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PLATINUM CLASSES

ह द
िं ी (A) बोर्ड परीक्षा 2020
क्षक्षतिज पुस्िक के म त्वपूर्ड प्रश्न और उत्तर

Chapter 1 : सूरदास

प्रश्न 1 गोपपयों के अनुसार राजा का धमड क्या ोना चाह ए?


उत्तर: गोपियों के अनस
ु ार राजा का धर्म हर तरह से अिनी प्रजा की रक्षा
करना होता है तथा नीतत से राजधर्म का िालन करना होता है । एक राजा
तभी अच्छा राजा कहलाता है जब वह अनीतत का साथ न दे कर नीतत
से प्रजा िर शासन करे ।

प्रश्न 2 उद्धव ज्ञानी थे, नीति की बािें जानिे थे; गोपपयों के पास
ऐसी कौन-सी शक्क्ि थी जो उनके वाक्चािय
ु ड में मखु िरि ो उठी?
उत्तर: गोपियों के िास श्री कृष्ण के प्रतत सच्चे प्रेर् और भक्तत की शक्तत
थी क्जस कारण उन्होंने उद्धव जैसे ज्ञानी तथा नीततज्ञ को भी अिने
वातचातुयम से हरा ददया।
प्रश्न 3 गोपपयों को कृष्र् में ऐसे कौन
से पररविडन हदिाई हदए क्जनके कारर् वे अपना मन वापस पा लेने की बा
ि क िी ैं?
उत्तर: गोपियों के अनस
ु ार श्री कृष्ण द्वारका जाकर राजनीतत के पवद्वान हो
गए हैं और अब उनके साथ राजनीतत का खेल खेल रहे हैं। उनके अनुसार
श्री कृष्ण िहले से ही चतुर थे और अब ग्रंथो का ज्ञान प्राप्त करके औऱ भी
चतरु बन गए हैं। द्वारका जाकर श्री कृष्ण का र्न बदल गया है , क्जसके
कारण उनहोंने गोपियों से मर्लने के स्थान िर योग की मशक्षा दे ने के मलए
उद्धव को भेज ददया है । श्री कृष्ण के इस कदर् से उनका हृदय बहुत
आहत हुआ है अब वह अिने को श्री कृष्ण के प्रेर् से वािस लेना चाहती
हैं।

Chapter 2 : िुलसीदास - राम लक्ष्मर् परशुराम सिंवाद

प्रश्न 1 लक्ष्मर् ने वीर योद्धा की क्या-क्या पवशेषिाएँ बिाई?


उत्तर : लक्ष्र्ण के अनुसार वीर योद्धा की तनम्नमलखखत पवशेषताएँ है
1. वीर िरु
ु ष स्वयं अिनी वीरता का बखान नहीं करते। उनका वीरतािण
ू म
कायम ही स्वयं वीरों का बखान करता है ।

2. वीर िुरुष स्वयं िर कभी अमभर्ान नहीं करते।

3. वीर िुरुष ककसी के पवरुद्ध गलत शब्दों का प्रयोग नहीं करते। वह सभी
से आदर िव
ु क
म िेश आते हैं।

4. वीर िरु
ु ष दीन-हीन, ब्राह्र्ण व गायों, दब
ु ल
म व्यक्ततयों िर अिनी वीरता
का प्रदशमन नहीं करते हैं।

5. ककसी के ललकारने िर वीर िुरुष कभी िीछे कदर् नहीं रखते और


तनडरता िूवक
म उसका जवाब दे ते हैं।

प्रश्न 2 परशरु ाम के क्रोध करने पर लक्ष्मर् ने धनष


ु के टूट जाने के ललए
कौन-कौन से िकड हदए?
उत्तर: िरशुरार् के क्रोध करने िर लक्ष्र्ण ने धनुष के टूट जाने िर
तनम्नमलखखत तकम ददए :
1. श्री रार् को तो ये धनष
ु , नए धनष
ु के सर्ान लगा।

2. श्री रार् ने धनुष तोडा नहीं बस उनके छूते ही धनुष स्वत: टूट गया।
3. इस धनष
ु को तोडते हुए उन्होंने ककसी लाभ व हातन के पवषय र्ें नहीं
सोचा था।

4. हर्ें तो यह असाधारण मशव धुनष साधारण धनुष की भाँतत लगा।

प्रश्न 3 अवधी भाषा आज ककन-ककन क्षेत्रों में बोली जािी ै?


