Class 10 Hindi Kshitij Chapter 13 Sarveshwar Dayal Saxena

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NCERT Solutions for Class 10

Hindi Kshitij
Chapter 13 - मानवीय करुणा की दिव्य चमक

1. फािर की उपस्थिदि िे विार की छाया जैसी क्यों लगिी िी ?


उत्तर: जिस तरह दे वदार का वृक्ष जवशाल होता है एवं सबको अपनी छाया में शरण दे कर
शीतलता प्रदान करता है ,उसी तरह फ़ादर अपने करुण व्यक्तित्व की वृहद छाया में सबको
ले कर प्रेम और वातसल्य से भर दे ते थे , एवं अगर जकसी के भी दुः ख ददद में सामान रूप से
डट कर खड़े रहते थे।

2. फािर बुल्के भारिीय सोंस्कृदि के एक अदभन्न अोंग हैं , दकस आधार पर ऐसा कहा
गया है?
उत्तर: फादर बल्के बेक्तियम से िरूर थे जकन्त भारत में आ कर उन्ोंने इसको पूणदरूप
से आत्मसात कर जलया था ,यहााँ की भाषा से ले कर परम्परा एवं त्यौहार तक उनके थे , यहां
के लोग उनको ज्यादा आत्मीय थे एवं यहााँ की संस्कृजत ही उनकी संस्कृजत थी ,उन्ोंने अपने
तन और मन से भारत को ही उनका राष्ट्र मान जलया था। इसीजलए फादर बल्के को भारतीय
संस्कृजत का एक अजभन्न अंग कहा गया है ।

3. पाठ में आए उन प्रसोंगयों का उल्लेख कीदजए दजनसे फािर बुल्के का दहों िी प्रे म प्रकट
हयिा है ।
उत्तर: फादर इलाहाबाद में "पररमल " 'नाम की संस्था से िड़े थे , िहााँ वों जहं दी साजहत्य
की रचना गोजियों में सक्तिजलत होते थे एवं अपने जवचार रखते थे ।वो दू सरे ले खकों की रचना
पढ़ते भी थे एवं उस पर अपनी राय भी दे ते थे। वो जहं दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थाजपत
दे खना चाहते थे एवं उसके जलए प्रयासरत भी रहते थे , वे जहन्दी वालों द्वारा ही जहन्दी की
उपेक्षा परदखी हो िाते । उन्ोंने "ब्लूबडद " एवं बाइबल का जहं दी अनवाद भी जकया। फ़ादर
बल्के ने जहन्दी में शोध भी जकया, जिसका जवषय था - “रामकथा: उत्पजि और जवकास।”

4. इस पाठ के आधार पर फािर कादमल बुल्के की जय छदव उभरिी है उसे अपने


शब्यों में दलस्खए।
उत्तर: फादर काजमल बल्के एक कमदयोगी थे । उनका लम्बा कद, गोरा चेहरा और नीली
आाँ खे उन्ें एक चम्बकीय आकषदण प्रदान करता था। उनका हृदय ममतत्व एवं आत्मीयता
का अंतहीन कोष था, उनके चेहरे पर दक्तखयों के जलए अप्रजतम करुणा जदखती थी। उनके
व्यक्तित्व में एक जदव्य चमक थी। वो अपने आस पास के लोगों को आशीष और प्रेम से भर
दे ते थे। वो भारत की संस्कृजत में ना ही जसफद रचे बसे थे बक्तल्क उसके दशद न को भी चररताथद

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करते थे। वो जहं दी के प्रकां ड जवद्वान थे एवं रामकथा के भी ज्ञाता थे। वो सबके ही प्रेम एवं
श्रद्धा के पात्र थे ।

5. ले खक ने फािर बुल्के कय 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' क्यों कहा है?


उत्तर: फादर बल्के का हृदय ममतत्व एवं आत्मीयता का अंतहीन कोष था, उनके चेहरे
पर दक्तखयों के जलए अप्रजतम करुणा जदखती थी। उनके ह्रदय में हर एक मानव के जलए
िगह थी। वह हर इं सान के सख - दुः ख में शाजमल होते थे ,िहााँ दसरो के सख में उनको
खशी जमलती वहीं दसरो के दुः ख बां टने में संतोष की अनभूजत होती। इसजलए ले खक ने
फादर को "मानवीय करुणा की जदव्य चमक" कहा है ।

