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ये कहानी है एक िभखारी की काली िजंदगी के बारे मे...िजसका नाम है गंगू.. पर लोग इसे लंगड़ा
िभखारी कहते ह, ोंिक वो अपने दाँ ये पैर से लंगड़ा कर चलता है , मैले -कुचेले कपड़े , घनी
दादी, लंबे और उलझे ए बॉल, चेहरा िब ु ल काला , िजसे उसने ना जाने िकतने समय से धोया
ही नही है ..
शहर के बीचो बीच बने रे लवे े शन की पटरी से लगी ई झु ी झोपड़ी की कॉलोनी मे वो रहता
था, महीने के 1200 दे कर..िदन भर मे जो भी वो भीख माँ गकर कमाता, उसकी दा पीता ,
जुआ खेलता, कभी-2 रं िडयों के पास भी जाता ....
वो पूरे िदन िचलिचलाती धूप मे, सड़कों पर, रे ड लाइट पर, ऑिफसों के बाहर भीख माँ गता रहता
था, कोई उसको खाने के िलए दे ता और कोई उसको पैसे दे कर उसकी मदद करता..ऐसे ही चल
रही थी उसकी िजंदगी..
रात का समय था, लगभग 2 बजे थे, गंगू अपनी भीख से इक े ए पैसों को शराब और िचकन मे
उड़ा कर अपनी झोपड़ी की तरफ जा रहा था की अचानक उसने दे खा की एक तेज र ार से आती
ई कार सड़क के बीचो बीच बने िडवाइडर से जा टकराई और बीच की रे िलंग तोड़ती ई एक
जगह पर जाकर क गयी ..
वो कार की तरफ भागने लगा की अचानक उसे एक लड़की के चीखने की आवाज़ आई, कार का
अगला दरवाजा खुला और उसमे से एक लड़की, जो बुरी तरहा से ल लुहान थी , वो िनकली और
उसके पीछे -2 एक मोटा सा आदमी भी िनकला, िजसके िसर से भी ह ा खून िनकल रहा था
उस मोटे आदमी ने लड़की की टाँ ग पकड़ी और उसकी सलवार पकड़ कर फाड़ डाली..उसकी
गोटी-2 टां गे नंगी हो गयी, खून िनकलने की वजह से वो कमजोर सी लग रही थी और सही ढं ग से
अपना बचाव भी नही कर पा रही थी..
गंगू समझ गया की वो मोटा आदमी उसका रे प करना चाहता है , और रे प श उसके जहन मे
आते ही उसका खून खोलने लगा और वो पागलो की तरह भागता आ उस तरफ आ गया, उसने
ए ीडट की वजह से टू टे ए िडवाईडर के लोहे का स रया उठा िलया और खींचकर उसने एक
जोरदार हार उस मोटे आदमी की पीठ पर कर िदया..
लड़की अपने ही खून मे िलपटी पड़ी थी, उसने एक नज़र िभखारी को दे खा और िफर वो बेहोशी के
आगोश मे डूबती चली गयी..
मोटे आदमी ने जब दे खा की िभखारी उसे मारने के िलए िफर से अपना हाथ उठा रहा है तो वो
अपनी कार मे बैठा और भाग खड़ा आ...
उसने आस पास दे खा, सड़क िकनारे एक र े वाला सो रहा था, उसने ज ी से जाकर उसे
उठाया, पहले तो उसने ए ीडट वाला केस समझ कर मना िकया, पर गंगू ने जब अपना प
िदखाकर उसे डराया तो वो मान गया, और गंगू ने उस लड़की को उठा कर र े पर लादा और
हॉ टल ले गया
अगली सुबह जब उसको होश आया तो डॉ स ने उसकी जाँ च की, उसके बारे मे पूछा, पर वो
चुपचाप लेटी रही, िकसी भी बात का जवाब नही िदया उसने..बस अपनी आँ खे शू मे घुमाती
रही..
गंगू इसके िलए िब ु ल भी तैयार नही था...उसके मुँह से अचानक िनकल गया : "जी ...मेरी
र ेदार है ..''
कुछ दे र बाद उसने एक ए रे ीन पर लगा कर िदखाया और बोला : "दे खो, इसके िसर पर
अंदर तक चोट आई है ...वैसे तो घबराने की कोई बात नही है , पर मुझे लगता है की ये अपनी
याद खो बैठी है ...इसको अपने बारे मे कुछ भी याद नही है ...''
आिख़र गंगू ने उससे पूछा : "तुम कौन हो ... ा नाम है तु ारा ...''
लड़की ने पहली बार अपने मुँह से वो श िनकाले : "मुझे कुछ याद नही है ....मेरा नाम ा है
...मुझे याद नही आ रहा ...''
और इतना कहकर वो अपना िसर पकड़कर रोने लगी...शायद उसे दद हो रहा था वहाँ ..
गंगू उठकर उसके पास गया और उसे चुप कराया, उसे पानी का िगलास िदया.
एक बार तो उसने सोचा की इसको लेकर पुिलस े शन चले जाना चािहए..पर िफर उसके िदमाग़
मे छु पे शैतान ने कहा की ऐसे माल को तू ऐसे ही अपने हाथ से ो जाने दे ना चाहता है ...ले चल
इसको अपने घर..और मज़े ले इसके साथ..
वो जहाँ रहता था, उसकी झोपड़ी के आस पास ादातर दू सरे िभखा रयों की झोपिडया थी, जो
अपने िसर और पैरों पर नकली चोट और पि याँ लगाकर सहानभूित बटोरते और भीख माँ गते थे..
िसर पर प ी बँधी थी..कपड़े मैले कुचेले से हो गये थे...सलवार की जगह एक पुराना सा पायज़ामा
पहना आ था उसने जो हॉ टल से ही िमला था ..कुल िमलाकर वो भी अब उनकी तरह ही लग
रही थी..
अंदर जाते ए हर कोई उसको और उस लड़की को घूर रहा था..एक-दो ने तो पूछ भी िलया
''कहा से लाया है ये माल गंगू..''
पर उसने िकसी की बात का जवाब नही िदया..और उसे लेकर अपने झोपडे पर प ँ च गया..
दरवाजा बंद करके उसने लड़की को चारपाई पर िबठाया और झोपड़ी मे कुछ खाने पीने का समान
ढू ं ढने लगा...पर वहाँ कुछ होता तभी िमलता ना, वो ढू ँ ढने की ए ं ग कर ही रहा था की अचानक
बाहर का दरवाजा खड़का, उसने जैसे ही दरवाजा खोला, बाहर लगी भीड़ को दे खकर घबरा गया.
बाहर कॉलोनी का ठे केदार यानी मािलक खड़ा था और साथ मे आस पड़ोस के काफ़ी लोग भी थे..
राजू : "मैने सुना है की तेरे साथ एक लड़की आई है ...दे खने मे सुंदर भी है ...और इन लोगो को
लगता है की तू उसको कहीं से उठा कर लाया है ..बोल, ा बात है ...मुझे अपनी जगह पर कोई
पंगा नही चािहए.....''
गंगू : "अरे नही राजू भाई, ऐसा कुछ भी नही है ...ये लड़की तो मेरी जो है ...कल ही गाँ व से
आई है ..रा े मे ए ीडट हो गया था, इसिलए अ ताल ले गया था, आज ही छु ी ई है ..ये
दे खो..अ ताल का पचा..''
तभी वो लड़की अचानक बाहर िनकल आई...उसके चेहरे पर कोई भी भाव नही था..वो सब लोगो
को टकटकी लगाकर दे ख रही थी ..
कुछ दे र तक उसे दे खते रहने के बाद उस लड़की ने अपना िसर हाँ मे िहला िदया..
उन सभी लोगो के साथ-2 गंगू भी है रान रह गया..की आिख़र उस लड़की ने हाँ ो कहा..
सब लोग उसकी तरफ है रानी से दे खने लगे, की ऐसे बदसूरत िभखारी की इतनी सुंदर बीबी कैसे हो
सकती है ..
पर अब शक करने का कोई ही नही रह गया था...उसकी बात मानकर सभी लोग अपने-2 घर
की तरफ चल िदए..
राजू ने जाते-2 कहा : "अब तू अपनी बीबी के साथ रहे गा यहाँ तो मेरी झोपड़ी का िकराया 1500
होगा..समझा..''
गंगू ने दराजा िफर से बंद िकया और उस लड़की के सामने जाकर खड़ा हो गया..
गंगू : "बता मुझे, कौन है तू, कहा की रहने वाली है ...वो आदमी कौन था तेरे साथ कार मे जो तेरे
साथ ज़बरद ी कर रहा था..बोल...और तूने इन सबके सामने मेरे झूट का साथ ो िदया...''
लड़की है रानी से उसकी तरफ दे खे जा रही थी..मानो कुछ समझ ही नही पा रही की हो ा रहा है
उसके साथ..
उसने थोड़ी दे र बाद सुबकना शु कर िदया...और बोली : "मुझे नही पता ...मुझे कुछ याद नही
है ...मेरा नाम ा है ...मुझे नही पता...वो तुमने हॉ टल मे मेरा इतना ान रखा ...मुझे घर ले
आए...इसिलए मुझे लगा की तुम ही मेरे पित हो ...इसिलए सबके सामने मैने ऐसे कहा ...''