उत्तर: अवधी भाषा उत्तर प्रदे श के कुछ इलाके जैसे की -
गोरखिुर, गोंडा, बमलया, अयोध्या आदद क्षेत्र र्ें बोली जाती है ।

Chapter 3 : दे व
( ये पाठ केवल पढने के ललए ै)
Chapter 4 : जयशिंकर प्रसाद
(ये पाठ केवल पढने के ललए ै)

Chapter 5 : सय
ू क
ड ािंि त्रत्रपाठी तनराला – उत्सा

प्रश्न 1 कपव बादल से फु ार, ररमखिम या बरसने के स्थान पर 'गरजने' के


ललए क िा ै , क्यों?
उत्तर: कपव ने बादल से फुहार, ररर्खिर् या बरसने के
स्थान िर 'गरजने' के मलए कहता है ; तयोंकक 'गरजना' पवद्रोह का प्रतीक है ।
कपव ने बादल के गरजने के र्ाध्यर् से कपवता र्ें नूतन पवद्रोह का
ऐलान ककया है ।

प्रश्न 2 कपव की आँि फागुन की सुिंदरिा से क्यों न ीिं ट र ी ै?


उत्तर: फागन
ु का र्ौसर् और दृश्य अत्यंत सन्
ु दर एवं र्नर्ोहक होता है ।
चारों तरफ का दृश्य अत्यंत हरा-भरा ददख रहा है । िेडों िर कहीं हरी तो
कही लाल िपत्तयाँ हैं, फूलों की र्ंद-र्ंद खुश्बू हृदय को र्ोदहत कर रही है ।
इसीमलए कपव की आँख फागन
ु की संद
ु रता से हट नहीं रही है ।

प्रश्न 3 फागुन में ऐसा क्या ोिा ै जो बाकी ऋिुओिं से लभन्न ोिा ै?
उत्तर: फागुन र्ें वषाम होती है क्जससे बाररश की बूँदें वातावरण को स्वच्छ
कर दे ती हैं और वातावरण संद
ु र ददखने लगता है । आसर्ान साफ़ सथ
ु रा
लगता है , वातावरण शीतल तथा शांत हो जाता है , प्रकृतत र्ें चारों
ओर हररयाली ही हररयाली होती है । इन्हीं पवशेषताओं के कारण फागुन का
र्ौसर् अन्य सभी ऋतओ
ु ं से मभन्न होता है ।

Chapter 6 : नागाजुन
ड - ये दन्िुररि मुस्काम/ फसल
प्रश्न 1 बच्चे की दिं िरु रि मस
ु कान का कपव के मन पर क्या प्रभाव पड़िा
ै?
उत्तर: बच्चे की दं तुररत र्ुसकान का कपव के र्न िर अत्यंत गहरा प्रभाव
िडता है । कपव के अनस
ु ार बच्चे की र्स
ु कान बहुत र्नर्ोहक है जो र्त

शरीर र्ें भी प्राण डाल दे ।

प्रश्न 2 मस
ु कान और क्रोध लभन्न-
लभन्न भाव ैं। इनकी उपक्स्थति से बने वािावरर् की लभन्निा का चचत्रर्
कीक्जए।
उत्तर: र्स
ु कान और क्रोध र्ानव के दो अलग-अलग स्वभावो के रुि हैं, जो
एक दस
ू रे से मभन्न हैं। इनसे वातावरण भी प्रभापवत होता है -
एक तरफ तनश्छल तथा प्रेर् िण
ू म र्ुसकान ककसी के भी हृदय को
र्ोह सकती है , यह ककसी का भी क्रोध कर् करने र्ें सक्षर् है तथा यह
र्न की प्रसन्नता का प्रतीक है । वहीीँ क्रोध व्यक्तत के र्न र्ें चल रहे
असंतोष की भावना है ।

प्रश्न 3 कपव के अनस


ु ार फसल क्या ै?
उत्तर: कपव के अनुसार फसल अनेक नददयों के िानी का जाद,ू अनेक लोगों
के हाथों के स्िशम की गररर्ा तथा खेतों की मर्ट्टी के गुण का
एकत्रत्रत िररणार् है । इसका अथामत ये है की फसल ककसी एक की र्ेहनत
का फल नहीं बक्कक इसर्ें सभी का योगदान सक्म्र्मलत है ।

Chapter 7 : चगररजाकुमार माथुर - छाया मि छूना

प्रश्न 1 'बीिी िाह त्रबसार दे आगे की सुचध ले' य भाव कपविा की ककस
पिंक्क्ि में िलकिा ै?
उत्तर: तनर्ंमलखखत िंक्ततयों से कवी का ये भाव िलकता है :
तया हुआ जो खखला फूल रस-बसंत जाने िर?

