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पात्र परिचय -

1. रामनिहाल काशी में ब्रजकिशोर के यहाँ नौकरी करता है ।


2. श्यामा एक विधवा है ,जिसके घर रामनिहाल रहता है ।
3. किशोरी एक बालिका, श्यामा की ननद
4. बजकिशोर मोहन लाल के निकट संबध ं ी तथा
5. मोहन बाबू बजकिशोर के संबध ं ी
6. मनोरमा मोहनबाबू की पत्नी
स्थान- श्यामा के घर का कमरा, एक बजरा

घटनाक्रम
1. रामनिहाल अपना सामान बाँधता है तथा रोता है ।
2. उसके हाथों में पत्रों का बंडल है तथा एक चित्र है ।
3. रामनिहाल का कोई परिवार नहीं है । नौकरी करता है तथा इसी सिलसिले में जगह-जगह
घम ू ता है ।
4. काशी में ब्रजकिशोर के यहाँ नौकरी मिली है तथा श्यामा के घर में एक कमरे में रहता है ।
5. रामनिहाल नौकरी व घर छोड़ने को तत्पर है । श्यामा के पछ ू ने पर कहानी सन
ु ाता है ।
6. वह चार-पाँच महीने पहले की घटना सन ु ाता है । एक दिन शाम उसके मालिक ब्रजकिशोर बाबू
ने उससे कहा कि उनके घर उनके कोई संबध ं ी आए हैं। उन्हें बजरे पर बैठाकर सैर कराने ले जाए।
7. रामनिहाल मोहन बाबू व मनोरमा को बजरे पर सैर कराने ले जाता है ।
8. रास्ते में मनोरमा निहाल को बताती है कि उसके पति को पागल बनाया जा रहा है । मोहन
कभी-कभी पागलों जैसी बातें भी करते हैं।
9. मोहन अपनी पत्नी मनोरमा पर संदेह करते हैं कि वह ब्रजकिशोर के साथ मिलकर उसे पागल
सिद्ध कर दे गी जिससे उनकी सारी संपत्ति उन्हें मिल जाए।
10. रामनिहाल मनोरमा के रूप के कारण आकर्षित होते हैं तथा सहानभ ु ति
ू भी रखते हैं।
11. मनोरमा चलते समय निहाल से याचना करती है कि वह विपत्ति में उसकी सहायता करे ।
12. उस दिन के बाद से मनोरमा रामनिहाल को पत्र लिखती रही है जिनका बंडल उसके हाथ में
है ।
13. रामनिहाल को संदेह होता है कि मनोरमा उससे प्रेम करती है । अब उसने रामनिहाल को
बल ु ाया है ।
14. श्यामा रानिहाल के हाथ से चित्र लेती है । यह चित्र श्यामा का है । श्यामा को आश्चर्य होता है
कि रामनिहाल उससे प्रेम करता है ।
15. श्यामा उसके संदेह को दरू करती है कि मनोरमा दश्ु चरित्र नहीं है । निहाल का श्यामा से प्रेम
करना भी बचपना है ।
16. श्यामा निहाल से कहती है कि सामान वहीं रखे और मनोरमा की सहायता कर वापस लौटकर
आए। निहाल उसकी आज्ञा मान लेता है । उसके संदेह दरू हो जाते हैं।

