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जॉन े
मंजुल प ल शग हाउस
मंजुल प ल शग हाउस
कॉरपोरेट एवं संपादक य कायालय
तीय तल, उषा ीत कॉ ले स, 42 मालवीय नगर, भोपाल - 462 003
व य एवं वपणन कायालय
7/32, भू तल, अंसारी रोड, द रयागंज, नई द ली - 110 002
वेबसाइट : www.manjulindia.com
वतरण के
अहमदाबाद, बगलु , भोपाल, कोलकाता, चे ई,
हैदराबाद, मु बई, नई द ली, पुणे
ISBN 978-81-86775-48-6
तावना
1. पु ष मंगल ह से आए ह, म हलाएँ शु ह से आई ह
2. ीमान - “सम या-सुलझाने-वाल” और ीमती “घर–सुधार स म त”
3. पु ष अपनी गुफा म चले जाते ह और म हलाएँ बोलती ब त ह
4. जीवनसाथी को े रत कैसे कर
5. दोन अलग–अलग भाषाएँ बोलते ह
6. पु ष रबर बड क तरह होते ह
7. म हलाएँ लहर क तरह होती ह
8. दोन क भावना मक आव यकताएँ अलग–अलग होती ह
9. बहस से कैसे बचा जाए
10. अपने ेमी या अपनी े मका का दल कैसे जीत
11. जब आप परेशान ह तो ेमप लख
12. सहायता कैसे माँग और पाएँ
13. यार के जा को ज़दा कैसे रख
तावना
मेरी बेट लॉरेन को पैदा ए सफ़ सात दन ही ए थे । म और मेरी प नी बॉनी बुरी तरह
थके ए थे । हर रात लॉरेन हम सोने नह दे ती थी । बॉनी को दद क दवा लेनी पड़ती थी ।
चलने - फरने म भी उसे द क़त होती थी । पाँच दन तक घर पर उसक दे खभाल करने
के बाद मने सोचा क अब उसक हालत पहले से सुधर गई है और इस लए म ऑ फ़स
चला गया ।
जब म ऑ फ़स म था, तो बॉनी क दद क गो लयाँ ख़ म हो ग । बजाय इसके
क वह ऑ फ़स म फ़ोन करके मुझे बताती, उसने मेरे भाई से गो लयाँ लाने के लए कहा,
जो उसके हालचाल पूछने गया था । भाई भूल गया और लौटकर नह आया । नतीजा यह
आ क पूरे दन बॉनी दद से कराहती रही और अकेले ही ब ी को सँभालती रही ।
जब म लौटा तो वह बुरी तरह खी थी । मने सोचा शायद वह अपनी तकलीफ़ के
लए मुझे ज़ मेदार ठहरा रही थी । मुझे लगा वह अपनी परेशा नय के लए मुझे दोष दे
रही थी ।
उसने कहा, “म पूरे दन दद से तड़पती रह . . . . मेरी दद क गो लयाँ ख़ म हो गई
थ । म ब तर से उठ नह सकती और कसी को मेरी परवाह नह है!”
मने र ा मक अंदाज़ म कहा, “तुमने मुझे फ़ोन य नह कया?”
उसने जवाब दया, “मने तु हारे भाई से गो लयाँ लाने के 10 मेन आर ाॅम मास,
वमेन आर ाॅम वीनस लए कहा था, परंतु वह भूल गया ! म सारा दन उसके लौटने का
इंतज़ार करती रही । म इसके सवा कर भी या सकती थी ? म तो ब तर से हल भी नह
सकती । म ब त अकेला महसूस कर रही ँ ?”
इस ब पर म फट पड़ा । उस दन मेरा पारा भी चढ़ा आ था । म इस लए ग़ सा
था य क उसने मुझे फ़ोन नह कया था । म इस लए ग़ सा था य क जब मुझे उसके
दद का पता ही नह था, फर वह मुझे दोषी य मान रही थी ? कुछ कटु श द कहने के
बाद म दरवाज़े क तरफ़ बढ़ा । म थका आ था, चड़ चड़ा था और म और यादा
शकायत नह सुनना चाहता था । हम दोन ही अपना अ◌ापा खो चुके थे ।
फर ऐसा कुछ आ जसने मेरी ज़दगी बदल द ।
बॉनी ने कहा, "ज़रा ठहरो, लीज़ मुझे छोड़कर मत जाओ । इसी व ते तो मुझे
तु हारी सबसे यादा ज़ रत है । म दद म तड़प रही ँ । म कई दन से सोई नह ँ ।
लीज़ मेरे पास बैठकर मेरी बात सुनो ।”
म एक पल ठहर गया ।
उसने कहा, “जॉन ,े तुम बड़े मतलबी दो त हो, तुम केवल अ े व त के साथी
हो । जब तक म अ और यारी बॉनी ,ँ तब तक तो तुम मेरे आगे-पीछे घूमते रहते हो,
परंतु जब म परेशान या खी होती ,ँ तो तुम मुझे छोड़कर चल दे ते हो ।”
फर वह थोड़ा ठहरी और मने दे खा उसक आँख म आँसू थे । उसने कहा, “अभी
म क म ँ । मेरे पास तु ह दे ने के लए कुछ नह है, इसी व त मुझे तु हारी सबसे यादा
ज़ रत है । लीज़ यहाँ आओ और मुझे थामो । तु ह कुछ कहने क ज़ रत नह है । म
सफ़ इतना चाहती ँ क तुम मुझे बाँह म ले लो । लीज़, मुझे छोड़कर मत जाओ ।”
मने उसे अपनी बाँह म ले लया । वह मेरे कंधे पर सर रखकर रोती रही । कुछ
मनट बाद उसने मुझे ध यवाद दया क उसके मु कल समय म म उसे अकेला छोड़कर
नह गया था ।
उसी ण मने ेम का स ा अथ समझना शु कया- बना शत का ेम । म
अपने आपको अ ा ेमी समझा करता था, परंतु शायद मेरी प नी सही कहती थी । म
मतलबी इ सान था, म केवल अ े व त का साथी था । जब तक वह ख़ुश और ब ढ़या
रहती थी, म उसे बदले म ेम दे ता था । परंतु जब वह नाख़ुश या अपसेट रहती थी, मुझे
ऐसा लगता था जैसे वह मुझे दोष दे रही है और फर म या तो बहस करने लगता था या
उससे र चला जाता था ।
उस दन पहली बार म उसे छोड़कर नह गया । म ठहर गया और इससे मुझे ब त
अ ा महसूस आ । जब उसे सचमुच मेरी ज़ रत थी, तब म उसे ेम दे रहा था । यही
तो स े ेम का अथ था । जब मुझे रा ता दखा दया गया, तो मेरे लए ेम करना कतना
आसान हो गया ।
म यह अपने आप य नह समझ पाया था ? उसे सफ़ यह चा हए था क म उसे
बाँह म ले लूँ ता क वह मेरे कंधे पर सर रखकर रो सके । शायद सरी म हला अपने आप
समझ जाती क बॉनी को या चा हए था । परंतु चूँ क म एक पु ष था, इस लए मुझे यह
पता नह था क छू ना, आ लगन करना, बाँह म लेना, उसक बात सुनना उसके लए इतना
यादा मह वपूण था । मेरे और उसके बीच के अंतर को जान लेने के बाद हमारे बीच के
संबंध और मधुर हो गए ।
इससे मुझे इस बात क ेरणा भी मली क म इस वषय पर शोध क ँ क पु ष
वभाव और म हला वभाव म या अंतर होते ह । सात साल के शोध के बाद म इस
न कष पर प ँचा क पु ष अलग तरह से सोचते ह, म हलाएँ अलग तरह से और दोन के
बीच ववाद अ सर इसी कारण होते ह य क दोन को ही अपनी भ ता का पता नह
होता ।
जब मने से मनार म इस बारे म व तार से बताया तो हज़ार शा दयाँ टू टने से बच
ग । लोग मुझे ध यवाद दे ते ह क मने उनक शाद टू टने से बचा ली है, सच तो यह है क
ेम के कारण उनक शाद बच गई, परंतु यह भी सच है क अगर उ ह अपो ज़ट से स के
सोचने के तरीक़े क जानकारी नह होती, तो उनम न त प से तलाक़ हो जाता ।
हालाँ क सभी इस बात पर सहमत ह क पु ष और म हला म भ ता होती है,
परंतु वे कतने भ होते ह, यह यादातर लोग नह जान पाते । मने 25,000 लोग के सव
के बाद यह खोज ही लया क म हला और पु ष कतने और कस तरह भ होते ह ।
इस पु तक म दए गए सभी स ांत आज़माए ए ह, । 25,000 लोग म से 90
तशत लोग को इस पु तक म अपनी झलक दखी । अगर आप इस पु तक को पढ़ते
समय सर हला रहे ह और कह रहे ह , “हाँ, आप मेरे बारे म ही बात कर रहे ह,” तो आप
अकेले नह ह । इस पु तक से हज़ार लोग को लाभ प ँचा है, और आपको भी प ँच
सकता है ।
ब त सारे लोग अपने वैवा हक जीवन म संघष करते रहते ह । उनके जीवन म
इतना तनाव, े ष और झगड़ा सफ़ इस लए होता है य क वे एक- सरे को नह समझ
पाते । हालाँ क वे अपने पाटनर को ेम करते ह, परंतु जब तनाव होता है तो वे नह जानते
क ऐसे समय माहौल को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है । जब आप यह जान लगे क
म हलाएँ कस तरह सोचती ह, वहार करती ह, कस तरह त या करती ह तो आप
उनसे बेहतर र ता बना सकगे ।
पु ष और म हलाएँ न सफ़ अलग-अलग तरीक़ से बोलते ह, ब क वे अलग-
अलग तरीक़ से सोचते, महसूस करते, दे खते, त या करते, ेम करते, तारीफ़ करते ह
। ऐसा लगता है जैसे वे अलग-अलग ह से आए ह, उनक भाषाएँ अलग ह और उ ह
अलग-अलग चीज़ क ज़ रत होती है ।
भ ता को समझ लेने के बाद हमारे लए अपो ज़ट से स को समझना आसान
हो जाता है । हमारी ग़लतफ़ह मयाँ र हो जाती ह । हम सामने वाले से जो अपे ाएँ रखते
ह, उनम भी सुधार हो जाता है । जब आप यह जान लेते ह क सामने वाला आपसे उतना
ही अलग है जतना क कोई सरे ह का ाणी, तो आप उसे बदलने क को शश नह
करते, ब क न त होकर उसके साथ सहयोग करते ह ।
सबसे मह वपूण बात यह है क इस पु तक म आपको हर जगह वैवा हक
सम या को सुलझाने के ै टकल तरीक़े मलगे । ववाह म सम याएँ तो रहगी, य क
पु ष मंगल ह से आए ह और म हलाएँ शु ह से आई ह । परंतु अगर आप अपने बीच
के अंतर को समझ ल तो आपक आधी सम याएँ तो अपने आप ही र हो जाएँगी ।
इस पु तक के बारे म इकलौती आलोचना यही ई, “काश आपने हम यह पहले
बताया होता !”
इस पु तक को लखने का मेरा उ े य यही है क आपका ववाह सुखमय हो,
शां तपूण हो । यह ज़ री है क सुखी ववाह क सं या बढ़े और तलाक़ क सं या घटे -
य क हमारे ब े बेहतर नया म जीने यो य ह ।
अ याय 1
पु ष मंगल ह से आए ह, म हलाएँ शु ह से
आई ह
क
पना क जए क पु ष मंगल ह से आए ह और म हलाएँ शु ह से । ब त
पहले क बात है । एक दन मंगल ह के पु ष अपनी रबीन से अंत र म दे ख
रहे थे । तभी उ ह शु ह पर म हलाएँ दख । सफ़ उनक एक झलक ने ही
मंगल ह के पु ष को मो हत कर दया । उ ह पहली नज़र म ही शु ह क म हला
से यार हो गया और वे त काल अंत र यान बनाकर शु ह क तरफ़ चल पड़े ।
शु ह क म हला ने मंगल ह के पु ष का बाँह फैलाकर वागत कया । वे
सहज अनुभू त से जानती थ क ऐसा दन आएगा जब मंगल ह के पु ष उनके ह पर
आएँगे । उनके दल म ऐसा ेम उमड़ रहा था जो उ ह इससे पहले कभी महसूस नह आ
था ।
मंगल ह के पु ष और शु ह क म हला का ेम जा ई था । उ ह साथ
रहने म आनंद आता था, साथ–साथ काम करना अ ा लगता था और एक– सरे से बात
करते ए वे कभी नह थकते थे । हालाँ क वे अलग–अलग ह के थे, परंतु आपसी
भ ता के कारण उनका आनंद और भी बढ़ गया था । उ ह ने एक– सरे को जानने,
सीखने और समझने म महीन लगा दए ता क वे एक– सरे क ज़ रत, चयाँ, वहार
के तरीके समझ सक । साल तक वे ेम और सौहा के माहौल म रहे ।
फर एक दन उ ह ने धरती पर जाकर रहने का फ़ैसला कया । यहाँ उ ह शु आत
म तो हर चीज़ ब त अ त और सुंदर लगी । परंतु धरती के माहौल ने अपना असर
दखाया और एक सुबह जब वे जागे तो उनक याददा त जा चुक थी । वे भूल गए क वे–
अलग–अलग ह से आए थे और वे यह भी भूल गए क अलग–अगल ह से आने के
कारण उनम भ ताएँ होना वाभा वक था । वे अपनी भ ता के बारे म भूल गए । उसी
दन से पु ष और म हला आपस म लड़ने लगे ।
अ े इरादे ही काफ़ नह ह
े म पड़ना जा ई अनुभव है । ऐसा लगता है द वानगी का यह दौर हमेशा चलता रहेगा
म
और कभी ख़ म नह होगा । हम नादानी म ऐसा सोचते ह क हमारे जीवन म वे सम याएँ
नह आएँगी जो हमारे माता– पता या सरे लोग के वैवा हक जीवन म आई थ । हम यह
सोचते ह क हम ज़दगी भर एक– सरे के द वाने बने रहगे और ख़ुशी–ख़ुशी एक– सरे के
साथ जीवन बता दगे ।
परंतु जा धीरे–धीरे कम होता जाता है और शाद के कुछ समय बाद ही हम
एक– सरे क क मयाँ नज़र आने लगती ह । पु ष यह अपे ा रखते ह क म हलाएँ उनक
तरह सोच और वहार कर, जब क म हलाएँ यह उ मीद करती ह क पु ष म हला क
तरह सोच । चूँ क उ ह अपनी भ ता का एहसास नह होता इस लए वे एक– सरे को
ठ क से समझ नह पाते और एक– सरे क भावना का स मान नह कर पाते । ेम से
शु ई ब त सी कहा नयाँ इसी लए तलाक़ पर ख़ म होती ह, य क सम याएँ धीरे–धीरे
बढ़ने लगती ह । दोन क बोलचाल कम होती जाती है । आपसी व ास कम होने लगता
है । दोन एक–एक– सरे को नीचा दखाना शु कर दे ते ह । उनम बहस होती है, झगड़े
होते ह तनाव होता है, आँसू बहाए जाते ह । ेम का जा ई महल ताश के प क तरह ढे र
हो जाता है और सारे आसमानी सपने म म मल जाते ह ।
हम ख़ुद से पूछते ह :
यह कैसे आ ?