कुछ दे र बाद वो बोली : "तुम ऐसे ो बोल रहे हो .... ा म तु ारी प ी नही ...बोलो ...''
गंगू की समझ मे आ गया की उसे कुछ भी याद नही है ..वो बेकार ही उसपर गु ा हो रहा था..
वो बाहर िनकल गया और कुछ दे र मे ही खाने पीने का समान लेकर आया और दोनो ने िमलकर
खाना खाया.
खाना खाते ए गंगू उसके शरीर को घूर-2 कर दे ख रहा था..उसका मासूम सा चेहरा, गोरा
बदन..मोटे -2 मु े और बाहर िनकली ई गां ड ...उसकी उ लगभग 23 के आस पास थी
...िब ु ल िफ ी हीरोइन अमीशा पटे ल जैसा चेहरा और िफगर था उसका..शादी शुदा तो नही
लगती थी ...पर इतनी से ी लड़की का कोई बा ड नही रहा होगा, इसपर गंगू को शक़ था...
खाना खाने के बाद गंगू बीड़ी पीने के िलए बाहर िनकल गया..शाम का समय था,..इसिलए कॉलोनी
मे काफ़ी रोनक थी ...
और उसके िलए कपड़ो का भी इं तज़ाम करना होगा ..वो िपछले दो दीनो से उ ी कपड़ो मे थी ..
वो वहाँ प ँ चा और औरतों के कपड़े दे खने लगा ...एक घाघरा चोली का सेट उसे पसंद आ गया
..और उसके साथ ही उसने एक ा और पटी भी ले ली ...साथ मे एक मोटी चादर और च ल भी
ले ली उस लड़की के िलए ..ये सारा सामान उसे 500 पए मे िमल गया..
अब थी किठन घड़ी उस लड़की के िलए... ोंिक गंगू की 8x8 की झोपड़ी मे कोई अलग से कपड़े
बदलने की जगह नही बनी ई थी ...और गंगू तो चारपाई पर चादर िबछा कर ऐसे लेट गया जैसे
वो कोई शो दे खने के िलए आया हो ..
लड़की सकुचाती ई सी उठी और उसने दू सरी तरफ मुंह कर िलया ..उसने वही हॉ टल वाला
पायज़ामा और अपने सूट का कुता पहना आ था.. पहले उसने अपना पायज़ामा उतारा ..उसकी
गोरी-2 िपंडिलयाँ दे खकर गंगू का लंड खड़ा हो गया ...वो उसे अपनी पट के उपर से ही मसलने
लगा ...
िफर उस लड़की ने अपनी पटी को उतारा ...जो एक ेक कलर की महं गी पटी थी ..चूँिक उस
लड़की और गंगू की चारपाई के बीच ादा गेप नही था, गंगू ने अपना पैर लंबा करते ए नीचे पड़ी
ई पटी को अपने पैर के अंगूठे मे फँसाया और उपर लाकर अपने हाथों मे पकड़ िलया ...
अहह ....इतनी गम पटी थी उसकी ...और चूत वाली जगह से गीली भी थी ...वो उसे सूंघने
लगा...एक मादकता से भरी खु बू िनकल रही थी ...उसे सूंघते ही वो समझ गया की उसकी चूत
कुँवारी है ..इतना तो तजुबा हो ही चुका था उसे ...
लड़की ने धीरे से अपनी ा के े खोले और उसे भी उतार कर नीचे िगरा िदया ...अब वो उपर
से पूरी नंगी थी ...जैसे ही वो ा उठाने के िलए नीचे झुकी उसकी एक चुिच िकसी लटके ए आम
की तरह िदख गयी गंगू को ...इतनी रसीली और मोटी चुिच दे खकर उसकी उ ेजना की सीमा नही
रही और उसने भरभरा कर झड़ना शु कर िदया ...बड़ी मु ल से उसने अपने मुँह से िनकलने
वाली आहों को बाहर िनकलने से बचाया ..पर अपने लंड के माल को उस लड़की की पटी मे भरने
से नही बचा सका ..उसने ज ी से अपने लंड का सारा पानी उस पटी से सॉफ िकया और उसे
वािपस नीचे कपड़ों मे फक िदया ..
और जब सारे कपड़े पहन कर वो उसकी तरफ घूमी तो गंगू उसे दे खता ही रह गया ...वो ब त
सुंदर लग रही थी इन नये कपड़ों मे ..िब ु ल गाँ व की भोली भली दु न की तरह. ..
गंगू : "ये कपड़े वहाँ कोने मे रख दे ...कल इ े धोने के िलए चलगे नदी िकनारे ...''
उसने उ े उठाया और कोने मे रख िदया ....रखते ए उसके हाथ म जैसे ही अपनी पटी आई
और उसपर लगा आ ढे र सारा गीलापन उसने महसूस िकया, उसने झट से गंगू की तरफ
दे खा...पर वो अंजान सा बनता आ दू सरी तरफ दे खने लगा ..वो कुछ नही बोली और सारे कपड़े
उठा कर कोने मे रख िदए ..
गंगू ने चारपाई पर िबछा आ िब र नीचे ज़मीन पर िबछा िदया और उसपर नयी चादर भी िबछा
दी..और चारपाई को िकनारे पर खड़ा कर िदया..
उस लड़की की आँ खों मे एक अजीब सा भय उतर आया ... पता नही उसके मन मे ा चल रहा
था..पर साफ़ था की वो समझ चुकी है की गंगू ा चाहता है ..
वो गंगू की तरफ पीठ करके साईड पो म लेट गयी, गंगू ने उसकी पतली कमर को पीछे से
दबोच िलया और अपना लंड वाला िह ा उसकी उभरी ई गां ड पर लगा कर ज़ोर से दबा िदया..
अपने हाथों को उसने लड़की के पेट से लपेट रखा था ...लड़की के िदल की धड़कन उसे सॉफ
सुनाई दे रही थी ..
अपनी िनचली कमर को धीरे -2 चलाते ए वो उसकी गां ड पर अपने खड़े ए लंड से ठोकरे मार
रहा था ..
अपने हाथ को उसने धीरे -2 उपर करना शु िकया ...और जैसे ही उसके मोटे मु े से गंगू का
हाथ टकराया, वो लड़की एक जोरदार चीख मारती ई उससे िछटककर दू र जाकर खड़ी हो गयी
...और ज़ोर-2 से रोने लगी ..
वो लड़की रोते-2 चुप हो चुकी थी और है रानी से गंगू की तरफ दे खे जा रही थी ...जो अपने ही मुँह
पर बुरी तरह से थ ड़ मार रहा था ..
थोड़ी दे र बाद गंगू ने उसकी तरफ दे खा और बोला : "मुझे माफ़ कर दो...म बहक गया था ...''
वो लड़की कुछ दे र तक तो खड़ी रही िफर धीरे -2 चलती ई चारपाई तक आई और वहाँ सो गयी
..
दोनो के मन मे ना जाने ा -2 चलता रहा पर उसके बाद उ ोने आपस मे कोई बात नही की ..
सुबह जब गंगू 8 बजे उठा तो उसकी नज़र चारपाई की तरफ गयी, वो लड़की बेसूध सी होकर सो
रही थी .. शायद उन दवाइयों का असर था, जो उसने रात को ली थी, या िफर दे र रात तक जागने
की वजह से वो ऐसी नींद सो रही थी अब तक ..
वो ना े का इं तज़ाम करने के िलए बाहर िनकल गया ..और जब वािपस आया तो वो उठ चुकी थी
और बेस ी से उसका उं तजार कर रही थी ..
जैसे ही वो अंदर आया वो बोली : "कहाँ चले गये थे, मुझे उठा तो िदया होता ...''
गंगू : "ना े का इं तज़ाम करने गया था...ये लो ..''
अचानक वो लड़की धीरे से बोली : "सुनो ...वो रात वाली बात, दरअसल ...मुझे ....वो सब
....थोड़ा अजीब सा … ''
गंगू बीच मे ही बोला : "म समझ सकता , तुम िचंता मत करो, आज के बाद ऐसा नही होगा
...तु े घबराने की कोई ज़ रत नही है ...''
उसने राहत की साँ स ली ...और िफर बोली : "तु ारा नाम तो गंगू है ...पर मेरा नाम ा है ...''
गंगू कुछ दे र तक सोचता रहा और िफर बोला : "नेहा .... नेहा नाम है तु ारा ...''
ना ा करने के बाद गंगू ने उससे कहा : "चलो, नदी िकनारे चलते ह, वो कपड़े भी धोने ह, तुम
चाहो तो नहा भी लेना वहां , उसके बाद हॉ टल चलगे ...डॉ र साब ने कहा था की आज िदखा
दे ना एक बार ...''
उसने हाँ मे िसर िहलाया और अपने कपड़ों की पोटली उठा कर उसके साथ नदी िकनारे चल दी ..
वो बहती ई नदी, उनकी कॉलोनी के पीछे की तरफ थी, जहाँ झोपड़प ी के लोग नहाते-धोते और
अपने कपड़े सॉफ करते थे ...
गंगू के साथ उस लड़की को आता दे खकर सभी की नज़र उसी तरफ थी ...वो नेहा को ऐसे दे ख
रहे थे जैसे उसे आँ खों ही आँ खों मे चोद दगे ...
