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अपनी बात

लेबनान म ज मे खलील िज ान अरबी, अं ेजी, फारसी क ाता, दाशिनक और िच कार थे। बाद म उनका
प रवार अमे रका जाकर बस गया। उनक रचनाएँ 30 से अिधक भाषा सिहत िहदी, गुजराती, मराठी, उदू म
अनूिदत हो चुक ह। आज लोग उ ह लेबनान क ‘अमरदूत’ क प म जानते ह।
खलील िज ान ने अरबी भाषा म अनेक पु तक क रचना क । स 1918 क आसपास उनका झुकाव अं ेजी म
लेखन क ित आ। उनक अपूव लेखन-शैली और गहन िवचार ने अमे रका, यूरोप और पूर एिशया म जनमानस
को भािवत िकया। अपनी पु तक पर िच ांकन खलील िज ान वयं िकया करते थे। िच कला म उनक तुलना
अमे रका क महा कलाकार आग ट रोिडन और िविलयम लैक से क जाती ह। एक बार आग ट रोिडन ने किव
िज ान से अपना िच बनवाने क इ छा कट क ।
उनक िवचार उ कोिट क सुभािषत या कहावत प म होते थे, िज ह वे कागज क टकड़ , िथएटर क
काय म क कागज , िसगरट क िड बय क ग तथा फट ए िलफाफ पर िलखकर रख देते थे। उनक िनजी
सहायक बारबरा यंग को उ ह इक ी कर कािशत कराने का ेय जाता ह। उ ह हर बात या कछ कहने क पूव
एक या दो वा य सू प म सू कहने क आदत थी। उनम अ ुत क पना श थी। उनक सू वा य आज
भी ासंिगक ह, जो जनजीवन को गहर भािवत करने म स म ह।
तुत पु तक म लाख लोग क ेरणा ोत खलील िज ान क ेरणा द संि जीवनी और उनक अनमोल
वचन संकिलत ह। िन त ही यह पु तक सुिध पाठक क िलए सं हणीय होगी।
—लेखक
संि जीवनी
संसार क े िचंतक म शुमार खलील िज ान का ज म माउट लेबनान क िबशेरी (वतमान रप लक ऑफ
लेबनान) नामक गाँव म 6 जनवरी, 1883 को आ। उनक माँ का नाम कािमला रहामी था, जो एक पादरी क
बेटी थ । उनक िपता का नाम खलील था, जो थानीय सु तान क मुलािजम थे। उनक ज म क समय कािमला क
उ 30 वष थी। खलील िज ान उनक तीसर पित क पहली संतान थे। उनक ज म क बाद कािमला क दो क याएँ
और उ प ई, स 1885 म म रयाना तथा स 1887 म सुलताना।
अमे रका जाने का फसला
स 1891 म िज ान क िपता को एक गबन क मामले म उनक सारी चल-अचल संपि ज त करक जेल म डाल
िदया गया। इस वाकये से प रवार क िजंदगी म एकाएक तूफान आ गया। गाँव भर म बदनामी ई सो अलग।
आिथक बदहाली और भुखमरी से त कािमला ने तब अपने पूव पित क बेट बुतरस पीटर क पास अमे रका जाने
का फसला िकया। खलील िज ान का सौतेला भाई बुतरस पीटर उ म खलील से छह साल बड़ा था।
बो टन म कािमला से सगल का काम करक प रवार पालने लगी। बाद म म रयाना और सुलताना भी उसक
काम म हाथ बँटाने लग , िजससे प रवार का खच ठीक-ठाक चलने लगा। िज ान को बचपन से ही िच कला से
यार था। उ ह कागज नह िमलता तो घर क बाहर बफ पर बैठकर घंट िच बनाते रहते।
िश ा
गरीबी क कारण उनक कली िश ा देरी से शु ई। 12 वष क उ तक िज ान कल नह जा सक। बाद म
उ ह वासी क िलए खुले बो टन क ंसी कल म उ ह वेश िमल गया। यह िज ान ने िच क मा यम से
अपनी अ यािपका लोरस पीअस का यान आक िकया। स 1897 म िज ान अरबी भाषा क पढ़ाई क िलए
लेबनान गए। लेबनान म रहकर वे पढ़ाई क साथ-साथ िच कला का अ यास भी करते रह।
सदमा
स 1898 म मा 15 वष क आयु म िज ान ारा बनाए गए िच पु तक क मुख-पृ पर छपने शु हो गए।
स 1899 म वे बो टन लौट आए। इसी बीच स 1902 से 1903 क बीच उ ह एक-एक कर बहन सुलताना, भाई
पीटर तथा माँ कािमला क मौत का गम झेलना पड़ा। इससे वे पूरी तरह टट गए। बहन म रयाना भी टी.बी. क
चपेट म आ गई थी। प रवार क आिथक हालात खराब थे।
उनक रचना मक काय क गए थे। तब छोटी बहन म रयाना ने उ ह े रत िकया िक वे घर क िचंता छोड़कर
पूरी श से लेखन व कला पर यान द। उनक िच ने ज दी ही दुिनया का यान आकिषत कर िलया। कला क
िश ा क िलए वे बो टन से पे रस गए। स 1912 म उ ह ने यूयॉक म अपना टिडयो ‘द हरिमटज’ खोल िलया।
अरब रचनाकार को एकजुट करने का यास स 1920 म उ ह ने अरब लेखक को एकजुट करने क ि से
एक सं था का गठन िकया।
अरबी पु तक काशन का िसलिसला
उनक पहली पु तक स 1905 म कािशत ई, जो अरबी म थी—‘नु था-िफ-फन अल-मुिसका’। वह संगीत पर
कि त थी। स 1906 म उनक दूसरी अरबी पु तक आई—‘अराइस अल-मु ज’ (अं ेजी अनुवाद ‘द िन स
ऑफ द वैली’) िजसम तीन कहािनयाँ थ । इनम वे यावृि , धािमक दबाव व अंधिव ास तथा िदखावटी ेम को
िवषय बनाया गया था। िज ान क तीसरी अरबी पु तक ‘अल-अरवाः अल-मु म रदाः’ (अं ेजी अनुवाद ‘ स
रबेिलअस’) माच 1908 म आई। अरबी म कािशत होनेवाली उनक अ य पु तक ह—अल-अजिनहा अल-
मुतक सरा (अं ेजी अनुवाद ‘ ोकन िवं स’, 1912), अल-मवािकब (अं ेजी अनुवाद ‘द ोसेशंस’, 1919),
अल-अवािसफ (अं ेजी अनुवाद ‘द टपे स’ अथवा ‘द टॉम’, 1920), इरम, धात अल-इमाद (1921, अं ेजी
अनुवाद ‘इरम, द िसटी ऑफ लो टी िपलस), अल-बदाइ वाल-तराइफ (अं ेजी अनुवाद माव स ऐंड मा टरपीसेज
अथवा ‘द यू ऐंड द मावलस’, 1923)।
अं ेजी पु तक
अं ेजी म कािशत उनक पु तक ह—द मैडमैन (1918), टी ॉइ स (1919), द फोररनर (1920), द
ोफफट (1923), सड ऐंड फोम (1926), िकगडम ऑफ द इमेिजनेशन (1927), जीसस, द सन ऑव मैन
(1928), द अथ गॉ स (1931), द वांडरर (1932), गाडन ऑव द ोफट (1933) तथा लजारस ऐंड िहज
िबलिवड (नाटक, 1933)। पहली अं ेजी पु तक क काशन से ही िज ान क िगनती अमरीका क तरीय
सािह यकार म होने लगी थी।

जीवन को छती रचनाएँ


खलील िज ान क रचनाएँ मु यतः दैिनक जीवन क संदेश जैसी ह, इसिलए वे हमार जीवन को छती-सी महसूस
होती ह। खलील िज ान क कथा म दैनंिदन जीवन का कोई-न-कोई संग मौजूद होता ह, जो पाठक को सीधा
जोड़ लेता ह। उनक सू याँ सीधे मम पर चोट करती ह। यथा—
काश! म एक कआँ होता, सूखा और झुलसा आ और मनु य मेर अंदर प थर फकते, य िक यह अ छा ह
यय हो जाना, अिपतु जीिवत जलकर उ म बनना, जबिक मनु य उसक बगल से गुजर और उसका पान न कर।
उनका मानना ह िक आदमी का आकलन उसक कम तय करते ह।
गु देव रव नाथ टगोर से भट
खलील िज ान अनेक बार गु देव रव नाथ टगोर से िमले। िज ान का कथन ह, ‘‘उनक वाणी ने मेर भीतर बेचैनी
भर दी। वे ई र क पूण कित ह।’’ भारतीय दशन ने भी खलील को गहर भािवत िकया। इसक छाप उनक
सू य , भावकथा और बोध-कथा पर साफ देखी जा सकती ह।
वभाव से न , मौनि य, भावुक, अ छ ोता, ी अिधकार क प धर और सकारा मक आ या मक
मागदशक िज ान क लेखन व िच ण म मुसिलम, सूफ , बहाई, िहदू और बौ आ या मक दशन क साथ-साथ
ईसा मसीह, मुह मद, लेक, नी जे, क स, यी स, हटमैन, इमसन और अनेक त कालीन िच कार व िचंतक
क िवचार का अ ुत संगम देखने को िमलता ह।
देहावसान
अ यिधक मिदरापान क लत से लीवर खराब हो जाने क कारण 10 अ ैल, 1931 को 48 वष, 3 माह, 4 िदन क
अ पायु म यूयॉक थत सट िवंस स अ पताल म किव, कथाकार, िच कार, मूितकार, लेखक, दाशिनक, धम-
अ येता िज ान का देहावसान हो गया। उ ह ने 16 पु तक क रचना क , िजनका अनुवाद संसार क 30 से अिधक
अनेक भाषा म हो चुका ह।
िज ान क जीवन म अनेक मिहलाएँ आई, लेिकन उ ह ने शादी नह क । इसक वजह भी बताई। एक बार कछ
मिहलाएँ िज ान से िमलने आई। उ ह ने उससे पूछा, ‘‘अभी तक शादी य नह क ?’’ वे बोले, ‘‘देखो, यह कछ
य ह िक अगर मेरी प नी होती और म कोई किवता िलख रहा होता या पिटग बना रहा होता, तो कई-कई िदन तक
मुझे उसक होने क याद तक न रहती। और आप तो जानती ही ह िक कोई भी अ छी मिहला इस तरह क पित क
साथ लंबे समय तक रहना नह चाहगी।’’
बारबरा यंग उनक आिखरी िदन म उनक साथ रह । िज ान क देहावसान क समय बारबरा अ पताल म उनक
िनकट ही थ । उनक मृ यु क बाद उ ह ने उनक अंितम इ छानुसार उनक पिट स और दूसरी चीज को लेबनान म
उनक गृह-नगर िबशेरी थत उनक घर िभजवा िदया।
म खलील िज ान बोल रहा
अंतः ेरणा
किव हमार दय क खून म अपनी लेखनी डबोते ह और िफर समझते ह िक उ ह अंतः ेरणा ई ह।
अंतः ेरणा क गीत सदा गाए जाते ह, अंतः ेरणा क या या नह क जाती।
अंतर
अ यंत धनी और अ यंत िनधन म एक िदन क भूख और एक घड़ी क यास का अंतर ह।
अंतरा मा
म अपनी अंतरा मा से कभी पूर प से सहमत नह आ । मालूम होता ह िक यथाथ बात कह हम दोन क बीच
म ह।
तु हारी अंतरा मा तु हार िलए सदा दुःख मानती रहती ह। पर यह दुःख ही उसको पु करनेवाला भोजन ह।
इसिलए यह अब ठीक ही ह।
अंतराल
साथ नाचो, गाओ पर िफर भी अपनी िनकटता क बीच कह -कह अंतराल भी छट जाने दो।
अंत र
उसक िलए, जो आकाशगंगा क िखड़क से नीचे झाँकता ह, अंत र धरती और आकाश क बीच क जगह नह
ह।
अंधकारमय
जब रात आए और तुम भी अंधकारमय हो, तो अपने िबछौने पर लेट जाओ और वे छा से अंधकारमय बन
जाओ। और जब िदन िनकले और तुम इसी तरह अंधकारमय हो, तो उठ बैठो और ढ़ संक प क साथ िदन से
कहो, ‘म अब भी अंधकारमय ।’
अंधा
वह आदमी िकतना अंधा ह, जो अपनी जेब क पय से तेरा दय मोल लेना चाहता ह!
अंशमा
तुम अपनी देवकाय आ मा क एक अंशमा हो; तु हारा मुँह रोटी माँग रहा ह और अंधा हाथ यासे ह ठ से लगाने
क िलए याला िलये ए ह।
अकलापन
मेर जीवन क आवाज तेर जीवन क कान तक नह प च सकती। िफर भी हम आपस म बात करते ही रहनी
चािहए, िजससे हम अकलापन अनुभव न कर।
अक
अतीत म होनेवाले सभी ाणी आज भी हमार साथ जीवन िबता रह ह, तो िफर िन संदेह हमम से कोई भी अकपालु
मेजबान बनना नह चाहगा।
अगुआ
आप वयं अपनी अगुआई करनेवाले ह। मीनार, जो आपने खड़ी क ह, वे आपक िवशाल य व क नव ह
और वह य व भी न व ही ह।
म वयं भी अपना अगुआ आप । सूय दय क समय लंबा पड़ता मेरा साया दोपहर होने तक मेर कदम म आ
िसमटता ह। िफर दूसरा सूय दय दूसरा साया मेर सामने िबछा देगा और दोपहर होने पर वह भी मेर कदम म आ
िसमटगा।
हमेशा ही हम वयं अपने अगुआ होते ह। हम वैसा ही हमेशा होना भी चािहए। वह ताकत जो हमने सँजोई ह, और
वह जो आगे हम सँजोनी ह, अभी तक भी जुत न सक खेत म डाले गए बीज बननी चािहए। खेत, िकसान, ताकत
और ताकत को सँजोनेवाला, सबकछ हम ही ह।
आप वयं अपने अगुआ ह। आप मेर फ त दय पी बाग क ार से गुजरते अजनबी ह और म भी अपना
वयं का अगुआ , लेिकन म अपने वृ क साए म बैठा और थर ।
अ ानी
िजस य को तुम अ ानी और तु छ समझते हो वह भगवा क ओर से आया ह, हो सकता ह वह दुःख से
आनंद और िनराशा से ान सीख ले।
अ छा
यथाथ म अ छा वही ह, जो उन सब लोग से िमलकर रहता ह, जो बुर समझे जाते ह।

अितिथ
यिद अितिथ नह होते तो सब घर क बन जाते।
अितशयो
अितशयो एक ऐसी यथाथता ह, जो अपने आपे से बाहर हो गई ह।
अनंत का ार
सपन म यक न करो, य िक उ ह म अनंत का ार िछपा ह।
अनुभव
जब तुम जानने यो य सब बात को जान चुक होते हो, तब तुम अनुभव करने यो य बात क ार तक प चते हो।
अनुयायी
न तो हम िकसी िवशेष य का अंधा अनुयायी बनना चािहए और न िकसी सं दाय िवशेष का अनुयायी।

अ याय
मेर साथ कवल उस आदमी ने ही अ याय िकया, िजसक भाई क साथ मने अ याय िकया था।
अपराध
इससे बड़ा और या अपराध हो सकता ह िक दूसर क अपराध को जानते रह।
अपराध या तो आव यकता का दूसरा नाम ह या वह बीमारी का एक प ।
जब तु हारी आ मा पवन पर सवार होकर मण करने गई होती ह और जब तुम अकले और असंरि त रह जाते
हो, तभी तुम दूसर क ित फलतः अपने ही ित अपराध करते हो।
कोई पिव और पु या मा भी उस उ तम से ऊचा नह उठ सकता, जो तुमम हरक म मौजूद ह। उसी कार कोई
दु और दुबल उस िनक तम से नीचे नह िगर सकता, जो तुमम मौजूद ह। जैसे एक प ी भी संपूण पेड़ क
खामोश जानकारी क िबना पीली नह पड़ती, वैसे ही अपराधी तुम सबक िछपी ई इ छा क िबना अपराध नह कर
सकता।
हम एक अपराध का बदला लेने क िलए दूसरा बड़ा अपराध करते ह और िच ाते ह िक यह इसाफ ह!
दूसर क अपराध को जानना ही सबसे बड़ा अपराध होता ह।
अपराध या ह? या तो वह आव यकता का दूसरा नाम ह या िकसी बुराई का ल ण।
अपराधी
मनु य क वाथपरता का पहला पश सीधे-सादे इनसान को अपराधी बना डालता ह।

अप रिचत
मेर िम ! हम दोन जीवन से अप रिचत रहगे, यहाँ तक िक आपस म और अपने से भी। पर यह बात उसी िदन तक
रहगी, जब तक म तु हारी आवाज को अपनी ही आवाज समझकर न सुनूँगा। और उस समय जब म तु हार सामने
खड़ा गा, तो यह महसूस होगा िक मानो म दपण क सामने खड़ा ।
अिभलाषा
िकसी य क िदल-िदमाग को समझने क िलए इस बात को न देख िक उसने अभी तक या ा िकया ह,
अिपतु इस बात को देख िक वह या अिभलाषा रखता ह।
कोई अिभलाषा यहाँ अपूण नह रहती।
िविच बात ह िक सुख क अिभलाषा मेर दुःख का एक अंश ह।
अमीर
खून बहाना हराम ह, लेिकन अमीर क िलए यह िकसने हलाल कर िदया?