चरित्र चित्रण
रामनिहाल
1. एक अनाथ यव ु क जो नौकरी के कारण भटकता रहता है ।
2. कोमल व भावक ु है । अपनी वर्तमान परिस्थिति से व्याकुल होकर रोता है ।
3. मन में दृढ़ता व साहस की कमी है । मनोरमा के बल ु ाने पर वह घर छोड़कर सदा के लिए जाने
का निश्चय कर लेता है ।
4. भोला भाला है । स्त्रियों के द्वारा थोड़ा भी स्नेह दिखाने पर वह सोचता है कि वे उससे प्रेम
करती हैं। मनोरमा के पत्रों के कारण उसे लगता है कि वह उससे प्रेम करती है ।
5. कायर है । परिस्थिति का सामना करने के बजाय भागने का प्रयत्न करता है ।
6. बिना संरक्षण के नहीं रह सकता। श्यामा के संरक्षण में रहता है । उसकी आज्ञा मानता है ।
श्यामा
1. एक विधवा यव ु ती जिसने अपनी इच्छाओं का दमन कर लिया है ।
2. वह बच्चों से प्यार करती है तथा उनसे अपना मन बहला लेती है ।
3. विवेकशील, गंभीर तथा दृढ़ चरित्र की स्त्री है ।
4. परिस्थितियों को समझकर समझदारी व दृढ़ता से सामना करती हैं।
5. मन में कोई संदेह नहीं है । स्पष्ट विचार हैं। दस ू रो के संदेह भी मिटा दे ती है ।
6. ममता वाली है । रामनिहाल को परिवार जैसा सख ु व संरक्षण दिया अब भी उसे जाने से रोक
लेती है तथा सारे भ्रम दरू कर दे ती है ।

उद्दे श्य / संदेश


मनष्ु य की भावनाओं की जटिलताओं को दिखाना इस कहानी का उद्दे श्य है । हम अक्सर अपनी
सविु धा तथा धारण के अनस ु ार ही दसू रों की प्रतिक्रियाओं का मल्
ू यांकन कर लेते हैं। जब अपने
मन में संदेह होता है तो दसू रों के विचार तथा कार्य भी संदेहास्पद लगते हैं। लेखक कहना चाहता
है कि अपने विचार स्थिर व स्पष्ट हो तो मन से संदेह निकल जाता है । रामनिहाल स्वयं अस्थिर
व कोमल स्वभाव का यव ु क है इसलिए उसे मनोरमा पर संदेह होता है । श्यामा स्वयं दृढ़ व स्पष्ट
दृष्टि से दे खती है इसलिए स्वयं अपने विचारों में कोई दवि ु धा नहीं है साथ ही निहाल के संदेह भी
मिटा दे ती है ।

शीर्षक की सार्थकता
यह कहानी संदेहों के जाल से बन
ु ी गई है । रामनिहाल को संदेह है कि मनोरमा उससे प्रेम करती
है । दस
ू री ओर वह सोचता है कि उसे श्यामा से प्रेम है । मोहन बाबू को संदेह है कि ब्रजकिशोर व
मनोरमा मिलकर उसके विरुद्ध पडयंत्र कर सिद्ध करना चाह रहे हैं कि वह पागल है । जिससे
उसकी संपत्ति की दे खभाल ब्रजकिशोर कर सके। श्यामा रामनिहाल का संदेह दरू करती है । संदेहो
में लिपटे इस कथानक का यह अच्छा शीर्षक है ।
कठिन शब्दों के अर्थ

Read the extracts given below and answer in Hindi the questions that follow: निम्नलिखित
गद्यांशों को पढ़िये और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए:-

1. प्रतिमा का शान्त गंभीर मख


ु और भी प्रसन्न हो रहा था; किन्तु रामनिहाल उधर दे खता न था। उसके हाथ में था
एक कागज़ों का बण्डल, जिसे संदक
ू में रखने से पहले खोलना चाहता था। पढ़ने की इच्छा थी, फिर भी न जाने क्यों
हिचक रहा था और अपने को मना कर रहा था, जैसे किसी भयानक वस्तु से बचने के लिए कोई बालक को रोकता
है ।
संदेह - जयशंकर प्रसाद

i) रामनिहाल के हाथों में क्या था? यह किसने भेजा था?


उत्तर = रामनिहाल के हाथों में कागज़ों का एक बण्डल था जो कि वास्तव में मनोरमा के द्वारा भेजे गए पत्र थे। वह
ऊहापोह की स्थिति में था कि वह क्या करे ? पत्र पढ़ना भी चाहता था और नहीं भी।

ii) मनोरमा कौन थी? वह रामनिहाल से कहाँ मिली थी?


