You are on page 1of 11

CAL PUBLIC SCHOOL

P T – II WORKSHEET
CLASS: VII SUBJECT: HINDI-2L
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
I.अपठित गद्यांश को पढ़ कर नीचे पछ
ू े गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
ऐसा लगता है आज मानव ने अपने आस-पास के वातावरण को पशुता से सुसज्जजत कर ललया है । दधीचि, लशवव, कणण के नाम
लोग भूल गए हैं। दस
ू रों के कल्याण की नहीीं लोगों को लसर्फण अपनी ही चिींता सता रही हैं। ननधणन और असहाय जीवन जी नहीीं रहे
अवपतु उसे घसीट रहे हैं। इस वविारधारा को बदलना होगा।

प्र.1. आज मानव ने क्या कर ललया है ?


उत्तर: आज के मानव ने अपने आस-पास के जीवन को पशत
ु ा से सस
ु ज्जजत कर ललया है ।
प्र.2. लोग ककनके नाम भूल गए हैं?
उत्तर: लोग दधीचि, लशवव और कणण के नाम भूल गए हैं?
प्र.3. लोगों को क्या सता रही है ?
उत्तर: लोगों को अपनी ही चिींता सता रही है ।
प्र.4. ननधणन और असहाय क्या कर रहे हैं?
उत्तर: ननधणन और असहाय जीवन को जी नहीीं रहें अवपतु उसे घसीट रहे हैं।
प्र.5. 'असहाय' शब्द का अर्ण ललखें।
उत्तर: बेसहारा

II. पठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए :-


एक बालक उसी के घर के सामने खेल रहा र्ा । कई लड़के उसकी प्रजा बने र्े और वह र्ा उनका राजा ।उन्ही लड़कों में से वह
ककसी को घोड़ा और ककसी को हार्ी बनाकर िढ़ता और दण्ड तर्ा परु स्कार आदद दे ने का राजकीय अलभनय कर रहा र्ा । उसी ओर
से िाणक्य जा रहे र्े। उन्होंने उस बालक की राजक्रीड़ा बड़े धयान से दे खी । उसके मन ने कुतुहल हुआ और कुछ ववनोद भी । उन्होंने
उस बालक राजा के पास जाकर यािना की – राजन , मुझे दध ू पीने के ललए गाऊ िादहए ।“
प्रश्न
1 बालक कहााँ खेल रहा र्ा ?
2 लड़के का नाम क्या र्ा ?
3 लड़का क्या अलभनय कर रहा र्ा ?
4 िन्रगुप्त अपने लमत्रों को क्या बनाता र्ा ।
5 िाणक्य ने िन्रगुप्त से क्या माींगा ?
6 दो सींज्ञा शब्द छााँटकर ललखखए।

III. पठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए :-


सुधा मूनतण का जन्म 19 अगस्त , 1950 में कनाणटक के लशग्गॉव में हुआ र्ा । 1960 के दशक में उन्होंने इींजीननयररींग
कॉलेज ऑफ टे क्नोलॉजी में दाखखला ललया । उस समय इींजीननयररींग में दाखखला लेने वाली वह पहली मदहला र्ी । उन्होंने स्नातक् में
राजय में प्रर्म स्र्ान प्राप्त ककया ज्जसके ललए कनाणटक सरकार द्वारा उन्हें स्वणण पदक ददया गया । 1974 में उन्होंने इींडडयन
इींज्स्टट्यट
ू ऑफ साइींस से कम्पप्यट
ू र साइींस में मास्टर की डडग्री हालसल की । वहााँ भी उन्हें अपने वगण में प्रर्म स्र्ान प्राप्त करने के
ललए स्वणण पदक प्रदान ककया गया ।
प्रश्न
1 सुधा मूनतण का जन्म कब और कहााँ हुआ ?
2 1960 के दशक में उन्होंने कहााँ दाखखला ललया र्ा
3 कनाणटक सरकार् द्वारा ककससे सम्पमाननत ककया गया ?
4 1974 में सुधा मूनतण ने कौन सी डडग्री हालसल की ?
5 सुधा मूनतण को कौन सा पदक प्रदान ककया गया ?
6 दो सींज्ञा शब्द छााँटकर ललखखए।

