You are on page 1of 4

1.

आशय स्पष्ट कीजिए:


(क) इजतिहान पास कर लेना कोई चीज़ नह ीं है , असल चीज़ है बुद्धि का द्धिकास l
उत्तर: बडे भाई साहब अपने छोटे भाई को उपदे श दे िे हुए कहिे हैं कक पर क्षा में पास हो िाना कोई बड
बाि नह ीं है l बड बाि िो िब होिी है िब बुद्धि का द्धिकास होिा है l यकद कोई व्यद्धि बहुि-सी पर क्षाएँ
पास कर ले ककींिु उसे अच्छे -बुरे में अींिर करना न आए िो उसकी पढाई व्यर्थ है l पुस्िकों को पढकर
उनके ज्ञान से अपनी बुद्धि का द्धिकास करना ह असली शशक्षा है l
(ख) किर भी िैसे मौि और द्धिपद्धत्त के बीच भी आदमी मोह और माया के बींधन में िकडा रहिा है , मैं
िटकार और घुडककयाँ खाकर भी खेल-कूद का शिरस्कार न कर सकिा र्ा l
उत्तर: छोटा भाई खेल-कूद, सैर-सपाटे और मटरगश्िी का बडा प्रेमी र्ा l उसका बडा भाई इन सब बािों के
शलए उसे खूब डाँटिा-डपटिा र्ा l उसे घुडककयाँ दे िा र्ा, शिरस्कार करिा र्ा l परीं िु किर भी िह खेल-कूद
को नह ीं छोड पािा र्ा l िह खेलों पर िान शछडकिा र्ा l जिस प्रकार द्धिशभन्न सींकटों में िँसकर भी
मनुष्य मोह-माया में बँधा रहिा है , उसी प्रकार लेखक डाँट-िटकार सहकर भी खेल-कूद के आकर्थण से
बँधा रहिा र्ा l
(ग) बुशनयाद ह पुख्िा न हो, िो मकान कैसे पायेदार बने?
उत्तर: ककसी भी मज़बूि मकान के शलए एक मज़बूि नीींि का होना आिश्यक होिा है । यकद नीींि कमज़ोर
होगी िो उस पर बना मकान भी कमज़ोर ह होगा। नीींि जििनी मज़बूि होगी, उस पर बना मकान भी
उिना ह मज़बूि होगा। ककसी भी मज़बूि मकान के बनने में उसकी नीींि का बहुि बडा योगदान होिा
है । यहाँ बडे भाई साहब पर व्यींग्य ककया गया है क्योंकक िह एक साल का काम दो साल में करिे र्े।
कभी-कभी िीन साल भी लग िािे र्े। िह अपनी पढाई की बुशनयाद मज़बूि डालना चाहिे र्े।
(घ) आँखें आसमान की ओर र्ीीं और मन उस आकाशगामी पशर्क की ओर, िो मींद गशि से झूमिा पिन
की ओर चला आ रहा र्ा, मानो कोई आत्मा स्िगथ से शनकलकर द्धिरि मन से नए सींस्कार ग्रहण करने
िा रह हो।
उत्तर: छोटा भाई पिींग लूटने के शलए आकाश की ओर दे खिा हुआ दौडा िा रहा र्ा। उसकी आँखें आकाश
में उडने िाली पिींग रूपी यात्री की ओर र्ीीं । िह कट हुई पिींग धीरे -धीरे हिा में लहरािी हुई नीचे की
ओर शगरने को र्ी । उस समय िह पिींग ऐसी प्रिीि हो रह र्ी िैसे कोई पद्धित्र आत्मा स्िगथ से
शनकलकर द्धिरि मन से धरिी पर नया िन्म लेने के शलए उिर रह हो। िह पिींग स्िगथ से शनकली
आत्मा के समान द्धबल्कुल शाींि ि पद्धित्र लग रह र्ी।
(ङ) ‘हमेशा शसर पर एक नींगी िलिार-सी लटकिी मालूम होिी।’
उत्तर: लेखक िब खेल-कूद कर कमरे में आिा िो उसे बडे भाई साहब का डर लगा रहिा l उनकी डाँट-
िटकार उसके शलए शसर पर लटकिी नींगी िलिार की िरह मालूम होिी। किर भी िह खेल-कूद का
शिरस्कार नह ीं कर पािा र्ा। मृत्यु एक अटल सत्य है , जिसका प्रत्येक िीि को बोध है । इसके बाििूद
सभी साींसाररक मायािाल में शघरे रहिे हैं । इसी प्रकार बडे भाई साहब की िटकार और घुडककयाँ खाकर
भी लेखक खेल-कूद में रुशच रखिा र्ा।

