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* स यवाद राजा ह र ंक कथा :-

राजा ह र ंका नाम सच बोलनेकेलए जगत म स है । उनक स चार तरफ फै


ली थी। इनका ज म इ वाकु
वंशम
शं
कु नामक राजा तथा उनक प नी स यवती के
पुके प म आ।

राजा ह र ंसच बोलने और वचन. पालन केलए मश र थे। येब त बड़ेदानी भी थे। । वेजो वचन दे
ते
, उसे
अव य पू
रा
करते। उनकेबारेम कहा जाता, चाँ
द और सू
रज भले
ही अपनी जगह सेहट जाएँ, पर राजा ह र ंअपने वचन से
कभी पीछे
नह हट सकते । स यवाद ह रशच केवषय म कहा जाता हैक –

“च टरे
सू
रज टरे
, टरे
जगत वाहर ।

पैढ़ ी ह रशच को , टरे


न स य वचार ॥

इनक प नी का नाम तारामती (शैा) तथा पुका नाम रो हता था। इनके
गुदे
व गुव श जी थे

एक बार ऋ ष व ा म नेराजा ह र ंक स सु नी। वेवयं इसक परी ा करना चाहते


थे
। या ह र ंहर क ठनाई
झे
लकर भी वचन का पालन करगे? लेकन डर व स जी का था। व स जी नेकह दया आपको य द मेरेश य और राजा पर
शक हैतो आप ख़ुशी-ख़ु
शी परी ा लेसकतेह और म भी बीच म नही आऊं
गा।

लेकन य द आप हार गए तो आपको अपना सारा तप या का फल राजा को दे


ना होगा। ये
सभी बात इंकेवग म हो रही ह।
इ ा द दे
वता सभी वहां
पर मौजू
द ह। नारद जी भी आ गए। अं
त म फै
सला आ क व ा म जी ह र ंराजा क परी ा
लगे

व ाम ारा ह र ंक परी ा !

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राजा ह र ंको व आया क एक सु ं


दर ी उनके दरबार म नृ
य और गायन करनेकेलए आई है
। उसने
सुं
दर गायन और
नृय कया। राजा ने
उसे
उपहार दे
ना चाहा ले
कन उसनेमना कर दया। और वह दे
खती है
य द आपको कु
छ दे
ना हैतो मु
झे
अपनी प नी प म वीकार क जये ।

तभी ह र ंने कहा- दे


वी आप कै सी बात करती ह। म शाद शुदा ँ
और ये
दान म आपको नही कर सकता ।ँआप और कुछ
मां
ग ली जये
। वो कहती है अ छा तो आप मुझेअपना रा य दान म कर द जये
। राजा ह र ंजी कहते
ह दान सु
पा को
दया जाता हैकु
पा को नही। तुम अपनी हद म रह कर मां गो।

इसी बीच व ा म जी आ गए। और कहते


ह- राजन! आपने
दान दे
ने
क बात कही और अब मु
कर रहे
हो?

ह र ंने
कहा- नही ऋ ष जी , ऐसी बात नही है
। दान तो सु
पा को ही दया जाता है
ना?

फर व ा म जी कहतेह – तो तु
म सारा रा य मु
झे
दान म दे
दो। राजा ने
एक ण नही लगाया और सारा रा य व ा म
को दान म देदया।

जब इनक आँख खुली तो दे


खा कु
छ भी नही था वहां
पर। तु
रत
ंउठ गए और अपनी प नी से
कहतेह तु
म रो हत को ले
कर
अपनेमायके
चली जाओ। मने सब रा य व म व ा म जी को दान म देदया है। उनक प नी कहती हैलेकन आपने
व म दान दया है

राजा कहते
ह दान तो दान होता है
। चाहेव म द या हक कत म। और ये
जगत भी एक व क तरह है
। फक सफ इतना है
न द म आँ
ख बंद करकेव दे खा जाता हैऔर दन म खुली आँख से

जब राजा क प नी नेऐसा सु ना तो बोली क म भी आपके साथ वन को जाउं


गी। इसी बीच पुभी आ गया। वो भी कहता है
पताजी हम भी साथ म वन को चलगे । इस तरह सेतीन वन म जाने
केलए तैयार हो गए। व ा म जी वह पर आ गए।
और कहते ह वाह राजा ! इतना मोह अपने राज पाठ से।

अब तक तुम वन को गए भी नही। ज द जाओ। और ये


सारेव आभू षण उतार केजाना। राजा ने
सब व आभू षण उतार
केसाधारण व आभू षण धारण कर लए। और वन को जानेलगे
। व ा म जी नेह र ंक प नी का मंगल सूतक
उतरवा लया।

फर व ा म जी कहते ह तु
मने
मु
झेदान तो देदया लेकन द णा कौन दे गा। तब ह र ंजी राजकोष अ धकारी को
द णा दे
नेक कहते ह। लेकन व ा म जी कहते ह येतो सब मे
र ा ही है
। मुझेएक हजार वण मुा दान म दो।

ह र ंजी कहते
ह क मु
झे
एक महीना का समय द जये
। आपको म दान भी दें
गा।

व ा म जी कहते
ह। एक महीने
सेएक दन भी ऊपर हो गया तो तु
म झू
ठे
राजा कहलाओगे

अब तीन वन को नकल गए ह। एक एक पै
सेकेमोहताज हो गए ह। जो राजा हजार वण मुाएं
दान म देदे
तेहै
वो आज
एक एक मुा एक करतेए घू म रहे
ह। समय पर रोट तक नही मल रही है। फर भी जै
से
तै
सेपै
सेजुट ाने
म लगे
ह। जै
से
तै
सेकरकेतीन नेवण मुा का इं तजाम कर लया। 29 दन हो गए।