यह य आ?
यह सबके साथ य होता है ?
इन सवाल के ब त से दाश नक और मनोवै ा नक जवाब दए जा सकते ह, फर
भी सम या य क य रहती है । ेम का हरा–भरा वृ धीरे–सूख जाता है और मर जाता
है । यह लगभग हर एक के साथ होता है ।
नया म हर साल करोड़ लोग यार करते ह, शाद करते ह और तलाक़ लेते ह
य क उनका यार कह ग़म हो गया । ऐसा अनुमान है क जो लोग शाद करते ह, उनम
से लगभग पचास तशत लोग का तलाक़ हो जाता है और जो बाक़ बचते ह उनम से भी
पचास तशत लोग ेम के कारण इक े नह रहते, ब क वफ़ादारी, सामा जक त ा या
एक बार फर से शु करने के डर के कारण साथ–साथ रहते ह ।
ब त कम लोग पूरी ज़दगी वैवा हक ेम का आनंद ले पाते ह । परंतु ऐसा होता
है, ऐसा हो सकता है । जब पु ष और म हलाएँ अपनी भ ता को समझ लेते ह, उनका
स मान करते ह तो ेम का गुलाब आपके आँगन म हमेशा के लए खल उठता है ।
ेम सचमुच जा ई अनुभव है, और यह हमेशा बना रह सकता है, परंतु तभी जब
हम अपनी भ ता का एहसास हो ।
अ याय 2
ीमान “सम या–सुलझाने– वाले” और ीमती
“घर–सुधार स म त”
म
हला को सबसे यादा शकायत इस बात से होती है क पु ष उनक बात ठ क
से सुनते ही नह ह । जब भी प नी बोलती है तो या तो प त उसे पूरी तरह
नज़रअंदाज़ कर दे ता है या फर वह कुछ दे र ही सुनता है, इस बात का अंदाज़
लगाता है क प नी क परेशानी या है और फर गव से अपनी “सम या–सुलझाने–वाली–
टोपी” लगा लेता है और उसे उस सम या का हल बता दे ता है । जब उसक सलाह को
मह व नह मलता, तो वह वधा म पड़ जाता है । प नी चाहती है हमदद ; जब क प त
को लगता है क वह अपनी सम या का समाधान चाहती है ।
पु ष को म हला से सबसे बड़ी शकायत यह होती है क वे हमेशा उ ह
सुधारने के च कर म पड़ी रहती ह । जब कोई म हला ेम करती है तो वह चाहती है क
उसका प त अ े से अ ा दखे, अ े से अ ा काम करे । इस लए वह उसे सुधारकर
बेहतर बनाना चाहती है । वह त काल घर – घर–सूधार स म त बना लेती है और प त को
सुधारना उसका मुख ल य बन जाता है । चाहे प त उसक सलाह को कतना ही
अ वीकार करे, वह यास करना नह छोड़ती – हर मौक़े पर वह उसक मदद करना
चाहती है या उसे बताती है क उसे या करना चा हए । प नी सोचती है क वह उसक
मदद कर रही है, जब क प त को लगता है क उस पर नयं ण कया जा रहा है, उसक
वतं ता कम हो रही है । इसके बजाय प त चाहता है क प नी उसे सुधारने के बजाय
उसके वतमान व प म ही वीकार करे ।
इन दोन सम या को सुलझाया जा सकता है बशत हम पहले यह समझ ल क
पु ष समाधान य सुझाते ह और म हलाएँ य सुधारना चाहती ह । इसके लए हम एक
बार फर उसी दौर म जाना होगा, जब पु ष मंगल ह पर रहा करते थे और म हलाएँ शु
ह पर ।
मंगल ह पर जीवन
मंगल ह के लोग श , यो यता, कायकुशलता और उपल को मह वपूण मानते ह ।
उनक सफलता का पैमाना है प रणाम हा सल करना और सफल होना । उनक पोशाक
भी उनके इ ह गुण या यो यता को दशाती है । पु लस अफ़सर, सपाही, बज़नेसमैन,
वै ा नक, टै सी ाइवर, तकनी शयन और कुक यू नफ़ॉम या टोपी पहनते ह ता क उनक
यो यता और श पहली नज़र म ही दखाई दे जाए ।
वे साइकलॉजी टु डे, से फ़ या पीपुल जैसी प काएँ नह पढ़ते । वे तो आउटडोर
ग त व धय म यादा दलच ी लेते ह जैसे शकार करना, फ़ शग और कार रे सग । वे
समाचार, मौसम, और खेल म च लेते ह जब क रोमां टक उप यास और आ म – सुधार
क पु तक म उनक कोई ख़ास च नह होती ।
लोग और भावना के बजाय वे “व तु ” और “चीज़ ” म यादा च लेते ह ।
आज भी धरती पर म हलाएँ रोमांस क क पना करती ह, जब क पु ष सश कार , तेज़
कं यूटर और नई-नई – चीज़ क क पना करते ह ।
ल य हा सल करना मंगल ह के पु ष के लए मह वपूण है य क इससे उसक
यो यता स होती है और उसे सफल होने का एहसास होता है । उसे गव होता है य क
उसने ख़ुद वह ल य हा सल कया है । मंगल ह के लोग अकेले काम करना पसंद करते ह
य क वतं ता उनके लए यो यता, कायकुशलता और श का तीक है ।
मंगल ह के पु ष के इस ल ण को समझ लेने से म हला को यह समझ म
आ जाएगा क पु ष उनक सुधारने क आदत से य चढ़ जाते ह । कसी पु ष को बना
माँगे सलाह दे ने का मतलब यह मानना है क उसे काम करना नह अ◌ाता या वह उस काम
को अपने आप नह कर सकता । इस बारे म पु ष ब त ज द बुरा मान जाते ह य क
उनके लए कायकुशलता ब त मह चपूण होती है ।
चूँ क वह अकेले ही अपने सम याएँ सुलझाने म यक़ न करता है, इस लए मंगल
ह का पु ष अपनी सम या के बारे म बात नह करता, जब तक क उसे वशेष क
सलाह क ज़ रत न हो । उसका तक होता है, “ कसी और को य शा मल क ँ जब म
इसे अपने आप सुलझा सकता ँ ?” जब तक उसे सम या का हल ढूँ ढ़ने के लए कसी क
मदद क ज़ रत नह होती तब तक वह अपनी सम या को अपने तक ही रखता है । जब
आप कसी काम को अपने आप कर सकते ह, तब कसी सरे से सलाह लेना मंगल ह
पर कमज़ोरी क नशानी समझा जाता है ।
परंतु, अगर उसे सचमुच मदद क ज़ रत होती है, तो वह कसी समझदार
क सलाह लेता है । मंगल ह पर सम या के बारे म बात करने का मतलब है समाधान
सुझाने का आमं ण । मंगल ह का सरा पु ष यह अवसर दए जाने पर गव से भर जाता
है । त काल वह अपनी “सम या – सुलझाने – वाली – टोपी” लगा लेता है, कुछ दे र
सम या सुनता है और फर अपनी बेशक़ मती सलाह दे दे ता है ।
मंगल ह क इसी परंपरा के कारण जब म हलाएँ अपनी सम या के बारे म
बात करती ह, तो पु ष त काल समाधान सुझाने लगते ह । जब कोई म हला अपने दल
का ग़बार नकालना चाहती है और सफ़ अपनी भड़ास नकालना चाहती है, तो पु ष
ग़लती से यह समझ बैठता है क वह अपनी सम या का समाधान चाहती है । वह
अपनी “सम या - सुलझाने - वाली - टोपी” लगा लेता है और सलाह दे ने लगता है ; उसक
नज़र म यही वह तरीक़ा है जससे वह उसक मदद कर सकता है और अपने यार का
इज़हार कर सकता है ।
वह म हला क सम याएँ सुलझाकर उसका मूड ठ क करना चाहता है । वह
उसक मदद करना चाहता है । वह महसूस करता है क अगर वह अपनी यो यता से
उसक सम याएँ सुलझा दे गा, तो म हला क नज़र म उसका मह व बढ़ जाएगा ।
उसके समाधान सुझाने के बाद भी जब म हला अपनी सम या का रोना रोती
रहती है तो बेचारे पु ष को यह समझ ही नह आता क अब या परेशानी है । चूँ क
म हला ने पु ष के समाधान को अ वीकार कर दया है, इस लए पु ष को लगता है क
अब बात करने का कोई औ च य ही नह है ।
पु ष यह नह समझ पाता क अगर वह हमदद और दलच ी से म हला क
पूरी बात सुन ले, तो इतने से ही म हला का ख कम हो जाता है । वह नह जानता क
शु ह पर सम या के बारे म बात करने का मतलब यह नह है क उ ह समाधान
चा हए ।
शु ह पर जीवन
शु ह क म हला के जीवनमू य भ ह । वे ेम, सं ेषण, संदरता और र त को
मह व दे ती ह । वे एक – सरे को सहारा दे ने, एक – सरे क मदद करने और सहयोग
करने म काफ़ समय दे ती ह । वे ख - दद बाँटने म यक़ न करती ह ।
शु ह क म हलाएँ ऊँची–ऊँची इमारत या मशीन बनाने के बजाय स ाव,
सहयोग और ेम क इमारत बनाने म यक़ न करती ह । उनके लए काम से मह वपूण ह
संबंध । कई मायन म उनक नया मंगल ह क नया के बलकुल वपरीत है।
वे मंगल ह के नवा सय क तरह अपनी यो यता दखाने वाली यू नफ़ॉम नह
पहनत । इसके बजाय वे हर दन अपने मूड के हसाब से अलग–अलग कपड़े पहनना
पसंद करती ह । गत अ भ , ख़ासकर भावना क अ भ उनके लए
ब त मह वपूण होती है । वे अपने बदलते मूड के हसाब से एक दन म कई बार ेस बदल
सकती ह।
ल य हा सल करने के बजाय म हला का मुख उ े य संबंध बनाना होता है ।
शु ह पर हर म हला मनो व ान क वशेष होती है । म हला क छठ इ य ब त
स य और सट क होती है । स दय तक सर क ज़ रत को समझने के कारण ही
उनम यह यो यता वक सत हो सक है । शु ह पर बना माँगे सलाह दे ना या मदद
करना ेम क नशानी समझा जाता है ।
चूँ क शु ह क म हला के लए अपनी स मता स करना मह वपूण नह
है, इस लए मदद दे ना अपमानजनक नह लगता और मदद लेना कमज़ोरी क नशानी नह
समझा जाता। परंतु पु ष चूँ क मंगल ह से आए ह, इस लए जब कोई म हला उ ह सलाह
दे ती है तो वे इसे अपना अपमान समझते ह, य क उ ह लगता है क म हला उ ह अ म
मान रही है ।
म हला को पु ष क इस संवेदनशीलता का कोई अंदाज़ा नह होता य क य द
कोई उसक इस तरह मदद करे, तो उसे ब त अ ा लगेगा । इससे उसे ेम का एहसास
होगा, ऐसा लगेगा जैसे कोई उसका याल रख रहा है । परंतु कसी पु ष को बना माँगी
सलाह या मदद दे ने से उसे ऐसा लग सकता है जैसे उसे अयो य या कमज़ोर समझा जा
रहा है या उस पर अ व ास कया जा रहा है ।
शु ह पर सलाह दे ना या सुझाव दे ना ेम क नशानी समझा जाता है । शु
ह क म हलाएँ मानती ह क हर काम बेहतर तरीक़े से हो सकता है, हर चीज़ म सुधार
क गुंजाइश है । जब म हलाएँ कसी क चता करती ह तो वे खुलकर बताती ह क सुधार
क गुंजाइश कहाँ – कहाँ है और कन – कन बात या चीज़ को सुधारा जा सकता है ।
शु ह क म हला के लए सलाह दे ना और रचना मक आलोचना ेम के प रचायक ह
।
मंगल ह क नया बलकुल अलग है । वे लोग समाधान को मह व दे ते ह ।
अगर कोई चीज़ काम कर रही है, तो उनका मानना है क उसे बलकुल मत बदलो । वे
कहते ह, जब तक कोई चीज़ काम कर रही है, तब तक उसे बलकुल मत छे ड़ो ।
