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कविता दीदी_(दीदी का दीिाना)

संकलन और हिन्दी फान्ट – jaunpur

दनु िय ां में कुछ ब तें कब और कैसे हो ज ती हैं, ये कहि बहुत मश्ु ककल है । श्जसके ब रे में आपिे कभी कल्पि
भी िह ां की होती, वैसी घटि यें आपके जीवि को परू तरह से बदलकर रख दे ती हैं। ब त इधर उधर घम ु िे की
जगह सीध कह िी पर आत हूूँ।

मैं मब
ुां ई में रहत थ और वह ां एक प्र इवेट फमम में िौकर करिे के स थ कांप्यट
ू र कोसम भी करत थ । मेर बड़ी
बहि भी वह ां रहती थी रहती थी। उसक पनत एक प्र इवेट फमम में क म करत थ । अच्छ कम त थ , और
उसिे एक छोट स एक बेडरूम व ल फ्लैट ले रख थ । उिक घर छोट होिे के क रण मैं वह ां िह ां रह सकत
थ । मगर उिके घर के प स ह मैंिे भी एक कमर ककर ये पर ले ललय थ ।

मेर बहि क ि म कववत थ । श द के 4 स ल ब द भी उसे कोई बच्च िह ां थ और श यद होिे की सम्भ वि


भी िह ां थी। क्योंकी उसक पनत थोड़ सिकी ककस्म क थ । उसके ददम ग में पत िह ां कह ूँ से अमीर बििे क
भत
ू सव र हो गय थ । ह ल ूँकक ये हम रे पररव र की जरूरत थी। वो हर समय दब
ु ई ज िे के ब रे में ब तें करत
रहत थ । ह ल ूँकक द द उसकी इि ब तों से कभी-कभी चचढ़ ज ती थी, मगर कफर भी वो उसके ववच रों से सहमत
थी।

कफर एक ददि ऐस आय जब वो सच में दब


ु ई चल गय । वह ूँ उसे एक फमम में िौकर लमल गई थी। तब मैंिे
ककर य बच िे और द द की सवु वध के ललए अपि ककर ये क कमर छोड़कर अपिे आपको द द के एक बेडरूम
फ्लैट में लशफ्ट कर ललय । ड्र इांगरूम के एक कोिे में रख हुआ द व ि मेर बबस्तर बि और मैं उसी पर सोिे
लग । द द अपिे बेडरूम में सोती थी।

एक ओर स इड में रसोई और दस
ू र तरफ लैदिि और ब थरूम। र त में द द बेडरूम के दरव जे को परू तरह बांद
िह ां करती थी, केवल सट भर दे ती थी। अगर दरव ज थोड़ स भी अलग होत थ तो उसके कमरे की ि ईट
बल्ब की रोशिी मझ
ु े ड्र इांग रूम में भी आती थी। दरव जे के खुले होिे के क रण मझ
ु े र त को जब मठ
ु म रिे
की तलब लगती थी तब मझ
ु े बड़ी स वध िी बरतिी पड़ती थी। क्योंकी हमेश डर लग रहत थ की पत िह ां
द द कब ब हर आ ज येगी। लड़ककयों के प्रनत आकर्मण तो शरू
ु से थ । आस-प स की लड़ककयों और श द शद

औरतों को दे ख-दे खकर मठ
ू म र करत थ । द द के स थ रहते हुए मैंिे इस ब त को महसस
ू ककय की मेर
द द व कई बहुत ह खूबसरू त औरत है ।

ऐस िह ां थ की द द श द के पहले खब
ू सरू त िह ां थी। द द एकदम गोर चचट्ट और तीखे ि क-िक्शे व ल
थी। पर द द और मेर उम्र के बीच कर ब 6 से 7 स ल क फकम थ , इसललए जब द द कूँु व र थी तो मेर
उतिी समझद र ह िह ां थी की मैं उिकी सन्
ु दरत को समझ प त य कफर उसक आकलि कर प त । कफर
श द के ब द द द अलग रहिे लगी थी।

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अब जब मैं जव ि और समझद र हो गय थ और हम दब
ु र स थ रहिे लगे, तो मझ
ु े अपिी द द को क फी
िजद क से दे खिे क अवसर लमल रह थ और यह अहस स हो रह थ की व कई मेर बहि ल खों में एक हैं।
श द के ब द से उसक बदि थोड़ मोट हो गय थ । मतलब उसमें भर व आ गय थ । पहले वो दब
ु ल पतल
थी मगर अब उसक बदि गदर गय थ । श यद ये उम्र क भी असर थ क्योंकी उसकी उम्र भी 31-32 स ल के
आस प स की हो गई थी।

उसके गोरे सड
ु ौल बदि में गजब क भर व और लोच थ । चलिे क अांद ज बेहद आकर्मक और क्य कह सकते
हैं कोई शब्द िह ां लमल रह श यद सेक्सी थ । कभी चस्
ु त सलव र कमीज तो कभी स ड़ी ब्ल उज़ जो भी वो
पहिती थी उसक बदि उसमें और भी ज्य द निखर ज त थ । चुस्त सलव र कुती में तो हद से ज्य द सेक्सी
ददखती। द द जब वो पहिती थी उस समय सबसे ज्य द आकर्मण उसकी ट ांगों में होत थ । सलव र उसके पैरों
से एकदम चचपकी हुई होती थी।

जैस की आप सभी ज िते हैं ज्य द तर अपिे यह ूँ जो भी चुस्त सलव र बिती है वो झीिे सत
ू ी कपड़ों की होती
है । इसललए द द की सलव र भी झीिे सत
ू ी कपड़े की बिी होती थी और वो उसके ट ांगों से एकदम चचपकी हुई
होती। कमीज थोड़ी लम्बी होती थी मगर ठीक कमर के प स आकर उसमें जो कट होत थ असल में वह ां
ज िलेव होत थ ।

कमीज क कट चलते समय जब इधर से उधर होत तो चस् ु त सलव र में कसी हुई म ांसल ज ांघें और चत
ू र ददख
ज ते थे। कववत द द की ज ांघें एकदम ठोस, गदर ई और मोट कन्दल के खांभे जैसी थी कफर उसी अिप ु त में
चत
ू र भी थे। एकदम मोटे मोटे , गोल-मटोल गदर ये, म ांसल और गद्दे द र जो चलिे पर दहलते थे। सीदढ़यों पर
चढ़ते समय कई ब र मझु े कववत द द के पीछे चलिे क अवसर प्र प्त हुआ थ । सीदढ़य ां चढ़ते समय जब स ड़ी
य सलव र कमीज में कसे हुए उिके चूतर दहलते थे, तो पत िह ां क्यों मझ
ु े बड़ी शलमिंदगी महसस
ू होती थी।
इसक क रण श यद ये थ की मझ
ु े उम्र में अपिे से बड़ी और भरे बदि व ल लड़ककय ां य औरतें ज्य द अच्छी
लगती थी।

सीदढ़यों पर चढ़ते समय जब कववत द द के तरबज


ू े के जैसे चूतर की दोिों फ क
ां दहलती तो पत िह ां मेरे
अन्दर कुछ हो ज त थ । मेर िजरें अपिे आप पर क बू िह ां रख प ती और मैं उन्हें चोर िजरों से दे खिे की
कोलशश करत । पीछे से दे खते समय मेर स मि चूँक
ू ी द द से िह ां होत थ इसललए श यद मैं उिको एक
भरपरू जव ि औरत के रूप में दे खिे लगत थ , और अपिे आपको उिके दहलते हुए चूतरों को दे खिे से िह ां
रोक प त थ । अपिी ह द द के चूतरों को दे खिे के क रण मैं अपर धबोध से ग्रस्त होकर शलमिंदगी महसस

करत थ । कई ब र वो चस्
ु त सलव र पर शोटम कुती य नि की छोट ज ांघों तक की कुती भी पहि लेती थी। उस
ददि मैं उिसे िजरें िह ां लमल प त थ । मेर िजरें ज ांघों से ऊपर उठ ह िह ां प ती थी। शोटम कुती से झ क
ां ती
चुस्त सलव र में कसी मोट मोट गदर यी ज ांघ भल ककसे अच्छे िह ां लगें गी भले ह वो आपकी बहि की हो।

पर इसके क रण आत्मग्ल िी भी होती थी और मैं उिसे आूँखें िह ां लमल प त थ । द द की चूतर और ज ांघों में
जो म ांसलत आई थी, वह उिकी चचू चयों में भी दे खिे को लमलती थी। उिके मोटे चत
ू र और ग ण्ड के अिप
ु त
में ह उिकी चूचचय ां भी थीां।

चचू चयों के ब रे में यह कह सकते हैं की इतिी बड़े हों की आपकी हथेल में िह ां सम ये पर इतिे ज्य द बड़े भी
ि हो की दो ह थों की हथेललयों से भी ब हर निकल ज यें। कुल लमल कर ये कहे तो शर र के अिप
ु त में हो। कुछ
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18-19 स ल की लड़ककय ां जो की दे खिे में खूबसरू त तो होंगी मगर उिकी चूचचय ां निम्बू य सांतरे के आक र की
होती हैं। जव ि लड़ककयों की चचू चयों क आक र कम से कम बेल य ि ररयल के फल श्जति तो होि ह
च दहए। निम्बू तो चौदह-पांद्रह स ल की छोकररयों पर अच्छ लगत है । कई ब र ध्य ि से दे खिे पर पत चल
प त है की पश
ु अप ब्र पहिकर फुल कर घम
ू रह है । इसी तरह कुछ की ऐसी ढ ल और इतिी बड़ी-बड़ी होंगी की
दे खकर मड
ू खर ब हो ज येग ।

लोगों क मझ
ु े िह ां पत मगर मझ
ु े तो एक स इज में ढल चचू चय ां ह अच्छी लगती है । श र ररक अिप
ु त में
ढल हुई, त कक ऐस ि लगे की परू े बदि से भ र तो चूचचय ां है य कफर चूची की जगह पर सप ट छ ती ललए
घम
ू रह हों। सन्
ु दर मख
ु ड़ और िक
ु ील चूचचय ां ह लड़ककयों को म ल बि ती हैं।

एकदम तीर की तरह िक ु ील चूचचय ां थी द द की। भर -भर , भ र और गद ु ज, गोल और गदर ई हुई। स ध रण


सलव र कुती में भी गजब की लगती थी। बबि चन् ु िी के उिकी चूचचय ां ऐसे लगती जैसे ककसी बड़े ि ररयल को
दो भ गों में क टकर उलटकर उिकी छ ती से चचपक ददय गय है । घर में द द ज्य द तर स ड़ी य सलव र
कमीज में रहती थी। गलममयों में वो आम तौर पर स ड़ी पहिती थी। श यद इसक सबसे बड़ क रण ये थ की वो
घर में अपिी स ड़ी उत रकर, केवल पेट कोट ब्ल उज़ में घम
ू सकती थी। ये एक तरह से उसके ललए ि ईट य
कफर मैक्सी क क म करत थ ।

अगर कह ां ज ि होत थ तो वो झट से एक पतल सत


ू ी स ड़ी लपेट लेती थी। मेर मौजद
ू गी से भी उसे कोई
अांतर िह ां पड़त थ , केवल अपिी छ ती पर एक पतल चुन्िी ड ल लेती थी। पेट कोट और ब्ल उज़ में रहिे से
उसे श यद गमी कम लगती थी। मेर समझ से इसक क रण ये हो सकत है की ि ईट पहििे पर भी उसे
ि ईट के अन्दर एक श्स्लप और पेट कोट तो पहिि ह पड़त थ , और अगर वो ऐस िह ां करती तो उसकी ब्र
और पैन्ट ददखिे लगतेी, जो की मेर मौजूदगी के क रण वो िह ां च हती थी। जबकक पेट कोट जो की आम तौर
पर मोटे सत
ू ी कपड़े क बि होत है एकदम ढ ल ढ ल और हव द र। कई ब र रसोई में य ब थरूम में क म
करते समय मैंिे दे ख थ की वो अपिे पेट कोट को उठ कर कमर में खोंस लेती थी श्जससे घट
ु िे तक उसकी
गोर -गोर ट ांगें िांगी हो ज ती थीां।

द द की वपांडललय ां भी म ांसल और चचकिी थी। वो हमेश एक पतल स प यल पहिे रहती थी। मैं कववत द द
को इन्ह ां वस्रो में दे खत रहत थ । मगर कफर भी उिके स थ एक सम्म ि और इज्ज़त भरे ररकते की सीम ओां
को ल ांघिे के ब रे में िह ां सोचत थ । वो भी मझ
ु े एक म सम
ू स लड़क समझती थी और भले ह ककसी भी
अवस्थ य कपड़े में हो, मेरे स मिे आिे में िह ां दहचककच ती थी। ड्र इांग रूम में बैठे हुए रसोई में जह ां वो ख ि
बि ती थी वो सब ड्र इांग रूम में रखे अल्मीर में लगे आईिे (लमरर) में स्पष्ट ददख ई पड़त थ । कई ब र द द
पशीि पोंछिे के ललए ललए अपिे पेट कोट क इकतेम ल करती थी। पेट कोट के निचले भ ग को ऊपर उठ कर
चेहरे क पशीिे के पोंछते हुए कई ब र मैंिे आईिे में दे ख ।

पेट कोट के निचले भ ग को उठ कर जब वो थोड़ नतरछ होकर पशीि पोंछती थी तो उिकी गोर , बेद ग, मोट
ज ांघें ददख ज ती थीां। एक ददि गमी बहुत ज्य द थी और द द सफेद रां ग क पेदटकोट और ल ल रां ग क ब्ल उज़
पहिकर ख ि बि रह थी। उस ददि मैं रसोई में किज से प िी लेिे दो-तीि ब र गय । रसोई में द द को बहुत
पशीि आ रह थ ।

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उसके चेहरे और पेट पर पशीि स फ ददख रह थ । पशीिे के क रण सफेद रां ग क पेट कोट उिके चूतरों से
चचपक गय थ । ब्ल उज़ भी क फी भीग गय थ और उसकी चचू चयों से चचपक गय थ । ध्य ि से दे खिे पर
मझ
ु े ऐस लग जैसे उिकी चूचचयों के निप्पल भी ब्ल उज़ के ऊपर से ददख रहे थे। श यद द द िे गमी के
क रण ब्र िह ां पहि थ । मैं किज़ से प िी निक लकर पी रह थ । तभी वो िीचे झुक कर कुछ करिे लगी,
उिके चूतर मेर आूँखों के स मिे परू तरह से उभरकर आ गए। पशीिे से भीग पेट कोट परू तरह से चचपक
गय थ और दोिों चूतर ददखिे लगे थे।

िीले रां ग की पैंट और उसके ककि रे स फ िजर आ रहे थे। पेट कोट क कपड़ भीांगकर उिकी ग ण्ड की दर र में
फूँस ज त , अगर उन्होंिे पैंट िह ां पहिी होती। मैं एकदम से घबर गय और भ गकर जल्द से रसोई से निकल
गय । शक्र
ु व र की र तों को मैं आमतौर पर बहुत दे र से सोत थ । क्योंकी अगले ददि शनिव र और रववव र मेरे
आकफस में छुट्ट होती थी। ऐसे ह एक शनिव र के ददि मेरे जीवि में एक िय मोड़ आय ।

शक्र
ु व र की र त थी और द द हमेश की तरह 11:00 बजे र त को सोिे चल गई थी। मैं दे र र त तक केबल
पर कफल्म दे खत रह । अगले ददि शनिव र को मेर िीांद बहुत दे र से खुल । छुट्ट के ददिों में द द मझ
ु े जग ती
िह ां थी। क्योंकी घर में सभी ज िते थे की मझ
ु े दे र तक सोि पसांद थ । उस ददि ऐस ह हुआ थ ।

मैंिे जब घड़ी दे खी तो उस समय ददि के 10:00 बज रहे थे। मैं घबर कर जल्द से उठ । अपिे च रों तरफ
दे खते ह मझु े अहस स हो गय की द द बहुत पहले उठ चक ु ी है क्योंकी, परू े घर की सफ ई हो चक
ु ी थी। मझु े
अपिे दे र से उठिे की आदत पर शलममन्दगी हुई। जल्द से ब्रश ककय और च य के ललए रसोई में ज कर खद ु से
च य बि ललय और पेपर पढ़ते हुए च य पीिे लग । बबि च य वपए मझ ु े सब
ु ह में ब थरूम ज िे में प्र बलम
होती थी। द द श यद घर में िह ां थी, पड़ोस में ककसी के प स गई थी।

च य खतम करके मैं लैदिि चल गय । ये लैदिि पहले सेपरे ट िह ां थ । मतलब ब थरूम के स थ ह लमल हुआ
थ और एक ह दरव ज थ । इसके क रण बहुत असवु वध होती थी। क्योंकी एक आदमी के घस ु िे से ह लैदिि
और ब थरूम दोिों इांगेज हो ज ते थे। अगर घर में ज्य द सदस्य ि हों तब तो कोई प्र बलम िह ां होती थी,
मगर गेस्टस के आ ज िे पर समस्य खड़ी हो ज ती थी। लैदिि ब थरूम सेपरे ट रहिे पर दो आदमी एक स थ दो
क म कर सकते थे। इसललए लैदिि और ब थरूम दोिों को सेपरे ट कर ददय गय । इसके ललए ब थरूम के बीच में
लकड़ी के पट्टों की सह यत से एक ददव र बि द गई।

ईंट की द व र बि िे में एक तो खचम बहुत आत , दस


ू र वो ज्य द जगह भी लेत , लकड़ी की द व र इस ब थरूम
के ललए एकदम सह थी। लैदिि के ललए एक अलग दरव ज बि ददय गय । दस लमिट ब द जब मैंिे फ्लश
कर ललय और ब हर निकलिे व ल ह थ की तभी मझ
ु े लग की कोई ब थरूम क दरव ज खोलकर अन्दर घस

है । पत िह ां क्यों मगर मेरे पैर जह ूँ थे वह ां रुक गए। कौि हो सकत है , ये ब त ज्य द सोचिे की िह ां थी। मैं
थोड़ी दे र तक वह ां दरव ज बांद होिे की आहट क इन्तेज र करत रह । द द श यद कोई गीत गि
ु गि
ु रह थी।
लैदिि में उसकी आव ज स्पष्ट आ रह थी।

बहुत आर म से उठकर लकड़ी के पट्टों पर क ि लग कर ध्य ि से सिु िे लग । केवल चूड़ड़यों के खिखि िे और


गि
ु गिु िे की आव ज सि
ु ई दे रह थी। कफर िल के खुलिे, प िी चगरिे की आव ज सि ु ई द । मेरे अन्दर के
शैत ि िे मझ
ु े एक आव ज द , लकड़ी के पट्टों को ध्य ि से दे ख। मैंिे अपिे अन्दर के शैत ि की आव ज को
अिसि
ु करिे की कोलशश की, मगर शैत ि ह वी हो गय थ । द द जैसी एक खूबसरू त औरत लकड़ी के पट्टों
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के उस प र िह िे ज रह थी। मेर गल सख
ू गय और मेरे पैर क ांपिे लगे। अच िक ह पज म एकदम से
आगे की ओर उभर गय ।

ददम ग क क म अब लण्ड कर रह थ । मेर आूँखें लकड़ी के पट्टों के बीच ऊपर से िीचे की तरफ घम
ू िे लगी
और अच िक मेरे मि की मरु द जैसे परू हो गई। लकड़ी के दो पट्टों के बीच थोड़ स गैप रह गय थ । सबसे
पहले तो मैंिे धीरे से ह थ बढ़ कर ब थरूम श्स्वच आफ ककय कफर लकड़ी के पट्टों के गैप पर अपिी ऑ ांखें जम
द।

द द की पीठ लकड़ी की ददव र की तरफ थी। वो सफेद पेट कोटो़ और क ले ब्ल उज़ में िल के स मिे खड़ी थी।
िल खोलकर अपिे कांधों पर रखे तौललये को अपि एक ह थ बढ़ कर िल की बगल व ल खट
ांू पर ट ांग ददय ।
कफर अपिे ह थों को पीछे लेज कर अपिे खुले रे शमी ब लों को समेटकर जूड़ बि ददय । ब थरूम के कोिे में बिे
रै क से एक क्रीम की बोतल उठ कर उसमें से क्रीम निक ल-निक लकर अपिे चेहरे के आगे ह थ घम
ु िे लगी।
पीछे से मझ
ु े उिक चेहर ददख ई िह ां दे रह थ मगर ऐस लग रह थ की वो क्रीम निक लकर अपिे चेहरे पर
ह लग रह है ।

लकड़ी के पट्टों के गैप से मझ


ु े उिके लसर से चूतरों के थोड़ िीचे तक क भ ग ददख ई पड़ रह थ । क्रीम
लग िे के ब द अपिे पेट कोटो़ को घट
ु िों के प स से पकड़कर थोड़ स ऊपर उठ य और कफर थोड़ नतरछ होकर
िीचे बैठ गई। इस समय मझ
ु े केवल उिकी पीठ और लसर िजर आ रह थ । पर अच िक से सीट जैसी आव ज
जो की औरतों के पेश ब करिे की एक ववलशष्ट पहच ि है वो सि
ु ई द । द द इस समय श यद वह ां ब थरूम के
कोिे में पेश ब कर रह थी।

मेरे बदि में लसहरि दौड़ गई। मैं कुछ दे ख तो सकत िह ां थ मगर मेरे ददम ग िे बहुत स र कल्पि यें कर
ड ल । पेश ब करिे की आव ज सि ु कर कूँु व रे लण्ड िे झटक ख य । मगर अफसोस कुछ दे ख िह ां सकत थ ।
कफर थोड़ी दे र में वो उठकर खड़ी हो गई और अपिे ह थों को कुहिी के प स से मोड़कर अपिी छ ती के प स
कुछ करिे लगी। मझ
ु े लग जैसे वो अपि ब्ल उज़ खोल रह हैं। मैं दम स धे ये सब दे ख रह थ । मेर लण्ड
इतिे में ह एकदम खड़ हो चुक थ । द द िे अपि ब्ल उज़ खोलकर अपिे कांधों से धीरे से िीचे की तरफ
सरक ते हुए उत र ददय ।

उिकी गोर चचकिी पीठ मेर आूँखों के स मिे थी। पीठ पर कांधों से ठीक थोड़ स िीचे एक क ले रां ग क नतल
थ और उससे थोड़ िीचे उिकी क ल ब्र क स्िै प बांध हुआ थ । इतिी सन् ु दर पीठ मैंिे श यद केवल कफल्मी
हे रोइिों की, वो भी कफल्मो में ह दे खी थी। वैसे तो मैंिे द द की पीठ कई ब र दे खी थी मगर ये आज पहल
ब र थ जब उिकी परू पीठ िांगी मेर स मिे थी, केवल एक ब्र क स्िै प बांध हुआ थ । गोर पीठ पर क ल ब्र
क स्िै प एक कांि स्ट पैद कर रह थ और पीठ को और भी ज्य द सन्ु दर बि रह थ । मैंिे सोच की श यद
द द अब अपिी ब्र खोलेंगी मगर उन्होंिे ऐस िह ां ककय । अपिे दोिों ह थों को ब र -ब र से उठ कर वो अपिी
क ांख को दे खिे लगी।

एक ह थ को उठ कर दस
ू रे ह थ से अपिी क ांख को छूकर श यद अपिी क ांख के ब लों की लम्ब ई क अांद ज
लग रह थी। कफर वो थोड़ स घम
ू गई स मिे लगे आईिे में अपिे आपको दे खिे लगी। अब द द क मूँह

ब थरूम में रखे रै क और उसकी बगल में लगे आईिे की तरफ थ । मैं सोच रह थ क श वो परू मेर तरफ घम

ज ती, मगर ऐस िह ां हुआ। उिकी द दहिी स इड मझ
ु े परू तरह से िजर आ रह थी। उिक द दहि ह थ और
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पैर जो की पेट कोटो़ के अन्दर थ , पेट और ब्र में कैद एक चच
ू ी, उिक चेहर भी अब चूँ क
ू ी स इड से िजर आ
रह थ , इसललए मैंिे दे ख की मेर सोचि ठीक थ और उन्होंिे एक पीले रां ग क फेसम स्क लग य हुआ थ ।
अपिे सन्
ु दर मख
ु ड़े को और ज्य द चमक िे के ललए।

अब द द िे रै क से एक दसू र क्रीम की बोतल अपिे ब एां ह थ से उत र ल और उसमें से बहुत स र क्रीम


अपिी ब ईं हथेल में लेकर अपिे द दहिे ह थ को ऊपर उठ ददय । द द की िांगी गोर म ांसल ब ांह अपिे आप में
उत्तेजि क शबब थी और अब तो ह थ ऊपर उठ ज िे के क रण द द की क ांख ददख ई दे रह थी। क ख
ां के
स थ द द की ब्र में कैद द दहिी चूची भी ददख रह थी। ब्र चूांकी िोममल सी थी इसललए उसिे परू चूची को
अपिे अन्दर कैद ककय हुआ थ , इसललए मझ
ु े कुछ ख स िह ां ददख , मगर उिकी क ांख क परू िज र मझ
ु े
लमल रह थ ।

द द की क ख ां में क ले-क ले ब लों क गच्


ु छ स उग हुआ थ । श यद द द िे क फी ददिों से अपिी क ांख के
ब ल िह ां बि ये थे। वैसे तो मझ
ु े औरतों की चचकिी क ांख ह अच्छे लगती है, पर आज प त िह ां क्य ब त थी
मझु े द द की ब लों व ल क ांख भी बहुत सेक्सी लग रह थी। मैं सोच रह थ इतिे स रे ब ल होिे के क रण
द द की क ख ां में बहुत स र पशीि आत होग और उसकी गांध भी उन्ह ां ब लों में कैद होकर रह ज ती होगी।
द द के पशीिे से भीगे बदि को कई ब र मैंिे रसोई में दे ख थ । उस समय उिके बदि से आती गांध बहुत
क मोत्तेजक होती थी और मझु े हव में तैरती उसके बदि की गांध को सघ
ूां ि बहुत अच्छ लगत थ । ये सब
सोचते-सोचते मेर मि ककय की क श मैं उसकी क ख
ां में एक ब र अपिे मूँह
ु को ले ज प त और अपिी जीभ
से एक ब र उसको च टत ।

