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1.

अहमदनगर का िकला
किठन श दाथ:
पृ सं या 1- दजू – शु ल प का दसू रा िदन, शु ल प – पं ह िदन क यह अविध जब चाँद सायक ं ाल िनकलता है, कारावास – जेल,
थायी – लंबे समय तक, सहचर – साथ चलने वाला।
पृ सं या 2- बागवानी – बाग-बगीचे लगाना, अवशेष – बचे हए पदाथ, अतीत – परु ाना, दरू िभसंिधयाँ – दु मन या गलत इराद से क गई
सिं ध, अहिमयत – िवशेषता, िव – िखलाफ नेतृ व, मजं रू ी – अनमु ित, कुदाल – फावड़ा, कम – काय।
पृ सं या 3- पैगंबर – ई र का दतू , अि तयार – अिधकार, िव ापणू – पांिड य, राहत – आराम, वा रस – उ रािधकारी,
भावी – आनेवाला, मन म घर करना, पश – छूना।

पाठ-सारांश
इस पाठ म नेह जी क नव जेल या ा का वणन है। इस पाठ के मा यम से नेह जी का कहना है िक मनु य के मानस पटल पर अपनी
सं कृ ित और स यता क जो परु ानी छाप है रहती है, वह अ छी और बुरी दोन प म भािवत करती है। अहमदनगर के िकले म नेह जी
को 1942-45 तक रखा गया था, यह पाठ उसका का सं मरण है।
1.1 अतीत का भार
अतीत का भार नेह जी को बागवानी का शौक था। उ ह अं ेज़ी सरकार ारा िजन जेल म रखा गया वहाँ उ ह ने अपने शौक को पूरा िकया।
दसू री जेल क तरह उ ह ने अहमद नगर के िकले म भी बागवानी शु कर दी थी। वे ितिदन धपू म भी फूल के िलए या रयाँ बनाते थे।
वहाँ क ज़मीन क िम ी काफ़ खराब थी। यह िम ी परु ाने मलबे से भरी हई थी। इस िम ी ने अनेक यु और गु संिधयाँ देखी ह। इसिलए
इसे ऐितहािसक जगह भी कहा जाता है। यहाँ क एक मह वपूण घटना चाँद बीबी क याद नेह जी को आती है। उसी चाँद बीबी ने इस िकले
क र ा के िलए अकबर क मगु ल सेना के िव यु लड़ा था। उसी चाँद बीबी क ह या उसी के िव ासी आदमी ने क थी।

जेल म बागवानी के िलए खदु ाई करते समय नेह जी को सतह के काफ़ नीचे परु ानी दीवार के िह से, गंबु द और इमारत के ऊपरी िह से
िमले। लेिकन जेल अिधकारी सीिमत थान से आगे बढ़ने क इजाजत नह देते थे। इसिलए उ ह ने कुदाल छोड़कर कलम हाथ म उठाई और
उ ह ने यह ण िलया जब तक देश आज़ाद नह हो जाता है, वे देश क आजादी के िलए िलखते रहगे। वे भिव य के बारे म इसिलए नह
िलख सकते, य िक वह िकसी पैग बर क भिू मका म नह ह। अब बचा अतीत के बारे म इितहास व िव ान क तरह िलखने म स म नह
थे। वे के वल वतमान िवचार और ि याकलाप के साथ सबं धं थािपत करके ही उसके बारे म कुछ िलख सकते ह। गेटे के अनसु ार, इस तरह
का इितहास लेखन अतीत के भारी बोझ से एक सीमा तक राहत िदलाता है।
1.2 अतीत का दबाव
मनु य के मि त क पर स यता के अतीत का दबाव चाहे भला हो या बरु ा दोन तरह से अिभभतू करता है। यह दबाव कभी-कभी दमघोटू होता
है।
नेह जी बराबर सोचा करते थे िक आिखर इनक िवरासत या है ? वे िकन बात के उ रािधकारी ह? िफर वयं ही उनका मानना है िक
मानवता के िजन मू य को हजार वष से ा िकया गया, जीत का उ लास, हार का दख ु व मानव के साहसी कारनामे ये सभी उनके साथ
जुड़े ह। वे इ ह सबके सतं ान ह।

नेह जी ने अपने िवचार म अपनी घटना का भी उ लेख िकया है िक भारतवािसय क िवरासत क िवशेष बात यह है िक ये आपको
अपना-पराया का भेद-भाव नह करते। यह िवचार हमारे अंदर कूट-कूट कर भरा हआ है। यही िवचार हम एकसू म बाँधकर रखते ह। इन
आधार पर वतमान और भावी प बनेगा।

1.‘अहमदनगर का िकला’ पाठ कब व िकसके ारा िलखा गया।


(i) 14 अ ैल 1914 म जवाहरलाल नेह जी ारा
(ii) 13 अ ैल 1944 म जवाहरलाल नेह जी ारा
(iii) 13 अ ैल 1944 म महा मा गांधी ारा
(iv) 14 अ ैल 1933 सरदार ब लभ भाई पटेल ारा

उ र: (ii) 13 अ ैल 1944 म जवाहरलाल नेह जी ारा


2. नेह जी ने जीवन म िकतनी बार जेल क या ा क थी?
(i) आठ बार (ii) दो बार
(iii) नौव बार (iv) पाँचवी बार
उ र: (iii) नौव बार

3. नेह जी ने जेल म कै दी के प म कलम य उठाई?


(i) प का रता के िलए
(ii) भारतीय जनमानस म रा ेम भरने के िलए
(iii) इितहास िलखने के िलए
(iv) रा का गान िलखने के िलए
उ र: (ii) भारतीय जनमानस म रा ेम भरने के िलए

4. मनु य का अतीत मनु य को िकस कार से भािवत करता है?


(i) अ छे प म (ii) बरु े प म
(iii) अ छे और बुरे दोन प म (iv) उपयु सभी
उ र: (iii) अ छे और बुरे दोन प म

5. भारतीय िवरासत क या िवशेषता थी?


(i) आिथक सपं नता को बढ़ाना (ii) िव -बंधु व का संदश

(iii) अलग-अलग रहने क था (iv) आ म-िनभरता
उ र: (ii) िव -बंधु व का संदश

लघु उ रीय
1. इस पाठ म िकसक कौन-सी या ा का वणन है?
उ र: इस पाठ म पं. जवाहर लाल नेह क नव जेल या ा का वणन हआ है। यह जेल अहमदनगर िकले म थी। इस जेल म उ ह बीस महीने
गज़ु ारना पड़ा था।

2. नेह जी ने चाँद को अपना सहचर य कहा? उ ह वह या सीख देता तीत होता है?
उ र: वहाँ का चाँद लेखक को अपना सहचर इसिलए तीत होता है य िक वह िदन ितिदन िनि त समय पर आकर एक-एक िदन का
अहसास करवाता था। साथ यह अहसास िदलाता है िक अंधेरे के बाद उजाला होता है। यानी दख
ु के बाद सख

3. अहमदनगर िकले म रहकर नेह जी ने या काय शु िकया?


उ र: अहमद नगर के िकले म नेह जी ने बागवानी का काय शु िकया। य िक वे खाली बैठकर यथ समय यतीत नह करना चाहते थे।
उ ह ने पथरीली व कंकरीली ज़मीन को उपजाऊ बना डाला।

4. इितहासकार गेटे ने इितहास लेखन के बारे म या कहा?


उ र: इितहासकार गेटे ने इितहास लेखन के बारे म कहा िक इितहास लेखन अतीत के भारी बोझ से एक सीमा तक राहत िदलाता है।

5.नेह जी ने कुदाल छोड़कर कलम य उठा ली?


उ र: नेह जी को बागवानी के िलए खुदाई का काम जारी रखने के िलए अिधका रय क मंजूरी नह िमलने पर उ ह ने िववश होकर जेल म
इितहास लेखन के िलए कलम उठा िलया।

6.चाँद बीबी क ह या िकसने क ?


उ र: चाँद बीबी क ह या उसी के अपने एक साथी ने क ।
7. नेह जी ने िकसके बारे म िलखने का िन य िकया?
उ र: नेह जी ने वतमान के िवचार और ि या-कलाप के साथ सबं ंध थािपत करके , उनके बारे म िलखने का यास िकया।

दीघ उ रीय
1. अतीत का दबाव कै सा होता है?
उ र: अतीत का दबाव अ छा हो या बुरा दोन प म अिभभतू करता है। मनु य के मि त क पर स यता और सं कृ ित क जो छाप रहती है,
और जो लोग ाचीन स यताओ ं से जड़ु े ह जब उनक स यता िवकृ त होती है तो वे ज दी ही िवचिलत हो उठते ह।

2. भारतवािसय क िवरासत क या िवशेषताएँ ह?


उ र: भारतवािसय क िवरासत क िवशेषताएँ ह िक वे आपस म अलग रहने म िव ास नह करते। इस सबं धं म नेह जी का कहना है िक
यह हमारे र -माँस और अि थय म कूट-कूट कर भरा है िक कोई यि और से अलग नह होता यानी िव बंधु व क भावना म िव ास
करते ह।

3. चाँद बीबी कौन थी? उनसे सबं ंिधत कौन-सी घटना याद क जाती है?
उ र: चाँद बीबी अहमदनगर म रहने वाली मिहला शािसका थी। उसने िकले क र ा के िलए अकबर क शाही सेना के िव यु िकया
और सेना का नेतृ व िकया। अतं म उसक ह या उसके अपने ही एक आदमी ने कर िदया।

2. तलाश
किठन श दाथ:
पृ सं या 4.
िव ेषण – सही गलत का िवचार करना, अवधारणा – िवचार, आलोचक – सही गलत दोन धारणाएँ कट करने वाला, अतीत – िपछला,
ाचीन, शंकाएँ – संशय, खा रज – समा , जीवंत – सदा रहने वाला, िटकाऊ – मज़बूत, प का, बजदू – आधार।
पृ सं या 5.
टीला – िम ी या रे त के जमाव से बना एक ऊँचा थान, ठे ठ – परू ी तरह से, आ यचिकत – हैरान, प रवतनशील – बदलाव करनेवाला,
िवकास समान – उ नित क ओर बढ़ना, संपक – संबंध, तेजि थता – काशमय, सदु रू – बहत दरू , सि य – ि याशील होना, समृि –
संप नता, परा मी – वीर, दा तान – आपबीती, िमथक – अिव सनीय घटनाएँ।
पृ सं या 6.
दतं कथाएँ – लोग ारा कही जाने वाली कहािनयाँ, िवशाल – बड़ा, रमणीय – संदु र, मनोरम, तादाद – बड़ी सं या, पौरािणक – परु ानी,
ाचीन, भ नावशेष – परु ानी चीज के टूटे-फूटे बचे टुकड़े, परु खे, पव – योहार , हैरत – हैरानी, आ य, बल – मज़बूत।
पृ सं या 7.
आ था – िव ास, अंत ि – अंदर तक पहचान पाने क शि , बोध – ान, त काल – उसी समय, फासला – दरू ी, अिभिलिखत – िलिखत
सबूत, पाषाण तंभ – प थर के खंभे। िशलालेख – प थर पर िलखे गए लेख। स ाट – राजाओ ं के राजा, िज ासु – जानने क इ छा,
शा त – िनरंतर, िचर, परंपरा – रीित- रवाज, ोत – ा य थान, पतन – िगरावट, ज़माना – एक यगु लबं ा समय, गित – उ नित, ज़माने –
संसार।
पृ सं या 8.
चेतना – बिु , मानिसकता – सोचने क शि , कौशल – हनर, ीण – कमज़ोर, अनक ु रण – दसू रे का काय देखकर करना, िकसी के पीछे
चलना, यास – कोिशश, श दाडंबर – श द का आवरण, लैस – ससु ि जत, भा यकार – भाषा पर अिधकार रखनेवाला, भ य – संदु र,
न काशी – हाथ से क गई मीनाकारी, अलंकृत – अलंकार से यु , जिटल – किठन, सार चलन, संक ण िढ़वािदता – दिकयानुसी
िवचार, लु – समा , िवकट – किठन, मछू ा – बेहोश, ास – पतन, सव ण – यौरा, वसं ावशेष – खिं डत बची हई व तएु ँ, ममय –
िसलिसले का टूटना, िनरंतरता – एक पता, पनु जागरण – नवीन िवचार क जागृित आना।
पृ सं या 9.
सामजं य – तालमेल, अतं व तु – अदं र का आधार, आ मसात – अपनाना, साम य – कुछ करने क िह मत, िवगत – बीता हआ, दगु ित –
बुरी दशा, िविच – अजीब, तर क – उ नित, र द देना – अि त व-ख म करना, बुि जीिवय – नई िवचारधाराओ ं से िवचार करनेवाले।
पृ सं या 10.
अहिमयत – िवशेष मह व देना, संदेह – शक, वं -यु , अवधारणा – िवचारधारा, अपे ाएँ – कुछ पाने क इ छाएँ, ढ़ता – मज़बूती, अंत-
शि – अंदर का बल, साथक – सही अथ म, िनरथक – जो सही अथ न रखते हो, अिन कारी – िवनाशकारी।
पृ सं या 11.
ोता-सनु ने वाले, चचा-एक दसू रे से िवचार-िवमश, सं थापक-शु करनेवाले, दमदार-ज़ोरदार, भावी।
पृ सं या 11.
बाबत – बारे म, संघष – प र म, कज – उधार, अ याचार – गलत यवहार, हकूमत – शासन, आरोिपत – थोपना, अखंड – िजसके टुकड़े
न िकए जा सक, िवराट – बड़ा, मनोरंजक – मनभावन, अटूट – घिन ।
पृ सं या 12.
यल – कोिशश, महु यै ा – दान करते ह।
पृ सं या 12.
िविवधता – िभ नता, अ ु त – अजीब, तालक ु – संबंध, गमक – छाप, तमाम – अनेक, अचरज – हैरानी।
पृ सं या 13.
सीमातं – सीमावत , व त – न , अवशेष – बचे हए, कमोबेश – कम-अिधक, ज ब – सभा, त काल – उसी समय, आरोिपत – थोपा
हआ, ो साहन – उ साह, मानक करण – शदु त् ा, सिह णतु ा – स दयता, ो साहन – बढ़ावा।
पृ सं या 14.
घिन – प का, मल ू – वा तिवक, अनभु िू त – महससू , मतभेद – िवचार म िभ नता, अनिगनत – असं य।
पृ सं या 15.
संचार – नया प भरना, नवजात – नए, सहेजकर – संभालकर।
पृ सं या 15.
पृ भिू म – आधार, िमथक – मनगढंत, परु ा – ाचीन, िनर र – अनपढ़, लोक मानस – लोग के िदमाग से, समृ – उ नत-संप न, देहाती –
गाँव के ।
पृ सं या 16.
संवेदनशील – मन को भावक ु करनेवाले, बिल – बलशाली, देह – शरीर, लाव य – संदु रता, अवसाद – दखु ।

पाठ-सारांश

इस पाठ के मा यम से नेह जी कहने का यास कर रहे ह िक भारत के अतीत म ऐसी ढ़ शि रही है। िक उसे कोई िडगा नह सकता है।
यिद हम पाँच हज़ार साल के पीछे मड़ु कर देख तो पाते ह िक भारत का मक
ु ाबला परू ा ससं ार नह कर सकता। जनसं या का िवशाल समहू
होने के बावजदू भारत म मज़बूती के साथ एकजुटता िदखाई देता है।
2.1 भारत क अतीत क झाँक
भारत क अतीत क झाँक नेह जी इस पाठ के मा यम से कहते ह िक बीते साल म उनका यह यास रहा है िक वे भारत को समझ और
उसके ित उनके िति याओ ं का िव े षण कर। कभी-कभी उनके मन म यह भी िवचार आता था िक आिखर भारत या है? यह भूतकाल
क िकन िवशेषताओ ं का ितिनिध व करता था? उसने अपनी ाचीन शि को कै से खो िदया? भारत उनके खून म रचा-वसा था। उ ह ने
भारत को शि शाली रा के प म देखा था। या अब वह अपनी शि को खो िदया है? इतना िवशाल जन समहू होने के बावजूद भारत के
पास कुछ ऐसा है िजसे जानदार कहा जा सके । इस आधिु नक यगु म तालमेल िकस प म बैठता था।

उस समय नेह जी भारत के उ र पि म म ि थत िसधं ु घाटी म मोहनजोदड़ो के एक टीले पर खड़े थे। इस नगर को 5000 वष पहले का
बताया गया है। यह एक पणू िवकिसत स यता थी। इसका ठे ठ भारतीयपन हमारी आधिु नक स यता का आधार है। भारत ने फारस, िम ,
ीस, चीन, अरब, म य एिशया तथा भूम यसागर के लोग को भािवत िकया तथा वयं भी उनसे भािवत हआ। नेह जी ने आने वाले
िवदेशी िव ान या ी जो चीन, पि मी व म य एिशया से आए थे, उनके ारा िलिखत सािह य का अ ययन िकया। उ ह ने पवू एिशया,
अंगकोर, बोरोबुदरु और बहत सी जगह से भारत क उपलि धय के बारे म जाना। िहमालय पवत व उनसे जुड़ी ाचीन कथाओ ं को भी
उ ह ने जाना। वे िहमालय म भी घूमते रहे िजसका पुराने िमथक और दंत कथाओ ं के साथ िनकट का सबं ंध है। पहाड़ के ित िवशेषकर
क मीर के ित उनका िवशेष लगाव रहा। भारत क िवशाल निदय ने भी उ ह आकिषत िकया। इडं स या िसधं ु के नाम पर हमारे देश का नाम
इिं डया और िहदं ु तान पड़ा। यमनु ा के चार ओर नृ य और नृ य उ सव और नाटक से सबं न जाने िकतनी पौरािणक कथाएँ एक ह। भारत
क नदी गंगा ने भारत के दय पर राज िकया है। ाचीन काल से आधिु नक यगु तक गंगा क गाथा भारत क स यता और सं कृ ित क
कहानी है।

भारत के अतीत क कहानी को व प देनेवाली अजंता, एलोरा, ऐिलफटा क गुफाएँ व िद ली तथा आगरा क िवशेष इमारत ने भी नेह
जी को भारत के अि त व के बारे म अवगत करवाया।

जब भी वे अपने शहर इलाहाबाद या िफर ह र ार म महान- नान पव कंु भ के मेले को देखते तो उ ह एहसास होता था िक हज़ार वष पवू से
उनके पवू ज भी इस नान के िलए आते रहे ह। िवदेिशय ने भी इन पय के िलए बहत कुछ िलखा। उ ह इस बात क हैरानी थी िक वह कौन-
सी बल आ था है जो भारतीय को कई पीिढ़य से भारत क इस िस नदी क ओर ख चती रही है। उनक या ाओ ं ने अतीत म देखने क
ि दान क । उ ह स चाई का बोध होने लगा। उनके मन म अतीत के सैकड़ िच भरे पड़े थे। ढाई हजार वष पहले िदया महा मा बु का
उपदेश उ ह ऐसा लगता जैसे बु अपना पहला उपदेश अभी दे रहे ह , अशोक के पाषण तंभ अपने िशलालेख के मा यम से अशोक क
महानता कट करते, फतेहपरु सीकरी म अकबर सभी धम म समानता को मानते हए मनु य क शा त सम याओ ं का हल खोजता िफरता है।

इस कार नेह जी को ाचीन पाँच हज़ार वष पवू से चली आ रही सां कृ ितक परंपरा क िनरंतरता म िवल णता साफ़ और प तथा
वतमान के धरातल पर सजीव तीत होती है।

2.2 भारत क शि और सीमा


भारत क शि और सीमा के बारे म खोज लबं े समय से हो रही है। नई वै ािनक तकनीक से पि मी देश को सै य शि के िव तार का
मौका िमला। इन शि य का योग कर इन देश ने परू ब के देश पर अिधकार कर िलया। ाचीन काल म भारत म मानिसक सजगता और
तकनीक कौशल क कमी नह थी लेिकन बाद म इसम काफ़ िगरावट हो गई। नई खोज क लालच म प र म क कमी होने लगी। िनत नए
आिव कार करने वाला भारत दसू र का अनक ु रण करने लगा। िवकास के काय म िशिथलता आने लगी। सािह य रचना अिधक होने लगी।
संदु र इमारत का िनमाण करने वाले भारत म पि मी देश के भाव के कारण प चीकारी वाली न काशी क जाने लगी।

सरल, सजीव और समृ भाषा क जगह अलक ं ृ त और जिटल सािह य-शैली िवकिसत हई। िववेकपणू चेतना लु होती चली गई और
अतीत क अंधी मिू त पजू ा ने उसक जगह ले ली। इस हालत म भारत का पतन होने लगा जबिक इस समय म िव के दसू रे िह से लगातार
गित करते रहे।

इन उपरो बात के साथ-साथ यह भी नह कहा जा सकता है िक इतना कुछ होने पर भी भारत क मज़बूती, ढ़ता और अटलता को िहला
नह सका। ाचीन भारत का व प तो परु ाने प म रहा लेिकन अंदर क गितिविधयाँ बदलती रह , भले ही नए ल य ख चे गए लेिकन
परु ानी व नई सामजं य थािपत करने क इ छा बराबर बनी रही। इसी लालसा ने भारत को गित दी और परु ाने के जगह नए िवचार को
आ मसात करने का साम य िदया।
2.3 भारत क तलाश
नेह जी क सोच यह थी भारत का अतीत जानने के िलए पु तक का अ ययन, ाचीन मारक तथा भवन का दशन, सां कृ ितक
उपलि धय का अ ययन तथा भारत के िविभ न भाग क पद या ाएँ पया होगी, पर इन सबसे उ ह वह संतोष न हो सका िजसक उ ह
तालाश थी। उ ह ने भारत के नाम पर भरत नाम क ाचीनता बताई। उ ह ने उ ह सदु रू -उ र-पि म म खैबर पास से क याकुमारी या के प
कै मो रन तक अपनी या ा के बारे म बताया। उ ह ने देश के िकसान क िविभ न सम याओ ं गरीबी, कज, िनिहत वाथ, जम दार, महाजन,
भारी लगान और पिु लस अ याचार पर चचा क । उन लोग को ाचीन महाका य , दतं कथाओ ं क परू ी जानकारी थी। ामीण अभाव म
रहते हए भी भारत क शान थे। जो बात उनम थी वह भारत के मा यम वग म न थी। के वल उ ेजना के भाव रहते थे।

नेह जी इस बात से भी अप रिचत न थे िक भारत क त वीर कुछ-कुछ बदल रही है य िक हमारा देश 200 वष से अं ेज के अ याचार
झेल रहे थे। काफ़ कुछ तो उसी कारण समा हो गया लेिकन जो मू य या धरोहर बच गई है वह साथक है। लेिकन बहत कुछ ऐसा भी है जो
िनरथक व अिन कारी है।
2.4 भारत-माता
नेह जी सभी भारतीय िकसान को संदेश देना चाहते थे िक भारत महान है। हम इसक मह ा को समझना चािहए। वे जब भी िकसी भी सभा
म जाते तो लोग को अवगत कराते िक इस िवशाल भारत क आज़ादी के िलए संघष कर रहे ह। इसका भाग अलग-अलग होते हए भी सभी
को िमलाकर भारत बना है। उ र से दि ण व पवू से पि म तक यह एक ही व प रखता है। उ ह ने उ ह सदु रू उ र-पि म म खैबर पास से
क याकुमारी या के प के मो रन तक अपनी या ा के बारे म बताया। उ ह ने िकसान क िविवध सम याओ ं गरीबी, कज, िनिहत वाथ,
जम दार, महाजन, भारी लगान और पिु लस अ याचार पर चचा क । उन लोग को ाचीन महाका य दंत कथाओ ं क परू ी जानकारी थी।
लोग जब ‘भारत माता क जय’ के नारे लगाते तब नेह जी उनसे पछू ते थे िक भारत माता क जय इसका या अथ है ? इसका इ ह सही-
सही उ र नह सझू ता था। एक यि ने उ र िदया – भारत माता हमारी धरती है, भारत क यारी िम ी। भारत तो वह सब कुछ है भारत के
पहाड़ और निदयाँ, जंगल, खेत और भारत क जनता। भारत माता क जय का अथ है- इसी जनता जनादन क जय। यह िवचार उनके िदमाग
म बैठता जाता था। उनक आख चमकने लगती थ मानो उ ह ने एक नई महान खोज कर दी हो।

2.5 भारत क िविवधता और एकता


यह सौ ितशत स य है िक भारत म िविवधता होते हए भी एकता है। परू े भारत देश म लोग के खान-पान, रहन-सहन, पहनावे, भाषा,
शारी रक व मानिसक प म िविवधता झलकती है, पर िविवधता होते हए भी भारत देश एक है। इनम चेहरे -मोहरे , खान-पान, पहनावे और
भाषा म बहत अंतर है। पठान के लोक चिलत नृ य सी कोजक नृ य शैली म िमलते ह। इन तमाम िविवधताओ ं के बावजूद पठान पर
भारत क छाप वैसी ही प है जैसे तिमल पर 1 सीमातं े ाचीन भारतीय सं कृ ित के मख ु क म था। त िशला का महान
िव िव ालय दो हज़ार वष पहले इसक लोकि यता चरम सीमा पर थी। पठान और तिमल दो चरम उदाहरण है, बाक क ि थित इन दोन
के बीच क है। सबक अलग-अलग िवशेषताएँ ह, पर इन सब पर भारतीयता क गहरी छाप है। भारत म िविवध भाषाओ ं के बोलने वाले
लोग ह। ाचीन चीन क भाँित ाचीन भारत अपने आप एक ससं ार थी। यहाँ िवदेशी भी आए और यहाँ ज ब हो गए। िकसी भी देशी समहू
म छोटी-बड़ी िविभ नताएँ हमेशा देखी जाती ह। अब रा वाद क अवधारणा जोर पर िवकिसत होने लगी। िवदेश म भारतीय एक रा ीय
समदु ाय के लोग एक साथ रहते ह। भले ही उनम भीतरी मतभेद हो, एक िहंदु तानी भले ही िकसी भी धम का हो, वह अ य देश म िहदं ु तानी
ही माना जाता है।

नेह जी का कहना है िक वे जब भी भारत के बारे म सोचते ह तो उनके सामने दरू -दरू तक फै ले मैदान, उन पर बसे अनिगनत गाँव, व शहर व
क बे िजनम वे घमू े, वषा ऋतु क जादईु बरसात िजससे झल
ु सी हई धरती का स दय और ह रयाली िखल जाए, िवशाल निदयाँ व उनम बहता
जल, ठंडा देश खैबर, भारत का दि ण प, बफ ला देश िहमालय या वसतं ऋतु म क मीर क कोई घाटी फूल से लदी हई व उसके बीच
से कल-कल छल-छल करते बहते झरने क त वीर बन जाती है, िजसे वे सहेजकर रखना चाहते ह।

2.6 जन सं कृित
भारत क तलाश के म म नेह जी जब भारतीय जनता के जीवन क गितशीलता को देखते तो उसका संबंध अतीत से जोड़ते थे, जबिक
इन लोग क नज़र भिव य पर टीक रहती थी। लेखक को हर जगह एक सं कृ ित पृ भिू म िमली िजसका जनता के जीवन पर गहरा असर था।
इस पृ भिू म म लोक चिलत दशन परंपरा, इितहास, िमथक, परु ा-कथाओ ं का स मेलन था। ये कथाएँ आपस म इस कार से िमली हई थी
िक इसे एक दसू रे से अलग करना असभं व था। भारत के ाचीन महाका य रामायण और महाभारत जनता के बीच िस थे। वे ऐसी कहानी
का उ लेख करते थे िजससे कोई नैितक उपदेश िनकलता था। लेखक के मन म िलिखत इितहास और त य का भडं ार था। गाँव के रा ते से
गजु रते हए लेखक क नज़र मनोहर पु ष या संदु र ी पर पड़ती थी िजसे देखकर वह िव मय िवमु ध हो जाता था। चार ओर अनिगनत
िवपि याँ फै ली हई थ । लेखक को इस बात से हैरानी होती थी िक तमाम भयानक क के बावजदू , आिखर यह स दय कै से िटका और बना
रहा। भारत म ि थितय को समिपत भाव से वीकार करने क वृि बल थी।

भारत म न ता, यह सब कुछ होने के बाद भी ि थित को वीकारने क बल वृि थी जो हज़ार साल क सं कृ ित िवरासत क देन थी
और इसे दभु ा य भी न िमटा पाया था। यानी भारतीय सं कृ ित के आधारभूत त व म कोई प रवतन नह हआ था।
1. मोहजोदड़ो क स यता िकतने वष परु ानी है?
(i) 3000 वष (ii) 5000 वष
(iii) 6000 वष (iv) 4000 वष
उ र: (ii) 5000 वष

2. िसंधु नदी का दसू रा नाम है?


(i) इडं स (ii) इिं डया
(iii) इदं ु (iv) इं नील
उ र:
(i) इडं स

3. एिशया क शि कम होने पर कौन-सा ीप आगे बढ़ा?


(i) यरू ोप (ii) संयु रा य अमे रका
(iii) इं लड (iv) इडं ोनेिशया
उ र: (i) यरू ोप

4.भारत का कौन-सा वग इस समय बदलाव क कामना करता था?


(i) िन न वग (ii) म यम वग
(iii) उ च वग (iv) शासक वग
उ र: (ii) म यम वग

5.भारत िकतने वष से अं ेज़ के अ याचार झेल रहा था?


(i) सौ वष से (ii) दो सौ वष से
(iii) चार सौ वष से (iv) पाँच सौ वष से
उ र: (i) सौ वष से

6. भारत का नाम िकसके नाम पर पड़ा?


(i) राजा भारत (ii) राजा भरत
(iii) भरतमिु न (iv) भार ाज
उ र:(ii) राजा भरत

7.त िशला के अवशेष िकतने ाचीन थे?


(i) दो हज़ार वष पवू (ii) तीन हजार वष पवू
(iii) चार हजार वष पवू (iv) पाँच हजार वष पवू
उ र:(i) दो हज़ार वष पवू

8.भारतीय क जीवन शैली कै सी थी?


(i) खशु हाल (ii) अभाव व असरु ा से त
(iii) सामा य (iv) उ च कोिट क
उ र:(ii) अभाव व असरु ा से त

लघु उ रीय
1.नेह जी ने भारत को िकस नज़ रए से देखना शु िकया और य ?
उ र: नेह जी ने भारत को एक आलोचक क ि से देखना शु िकया। वे एक ऐसे आलोचक थे जो वतमान को देखते थे पर अतीत के
बहत से अवशेष को नापसदं करते थे। वे ऐसा इसिलए करते थे िजससे वे अतीत के पसदं एवं नापसदं दोन पा का अवलोकन करना चाहते
थे।
2.लेखक ने िवदेिशय ारा िलखे गए भारतीय सािह य का अ ययन य करना चाहा?
उ र: नेह जी ने िवदेिशय ारा िलखे गए भारतीय सािह य का अ ययन करना चाहा तािक भारत क िवशेषताओ ं क बारीिकय का
अ ययन कर सक।

3.लेखक कहाँ टीले पर खड़ा था?


उ र: लेखक उ र पि म म ि थत िसंधु घाटी म मोहनजोदड़ो के एक टीले पर खड़ा था।

4. िहमालय पवत से कौन-कौन सी मु य निदयाँ िनकलती ह?


उ र: नेह जी के पवू ज क मीर के रहनेवाले थे। बचपन म उनका काफ़ समय क मीर क ज़मीन पर यतीत हआ है। इसिलए वे क मीर क
ओर अिधक आकिषत होते थे।

5. हमारे देश का नाम िकसके आधार पर पड़ा?


उ र: िसंधु नदी के कारण इंडस भी कहा जाता है। यह नदी िहमालय पवत से िनकलती है। भारत का नाम इंिडया या िहदं ु तान भी इसी के
आधार पर पड़ा है।

6. भारतीय सं कृ ित क या िवशेषता है?


उ र: भारतीय सं कृ ित क यह िवशेषता है िक ाचीन व नई म सामजं य थािपत कर, परु ाने को बनाए रखने से नए िवचार को आ मसात
करने का साम य होगा।

7. शि पाकर यरू ोप ने या िकया?


उ र: शि पाकर यरू ोप ने पवू के देश पर अिधकार करना चाहा।

8. एिशया क शि कम होने पर कौन-सा ीप आगे िनकला और य ?


उ र: एिशया क शि कम होने पर यूरोप ने गित क य िक उसने तकनीिक िवकास क ओर कदम बढ़ाए।

9. नेह जी पर भारत के इितहास और िवशाल ाचीन सािह य क िकन बात ने भाव डाला?
उ र: नेह जी पर िवचार क तेजि वता, भाषा क प ता, सि य मि त क क समृि ने गहरा भाव डाला।

10. भारतीय ने िकन संक ण धारणाओ ं को अपनाया?


उ र: भारतीय ने िजन सक
ं ण धारणाओ ं को अपनाया, वे थे महासागर को पार न करना एवं मिू त पजू ा क ओर कदम बढ़ाना।

11. नेह जी ने भारत क तलाश िकन-िकन साधन से करनी चाही?


उ र: नेह जी ने भारत क तलाश पु तक , ाचीन मारक और ाचीन सां कृ ितक उपलि धय से करनी चाही।

12. नेह जी मारक , गफु ाओ ं तथा इमारत क ओर य आकिषत होते थे?


उ र: नेह जी अजंता, एलोरा, एलीफटा क गुफाओ ं ाचीन मारक , आगरा एवं िद ली म बनी इमारत क ओर इसिलए आकिषत होते
थे य िक इनम लगा एक-एक प थर भारत के अतीत क कहानी कहता तीत होता है।

13. भारत के तकनीक कौशल म िपछड़ने से यरू ोप क ि थित कै सी हो गई?


