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होता है जो वो हो जाने दो

Author – Rohan64
Edited- Siraj patel
सोनू तु जल्दी से नास्ता कर ले । मुझे स्कुल जाने मे बहुत दे र हो रही हे । (अपने छोटे भाई को चाय ओर
नास्ता थमाते हुए बोला।) पता नही मम्मी आज मंदीर मे ईतनी दे र क्यौ लगा दी।( राहुल बार बार दरवाजे
की तरफ दे ख ले रहा था: उसे स्कुल जाना था ओर उसे दे र हो रही थी।)
राहुल अभी हाई स्कुल मे था । गोरा रं ग हट्टा कट्टा बदन दे खने मे भी ठीक ठाक ही था:। उसकी बेचैनी बढ़ती
ही जा रही थी ओर बढ़ती भी केसे नही आज स्कुल मे उसका मेथ्स का टे स्ट था। ओर समय से स्कुल
पहुंचना बहुत जरुरी था। इसलिए हर पल उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी।
( कलाई मे बंधी घड़ी की तरफ दे खते हुए)
ये मम्मी भी ना ! क्या करु कुछ समझ मे नही आ रहा है । (अपने बड़े भाई को परे शान होता दे खकर राहुल
का छोटा भाई बोल पड़ा)

सोनु: क्या भैया तम


ु भी बेवजह परे शान हो रहे हो। आ जाएगी मम्मी। (नास्ता करतो हुए बोला) ओर अभी
बहोत समय हे । तम
ु समय पर पहुंच जाओगे (इतना कहके वो फीर से चाय पीने लगा।
(राहुल बार बार घड़ी दे खते हुए चहलकदमी करता हुवा दरवाजे पर ही नजर गड़ाए हुए था। कुछ ही समय
बाद सामने से उसकी मम्मी आती हुइ दीखाई दी। राहुल कुछ बोलता उस्से पहले ही राहुल की मम्मी घर मे
प़वेश करते हुए बोली।

मम्मी: सोरी सोरी सोरी सोरी बेटा । (हाथ मे ली हुई पुजा की थाली को पास मे पड़े टे बल पर रखकर अपने
कान पकड़ते हुए)मुझसे गलती हो गई बेटा । क्या करु बेटा आरती हो रही थी । अब आरती को तो बीच मे
छोड़कर नही आ सकती थी न भगवान नाराज हो जाते तो। (मै कुछ बोल नही रहा था बस मम्मी को दे खे
जा रहा था) अच्छा बाबा अब एसी गलती दब
ु ारा नही होगी बस। अब तो माफ कर दे ।(मम्मी फीर से कान
पकड़ के माफी मांगने लगी।ईस बार मझ
ु े हं सी आ गई। क्योकी ये पहली बार नही था जब मम्मी ईस तरह
से माफी मांग रही थी । एसा लगभग हमेशा ही होता था ।मम्मी हमेशा मंदीर जाती ओर वहा से लौटने मे
दे र हो जाती थी।
और मे मम्मी का मासम
ु चेहरा दे खकर माफ कर दे ता था
सोनु भी मम्मी को कान पकड़े हुए दे खकर हं स रहा था। मे भी हं सते हुए बोला)

राहुल: बस बस मम्मी रहने दो हॉ। तम


ु रोज लेट हो जाती हो।(अभी भी राहुल की मम्मी के दोनो हाथ कान
पर ही थे)

मम्मी: अब लेट नही होऊंगी बेटा। 

राहुल :अच्छा ठीक है मम्मी अब अपना कान छोड़ो। और मे अब स्कूल जा रहा हु मझ


ु े लेट हो रहा है ।

मम्मी: ठीक है बेटा। (टे बल पर पड़ा स्कुल बेग राहुल को थमाते हुए)ले बेटा संभाल कर जाना और अपना
ख्याल रखना।

राहुल;(बेग को मम्मी के हाथ से थामते हुए) ठीक है मम्मी बाय। बाय सोन।ु
उसकी मम्मी और सोनु दोनो राहुल को बाय बोले। और राहुल घर से बाहर निकल गया।

राहुल की मम्मी का नाम अलका है । अभी सी्र्फ ३५साल की ही है । ईनके पति एक दीन कीसी से कुछ भी
बताए बिना ही कीसी दसू री औरत के साथ चले गए । कहा गए ये आज तक नही पता चला। और न ही
अलका के पति ने अपने परीवार की कभी भी कोई खोज खबर ली।
लेकीन अलका ने आज तक अपने बच्चो को कभी भी उनके बाप की कमी महसूस होने नही दी।
वेसे अलका काफी खुबसुरत थी। गोरा बदन तीखे नैन नक्श भरा हुआ बदन बड़ी बड़ी चुचीया एकदम तनी
हुई। मर्दो की नजर सबसे पहले उसकी चुचीयो पर ही जाती थी। हमेशा उसे खा जाने वाली नजर से ही दे खते
थे। और पतली सी कमर हमेशा लचकती रहती थी। उस कमर से नीचे का उभरा हुआ भाग उउउफफफफ
क्या गजब की बनावट थी। एकदम गोल गोल बड़ी बड़ी गांड जीसे दे खते ही मर्दो का लंड टनटना कर खड़ा
हो जाता था। वेसे भी अलका की गांड कुछ ज्यादा ही उभार लीए हुए थी। ईस उम़ ् मे भी राहुल की मा ने
अपने बदन को काफी फीट रखा है । अभी भी उसका अंग अंग काफी चस्
ु त और दरु
ु स्त था। अपने आप को
काफी फीट रखे हुए थी।
एसा नही था की इसके पति के जाने के बाद कीसी ने इसके अकेले पन का फायदा उठाने की कोशीश न की
हो। जीसको भी मौका मिला वो इसके अकेलेपन का और मजबरु ी का फायदा उठाने कीबहोतो ने कोशीश की
। लेकीन इसने आज तक अपने दामन मे दाग नही लगने दी। अपने आप को और अपने चरीञ को बहोत
संभाले हुए थी। मेहनत मजदरू ी करके अपने बच्चो का अच्छे ढं ग से लालन पोषण करते आ रही थी। पढी
लीखी थी इसलीए एक कम्पनी मे कम्पयूटर ओपरे टर की नोकरी भी मिल गइ थी। जीस्से घर का और दोनो
बच्चो के पढाई का खर्चा अच्छे से चल रहा था।

राहुल के जाने के बाद उसकी मम्मी घर के काम 


मे जुट गई ।रसोइघर मे जाते जाते सोनु को उसका होमवकॅ पूरा करने की हीदायत दोती गई। उसे अभी
बहोत काम था । खाना बनाना था सोनु को तैयार करना था थोड़ी बहोत घर की साफ सफाई भी करनी थी
और अपने जॉब पर जाने के लीए अभी उसे खुद भी तैयार होना था। 
राहुल की मा जब तैयार हो जाती थी तो एकदम कयामत लगती थी।दे खने वालो के होश उड़ जाते थे।
जब वो रास्ते पर चलती थी तो उसकी बड़ी बड़ी गांड मटकती थी और उसकी मटकती हुई गांड को दे खकर
अच्छे अच्छो का लंड पानी छोड़ दे ता था। बला की खब
ू सरु त थी राहुल की मा। वो रसोई घर मे जाकर खाना
बनाने लगी।

वही दस
ू री तरफ राहुल तेज कदमो के साथ सड़क पर चला जा रहा था। उसे जल्द से जल्द अगले चौराहे पर
पहुंचना था । क्योकी अगले चौराहे पर उसका उसका सबसे अच्छा दोस्त वीनीत ईन्तजार कर रहा था।
वीनीत राहुल का सहपाठी था । उसके ही उम ृ का था।
वीनीत बहोत ही ज्यादा ही हे न्डसम था। और बहोत ही फें ृ क था। उसकी बातो मे जेसे कोइ जाद ू था। क्योकी
जिस कीसी से भी वो दो मिनट भी बात कर लेता था वो उसका दीवाना हो जाता था। और खास करके
लड़कीया उसकी दीवानी थी।
हर लड़की उसके साथ दोस्ती बढाने के लिए बेकरार रहती थी। कुछ लड़कीयो के साथ उसके संबंध नीजी भी
थे जिसकी खबर राहुल को नही थी और न ही कभी वीनीत ने ईस बारे मे कभी कोई जिकृ कीया।
आगे चोराहा नजर आ रहा था।और सड़क के कीनारे अपनी बाइक लेकर खड़े हुए वीनीत भी दिखाइ गे रहा
था। जिसे दे खते ही राहुल के चेहरे पर मस्
ु कान तैर गई । 
वीनीत भी राहुल को दे खकर मस्
ु कुरा दिया। राहुल लगभग दौड़ते हुए वीनीत के पास पहुंचा और बोला।

राहुल: अच्छा हुआ यार तु बाईक ले आया वनॉ आज बहोत लेट हो जाता।

वीनीत; तु जल्दी से बेठ बाकी बाते रास्ते मे करना।


वैसे भी तेरा ईन्तजार कर करके मे तंग हो गया हुं। (इतना कहने के साथ ही वीनीत ने बाइक स्टाटॅ कर दी।
और राहुल अपना स्कूल बेग सम्भालते हुए बोला)

राहुल;क्या करु यार मम्मी की वजह से रोज लेट हो जाता हुं। ईसमे मेरी क्या गलती है ।

वीनीत; अच्छा बच्चु अब अपनी गलती को तू आंटी के सिर पर मढ़ रहा है ।अब ज्यादा बन मत मै सब
जानता हुँ। दे र रात तक पढ़ता होगा तो तेरी नींद कहा से खुलेगी। (बाईक सरसराट सड़क पर भागे जा रही
थी।)

राहुल; नही यार सच कह रहा हुं। मम्मी सूबह मे नहाते ही सबसे पहले मन्दीर जाती है और जिस समय
वहां पहुंचती है उसी समय आरती भी शुरु हो जाती है ।अब मम्मी आरती छोडृकर आती नही है कहता हे
भगवान 
नाराज हो जाएंगे। और उन्हे कौन समझाए की भगवान को मनाने मे मुझे स्कूल जाने मे लेट हो जाता है ।
वीनीत; अच्छा तो ये बात है । कोई बात नही यार आंटी को भी कुछ उनके मन का करने दे ने का। बाकी सब
मै संभाल लुगा। तू चिन्ता मत कर।

राहुल;यार तु हे तभी तो मझ
ु े कोई टें शन नही रहता ।
(सामने स्कूल का गेट दीखाई दे रहा था।वीनीत ने जल्दी से बाइक को पाकॅ कीया और हम दोनो क्लास मे
चले गए । अभी मेथ्स का टे स्ट शरु
ु भी नही हुआ था। फीर भी राहुल ने बक
ु निकाल कर टे स्ट शरु
ु हो इस्से
पहले जितना हो सकता था उतना दे खकर समझ लेना चाहता था। ।
क्लास मे बेठी अधिकतर लड़कीया हम दोनो की तरफ ही ।हम दोनो कया वो लड़कीया वीनीत की तरफ ही
दे ख रही थी। लेकीन वीनीत इस समय सीर्फ बक
ु मे ही ध्यान लगाए हुए था। १५ मिनट बाद ही सर क्लास
मे पव
ृ श
े कीए और टे स्ट लेना शुरु कर दीए। 
एक घंटे बाद टे स्ट पूरा हुआ। मै और वीनीत हम दोनो खुश थे। क्योकी हम दोनो ने मेथ्श के सारे सवालो
का हल कर दीया था। ।।
हालांकी सारे सवाल मेने ही हल कीया था । वीनीत तो सा रै सवाल मेरी नोटबुक मेे से दे खकर ही लीखा था।

दस
ु री तरफ राहुल की मम्मी खाना बना चुकी थी । अब वो अपने आॉफीस जाने के लिए तैयार होने लगी।
अलका खाना बना के ऑफीस के लिए तैयार होने लगी।
अपने कमरे मे आकर वो आईने मे अपने आप को निहारने लगी। वो अपने आप को ही अपलक दे खती रह
गई। उसे ईस बात की अच्छे से खबर थी की वो बहुत खब
ु सरु त है ओर मदोॅ की नजरे हमेशा उसके अंगो के
कटाव और उभार को नजरो से ही टटोलती रहती हैं।
कभी कभी तो उसने अपनी बड़ी बड़ी गांड पर हथेली को महसस
ू की है बस मे बस स्टोप पे मारकेट मे जहां
मोका मिलता मदोॅ ने मौको का फायदा उठाने की परु ी कोशीश कीए । लेकीन अलका आज तक उन लोगो के
मनसब
ु े को कभी भी परू ा नही होने दी। यहां तक की ऑफीस मे भी उसे ये सब झेलना पड़ता था। लेकीन अब
वो ये सब की आदी हो चक
ु ी थी।उसे ये सब अच्छा तो नही लगता था लेकीन कर भी क्या सकती थी। दो
बच्चो का पालन पोषण और उनकी पढाइ का खचाॅ भी तो दे खना था। वो जानती थी की घर मे बैठने से कुछ
होने वाला नही था। घर के बाहर तो नितलना ही था। ईसलिए अब वो खुद ईन सब बातो पर ध्यान नही दे ती
थी।

एक तरफ सिर को कंधे पर थोड़ा सा झुकाकर बालो मे कंघी करते समय राहुल की मा की बड़ी बड़ी चुचीया
ब्लाउज मे हील रही थी । राहुल की मां की बड़ी बड़ी चूचीया जब हीलती तो एसा लगरहा था की मानो अभी
ये दोनो चूचीया ब्लाउज के बटन तोड़कर बाहर आ जाएेगें। वैसे भी कमरे कोई था नही राहुल स्कुल गया था
और सोनु दस
ू रे कमरे मे बैठकर होमवकॅ कर रहा था। ईसलिए राहुल की मां बेफीकर होकर कमरे मे घुसते
ही अपने बदन से साड़ी को खोलकर बिस्तर पर फेंक दी थी। ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे जिस्से
ं रही थी। बदन पे सीफॅ अधखुला ब्लाऊज और
उसकी आधे से ज्यादा चूचीया ब्लाऊज से बाहर झॉक
पेटीकोट ही था। चीकना सपाट पेट चरबी का नामो निशान नही। दो बच्चो की मां होने के बावजद
ु भी उसका
कसा और गठीला बदन दे खकर कोई ये नही कह सकता था की ये दो बच्चो की मां होगी।

वो जल्दी जल्दी अपने घने बालो को संवार कर ऊसमे क्लीप लगा कर व्यवस्थित कर ली। वो दो कदम
बढाकर आलमारी की ओर बढ़ी । लेकीन ये दो कदम चलने मे उसकी बड़ी बड़ी गांड ने ऐसी थीरकन ली की
अगर ईस समय कोई भी राहुल की मां की मटकती हुई गांड को दे ख लेता तो ऊसका लंड खड़े खड़े ही पानी
छोड़ दे ता।
आलमारी को खोलकर उसमे से आसमानी रं ग की साड़ी को बाहर निकालकर आलमारी को बंद कर दी। वैसे
राहुल की मां के पास साड़ीयो मे ज्यादा पसंद करने जैसा कुछ खास नही था। कुल मीलाकर ५से ६ साड़ीया
ही उसके पास थी ।जीसे बदल बदल कर वो पहना करती थी।लेकीन कीसी भी रं ग की साड़ी मे वौ बहोत ही
खुबसुरत लगती थी।
अपनी नरम नरम ऊंगलियो मे साड़ी की कीनारी को फसाकर वो अपनी कमर मे लपेटने लगी। राहुल की मां
को साड़ी पहनते हुए भी दे खने मे भी अपना एक अलग ही मजा है । लेकीन ये सदभाग्य अब तक सीफॅ राहुल
के पापा को ही नसीब हो पाया था। 

साड़ी को बड़े सलीके से पहन कर राहुल की मां तैयार हो चक


ु ी थी। आसमानी रं ग की साड़ी मे राहुल की मां
का गोरा रं ग और ज्यादा फब रहा था। आईने मे अपना चेहरा दे खकर मस्
ु कुरा दी। बिस्तर पर पड़े अपने पसॅ
को उठाकर जैसे ही दरवाजे पर पहुंची उसे कुछ याद आ गया। ओर वो झट स अपने पसॅ को बिस्तर पर रख
के अपने ब्लाऊज की तरफ दे खी तो चौंक गई ।लेकीन अपनी ईस गलती पर मस्
ु कुराते हुए वो अपने
ब्लाऊज के बटन को बंद करने लगी।जिसे उसने कमरे मे आते ही ऊपर के दो बटन को खोल दी थी। ओर
बटन खुले होने की वजह से आधी चूची बाहर छलक रही थी। 
एक बार फीर से अपने कपड़ो पर नजर मार के अपने कमरे से बाहर आ गई। 

मम्मी:सोनु बेटा मै ऑफीस जा रही हुं । खाना खा लेना और टाईम से स्कुल चले जाना ।शरारत मत
करना।
(सोनु अपने कमरे मे पढ़ाई कर रहा था उसकी मम्मी कमरे के बाहर से ही सोनु को हीदायते दे रही थी। ये
रोज का ही था । उसकी मम्मी ऑफीस जानेे से पहले रोज सोनु को ईतनी बाते जरुर समझा के जाती थी।
सोनु भी रोज की तरह कमरे मे से ठीक है मम्मी कह के फीर से पढ़ाई करने लग जाता था। उसकी मम्मी
भी पूरी तरह से ईत्मीनान कर लेने को बाद रोज की तरह ऑफीस चली गई।
राहुल की मम्मी को भी अगले चौराहे से ही ऑटो पकड़ के ऑफीस जाना था । उसे भी चौराहे तक हमेशा
पैदल ही जाना पड़ता था। रोज की तरह आज भी सड़क से गुजरने वाले लोग की खुबसुरती और उसका
गदराया बदन दे खकर आंहे भर रहे थे।उसकी बड़ी बड़ी मटकती हुई गांड दे खकर तो न जाने कीतने लोग
अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही मसलने लग जाते थे।
चौराहे पर पहुंच कर वौ ऑटो का ईन्तजार करने लगी की पीछे से एक बज
ु गॅ टकरा गया । और माफ करना
बेटी कहकर चला गया। उसके जी मे तो आ रहा था की उसे जोर से थप्पड़ लगा दे ।क्योकी उसने टकराते
समय उसकी गांड पर चट
ु की काट लिया था। लेकीन वो बात को बिगाड़ना नही चाहती थी। ईसलिए कुछ
बोली नही।
कुछ ही दे र मे ऑटो आ गई और वो उसमे बेठकर अपनी ऑफीस चली गई।
ऑफीस मे पहुंचते ही सबसे पहले शमॉ जी ने राहुल की मां को गुड मानिॅग कहा।

शमॉ जी; गुड मानिॅंग अलका जी ।(राहुल की मां औपचारीकता वश रुक गई। और वो भी मुस्कुरा के बोली)

राहुल की मां; गुड मानिॅंग शमॉ जी।


(राहुल की मां का जवाब सुनते ही शमॉ ने तुरन्त बोल दीया।)
शमॉ जी; आज बहुत खूबसूरत लग रही हो।
(शमॉ जी की बात को अनसुना करके आगे बढ़ी ही थी की।)

शमॉ जी: अरे सनि


ु ए तो। अरे सन
ु लो ना।
(ईस बार रुक कर पीछे मड़
ु कर बोली)

राहुल की मां: क्या है ?(गुस्से से बोली)

शमॉ जी: (गंदी हं सी चेहरे पर लाते हुए)अरे सुन तो लीजीए मेडम जी। सच मे आप बहोत खुबसुरत लग रही
हो।

राहुल की मां गुस्से से आंख तरॉते हुए) मुझे आपकी कोई बात नही सुन्ना। 
(और ईतना कह के अपनी केबीन की तरफ चल दी।)

(साली मस्त माल है ईसकी बड़ी बड़ी गांड दे खकर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है ।काश ईसकी बरु को चोद
पाता। शमॉ जी हांथ मलते हुए अपनी केबीन की तरफ चल दीया। 
शमॉ जी बड़े रं गीन मिजाज के थे पचास के करीब होने को आ गए हैं लेकीन औरतो को दे खकर लार
टपकाना आज तक नही छोड़े। जब से ऑफीस मे राहुल की मां आई है उस दीन से शमॉ जी उसके लार

टपकाए पीछे पडे है । लेकीन आज तक यहां ईनकी दाल नही गली।
बस आहें भरकर रह जाते थे।
ऑफीस मे शमॉ जी जेसे और भी कई लोग थे ।
लेकीन राहुल की मां रोज उनकी गंदी नजरो को और उनके द्बारा कसी गई गंदी फब्तीयो को सन
ु कर भी
अनसन
ु ा कर दे ना उसका रोज का काम हो गया था।
राहुल की मां अपने काम को बखब
ु ी बेहद ईमानदारी से करती थी। क्योकी उसे बड़ी मस्
ु कील समय मे ये
जॉब मीली थी । ओर वो इस जॉब को खोना नही चाहती थी।
ईसलिए अपनी केबीन मे एक बार घस
ु ने के बाद सारा काम खत्म करने के बाद ही घर जाने के समय ही
बाहर नीकलती थी।

वहां दस
ु री तरफ स्कुल मे रीशेष का समय हो गया था।
कुछ ही दे र मे रीशेष की घंटी भी बज गई। सब लोग क्लास से बाहर निकल गए। केवल क्लास मे राहुल और
वीनीत ही रह गए। ये दोनो अक्सर रीशेष के समय क्लास मे ही रहकर ईधर उधर की बाते कीया करते थे:-)
आज भी दोनो क्लास मे गप लड़ा रहे थे की तभी धपाक से क्लास का दरवाजा खुला और उन्ही के क्लास
की एक लड़की ने प्बेश
ृ की। और दरवाजे को बंद कर दी।राहुल को तो कुछ समझ मे नही आया लेकीन
उसको दे खकर वीनीत मुस्कुरा दिया।

वीनीत; आओ नीलु आज बहोत दीनो बाद दीख रही हो।कहां चली गई थी?
(ये उनकी ही सहपाठी थी ।जिसका नाम नीलु था।वीनीत और नीलु की आपस मे दोस्ती थी। राहुल ईसे
जानता जरुर था लेकीन कभी बात नही कीया था। वैसे भी राहुल लड़कीयो से शरमाता बहोत था। उनसे न
बात ही कभी कीया और न ही कभी दोस्ती कीया। यहां पर भी नीलु की उपस्थिति मे राहुल अपने आप को
सहज नही कर पा रहा था। वो शरमाकर अपनी नजरे इधर उधर फेर ले रहा था। वीनीत के सवाल का जवाब
दे ते हुए नीलु बोली।)

नीलु:क्या करु मेरी तबीयत ही कुछ दीनो से खराब चल रही थी जिस्से मे स्कुल नही आ पा रही थी।कल से
बिल्कुल आराम हो गया तो आज आई हुं। (नीलु आगे वाली बेन्च पर बैठते हुए बोली। राहुल उसे बैठते हुए
दे ख रहा था लेकीन जेसे ही राहुल पर नीलु की की नजर पड़ी तुरन्त राहुल ने अपनी नजर घुमा लीया। नीलु
को दे खते वीनीत के जांघो के बीच सरसराहट होना शुरु हो गया था।

वीनीत:कुछ काम था क्या?