मैंिे अपिे लण्ड पर ह थ फेर तो दे ख की सप


ु ड़े पर हल्क स गील पि आ गय है । तभी द द िे अपिे ब एां
ह थ की क्रीम को अपिी द दहिे ह थ की क ांख में लग ददय और कफर अपिे वैसे ह अपिी ब ईं क ख
ां में भी
द दहिे ह थ से क्रीम लग ददय । श यद द द को अपिी क न्खों में ब ल पसांद िह ां थे। क न्खों में हे यर ररमवू वांग
क्रीम लग लेिे के ब द द द कफर से िल की तरफ घम
ू गई।

और अपिे ह थ को पीछे लेज कर अपिी ब्र क स्िै प खोल ददय और अपिे कांधों से सरक कर बह र निक ल
कर फशम पर ड ल ददय और जल्द से िीचे बैठ गई। अब मझ
ु े केवल उिक लसर और थोड़ स गदम ि के िीचे
क भ ग िजर आ रह थ । अपिी ककस्मत पर बहुत गस् ु स आय । क श द द स मिे घम
ू कर ब्र खोलती य कफर
जब वो स इड से घम
ू ी हुई थी तभी अपिी ब्र खोल दे ती, मगर ऐस िह ां हुआ थ और अब वो िीचे बैठकर
श यद अपिी ब्ल उज़ और ब्र और दस ू रे कपड़े स फ कर रह थी।

मैंिे पहले सोच की निकल ज ि च दहए, मगर कफर सोच की िह एगी तो खड़ी तो होगी ह , ऐसे कैसे िह
लेगी। इसललए चुप-च प यह लैदिि में ह रहिे में भल ई है । मेर धैयम रां ग ल य , थोड़ी दे र ब द द द उठकर खड़ी
हो गई और उसिे पेट कोट को घट
ु िों के प स से पकड़कर ज ांघों तक ऊपर उठ ददय ।

मेर कलेज एकदम धक से रह गय । द द िे अपि पेदटकोट पीछे से परू ऊपर उठ ददय थ । इस समय
उिकी ज ांघें पीछे से परू तरह से िांगी हो गई थीां। मझ
ु े औरतों और लड़ककयों की ज ांघें सबसे ज्य द पसांद आती
हैं। मोट और गदर ई ज ांघें जो की श र ररक अिप
ु त में हो, ऐसी ज ांघें। पेट कोट के उठते ह मेरे स मिे ठीक
वैसी ह ज ांघें थीां, श्जिकी कल्पि करके मैं मठ
ु म र करत थ । एकदम चचकिी और म ांसल। श्जि पर हल्के-
हल्के द ांत गड़ कर क टते हुए जीभ से च ट ज ये तो ऐस अिोख मज आएग की बय ि िह ां ककय ज सकत ।
6
द द की ज ांघें म ांसल होिे के स थ सख्त और गठी हुई थी, उिमें कह से भी थल
ु थुल पि िह ां थ । इस समय
द द की ज ांघें केले के पेड़ के चचकिे तिे की सम ि ददख रह थीां।

मैंिे सोच की जब हम केले के पेड़ के तिे को अगर क टते है य कफर उसमें कुछ घस
ु ते हैं, तो एक प्रक र क
रां गह ि तरल पद थम निकलत है । श यद द द की ज ांघों को चूसिे और च टिे पर भी वैस ह रस निकलेग । मेरे
मूँह
ु में प िी आ गय । लण्ड के सप
ु ड़े पर भी प िी आ गय थ । सप
ु ड़े को लकड़ी के पट्टे पर हल्क स सट
कर उस प िी को पोंछ ददय और पैंट में कसी हुई द द के चत ू रों को ध्य ि से दे खिे लग । द द क ह थ इस
समय अपिी कमर के प स थ और उन्होंिे अपिे अांगठ ू े को पैंट के इल श्स्टक में फूँस रख थ । मैं दम स धे
इस ब त क इन्तेज र कर रह थ की कब द द अपिी पैंट को िीचे की तरफ सरक ती है । पेट कोट कमर के
प स जह ां से पैंट की इल श्स्टक शरू
ु होती है वह ां पर ह थों के सह रे रुक हुआ थ ।

द द िे अपिी पैंट को िीचे सरक ि शरू


ु ककय और उसी के स थ ह पेट कोट भी िीचे की तरफ सरकत चल
गय । ये सब इतिी तेजी से हुआ की द द के चत
ू र दे खिे की हसरत ददल में ह रह गई। द द िे अपिी पैंट
िीचे सरक ई और उसी के स थ पेट कोट भी िीचे आकर उिके चूतरों और ज ांघों को ढकत चल गय । अपिी
पैंट उत रकर उसको ध्य ि से दे खिे लगी, पत िह ां क्य दे ख रह थी। छोट सी पैंट थी, पत िह ां कैसे उसमें
द द के इतिे बड़े चूतर सम ते हैं। मगर श यद यह प्रकि करिे क हक मझ
ु े िह ां थ , क्योंकी अभी एक क्षण
पहले मेर आूँखों के स मिे ये छोट सी पैंट द द के ववश ल और म ांसल चूतरों पर अटकी हुई थी।

कुछ दे र तक उसको दे खिे के ब द वो कफर से िीचे बैठ गई और अपिी पैंट स फ करिे लगी। कफर थोड़ी दे र
ब द ऊपर उठी और अपिे पेट कोट के ि ड़े को खोल ददय । मैं ददल थ मकर इस िज रे क इन्तेज र कर रह थ ,
कब द द अपिे पेट कोट को खोलेंगी और अब वो क्षण आ गय थ । लौड़े को एक झटक लग और द द के
पेट कोट खोलिे क स्व गत एक ब र ऊपर-िीचे होकर ककय । मैंिे लण्ड को अपिे ह थ से पकड़कर ददल स
ददय । ि ड़ खोलकर द द िे आर म से अपिे पेट कोट को िीचे की तरफ धकेल , तो पेट कोट सरकत हुआ धीरे -
धीरे पहले उसके तरबज
ू े जैसे चूतरों से िीचे उतर कफर ज ांघों और पैर से सरक कर िीचे चगर गय ।

द द वैसे ह खड़ी रह । इस क्षण मझ


ु े लग रह थ जैसे मेर लण्ड प िी फेंक दे ग । मझ
ु े समझ में िह ां आ रह
थ मैं क्य करूां? मैंिे आज तक श्जतिी भी कफल्में और तस्वीरे दे खी थी िांगी लड़ककयों की वो सब उस क्षण में
मेर िजरों के स मिे गज
ु र गई और मझ
ु े यह अहस स ददल गई की मैंिे आज तक ऐस िज र कभी िह ां
दे ख । वो तस्वीरें वो लड़ककय ां सब बेक र थी। उफफ्फ द द परू तरह से िांगी हो गई थी।

ह ल ूँकक मझ
ु े केवल उिके वपछले भ ग क िज र लमल रह थ , कफर भी मेर ह लत खर ब करिे के ललए इति
ह क फी थ । गोर चचकिी पीठ श्जस पर ह थ ड लो तो सीध कफसलकर चूतर पर ह रुकेग । पीठ के ऊपर
क ल नतल, ददल कर रह थ आगे बढ़कर उसे चूम ल।ूां र ढ़ की हड्ड़डयों की ल इि पर अपिे तपते होंठ रखकर
चूमत चल ज ऊूँ।

पीठ इतिी चचकिी और दध


ू की धल
ु लग रह थी की िजर दटक ि भी मश्ु ककल लग रह थ । तभी तो मेर
िजर कफसलती हुई द द के चूतरों पर आकर दटक गई। ओह्ह… मैंिे आज तक ऐस िह ां दे ख थ । गोर चचकिी
चूतर, गद
ु ज और म स
ां ल। म ांसल चूतरों के म ांस को ह थ में पकड़कर दब िे के ललए मेरे ह थ मचलिे लगे। द द
के चत
ू र एकदम गोरे और क फी ववश ल थे।

7
उिके श र ररक अिप
ु त में, पतल कमर के ठीक िीचे मोटे म ांसल चूतर थे। उि दो मोटे -मोटे चूतरों के बीच
ऊपर से िीचे तक एक मोट लकीर सी बिी हुई थी। ये लकीर बत रह थी की जब द द के दोिों चत
ू रों को
अलग ककय ज येग तब उिकी ग ण्ड दे खिे को लमल सकती है य कफर यदद द द कमर के प स से िीचे की
तरफ झक
ु ती हैं तो चूतरों के फैलिे के क रण ग ण्ड के सौंदयम क अिभ
ु व ककय ज सकत है । तभी मैंिे दे ख
की द द अपिे दोिों ह थों को अपिी ज ांघों के प स ले गई कफर अपिी ज ांघों को थोड़ स फैल य और अपिी
गदम ि िीचे झुक कर अपिी ज ांघों के बीच दे खिे लगी श यद वो अपिी चूत दे ख रह थी।

मझ
ु े लग की श यद द द की चूत के ऊपर भी उसकी क ांखों की तरह से ब लों क घि जांगल होग और जरूर
वो उसे ह दे ख रह होंगी। मेर अिम
ु ि सह थ और द द िे अपिे ह थ को बढ़ कर रै क पर से कफर वह क्रीम
व ल बोतल उत र ल और अपिे ह थों से अपिी ज ांघों के बीच क्रीम लग िे लगी। पीछे से द द को क्रीम लग ते
हुए दे खकर ऐस लग रह थ जैसे वो मठ
ु म र रह है ।

क्रीम लग िे के ब द वो कफर से िीचे बैठ गई और अपिे पेट कोट और पैंट को स फ करिे लगी। मैंिे अपिे लौड़े
को आकव शि ददय की घबर ओ िह ां कपड़े स फ होिे के ब द और भी कुछ दे खिे को लमल सकत है । ज्य द
िह ां तो कफर से द द के िांगे चत
ू र, पीठ और ज ांघों को दे खकर प िी चगर लेंगे। कर ब प ांच-स त लमिट के ब द
वो कफर से खड़ी हो गई। लौड़े में कफर से ज ि आ गई। द द इस समय अपिी कमर पर ह थ रखकर खड़ी थी।
कफर उसिे अपिे चूतर को खुज य और सहल य कफर अपिे दोिों ह थों को ब र -ब र से उठ कर अपिी क ख
ां ों
को दे ख और कफर अपिी ज ांघों के बीच झ ूँकिे के ब द फशम पर पड़े हुए कपड़ों को उठ य ।

यह वो क्षण थ श्जसक मैं क फी दे र से इन्तेज र कर रह थ । फशम पर पड़े हुए कपड़ों को उठ िे के ललए द द


िीचे झक
ु ी और उिके चूतर लकड़ी के पट्टों के बीच बिे गैप के स मिे आ गए। िीचे झक ु िे के क रण उिके
दोिों चूतर अपिे आप अलग हो गए और उिके बीच की मोट लकीर अब द द की गहर ग ण्ड में बदल गई।
दोिों चत
ू र बहुत ज्य द अलग िह ां हुए थे, मगर कफर भी इतिे अलग तो हो चकु े थे की उिके बीच की गहर
ख ईं िजर आिे लगी थी। दे खिे से ऐस लग रह थ जैसे ककसी बड़े खरबज ू े को बीच से क टकर थोड़ स अलग
करके दो खम्भों के ऊपर दटक कर रख ददय गय है । द द वैसे ह झक
ु े हुए ब ल्ट में कपड़ों को ड लकर खांग ल
रह थी और ब हर निक लकर उिक प िी निचोड़ रह थी।

त कत लग िे के क रण द द के चत
ू र और फैल गए और गोरे चत
ू रों के बीच की गहर भरू े रां ग की ग ण्ड की
ख ईं परू तरह से िजर आिे लगी। द द की ग ण्ड की ख ईं एकदम चचकिी थी। ग ण्ड के छे द के आस-प स भी
ब ल उग ज ते हैं, मगर द द के म मले में ऐस िह ां थ । उसकी ग ण्ड, जैस की उसक बदि थ , की तरह ह
मल ई के जैसी चचकिी लग रह थी। झक
ु िे के क रण चत
ू रों के सबसे निचले भ ग से ज ांघों के बीच से द द की
चूत के ब ल भी िजर आ रहे थे। उिके ऊपर लग हुआ सफेद क्रीम भी िजर आ रह थ । चूतरों की ख ईं में
क फी िीचे ज कर जह ां चूत के ब ल थे उिसे थोड़ स ऊपर द द की ग ण्ड की लसकुड़ी हुई भरू े रां ग की छे द थी।
उां गल के अगले लसरे भर की बर बर की छे द थी। ककसी फूल की तरह से िजर आ रह थी।

द द के एक दो ब र दहलिे पर वो छे द हल्क स दहल और एक दो ब र थोड़ स फूल -वपचक । ऐस क्यों हुआ


मेर समझ में िह ां आय ? मगर इस समय मेर ददल कर रह थ की मैं अपिी उां गल को द द की ग ण्ड की
ख ईं में रखकर धीरे -धीरे चल ऊूँ और उसके भरू े रां ग की दप
ु -दप
ु ती छे द पर अपिी उां गल रखकर हल्के-हल्के
दब ब ड लकर ग ण्ड की छे द की म ललश करूां। उफफ्फ… ककति मज आएग अगर एक ह थ से चत
ू र को

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मसलते हुए दस
ू रे ह थ की उां गल को ग ण्ड की छे द पर ड लकर हल्के-हल्के कभी थोड़ स अन्दर कभी थोड़ स
ब हर करके चल य ज ये तो।

परू उां गल द द की ग ण्ड में ड लिे से उन्हें ददम हो सकत थ । इसललए परू उां गल की जगह आधी उां गल य
कफर उससे भी कम ड लकर धीरे -धीरे गोल-गोल घमु ते हुए अन्दर-ब हर करते हुए ग ण्ड की फूल जैसी छे द उां गल
से हल्के-हल्के म ललश करिे में बहुत मज आएग । इस कल्पि से ह मेर परू बदि लसहर गय । द द की
ग ण्ड इस समय इतिी खब
ू सरू त लग रह थी।

ददल कर रह थी अपिे मूँह ु को उसके चूतरों के बीच घस


ु दां ू और उसकी इस भरू े रां ग की लसकुड़ी हुई ग ण्ड की
छे द को अपिे मूँह
ु में भरकर उसके ऊपर अपिी जीभ चल ते हुए उसके अन्दर अपिी जीभ ड ल दां ।ू उसके चत ू रों
को द ांत से हल्के-हल्के क टकर ख ऊूँ और परू ग ण्ड की ख ईं में जीभ चल ते हुए उसकी ग ण्ड च टूां। पर ऐस
सांभव िह ां थ । मैं इति उत्तेश्जत हो चुक थ की लण्ड ककसी भी समय प िी फेंक सकत थ । लौड़ अपिी परू
औक त पर आ चुक थ और अब ददम करिे लग थ । अपिे अांडकोर् को अपिे ह थों से सहल ते हुए हल्के से
सप
ु ड़े को दो उां गललयों के बीच दब कर अपिे आपको स न्तवि ददय ।

स रे कपड़े अब खांग ले ज चुके थे। द द सीधी खड़ी हो गई और अपिे दोिों ह थों को उठ कर उसिे एक अांगड़ ई
ल और अपिी कमर को सीध ककय कफर द दहिी तरफ घम ू गई। मेर ककस्मत श यद आज बहुत अच्छी थी।
द दहिी तरफ घम
ू ते ह उसकी द दहिी चच
ू ी जो की अब िांगी थी मेर ल लची आूँखों के स मिे आ गई। उफफ्फ…
अभी अगर मैं अपिे लण्ड को केवल अपिे ह थ से छू भर दे त तो मेर प िी निकल ज त । चच
ू ी क एक ह
स इड ददख रह थ । द द की चच
ू ी एकदम ठस सीि त ि के खड़ी थी।

ब्ल उज़ के ऊपर से दे खिे पर मझ


ु े लगत तो थ की उिकी चचू चय ां सख्त होंगी, मगर 28-29 स ल की होिे के
ब द भी उिकी चचू चयों में कोई ढलक व िह ां आय थ । इसक एक क रण ये भी हो सकत थ की उिको अभी
तक कोई बच्च िह ां हुआ थ । द द को श यद ब्र की कोई जरूरत ह िह ां थी। उिकी चचू चयों की कठोरत ककसी
भी 17-18 स ल की लौंड़डय के ददल में जलि पैद कर सकती थी। जलि तो मेरे ददल में भी हो रह थी की
इतिी अच्छी चूचचय ां मेर ककस्मत में क्यों िह ां हैं। चच
ू ी एकदम दध
ू के जैसी गोरे रां ग की थी। चूची क आक र
ऐस थ जैसे ककसी मध्यम आक र के कटोरे को उलटकर द द की छ ती से चचपक ददय गय हो और कफर
उसके ऊपर ककशलमश के एक बड़े से द िे को ड ल ददय गय हो।

मध्यम आक र के कटोरे से मेर मतलब है की अगर द द की चच


ू ी को मट्
ु ठी में पकड़ ज ये तो उसक आध
भ ग मट्
ु ठी से ब हर ह रहेग । चच
ू ी क रां ग चूँ क
ू ी हद से ज्य द गोर थ इसललए हर -हर िसें उस पर स फ
ददख ई पड़ रह थी, जो की चूची की सन्
ु दरत को और बढ़ रह थीां। स इड से दे खिे के क रण चूची के निप्पल
वि-ड येमेन्शि में िजर आ रहे थे। स मिे से दे खिे पर ह थ्री-ड येमन्
े शि में िजर आ सकते थे। तभी उिकी
लम्ब ई, चौड़ ई और मोट ई क सह म यिे में अांद ज लग य ज सकत थ , मगर क्य कर सकत थ । मजबरू
थी मैं स इड व्यू से ह क म चल रह थ ।

निप्पलों क रां ग गल
ु बी थ , पर हल्क भरू पि ललए हुए थ । बहुत ज्य द बड़ तो िह ां थ मगर एकदम छोट
भी िह ां थ , ककशलमश से बड़ और च कलेट से थोड़ स छोट । मतलब मूँह ु में ज िे के ब द च कलेट और
ककशलमश दोिों क मज दे िे व ल । दोिों होंठों के बीच दब कर हल्के-हल्के दब -दब कर द ांत से क टते हुए अगर
चूस ज ये तो बबि चोदे झड़ ज िे की परू सम्भ वि थी।
9
द दहिी तरफ घम
ू कर आईिे में अपिे द दहिे ह थ को उठ कर दे ख कफर ब एां ह थ को उठ कर दे ख । कफर अपिी
गदम ि को झुक कर अपिी ज ांघों के बीच दे ख । कफर व पस िल की तरफ घम
ू गई और खांग ले हुए कपड़ों को वह ां
िल के प स बिी एक खूांट पर ट ांग ददय और कफर िल खोलकर ब ल्ट में प िी भरिे लगी। मैं समझ गय की
द द अब श यद िह ि शरू
ु करें गी। मैंिे परू स वध िी के स थ अपिी आूँखों को लकड़ी के पट्टों के गैप में लग
ददय ।

मग में प िी भरकर द द थोड़ स झुक गई और प िी से पहले अपिे ब एां ह थ कफर द दहिी ह थ के क ख


ां ों को
धोय । पीछे से मझ
ु े कुछ ददख ई िह ां पड़ रह थ मगर द द िे प िी से अच्छी तरह से धोिे के ब द क ख
ां ों को
अपिे ह थों से छू कर दे ख । मझ
ु े लग की वो हे यर रे मोववांग क्रीम के क म से सांतष्ु ट हो गई और उन्होंिे अपि
ध्य ि अब अपिी ज ांघों के बीच लग ददय ।

द दहिे ह थ से प िी ड लते हुए अपिे ब एां ह थ को अपिी ज ांघों बीच लेज कर धोिे लगी। ह थों को धीरे -धीरे
चल ते हुए ज ांघों के बीच के ब लों को धो रह थी। मैं सोच रह थ की क श इस समय वो मेर तरफ घम ू कर ये
सब कर रह होती तो ककति मज आत । झ ट
ां ों के स फ होिे के ब द ककतिी चचकिी लग रह होगी द द की
चूत, ये सोच क बदि में झिझि हट होिे लगी। प िी से अपिे ज ांघों के बीच स फ कर लेिे के ब द द द िे
अब िह ि शरू
ु कर ददय । अपिे कांधों के ऊपर प िी ड लते हुए परू े बदि को लभग ददय । ब लों के जूड़े को
खोलकर उिको गील करके शैंपू लग िे लगी। द द क बदि भीग ज िे के ब द और भी खब ू सरू त और मदमस्त
लगिे लग थ । बदि पर प िी पड़ते ह एक चमक सी आ गई थी द द के बदि में ।

शैंपू से खूब स र झ ग बि कर अपिे ब लों को स फ कर रह थी। ब लों और गदमि के प स से शैंपू लमल हुआ
मटमैल प िी उिकी गदम ि से बहत हुआ उिकी पीठ पर चूते हुए िीचे की तरफ चगरत हुआ कमर के ब द सीध
दोिों चत
ू रों के बीच य िी की उिके बीच की दर र जो की द द की ग ण्ड थी में घस
ु रह थ । क्योंकक ये प िी
शैंपू लग िे के क रण झ ग से लमल हुआ थ और बहुत कम म र में थ इसललए ग ण्ड की दर र में घस
ु िे के
ब द कह ां ग यब हो ज रह थ ये मझ ु े िह ां ददख रह थ ।

अगर प िी की म र ज्य द होती तो कफर वो वह ां से निकलकर ज ांघों के अांदरूिी भ गों से ढुलकत हुआ िीचे
चगर ज त । ब लों में अच्छी तरह से शैंपू लग लेिे के ब द ब लों को लपेटकर एक गोल स बि कर गदम ि के
प स छोड़ ददय और कफर अपिे कांधों पर प िी ड लकर अपिे बदि को कफर से गील कर ललय । गदम ि और पीठ
पर लग हुआ शैंपू लमल हुआ मटमैल प िी भी धुल गय थ । कफर उन्होंिे एक स्पोंज के जैसी कोई चीज रै क
पर से उठ ल और उस से अपिे परू े बदि को हल्के-हल्के रगड़िे लगी। पहले अपिे ह थों को रगड़ कफर अपिी
छ ती को कफर अपिी पीठ को कफर बैठ गई। िीचे बैठिे पर मझ
ु े केवल गदम ि और उसके िीचे क कुछ दहस्स
ददख रह थ । पर ऐस लग रह थ जैसे वो िीचे बैठकर अपिे पैरों को फैल कर परू तरह से रगड़कर स फ कर
रह थी क्योंकक उिक शर र दहल रह थ । थोर दे र ब द खड़ी हो गई और अपिे ज ांघों को रगड़ि शरू
ु कर
ददय । मैं सोचिे लग की कफर िीचे बैठकर क्य कर रह थी?