उ र: भारत के तकनीक कौशल म िपछड़ने से यरू ोप जो एक ज़माने से िपछड़ा हआ था, वह तकनीक ि म भारत से काफ़ िवकास क
दौड़ म आगे िनकल गया। नई तकनीक से उनका सै यबल काफ़ शि शाली हो गया, इससे परू ब पर अिधकार करना आसान हो गया।
14. मानिसक सजगता क कमी ने सक ं ण िढ़वािदता को िकस कार बढ़ावा िदया?
उ र: भारतीय क जाग कता क कमी के कारण साहिसक काय क लालसा म कमी आती गई। इसी प रि थित म भारतीय के महासागर
को पार करने पर रोक लगाने वाली धारणा का ज म हआ। इससे संक ण िवचारधारा को बढ़ावा िमला।

15. नेह जी ने ामीण जनता और म यम वग के बीच म या अंतर महससू िकया?


उ र: लेखक को सदैव ामीण जनता आकिषत करती रही। यह ामीण जनता देश से काफ़ ेम करती थी। वे अभाव म गुज़र बसर करते हए
भी भारत क शान समझे जाते थे। इसके िवपरीत म यम वग म लगाव कम उ ेजना अिधक थी।

16. नेह जी िकसान को संबोिधत करते हए या संदेश देना चाहते थे?


उ र: नेह जी िकसान को संबोिधत करते हए िव बंधु व का संदश
े देना चाहते थे। वे िकसान से कहते ह िक वे भारत को अखंड मानकर
उसके बारे म मनन कर। उ ह इन वा तिवकताओ ं को वीकार करना चािहए िक वे सपं णू िव के िह से ह।

17. भारत के िकसान क मख


ु सम याएँ या थी?
उ र: भारतीय िकसान क मखु सम याएँ थ - गरीबी, कज, शोषण, जम दार, महाजन, लगान, कर व पिु लस ारा अ याचार।

18. ‘त िशला’ य िस था? यहाँ अ य देश से लोग य आते थे?


उ र: त िशला िव िस िव िव ालय था। यहाँ दरू -दराज देश से छा उ च िश ा हण करने आते थे।

19. कौन-कौन से धम के अनुयायी भारतीय बने रहे?


उ र: यहदी, पारसी, मसु लमान, भारतीय बने रहे।

20. भारतीय जन सं कृ ित के दशन म नेह जी को या समानता िदखाई देती थी?


उ र: भारतीय जन सं कृ ित के दशन म नेह जी को यह समानता िदखाई दी िक परू े भारत क पृ भिू म म लोक चिलत दशन, परंपरा,
इितहास, िमथक व परु ाण कथाएँ सब एक पता िलए ह। इनम िकसी को दसू रे से अलग नह िकया जा सकता। यानी ांतीय ढाँचा को
अपनाने वाला देश आपस म एक है।

21. भारत क िविवधता अ ु त है’ कै से?


उ र: भारतीय सं कृ ित म िविवधता होने के बावजूद एकता कट होती है। इसे कोई भी देख सकता है। इसका संबंध शारी रक प से भी है।
उ र पि मी इलाके के पठान और सदु रू दि ण के रहने वाले तिमल लोग म बहत कम समानता है। िफर भी उनम अदं र के सू एक समान ह।

22. इस पाठ के आधार पर आिथक तंगी म जीते भारतीय क दशा का िच ण तथा उनक िवशेषताओ ं का वणन क िजए।
उ र: इस पाठ के अ ययन से पता चलता है िक भारतीय जनता काफ आिथक तगं ी से जूझ रही थी। उनको आभाव म जीने क मज़बूरी थी।
चार ओर भूखमरी, गरीबी और बहत-सी परे शािनय से यहाँ क जनता त थी। उनके इन परे शािनय को साफ़-साफ़ चेहरे पर देखा जा
सकता था। समाज म चार तरफ ाचार और असरु ा क भावना या थी। उनक िजंदगी िवकृ त होकर भयंकर प धारण कर चुक थी।

दीघ उ रीय

1. कंु भ नान पव के बारे म नेह जी के या िवचार थे?


उ र: महाकंु भ नान को देखकर नेह जी को हैरानी होती थी िक इतने वष से लगातार गंगा नान का मह व बना हआ है। इस देश के कई
पीिढ़य के साथ इस देश के साथ लगाव रहा है। हज़ार वष से उनके पवू ज गंगा नान के िलए भारत के कोने-कोने से आते रहे ह। आज भी
इसक आ था यथावत है। करोड़ लोग दरू -दरू से गंगा नान के िलए आते ह।
2. भारतीय सं कृ ित को जानते हए लेखक को महा मा बु , अशोक व अकबर कै से तीत हए? पाठ के आधार पर िलिखए।
उ र:लेखक को भारतीय सं कृ ित को देखने पर पता चला िक महा मा बु ने बनारस के िनकट सारनाथ नामक थान पर जो पहला उपदेश
िदया था, वे श द आज भी गंजू रहे ह। अशोक के तंभ व िशलालेख उसक महानता को उजागर कर रहे ह । अकबर आज भी िव ान के
वाद-िववाद ारा लोग क सामािजक व धािमक सम याओ ं को सल ु झाने म लगा हो यानी सिदय के बाद भी वे सजीव तीत होते ह।

3. भारत म शि य के पतन ने लोग के ि कोण सािह य तथा िनमाण कला पर या भाव डाला?
उ र: भारत क शि य का पतन होने पर भी लोग का ि कोण है िक लोग म रचना मक वृि क कमी आयी तथा अनक ु रण करने क
वृि को बढ़ावा िदया। जो लोग कृ ित और ांड के रह य जानने क इ छा रखते थे, उनक िच सािह य क ओर झुक । सजीव, सरल,
समृ , भावशाली क जगह किठन सािहि यक शैली का योग होने लगा। भ य मिू तकला िनमाण क जगह पर प चीकारी वाली कारीगरी
क जाने लगी।

4. नेह जी ने अ य िकन-िकन ऐितहािसक थल क या ा क थी?


उ र: नेह जी ने िन निलिखत ऐितहािसक थल क या ा क थी-
अजतं ा, एलोरा, एिलफटा क गुफाएँ। आगरा और िद ली म बनी इमारत। बनारस के पास सारनाथ एवं फतेहपरु सीकरी।

5. लेखक ने भारतीय से बहत अपे ाएँ य नह रखी?


उ र: नेह जी ने भारतीय से बहत अपे ाएँ इसिलए नह क , य िक भारतीय दो सौ वष से गल ु ामी व अ यतं गरीबी का जीवन जी रहे थे।
अभाव व क म जीवन जीते वे अपने बारे म सोचना भूल गए थे। ऐसे म वे पाते थे िक बहत-सी ऐसी बाते ह जो आज भी जीिवत ह।

6. नेह जी जहाँ भी जाते उनके वागत म कौन से श द गजंू उठते थे?


उ र: नेह जी जहाँ भी जाते थे वहाँ उनके वागत म ‘भारत माता क जय’ का वर गूंज उठता था।

7.‘भारतीय पर’ ‘भारतीयता क गहरी छाप’ कै से िदखाई पड़ती है?


उ र: लेखक ने जब परू े देश का मण िकया तो पाया िक बंगाली, मराठी, गजु राती, तिमल, आं , उिड़या, असमी, क नड़, मलयाली, िसंधी,
पंजाबी, पठानी, क मीरी, भाषी लोग मन से सभी एक ह। सबक एक िवरासत है, नैितक व मानिसक धारणाएँ भी सभी क एक ह। िकतने ही
िवदेशी आ मणका रय ने भारत पर आ मण िकया और अपना सा ा य थािपत िकया, लेिकन भारतीय क अपनी स यता व सं कृ ित
को कोई डगमगा नह सका। इसिलए यह कहना िक भारतीय स यता भारतीय पर गहरी प से िदखाई देती है।

8. भारतीय सं कृ ित के दशन म नेह जी को या समानता िदखाई दी है?


उ र: भारतीय जन सं कृ ित के दशन म लेखक को यह समानता िदलाई दी िक परू े भारत वष क पृ भिू म म लोक चिलत दशन, परंपरा,
इितहास, िमथक व परु ाणकथाएँ सब एक पता िलए ह। इनम से िकसी एक को दसू रे से अलग नह िकया जा सकता यानी े ीय िविवधता
अलग-अलग ातं म बँटे होने के बावजदू सघं ीय प म एक है।

9. भारत क एक पता कट करने के िलए नेह जी ने िकसान को िकस तरह समझाया?


उ र: जब लेखक ने देखा िक उनके सभा म आए िकसान क दशा िबलकुल दयनीय है तो नेह जी ने िकसान को समझाते हए कहा िक परू े
भारत म िकसान भाइय क दशा दयनीय है तो उ ह ने उ ह समझाते हए कहा- भारतीय िकसान क ि थित समचू े देश म काफ़ दयनीय है। वे
सभी कई सम याओ ं से जझू रहे ह। िकसान अं ेज़ी सरकार के अ याचार से पीिड़त ह। यह सब उ ह ने सदु रू उ र पि म म खैबर पास से
क याकुमारी तक क या ा के अनुभव के आधार पर कहा। उ ह ने िकसान से कहा िक हम सभी को िमलकर देश को आजाद कराना है।

10. ामीण लोग को देखकर नेह जी को या हैरानी हई?


उ र: ामीण लोग को देखकर लेखक को हैरानी हई िक उन लोग को ाचीन महाका य रामायण और महाभारत तथा अ य ंथ के सैकड़
पद एवं दोहे याद होते थे। अपनी बात-चीत के दौरान उनके उदाहरण देना, नैितक उपदेश देना व सािहि यक बात करने पर लेखक को इस बात
क हैरानी होती थी िक अनपढ़ होते हए भी वे बौि क प से समझदार थे।
3.िसध
ं ुघाटी स यता
किठन श दाथ:
पृ सं या 17.
अवशेष – बचे हए िच , अतीत – बीता हआ, ांित – बदलाव, उ ािटत करना – सबके सामने रखना, धान – मख ु , धमिनरपे – सभी
धम के ित समान आदर भाव, हावी होना – बलपवू क अिधकार करना।
पृ सं या 18.
अ दतू – सबसे आगे चलकर ेरणा देने वाला, धनाढ्य – अ यंत धनी, नागर – नगर सबं ंधी, िनरंतरता – लगातार, ंखृ ला – कड़ी।
पृ सं या 19.
द तकारी – हाथ से बना सामान, सयाने – बड़े और समझदार, सृजन – उ प न, िनमाण, ठे ठ – प के , िच – संकेत , हमाम – पानी डालने
व रखने के बड़े-बड़े बतन या धरती म बने तालाब, माण – सबूत, अक मात – अचानक, अिनवाय – ज़ री।
पृ सं या 20.
समृ – धनी, ममु िकन – सभं व, बहतायत – अिधकता, नवागतं ुक – नया आने वाला, जब – समािहत होना।
पृ सं या 21.
िनधारण – तय करना, मतभेद – एक राय न होना, प लवन – बढ़ावा देना, पैदाइश, सं ह – इक ा करना, कुल – प रवार, उमंग – चाह।
पृ सं या 22.
हाँमाद – खश ु ी क चाह, रकाड – लेखा जोखा, उषाकाल – शु आत, अनंत – अनिगनत, सजग – सतक, आ था – िव ास,
समानांतर – समान अंतर, पृ भिू म – आधार, पारलौिकक – ई रीय लोक म िव ास करना।
पृ सं या 24.
िचंतन – सोच, ि कोण – नज रया, बा – बाहरी, िम या – झूठ, अ ैतवाद – िकसी भी धम को िवशेषता िदए वगैर ई र क वा तिवक
स ा को मानना, लोको र – लोग को ात, िन सािहत – उ साह को समा करना, कर-् कांड – दैिनक हवन-पजू ा प ित, असत् – अ ान,
कामना – इ छा, बेचैन – परे शान, अनंत – अंतहीन, ऐतरे य ा ण – उपिनषद का एक भाग। कारगर – सही, ानाजन – ान ा करना,
आ मपीड़न – वयं को दख ु पहँचाना, आ म याग – अ छे उ े य क ाि के िलए अपनी जान को परवाह न करना।
पृ सं या 25.
भारतीय िचंतन – भारत पर िवचार करना, मनोवृि – इ छा, खंड-खंड – िवभािजत, सम – सारा परू ा, दािय व – कत य, एका मता –
एक पता, गैरमनु ािसब – सभं व न होना, बौि क जड़ता – बिु से सोचने समझने क अ मता, रचना मक शि – कुछ नया करने क
मता, चलन – रवाज, ताड़ प – एक िवशेष कार का पेड़ िजसके प पर लेखन काय िकया जाता था।
पृ सं या 26.
भौितकवाद – जीवन क वा तिवकता म िव ास करना, िवशद – अ यिधक, यास – कोिशश, सदं ेह – शक, परु ोिहत – पिं डत,
परु ाण पंथी – परु ान क िश ा देने वाले, घोर – कड़ी, िढ़या – दिकयानुसी परु ाने सोच वाले,
पृ सं या 27.
सिदयाँ सैकड़ साल, जीवतं – सजीव प म, वीरगाथा – वीर क गाथाओ ं से यु , मरणोपरातं – मरने के बाद, लोकिहत – लोग क
भलाई।
पृ सं या 28.
सि म ण – िमला हआ, गड्ड – िमल जाना, धैयपवू क – धीरज से, सफ़रनाम – या ा का वृतातं , पौरािणक – ाचीन ।
पृ सं या 29.
दजा – थान, े तम – सबसे अ छी, िव कोश – िव से संबंिधत िवचार का समावेश, घालमेल – मेलजोल, संशोधन – बदलाव कर
सही करना, यापक – बड़ा।
पृ सं या 30.
िवराट – बड़ा, गृहयु – घरे लू यु , अखंड – िजसके टुकड़े न िकए जा सके , अवधारणा – सोच, आ यान या यान, आचार – यवहार,
एका – एकता से, लोकमगं ल – लोग का िहत, मकसद – उ े य।
पृ सं या 31.
समृ – भरा-परू ा, अनमोल – बहमू य, सराबोर – भरा हआ, तरबतर, कुल – प रवार, िवकासशील – िवकास, ेरक – उ साह बढ़ाने वाला,
अश ं – िह सा, मु कमल – परू ा, का य – किवता के प म िलखा हआ, दिु वधा त – िकसी बात का िनणय न कर पाने क ि थित म होना,
संकट-काल – मसु ीबत का समय।
पृ सं या 32.
औिच य – सही, उिचत, अंतरा मा – मन क आवाज़, संहार – यु , प रहार – रोक लगाना, समा करना, ढह जाना – समा होना,
तकाजा – सही गलत का अनुमान लगाना, आ याि मक – ई रीय, िन पण – वणन, अकम यता – काम न करना।
पृ सं या 33.
सां दाियक – धम से सबं ंिधत, सावभौिमक – सभी के िलए, हास – िगरावट, जातक कथाएँ – ाचीन कथाएँ, वतं – आज़ाद।
पृ सं या 34.
सहका रता – िमलजुलकर, अलहदा – अलग, संगिठत – िमलकर, सौदागर – यापारी, रे िग तान – रे तीले इलाके , कारवाँ – दल ज थे,
यातायात – आना-जाना, बंदरगाह – जहाँ समु ी बेड़ा खड़ा होता है, िशलालेख – प थर पर िलखा लेख।
पृ सं या 35.
श य – फाड़-चीड़, प य – मरीज के िलए उपयु भोजन, झान – झक ु ाव, िज़ – वणन, अपे ा – आ ा, अनुभिू त – अनुभव, संवेदना,
जनक – िपता, गृह थ – घर-गृह थ सबं धं ी, गटु – दल।
पृ सं या 36.
सबू ा – ांत, रा य, मु यालय – क , आ मिव ासी – अपने आप पर िव ास करने वाला।
पृ सं या 37.
माण – सबूत, मौन – चपु , इकं ार – मना करना, यथाथवादी – स यता के धरातल पर, समकालीन – एक ही समय म, बोध – ान, िनवाण –
मो , पंच – आडंबर, अलौिकक – ई रीय, आ ह – अनुरोध, िववेक – सही व गलत सोचने क शि ।
पृ सं या 38.
मनोवै ािनक – बौि क, िव – िखलाफ।
पृ सं या 39.
िशकंजा – पक ं ड़, अनयु ायी – िकसी एक मत को मानने वाले। ह + ान – ई रीय ान, चार – सार, क णा – दया, ोध – गु सा,
सदाचार – सही आचरण, आ मानुशासन – अपने को अनुशासन म रखना, िवजेता – जीत हािसल करने वाला, कम – काय।
पृ सं या 40.
तक – िवचार, िनणय – फै सला, हैरत – हैरानी, अधनु ातन – नवीन, अतं ि – अदं र क ि , िनवाण – मो , अितशय – बहत अिधक,
आकां ाएँ – इ छाएँ।
पृ सं या 41.
सकं पना – कि पत व प, सम – सारा, लालसाओ ं – इ छाओ,ं सिं चत – जोड़कर, िनिध – सपं ि ।
पृ सं या 42.
िचर नवीन – परु ाना लेिकन सदैव नया, उ ेिजत – ो सािहत, िवराट – बड़ा, यौरा – लेखा-जोखा, कमठता – काय करने क लगन वाला,
सेवािनवृि – काय से छुटकारा पाकर ( रटायर होना), िचतं न मनन – सोच-िवचार, सकं ोच – शम।
पृ सं या 43.
म य – मछली, कसाई खाने – जहाँ जानवर को काटा जाता है, शपथ – कसम, मोहताज – िनभर, अनीित – गलत काय।
पृ सं या 44.
मातहत – अधीन, त काल – उसी समय, भयंकर – काफ़ , िवरि – मन हट जाना, क लेआम – मार-काट, अंगीकार – अपनाना,
आकां ा – इ छा, आ मसंयम – वयं को सयं िमत करना।
पृ सं या 45.
अ ु त – अजीब, सावजिनक – सभी के िलए समान, लोकिहत – लोग क भलाई के िलए, क र – प का, पसपोिलस – ाचीन काल के
शि शाली पारिसक सा ा य क राजधानी जो आधिु नक ईरान म है, अनवरत – लगातार, नामीिगरामीजाने – माने।

पाठ-सारांश
इस पाठ के मा यम से हम िसधं घु ाटी स यता म भारत के अतीत जानकारी िमलती है। िजसके िच िसधं ु म मोहनजोदड़ो और पि म पंजाब म
हड़ पा म िमले। इनक खदु ाइय के मा यम से हम इितहास के बारे म पया जानकारी िमलती है।

3.1 ाचीन भारतीय स यता


िसधं घु ाटी स यता के मा यम से पता चलता है िक यह अ यतं िवकिसत स यता थी और इस स यता को िवकिसत होने म हज़ार साल लगे
ह गे तथा यह स यता धमिनरपे स यता थी। िसधं ु घाटी स यता ने फारस, मेसोपोटािमया और िम क मा यताओ ं से संबंध थािपत िकया
और यापार िकया। यह एक िवकिसत स यता थी और यहाँ के लोग का मख ु धंधा एवं यवसाय था। यापारी वग यहाँ सबसे धनी था।
सड़क पर दक ु ान क कतार थ और दक ु ान संभवतः छोटी थी। िसंधु घाटी स यता मु य दो भाग म बँटा हआ था। एक मोहनजोदड़ो तथा
दसू रा हड़ पा। ये दोन स यता का क एक-दसू रे से काफ़ दरू पर ि थत है। संभवतः इस स यता के म य म कई थान व नगर रहे ह गे िजनक
खोज खदु ाई के दौरान नह क जा सक ।

खदु ाई एवं खोज से भी इस बात का पता चलता है िक यह स यता पि म म किठयावाड़ और पंजाब के अंबाला िजले तक फै ली हई थी। इस
स यता का िव तार गंगा नदी तक था, इसिलए यह स यता िसफ िसधं ु घाटी क स यता नह कहा जा सकता है। अबं ाला िजला अब पंजाब
म नह बि क ह रयाणा म िवलय कर िदया गया है।

िसंधु घाटी के खदु ाई के दौरान हम जो अवशेष ा हए ह उसके आधार पर कहा जा सकता है िक यह स यता पणू तः िवकिसत थी। उसे इस
तरह िवकिसत होने म हजार वष लगे ह गे। धािमक अवशेष के िमलने के आधार पर यह कहा जा सकता है िक यह स यता पणू तः
धमिनरपे थी। भिव य म यह स यता भारतीय सं कृ ित एवं व प क अ दतू बनी। इस स यता ने फारस, मेसोपोटािमया और िम क
स यताओ ं के साथ संपक थािपत कर यापा रक संबंध थािपत िकए। यहाँ यापारी वग काफ़ धनी थे। खदु ाई के अवशेष से पता चलता है
िक सड़क पर छोटी-छोटी दक ु ान क कतार थ ।

िसंधघु ाटी स यता के उ म के बारे म सही-सही जानकारी हम उपल ध नह है लेिकन खदु ाई के आधार पर यह कहा जा सकता है िक इस
स यता का उदय लगभग छह सात हज़ार वष पवू हआ है। यिद आज के वतमान यगु क स यता से तुलना क जाए तो ाचीन िसंधुघाटी
स यता और वतमान स यता के बीच काफ़ प रवतन आए। भले इसम अदं र ही अदं र िनरंतता क ऐसी शृख ं ला चली आ रही है जो भारत को
सात हजार वष परु ानी स यता से जोड़े रखती है। मोहनजोदड़ो और हड़ पा सं कृ ित हम त कालीन रहन-सहन रीित- रवाज, द तकारी तथा
पोशाक के फै शन क जानकारी दान करती है।

िसंधु घाटी क स यता से आज के आधिु नक स यता को देखते ह तो पाते ह िक भारत आज बा याव था के प म नह बि क ौढ़ प म


िवकिसत हो चक ु ा है। आज के आधिु नक भारतीय स यता ने कला और जीवन क सख ु सुिवधाओ ं म गित कर ली है। आज के स यता म
आधिु नक स यता के उपयोग िच नानागार और नािलय के े म िवकास कर िलया है िजसक बिु नयाद िसधं घु ाटी क स यता से जड़ु ी
िदखाई पड़ती है।

3.2 आय का आना
आय कौन थे? वे कहाँ से आए? इसका कोई प का सबूत हम नह िमलता है लेिकन इसके बारे म इस स यता क खदु ाई से पता चलता है िक
इनक उ पि दि ण भारत क िवड़ जाितय से हई ह गी। य िक आय एवं दि ण भारतीय िवड़ म कुछ समानताएँ िमलती ह। ये
मोहनजोदड़ो म कई हज़ार वष पूव आए ह गे। अतः इन आधार पर इ ह हम भारतीय ही कह सकते ह।

यह भी इितहासकार का मानना है िक आय उ र-पि मी िदशा से एक के बाद एक आए। कुछ इितहासकार का मानना है िक आय का वेश
िसधं ु घाटी म एक हजार वष पहले से हआ था। ये सभं वतः पि म-उ र िदशा से भी भारत म वे कबीले और जाितयाँ आती रही और भारत म
बसती चली गई। पहला सां कृ ितक सम वय आय एवं िवड़ जाितय के बीच हआ जो िसधं ु घाटी स यता के ितिनिध थे। इन सब आधार
पर हम कह सकते ह िक आय भारत के ही मल ू िनवासी थे।

अ यिधक बाद और मौसम प रवतन के भाव के चलते िसंधु घाटी स यता का अंत हआ होगा। ऐसा अनुमान लगाया गया िक मौसम
प रवतन से ज़मीन सख ू ती गई हो और खेत पर रे िग तान छा गया हो और खेत रे िग तान म बदल गया। मोहनजोदड़ो के खंडहर इस बात के
माण ह िक उन पर एक के बाद एक बालू क परत छाई ह। िजससे अनुमान लगाया गया िक शहर क ज़मीन ऊँची उठती गई और
नगरवािसय ने परु ानी नीव पर ऊँचाई पर मकान, बनाए इसिलए खदु ाई के दौरान हम तीन-तीन मंिजले मकान िमले ह।
िसधं ु घाटी क स यता के बाद आने वाली स यता म शु आत म कृ िष पर अिधक बल िदया गया। िकसान खेती पर अिधक बल देते थे।
लोग का मख ु यवसाय कृ िष पर ही आधा रत था।

सबसे बड़ा सां कृ ितक सम वय और मोल-जोल बाहर से आने वाले आय एवं िवड़ जाितय के लोग के बीच हआ। बाद के यगु म बहत-
सी जाितयाँ आई।ं सबने अपनी-अपनी स यता क छाप छोड़ी और सभी घुल-िमल गए।

3.3 ाचीनतम अिभलेख, धम- ंथ और पुराण


िसंधु घाटी क खोज से पहले ‘वेद’ को सबसे ाचीनतम ऐितहािसक ंथ माने जाते ह। लेिकन वैिदक काल के िनधारण म भी िव ान का
अलग-अलग मत है। भारतीय इितहासकार इसका काल सबसे पहले मानते ह। तो यरू ोपीय िव ान इसक उ पि काफ़ बाद का बताते ह।
अब ऋगवेद क रचनाओ ं का समय ईसा पवू 1500 मानते ह। मोहनजोदड़ो क खदु ाई के बाद भारतीय ंथ को और भी परु ाना सािबत िकया
गया। इ ह मनु य क ाचीनतम उपलि ध का नाम िदया गया। इ ह आय के ारा कहा गया पहला श द भी बताया गया।

भारतीय वेद पर ईरान क परू ी छाप है। माना जाता है िक आय अपने साथ उसी कुल के िवचार को लाए िजससे ईरान म अवे ता धािमक ंथ
क रचना हई थी। वेद और अवे ता क भाषा म भी समानता है। अवे ता क रचना ईरान म हई थी।

3.4 वेद
वेद क उ पि ‘िवद’ धातु से हई है िजसका अथ है, जानना। वेद का सीधा सबं धं है- अपने समय के ान का सं ह करना। इनम मिू त पजू ा
और देव-मंिदर के िलए कोई थान नह है। आय ने अपने उमंगपणू जीवन म ‘आ मा’ पर बहत कम यान िदया, मृ यु के बाद िकसी
अि त व म वे कम िव ास करते थे। वेद यानी ऋगवेद मानव-जाित क पहली पु तक है। इसम मानव-मन के आरंिभक उ ार िमलते ह।
का य- वाह िमलता है। इसम कृ ित के स दय एवं रह य के ित खश ु ी तथा मनु य के साहिसक कारनाम का उ लेख िमलता है। यह से
भारत क लगातार खोज शु हई। इन खोज से भारत म स यता क बहार आई। तब ऐसे हर दौर म जीवन और कृ ित म लोग ने िदलच पी
ली। इसके साथ कला, संगीत और सािह य साथ नाचने-गाने क कला, िच कला, रंगमंच आिद सबका िवकास हआ। इन सब बात के
आधार पर यह कहा जा सकता है िक भारत क सं कृ ित जीवतं सं कृ ित थी न िक पारलौिककता म िव ास करने वाले।

भारतीय सं कृ ित के संदभ म भारतीय और पि मी िव ान के बीच के अलग-अलग मत थे। पि मी देश के इितहासकार का मत था िक


भारतीय लोग का परलोकवादी िस ातं बहत हद तक सही है। इसके िवपरीत नेह जी का िवचार था िक हर देश के िनधन और अभागे लोग
कुछ हद तक परलोक म िव ास करते ह। जब तक वे ांितकारी नह हो जाते वही बात गुलाम देश पर लागू होती है। यानी नेह जी का मत
था िक भारत का ाचीन इितहास तो उ नत व िवकिसत है लेिकन गल ु ामी क जंजीर म जकड़ने पर भारतीय के िवचार म भी प रवतन आ
गया।

3.5 भारतीय सं कृित क िनरंतरता


भारतीय सं कृ ित क यह िवशेषता रही है िक तीन-चार हज़ार वष से यह लगातार अपने सं कृ ित को अपनाए हए है। वह समयसमय पर हए
प रवतन के बावजदू बनी हई है। यहाँ का सािह य, दशन, कला, नाटक, जीवन के तमाम ि याकलाप िव क ि के अनु प चलते रहे ह।

य िप इसी समय म सामािजक कुरीितय के प म छूआछूत देखने को िमलती है जो बाद म असहाय हो जाती है, बाद म जाित यव था का
िवकास हआ। इस था से कई जाितय म समाज बँट गया और समाज म ऊँच-नीच वग म भेद-भाव होने लगा।

इस था ारा समाज को भािवत करने के बावजदू भी भारत हर े म िवकास के पथ पर बढ़ता रहा व बाहरी जाितय ईरािनय , यनू ािनय ,
चीनी, म य एिशयाई व अ य लोग से उसके सपं क लगातार बने रहे।

3.6 उपिनषद
उपिनषद का समय ईसा पवू 800 के लगभग माना जाता है। उपिनषद से आय के िवषय म काफ़ जानकारी िमलती है। इन उपिनषद से हम
उनके खोज म मदद िमलती है। साथ ही साथ स य क खोज और इनम वै ािनक त व मौजूद ह। तथा आ मबल पर जोर िदया गया है और
आ मा और परमा मा के बारे म जानकारी भी िमलती है। उपिनषद का झुकाव अ ैतवाद यानी िकसी धम िवशेष को न मानना था। इनका
मु य उ े य लोग को आपसी मतभेद को कम करना था। लोग म जादू टोना के िव ास को कम करके कम पर िवशेष बल देना था।
उपिनषद के मा यम से पजू ा-पाठ को बेकार बताया गया। इनक मु य िवशेषता थी ‘स चाई पर बल देना’ इनका मु य उ े य था िक –
अस य से स य क ओर चल, अंधकार से काश क ओर बढ़े, मृ यु से अमर व क ओर चल, इनम मनु य क इ छा को परू ा करने के िलए
ई रीय स ा को संबोिधत िकया गया है व मनु य को े रत िकया गया है। मनु य को े रत करते हए ऐतरे य ा ण म कहा गया है चरै वेित,
चरै वेित – यानी चलते रहो, चलते रहो।।

3.7 यि वादी दशन के लाभ और हािनयाँ


उपिनषद म इस बात पर जोर िदया गया है िक िवकास करने के िलए मनु य का शरीर व थ और मन का व छ होना ज़ री है। इसके साथ-
साथ इन दोन का अनुशािसत होना भी ज़ री है। ानाजन करने के िलए सयं म, आ मपीड़न और आ म याग ज़ री है। इस कार क तप या
का िवचार भारतीय िचंतन म सहज प म िनिहत है। यि वाद के फल व प उ ह ने मनु य के सामािजक प पर बहत कम यान िदया।
भारतीय आय का िव ास यि वाद म था। आय का यही यि वाद भिव य म समाज के िलए बहत दख ु दायी रहा। लोग क िच
सामािजक काय म बहत कम हो गई। हर यि के िलए जीवन बँटा और बँधा हआ था। यि वाद, अलगाववाद और ऊँच-नीच पर
आधा रत जाितवाद पर बल िदया जाता रहा। जाित यव था को बढ़ावा देने के कारण लोग क बौि क मता कम होने लगी िजसके कारण
उनम रचना मक शि कम हो गई।

जब गांधी देश क आजादी के िलए सं ाम क शु आत क , तो उनके िवचार म भी यही िवशेषता थी िक समाज जाित बंधन से मु हो
और वे व थ शरीर, व छ मन ारा सयं म, आ मपीड़न और आ म याग क भावना से काय कर।

3.8 भौितकवाद
भौितकवाद के सािह य क रचना आरंिभक उपिनषद के बाद हई। हमारा ाचीन सािह य ताड-प या भोज-प पर िलखा गया था। कागज
पर िलखने का चलन बाद म हआ। लेिकन यनू ान, भारत और दसू रे भाग म िव के ाचीन सािह य का बड़ा िह सा खो गया है। बहत-सी
ऐसी पु तक ह िजसका चीनी और ित बती भाषा म अनुवाद िमल गया, पर वे भारत म नह िमली। कई पु तक क आलोचना मक पु तक
उपल ध ह लेिकन मल ू पु तक ा नह होती।

भारत म वष तक भौितकवादी चलन रहा और जनता पर उसका गहरा असर था। इसका सा य कौिट य ारा िलखी गई ‘अथशा ’ है।
इसम दाशिनक िस ातं का वणन है। इसक रचना ई.प.ू चौथी शता दी म हई थी।

भारत म भौितकवाद के बहत से सािह य को परु ोिहत और धम के पुराणपंथी िवचार म िव ास रखने वाले लोग ने समा कर िदया।
भौितकवािदय ने िवचार, धम, ा णवािदता, जाद-ू टोने और अधं िव ास का घोर िवरोध िकया। वे परु ानी यव था से िनकलकर वयं को
मु करना चाहते थे। जो माण हम य प म िदखाई नह देता। वे का पिनक देवी-देवताओ ं क पजू ा म िव ास नह रखते थे। न वग है
और न नरक है और न ही शरीर से अलग कोई आ मा। जीवन क वा तिवक स ा ही उनके सम स य थी।

3.9 महाका य, इितहास, परंपरा और िमथक


महाका य के प म रामायण और महाभारत क रचना संसार के े तम रचनाओ ं म ह। यह ाचीन भारत क राजनीितक और सामािजक
सं थाओ ं का िव कोष ह। इतने ाचीन काल म इसक रचना होने के बावजूद इनका भाव भारतीय जीवन पर आज भी जीवतं िदखाई पड़ता
है। ये दोन ंथ भारतीय जीवन के अगं बन गए ह।

