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2. शैिान का हाल क्या हो गया र्ा और क्यों? शाहे रूम भीख माँग-माँगकर क्यों मर गया ? इससे हमें
क्या शशक्षा शमलिी है ?
उत्तर: शैिान को स्िगथ से नरक में धकेल कदया गया र्ा क्योंकक उसे यह अशभमान हो गया र्ा कक ईश्वर
का उससे बढकर सच्चा भि कोई है ह नह ीं। शाहे रूम भीख माँग-माँगकर इसशलए मर गया कक उसने भी
एक बार अहीं कार ककया र्ा l इससे हमें यह शशक्षा शमलिी है कक कभी भी अशभमान नह ीं करना चाकहए।
अपनी मेहनि से ह जज़ींदगी में सिलिा प्राप्त होिी है ।
3. सालाना इजतिहान में फ़ेल होने के बाद बडे भाई ने पढाई के शलए ककस प्रकार पररश्रम ककया?
उत्तर: बडे भाई साहब ने पढाई के शलए कदन-राि प्राणाींिक पररश्रम ककया। िे कोसथ का एक-एक शब्द चाट
गए र्े। िे राि को दस बिे िक पढिे, किर सुबह चार बिे उठकर पढिे और स्कूल िाने से पहले छः से
साढे नौ बिे िक पढिे। पढिे-पढिे उनकी मुद्रा भी शनस्िेि हो गई र्ी।
6. बडे भाई साहब अींग्रेज़ी के बारे में क्या नसीहि दे िे रहिे र्े?
उत्तर: बडे भाई साहब अींग्रेज़ी के बारे में छोटे भाई को यह नसीहि दे िे रहिे र्े कक अींग्रेज़ी पढना कोई
हँ सी-खेल नह ीं है । उसे पढने के शलए राि-कदन आँखें िोडनी पडिी हैं और खून िलाना पडिा है । ऐरा-गैरा
नत्र्ू खैरा अींग्रेज़ी नह ीं पढ सकिा। बडे -बडे द्धिद्वान भी शुि अींग्रेज़ी नह ीं शलख पािे, बोलना िो दरू । अींग्रज़
े ी
पढने-समझने के शलए ककठन पररश्रम करना पडिा है । िे अपना उदाहरण भी दे िे हैं ।
7. लेखक को बाज़ार में पिींग लूटिे दे खकर बडे भाई साहब ने उसे कैसे डाँटा?
उत्तर: एक कदन िब छोटा भाई पिींग लूटने के शलए दौड रहा र्ा िो बाज़ार से लौटिे अपने बडे भाई
साहब से टकरा गया। बडे भाई साहब उसे दे खिे ह क्रोशधि हो गए। उन्होंने उसे डाँटिे हुए कहा कक अब
िह जिस आठिीीं कक्षा में है , िह कोई छोट कक्षा नह ीं है । उसे अपनी पोज़ीशन का ख्याल रखना चाकहए।
इस कक्षा को पास करके िो पहले ज़माने में लोग नायब िहसीलदार बन िाया करिे र्े और आि भी
अनेक आठिीीं पास करने िाले लीडर और समाचार-पत्रों के सींपादक हैं l अिः उसे अब इस आठिीीं कक्षा में
आने पर बाज़ार लडकों के सार् पिींग लूटिे घूमना शोभा नह ीं दे िा l उसे अब इस प्रकार नह ीं घूमना
चाकहए।
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8. ‘बडे भाई साहब’ पाठ में आदशथ जस्र्शि को बनाए रखने के िेर में बडे भाई साहब का बचपना शिरोकहि
हो िािा है । कैसे?