नीलु: हां मुझे कुछ नोट्स चाहीए था। चार पांच चेप्टर मे पीछे हो गई हुं। ( ईतना कहते हुए नीलु बेन्च पर
थोड़ा सा ओर झुक गई ताकी उसकी चुचीयो को बीच की लाईन ओर अच्क्षे से दीखके क्योकी वो वीनीत की
नजरो को भांप गई थी। वीनीत उसकी छातीयो पर ही नजर गड़ाए हुए था।)दोगे न मुझे अपनी नोट्स।
(नीलु के एक बार फीर से कहने पर जेसे वीनीत नींद से जागा हो ईस तरह से हकलाने लगा।

वीनीत:हहहहहहह हां हांं क् कक्यो नहीं दं ग


ु ा। जरुर दं ग
ु ा। तुम्हे केसे ईन्कार कर सकता हुं। आखिरकार
तुम्ही तो मेरी (राहुल की तरफ दे खते हुए)सबसे अच्छी दोस्त हो। । (नीलु भी राहुल की तरफ दे खने लगी।
अपनी तरफ नीलु को दे खता हुआ पाकर राहुल शमॉकर नीचे नजरे झुका लिया। और नीलु ने ईसारे मे ही
राहुल के बारे मे पुछी।)

वीनीत : ये।। ये तो मेरा सबसे अच्छा दोस्त है । राहुल।

(राहुल का परीचय जान्ने के बाद राहुल की तरफ हांथ बढाते़ हुए नीलु बोली।)

नीलु:हाय राहुल।
(यंू अपनी तरफ हांथ बढ़ा हुआ दे खकर राहुल की तो हालत खराब हो गई।कीसी लड़की ने पहली बार उसकी
तरफ दोस्ती का हांथ बढाई़ थी । राहुल का तो गला सख
ु ने लगा। वो क्या करे ओर क्या न करे उसे कुछ
समझ मे नही आ रहा था। वीनीत समझ गया की राहुल शमॉ रहा हे ।राहुल की मनोस्थिती को भांप कर
वीनीत बोल पड़ा।)

वीनीत:क्या यार राहुल ये लड़की होकर नही शमॉ रही हे और तु हे की लड़का होकर ईतना शमॉ रहा है । चल
हाथ मिला।(ईतना कहते हुए वीनीत खुद राहुल का हांथ पकड़ के नीलु के हांथ मे थमाते हुए ) ईतना
शमॉएगा तो केसे काम चलेगा।
नीलु खुद ही राहुल का हांथ अपने हांथ मे ली और राहुल की हथेली को अपनी हथेली मे कस के दबाते हुए
गमॅजॉसी के साथ बोली।

नीलु:नाईस टु मीट यू राहुल।


(जवाब मे राहुल भी हकलाते हुए बोला।)

राहुल: मममममममम मझ ु े भी तततततम ु से मीलकर बबबबबहोत अच्छा लगा।


(राहुल को यंू घबराकर जवाब दे ता हुआ दे खकर दोनो की हं सी छुट गई। राहुल अपने व्यवहार से बहोत
शमॅिंदा हुआ। वीनीत उसका बीच बचाव करता हुआ बोला।)

वीनीत; ये लड़कीयो से बहोत शमॉता हे । ये शुरु से शमॅीला हे ।ईसलिए थोड़ा घबरा गया। बाकी तो ये मेरा
हीरा है । राहुल अभी भी अपनी नजरे नीचे कीए हुए था।ईतने नीलु बोल पड़ी।)
नीलु:तम्
ु हारा दोस्त वो भी शमॅीला ओर सीधा । हो ही नही सकता। जहां तक मे तम्
ु हारे सभी दोस्तो को
जानती हुं सबके सब तम्
ु हारी ही तरह फ्लटॅ ी कीस्म के और हमेशा लड़कीयो के पीछे लार टपकाए घम
ू ते
रहते है ।(ईतना कहते हूए नीलु अपने शटॅ के ऊपरी बटन को अंगुठे से ईधर उधर घुमाते हुए नीचे करने
लगी। जिस्से चुचीयो के बीच की लकीर और उभर के सामने दीखने लगी। वीनीत की नजर नीलु की चुचीयो
पर ही टीकी हुई थी।और नीलु के ईस तरह से अपनी शर्ट मे ऊंगली से थोड़ा सा सरकाने से वीनीत का लंड
टनटना के खड़ा हो गया। ओर वानीत का मुंह खुला का खुला ही रह गया। राहुल नजर बचा कर नीलु की
तरफ दे ख ले रहा था। नीलु की गोलाईयो के बीच की वो जानलेवा लकीर राहुल की नजर मे भी आ गई थी।
उसके जांघो के बीच मे भी तनाव आना शुरु हो गया था। राहुल की तो ईतने मे ही सॉसें तेज होने लगी थी।
राहुल के पेन्ट मे तम्बु बनना शुरु हो गया था। राहुल की नजर कभी नीलु की चुचीयो पर तो कभी अपने
पेन्ट मे बन रहे तम्बु पर जा रही थी। नीलु की नजर राहुल के पेन्ट के बढ़ रही उभार पर ही थी। जिसे
दे खकरत मुस्कुराते हुए बोली।

नीलु:यही हैं तुम्हारे सीधे दोस्त जो अपना खड़ा करके मुझे घुरे जा रहे हैं।
(नीलु की बात सुनते ही वीनीत की नजर राहुल के पेन्ट पर गई तो सच मे उसके पेन्ट मे बने हुए तम्बु को
दे खकर मुस्कुरा दीया ओर वीनीत कुछ बोलता इस्से पहले ही शर्मिंदा होकर अपने पेन्ट मे बने तंबु को
छीपाने के लिए झट से बेंच पर बैठ गया।)

वीनीत: सच मे नीलु ये बहोत ही सीधा हे ।


नीलु: हां तभी मुझे दे खकर इनका वो खड़ा हो गया था।
(नीलु की बात सन
ु ते ही राहुल का सिर शर्म से झक
ु गया।उसका हाल काटो तो खन
ु नही। वो क्या उसकी
जगह कोई भी होता तो उसका भी खड़ा हो जाता। )
(वीनीत राहुल का साथ दे ते हुए बोला)

वीनीत: अरे यार अब तुम ईस तरह से (बेंच पर झुकी हुई नीलु की चुची को शर्ट के उपर से ही दबाते हुए )
अपनी बड़ी बड़ी चुचीया दीखाओगी तो कीसीका भी लंड खड़ा हो जाएगा। (जोर से चुची दबाने की वजह से
नीलु की आहहहहह निकल गई।)

नीलु: आआहहहहह क्या कर रहे हो। दख


ु ता है ।
(नीलु की आहहह ओर उसकी बात सुनकर राहुल नीलु की तरफ दे खने से अपने आप को रोक नही सका।
ओर नीलु की तरफ नजर पड़ते राहुल के बदन मे सनसनी फेल गई।उसका रोम रोम झनझना गया। क्योकी
वीनीत का हांथ अभी भी नीलु की चुची पर थी ओर उसे दबा भी रहा था। नीलु को राहुल की मौजद
ु गी जरा
भी नही खल रही थी। राहुल के होने से नीलु को जरा भी फर्क नही पड़ रहा था। राहुल दोनो हाथ से नीलु की
चुचीयो को दबाते हुए राहुल की तरफ दे खते हुए बोला।)

वीनीत; दे खेगा नीलु की चच


ु ीयो को। बोल दे खेगा ना।
(राहुल क्या बोलता उसकी तो बोलती ही बंद हो गई थी।राहुल से कुछ जवाब नही मिला तो खुद ही बोला।)
दे खेगा दे खेगा। तुम दीखाओ।
(नीलु तो जैसे खुद ही दीखाने के लिए तड़प रही हो ईस तरह से तुरन्त अपने शर्ट के बटन को खोलने के
लिए अपने हांथ को शर्ट के उपरी बटन पर ले गई।राहुल की नजर भी नीलु की छातीयो पर जम गई थी ।
लेकीन जेसे ही वो शर्ट का पहला बटन खोली ही थी की। रीशेष पुरी होने की घंटी बज गई।नीलु झट से अपने
शर्ट का बटन बंद करते हुए बोली अब बाद मे नही तो कोई आ जाएगा तो सब गड़बड़ हो जाएगा। ईतना कह
के वो तुरंत दरवाजा खोलके चली गइ। वीनीत औक राहुल दोनो उसको गांड मटका के जाते हुए दे खते रह
गए।
नीलु जा चुकी थी …लेकीन जाते जाते राहुल के बदन मे और जाँघो के बीच हलचल मचा दी थी। वीनीत तो
पहले से ही खेला खाया हुआ था। लेकीन अभी जो क्लास मे हुआ ये राहुल के लिएे अलग और बिल्कुल ही
नया अनुभव था।
वीनीत के पेन्ट मे अभी भी तम्बु बना हुआ था। राहुल खुद अपनी जाँघो के बीच ऊठे हुए भाग को दे खकर
है रान था ।उसे खुद समझ मे नही आ रहा था की ऐसा क्यों हो रहा था। वैसे सुबह मे उठने पर अक्सर उसके
पजामे का आगे वाला भाग ऊठा हुआ ही मिलता था। लेकीन उसने कभी ज्यादा बिचार नही कीया । उसे
यही लगता था की पेशाब लगने की वजह से ऐैसा होता हे ।
और इस समय भी ऊसे यही लग रहा था की पेशाब की वजह से ही ये उठा हुआ है । लेकीन उसे ईस बात से
भी है रानी हो रही थी की उसे इस समय तो पेशाब बिल्कुल नही लगा था। तो ऐैसा क्यों हो रहा है । राहुल की
साँसे अभी भी भारी चल रही थी। राहुल नीलु के बारे मे वीनीत से कुछ पुछ पाता ईस्से पहले ही क्लास रुम
मे विद्घार्थी आना शुरु हो गए और राहुल ईस बारे मे वीनीत से कुछ पुछ नही पाया।
रीशेष के बाद राहुल का मन पढाई मे बिल्कुल भी नही लग रहा था। बार बार ऊसकी आँखो के सामने नीलु
का चेहरा आ जा रहा था। और जब जब नीलु का ख्याल आता ऊसकी पेन्ट मे तम्बु बनना शरु
ु हो जाता।
बार बार वो चाह रहा था की वीनीत से कुछ पछ
ु े लेकीन अपने शर्मीले स्वभाव के कारण और कुछ मन मे डर
की वजह से भी कुछ पछ
ु नही सका। 
वीनीत बार बार राहुल से पछ
ु भी रहा था की ऊसे हुआ क्या है … ईतना शान्त क्यो है ? लेकीन वो था की बार
बार बात को घम
ु ा दे रहा था। यू ही कश्मकश मे छुट्टी की घंटी भी बज गई।
वीनीत अपनी बाईक को पार्कींग से निकाल रहा था। राहुल वहीं खड़ा था। जेसे ही वीनीत पार्कींग से बाईक
को बाहर निकाला वैसे ही नीलु अपनी कुछ सहे लियो के साथ वहाँ आ गई। नीलु और उसकी सहे लियो को
दे खते ही राहुल की हालत खराब होने लगी। वीनीत बाइक को स्टार्ट कीए बिना ही मैन सड़क तक ले आया।
तभी नीलु वीनीत के पास गई और बोली।
नीलु: वीनीत मझ
ु े अपनी नोट्स तो दो। तम
ु तो नोट्स 
दीए बिना ही चलते बने।
(नीलु की बात को सुनते ही जेसे उसे कुछ याद आया हो इस तरह से बोला।)

वीनीत : वोह गॉड एम रीयली वेरी वेरी सॉरी। मुझे याद ही नही रहा।(ईतना कहते ही अपने आगे रखी बेग
को खोलने लगा। राहुल बड़े गौर से नीलु को ही दे ख रहा था। ईतने मे नीलु की सहे ली बोल पड़ी।)

नीलु की सहे ली: कभी कभार हमारी तरफ भी ध्यान दे दीया करो वीनीत। हम लोगो का भी नोट्स बाकी है ।
(बाकी की सहे लीयो ने भी उसके सुर मे सुर मिलाई।)

वीनीत: हाँ हाँ क्यों नही मझ


ु े अपने घर या मेरे घर पर आ जाया करो (बेग से नोट्स नीकालकर नीलु को
थमाते हुए।) सबके नोट्स मैं खद
ु ही परु ा कर दं ग
ु ा। (नीलु झट से वीनीत के हाँथ से नोट्स को थाम ली।
नोट्स को थामने मे नीलु ने अपने मखमली ऊँगलियो का स्पर्श वीनीत के हाँथ पर कर दी जिस्से वीनीत
मस्
ु कुरा दीया। और राहुल ने भी नीलु की इस हरकत को दे ख लिया ।नीलु की सहे ली वीनीत की बात सन
ु कर
बोली।)

नीलु की सहे ली: अरे यार हमारी ऐैसी कीस्मत कहाँ की तुम हमारी खिदमत करो।।

वीनीत: एक बार मौका तो दे कर दे खो ऐसी खिदमत करुं गा की सारी जिंदगी याद करोगी की कोई खिदमत
गार मिला था।

नीलु ; बस बस अब रहने दो ईन लोगो की खिदमत करने को। बस तम


ु जहाँ ध्यान दे ते हो वहीं ध्यान दो।
(ईतना कहने के साथ ही नीलु अपनी छातियो को थोड़ा सा बाहर की तरफ नीकालकर वीनीत को दीखाने
लगी। वीनीत भी नीलु की छातियो को खा जाने वाली नजरो से घरु ने लगा। राहुल ईन लोगो की बातो का
असली मतलब नही समझ पा रहा था। वीनीत नीलु की छातीयो को घरु ता हुआ बाईक स्टार्ट करते हुए
बोला।

वीनीत: चल रे राहुल आज तो संतरे खाने की इच्छा हो रही है । (ईतना कहते ही बाईक स्टार्ट हो गई।राहुल
झट से बाईक पर बैठ गया और वीनीत नीलु को आँख मारते हुए एक्सीलेटर दे ते हुए आगे बढ़ने लगा । ओर
पीछे से नीलु की सहे लीयो की आवाज आई।)


नीलु की सहे लीयाँ; बडे बड़े संतरो का स्वाद लेना हो तो हमे जरुर याद करना।
वीनीत;(दरू जाते हुए) जरुर याद करुं गा।।

वीनीत नीलु और उसकी सहे लीयाँ द्बीअर्थी भाषा मे बाते कर रहे थे । जो की राहुल के बिल्कुल भी समझ मे
नही आ रहा था। 

वीनीत: क्या हुआ यार आज तु ईतना शांत क्यो है ? तबीयत तो ठीक हे न तेरी। 
(वीनीत बाइक को आराम से चलाते हुए राहुल से पुछ रहा था। )

राहुल: हाँ यार ठीक हुँ । कुछ नही हुआ है मुझे। 

वीनीत: तो ईतना शांत क्यो है । बता तो सही हुआ क्या है । (वीनीत बार बार राहुल से पछ
ु रहा था लेकीन
राहुल था की कुछ बता नही रहा था। और बताता भी कैसे उसने आज तक कभी भी ऐसी बाते न सोचा था
और न ही कीसी से एसी बाते कीया था। फीर भी वीनीत को राहुल का ईस तरह से व्यवहार का कारण समझ
मे आ गया। वो झट से बोला।)

वीनीत: अच्छा अब समझ मे आया । तु नीलु के बारे मे सोच रहा है न। सच सच बताना मुझसे झुठ मत
बोलना। बता यही सोच रहा है ना। 
(राहुल वानीत के सवाल का जवाब नही दीया। उसे शरम आ रही थी। वो भी नीलु के बारे मे ही बात करना
चाहता था लेकीन केसे करे कुछ समझ मे नही आ रहा था। ईस परीस्थिती का भी हल वीनीत ने ही कर
दीया। वो बोला।)

वीनीत: दे ख भाई मे तेरा दोस्त हुँ । तेरे मन मे जो भी हे बिंदास बोल डाल। मे जानता हुँ तु जिसके बारे मे
सोच रहा है । लेकीन शर्मा रहा हे ना। और यार मुझसे केसी शर्म । एसी बाते मुझसे नही कहे गा तो कीससे
कहे गा। चल अब जल्दी से सब बोल डाल। नीलु की वजह से परे शान हे ना। बोल । 
(वीनीत के लाख समझाने पर राहुल बोला।)

राहुल: हाँ। 

वीनीत: ये हुई न बात।(राहुल का जवाब सुन कर खश


ु होता हुआ बोला।) अब तेरे मन मे जो भी हे सब बोल
डाल।अच्छा रुक पहले कुछ खा लेते हे । वहीं बैठकर बात करें गे। (वीनीत अपनी बाईक को एक छोटे से
रे स्टोरें ट के आगे खड़ी कर दीया।
कभी कभार वीनीत और राहुल यहाँ नास्ता करने आया करते थे। और वीनीत ही पैसे चुकाया करता था।
क्योकी वो राहुल की स्थीति से वाकीफ था। वीनीत और राहुल दोनो पेड़ के नीचे रखी कुर्सी पर बैठ गए।
आज यहाँ बहुत ही कम भीड़ दीख रही थी। 
दोनो के बैठते ही एक।वेईटर ऑर्डर लेने आ गया। हमेशा की तरह ही वीनीत ने ऑर्डर दे दीया। वेइटर ऑर्डर
लेकर चला गया। 

वीनीत: अब कुछ बताएगा भी या यूं ही बुत बनकर बैठा रहे गा। 


राहुल: (नजरे ईधर उधर घुमाते हुए) क्या बताऊ यार कुछ समझ मे नही आ रहा है । 

वीनीत: ईसमे ईतना सोचने वाली क्या बात हे जो मन मे हे बोल डाल। नीलु ने परे शान कर रखा हे न तुझे।
बोल यही बात हे न। 
राहुल हाँ मे सिर हीलाते हुए) लड़कीयाँ ईस तरह की भी होती हैं मुझे यकीन नही हो रहा है ।

वीनीत: कीस तरह की मतलब?


(वीनीत राहुल का मतलब समझ गया था लेकीन आज वो ये दे खना चाहता था की शर्मीला राहुल केसे और
क्या बोलता हे ।)

राहुल: अरे तू दे खा नहीं किस तरह से अपनी छातियों को ऊभार कर अपना वो दिखा रही थी।

वीनीत; अपना वो मतलब।


राहुल; अपना वो यार। मतलब अपना वही जो दिखा रही थी।( राहुल शर्माते हुए बोला)

वीनीत; तू ठीक से बता भी नहीं रहा है ।

राहुल; अरे यार वही जो तू दबा रहा था।( राहुल झट से शर्माते हुए बोला)

वीनीत; अच्छा उसकी चुची।( कह कर हं सने लगा)

राहुल: दे ख दे ख कितना बेशर्मों की तरह बता भी रहा है

( इतने में वेइटर समोसा और चाय लेकर आ गया।)

वीनीत; अच्छा चल पहले नाश्ता करले । ( समोसे को उठाकर उसको बीच से तोड़ते हुए) वैसे एक बात कहूं
तू भी कोई सीधा नहीं है । पता है ना नीलू की चच
ु ी दे खकर तेरा भी खड़ा हो गया था। ( इतना कहते हुए
समोसे का टुकड़ा मुंह में डाल लिया। विनीत कि इस बात पर राहुल हक्का-बक्का रह गया क्योंकि विनीत
भी सच ही कह रहा था। विनीत की बात सन
ु कर राहुल का चेहरा फीका पड़ गया। राहुल के पास विनीत की
बात का कोई जवाब नहीं था। क्योंकि सच में नीलू की चच
ु ीयो को दे खकर राहुल का भी खड़ा हो गया था। 
चाय की चस्
ु की लेते हुए विनीत बोला)

वीनीत: चल कोई बात नहीं यह सब तो नॉर्मल है । तू चाय पी और समोसे खा। लड़कियों को दे ख कर लड़कों
का नहीं खड़ा होगा तो किसका खड़ा होगा। ( इतना कहते हुए फिर से समोसे का टुकड़ा मुंह में डाला।)

राहुल: ( समोसे को तोड़ते हुए) एक बात पछ


ू ूं।

वीनीत; ( चाय की चुस्की लेते हुए) पूछना।

राहुल समोसे का टुकड़ा मुंह में डालते हुए) क्या नीलु सच में गंदी लड़की है ?

वीनीत; नहीं यार ऐसा नहीं है तझ


ु े इन सब में इंटरे स्ट नहीं है इसके लिए तझ
ु े ऐसा
लगता है । वह बहुत अच्छी लड़की है ।

राहुल: हां तभी वो तुझसे अपना वो दबवा रही थी।

वीनीत हं सते हुए) तू भी दबा ले। वैसे एक बात कहूं बहुत मजा आता है दबाने मे। एकदम
नरम नरम रुई की तरह जी करता हे की खा जाऊँ। 
(वीनीत की बात सन
ु कर राहुल के टांगों के बीच झन
ु झन
ु ाहट होने लगी उसकी आंखों के
सामने फिर से नीलू की चुची दिखाई दे ने लगी।) दे ख तुझे बता रहा हूं किसी और को
बताना मत । मैंने तो नीलू की चुचीयो को मँह
ु मे भरकर चुसा भी हुँ। 
( इतना सुनते ही राहुल के जांघो के बीच का हथियार मँह
ु उठाने लगा। लेकीन ये बात
उसे अभी भी समझ मे नही आ रही थी। की ऐैसा क्यों हो रहा था। चाय की चुस्की लेते
हुए)

राहुल: कितनी गंदी बातें कर रहा है तु। 


वीनीत: ये गंदी बातो नही हे । ईसी मे तो असली मजा है । जब तु ऐैसा करे गा न तब तुझे
पता चलेगा की ईस मे कितना मजा आता है । और हां तो तू अभी उसकी चुचीयो को भी
नंगी नहीं दे ख पाया है । तब तेरा यह हाल है । तू ही सोच जो तू अगर उसे पूरी तरह से
एकदम नंगी दे खेगा तो तेरा क्या हाल होगा। 
मैंने तो उसे एकदम परू ी तरह से नंगी दे खा हूं। बिना कपड़ों के क्या लगती है यार। तू
दे खेगा तो पागल हो जाएगा। उसकी नंगी बरु उउफफफ। दे खते ही लंड खड़ा हो जाता है ।
( विनीत की बात सुनते ही राहुल की हालत खराब होने लगी उसका लंड टनटना के खड़ा
हो गया। उसकी साँसे तेज होने लगी। वीनीत की बातो मैं राहुल को मजा आने लगा।।
लेकिन उसको वीनीत की बातों हो रहा था वह विनीत से बोला।)

राहुल: चल अब रहने दे । ज्यादा फेक मत। बेवकूफ बनाता है । तु कब दे ख लिया।

वीनीत; हां यार सच कह रहा हूं तुझे विश्वास होता है की नही ये तो मैं नहीं जानता।
लेकिन जो कह रहा हूं बिल्कुल सच है । ( राहुल के पें ट में तंबू बन चुका था और वह बार
बार नीचे हाथ ले जाकर अपने तंबू को एडजस्ट कर रहा था।) 

राहुल; अच्छा यह बता तू कैसे दे ख लिया।


( इन सब बातों से विनीत का खुद का लंड खड़ा हो चुका था और वह भी बार बार अपने
हाथ से अपने लंड को एडजस्ट कर रहा था।)

वीनीत; दे ख आज मै तझ
ु े सब सच सच बताता हुँ। नीलू मेरी गर्लफ्रेंड जैसी है । और और।
नीलू के साथ मेरा सब कुछ हो चुका है ।

राहुल; सब कुछ मतलब।


वीनीत; सब कुछ मतलब वही जो एक लड़का और लड़की के बीच होता है । मतलब यही
कि नीलू मुझसे चुदवा चकी है ।
( यह सुनते ही राहुल हक्का बक्का रह गया। राहुल को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं
हुआ। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वीनीत जो कह रहा था वो सच है । उसका मुंह खुला
का खुला रह गया और लंड एकदम सें अकड़ गया। उसकी आँखो के सामने तुरंत नीलू का
चेहरा तैरने लगा।वीनीत के मँह
ु से बुर चुची और चुदाई शब्द सुनकर पुरा बदन गनगना
गया था। यह सब बातें । उसने पहले ना किसी से कही थी और ना ही सन
ु ी थी क्योंकि यह
सब बातों में उसे पहले से रुचि नहीं रखता था लेकिन आज हालात ही कुछ इस तरह से हो
गए थे कि उसे यह सब बातें करनी पड़ रही थी। राहुल विनीत की तरफ दे खा तो वह बहुत
खुश हो कर बता रहा था हां उसे इस बात की कोई भी शर्मिंदगी नहीं हो रही थी।

राहुल; यह सब मतलब। हुआ कैसे।


( राहुल की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी। राहुल के सवालों का जवाब दे ते हुए विनीत
बोला।)

वीनीत: यार वो मेरे घर नोट्स लेने ही हीं आई थी। और जब मैं दरवाजा खोला उस समय
में टावल लपेटा हुआ था। दरवाजे पर नीलूं को दे खते हैं मैं हड़बड़ा गया और मेरी टावल
छूट कर नीचे गिर गई। मुझे क्या पता था कि दरवाजे पर नीलूं है । मैंने तो उस समय
टावल के नीचे और कुछ पहना भी नहीं था। नीलू की नज़र सीधे मेरी जानू के बीच लटक
रहे हथीयार पर पड़ी। और नीलू मेरे लंड को दे ख कर भौंचक्की रह गई। मैं इससे पहले कि
नीचे गिरी टॉवल उठाता नीलू अंदर आकर दरवाजे को लॉक कर दि। और तुरंत मेरे
टनटनाए लंड को अपने हाथ में ले ली। और ऐसे हालात में जो होता है हम दोनों के बीच
वही हुआ। तब से हम दोनों जब भी मौका मिलता है यह सब करने से बिल्कुल नहीं
चक
ू ते। और हां यह जो अभी नोट्स मांग के गई येउसका इशारा था ।
अगली चद
ु ाई के लिए। यह नोट्स मांगना उसका कोड वर्ड हे । जब भी उसका मन करता
है करवाने का वह मझ
ु े कोड वर्ड बोल कर इशारा कर दे ती है और मैं समझ जाता हूं।
( विनीत की बात सन
ु कर राहुल एक दम गन गना गया।)
राहुल; इसका मतलब अब तु फिर से।
वीनीत; हाँ तो ऐसा मौका भला कोई छोड़ता है । 
अच्छा अब बहुत समय हो गया है । हमें चलना चाहिए।
( राहुल वीनीत से बहुत कुछ जानना चाहता था। लेकिन विनीत के कहने पर उसे उठना
ही पड़ा। विनीत काउं टर पर जाकर बिल पे किया। राहुल पहले से ही बाइक के पास जाकर
खड़ा हो गया था। विनीत काउं टर पर से वापस लौटा तो उसकी नजर सीधे राहुल के पें ट
के आगे वाले भाग पर गई। य दे खकर वीनीत हँसने लगा। विनीत को हं सता हुआ दे खकर
राहुल बोला।

राहुल; क्या हुआ ऐसे क्यों हं स रहा है ।

वीनीत: तेरे लंड महाराज को दे ख कैसे खड़ा हो गया। ( बाइक पर बैठते हुए) लगता है
तेरा भी सेटिग
ं नीलू के साथ करना पड़ेगा। अब बैठ बाईक मिली हैं तो क्यों ना आज कहीं
घम
ू लिया जाए।

राहुल बाइक पर बैठते हुए) तेरी मर्जी चल जहां चलना 


हो।

( विनीत भी घर जाने की वजाय गाड़ी को दस


ू री तरफ घुमा लिया। अक्सर जब ईन लोगों
के पास बाइक होती है तो दिन भर यहां-वहां घूमते रहते हैं। सारा दिन सैर-सपाटा करते
करते कब शाम हो गई पता ही नहीं चला शाम ढलने वाली थी। और अंधेरा छाने लगा था
तब राहुल बोला अब हमें घर चलना चाहिए। विनीत भी गाड़ी को घर की तरफ मड़
ु ा
लीया। और उसे उसी चौराहे पर छोड़ कर अपने घर की तरफ चल दिया।
राहुल घर पहुंचा तो काफी समय हो चक ु ा था। राहुल का छोटा भाई सोनू पढ़ाई कर रहा
था। वो सोनु से बिना कुछ बोले ही कीचन की तरफ चल दीया। जेसे ही राहुल कीचन मे
पाँव रखा ही थी की राहुल की मां की आवाज आई।

राहुल की माँ: आज बहुत दे र लगा दी बेटा।


राहुल: मम्मी आपको कैसे पता चल जाता है कि मैं आया हूं।
( राहुल की आटा गँथ
ू ते हूए।)

राहुल की माँ; तेरी मां हूं बेटा। तेरी रग रग से वाकिफ हूं मैं तेरे कदमों की आहट को
पहचानती हुँ। ( राहुल अपनी मां की बातो से खश ु होकर अपनी मां से जाकर लीपट गया।
और बोला।)

राहुल: ओह मम्मी तुम बहुत अच्छी हो।

राहुल की माँ: अच्छा जाकर तू हाथ मुंह धो ले तब तक में खाना तैयार कर दे तीे हुँ। 
( राहुल अपनी मां से अलग होता हुआ बोला।)

राहुल: ठीक है मम्मी।( इतना कहकर राहुल रसोई घर से बाहर आ गया।)

( राहुल की मां सुबह वाली साड़ी पहनी हुई थी जब वह आटे को गुंथ रही थी। तब उसके
हाथ के साथ-साथ की बड़ी बड़ी गांड भी थीरक रही थी। जिसे दे ख कर किसी का भी लंड
तंग टनटना कर खड़ा हो जाए। राहुल की मां को किचन में काम करते हुए भी दे खने मे
भी अपना एक अलग मजा था। उसके बदन की मांसल बनावट ही ऐैसी थी की जब वो
काम करती थी तब उसके बदन का कटाव मरोड दे ख दे ख कर ही लंड से पानी चन
ू ा शरू

हो जाए। 
राहुल दिनभर घम
ू कर क्लास वाली बात को भल ू चक ु ा था के मन से सारी बातें मिट चक
ु ी
थी। इसीलिए तो वो हाँथ पाँव धोकर सीधे पढ़ने बैठ गया। 
कुछ दे र बाद खाना तैयार हो चुका था और उसकी मम्मी खाना लगा कर सोनू और राहुल
को आवाज लगाई वे दोनों भी किताबें छोड़कर सीधे अपनी मम्मी के पास पहुंच गए।
जहां पर वह खाना लगा कर बैठी थी। तीनो वहीं बैठ कर खाना खाए और खाना खाने के
बाद राहुल की मम्मी बर्तन साफ करने लगी और वह दोनों भी जब तक उसकी मम्मी
नहीं आई तब तक पढ़ते रहे ।
कुछ दे र बाद जब की मम्मी बर्तन साफ कर के आई तब वह राहुल और सोनू को बोली।)