भारतीय सभी कथाएँ महाका य तक सीिमत नह ह। उनका इितहास वैिदक काल तक जाता है। इनम वीरगाथाओ ं क कहािनयाँ अिधक
िमलती ह। किवय व नाटककार ने त य और क पनाओ ं का संदु र योग करके अपनी रचनाओ ं क रचना क । इनम स य वचन का पालन
करने, जीवनपयत व मरणोपरांत वफादारी, साहस और लोकिहत के िलए सदाचार और बिलदान क िश ा दी गई है।

भारतीय इितहासकार ने यनू ािनय , चीिनय और अरबवािसय क तरह ितिथय व काल म सिहत या या नह क । इससे घटनाएँ इितहास
क भलू भल ू यै ा म, खोकर रह गई ह। क हण क रचना राजतरंिगनी नामक ाचीन ंथ म क मीर का इितहास है। इसक रचना ईसा क
बारहव शता दी म क गई। अ य ऐितहािसक रचनाओ ं को िव तार से जानने के िलए समकालीन अिभलेख , िशलालेख , कलाकृ ितय ,
इमारत के अवशेष , िस क व सं कृ त सािह य के िवशाल सं ह से सहायता लेनी पड़ती है। इसके अलावा िवदेशी याि य के िववरण से
भी हम इसक जानकारी िमलती है।

ऐितहािसक ान क कमी के कारण जनता ने अतीत के िवषय म अपनी सोच का िनमाण पीढ़ी-दर पीढ़ी िमली िवरासत से कर िलया। इससे
लोग को एक मज़बूत और िटकाऊ सां कृ ितक पृ भिू म िमल गई।

3.10 महाभारत
महाभारत का थान िव क महानतम रचनाओ ं म है। यह रचना परंपरा और दंत कथाओ ं का तथा ाचीन भारत क राजनैितक और
सामािजक सं थाओ ं का िव कोश है।

भारत म इस समय िवदेिशय का आगमन होने के बाद िवदेिशय क परंपराएँ तथा अनेक रवाज यहाँ के बसे आय क परंपराओ ं के साथ
मेल नह खाते थे। इस ि थित से िनपटने के िलए बुिनयादी एकता पर बल देने क कोिशश क गई। महाभारत का यु 11व शता दी के
आसपास हआ होगा। महाभारत म एक िवराट गृह यु का वणन है िजसम अखंड भारत क अवधारणा क शु आत हई। महाभारत ंथ से
यह भी प होता है िक आधिु नक अफगािन तान का एक बहत बड़ा िह सा भारत म शािमल था िजसका नाम गधं ार था। इसी आधार पर
भारत के धान शासक क प नी का नाम गंधारी पड़ा। िद ली व इसके आसपास के इलाके का नाम भी पहले हि तनापरु और इं थ था।
उस समय इं थ भारत क राजधानी मानी जाती थी। महाभारत म कृ ण सबं ंिधत आ यान भी है और िस का य-भगवद गीता भी। इस
थं म मु य प से उस समय के शासनकाल और सामा य प से जीवन के नैितक और यवहार सबं धं ी िस ातं पर जोर िदया गया है। धम
को इसम मह वपूण थान िदया गया है और कहा गया है िक धम के िबना मनु य को स चे सख ु क ाि नह हो सकती है। वे समाज म
एकता से नह रह सकते। इसका ल य है पूरे िव का लोकमंगल। यह ंथ हम यह सदं श े देता है िक िहसं ा करना अमानवीय है लेिकन िकसी
मकसद या लोक क याण के िलए यु लड़ा जाए तो वह गलत नह माना जाएगा।
इस ंथ म हम पा रवा रक और सामािजक सम याओ ं के िनदान क जानकारी दी गई है। इस कार महाभारत से हम िन निलिखत िश ाएँ
िमलती ह।
दसू र के साथ ऐसा यवहार न कर जो आपको बरु ा लगे। स चाई, आ मसयं म, तप या, उदारता, अिहसं ा, धम का िनरंतर पालन ही जीवन क
सफलता क कंु जी है। जीवन म मनु य को स चे सख ु क ाि चािहए तो इसके िलए पहले दख ु भोगना आव यक है। धन के पीछे दौड़ना
यथ है। इसके अलावे इस ंथ म शासन, कला और सामा य प से जीवन के नैितक और आचार सबं ंधी िस ांत पर जोर िदया गया है।
महाभारत एक ऐसा िवशाल भडं ार है िजसम अनेक अनमोल चीज़े ढूँढ़ी जा सकती ह।

3.11 भगवद् गीता


भगवद् गीता महाभारत का अश ं है लेिकन हर ि से यह अपना अलग मह व रखता है। यह 700 ोक का का य प म िलखा गया थं
अपने आप म प रपूण है। इसक रचना बौ काल से पहले हई थी।
इस का य क रचना लगभग ढाई हजार वष पहले क गई। इस रचना को आज भी संपणू ा क ि से देखा जाता है। इसक रचना
बौ काल से पहले हई थी। इसक लोकि यता आज भी लोग के बीच काफ़ है।
आधिु नक यगु के िवचारक ितलक, अरिवंद घोष व गांधी जी ने अपने िवचार का आधार गीता को ही बनाया। अ य लोग ने भी िहसं ा और
यु का े इसी के औिच य के आधार पर िनि त करते ह।
महाभारत क कथा का आरंभ अजनु और कृ ण के सवं ाद से है। गीता म जीवन के कत य के पालन के िलए कम का अ ान िकया गया है
और अकम यता क िनंदा क गई है। गीता सभी वग और धम के लोग को मा य हई। गीता का संदश े िकसी सं दाय या यि िवशेष को
बढ़ावा नह देता। यह मनु य को कम करने क ेरणा देता है। यह मनु य के िवकास के तीन माग ान, कम और भि को अपनाने के िलए
े रत करता है। गीता म हम ऐसी जीवंत चीज़ िमली है जो आ याि मक और अ य सम याओ ं को सल ु झाने म मददगार िस हई है।

3.12 ाचीन भारत म जीवन और कम


बु के काल से पहले क कहानी हम जातक कथाओ ं म िमलती है। जातक कथाओ ं म उस समय का वणन है जब भारत क दो धान
जाितय िवड़ का आय म िमलन हो रहा था। उस समय ाम सभाएँ एक िनि त सीमा तक वतं थ । आमदनी का मु य ोत लगान था।
लगान पैदावार का छठा भाग िकसान से वसल
ू िकया जाता था। यह स यता मु यत: कृ िष पर आधा रत थी। गाँव दस-दस और सौ-सौ समहू
म बँटे हए थे। द तकार का गाँव अलग हआ करता था। पेशेवर लोग के गाँव शहर के समीप ही बसे हए थे। जातक म सौदागर क सामु ी
या ाओ ं का भी वणन है। इनके गाँव के पास होने का कारण यह था िक वहाँ इनके सामान क खपत हो जाती थी तथा उनक अपनी
आव यकताएँ भी परू ी हो जाती थ । यापारी लोग निदय के रा ते भी यातायात करते थे। यापा रय के जहाज़ी बेड़े बनारस, पटना, चंपा तथा
दसू रे थान से समु क ओर जाते थे और वहाँ से आगे उनका सामान ीलंका और मलय टापू तक।

भारत म िलखने का चलन बहत परु ाना है। पाषाण यगु क िम ी के परु ाने बतन पर ‘ ा ी िलिप’ के अ र िमले ह। ा ी िलिप से ही
देवनागरी तथा अ य िलिपय क उ पि हई। छठी या सातव शता दी म पािणिन ने सं कृ त भाषा म िस याकरण क रचना क । इसे
आज भी सं कृ त याकरण का आिधका रक ंथ माना जाता है। इस समय तक सं कृ त का प ि थर हो चक ु ा था। औषिध िव ान क
पाठ्यपु तक भी थ और अ पताल भी। औषिध पर चरक क तथा श य िचिक सा पर सु तु क पु तक िमलती ह। महाका य के इस यगु म
वन म ि थित िव िव ालय तथा महािव ालय का भी वणन िमलता है। चरक स ाट किन क के दरबार म राज वैदय थे। उनक पु तक म
अनेक रोग के इलाज का वणन है। श य िश ण के दौरान मदु क चीर-फाड़ कराई जाती थी। सु तु ारा अगं को काटना, पेट काटना,
ऑपरे शन से ब चे को ज म िदलाना आिद का वणन है।

कुछ वष तक छा महािव ालय एवं िव िव ालय म िश ण लेकर घर वापस आकर गृह थ जीवन यतीत करते थे। बनारस हमेशा िश ा
का क रहा। त िशला िव िव ालय भी िस था। यह बौ काल म बौ ान का क बन गया था।

इस कार हम कह सकते ह िक औषिध िव ान व श य िचिक सा के े म भारत िव म अपना िवशेष थान रखता था। वतमान िचिक सा
का आधार ाचीन भारत ही है। अतं म इन जानका रय के आधार हम कह सकते ह िक वे खल ु े िदल के , आ मिव ासी और अपनी
पर पराओ ं पर गव करने वाले, रह य के ित िज ासु तथा जीवन म सहज भाव से आनंद लेने वाले लोग थे।

3.13 और 3.14 महावीर और बु -वण यव था


जैन धम और बौ धम दोन क उ पि वैिदक धम से ही हआ है। ये दोन धम वैिदक धम से अलग होकर उ प न हए थे। ये दोन उसी क
शाखाएँ ह, लेिकन इन धम ने वेद को माण नह माना और आिद काल के बारे म कुछ नह कहा है। दोन धम अिहसं ावादी ह। ये
यथाथवादी और बिु वादी वृि के माने जाते ह। वे जीवन और िवचार म तप या के पहलू पर बल देते ह। महावीर और बु समकालीन थे।
बु म लोक चिलत धम, अंधिव ास, कमकांड और परु ोिहत पंच पर हमला करने का साहस था। उनका आ ह तक, िववेक, अनुभव
और नैितकता पर था। बु ने वण यव था पर वार नह िकया लेिकन सघं यव था म इसे जगह नह दी गई। वण यव था के िवरोध म
समय-समय पर इ ह ने अपनी आवाज़ बल ु दं क । लेिकन भारत म इनक जड़ और भी मज़बूत हो चली गई।ं
3.15
जैन धम जाित यव था के ित सिह णु था और वयं को उसी के अनु प ढाल िलया था, इसिलए आज भी िहदं ू धम क शाखा के प म
जीिवत है। दसू री ओर बौ धम ने जाित यव था को वीकार नह िकया। यह अपने िवचार तथा ि कोण म वतं रहा। बु क प ित
मनोवै ािनक िव ेषण क प ित थी। जीवन म वेदना और दख ु पर बौ धम म बहत बल िदया गया है। इसिलए इस धम ने भारत के बाहर
देश म अिधक थान बनाया परंतु इसने िहदं वू ाद पर अपनी गहरी छाप छोड़ी।

3.16 चं गु और चाण य-मौय सा ा य क थापना


भारत म बौ धम का चार- सार धीरे -धीरे हआ। इसके बाद पि मो र देश पर िसकंदर के आ मण करने के बाद भारत म दो महान
िवभिू तय ने अवतार िलए। उनम एक था चं गु मौय और उनके िम मं ी और सलाहकार ‘चाण य’। दोन मगध के शि शाली राजा नदं
ारा िनकाल िदए गए थे। चं गु क मल
ु ाकात िसकंदर से हई। िसकंदर क मृ यु के प ात दो वष के अतं राल म ही पाटिलपु पर अिधकार
करके चं गु ने मौय सा ा य क थापना क । चाण य यानी कौिट य ने अथशा क रचना क जो राजनीित क मह वपूण पु तक है। इस
पु तक म यापार, वािण य, कानून यायालय, नगर यव था, सामािजक रीित- रवाज, िववाह, तलाक, कृ िष, िवधवा िववाह, लगान,
द तका रय , जनगणना आिद का वणन है। इसमे िवधवा िववाह और िवशेष प रि थितय म तलाक को भी मा यता दी गई। यानी उ नत रा य
क नीव चं गु मौय ने रखी।

रा यािभषेक के समय राजा को इस बात क शपथ िदलायी जाती थी िक वह जा क सेवा करे गा तथा जा के िहत एवं इ छा को यान म
रखेगा। यिद कोई राजा अनीित करता है तो उसक जा को अिधकार है िक उसे हटाकर िकसी दसू रे को उसक जगह बैठा दे।
3.17 अशोक
चं गु मौय ारा थािपत मौय सा ा य का उ रािधकारी 273 ई.प.ू म अशोक बना। इससे पहले अशोक पि मो र देश का शासक था
िजसक राजधानी त िशला थी। इस समय तक इस सा ा य का िव तार म य एिशया तक हो चक ु ा था। अशोक संपणू भारत को एक शासन
यव था म लाना चाहता था। भारत को एक शासन यव था दान करने के िलए अशोक ने पवू तट के किलंग देश को जीतने क ठान ली।
किलंग के लोग ने बहादरु ी से यु िकया लेिकन अशोक क सेना िवजयी हई। इस यु म लाख लोग मारे गए तथा घायल हए। जब इस बात
क खबर अशोक को िमली तो उसे बहत लािन हई और उसे यु से िवरि हो गई तथा वह बौ धम का अनुयायी बन गया। अशोक के
काय और िवचार क जानकारी हम िशलालेख से िमलती है, जो परू े भारतवष म उपल ध है।

बु क िश ा के भाव से उसका मन िहसं ा को छोड़कर जन क याणकारी काय करने क ओर आगे बढ़ा। इसके बाद उसने बु धम के
िनयम का उ साहपवू क पालन करना शु कर िदया। उसने अपने एक संदेश म कहा िक- वह ह या या बंदी बनाए जाने को सहन नह करे गा।
उसका कहना था िक स ची िवजय कत य और धम पालन करके लोग के िदल को जीतने म है। यिद उसके साथ कोई बरु ाई करे गा तो वह
जहाँ तक संभव होगा उसे झेलने का यास करे गा। उनक इ छा थी िक जीव मा क र ा हो, लोग म आ मसंयम हो, उ ह मन क शािं त
और आनंद ा हो। वयं उसने बु क िश ा के चार तथा जा क भलाई वाले काय के िलए अपने आपको अिपत कर िदया, वयं वह
बौ धमावलबं ी थे लेिकन सभी धम का आदर करते थे।

अशोक बहत बड़ा िनमाता भी था। उसने अनेक बड़ी इमारत का िनमाण कराया। बड़ी-बड़ी इमारत को बनाने म मदद के िलए िवदेशी
कारीगर को भी रखा। मिू तकला व दसू रे अवशेष पर भारतीय कला परंपरा क छाप प प से िदखाई पड़ती है लेिकन तभं पर िवदेशी
छाप भी िमलती है। 41 साल तक शासन करने के बाद ई. प.ू 232 म अशोक क मृ यु हई। उसका नाम आदर के साथ िलया जाता है। उसने
अनेक महान काय िकए िजनके कारण उनका नाम वो गा से जापान तक आज भी आदर के साथ िलया जाता है।

1.भारतीय अतीत का आधार या है?


(i) मोहनजोदड़ो (ii) गंगा-नदी
(iii) िसधं घु ाटी क स यता (iv) त िशला
उ र:(iii) िसंधघु ाटी क स यता

2. िसधं ु घाटी स यता िकतनी ाचीन है?


(i) दो हज़ार वष पवू (ii) तीन हजार वष पवू
(iii) पाँच हजार वष पवू (iv) छह-सात हज़ार वष पवू
उ र: (iv) छह-सात हज़ार वष पवू

3. आय क मु य जीिवका या थी?
(i) पशपु ालन (ii) कृ िष
(iii) यापार (iv) उनम कोई नह
उ र: (ii) कृ िष

4. िसंधु घाटी से पहले का इितहास िकसे माना जाता था?


(i) ाचीन ंथ (ii) अिभलेख
(iii) वेद (iv) परु ाण
उ र: (iii) वेद

5. ऋगवेद क रचना िकतने साल परु ानी है?


(i) 1500 ईसा पवू (ii) 2000 वष पवू
(iii) 2500 वष पवू (iv) 3500 ईसा पवू
उ र:(i) 1500 ईसा पवू
6.िकस वेद क उ पि सबसे पहले हई थी?
(i) सामवेद (ii) अथववेद
(iii) रामायण (iv) ऋगवेद
उ र:(iv) ऋगवेद

7. उपिनषद क उ पि कब हई थी?
(i) ई. प.ू 500 (ii) ई. प.ू 800
(iii) ई. प.ू 1000 (iv) ई. प.ू 1200
उ र: (ii) ई. प.ू 800

8.भारतीय आय िकस यव था म िव ास करते थे।


(i) जाितवाद (ii) प रवारवाद
(iii) यि वाद (iv) अलगावाद
उ र: (iii) यि वाद

9. भौितक सािह य क जानकारी के ोत या ह?


(i) िशलालेख (ii) बड़े-बड़े ाचीन थं
(iii) भोजप व ताड़प (iv) पेड़ के वृंत ने
उ र:(iii) भोजप व ताड़प

10.‘अथशा ’ क रचना कब हई थी?


(i) ई.प.ू पाँचवी शता दी (ii) ई.प.ू आठव शता दी
(iii) ई.प.ू चौथी शता दी (iv) ई.प.ू सातव शता दी
उ र: (iii) ई.प.ू चौथी शता दी

11.भारत के दो मखु महाका य का नाम बताइए।


(i) रामायण व गीता (ii) गीता व महाभारत
(iii) रामायण व महाभारत (iv) रामायण व परु ाण
उ र: (iii) रामायण व महाभारत

12. इनम से ाचीन काल का ंथ कौन-सा है?


(i) वेद यास ारा रिचत महाभारत (ii) वा मीिक ारा रिचत रामायण
(iii) तुलसीदास ारा रिचत रामायण (iv) क हण ारा रिचत राजतरंिगनी
उ र:(iv) क हण ारा रिचत राजतरंिगनी

13. ाचीन समय म भारत क राजधानी थी।


(i) लखनऊ (ii) कानपरु
(iii) ज मू (iv) इं थ
उ र:(iv) इं थ

14.इनम महाभारत का मु य भाग कौन-सा है?


(i) परु ाण (ii) गीता
(iii) रामायण (iv) भगव ीता
उ र:(iv) भगव ीता
15.भगव ीता ने िकसके यि व को उभारा है?
(i) िशव (ii) राम
(iii) ीकृ ण (iv) िव णु
उ र: (iii) ीकृ ण

16. ाचीन काल म िकसान अपने कृ िष उ पादन का िकतना िह सा कर के प म राजा को देते थे?
(i) एक चौथाई (ii) आधा
(iii) दशांश (iv) छठा
उ र: (iv) छठा

17.सबसे पहले ाचीन काल म िकस िलिप का िनमाण हआ?


(i) देवनागरी (ii) ा ी िलिप
(iii) रोमन िलिप (iv) गु मख
ु ी
उ र:(ii) ा ी िलिप

18. सं कृ त भाषा के याकरण क रचना िकसने क थी?


(i) तलु सीदास (ii) देवनागरी
(iii) पािणनी (iv) वा मीिक
उ र: (iii) पािणनी

19. ‘औषिध’ िव ान पर िकसक पु तक लोकि य थ ?


(i) सु तु (ii) पािणनी
(iii) चरक (iv) ध वतं र
उ र: (iv) ध वंत र

20. ाचीन काल के मख


ु श य िचिक सक थे?
(i) सु तु (ii) पािणनी
(iii) चरक (iv) धनवंत र
उ र:(i) सु तु

21. भारत के िश ा क कौन से थे?


(i) त िशला व काशी (ii) बनारस व त िशला
(iii) इलाहाबाद व बनारस (iv) इं थ व त िशला
उ र: (ii) बनारस व त िशला

22.बौ और जैन धम िकस धम से अलग होकर बने?


(i) िहदं ू धम (ii) वै य धम
(iii) वैिदक धम (iv) इसाई धम
उ र: (iii) वैिदक धम

23.बु ने घृणा का अतं िकस कार करने को कहा?


(i) घृणा से (ii) ेम से
(iii) लड़ाई से (iv) िवरोध से
उ र: (ii) ेम से
24. चं गु मौय कहाँ के रहने वाले थे?
(i) पाटलीपु (ii) इं थ
(iii) त िशला (iv) मगध
उ र: (iv) मगध

25. चाण य था?


(i) चं गु का मं ी (ii) चं गु का सलाहकार
(iii) चं गु का िम (iv) उपयु सभी
उ र: (iv) उपयु सभी

26. चाण य का दसू रा नाम था?


(i) चरक (ii) सु तु
(iii) कौिट य (iv) अशोक
उ र: (iii) कौिट य
लघु उ रीय
1. िसंधु घाटी स यता के अवशेष कहाँ िमले ह?
उ र: िसधं ु घाटी के अवशेष िसधं म मोहनजोदड़ो और पि मी पंजाब म हड़ पा म िमले ह।

2. िसंधु घाटी के अवशेष कहाँ-कहाँ से ा हए? इससे या लाभ हआ?


उ र: िसधं ु घाटी के अवशेष मोहनजोदड़ो और पि मी पजं ाब िजले के हड़ पा से िमले ह। मोहनजोदड़ो म क गई खदु ाई से ा व तुओ ं से
ाचीन इितहास को जानने म काफ मदद िमली।

3. िसधं ु घाटी स यता कहाँ तक फै ली है?


उ र: िसंधु घाटी स यता, पि म म किठयावाड़ और पंजाब के अंबाला िजले के अलावा गंगा क घाटी तक फै ली थी।

4. ऋगवेद का रचनाकाल कब तक माना जाता है?


उ र: अिधकांश इितहासकार ऋगवेद क उ पि का काल ई.पवू . 1500 मानते ह।

5. आय का मु य यवसाय या था?
उ र: आय का मु य यवसाय खेती था।

6. ‘वेद’ श द क उ पि िकस धातु से हई ?


उ र: ‘वेद’ श द क उ पि ‘िवद’् धातु से हई है। इसका अथ है जानना। अतः वेद का सीधा-साधा अपने काल के ान का सं ह।

7. आय कौन थे? वे भारत कब आए?


उ र: अिधकतर िव ान यावहा रक प से आय को भारत का ही सतं ान मानते ह। अिधकांश िव ान का मत है िक आय का वेश एक
हजार वष बाद म हआ था। भारत क पि मो र िदशा से भारत म कबीले और जाितयाँ समय-समय पर आती रही और इनका संपक िवड़
जाितय से होता है। इ ह ही आय माना गया।

8. लेखक ने ‘राजतरंिगनी’ के बारे म या कहा है?


उ र: िव ान ने क हण ारा िलखे ंथ राजतरंिगनी को एकमा सबसे ाचीन ंथ माना है। िजसे इितहास माना जा सकता है।

9. भारतीय सं कृ ित का सबसे ाचीन इितहास या है?


उ र:भारतीय सं कृ ित का सबसे ाचीन इितहास ‘वेद’ है।
10. वेद पर सबसे अिधक िकसका भाव िदखाई पड़ता है?
उ र: वेद पर सबसे अिधक ईरान के िवचार का भाव िदखाई पड़ता है, य िक ईरान के ंथ ‘अवे ता’ व भारत के वेद के िवचार व भाषा
िमलती जलु ती है। िव ान का ऐसा मानना है िक आय उसी ओर से आए और यह ंथ आय मानव के ारा कहा गया पहला ‘श द’ था।

11. भारतीय जाितय और बुिनयादी भारतीय सं कृ ित का िवकास िकस कार हआ?


उ र:इस स यता के कारण बाहर से आने वाले आय और िवड़ जाित के लोग के बीच सां कृ ितक सम वय और मेल-जोल हआ। ये िवड़
संभवतः िसंधु घाटी के ितिनिध थे। इसी मेलजोल और सम वय से भारतीय जाितय और बुिनयादी भारतीय सं कृ ित का िवकास हआ।

12. वैिदक यगु काल के समय के बारे म िव ान का या मत है?


उ र: वैिदक यगु के काल के िवषय म िव ान का अलग-अलग मत है। भारतीय िव ान वैिदक यगु का काल बहत पहले का मानते ह जबिक
यरू ोपीय िव ान इसका काल बहत बाद का मानते ह।

13. िसकंदर के आ मण से कौन-कौन से िवभिू त उ प न हए?


उ र:िसकंदर के आ मण से दो महान िवभिू त उ प न हए। पहला – चं गु मौय, दसू रा – चाण य।

14. िसंधु घाटी ने िकन-िकन स यताओ ं के साथ संबंध थािपत िकए और यापार िकए।
उ र: िसधं ु घाटी ने फारस, मेसोपोटािमया और िम क स यताओ ं से सबं धं थािपत िकया और यापार िकया।

15. ऋगवेद क या िवशेषता थी?


उ र: ऋगवेद का य शैली म िलखा गया थं है। कृ ित के स दय व रह य का इनम सपं णू वणन है। इसके अित र इसम लोग के ारा िकए
गए साहिसक काय का भी वणन है।

16.भारतीय स यता ने िकन-िकन े म िवकास िकया?


उ र: भारतीय स यता ने कला, संगीत, सािह य, नाचने-गाने क कला, िच कला व नाटक रंगमंच के े म काफ़ गित क ।

17. नेह के अनसु ार िकस कार के लोग लोक परलोक म िव ास करते ह?


उ र: येक देश के िनधन और अभागे लोग एक हद तक परलोक म िव ास करते थे।

18. कौिट य ने ‘अथशा ’ क रचना कब क थी?


उ र: ई.प.ू चौथी शता दी म कौिट य ने ‘अथशा ’ क रचना क थी।

19. स यता और सं कृ ित के गित का दौर िकस कार अ ु त है?


उ र: स यता और सं कृ ित के गित का दौर लंबे समय तक भारत म अलग-अलग नह पड़ा। उसका संबंध ईरािनय , यनू ािनय , चीनी तथा
म य एिशयाई लोग से बना रहा। इस तरह स यता और सं कृ ित का इितहास अ ु त है।

20. महाभारत म या है?


उ र: महाभारत म कृ ण के बारे म आ यान भी है और लोकि य का य भगव ीता भी।

21.गीता का सदं ेश कै सा है?


उ र: गीता म िनिहत संदश
े िकसी वग या सं दाय के िलए नह है। ये संदेश िकसी भी तरह सां दाियकता नह फै लाते ह। इसक ि
सावभौिमक है। इसम सावभौिमकता के कारण समाज के सभी वग के लोग एवं सं दाय के िलए मा य है।

22.गीता म िकसक िनंदा क गई है?


उ र:गीता म अकम यता क िनंदा क गई है।
23.जाित यव था का समाज पर या भाव पड़ा?
उ र: जाित यव था से लोग क बौि क जड़ता बढ़ गई, उनक रचना मक गितिविधयाँ कम होती चली गई।

24. भारतीय आय िकस प ित म िव ास करते थे?


उ र: भारतीय आय लोग के यि वाद के फल व प आ मकि त हो गया। उ ह सामािजक प क कोई िचंता न रही। वे समाज के ित
अपना कोई कत य नह समझते थे। इसी कारण यि वाद, अलगाववाद और ऊँच-नीच पर आधा रत जाितवाद बढ़ता चला गया।

25. भौितकवाद का अथ या है?


उ र: भौितकवाद का अथ है जीवन क वा तिवकता म िव ास करना।

26. ाचीन भौितक सािह य क रचना िकस पर क गई थी?


उ र: ाचीन भौितक सािह य क रचना ताड़-प व भोज-प पर िकया गया था, य िक कागज़ पर िलखने का रवाज बाद म चला।

27.गीता म िकसक िनदं ा क गई है?


उ र:गीता म जीवन के कत य के िनवाह के िलए कम का आ ान िकया गया है।

28. यु के समय से पहले का वृतातं हम िकसम िमलते ह ?


उ र: यु के समय से पहले का वृतातं हम जातक कथाओ ं से िमलता है।

29. महाभारत थं क या िवशेषता है?


उ र: महाभारत िव म िस रचना है। इसम ाचीन भारत क राजनीित और सामािजक सं थाओ ं का पणू यौरा िमलता है।

30. भारत का ाचीन नाम या था?


उ र: भारत का ाचीन नाम आयावत यानी आय का देश था।

31.गीता म कम के मह व को िकस कार ितपािदत िकया गया है?


उ र: गीता म मनु य को अपने कत य का पालन करने के िलए कम करने का संदेश िदया गया है। इसम अकम यता क िनंदा क गई है।
कम को समय के उ चतम आदश को यान म रखकर करने का संदेश िदया है।

32. ाचीन भारत म ाम सभाओ ं का या व प था?


उ र: ाचीन भारत म ाम सभाएँ एक सीमा तक वतं थ । उनक आमदनी का मु य साधन लगान था। इसका भगु तान ायः ग ले या
पैदावार क श ल म िकया जाता था।

33. पािणनी ने कब िकसक रचना क ?


उ र: पािणनी ने ई.प.ू छठी या सातव शता दी म सं कृ त भाषा म याकरण क रचना क ।

34. भारत म औषिध िव ान के जनक कौन थे?


उ र: ध वंत र थे।

35. श य िचिक सा पर हम िकसक पु तक िमलती ह?


उ र: श य िचिक सा पर हम सु तु क पु तक िमलती है।
36. बौ धम और जैन धम म या समानता थी? वणन क िजए।
उ रः बौ धम और जैन धम दोन ही वैिदक धम से अलग हए थे। वे वेद को ामािणक िवचार देने से बचते नज़र आते थे। उनका ि कोण
यथाथवादी या बुि वादी है। ये दोन धम चारी िभ ओ
ु ं और पुरोिहत के संघ बनाते ह।
37. बु का ान ािनय को नया और मौिलक य लगा?
उ र: बु का ान िकसी जाित या सं दाय िवशेष के लोग के िलए नह बि क समचू ी मानव जाित के क याण के िलए था। इसम वण
यव था पर हार िकया गया था। यह यथाथवादी और बुि वादी है। जैनधम के अनुयायी समाज के अनु प ढलते चले गए। यह धम िहदं ू धम
क शाखा के प म िवकिसत होता गया।

38. अशोक कब मौय सा ा य का उ रािधकारी बना?


उ र: 273 ई.प.ू अशोक इस महान सा ा य का उ रािधकारी बना।

39. अशोक ने िकतने वष तक शासन िकया?


उ र: अशोक ने 41 वष तक अनवरत शासन िकया। 232 ई.प.ू म उनक मृ यु हई।

40. अशोक बहत बड़ा िनमाता था – यह तुम कै से कह सकते हो?


उ र: अशोक ारा िकए गए िनमाण ऐितहािसक धरोहर से पता चलता है िक वह बहत बड़ा िनमाता था। उसने बड़ी इमारत बनाने के िलए
िवदेशी कारीगर को बल
ु ा रखा था। अशोक क मिू तकला और अ य अवशेष म भारतीय कला-परंपरा ि गोचर होती है।
दीघ उ रीय

1. िसधं ु घाटी स यता क या िवशेषताएँ थ ?


उ र: उ र भारत म इसका िव तार काफ़ दरू -दरू तक था। यह स यता अपने आप म पणू प से िवकिसत थी जो आज के आधिु नक स यता
का आधार कही जा सकती है।
यह धमिनरपे स यता थी, य िक धािमक होने के बावजदू भी इसम िकसी िवशेष धम को यादा मह व नह िदया गया था। यह िवकिसत
स यता वतमान का आधार तीत होती है। यह स यता आगे चलकर आधिु नक यगु का सां कृ ितक आधार बनी।

2. िसधं ु घाटी क स यता िकतनी ाचीन है? इससे हम िकन-िकन चीज़ क जानकारी िमलती है?
उ र: िसंधु घाटी क स यता छह-सात हज़ार वष परु ानी है। यह हम मोहनजोदड़ो व हड़ पा के मा यम से उस समय के लोग के रहन-सहन,
लोकि यता रीित रवाज , द तकारी व पोशाक आिद के फै शन के बारे म भी जानकारी उपल ध कराती है।

3. िजस रे त से िसंधु घाटी स यता का पतन हआ वही रे त उसे बचाने म कै से सहायक िस हई ?


उ र: जब वह अपने वेग म बहती तो अपने साथ गाँव के गाँव बहा कर ले जाती थी। इस स यता के पतन म रे त भी एक कारण था – रे त क
मोटी परत-दर परत जमती गई और मकान उसम डूबकर रह गए। रे त ने ाचीन नगर को ढंक िलया था, उसी रे त के कारण वे सरु ि त रह सके ।
दसू रे शहर और ाचीन स यता के सबूत धीरे -धीरे समा होते गए।

4. वेद अवे ता के अिधक िनकट ह, कै से? पाठ के आधार िलिखए।


उ र: ‘वेद’ भारतीय सं कृ ित का सबसे परु ाना आधार है। जब आय का आगमन भारत म हआ तो वे इ ह िवचार से े रत थे। इ ह िवचार
के आधार पर उ ह ने ‘अवे ता’ क रचना क । वेद और अवे ता क भाषा म काफ़ समानता थी। ये दोन आपस म काफ़ िमलते-जुलते थे।
इनक िनकटता भारत के महाका य क सं कृ त से कम है। इस आधार पर हम कह सकते ह िक वेद अवे ता से अिधक िनकट ह।

5. जाित यव था से भारतीय समाज पर या भाव पड़ा?