कफर ददम ग में आय की हो सकत है अपिे पैर के तलवे और उां गललयों को रगड़कर स फ कर रह होंगी। मेर
द द बहुत सफ ई पसांद है । जैसे उसे घर के ककसी कोिे में गांदगी पसांद िह ां है उसी तरह से उसे अपिे शर र के
ककसी भी भ ग में गांदगी पसांद िह ां होगी। अब वो अपिी ज ांघों को रगड़-रगड़कर स फ कर रह थी और कफर
अपिे आपको थोड़ झुक कर अपिी दोिों ज ांघों को फैल य और कफर स्पोंज को दोिों ज ांघों के बीच लेज कर
10
ज ांघों के अांदरूिी भ ग और र ि को रगड़िे लगी। पीछे से दे खिे पर लग रह थ जैसे वो ज ांघों को जोड़ य िी
जह ूँ पर ज ांघ और पेट के निचले दहस्से क लमलि होत और श्जसके बीच में चत
ू होती है को रगड़कर स फ
करते हुए हल्के-हल्के श यद अपिी चूत को भी रगड़कर स फ कर रह थी, ऐस मेर सोचि है । वैसे चूत जैसी
कोमल चीज को ह थ से रगड़कर स फ करि ह उचचत होत ।

व कई ऐस थ य िह ां मझ
ु े िह ां पत । पीछे से इससे ज्य द पत भी िह ां चल सकत थ । थोड़ी दे र ब द थोड़
और झक
ु कर घट
ु िों तक रगड़कर कफर सीध होकर अपिे ह थों को पीछे लेज कर अपिे चत
ू रों को रगड़िे लगी।
वो थोड़ी-थोड़ी दे र में अपिे बदि पर प िी ड ल लेती थी श्जससे शर र क जो भ ग सख
ू गय होत वो कफर से
गील हो ज त थ और कफर उन्हें रगड़िे में आस िी होती थी। चूतरों को भी इसी तरह से एक ब र कफर से
गील करके खब
ू जोर जोर से रगड़ रह थी।

चूतरों को जोर से रगड़िे से कोई फकम िह ां पड़िे व ल थ , क्योंकक वह ां क म ांस बहुत मोट थ , पर जोर से
रगड़िे के क रण ल ल हो गय थ और थल-थल ते हुए दहल रह थ । मेरे ह थों में खुजल होिे लगी थी और
ददल कर रह थ की थल-थल ते हुए चूतरों को पकड़कर मसलते हुए हल्के-हल्के म रते हुए खूब दहल ऊूँ। चुत्तरों
को रगड़िे के ब द द द स्पोंज को दोिों चत
ू रों की दर र के ऊपर रगड़िे लगी कफर थोड़ स आगे की तरफ झक ु
गई श्जससे उसके चूतर फैल गए।

कफर स्पोंज को दोिों चत


ू रों के बीच की ख ई में ड लकर रगड़िे लगी। कोमल ग ण्ड की फूल जैसी छे द श यद
रगड़िे के ब द ल ल होकर गल
ु ब के फूल जैसी खखल ज येगी। ये सोचकर मेरे मि में द द की ग ण्ड दे खिे की
तीव्र इच्छ उत्पन्ि हो गई। मि में आय की इस लकड़ी की ददव र को तोड़कर स र दरू लमट दां ,ू मगर, सोचिे
में तो ये अच्छ थ , सच में ऐस करिे की दहम्मत मेर ग ण्ड में िह ां थी। बचपि से द द क गस्
ु सैल स्वभ व
दे ख थ , ज ित थ की जब उस दब
ु ई व ले को िह ां छोड़ती थी तो कफर मेर क्य बबस त। ग ण्ड पर ऐसी ल त
म रे गी की ग ण्ड दे खि भलू ज ऊांग । ह ल ूँकक द द मझ
ु े प्य र भी बहुत करती थी और मझ
ु े कभी भी परे श िी में
दे खकर तरुां त मेरे प स आकर मेर समस्य के ब रे में पछू िे लगती थी।

स्पोंज से अपिे बदि को रगड़िे के ब द, व पस स्पोंज को रै क पर रख ददय और मग से प िी लेकर कांधों पर


ड लते हुए िह िे लगी। म र स्पोंज से सफ ई करिे के ब द ह द द क परू बदि चमचम िे लग थ । प िी से
अपिे परू े बदि को धोिे के ब द द द िे अपिे शैंपू लगे ब लों क गोल खोल और एक ब र कफर से कमर के
प स से िीचे झुक गई और उिके चूतर कफर से लकड़ी के पट्टों के बीच बिे गैप के स मिे आ गए। इस ब र
उिके गोरे चमचम ते चूतरों के बीच की चमचम ती ख ईं के आल व मझ
ु े एक और चीज के ददखिे को लमल रह
थी।

वो क्य थी इसक अहस स मझ ु े थोड़ी दे र से हुआ। ग ण्ड की लसकुड़ी हुई छे द से कर ब च र अांगल


ु भर की दरू
पर िीचे की तरफ एक लम्बी लकीर सी िजर आ रह थी। मैं ये दे खकर त ज्जुब में पड़ गय , पर तभी ख्य ल
आय की घोंचू ये तो श यद चूत है । पहले ये लकीर इसललए िह ां िजर आ रह थी क्योंकक यह ूँ पर झ न्ट के
ब ल थे, हे यर ररमवु वांग क्रीम िे जब झ ांटों की सफ ई कर द तो चत
ू की लकीर स्पष्ट ददखिे लगी।

इस ब त क अहस स होते ह की मैं अपिी द द की चूत दे ख रह हूूँ, मझ


ु े लग जैसे मेर कलेज मूँह
ु को आ
ज येग और कफर से मेर गल सख
ू गय और पैर क ांपिे लगे। इस ब र श यद मेरे लण्ड से दो बद
ूँू टपक कर
िीचे चगर भी गय , पर मैंिे इस तरफ कोई ध्य ि िह ां ददय । लण्ड भी म रे उत्तेजि के क ूँप रह थ ।
11
ब थरूम में वैसे तो ल इट आि थी मगर चूँक
ू ी बल्ब भी लकर के पट्टों के स मिे ह लग हुआ थ इसललए द द
की पीठ की तरफ रोशिी कम थी। कफर भी दोिों मोट ज ांघों के बीच ऊपर की तरफ चूतरों की ख ईं के ठीक
िीचे एक गलु बी लकीर सी ददख रह थी। पट्टों के बीच से दे खिे से ऐस लग रह थ जैसे सेब य पके हुए
पपीते के आधे भ ग को क टकर कफर से आपस में चचपक कर दोिों ज ांघों के बीच कफट कर ददय गय है ।
मतलब द द की चूत ऐसी ददख रह थी जैसे सेब को च र भ गों में क टकर कफर दो भ गों को आपस में चचपक
कर ग ण्ड के िीचे लग ददय गय हो। कमर य चत
ू रों के इधर-उधर होिे पर दोिों फ ांकों में भी हरकत होती थी
और ऐस लगत जैसे कभी लकीर टे ढ हो गई है कभी लकीर सीधी हो गई है ।

जैसे चत
ू के दोिों होंठ कभी मकु कुर रहे हैं, कभी ि र ज हो रहे हैं। दोिों होंठ आपस में एक दस
ू रे से एकदम सटे
हुए ददख रहे थे। होंठों के आपस में सटे होिे के मतलब ब द में समझ में आय की ऐस चत ू के बहुत ज्य द
ट इट होिे के क रण थ । दोिों फ कां एकदम गल ु बी और प वरोट के जैसे फूले हुए थे। मेरे मि में आय की
क श मैं चूत की लकीर पर ऊपर से िीचे तक अपिी उां गल चल और हल्के से दोिों फ ांकों को अलग करके दे ख
प त की कैसी ददखती है? दोिों गल
ु बी होंठों के बीच क अांदरूिी भ ग कैस है? मगर ये सपि ह रह गय ।
द द के ब ल धल
ु चक
ु े थे और वो सीधी खड़ी हो गई।

ब लों को अच्छी तरह से धोिे के ब द कफर से उिक गोल बि कर लसर के ऊपर ब ूँध ललय और कफर अपिे
कांधों पर प िी ड लकर अपिे आपको कफर से गील करके परू े बदि पर स बि
ु लग िे लगी। पहले अपिे ह थों पर
अच्छी तरह से स बि
ु लग य कफर अपिे ह थों को ऊपर उठ कर वो द दहिी तरफ घम
ू गई और अपिी क ख
ां ों को
आईिे में दे खकर उसमें स बि
ु लग िे लगी। पहले ब ईं क ांख में स बि
ु लग य कफर द दहिे ह थ को उठ कर
द दहिी क ख
ां में जब स बि
ु लग िे ज रह थी तो मझ
ु े हे यर ररमवू वांग क्रीम क कम ल दे खिे को लमल । द द की
क ांख एकदम गोर , गल
ु बी और चचकिी हो गई थी। जीभ लग कर च टो तो जीभ कफसल ज ये ऐसी चचकिी लग
रह थी।

द द िे खूब स र स बि
ु अपिी क ांखों में लग य और कफर वैसे ह अपिी छ ती पर रगड़-रगड़कर स बि
ु लग िे
लगी। छ ती पर स बि
ु क खूब स र झ ग उत्पन्ि हो रह थ । द द क ह थ उसमें कफसल रह थ और वो
अपिी ह चूचचयों के स थ खखलव र करते हुए स बि ु लग रह थी। कभी निप्पल को चुटककयों में पकड़कर उि
पर स बि
ु लग ती कभी परू चचू ी को दोिों ह थों की मट्
ु ठी में कस कर स बि
ु लग ती। स बि
ु लग िे के क रण
द द की चच
ू ी दहल रह थी और थलथल रह थी। चचू चयों के दहलिे क िज र लण्ड को बेक बू करिे के ललए
क फी थ ।

तभी द द व पस िल की तरफ घम
ू गई और कफर िीचे झुक कर पैरों पर स बि
ु लग िे के ब द सीध होकर
अपिी ज ांघों पर स बि
ु लग िे लगी। दोिों ज ांघों पर स बि
ु लग िे के ब द अपिे ह थों में ढे र स र स बि
ु क
झ ग बि कर अपिी ज ांघों को फैल कर उिके बीच अपिे ह थों को घस
ु ददय । ह थ चल ते हुए अपिी चूत पर
स बि
ु लग िे लगी।

अच्छी तरह से चूत पर स बि


ु लग लेिे के ब द जैस की मैंिे सोच थ ग ण्ड की ब र आई और कफर पहले
अपिे चूतरों पर स बि
ु लग लेिे के ब द अपिे ह थों में स बि
ु क ढे र स र झ ग बि कर अपिे ह थों को चत
ू रों
की दर र में घस
ु ददय और ऊपर से िीचे चल ती हुई अपिी ग ण्ड की ख ई को रगड़ते हुए उसमें स बि
ु लग िे
लगी। ग ण्ड में स बि
ु लग िे से भी खूब स र झ ग उत्पन्ि हो रह थ ।
12
खब
ू अच्छी तरह से स बि
ु लग लेिे के ब द, िल खोलकर मग से प िी उठ -उठ कर द द िे अपि बदि धोि
शरू
ु कर ददय । प िी धीरे -धीरे स बि
ु को धोकर िीचे चगरत ज रह थ और उसी के स थ द द के गोरे बदि की
सन्
ु दरत को भी उज गर करत ज रह थ । स बि
ु से धुल ज िे के ब द द द क गोर बदि एकदम ढूध क
धुल लग रह थ । जैसे ब थरूम के उस अांचधय रे में च ांदिी रोशि हो गई थी। ऊपर से िीचे तक द द क परू
बदि चम-चम रह थ ।

मेर आूँखें चचुां धय रह थी और मैं अपिी आूँखों को फ ड़कर ज्य द से ज्य द उसके मद भरे यौवि क रस
अपिी आूँखों से पी ज ि च हत थ । मेरे पैर थक चक
ु े थे और कमर अकड़ चुकी थी मगर कफर भी मैं वह से
दहल िह ां प रह थ ।

अपिे परू े बदि को धो लेिे के ब द द द िे खूांट पर टां ग तौललय उत र और अपिे बदि को पोंछिे लगी। परू े
बदि को तौललये से हौले-हौले दब कर पोंछिे के ब द अपिे लसर के ब लों को तौललये से हल्के से पोंछ और
तौललये को ब लों में लपेटकर एक गोल बि ददय ।

कफर द दहिी तरफ घम


ू कर आईिे के स मिे आ गई। द दहिी चच
ू ी जो की मझ
ु े इस समय ददख रह थी थोड़ी
ल ल य कफर कहें तो गल
ु बी लग रह थी। ऐस श यद रगड़कर सफ ई करिे के क रण हुआ होग , निप्पल भी
थोड़ी क ल लग रह थी, ऐस श यद उिमें खिू भर ज िे के क रण हुआ होग । द द िे अपिे आपको आईिे में
अच्छी तरह से दे ख कफर अपिे दोिों ह थों को उठ कर ब र -ब र से अपिी क ख
ां ों को दे ख और सूँघ
ू भी, कफर
अपिी दोिों ज ांघों के बीच अच्छी तरह से दे ख , अपिे चेहरे को हर कोण से अच्छी तरह से आईिे में दे ख और
कफर अपिी िजरों को िीचे लेज कर अपिे पैरों आदद को दे खिे लगी। मैं समझ गय की अब द द ब हर
निकलेंगी। इससे पहले की वो ब हर निकले मझ
ु े चप
ु च प निकल ज ि च दहए।

मैं जल्द से ब हर निकल और स इड में बिे बेलसि पर अपि ह थ धोय और एक शटम पहिकर चुपच प ब हर
निकल गय । मैं ककसी भी तरह क खतर िह ां मोल लेि च हत च हत थ इसललए ब हर निकलिे के पहले
अपिे आपको सयांत ककय , अपिी उखड़ी हुई स ांसों पर क बू प य और कफर कर ब पांद्रह लमिट के ब द घर में
कफर से द खखल हुआ।

घर में घस
ु िे पर दे ख की द द अपिे कपड़े पहिकर ब लकिी में खड़ी होकर अपिे ब लों को सख
ु रह थी। पील
स ड़ी और ब्ल उज़ में आसम ि से उतर पर की तरह लग रह थी। गदम ि पीछे की तरफ करके ब लों को तौललये
से रगड़कर पोंछते हुए श यद उसे ध्य ि िह ां थ की ट इट ब्ल उज़ में ब हर की ओर उसकी चचू चय ां निकल
ज एांगी। दे खिे से ऐस लग रह थ जैसे अभी फ ड़कर ब हर निकल आएांगी। उसिे श यद थोड़ मेकअप भी कर
ललय थ ।

ब ल सखु ते हुए उसकी िजर मेरे ऊपर पड़ी तो बोल - “कह ूँ थ , बोलकर ज त । मैं कम से कम दरव ज तो बांद
कर लेती…”

मैंिे कह - “स र द द , वो मझ
ु े ध्य ि िह ां रह …”

13
कफर ब ल सख
ु िे के ब द द द अपिे कमरे में चल गई। मैं वह ां ब हर बैठकर टे ललववजि दे खिे लग । अब मैं
एक चोर बि चक
ु थ , एक ऐस चोर जो अपिी बड़ी बहि की खब
ू सरू ती को चोर छुपे हर समय निह रिे की
कोलशश में लग रहत थ । एक चोर की तरह मैं डरत भी थ की कह ां मेर चोर पकड़ी ि ज ये। हर समय
कोलशश करत रहत थ की जब द द अस्त-व्यस्त अवस्थ में लेट हों, य कुछ क म कर रह हों, तो उसकी एक
झलक ले ल।ूां दफ्तर खुल चुक थ सो ब थरूम में कफर से द द की जव िी को निह रिे क मौक िह ां लमल रह
थ । सब
ु ह-सब
ु ह िह कर लोकल पकड़कर आकफस ज त और कफर श म में ह घर पर व पस आ प त थ । िय
शनिव र और रववव र आय , उस ददि मैं क फी दे र तक लैदिि में बैठ रह पर द द ब थरूम में िह िे िह ां आई।
कफर मैंिे मौक दे खकर द द जब िह िे गई तो लैदिि में चोर से घस
ु िे की कोलशश की पर उस क म में भी
असफल रह ।

पड़ोस से कोई आकर दरव ज खटखट िे लग और द द िे ब थरूम में से मझ


ु े जोर से आव ज दे कर कह की-
“दे ख कौि है दरव जे पर?”

मजबरू ि निकलि पड़ । ऐसे ह हमेश कुछ ि कुछ हो ज त थ और अपिे प्रय सों में मझ
ु े असफलत ह थ
लगती। कफर मझ
ु े मौक भी केवल शनिव र और रववव र को लमलत थ । अगर इि दो ददिों में कुछ हो प त तो
ठीक है िह ां तो कफर परू े एक सप्त ह तक इांतज र करि पड़त थ । उस ददि की घटि को य द कर-करके मैंिे
ि ज िे ककतिी ब र मठ
ु म र होगी, इसक मझ
ु े खुद अहस स िह ां थ । इसी तरह एक र त जब मैं अपिे लण्ड
को खड़ करके हल्के-हल्के अपिे लण्ड की चमड़ी को ऊपर िीचे करते हुए अपिी प्य र द द को य द करके मठ ु
म रिे की कोलशश करते हुए, अपिी आूँखों को बांद करके उसके गदर ये बदि की य द में अपिे को डुब िे की
कोलशश कर रह थ , तो मेर आूँखों में पड़ती हुई रोशिी की लकीर िे मझ
ु े थोड़ बैचैि कर ददय और मैंिे अपिी
आूँखें खोल द । द द के कमरे क दरव ज थोड़ स खुल हुआ थ ।

दरव जे के दोिों पल्लों के बीच से ि ईट बल्ब की रोशिी की एक लकीर सीधे मेरे तककये के ऊपर, जह ूँ मैं
अपि लसर रखत हूूँ, पर आ रह थी। मैं आदहस्ते से उठ और दरव जों के प स ज कर सोच की इसके दोिों
पल्लों को अच्छी तरह से आपस में सट दे त हूूँ। चोर तो मेरे मि में थी ह । दोिों पल्लों के बीच से अन्दर
झ ूँकिे के लोभ पर मैं क बू िह ां रख प य । द द के गस्
ु सैल स्व भ व से पररचचत होिे के क रण मैं ज ित थ ,
कक अगर मैं पकड़ गय तो श यद इस घर में मेर आखखर ददि होग । दोिों पल्लों के बीच से अन्दर झ ांक कर
दे ख की द द अपिे पलांग पर करवट होकर लेट हुई थी। उसक मूँह
ु दरव जे के ववपर त ददश में थ । य नि की
पैर दरव जे की तरफ थ । पलांग एक स इड से द व ल से सट हुआ थ । द द द व ल की ओर मूँह
ु करके केवल
पेदटकोट और ब्ल उज़ में जैस की गमी के ददिों में वो हमेश करती है , लेट हुई थी।

गहरे िीले रां ग क ब्ल उज़ और पेदटकोट द द के गोरे रां ग पर खूब खखलत थ । मझ


ु े उिक वपछव ड़ िजर आ
रह थ । कई ब र सोई हुई अवस्थ में पेदटकोट इधर-उधर हो ज िे पर बहुत कुछ दे ख प िे क मौक लमल ज त
है , ऐस मैंिे कई कह नियों में पढ़ थ । मगर यह ूँ ऐस कुछ भी िह ां थ । पेदटकोट अच्छी तरह से द द के पैरों
से ललपट हुआ थ और केवल उिकी गोर वपांडललय ां ह ददख रह थीां। द द िे अपिे एक पैर में पतल सी
प यल पहि रखी थी। द द वैसे भी कोई बहुत ज्य द जेवरों की शौकीि िह ां थी। ह थों में एक पतल से सोिे
की चूड़ी। गोर वपांडललयों में सोिे की पतल सी प यल बहुत खूबसरू त लग रह थी।

पेदटकोट द द के भ र चत ू रों से चचपके हुए थे। वो श यद क फी गहर िीांद में थी। बहुत ध्य ि से सिु िे पर
हल्के खर ट
म ों की आव ज आ रह थी। मैंिे हल्के से दरव जे के पल्लों को अलग ककय और दबे प व ूँ अन्दर घसु
14
गय । मेर कलेज धक् -धक् कर रह थ मगर मैं अपिे कदमों को रोक प िे असमथम थ । मेरे अन्दर द द के
प्रनत एक तीव्र ल लस िे जन्म ले ललय थ । मैं द द के प स पहुूँचकर एक ब र सोती हुई द द को िजद क से
दे खि च हत थ । दबे कदमों से चलते हुए मैं पलांग के प स पहुूँच गय । द द क मूँह
ु दस
ू र तरफ थ । वो ब य ां
करवट होकर लेट हुई थी। कुछ पलों के ब द पलांग के प स मैं अपिी सोई हुई प्य र बहि के पीछे खड़ थ ।
मेर स ांस बहुत तेज चल रह थी। दम स धकर उि पर क बू करते हुए मैं थोड़ स आगे की ओर झुक । द द
की स ांसों के स थ उिकी छ ती धीरे -धीरे उठ बैठ रह थी।

गहरे िीले रां ग के ब्ल उज़ क ऊपर क एक बटि खल ु हुआ थ और उससे गोर -गोर छ नतयों ददख रह थीां।
थोड़ स उिके लसर की तरफ नतरछ होकर झक ु िे पर दोिों चचू चयों के बीच की गहर घ ट क ऊपर भ ग
ददखिे लग । मेरे ददम ग िे इस समय क म करि बांद कर ददय थ । श यद मैंिे सोच ललय थ की जब ओखल
में लसर दे ददय तो मस
ू ल से क्य डरि ? मैंिे अपिे द दहिे ह थ को धीरे से आगे बढ़ य । इस समय मेर ह थ
क ूँप रह थ , कफर भी मैंिे अपिे क ांपते ह थों को धीरे से द द की द दहिी चूची पर रख ददय । गद
ु ज चूचचयों
पर ह थ रखते ह लग जैसे बबजल के िांगे त र को छू ददय हो। ब्ल उज़ के ऊपर से चूची पर ह थों क हल्क
स दब ब ददय तो परू े बदि में चीांदटय ां रें गिे लगी। ककसी लड़की य औरत की चूचचयों को पहल ब र अपिे
ह थों से छुआ थ । द द की चच
ू ी एकदम सख्त थी। ज्य द जोर से दब िह ां सकत थ । क्योंकक उिके ज ग
ज िे क खतर थ ।

मगर कफर भी इति अहस स हो गय की ि ररयल की कठोर खोपड़ी जैसी ददखिे व ल ये चच


ू ी व स्तव में स्पोंज
की कठोर गें द के सम ि थी, श्जससे बचपि में मैंिे खब
ू कक्रकेट खेल थी। मगर ये गें द श्जसको मैं दब रह थ
वो एक जव ि औरत के थे जो की इस समय सोई हुई थी। इिके स थ ज्य द खेलिे की कोलशश मैं िह ां कर
सकत थ । कफर भी मैं कुछ दे र तक द द की द दहिी चूची को वह ां खड़े-खड़े हल्के-हल्के दब त रह । द द के
बदि में कोई हरकत िह ां हो रह थी। वो एकदम बेशध
ु खर ट
म े भर रह थी।

ब्ल उज़ क एक बटि खुल हुआ थ । मैंिे हल्के से ब्ल उज़ के ऊपर भ ग को पकड़कर ब्ल उज़ के दोिों भ गों
को अलग करके चच
ू ी दे खिे के ललए और अन्दर झ कूँ िे की कोलशश की, मगर एक बटि खुल होिे के क रण
ज्य द आगे िह ां ज सक । निर श होकर चूची छोड़कर मैं अब िीचे की तरफ बढ़ । द द की गोर चचकिी पेट
और कमर को कुछ पलों तक दे खिे के ब द मैंिे हल्के से अपिे ह थों को उिकी ज ांघों पर रख ददय । द द की
मोट मदमस्त ज ांघों क मैं द व ि थ । पेदटकोट के कपड़े के ऊपर से ज ांघों को हल्के से दब य तो अहस स हुआ
की ककतिी सख्त और गद ु ज ज ांघें है ।

क श मैं इस पेदटकोट के कपड़े को कुछ पलों के ललए ह सह हट कर एक ब र इि ज ांघों को चम


ू प त , य थोड़
स च ट भर लेत तो मेरे ददल को कर र आ ज त । द द की मोट -मोट ज ांघों को हल्के-हल्के दब ते हुए मैं
सोचिे लग की इि ज ांघों के बीच अपि लसर रखकर सोिे में ककति मज आएग । तभी मेर िजर द द की
कमर के प स पड़ी जह ूँ वो अपिे पेदटकोट क ि ड़ ब ांधती है । पेदटकोट क ि ड़ तो खूब कस कर बांध हुआ थ ,
मगर जह ूँ पर ि ड़ बांध होत है ठीक वह ां पर पेदटकोट में एक कट बि हुआ थ । ये श यद ि ड़ ब ूँधिे और
खोलिे में आस िी हो इसललए बि होत है । मैं हल्के से अपिे ह थों को ज ांघों पर से हट कर उस कट के प स ले
गय और एक उां गल लग कर कट को थोड़ स फैल य ।

ओह्ह… वह ां से सीध द द की बरु क ऊपर भ ग िजर आ रह थ । मेर परू बदि झि-झि गय । लण्ड िे
अांगड़ ई ल और फिफि कर खड़ हो गय । ऐस लग जैसे प िी एकदम सप
ु ड़े तक आकर अटक गय है और
15
अब चगर ज येग । मैं उस कट से द द के पेड़ू (पेट क सबसे निचल भ ग) के थोड़ िीचे तक दे ख प रह थ ।
चूँ क
ू ी द द को ब थरूम में िह ते हुए दे खिे के ब द से तीि हफ्ते बीत चकु े थे और श यद द द िे दब ु र कफर से
अपिे अांदरूिी ब लों की सफ ई िह ां की थी, इसललए उिकी चत ू पर झ ांटें उग गई थीां। मझ
ु े वह झ ट
ां ें ददख रह
थीां।

व सि और उत्तेजि में अांध होकर मैंिे धीरे से अपिी उां गल पेदटकोट के कट के अन्दर सरक द । मेर
उां गललयों को पेड़ू की कोमल त्वच िे जब छुआ तो मैं क ूँप गय । और मेर उां गललय ां और अन्दर की तरफ सरक
गई। चूत की झ ांटें मेर उां गललयों में उलझ चुकी थीां। मैं बहुत स वध िी से अपिी उां गललयों को उिके बीच चल ते
हुए और अन्दर की तरफ ले ज ि च हत थ । इसललए मैंिे पेदटकोट के कट को दस
ू रे ह थ की सह यत से थोड़
स और फैल य और कफर अपिी उां गल को थोड़ और अन्दर घस ु य और यह मेर सबसे बड़ी गलती स बबत हो
गई। मझ
ु े ज्य द ल लच िह ां करि च दहए थ मगर गलती हो चुकी थी।

द द अच िक सीधी होती हुई उठकर बैठ गई। अपिी िीांद से भर आूँखों को उन्होंिे ऐसे खोल ददय जैसे वो
कभी सोई ह िह ां थी। सीध मेरे उस ह थ को पकड़ ललय जो उिके पेदटकोट के ि ड़े के कट के प स थ । मैं
एकदम हक्क -बक्क स खड़ रह गय ।

द द िे मेरे ह थों को जोर से झटक ददय और एकदम सीधी बैठती हुई बोल - “हर मी… सअ ू र क्य कर रह थ ?
शमम िह ां आती तझ ु ?
े ” कहते हुए आगे बढ़कर चट क से मेरे ग ल पर एक जोरद र थप्पड़ रशीद कर ददय ।

इस जोरद र झ पड़ िे मझ
ु े ऊपर से िीचे तक एकदम झि-झि ददय । मेरे होश उड़ चक
ु े थे। ग ल पर ह थ रखे
वह हतप्रभ स खड़ मैं िीचे दे ख रह थ । द द से िजर लमल िे क तो सव ल ह पैद िह ां होत थ । द द िे
एक ब र कफर से मेर ह थ पकड़ ललय और अपिे प स खीांचते हुए मझ ु े ऊपर से िीचे तक दे ख । मैं क ूँप रह
थ । मझ
ु े लग रह थ जैसे मेरे पैरों की स र त कत खत्म हो चक
ु ी है और मैं अब िीचे चगर ज ऊांग ।

तभी द द िे एक ब र कफर कड़कती हुई आव ज में पछ


ू - “कमीिे… क्य कर रह थ ? जव ब क्यों िह ां दे त ?”