गंगू को अपनी तरफ िमल रही अटशन से काफी मजा आ रहा था, वो उसकी बीबी तो नही थी,
इसिलए उसे कोई फ़क नही पड़ रहा था की कोई उसे िकस नज़र से दे ख रहा है ...और नेहा भी
अपनी तरफ उठने वाली हर नज़र को दे खकर उतनी ही खुश हो रही थी, िजतनी आजकल की
नोजवान लड़िकयाँ अपनी तरफ िमल रही अटशन से होती है ..
वहां हर कोई खुले मे नहा रहा था..औरत और लड़िकयाँ भी लगभग नंगी होकर नहा रही थी ..15
साल के आस पास की लड़िकयाँ तो िसफ़ एक क ी पहन कर एक झंुड मे नहा रही थी ..उनकी
अधिव त चुिचयाँ ठं डे पानी मे भीगकर तनी ई थी ..िजनकी चुिचयाँ ादा मोटी हो चुकी थी
उ ोने टी शट या कोई महीन सा कपड़ा पहना आ था, िजसमे से उनके मु े साफ़ िदख रहे थे
..औरतों ने अपना पेटीकोट उपर तक बाँ धकर अपनी छाितयों को ढका आ था ..िजसकी वजह से
उनकी मोटी-2 जां घे साफ़ िदख रही थी सभी को … और भीगने के बाद उनके पेटीकोट के नीचे
छु पा खजाना भी ....ये नज़ारा दे खना गंगू का रोज का काम था ...उसने तो कई बार पानी के अंदर
ही अंदर उन लड़िकयों और औरतों को दे खकर मूठ मारी थी ..और काई बार तो कई औरतों के
साथ मज़े भी िलए थे ..झोपड़पि यों मे रहने वाले खुलकर मज़े लेते थे एक दू सरे से ..
नेहा बड़ी उ ुकतता से सभी को दे ख रही थी ..तब तक गंगू उसका हाथ पकड़कर एक कोने की
तरफ ले गया जहाँ ादा भीड़ नही थी और अपने कपड़े उतार कर नहाने लगा ...
नेहा ने पयज़ामा और टी शट पहनी ई थी ..वो ऐसे ही पानी मे उतर गयी ..हालाँ िक उसने अंदर
ा भी पहनी थी ..पर उसके िन ल शायद कुछ ादा ही ससेिटव और लंबे थे, वो दोनो कपड़ो को
झाँ ककर बाहर उजागर होने लगे ...वो जब पहली डु बकी लगाकर बाहर िनकली तो उसके
संगमरमरी बदन को दे खकर गंगू के जंगली लॅंड की हालत बेकाबू सी हो गयी ...वो धोती मे ही
फड़फड़ाने लगा ...अब उसने ये वादा तो कर िदया था की वो नेहा के साथ कोई ज़बरद ी नही
करे गा..पर अपने अंदर की बढ़ती ई हवस को वो कैसे समझाए ...उसके अंदर का जानवर बुरी
तरहा से गुरा रहा था नेहा का से ी शरीर दे खकर ..
वैसे दे खा जाए तो हर भले इं सान के अंदर एक जानवर होता है ..जो हर व सि ए रहता है ...ये
तो इं सान की इ ाश के उपर है की वो उसपर कब तक कंटोल रख पता है ...गंगू की भी यही
हालत थी ..
नेहा िदन-दु िनया से बेख़बर अपने बदन पर साबुन लगा-लगाकर नहा रही थी ..और वहाँ नहा रहे
दू सरे मद की भूखी नज़र उसके बदन को छे द कर उसका रसपान कर रही थी ..
उसने तुरंत घूम कर दे खा...वहाँ रजनी खड़ी थी ..िजसे ार से सभी लोग र ो कहते थे ..
वो उसकी कॉलोनी की सबसे हसीन औरतों मे से एक थी ...वो िबना ाउस के साड़ी पहन कर
नहा रही थी , और साड़ी भीगने की वजह से उसके मोटे मु े और उनपर लगे िन ल अलग ही
चमक रहे थे.
उसका अपािहज पित भी गंगू की तरहा ही सड़कों पर भीख माँ गता था ...उसका एक हाथ नही
था..और र ो बाजार मे मछली बेचती थी ..उसका मछली बेचने का तरीका भी से ी था ...वो
खुले गले का ाउस और पेटीकोट पहन कर बैठती थी बाजार मे ..और सामने खड़े ाहक को
उसके मोटे दू ध और िचकनी जां घे सॉफ िदख जाते थे ...इसिलए उसकी मछिलयाँ बाजार मे सबसे
पहले िबक जाती थी ..
गंगू के साथ उसका च र भी चल रहा था ...रात के समय गंगू कई बार उसकी झोपड़ी मे जाकर
ही उसे चोद चुका था ...उसका बेवड़ा पित जब शराब के नशे मे सो रहा होता था तो गंगू उसकी
बगल मे लेटकर ही उसकी बीबी को चोद रहा होता था ..
गंगू भी र ो की तरफ पलटा और बोला : "तुझे कैसे भूल जाऊंगा मेरी जान ...घर की दाल के
आगे तेरी िफश करी तो कमाल की लगेगी ...''
नेहा का ान अभी तक उनकी तरफ नही था ...ये दे खकर र ो ने एकदम से अपनी साड़ी को
अपनी छाितयों से हटा िदया, िजसकी वजह से उसके नंगे मु े एक पल के िलए गंगू की नज़रों के
सामने चमक गये ..और अगले ही पल उसने िफर से साड़ी अपनी छाितयों पर बाँ ध ली ..और पास
ही पड़ी ई एक बड़ी सी च ान के पीछे की तरफ चल दी ..
गंगू उसका इशारा समझ गया ....वो पहले भी काई बार उस च ान के पीछे उसकी चुदाई कर
चुका था ..पर उसे आज नेहा की भी िचंता थी ..उसने एक नज़र उसकी तरफ दे खा और िफर
अपने लॅंड की बात सुनकर वो भी च ान के पीछे की तरफ चल िदया ..
और गंगू को वहाँ ना पाकर अचानक ही 3-4 आदमी नेहा के आस पास मंडराने लगे ...
उनमे से एक था कॉलोनी का गुंडे िक का आदमी भूरे िसंह ..जो शायद अंडरव के िलए काम
करता था ..इसिलए सभी उससे डर कर रहते थे ..उसके पास एक िप ल भी थी, जो वो अपनी
शट के नीचे छु पा कर रखता था ..
दू सरी तरफ गंगू जैसे ही च ान के पीछे प ँ चा, र ो उससे िकसी बेल की तरह से िलपट गयी और
उसे चूमने लगी ...गंगू ने उसकी साड़ी उसकी छाितयों से हटा दी और उसके मोटे -2 मु ो को
चूसने लगा ...वहाँ उ े चुदाई के िलए ादा व नही िमल पाता था, इसिलए ज ी-2 करना
पड़ता था सब कुछ ..
और िसफ़ पाँ च िमनट के अंदर ही गंगू का तेल उसकी चूत के अंदर भरा पड़ा था ..
दू सरी तरफ भूरे िसंह िब ु ल पास प ँ च गया था नेहा के ..और उसके गोरे शरीर को दे खकर
उसकी आँ खे लाल सुख हो चुकी थी ...वो नहाने के बहाने इधर उधर डु बकी लगाता और नेहा के
आस पास जाकर िनकलता, इस तरह से वो उसके गुदाज िज को छूने मे कामयाब हो रहा था ..
नेहा भी थोड़ा िवचिलत लग रही थी ..उसने शायद ऐसी प र थितयों के बारे मे सोचा नही था...या
शायद जानती नही थी की इनसे कैसे िनपटा जाता है ...
अचानक भूरे िसंह पानी के अंदर गया और अंदर ही अंदर उसने नेहा की भरं वा गां ड को अपने
हाथों मे लेकर ज़ोर से दबा िदया ...
नेहा के अंदर एक िचंगारी सी सुलग उठी ... उसकी याद चाहे चली गयी थी पर उसके अंदर की
औरत ऐसे टच पाकर उ ेिजत होने लगी थी ...वो चाहकर भी अपनी उ ेिजत भावनाओ को
िनयंि त करने मे कामयाब नही हो पा रही थी ...
तक भूरे अपना सर पानी से बाहर िनकाल कर नेहा के पीछे खड़ा आ था , नेहा उसे दे ख तो नहीं
पा रही थी पर महसूस ज र कर रही थी
भूरे ने जब दे खा की नेहा अब ादा िवरोध नही कर रही है तो उसने अपने हाथ की उं गिलयों को
थोड़ा नीचे करते ए उसकी दोनो टाँ गो के बीच फँसा िदया और उसकी चूत के उपर रखकर अपने
हाथ से उसे जोरों से भींच िलया ...पानी के अंदर खड़ी ई नेहा अपने पंजों पर खड़ी हो गयी
....उसका मुँह खुला का खुला रह गया ...आँ खों मे गुलाबीपन उतर आया ...और साँ से तेज़ी से
चलने लगी ...
भूरे समझ गया की लोंिडया को मज़ा आने लगा है ...उसने अपनी उं गिलयों की िथरकन तेज कर दी
..उसे उसकी चूत पानी के अंदर भी िकसी भ ी की तरह सुलगती ई महसूस हो रही थी ..