6. फािर बुल्के ने सोंन्यासी की परों परागि छदव से अलग एक नयी छदव प्रस्तुि की है ,
कैसे?
उत्तर: िहााँ सामान्यतुः संन्यासी सभी प्रकार के मोह से दू र रहते है , खद को सामाजिक
बंधनों से अलग रख कर खद को ईश्वर से बााँ ध लेते है एवं उनकी भक्ति में ही लीन रहते है ।
वहीं फादर ने खद को समाि के हर इं सान के प्रेम से िोड़ रखा था, सब के दुः ख से दखी
होते एवं खशी को अपनी मानते । सबके ही दुः ख -सख में शाजमल होते। समाि से दू र होने
की िगह सारा समाि ही उनका पररवार हो गया था। इसजलए यह कहा िा सकता है की
फ़ादर ने सन्यासी की परम्परागत छजव से इतर एक अलग छजव प्रस्तत की।

7. आशय स्पष्ट कीदजए –


(1) नम आँ खयों कय दगनना स्याही फैलाना है।
उत्तर: उपरोि पंक्ति का आशय है की फादर की मृत्य पर शोकाकल होने वालो के नाम
जगनने का प्रयत्न भी बेकार है क्यजक फादर के व्यवक्तित्व का प्रभाव ऐसा था की शायद ही
कोई हो िो उनके इस तरह से चले िाने के शोक में न हो।

(2) फािर कय याि करना एक उिास शाोंि सोंगीि कय सुनने जैसा है ।


उत्तर: जिस तरह एक उदास संगीत मन को एक स्मृजत से भर दे ता है और मन को भी शांत
कर दे ता है , िै से की यह हमें अपने दजनया से दू र स्मृजत की एक अलग दजनया में ले िाती
है । उसी तरह फादर की स्मृजत भी मन को एक असीम शां जत प्रदान करती है एवं ले खक को
उनके स्मृजत के अलग शहर में ले िाती है ।

रचना और अदभव्यस्ि

8. आपके दवचार से बुल्के ने भारि आने का मन क्ययों बनाया हयगा ?


उत्तर: फादर बल्के ने भारत की सभ्यता एवं संस्कृजत के महिा से प्रभाजवत होकर एवं इसके
समृद्ध इजतहास और िीवन दशद न से अजभभूत हो कर ही भारत आने का मन बनाया होगा।

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9. “बहुि सुोंिर है मेरी जन्मभूदम - रे म्सचैपल।” - इस पों स्ि में फािर बुल्के की अपनी
जन्मभूदम के प्रदि कौन-सी भावनाएँ अदभव्यि हयिी हैं ? आप अपनी जन्मभूदमके
बारे में क्ा सयचिे हैं?
उत्तर: “बहुत संदर है मेरी िन्मभूजम - रे म्सचैपल।” - इस पं क्ति में फ़ादर बल्के की अपनी
िन्मभूजम के प्रजत प्रेम एवं लगाव का भाव व्यि होता है ,इस पंक्ति से यह स्पष्ट् होता है जक
फादर को अपने िन्मभूजम से जकतना प्रेम एवं लगाव था , वह उसको जकतना याद करते
थे । मनष्य भले ही कहीं भी क्यों न पहुाँ च िाये जकन्त िन्मभूजम से हमेशा ही िड़ा रहता है ,
हम भी अपनी िन्मभूजम से ऐसे ही िड़े है और उसके जलए हमारा प्रेम अनश्वर है ।हमे कभी
भी कोई ऐसा काम नहीं करना चाजहए जिससे हमारी िन्मभूजम के गौरव पर कोई आं च
आये।

भाषा अध्ययन

12. दनम्नदलस्खि वाक्यों में समुच्यबयध छाँटकर अलग दलस्खए –


(क) िब भी जब वह इलाहाबाि में िे और िब भी जब वह दिल्ली आिे िे।
उत्तर: और

(ख) माँ ने बचपन में ही घयदषि कर दिया िा दक लड़का हाि से गया।


उत्तर: जक

(ग) वे ररश्ता बनािे िे िय ियड़िे नही ों िे।


उत्तर: तो

(घ) उनके मुख से साोंत्वना के जािू भरे िय शब् सुनना एक ऐसी रयशनी से भर िे िा
िा जय दकसी गहरी िपस्या से जनमिी है ।
उत्तर: िो

(ङ् ) दपिा और भाइययों के दलए बहुि लगाव मन में नही ों िा ले दकन वय स्मृदि में अकसर
डूब जािे ।
उत्तर: ले जकन

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