Professional Documents
Culture Documents
सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की कथा
सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की कथा
राजा ह र ंसच बोलने और वचन. पालन केलए मश र थे। येब त बड़ेदानी भी थे। । वेजो वचन दे
ते
, उसे
अव य पू
रा
करते। उनकेबारेम कहा जाता, चाँ
द और सू
रज भले
ही अपनी जगह सेहट जाएँ, पर राजा ह र ंअपने वचन से
कभी पीछे
नह हट सकते । स यवाद ह रशच केवषय म कहा जाता हैक –
“च टरे
सू
रज टरे
, टरे
जगत वाहर ।
इनक प नी का नाम तारामती (शैा) तथा पुका नाम रो हता था। इनके
गुदे
व गुव श जी थे
।
J J J J J J J J J J
ह र ंने
कहा- नही ऋ ष जी , ऐसी बात नही है
। दान तो सु
पा को ही दया जाता है
ना?
फर व ा म जी कहतेह – तो तु
म सारा रा य मु
झे
दान म दे
दो। राजा ने
एक ण नही लगाया और सारा रा य व ा म
को दान म देदया।
राजा कहते
ह दान तो दान होता है
। चाहेव म द या हक कत म। और ये
जगत भी एक व क तरह है
। फक सफ इतना है
न द म आँ
ख बंद करकेव दे खा जाता हैऔर दन म खुली आँख से
।
फर व ा म जी कहते ह तु
मने
मु
झेदान तो देदया लेकन द णा कौन दे गा। तब ह र ंजी राजकोष अ धकारी को
द णा दे
नेक कहते ह। लेकन व ा म जी कहते ह येतो सब मे
र ा ही है
। मुझेएक हजार वण मुा दान म दो।
ह र ंजी कहते
ह क मु
झे
एक महीना का समय द जये
। आपको म दान भी दें
गा।
व ा म जी कहते
ह। एक महीने
सेएक दन भी ऊपर हो गया तो तु
म झू
ठे
राजा कहलाओगे
।
अब तीन वन को नकल गए ह। एक एक पै
सेकेमोहताज हो गए ह। जो राजा हजार वण मुाएं
दान म देदे
तेहै
वो आज
एक एक मुा एक करतेए घू म रहे
ह। समय पर रोट तक नही मल रही है। फर भी जै
से
तै
सेपै
सेजुट ाने
म लगे
ह। जै
से
तै
सेकरकेतीन नेवण मुा का इं तजाम कर लया। 29 दन हो गए।
अगलेदन जब सु
बह व ा म जी आये और उ ह नेद णा मां
गी। तो ह र ंजी ने
पोटली ले
कर ऋ ष के
हाथ पर रख द ।
ले
कन दे
खतेह क उसमेतो मुाएं
हैही नही। के
वल प थर और म है ।
व ा म जी को ोध आ गया। और कहते
ह। वाह राजा ! यही द णा दे
कर अपमान करना था मे
र ा तो पहले
ही बता दे
ते
।
ह र ंजी कहते ह- मु
नवर, हमेमा क जये । मने
एक एक पाई एक क थी ले
कन पता नही येया हो गया? तब ह र ं
जी अपनेपुऔर प नी के साथ कहतेह। य द हम आज संया तक आपकेद णा केपै
से नही चू
का पायेतो जगत सेमेरा
नाम मट जाये
गा। और येकहकर काशी केबाजार म बकनेकेलए चल दए ह।
ह र ंक प नी और उसका ब चा एक सेठ के
यहाँनौकर रख लए गए। दन रात वो उनसे
काम करवाते
थे
। खाना भी समय
पर नही दे
ते
ह। और मार पटाई अलग से
करतेथे
। लेकन उनकेखलाफ एक श द भी नही बोलतेथे
। य क बक चु केथे
।
इसी तरह से
ह र ंजी को एक चां
डाल के यहाँकाम करना पड़ा। राजा होकर भी ह र ंनेएक डोम केयहाँकाम करना
वीकार कया। वह उसक हर तरह सेसे
वा करते । छोटे
-से
-छोटे
काम करने मे
भी न हचकते । ह र ंका काय शव के व
आ द एक करना था। उसेमशान भू म म ही रहना भी पड़ता था। मशान घाट क रखवाली करते थेऔर बना शु क दए
शव को जलानेनही दे
ते
थे
। ये
इनके मा लक का म था।
फर व ा म जी ने
कहा क ये सब परी ा मने ही ली। और आज म तु हेअपनी 60 हजार वष क तप या का फल दे
ता ।ँ
और जब तक सू
रज चाँ
द रहे
गा तब तक तुहारा नाम रहेगा। जब जब सच क बात चलेगी तुहारा नाम सबसे
ऊपर आएगा...
¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