पर तभी भूरे के एक साथी ने उसे आगाह िकया की गंगू वािपस आ रहा है .. भूरे ने बेमन से अपना
हाथ वहाँ से हटा िलया ..और पानी के अंदर एक डु बकी लगाकर दू र िनकल गया ...तािक गंगू उसे
नेहा के आस पास ना दे ख पाए ...बेचारी नेहा दे ख भी नहीं पायी की वो कौन इं सान था जो उसे
इतने मजे दे रहा था
गंगू और भूरे का एक दो बार झगड़ा हो चुका था पहले भी ..भूरे अपनी बदमाशी चलाता था पूरी
कॉलोनी मे..िसफ़ गंगू ही एक ऐसा श स था जो उससे डरता नही था ...इसिलए दोनो मे ठनी
रहती थी हमेशा ..
भूरे वहाँ कोई फ़साद खड़ा नही करना चाहता था इसिलए अपने दो ों के साथ वहाँ से िनकल गया
..
गंगू जब नेहा के पास प ँ चा तो उसके लाल चेहरे को दे खकर बोला : " ा आ ...तुम ठीक तो हो
ना ...''
वो अपनी सुख आँ खों से उसे दे खती रही ..पर कुछ बोली नही ...
घर प ँ चकर उसने अपने कपड़े उतार िदए ..और िसफ़ पटी और ा मे खड़ी होकर अपना बदन
सूखाने लगी ..
गंगू ने भी दू सरी तरफ मुँह िकया और अपना बदन पोंछते ए उसने अपनी धोती खोल कर साईड
मे रख दी ..वो िब ु ल नंगा था अब ..
उसने थोड़ी दे र पहले ही चुदाई की थी ..इसिलए उसका लॅंड बैठा आ था ...पर बैठे ए भी वो
िकसी मोटे पाईप की तरहा लटका आ काफ़ी ख़तरनाक लग रहा था ...
नेहा की नज़र एकदम से उस तरफ चली गयी ..जब गंगू अपना अंडरवीयर उठा कर पहन रहा था
..
उसके लटके ए हिथयार को दे खकर उसकी चूत मे एक टीस सी उभरने लगी ..उसने शायद
पहली बार इतना बड़ा लॅंड दे खा था ...काला भसंड था गंगू का लॅंड ...दे खने मे काफ़ी भयानक सा
लग रहा था ...पर ना जाने उस भयानक लॅंड को दे खकर भी नेहा की चूत अपना रस िनकाल रही
थी ..ये कुदरती बात थी ..जो उसकी समझ से परे थी ..
गंगू कुछ खाने का समान लेने के िलए बाहर िनकल गया ..और पीछे से नेहा ने अपने अंगव भी
उतार कर बदल िलए और गंगू का लाया आ घाघरा चोली पहन कर बैठ गयी ..
ना ा करने के बाद गंगू जैसे ही बाहर जाने के िलए िनकलने लगता है तो नेहा उससे बोली : "कहाँ
जा रहे हो ...''
गंगू : "मैने तु े बताया था ना अपने काम के बारे मे ...बस वही जा रहा ..भीख माँ गने ...अब
इस अपािहज को कोई काम तो दे ता नही है ...''
गंगू उसकी तरफ है रानी से दे खने लगा ....और बोला : "तुम ा करोगी ...ये तु ारा काम नही है
....''
नेहा : "म घर पर ा क ँ गी ....ले चलो ना मुझे भी साथ ...शायद तु ारी कुछ मदद ही कर दू
...''
गंगू को ा परे शानी हो सकती थी ....उसके शाितर िदमाग़ मे अचानक ये ख़याल आया की उसके
साथ इतनी सुंदर लड़की को दे खकर शायद उसे ादा भीख िमलने लग जाए ... ोंिक कॉलोनी मे
जो दू सरे िभखारी थे, िजस िजसके साथ उनकी बीबी या या जवान बेटी जाती थी, वो ादा कमा
कर ही आते थे वािपस ...
दोनो झोपड़प ी से िनकल कर मैन रोड पर आ गये . यही से गंगू अ र भीख माँ गने की शु वात
करता था ..वहाँ एक चोराहा था, और रे ड लाइट लगभग 2 िमनट की होती थी...इसिलए काफ़ी
व िमल जाता था हर गाड़ी के पास जाकर भीख माँ गने का ..
गंगू जब वहाँ प ँ चा तो पहले से ही 3-4 िभखारी उस जगह पर भीख माँ ग रहे थे ..गंगू उन सभी
को जानता था ..उन िभखा रयों ने जैसे ही गंगू को एक सुंदर सी लड़की के साथ आता आ दे खा वो
अपना काम छोड़कर उ े ही दे खने लगे ...
नेहा िकसी भी एं गल से िभखारी नही लग रही थी .. गंगू ने उसे फूटपाथ पर खड़े होने के िलए कहा
और उसे समझाया की पहले दे ख लो की म कैसे भीख माँ गता ..िफर तुम भी टाइ करना ..
ऐसा कहते ए गंगू को मन ही मन हँ सी भी आ रही थी ..वो सोच रहा था की ये इतने अमीर घराने
की लड़की लगती है ..पर याद खो जाने की वजह से कैसे काम करने पड़ रहे ह इसको ..शायद
ये भी नही जानती की भीख माँ गना इस समाज का सबसे िगरा आ काम है जो वो करने जा रही है
..पर इस बात से गंगू को कोई फ़क नही पड़ रहा था ..आिख़र वो उसकी मदद ही तो कर रहा था
..वो ना होता तो उसकी इ त लुट गयी होती ..शायद वो आदमी उसको मार ही दे ता उसका रे प
करने के बाद ...उसने नेहा की इ त ही नही बचाई ब उसे रहने के िलए अपनी झोपड़ी मे
जगह भी दी है ..अब वो अगर उसकी मदद कर रही है तो इसमे बुरा ही ा है ..
नेहा ने नोट िकया की भीख माँ गते ए गंगू के चेहरे के ए ेशन बदल गये ह ..उसकी टाँ ग मे
थोड़ा और लड़कपन आ गया है ..उसकी आवाज़ भी कमजोर सी हो गयी है ..और बोलते ए वो
अपने हाथों को भी धीरे -2 उपर नीचे कर रहा था ..यानी कुल िमलकर वो अपनी बदहाल िजंदगी
का वा ा दे कर भीख माँ ग रहा था ..
वो एक गाड़ी के पास गया ...उसने उसे भगा िदया...िफर दू सरी गाड़ी के पास गया ..उसने भी
भगा िदया ...िफर गंगू एक गाड़ी के पास गया िजसमे साथ वाली सीट पर एक बुडी औरत बैठी थी
...वो उसकी तरफ का शीशा खटकाने लगा ...उसने गंगू की हालत दे खी और शीशा नीचे करते
ए उसके हाथ मे पाँ च का िस ा रख िदया ..गंगू ने झुक कर उसका आभार कट िकया ..और
आगे चल िदया ..
नेहा ये सब काफ़ी गौर से दे ख रही थी ..उसने अपने कपड़ो की तरफ दे खा जो िब ु ल सॉफ सुथरे
थे ..कही से फटे भी नही थे और उसका चेहरा भी दू सरे िभखा रयों की तरहा गंदा नही था ..
िजसको दे खकर सुबह से ना जाने िकतने लोग लार टपका रहे थे ..उसे इस बात का अंदाज़ा तो हो
ही चुका था की इं सान की गंदी नज़र उसके गोरे िज को चोदने मे लगी ई है ...अब उसके पास
िभखा रयों की तरहा गंदा िज या कोई टू टा फूटा अंग तो था नही िजसकी सहानभूित बटोर कर वो
भीख माँ ग सके ...जो कुछ भी था वो उसका िज ही था ...
उसने घाघरा चोली पहना आ था ..और उपर से ॉस करते ए उसने अपनी छाितयों पर दु प ा
भी लपेटा आ था ..नेहा ने वो दु प ा हटा िदया ...िजसकी वजा से उसके मोटे -2 मुममे कसी ई
चोली मे िदखने लगे ...िचलिचलाती ई धूप मे उसका गोरा बदन चमक रहा था ..
गंगू एक कार के पास प ँ चा ...िजसमे एक मोटा सा आदमी बैठे ए िसगरे ट पी रहा था ..उसका
एसी चल रहा था और उसने अपनी होंडा िसटी का शीशा खोल रखा था ..
गंगू उसके पास गया और और दोनो हाथ जोड़कर उससे भीख माँ गने लगा ..मोटे आदमी ने उसको
िझड़क िदया ..वो आगे जाने ही वाला था की तभी पीछे से नेहा की मीठी आवाज़ आई ..
गंगू ने झट से पलटकर पीछे दे खा ...नेहा अपनी गोल-2 आँ खे नाचा कर उसको दे खने लगी ..
वो नेहा को घूरता रहा और िफर उसका हाथ अपनी उपर वाली जेब मे गया और उसने एक नोट
िनकाल कर नेहा के हाथ मे रख िदया ...और रखते ए उसने अपनी उं गिलयों से उसके हाथ को
रगड़ भी िदया ...नेहा के िलए ये थोड़ा अजीब था पर िफर भी वो कुछ ना बोली ..तभी ीन लाइट
हो गयी और वो कार आगे चली गयी .
