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स्पर्श - गद्य खंड – पाठ 2 द:ु ख का अधिकार (यर्पाल)

र्ब्दार्श -
अनभ
ु तू ि - महसस
ू होना
व्यवधान - रुकावट
खसम - पति
िरावट - नमी, शीिलिा
परलोक - मत्ृ यल
ु ोक
अवस्था - दशा
मुहावरे -
गम मनाना - मत्ृ यु का द:ु ख प्रकट करना
फफक-फफक कर रोना - फूट-फूट कर रोना
अंधेर होना - अन्याय होना
िवे की िरह िपना - अधधक गमम होना

प्रश्न उत्तर - ललखखत - (क)


प्रश्न 1 - मनुष्य के जीवन में पोर्ाक का क्या महत्त्व है ?
उत्तर - मनष्ु य के जीवन में पोशाक का बहुि महत्त्व हैI उसकी पोशाक
ही समाज में उसका दजाम िथा अधधकार िय करिी है I अच्छी पोशाक
पहनने वालों को लोग भला आदमी मानिे हैं िथा उसका स्वागि-
सत्कार करिे हैंI उसके काम में कभी कोई रुकावट नहीं आिीI
प्रश्न 2 - पोर्ाक कब बंिन और अड़चन बन जाती है ?
उत्तर - जब हम अपने से कम हैससयि रखने वाले मनुष्य के साथ बाि
करना चाहिे हैं, िो अच्छी पोशाक पहनना हमारी अड़चन बन जािी है I
हम उस समय अपने को बहुि बड़ा मान बैठिे हैं और सामने वाले को
छोटा मानकर उसके साथ बैठने िथा बाि करने में संकोच करिे हैंI
प्रश्न 3 - लेखक उस स्री के रोने का कारण क्यों नह ं जान पाया?
उत्तर - लेखक ने दे खा कक वह स्री फुटपाथ पर बैठकर फफक-फफक
कर रो रही है I लेखक के मन में उसके सलए दया की भावना जाग उठीI
उनका मन कर रहा था कक वह उसके पास जाकर उसकी व्यथा पूछे
ककंिु उनकी पोशाक ने अड़चन डाल दीI उन्हें बाजार में बैठकर उसका
हाल जानना कठठन लगाI इससलए वह चाहकर भी स्री के रोने का
कारण नहीं जान पाएI
प्रश्न 4 - भगवाना अपने पररवार का ननवाशह कैसे करता र्ा?
उत्तर - भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघा ज़मीन पर हरी िरकाररयााँ
िथा खरबूजे उगाया करिा थाI वह रोज ही उन्हें सब्जी मंडी या फुटपाथ
पर बैठकर बेचा करिा थाI इस प्रकार वह कतछयारी करके अपने पररवार
का तनवामह करिा थाI
प्रश्न 5 - लड़के की मृत्यु के दस
ू रे ददन बुद़िया खरबूज बेचने क्यों चल
पड़ी?
उत्तर - लड़के की मत्ृ यु के अगले ही ठदन बुठढ़या के सामने पोिों की
भखू और बहू की बीमारी की समस्या आ खड़ी हुईI पोिे-पोतियााँ भख ू
से बबलबबला रहे थे और बहू बख
ु ार से िप रही थीI घर में पैसे नहीं थेI
अपने पररवार की परे शानी को दे खिे हुए चार पैसे कमाने की चाहि में
वह मजबरू ी में पर
ु शोक के अगले ही ठदन खरबज ू बेचने चल पड़ीI
प्रश्न 6 - बुद़िया के द:ु ख को दे खकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्ांत
मदहला की याद क्यों आई?
उत्तर - लेखक ने बुठढ़या के पुर शोक को दे खाI उसने अनुभव ककया
कक इस बेचारी के पास रोने-धोने का समय और अधधकार नहीं है I िभी
उसकी िल
ु ना में उसे अपने पड़ोस की संभ्ांि मठहला की याद आ गईI
वह मठहला पर
ु शोक में ढाई महीने िक पलंग पर पड़ी थीI उसके द:ु ख
को कम करने के सलए कई डॉक्टर बल
ु ाए गएI
(ख)
प्रश्न 1 - बाजार में लोग खरबूजे बेचने वाल स्री के बारे में क्या-क्या
कह रहे र्े?
उत्तर - बाजार में लोग खरबूजे बेचने वाली स्री के बारे में िरह-िरह
की बािें बना रहे थेI कोई उसे बेहया कह रहा थाI ककसी ने कहा कक