IV. पठित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए :-


नभ में फैले सदा नतरीं गा,
बहती रहे दे श में गींगा,
भारत की सतरीं गी धरती,
हर भारतवासी की माता,
इसे कभी मत जाना भल

कभी पराई आस ना करना,
मेहनत से अपना घर भरना ।
प्रश्न
1 नभ में सदा क्या फहराना िादहय्र ?
गींगा
नतरीं गा
साड़ी
पतींग
2 दे श में हमेशा क्या बहती है ?
यमन
ु ा
गींगा
सरस्वती
नमणदा
3 हमें ककसे नहीीं भूलना िादहए ?
माता
धरती माता
भारत माता
सभी को
प्रश्न 4 हमें ककसकी आस नहीीं करना िादहए ?
पराई
बुराई
भलाई
खटाई
प्रश्न 5 हमें अपना घर कैसे भरना िादहए ?
बेईमानी से
मेहनत से
लालि से
लापरवाही से

V. पठित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए :-


नन्ही िीींटी जब दाना लेकर िलती है ,
िढ़ती दीवारों पर सौ बार कर्फसलती है
मन का ववश्वास रीं गो में साहस भरता है ,
िढकर चगरना, चगरकर िढ़ना ना अखरता है ।
आखखर उसकी मेहनत बेकार नहीीं होती
कोलशश करने वालों की हार नहीीं होती ।
प्रश्न
1 िीींटी से हम क्या सीखते हैं ?
हारना
वापस ् मुड़ जाना
दहम्पमत करना
कूदना
2 ककनकी हार नहीीं होती ?
कोलशश करने वालों की
डर कर भागने वालों की
कोलशश ना करने वालों की
दहम्पमत ना करने वालों
3 नन्ही िीींटी क्या लेकर िढती है ?
दाना
खाना
पानी
सोना
4 िीींटी दीवारों पर ककतने बार िढ़ती हैं ?
50
100
150
200
5 ककसकी मेहनत बेकार नहीीं होती ?
हार्ी
सााँप
िीींटी
पक्षी
6. िढ़ती................. दीवारों पर
मोर
शेर
िीींटी
बकरी

व्याकरण भाग
VI. ररक्त स्र्ानों की पूनतण कीज्जए ।
असफलता एक ---------- हैं । ( िुनौती / मनौती )
-------- दीवारों से सौ बार कर्फसलती है ।( चगरती / िढ़ती )
नौका पार लगाने के ललए ----------- से जझ
ू ना ही पड़ता है । ( लहरो / नहारों )
------------ का मैदान छोड़कर नहीीं भागना िादहए । ( सींघर्ण / हर्ण )
मेहनत करने वाले की ही --------होती हैं । ( पराजय/ जय )
VII. ककसने ककससे कहा :-
1.कोई चिींता नहीीं, यह बड़ा होनहार बालक है ।
ज.िाणक्य ने मााँ को
2.यदद तू इसे न ननकाल सका, तो तू भी इस वपींजरे में बींद कर ददया जाएगा ।
ज.राजा ने बालक को
3.राजन , मुझें दध
ू पीने के ललए गौ िादहए ।
ज.िाणक्य ने बालक को
4.महाराज, यह बड़ा दृष्ट लड़का है , इसके ककसी अपराध पर धयान न दीज्जयेगा ।
ज.िाणक्य ने मााँ को
5.बालक का कुछ अननष्ट न होगा ।

VIII. वाक्याींश के ललए एक शब्द ललखखए :--


1.अब ् वह लसपाही सन्याींस ले िुका र्ा ।( सन्यासी )
2.ज्जसे चगना ना जा सके , वह इतने पैसे लेकर गया । ( अनचगनत )
3.ववद्या प्राप्त करने वाला (ववद्यार्ी )
4.आज्ञा मानने वाला ( आज्ञाकारी )
5.ववद्धया का आलय ( ववद्यालय )
6.राजय के लोग ( प्रजा )
7.राजा द्वारा दज्ण्डत ( राजकोप )
8.िापलूसी करने वाला ( िापलूस )
9.सेना का अध्यक्ष ( सेनापनत )
10.अच्छे कायण पर लमलने वाला फल ( उपहार )

IX. सज्न्ध कीज्जए :-


ववद्धया + आलय = ववद्धयालय
परर + नाम = पररणाम
सम + कल्प= सींकलप
सत+ िररत = सच्िररत्र ्
राजय + उचित = राजोचित
अनत + आिार = अत्यािार
ननश + ठूर = ननष्ठूर
आलशर + वाद = आशीवाणद