उसके जाने के बाद गंगू ने जैसे ही उसके हाथ मे पकड़ा आ नोट दे खा उसकी आँ खे फटी की
फटी रह गयी ...वो 100 का नोट था ..इतने पैसे भीख मे िमलना हर िकसी की िक त मे नही
होता ...वो खुशी से फूला नही समा रहा था ..
नेहा की पहली भीख की कमाई के िलए उसने उसे शाबाशी दी ..और िफर दोनो िमलकर दू सरी
तरफ के िस ल पर जाकर भीख माँ गने लगे ...अगले दो घंटे मे ही उन दोनो ने िमलकर लगभग
800 पय कमा िलए ...नेहा को दे खकर हर कोई भीख दे रहा था ...कोई 10 दे ता तो कोई बीस
और कोई 50 भी दे ता ...
दोनो ने अपने-2 पैसे समेटे और मैन रोड से िनकलकर माकट की तरफ चल िदए ..
माकट मे एक रे हडी वाला आलू पूरी बेच रहा था ..गंगू और नेहा ने वहीं बच पर बैठकर आलू पूरी
खाए ..गंगू जब भी खुश होता था तो यही आकर खाना खाया करता था ..नही तो ादातर दोपहर
मे भूखा ही रह लेता था वो ..
गंगू ने नेहा से पूछा : "तु े कोई परे शानी तो नही ई ना ....वो सब करते ए ...मतलब भीख
माँ गते ए ..''
नेहा बोली : "तुम भी तो ये काम रोज करते हो ...जब तु े कोई परे शानी नही है तो मुझे ा होगी
..''
पािकग के अंदर जा रहा हर आदमी नेहा को घूर-2 कर दे ख रहा था ...िफर जैसे ही नेहा अपने
हाथ आगे करती वो उसके हाथ मे नोट पकड़ा दे ते ...दस के नोट की तो ग ी बन गयी थी गंगू की
जेब मे ...
शाम तक उ ोने काफ़ी पैसे इक े कर िलए और िफर जब अंधेरा होने लगा तो दोनो वािपस अपने
झोपडे की तरफ चल िदए ..
जाते ए गंगू माकट से होता आ गया ..जहाँ र ो रोज की तरह म ी बेच रही थी ..
गंगू ने एक नज़र नेहा की तरफ दे खा और िफर झुककर र ो के सामने बैठ गया और बोला : "मन
तो कर रहा है की सब कुछ उठा कर ले जाऊ यहा से ....पर अभी के िलए तू ये तोल दे बस ...''
वो है रत से उसे दे खने लगी ...गंगू कई बार उसके झोपडे मे जाकर उसकी चुदाई कर चुका था
और वो भी कई बार उसके पास आ चुकी थी ..और आज सुबह तो दोनो ने नदी के िकनारे भी
खुलकर चुदाई की थी ..
र ो है रान थी की वो अपनी प ी के होते ए ो उसे अपने झोपडे मे बुला रहा है ... ा उसे डर
नही लगता ..उसकी प ी को पता चल गया तो ा होगा ...
िफर उसने सोचा 'पता चलता है तो चलने दे ...वो अगर खुद ही अपनी प ी के होते ए उसे बुला
रहा है तो ज़ र उसने कुछ सोच कर ही ये कदम उठाया होगा ...'
और वैसे भी सुबह की आधी-अधूरी चुदाई के बाद से उसकी चूत अब तक सुलग रही थी ..उसका
बस चलता तो वो पूरी म ी अपनी चूत के अंदर घुसा लेती ...पर अब गंगू के लंड की आस िमल
चुकी थी उसको ...इसिलए वो मन ही मन खुश होते ए हाँ मे इशारा करके मछली तोलने लगी ..
उसके बाद गंगू और नेहा घर की तरफ चल िदए ...आज काफ़ी पैसे इक े हो गये थे गंगू के पास
....वो िकचन मे इ ेमाल होने वाली हर चीज़ को इक ा करते ए घर की तरफ चलने लगे ...रा े
से उसने एक शराब की बोतल भी खरीद ली ...
गंगू के पास एक पुराना ोव पड़ा था, िजसमे उसने तेल डालकर चालू कर िदया और िफर चावल
और मछली बनाने लगा ...आज काफ़ी सालो के बाद वो िकचन का काम कर रहा था ..पर िफर भी
उसे कोई परे शानी नही हो रही थी ..नेहा उसके पास बैठी ई दे ख रही थी .
खाना बनकर जब तैयार आ तो गंगू ने अपने कपड़े बदलने की सोची..
अपने भीख माँ गने वाले गंदे कपड़े वो अलग ही रखता था ...उसने वो सारे कपड़े उतार िदए ..
अचानक गंगू ने अपना अंडरवीयर भी उतार िदया ...नेहा एकदम से सकपका गयी ..और उसने
अपना चेहरा दू सरी तरफ घुमा िलया ..पर िफर धीरे से पलटकर वो दोबारा वहीं दे खने लगी ..
गंगू का लंड खड़ा हो चुका था ...वो नेहा की तरफ नही दे ख रहा था पर िफर भी जानता था की वो
उसे ही दे ख रही है ...अपने खड़े ए लंड को वो अपने हाथ मे लेकर पूचकारने लगा ...
नेहा चारपाई पर बैठ गयी ...अब वो भी खुलकर गंगू को दे ख रही थी ..गंगू तो ऐसे िबहे व कर रहा
था जैसे उसे कोई फ़क ही नही पड़ता अपने नंगेपन से ...
गंगू ने अपना पयज़ामा और एक पुरानी सी टी शट पहन ली ...और बतन िनकालने लगा ..और नेहा
से बोला : "तुम भी अपने कपड़े बदल लो ...िफर खाना खाते ह ...''
नेहा सकुचाती ई सी उठी ..और झोपड़ी के दू सरे िकनारे पर जाकर खड़ी हो गयी ...
अब गंगू की नज़र उसकी तरफ थी ..वो अपनी बोतल खोलकर आराम से उसको कपडे बदलते ए
दे खने लगा, नेहा ने अपनी चोली उतार दी ..और जैसे ही उपर का टॉप पहनने लगी ..गंगू बोला :
"ये ा भी उतार दे ...रात को सोते ए तकलीफ़ होती है नही तो ..''
नेहा ने उसकी तरफ दे खा और िफर दू सरी तरफ घूम कर उसने अपनी ा भी उतार दी ..इसी बीच
गंगू ने बड़ी चालाकी से उसके पीछे जाकर उसका टॉप उठा िलया और वािपस अपनी जगह पर
आकर बैठ गया ..
नेहा ने जब अपना टॉप उठाना चाहा तो वहाँ वो नही था ...वो घूम-2 कर अपना टॉप दे खने लगी
...उसने अपने हाथों से अपनी े को ढक िलया था ..और कभी इधर जाकर और कभी उधर
जाकर अपना टॉप दे खने लगी ..
गंगू उसके अधन िज को बड़े घूरकर दे ख रहा था ..िफर उसने ज ी से वो टॉप चारपाई के
नीचे फक िदया ..और बोला : "वहाँ दे खो ...शायद उधकर चारपाई के नीचे चला गया है ...''
नेहा अपने मु ों को अपने हाथों मे पकड़े -2 ही नीचे झुकी और उसे अपना टॉप िदखाई दे गया
...उसने एक हाथ को ज़मीन पर रखा और दू सरे को आगे करते ए अपना टॉप उठा िलया ..
नेहा ने ज ी से अपना टॉप उठाया और पहन िलया ...उसके बाद अपना घाघरा भी उतार िदया
और वही पुराना पयज़ामा पहन िलया ..
दोनो ने िमलकर खाना खाया ....गंगू ने सचमुच काफ़ी ािद खाना बनाया था ...नेहा ने उसकी
तारीफ की और साथ ही साथ उसकी नज़रों ने उसके खड़े ए लंड को भी दे खा, जो शायद उसके
मोटे मुममे दे खकर अभी तक बैठने का नाम नही ले रहा था .
नेहा खाना खाने के बाद ज ही सो गयी...और गंगू इं तजार करने लगा र ो का .
अब आगे
***********
नेहा को सोते ए दे खकर गंगू अपने लंड को मसल रहा था ... उसके ालो मे तो उस व र ो
ही नंगी होकर नाच रही थी..पर नंगी आँ खो के सामने नेहा थी जो अपनी कीमती जवानी जो समेटे
इ नान से सो रही थी ..
उसके उपर नीचे होते सीने को वो बड़ी ही ललचाई ई नज़रों से दे ख रहा था .. गंगू खसक कर
चारपाई के पास आ गया .. उसके चेहरे से िसफ़ एक फुट की दू री पर था नेहा का चेहरा .. उसकी
ीवेज़ की लकीर को दे खकर उसके मुँह मे पानी आ रहा था .. गोल-2 मु ों के बीचो बीच उसने
अपनी नज़र गाड़ दी..वो उसके िन ल खोजने की कोिशश कर रहा था की वो इस व कौनसी
जगह पर होंगे ..पर वहाँ का ए रया इतना सपाट सा था की उसे समझ ही नही आ रहा था की वो
कहाँ पर है .. उसके मन मे एक िवचार आया .. था तो तोड़ा ख़तरनाक पर िफर भी उसने चा
लेने की सोची ..
