Professional Documents
Culture Documents
दनु िय ां में कुछ ब तें कब और कैसे हो ज ती हैं, ये कहि बहुत मश्ु ककल है । श्जसके ब रे में आपिे कभी कल्पि
भी िह ां की होती, वैसी घटि यें आपके जीवि को परू तरह से बदलकर रख दे ती हैं। ब त इधर उधर घम ु िे की
जगह सीध कह िी पर आत हूूँ।
मैं मब
ुां ई में रहत थ और वह ां एक प्र इवेट फमम में िौकर करिे के स थ कांप्यट
ू र कोसम भी करत थ । मेर बड़ी
बहि भी वह ां रहती थी रहती थी। उसक पनत एक प्र इवेट फमम में क म करत थ । अच्छ कम त थ , और
उसिे एक छोट स एक बेडरूम व ल फ्लैट ले रख थ । उिक घर छोट होिे के क रण मैं वह ां िह ां रह सकत
थ । मगर उिके घर के प स ह मैंिे भी एक कमर ककर ये पर ले ललय थ ।
एक ओर स इड में रसोई और दस
ू र तरफ लैदिि और ब थरूम। र त में द द बेडरूम के दरव जे को परू तरह बांद
िह ां करती थी, केवल सट भर दे ती थी। अगर दरव ज थोड़ स भी अलग होत थ तो उसके कमरे की ि ईट
बल्ब की रोशिी मझ
ु े ड्र इांग रूम में भी आती थी। दरव जे के खुले होिे के क रण मझ
ु े र त को जब मठ
ु म रिे
की तलब लगती थी तब मझ
ु े बड़ी स वध िी बरतिी पड़ती थी। क्योंकी हमेश डर लग रहत थ की पत िह ां
द द कब ब हर आ ज येगी। लड़ककयों के प्रनत आकर्मण तो शरू
ु से थ । आस-प स की लड़ककयों और श द शद
ु
औरतों को दे ख-दे खकर मठ
ू म र करत थ । द द के स थ रहते हुए मैंिे इस ब त को महसस
ू ककय की मेर
द द व कई बहुत ह खूबसरू त औरत है ।
ऐस िह ां थ की द द श द के पहले खब
ू सरू त िह ां थी। द द एकदम गोर चचट्ट और तीखे ि क-िक्शे व ल
थी। पर द द और मेर उम्र के बीच कर ब 6 से 7 स ल क फकम थ , इसललए जब द द कूँु व र थी तो मेर
उतिी समझद र ह िह ां थी की मैं उिकी सन्
ु दरत को समझ प त य कफर उसक आकलि कर प त । कफर
श द के ब द द द अलग रहिे लगी थी।
1
अब जब मैं जव ि और समझद र हो गय थ और हम दब
ु र स थ रहिे लगे, तो मझ
ु े अपिी द द को क फी
िजद क से दे खिे क अवसर लमल रह थ और यह अहस स हो रह थ की व कई मेर बहि ल खों में एक हैं।
श द के ब द से उसक बदि थोड़ मोट हो गय थ । मतलब उसमें भर व आ गय थ । पहले वो दब
ु ल पतल
थी मगर अब उसक बदि गदर गय थ । श यद ये उम्र क भी असर थ क्योंकी उसकी उम्र भी 31-32 स ल के
आस प स की हो गई थी।
उसके गोरे सड
ु ौल बदि में गजब क भर व और लोच थ । चलिे क अांद ज बेहद आकर्मक और क्य कह सकते
हैं कोई शब्द िह ां लमल रह श यद सेक्सी थ । कभी चस्
ु त सलव र कमीज तो कभी स ड़ी ब्ल उज़ जो भी वो
पहिती थी उसक बदि उसमें और भी ज्य द निखर ज त थ । चुस्त सलव र कुती में तो हद से ज्य द सेक्सी
ददखती। द द जब वो पहिती थी उस समय सबसे ज्य द आकर्मण उसकी ट ांगों में होत थ । सलव र उसके पैरों
से एकदम चचपकी हुई होती थी।
जैस की आप सभी ज िते हैं ज्य द तर अपिे यह ूँ जो भी चुस्त सलव र बिती है वो झीिे सत
ू ी कपड़ों की होती
है । इसललए द द की सलव र भी झीिे सत
ू ी कपड़े की बिी होती थी और वो उसके ट ांगों से एकदम चचपकी हुई
होती। कमीज थोड़ी लम्बी होती थी मगर ठीक कमर के प स आकर उसमें जो कट होत थ असल में वह ां
ज िलेव होत थ ।
कमीज क कट चलते समय जब इधर से उधर होत तो चस् ु त सलव र में कसी हुई म ांसल ज ांघें और चत
ू र ददख
ज ते थे। कववत द द की ज ांघें एकदम ठोस, गदर ई और मोट कन्दल के खांभे जैसी थी कफर उसी अिप ु त में
चत
ू र भी थे। एकदम मोटे मोटे , गोल-मटोल गदर ये, म ांसल और गद्दे द र जो चलिे पर दहलते थे। सीदढ़यों पर
चढ़ते समय कई ब र मझु े कववत द द के पीछे चलिे क अवसर प्र प्त हुआ थ । सीदढ़य ां चढ़ते समय जब स ड़ी
य सलव र कमीज में कसे हुए उिके चूतर दहलते थे, तो पत िह ां क्यों मझ
ु े बड़ी शलमिंदगी महसस
ू होती थी।
इसक क रण श यद ये थ की मझ
ु े उम्र में अपिे से बड़ी और भरे बदि व ल लड़ककय ां य औरतें ज्य द अच्छी
लगती थी।
पर इसके क रण आत्मग्ल िी भी होती थी और मैं उिसे आूँखें िह ां लमल प त थ । द द की चूतर और ज ांघों में
जो म ांसलत आई थी, वह उिकी चचू चयों में भी दे खिे को लमलती थी। उिके मोटे चत
ू र और ग ण्ड के अिप
ु त
में ह उिकी चूचचय ां भी थीां।
चचू चयों के ब रे में यह कह सकते हैं की इतिी बड़े हों की आपकी हथेल में िह ां सम ये पर इतिे ज्य द बड़े भी
ि हो की दो ह थों की हथेललयों से भी ब हर निकल ज यें। कुल लमल कर ये कहे तो शर र के अिप
ु त में हो। कुछ
2
18-19 स ल की लड़ककय ां जो की दे खिे में खूबसरू त तो होंगी मगर उिकी चूचचय ां निम्बू य सांतरे के आक र की
होती हैं। जव ि लड़ककयों की चचू चयों क आक र कम से कम बेल य ि ररयल के फल श्जति तो होि ह
च दहए। निम्बू तो चौदह-पांद्रह स ल की छोकररयों पर अच्छ लगत है । कई ब र ध्य ि से दे खिे पर पत चल
प त है की पश
ु अप ब्र पहिकर फुल कर घम
ू रह है । इसी तरह कुछ की ऐसी ढ ल और इतिी बड़ी-बड़ी होंगी की
दे खकर मड
ू खर ब हो ज येग ।
लोगों क मझ
ु े िह ां पत मगर मझ
ु े तो एक स इज में ढल चचू चय ां ह अच्छी लगती है । श र ररक अिप
ु त में
ढल हुई, त कक ऐस ि लगे की परू े बदि से भ र तो चूचचय ां है य कफर चूची की जगह पर सप ट छ ती ललए
घम
ू रह हों। सन्
ु दर मख
ु ड़ और िक
ु ील चूचचय ां ह लड़ककयों को म ल बि ती हैं।
द द की वपांडललय ां भी म ांसल और चचकिी थी। वो हमेश एक पतल स प यल पहिे रहती थी। मैं कववत द द
को इन्ह ां वस्रो में दे खत रहत थ । मगर कफर भी उिके स थ एक सम्म ि और इज्ज़त भरे ररकते की सीम ओां
को ल ांघिे के ब रे में िह ां सोचत थ । वो भी मझ
ु े एक म सम
ू स लड़क समझती थी और भले ह ककसी भी
अवस्थ य कपड़े में हो, मेरे स मिे आिे में िह ां दहचककच ती थी। ड्र इांग रूम में बैठे हुए रसोई में जह ां वो ख ि
बि ती थी वो सब ड्र इांग रूम में रखे अल्मीर में लगे आईिे (लमरर) में स्पष्ट ददख ई पड़त थ । कई ब र द द
पशीि पोंछिे के ललए ललए अपिे पेट कोट क इकतेम ल करती थी। पेट कोट के निचले भ ग को ऊपर उठ कर
चेहरे क पशीिे के पोंछते हुए कई ब र मैंिे आईिे में दे ख ।
पेट कोट के निचले भ ग को उठ कर जब वो थोड़ नतरछ होकर पशीि पोंछती थी तो उिकी गोर , बेद ग, मोट
ज ांघें ददख ज ती थीां। एक ददि गमी बहुत ज्य द थी और द द सफेद रां ग क पेदटकोट और ल ल रां ग क ब्ल उज़
पहिकर ख ि बि रह थी। उस ददि मैं रसोई में किज से प िी लेिे दो-तीि ब र गय । रसोई में द द को बहुत
पशीि आ रह थ ।
3
उसके चेहरे और पेट पर पशीि स फ ददख रह थ । पशीिे के क रण सफेद रां ग क पेट कोट उिके चूतरों से
चचपक गय थ । ब्ल उज़ भी क फी भीग गय थ और उसकी चचू चयों से चचपक गय थ । ध्य ि से दे खिे पर
मझ
ु े ऐस लग जैसे उिकी चूचचयों के निप्पल भी ब्ल उज़ के ऊपर से ददख रहे थे। श यद द द िे गमी के
क रण ब्र िह ां पहि थ । मैं किज़ से प िी निक लकर पी रह थ । तभी वो िीचे झुक कर कुछ करिे लगी,
उिके चूतर मेर आूँखों के स मिे परू तरह से उभरकर आ गए। पशीिे से भीग पेट कोट परू तरह से चचपक
गय थ और दोिों चूतर ददखिे लगे थे।
िीले रां ग की पैंट और उसके ककि रे स फ िजर आ रहे थे। पेट कोट क कपड़ भीांगकर उिकी ग ण्ड की दर र में
फूँस ज त , अगर उन्होंिे पैंट िह ां पहिी होती। मैं एकदम से घबर गय और भ गकर जल्द से रसोई से निकल
गय । शक्र
ु व र की र तों को मैं आमतौर पर बहुत दे र से सोत थ । क्योंकी अगले ददि शनिव र और रववव र मेरे
आकफस में छुट्ट होती थी। ऐसे ह एक शनिव र के ददि मेरे जीवि में एक िय मोड़ आय ।
शक्र
ु व र की र त थी और द द हमेश की तरह 11:00 बजे र त को सोिे चल गई थी। मैं दे र र त तक केबल
पर कफल्म दे खत रह । अगले ददि शनिव र को मेर िीांद बहुत दे र से खुल । छुट्ट के ददिों में द द मझ
ु े जग ती
िह ां थी। क्योंकी घर में सभी ज िते थे की मझ
ु े दे र तक सोि पसांद थ । उस ददि ऐस ह हुआ थ ।
मैंिे जब घड़ी दे खी तो उस समय ददि के 10:00 बज रहे थे। मैं घबर कर जल्द से उठ । अपिे च रों तरफ
दे खते ह मझु े अहस स हो गय की द द बहुत पहले उठ चक ु ी है क्योंकी, परू े घर की सफ ई हो चक
ु ी थी। मझु े
अपिे दे र से उठिे की आदत पर शलममन्दगी हुई। जल्द से ब्रश ककय और च य के ललए रसोई में ज कर खद ु से
च य बि ललय और पेपर पढ़ते हुए च य पीिे लग । बबि च य वपए मझ ु े सब
ु ह में ब थरूम ज िे में प्र बलम
होती थी। द द श यद घर में िह ां थी, पड़ोस में ककसी के प स गई थी।
च य खतम करके मैं लैदिि चल गय । ये लैदिि पहले सेपरे ट िह ां थ । मतलब ब थरूम के स थ ह लमल हुआ
थ और एक ह दरव ज थ । इसके क रण बहुत असवु वध होती थी। क्योंकी एक आदमी के घस ु िे से ह लैदिि
और ब थरूम दोिों इांगेज हो ज ते थे। अगर घर में ज्य द सदस्य ि हों तब तो कोई प्र बलम िह ां होती थी,
मगर गेस्टस के आ ज िे पर समस्य खड़ी हो ज ती थी। लैदिि ब थरूम सेपरे ट रहिे पर दो आदमी एक स थ दो
क म कर सकते थे। इसललए लैदिि और ब थरूम दोिों को सेपरे ट कर ददय गय । इसके ललए ब थरूम के बीच में
लकड़ी के पट्टों की सह यत से एक ददव र बि द गई।
ददम ग क क म अब लण्ड कर रह थ । मेर आूँखें लकड़ी के पट्टों के बीच ऊपर से िीचे की तरफ घम
ू िे लगी
और अच िक मेरे मि की मरु द जैसे परू हो गई। लकड़ी के दो पट्टों के बीच थोड़ स गैप रह गय थ । सबसे
पहले तो मैंिे धीरे से ह थ बढ़ कर ब थरूम श्स्वच आफ ककय कफर लकड़ी के पट्टों के गैप पर अपिी ऑ ांखें जम
द।
द द की पीठ लकड़ी की ददव र की तरफ थी। वो सफेद पेट कोटो़ और क ले ब्ल उज़ में िल के स मिे खड़ी थी।
िल खोलकर अपिे कांधों पर रखे तौललये को अपि एक ह थ बढ़ कर िल की बगल व ल खट
ांू पर ट ांग ददय ।
कफर अपिे ह थों को पीछे लेज कर अपिे खुले रे शमी ब लों को समेटकर जूड़ बि ददय । ब थरूम के कोिे में बिे
रै क से एक क्रीम की बोतल उठ कर उसमें से क्रीम निक ल-निक लकर अपिे चेहरे के आगे ह थ घम
ु िे लगी।
पीछे से मझ
ु े उिक चेहर ददख ई िह ां दे रह थ मगर ऐस लग रह थ की वो क्रीम निक लकर अपिे चेहरे पर
ह लग रह है ।
मेरे बदि में लसहरि दौड़ गई। मैं कुछ दे ख तो सकत िह ां थ मगर मेरे ददम ग िे बहुत स र कल्पि यें कर
ड ल । पेश ब करिे की आव ज सि ु कर कूँु व रे लण्ड िे झटक ख य । मगर अफसोस कुछ दे ख िह ां सकत थ ।
कफर थोड़ी दे र में वो उठकर खड़ी हो गई और अपिे ह थों को कुहिी के प स से मोड़कर अपिी छ ती के प स
कुछ करिे लगी। मझ
ु े लग जैसे वो अपि ब्ल उज़ खोल रह हैं। मैं दम स धे ये सब दे ख रह थ । मेर लण्ड
इतिे में ह एकदम खड़ हो चुक थ । द द िे अपि ब्ल उज़ खोलकर अपिे कांधों से धीरे से िीचे की तरफ
सरक ते हुए उत र ददय ।
उिकी गोर चचकिी पीठ मेर आूँखों के स मिे थी। पीठ पर कांधों से ठीक थोड़ स िीचे एक क ले रां ग क नतल
थ और उससे थोड़ िीचे उिकी क ल ब्र क स्िै प बांध हुआ थ । इतिी सन् ु दर पीठ मैंिे श यद केवल कफल्मी
हे रोइिों की, वो भी कफल्मो में ह दे खी थी। वैसे तो मैंिे द द की पीठ कई ब र दे खी थी मगर ये आज पहल
ब र थ जब उिकी परू पीठ िांगी मेर स मिे थी, केवल एक ब्र क स्िै प बांध हुआ थ । गोर पीठ पर क ल ब्र
क स्िै प एक कांि स्ट पैद कर रह थ और पीठ को और भी ज्य द सन्ु दर बि रह थ । मैंिे सोच की श यद
