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चरित्र – चचत्रण

4. इन्द ु : दादाजी की पोती ,पिे श की छोटी बहन ,परिवाि की इकलौती लड़की होने
के कािण सभी की ववशेषतः दादाजी की प्यािी औि घि के सदस्यों के बीच ववशेष
महत्व िखने वाली । घि की स्त्रियों में केवल वही थी स्त्रजसने प्राथचमक चशक्षा
हाचसल की थी अतः घि की सभी स्त्रियााँ उसे बहुत महत्त्व दे ती थी । स्वभाव से
सीधी पिं तु बेला की हमउम्र होने के कािण कई बाि छोटी बातों पि उससे उलझ
पड़ती थी । अपनी गलचतयों को समझकि उन्हें सुधािने वाली यही कािण था कक
पहले तो वह बेला को ताने मािती है एवं उससे लड़ती है पिं तु दादाजी के समझाने
पि अपनी गलती समझकि बेला के साथ प्रेम एवं सम्मान पूवक
व व्यवहाि किती
है । अतः हम कह सकते हैं कक इन्द ु परिवाि की लाड़ली बेटी होने के साथ
समझदाि ,स्पष्टवादी तथा स्त्रजद्दी स्वभाव की है ।

5. बड़ी भाभी : परिवाि की स्त्रियों में सबसे बड़ी सदस्या,दादा मूलिाज की सबसे
बड़ी बहू स्त्रजनके पचत 1914 के युद्ध में शहीद हो गए थे।स्वभाव से शांत एवं ववनम्र
तथा घि के सभी सदस्यों से प्रेम किने वाली एवं परिवाि की एकता को बनाए
िखने की पूिी कोचशश किने वाली । नौकिों से स्नेह किने वाली तथा उन्हें परिवाि
के सदस्यों की तिह मानने वाली यही कािण था जब वह दे खती है कक बेला ने
िजवा को काम से चनकाल कदया है तो वह उसे समझाने की कोचशश किती है ।
अतः हम कह सकते हैं कक बड़ी भाभी समझदाि ,वववेकशील ,ववनम्र , शांत तथा
क्षमाशील थीं ।

6. कमवचन्द : दादाजी का मंझला पुत्र ,जो स्वभाव से आज्ञाकािी , ववनम्र एवं शांत
स्वभाव का है । दादाजी की हि आज्ञा का पालन किने वाला तथा उनकी सेवा किने
वाला एवं उनके हि छोटे – बड़े काम में हाथ बंटाने के साथ – साथ घि के हि
सदस्य पि नज़ि िखते थे । यही कािण था कक उन्होंने दादाजी को सूचना दी कक
छोटी बहू का मन घि में नहीं लग िहा है वह शायद पिे श के साथ घि से अलग
होना चाहती है ।

7. छोटी भाभी : इन्द ु तथा पिे श की मााँ ,बेला की सास । घि की बात को घि में
ही िखने वाली, स्वभाव से शांत एवं ववनम्र तथा घि के सभी सदस्यों से प्रेम किने
वाली एवं परिवाि की एकता को बनाए िखने की पूिी कोचशश किने वाली । दादाजी
को ववशेष सम्मान दे कि उनकी हि आज्ञा का पालन किने वाली ।

8 . माँझली भाभी : घि के सदस्यों से प्रेम तो किती है पि उनकी हाँ सी उड़ाने


वाली,मज़ाककया स्वभाव की औि सभी की बातों को छुपकि सुनने वाली,इन्द ु औि
उसके स्वभाव में काफी समानताएाँ होने के कािण उन दोनों में ववशेष जमती
थी।दादाजी को ववशेष सम्मान दे कि उनकी हि आज्ञा का पालन किने वाली ।यही
कािण था कक दादाजी के समझाने पि वह बेला की हाँ सी उड़ाना बंद कि दे ती है ।

9. िजवा : घि की पुिानी औि वफादाि नौकिानी ,ईमानदाि घि के सभी सदस्यों


को अपना मानकि प्रेम किने वाली तथा उनका सम्मान किने वाली ।

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