जब कोई म हला कसी पु ष को सुधारने क को शश करती है, तो पु ष को
लगता है क म हला क नज़र म वह बगड़ा आ है, नक मा है, नाकारा है, अयो य है तभी
यह म हला उसे सुधारना चाहती है । म हला को यह पता नह होता क उसके ेमपूण
सुझाव पु ष को इतने अपमानजनक और आप पूण य लगते ह । वह ग़लत समझ
बैठ थी क अगर वह उसे बेहतर बनाने क को शश करेगी तो पु ष उसक इस पहल का
वागत करेगा ।
सलाह दे ना छोड़ द
पु ष के वभाव को जाने बना यह ब त आसान है क कोई भी म हला अनजाने म ही
अपने य पु ष का दल खा दे । आम तौर पर जब म हला बना माँगे सलाह दे ती है या
पु ष क मदद करने क को शश करती है, तो उसे इस बात का एहसास ही नह होता क
पु ष क नज़र म वह कतनी आलोचना मक या ेमहीन लग रही है । हालाँ क म हला ेम
जताना चाहती है, परंतु उसके सुझाव से पु ष को भावना मक चोट प ँचती है । मंगल ह
पर रहने वाले अपने पूवज क तरह इस नया के पु ष भी वशेष बनने म गव का
अनुभव करते ह, ख़ासकर मशीन को सुधारने म, या ा करने म और सम याएँ सुलझाने म
ह, ऐसे समय म उ ह म हला क ेमपूण वीकृ त क आव यकता होती है, उनक
सलाह या आलोचना क नह ।
सुनना सीखना
इसी तरह, अगर पु ष यह न समझे क म हला का वभाव भ होता है, तो वह भी
मदद करने क को शश म अपने र ते बगाड़ लेगा । पु ष को यान रखना चा हए क
जब म हलाएँ सम या के बारे म बात करती ह तो वे समाधान खोजने के लए ऐसा नह
करती ह, ब क अपने आपको ह का करने के लए और र त म नज़द क बढ़ाने के लए
ऐसा करती ह ।
म हला कई बार बताना चाहती है क दन म उसके साथ या आ, परंतु उसका
प त हर बार उसक मदद करने के यास म उसक बात बीच म ही काट दे ता है और
उसक सम या के समाधान सुझाने लगता है । वह यह नह समझ पाता क प नी उसके
समाधान सुनकर ख़ुश य नह ई ।
सं ेप म म हला - पु ष संबंध म दो सबसे आम गल तयाँ यह होती ह :
1. जब कोई म हला परेशान दखती है, तो पु ष त काल ीमान “सम या - सुलझाने
- वाला” बनकर उसके मूड को बदलने क को शश करता है और उसक सम या
के समाधान सुझाकर यह सा बत करता है क वह बेकार म इतनी चता कर रही है ।
2. जब पु ष कोई ग़लती करता है, तो म हला त काल ीमती “घर - सुधार स म त”
बनकर उसके वहार को बदलने क को शश करती है और बन माँगी सलाह दे ती
है या उसक आलोचना करती है ।
मंगल और शु ह पर
तनाव का सामना कैसे कया जाता था
जब मंगल ह का पु ष तनाव त होता है, तो वह अपनी सम या के बारे म कभी बात
नह करता । वह मंगल ह के सरे नवासी पर अपनी सम या का बोझ नह डालता, जब
तक क उसके म क मदद सम या सुलझाने के लए ज़ री न हो । इसके बजाय वह
ब त चुप हो जाता है और अपनी सम या के बारे म वचार करने के लए अपनी गुफा म
चला जाता है, और समाधान खोजने का यास करता है । जब उसे समाधान मल जाता
है, तो उसे अ ा लगता है और वह अपनी गुफा से ख़ुशी Ȑ ख़ुशी बाहर नकल आता है ।
अगर उसे समाधान नह मलता, तो वह ऐसा कोई काम करता है जससे वह
अपनी सम या को भूल जाए जैसे अख़बार पढ़ना या कोई गेम खेलना । दन भर क
सम या से अपना यान हटाने के लए वह ऐसा करता है और धीरे Ȑ धीरे रलै स हो
जाता है । अगर तनाव ब त यादा है, तो वह कोई यादा चुनौतीपूण काम करता है जैसे
कार रे सग, तयो गता म ह सा लेना या पहाड़ चढ़ना ।
जब शु ह क म हला तनाव म होती है, तो राहत पाने के लए वह कसी
व ासपा को ढूँ ढ़ती है जसके सामने वह दन भर क सम या के बारे म
व तार से बात कर सके । जब शु ह क म हलाएँ अपनी परेशानी व तार से सुनाती ह,
तो इसके बाद उनका मूड पहले से बेहतर हो जाता है । तनाव से नबटने का यह शु ह
का तरीक़ा है ।
मंगल ह के पु ष का मूड तब अ ा होता है जब वह अकेला अपनी सम या
को अपनी गुफा म सुलझा लेता है । शु ह क म हला का मूड तब अ ा होता है जब
वह कसी हमदद के सामने अपनी सम या को व तार से सुनाती है ।
जब म हलाएँ बोलती ह
तो पु ष क त या या होती है
जब म हलाएँ सम या के बारे म बात करती ह, तो आम तौर पर पु ष उनका वरोध
करते ह । पु ष को लगता है क म हला उसके सामने अपनी सम या का रोना इस लए
रो रही है य क उसक नज़र म पु ष ही उन सम या के लए ज़ मेदार है । जतनी
यादा सम याएँ सुनाई जाएँगी, उसे लगेगा क उसे उतना ही दोषी और ज़ मेदार समझा
जा रहा है । प त को यह एहसास ही नह होता क प नी उसे दोष नह दे रही है, ब क
अपने मान सक संतुलन को ठ क करने के लए अपनी सम या को दल से नकाल रही
है । प त को यह बात अ तरह से समझ लेनी चा हए क अगर वह च लेकर उसक
पूरी बात सफ़ सुन ले तो इतने से ही प नी का मूड ठ क हो जाएगा ।
मंगल ह के पु ष केवल दो कारण से अपनी सम या के बारे म बात करते ह :
या तो वे कसी को दोष दे ते ह या फर वे उससे सलाह माँगते ह ।
अगर कोई म हला सचमुच परेशान है तो आदमी को लगता है क वह उसे दोष दे
रही है । अगर वह कम परेशान लग रही हो, तो उसे लगता है क वह उससे सम या का हल
चाहती है ।
अगर उसे लगता है क वह सम या का हल चाह रही है, तो वह अपनी ीमान
“सम या – सुलझाने – वाली” टोपी पहनकर उसक सम याएँ सुलझाने म जुट जाता है ।
अगर पु ष को लगता है क म हला उसे दोष दे रही है तो वह आ मण से बचने के लए
और ख़ुद क र ा करने के लए अपनी तलवार नकाल लेता है । दोन ही मामल म उसके
लए सुनना क ठन होता है ।
अगर वह उसक सम या के समाधान सुझाता है, तो भी वह सरी सम या
के बारे म बात करने लगती है । दो या तीन समाधान दे दे ने के बाद भी जब प नी उसे
ध यवाद नह दे ती तो उसे लगता है जैसे उसके समाधान को ठु करा दया गया है और
उसक प नी क नज़र म उसक कोई क़ मत नह है ।
सरी तरफ़ अगर पु ष को लगता है क उस पर हमला कया जा रहा है तो वह
ख़ुद का बचाव करने लगता है । वह समझता है क अगर वह अपनी बात को कर
दे गा तो शायद प नी उसे दोष दे ना बंद कर दे गी । वह अपना जतना बचाव करता है, प नी
उतनी ही यादा परेशान होती जाती है । पु ष को यह एहसास ही नह होता क प नी को
ीकरण नह चा हए । वह सफ़ इतना चाहती है क उसका प त उसक तरफ़ पूरा
यान दे और उसक बात को दलच ी से सुने ।
पु ष को ख़ास तौर पर कुंठा तब होती है जब प नी ऐसी सम या के बारे म
बात करती है जनके बारे म वह कुछ नह कर सकता । उदाहरण के लए तनाव त
म हला यह शकायत कर सकती है :
• मुझे यादा तन वाह नह मल रही है
• लूसी आँट दन – दन यादा बीमार हो रही ह । हर साल उनक बीमारी
बढ़ती जा रही है ।
• हमारा घर बड़ा नह है ।
• कतनी गम का मौसम है । न जाने बा रश कब होगी ?
• हमारा बक अकाउं ट बलकुल ख़ाली है ।
म हलाएँ तो सफ़ अपनी चताएँ, नराशाएँ, कुंठाएँ कम करने के लए इस तरह
क बात कहती ह । वे जानती ह क इन सम या को सुलझाया नह जा सकता, परंतु
इनके बारे म बात करने से ही उ ह राहत मल जाती है । म हला अपने प त से सफ़ चाहती
है क वह हमदद से उसक पूरी बात सुने, और जब प त ऐसा करता है, तो प नी का मूड
ठ क हो जाता है ।
जब प नी पूरी व तार से सम या बताती है, तो पु ष अ सर बेचैन हो जाता है ।
जब म हला अपनी सम या को डटे ल म बताती है, तो प त यह ग़लत समझ लेता है क
सम या को सुलझाने के लए सारे डटे ल ज़ री ह । वह हर डटे ल के मह व के बारे म
सोचता है और चूँ क उसे कई डटे ल मह वपूण नह लगते, इस लए उसक बेचैनी
वाभा वक प से बढ़ती जाती है । वह यह नह जानता क म हला अपनी सम या
सुलझाने के लए उससे बात नह कर रही है, वह तो सफ़ उसको सुनाना चाहती है ।
पु ष को म हला क बात सुनने म एक और द क़त यह आती है क वह
प रणाम क क पना करता रहता है । वह तब तक अपना समाधान नह सुझा सकता जब
तक क उसे यह न पता हो क उस घटना का प रणाम या नकला । म हला क आदत
होती है क वे कसी घटना को पूरे व तार से सुनाती ह, और स स बढ़ाती जाती ह, और
ब त दे र बाद प रणाम पर आती ह । म हलाएँ पु ष क इस द क़त को आसानी से र
कर सकती ह, बशत क वे शु आत म ही अपनी कहानी का प रणाम बता द और इसके
बाद पूरे डटे ल सुनाएँ । पु ष को स स म न रख । अगर ोता कोई सरी औरत हो, तो
वह स स को पसंद करेगी, परंतु पु ष स स को यादा दे र तक नह झेल पाएगा और
ज द ही कुं ठत हो जाएगा । इसके अलावा, म हला अपने प त को यह भी याद दला
सकती है क वह केवल अपनी सम या के बारे म बात करना चाहती है ; वह अपने प त
से उ ह सुलझाने के लए सलाह नह माँग रही है।
ज
ब मंगल ह के पु ष ने रबीन से शु ह क म हला को दे खा, तो उ ह
दे खकर पु ष को आकाश यान बनाने क ेरणा मली, य क उ ह लग रहा था
क शु ह क म हला को उनक ज़ रत थी । जब शु ह क म हला ने
मंगल ह के श शाली पु ष को आकाश यान से आते दे खा, तो अचानक उ ह लगा क
उनसे ेम कया जा रहा है । यह रह य आज भी हमारे दलो दमाग़ म रचा - बसा है ।
पु ष को ेरणा तब मलती है, वे तब श शाली अनुभव करते ह जब उ ह यह लगे क
कसी को उनक ज़ रत है । म हला को तब ेरणा मलती है और वे तब श संप
अनुभव करती ह जब उ ह यह महसूस हो क उनसे ेम कया जा रहा है ।
जब कसी पु ष को लगता है क उसक प नी को उसक कोई ज़ रत नह है,
तो उसक ऊजा घटने लगती है और वह दन दन न य होता जाता है । जब कसी