अमीर और गरीब
अमीर और गरीब का फक िकतना नग य ह। एक ही िदन क भूख और एक ही घंट क यास दोन को समान
बना देती ह।
अिपत
दय को अिपत करो, लेिकन एक दूसर क संर ण म मत रखो।

अलग - अलग
एक जगह पर खड़ तो रहो, िकतु ब त अिधक सट मत जाओ। जैसे वीणा क तार एक ही राग म किपत होते ए
भी अलग-अलग ह।
अवहलना
मानवीय अवहलना िकतनी र होती ह!
अ तव
यिद तुम एक बादल पर बैठ जाओ और नीचे देखो तो तुम पाओगे िक दो देश को िवभािजत करनेवाली िकसी
सीमा का अ त व ही नह ह, और न ही एक खेत को दूसर खेत से अलग करने का िनदशक प थर ही ह। दयनीय
तो यह ह िक तुम बादल पर बैठ ही नह सकते।
अगर मेरा अ त व िकसी क न होने का कारण बनता ह तो मौत मुझे अिधक आकषक और ि य होगी।
आँख-िमचौनी
आओ, हम आँख-िमचौनी का खेल खेल और एक-दूसर को ढढ़। यिद तुम मेर दय म छपो तो तु ह ढढ़ना मेर
िलए किठन न होगा। पर यिद तुम अपने ही तन म छप गए तो मेर िलए तुमको ढढ़ना ही यथ होगा।
आँसू
हमार पिव तम आँसू कभी हमारी आँख क बाट नह देखते।
आकित
यिद तुम सचमुच आँख खोलकर देखो तो तु ह येक चहर म अपनी आकित िदखाई देगी।
आकाश
अपने व न को आकाश म तलाश करो। आकाश तु ह तु हारी ेयसी से िमला देगा।
आकाशगंगा
यिद आकाशगंगा मेर अपने ही भीतर न होती, तो म उसे कसे देख या पहचान सकता था?
आगे बढ़ो
आगे बढ़ो, कभी को मत, य िक आगे बढ़ना पूणता ह। आगे बढ़ो और रा ते म आनेवाले काँट से डरो मत,
य िक वे िसफ गंदा खून िनकालते ह।
आ ा
कल हम राजा क आ ा मानते थे और शासक क सामने िसर झुकाते थे। लेिकन आज हम कवल स य क
सामने घुटने टकते ह, सुंदरता का अनुसरण करते ह, और कवल ेम क आ ा मानते ह।
आजाद
आकाश क ऊचाइय को भला कौन पा सकता ह, ऐसा कौन ह जो गगन म समा सकता ह? िसवा उसक जो
आजाद ह और जो वहाँ तक प चने क इ छा रखता ह।
आजादी
आपक जीवन म आजादी नह ह तो आप उस शरीर क तरह ह, िजसम से आ मा गायब ह।
भूल जाना भी आजादी का एक प ह।
अतीत
हम सब पिव पवत क िशखर पर चढ़ना चाहते ह, तो िफर यिद हम अतीत को अपना पथ- दशक बनाने क
बजाय उसे अपना िच -न शा बनाएँ तो या हमारा माग सरल न बन जाएगा?
आ म-अनुगरह
आ म-अनु ह का यह भी िविच ढग ह िक कभी-कभी म अपने आपको लोग क अ याचार और धोखे का िशकार
इसिलए बनाना चाहता िक म उन लोग क बु पर हस सक, जो यह समझते ह िक म अपने साथ होनेवाले
अ याचार और धोखे को नह समझता।
आ मकथा
यिद एक वृ अपनी आ मकथा िलख सकता, तो वह िकसी जाित क इितहास से िभ न होती।
आ म ान
आ म ान सभी ान क जननी ह।
तम अपने आ म ान क अनुसार ही दूसर क गुण-दोष का िनणय कर सकते हो। पर अब मुझे बताओ तो सही िक
हमम कौन अपराधी ह और कौन िनरपराध।
आ मबोध
आ मबोध मनु य क जीवन म अित आव यक ह और यही मानव-जीवन का एकमा उ े य ह। ये तो िदल क
रोशनी ह, ब त यान से देखनी पड़ती ह।

आ मर ा
कई बार आ मर ा क िलए मुझे दूसर से घृणा करनी पड़ी ह। पर यिद मुझम इससे अिधक श होती, तो म अपने
बचाव क िलए यह साधन काम म न लाता।
आ मा
अभी कल तक म यह समझता था िक मेरी आ मा जीवन क िवशाल प रिध म पंदन रिहत एक छोटा सा काँपता
आ अंशमा ह और आज मने जाना िक िवशाल प रिध म ही , और इन पंदनमय अंश से यु यह सम त
जीवन मेर ही अंदर गितशील ह।
आ मा जो चाहती ह वह पा लेती ह।
पु ष जब एक ी क हाथ को छता ह, तो वे दोन अनंत क आ मा को छते ह।
िजनक आ मा सोई ई ह और शरीर लय से बाहर ह, आ मक शांित और दैिहक सुख क बीच ं उनक
म त क म नह होता।
महा -से-महा आ मा भी दैिहक ज रत क अवहलना नह कर सकती।
भारी ह मेरी आ मा अपने वयं क पक ए फल से, कौन अब आएगा, खाएगा और तृ होगा? मेरी आ मा
लबालब भरी ह मेरी ही मिदरा से, कौन अब ढालेगा, िपएगा और ठडा होगा?
आ मा िजंदगी म कछ नह देखती िसवा उसे बचाने क जो वयं उसम िनिहत ह। यह अपने िनजी ण क अलावा
िकसी और म यक न भी नह करती। और जब यह िकसी अनुभव से गुजरती ह तो ा अनुभूित इसका अपना
िह सा बन जाती ह।
जीवन क इन सम त िन सारता म कवल एक ही व तु ह, िजससे आ मा ेम करती ह, िजसे वह चाहती ह।
एक और अकली देदी यमान व तु आ मा क जागृित, वह ह दय क आंत रक गहराइय का उ ोधन।
मु आ मा का िनमाण ही धमभावना का काय ह। इसे ा करनेवाला य ही िव ेम एवं मानव क याण क
बात कर सकता ह।
आदमी
आदमी का आकलन उसक ज मने या मरने से नह होता, न ही इससे िक अमुक थान पर वह लंबे समय तक रहा
ह। आदमी अपने आने को ज म क समय रोने और जाने को मृ यु से घबराने क ारा दज करता ह।
मने आदमी को इसीिलए छोड़ा, य िक मने देखा िक मेरी आ मा क पिहय से जोर से टकरा रह ह और दूसरी िदशा
म घूमते ए दूसरी आ मा क पिहय से जोर से टकरा रह ह।
यिद तुम िकसी आदमी को कदखाने िलये जाते ए देखो, तो अपने मन म यह कहो, ‘कदािच यह इससे भी
अिधक तंग और अँधेर कदखाने से बचना चाहता हो।’ और यिद तुम नशे म चूर िकसी आदमी को देखो, तो अपने
मन म यह कहो, ‘कदािच इसने नशे से भी बुरी चीज से बचने क िलए शराब पी हो।’
जो आदमी भलाई को बुराई से अलग करनेवाली रखा पर उगली रख सकता ह, िन संदेह वही आदमी परमा मा क
चरण को छ सकता ह।
यथाथ म अ छा आदमी वही ह, जो उन सब लोग से िमलकर रहता ह, जो बुर समझे जाते ह।
शायद आदमी आ मर ा क िवचार से आ मघात भी कर ले।
देवता जानते ह िक ब त से यावहा रक आदमी मधुर व न क संसार म खोए ए क पनाशील लोग क गाढ़ी
कमाई से रोटी खाते ह।
जो आदमी तु हार सुख म शािमल होता ह, पर दुःख म तु हारा साथ नह देता, वह वग क सात ार म से एक
क कजी खो बैठगा।
गहरा आदमी गहराइय म और उ िवचारक ऊचाइय म सीधा चला जाता ह, पर कवल बड़ दयवाले आदमी ही
बड़ े म च र लगा सकते ह।
या सुंदरता ह! एकदम जीवंत! व न-जैसी िद य! हजार साल से सोई पड़ी सहज मुखाकित। कोई कसे इतनी
खूबसूरत चीज को कवल कछ पय क बदले बेच सकता ह? कवल मुदा और व नहीन आदमी ही ऐसा कर
सकता ह।
उस आदमी क बार म, िजसे ई र ने दो औरत क बीच जकड़ रखा हो, तु ह या बताऊ? उनम से एक औरत
उसक सपन को जाग कता म बदलती ह और दूसरी, उसक जाग कता को सपन म।
आधा भाग
जो कछ मने तुमसे कहा ह, इसका आधा भाग िनरथक ह, पर म इसको इसिलए कहता िक दूसरा आधा भाग
तु हारी समझ म आ जाए।

आ या मक
आ या मक उ यन क िदशा म हमारी गित ब त धीमी ह, य िक हमने युवा क उ साह का ब त कम
उपयोग िकया।
आनंद
मुझे यिद किवता िलखने क श और अिलिखत किवता क आनंद म से िकसी एक को चुनने का अवसर िमले,
तो िन संदेह म आनंद लेना अिधक पसंद क गा, य िक वह किवता से बेहतर ह। पर तुम और मेर सभी पड़ोसी
इस बात पर सहमत ह िक म अ छी व तु को छोड़कर बुरी व तु पसंद करता ।
आनंदवृि
आनंदवृि संतुलन क भावना क स श ह।
आिलंगन
दो ेमी आिलंगन करते समय एक-दूसर का इतना आिलंगन नह करते, िजतना िक वे अपने बीच क िकसी व तु
का आिलंगन करते ह।

आवाज
तुम मुझे कान दो, म तु ह आवाज दूँगा।
आशा
यिद तु हार दय म ई या, घृणा का ालामुखी धधक रहा ह, तो तुम अपने हाथ म फल क िखलने क आशा
कसे कर सकते हो?

आ य
क ड़-मकोड़ धरती पर चल सकते ह, पर या यह आ य क बात नह ह िक हाथी भी आ मसमपण कर द?
यह िकतने आ य क बात ह िक हम अपने अपराध क सफाई पर अपने अिधकार क र ा क अपे ा अिधक
श लगाते ह।
आ था
आ था एक अंतरग ान ह, माण से पर।
आ तक-नासित
एक ाचीन नगर म िकसी समय म दो िव ा रहते थे। उनक िवचार म बड़ी िभ ता थी। एक-दूसर क िव ा
क हसी उड़ाते थे, य िक उनम से एक आ तक था और दूसरा ना तक। एक िदन दोन बाजार म िमले और
अपने अनुयाियय क उप थित म ई र क अ त व पर बहस करने लगे। घंट बहस करने क बाद एक-दूसर से
अलग ए। उसी शाम को ना तक िगरजे म गया और वेदी क सामने िसर झुकाकर अपने िपछले पाप क िलए
मा माँगने लगा। ठीक उसी समय दूसर िव ा ने भी, जो ई र क स ा म िव ास करता था, अपनी पु तक
जला डाल , य िक अब वह ना तक बन गया था।
इ छा
कछ सुख क इ छा ही मेर दुःख का अंश ह।
इनसान क क पना और उसक प च क बीच म अंतर ह, िजसे कवल उसक इ छा ही पार कर सकती ह।
इस संसार म ऐसी कोई इ छा नह ह, जो पूरी न हो सक।
िजसक हम इ छा ह और िजसे हम ा नह कर सकते, वह हम उसक अपे ा अिधक यारी ह, जो हम ा
ह।
संसार का सबसे ऊचा पवत। यिद तुम उसक चोटी पर प च जाओ, तो तु हार दय म कवल एक ही इ छा रहगी
िक नीचे उतरकर अ यंत नीची घाटी म रहनेवाल क साथ र ।
मुझे अनंत म जाने क ती इ छा ह, य िक वहाँ ही म अपनी अनिलखी किवता और अिचि त िच को
पाऊगा।
इनसान
परमा मा क सव थम िवचार म एक देवता था। पर परमा मा क सव थम वचन से मानव—इनसान ही िनकला।
इनसान क एक नह दो प ह, एक अंधकार म जागता ह, और दूसरा काश म सोता ह।
समु और जंगल क वायु से हम वाणी िमलने से सह वष पहले हम इनसान सृि क फड़फड़ाते और घूमते ए
इ छक जीव मा थे।
जब एक इनसान ऐसा झूठ बोलता ह, जो न तु ह हािन प चाता ह और न िकसी दूसर को, तो तुम अपने मन म यह
य नह कहते िक इसक वा तिवकता का घर इसक क पना क िलए इतना छोटा ह िक उसे बड़ थान क
िलए उस घर को छोड़ना पड़ा ह।
उस इनसान क बार म, िजसे ई र ने दो रोशिनय क बीच रख िदया हो, या क ? वह दुखी ह या सुखी? या
इस दुिनया म वह एक अजूबा ह?
इमारते
नह , हम यथ ही नह िजएँ। ऊची-ऊची इमारत हमारी ह य से ही बनी ह।
ई र
हम ई र क हाथ म ह। उसक दाएँ हाथ म तुम सूरज हो और बाएँ हाथ म धरती। लेिकन तु हारी चमक उतनी
नह ह, िजतनी मेरी। और हम सूरज और धरती— यापक सूरज और धरती बनने क शु आत भर ह और हमेशा
शु आत ही बने रहगे।
ई र अनंत यापक ह। इन आँख से उसे नह देखा जा सकता।
िजसने वष पहले ई र क खोज म संसार को याग िदया, जब तक वह अपनी किटया और उसक एकांत को
छोड़कर हमार दुःख-दद म, हमारी खुिशय म िह सा बँटाने, शव से िलपटकर रोते-िबलखते लोग क साथ रोने क
िलए संसार म नह लौटगा, उसे ई र नह िमलेगा।
ई र ने हम हमार भीतर िछपी बुराइय पर िवजय पानेवाला बनाया ह।
िसफ गूँगे ही बातून से ई या करते ह।
बातूनी आदमी पर िसवाय गूँगे आदमी क और कोई दूसरा ई या नह करता।
या देवलोक म रहनेवाली आ माएँ दुःख और शोक क मार इनसान से ई या नह करत ?
ह ई र! तेरी ही इ छा से माँ ने मुझे ज म िदया। और तेरी ही इ छा से यह धरती ख म होने से पहले मुझे तुझे स प
देना चाहती ह।
उ कठा
उ कठा ान क शु आत ह।
उ म और पितत
तुम अपने घर क िखड़क क पास बैठकर नीचे सड़क पर जानेवाल को देख सकते हो। सड़क पर चलनेवाल म
तु ह एक सा वी दाएँ हाथ को जाती ई िदखाई देती ह और एक वे या बाएँ हाथ को जाती ई। और तुम अपने
भोलेपन और सरलता म अपने दय म कह सकते हो, ‘यह सा वी िकतनी उ म और पु यवान ह और यह वे या
िकतनी अधम और पितत ह!’ पर यिद तुम अपनी आँख बंद कर लो और कछ देर कान लगाकर सुनो तो तु ह
आकाश म यह वाणी गूँजती ई सुनाई देगी, ‘एक मुझे ाथना से खोजती ह और दूसरी दुःख और क से बुलाती
ह और इन दोन म से हर एक क आ मा म मेरी आ मा क िलए आ य ह।’
उदारता
उदारता िजतना आप दे सकते ह उससे अिधक देना ह, और गव िजतना आप ले सकते ह उससे कम लेना ह।
उदारता उस व तु क दान म नह , िजसक तु हारी अपे ा दूसर को अिधक आव यकता ह, ब क उस व तु क
दान म ह, िजसक दूसर क अपे ा तु ह वयं अिधक आव यकता ह।
उ ित
जो ह उसे बेहतर बनाना उ ित नह , लेिकन उसे नई मंिजल तक लेकर जाना उ ित ह।
उपदेश
म उन िवजेता क बात सुनने क िलए तैयार नह , जो परािजत को उपदेश देना चाहते ह।
उपदेशक
पूिणमा का चाँद अपनी संपूण आभा लेकर नगर पर उिदत आ और सभी क े चाँद क ओर देखकर भ कने लगे।
कवल एक क ा, जो चुप था, अपनी गंभीर वाणी म बोला, ‘‘ यथ म शांित को जगाकर उसक िन ा भंग न करो।
तु हार भ कने से चाँद जमीन पर तो आने से रहा।’’ इस पर सब क ने भ कना बंद कर िदया और वहाँ स ाटा
छा गया, लेिकन वही उपदेशक क ा शांित बनाए रखने क िलए सारी रात भ कता रहा।
ऋण
हम ायः पुराना ऋण उतारने क िलए नया ऋण लेते ह।
ऋणी
जो आदमी तु हारी सेवा करता ह, तुम वण से भी मू यवान पदाथ क िलए उसक ऋणी हो। इसिलए या तो उसे
अपना दय दो या उसक सेवा करो।
वा तव म तुम एक व तु क िलए िकसी एक आदमी क ऋणी नह हो, वर सब व तु क िलए सब आदिमय
क ऋणी हो।

एकांत
एकांत ऐसा मौन तूफान ह, जो हमार जीवन-वृ क सब सूखी टहिनय को तोड़ डालता ह। पर यह हमारी जीिवत
जड़ को जीिवत भूिम क जीिवत दय म अिधक गहराई तक उतार देता ह।
एकांतवास
मेर मन म एकांतवास क इ छा उस समय पैदा ई, जबिक लोग ने मेर कट दोष क तो शंसा क और मेर
अ कट गुण क िनंदा क ।
मने एकांतवास इसिलए अपनाया िक उन मनु य क चेहर न देख सक, जो अपना िव य करते ह और उसी मू य
से ऐसी व तुएँ खरीदते ह, जो आ या मक तथा भौितक दोन ही प म उनसे भी घिटया ह।
मने एकांतवास हण िकया, य िक मुझे तब तक कभी िकसी से दया न िमली, जब तक मने जी-जान से उसका
पूरा-पूरा मू य न चुका िदया।
औरत
एक बार मने एक औरत का चेहरा देखा, उसम मुझे उसक सम त अज मी संतान िदखाई द । और एक औरत ने
मेर चेहर को देखा, वह अपने ज म से भी पहले मर चुक मेर सार पुरख को जान गई।
कल, मंिदर क संगमरमरी सीि़ढय पर, मने एक औरत को देखा। वह दो मद क बीच बैठी थी। उसका चेहरा एक
ओर से पीला-जद था और दूसरी ओर से गुलाबी-सुख।
ककरी
जब परमा मा ने मुझे एक छोटी सी ककरी क प म इस अ तु झील म फका, तो मने अनंत घेर बनाकर इसक
तल क शांित म िव न डाल िदया। पर जब म इसक गहराइय म प चा तो म ब त ही शांत हो गया।

