You are on page 1of 3

भीड़ में खोया आदमी (Bheed me khoya adami)

लेखक: लीलाधर शर्मा ‘पर्वतीय’

(क) पंद्रह दिन पहले आरक्षण के लिए …………………… से ही लोगों की लम्बी कतार खड़ी थी |
१) लेखक कहाँ जा रहा था और क्यों ?
उत्तर: लेखक के करीबी मित्र बाबू श्यामलाकांत की बेटी की शादी थी | लेखक विवाह में सम्मिलित होने के लिए
हरिद्वार जा रहा था |
२) लेखक ने अपने मित्र का क्या प्रारं भिक परिचय दिया है ?
उत्तर: लेखक के मित्र का नाम बाबू श्यामलाकांत है | वे लेखक के अभिन्न मित्र हैं | सीधे-सादे , परिश्रमी, ईमानदार
किन्तु निजी जीवन में बड़े लापरवाह | वे आयु में लेखक से छोटे हैं | उन्होंने अपने घर में बच्चों की फ़ौज खड़ी कर
ली है |
३) स्टे शन पर आरक्षण क्यों नहीं हो पाया ?
उत्तर: लेखक को अपने मित्र बाबू श्यामलाकांत की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए हरिद्वार जाना था | वे
आरक्षण कराने के लिए पंद्रह दिन पहले स्टे शन पर गए किंतु वहाँ लंबी कतार थी | घंटो प्रतीक्षा करने के बाद उनकी
बारी आई तो उन्हें पता चला कि किसी भी गाड़ी में स्थान नहीं है | अतः उन्हें आरक्षण नहीं मिल पाया |
४) यात्रा के दिन लेखक को कैसे अनभ ु व प्राप्त हुए ?
उत्तर: लेखक का हरिद्वार जाना जरूरी था | लेखक को भीड़ के कारण आरक्षण नहीं मिला था, अतः उन्हें बिना
आरक्षण के ही निकलना पड़ा | जब गाड़ी आयी तो उसमें तिल धरने की भी जगह नहीं थी | प्लेटफार्म पर चढ़ने
वालों की भीड़ भारी धक्कम-धक्का करने में लगी हुई थी | कुली ने लेखक को खिड़की से ट्रे न के अंदर धकेला न होता
तो ट्रे न छूट जाती | उन्हें लक्सर में गाड़ी बदलनी थी | वहाँ भी गाड़ी भरी हुई थी | लोग छतों पर चढ़कर यात्रा कर रहे
थे |
(ख) “भाई नाम तो तम् ु हारा लिख लेता हूँ पर जल्दी नौकरी पाने की कोई आशा मत करना |”
१) उपर्युक्त संवाद किसने, किससे और कब कहा ?
उत्तर: श्यामलाकांत बाबू का बड़ा लड़का दीनानाथ रोजगार कार्यालय में नौकरी के लिए अपना नाम लिखाने गया था
| उस समय वहाँ के अधिकारी ने उसका नाम तो लिख दिया पर साथ में कह दिया कि वह जल्दी नौकरी पाने की
कोई आशा न रखे क्योंकि उसकी योग्यता वाले हजारों लोग पहले से ही कतार में हैं |
२) लेखक ने दीनानाथ को नौकरी के प्रसंग में क्या परामर्श दिया ?
उत्तर: लेखक ने अपने मित्र श्यामलाकांत के बड़े पत्र ु दीनानाथ को परामर्श दिया कि आज-कल जगह-जगह पर
रोजगार कार्यालय खल ु गए हैं | अतः नौकरी पाने के लिए दीनानाथ को उनका सहारा लेना चाहिए |
३) रोजगार कार्यालय की दशा का वर्णन करें |
उत्तर: रोजगार कार्यालयों में रोज हजारों बेरोजगार नाम लिखाने जाते हैं | नाम लिखवाने के लिए परू ा दिन कतार में
खड़ा रहना पड़ता है | वहाँ के कर्मचारी नाम तो लिख दे ते हैं पर साथ में यह भी बता दे ते हैं कि उन्हें जल्दी नौकरी
नहीं मिलनेवाली क्योंकि पहले से ही बहुत लोग कतार में लगे हुए है |
४) लेखक उक्त प्रसंग द्वारा क्या कहना चाहता है ?
उत्तर: उक्त प्रसंग द्वारा लेखक बताना चाहता है कि हमारे दे श में हो रही बेतहाशा जनसंख्या वद् ृ धि के कारण हर
चीज कम पड़ रही है | दे श के विकास के लिए जो भी किया जा रहा है , बढ़ती जनसंख्या के कारण वो कम पड़ रहा है
| हर जगह बस भीड़ ही भीड़ | दे श में संसाधन कम पड़ते जा रहे हैं | जनसंख्या विस्फोट के कारण लोगों का
जीवनस्तर बहुत नीचे आ गया है | ऐसा लगता है जैसे लोगों का जीवन इस भीड़ में कहीं खो गया है |
ग) मैं उनकी दर्बु ल काया और पीला चेहरा दे ख कर स्तब्ध रह गया |
१) उपर्युक्त पंक्ति का प्रसंग लिखिए |
उत्तर: लेखक अपने मित्र श्यामलाकांत की बेटी की शादी में शामिल होने गए थे | वहाँ उन्होंने श्यामलाकांतजी की
पत्नी तथा बच्चों को दे खा | जलपान दे ते समय तीन लड़कियाँ तथा दो छोटे लडके अपनी माँ के साथ आये | सबके
चेहरे पीले पड़ चक ु े थे और शरीर दर्ब ु ल हो गया था | ऐसा लग रहा था जैसे वे बीमार हो | यह दे खकर लेखक स्तब्ध
रह गया |
२) लेखक को मित्र की पत्नी ने बीमारी के बारे में क्या कहा ?
