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औरंगज़ेब की आखिरी रात

डॉक्टर रामकु मार वर्मा

नंदना के के
1st BA ENGLISH
औरंगज़ेब
औरंगज़ेब मुग़ल इतिहास का आखिरी बादशाह था। वह भारत पर राज करने वाल्व छठा मुग़ल शासक था।
उसका शासन 1658 से लेकर 1707 में उनकी मृत्यु तक चला।वह अकबर के बाद सबसे अधिक समय तक
शासन करने वाला मुग़ल शासक था।अपने जीवन काल में उसने दक्षिण भारत में मुग़ल साम्राज्य का विस्तार
करने का भरपूर प्रयास किया पर उस के मृत्यु के बाद मुग़ल साम्राज्य का सुकु ड़ना आरम्भ हो गया। 50 वर्ष
तक शासन करने के बाद उनकी मृत्यु दक्षिण के अहमदनगर में 3 मार्च सन 1707 में हो गयी।
औरंगज़ेब की आखिरी रात :एकांकी
एक ओर राज्यु में दुर्व्यवस्था फै ल गयी थी तो दूसरी ओर औरंगज़ेब बूढा हो गया था। उसके शरीर में पहली
जैसी शक्ति नहीं रही। वह आलमगीर नहीं बन पाया। वाह ज्वर और खांसी से पीड़ित था। उसकी आयु 89 थ।
इतने धन ,सेना, बड़े साम्राज्य के स्वामी होते हुए भी मृत्यु के समय उसके पास उसकी बेटी जीनत उन्नीसा
ही थी। जीनत के मन में पूरा भय और आशंका फै ली हुयी थी। औरंगज़ेब की खांसी एक पल भर के लिए भी
नहीं रुकती थी। वह बड़ा परेशान में था। औरंगज़ेब को लग रहा था की वह खांसी की आवाज़ नहीं बल्कि
माउथ की आवाज़ है और उसे कोई नहीं रोक सकता।
 जब औरंगज़ेब की व्याधा बढ़ती जा रही थी तब उसे अपने जीवन की सभी घटनाओ एक के बाद एक याद
आती है।
 उसने शंभाजी का वध किया था। मराठो के हिम्मत तोड़ने के लिए कई तरह से अत्याचार किये थे। इस्लाम के
नाम दुनिया में बुलंद करने के लिए उसने कई गलत रास्ते अपनाये थे।
 अपने सिंहासन बचाने के लिए उसने अपने बेटो को ही बंदी बनाया था। लेकिन अपने जीवन के अंतिम क्षणों में
उसे अपने करतूतो पर पश्चाताप हुआ।
 उसे पछतावा हुआ की इस्लाम के नाम पर उसने दुनिया को धोक्का दिया है। उसके पीड़ा एवं दर्द का यही
सबसे बड़ा कारण है।
• मरते समय उसे अपने द्वारा किये गए सभी अन्याय याद आयी।

• सिक्खो का शौर्य और बलिदान , शाहजहां को कै द रखना , शुजा और मुराद के हक़ चीन लेना ,


जजिया न देनेवाले हिन्दुओं को क्रू रता के साथ मारना आदि सब उसे अखर रहा था।

• ताजमहल को देखते देखते निराशा और व्याधा के साथ मरनेवाले शाहजहाँ को वह बूल नहीं पाया।

• भाई मुरादबख्श ने राजा रामसिंह के भयंकर वार से उसे बचाया था।

• पर बदले में औरंगज़ेब ने मुराद को मार डाला।

• जजिया माफ करने की मांग करने वाले हिन्दुओ पर औरंगज़ेब ने हाथियों को चलाकर उने मारा था।
• जब उसे अपने द्वारा किये गए अन्यायों का एक के बाक एक याद आता रहा तब वह कातिब को
बुलाकर उसने अपने बेटो को ख़त लिखवाया।

• उस खत में वह अपने जीवन भर के कु कर्मो के लिए पछताता रहा।

• औरंगज़ेब चाहते थे की अपनी बेटी जीनत से कहा कि उसके देह को बिना कफ़न या ताबूत यो
ही जमीन में दफ़न किया जाए।

• वह कहते हे कि जमीन पर बानी मिटटी कि कब्र पर जब हरियाली छाएगी तो उसे ख़ुशी होगी।

• अपने अपराधों की क्षमा चाहता हुआ आलमगीर , दारा, शुजा ,मुराद के नाम लेते हुए अजान के
शब्दों को दुहराते हुए मर गए।
धन्यवाद

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