वो अपनी उं गली धीरे से उसके मु े के उपर लेकर आया और बीचो बीच लाकर सहलाने लगा ..
नेहा नींद मे ही थोड़ी दे र के िलए कु ुनाई ... गंगू ने अपना हाथ फ़ौरन खींच िलया और नीचे होकर
सो गया ..
थोड़ी दे र मे जब कोई िति या नही ई तो वो िफर से उठा और दोबारा अपनी उं गली उसके मु े
के उपर रखकर रगड़नी शु कर दी ... और िसफ़ दस सेकड के अंदर ही उसके मु ों पर लगे
िन ल उभर कर सामने आ गये ... अब उसने अपनी उं गली हटा ली और बड़े ही ार से उसके
मु ों को दे खने लगा ..
गंगू की िह त बढ़ गयी ...उसने उसके उभरे ए िन ल अपने अंगूठे और उं गली के बीच फँसाए
और उ ज़ोर से भींच िदया और प रणाम प नेहा एकदम से उछल कर बैठ गयी ..
गंगू फ़ौरन नीचे लेट गया .. जब तक नेहा की आँ खे पूरी खुली वो सोने का नाटक कर रहा था
..गहरे खराटे भी मारने लगा ..
नेहा ने अपने िसर को झटका और सोचा की शायद उसने कोई सपना दे खा होगा .. पर िफर
उसका ान अपने खड़े ए िन लों पर गया , वो खुद पर ही शमा गयी की कैसे सपना दे खकर भी
उसके िन ल खड़े हो गये ह ...
वो पानी पीने के िलए उठी .. िफर उसे ज़ोर से पेशाब लगा ...उसने गंगू को उठाना ठीक नही
समझा और अकेली ही बाहर िनकल आई ..
आिख़र उसने अपने िदल की बात ना मानते ए अपने खड़े ए लंड की बात मान ली और वहीं
बैठकर र ो का इं तजार करने लगा, उसे िचंता थी की कहीं पीछे से र ो आए और उसे घर मे ना
पाकर वािपस चली गयी तो उसके लंड का ा होगा, आगे के िलए भी र ो नाराज़ हो जाएगी और
उसके िह े कुछ भी नहीं आएगा.
उधर नेहा काफ़ी तेज़ी से चलती जा रही थी, उसे बड़ी ज़ोर से पेशाब लगा था उस व ..आिख़र वो
उस जगह प ँ च ही गयी जहा वो पोटबल टॉयलेट्स बने ए थे.
वो उपर चढ़ी तो दे खा की उसके उपर ताला लगा आ है ..उसने सारे टॉयलेट चेक कर िलए पर
सभी मे ताला लगा आ था .
वो परे शान हो उठी..उसे बड़ी ज़ोर से पेशाब लगा था, उससे का नही जा रहा था ..उसने अपनी
नज़र इधर उधर घुमाई और जब वो िनि हो गयी की कोई भी उसको नही दे ख रहा है तो वो एक
कोने मे जाकर अपना पायजामा नीचे करते ए ज़मीन पर ही बैठ गयी और उसकी चूत से गम पानी
की तेज बौछार बाहर की और िनकलने लगी.
नेहा की तो िगघी बंध गयी...एक तो अंधेरे की वजह से पहले ही उसकी फटी ई थी, अपनी आँ खो
के सामने अचानक आई मुसीबत को दे खकर उसकी समझ मे नही आया की वो करे तो ा करे ..
वो जड़वत सी होकर वहीं बैठी रह गयी ..उसकी आँ खे और मुँह भय के मारे खुले के खुले रह गये
..
पर वो इं सान भी काफ़ी तेज तरार था , उसने अगले ही पल नीचे झुककर उसके बॉल पकड़े और
ज़ोर से पीछे की तरफ खींच िदया, नेहा के मुँह से एक जोरदार चीख िनकल गयी...पर अगले ही
पल वो चीख दब कर रह गयी जब उस आदमी ने उसके खुले ए मुँह के अंदर अपना लंड ठूस कर
उसे बंद कर िदया
नेचा बेचारी वहीं फड़फडा कर रह गयी, दु गध से भरा आ लंड उसके मुँह के अंदर था, वो साँ स
भी नही ले पा रही थी, अपने मुँह मे इक ी ई थूक को भी नही िनगल पा रही थी ोंिक वो लंड
था ही इतना मोटा जैसे कोई भु ा उसके मुँह के अंदर डाल कर उसे बंद कर िदया गया हो...
उसने बड़ी मु ल से साँ स लेते ए अपनी थूक िनगली और उसके साथ ही उस आदमी को अपने
लंड पर पहली चुसाई नसीब हो गयी.
एक दो बार चूसने के बाद वो थोड़ा नॉमल ई..पर जैसे ही वो उस लंड को बाहर िनकालने लगी,
वो आदमी गुराया : "चुपचाप चूसती रह साली ....वरना यही मार दू ँ गा ..''
और इसके साथ ही उसने अपने हाथ मे पकड़ी ई रवॉ र उसके िसर पर लगाई और उसे जान
से मारने की धमकी दी.
वो इं सान और कोई नही, भूरे िसंग था, जो अ र रात के समय अपने दो ों के साथ िमलकर
सरकारी टॉयलेट्स पर ताले लगा दे ता था, तािक झु ी की औरत बाहर पेशाब कर, और जब वो
औरत पेशाब कर रही होती थी तो उन
आधी - नंगी औरतों की लाचारी का लाभ उठाकर वो उ चोद सके ..और इस काय मे वो अ र
सफल भी होते थे ...
आज जब भूरे िसंग ने दे खा की नेहा ज बाज़ी मे पेशाब करने के िलए उसी तरफ आ रही है तो
उसकी बाँ छे खल उठी...
उसने ज ी से अपने चेले-चपाटों को वहाँ से भगा िदया, ोंिक जब से उसने नेहा को नहाते ए
छे ड़ा था, उसके अंदर उसे चोदने की खुरक मची ई थी...वो आज िकसी भी हालत मे उसकी
जवानी का रसपान करना चाहता था ..
उसके चेले उसकी बात मानकर वहाँ से भाग गये, और जैसे ही नेहा पेशाब करने के िलए वहाँ बैठी,
वो अपना लंड झूलाता आ उसके सामने प ँ च गया.
नेहा को इन सबका कोई ान नही था...या ये कह लो कोई ान रह नही गया था उसकी यादा
गूमने के बाद ...
उसके मुँह के अंदर लंड था , पर उसका करना ा है वो नही जानती थी, साँ स लेने की ज़ रत मे
वो कब उस लंड को चूसने लगी, उसे भी नही पता चला, उसे बस इतना पता था की जब तक वो
उस लंड को चूस रही है वो आदमी िससका रयाँ ले रहा है , यानी उसे मज़ा िमल रहा है ..जब भी वो
बीच मे कती वो उसके बालों को ज़ोर से पकड़कर खींचता ..और िफर से उसकी कनपटी पर
िप ल लगा दे ता.
भूरे तो ग मे उड़ रहा था, नेहा के मुलायम होंठ और गम जीभ का एहसास उसके लंड को ऐसा
तडपा रहे थे की उससे स नही हो रहा था ...वो अ र अपने िशकार से पहले अपना लंड चु ाता
और िफर बाद म उसकी चूत मारता ...
पर आज तो उसका मन ही नही कर रहा था की नेहा के मजेदार मुँह से अपना लंड बाहर
िनकाले..वो झटके पर झटके िदए जा रहा था उसके मुँह के अंदर ...
अचानक उसे महसूस आ की वो अब और कंटोल नही रख पाएगा अपने उपर ...उसने सोचा की
चलो पहले इसके मुँह के अंदर ही अपना माल िनकाल लेते ह, उसके बाद िफर से अपना लंड चु ा
कर खड़ा करवा लूँगा और िफर इसकी चुदाई क ँ गा जी भर कर ..
इतना सोचते -2 उसके लंड से गरमागम वीय की िपचका रयाँ िनकलकर नेहा के मुँह मे जाने लगी
...नेहा को उ ी सी आने को हो गयी जब उसके मुँह मे एकदम से इतना वीय इक ा हो गया
...उसने खाँ सते ए भूरे का लंड बाहर धकेल िदया ... पर भूरे भी कहाँ मानने वाला था, उसने बची
ई िपचका रयों से उसके चेहरे को पूरी तरह से रं ग िदया .....
उसके बाद भूरे ने उसके बाल पकड़कर उसे उठाया और उसे साथ की ही दीवार से सटा कर खड़ा
कर िदया, वो कुछ सोच पाती इससे पहले ही भूरे ने अपना मुँह आगे िकया और उसके नम मुलायम
होंठों को अपने मुँह मे दबोच कर ज़ोर-2 से चूसने लगा .... वो कसमसा कर रह गयी... पर अगले
ही पल उसके मुँह से एक जोरदार िससकारी िनकल गयी ोंिक भूरे का पंजा सीधा उसकी नंगी
चूत पर आ िचपका था ..उसका पयज़ामा अभी तक उसके घुटनों के नीचे था, और पेशाब करने की
वजह से उसकी चूत अभी तक गीली थी ...