कफर उिकी िजरें मेरे ह फ पैंट पर पड़ी जो की आगे से अभी भी थोड़ स उभर हुआ ददख रह थ । दहक रत
भर िजरों से मझ
ु े दे खते हुए बोल - “यह क म करिे के ललए तू मेरे प स… नछ… उफफ्फ… कैस सअ
ू र?”

मेरे प स बोलिे के ललए कुछ भी िह ां थ मगर कफर भी दहम्मत करके हकल ते हुए मैं बोल - “वो द द म फ…
मैं… मझु े म फ… मैं अब आ-आगे…”

पर द द िे कफर से जोर से अपि ह थ चल य । चूँ कू ी वो बैठी हुई थी और मैं खड़ थ इसललए उिक ह थ सीध
मेरे पैंट में लग । ऐस उन्होंिे ज िबझ
ू कर ककय थ य िह ां मझ ु े िह ां पत । मगर उिक ह थ थोड़ मेरे लण्ड
पर लग और उन्होंिे अपि ह थ झटके से ऐसे पीछे खीांच ललय जैसे बबजल के िांगे त रों िे उिको छू ललय हो
और एकदम दख
ु ी स्वर में रुआांसी सी होकर बोल - “उफफ्फ… कैस लड़क है । अगर म ूँ सि
ु ेगी तो क्य बोलेगी?
ओह्ह… मेर तो समझ में िह ां आ रह मैं क्य करूां?”

16
ब त म ूँ तक पहुचेगी ये सि
ु ते ह मेर ग ण्ड फट गई। घबर कर कैसे भी ब त को सूँभ लिे के इर दे से हकल त
हुआ बोल - “द द … प्ल ज म फ कर दो प्ल ज… अब कभी ऐस िह ां होग । मैं बहक गय थ । आज के ब द
प्ल ज द द प्ल ज… मैं कह ां मूँह
ु िह ां ददख प ऊूँग । मैं आपके पैर…” कहते हुए मैं द द के पैरों पर चगर पड़ ।

द द इस समय एक पैर घट ु िों के प स से मोड़कर बबस्तर पर पलथी म रिे के अांद ज में रख हुआ थ और
दस
ू र पैर घट
ु ि मोड़कर स मिे सीध रखे हुए थी। मेर आूँखों से सच में आांसू निकलिे लगे थे और वो द द के
पैर के तलवे के ऊपर भ ग को लभग रहे थे। मेर आूँखों से निकलते इि प्र यश्कचत के आांसओ
ु ां िे श यद द द
को वपघल ददय और उन्होंिे धीरे से मेरे लसर को ऊपर की तरफ उठ य । ह ल कूँ क उिक गस्
ु स अभी भी कम
िह ां हुआ थ और वो उिकी आूँखों में ददख रह थ ।

मगर अपिी आव ज में थोड़ी कोमलत ल ते हुए बोल - “ये क्य कर रह थ त? ू तझ


ु े लोक ल ज, म ि मय मद
ककसी भी चीज की चचांत िह ां। मैं तेर बड़ी बहि हूूँ। मेर और तेर उम्र के बीच िौ स ल क फ सल है । ओह्ह…
मैं क्य बोलूां मेर समझ में िह ां आ रह । ठीक है तू बड़ हो गय है । मगर… क्य यह तर क लमल थ तझ
ु ?
े ”

द द की आव ज की कोमलत िे मझ
ु े कुछ श नां त प्रद ि की, ह ल ूँकक अभी भी मेरे ग ल उिके तगड़े झ पड़ से
झिझि रहे थे और श यद द द की उां गललयों के निश ि भी मेरे ग लों पर उग गए थे। मैं कफर से रोते हुए
बोल - “प्ल ज… द द मझ
ु े म फ कर दो। मैं अब दब
ु र ऐसी गलती…”

द द मझु े बीच में क टते हुए बोल - “मझ ु े तो तेरे भववष्य की चचांत हो रह है । ति
ू े जो ककय सो ककय , पर मैं
ज िती हूूँ। तू अब बड़ हो चक ु है । तू क्य करत है? कह ां तू अपिे शर र को बब मद तो िह ां कर रह है?”

मैं इसक मतलब िह ां समझ प य । हक्क -बक्क स द द क मूँह


ु त कत रह ।

द द िे मेरे से कफर पछ
ू - “कह ां तू कह …
ां अपिे ह थ से तो िह ां?”

अब द द की ब त मेर समझ में आ गई। द द क ये सव ल पछ


ू ि व श्जब थ क्योंकक मेर हरकतों से उन्हें इस
ब त क अहस स तो हो ह चुक थ की मैंिे आज तक ककसी लड़की के स थ कुछ ककय िह ां थ और उन्हें ये
भी पत थ की मेरे जैसे लड़के अपिे ह थों से क म चल ते है । पर मैं ये सव ल सि
ु कर हक्क बक्क स रह गय
गय । मेरे होंठ सख
ू गए और मैं कुछ बोल िह ां प य ।

द द िे कफर से मेर ब ूँहों को पकड़ मझ


ु े झकझोर और पछ
ू - “बोलत क्यों िह ां है ? मैं क्य पछ
ू रह हू, तू
अपिे ह थों से तो िह ां करत ?”

मैंिे ि समझ होिे क ि टक ककय और बोल - “ह थों से द द , म-मैं समझ िह ां…”

“दे ख… इति तो मैं समझ चक ु ी हूूँ की तू लड़ककयों के ब रे में सोचत है । इसललए पछ


ू रह हूूँ तू अपिे आपको
श ांत करिे के ललए, जैसे तू अभी मेरे स थ… उफफ्फ… बोलिे में भी शमम आ रह पर अभी जब तेर … ये ति
ज त है तो अपिे ह थों से श ांत करत है क्य इसे?” मेरे पैंट के उभरे हुए भ ग की तरफ इश र करते हुए बोल ।

17
अब द द अपिी ब त को परू तरह से स्पष्ट कर चुकी थी। मैं कोई बह ि िह ां कर सकत थ गदम ि झुक कर
बोल - “द -द द वो-वो… मझ
ु े म फ कर… म फ…”

एक ब र कफर से द द क ह थ चल और मेर ग ल कफर से ल ल हो गई- “क्य द द -द द कर रह है? जो पछ



रह हूूँ स फ-स फ क्यों िह ां बत त । ह थ से करत है ? यह ूँ ऊपर पलांग पर बैठ, बत मझ
ु …
े ” कहते हुए द द िे
मेरे कांधों को पकड़कर ऊपर उठ िे की कोलशश की।

द द को एक ब र कफर गस्
ु से में आत दे खकर मैं धीरे से उठकर द द के स मिे पलांग पर बैठ गय और एक
ग ल पर ह थ रखे हुए अपिी गदम ि िीचे ककये हुए धीरे से बोल - “ह ूँ… ह थ से… ह थ से करत … …” मैं इति
बोलकर चपु हो गय ।

हम दोिों के बीच कुछ पल की चप्ु पी छ ई रह ।

कफर द द गहर स ांस लेते हुए बोल - “इसी ब त क मझ


ु े डर थ । मझ
ु े लग रह थ की इि सब चक्करों में तू
अपिे आपको बब मद कर रह है …” कफर मेर ठोड़ी पकड़कर मेरे चेहरे को ऊपर उठ कर ध्य ि से दे खते हुए बोल -
“मैंिे तझ
ु े म र । उफफ्फ… दे ख कैस निश ि पड़ गय है । पर क्य करती मैं मझ
ु े गस्
ु स आ गय थ । खैर, मेरे
स थ जो ककय सो ककय । पर भ ई, सच में मैं बहुत दख
ु ी हूूँ। तम
ु जो ये क म करते हो ये… ये तो…”

मेरे अन्दर ये ज िकर थोड़ी सी दहम्मत आ गई की मैंिे द द के बदि को दे खिे की जो कोलशश की थी, उस
ब त से द द अब ि र ज िह ां हैं। बश्ल्क वो मेरे मठ
ु मरिे की आदत से परे श ि हैं। मैं द द की ओर दे खते हुए
बोल - “स र द द … मैं अब िह ां करूूँग …”

द द - “भ ई मैं तम्
ु ह रे भले के ललए ह बोल रह हूूँ। तम्
ु ह र शर र बब मद कर दे ग , ये क म। ठीक है इस उम्र में
लड़ककयों के प्रनत आकर्मण तो होत है । मगर… ये ह थ से करि सह िह ां है, ये ठीक िह ां है । र जू तमु ऐस
मत करो आगे से…”

मैं- “ठीक है द द । मझु े म फ कर दो मैं आगे से ऐस िह ां करूूँग । मैं शलमिंद हूूँ…” मैंिे अपिी गदम ि और ज्य द
झक ु ते हुए धीरे से कह ।

द द एक पल को चुप रह कफर मेर ठोड़ी पकड़कर मेरे चेहरे को ऊपर उठ ती हुई हल्क स मकु कुर ते हुई बोल -
“मैं तझ
ु े अच्छी लगती हूूँ क्य ?”

मैं एकदम से शम म गय मेरे ग ल ल ल हो गए और झेंपकर गदम ि कफर से िीचे झुक ल । मैं द द के स मिे
बैठ हुआ थ द द िे ह फ पैंट के ब हर झ ांकती मेर ज ांघों पर अपि ह थ रख और उसे सहल ती हुई धीरे से
अपिे ह थ को आगे बढ़ कर मेरे पैंट के उभरे हुए भ ग पर रख ददय ।

मैं शम मकर अपिे आप में लसमटते हुए द द के ह थ को हट िे की कोलशश करते हुए अपिे दोिों ज ांघों को आपस
में सट िे की कोलशश की, त कक द द मेरे उभ र को िह ां दे ख प एां। द द िे मेर ज घ
ां पर दब ब ड लते हुए
उिक सीध कर ददय ।

18
और मेरे पैंट के उभ र को पैंट के ऊपर से पकड़ ललय और बोल - “रुक… आर म से बैठ रह, दे खिे दे , स ले
अभी शम म रह है । चप
ु च प मेरे कमरे में आकर मझ
ु े छू रह थ । तब शमम िह ां आ रह थी तझ
ु े। कुत्ते…” द द िे
कफर से अपि गस्
ु स ददख य और मझ
ु े गल द।

मैं सहमकर चुपच प बैठ गय । द द मेरे लण्ड को छोड़कर मेरे ह फ पैंट क बटि खोलिे लगी। मेरे पैंट के बटि
खोलकर कड़कती आव ज में बोल - “चूतर उठ तो, तेर पैंट निक ल…
ूां ”

मैंिे हल्क ववरोध ककय - “ओह्ह… द द छोड़ दो…”

द द - “कफर से म र ख येग क्य ? जैस कहती हूूँ वैस कर…” कहती हुई थोड़ आगे खखसक कर मेरे प स आई
और अपिे पेदटकोट को खीांचकर घट ु िों से ऊपर करते हुए पहले के जैसे बैठ गई।

मैंिे चुपच प अपिे चूतरों को थोड़ स ऊपर उठ ददय । द द िे सट क से मेरे पैंट को खीांचकर मेर कमर और
चूतरों के िीचे कर ददय , कफर मेरे पैरों से होकर मेरे पैंट को परू निक लकर िीचे क रपेट पर फेंक ददय । मैं िीचे
से परू िांग हो गय थ और मेर ढ ल लण्ड द द की आूँखों के स मिे थ । मैंिे ह ल ह में अपिे लण्ड के ऊपर
उगे के ब लों को दिम ककय थ , इसललए झ ांट बहुत कम थी।

मेरे ढ ले लण्ड को अपिी मठ्


ु ठी में भरते हुए द द िे सप
ु ड़े की चमड़ी को थोड़ स िीचे खीांचते हुए मेरे मरे हुए
लण्ड पर जब ह थ चल य तो मैं सिसिी से भरके ‘आह’ ककय । द द िे मेर इस आह पर कोई ध्य ि िह ां
ददय और अपिे अांगठू े को सप
ु ड़े पर चल ती हुई सक-सक मेरे लण्ड की चमड़ी को ऊपर िीचे ककय । द द के
कोमल ह थों क स्पशम प कर मेरे लण्ड में ज ि व पस आ गई। मैं डर हुआ थ , पर द द जैसी खूबसरू त औरत
की हथेल िे लौड़े को अपिी मठ्
ु ठी में दबोचकर मसलते हुए, चमड़ी को ऊपर िीचे करते हुए सप
ु ड़े को
गद
ु गद
ु य तो अपिे आप मेरे लण्ड की तरफ खि ू की रफ्त र तेज हो गई। लौड़ फुफक र उठ और अपिी परू
औक त पर आ गय ।

मेरे खड़े होते लण्ड को दे खकर द द क जोश दग


ु ि
ु हो गय और दो-च र ब र ह थ चल कर मेरे लण्ड को अपिे
बबत्ते से ि पती हुई बोल - “ब प रे ब प… कैस हल्लबी लण्ड है । ओह्ह… ह य… भ ई तेर तो सच में बहुत बड़ है ।
मेर इतिी उम्र हो गई, आज तक ऐस िह ां दे ख थ । ओह्ह… ये परू िौ इांच क लग रह है । इति बड़ तो तेरे
बहिोई क भी िह ां। ह य… ये तो उिसे बहुत बड़ लग रह है , और क फी श िद र है । उफफ्फ… मैं तो… मैं तो
ह य… ये तो गधे के लण्ड श्जति बड़ है । उफ्फ्फ़्…” बोलते हुए मेरे लण्ड को जोर से मरोड़ ददय और सप
ु ड़े को
अपिी उां गल और अांगठ
ू े के बीच कस कर दब ददय ।

मैं ददम के म रे छटपट कर ज ांघ लसकोड़ते हुए द द क ह थ हट िे की कोलशश करते हुए पीछे खखसक ।

तब द द मेरे लण्ड को पकड़कर अपिी तरफ खीांचती हुई बोल - “हर मी, स ले मैं जब सो रह होती हूूँ तो मेर
चच
ू ी दब त है, मेर चत
ू में उां गल करत है । आग लग त है । इति मोट लौड़ लेकर घम ू त है …” और ब एां ग ल
पर तड़ क से एक झ पड़ जड़ ददय ।

मैं हतप्रभ स हो गय । मेर समझ में िह ां आ रह थ मैं क्य करूां? द द मझ


ु से क्य च हती है , ये भी समझ
में िह ां आ रह थ ।
19
एक तरफ तो द द मेरे लण्ड को सहल ते हुए मठ
ु म र रह थी और दस ू र तरफ ग ल दे ते हुए ब त कर रह थी
और म र रह थी। मैं उद स और डर हुई िजरों से द द को दे ख रह थ । द द मेरे लण्ड की मठ
ु म रिे में
मशगल ू थी। एक ह थ में लण्ड को पकड़े हुए दस
ू रे ह थ से मेरे अन्डकोर्ों को अपिी हथेल में लेकर सहल ती हुई
बोल - “ह थ से करत है , र जू अपि शर र बब मद मत कर… तेर शर र बब मद हो ज येग तो मैं म ूँ को क्य मूँहु
ददख ऊूँगी?”

कहते हुए द द िे जब अपिी िजरों को ऊपर उठ य । तो मेरे उद स चेहरे पर द द की िजर पड़ी। मझ ु े उद स


दे खकर लण्ड पर ह थ चल ती हुई दस
ू रे ह थ से मेरे ग ल को चट
ु की में पकड़कर मसलते हुए बोल - “उद स क्यों
है ? क्य तझ ु े अच्छ िह ां लग रह है । ह य र जू तेर लण्ड बहुत बड़ और मजेद र है । तेर ह थ से करिे ल यक
िह ां है । ये ककसी छे द में घसु कर ककय कर…”

मैं द द की ऐसी खुल्लम खुल्ल ब तों को सि


ु कर एकदम से भौचक रह गय और उिक मूँह
ु त कत रह । द द
मेरे लण्ड की चमड़ी को परू िीचे उत रकर सप
ु ड़े की गोल ई के च रों तरफ उां गल फेरती हुई बोल - “ऐसे क्य
दे ख रह है? तू अपि शर र बब मद कर लेग तो मैं म ूँ को क्य मूँह
ु ददख ऊूँगी। मैंिे सोच ललय है मझ
ु े तेर
मदद करिी पड़ेगी। तू घबर मत…”

द द की ब तें सि
ु कर मझ
ु े खश
ु ी हुई मैं हकल ते हुए बोल - “ह य द द मझ
ु े डर लगत है , आपसे…”

इस पर द द बोल - “र जू मेरे भ ई, डर मत… मैंिे तझ


ु े ग ल द इसकी चचांत मत कर। मैं तेर मज खर ब िह ां
करि च हती… ले मेर मूँह
ु मत दे ख तू भी मजे कर…” और मेर एक ह थ पकड़कर अपिी ब्ल उज़ में कसी
चूचचयों पर रखती हुई बोल - “तू इिको दब ि च हत थ ि । ले दब … तू भी मज कर। मैं जर तेरे लण्ड की…
ककति प िी भर है इसके अांदर?”

मैंिे डरते हुए द द की चूचचयों को अपिी हथेल में थ म ललय और हल्के-हल्के दब िे लग । अभी दो-तीि ब र
ह दब य थ की द द मेरे लण्ड को मरोड़ती हुई बोल - “स ले कब मदम बिेग ् ऐसे औरतों की तरह चच ू ी दब एग
तो… इति तगड़ लण्ड ह थ से ह दहल त रह ज येग । अरे मदम की तरह दब ि । डर मत… ब्ल उज़ खोल के
दब ि च हत है तो खोल दे । ह य ककति मजेद र हचथय र है तेर … दे ख इतिी दे र से मठ
ु म र रह हूूँ मगर
प िी िह ां फेंक रह …”

मैंिे मि ह मि सोच की आर म से मठ
ु म रे गी तभी तो प िी फेंकेग , यह ूँ तो जैसे ह लौड़ अपिी औक त पर
आय थ , वैसे ह एक थप्पर म रकर उसको ढ ल कर ददय । इतिी दे र में ये समझ में आ गय की अगर मझ
ु े
द द के स थ मज करि है तो बद मकत करि ह पड़ेग , चूँ क
ू ी द द िे अब खुल छूट दे द थी इसललए अपिे
मजे के अिस
ु र दोिों चचू चयों को दब िे लग , ब्ल उज़ के बटि भी स थ ह स थ खोल ददए और िीले रां ग की
छोट से ब्र में कसी द द की दोिों रसभर चूचचयों को दोिों ह थों में भरकर दब ते हुए मज लट
ू िे लग । मज
बढ़िे के स थ लण्ड की औक त में भी बढ़ोतर होिे लगी।

सप
ु ड़ गल
ु बी से ल ल हो गय थ और िसों की रे ख एां लण्ड के ऊपर उभर आई थीां। द द परू कोलशश करके
अपिी हथेल की मट्
ु ठी बि कर परू े लण्ड को कसते हुए अपि ह थ चल रह थी।

20
कफर अच िक उन्होंिे लण्ड को पकड़े हुए ह मझु े पीछे की तरफ धकेल , मेर पीठ पलांग की पकु त से ज कर
टकर ई। मैं अभी सांभल भी िह ां प य थ की द द िे थोड़ पीछे की तरफ खखसकते हुए जगह बि ते हुए अपिे
लसर को िीचे झकु ददय और मेरे ल ल आलू जैसे चमचम ते सप ु ड़े को अपिे होंठों के बीच कसते हुए जोर से
चूस । मझ
ु े लग जैसे मेर ज ि सप
ु ड़े से निकल कर द द के मूँह
ु के अन्दर सम गई हो। गद
ु गद
ु और मजे िे
बेह ल कर ददय थ ।

अपिे िौजव ि सप
ु ड़े को चमड़ी हट कर पहले कभी पांखे के िीचे हव लग त थ तो इतिी जबरदस्त सिसिी
होती थी की मैं जल्द से चमड़ी ऊपर कर लेत थ । यह ूँ द द के गरम मूँह
ु के अन्दर उिके कोमल होंठ और
जीभ िे जब अपि कम ल सप
ु ड़े पर ददख ि शरू
ु ककय तो मैं सिसिी से भर उठ । लग की लण्ड प िी छोड़
दे ग । घबर कर द द के मह
ूँु को अपिे लण्ड पर से हट िे के ललए चच
ू ी छोड़कर उिके लसर को पकड़कर ऊपर
उठ िे की कोलशश की।

तब द द मेरे ह थ को झटक कर लौड़े पर से मूँह ु हट ती हुई बोल - “ह य र ज…


ू तेर लण्ड तो बहुत स्व ददष्ट है ।
ख िे ल यक है । तझ
ु े मज आएग । चूसिे दे । दे ख ह थ से करिे से ज्य द मज लमलेग …”

मैं घबर त हुआ बोल - “पर… पर द द मेर निकल ज येग , बहुत गद


ु गद
ु होती है, जब चूसती हो। ह य…”

इस पर द द खश
ु होती हुई बोल - “कोई ब त िह ां भ ई। ऐस होत है । आज से पहले कभी ति
ू े चस
ु व य है?”

मैं- “ह य… िह ां द द , कभी िह ां…”

द द - “ओहहो… मतलब ककसी के स थ भी ककसी तरह क मज िह ां ललय है ?”

मैं- “ह य… िह ां द द , कभी ककसी के स थ िह …


ां ”

द द - “कभी ककसी औरत य लड़की को िांग िह ां दे ख है ?”

मैं द द की इस ब त पर शम म गय और हकल ते हुए बोल - “जी कभी िह …


ां ”

द द - “ह य तभी तू इति तरस रह है । और छुपकर दे खिे की कोलशश कर रह थ । कोई ब त िह ां र जू। मझ


ु े
भी म ूँ को मूँह
ु ददख ि है । चचांत मत कर। पहले मैं ये तेर चस
ू कर इसकी मल ई एक ब र निकल दे ती हूूँ। कफर
तझ
ु े ददख दां ग
ू ी…”

मैं ज्य द कुछ समझ िह ां प य की क्य ददख दां ग


ू ी? मेर ध्य ि तो मेरे तन्ि ये हुए लौड़े पर ह अटक पड़
थ । मैं बहुत ज्य द उत्तेश्जत हो चुक थ और अब ककसी भी तरह से लण्ड क प िी निक लि च हत थ । मैंिे
अपिे लण्ड को ह थ से पकड़ ।

तब द द िे मेर ह थ झटक ददय और अपिी चच ू ी पर रखती हुई बोल - “ले इसको पकड़…” और मेरे लण्ड को
अपिी मठ्
ु ठी में भरकर ऊपर िीचे करते हुए सप
ु ड़े को अपिे मूँह
ु में भरकर चसू िे लगी।

21
मैं लसलसय ते हुए दोिों ह थों में द द की कठोर चूचचयों को मसलते हुए अपिी ग ण्ड बबस्तर से उछ लते हुए
चस
ु ई क मज लेिे लग । मेर समझ में िह ां आ रह थ की मैं क्य करूां? सिसिी के म रे मेर बरु ह ल हो
गय थ । द द मेरे सप ु ड़े के च रों तरफ जीभ कफर ते हुए मेरे लण्ड को लौल प प की तरह से चूस रह थी। कभी
वो परू े लण्ड पर जीभ कफर ते हुए मेरे अांडकोर् को अपिी हथेल में लेकर सहल ते हुए चूसती, कभी मेरे लौड़े के
सप
ु ड़े के अपिे होंठों के बीच दब कर इतिी जोर-जोर से चूसती की गोल सप
ु ड़ वपचक क चपट होिे लगत
थ।

चूची छोड़कर मैं द द के लसर को पकड़कर चगड़चगड़ ते हुए बोल - “ह य द द मेर निकल ज एग । ओह्ह… सीऽ
सीऽ द द अपि मूँह ु हट लो। ओह्ह… द द … बहुत गद
ु गदु हो रह है । प्ल ज द द । ओह्ह… मूँह
ु हट लो, दे खो
मेर प िी निकल रह है…” मेरे इति कहते ह मेरे लण्ड िे एक तेज वपचक र छोड़ी।

कववत द द िे जल्द से अपि मूँह


ु हट य मगर तब भी मेरे लण्ड की तेज ध र के स थ निकल हुई वीयम की
वपचक र की पहल ध र तो उिके मूँह
ु में ह चगर ब की धीरे -धीरे पच
ु -पच
ु करते हुए उिके पेदटकोट एवां ह थ पर
चगरिे लग , श्जससे उन्होंिे लण्ड पकड़ रख थ । मैं डरते हुए द द क मूँह
ु दे खिे लग की कह ां वो इस ब त के
ललए ि र ज तो िह ां हो गई की मैंिे अपि प िी उिके मूँहु में चगर ददय है ।

मगर मैंिे दे ख की द द अपिे मूँह


ु को चल ती हुई जीभ निक लकर अपिे होंठों के कोिे पर लगे मेरे सफेद रां ग
के ग ढ़े वीयम को च ट रह थी। मेर तरफ मकु कुर कर दे खते हुई बोल - “ह य र जू… बहुत अच्छ प िी निकल ।
बहुत मज आय । तेर हचथय र बहुत अलबेल है । भ ई बहुत प िी छोड़त है । मज आय की िह ? ां बोल कैस
लग अपिी द द के मह
ूँु में प िी छोड़ि ? ह य… तेर लण्ड श्जस बरु में प िी छोड़ेग वो तो एकदम लब लब भर
ज येगी…”

द द एकदम खल्
ु ल्लम खल्
ु ल बोल रह थी। द द के ऐसे बोलिे पर मैं झड़िे के ब द भी सिसिी से भरकर
शम मय तो द द मेरे झड़े लण्ड को मठ्ु ठी में कसती हुई बोल - “अिचुदे लौड़े की सह पहच ि यह है की उसक
औज र एक प िी निक लिे के ब द ककतिी जल्द खड़ होत है …” कहते हुए मेरे लण्ड को अपिी हथेल में भरकर
सहल ते हुए सप
ु ड़े पर उां गल चल िे लगी।

मेरे बदि में कफर से सिसि हट होिे लगी। झड़िे के क रण मेरे पैर अभी भी क प
ूँ रहे थे।

द द मेर ओर मकु कुर ते हुए दे ख रह थी, और बोल - “इस ब र जब तेर निकलेग तो और ज्य द ट इम
लग एग । वैसे भी तेर क फी दे र में निकलत है । स ल बहुत दमद र लौड़ है तेर …”

मैं शम मते हुए द द की तरफ दे ख और बोल - “ह य… कफर से मत करो ह थ से…”

इस पर द द बोल - “ठहर ज । पहले खड़ कर लेिे दे । ह य दे ख खड़ हो रह है लौड़ । व ह… बहुत तेजी से खड़


हो रह है तेर तो…” कहते हुए द द और जोर से अपिे ह थों को चल िे लगी।

मैं- “ह य द द ह थ से मत करो। कफर निकल ज एग …” मैं अपिे खड़े होते लण्ड को दे खते हुए बोल ।

22
इस पर द द िे मेरे ग ल पकड़ खीांचते हुए कह - “स ले ह थ से करिे के ललए तो मैंिे खुद रोक थ । ह थ से मैं
कभी िह ां रूांगी। मेरे भ ई र ज क शर र मैं बब मद िह ां होिे दां ग
ू ी…” कफर मेरे लण्ड को छोड़कर अपिे ह थ को
स इड से अपिी पेदटकोट के अन्दर लेज कर ज ांघों के बीच पत िह ां ककय , श यद अपिी बरु को छुआ और कफर
ह थ निक लकर उां गल ददख ती हुई बोल - “ह य दे ख… मेर चूत कैसे पनिय गई। बड़ मस्त लण्ड है तेर । जो भी
दे खेगी उसकी पनिय ज येगी। एकदम घोड़े के जैस है । अिचुद लौंड़डय की तो फ ड़ दे ग त।ू मेरे जैसी चुद
चूतों के ल यक लौड़ है । कभी ककसी औरत की िांगी िह ां दे खी है?”