द द अब अपिी ब्र खोलेंगी मगर उन्होंिे ऐस िह ां ककय । अपिे दोिों ह थों को ब र -ब र से उठ कर वो अपिी
क ांख को दे खिे लगी।
एक ह थ को उठ कर दस
ू रे ह थ से अपिी क ांख को छूकर श यद अपिी क ांख के ब लों की लम्ब ई क अांद ज
लग रह थी। कफर वो थोड़ स घम
ू गई स मिे लगे आईिे में अपिे आपको दे खिे लगी। अब द द क मूँह
ु
ब थरूम में रखे रै क और उसकी बगल में लगे आईिे की तरफ थ । मैं सोच रह थ क श वो परू मेर तरफ घम
ू
ज ती, मगर ऐस िह ां हुआ। उिकी द दहिी स इड मझ
ु े परू तरह से िजर आ रह थी। उिक द दहि ह थ और
5
पैर जो की पेट कोटो़ के अन्दर थ , पेट और ब्र में कैद एक चच
ू ी, उिक चेहर भी अब चूँ क
ू ी स इड से िजर आ
रह थ , इसललए मैंिे दे ख की मेर सोचि ठीक थ और उन्होंिे एक पीले रां ग क फेसम स्क लग य हुआ थ ।
अपिे सन्
ु दर मख
ु ड़े को और ज्य द चमक िे के ललए।
और अपिे ह थ को पीछे लेज कर अपिी ब्र क स्िै प खोल ददय और अपिे कांधों से सरक कर बह र निक ल
कर फशम पर ड ल ददय और जल्द से िीचे बैठ गई। अब मझ
ु े केवल उिक लसर और थोड़ स गदम ि के िीचे
क भ ग िजर आ रह थ । अपिी ककस्मत पर बहुत गस् ु स आय । क श द द स मिे घम
ू कर ब्र खोलती य कफर
जब वो स इड से घम
ू ी हुई थी तभी अपिी ब्र खोल दे ती, मगर ऐस िह ां हुआ थ और अब वो िीचे बैठकर
श यद अपिी ब्ल उज़ और ब्र और दस ू रे कपड़े स फ कर रह थी।
मैंिे पहले सोच की निकल ज ि च दहए, मगर कफर सोच की िह एगी तो खड़ी तो होगी ह , ऐसे कैसे िह
लेगी। इसललए चुप-च प यह लैदिि में ह रहिे में भल ई है । मेर धैयम रां ग ल य , थोड़ी दे र ब द द द उठकर खड़ी
हो गई और उसिे पेट कोट को घट
ु िों के प स से पकड़कर ज ांघों तक ऊपर उठ ददय ।
मेर कलेज एकदम धक से रह गय । द द िे अपि पेदटकोट पीछे से परू ऊपर उठ ददय थ । इस समय
उिकी ज ांघें पीछे से परू तरह से िांगी हो गई थीां। मझ
ु े औरतों और लड़ककयों की ज ांघें सबसे ज्य द पसांद आती
हैं। मोट और गदर ई ज ांघें जो की श र ररक अिप
ु त में हो, ऐसी ज ांघें। पेट कोट के उठते ह मेरे स मिे ठीक
वैसी ह ज ांघें थीां, श्जिकी कल्पि करके मैं मठ
ु म र करत थ । एकदम चचकिी और म ांसल। श्जि पर हल्के-
हल्के द ांत गड़ कर क टते हुए जीभ से च ट ज ये तो ऐस अिोख मज आएग की बय ि िह ां ककय ज सकत ।
6
द द की ज ांघें म ांसल होिे के स थ सख्त और गठी हुई थी, उिमें कह से भी थल
ु थुल पि िह ां थ । इस समय
द द की ज ांघें केले के पेड़ के चचकिे तिे की सम ि ददख रह थीां।
मैंिे सोच की जब हम केले के पेड़ के तिे को अगर क टते है य कफर उसमें कुछ घस
ु ते हैं, तो एक प्रक र क
रां गह ि तरल पद थम निकलत है । श यद द द की ज ांघों को चूसिे और च टिे पर भी वैस ह रस निकलेग । मेरे
मूँह
ु में प िी आ गय । लण्ड के सप
ु ड़े पर भी प िी आ गय थ । सप
ु ड़े को लकड़ी के पट्टे पर हल्क स सट
कर उस प िी को पोंछ ददय और पैंट में कसी हुई द द के चत ू रों को ध्य ि से दे खिे लग । द द क ह थ इस
समय अपिी कमर के प स थ और उन्होंिे अपिे अांगठ ू े को पैंट के इल श्स्टक में फूँस रख थ । मैं दम स धे
इस ब त क इन्तेज र कर रह थ की कब द द अपिी पैंट को िीचे की तरफ सरक ती है । पेट कोट कमर के
प स जह ां से पैंट की इल श्स्टक शरू
ु होती है वह ां पर ह थों के सह रे रुक हुआ थ ।
कुछ दे र तक उसको दे खिे के ब द वो कफर से िीचे बैठ गई और अपिी पैंट स फ करिे लगी। कफर थोड़ी दे र
ब द ऊपर उठी और अपिे पेट कोट के ि ड़े को खोल ददय । मैं ददल थ मकर इस िज रे क इन्तेज र कर रह थ ,
कब द द अपिे पेट कोट को खोलेंगी और अब वो क्षण आ गय थ । लौड़े को एक झटक लग और द द के
पेट कोट खोलिे क स्व गत एक ब र ऊपर-िीचे होकर ककय । मैंिे लण्ड को अपिे ह थ से पकड़कर ददल स
ददय । ि ड़ खोलकर द द िे आर म से अपिे पेट कोट को िीचे की तरफ धकेल , तो पेट कोट सरकत हुआ धीरे -
धीरे पहले उसके तरबज
ू े जैसे चूतरों से िीचे उतर कफर ज ांघों और पैर से सरक कर िीचे चगर गय ।
ह ल ूँकक मझ
ु े केवल उिके वपछले भ ग क िज र लमल रह थ , कफर भी मेर ह लत खर ब करिे के ललए इति
ह क फी थ । गोर चचकिी पीठ श्जस पर ह थ ड लो तो सीध कफसलकर चूतर पर ह रुकेग । पीठ के ऊपर
क ल नतल, ददल कर रह थ आगे बढ़कर उसे चूम ल।ूां र ढ़ की हड्ड़डयों की ल इि पर अपिे तपते होंठ रखकर
चूमत चल ज ऊूँ।
7
उिके श र ररक अिप
ु त में, पतल कमर के ठीक िीचे मोटे म ांसल चूतर थे। उि दो मोटे -मोटे चूतरों के बीच
ऊपर से िीचे तक एक मोट लकीर सी बिी हुई थी। ये लकीर बत रह थी की जब द द के दोिों चत
ू रों को
अलग ककय ज येग तब उिकी ग ण्ड दे खिे को लमल सकती है य कफर यदद द द कमर के प स से िीचे की
तरफ झक
ु ती हैं तो चूतरों के फैलिे के क रण ग ण्ड के सौंदयम क अिभ
ु व ककय ज सकत है । तभी मैंिे दे ख
की द द अपिे दोिों ह थों को अपिी ज ांघों के प स ले गई कफर अपिी ज ांघों को थोड़ स फैल य और अपिी
गदम ि िीचे झुक कर अपिी ज ांघों के बीच दे खिे लगी श यद वो अपिी चूत दे ख रह थी।
मझ
ु े लग की श यद द द की चूत के ऊपर भी उसकी क ांखों की तरह से ब लों क घि जांगल होग और जरूर
वो उसे ह दे ख रह होंगी। मेर अिम
ु ि सह थ और द द िे अपिे ह थ को बढ़ कर रै क पर से कफर वह क्रीम
व ल बोतल उत र ल और अपिे ह थों से अपिी ज ांघों के बीच क्रीम लग िे लगी। पीछे से द द को क्रीम लग ते
हुए दे खकर ऐस लग रह थ जैसे वो मठ
ु म र रह है ।
क्रीम लग िे के ब द वो कफर से िीचे बैठ गई और अपिे पेट कोट और पैंट को स फ करिे लगी। मैंिे अपिे लौड़े
को आकव शि ददय की घबर ओ िह ां कपड़े स फ होिे के ब द और भी कुछ दे खिे को लमल सकत है । ज्य द
िह ां तो कफर से द द के िांगे चत
ू र, पीठ और ज ांघों को दे खकर प िी चगर लेंगे। कर ब प ांच-स त लमिट के ब द
वो कफर से खड़ी हो गई। लौड़े में कफर से ज ि आ गई। द द इस समय अपिी कमर पर ह थ रखकर खड़ी थी।
कफर उसिे अपिे चूतर को खुज य और सहल य कफर अपिे दोिों ह थों को ब र -ब र से उठ कर अपिी क ख
ां ों
को दे ख और कफर अपिी ज ांघों के बीच झ ूँकिे के ब द फशम पर पड़े हुए कपड़ों को उठ य ।
त कत लग िे के क रण द द के चत
ू र और फैल गए और गोरे चत
ू रों के बीच की गहर भरू े रां ग की ग ण्ड की
ख ईं परू तरह से िजर आिे लगी। द द की ग ण्ड की ख ईं एकदम चचकिी थी। ग ण्ड के छे द के आस-प स भी
ब ल उग ज ते हैं, मगर द द के म मले में ऐस िह ां थ । उसकी ग ण्ड, जैस की उसक बदि थ , की तरह ह
मल ई के जैसी चचकिी लग रह थी। झक
ु िे के क रण चत
ू रों के सबसे निचले भ ग से ज ांघों के बीच से द द की
चूत के ब ल भी िजर आ रहे थे। उिके ऊपर लग हुआ सफेद क्रीम भी िजर आ रह थ । चूतरों की ख ईं में
क फी िीचे ज कर जह ां चूत के ब ल थे उिसे थोड़ स ऊपर द द की ग ण्ड की लसकुड़ी हुई भरू े रां ग की छे द थी।
उां गल के अगले लसरे भर की बर बर की छे द थी। ककसी फूल की तरह से िजर आ रह थी।
8
मसलते हुए दस
ू रे ह थ की उां गल को ग ण्ड की छे द पर ड लकर हल्के-हल्के कभी थोड़ स अन्दर कभी थोड़ स
ब हर करके चल य ज ये तो।
परू उां गल द द की ग ण्ड में ड लिे से उन्हें ददम हो सकत थ । इसललए परू उां गल की जगह आधी उां गल य
कफर उससे भी कम ड लकर धीरे -धीरे गोल-गोल घमु ते हुए अन्दर-ब हर करते हुए ग ण्ड की फूल जैसी छे द उां गल
से हल्के-हल्के म ललश करिे में बहुत मज आएग । इस कल्पि से ह मेर परू बदि लसहर गय । द द की
ग ण्ड इस समय इतिी खब
ू सरू त लग रह थी।
स रे कपड़े अब खांग ले ज चुके थे। द द सीधी खड़ी हो गई और अपिे दोिों ह थों को उठ कर उसिे एक अांगड़ ई
ल और अपिी कमर को सीध ककय कफर द दहिी तरफ घम ू गई। मेर ककस्मत श यद आज बहुत अच्छी थी।
द दहिी तरफ घम
ू ते ह उसकी द दहिी चच
ू ी जो की अब िांगी थी मेर ल लची आूँखों के स मिे आ गई। उफफ्फ…
अभी अगर मैं अपिे लण्ड को केवल अपिे ह थ से छू भर दे त तो मेर प िी निकल ज त । चच
ू ी क एक ह
स इड ददख रह थ । द द की चच
ू ी एकदम ठस सीि त ि के खड़ी थी।
निप्पलों क रां ग गल
ु बी थ , पर हल्क भरू पि ललए हुए थ । बहुत ज्य द बड़ तो िह ां थ मगर एकदम छोट
भी िह ां थ , ककशलमश से बड़ और च कलेट से थोड़ स छोट । मतलब मूँह ु में ज िे के ब द च कलेट और
ककशलमश दोिों क मज दे िे व ल । दोिों होंठों के बीच दब कर हल्के-हल्के दब -दब कर द ांत से क टते हुए अगर
चूस ज ये तो बबि चोदे झड़ ज िे की परू सम्भ वि थी।
9
द दहिी तरफ घम
ू कर आईिे में अपिे द दहिे ह थ को उठ कर दे ख कफर ब एां ह थ को उठ कर दे ख । कफर अपिी
गदम ि को झुक कर अपिी ज ांघों के बीच दे ख । कफर व पस िल की तरफ घम
ू गई और खांग ले हुए कपड़ों को वह ां
िल के प स बिी एक खूांट पर ट ांग ददय और कफर िल खोलकर ब ल्ट में प िी भरिे लगी। मैं समझ गय की
द द अब श यद िह ि शरू
ु करें गी। मैंिे परू स वध िी के स थ अपिी आूँखों को लकड़ी के पट्टों के गैप में लग
ददय ।
द दहिे ह थ से प िी ड लते हुए अपिे ब एां ह थ को अपिी ज ांघों बीच लेज कर धोिे लगी। ह थों को धीरे -धीरे
चल ते हुए ज ांघों के बीच के ब लों को धो रह थी। मैं सोच रह थ की क श इस समय वो मेर तरफ घम ू कर ये
सब कर रह होती तो ककति मज आत । झ ट
ां ों के स फ होिे के ब द ककतिी चचकिी लग रह होगी द द की
चूत, ये सोच क बदि में झिझि हट होिे लगी। प िी से अपिे ज ांघों के बीच स फ कर लेिे के ब द द द िे
अब िह ि शरू
ु कर ददय । अपिे कांधों के ऊपर प िी ड लते हुए परू े बदि को लभग ददय । ब लों के जूड़े को
खोलकर उिको गील करके शैंपू लग िे लगी। द द क बदि भीग ज िे के ब द और भी खब ू सरू त और मदमस्त
लगिे लग थ । बदि पर प िी पड़ते ह एक चमक सी आ गई थी द द के बदि में ।
शैंपू से खूब स र झ ग बि कर अपिे ब लों को स फ कर रह थी। ब लों और गदमि के प स से शैंपू लमल हुआ
मटमैल प िी उिकी गदम ि से बहत हुआ उिकी पीठ पर चूते हुए िीचे की तरफ चगरत हुआ कमर के ब द सीध
दोिों चत
ू रों के बीच य िी की उिके बीच की दर र जो की द द की ग ण्ड थी में घस
ु रह थ । क्योंकक ये प िी
शैंपू लग िे के क रण झ ग से लमल हुआ थ और बहुत कम म र में थ इसललए ग ण्ड की दर र में घस
ु िे के
ब द कह ां ग यब हो ज रह थ ये मझ ु े िह ां ददख रह थ ।
अगर प िी की म र ज्य द होती तो कफर वो वह ां से निकलकर ज ांघों के अांदरूिी भ गों से ढुलकत हुआ िीचे
चगर ज त । ब लों में अच्छी तरह से शैंपू लग लेिे के ब द ब लों को लपेटकर एक गोल स बि कर गदम ि के
प स छोड़ ददय और कफर अपिे कांधों पर प िी ड लकर अपिे बदि को कफर से गील कर ललय । गदम ि और पीठ
पर लग हुआ शैंपू लमल हुआ मटमैल प िी भी धुल गय थ । कफर उन्होंिे एक स्पोंज के जैसी कोई चीज रै क
पर से उठ ल और उस से अपिे परू े बदि को हल्के-हल्के रगड़िे लगी। पहले अपिे ह थों को रगड़ कफर अपिी
छ ती को कफर अपिी पीठ को कफर बैठ गई। िीचे बैठिे पर मझ
ु े केवल गदम ि और उसके िीचे क कुछ दहस्स
ददख रह थ । पर ऐस लग रह थ जैसे वो िीचे बैठकर अपिे पैरों को फैल कर परू तरह से रगड़कर स फ कर
रह थी क्योंकक उिक शर र दहल रह थ । थोर दे र ब द खड़ी हो गई और अपिे ज ांघों को रगड़ि शरू
ु कर
ददय । मैं सोचिे लग की कफर िीचे बैठकर क्य कर रह थी?