कण मा
वह दुिनया िजसम तुम रहते हो अंतहीन िकनारवाला असीम सागर ह और तुम उस पर पड़ एक कण मा हो।
इनसान
एक अ छा इनसान हमार बीच से गैर-हािजर रहकर इन ब त से अ छ िदखनेवाले लोग क तुलना म बेहतर काम
कर जाता ह।

कछए
कछए खरगोश क अपे ा सड़क को अिधक अ छी तरह जानते ह।
क रपंथी
एक क रपंथी, एक िनपट बहरा व ा ह।

कठोरतम
यह िकतनी िविच बात ह िक िबना रीढ़ क ह ीवाले ािणय क ही कठोरतम खोल होते ह!
कपड़
अपने कपड़ उसको दे दो, जो अपने हाथ उनसे प छता ह। संभव ह, उसे उनक िफर आव यकता हो जाए, पर
तु ह तो अब इनक आव यकता होगी ही नह ।

कमजोर
कमजोर लोग क ही बिल चढ़ाई जाती ह।
कभी नही
िजसक साथ तुम हसे हो, उसे भूल सकते हो, पर िजसक साथ तुम रोए हो, उसे कभी नह भूल सकते।
कत य
यह कसा कत य ह िक आतताियय क यश हतु िनरीह य य को मरण-वरण हतु आमंि त करता ह, िजन िनरीह
य य पर न समथ और न वंशागत अिभजा य क कपा- ि ही पड़ती ह।
कम
जीवन अंधकारमय ह, यिद आकां ा न हो। सारी आकां ाएँ अंधी ह, यिद ान न हो। सारा ान यथ ह, यिद कम
न हो। सारा कम खोखला ह, यिद ेम न हो। ेम को सव य बना देना ही कम ह।
कल
बीता आ कल तो आज क मृित-मा ह और आनेवाला कल ह आज का व न। वतमान से कह दो िक वह
मृित-िवभोर होकर अतीत का आिलंगन कर और ेमातुर होकर भिव य का।
उस समय जब कछ बोलने को कपकपाते जीवन क ह ठ पर एक श द क तरह ठहर थे, एक अ य श द क प
म म भी वहाँ था। तब जीवन ने हम कािशत िकया। हम बीते कल क याद म उतर गए। हम आनेवाले कल को
गुनगुनाने लगे। बीता कल मृ यु से हमारी पराजय का था और आनेवाला कल जीवन क महक का।
बीता कल आज क याद ह और आनेवाला कल आज का व न।
जो बीत चुका ह, वह आज क िलए सुंदर याद ह; लेिकन आनेवाला कल आज क िलए िकसी हसीन सपने से कम
नह ह।
बीता आ कल आज क मृित ह, और आनेवाला कल आज का व न ह।
कला
अय से य क रचना कला का ही काय ह।
कित और परमा मा क बीच कला एक सीढ़ी ह।
धुँधली क पना को मूितमान कर देने का नाम ही कला ह।
क पनाहीन
क पनाहीन वै ािनक तक ऐसे कसाई क समान ह, िजनक छ रयाँ और तराजू िनक मी हो गई ह। पर हम या कर,
य िक हम सब शाकाहारी भी तो नह ह।

किव
झूठ और पाखंड से भरी बात िलखनेवाले! आज से लेकर कि तान जाने क िदन तक म कभी भी िकसी किव पर
यक न नह क गी, तु हारी कसम।
एक किव िसंहासन से उतार ए राजा क स श ह, जो अपने महल क राख पर बैठा इससे अनेक कार क मूितयाँ
बना रहा ह।
किव अपने दय क गीत क िनकास को ढढ़ने का य न यथ करता ह।
एक बार मने एक किव से कहा, ‘हम तु हारा मह व तु हार मरने क बाद तक न जानगे।’ उसने उ र िदया, ‘‘हाँ,
मृ यु ही यथाथता को सदा कट करती ह और यिद तुम वा तव म मेरा मू य जानना चाहते हो, तो इसका कारण
यही ह िक जो कछ मेरी जीभ पर ह, उससे कह अिधक मेर दय म ह और जो कछ मेर हाथ म ह, उससे कह
अिधक मेरी तम ा म ह।’’
किवता
मुझसे कहा जाता ह, इहलोक (भौितक जग ) क भोग या परलोक क शांित म से िकसी एक को चुन लो। और म
उनसे कहता , मने दोन को ही चुन िलया ह—इहलोक क आनंद और परलोक क शांित को। य िक म जानता
िक उस िवरा किव ने एक ही किवता िलखी ह। वही समझी भी पूणतया से जाती ह और उसका गान भी पूण
प म संभव ह।
आनंद, वेदना और आ य क रस म कछ श द को समो देना ही किवता ह।
किवता वह मनीषा ह, जो दय को आ ािदत कर देती ह।
किवता वह दशन ह, जो दय को मोह लेता ह और दशन वह किवता ह, जो मन म गाता ह। यिद हम दोन का
सम वय कर सक और एक ही समय म मनु य क दय को मोह भी सक और उसक मन म गा भी सक, तो
सचमुच वह परमा मा क छाया म जीवन िबताने लगे।
हमारी सब किवताएँ रोटी क ऐसे कौर ह, जो क पनाशील मन क भोजन से िगरते ह।
िवचार और िचंतन किवता क रा ते म बड़ी कावट ह।

क सहकर ही सबसे मजबूत लोग िनिमत होते ह, ये सबसे महा च र पर घाव क िनशान होते ह।

कानून
इनसानी कानून को कवल एक मूख आदमी और एक अपूव बु मान ही तोड़ सकते ह और ये दोन ही परमा मा
क दय क समीपतम ह।
हमार बनाए ए कानून क सामने हमारी बु झुक सकती ह, आ मा नह ।
काम
काम ेम क अिभ य ह और यिद आप ेम से नह िसफ बेमन से काम कर सकते ह तो बेहतर होगा िक आप
अपना काम छोड़ द और मंिदर क गेट पर बैठकर उनसे भीख ल, जो खुशी से काम करते ह।
आप िबना यार क और आधे-अधूर मन से काम कर रह ह तो बेहतर ह िक आप उस काम को करना छोड़ द।
धरती पर सबसे अिधक कामुक सजक, किव, िश पकार, िच कार, संगीतकार आिद-आिद ही ह और सृि क
आरभ से यह म चल रहा ह। काम उनम एक सुंदर और अनुपम उपहार ह। काम सदैव सुंदर और ल ाशील ह।
काल
वह अनािद और अनंत कहा जानेवाला काल ह, जो हर य को अपने आगोश म लेता ह।
का य
का य श दकोश क छीट क साथ खुशी, दद और आ य का सौदा ह।
कदरत
कदरत वसंत क प म हसती ह, ी म क प म मुसकराती ह और पतझड़ क प म ज हाई लेती ह।
जमीन क अंदर िछपे ए अपने आँसु से कदरत धरती को जीवन दान करती ह।
कदखाना
यह कदखाना कोई बुरा कदखाना नह ह, पर म अपनी कोठरी और दूसर कदी को कोठरी क बीच यह दीवार पसंद
नह करता। तो भी म तु ह यह िव ास िदलाता िक न म कदखाने क पहरदार क सर बुराई मढ़ना चाहता और
न कदखाने क िनमाता क।
कदी
हम सब कदी ह। भेद कवल इतना ही ह िक हमम से कछ लोग िखड़िकय वाली कोठ रय म बंद ह और कछ
काल-कोठ रय म।
मेर िपता क बाग म दो िपंजर ह। एक म शेर ह। िपताजी क गुलाम उसे िननावा क रिग तान से लाए थे। दूसर म
एक गुमसुम गौरया ह। सूय दय क समय गौरया हर रोज शेर से कहती ह, सुबह क नम ते मेर कदी भाई।
कसे
अगर मुँह म कौर भरा हो तो आप गा कसे सकते ह? और आपक हाथ आशीवाद म कसे उठ सकते ह, अगर
मु ी म सोना दबा हो?
सागर िफर एक बार हम तट पर वापस लौटा रहा ह। हम जो उसक उ ाल लहर क एक लहर से यादा कछ
नह ह। वह हम अपनी छाती से, अपने पेट से इसिलए बाहर िनकाल रहा ह, तािक हम उसक वाणी को वर दे
सक। लेिकन या हम ऐसा कर सकते ह? प थर और रत क साथ एका म ए िबना हम ऐसा कसे कर सकते ह?
य-िवकरय
धरती अपनी उपज तु हार हवाले करती ह और अगर तुम अपनी अंजिल भरना ही जान लो, तो तु ह कोई अभाव
नह रहगा। पृ वी क उपहार क लेन-देन म ही तुमको भरपूर ा हो जाएगी और तु ह संतोष होगा। लेिकन अगर
यह लेन-देन ेम, उदार और यायपूण न होगा तो वह कछ लोग को लोभ क ओर ले जाएगा और कछ लोग को
भूखा रहने क ओर।
खाई
मनु य क इ छा और सफलता क बीच एक खाई ह। उसे उसक वंशज ही तय करते ह।
खान-पान
काश तुम पृ वी क सुवास पर िनभर और अमरबेल क भाँित कवल िकरण पर जीिवत रह सकते।
पेट भरने क िलए तु ह िहसा करना और यास बुझाने क िलए नवजात बछड़ से उसक माँ का दूध लूटना ही पड़ता
ह, तो वह काय भु क पूजा क प म करो, अपने थाल को बिलवेदी समझो।
िकसी जीव को हलाल करते समय उससे अपने मन म कहो, जो श तु हारा वध कर रही ह, उसी ने मुझे भी मार
रखा ह और मुझे भी खाया जाएगा, य िक िजस कानून ने तु ह मेर हाथ म स पा ह, वह मुझे और भी श शाली
हाथ म स पे।
खुशी
कछ लोग ऐसे होते ह, जो खुशी का साथ देते ह और वही खुशी उनका इनाम ह।
जब आप दुखी ह तो पुनः अपने दय म झाँक और आप पाएँगे िक वा तिवकता म आप उसक िलए रो रह ह, जो
आपक खुशी रहा हो।
खूबसूरती
खूबसूरती चेहर पर नह िदल म होती ह।
खोज
ये मत कहो िक मने सच खोज िलया ह, ब क ये कहो िक मने एक सच खोज िलया ह।
म एक या ी भी और माँझी भी। हर िदन म अपनी आ मा म नया देश खोज लेता ।

वािहश
िकसी य क िदल और िदमाग को समझने क िलए यह न देिखए िक वह या हािसल कर चुका ह। इस बात
क तरफ यान दीिजए िक वह या हािसल करने क वािहश रख रहा ह।
गित
गित हमार िवचार म ह। िबना िवचार क कछ भी गितशील नह होता।

गव
याद रखो, जो छोटा बनकर रहता ह वही ऊपर उठता ह और जो बड़ा बनने का य न करता ह या अपने को बड़ा
समझकर वयं पर गव करता ह वह शी ही समा हो जाता ह।
िजसक ह या क गई ह, उसक िलए यह बड़ गव क बात ह िक वह ह यारा नह ह।
गलती
रा य तेर और मेर बीच एक समझौता ह और ायः आप और म दोन ही गलती पर होते ह।
गहराई
जब भु ने मुझे एक पाषाण-खंड क तरह संसार क इस अ तु झील म फका, तो मने असं य वृ ाकार लहर
ारा इसक शांत सतह को िव ु ध कर िदया। िकतु य - य म गहराई म बैठता गया, म शांत होता गया।
गायक
सबसे बड़ा गायक वह ह, जो हमार मौन क गीत गाता ह।

गीत
तार क गीत पाताल नह सुन सकता।
गुणव ा
आदमी क गुणव ा इसम नह ह िक उसक उपल धयाँ या ह। उसक गुणव ा इसम ह िक उपल धय तक
प चने क उसक यास या रह।
गुलाम
तुम गुलाम हो उस आदमी क सामने, जो तु ह ेम करता ह, य िक वह तु ह ेम करता ह।
िकसी गुलाम को सोते देखो तो जगाओ मत। हो सकता ह िक वह आजादी का सपना देख रहा हो।
अगर िकसी गुलाम को सोते देखो तो उसे जगाओ और आजादी क बार म उसे बताओ।
एक गुलाम ही िगर ए मुकट को पुनः राजा क िसर पर िटका सकता ह।
गौरव
तु हारा गौरव इस पर नह िक तु ह संसार म ब त से लोग यार करते ह, वर तुम संसार को यार करक
गौरवा वत होगे।
मानव क ित ा और गौरव उस व तु से नह ह, िजसे िक वह ा करता ह, ब क उस व तु से ह, िजसक
ा क िलए वह तड़पता रहता ह।
घर
तु हारा घर जहाज का लंगर न बने, ब क म तूल बने। तुम दरवाजे म से गुजर सको, इसक िलए तुम अपने पंख
समेटो मत और कह छत से टकरा न जाएँ, इसिलए िसर को झुकाओ मत, कह दीवार दरककर िगर न पड़,
इसिलए साँस लेने से डरो मत।
तुम उन मकबर म मत रहो, जो मुद ने जीिवत क िलए बनाए ह। भले ही तु हारा घर भ य और सुंदर न हो,
लेिकन तु हारा घर न तो तु हार राज को छपाए और न तु हारी तृ णा का आ य हो।
य िक वह जो तुमम अनंत ह, आकाश क महल म रहता ह, िजसका फाटक भात का कोहरा ह और िजसक
िखड़िकयाँ रात क रागिनयाँ और खामोिशयाँ ह।
मेरा घर मुझसे कहता ह, मुझे मत छोड़ना, य िक तु हारा अतीत यह गुजरा ह।
घर और रा ता
रा ता कहता ह जाओ, मेरा अनुसरण करो, य िक म तु हारा भिव य ।
म घर और रा ते दोन से कहता , न कोई मेरा अतीत ह, न कोई मेरा भिव य ह। अगर म यहाँ क भी जाऊ तो
मेर कने म भी गित ह और अगर म जाता तो मेर चलने म भी थरता ह। कवल ेम और मृ यु ही संग को
बदल सकते ह।
घृणा
मने सात बार अपनी आ मा से घृणा क —पहली बार, जब मने उसे उ ता ा क अिभलाषा म हतो साह पाया।
दूसरी बार, जब मने उसे अपंग क सामने लँगड़ाते पाया। तीसरी बार, जब उसे सरल या किठन का चुनाव करना था
और उसने सरल को चुना। चौथी बार, जब उसने एक पाप िकया और यह सोचकर संतोष कर िलया िक अ य भी
यह पाप करते ह। पाँचव बार, जबिक कमजोरी क ित उसने धैय िदखाया और अपनी इस धैयशीलता को श
का तीक बताया। छठी बार, जबिक उसने एक चेहर क बदसूरती पर घृणा भरी नजर डाली और यह न समझा िक
यह उसी का एक प ह। और सातव बार तब, जबिक उसने शंसा का एक गीत गाया और इसे अपना गुण
य िकया।
घृणा तो एक मृत शरीर ह। िफर तुमम से कौन उसक िलए क बनना पसंद करगा?
चरण-िचहन
इन समु -तट पर म उनक रत और झाग क बीच सदा क िलए चलता र गा। िन संदेह समु का चढ़ाव मेर
चरण-िच को िमटा देगा और हवा समु क झाग को उड़ाकर ले जाएगी, परतु यह समु और उसका तट सदा
क िलए—अनंत काल तक क िलए रहगे।
िचि़डया
उ ह ने मुझसे कहा, िपंजर म बैठी एक िचि़डया झाि़डय म बैठी दस िचि़डय से बेहतर ह। लेिकन मने कहा, झाड़ी
म बैठी एक िचि़डया, यहाँ तक िक उसका एक पंख भी, िपंजर म कद दस िचि़डय से बेहतर ह।
चेहरा
मने हजार आकितवाला एक चेहरा देखा ह और ऐसा चेहरा भी देखा ह, िजसका एक ही ख था, जैसे वह साँचे म
ढला हो।
मने एक चेहरा देखा ह, िजसक चमक क तह म मने उसक भीतर क क पता पाई थी और ऐसा चेहरा देखा ह,
िजसक खूबसूरती देखने क िलए मुझे उसक दमक का परदा उठाना पड़ा था।
मने एक बूढ़ा चेहरा देखा ह, जो शू यता क रखा से प रपूण था और मने ऐसा िचकना चेहरा भी देखा ह, िजस
पर सब चीज खुदी ई थ ।
म इन सब चेहर से अ छी तरह वािकफ , य िक म उ ह उस जाल क भीतर से देखता , जो मेरी आँख बुनती
ह और उनक असली प को पहचान लेता ।
चोट
यिद कोई और आपको चोट प चाता ह तो हो सकता ह आप उसे भूल जाएँ, लेिकन यिद आप उसे चोट प चाते ह
तो आप हमेशा याद रखगे।
चोर
जेल म पड़ा एक चोर भी बाहर रहनेवाले दूसर चोर से सुरि त रहता ह।
छपा-छपी
आओ, छपा-छपी खेल। मेर दय म िछपोगे तो तु ह ढढ़ना मु कल नह होगा, लेिकन यिद तुम अपने-आप म जा
छपे तो िकसी क भी िलए तु ह ढढ़ पाना असंभव होगा।
छोटा
जो मुझसे छोट ह, वे ही मुझसे ई या या घृणा कर सकते ह। पर न तो िकसी ने मेरी शंसा क ह और न मेरा
ितर कार। इससे मालूम होता ह िक म िकसी से छोटा भी नह ।
जो मुझसे बड़ ह, वे ही मेरी शंसा या ितर कार कर सकते ह। पर न तो िकसी ने मेरी शंसा क ह और न मेरा
ितर कार। इससे मालूम होता ह िक म िकसी से छोटा भी नह ।
जड़
जड़ भी एक फल ही ह, जो याित को पसंद नह करती।

