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पाठ – 1 बड़े भाई साहब

ेमचंद
श दाथ
19. प ाचार – प - यवहार 1. सिू —बाण — यं या मक कथन / तीखी बात
20. ज त – Seize 2. क म — योजना
21. रास – पसंद 3. अमल करना — पालन करना
22. िचतेरे – संदु र 4. अवहेलना — ितर कार
23. ताड़ना – क 5. नसीहत — सलाह
24. लांछन – आरोप 6. फ़जीहत — अपमान
25. देहावसान – मृ यु 7. ितर कार — उपे ा
26. काश – Wish 8. सालाना इि तहान — वािषक परी ा
27. बेधड़क – िबना डरे 9. ल जा पद — शमनाक
28. िमसाल – उदाहरण 10. शरीक — शािमल
29. ितरोिहत – ढका हआ 11. आतंक — भय
30. तालीम — िश ा 12. अ वल — थम
31. पु ता — मज़बतू 13. जलील – अपमान
32. त बीह — डाँट—डपट 14. कांितहीन – चेहरे पर चमक न होना
33. सामंज य — तालमेल 15. सिह णतु ा – सहनशीलता
34. मसलन — उदाहरणतः 16. अदब – इ जत
35. इबारत — लेख 17. ज़हीन – बिु मान
36. चे ा — कोिशश 18. बदहवास – बेहाल
37. जमात — क ा
38. हफ— अ र
39. िमहनत (मेहनत) — प र म
40. लताड़ — डाँट—डपट
मौिखक
िन निलिखत के उ र एक—दो पंि य म दीिजए-
1. कथा नायक क िच िकन काय म थी?
2. बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल या पछ ू ते थे?
3. दसू री बार पास होने पर छोटे भाई के यवहार म या प रवतन आया?
4. बड़े भाई साहब छोटे भाई से उ म िकतने बड़े थे और वे कौन—सी क ा म पढ़ते थे?
अिवनाश रंजन गु ा पश भाग -2 पृ # 1
5. बड़े भाई साहब िदमाग को आराम देने के िलए या करते थे?

1. कथा नायक क िच मैदान म दौड़ने, कंक रयाँ उछालने, पतंग उड़ाने और दीवार पर चढ़ कर कूदने म थी।
2. बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल यह पछू ते थे “ कहाँ थे?”
3. दसू री बार पास होने पर छोटा भाई और अिधक आज़ाद हो गया और खबू पतंग उड़ाने लगा।
4. बड़े भाई साहब छोटे भाई से उ म पाँच साल बड़े थे और वे नव क ा म पढ़ते थे ।
5. बड़े भाई साहब िदमाग को आराम देने के िलए कभी कािपय पर और िकताब के हािशए पर िचिड़य , कु , िबि लय
क त वीर बनाया करते थे ।
िलिखत
(क) िन निलिखत के उ र (25-30 श द म) िलिखए-
1. छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम—टेिबल बनाते समय या— या सोचा और िफर उसका पालन य नह कर पाया?
2. एक िदन जब गु ली—डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहँचा तो उनक या िति या हई?
3. बड़े भाई साहब को अपने मन क इ छाएँ य दबानी पड़ती थ ?
4. बड़े भाई साहब छोटे भाई को या सलाह देते थे और य ?
5. छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम यवहार का या फ़ायदा उठाया?

1. छोटे भाई ने ातः 6 से 9 बजे तक तीन िवषय पढ़ने का िन य िकया था। कूल से लौटकर आधा घटं ा िव ाम के उपरातं
रात यारह बजे तक अ य िवषय पढ़ने का टाइम-टेबल बनाया था। इसम के वल उसने घमू ने के िलए आधे घंटे का समय
िनधा रत िकया था। परंतु मैदान क ह रयाली, हवा के झ के , खेल क उछल-कूद का मोह ने उसे टाइम-टेबल का पालन
करने नह िदया।
2. कई िदन तक डाँट न पड़ने के कारण छोटा भाई वछंद होकर िग ली-डंडा खेलने लगा तो बड़े भाई ने ोिधत होकर
उसे लताड़ते हए कहा िक अ वल आने पर तु ह घमंड हो गया है लेिकन घमंड तो रावण का भी नह रहा। अिभमान का
अतं िवनाश ही होता है।
3. बड़े भाई साहब भले ही बड़े ह मगर उनम भी लड़कपन था। वे भी खेलना-कूदना और पतंग उड़ाना चाहते थे। लेिकन
आदश बड़ा भाई बनने क आशा म वे खेल नह पाते थे। उनका मानना था िक यिद वे ही सही रा ते पर नह चलगे तो
छोटे को ठीक कै से रख पाएँगे।
4. बड़े भाई साहब छोटे भाई को सदा प र म करने क सलाह देते थे। वे कहते थे िक यँू िग ली-डंडा, फुटबॉल, पतंग उड़ाना
तथा भाग-दौड़ करके समय बबाद करना ठीक नह है। ऐसे तमु कभी भी परी ा म पास नह हो पाओगे। इस तरह दादा
क मेहनत क कमाई गँवाना अनिु चत है। बड़े भाई साहब छोटे भाई को हमेशा सही रा ता िदखाते थे य िक वे अपने
छोटे भाई क सफलता देखना चाहते थे।
5. छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम यवहार का भरपरू फ़ायदा उठाया। उसने पढ़ना िलखना िबलकुल छोड़ िदया और
खेलने कूदने के साथ साथ पतंग भी उड़ाने लगा।