कफर ददम ग में आय की हो सकत है अपिे पैर के तलवे और उां गललयों को रगड़कर स फ कर रह होंगी। मेर
द द बहुत सफ ई पसांद है । जैसे उसे घर के ककसी कोिे में गांदगी पसांद िह ां है उसी तरह से उसे अपिे शर र के
ककसी भी भ ग में गांदगी पसांद िह ां होगी। अब वो अपिी ज ांघों को रगड़-रगड़कर स फ कर रह थी और कफर
अपिे आपको थोड़ झुक कर अपिी दोिों ज ांघों को फैल य और कफर स्पोंज को दोिों ज ांघों के बीच लेज कर
10
ज ांघों के अांदरूिी भ ग और र ि को रगड़िे लगी। पीछे से दे खिे पर लग रह थ जैसे वो ज ांघों को जोड़ य िी
जह ूँ पर ज ांघ और पेट के निचले दहस्से क लमलि होत और श्जसके बीच में चत
ू होती है को रगड़कर स फ
करते हुए हल्के-हल्के श यद अपिी चूत को भी रगड़कर स फ कर रह थी, ऐस मेर सोचि है । वैसे चूत जैसी
कोमल चीज को ह थ से रगड़कर स फ करि ह उचचत होत ।
व कई ऐस थ य िह ां मझ
ु े िह ां पत । पीछे से इससे ज्य द पत भी िह ां चल सकत थ । थोड़ी दे र ब द थोड़
और झक
ु कर घट
ु िों तक रगड़कर कफर सीध होकर अपिे ह थों को पीछे लेज कर अपिे चत
ू रों को रगड़िे लगी।
वो थोड़ी-थोड़ी दे र में अपिे बदि पर प िी ड ल लेती थी श्जससे शर र क जो भ ग सख
ू गय होत वो कफर से
गील हो ज त थ और कफर उन्हें रगड़िे में आस िी होती थी। चूतरों को भी इसी तरह से एक ब र कफर से
गील करके खब
ू जोर जोर से रगड़ रह थी।
चूतरों को जोर से रगड़िे से कोई फकम िह ां पड़िे व ल थ , क्योंकक वह ां क म ांस बहुत मोट थ , पर जोर से
रगड़िे के क रण ल ल हो गय थ और थल-थल ते हुए दहल रह थ । मेरे ह थों में खुजल होिे लगी थी और
ददल कर रह थ की थल-थल ते हुए चूतरों को पकड़कर मसलते हुए हल्के-हल्के म रते हुए खूब दहल ऊूँ। चुत्तरों
को रगड़िे के ब द द द स्पोंज को दोिों चत
ू रों की दर र के ऊपर रगड़िे लगी कफर थोड़ स आगे की तरफ झक ु
गई श्जससे उसके चूतर फैल गए।
जैसे चत
ू के दोिों होंठ कभी मकु कुर रहे हैं, कभी ि र ज हो रहे हैं। दोिों होंठ आपस में एक दस
ू रे से एकदम सटे
हुए ददख रहे थे। होंठों के आपस में सटे होिे के मतलब ब द में समझ में आय की ऐस चत ू के बहुत ज्य द
ट इट होिे के क रण थ । दोिों फ कां एकदम गल ु बी और प वरोट के जैसे फूले हुए थे। मेरे मि में आय की
क श मैं चूत की लकीर पर ऊपर से िीचे तक अपिी उां गल चल और हल्के से दोिों फ ांकों को अलग करके दे ख
प त की कैसी ददखती है? दोिों गल
ु बी होंठों के बीच क अांदरूिी भ ग कैस है? मगर ये सपि ह रह गय ।
द द के ब ल धल
ु चक
ु े थे और वो सीधी खड़ी हो गई।
ब लों को अच्छी तरह से धोिे के ब द कफर से उिक गोल बि कर लसर के ऊपर ब ूँध ललय और कफर अपिे
कांधों पर प िी ड लकर अपिे आपको कफर से गील करके परू े बदि पर स बि
ु लग िे लगी। पहले अपिे ह थों पर
अच्छी तरह से स बि
ु लग य कफर अपिे ह थों को ऊपर उठ कर वो द दहिी तरफ घम
ू गई और अपिी क ख
ां ों को
आईिे में दे खकर उसमें स बि
ु लग िे लगी। पहले ब ईं क ांख में स बि
ु लग य कफर द दहिे ह थ को उठ कर
द दहिी क ख
ां में जब स बि
ु लग िे ज रह थी तो मझ
ु े हे यर ररमवू वांग क्रीम क कम ल दे खिे को लमल । द द की
क ांख एकदम गोर , गल
ु बी और चचकिी हो गई थी। जीभ लग कर च टो तो जीभ कफसल ज ये ऐसी चचकिी लग
रह थी।
द द िे खूब स र स बि
ु अपिी क ांखों में लग य और कफर वैसे ह अपिी छ ती पर रगड़-रगड़कर स बि
ु लग िे
लगी। छ ती पर स बि
ु क खूब स र झ ग उत्पन्ि हो रह थ । द द क ह थ उसमें कफसल रह थ और वो
अपिी ह चूचचयों के स थ खखलव र करते हुए स बि ु लग रह थी। कभी निप्पल को चुटककयों में पकड़कर उि
पर स बि
ु लग ती कभी परू चचू ी को दोिों ह थों की मट्
ु ठी में कस कर स बि
ु लग ती। स बि
ु लग िे के क रण
द द की चच
ू ी दहल रह थी और थलथल रह थी। चचू चयों के दहलिे क िज र लण्ड को बेक बू करिे के ललए
क फी थ ।
तभी द द व पस िल की तरफ घम
ू गई और कफर िीचे झुक कर पैरों पर स बि
ु लग िे के ब द सीध होकर
अपिी ज ांघों पर स बि
ु लग िे लगी। दोिों ज ांघों पर स बि
ु लग िे के ब द अपिे ह थों में ढे र स र स बि
ु क
झ ग बि कर अपिी ज ांघों को फैल कर उिके बीच अपिे ह थों को घस
ु ददय । ह थ चल ते हुए अपिी चूत पर
स बि
ु लग िे लगी।
मेर आूँखें चचुां धय रह थी और मैं अपिी आूँखों को फ ड़कर ज्य द से ज्य द उसके मद भरे यौवि क रस
अपिी आूँखों से पी ज ि च हत थ । मेरे पैर थक चक
ु े थे और कमर अकड़ चुकी थी मगर कफर भी मैं वह से
दहल िह ां प रह थ ।
अपिे परू े बदि को धो लेिे के ब द द द िे खूांट पर टां ग तौललय उत र और अपिे बदि को पोंछिे लगी। परू े
बदि को तौललये से हौले-हौले दब कर पोंछिे के ब द अपिे लसर के ब लों को तौललये से हल्के से पोंछ और
तौललये को ब लों में लपेटकर एक गोल बि ददय ।
मैं जल्द से ब हर निकल और स इड में बिे बेलसि पर अपि ह थ धोय और एक शटम पहिकर चुपच प ब हर
निकल गय । मैं ककसी भी तरह क खतर िह ां मोल लेि च हत च हत थ इसललए ब हर निकलिे के पहले
अपिे आपको सयांत ककय , अपिी उखड़ी हुई स ांसों पर क बू प य और कफर कर ब पांद्रह लमिट के ब द घर में
कफर से द खखल हुआ।
घर में घस
ु िे पर दे ख की द द अपिे कपड़े पहिकर ब लकिी में खड़ी होकर अपिे ब लों को सख
ु रह थी। पील
स ड़ी और ब्ल उज़ में आसम ि से उतर पर की तरह लग रह थी। गदम ि पीछे की तरफ करके ब लों को तौललये
से रगड़कर पोंछते हुए श यद उसे ध्य ि िह ां थ की ट इट ब्ल उज़ में ब हर की ओर उसकी चचू चय ां निकल
ज एांगी। दे खिे से ऐस लग रह थ जैसे अभी फ ड़कर ब हर निकल आएांगी। उसिे श यद थोड़ मेकअप भी कर
ललय थ ।
ब ल सखु ते हुए उसकी िजर मेरे ऊपर पड़ी तो बोल - “कह ूँ थ , बोलकर ज त । मैं कम से कम दरव ज तो बांद
कर लेती…”
मैंिे कह - “स र द द , वो मझ
ु े ध्य ि िह ां रह …”
13
कफर ब ल सख
ु िे के ब द द द अपिे कमरे में चल गई। मैं वह ां ब हर बैठकर टे ललववजि दे खिे लग । अब मैं
एक चोर बि चक
ु थ , एक ऐस चोर जो अपिी बड़ी बहि की खब
ू सरू ती को चोर छुपे हर समय निह रिे की
कोलशश में लग रहत थ । एक चोर की तरह मैं डरत भी थ की कह ां मेर चोर पकड़ी ि ज ये। हर समय
कोलशश करत रहत थ की जब द द अस्त-व्यस्त अवस्थ में लेट हों, य कुछ क म कर रह हों, तो उसकी एक
झलक ले ल।ूां दफ्तर खुल चुक थ सो ब थरूम में कफर से द द की जव िी को निह रिे क मौक िह ां लमल रह
थ । सब
ु ह-सब
ु ह िह कर लोकल पकड़कर आकफस ज त और कफर श म में ह घर पर व पस आ प त थ । िय
शनिव र और रववव र आय , उस ददि मैं क फी दे र तक लैदिि में बैठ रह पर द द ब थरूम में िह िे िह ां आई।
कफर मैंिे मौक दे खकर द द जब िह िे गई तो लैदिि में चोर से घस
ु िे की कोलशश की पर उस क म में भी
असफल रह ।
मजबरू ि निकलि पड़ । ऐसे ह हमेश कुछ ि कुछ हो ज त थ और अपिे प्रय सों में मझ
ु े असफलत ह थ
लगती। कफर मझ
ु े मौक भी केवल शनिव र और रववव र को लमलत थ । अगर इि दो ददिों में कुछ हो प त तो
ठीक है िह ां तो कफर परू े एक सप्त ह तक इांतज र करि पड़त थ । उस ददि की घटि को य द कर-करके मैंिे
ि ज िे ककतिी ब र मठ
ु म र होगी, इसक मझ
ु े खुद अहस स िह ां थ । इसी तरह एक र त जब मैं अपिे लण्ड
को खड़ करके हल्के-हल्के अपिे लण्ड की चमड़ी को ऊपर िीचे करते हुए अपिी प्य र द द को य द करके मठ ु
म रिे की कोलशश करते हुए, अपिी आूँखों को बांद करके उसके गदर ये बदि की य द में अपिे को डुब िे की
कोलशश कर रह थ , तो मेर आूँखों में पड़ती हुई रोशिी की लकीर िे मझ
ु े थोड़ बैचैि कर ददय और मैंिे अपिी
आूँखें खोल द । द द के कमरे क दरव ज थोड़ स खुल हुआ थ ।
दरव जे के दोिों पल्लों के बीच से ि ईट बल्ब की रोशिी की एक लकीर सीधे मेरे तककये के ऊपर, जह ूँ मैं
अपि लसर रखत हूूँ, पर आ रह थी। मैं आदहस्ते से उठ और दरव जों के प स ज कर सोच की इसके दोिों
पल्लों को अच्छी तरह से आपस में सट दे त हूूँ। चोर तो मेरे मि में थी ह । दोिों पल्लों के बीच से अन्दर
झ ूँकिे के लोभ पर मैं क बू िह ां रख प य । द द के गस्
ु सैल स्व भ व से पररचचत होिे के क रण मैं ज ित थ ,
कक अगर मैं पकड़ गय तो श यद इस घर में मेर आखखर ददि होग । दोिों पल्लों के बीच से अन्दर झ ांक कर
दे ख की द द अपिे पलांग पर करवट होकर लेट हुई थी। उसक मूँह
ु दरव जे के ववपर त ददश में थ । य नि की
पैर दरव जे की तरफ थ । पलांग एक स इड से द व ल से सट हुआ थ । द द द व ल की ओर मूँह
ु करके केवल
पेदटकोट और ब्ल उज़ में जैस की गमी के ददिों में वो हमेश करती है , लेट हुई थी।
पेदटकोट द द के भ र चत ू रों से चचपके हुए थे। वो श यद क फी गहर िीांद में थी। बहुत ध्य ि से सिु िे पर
हल्के खर ट
म ों की आव ज आ रह थी। मैंिे हल्के से दरव जे के पल्लों को अलग ककय और दबे प व ूँ अन्दर घसु
14
गय । मेर कलेज धक् -धक् कर रह थ मगर मैं अपिे कदमों को रोक प िे असमथम थ । मेरे अन्दर द द के
प्रनत एक तीव्र ल लस िे जन्म ले ललय थ । मैं द द के प स पहुूँचकर एक ब र सोती हुई द द को िजद क से
दे खि च हत थ । दबे कदमों से चलते हुए मैं पलांग के प स पहुूँच गय । द द क मूँह
ु दस
ू र तरफ थ । वो ब य ां
करवट होकर लेट हुई थी। कुछ पलों के ब द पलांग के प स मैं अपिी सोई हुई प्य र बहि के पीछे खड़ थ ।
मेर स ांस बहुत तेज चल रह थी। दम स धकर उि पर क बू करते हुए मैं थोड़ स आगे की ओर झुक । द द
की स ांसों के स थ उिकी छ ती धीरे -धीरे उठ बैठ रह थी।
गहरे िीले रां ग के ब्ल उज़ क ऊपर क एक बटि खल ु हुआ थ और उससे गोर -गोर छ नतयों ददख रह थीां।
थोड़ स उिके लसर की तरफ नतरछ होकर झक ु िे पर दोिों चचू चयों के बीच की गहर घ ट क ऊपर भ ग
ददखिे लग । मेरे ददम ग िे इस समय क म करि बांद कर ददय थ । श यद मैंिे सोच ललय थ की जब ओखल
में लसर दे ददय तो मस
ू ल से क्य डरि ? मैंिे अपिे द दहिे ह थ को धीरे से आगे बढ़ य । इस समय मेर ह थ
क ूँप रह थ , कफर भी मैंिे अपिे क ांपते ह थों को धीरे से द द की द दहिी चूची पर रख ददय । गद
ु ज चूचचयों
पर ह थ रखते ह लग जैसे बबजल के िांगे त र को छू ददय हो। ब्ल उज़ के ऊपर से चूची पर ह थों क हल्क
स दब ब ददय तो परू े बदि में चीांदटय ां रें गिे लगी। ककसी लड़की य औरत की चूचचयों को पहल ब र अपिे
ह थों से छुआ थ । द द की चच
ू ी एकदम सख्त थी। ज्य द जोर से दब िह ां सकत थ । क्योंकक उिके ज ग
ज िे क खतर थ ।
ब्ल उज़ क एक बटि खुल हुआ थ । मैंिे हल्के से ब्ल उज़ के ऊपर भ ग को पकड़कर ब्ल उज़ के दोिों भ गों
को अलग करके चच
ू ी दे खिे के ललए और अन्दर झ कूँ िे की कोलशश की, मगर एक बटि खुल होिे के क रण
ज्य द आगे िह ां ज सक । निर श होकर चूची छोड़कर मैं अब िीचे की तरफ बढ़ । द द की गोर चचकिी पेट
और कमर को कुछ पलों तक दे खिे के ब द मैंिे हल्के से अपिे ह थों को उिकी ज ांघों पर रख ददय । द द की
मोट मदमस्त ज ांघों क मैं द व ि थ । पेदटकोट के कपड़े के ऊपर से ज ांघों को हल्के से दब य तो अहस स हुआ
की ककतिी सख्त और गद ु ज ज ांघें है ।
ओह्ह… वह ां से सीध द द की बरु क ऊपर भ ग िजर आ रह थ । मेर परू बदि झि-झि गय । लण्ड िे
अांगड़ ई ल और फिफि कर खड़ हो गय । ऐस लग जैसे प िी एकदम सप
ु ड़े तक आकर अटक गय है और
15
अब चगर ज येग । मैं उस कट से द द के पेड़ू (पेट क सबसे निचल भ ग) के थोड़ िीचे तक दे ख प रह थ ।
चूँ क
ू ी द द को ब थरूम में िह ते हुए दे खिे के ब द से तीि हफ्ते बीत चकु े थे और श यद द द िे दब ु र कफर से
अपिे अांदरूिी ब लों की सफ ई िह ां की थी, इसललए उिकी चत ू पर झ ांटें उग गई थीां। मझ
ु े वह झ ट
ां ें ददख रह
थीां।
व सि और उत्तेजि में अांध होकर मैंिे धीरे से अपिी उां गल पेदटकोट के कट के अन्दर सरक द । मेर
उां गललयों को पेड़ू की कोमल त्वच िे जब छुआ तो मैं क ूँप गय । और मेर उां गललय ां और अन्दर की तरफ सरक
गई। चूत की झ ांटें मेर उां गललयों में उलझ चुकी थीां। मैं बहुत स वध िी से अपिी उां गललयों को उिके बीच चल ते
हुए और अन्दर की तरफ ले ज ि च हत थ । इसललए मैंिे पेदटकोट के कट को दस
ू रे ह थ की सह यत से थोड़
स और फैल य और कफर अपिी उां गल को थोड़ और अन्दर घस ु य और यह मेर सबसे बड़ी गलती स बबत हो
गई। मझ
ु े ज्य द ल लच िह ां करि च दहए थ मगर गलती हो चुकी थी।
द द अच िक सीधी होती हुई उठकर बैठ गई। अपिी िीांद से भर आूँखों को उन्होंिे ऐसे खोल ददय जैसे वो
कभी सोई ह िह ां थी। सीध मेरे उस ह थ को पकड़ ललय जो उिके पेदटकोट के ि ड़े के कट के प स थ । मैं
एकदम हक्क -बक्क स खड़ रह गय ।
द द िे मेरे ह थों को जोर से झटक ददय और एकदम सीधी बैठती हुई बोल - “हर मी… सअ ू र क्य कर रह थ ?
शमम िह ां आती तझ ु ?
े ” कहते हुए आगे बढ़कर चट क से मेरे ग ल पर एक जोरद र थप्पड़ रशीद कर ददय ।
इस जोरद र झ पड़ िे मझ
ु े ऊपर से िीचे तक एकदम झि-झि ददय । मेरे होश उड़ चक
ु े थे। ग ल पर ह थ रखे
वह हतप्रभ स खड़ मैं िीचे दे ख रह थ । द द से िजर लमल िे क तो सव ल ह पैद िह ां होत थ । द द िे
एक ब र कफर से मेर ह थ पकड़ ललय और अपिे प स खीांचते हुए मझ ु े ऊपर से िीचे तक दे ख । मैं क ूँप रह
थ । मझ
ु े लग रह थ जैसे मेरे पैरों की स र त कत खत्म हो चक
ु ी है और मैं अब िीचे चगर ज ऊांग ।
कफर उिकी िजरें मेरे ह फ पैंट पर पड़ी जो की आगे से अभी भी थोड़ स उभर हुआ ददख रह थ । दहक रत
भर िजरों से मझ
ु े दे खते हुए बोल - “यह क म करिे के ललए तू मेरे प स… नछ… उफफ्फ… कैस सअ
ू र?”
मेरे प स बोलिे के ललए कुछ भी िह ां थ मगर कफर भी दहम्मत करके हकल ते हुए मैं बोल - “वो द द म फ…
मैं… मझु े म फ… मैं अब आ-आगे…”
पर द द िे कफर से जोर से अपि ह थ चल य । चूँ कू ी वो बैठी हुई थी और मैं खड़ थ इसललए उिक ह थ सीध
मेरे पैंट में लग । ऐस उन्होंिे ज िबझ
ू कर ककय थ य िह ां मझ ु े िह ां पत । मगर उिक ह थ थोड़ मेरे लण्ड
पर लग और उन्होंिे अपि ह थ झटके से ऐसे पीछे खीांच ललय जैसे बबजल के िांगे त रों िे उिको छू ललय हो
और एकदम दख
ु ी स्वर में रुआांसी सी होकर बोल - “उफफ्फ… कैस लड़क है । अगर म ूँ सि
ु ेगी तो क्य बोलेगी?