राहुल की माँ: जा बेटा आप जा कर सो जाओ सब ु ह जल्दी उठना भी तो है न। 


( वह दोनों भी अपनी मां की आज्ञा मानते हुए अपने अपने कमरे में चले गए और जाते-
जाते गड
ु नाइट भी बोलते गए। जवाब मे वह भी गड
ु नाइट बोली।
अलका के पति ने ये एक काम अच्छा किए थे जो यह मकान अलका के नाम कर गए थे।
जिसमें पांच कमरे थे। जिससे इन लोगों के पास सिर छुपाने की जगह तो थी। इसलिए
तीनों अपने अलग-अलग कमरे में सोते थे सोनू को भी अलग कमरे में सोने की आदत
पड़ गई थी
तीनों अपने अलग-अलग कमरे में चले गए। 
राहुल अपने कमरे में बिस्तर पर लेटा ही था कि उसे याद आया कि अलार्म लगाना भूल
गया है । अक्सर वह सुबह 5:00 बजे का अलार्म लगा दे ता था। जिससे सुबह मे नींद
जल्दी खुले। डिम लाइट के उजाले में वह बगल में रखे टे बल की तरफ दे खा तो वहां पर
दारु नहीं था उसे याद आया कि अलार्म तो मम्मी ले गई है । वह बिस्तर से उठा और सीधे
मम्मी के कमरे की तरफ चल दिया। दरवाजा बंद था लेकिन अंदर जल रही ट्यब
ू लाइट
की हल्की रोशनी दरवाजे के नीचे से आ रही थी ईसका मतलब ये था की अभी वह जग
रही थी वर्ना लाइट बंद हो चुकी होती। राहुल सोचा की दरवाजा अंदर से लोक होगा।
इसलिए जैसे ही वह दरवाजा खटखटाने के लिए ना हाथ दरवाजे पर रखा ही था की
दरवाजा अपने आप खुलने लगा। राहुल समझ गया कि मम्मी दरवाजा लॉक नहीं कि है ।
इसलिए वह दरवाजे को खोलते खुलते बोला।
राहुल; कल आप अलार्म लाई थी ना मम्मी।( इतना बोलते ही दरवाजा पूरा खुला और
राहुल ने जो सामने का नजारा दे खा उससे तो उसका होश ही उड़ गया। उसकी मम्मी
दीवार की तरफ मुंह किए हुए खड़ी थी।और उसकी पीठ राहुल के सामने थी। और वह
गाउन पहन रही थी। उसकी मां गाऊन को कमर तक पहन चुकी थी लेकिन इससे पहले
की वो गाऊन को नीचे सरकाती राहुल की नजर सीधे उसकी कमर के नीचे वाले भाग पर
पड़ी। बस एक झलक भर ही दे ख पाया था की राहुल की बात खत्म होते-होते गाउन सरक
के सीधे पांव तक चली गई। और उसकी मम्मी उसकी तरफ मोड़ कर जवाब दे ते हुए
बोली।

राहुल की माँ; हां बेटा वो रहा अलार्म सामने टे बल पर ही पड़ा जा कर ले लो। ( राहुल भी
बिना कुछ बोले सामने टे बल पर पड़ा अलार्म उठा लिया और जाते-जाते अपनी मम्मी को
थैंक यू बोलते हुए दरवाजा बंद कर के चला गया। उसकी मम्मी भी नॉर्मल तरीके से
बिस्तर पर लेट गई। )

राहुल अपने कमरे में आते ही झट से दरवाजा बंद कर लिया। उसकी साँसे बहुत ही तेज
चल रही थी। जो उसने दे खा था उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। दरवाजा
बंद करने के बाद वह तुरंत आ कर बिस्तर पर बैठ गया। उसका दिल बहुत तेजी से धड़क
रहा था।
उसका ध्यान जब उसकी जाँघो के बीच गया तो… उसका दिमाग संन्न हो गया। उसकी
जाँघो के बीच में तंबू बना हुआ था। उसको यकीन नहीं आ रहा था कि खद
ु की मां को
नंगी दे ख कर उसका लंड टनटना कर खड़ा हो गया है । उसको आज अजीब सा लग रहा
था उसका मन ना जाने क्यों मचल रहा था। ऐसा उसके साथ पहले कभी भी नहीं हुआ। 
आज ही के दिन उसके साथ घटी दो घटनाएं उसका जीवन बदलने वाली थी। 
राहुल अपने दिमाग से अभी अभी घटि उस घटना को निकाल दे ना चाह रहा था। लेकिन
चाह कर भी वो उस पल को भूल नहीं पा रहा था। बार बार उसकी आंखों के सामने उसकी
मां की बड़ी-बड़ी और बिल्कुल गोल गोल एकदम गोरी गांड तैर जा रही थी। राहुल के
लिए उसकी मां की नंगी गांड को दे ख पाना बहुत बड़ी बात थी।
क्योंकि आज तक वो अपनी मां को इस हाल में ना दे खा था और ना ही कभी दे ख पाया
था। पल भर के लिए ही तो दे ख पाया था उसने अपनी मां की गांड को उसकी चिकनी
मांसल जांगो को। और पलक झपकते ही गाऊन सीधे उस अनप
ु म और अतल्
ु य दृश्य को
ढँ कते हुए उसकी मम्मी के पैरों में जा गिरा।
बस इतना सा ही नजारा उसके दिलो-दिमाग पर परू ी तरह से छाया हुआ था। आज जो
उसके साथ हो रहा था ऐसा कभी भी नहीं हुआ। सुबह सुबह क्लास में नीलू की सेक्सी
अदाओं के दर्शन हुए और यहां कमरे में अपनी मम्मी की नंगी गांड को दे खकर मचल
उठा था उसका तनबदन। 
एक तो नीलू की उफान मारती जवानी दे ख कर उसका कोमल मन सुलग ही रहा था कि
उसकी मां की सड
ु ोल और बड़ी बड़ी गोरी गांड ने आग में घी का काम कर दीया। उसकी
सांसे तेज चल रही थी और साथ ही पजामे में तना हुआ उसका हथियार उसे और परे शान
कर रहा था। उसका गला सख
ू ने लगा था और वह बिस्तर पर लेट गया। बार बार अपना
ध्यान वहाँ से हटाने की कोशिश कर रहा था लेकिन बार-बार उसकी आंखों के सामने
सुबह क्लास में अपनी शर्ट की बटन खोलती हुई नीलु … उस की चुचीयाँ दबाता हुआ
विनीत और अभी अभी कुछ दे र पहले। उसकी मम्मी की बड़ी बड़ी गांड दीखाई दे रही थी।
इसलिए वह अपना ध्यान चाह कर भी नहीं ह टा पा रहा था।
वह क्या उसकी जगह कोई भी उसकी हम उम्र का होता तो वह भी इतना गरम और
कामुक नजारा दे खकर
सन्न हो जाता। और राहुल तो दे ख भी पहली बार ही रहा था। इसलिए तो उसका और भी
ज्यादा बुरा हाल था उसका टनटनाया हुआ लंड तनकर लोहे का रॉड हो चुका था बार बार
उसे ऐसा लग रहा था कि उसे पेशाब लगी है । उसका हाथ बार बार उस के तने हुए लंड पर
चला जा रहा था। 
एक तो उसकी माँ की नंगी गांड उसकी आंखों के सामने तेर जा रही थी। और जब भी वो
उसकी माँ की नंगी गांड के बारे में सोचते हुए अपने लंड को पजामे के ऊपर से दबाता तो
उसे एक अजीब सी सुख की अनुभूति होती । उसका मन उससे ज्यादा सुख पाने के लिए
मचल उठता। लेकिन वह ये नहीं जानता था की इससे ज्यादा सुख क्या करने से हासिल
हो सकता है ।
किताबों की जानकारी उसे बहुत थी लेकिन सेक्स की एबीसीडी से अभी वह अज्ञान था । 
उसकी जगह दस
ू रा कोई लड़का होता तो मे लंड की गर्मी शांत करने के लिए अपने हाथों
से ही मठ
ु मारकर 
अपने लंड का पानी निकाल दिया होता। लेकिन राहुल को तो मठ
ु मारना भी नहीं आता
था। उसने आज तक अपने लंड को सिर्फ पेशाब करने के लिए ही हाथों में पकड़ा था।
इससे ज्यादा उसने अपने लंड के साथ कुछ किया नहीं था। और यह भी नहीं जानता था
कि अपने आप को कैसे शांत किया जाता है । 
यही सब सोचते सोचते जब उसके लंड की खुजली और ज्यादा बढ़ गई तो उसका हाथ
अपने आप ही पजामे के अंदर चला गया। अपने ही अंगलि
ु यों का स्पर्श खद
ु के लंड पर
पड़ते हैं वह परू ी तरह से गनगना गया। अंगलि
ु यों का स्पर्श लंड के सप
ु ाड़े पर पड़ते हैं।
अजीब से सख
ु का अहसास उसके रोम रोम को पल
ु कित करने लगा लेकिन उसकी
अंगूलीयाँ भी लंड से निकले चिपचिपे पदार्थ से गीली हो गई। लेकिन उसे यह नहीं मालूम
था कि उसके के लंड से निकला ये चिपचिपा पदार्थ क्या है उसे तो यह लग रहा था कि
ज्यादा तेज पेशाब लगने की वजह से उसकी 2 4 बूंदे अपने आप टपक रही हैँ। लेकिन
उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि इतना चिपचिपा क्यों है । जैसे जैसे वो अपने लंड
को अपनी मुट्ठी में कसता उस का रोमांच बढ़ता जाता।
ल** को मुट्ठी में दबाने से जो मजा मिल रहा था उससे उसके पूरे बदन में सिहरन सी दौड़
जा रही थी। उसे अगर इतना भी पता होता की लको मुट्ठी में भर कर आगे पीछे हिलाने से
मजा दोगुना हो जाता है तो वह जरूर इस समय ऐसा ही करता। लेकिन उसे इस बारे में
जरा भी ज्ञान नहीं था। मठ
ु मारने के बारे में दोस्तों से सन
ु ा जरूर था लेकिन कैसे मारा
जाता है उसको नहीं मालम
ू था।
लंड को दबाने मात्र से ही उसका परू ा बदन पसीने से तरबतर हो गया उसकी सांसे तेज
चलने लगी थी । उसने जब अपनी हालत पर गौर किया तो घबरा गया उसे समझ में नहीं
आ रहा था कि यह क्या हो रहा है उस तुंरत बिस्तर से उठ कर बैठ गया और टे बल पर
पड़ा हुआ पानी का गिलास उठाया और एक झटके में पी गया। कुछ दे र यूं ही बैठ कर
अपने उखड़ती हुई सांसो को दरु
ु स्त होने दिया। जब नॉर्मल हुआ तो उसे अपने ऊपर बहुत
गुस्सा आया कि वह अपनी मां के बारे में सोच कर कितना गंदा कर रहा था। उसका मन
ग्लानी से भर गया। और मन ही मन में अपनी मां की माफी मांग कर बिस्तर पर लेट
गया। उसके मन में ढे र सारे सवालों का भूचाल में मचा हुआ था। उन्ही सवालों के जवाब
ढूंढते-ढूंढते व कब नींद की आगोश में चला गया उसे पता ही नहीं चला। 
सब
ु ह जब नींद खल
ु ी तो उसने दे खा कि उसका पजामा के आगे वाला भाग गीला हो चक
ु ा
था। अक्सर पंद्रह-बीस दिनों में उसका पजामा आगे से गीला ही मिलता था लेकिन उसे
यह समझ में नहीं आ रहा है गिला क्यों हो जाता है उसे तो ऐसा ही लगता था कि शायद
उसकी पैसाब छूट जाती है ।
बीते हुए कल की बात को भल
ू कर वो उठा और सीधे बाथरूम में घस
ु गया । कुछ ही दे र
में वह नहा कर तैयार हो चक
ु ा था। उसकी मम्मी नाश्ता तैयार कर चक
ु ी थी।

कुछ दे र बाद जब की मम्मी बर्तन साफ कर के आई तब वह राहुल और सोनू को बोली।)

राहुल की माँ: जा बेटा आप जा कर सो जाओ सब ु ह जल्दी उठना भी तो है न। 


( वह दोनों भी अपनी मां की आज्ञा मानते हुए अपने अपने कमरे में चले गए और जाते-
जाते गुड नाइट भी बोलते गए। जवाब मे वह भी गुड नाइट बोली।
अलका के पति ने ये एक काम अच्छा किए थे जो यह मकान अलका के नाम कर गए थे।
जिसमें पांच कमरे थे। जिससे इन लोगों के पास सिर छुपाने की जगह तो थी। इसलिए
तीनों अपने अलग-अलग कमरे में सोते थे सोनू को भी अलग कमरे में सोने की आदत
पड़ गई थी
तीनों अपने अलग-अलग कमरे में चले गए। 
राहुल अपने कमरे में बिस्तर पर लेटा ही था कि उसे याद आया कि अलार्म लगाना भूल
गया है । अक्सर वह सुबह 5:00 बजे का अलार्म लगा दे ता था। जिससे सुबह मे नींद
जल्दी खल
ु े। डिम लाइट के उजाले में वह बगल में रखे टे बल की तरफ दे खा तो वहां पर
दारु नहीं था उसे याद आया कि अलार्म तो मम्मी ले गई है । वह बिस्तर से उठा और सीधे
मम्मी के कमरे की तरफ चल दिया। दरवाजा बंद था लेकिन अंदर जल रही ट्यब
ू लाइट
की हल्की रोशनी दरवाजे के नीचे से आ रही थी ईसका मतलब ये था की अभी वह जग
रही थी वर्ना लाइट बंद हो चुकी होती। राहुल सोचा की दरवाजा अंदर से लोक होगा।
इसलिए जैसे ही वह दरवाजा खटखटाने के लिए ना हाथ दरवाजे पर रखा ही था की
दरवाजा अपने आप खुलने लगा। राहुल समझ गया कि मम्मी दरवाजा लॉक नहीं कि है ।
इसलिए वह दरवाजे को खोलते खुलते बोला।
राहुल; कल आप अलार्म लाई थी ना मम्मी।( इतना बोलते ही दरवाजा पूरा खुला और
राहुल ने जो सामने का नजारा दे खा उससे तो उसका होश ही उड़ गया। उसकी मम्मी
दीवार की तरफ मुंह किए हुए खड़ी थी।और उसकी पीठ राहुल के सामने थी। और वह
गाउन पहन रही थी। उसकी मां गाऊन को कमर तक पहन चुकी थी लेकिन इससे पहले
की वो गाऊन को नीचे सरकाती राहुल की नजर सीधे उसकी कमर के नीचे वाले भाग पर
पड़ी। बस एक झलक भर ही दे ख पाया था की राहुल की बात खत्म होते-होते गाउन सरक
के सीधे पांव तक चली गई। और उसकी मम्मी उसकी तरफ मोड़ कर जवाब दे ते हुए
बोली।

राहुल की माँ; हां बेटा वो रहा अलार्म सामने टे बल पर ही पड़ा जा कर ले लो। ( राहुल भी
बिना कुछ बोले सामने टे बल पर पड़ा अलार्म उठा लिया और जाते-जाते अपनी मम्मी को
थैंक यू बोलते हुए दरवाजा बंद कर के चला गया। उसकी मम्मी भी नॉर्मल तरीके से
बिस्तर पर लेट गई। )

राहुल अपने कमरे में आते ही झट से दरवाजा बंद कर लिया। उसकी साँसे बहुत ही तेज
चल रही थी। जो उसने दे खा था उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। दरवाजा
बंद करने के बाद वह तुरंत आ कर बिस्तर पर बैठ गया। उसका दिल बहुत तेजी से धड़क
रहा था।
उसका ध्यान जब उसकी जाँघो के बीच गया तो… उसका दिमाग संन्न हो गया। उसकी
जाँघो के बीच में तंबू बना हुआ था। उसको यकीन नहीं आ रहा था कि खुद की मां को
नंगी दे ख कर उसका लंड टनटना कर खड़ा हो गया है । उसको आज अजीब सा लग रहा
था उसका मन ना जाने क्यों मचल रहा था। ऐसा उसके साथ पहले कभी भी नहीं हुआ। 
आज ही के दिन उसके साथ घटी दो घटनाएं उसका जीवन बदलने वाली थी। 
राहुल अपने दिमाग से अभी अभी घटि उस घटना को निकाल दे ना चाह रहा था। लेकिन
चाह कर भी वो उस पल को भलू नहीं पा रहा था। बार बार उसकी आंखों के सामने उसकी
मां की बड़ी-बड़ी और बिल्कुल गोल गोल एकदम गोरी गांड तैर जा रही थी। राहुल के
लिए उसकी मां की नंगी गांड को दे ख पाना बहुत बड़ी बात थी।
क्योंकि आज तक वो अपनी मां को इस हाल में ना दे खा था और ना ही कभी दे ख पाया
था। पल भर के लिए ही तो दे ख पाया था उसने अपनी मां की गांड को उसकी चिकनी
मांसल जांगो को। और पलक झपकते ही गाऊन सीधे उस अनुपम और अतुल्य दृश्य को
ढँ कते हुए उसकी मम्मी के पैरों में जा गिरा।
बस इतना सा ही नजारा उसके दिलो-दिमाग पर परू ी तरह से छाया हुआ था। आज जो
उसके साथ हो रहा था ऐसा कभी भी नहीं हुआ। सब
ु ह सब
ु ह क्लास में नीलू की सेक्सी
अदाओं के दर्शन हुए और यहां कमरे में अपनी मम्मी की नंगी गांड को दे खकर मचल
उठा था उसका तनबदन। 
एक तो नीलू की उफान मारती जवानी दे ख कर उसका कोमल मन सुलग ही रहा था कि
उसकी मां की सुडोल और बड़ी बड़ी गोरी गांड ने आग में घी का काम कर दीया। उसकी
सांसे तेज चल रही थी और साथ ही पजामे में तना हुआ उसका हथियार उसे और परे शान
कर रहा था। उसका गला सूखने लगा था और वह बिस्तर पर लेट गया। बार बार अपना
ध्यान वहाँ से हटाने की कोशिश कर रहा था लेकिन बार-बार उसकी आंखों के सामने
सुबह क्लास में अपनी शर्ट की बटन खोलती हुई नीलु … उस की चुचीयाँ दबाता हुआ
विनीत और अभी अभी कुछ दे र पहले। उसकी मम्मी की बड़ी बड़ी गांड दीखाई दे रही थी।
इसलिए वह अपना ध्यान चाह कर भी नहीं ह टा पा रहा था।
वह क्या उसकी जगह कोई भी उसकी हम उम्र का होता तो वह भी इतना गरम और
कामक
ु नजारा दे खकर
सन्न हो जाता। और राहुल तो दे ख भी पहली बार ही रहा था। इसलिए तो उसका और भी
ज्यादा बुरा हाल था उसका टनटनाया हुआ लंड तनकर लोहे का रॉड हो चुका था बार बार
उसे ऐसा लग रहा था कि उसे पेशाब लगी है । उसका हाथ बार बार उस के तने हुए लंड पर
चला जा रहा था। 
एक तो उसकी माँ की नंगी गांड उसकी आंखों के सामने तेर जा रही थी। और जब भी वो
उसकी माँ की नंगी गांड के बारे में सोचते हुए अपने लंड को पजामे के ऊपर से दबाता तो
उसे एक अजीब सी सुख की अनुभूति होती । उसका मन उससे ज्यादा सुख पाने के लिए
मचल उठता। लेकिन वह ये नहीं जानता था की इससे ज्यादा सुख क्या करने से हासिल
हो सकता है ।
किताबों की जानकारी उसे बहुत थी लेकिन सेक्स की एबीसीडी से अभी वह अज्ञान था । 
उसकी जगह दस
ू रा कोई लड़का होता तो मे लंड की गर्मी शांत करने के लिए अपने हाथों
से ही मठ
ु मारकर 
अपने लंड का पानी निकाल दिया होता। लेकिन राहुल को तो मठ
ु मारना भी नहीं आता
था। उसने आज तक अपने लंड को सिर्फ पेशाब करने के लिए ही हाथों में पकड़ा था।
इससे ज्यादा उसने अपने लंड के साथ कुछ किया नहीं था। और यह भी नहीं जानता था
कि अपने आप को कैसे शांत किया जाता है । 
यही सब सोचते सोचते जब उसके लंड की खुजली और ज्यादा बढ़ गई तो उसका हाथ
अपने आप ही पजामे के अंदर चला गया। अपने ही अंगुलियों का स्पर्श खुद के लंड पर
पड़ते हैं वह पूरी तरह से गनगना गया। अंगुलियों का स्पर्श लंड के सुपाड़े पर पड़ते हैं।
अजीब से सुख का अहसास उसके रोम रोम को पुलकित करने लगा लेकिन उसकी
अंगूलीयाँ भी लंड से निकले चिपचिपे पदार्थ से गीली हो गई। लेकिन उसे यह नहीं मालूम
था कि उसके के लंड से निकला ये चिपचिपा पदार्थ क्या है उसे तो यह लग रहा था कि
ज्यादा तेज पेशाब लगने की वजह से उसकी 2 4 बूंदे अपने आप टपक रही हैँ। लेकिन
उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि इतना चिपचिपा क्यों है । जैसे जैसे वो अपने लंड
को अपनी मट्ठ
ु ी में कसता उस का रोमांच बढ़ता जाता।
ल** को मट्ठ
ु ी में दबाने से जो मजा मिल रहा था उससे उसके परू े बदन में सिहरन सी दौड़
जा रही थी। उसे अगर इतना भी पता होता की लको मुट्ठी में भर कर आगे पीछे हिलाने से
मजा दोगुना हो जाता है तो वह जरूर इस समय ऐसा ही करता। लेकिन उसे इस बारे में
जरा भी ज्ञान नहीं था। मुठ मारने के बारे में दोस्तों से सुना जरूर था लेकिन कैसे मारा
जाता है उसको नहीं मालूम था।
लंड को दबाने मात्र से ही उसका पूरा बदन पसीने से तरबतर हो गया उसकी सांसे तेज
चलने लगी थी । उसने जब अपनी हालत पर गौर किया तो घबरा गया उसे समझ में नहीं
आ रहा था कि यह क्या हो रहा है उस तुंरत बिस्तर से उठ कर बैठ गया और टे बल पर
पड़ा हुआ पानी का गिलास उठाया और एक झटके में पी गया। कुछ दे र यूं ही बैठ कर
अपने उखड़ती हुई सांसो को दरु
ु स्त होने दिया। जब नॉर्मल हुआ तो उसे अपने ऊपर बहुत
गुस्सा आया कि वह अपनी मां के बारे में सोच कर कितना गंदा कर रहा था। उसका मन
ग्लानी से भर गया। और मन ही मन में अपनी मां की माफी मांग कर बिस्तर पर लेट
गया। उसके मन में ढे र सारे सवालों का भूचाल में मचा हुआ था। उन्ही सवालों के जवाब
ढूंढते-ढूंढते व कब नींद की आगोश में चला गया उसे पता ही नहीं चला। 
सब
ु ह जब नींद खल
ु ी तो उसने दे खा कि उसका पजामा के आगे वाला भाग गीला हो चक
ु ा
था। अक्सर पंद्रह-बीस दिनों में उसका पजामा आगे से गीला ही मिलता था लेकिन उसे
यह समझ में नहीं आ रहा है गिला क्यों हो जाता है उसे तो ऐसा ही लगता था कि शायद
उसकी पैसाब छूट जाती है ।
बीते हुए कल की बात को भूल कर वो उठा और सीधे बाथरूम में घुस गया । कुछ ही दे र
में वह नहा कर तैयार हो चुका था। उसकी मम्मी नाश्ता तैयार कर चुकी थी।

अपनी मम्मी को रसोईघर में दे खते ही उसे कल की बात याद आ गई और कल की बात याद करके उसे
अपने आप पर गुस्सा भी आने लगा अपनी मम्मी से नजरें नहीं मिला पा रहा था। वह चुप-चाप नाश्ता
किया और मम्मी को बाय बोल कर स्कूल की तरफ चल दिया।
आज भी राहुल को पीक करने के लिए विनीत पहले से ही चौराहे पर खड़ा था। आज भी विनीत बाइक ले
आया था। कुछ ही दे र में दोनोे स्कूल पहुंच गए । 
राहुल पिछली बातों को दिमाग से लगभग निकाल ही दिया था। पहले की तरह ही पढ़ाई में व्यस्त था।
विनीत का मन ज्यादातर पढ़ाई में नहीं लगता था वह हमेशा इधर उधर कुछ ना कुछ करता रहता था। 
चैप्टर के बाद चैप्टर चल रहा था। राहुल सारे चैप्टर को ध्यान से सुनता और उसे नोटबुक में कॉपी कर
लेता। 
कुछ ही दे र में अपने समय अनुसार रिसेस की घंटी बजी और सारे विद्यार्थी क्लास से बाहर जाने लगे तो
विनीत बोला । 
वीनीत: यार चल हम भी आज बाहर चलते हैं यहां बैठे-बैठे बोर हो जाते हैं। 

राहुल: हां चल यार मैं भी कुछ दिनों से यहां बैठे बैठे बोर हो रहा हूं।

( विनीत राहुल दोनों क्लास के बाहर आ गए। स्कूल में छोटा सा गार्डन भी बना हुआ था जहां पर रीशेष मे
विद्यार्थी बैठकर गपशप लड़ाया करते थे। राहुल और विनीत एक अच्छे से कौना दे ख कर बैठे ही थे कि।
तुरंत वहां नीलू आकर बैठ गई। कल की सारी बातों को भूल चुका राहुल नीलू को दे खते ही सकपका गया।
कल की सारी बातें की आंखों के सामने तैरने लगी। विनीत कुछ बोल पाता उससे पहले ही नीलू बोली।)
नीलु: आज क्या बात है तम
ु दोनों क्लास की वजाय आज यहां पर बैठे हो।( इतना कहने के साथ ही वह
राहुल के नजदीक बैठ गई नीलु के वहां बैठते ही राहुल की बेचैनी बढ़ने लगी उसे कल क्लास में हुआ सारा
वाक्या याद आने लगा। बीते हुए नजारों को याद करके राहुल कसमसाने लगा मुझे समझ में नहीं आ रहा
था कि क्या करें क्या ना करें । तभी विनीत बोल पड़ा)

वीनीत: आज हम दोनों ने सोचा कि चलो क्यों ना आज तम


ु से ही मिल लिया जाए इसलिए क्लास छोड़कर
बाहर आ गए।। वैसे आज तम
ु बहुत सेक्सी लग रही हो क्या बात है आज कीसपर कहर बरसाओगी। (
विनीत नीलू की शर्ट मैं उभार लिए हुए उसकी चुचीयो को घूरते हुए बोला।)

(
नीलू भी अपने सीने के उभार को थोड़ा आगे की तरफ बढ़ाते हुए बोली।)

नीलु: इतनी भी तारीफ मत करो इतनी भी सुंदर नहीं हूं मैं। ।

वीनीत: सच कह रहा हूं नीलु मुझ पर भरोसा नहीं तोे राहुल से पूछ लो। क्यों राहुल नीलू कैसी लगती है
तुम्हें ।
( वीनीत के इस सवाल पर राहुल एकदम से सकपका गया गया। उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि
क्या जवाब दें । उसको तो वैसे ही लड़कियों से नजरें मिलाने में भी डर लगता था। राहुल कुछ बोल पाता
इससे पहले नीलू बोल पड़ी।)