द द के इस तरह से बबि ककसी ल ज शमम के बोलिे के क रण मेरे अन्दर भी दहम्मत आ रह थी और मैं भी


खुद द द के स थ खोलि च ह रह थ । द द के ये बोलिे पर मैंिे शम मिे क ि टक करते हुए कह - “ह य द द
ककसी की िह ां। बस एक ब र वो ग्व ललि ब हर मनु िलसश्प्लट के िल पर सब
ु ह-सब
ु ह िह रह थी। तब…”

द द चहकती हुई बोल - “ह ूँ… तब क्य भ ई। तब?”

मैं गदम ि िीचे करते हुए बोल - “वो-वो तो द द कपड़े पहिकर िह रह थी, बैठकर, पैर मोड़कर तो उसकी स ड़ी
बीच में से हट… हट गई, पर क ल -क ल ददख रह थ । जैसे ब ल हों…”

द द हूँसिे लगी और बोल - “अरे … वो तो झ ांटें होंगी, उसकी चत


ू क बस इति स दे खकर ह तेर क म हो
गय । मतलब ति
ू े आज तक असल में ककसी की िह ां दे खी है…”

मैं शम मते हुए बोल - “अब पत िह ां द द । मझ


ु े लग वह होगी, इसललए…”

द द इस पर मकु कुर ते हुए बोल - “ओह्ह हो… मेर प्य र छोट भ ई। बेच र , कफर तझ
ु े और कोई िह ां लमल
दे खिे के ललए जो मेरे कमरे में घस
ु गय …”

मैं इस पर द द क थोड़ स ववरोध करते हुए बोल - “िह ां द द … ऐसी ब त िह ां है । वो तो… तो मैं… मेरे आकफस
में भी बहुत स र लड़ककय ां है मगर… मगर मझ
ु े िह ां पत । ऐस क्यों है… मगर मझ
ु े आप से ज्य द सन्ु दर कोई
िह ां, कोई भी िह ां लगती। मझ
ु े वो लड़ककय ां अच्छी िह ां लगती। प्ल ज… द द मझ
ु े म फ कर दो। मैं आगे से
ऐस िह ां…”

इस पर द द हूँसिे लगी और मझु े रोकते हुए बोल - “अरे रे … इति घबर िे की जरूरत िह ां है । मैं तो तम
ु से
इसललए ि र ज थी की तम ु अपि शर र बब द म कर रहे थे। मेरे भ ई को मैं इतिी अच्छी लगती हूूँ की उसे कोई
और लड़की अच्छी िह ां लगती। ये मेरे ललए गवम की ब त है , मैं बहुत खुश हूूँ। मझ
ु े तो लग रह थ की मेर उम्र
बहुत ज्य द हो चुकी है इसललए। पर इक्कीस स ल क मेर िौजव ि भ ई मझ ु े इति पसांद करत है ये तो मझ
ु े
पत ह िह ां थ …” कहते हुए आगे बढ़कर मेरे होंठों पर एक जोरद र चम्
ु म ललय ।

और कफर दब
ु र अपिे होंठों को मेरे होंठों से सट कर मेरे होंठों को अपिे होंठों में दबोचकर अपिी जीभ मेरे मूँह

में ठे लते हुए चस
ू िे लगी। उसके होंठ चूसिे के अांद ज से लग जैसे मेरे कमलसि जव ि होंठों क परू रस द द
चूस लेि च हती हो। होंठ चस ू ते-चूसते वो मेरे लण्ड को अपिी हथेल के बीच दबोचकर मसल रह थी। कुछ दे र
तक ऐस करिे के ब द जब द द िे अपिे होंठ अलग ककये तो हम दोिों की स ांसे फूल गई थी।

23
मैं अपिी तेज बहकी हुई स ांसों को क बू करत हुआ बोल - “ह य द द आप बहुत अच्छी हो…”

द द - “अच्छ बेट मक्खि लग रह है …”

मैं- “िह ां द द … आप सच में बहुत अच्छी हो और बहुत सन्


ु दर हो…”

इस पर द द हूँसते हुए बोल - “मैं सब मक्खिब जी समझती हूूँ बड़ी बहि को पट कर िीचे ललट िे के चक्कर में
है त…
ू ”

मैं इस पर थोड़ शम मत हुआ बोल - “ह य… िह ां द द आप…”

द द िे ग ल पर एक प्य र भर चपत लग ते हुए कह - “ह ूँ… ह ूँ बोल…”

मैं इस पर खझझकते हुए बोल - “वो द द , आप बोल रह थी की मैं द-दद-ददख दां ग


ू ी…”

द द मकु कुर ते हुए बोल - “ददख दां ग


ू ी, क्य मतलब हुआ… क्य ददख दां ग
ू ी?”

मैं हकल त हुआ बोल - “वो-वो द द आपिे खद


ु बोल थ की मैं वो ग्व ललि व ल चीज…”

द द - “अरे ये ग्व ललि व ल चीज क्य होती है? ग्व ललि व ल चीज तो ग्व ललि के प स होगी। मेरे प स कह ूँ
से आएगी? खुल के बत ि र जू। मैं तझ
ु े कोई ड ांट रह हूूँ जो ऐसे घबर रह है । क्य दे खि है?”

“द द … वो… वो मझ
ु े च-च…
ू ”

“अच्छ तझ ु े चच
ू ी दे खिी है। वो तो मैंिे तझ
ु े ददख ददय ि । यह तो है , ले दे ख…” कहते हुए अपिी ब्र में कसी
दोिों चूचचयों के िीचे ह थ लग कर उिको उठ कर उभ रते हुए ददख य । छोट सी िीले रां ग की ब्र में कसी दोिों
गोर गदर ई चचू चय ां और ज्य द उभरकर िजरों के स मिे आई तो लण्ड िे एक ठुिकी म र , मगर ददल में
कर र िह ां आय । एक तो चचू चय ां ब्र में कसी थीां, िांगी िह ां थी। दस
ू र मैं चत
ू ददख िे की ब त कर रह थ और
द द यह ूँ चच
ू ी उभ रकर ददख रह थी।

मैं होंठों पर जीभ फेरते हुए बोल - “ह य… िह ां… द द आप समझ िह ां रह । वो वो दस


ू र व ल चीज च-चत

ददख िे के ललए…”

“ओह्ह हो… तो ये चक्कर है? ये है ग्व ललि व ल चीज। स ले ग्व ललि की िह ां दे खिे को लमल तो अपिी बड़ी
बहि की दे खेग । मैं सोच रह थी तझ
ु े शर र बब द
म करिे से िह ां रोकांू गी तो म ूँ को क्य बोलग
ूां ी। यह ूँ तो उल्ट
हो रह है । दे खो म …
ूँ तम
ु िे कैस ल डल पैद ककय है? अपिी बड़ी बहि को बरु ददख िे को बोल रह है । ह य
कैस बहिचोद भ ई है मेर । मेर चूत दे खिे के चक्कर में है । उफ्फ्फ… मैं तो फूँस गई हूूँ। मझ
ु े क्य पत थ की
मठु म रिे से रोकिे की इतिी बड़ी कीमत चक ु िी पड़ेगी…”

द द की ऐसे बोलिे पर मेर स र जोश ठां ड पड़ गय ।


24
मैं सोच रह थ अब म मल कफट हो गय है और द द खश
ु ी-खश
ु ी सब कुछ ददख दें गी। श यद उिको भी मज
आ रह है, इसललए कुछ और भी करिे को लमल ज येग मगर द द के ऐसे अफसोस करिे से लग रह थ जैसे
कुछ भी दे खिे को िह ां लमलिे व ल ।

मगर तभी द द बोल - “ठीक है मतलब तझ


ु े चूत दे खिी है । अभी ब थरूम से आती हूूँ तो तझ
ु े अपिी बरु ददख ती
हूूँ…” कहती हुई बेड से िीचे उतरकर ब्ल उज़ के बटि बांद करिे लगी।

मेर कुछ समझ में िह ां आय की द द अपि ब्ल उज़ क्यों बांद कर रह है? मैं द द के चेहरे की तरफ दे खिे
लग ।

तब द द आूँख िच ते हुए बोल - “चूत ह तो दे खिी है। वो तो मैं पेदटकोट उठ कर ददख दां ग
ू ी…” कफर तेजी से
ब हर निकल ब थरूम चल गई।

मैं सोच में पड़ गय , मैं द द को परू िांग दे खि च हत थ । मैं उिकी चच


ू ी और चत
ू दोिों दे खि च हत थ
और स थ में उिको चोदि भी च हत थ , पर वो तो ब द की ब त थी। पहले यह ूँ द द के िांगे बदि को दे खिे
क जुग ड़ लग ि बहुत जरूर थ । मैंिे सोच की मझ
ु े कुछ दहम्मत से क म लेि होग । द द जब व पस रूम में
आकर अपिे पेदटकोट को घट
ु िों के ऊपर तक चढ कर बबस्तर पर बैठिे लगी तो मैं बोल - “द द … द द मैं च-चू-
चूची भी दे खि च हत हूूँ…”

द द इस पर चौंकिे क ि टक करती बोल - “क्य मतलब… चूची भी दे खिी है । चत


ू भी दे खिी है । मतलब तू तो
मझ
ु े परू िांग दे खि च हत है । ह य… बड़ बेशमम है । अपिी बड़ी बहि को िांग दे खि च हत है । क्यों मैं ठीक
समझी ि ? तू अपिी द द को िांग दे खि च हत है । बोल, ठीक है ि …”

मैं भी शम मते हुए दहम्मत ददख ते बोल - “ह ां द द । मझ


ु े आप बहुत अच्छी लगती हो। मैं… मैं आपको परू िांग
दे खि च हत हूूँ…”

द द - “बड़ अच्छ दहस ब है तेर ? अच्छी लगती हो। अच्छी लगिे क मतलब तझ
ु े िांगी होकर ददख ऊूँ? कपड़ों
में अच्छी िह ां लगती हूूँ क्य ?”

मैं- “ह य द द मेर वो मतलब िह ां थ । वो तो आपिे कह थ । कफर मैंिे सोच … सोच …”

द द - “ह य भ ई… ति
ू े जो भी सोच सह सोच । मैं अपिे भ ई को दख
ु ी िह ां दे ख सकती। मझ
ु े खुशी है की मेर
इक्कीस स ल क िौजव ि भ ई अपिी बड़ी बहि को इति पसांद करत है की वो िांग दे खि च हत है । ह य…
मेरे रहते तझ
ु े ग्व ललि जैसी औरतों की तरफ दे खिे की कोई जरूरत िह ां है । र जू मैं तझ
ु े परू िांग होकर
ददख ऊूँगी। कफर तम
ु मझ
ु े बत ि की तम
ु अपिी द द के स थ क्य -क्य करि च हते हो?”

मेर तो जैसे ल टर लग गई। चेहरे पर मस्


ु क ि और आूँखों में चमक व पस आ गई। द द बबस्तर से उतरकर
िीचे खड़ी हो गई और हूँसते हुए बोल - “पहले पेट कोटो़ ऊपर उठ ऊूँ य ब्ल उज़ खोल?
ांू ”

25
मैंिे मकु कुर ते हुए कह - “ह य द द दोिों खोलो, पेट कोटो़ भी और ब्ल उज़ भी…”

“इस्स्स्स… बेशमम परू िांग करे ग । चल तेरे ललए मैं कुछ भी कर दां ग
ू ी। अपिे भ ई के ललए कुछ भी। पहले
ब्ल उज़ खोल लेती हूूँ कफर पेट कोटो़ खोलग
ूां ी, चलेग ि …” गदम ि दहल कर द द िे पछ
ू ।

मैंिे भी सहमती में गदम ि दहल ते हुए अपिे ग लो को शमम से ल ल करके द द को दे ख । द द िे चट क-चट क
ब्ल उज़ के बटि खोले और कफर अपिे ब्ल उज़ को खोलकर पीछे की तरफ घम ू गई और मझ ु े अपिी ब्र क हुक
खोलिे के ललए बोल ।

मैंिे क ांपते ह थों से उिकी ब्र क हुक खोल ददय । द द कफर स मिे की तरफ घम
ू गई। द द के घम
ू ते ह मेर
आूँखों के स मिे द द की मदमस्त, गदर ई हुई मस्त िी कठोर चूचचय ां आ गई। मैं पहल ब र अपिी द द के
इि गोरे गब्ु ब रों को परू िांग दे ख रह थ । इतिे प स से दे खिे पर गोर चचू चय ां और उिकी ऊपर की िील
िसें, भरू पि ललए हुए ग ढ़े गल
ु बी रां ग की उसकी निप्पलें और उिके च रों तरफ क गल
ु बी घेर श्जि पर छोटे -
छोटे द िे जैस उग हुआ थ , सब िजर आ रह थ । मैं एकदम कूदकर ह य करते हुए उछल ।

द द मकु कुर ती हुई बोल - “अरे , रे इति उत वल मत बि, अब तो िांग कर ददय है आर म से दे ख ि । ले


दे ख…” कहती हुई मेरे प स आई। मैं बबस्तर पर बैठ हुआ थ और वो िीचे खड़ी थी इसललए मेर चेहर उिकी
चचू चयों के प स आर म से पहुूँच रह थ ।

मैं चचू चयों को ध्य ि से से दे खते हुए बोल - “ह य… द द पकड़ें…”

द द - “ह ूँ… ह ूँ पकड़ ले, जकड़ ले, अब जब िांग करके ददख रह हूूँ तो छूिे क्यों िह ां दां ग
ू ी। ले आर म से
पकड़कर मज कर। अपिी बड़ी बहि की िांगी चचू चयों से खेल…”

मैंिे अपिे दोिों ह थ बढ़ कर दोिों चचू चयों को आर म से दोिों ह थों में थ म ललय । िांगी चूचचयों के पहले स्पशम
िे ह मेरे होश उड़ ददये उफ्फ्फ… द द की चूचचय ां ककतिी गठील और गद
ु ज थीां, इसक अांद ज मझ
ु े इि
मस्त िी चूचचयों को ह थ में पकड़कर ह हुआ। मेर लण्ड फड़फड़ िे लग । दोिों चूचचयों को दोिों हथेल में
कसकर हल्के दब ब के स थ मसलते हुए चट ु की में निप्पल को पकड़कर हल्के से दब य जैसे ककशलमश के द िे
को दब ते है । द द के मूँह
ु से एक हलकी सी आह निकल गई।

मैंिे घबर कर चच
ू ी छोड़ी तो द द िे मेर ह थ पकड़कर कफर से अपिी चचू चयों पर रखते हुए दब य तो मैं समझ
गय की द द को मेर दब ि अच्छ लग रह है और मैं जैसे च हू इिकी चूचचयों के स थ खेल सकत हूूँ। गदम ि
उचक कर चचू चयों के प स मूँह
ु लग कर एक ह थ से चच
ू ी को पकड़कर दब ते हुए दस
ू र चच
ू ी को जैसे ह अपिे
होंठों से छुआ, तो मझ
ु े लग जैसे द द गिगि गई, उिक बदि लसहर गय । द द िे मेरे लसर के पीछे ह थ
लग कर ब लों में ह थ फेरते हुए मेरे लसर को अपिी चचू चयों पर जोर से दब य । मैंिे भी अपिे होंठों को खोलते
हुए उिकी चचू चयों के निप्पल सदहत श्जति हो सकत थ उति उिकी चचू चयों को अपिे मूँह ु में भर ललय और
चूसते हुए अपिी जीभ को निप्पल के च रों तरफ घम
ु ते हुए चुभल य ।

द द लससय ते हुए बोल - “आह्ह… आह्ह… सीऽऽ सीऽऽ ये क्य कर रह है । उफफ़्… म र ड ल । स ले मैं तो तझ
ु े
अि ड़ी समझती थी, मगर तू तो खखल ड़ी निकल रे । ह य… चूची चूसि ज ित है । मैं सोच रह थी सब तेरे को
26
लसख ि पड़ेग । ह य… चूस भ ई… सीईई… ऐसे ह निप्पल को मूँह
ु में लेकर चूस और चच
ू ी दब । ह य रस निक ल
बहुत ददि हो गए…”

अब तो मैं जैसे भख
ू शेर बि गय और द द की चचू चयों को मूँह
ु में भरकर ऐसे चूसिे लग जैसे सह में उसमें
से रस निक लकर ख ज ऊांग । कभी ब ई चच ू ी को कभी द दहिी चच
ू ी को मूँह
ु में भरकर लेते हुए निप्पलों को
अपिे होंठों के बीच दब -दब कर चूसते हुए रबर की तरह खीांच रह थ ।

चूचचयों के निप्पल के च रों तरफ के घेरे में जीभ चल ते हुए जब दस


ू रे ह थ से द द की चूची को पकड़कर दब ते
हुए निप्पल को चुटकी में पकड़कर खीांच तो मस्ती में लहर ते हुए द द लड़खड़ ती आव ज में बोल - “ह य र जू…
सीईई… उफफ्फ… चस ू , ले परू रस चस
ू , मज आ रह है । तेर द द को बहुत मज आ रह है भ ई। ह य तू तो
चूची को कक्रकेट की गें द समझकर दब रह है । मेरे निप्पल मूँह
ु में लेकर चूस। तू बहुत अच्छ चूसत है । ह य
मज आ गय भ ई। पर क्य तू चूची ह चूसत रहे ग । बरु िह ां दे खेग , अपिी द द की चूत िह ां दे खिी है तझ ु ?

ह य उस समय से मर ज रह थ और अभी… जब चच
ू ी लमल गई तो उसी में खो गय है । ह य चल बहुत दध

पी ललय , अब ब द में पीि …”

मेर मि अभी भर िह ां थ इसललए मैं अभी भी चच


ू ी पर मूँह
ु म रे ज रह थ ।

इस पर द द िे मेरे लसर के ब लों को पकड़कर पीछे की तरफ खीांचते हुए अपिी चचू ी से मेर मूँह
ु अलग ककय
और बोल - “स ले हर मी चचू ी छोड़, ककति दध
ू वपएग । ह य अब तझ ु े अपिी िीचे की सहे ल क रस वपल ती
हूूँ। चल हट म धरचोद…”

ग ल दे िे से मझ
ु े अब कोई फकम िह ां पड़त थ क्योंकक मैं समझ गय थ की ये तो द द क शगल है और
श यद म र भी सकती हैं, अगर मैं इसके मि मत
ु बबक ि करूां तो। पर दध
ु रू ग य की लथ र तो सहिी ह
पड़ती है । इसकी चचांत मझ
ु े अब िह ां थी। द द लगत थ अब गरम हो चुकी थी और चुदव ि च हती थी। मैं
पीछे हट गय और द द के पेट पर चम्
ु म ले कर बोल - “ह य द द बरु क रस वपल ओगी। ह य जल्द से खोलो
ि …”

द द पेट कोटो़ के ि ड़े को झटके के स थ खोलती हुई बोल - “ह ूँ र ज , मेरे प्य रे भ ई। अब तो तझ


ु े वपल ि ह
पड़ेग । ठहर ज अभी तझ ु े वपल ती हूूँ। अपिी चूत परू खोलकर उसकी चटिी चट ऊांगी कफर। दे खि तझ ु े कैस
मज आत है…” पेट कोटो़ सरसर ते हुए िीचे चगरत चल गय । पैंट तो पहिी िह ां थी इसललए पेट कोटो़ के िीचे
चगरते ह द द परू िांगी हो गई।

मेर िजर उिकी दोिों ज घ


ां ों के बीच के नतकोिे पर गई। दोिों चचकिी मोट -मोट र िों के बीच में द द की बरु
क नतकोि िजर आ रह थ । चूत पर हलकी झ ांटें उग आई थी। मगर इसे झ ांटों क जांगल िह ां कह सकते थे।
ये तो चूत की खूबसरू ती को और बढ़ रह थ । उसके बीच द द की गोर गल
ु बी चूत की मोट फ क
ां ें झ ांक रह
थीां। दोिों ज ांघें थोड़ अलग थीां कफर भी चत
ू की फ ांकें आपस में सट हुई थीां और जैस की मैंिे ब थरूम में पीछे
से दे ख थ , एक वैस तो िह ां मगर कफर भी एक लकीर सी बि रह थी दोिों फ ांकें। मैंिे द द की कमर को
पकड़कर लसर को झक
ु ते हुए चूत के प स लेज कर दे खिे की कोलशश की।

27
तो द द अपिे आपको छुड़ ते हुए बोल - “ह य… भ ई ऐसे िह ां, ऐसे ठीक से िह ां दे ख प ओगे। दोिों ज ांघ
फैल कर अभी ददख ती हूूँ। कफर आर म से बैठकर मेर बरु को दे खि और कफर तझ ु े उसके अन्दर क म ल
खखल ऊूँगी। घबर मत भ ई। मैं तझ
ु े अपिी चूत परू खोलकर ददख ऊूँगी और… उसकी चटिी भी चट ऊूँगी। चल
छोड़…” कहते हुए पीछे मड़
ु ी।

पीछे मड़
ु ते ह द द के गद
ु ज चूतर और ग ण्ड मेर आूँखों के स मिे िजर आ गए। द द चल रह थी और उसके
दोिों चत
ू र चथरकते हुए दहल रहे थे और आपस में चचपके हुए दहलते हुए ऐसे लग रहे थे जैसे ब त कर रहे हों,
और मेरे लण्ड को पकु र रहे हों।

लौड़ दब
ु र अपिी परू औक त पर आ चक
ु थ और फिफि रह थ । द द ड्रेलसांग टे बल के प स रखे गद्दे द र
सोफे व ल कुसी पर बैठ गई और ह थों के इश रे से मझ
ु े अपिे प स बल
ु य और बोल - “ह य… भ ई आ ज तझ
ु े
मजे करव ती हूूँ। अपिे म लपए
ु क स्व द चख ती हूूँ। दे ख भ ई मैं इस कुसी के दोिों हत्थों पर अपिी दोिों ट ांगों
को रखकर ज ांघ दटक कर फैल ऊांगी ि तो मेर चूत परू उभरकर स मिे आ ज येगी और कफर तम ु उसकी दोिों
फ ांकों को अपिे ह थ से फैल कर अन्दर क म ल च टि । इस तरह से तम्
ु ह र जीभ परू बरु के अन्दर घस

ज येगी। ठीक है भ ई आ ज , जल्द कर। अभी एक प िी तेरे मूँह
ु में चगर दे ती हूूँ कफर तझ
ु े परू मज दां ग
ू ी…”

मैं जल्द से बबस्तर छोड़कर द द की कुसी के प स गय और जमीि पर बैठ गय । द द िे अपिे दोिों पैरो को
सोफे के हत्थों के ऊपर चण कर अपिी दोिों ज ांघों को फैल ददय । र िों के फैलते ह द द की चत
ू उभरकर मेर
आूँखों के स मिे आ गई। उफफ्फ… क्य खूबसरू त चूत थी। गोर गल
ु बी, क ले-क ले झ ांटों के जांगल के बीच में
से झ ांकती ऐसी लग रह थी जैसे ब दलों के पीछे से च ूँद मकु कुर रह है । एकदम प वरोट के जैसी फूल हुई चत ू
थी। दोिों पैर कुसी के हत्थों के ऊपर चढ़ कर फैल दे िे के ब द भी चूत के दोिों होंठ अलग िह ां हुए थे। चत
ू पर
ऊपर के दहस्से में झ ट
ां ें थी मगर िीचे गल
ु बी कचौर जैसे होंठों के आस प स एकदम ब ल िह ां थे। मैं जमीि
पर बैठकर द द की दोिों र िों पर दोिों ह थ रखकर गदम ि झक
ु कर एकदम ध्य ि से द द की चत
ू को दे खिे
लग । चूत के सबसे ऊपर में ककसी तोते की ल ल चोंच की तरह ब हर की तरफ निकल हुई द द की चूत क
भ गि श थ ।