ओह्ह… मेर तो समझ में िह ां आ रह मैं क्य करूां?”
16
ब त म ूँ तक पहुचेगी ये सि
ु ते ह मेर ग ण्ड फट गई। घबर कर कैसे भी ब त को सूँभ लिे के इर दे से हकल त
हुआ बोल - “द द … प्ल ज म फ कर दो प्ल ज… अब कभी ऐस िह ां होग । मैं बहक गय थ । आज के ब द
प्ल ज द द प्ल ज… मैं कह ां मूँह
ु िह ां ददख प ऊूँग । मैं आपके पैर…” कहते हुए मैं द द के पैरों पर चगर पड़ ।
द द इस समय एक पैर घट ु िों के प स से मोड़कर बबस्तर पर पलथी म रिे के अांद ज में रख हुआ थ और
दस
ू र पैर घट
ु ि मोड़कर स मिे सीध रखे हुए थी। मेर आूँखों से सच में आांसू निकलिे लगे थे और वो द द के
पैर के तलवे के ऊपर भ ग को लभग रहे थे। मेर आूँखों से निकलते इि प्र यश्कचत के आांसओ
ु ां िे श यद द द
को वपघल ददय और उन्होंिे धीरे से मेरे लसर को ऊपर की तरफ उठ य । ह ल कूँ क उिक गस्
ु स अभी भी कम
िह ां हुआ थ और वो उिकी आूँखों में ददख रह थ ।
द द की आव ज की कोमलत िे मझ
ु े कुछ श नां त प्रद ि की, ह ल ूँकक अभी भी मेरे ग ल उिके तगड़े झ पड़ से
झिझि रहे थे और श यद द द की उां गललयों के निश ि भी मेरे ग लों पर उग गए थे। मैं कफर से रोते हुए
बोल - “प्ल ज… द द मझ
ु े म फ कर दो। मैं अब दब
ु र ऐसी गलती…”
द द मझु े बीच में क टते हुए बोल - “मझ ु े तो तेरे भववष्य की चचांत हो रह है । ति
ू े जो ककय सो ककय , पर मैं
ज िती हूूँ। तू अब बड़ हो चक ु है । तू क्य करत है? कह ां तू अपिे शर र को बब मद तो िह ां कर रह है?”
द द िे मेरे से कफर पछ
ू - “कह ां तू कह …
ां अपिे ह थ से तो िह ां?”
17
अब द द अपिी ब त को परू तरह से स्पष्ट कर चुकी थी। मैं कोई बह ि िह ां कर सकत थ गदम ि झुक कर
बोल - “द -द द वो-वो… मझ
ु े म फ कर… म फ…”
द द को एक ब र कफर गस्
ु से में आत दे खकर मैं धीरे से उठकर द द के स मिे पलांग पर बैठ गय और एक
ग ल पर ह थ रखे हुए अपिी गदम ि िीचे ककये हुए धीरे से बोल - “ह ूँ… ह थ से… ह थ से करत … …” मैं इति
बोलकर चपु हो गय ।
मेरे अन्दर ये ज िकर थोड़ी सी दहम्मत आ गई की मैंिे द द के बदि को दे खिे की जो कोलशश की थी, उस
ब त से द द अब ि र ज िह ां हैं। बश्ल्क वो मेरे मठ
ु मरिे की आदत से परे श ि हैं। मैं द द की ओर दे खते हुए
बोल - “स र द द … मैं अब िह ां करूूँग …”
द द - “भ ई मैं तम्
ु ह रे भले के ललए ह बोल रह हूूँ। तम्
ु ह र शर र बब मद कर दे ग , ये क म। ठीक है इस उम्र में
लड़ककयों के प्रनत आकर्मण तो होत है । मगर… ये ह थ से करि सह िह ां है, ये ठीक िह ां है । र जू तमु ऐस
मत करो आगे से…”
मैं- “ठीक है द द । मझु े म फ कर दो मैं आगे से ऐस िह ां करूूँग । मैं शलमिंद हूूँ…” मैंिे अपिी गदम ि और ज्य द
झक ु ते हुए धीरे से कह ।
द द एक पल को चुप रह कफर मेर ठोड़ी पकड़कर मेरे चेहरे को ऊपर उठ ती हुई हल्क स मकु कुर ते हुई बोल -
“मैं तझ
ु े अच्छी लगती हूूँ क्य ?”
मैं एकदम से शम म गय मेरे ग ल ल ल हो गए और झेंपकर गदम ि कफर से िीचे झुक ल । मैं द द के स मिे
बैठ हुआ थ द द िे ह फ पैंट के ब हर झ ांकती मेर ज ांघों पर अपि ह थ रख और उसे सहल ती हुई धीरे से
अपिे ह थ को आगे बढ़ कर मेरे पैंट के उभरे हुए भ ग पर रख ददय ।
मैं शम मकर अपिे आप में लसमटते हुए द द के ह थ को हट िे की कोलशश करते हुए अपिे दोिों ज ांघों को आपस
में सट िे की कोलशश की, त कक द द मेरे उभ र को िह ां दे ख प एां। द द िे मेर ज घ
ां पर दब ब ड लते हुए
उिक सीध कर ददय ।
18
और मेरे पैंट के उभ र को पैंट के ऊपर से पकड़ ललय और बोल - “रुक… आर म से बैठ रह, दे खिे दे , स ले
अभी शम म रह है । चप
ु च प मेरे कमरे में आकर मझ
ु े छू रह थ । तब शमम िह ां आ रह थी तझ
ु े। कुत्ते…” द द िे
कफर से अपि गस्
ु स ददख य और मझ
ु े गल द।
मैं सहमकर चुपच प बैठ गय । द द मेरे लण्ड को छोड़कर मेरे ह फ पैंट क बटि खोलिे लगी। मेरे पैंट के बटि
खोलकर कड़कती आव ज में बोल - “चूतर उठ तो, तेर पैंट निक ल…
ूां ”
द द - “कफर से म र ख येग क्य ? जैस कहती हूूँ वैस कर…” कहती हुई थोड़ आगे खखसक कर मेरे प स आई
और अपिे पेदटकोट को खीांचकर घट ु िों से ऊपर करते हुए पहले के जैसे बैठ गई।
मैंिे चुपच प अपिे चूतरों को थोड़ स ऊपर उठ ददय । द द िे सट क से मेरे पैंट को खीांचकर मेर कमर और
चूतरों के िीचे कर ददय , कफर मेरे पैरों से होकर मेरे पैंट को परू निक लकर िीचे क रपेट पर फेंक ददय । मैं िीचे
से परू िांग हो गय थ और मेर ढ ल लण्ड द द की आूँखों के स मिे थ । मैंिे ह ल ह में अपिे लण्ड के ऊपर
उगे के ब लों को दिम ककय थ , इसललए झ ांट बहुत कम थी।
मैं ददम के म रे छटपट कर ज ांघ लसकोड़ते हुए द द क ह थ हट िे की कोलशश करते हुए पीछे खखसक ।
तब द द मेरे लण्ड को पकड़कर अपिी तरफ खीांचती हुई बोल - “हर मी, स ले मैं जब सो रह होती हूूँ तो मेर
चच
ू ी दब त है, मेर चत
ू में उां गल करत है । आग लग त है । इति मोट लौड़ लेकर घम ू त है …” और ब एां ग ल
पर तड़ क से एक झ पड़ जड़ ददय ।
द द की ब तें सि
ु कर मझ
ु े खश
ु ी हुई मैं हकल ते हुए बोल - “ह य द द मझ
ु े डर लगत है , आपसे…”
मैंिे डरते हुए द द की चूचचयों को अपिी हथेल में थ म ललय और हल्के-हल्के दब िे लग । अभी दो-तीि ब र
ह दब य थ की द द मेरे लण्ड को मरोड़ती हुई बोल - “स ले कब मदम बिेग ् ऐसे औरतों की तरह चच ू ी दब एग
तो… इति तगड़ लण्ड ह थ से ह दहल त रह ज येग । अरे मदम की तरह दब ि । डर मत… ब्ल उज़ खोल के
दब ि च हत है तो खोल दे । ह य ककति मजेद र हचथय र है तेर … दे ख इतिी दे र से मठ
ु म र रह हूूँ मगर
प िी िह ां फेंक रह …”
मैंिे मि ह मि सोच की आर म से मठ
ु म रे गी तभी तो प िी फेंकेग , यह ूँ तो जैसे ह लौड़ अपिी औक त पर
आय थ , वैसे ह एक थप्पर म रकर उसको ढ ल कर ददय । इतिी दे र में ये समझ में आ गय की अगर मझ
ु े
द द के स थ मज करि है तो बद मकत करि ह पड़ेग , चूँ क
ू ी द द िे अब खुल छूट दे द थी इसललए अपिे
मजे के अिस
ु र दोिों चचू चयों को दब िे लग , ब्ल उज़ के बटि भी स थ ह स थ खोल ददए और िीले रां ग की
छोट से ब्र में कसी द द की दोिों रसभर चूचचयों को दोिों ह थों में भरकर दब ते हुए मज लट
ू िे लग । मज
बढ़िे के स थ लण्ड की औक त में भी बढ़ोतर होिे लगी।
सप
ु ड़ गल
ु बी से ल ल हो गय थ और िसों की रे ख एां लण्ड के ऊपर उभर आई थीां। द द परू कोलशश करके
अपिी हथेल की मट्
ु ठी बि कर परू े लण्ड को कसते हुए अपि ह थ चल रह थी।
20
कफर अच िक उन्होंिे लण्ड को पकड़े हुए ह मझु े पीछे की तरफ धकेल , मेर पीठ पलांग की पकु त से ज कर
टकर ई। मैं अभी सांभल भी िह ां प य थ की द द िे थोड़ पीछे की तरफ खखसकते हुए जगह बि ते हुए अपिे
लसर को िीचे झकु ददय और मेरे ल ल आलू जैसे चमचम ते सप ु ड़े को अपिे होंठों के बीच कसते हुए जोर से
चूस । मझ
ु े लग जैसे मेर ज ि सप
ु ड़े से निकल कर द द के मूँह
ु के अन्दर सम गई हो। गद
ु गद
ु और मजे िे
बेह ल कर ददय थ ।
अपिे िौजव ि सप
ु ड़े को चमड़ी हट कर पहले कभी पांखे के िीचे हव लग त थ तो इतिी जबरदस्त सिसिी
होती थी की मैं जल्द से चमड़ी ऊपर कर लेत थ । यह ूँ द द के गरम मूँह
ु के अन्दर उिके कोमल होंठ और
जीभ िे जब अपि कम ल सप
ु ड़े पर ददख ि शरू
ु ककय तो मैं सिसिी से भर उठ । लग की लण्ड प िी छोड़
दे ग । घबर कर द द के मह
ूँु को अपिे लण्ड पर से हट िे के ललए चच
ू ी छोड़कर उिके लसर को पकड़कर ऊपर
उठ िे की कोलशश की।
इस पर द द खश
ु होती हुई बोल - “कोई ब त िह ां भ ई। ऐस होत है । आज से पहले कभी ति
ू े चस
ु व य है?”
तब द द िे मेर ह थ झटक ददय और अपिी चच ू ी पर रखती हुई बोल - “ले इसको पकड़…” और मेरे लण्ड को
अपिी मठ्
ु ठी में भरकर ऊपर िीचे करते हुए सप
ु ड़े को अपिे मूँह
ु में भरकर चसू िे लगी।
21
मैं लसलसय ते हुए दोिों ह थों में द द की कठोर चूचचयों को मसलते हुए अपिी ग ण्ड बबस्तर से उछ लते हुए
चस
ु ई क मज लेिे लग । मेर समझ में िह ां आ रह थ की मैं क्य करूां? सिसिी के म रे मेर बरु ह ल हो
गय थ । द द मेरे सप ु ड़े के च रों तरफ जीभ कफर ते हुए मेरे लण्ड को लौल प प की तरह से चूस रह थी। कभी
वो परू े लण्ड पर जीभ कफर ते हुए मेरे अांडकोर् को अपिी हथेल में लेकर सहल ते हुए चूसती, कभी मेरे लौड़े के
सप
ु ड़े के अपिे होंठों के बीच दब कर इतिी जोर-जोर से चूसती की गोल सप
ु ड़ वपचक क चपट होिे लगत
थ।
चूची छोड़कर मैं द द के लसर को पकड़कर चगड़चगड़ ते हुए बोल - “ह य द द मेर निकल ज एग । ओह्ह… सीऽ
सीऽ द द अपि मूँह ु हट लो। ओह्ह… द द … बहुत गद
ु गदु हो रह है । प्ल ज द द । ओह्ह… मूँह
ु हट लो, दे खो
मेर प िी निकल रह है…” मेरे इति कहते ह मेरे लण्ड िे एक तेज वपचक र छोड़ी।
द द एकदम खल्
ु ल्लम खल्
ु ल बोल रह थी। द द के ऐसे बोलिे पर मैं झड़िे के ब द भी सिसिी से भरकर
शम मय तो द द मेरे झड़े लण्ड को मठ्ु ठी में कसती हुई बोल - “अिचुदे लौड़े की सह पहच ि यह है की उसक
औज र एक प िी निक लिे के ब द ककतिी जल्द खड़ होत है …” कहते हुए मेरे लण्ड को अपिी हथेल में भरकर
सहल ते हुए सप
ु ड़े पर उां गल चल िे लगी।
मेरे बदि में कफर से सिसि हट होिे लगी। झड़िे के क रण मेरे पैर अभी भी क प
ूँ रहे थे।
द द मेर ओर मकु कुर ते हुए दे ख रह थी, और बोल - “इस ब र जब तेर निकलेग तो और ज्य द ट इम
लग एग । वैसे भी तेर क फी दे र में निकलत है । स ल बहुत दमद र लौड़ है तेर …”
मैं- “ह य द द ह थ से मत करो। कफर निकल ज एग …” मैं अपिे खड़े होते लण्ड को दे खते हुए बोल ।
22
इस पर द द िे मेरे ग ल पकड़ खीांचते हुए कह - “स ले ह थ से करिे के ललए तो मैंिे खुद रोक थ । ह थ से मैं
कभी िह ां रूांगी। मेरे भ ई र ज क शर र मैं बब मद िह ां होिे दां ग
ू ी…” कफर मेरे लण्ड को छोड़कर अपिे ह थ को
स इड से अपिी पेदटकोट के अन्दर लेज कर ज ांघों के बीच पत िह ां ककय , श यद अपिी बरु को छुआ और कफर
ह थ निक लकर उां गल ददख ती हुई बोल - “ह य दे ख… मेर चूत कैसे पनिय गई। बड़ मस्त लण्ड है तेर । जो भी
दे खेगी उसकी पनिय ज येगी। एकदम घोड़े के जैस है । अिचुद लौंड़डय की तो फ ड़ दे ग त।ू मेरे जैसी चुद
चूतों के ल यक लौड़ है । कभी ककसी औरत की िांगी िह ां दे खी है?”
मैं गदम ि िीचे करते हुए बोल - “वो-वो तो द द कपड़े पहिकर िह रह थी, बैठकर, पैर मोड़कर तो उसकी स ड़ी
बीच में से हट… हट गई, पर क ल -क ल ददख रह थ । जैसे ब ल हों…”
द द इस पर मकु कुर ते हुए बोल - “ओह्ह हो… मेर प्य र छोट भ ई। बेच र , कफर तझ
ु े और कोई िह ां लमल
दे खिे के ललए जो मेरे कमरे में घस
ु गय …”
मैं इस पर द द क थोड़ स ववरोध करते हुए बोल - “िह ां द द … ऐसी ब त िह ां है । वो तो… तो मैं… मेरे आकफस
में भी बहुत स र लड़ककय ां है मगर… मगर मझ
ु े िह ां पत । ऐस क्यों है… मगर मझ
ु े आप से ज्य द सन्ु दर कोई
िह ां, कोई भी िह ां लगती। मझ
ु े वो लड़ककय ां अच्छी िह ां लगती। प्ल ज… द द मझ
ु े म फ कर दो। मैं आगे से
ऐस िह ां…”
इस पर द द हूँसिे लगी और मझु े रोकते हुए बोल - “अरे रे … इति घबर िे की जरूरत िह ां है । मैं तो तम
ु से
इसललए ि र ज थी की तम ु अपि शर र बब द म कर रहे थे। मेरे भ ई को मैं इतिी अच्छी लगती हूूँ की उसे कोई
और लड़की अच्छी िह ां लगती। ये मेरे ललए गवम की ब त है , मैं बहुत खुश हूूँ। मझ
ु े तो लग रह थ की मेर उम्र
बहुत ज्य द हो चुकी है इसललए। पर इक्कीस स ल क मेर िौजव ि भ ई मझ ु े इति पसांद करत है ये तो मझ
ु े
पत ह िह ां थ …” कहते हुए आगे बढ़कर मेरे होंठों पर एक जोरद र चम्
ु म ललय ।
और कफर दब
ु र अपिे होंठों को मेरे होंठों से सट कर मेरे होंठों को अपिे होंठों में दबोचकर अपिी जीभ मेरे मूँह
ु
में ठे लते हुए चस
ू िे लगी। उसके होंठ चूसिे के अांद ज से लग जैसे मेरे कमलसि जव ि होंठों क परू रस द द
चूस लेि च हती हो। होंठ चस ू ते-चूसते वो मेरे लण्ड को अपिी हथेल के बीच दबोचकर मसल रह थी। कुछ दे र
तक ऐस करिे के ब द जब द द िे अपिे होंठ अलग ककये तो हम दोिों की स ांसे फूल गई थी।
23
मैं अपिी तेज बहकी हुई स ांसों को क बू करत हुआ बोल - “ह य द द आप बहुत अच्छी हो…”
इस पर द द हूँसते हुए बोल - “मैं सब मक्खिब जी समझती हूूँ बड़ी बहि को पट कर िीचे ललट िे के चक्कर में
है त…
ू ”
द द - “अरे ये ग्व ललि व ल चीज क्य होती है? ग्व ललि व ल चीज तो ग्व ललि के प स होगी। मेरे प स कह ूँ
से आएगी? खुल के बत ि र जू। मैं तझ
ु े कोई ड ांट रह हूूँ जो ऐसे घबर रह है । क्य दे खि है?”