उत्तर = मनोरमा एक अत्यंत सद
ंु र महिला थी तथा मोहन बाबू की पत्नी थी। मनोरमा रामनिहाल को अपना हितैषी
समझती थी और चाहती थी कि वह ब्रजकिशोर के चंगल ु से बचने में उसकी मदद करे वह कार्तिक पर्णि
ू मा पर
दशाश्वमेध घाट पर गंगा
किनारे तब मिली थी, जब ब्रजकिशोर के पास समय न होने के कारण उसे मनोरमा और उसके पति को घम ु ाने के
लिए कहा ।
iii) मनोरमा ने रामनिहाल को ये पत्र क्यों लिखे थे। वह पढ़ना चाहकर भी पत्र क्यों नहीं पढ़ रहा था? कारण सहित
लिखिए।
उत्तर = मनोरमा ने रामनिहाल को वे पत्र लिखे थे क्योंकि वह रामनिहाल को अपना हितैषी समझती थी और वह
उससे मदद चाहती थी कि वह ब्रजकिशोर से उसके पति की रक्षा करें , जो उन्हें विक्षिप्त सिद्ध करके उनकी सम्पत्ती
पर अपना अधिकार स्थापित करना चाहता था। वह पत्र नहीं पढ़ना चाहता था, क्योंकि उसे इन्हीं पत्रों के कारण यहाँ
से श्यामा के कहने पर उसकी सहायता के लिए जाना पड़ रहा था। वह श्यामा के गण ु ों से प्रभावित होकर उससे प्रेम
करने लगा था और वह यहाँ से जाना नहीं चाहता था।

iv) 'संदेह' कहानी का शीर्षक सार्थक है या नहीं कारण सहित लिखिए।


उत्तर = कहानी का शीर्षक सार्थक और सटीक है । यहाँ पर सर्वप्रथम रामनिहाल को मनोरमा के व्यवहार के कारण
संदेह है कि वह उससे प्रेम करती है । मोहन बाबू को संदेह है कि ब्रजकिशोर उसकी सम्पत्ति हड़पना चाहते हैं।
रामनिहाल को स्वयं के प्रति श्यामा के प्रेम पर भी संदेह है । संपर्ण
ू कथानक संदेह पर ही आधारित है । परिस्थितियाँ
भी ऐसी हैं, जो संदेह करने पर बाध्य करती हैं। इस प्रकार कह सकते हैं कि शीर्षक सार्थक व उचित है ।।

2. “तभी कायरों की तरह यहाँ से बोरिया-बांधना लेकर भागने की तैयारी कर ली है ।" राम निहाल हतबद् ु धि
अपराधी-सा श्यामा को दे खने लगा।"
संदेह - जयशंकर प्रसाद
i) श्रोता का परिचय दीजिए। [2]
उत्तर = यहाँ श्रोता रामनिहाल है , जो एक महत्वाकांक्षी यव
ु क है । उसकी महत्वाकांक्षा एवं उन्नतिशील विचारधारा
उसे बराबर दौड़ाती। उसका कोई निश्चित ठिकाना न था। वह जिस प्रदे श में भी नौकरी, व्यवसाय आदि के लिए
जाता संतष्ु ट नहीं रहता, यही कारण था कि वह बार-बार अपना व्यवसाय या नौकरी बदलता रहता, फिर भी उसे
कहीं कार्य संतष्टि
ु का अनभु व नहीं होता। परं तु जब से उसे श्यामा के घर आश्रय मिला, तब उसे यह अनभ ु व हुआ
कि अब जाकर उसने घर पाया है ।