िलिखत
अिवनाश रंजन गु ा पश भाग -2 पृ # 2
(ख) िन निलिखत के उ र (50-60 श द म) िलिखए-
1. बड़े भाई क डाँट—फटकार अगर न िमलती, तो या छोटा भाई क ा म अ वल आता? अपने िवचार कट क िजए।
2. इस पाठ म लेखक ने समचू ी िश ा के िकन तौर—तरीक पर यं य िकया है? या आप उनके िवचार से सहमत ह?
3. बड़े भाई साहब के अनसु ार जीवन क समझ कै से आती है?
4. छोटे भाई के मन म बड़े भाई साहब के ित ा य उ प न हई?
5. बड़े भाई क वभावगत िवशेषताएँ बताइए?
6. बड़े भाई साहब ने िज़ंदगी के अनभु व और िकताबी ान म से िकसे और य मह वपणू कहा है?
7. बताइए पाठ के िकन अंश से पता चलता है िक -
(क) छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।
(ख) भाई साहब को िज़ंदगी का अ छा अनभु व है।
(ग) भाई साहब के भीतर भी एक ब चा है।
(घ) भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते ह।
1. लेखक के बड़े भाई यिद समय - समय पर उ ह न टोकते तो हो सकता था िक लेखक अपनी क ा म अ वल न आते।
लेखक को पढ़ने-िलखने का शौक तो था ही नह वे तो के वल खेल-कूद म ही म त रहा करते थे परंतु बड़े भाई साहब के
डर से उ ह पढ़ना पड़ता था। वा तव म लेखक ज़हीन थे, थोड़ी-सी प र म से ही वे अपनी क ा म अ वल आ जाते थे।
लेिकन सफलता का ेय िनि त प से बड़े भाई साहब को जाता है य िक वे लेखक पर अंकुश रखते थे। इस बात को
वयं लेखक ने भी वीकार िकया है।
2. पाठ म लेखक के बड़े भाई साहब ने इितहास क घटनाओ,ं जामे ी के िनयम व िविधय तथा ज़रा-सी बात पर कई-कई
पृ वाले िनबधं िलखना, बालक म रटंत शि बढ़ाने पर ज़ोर देना इ यािद मामल पर यं य िकया है। यहाँ यह भी कहा
गया है िक िश ा म ानवृि पर बल नह िदया जाता अिपतु आंकड़ तथा िववरण का ततु ीकरण मु य है। इस पाठ
म परी ा णाली पर भी िच लगाया गया है।
3. बड़े भाई साहब का मानना है िक जीवन क समझ के वल पु तक पढ़ने से नह आती। यह समझ तो जगत म जीवन जीने
से आती है। उनका यह मानना था िक अ मा और दादा भले ही उन िजतनी िकताब न पढ़ ह लेिकन अपने अनभु व के
आधार पर उ ह दिु नयादारी क असं य बात पता थ । ऐसी हजार बात ितिदन के जीवन म आत ह िजनका समाधान
अनभु व और समझ से होता है। बड़े भाई साहब उ और अनभु व को बहत मह व देते थे।
4. बड़े भाई साहब ने छोटे भाई को बताया िक भले ही वह पढ़ाई म उनके करीब आ गया हो िक तु जीवन का अनभु व उसे
कम ही है य िक वह छोटा है, यिद आज कोई िवपि आए तो वह घबरा जाएगा लेिकन यिद दादा ह तो वे िकसी भी
ि थित को बड़ी होिशयारी से संभालगे। दादा अपनी थोड़ी-सी कमाई म िकतनी समझदारी से घर चलाते ह, जबिक दादा