Page 1 of 4
2. शैिान का हाल क्या हो गया र्ा और क्यों? शाहे रूम भीख माँग-माँगकर क्यों मर गया ? इससे हमें
क्या शशक्षा शमलिी है ?
उत्तर: शैिान को स्िगथ से नरक में धकेल कदया गया र्ा क्योंकक उसे यह अशभमान हो गया र्ा कक ईश्वर
का उससे बढकर सच्चा भि कोई है ह नह ीं। शाहे रूम भीख माँग-माँगकर इसशलए मर गया कक उसने भी
एक बार अहीं कार ककया र्ा l इससे हमें यह शशक्षा शमलिी है कक कभी भी अशभमान नह ीं करना चाकहए।
अपनी मेहनि से ह जज़ींदगी में सिलिा प्राप्त होिी है ।

3. सालाना इजतिहान में फ़ेल होने के बाद बडे भाई ने पढाई के शलए ककस प्रकार पररश्रम ककया?
उत्तर: बडे भाई साहब ने पढाई के शलए कदन-राि प्राणाींिक पररश्रम ककया। िे कोसथ का एक-एक शब्द चाट
गए र्े। िे राि को दस बिे िक पढिे, किर सुबह चार बिे उठकर पढिे और स्कूल िाने से पहले छः से
साढे नौ बिे िक पढिे। पढिे-पढिे उनकी मुद्रा भी शनस्िेि हो गई र्ी।

4. लेखक के मन में कौन-सी कुकटल भािना उकदि हुई और क्यों?


उत्तर: लेखक के मन में कुकटल भािना उकदि हुई कक यकद उसका बडा भाई अगले साल भी फ़ेल हो िाए
िो िे दोनों एक ह कक्षा में हो िाएँगे । िब बडा भाई बाि-बाि पर उसका अपमान नह ीं कर सकेगा।

5. अनुभि को महत्त्िपूणथ शसि करने के शलए बडा भाई कौन-कौन से उदाहरण दे िा है ?


उत्तर: बडा भाई अनुभि को महत्त्िपूणथ शसि करने के शलए अपनी अतमाँ, दादा िर्ा हे ड मास्टर की बूढ
माँ के उदाहरण दे िा है । ये िीनों अशधक पढे -शलखे नह ीं हैं । किर भी इन्हें जज़ींदगी का अनुभि अशधक है ।
इसशलए ये समझदार से प्रबींध करिे हैं , कुशलिा से घर-खचथ चलािे हैं और अच्छी िरह दे खभाल कर पािे
हैं ।

6. बडे भाई साहब अींग्रेज़ी के बारे में क्या नसीहि दे िे रहिे र्े?
उत्तर: बडे भाई साहब अींग्रेज़ी के बारे में छोटे भाई को यह नसीहि दे िे रहिे र्े कक अींग्रेज़ी पढना कोई
हँ सी-खेल नह ीं है । उसे पढने के शलए राि-कदन आँखें िोडनी पडिी हैं और खून िलाना पडिा है । ऐरा-गैरा
नत्र्ू खैरा अींग्रेज़ी नह ीं पढ सकिा। बडे -बडे द्धिद्वान भी शुि अींग्रेज़ी नह ीं शलख पािे, बोलना िो दरू । अींग्रज़
े ी
पढने-समझने के शलए ककठन पररश्रम करना पडिा है । िे अपना उदाहरण भी दे िे हैं ।