ज म और मृ यु
ज म और मृ यु वीरता क दो कलीनतम अिभ य याँ ह।
ज मदाता
आओ। अब मेर साथ रहो। मुझम समाकर तुम अपने रा ते क सार दुःख-दद भूल जाओगे, आओ। तु ह और मुझे
अपने जीवनपथ क सम त बात को भूलकर अपने ज मदाता सागर क दय म समा जाना ह।

जवानी
तुम एक ही समय जवानी और उसक ान क वामी नह बन सकते। य िक जवानी को अपने आनंद-मंगल से
इतना अवकाश कहाँ िक वह कछ जाने। और ान अपने आपको खोजने म ही इतना संल न ह िक उसे जीिवत रहने
का ही अवकाश नह ह।
जािहर
जािहर वह ह जो तब तक नह पता चलता, जब तक िक कोई उसे सरलता से य नह कर देता।
िजंदगी
हजार साल पहले मेर पड़ोसी ने मुझसे कहा िक मुझे िजंदगी से नफरत ह, य िक पीड़ा क अलावा इसम कछ नह
ह, और कल म जब कि तान क ओर से गुजर रहा था, मने देखा, िजंदगी उसक क पर लहलहा रही थी।
आप कसे जीते ह, ये िजंदगी आपको या देती ह इससे अिधक आप अपनी िजंदगी को या नज रया देते ह, इस पर
िनभर करता ह। ये िजतना आपक िजंदगी म या आ इससे अिधक, जो आ उसे आप कसे देखते ह इस पर
िनभर करता ह।
आपक रोजमरा क िजंदगी आपका मंिदर और आपका धम ह। जब आप इसम वेश करते ह तो पूरी तरह से
वेश क रए।
जब िजंदगी को अपने गीत सुनाने क िलए गायक नह िमलता, उसे वह अपने मन क िवचार सुनाने क िलए
दाशिनक पैदा कर देती ह।
तस ी क साथ िजंदगी को मुड़कर देखना ही उसे िफर से जीने जैसा ह।
जीवन
जब तुम अपने जीवन क गहराइय तक प च जाओगे, सब तु ह मालूम होगा िक न तो तुम पािपय से ऊचे और
े हो और न अवतार से नीचे और कम हो।
जीवन एक लंबी या ा ह। मंद गितवाले इसे तेज पाकर इसम से अलग िनकल जाते ह और तेज चलनेवाले भी इसे
अ यंत मंद गितवाला पाकर इसम से बाहर िनकल जाते ह।
जीवन-मृतयु
वह जीवन ह, िजसे हर आदमी अपनाता ह और वह मृ यु ह, जो हर आदमी को अपनाती ह।
इ छा आधा जीवन ह और उदासीनता आधी मृ यु।
जीवन और मृ यु एक ह, जैसे नदी और समु एक ह।
जेल
जब भी िकसी य को जेल जाते देखो, अपने िदल पर हाथ रखो और बोलो, ज र यह एक सँकरी जेल
छोड़कर जा रहा ह।

ठहरना
मेरा घर मुझसे कहता ह, ‘‘मुझे मत छोड़ य िक तेरा अतीत यह ह।’’ और मेरा रा ता मुझसे कहता ह, ‘‘मेर
पीछ-पीछ चला आ, य िक म तेरा भिव य ।’’ पर म अपने घर और रा ते दोन से कहता , ‘मेरा न कोई अतीत
ह और न भिव य। यिद म यह ठह , तो मेर ठहरने म ही मेरा चलना ह। और यिद म चलू,ँ तो मेरा चलना ही मानो
मेरा ठहरना ह।’
डर
म खाते-खाते और पीते-पीते थक चुका , लेिकन मुझे डर ह िक कल को खाने क िलए धरती और पीने क िलए
समंदर नह बचेगा।
तव
संसार म कवल दो त व ह—एक स दय और दूसरा स य। स दय ेम करनेवाल क दय म ह और स य िकसान
क भुजा म।
हमम जो स त व ह, वह तो मौन रहता ह, पर जो बाहर से ा िकया आ त व ह, वही बोलता रहता ह।
तमाशा
म सभी चलनेवाल क साथ चलूँगा और अव य चलूँगा। पर म पास से जानेवाले आदिमय क भीड़ का तमाशा
देखने क िलए िन ल खड़ा नह र गा।
ताकत
घास िम ी से बढ़ती ह, बकरी घास को खा लेती ह, भेि़डया बकरी को अपनी खुराक बनाता ह, गडा भेि़डए को
खा जाता ह और शेर गड को मौत क घाट उतारता ह। या कोई ऐसी ताकत मौजूद ह, इन तमाम िघनौनी बात को
अ छ नतीजे म बदल दे?
या कोई ऐसी ताकत ह, जो िजंदगी क सारी ताकत को अपने हाथ म ले ले और अपने अंदर ज ब कर ले, िजस
तरह समु सारी निदय को अपनी गहराई म समा लेता ह?
या कोई ऐसी ताकत ह, जो काितल को और मकतूल को, बुरा काम करनेवाली और उसक साथ बुरा काम
करनेवाले चोर और िजसक यहाँ चोरी क गई उसको तथा अमीर क आसन से यादा ऊचे याय क आसन क
सामने खड़ा कर दे?
तूफान
यिद म तु हार थान पर , तो भाट (चढ़ाव) क समय म समु को भला-बुरा न क गा। जहाज भी अ छा ह और
उसका क ान भी कशल ह, पर भय और िचंता का तूफान तो वयं तेर अपने मन म ह।
तोहफ
जीवन क दो मु य तोहफ—सुंदरता और स य पहला मुझे एक यार भर िदल और दूसरा एक िमक क हाथ म
िमला।
जीवन आपको दो तोहफ देता ह। सुंदरता और सच। खूबसूरत िदल क पास सुंदरता होती ह, लेिकन सच वही
बोलता ह, जो काम करता ह।
तृ णा
ह परमा मा! अ यंत धन-दौलतवाल क तृ णा पूरी कर दे!
याग
ािनय का यही कहना ह िक जो कवल ई र क ाथना करने क िलए संसार को याग देता ह, वह जीवन क
सम त सुख और आनंद को अपने पीछ छोड़ आता ह, कवल ई र ारा िनिमत व तु पर संतोष करता ह और
पानी पौध पर ही जीिवत रहता ह।
दया
दया आधा याय ह।
यिद एक साथी हमार साजो-सामान को चुरा लेता ह तो हम उस पर दया य करनी चािहए, य िक हम तो उसक
कारण भार अनुभव होता था। यह चोरी का भार उसक िलए तो चढ़ना दूभर कर देगा तथा उसका माग लंबा कर
देगा। और यिद तुम उसे हाँफता आ देखो तो िवन भाव से उसे दो कदम सहायता प चा दो। यह तु हारी चाल
और भी व रत कर देगा।
दया का पा
सबसे अिधक दया का पा वह आदमी ह, जो अपने व न को सोने-चाँदी का ही प देता रहता ह।
दयालु
जो सही ह वह लोग क िदल क करीब होता ह, लेिकन जो दयालु ह वह भगवा क दय क करीब होता ह।
दद
दद उस खोल का टटना ह, जो तु हारी समझ को घेर रहता ह। अपने दद क काफ अंश को तुम खुद चुनते हो।

दान
तुम िन संदेह बड़ दयालु और दानी हो, जब तुम िकसी क आव यकता पूरी करते हो। पर यान रह िक दान देते
समय अपना मुँह दान लेनेवाले क ओर से पर फर िलया करो, िजससे िक तुम लेनेवाले क िझझक और ल ा को
न देखो।
दानी
म िकतना अधम िक जीवन ने मुझे वग िदया और म तु ह चाँदी देता और िफर भी म अपने आपको दानी
समझता ।
दानशीलता
जो लोग तु ह रोटी माँगने पर प थर देते ह, हो सकता ह िक उनक पास देने क िलए प थर ही हो; तो उनक यह भी
दानशीलता ही ह।
दानशीलता हमारी मता से अिधक देने म और गौरव अपनी आव यकता से कम लेने म ह।
दानशीलता यह ह िक अपनी साम य से अिधक दो और वािभमान यह ह िक अपनी आव यकता से कम लो।
दावा
यिद तुम िकसी व तु को लेना चाहते हो, तो उसक िलए दावा मत करो।
दाशिनक
कल मने दाशिनक का एक झुंड मंडी म देखा। वे अपने िसर टोकर म ले जा रह थे और आवाज लगा रह थे,
‘बु लो, बु ।’ आह, बेचार दाशिनक। इ ह भी अपना पेट पालने क िलए अपनी बु बेचनी पड़ती ह।
एक दाशिनक ने सड़क सफाईवाले से कहा, ‘‘मुझे तुम पर बड़ा तरस आता ह िक तु हारा काम बड़ा कठोर और
गंदा ह।’’ सफाईवाले ने कहा, ‘‘आपका ब त-ब त ध यवाद! पर यह तो बताने क कपा क िजए िक आपका या
काम ह?’’ दाशिनक ने बड़ गव से उ र िदया, ‘‘म इनसान क मन, काम और इ छा का अ ययन करता ।’’
सफाईवाले ने झा देना आरभ कर िदया और मुसकराते ए कहने लगा, ‘‘मुझे भी तुम पर बड़ा तरस आता ह।’’
जब जीवन को अपने दय का गीत गानेवाला गायक नह िमलता, तभी वह िकसी ऐसे दाशिनक को ज म देता ह,
जो उसक मन क बात कह सक।
दीघजीवी
अिधक इ छा वाला दीघजीवी होता ह।
दुःख
दुःख क याले को िपओ। इससे तु ह जीवन म आनंद क पल क अथ समझ म आएँगे, य िक दुःख सभी म
या ह।
दुःख महज दो बगीच क बीच क एक दीवार ह।
दूसरा आदमी
तु हार सुंदरतम व िकसी दूसर आदमी क बुने ए ह। तु हार वािद भोजन वे ह, जो तुमने िकसी दूसर क
रसोई म खाए ह। तु हारा अ यंत सुखदायक िब तर वह ह, िजस पर तुम िकसी दूसर क घर म सोए हो। िफर तुम
ही बताओ, तुम अपने आपको दूसर आदमी से कसे अलग कर सकते हो?
दूसरा ज म
मेरा दूसरा ज म उस समय आ, जब मेरी आ मा और मेर शरीर ने आपस म ेम िकया और उन दोन का संबंध हो
गया।
मेरा वह दूसरा ज म था, जबिक मेरी आ मा तथा मेरी देह ने पर पर ेम ारभ िकया और िमलकर एक हो गए।
देवता
यिद तुम अपने जाित, देश और य गत प पात से जरा ऊचे उठ जाओ, तो िन संदेह तुम देवता क समान बन
जाओ।
आव यक व तु और भोग-िवलास क व तु म िववेक करना हर एक क वश क बात नह ह। यह काम
कवल देवता ही कर सकते ह, य िक वे बु मान और िवचारवान ह। और शायद देवता ही आकाश म हमार
े िवचार ह।
देवता और शैतान
मेर पास देवता भी आते ह और शैतान भी, पर म दोन से छटकारा पा लेता । जब कोई देवता आता ह, तो म कोई
पुरानी ाथना पढ़ने लगता और वह उकताकर मेर पास से चला जाता ह। और जब कोई शैतान आता ह, तो कोई
पुराना पाप करने लगता और वह मेर पास से गुजर जाता ह।
देव प
यिद तुम अहभाव, जाित और देश क बंधन से एक हाथ भी ऊपर उठ सको, तब तुम अपने को देव प म पाओगे।
देशभ
यह कसी देशभ ह िक यु को उ ेिजत करती ह और तु छ व तु क ा क िलए रा य का िवनाश
करती ह?
दोषी
ब त बार मने अपने आपको उन अपराध का दोषी ठहराया ह, जो मने व न म भी नह िकए, िजससे मेर पास
बैठनेवाला अपराधी भी मेरी संगित म अपने को मुझसे हीन न समझे।
दो त
एक दो त जो ब त दूर ह वह कभी-कभी करीब रहनेवाल से अिधक नजदीक होता ह। या पहाड़, वहाँ रहनेवाल
क अपे ा घाटी से गुजरनेवाल को कह अिधक ेरणादायी और प नह िदखता?
आपका दो त आपक ज रत का जवाब ह।
तु हारा दो त तु हारी ज रत का जवाब ह, वह तु हारी फसल ह, िजसे तुम बड़ मे से बोते हो और बड़ ेम से
काटते हो। वह तु हार भोजन का थाल ह और तु हारा अपना घर ह। य िक तुम अपनी भूख लेकर उसक पास
प चते हो और अपने आराम क िलए उसी को तलाशते रह हो।
जहाँ दो ती ह, वहाँ श द का इ तेमाल िकए िबना ही सार िवचार, सारी कामनाएँ और सारी आशाएँ ज म लेती ह
और खुशी-खुशी बाँट ली जाती ह। एक-दूसर क वाहवाही िकए िबना ही।
अगर कभी अपने दो त से िबछड़ना पड़ तो शोक मत करो, य िक उसक िजन बात को तुम सबसे यादा पसंद
करते हो, वह उसक न होने पर प हो जाएँगी। ेह को बढ़ाने क अलावा अपनी दो ती का और कोई उ े य
मत होने दो।
वह दो त िकस काम का आ, िजसे तुम िसफ व काटने क िलए तलाश करो, उसे हमेशा अपने पूर व को
जीने क िलए तलाश करो। य िक दो ती तु हारी ज रत को पूरा करने क िलए ह, तु हार खालीपन को भरने क
िलए नह ।
दो ती क िमठास म अपनी मुसकराहट को बाँटो और अपनी खुिशय को शािमल होने दो। य िक इ ह छोटी-छोटी
खुिशय म िदल को अपनी सुबह िमल जाती ह और वह ताजगी महसूस करने लगता ह।
दो ती
दो ती एक खूबसूरत िज मेदारी ह। ये कोई अवसर या मौका नह ह।
यार और शक क बीच दो ती कभी मुमिकन नह ह। जहाँ यार वहाँ शक नह होता।

ि कोण
उस आदमी का ि कोण िकतना तंग ह, जो एक झ गुर क संगीत क अपे ा एक च टी क कायलीनता क
अिधक बड़ाई करता ह।
धरती
भूलो मत िक धरती तु हारी नंगी पग-तिलय का पश पाकर स होती ह और पवन तु हार कश से अठखेिलयाँ
करना चाहता ह।
याद रखो िक धरती तु हार पैर का पश करना चाहती ह और हवा तु हार बाल को सहलाना चाहती ह।
किव क क पना और िब छ का डक एक ही धरती से उठकर बड़ाई पाते ह।
बीज डालो। धरती तु हार िलए फल पैदा करगी।
धम
धम? यह या ह? म तो कवल जीवन को पहचानता । जीवन का मतलब ह खेत, अंगूर का बाग और करघा।
धम तो तु हार अंदर मौजूद ह और तुम खुद उसक पुरोिहत हो। सबसे मह व क बात ह, मु आ मा।
या हमार सम त कम और हमारी सम त धारणाएँ ही धम नह ह।
कौन ह, जो जीवन क हर एक पल को अपने सामने िबछाकर कह सकता ह, इतना ई र का िह सा और इतना
मेरी आ मा क िह से म ह, और इतना मेर शरीर क िह से म।
तु हारा दैिनक जीवन ही तु हारा मंिदर और धम ह। जब भी इसम वेश करो अपना सबकछ साथ लेकर जाओ।

धमयु
एक ी ने कहा, ‘‘िन संदेह यह एक धमयु था। मेरा बेटा तो इसी म मरा ह।’’
येय
म चाहता िक म अपने परम येय क पूित क । परतु यह कसे हो सकता ह, जब तक िक म वयं अपने
आपको उस महानता म लीन न कर दूँ, जो बु मान आदिमय क जीवन म पाई जाती ह? या यही महानता हर
एक मानव का येय नह ह?
नमक
िन संदेह नमक म एक िवल ण पिव ता ह, इसीिलए वह हमार आँसु म भी ह और समु म भी।
नाप-तौल
यिद हम नाप-तौल का ान न होता, तो हम एक जुगनू क सामने भी उतने ही आदर से खड़ होते, जैसा िक सूरज
क सामने।

नारी
जो मनु य नारी को मा कर सकता, उसे उसक महा गुण का उपयोग करने का कभी अवसर ा न होगा।
िनराकार
अगर तुम आजादी चाहते हो तो तु ह धुँध का प लेना होगा, तु ह कोहर म बदल जाना होगा। िनराकार ही तो
आकार लेता ह। जैसे ांड म फले अनिगनत ह एक िदन सूरज और चाँद का प ले लगे।
िन र
म िसफ एक ही बार िन र आ । वह भी तब, जब एक मानव ने मुझसे पूछा, तुम कौन हो?
नतक
दाशिनक क आ मा उसक म त क म, किव क उसक दय म, गायक क उसक गले म वास करती ह, लेिकन
इन सबसे अलग नतक क आ मा उसक पूर शरीर म फली होती ह।

िनवाण
हाँ, संसार म िनवाण ह। वह अपनी भेड़ को हर-भर मैदान म चराने, अपने ब को लो रयाँ देकर सुलाने और
अपनी किवता क अंितम पं िलखने म ह।
िनल
िनल सफलता से एक ल ापूण असफलता अिधक अ छी ह।
िनवाला
मुझे शेर का िनवाला बना दे ह ई र! या िफर एक खरगोश मेर पेट क िलए दे दे।
नव
िकसी भी न व का सबसे मजबूत प थर सबसे िनचला ही होता ह।
नेता
िव शांित म सबसे बड़ बाधक क प म कछ िसरिफर रा नेता होते ह, जो अपने अि़डयल रवैए क कारण
िनरीह जनता को भी यु क आग म झ क देते ह।

ने हीन
िकतना ने हीन ह वह य , जो धन से दूसर का ेम खरीदना चाहता ह।
याय
जब से मुझे पता चला ह िक मखमल क ग े पर सोनेवाल क सपने नंगी जमीन पर सोनेवाल क सपने से मधुर
नह होते, तब से मुझे याय ( भु क याय) म ढ़ ा हो गई ह।

यायकता
मानवता का यायकता उसक मौन दय म ह, न िक उसक बातूनी बु म।
यायवान
वह आदमी वा तव म यायवान ह, जो तु हार अपराध क िलए अपने आपको आधा अपराधी अनुभव करता ह।
पंख
तुम िकतने भूले ए हो, जब तुम यह चाहते हो िक दूसर आदमी तु हार पंख पर उड़ और तुम उ ह अपना एक
पंख भी नह दे सकते।
पंख से मतलब पर लगे पाँव वाली िजंदगी नह , इसका मतलब िजंदगी खुद ह।
पतझड़
अगर पतझड़ कहता, वसंत का जनक म , कौन मानता?