नीलु: क्यों राहुल कैसी लगती हो मैं तुम्हें बोलो।


( नीलू की बात सुनते ही राहुल के तो पसीने छूट गए। नीलू की मीठी आवाज राहुल के बदन में झनझनाहट
पैदा कर रही थी। राहुल क्या कहता कुछ समझ नहीं आ रहा था वह कभी नीलू की तरफ तो कभी जमीन की
तरह दोखने लगता। राहुल को खामोश दे खकर नीलू बोली।)
नीलु: दे खा ना विनीत तम्
ु हारे दोस्त को ही मैं अच्छी नहीं लग रही हूं तभी तो कुछ बोल नहीं रहा है ।

राहुल; ना ना नाना नहीं। ऐसी कोई बात नहीं है ( राहुल और कुछ बोलता इससे पहले ही विनीत के मोबाइल
की घंटी बजी। राहुल और नीलू दोनों का ध्यान विनीत के ऊपर गया विनीत अपनी जेब से फोन निकाला
स्क्रीन पर दे खकर कॉल रिसीव किया।)

वीनीत; हां भाभी। अभी इसी वक्त। ज्यादा जरूरी था क्या अच्छा ठीक है मैं जल्द से जल्द आ रहा हूं मैंरा
इंतजार करिए।( फोन कट करके उसे अपनी जेब में रखते हूए ।)
मुझे घर जाना होगा जरुरी काम है । ( इतना कहकर वह नीलू और राहुल को बाय करके निकल गया। राहुल
और नीलू दोनों विनीत हो जाता हुआ दे खते रहे । आज पहली बार नहीं था की विनीत की भाभी का फोन
आया हो इससे पहले भी कई बार स्कूल में या बाहर इसी तरह से विनीत को उसकी भाभी का फोन आता था
और वह तरु ं त सारे काम छोड़ कर घर की तरफ चल दे ता था। विनीत अपनी बाइक लेकर घर चला गया था
राहुल की हालत और खराब होने लगी क्योंकि अब अकेला था और नीलू उसके पास ही बैठी थी।)

नीलु: तुम बताए नहीं कि मैं कैसी लग रही हूं। ( एकदम मस्ताए अंदाज मे ) बोलो ना राहुल( इतना कहने
के साथ ही नीलू अपने हाथ को राहुल की जाँघ पर रख दी। अपनी जाँघ पर नीलू के नरम हाथों का स्पर्श
पड़ते ही राहुल का बदन गन गना गया । ओर वो कांपते हुए बोला।)

राहुल; मंमममममम मै कककककक क्या बोलु। ( उसके शब्द भी अटक अटक के गले में से नीकल रहे थे।
नीलू की हथेली का स्पर्श पाते ही राहुल के लंड* में भी सनसनी पैदा होने लगी थी। और वह सिर उठाना शुरु
कर दिया था पें ट में बढ़ते उभार पर नीलु की नजर पड़ते ही नीलू की बुर मे कुलबुलाहट होना शुरु हो गया
।। उसका जी तो कर रहा था कि अपनी हथेली को उसके पें ट में बढ़ रहे उभार पर रख कर दबोच ले। लेकिन
यहां ऐसा करना ठीक नहीं था। नीलू फिर से सबकी नजर बचाकर अपनी हथेली को उसकी जाँघो पर
सहलाते हुए बोली।)

नीलु: बोलो तो सही में कैसी लगती हूं।(नीलु राहुल की शर्म और उसकी घबराहट को भाँपतो हुए।) क्या यार
तम
ु तो कितना डरते हो। अरे कुछ नहीं तो इतना तो कह सकते हो की अच्छी लगती हुं की खराब लगती हु।
( इतना कहने के साथ ही नीलू राहुल से और ज्यादा सट गई। एक लड़की के बदन से पहली बार उसका
बदन सटा हुआ था । राहुल के परू े बदन में सनसनाहट फेल रही थी। अजब से सख
ु का अहसास उसके परू े
बदन मे हो रहा था। राहुल जितना सरकता जाता नीलु उतना ही उसके करीब खसकती जाती। राहुल के
माथे पर पसीने की बूंदे झलकने लगी। राहुल का हाल दे खते हुए नीलू फिर बोली।)

नीलु; यार तुम तो सच में बहुत डरपोक हो। कुछ बोल ही नहीं रहे हो (उसकी हथेली अभी भी राहुल की जाँघो
के ऊपर की तरफ ही थी। अब तो राहुल की पें ट मे एकदम से तना हुआ तंबु बन चुका था। जिसको दे ख दे ख
कर नीलू की जाघोँ के बीच हलचल मची हुई थी।) 
या तो कुछ बोलो या मैं यह समझूं की तुम्हें मैं अच्छी नहीं लगती।
( नीलू की बात सुनते ही राहुल एकाएक बोला।)

राहुल; नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मुझे तो तम


ु ( अपना सिर नीचे झक
ु ाते हुए) बहुत अच्छी लगती हो।

(
राहुल की बात सुनते हुए नीलू मन ही मन बहुत खश ू हो रही थी। वह उससे और ज्यादा बातें कर पाती इससे
पहले ही रिषेश परू ी होने की घंटी बज गई। घंटी बजते ही राहुल तरु ं त उठ गया। नीलू तरु ं त उसका हाथ पकड़
ली। राहुल का हाथ नीलू के हाथ में आते ही राहुल के बदन में गद
ु गद
ु ी होने लगी। राहुल अपनी नजरें नीलू
की तरफ घम
ू ाया तो उसकी नजर खद
ु बखद
ु नीचे हो गई वह नीलू से नजरें नहीं मिला पा रहा था। तभी नीलू
बोली)

नीलु: विनीत तो बाइक लेकर घर चला गया। तम


ु कैसे जाओगे राहुल घर।
( नीलू के सवाल का जवाब दे ते हुए राहुल बोला)

राहुल ;पैदल ही चला जाऊंगा इसमें क्या हुआ।

नीलु: कोई बात नहीं राहुल हूं मैं तुम्हें छोड़ दं ग


ू ी। मैं अपनी गाड़ी लाई हूं।
( नीलू की बात सुनकर राहुल खुश होता हुआ बोला)

राहुल: थैंक य।ू


नीलु; इसमे थैंक्यू केसा ( राहुल का हाँथ अभी भी नीलू के हाथ में था। राहुल कसमसा रहा था क्योंकि
उसकी पें ट में अभी-भी तंबू बना हुआ था जिसे वह नीलू की नजरों से बचाने की नाकाम कोशिश कर रहा
था। लेकिन नीलू की नजर बार-बार तंबू पर ही जम जा रही थी । राहुल की जांघों के बीच नजर गड़ाते हुए)
वैसे भी दोस्ती में थैंक्यू वैंक्यू कुछ नहीं होता। वैसे हम दोनों दोस्त तो है ना। की दोस्त नहीं है । 
( नीलू सवालिया नजरों से राहुल की तरफ दे खने लगे तो राहुल बोला।)
राहुल: हां है । ( इतना कहकर शर्मा गया। नीलू राहुल का जवाब सुनकर मुस्करा दी और उसका हाथ छोड़
दी।)
नीलु: छुट्टी में मिलना साथ में चलेंगे।
नीलू की बात सुनकर
राहुल खुश होता वह अपने क्लास की तरफ चला गया और नीलू भी अपनी क्लास में चले गई।)

राहुल क्लास में आज बहुत खश


ु नजर आ रहा था आज पहली बार उसने किसी लड़की से इतनी सारी बातें
की थी उसे तो यकीन नहीं आ रहा था यह सब सच है या एक सपना। उसे तो अब बस छुट्टी की घंटी के बजने
का इंतजार था। बार-बार की आंखों के सामने नीलू का चेहरा तेर जा रहा था। लेकिन उसे इस बात पर
शर्मिंदगी भी हो रही थी कि। उसके पें ट में बने तंबू को दे खकर नीलू क्या सोच रही होगी। क्योंकि वह तिरछी
नजरों से नीलू को दे ख ले रहा था और उसकी नजरें भी उसकी पें ट मे बने तंबू पर ही थी। लेकिन कुछ भी हो
आज जो हुआ उसको लेकर उसके मन में हलचल सी मची हुई थी
अब राहुल का मन पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था । बड़ी बेसब्री से उसे छुट्टी का इंतजार था।
वहीं दस
ू री तरफ नीलू का भी यही हाल था मन ही मन में राहुल उसे भाने लगा था। उसकी मासमि
ू यत
उसका भोलापन उसका भोला सा चेहरा यह सब नीलू को बहुत ही ज्यादा भा रहा था। खास करके नीलू को
उसकी पें ट में बने उभार की तरफ ज्यादा ही दिलचस्पी थी। नीलू को उसकी पें ट का उभार कुछ ज्यादा ही
पसंद आया था
नीलू के मन में उसके उभार को दे खकर लड्डू फूट रहे
थे । क्योंकि वह बखब
ू ी जानती थी कि वीनीत के पें ट में जितना उभार बनता है उससे कहीं ज्यादा उभार
राहुल की पें ट में बन रहा था । नीलू के मन में इस बात को लेकर ज्यादा उत्सुकता थी कि अगर राहुल की
पैंट का उभार इतना बड़ा है तो उसका लंड कितना बड़ा होगा।
यही सब सोच सोच कर उसकी बुर की अंदरुनी दीवारें पसीज कर पैंटी को गीला कर रही थी। 
दोनों का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था दोनों को बस इंतजार था छुट्टी की घंटी बजने का।
अपने समय अनुसार घंटी बज गई। राहुल का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था से समझ में नहीं आ रहा था
कि कैसे नीलू से मीले । वो टहलते टहलते पार्किं ग तक आ पहुंचा। वहां दे खा तो नीलू नहीं थी। उसका मन
उदास होने लगा। तभी सामने से उसे नीलू लगभग दौड़ते हुए उसके करीब आते हुए दिखाई दी । राहुल नीलू
को दे ख कर बहुत खश
ु हुआ। हवा में लहरा रहे उसके रे शमी बाल उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे।
सूरज की तीखी रोशनी में उसका चेहरा और भी ज्यादा दमक रहा था। लेकिन राहुल की नजर उसकी
खूबसूरती का रसपान करते हुए उसके बदन के खास अंग पर अटक गई जब वह लगभग दौड़ते हुए आ रही
थी तब दौड़ने की वजह से उस की चुचीयाँ ऊपर नीचे होकर ।

राहुल के बदन मैं हलचल पैदा कर रही थी। राहुल उसकी चुचियों की गोलाई को दे खता ही रह गया। नीलू की
चुचीयाँ राहुल को बहुत ज्यादा ही परे शान कर रही थी। राहुल और कुछ ज्यादा सोच पाता ईससे पहले नील
ुउसके करीब पहुंच गई। और इस तरह से जल्दी जल्दी
दौड़ कर आने से वह हाँपने लगी। और हाँफते हाँफते बोली।।

नीलु; सॉरी राहुल मझ


ु े आने में दे र हो गया। तम्
ु हें इंतजार करना पड़ा इसके लिए मैं माफी मांगती हूं।(
हाँफने की वजह से नीलू की चुचीया ऊपर-नीचे होते हुए हील रही थी। जिस पर ना चाहते हुए भी राहुल की
नजर बार बार चली जा रही थी। 
अपनी नजरों को चुराते हुए राहुल बोला।

राहुल: इसमें माफी मांगने वाली क्या बात है इतना तो चलता ही है ।


( राहुल की बात सुनकर वह पार्किं ग की तरफ जाते हुए बोली।)
नीलु: अच्छा तम
ु रुको मैं गाड़ी लेकर आती हूं।
( राहुल हाँ मे सिर हिला कर वहीं खड़ा रहा कुछ ही दे र मे नीलु अपनी स्कूटी लेकर राहुल के पास आकर
खड़ी हुई और बोली।)

नीलु: बैठ जाओ राहुल।( इतना कहकर नीलू अपनी गांड को आगे की तरफ थोड़ा सा सरका ली ताकि राहुल
ठीक से बैठ सके। राहुल भी एक हाथ में बेग लटकाकर स्कूटी पर नीलू के पीछे बैठ गया। नीलू स्कूटी को
कम रफ्तार में भगाने लगी। पीछे की सीट थोड़ी ऊपर होने की वजह से नीलू जब-जब ब्रेक लेती तो राहुल
सरककर नीलू की पीठ से सट जाता। और जैसे ही राहुल का बदन नीलू की पीठ से सटता राहुल का बदन
पूरी तरह से गनं गना जाता। राहुल तुरंत पीछे की तरफ खिसक जाता । नीलू को इस में बहुत मजा आ रहा
था। इसलिए वह बार-बार ब्रेक लगा रही थी। लेकिन बार-बार राहुल का इस तरह से नीलू के बदन से चिपक
जाना उसके बदन को गनगना दे रहा था । जिससे राहुल का लंड फुल टाइट होकर खड़ा हो चुका था। राहुल
को भी उसके बदन से सटने में बहुत मजा आ रहा था। थोड़ी ही दे र में नीलु की गांड के ऊपरी हिस्से पर कुछ
कड़क सी चीज चुभने का एहसास होने लगा जब उसको थोड़ा सा ईसका एहसास हुआ की यह तो राहुल का
लंड है । बस इतना सोचते हैं उसकी जाघों के बीच झुरझुरी सी फेल गई । नीलू की बुर से मदनरस की एक
दो बँद
ु चु गई जिससे उसकी पैंटी गीली हो गई। उसे यह सोचकर और ताज्जुब हुआ कि ऐसे ही वीनीत भी
बेठता था। उसका भी इसी तरह से खड़ा होता था लेकिन आज तक विनीत का लंड उसकी पीठ पर कभी भी
नहीं चुभा। नीलू इसी बात से है रान थी कि वास्तव में राहुल का लंड ज्यादा ही बड़ा है तभी तो उसके पीठ पर
चुभ रहा है । अब तो राहुल उसे और भी ज्यादा अच्छा लगने लगा था। रास्ते भर उसने राहुल के बारे में
उसकी फैमिली के बारे में सब कुछ जान ली। राहुल भी उसके सवाल का जवाब दे ता गया। थोड़ी ही दे र में
वह चौराहा आ गया जहां पर राहुल को उतरना था। 
राहुल: बस बस बस यहीं उतार दो।
( नीलू स्कूटी को रोकते हुए)

नीलु: यहाँ चलो मैं तम


ु को घर तक छोड़ दं ।ू
( राहुल स्कूटी से उतरते हुए)
राहुल; कोई बात नहीं मैं चला जाऊंगा तम
ु इतनी तकलीफ मत उठाओ।( राहुल की बात सुनकर नीलू
मुस्कुरा दी और बोली।)
नीलु; कल तो संडे है कल कुछ काम तो नहीं है तुम्हें ।

राहुल: नहीं कल मैं फ्री हूं। 


नीलु; तो कल कहीं घूमने चलें मैं तुम्हें यहां से पिक कर लूंगी। चलोगे ना।
राहुल; तम
ु कहती हो तो जरुर चलूंगा।
नीलु; तो ठीक है कल 10:00 बजे मिलेंगे यहीं पर( इतना कहकर वह स्कूटी को आगे बढ़ा दी।
राहुल नीलू को जाते हुए दे खता रह गया और जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गई तब तक वही सड़क
पर खड़ा नीलकु ो दे खता रहा। 
आज राहुल बहुत खश
ु था चहल कदमी करते हुए अपने घर की तरफ जाने लगा। बार बार नीलु की पीठ से
सट जाने की वजह से उसके लंड का तनाव अभी भी बरकरार था। पहली बार उसने किसी लड़की से इतनी
बातें की थी और उसके बदन से सटा भी था।वौ सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई लड़की उससे इतना
लगाव रखने लगेगी। नीलु से हुई सारी बातें सोचते हुए वह कब घर पहुंच गया उसे पता ही नहीं चला । घर
की एक चाबी राहुल के पास ही हुआ करती थी। राहुल अपनी जेब से चाभी निकालकर ताला खोला। ईसी
समय राहुल अक्सर घर पहुँचा करता था । और इस समय घर पर न उसकी मम्मी होती ओर न ही उसका
छोटा भाइ। 
नीलू को याद करके राहुल के बदन में रह रह के सनसनी फैल जा रही थी । जब भी वह नीलू की उछलती हुई
चुचियों के बारे में सोचता उसके लंड मे तनाव आना शुरु हो जाता था। राहुल को इस बात से बहुत ज्यादा
शर्मिंदगी होती थी। वो अब तक यह नहीं समझ पाया था कि आखिरकार नीलू के बारे में सोचते ही ऐसा क्यों
हो जाता है । खैर जो भी हो उसे भी लंड में आए तनाव से ज्यादा मजा मिल रहा था।
दोपहर का समय हो रहा था उसे भूख भी लगी थी तो वह हाथ पैर धोकर किचन में गया और वहां से खाना
ले कर खाने लगा। खाना खा कर आराम करने की सोचकर वो अपने कमरे मे लेट गया । लेकीन उसकी
आँखो से नींद कोसो दरू चली गई थी। उसे कल का बड़ी बेसब्री से इन्तजार था। वो यही सोच रहा था की कल
की मुलाकात कैसी होगी क्या होगा कल। कैसे वौ उससे बात करे गा। यही सब सोचते हुए उसकी धड़कने बढ़
रही थी। बार बार सोने की सोचता लेकीन ऐसे मे उसे नींद कहाँ आने वाली थी। कंटाल के वह बिस्तर से उठा
और घर के बाहर आ गया। वह सोचा कि जब तक नींद नहीं आ रही है क्यों ना बाहर टहल लिया जाए ।
इसलिए वह यहां-वहां घूम कर अपना समय व्यतीत करने लगा। 
दस
ू री तरफ अलका अपनी केबीन मे बैठकर कम्पयुटर ऑपरे ट कर रही थी। शर्मा जी बार बार उसे झाँकने
का उससे बात करने का बहाना ढुँढ़ रहा था। अलका के बारे मे सोच सोच कर शर्मा जी का भी लंड तन जा
रहा था। 
शर्मा जी से रहा नहीं गया तो वह अलका की केबिन की तरफ एक फाइल उठाए चल दिए।
अलका की कैबिन तक पहुंच कर शर्मा जी बिना दरवाजे पर नॉक किए सीधे केबिन में घुस गए काम की
व्यस्तता के कारण अलका के सिर से साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया था जिससे सीने पर से आंचल हटने की
वजह से उसकी बड़ी बड़ी चचि
ु यां ब्लाउज से आधी बाहर दिखने लगी थी। जिससे शर्मा जी की नजर केबीन
का दरवाजा खोलते ही सीधे अलका की छातियों पर पड़ी। अलका की भारी छाती दे खते ही शर्मा जी के लंड
ने ठुनकी मारना शरू
ु कर दिया । शर्मा जी को केबिन के अंदर दे खते हैं अलका झट से नीचे गिरा हुआ पल्लू
उठा कर अपने सर पर रखते हुए अपने अस्त व्यस्त कपड़ों को व्यवस्थित करने लगी यह दे ख कर शर्मा
मस्
ु करा दिया उसकी मस्
ु कुराहट में वासना साफ झलक रही थी।
वैसे भी इसमें शर्मा का दोष नहीं था उसकी जगह कोई भी होता तो अलका की भारी छातियों को दे खकर
उसका हाल यही होता। अलका की भी शरु
ु से यही आदत थी की वह अपनी बड़ी बड़ी चचि
ु यों के साइज से
कम साइज की ब्लाउज पहना करती थी। जिससे अलका की आधी चचि
ु यां ब्लाउज के बाहर दिखाई दे ती
थी। चचि
ु यों से ज्यादा असर ब्लाउज में कसे होने की वजह से चच
ू ीयों के बीच में उभरती हुई वह रे खा कुछ
ज्यादा ही लंड को तडपा जाती थी।
अलका अपनी साड़ियों को व्यवस्थित करते हुए शर्मा जी को लगभग बिगड़ते हुए बोली।

अलका: शर्मा जी क्या आप को इतना भी ज्ञान नहीं है कि किसी की केबिन में जाने से पहले दरवाजे पर
नोक कर लिया जाए।
( शर्मा अपने चेहरे पर बनावटी हं सी लाते हुए)
शर्मा जी: अब क्या कहे मेडम यह कोई घर थोड़ी ना है । ये तो ऑफिस है और यहां कैसा परदा। और वैसे भी
मैडम यहां ऑफिस में भला कोई गलत काम तो कर नहीं रहा है जो ये सब का इतना ध्यान रखेगा। गलत
काम तो घर में होता है ना मैडम आप आप मेरे कहने का मतलब तो समझ रही है ना। ( शर्मा के कहने का
मतलब कुछ और ही था जिसको अलका अच्छी तरह से जानती थी ।) वैसे कहीं आप तो कुछ……गलत…
( शर्मा इसके आगे कुछ कह पाता उससे पहले ही आलका बोल पड़ी)

अलका: शट अप शर्मा जी । अपनी जबान को लगाम दो आप केवल काम से मतलब रखें। फिजूल की बातें
सुनने के लिए मेरे पास वक्त नहीं है ।
( अलका का गुस्सा दे खकर शर्मा जी थोड़ा घबरा से गए और बोले)

शर्मा जी ;अरे मैडम आप तो बेवजह नाराज हो रही हैं। मैं तो बस ऐसे ही कह रहा था।

अलका ;किसलिए आए हैं आप यहां पर?

शर्मा जी; क्या है मैडम ये एक फाइल थी जिसे साहब के पास ले जाना है और आप इसे चेक कर लेती तो
अच्छा होता(टे बल पर फाईल रखते हुए) साहब से बेवजह की डाट कौन सुने ( अपनी नजर को अलका की
चुचीयो के बीच उभर रही रे खा पर गड़ाते हुए) इसलिए ये फाइल आप चेक कर लेती तो बेहतर होता। (
अलका शर्मा जी की नजर को भाँप गई थी वह जानती थी कि शर्मा जी उसकी चुचियों पर नजर गड़ाए हुए हैं
इसलिए अपने हाथ से साड़ी को व्यवस्थित करते हुए)
अलका :ठीक है आप जाइए मैं फाइल चेक कर लूंगी। 
(
अलका के कहने के बावजद
ू भी शर्मा अपनी नजर को उसकी चच
ु ीयो पर गड़ाए हुए था। इस बात से अलका
एकदम से नाराज होते गस्
ु से में बोली)
अलका; शर्मा जी। 
( अलका थोड़ा जोर से बोली थी इसलिए शर्मा एकदम से हड़वड़ा गया। और हड़बड़ाते हुए बोला।)

शर्मा जी :अरे जा रहे हैं आप इतना नाराज क्यूं होती हो मैडम।( जाते जाते भी जैसे कि वह अलका की
चुचीयो को नजरों से ही पी जाना चाहता हूं इस तरह से अपनी नजर गड़ा के गहरी सांस लेकर छोड़ते हुए
केबिन से बाहर चला गया। अलका के लिए हर रोज का हो गया था इसलिए वह इसे हैंडल करना बखग
ु ी
जानती थी।)

शाम ढल चुकी थी अंधेरा गहरा रहा था। राहुल अपने घर पर पहुंच चुका था। उसकी मम्मी खाना परोस कर
खाने की तैयारी कर रही थी। 
राहुल भी जल्दी से हाथ पैर धोकर खाने बैठ गया । उसकी मम्मी राहुल और सोनू दोनों से खाते समय उन
दोनों की पढ़ाई के बारे में पूछताछ करने लगी ।
राहुल और सोनू दोनों ने अपनी मम्मी के सवालो का जवाब ठीक ठाक दिया। कुछ दे र में खाना ख़त्म करके
सभी लोग अपने कमरे में चले गए। राहुल अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था उसे एकाएक कल इसी वक्त हुए
वाक्ये
के बारे में याद आ गया। उस वाक्ये के बारे में याद आते ही उसके लंड में तनाव आना शरु
ु हो गया। राहुल
को उसकी मां का पिछ्वाड़ा याद आ गया। गोरी गोरी एकदम बड़ी बड़ी गांड को याद करके उसका लंड एक
दम से टन्ना गया। कल का परू ा नजारा उसकी आंखों के सामने तैरने लगा उसे तरु ं त याद आ गया कि वह
कैसे दरवाजे को खोला ही था की सामने उसकी मां गाउन को पहन रही थी और अपनी गोरी गोरी मस्त गांड
को ढक पाती उससे पहले ही उसकी नजर उसकी मम्मी की नंगी गांड पर पड़ गई। 
राहुल अपनी मां को याद करके एक दम गरम होने लगा उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है
लेकिन जो भी हो रहा था उससे उसके बदन में एक अजब सी हलचल मची हुई थी जिसमे उसे मजा भी आ
रहा था।
राहुल का हांथ एकाएक अपनेपजामे में बने तंबू पर चला गया। वह जब-जब पजामे के ऊपर से ही अपने लंड
के सुपारे को उं गली और अंगूठे के बीच में लेकर दबाता उसके बदन में झुरझुरी सी फेैल जाती। उसको बहुत
मजा आता उसका मजा दोगुना हो जाता। 
इस समय वह नीलू को बिल्कुल ही भूल चुका था। उसकी आंखों के सामने बार बार उसकी मां की बड़ी-बड़ी
गोरी गांड ही दिखाई दे रही थी। अपनी मां की गोरी गांड के बारे में सोच सोच कर उसके लंड का तनाव और
भी ज्यादा बढ़ चुका था। आज तक उसने कभी भी अपनी मां के बारे में इतना गंदा नहीं सोचा था और ना ही
कभी इस तरह की गंदी बातें सोचने के बारे मे सोच भी सकता था। लेकिन कल रात को उसने जो नजारा
दे खा था उसके बारे में भी कभी सोचा नहीं था। साड़ी ब्लाउज में तो बहुत बार दे खा था कपड़े बदलते हुए
नहाते हुए लेकिन कभी भी कपड़ों के अंदर का अंग नहीं दे खा था इसलिए के बारे में कभी सोचा ही नहीं था
लेकिन जब से उसने अपनी मां को उस अवस्था में दे खा तब से राहुल के दिमाग में बार-बार वही छबी नजर
आ रही थी। वैसे भी राहुल की मां की मादक और सड
ु ोल गांड का उभार कुछ ज्यादा ही था। इसलिए उसकी
गांड काउभार राहुल के मन-मस्तिष्क पर ज्यादा ही असर कर रहा था।।
राहुल की सांसे भारी होती जा रही थी। लंड में आए ज्यादा तनाव की वजह से अब उस में दर्द होना शरु
ु हो
गया था। लेकिन राहुल को उस दर्द में भी मीठा मजा मिल रहा था। राहुल का मन एकदम बेचैन हुआ जा
रहा था उसके बदन में रह रह कर झरु झरु ी फेल जा रही थी।
वह अपनी मां के बारे में ही सोच रहा था तभी से का एकाएक सुझा की क्यों ना आज भी मम्मी के कमरे में
चलकर दे खा जाए हो सकता है कि आज कुछ ज्यादा ही दे खने को मिल जाए यही सोचकर बिस्तर से उठा
और दरवाजे तक आ गया दरवाजे को खोलने ही वाला था कि उसका मन ग्लानी से भर गया । बस एकदम
से उसके मन में अपनी ही मां को नंगी दे खने के लिए कैसा बेचैन हुआ जा रहा है । उसे खुद पर गुस्सा आने
लगा कि वह अपनी मां के बारे में कैसे इतना गंदा सोच सकता है । वह भारी मन से वापस अपने बिस्तर पर
आकर बैठ गया। और सोचने लगा कि मैं कितना गंदा कामकरनेजा रहा था अगर इस बारे में की मां को
जरा भी पता चलेगा तो कितना दख
ु पहुंचेगा और उस पर गुस्सा भी बहुत करे गी। यह सब सोचते हुए वह
फिर से बिस्तर पर लेट गया। उसके लंड में आया तनाव धीरे धीरे कम होने लगा। राहुल मन में आए
पछतावे के साथ
कब सो गया उसे पता ही नहीं चला।