7. लेखक को बाज़ार में पिींग लूटिे दे खकर बडे भाई साहब ने उसे कैसे डाँटा?
उत्तर: एक कदन िब छोटा भाई पिींग लूटने के शलए दौड रहा र्ा िो बाज़ार से लौटिे अपने बडे भाई
साहब से टकरा गया। बडे भाई साहब उसे दे खिे ह क्रोशधि हो गए। उन्होंने उसे डाँटिे हुए कहा कक अब
िह जिस आठिीीं कक्षा में है , िह कोई छोट कक्षा नह ीं है । उसे अपनी पोज़ीशन का ख्याल रखना चाकहए।
इस कक्षा को पास करके िो पहले ज़माने में लोग नायब िहसीलदार बन िाया करिे र्े और आि भी
अनेक आठिीीं पास करने िाले लीडर और समाचार-पत्रों के सींपादक हैं l अिः उसे अब इस आठिीीं कक्षा में
आने पर बाज़ार लडकों के सार् पिींग लूटिे घूमना शोभा नह ीं दे िा l उसे अब इस प्रकार नह ीं घूमना
चाकहए।

Page 2 of 4
8. ‘बडे भाई साहब’ पाठ में आदशथ जस्र्शि को बनाए रखने के िेर में बडे भाई साहब का बचपना शिरोकहि
हो िािा है । कैसे?
उत्तर: प्रस्िुि पाठ में एक बडे भाई साहब हैं , िो हैं िो छोटे ह , लेककन घर में उनसे छोटा एक भाई और
है । उससे उम्र में केिल कुछ साल बडा होने के कारण उनसे बड -बड अपेक्षाएँ की िािी हैं । बडा होने के
नािे िे खुद भी यह चाहिे और कोशशश करिे हैं कक िे िो कुछ भी करें , िह छोटे भाई के शलए एक
शमसाल का काम करे । इस आदशथ जस्र्शि को बनाए रखने के िेर में बडे भाई साहब का बचपना शिरोकहि
हो िािा है ।

9. ‘िह स्िभाि से अध्ययनशील र्े।’ - इस कर्न में शछपा व्यींग्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इस कर्न में गहरा व्यींग्य है । बडा भाई प्रकट रूप में बहुि अध्ययनशील िान पडिा र्ा l िब भी
दे खो, ऐसा लगिा र्ा कक िह ककिाबों में ह घुसा रहिा हो l यहाँ िक कक उसने पढ-पढ कर अपना चेहरा
िेिह न कर डाला र्ा। ककींिु उसका अध्ययन एक कदखािा मात्र र्ा। िह समझिा िो कुछ र्ा ह नह ीं,
केिल रटिा रहिा र्ा l िब रटिे-रटिे बोर हो िािा र्ा िो ककिाबों और कॉद्धपयों पर बेकार की िस्िीरें
बनािा या शब्द-रचना करिा रहिा र्ा। िह अपनी मींद प्रशिभा को उपदे श दे कर शछपाने का प्रयास करिा
र्ा।

10. लेखक की खेल-कूद के प्रशि रुशच की िुलना ककससे की गई है ?


उत्तर: लेखक खेल-कूद में अपनी अत्यशधक रुशच होने के कारण सदा बडे भाई से शिरस्कार पािा र्ा l
यद्यद्धप िह उनसे शछपकर खेलिा र्ा किर भी पकडा िािा र्ा और बडे भाई साहब उसे बुर िरह
िटकारिे र्े। छोटे भाई की खेल-कूद में रुशच की िुलना मौि और द्धिपद्धत्त के बीच िँसे व्यद्धि के मोह-
माया के बींधनों में िकडे होने से की गई है । जिस प्रकार व्यद्धि द्धिपद्धत्त और मृत्यु के बीच िँसे होने पर
भी मोह-माया को नह ीं छोड पािा, उसी प्रकार छोटा भाई भी बडे भाई साहब द्वारा अनेक प्रकार से
अपमाशनि होकर भी खेल-कूद को छोड पाने में असमर्थ र्ा l