“द द … वो… वो मझ
ु े च-च…
ू ”
“अच्छ तझ ु े चच
ू ी दे खिी है। वो तो मैंिे तझ
ु े ददख ददय ि । यह तो है , ले दे ख…” कहते हुए अपिी ब्र में कसी
दोिों चूचचयों के िीचे ह थ लग कर उिको उठ कर उभ रते हुए ददख य । छोट सी िीले रां ग की ब्र में कसी दोिों
गोर गदर ई चचू चय ां और ज्य द उभरकर िजरों के स मिे आई तो लण्ड िे एक ठुिकी म र , मगर ददल में
कर र िह ां आय । एक तो चचू चय ां ब्र में कसी थीां, िांगी िह ां थी। दस
ू र मैं चत
ू ददख िे की ब त कर रह थ और
द द यह ूँ चच
ू ी उभ रकर ददख रह थी।
“ओह्ह हो… तो ये चक्कर है? ये है ग्व ललि व ल चीज। स ले ग्व ललि की िह ां दे खिे को लमल तो अपिी बड़ी
बहि की दे खेग । मैं सोच रह थी तझ
ु े शर र बब द
म करिे से िह ां रोकांू गी तो म ूँ को क्य बोलग
ूां ी। यह ूँ तो उल्ट
हो रह है । दे खो म …
ूँ तम
ु िे कैस ल डल पैद ककय है? अपिी बड़ी बहि को बरु ददख िे को बोल रह है । ह य
कैस बहिचोद भ ई है मेर । मेर चूत दे खिे के चक्कर में है । उफ्फ्फ… मैं तो फूँस गई हूूँ। मझ
ु े क्य पत थ की
मठु म रिे से रोकिे की इतिी बड़ी कीमत चक ु िी पड़ेगी…”
मेर कुछ समझ में िह ां आय की द द अपि ब्ल उज़ क्यों बांद कर रह है? मैं द द के चेहरे की तरफ दे खिे
लग ।
तब द द आूँख िच ते हुए बोल - “चूत ह तो दे खिी है। वो तो मैं पेदटकोट उठ कर ददख दां ग
ू ी…” कफर तेजी से
ब हर निकल ब थरूम चल गई।
द द - “बड़ अच्छ दहस ब है तेर ? अच्छी लगती हो। अच्छी लगिे क मतलब तझ
ु े िांगी होकर ददख ऊूँ? कपड़ों
में अच्छी िह ां लगती हूूँ क्य ?”
द द - “ह य भ ई… ति
ू े जो भी सोच सह सोच । मैं अपिे भ ई को दख
ु ी िह ां दे ख सकती। मझ
ु े खुशी है की मेर
इक्कीस स ल क िौजव ि भ ई अपिी बड़ी बहि को इति पसांद करत है की वो िांग दे खि च हत है । ह य…
मेरे रहते तझ
ु े ग्व ललि जैसी औरतों की तरफ दे खिे की कोई जरूरत िह ां है । र जू मैं तझ
ु े परू िांग होकर
ददख ऊूँगी। कफर तम
ु मझ
ु े बत ि की तम
ु अपिी द द के स थ क्य -क्य करि च हते हो?”
25
मैंिे मकु कुर ते हुए कह - “ह य द द दोिों खोलो, पेट कोटो़ भी और ब्ल उज़ भी…”
“इस्स्स्स… बेशमम परू िांग करे ग । चल तेरे ललए मैं कुछ भी कर दां ग
ू ी। अपिे भ ई के ललए कुछ भी। पहले
ब्ल उज़ खोल लेती हूूँ कफर पेट कोटो़ खोलग
ूां ी, चलेग ि …” गदम ि दहल कर द द िे पछ
ू ।
मैंिे भी सहमती में गदम ि दहल ते हुए अपिे ग लो को शमम से ल ल करके द द को दे ख । द द िे चट क-चट क
ब्ल उज़ के बटि खोले और कफर अपिे ब्ल उज़ को खोलकर पीछे की तरफ घम ू गई और मझ ु े अपिी ब्र क हुक
खोलिे के ललए बोल ।
मैंिे क ांपते ह थों से उिकी ब्र क हुक खोल ददय । द द कफर स मिे की तरफ घम
ू गई। द द के घम
ू ते ह मेर
आूँखों के स मिे द द की मदमस्त, गदर ई हुई मस्त िी कठोर चूचचय ां आ गई। मैं पहल ब र अपिी द द के
इि गोरे गब्ु ब रों को परू िांग दे ख रह थ । इतिे प स से दे खिे पर गोर चचू चय ां और उिकी ऊपर की िील
िसें, भरू पि ललए हुए ग ढ़े गल
ु बी रां ग की उसकी निप्पलें और उिके च रों तरफ क गल
ु बी घेर श्जि पर छोटे -
छोटे द िे जैस उग हुआ थ , सब िजर आ रह थ । मैं एकदम कूदकर ह य करते हुए उछल ।
द द - “ह ूँ… ह ूँ पकड़ ले, जकड़ ले, अब जब िांग करके ददख रह हूूँ तो छूिे क्यों िह ां दां ग
ू ी। ले आर म से
पकड़कर मज कर। अपिी बड़ी बहि की िांगी चचू चयों से खेल…”
मैंिे अपिे दोिों ह थ बढ़ कर दोिों चचू चयों को आर म से दोिों ह थों में थ म ललय । िांगी चूचचयों के पहले स्पशम
िे ह मेरे होश उड़ ददये उफ्फ्फ… द द की चूचचय ां ककतिी गठील और गद
ु ज थीां, इसक अांद ज मझ
ु े इि
मस्त िी चूचचयों को ह थ में पकड़कर ह हुआ। मेर लण्ड फड़फड़ िे लग । दोिों चूचचयों को दोिों हथेल में
कसकर हल्के दब ब के स थ मसलते हुए चट ु की में निप्पल को पकड़कर हल्के से दब य जैसे ककशलमश के द िे
को दब ते है । द द के मूँह
ु से एक हलकी सी आह निकल गई।
मैंिे घबर कर चच
ू ी छोड़ी तो द द िे मेर ह थ पकड़कर कफर से अपिी चचू चयों पर रखते हुए दब य तो मैं समझ
गय की द द को मेर दब ि अच्छ लग रह है और मैं जैसे च हू इिकी चूचचयों के स थ खेल सकत हूूँ। गदम ि
उचक कर चचू चयों के प स मूँह
ु लग कर एक ह थ से चच
ू ी को पकड़कर दब ते हुए दस
ू र चच
ू ी को जैसे ह अपिे
होंठों से छुआ, तो मझ
ु े लग जैसे द द गिगि गई, उिक बदि लसहर गय । द द िे मेरे लसर के पीछे ह थ
लग कर ब लों में ह थ फेरते हुए मेरे लसर को अपिी चचू चयों पर जोर से दब य । मैंिे भी अपिे होंठों को खोलते
हुए उिकी चचू चयों के निप्पल सदहत श्जति हो सकत थ उति उिकी चचू चयों को अपिे मूँह ु में भर ललय और
चूसते हुए अपिी जीभ को निप्पल के च रों तरफ घम
ु ते हुए चुभल य ।
द द लससय ते हुए बोल - “आह्ह… आह्ह… सीऽऽ सीऽऽ ये क्य कर रह है । उफफ़्… म र ड ल । स ले मैं तो तझ
ु े
अि ड़ी समझती थी, मगर तू तो खखल ड़ी निकल रे । ह य… चूची चूसि ज ित है । मैं सोच रह थी सब तेरे को
26
लसख ि पड़ेग । ह य… चूस भ ई… सीईई… ऐसे ह निप्पल को मूँह
ु में लेकर चूस और चच
ू ी दब । ह य रस निक ल
बहुत ददि हो गए…”
अब तो मैं जैसे भख
ू शेर बि गय और द द की चचू चयों को मूँह
ु में भरकर ऐसे चूसिे लग जैसे सह में उसमें
से रस निक लकर ख ज ऊांग । कभी ब ई चच ू ी को कभी द दहिी चच
ू ी को मूँह
ु में भरकर लेते हुए निप्पलों को
अपिे होंठों के बीच दब -दब कर चूसते हुए रबर की तरह खीांच रह थ ।
इस पर द द िे मेरे लसर के ब लों को पकड़कर पीछे की तरफ खीांचते हुए अपिी चचू ी से मेर मूँह
ु अलग ककय
और बोल - “स ले हर मी चचू ी छोड़, ककति दध
ू वपएग । ह य अब तझ ु े अपिी िीचे की सहे ल क रस वपल ती
हूूँ। चल हट म धरचोद…”
ग ल दे िे से मझ
ु े अब कोई फकम िह ां पड़त थ क्योंकक मैं समझ गय थ की ये तो द द क शगल है और
श यद म र भी सकती हैं, अगर मैं इसके मि मत
ु बबक ि करूां तो। पर दध
ु रू ग य की लथ र तो सहिी ह
पड़ती है । इसकी चचांत मझ
ु े अब िह ां थी। द द लगत थ अब गरम हो चुकी थी और चुदव ि च हती थी। मैं
पीछे हट गय और द द के पेट पर चम्
ु म ले कर बोल - “ह य द द बरु क रस वपल ओगी। ह य जल्द से खोलो
ि …”
27
तो द द अपिे आपको छुड़ ते हुए बोल - “ह य… भ ई ऐसे िह ां, ऐसे ठीक से िह ां दे ख प ओगे। दोिों ज ांघ
फैल कर अभी ददख ती हूूँ। कफर आर म से बैठकर मेर बरु को दे खि और कफर तझ ु े उसके अन्दर क म ल
खखल ऊूँगी। घबर मत भ ई। मैं तझ
ु े अपिी चूत परू खोलकर ददख ऊूँगी और… उसकी चटिी भी चट ऊूँगी। चल
छोड़…” कहते हुए पीछे मड़
ु ी।
पीछे मड़
ु ते ह द द के गद
ु ज चूतर और ग ण्ड मेर आूँखों के स मिे िजर आ गए। द द चल रह थी और उसके
दोिों चत
ू र चथरकते हुए दहल रहे थे और आपस में चचपके हुए दहलते हुए ऐसे लग रहे थे जैसे ब त कर रहे हों,
और मेरे लण्ड को पकु र रहे हों।
लौड़ दब
ु र अपिी परू औक त पर आ चक
ु थ और फिफि रह थ । द द ड्रेलसांग टे बल के प स रखे गद्दे द र
सोफे व ल कुसी पर बैठ गई और ह थों के इश रे से मझ
ु े अपिे प स बल
ु य और बोल - “ह य… भ ई आ ज तझ
ु े
मजे करव ती हूूँ। अपिे म लपए
ु क स्व द चख ती हूूँ। दे ख भ ई मैं इस कुसी के दोिों हत्थों पर अपिी दोिों ट ांगों
को रखकर ज ांघ दटक कर फैल ऊांगी ि तो मेर चूत परू उभरकर स मिे आ ज येगी और कफर तम ु उसकी दोिों
फ ांकों को अपिे ह थ से फैल कर अन्दर क म ल च टि । इस तरह से तम्
ु ह र जीभ परू बरु के अन्दर घस
ु
ज येगी। ठीक है भ ई आ ज , जल्द कर। अभी एक प िी तेरे मूँह
ु में चगर दे ती हूूँ कफर तझ
ु े परू मज दां ग
ू ी…”
मैं जल्द से बबस्तर छोड़कर द द की कुसी के प स गय और जमीि पर बैठ गय । द द िे अपिे दोिों पैरो को
सोफे के हत्थों के ऊपर चण कर अपिी दोिों ज ांघों को फैल ददय । र िों के फैलते ह द द की चत
ू उभरकर मेर
आूँखों के स मिे आ गई। उफफ्फ… क्य खूबसरू त चूत थी। गोर गल
ु बी, क ले-क ले झ ांटों के जांगल के बीच में
से झ ांकती ऐसी लग रह थी जैसे ब दलों के पीछे से च ूँद मकु कुर रह है । एकदम प वरोट के जैसी फूल हुई चत ू
थी। दोिों पैर कुसी के हत्थों के ऊपर चढ़ कर फैल दे िे के ब द भी चूत के दोिों होंठ अलग िह ां हुए थे। चत
ू पर
ऊपर के दहस्से में झ ट
ां ें थी मगर िीचे गल
ु बी कचौर जैसे होंठों के आस प स एकदम ब ल िह ां थे। मैं जमीि
पर बैठकर द द की दोिों र िों पर दोिों ह थ रखकर गदम ि झक
ु कर एकदम ध्य ि से द द की चत
ू को दे खिे
लग । चूत के सबसे ऊपर में ककसी तोते की ल ल चोंच की तरह ब हर की तरफ निकल हुई द द की चूत क
भ गि श थ ।
कचौर के जैसी चूत की दोिों फ ांकों पर अपि ह थ लग कर दोिों फ ांकों को हल्क स फैल ती हुई द द बोल -
“र ज।ू ध्य ि से दे ख ले। अच्छी तरह से अपिी द द की बरु को दे ख बेट । चत
ू फैल के दे खेग तो तझ
ु ,े प िी
जैस िजर आएग । उसको च टकर अच्छी तरह से ख ि । चूत की असल चटिी वह है …” द द की चूत के दोिों
होंठ फैल और लसकुड़ रहे थे।
जीभ छुल ते ह द द लसलसय उठी और बोल - “सीईई… बहुत अच्छ भ ई तम् ु हें आत है । मझु े लग रह थ की
लसख ि पड़ेग मगर तू तो बहुत होलशय र है । ह य… बरु च टि आत है । ऐसे ह … र जू तिू े शरु
ु आत बहुत अच्छी
की है । अब परू चूत पर अपिी जीभ कफर ते हुए मेर बरु की ट ट को पहले अपिे होंठों के बीच दब कर चूस।
दे ख मैं बत ि भल
ू गई थी। चतू के सबसे ऊपर में जो ल ल-ल ल निकल हुआ है ि । उसी को होंठों के बीच दब
28
के चूसेग । तब मेर चूत में से रस निकलिे लगेग । कफर तू आर म से च ट कर चूसि । सीईई… र जू मैं जैस
बत ती हूूँ वैस ह कर…”
चूत की गल
ु बी छे द मेर आूँखों के स मिे थी। जीभ को टे ढ़ करके चूत की मोट फ ांक को अपिे होंठों के बीच
दब कर चूसिे लग । कफर दस
ू र फ ांक को अपिे मूँह
ु में भरकर चूस । उसके ब द दोिों फ ांकों को आपस में
सट कर परू चूत को अपिे मूँह
ु में भरकर चूसिे लग । चूत से ररस-ररस कर प िी निकल रह थ और मेरे मूँह
ु
में आ रह थ । चत
ू क िमकीि प िी शरू
