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Hindi A Kshitiz
Hindi A Kshitiz
ह द
िं ी (A) बोर्ड परीक्षा 2020
क्षक्षतिज पुस्िक के म त्वपूर्ड प्रश्न और उत्तर
Chapter 1 : सूरदास
प्रश्न 2 उद्धव ज्ञानी थे, नीति की बािें जानिे थे; गोपपयों के पास
ऐसी कौन-सी शक्क्ि थी जो उनके वाक्चािय
ु ड में मखु िरि ो उठी?
उत्तर: गोपियों के िास श्री कृष्ण के प्रतत सच्चे प्रेर् और भक्तत की शक्तत
थी क्जस कारण उन्होंने उद्धव जैसे ज्ञानी तथा नीततज्ञ को भी अिने
वातचातुयम से हरा ददया।
प्रश्न 3 गोपपयों को कृष्र् में ऐसे कौन
से पररविडन हदिाई हदए क्जनके कारर् वे अपना मन वापस पा लेने की बा
ि क िी ैं?
उत्तर: गोपियों के अनस
ु ार श्री कृष्ण द्वारका जाकर राजनीतत के पवद्वान हो
गए हैं और अब उनके साथ राजनीतत का खेल खेल रहे हैं। उनके अनुसार
श्री कृष्ण िहले से ही चतुर थे और अब ग्रंथो का ज्ञान प्राप्त करके औऱ भी
चतरु बन गए हैं। द्वारका जाकर श्री कृष्ण का र्न बदल गया है , क्जसके
कारण उनहोंने गोपियों से मर्लने के स्थान िर योग की मशक्षा दे ने के मलए
उद्धव को भेज ददया है । श्री कृष्ण के इस कदर् से उनका हृदय बहुत
आहत हुआ है अब वह अिने को श्री कृष्ण के प्रेर् से वािस लेना चाहती
हैं।
3. वीर िुरुष ककसी के पवरुद्ध गलत शब्दों का प्रयोग नहीं करते। वह सभी
से आदर िव
ु क
म िेश आते हैं।
4. वीर िरु
ु ष दीन-हीन, ब्राह्र्ण व गायों, दब
ु ल
म व्यक्ततयों िर अिनी वीरता
का प्रदशमन नहीं करते हैं।
2. श्री रार् ने धनुष तोडा नहीं बस उनके छूते ही धनुष स्वत: टूट गया।
3. इस धनष
ु को तोडते हुए उन्होंने ककसी लाभ व हातन के पवषय र्ें नहीं
सोचा था।
Chapter 3 : दे व
( ये पाठ केवल पढने के ललए ै)
Chapter 4 : जयशिंकर प्रसाद
(ये पाठ केवल पढने के ललए ै)
Chapter 5 : सय
ू क
ड ािंि त्रत्रपाठी तनराला – उत्सा
प्रश्न 3 फागुन में ऐसा क्या ोिा ै जो बाकी ऋिुओिं से लभन्न ोिा ै?
उत्तर: फागुन र्ें वषाम होती है क्जससे बाररश की बूँदें वातावरण को स्वच्छ
कर दे ती हैं और वातावरण संद
ु र ददखने लगता है । आसर्ान साफ़ सथ
ु रा
लगता है , वातावरण शीतल तथा शांत हो जाता है , प्रकृतत र्ें चारों
ओर हररयाली ही हररयाली होती है । इन्हीं पवशेषताओं के कारण फागुन का
र्ौसर् अन्य सभी ऋतओ
ु ं से मभन्न होता है ।
Chapter 6 : नागाजुन
ड - ये दन्िुररि मुस्काम/ फसल
प्रश्न 1 बच्चे की दिं िरु रि मस
ु कान का कपव के मन पर क्या प्रभाव पड़िा
ै?
उत्तर: बच्चे की दं तुररत र्ुसकान का कपव के र्न िर अत्यंत गहरा प्रभाव
िडता है । कपव के अनस
ु ार बच्चे की र्स
ु कान बहुत र्नर्ोहक है जो र्त
ृ
शरीर र्ें भी प्राण डाल दे ।
प्रश्न 2 मस
ु कान और क्रोध लभन्न-
लभन्न भाव ैं। इनकी उपक्स्थति से बने वािावरर् की लभन्निा का चचत्रर्
कीक्जए।
उत्तर: र्स
ु कान और क्रोध र्ानव के दो अलग-अलग स्वभावो के रुि हैं, जो
एक दस
ू रे से मभन्न हैं। इनसे वातावरण भी प्रभापवत होता है -
एक तरफ तनश्छल तथा प्रेर् िण
ू म र्ुसकान ककसी के भी हृदय को
र्ोह सकती है , यह ककसी का भी क्रोध कर् करने र्ें सक्षर् है तथा यह
र्न की प्रसन्नता का प्रतीक है । वहीीँ क्रोध व्यक्तत के र्न र्ें चल रहे
असंतोष की भावना है ।
प्रश्न 1 'बीिी िाह त्रबसार दे आगे की सुचध ले' य भाव कपविा की ककस
पिंक्क्ि में िलकिा ै?
उत्तर: तनर्ंमलखखत िंक्ततयों से कवी का ये भाव िलकता है :
तया हुआ जो खखला फूल रस-बसंत जाने िर?
जो न मर्ला भल
ू उसे कर तू भपवष्य वरण,
प्रश्न 1 आपकी दृक्ष्ट में कन्या के साथ दान की बाि करना क ाँ िक उचच
ि ै?