हम जो भेजते ह, वे खच हो जाते ह और िफर धोबी और नाई से मँहु चरु ाते ह। ऑ सफोड से पढ़े हेडमा टर साहब का
घर उनक माँ चलाती ह। बड़े भाई साहब ने छोटे को कहा िक वह उसे कभी भी गलत राह पर नह चलने देगा। बड़े भाई
साहब क ये बात सनु कर लेखक के मन म उनके ित ा पैदा हई।
5. बड़े भाई क वभावगत िवशेषताएँ िन निलिखत ह-
क. बड़े भाई साहब अ यंत प र मी ह।
ख. बड़े भाई साहब अ यंत संयमी और कत यपरायण यि थे।
अिवनाश रंजन गु ा पश भाग -2 पृ # 3
ग. बड़े भाई साहब बड़ का आदर करते थे।
घ. बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई को सदा सही रा ते पर चलने क सलाह देते थे।
ङ. बड़े भाई साहब क िचंतन शि उ च कोिट क थी।
6. बड़े भाई साहब िज़ंदगी के अनभु व को िकताबी ान से अिधक मह वपणू बताया है। उनका मानना था िक िकसी के
पास िकताबी ान िकतना ही हो लेिकन उ के साथ जो अनभु व आता है वही जीवन म सही-गलत का फ़ै सला लेने म
अिधक मदद करता है। उनका मानना था क बजु गु ने चाहे िड ी ा न क हो लेिकन अपने अनभु व के आधार पर
उ ह जीवन के उिचत और अनिु चत का सही ान होता है। कूल के हेडमा टर ने ऑ सफोड से एम. ए. िकया था परंतु
घर चलाने म फ़े ल हो गए। उनका घर उनक बढ़ू ी माँ सफलता और कुशलता से चलाती ह जो अनभु व का प रचायक
है।
7. क. जब बड़ा भाई दो बार फ़े ल हो जाता है तथा छोटा भाई क ा म अ वल आकर पतंगबाज़ी म अपना समय िबताने
लगता है तो उसका बड़ा भाई समझाता है िक भले ही वह फ़े ल हो गया है िक तु वह बड़ा है और उसे यँू गलत रा ते पर
न जाने देगा। बड़े भाई क बात सनु कर छोटे भाई क आँख भर आई।ं बड़े भाई साहब ने छोटे भाई से कहा िक इस व
तु ह मेरी बात जहर लग रही ह गी, छोटा बोला – हरिगज नह ।
ख. भाई साहब को िज़ंदगी का अ छा अनभु व है। वे जानते ह िक दादा अपनी मेहनत क कमाई िकस कार हमारी पढ़ाई
पर खच कर रहे ह। प रवार का भी पालन सही तरीके से कर रहे ह। वह यह भी जानते ह िक यिद वे अपने आचरण और
यवहार पर काबू नह रखगे तो छोटे भाई को कै से संभाल पाएँगे।
ग. बड़े भाई साहब जब छोटे भाई को समझा रहे थे तभी संयोग से एक कटी हई पतंग उन दोन के करीब से आई। उस पतंग
क डोर लटक रही थी। बड़े भाई साहब लंबे थे उ ह ने लपक कर डोर ख च ली और पतंग लेकर हॉ टल क तरफ भागे।
यह हरकत बताती है िक बड़े भाई साहब को भी दसू रे लड़क क तरह पतंग उड़ाने और लटू ने का मन होता था।
घ. जब भी लेखक खेलकूद म अिधक समय लगाते थे तथा पढ़ाई पर यान न देते थे तो बड़े भाई साहब उ ह डाँटते थे। बड़े
भाई साहब उ ह हर समय दिु नया म या ठीक है या गलत, समझाते रहते थे। वह चाहते थे िक उनका छोटा भाई सदा
सही रा ते म आगे बढ़े।