ु में तो उति अच्छ िह ां लग , पर कुछ दे र के ब द मझ
ु े कोई फकम
िह ां पड़ रह थ और मैं दग
ु ि
ु े जोश के स थ परू चूत को मूँह
ु में भरकर च ट रह थ ।
द द को भी मज आ रह थ और वह ां कुसी पर बैठे-बैठे अपिे चत ू रों को ऊपर उछ लते हुए वो जोश में आकर
मेरे लसर को अपिे दोिों ह थों से अपिी चूत पर दब ते हुए बोल - “ह य र ज… ू बहुत अच्छ कर रह है र ज ।
ह य… सीईई… बड़ मज आ रह है । ह य मेर चत
ू के कीड़े, मेरे सैंय ां… ऊऊऊउ सीईईइ… ख ल ऊपर-ऊपर से चस
ू
रह है । बहिचोद। जीभ अन्दर घस
ु कर च ट ि । बरु में जीभ पेल दे और अन्दर ब हर करके जीभ से मेर चूत
चोदते हुए अच्छी तरह से च ट। अपिी बड़ी बहि की चूत अच्छी तरह से च ट मेरे र ज । म धरचोद ले ले।
ऊऊऊ… इस्स्स्स्स… घस
ु चत ू में जीभ, मथ दे …”
मेरे ऐस करिे पर द द जोर से गरु मती और कफर से मेरे ब लों को पकड़कर अपिी चूत के ऊपर मेर मूँह
ु लग
दे ती थी। द द मेर चुस ई से बहुत खुश थी, और चचल्ल ती हुई बोल रह थी- “ह य र ज जीभ ब हर मत
निक लो। ह य बहुत मज आ रह है । ऐसे ह बरु के अन्दर जीभ ड लकर मेर चत ू मथते रहो। ह य चोद दे
म धरचोद। अपिी जीभ से अपिी द द की बरु चोद दे , ह य सैंय ां बहुत ददिों के ब द ऐस मज आय है । इतिे
ददिों से तड़पती घम
ू रह थी। ह य ह य… अपिी द द की बरु को च टो मेरे र ज , मेरे ब लम। तझु े बहुत अच्छ
इि म दां ग
ू ी। भोसड़ीव ले तेर लौड़ अपिी चूत में लग
ूां ी। आज तक ति
ू े ककसी की चोद िह ां है ि । तझ
ु े चोदिे
क मौक दां ग
ू ी। अपिी चूत तेरे से मरव ऊूँगी। मेरे भ ई, मेरे सोि मोि मि लग कर द द की चूत च ट। मेर
प िी निकलेग तेरे मूँह
ु में… ह य जल्द जल्द च ट। परू जीभ अन्दर ड लकर सीईई…”
29
द द प िी छोड़िे व ल है ये ज िकर मैंिे अपिी परू जीभ चूत के अन्दर पेल द और अांगठ
ू े को ट ट के उो़पर
रखकर रगड़ते हुए जोर जोर से जीभ अन्दर ब हर करिे लग ।
और द द मस्ती में अब ग ण्ड को हव में लहर ते हुए लससय रह थी- “ह य मेर निकल रह है । ह य भ ई
निकल रह है मेर प िी। परू जीभ घसु दे स ले। बहुत अच्छ ऊऊऊ… सीईई… मज आ गय र ज । मेर चूत
च टू सैंय ां। मेर चत
ू प िी छोड़ रह है । मज आ गय । बहिचोद पी ले अपिी द द के बरु क प िी। ह य चस
ू
ले अपिी द द की जव िी क रस। ऊऊऊ… ग न्डू…” और द द अपिी ग ण्ड को हव में लहर ते हुए झड़िे लगी।
द द की चूत से प िी बहत हुआ मेर जीभ को गील करिे लग । मैंिे अपि मूँह ु द द की चूत पर से हट
ददय और अपिी जीभ और होंठों पर लगे चूत के प िी को च टते हुए द द को दे ख । वो अपिी आूँखों को बांद
ककये श ांत पड़ी हुई थी और अपिी गदम ि को कुसी की पकु त पर दटक कर ऊपर की ओर ककये हुए थी। उिकी
दोिों ज ांघें वैसे ह फैल हुई थीां। परू चूत मेर चुस ई के क रण ल ल हो गई थी और मेरे थूक और ल र के
क रण चमक रह थी। द द आूँखें बांद ककये गहर स ांसें ले रह थी और उिके म थे और छ ती पर पशीिे की
छोट -छोट बद
ूँू ें चमक रह थीां। मैं वह ां जमीि पर बैठ रह और द द की चत
ू को गौर से दे खिे लग । द द को
सस्
ु त पड़े दे खकर मझ
ु े और कुछ िह ां सझ
ू तो मैं उिकी ज ांघों को च टिे लग ।
चूँ क
ू ी द द िे अपिे दोिों पैरों को मोड़कर ज ांघों को कुसी की पकु त से दटक कर रख हुआ थ इसललए वो एक
तरह से पैर मोड़कर अधलेट सी अवस्थ में बैठी हुई थी और द द की ग ण्ड मेर मतलब है चत ू र आधी कुसी
पर और आधी ब हर की तरफ लटकी हुई थी। ऐसे बैठिे के क रण उिकी ग ण्ड क भरू छे द मेर आूँखों के
स मिे थ । छोट सी भरू े रां ग की लसकुड़ी हुई छे द ककसी फूल की तरह लग रह थी और मेरे ललए सपि परू
करिे क इससे अच्छ अवसर िह ां थ ।
कुछ दे र ब द मैंिे थोड़ स जोर लग य और अपिी उां गल के एक पोर को ग ण्ड की छोट सी छे द में घस
ु िे की
कोलशश की। ज्य द तो िह ां मगर बस थोड़ी सी उां गल घस
ु गई। मैंिे कफर ज्य द जोर िह ां लग य और उति
ह घसु कर अन्दर ब हर करते हुए ग ण्ड की छे द की म ललश करिे लग । बड़ मज आ रह थ । मेरे ददल की
तमन्ि परू हो गई। ब थरूम में िह ते समय जब द द को दे ख थ तभी से सोच रह थ की एक ब र इस
ग ण्ड की दर र में उां गल चल ऊांग और इसकी छे द में उां गल ड लकर दे खांग
ू कैस लगत है इस लसकुड़ी हुई भरू े
रां ग की छे द में उां गल पेलिे पर? मस्तर म की ककत बों में तो ललख होत है की लण्ड भी घस
ु ेड़ ज त है । पर
ग ण्ड की लसकुड़ी हुई छे द इतिी ट इट लग रह थी की मझ
ु े ववकव स िह ां हो रह थ की लण्ड उसके अन्दर
घस
ु ेग । खैर, दो-तीि लमिट तक ऐसे ह मैं करत रह ।
30
द द की बरु से प िी ब हर निकलकर धीरे -धीरे ररस रह थ । मैंिे दो-तीि ब र अपि मूँह
ु लग कर ब हर निकलते
रस को भी च ट ललय और ग ण्ड में धीरे -धीरे उां गल करत रह ।
तभी द द िे मझ
ु े पीछे धकेल - “हट म धरचोद… क्य कर रह है । ग ण्ड म रे ग क्य ?” कफर अपिे पैर से मेर
छ ती को पीछे धकेलती हुई उठकर खड़ी हो गई।
मैं हड़बड़ त हुआ पीछे की तरफ चगर कफर जल्द से उठकर खड़ हो गय । मेर लण्ड परू खड़ होकर िब्बे ड़डग्री
क कोण बि ते हुए लपलप कर रह थ मगर द द के इस अच िक हमले िे कफर एक झटक ददय । मैं डर कर
दो कदम पीछे हुआ। द द िांगी ह ब हर निकल गई। लगत थ कफर से ब थरूम गई थी। मैं वह खड़ सोचिे
लग की अब क्य होग ?
थोड़ी दे र ब द द द कफर से अन्दर आई और बबस्तर पर बैठ गई और मकु कुर ते हुए मेर तरफ दे ख । कफर मेरे
लपलप ते लण्ड को दे ख और अांगड़ ई लेती हुई बोल - “ह य र जू बहुत मज आय … अच्छ चूसत है त… ू मझ
ु े
लग रह थ की तू अि र होग मगर ति
ू े तो अपिे बहिोई को भी म त कर ददय । उस स ले को चूसि िह ां
आत थ । खैर उसक क्य … उस भोसड़ीव ले को तो चोदि भी िह ां आत थ । ति
ू े च टकर अच्छ मज ददय ।
इधर आ, आ ि । वह ां क्यों खड़ है भ ई? आ यह ूँ बबस्तर पर बैठ…”
द द के इस तरह बोलिे पर मझ
ु े श नां त लमल की चलो ि र ज िह ां हैं। और मैं बबस्तर पर आकर बैठ गय ।
मैं द द की इस धमकी को सि ु कर ि समझ बििे क ि टक करत हुआ बोल - “तो कफर कैसे करूां? मेर तो
श द भी िह ां हुई है…” कफर गदम ि झक
ु कर शम मिे क ि टक ककय ।
द द िे मेर ठोड़ी पकड़कर गदम ि को ऊपर उठ ते हुए कह - “ज ित तो तू सब कुछ है । कफर कोई लड़की क्यों
िह ां पट त , अभी तो तेर श द में ट इम है । अपिे ललए कोई छे द खोज ले…”
“आये ह य… ऐस तो लड़क ह िह ां दे ख , बहि को चोदिे के चक्कर में । भोसड़ीव ले को सबसे ज्य द बहि
अच्छी लगती है । मैं िह ां लमल तो, मठ
ु म रत रह ज येग …” द द िे आूँख ि चते हुए भौं उचक प्रकि ककय ।
31
मैंिे मकु कुर ते हुए ग ल ल ल करते हुए गदम ि दहल कर ह ूँ ककय ।
मेर इस ब त पर र झती हुई द द िे मझ ु े अपिी ब ूँहों में भर ललय और अपिी छ ती से लग ती हुई बोल - “ह य
रे मेर सोि । मेरे प्य रे भ ई, तझ
ु े द द सबसे अच्छी लगती है । तझ ु े मेर चत
ू च दहए। लमलेगी मेरे प्य रे भ ई
लमलेगी। मेरे र ज , आज र त भर अपिे हलब्बी लण्ड से अपिी द द की बरु क ब ज बज ि । अपिे भैय र ज
क लण्ड अपिी चत
ू में लेकर मैं सोऊूँगी। ह य र ज , अपिे मस
ू ल से अपिी द द की ओखल को र त भर खब
ू
कूटि । अब मैं तझ
ु े तरसिे िह ां दां ग
ू ी। तझ
ु े कह ां ब हर ज िे की जरूरत िह ां है । चल आ ज , आज की र त तझ
ु े
जन्ित की सैर कर दां ?
ू ”
कफर द द िे मझ ु े धकेलकर िीचे ललट ददय और मेरे ऊपर चढ़कर मेरे होंठों को चूसती हुई अपिी गठील
चूचचयों को मेर छ ती पर रगड़ते हुए मेरे ब लों में अपि ह थ फेरते हुए चूमिे लगी। मैं भी द द के होंठों को
अपिे मूँह
ु में भरिे क प्रय स करते हुए अपिी जीभ को उिके मूँह
ु में घस
ु कर घम
ु रह थ । मेर लण्ड द द की
दोिों ज ांघों के बीच में फूँसकर उसकी चूत के स थ रगड़ ख रह थ । द द भी अपिी ग ण्ड ि चते हुए मेरे लण्ड
पर अपिी चत
ू को रगड़ रह थी और कभी मेरे होंठों को चम
ू रह थी, कभी मेरे ग लो को क ट रह थी। कुछ दे र
तक ऐसे ह करिे के ब द मेरे होंठों को छोड़कर उठकर मेर कमर पर बैठ गई।
और कफर आगे की ओर सरकते हुए मेर छ ती पर आकर अपिी ग ण्ड को हव में उठ ललय और अपिी हल्के
झ ांटों व ल गल
ु बी खुकबद
ु र चूत को मेरे होंठों से सट ती हुई बोल - “जर च ट के गील कर… बड़ तगड़ लण्ड है
तेर … सख
ू लग
ांू ी तो, स ल फट ज येगी मेर तो…”
एक ब र मझ
ु े द द की चूत क स्व द लमल चुक थ , इसके ब द मैं कभी भी उिकी गद
ु ज कचौर जैसी चूत को
च टिे से इिक र िह ां कर सकत थ , मेरे ललए तो द द की बरु रस क खज ि थी। तरांु त अपिी जीभ को
निक लकर दोिों चूतरों पर ह थ जम कर लपलप करत हुआ चूत च टिे लग । इस अवस्थ में द द के चूतरों को
मसलिे क भी मौक लमल रह थ और मैं दोिों ह थों की मठ्
ु ठी में चूतरों के म स
ां को पकड़ते हुए मसल रह थ
और चत ू की लकीर में जीभ चल ते हुए अपिी थूक से बरु के छे द को गील कर रह थ । वैसे द द की बरु भी
ढे र स र रस छोड़ रह थी।
द द दब
ु र से गरम भी हो गई और पीछे खखसकते हुए वो एक ब र कफर से मेर कमर पर आकर बैठ गई और
अपिे ह थ से मेरे तिति ये हुए लण्ड को अपिी मठ्
ु ठी में कसकर दहल ते हुए अपिे चूतरों को हव में उठ
ललय और लण्ड को चूत के होंठों से सट कर सप
ु ड़े को रगड़िे लगी। सप
ु ड़े को चत
ू की फ ांकों पर रगड़ते चूत के
ररसते प िी से लण्ड की मड
ांु ी को गील करके रगड़ती रह । मैं बेत बी से दम स धे इस ब त क इन्तेज र कर रह
थ की कब द द अपिी चत
ू में मेर लौड़ लेती है । मैं िीचे से धीरे -धीरे ग ण्ड उछ ल रह थ और कोलशश कर
रह थ की मेर सप
ु ड़ उिकी बरु में घस
ु ज ये। मझ
ु े ग ण्ड उछ लते दे खकर द द मेरे लण्ड के ऊपर मेरे पेट पर
बैठ गई, और चत
ू की परू लम्ब ई को लौड़े की औक त पर चल ते हुए रगड़िे लगी।
32
तो मैं लसस्य ते हुए बोल - “द द प्ल ज… ओह्ह… सीईई… अब िह ां रह ज रह है । जल्द से अन्दर कर दो ि ।
उफ्फ्फफ… ओह्ह… द द बहुत अच्छ लग रह है । और तम् ु ह र च-च-ू चत
ू मेरे लण्ड पर बहुत गमम लग रह है।
ओह्ह… द द जल्द करो ि । क्य तम् ु ह र मि िह ां कर रह है ?”