जो न मर्ला भल
ू उसे कर तू भपवष्य वरण,

प्रश्न 2 कपव ने कहठन यथाथड के पज


ू न की बाि क्यों क ी ै?
उत्तर: यथाथम र्नष्ु य जीवन के संघषों का एक कडवा सच है । बीते सर्य की
स्र्तृ तयों को याद करते रहना और अिने वतमर्ान से अंजान हो जाना र्ात्र
सर्य की बबामदी है । जीवन की कदिनाइयों को यथाथम भाव से स्वीकार
कर उन्हें अनदे खा न करना और सकारात्र्क भाव से उसका सार्ना करना
चादहए। तभी र्नुष्य स्वयं की भलाई की ओर एक कदर् उिाया सकता
है , अन्यथा सब मर्थ्या ही है । इसमलए कपव ने यथाथम के िूजन की बात
कही है ।
प्रश्न 3 छाया' शब्द य ाँ ककस सिंदभड में प्रयक्
ु ि ुआ ै ? कपव ने उसे छूने
के ललए मना क्यों ककया ै?
उत्तर: छाया शब्द से तात्ियम जीवन की बीत चुकी सुखद स्र्तृ तयाँ हैं। कपव
के अनस
ु ार हर्ारे जीवन र्ें सख
ु व दख
ु कभी एक सर्ान नहीं रहता िरन्तु
उनकी अच्छी और बुरी यादें हर्ारे र्क्स्तष्क र्ें स्र्तृ त के रुि र्ें हर्ेशा
रहती हैं। अिने वतमर्ान के कदिन िलों को बीते हुए िलों की स्र्तृ त के
साथ जोडना हर्ारे मलए बहुत कष्टिण
ू म हो सकता है । वह र्धरु स्र्तृ त हर्ें
कर्जोर बनाकर हर्ारे दख
ु को और भी कष्टदायक बना दे ती है । इसमलए
हर्ें उन सभी स्र्तृ तयों को भूलकर अिने वतमर्ान की सच्चाई को यथाथम
भाव से स्वीकार करना चादहए।

Chapter 8 : ऋिुराज – कन्यादान

प्रश्न 1 आपकी दृक्ष्ट में कन्या के साथ दान की बाि करना क ाँ िक उचच
ि ै?
उत्तर: कन्या अिने र्ाता पिता के मलए कोई वस्तु नहीं है बक्कक
एक प्यारा सम्बन्ध है । दान वस्तओ
ु ं का ककया जाता है । बेदटयों के अंदर
भावनाएँ और अक्स्तत्व होता है । पववाह के बाद उसका सम्बन्ध नए लोगों
से जड
ु ता है िरन्तु िरु ाने ररश्तों को छोड दे ना द:ु खदायक होता है ।
इसमलए: कन्या का दान कर उसे त्याग दे ना उचचत नहीं है ।

प्रश्न 2 आपके पवचार से माँ ने ऐसा क्यों क ा कक लड़की ोना पर लड़की


जैसी मि हदिाई दे ना?
उत्तर: हर्ारे सर्ाज र्ें लडकी की कोर्लता को उसका सबसे बडा गुण र्ाना
जाता है , िरन्तु लडकी की र्ाँ उसे लडकी जैसा ना ददखने अथामत ् अिनी
कर्जोरी को प्रकट ना करने से सावधान करती है तयोंकक कर्जोर
लडककयों को अतसर शोषण का मशकार होना िडता है ।

प्रश्न 3 माँ को अपनी बेटी 'अिंतिम पँज


ू ी' क्यों लग र ी थी?
उत्तर: र्ाँ और बेटी का सम्बन्ध मर्त्रतािूणम होता है । इनका सम्बन्ध सभी
सम्बन्धों से अलग होता है । र्ाँ, बेटी के साथ अिना सुख-द:ु ख बाँट लेती
है । बेटी उसके खमु शयों और कष्टों का सहारा होती है । बेटी के चले जाने के
बाद र्ाँ के जीवन र्ें खालीिन आ जाता। र्ाँ बचिन से ही अिनी बेटी का
िालन-िोषण एक र्ूकयवान सम्िपत्त की तरह करती है । इसमलए र्ाँ को
उसकी बेटी अंततर् िँज
ू ी लगती है तयोकक उसके चले जाने के बाद र्ाँ के
िास र्ुस्कुराने और दुःु ख बाटने का कोई सहारा नहीं रहे गा।