उत्तर: लेखक को श्यामलाकांतजी की पत्नी ने कहा कि उनका परिवार बड़ा है | हर दिन कोई न कोई बीमार रहता ही
है | अस्पताल जाने पर वहाँ भी बहुत भीड़ रहती है | इतने ज्यादा मरीज है कि डॉक्टर उनका ईलाज ठीक से कर ही
नहीं पाता | ऐसा लगता है सारा शहर अस्पताल में उमड़ पडा है |
३) अस्पतालों की बरु ी हालत क्यों है ?
उत्तर: दे श की जनसंख्या बहुत ज्यादा है | उसके मक ु ाबले अस्पताल तथा डॉक्टर बहुत कम है | इस वजह से
अस्पतालों में भारी भीड़ रहती है | रोगी तथा उसके संबध ं ी डॉक्टर को मधमु क्खी के छत्ते की तरह घेरे रहते हैं |
डॉक्टर को इतना समय ही नहीं मिलता कि वो रोगी व्यक्ति का ठीक से ईलाज कर सके | अस्पतालों में बढ़ती भीड़
के कारण उनकी हालत खराब हो गयी है |
४) पाठ में श्यामलाकांतजी के परिवार को परे शानियों का सामना क्यों करना पड़ रहा है ?
उत्तर: श्यामलाकांतजी बहुत धनी व्यक्ति नहीं हैं | उनके आय के श्रोत बहुत अधिक नहीं हैं किंतु उनका परिवार
बहुत बड़ा है | इस वजह से आये दिन उनके परिवार में कोई न कोई बीमार पड़ता ही रहता है | वो सबका ठीक से
ईलाज भी नहीं करा पा रहे हैं | संसाधन कम होने व जरूरतें अधिक होने की वजह से उन्हें परे शानियों का सामना
करना पड़ रहा है |
घ) “मैनें श्यामला बाबू से पछ ू ा – “क्या तम् ु हारे पास यही दो कमरे हैं ?”
१) लेखक के उक्त प्रश्न की पष्ृ ठभमि ू स्पष्ट कीजिये |
उत्तर: लेखक बाबू श्यामलाकांत की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए हरिद्वार गए थे | वहाँ उन्होंने दे खा कि
बाबू श्यामलाकांत के घर में बच्चों की भारी भीड़ है किंतु घर केवल दो कमरों का है | इतने बड़े परिवार के लिए वो
घर छोटा लग रहा था, इसलिए उन्होंने श्यामलाकांतजी से उपरोक्त प्रश्न किया |
२) लेखक को मित्र ने मकानों की क्या समस्या बताई ?
उत्तर: लेखक को मित्र ने बताया कि वो दो वर्ष पहले शहर में आये थे | तभी से मकान खोजने का प्रयत्न कर रहे हैं |
परू े शहर का चक्कर काट-काट कर उनके जत ू े घिस गए, किंतु कोई ढं ग का मकान हाथ नहीं लगा | आखिरकार
थक-हार कर उन्होंने मकान के नाम पर सर छुपाने के लिए गली के अंदर का यह मकान ले लिया |
३) शहर पहले की तल ु ना में क्यों फैलते जा रहे हैं ?
उत्तर: शहर की जनसंख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है | लोगों को रहने के लिए घर नहीं है | वे मकान की तलाश में
यहाँ-वहाँ भटकते रहते हैं | लोगों को जरुरत की चीजें व सेवाएँ नहीं मिल रही हैं | इसलिए शहर से दरू -दरू नयी
कॉलोनियाँ बनायीं जा रही हैं, जिससे शहर पहले की तल ु ना में फैलते जा रहे हैं |
४) मित्र ने जनसंख्या के विषय में क्या टिप्पणी की और क्यों ?
उत्तर: मित्र का स्वयं का परिवार बड़ा है , इस वजह से उसे कई परे शानियों का सामना करना पड़ रहा है | उसने दे श
की बढ़ती जनसंख्या पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारे दे श की समस्याएँ दे श की बढ़ती आबादी का ही
दष्ु परिणाम है | जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ रही है , खाद्यान तथा मकान उसी तेजी से कम पड़ रहे हैं |
१) दे श की बढ़ती जनसंख्या के कारण दे श को अनेक परे शानिओं का सामना करना पड़ रहा है किन्तु क्या इस बढ़ती
जनसंख्या के कारण दे श को कुछ लाभ भी है ?
उत्तर: बढ़ती जनसंख्या के कारण दे श को अनेक परे शानियों का सामना करना पड़ता है , किन्तु इससे दे श को कई
फायदे भी होते हैं | दे श में बढ़ते उद्योगों में काम करने के लिए बड़े पैमाने पर यव ु कों की आवश्यकता पड़ती है | बड़ी
जनसंख्या के कारण हमारे दे श में कभी उनकी कमी नहीं पड़ती | कई विकसित दे शों में जनसंख्या नियंत्रण के
कारण यव ु ाओं की संख्या इतनी कम हो गयी है कि दे श को आगे ले जाने के लिए अब कोई पीढ़ी बची ही नहीं है |
इसके विपरीत भारत के करोड़ों यव ु ा कंधे दे श को आगे ले जाने के लिए तत्पर खड़े हैं | दे श की यह विशाल
जनसंख्या हमारी बहुत बड़ी शक्ति है | यदि इसे उचित शिक्षा, तकनीकी ज्ञान दिया जाए तो हम हर क्षेत्र में दे श को
आगे ले जा सकते हैं |

