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िहं दी : कक्षा - 8

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पाठ्य-पुस्तक उत्सव
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पाठ-1 जलाओ दीए (किवता)
अभ्यास
(1) किव इस किवता के माध्यम से क्या कह रहे हैं?
उत्तर: किव इस किवता के माध्यम से मनुष्य को अपने मन से अज्ञानता रूपी
अंधकार को दू र कर ज्ञान रूपी दीपक जलाने के िलए कह रह◌े हैं।

(2) सृजन के अधूरा रहने का क्या अथर् है?


उत्तर: सृजन के अधूरा रहने का अथर् पृथ्वी पर स्वतंत्रता, समानता और िवश्वबंधुत्व
की भावना के िनमार्ण कायर् के अधूरा रहने से है।

(3) किव ने भूिम को लहू की प्यासी क्यों कहा है?


उत्तर: किव ने भूिम को लहू की प्यास◌ी इसिलए कहा है क्योंिक आज भी मनुष्य
जाित-पाँित, अमीरी-गरीब◌ी और ऊँच-नीच के भेद-भाव के बंधन में जकड़ा हुआ है।

(4) किव कहाँ का अँधेरा िमटाने की बात कह रहे हैं?


उत्तर: किव मनुष्य के मन में व्याप्त अज्ञान रूपी अँधेरा िमटाने की बात कर रहे हैं।
(5) मनुजता कब तक पूणर् नहीं होगी?
उत्तर: जब तक मनुष्य के मन में अज्ञानता के कारण अपने-पराए की भावना व्याप्त है,
जब तक हम अमीरी-गरीब◌ी के बंधन में जकड़े हुए हैं, जब तक एक मनुष्य दू सरे
मनुष्य के लहू का प्यासा है, तब तक मनुजता पूणर् नहीं होगी ।

(6) इस किवता से हमें क्या सीख िमलती है?


उत्तर: इस किवता से हमें अपने अंदर मानवीय गुणों को बनाए रखने, िवश्व-कल्याण
के िलए प्रयासरत रहने, लोगों को जागरूक करने और िवश्व-बंधुत्व की भावना से
ओत-प्रोत रहने की सीख िमलती है।
(7) जलाओ िदए किवता के किव का नाम िलिखए।
उत्तर: जलाओ िदए किवता के किव का नाम गोपालदास 'नीरज' है।

(8) िनम्न शब्दों का अथर् िलखते हुए वाक्य प्रयोग कीिजए


(i) दीिप्त = चमक /आभा
वाक्य - दीपक की दीिप्त से कमरे में उजाला हो गया।
(ii) सृजन = िनमार्ण
वाक्य - मेरे सपनों के भारत का सृजन अवश्य होगा।

(9) िसफ़र् दीपक की आभा से अँधेरा क्यों नहीं िमटाया जा सकता? स्पष्ट कीिजए।
उत्तर: िसफ़र् दीपक की आभा से अँधेरा इसिलए नहीं िमटाया जा सकता है क्योंिक
दीपक की चमक केवल बाहरी अंधकार को िमटा सकती है । वह हमारे मन में व्याप्त
अज्ञान रुपी अँधेरे को नहीं िमटा सकती । हमें हमारे मन में फैले अज्ञान रूपी
अंधकार को िमटाने के िलए समानता, भाईचारा और िवश्व-बंधुत्व की भावना जैसे
गुणों का िवकास करना होगा।