अपिी ग ण्ड िच ते हुए लण्ड पर चूत रगड़ते हुए द द बोल - “ह य… भ ई जब इति इन्तेज र ककय है तो थोड़
और इन्तेज र कर लो। दे खते रहो मैं कैसे करती हूूँ। मैं कैसे तम्
ु हें जन्ित की सैर कर ती हूूँ। मज िह ां आये तो
अपि लौड़ मेर ग ण्ड में घस
ु ेड़ दे ि । म धरचोद… अभी दे खो मैं तम्
ु ह र लण्ड कैसे अपिी बरु में लेती हूूँ। लण्ड
क स र प िी अपिी चूत से पी लग ूां ी। घबर ओ मत, र जू अपिी द द पर भरोस रखो। ये तम् ु ह र पहल चद ु ई
है । इसललए मैं खुद से चढ़कर करव रह हूूँ। त कक तम्
ु हें लसखिे क मौक लमल ज ये। दे खो… मैं अभी लेती हूूँ…”
मैं आह करके लसलसय य तो द द बोल - “बस हो गय भ ई… हो गय । एक तो तेर लण्ड इांति मोट है । मेर
चूत एकदम ट इट है, घस
ु िे में । ये ले बस दो-तीि और उईई म ूँ सीईई… बहिचोद क इति मोट । ह य…
उफफ्फ…” करते हुए गप-गप दो-तीि धक्क अपिी ग ण्ड उचक ते चूतर उछ लते हुए लग ददए।
तीि च र और धक्के म रकर उन्होंिे मेर परू िौ इांच क लण्ड अपिी चूत के अन्दर ध ांस ललय और मेरे छ ती
के दोिों तरफ ह थ रखकर धक्क लग ती हुई चचल्ल ई- “उफफ्फ… बहि के लौड़े, कैस मस्
ु टां ड लौड़ प ल रख है ।
ह य… ग ण्ड फट गई मेर तो… ह य पहले ज िती की ऐस बरु फ ड़ू लण्ड है तो… सीईई भ ई आज ति ू ,े अपिी
द द की फ ड़ द ओह्ह… सीईई लण्ड है की लोहे क र ड… उईई म …
ूँ गई मेर चूत… आज के ब द स ल ककसी के
क म की िह ां रहे गी। है… ह य बहुत ददि सांभ ल के रख थ । फट गई रे मेर तो, ह य मर …” इस तरह से बोलते
हुए वो ऊपर से धक्क भी म रती ज रह थी और मेर लण्ड अपिी चूत में लेती भी ज रह थी।
तभी अपिे होंठों को मेरे होंठों पर रखती हुई जोर जोर से चूमती हुई बोल - “ह य म धरचोद… आर म से िीचे लेट
कर बरु क मज ले रह है । भोसड़ी के, मेर चत ू में गरम लोहे क र ड घस ु कर ग ण्ड उचक रह है । उफफ्फ…
भ ई अपिी द द को कुछ आर म दो। ह य मेर दोिों लटकती हुई चचू चय ां तम्
ु हें िह ां ददख रह हैं क्य … उफफ्फ…
उिको अपिे ह थों से दब ते हुए मसलो और मूँह
ु में लेकर चूसो भ ई। इस तरह से मेर चूत पसीजिे लगेगी और
उसमें और ज्य द रस बिेग । कफर तम्
ु ह र लौड़ आस िी से अन्दर ब हर होग । ह य र जू ऐस करो मेरे र ज ।
तभी तो द द को मज आएग और। वो तम्
ु हें जन्ित की सैर कर एगी। सीईई…”
33
द द के ऐस बोलिे पर मैंिे दोिों ह थों से द द की दोिों लटकती हुई चूचचयों को अपिी मठ्
ु ठी में कैद करिे की
कोलशश करते हुए दब िे लग और अपिी गदम ि को थोड़ िीचे की तरफ झक ु ते हुए एक चच
ू ी को मूँह
ु में भरिे
की कोलशश की। हो तो िह ां प य मगर कफर भी निप्पल मूँह
ु में आ गय उसी को द ांत से पकड़कर खीांचते हुए
चूसिे लग ।
द द अपिी ग ण्ड अब िह ां चल रह थी वो परू लण्ड घस ु कर वैसे ह मेरे ऊपर लेट हुई अपिी चचू ी दबव और
निप्पल चस
ु व रह थी। उिके म थे पर पशीिे की बद
ूँू ें छलछल आई थी। मैंिे चच ू ी क निप्पल को द द के चेहरे
को अपिे दोिों ह थों से पकड़कर उिक म थ चूमिे लग और जीभ निक लकर उिके म थे के पशीिे को च टते
हुए उिकी आूँखों को चम
ू ते हुए ि क पर जीभ कफर ते हुए च ट । द द अपिी ग ण्ड अब िह ां चल रह थी वो
परू लण्ड घस
ु कर वैसे ह मेरे ऊपर लेट हुई अपिी चच ू ी दबव और निप्पल चसु व रह थी।
ऐस लग रह थ जैसे ककसी बोत्तल में मेर लौड़ एक क कम के जैसे फांस हुआ अन्दर ब हर हो रह है । द द को
अब बहुत ज्य द अच्छ लग रह थ , ये ब त उिके मूँह
ु से फूटिे व ल लसस्क ररय ां बत रह थी। वो लसलसयते
हुए बोल रह थी- “आआआ… सीईई… भ ई बहुत अच्छ लौड़ है तेर । एकदम ट इट ज रह है । सीईई… मेर चूत…
ओह्ह हो… ऊउउ… बहुत अच्छ से ज रह है । गरम लोहे के रोड जैस है । ह य ककति तगड़ लौड़ है । र जू मेरे
प्य रे … तम
ु को मज आ रह है अपिी द द की ट इट चूत को चोदिे में । ह य भ ई बत ि कैस लग रह है मेरे
र ज ? क्य तम्
ु हें अपिी द द की बरु की फ क
ां ों के बीच लौड़ ड लकर चोदिे में मज आ रह है । ह य मेरे चोदां ।ू
अपिी बहि को चोदिे में कैस लग रह है । बत ि अपिी बहि को। स ले मज आ रह । सीईई… ऊऊऊऊ…”
द द ग ण्ड को हव में लहर ते हुए जोर जोर से मेरे लण्ड पर पटक रह थी। द द की चत
ू में ज्य द से ज्य द
लौड़ अन्दर ड लिे के इर दे से मैं भी िीचे से ग ण्ड उचक -उचक कर धक्क म र रह थ । कच-कच बरु में लण्ड
पेलते हुए मैं भी लससय ते हुए बोल - “ओह्ह… सीईई… द द आज तक तरसत रह । ओह्ह… बहुत मज आ रह है
द द । उफफ्फ… बहुत गरम है आपकी चत ू । ओह्ह… बहुत कसी हुई है … ब प रे … मेरे लण्ड को छील दे गी आपकी
चूत। उफफ्फ… एकदम गद्दे द र चूत है द द आपकी ट इट है । द द आपकी चूत में मेर परू लण्ड ज रह है ।
34
सीईई… मैंिे कभी सोच िह ां थ की मैं आपकी चूत में अपि लौड़ पेल प ऊूँग । उफफ्फ… ककतिी गरम है । मेर
सन्
ु दर प्य र द द । ओह्ह… बहुत मज आ रह है । ओह्ह… आप ऐसे ह चोदती रहो। ओह्ह… सीईई… ह य सच
मझु े आपिे जन्ित ददख ददय । सीईई… चोद दो अपिे भ ई को…”
द द की ग ण्ड हव में लहर ती हुई चथरक रह थी और वो अब अपिे चत ू रों को िच ती हुई िीचे की तरफ ल ती
थी और लण्ड पर जोर से पटक दे ती थी, कफर पेट अन्दर खीांचकर चूत को कसती हुई लण्ड के सप ु ड़े तक ब हर
निक लकर कफर से ग ण्ड िच ती िीचे की तरफ धक्क लग ती थी। बीच-बीच में मेरे होंठों और ग लो को चम
ू ती
और ग लो को द ांत से क ट लेती थी। मैं भी द द के दोिों चूतरों को दोिों ह थ की हथेल से मसलते हुए चुद ई
क मज लट ू रह थ ।
द द - “ह य… थक ददय ति
ू े तो… मेर तो एक ब र निकल भी गई। स ले तेर एक ब र भी िह ां निकल । ह य…
अब स ले मझ ु े िीचे ललट कर चोद, जैसे मैंिे चोद थ वैसे ह परू लौड़ ड लकर मेर चूत ले… ओह्ह…” कहते हुए
मेरे ऊपर से िीचे उतर गई।
मैं दोिों ज ांघों के बीच पहुूँच तो मझु े रोकते हुए द द िे प स में पड़े अपिे पेदटकोट के कपड़े से मेर लण्ड पोंछ
ददय और उसी से अपिी चत ू भी पोंछ ल , कफर मझ ु े ड लिे क इश र ककय । ये ब त मझ ु े ब द में समझ में
आई की उन्होंिे ऐस क्यों ककय ।
35
उस समय तो मैं जल्द से जल्द उिकी चूत के अन्दर घस
ु ज ि च हत थ । दोिों ज ांघों के बीच बैठकर मैंिे
अपि लौड़ चत
ू के गल
ु बी छे द पर लग कर कमर क जोर लग य । सट से मेर सप
ु ड़ अन्दर घस
ु । बरु एकदम
गरम थी। तमतम ए लौड़े को एक और जोरद र झटक दे कर परू -परू चूत में उत रत चल गय । लण्ड सख
ू थ
चूत भी सख
ू ी थी। सप
ु ड़े की चमड़ी कफर से उलट गई और मेरे मूँह
ु से आह निकल गई मगर मज आ गय ।
चूत जो अभी दो लमिट पहले थोड़ी ढ ल लग रह थी कफर से ककसी बोतल के जैसे ट इट लगिे लगी। एक ह
झटके से लण्ड पेलिे पर द द ककककय िे लगी थी। मगर मैंिे इस ब त पर कोई ध्य ि िह ां ददय और तड़ तड़
लौड़े को ऊपर खीांचते हुए सट सट च र-प ांच धक्के लग ददए।
मैं समझ गय अब फुल स्पीड में च लू हो ज ि च दहए। कफर क्य थ मैंिे ग ण्ड उछ ल-उछ लकर कमर िच कर
जब धक्क मरि शरू
ु ककय तो द द की चीखें निकलिी शरू
ु हो गईं।
चूत फच-फच करके प िी फेंकिे लगी। ग ण्ड हव में लहर कर लण्ड ल लिे लगी- “ह य पेल दे । भ ई ऐसे ह
बेददी से चोद अपिी कववत द द की चत
ू को। ओह्ह… म ूँ कैस बेददी भ ई है । ह य कैसे चोद रह है अपिी बड़ी
बहि को? ह य म ूँ दे खो। मैंिे मठ
ु म रिे से मि ककय तो स ले िे मझ
ु े चोद ड ल । चोद इसके ललए कोई ब त
िह ां। मगर कमीिे को ऐसे बेददी से चोदिे में पत िह ां क्य मज लमल रह है उफफ्फ… मर गई। ह य बड़
मज आ रह है । सीईई… मेरे चोदां ू सैंय ,ां मेरे ब लम… ह य मेरे चोदां ू भ ई, बहि के लौड़े। चोद दे अपिी चद
ु क्कड़
बहि को सीईई…”
मैं लग त र धक्के पर धक्क लग त ज रह थ । मेर जोश भी अपिी चरम सीम पर पहुूँच चक ु थ और मैं
अपिी ग ण्ड तक क जोर लग कर कमर िच ते हुए धक्क म र रह थ । द द की चूची को मठ्ु ठी में दबोच
दब ते हुए गच-गच धक्क म रते हुए मैं भी जोश में लसलसय हुए बोल - “ओह्ह… मेर प्य र बहि ओह्ह… सीईई…
ककतिी मस्त हो तम ु … तमु िह ां होती तो मैं ऐसे ह मठ
ु म रत । द द बहुत मज आ रह है । सच में द द
आपकी गद्दे द र चूत में लौड़ ड लकर ऐस लग रह है जैसे जन्ित… ह य… पच् ु च-पच्
ु च ओह्ह… द द मज आ
गय । ओह्ह… द द तम
ु ग ल भी दे ती हो तो मज आत है । ह य… मैं िह ां ज ित थ की मेर द द इतिी बड़ी
चुदक्कड़ है । मेर चद
ु ै ल बहि हमेश अपिे भ ई को ऐसे ह मज दे ती रहि । ऊऊऊ… द द मेर ज ि… ह य मेर
लण्ड हमेश तम्
ु ह रे ललय खड़ रहत थ । ह य आज मि की मरु द… सीईई…” मेर जोश अब अपिे चरम सीम
पर पहुूँच चुक थ और मझ
ु े लग रह थ की मेर प िी निकल ज येग ।
द द भी अब बेतह श अांट-शांट बक रह थी और ग ण्ड उचक ते हुए द ांत वपसते बोल - “ह य स ले, चोदिे दे रह
हूूँ तभी खूबसरू त लग रह हूूँ। म धरचोद मझ
ु े सब पत है । चुदैल बोलते हैं स ले चद
ु क्कड़ िह ां होती। मठ
ु म रत
36
रह ज त । ह य… जोर जोर से म रत रह म धरचोद। मेर अब निकलेग । ह य भ ई मैं झड़िे व ल हूूँ। सीईई…
और जोर से पेल… चोद चोद, चोद चोद र जू बहिचोद। बहि के लौड़े…” कहते हुए मझ
ु से नछपकल की तरह से
चचपक गई।
द द की चूत से छलछल कर प िी बहिे लग और मेरे लण्ड को लभगोिे लग । तीि-च र तगड़े धक्के म रिे के
ब द मेर लण्ड भी झड़िे लग और वीयम क एक तेज फौव्व र द द की चूत में चगरिे लग । द द िे मझ
ु े अपिे
बदि से कसकर चचपक ललय और आूँखें बांद करके अपिी दोिों ट ांगों को मेरे चत
ू रों पर लपेटकर मझ
ु े ब ूँध
ललय ।
सच में ऐस मज मझ
ु े आज के पहले कभी िह ां लमल थ । अपिी खब
ू सरू त बहि को चोदिे की ददल तम्मन्ि
परू होिे के क रण परू े बदि में एक अजीब सी श न्ती महसस
ू हो रह थी। कर ब दस लमिट तक वैसे ह पड़े
रहिे के ब द मैं धीरे से द द के बदि से िीचे उतर गय । मेर लण्ड ढ ल होकर पच्
ु च से द द की चूत से ब हर
निकल गय ।
मैं एकदम थक गय थ और वह ां उिके बगल में लेट गय । द द िे अभी भी अपिी आूँखें बांद कर रखी थी। मैं
भी अपिी आूँखे बांद करके लेट गय और पत िह ां कब िीांद आ गई। सब
ु ह अभी िीांद में ह थ की लग जैसे
मेर ि क को द द की चूत की खुसबू क अहस स हुआ। एक र त में मैं चूत के चटोरे में बदल चुक थ । अपिे
आप मेर जब ु ि ब हर निकल च टिे के ललए। ये क्य ? मेर जब
ु ि पर गील पि महसस ू हुआ। मैंिे जल्द से
आूँखें खोल तो दे ख द द अपिे पेदटकोट को कमर तक ऊूँच ककये मेरे मूँह
ु के ऊपर बैठी हुई थी और हूँस रह
थी। द द की चूत क रस मेरे होंठों और ि क के ऊपर लग हुआ थ ।
हर रोज सपि दे खत थ की द द मझ
ु े सब
ु ह-सब
ु ह ऐसे जग रह है । झटके के स थ लण्ड खड़ हो गय और
परू मूँह
ु खोलकर द द की चत ू को मूँह
ु भरत हुआ जोर से क टते हुए चस
ू िे लग । उिके मूँह
ु से चीखें और
लससक ररय ां निकलिे लगीां।
उसी समय सब
ु ह-सब
ु ह पहले द द को एक प िी चोद और चोदकर उिको ठां ड करके बबस्तर से िीचे उतरकर
ब थरूम चल गय । िेश होकर ब हर निकल तो द द उठकर रसोई में ज चुकी थी। रववव र क ददि थ , मझ
ु े
भी कह ां ज ि िह ां थ । कववत द द िे उस ददि ल ल रां ग की ट इट समीज और क ले रां ग की चुस्त सलव र
पहि रखी थी। ि कत करते समय पैर फैल कर बैठी तो मैं उसकी ट इट सलव र से उसकी मोट गद
ु ज ज ांघों
और मस्त िी चूचचयों को दे खत चौंक गय ।
37
तभी द द अपिी ज ांघों पर ह थ रखते अपिे फट सलव र के बीच उां गल चल ती बोल - “क्य दे ख रह है बे,
स ले अभी तक श न्ती िह ां लमल क्य ? घरू त ह रहे ग । र त में और सब
ु ह में भी परू खोलकर तो ददख य
थ …”
मैं थोड़ स झेंपत हुआ बोल - “िह ां द द वो… वो आपकी सलव र बीच से फट …”
द द िे तभी उां गल ड ल फट सलव र को फैल य और मकु कुर ती हुई बोल - “तेरे ललए ह फ ड़ है । ददि भर
तरसत रहे ग । सोच बीच-बीच में ददख दां ग
ू ी तझ
ु …
े ”
द द िे भी मझ
ु े ब ूँहों में भर ललय और अपिे तपते होंठों के रस क स्व द मझ
ु े ददय । उस ददि कफर हम दोिों
भ ई बहि ददि भर आपस में खेलते रहे और आिांद उठ ते रहे । द द िे मझ
ु े ददि में दब
ु र चोदिे तो िह ां ददय
मगर रसोई में ख ि बि ते समय अपिी चूत चटव ई और दोपहर में भी मेरे ऊपर लेट कर चूत चटव य और
लण्ड चूस । टे ललववजि दे खते समय भी हम दोिों एक दस
ू रे के अांगों से खेलते रहे । कभी मैं उिकी चूची दब
दे त , कभी वो मेर लण्ड खीांचकर मरोड़ दे ती। मझ
ु े कभी म धरचोद कह कर पक
ु रती, कभी बहिचोद कह कर।
इसी तरह र त होिे पर हमिे टे ललववजि दे खते हुए ख ि ख य और कफर वो रसोई में बतमि आदद स फ करिे
चल गई और मैं ट वी दे खत रह । थोड़ी दे र ब द वो आई और कमरे के अन्दर घस
ु गई।
मैं तो इसी इन्तेज र में पत िह ां कब से बैठ हुआ थ । कूद कर द द के कमरे में पहुूँच तो दे ख द द ड्रेलसांग
टे बल के स मिे बैठकर मेकअप कर रह थी और कफर परफ्यम ू निक लकर अपिे परू े बदि पर लग य और
आईिे में अपिे आपको दे खिे लगी। मैं द द के चूतरों को दे खकर सोचत रह की क श मझ
ु े एक ब र इिकी
ग ण्ड क स्व द चखिे को लमल ज त तो बस मज आ ज त । मेर मि अब थोड़ ज्य द बहकिे लग थ ।
उां गल पकड़कर गदम ि तक पहुचि च हत थ ।
द द मेर तरफ घम ू कर मझु े दे खती मकु कुर ते हुए बबस्तर पर आकर बैठ गई। वो बहुत खब ू सरू त लग रह थी।