पद-िचहन
म सागर क इन तट पर पानी और रत क बीच सदा से घूम रहा । आनेवाला ार मेर पद-िच को िमटा देगा
और बहनेवाली हवा इस झाग को उड़ा ले जाएगी, िकतु सागर और तट सदा िव मान रहगे।
परछाई
जब तुम सूय क ओर पीठ फर लेते हो, तब तुम अपनी परछाई क िसवा और या देख सकते हो?
परदा
ेम दो ेिमय क बीच म एक परदा ह।
म मौत क बाद भी जीऊगा, और म तु हार कान म गाऊगा, म तु हार आसन पर बैठगा, हालाँिक िबना शरीर क
और म तु हार साथ तु हार खेत म जाऊगा एक अ य आ मा बनकर, म तु हार पास तु हारी आग क सहार बैठगा
एक अ य अितिथ बनकर, मौत तो कछ भी नह बदलती, परदे क अलावा जो िक हमार चेहर पर पड़ा रहता ह।
परदे
जीवन क परदे ही उससे भी गहर रह य क परदे ह।
परमा मा
हमारा परमा मा अपनी दयापूण तृ णा म हम सबको वीकार कर लेगा, ओसकण को भी और आँसू क बूँद को
भी।
जब हम मंिदर म वेश करते ह और बाहर आते ह, तो हमम से हर एक आदमी संसार क स ा परमा मा से
अपना-अपना अंश, िह सा लेकर चला आता ह। िफर भी हम एक-दूसर से ई या करते ह। हमारा यह यवहार उस
स ा को तु छ समझने का ही एक दूसरा ढग ह।
परलोक
इस संसार क उ तम े ता परलोक म अ यंत छोटी हो सकती ह।
परी ा
जो आदमी एक ी को समझ सकता ह, एक ितभाशाली मनु य क सू म परी ा कर सकता ह और मौन क
रह य का पता लगा सकता ह, वा तव म वही आदमी एक मधुर व न से जागकर ातःकाल कलेवे क िलए बैठता
ह।
पिव नगर
पिव नगर क राह म, म एक या ी से िमला और उससे पूछा, या पिव नगर (तीथ) का यही माग ह? उसने
कहा िक तुम मेरा अनुगमन करो, एक िदन म ही तुम वहाँ प च जाओगे। मने उसका अनुगमन िकया। हम कई िदन
और कई रात चलते रह, िफर भी पिव नगर तक नह प च सक। और आ यजनक बात तो यह ह िक वह मुझ
पर ही ोिधत आ, जबिक वयं उसने मुझे अशु पथ पर डाला था।

पसंद
म उन लोग म छोट-से-छोटा बनकर रहना पसंद क गा, जो क पनाशील और मह वाकां ी ह; न िक क पनाहीन
और आकां ारिहत लोग म बड़-से-बड़ा बनकर।
हमारा मन पंज क समान ह और हमारा दय एक नदी। तो या यह आ य क बात नह ह िक हमम से ब त से
बहते रहने क अपे ा चूसने को अिधक पसंद करते ह?
पहचान
लोग मुझसे कहते ह, ‘‘यिद तुम अपने आपको पहचान लो, तो सब आदिमय को पहचान लोगे।’’ और म उनसे
कहता , ‘जब तक म सब आदिमय को न पहचान लूँ, म अपने आपको नह जान सकता।’
शु मनाओ िक तु ह अपने बाप क नाम या अपने चाचा क दौलत क बदौलत नह जाना जाता, लेिकन इससे भी
बड़ी बात यह ह िक कोई दूसरा भी तु हार नाम या तु हारी दौलत क बदौलत न जाना जाए।
पशु और कमल
एक मांसभ ी पशु ने कमल से कहा, ‘‘देखो, म िकतना तेज दौड़ता और एक तुम हो िक न चल सकते हो और
न रग सकते हो।’ कमल ने उ र िदया, ‘‘वाह र ब त दौड़नेवाले! कपा करक तेजी से दौड़ो।’’
पाखंड
पाखंड तो सदैव ही पाखंड रहगा, चाह उसक उगिलय को रग िदया जाए तथा चमकदार बना िदया जाए।
पागल
वे मुझे पागल समझते ह, य िक म अपने क मती िदन को चंद सोने क टकड़ क िलए नह बेचना चाहता। और म
उ ह पागल समझता , य िक उ ह ने समय को भी सोने से खरीदना चाहा।
उ ह ने मुझे पागल करार िदया, य िक मने सोने क बदले अपना समय उ ह नह बेचा था।
एक पागल भी मेर और तु हार से कम गवैया नह ह। अंतर कवल यही ह िक िजन बाज को वह बजाता ह, वे
कछ बेसुर ह।
मने उ ह पागल करार िदया, य िक वे सोचते थे िक मेरा समय िबकाऊ ह।
पाप
यिद पाप नाम क कोई व तु ह, तो हमम से कछ तो अपने पुरखा का अनुसरण करक पीछ देखते ए पाप करते
ह और कछ आगे देखते ए अपनी आनेवाली संतान को अपने अिधकार से दबाकर करते ह।
यिद हम एक-दूसर क सामने अपने-अपने पाप को वीकार कर ल, तो हम एक-दूसर पर हसगे िक हम कोई नया
पाप नह करते।
पाप और पु य
पाप और पु य क बार म, जो कछ लोग कहते ह, यिद वह सबकछ सच ह, तो िफर मेरा सारा जीवन ही एक लंबा
अपराध ह।
कल रात मने एक नई खुशी का आिव कार िकया और जब म पहले-पहल उसका उपभोग कर रहा था तब एक
देव और एक शैतान मेर घर क ओर झपटते ए आए। वे मेर दरवाजे पर एक-दूसर से िमले और मेरी नई रचना क
संबंध म पर पर झगड़ने लगे। एक कहता था, यह पाप ह। दूसरा कहता था, यह पु य ह।
पापाचार
पापाचार कभी-कभी सफल हो जाता ह, पर इसका फल घातक ही होता ह।
पीछा
जब कछ आदमी तु हारा पीछा करते ह, कवल तब ही तुम कछ तेज चलते हो।
पीढ़ी
आनेवाली पीढ़ी गरीबी से समानता और संकट से ेम सीखेगी।

पु य
यिद हम सब अपने-अपने पु य क काम को एक-दूसर पर कट कर, तो भी एक-दूसर पर इसी कारण से हसगे।
पु ष
हर एक पु ष दो य से ेम करता ह। एक वह ी, िजसक रचना उसक क पना करती ह और दूसरी वह
िजसने अभी तक ज म नह िलया ह।
जो पु ष य क छोट-छोट अपराध को मा नह करते, वे उनक महा गुण का सुख नह भोग सकते।
पूण स य
म पूण स य से अप रिचत , पर म अपने अ ान क सामने न बन जाता और मेर िलए इसी म गव भी ह और
पुर कार भी।
पेड़
पेड़ आसमान म धरती ारा िलखी ई किवता ह। हम उ ह काटकर कागज म त दील करते ह और अपने
खालीपन को उस पर दज करते ह।
कट
मेर दय क बात कसे कट हो सकती ह, जब तक िक उसक मुहर न टट?
कित
यिद कित हमार संतोष क उपदेश सुन ले, तो न कोई द रया समु तक जा पाएगा और न शीत ऋतु वसंत म ही
बदलेगी। और यिद वह हमारी िमत यियता क सब बात सुन ले, तो हमम से िकतने इस वायु म साँस ले सकगे?
ितिबंब
जब म एक व छ दपण क प म तु हार सामने खड़ा आ, तो तुम मुझे देर तक देखते रह और तुमने अपना
ितिबंब उसम देखा। िफर तुमने मुझसे कहा, ‘म तुमसे ेम करता ।’ पर वा तव म तुमने मुझम वयं अपने से ही
ेम िकया।
ती ा
ती ा समय क खुर ह।
शंसा और ितर कार
तु हारा यह कहना, ‘म आपक बात नह समझता’ मेरी ऐसी शंसा ह, िजसका म अिधकारी नह और ऐसा
ितर कार ह, िजसक तुम यो य नह ।
स ता
स ता क याले को कभी पीना मत वरना तुम अपना अतीत और भिव य सबकछ भूल जाओगी, य िक स ता
कछ और का नह , पल-िवशेष का नाम ह।
ाथना
तुम अपने दुःख और अभाव क िदन म ाथना करते हो, यिद तुम अपने उ ास क पूणता और समृ क िदन
म भी ाथना करो तो िकतना अ छा हो।
जब तुम ाथना करते हो, तब तुम वायुमंडल म उन लोग से िमलने क िलए ऊपर उठते हो, जो उ ह ण म
ाथना कर रह होते ह और िजनसे तुम िसवाय ाथना क समय कभी नह िमल सकते।
याचना क उ े य क अित र और िकसी उ े य क िलए तुम ाथना करो तो तु ह कछ न िमलेगा और यिद तुम
दीन बनने क भावना से भी ाथना करते हो, तब भी तु हारा उ ार न होगा।
ई र तु हार श द को तब तक नह सुनता, जब तक िक वह वयं ही उन श द को तु हार ह ठ ारा नह
बोलता।
ाथना हो तो ऐसे िक हम कोई कामना न कर।
हम तुझसे िकसी क चीज क याचना नह कर सकते, य िक तू हमार अभाव को उनक ज म लेने से पूव ही
जानता ह।
तू ही हमारी आव यकता ह और हम अपने आपको अिधक-से-अिधक देकर भी तू हम सबकछ दे देता ह।
ेम
ेम जब भी तु ह पुकार उसक पीछ चल पड़ो, हालाँिक उसक रा ते ब त मु कल और काँटो भर ह।
जब ेम तुमसे कछ कह तो उस पर यक न करो, हो सकता ह उसक बात तु हार सपन को चूर-चूर भी कर दे,
जैसे बफ ली हवा सार बगीचे को उजाड़ देती ह।
यिद आप िकसी से ेम करते ह तो उसे जाने द, य िक यिद वे लौटते ह तो वे हमेशा से आपक थे। और यिद नह
लौटते ह तो कभी आपक नह थे।
जो ेम सदा उमड़ता नह रहता, वह सदा कम होता रहता ह।
एक-दूसर से ेम तो करो, िकतु ेम को पाँव क जंजीर मत बनाओ।
ेम एक िद य श द ह, िजसे काशपूण हाथ ने योितमय पृ पर िलखा ह।
म तुमसे ेम करता , जब तुम अपने मसिजद म झुकते हो, अपने मंिदर म घुटने टकते हो, अपने िगरजाघर म
ाथना करते हो। य िक तुम और म एक ही धम क संतान ह और यही भावना ह।
और या कभी यह जाना गया ह िक ेम वयं अपनी गहराई जानता ह जब तक िक िबछड़ने का व न आए?
ेम क िबना जीवन एक ऐसे वृ क समान ह, िजस पर न कोई फल हो, न फल।
मे एक ऐसा ढ़ िन य ह, जो हमारी आ मा क साथ रहता ह और जो वतमान को अतीत तथा भावी युग से
जोड़ता ह।
िजसे हम ेम कहते ह, वह महा मु या ह। जो सम त प रणाम का कारण ह। और सब कारण का प रणाम
वह या श ह। जो मौत और िजंदगी को एक करती ह। और िफर उनम एक ऐसा व न पैदा करती ह, जो
जीवन से भी अिधक िविच और मौत से भी अिधक गहरा ह।
ेम एक ज मजात दुबलता ह, िजसे हमने आिद पु ष से उ रािधकार म ा िकया ह।
मे एक घातक िवष ह, िजसे पातालवासी भुजधर सार लोक म फलाते ह। आ मा उसक भाव म नशे से म त हो
बाद म न हो जाती ह।
मे एक अमृत ह िजसे भात क वधुएँ बलवान पु ष क िलए बरसाती ह, िजससे वे सम त आनंद का भोग कर
सक।
ेम एक मूखता ह, जो जवानी क भात क साथ कट होती ह और सं या बेला म िवदा हो जाती ह।
मे एक दैवी ान ह, जो हमार अंतरग और बाहर क आँख को काश दान करता ह, िजससे हम सम त
व तु को देवता क समान देखने लगते ह।
मे एक गहरी धुँध ह, जो आ मा को ढक देती ह, िजसम आदमी अपनी इ छा क ितछाया म अपनी ही
आवाज क ित विन सुनता रहता ह।
ेम एक विगक योित ह, जो सू म ाही आ मा क तरग से चमककर अपने आस-पास क सम त व तु को
काशमान कर देती ह।
ेम एक दुखी शरीर क िव ांित ह, जो उसे क म ा होती ह।
ेम मेरा बाप ह।
मनु य दुःख और जुदाई को झेले िबना ेम क मोल को नह समझता।
ेम क िबना जीवन उस वृ क समान ह, िजस पर न बहार आए ना फल ह ।
मेर माँ-बाप क िसवा कोई नह जानता िक ेम या ह।
जीवन दो चीज का नाम ह—एक जमी ई नदी और दूसरी धधकती ई ाला, और धधकती ई ाला ही ेम
ह।
मे एक ओर अगर तु ह राजमुकट पहना सकता ह, तो दूसरी ओर सलीब पर भी चढ़ा सकता ह। अगर वह तु हार
िव तार क िलए ह तो तु ह तराशने क िलए भी ह।
मे िजस तरह तु हारी ऊचाइय पर चढ़कर धूप म लहराती ई तु हारी कोमल टहिनय को सहलाता ह, वह दूसरी
तरफ तु हारी जड़ म उतरकर जमीन से जुड़ तु हार अ त व को िझंझोड़कर ढीला कर देता ह।
मे तु हार साथ इतना कछ करगा िक तुम अपने िदल क सार राज को जान जाओ। पर अगर तु ह इन बात से डर
लगता ह और तुम कवल ेम क शांित और ेम क आनंद को पाना चाहते हो तो तुम ेम क इस बगीचे क बाहर
िनकल जाओ और चले जाओ िकसी ऐसी जगह पर जहाँ तुम हसो भी तो तु हारी संपूण िखलिखलाहट न िदखे और
अगर रोओ तो तु हार आँसू न बह सक।
मे कवल खुद को ही देता ह और खुद से ही पाता ह। ेम िकसी पर अिधकार नह जमाता और न ही िकसी क
अिधकार को वीकार करता ह।
मे क िलए तो ेम का होना ही ब त ह। कभी यह मत सोचो िक तुम ेम को रा ता िदखा रह हो या िदखा सकते
हो, य िक अगर तुम स े हो तो ेम खुद तु ह रा ता िदखाएगा।
मे क अलावा ेम क और कोई इ छा नह होती पर अगर तुम ेम करो और तुमसे इ छा िकए िबना न रहा जाए
तो यही इ छा करो िक तुम िपघल जाओ ेम क रस म और ेम क इस पिव झरने म बहने लगो। ेम क रस म
डबो तो ऐसे िक जब सुबह तुम जागो तो ेम का एक िदन और पा जाने का एहसान मानो, और िफर रात म, जब
तुम सोने जाओ तो िदल म अपने ि यतम क िलए ाथना हो और ह ठ पर उसक खुशी क िलए गीत।
जो मृ यु छीन लेती ह, कोई ाणी लौटा नह सकता, िजसे वग ने आशीवाद िदया ह, कोई ाणी दंड नह दे
सकता, िजसे ेम ने एक कर िदया ह, कोई ाणी अलग नह कर सकता, जो िनयित ने िन त कर िदया ह, कोई
ाणी बदल नह सकता।
िजनसे ेम करते ह, उ ह जाने द, वे यिद लौट आते ह तो वे सदा क िलए आपक ह। और अगर नह लौटते ह तो
वे कभी आपक थे ही नह ।
मे तभी पूरा होता जब वह सच पर आधा रत होता ह। ेम म िनंदा, ेष, ई या, झूठ, फरब क िलए कोई जगह
नह और स े अथ म जब ये सब िमट जाते ह तब ेम का िशला यास होता ह, ेम िव ास पर िटकता ह और
िव ास तभी होता ह, जब ये भावनाएँ िदल से िमट जाती ह।
जो ेम अपने को िन य नवीन नह रखता, वह पहले आदत का प धारण कर लेता ह, और िफर दासता म
प रवितत हो जाता ह।
ेम और मृ यु
कवल ेम और मृ यु सब व तु को बदलते ह।
न मेरा कोई अतीत ह, न भिव य। अगर म कता तो मेर कने म भी गित ह, और अगर म जाता तो मेर चलने
म भी एक ठहराव ह। तमाम चीज को कवल दो ही चीज बदल सकती ह— ेम और मृ यु।
ेम और संदेह
ेम और संदेह म आपस म कभी मेल-जोल नह हो सकता। वे दोन एक दय म नह रह सकते।
ेम और संदेह म कभी बातचीत नह रही ह।
ेम और संदेह दोन एक साथ एक दय म नह रह सकते।