ii) 'कायर' शब्द का प्रयोग किसके लिए तथा क्यों किया गया? [2]
उतर = 'कायर' शब्द का प्रयोग रामनिहाल के लिए किया गया है । परिस्थितियों के कारण रामनिहाल के मन में
अनेक भ्रम एवं संदेह उत्पन्न हो गए थे जिसे वह किसी से भी सांझा न कर पाया। श्यामा के विषय में जानते हुए भी
उससे प्रेम करने का लड़कपन कर बैठा, वहीं मनोरमा के विषय में उसे यह भ्रम था कि वह अपने पति से ऊब चक ु ी है
एवं रामनिहाल का साथ चाहती है । रामनिहाल स्वयं निर्मित परिस्थितियों के जाल में इतना फंस गया कि उसे
श्यामा का घर छोड़ने के अलावा कोई और रास्ता उसे नजर नहीं आ रहा था। कमरे में बैठा रामनिहाल एक हाथ में
मनोरमा का पत्र लिए एवं श्यामा का चित्र लिए आँसू बहा रहा था एवं सामान बांधे हुए था। उसी वक्त श्यामा का
वहाँ प्रवेश होता है । उसे जब रामनिहाल का इस तरह परिस्थितियों से डरकर भागने का पता चलता है , तब श्यामा
रामनिहाल को 'कायर' कहती है ।

iii) श्रोता हतबद्


ु धि-सा क्यों हो गया? वक्ता ने उसे क्या समझाया ?[3]
उत्तर = श्यामा के कथनों को सन ु कर रामनिहाल हतबद् ु धि होकर उसे दे खता रहा। उसे अपनी संकीर्ण सोच एवं
नादानी का एहसास हो रहा था। श्यामा उसे समझायी कि जो वह सोच रहा है या मनोरमा के विषय में उसने जो ।
धारणा बना ली है वह मात्र उसका भ्रम है और कुछ नहीं। श्यामा उसे प्रेम का अर्थ समझाती है एवं मानवता का पाठ
पढ़ाती है । रामनिहाल के लड़कपन एवं नादानियों को दे खते हुए उसे अपने संरक्षण में रखना चाहती है ताकि वह
परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया करने एवं किसी भी प्रकार की धारणा बनाने से पर्व ू सत्य को परख सके। श्यामा
रामनिहाल को निर्देश दे ती है कि मनोरमा मात्र तम्
ु हें मित्र समझ कर अपने और अपने पति को ब्रजकिशोर की
चालाकियों से बचाने के लिए तम् ु हारी सहायता चाहती है ।
iv) श्यामा कौन है ? उसकी चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।[3]
उत्तर = श्यामा कार्यकुशल, अनभ ु वी, दृढ़ निश्चयी एवं सल
ु झी हुई स्त्री है । विधवा होते हुए भी उसने अपने जीवन
को एक ऐसे पड़ाव पर रोक दिया है जहाँ उसे अपने जीवन का सही अर्थ समझ में आ गया है । काम, क्रोध, लोभ,
मोह जैसी भावनाओं पर विजय प्राप्त कर, उसने अपने घर में ही अनाथ बच्चों को आश्रय दिया है तथा उनका
भरण-पोषण भी करती है । रामनिहाल को भी उसने अपने यहाँ आश्रय दिया है । श्यामा के इन्हीं गण ु ों ने कहानी के
अंत में रामनिहाल के भ्रम के अंधकार को मिटाया एवं सही मार्ग दिखाया। अतः हम कह सकते हैं कि श्यामा में
दरू दर्शिता भी कूट-कूट कर भरी थी जिससे वह सही निर्णय लेने में सक्षम थी। इस कहानी में श्यामा एक प्रभावी एवं
आदर्श चरित्र के रूप में सामने आती है ।