(10) प्रस्तुत पंिक्तयों का सप्रसंग भावाथर् िलिखए-


(i) जलाओ दीए ...................िनशा आ न पाए।
प्रसंग - प्रस्तुत पंिक्तयाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक 'नया उत्सव' िहं दी पाठमाला भाग - 8
में सकिलत किवता 'जलाओ दीए' से ली गई हैं। इसके रचियता किव गोपालदास
'नीरज' जी हैं।
संदभर् - प्रस्तुत पंिक्तयों के माध्यम से किव कहना चाहते हैं िक हमें तब तक प्रयास
करते रहना चािहए। जब तक अज्ञानता रूपी अंधकार की समािप्त न हो जाए।
भावाथर् - किव कहते हैं िक हमें ज्ञान रूपी दीए को इस प्रकार जलाना होगा िक पृथ्वी
के िकसी भी भाग में रूिढ़वादी िवचारधारा, असमानता की भावना जैसी िवचाराधारा
का अिस्तत्व रह न पाए। हमें स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे की ऐसी ज्योित
जलानी होगी िजससे मन में उत्पन्न असमानता रूपी भेद-भाव समाप्त हो जाए और
पूरे संसार में इस प्रकार की ज्योित जले िक अंधेरे में भी अंधकार रूपी अज्ञानता मन
में न आ सके। हमारे मन में ज्ञान रूपी िकरण इस प्रकार जगे िक वह कभी भी
समाप्त न हो।

(ii) सृजन है अधूरा................... दीवाली यह◌ा◌ँ रोज आए।


प्रसंग - पूवर्वत्
संदभर् - प्रस्तुत पंिक्तयों के माध्यम से किव कहना चाहते हैं की अज्ञान रूपी अंधकार
से मुक्त होकर ही संसार में समानता प्राप्त की जा सकती है और खुिशयाँ फैलाई जा
सकती है।
भावाथर् - किव कहते हैं िक जब तक हम पूरे िवश्व को अज्ञानता र◌ूपी अंधकार से
मुक्त नहीं कर दे ते हैं, प्रत्येक मनुष्य के हृदय में मानवता का भाव उत्पन्न नहीं हो
जाता है, तब तक संसार में असमानता और भेद-भाव के कारण युद्ध होते रहेंगे।
बेशक हम खुश रहने का प्रयास करें लेिकन वह प्रयास कभी भी सफल नहीं होगा।

ii) मगर दीप की दीप◌् ित ...........धर मनुज दीप का रूप आए |


प्रसंग - पूवर्वत्
संदभर् - प्रस्तुत पंिक्तयों के माध्यम से किव कहना चाहते हैं िक मनुष्य के अज्ञानता
रूपी अंधकार को ज्ञान रूपी उजाले से ही िमटाया जा सकता है।
भावाथर्- किव कहते हैं िक मात्र (िसफ़र्) दीप की रोशनी से इस धरा का अंधकार
कभी भी नहीं िमट सकेगा । चाहे अंबर से सभी नक्षत्र पृथ्वी पर क्यों न उतर आएँ ,
िकंतु वे मनुष्य के मन में व्याप्त अज्ञानता रूपी अंधकार को समाप्त नहीं कर सकेंगे।
यह अंधकार तो तभी िमट सकेगा जब मनुष्य स्वयं ही दीपक का रूप लेकर अपने
अंदर ज्ञान की ज्योित जलाएगा ।

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पाठ-2 अकबरी लोटा
अभ्यास
(1) प्राचीन वस्तुओ ं को खरीदने में म◌े जर डगलस और यह अंग्रेज़ कैसी मूखर्ता कर
बैठे? समझाइए ।
उत्तर: प्राचीन वस्तुओ ं को खरीदने में म◌े जर डगलस और यह अंग्रेज़ साधारण-सी
वस्तु को भी बहुत कीमती समझने की मूखर्ता कर बैठे।
(2) पं० िबलवासी िमश्र ने इस पूरे प्रकरण में क्या भूिमका िनभाई?
उत्तर: पं० िबलवासी िमश्र ने इस पूरे प्रकरण में एक अच्छे दोस्त और अंग्रेज़ को लोटे
की िवशेषताओं से प्रभािवत करने वाले व्यिक्त की भूिमका िनभाई।

(3) पत्नी की कौन-सी बात सुनकर झाऊलाल का जी बैठ गया?


उत्तर: जब लाला झाऊलाल की पत्नी ने उनसे ढाई सौ रुपए की माँग की तो यह
सुनकर झाऊलाल का जी बैठ गया।

(4) झाऊलाल को अंग्रेज़ी के िकस कोष ज्ञान हुआ?