म हला को लगता है क उसका प त उससे ेम नह कर रहा है, तो वह अपनी तरफ़ से ेम
दे ते - दे ते थक जाती है और नवस ेकडाउन का शकार हो जाती है । परंतु जब पु ष को
लगता है क उसक प नी को उसक ज़ रत है, जब म हला को लगता है क उसका प त
उससे ेम कर रहा है तो दोन के संबंध सुखद हो जाते ह ।
पाना सीखना
पाने के वचार से म हलाएँ डर जाती ह । उ ह तर कार और छोड़ दए जाने का डर होता है
। वे अपने मन म सोचती ह क उ ह जतना मल रहा है, वे उससे यादा क हक़दार नह
ह, वे इससे यादा के यो य नह ह । यह बात उ ह ने अपने बचपन म ही सीख ली थी, जब
वे अपनी भावना , इ ा और ज़ रत को दबाया करती थ ।
चूँ क म हला इस बात से डरती है क पु ष उसे छोड़ दे गा, इस लए वह उसके
सामने यादा माँग नह रखती । परंतु मन ही मन वह चाहती ज़ र है क उसे सुखी रहने
के लए यादा चीज़ क ज़ रत है । अगर वह अपनी बात को खुलकर कहे तो सम या
सुलझ सकती है । उसे अपने प त से साफ़ कह दे ना चा हए और अपनी सीमा बना लेनी
चा हए । जैसे अगर प त ज़ोर से च ला रहा हो या कटु श द बोल रहा हो, तो प नी को
साफ़ कह दे ना चा हए, “दे खए, आप जस तरह बात कर रहे ह, मुझे अ ा नह लग रहा
है । या तो आप च लाना बंद कर द या फर म सरे कमरे म चली जाऊँगी ।” अगर प त
के कसी आ ह को प नी नापसंद करती हो, तो उसे साफ़ कह दे ना चा हए, “नह , अभी
नह , अभी म आराम करना चाहती ँ या आज म ब त परेशान ँ ।” अगर प त प नी क
बात को बीच म काट दे , तो प नी को साफ़ कह दे ना चा हए, “अभी मेरी पूरी बात ख़ म
नह ई है । लीज़ मेरी बात पूरी होने द ।” प नी को यह नह सोचना चा हए क चूँ क वह
ज़दगी भर दे ती ही आई है, याग ही करती आई है, तो उसका प त अपने आप उसक
भावना मक ज़ रत का ख़याल रखेगा । शायद प त को यह पता ही न हो क प नी क
भावना मक ज़ रत या है । इस लए बेहतर होगा क म हला दे ने के बजाय लेने क वृ
पर यान दे और दे ने क सीमा तय कर ले, यानी इस सीमा तक तो याग ठ क है, पर इसके
बाद साफ़ श द म कह दे ना ही बेहतर है । इससे यह फ़ायदा होगा क प त समझ जाएगा
क प नी क भावना मक ज़ रत या ह, और वह आगे से अपनी प नी का यादा यान
रखेगा ।
जब भी एक पाटनर अपने म कोई सकारा मक प रवतन करता है, तो सरे म भी
बदलाव होता है । इस लए अगर आप ख़ुद को सुधार लगे, तो आपक प नी अपने आप
सुधर जाएगी ।
पु ष के लए यह जानना ज़ री है क ग़ल तयाँ सबसे होती ह और गलती होना
कोई बुरी बात नह है । पु ष म हला का हीरो बनना चाहता है और इस लए वह चाहता है
क प नी क नज़र म उसक छ व आदश हो । जब उससे गलती होती है, तो उसे लगता है
क यह छ व टू ट गई है, इस लए वह परेशान हो जाता है । जब म हला नराश होती है या
खी होती है तो पु ष को लगता है क चूं कवह असफल हो गया है, इस लए म हला
परेशान है । पु ष का सबसे बड़ा डर होता है : असफलता । इस लए जब म हला
सम या का रोना रोती है, तो पु ष को यह पसंद नह आता य क इससे वे ख़ुद को
असफल समझने लगते ह ।
एक युवती परेशान थी क उसका ेमी उसके सामने शाद का ताव नह रख
रहा था । युवती को लग रहा था क शायद वह उससे उतना ेम नह करता, जतना वह
उससे करती है । एक दन युवती ने कहा क वह उसके साथ हमेशा सुखी रहेगी, चाहे उ ह
ग़रीबी म रहना पड़े । अगले ही दन उसके ेमी ने उसके सामने शाद का ताव रख दया
। उसे यही तो चा हए था क उसक े मका उसे वीकार करे और माने क वह उसके लए
आदश है । एक बार वह अपनी े मका क नज़र म हीरो बन गया तो उसने शाद का
ताव रखने म दे र नह क ।
अ याय 5
दोन अलग–अलग भाषाएँ बोलते ह
ज
ब मंगल ह के पु ष और शु ह क म हलाएँ पहली बार मले, तो उनके बीच
कई सम याएँ उ प जनका सामना हम आज भी करते ह । परंतु चूँ क वे
जानते थे क वे भ ह, इस लए वे इन सम या को सुलझा सके । उनक
सफलता का एक रह य अ ा सं ेषण था ।
यह अजीब बात है क उनम संवाद इस लए बेहतर था, य क वे अलग–अलग
भाषा बोलते थे । जब भी कोई ववाद होता था तो वे एकदम से लड़ने नह लगते थे, ब क
अपनी ड नरी खोलकर दे खते थे क सामने वाले क बात का असली मतलब या है ।
अगर ड नरी से भी उ ह पूरा मतलब समझ म नह आता था, तो वे अनुवादक क मदद
लेते थे ।
हालाँ क मंगल और शु ह क भाषा म श द एक से थे, परंतु उनके अथ
अलग–अलग थे । उनके श द म कही जाने वाली बात अलग–अलग थी । एक सरे क
बात का ग़लत मतलब नकालना ब त आसान था । इस लए जब भी उनके सामने संवाद
क सम या आती थी, तो वे अनुमान लगा लेते थे क शायद वे एक– सरे क बात ठ क से
नह समझ पाए ह और इसी वजह से उनके बीच ग़लतफ़हमी पैदा हो रही है ।
जब शु ह म हलाएँ बोल
यहाँ हम शु /मंगल ड नरी से कुछ वा यांश तुत कर रहे ह । ऊपर द गई दस
शकायत का सही अथ दया जा रहा है ता क पु ष को असली बात समझ म आ जाए ।
शु / मंगल ड नरी
“हम कभी बाहर नह जाते ।” इस वा यांश का मंगल ह क भाषा म
यह अनुवाद होगा : “म बाहर जाना चाहती ँ और तु हारे साथ समय
बताना चाहती ँ । हम जब साथ होते ह तो मुझे ब त अ ा लगता है ।
तु हारा इस बारे म या वचार है? या तुम मुझे डनर के लए बाहर ले
जाओगे? हम बाहर गए कई दन भी हो गए ह ।”
इस अनुवाद के बना जब पु ष यह वा य सुनता है, तो उसे यह समझ म आता है,
“तुम अपना काम ठ क से नह कर रहे हो । तुम कतने बोर आदमी हो । हम एक
साथ कुछ भी सफ़ इस लए नह कर पाते, य क तुम आलसी, अनरोमां टक
और बो रग हो।”
“सभी मुझे नज़रअंदाज़ कर दे ते ह ।” मंगल ह क भाषा म इसका
अनुवाद है : “आज मुझे ऐसा महसूस हो रहा है क कोई मेरी तरफ़ यान
नह दे रहा है । हालाँ क कई लोग मुझे दे खते ह, परंतु म सोचती ँ क
कोई मुझे मह व नह दे रहा है । म इस लए भी नराश ँ य क तुम भी
इन दन त हो । म तु हारी कड़ी मेहनत क तारीफ़ करती ँ, परंतु न
जाने य कई बार मुझे ऐसा लगता है जैसे म तु हारे लए मह वपूण नह
ँ । मुझे डर है क तु हारी नज़र म तु हारा काम मुझसे यादा मह वपूण
है । या तुम मुझे गले लगाकर यह बताओगे क तुम मुझसे कतना ेम
करते हो?”
इस अनुवाद के बना पु ष इस वा य का यह मतलब नकालता है, “म ब त खी
ँ । मेरी तरफ़ तु ह जतना यान दे ना चा हए, तुम उतना यान नह दे रहे हो । तुमने मुझसे
शाद क है, तु ह तो मुझसे ेम करना चा हए । तु ह अपने बताव पर शम आनी चा हए ।
तुम मुझसे बलकुल ेम नह कर रहे हो । म तु ह कभी इस तरह से नज़रअंदाज़ करने क
बात सोच भी नह सकती ।”
“म थक चुक ह, म कुछ नह कर स ।” मंगल ह क भाषा म इसका
अनुवाद यह है, “मने आज ब त काम कया है ! अब मुझे आराम क
ज़ रत है । म ख़ुश क़ मत ँ क मेरे पास तु हारा सहारा है । या तुम
गले लगाकर मुझे आ त करोगे क म ब त ब ढ़या काम कर रही ँ और
मुझे आराम क ज़ रत है?”
बना इस अनुवाद के पु ष को यह सुनाई दे ता है, “सारा काम म ही करती ँ और
तुम कुछ भी नह करते । तु ह यादा काम करना चा हए । म सारा काम नह कर सकती ।
म ब त परेशान ँ । मुझे कोई असली ‘मद‘ मलना चा हए था । तुमसे शाद करके मने
ब त बड़ी भूल क है ।”
“म हर चीज़ भूल जाना चाहती ँ ।” मंगल ह क भाषा म इसका
अनुवाद है, “म तु ह बताना चाहती ँ क म अपने काम और अपने जीवन
से ेम करती ,ँ परंतु आज म परेशान ँ । या तुम मुझसे यह नह
पूछोगे, “ या बात है?” और फर बना समाधान सुझाए मेरी बात हमदद
से सुनोगे? म सफ़ यह चाहती ँ क तुम मेरे तनाव और मेरी परेशा नय
को जान लो । इतने भर से म बेहतर अनुभव करने लगूँगी ।”
इस अनुवाद के बना पु ष इस वा य से यह समझता है, “मुझे इतना काम करना
पड़ता है क अब मेरी काम करने क बलकुल इ ा ही नह है । म तुमसे ज़रा भी ख़ुश
नह ँ । म एक बेहतर पाटनर चाहती ँ जो मेरे जीवन को यादा सुखद बना सके । तुमसे
तो कुछ होता ही नह है ।”
“घर हमेशा कचरेघर क तरह दखता है ।” मंगल ह क भाषा म इसका
अनुवाद है, “आज मेरा मूड आराम करने का हो रहा है, परंतु घर क
हालत ब त ख़राब है । म कुं ठत ँ य क मुझे आराम क ज़ रत है । म
तुमसे सारा कचरा साफ़ करने क उ मीद नह करती । परंतु कतना
अ ा हो, अगर तुम भी यह मान लो क घर म सफ़ाई क ज़ रत है और
इस काम म मेरा हाथ बँटाओ ।”
इस अनुवाद के बना पु ष को यह सुनाई दे ता है, “यह घर तु हारी वजह से
कचराघर बना आ है । म इसे साफ़ करती रहती ँ और तुम इसे गंदा करते रहते हो । तुम
ब त ही नख क़ म के आदमी हो और अगर तुम अपनी आदत नह बदलते, तो म
तु हारे साथ नह रहना चाहती । या तो सफ़ाई करो या फर घर से दफा हो जाओ ।”
“कोई भी मेरी बात कभी नह सुनता ।” मंगल ह क भाषा म इसका अनुवाद है,
“मुझे लगता है क मेरी बात सुनकर तुम बोर हो जाते हो । मुझे डर है क तु हारी अब
मुझम कोई दलच ी नह रह गई है । म आज ब त भावुक ँ । या आज तुम मेरी तरफ़
ख़ास यान दोगे? मुझे यह अ ा लगेगा। आज मेरा दन अ ा नह गुज़रा। मुझे ऐसा
लगता है जैसे कोई मेरी बात सुनना ही नह चाहता । या तुम मुझसे इस तरह के सवाल
पूछोगे, “आज या आ? और या आ? तु ह कैसा लगा?” इस तरह के ेमपूण वा य
बोलकर या तुम मुझे सहारा दोगे, “मुझे और बताओ” या “यह सही है” या “म समझ
सकता ँ तु हारा या मतलब है” या “म समझता ँ ?ँ ” या या तुम सफ चुपचाप मेरी
पूरी बात यान लगाकर सुनोगे?”