ेरणा
यिद तुम अपने अंदर कछ िलखने क ेरणा का अनुभव करो तो तु हार भीतर ये बात होनी चािहए—1. ान कला
का जादू, 2. श द क संगीत का ान और 3. ोता को मोह लेने का जादू।
यार
यार क िबना जीवन उस वृ क तरह ह, िजस पर कभी फल नह लगते ह।
यार क वयं को पूण करने को छोड़कर दूसरी कोई इ छा नह ह। िवत होना और एक दौड़ती छोटी नदी क
तरह होना, जो रात तक अपने वर क मधुरता गाती ह। भोर होने पर एक पंखयु िदल क साथ जागना और ेम
क दूसर िदन क िलए ध यवाद देना।
िबना यार क एक िजंदगी एक िबना फल क पेड़ क जैसी ह।
याला
जब मेरा याला खाली होता ह, तब तो म संतोष कर लेता , पर जब वह आधा भरा होता ह, तो म उस पर ोध
करता ।
एक दूसर का याला तो भरो, लेिकन एक ही याले से मत िपयो।
फ र ता और मनु य
ई र का पहला िचंतन था फ र ता। ई र का पहला श द था मनु य।
बंधन
जो ेम िनत नया नह होता रहता, वह एक आदत का प धारण कर लेता ह और िफर बंधन बन जाता ह।
एक-दूसर से ेम कर, लेिकन ेम का कोई बंधन न बाँध, ब क इसे अपनी आ मा क िकनार क बीच एक
बहते ए सागर क समान रहने द।
ब े
हमार कछ ब े हमार ठीक काम ह, पर कछ ब े तो कवल हमार पछतावे ही ह।
तु हार ब े तु हारी संतान नह ह, वे तो जीवन क वयं क ित िजजीिवषा क फल व प उपजे ह। वे तु हार
भीतर से आए ह, लेिकन तु हार िलए नह आए ह। वे तु हार साथ ज र ह, लेिकन तु हार नह ह। तुम उ ह अपना
ेम दे सकते हो, अपने िवचार नह , य िक उनक िवचार उनक अपने ह।
तुमने अपने ब क शरीर का िनमाण िकया ह, आ मा का नह , य िक उनक आ मा भिव य क घर म रहती ह,
जहाँ तुम जा नह सकते, सपने म भी नह , उनक जैसे बनने क कोिशश करो, उ ह अपने जैसा हरिगज न बनाओ,
य िक िजंदगी पीछ नह जाती, न ही अतीत से लड़ती ह।
आपक ब े आपक ब े नह ह। वे जीवन क खुद क ित लालसा क पु -पुि याँ ह। वे आपक ारा आए पर
आपसे नह आए और हालाँिक वे आपक साथ ह, पर िफर भी आपक नह ह।
आप वह धनुष हो, िजससे आपक ब े जीिवत तीर क प म भेजे जाते ह।
बदमाशी
हम छोटी सी बदमाशी क मुकाबले म ब त बड़ी बदमाशी करते ह और कहते ह िक यह कानून ह।
बदला
हम कलह का बदला बदतरीन कलह से देते ह और कहते ह िक यह शील ह।

बदसूरत
जब िकसी आदमी को नशे क हालत म देखो, िदल पर हाथ रखकर बोलो, ज र यह आदमी ऐसी चीज से भाग
रहा ह जो अभी भी बदसूरत ह।
बाँसुरी
काश! म एक बाँसुरी होता, पैर क नीचे कचली ई, य िक यह चाँदी क तारवाली एक वीणा होने से अ छा ह,
ऐसे मकान म, िजसक मािलक क उगिलयाँ न ह और िजसक ब े बहर ह ।
बातचीत
तुम तभी बात करते हो, जब अपने िवचार क साथ शांित नह रख पाते। य िक िवचार खुले आकाश म उड़नेवाला
पंछी ह, जो श द क िपंजर म अपने पंख तो अव य खोलता ह, िकतु उड़ान नह भर सकता। एकाक पन का मौन
आँख को नंगे यथाथ का दशन कराता ह, िजससे लोग कतराना चाहते ह।
वा तव म हम अपने आपसे ही बातचीत करते ह, पर कभी-कभी हम जोर से बातचीत करते ह िक दूसर भी हम सुन
सक।
बीज
पतझड़ क ऋतु म मने अपने सार शोक-संताप को इक ा करक अपने बाग म गाड़ िदया। जब अ ैल महीना
आया और वसंत ऋतु पृ वी से िववाह करने आई, तो मेर बाग म उगनेवाले फल दूसर क बाग क फल से ब त
सुंदर और िभ थे। मेर पड़ोसी मेर फल को देखने आए और सबने मुझसे कहा, ‘‘अबक बार जब पतझड़ ऋतु
म बीज बोने का समय आए, तो या इन फल क थोड़ से बीज हम भी न दोगे? हम भी उ ह अपने बाग म
बोएँगे।’’
हर एक बीज एक इ छा क स श ह।
बु
अपने िश य क म य चलता आ गु उ ह अपनी बु नह दे सकता, वह िसफ अपनी आ था और अपना ेम
बाँट सकता ह। वह तुमसे अपनी बु क भवन म वेश करने को नह कहगा, वह तु ह तु हार अपने ही म त क
क दहलीज पर ले जाएगा।

बु म ा
बु म ा ायः एक परदा होता ह। यिद तुम इसे फाड़ सको, तो उसक पीछ या तो तुम एक क पना-श
पाओगे या मायाचारपूण चतुराई।
बु म ा जब इतनी घमंडी बन जाए िक वह रो न सक, इतनी गंभीर बन जाए िक हस न सक और इतनी आ म-
कि त बन जाए िक िसवा अपने िकसी दूसर क िचंता भी न कर, तो वह बु म ा बु म ा नह रहती।

बु मानी
एक लँगड़ आदमी क िलए बु मानी इसी बात म ह िक अपनी लाठी अपने श ु क िसर पर मारकर न तोड़।
बुराई
जब कोई दूसरा आदमी तु हार साथ बुराई करता ह, तो तुम उस बुराई को भूल सकते हो, पर जब तुम उसक साथ
बुराई करते हो, तो तुम उसे सदा याद रखोगे। सच बात तो यह ह िक वह दूसरा आदमी तु हारी ही अ यंत चेतन
आ मा दूसर शरीर क प म ह।
बुलबुल
कहा जाता ह िक बुलबुल जब ेम भर गीत गाती ह, तो पहले अपने दय को काँट से चीर डालती ह। हमारा भी
यही हाल ह। नह तो, हम ेम क गीत कसे गा सकते ह?
बेदाग
म बेदाग पैदा आ और िजंदगी भर बेदाग ही र गा। याही मेर नजदीक आए या कोई ध बा मुझ पर लगे, उससे
पहले म जल जाना और सफद राख म त दील हो जाना पसंद क गा।

भर हाथ
यिद तु हार हाथ पए से भर ए ह तो िफर वे परमा मा क वंदना क िलए कसे उठ सकते ह।
भला-बुरा
बुराई उस यातना क िसवा या ह? जो स नता क अपनी ही भूख और अपनी ही यास उसे िदया करती ह। तुम
भले हो यिद अपनी आ मा क साथ एकाकार हो जाओ। तुम भले हो यिद तुम आ मदान करने क कोिशश करते
हो। तुम भले हो यिद अपने वचन म पूरी तरह जाग क हो। तुम भले हो यिद तुम अपने ल य क ओर ढ़ता और
साहस क साथ कदम बढ़ा रह हो।
िभखारी
मंिदर क ार पर हम सभी िभखारी ही ह।
भुल ड़पन
भुल ड़पन आजादी का ही एक प ह।

भेड़
दयालु भेि़डए ने भोली-भाली भेड़ से कहा, ‘‘कभी हमार घर पधारकर हम इ त ब शोगी? आपक घर आकर हम
बड़ी खुशी िमलती’’, भेड़ ने न तापूवक कहा, ‘‘बशत, वह आपक पेट म न होता।’’
भेि़डया और घि़डयाल
नदी क िकनार एक भेि़डए क एक घि़डयाल से मुलाकात हो गई। दोन ने पर पर अिभवादन िकया। भेि़डए ने पूछा,
‘‘कसी बीत रही ह, सर?’’ ‘‘बड़ी बुरी बीत रही ह।’’ घि़डयाल ने कहा, ‘‘कभी-कभी तो यथा और पीड़ा से म रो
पड़ता । और लोग ह िक कहते ह, घि़डयाल आँसू बहा रहा ह। यह सुनकर तो म बता नह सकता िक िकतना
क होता ह।’’ भेि़डया बोला, ‘‘तुमने अपनी यथा तो सुना दी, अब एक पल मेरी सुनो। म संसार क सुषमा को,
इसक आ य और अजूब को िनहारता और मार खुशी क जोर से हसता , एकदम खुली हसी। और पूरा
जंगल कहता ह, देखो, भेि़डया हस रहा ह।’’
भेद
ब त अिधक बोलनेवाला ब त कम समझ रखता ह और एक सुव ा और नीलाम क बोली देनेवाले म ब त ही
कम भेद होता ह।
मछिलया
संसार म सबसे अिधक दुःखी ाणी कौन ह? बेचारी मछिलयाँ, य िक दुःख क कारण उनक आँख म आनेवाले
आँसू पानी म घुल जाते ह, िकसी को िदखते नह । अतः वे सारी सहानुभूित और ेह से वंिचत रह जाती ह।
सहानुभूित क अभाव म तो कण मा दुःख भी पवत हो जाता ह।
एक मछली ने दूसरी से कहा, ‘‘हमार समंदर से अलग एक अ य समंदर भी ह। ब त से जीव उसम रहते ह। वे
वैसे ही उसम रहते ह, जैसे हम इसम रहते ह।’’ दूसरी ने जवाब िदया, ‘‘सफद झूठ! तुम अ छी तरह जानती हो िक
इस समंदर से हमम से कोई एक इच बाहर िनकला नह िक मर जाता ह। िफर तु हार पास या सबूत ह िक दूसर
समंदर ह और उनम जीवन ह?’’
मठाधीश
दुिनया से भागकर लोग का रा ता िदखानेवाले ज मांध मठाधीश क पोल ब त ज दी खुल ही जाती ह।
मत भूलो
ये मत भूलो िक धरती तु हार पैर को महसूस करक खुश होती ह और हवा तु हार बाल से खेलना चाहती ह।
मतभेद
दो बु मान क बीच मतभेद होना शायद अ यंत साधारण बात हो सकती ह।
मत-मतांतर
ब त से मत-मतांतर िखड़क क शीश क स श ह। हम उनम से स य को देखते तो ह, पर वे हम स य से अलग
ही रखते ह।
मिदरा
जब इनसान िकसी िवचार क नशे म चूर होता ह, तब वह उसक धुँधली अिभ य को ही मिदरा कहने लगता ह।
तुम मिदरा इसिलए पीते हो िक तुम म त हो जाओ और म मिदरा इसिलए पीता िक वह मेरी दूसरी म तय क
नशे को कम कर दे।

मनु य
अनेक मनु य ऐसे ह, जो सागर क गजन क समान चीखते रहते ह, िकतु उनका जीवन खोखला और वाहहीन
होता ह, जैसे िक सड़ती ई दलदल; और अनेक ऐसे ह, जो अपने िसर को पवत क चोटी से भी ऊपर उठाए
चलते ह, िकतु उनक आ माएँ कदरा क अंधकार म सोती पड़ी रहती ह।
महा मा
महा मा भी शारी रक आव यकता से छटकारा नह पा सकते।
असली महा मा वही ह, िजसक िदल म मानव क िलए ेम क भावना हो।
महानता
जब तुम उन वरदान क इ छा करते हो, िजनक नाम तु ह मालूम न ह और जब तुम शोकातुर हो, पर अपने शोक
का कारण न जानते हो; वा तव म उस समय ही बढ़ती ई व तु क साथ-साथ तुम भी बढ़ रह हो और अपनी
आ मा क महानता क ऊचाइय क तरफ उठ रह हो।
महापु ष
म ऐसे िकसी महापु ष से प रिचत नह , िजसक िनमाण म कोई साधारण बात शािमल न ह । और ये साधारण बात
ही उनको िन यता, पागलपन और आ मघात से रोक रखती ह।
यथाथ महापु ष वह आदमी ह जो न दूसर को अपने अधीन रखता ह और न वयं दूसर क अधीन होता ह।
माँ
इस जीवन म माँ सबकछ ह। दुःख क िदन म वह सां वना का बोल ह, शोक क समय म आशा ह और कमजोर
पल म ताकत।
माँ क दय क खामोिशय म सोया आ गीत उसक ब े क ह ठ पर खेलता ह।
ब त समय तक तुम अपनी माँ क न द म एक व न बनकर रह और जब उसक आँख खुली तो तु हारा ज म
आ।
जाित क उ पि का कारण तु हारी माँ क इ छा म ह।
मेर माँ-बाप ने बालक क इ छा क और उ ह ने मुझे ज म दे िदया।

मॉडल
मॉडल को उतनी खूबसूरत मत िचि त करो, िजतनी वह नह ह।
मानवता
मानवता काश क वह वाहशील नदी ह, जो अनािद से अनंत क ओर बहती ह।
मानवता काश क वह नदी ह, जो सीिमत से असीम क ओर बहती ह।

मानव-स यता
मने मानव-स यता को छोड़ िदया, य िक मने देखा िक वह एक ऐसा पेड़ ह, जो अ यंत पुराना और हो चुका
ह, िकतु ह श शाली तथा भयानक। उसक जड़ पृ वी क अंधकार म बंद ह और उसक शाखाएँ बादल म खो
गई ह। िकतु उसक फल लोभ, अधम और पाप से बने ह और फल दुःख, संतोष और भय से।
िम ी
बड़ी शानो-शौकत और वैभव क साथ िम ी िम ी म से ज म लेती ह। िफर यह िम ी बड़ गव और अिभमान से
िम ी क ऊपर चलती िफरती ह।
िम ी िम ी से राजा क िलए राजभवन और धनवान क िलए ऊची-ऊची मीनार और सुंदर-सुंदर भवन का
िनमाण करती ह। वह अ ुत पुराण-कथा क ताने-बाने बुनती ह, कठोर िनयम-कानून बनाती ह और जिटल
िस ांत क रचना करती ह।
जब यह सबकछ हो चुकता ह तो िम ी िम ी क म से उकताकर अपने काश और अँधेर म से काली-काली
भयानक छाया , कोमल-कोमल सू म क पना और मनमोहक मधुर-मधुर सपन क सृि करती ह।
िफर िम ी क न द हारी-थक िम ी क बोिझल पलक को फसलाती ह। तब िम ी गहरी और शांत न द म
संसार क सब व तु को अपनी पलक म बंद कर लेती ह।
और िम ी िम ी को संबोधन करक कहती ह, ‘‘देख, म ही तेरा आिद और म ही तेरा अंत और सदा तेरा आिद
और अंत म ही र गी, जब तक िक िसतार का अंत न हो जाए और चाँद और सूरज जल-बुझकर राख का ढर न
हो जाएँ।’’
िमठास
दो ती क िमठास म हा य और खुिशय क बाँटना चािहए। य िक छोटी-छोटी चीज क ओस म िदल अपनी सुबह
खोज लेता ह और तरोताजा हो जाता ह।
िम
यिद तुम अपने िम को सब प र थितय म नह जान सकते, तो तुम उसे कभी नह समझ सकोगे।
िज ह लोग दिलत और गिहत समझते ह, जो िनंदा और भ सना क पा हो चुक ह, उनक िम बनकर उ ह यार
और काश दो।
िम ता
िम ता हमेशा एक मधुर िज मेदारी ह, अवसर कभी नह ।
िम ता अवसरवािदता नह ह, वह तो सदा एक मधुर उ रदािय व ह।
िम ता सदा एक मधुर उ रदािय व ह, न िक वाथ-पूित का अवसर।

िमलन
याद रखना भी िमलन का एक प ह।
मु ी
एक बार मने अपनी मु ी कहर से भरी। िफर जो उसे खोला, तो कहर को एक क ड़ा बना पाया। मने दुबारा मु ी
बंद क और खोली, तो वहाँ क ड़ क जगह एक िचि़डया थी। िफर मने उसे बंद िकया और खोला, तो मेरी हथेली
पर एक आदमी खड़ा था, िजसका चेहरा शोकातुर था और ि ऊपर क तरफ। अंितम बार मने िफर मु ी बंद
क और िफर जो उसे खोला, तो वहाँ कहर क िसवाय कछ भी न था। परतु इस बार मने एक अ यंत मधुर और
रसीला गीत सुना।
मुसकराहट
एक ी अपने चेहर क भाव को एक हलक सी मुसकराहट क परदे से ढक सकती ह।
मुसकान
औरत एक मुसकान से अपने चेहर को ढक सकती ह।