िलिखत
(ग) िन निलिखत के आशय प क िजए-
1. इि तहान पास कर लेना कोई चीज़ नह , असल चीज़ है बिु का िवकास।
2. िफर भी जैसे मौत और िवपि के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन म जकड़ा रहता है, म फटकार और
घड़ु िकयाँ खाकर भी खेल—कूद का ितर कार न कर सकता था।
3. बिु नयाद ही पु ता न हो, तो मकान कै से पायेदार बने?
4. आँख आसमान क ओर थ और मन उस आकाशगामी पिथक क ओर, जो मंद गित से झमू ता पतन क ओर चला
आ रहा था, मानो कोई आ मा वग से िनकलकर िवर मन से नए सं कार हण करने जा रही हो।
1. इस कथन ारा बड़े भाई साहब यह बताना चाहते थे िक िकताब पढ़कर कोई भी परी ा म उ ीण हो सकता है। यह मा
पु तक य ान ा करने का माग है, पर जीवन म पु तक य ान से अिधक िववेक और अनभु व क आव यकता पड़ती
है। उनके मतानसु ार जीवन का अंितम ल य बिु का िवकास होना चािहए।

अिवनाश रंजन गु ा पश भाग -2 पृ # 4


2. जीवन म भले ही िकतनी मसु ीबत य न आ जाए, पर मनु य कभी भी मोह-माया से अलग नह रह सकता। उसी कार
लेखक बड़े भाई साहब से खबू डाँट खाने के बाद भी अपने टाइम-टेबल का अनसु रण एक िदन भी नह िकया।
3. इस कथन का आशय यह है िक महल बनाने के िलए िजस तरह मज़बत ू न व क आव यकता होती है उसी तरह बड़े
भाई साहब अपनी िश ा क बिु नयाद प क करना चाहते थे। वे एक साल क पढ़ाई म दो-दो , तीन-तीन साल लगा
देते थे।
4. इस कथन का आशय यह है िक आकाश म उड़कर नीचे आते पतंग को आकाश का राहगीर बताया गया है। वह धीमी
गित से नीचे आ रही थी, जैसे कोई आ मा िवर होकर नीचे आ रही हो। नीचे आती पतंग पर नज़र िटकाए लेखक उसी
पतंग क िदशा क तरफ़ भागे जा रहे थे। उ ह इधर-उधर से आने वाली िकसी भी चीज़ क कोई खबर न थी।
भाषा अ ययन
1. नसीहत- मशवरा, सलाह, सीख।
रोष- गु सा, ोध, ोभ।
आजादी- वाधीनता, वतं ता, मिु ।
राजा- महीप, भपू ित, नृप।
ताजु ब- आ य, अचंभा, अचरज।
2.
महु ावरे वा य
िसर पर नंगी तलवार लटकना उधार लेने के कारण रोहन के िसर पर हमेशा साहकार क नंगी तलवार लटकती
रहती है ।
आड़े हाथ लेना िपता ने राम क गलती पर उसे आड़े हाथ िलया।
अंधे के हाथ बटेर लगना कम पढ़े-िलखे रमेश को इतनी अ छी नौकरी का लगना जैसे अंधे के हाथ बटेर
का लगना है।
लोहे के चने चबाना आजकल के न ह-मु ने ब च को संभालना और उनके के उ र देना लोहे
के चने चबाने क तरह है ।
दाँत पसीना आना गिणत के इन सवाल ने तो मेरे दाँत पसीने िनकाल िदए ।
ऐरा-गैरा न थू खैरा अब तो यही बात हो गई िक कोई भी ऐरा-गैरा आएगा और उपदेश देने लगेगा ।
3.
त सम त व देशज आगत
चे ा ,सिू बाण ,आिधप य जानलेवा,आँखफोड़ घड़ु िकयाँ तालीम,ज दबाजी
मेला ,फटकार , ात:काल प ना,भाईसाहब पेशल ,पु ता क म
िवि पणु ,अवहेलना टाइम-टेिबल,जमात
हफ़ ,तमाशा ,मसलन
4.
(क) सकमक
अिवनाश रंजन गु ा पश भाग -2 पृ # 5
(ख) सकमक
(ग) सकमक
(घ) सकमक
(ङ) सकमक
(च) अकमक
5. वैचा रक, ऐितहािसक, सांसा रक, दैिनक, नैितक, ायोिगक, आिधका रक

महु ावरे
1. ाण सख
ू ना – अ यिधक डर लगना 19. पापड़ बेलना – किठन प र म
2. पहाड़ होना – किठन काय 20. आटे-दाल का भाव – स चाई का पता चलना
3. हँसी खेल न होना – आसान काम न होना 21. ज़मीन पर पाँव न रखना – बहत खश
ु होना
4. आँख फोड़ना – किठन काम करना 22. आड़े हाथ लेना – खबू सनु ना
5. खनू जलाना – अ यिधक प र म करना 23. तलवार ख चना – नाराज़ होना
6. घ घे होना – िनरा बु ू होना 24. घाव पर नमक िछड़कना – दख
ु ी करना
7. गाढ़ी कमाई – मेहनत से कमाए गए पैसे
8. लगती बात – िदल दख
ु ाने वाली बात
9. िजगर के टुकड़े होना – िनराश होना
10. जान तोड़ना – प र म करना
11. बतू े के बाहर होना – असमथ होना
12. ाण िनकालना – डर जाना
13. िसर पर नंगी तलवार लटकना – भय होना
14. िसर िफरना – पागल हो जाना
15. अंधे के हाथ बटेर लगना – अचानक कोई क मती व तु ा हो जाना
16. दाँत पसीना आना – किठन काय करते समय िह मत छूटना
17. लोहे के चने चबाना- किठन काय
18. िदमाग च कर खाना – कुछ समझ म न आना

अिवनाश रंजन गु ा पश भाग -2 पृ # 6

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