11. लेखक के अनुसार बडे भाई की रचनाओीं को समझना उसके शलए छोटा मुह
ँ बड बाि र्ी। कैसे?
उत्तर: छोटे भाई का कहना है कक बडे भाई साहब स्िभाि से बडे ह अध्ययनशील र्े। िे हरदम ककिाबें
खोले बैठे रहिे और शायद कदमाग को आराम दे ने के शलए कभी कॉपी पर, ककिाब के हाशशयों पर शचकडयों,
कुत्तों, द्धबजल्लयों की िस्िीरें बनाया करिे र्े। कभी-कभी एक ह नाम या शब्द या िाक्य दस-बीस बार
शलख डालिे। कभी एक शेर को बार-बार सुद
ीं र अक्षरों में नकल करिे। कभी ऐसी शब्द-रचना करिे, जिसमें
न कोई अर्थ होिा, न कोई सामींिस्य l मसलन एक बार उनकी कॉपी पर लेखक ने यह इबारि दे खी -
स्पेशल, अमीना, भाइयों-भाइयों, दरअसल, भाई-भाई। राधेश्याम, श्रीयुि राधेश्याम, एक घींटे िक - इसके बाद
एक आदमी का चेहरा बना हुआ र्ा। लेखक ने बहुि चेष्टा की कक इस पहे ली का कोई अर्थ शनकाले, लेककन
असिल रहा और उनसे पूछने का साहस न हुआ। िह नौिीीं िमाि में र्े, लेखक पाँचिीीं में l उनकी
रचनाओीं को समझना उसके शलए छोटा मुह
ँ बड बाि र्ी l

Page 3 of 4
12. बडा भाई छोटे भाई पर शासन करने के शलए कौन-कौन से उपाय करिा है ?
उत्तर: बडा भाई छोटे भाई पर शासन करने के शलए शनतनशलजखि उपाय करिा है :
• लेखक द्वारा मनमानी करने पर िह उसे घमींड नह ीं करने की सीख दे िा है । िह रािण, शैिान,
शाहे रूम िैसे बडे -बडे अशभमाशनयों की फ़ज़ीहि के उदाहरण दे िा है ।
• िह ककिाबी शशक्षा की बिाय िीिन के अनुभि को अशधक काम की चीज़ बिािा है l
• िह इशिहास, रे खागजणि और शनबींध-लेखन की शशक्षा को व्यर्थ बिािा है ।
• िह भाई द्वारा न पढने पर और खेलने में मन लगाने पर लींबे-लींबे भार्ण दे िा है । उस भार्ण में
अपने फ़ेल होने का, पढाई के ककठन होने का, स्ियीं के खेल-कूद से दरू रहने का उदाहरण दे िा है
l
• िह हमेशा छोटे भाई के खेल-कूद और स्िच्छीं दिा पर शनयींत्रण रखिा है । उससे रोज़ सिाल पूछिा
है कक िह कहाँ गया र्ा l
• स्ियीं फ़ेल होने पर िह सिलिा की बिाय बुद्धि के द्धिकास को महत्त्िपूणथ बिािा है । किर िह
अपने ज्ञान की ड ींग हाँककर उस पर हािी होिा है ।
• िह आचरण की मकहमा और गौरि को महत्त्िपूणथ बिाकर छोटे भाई को अपमाशनि करिा है ।

13. ‘बडे भाई साहब’ कहानी से आपको क्या सींदेश शमलिा है ?


उत्तर: इस कहानी से हमें यह सींदेश शमलिा है कक
• हम पढाई को सहि रूप से करें । हम उसका हौव्िा न खडा करें ।
• हम पर क्षा के िनाि में चौबीसों घींटे ककिाबों में न घुसे रहें । इससे हमार सोच-द्धिचार की प्रकक्रया
बींद हो िािी है और पढाई व्यर्थ हो िािी है ।
• पाठ को रटने की बिाय उसे समझने की कोशशश करें । अपनी समझ को द्धिकशसि करें ।
• खेल-कूद पढाई के द्धिरोध में नह ीं है । यह पढाई में सहायक हो सकिी है ।
‘बडे भाई साहब’ कहानी हमें यह प्रेरणा दे िी है कक हम अपनी जस्र्शि, शद्धि और सीमा को समझें। उसी के
अनुरूप व्यिहार करें । यकद हम स्ियीं अपने शगरे बान में नह ीं झाँकिे लेककन औरों से उतमीदें करिे हैं , िो
हम हँ सी के पात्र बन िािे हैं । यकद हम स्ियीं योग्य नह ीं हैं , िो हम दस
ू रे को उपदे श दे ने का अशधकार भी
खो बैठिे हैं ।

Page 4 of 4

You might also like