Chapter 9 : मिंगलेश र्बराल - सिंगिकार


प्रश्न 1 सफलिा के चरम लशिर पर प ु ँचने के दौरान यहद व्यक्क्ि लड़िड़ा
िा ै िब उसे स योगी ककस िर सँभालिे ैं?
उत्तर: सफलता प्राप्त करने के र्ागम िर यदद व्यक्तत लडखडाने लगता है तो
उसके सहयोगी अिने सि
ु ावों द्वारा उसके कदर्ों को नई ददशा दे ते
हैं। वह अिने र्नोबल द्वारा इसके र्नोबल को शांत कर उसका र्ागमदशमन
करते हैं। उसकी खोई आत्र्शक्तत को जगा कर उसे कफर से उिने की
दहम्र्त दे ते हैं। यही दहम्र्त उसकी प्रेरणा स्रोत बन कर यज
ू सफलता तक
िहुंचती है ।
प्रश्न 2 सिंगिकार ककन-ककन रूपों में मुख्य गायक-
गातयकाओिं की मदद करिे ैं?
उत्तर: 1. गायन के सर्य यदद र्ख्
ु य गायक-गातयका अिनी लय को
लाँघकर भटक जाते हैं तो संगतकार उस भटकाव को सँभालता है ।
2. यदद गायन के सर्य गायक-गातयका का स्वर भारी हो तो संगतकार
अिनी आवाज से उसर्ें र्धरु ता भर दे ता है ।

3. तारसप्तक के गायन के सर्य यदद गायक-गातयका का स्तर धीर्ा होने


लगता है तो संगतकार गायन र्ें अिने स्तर को मर्लाकर गतत को सुर का
साथ दे ता है ।
प्रश्न 3 ककसी भी क्षेत्र में प्रलसद्चध पाने वाले लोगों को अनेक लोग िर -
िर से अपना योगदान दे िे ैं। कोई एक उदा रर् दे कर इस कथन पर अ
पने पवचार ललखिए।
उत्तर: ककसी भी क्षेत्र र्ें प्रमसद्चध िाने वाले लोगों के संघषम
र्ें अनेक लोग तरह-तरह से योगदान दे ते हैं। जैसे प्रमसद्ध गायक-गातयका
जब प्रमसद्चध प्राप्त करते हैं तो उसर्ें एक संगीत
तनदे शक, गीतकार, तकनीकी पवशेषज्ञ, वाद्य यंत्र बजाने
वाले, संगतकार, तनर्ामता का र्हत्विूणम हाथ होता है । अगर इन सब लोगों
का सहयोग ना मर्ले तो एक गायक-गातयका अिनी प्रततभा का प्रदशमन
नहीं कर सकते।

Chapter 10 स्वयिं प्रकाश - नेिाजी का चश्मा

प्रश्न 1 सेनानी न होते हुए भी चश्र्ेवाले को लोग कैप्टन तयों कहते थे?
उत्तर: चश्र्ेवाला एक दे शभतत नागररक था। उसके र्न र्ें दे श के वीर
जवानों के प्रतत अत्यंत सम्र्ान था। इसमलए लोग उसे कैप्टन कहते थे।
प्रश्न 2 "बार-
बार सोचिे, क्या ोगा उस कौम का जो अपने दे श की िातिर घर-ग ृ स्थी-
जवानी-क् िंदगी सब कुछ
ोम दे नेवालों पर भी ँसिी ै और अपने ललए त्रबकने के मौके ढूँढ़िी ै ।"
उत्तर: दे शभतत नेताओं ने दे श को आजादी ददलाने के मलए अिनी हर
कोमशश की तथा अिना सवमस्व दे श के प्रतत सर्पिमत कर ददया। आज
हर्ारा दे श उन्हीं के कारण आजाद हुआ है । यदद ककसी के र्न र्ें ऐसे
दे शभततों के मलए सम्र्ान की भावना नहीं है , वे उनकी दे शभक्तत िर हँसते
हैं तो यह एक तनराशाजनक क्स्थतत है । ऐसे लोग मसफ़म अिने बारे र्ें सोचते
हैं और स्वाथी स्वाभाव के होते है । लेखक ऐसे लोगों िर अिना क्षोभ व्यतत
करते हैं।