X. पयाणयवािी शब्द :--


सेवक – नौकर , दास
सुमन – पुष्प , फूल
सलूक – बताणव , व्यवहार
साहसी – वीर, बहादरु
राजा – नरे श, नप

बद्
ु चध – ददमाग़, मनत
गह
ृ – घर , भवन
घोड़ा – घोटक, तुरींग
XI. ववलोम शब्द :-
सफलता x असफलता
जय x पराजय
स्वीकार x इींकार, अस्वीकार
ववश्वास x धोका, अववश्वास
आरम्पभ x अींत
जीवन x मरण
दहत x अदहत
ननज्श्ित x अननज्श्ित

XII. प्रत्यय शब्द :-


मूलशब्द। प्रत्यय
उल्लेख। नीय
व्यज्क्त्त। त्व
राष्र ईया
कृनत। त्व
बेहतर। ई
समाज। इक
आश्ियण। पव
ू क

क्रोध इत
ननभीक। ता
ववभव। हीन

XIII. ददये गये प्रश्नों के बहुववकज्ल्पय उत्तर िन


ु कर ललखखए :-
प्रश्न 1. धरती सदा क्या उगलती है ।
िााँदी
सोना
हीरे
मोती
प्रश्न 2. हालमद के ककतने लमत्र र्े ।
एक
दो
तीन
िार
प्रश्न 3. हालमद की दादी का नाम क्या र्ा ।
सकीना
अमीना
मीना
रीना
प्रश्न 4. अमीना ने हालमद को ककतने पैसे ददये र्े ।
पाींि
तीन
िार
सात
प्रश्न 5. महात्मा गााँधी को स्कूल में क्या लमलती र्ी ।
परु स्कार
ननववृ त्त
प्रमाणपत्र
कुछ भी नही
प्रश्न 6. हाई स्कूल में महात्मा गााँधी की चगनती ककनमे होती। र्ी ।
होलशयार
मींदबुद्चध
कमज़ोर
साधारण
प्रश्न 7. महात्मा गााँधी जी को रोना कब आता र्ा ।
परु स्कार लमलने पर
काम करने पर
शाबाशी लमलने पर
इनमे से कोई नहीीं
प्रश्न 8. महात्मा गााँधी को ककनमे रुचि होती र्ी।
पढ़ाई में
कसरत में
घूमने में
खाने में
प्रश्न 9. महात्मा गााँधी जी ककस ववर्य से अचधक परे शान रहते र्ी ।
तेलग
ु ु
दहींदी
सींस्कृत
तलमल
प्रश्न 10. सुभार् िन्र बोस वज़ीफा लमलने पर ककसकी भलाई करना िाहते र्े ।
अमीरों की
गरीबो की
दे श की
नेता की
प्रश्न 11. सुभार्िींद बोस धन को क्या मानते र्े ।
बरु ाइयों की जड़
अच्छाइयों की जड़
साधारण
बेकार
प्रश्न 12. कोलशश करने वालों की क्या। नहीीं होती है ।
हार
जीत
प्रयास
लगन
प्रश्न 13. िीींटी दीवारों पर ककतनी बार कर्फसलती है ।
50 बार
100 बार
200 बार
10 बार
प्रश्न 14. मन का ............रीं गों में भरता हैं ।
साहस
एहसास
ननडरता
ववश्वास
प्रश्न 15. सेनापनत के बेटे का नाम क्या र्ा ।
पाटललपुत्र
चित्रगुप्त
बालक िन्रगप्ु त
िाणक्य
प्रश्न16 . बालक िन्रगुप्त अपने लमत्रों को क्या बनाता र्ा ।
हाचर्- घोड़ा
शेर- गधा
मोर – हीं स
कुत्ता- बबल्ली
प्रश्न 17. सुधा मूनतण एक अच्छी र्ी ।
लेखखका
लशक्षक्षका
समाजकताण
ऊपयुक्
ण त सभी
प्रश्न 18. सुधा मूनतण कौन हैं ?
डॉक्टर नारायण मूनतण की पत्नी
नारायण मूनतण की बहन
नारायण मनू तण की मााँ
इनमें से कोई नहीीं
प्रश्न 19. सुधा मूनतण का जन्म कब हुआ ?
19 अगस्त 1950
19 अगस्त 1952
19 अगस्त 1954
19 अगस्त 1956
प्रश्न 20. कम्पपनी छोड़कर सुधा मूनतण ककससे लमलने गयी ।
जे आर डी टाटा
पी के टाटा
एस के टाटा
आर के टाटा
XIV. लघु प्रश्नों के उत्तर ललखखए :-
प्रश्न 1. लमलजुल कर रहने से क्या होगा ?
ज. लमलजुल कर रहने से आपस में प्रेम और एकता बढ़े गी ।
प्रश्न 2. हालमद खखलौनों की ननींदा क्यों करता हैं
ज. हालमद महें गे खखलौने नहीीं ख़रीद सकता इसललए वह खखलौनों की ननींदा करता है ।
प्रश्न 3. गााँधी जी के कसरत और खेल में अरुचिबके क्या कारण र्े ?