कचौर के जैसी चूत की दोिों फ ांकों पर अपि ह थ लग कर दोिों फ ांकों को हल्क स फैल ती हुई द द बोल -
“र ज।ू ध्य ि से दे ख ले। अच्छी तरह से अपिी द द की बरु को दे ख बेट । चत
ू फैल के दे खेग तो तझ
ु ,े प िी
जैस िजर आएग । उसको च टकर अच्छी तरह से ख ि । चूत की असल चटिी वह है …” द द की चूत के दोिों
होंठ फैल और लसकुड़ रहे थे।

मैंिे अपिी गदम ि को झक


ु ददय और जीभ निक लकर सबसे पहले चूत के आस प स व ले भ गों को च टिे लग ।
र िों के जोड़ और ज ांघों को भी च ट । ज ांघों को हल्क -हल्क क ट भी। कफर जल्द से द द की चूत पर अपिे
होंठों को रखकर एक चम्
ु म ललय और जीभ निक लकर परू दर र पर एक ब र चल य ।

जीभ छुल ते ह द द लसलसय उठी और बोल - “सीईई… बहुत अच्छ भ ई तम् ु हें आत है । मझु े लग रह थ की
लसख ि पड़ेग मगर तू तो बहुत होलशय र है । ह य… बरु च टि आत है । ऐसे ह … र जू तिू े शरु
ु आत बहुत अच्छी
की है । अब परू चूत पर अपिी जीभ कफर ते हुए मेर बरु की ट ट को पहले अपिे होंठों के बीच दब कर चूस।
दे ख मैं बत ि भल
ू गई थी। चतू के सबसे ऊपर में जो ल ल-ल ल निकल हुआ है ि । उसी को होंठों के बीच दब

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के चूसेग । तब मेर चूत में से रस निकलिे लगेग । कफर तू आर म से च ट कर चूसि । सीईई… र जू मैं जैस
बत ती हूूँ वैस ह कर…”

मैं तो पहले से ह ज ित थ की ट ट य भ गि श क्य होती है ? मझ


ु े बत िे की जरूरत तो िह ां थी पर द द
िे ये अच्छ ककय थ की मझ ु े बत ददय थ की कह ूँ से शरुु आत करिी है । मैंिे अपिे होंठों को खोलते हुए ट ट
को मूँह
ु में भरकर चूसि शरू
ु कर ददय । ट ट को होंठों के बीच दब कर अपिे द ांतों से हल्के-हल्के क टते हुए मैं
उस पर अपिे होंठ रगड़ रह थ । ट ट और उसके आस प स ढे र स र थक
ू लग गय थ और एक पल के ललए
जब मैंिे वह ां से अपि मूँह
ु हट य तो दे ख की मेर चस
ु ई के क रण ट ट चमकिे लगी है । एक ब र और जोर
से ट ट को परू मूँह
ु में भरकर चुम्म लेिे के ब द मैंिे अपिी जीभ को कड़ करके परू चूत की दर र में ऊपर से
िीचे तक चल य और कफर चत
ू की एक फ क
ां को अपिे द दहिे ह थ की उां गललयों से पकड़कर हल्क स फैल य ।

चूत की गल
ु बी छे द मेर आूँखों के स मिे थी। जीभ को टे ढ़ करके चूत की मोट फ ांक को अपिे होंठों के बीच
दब कर चूसिे लग । कफर दस
ू र फ ांक को अपिे मूँह
ु में भरकर चूस । उसके ब द दोिों फ ांकों को आपस में
सट कर परू चूत को अपिे मूँह
ु में भरकर चूसिे लग । चूत से ररस-ररस कर प िी निकल रह थ और मेरे मूँह

में आ रह थ । चत
ू क िमकीि प िी शरू
ु में तो उति अच्छ िह ां लग , पर कुछ दे र के ब द मझ
ु े कोई फकम
िह ां पड़ रह थ और मैं दग
ु ि
ु े जोश के स थ परू चूत को मूँह
ु में भरकर च ट रह थ ।

द द को भी मज आ रह थ और वह ां कुसी पर बैठे-बैठे अपिे चत ू रों को ऊपर उछ लते हुए वो जोश में आकर
मेरे लसर को अपिे दोिों ह थों से अपिी चूत पर दब ते हुए बोल - “ह य र ज… ू बहुत अच्छ कर रह है र ज ।
ह य… सीईई… बड़ मज आ रह है । ह य मेर चत
ू के कीड़े, मेरे सैंय ां… ऊऊऊउ सीईईइ… ख ल ऊपर-ऊपर से चस

रह है । बहिचोद। जीभ अन्दर घस
ु कर च ट ि । बरु में जीभ पेल दे और अन्दर ब हर करके जीभ से मेर चूत
चोदते हुए अच्छी तरह से च ट। अपिी बड़ी बहि की चूत अच्छी तरह से च ट मेरे र ज । म धरचोद ले ले।
ऊऊऊ… इस्स्स्स्स… घस
ु चत ू में जीभ, मथ दे …”

कववत द द बहुत जोश में आ चक ु ी थी और लग रह थ की उिको क फी मज आ रह है । उिके इति बोलिे


पर मैंिे दोिों ह थों की उां गललयों से दोिों फ क
ां ों को अलग करके अपिी जीभ को कड़ करके चत
ू में पेल ददय ।
जीभ को चूत के अन्दर ब हर करते हुए ललबललब िे लग और बीच-बीच में बरु से चूते रस को जीभ टे ढ़ करके
चस
ू िे लग । द द की दोिों ज ांघें दहल रह थीां, और मैं दोिों ज ांघों को कस कर ह थ से पकड़कर चत
ू में जीभ
पेल रह थ । ज ांघों को मसलते हुए बीच-बीच में जीभ को आर म दे िे के ललए मैं जीभ निक लकर ज ांघों और
उसके आस-प स चुम्म लेिे लगत थ ।

मेरे ऐस करिे पर द द जोर से गरु मती और कफर से मेरे ब लों को पकड़कर अपिी चूत के ऊपर मेर मूँह
ु लग
दे ती थी। द द मेर चुस ई से बहुत खुश थी, और चचल्ल ती हुई बोल रह थी- “ह य र ज जीभ ब हर मत
निक लो। ह य बहुत मज आ रह है । ऐसे ह बरु के अन्दर जीभ ड लकर मेर चत ू मथते रहो। ह य चोद दे
म धरचोद। अपिी जीभ से अपिी द द की बरु चोद दे , ह य सैंय ां बहुत ददिों के ब द ऐस मज आय है । इतिे
ददिों से तड़पती घम
ू रह थी। ह य ह य… अपिी द द की बरु को च टो मेरे र ज , मेरे ब लम। तझु े बहुत अच्छ
इि म दां ग
ू ी। भोसड़ीव ले तेर लौड़ अपिी चूत में लग
ूां ी। आज तक ति
ू े ककसी की चोद िह ां है ि । तझ
ु े चोदिे
क मौक दां ग
ू ी। अपिी चूत तेरे से मरव ऊूँगी। मेरे भ ई, मेरे सोि मोि मि लग कर द द की चूत च ट। मेर
प िी निकलेग तेरे मूँह
ु में… ह य जल्द जल्द च ट। परू जीभ अन्दर ड लकर सीईई…”

29
द द प िी छोड़िे व ल है ये ज िकर मैंिे अपिी परू जीभ चूत के अन्दर पेल द और अांगठ
ू े को ट ट के उो़पर
रखकर रगड़ते हुए जोर जोर से जीभ अन्दर ब हर करिे लग ।

द द अब और तेजी के स थ ग ण्ड उछ ल रह थी और मैं लप-लप करते हुए जीभ को अन्दर ब हर कर रह थ ।


कुत्ते की तरह से द द की बरु च टते हुए ट ट को रगड़ते हुए कभी-कभी द द की चत
ू पर द ांत भी गड़ दे त थ ,
मगर इि सब चीजों क द द के ऊपर कोई असर िह ां पड़ रह थ ।

और द द मस्ती में अब ग ण्ड को हव में लहर ते हुए लससय रह थी- “ह य मेर निकल रह है । ह य भ ई
निकल रह है मेर प िी। परू जीभ घसु दे स ले। बहुत अच्छ ऊऊऊ… सीईई… मज आ गय र ज । मेर चूत
च टू सैंय ां। मेर चत
ू प िी छोड़ रह है । मज आ गय । बहिचोद पी ले अपिी द द के बरु क प िी। ह य चस

ले अपिी द द की जव िी क रस। ऊऊऊ… ग न्डू…” और द द अपिी ग ण्ड को हव में लहर ते हुए झड़िे लगी।

द द की चूत से प िी बहत हुआ मेर जीभ को गील करिे लग । मैंिे अपि मूँह ु द द की चूत पर से हट
ददय और अपिी जीभ और होंठों पर लगे चूत के प िी को च टते हुए द द को दे ख । वो अपिी आूँखों को बांद
ककये श ांत पड़ी हुई थी और अपिी गदम ि को कुसी की पकु त पर दटक कर ऊपर की ओर ककये हुए थी। उिकी
दोिों ज ांघें वैसे ह फैल हुई थीां। परू चूत मेर चुस ई के क रण ल ल हो गई थी और मेरे थूक और ल र के
क रण चमक रह थी। द द आूँखें बांद ककये गहर स ांसें ले रह थी और उिके म थे और छ ती पर पशीिे की
छोट -छोट बद
ूँू ें चमक रह थीां। मैं वह ां जमीि पर बैठ रह और द द की चत
ू को गौर से दे खिे लग । द द को
सस्
ु त पड़े दे खकर मझ
ु े और कुछ िह ां सझ
ू तो मैं उिकी ज ांघों को च टिे लग ।

चूँ क
ू ी द द िे अपिे दोिों पैरों को मोड़कर ज ांघों को कुसी की पकु त से दटक कर रख हुआ थ इसललए वो एक
तरह से पैर मोड़कर अधलेट सी अवस्थ में बैठी हुई थी और द द की ग ण्ड मेर मतलब है चत ू र आधी कुसी
पर और आधी ब हर की तरफ लटकी हुई थी। ऐसे बैठिे के क रण उिकी ग ण्ड क भरू छे द मेर आूँखों के
स मिे थ । छोट सी भरू े रां ग की लसकुड़ी हुई छे द ककसी फूल की तरह लग रह थी और मेरे ललए सपि परू
करिे क इससे अच्छ अवसर िह ां थ ।

मैं हल्के से अपिी एक उां गल को द द की चूत के मह


ूँु के प स ले गय और चत
ू के प िी में अपिी उां गल गील
करके चत
ू रों की दर र में ले गय । दो-तीि ब र ऐसे ह करके परू ग ण्ड की ख ईं को गील कर ददय कफर अपिी
उां गल को परू ख ई में चल िे लग । धीरे -धीरे उां गल को ग ण्ड की छे द पर लग कर हल्के-हल्के केवल छे द की
म ललश करिे लग ।

कुछ दे र ब द मैंिे थोड़ स जोर लग य और अपिी उां गल के एक पोर को ग ण्ड की छोट सी छे द में घस
ु िे की
कोलशश की। ज्य द तो िह ां मगर बस थोड़ी सी उां गल घस
ु गई। मैंिे कफर ज्य द जोर िह ां लग य और उति
ह घसु कर अन्दर ब हर करते हुए ग ण्ड की छे द की म ललश करिे लग । बड़ मज आ रह थ । मेरे ददल की
तमन्ि परू हो गई। ब थरूम में िह ते समय जब द द को दे ख थ तभी से सोच रह थ की एक ब र इस
ग ण्ड की दर र में उां गल चल ऊांग और इसकी छे द में उां गल ड लकर दे खांग
ू कैस लगत है इस लसकुड़ी हुई भरू े
रां ग की छे द में उां गल पेलिे पर? मस्तर म की ककत बों में तो ललख होत है की लण्ड भी घस
ु ेड़ ज त है । पर
ग ण्ड की लसकुड़ी हुई छे द इतिी ट इट लग रह थी की मझ
ु े ववकव स िह ां हो रह थ की लण्ड उसके अन्दर
घस
ु ेग । खैर, दो-तीि लमिट तक ऐसे ह मैं करत रह ।

30
द द की बरु से प िी ब हर निकलकर धीरे -धीरे ररस रह थ । मैंिे दो-तीि ब र अपि मूँह
ु लग कर ब हर निकलते
रस को भी च ट ललय और ग ण्ड में धीरे -धीरे उां गल करत रह ।

तभी द द िे मझ
ु े पीछे धकेल - “हट म धरचोद… क्य कर रह है । ग ण्ड म रे ग क्य ?” कफर अपिे पैर से मेर
छ ती को पीछे धकेलती हुई उठकर खड़ी हो गई।

मैं हड़बड़ त हुआ पीछे की तरफ चगर कफर जल्द से उठकर खड़ हो गय । मेर लण्ड परू खड़ होकर िब्बे ड़डग्री
क कोण बि ते हुए लपलप कर रह थ मगर द द के इस अच िक हमले िे कफर एक झटक ददय । मैं डर कर
दो कदम पीछे हुआ। द द िांगी ह ब हर निकल गई। लगत थ कफर से ब थरूम गई थी। मैं वह खड़ सोचिे
लग की अब क्य होग ?

थोड़ी दे र ब द द द कफर से अन्दर आई और बबस्तर पर बैठ गई और मकु कुर ते हुए मेर तरफ दे ख । कफर मेरे
लपलप ते लण्ड को दे ख और अांगड़ ई लेती हुई बोल - “ह य र जू बहुत मज आय … अच्छ चूसत है त… ू मझ
ु े
लग रह थ की तू अि र होग मगर ति
ू े तो अपिे बहिोई को भी म त कर ददय । उस स ले को चूसि िह ां
आत थ । खैर उसक क्य … उस भोसड़ीव ले को तो चोदि भी िह ां आत थ । ति
ू े च टकर अच्छ मज ददय ।
इधर आ, आ ि । वह ां क्यों खड़ है भ ई? आ यह ूँ बबस्तर पर बैठ…”

द द के इस तरह बोलिे पर मझ
ु े श नां त लमल की चलो ि र ज िह ां हैं। और मैं बबस्तर पर आकर बैठ गय ।

द द मेरे लण्ड की तरफ दे खती बोल - “हूूँ… खड़ हो गय है । इधर आ तो प स में दे ख…


ांू ”

मैं खखसक कर प स में गय तो मेरे लण्ड को मठ्


ु ठी में कसती हुई सक-सक ऊपर िीचे ककय । ल ल-ल ल सप
ु ड़े
पर से चमड़ी खखसक कर उस पर उां गल चल ती हुई बोल - “अब कभी ह थ से मत करि । समझ अगर मैंिे
पकड़ ललय तो तेर खैर िह ां। म रते-म रते ग ण्ड फुल दां ग
ू ी। समझ …”

मैं द द की इस धमकी को सि ु कर ि समझ बििे क ि टक करत हुआ बोल - “तो कफर कैसे करूां? मेर तो
श द भी िह ां हुई है…” कफर गदम ि झक
ु कर शम मिे क ि टक ककय ।

द द िे मेर ठोड़ी पकड़कर गदम ि को ऊपर उठ ते हुए कह - “ज ित तो तू सब कुछ है । कफर कोई लड़की क्यों
िह ां पट त , अभी तो तेर श द में ट इम है । अपिे ललए कोई छे द खोज ले…”

मैं बरु स मूँह


ु बि त हुआ बोल - “हुह… मझ
ु े कोई अच्छी िह ां लगती। सब बस ऐसे ह हैं…”

द द इस पर थोड़ स खुांदक ख ती हुई बोल - “अजीब लड़क है । बहिचोद, तझ


ु े अपिी बहि के अल व और
कोई अच्छी िह ां लगती क्य ?”

मैं इस पर शम मत हुआ बोल - “मझ


ु े सबसे ज्य द आप अच्छी लगती हो। मैं…”

“आये ह य… ऐस तो लड़क ह िह ां दे ख , बहि को चोदिे के चक्कर में । भोसड़ीव ले को सबसे ज्य द बहि
अच्छी लगती है । मैं िह ां लमल तो, मठ
ु म रत रह ज येग …” द द िे आूँख ि चते हुए भौं उचक प्रकि ककय ।
31
मैंिे मकु कुर ते हुए ग ल ल ल करते हुए गदम ि दहल कर ह ूँ ककय ।

मेर इस ब त पर र झती हुई द द िे मझ ु े अपिी ब ूँहों में भर ललय और अपिी छ ती से लग ती हुई बोल - “ह य
रे मेर सोि । मेरे प्य रे भ ई, तझ
ु े द द सबसे अच्छी लगती है । तझ ु े मेर चत
ू च दहए। लमलेगी मेरे प्य रे भ ई
लमलेगी। मेरे र ज , आज र त भर अपिे हलब्बी लण्ड से अपिी द द की बरु क ब ज बज ि । अपिे भैय र ज
क लण्ड अपिी चत
ू में लेकर मैं सोऊूँगी। ह य र ज , अपिे मस
ू ल से अपिी द द की ओखल को र त भर खब

कूटि । अब मैं तझ
ु े तरसिे िह ां दां ग
ू ी। तझ
ु े कह ां ब हर ज िे की जरूरत िह ां है । चल आ ज , आज की र त तझ
ु े
जन्ित की सैर कर दां ?
ू ”

कफर द द िे मझ ु े धकेलकर िीचे ललट ददय और मेरे ऊपर चढ़कर मेरे होंठों को चूसती हुई अपिी गठील
चूचचयों को मेर छ ती पर रगड़ते हुए मेरे ब लों में अपि ह थ फेरते हुए चूमिे लगी। मैं भी द द के होंठों को
अपिे मूँह
ु में भरिे क प्रय स करते हुए अपिी जीभ को उिके मूँह
ु में घस
ु कर घम
ु रह थ । मेर लण्ड द द की
दोिों ज ांघों के बीच में फूँसकर उसकी चूत के स थ रगड़ ख रह थ । द द भी अपिी ग ण्ड ि चते हुए मेरे लण्ड
पर अपिी चत
ू को रगड़ रह थी और कभी मेरे होंठों को चम
ू रह थी, कभी मेरे ग लो को क ट रह थी। कुछ दे र
तक ऐसे ह करिे के ब द मेरे होंठों को छोड़कर उठकर मेर कमर पर बैठ गई।

और कफर आगे की ओर सरकते हुए मेर छ ती पर आकर अपिी ग ण्ड को हव में उठ ललय और अपिी हल्के
झ ांटों व ल गल
ु बी खुकबद
ु र चूत को मेरे होंठों से सट ती हुई बोल - “जर च ट के गील कर… बड़ तगड़ लण्ड है
तेर … सख
ू लग
ांू ी तो, स ल फट ज येगी मेर तो…”

एक ब र मझ
ु े द द की चूत क स्व द लमल चुक थ , इसके ब द मैं कभी भी उिकी गद
ु ज कचौर जैसी चूत को
च टिे से इिक र िह ां कर सकत थ , मेरे ललए तो द द की बरु रस क खज ि थी। तरांु त अपिी जीभ को
निक लकर दोिों चूतरों पर ह थ जम कर लपलप करत हुआ चूत च टिे लग । इस अवस्थ में द द के चूतरों को
मसलिे क भी मौक लमल रह थ और मैं दोिों ह थों की मठ्
ु ठी में चूतरों के म स
ां को पकड़ते हुए मसल रह थ
और चत ू की लकीर में जीभ चल ते हुए अपिी थूक से बरु के छे द को गील कर रह थ । वैसे द द की बरु भी
ढे र स र रस छोड़ रह थी।

जीभ ड लते ह इस ब त क अांद ज हो गय की परू चत


ू पसीज रह है, इसललए द द की ये ब त की वो
चटव कर गील करव रह थी हजम तो िह ां हुई, मगर मेर क्य बबगड़ रह थ मझ ु े तो श्जतिी ब र कहती
उतिी ब र च ट दे त । कुछ ह दे र में द द की चत
ू और उसकी झ ांटें भी मेर थक
ू से गील हो गई।

द द दब
ु र से गरम भी हो गई और पीछे खखसकते हुए वो एक ब र कफर से मेर कमर पर आकर बैठ गई और
अपिे ह थ से मेरे तिति ये हुए लण्ड को अपिी मठ्
ु ठी में कसकर दहल ते हुए अपिे चूतरों को हव में उठ
ललय और लण्ड को चूत के होंठों से सट कर सप
ु ड़े को रगड़िे लगी। सप
ु ड़े को चत
ू की फ ांकों पर रगड़ते चूत के
ररसते प िी से लण्ड की मड
ांु ी को गील करके रगड़ती रह । मैं बेत बी से दम स धे इस ब त क इन्तेज र कर रह
थ की कब द द अपिी चत
ू में मेर लौड़ लेती है । मैं िीचे से धीरे -धीरे ग ण्ड उछ ल रह थ और कोलशश कर
रह थ की मेर सप
ु ड़ उिकी बरु में घस
ु ज ये। मझ
ु े ग ण्ड उछ लते दे खकर द द मेरे लण्ड के ऊपर मेरे पेट पर
बैठ गई, और चत
ू की परू लम्ब ई को लौड़े की औक त पर चल ते हुए रगड़िे लगी।

32
तो मैं लसस्य ते हुए बोल - “द द प्ल ज… ओह्ह… सीईई… अब िह ां रह ज रह है । जल्द से अन्दर कर दो ि ।
उफ्फ्फफ… ओह्ह… द द बहुत अच्छ लग रह है । और तम् ु ह र च-च-ू चत
ू मेरे लण्ड पर बहुत गमम लग रह है।
ओह्ह… द द जल्द करो ि । क्य तम् ु ह र मि िह ां कर रह है ?”