प्रश्न 3 तनम्नललखिि वाक्य पात्रों की कौन-


सी पवशेषिा की ओर सिंकेि करिे ैं -
1) ालदार सा ब मेशा चौरा े पर रुकिे और नेिाजी को तन ारिे।
2) कैप्टन बार-बार मतू िड पर चश्मा लगा दे िा था।
उत्तर: 1)
(क) हालदार साहब दे शभतत थे।

(ख) नेताजी के रोज बदलते चश्र्े को दे खने के मलए वे उत्सुक थे।

(ग) नेताजी को िहनाए गए चश्र्े के र्ाध्यर् से वे कैप्टन की दे शभक्तत


दे खकर खुश होते थे।
2 (क) नेताजी के मलए उसके र्न र्ें सम्र्ान की भावना थी। इसमलए
नेताजी को चश्र्े के त्रबना दे खकर उसे अच्छा नहीं लगता था।
(ख) वह एक दे शभतत था।

(ग) आचथमक गरीबी के कारण वह नेताजी को स्थाई रुि से चश्र्ा नहीं


िहना िाता था।

Chapter 11 : रामवक्ष
ृ बेनीपुरी - बालगोत्रबन भगि

प्रश्न 1 भगि की पत्र


ु वधू उन् ें अकेले क्यों न ीिं छोड़ना चा िी थी?
उत्तर: भगत की िुत्रवधू उन्हें अकेले छोडकर नहीं जाना चाहती थी तयोंकक
भगत के बुढािे का वह एकर्ात्र सहारा थी। उसके चले जाने के बाद भगत
की दे खभाल करने के मलए कोई और नहीं था।
प्रश्न
2 भगि ने अपने बेटे की मत्ृ यु पर अपनी भावनाएँ ककस िर व्यक्ि कीिं?
उत्तर: बेटे की र्त्ृ यु िर भगत ने उसके र्त
ृ शरीर को एक चटाई िर मलटा
े़
कर उसे सफेद चादर से ढक ददया और गीत गाकर अिनी भावनाएँ व्यतत
की। उनके अनुसार उनके िुत्र की आत्र्ा िरर्ात्र्ा के िास चली
गई, पवरहतन अिने प्रेर्ी से जा मर्ली। यह आनंद की बात है , इससे द:ु खी
नहीं होना चादहए।
प्रश्न
3 बालगोत्रबन भगि की हदनचयाड लोगों के अचरज का कारर् क्यों थी?
उत्तर: वद्
ृ ध होते हुए भी उनकी स्फूततम र्ें कोई कर्ी नहीं थी। सदी के
र्ौसर् र्ें भी, भरे बादलों वाले भादों की आधी रात र्ें भी वे भोर र्ें सबसे
िहले उिकर गाँव से दो र्ील दरू क्स्थत गंगा स्नान करने जाते थे, खेतों र्ें
अकेले ही खेती करते तथा गीत गाते रहते। पविरीत िररक्स्थतत होने के बाद
भी उनकी ददनचयाम र्ें कोई िररवतमन नहीं आता था। एक वद्
ृ ध र्ें अिने
कायम के प्रतत इतनी सजगता को दे खकर लोग दं ग रह जाते थे।

Chapter 12 : यशपाल - लिनवी अिंदा

प्रश्न 1 लेिक को नवाब सा ब के ककन ाव-भावों से म सस


ू ु आ कक वे
उनसे बािचीि करने के ललए ितनक भी उत्सुक न ीिं ैं?
उत्तर: लेखक के अचानक डडब्बे र्ें कूद िडने से नवाब-साहब की आँखों र्ें
उनके एकांत चचंतन र्ें पवघ्न िड जाने का असंतोष ददखाई ददया। लेखक
के आने िर नवाब साहब ने नयी संगतत के मलए कोई पवशेष उत्साह नहीं
ददखाया। इससे लेखक को स्वयं के प्रतत नवाब साहब की उदासीनता का
आभास हुआ।
प्रश्न
2 त्रबना पवचार, घटना और पात्रों के भी क्या क ानी ललिी जा सकिी ै।
यशपाल के इस पवचार से आप क ाँ िक स मि ैं?
उत्तर: अिने इस कथन के द्वारा लेखक ने नई कहानी के दौर के लेखकों
िर व्यंग ककया है । ककसी भी कहानी की रचना उसके
आवश्यक घटनाकर्म, िात्र आदद के त्रबना अधूरी होती है । घटना तथा
कथावस्तु कहानी को आगे बढाते हैं, िात्रों द्वारा संवाद कहे जाते हैं। ये
कहानी के मलए आवश्यक तत्व हैं।

प्रश्न 3 क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप ो सकिा ै?