3. भारत के भिन्न-भिन्न प्रदे शों में , छोटा-मोटा व्यवसाय, नौकरी और पेट पालने की सवि ु धाओं को खोजता हुआ
जब तम्ु हारे घर में आया, तो म झ
ु े विश्वास हु आ कि मैं
न े घर पाया। मैं जब से सं
स ार को जानने लगा, तभी से मैं
गहृ हीन था।
संदेह- जयशंकर प्रसाद

i) उपर्युक्त कथन का वक्ता कौन है ? उसका परिचय दीजिए।


उत्तर = उपर्युक्त कथन का वक्ता रामनिहाल है । वह श्यामा नाम की विधवा के यहाँ रहता है वह अत्यन्त
महत्त्वाकांक्षी होने के कारण कहीं भी टिक कर रह नहीं पाया । सदा ही घम
ू ता रहा ।

ii) उपर्युक्त कथन का श्रोता कौन है ? उसका परिचय दीजिए।


उत्तर = यहाँ श्रोता श्यामा है । वह विधवा है । वह बहुत समझदार, चरित्रवती, संवेदनशील, बद्
ु धिमती और दरू दर्शी
है । रामनिहाल उसी के घर में किराए पर रखता है ।

iii) वक्ता, श्रोता को उपर्युक्त बातें क्यों कह रहा है ? कारण सहित लिखिए।
उत्तर = रामनिहाल जब मनोरमा की सहायता के लिए श्यामा के घर से जा रहा था तो दःु ख के कारण रो रहा था और
यह बाह किशोरी ने श्यामा को बताई। तभी श्यामा वहाँ आई और उससे रोने का कारण पछ ू ने लगी तब वह अपने
मन की बात श्यामा को बताने लगा। उसने स्पष्ट कहा कि इतने स्थानों पर भटकने के बाद यहाँ उसे घर में रहने
जैसा अनभ ु व हुआ, अपनापन मिला। अब यहाँ से वह जाना नहीं चाहता, पर जाना पड़ रहा है ।

iv) सामान बाँधते हुए रामनिहाल के हाथों में क्या था? उसने किन वस्तओु ं को अपने उत्तराधिकार का अंश बताया?
उत्तर = सामान बाँधते हुए रामनिहाल के हाथों में कागज़ों का एक बंडल तथा एक बड़ा-सा लिफाफा था। वास्तव में
उस बंडल में सहायता माँगने के लिए मनोरमा के लिखे पत्र थे व लिफाफे में श्यामा का चित्र था उत्तराधिकार के रूप
में एक संदक
ू और थोड़ा-सा समान था।

4. "मेरी महत्वाकांक्षा, मेरे उन्नतिशील विचार मझ


ु े बराबर दौड़ाते रहे । में अपनी कुशलता से अपने भाग्य को धोखा
दे ता रहा।"
संदेह - 'जयशंकर प्रसाद'
i) उपर्युक्त कथन का वक्ता और श्रोता कौन-कौन है ?
उत्तर = उपर्युक्त कथन का वक्ता रामनिहाल और श्रोता श्यामा है ।

ii) मेरी महत्त्वाकांक्षा और मेरे उन्नतिशील विचार मझ


ु े बराबर दौड़ाते रहे "-आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर =रामनिहाल ने श्यामा से ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि अपनी उच्च महत्त्वाकांक्षाओं के कारण वह सदै व
भटकता रहा है । कमी भी एक स्थान पर टिक कर नहीं रहा। अपने घर-परिवार तक के विषय में भी उसने कभी कुछ
नहीं सोचा।
iii) वक्ता ने अपनी किस बात को मग ृ मरीचिका बताया है और क्यों? कारण सहित लिखिए।
उत्तर = ऐसी इच्छा जिसका परू ा होना संभव न हो, उसे मग ृ मरीचिका कहा जाता है । रामनिहाल अपनी उच्च
महत्त्वाकांक्षा के कारण कभी एक स्थान पर टिककर नहीं रहता था और सदै व यह सोचता रहता था कि यह दाँव
ठीक बैठा तो मैं अपने-आप पर विजयी जाऊँगा और फिर सख ु ी होकर संतष्ु ट होकर चैन से संसार के एक कोने में
बैठ जाऊँगा, पर वह कभी संतष्ु ट नहीं हुआ।
iv) वक्ता श्रोता से उपर्युक्त कथन किस प्रयोजन से कह रहा है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर = अब रामनिहाल को श्यामा का घर छोड़कर मनोरमा की सहायता के लिए जाना पड़ रहा है परन्तु वह जाना
नहीं चाहता है क्योंकि उसने जीवन में पहली बार घर के सख ु की अनभ ु व किया है । वह मन-ही-मन श्यामा से प्रेम
भी करने लगा है । उसे लग रहा है जैसे वह यहाँ से सदा के लिए ही जा रहा है । फिर कभी वह यहाँ लौटकर नहीं आ
पाएगा। इसलिए रामनिहाल ने श्यामा से ऐसा कहा।