उत्तर: झाऊलाल को अंग्रेज़ी भाषा में गािलयों के प्रकांड कोष का ज्ञान हुआ।
(5) अंग्रेज़ लोटे से इतना प्रभािवत क्यों हुआ?
उत्तर: अंग्रेज़ को जब िबलवास◌ी िमश्र ने यह बताया िक यह लोटा प्रिसद्ध
ऐितहािसक अकबरी लोटा है, िजसकी तलाश में संसार भर के म्यूिज़यम परेशान हैं।
यह बात सुनकर अंग्रेज़ लोटे से प्रभािवत हुआ।

(6) लोटे के असली ग्राहक और कीमत का फ़ैसला कैसे िकया गया?


उत्तर: लोटे के असली ग्राहक और कीमत का फ़ैसला बोली लगा कर िकया गया।
नीलामी में पं० िबलवासी ने सबसे पहले पचास रुपए की बोली लगाई। िफर अंग्रेज़
ने सौ रुपए की, इसी प्रकार लोटे की बोली बढ़ते-बढ़ते अंग्रेज़ ने सबसे अिधक
कीमत पाँच सौ रुपए लगाई। िफर असली ग्राहक अंग्रेज़ को लोटा िदया गया।
(7) झाऊलाल के हाथ से छूटकर लोटा कहा◌ॅ ◌ं और कैसे पह◌ु◌ॅ ◌ं चा ?
उत्तर: झाऊलाल जी अपनी छत की मुंडेर पर खड़े होकर लोटे से पानी पी रहे थे िक
अचानक उनके हाथ से लोटा छूट गया और गली की एक दु कान के छज्जे से
टकराकर उस दु कान पर खड़े एक अंग्रेज़ को उसने सांगोपांग स्नान कराया और िफर
उसी के बूट पर आ िगरा।

(8) मेजर डगलस कौन थे? अंग्रेज साहब ने डग्लस से संबंिधत कौन-सा िकस्सा
सुनाया?
उत्तर: मेजर डगलस अंग्रेज़ के पड़ोसी थे। अंग्रेज़ अपने पड़ोसी मेजर डगलस से
पुरानी चीज़ों को संग्रह करने की होड़ लगाते रहते थे। िपछले वषर् िहं दु स्तान से वह
एक जहाँगीरी अंडा ले गए थे। उन्हीं को िदखाने के िलए िक उनके जहाँगीरी अंडे से
यह लोटा एक पुश्त पुराना है। अंग्रेज़ ने उस लोटे को पाँच सौ रुपए में खरीद िलया।

(9) इस पाठ के आधार पर बताइए िक जीवन में आई परेशािनयों को हम कैसे दू र


कर सकते हैं?
उत्तर: जीवन में आई परेशािनयों को हम अपनी बुिद्ध का ठीक ढंग से प्रयोग करके दू र
कर सकते हैं। िजस प्रकार पं० िबलवासी ने अपने िमत्र झाऊलाल को मुसीबत से
बचाने के िलए अंग्रेज़ को ऐितहािसक लोटे का झांसा दे कर एक सामान्य सा लोटा
पाँच सौ रुपए में बेच िदया।

(10) िनम्न शब्दों का अथर् िलखते हुए वाक्यों में प्रयोग कीिजए-
(i) मुज़िरम - अपराधी
वाक्य - मुज़िरम को कड़ी सजा सुनाई गई।
(ii) शाही - राजसी, राज घराने से संबंिधत
वाक्य - मेरे दादा जी के पास एक शाही तलवार है।
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व्याकरण-वािटका
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पाठ-1 हमारी भाषा
बताइए -
1. िलखने की िविध को क्या कहते हैं ?
उत्तर. िलखने की िविध को िलिप कहते हैं ।

2. भाषा का कौन सा रूप पहले आया ?


उत्तर. भाषा का मौिखक रूप पहले आया।

3. भाषा के कौन-कौन से रूप हैं ?