जैसे ही भूरे ने अपना पंजा वहाँ रखा, उसने अपनी एक उं गली सीधी करते ए उसकी चूत के अंदर
घुसेड दी िजसकी वजह से नेहा के मुंह से िससकारी िनकल गयी थी ...
अपने अंदर आए नये मेहमान को दे खते ही नेहा की चूत की दीवारों ने रस बरसाना शु कर िदया
और एक ही पल मे उसकी चूत मीठे शरबत से सराबोर होकर टपकने लगी ..
जब तक वो भूरे का लंड चूस रही थी, उस व तक िसफ़ भूरे को भी मज़े िमल रहा थे ...पर जैसे
ही भूरे ने नेहा की चूत के अंदर अपनी उं गली डाली,उसके अंदर छु पी ई औरत को मज़े िमलने
शु हो गये ...जहाँ पहले उसके मुँह से चीखे िनकल रही थी अब वहीं उसके मुँह से िससका रयाँ
िनकलने लगी थी .
भूरे तो पहले से ही जान चुका था की ये लड़की काफ़ी गम है , ोंिक जब उसने नदी मे भी उसकी
चूत के अंदर उं गिलयाँ डाली थी तो उसके चेहरे और आँ खों मे जो गुलाबीपन आया था, वो अभी
तक भूला नही था, शायद इसिलए उसकी िह त आज इतनी हो गयी थी की वो उसे ऐसी हालत मे
प ँ चा कर मज़े ले रहा था.
भूरे ने उसके होंठों को चूसते ए अपने लंड से िनकले पानी का भी ाद चख िलया ...उसके मीठे
होंठों को चू र उसे जो तृ िमली थी, वो आज तक िकसी को चोदकर भी नही िमली थी ...उसने
अपनी उं गिलयों की िथरकन उसकी चूत के अंदर और तेज कर दी ..और प रणाम प नेहा ने
उसके चेहरे को ज़ोर से दबोचा और भूखी शेरनी की तरह टू ट पड़ी उसके होंठों पर ...
घनी दाढ़ी - मूँछ के होते ए भी वो उसके होंठों को ऐसे चूस रही थी जैसे उनमे से अमृत िनकल
रहा हो...उसकी मूँछ के बॉल भी उसके मुँह मे जा रहे थे पर उसे कोई फ़क ही नही पड़ रहा था,
उसपर तो जैसे कोई भूत सवार हो गया था ...वो सब कुछ भूलकर बड़ी बेदद से भूरे को चूसने मे
लगी ई थी .
भूरे ने अपना लटका आ लंड उसके हाथ मे दे िदया और उसे उपर नीचे करते ए उसे इशारे से
समझाया की ऐसे करती रहो ...और िफर उसके हाथ मे अपने लंड को छोड़कर उसने अपने हाथ
उपर िकए और उसके मु ों पर लगा कर उ े दबाने लगा .
भूरे का खड़ा होता आ लंड अचानक िफर से बैठ गया....उसे तो इतना गु ा आया की मन तो
करा की वहीं के वहीं गंगू को ठोक डाले ...
पर वो कोई बखेड़ा नही चाहता था ...उसने ज ी से अपने लंड को अंदर ठूँसा और नेहा के चुंगल
से अपने आप को बड़ी मु ल से छु ड़वाया ...वो तो उसकी उं गली को अपनी चूत से िनकालने को
तैयार ही नही थी ..गंगू की खुरदू री और मोटी उं गली जब घ े लगाती ई बाहर आने लगी तो वो
अपनी उ ेजना की चरम सीमा पर प ँ च गयी....वो भूरे िसंह के बदबूदार होंठों को आइ ीम की
तरह चाटने लगी..उ े चूसने लगी...पर भूरे अब वहाँ ककर फँसना नही चाहता था, उसने नेहा
को ध ा िदया और अंधेरे का लाभ उठाते ए वहाँ से भाग िनकला.
नेहा को मज़ा िमलते-2 रह गया...जब भूरे ने नदी मे उसकी चूत की मािलश की थी, तब भी उसकी
हालत बुरी हो गयी थी और आज भी जब उसने उसके िज को ऐसे मज़े िदए ... पर वो झड़ नही
पाई थी. अपने शरीर को िमले अधूरे मज़े की वजह से वो बेचारी वहाँ बुत सी बनकर खड़ी रह गयी
...
वो तो जानती भी नही थी की आज भी उसके शरीर के साथ खलवाड़ करके मज़े दे ने वाला भूरे
िसंह ही था ..
वो अगर गंगू की असली प ी होती या उसकी याद सही होती तो वो उसी व उनका भां डा
फोड़ दे ती ...पर उसकी समझ से वो सब बाते परे थी ..इसिलए वही छु पकर उनका तमाशा दे खने
लगी ...
वैसे इस तरह के से के िक े उसे उ ेिजत ही करते थे ...िपछले दो िदनों मे िजस तरह से गंगू
के साथ रहते ए और आज रात को उस अंजान आदमी से अपनी चूत मसलवा कर जो मज़े उसे
िमले थे,वो उसे अंदर तक रोमां िचत कर रहे थे..
इसिलए उन दोनो को ार करते दे खकर वो िफर से उसी रोमां च से भर उठी और उसका हाथ
अपने आप िफर से अपनी चूत की तरफ बढ़ गया.
गंगू और र ो से भी स नही हो रहा था ...ख़ासकर र ो से..उसकी चूत की आग आजकल
इतनी भड़की ई थी की िदन मे दो-चार बार जब तक वो इधर उधर से चुदवा नहीं लेती थी उसको
चैन ही नही पड़ता था...और गंगू से चुदाई तो उन सभी के आगे फीकी थी..इसिलए उसके लंड को
लेने का सोभा वो नही छोड़ना चाहती थी ...उसने अपनी चोली और घाघरा एक ही झटके मे
उतार फका ..नीचे से वो पूरी तरह से नंगी थी ..
गंगू ने भी अपनी धोती और कुता उतार फका और वो भी पूरी तरह से नंगा हो कर अपने लंड को
मसल कर उसके मखमली बदन को दे खने लगा..
र ो धीरे -2 चलती ई उसके सामने आकर िकसी कुितया की तरह बैठ गयी और अपनी गां ड हवा
मे उठा कर , अपना िसर नीचे करते ए उसने गंगू के लंड को अपने मुँह मे भरकर एक जोरदार
चु ा मारा
िजस तरहा से र ो लंड चूस रही थी, नेहा के होंठ भी गोल मु ा मे आकर हवा मे ही उपर नीचे
होने लगे...जैसे वो कोई अि लंड को चूस कर उसका मज़ा ले रही हो ..पर साथ ही साथ उसके
हाथ अपनी चूत की मािलश करना भी नही भूल रहे थे ..उनपर भी उसकी उं गिलयों की िथरकन
उसी अंदाज मे हो रही थी िजसमे उसके मुँह की हरकत..
उसने लाख कोिशश कर ली पर गंगू अपने लंड को इधर-उधर करके उसे अंदर जाने से रोक रहा
था...वो उसे और भी ादा तडपा रहा था .. ोंिक औरत िजतनी ादा तड़पित है वो चुदाई मे
उतना ही मज़ा दे ती है ..ये गंगू अ ी तरह से जानता था .
जो अपनी चूत को मसलते-2 उसे नंगा कर चुकी थी ..और अब वो भी वहीं ज़मीन पर बैठकर
अपनी चूत को खोलकर बुरी तरह से मूठ मार रही थी ..
वो तो उसके लंड के िलए तड़प रही थी...पर जैसे ही अपनी चूत पर उसके गीले होंठ आकर लगे,
र ो को ऐसा महसूस आ की उसकी सुलगती ई चूत पर िकसी ने पानी का छींटा मारकर उसे
ठं डक प ँ चा दी है ..वो उसके िसर को अपनी मुिनया के अंदर घुसेड कर ज़ोर से ची ार उठी ...
गंगू ने र ो की चूत की सारी मलाई खाने के बाद उसे पलट कर घोड़ी बनाया और खुद उसके
पीछे जाकर अपने लंड को घुसेड़ने लगा..
चूत पूरी तरह से सूख चुकी थी ..इसिलए लंड को जाने के िलए जगह नही िमल पा रही थी ..
गंगू : "चुप कर साली ....अ बल मे आकर तेरी चुदाई घोड़ी की तरह से ना की तो मज़ा ही नही
िमलेगा...''
इतना कहकर उसने अपने लंड पर ढे र सारी थूक मली और िफर से उसकी गां ड को उचका कर
उपर करते ए उसकी चूत पर अपना लंड रख िदया...और एक जोरदार झटके के साथ उसके
अंदर दा खल हो गया..
र ो जैसी रां ड़ भी िच ा उठी उसके इस हार से...उसकी चूत की दीवारों की ध याँ उड़ाता
आ उसका रॉकेट अंदर तक जाकर धँस गया..और िफर उसने उसकी फैली ई गां ड को पकड़ा
और ज़ोर-2 से ध े मारकर उसकी चुदाई करने लगा..