ज. गाींधी जी के कसरत और खेल में अरुचि का पहला कारण र्ा उनका शमीला स्वभाव र्ा तर्ा दस
ू रा कारण र्ा उनकी यह
सोि कक लशक्षा के सार् इसका कोई सम्पबन्ध नहीीं है ।
प्रश्न 4. लशक्षक से डाींट पड़ना गााँधी जी को असहय क्यों र्ा ?
ज. लशक्षक से डाींट पड़ना गााँधी जी को इसललए असहय लगा र्ा क्योंकक वे अपने आिरण के ववर्य में बहुत सजग र्े ।
प्रश्न 5. गााँधी जी ने टहे लने को व्यायाम क्यों कहा ?
ज. गााँधी जी ने टहलने को व्यायाम इसललए कहा है क्योंकक इससे शरीर अपेक्षाकृत अचधक सुगदठत रहता है ।
प्रश्न 6. सुभार् िन्र बोस को ककताबी ज्ञान से बेहतर क्या लगता र्ा ?
ज. सभ
ु ार् िन्र बोस को ककताबी ज्ञान से बेहतर ककसी व्यज्क्त का िररत्र और कायण बेहतर लगता र्ा ।
प्रश्न 7. िीींटी को बारबार चगरना और िढ़ना अखरता क्यों नही है ?
ज. िीींटी को बार बार िढ़ना और चगरना इसललए अखरता नहीीं हैं क्योंकक उसके मन में यह ववश्वास होता है कक उसकी मेहनत
बेकार न जाएगी और वह ऊपर िढ़ ही जाएींगी ।
प्रश्न 9. नींद को मूखण राजा क्यों कहा गया है ?
ज. नींद को मख
ू ण राजा इसललए कहा गया है क्योंकक उसकी राजसभा में एक से बढ़कर एक िापलस
ू और िाटुकार भरे हुए र्े
और नींद उनकी ही हर बात मानता र्ा ।
प्रश्न 10. िाणक्य ने बालक की मााँ से क्या कहा ?
ज. िाणक्य ने बालक की मााँ से कहा कक यह होनहार बालक है । इसकी मानलसक उन्ननत के ललए तुम इसे ककसी प्रकार
राजकुल में भेजा करो ।
प्रश्न 11. िाणक्य बालक की ओर क्यों आकवर्णत हुए र्े ?
ज. िाणक्य बालक की राजक्रीड़ा दे खकर उसकी ओर आकवर्णत हुए ।
प्रश्न 12. मौयण सेनापनत के घर के सामने खेलने वाला बालक कौन र्ा ?
ज. मौयण सेनापनत के घर के सामने खेलने वाला बालक सेनापनत का पुत्र िन्रगुप्त र्ा ।
प्रश्न 13. मौयण सेनापनत का पररवार कष्ट में क्यों र्ा ?
ज. मौयण सेनापनत के बींदी हो जाने के कारण उसका पररवार कष्ट में र्ा ।
प्रश्न 14. िन्रगुप्त कौन र्ा ?
ज. िन्रगुप्त मौयण सेनापनत का पुत्र र्ा ।
प्रश्न 15. िीींटी वाली कववता के कवव और कववता का नाम ललखखए ?
ज. कवव सोहनलाल द्ववैदी तर्ा कववता – कोलशश करने वालों की हार नहीीं होती।
प्रश्न 16. परीक्षा में उच्ि स्र्ान प्राप्त करने पर सभ
ु ार् िींर बोस आश्ियाण िककत क्यों र्े ?
ज. परीक्षा में उच्ि स्र्ान प्राप्त करने पर सुभार् िींर बोस इसललए आश्ियाण िककत्त र्े क्योंकक परीक्षा से पहले उन्होंने बहुत
कम पढ़ाई की र्ी ।
प्रश्न 17. गौताखार का उत्साह क्यों बढ़ता है ?
ज. गौताखार गहरे पानी में अमूल्य मोती पाने की िाह में इसी से उसका उत्साह बढ़ता है ।
प्रश्न 18. ववश्वववद्यालय के बारे में छात्रों की क्या धारणा होती है ?
ज. ववश्वववद्यालय के बारे में छात्रों की धारणा होती है कक अगर उन पर ववश्वववद्यालय का ठप्पा लग गया तो उन्होंने
जीवन का िरम पा ललया ।
प्रश्न 19. गााँधी जी को बाद में भूलमनत सरल क्यो लगी ?
ज.बाद में गााँधी जी ने यह जाना की भूलमनत में केवल बुद्चध का सीधा और सरल प्रयोग करने से वह उन्हे सरल
लगने लगी ।
प्रश्न 20. बच्िों के ललए नगर में ददखने वाली हर िीज़ अनोखी क्यों र्ी ?
ज. बच्िों के ललए नगर बबल्कुल नया र्ा इसललए उनके ललए सभी िीज़े अनोखी र्ी ।