उत्तर. भाषा के मौिखक और िलिखत दो रूप हैं।
िलिखए-
1. भाषा को िलिप के नाम से जोिड़ए-
िहं दी→ दे वनागरी
उदू र् → फ़ारसी
पंजाबी→ गुरुमुखी
अंग्रेज़ी→ रोमन
मराठी→दे वनागरी
फ्रेंच→ रोमन
संस्कृत→ दे वनागरी
2. नीचे िदए गए िवकल्पों को सही भाषा-रूप के स्थान पर िलिखए-
मौिखक िलिखत
बातचीत करना, कहानी सुनाना पुस्तक पढ़ना, िवद्यालय का गृहकायर्
करना

3. नीचे िदए गए वाक्यों में सही वाक्य के िलए √ तथा गलत के िलए X िचह्न
लगाइए-
i. भाषा के द्वारा भावों और िवचारों का आदान-प्रदान होता है।(√)
ii भाषा के आठ रूप होते हैं ।(×)
iii. मनुष्य सबसे पहले मौिखक भाषा सीखता है।(√)
iv. 'बोली' का क्षेत्र व्यापक होता है ।(×)
v. 14 िसतंबर को प्रितवषर् िहं दी िदवस मनाया जाता है।(√)

4. िरक्त स्थानों की पूितर् कीिजए-


i. भारतीय संिवधान में _22_ भाषाओं को मान्यता प्राप्त है।
ii. व्याकरण के _तीन_ अंग होते हैं ।
iii िहं दी िदवस प्रितवषर् _14 िसतंबर_ को मनाया जाता है।
iv. ज्ञान के संिचत कोश को _सािहत्य_ कहते हैं ।

5. नीचे दी गई उपभाषाओं के सामने उनकी बोिलयों के नाम िलिखए -


i. पिश्चमी िहं दी ब्रजभाषा, हिरयाणवी, बुंदेली, कन्नौजी, खड़ी बोली
ii. पूवीर् िहं दी अवधी, बघेली और छत्तीसगढ़ी
iii. िबहारी िहं दी भोजपुरी, मैिथली, मगही

6. सही िवकल्प पर √ का िनशान लगाइए-


i. िहं दी भाषा िकस िलिप में िलखी जाती है ? ख. दे वनागरी
ii. भारतीय संिवधान में मान्यता प्राप्त भाषा नहीं है - ग. भोजपुरी
iii. राजस्थानी िहं दी वगर् की भाषा है घ. मेवाती
iv. भारत के िकतने प्रदे शों को िहं दी क्षेत्र कहा जाता है ? घ. दस

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पाठ-2 वणर्-व्यवस्था
बताइए
1. ह्रस्व स्वर कौन-कौन से हैं ? बताइए।
उत्तर. अ, इ, उ और ऋ
2. िकन्हीं चार दीघर् स्वरों के नाम बताइए ।
उत्तर. आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ,औ (कोई चार)
3. संयुक्त व्यंजन से बनने वाले दो शब्द बताइए ।
उत्तर. क्षित्रय और श्रिमक
िलिखए
1. िनम्निलिखत शब्दों को शब्द कोश के क्रम से लगाइए-
तालव्य, स्पशर्, संघषर्, अधर्-स्वर, नािसक्य, दं त्य, महाप्राण, अल्पप्राण, कंपन,
पदबंध, इकाई ।
अधर्-स्वर, अल्पप्राण, इकाई, कंपन, तालव्य, दं त्य, नािसक्य, पदबंध, महाप्राण,
संघषीर्, स्पशीर् |

2. ज-ज़ और फ-फ़ के पाँच-पाँच शब्द िलिखए-


ज- जंग जरा सजा राज जमाना
जं - ज़ंग ज़रा सज़ा राज़ ज़माना
फ- फन फलक दफा फरमा फल
फ़ - फ़न फ़लक दफ़ा फ़रमा फ़ल

3. नीचे िलखे वणोर्ं में से घोष और अघोष वणर् अलग-अलग कीिजए


[ ञ, ठ, क, ग, घ, च, ज, ड, ण, थ, र, व, श, स, ह, द, ध, प, ब, म, य ]
अघोष - क, ठ, च, थ, श, स, प
घोष - ग, ञ, घ, ज, ड, ण, र, व, ह, द, ध, ब, म, य