अपिी ग ण्ड िच ते हुए लण्ड पर चूत रगड़ते हुए द द बोल - “ह य… भ ई जब इति इन्तेज र ककय है तो थोड़
और इन्तेज र कर लो। दे खते रहो मैं कैसे करती हूूँ। मैं कैसे तम्
ु हें जन्ित की सैर कर ती हूूँ। मज िह ां आये तो
अपि लौड़ मेर ग ण्ड में घस
ु ेड़ दे ि । म धरचोद… अभी दे खो मैं तम्
ु ह र लण्ड कैसे अपिी बरु में लेती हूूँ। लण्ड
क स र प िी अपिी चूत से पी लग ूां ी। घबर ओ मत, र जू अपिी द द पर भरोस रखो। ये तम् ु ह र पहल चद ु ई
है । इसललए मैं खुद से चढ़कर करव रह हूूँ। त कक तम्
ु हें लसखिे क मौक लमल ज ये। दे खो… मैं अभी लेती हूूँ…”

कफर अपिी ग ण्ड को लण्ड की लम्ब ई के बर बर ऊपर उठ कर एक ह थ से लण्ड पकड़कर सप


ु ड़े को बरु की
दोिों फ ांकों के बीच लग कर दस
ू रे ह थ से अपिी चूत की एक फ क
ां को पकड़कर फैल कर लण्ड के सप
ु ड़े को
उसके बीच कफट करके ऊपर से िीचे की तरफ कमर क जोर लग य । चूत और लण्ड दोिों गीले थे। मेरे लण्ड
क सप
ु ड़ वो पहले ह चूत के प िी से गील कर चक
ु ी थी इसललए सट से मेर पह ड़ी आलू जैस ल ल सप
ु ड़
अन्दर द खखल हुआ। तो उसकी चमड़ी उलट गई।

मैं आह करके लसलसय य तो द द बोल - “बस हो गय भ ई… हो गय । एक तो तेर लण्ड इांति मोट है । मेर
चूत एकदम ट इट है, घस
ु िे में । ये ले बस दो-तीि और उईई म ूँ सीईई… बहिचोद क इति मोट । ह य…
उफफ्फ…” करते हुए गप-गप दो-तीि धक्क अपिी ग ण्ड उचक ते चूतर उछ लते हुए लग ददए।

पहले धक्के में केवल सप


ु ड़ अन्दर गय थ , दस
ू रे में मेर आध लण्ड द द की चूत में घस
ु गय थ , श्जसके
क रण वो उईई म ूँ करके चचल्ल ई थी। मगर जब उन्होंिे तीसर धक्क म र थ तो सच में उिकी ग ण्ड भी फट
गई होगी ऐस मेर सोचि है । क्योंकक उिकी चत
ू एकदम ट इट मेरे लण्ड के च रों तरफ कस गई थी और खद

मझ
ु े थोड़ ददम हो रह थ और लग रह थ जैसे लण्ड को ककसी गरम भट्ट में घस
ु ददय हो। मगर द द अपिे
होंठों को अपिे द ांतों तले दब ये हुए कच-कच करके ग ण्ड तक जोर लग ते हुए धक्क म रती ज रह थी।

तीि च र और धक्के म रकर उन्होंिे मेर परू िौ इांच क लण्ड अपिी चूत के अन्दर ध ांस ललय और मेरे छ ती
के दोिों तरफ ह थ रखकर धक्क लग ती हुई चचल्ल ई- “उफफ्फ… बहि के लौड़े, कैस मस्
ु टां ड लौड़ प ल रख है ।
ह य… ग ण्ड फट गई मेर तो… ह य पहले ज िती की ऐस बरु फ ड़ू लण्ड है तो… सीईई भ ई आज ति ू ,े अपिी
द द की फ ड़ द ओह्ह… सीईई लण्ड है की लोहे क र ड… उईई म …
ूँ गई मेर चूत… आज के ब द स ल ककसी के
क म की िह ां रहे गी। है… ह य बहुत ददि सांभ ल के रख थ । फट गई रे मेर तो, ह य मर …” इस तरह से बोलते
हुए वो ऊपर से धक्क भी म रती ज रह थी और मेर लण्ड अपिी चूत में लेती भी ज रह थी।

तभी अपिे होंठों को मेरे होंठों पर रखती हुई जोर जोर से चूमती हुई बोल - “ह य म धरचोद… आर म से िीचे लेट
कर बरु क मज ले रह है । भोसड़ी के, मेर चत ू में गरम लोहे क र ड घस ु कर ग ण्ड उचक रह है । उफफ्फ…
भ ई अपिी द द को कुछ आर म दो। ह य मेर दोिों लटकती हुई चचू चय ां तम्
ु हें िह ां ददख रह हैं क्य … उफफ्फ…
उिको अपिे ह थों से दब ते हुए मसलो और मूँह
ु में लेकर चूसो भ ई। इस तरह से मेर चूत पसीजिे लगेगी और
उसमें और ज्य द रस बिेग । कफर तम्
ु ह र लौड़ आस िी से अन्दर ब हर होग । ह य र जू ऐस करो मेरे र ज ।
तभी तो द द को मज आएग और। वो तम्
ु हें जन्ित की सैर कर एगी। सीईई…”

33
द द के ऐस बोलिे पर मैंिे दोिों ह थों से द द की दोिों लटकती हुई चूचचयों को अपिी मठ्
ु ठी में कैद करिे की
कोलशश करते हुए दब िे लग और अपिी गदम ि को थोड़ िीचे की तरफ झक ु ते हुए एक चच
ू ी को मूँह
ु में भरिे
की कोलशश की। हो तो िह ां प य मगर कफर भी निप्पल मूँह
ु में आ गय उसी को द ांत से पकड़कर खीांचते हुए
चूसिे लग ।

द द अपिी ग ण्ड अब िह ां चल रह थी वो परू लण्ड घस ु कर वैसे ह मेरे ऊपर लेट हुई अपिी चचू ी दबव और
निप्पल चस
ु व रह थी। उिके म थे पर पशीिे की बद
ूँू ें छलछल आई थी। मैंिे चच ू ी क निप्पल को द द के चेहरे
को अपिे दोिों ह थों से पकड़कर उिक म थ चूमिे लग और जीभ निक लकर उिके म थे के पशीिे को च टते
हुए उिकी आूँखों को चम
ू ते हुए ि क पर जीभ कफर ते हुए च ट । द द अपिी ग ण्ड अब िह ां चल रह थी वो
परू लण्ड घस
ु कर वैसे ह मेरे ऊपर लेट हुई अपिी चच ू ी दबव और निप्पल चसु व रह थी।

उिके म थे पर पशीिे की बूँद


ू ें छलछल आई थी। मैंिे चूची के निप्पल को द द के चेहरे को अपिे दोिों ह थों से
पकड़कर उिक म थ चूमिे लग और जीभ निक लकर उिके म थे के पशीिे को च टते हुए उिकी आूँखों को
चूमते हुए ि क और उसके िीचे होंठों के ऊपर जो पशीिे की छोट -छोट बूँद
ू ें जम हो गई थीां, उसके िमकीि
प िी को जीभ कफर ते हुए च ट और कफर होंठों को अपिे होंठों से दबोचकर चस
ू िे लग । द द भी इस क म में
मेर परू सहयोग कर रह थी और अपिी जीभ को मेरे मह ूँु में पेलकर घम
ु रह थी। कुछ दे र में मझ
ु े लग की
मेरे लण्ड पर द द की चूत क कस व थोड़ ढ ल पड़ गय है । लग जैसे एक ब र कफर से द द की चूत से प िी
ररसिे लग है ।

द द भी अपिी ग ण्ड उचक िे लगी थी और चत


ू र उछ लिे लगी थी। ये इस ब त क लसग्िल थ क द द की
चूत में अब मेर लण्ड एडजस्ट हो चुक है । धीरे -धीरे उिकी कमर दहल िे की गनत में तेजी आिे लगी। थप-थप
आव ज करते हुए उिकी ज घां ें मेर ज ांघों से टकर िे लगीां, और मेर लण्ड सट सट अन्दर ब हर होिे लग । मझ ु े
लग रह थ जैसे चतू द व रें मेरे लण्ड को जकड़े हुए मेरे लण्ड की चमड़ी को सप ु ड़े से परू िीचे उत रकर रगड़ती
हुई अपिे अन्दर ले रह है । मेर लण्ड श यद उिकी चतू के अांनतम छोर तक पहुच ज त थ । द द परू लण्ड
सपु ड़े तक ब हर खीांचकर निक ल लेती कफर अन्दर ले लेती थी। द द की चूत व कई में बहुत ट इट लग रह थी।
मझ
ु े अिभ
ु व तो िह ां थ , मगर कफर भी गजब क आिांद आ रह थ ।

ऐस लग रह थ जैसे ककसी बोत्तल में मेर लौड़ एक क कम के जैसे फांस हुआ अन्दर ब हर हो रह है । द द को
अब बहुत ज्य द अच्छ लग रह थ , ये ब त उिके मूँह
ु से फूटिे व ल लसस्क ररय ां बत रह थी। वो लसलसयते
हुए बोल रह थी- “आआआ… सीईई… भ ई बहुत अच्छ लौड़ है तेर । एकदम ट इट ज रह है । सीईई… मेर चूत…
ओह्ह हो… ऊउउ… बहुत अच्छ से ज रह है । गरम लोहे के रोड जैस है । ह य ककति तगड़ लौड़ है । र जू मेरे
प्य रे … तम
ु को मज आ रह है अपिी द द की ट इट चूत को चोदिे में । ह य भ ई बत ि कैस लग रह है मेरे
र ज ? क्य तम्
ु हें अपिी द द की बरु की फ क
ां ों के बीच लौड़ ड लकर चोदिे में मज आ रह है । ह य मेरे चोदां ।ू
अपिी बहि को चोदिे में कैस लग रह है । बत ि अपिी बहि को। स ले मज आ रह । सीईई… ऊऊऊऊ…”

द द ग ण्ड को हव में लहर ते हुए जोर जोर से मेरे लण्ड पर पटक रह थी। द द की चत
ू में ज्य द से ज्य द
लौड़ अन्दर ड लिे के इर दे से मैं भी िीचे से ग ण्ड उचक -उचक कर धक्क म र रह थ । कच-कच बरु में लण्ड
पेलते हुए मैं भी लससय ते हुए बोल - “ओह्ह… सीईई… द द आज तक तरसत रह । ओह्ह… बहुत मज आ रह है
द द । उफफ्फ… बहुत गरम है आपकी चत ू । ओह्ह… बहुत कसी हुई है … ब प रे … मेरे लण्ड को छील दे गी आपकी
चूत। उफफ्फ… एकदम गद्दे द र चूत है द द आपकी ट इट है । द द आपकी चूत में मेर परू लण्ड ज रह है ।
34
सीईई… मैंिे कभी सोच िह ां थ की मैं आपकी चूत में अपि लौड़ पेल प ऊूँग । उफफ्फ… ककतिी गरम है । मेर
सन्
ु दर प्य र द द । ओह्ह… बहुत मज आ रह है । ओह्ह… आप ऐसे ह चोदती रहो। ओह्ह… सीईई… ह य सच
मझु े आपिे जन्ित ददख ददय । सीईई… चोद दो अपिे भ ई को…”

मैं लसलसय रह थ और द द ऊपर से लग त र धक्के पर धक्क लग ए ज रह थी। अब चूत से फच-फच की


आव ज भी आिे लगी थी और मेर लण्ड सट सट बरु के अन्दर ज रह थ । परू े सप
ु ड़े तक ब हर निक लकर
कफर अन्दर घस
ु रह थ । मैंिे गदम ि उठ कर दे ख की चत
ू के प िी में मेर चमकत हुआ लौड़ लप से ब हर
निकलत और बरु की द व रों को कुचलत हुआ अन्दर घस ु जत।

द द की ग ण्ड हव में लहर ती हुई चथरक रह थी और वो अब अपिे चत ू रों को िच ती हुई िीचे की तरफ ल ती
थी और लण्ड पर जोर से पटक दे ती थी, कफर पेट अन्दर खीांचकर चूत को कसती हुई लण्ड के सप ु ड़े तक ब हर
निक लकर कफर से ग ण्ड िच ती िीचे की तरफ धक्क लग ती थी। बीच-बीच में मेरे होंठों और ग लो को चम
ू ती
और ग लो को द ांत से क ट लेती थी। मैं भी द द के दोिों चूतरों को दोिों ह थ की हथेल से मसलते हुए चुद ई
क मज लट ू रह थ ।

द द ग ण्ड िच ती धक्क म रती बोल - “र जू मज आ रह है? बोल ि … द द को चोदिे में कैस लग रह है


भ ई… ह य बहिचोद बहुत मज दे रह है तेर लौड़ । मेर चूत में एकदम ट इट ज रह है । सीईई… म धरचोद…
इतिी दरू तक आज तक मेर चतू में लौड़ िह ां गय । ह य खब
ू मज दे रह है । बड़ बरु फ ड़ू लौड़ है रे तेर …
ह य मेरे र ज तू भी िीचे से ग ण्ड उछ ल ि … अपिी द द की मदद कर। सीईई… मेरे सैंय ां जोर लग के धक्क
म र बहिचोद… चोद दे अपिी द द को चोद दे स ले… चोद, चोद के मेर चत
ू से पशीि निक ल दे भोसड़ीव ले।
ओह्ह… आईईई…”

द द एकदम पशीिे से लथपथ हो रह थी और धक्क म रे ज रह थी। लौड़ गच -गच उसकी चत


ू के अन्दर
ब हर हो रह थ और अि प शि प बकते हुए द ूँत वपसते हुए परू ग ण्ड तक क जोर लग कर धक्क लग ये ज
रह थी। कमरे में फच-फच, गच-गच, थप-थप की आव ज गूँज ू रह थी। द द के पशीिे की म दक गांध क
अहस स भी मझ
ु े हो रह थ । तभी ह ांफते हुए द द मेरे बदि पर पसर गई।

द द - “ह य… थक ददय ति
ू े तो… मेर तो एक ब र निकल भी गई। स ले तेर एक ब र भी िह ां निकल । ह य…
अब स ले मझ ु े िीचे ललट कर चोद, जैसे मैंिे चोद थ वैसे ह परू लौड़ ड लकर मेर चूत ले… ओह्ह…” कहते हुए
मेरे ऊपर से िीचे उतर गई।

मेर लण्ड सट क से पच्


ु च की आव ज करते हुए ब हर निकल गय । द द अपिी दोिों ट ांगों को उठ कर बबस्तर
पर लेट गई और ज ांघों को फैल ददय । चुद ई के क रण उिकी चूत गल
ु बी से ल ल हो गई थी। द द िे अपिी
ज ांघों के बीच आिे क इश र ककय । मेर लपलप त हुआ खड़ लण्ड द द की चूत के प िी में गील होकर
चमचम रह थ ।

मैं दोिों ज ांघों के बीच पहुूँच तो मझु े रोकते हुए द द िे प स में पड़े अपिे पेदटकोट के कपड़े से मेर लण्ड पोंछ
ददय और उसी से अपिी चत ू भी पोंछ ल , कफर मझ ु े ड लिे क इश र ककय । ये ब त मझ ु े ब द में समझ में
आई की उन्होंिे ऐस क्यों ककय ।

35
उस समय तो मैं जल्द से जल्द उिकी चूत के अन्दर घस
ु ज ि च हत थ । दोिों ज ांघों के बीच बैठकर मैंिे
अपि लौड़ चत
ू के गल
ु बी छे द पर लग कर कमर क जोर लग य । सट से मेर सप
ु ड़ अन्दर घस
ु । बरु एकदम
गरम थी। तमतम ए लौड़े को एक और जोरद र झटक दे कर परू -परू चूत में उत रत चल गय । लण्ड सख
ू थ
चूत भी सख
ू ी थी। सप
ु ड़े की चमड़ी कफर से उलट गई और मेरे मूँह
ु से आह निकल गई मगर मज आ गय ।

चूत जो अभी दो लमिट पहले थोड़ी ढ ल लग रह थी कफर से ककसी बोतल के जैसे ट इट लगिे लगी। एक ह
झटके से लण्ड पेलिे पर द द ककककय िे लगी थी। मगर मैंिे इस ब त पर कोई ध्य ि िह ां ददय और तड़ तड़
लौड़े को ऊपर खीांचते हुए सट सट च र-प ांच धक्के लग ददए।

द द चचल्ल ते हुए बोल - “म धरचोद… स ले ददख ई िह ां दे त की चत ू को पोंछकर सख


ु ददय थ । भोसड़ी के
सखू लौड़ ड लकर दख ु ददय । तेर बहि को चोदां ू हर मी, स ले, अभी भी चोदि िह ां आय । ऊपर चढ़कर
लसख य थ । कफर स ले ति
ू …
े ”

मैं रुक कर द द क मूँह


ु दे खिे लग ।

द द कफर बोल - “अब मूँह


ु क्य दे ख रह है? म र ि धक्क … जोर लग के म र… ह य मेरे र ज । मज आ गय ।
इसललए तो पोंछ ददय थ । ह य दे ख क्य ट इट ज रह है । इस्स्स्स्स…”

मैं समझ गय अब फुल स्पीड में च लू हो ज ि च दहए। कफर क्य थ मैंिे ग ण्ड उछ ल-उछ लकर कमर िच कर
जब धक्क मरि शरू
ु ककय तो द द की चीखें निकलिी शरू
ु हो गईं।

चूत फच-फच करके प िी फेंकिे लगी। ग ण्ड हव में लहर कर लण्ड ल लिे लगी- “ह य पेल दे । भ ई ऐसे ह
बेददी से चोद अपिी कववत द द की चत
ू को। ओह्ह… म ूँ कैस बेददी भ ई है । ह य कैसे चोद रह है अपिी बड़ी
बहि को? ह य म ूँ दे खो। मैंिे मठ
ु म रिे से मि ककय तो स ले िे मझ
ु े चोद ड ल । चोद इसके ललए कोई ब त
िह ां। मगर कमीिे को ऐसे बेददी से चोदिे में पत िह ां क्य मज लमल रह है उफफ्फ… मर गई। ह य बड़
मज आ रह है । सीईई… मेरे चोदां ू सैंय ,ां मेरे ब लम… ह य मेरे चोदां ू भ ई, बहि के लौड़े। चोद दे अपिी चद
ु क्कड़
बहि को सीईई…”

मैं लग त र धक्के पर धक्क लग त ज रह थ । मेर जोश भी अपिी चरम सीम पर पहुूँच चक ु थ और मैं
अपिी ग ण्ड तक क जोर लग कर कमर िच ते हुए धक्क म र रह थ । द द की चूची को मठ्ु ठी में दबोच
दब ते हुए गच-गच धक्क म रते हुए मैं भी जोश में लसलसय हुए बोल - “ओह्ह… मेर प्य र बहि ओह्ह… सीईई…
ककतिी मस्त हो तम ु … तमु िह ां होती तो मैं ऐसे ह मठ
ु म रत । द द बहुत मज आ रह है । सच में द द
आपकी गद्दे द र चूत में लौड़ ड लकर ऐस लग रह है जैसे जन्ित… ह य… पच् ु च-पच्
ु च ओह्ह… द द मज आ
गय । ओह्ह… द द तम
ु ग ल भी दे ती हो तो मज आत है । ह य… मैं िह ां ज ित थ की मेर द द इतिी बड़ी
चुदक्कड़ है । मेर चद
ु ै ल बहि हमेश अपिे भ ई को ऐसे ह मज दे ती रहि । ऊऊऊ… द द मेर ज ि… ह य मेर
लण्ड हमेश तम्
ु ह रे ललय खड़ रहत थ । ह य आज मि की मरु द… सीईई…” मेर जोश अब अपिे चरम सीम
पर पहुूँच चुक थ और मझ
ु े लग रह थ की मेर प िी निकल ज येग ।

द द भी अब बेतह श अांट-शांट बक रह थी और ग ण्ड उचक ते हुए द ांत वपसते बोल - “ह य स ले, चोदिे दे रह
हूूँ तभी खूबसरू त लग रह हूूँ। म धरचोद मझ
ु े सब पत है । चुदैल बोलते हैं स ले चद
ु क्कड़ िह ां होती। मठ
ु म रत
36
रह ज त । ह य… जोर जोर से म रत रह म धरचोद। मेर अब निकलेग । ह य भ ई मैं झड़िे व ल हूूँ। सीईई…
और जोर से पेल… चोद चोद, चोद चोद र जू बहिचोद। बहि के लौड़े…” कहते हुए मझ
ु से नछपकल की तरह से
चचपक गई।

द द की चूत से छलछल कर प िी बहिे लग और मेरे लण्ड को लभगोिे लग । तीि-च र तगड़े धक्के म रिे के
ब द मेर लण्ड भी झड़िे लग और वीयम क एक तेज फौव्व र द द की चूत में चगरिे लग । द द िे मझ
ु े अपिे
बदि से कसकर चचपक ललय और आूँखें बांद करके अपिी दोिों ट ांगों को मेरे चत
ू रों पर लपेटकर मझ
ु े ब ूँध
ललय ।

श्जन्दगी में पहल ब र ककसी चत


ू के अन्दर लण्ड को झ ड़ थ । व कई मज आ गय थ । ओह्ह… द द ओह्ह…
द द करते हुए मैंिे भी उिको अपिी ब ूँहों में भर ललय थ । हम दोिों इतिी तगड़ी चुद ई के ब द एकदम थक
चुके थे, मगर हम र ग ण्ड अभी भी फुदक रह थी। ग ण्ड फुदक ती हुई द द अपिी चूत क रस निक ल रह थी
और मैं ग ण्ड फुदक ते हुए लौड़े को बरु की जड़ तक ठे लकर अपि प िी उिकी चत
ू में झ ड़ रह थ ।

सच में ऐस मज मझ
ु े आज के पहले कभी िह ां लमल थ । अपिी खब
ू सरू त बहि को चोदिे की ददल तम्मन्ि
परू होिे के क रण परू े बदि में एक अजीब सी श न्ती महसस
ू हो रह थी। कर ब दस लमिट तक वैसे ह पड़े
रहिे के ब द मैं धीरे से द द के बदि से िीचे उतर गय । मेर लण्ड ढ ल होकर पच्
ु च से द द की चूत से ब हर
निकल गय ।

मैं एकदम थक गय थ और वह ां उिके बगल में लेट गय । द द िे अभी भी अपिी आूँखें बांद कर रखी थी। मैं
भी अपिी आूँखे बांद करके लेट गय और पत िह ां कब िीांद आ गई। सब
ु ह अभी िीांद में ह थ की लग जैसे
मेर ि क को द द की चूत की खुसबू क अहस स हुआ। एक र त में मैं चूत के चटोरे में बदल चुक थ । अपिे
आप मेर जब ु ि ब हर निकल च टिे के ललए। ये क्य ? मेर जब
ु ि पर गील पि महसस ू हुआ। मैंिे जल्द से
आूँखें खोल तो दे ख द द अपिे पेदटकोट को कमर तक ऊूँच ककये मेरे मूँह
ु के ऊपर बैठी हुई थी और हूँस रह
थी। द द की चूत क रस मेरे होंठों और ि क के ऊपर लग हुआ थ ।

हर रोज सपि दे खत थ की द द मझ
ु े सब
ु ह-सब
ु ह ऐसे जग रह है । झटके के स थ लण्ड खड़ हो गय और
परू मूँह
ु खोलकर द द की चत ू को मूँह
ु भरत हुआ जोर से क टते हुए चस
ू िे लग । उिके मूँह
ु से चीखें और
लससक ररय ां निकलिे लगीां।

उसी समय सब
ु ह-सब
ु ह पहले द द को एक प िी चोद और चोदकर उिको ठां ड करके बबस्तर से िीचे उतरकर
ब थरूम चल गय । िेश होकर ब हर निकल तो द द उठकर रसोई में ज चुकी थी। रववव र क ददि थ , मझ
ु े
भी कह ां ज ि िह ां थ । कववत द द िे उस ददि ल ल रां ग की ट इट समीज और क ले रां ग की चुस्त सलव र
पहि रखी थी। ि कत करते समय पैर फैल कर बैठी तो मैं उसकी ट इट सलव र से उसकी मोट गद
ु ज ज ांघों
और मस्त िी चूचचयों को दे खत चौंक गय ।

दोिों फैल हुई ज ांघों के बीच मझ


ु े कुछ गोर स , उजल सफेद स चमकत आय िजर आय । मैंिे जब ध्य ि
पव
ू क
म दे ख तो प य की द द की सलव र उिकी ज ांघों के बीच से फट हुई। मेरे आकचयम क दठक ि िह ां रह ।
मैं सोचिे लग की द द तो इतिी बेढब िह ां है की फट सलव र पहिे, कफर क्य ब त हो गई?

37
तभी द द अपिी ज ांघों पर ह थ रखते अपिे फट सलव र के बीच उां गल चल ती बोल - “क्य दे ख रह है बे,
स ले अभी तक श न्ती िह ां लमल क्य ? घरू त ह रहे ग । र त में और सब
ु ह में भी परू खोलकर तो ददख य
थ …”

मैं थोड़ स झेंपत हुआ बोल - “िह ां द द वो… वो आपकी सलव र बीच से फट …”

द द िे तभी उां गल ड ल फट सलव र को फैल य और मकु कुर ती हुई बोल - “तेरे ललए ह फ ड़ है । ददि भर
तरसत रहे ग । सोच बीच-बीच में ददख दां ग
ू ी तझ
ु …
े ”

मैं हूँसिे लग और आगे बढ़कर द द को गले से लग कर बोल - “ह य… द द तम


ु ककतिी अच्छी हो। ओह्ह… तम

से अच्छ और सन्ु दर कोई िह ां है । ओह्ह… द द … मैं सच में तम्
ु ह रे प्य र में प गल हो ज ऊांग …” कहते हुए द द
के ग ल को चूमकर उिकी चूची को हल्के से दब य ।

द द िे भी मझ
ु े ब ूँहों में भर ललय और अपिे तपते होंठों के रस क स्व द मझ
ु े ददय । उस ददि कफर हम दोिों
भ ई बहि ददि भर आपस में खेलते रहे और आिांद उठ ते रहे । द द िे मझ
ु े ददि में दब
ु र चोदिे तो िह ां ददय
मगर रसोई में ख ि बि ते समय अपिी चूत चटव ई और दोपहर में भी मेरे ऊपर लेट कर चूत चटव य और
लण्ड चूस । टे ललववजि दे खते समय भी हम दोिों एक दस
ू रे के अांगों से खेलते रहे । कभी मैं उिकी चूची दब
दे त , कभी वो मेर लण्ड खीांचकर मरोड़ दे ती। मझ
ु े कभी म धरचोद कह कर पक
ु रती, कभी बहिचोद कह कर।
इसी तरह र त होिे पर हमिे टे ललववजि दे खते हुए ख ि ख य और कफर वो रसोई में बतमि आदद स फ करिे
चल गई और मैं ट वी दे खत रह । थोड़ी दे र ब द वो आई और कमरे के अन्दर घस
ु गई।

मैं ब हर ह बैठ रह । तभी उन्होंिे पक


ु र - “र जू वह ां बैठकर क्य कर रह है । भ ई आ ज … आज से तेर
बबस्तर यह ां लग दे ती हूूँ…”

मैं तो इसी इन्तेज र में पत िह ां कब से बैठ हुआ थ । कूद कर द द के कमरे में पहुूँच तो दे ख द द ड्रेलसांग
टे बल के स मिे बैठकर मेकअप कर रह थी और कफर परफ्यम ू निक लकर अपिे परू े बदि पर लग य और
आईिे में अपिे आपको दे खिे लगी। मैं द द के चूतरों को दे खकर सोचत रह की क श मझ
ु े एक ब र इिकी
ग ण्ड क स्व द चखिे को लमल ज त तो बस मज आ ज त । मेर मि अब थोड़ ज्य द बहकिे लग थ ।
उां गल पकड़कर गदम ि तक पहुचि च हत थ ।

द द मेर तरफ घम ू कर मझु े दे खती मकु कुर ते हुए बबस्तर पर आकर बैठ गई। वो बहुत खब ू सरू त लग रह थी।
बबस्तर पर तककये के सह रे लेटकर अपिी ब ूँहों को फैल ते हुए मझु े प्य र से बल
ु य । मैं कूद कर बबस्तर पर चढ़
गय और द द को ब ूँहों में भरकर उिके होंठों क चम्
ु बि लेिे लग । तभी ल इट चल गई और कमरे में परू
अूँधेर फैल गय । मैं और द द दोिों हूँसिे लगे।

कफर उन्होंिे िे कह - “ह य र ज।ू ये तो एकदम ट इम पर ल इट चल गई। मैंिे भी ददि में िह ां चुदव य थ की


र त में आर म से मज लग
ूां ी। चल एक क म कर अूँधेरे में बरु च ट सकत है । दे खूां तो सह , तू मेर चूत की
सग
ु घ
ां को पहच ित है य िह ां? सलव र खोलि ठीक िह ां है …”

38
इति सिु ते ह मैं होंठों को छोड़कर िीचे की तरफ लपक , उिके दोिों पैरों को फैल कर सघूां ते हुए उिकी फट
सलव र के प स उिकी चत ू के प स पहुूँच गय । सलव र के फटे हुए भ ग को फैल कर चतू पर मूँह ु लग कर
लफर-लफर च टिे लग ।