इस अनुवाद के बना पु ष इस वा य का यह मतलब नकालता है, “म तु हारी
तरफ़ पूरा यान दे ती ं ँ, परंतु तुम मेरी बात नह सुनते हो। शाद से पहले तो तुम मेरी
बात ब त मन लगाकर सुना करते थे । अब तुम ब त बो रग आदमी बन चुके हो । मुझे
अब कोई यादा रोमांचक और दलच आदमी ढूँ ढ़ना पड़ेगा य क तुम कभी रोमांचक
या दलच नह हो सकते । तुमने मुझे नराश कया है । तुम वाथ हो, बुरे हो, मेरा
बलकुल यान नह रखते हो।”
“कोई चीज़ ठ क नह है” मंगल ह क भाषा म इसका अनुवाद है,
“आज म ब त परेशान ँ । म कृत ँ क म तु हारे साथ अपनी भावनाएँ
बाँट सकती ँ । आज मेरे कई काम ठ क नह ए । इस वजह से म ब त
परेशान ँ । या तुम मुझे गले लगाकर यह बताओगे क म ब त ब ढ़या
काम करती ?ँ मुझे यह सुनकर ब त अ ा लगेगा ।”
इस अनुवाद के बना पु ष को यह लग सकता है, “तुम कभी कोई काम ठ क से
नह करते । मुझे तुम पर बलकुल भी भरोसा नह है । अगर मने तु हारी सलाह नह मानी
होती, तो आज मेरा यह हाल नह होता । सरे आदमी ने चीज़ को बेहतर ढँ ग से कया
होता, परंतु तुमने हर चीज़ को गड़बड़ कर दया ।”
“तुम अब मुझसे बलकुल यार नह करते।” मंगल ह क भाषा म
इसका अनुवाद है, “आज मुझे ऐसा लग रहा है जैसे तुम मुझसे ेम नह
करते। म जानती ँ क तुम मुझसे सचमुच यार करते हो, तुम मेरा ब त
यान रखते हो। परंतु आज मेरे मन म असुर ा क भावना आ गई है ।
या तुम मुझे आ त करोगे क तुम मुझसे ेम करते हो, या तुम मुझसे
वह तीन जा ई श द कहोगे, “आई लव यू”? जब तुम ऐसा कहते हो, तो
सुनकर दल ख़ुश हो जाता है ।”
इस अनुवाद के बना पु ष को यह सुनाई दे ता है, “मने बरस तक तु हारे लए
या कुछ नह कया और बदले म मुझे तुमसे कुछ भी नह मला। तुमने मेरा शोषण कया
है। तुम वाथ और नीरस हो । तुम अपनी मनमानी करते हो, सफ़ अपने लए जीते हो
और अपनी मज़ का काम करते हो । तुम कसी और के बारे म सोचते ही नह हो । म
कतनी मूख थी जो तुम जैसे आदमी से यार कर बैठ ।”
“हम हमेशा ज द म रहते ह ।” मंगल ह क भाषा म इसका अनुवाद है,
“म आज ब त हड़बड़ी म ँ। मुझे ज दबाज़ी बलकुल पसंद नह है । म
चाहती ँ क हम ज दबाज़ी का जीवन न गुज़ार । म जानती ँ क इसम
कसी क गलती नह है और तु हारी तो बलकुल भी नह है । म जानती
ँ क तुम हम वहाँ समय पर ले जाना चाहते हो और म तु हारी सचमुच
शंसा करती ँ क तुम मेरा कतना यान रखते हो। या तुम मुझसे
हमदद के दो श द कहोगे, “ज दबाज़ी या हड़बड़ी मुझे भी पसंद नह है,
इससे मुझे भी तकलीफ़ होती है ।”
इस अनुवाद के बना पु ष को यह सुनाई दे ता है, “तुम ग़ैर ज़ मेदार हो। तुम हर
काम को आ ख़री मनट पर ही करते हो । जब म तु हारे साथ रहती ँ तो कभी ख़ुश नह
रह पाती । हम हमेशा ज दबाज़ी म रहते ह, ता क हम प ँचने म दे र न हो जाए । जब तुम
आस–पास नह होते तो म यादा ख़ुश रहती ँ ।”
“म यादा रोमांस चाहती ँ।” मंगल ह क भाषा म इसका अनुवाद है,
“तुम आजकल इतनी कड़ी मेहनत कर रहे हो । य न हम कुछ समय
बाहर साथ–साथ–साथ गुजारे? जब हम अकेले कह जाते ह, तो मुझे
ब त अ ा लगता है । तुम कतने रोमां टक हो? या तुम–कभी–कभार
मेरे लए फूल लाकर मुझे ख़ुश करोगे या मुझे डेट पर लेकर चलोगे ।
हमारी ज़दगी म रोमांस का पुट मुझे अ ा लगता है ।”
बना इस अनुवाद के पु ष को यह सुनाई दे ता है, “तुम बलकुल रोमां टक नह हो
। तुमने मुझे कभी संतु नह कया । काश तुम सरे मद क तरह रोमां टक होते !”
कई वष तक इस ड नरी का योग करने के बाद पु ष को म हला का
वहार और उनके सोचने का ढँ ग समझ म आ जाता है । वे यह समझ जाते ह क
म हला क बात का असली मतलब या है । और इसके बाद उनके बीच कोई
ग़लतफ़हमी नह रहती । शु ह पर इन वा य के यह अथ होते ह और मंगल ह के
पु ष को यह बात कभी नह भूलनी चा हए ।
जब मंगल ह के पु ष नह बोलते
जब पु ष बोलना बंद कर दे ते ह, तो वाभा वक प से म हला को उनके वचार
समझने म क ठनाई होती है । चु पी का म हलाएँ गलत मतलब लगा लेती ह। हम यह
समझ लेना चा हए क पु ष और म हलाएँ अलग–अलग तरीक़ से सोचते ह । म हलाएँ
बोलकर सोचती ह यानी बोलने के साथ ही सोचती ह। परंतु पु ष पहले पूरी बात पर अ े
से वचार करते ह, इसके बाद ही वे बोलते ह । जब पु ष चुप रहते ह, तो म हला को यह
समझ लेना चा हए क वह अभी सोच रहा है, उसका चतन अभी पूरा नह आ है । इसके
बजाय म हला यह अनुमान लगाती है क पु ष शायद यह कह रहा है, “म तु ह इस लए
कुछ नह बता रहा ँ य क मुझे तु हारी कोई परवाह नह है और म तु ह नज़रअंदाज़ कर
रहा ँ । तु हारी बात मह वपूण नह ह और इस लए म उनका जवाब दे ने क ज़ रत नह
समझता ।”
म हला पु ष क चु पी पर
या त या दे ती है
म हला पु ष क चु पी का गलत मतलब समझ लेती ह– “वह मुझसे नफ़रत करता है, वह
मुझसे ेम नह करता, वह मुझे छोड़कर जाने वाला है ।” म हलाएँ तभी चुप होती ह जब वे
कसी का दल नह खाना चाहत या जब उ ह सामने वाले पर व ास नह होता।
इसी वजह से पु ष क चु पी वे ग़लत का मतलब लगा लेती ह। परंतु अगर म हलाएँ
पु ष क गुफा का रह य जान ल, तो उनके लए पु ष क चु पी का सही अथ समझना
आसान हो जाएगा ।
गुफा को समझना
म हला को यह समझ लेना चा हए क जब भी कोई पु ष तनाव म या दबाव म या
परेशान होगा तो वह एकदम से बोलना बंद कर दे गा और अपनी सम या को सुलझाने
के लए गुफा म चला जाएगा। म हला को यह जान लेना चा हए क उस गुफा म कसी
को भी जाने क अनुम त नह है, उसके सबसे प के दो त को भी नह । मंगल ह क
परंपरा यही थी। म हला को यह नह सोचना चा हए क उसने कोई गलत काम या गंभीर
अपराध कर दया है। इसके बजाय उसे यह समझना चा हए क कुछ समय बाद सम या
का हल मल जाने पर पु ष अपने आप गुफा से बाहर नकल आएगा और सब कुछ ठ क
हो जाएगा।
यह सबक़ म हला के लए ब त क ठन है य क शु ह का व णम नयम
यह था : जब कोई दो त परेशान हो, तो उसका साथ मत छोडो। इसी कारण जब मंगल ह
का उसका मनपसंद पु ष परेशान होता है, तो वह उसका साथ नह छोड़ना चाहती। चूँ क
वह उससे ेम करती है, इस लए म हला चाहती है क वह गुफा म जाकर उसक मदद
करे।
इसके अलावा वह इस ग़लतफ़हमी म भी रहती है क अगर वह उससे सम या के
बारे म ढे र सारे सवाल पूछेगी और उसक बात को पूरी च से सुनेगी तो उसका मूड ठ क
हो जाएगा। इससे मंगल ह के लोग का मूड और ख़राब हो जाता है। म हला के इरादे
ब त नेक होते ह, परंतु उसका प रणाम बलकुल उ टा होता है।
म हलाएँ य बोलती ह
म हलाएँ कई कारण से बोलती ह, जनम से चार कारण यह ह :
1. सूचना का आदान– दान– दान करने के लए। (आम तौर पर पु ष के बोलने
का यही इकलौता कारण होता है ।)
2. यह जानने के लए क वह या बोलना चाहती है । (ऐसे समय पु ष चुप हो
जाएगा और सोचेगा क वह या बोलना चाहता है। म हलाएँ बोलते–बोलते–
बोलते ही सोचने क कला म मा हर होती ह ।)
3. जब वह परेशान होती ह, तो अपना मूड ठ क करने के लए। (जब पु ष
परेशान होता है, तो वह बोलना बंद कर दे ता है ।)
4. अंतरंगता बनाने के लए। (मंगल ह का पु ष ऐसे समय आ म–अवलोकन के
लए गुफा म चला जाता है, य क उसे लगता है क यादा अंतरंगता से
उसक श छन रही है।)
इन भ ता को समझे बना साथ–साथ–साथ ख़ुश रहना ब त मु कल है ।
रा स जला दे ता है
म हला को यह बात अ तरह से समझ लेनी चा हए क जब पु ष अपनी गुफा म हो,
तो उसे अकेला छोड़ दे ना चा हए । अमे रक जनजा त म एक पुरानी कहानी है । शाद के
समय माँ अपनी पु ी को यह कहानी सुनाती है । माँ कहती है क जब भी कोई पु ष तनाव
म होगा या परेशान होगा तो वह अपनी गुफा म चला जाएगा । ऐसा कई बार होगा और
इससे म हला को परेशान नह होना चा हए। इसका यह मतलब नह है क वह म हला से
ेम नह करता । वह वापस लौट आएगा । सबसे मह वपूण बात यह है क म हला को
उसक गुफा म उसके पीछे –पीछे –पीछे नह जाना चा हए । अगर म हला उसक गुफा म
जाएगी तो उस गुफा क र ा करने वाला रा स म हला को जला दे गा ।
म हला पु ष के पीछे –पीछे गुफा म जाना चाहती है, इस वजह से ब त सा
अनाव यक तनाव पैदा होता है । म हलाएँ यह समझ ही नह पात क परेशान होने पर
आदमी को अकेला रहना या चुप रहना अ ा लगता है । ऐसे व त म हला पूछती है, “ या
कोई सम या है?” पु ष जवाब दे ता है, “नह ।” परंतु म हला महसूस करती है क वह
परेशान दख रहा है । इस लए वह बारा पूछती है, “म जानती ँ क तुम कसी बात से
परेशान हो, बात या है?”
पु ष कहता है, “कुछ नह ।”
म हला फर पूछती है, “कुछ तो बात है। तुम कसी बात पर परेशान हो । तुम या
सोच रहे हो?”
वह कहता है, “दे खो, म ठ क–ठाक ँ । अब भगवान के लए मुझे अकेला छोड़
दो!”
म हला खी होकर कहती है, “तुम मेरे साथ ऐसा बताव कैसे कर सकते हो? तुम
अब मुझसे बलकुल भी बात नह करते । मुझे यह कैसे मालूम हो क तुम या सोच रहे
हो? तुम अब मुझसे ेम नह करते । मुझे लगता है म तु हारी ज़दगी से र होती जा रही ँ
।”
इस ब पर पु ष अपना आपा खो दे ता है और कई कटु बात बोल दे ता है, जस
पर बाद म उसे अफ़सोस होता है। उसका रा स बाहर नकलकर म हला को जला दे ता है।
चेतावनी के छह सं त संकेत
जब म हला पूछती है, “ या बात है?”
जब कोई पु ष ऊपर लखे ए सं त वा य बोलता है, तो वह चाहता है क उसे
अकेला छोड़ दया जाए और परेशान न कया जाए । ऐसे समय म शु ह क म हलाएँ
मंगल / शु ड नरी का सहारा लया करती थ ।
म हला को यह समझना चा हए क जब पु ष कहता है “म ठ क ँ” तो वह
दरअसल यह कहना चाहता है, “म ठ क ँ य क म इस सम या को अकेले ही सुलझा
सकता ँ । मुझे कसी क मदद क क़तई ज़ रत नह है । मेरी चता छोड़ दो । मुझ पर
भरोसा रखो क म अकेला ही इस सम या को सुलझा सकता ँ ।”
इस अनुवाद के बना म हला को लगता है क पु ष उसे सम या इस लए नह बता
रहा है य क वह उससे ेम नह करता है । नीचे मंगल / शु ड नरी के कुछ वा य
दए जा रहे ह ।
मंगल / शु ड नरी
“म ठ क ”ँ का शु ह क भाषा म अनुवाद है, “म ठ क ँ । म अपनी
सम या सुलझा सकता ँ । मुझे मदद क ज़ रत नह है, ध यवाद ।”
इस अनुवाद के बना म हला इस वा य का यह मतलब नकाल सकती है, “म
इस लए परेशान नह ँ य क मुझे परवाह नह है ।” या “म तु हारे साथ अपनी परेशानी
नह बाँटना चाहता । मुझे तुम पर व ास नह है क तुम मेरा साथ दोगी ।”
“म ठ क ”ँ का शु ह क भाषा म अनुवाद है, “म इस लए ठ क ँ
य क म इस सम या को सफलतापूवक सुलझा सकता ँ । मुझे कसी
मदद क ज़ रत नह है । अगर होगी तो म माँग लूँगा ।”
इस अनुवाद के बना म हला इस वा य का यह मतलब नकाल सकती है, “जो
आ है, उसक मुझे कोई परवाह नह है । यह सम या मेरे लए मह वपूण नह है । अगर
इससे तु ह परेशानी होती है, तो होती रहे, मुझे उसक भी परवाह नह है ।”
“कुछ नह ” का शु ह क भाषा म अनुवाद है, “ऐसी कोई बात नह है
जसे म अकेला न सुलझा सकूँ । लीज़ इस बारे म और सवाल मत पूछो
।”
इस अनुवाद के बना म हला इस वा य का यह मतलब नकाल सकती है, “म
नह जानता क म य परेशान ँ । म चाहता ँ क तुम मुझसे सवाल पूछो ता क म जान
सकूँ क सम या या है ।” इसी ग़लतफ़हमी के कारण वह सवाल पूछती जाती है, जब क
पु ष अकेला रहना चाहता है ।
“सब कुछ ठ क–ठाक है” शु ह क भाषा म इसका अनुवाद है,
“सम या तो है, परंतु तुम उसके लए दोषी नह हो । अगर तुम सवाल
पूछकर या सुझाव दे कर वधान न डालो, तो म अकेला ही इसे सुलझा
सकता ँ ।”
इस अनुवाद के बना म हला यह समझ सकती है, “यह सब तु हारी ग़लती का
प रणाम है । तुमने इस बार तो ऐसा कर दया, परंतु अगली बार ऐसी ग़लती मत करना ।”
“कोई बड़ी बात नह है” शु ह क भाषा म इसका अनुवाद है, “यह
बड़ी बात इस लए नह है, य क म इसे ठ क कर सकता ँ । लीज़ इस
सम या के बारे म यादा मत सोचो और इसके बारे म बात मत करो ।
इससे म और यादा परेशान हो जाता ँ । म इस सम या को सुलझाने क
ज़ मेदारी अपने ऊपर लेता ँ ।”
“कोई सम या नह है” शु ह क भाषा म इसका अनुवाद है, “मुझे
सम या को सुलझाने म कोई द क़त नह आ रही है ।”
इस अनुवाद के बना म हला इसका यह मतलब नकाल सकती है, “यह कोई
सम या नह है । तुम इसे सम या य मान रही हो या मदद य करना चाहती हो?” इसी
ग़लतफ़हमी के कारण म हला उसे यह बताने लग जाती है क यह सम या गंभीर य है ।
जब पु ष गुफा म जाए, तो या कर
जब पु ष गुफा म जाए, तो उसे सहारा दे ने के आप इन छह लए तरीक़ का इ तेमाल कर
सकती ह ।
1. इस बात पर खी न ह क वह आपसे र य चला गया ।
2. समाधान सुझाकर उसक सम या को सुलझाने म उसक मदद करने क
को शश न कर ।
3. वह कैसा महसूस कर रहा है, इस बारे म सवाल पूछकर उसे और परेशान न
कर ।
4. उसक गुफा के दरवाज़े के पास बैठकर उसके बाहर नकलने का इंतज़ार न
कर ।
5. उसके बारे म चता न कर, न ही उसके लए खी ह ।
6. कोई ऐसा काम कर, जससे आपको खुशी मलती है ।
ऐसे समय म हला या तो अपनी कसी सहेली से बात कर सकती है या फर
पु तक पढ़ सकती है, संगीत सुन सकती है, ायाम कर सकती है, शॉ पग कर सकती है,
ाथना कर सकती है, ट वी दे ख सकती है या और भी ऐसे सरे काम कर सकती है जनसे
उसे ख़ुशी मलती हो ।
सफल कहानी
एक बार म अपना पासपोट घर पर ही भूल गया । मने यूयॉक से दकै लफ़ो नया फ़ोन
करके बॉनी को बताया क पासपोट वह छू ट गया है । बॉनी ने यह नह कहा, “मने तो
पहले ही कहा था,” या “ऐसा तो होना ही था,” ब क उसने हँसते ए कहा, “जॉन, तु हारे
जीवन म कतनी रोमांचक घटनाएँ होती ह । अ ा, अब तुम या करोगे?”