XV. दीघण प्रश्नों के उत्तर ललखखए:--


प्रश्न 1. कवव ककस प्रकार की कमाई की बात कर रहा है ?
ज. कवव ऐसी कमाई की बात कर रहे है जो मेहनत, ईमानदारी और अच्छाई से कमाई जाए न कक बरु े काम करके ।
प्रश्न 2. बुदढ़या दादी के क्रोध का कारण क्या र्ा ?
ज. बुदढ़या दादी के क्रोध का कारण र्ा हालमद का मेले से अपने ललए कुछ भी ना खरीदना और न खाना तर्ा स्नेह का कारण
र्ा अपनी इच्छाओीं को दबाकर दादी के हार्ों का ख्याल करना और उनके ललए चिमटा ख़रीदकर लाना ।
प्रश्न 3. गााँधी जी ने चित्रकला और लेखन में कैसा और क्या सींबींध बताया ?
ज. गााँधी जी ने चित्रकला और लेखन का आपस में गहरा सम्पबन्ध बताया है । उनके अनस
ु ार सन्
ु दर लेखन के ललए बच्िों को
चित्रकला पहले अवश्य सीखनी िादहए । उनकी राय में ज्जस तरह बालक चित्र दे खकर उन्हे याद रखता है उसी तरह यदद
अक्षर पहिानना सीखे और जब चित्र बनाने लगे तब ही अक्षर छपे अक्षरों की तरह ही सुन्दर लगें गे ।
प्रश्न 4. धन से ववतष्ृ णा होने पर भी सभ
ु ार् िींर बोस वज़ीफा क्यों िाहते र्े ?
ज. धन से ववतष्ृ णा होने पर भीीं सुभार् िींर बोस वज़ीफा इसललए िाहते र्े क्योंकक इस धन से वे दस
ू रों का दहत करना िाहते र्े।
प्रश्न 5. सभ
ु ार् िींर बोस कैसे ववधार्ी बनना िाहते र्े ?
ज. सुभार् िींर बोस ऐसे ववधार्ी बनना िाहते र्े ज्जसका प्रार्लमक कतणव्य िररत्र ननमाणण करना हो क्योंकक िररत्र के अींतगणत
वववेक, कमण, दे शभज्क्त, भगवान की भज्क्त सब कुछ आ जाता हैं ।
प्रश्न 6. असफलता को िुनौती क्यों कहा गया है ? स्पष्ट कीज्जए ।
ज. असफसलता को िुनौती इसललए कहा गया हैं क्योंकक िुनौनतयों का सामना करके ही मनुष्य सफलता की सीढ़ी की ओर
बढ़ता हैं । ये िन
ु ौनतयाीं ही मानव को आगे बढ़ने के ललए प्रेररत करती हैं । असफसलता की राह में से ननकलकर ही व्यज्क्त
सफलता की ओर बढ़ता है ।
प्रश्न 7.मन का ववश्वास रीं गों में साहस भरता है – पींज्क्त का आशय स्पष्ट कीज्जए ।
ज. मन का ववश्वास रीं गों में साहस भरता है – पींज्क्त का आशय है कक यदद मानव मन में ववश्वास कर ले कक वह हर मुज्श्कल
या जीवन में आने वाली हर बाधा या िुनौती को पार कर लेगा तो उसका साहस और अचधक बड़ जाता है । साहस बढ़ने से
व्यज्क्त उसी ददशा में सकारात्मक रूप से कायण करता हुआ सफलता प्राप्त करता है ।
प्रश्न 8. इस कववता को ललखने का कवव का क्या उद्दे श्य है ?
ज. इस कववता को ललखने का कवव का उद्दे श्य मानव कों कोलशशे करते हुए जीवन में आगे बढ़ते रहने की ओर अग्रसर करना
है तर्ा असफलता से ननराश न होने की सीख दे ना है ।