उस स्री की नीयि ठीक नहीं है I एक आदमी ने कहा कक यह कमीनी
औरि है, जजसके सलए बेटा-बेटी, खसम-लग
ु ाई, धमम-ईमान कुछ नहीं हैI
उसके सलए रोटी का टुकड़ा ही सब कुछ हैI एक लाला जी ने कहा कक
यह औरि औरों का धमम-ईमान बबगाड़ कर अाँधेर मचा रही हैI पुर शोक
के कारण यह सि
ू क में हैI कफर भी बाजार में आकर खरबज
ू े बेचने बैठ
गईI
प्रश्न 2 - पास-पड़ोस की दक
ु ानों से पूछने पर लेखक को क्या पता
चला?
उत्तर - पास-पड़ोस की दक
ु ानों से पछ
ू ने पर लेखक को पिा चला कक
बुठढ़या का एक जवान बेटा थाI वह शहर के पास डेढ़ बीघा जमीन पर
सजब्जयााँ उगा कर बेचा करिा थाI एक ठदन पहले सवेरे-सवेरे खरबूजे
िोड़िे समय उसका पैर एक सााँप पर पड़ गयाI सााँप ने उसे डाँस सलया,
जजससे उसकी मौि हो गईI उसके मरने के बाद घर का गज
ु ारा करने
वाला कोई नहीं थाI अिः मजबूरी में उसे अगले ठदन खरबूजे बेचने के
सलए फुटपाथ पर बैठना पड़ाI
प्रश्न 3 - लड़के को बचाने के ललए बुद़िया मााँ ने क्या-क्या उपाय ककए?
उत्तर - बुठढ़या का लड़का भगवाना सााँप के डाँसने से बेहोश हो गयाI जैसे
ही बुठढ़या को इसका पिा चला, वह उसका ववष तनकालने के सलए गााँव
के ओझा को बल
ु ा लाईI ओझा ने खब
ू झाड़-फाँू क ककयाI परंिु सााँप का
ववष दरू ना हो सकाI बठु ढ़या ने ओझा को प्रसन्न करने के सलए नागराज
की पूजा भी कीI घर में जो आटा व अनाज था, वह भी ओझा के हवाले
कर ठदयाI पर द:ु ख की बाि यह थी कक इिना सब कुछ करने पर भी
उसका पर
ु बच न सकाI
प्रश्न 4 - लेखक ने बुद़िया के द:ु ख का अंदाजा कैसे लगाया?
उत्तर - लेखक ने बठु ढ़या के द:ु ख का अंदाजा लगाने के सलए अपने
पड़ोस में रहने वाली एक संभ्ांि मठहला को याद ककयाI उस मठहला का
पर
ु वपछले वषम चल बसा थाI उस समय वह मठहला ढाई महीने िक
बबस्िर पर पड़ी रही थीI वह अपने पुर को याद करके बार-बार मूजच्छम ि
हो जािी थीI दो-दो डॉक्टर हमेशा उसके ससरहाने बैठे रहिे थेI पुर-
शोक मनाने के ससवाय उसे कोई होशो-हवास नहीं थाI उस मठहला के
दख
ु की िुलना करिे हुए लेखक को अंदाजा हुआ कक इस गरीब बुठढ़या
का द:ु ख भी ककिना बड़ा हैI
प्रश्न 5 - इस पाठ का र्ीर्शक ‘द:ु ख का अधिकार’ कहााँ तक सार्शक है ?
स्पष्ट कीजजएI
उत्तर - इस पाठ का शीषमक ‘द:ु ख का अधधकार’ उधचि हैI लेखक यह
कहना चाहिा है कक द:ु ख प्रकट करना हर व्यजक्ि का अधधकार है पर
हर व्यजक्ि उसे व्यक्ि नहीं कर पािाI एक मठहला संपन्न हैI उस पर
कोई जजम्मेदारी नहीं हैI उसके पास पर
ु -शोक मनाने का पयामप्ि समय
हैI उसके द:ु ख को कम करने के सलए डॉक्टरों की फौज है , सेवा-कमी
हैं, धन हैI पर दस
ू री ओर गरीब व अभागे लोग हैं, जजनके पास आाँसू
पोंछने वाला भी कोई नहीं है और न ही समय है I गरीबी, बीमारी, सामने
खड़ी भख
ू के सामने वे बेबस हैंI अिः द:ु ख प्रकट करने का अधधकार
गरीबों को नहीं हैI
तनम्नसलखखि शब्दों के पयामयवाची शब्द सलखखए ---
ईमान - सच्चाई
बदन - शरीर, दे ह
अंदाज़ा - अनुमान
बेचैनी - िड़प, व्याकुलिा
गम - द:ु ख, कष्ट
दजाम - श्रेणी
ज़मीन - धरिी, भूसम
ज़माना - यग
ु , समय
बरकि - उन्नति, ववकास
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