4. सही िवकल्प पर √ का िनशान लगाइए - -


i. कौन-सा स्वर ह्रस्व नहीं है ? ग. ए
ii. कौन-सा स्वर दीघर् नहीं है ? क. उ
iii. कौन-सा कथन अशुद्ध है ? ग. य, र, ल, व, श, स सघोष ध्विनयाँ हैं ।
iv. कौन-सा कथन शुद्ध है ? क. सानुनािसक स्वरों के उच्चारण में हवा
नाक और मुँह दोनों से िनकलती है।
v. कौन-सा आगत स्वर है ? ग. ऑ
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पाठ-3 वतर्नी - व्यवस्था
बताइए
1. 'र' में 'उ' और 'ऊ' की मात्रा िकस स्थान पर लगती है ?
उ. र में उ और ऊ की मात्रा 'र' वणर् के मध्य में लगती है; जैसे- र◌् + उ = रु, र◌् + ऊ
=रू।
2. सानुनािसक स्वर कौन-कौन से हैं ?
उ. अँ, आँ , इँ , ई◌ं , उँ , ऊँ, एँ , ऐ◌ं , ओं, औ ं

िलिखए
1. र् में 'उ' और 'ऊ' की मात्रा लगाकर दो-दो शब्द िलिखए -
(i) र् + उ - रुकना, गुरु (ii) र् + उ - रूप, रूठना

2. 'श्र' और 'श्रृ' में क्या अंतर है ? दोनों के दो-दो शब्द िलिखए -


‘श्र’ - श्+र् +अ से बनता है और 'शृ' - श्+ऋ के योग से बनता है। 'श्र' से बना शब्द
श्रम और श्रद्धा है । 'श◌ृ' से बना शब्द शृंगार और शृंखला है। ।
3. िनम्निलिखत वणोर्ं को िमलाकर िलिखए-
श् + र् + म् + अ + त् + ई श◌् रीमती
व् + इ +श् + व् + आ + स् + अ िवश्वास
प् + र् + अ + द् + अ + र् + श् + अ + न् + ई प्रदशर्नी
ग् + ॠ + ह् + अ + स् + थ् + अ गृहस्थ
स् + अ + म् + क् + ष् + ए + प् +अ संक्षेप
म् + इ + त् + र् + अ + त् + आ िमत्रता
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िहं दी वकर् बुक


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पाठ -1. हमारी भाषा
वकर्शीट - 1

1. दी गई भाषाओं की िलिपयों के नाम िलिखए-


भाषा मराठी अंग्रेजी पंजाबी उदू र् बांगला
िलिप दे वनागरी रोमन गुरुमुखी फ़ारसी बांग्ला

2. भाषा और बोली में अंतर िलिखए-


उत्तर. भाषा का क्षेत्र व्यापक होता है, जबिक बोली का क्षेत्र सीिमत होता है। भाषा
का सािहत्य िलिखत होता है, जबिक बोली का सािहत्य मौिखक होता है। भाषा का
स्वरूप मानक होता है, जबिक बोली का स्वरूप मानक नहीं होता है।

3. िमलान कीिजए-
पिश्चमी िहं दी हिरयाणवी, बुंदेली, ब्रज, कन्नौजी, खड़ी बोली
पहाड़ी िहं दी कुमाऊँनी, गढ़वाली, मंिडयाली
राजस्थानी जयपुरी, मालवी, मेवाती, हाड़ोती
पूवीर् िहं दी अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी
िबहारी िहं दी भोजपुरी, मैिथली, मगही

पाठ -1. हमारी भाषा


वकर्शीट - 2

1. उपयुक्त शब्दों से िरक्त स्थान भिरए


क. भाषा का मूलरूप मौिखक भाषा है।
ख. संस्कृत और िहं दी दे वनागरी िलिप में िलखी जाती हैं।
ग. दे वनागरी िलिप का िवकास ब्राह्मी िलिप से हुआ है।
घ. 'श्रीरामचिरतमानस' अवधी भाषा में िलखा गया है।
ङ. मैिथली और भोजपुरी िबहारी िहं दी की बोिलयाँ हैं।
च. बालक अपने पिरवार में माता-िपता के साथ रहकर जो भाषा सीखता है, वह
उसकी मातृभाषा होती है।
छ. फ़ारसी िलिप दाएँ से बाएँ को िलखी जाती है।
ज. संिवधान में िहं दी भारत की राजभाषा है।

2. िलिखत भाषा महत्त्वपूणर् क्यों मानी जाती है?


