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वाक्य रूपाांतरण

रचना के आधार पर वाक्य रूपाांतरर


वाक्य की पररभाषा
पदों के व्यवस्थितर रूप तरिा ऐसे पारथपररक मेल को, स्िससे
पू ण अिण का बोध हो तरिा स्िसमें कतराण,कमण और क्रिया की
व्यवथिा हो,वाक्य कहा िातरा है ।
वाक्य के अांग
वाक्य के दो अांग होतरे हैं।
1. उद्दे श्य 2. ववधेय
(क) उद्दे श्य
अध्यापक व्याकर पढा रहे हैं।
ववमल बािार िातरा है ।
उपयक्यण तर उदाहर ों में अध्यापक और ववमल उद्दे श्य हैं क्योंक्रक इनके ववषय
में कयछ कहा गया है । उद्दे श्य को कतराण भी कहतरे हैं।
❖ वाक्य में स्िसके ववषय में कयछ बातर कही िाए, वह उद्दे श्य कहलातरा है ।
(ख) ववधेय
उपयक्यण तर उदाहर ों में उद्दे श्यों के बारे में कयछ न कयछ कहा गया है -
व्याकर पढा रहे हैं- अध्यापक के ववषय में ,बािार िातरा है - ववमल के ववषय
में कहा गया है । अतर: ये ववधेय हैं।
❖ वाक्य में उद्दे श्य के ववषय में िो कयछ कहा िाए, उसे ववधेय कहतरे हैं।
वाक्य के प्रकार-
वाक्य के दो प्रकार हैं- (क) अिण के आधार पर
(ख) रचना के आधार पर
(क) अिण के आधार पर वाक्य आठ प्रकार के होतरे हैं।
1.ववधानवाचक 2. ननषेधवाचक 3.प्रश्नवाचक 4.इच्छावाचक
5.सांदेहवाचक 6.आज्ञावाचक 7.सांकेतरवाचक 8.ववथमयवाचक
रचना के आधार पर वाक्य रूपाांतरर
ननम्नललखखतर वाक्यों पर ध्यान दीस्िए –
1. मझ
य े बनारस िाना है ।
2. मझय े बनारस िाना है और वहााँ से बनारसी साडी खरीदनी है ।
3. पापा ने कहा है क्रक मयझे आि ही बनारस िाना है तरिा साडी खरीदकर
लखनऊ पहयाँचना है ।
इन वाक्यों में पहला वाक्य एक वाक्य है क्योंक्रक इसमें एक ही क्रिया है । दस ू रे
वाक्य में दो वाक्य हैं िो और योिक से िड य े हैं। तरीसरे वाक्य में तरीन वाक्य हैं,
ये योिक क्रक और तरिा से िड य े हैं। इस तररह वाक्य के तरीन भेद हैं।
1. सरल वाक्य 2. सांययक्तर वाक्य 3. लमश्र वाक्य
रचना की दृष्टि से वाक्य के तीन भेद हैं-
1.सरल वाक्य
स्िन वाक्यों में एक उद्दे श्य तरिा एक ही ववधेय होतरा है , सरल वाक्य
कहलातरे हैं। इन वाक्यों में एक मख् य य क्रिया होतरी है । सरल वाक्य लांबे एवां
छोटे दोनों प्रकार के हो सकतरे है ; िैसे
• रमेश प्रनतरददन घर का कायण करने के पश्चातर ् भी समय से थकूल पहयाँचतरा
है ।
• लोग टोललयााँ बनाकर मैदान में घूमने लगे।
• राव भूमांडल का थवामी िा।
❖उपरोक्तर वाक्य सरल वाक्य हैं, क्योंक्रक इन वाक्यों में केवल एक ही मयख्य
क्रिया है ।
2. सांयक्
ु त वाक्य
सांययक्तर में दो या दो से अधधक उपवाक्य होतरे हैं। तरिा वे सभी उपवाक्य
थवतरांत्र होतरे हैं तरिा समान थतरर के अिाणतर क्रकसी पर आधश्रतर नहीां होतरे हैं। ये
उपवाक्य ववलभन्न समानाधधकर योिक ( और, एवां, तरिा, या, अिवा, इसललए,
अतरः, क्रिर, भी, तरो, नहीां तरो, क्रकांतर,य लेक्रकन,अन्यिा,वरना आदद ) शब्दों की
सहायतरा से िड य े रहतरे हैं ; िैसे –
• ये विीर अली आदमी है या भूतर ।
• मझ
य े बख
य ार िा इसललए मैं ववद्यालय नहीां िा सका ।
• मैंने सरय े श की बहयतर प्रतरीक्षा की, क्रकन्तरय वह नहीां आया ।
❖ ये सभी वाक्य ववलभन्न समानाधधकर योिकों के द्वारा िड
य े हयए हैं।
3. मिश्र वाक्य
वे वाक्य स्िनमें एक प्रधान (मख्
य य) उपवाक्य हो तरिा एक या एक से अधधक
उपवाक्य उस पर आधश्रतर हों, लमश्र वाक्य कहलातरे हैं अिाणतर ् इन वाक्यों की
रचना एक से अधधक सरल वाक्यों से होतरी है । इसमें प्रयक्य तर उपवाक्य परथपर
व्यधधकर योिकों (िैसे यदद, क्रक, तरो, िो, अगर, इसललए आदद) से िड य े होतरे हैं,
िैसे-
• मैं भी वही भोिन खाऊाँगा, िो मेरे वपतरा ने खाया है । (प्रधान उपवाक्य)
(आधश्रतर उपवाक्य)
• गाय ही ऐसा पशय है, िो दहांदओ
य ां के ललए आदर ीय है । (प्रधान उपवाक्य)
(आधश्रतर उपवाक्य)
• यदद रमन पररश्रम करतरा, तरो अवश्य सिल होतरा। (प्रधान उपवाक्य)
(आधश्रतर उपवाक्य)
• िो स्ितरना बडा होतरा है उसे उतरना ही गथ
य सा कम आतरा है ।

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