मूख
िकतना मूख ह वह आदमी जो अपनी आँख क घृणा को अपने ह ठ क मुसकराहट से िछपाना चाहता ह!
मूखता
िदन और रात क साथ खेल खेलना मूखता ह। यिद तुम ऐसा करोगे, तो वे दोन तुम पर हसगे।
मेढक
कभी-कभी मेढक बैल से भी अिधक शोर कर सकते ह, पर मेढक न खेत म हल चला सकते ह, न को म जोते
जा सकते ह और न तुम उनक खाल से जूितयाँ ही बना सकते हो।
मेढक िकतने ही शोर कर ल, वे को क बैल जैसा प र म नह कर सकते।
मेल
तु हारी बु और मेर दय म उस समय तक मेल नह हो सकता, जब तक िक तु हारी बु िहसाब लगाना न
छोड़ दे और मेरा दय अंधकार म रहना।
हम एक-दूसर को उस समय तक नह समझ सकते, जब तक िक हम भाषा को सात श द म सीिमत न कर द।
(वे सात श द ह—तुम, म, लो, परमा मा, ेम, सुंदरता, धरती।)
मेहमान
देहरी पर रोककर मने अपने मेहमान को टोका, नह , ‘पैर को आते समय मत प छो; इ ह जाते ए प छना।’

म चलते ए लोग क साथ चल सकता , िकनार खड़ होकर सामने से गुजरते ए जुलूस को देख नह सकता।
िपताजी मुझे एकदम अपने जैसा बनाना चाहते ह और चाचा अपने जैसा। माँ मुझम नानाजी जैसी सु िस छिव
देखती ह। बहन को जीजाजी जैसा समु ी या ा का शौक न आदमी ही अनुसरण करने लायक िदखता ह। मेरा
भाई सोचता ह िक मुझे उसक जैसा बेहतरीन एथलीट बनना चािहए। मेर अ यापक भी डॉ टर ऑफ िफलॉसफ ,
संगीत , तकशा ी, यानी जो वे थे मुझे बनाना चाहते थे। वे चाहते थे िक म म न र , दपण म नजर आता उनका
िबंब बन जाऊ। इसीिलए म यहाँ चला आया। यह जगह मुझे सुरि त लगती ह। यहाँ म म बनकर रह सकता ।
म उस आदमी क शंसा करता , जो अपनी बु म ापूण बात मुझे सुनाता ह। म उस आदमी का आदर करता
, जो अपनी क पना क व न मेर सामने खोल देता ह। पर म उस आदमी क सामने िझझक और कछ ल ा
भी अनुभव करता , जो मेरी सेवा करता ह।
तुम मुझे कान दो, म तु ह आवाज दूँगा।
कल तक मेरा िवचार था िक म एक सू म टकड़ा , जो अिनयिमत प से जीवन क घेर म च र लगा रहा ह।
पर आज म यह समझता िक म वयं ही वह घेरा , िजसम सम त जीवन िनयिमत प से घूमनेवाले टकड़ क
साथ च र लगा रहा ह।
म वयं ही िचनगारी और म ही सूखी घास-फस । इस तरह मेरा ही एक भाग दूसर भाग को जला रहा ह।
लोग अपनी जा अव था म मुझसे कहते ह, ‘‘तू और यह संसार, िजसम तू रहता ह, एक अनंत समु क अनंत
तट का कवल रज कण मा ह।’’ और म अपनी व नमय अव था म उनसे कहता , ‘म तो अनंत समु और
तीन लोक मेर तट पर रज क कण ह।’
यिद म अपने आपको उन सब बात से भर लू,ँ िज ह तुम जानते हो, तो बताओ िक िजन बात को तुम नह जानते
उ ह रखने क िलए मेर पास या थान रहगा?
िन संदेह यह दुभा य ह िक म अपना खाली हाथ लोग क ओर बढ़ाऊ और कोई उसम कछ न दे, पर यह बड़ी
िनराशा क बात ह िक म अपना भरा आ हाथ लोग क ओर बढ़ाऊ और कोई भी लेनेवाला न िमले।
मैदान
िव ा और किव क सामने एक ह रयाला मैदान ह। यिद िव ा इसे पार कर लेगा, तो वह बु मान आदमी
बन जाएगा। और यिद किव इसको तय कर लेगा तो वह िस बन जाएगा।

मोती
मोती एक ऐसा मंिदर ह, िजसे दुःख और क क हाथ ने एक रजकण क इद-िगद िनमाण िकया ह। तो िफर कौन
सी इ छा ने हमार शरीर का िनमाण िकया और वे कौन से रजकण ह, िजनक िगद हमार शरीर को बनाया?
मौत
मौत एक नवजात ब े क अपे ा एक बूढ़ क अिधक समीप नह ह और यही हाल जीवन का ह।
हो सकता ह िक इनसान क बीच क मौत देवता क बीच एक भोज बन रही हो।
मौत क आवाज
मने एक बार जीवन से कहा, ‘म मौत को बोलते ए सुनना चाहता ।’ और जीवन ने अपनी आवाज कछ ऊची
करक कहा, ‘‘लो, अब तुम मौत क आवाज सुन रह हो।’’
मौन
ई यालु का मौन अ यंत शोर करनेवाला होता ह।
मृ यु
साँस का क जाना भी उसक िसवा या ह िक ाण-वायु को अशांत ार-भाट से मु िमल जाए, िक वह ऊपर
उठ िव तार पाए और िनबाध होकर परमा मा से जा िमले।
कवल ेम और मृ यु ही संग को बदल सकते ह।
आओ, ह खूबसूरत मृ यु! मेरी आ मा तु हारा इतजार कर रही ह। मेर पास आओ और िजंदगी क लौह-व को
उतार ले जाओ, य िक इसे लादे-लादे म थक गया ।
आओ, ह मृदुल मृ यु! उन पड़ोिसय से दूर ले जाओ जो िसफ इसिलए िक म उ ह देव व का पाठ सुनाता , मुझे
अजनबी िनगाह से देखते ह। ज दी करो, ह शांित दाियनी! इस भीड़ से, िजसने िसफ इसिलए िक म उसक तरह
िनरीह का खून नह कर सकता, मुझे हताशा क अँधेर कोने म धकल िदया ह, दूर ले जाओ। आओ, मुझे अपने
सफद पर क नीचे िछपा लो, य िक मेर दो त को अब मेरी ज रत नह ह।
रह य पर से परदा मृ यु ही उठा पाती ह और अगर वा तव म तुम मेर बार म जानना चाहते हो तो सुनो, ‘िजतना
बोल चुका उससे यादा किवता मेर दय म ह और िजतना िलख चुका उससे कह यादा मेर खयाल म ह।’
यथाथता
हो सकता ह िक एक भूली ई यथाथता मर जाए और वह स र सह वा तिवकताएँ अपने पीछ इ छा—वसीयत
—म छोड़ जाए, जो इसक अरथी और समािध क िनमाण म खच क जाए।
तु हारी यथाथता को कवल महा दुःख या महा सुख ही कट कर सकता ह। इसिलए यिद तुम अपनी यथाथता
को कट करना चाहते हो, तो या तो तु ह न न होकर िदन म नाचना होगा, या फाँसी पर चढ़ना होगा।
युवाव था
युवाव था एक खूबसूरत व न ह, िजसक चमक पर पु तक क कारण धूल जम जाती ह। या कभी ऐसा िदन
आएगा, जब ान क आनंद का संपक युवाव था क व न से होगा? या कभी ऐसा िदन आएगा, जब कित
इनसान क िश क, मानवता उसक पु तक और जीवन उसका कल बनेगा?
रह य
जब तुम जीवन क सब सम या को हल कर चुकते हो और उसक सब रह य को पा लेते हो, तब तुम मौत क
इ छा करते हो, य िक यह भी जीवन क रह य का एक दूसरा रह य ह।
अगर आपने अपना कोई रह य िकसी एक य को बताया ह, तो आप उसे अपने इस रह य को दूसर लोग को
बताने से रोक नह सकते ह।
िकसी य क वा तिवकता यह नह ह िक वह िकस रह य को आप पर जािहर करता ह, ब क यह ह िक वह
िकस रह य को आप पर जािहर नह कर पाता ह। इसिलए अगर उसको जानना चाहते हो, तो जो वह कहता ह उसे
नह , उसे सुनो जो वह नह कहता ह।
जब दो औरत बात करती ह, वे कछ नह कहत । जब एक औरत बोलती ह, वह िजंदगी क सार रह य को खोल
देती ह।
राजा का राजा
राजा का राजा वह ह, िजसक ग ी साधु क दय म होती ह।
रत और झाग
मेरा एक आदमी से प रचय आ, िजसक सुनने क श ब त तेज थी, पर वह गूँगा था। उसक िज ा एक
लड़ाई म जाती रही थी। आज म उन सभी लड़ाइय को जानता , जो िक उस आदमी ने लड़ी थ । इससे पहले िक
वह महा मौन उसे ा हो, रत और झाग ा आ। म स िक वह मर गया ह, य िक यह संसार हम
दोन क िलए काफ नह ह।
रोटी
तुम अपनी भूख से अिधक नह खा सकते। इसिलए जो आधी रोटी तुमने नह खाई ह, वह िकसी दूसर का िह सा
ह। और हाँ, तु ह कछ रोटी अक मा आ जानेवाले अितिथ क िलए भी रखनी चािहए।
मने अपनी पूरी ताकत से रोटी माँगी, लेिकन दु कार िदया गया। अब म इसे अपने बाजु क ताकत से छीनूँगा।
मने दया और ेम क नाम पर रोटी माँगी, लेिकन मानवता ने िसर नह उठाया। अब म उसे जबरन छीनूँगा।
रोटी और शराब
एक बार एक आदमी मेर साथ आ बैठा। वह मेरी रोटी खाकर और मेरी शराब पीकर मुझ पर हसता आ चला
गया। इसक बाद वह िफर रोटी और शराब क िलए मेर पास आया और मने उसे ितर कत करक चलता िकया, तो
देवता मुझ पर खूब हसे।
रोमांच
अगर किवता िलखने क ताकत और अनिलखी किवता क रोमांच क बीच िकसी एक को चुनने क छट दी जाए तो
िन संदेह म रोमांच को ही चुनूँगा। यही बेहतर ह।
ल ा
भूलो मत िक मिलन मन क आँख क स मुख ल ा ढाल क समान ह। और जब मिलन मन ही न ह गे, तब
ल ा कवल एक बेड़ी और िवकत करनेवाली व तु क िसवा या होगी?
लालच
बड़ा बनने क छोट-छोट वाथपरक लालच पनप जाते ह और हजार गुनी ताकत से मानवता क पीठ पर वार करते
ह।
लालसा
याित लालसा क वह परछाई ह, जो काश म खड़ी ह।
लोक
आकाश-गंगा क झरोख म से देखनेवाले क िलए धरती और आकाश क बीच का लोक लोक नह ह।
लोग
लोग हमार सामने अपना धन-दौलत फलाते ह और हम उनक सामने अपने दय और आ मा को। और िफर भी
वे अपने आपको आित य करनेवाले और हम अितिथ समझते ह।
कछ लोग ह, िज ह ने सुंदरता क नकल कर ली ह। वे उसक वा तिवकता को, उसक पोशाक क झूठ को नह
जानते।
कछ लोग ऐसे भी ह, जो भ ेपन को पहचानते ह। सुंदर पोशाक उसको पहचानने से नह रोक सकती।
हमम से कछ लोग कागज क और कछ लोग याही क तरह ह, य िक हमम से कछ म अगर कािलमा न होती
तो दूसर कछ लोग गूँगे हो गए होते और कछ म अगर धवलता न होती तो दूसर कछ लोग अंधे हो गए होते।
ऐसे भी लोग ह, िजनक पास ब त थोड़ा ह, िफर भी वे सारा-का-सारा दे डालते ह। ये जीवन म तथा जीवन क
संप ता म आ था रखनेवाले वे लोग हो ते ह, िजनका भंडार कभी खाली नह होता। जो स होकर दान करते ह,
उनक स ता ही सव म उपहार ह।
लोमड़ी
सूय दय क समय अपनी परछाई देखकर लोमड़ी ने कहा, ‘‘आज लंच म म ऊट को खाऊगी।’’ सुबह का सारा
समय उसने ऊट क तलाश म गुजार िदया। िफर दोपहर को अपनी परछाई देखकर उसने कहा, ‘‘एक चूहा ही
काफ होगा।’’
बीस गध पर सवार लोमि़डयाँ अगर बीस भेि़डय क साथ एक आदमी का पीछा कर और उसे मार डाल तो िकसी
भी हालत म उसे उिचत नह ठहराया जा सकता।
बीस घुड़सवार िशकारी बीस क क साथ एक लोमड़ी का पीछा कर रह थे। तब लोमड़ी ने कहा, ‘‘िन संदेह
थोड़ी देर म ये मुझे मार डालगे। पर ये लोग भी िकतने ु और मूख ह। बीस लोमि़डयाँ गधे पर चढ़कर और बीस
भेि़डय को लेकर एक आदमी को मारने क िलए कभी उसका पीछा करना उिचत नह समझगी।’’

लोरी
हम ायः ब को सुलाने क िलए लोरी गाते ह, िजससे िक हम वयं सो सक।
व ा
यिद सचमुच तु ह प व ा बनना ही ह तो प व ा भी गुणपूवक बनो। नह तो चुप रहो, य िक हमार
पड़ोस म एक आदमी मृ युशैया पर पड़ा ह।
वसंत
यिद शीत ऋतु यह कह िक वसंत ऋतु मेर दय म ह, तो उसक बात कौन मानेगा?
ितभा एक गीत ह, िजसे प ी बड़ी ती ा क बाद वसंत ऋतु क आने पर गाता ह।
हर िशिशर क अंत म एक वसंत लहलहा रहा होता ह और येक रात क घूँघट क पीछ सूय दय का मुसकराता
चेहरा होता ह।

व तु
प व तु वही ह, िजसे कोई नह देखता, जब तक िक कोई उसे सरल भाषा म वणन नह करता।

तु हार व तु हार ब त से सुंदर अंश को िछपा लेते ह, लेिकन असुंदर को नह । हालाँिक तुम व म अपनी
गु ता क आजादी खोजते हो, लेिकन तुमको ा होते ह बंधन और बाधा।
काश धूप और वायु से तु हारा िमलन तु हारी वचा ारा अिधक होता और व ारा कम। य िक जीवन क
ाण सूय क काश म ह और जीवन क हाथ हवा क झ क म ह।
वाणी
यिद तुम अ छी तरह कान खोलकर सुनो तो तु ह सभी वािणय म अपनी वाणी सुनाई देगी।
वा तव म
यिद तुम कवल उन ही बात को देखते हो, िज ह काश य करता ह और िज ह वाणी घोिषत करती ह, तो
वा तव म न तो तुम देखते हो और न सुनते हो।

वा तिवकता
वा तिवकता एक खुली स ाई ह।
दूसर य क वा तिवकता उसम नह ह, जो कछ वह तुम पर य करता ह, ब क उसम ह, जो कछ वह तुम
पर य नह कर पाता। इसिलए यिद तुम उसे जानना चाहते हो तो उसक उन बात को न सुनो, िज ह वह सुनाता
ह, अिपतु उन बात को समझो, िज ह वह नह कह पाता।
जब आप अपनी संपि देते ह तब आप देते तो ह ब त, पर जब आप खुद को देते ह तब आप वा तिवकता म देते
ह।
इनसान क वा तिवकता उन व तु म नह ह, िज ह वह तुम पर कट करता ह, ब क उन व तु म ह, िज ह
वह तुम पर कट नह कर सकता।
िवचार
गित हमार िवचार म ह। िबना िवचार क कछ भी गितशील नह होता।
िवतान
एक गीत और पहली बनाकर पृ वी ने हमारी रचना क थी। गीत को आकाश म उछाल िदया था और पहली को
अपनी गहराइय म फक िदया था। यह मानकर िक इन दोन क बीच जो िवतान ह, वह िवतान ही गीत को
फलाएगा और पहली को बुझाएगा। लेिकन यह िवतान िकसी भी तरह हमारी उ कठा को शांत न कर पाएगा।
िववेक और वासना
अनेक बार तु हारा अंतःकरण सं ाम भूिम बनता ह, जहाँ तु हारा िववेक और तु हारी याय-बु तु हारी वासना
एवं तृ णा क िव यु करती ह।
िववेक एकाक राज करते ए मयािदत करनेवाली श ह और बेलगाम वासना वह ाला ह, जो वयं अपने को
जलाकर रख होने तक जलती ह।
िव ास
तुम जहाँ से चाहो धरती खोद लो, तुम अव य ही खजाना पा लोगे, पर शत यह ह िक तुमम एक िकसान सा ढ़
िव ास होना चािहए।
जब तक म वै म वै न बनूँ, वे यह िव ास न करगे िक म योितषी भी ।
िव ास रखना एक सुंदर बात ह, िकतु उस िव ास को योग म लाना साहस का काम ह।
िव ास दय क भीतर वह नखिल तान ह, िजस तक सोच क कारवाँ ारा नह पह◌ुचा जा सकता।
िव ास और भरोसे क िदल म अलग जगह होती ह। हर व सोचते रहने से िव ास हािसल नह िकया जा
सकता ह।
वृ
काश! म एक वृ होता, िबना फल और िबना फल का, य िक अिधकता क पीड़ा उजड़पन से कह अिधक
कड़वी ह और अमीर का दुःख, िजसे कोई हण नह करता, कह बड़ा ह एक िभखारी क िनधनता से, िजसे कोई
नह देता।
वै
म यह िव ास नह करता िक एक वै कवल इसिलए अधकचरा या म यम ेणी का वै ह िक उसक हाथ से
पागल भी मरते ह और महापु ष भी।