उत्तर: बहुत सारे िवद्यवान मानते हैं िक िलिखत भाषा भाषा का स्थायी रूप है।
िलिखत भाषा का प्रयोग करके कोई भी व्यिक्त अपने भावों और िवचारों को अनंत
काल के िलए सुरिक्षत रख सकता है। िलिखत भाषा के िलए िकसी भी श्रोता या
वक्ता की जरूरत नहीं पड़ती हैं। िलिखत भाषा की सबसे छोटी इकाई वणर् है।
िलिखत भाषा में वणोर्ं का िनिश्चत क्रम पाया जाता है।

3. िहं दी भाषा के िविवध रूप िलिखए।


उत्तर: पूवीर् िहं दी, पिश्चमी िहं दी, िबहारी िहं दी, राजस्थानी िहं दी , पहाड़ी िहं दी

पाठ - 2. वणर्-व्यवस्था
वकर्शीट- 1
1. िमलान कीिजए-
(i) स्पशर् व्यंजन (क) क्ष, त्र, ज्ञ, श्र (iv)
(ii) अंतस्थ व्यंजन (ख) श, ष, स, ह (iii)
(iii) ऊष्म व्यंजन (ग) त, थ, द, ध ( i )
(iv) संयुक्त व्यंजन (घ) य. र. ल. व (ii)

2. इनके भेद िलिखए-


i. मात्रा के आधार पर स्वरों के भेद
ह्स्व दीघर्
ii. उच्चारण के आधार पर व्यंजनों के भेद
स्पशर् अंतस्थ ऊष्म
3. िदए गए वाक्यों में √ तथा X का िचह्न लगाइए-
क. अक्षर का अथर् है- िजसका कभी क्षर न हो। (√)
ख. पंचम वणोर्ं का प्रयोग अनुस्वार के रूप में िकया जाता है। (√)
ग. दीघर् स्वरों की संख्या चार है। (×)
घ. क् और ष से िमलकर क्ष बनता है। (✓
✓)
ङ. 'c' र का ही रूप है। (×)

पाठ - 3. वतर्नी-व्यवस्था
वकर्शीट-1

1. िदए गए अशुद्ध शब्दों की शुद्ध वतर्नी िलिखए-


क्रपा कृपा श्रृंगार श्रृंगार
स्रिष्ट सृिष्ट भृष्टाचार भ्रष्टाचार
नमश्कार नमस्कार शुशोिभत सुशोिभत
प्रशाद प्रसाद शेश शेष
धनुश धनुष कँगाल कंगाल
अँधेरा अंधेरा प्रसंशा प्रशंसा
संवरना सॅंवरना घिनष्ट घिनष्ठ
कँगन कंगन गंवार गॅंवार

2. इनके तीन-तीन शब्द िलिखए-


रु - रुपया रुकना रुमाल
रू - रूप रूस डमरू
ऋ- ऋिष ऋचा ऋग्वेद
C - कृपालु पृथ्वी मृग

पाठ - 3. वतर्नी-व्यवस्था
वकर्शीट-2

1. वणर्-िवच्छे द कीिजए-
आशीवार्द = आ + श् + ई + र् + व् + आ + द् + अ
संवाद = स + अ + म् + व् + आ + द् + अ
िचिड़याँ = च् + इ + ड़् + इ + य् + ऑं
प्रदीप = प् + र् + अ + द् + ई + प् + अ
िवद्या = व् + इ + द् + य् + आ
क्रमबद्ध = क् + र् + अ + म् + अ + ब् + अ + द् + ध् +अ
साथर्क = स् + आ + र् + थ् + अ + क् +अ
2. पंचम वणर् के स्थान पर अनुस्वार िलखकर शब्द दोबारा िलिखए-
चञ्चल चंचल पन्त पंत
घण्टा घंटा चम्पक चंपक
पतङ्ग पतंग कङ्गन कंगन

कण्डा कंडा नन्दन नंदन


पङ्ख पंख झण्डा झंडा
चम्पक चंपक मञ्च मंच

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