5. "मैं चतरु था, इतना चतरु जितना मनष्ु य को न होना चाहिए, क्योंकि मझ
ु े विश्वास हो गया है कि मनष्ु य अधिक
चतरु बनकर अपने को अभागा बना लेता है और भगवान की दया से वंचित हो जाता है ।"
'संदेह' - जयशंकर प्रसाद

i) उपरोक्त कथन का वक्ता और श्रोता कौन है ? वक्ता ने स्वयं को ज़रूरत से अधिक चतरु क्यों कहा ? [2]
उत्तर = उपरोक्त कथन के वक्ता का नाम रामनिहाल और श्रोता का नाम श्यामा है ।
वक्ता रामनिहाल ने स्वयं को ज़रूरत से अधिक चतरु इसलिए कहा क्योंकि उनका मानना था कि संसार में सख ु
प्राप्ति के लिए नौकरी, व्यवसाय तथा उत्तराधिकार में अधिक धन प्राप्त होना चाहिए । वक्ता रामनिहाल ने श्यामा
से कहा कि वह तो यही समझता था कि एक दिन ऐसा अवश्य आएगा जब वह अपने परिश्रम से सब कुछ प्राप्त कर
लेगा। उसके बाद फिर किसी तरह की कोई कमी नहीं रहे गी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि अधिक पाने की चाह
में जो कुछ उसके पास था भी उसे भी वह प्राप्त नहीं कर सका।

ii) रामनिहाल के अनस ु ार उसे किस बात का विश्वास हो गया और क्यों ? [2]
उत्तर = रामनिहाल के अनस ु ार उसे इस बात का विश्वास हो गया कि मनष्ु य अधिक चतरु बनकर अपने आपको
अभागा बना लेता है और भगवान की दया से वंचित हो जाता है । उसे ऐसा विश्वास इसलिए हो गया क्योंकि वह
अपनी सोच परिश्रम के बाद भी निराश था । उसे लग रहा था कि लाख कोशिश करके संपन्नता के पीछे
भागते-भागते सारा जीवन बिता दिया फिर भी उसे सख ु -शांति नहीं मिल सकी। रामनिहाल को लगता है कि जब से
वह संसार को जानने लगा तभी से वह गह ृ हीन हो गया अर्थात संसार को समझने के चक्कर में पड़कर वह जीवन
की वास्तविकता से दरू हो गया।

iii) 'मनष्ु य अधिक चतरु बनकर अपने आपको अभागा बना लेता है ।' कथन का भाव स्पष्ट कीजिए। [3]
उत्तर = प्रस्तत
ु अवतरण में यह उल्लेख किया गया है कि कुछ लोग रामनिहाल की तरह परू े जीवन इस भ्रम में रहते
हैं कि वे जैसा चाहें गे वैसा करते रहें गे। ऐसे लोग इस बात में विश्वास करते हैं कि जीवन में कुछ भी अपने परिश्रम से
प्राप्त किया जा सकता है । वे जीवन भर कार्यों में इतने व्यस्त रहते हैं कि अपने घर परिवार से अधिक महत्त्व
धनार्जन को दे ते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि किसी दिन ऐसा ज़रूर होगा जब उनके जीवन का संघर्ष समाप्त हो
जाएगा और वे सख ु ी जीवन व्यतीत करें गे। उदाहरण के लिए रामनिहाल यही मानकर संतष्ु ट था कि उसके पास
उत्तराधिकार में प्राप्त धन एवं अच्छी-खासी गह ृ स्थी है । इन सबके सहारे वह उन्नतशील विचारों से प्रेरित होकर
महत्वाकांक्षी होता गया परिणामत: उसे सौभाग्य प्राप्ति के स्थान पर दख ु ही दख ु प्राप्त हुआ।

iv) क्या हम अपने कर्मों से ईश्वर की दया पा सकते हैं? [3]