उत्तर: सनक के दो रुि होते हैं - सकारात्र्क और नकारात्र्क। नकारात्र्क
सनक ककसी व्यक्तत को सर्ाज र्ें हँसी का िात्र बना दे ता है वहीं सनक
का सकारात्र्क िक्ष उसे रातों-रात प्रमसद्धी प्राप्त करा दे ता है ।

Chapter 13 : सवेश्वर दयाल सक्सेना - मानवीय करुना की हदव्य चमक

प्रश्न 1 फादर की उपक्स्थति दे वदार की छाया जैसी क्यों लगिी थी?


उत्तर: दे वदार का वक्ष
ृ आकार र्ें लंबा-चौडा होता है तथा छायादार भी होता
है । फ़ादर बुकके का व्यक्ततत्व भी दे वदार के वक्ष
ृ जैसा ही है । क्जस प्रकार
दे वदार का वक्ष
ृ पवशाल होने के कारण लोगों को छाया दे कर शीतलता प्रदान
करता है उसी प्रकार फ़ादर बक
ु के भी अिने शरण र्ें आए लोगों को आश्रय
दे ते थे। वह उनके द:ु ख के सर्य र्ें सांत्वना के वचनों द्वारा उनको
शीतलता प्रदान करते थे।
प्रश्न
2 लेिक ने फादर बुल्के को 'मानवीय करुर्ा की हदव्य चमक' क्यों क ा ै
?
उत्तर: फ़ादर बुकके र्ानवीय करुणा की प्रततर्ा थे। उनके र्न र्ें सभी के
मलए प्रेर् भाव था जो कक उनके चेहरे िर स्िष्ट ददखाई दे ता था।
आिदा की घडी र्ें वे सांत्वना के दो बोल द्वारा ककसी भी र्नष्ु य का
धीरज बंधा दे ते थे। ककसी भी र्ानव का द:ु ख उनसे दे खा नहीं जाता था।
उसके कष्ट दरू करने के मलए वे यथाशक्तत प्रयास करते थे।
प्रश्न
3 “ फादर को याद करना एक उदास शािंि सिंगीि को सुनने जैसा ै ।” इस
पिंक्क्ि का आशय स्पष्ट कीक्जए
उत्तर: फ़ादर को याद करके द:ु ख होता है और यह द:ु ख एक उदास शांत
संगीत की तरह हृदय िर छाि छोड जाता है । उनको याद कर र्न द:ु खी हो
जाता है ।

Chapter 14 : मन्नू भिंर्ारी - एक क ानी य भी


प्रश्न
1 इस आत्र्कथ्य र्ें लेखखका के पिता ने रसोई को 'भदटयारखाना' कहकर
तयों संबोचधत ककया है ?
उत्तर: 'भदटयारखाना' शब्द भट्टी (चक
ू हा) शब्द से बना है । लेखखका के पिता
का र्ानना था कक चूकहे के संिकम र्ें आकर उनकी बेटी की प्रततभा नष्ट हो
जाएगी। रोटी िकाने से उसकी दे श तथा सर्ाज की सर्ि पवकमसत नहीं
हो िाएगी। इसमलए लेखखका के पिता ने रसोई को 'भदटयारखाना' कहकर
संबोचधत ककया।

प्रश्न 2 व कौन-
सी घटना थी क्जसके बारे में सन
ु ने पर लेखिका को न अपनी आँिों पर पव
श्वास ो पाया और न अपने कानों पर?
उत्तर: लेखिका के कॉमलज के ददनों र्ें एक बार उनके पिता जी के नार्
पप्रंमसिल का ित्र आया क्जसर्े उनकी ित्र
ु ी की गततपवचधयों के कारण उसे
उचचत दं ड ददया जाए या न ददया जाए के सन्दभम र्ें बाते मलखी गयी थी।
इस िर लेखखका के पिताजी को लगा जैसे लेखखका ने कोई ऐसा अिराध
ककया है क्जससे खानदान की प्रततष्िा खराब हो सकती है । इस कारण वे
गुस्से र्ें पप्रंमसिल से मर्लने गए। िरन्तु पप्रंमसिल से मर्लने और असली
अिराध के िता चलने िर लेखखका के पिता को अिनी बेटी से कोई
मशकायत नहीं रही। पिताजी के व्यवहार र्ें िररवतमन दे ख लेखखका को न तो
अिने आँखों िर भरोसा हुआ और न ही अिने कानों िर।