उ र: जाित यव था पर भारतीय समाज बँट गया। समाज म छुआ-छूत क भावना बढ़ी। लोग क बौि क जड़ता बढ़ गई उसक रचना मक
गितिविधयाँ कम होती चली गई। आगे चलकर यह यव था समाज म जड़ता का कारण बन गई।

6. ाचीन सािह य खोने को दभु ा य य कहा गया है? इन सािह य के खोने के कारण या हो सकते ह?
उ र: ाचीन सािह य खोने को दभु ा य इसिलए कहा जाता है य िक इन सािह य के अभाव म अभी वतमान समय म हम ाचीन इितहास
क ामािणक जानकारी उपल ध नह हो पाती है। यह सािह य इसिलए खोया होगा य िक इन सािह य क रचना भोज-प या ताड़-प पर
क जाती थी िजसे सँभालकर रख पाना आसान नह । अतः रख-रखाव के अभाव म ये सािह य न हो गए ह गे।
7.भौितकवाद क या िवशेषता थी?
उ र: भौितकवादी ायः वा तिवक अि त व म िव ास करने वाले थे। वे का पिनक देवी-देवताओ,ं वग-नरक, शरीर से अलग आ मा के
िवचार, जादू टोन , अंधिव ास िवचार, धम और परु ोिहतपंथी के िवरोधी थे। इनके अनुसार िवचार और िव ास, बंधनमु होना चािहए।
अतीत क बेिड़य , बोझ और बंधनमु होकर जीना चािहए।

8.भारतीय इितहास क कई ितिथयाँ अिनि त ह? इनक सही जानकारी के िलए हम िकन-िकन का सहारा लेना पड़ता है?
उ र:भारतीय इितहासकार ने यनू ािनय , चीिनय और अरबवािसय क तरह ितिथयाँ िनि त कर काल म के अनुसार इितहास क रचना
नह थी। इसिलए इितहास को समझने के िलए ितिथय क सम या आती है। इसक िनि तता के िलए इितहास के समकालीन अिभलेख ,
िशलालेख , कलाकृ ितयाँ, इमारत के अवशेष , िस क , सं कृ त सािह य एवं िवदेशी याि य के सफ़रनाम का सहारा लेना पड़ता है।

9. महाभारत अनमोल चीज़ के अित र ान का समृ भडं ार होने के साथ नैितक िश ा का कोष भी है। आशय प कर।
उ र: महाभारत से हम बहमू य चीज़ के अित र नैितक िश ा भी िमलती है, जो िन निलिखत है-
दसू र के साथ वह आचरण मत करो जो तु ह खदु पसंद न हो। धन-दौलत के िलए परे शान होना बेकार है। जनक याण के िवरोध म जो बात
ह उसे करना नह चािहए। असतं ोष गित का ेरक है।

10. गीता का उपदेश सव थम कब और िकसे िदया?


उ र: गीता का उपदेश महाभारत के यु के समय ीकृ ण ारा अजनु को िदया गया। जब यु के मैदान म अपने िवपि य के प म
प रवारजन , िम और गु जन को देखकर वे दिु वधा एवं माया म पड़ गए। तब ीकृ ण ने उ ह गीता का उपदेश देकर कत य का पालन
करने के िलए कम करने का उपदेश िदया।

11. चरक क पु तक म या वणन िकया गया है?


उ र: चरक क पु तक म श य िचिक सा, सूित िव ान नान, प य, सफ़ाई, ब च को िखलाने और िचिक सा के बारे म वणन िकया गया
है।

12. सु तु कौन थे? उनका श य-िचिक सा म या योगदान था?


उ र: सु तु श य-िचिक सा िव ान क पु तक के रचनाकार थे। इ ह ने अपनी पु तक म श य ि या के औजार के वणन के साथ-साथ
ऑपरे शन, अंग को काटना, ऑपरे शन से ब चे को ज म देना, मोितयािबंद आिद िविधय का समावेश िकया है। इसम घाव के जीवाणओ
ु ं
को धआ
ु ँ देकर मारने का भी वणन िमलता है।

13. बु क िश ाओ ं को अपने श द म िलिखए।


उ र: बु ने क णा, याग और ेम का संदेश िदया-
उनका कहना था िक- मनु य को ोध पर दया से और बुराई पर भलाई से काबू करना चािहए।
मनु य क जाित ज म से नह बि क कम से तय होती है।
मनु य को सदाचारी बनना चािहए और अनुशािसत होकर जीवन-यापन करना चािहए।
मनु य को स य क खोज मन के भीतर करनी चािहए।
मनु य को म यम माग का पालन करना चािहए।
उनका बल नैितकता पर था तथा उनक प ित मनोवै ािनक िव े षण क थी।

14. किलंग यु ने अशोक के मन पर या भाव डाला?


उ र: किलंग के यदु ध म भयंकर क ले आम हआ। जब इस बात क खबर उ ह िमली तो अशोक को काफ़ पछतावा हआ। उसे यु से
िवरि हो गई। बु क िश ा का भाव उनके मन के ऊपर काफ़ पड़ा। िजससे उनका मन यु से िवर हो गया। इसके बाद उसने यु न
करने का सक
ं प िलया।
15. इितहास म अशोक का नाम सबसे ऊपर य ह?
उ र: अशोक 273 ई. प.ू म मौय सा ा य का उ रािधकारी बना। उसने पवू तट के किलंग देश पर आ मण करके उसे जीत िलया। लेिकन
भयंकर नरसंहार ने अशोक का दय प रवितत कर िदया। उस पर बौ धम का भाव पड़ गया। उसने दरू देश म बौ धम का चार एवं
सार िकया। वह एक महान िनमाता भी था। उसने अनेक बड़ी-बड़ी इमारत का िनमाण करवाया। 41 वष तक शासन करने के बाद 232 ई.
प.ू म अशोक क मृ यु हो गई। उसका नाम आज भी आदर के साथ िलया जाता है। उसने बु के उपदेश के चार के िलए वयं को समिपत
कर िदया। उसने यु नीित छोड़कर अिहसं ा का पालन िकया। बो गा से जापान तक आज भी लोग उनका नाम आदर से लेते ह।

4 यगु का दौर
किठन श दाथ:
पृ सं या 46.
अवसान – समाि , चेतना – िवचारधारा, सरहदी – सीमा, लाट – तंभ, ज ब – हण।
पृ सं या 47.
कारनाम – काय , सावजिनक – सभी के िलए समान प से, िज़ – बताना, यइू -िचय – खाना बदोश लोग, जरथु – पारसी धम,
सश – मज़बूत, गोबी रे िग तान – एिशया का सबसे बड़ा रे िग तान जो चीन और मंगोिलया म फै ला हआ है, तोहफ़े – उपहार,
िविश – िवशेष।
पृ सं या 48.
भारतीयकरण – भारतीय रवाज , परंपराओ ं आिद को वीकार कर लेना, संर क – र ा करने वाले, बलताकतवर, िनिमत – बना हआ।
पृ सं या 49.
रा वादी – रा के िहत को सव प र रखने वाला, सक ं णता – सोच का दायरा अ यतं छोटा रखना, पनु जागरणबार – बार उ सािहत करते
हए बनाए रखने का यास, उ ता – ोधपणू सोच, तेजि वता – ओज, अि तयार करना – अपनाना, समृ – धनी, संप न।
पृ सं या 50.
मेहरबान – कृ पा करने वाला, दमन – कुचलना।
पृ सं या 51.
परो – य प म, राजगीर – भवन िनमाण करने वाले कारीगर, िश पी – िडजाइन एवं िच कारी करने वाले, आ मणकारी – हमला
करने वाले, यौरा – िववरण, लेखा जोखा, ह त ेप – दखलअदं ाजी, ामक – म पैदा करने वाला, अवनित – िगरावट, पराका ा –
उ चतम िबंदु पर।
पृ सं या 52.
उदय – कट होना, यि वाद – यि को अिधक मह व देना, सामदु ाियक – समदु ाय के िनयम के अधीन, आ मसात – हण करना,
सम वय – तालमेल, सतही – ऊपरी।
पृ सं या 53.
िनरंकुश – िजस पर िनयं ण न हो, वैधािनक – काननू ी, उ म – उ पि , पैदाइश, आम – साधारण, सं हएकि त िकया हआ।
पृ सं या 54.
पांडुिलपी – हाथ से िलिखत पु तक, आवेग – ोध, ेयसी – ेिमका, ि यतमा, ती – तेज़।
पृ सं या 55.
िवशु – परू ी तरह से शु , पौरािणक – परु ाण से संबंिधत, ासंिगक – मह व रखने वाला, ास – िगरावट, अिभजात – उ च या अमीर
लोग, सरोकार – संबंध।
पृ सं या 56.
समृ – धनी, संप न, अलंकृत – अलंकार से सजी – धजी, पतन – अवनित, िगरावट, उ कृ – उ चकोिट का, प र कृ त – शु , जननी –
माँ, अिभ यि – तुत करना, साथक – िजसका कुछ अथ या मतलब हो, अित मण – उ लंघन करना, बढ़ाना।
पृ सं या 57.
वृह र – बड़ा फै ला हआ, अतं िवरोध – अ य प से िवरोध, वृ ातं – वणन, िशलालेख – प थर पर िलखे लेख, ता प – ताबे के प
पर िलखा हआ, समृ – संप न, भावानुवाद – भाव का प ीकरण, िविश – िवशेष।
पृ सं या 58. यौरे वार – पणू प से, बंदरगाह – जहाँ सामु ी जहाज़ खड़े िकए जाते ह, िभि – दीवार पर खदु ,े तकरीबन – लगभग,
राजक य – राजकाय से सबं ंिधत, पदिवयाँ – उपािधयाँ।
पृ सं या 59.
मृितकार – याद िकए जाने वाले, मनु – सृि कता, संिहताब – सही मब , वा तुकला – भवन िनमाण कला, उ क ण – प प से
दशाना, न काशी – हाथ से नमनू े, वृ ाकार – बूढ़े प म, देवतु य – ई र के समान मोहक अपनी ओर से आकिषत करने वाली, ठे ठ – शु
प का।
पृ सं या 60.
हेर-फे र – अदल-बदल, फौजदारी – मार पीट संबंधी, सहराना – शंसा करना, िनमाता – बनाने वाला आ मिन वयं को खश ु करने वाली,
तादा य – सबं धं मेल-जोल, पवू ा ह – पहले से बनी धारणा, पाषण ितमा – प थर क मिू त।
पृ सं या 61.
कृ ितवाद – कृ ित का संदु र िच ण, बोिधस व – महा मा बु का एक नाम।
पृ सं या 62.
खंिडत – टूटी हई, भीमाकार – बड़े आकारवाली, सृजन – िनमाण, आ ान – पक ु ारना, ितिबंब – परछाई, शांित – शांितपूण, परे – दरू ,
परम – अ यिधक।
पृ सं या 63.
िनयं ण – काबू, आयात – बाहर से मँगाना, फ़ौलाद – लोहे का एक प।
पृ सं या 64.
भ म – राख, पचं ागं – ऐसी पु तक िजसम महीन और ितिथय का वणन हो, खगोलशा – ाडं का अ ययन, मिं डयाँ – बाज़ार।
पृ सं या 65.
कपाट – दरवाजे, उ लेखनीय – मह वपूण, माण – सबूत।
पृ सं या 66.
यापक – फै ला हआ, िव तृत।
पृ सं या 67.
शािं त – दसू र को सतं ोष दान करने वाला, आ मिव ास – वयं पर िव ास, आ मािभमान – वयं पर गव, दीि – चमक, उमगं – साहस
कुछ करने क इ छा, ास – िगरावट, पतन क ओर, बबर – ू रता, परा मी – वीर, ित ा – इ ज़त, वैयाकरण – याकरण का ाता,
भेषज – खाने वाली औषिध।
पृ सं या 68.
सि य – िनरंतर कायरत।
पृ सं या 69.
उ कष – उभरकर आना, तेजि वता – ान, तंिभत – ठहराव, मदं – धीमी, िवकृ त – िबगड़ा हआ, परा त – हराकर, ितभा – यो यता,
गितरोध – कावट।
पृ सं या 70.
िवघटन – िगरावट क ओर, कायाक प – व प बदलना, अतं तल – अदं र क भावना, व त – समा होते, क रपन – प का,
गैरिमलनसारी – िकसी से न िमलना, रचना मक – कुछ कर िदखाना, अधीन – अिधकार म।
पृ सं या 71.
गटु – दल, बृह र – बड़ा व प, पु तैनी – परु ख के , वृि – इ छा/चाह, वंिचत – ा न कर पाना, प ित – तरीका, अखंडता –
एक पता, संकुिचत – छोटी, ढ़ता – प क , बािधत – बंधी।

पाठ-सारांश
इस पाठ के मा यम से बताया गया है िक मौय सा ा य का अतं हआ और उसक जगह शगंु ने िलया। इनक सा ा य क सीमा काफ़ कम
थी। दि ण भारत म बड़े-बड़े रा य क थापना हई। उ र भारत म काबुल से पंजाब तक यनू ािनय का सा ा य का िव तार हो गया। यनू ानी
आ मणकारी मेनाडं र ने पाटलीपु पर आ मण कर िदया लेिकन उसक वहाँ हार हई। इसके बाद उसने बौ धम अपना िलया। इस तरह
यनू ानी और बौ कला का ज म हआ और भारतीय यनू ानी कला एवं सं कृ ितय का ज म हआ।

4.1 गु शासन म रा ीयता और सा ा यवाद


शक लोग म य एिशया म आ सस नदी क घाटी म बस गए। यइू -ची सदु रू परू ब से आए और इ ह ने इन लोग को उ र भारत क ओर धके ल
िदया। ये शक धम प रवतन करके बौ और िहदं ू हो गए। यूइ-िचय का एक दल कुषाण का था। उ ह ने शक को हराकर दि ण क ओर
भागने के िलए मज़बर कर िदया। कुषाण काल से बौदध धमावलंबी दो सं दाय म बँट गए – महायान और हीनयान। इनके म य िववाद होने
लगा। इन िववाद से अलग एक नाम नागाजनु का है जो बौ -शा तथा भारतीय दशन का िव ान था। उनके कारण महायान क िवजय हई।
चीन म महायान तथा लंका और वमा म हीनयान सं दाय को मानने वाले लोग थे। चं गु ने गु सा ा य क थापना क । 320 ई. म
गु कालीन युग क शु आत हई। इस काल म कई महान स ाट का उदय हआ। इसम कई महान शासक हए। 150 वष तक गु वंश ने एक
शि शाली और समृ रा य पर शासन िकया। गु वश ं के शासक यु और शािं त दोन कलाओ ं म मािहर थे। भारत म हण का शासन
आधी शता दी तक ही रहा। इनको परािजत करके क नौज के राजा उ र से लेकर म य भारत तक एक शि शाली रा य क थापना क । इस
कार लगभग 150 वष तक उसके उ रािधकारी अपने बचाव म लगे रहे। उनका सा ा य धीरे -धीरे िसकुड़ता गया। म य एिशया से नए
उ रािधकारी लगातार भारत पर आ मण करते जा रहे थे। ये गोरे हण के नाम से जाने जाते थे। यशोवमन के नेतृ व म सगं िठत होकर नए
आ मणका रय ने ‘गोरे हण ’ पर हमला कर िदया और उनके सरदार िमिहरकुल को बंदी बना िलया। गु वंश के शासक बालािद य ने उसे
छोड़ िदया जो उसे भारी पड़ा। इसके बाद िमिहरकुल ने िफर कपटता से भारत पर आ मण कर िदया। हण का शासन लगभग 50 वष तक
रहा। इसके बाद हण को परािजत कर क नौज के राजा हषवधन ने उ र से लेकर म य भारत तक एक शि शाली रा य क थापना क । वह
क र धम को बढ़ावा िदया। उसी के काल म िस चीनी या ी हआन सांग भारत आया था। हषवधन क मृ यु 648 ई. म हई। इस समय
एिशया और अ का म उसी के काल म फै लने के िलए इ लाम अपना पाँव पसार रहा था।

4.2 दि ण भारत
दि ण म मौय सा ा य के पतन होने के प ात बड़े रा य हज़ार साल तक फलते-फूलते रहे। दि ण भारत द तकारी और समु ी यापार का
क बना रहा। समु के रा ते यहाँ यापार होता था। यनू ािनय ने यहाँ अपनी बि तयाँ भी बनाई। रोमन िस के भी दि ण भारत म पाए गए।
उ र भारत म िवदेशी आ मण से तंग आकर कई िश पकार एवं द तकार लोग जैसे राजगीर, िश पी और कारीगर दि ण भारत म आकर
बस गए। इसके प रणाम व प दि ण भारत कला मक परंपरा का क बना।

4.3 शांितपूण िवकास और यु के तरीके


भारत म िवदेिशय के बार-बार आ मण के कारण नए-नए सा ा य क थापना होती रही। इसके बावजूद भी देश म शांितपणू और
यवि थत शासन का दौर भी बना रहा। मौय, कुषाण, गु , दि ण म चालु य, रा कूट और भी कई ऐसे रा य थे जहाँ दो-तीन सौ वष तक
लगातार सा ा य थािपत हआ। बाहर से आने वाली जाितय ने भारतीय स यता और सं कृ ित म अपने आपको ढाल िलया। यहाँ यरू ोपीय
देश क तुलना म अिधक शांितपणू और यवि थत जीवन के काल का दौर चले ह। यह ामक है िक अं ेजी राज ने पहली बार शांित और
यव था कायम क । अं ेज के समय म देश का पतन लगातार हो रहा था और सबसे कमजोर अथ यव था के दौर से गुज़र रहा था।
प रणाम व प यहाँ अं ेज़ी शासन कायम हो सका।
4.4 गित बनाम सुर ा
भारत म िजस स यता का िनमाण िकया गया उसका मल ू आधार ि थरता और सरु ा क भावना थी। इस ि कोण से यहाँ क स यता
पि मी स यताओ ं से अिधक सफल रह । वण यव था और संयु प रवार को सामािजक ढाँचे के िलए बनाए गए थे और इन यव थाओ ं
ने समाज म काफ़ योगदान भी िदया। इस यव था म यि वाद को य नह िमला। उनक सारी िचंता यि के िवकास को लेकर है।
भारत का सामािजक ढाँचा सामुदाियक था। पाबंदी के बावजूद पूरे समदु ाय म बहत लचीलापन था। सारे िनयम को बदला जा सकता था। नए
समदु ाय भी अपने अलग रीित- रवाज , िव ास को बनाए रखकर, सामािजक संगठन के अंग बने रहे। इसी लचीलेपन के कारण भारतीय ने
िवदेिशय को आ मसात िकया।

शासन स ा बदलते रहे, राजा आते-जाते रहे, पर यव था न व क तरह कायम रही। इस कार येक त व जो बाहर से आए उसे भारत ने
अपना िलया। भारत को कुछ िदया और उससे बहत कुछ िलया। इस तरह यहाँ समदु ाय और यि दोन क वतं ता सरु ि त रहती थी। यहाँ
आनेवाले हर िवदेशी त व को अपने म समा िलया। िजसने अलग-थलग रहने का यास िकया वह न हो गया और उसने वयं को या भारत
को ही नुकसान पहँचाया।
4.5 भारत का ाचीन रंग-मंच
भारतीय रंगमंच मु य प से िवचार और िवकास म परू ी तरह वतं था। इसक उ पि ऋगवेद क ऋचाओ ं से हई है और इसक जानकारी
भी हम इसी से िमलती है। रंगमंच क कला पर रिचत ‘नाट्यशा ’ क ई. पवू तीसरी शता दी म रचना हई थी। इितहासकार का मत है िक
िनयिमत प से िलखे सं कृ त नाटक ई.प.ू तीसरी शता दी तक िति त हो चक ु े थे। उ ह म से एक नाटककार ‘भास’ था। भास ारा िलखे
तेरह नाटक का सं ह िमला है। सं कृ त नाटक म सबसे ाचीन नाटक अ घोष के ह। उ ह ने ‘बु च रत’ नाम से बु क जीवनी िलखी।
उनक यह रचना भारत, चीन, ित बत म काफ लोकि य हई। सं कृ त सािह य म कािलदास को सबसे बड़ा किव और नाटककार माना जाता
है। वह चं गु िव मािद य के शासन काल के नवर न म से एक थे। ‘मेघदतू ’ उनक लंबी किवता है। उनक रचनाओ ं म जीवन के ित ेम
व ाकृ ितक स दय क गहरी झलक िमलती है। ‘शकंु तला’ किलदास का िस नाटक था िजसका बाद म कई भाषाओ ं म अनुवाद हआ।
शू क का नाटक ‘मृ छकिटकम् यानी िम ी क गाड़ी एक िस रचना है। िवशाखद का नाटक ‘मु ारा स’ था। राजा हष ने तीन नाटक
क रचना क य िक वे भी एक महान नाटककार थे। 19व शता दी म नाट्य शैली का लगभग पतन होने लगा। अब नाटक का थान छोटी-
छोटी रचनाओ ं ने ले िलया। अब नाटक अिभजात वग तक ही सीिमत रहा। इसके अित र सािहि यक रंगमंच के साथ-साथ लोकमंच भी
िवकिसत होता रहा। इसी आधार पर भारतीय परु ाकथाएँ, महाका य क गाथाएँ। अ य छोटे-छोटे नाटक का दशन लोकमच ं पर लगातार
होता रहा।
4.6 सं कृत भाषा क जीवंतता और थािय व
ाचीन काल से ही सं कृ त भाषा अपने आप म अ यतं िवकिसत एवं पणू प से समृ है। यह सभी भारतीय भाषाओ ं का आधार एवं जननी
है। यह भाषा उस याकरण से यु है िजसका िनमाण ढाई हज़ार वष पवू पािणिन ने िकया था। आजतक इसके व प म कोई बदलाव नह
आया है। इस भाषा से कई भाषा क उ पि होती चली गई लेिकन सं कृ ित आज भी अपने वा तिवक व प म यथावत है। इस भाषा का
लगातार िव तार होते चला गया। और अपने मल ू प म आज भी जीिवत है। सर िविलयम ज स के अनसु ार ाचीन होने के साथ अ ु त
बनावट वाली सं कृ त यनू ानी एवं लातीनी के मकु ाबले अिधक उ कृ है। लेिकन ये तीन भाषाएँ िमलती-जुलती ह। उनका मानना है िक इन
भाषाओ ं क उ पि का ोत एक ही है।
4.7 दि ण-पवू एिशया म भारतीय उपिनवेश और सं कृित
उपिनवेश का अथ है-दसू रे देश म अपने देश के यापार व सं कृ ित को बढ़ावा देने के िलए बनाए गए नए क । भारत ने अपने यापार एवं
सं कृ ित का चार- सार अ य देश म भी बाहर जाकर िकया।

इसका माण हम भारतीय ाचीन पु तक, याि य ारा िलखे गए िववरण, चीन से ा ऐितहािसक िववरण, परु ाने िशला-लेख, ता -प
जावा और बाली का समृ सािह य िजनम भारतीय महाका य और परु ाणकथाओ ं का अनुवाद है, यनू ानी और लातीनी ोत क सचू नाएँ व
अगं कोर और बोरोबुदरू मिं दर के ाचीन खडं हर इस बात क पिु करते ह। ाचीन भारत का यापार व सं कृ ित बाहर के देशो म फै ली। इनके
काफ़ उपिनवेश थे।

ईसा क पहली शता दी से लगभग 900 ई. तक उपिनवेशीकरण के चार मख ु क िदखाई पड़ते ह। इन साहिसक अिभयान क सबसे
िविश बात यह थी िक इसका संचालन मु यतः रा य ारा िकया जाता था। इन उपिनवेश का नामकरण ाचीन भारतीय नाम के आधार
पर िकया गया िजसे अब लोग कंबोिडया कहते ह। जो एक-एक िवशेष कार का अ न है िजसके आधार पर जौ का टापू आज ‘जावा’
कहलाता है। इन उपिनवेश के नाम खिनज, धातु िकसी उ ोग या खेती क पैदावार के आधार पर होता था। इससे हमारा यान अपने यापार
क ओर जाता था। इस कार उपिनवेश यापार बढ़ाने के सफल क रहे य िक यापारी वहाँ जाकर अपने यापार को बढ़ावा देते थे।
सं कृ त, यनू ानी और अरबी म ा सािह य से इस बात का पता चलता है िक भारत और सदु रू परू ब के देश म बड़े पैमाने पर समु ी यापार
होता था। ाचीन काल म भारत म जहाज़ उ ोग भी लगातार बढ़ा। हम भारतीय उपिनवेश के साथ-साथ भारतीय बंदरगाह का भी वणन
िमलता है। दि ण भारतीय िस क व अजंता के िभि िच पर भी जहाज़ के िच पाए गए ह।

उपिनवेश म यापा रय के साथ-साथ धम चारक भी पहचं े। यह समय अशोक के शासनकाल क है। बौ धम का बढ़-चढ़कर सार इसी
कारण हआ।
उपिनवेश का मु य- थान एिशया के देश बमा एवं महा ीप देश पर चीन का भाव अिधक तथा टापओ
ु ं और मलय ाय ीप पर भारत क
छाप अिधक िदखाई देती है।

भारतीय उपिनवेश का इितहास ईशा क पहली-दसू री शता दी से ारंभ होकर पं हव शता दी तक यानी तेइह सौ साल का रहा है।

4.8 िवदेश पर भारतीय कला का भाव


भारतीय स यता ने िवशेष प से दि ण-पवू एिशया के देश म अपनी जड़ जमाई।ं च पा, अंगकोर, ी िवजय आिद थान पर सं कृ त के
बड़े-बड़े अ ययन क थे। वहाँ के शासक के भारतीय नाम और सं कृ त के नाम ह। इडं ोनेिशया, बाली आिद देश ने अभी तक भारतीय
सं कृ ित को कायम रखा है। कंबोिडया म वणमाला दि ण भारत से ली गई है और बहत से सं कृ त श द को थोड़े हेर-फे र से िलया गया है।
जावा म बु के जीवन क कथा प थर पर अिं कत है। वहाँ दीवानी और फौजदारी के कानून भारत के ाचीन मृितकार मनु के कानून के
आधार पर बनाए गए। इनम बौ धम के भाव से कुछ प रवतन कर इ ह आधिु नक काननू यव थाओ ं से भी िलया गया है।

भारतीय कला का भारतीय दशन और धम से बहत गहरा संबंध है। अंगकोर और बोरोबुदरु क इमारत और मंिदर अ ु त कला के अनुसार
तैयार िकए गए ह। जावा के बोरोबुदरु म बु का जीवन कई थान पर साफ़ िदखाई पड़ता है। अगं कोर, ीिवजय, और इनके आस-पास के
थान पर पणू तया भारतीय कला क छाप है। यहाँ के थान पर दीवार पर क गई न काशी म िव ण, राम और कृ ण क कथाएँ अंिकत ह।
कंबोिडया के राजा जयवमन ने अंगकोर को िनखारा था। यह भी िवशु प से भारतीय राजा का नाम था। भारतीय संगीत जो यरू ोपीय संगीत
से िमला है, का तरीका बहत िवकिसत था। मथरु ा के सं हालय म बोिधस व क एक िवशाल शि शाली और भावशाली पाषाण ितमा है।
भारतीय कला अपने शु आत काल म ाकृ ितवाद से भरी है। भारतीय कला पर चीनी भाव िदखाई देता है।

गु काल भारत का वण यगु कहलाता है। इस काल म थाप य कला म काफ़ िव तार हआ। अजतं ा, एलोरा एिलफटा एवं बाग और बादामी
क गुफाएँ इसी काल क ह। अजंता क गुफाओ ं का िनमाण बौ िभ ओ
ु ं ने क थी। इसम संदु र ि याँ, राजकुमा रयाँ, गाियकाएँ, नतिकयाँ
बैठी ह।

भारतीय कला सातव -आठव शता दी म ठोस च ान को काटकर एलोरा क िवशाल गफ ु ाएँ तैयार क गई।ं एिलफटा क गुफाओ ं म नटराज
क मिू त खंिडत के प म है िजसम िशव नृ य मु ा म ह। ि िटश सं हालय म िव का सृजन और नाश करते हए िशव क एक और मिू त है।

4.9 भारत का िवदेशी यापार


ईसवी सन् के पहले एक हजार वष म भारतीय यापार क लोकि यता दरू -दरू तक फै ली हई थी। भारत म ाचीन काल से ही कपड़े का
उ ोग काफ़ चरम सीमा पर था।

रे शमी कपड़ा भी बनता था। कपड़े रंगने क कला म उ लेखनीय गित हई। भारत म रसायन शा का िवकास अ य देश क तुलना म काफ़
अिधक हआ था। भारतीय फौलाद और लोहे क दसू रे देश म बहत क क जाती थी। इसका योग यु के काम जैसे हिथयार आिद बनाने
के िलए िकया जाता था। इसके अित र भारतीय को धातुओ ं क भी काफ़ जानकारी थी। इन धातुओ ं के िम ण से औिषधयाँ तैयार क
जाती थ ।

इसके अलावा शरीर रचना व शरीर िव ान के बारे म भी भारतीय पूणतया प रिचत थे। खगोलशा , जो िव ान म ाचीनतम है,
िव िव ालय के पाठ्य म िनयिमत थे। एक िनि त पंचागं भी तैयार िकया गया था। जो अब भी चिलत है। ाचीन समय से ही जहाज़
बनाने का उ ोग चरम ऊँचाईय पर था। यह देश कई शताि दय तक िवदेशी मंिडय को अपने वश म करके रखा हआ था।

4.10 ाचीनतम भारत म गिणतशा


यह माना जाता है िक आधिु नक अंक गिणत और बीजगिणत क शु आत भारत से ही हई। भारत म यािमित, अंकगिणत और बीजगिणत
क शु आत ाचीन काल म हई। बीजगिणत पर सबसे ाचीन ंथ आयभ का है, िजसका ज म 427 ई. म हआ। भारतीय गिणतशा म
अगला नाम भा कर (522 ई.) का है। पु (628 ई.) िस खगोलशा ी था िजसने शू य पर लागू होने वाले िनयम िन य िकए। अंक
गिणत क िस पु तक है- ‘लीलावती’। यह लीलावती भा कर क पु ी थी। पु तक क शैली सरल और प है। इस पु तक का योग
सं कृ त िव ालय म िकया जाता है। आठव शता दी म खलीफ़ा अ मसं रू के रा यकाल (753-774) ई. म कई भारतीय िव ान बगदाद गए
और अपने साथ खगोलशा और गिणत क पु तक ले गए। अरब देश से यह नया गिणत संभवतः पेन के मरू िव िव ालय से होते हए
यरू ोपीय देश म कदम रखा। यरू ोप म इन नए अंक का िवरोध हआ इनको अपनाने म कई सौ वष लग गए।

4.11िवकास और ास
ईसवी सन् के पहले हज़ार वष म भारत ने आ मणकारी त व और आंत रक कलह के बावजदू भी सभी िदशाओ ं म अपना सार करते हए
ईरान चीन यनू ानी जगत म य एिशया म शि बढ़ाया। भारतीय उपिनवेश क थापना कर सभी े म िवकास िकया। गु काल भारत का
वणकाल रहा। आने वाले समय म वह कमज़ोर पड़कर ख म हो जाता है। नव शता दी म िमिहर भोज एक संयु रा य कायम करता है।
11व शता दी म एक दसू रा भोज सामने आता है। भीतरी कमज़ोरी ने भारत को जकड़ रखा था। भारत छोटे-छोटे रा य म बँटा हआ था, पर
जीवन यहाँ समृ था।

उ र भारत आ मणका रय से अिधक भािवत रहा य िक सभी आ मणकारी इसी िदशा से आते रहे। दि ण भारत म भी िवदेिशय का
आगमन यापक पैमाने पर होता रहा।

लेिकन इन जाितय का भाव कम रहा। भारत समय के साथ पतन के कारण मशः अपनी ितभा और जीवन शि को खोता जा रहा था।
यह ि या धीमी थी और सिदय तक चलती रही। इितहासकार डॉ. राधाकृ ण के अनुसार भारतीय दशन ने अपनी शि राजनीितक
वतं ता के साथ खो दी। येक स यता के जीवन म पतन और िवनाश के दौर आते रहते ह। लेिकन भारत ने उनसे बचकर नए िसरे से अपना
कायाक प कर िलया। भारत के सामािजक यव था ने भारतीय स यता को मज़बूती दी। चार तरफ पतन हआ। िवचार म, दशन म, राजनीित
म, यु प ित म और बाहरी दिु नया के बारे म ान और सपं क म आए।

भारत क अखंडता के थान पर सामतं वाद और े ीयवाद क भावनाएँ बढ़ने लग । यही समाज आगे चलकर जाित यव था म अ यिधक
िव ास करने लगा। ऊँची जाित के लोग अपने से नीचे जाित के लोग को नीची नज़र से देखा करते थे। नीची जाित के लोग को िश ा तथा
िवकास से विं चत रखा जाता था। इस सामािजक ढाँचे ने एक और अ ु त ढ़ता तो दी परंतु इससे समाज के एक बड़े तबके के लोग समाज क
सीढ़ी म नीचे दज म रहने को िववश हो गए।

इन सब आधार पर हम कह सकते ह िक देश के लोग म, िवचार म, दशन म, राजनीित म तथा यु के तरीके म चार तरफ से पतन हआ।
इन सबके बावजूद भारत म जीवन शि और अ ु त ढ़ता, लचीलापन और वयं को ढालने क मता शेष थी। भारत क जीवन शि और
अ ु त ढ़ता अभी भी जीिवत थी। इसके अलावे भारतीय सं कृ ित का लचीलापन और अपने को ढालने क मता। इससे िवचारधाराओ ं का
लाभ उठा सका और कुछ िदशाओ ं म गित कर सका। यह िवकास अतीत के अवशेष से जकड़ी रही और बािधत होती रही।

1. मौय सा ा य के पतन के बाद कौन से शासक आए?


(i) कुषाण (ii) शगंु वश

(iii) हण (iv) शक
उ र: (ii) शंगु वंश

2. कुषाण का लोकि य राजा कौन था?