सुबह 5:00 बजे का अलार्म बजते हैं राहुल की नींद खुल गई । राहुल अलार्म को बंद किया और थोड़ी दे र यूं
ही बिस्तर पर आंखें बंद करके लेटा रहा वह सोचा अभी 5 मिनट में उठता हूं। लेकिन जब दोबारा आंख
खुली तो घड़ी में 7:00 बज रहे थे। वह हड़बड़ा के बिस्तर पर से उठा और तुरंत बाथरूम की और भागा ।
जल्दी-जल्दी ब्रस करके नहा धोकर तैयार हो गया। उसे आज नीलू से मिलने जाना था आज बहुत खश
ु लग
रहा था। किचन में गया तो वहां खाना नाश्ता दोनों तैयार हो चुका था कि मम्मी आदत के अनुसार मंदिर
जा चक
ु ी थी राहुल ने अपने हाथों से चाय नाश्ता लेकर किचन के बाहर आकर नाश्ता करने लगा। रविवार
के दिन वैसे भी उसे कुछ ज्यादा टें शन नहीं रहता आज के दिन वह यहां-वहां घम
ू कर अपना समय व्यतीत
करता था। वैसे भी वह हर संडे को विनीत के साथ ही होता था लेकिन आज वह नीलू के साथ घम
ू ने जाने का
प्रोग्राम बना चक
ु ा था। तैयार हो चक
ु ा था राहुल अभी भी उसे 2 घंटे का समय था लेकिन फिर भी वह अंदर
ही अंदर बेचैन ,हुआजा रहा था उसे जल्दी थी नीलू से मिलने की। वह बस अपनी मां का इंतजार कर रहा था
जोकि मंदिर गई हुई थी। 
नीलु से वह क्या कहेे गा। कैसे कहे गा वह क्या करे गी कहां चलेगी घम
ू ने यही सब बातें । उसके मन में चल
रही थी चाय नाश्ता कर चुका था बस इंतजार था उसको अपनी मम्मी का। थोड़ी ही दे र में पूजा की थाली
लिए हमें उसकी मां घर में प्रवेश करी। अपनी मां को दे खते ही राहुल बहुत खुश हुआ। राहुल को खुश होता
हुआ दे खकर उसकी मां बोली।
राहुल की मां :क्या बात है बेटा आज बहुत खश
ु नजर आ रहे हो।( पज
ू ा की थाली लिए हुए सीधे रसोई घर मे
चली गई पीछे -पीछे राहुल भी रसोईघर में चला गया और पीछे से ही बोला।)

राहुल: बस ऐसे ही मम्मी। वह क्या है कि आज है दोस्तों के साथ कहीं घूमने जाने का प्रोग्राम था इसलिए।
वह क्या है कि।( राहुल कुछ बोलना चाह रहा था लेकिन हीचकीचा रहा था। । उसके हिचकिचाहट को उसकी
मा समझ गई थी। और वह पूजा की थाली रखकर अपनी कमर पर हाथ रखते हुए राहुल की तरफ दे खते हुए
बोली।)
राहुल की मां :अच्छा तो तुम्हे पैसे चाहिए तो सीधे-सीधे क्यों नहीं बोल दे ते इतना हड़बड़ा क्यों रहे हो।(
इतना कहते ही वह किचन पर पड़ा हुआ पर्स उठाई और उसे खोलकर उसमें से 50 का नोट निकाल कर
राहुल को पकड़ाते हुए बोली।)
राहुल की मां: ले बेटा मैं जानती हूं कि मैं तुम दोनों की सारी ख्वाहिशें नहीं पूरी कर पाती तुम तो जानते ही
हो
हम लोगों की माली हालत ठीक नहीं है जैसे तैसे करके घर का खर्चा चलता है । फीर भी में पूरी कोशिश
करती हूं कि तम
ु लोगों की थोड़ी बहुत ख्वाहिशै जरूर पूरी करती रहुँ। 
( राहुल उस 50 की नोट को हाथ में पकड़ते हुए बोला)
राहुल: आप बहुत अच्छी हो मम्मी। आप हम लोगों की सारी ख्वाहिशें पूरी करती हो आई लव यू मम्मी। (
इतना कहने के साथ ही अपनी मम्मी के गले लगते हुए थैंक्यू बोला।)
राहुल की मम्मी; वेसे बेटा तम
ु कब लौटोगे।
(
अपनी मम्मी से अलग होता हुआ बोला)
राहुल; मम्मी कोई नक्की तो नहीं है कब लौटूंगा। कुछ काम था क्या मम्मी।

राहुल की मम्मी; वेसे कुछ खास नहीं बस थोड़ा मार्के ट जाना था राशन लेने। कोई बात नहीं मैं खुद चली
जाऊंगी।
राहुल; अगर मैं टाइम पर आ गया तो जरुर चलूंगा और नहीं आ पाया तो आप खुद चली जाना। 

राहुल की मम्मी: ( अपनी साड़ी के किनारी को अपनी कमर मे ठुंसते हुए) कोई बात नहीं बेटा मैं कह रही हुँ
न मै चली जाऊंगी तुम बेफिक्र रहो। 
( राहुल की मम्मी जब अपनी साड़ी की किनारी को अपनी कमर में ठूंस रही थी तो राहुल की नजर एकाएक
उसकी मम्मी के गोरी गोरी एकदम चिकनी और मांसल कमर पर पड़ी । और वह अपनी मम्मी की कमर
को दे खता ही रह गया । उसकी मम्मी थी की रसोई का काम किए जा रही थी कभी बर्तन को गैस पर रखती
तो कभी जूठे बर्तन को धोने लग जाती । राहुल की नजर बार-बार उसकी मम्मी के अंगो उपांगो पर तैरने
लग जा रही थी। उसकी मां के बदन की बनावट उसके अंगों का कटाव था ही ऐसा की कोई भी उसे एक बार
दे ख ले तो दे खता रह जाए। 
राहुल की मां राहुल के आगे खड़ी थी राहुल उसके पीछे खड़ा था। उसकी मां की पीठ राहुल के सामने थी।
राहुल अपनी मां के अंगउपांगो को निहार रहा था। कुछ दे र पहले ही जहां राहुल अपनी मां के मार्तत्व और
वात्सल्य से खश
ु होकर अपनी मां को गले से लगा लिया था और अब उर्सी मां के खब
ू सरू त बदन को दे खकर
उसका मन मचलने लगा था। राहुल अपनी आंखों की पहुंच को जहां-जहां हो सकता था वहां वहां अपनी मां
के बदन तक पहुँचा रहा था। . फिर से उसकी जाँघों के बीच के अंग में तनाव आना शुरु हो गया था।
उसकी मां सब्जी काट रही थी और सब्जी काटते हुए बोली।

राहुल की मां : खाना तैयार हो गया था बेटा बस सब्जी बनाना रह गया था। तम
ु जरा उस थेली में से आलु
निकाल कर दो। (
राहुल की मम्मी पीछे दे खे बिना ही बोली थी। सब्जी से भरा हुआ थेला वही राहुल के पैर के पास पड़ा हुआ
था राहुल जैसे ही नीचे बैठ कर थेलें मैं से आलू निकालने लगा वैसे ही उसकी मां के हाथों से चाकू छुट़कर
नीचे गिर गया। उसकी मां चाक़ू उठाने के लिए नीचे झक
ु ी और जैसे ही वह झक
ु ी उसकी बड़ी बड़ी मतवाली
और चौड़ी गांड ठीक राहुल की आंखों के सामने उभर के सामने आ गई। नीचे बैठे होने की वजह से उसकी
मां की बड़ी बड़ी गांड और भी ज्यादा बड़ी लगने लगी। 
राहुल एकटक अपनी मां की गांड को ही दे खते रह गया । उसे एकाएक रात वाला नजारा याद आ गया जब
उसने अपनी मां की नंगी गांड को दे खा था। वह सोचने लगा की सच में मम्मी की गांड बहुत बड़ी-बड़ी और
बहुत मस्त है । साड़ी में जब इस तरह की दीखाई दे रही है । तो उस रात को तो मै मम्मी की गांड को एकदम
नंगी दे खा था। मम्मी की गांड सच में बहुत खूबसूरत है । तभी तो मेरे मन से मम्मी की गांड की छवी हट
नहीं रही है ।
राहुल ये सब सोच ही रहा था तब तक उसकी मां चाकु उठा कर फिर से सब्जी काटते हुए बोली।

राहुल कीमाँ: क्या हुआ बेटा इतनी दे र क्यों लग रही है आलू दे ने में ।( अपने मम्मी की बात सन
ु ते ही राहुल
हड़बड़ा गया और हड़ बड़ाते हुए बोला।)
राहुल; हहहहहह हाँ मममम्मी दे रहा हुँ। ( इतना कह कर झट से थैले मे से आलू नीकालकर अपनी मां को
थमाते हुए बोला।)
लो मम्मी यह रहे आलू। 
( राहुल की मां राहुल के हाथों से आलू थाम ली और आलू को काटते हुए बोली)
राहुल की मां: बेटा तम
ु नाश्ता तो किए हो ना। 
राहुल: ( अपनी मां के पिछवाड़े पर नजर गड़ाए हुए) हां मैं नाश्ता कर लिया हूं।
राहुल की मां ;एक काम करो बेटा थोड़ी दे र में सब्जी भी तैयार हो जाएगी तो खाना खा कर जाना पता नहीं
कब लौटोगे वहाँ से।

राहुल: ठीक है मम्मी मैं खाना खा कर जाऊंगा वैसे भी अभी मेरे पास टाइम समय बहोत है ।
( राहुल की बात सुनकर उसकी मां राहुल की तरफ घूमते हुए बोली।)
राहुल की मां ;तब तक जाओ बेटा बाहर बैठो थोड़ी दे र में सब्जी तैयार हो जाती है तो मैं परोस कर लाती हुँ।

राहुल; ठीक है मम्मी( इतना कह कर राहुल रसोई घर के बाहर चला गया)

रसोईघर से राहुल बाहर आकर कुर्सी पर बैठ गया उसकी जांघों के बीच अभी भी तनाव बना हुआ था और
सोच में पड़ गया कि ऐसा अब क्यों हो रहा है । क्यों अपनी ही मां को दे ख कर मन में गलत गलत विचार आ
रहे हैं। वह सोचने लगा कि पहले भी तो वो अपनी मां को इस तरह से दे ख चुका है लेकीन पहले तो ऐसा नहीं
हुआ अब क्यों ऐसा हो रहा है । राहुल यही सब सोच सोच कर परे शान हुआ जा रहा था और इन सब बातो से
अपना ध्यान हटाने के लिए पास में ही टे बल पर पड़ी किताब उठाकर पढ़ने लगा धीरे -धीरे उसका मन शांत
होने लगा। कुछ दे र तक राहुल किताब मे हीं
अपने मन को लगाए रखा। कुछ ही दे र में सब्जी बन कर तैयार हो गई उसकी मम्मी थाली में खाना परोस
कर राहुल के पास लाई। 
खाना खाने के बाद राहुल घड़ी में दे खा तो 9:30 बज गए वह जल्दी-जल्दी अपनी मम्मी को बाय कहकर
घर के बाहर आ गया। 
नीलु उसको अच्छी लगने लगी थी। नीलू के बारे में ही सोचता हुआ वह चौराहे तक कब पहुंच गया उसे पता
ही नहीं चला। चौराहे तक पहुंचते पहुंचते सवा 10:00 हो चुका था। लेकिन अभी भी नीलू का कहीं अता पता
नहीं था। राहुल बार बार चारों तरफ दे ख ले रहा था।
कुछ ही मिनटों बाद अपनी स्कूटी पर नीलू आते हुए दिखाई दी राहुल तो उसको दरू से दे ख कर ही खश
ु होने
लगा । उसकी बांछे खिल उठी। नीलू उसे अब दनि
ु या की सबसे प्यारी लड़की लगने लगी थी। राहुल पहली
बार किसी लड़की के लिए इतना खश
ु और इतना बेचैन नजर आ रहा था।
नीलू की स्कूटी आकर राहुल के ठीक सामने खडीे ह़ ु ई।
स्कूटी को ब्रेक लेते हैं नीलू बोली।
ु ं ग सो हैंडसम।
नीलु: वाओ आज तो कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रहे हो यू लकि
( नीलू के मुंह से अपने तारीफ सुनकर राहुल शर्मा गया
और जवाब में सिर्फ मस्
ु करा भर दिया। नीलू उसे स्कूटी पर बैठने के लिए कहीं। राहुल के बैठते ही नीलू ने
एक्सीलेटर घम
ु ा दि और स्कूटी रफ्तार पकड़ते हुए सड़क पर दौड़ ने लगी। दोनों के बातों का दौर शरू
ु हो
गया। नीलु के सारे सवालों का जवाब राहुल मस्
ु कुराकर दे रहा था। 
लेकिन नीलू के मन में कुछ और चला रहा था नीलू आज थोड़ा नर्वस थी क्योंकि उसका प्लान बिगड़ चूका
था। नीलू कल से जो प्लान बनाकर राहुल से घम
ू ने जाने के लिए कही थी। नीलू के उस अरमान पर पानी
फिर चक
ु ा था। नीलू ने अपने मन में सोच रखी थी कि रविवार के दिन राहुल को अपने घर लाएगी और
उसके मोटे ताजे तगड़े लंड का भरपरु मजा लेगी। क्योंकि वह जानतीे थी कि रविवार के दिन उसके मम्मी
पापा घर पर नहीं होते हैं और रात को लेट में लौटते हैं। इसलिए वह इस मौके का फायदा उठाते हुए राहुल के
साथ घम
ू ने जाने का प्लान बनाइ थी और घम
ू ने के बहाने उसे अपने घर ले आती और उसके साथ चद
ु ाई का
मजा लट
ू ती । लेकिन सारा मजा किरकिरा हो गया था क्योंकि उसके मम्मी पापा आज घर पर ही थे। और
ऐसे में राहुल को अपने घर ले जाना ठीक नहीं था वह स्कूटी चलाते हुए यहीं मन में सोच रही थीे कि राहुल
को कहां ले जाया जाए।

नीलू को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे फिर उसने अपना प्लान बदल दिया उसने तय कर लिया की
आज सिर्फ यहां वहां की बातें करुं गी। किसी और दिन अच्छा मौका दे ख कर ईसके लंड का शुभारं भ अपनी
बुर से ही करवाऊंगी। 
यह सब मन में सोचते हुए नीलू स्कूटी को एक छोटे से पार्क की तरफ मोड़ ली। रास्ते भर राहुल के तने हुए
लंड की चुभन अपने पीठ पर महसूस कर कर के उसकी पें टी गीली हो चुकी थी। नीलू जैसे ही पार्क के किनारे
अपनी स्कूटी को खड़ी की वैसे ही राहुल स्कूटी पर से नीचे उतर गया नीलू की निगाह तुरंत राहुल की जांघो
के बीच बने हुए तंबू पर गई वो मन ही मन मुस्कुरादी। राहुल का ध्यान पार्क पर था वह नहीं जानता था कि
नीलू की निगाह उसके पें ट में बने हुए तंबू पर है । लेकिन जैसे ही राहुल को उसका आभास हुआ और नीलू को
मुस्कुराते दे खा तो वह शर्म से पानी पानी हो गया। राहुल कहीं और ज्यादा शर्मिंदा न हो जाए इसलिए नीलु
स्कूटी लॉक करके खुद ही आगे आगे चलने लगी। राहुल शर्माता हुआ उसके पीछे पीछे जाने लगा। वह
जानती थी कि राहुल पीछे -पीछे आ रहा है इस वजह से वह जान बूझकर अपनी गांड को कुछ ज्यादा ही
मटका कर चल रही थी। छोटी ड्रेस में और टाइट सलवार में उसकी गांड कुछ ज्यादा ही उभार लिए हुई थी।
जिस पर ना चाहते हुए भी राहुल की नजर पड़ ही जा रही थी। राहुल यहां पहली बार आ रहा था लेकिन नीलु
यहां बहुत बार आ चक
ु ी थी।
नीलू अपनी नजर पार्क करके चारो तरफ दौड़ाते हुए मन ही मन में बोली । आज रविवार होने के बावजद
ू भी
पार्क में कम भीड़ है चलो अच्छा ही है । कहीं कुछ करने का मड
ू हो गया तो शायद हो जाए
नीलू मन मे बड़बड़ाते हुए मस्
ु कुरा दी। 
पार्क में बहुत ज्यादा पेड़ लगे हुए थे जिस वजह से पार्क एकदम घना लगता था। सरू ज की रोशनी भी बड़ी
मश्कि
ु ल से पहुंचती थी जिस वजह से पार्क में दोपहर के समय में भी अंधेरा सा छाया हुआ था । इसी अंधेरे
का फायदा उठाकर यहां पर स्कूल और कॉलेज में से बंक करके लड़के-लड़कियां घंटो बैठा करते हैं। और
किसी की नजर ना पड़े तो अपनी जिस्म की प्यास भी बुझाने मे जरा सा भी हिचकीचाते नहीं थे। वह दस
ू रे
को क्या कहे वह खुद भी इस पार्क में बहुत बार चुदवा चुकी है ।
वह इस बात से भी अनजान नहीं थी कि खुले से ज्यादा चोरी चोरी में चुदवाने का जो मजा मिलता है वह
ओर कही नहीं मिलता। 
पार्क बहुत सलीके से सजाया हुआ था पगडंडियों के किनारे -किनारे हरी-हरी घास और रं ग-बिरं गी फुलवारी
से सजी हुई हर कोना आंखों को और मन को बहुत ज्यादा ठं डक पहुंचाता था। यहां पर बनी पगडंडिया भी
टे ढ़े मेढ़े ऊपर नीचे होकर गज
ु र रही थी। पगडंडी जब ऊपर की तरफ जाती तो हाई हील की सैंडल पहने होने
की वजह से नीलू की गांड की थिरकन और भी ज्यादा बढ़ जाती । और निलु की थिरकती हुई गांड दे खकर
राहुल के लंड मे तनाव आना शरु ु हो जाता।
राहुल की नजर पार्क में बैठे हुए लड़के लड़कियों पर भी चली जा रही थी और वह लोग जिस तरह से आपस
में चिपक कर बैठे हुए थे उन्हें दे खकर राहुल के बदन में हलचल सी मच रही थी। उसे समझ में नहीं आ रहा
था कि यह नीलूं उसे कहां ले आई है आज तक ईस पार्क में या ऐसे किसी पार्क में आया ही नहीं था। राहुल के
बदन में रोमांच और सिहरन दोनों का मिला जुला असर दे खने के मिल रहा था। राहुल अपनी नजर को पार्क
में इधर-उधर घुमा जरूर रहा था लेकिन उसकी नजर बार बार आकर नीलू की मटकती हुई गांड पर आकर
टीक जा रही थी। 
नीलू पार्क में किनारे पर बैठने की जगह वह पार्क के अंदर के भाग में जाना पसंद करती थी क्योंकि वहां पर
ज्यादा भीड़ भाड़ भी नही रहती थी और घने पेड़ो की छाया की वजह से अंधेरा भी बना रहता था। दस
ू रा कोई
उन्हें वहां दे ख ले इसकी उम्मीद भी कम थी।
नीलू रह-रहकर पीछे मुड़ कर दे ख ले रही थी और जब वह राहुल की नजरों को अपनी गांड पर चिपकी हुई
पकड़ती तो वह मुस्कुरा दे ती। लेकिन नीलू की मुस्कुराहट से राहुल शर्मिंदा हो जाता था।
थोड़ी दरू ओर जाने के बाद एक अच्छा सा कोना दे ख कर पेड़ के नीचे रखी बेंच पर नीलू बैठ गई और वहीं
पास में बैठने का राहुल को इशारा की राहुल भी वही नीलू के पास बैठ गया लेकिन थोड़ी दरू ी बना कर।
राहुल को दरू ी बनाकर बैठता हुआ दे खकर नीलू खुद ही खिसक कर राहुल के करीब उससे सट कर बैठ गई।
जेसे ही राहुल के बदन से नीलु के संगेमरमरी बदन का स्पर्श हुआ राहुल के पुरे बदन मे सनसनी फेल गई। 
राहुल अपने बदन को सँकोचाते हुए जैसे ही थोड़ा सरकना चाहा नीलु अपने एक हाँथ को राहुल की कमर मे
डाल कर अपनी तरफ खींचते हुए बोली।
नीलु; क्या राहुल तम
ु तो यार कितना शरमाते हो इतना तो लड़कियां भी नहीं शर्माती। कोई गर्लफ्रेंड वर्लफ्रेंड
नहीं है क्या तुम्हारी।
(( जिस तरह से नीलु राहुल की कमर में हाथ डाले हुए थी उससे तो राहुल की सांसे ही थम गई थी।उसकी
हालत ख़राब होने लगी थी।बोले भी तो क्या बोले कुछ समझ में नहीं आ रहा था दिमाग काम करना बंद कर
दिया था। राहुल लड़कियों के करीब इतना पहले कभी नहीं रहा इसलिए वह हक्का बक्का हो गया था।
इनेलो के ऐसे सवाल से और भी ज्यादा शर्मा किया लेकिन शर्माते हुए बोला।)

राहुल; ना ना ना नहीं।( राहुल कांपते स्वर में जवाब दिया)


( अभी भी नीलू राहुल कि कमर में हाथ डाले हुए अपने से चिपकाए हुए थी।)
नीलु; ऐसा क्यंू क्या तम्
ु हें लड़कियां पसंद नहीं है । लड़कियां अच्छी नहीं लगती क्या तम्
ु हें ?
राहुल; ( नीलू का हाथ उसकी कमर में होने की वजह से वह लगभग संकुचाते हुए) जी ऐसी कोई बात नहीं
है लेकिन क्या है की मझ
ु े ईन सब बातो मे इंटरे स्ट ही नहीं ।
( अब तक का हाल दे खकर तो नीलू समझ ही गई थी की राहुल सच कह रहा था उसे सब बातों में ज़रा भी
इंटरे स्ट नहीं था। लेकिन यह भी जानती थी की उसकी कमनीय कामक
ु बदन ने राहुल के दिलो दिमाग पर
जो
असर दिखाना शुरू किया है उससे राहुल इन सब बातों में इंटरे स्ट लेना शुरु कर दिया था।। नीलू अपनी
आंखों को मटका ते हुए बोली।)
नीलु; अच्छा क्या तुम्हें मुझ में कोई इंटरे स्ट नहीं है ?
( इतना कहने के साथ ही अपने छातियों को फुलाकर आगे की तरफ बढ़ा दी और जैसे ही नीलू अपनी
छातियों को आगे की तरफ बढ़ाई राहुल की नजर सीधे ड्रेस में छिपी बड़ी-बड़ी गोलाईयो पर चिपक गई।
राहुल की नजर अपनी चुचियों पर चिपकतो हुए दे खते ही वह मुस्कराते हुए फिर बोली)
बोलो ना राहुल क्या तुम्हें मुझ में जरा भी इंटरे स्ट नहीं है
( इस बार राहुल हां मैं सिर हिला दिया। राहुल का जवाब सुनते हैं नीलु फिर बोली)

नीलु: तम
ु ने अब तक कीसी को भी गर्लफ्रेंड नहीं बनाया ना । ( नीलू के इस सवाल पर भी राहुल ने हां मैं
सिर हिला दिया। लेकिन इस बार मिलो राहुल के जवाब से संतष्ु ट नहीं हुई वह फिर से बोली)
क्या यार क्या लगा रखा है मेरे कोई भी सवाल पर बोलने के बजाय बस सिर हिला दे रहे हो। यार ऐसा नहीं
चलेगा कुछ तो बोलो मैं कब से तुम्हारी आवाज सुनने के लिए तड़प रहीे हुँ। अब ऐसा नहीं चलेगा अब तुम्हें
कुछ बोलना ही पड़ेगा ।(इस बार नीलु का हाँथ जोकी राहुल की कमर पर था उसे नीलू धीरे -धीरे राहुल की
जांघो तक ले आई और जाँघो को सहलाते हुए बोली)
बोलो ना राहुल क्या तुम मुझे अपनी गर्ल फ्रेंड बनाओगे बताओ।
( नीलु की कोमल ऊंगलीयो का स्पर्श अपनी जाघों पर महसूस करके राहुल मस्त हुआ जा रहा था और साथ
ही उसका पूरा बदन गनगना जा रहा था। जांघो के ईर्द गिर्द घूम रही नीलुं की कोमल उँ गलियो के स्पर्श का
असर उसकी जाघों के बीच उसके हथियार पर हो रहा था। और पें ट के अंदर उफान मार रहे राहुल के
हथियार
का आभास नीलू अपनी उं गलियों पर पूरी तरह से कर रही थी। उसके पैंट में टनटनाए हुए लंड का एहसास
नीलु के बदन मे झुरझुरी सी फैला दे रहा था। राहुल नीलू के सवाल का जवाब कसमसाते हुए दे ते हुए
बोला।)
राहुल; अगर सच में ऐसा हो सकता है तो यह तो मेरा सौभाग्य होगा कौन नहीं चाहे गा कि तुम गर्लफ्रेंड बनो
नीलु; तो क्या सच में तुम मुझे अपनी गर्ल फ्रेंड बनाओगे ना।।( नीलू की बात पर इस बार राहुल को दे र तक
खामोश ही रहा नीलू की खामोशी को ताड़ते हुए फिर से बोली।) मैं हूं ना तुम्हारी गर्लफ्रेंड।
राहुल; ( शर्माते हुए) हां हो।
(राहुल का जवाब सन
ु ते ही नीलू बहुत खश ु हुई। वो झट से बोली।)
नीलु; तो पक्का आते मैं तम्
ु हारी गर्लफ्रेंड और तम ु मेरे बॉयफ्रेंड (इतना कहते ही नीलू ने राहुल को खींचकर
अपने बदन से और ज्यादा सटा ली। नीलु आज बहुत खश
ु थी उसे राहुल अच्छा लगने लगा था उससे भी
ज्यादा अच्छा लगने लगा था राहुल का लंड। जिसे उसने अब तक दे खी भी नहीं थी लेकिन पें ट के तंबू दे ख
को दे खकर ही नीलू को पता चल गया था कि राहुल की पैंट के अंदर छिपा हुआ ओजार बहुत ही जानदार
तगड़ा और कंु वारा है । वैसे भी नीलू पहले से ही खेली खाई हुई लड़की थी। मोटा ताजा लंड उसकी सबसे बड़ी
कमजोरी थी।। जाँगघो पर थिरकती हुई नीलू की उं गलियां धीरे से राहुल की जाँघो के बिच बने तंबू पर चली
गई। नीलू के ऊँगलियो का स्पर्श अपने तने हुए तंबू पर पड़ते हैं राहुल एकदम से गनगना गया । वह शर्म के
मारे नीलू से अपनी नजरें भी नहीं मिला पा रहा था और वह अपनी नजरों को पार्क में इधर-उधर घुमा रहा
था। और नीलू अपनी वासना भरी मुस्कान के साथ राहुल के चेहरे पर आ रही एक्सप्रेशन को दे खे जा रही
थी। राहुल की हालत खराब होते दे ख ने अपने ऊँगलियों को राहुल के तंबू पर से हटा ली। और मुस्कुराने
लगी राहुल शर्म के मारे नीलू से नजर भी नहीं मिला पा रहा था।
इसके बाद दोनों में बहुत सारी बातें हुई काफी समय तक वे दोनों ने उसी बैंच पर बैठ कर बिता दिए। नीलू
राहुल के बारे में बहुत कुछ जान चुकी थी बातों ही बातों में उसने यह भी जान ली थी की राहुल ने आज तक
किसी लड़की को छुआ तक नहीं था एक दम प्योर वर्जिन था सत प्रतिशत कुँआरा। यह बात जानते ही नीलु
कि खश
ु ी का ठिकाना ना रहा। वह बहुत खुश हुई लेकिन एक बात से उसे थोड़ा दख
ु भी हुआ।