थोड़ी दे र च टिे पर ह द द एकदम लसलसय िे लगी और मेरे लसर को अपिी चूत पर दब ते हुए चचल्ल िे लगी-
“ह य र ज,ू बरु च टू र ज … ह य सच में तू तो कम ल कर रह है । एकदम एक्सपटम हो गय है । अूँधेरे में भी सघ
ूां
ललय । सीईई… बहिचोद, स ल बहुत उस्त द हो गय है … है मेरे र ज । सीईई…”

मैं परू चूत को अपिे मूँह


ु में भरिे के चक्कर में सलव र की म्य िी को और फ ड़ ददय , यह ूँ तक तक की द द
की ग ण्ड तक म्य िी फट चुकी थी और मैं चत
ू पर जीभ चल ते हुए बीच-बीच में उिकी ग ण्ड को भी च ट रह
थ और उसकी ख ईं में भी जीभ चल रह थ । तभी ल इट व पस आ गई।

मैंिे मूँह
ु उठ य तो दे ख मैं और द द दोिों पशीिे से लथफथ हो चुके थे। होंठों पर से चूत क प िी पोंछते हुए
मैं बोल - “ह य द द दे खो आपको ककति पशीि आ रह है । जल्द से कपड़े खोलो…”

द द भी उठकर बैठते हुए बोल - “ह ूँ बहुत गमी है । उफफ्फ… ल इट आ ज िे से ठीक रह , िह ां तो मैं सोच रह
थी… स ल …” कहते हुए अपिी समीज को खोलिे लगी।

समीज खुलते ह द द कमर के ऊपर से परू िांगी हो गई। उन्होंिे ब्र िह ां पहि रखी थी, ये ब त मझ
ु े पहले से
पत थी। क्योंकी ददि भर उिकी समीज के ऊपर से उिकी चचू चयों के निप्पल को मैं दे खत रह थ । दोिों
चूचचय ां आज द हो चुकी थी और कमरे में उिके बदि से निकल रह पशीिे और परफ्यम
ू की म दक गांध फैल
गई। मेरे से रुक िह ां गय । मैंिे झपटकर द द को अपिी ब ूँहों में भर और िीचे ललट कर उिके होंठों, ग लो
और म थे को चम ू ते हुए च टिे लग । मैं उिके चेहरे पर लगी पशीिे की हर बद
ूँू को च ट रह थ और अपिी
जीभ से च टते हुए उिके परू े चेहरे को गील कर रह थ ।

द द लससकते हुए मझु से अपिे चेहरे को चटव रह थी। चेहरे को परू गील करिे के ब द मैं गदम ि को च टिे
लग कफर वह ां से छ ती और चूचचयों को अपिी जब
ु ि से परू गील करके मैंिे द द के दोिों ह थों को पकड़कर
झटके के स थ उिके लसर के ऊपर कर ददय । उिकी दोिों क ख
ां ें मेरे स मिे आ गई। क ांखों के ब ल अभी भी
बहुत छोटे -छोटे थे। ह थ के ऊपर होते ह क ांखों से निकलती भीिी-भीिी खुकबू आिे लगी। मैं अपिे ददल की
इच्छ परू करिे के चक्कर में सीध उिकी दोिों छ नतयों को च टत हुआ क ख ां ों की तरफ मह
ूँु ले गय और
उसमें अपिे मूँह
ु को ग ड़ ददय । क ांखों के म ांस को मह
ूँु में भरते हुए चम
ू िे लग और जीभ निक लकर च टिे
लग । क ांख में जम पशीिे क िमकीि प िी मेरे मूँह ु के अन्दर ज रह थ । मगर मेर इस तरफ कोई ध्य ि
िह ां थ । मैं तो क ख
ां के पशीिे की सगु ध
ां को सघ
ूां ते हुए मदहोश हुआ ज रह थ । मझ
ु े एक िश स हो गय
थ । मैंिे च टते-च टते परू क ांख को अपिे थक ू और ल र से लभग ददय थ ।

द द चचल्ल ते हुए ग ल दे रह थी- “ह य हर मी सीईई… ये क्य कर रह है चत ू खोर, बेशरम, क ांख च टिे क


तझ
ु े कह ां से सझ
ू ? उफफ्फ… परू पशीिे से भर हुआ थ । स ल मझ ु े भी गन्द कर रह है । ह य परू थूक से
लभग ददय … म धरचोद ये क्य कर रह है… उफफ्फ… ह य मेरे परू े बदि को च ट रह है । ह य भ ई। तझ ु े मेरे
बदि से रस टपकत हुआ लगत है क्य ? ह य… उफफ्फ…”

39
मझु े इस ब त की चचांत िह ां थी की द द क्य बोल रह है ? मैं दस ू र क ांख को च टते हुए बोल - “ह य द द ।
तेर बदि िशील है । उम्म्म… बहुत मजेद र है , तू तो रसवांती है , रसवांती। तेरे बदि को च टिे से श्जति मज
मझ
ु े लमलत है उति एक ब र बबयर पी थी तब भी िह ां आय थ । ह य… द द तम्
ु ह र क ांखों में जो पशीि
रहत है उसकी गांध िे मझ ु े बहुत ब र प गल ककय है । ह य आज मौक लमल है तो िह ां छोड़ूगां । तम्
ु ह रे पूरे
बदि को च टूांग । ग ण्ड में भी अपिी जुब ि ड लूँ ग
ू । ह य द द आज मत रोकि मझ
ु ।े मैं प गल हो गय हूूँ…”

द द समझ गई की मैं सच में आज उिको िह ां छोड़िे व ल । उिको भी मज आ रह थ । उन्होंिे अपि परू


बदि ढ ल छोड़ ददय थ और मझ
ु े परू आज द दे द थी। मैं आर म से उिकी क ांखों को च टिे के ब द धीरे -
धीरे िीचे की तरफ बढ़त चल गय और पेट की ि लभ को च टते हुए द ांतों से सलव र के ि ड़े को खोलकर
खीांचिे लग ।

इस पर द द बोल - “फ ड़ दे ि बहिचोद। परू तो पहले ह फ ड़ चुक है और फ ड़ दे …”

पर मैंिे खीांचते हुए परू सलव र को िीचे उत र ददय और दोिों ट ांग फैल कर उिके बीच बैठकर एक पैर को
अपिे ह थ से ऊपर उठ कर पैर के अांगठ ू े को च टिे लग । धीरे -धीरे पैर की उां गललयों और टखिे को च टिे के
ब द परू े तलवे को जीभ लग कर च ट । कफर वह ां से आगे बढ़ते हुए उिके परू े पैर को च टते हुए घट ु िे और ज ांघों
को च टिे लग । ज ांघों पर द ांत गड़ ते हुए म ांस को मह
ूँु में भरते हुए च ट रह थ । द द अपिे ह थ पैर पटकते
हुए छटपट रह थी। मेर चट ई िे उिको परू तरह से गरम कर ददय थ ।

वो मदहोश हो रह थी। मैं ज ांघों के जोड़ को च टते हुए पैर को हव में उठ ददय और लपलप करते हुए कुत्ते की
तरह कभी बरु , कभी उसके च रों तरफ च टिे लग । कफर अच िक से मैंिे ज ांघ पकड़कर दोिों पैर हव में ऊपर
उठ ददय , इससे द द की ग ण्ड मेर आूँखों के स मिे आ गई और मैं उस पर मह
ूँु लग कर च टिे लग ।

द द एकदम गरम गई और तड़पते हुए बोल - “क्य कर रह है । ह य ग ण्ड के पीछे ह थ धोकर पड़ गय । है ।


सीईई… ग ण्ड म रे ग क्य ? जब दे खो तब च टिे लगत है । उस समय भी च ट रह थ । ह य हर मी, कुत्ते सीईई…
च ट मगर ये य द रख म रिे िह ां दां ग
ू ी। स ल आज तक इसमें उां गल भी िह ां गई है और तू कुत्त , जब दे खो,
ह य च टि है तो ठीक से च ट… मज आ रह है । रुक मझ
ु े पलटिे दे …”

कहते हुए पलटकर पेट के बल हो गई और ग ण्ड के िीचे तककय लग कर ऊपर उठ ददय और बोल - “ले अब
च ट कुत्ते… अपिी कुनतय द द की ग ण्ड को। बहिचोद, बहि की ग ण्ड ख रह है। उफफ्फ… बेशरम…”

मेरे ललए अब और आसि हो गय थ । द द की ग ण्ड को उिके दोिों चूतरों को मठ्


ु ठी में कसते हुए मसलते हुए
खोलकर उिकी परू ग ण्ड की ख ई में जीभ ड लकर चल िे लग । ग ण्ड क छोट स भरू े रां ग क छे द पकपक
रह थ । होंठों को ग ण्ड के छे द के होंठों से लमल त हुआ चम
ू िे लग ।

तभी द द अपिे दोिों ह थों को ग ण्ड के छे द के प स ल कर अपिी ग ण्ड की छे द को फैल ती हुई बोल - “ह य
ठीक से च ट, च टि है तो छे द परू फैल कर च ट। मेर भी मि करत थ चटव िे को। तेर जो वो मस्तर म की
ककत ब है ि उसमें ललख है। ह य र जू… मझ
ु े सब पत है । बेट , तू क्य क्य करत है । इसललए चौंकि मत।
बस वैसे ह जैसे ककत ब में ललख है वैसे च ट। ह य… जीभ अन्दर ड लकर च ट… सीईई…”

40
मैं समझ गय की अब जब द द से कुछ छुप ह िह ां है तो शम मि कैस ? अपिी जीभ को कड़ करके उिकी
ग ण्ड के भरू छे द में ड लकर िच ते हुए च टिे लग । ग ण्ड के छे द को अपिे अांगठ
ू े से पकड़कर फैल ते हुए
मस्ती में च टिे लग । द द अपिी ग ण्ड को परू हव में उठ कर मेर जीभ पर िच रह थी और मैं ग ण्ड को
अपिी जीभ ड लकर चोदते हुए परू ख ईं में ऊपर से िीचे तक जीभ चल रह थ । द द की ग ण्ड क स्व द भी
एकदम िशील लग रह थ । कसी हुई ग ण्ड के अन्दर तक जीभ ड लिे के ललए परू जीभ सीधी खड़ी करके
ग ण्ड को परू फैल कर पेलकर जीभ िच रह थ । सक-सक ग ण्ड के अन्दर जीभ आ ज रह थी। थूक से ग ण्ड
की छे द परू गील हो गई थी और आस िी से मेर जीभ को अपिे अन्दर खीांच रह थी।

ग ण्ड चटव ते हुए द द एकदम गमम हो गई थी और लससकते हुए बोल - “ह य र ज । अब ग ण्ड च टि छोड़ो।
ह य र ज मैं बहुत गरम हो चक
ु ी हूूँ… मझ
ु े ति
ू े मस्त कर ददय है… ह य अब अपिी रसवांती द द क रस चस
ू ि
छोड़ और उसकी चूत में अपि मस्
ु लांड लौड़ ड लकर चोद और उसक रस निक ल दे । ह य सिम, मेरे र ज ,
चोद दे अपिी द द को अब मत तड़प …”

द द की तड़प दे खकर मैंिे अपि मूँह


ु उिकी ग ण्ड पर से हट य और बोल - “ह य द द जब आपिे मस्तर म की
ककत ब पढ़ थी तो, आपिे पढ़ तो होग ह की कैसे ग ण्ड में … ह य मेर मतलब है की एक ब र द द , अपिी
ग ण्ड…”

द द इस ब त पर एकदम से तड़पकर पलट और मेरे ग लों पर चचकोट क टती हुई बोल - “ह य हर मी, स ल तू
श्जति सीध ददखत है उति सीध है िह ां। सीईईइ… म धरचोद मैं सब समझती हूूँ। तू स ल ग ण्ड के पीछे पड़
हुआ है । कुत्ते मेर ग ण्ड म रिे के चक्कर में त…ू स ले यह ूँ मेर चत
ू में आग लगी हुई है और त…
ू ह य िह ां भ ई
मेर ग ण्ड एकदम कूँु व र है और आज तक मैंिे इसमें उां गल भी िह ां ड ल है । ह य र जू तेर लौड़ बहुत मोट
है । ग ण्ड छोड़ कर चूत म र ले। मैंिे तझ ु े ग ण्ड च टिे ददय । ग ण्ड क परू मज ले ललय अब रहिे दे …”

मैं द द की चचरौर करिे लग - “ह य द द प्ल ज… बस एक ब र। ककत ब में ललख है ककति भी मोट हो चल


ज त है । ह य प्ल ज बस एक ब र। बहुत मज आत है, मैंिे सि
ु है प्ल ज…” मैं द द के पैर को चूम रह थ ,
चूतर को चूम रह थ , कभी ह थ को चूम रह थ । द द से मैं भीख म ांगिे के अांद ज में चचरौर करिे लग ।

कुछ दे र तक सोचिे के ब द द द बोल - “ठीक है भ ई तू कर ले। मगर मेर एक शतम है । पहले अपिे थक
ू से
मेर ग ण्ड को परू चचकि कर दे , य कफर थोड़ स मक्खि क टुकड़ ले आ मेर ग ण्ड में ड लकर एकदम
चचकि कर दे । कफर अपि लण्ड ड लि । ड लिे के पहले लण्ड को भी चचकि कर लेि । ह ूँ एक और ब त तेर
प िी मैं अपिी चत
ू में ह लग
ांू ी। खबरद र जो ति
ू े अपि प िी कह ां और चगर य । ग ण्ड म रिे के ब द चत
ू के
अन्दर ड लकर चगर ि । िह ां तो कफर कभी तझ
ु े चूत िह ां दां ग
ू ी। और य द रख मैं इस क म में तेर कोई मदद
िह ां करिे व ल मैं कुसी पकड़कर खड़ी हो ज ऊूँगी, बस…”

मैं र जी हो गय और तरुां त भ गत हुआ रसोई से किज़ खोलकर मक्खि के दो-तीि टुकड़े लेकर आ गय । द द
तब तक सोफे व ल चेयर के ऊपर दो तककय रखकर अपिे आधे धड़ को उस पर दटक कर ग ण्ड को हव में
लहर रह थी। मैं जल्द से उिके पीछे पहुूँचकर उिके चूतरों को फैल कर मक्खि के टुकड़ो को एक-एक करके
उिकी ग ण्ड में ठे लिे लग । ग ण्ड की गमी प कर मक्खि वपघलत ज रह थ और उिकी ग ण्ड में घस ु कर
घल
ु त ज रह थ ।

41
मैंिे धीरे -धीरे करके स रे टुकड़े ड ल ददए कफर िीचे झक
ु कर ग ण्ड को ब हर से च टिे लग । परू ग ण्ड को थूक
से लथफथ कर दे िे के ब द मैंिे अपिे लण्ड पर भी ढे र स र थक
ू लग य और कफर दोिों चत
ू रों को दोिों ह थ से
फैल कर लण्ड को ग ण्ड की छे द पर लग कर कमर से हल्क स जोर लग य । ग ण्ड इतिी चचकिी हो चुकी थी
और छे द इतिी ट इट थी की लण्ड कफसलकर चूतरों पर लग गय । मैंिे दो-तीि ब र और कोलशश की मगर हर
ब र ऐस ह हुआ।

द द इस पर बोल - “दे ख भ ई मैं कहती थी ि की एकदम ट इट है । कुत्ते, मेर ब त िह ां म ि रह थ । ककत ब


में ललखी हर ब त सच िह …
ां ह य तू तो बेक र में । उफफ्फ… कुछ होिे व ल िह ।ां ददम भी होग । ह य… चूत में
पेल ले। ऐस मत कर…”

मगर मैं कुछ िह ां बोल और कोलशश करत रह । थोड़ी दे र में द द िे खुद से दय करते हुए अपिे दोिों ह थों
से अपिे चूतरों को पकड़कर खीांचते हुए ग ण्ड के छे द को अांगठ
ू लग कर फैल ददय और बोल - “ले म धरचोद
अपिे मि की आरजू परू कर ले। स ल ह थ धोकर पीछे पड़ है । ले अब घस
ु । लण्ड क सप
ु ड़ ठीक से छे द पर
लग कर, उसके ब द धक्क म र। धीरे -धीरे म रि । हर मी जोर से म र तो ग ण्ड टे ढ़ करके लण्ड तोड़ दां ग
ू ी…”

मैंिे द द की फैल हुई ग ण्ड के छे द पर लण्ड के सप


ु ड़े को रख और ग ण्ड तक क जोर लग कर धक्क म र ।
इस ब र पक से मेरे लण्ड क सप ु ड़ ज कर द द की ग ण्ड में घस
ु गय । ग ण्ड की छे द फैल गई। सप
ु ड़ जब
घस
ु गय तो कफर ब की क म आस ि थ क्योंकक सबसे मोट तो सप
ु ड़ ह थ।

पर सप
ु ड़ घस
ु ते ह द द की ग ण्ड परपर िे लगी। वो एकदम से चचल्ल उठी और ग ण्ड खीांचिे लगी। मैंिे द द
की कमर को जोर से पकड़ ललय और थोड़ और जोर लग कर एक और धक्क म र ददय । लण्ड आध के कर ब
घस
ु गय , क्योंकक ग ण्ड तो एकदम चचकिी हो रखी थी।

पर द द को श यद ददम बद कम त िह ां हुआ चचल्ल ते हुए बोल - “हर मी, कुत्ते, कहती थी मत कर। म धरचोद, पीछे
पड़ हुआ थ । स ले, हर मी, छोड़। ह य मेर ग ण्ड फट गई। उफफ्फ… सीईई… अब और मत ड लि । हर मी, तेर
म ूँ को चोदां ,ू मत ड ल, ह य निकल ले… निकल ले भ ई। ग ण्ड मत म र, ह य चूत म र ले। ह य द द की ग ण्ड
फ ड़कर क्य लमलेग सीईई… आईई… मर गई…”

द द के ऐसे चचल्ल िे पर मेर ग ण्ड भी फट गई और मैं डरकर रुक गय और द द की पीठ और गदम ि को


चूमिे लग और ह थ आगे बढ़ कर उिकी दोिों लटकती हुई चूचचयों को दब िे लग । मेर ज िक र मझ
ु े बत
रह थी की अगर अभी निक ल ललय तो कफर श यद कभी िह ां ड लिे दे गी। इसललए चपु -च प आध लण्ड ड ले
हुए कमर को हल्के-हल्के दहल िे लग । कुछ दे र तक ऐसे करिे और चच
ू ी दब िे से श यद द द को आर म लमल
गय और आह्ह… उह्ह… करते हुए अपिी कमर दहल िे लगी। मेरे ललए ये अच्छ अवसर थ और मैं भी धीरे -धीरे
करके एक-एक इांच लण्ड अन्दर घस ु त ज रह थ । हम दोिों पशीिे-पशीिे हो चकु े थे। थोड़ी दे र में ह मेर
मेहित रां ग ल ई और मेर लण्ड लगभग परू द द की ग ण्ड में घस
ु गय ।

द द को अभी भी ददम हो रह थ और वो बड़बड़ रह थी। मैं द द को स ांत्वि दे ते हुए बोल - “बस द द हो गय


अब, परू घस
ु चुक है । थोड़ी दे र में लौड़ सेट होकर आपको मज दे िे लगेग । ह य परे श ि िह ां हो। मैं खुद से
शलमिंद हूूँ की मेरे क रण आपको इांतिी परे श िी झेलिी पड़ी। अभी सब ठीक हो ज एग …”

42
द द मेर ब त सि
ु कर अपिी गदम ि पीछे कर मकु कुर िे की कोलशश करती बोल - “िह ां भ ई। इसमें शलमिंद होिे
की कोई ब त िह ां है । हम आपस में मज ले रहे हैं। इसललए इसमें मेर भी ह थ है । भ ई तू ऐस मत सोच। मेरे
भी ददल में थ की मैं ग ण्ड मरव िे क स्व द ल।ूां अब जब हम कर ह रहे हैं तो घबर िे की कोई जरूरत िह ां
है । तम
ु परू कर लो पर य द रखि … अपि प िी मेर चूत में ह छोड़ि । लो म रो मेर ग ण्ड। मैं भी कोलशश
करती हूूँ की ग ण्ड को कुछ ढ ल कर दां …
ू ” ऐस बोलकर द द भी धीरे -धीरे अपिी कमर को दहल िे लगी।

मैं भी धीरे -धीरे कमर दहल रह थ । कुछ दे र ब द ह सक-सक करते हुए मेर लण्ड उिकी ग ण्ड में आिे-ज िे
लग । अब ज कर श यद कुछ ढ ल हो रह थ । द द के कमर दहल िे में भी थोड़ी तेजी आ गई, इसललए मैंिे
अपिी ग ण्ड क जोर लग ि शरू
ु कर ददय और तेजी से धक्के म रिे लग । एक ह थ को उिकी कमर के िीचे
लेज कर उिकी बरु के ट ट को मसलिे लग और चत
ू को रगड़िे लग । उिकी चत
ू प िी छोड़िे लगी। द द को
अब मज आ रह थ । मैं अब कच कच धक्क लग िे लग और एक ह थ से उिकी चूचचयों को थ मकर लण्ड को
ग ण्ड के अन्दर-ब हर करिे लग । चूत से च र गि
ु ज्य द ट इट द द की ग ण्ड लग रह थी।

द द अपिी ग ण्ड को दहल ते हुए बोल - “ह य भ ई मज आ रह है । सीईई… बहुत अच्छ लग रह है । शरू


ु में तो
ददम कर रह थ , मगर अब अच्छ लग रह है । सीईई… ह य र ज म रो धक्क । जोर जोर से चोदो अपिी द द
की ग ण्ड को। ह य सैंय ां बत ओ अपिी द द की ग ण्ड म रिे में कैस लग रह है। मज आ रह है की िह ां?
मेर ट इट ग ण्ड म रिे में । बहि की ग ण्ड म रिे क बहुत शौक थ ि तझ
ु ,े तो मि लग कर म र। ह य मेर
चत
ू भी प िी छोड़िे लगी है… जोर से धक्क म र… अपिी बहि को बीबी बि ललय है , तो मि लग कर बीबी
की सेव कर। ह य र ज सीईई… बहिचोद बहुत मज आ रह है । सीईई… उफफ्फ…”

मैं भी अब परू जोर लग कर धक्क म रते हुए चचल्ल य - “ह य द द सीईई… बहुत ट इट है तम् ु ह र ग ण्ड। मज
आ गय । ह य एकदम सांकर छे द है । ऊपर िीचे जह ूँ के छे द में लौड़ ड लो वह ां के छे द में मज भर हुआ है ।
ह य द द स ल मज आ गय … सच में तम ु बहुत मजेद र हो, बहुत मज आ रह है । सीईई… मैं तो प गल हो
गय … मैं तो परू बहिचोद बि गय हूूँ… मगर तमु भी तो भ ईचोद बहि हो मेर ड ललिंग लसस्टर… ह य द द
आज तो मैं तम्
ु ह र बरु और ग ण्ड दोिों फ ड़कर रख दां ग
ू …”

तभी मझ
ु े लग की इतिी ट इट ग ण्ड म रिे के क रण मेर ककसी भी समय निकल सकत है । इसललए मैंिे द द
से कह की- “द द , मेर अब निकल सकत है । तम्
ु ह र ग ण्ड बहुत ट इट है । इतिी ट इट ग ण्ड म रिे से मेर
तो नछल गय है मगर मज बहुत आय । अब मैं निक ल सकत हूूँ। ह य बोलो द द क्य मैं तम् ु ह र ग ण्ड से
निक ल कर चूत में ड लूां य कफर तम्
ु ह र ग ण्ड में निकल दां ?
ू बोलो ि मेर लण्डखोर बहि। स ल मैं तम्
ु ह रे चूत
में झड़ूां य कफर ग ण्ड में झड़ू?
ां ह य मेर रां डी द द …”

द द अपिी ग ण्ड ि चते हुए बोल - “म धरचोद। मझ


ु े रां डी बोलत है । स ले अगर िह ां ददय होत तो मठ
ु म रत
रह ज त । ह य अगर निकलिे व ल है तो भोसड़ी के पछ ू क्य रह है? जल्द से ग ण्ड से निक लकर चूत में
ड ल…”

मैंिे सट क से लौड़ खीांच और द द भी उठकर खड़ी हो गई और बबस्तर पर ज कर अपिी दोिों ट ांग हव में
उठ कर अपिी ज ांघों को फैल ददय । मैं लगभग कूदत हुआ उिकी ज ांघों बीच घस
ु गय और अपि तमतम य
हुआ लौड़ गच से उिकी चत ू में ड लकर जोरद र धक्के म रिे लग ।

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द द भी िीचे से ग ण्ड उछ लकर धक्क लेिे लगे और चचल्ल िे लगी- “ह य र ज म रो… जोर से म रो… अपिी
बहि बीबी की… ह य मेरे सैंय ां बहुत मज आ रह है । इति मज कभी िह ां लमल । मेरे भ ई मेरे पनत अब तम् ु ह
मेरे पनत हो… ह य र ज मैं तम
ु से श द रूांगी। ह य अब तम्
ु ह मेरे सैंय ां हो। मेरे ब लम म धरचोद। ले अपिी द द
की चूत क मज । परू अन्दर तक लौड़ ड लकर चूत में प िी छोड़ो। म धरचोद…”

मैं भी चचल्ल ते हुए बोल - “ह ूँ रां डी, मैं तेरे से श द करूूँग । मेरे लण्ड क प िी अपिी चूत में ले। ह य मेर
निकलिे व ल है । ह य सीईई… ले ले…” और द द को कसकर अपिी ब ूँहों में चचपक कर झड़िे लग । उसी समय
वो भी झड़िे लगी।

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