एक य समाज क िनयम से ऊचा होता ह, जब तक िक वह समाज क परपरा क िव कोई काम नह
करता। और उसक बाद न वह िकसी से बड़ा ह न छोटा।
शद
हमार सभी श द महज वे टकड़ ह, जो िदमाग क दावत से नीचे िगरते ह।
हम श द क लहर म हर समय डबे रहते ह, पर हमारा अंतरग सदा चुप रहता ह।
श द काल क बंधन से वतं ह, इसिलए उनको कहते या िलखते समय तु ह इस बात का ान होना चािहए।
उन श द को सुना करो, िजनका उ ारण न िज ा करती ह न ठ और न कठ। िनिवड़ अंतराल से जो मौन
ेरणाएँ और परागान फिटत होता रहता ह, उसे सुनकर तेरा मानव-जीवन ध य हो जाएगा।

शरीर
ई र ने आ मा क मंिदर क प म ही शरीर का िनमाण िकया ह और हमारा यह कत य ह िक उस िव ास
को, जो परमा मा ने हम दान िकया ह, यो यतपूवक बनाए रख।
श ु
ह परमा मा! मेरा कोई श ु नह ह। पर यिद मेरा कोई श ु होना हो ही, तो िफर उसक श मेरी िजतनी ही हो,
िजससे कवल स य ही जीते।
श ु से तु हारा पूरा मेल-जोल तब होगा, जब तुम दोन मर जाओगे।
शत
इस दुिनया म कछ करने क िलए पहली शत ह—इसी दुिनया म जीना, आम आदमी क दुःख-दद को आ मसा
करना।
शांत
ई र ने मुझ प थर को इस आ यजनक झील म फका। मने सतह पर अनिगनत घेर बनाकर इसम उथल-पुथल
मचा दी, लेिकन जब तलहटी म प चा, म िबलकल शांत हो गया।
शांित
अगर कत य रा क संिध को भंग करता ह तथा देशभ जा क शांितमय जीवन म िव न डालती ह, तब हम
यह कहगे िक कत य और देशभ को शांित िमले।
शायद
शायद मोती सीपी म समु का दय ह और हीरा कोयले म समय क या या ह।
िश क
जो िश क वा तव म बु मान ह वह आपको अपने ान को म वेश करने का आदेश नह देता, ब क वह
आपको आपक बु क पराका ा तक ले जाता ह।
मने बातूिनय से शांत रहना सीखा ह, असिह णु य य से सहनशीलता सीखी ह, िनदयी य य से दयालुता
सीखी ह, पर िफर भी िकतना अजीब ह िक म उन िश क का आभारी नह ।
िशखर
हम सभी अपनी अिभलाषा क उ तम िशखर क आरोही ह।
शैतान
शैतान तो उसी िदन मर गया, िजस िदन तुम ज मे थे। अब तु ह देवता क दशन क िलए नक म से गुजरने क
या आव यकता?


ा दय क म थल म वह ह रयाला े ह, जहाँ िवचार का कािफला नह प च सकता।
संघष
इ छा का संघष यह कट करता ह िक जीवन यव थत होना चाहता ह।
आ मा और शरीर का संघष उन आदिमय क दय क िसवाय और कह नह ह, िजनक आ माएँ सो रही ह और
िजनक शरीर ताल- वर-हीन ह।
इस संसार का संघष एक ऐसी अ यव था का नाम ह, िजसम यव था थािपत करने क इ छा ह।
संतान
तु हारी संतान तु हार मा यम से उ प ई ह, परतु तुमसे नह । तुम उसे अपना यार तो दे सकते हो, िकतु िवचार
नह , य िक ये अपने ही िवचार रखते ह। तुम उनक समान बनने क कोिशश तो कर सकते हो, परतु उ ह अपने
समान बनाने क लालसा मत रखो।

सँपोिलया
येक साँप एक सँपोिलया पैदा करता ह, जो बड़ा होकर उसी को खा जाता ह।
संसार
जब तु हारा सुख या दुःख ब त बढ़ जाता ह, तो संसार तु हारी ि म तु छ बन जाता ह।
सजा
तुम उसे या सजा दोगे, जो शरीर से तो ईमानदार ह, लेिकन मन से चोर ह?
तुम उसे या दंड दोगे, जो देह क ह या करता ह, लेिकन िजसक खुद क आ मा का हनन िकया गया ह?
तुम उ ह कसे सजा दोगे, िजनका प ा ाप पहले ही उनक दु क य से अिधक ह?
सय
स य को जानना चािहए, पर उसको कहना कभी-कभी चािहए।
हमम से कछ ही लोग ऐसे होते ह, जो िभ यथाथ को जोड़कर स य तक प च पाते ह।
स य को सुननेवाला स य बोलनेवाले से कछ कम नह ह।
स य क खोज
स य क खोज करने क िलए दो आदमी चािहए, एक इसको कहनेवाला और दूसरा उसे समझनेवाला।
सपने
घने कोहर म जब तुम आकां ा बनकर घूम रह थे, म भी वहाँ घूम रहा था। तब हमने एक-दूसर को जाना और
अपने उ किठत व न से बाहर आए थे। हमार सपने समय क सीमा से पर थे। वे अपार जगह म फले थे।
मेर पास अपने वे सपने लेकर आओ, िज ह तुमने चेतन अव था म देखा हो। म उन सबका अथ तु ह बताऊगा।
लेिकन सु अव था क तु हार सपन को खोलने िजतनी या तु हारी क पना क उड़ान को जान लेने िजतनी बु
मुझम नह ह।
सबसे समीप
मेर दय क सबसे समीप वह राजा ह, िजसका रा य न हो और वह िनधन ह, जो माँगना न जानता हो।
समझ
एक बार मने एक समु से एक नदी का िज िकया, तो उसने मुझे एक क पनाशील अितशयो करनेवाला
समझा। और जब मने एक नदी को एक समु क बात सुनाई, तो उसने मुझे एक घटाकर बात करनेवाला समझा,
जो िकसी क िनंदा कर रहा हो।

समय
समय को हम अनिगनत सूय क गित क गणना करक नापते ह और वे उसे जेब म रखी एक छोटी सी मशीन से।
अब तु ह बताओ िक हम उसी थान पर उसी समय दोबारा कसे िमल सकते ह?
तुम एक ही समय म हसमुख और िनदयी दोन नह बन सकते।
सव े
कोई कछ माँगे तो उसे दे दीिजए, लेिकन आपसी समझ क आधार पर िकसी को कछ देना सव े ह।

सलाह
जब हम सलाह क िलए एक-दूसर क तरफ देखते ह, तब हम अपने दु मन क सं या घटा लेते ह।
सहजीवी
हम दो त ह। मुझे तुमसे और तु ह मुझसे कछ नह चािहए। हम सहजीवी ह।
सहनशीलता
सहनशीलता अहकार क रोग क ेम म त ह।
सहानुभूित
यह बड़ अचंभे क बात ह िक तुम एक मंद गितवाले आदमी से तो सहानुभूित कर लो, एक मद िवचारक से नह ;
एक आँख क अंधे से तो सहानुभूित करते हो, दय क अंधे से नह ।
सहायता
हम सब अपनी हािदक इ छा क ऊचाइय क ओर बढ़ रह ह। यिद तु हारा साथी तु हार भोजन का थैला और
सूटकस चुरा ले और तु हारा भोजन खाकर वह मोटा-ताजा हो जाए व सूटकस क बोझ से दब जाए, तो तु ह उस
पर तरस खाना चािहए। इससे उसक भारी शरीर क िलए या ा किठन व बोझ से लंबी बन जाएगी। और यिद तुम
अपने आपको दुबला-पतला व हलका-फलका और अपने साथी को भारी तथा साँस फला आ देखो, तो कछ दूर
उसक सहायता अव य करो, इससे तु हारी चाल म तेजी आएगी।
साधु
एक स ा साधु वह ह, जो संसार का इसिलए याग कर देता ह िक वह संसार का पूण प से िनिव न हो आनंद
भोग सक।
िसफ तुम
दफन करने क िलए िजतने भी लोग यहाँ आते ह, उनम िसफ तुम हो, जो मुझे भाते हो। इसिलए िक दूसर सभी लोग
रोते ए आते ह और रोते ए ही वापस जाते ह। कवल तुम हो, जो हसते ए आते हो और हसते ए ही जाते हो।
सुंदरता-क पता
एक िदन सुंदरता और क पता क समु क िकनार मुलाकात ई। दोन ने एक दूसर से कहा, ‘‘आओ समु म
ान कर।’’ दोन ही अपने-अपने कपड़ उतारकर समु म तैरने लग । थोड़ी देर म क पता िकनार पर आई और
सुंदरता क कपड़ अपने बदन पर सजाकर चलती बनी। जब सुंदरता समु से बाहर आई तो उसने देखा िक उसक
कपड़ गायब थे। न न रहने म उसे शम महसूस ई तो उसने हारकर क पता क कपड़ पहन िलये और अपनी राह
ली।
आज तक संसार क लोग क पता को सुंदरता और सुंदरता को क पता समझने क भूल कर रह ह। िफर भी कछ
लोग ऐसे ह, जो सुंदरता क चेहर से प रिचत ह और उसक बदले ए कपड़ म भी उसे पहचान लेते ह और कछ
ऐसे भी ह, जो क पता को पहचानते ह और उनक आँख से उसका स ा व प छपा नह रह पाता।

सुख-दुख
तु हारा सुख तु हार दुःख का ही बेनकाब चेहरा ह।
दुःख िजतनी गहराई तक तु हार मन को तराशेगा, उतना ही सुख उसम समा सकगा।
खुिशय क पल म अपने िदल क गहराइय म झाँक और तुम पाओगे िक िजस कारण ने तु ह दुःख प चाया था,
वही इस व तु ह सुख प चा रहा ह और शोक क पल म िफर से अपने िदल म झाँको, तुम पाओगे िक वा तव
म तुम उसी चीज क िलए रो रह हो, जो कभी तु हारी खुशी क वजह रही ह।
अपने सुख-दुःख अनुभव करने से ब त पहले हम वयं उ ह चुनते ह।
कछ सुख क इ छा ही मेर दुःख का अंश ह।
सूट
आदमी को दो सूट एक साथ पहनने होते ह। उनम से एक, जुलाह ारा बुना और दरजी ारा िसया गया होता ह
और दूसरा, हाड़-मांस-ल से बना।
सेवा
ाचीन काल म गुणी लोग राजा क सेवा करने म गौरव अनुभव करते थे, पर आज वे िनधन क सेवा करने म
स मान का दावा करते ह।
स दय
यिद तुम जीवन क तह तक प च जाओ, तो तु ह हर एक व तु म स दय िदखाई देगा। यहाँ तक िक उन आँख म
भी, जो स दय को देखने म असमथ ह।
स दय हमारी खोई ई पूँजी ह, िजसे हम सम त जीवन खोजते रहते ह। इसक िसवा सबकछ ती ा क एक न एक
िविध ह।
अनंत काल का वयं को दपण म देखना ही स दय ह।
असुंदर क मा यम से उस शा त स दय क खोज करो जो वचा, वण और शरीर क धुँधले बादल म आकाश क
नीिलमा क साथ छ शांित िलये बैठा ह। जब बा आवरण का धुँधला बादल छट जाएगा तो स दय क
अित र कछ रह ही न जाएगा।
यिद तुम स दय क गीत गाओगे, तो उनको सुननेवाला तु ह अव य िमल जाएगा, चाह तुम सहरा क बीच म ही य
न गाओ।
स दय से अलग न तो धम ही कोई व तु ह और न िव ान ही।
महा स दय मुझे अपना गुलाम बना लेता ह। पर उससे भी बड़ा स दय मुझे वयं अपने बंधन से भी वतं कर
देता ह।
स दय देखनेवाले क आँख क अपे ा उसको चाहनेवाले क दय म अिधक चमकता ह।
सौभा य
एक ी ने एक पु ष से कहा, ‘‘म तु ह यार करती ।’’ पु ष ने कहा, ‘‘तु हारा यार पाना मेरा सौभा य ह।’’
ी ने कहा, ‘‘ या तुम मुझे यार नह करते?’’ पु ष ने टकटक लगाकर उसे देखा, कहा कछ नह । तब ी जोर
से चीखी, ‘‘मुझे नफरत ह तुमसे।’’ पु ष ने कहा, ‘‘तु हारी नफरत पाना भी मेरा सौभा य ह।’’
तुम सौभा यशाली हो, िकतु अपने सौभा य को समझ नह पाते। कित ने सुगंध और सुंदरता दोन ही चीज दी ह,
जो ब त कम लोग क भा य म ह।
पश
आप अंधे ह और म गूँगा-बहरा, इसिलए चीज को समझने क िलए हम पर पर- पश का सहारा लेना चािहए।

वग
वग उस दरवाजे क पीछवाले कमर म ह। दुभा य से उसक चाभी मुझसे गुम हो गई ह। काश, म उसे िसफ भूला
होता।
वतं
तुम िदन क सूय क सामने भी वतं हो। तुम रात क चाँद-तार क सामने भी वतं हो। और तुम तब भी वतं
हो, जब न सूय ह और न चाँद-तार। संसार क सब व तु क तरफ से आँख बंद कर लेने पर भी तुम वतं हो।
तुम उस आदमी क सामने गुलाम हो, िजसे तुम ेम करते हो, य िक तुम उससे ेम करते हो।
यथाथ म वतं वह आदमी ह, जो एक पराधीन य क बोझ को संतोष क साथ वयं उठा ले।
वतं ता
वतं ता क िबना जीवन आ मा क िबना शरीर क समान ह।
वव
पागलखाने म मने एक युवक को बैठ देखा, जो त ीनता से दशनशा पढ़ रहा था। वह व थ था और अ य
रोिगय से िबलकल अलग था। मने पूछा, ‘तुम यहाँ या कर रह हो?’ वह समझ गया िक म डॉ टर नह तो वह
बोला, ‘‘देिखए, यह ब त सीधी बात ह। मेर िपता िस वक ल थे और मुझे अपने जैसा बनाना चाहते थे। मेर
चाचा का बड़ा एंपो रयम था, वे चाहते थे िक म उनक राह पर चलू।ँ मेरी माँ मुझम नाना क छिव देखती थी। मेरी
बहन चाहती थी िक म उसक पित क कामयाबी को दोहराऊ। भाई चाहता था िक म उस जैसा शानदार एथलीट
बनूँ। यही सब कल म, संगीत क क ा म और यूशन म होता रहा; वे सभी ढ़ मत थे िक अनुसरण क िलए वे
ही सवथा आदश य थे। उन सबने मुझे एक मनु य क भाँित नह देखा। म तो उनक िलए बस एक आईना था।
तब मने यहाँ भरती होना तय िकया। आिखर यही एक जगह ह, जहाँ म अपने व व क साथ रह सकता ।’’
वा
म उस खोजी क बार म या क , जो वयं ही परमा मा का वाँग भर रहा ह।
वाभािवक दोष
कपा करक अपने वाभािवक दोष को अपने ा गुण से मत छपाओ। म तो अपने दोष को भी रखना चा गा,
य िक आिखर वे मेर अपने ही तो ह।
या
ब त सी याँ पु ष क मन को मोह लेती ह, परतु िबरले ही याँ ह, जो अपने वश म रख सकती ह।
हम
तुम अंधे हो और म बहरा और गूँगा। इसिलए आओ हम आपस म िमल और संसार को समझ।
हम अपने हष और शोक को उ ह अनुभव करने से ब त पहले चुन लेते ह।

हाथ
यिद तु हार हाथ पए से भर ए ह तो िफर वे परमा मा क वंदना क िलए कसे उठ सकते ह।
काँट क ताज बनानेवाले हाथ भी आलसी हाथ से अ छ ह।
दय
यिद आपका दय ालामुखी ह तो भला आप फल क िखलने क अपे ा कसे कर सकते ह।
तु ह और मुझे अपने जीवनपथ क सम त बात को भूलकर अपने ज मदाता सागर क दय म समा जाना ह।
हर महापु ष क दो दय होते ह; एक, दूसर क दुःख से घायल ह और दूसरा, मा करता ह।
मा
जब कोई दूसरा आदमी तुम पर हसता ह, तो तुम उस पर दया कर सकते हो, पर जब तुम उस पर हसते हो, तो तुम
अपने आपको शायद कभी भी मा न करो।

माशीलता
वाह! तु हारी उस माशीलता का या कहना ह, जो उन घातक को मा कर द, िज ह ने खून क एक बूँद भी
नह िगराई। उन चोर को दंड न दे, िज ह ने एक ितनका भी न चुराया। और उन झूठ को कछ न कह, िज ह ने झूठ
का एक श द भी नह कहा।
ान
ान ान नह रह जाता, जब वह इतना अिभमानी हो जाए िक रो भी न सक, इतना गंभीर हो जाए िक हस भी न
सक और इतना वाथ हो जाए िक अपने िसवा िकसी और का अनुसरण न कर सक।
थोड़ा ान जो योग म लाया जाए वह ब त सारा ान जो बेकार पड़ा ह उससे कह अिधक मू यवान ह।
मुझे उस ान से दूर रखो जो रोता न हो, उस दशन से दूर रखो जो हसता न हो और उस महानता से दूर रखो, जो
ब क सामने सर न झुकाता हो।
तुम िकसी आदमी क बार म, उसक संबंध म अपने ान से बढ़कर कोई मत नह बना सकते और तु हारा ान ह
ही िकतना?
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