क्योंकि निलूं राहुल के मोटे ताजे और तगड़े लंड की परिकल्पना मैं विहरते हुए अपनी पैंटी को गीली कर ली
थी। उसे अपनी चुदासी बुर की खुजली बर्दाश नहीं हो रही थी ओर वह अपनी खुजली को मिटाना चाहती थी।
नीलू इसी पार्क के कोने में घने पेड़ के नीचे जहां किसी की नजर नहीं पहुंच पाती वहीं पर झाड़ियों के पीछे
जाकर राहुल से चुदवाने की पूरा प्लान बना चुकी थी। लेकिन राहुल से बातें करके जान चुकी थी की अभी
वह इन सब में बिल्कुल कच्चा है । सेक्स की एबीसीडी का ए भी उसे नहीं आता था। इसीलिए राहुल को
झाड़ियों के पीछे ले जाकर चद
ु ाई के लिए उकसाने का मतलब था आग में घी डालना। इससे उसकी बरु की
खज
ु ली मिटने के बजाय और भी ज्यादा बढ़ जाती। इसलिए नीलू ने अपने इस प्लान को भी कैं सल कर दी
उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें कैसे वो अपनी बरु की खज
ु ली को मिटाए । इस समय राहुल से
ज्यादा छे ड़छाड़ करना ठीक नहीं था। उसके साथ जी भर के चद
ु ाई का मजा लट
ू ना था लेकिन अभी नहीं
कोई अच्छा सा मौका दे ख कर के राहुल के लंड से चद
ु ने का परू ा निर्धार बना चक
ु ी थी। 
कुछ ऐसा करना था कि राहुल का भी मन मचल उठे वो सब करने के लिए जिसको करने के लिए लड़के
हमेशा बेताब रहते हैं। नीलू मन में ही सोचने लगी कि क्या करें क्या ना करें तभी वो राहुल से बोली ।
नीलु: अच्छा तम
ु 2 मिनट यहां बैठाे मैं आती हूं ।
(और इतना कहकर नीलू अपनी गांड मटकाते हुए चल दी। राहुल नीलू को जाते हुए दे खते रह गया लेकिन
उसकी निगाह नीलू से ज्यादा उसकी मस्त गदराई हुई गांड पर ही टीकी हुई थी। राहुल अंदर ही अंदर बहुत
खश
ु हो रहा था। जो आज उसके साथ हो रहा था इस बारे में उसने कभी सपने में भी कल्पना नहीं की थी।
उसे वह पल याद आने लगा जब नीलू की उगलिया उसकी जांगो के बीच बने हुए तंबू पर लहरा रही थी
उसके अंग अंग मे हलचल सी मच गई थी। उसकी उं गलियों के स्पर्श का असर अभी तक वह अपने लंड पर
महसस
ु कर रहा था। उसका लंड अभी भी टनटनाया हुआ था। अब तो नीलु उसे और भी ज्यादा अच्छी
लगने लगी थी। 
राहुल पार्क में रह-रहकर चारों तरफ अपनी नजरें दौड़ाकर यह दे खने लग रहा था कि कहीं कोई उसे दे ख तो
नहीं रहा है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था कुछ लोग बैठे जरूर थै लेकिन वह लोग भी अपने में ही मस्त थे।
राहुल यह सब सोच ही रहा था कि सामने से उसे नीलू आती हुई दिखाई दी। नीलु को दे खते हैं फिर से उसका
मन प्रसन्न हो गया।वो हाँथ मे कुछ ली थी जो कि ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था नीलू आते समय राहुल को
दे खते हुए मुस्कुरा रही थी। नीलू थोड़ा और नजदीक आई तू जाकर राहुल को पता चला कि नीलू के हाथ में
आइसक्रीम कोन था। नीलू आ कर सीधे राहुल के पास बैठ गई और आइसक्रीम कौन को खोलते हुए बोली।

नीलु: मैं चाहती तो दो कौन ले सकती थी लेकिन जानते हो राहुल अगर एक कौन में हम दोनों साथ
मिलकर खाएंगे तो हम दोनों का प्यार और ज्यादा बढ़ जाएगा।
( इतना कहकर वह आइसक्रीम कोन के रे पर को खोलने लगी राहुल कुछ बोल नहीं रहा था और एक टक
नीलू और आइसक्रीम कौन को दे खे जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि एक कॉन में दोनों कैसे खा
सकते हैं वह भी एक दस
ू रे का झूठा क्योंकि आज तक राहुल ने घर के सिवा बाहर किसी और का जूठा नहीं
खाया था।
राहुल ये सब मन में सोच ही रहा था तब तक नीलु ने कौन के ऊपरी रै पर को खोल कर फेंक दी। और तुरंत
बड़े कामकु अंदाज में अपने मुंह को खोली और जीभ को बाहर निकालकर आइसक्रीम को चाटने लगी।
आइसक्रीम को चाटते हुए राहुल की निगाहों में दे खे जा रही थी। राहुल मंत्र मुघ्द सा नीलू को आइसक्रीम
चाटते हुए दे खे जा रहा था।
नीलु आंखों को तैर्रे ते हुए ही इशारे से राहुल को आइसक्रीम चाटने के लिए बोली। लेकिन राहुल को कुछ
समझ में नहीं आ रहा है वो क्या करें । उसे बहुत शर्म भी महसस
ू हो रही थी। नीलू फिर से चाटने के लिए
ईसारा की तो राहुल विवस हो गया। वह अपने चारों तरफ नजर घम
ु ा कर पहले ये दे ख लिया कि कोई उन
दोनों को दे ख तो नहीं रहा है परू ी तसल्ली कर लेने के बाद वह भी अपनी जीभ को बाहर निकाला और
आइसक्रीम से भिड़ा कर चाटने लगा राहुल को आइसक्रीम चाटता हुआ दे खकर नीलू बहुत खश
ु हुई।

नीलू बहुत मुस्कुरा मुस्कुरा कर आईस्क्रीम को चाटने का लूत्फ उठा रही थी। राहुल को भी मजा आने लगा राहुल भी
जीभ को इधर-उधर आइसक्रीम पर फेर कर आनंद ले रहा था। तभी नीलू ने अपनी जीभ को थोड़ा सा आगे बढ़ाई
और जीभ के नोक को राहुल की जीभ से स्पर्श करने लगी।जैसे ही नीलू की जीभ राहुल की जीभ से स्पर्श हुई राहुल
का पूरा बदन एक अजीब से रोमांच से गनगना गया। राहुल अपनी जीभ को बस ऐसे ही कौन पर चिपकाए रहा और
नीलू राहुल की जीभ से जीभ को सटाते हुए उसकी जीभ को चाटने लगी। राहुल की सांसे तेज चलने लगी उसे
समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है लेकिन राहुल को भी मजा आने लगा था क्योंकि उसके बदन में एक
अजीब सी हलचल मची हुई
थी। एक अजीब से सुख का अहसास राहुल के बदन में दौड़ने लगा था। नीलू तो दे श-दुनिया से बेखबर होकर उसकी
जीभ को अपनी जीभ से चाटने लगी थी थोड़ी ही दे र में कौन को हटाकर नीलू जीभ से जीभ की जगह अपने होठों
को राहुल के होठों पर चिपका दी। अपने होंठ पर नीलू के होठों का स्पर्श पाते ही राहुल के तो होश उड़ गए उसके
बदन में जैसे करंट दौड़ने लग गया हो।
नीलू आइसक्रीम को छोड़कर राहुल के होटो को चूसना शुरू कर दी। राहुल की आंखें बंद हो चली थी गर्म गर्म सांसे
नथुनों से निकलकर नीलू के गालों पर टकरा रही थे जिससे नीलु का जोश और ज्यादा बढ़ने लगा था।
राहुल की होठचुसाई में नीलू इतनी मग्न हो गई थी की उसके हाथ से आइसक्रीम कब छू ट गई उसे पता ही नहीं
चला। धीरे से नीलू ने अपनी एक हथेली को राहुल के सर के पीछे टे क दी और बालों में अपनी उंगलियों को उलझाने
लगी। राहुल का दिल जोरों से धड़क रहा था उसका लंड एकदम से टनटना कर खड़ा हो गया।
राहुल को क्या करना है यह राहुल को बिल्कुल भी पता नहीं था वह तो बस स्थिर होकर बैठा था बाकी का सारा
काम नीलु ही कर रही थी उसको होठो को चूसते चूसते अपने जीभ को एकदम से राहुल के मुह ं में प्रवेश करा दी।
राहुल के लिए सब पहली बार था इसलिए मारे उत्तेजना के उसकी सांसे बहुत तेज चलने लगी थी। इतनी ज्यादा तेज
की ऐसा लग रहा था की उसकी सांसे उखड़ रही है। 
नीलू तो एक हाथ उसके सिर पर रख कर उसके बालो को सहलाते हुए अपनी जीभ को राहुल के मुह ं में डालकर
राहुल की जीभ को चाट रही थी। थोड़ी ही दे र में राहुल भी अपनी जीभ को हल्के हल्के से नीलू की जीभ पर घिसने
लगा। नीलू की भी सांसे तेज चलने लगी थी उसने इस तरह की किस बहुत बार की थी लेकिन जो मजा आज राहुल
के साथ आ रहा था ऐसा मज़ा उसे कभी भी नहीं आया। नीलू राहुल को एकदम स्मूच दे ने लगी राहुल गनगना जा
रहा था। 
नीलू इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी की उसने राहुल के बाल को अपनी मुट्ठी में कसते हुए राहुल के होठो को
अपने होठो से कस के चिपका ली और उसके होठों को चूसने लगी नीलू ने राहुल के होठो को ईतने कस के अपने
मुंह में भर के चूस रही थी कि राहुल को सांस लेने में तकलीफ होने लगी उसकी सांसे रुँ धने लगी।
नीलू को तो बहुत मजा आ रहा था लेकिन राहुल की तकलीफ बढ़ते जा रही थी उससे अब ज्यादा दे र सांस रोक
पाना मुश्किल था और नीलू थी की उसे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। ना चाहते हुए भी राहुल अपने होठ को
नीलू के होठों पर जबरदस्ती खींचकर अलग किया। नीलू के होठों के चंगुल से अपने होठों को आजाद कर के राहुल
जोर-जोर से हँफने लगा वही हाल नीलू का भी था वह भी जोर जोर से सांस अंदर बाहर कर रहे थी। 
दोनों हाँफते हुए एक दूसरे को दे खने लगे दे खते ही दे खते नीलू मुस्कुराने लगीऔर नीलू को मुस्कुराता हुआ दे खकर
राहुल भी मुस्कुरा दिया। दोनो एक दूसरे को दे ख कर हंसे जा रहे थे।
नीचे गिरी आइसक्रीम कौन पिघलकर पानी-पानी हो गई थी उस पर नीलू की नजर पड़ी तो उसके चेहरे पर कुटिल
मुस्कान तैर गई क्योंकि उसे तुरंत ख्याल आया कि जिस तरह से यो आइस क्रीम कौन गर्मी से पिघल कर पानी पानी
हो गई है उसी तरह उसके जिस्म की गर्मी भी उसे पिघलाकर पानी पानी कर रही है जिससे उसकी पेंटी भी गीली हो
चुकी थी। 
राहुल के लिए यह पहला अनुभव था लड़की के संसर्ग में आज पहली बार उसने चुंबन का सुख लिया था। और इस
चुंबन ने उसके पूरे बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ा दिया था। उसका रोम रोम पुलकित हो चूका था। जो सुख नीलू ने
आज उसे दि थी इस दुख को वह शब्दों में बयान नहीं कर सकता था। नीलू राहुल की तरफ ही घूरे जा रही थी। जब
उसकी नजर पेंट में बने तंबू पर गई 
तंबू का उभार दे खकर उसकी बुर फुदकनेे लगी। राहुल को जब उसकी नजरों का नीसाना कहां है इस बारे में पता
चला तो वह शर्माकर अपनी हथेली से अपने पैंट के आगे का भाग ढँ क लिया।और नीलु राहुल की ईस हरकत को
दे ख कर उसकी मासूमियत पर मुस्कुरा दी पर मुस्कुराते हुए बोली।
नीलु; ओह राहुल आज तुम्हें किस करने में मुझे इतना आनंद आया है कि पूछो मत मैं तुम्हें बता नहीं सकती कि मैं
कितना खुश हूं। क्या राहुल तुम्हें भी उतना ही मजा आया जितना कि मुझे।
( नीरु के इस सवाल पर राहुल शर्मा गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे कैसे कहे। लेकिन वह
जानता था कि जवाब तो दे ना ही पड़ेगा नीलू उसे एसे छोड़ने वाली नहीं थी इस लिए वह सिर्फ हां मैं सिर हिला
दिया। लेकिन तभी नीलू उसे बीच में टोकते हुए बोली।)
नीलु; ऐसे नहीं राहुल बोल कर बताओ कि तुम्हे मजा आया कि नहीं? ( राहुल जानता था कि नीलु ऐसे पीछा छोड़ेगी
नहीं उसे बोलना ही पड़ेगा। इसलिए वह बोला)

राहुल; ( शरमाते हुए) हां मुझे भी बहुत मजा आया।


( राहुल का जवाब सुनकर नीलू बहुत प्रसन्न हुई क्योंकि वह समझ गई थी कि राहुल भी लाइन पर आने लगा है उसे
भी लड़कियों से मिलने वाले सुख का मजा अच्छा लगने लगा है।)
नीलु; अच्छा एक बात बताओ राहुल क्या तुमने कभी किसी लड़की को इस तरह से किस किया है या किसी लड़की
ने तुम्हें इस तरह से कीस की है?
( राहुल क्या कहता वो तो आज तक किसी भी लड़की के इतने करीब ना गया था ना किसी लड़की को अपने ईतने
करीब आने दिया था आज यह पहली बार ही था। इसलिए वह बोला।)

राहुल; नहीं ऐसा मेरे साथ कभी भी नहीं हुआ।


( राहुल का जवाब सुनकर नीलू बहुत खुश हुई और मन ही मन में सोची कि वास्तव में राहुल शत-प्रतिशत वर्जिन है।
वो भी मन ही मन मे प्रसन्न हो रही थी लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी। वह आगे के प्लान के बारे में सोचने लगी वह
राहुल को ज्यादा उत्तेजित कर दे ना चाहती थी ताकि वह खुद नीलू को पाने के लिए बेताब हो जाए उसकी तड़प
इतनी बढ़ जाये कि वह खुद नीलू के बगैर एक पल भी ना रह पाए।
नीलू के दिमाग में राहुल को और भी ज्यादा उत्तेजित करने का प्लान बन चुका था और वह उसी प्लान के तहत काम
करते हुए अपना अगला कदम बढ़ा रही थी।
पार्क में बैठे बैठे दोनों को काफी समय बीत चुका था। शाम ढलना शुरु हो चुका था । नीलू भी अपनी अगली चाल
फेंकते हुए बोली। 
नीलु; राहुल अब काफी समय हो चुका है अब हमें चलना चाहिए हम दोनों ने यहां काफी समय गुजार लिए।
( नीलु की बात सुनकर राहुल बेमन से बोला।)

राहुल; हाँ हाँ क्यों नही। सच मे काफी समय हो गया है।( राहुल का मन नहीं कर रहा था यहाँ से जाने का लेकिन
क्या करता जाना तो पड़ता ही इसलिए वह बेंच पर से खड़ा हो गया। राहुल को खड़ा होता दे ख नीलू भी
अपना पर्स उठाते हुए खड़ी हो गई। और कैसे अपने प्लान को अंजाम दे उस बारे में सोचते हुए पार्क के चारों तरफ
अपनी नजर दौड़ाने लगी। नीलु अपना मुंह ऐसे बनाने लगी जैसे कि उसे दर्द हो रहा है। नीलू का बिगड़ा हुआ मुहं
दे खकर परेशान होता हुआ राहुल बोला।
राहुल; क्या हुआ नीलू कुछ तकलीफ है क्या।
( नीलू अभी भी पार्क के चारो तरफ अपनी नजर दौड़ाई जा रहे थी। और ऐसे ही राहुल की तरफ दे खें बिना ही
बोली।)
नीलु: कैसे बताऊं तुम्हें तकलीफ ही एैसी है की तुम्हे बता भी नहीं सकती। (अपने पेट पर हाथ रखते हुए) क्या करूं
कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

( नीलू की परेशानी राहुल से सही नहीं जा रही थी राहुल भी बहुत परेशान हो रहा था कि आखिरकार ऐसी क्या
तकलीफ है कि नीलु उसे बता नहीं सकती। फिर भी राहुल जोर दे कर नीलू से पूछा)
राहुल : नीलू आखिर ऐसी कौन सी तकलीफ है कि तुम मुझे नहीं बता रही हो। बताओगीे नहीं तो पता कैसे चलेगा।

( राहुल को यूं खुद के लिए तड़पता हुआ दे खकर नीलू बहुत खुश हो रही थी उसे इस बात की खुशी और ठीक
है राहुल उसके बारे में फिक्र करने लगा था तभी तो बार-बार पछ
ू रहा था कि तकलीफ क्या है । वैसे भी राहुल
पछ
ू े कि ना पछ
ू े नीलू उसे बताने वाली ही थी क्योंकी उसकी अगली चाल ही यही थी। नीलू थोड़ा परे शान
होते हुए बोली)

नीलु: अब तुम्हे कैसे बताऊँ राहुल की मुझे मुझे ( थोड़ा शर्म थोड़ी परे शानी का मिला-जल
ु ा असर अपने
चेहरे पर लाते हुए) मुझे बहुत जोर की पेशाब लगी है ।
( राहुल का इतना सुनना था कि उसका लंड टनटना कर खड़ा हो गया। पहली बार किसी लड़की के मुंह से
पेशाब शब्द सुन रहा था और आज यह सब खुद नीलू के मुंह से सुन कर उसके पूरे बदन में सनसनी फैल
गई। नीलू यह क्या बोल गई उसे खुद अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। राहुल के पें ट में तुरंत तंबू
तन गया।
जौकी नीलू की नजर से बच नहीं सका। नीलू तंबु को दे खकर मन ही मन बहोत प्रसन्न हुई। राहुल नीलु को
अपने जांघो के बीच घुरता हुआ दे खा तो फीर से शर्मींदा हो गया। नीलु बीना दे री कीए अपना पर्स राहुल को
थमाते हुए बोली।

नीलु' : (चारो तरफ नजर दौड़ाते हुए)राहुल मे माफी चाहती हुँ इस गुस्ताखी के लिए लेकीन क्या करु मुझसे
कंटो्ल नही हो रहा है । (राहुल क्या कहता उसको कहने के लिए कुछ बचा ही नही था। वह बस नीलु के पर्स
को हाँथ मे थामे खड़ा रहा । नीलु खुद आगे बढ़ते हुए बोली ।)तुम एक काम करो (फीर से पार्क मे नजर
दोड़ाते हुए)

मैं वहाँ(ऊँगली से दीखाते हुए) जा रही हुँ और कोई इस तरफ आता हो तो मझ


ु े झट से आवाज दे ना मैँ ऊठ
जाऊँगी। ठीक हे ना।
(राहुल नीलु को जवाब दे ते हुए बोला। )
राहुल: ठीक है । (राहुल जवाब दे ते हुए बोला)
(वैसे भी इस तरफ कोई आने वाला नही था ये तो बस नीलु ने ऐैसे ही बोल दीथी। 
नीलु आगे की तरफ जाने लगी ।दो चार कदम ही चलकर वहीं रुक गई ।जहाँ रुकी थी वहाँ पर घास बहोत
बड़ी बड़ी और ढे र सारी थी। वहीं पर नीलु रुक गई। नीलु को रुका हूआ दे खकर राहुल का दील जोर से
धड़कने लगा।क्योकी वो जानता था की अब क्या होने वाला था। वह बार बार नीलु की तरफ दे खकर तरु ं त
अपनी नजरे फेर लेता ताकी नीलु को ये न लगे की वो उसे छुप छुपके दे ख ले रहा है ।
जबसे नीलु ने पेशाब वाली बात की थी तब से राहुल का लंड बैठा नही था बस खड़े का खड़ा ही था। नीलु वहीं
खड़े होकर अपनी डृस
े् को थोड़ा सा ऊपर ऊठाई और अपनी नाजुक नाजुक ऊँगलियो से अपनी सलवार की
डोरी को खोलने लगी। 
राहुल नीलु को अपनी सलवार की डोरी को खोलता हुआ दे खकर बहुत ज्यादा उतेजीत हो गया था। उसका
लंड ठुनकी मारने लगा था। नीलु की पीठ राहुल की तरफ थी। ईसलीए राहुल नीलु की तरफ बार बार दे ख ले
रहा था। 
अगले ही पल नीलु अपनी सलवार की डोरी को खोल चुकी थी और डोरी के खुलते ही नीलू ने सलवार को
थोड़ा सा ढीला की । यह सब दे ख दे ख कर ही राहुल के लंड से लार टपकना शुरू हो गया था। राहुल बार बार
नज़रें चुरा कर नीलू की तरफ दे ख ले रहा था। उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था अगले पल क्या होने वाला
है क्या होगा यह सब सोचकर उसकी बेताबी और तड़प दोनों बढ़ती जा रही थी। 
नीलू सलवार को ढीली करते समय अपनी गांड को इधर-उधर कुछ ज्यादा ही मटका रही थी। उसके गांड
मटकाने का एक ही मकसद था राहुल को एकदम से चुदवासा कर दे ना उसके बदन में चुदासी की आग को
भड़का दे ना। और वह लगभग लगभग अपने मकसद में कामयाब भी होती जा रही थी।
अगले ही पल नीलू ने अपने दोनों हाथों की नाजुक अंगलि
ु यों के बीच में सलवार की दोनों किनारीयो को
फसा ली। यह दे खकर राहुल का दिल जोरों से धड़कने लगा । नीलु जानती थी कि राहुल उसे दे ख रहा है
लेकिन वो एक बार भी पीछे मुड़कर राहुल की तरफ दे खी नहीं क्योंकि वह जानती थी कि अगर वो ऐसा
करे गी तो कहीं राहुल शर्मा कर इधर दे खना ही बंद कर दे । वह तो बस अपने बदन को दिखाकर राहुल को
उपर कहर बरसाना चाहती थी। ऐसा करने में नीलु का भी दिल जोर-जोर से धड़क रहा था जितनी उत्तेजना
राहुल में भरी हुई थी उतनी ही उत्तेजना नीलू को भी परे शान कर रही थी।
अगले ही पल नीलू नैं सलवार के साथ-साथ अपनी पैंटी को भी उं गलियों में फंसा ली और धीरे धीरे नीचे
सरकाना शुरू कर दी। उसे यह डर बिलकुल भी नहीं था कि पार्क में कहीं कोई और भी उसे इस अवस्था में
दे ख ना ले। उसे तो बस इस बात से मतलब था कि वह जो चीज राहुल को दिखाना चाह रही थी राहुल उसे
जी भर कर दे ख लें और अपने दिमाग में बैठा ले ताकि उसे पाने की उसकी इच्छा एकदम प्रबल हो जाए।
अपने प्लान के मत
ु ाबिक नीतू अपनी सलवार को पैंटी सहित धीरे -धीरे करके नीचे सरकाने लगी। जैसे-जैसे
सलवार पैंटी सहित नीचे सरक रही थी नीलू का दधि
ु या गोरा बदन उजागर होता जा रहा था। नीलू की गोरी
गोरी मखमली बदन को दे खकर राहुल का लंड पें ट में तफ
ू ान मचाए हुए था। और नीलू भी राहुल को और
ज्यादा तड़पाने के उद्देश्य से अपनी गांड को कुछ ज्यादा ही उभार कर अपनी सलवार को नीचे सरका रही
थी।
क्या गजब का नजारा बना हुआ था झाड़ी झीड़ीयो और बड़े-बड़े पेड़ों से आच्छादित ईस पार्क में खड़ी होकर
एक लड़की रुप यौवन से भरी हुई जिसके अंग अंग में से जवानी का रस टपक रहा हो वह अपनी सलवार को
खोलकर नीचे सरका रही हो और अपनी मस्ती गोल गोल गांड को दिखा रही हो तो सोचो दे खने वालों का
क्या हाल हो रहा होगा। राहुल के ऊपर तो चारों तरफ से नीलू की जवानी का कहर बरस रहा था। जिसे झेल
पाना उसके बस में नहीं था।
अगले ही पल नीलू ने अपनी सलवार को पें टी सहित घुटनों तक सरका दी। और घुटनों तक सलवार के आते
ही वह नजारा सामने आया जिसे दे खते ही राहुल के तो होश उड़ गए उसका अंग अंग कंपन करने लगा।
उसकी सांसों की गति तेज हो गई। वाह एकटक आंखें फाड़ कर नीलू की तरफ ही दोखे जा रहा था। 