उत्तर: प्रस्िुि पाठ में एक बडे भाई साहब हैं , िो हैं िो छोटे ह , लेककन घर में उनसे छोटा एक भाई और
है । उससे उम्र में केिल कुछ साल बडा होने के कारण उनसे बड -बड अपेक्षाएँ की िािी हैं । बडा होने के
नािे िे खुद भी यह चाहिे और कोशशश करिे हैं कक िे िो कुछ भी करें , िह छोटे भाई के शलए एक
शमसाल का काम करे । इस आदशथ जस्र्शि को बनाए रखने के िेर में बडे भाई साहब का बचपना शिरोकहि
हो िािा है ।
9. ‘िह स्िभाि से अध्ययनशील र्े।’ - इस कर्न में शछपा व्यींग्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इस कर्न में गहरा व्यींग्य है । बडा भाई प्रकट रूप में बहुि अध्ययनशील िान पडिा र्ा l िब भी
दे खो, ऐसा लगिा र्ा कक िह ककिाबों में ह घुसा रहिा हो l यहाँ िक कक उसने पढ-पढ कर अपना चेहरा
िेिह न कर डाला र्ा। ककींिु उसका अध्ययन एक कदखािा मात्र र्ा। िह समझिा िो कुछ र्ा ह नह ीं,
केिल रटिा रहिा र्ा l िब रटिे-रटिे बोर हो िािा र्ा िो ककिाबों और कॉद्धपयों पर बेकार की िस्िीरें
बनािा या शब्द-रचना करिा रहिा र्ा। िह अपनी मींद प्रशिभा को उपदे श दे कर शछपाने का प्रयास करिा
र्ा।
11. लेखक के अनुसार बडे भाई की रचनाओीं को समझना उसके शलए छोटा मुह
ँ बड बाि र्ी। कैसे?
उत्तर: छोटे भाई का कहना है कक बडे भाई साहब स्िभाि से बडे ह अध्ययनशील र्े। िे हरदम ककिाबें
खोले बैठे रहिे और शायद कदमाग को आराम दे ने के शलए कभी कॉपी पर, ककिाब के हाशशयों पर शचकडयों,
कुत्तों, द्धबजल्लयों की िस्िीरें बनाया करिे र्े। कभी-कभी एक ह नाम या शब्द या िाक्य दस-बीस बार
शलख डालिे। कभी एक शेर को बार-बार सुद
ीं र अक्षरों में नकल करिे। कभी ऐसी शब्द-रचना करिे, जिसमें
न कोई अर्थ होिा, न कोई सामींिस्य l मसलन एक बार उनकी कॉपी पर लेखक ने यह इबारि दे खी -
स्पेशल, अमीना, भाइयों-भाइयों, दरअसल, भाई-भाई। राधेश्याम, श्रीयुि राधेश्याम, एक घींटे िक - इसके बाद
एक आदमी का चेहरा बना हुआ र्ा। लेखक ने बहुि चेष्टा की कक इस पहे ली का कोई अर्थ शनकाले, लेककन
असिल रहा और उनसे पूछने का साहस न हुआ। िह नौिीीं िमाि में र्े, लेखक पाँचिीीं में l उनकी
रचनाओीं को समझना उसके शलए छोटा मुह
ँ बड बाि र्ी l
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12. बडा भाई छोटे भाई पर शासन करने के शलए कौन-कौन से उपाय करिा है ?
उत्तर: बडा भाई छोटे भाई पर शासन करने के शलए शनतनशलजखि उपाय करिा है :
• लेखक द्वारा मनमानी करने पर िह उसे घमींड नह ीं करने की सीख दे िा है । िह रािण, शैिान,
शाहे रूम िैसे बडे -बडे अशभमाशनयों की फ़ज़ीहि के उदाहरण दे िा है ।
• िह ककिाबी शशक्षा की बिाय िीिन के अनुभि को अशधक काम की चीज़ बिािा है l
• िह इशिहास, रे खागजणि और शनबींध-लेखन की शशक्षा को व्यर्थ बिािा है ।
• िह भाई द्वारा न पढने पर और खेलने में मन लगाने पर लींबे-लींबे भार्ण दे िा है । उस भार्ण में
अपने फ़ेल होने का, पढाई के ककठन होने का, स्ियीं के खेल-कूद से दरू रहने का उदाहरण दे िा है
l
• िह हमेशा छोटे भाई के खेल-कूद और स्िच्छीं दिा पर शनयींत्रण रखिा है । उससे रोज़ सिाल पूछिा
है कक िह कहाँ गया र्ा l
• स्ियीं फ़ेल होने पर िह सिलिा की बिाय बुद्धि के द्धिकास को महत्त्िपूणथ बिािा है । किर िह
अपने ज्ञान की ड ींग हाँककर उस पर हािी होिा है ।
• िह आचरण की मकहमा और गौरि को महत्त्िपूणथ बिाकर छोटे भाई को अपमाशनि करिा है ।
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