बबस्तर पर तककये के सह रे लेटकर अपिी ब ूँहों को फैल ते हुए मझु े प्य र से बल
ु य । मैं कूद कर बबस्तर पर चढ़
गय और द द को ब ूँहों में भरकर उिके होंठों क चम्
ु बि लेिे लग । तभी ल इट चल गई और कमरे में परू
अूँधेर फैल गय । मैं और द द दोिों हूँसिे लगे।
38
इति सिु ते ह मैं होंठों को छोड़कर िीचे की तरफ लपक , उिके दोिों पैरों को फैल कर सघूां ते हुए उिकी फट
सलव र के प स उिकी चत ू के प स पहुूँच गय । सलव र के फटे हुए भ ग को फैल कर चतू पर मूँह ु लग कर
लफर-लफर च टिे लग ।
थोड़ी दे र च टिे पर ह द द एकदम लसलसय िे लगी और मेरे लसर को अपिी चूत पर दब ते हुए चचल्ल िे लगी-
“ह य र ज,ू बरु च टू र ज … ह य सच में तू तो कम ल कर रह है । एकदम एक्सपटम हो गय है । अूँधेरे में भी सघ
ूां
ललय । सीईई… बहिचोद, स ल बहुत उस्त द हो गय है … है मेरे र ज । सीईई…”
मैंिे मूँह
ु उठ य तो दे ख मैं और द द दोिों पशीिे से लथफथ हो चुके थे। होंठों पर से चूत क प िी पोंछते हुए
मैं बोल - “ह य द द दे खो आपको ककति पशीि आ रह है । जल्द से कपड़े खोलो…”
द द भी उठकर बैठते हुए बोल - “ह ूँ बहुत गमी है । उफफ्फ… ल इट आ ज िे से ठीक रह , िह ां तो मैं सोच रह
थी… स ल …” कहते हुए अपिी समीज को खोलिे लगी।
समीज खुलते ह द द कमर के ऊपर से परू िांगी हो गई। उन्होंिे ब्र िह ां पहि रखी थी, ये ब त मझ
ु े पहले से
पत थी। क्योंकी ददि भर उिकी समीज के ऊपर से उिकी चचू चयों के निप्पल को मैं दे खत रह थ । दोिों
चूचचय ां आज द हो चुकी थी और कमरे में उिके बदि से निकल रह पशीिे और परफ्यम
ू की म दक गांध फैल
गई। मेरे से रुक िह ां गय । मैंिे झपटकर द द को अपिी ब ूँहों में भर और िीचे ललट कर उिके होंठों, ग लो
और म थे को चम ू ते हुए च टिे लग । मैं उिके चेहरे पर लगी पशीिे की हर बद
ूँू को च ट रह थ और अपिी
जीभ से च टते हुए उिके परू े चेहरे को गील कर रह थ ।
द द लससकते हुए मझु से अपिे चेहरे को चटव रह थी। चेहरे को परू गील करिे के ब द मैं गदम ि को च टिे
लग कफर वह ां से छ ती और चूचचयों को अपिी जब
ु ि से परू गील करके मैंिे द द के दोिों ह थों को पकड़कर
झटके के स थ उिके लसर के ऊपर कर ददय । उिकी दोिों क ख
ां ें मेरे स मिे आ गई। क ांखों के ब ल अभी भी
बहुत छोटे -छोटे थे। ह थ के ऊपर होते ह क ांखों से निकलती भीिी-भीिी खुकबू आिे लगी। मैं अपिे ददल की
इच्छ परू करिे के चक्कर में सीध उिकी दोिों छ नतयों को च टत हुआ क ख ां ों की तरफ मह
ूँु ले गय और
उसमें अपिे मूँह
ु को ग ड़ ददय । क ांखों के म ांस को मह
ूँु में भरते हुए चम
ू िे लग और जीभ निक लकर च टिे
लग । क ांख में जम पशीिे क िमकीि प िी मेरे मूँह ु के अन्दर ज रह थ । मगर मेर इस तरफ कोई ध्य ि
िह ां थ । मैं तो क ख
ां के पशीिे की सगु ध
ां को सघ
ूां ते हुए मदहोश हुआ ज रह थ । मझ
ु े एक िश स हो गय
थ । मैंिे च टते-च टते परू क ांख को अपिे थक ू और ल र से लभग ददय थ ।
39
मझु े इस ब त की चचांत िह ां थी की द द क्य बोल रह है ? मैं दस ू र क ांख को च टते हुए बोल - “ह य द द ।
तेर बदि िशील है । उम्म्म… बहुत मजेद र है , तू तो रसवांती है , रसवांती। तेरे बदि को च टिे से श्जति मज
मझ
ु े लमलत है उति एक ब र बबयर पी थी तब भी िह ां आय थ । ह य… द द तम्
ु ह र क ांखों में जो पशीि
रहत है उसकी गांध िे मझ ु े बहुत ब र प गल ककय है । ह य आज मौक लमल है तो िह ां छोड़ूगां । तम्
ु ह रे पूरे
बदि को च टूांग । ग ण्ड में भी अपिी जुब ि ड लूँ ग
ू । ह य द द आज मत रोकि मझ
ु ।े मैं प गल हो गय हूूँ…”
पर मैंिे खीांचते हुए परू सलव र को िीचे उत र ददय और दोिों ट ांग फैल कर उिके बीच बैठकर एक पैर को
अपिे ह थ से ऊपर उठ कर पैर के अांगठ ू े को च टिे लग । धीरे -धीरे पैर की उां गललयों और टखिे को च टिे के
ब द परू े तलवे को जीभ लग कर च ट । कफर वह ां से आगे बढ़ते हुए उिके परू े पैर को च टते हुए घट ु िे और ज ांघों
को च टिे लग । ज ांघों पर द ांत गड़ ते हुए म ांस को मह
ूँु में भरते हुए च ट रह थ । द द अपिे ह थ पैर पटकते
हुए छटपट रह थी। मेर चट ई िे उिको परू तरह से गरम कर ददय थ ।
वो मदहोश हो रह थी। मैं ज ांघों के जोड़ को च टते हुए पैर को हव में उठ ददय और लपलप करते हुए कुत्ते की
तरह कभी बरु , कभी उसके च रों तरफ च टिे लग । कफर अच िक से मैंिे ज ांघ पकड़कर दोिों पैर हव में ऊपर
उठ ददय , इससे द द की ग ण्ड मेर आूँखों के स मिे आ गई और मैं उस पर मह
ूँु लग कर च टिे लग ।
कहते हुए पलटकर पेट के बल हो गई और ग ण्ड के िीचे तककय लग कर ऊपर उठ ददय और बोल - “ले अब
च ट कुत्ते… अपिी कुनतय द द की ग ण्ड को। बहिचोद, बहि की ग ण्ड ख रह है। उफफ्फ… बेशरम…”
तभी द द अपिे दोिों ह थों को ग ण्ड के छे द के प स ल कर अपिी ग ण्ड की छे द को फैल ती हुई बोल - “ह य
ठीक से च ट, च टि है तो छे द परू फैल कर च ट। मेर भी मि करत थ चटव िे को। तेर जो वो मस्तर म की
ककत ब है ि उसमें ललख है। ह य र जू… मझ
ु े सब पत है । बेट , तू क्य क्य करत है । इसललए चौंकि मत।
बस वैसे ह जैसे ककत ब में ललख है वैसे च ट। ह य… जीभ अन्दर ड लकर च ट… सीईई…”
40
मैं समझ गय की अब जब द द से कुछ छुप ह िह ां है तो शम मि कैस ? अपिी जीभ को कड़ करके उिकी
ग ण्ड के भरू छे द में ड लकर िच ते हुए च टिे लग । ग ण्ड के छे द को अपिे अांगठ
ू े से पकड़कर फैल ते हुए
मस्ती में च टिे लग । द द अपिी ग ण्ड को परू हव में उठ कर मेर जीभ पर िच रह थी और मैं ग ण्ड को
अपिी जीभ ड लकर चोदते हुए परू ख ईं में ऊपर से िीचे तक जीभ चल रह थ । द द की ग ण्ड क स्व द भी
एकदम िशील लग रह थ । कसी हुई ग ण्ड के अन्दर तक जीभ ड लिे के ललए परू जीभ सीधी खड़ी करके
ग ण्ड को परू फैल कर पेलकर जीभ िच रह थ । सक-सक ग ण्ड के अन्दर जीभ आ ज रह थी। थूक से ग ण्ड
की छे द परू गील हो गई थी और आस िी से मेर जीभ को अपिे अन्दर खीांच रह थी।
ग ण्ड चटव ते हुए द द एकदम गमम हो गई थी और लससकते हुए बोल - “ह य र ज । अब ग ण्ड च टि छोड़ो।
ह य र ज मैं बहुत गरम हो चक
ु ी हूूँ… मझ
ु े ति
ू े मस्त कर ददय है… ह य अब अपिी रसवांती द द क रस चस
ू ि
छोड़ और उसकी चूत में अपि मस्
ु लांड लौड़ ड लकर चोद और उसक रस निक ल दे । ह य सिम, मेरे र ज ,
चोद दे अपिी द द को अब मत तड़प …”
द द इस ब त पर एकदम से तड़पकर पलट और मेरे ग लों पर चचकोट क टती हुई बोल - “ह य हर मी, स ल तू
श्जति सीध ददखत है उति सीध है िह ां। सीईईइ… म धरचोद मैं सब समझती हूूँ। तू स ल ग ण्ड के पीछे पड़
हुआ है । कुत्ते मेर ग ण्ड म रिे के चक्कर में त…ू स ले यह ूँ मेर चत
ू में आग लगी हुई है और त…
ू ह य िह ां भ ई
मेर ग ण्ड एकदम कूँु व र है और आज तक मैंिे इसमें उां गल भी िह ां ड ल है । ह य र जू तेर लौड़ बहुत मोट
है । ग ण्ड छोड़ कर चूत म र ले। मैंिे तझ ु े ग ण्ड च टिे ददय । ग ण्ड क परू मज ले ललय अब रहिे दे …”
कुछ दे र तक सोचिे के ब द द द बोल - “ठीक है भ ई तू कर ले। मगर मेर एक शतम है । पहले अपिे थक
ू से
मेर ग ण्ड को परू चचकि कर दे , य कफर थोड़ स मक्खि क टुकड़ ले आ मेर ग ण्ड में ड लकर एकदम
चचकि कर दे । कफर अपि लण्ड ड लि । ड लिे के पहले लण्ड को भी चचकि कर लेि । ह ूँ एक और ब त तेर
प िी मैं अपिी चत
ू में ह लग
ांू ी। खबरद र जो ति
ू े अपि प िी कह ां और चगर य । ग ण्ड म रिे के ब द चत
ू के
अन्दर ड लकर चगर ि । िह ां तो कफर कभी तझ
ु े चूत िह ां दां ग
ू ी। और य द रख मैं इस क म में तेर कोई मदद
िह ां करिे व ल मैं कुसी पकड़कर खड़ी हो ज ऊूँगी, बस…”
मैं र जी हो गय और तरुां त भ गत हुआ रसोई से किज़ खोलकर मक्खि के दो-तीि टुकड़े लेकर आ गय । द द
तब तक सोफे व ल चेयर के ऊपर दो तककय रखकर अपिे आधे धड़ को उस पर दटक कर ग ण्ड को हव में
लहर रह थी। मैं जल्द से उिके पीछे पहुूँचकर उिके चूतरों को फैल कर मक्खि के टुकड़ो को एक-एक करके
उिकी ग ण्ड में ठे लिे लग । ग ण्ड की गमी प कर मक्खि वपघलत ज रह थ और उिकी ग ण्ड में घस ु कर
घल
ु त ज रह थ ।
41
मैंिे धीरे -धीरे करके स रे टुकड़े ड ल ददए कफर िीचे झक
ु कर ग ण्ड को ब हर से च टिे लग । परू ग ण्ड को थूक
से लथफथ कर दे िे के ब द मैंिे अपिे लण्ड पर भी ढे र स र थक
ू लग य और कफर दोिों चत
ू रों को दोिों ह थ से
फैल कर लण्ड को ग ण्ड की छे द पर लग कर कमर से हल्क स जोर लग य । ग ण्ड इतिी चचकिी हो चुकी थी
और छे द इतिी ट इट थी की लण्ड कफसलकर चूतरों पर लग गय । मैंिे दो-तीि ब र और कोलशश की मगर हर
ब र ऐस ह हुआ।
मगर मैं कुछ िह ां बोल और कोलशश करत रह । थोड़ी दे र में द द िे खुद से दय करते हुए अपिे दोिों ह थों
से अपिे चूतरों को पकड़कर खीांचते हुए ग ण्ड के छे द को अांगठ
ू लग कर फैल ददय और बोल - “ले म धरचोद
अपिे मि की आरजू परू कर ले। स ल ह थ धोकर पीछे पड़ है । ले अब घस
ु । लण्ड क सप
ु ड़ ठीक से छे द पर
लग कर, उसके ब द धक्क म र। धीरे -धीरे म रि । हर मी जोर से म र तो ग ण्ड टे ढ़ करके लण्ड तोड़ दां ग
ू ी…”
पर सप
ु ड़ घस
ु ते ह द द की ग ण्ड परपर िे लगी। वो एकदम से चचल्ल उठी और ग ण्ड खीांचिे लगी। मैंिे द द
की कमर को जोर से पकड़ ललय और थोड़ और जोर लग कर एक और धक्क म र ददय । लण्ड आध के कर ब
घस
ु गय , क्योंकक ग ण्ड तो एकदम चचकिी हो रखी थी।
पर द द को श यद ददम बद कम त िह ां हुआ चचल्ल ते हुए बोल - “हर मी, कुत्ते, कहती थी मत कर। म धरचोद, पीछे
पड़ हुआ थ । स ले, हर मी, छोड़। ह य मेर ग ण्ड फट गई। उफफ्फ… सीईई… अब और मत ड लि । हर मी, तेर
म ूँ को चोदां ,ू मत ड ल, ह य निकल ले… निकल ले भ ई। ग ण्ड मत म र, ह य चूत म र ले। ह य द द की ग ण्ड
फ ड़कर क्य लमलेग सीईई… आईई… मर गई…”
42
द द मेर ब त सि
ु कर अपिी गदम ि पीछे कर मकु कुर िे की कोलशश करती बोल - “िह ां भ ई। इसमें शलमिंद होिे
की कोई ब त िह ां है । हम आपस में मज ले रहे हैं। इसललए इसमें मेर भी ह थ है । भ ई तू ऐस मत सोच। मेरे
भी ददल में थ की मैं ग ण्ड मरव िे क स्व द ल।ूां अब जब हम कर ह रहे हैं तो घबर िे की कोई जरूरत िह ां
है । तम
ु परू कर लो पर य द रखि … अपि प िी मेर चूत में ह छोड़ि । लो म रो मेर ग ण्ड। मैं भी कोलशश
करती हूूँ की ग ण्ड को कुछ ढ ल कर दां …
ू ” ऐस बोलकर द द भी धीरे -धीरे अपिी कमर को दहल िे लगी।
मैं भी धीरे -धीरे कमर दहल रह थ । कुछ दे र ब द ह सक-सक करते हुए मेर लण्ड उिकी ग ण्ड में आिे-ज िे
लग । अब ज कर श यद कुछ ढ ल हो रह थ । द द के कमर दहल िे में भी थोड़ी तेजी आ गई, इसललए मैंिे
अपिी ग ण्ड क जोर लग ि शरू
ु कर ददय और तेजी से धक्के म रिे लग । एक ह थ को उिकी कमर के िीचे
लेज कर उिकी बरु के ट ट को मसलिे लग और चत
ू को रगड़िे लग । उिकी चत
ू प िी छोड़िे लगी। द द को
अब मज आ रह थ । मैं अब कच कच धक्क लग िे लग और एक ह थ से उिकी चूचचयों को थ मकर लण्ड को
ग ण्ड के अन्दर-ब हर करिे लग । चूत से च र गि
ु ज्य द ट इट द द की ग ण्ड लग रह थी।
मैं भी अब परू जोर लग कर धक्क म रते हुए चचल्ल य - “ह य द द सीईई… बहुत ट इट है तम् ु ह र ग ण्ड। मज
आ गय । ह य एकदम सांकर छे द है । ऊपर िीचे जह ूँ के छे द में लौड़ ड लो वह ां के छे द में मज भर हुआ है ।
ह य द द स ल मज आ गय … सच में तम ु बहुत मजेद र हो, बहुत मज आ रह है । सीईई… मैं तो प गल हो
गय … मैं तो परू बहिचोद बि गय हूूँ… मगर तमु भी तो भ ईचोद बहि हो मेर ड ललिंग लसस्टर… ह य द द
आज तो मैं तम्
ु ह र बरु और ग ण्ड दोिों फ ड़कर रख दां ग
ू …”
तभी मझ
ु े लग की इतिी ट इट ग ण्ड म रिे के क रण मेर ककसी भी समय निकल सकत है । इसललए मैंिे द द
से कह की- “द द , मेर अब निकल सकत है । तम्
ु ह र ग ण्ड बहुत ट इट है । इतिी ट इट ग ण्ड म रिे से मेर
तो नछल गय है मगर मज बहुत आय । अब मैं निक ल सकत हूूँ। ह य बोलो द द क्य मैं तम् ु ह र ग ण्ड से
निक ल कर चूत में ड लूां य कफर तम्
ु ह र ग ण्ड में निकल दां ?
ू बोलो ि मेर लण्डखोर बहि। स ल मैं तम्
ु ह रे चूत
में झड़ूां य कफर ग ण्ड में झड़ू?
ां ह य मेर रां डी द द …”
मैंिे सट क से लौड़ खीांच और द द भी उठकर खड़ी हो गई और बबस्तर पर ज कर अपिी दोिों ट ांग हव में
उठ कर अपिी ज ांघों को फैल ददय । मैं लगभग कूदत हुआ उिकी ज ांघों बीच घस
ु गय और अपि तमतम य
हुआ लौड़ गच से उिकी चत ू में ड लकर जोरद र धक्के म रिे लग ।
43
द द भी िीचे से ग ण्ड उछ लकर धक्क लेिे लगे और चचल्ल िे लगी- “ह य र ज म रो… जोर से म रो… अपिी
बहि बीबी की… ह य मेरे सैंय ां बहुत मज आ रह है । इति मज कभी िह ां लमल । मेरे भ ई मेरे पनत अब तम् ु ह
मेरे पनत हो… ह य र ज मैं तम
ु से श द रूांगी। ह य अब तम्
ु ह मेरे सैंय ां हो। मेरे ब लम म धरचोद। ले अपिी द द
की चूत क मज । परू अन्दर तक लौड़ ड लकर चूत में प िी छोड़ो। म धरचोद…”
मैं भी चचल्ल ते हुए बोल - “ह ूँ रां डी, मैं तेरे से श द करूूँग । मेरे लण्ड क प िी अपिी चूत में ले। ह य मेर
निकलिे व ल है । ह य सीईई… ले ले…” और द द को कसकर अपिी ब ूँहों में चचपक कर झड़िे लग । उसी समय
वो भी झड़िे लगी।
44