ह र ंजी नेसारी मुाएं


एक करकेएक पोटली म रख द । ले
कन रात को घर म चोर घुस आया और सारी मुाएं
ले
कर
चला गया। और उसक जगह एक पोटली रख गया। जसमे म और छोटे छोटेप थर थे।

अगलेदन जब सु
बह व ा म जी आये और उ ह नेद णा मां
गी। तो ह र ंजी ने
पोटली ले
कर ऋ ष के
हाथ पर रख द ।
ले
कन दे
खतेह क उसमेतो मुाएं
हैही नही। के
वल प थर और म है ।

व ा म जी को ोध आ गया। और कहते
ह। वाह राजा ! यही द णा दे
कर अपमान करना था मे
र ा तो पहले
ही बता दे
ते

ह र ंजी कहते ह- मु
नवर, हमेमा क जये । मने
एक एक पाई एक क थी ले
कन पता नही येया हो गया? तब ह र ं
जी अपनेपुऔर प नी के साथ कहतेह। य द हम आज संया तक आपकेद णा केपै
से नही चू
का पायेतो जगत सेमेरा
नाम मट जाये
गा। और येकहकर काशी केबाजार म बकनेकेलए चल दए ह।

काशी के बाजार म बोली लगाई गई। सबसेपहली ह र ंक प नी बक है । पां


च सौ मुा म। फर ह र ंका बेट ा बक है
दो सौ मुा म। जब एक हजार मुाएं नही ई। तो ह र ंने
खु द को भी बे
च डाला। और इस तरह से
एक हजार मुाएं
एक करकेव ा म जी को द णा दे कर अपना वचन नभाया।

ह र ंक प नी और उसका ब चा एक सेठ के
यहाँनौकर रख लए गए। दन रात वो उनसे
काम करवाते
थे
। खाना भी समय
पर नही दे
ते
ह। और मार पटाई अलग से
करतेथे
। लेकन उनकेखलाफ एक श द भी नही बोलतेथे
। य क बक चु केथे

इसी तरह से
ह र ंजी को एक चां
डाल के यहाँकाम करना पड़ा। राजा होकर भी ह र ंनेएक डोम केयहाँकाम करना
वीकार कया। वह उसक हर तरह सेसे
वा करते । छोटे
-से
-छोटे
काम करने मे
भी न हचकते । ह र ंका काय शव के व
आ द एक करना था। उसेमशान भू म म ही रहना भी पड़ता था। मशान घाट क रखवाली करते थेऔर बना शु क दए
शव को जलानेनही दे
ते
थे
। ये
इनके मा लक का म था।

एक बार ह र ंका लड़का से ठानी क आ ा से फू ल तोड़नेकेलए गया। वहांपर एक सां


प ने
उसेडस लया। ह र ंका
लड़का मर गया। माँको जब पता चला तो खू
ब रोई और रोती-रोती अपनेबे
टे
का शव शमशान घाट म लाई। शव शमशान घाट
म रख दया। तभी ह र ंजी वहां आये और कहते ह दे
वी! आप कौन है? और इस ब चेका अं
तम सं कार करना चाहते
हैतो
कुछ शुक द जये ।

उसक प नी कहती हैक येमेर ा इकलौता बेट ा है


। और सां प ने उसे काट लया हैलेकन मे
रे
पास दे
ने
केलए कु छ भी नही है

ह र ंको पता चला क ये
मेर ी प नी हैऔर आज मे र ा ही बे
ट ा मर गया है
। ले
कन ह र ंजी कहतेह- दे
वी! बना शुक
लए म आपके बे
टे
को अ न नह दे नें गा।

तब ह र ंक प नी अपनी साडी फाड़कर शु क के प म देती है


। उसी समय काशी नरे
श अपनेसै नक केसाथ वहां
पर
आ जाता है। और कहता है क इस ी को पकड़ लो। ये
ही ब चो क ह या करती है
। इतना कहकर ह र ंक प नी को
मृयुदंड देदया जाता है
। ह र ंको बु
लाते
है
। और कहतेहैक इस ी क ह या कर दो। य क येनद ष बालक को
मारती है

ह र ंजी इसेव ध का वधान समझ ले
ते ह और अपनी प नी क ह या करने
लगते ह। उसी समय भगवान नारायण, ल मी ,
नारद और व ा म जी कट हो जातेह। ह र ंका पुरो हता भी जी वत हो कर वहांआ जाता है

भगवान व णुकहते ह। ह र ंतु हारी जय हो। तु


मने
स य केलए सब कु
छ याग दया। धम और कत भी तु
हेसच के
माग पर चलने
सेरोक नही पाये
। रो हता भी जी वत हो कर वहां
आ जाता है

फर व ा म जी ने
कहा क ये सब परी ा मने ही ली। और आज म तु हेअपनी 60 हजार वष क तप या का फल दे
ता ।ँ
और जब तक सू
रज चाँ
द रहे
गा तब तक तुहारा नाम रहेगा। जब जब सच क बात चलेगी तुहारा नाम सबसे
ऊपर आएगा...

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