(i) अशोक (ii) जरथु
(iii) किन क (iv) नागाजनु
उ र: (iii) किन क

3. चं गु ने िकस सा ा य क न व रखी?
(i) गु सा ा य (ii) मौय सा ा य
(iii) कुषाण सा ा य (iv) अ य
उ र: (i) गु सा ा य
4. हषवधन ने अपनी राजधानी कहाँ बनाया?
(i) कनाटक (ii) जयपुर
(iii) इं थ (iv) उ जियनी
उ र: (iv) उ जियनी

5.दि णी भारत क लोकि यता का कारण था


(i) अपनी अ छी जलवायु (ii) द तकारी व समु ी यापार
(iii) अपनी सु ढ़ शासन स ा (iv) आपसी एकता
उ र: (ii) द तकारी व समु ी यापार

6. जब अं ेज़ भारत आए उस समय देश क ि थित या थी?


(i) संप न (ii) धािमकता से त
(iii) जातीयता से त (iv) अवनित क ओर
उ र: (iv) अवनित क ओर

7. भारतीय स यता के िवकास का या कारण था?


(i) ि थरता (ii) सरु ा
(iii) संप नता (iv) कठोर शासक
उ र: (i) ि थरता

8. भारतीय रंगमंच का उ म कहाँ हआ?


(i) सामवेद म (ii) यजवु द म
(iii) ऋगवेद म (iv) इनम से कोई नह
उ र: (iii) ऋगवेद म

9.कािलदास क मखु रचना कौन-सी थी?


(i) मेघदतू (ii) शकंु तला
(iii) मृ छकिटकम् (iv) मु ारा स
उ र: (ii) शकंु तला

10. ाचीन नाटक क भाषा कै सी थी?


(i) िहदं ी (ii) सं कृ त
(iii) उदू (iv) परिसयन
उ र: (ii) सं कृ त

11. सं कृ त भाषा को िनयम म िकसने बाँधा?


(i) पािणनी (ii) भास
(iii) कािलदास (iv) इनम से कोई नह
उ र: (i) पािणनी

12. सं कृ त को याकरिणक िनयम म कब बाँधा गया?


(i) 2000 वष पवू (ii) 3000 वष पवू
(iii) 2600 वष पवू (iv) 1600 वष पवू
उ र: (iii) 2600 वष पवू
13.भारत का यापार व धम का चार- सार िवदेश म कै से हआ?
(i) अपना उपिनवेश कायम करके (ii) शासन स ा बढ़ाकर
(iii) यु करके (iv) इनम से कोई नह
उ र: (i) अपना उपिनवेश कायम करके

14.जावा म िकस भारतीय कला को िवशेष िसि िमली?


(i) नृ य (ii) सािह य
(iii) भवन-िनमाण (iv) धम
उ र: (i) नृ य

15. िफलीपाइन देश क लेखन कला िकस देश क देन है?


(i) भारत (ii) ीलंका
(iii) अफगािन तान (iv) म य एिशया
उ र: (i) भारत

16. गु काल म सबसे अिधक िवकास िकस िदशा म हआ?


(i) शासनस ा (ii) वा तक
ु ला
(iii) राजनीित (iv) धम
उ र: (ii) वा तुकला

17. गिणत शा क शु आत भारत म कब हई?


(i) ाचीन काल (ii) वैिदक काल
(iii) आिद काल (iv) म य काल
उ र: (iii) आिद काल

18. भारत के पतन के या कारण थे?


(i) बूढ़ा होना (ii) आपस म िवखंिडत होना
(iii) एक के बाद एक िवदेशी शासक का भारत पर शासन करना और राजनीित का टूटना
(iv) यो य शासक का आभाव
उ र: (iii) एक के बाद एक िवदेशी शासक का भारत पर शासन करना और राजनीित का टूटना

लघु उ रीय

1.मौय सा ा य के बाद स ा िकसने सँभाली? इसके बाद भारत को िकन-िकन प रि थितय से गुज़रना पड़ा?
उ र:मौय सा ा य के पतन के बाद शासन स ा शगुं वश ं ने सभं ाली। इनका शासन े काफ़ सीिमत हो गया था। दि ण म बड़े रा य उभर
रहे थे। उ र म काबुल से पंजाब तक यनू ािनय का सा ा य था।

2. कुषाण ने या काम िकया?


उ र: कुषाण ने शक को परािजत करके दि ण क ओर खदेड़ िदया। कुषाण ने परू े उ र भारत म और म य एिशया के बहत बड़े भाग पर
अपना सा ा य थािपत िकया।

3.कुषाण काल म बौ -धम िकस कार भािवत हआ?


उ र: कुषाण सा ा य क थापना के बाद बौ धम दो भाग म िवभ हो गया। – हीनयान और महायान। इन दोन के मतभेद काफ़ बढ़
गए। बड़ी-बड़ी सभाओ ं म इनके आपसी िववाद उठने लगे।
4. जरथु धम से आप या समझते ह ?
उ र: यह धम पारसी धम के नाम से जाना जाता है। ईरान म इस धम क उ पि हई थी। इस धम के सं थापक जरथु थे।

5. भारत म चीनी राजदतू कब आए?


उ र: भारत म चीनी राजदतू 64 ई. म आए।

6. नागाजनु कौन थे? इ ह ने कौन-सा िवशेष काय िकया?


उ र: नागाजनु बौ शा और भारतीय दशन के महान िव ान थे। नागाजनु ईसा क पहली शता दी म हए।

7. कौन से फल भारत को चीन क देन है?


उ र:आइ और नाशपाती ऐसे फल ह जो भारत म नह उगते थे। ये चीिनय क देन ह।

8.मौय सा ा य का पतन होने के बाद दि ण भारत क शासन यव था कै सी थी?


उ र: मौय सा ा य का अतं होने पर दि ण के रा य एकांक प म फलने-फूलने लगे।

9. िवदेशी शासक क या िवशेषता थी?


उ र: िवदेशी शासक ने अपने आपको भारतीय परंपरा, स यता व सं कृ ित के अनु प ज दी ही ढाल िलया। इसिलए सफल शासक रहे।

10. भारत का नेपोिलयन िकसे कहा जाता है? और य ?


उ र: गु सा ा य के शासक ‘समु गु ’ को भारत का नेपोिलयन कहा जाता है। उसके शासन काल म सा ा य काफ़ समृ और
शि शाली था। इस काल म सािह य और कला के े म भारत ने अभतू पूव उ नित क ।

11. भारतीय स यता क िवशेषता या थी?


उ र: भारतीय स यता क िवशेषता यह थी िक यह यि वादी होते हए भी सामदु ाियक प रखती थी।

12. भवभूित कौन थे?


उ र: भवभूित सं कृ त भाषा के िस नाटककार थे। वे सातव शता दी म नाटक के े म चमकते िसतारे थे। कािलदास के बाद इनका ही
थान है। भारत म भवभिू त बहत लोकि य रहे।

13. सव थम िकस नाटककार का नाम इितहास म िमलता है?


उ र: ाचीन नाटककार म सव थम नाम भारत म ‘भास’ का िमलता है। उ ह ने 13 नाटक क रचनाएँ क ।

14. कािलदास कौन थे? उनक िस रचनाओ ं का वणन क िजए।


उ र: कािलदास गु वश ं के चं गु िव मािद य के नौ र न म से एक थे। उ ह ने अपनी रचनाओ ं म ेम व कृ ित का वणन बड़े अनुपम ढगं
से िकया है। उनक मख ु रचना है – ‘शकंु तला’ िजसका जमन, च, डेिनश और इटािलयन म अनुवाद भी हआ। इनक एक अ य मख ु
रचना है ‘मेघदतू ’ िजसम एक ेमी अपनी ेयसी को बादल ारा संदेश भेजता है।

15. चं गु मौय के शासन काल के रिचत नाटक ‘मु ारा स’ क या िवशेषता है?
उ र: नाटक ‘मु ारा स’ उस समय क पणू राजनीितक गितिविधय से अवगत करवाता है।

16. सं कृ त भाषा को याकरिणक िनयम म िकसने बाँधा?


उ र: सं कृ त को याकरण के िनयम म महान ‘वैयाकरण’ ‘पािणनी’ ने बाँधा।
17. उपिनवेश कायम करने का या लाभ हआ?
उ र: उपिनवेश कायम करने से भारत का यापार व धम बाहर के देश तक पहँचा। इसके अलावा समु ी जहाज़ का चलन बढ़ा।

18. भारतीय उपिनवेश के इितहास म भारत और चीन का भाव कहाँ-कहाँ पड़ा?


उ र: उपिनवेश के इितहास म चीन का भाव महा ीप के देश , वमा, याम और िहदं चीन पर तथा भारत का भाव टापुओ ं और मलय
ाय ीप पर अिधक था। यहाँ भारतीय धम और कला का भाव प प से देखा जा सकता है।

19.भारतीय उपिनवेश का काल कब से कब तक माना जाता है?


उ र:
भारतीय उपिनवेश का काल ईसा क पहली या दसू री शता दी से शु होकर पं हव शता दी के अंत तक माना जाता है। यानी यह काल
लगभग तेरह सौ साल या इससे कुछ अिधक रहा।

20. िकन-िकन देश पर भारतीय कला क छाप िदखाई पड़ती है?


उ र: इडं ोनेिशया, जावा, बाली व िफिलपाइन व दि ण-पवू एिशया के और भी देश म भारतीय कला क झलक िमलती है।

21. हण के आ मण का ाचीन भारत पर या भाव पड़ा?


उ र: उ र पि म िदशा म होने वाले हण के आ मण से भारत राजनैितक एवं सै य एवं दोन ि य से कमज़ोर हो गया। उनके यहाँ बसने से
लोग म अंद नी प रवतन हए। उनका बबरतापूण यवहार भारतीय सं कृ ित के अनु प नह था।

दीघ उ रीय

1. राजा िमिलंद कौन था?


उ र: ाचीन भारत के उ र म उस समय काबल ु से पजं ाब तक भारतीय यनू ानी फै ले थे। मेनाडं र ने राजधानी पर आ मण िकया, जहाँ वह
परािजत हो हआ। यहाँ मेनांडर पर भारतीय चेतना और वातावरण का काफ़ भाव पड़ा िजसके प रणाम व प उसने बौ धम अपना िलया।
बाद म वह राजा िमिलंद के नाम से िस हआ।

2. ा णवाद और िहदं वू ाद क उ पि कै से हई।


उ र: िवदेशी आ मणका रय ारा लगातार आ मण से भारतीय ा ण वग काफ़ िचंितत हो उठे । इन िवदेशी आ मणका रय का
र म रवाज और सं कृ ित िबलकुल िभ न थे। उनक सं कृ ित से भारतीय सं कृ ित और सामािजक ढाँचा के िलए खतरा उ प न हो रहा था।
अत: लोग म रा ीय भावना को जगाना ही रा ीय धम था। इनके िव लोग क जो िति या थी, उसे ा णवाद या िहदं वू ाद कहा गया।

3. ाचीन भारत म गिणतशा क या ि थित थी?


उ र: आधिु नक अकं गिणत और बीजगिणत का आधार भारत म ही पड़ी। भारत म यािमित का भी िवकास हआ। शू य क िविध खोजी
गई।

4. शक का िस शासक कौन था? शक ने कौन-सा धम अपना िलया?


उ र: शक का िस शासक किन क हआ। शक म कुछ ने िहदं ू धम अपना िलया लेिकन अिधकांश लोग बौ धम को ही अपना िलए।

5. हष कौन था? भारतीय इितहास म वह लोकि य य हआ?


उ र: हष सातव शता दी का सबसे शि शाली राजा था, उसने भारत से हण का सा ा य समा िकया। उसने उ र भारत से लेकर म य
भारत तक एक बहत शि शाली रा य क थापना क । हष ने िहंदू और बौ दोन धम का चार एवं सार िकया। उसने अपने राजदरबार म
किवय और नाटककार को सरं ण िदया। अपनी राजधानी उ जियनी को सां कृ ितक गितिविधय का क बनाया। वह बहत दानी था। उसके
रा य म जा सख ु ी थी।
6. भारत म िवदेशी त व िकस कार आ ससात होते गए?
उ र: भारतीय स यता एवं सं कृ ित सामदु ाियक था। यहाँ पर सामािजक िनयम का पालन कठोरता से कराया जाता था। इसके अलावे
सामािजक िनयम का समदु ाय को लेकर नज़ रया लचीलापन था। सामािजक िनयम को रीित- रवाज म बदला जा सकता था। आने वाले
नए लोग तथा िवदेशी त व अपने रीित- रवाज और आ था को अपने जीवन म यवहार का प देकर समाज के अगं बने रहे। इसी
लचीलेपन के कारण यहाँ आने वाले िवदेशी लोग आ मसात होते गए।

7. रव नाथ ठाकुर ने भारत के िवषय म या िलखा?


उ र: रव नाथ ठाकुर ने िलखा िक हमारे देश क वा तिवकता को यिद जानना चाहते ह तो हम उस काल को समझना होगा जब यह अपने
आप म पणू था और इसने बाहर के देश म अपने उपिनवेश कायम कर यापार और धम का चार- सार िकया।

8. िकन-िकन आधार से मालमू होता है िक भारत ने दि ण-पवू एिशया तक उपिनवेश कायम िकए?
उ र: भारतीय ाचीन पु तक , अरब याि य क रचना के ारा चीन से ा ऐितहािसक िववरण, परु ाने िशलालेख, ता -प , जावा बाली
का सािह य, भारतीय महाका य व परु ाणकथाओ,ं यनू ानी और लाितनी ोत , एवं अंगकोर और बोरोबुदरु के ाचीन खंडहर से यह
जानकारी िमलती है िक भारत ने िवदेश म अपने उपिनवेश कायम िकए।

9. अजंता क गुफाओ ं क संदु रता का वणन क िजए।


उ र: अजतं ा क गफ ु ाएँ हम ससं ार क वा तिवकताओ ं का ान कराती ह। इनके िभि िच को बौ िभ ओ ु ं ने बनाया था। इन िभि िच
पर संदु र ि याँ, राजकुमा रयाँ, गाियकाएँ, नतिकयाँ, बैठी और खड़ी, शृंगार करती हई या सभा म जाती हई िचि त है। इन िच म जीवन के
गितशील नाटक को अनुपम ढंग से िदखाया गया है।

10. भारत म गिणत क िविभ न शाखाओ ं का योग कै से होता था? इसम भा कर ि तीय का गिणत के े म क या- या योगदान रहा?
प क िजए।
उ र: भारत म यािमित, अकं गिणत और बीजगिणत का उ व बहत ाचीन काल म हआ था। वैिदक वेिदय पर आकृ ितयाँ बनाने के िलए
यािमतीय बीजगिणत का योग िकया जाता था। अंकगिणत और बीजगिणत म भारत आगे बना रहा। शू यांक और थान मू य वाली
दशमलव िविध को वीकार िकया गया। भा कर ि तीय ने खगोलशा , बीजगिणत और अंकगिणत पर तीन पु तक क रचना क ।
अकं गिणत पर िलखी उनक पु तक लीलावती सरल एवं प शैली म है। यह छोटी उ वाल के िलए बहत उपयोगी है। कुछ सं कृ त
िव ालय म आज भी पठन-पाठन के िलए इनक शैली का योग िकया जाता है।

11. ाचीन भारत के मखु िव िव ालय के नाम िलिखए।


उ र- नालंदा िव िव ालय
भागलपरु के पास िव मिशला िव िव ालय
कािठयावाड़ म ब लभ िव िव ालय
दि ण म अमरावती िव िव ालय।

12. भारतीय पतन के समय सामािजक दशा कै सी थी?


उ र: भारत के पतन के समय समाज िवखंिडत हो चक ु ा था, जाित बंधन म बँट चक
ु ा था। वह अपनी अखंडता न बनाए रख सका। समाज म
े ीयता, सामंतवाद तथा गटु बाजी क भावना का उ थान हो गया था। अथ यव था काफ़ कमज़ोर हो गई थी। समाज म जाितवादी था का
चलन काफ़ ज़ोर पर थी। ऊँची जाित के लोग नीची जाित के लोग को दबाकर रखना चाहते थे। ऊँची जाित के लोग नीची जाित के लोग
को िश ा से वंिचत कर उनका शोषण करते थे।
5 नई सम याएँ
किठन श दाथ:
पृ सं या 72.छोर–िकनारा, सीमावत -सीमा के आसपास बसे हए, फ़तह-जीत, हद-सीमा, क ीय-शासक य।
पृ सं या 73.
चारक – चार करने वाला, शता दी – सौ साल का समय, िनदयता – िनममता, नफ़रत – घृणा, तबाही – बबादी, धावा – हमला, िततर-
िबतर – िबखर जाना, धावे – हमला।
पृ सं या 74. त त – िसंहासन, क जा – अपने अिधकार म कर लेना, िनयित – भा य िक मत, वीरान – सनु सान।
पृ सं या 75.बेहतर – अिधक अ छा, शरणाथ – िव थािपत यि , ामक – म पैदा करने वाली, अजनबी – िजससे हमारी पहचान न
हो, वृतांत – वणन, ामक – गलत।
पृ सं या 76.
अिधराज – स ाट, अधीनता – िकसी के अिधकार म रहना, ह त ेप – दखल देना, मालगजु ारी यव था – एक कार क कर नीित,
राज व – कृ िष पर लगाया गया कर, झान – िच, सम वय – मेलजोल, शैिलयाँ – तरीके , अनुसरण – अपनाना।
पृ सं या 77. जनभाषा – आम जनता ारा बोली जाने वाली भाषा, अजीब – िविच , उमराव – िजसे कोई पदवी िमली हो।
पृ सं या 78. सिह णतु ा – सहनशीलता, एके रवाद – एक ई र क स ा वीकार करना, चोटी के – सव च, स ावना – िवचार।
पृ सं या 79.
लोक चिलत – लोग के बीच चिलत, पहलू – भाग अंग, अनिगनत – बहत से, िमसाल – उदाहरण, बुिनयादन व, जागृित – चेतना पैदा
करने वाले िवचार, दु साहसी – बुरे काय को भी िह मत से करने वाला, व नदश – अ छे भिव य के िलए अ छी सोच रखने वाला,
अनुयायी – बात को माननेवाला िश य।
पृ सं या 80.
अखंड – िजसके टुकड़े न हो, पर पर – आपस म, ल य – उ े य, अिभमानी – घमंडी, अद य – बलशाली, दमन – नाश, बेहतर – अ छा।
पृ सं या 81: समि वत – िमले-जल ु ,े हािसल – ा , यांि क – वै ािनक यं के बारे म, िज ासा – इ छा/चाहत।
पृ सं या 82.
बुिनयाद – न व, गितहीन – कना, अप रवतनशील – िजसे बदला न जा सके , दबु ल – कमज़ोर, यश – िसि , अलंकरण – अलंकृत
करना, िविभ न प देना, बेढब – अजीब, वृि – इ छा।
पृ सं या 83.
सामिू हक – समहू के प म एकि त होना, पेशे – कारोबार, संपक – संबंध, तमाम – बहत से, कड़ाई – स ती, परदे – घघू ट, िवकास –
उ नित।
पृ सं या 84.
शरीक – भाग लेना, अध – आधा, कालजयी – समय को जीतने वाली/जो कभी परु ानी न हो, संर क – देखभाल करने वाला,
िसपहसालार – सेनापित, शसं ा – तारीफ़, हिथयार न पटनी फे रना – समा करना, धमा ध – धम म न करना, हिथयार न डालना – हार न
मानना, जिजयाकर – धम के िलए लगाया गया कर, अवलंब – सहारा, तंभ – आधार।
पृ सं या 85.
ु – गु से म, उ ेजना – दोष, पनु जागरणवादी – लोग म नई चेतना जा त करना, धमिनरपे – िकसी धम िवशेष म िव ास न करना,
आंिशक – बहत कम, खंिडत – टुकड़ म बँटना, आिथक – धन संबंधी, िखलाफ़ – िव ।
पृ सं या 86.
चौथ कर – िशवाजी ारा अमीर पर लगाया गया कर, पृ भिू म – आधार, दजु य – िजसे जीता न जा सके , भु व – अिधकार, दावेदार –
हकदार, हकूमत – शासन, बवंडर – तूफ़ान, बेशमु ार – अ यिधक, त ने ताउस – शहाजहाँ के ारा बनाया गया िसंहासन सोने, चाँदी हीरे से
िनिमत, नपुंसक – पौ ष बल समा होना।
पृ सं या 87.
दावा – हक, हाथ क कठपतु ली – इशार पर नाचना, जालसाज़ी – गलत नीितयाँ, नामोिनशान िमट जाना – परू ी तरह न हो जाना, िनयित –
इ छा।
पृ सं या 88.
िवकट – िवकराल, अ ु त – अजीब, परािजत – हराकर, वैर – श तु ा, सु यवि थत – सही ढगं से, अ यव थागलत नीितयाँ, प त – समा
हो जाना।
पृ सं या 89.
िज ासा – कुछ नया करने क इ छा, सरहदी – सीमा पर ि थत, मानवीय – नेक, दयाल,ु अवसरवादी – मौका देखकर प बदल लेनेवाला।
पृ सं या 90.
चंगु ी – कर टै स, अथतं – आिथक ढाँचा, ह त ेप – दखलंदाजी, परवाना – िलिखत आ ा, ह मनामा।
पृ सं या 91.
ढरक – कपड़ा बुनने क मशीन, शालीन – िवन , बबर – ू र, नृशंस – अ यंत कठोर, मृितयाँ – याद।

पाठ-सारांश

इस पाठ के मा यम से भारत म हष क स ा एवं शासन और इ लाम धम का चार भारत म िकस कार हआ का वणन है। भारत म इ लामी
सा ा यवाद का िव तार कै से हआ इसक जानकारी हम िमलती है।
5.1 अरब और मगं ोल
अरब और मंगोल जब हष उ र भारत म शि शाली शासक था उस समय अरब म इ लाम अपना चार एवं सार कर रहा था। उसे उस
समय से भारत आने म 60 वष लग गए। जब उसने राजनीितक िवजय के साथ भारत म वेश िकया तब उसम काफ़ बदलाव आ चक ु ा था।
धीरे -धीरे िसधं बगदाद क क ीय स ा से अलग हो गया और अलग स ा के प म कायम िकया। समय बीतने के साथ अरब और भारत के
संबंध बढ़ते गए। दोन देश के याि य का आना जाना लगा रहा। राजदतू क आपस म अदला बदली होती रही। भारतीय गिणत खगोल
शा क पु तक बगदाद पहँची। अरबी भाषा म इन पु तक का अनुवाद हआ। इसके अलावे कई भारतीय िचिक सक बगदाद गए।

भारत के दि ण के रा य खासकर रा कूट ने भी यापार व सां कृ ितक संबंध बगदाद के साथ बनाए। धीरे -धीरे भारतीय को इ लाम धम
क जानकारी होती गई। इ लाम धम के चारक का वागत हआ। मि जद का िनमाण का दौर शु हआ। अतः यह िन कष के प म हम
कह सकते ह िक भारत आने से पहले इ लाम ने धम के प म िव िकया।

5.2 महमूद गज़नवी और अफगान


लगभग तीन सौ वष तक भारत िवदेशी आ मण से बचा रहा। सन् 1000 ई. के आस-पास महमदू गजनवी ने भारत पर आ मण िकया।
गज़नवी तुक जाित का था। इसने बहत खनू खराबा िकया। उसने उ र भारत के एक भाग म लटू -पाट क । उसने पंजाब और िसंध को अपने
रा य म िमला िलया व हर बार खजाना लटू कर ढेर धन अपने साथ ले गया। उसने िहदं ओ
ु ं को धूल चटा िदया। िहदं ओ
ु ं के मन म मसु लमान
के ित नफ़रत भर चक ु थी। वह क मीर पर िवजय नह पा सका। किठयावाड़ म सोमनाथ से लौटते हए उसे राज थान के रे िग तानी इलाक
म पराजय का सामना करना पड़ा। सन् 1830 म उसक मृ यु हो गई। 160 वष के बाद शहाबु ीन गौरी ने गजनी पर क जा कर िलया। िफर
लाहौर पर आ मण िकया, इसके बाद िद ली पर भी आ मण िकया। िद ली के स ाट पृ वीराज चौहान ने उसे परािजत कर िदया। वह
अफगािन तान लौट गया िफर एक साल बाद उसने िफर िद ली पर आ मण िकया। 1192 ई. म वह िद ली का शासक बन गया।

िद ली को जीतने के बाद भी दि ण भारत शि शाली बना रहा। 14व सदी के अंत म तुक-मंगोल तैमरू ने उ र भारत क ओर से आकर
िद ली क स तनत को व त कर िदया। दभु ा यवश वह बहत आगे नह बढ़ सका। 14व शता दी क शु आत म दो बड़े रा य कायम हए-
गलु बग, जो बहमनी रा य के नाम से िस है और िवजयनगर का िहदं ू रा य।

इस समय उ र भारत छोटे-छोटे टुकड़ म िवभािजत हो चक


ु ा था। दि ण भारत सु ढ़ व उ नतं था। ऐसे म बहत से िहदं ू भागकर दि ण भारत
क ओर चले गए। िवजय नगर क तर क के व उ री पहािड़य से होकर एक आ मणकारी िद ली के पास पानीपत के मैदान म आ गया।
उसने 1526 ई. म िद ली को जीतकर मगु ल सा ा य क न व डाली। वह आ मणकारी तैमरू वंश का तुक बाबर था।

5.3 सम वय और िमली-जल ु ी सं कृित का िवकास कबीर, गु नानक और अमीर खस ु रो


वा तिवक प म इ लाम भारत म धम चार- सार के प म आया था। जबिक भारत पर आ मण तुक , अफगान व मसु लमान ने िकए।
अफगान और तुक परू े भारत पर छा गए। जबिक मसु लमान अजनबी होते हए भी भारतीय रीित रवाजो म घुल-िमल गए। वे भारत को अपना
देश मानने लगे। अिधकतर राजपूत घरान ने भी इनसे अ छे सबं ंध कायम िकए। इस समय िहदं -ू मुसलमान के वैवािहक सबं धं भी काफ़ हद
तक बढ़ते गए। िफरोजशाह व गयासु ीन तुगलक क माँ भी िहदं ू थी। गलु बग (बहमनी रा य) के मिु लम शासक ने िवजय नगर क िहदं ू
राजकुमारी से धमू धाम िववाह िकया था।

मिु लम शासन काल म भारत का चहँमख ु ी िवकास हआ। सैिनक सरु ा, उ म रखने के िलए यातायात साधन म सधु ार िकया। शेरशाह सरू ी
ने उ म मालगुजारी यव था क , िजसका अकबर ने िवकास िकया। इस काल म यापार उ ोग भी गित पर रहा। अकबर के लोकि य
राज व मं ी टोडरमल क िनयिु शेरशाह ने क थी। वा तुकला क नई शैिलय का िवकास हआ। खाना-पहनना बदल गया। गीत-संगीत म
भी सम वय िदखाई पड़ने लगा फारसी भाषा राजदरबार क भाषा बन गई। जब तैमरू के हमले से िद ली क सलतनत कमज़ोर हो गई तो
जौनपरु म एक छोटी सी मिु लम रयासत खड़ी हई। 15व शता दी के दौरान यह रयासत कला सं कृ ित और धािमक सिह णतु ा का क रही।
यहाँ आम भाषा िहदं ी को ो सािहत िकया गया तथा िहदं ू और मसु लमान के बीच सम वय का यास िकया गया। इसी समय ऐसे काम के
िलए एक क मीरी शासक जैनल ु आबदीन को बहत यश िमला।

अमीर खसु रो तुक थे। वे फारसी के महान किव थे और उ ह सं कृ त का भी ान था। कहा जाता है िक िसतार का आिव कार उ ह ने ही िकया
था। अमीर खसु रो ने अनिगनत पहेिलयाँ िलखी। अपने जीवन काल म ही खसु रो अपने गीत और पहेिलय के िलए िस थे। उनक
लोकि यता आज भी कायम है। पं हव सदी म दि ण म रामानंद और उनसे भी अिधक ि य कबीर हए। कबीर क सािखयाँ और पद आज
भी िस ह। उ र म गु नानक हए; जो िसख धम के सं थापक माने जाते ह। पूरे िहदं ू धम सधु ारक के िवचारक का भाव पड़ा।

इसी समय कुछ समाज सधु ारक का उदय हआ िज ह ने इस सम वय का समथन तथा वण- यव था क उपे ा क । पं हव शता दी म
रामानंद और उनके िश य कबीर ऐसे ही समाज सधु ारक थे। कबीर क सािखयाँ और पद आज भी जनमानस म लोकि य ह। उ र भारत म गु
नानक देव ने िसख धम क थापना क । िहदं ू धम इन सधु ारक के िवचार से भािवत हआ।

अमीर खसु रो भी फारसी लेखक म काफ िस थे। वे फारसी लेखक के साथ-साथ फ़ारसी किव भी थे। भारतीय वा यं िसतार उनके ारा
ही आिव कृ त है। उ ह ने धम, दशन, तकशा आिद िवषय पर िलखा। उनके िलखे लोकगीत और अनिगनत पहेिलयाँ आज भी काफ़
लोकि य ह।

5.4 बाबर और अकबर-भारतीयकरण क ि या


‘बाबर’ ने सन् 1526 ई. म पानीपत का यु जीतकर भारत म मगु ल सा ा य क थापना क । उसका यि व आकषक था। उसने के वल
चार वष तक ही भारत पर शासन िकया। इन चार वष म उसका समय आगरा म िवशाल राजधानी म बीता।

अकबर भारत म मगु ल सा ा य का तीसरा शासक था। वह बाबर का पोता था। वह आकषक, गुणवान, साहसी, बहादरु और यो य शासक
एवं सेनानायक था। वह िवन और दयालु होने के साथ-साथ लोग का िदल जीतना चाहता था। 1556 ई. से आरंभ होने वाले अपने लंबे
शासन काल 50 वष तक रहा। उसने एक राजपूत राजकुमारी से शादी क । उसका पु जहाँगीर आधा मगु ल और आधा िहदं ू राजपतू था।
जहाँगीर का बेटा भी राजपतू , माँ का बेटा था। राजपतू घरान से संबंध बनाने म सा ा य बहत मज़बूत हआ। राणा ताप ने मगु ल से ट कर
ली। इसके बाद अकबर को मेवाड़ के राणा ताप को अधीन बनाने म सफलता नह िमली। अकबर क अधीनता वीकार करने के बजाए वे
जगं ल म िफरते रहे।

अकबर ने ितभाशाली लोग का समदु ाय एकि त िकया। इनम फै जी, अबुल फजल, बीरबल, राजा मानिसंह, अ दल
ु रहीम खानखाना मख

थे। उसने दीन-ए-एलाही नामक नए धम क थापना कर मगु ल वंश को भारत के वंश जैसा ही बना िदया।

5.5 यांि क उ नित और रचना मक शि म एिशया और यूरोप के बीच अंतर


अकबर सभी े के ाता था | उसे सैिनक और राजनीितक मामल के अित र यांि क कलाओ ं का भी परू ा ान था। अकबर ने भारत म
मगु ल सा ा य क मज़बूत न व रखी थी तथा उस पर जो इमारत बनाई वह सौ वष तक बनी रही। िसहं ासन के िलए उ चािधका रय म यु
होते रहे और क ीय नेतृ व कमज़ोर होता गया। यरू ोप म मगु ल बादशाह के यश म वृि हो रही थी। अकबर के समय म दि ण म मंिदर से
िभ न शैली म कई इमारत बनी िज ह ने आने वाले दशक को े रत िकया। आगरा का ताजमहल इसी का उदाहरण है।
इस कार िद ली और आगरा म संदु र इमारत तैयार हई।ं भारत म रहने वाले अिधकतर मसु लमान ने िहदं ू धम से धम प रवतन कर िलया।
दोन म काफ़ समानताएँ िवकिसत हो गई।ं भारत के िहदं ओ
ु ं और मसु लमान के साथ रहने के कारण उनक आदत, रहन-सहन के ढंग और
कला मक िचय म समानता िदखाई देती थी। वे शांितपूवक साथ रहने उ सव म आने-जाने म एक जैसे थे तथा वे एक ही भाषा का योग
करते थे। गाँव क आबादी के बड़े िह से म जीवन िमला-जुला था। गाँव म िहदं ू और मसु लमान के बीच गहरे संबंध थे। वे िमल-जुलकर
जीवन क परे शािनय व आिथक सम याओ ं का सामना करते थे। दोन जाितय के लोक गीत सामा य थे। गाँव म रहने वाले अिधकतर िहदं ू
व मसु लमान िकसान, द तकार एवं िश पी थे।

मगु ल शासन काल के दौरान कई िहदं ओ


ु ं ने दरबारी भाषा म फारसी पु तके िलखी। फारसी म सं कृ त क पु तक का अनुवाद हआ। िहदं ी के
िस किव मिलक मोह मद जायसी तथा अ दल ु रहीम खानखाना क किवताओ ं का तर बहत ऊँचा था। रहीम ने राणा ताप का गणु गान
अपने किवताओ ं म काफ िकया। रहीम ने मेवाड़ के राणा ताप क शसं ा म भी िलखा, जो लगातार अकबर से यु करते रहे और कभी
हिथयार न डाले यानी हार न मानी।

5.6 औरगं जेब ने उ टी गंगा बहाई – िहदं ू रा वाद का लार िशवाजी


औरंगजेब एक क रवादी मसु लमान था। वह धमा ध व कठोर नैितकतावादी था। वह एक ऐसा स ाट हआ िजसने िहदं ू और मसु लमान के
बीच दीवार खड़ी कर दी। उसने एक िहदं ू िवरोधी कर लगाया िजसे ‘जिजया टै स’ कहते ह। उसने अनेक मंिदर को तुड़वाया। जो राजपतू
मगु ल सा ा य के तभं थे उसने िहदं ू िवरोधी काय करके उनके दय म अपने ित घृणा, रोष एवं िव ेष क भावना पैदा क । इस कार
मगु ल स ाट औरंगजेब क नीितय से तंग आकर उ र म िसख मुगल के िव खड़े हो गए।

