You are on page 1of 5

GR-7 पाठ – छोटा जादग

ू र लेखक – जयशंकर प्रसाद

शब्दार्थ -

1.कलनाद – मधुर ध्वनन

2.निरस्कार – अनादर

3.बटोरना – समेटना

4.जीववका – रोज़गार

5.वाणी – आवाज़

6.ननकम्मा – जो ककसी काम का न हो

वाक्य रचना –

1. उद्यान -.........................................................................

2. चिुर- .............................................................................

3. समीप- …………………………………………………………………………

एक वाक्य में उत्तर –

1. लेखक की छोटे जादग


ू र से पहली मुलाकाि कहााँ हुई र्ी ?

उ. लेखक की छोटे जादग


ू र से पहली मुलाकाि काननथवाल के मैदान

में हुई र्ी ।

2. छोटे जादग
ू र को जाद ू का खेल क्यों ददखाना पड़िा र्ा ?
उ. अपनी जीववका के ललए छोटे जादग
ू र को जाद ू का खेल ददखाना
पड़िा र्ा ।

3.छोटे जादग
ू र के पररवार में कौन- कौन र्ा ?

उ. छोटे जादग
ू र के पररवार में उसकी मााँ और वपिाजी र्े ।

4. छोटे जादग
ू र ने ऐसा क्यों कहा कक िमाशा दे खने नहीं ददखाने

के ननकला हूाँ ?

उ . छोटा जादग
ू र िमाशा ददखाकर उन पैसों से अपनी बीमार मााँ

के ललए दवाई खरीदना चाहिा र्ा ।

लघु उत्तरीय प्रश्न -

1. छोटे जादग
ू र की वेशभूषा कैसे र्ी ?

उ. छोटे जादग
ू र ने आधी बााँहों का फटा हुआ कुरिा पहना र्ा । लसर पर

मैला रूमाल बाँधा और गले में मोटी सि


ू की रस्सी र्ी। जेब में िाश

के पत्ते और हार् में चार खाने का खादी का झोला र्ा ।

2. लेखक छोटे जादग


ू र की िरफ़ क्यों आकवषथि हुए ?

उ. छोटे जादग
ू र के मह
ुाँ पर गंभीरिा के सार् धैयथ की रे खा र्ी। उसकी

वाणी में कहीं रूकावट न र्ी और उसके अभाव में भी संपण


ू ि
थ ा र्ी।

उसके आत्मववश्वास को देखकर लेखक उसकी िरफ़ आकवषथि हुए।


3. छोटे जादग
ू र ने लेखक की पत्नी द्वारा ददए गए एक रुपए से क्या-

क्या करने की बाि बिाई ?

उ. छोटे जादग
ू र ने लेखक की पत्नी द्वारा ददए गए एक रुपए से भरपेट

पकौड़ी खाने और मााँ के ललए सि


ू ी कंबल खरीदने की बाि बिाई ।

दीघथ उत्तरीय प्रश्न –

1. छोटे जादग
ू र को ककन ज़रूरिों ने उसे उम्र के दहसाब से अधधक

चिुर और जज़म्मेदार बना ददया ?

उ . छोटा जादग
ू र एक गरीब बालक र्ा। स्विंत्रिा-संग्राम में भाग लेने

के कारण उसके वपिा जेल में र्े और मााँ बीमार र्ी । घर की ऐसी

पररजस्र्नि में उसे आजीववका के ललए जाद ू के खेल ददखाकर अपना

पेट भरने और मााँ के इलाज के ललए पैसे कमाना चाहिा र्ा । इन

ज़रूरिों ने उसे उम्र के दहसाब से अधधक चिरु और जज़म्मेदार बना

ददया र्ा ।

2. दस
ू रे ददन छोटे जादग
ू र का खेल क्यों नहीं जम रहा र्ा ?

उ. दस
ू रे ददन छोटे जादग
ू र का खेल इसललए नहीं जम रहा र्ा क्योंकक

उसका परू ा ध्यान घर पर र्ा । उसकी मााँ ने कहा र्ा कक जल्दी

घर आना । मेरी घड़ी समीप है । उस ददन वह अववचल र्ा । उसके


वाणी में प्रसन्निा न र्ी । जब वह औरों को हाँसाने की चेष्टा

कर रहा र्ा िब वह स्वयं कााँप रहा र्ा ।

3. “उसके अभाव में भी संपूणि


थ ा र्ी ।‘’ इस कर्न का आशय स्पष्ट

कीजजए ।

उ . प्रस्िि
ु कर्न कहानी ‘छोटा जादग
ू र’ से ली है । इसके लेखक

जयशंकर प्रसाद जी ने एक माि-ृ भक्ि छोटे बालक की चिुराई

एवं साहस का वणथन ककया है । बालक के वपिा जेल में र्े और

मााँ बीमार र्ी पर उसने धैयथ नहीं खोया । जाद ू के खेल ददखाकर

अपना पेट भरने और मााँ का इलाज के ललए पैसे कमािा र्ा ।वह

प्रनिकूल पररजस्र्नियों में कदठनाइयों का सामना धैयप


थ ूवक
थ और

आत्मववश्वास से कर रहा र्ा ।

मल्
ू यपरक प्रश्न -

1. छोटे जादग
ू र की कोई पााँच चाररत्रत्रक ववशेषिाएाँ ललखखए ।

उ. छोटा जादग
ू र एक बहुि ही मेहनिी बालक है । उसमें आत्मववश्वास

और साहस है । वह जाद ू का खेल ददखाकर बीमार मााँ की सेवा करिा

है । वपिा जेल में होने कारण वह अपना किथव्य ननभािा है । वह

बहुि ही ननडर और आत्मननभथर बालक है। जो प्रनिकूल पररजस्र्नियों


में कदठनाइयों का सामना धैयप
थ व
ू क
थ करिा है ।

2. “ बच्चे भी पररजस्र्निवश आत्मननभथर होना सीख जािे हैं ।“ इस

ववषय पर अपने ववचार स्पष्ट कीजजए ।

उ. बच्चे भी पररजस्र्निवश आत्मननभथर होना सीख जािे हैं । यह कर्न

सही अर्ों में है । जजस प्रकार कहानी का नायक छोटा जादग


ू र

खेल ददखाकर पैसे कमािा है। बचपन में स्कूल जाकर पढ़ने के

बजाय घर की पररजस्र्नि उसे पेट भरने और मााँ के इलाज के

ललए मेहनि करने के ललए मज़बरू कर दे िी है।

( छात्र/छात्राएाँ स्वयं से ललख सकिे हैं।)

You might also like