अब राहुल कर भी क्या सकता था वह भी मजबूर था राहुल क्या उसकी जगह कोई भी होता तो ऐसा अतुल्य
मादक दृश्य दे खने पर मजबूर हो जाता । उउफफफ नजारा ही कुछ ऐसा था। नीलू अपनी सलवार को पैंटी
सहित अपने घुटनों तक सरकायी हुई थी। और उसकी गोरी गोरी दधि
ू या गांड ऐसी लग रही थी मानो जैसे
कि कोई चांद हो।
राहुल जी भर के इस चांद जैसे मस्त-मस्त गौरी गांड का दीदार कर सके इसलिए कुछ दे र तक यूं ही खड़े
रहकर इधर उधर पार्क में चारो तरफ नजर दौड़ाने लगी। राहुल इस मौके का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाते
हुए अपनी नजर को नीलू की मखमली गांड पर ही टीकाए हुए था। वैसे भी भला किसी का मन ऐसी मस्त
मस्ती भरी हुई गांड दे खकर भर सकता है ।
ऐसी गांड को तो दिन रात बैठकर दे खते रहो तो भी मन ना भरे । 
नीलु कुछ ही सेकण्ड बाद पेशाब करने के लिए बैठ गई नीलू अभी तक एक बार भी पीछे मुड़कर दे खी नहीं
थी।
जैसे ही ली नीचे पेशाब करने के लिए बेटे इतना ही दे खकर राहुल का दिल धक से कर गया उसके तो होश
उड़ गए उसे समझ में नहीं आ रहा था की यह जो दे ख रहा है यह हकीकत में है या एक सपना है । आज तक
उसने किसी भी लड़की को पेशाब करते हुए नहीं दे खा था और इस समय मेरे को पेशाब करने वाली अवस्था
में दे ख कर पागल हुआ जा रहा था उसका लंड तनकर लोहे का रॉड बन चक
ु ा था। राहुल इतना ज्यादा
उत्तेजित हो चक
ु ा था कि वह खद
ु अपनी अंगलि
ु यों को अपनी ही तंबू पर फिरा रहा था और उसके पें ट के
आगे वाला भाग हल्का-हल्का गीला हो चक
ु ा था ।
नीलू बैठकर पेशाब करने लगी थी। राहुल के बदन में तो तब आग और ज्यादा लग गई जब उसे नीलू की बरु

राहुल के बदन में तो तब और ज्यादा आग लग गई जब उसने नीलू की बुर मै सेआ रही सीटी की आवाज
सुना। बुर में से आ रही सीटी की आवाज सुनते ही राहुल के बदन में जैसे करं ट दौड़नें लग गया । वह कभी
सपने में भी नहीं सोचा था कि वह इस तरह का दृश्य दे ख पाएगा और आज उसकी आंखों के सामने यह
दृश्य दे खकर उसके परू े बदन में खश
ु ी और उत्तेजना की लहर दौड़ गई थी।
नीलू जहां बैठ कर पेशाब कर रही थी वहां पर कुछ ज्यादा ही बड़ी बड़ी घास थी और घने घास होने की वजह
से उसे लगा कि राहुल उसकी गांड को ठीक से नहीं दे ख पा रहा होगा इसलिए उसने अपनी गांड को थोड़ा सा
ऊपर की तरफ उचका ली ताकि राहुल उसकी गांड को जी भर के दे ख सके। लेकिन ऐसा करने पर नीलू और
भी ज्यादा सेक्सी लगने लगी उसकी ये हरकत राहुल के लंड पर और ज्यादा कहर बरसाने लगी। नीलू से
रहा नहीं जा रहा था वह पेशाब तो कर रही थी लेकिन यह भी दे खना चाहती थी कि उसको पैसाब करता हुआ
दे खकर राहुल के बदन में कैसी हलचल मची हुई है । नीलू से रहा नहीं जा रहा था और वह अपनी गर्दन को
पीछ की तरफ घुमाकर राहुल की तरफ दे खी और राहुल को दे ख कर वो एकदम से दं ग रह गई। राहुल नीलू
की मदहोशी में एकदम से खो चूका था। राहुल के ऊपर उत्तेजना सवार हो चुकी थी वह अपने हाथ से अपने
पें ट में बने तंबू को उं गली से मसल रहा था और गहरी गहरी सांसे ले रहा था। जैसे ही नीलू की नजरों से
राहुल की नजरें मिली राहुल एकदम से शर्मा गया और झट से अपने तंबु पर से हाथ को हटा लिया। और
नीलू के पर्स से अपने तंबू को ढक लिया।

राहुल को हड़बडा़ता हुआ दे खकर नीलू मुस्कुरा दी और मुस्कुराते हुए अपनी नजर को फीर से फेर ली। 
मीनू की नजर हटते ही राहुल ने चैन की सांस ली। और वापस नीलू की मस्तायी गांड को निहारने लगा।
लेकिन तब तक नीलू निपट चुकी थी। नीलू वैसे ही गांड को ऊचकाए हुए ऊपर नीचे करके अपनी गांड को झटके
दे ने लगी। ताकि उसकी बुर पर लगी पेशाब की बूंदे नीचे टपक जाए। लेकिन नीलु का यूँ अपनी गांड को उचकाए हुए
ऊपर नीचे कर के झटके दे ना राहुल के लंड के ऊपर बहुत बुरी तरह से कहर बरसा रहा था। जैसे-जैसे नीलू की गांड
ऊपर नीचे हुई थी वैसे वैसे ही राहुल का लंड ऊपर नीचे होकर ठु नकी मार रहा था। 
गांड को झार कर नीलू खड़ी हुई और अपनी सलवार को पैंटी सहित ऊपर सरकाने लगी। और जैसे ही सलवार की
डोरी में गांठ मारना शुरू की राहुल अपनी नजर को फेर लिया। अब वह नीलू की तरफ अपनी पीठ करके खड़ा हो
गया ताकी नीलू यह न समझे कि वह उसे पेशाब करते हुए दे ख रहा था। लेकिन राहुल बहुत नादान था वह जान कर
भी अनजान बन रहा था क्योंकि वह भी जानता था कि नीलू ने उसे उसकी तरफ दे खते हुए पकड़ ली थी। नीलू तो
पहले से जानती थी कि जब वह पेशाब करेगी तो राहुल उसे जरूर नीहारेगा।
नीलू कपड़ों के व्यवस्थित करके राहुल के करीब आ गई और उससे अपना पर्स मांगते हुए बोली।

नीलु: चलो राहुल हो गया।


( नीलू का काम हो चुका था नीलू जान गई थी की उसका प्लान सफल हो चुका है । नीलु ने राहुल को पूरी तरह से
अपना दीवाना बना चुकी थी। राहुल ने नीलु को पर्श थमा दीया। नीलू राहुल से पर्स लेकर अपने कंधे पर डालते हुए
बोली।)
नीलु: और हां एक बात ओर।राहुल इस बारे में विनीत को कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए ठीक है ना।
राहुल: ठीक है मैं उसे कुछ भी नहीं बताऊंगा।
( इतना कह कर राहुल नीलू के पीछे पीछे चलने लगा
और नीलू भी बहुत प्रसन्न होकर राहुल के आगे आगे अपनी गांड मटकाते हुए चलने लगी।)
रात के 10:00 बज रहे थे ।राहुल अपने कमरे में लेटा हुआ था। राहुल की तो नींद ही उड़ चुकी थी उसकी आंखों से
नींद कोसों दूर थी। उसकी आंखों के सामने दिनभर जो कुछ भी हुआ वह उसकी आंखों के सामने एक पिक्चर की
तरह चल रहा था। बार बार उसकी आंखों के सामने नीलू ही नीलू नजर आ रही थी।
नीलू का ख्याल आते ही राहुल के लंड में कड़कपन आना शुरु हो गया। बार-बार नीलू का राहुल के बदन से सट
जाना उसका हंस हंस के बात करना। ड्रेश के अंदर हीचकोले खा रही उसकी गोल-गोल चूचियां। आइसक्रीम कौन
को जीभ से चाटना और आइसक्रीम को चाटते चाटते एक दूसरे को किस करना। यह सारी बातें राहुल सोच-सोचकर
मस्त हुआ जा रहा था। 
उसका लड इतना ज्यादा टाइट हो चुका था कि उसके पजामे का आगे का भाग उभर के एकदम से तंबू बना हुआ
था। राहुल ना चाहते हुए भी अपने हाथ को अपने लंड पर जाने से रोक नहीं सका। राहुल नीलू को याद करके धीरे
धीरे पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था। राहुल ने आज तक अपने लंड को इस तरह से मसला भी
नहीं था क्योंकि आज तक उसे इस चीज़ की ज़रूरत ही कभी नहीं पड़ी थी। लेकिन राहुल भी उस उम्र के दौर से
गुजर रहा था जहां पर जवानी अपना पूरा जोर लगाती है इस उम्र में इंसान का दिल की सुनता है ना दिमाग की। इस
उम्र में अक्सर इंसान जवानी के जोश के आगे लाचार बेबस नजर आते हैं।
और यही हाल राहुल का भी हो रहा था नीलू की जवानी ने. उसके मदमस्त बदन के उतार चढ़ाव ने राहुल के दिलो-
दिमाग पर एक जाल सा बुन दीया था। 
राहुल के मन-मस्तिष्क पर नीलू ने पूरी तरह से कब्जा जमा चुकी थी।
. बार बार राहुल नीलू के बारे में सोच सोच कर अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही उंगलियों से मसल रहा था
आंखों में नींद का नामोनिशान नहीं था और वैसे भी नींद आती भी कैसे आज जो कुछ भी राहुल के साथ हुआ था
उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदलने में अहम भूमिका निभाने वाला था।
राहुल को सबसे ज्यादा नीलु की जो बात परेशान कर रही थी वो थी नीलू का राहुल से बेझिझक पेशाब लगने वाली
बात करना। नीलू के मुह ं से पेशाब लगने वाली बात सुनकर ही राहुल का पूरा बदन गनगना गया था।
राहुल ने आज तक किसी भी लड़की के मुंह से लड़कों से यह कहते नहीं सुना था कि उसे जोर से पेशाब लगी है या
पेशाब की जिक्र भी करते नहीं सुना था इसलिए राहुल के कानों से पेशाब वाली बात सुनकर राहुल का लंड टनटना
के खड़ा हो गया था। 
उसे तो अपनी आंखों पर अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने अपनी जागती आंखों से नीलू को अपने सामने
पेशाब करते हुए दे खा है। उसे तो यह सब एक सपना ही लग रहा था। वह सोच भी नहीं सकता था कि कोई लड़की
इस तरह से उसके सामने अपनी सलवार कि डोरी खोलकर अपनी सलवार को उसके सामने ही अपने घुटनों तक
सरकाएगी और पेशाब करने बैठ जाएगी।उफफफफ गजब की गोल-मोल और गोरी गांड थी नीलू की और वह जिस
तरह से अपनी गांड को उभार के पेशाब कर रही थी उससे तो राहुल के लंड का अकड़ पन इतना ज्यादा बढ़ गया था
कि ऐसा लगने लगा था कि कहीं लंड की नशे फट ना जाए। 
पेशाब करने वाले दृश्य के बारे में सोच कर ही राहुल का लंड एकदम अकड़ चुका था। राहुल का हाथ कब उसके
पजामे में चला गया उसे खुद पता नहीं चला। राहुल की उंगलियां खुद ब खुद उसके टनटनाए हुए लंड के इर्द-गिर्द
कश्ती चली गई अब राहुल का लंड उसकी मुट्ठी में आ चुका था और उसने अपनी मुटठी को लंड पर कस लिया था।
और धीरे-धीरे मुट्ठी को ल़ंड पर कस के ऊपर नीचे करते हुए मुठियाने लगा। राहुल नहीं जानता था कि वह क्या कर
रहा है। उसे इसका ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था कि वह जो कर रहा था उसे ही मुठ मारना कहते हैं अनजाने में ही नीलू
को याद करते हुए राहुल मुठ मारने लगा था।

वही दूसरे कमरे में अलका आदम कद आईने के सामने खड़ी होकर अपनी साड़ी को खोलने लगी। साड़ी के पल्लू
को जैसे ही अलका ने अपने कंधे से नीचे गिराई वैसे ही ब्लाउज मे केद दोनों बड़ी बड़ी चूचियां झलकने लगी।
अलका ने एक बार अपनी नजर को नीचे झुका कर चुचियों के बीच की गहराई को दे खने लगी चुचियों के बीच की
गहराई को दे ख कर खुद ही मुस्कुरा दी और अपनी नजर के सामने दिख रही है अपनी प्रतिबिम्ब को आईने में
निहारने लगी। आईने में अपनी खूबसूरती को दे खकर वह मन ही मन गीत गुनगुनाते हुए अपने दोनों हाथों को पीछे
ले जाकर ब्लाउज की डोरी को अपनी नाजुक उँगलियों से खोलने लगी। ब्लाउज की डोरी को खुलते ही अलका
एक-एक करके ब्लाउज को अपनी बाहों से निकाल कर अलग कर दी। अलका के बदन से ब्लाउज अलग होते ही
उसकी गुलाबी रंग की ब्रा दिखई दे ने लगी। अलका पहले से ही अपने चूचियों के साईज के हिसाब से छोटी ही ब्रा
पहनतीे थी। इसीलिए उसकी आधे से ज्यादा चुचिया ब्रा के बाहर हीे झलकती रहतेी थी। अपनी बड़ी बड़ी चूचीयो
पर अलका को हमेशा से नाज रहता था। और नाज हो भी क्यों ना ईतनी बड़ी बड़ी चुचिया होने के बावजूद भी उसमें
लटक पन जरा सा भी नहीं आया था। उसकी चूचियां हमेशा तनी हुई ही रहती थी।
अलका ने एक बार अपने दोनों हथेलियों मे अपनी दोनो चुचियों की गोलाइयों को भरी। और हल्के से दोनों हथेलियों
को ऊपर नीचे करके अपनी चुचियों को भी हिलाई। और फिर से अपने हाथो को पीछे ले जाकर ब्रा की हुक को
खोलने लगी और अगले ही पल ब्रा के हुक को खोलने के बाद एक एक कर के ब्रा की स्ट्रिप को अपने हाथों में से
बाहर निकाल दि। ब्रा के निकलते ही दोनों चुचीया जेसे हवा में उछल रही हो इस तरह से ऊपर नीचे हुई। अपनी
चुचियों के उछाल से खुश होकर अलका अपनी कमर से बंधी साड़ी को खोलने लगी।
साड़ी को खोलकर वह उसे बिस्तर पर फेंक दी अब उसके बदन पर सिर्फ पेटीकोट ही रह गई थी। 
गीत गुनगुनाते हुए अलका अपनी पेटीकोट की डोरी को खोलने लगी। डोरी की गांठ खुलते ही अलका ने अपने हाथ
से पेटीकोट को नीचे छोड़ दी पेटीकोट अलका के हाथ से छू टते ही सरक कर उसके कदमों में जा गिरी। अलका की
गदराई और खूबसूरत बदन पर सिर्फ पैंटी ही रह गई थी बड़ी-बड़ी और गोरी गांड पर गुलाबी रंग की पेंटी खूब फब
रही थी। अलका की गांड इतनी ज्यादा बड़ी बड़ी और गदराई हुई थी की उसकी गांड की फांकों के बीच उसकी पैंटी
धसी हुई थी जिसे अलका ने अपनी एक हाथ पीछे ले जाकर पैंटी को पकड़कर गांड की गलियारे से खींचकर बाहर
निकाली अलका अपने बदन को दे ख कर मन ही मन बहुत खूश हो रही थी। 
अलका ने अपने दोनों हाथों की उंगलियों को पेंटी की दोनों छोर पर टीकाई और अपनी नाजुक उंगलियों से पैंटी के
छोर को पकड़ कर नीचे सरकाने लगी । अलका आईने में अपनी पैंटी को नीचे सरकाते हुए खुद ही दे ख रही थी जैसे
जैसे पेंटी नीचे सरकती जाती वैसे वैसे अलका की खुद की धड़कनें तेज होती जा रही थी।
अगले ही पल अलका अपनी बुर को पेंटी के परदे से अनावृत करते हुए घुटने तक सरका कर पैंटी को वैसे ही छोड़
दी और पेंटी अपने आप शरक के अलका के कदमों में जा गिरी। अलका एकदम नंगी हो चुकी थी उसके बदन पर
नाम मात्र का भी कपड़ा नहीं रह गया था। अलका आईने में अपने बदन को निहारते हुए जब अपनी नजर को जाँघो
के बीच ले के गई तो उसे खुद पर ही बहुत गुस्सा आया। गुस्से का कारण भी साफ था । आज तक उसने अपनी बुर
पर इतने ढे र सारे बाल कभी भी इकट्ठा होने नही दी थी। अपने पति से दूर रहकर भी वह हमेशा अपने बदन की
साफ-सफाई मैं हमेशा स ज्यादा ध्यान दे ती थी।इसलिए आज अपनी बुर पर बालों के गुच्छे को दे खकर खुद पर
गुस्सा करने लगी। गुस्सा करते हुए ही वह अपनी हथेली को जाँघों के बीच रख दी। गरम बुर पर गर्म हथेली का स्पर्श
पड़ते ही अलका को अपने बदन में सुरसुराहट का अनुभव होने लगा। अलका अपनी हथेली को अपनी बुर से सटाए
हुए ही ऊपर की तरफ सरकाने लगी लेकिन इसी बीच अपनी हथेली की बीच वाली उंगली को अपनी बुर के बीचों
बीच की लकीर पर रखकर रगड़ते हुए ऊपर की तरफ सरकाई। बीच वाली उंगली की रगड़ बुर की लकीर पर इतनी
तेज थी की उंगली की रगड़ बुर की लकीर में धंसते हुए ऊपर की तरफ आई। अलका की इस हरकत पर उसका
बदन एक दम से झनझना गया।
बुर मे से हल्का सा पानी की बूंद बुर की उपरी सतह पर झलकने लगी। अलका के मुंह से हल्की सी सिसकारी फूट
पड़ी। अलका आज वर्षों के बाद अपने बदन से इस तरह की छे ड़छाड़ की थी। अलका इससे अधिक और ज्यादा
बढ़ती इसे पहले ही अपने आप को संभाल ली।
वह अपने आप से ही बोली। यह मैं क्या कर रही हो मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए गलत है और इतना कहकर नंगे
बदन है अपने बिस्तर तक गई बिस्तर तक चलने से उसकी गांड में हो रही थीरकन इतनी गजब की थी कि अगर
कोई भी उसकी गांड पर हो रही थीरकन को दे ख ले तो खड़े-खड़े उसका लंड पानी छोड़ दे । 
अलका बिस्तर पर पड़ी अपनीे गाऊन को उठाई और उसे अपने गले में डाल कर पहनते हुए मन ही मन में बोली कि
अगली बार बाजार जाऊंगी तो वीट क्रीम लाकर अपने बाल की सफाई जरूर करुँ गी।
बाजार जाने के नाम से उसे एकाएक याद आया कि आज वह बाजार गई थी। और बाजार में उसे एक लड़का मिला
था। जिसने सामान से भरे थैले को उठाने में उसकी मदद की थी।

अलका गाउन पहन चुकी थी। वह बिस्तर पर बैठ गई और बाजार वाली बात को याद करने लगी। 
उसे याद आने लगा कि वह बाजार से आज ढे र सारा सामान खरीदी कर ली थी जिससे कि उसका थैला भर चुका था
और वजन भी ज्यादा था जिसको उठा पाना उसके बस की बात नहीं थी। वैसे भी आज उसने घर की जरूरत होगा
कुछ ज्यादा ही सामान खरीद ली थी घर से निकली थी तब वह नहीं जानती थी कि यह सब समान उसे खरीदना है।
लेकिन बाजार में पहुंचकर धीरे-धीरे ढे र सारा सामान खरीद ली। वह इतना ढे र सारा सामान खरीद तो ली लेकिन वो
नहीं जानती थी कि वजन इतना बढ़ जाएगा कि उससे उठाया नहीं जाएगा।
वह बाजार में हुई बात को याद करते-करते बिस्तर पर लेट गई उसे वो याद आने लगा कि किस तरह से सामान से
भरी थैले को उठाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो उठ नहीं पा रहा था। उसे बहुत टें शन भी होने लगी थी की थी
थैला अगर उठे गा नहीं तो घर तक जाएगा कैसे। वह बिस्तर पर लेटे लेटे यही सोच रही थी कि वह उस समय कितनी
परेशान हो गई थी। तभी वह लड़का दौड़ते-दौड़ते पास में आया और कैसे मेरे बिना कुछ बोले ही खुद ही थेला उठा
लिया। और कितनी अच्छी बातें करता था वो। 
लड़का: लाइये आंटी जी में उठा लेता हूं। ( इतना कहकर वह मेरे थेलै को उठाने लगा। और मैं उसे रोकते हुए बोली)

मै: अरे अरे रहने दो बेटा मैं उठा लूंगी। ( और वह मेरे कहने से पहले ही अपने मजबूत बाजूओ के सहारे उस
वजनदार पहले को उठा लिया और बोला )

लड़का: आंटी जी मैं जानता हूं कि आप ईस थैले को नहीं उठा सकीे हैं तभी तो मैं आया हूं आपकी मदद करने। (
इतना कहने के साथ ही वह थैले को उठाकर अपने कंधे पर रख लिया। मैं उससे फिर से पूछी।)

मै: तुम्हें कैसे मालूम बेटा कि मैं ये थैला नहीं उठा पाऊंगी

लड़का ; आंटी जी मैं बहुत दे र से वहां बैठ कर( सामने रेस्टोरेंट की तरफ इशारा करते हुए) आपको ईस थैले को
उठाते हुए दे ख रहा हूं लेकिन ये थैला आप से उठ ही नहीं रहा है इसलिए तो मैं वहां से इधर आया कि आपकी थोड़ी
बहुत मदद कर सकु।( अलका उस लड़की की बात सुनकर मन ही मन में मुस्कुराने लगी। )
अलका; तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया बेटा। 

लड़का; आंटी जी इस मे शुक्रिया किस बात का। यह तो मेरा फर्ज है। वैसे आंटीजी ये थैला ले कहां जाना है। आप
बताइए मैं वहां तक पहुंचा दुँ । ( अलका इस लड़के की मदद करने की भावना से बहुत ज्यादा प्रभावित हुई
और इस लड़के की मासूमियत अलका को भा गई। अलका उस लड़के के मासूम चेहरे की तरफ दे खते हुए बोली।)
अलका;अब कैसे कहूं बेटा तुम्हें तकलीफ दे ते हुए मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। तुम बहुत ही अच्छे लड़के हो।

लड़का: अब इसमें तकलीफ कैसी आंटी जी अब बस जल्दी से बताइए कहां ले जाना है? 

अलका; ( पर्स को अपने हाथ में दबाते हुए) बस बेटा वहाँ थोड़ा आगे तक। ( हाथ से इशारा करके दिखाते हुए)
वहां तक पहुंचा दो मै वहाँ से ऑटो करके घर चली जाऊंगी। 
( अलका का इशारा पाते ही वह लड़का बिना कुछ बोले उस दिशा की ओर चलने लगा और उसके पीछे पीछे
अलका चलने लगी। अलका मन ही मन में सोचने लगी कि यह लड़का कितना नेक दिल इंसान है। इसकी उम्र ही
कितनी है मेरे राहुल जितनी हीं तो है। लेकिन इतनी कम उम्र में भी इसकी समझदारी इसका व्यवहार इसे इसकी उम्र
से भी बड़ा कर दे ता है। अलका के मन में यह सब ख्याल आ ही रहा था कि तब तक उस लड़के ने अपने कंधे पर से
थैला ऊतार के नीचे रख दिया और बोला)

लड़का: लो आंटी जी अब आ गया( इतना कहने के साथ ही वहां से एक ऑटो गुजर रहा था उसे हाथ दीखाकर
रुकवा दिया। और उस ऑटो मे सामान से भरा थैला रखते हुए बोला।)

लड़का; यह लो आंटी जी आपका सामान में रख दिया अब आप को जहां जाना है आप आराम से बैठ कर चले
जाइए।
( अलका को उस लड़के पर ढे र सारा प्यार उभर आया और अलका ने उस लड़के के माथे पर हाथ फेरते हुए उसका
शुक्रिया अदा की और ऑटो में बैठकर अपने घर की तरफ तरफ चल दी।)
अलका बिस्तर पर लेटे लेटे उसी लड़के के बारे में सोच रीे थी लेकिन तभी उसे याद आया कि उस लड़के ने इतनी
मदद की लेकिन उसने एक बार भी उस लड़के से उसका नाम नहीं पूछी। खेर कोई बात नहीं अगली बार मिलेगा तो
जरुर उसका नाम पूछूंगी। अलका अपने मन में ही कह कर करवट बदल ली और पास में पड़े टे बल पर रखे लैंप की
स्विच ऑफ करके बत्ती बुझाई और सो गई।
अलका जिस लड़के से इतना ज्यादा प्रभावित हुई थी वह उस लड़के के बारे में कुछ नहीं जानती थी। वह जिसे सीधा
साधा और भोला भाला लड़का समझ रही थी । वह विनीत था उसके ही लड़के का दोस्त उसका हम उम्र। जो बड़ी
उम्र की औरतों का शौकीन था। जो ज्यादातर बड़ी उम्र की औरतों की तरफ ही आकर्षित होता था। 
अलका यह समझ रही थी कि वह लड़का उस की मदद करने के इरादे से ही उसके पास आया था और उसका थैला
उठाकर उसकी मदद किया था। लेकिन अलका इस बात से बिल्कुल भी बेखबर थी कि वह बस की मदद करने के
हेतु से नहीं बल्कि उसके खूबसूरत बदन और उसके भरे हुए बदन के उभार और कटाव के आकर्षण को दे खकर
उसके पास आया था। वह लड़का सामने के रेस्टोरेंट में बैठ कर काफी दे र से अलका के हिल चाल पर नजर रखे हुए
था। वह लड़का भाई रेस्टोरेंट में बैठे बैठे अलका के भरे हुए बदन को ऊपर से नीचे तक उसकी बड़ी बड़ी चुचियों की
गोलाई को अपनी आंखों से ही नाप रहा था। अलका की बड़ी बड़ी गांड और उसका घेराव ही उस लड़के के
आकर्षण का केंद्र बिंदु था। अलका की हर एक हलन चलन पर उस लड़के ने अपनी नजर गड़ाए हुए था। अलका
जब भी थोड़ा सा भी चलती तो उसकी गांड में उठने वाली थीरकन उस लड़के के लंड में मरोड़ पैदा कर दे रही थी। 
अलका जब-जब थैला उठाने के लिए नीचे झुकती तो सामने से उसकी बड़ी बड़ी चुचिया ब्लाउज में से झाँकती हुई
नजर आ जा रही थी। जिसे दे ख कर उस लड़के की आह निकल जा रही थी। उस लड़के से अलका के बदन का
उतार चढ़ाव बर्दाश नहीं हो रहा था और वह ये भी समझ गया था कि उस औरत से वह थैला ऊठ नहीं रहा है।
इसलिए मैं सोचा कि वह जाकर उस खेलें को उठाने में उसकी मदद करें और काफी नजदीक से उसके खूबसूरत
बदन का दर्शन भी हो जाए इसलिए वह उस रेस्टोरेंट से उठ कर अलका की मदद करने के लिए आया था।
विनीत के दिलो-दिमाग पर अलका की खूबसूरती और उसके बदन का भराव एकदम से छा चुका था। विनीत ने मन
ही मन मे अलका के खूबसूरत बदन को भोगने का ठान लिया था। इसलिए विनीत ने अपना पहला दाँव चल चुका
था और काफी हद तक कामयाब भी हो चुका था।