मने उससे कहा क वह मेरे पासपोट को फै़ स कर दे और इस तरह सम या
सुलझ गई । उसने मुझे सहयोग दया, उसने माँ क तरह मुझे सलाह या हदायत नह द ।
उसने मुझे मौक़ा दया क म अपनी सम या खु़द सुलझाऊँ ।
जब भी ग़लतफ़ह मयाँ ह , तो सबसे पहले तो यह याद रख क आप अलग–
अलग भाषाएँ बोलते ह । ड नरी उठाकर दे ख क आपके पाटनर क बात का असली
मतलब या है । इसम समय तो लगेगा, परंतु खुशहाल जीवन जीने के लए आपको थोड़े–
ब त समय क कुबानी तो दे नी ही चा हए ।
अ याय 6
पु ष रबर बड क तरह होते ह
ष रबर बड क तरह होते ह । जब वे र जाते ह तो रबर बड क तरह उनके र जाने
पु क भी एक सीमा होती है । वे अपने आपको जतना र ख च सकते ह, उतना ख च
लेते ह और फर तेज़ी से अपनी पुरानी अव ा म आपके क़रीब लौट आते ह । पु ष क
अंतरंगता के च को समझने के लए रबर बड क तुलना आदश है । यह च है क़रीब
आना, र जाना और फर बारा क़रीब आना ।
यादातर म हला को इस बात से हैरानी होती है क ेम म पु ष कई बार अपने
आपको र ख च लेते ह परंतु कुछ समय बाद बारा उनके क़रीब आ जाते ह । यह पु ष
का वभाव होता है । वह ऐसा जान – बूझकर नह करते । ऐसा अपने आप होता है ।
इसम न तो पु ष क कोई गलती है, न ही म हला क । यह तो एक वाभा वक च है ।
जब पु ष अपने आपको र ख च लेते ह, तो म हला इसका गलत मतलब नकाल
लेती है । म हलाएँ जब पु ष से र जाती ह तो ऐसा तब होता है जब उनका पु ष पर से
व ास उठ जाता है, जब वे आहत होती ह और उ ह बारा चोट प ँचने का अंदेशा होता है
या वे पु ष से नराश हो जाती ह य क उसने कोई ग़लती क है । पु ष इन कारण से तो
अपने आपको र ख चता ही है, परंतु चाहे म हला क गलती न हो, फर भी वह ऐसा
करता है । रबर बड क तरह वह अचानक अपने आपको पूरी री तक ले जाता है और
फर अपने आप वापस लौट आता है ।
पु ष इस लए भावना मक प से र जाता है य क वह वतं ता क अपनी
आव यकता क पू त करता है । अलग होने और र जाने के बाद ही उसे यह एहसास
होता है क उसे ेम और अंतरंगता क कतनी ज़ रत है, और उसके लए यह चीज़
कतने मायने रखती ह । जब पु ष बारा लौटता है तो वह नए सरे से अंतरंगता शु नह
करता, ब क उसी ब से अंतरंगता बढ़ाता है जहाँ से वह र गया था ।
पु ष र य जाते ह
पु ष इस लए र जाते ह य क उ ह लगता है क यादा अंतरंगता के कारण वे अपनी
वतं ता खो रहे ह । कई पु ष कहते ह, “मुझे थोड़ा ेस चा हए” या “म कुछ समय
अकेला रहना चाहता ँ । " कारण जो भी हो, र ते म र जाना पु ष क मह वपूण
आव यकता है जसके बना उसका काम नह चल सकता । चाहे र ता कतना ही मधुर
य न हो, पु ष कुछ समय के लए र जाने क आव यकता अनुभव करते ह, य क वे
आ म नभर होना चाहते ह और कसी सरे पर नभर नह रहना चाहते । जब र
जाकर उ ह समझ म आता है क वे आ म नभर रहते ए ही ेम और अंतरंगता हा सल
कर सकते ह, तो वे अपने आप वापस लौट आते ह ।
या होता है जब पु ष र नह जा पाते
लीसा और जम क शाद को दो साल हो चुके ह । वे हर काम इक े करते
ह । वे कभी अलग नह रहे । कुछ समय बाद जम चड़ चड़ा, न य,
और मूडी हो गया ।
लीसा ने मुझे बताया, “अब उसके साथ रहना मज़ेदार नह रह
गया है । मने उसे खु़श करने क हर तरह से को शश क , परंतु कोई
फ़ायदा नह आ । म चाहती ँ क हम साथ – साथ जीवन का आनंद ल,
रे तराँ जाएँ, शॉ पग कर, या ा कर, नाटक दे खने जाएँ, पा टय म जाएँ,
परंतु वह कुछ भी नह करना चाहता । हम अब सफ़ ट वी दे खते ह, खाते
ह, सोते ह और नौक रयाँ करते ह । म उससे ेम करने क को शश तो
करती ,ँ परंतु म गु़ सा भी ँ । वह पहले इतना आकषक और रोमां टक
आ करता था । परंतु अब वह ब त बो रग हो गया है । म नह जानती
क म या क ँ । वह हलने को भी तैयार नह होता !”
रबर बड का स ांत पता चलने के बाद और पु ष अंतरंगता च को समझने के
बाद लीसा और जम दोन को ही समझ म आ गया क सम या या थी । वे अपना सारा
समय इक े गुज़ार रहे थे । उ ह थोड़ा र – र रहने क ज़ रत थी ।
जब कोई आदमी ब त क़रीब आ जाता है और वह अपने आपको वापस नह
ख च पाता, तो वह मूडी और चड़ चड़ा हो जाता है । जम ने यह नह सीखा था क वह
अपने आपको र कैसे ख चे । अकेले समय बताने म उसे अपराधबोध का अनुभव होता
था । उसे लगता था क उसे सारा समय अपनी प नी के साथ बताना चा हए ।
लीसा भी यही सोचती थी क उ ह हर काम इक े करना चा हए । मने लीसा से
पूछा क वह जम के साथ इतना यादा समय य बताती थी ।
लीसा ने जवाब दया, “मुझे यह डर था क अगर म अकेले कह जाऊँगी, तो जम
को अ ा नह लगेगा । एक बार म अकेले शॉ पग करने गई थी और मने लौटकर दे खा क
जम खी था ।”
जम ने कहा, “मुझे वह दन अ तरह याद है । म तु ह लेकर खी नह था ।
उस दन मुझे बज़नेस म घाटा आ था । मुझे याद है क घर म अकेले रहने म मुझे कतना
अ ा लग रहा था । मने तु ह यह बात इस लए नह बताई य क म तु हारा दल नह
खाना चाहता था ।”
लीसा ने कहा, " मने सोचा तुम यह पसंद नह करते क म तु हारे बना कह आऊँ
– जाऊँ ।”
पूरी बात समझने के बाद लीसा जम के बना आने – जाने लगी । जम को भी
थोड़ी वतं ता और राहत मली । जम ने कहा, " म अब राहत महसूस कर रहा ँ । पहले
तो मुझे ऐसा लगता था क म कुछ कर ही नह सकता । लीसा मुझे हमेशा बताया करती
थी क या करना चा हए, वह मुझे सलाह दया करती थी और मुझसे सवाल पूछा करती
थी ।”
लीसा ने कहा, “म यह महसूस करती ँ क म अपने ख के लए उसे ज़ मेदार
ठहरा रही थी और उसे दोष दे रही थी । जब मने अपनी खु़शी क ज़ मेदारी ली, तो मने
यह अनुभव कया क जम क ऊजा बढ़ गई और उसका मूड ठ क रहने लगा । यह कसी
चम कार से कम नह था ।”
अंतरंगता के च क बाधाएँ
म हलाएँ दो तरीक़ से अनजाने म ही पु ष के वाभा वक अंतरंगता च म बाधा डालती ह
:
( 1 ) जब वह र जाता है तो उसका पीछा करके, और
( 2 ) र जाने के लए उसे सज़ा दे कर ।
पु ष का पीछा करना
1 . शारी रक
जब पु ष र जाता है, तो वह शारी रक प से उसका पीछा करती है । जब वह सरे
कमरे म जाता है तो वह पीछे – पीछे वहाँ भी प ँच जाती है ।
2 . भावना मक
जब वह र जाता है, तो म हला भावना मक प से उसका पीछा करती है । वह उसक
चता करती रहती है । वह खी होती है । वह उसका ज़ रत से यादा यान रखती है ।
वह उसक मदद करना चाहती है ।
एक और तरीके से म हला भावना मक बाधा खड़ी करती है । वह उसके अकेले
रहने क आव यकता को पसंद नह करती । जब वह र जाता है तो म हला उसक तरफ़
ऐसे अंदाज़ म दे खती है जैसे उसने कोई गुनाह कर दया हो । वह अंतरंगता का आ ह
करती है और पु ष को ऐसा लगता है जैसे उस पर नयं ण कया जा रहा है ।
3 . मान सक
वह ऐसे सवाल पूछती है, “तुम मेरे साथ ऐसा बताव कैसे कर सकते हो ?” या “तु ह
द क़त या है ?” या “ या तु ह इस बात का एहसास नह है क तु हारे र जाने से मुझे
कतना ख होता है ?”