प्रश्न 9. िाणक्य बालक से क्यों प्रभाववत हुए तर्ा उन्होंने उसे राजकुल लाने को क्यों कहा ?
ज. िाणक्य ने बालक के साहस , उदारतापव ू क
ण ननणणय तर्ा समझदारी से प्रभाववत हुए और उन्होंने उसकी मानलसक उन्ननत के
ललए उसे राजकुल लाने के ललए कहा ।
प्रश्न 10. बालक के कर्न “ मै ननकाल दाँ ग
ू ा “ सुनकर आश्िायण िककत क्यों हुए ? बालक अपने कर्न को पुरा करने में कैसे सफल
हुआ ?
ज. ज्जस शेर को बड़े बड़े मींत्री – सींत्री वपींजरे से ननकाल पाने का हल ् न ननकाल पाए उसे एक छोटा सा बालक कैसे ननकाल
सकता है , यह सोि कर ही िन्रगप्ु त द्वारा “ मै ननकाल दाँ ग
ू ा “ कहने पर सब आश्ियणिककत हुए । िन्रगुप्त जान गया
की शेर मोम का है इसललए उसने गरम सलाकों से शेर को वपघला ददया और इस प्रकार वह अपना कर्न परु ा
करने में सफल हुआ ।
प्रश्न 11.युवा पीढ़ी दे श को कैसे ननखार सकती हैं ?
ज. युवा पीढ़ी अपने काम के प्रनत ईमानींदार बनकर , कड़ी मेहनत करके , लमलजुलकर एक सार् दे श की उन्ननत के ललए
कामना करके दे श को ननखार सकती हैं ।
प्रश्न 12. ईदगाह पाठ में ककन बाल मनोव्रनतयों को उजागर ककया गया हैं?
ज. ईदगाह पाठ में बालमन के कोमल ह्रदय , समझदारी , सहज- स्वभाव , स्नेह एवीं प्रेम ननश्िल िींिलता जैसी
मनोव्रनतयों को उजागर ककया गया हैं ।
प्रश्न 13. गाींधी जी के भार्ा के ववर्य में क्या वविार र्े ?
ज. गाींधी जी के वविार में भारतवर्ण की उच्ि लशक्षा के पाठ्यक्रम में मातभ
ृ ार्ा के अनतररक्त दहन्दी, सींस्कृत, फारसी अरबी और
अींग्रेजी का स्र्ान होना िादहए ।यदद सभी भार्ाओीं को पद्धनतपव
ु क
ण ् लसखाया जाए और सब ववर्यों को अींग्रज
े ी माध्यम से
सीखने का बोझ ना हो तो कोई भी भार्ा आसानी से सीखी जा सकती हैं क्योंकक जो व्यज्क्त एक भार्ा को सीख लेता हैं
उसके ललए अन्य भार्ा सीखना सरल हो जाता है ।
प्रश्न 14. सुभार् िींर बोस के ककन-ककन गुणों को आप अपने िररत्र आने उतारना िाहें गे और क्यों ?
ज. सुभार् िींर बोस के परोपकारी, ईमानदारी, दृढ़ ननश्िय के गुणों को अपने िररत्र में अपनायेंगे क्योंकक इन्ही गुणों से जीवन
सार्णक होता है ।
प्रश्न 15. गाींधी जी ने कुछ िीज़ो को लेकर अपनी गलत अवधारणा बना रखी र्ी ,ज्जसे उन्होंने बाद में समझ आने पर सुधार ललया ।
उनसे उनके व्यज्क्तत्व की ककस ववशेर्ता का पता िलता हैं ? स्पष्ट कीज्जए ।
ज. गााँधी जी की यह ववशेर् ता पता िलती हैं की वे अपनी गलती स्वीकारने और उसमे सुधार करने में तत्पर रहते र्े तर्ा
सार् हीीं दस
ू रों को भी अपने जैसी गलती न करने के ललए प्रेयररत करते र्े ।