प्रश्न 3 लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ चगल्ली र्िंर्ा िथा
पििंग उड़ाने जैसे िेल भी िेले ककिंिु लड़की ोने के कारर् उनका दायरा घर
की चारदीवारी िक सीलमि था। क्या आज भी लड़ककयों के ललए क्स्थतियाँ
ऐसी ी ैं या बदल गई ैं, अपने पररवेश के आधार पर ललखिए।
उत्तर: उस सर्य र्ें लेखखका को खेलने तथा िढने की आजादी तो थी
लेककन अिने पिता द्वारा तनधामररत गाँव की सीर्ा तक ही। लेककन आज के
सर्य र्ें क्स्थतत काफी बदल गई है । आज लडककयाँ एक शहर से दस
ू रे
शहर मशक्षा ग्रहण करने और कार् करने के मलए जाती हैं। मसफम दस
ु रे शहर
नहीं बक्कक आज भारतीय र्दहलाएँ पवदे शों तक और अंतररक्ष जाकर
दतु नया र्ें अिने भारत का नार् रौशन कर रही हैं। िरन्तु आज भी कुछ
गाँव और िररवारर्ें लडककयों को बहार जाने के स्वंतत्रता नहीं हैं।

Chapter 15 : म ावीर प्रसाद द्पववेदी - स्त्री लशक्षा के पवरोधी


( ये पाठ केवल पढने के ललए ै)

Chapter 16 : यिीन्र लमश्र - नोबििाने में इबादि


प्रश्न 1 सपु षर-
वाद्यों से क्या अलभप्राय ै ? श नाई को 'सुपषर वाद्यों में शा ' की उपाचध
क्यों दी गई ोगी?
उत्तर: अरब दे शो र्ें फँू ककर बजाए जाने वाले वाद्य क्जसर्ें नाडी (नरकट
या रीड) होती है , को 'सुपषर-वाद्य' कहते हैं। शहनाई भी एक सुपषर
वाद्य है । यह अन्य सभी सुपषर वाद्यों र्ें श्रेष्ि है । इसमलए शहनाई
को 'सपु षर-वाद्यों' र्ें शाह' कहा जाता है ।

प्रश्न 2 काशी में ो र े कौन-


से पररविडन त्रबक्स्मल्ला िाँ को व्यचथि करिे थे?
उत्तर: काशी से बहुत सी िरं िराएँ लप्ु त हो रही है । संगीत, सादहत्य और
नत्ृ य की िरं िरा र्ें भी धीरे -धीरे कर्ी आ गई है । इन सब के साथ साथ
अब काशी से धर्म की प्रततष्िा भी लुप्त होती जा रही है । वहाँ दहंद ु और
र्स
ु लर्ानों र्ें िहले जैसा भाईचारा नहीं है । िहले काशी खानिान की चीजों
के मलए पवख्यात हुआ करता था। िरन्तु अब उनर्ें िररवतमन हुए हैं। काशी
की इन सभी लुप्त होती िरं िराओं के कारण त्रबक्स्र्कला खाँ द:ु खी थे।

प्रश्न
3 'मेरे माललक सुर बख्श दे । सरु में व िासीर पैदा कर कक आँिों से स
च्चे मोिी की िर अनगढ़ आँसू तनकल आएँ।' का आश्रय स्पष्ट कीक्जये
उत्तर: त्रबक्स्र्कला खाँ िाँचों वतत नर्ाज के बाद खद
ु ा से सच्चा सरु िाने की
प्राथमना करते थे। वे खुदा से दआ
ु करते थे की उनके सुर र्ें इतनी ताकत
हो कक उसे सुनने वालों की आँखों से सच्चे र्ोती की तरह आँसू तनकल
जाए। और यही उनके सरु की सच्ची कार्याबी होगी।

Chapter 17 : भन्दि आनिंद कोसल्यायन - सिंस्कृति


( ये पाठ केवल पढने के ललए ै)

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