एक और तरीक़ा यह होता है क म हला उसे ख़ुश करके वापस अपने क़रीब लाना
चाहती है । वह हर काम को आदश तरीके से करना चाहती है ता क उसे र जाने का कोई
बहाना न मले ।
सज़ा दे ने के तरीके़
1 . शारी रक
जब पु ष र रहकर एक बार फर क़रीब लौटता है, तो म हला उसका तर कार कर दे ती
है । वह उसके साथ से स के लए तैयार नह होती । वह उसे अपना शरीर भी नह छू ने
दे ती । वह अपने गु़ से को दखाने के लए चीज़ भी तोड़ – फोड़ सकती है ।
2 . भावना मक
जब पु ष लौटता है, तो म हला खी होती है और उसे दोष दे ने लगती है । वह अपने
आपको नज़रअंदाज़ करने के लए उसे माफ़ नह करती । जब वह लौटता है, तो वह
अपनी नाराज़गी को श द , टोन और दे खने के अंदाज़ के मा यम से जता दे ती है ।
3 . मान सक
जब वह लौटता है तो म हला ठं डी या उदासीन हो जाती है और उसके साथ कोई समझौता
नह करना चाहती । वह इस बात पर गु़ सा होती है क वह पहल नह कर रहा है, उससे
बात नह कर रहा है ।
जब कसी पु ष को र जाने के लए सज़ा मलती है, तो वह र जाने से घबराने
लगता है । परंतु जब वह र नह जा पाता तो इसका नतीजा यह होता है क वह मूडी और
चड़ चड़ा हो जाता है ।
समझदार पु ष और म हलाएँ
समझदार पु ष जानते ह क र जाना उनक अंतरंगता के च का ह सा है । पर वे यह
भी समझते ह क उनक प नय या े मका को इससे परेशानी हो सकती है । ऐसे
समय म वह र तो जाए, परंतु म हला को यह तस ली दे कर क वह कुछ समय बाद लौट
आएगा और उसके र जाने का कारण सफ़ इतना सा है क उसे कुछ समय एकांत क
ज़ रत है ।
समझदार म हला को यह समझना चा हए क अंतरंगता के च म बाधाएँ नह
डालनी चा हए, य क जतनी बाधाएँ डाली जाएँगी पु ष उतना ही र होता जाएगा ।
इस लए पु ष को रबर बड क तरह पूरी री तक जाने का मौक़ा दे ना चा हए । अपने आप
वह एक बार फर उसके पास लौट आएगा, पूरी श और नए उ साह के साथ ।
अ याय 7
म हलाएँ लहर क तरह होती ह
म
हलाएँ लहर क तरह होती ह । उनका मूड लहर क तरह कभी ऊपर और कभी
नीचे होता है । मेरी प नी बॉनी कहती है क नीचे जाने का यह अनुभव कसी अँधेरे
कुएँ म जाने जैसा होता है । जब कोई म हला अपने कुएँ म उतरती है, तो वह अपने
अवचेतन क गहराइय म चली जाती है । ऐसे समय उसे नराशा, अकेलेपन और वधा
का अनुभव होता है । परंतु एक बार वह कुएँ क तलहट को छू लेती है तो फर वह अपने
आप ऊपर आने लगती है और एक बार फर से उसका मूड ठ क हो जाता है ।
जब कसी म हला का मूड ठ क नह होता तो पु ष को चा हए क वह उसक
भावना को समझे और उसे ेम या सहारा दे ।
ठ क करने क को शश मत करो
बल ने कहा, “म अपनी प नी मैरी को समझ नह पाया । कई स ताह तक तो उसका मूड
ब त अ ा रहता है । वह ेम बाँटती है । परंतु अचानक वह खी हो जाती है और उसे
लगता है क वह सबके लए कतना कुछ कर रही है और बदले म उसके लए कोई कुछ
नह कर रहा है । ऐसे समय म वह मुझे दोषी मान लेती है । म उसे बताता ँ क उसके ख
के लए म ज़ मेदार या क़सूरवार नह ँ । म उसे यह समझाने क को शश करता ,ँ परंतु
इससे हमारा झगड़ा और बढ़ जाता ह ।”
अ धकांश पु ष क तरह बल क ग़लती भी यही थी क वह अपनी प नी को
कुएँ म नीचे जाने से रोक रहा था । वह उसे ऊपर ख चकर उसे बचाना चाहता था । वह यह
नह जानता था क जब तक उसक प नी तलहट को नह छू लेती, तब तक वह पूरी तरह
ख़ुश नह रह सकती ।
अपनी प नी का खड़ा सुनते समय बल ीकरण दे कर यह समझाता था क
उसे य परेशान नह होना चा हए । जब कोई म हला कुएँ म नीचे जा रही होती है तो वह
इस सलाह को सबसे यादा नापसंद करती है क उसे नीचे य नह जाना चा हए । ऐसे
समय उसे एक ऐसे पु ष क आव यकता है जो नीचे जाते समय उसका साथ दे , उसका
खड़ा हमदद से सुने और उसके ज बात से सहानुभू त रखे । चाहे पु ष म हला क
भावना को पूरी तरह न समझ पाए, परंतु वह उसे ेम, सहारा और यान तो दे ही
सकता है ।
बहस य होती है
जब म हला कुएँ म नीचे उतरती है तो पु ष अपना आपा खो बैठता है य क उसे लगता है
क जस सम या को लेकर वह परेशान है, वह सम या तो कब क हल हो चुक है ।
पु ष को यह समझना चा हए
1. पु ष य द ऐसे मु कल समय म अपनी प नी को ेम और सहारा दे ता है तो
यह ब त अ बात है । इससे सम या तो नह सुलझेगी, परंतु म हला उसके
सहारे ज द से तलहट को छू कर ऊपर आ सकेगी ।
2. म हला के कुएँ म जाने के लए पु ष ज़ मेदार नह है ।उसे यह जान लेना
चा हए क इसम उसक कोई ग़लती नह है । इस लए उसे बे हचक म हला को
सहारा और ेम दे ना चा हए ।
3. तलहट को छू ने के बाद म हला अपनेआप ऊपर आ जाती है । पु ष को
उसक सम या हल करने क कोई ज़ रत नह है । म हला को तो सफ़ पु ष
के ेम और उसक हमदद क ज़ रत है ।
जब दोन परेशान ह
शोध से पता चला है क म हलाएँ आम तौर पर एक महीने बाद कुएँ म जाने क ज़ रत
महसूस करती ह । पु ष भी रबर बड क तरह र जाने क ज़ रत एक महीने बाद ही
महसूस करते ह । सम या तब आती है जब दोन का ही यह मु कल समय एक साथ आ
जाता है । ऐसे समय दोन म ही धैय नह होता और वे ज़रा सी बात पर झगड़ सकते ह ।
पु ष को चा हए क वह म हला क हमदद क ज़ रत को समझे और म हला को चा हए
क वह पु ष के अंतरंगता च का यान रखे ।
भावनाएँ मह वपूण ह
अगर कसी म हला को ख म सहारा न मले, तो वह कभी सचमुच सुखी नह रह सकती
। सचमुच सुखी रहने के लए यह ज़ री है क वह अपनी भावना को मु करने, शु
करने और उनका उपचार करने के लए समय Ȑ समय पर कुएँ म जाए । यह एक
वाभा वक और व या है ।
जब कसी म हला का मूड अ ा होता है तो उसे गलास आधा भरा दखता है,
जब वह कुएँ म उतरती है तो उसे गलास आधा ख़ाली दखाई दे ता है ।
म हलाएँ लहर क तरह होती ह यह जाने बना पु ष कभी अपनी प नय को
नही समझ पाएँगे और उ ह कभी खुश नह रख पाएँगे । वे इस लए परेशान हो जाते ह
य क बाहर से तो सारी प र तयाँ अ नज़र आती ह, फर भी उनक प नी परेशान
दखती है । एक बार प त म हला के दल क कताब को पढ़ ले, तो वह उसे ेम और
सहारा दे कर कुएँ से सही Ȑ सलामत बाहर नकाल सकता है । और म हला उससे यही तो
चाहती है ।
अ याय 8
दोन क भावना मक आव यकताएँ अलग–अलग
होती ह
म
हला और पु ष को यह पता ही नह होता क उनक भावना मक आव यकताएँ
अलग–अलग होती ह । इसी लए वे एक– सरे को ेम करने का आदश तरीक़ा नह
जान पाते । पु ष वही दे ते ह, जो वे चाहते ह । इसी तरह म हलाएँ भी वही दे ती ह,
जो वे चाहती ह । दोन ही यह ग़लत समझ बैठते ह क सामने वाले को भी उ ह चीज़ क
ज़ रत होगी, जनक उ ह ज़ रत होती है । इसी कारण दोन ही असंतु और खी रहते
ह।
सच तो यह है क पु ष और म हलाएँ दोन ही ेम दे ते ह, परंतु उस तरीके से नह
दे ते, जस तरीके से सामने वाले पाटनर को चा हए । उदाहरण के तौर पर कोई म हला यह
सोच सकती है क वह यादा सवाल पूछकर अपना ेम जता रही है । जैसा हम दे ख चुके
ह क इस बात से पु ष को चढ़ छू टती है । इसी तरह पु ष जब म हला क सम या को
कम करके बताता है तो उसे चढ़ छू टती है । या जब पु ष उसे अकेला छोड़ दे ता है ता क
वह आराम से अपनी सम या सुलझा ले तो उसे उपे ा का अनुभव होता है । पु ष सोचता
है क इस तरह से वह अपना ेम जता रहा है, परंतु इससे म हला को लगता है क उसे ेम
नह कया जा रहा है । जैसा हम पहले ही दे ख चुके ह, जब म हला परेशान होती है तो वह
चाहती है क हमदद से उसक बात सुनी जाए, चूँ क पु ष यह बात नह समझता इस लए
उनम रयाँ बढ़ती जाती ह ।
बारह कार का ेम
यहाँ पर हम बता रहे ह क ेम क अनुभू त को बारह कार से अ भ कया जा
सकता है जनम से छह अनुभू तयाँ म हला क मूलभूत भावना मक आव यकताएँ ह,
जब क छह अनुभू तयाँ पु ष क मूलभूत भावना मक आव यकताएँ ह ।
म हला और पु ष क मूलभूत ेम आव यकताएँ
1. म हलाएँ चाहती ह क उनका ख़याल रखा जाए; पु ष चाहते
ह क उन पर व ास कया जाए ।
जब कोई पु ष कसी म हला क भावना का याल रखता है और मन लगाकर उसक
बात सुनता है तो म हला को लगता है क वह उसका यान रख रहा है, वह उसे ेम कर
रहा है । इस तरह से वह उसक पहली मूलभूत भावना मक आव यकता क पू त कर दे ता
है । बदले म म हला उस पर व ास करने लगती है ।
बहस म या होता है
बहस म हम एक– सरे को चोट प ँचाते ह । हम भूल जाते ह क हमम असमानताएँ और
असहम त होना वाभा वक है य क दो लोग एक जैसा नह सोचते । बहस शु होने पर
असली मु ा तो ठं डे ब ते म चला जाता है और हम द गर बात को बीच म ले आते ह ।
हम या बोल रहे ह, इससे सामने वाले को उतनी चोट नह प ँचती है जतनी क
इस बात से प ँचती है क हम उसे कस तरह से बोल रहे ह । आम तौर पर पु ष जब
असहमत होता है तो म हला पर आ मण कर दे ता है । म हला उसक बात का तो बुरा
नह मानती, पर उसके बोलने के तरीके़ को पसंद नह करती । पु ष यह गलत अनुमान
लगा लेता है क म हला को बोले गए श द पर आप हो रही है और इस लए वह अपने
बोलने के तरीके़ को सुधारने के बजाय और भी कटु अंदाज़ म अपनी बात मनवाने क
को शश करता है । पु ष के मन म यह याल ही नह आता क बहस असल म वह शु
कर रहा है, वह सोचता है क म हला ही उसके साथ फ़ालतू झगड़ रही है । म हला भी
चुभने वाली बात बोलकर झगड़ा बढ़ाने म अपना योगदान दे ती है । इसके अलावा वह बन
माँगी सलाह दे कर झगड़े को और बढ़ा दे ती है । बहस से बचने के लए हम यह याद रखने
क ज़ रत है क हमारे पाटनर को हमारे श द से कोई द क़त नह होती, उसे तो हमारे
बोलने के तरीके़ से शकायत होती है । बहस करने के लए दो लोग क ज़ रत होती है,
परंतु बहस रोकने के लए एक ही काफ़ है ।
पु ष या उ मीद करता है
छोट – छोट बात से म हलाएँ ख़ुश हो जाती ह, परंतु अगर वे इस ख़ुशी का दशन नह
करगी, तो पु ष को यह कभी पता ही नह चलेगा क उसके यास सफल हो रहे ह ।
मु कराकर या ध यवाद दे कर म हला बता सकती है क उसने पु ष को एक नंबर दे दया है
। पु ष को तारीफ़ और ो साहन क ब त ज़ रत होती है तभी वह लगातार को शश
करता रहेगा । उसे लगना चा हए क वह अपने यास म सफल हो रहा है ।
म हला को यह नह भूलना चा हए
म हला को यह याद रखना चा हए क पु ष क वाभा वक वृ बड़े उपहार दे ने क
होती है । य द पु ष छोटे उपहार न भी दे , तो आप इसका बुरा न मान । इसका यह मतलब
नह है क वह आपसे ेम नह करता है । इसका सफ़ यह मतलब है क वह आपको एक
बड़ा उपहार दे ने म अपनी सारी ऊजा और श लगा रहा है । आपके ो साहन और
आपक शंसा से पु ष छोटे – छोटे तोहफ़ का मह व धीरे-धीरे समझ जाएगा ।
पु ष कस तरह नंबर दे ते ह
पु ष के नंबर दे ने का तरीक़ा म हला से अलग होता है । म हलाएँ हर बात पर पु ष को
सफ़ एक ही नंबर दे ती ह । जब क पु ष बड़ी बात पर यादा नंबर दे ते ह और छोट बात
पर कम नंबर दे ते ह ।
ज