XVI. मूल्याधाररत प्रश्न :-


प्रश्न 1. पाठ के आधार पर बताये की आप अगर गााँधी जी की जगह होते तो ककसे महत्व दे ते ?
प्रश्न 2. गााँधी जी के ककस गण
ु ने सबको अचधक प्रभाववत ककया और क्यों ?
प्रश्न 3. सुभार्िींर बोस अनुभवी ज्ञान को महत्व क्यों दे ते र्े ?
प्रश्न 4. कवव ने ऐसा क्यों कहा हैं की कोलशश करने वालो की हार नही होती हैं ?
प्रश्न 5. आपके वविार में ककसी भी राजय का राजा कैसा होना िादहये ?

XVII. सींवाद लेखन :--


1. पुस्तक मााँगने को लेकर एक छात्र और छात्रा के बीि हुए सींवाद को ललखखए ।
धीरज – गीता मझ ु ें अपनी पस्
ु तक दे दो ।
गीता – क्या तुम्पहारे पास पुस्तक नहीीं हैं ।
धीरज – नहीीं , मेरे पास यह पुस्तक नही है ।
गीता – पर तुम्पहारी पुस्तक कहााँ गई?
धीरज – मेरी पुस्तक खो गई हैं ।
गीता – ठीक हैं, तम
ु मेरी पस्
ु तक से काम कर लो ।
धीरज – मै अपना काम करके तुम्पहारी पुस्तक वापस कर दाँ ग
ू ा ।
गीता – जब भी तुम्पहे आवश्यकता पड़े , मेरी पुस्तक लेना ।

2. भाई - बहन के बीि होने वाले झगड़े का सींवाद ललखखए ।


रीता – मोहन ,तम
ु ने मेरा खखलौना क्यो ललया ।
मोहन – मै कुछ दे र खेलकर इसे लौटा दाँ ग
ू ा।
रीता – नहीीं , मुझे मेरा खखलौना अभी िादहए ।
मोहन -- पर क्यो
रीता – क्योकक तुम ढीं ग से नहीीं खेलते हो और मेरा खखलौना तोड़ दोगे ।
मोहन – नहीीं दीदी, मै ढीं ग से खेलूींगा।।
रीता – नहीीं हर बार ऐसा दह कहते हो
मोहन – मै सि ् में कह रहा हूाँ दीदी ।इस बार न तोड़ूींगा ।
रीता -- अच्छा ठीक है धयान से खेलना ।
मोहन – ठीक है दीदी धन्यवाद ।

XVIII.ननम्पनललखखत ववर्यो पर सींकेत बबन्दओ


ु की सहायता से अनुच्छे द ललखखए ।
मेरे दादा जी ( सींकेत बबींद ु – दादाजी का कोमल स्वभाव, नैनतक मल्
ू यों से भरी बातें, गह
ृ कायण में सहायता करना, अपने अनभ
ु वों से
अवगत कराना, सच्िा इन्सान बनने के ललए सलाह दे ना ।

पेड़ हमारे सच्िे सार्ी ( सींकेत बबींद ु - पेड़ों का हमारे जीवन में महत्व , पेड़ों के कारण ही धरती पर जीवन सींभव, पेड़ों से लाभ, पेड़
लगाने तर्ा पेड़ों का सींरक्षण करने का आह्वान ।

ववद्यार्ी जीवन में खेलकूद की ववशेर्त (सींकेत बबींद ु – खेलकूद का ववद्याचर्ण जीवन महात्व , खेलों मे मानलसक तनाव से मुज्क्त,
खेलों से शारीररक स्वास्र् खेल भावना का ववकास।

*******A*******

You might also like