उत्तर = हाँ, हम अपने कर्मों से ईश्वर की दया पा सकते हैं, अच्छे कर्म के कारण परिणाम भी अच्छे ही प्राप्त होते हैं।
इससे जीवन में सख ु व संतोष की प्राप्ति होती है । किसी पर संदेह करके व्यक्ति अपना विश्वास खो दे ता है । इसका
प्रभाव यह होता है कि वह धीरे -धीरे नकारात्मक सोच का शिकार हो जाता है । ईश्वर की दया सदै व स्नेह, संतष्टिु व
सफलता के रूप में होती है । पाठ के संदर्भ में समझें तो वक्ता रामनिहाल अधिक परिश्रम करने के बाद भी संतष्ु ट
नहीं था। उसे लगता था कि अभी तक वह जो कुछ सोचता या करता रहा वह सब भ्रम मात्र था। ऐसी दशा में वह
बार-बार उद्विग्न होता था। श्यामा के बार-बार रोकने पर भी वह अपनी परे शानी का कारण बताता रहा।

6. "मन के विनोद के लिए तम


ु ने अच्छा साधन जट
ु ाया है । तभी कायरों की तरह यहाँ से बोरिया-बँधना लेकर भागने
की तैयारी कर ली है । "
'संदेह' - जयशंकर प्रसाद

i) उपरोक्त कथन का वक्ता कौन है ? उसका संक्षिप्त परिचय दीजिए। [2]


उत्तर = उपरोक्त कथन के वक्ता का नाम श्यामा है । वह एक सरलहृदया स्त्री है । रामनिहाल उससे प्रेम करता है ।
वह दस ू रों की मदद करने में विश्वास रखती है । सरलता के बावजद
ू उसके स्वभाव में दृढ़ता है । वह रामनिहाल का
सही मार्गदर्शन करती है ।

ii) वक्ता ने किसके समक्ष अपने उद्गार प्रकट किए हैं? श्रोता ने अपने मनोविनोद के लिए क्या साधन जट ु ाया
था? स्पष्ट कीजिए ? [2]
उत्तर = वक्ता ने रामनिहाल के समक्ष अपने उद्गार प्रकट किया। वक्ता (श्यामा) के अनस ु ार श्रोता (रामनिहाल) ने
मनोविनोद के लिए यह साधन जट ु ाया था कि मनोरमा तो रामनिहाल से प्रेम करती थी जबकि रामनिहाल स्वयं
श्यामा से प्रेम करते थे।
इसका आशय यह हुआ कि वक्ता की स्थिति स्पष्ट नहीं है । वह भ्रम एवं संबध ं ों में अनिश्चय की स्थिति में है ।

iii) कायर व्यक्तियों का स्वभाव किस प्रकार का हो सकता है ? वक्ता ने श्रोता को कायर क्यों कहा है ? [3]
उत्तर = प्रस्तत
ु अवतरण से पता चलता है कि कायरों के स्वभाव में अस्थायी प्रेम होता है । वे किसी के प्रति परू ी
तरह समर्पित हों ऐसा संभव नहीं है । उनकी कथनी और वास्तविक सोच में समन्वय नहीं होता। ऐसे लोग दस ू रों को
अँधेरे में रखते हैं तथा दिखावे के लिए आत्म-प्रदर्शन करते हैं। कहानी के संदेश में समझें तो मनोरमा तो रामनिहाल
से प्यार करती है जबकि रामनिहाल, श्यामा से प्यार करता है । यह दोहरा चरित्र है । ऐसे मख ु ौटे वाले कायर ही होते
हैं।

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