ब भी आप परेशान, नराश, कुं ठत या नाराज़ होते ह तो आपके लए मधुर वचन
बोलना संभव नह होता । ऐसे समय म प तȐप नी दोन ही एकȐ सरे को दोष
दे ने लगते ह । बात करने और झगड़ा बढ़ाने के बजाय ऐसे व त इ ह यह करना
चा हए क शां त से अकेले म बैठकर सामने वाले को ेमप लख। ेमप लखने के कई
फ़ायदे होते ह, एक तो आपके दल का ग़बार नकल जाएगा,, सरे आप अपने पाटनर के
लए कोई अ ा काम करने के लए े रत ह गे। चूँ क आपक भावनाएँ ेमप म नकल
चुक ह,, इस लए आपका मूड भी सुधर जाएगा।
ेमप क तकनीक
ेमप क तकनीक के तीन पहलू या ह से ह :
1. ोध, ख, डर, अफ़सोस और ेम क अपनी भावना को अ भ करते
ए ेमप लख ।
2. आप अपने पाटनर से या सुनना चाहते ह,, इसे अ भ करते ए जवाबी
प लख ।
3. अपने ेमप और जवाबी प को अपने पाटनर को या
तो सुना द या फर पढ़वा द ।
यह आपके ऊपर है क आप सभी तीन पहलु का इ तेमाल करना चाहते ह या
सफ़ पहले ह से से ही आपका काम चल जाएगा । हालाँ क तीन पहलु के योग म
समय यादा लगता है, परंतु अपने आपको ख से बचाने के लए आपको थोड़ा समय तो
दे ना चा हए ।
ेमप का ा प
जवाबी प का नमूना
मुझे इतना ेम करने के लए ध यवाद । तु ह ध यवाद क तुमने मुझे अपनी भावनाएँ
बताई । म समझता ँ क मेरी बात से तु ह चोट प ँची। म समझता ँ क जब म तु हारी
बात का वरोध करता ँ तो तुम आहत हो जाती हो। आई एम सॉरी, म तु हारी यादा मदद
नह कर पाता। तुम इस क़ा बल हो क म तु ह अपना पूरा समथन ँ । म तु हारा साथ दे ना
चाहता ँ। म तु ह दल से ेम करता ँ और इस बात से ख़ुश ँ क तुम मेरी प नी हो ।
आई लव यू,
पॉल
छोटे ेमप
जब आप परेशान ह और आपके पास ेमप लखने के लए बीस मनट का समय न हो,
तो आप छोटे ेमप भी लख सकते ह। इसम तीन से पाँच मनट का समय लगता है और
यह सचमुच काम आ सकता है। यह रहा छोटे ेमप का उदाहरण :
य मै स,
1. म नाराज़ ँ क तुम दे र से आए।
2. म खी ँ क तुम मुझे भूल गए।
3. मुझे डर है क तु ह मेरी परवाह नह है।
4. म खी ँ य क म तु ह माफ़ नह कर पा रही ँ।
5. म तुमसे ेम करती ँ और दे र से आने के लए तु ह माफ़ करती ँ। म जानती
ँ क तुम मुझसे सचमुच ेम करते हो । ध यवाद ।
ेम स हत,
सडी
ेमप कई तरीक़ से आपके अ य संबंध को सुधारने म मदद करते ह। पहली
बात तो यह क जब आप लखते ह, तो आप अपनी भावना का व ेषण करके उ ह
समझते ह। सरा फ़ायदा यह क आपके दल का ग़बार नकल जाता है और आप ह के
हो जाते ह। तीसरा और सबसे बड़ा फ़ायदा यह होता है क इससे आपके पाटनर को पता
चल जाता है क आपको उसक कौन सी बात पसंद नह आ रही ह और आपक उससे
या अपे ाएँ ह ।
सावधानी
याद रख ेमप या जवाबी प अंतरंग द तावेज़ ह। इनम लखी बात का स मान कर,
इनक हँसी न उड़ाएँ, न ही इन बात के लए अपने पाटनर को बाद म ताने द। स े दल
से सामने वाले क भावना को समझने क को शश कर और अपने वैवा हक जीवन को
सुखमय बनाएँ।
सरी सावधानी यह बरतनी चा हए क आपको ेमप लखने क आदत डाल
लेनी चा हए । अगर आप महीन तक ेमप नह लखगे तो आपक आदत छू ट जाएगी।
इस लए स ताह म कम से कम एक ेमप लख, ता क आपको इसक आदत पड़ जाए।
आदत पड़ जाने पर आपके लए लखना आसान हो जाएगा और आपके पाटनर के लए
भी इसे सुनना भी उतना क ठन नह रहेगा।
सलाह
म यह सलाह ँ गा क आप अपने ेमप का एक जरनल या फ़ाइल बना ल। आप ेमप
लखने के लए हमारे दए गए ोफ़ॉमा का उपयोग भी कर सकते ह। अगर आपके पास
कं यूटर है तो आप अपने ेमप के फ़ॉमट को उसम टाइप कर ल और उसका बार – बार
उपयोग कर। जब आप परेशान न ह , ऐसे समय म इन प को कभी – कभार पढ़ ल। ऐसे
समय म आप यादा न प ढँ ग से सोच सकगे, सम या का व ेषण कर सकगे और
अपने म सुधार कर सकगे। जन लोग को हाथ से लखने म द क़त आती है, वे भी
कं यूटर के सहारे अपने ेमप लख सकते ह ।
मुझे आशा है क आप ेमप क इस अनूठ तकनीक का योग करगे । इसका
योग करके हज़ार लोग ने अपने वैवा हक जीवन को सुखमय बना लया है, य न आप
भी इनम से एक बन जाएँ ?
अ याय 12
सहायता कैसे माँग और पाएँ
अ
गर आपको अपने प त या प नी क तरफ़ से मनचाही मदद नह मल रही है तो
इसका मह वपूण कारण यह हो सकता है क आप उससे या तो मदद नह माँग रहे
ह या सही तरीक़े से मदद नह माँग रहे ह । ेम और मदद क माँग करना कसी भी
र ते क सफलता के लए अ नवाय है । अगर आप कुछ पाना चाहते ह , तो आपको
माँगना पड़ेगा ।
पु ष और म हला दोन को ही मदद माँगने म मु कल आती है । म हला के
लए यह यादा नराशाजनक और कुंठापूण होता है ।
90 / 10 का स ांत
कई बार ऐसा होता है क हम ब त ख़ुश होते ह, सुखी होते ह परंतु अचानक हम बना
कसी कारण के च तत हो जाते ह, खी हो जाते ह । ऐसा य होता है ? इस लए य क
हमारे अतीत के ख आकर हम परेशान करने लगते ह । जब हम खी होते ह तो हमारे 90
तशत ख का संबंध हमारे अतीत से होता है, जब क केवल 10 तशत ख का संबंध
ही हमारी वतमान सम या से होता है । ऐसे समय ेमप लखने क तकनीक का योग
करने पर हम जान जाते ह क हमारे ख का असली कारण या है । इसके अलावा काग़ज़
पर लख लेने से हमारे दल को राहत मल जाती है । 90 / 10 के इस स ांत को जान लेने
से आपक सम या का ोत आपको मालूम चल जाएगा ।
दे र से त या होना
हम जो चीज़ चाहते ह, उसे मलने म दे र हो जाए तो भी हम वच लत और खी हो जाते ह
। मुझे याद है कई साल पहले म एक दन अपनी प नी से से स चाहता था । परंतु उसका
मूड नह था । अगले दन फर मने संकेत कया, परंतु तब भी उसक कोई च नह थी ।
यह सल सला हर रोज़ चलता रहा । दो स ताहबाद म चढ़ गया । मने उसे ख़ुश करने क
हरसंभव को शश क , हालाँ क मन ही मन म उससे बुरी तरह चढ़ा आ था । दो स ताह
बाद म उसके लए सुंदर सा नाइटगाउन ख़रीद लाया । वह गाउन दे खकर ख़ुश ई, परंतु
जब मने कहा क वह उसे पहनकर दे ख,े तो उसने कहा क उसका मूड नह है । इस मोड़
पर मने हार मान ली । मने से स का वचार अपने दमाग़ से नकाल दया और म अपने
काम म जुट गया । दो स ताह और गुज़र जाने के बाद एक दन जब म घर लौटा तो मने
दे खा क उसने रोमां टक भोजन बनाया है और वह दो स ताह पहले लाया गया मेरा
नाइटगाउन पहने थी । धीमी–धीमी रोशनी थी और पृ भू म म धीमा संगीत भी बज रहा था
।
आप समझ ही सकते ह क मेरी त या या ई होगी । अचानक मेरे भीतर
नफ़रत का तूफ़ान उमड़ आया । मने अंदर से कहा, “अब तुम चार स ताह तक मेरे लए
तड़पो ।” पछले चार स ताह क मेरी सारी कुंठा, नराशा और आ ोश उस एक पल म मेरे
दमाग़ म आ गए । परंतु जब मने उसके साथ इस बारे म बाद म चचा क तो मने यह
महसूस कया क जब वह मेरी आव यकता क पू त करने के लए सहमत हो गई, तो मेरी
सारी कुंठा बाहर नकल आई ।
ऐसा ब त बार होता है, सबके साथ होता है । जब कोई पाटनर अपने आपको
बदलता है, तो सरा पाटनर कहता है, “अब ब त दे र हो चुक है,” या “अब इससे या
फ़क़ पड़ता है ?” बीस साल से यादा समय से शाद –शुदा लोग को वैवा हक परामश दे ते
समय मने अ सर यह दे खा है क ब े बड़े होकर घर छोड़कर चले जाते ह और म हला
अचानक तलाक़ चाहती है । पु ष न द से जागता है और यह महसूस करता है क उसे
बदलना चा हए । जब वह अपने आपको बदलता है और उसे वह ेम दे ता है जो वह
पछले बीस साल से पाना चाहती थी, तो म हला क त या ठं डी नफ़रत क होती है ।
ऐसा लगता है क वह भी चाहती है क पु ष बीस साल तक उसी क तरह तड़पे ।
परंतु सौभा य से ऐसा नह होता है । वे जब एक बार अपनी भावनाएँ एक– सरे के साथ
बाँटते ह तो उनके बीच का र ता गाढ़ हो जाता है ।
यार के मौसम
र ता बगीचे क तरह होता है । अगर इसे हरा–भरा रखना है तो इसे नय मत प से पानी
दे ने क ज़ रत होती है । इसका ख़ास यान रखा जाना चा हए । नए बीज बोए जाने
चा हए और घासफूस को उखाड़ना चा हए । इसी तरह यार के जा को ज़दा रखने के
लए हम यार के मौसम को समझना होगा ।
ेम का वसंत
यार क शु आत वसंत क तरह होती है । हम लगता है क हम हमेशा सुखी रहगे । हम
अपने पाटनर से बेइंतहा यार करते ह, हम इस समय ब त मासूम होते ह । यार शा त
नज़र आता है । यह जा ई समय होता है । इस व त हम अपनी े मका आदश लगती है
और ेमी आदश लगता है । हम यह क पना करते ह क इससे शाद होने के बाद हमारा
जीवन वग बन जाएगा ।
ेम का ी म काल
ी म काल म हम यह महसूस होता है क हमारा पाटनर उतना आदश नह है जतना हमने
सोचा था । न सफ़ हमारा पाटनर सरे ह से आया है, ब क वह एक ऐसा इ सान है जो
ग़ल तयाँ करता है और जसम कई दोष भी ह ।
ऐसे समय म कुंठा और नराशा क घासफूस उग आती है, जसे उखाड़ना ज़ री
हो जाता है । ेम के पौधे को गम म सूखने से बचाने के लए यादा पानी दे ने क ज़ रत
होती है ।
यादातर लोग इस मौसम म आने के बाद अपने पाटनर को दोष दे ने लगते ह और
हार मान लेते ह । उ ह यह एहसास ही नह होता क ेम क राह हमेशा आसान नह होती,
कई बार तो इसम तपती गम म कड़ी मेहनत क ज़ रत भी होती है । गम के इस मौसम
म हम अपने पाटनर क ज़ रत को पूरा करने के लए सजग होना पड़ता है, और हम
जतना यार चा हए, उतने यार का आ ह करना पड़ता है । यह अपने आप नह होता ।
ेम का श शर काल
चूँ क हमने गम म अपने बगीचे क दे खभाल क थी, इस लए हम इस मौसम म अपनी
कड़ी मेहनत के अ े प रणाम मलते ह । अब हम एक अ धक प रप व ेम का अनुभव
करते ह जो अपने पाटनर क अपूणता और ग़ल तय को वीकार करता है । अब हम
अपने लगाए बाग म शां त और सुख से बैठकर अपने जीवन का आनंद ले सकते ह ।
ेम का जाड़ा
मौसम एक बार फर बदलता है और ठं ड आ जाती है । इस मौसम म पूरी कृ त आराम
करती है, अपने आपको नया करती है । ऐसे समय म हम अपने पुराने दद याद आ जाते ह
। इसी समय पु ष यादातर समय अपनी गुफा म बताते ह और म हलाएँ कुएँ क
गहराइय म चली जाती ह ।
परंतु अगर आप ेम के सहारे इस जाड़े को काट ल, तो कुछ ही समय बाद फर
आपके जीवन म ेम का वसंत आ जाएगा ।
सफल संबंध
अब आपने यह कताब पूरी पढ़ ली है । अब आप जान चुके ह क आप अपने ववाह को
पहले से अ धक सुखी और आनंददायक कस तरह बना सकते ह । परंतु म आपको
सावधान कर ँ क यार का मौसम बदलता रहता है । हम हमेशा एक ही तरह से ेम नह
कर सकते । वसंत ऋतु म ेम करना आसान होता है, परंतु ग मय म यह मु कल होता है
।
आप यह उ मीद नह कर सकते क इस पु तक क हर बात आपको याद रहेगी ।
परंतु जब अगली बार आप अपनी प नी या अपने प त से परेशान ह , तो अगर आप केवल
एक ही बात याद रख ल तो आपका काम बन जाएगा : यही क पु ष मंगल ह से आए ह
और म हलाएँ शु ह से आई ह ।
मने हज़ार लोग को इस पु तक म दए गए स ांत का पालन करके लाभा वत
होते दे खा है । कइय को तो इससे एक ही दन म फ़ायदा आ है । सचमुच यह जानना
वैवा हक जीवन के लए ब त ज़ री है क पु ष मंगल ह से आए ह और म हलाएँ शु
ह से ।