इसक िति या म पणू जागरण िवचार पनपने लगे। मगु ल सा ा य क आिथक ि थित दयनीय हो गई। जो पतन का एक मख ु कारण बना।
इसी समय 1627 ई. म िशवाजी के प म िहदं ओ
ु ं का एक नेता उभरा। उनके छापामार द त ने मगु ल क नाक म दम कर िदया। उ ह ने
अं ेज क कोिठय को लटू ा और मगु ल सा ा य के े पर चौथ कर लगाया। मराठा परू ी शि पा गए। 1680 म िशवाजी क मृ यु हो गई।
लेिकन मराठा शि का िव तार होते चला गया। वह भारत पर अपना एकािधकार करना चाहती थी।

5.7 भु व के िलए मराठ और अं ेज के बीच संघष-अं ेज़ क िवजय


औरंगजेब क सन् 1707 म मृ यु हो गई। इसके बाद लगभग 100 वष तक भारत पर अिधकार करने िलए अलग-अलग जाितय का सघं ष
एवं आ मण जारी रहा।

18व शता दी म भारत पर अपना आिधप य करने के िलए मख ु चार दावेदार थे-
(i) मराठे , (ii) हैदर अली और उसका बेटा टीपू सु तान (iii) ांसीसी (iv) अं ेज़। ांसीसी और अं ेज़ िवदेशी दावेदार थे। इसी बीच
1739 म ईरान का बादशाह नािदरशाह िद ली पर आ मण कर िदया। उसने काफ़ खनू खराबा िकया और लटू पाट मचाई। बेशमु ार दौलत
लटू ी। वह त ते ताऊस भी ले गया। बँगाल म जालसाजी और बगावत को बढ़ावा देकर लाइव ने 1757 म लासी का यु जीत िलया।
1770 म बंगाल तथा िबहार म अकाल पड़ा, िजसम एक ितहाई जनसं या क मौत हो गई। दि ण म अं ेज और ांसीिसय के बीच यु म
ांसीिसय का अंत हो गया। भारत पर अपना सा ा य थािपत करने के िलए मराठे , अं ेज़ और हैदर अली रह गए थे। इससे भारत पर
िवशेष भाव नह पड़ा। 1799 म अं ेज ने टीपू सु तान को हरा िदया। इसके बाद अं ेज़ काफ़ शि शाली हो गए और उनक राह और
आसान हो गई।

मराठे सरदार म आपसी रंिजश थी। 1804 म अं ेज ने उ ह अलग-अलग यु म हरा िदया। अं ेज ने भारत को अ यव था और
अराजकता से बचाया। 1818 तक के अंत तक उ ह ने मराठ को हराकर भारत पर क जा कर िलया। अब अं ेज़ भारत म सु यवि थत ढंग से
शासन करने लगे। अब आतंक यगु क समाि हो गई यानी मारकाट बंद हो गया लेिकन यह कहा जा सकता है िक आपस म भेदभाव,
आपसी रंिजश भुलाकर काम करते तो अं ेज क सहायता के िबना भी भारत म शांित और यवि थत शासन क थापना क जा सकती थी।
5.8 रणजीत िसहं और जयिसंह
आतंक के उस दौर म दो मख ु भारतीय िसतारे उभरे , उनके नाम थे – रणजीत िसंह और जयिसंह।
महाराजा रणजीत िसंह एक जाट िसख थे। पंजाब म उ ह ने अपना शासन कायम िकया। राजपतू ाने म जयपरु का सवाई जयिसंह था। जयिसंह ने
जयपुर, िद ली, उ जैन, बनारस और मथरु ा म बड़ी-बड़ी बेधशालाएँ बनवाई।ं जयपरु क नगर योजना उ ह क देन है। उ ह ने मानवीय
िवचार को आधार बनाया तथा खनू -खराबे को नापसदं िकया। यु के िसवा उ ह ने िकसी क जान नह ली। वह बहादरु यो ा, कुशल
राजनियक होने के साथ गिणत, खगोल िव ानी, नगर िनमाण करने वाले तथा इितहास म िच रखने वाले थे।

5.9 भारत क आिथक पृ भूिम-इं लड के दो प


भारत म ई ट इिं डया कंपनी क थापना के बाद उसका मु य उ े य था भारतीय माल लेकर यरू ोप के देश म बेचना। भारतीय कारीगर का
बना माल इं लड क तकनीक का सफलता पवू क मुकाबला करता था। कंपनी का येय अिधक से अिधक धन कमाना था। इं लड म मशीन
का दौर शु होने पर मशीन से बने माल के साथ-साथ भारतीय व तएु ँ भी थी। कंपनी ने इससे काफ़ मनु ाफा कमाया। इं लड का भारत म
वा तिवक प से तभी आगमन हआ जब 1600 ई. म एिलजाबेथ ने ई ट इिं डया कंपनी को परवाना िदया। 1608 ई. िम टन का ज म होने के
सो साल बाद कपड़ा बुनने क तेज़ मशीन का आिव कार हआ। इसके बाद काटने क कला, इजं न और मशीन के करघे िनकाले गए। उस
समय इं लड सामतं वाद और िति यावाद से िघरा हआ था। इं लड को भािवत करने वाले लेखक म शे सिपयर, िम टन था। साथ ही म
राजनीितक और वाधीनता के िलए संघष करने वाले, िव ान और तकनीक म गित करने वाले भी थे।

उस समय अमे रका इं लड के चंगल ु से वतं हआ था। अमे रका म नई शु आत के िलए भी रा ते साफ़ थे। जबिक भारतीय ाचीन
परंपराओ ं म जकड़े हए थे। इसके बावजूद यह स य है िक यिद ि टेन मगु ल के शि खोने पर भारत का बोझ न उठाता तो भी भारत देश
अिधक शि शाली और समृ होता।

1. बाबर कौन था?


(i) मगु ल शासन का सं थापक (ii) मगु ल शासन का सेनापित
(iii) इ लाम धम का सं थापक (iv) एक िवदेशी आ मणकारी
उ र: (i) मगु ल शासन का सं थापक

2. बाबर ने भारतीय स ा क न व कब रखी?


(i) 1770 (ii) 1530
(iii) 1526 म (iv) 1600
उ र: (iii) 1526 म

3.अकबर ने िकस धम को चलाया?


(i) दीन.ए.एलाही (ii) मिु लम धम
(iii) इसाई धम (iv) फ़ारसी धम
उ र: (i) दीन.ए.एलाही

4. महमूद गज़नवी ने भारत पर आ मण क शु आत कब क ?


(i) 1000 ई. म (ii) 1100 ई. म
(ii) 1200 ई. म (iv) 800 ई. म
उ र: (i) 1000 ई. म

5. मगु ल काल क वा तुकला का संदु र नमनू ा कौन-सा है?


(i) फतेहपरु सीकरी (ii) कुतबु मीनार
(iii) ताजमहल (iv) लालिकला
उ र: (iii) ताजमहल
6. ‘प ावत’ थं क रचना िकसने क ?
(i) रहीम (ii) जायसी
(iii) तुलसी (iv) कबीर
उ र: (ii) जायसी

7.मराठ के सेना नायक कौन थे?


(i) छ पित िशवाजी (ii) रणजीत िसंह
(iii) टीपू सु तान (iv) दारा
उ र: (i) छ पित िशवाजी

8. मगु लकाल के पतन के बाद शि शाली शासक के प म कौन उभरे ?


(i) टीपू सु तान (ii) हैदर अली
(iii) मराठे (iv) अं ेज़
उ र: (iii) मराठे

9. नािदरशाह कहाँ का शासक था?


(i) ईरान (ii) इराक
(iii) अफगािन तान (iv) चीन
उ र: (i) ईरान

10. जयिसंह ने िकस रा य का िनमाण कराया?


(i) आगरा (ii) जयपुर
(iii) बनारस (iv) इलाहाबाद
उ र: (ii) जयपुर

11. भारत म ई ट इिं डया क थापना कब हई?


(i) 1700 (ii) 1800
(ii) 1600 (iv) 1500
उ र: (ii) 1600

लघु उ रीय
1.भारत म कौन-कौन सी िवदेशी जाितय का आगमन हआ?
उ र:हषवधन के शासन म अरबी, तुक व अफगानी जाितय ने भारत म आगमन िकया।

2.कई इलाक को जीतने के बाद अरब भारत म िसधं से आगे य न बढ़ सके ?


उ र: अरब आ मणका रय ने दरू -दरू तक अपने इलाके का सार िकया। लेिकन वे िसधं ांत के आगे न बढ़ पाए य िक भारत तब
आ मणका रय को रोकने म समथ था। इसके अ य कारण अरब म होने वाले आंत रक झगड़े भी हो सकते ह।

3.महमूद गज़नवी क मृ यु कब हई?


उ र: महमूद गज़नवी क मृ यु 1030 म हई थी।

4. महमदू गज़नवी के बाद भारत पर िकसका आ मण हआ?


उ र: महमूद गज़नवी के बाद 160 वष के बाद शहाबु ीन गौरी नामक अफगान ने पृ वीराज चौहान के समय आ मण िकया लेिकन
परािजत हो गया लेिकन वष 1192 म िफर दोबारा िद ली पर आ मण करके यहाँ के िसहं ासन पर बैठा।
5. तैमरू के आ मण के बाद िद ली क या दशा हई?
उ र: तैमरू के आ मण के बाद िद ली बुरी तरह से तहस-नहस हो गई। इसका ढाँचा िबलकुल िबगड़ गया। इसे अपनी वा तिवक ि थित म
आने म लंबा समय लग गया। उसक ि थित िबलकुल िसमटकर रह गई। तैमूर के हमले का भाव िद ली पर परू ी तरह देखा जा सकता है।

6. िद ली क तबाही के समय भारत क या ि थित थी?


उ र: 14व शता दी के अंत म तुक-मंगोल तैमरू ने उ र भारत क ओर से आकर िद ली क स तनत को व त कर िदया। उस समय दि ण
भारत क दशा अ छी थी। दि ण के रा य म िवजय नगर सबसे अिधक शि शाली रयासत थी, िवजयनगर ने उ र भारत के अनेक
शरणािथय को अपने ओर आकिषत िकया। उस समय दि ण भारत क गित चरम सीमा पर थी।

7. अफ़गान शासक और उसके साथ आए लोग भारतीय ढाँचे म कै से समा गए?


उ र: अफ़गान शासक एवं उसके साथ आए लोग िवदेशी होते हए भी वे भारतीय ढाँचे म समा गए य िक जो अफ़गान उनके साथ आए
उनके प रवार का भारतीयकरण हो गया। यानी वे भारतीय सं कृ ित और िवचारधारा म ढल गए। वे भारत को अपना देश व भारत के बाहर के
देश को िवदेशी समझने लगे।

8. राणा ताप कौन थे? उ ह ने जंगल म रहना य पसंद िकया?


उ र: राणा ताप मेवाड़ के राजपतू शासक थे। वे अ यंत साहसी, वीर वािभमानी देशभ थे। वे हमेशा से ही मगु ल के िवरोधी रहे। वे
मगु ल को सदैव िवदेशी आ मणकारी समझते थे। उ ह ने अकबर से भी कभी भी औपचा रक सबं ंध नह रखा और न तो उनक अधीनता
वीकार क । अतः उनक पराजय होने के बाद उ ह ने मगु ल क अधीनता वीकार करने के बजाय जंगल म वतं होकर रहना पसंद िकया।

9. िहदं -ू मसु लमान के आपसी सम वय से भारत क सामािजक ि थित पर या भाव पड़ा?


उ र: अकबर के सामने मख ु सम या इ लाम के साथ अ य धम के लोग के रीित रवाज के मेल से रा ीय एकता कायम करने क सम या
थी, इसिलए सामािजक ि थित म िहदं ू मसु लमान के आपसी सम वय से दोन क आदत, रहन-सहन का ढंग, िचयाँ एक सी हो गई।ं यापार
उ ोग भी एक से हो गए। िहदं -ू मसु लमान को भारत का ही अगं समझने लगे। वे आपसी धािमक आयोजन व जलस म भी शािमल होने
लगे। बोलचाल क भाषा म िहदं ी एवं उदू आपस म िमल-जुल गए थे। िहदं ू एवं मसु लमान दोन क आिथक सम याएँ एक जैसी ही थ ।

10. औरंगजेब कौन था? उसक नीितयाँ रा वाद के िवकास म िकस कार सहायक िस हई?ं
उ र: औरंगजेब मगु लवंश का शासक था और वह अकबर का पौ था। उसक नीितय के कारण देश के दरू -दरू ांत म आतंक फै ल गया।
उसक िहदं ू िवरोधी नीितय के कारण िसख और मराठे उसके िव हो गए। इससे लोग म असतं ोष क भावना का ादभु ाव हआ और
पनु जागरणवादी िवचार का उदय हआ िजसके प रणाम व प धमवाद और रा वाद का उ थान हआ।

11. जयिसंह ने िकस रा य का िनमाण करवाया? उस नगर योजना को आदश य समझा जाता था?
उ र: जयिसहं ने जयपरु रा य का िनमाण करवाया इस नगर क िवशेषता थी िक इसका िनमाण िवदेशी न श के आधार पर िकया गया था।
न शे के आधार पर सु यवि थत ढंग से बसाने के कारण नगर योजना को आदश समझा जाता है।

12. यिद भारत म अं ेज़ी रा य क थापना न होती तो भारत क दशा कै सी होती?


उ र: यिद भारत म अं ेज़ी रा य क थापना नह हई होती तो भारत अिधक वतं , समृ व येक े म िवकास करने वाला होता। वह
अभी काफ़ शि शाली रा होता।

दीघ उ रीय
1. भारत और अरब के बीच सबं ंध िकस कार मज़बूत हए?
उ र: भारत और अरब के बीच एक दसू रे के यहाँ आने जाने का काय म चलता रहा। राजदतू के आवास क अदला-बदली हई। भारत से
गिणत और खगोलशा क पु तक बगदाद पहँची। इन पु तक का अनवु ाद अरबी भाषा म िकया गया। कई भारतीय िचिक सक बगदाद गए।
यह सबं ंध उ र भारत एवं दि ण भारत के साथ भी रहा। यापार क शु आत भी आपस म हई।
2. महमूद गज़नवी कौन था? उसके आ मण से िहदं ओ ु ं के मन पर या भाव पड़ा?
उ र: महमूद गज़नवी अफ़गािन तान का तुक आ मणकारी था। उसने भारत के उ री भारत पर ू रता के साथ आ मण िकया। उसने भारत
से बहत बड़ा खजाना लटू ा और उसे ले गया। महमदू ने पंजाब और िसधं को अपने रा य म िमला िलया। उसने भारत म खनू खराबा का
तांडव मचाया। िहदं ू उसके इस हरकत से काफ़ इधर-उधर िबखर गए। बचे हए िहदं ओ
ु ं के मन म मसु लमान के ित गहरी नफ़रत पैदा हो गई।

3. अमीर खसु रो कौन थे? उसके िसि का या कारण था?


उ र: अमीर खसु रो, फ़ारसी के उ च कोिट के किव थे। उ ह सं कृ त का भी ान था और वे महान संगीतकार भी थे। उनक िसि का कारण
तं ी वा िसतार के आिव कारक होना है। इसके अित र उ ह ने धम दशन, तकशा , भाषा और याकरण आिद िवषय क रचना क ।
उ ह ने लोकगीत एवं पहेिलय क रचना क । इन लोकगीत और पहेिलय ने उ ह लोकि य बना िदया।
4. अकबर कौन था? उसने देश क अखंडता एवं एकता बनाए रखने के िलए उसने या- या यास िकया?
उ र: अकबर मगु ल खानदान का तीसरा शासक था। वह बाबर का पोता था। उसने भारत क एकता और अखडं ता बनाए रखने के िलए
वािभमानी राजपत को अपनी ओर िमलाया। उसने अपनी और अपने बेट क शादी राजपतू घराने म क । इसके अलावे उसने िव ान
िहदं ओ
ु ं को अपने दरबार म िवशेष थान िदया। िहदं ू और मिु लम एकता को थािपत करने के िलए दीन-ए-इलाही नामक एक नया सवमा य
धम चलाया।

5. मगु ल शासन काल म सािह य को बढ़ावा िमला प क िजए?


उ र: मगु लकाल म भारतीय सािह य को काफ़ बढ़ावा िमला। अनेक िहदं ू किव एवं लेखक ने दरबारी भाषा म पु तक क रचना क ।
अकबर के दरबार म िहदं ू और मिु लम िव ान को काफ़ य िदया गया, िजनम फै ज़ी, अबुल फ़जल, बीरबल, राजा मान िसहं , अ दल ु
रहीम खानखाना मख ु थे। मुगलकाल म िहदं ी भाषा के िस किव मिलक मोह मद जायसी ने प ावत िलखा था तथा अ दल ु रहीम खाना
ने अनेक नीित भरे दोह क रचना क । इसी काल म िव ान मसु लमान ने सं कृ त पु तक का िहदं ी म अनवु ाद िकया।

6. नािदरशाह कौन था? उसने िद ली पर आ मण य िकया? इसका मु य या प रणाम िनकला?


उ र: नािदरशाह ईरान का शासक था। उसने िद ली पर आ मण िद ली को लटू ने के िलए िकया। उसने िद ली क बेशमु ार धन-दौलत
लटू कर िद ली के शासक को अ यिधक कमज़ोर बना िदया।

7. िशवाजी कौन थे? उनका नाम भारतीय इितहास म य लोकि य है?


उ र: िशवाजी मराठ के सेनानायक थे। उनका ज म सन् 1627 ई. म हआ था। वे एक कुशल छापामार थे। उनक सेना के घुड़सवार दरू -दरू
छापा मारकर श ओु ं का मुकाबला करते थे। उ ह ने सरू त म अं ेज क कोिठय को लटू ा और मगु ल सा ा य के े म चौथ नामक एक
टै स लगाया। उ ह ने मराठ को एकि त कर दजु य शि का प िदया।

6 अंितम दौर-एक
किठन श दाथ:

पृ सं या 92.
गलु ाम – दास, सचं ालन – चलाना, िवघटन – खेम म बँट जाना, पछु ला – पीछे रह जाना, अनुसरण – िकसी अ य के कहने पर काम करना,
अिभ न – एक समान ।
पृ सं या 93.
सु ढ़ – प का, महकम – िवभाग , पटवारी – ज़मीन क पैदाइश करने वाले, िश ण – ेिनगं , कै िपटेशन चाज – सेना के िश ण के िलए
िकया जाने वाला खच, मायसू ी – उदासी, ोध – गु सा, िश ािवद – िश ा का ाता, ा य – िव ा, िवशारद् – एक कार क शै िणक
उपािध, िचंतन – िवचार, लक – द तर म काम करनेवाला साधारण कमचारी, चेतना – बुि ।
पृ सं या 94.
आघात – चोट, कारगर – भावी, वयैि क – िनजी, आघात – चोट, कारगर – भावी, ढ़ता – मज़बूती, मु – आज़ाद।
पृ सं या 95.
वतक – सं थापक, वािम व – अिधकार, सम वयवादी – िवचार का आदान- दान, िव जनीय – िव म िस , क र – प का,
पनु जागरण – नई चेतना जा त करना, वृि – इ छा, असंतोष – संतु न होना।
पृ सं या 96.
बगावत – िव ोह, िनयत – िनि त, जनांदोलन – जनता का आंदोलन, अनुयायी – मानने वाला, अवशेष – बचे हए, सावजिनक – समान
प से, सारी जनता का, मरण – याद।
पृ सं या 97.
सव म – सबसे बिढ़या, त काल – उसी समय, ज त – क जे म करना, झकझोर – िहला देना, पनु गठन – िफर से सगं िठत होना, िख न –
दखु ी, आ था – िव ास।
पृ सं या 98.
िनषेध – मनाही, दिलत – िन न, धम ाण – धम को मानने वाला, आ म सा ा कार – वयं को परखना, त व ािनय – िवचारक , बहरंगी
साँचे – िविभ न प, सां दाियकता – धम के नाम पर होने वाले दंगे।
पृ सं या 99.
सेतु – पल ु जोड़ने वाला, व ा – बोलने वाला, सजं ीवनी – ाणदायी औषिध, जीवतं ता – जीने क चाहत, समभाव – एक समान ि से
देखना, बलवती – मज़बूत, िनरथक – बेमतलब, अभय – िबना डर के , दबु लता – कमज़ोरी, आ याि मक – ई रीय।
पृ सं या 100.
नाि तक – ई र को न मानने वाला, ीण – कमज़ोर, बदा त – सहन, िखताब – उपािध, ओत- ोत – लवरे ज, भराहआ।
पृ सं या 101.
संक ण – संकुिचत, िमज़ाज – वभाव, सवहारा – जो सब कुछ हार चक ु ा हो, अनवरत – लगातार, कमठता – काम क लगन, उदीयमान –
उभरता हआ, नैरा य – िनराशा।
पृ सं या 102. बोध – ान, साझी – िमली-जुली, वंिचत – ा न होना, सां वना – धैय बाँधना, मनीषी – ानी, मनु ािसब – उिचत।
पृ सं या 103. उ े य – ल य, अलगाववादी – अलग रहने को ाथिमकता देनेवाला।
पृ सं या 104.
परंपरागत – रीित- रवाज के अनुसार, ितभाशाली – िवशेष यो यता वाला, उ ेजना – उ ता, तेजि वता – ओजपूण, गंजु ाइश – संभावना।
पृ सं या 105. परु ानपंथी – परु ानी िवचारधाराएँ रखने वाला, भौह चढ़ाना – नाराज़ होना।
पृ सं या 106.
ौढ़ – अधेड़ उ का, आ ामक – उस िवचारधारा वाला, अव ाकारी – सरकारी नीितय का उ लंघन करने वाला, सजक – जाग क,
बहसं यक – अिधक सं या म।

6.1 भारत राजनीितक और आिथक ि से पहली बार एक अ य देश का पुछ ला बनता है-
अं ेजी सा ा य क थापना के बाद भारत के िलए एकदम से नई घटना थी। नया पँजू ीवाद सारे िव म जो बाज़ार तैयार कर रहा था उससे हर
हालत म भारत के आिथक ढाँचे पर भाव पड़ा। भारत अब अं ेज़ी आिथक ढाँचे का गुलाम बन गया और िकसान भी उनके गुलाम बनकर
रह गए। अं ेज के आने से बड़े ज़मीनदार पैदा हए। उनका मु य उ े य लगान अिधक से अिधक मा ा म वसल ू करना था।

इस तरह अं ेज ने ऐसे वग को ज म िदया िजनके वाथ अं ेज से िमलते-जुलते थे। यह वग ये राजा, जमीनदार सरकार के िविभ न िवभाग
के पटवारी, गाँव के धान व उ च अिधकारी थे। ये वग भी आम जनता का अं ेज़ क तरह खून चसू ने वाले थे। अं ेज़ ने येक िजले म
कले टर क भी िनयिु िकए, ये वग आम जनता से मँहु -माँगी टै स वसल
ू कर अं ेज़ का खजाना भरते थे।

इस कार भारत क आम जनता को ि टेन के अनेक खच उठाने पड़ते थे। उनम सेना पर िकए खच िजसे ‘कै िपटेशन चाज’ कहा जाता था,
देना पड़ता था। इसके अित र अ य खच का बोझ भी भारत के कंध पर था।
6 .2 भारत म ि िटश शासन के अंतिवरोध राममोहन राय – बगं ाल म अं ेज़ी िश ा और समाचार प
बंगाल म अं ेज़ी िश ा के कई समाज सधु ारक प थे। इसके अलावे िश ािवद् अं ेज़ ा य िव ा िवशारद प कार िमशनरी और कुछ अ य
लोग ने पा ा य सं कृ ित को भारत म लाने के िलए काफ़ यास िकया। य िप अं ेज़ भारत म िश ा का चार- सार नापसंद करते थे
य िक वे चाहते थे िक िश ण- िश ण के मा यम से लक तैयार िकया जाए तािक कम वेतन पर उनसे काम कराया जा सके । िश ा के
मा यम से िशि त लोग म नई चेतना जाग उठी। वे गुलामी से मु होने के िलए तड़पने लगे लेिकन नई तकनीक , रे लगाड़ी, छापाखाना,
दसू री मशीन ये सब ऐसी बात थ िजसक उपे ा नह क जा सकती थी। ऐसे ही व म 18 व शता दी म एक सामािजक सधु ारक एवं
अ यंत शि शाली यि व का उदय हआ। इसका नाम था-राजा राम मोहन राय। वह एक नई सोच का यि था। भारतीय िवचारधारा और
दशन क उ ह काफ़ ान था। उ ह अनेक भाषाओ ं का भी ान था। उ ह ने अं ेजी सरकार के गवनर जनरल को गिणत, भौितक , िव ान,
रसायन, शा , जीव-िव ान और अ य उपयोगी िव ान क िश ा क आव यकता पर जोर िदया और अं ेज़ी को लागू करने के िलए भी
िलखा।

राजा राम मोहन राय ईसाई व मिु लम दोन धम के संपक म रहे और इससे वे भािवत भी रहे। वे भारतीय धािमक कुरीितय व कु थाओ ं से
भारत को मु करवाना चाहते थे। इसके फल व प अं ेजी सरकार ने सती था पर रोक लगा दी।

वे भारतीय प का रता के वतक भी थे। उनका कहना था िक समाचार प एवं पि काएँ मनु य के िवचार को जाग क करने का मा यम ह।
अतः उनके नेतृ व म 1818 म पहली बार एक अं ेज़ी का समाचार प िनकला िजसका संपादन भारतीय ने िकया था। इसके अित र
बगं ाली म एक सा ािहक व एक मािसक समाचार प कािशत हआ। धीरे -धीरे देश म, कलक ा, म ास और मबंु ई म तेजी से और भी
समाचार प िनकलने लगे।

उनक सोच थी िक भारत म पणू जागरण के िबना प रवतन लाना असभं व है। बहत से लोग ने उनका समथन िकया िजनम रव नाथ का
प रवार उनका समथक था। वे िद ली स ाट क ओर से इं लड गए। दभु ा य से उ नीसव शता दी क शु आती वष म ि टल म उनक मृ यु
हो गई।

6.3 सन् 1857 क महान ांित – जातीयतावाद


भारत के उ री रा य को छोड़कर लगभग सारा भारत अब ि िटश सरकार क सहानुभिू त चाहता था। बंगाल ने ि िटश सरकार से सिं ध िकया
था। िकसान आिथक तगं ी से परे शान थे। उ र भारत म जा म असतं ोष और अं ेज़ी भावना फै ल रही थी। इसी बीच मई 1857, म मेरठ क
भारतीय सेना ने अं ेज के िखलाफ़ बगावत शु कर दी। िव ोह क शु आत गु तरीके से हई थी लेिकन इस योजना क शु आत समय से
पहले हो जाने के कारण योजना को िबगाड़ िदया। अब यह के वल सैिनक िव ोह होकर रह गया। इसे भारतीय वतं ता सं ाम क शु आत के
प म देखा जाने लगा। िहदं ू और मसु लमान सभी भारतीय ने इस िव ोह म बढ़चढ़कर भाग िलया। यह सैिनक िव ोह के अलावा जन
आंदोलन का प भी ले िलया। अं ेज़ ने इसका दमन भारतीय क सहायता से िकया। इस आंदोलन म ता या टोपे और रानी ल मीबाई ने
बढ़-चढ़कर भाग िलया। इस िव ोह ने ि िटश शासन को िहलाकर कर रख िदया। ‘ि िटश पािलयामट’ ने ‘ई ट इिं डया कंपनी’ से भारत को
अपने हाथ म ले िलया।

6.4 िहंदुओ ं और मुसलमान म सुधारवादी आदं ोलन


इस समय िहदं ओ ु ं और मसु लमान के बीच कई सामािजक कुरीितयाँ फै ली हई थ । इस समय सामािजक सधु ारक म िजसम राजा राम मोहन
राय और दयानदं सर वती हए। इ ह ने िहदं ू धम म कुछ सधु ारवादी आंदोलन चलाया। राजा राम मोहन राय ने िहदं ू ‘ समाज’ क थापना
क । 19व शता दी म वामी दयानंद सर वती ने मह वपूण सधु ार आंदोलन क शु आत क । यह आय सामािजय का आंदोलन था। इसका
नारा था- ‘वेद क ओर चलो’ आय समाज म वेद क एक िवशेष ढंग से या या क गई। इसका सार मु य प से पंजाब और संयु
देश के िहदं ू वग म हआ। इस सुधारवादी आंदोलन का मु य उ े य था लड़के -लड़िकय म समान प से िश ा के सार म, ि य क
ि थित का सधु ार करने म और दिलत जाितय के तर को ऊँचा उठाने म िवशेष प म काम िकया। वामी दयानंद के समय म बंगाल म ी
रामकृ ण परम हसं का यि व सामने आया। उ ह ने िहदं धू म और दशन के िविवध प को आपस जोड़कर जनता के सामने रखा। वे
सं दाियकता के िवरोधी थे। उ ह ने इस बात पर जोर िदया िक सभी धम स य क ओर जाते ह।
वामी िववेकानदं ने गु - भाइय क सहायता से रामकृ ण िमशन क थापना क । उ ह ने िहदं ू धम और दशन के िविवध प को आपस म
जोड़कर जनता के सामने तुत िकया।

1893 ई. म िशकागो म अंतरा ीय धम स मेलन म भाग िलया। िववेकानंद ने भारत के दि णी छोर म क याकुमारी से िहमालय तक अपने
िस ांत को फै लाया। 1902 ई. म 39 वष क आयु म उनक मृ यु हो गई। िववेकानंद के समकालीन रव नाथ ठाकुर थे। टैगोर प रवार ने
बंगाल के सधु ारवादी आंदोलन म बढ़-चढ़कर भाग िलया। उ ह ने जिलयाँवाला कांड के िवरोध म अपनी ‘सर’ क उपािध लौटा दी। िश ा
के े म ‘शांित िनके तन’ उनक मख ु देन थी। वे सी ांित के शंसक थे िवशेष उसम िश ा के सार, सं कृ ित, वा य और समानता
क चेतना के । उनका मानना था िक यही त व यि के उसके उददे य क पिू त म सहायक होता है। टैगोर और गांधी दोन मानवतावादी थे।
इ ह ने लोग को संक ण िवचारधाराओ ं से बाहर िनकालना चाहा। गांधी जी िवशेष प से आम जनता के आदमी थे, जो भारतीय िकसान के
प म थे। टैगोर मल
ू तः िवचारक थे और गांधी अनवरत कमठता के तीक थे। उस समय ऐनी बेसट का भी बहत भाव पड़ा। बहत-सी बात
मसु लमान जनता म भी समान प से चिलत थ । इन दोन ने अपनेअपने तरीके से जनता म नई िवचारधारा का सचं ार करना चाहा।

ीमती एनी बेसट आयरलड क रहने वाली मिहला थी। उ ह ने भारत म होम ल चलाया िजसका उ े य अं ेज से भारतीय को आंत रक
वतं ता िदलाया था। 1857 के िव ोह के बाद भारतीय मसु लमान यह तय नह कर पा रहे थे िक घर जाएँ। अं ेज ने उनके साथ अ यिधक
दमनपणू रवैया अपनाया था। सन् 1870 के बाद सतं ुलन बनाने के िलए अं ेजी सरकार अनुकूल हो गई। इसम सर सैयद अहमद म मह वपूण
भिू मका िनभाई थी। उ ह यह िव ास था िक ि िटश स ा के सहयोग से मसु लमान क ि थित बेहतर हो सकती है। उ ह ने मसु लमान म
ि िटश िवरोधी भावना कम करने क कोिशश क । सर सैयद अहमद खा का भाव मसु लमान म उ च वग के कुछ लोग तक ही सीिमत था।
1912 म मसु लमान के दो नए सा ािहक िनकले-उदू म ‘अल िहलाल’ और अं ेज़ी म ‘कामरे ड।’ अबुल कलाम आजाद का अलीगढ़
कॉलेज म सर सैयद खाँ से संबंध था। अबुल कलाम आजाद ने पुरातन पंथी और रा िवरोधी भावना के गढ़ पर हमला िकया िजससे बुजुग
नाराज हए पर यवु ा पीढ़ी म उ ेजना भर चक
ु थी।

6.5 ितलक और गोखले

ए. ओ. हयमू ने 1885 म रा ीय कां ेस क थापना क थी। जब 1885 म िनिमत नेशनल कां ेस अपनी ौढ़ाव था म आई तो इसके नेतृ व
का ढंग बदल गया। जब इसके संर क बने थे वे अ यिधक आ मणकारी व अव ाकारी थे और िन न वग छा व यवु ा लोग के ितिनिध
थे। उसम कई तरह के यो य ओज वी नेता उभरकर आए। इसके स चे ितिनिध थे- महारा के बालगगं ाधर ितलक और गोखले मख ु थे।
संघष का परू ा माहौल तैयार हो गया था िजसे बचाने के िलए दादा भाई नोरोजी लाए गए। 1907 ई. म हए संघष म उदार दल क जीत हई
लेिकन बहसं यक समाज के लोग ितलक के प म थे। इस समय बंगाल म िहसं क घटनाएं हो रही थ ।

1.अं ेज के समय म भारत म कौन से दो मु य िवभाग थे?


(i) धम व राजनीित (ii) माल गुजारी व पुिलस
(iii) भारतीय व अं ेज के शासक य िवभाग (iv) गाँव व शहर के स ा के अलग-अलग िवभाग
उ र: (ii) माल गुजारी व पुिलस

2. येक िजले म मख ु पद या घोिषत हआ?


