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बढ

ू ़ी काकी

प्रश्नोत्तर

1.’लाडल़ी’ के नाम की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-‘लाडल़ी’ ने काकी के प्रतत अपना लाड़-प्यार न्यौछावर करके अपने


नाम को सार्थक कर दिया। तनस्वार्थ भाव से ककया गया त्याग उसके
नाम को सार्थक करता है।

2.इस कहानी में आपको कौन- सा पात्र सबसे अच्छा लगा और क्यों?

उत्तर-इस कहानी में लाडल़ी का पात्र अच्छा लगा। क्योंकक बाल्यावस्र्ा


में ह़ी तनस्वार्थ प्रेम और समपथण की भावना उसके मन में र्ी।

3.बूढ़ी काकी को आिर से भोिन खिलाया िाता तो वह भगवान के भोग


लगाने से कम नह़ीीं र्ा? तकथ सदहत समझाइए।

उत्तर-यह कर्न उचित है। आत्मा परमात्मा का ह़ी अींश होती है। ककसी
िरूरतमींि की मिि या सहायता करना भी भगवान की पि
ू ा या भोग
लगाने के समान ह़ी है।

4.लाडल़ी का स्वार्थ कैसे परमार्थ में बिल गया?

उत्तर- लाडल़ी अपने भाइयों से अपने दहस्से की ममठाई को बिाने के मलए


काकी के पास बैठ कर िाती र्ी। उसे काकी को भी कुछ दहस्सा िे ना ह़ी
पड़ता र्ा, किर भी उसे कुछ ममठाई िाने को ममल िाती र्ी। यह
उसका स्वार्थ र्ा लेककन िब अपना दहस्सा बिा कर काकी को खिला
िे ती तब उसे और िुशी ममलती र्ी वह उसका परमार्थ र्ा।

5.कौन-सा दृश्य िे िकर रूपा का ह्रिय पश्िाताप करने लगा?

उत्तर-रूपा ने िब काकी को झठ
ू ी पत्तलें िाटते िे िा तो वह िि
ु ी हो गई।
उसे लगा कक उसे अपने ककए की बहुत बड़ी सजा ममलनी वाल़ी है।
आत्मग्लातन ने उसे इतना िि
ु ी कर दिया कक उसका व्यवहार और सोि
िोनों ह़ी बिल गई। उसे अपने ककए पर पश्िाताप होने लगा।

6.बद्
ु चि राम ने िो ककया, क्या ऐसा करना उचित र्ा? तकथ सदहत उत्तर
ल़ीजिए।

उत्तर- बुद्चिराम ने िो ककया वह अनुचित र्ा। काकी की सींपत्तत्त को


अपने नाम मलिवाकर इस प्रकार उनके सार् िव्ु यथवहार करना सवथर्ा
अनचु ित है।

7.ककसी से वािा करके उससे पीछे हटने से सामाजिक व्यवस्र्ा


िरमरा ने लगती है, क्यों?

उत्तर-इस प्रकार वािा करके पीछे हटना सवथर्ा अनुचित है । लोगों में
परस्पर प्रेम के सार् एक-िस
ू रे पर त्तवश्वास होना बहुत जरूऱी है ।
समाि की नीींव त्तवश्वास पर ह़ी दटकी रहती है । स्वार्थ में सब गड़बड़
हो िाता है, और अत्तवश्वास का वक्ष
ृ िलने- िूलने लगता है ।

8. तनम्न पींजक्तयों का आशय स्पष्ट कीजिए-


ि)र्ोड़ी-सी वर्ाथ ठीं डक के स्र्ान पर गमी पैिा कर िे ती है , उसी
तरह इन र्ोड़ी पूडड़यों ने काकी की क्षुिा और इच्छा को उत्तेजित
कर दिया र्ा।
उत्तर-लाडल़ी की ि़ी हुई र्ोड़ी- सी पडू ड़यों ने काकी की भि
ू और
इच्छा को और िगा दिया र्ा। िैसे तेज गमी के बाि र्ोड़ी सी
बाररश राहत की बिाय और गमी बढा िे ती है , वैसे ह़ी काकी की
भूि कम होने की बिाय और भड़क उठी।

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