलकुल गोल -गोल आकार का
७.पोशाक-वस्त्र
८.कुल-सारा
९.ज़रा-थोड़ा
१०.तारों-जड़ा-तारों से भरपरू
II.सप्रसंग व्याख्या विशेष सहित –
१.गोल हैं खब ू मगर---------------चारों सिम्त I
प्रसंग -पाठ्य पस्
ु तक का नाम -वसंत भाग-१

कविता का नाम- चाँद से थोड़ी सी गप्पें

कवि का नाम- शमशेर बहादरु सिंह

भाषा – सरल व सहज हिंदी

व्याख्या-लड़की चाँद से कहती है कि आप एकदम गोल हैं लेकिन तिरछे नज़र आते हैं I यह
तारों- जड़ा परू ा आकाश आपकी पोशाक है और अपने चारों और इस तरह फैला रखा है कि
उसके बीच से बस ,आपका गोल-मटोल सा चेहरा ही दिखाई दे ता है I

विशेष- तक
ु ात्मक शब्द- ज़रा /जड़ा

शब्द -यग्ु म -तारों -जड़ा,गोरा-चिट्टा,गोल-मटोल

मल
ू भाव – दस-ग्यारह साल की लड़की की चाँद से थोड़ी सी गप्पें I

२. आप कुछ तिरछे -------------------आपको बीमारी है I

प्रसंग -पाठ्य पस्


ु तक का नाम -वसंत भाग-१
कविता का नाम- चाँद से थोड़ी सी गप्पें

कवि का नाम- शमशेर बहादरु सिंह

भाषा – सरल व सहज हिंदी

व्याख्या -लड़की कहती है कि आप अजीब हैं , पता नहीं कैसे आप तिरछे नज़र आते हैंI
लेकिन आप मझ ु े मर्ख
ू मत समझिए I मैं जानती हूँ कि आपको कोई बीमारी है I

विशेष- तक
ु ात्मक शब्द- हमको/आपको

मल
ू भाव – दस-ग्यारह साल की लड़की की चाँद से थोड़ी सी गप्पें I

३.आप घटते हैं तो----------------आता है I

प्रसंग -पाठ्य पस्


ु तक का नाम -वसंत भाग-१

कविता का नाम- चाँद से थोड़ी सी गप्पें

कवि का नाम- शमशेर बहादरु सिंह

भाषा – सरल व सहज हिंदी

व्याख्या -लड़की कहती है कि जब आप घटना शरू ु करते हैं तो घटते चले जाते हैं , और जब
बढ़ना शरूु करते हैं तो आप तब तक बढ़ते हैं जबतक कि आप गोल न हो जाएँ I आपकी यह
बीमारी ठीक ही नहीं होती है I

विशेष- तक
ु ात्मक शब्द- घटते /बढ़ते

मल
ू भाव – दस-ग्यारह साल की लड़की की चाँद से थोड़ी सी गप्पें I

III.प्रश्न-अभ्यास(संक्षिप्त में )

प्रश्न.१. कविता में ‘आप पहने हुए हो कुल आकाश ‘ कहकर लड़की क्या कहना चाहती है ?
उ.१. कविता में लड़की कहना चाहती है कि चाँद, तारों से जड़ित संपर्ण
ू आकाश-रूपी वस्त्र को
पहने हुए है ।

प्रश्न.२. ‘हमको बद्


ु धू ही निरा समझा है ’ , कहकर लड़की क्या कहना चाहती है ?
उ.२. लड़की यह कहना चाहती है कि चाँद उसे बद् ु धू न समझे, वह चतरु है और जानती है कि
चाँद को कोई बीमारी है ।
प्रश्न ३ .चाँद ने क्या पहना हुआ है और चाँद का मँह
ु कैसा है ?

उ. ३.चाँद ने तारों से जड़ा समस्त आकाश को पहना हुआ है और चाँद का मँह


ु खल
ु ा है Iवह
गोरा-चिट्टा और गोल-मटोल है

Iप्रश्न.४. कवि ने चाँद से गप्पें किस दिन लगाई होंगी? इस कविता में आई बातों की मदद से
अनम ु ान लगाओ और उसका कारण भी बताओ।

उ.४. कवि ने चाँद से गप्पें निम्नलिखित दिनों में लगाई होंगी –

दिन कारण

पर्णि
ू मा इस दिन चांँद परू ा गोल नज़र आता है ।

अष्टमी से पर्णि
ू मा इन दिनों में चांँद कुछ तिरछा दिखाई दे ता है ।
के बीच

IV.प्रश्न-अभ्यास(विस्तार में )

प्रश्न.१ आशय बताओ −


‘यह मरज़’ आपका अच्छा ही नहीं होने में आता है ।’
उत्तर.कवि यह कहना चाहता है कि चाँद को कोई बीमारी है जो कि अच्छा होता हुआ प्रतीत
नहीं होता क्योंकि जब ये घटते हैं तो केवल घटते ही चले जाते हैं और जब बढ़ते हैं तो बिना
रूके दिन प्रतिदिन निरन्तर बढ़ते ही चले जाते हैं। तब-तक, जब-तक ये परू े गोल न हो जाए।
कवि की नज़र में ये सामान्य क्रिया नहीं है ।

प्रश्न.२.लड़की खद ु को बद्
ु धू समझने से क्यों मना करती है ?
उत्तर.लड़की चाँद से कहती है कि उसे चाँद के घटने-बढ़ने और तिरछे नज़र आने का कारण
मालम ू है , इसलिए उसे बेवकूफ़ न समझे I वह जानती है कि चाँद को ऐसी बीमारी है जिस
कारण वह घटता -बढ़ता रहता है I उसकी बीमारी लाइलाज है I

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