(i) सरपंच (ii) कले टर
(iii) राज व पदािधकारी (iv) पिु लस अिधकारी
उ र: (ii) कले टर

3. इस समय बंगाल िकतने वष से अं ेज़ के चंगु ल म था?


(i) 40 वष (ii) 50 वष
(ii) 60 वष (iv) 25 वष
उ र: (ii) 50 वष
4. राजा राममोहन राय ने िकस था पर रोक लगाई ?
(i) बाल िववाह (ii) िवधवा िववाह
(iii) सती था (iv) परदा था
उ र: (iii) सती था

5. भारतीय ारा संपािदत पहला समाचार-प कब कािशत हआ?


(i) 1800 ई. म (ii) 1818 ई. म
(iii) 1856 ई. म (iv) 1885 ई. म
उ र: (ii) 1818 ई. म

6. थम वतं ता सं ाम क शु आत कब हई थी?
(i) 1805 ई. म (ii) 1826 ई. म
(iii) 1850 ई. म (iv) 1857 ई. म
उ र: (iv) 1857 ई. म

7. ‘राजा राममोहन राय’ ने िकस समाज क थापना क थी?


(i) वृ समाज (ii) समाज
(iii) ी समाज (iv) बंगाल समाज
उ र: (ii) समाज

8. रामकृ ण िमशन के सं थापक कौन थे?


(i) वामी िववेकानंद (ii) रव नाथ टैगोर
(iii) वामी दयानदं सर वती (iv) राजा राम मोहन राय
उ र: (i) वामी िववेकानंद

9. ‘मिु लम लीग’ क थापना िकसने क थी?


(i) अबुल कलाम आजाद (ii) सर सैयद खाँ
(iii) अलीगढ़ कॉलेज के मसु लमान बुि जीवी (iv) आम मिु लम वग
उ र: (iii) अलीगढ़ कॉलेज के मसु लमान बिु जीवी

लघु उ रीय
1. अं ेज़ी रा य क थापना के बाद भारत म कै सी यव था से बँध गया?
उ र: अं ेज़ी रा य क थापना के बाद भारत एक ऐसी राजनीितक और आिथक यव था के साथ जड़ु गया िजसका संचालन भारत देश
बाहर इं लड से होने लगा।

2. अं ेज़ का ल य या था?
उ र: अं ेज का ल य था – लगान के प म भारतीय से अिधक मा ा म टै स वसल
ू ना और मनु ाफ़ा कमाना।

3. कै िपटेशन चाज या था?


उ र: इं लड म ि िटश सेना के एक िह से का िश ण खच भारत को उठाना पड़ता था। इसे कै िपटेशन चाज कहा जाता था।

4. िश ा का िवरोध करने वाले अं ेज को भारत म िशि त य करना पड़ा?


उ र: अं ेज़ िश ा के चार को नापसंद करते थे। िफर भी भारत म िश ा का चार- सार करना उनक मज़बूरी रही। वे भारत म पा ा य
सं कृ ित को फै लाना चाहते थे। इसके अित र उ ह अपने काय के िलए लक भी तैयार करना था।
5. सती था या था? इसे रोकने म राजा राममोहन राय ने या िकया?
उ र: सती था एक परु ाने समय क कुरीित थी। इस था म ित क मृ यु होने पर ी (प नी) को भी िजंदा जला िदया जाता था। राजा
राममोहन राय ने इस था का अंत अं ेज क सहायता लेकर कानून बनाकर िकया। उ ह के यास के कारण सरकार ने सती था पर रोक
लगाई।

6. 1857 का िव ोह असफल य रहा?


उ र: 1857 का िव ोह असफल होने का मख ु कारण यह था िक उसके िव ोह के िलए जो ितिथ िनि त क गई थी उसका खल ु ासा समय
से पहले हो गया। इससे अं ेज़ सतक हो गए, इसके अलावे देश के ज़मीनदार , सामतं ी सरदार ने इसम भाग नह िलया। इससे भी यह िव ोह
कमज़ोर पड़ गया।

7. तकनीक प रवतन और िश ा के सार का समाज पर या भाव पड़ा?


उ र: अं ेज के आने से तकनीक और िश ा के े म अभूतपवू प रवतन हआ। समाज म सोई हई चेतना जाग उठी और नई चेतना का
िवकास हआ। अं ेजी पढ़ने वाल का झान पि मी व तुओ ं और पि मी स यता क गितिविधय पर गया तथा लोग म अपने देश क
आजादी के ित लगाव पैदा हो गया।

8. सर सैयद अहमद खाँ ने अलीगढ़ कॉलेज क थापना िकस उ े य से क ?


उ र: सर सैयद अहमद खाँ ने अलीगढ़ कॉलेज क थापना अपने इस उ े य से क िक भारतीय मसु लमान िश ा हण करके अं ेजी सरकार
ारा यो य नौक रयाँ ा कर सक।

9. ितलक और गोखले कै से आदं ोलनकारी थे?


उ र: ितलक और गोखले आ ामक व अव ाकारी िवचाराधारा वाले थे। गरम दल के भावी आंदोलनकारी नेता थे। वे अपना मागं अनुरोध
से नह बि क छीन कर लेना चाहते थे। भारतीय जनमानस का बहत बड़ा भाग उनके समथन म था। सरकार भी उनक गितिविधय से डरती
थी।
दीघ उ रीय
1. भारत म ि िटश सा ा य क थापना के साथ घटने वाली नई घटना या थी?
उ र: भारत म ि िटश सा ा य क थापना से भारतीय के िलए यह नई घटना थी िक पहली बार वे ऐसी शासन स ा म आए िजसका मल ू
भारतीय न था। इससे पवू कई बाहरी जाितय ने भारत पर आ मण, कर शासन स ा सँभाली थी। अिधकांश ने अपना भारतीयकरण िकया
जबिक अं ेज ने भारतीय स यता और सं कृ ित को नह अपनाया। अब तो भारत ऐसे शासक य संचालन म बँध गया िजसक बागडोर
भारतीय धरती पर न होकर लदं न के धरती पर था।

2. 18व शता दी म बंगाल म िकस यि व का उदय हआ?


उ र: 18व शता दी म िजस सबसे भावशाली यि व का उदय हआ, वे थे राजा राममोहन राय। वे एक नए सोच के यि थे। उ ह
भारतीय िवचारधारा और दशन क गहरी जानकारी थी। उ ह अनेक भाषाओ ं का ान था। उ ह ने भारतीय समाज क परु ानी प ित से बाहर
िनकालना चाहते थे। वे एक समाज सधु ारक थे। उ ह के यास के कारण सती था पर रोक लगी।

3. 19व शता दी के मखु सधु ारक का नाम िलिखए।


उ र: 19व शता दी म वामी दयानंद सर वती रामकृ ण परमहसं , िववेकानंद, टैगोर, महा मा गांधी, ऐनी बेसट, सर सै यद अहमद खाँ,
अबुल कलाम आजाद, गोपाल कृ ण गोखले एवं बाल गंगाधर ितलक मु य सधु ारक थे। ये समाज सधु ारक ि िटश शासन के भाव के
चंगलु से बाहर िनकाल कर लोग क िवचारधारा को बदलना चाहा। उनम रा ीयता क भावना भर, धािमक कांड से उ ह िनकालना चाहते
थे।
4. दयानदं सर वती कौन थे? उ ह ने समाज सधु ार के े म या- या काय िकए?
उ र:दयानंद सर वती 19व शता दी के जाने-माने समाज-सधु ारक थे। उ ह ने लोग को संदेश िदया िक ‘वेद क ओर लौटो’ यानी उनका
मानना था िक जीवन म ही जीवन क स यता है। इसका सार पंजाब तथा सयं ु देश के िहदं ू वग म हआ। उ ह ने लड़के -लड़िकय को
बराबरी क िश ा देने का यास िकया। ि य क ि थित म सधु ार और दिलत जाितय का तर ऊँचा उठाने के िलए मह वपूण काय िकए।
5. वामी िववेकानंद क िवशेषताओ ं को िलिखए।
उ र:
वामी िववेकानंद रामकृ ण परम के िश य थे। वे बां ला और अं ेज़ी के बड़े ाता थे। 1893 ई. म उ ह ने अंतरा ीय धम स मेलन म भाग
िलया। उ ह ने वेदांत के अ ैत दशन के एके र बाद का उपदेश िदया। उ ह ने रामकृ ण िमशन क थापना क । वे उदास और पितत समाज के
िलए संजीवनी बनकर आए।

6. ितलक और गोखले के बारे म सिं वणन क िजए।


उ र: एक यो य और तेज वी नेता के प म उभरे महारा के बाल गंगाधर ितलक मराठा के महापु ष के प म थे। गोपाल कृ ण गोखले
कां ेस के बुजगु नेता थे, वे दादा भाई नौरोजी को अपना राजनीितक गु मानते थे।

7 अंितम दौर-दो
किठन श दाथ:
पृ सं या 106.
िवभाजन – बँटवारा, गरमदल – गरम िवचार वाला, नरमदल – नरम िवचार वाला, ितबंध – रोक, दमनदारी – न करने वाला,
आवेश – उ ेजना, िनमम – िनदय, द बू, डरने वाला।
पृ सं या 107.
सव ामी – सबको िनगल लेने वाला, आकाश ीप – आकाश म चमक िबखेरने वाले, सोचनीय – खराब, िचंताजनक, दगु ित – बुरी ि थित,
बल – मज़बूत, खिु फया – जासूस, का रंदा – जम दार के िलए काम करने वाला, लाबादा – ढीलाढाला ऊपरी पोशाक आंिशक अधूरा।
पृ सं या 108.
लोकतांि क – लोग के भु व वाला, हैिसयत – औकात, सि यता – ि याशील होना, िवक प – तरीके , ऊजा – शि , िश – स य,
आ ान – े रत करना।
पृ सं या 109.
बुिनयादी – नीव /आधार, िखताब – पदवी, उपहासा पद – मज़ाक उड़ाने यो य, अभ – अिश , वेशभषू ा – पहनावा, िनि य – काय न
करना, िनवृि माग – मिु के माग को अपनाने वाले, पैठाने – थान देने।
पृ सं या 110.
मतभेद – िवचार एक न होना, धम ाण – धािमक, अंतरतनम – मन क गहराइय से, अवधारणा – िवचार, ढ़ – प का, अिहसं ा – िबना
िहसं ा के अनु प, मिदरा – शराब, एक नशीला पेय।
पृ सं या 111.
लगन – गहरी िच, गौण – तु छ, कम मह वपूण, अलंकार – सजावट का सामान, आकां ा – इ छा, स मोिहत – अपनी ओर आकिषत
कर लेना, तट थ – िकसी िवशेष प का साथ न देनेवाला, भु व – भाव।
पृ सं या 112.
सां दाियक सम या – धम के आधार पर बनाई हई सम या, संर ण – सहारा, बढ़ावा, भािषक – भाषा सबं ंधी।
पृ सं या 113.
वाधीनता – वतं रहने क भावना, एक – एकता, बिनयादी – आधारभतू , अिडग – ढता से अपने मत पर ि थर रहना, भड़काना – उ ता
को बढ़ावा देना, ख लम खु ला – खले प म, सामंती – जम दारी, िवभाजन – बँटवारा, अ वीकार – अमा य, खु लमखु ला – प प
से सबके सामने, एकता क बिल – एकता को तोड़ना।
पृ सं या 114.
ो सािहत – उ सािहत, अतीत – बीता हआ, बहरा ीय – बहत से रा ।
पाठ-सारांश

इस पाठ के मा यम से भारतीय वतं ता सं ाम म भारतीय रा ीय कां ेस के अंितम दो दौर का वणन िकया गया है।

7.1 रा ीयता बनाम सा ा यवाद : म य वग क बेबसी गांधी जी का आगमन


दसू रे िव यु के शु आत होने के समय कां ेस क राजनीित म उतार आया था। इसका मु य कारण कां ेस का दो गुट म बँटना था। िजनम
एक था नरमदल और दसू रा गरम दल। िव यु क समाि के बाद भारत म अं ेज ारा दमनकारी कानून और भारत म माशल ला लागू
हआ। भारतीय जनता का शोषण लगातार बढ़ने लगा। तभी भारतीय राजनीित म गांधी का उदय हआ। वे करोड़ क आबादी से िनकलकर
आए थे। वे जनता क भाषा बोलने वाले और जनता के स चे शुभ िचंतक थे। अतः उ ह ने भारत म करोड़ जनता को भािवत िकया। गांधी
ने पहली बार कां ेस के संगठन म वेश िकया। इस सगं ठन का उ े य था सि यता और तरीका था शािं ति य तरीके से। गांधी ने आते ही
ि िटश शासन क बिु नयाद पर चोट क । उ ह ने लोग से कहा िक अपने अदं र का भय िनकाल दो य िक आम लोगो क यापक
दमनकारी, दमघोटू भय सेना का, पिु लस का, खिु फया िवभाग का, अफसर , जमीनदार , साहकार , बेकारी और भख
ु मरी का भय सताता
रहता था। गांधी जी क ेरणा से लोग ने भयमु होकर काम करना शु िकया। इससे लोग म मनोवै ािनक प रवतन का संचालन हआ। यह
प रवतन असं य लोग को भािवत कर रहा था। उनक इस ेरणा से सभी आम जनता म जाग कता का िव तार हआ।

7.2 गांधी जी के नेतृ व म कां ेस सि य


गाधं ी जी ने पहली बार कां ेस म वेश करते ही उसके सिं वधान म प रवतन ला िदया। उ ह ने कां ेस को लोकतािं क सगं ठन बनाया। इस
संगठन का ल य और आधार था सि यता। इसके प रणाम व प िकसान ने कां ेस म भाग लेना शु िकया। अब कां ेस िवशाल िकसान
संगठन िदखाई देने लगा। गांधी जी का सि यता का आ ान दोहरा था – िवदेशी शासन को चनु ौती देना और इसका मुकाबला करना। अपनी
खदु क सामािजक बरु ाइय के िव लड़ने म भी सि यता थी। गाधं ी जी ने अं ेजी शासन क बुिनयाद पर चोट क । लोग से इसके िवरोध
म मैडल और िखताब वापस करने क अपील क । धनी लोग ने सादगीभरा जीवन यतीत करना अपना िलया। गांधी जी के अनुसार आज़ादी
पाने के िलए आम जनता क भागीदारी आव यक है। वे हर काम को शांितपूण तरीके से सही ढंग से करते थे । उनका मानना था िक भारतीय
सं कृ ित धमिनरपे है। यह सभी धम का सि म ण है। गाधं ी जी सभी क भावनाओ ं का स मान करते थे। वे ायः लोग क इ छा के सामने
झक जाते थे। कभी-कभी अपने िव फै सले वीकार कर लेते थे। सन् 1920 तक कां ेस म शािमल और आम लोग ने गांधी के रा ते को
अपनाकर ि िटश सरकार के िखलाफ सघं ष िकया। पहली बार नए आंदोलन हए, सिवनय अव ा आंदोलन हआ, असहयोग क नीित
अपनाई गई लेिकन यह अिहसं क आदं ोलन था।

7.3 अ पसं यक क सम या-मुि लम लीग-मोह मद अली िज ना


भारत सदैव से धम िनरपे ता का अनसु रण करता रहा और सभी धम को एक समान मा यता दी। यहाँ िकसी धम का िवरोध नह िकया गया।
लेिकन भारत म उस समय राजनीितक मामल म धम का थान सां दाियकता ने ले िलया था। कां ेस इन धािमक सां दाियक मामल का
हल िनकालने के िलए उ सक ु और िचंितत थी। कां ेस क सद य सं या म अिधकाश
ं िहदं ू सद य थे। कां ेस मु यतः दो बुिनयादी पर
अटल रही – रा ीय एकता और लोकतं । 1940 म कां ेस ने घोषणा क िक भारत म ि िटश सरकार क नीित ‘नव जीवन म सघं ष और
फूट को य प से बढ़ावा देती है।’

ऐसे म भारत क बिल देना और लोकतं का याग करना देश के िलए अिहतकर था। अं ेज़ क नीित िहदं ू और मिु लम एकता को कमज़ोर
करना रहा। वे फूट डालो रा य करो क नीित को अपनाते थे। ऐसे म कां ेस ऐसा कोई हल न ढूँढ़ सक िजससे सां दाियक सम या को
सल
ु झाया जा सके ।

अब हर हाल म िहदं ू और मसु लमान म दीवार खड़ी करना चाहता थे। वे िहदं -ू मिु लम के मत-भेद को सां दाियक रंग देने का यास करने
लगा।

मिु लम लीग के नेता िज ना क माँग का आधार एक नया िस ांत था- भारत म दो रा ह- िहदं ू और मसु लमान। अब मिु लम लीग के
अगुवा िज ना ने िहदं ू और मसु लमान के िलए दो अलग रा क घोषणा क । इससे देश म भारत और पािक तान के प म िवभाजन क
अवधारणा िवकिसत हई। इससे दो रा क सम या का हल न हो सका य िक िहदं ू व मसु लमान परू े रा म ही थे।
1. भारत म आज़ादी के िलए िकन दो गुट ने ज म िलया?
(i) उ और नरम (ii) नरम दल और गरम दल
(iii) ती और भेद (iv) मु य और गौण
उ र: (ii) नरम दल और गरम दल

2. गांधी जी क काय पदधित का प या था?


(i) िहसं ा मक (ii) अिहसं ा मक
(iii) िवरोध (iv) बदला
उ र:(ii) अिहसं ा मक

3.भारत के िवभाजन म िकस नेता का योगदान रहा?


(i) िम टर िज ना (ii) अबुल कलाम आजाद
(iii) गांधी (iv) जवाहर लाल नेह
उ र:(i) िम टर िज ना

4. कां ेस िकस िस ांत पर अिडग रही?


(i) रा ीय एकता (ii) लोकतं
(iii) रा ीय एकता और लोकतं (iv) अ य
उ र: (iii) रा ीय एकता और लोकतं

लघु उ रीय
1. थम िव यु के समय राजनीितक ि थित या थी?
उ र: थम िव यु के समय राजनीितक ि थित उतार पर थी।

2. कां ेस म दो दल कौन-कौन से थे?


उ र: कां ेस म दो दल थे (1) गरम दल (2) नरम दल।

3. थम िव यु के बाद देश म लोग क या ि थित थी?


उ र: थम िव यु के बाद देश म आम लोग क ि थित दयनीय थी। िकसान, मजदरू , वग, म यम वग सभी आ ातं थे। उनका बड़े पैमाने
पर शोषण हो रहा था। देश म भख
ु मरी और गरीबी बढ़ती जा रही थी।

4. माशल लॉ या था?
उ र: ‘माशल लॉ’ अं ेज़ी सरकार ारा बनाया गया एक ऐसा कानून था िजसम िकसी भी यि को िकसी भी समय पिु लस व यायालय क
आदेश के बगैर गोली का िनशाना बनाया जा सकता था।

5. गांधी जी ारा अहवान करने पर देश क आम जनता पर या भाव पड़ा?


उ र: गांधी जी ारा आम जनता को अ ान करने पर ‘डरो मत’ िकए जाने पर लोग म ि िटश सरकार का डर समा हो गया। वे अपने काय
खल
ु आ
े म करने लगे। उनम ह सला और साहस क वृि हई और मनोवै ािनक प रवतन िदखाई पड़ने लगा।

6. भारतीय सं कृ ित के बारे म गांधी जी के या िवचार थे?


उ र: गांधी जी ने भारतीय सं कृ ित के बारे म िलिखत प म कहा िक “भारतीय सं कृ ित न िहदं ू है न इ लाम, न परू ी तरह से कुछ और है। यह
सबका िमलाजल ु ा प है। उ ह ने िहदं ू धम को सावभौिमक यानी सबके िलए समान प देना चाहा। स य के घेरे म सबको शािमल करने का
यास िकया।
7. कां ेस िकस यास म असफल रही?
उ र: कां ेस ने बहत यास िकया िक सां दाियक त व को राजनीित म न लाया जाए लेिकन मिु लम लीग ने सहयोग न िकया और रा ीय
एकता कायम रखने म असफल रही।

दीघ उ रीय

1. गांधी जी के सपन का भारत कै सा था?


उ र: गांधी जी ऐसे भारत का िनमाण करना चाहते थे- िजसम गरीब-से-गरीब यि भी यह महससू करे गा िक यह उसका देश है िजसके
िनमाण म उसका योगदान रहा है। एक ऐसा भारत हो िजसम लोग के बीच ऊँच-नीच, अमीर-गरीब का भेद न हो। ऐसा भारत िजसम सभी
जाितयाँ समभाव से रह। ऐसा भारत हो िजसम भेद-भाव से रिहत हो, छुआछूत क जगह न हो, नशीली मिदरा और दवाइय के अिभशाप के
िलए कोई जगह नह हो, िजसम ी-पु ष के समान अिधकार ह , यही गाधं ी जी के सपन का भारत है।

2. थम िव यु का भारत पर या भाव पड़ा?


उ र: थम िव यु क समाि पर देश म राहत और गित क बजाय दमनकारी काननू और पजं ाब म माशल लॉ लागू हआ। जनता म
अपमान क कड़वाहट और ोध फै ल गया और शोषण का बाजार गम था। इससे लोग क आशा िनराशा म बदल गई।

3.गाधं ी जी क काय- णाली या थी?


उ र: गांधी जी क काय णाली अिहसं ा मक थी, उसम िहसं ा के िलए लेशमा क जगह नह थी। उनके काम करने का तरीका पणू तया
शांितपूवक था लेिकन िजस बात को गलत समझा जाता था उसके आगे िसर झक ु ाना भी उ ह ने कबूल नह िकया। उ ह ने लोग को अं ेज
के ारा दी गई पदिवयाँ वापस करने के िलए े रत िकया। सिवनय अव ा आदं ोलन व असहयोग आदं ोलन उ ह क देख-रे ख म भारत म
चले, िज ह ने अं ेज़ी सरकार को उखाड़कर रख दी।

8 तनाव
किठन श दाथ:

पृ सं या 116.
िवशद – बड़ा िव तृत, ितिनिध व – नेतृ व अगवु ाई, अपील – माँग, ाथना, अप रहाय – अित आव यक, िजसे रोका न जा सके ,
समापन – समाि , अंततः – आिखरकार अिहसं क िबना िकसी मारकाट के , समापन – समाि ।

पाठ-सारांश
8.1 भारत म तनाव का बढ़ना
इस पाठ के मा यम से बताया गया है िक िकस कार 1942 ई. म अिखल भारतीय कां ेस के ताव ‘अं ेज भारत छोड़ो’ से तनाव का
वातावरण फै ला।

8.2 चुनौती-‘भारत छोड़ो’ ताव


सात-आठ अग त को अिखल भारतीय कां ेस कमेटी ने खल ु ी सभा म उस ताव पर िवचार िकया जो ‘भारत छोड़ो ताव’ के नाम से
जाना जाता है। इस बड़े ताव म ऐसी अंत रम सरकार बनाने का सझु ाव िदया गया िजसम सभी वग के मह वपूण लोगो का ितिनिध व हो,
िजसका पहला काम िम शि य के बाहरी हमले को रोकना है।

कां ेस कमेटी ने संसार क आज़ादी के िलए संयु रा से अपील क । अपने भाषण म अ य मौलाना अबुल कलाम आजाद और गांधी
जी ने प कर िदया िक ि िटश सरकार के ितिनिध वायसराय से मलु ाकात कर संयु रा के मु य अिधका रय से एक स मानपणू
समझौते के िलए अपील करगे।
कमेटी के कड़े यास व अपील के बाद 8 अग त सन् 1942 को यह ताव पास हो गया। जन आंदोलन के शु आत होते ही अग त क
सबु ह-सबु ह िगर ता रयाँ ारंभ हो गई।ं इसी िगर तारी म जवाहर लाल नेह व अ य नेता अहमदनगर के िकले म बंदी बनाए गए।

1. भारत म राजनैितक तनाव कब सबसे अिधक था?


(i) सन् 1950 म (ii) सन् 1947 म
(iii) सन् 1942 म (iv) सन् 1947 म
उ र: (iii) सन् 1942 म

2. सन् 1942 का समय िकस दौर का था?


(i) थम िव यु का (ii) ि तीय िव यु का
(iii) रा ीयकरण का (iv) भारत-पािक तान के िवभाजन का
उ र: (ii) ि तीय िव यु का

3.भारत छोड़ो आंदोलन क शु आत कब हई थी?


(i) सन् 1942 ई. म (ii) सन् 1940 म
(iii) सन् 1950 ई. म (iv) 1945 ई. म
उ र: (i) सन् 1942 ई. म

लघु उ रीय

1.भारत म तनाव कब बढ़ा?


उ र: भारत म तनाव सन् 1942 ई. से शु के िदन म बढ़ा।

2.तनाव बढ़ने का कारण या था?


उ र: वा तव म यह समय ि तीय िव यु का था और भारत को इस बात का डर था िक कह हवाई हमले न ह और दसू रा तनाव इस बात
का था िक भारत और इं लड के सबं ंध कै से ह गे।

3.‘भारत छोड़ो’ ताव कब और िकसके ारा रखा गया?


उ र: ‘भारत छोड़ो’ ताव ि िटश सरकार के िव था िजसम आम जनता ने भी यह अपील क िक अब अं ेज़ को भारत छोड़ देना
चािहए।

4. कां ेस कमेटी ने अपनी अपील िकसके सम क ?


उ र: कां ेस कमेटी ने अपनी अपील ि टेन और सयं ु रा सघं के सम क ।

25 ‘भारत छोडो’ ताव कब रखा गया और इसका या प रणाम िनकला ?


उ र - ‘भारत छोडो’ ताव 7 और 8 अग त सन् 1942 को ‘अिखल भारतीय कां ेस कमेटी’ ारा रखा गया | यह ताव ि िटश सरकार
के िव था िजसमे लोगो से अपील क गई िक अब अं ेजो को भारत छोड़ देना चािहए | जैसे ही जनता ने दशन िकया वैसे ही सरकार ने
िगर ता रयाँ भी ारंभ कर दी | पंिडत जवाहर लाल नेह को भी िगर तार कर िलया गया और अहमदनगर िकले म रख िदया गया |
9 दो पृ भूिमयाँ – भारतीय और अं ेज़ी
किठन श दाथ:
पृ सं या 117.
अक मात – अचानक, िहसं ा मक – िहसं क प, हिथयारबंद – हिथयार से लैस, ु – गु से म, अनुसरण – मानना, जन आंदोलन – जनता
का आंदोलन, आम जनता रा िकसी िवचार को उठाना।
पृ सं या 118.
गदर – िव ोह, िनह था – िबना हिथयार का, वं – यु , ता कािलक – उसी समय, अितरंिजत – अ यिधक रंगा हआ, बहत बढ़ा,
फले-फूले – उ नित िकए, चढ़ाकर कहा जाए, चरम – सव च, मृित – याद।
पृ सं या 119.
िवनाशकारी – न होने वाला, झीने – पतले पारदश , आवरण – ढकना, उघाड़ – उभारना, बदहाली – बुरे हाल क , बदसरू त – जो संदु र न
हो, तबके – पद, िवलािसता – आरामपर त, उ लास – खश ु ी, दगु ित – बरु ी दशा, कचरा – कूड़ा।
पृ सं या 120.
अकाल – भख ु मरी, कायाक प – प बदलना, मृित – याद, िवल ण – अ ु त, वतमान – जो समय चल रहा हो, समपण – अपने आप को
स प देना, मागदशक – रा ता िदखाने वाला।
पाठ-सारांश
9.1 सन् 1942 का िव ोह
भारत सन् 1942 के िव ोह म जो कुछ हआ वह अचानक नह था। लोग ने अपने मन म िनि त कर िलया था िक अब अं ेज़ को देश से
बाहर करके छोड़गे। अं ेजी हकुमत को िकसी हालत म नह रहने दगे।
सन् 1942 म ‘भारत छोड़ो’ ताव पा रत होते ही जगह-जगह भारतीय नेताओ ं ने िगर ता रयाँ देनी शु कर दी। इस काल म जनता अं ेज़
के अ याचार से त हो चक ु थी िजसके कारण वह भड़क उठी। उसने िहसं क प अपना िलया था। ि िटश के ारा िगर ता रयाँ तथा
गोलीबारी क घटना से भारतीय जनता और उ हो गई। कई थानीय नेता उभर कर आए। आम लोग ने उनका अनुसरण िकया। इस
आदं ोलन म छा ने िहसं क और शािं तपवू क कायवािहय म मह वपणू भिू मका िनभाई।
9.2 यापक उथल-पुथल और उसका दमन
सन् 1857 क ांित के बाद अं ेजी सरकार के िव यह पहली चनु ौती थी। यह िव ोह सुसंगिठत व सोचा समझा िव ोह न थ। जबिक
दसू री ओर हिथयार बदं सैिनक शि थी। इस िव ोह का प रणाम यह रहा िक भारतीय जनता के िदल म रा ेम और िवदेशी शासन के
िव नफ़रत क भावना का उदय हआ।
1942 के िव ोह म पिु लस और सेना क गोलाबारी से मारे गए और घायल क सं या सरकारी आँकड़ के अनुसार 1208 मरे और 3200
लोग घायल हए। आम लोग क मृतक क सं या 2500 थी। लेिकन इसम अनमु ानतः 10,000 से अिधक लोग क मरने क बात सही
तीत होती है।
इस िव ोह के बाद कई जगह पर शहरी और ामीण े म अं ेजी हकूमत समा हो चक ु थी। यह मु य प से िबहार, बंगाल के िमदनापरु
िजले म और सयं ु ातं के दि ण-पवू िजले म देखने को िमला। िजसे पनु : थािपत करने म उसे ह त लग गए। सयं ु ातं बिलया िजले को
अं ेज़ को दबु ारा जीतना पड़ा।

9.3 भारत क बीमारी – अकाल


भारत कई प से डाँवाडोल था। अं ेजी शासन म यहाँ क जनता बहत ही दीन-हीन थी। इन परे शािनय के बीच अकाल ने उसक कमर ही
तोड़कर रख दी। इस अकाल का भाव बंगाल और दि णी भारत पर पड़ा। िपछले 170 वष म यह सबसे बड़ा और िवनाशकारी था। इनक
तल
ु ना 1766 ई. से 1870 के म य बगं ाल और िबहार के उन भयक ं र आकाल से क जा सकती है जो अं ेज़ी शासन क थापना के
शु आती प रणाम थे। इसके बाद महामारी फै ली, िवशेषकर हैजा और मले रया।
हज़ार क सं या म लोग इसके िशकार हए। कोलकता क सड़क पर लाश िबछी थ । अमीर वग के लोग म िवलािसता िदखाई पड़ रही थी।
भारत क जनता भख ु मरी के कगार पर था।

भारत क इस ददु शा को देखकर िव ान भारत के भिव य को लेकर सोचते थे िक अं ेज के जाने के बाद भारत का व प कै सा होगा य िक
भारत क दगु ित का कोई अतं उ ह िदखाई नह दे रहा था।
9.4 भारत क सजीव साम य
अकाल और यु के बाद कृ ित अपना कायाक प करती है। इस संबंध म नेह जी का कहना है िक अकाल और यु के बाद कृ ित अपना
कायाक प कर लेती है। यानी उनम प रवतन आता है। उदाहरण के तौर पर िजस बंजर यु भिू म म कल लड़ाई हई थी आज उसम फल और
हरे -भरे घास िदखाई पड़ते ह। मनु य के पास मृित का िवल ण गुण होता है। वह कहािनय और याद के सहारे अतीत म िवचरण करता है।
इसी गुण के आधार पर वह अपना भीषणतम समय भल ू कर आगे बढ़ता जाता है। आज, जो बीते हए कल क संतान है, खदु अपनी जगह
संतान, आने वाली कल को दे जाता है। कमज़ोर आ मा वाले समपण कर देते ह और वे हटा िदए जाते ह। बाक बचे बहादरु लोग देश का
नेतृ व करते ह। आने वाले िह मत के साथ जीवन पथ पर आगे क ओर बढ़ते ह।

1. जनता अब सरकार के िव कै सा दशन कर रही थी?


(i) शांितपूण (ii) िहसं ा मक
(iii) शािं तपणू व िहसं ा मक दोन (iv) इनम से कोई नह
उ र: (iii) शांितपूण व िहसं ा मक दोन

2. इस िव ोह म पिु लस और सेना क गोलाबारी से मारे गए लोग क सं या लगभग िकतनी थी?


(i) 820 (ii) 1120
(ii) 1020 (iv) 1028
उ र:(ii) 1120

3. भारत म भयंकर अकाल कब पड़ा?


(i) 1942 म (ii) 1943 म
(iii) 1944 म (iv) 1945 म
उ र: (iii) 1944 म

लघु उ रीय
1.1942 म नेताओ ं क िगर तारी का जनता पर या भाव पड़ा?
उ र: 1942 म रा वादी नेताओ ं क िगर तारी और गोलीबारी से देश क जनता त होकर भड़क गई। तब उ ह ने ि िटश सरकार के
िखलाफ िहसं क और शांितपणू आंदोलन िकया। उ ह ने तोड़-फोड़ करना भी शु िकया।

2. सन् 1942 म हए जन-आदं ोलन क या िवशेषता थी?


उ र: सन् 1857 के बाद 1942 का िव ोह सबसे पहला बड़ा िव ोह था। इस आंदोलन क िवशेषता थी िक इसम यवु ा पीढी ने बढ़-चढ़कर
भाग िलया। इसम देश के सभी लोग ने अं ेजी सरकार के ित अपना आ ोश कट िकया। इसिलए यह आंदोलन िहसं ा मक व शािं तपणू
दोन था।

3. ि िटश शासन काल के दौरान भारत म कहाँ-कहाँ अकाल पड़ा?