२) यह किस प्रकार का निबंध है तथा इस निबंध में दे श की किस समस्या पर ध्यान आकर्षित किया गया है ?
उत्तर: यह एक वैचारिक निबंध है | इस निबंध के द्वारा लेखक ने हमारे दे श को जनसंख्या विस्फोट के कारण जिन
समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है , उस तरफ ध्यान आकर्षित किया है |

३) जनसंख्या विस्फोट ने दे श को किस प्रकार प्रभावित किया है ?

उत्तर: वर्तमान समय में हमारा दे श जिन बड़ी समस्याओं का सामना कर रहा है , उनमें से एक है जनसंख्या विस्फोट
| आजादी के पहले तक दे श की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही थी पर साथ-साथ मत्ृ यु की दर भी बहुत ज्यादा थी |
इसलिए जनसंख्या वद् ृ धि की दर बहुत कम थी | आजादी के बाद दे श की स्वास्थ्य सेवा में सध ु ार होने की वजह से
जन्म दर बढ़ गयी तथा मत्ृ यु दर कम हो गयी | इस वजह से जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ने लगी कि उसे
जनसंख्या विस्फोट का नाम दिया गया | इस जनसंख्या विस्फोट के कारण दे श के संसाधनों पर बहुत दबाव आने
लगा | दे श के कृषि उत्पादन, औद्योगिक उत्पादन, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा सेवाएँ सब में वद्
ृ धि होने के बावजद
ू ये
सब कम पड़ने लगे हैं | सेवाओं का स्तर भी बहुत ज्यादा घटा है | खेती के लिए उपयोग में लाई जानेवाली जमीन
दिन ब दिन छोटी हो रही है | जनसंख्या वद् ृ धि की दर प्रगति की दर से कहीं ज्यादा है | लोगों का जीवन स्तर बहुत
गिर रहा है | गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी तथा गँदगी जैसी समस्याएँ बहुत बढ़ गयी हैं |

You might also like