उत्तर: कन्या अिने र्ाता पिता के मलए कोई वस्तु नहीं है बक्कक
एक प्यारा सम्बन्ध है । दान वस्तओ
ु ं का ककया जाता है । बेदटयों के अंदर
भावनाएँ और अक्स्तत्व होता है । पववाह के बाद उसका सम्बन्ध नए लोगों
से जड
ु ता है िरन्तु िरु ाने ररश्तों को छोड दे ना द:ु खदायक होता है ।
इसमलए: कन्या का दान कर उसे त्याग दे ना उचचत नहीं है ।
प्रश्न 1 सेनानी न होते हुए भी चश्र्ेवाले को लोग कैप्टन तयों कहते थे?
उत्तर: चश्र्ेवाला एक दे शभतत नागररक था। उसके र्न र्ें दे श के वीर
जवानों के प्रतत अत्यंत सम्र्ान था। इसमलए लोग उसे कैप्टन कहते थे।
प्रश्न 2 "बार-
बार सोचिे, क्या ोगा उस कौम का जो अपने दे श की िातिर घर-ग ृ स्थी-
जवानी-क् िंदगी सब कुछ
ोम दे नेवालों पर भी ँसिी ै और अपने ललए त्रबकने के मौके ढूँढ़िी ै ।"
उत्तर: दे शभतत नेताओं ने दे श को आजादी ददलाने के मलए अिनी हर
कोमशश की तथा अिना सवमस्व दे श के प्रतत सर्पिमत कर ददया। आज
हर्ारा दे श उन्हीं के कारण आजाद हुआ है । यदद ककसी के र्न र्ें ऐसे
दे शभततों के मलए सम्र्ान की भावना नहीं है , वे उनकी दे शभक्तत िर हँसते
हैं तो यह एक तनराशाजनक क्स्थतत है । ऐसे लोग मसफ़म अिने बारे र्ें सोचते
हैं और स्वाथी स्वाभाव के होते है । लेखक ऐसे लोगों िर अिना क्षोभ व्यतत
करते हैं।
Chapter 11 : रामवक्ष
ृ बेनीपुरी - बालगोत्रबन भगि
प्रश्न 2 व कौन-
सी घटना थी क्जसके बारे में सन
ु ने पर लेखिका को न अपनी आँिों पर पव
श्वास ो पाया और न अपने कानों पर?
उत्तर: लेखिका के कॉमलज के ददनों र्ें एक बार उनके पिता जी के नार्
पप्रंमसिल का ित्र आया क्जसर्े उनकी ित्र
ु ी की गततपवचधयों के कारण उसे
उचचत दं ड ददया जाए या न ददया जाए के सन्दभम र्ें बाते मलखी गयी थी।
इस िर लेखखका के पिताजी को लगा जैसे लेखखका ने कोई ऐसा अिराध
ककया है क्जससे खानदान की प्रततष्िा खराब हो सकती है । इस कारण वे
गुस्से र्ें पप्रंमसिल से मर्लने गए। िरन्तु पप्रंमसिल से मर्लने और असली
अिराध के िता चलने िर लेखखका के पिता को अिनी बेटी से कोई
मशकायत नहीं रही। पिताजी के व्यवहार र्ें िररवतमन दे ख लेखखका को न तो
अिने आँखों िर भरोसा हुआ और न ही अिने कानों िर।
प्रश्न 3 लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ चगल्ली र्िंर्ा िथा
पििंग उड़ाने जैसे िेल भी िेले ककिंिु लड़की ोने के कारर् उनका दायरा घर
की चारदीवारी िक सीलमि था। क्या आज भी लड़ककयों के ललए क्स्थतियाँ
ऐसी ी ैं या बदल गई ैं, अपने पररवेश के आधार पर ललखिए।
उत्तर: उस सर्य र्ें लेखखका को खेलने तथा िढने की आजादी तो थी
लेककन अिने पिता द्वारा तनधामररत गाँव की सीर्ा तक ही। लेककन आज के
सर्य र्ें क्स्थतत काफी बदल गई है । आज लडककयाँ एक शहर से दस
ू रे
शहर मशक्षा ग्रहण करने और कार् करने के मलए जाती हैं। मसफम दस
ु रे शहर
नहीं बक्कक आज भारतीय र्दहलाएँ पवदे शों तक और अंतररक्ष जाकर
दतु नया र्ें अिने भारत का नार् रौशन कर रही हैं। िरन्तु आज भी कुछ
गाँव और िररवारर्ें लडककयों को बहार जाने के स्वंतत्रता नहीं हैं।
प्रश्न
3 'मेरे माललक सुर बख्श दे । सरु में व िासीर पैदा कर कक आँिों से स
च्चे मोिी की िर अनगढ़ आँसू तनकल आएँ।' का आश्रय स्पष्ट कीक्जये
उत्तर: त्रबक्स्र्कला खाँ िाँचों वतत नर्ाज के बाद खद
ु ा से सच्चा सरु िाने की
प्राथमना करते थे। वे खुदा से दआ
ु करते थे की उनके सुर र्ें इतनी ताकत
हो कक उसे सुनने वालों की आँखों से सच्चे र्ोती की तरह आँसू तनकल
जाए। और यही उनके सरु की सच्ची कार्याबी होगी।
PLATINUM CLASSES