उ र: ि िटश शासन-काल के दौरा भारत म बगं ाल और पवू तथा दि णी रा य म अकाल पड़ा।

4. अकाल क त वीर को देखकर भारतीय िव ान का या मत है?


उ र: भारत क त वीर तुत करते हए भारतीय िव ान का कहना है िक िजस कार अकाल और यु के बाद भी कृ ित अपना व प
अव य बदलती है, उदाहरण के तौर पर यु के मैदान को भी फूल और हरी घास ढक लेती है, उसी कार भारत ने िकतने ही अ याचार का
सामना भले ही िकया हो लेिकन िफर भी उसक आने वाली सश पीिढ़य ने उसके व प को डूबने न िदया, उसने अपना वजदू कभी
समा नह िकया। देश के िलए साहसी लोग सदैव मशाल लेकर यहाँ का नेतृ व करते हए आगे बढ़ते रहे और आने वाले पीिढ़य के िलए
मागदशन का काम करते रहे।
दीघ उ रीय
1. इस दशन को मख ू तापणू दशन य कहा गया?
उ र: यह दशन मख ू तापणू इसिलए कहा गया य िक यह योजनाब तरीके से दशन नह िकया गया था। एक तरफ करोड़ जनता थी
जबिक दसू री तरफ हिथयार बंद सैिनक का हार। यिद आंदोलन सोच समझकर िकया जाता तो इसके नतीजे बहत अ छे हो सकते थे।

2. 1942 के जन आंदोलन का अं ेज़ी सरकार पर या भाव पड़ा?


उ र: 1942 के जन आंदोलन के प रणाम व प जनता ने अं ेज़ी सरकार के िवरोध, घृणा, आ ोश और देश के ित रा ेम क भावना
का िवकास हआ। इस दशन के प रणाम व प अनेक शहरी और ामीण े पर अं ेज का अिधकार समा हो गया। अब इन पर पनु ः
अिधकार करने म अं ेज को ह त लग गए। इनम िबहार, बंगाल का िमिदनापरु िजला तथा सयं ु ांत (य.ू पी.) का बिलया िजला था, िजसे
दोबारा अं ेज को इस पर अपना अिधकार जमाना पड़ा।

उपसंहार
किठन श दाथ:
पृ सं या 121.
क पना – सोचना, चे ा कोिशश, पंजु – गु छा, अ य – जो िदखाई दे, अपराजेय – िजसे जीता न जा सके , अनु प – अनुसार, सराबोर –
भरा हआ, जाग क – सचेत।
पृ सं या 122.
स मोहन – आकिषत करना, य – हािन, बुिनयाद – न व, बंदरगाह – जहाँ समु ी जहाज़ खड़े ह , कंु िठत – कम, गित – उ नित,
आ मसात – अपनाना, सामिू हक – िमलकर।
पाठ-सारांश
इस पाठ के मा यम से लेखक ने भारत क खोज का िन कष बताया है।
भारत क खोज के बारे म लेखक का कहना है िक- भारत के पद को उठाकर उसने झाँकने का यास िकया था। यह क पना करना िक भारत
वतमान प म या है और उसका इितहास या रहा होगा, यह मेरी अिधकार से बाहर क चे ा है। इसक िविभ नता म सां कृ ितक एकता है।
यह िव का एक ऐसा पजुं है जो मज़बतू और अ य सू से बँधा है। बार-बार आ मण के बावजदू उसक आ मा कभी जीती नह जा
सकती। यह आज भी अपरािजत है।

ऐसा तीत हो रहा है िक भारत का परु ाना जादू अब समा हो रहा है। वह वतमान के ित जाग क हो रहा है। समयानसु ार यह प रवतन
ज़ री भी था, इसके बाद भी उसम जनता को वश म करने का तरक ब मालमू रहेगा। हम अतीत और सदु रू क खोज म देश के बाहर नह
जाना है। हमारे पास भारत के अतीत बहतायत ह। हम अपने सं कृ ित और परंपराओ ं पर गव है। हम कमजो रय और असफलताओ ं को कभी
नह भलू ना चािहए। हमारे पास समय कम है और दिु नया तेज़ गित से बढ़ती जा रही है। अतीत म भारत दसू री सं कृ ितय का वागत कर उ ह
अपने म समा लेता था। आज इस बात क और भी अिधक ज़ रत है।

हम िकसी मामलू ी देश के नाग रक नह ह। हम अपने रा पर, अपने देशवािसय पर, अपनी सं कृ ित और परंपराओ ं पर गव है। यह गव ऐसे
रोमांचक अतीत के िलए नह होना चािहए। हम अभी बहत लंबा रा ता तय करना है। हम आ मिनभर होकर दसू र का सहयोग करगे तभी हम
स चे भारतीय, अ छे अंतरा ीयतावादी तथा िव नाग रक ह गे।

1.भारत ने अपने व प को िकस तरह बचाए रखा है? प क िजए।


उ र: 1943 का भीषण अकाल और उससे उ प न महामारी तथा भुखमरी म भारत ने अपना व प उसी कार बनाए तथा बचाए रखा है
जैस-े कृ ित ने भिव य के यु थल को आज फूल और हरी घास से ढक िलया है।

2.भारत क या िवशेषताएँ ह?
उ र: भारत क िवशेषताएँ ह- िविभ नता म एकता। बार-बार के आ मण के बावजदू इसक आ मा को नह जीता जा सका। यह अपराजेय
है। बदलते समय के साथ यह ढल जाता है।
दीघ उ रीय
1.हम कै सी दिु नया क ओर बढ़ रहे ह ?
उ र:हम एक ऐसी दिु नया क ओर बढ़ रहे ह। जहाँ रा ीय सं कृ ितयाँ मानव जाित क अंतरा ीय सं कृ ित घल
ु िमल जाएगी। हम समझदारी
और सहयोग से काम लेना है। हम िव का नाग रक बनना है।

2.हम भारतवािसय क या िवशेषताएँ ह?


उ र: हम भारतवासी िकसी साधारण देश के नाग रक नह ह। हम अपनी, ज मभिू म, अपने देशवािसय अपनी सं कृ ित और अपनी परंपराओ ं
पर गव है।

भारत क खोज
-अ यास
(पाठ्यपु तक से)
1. ‘आिखर यह भारत है या? अतीत म यह िकस िवशेषता का ितिनिध व करता था? उसने अपनी ाचीन शि को कै से खो िदया?
या उसने इस शि को परू ी तरह खो िदया है? िवशाल जनसं या का बसेरा होने के अलावा या आज उसके पास ऐसा कुछ बचा है िजसे
जानदार कहा जा सके ?’ ये अ याय दो के शु आती िह से से िलए गए हअब तक आप पूरी पु तक पढ़ चक ु े ह गेआपके िवचार से इन
के या उ र हो सकते ह? जो कुछ आपने पढ़ा है उसके आधार पर और अपने अनुभव के आधार पर बताइए
उ र : भारत म िवशाल जनसं या का बसेरा होने के अलावा अभी बहत कुछ ऐसा बेचा है, िजसे जानदार कहा जा सकता हैभारत िव के
ाचीनतम देश म से एक हैइसक स यता एवं सं कृ ित ाचीन एवं समृि शाली हैिव क महान स यताओ ं के न होने के बाद भी यह
अपना अि त व बचाए हए हैअनेक हमलावर ने इसे न करने का यास िकया पर वे इससे भािवत होकर यह के होकर रह गएआज भी
भारत क गणना िव के िवकासशील देश म क जाती है

2. आपके अनसु ार भारत यरू ोप क तल ु ना म तकनीक िवकास क दौड़ म य िपछड़ गया था?
उ र : मेरे िवचार से िजस समय यरू ोप म तकनीक िवकास हो रहा था तथा इं लड म औ ोिगक ांित का आरंभ हो चुका था, उस समय
भारत पर िनरंतर हमले हो रहे थेहमल के कारण भारत का यान अपना अि त व बचाने, यहाँ के लोग क सरु ा म लगा थासंसाधन होने के
बाद भी उसका यान खोज तथा आिव कार से दरू रहा और वह यरू ोप क तल ु ना म िपछड़ गया

3. नेह जी ने कहा िक-”मेरे याल से, हम सब के मन म अपनी मातृभिू म क अलग-अलग तसवीर ह और कोई दो आदमी िबलकुल
एक जैसा नह सोच सकते।’ अब आप बताइए िक
आपके मन म अपनी मातृभिू म क कै सी तसवीर है?
अपने सािथय से चचा करके पता करो िक उनक मातृभिू म क तसवीर कै सी है और आपक और उनक तसवीर (मातृभिू म क छिव) म या
समानताएँ एवं िभ नताएँ ह?
उ र : हमारे दय म अपनी पावन मातृभूिम क स मानजनक, पालन-पोषण करने वाली, िवपि म धैय का सबक िसखाने वाली तथा
ममतामयी तसवीर है
हमारे सािथय के मन म भी अपनी मातृभिू म के ित बहत ही गहरा लगाव हैवे इसक सेवा तथा र ा के िलए अपना तन-मन-धन अिपत करने
को त पर हकुछ साथी ऐसे भी ह जो अवसर िमलने पर िवदेश म जाकर बसना चाहते ह य िक उ ह पि मी रहन-सहन और वहाँ के तौर-
तरीके पसंद ह

4. जवाहरलाल नेह ने कहा, “यह बात िदलच प है िक भारत अपनी कहानी क इस भोर-बेला म ही हम एक न ह ब चे क तरह नह ,
बि क अनेक प म िवकिसत सयाने प म िदखाई पड़ता है।” उ ह ने भारत के िवषय म ऐसा य और िकस सदं भ म कहा है?
उ र : नेह जी ने भारत के िवषय म ऐसा इसिलए कहा य िक भारतीय स यता एवं सं कृ ित िपछले पाँच-दस वष क नह हैयह अ यतं
ाचीन तथा िव िस है ाचीनकाल म यह िश ा का क थाभारत पहले से ही गिणत, खगोलशा , योितष, औषिधिव ान, मिू तकला
तथा अनेक िश पकलाओ ं म िवकिसत हो चक ु ा था
5. िसधं ु घाटी स यता के अंत के बारे म अनेक िव ान के कई मत हआपके अनसु ार इस स यता का अतं कै से हआ होगा, तक सिहत
िलिखए
उ र : िसंधु घाटी क स यता के अंत के बारे म मेरे दो िवचार ह
िसंधु नदी जो अपने बाढ़ के िलए िस थीहो सकता है िक इस नदी म भयंकर बाढ़ आयी हो और िसंधु घाटी को भी अपनी चपेट म लेकर
सब कुछ न कर िदया हो
िसंधु घाटी क स यता म हिथयार नह िमलने से पता चलता है िक यह स यता शांिति य थीशायद इस स यता का अंत बाहरी आ मण से
हो गया होगा
6. उपिनषद म बार-बार कहा गया है िक- “शरीर व थ हो, मन व छ हो और तन-मन दोन अनुशासन म रहआप अपने दैिनक ि या-
कलाप म इसे िकतना लागू कर पाते ह? िलिखए
उ र : म अपने दैिनक ि या-कलाप म भी अनुशासन का पालन करने क कोिशश करता हँइसके अलावा तन तथा मन व थ रखने के िलए
ात: ज दी उठना, यायाम करना, योग क ाओ ं म जाना, िनयिमत प से यायामशाला (िजम) जाना आिद करता हँइसके अलावा अपना
काम समय पर करने का यास करता हँ।

7. नेह जी ने कहा िक-“इितहास क उपे ा के प रणाम अ छे नह हए।” आपके अनसु ार इितहास लेखन म या- या शािमल िकया
जाना चािहए? एक सचू ी बनाइए और उस पर क ा म अपने सािथय और अ यापक से चचा क िजए
उ र : अतीत वह आईना होता है, िजसके ारा हम उसके अ छे -बुरे का ान ा करते ह तािक हम गलितय से बच सकइससे हम अपना
भिव य सँवार सकते हमेरे िवचार से इितहास लेखन म अिभलेख , िशलालेख , खडं हर के अवशेष, त कालीन सािह य (यिद उपल ध हो),
िवदेशी याि य के या ा िववरण, िस के आिद क जानकारी को आधार बनाना चािहएइसके अलावा उस समय क सामािजक, धािमक और
आिथक ि थितय का यान रखना चािहए

8. “हम आरंभ म ही एक ऐसी स यता और सं कृ ित क शु आत िदखाई पड़ती है जो तमाम प रवतन के बावजदू आज भी बनी हई है।”
आज क भारतीय सं कृ ित क ऐसी कौन-कौन सी बात/चीज ह जो हजार साल पहले से चली आ रही ह? आपस म चचा करके पता
लगाइए
उ र : भारतीय सं कृ ित म हजार साल से चली आने वाली अनेक चीज/बात हजैस-े स य, अिहंसा, परोपकार एवं याग क भावना,
आि तकता, अितिथ स कार क भावना, गु जन का आदर, ज मभिू म से यार, अनेकता म िछपी एकता, अनेक परु ानी मा यताएँ तथा रीित-
रवाज आिद

9. आपने िपछले साल (सातव क ा म) बाल महाभारत कथा पढ़ीभारत क खोज म भी महाभारत के सार को सू ब करने का यास
िकया गया है दसू र के साथ ऐसा आचरण नह करो जो तु ह खदु अपने िलए वीकाय न हो।” आप अपने सािथय से कै से यवहार क
अपे ा करते ह और वयं उनके ित कै सा यवहार करते ह? चचा क िजए
उ र : म अपने सािथय से अपे ा करता हँ िक वे मेरे साथ अ छा यवहार करवेहमेशा ेम, िम ता तथा स ाव रखवे अपने यवहार म
वाथपरता न लाएँआव यकता या मसु ीबत के समय एक दसू रे क खल ु कर मदद करम भी अपने सािथय के साथ वह यवहार नह करता जो
मझु े अपने साथ पसदं नह म कोिशश करता हँ िक अपने यवहार से सािथय का िदल न दखु ाऊँ।

10. ाचीन काल से लेकर आज तक राजा या सरकार ारा जमीन और उ पादन पर ‘कर’ लगाया जाता रहा हैआजकल हम िकन-िकन
व तुओ ं और सेवाओ ं पर कर देते ह, सचू ी बनाइए।
उ र : आजकल हम िन निलिखत व तुओ ं और सेवाओ ं पर कर देते ह-आय पर आयकर, उ पादन पर उ पादशु क, व तुओ ं क िब पर
िब कर, आयात िनयात पर कर, सीमाशु क, गृह कर, वैट आिद

11. ाचीन समय म िवदेश म भारतीय सं कृ ित के भाव के दो उदाहरण बताइए


वतमान समय म िवदेश म भारतीय सं कृ ित के कौन-कौन से भाव देखे जा सकते ह? अपने सािथय के साथ िमलकर एक सचू ी
बनाइए(सक
ं े त-खान-पान, पहनावा, िफ म, िहदं ी, कं यटू र, टेलीमाकिटगं )
उ र : ाचीन समय म िवदेश म भारतीय सं कृ ित का भाव पड़ािवदेशी याि य तथा यहाँ से वापस गए हमलावर ारा िहदं ू धम, बौ धम
को चार, ान, िव ान, यहाँ क खाने-पीने क अनेक व तुओ ं का वहाँ िमलना, वहाँ भारतीय व का चलन आिद से भारतीय सं कृ ित का
भाव पड़ा |
वतमान समय म योग, वेदांत, धम दशन, धािमक सहनशीलता, लिलतकलाएँ, भारतीय प रधान, कं यटू र, खान-पान आिद े म भारत ने
िवदेश पर असर छोड़ा है |

12. पृ सं या 34 पर कहा गया है िक जातक म सौदागर क समु ी या ाओ ं यातायात के हवाले भरे हए हिव /भारत के मानिच म
उन थान /रा त को खोिजए िजनक चचा इस पृ पर क गई है
उ र : भारत का यापार दि ण पवू एिशया अथात् इडं ोनेिशया, जावा, बाली, समु ा ा, चीन, पि म म िम से रोम तक फै ला थाउ र म
अफगािन तान तथा ईरान जैसे देश से भी भारतीय के सबं ंध थेनोट-छा वयं िव के मानिच पर इस थान को खोज

13. कौिट य के अथशा म अनेक िवषय क चचा है, जैस,े “ यापार और वािण य, कानून और यायालय, नगर- यव था, सामािजक
रीित- रवाज, िववाह और तलाक, ि य के अिधकार, कर और लगान, कृ िष, खान और कारखान को चलाना, द तकारी, मंिडयाँ,
बागवानी, उ ोग-धधं े, िसचं ाई और जलमाग, जहाज और जहाजरानी, िनगम जनगणना, म य-उ ोग, कसाईखाने, पासपोट और जेल-सब
शािमल हइसम िवधवा िववाह को मा यता दी गई है और िवशेष प रि थितय म तलाक को भी।”वतमान म इन िवषय क या ि थित है?
अपनी पसंद के िक ह दो-तीन िवषय पर िलिखए।
उ र : वतमान म इन िवषय क ि थित म पया सधु ार हआ हैकुछ क ि थित तो िब कुल ही बदल गई हैइनम से कुछ िवषय क ि थित इस
कार है-
सामािजक रीित- रवाज – भारत िविभ न जाितय , धम , सं दाय , मत को मानने वाल का पंजु हैयहाँ लोग म भाषा, धम, ांत, खान-
पान, पहनावा आिद सबं धं ी िविवधता िदखाई पड़ती है परंतु वे एकता क अ य डोर से बँधे ह और अतं तः भारतीय हयहाँ ामीण समाज म
आज भी अनेक कुरीितयाँ-परदा- था, बाल-िववाह, िढ़वािदता, धािमक अंधिव ास, वथ, भाई-भतीजावाद, ाचार आिद प प से
िदखाई देती ह
कृिष – कृ िष धान देश क ामीण जनता के जीवनयापन का मख ु साधन कृ िष हैकृिष क दशा म बहत सधु ार हआ हैउ नतशील बीज,
खाद, कृ िष यं , िसंचाई के साधन के िवकास से कृ िष क ित हे टेयर उपज बढ़ी है ामीण े म कुछ ऐसे भी गरीब िकसान ह िजनक
दशा दयनीय है इसके अलावा बढ़ती जनसं या के कारण कृ िष क उपज हर वष कम पड़ती जाती है
ि य के अिधकार – ि य क दशा म आजादी के बाद बहत सधु ार हआ हैउनम िश ा का चार- सार होने से आ मिव ास म वृि तथा
आिथक समृि व वतं ता बढ़ी है परदा- था, बाल िववाह आिद म कमी आई हैरोजगार तथा नौक रय म वे पु ष के साथ कंधे से कंधा
िमलाकर चल रही ह

14. आजादी से पहले िकसान क सम याएँ िन निलिखत थ -गरीबी, कज, िनिहत वाथ, जम दार, महाजन, भारी लगान और कर,
पिु लस के अ याचार…’ आपके िवचार से आजकल िकसान क सम याएँ कौन-कौन सी ह?
उ र :भारतीय िकसान क जोत का िदन ितिदन छोटा होता जाना, खाद, उ नत बीज का समय पर न िमल पाना, कृ िष के उपकरण का
महँगा होना, उपज का भरपूर मू य न िमल पाना, ाकृ ितक आपदाएँ-बाढ़, सख
ू ा आिद के कारण फसल न होना आिद मख ु सम या हैकृिष
से पया आय न होने के कारण उनम गरीबी, ऋण तता आिद सम याएँ भी हसरकारी सहायता का समय पर उन तक न पहँच पाना या
उनको परू ी मा ा म न िमल पाना उनक गरीबी को बढ़ाता है
15. सावजिनक काम राजा क मज के मोहताज नह होते, उसे खुद हमेशा इनके िलए तैयार रहना चािहए।” ऐसे कौन-कौन से
सावजिनक काय हिज ह आप िबना िकसी िहचिकचाहट के करने को तैयार हो जाते ह?
उ र :बहत से ऐसे सावजिनक काय ह जो हम िबना िकसी िहचिकचाहट के करने को तैयार हो जाते हउनम से कुछ िन निलिखत ह
अपनी कॉलोनी या आसपास क सरु ा का यान रखना।
शाम के समय आसपास के गरीब ब च को िन:शु क पढ़ाना
आस-पास खाली पड़ी जमीन म वृ ारोपण करना
गरीब ब च के िलए िकताब-कािपयाँ आिद का िवतरण करना
अपने आसपास क सफाई का याल रखना
उ ान , पाक को न होने के बचाने का यास तथा सरकारी संपि क देख-रे ख करना
16. महान स ाट अशोक ने घोषणा क िक वह जा के काय और िहत के िलए ‘हर थान पर और हर समय हमेशा उपल ध हहमारे
समय के शासक/ लोक-सेवक इस कसौटी पर िकतना खरा उतरते ह? तक सिहत िलिखए
उ र : भारत जैसे लोकतांि क देश म यह बड़े दखु क बात है िक हमारे लोक सेवक अथात नेताओ ं क करनी-कथनी म कोई समानता नह
हैवे चनु ाव के िदन म आम जनता के क याण के िलए लंबी-चौड़ी घोषणाएँ तथा वायदे करते ह, पर एक बार जीत जाने के बाद वे िविश
बन जाते ह तथा अपने िकए वायद को भल ू कर भी परू ा करने नह आतेदबु ारा चनु ाव आने पर ही वे जनता के बीच आते ह और चनु ाव जीतने
के बाद अपनी ि थित सधु ारने के िलए धनलोलपु ता, ाचार, र तखोरी आिद म आकंठ डूब जाते ह

17. ‘औरत के परदे म अलग-थलग रहने से सामािजक जीवन के िवकास म कावट आईकै से?
उ र : औरत के पद म रहने से यानी अलग-थलग रहने से सामािजक जीवन के िवकास म बाधा उ प न हईउ ह िश ा से वंिचत रहना पड़ावे
जीवन म कोई भी िनणय लेने के िलए वतं न थ वे हर काम के िलए पु ष पर आि त थ पदा- था के कारण उनका वा य भािवत
हआइससे सामािजक सहभािगता म भी कमी आई पु ष के अिधकार तथा वच व बढ़ते गएइससे समाज के िवकास म कावट आई

18. म यकाल के इन संत रचनाकार क अनेक रचनाएँ अब तक आप पढ़ चक ु े ह गेइन रचनाकार क एक-एक रचना अपनी पसंद से
िलिखए ( अमीर खसु रो,कबीर,गु नानक,रहीम )
उ र : म यकाल के इन सतं रचनाकार ने अपनी रचनाओ ं ारा सामािजक चेतना फै लाने तथा कुरीितयाँ दरू करने का यास िकया हैइनक
रचनाओ ं से समाज म नई ऊजा का संचार हआ हैइन रचनाकार क एक-एक रचना िन निलिखत है

1. अमीर खसु रो – अपनी पहेिलय और मक


ु रय के िलए आज भी िस ह
रचना –
वह आवे तो शादी होय
उस िबन दजू ा और न कोय,
मीठे लागे उसके बोल,
य सखी साजन?
न सखी ढोल।

2. कबीर – कबीर उ चकोिट के समाज सधु ारक थे, िज ह ने समाज म या त कालीन कुरीितय पर जमकर हार िकया
रचना –
मोको कहाँ ढूढ़े बंद,े म तो तेरे पास म।
ना म देवल ना म मि जद, ना काबे कै लास म
ना तो कौने ि याकम म, नाह योग बैराग म।
खोजी होय तो तुरतै िमिलह , पल भर क तलास म।
कह कबीर सनु भई साधो, सब वाँस क वाँस म।

3. गु नानक
रचना –
चा र नदी अगनी असराला
कोई गु मिु ख बुझे सबिद िनराला।
साकत दरु मित डूबिहं दाझिह।ं
गु र राखे ह र िलव राता है।

4. रहीम
रचना –
रिहमन यिह संसार म सबसे िमिलयो धाइ।
ना जाने के िह भेस म नारायण िमिल जाई॥
19. बात को कहने के तीन मख
ु तरीके अब तक आप जान चक ु े ह गे
( अिभधा, ल णा, यंजना )
बताइए, नेह जी का िन निलिखत वा य इन तीन म से िकसका उदाहरण है? यह भी बताइए िक आपको ऐसा य लगता है? “यिद ि टेन
ने भारत म यह बहत भारी बोझ नह उठाया होता (जैसा िक उ ह ने हम बताया है) और लंबे समय तक हम वरा य करने क वह किठन
कला नह िसखाई होती, िजससे हम इतने अनजान थे, तो भारत न के वल अिधक वतं और अिधक समृ होता…. बि क उसने कह
अिधक गित क होती।”
उ र : उपयु वा य जो नेह जी ारा कहे गए ह, उनम यंजना हैअं ेज ने वा तव म हमारा बोझ उठाया नह बि क और भी थोपा था,
िजससे मु होने म हम बहत लंबा समय लगाना पड़ा

20. “नई ताकत ने िसर उठाया और वे हम ामीण जनता क ओर ले गईपहली बार एक नया और दसू रे ढंग का भारत उन यवु ा
बिु जीिवय के सामने आया…” आपके िवचार से आजादी क लड़ाई के बारे म कही गई ये बात िकस नई ताकत’ क ओर इशारा कर रही
ह? वह कौन यि था और उसने ऐसा या िकया िजसने ामीण जनता को भी आजादी क लड़ाई का िसपाही बना िदया?
उ र : इस वा य म ‘नई ताकत’ म यम वग म आई राजनीितक चेतना क ओर सक ं े त कर रही हैपं. जवाहरलाल नेह ही वह यि थे,
िज ह ने म यम वग म नई ऊजा का सचं ार िकयाउ ह उनके अिधकार तथा कत य के ित सजग िकयाइससे म यम वग म राजनीितक चेतना
जाग उठी और यह वग भारत क आजादी के िलए सजग हो उठाइससे यह वग एकजटु होकर आजादी क लड़ाई का िसपाही बन गया

21. भारत माता क जय’-आपके िवचार से इस नारे म िकसक जय क बात कही जाती है? अपने उ र का कारण भी बताइए
उ र : भारत माता क जय’ नारे म भारत क पावन भूिम, निदयाँ, पहाड़, वन,
झरने, पश-ु प ी तथा यहाँ रहने वाले सभी मनु य के जय क बात कही गई हैकारण यह है िक इ ह सबको िमलाकर भारत माता क तसवीर
परू ी होती है | यह भारत माता िकसी थान िवशेष क भिू म का नाम नह है

22. भारत पर ाचीन काल से ही अनेक िवदेशी आ मण होते रहेउनक सचू ी बनाइएसमय म म बनाएँ तो और भी अ छा रहेगा
आपके िवचार से भारत म अं ेजी रा य क थापना इससे पहले के आ मण से िकस तरह अलग है?
उ र : भारत पर होने वाले आ मण को िन निलिखत प म सूचीब िकया जा सकता है
आय का आ मण
तक
ु शासक का आ मण
अफगािनय का आ मण
मंगोल का आ मण
मगु ल का आ मण
अं ेज (ि िटश) का आ मण
भारत म अं ेजी शासन क थापना से पवू िजन िवदेशी जाितय ने आ मण िकया, वे हमलावर के प म आए तथा उ ह ने यहाँ क अपार
धन सपं दा को लटू ाजन-धन, मंिदर आिद क अपरू णीय ित पहँचाई और वापस चले गएउनम कुछ यह बसकर यह के हो गएअं ेज भारत
म यापारी बनकर आएभारतीय को यापार के बहाने लटू कर यहाँ क स ा पर क जा िकया और भारतवासी अपने ही देश म गुलाम बनकर
रह गए
23. अं ेजी सरकार िश ा के सार को नापसदं करती थी य ?
िश ा के सार को नापसंद करने के बावजूद अं ेजी सरकार को िश ा के बारे म थोड़ा-बहत काम करना पड़ा य ?
उ र : अं ेजी सरकार िश ा के सार को इसिलए नापसंद करती थी य िक अं ेज को डर था िक भारतीय पढ़-िलखकर जाग क बन
जाएँगेउनम नई चेतना तथा अपनी आजादी के ित लगाव पैदा होगािजसक वे माँग करगे, ऐसे म उन पर (भारतीय पर) शासन करना किठन
हो जाएगा
अं ेजी सरकार को िश ा के बारे म थोड़ा-बहत सोचना पड़ा य िक
वे अपना काम कराने के िलए कम वेतन पर काम करने वाले लक तैयार कर सक
भारतीय को िशि त करके ही वे उ ह पि मी स यता से भािवत कर सकते थे
24. ि िटश शासन के दौर के िलए कहा गया िक-‘नया पँजू ीवाद सारे िव म जो बाजार तैयार कर रहा था उससे हर सरू त म भारत के
आिथक ढाँचे पर भाव पड़ना ही था।” या आपको लगता है िक अब भी नया पँजू ीवाद परू े िव म जो बाजार तैयार कर रहा है, उससे भारत
के आिथक ढाँचे पर भाव पड़ रहा है? कै से?
उ र : अब भी नया पँजू ीवाद परू े िव म जो बाजार तैयार कर रहा है, उससे िन:सदं ेह भारत के आिथक ढाँचे पर भाव पड़ रहा हैइस पँजू ीवाद
और तैयार बाजार से वतमान पीढ़ी िकसी भी तरह से या कोई भी साधन अपनाकर धन कमाने क लालसा रखती हैइससे समाज म
अमीरीगरीबी क खाई बढ़ रही हैधनी और धनी तथा गरीब और भी गरीब होते जा रहे हइसके अलावा युवा पीढ़ी को इस बाजार म पि मी
या िवदेशी व तुएँ आसानी से िमल रही हऐसे म वदेशी व तुओ ं से उनका मोहभंग हो रहा हैइससे वदेशी उ ोग भािवत हो रहा है।

25. गाधं ीजी के दि ण अ का से लौटने पर िन निलिखत म िकस तरह का बदलाव आया, पता क िजए
कां ेस संगठन म
लोग म िव ािथय , ि य , उ ोगपितय आिद म
आजादी क लड़ाई के तरीक म।।
सािह य, सं कृ ित, अखबार आिद म
उ र : गाधं ीजी के दि ण अ का से लौटने पर िन निलिखत प म बदलाव आया
कां ेस संगठन म-गांधीजी के कां ेस म आने से संगठन क मजबूती बढ़ीइसम िकसान एवं मजदरू वग भी शािमल होकर नए जोश के साथ
काय करने लगे
लोग म िव ािथय , ि य , उ ोगपितय आिद म-गाधं ीजी के कां ेस म आते ही िव िव ालय के िव ाथ इसम शािमल हो गएअनेक ि याँ
तथा उ ोगपित उ सािहत होकर ि िटश सरकार के िव आवाज उठाने लगे
आजादी क लड़ाई के तरीक म ि िटश सरकार के िखलाफ लड़ाई म गांधीजी ने स य और अिहसं ा को मख ु हिथयार बनायाउ ह ने सिवनय
अव ा आदं ोलन तथा बातचीत के मा यम से सम याएँ सल ु झाने
को ाथिमकता दी
सािह य, सं कृ ित, अखबार आिद म गांधी जी के जुड़ने के बाद सािह य, सं कृ ित और अखबार म छपी ि िटश सरकार िवरोधी खबर से
जनमानस सजग हो उठाअं ेज क दमन नीित क खबर अखबार म मख ु ता से छपने लग इस सरकार क स चाई का पता लगते ही लोग
म अपनी मातृभिू म क वतं ता के ित ललक जाग उठी

26. “अकसर कहा जाता है िक भारत अतं िवरोध का देश है।” आपके िवचार से भारत म िकस-िकस तरह के अतं िवरोध ह? क ा म
समहू बनाकर चचा क िजए(संकेतः अमीरी-गरीबी, आधिु नकता-म ययगु ीनता, सिु वधा-सप न-सिु वधा िवहीन आिद)
उ र : इसम कोई दो राय नह िक भारत अतं िवरोध का देश है यहाँ सकारा मक तथा नकारा मक प साथ-साथ चलते रहते हभारत म कुछ
लोग बहत ही धनवान ह जो ऐशो-आराम एवं िवलािसता का जीवन जी रहे हजबिक कुछ इतने िनधन ह िक वे पेट भर भोजन भी नह पाते
हयहाँ कुछ लोग आधिु नकता म जी रहे ह तो कुछ अब भी म ययगु ीनता म जी रहे ह। कुछ लोग अपने जीवन म नाना कार क सिु वधाओ ं के
मा यम से उ म जीवन जी रहे ह तो ऐसे लोग क भी कमी नह है जो सिु वधा िवहीन ह तथा वे िन न तरीय जीवन जीने को िववश ह।

27. पृ सं या 122 पर नेह जी ने कहा है िक-“हम भिव य क उस ‘एक दिु नया’ क तरफ बढ़ रहे ह जहाँ रा ीय सं कृ ितयाँ मानव
जाित क अंतरा ीय सं कृ ित म घल ु िमल जाएँगी।”आपके अनुसार उस ‘एक दिु नया म या- या अ छा है और कै से-कै से खतरे हो सकते ह?
उ र : नेह जी ने ‘एक दिु नया’ कहकर उस दिु नया क ओर सकं े त िकया है जहाँ गित क ओर बढ़ते हए हम समझदारी, ान, िम ता, और
सहयोग िमलेगा। इससे भारत िव म मह वपूण शि बनकर उभरे गा। इस पर पर सहयोग से कोई देश अलग-थलग नह रह पाएगा। एक-दसू रे
से मेल-िमलाप बढ़ेगा तथा सभी उ नित के माग पर आगे बढ़ते जाएँगे। इससे हम भारतीय अ छे िव नाग रक बन सकगे। इस मेल-जोल
और सं कृ ितय के िमलन के फल व प पि मी स यता का अंधानुकरण, अधनंगापन, धनलोलुपता आिद बढ़ेगी िजससे भारतीय सं कृ ित
एवं स यता अ भािवत नह रह सके गी।

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