बेचारी र ो का तो बुरा हाल था...घोड़े जैसे गंगू से चुदाई करवाकर वो हमेशा 2-3 बार तो झड़ ही
जाती थी ...आज भी चुदाई करवाते ए वो 3 बार झड़ चुकी थी ..
कुल िमलाकर उसकी आँ खे खुल चुकी थी अब...वो जान गयी थी की काम ि या से िमलने वाले
मज़े ही असली मज़े ह...और अब वो िकसी भी हालत मे ऐसे मज़े लेने से पीछे नही हटे गी..
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अब आगे
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अगले िदन सुबह के 9 बजे िकसी ने गंगू के झोपडे का दरवाजा ज़ोर-2 से खड़काया... गंगू अपनी
दे र रात की चुदाई के बाद इतना थक चुका था की वो घोड़े बेचकर सो रहा था..नेहा भी दे र से सोई
थी , पर औरतों की नींद ादा क ी होती है , इसिलए वो अपनी आँ खे मलते ए उठ गयी और
बाहर िनकलकर दरवाजा खोला .
उसको तो कल रात से ही चैन नही िमल रहा था, जब से उसने नेहा की चूत को मसला था वो
अपनी उं गिलयों को सूँघकर और चाटकर उसकी चूत की खु बू को अपने जहन मे पूरी तरह से
उतार चुका था...और उसने कसम खा ली थी की जब तक वो उसकी चूत के अंदर अपना
रामपु रया लंड नही पेल दे गा, चैन से नही बैठेगा..
उसने अपने दो ो के साथ िमलकर एक योजना बनाई और उसी के अंतगत वो इतनी सुबह गंगू की
झोपड़ी मे प ँ च गया था.
अपनी रानी को दे खकर वो खुश हो उठा..नेहा ने जो टी शट पहनी ई थी, उसके अंदर ा नही
थी, सुबह का व था, िजस तरह से आदमी का लंड खड़ा होता है , उसके िन ल खड़े ए
थे..िज े दे खकर भूरे की आँ खों मे चमक बड़ गयी.
नेहा उसका नाम तो नही जानती थी पर दो िदन पहले जब वो नहाने गयी थी तो उसने िजस तरह के
मज़े िदए थे वो उसे अ ी तरह से याद थे ..वो मज़े याद आते ही उसके चेहरे पर एक मु ान आ
गयी, आँ खों मे गुलाबीपन उतर आया और िन ल थोड़ा और कड़क हो उठे .
अभी तो उस बेचारी को पता नही था की कल रात को उसकी चूत को मसलकर मज़े दे ने वाला
अजनबी भी वही था, वरना उसकी उ ेजना अपनी चरम सीमा पर प ँ च जाती ..और िन ल के
साथ -2 उसकी चूत भी गीली हो जाती.
भूरे : "नम े भाभी ....मेरा नाम भूरे िसंह है ...वो ....गंगू से कुछ काम था ....''
नेहा असमंजस की थित मे आ गयी...और उसे वहीं खड़ा रहने को कहकर अंदर आ गयी..
उसने गंगू की तरफ दे खा, जो खराटे मारकर सो रहा था ..उसके पास कोई चारा भी नही था, उसने
गंगू को िहलाकर आवाज़ दी और उसे उठा िदया . और कहा की बाहर कोई िमलने आया है ..
गंगू आँ खे मलता आ बाहर िनकला ...और भूरे को वहाँ खड़ा दे खकर वो चोंक गया...दोनो की
कभी बनती नही थी...कई बार दोनो के बीच लड़ाई की नौबत आ चुकी थी...इसिलए दोनो मे
बोलचाल बंद थी .
भूरे : "यार गंगू, तू मुझे हमेशा ग़लत समझता है .... म वही ग़लतफहमी दू र करने आया ...''
भूरे : "मेरे पास तेरे िलए एक काम है , और उसको तेरे िसवा कोई और पूरा नही कर सकता ...''
गंगू समझ गया की कोई ग़ैरक़ानूनी काम ही होगा, ोंिक वो अंडरव के िलए काम जो करता था
..
भूरे : "एक पैकेट लाना है ...सटल माकट से ...इसके िलए पूरे दस हज़ार िमलगे..''
गंगू : " ा है उस पैकेट म ..और ये काम तू मुझसे ो करवा रहा है ...तेरे पास भी तो आदमी है
..''
भूरे : " उस पकेट मे ा है , ये तो म नही बता सकता,तभी इतने पैसे दे रहा तुझे...और मेरे
सारे आदिमयों पर पुिलस की नज़र है , इसिलए म कोई र नही लेना चाहता ..तुझपर कोई शक
भी नही करे गा..िभखा रयों की तो तलाशी भी नही लेती पुिलस ..ये ले सारे पैसे एडवां स मे ...''
इतने पैसे एक साथ दे खकर वो इनकार कर भी नही सका...उसने पैसे पकड़ िलए और ज़ री
जानकारी लेकर वािपस अंदर आ गया..
भूरे काफ़ी खुश था अपनी इस चाल से...वो काम तो उसका कोई भी आदमी कर सकता था..और
उसके िलए पैसे भी उतने ही खच होते..पर गंगू से वो काम करवाने का उसका मकसद उसके साथ
दोबारा दो ी करना था तािक उसके घर आने-जाने का रा ा उसके िलए खुल सके..
और साथ ही साथ उसके जाने के बाद अकेली नेहा से मज़े लेना का भी ान था उसका ...
ोंिक कहीं ना कहीं वो समझने लगा था की गंगू शायद नेहा जैसी गम बीबी को पूरी तरह से संतु
करने मे कामयाब नही है ...इसिलए तो उसके साथ ई दो मुलाक़ातों मे नेहा ने िजस तरह िबना
कोई िवरोध के उसे अपने शरीर से खेलने िदया है , वो कोई रं डी टाइप की औरत ही कर सकती
है ..
पर वो ये बात नही जानता था की गंगू के लंड मे इतनी ताक़त है की वो पूरी कॉलोनी की लड़िकयों
को एक साथ चोद डाले...िफर भी उसके लंड का लोहा ना िपघले..
9 बज रहे थे और वहाँ से पेकेट लेने का समय 12 बजे का था.. जाने म काफी समय लगना था
इसिलए गंगू िबना कुछ खाए-िपए और नहाए धोए उसी व िनकल गया.
नेहा को उसने घर पर ही रहने के िलए बोला..और उसे कुछ पैसे दे कर ये भी कहा की बाहर से
खाने के िलए कुछ लेती आए..
गंगू के जाने के बाद नेहा ने सारे िब र समेट कर सही िकए..और िफर अपने कपड़े लेकर वो वहीं
नदी पर नहाने के िलए िनकल पड़ी..उसने पैसे भी ले िलए थे तािक वािपस आते ए कुछ खाने को
भी लेती आए.
भूरे तो उसी इं तजार मे था की कब गंगू बाहर िनकले और कब वो अपनी योजना के अनुसार िफर से
वहाँ जाए..पर नेहा को हाथ मे कपड़े लेकर िनकलता दे खकर वो समझ गया की वो नहाने के िलए
जा रही है ..
उसके िदमाग़ मे उसी व नयी योजना बन उठी और उसने अपने चेले चपाटो को फोन करके
ज से ज नदी िकनारे प ँ चने को कहा..
वो भी अपनी बाइक पर वहाँ प ँ च गया..9:30 बज रहे थे, ादातर लोग सुबह ही नहा लेते
थे,इसिलए भीड़ वैसे भी कम थी .. उसने अपने चेलों के साथ िमलकर, रवॉ र की धोंस िदखाते
ए वहाँ नहा रहे सभी लोगो को पाँ च िमनट के अंदर ही अंदर वहाँ से भगा िदया...सभी उससे और
उसके सािथयों से डरते थे, इसिलए िबना िकसी िवरोध के सभी अपने-2 झोपड़ों मे भागते चले गये..
उसने अपने आदिमयों को थोड़ा दू र खड़ा कर िदया, तािक वहाँ िकसी की भी एं टी ना हो..और िफर
भूरे अपने सारे कपड़े उतार कर ज ी से पानी मे कूद गया.
तब तक नेहा वहाँ प ँ च गयी..वहाँ फैले स ाटे को दे खकर वो भी है रान हो गयी... ोंिक उसने
सोचा नही था की ऐसी वीरानी िमलेगी उसको नहाते ए ..तभी उसे भूरे िसंह नहाता आ िदख गया
पानी मे..उसे दे खकर उसके िदल की धड़कन िफर से तेज हो उठी ..वो सोचने लगी की ऐसी
प र थित मे वो नहाने जाए या वािपस चली जाए..
वो पलटकर जाने ही लगी थी की भूरे ने पीछे से आवाज़ दी : "अरे भाभी जी....िबना नहाए कहाँ
चल दी ..मुझसे डर लग रहा है ा ...''
उसकी बात सुनकर नेहा भी तैश मे आ गयी, और बोली : "मुझे ो डर लगने लगा तुमसे ...''
वो नेहा के आस पास ही तैरने लगा ...नेहा भी उस िदन के बारे मे सोचकर गम होने लगी थी की
ा ये आज िफर से उसके साथ वही हरकत करे गा जो उस िदन की थी ...
पर वो बेचारी ये बात नही जानती थी की इस दु िनया मे हर िकसी के साथ वो समंध कायम नही
िकए जाते...