वहीं दूसरी तरफ राहुल अपने पजामे को गीला कर लीया था। उसके लंड ने इतनी तेज पिचकारी मारी थी कि उसे
दे ख कर एक बार तो राहुल डर ही गया था यह क्या हो रहा है लेकिन लंड से पिचकारी निकलते समय मिलने वाले
सुख का अहसास ने उसे आनंद के सागर में गोते लगाने को मजबूर कर दिया। राहुल लंड को हिलाते हिलाते इतना
मस्त हो गया था की पिचकारी निकलते समय उसके मुंह से सिसकारी फूट पड़ी।
आज राहुल अनजाने में ही मुठ मारना सिख गया था।
आज उसे चरम सुख का अनुभव हो रहा था। बिस्तर पर पड़ी टॉवल से राहुल ने अपनी लंड को साफ किया। 
नीलू के बदन का आकर्षण पुरुष की दीवानगी ने राहुल को इस कदर मजबूर कर दिया था कि जो उसने आज तक
नहीं किया था उसके बारे में सोचा भी नही था कभी उसी काम को अंजाम दे कर सुख का अनुभव कर रहा था।
राहुल आज नया अनुभव पाकर प्रसन्न हो गया था।
राहुल ने भी लेंप की स्विच को दबाकर ऑफ किया और आंखों को मुँद कर सपनों की दुनिया में चला गया।

दूसरे दिन स्कूल में राहुल नीलू से आंखें नहीं मिला पा रहा था उसे शर्म सी महसूस हो रही थी लेकिन छु प छु प के
नीलू को नजर भर के दे ख ले रहा था नीलू भी विनीत से नजरें बचाकर राहुल को दे खकर मुस्कुरा दे रहीे थी। 
नीलू बार बार राहुल को इशारे से रिसेस के समय ऊपर की क्लास में मिलने को समझा रही थी। लेकिन राहुल नीलु
के इशारे को समझ नहीं पा रहा था। 
आज राहुल विनीत से भी बातें करने में भी हीचकीचा रहा था। आंखों ही आंखों से इशारा करते हुए कब रीशेष की
घंटी बज गई पता ही नहीं चला। रिषेश की घंटी बजते ही सभी विद्यार्थी क्लास के बाहर चले गए विनीत भी राहुल
का हाथ पकडे हुए क्लास के बाहर आ गया। नीलू छिप छिप कर उन दोनों को दे ख रही थी नीलू राहुल को ऊपर की
क्लास में ले जाना चाहती थी क्योंकि ऊपर की क्लास ज्यादातर खाली ही रहते थी।
लेकिन वो जानती थी कि विनीत के होते हुए व राहुल के साथ ऊपर नहीं जा सकती। और विनीत था की राहुल के
साथ ही चिपका रहता था। राहुल विनीत बातें करते हुए एक पेड़ की छाया के नीचे बैठ गए। नीलू वो दोनो को दे ख
ही रही थी वह समझ गई कि आज का प्लान सक्सेस नहीं हो पाएगा। इसलिए थक हारकर वह भी उन दोनों के पास
पहुंच गई।
नीलू को दे खते ही विनीत बोला।

वीनीत; हाय जान तुम तो दीन ब दीन फुल की तरह खीेलती जा रही हो।( इतना कहने के साथ ही विनीत ने सबकी
नजरें बचाकर अपने हाथ से नीलू की गदराई गांड को दबा कर अपना हाथ पीछे खींच लिया । युँ एकाएक अपनी
गांड पर राहुल के हाथ का स्पर्श पाकर नीलू चौक ते हुए बोली।)

नीलु: क्या करते हो विनीत कोई दे ख लेगा तो क्या सोचेगा।।


( नीलू की बात सुनते ही विनीत ने नीलू का हाथ पकड़ कर अपने नजदीक बैठाते हुए बोला)
वीनीत: अरे जान कोई नहीं दे खेगा और दे ख भी लीया तो क्या हुआ मैं तुमसे प्यार करता हुँ। ( विनीत की बात
सुनकर नीरलु मुस्कुरा दी लेकिन वही बैठे राहुल को यह सब बातें अच्छी नहीं लग रही थी पता नहीं क्यों उसे विनीत
से ईर्ष्या होने लगी थी। राहुल बखूबी जानता था कि नीलू और विनीत का काफी समय से चक्कर चल रहा है लेकिन
कल नीलू से मिलने के बाद से राहुल नीलू का अपना समझने लगा था इसलिए विनीत पर उसे गुस्सा भी आ रहा था
लेकिन जिस तरह से विनीत ने अपने हाथों से नीलू की नरम नरम गांड को दबाया था उसे दे खते ही राहुल के लंड में
झनझनाहट होने लगी थी
लेकिन राहुल विनीत को कुछ कह भी नहीं सकता था। तभी विनीत ने नीलू से कहा)

वीनीत: क्या जान आजकल तो तुम्हारी गांड बहुत ज्यादा गदराई जा रही है कहीं किसी और का तो नहीं ले रही हो?
( विनीत की बात सुनते हैं नीलू एकदम से सकपका गई लेकिन अपने आप को संभालते हुए बोली।)

नीलु; पागल हो गए हो क्या कैसी बातें कर रहे हो वो भी अपने दोस्त के सामने। वो क्या समझेगा।

वीनीत; ( राहुल की तरफ दे ख कर उसको आंख मारते हुए) कुछ समझ भी जाएगा तो क्या हुआ मेरी जान यह मेरा
जिगरी दोस्त है किसी से कुछ भी नहीं कहेगा।( राहुल के कंधे पर हाथ रखकर अपने तरफ खींचते हुए)
क्यों राहुल सच कहा ना।
( राहुल क्या कहता वह तो मन ही मन जलभुन रहा था लेकिन फिर भी हंसते हुए हाँ मे सिर हीला दीया। तभी
विनीत ने नीलू से कल के बारे में पूछा तो नीलू फिर से सक पका गई। क्या जवाब दे कुछ समझ में नहीं आ रहा था
राहुल भी नीलु की तरफ सवालिया नजरों से दे ख रहा था। वह भी यही सोच रहा था कि नीलू क्या जवाब दे ती है
लेकिन कुछ दे र तक नीलु खामोश रही। उसकी खामोशी को दे खकर विनीत फिर से उसे वही सवाल दोहराया। इस
बार नीलू हड़बड़ाते हुए जवाब दी)

नीलु: वो वो ककककल मै .....हाँ। कल मैं मम्मी पापा के साथ रिश्तेदार के वहां गए थी। और रात को दे र से लौटे
थे।( इतना बोलने के साथ ही अपने नजरों को इधर-उधर घुमाने लगी। नीलू के जवाब से संतुष्ट होकर विनीत बोला।)

वीनीत; कल मुझे भी बहुत काम था इसलिए मैं तुमसे मिल नहीं सका।( विनीत अपनी बात पूरी किया ही था कि
उसके मोबाइल की रिंग बज उठी। वह अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर उसके स्क्रीन पर दे खा तो उसकी भाभी
का ही नंबर था। विनीत ने फोन पिक किया और बातें करने लगा। उसके फोन पर बात करने से पता चल रहा था कि
उसकी भाभी को कोई जरूरी काम था उसे जाना पड़ रहा था। विनीत फोन को कट करके मोबाइल को जेब में रखते
हुए बोला।)

वीनीत: यार मुझे जाना होगा घर पर जरुरी काम है।


( नीलू और राहुल को उसकी भाभी का यूं बार बार घर पर बुला लेना कुछ समझ में नहीं आ रहा था इसलिए नीलू
विनीत से बोली)

नीलु; क्या यार जब दे खो तब तुम्हारी भाभी बीच क्लास मे तो कभी रीशेष मे बुला लेती है .कभी भी बुला लेती है।
आखिर ये सब चक्कर क्या है। ( राहुल भी विनीत की तरफ सवालिया नजरों से दे ख रहा था। नीलू के सवाल पर
विनीत ने पहले नीलू की तरफ फिर राहुल की तरफ दे खते हुए जवाब दिया।)
वीनीत; दे खो यार तुम लोगों को तो पता ही है कि बचपन में ही मेरे सर से मां बाप का साया उठ चुका था भाई ने ही
मेरी दे खभाल की है। भाई की शादी के बाद भाभी ने भी मुझे अपने बेटे के जैसा ही प्यार दिया है मेरी हर जरूरतों
का ध्यान रखतीे हैं। इसलिए तो मैं अपनी भाभी को अपनी मां की तरह मानता हूं। और इसलिए मैं उनकी हर आज्ञा
मानता हूं। ( इतना कहकर विनीत खड़ा हो गया और जाते हुए बोला:-) अच्छा नीलू और राहुल अब कल मिलेंगे।।
( राहुल और नीलू विनीत को जाते हुए दे खते रहे। विनीत के जाने के बाद राहुल और नीलू दोनों वहीं बैठे रहे . नीलू
को पूरा मौका मिल गया था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था क्यों क्या कह कर राहुल को ऊपर मंजिले की
तरफ ले जाएं।। रिसेस का समय पूरा होने में सिर्फ 15 मिनट ही रह गए थे। नीलु की बेचैनी बढ़ती जा रही थी इसी
कशमकश में उसकी बुर फुदकने लगी थी। राहुल नीलू से शर्मा रहा था इस वजह से वह भी नीलू से कुछ कह नहीं पा
रहा था। तभी नीलू मन में कुछ सोच कर राहुल से बोली।)

नीलु: राहुल चलो कहीं एकांत में चलते हैं यहां काफी शोर शराबा है।( नीलू की मीठी मधुर आवाज सुनते ही राहुल
प्रसन्न हो गया वह नीलू की तरफ दे खते हुए बोला।)

राहुल: लेकिन जायेंगे कहां सब जगह तो शोर शराबा है।

नीलु: तुम चलो तो मैं जानती हूं ऐसी जगह( इतना कहने के साथ है वह चलने लगी पीछे मुड़कर दे खी तो राहुल भी
उसके पीछे पीछे आने लगा। राहुल को पीछे आता दे ख वह मुस्कुरा दी। मीनू राहुल को स्कूल के उपरी मंजिल ए पर
ले जा रही थी जहां पर कोई भी क्लास अटें ड नहीं होती थी। ऊपरी मंजिले की सारी क्लास खाली ही रहती थी। 
मीनू सीढ़ियां चढ़ रही थी रह-रहकर पीछे मुड़कर राहुल की तरफ भी दे ख ले रही थी। राहुल की नजर नी्लू पर ही
टिकी थी खासकर के नीलू की गदराई गांड पर। जोकि सीढ़ीयाँ चढ़ने पर कुछ ज्यादा ही मटक रही थी।
जिसे दे खकर राहुल के लंड में जान आना शुरु हो गया था। नीलू भी कुछ कम नहीं थी वह जानबूझकर अपनी बड़ी-
बड़ी गदराई गांड को कुछ ज्यादा ही मटका कर चल रही थी । राहुल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि नीलू उसे
ऊपर की तरफ क्यों ले जा रही है। नीलू के आकर्षण ने उसे इतना ज्यादा मोह लीया था कि नीलू जहां कहती व जाने
को तैयार था। इसलिए तो वह नीलू से बिना कुछ सवाल किए उसके पीछे पीछे खिंचा चला जा रहा था। राहुल को
इस समय कुछ नहीं सुझ रहा था उसे तो बस नीलू की बड़ी बड़ी मटकती हुई गांड ही दिखाई दे रही थी जो की
सीढ़ियां चढ़ने पर और भी ज्यादा मटक रही थी। राहुल के पेंट में तंबू बनना शुरू हो गया था। नीलु सीढ़ियां चढ़ चुकी
थी और वह कोने वाली क्लास में जाने के लिए आगे बढ़ रही थी। यहां की सारी क्लास हमेशा खाली ही रहती थी।
नीलू सबसे लास्ट की क्लास में ले जा रही थी। यह वही क्लास थी जिसमें नीलू ने बहुत बार विनीत से चुदवा चुकी
थी। बहुत बार अपनी जवानी की प्यास विनीत के लंड से बुझाई थी। और आज उसकी इच्छा थी की राहुल के
विशालकाय लंड को अपनी आंखों से एकदम नंगा दे खना चाहती थी। 
राहुल के जाघों के बीच बने तंबू को दे खकर ही इतना तो जान ही गई थी नीलू की राहुल एक दमदार और तगड़े लंड
का मालिक है। 

अब तक मीनू राहुल के लंड की मन ही मन में ढे र सारी आकृतियां बना चुकी थी की जब राहुल का लंड ढिला होता
होगा तो कैसा लगता होगा। जब उसमे तनाव अाना शुरु होता होगा तो कैसा लगता होगा और जब एकदम से टन
टना के खड़ा होता होगा तब केसा लगता होगा । यही सब सोच सोच कर उसने ना जाने कितनी बार अपनी बुर को
गीली कर चुकी थी और अपनी बुर की गर्मी को शांत करने के लिए उंगली बैंगन और ककड़ी केले का सहारा भी ले
चुकी थी। लेकिन राहुल को लेकर के उसकी कामाग्नि ज्यों के त्यों बनी हुई थी। इसलिए तो आज स्कूल के ऊपरी
मंजिले पर उसको लेकर के आई थी। उसके मन में यही था कि वह उसके लंड को नंगा दे ख कर थोड़ा बहुत सुकून
पा लेगी और ज्यादा मौका मिला तो अपनी बुर मे लंड डलवाकर उसके लंड का उद्घाटन भी करवा दे गी। 
नीलू राहुल को क्लास में ले आई। यहां पर सिर्फ एक टे बल और कुर्सी ही थी। नीलू कुर्सी पर बैठते हुए राहुल को
टे बल पर बैठने का इशारा की। राहुल भी टे बल पर बैठ गया दोनों आमने सामने बैठे थे। नीलू बड़े असमंजस में थी
कि वह कैसे शुरू करें क्या कहे। राहुल को तो वैसे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था । खाली क्लास में यूं अकेले
बैठना वो भी नीलु के साथ उसे बहुत शर्म आ रही थी। नीलू ही बातों का दौर शुरू करते हुए कही।

नीलु: क्या बात है राहुल तुम बहुत परेशान लग रहे हो


कोई परेशानी है क्या?
( नीलू की बात सुनकर वह क्या कहे उसे कुछ सुझा ही नहीं इसलिए हड़बड़ी में जवाब दे ते हुए बोला।)

राहुल: ककककककुछ नही ।। बस थोड़ा मैथ्स में परेशानी हो रही है। ( राहुल हड़बड़ाहट में कुछ का कुछ बोल
गया और नीलू उसकी बात सुनकर बोली)
नीलु; बस इतनी सी बात मेरी मम्मी मुझे खुद ट्यूशन दे ती है। एक काम करना तुम भी मेरे घर पढ़ने आ जाया करो।
मम्मी हम दोनों को साथ में पढ़ा दे गी तुम्हें जिस में परेशानी हो रही वह सवाल भी हल कर दे गी।

तो राहुल तुम आओगे ना मेरे घर पढ़ने।( नीलू अपनी बात कहने के साथ ही राहुल की तरफ सवालिया नजरों से
दे खने लगी राहुल कहता भी तो क्या कहते उसने हड़बड़ाहट में जवाब दे दिया था लेकिन वह पढ़ने में काफी तेज था
मैथ्स के सवाल तो वो युं हल कर लेता था
लेकीन नीलु के सामने वो यह नही बोल पाया की उसे कीसी भी सबजेक्ट मे परेशानी नही है। वह नीलू को ना नहीं
बोलना चाहता था। अब नीलू को इंकार कर दे ना राहुल के बस में बिल्कुल भी नहीं था। इसलिए वह नीलू को हां कह
दिया। लेकिन फिर बोला।

राहुल: लेकिन मैं तुम्हारा घर तो दे खा नहीं हूं तो आऊंगा कैसे?


नीलु; स्कूल को छु ट़ते ही तुम मेरे साथ मेरे घर चलना मैं तुम्हें अपना घर भी दिखा दूं गी ताकि तुम आराम से मेरे घर
आ सको। 

राहुल: ठीक है।( राहुल तो खुद ही हमेशा निलूं के साथ ही रहना चाहता था। पर यहां तो खुद नीलू उसे अपने साथ
रहने का मौका दे रही थी तो भला क्यूं राहुल ऐसे मौके को गँवा दे ता। नीलू मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि वह
जानती थी कि घर पर कोई भी नहीं होगा और ऐसे मैं राहुल के साथ अपने मन की कर लेगी। इस बात को सोच कर
ही उसकी बुर से नमकीन पानी की बूंद टपक पड़ी। नीलू का पूरा बदन एक अजब से रोमांच से गनगना गया। नीलू
राहुल के लंड को दे खना चाहती थी लेकिन कैसे शुरुआत करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। इसी कशमकश में
रीशेष पूरी होने की घंटी बज गई। नीलु जिस उद्दे श्य से ईधर क्लास में आई थी वह मतलब उसका पूरा नहीं होता दे ख
एकदम से कसमसा गई। इतने में राहुल की टे बल से उठते हुए बोला चलो चलते हैं घंटी बज गई है। 
राहुल को उठ कर जाता दे ख नीलु से रहा नहीं गया वह भी झट से कुर्सी से उठी और आगे बढ़कर राहुल को अपनी
बाहों में भरली। यू एकाएक नीलू की हरकत से वह कुछ समझ नहीं पाया वह कुछ समझ पाता इससे पहले ही नीलू
अपने होठ राहुल के होटो से सटा दी।..
राहुल का बदन अजीब से रोमांच में एकदम से गनगना गया। नीलू अपने गुलाबी होंठों में राहुल के होंठों को भरकर
चूसना शुरू कर दी। राहुल के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ना शुरू हो गई। नीलू होटो को चूसते हुए धीरे-धीरे चलकर
राहुल को दीवार से सटा दी।
जैसे ही राहुल की पीठ दीवार से सटी राहुल एकदम से उत्तेजित हो गया और वह भी नीलू के होठों को चूसना शुरू
कर दिया। नीलू के कामुक्ता का पारा उसके सिर चढ़ गया था। उसकी सांसे भारी चलने लगी थी।
राहुल को इसमें मजा तो आ रहा था लेकिन उसे इतना ज्ञात था कि रिसेस पूरी होने की घंटी बज चुकी थी और उसे
जल्द से जल्द क्लास में पहुंचना था। तभी नीलू का एक हाथ राहुल के पेंट में बने तंबू पर पड़ा राहुल के तो होश ही
उड़ गए जब उसने पेंट मे बने तंबू को अपनी हथेली में दबोच लिया। पूरे बदन में रक्त का प्रवाह तिर्व गति से होने
लगा। नीलू पेंट के ऊपर से ही राहुल के लंड को अपनी हथेली में कस कस के दबा रही थी। जिससे राहुल को बहुत
मजा भी आ रहा था।
नीलू पैंट के ऊपर से ही लंड को दबा दबा कर मस्त हुए जा रही थी। लंड का उभार उसकी हथेली में समा नहीं रहा
था। बस यही अनुभव उसकी पैंटी को गीली करने के लिए काफी था। नीलू बस यही सोच सोच कर ही मस्तीया जा
रही थी कि वाकई में ईसका लंड कितना विशालकाय और कितना मस्त मोटा तगड़ा होगा। जब इसका मोटा लंड
मेरी बुर में घुसेगा तो मेरी बुर की गुलाबी पंखड़ि
ु यों को फैलाता हुआ बुर की जड़ तक रगड़ता हुआ जाएगा।।।
उउउउफफफफ कितना मजा आएगा। नीलू मन में ऐसा सोचते सोचते राहुल के पेंट की चैन को खोलने के लिए
अपने ऊंगलियों से उसकी चेन पकड़ के नीचे सरकाई ही थी की राहुल ने अपना हाथ बढ़ा कर नीलू के हाथ को
पकड़ते ह अपने होठों को नीलू के होठों से अलग करता हुआ बोला बोला।

राहुल: ननननननन नीलु....... रिशशशशश ....रिशेष.... की घंटी बज चुकी है तो हमें जाना चाहिए।( राहुल
हकलाते हुए बोला )
राहुल के इस व्यवहार पर नीलू को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन वह अपने गुस्से को अंदर ही अंदर दबा ले गई।
नीलू को राहुल के नादानियत पर हंसी भी आ रही थी क्योंकि उसकी जगह कोई भी लड़का होता ऐसा मौका हाथ से
जाने नहीं दे ता लेकिन राहुल था कि उसे क्लास में जाने की जल्दी पड़ी थी। नीलू अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए
बोली।।

नीलु; ठीक है लेकिन छु ट्टी के बाद जरूर मिलना।( तंबू की तरफ अपनी निगाह डालकर मुस्कुराते हुए बोली)
बहुत जल्दी खड़ा हो जाता है तुम्हारा।( इतना कहने के साथ वह अपने होंठ को दांतों से दबाते हुए हंसकर क्लास के
बाहर जाने लगी राहुल कुछ बोल नहीं पाया और वह भी क्लास के बाहर निकल गया।)

छु ट्टी के बाद राहुल उसी जगह खड़ा होकर नीलू का इंतजार कर रहा था नीलू भी जल्दी आ गई और अपनी स्कूटी
पार्किंग से बाहर निकाल कर सड़क पर लाते हैं स्टार्ट कर दी और राहुल को पीछे बैठने का इसारा की
राहुल के पीछे बैठते हैं नीलू एक्सीलेटर दबा दी और स्कूटी सड़क पर अपनी रफ्तार पकड़ते हुए ति्र्व गति से जाने
लगी। नीलू का दिमाग बहुत तेजी से दौड़ रहा था वह जानती थी कि इस समय घर पर कोई नहीं होगा ना पापा और
ना मम्मी। वौ मन ही मन सोच रही थी कि घर जाकर जी भरके राहुल की तगड़े लंड से खेलेगी उसे अपनी बुर में
डलवाकर जी भर के चुदवायेंगी। आज अपनी जवानी की प्यास को राहुल के कुंवारे और जवान लंड से बुझाएगी। 
यह सब सोच सोच कर ही नीलु ने अपनी पेंटी को पूरी तरह से गीली कर ली थी। वह जल्द से जल्द अपने घर पर
पहुंचना चाहती थी। नीलू और राहुल दोनों खामोश थे कोई कुछ नहीं बोला रहा था। दोनों के मन में ढे र सारी बातें
चल रही थी। नीलू तो अपना प्रोग्राम फिट कर चुकी थी उसे पता था कि घर पहुंच कर क्या करना है । 
लेकीन राहुल तो क्लास में हुई हरकत के बारे मे अभी भी सोच-सोचकर गनगना जा रहा था। उसे तो अब तक सब
कुछ सपना ही लग रहा था। थोड़ी ही दे र में नीलु की स्कूटी एक गेट के सामने रुकी । गेट के सामने स्कूटी के रूकते
ही राहुल समझ गया की नीलू का घर यहीं है और स्कूटी पर से उतर गया राहुल के उतरने के बाद नीलू ने स्कूटी को
बंद की और स्कूटी को स्टैं ड पर लगाकर आगे बढ़कर गेट को खोली। 
गेट के खुलने के बाद नीलू स्कूटी को धक्के लगाते हुए गेट के अंदर ले आई और राहुल को भी अंदर आने को कही ।
बाहर से ही नीलू का घर दे खकर राहुल का मन प्रसन्न हो गया था। नीलू का घर एक अच्छी सोसाइटी में था 2 मंजीले
के घर के बाहरी दीवारों पर कीमती पत्थर लगे हुए थे। राहुल इतने से ही समझ गया था कि नीलू के मम्मी पापा पैसे
वाले हैं तभी तो नीलू इतनी सुख-सुविधा में रहती है।
नीलू स्कूटी स्टैं ड पर लगाते हुए राहुल को ही दे खे जा रही थी वह मन ही मन बहुत ही खुश थी क्योंकि वह जानती
थी कि राहुल के घर में आते ही वह अपनी मनसा पूरी कर लेगी ईतने दिनों से जो उसकी बुर में खुजली मची हुई है
आज इसी बुर में राहुल के मोटे लंड को डलवा कर अपनी खुजली मिटाएगी। नीलू स्कूटी को खड़ी करके मुख्य द्वार
के पास जाकर खड़ी हो गई और अपने पर्स से दरवाजे की चाबी निकालने लगी। राहुल नीलू के ठीक पीछे ही खड़ा
था। ना चाहते हुए भी बार बार राहुल की नजर नीलू की गदराई गांड पर चली जा रही थी और उसे भी उसकी गांड
को दे खे बिना चैन नही मिल रहा था। नीलू को पर्स में चाबी मिल नहीं रही थी उसे परेशान होता हुआ दे खकर राहुल
बोला।

राहुल: क्या हुआ नीलू क्या ढूं ढ रही हो? 

नीलु; ( पर्स में मुह


ँ डाले हुए ही बोली) अरे यार कि मैं चाबी रखी थी मिल नहीं रही है।
( चाबी की बात सुनकर राहुल को कुछ समझ में नहीं आया क्योंकि इस समय उसकी मम्मी घर में है तो चाबी की
जरूरत ही क्या है इसलिए उसने नीलू से बोला)

राहुल: चाबी! चाबी किस लिए ?तुम्हारी मम्मी तो घर मे ही है ना तो डोर बेल बजाओ।
( राहुल की बात सुनते ही नीलू एकदम से सकपका गई उसे समझ में नहीं आया कि क्या जवाब दे क्योंकि वह
जानती थी कि घर में मम्मी नहीं है और वह उसे यह कहकर लाई थी कि मम्मी से मिलाना है। लेकिन नीलू बहुत ही
खेली खाई हुई लड़की थी जिसे बहाना बनाना खूब आता था उसने झट से पर्स में से चाबी निकाली और दरवाजे के
की होल में चाबी डालते हुए राहुल की तरफ दे खे बिना ही बोली।

नीलु; अरे यार इस समय ज्यादातर मेरी मम्मी आराम ही करती रहती है अगर में डोर बेल बजाऊंगी तो मम्मी को
अपने कमरे से यहां तक चल कर आना पड़ेगा और मम्मी नाराज भी होगी इसीलिए तो एक चाबी मेरे पास भी रहती
है ताकि मैं कभी भी आ जा सकूं। ( इतना कहने के साथ ही दरवाजे का लॉक खुल गया)

दरवाजे का लोक खुलते ही नीलू ने दरवाजे का हैंडल पकड़कर दरवाजें को अंदर की तरफ ठे ला। दरवाजे को छे लते
ही दरवाजा खुलता चला गया और नीलू कमरे में दाखिल हुई उसके मन में ढे र सारे अरमान पनप चुके थे कमरे के
अंदर घुसते ही राहुल को भी अंदर आने को कहीं राहुल भी कमरे के अंदर आ गया। राहुल के कमरे में प्रवेश करते हैं
नीलू ने धीरे से दरवाजे को लॉक कर दिया।
जैसे ही निलूं दरवाजे को लॉक करके वापस मुड़ी उसकी नजर सीधे डाइनिंग टे बल के पास पड़ी चेयर पर पड़ी तो
उसके होश उड़ गए चेयर पर उसकी मम्मी बैठी हुई थी। नीलू को तो यकीन ही नहीं हुआ उसे समझ में नहीं आ रहा
था कि वह सपना दे ख रही है या हकीकत। वैसे जो उसने चाभी वाली बात कही थी वह ठीक ही कही थी लेकिन वह
जानती थी कि इस समय घर में न मम्मी होंगी ना पापा। वह तो अपने मन में चुदाई के सपने बुनकर राहुल को घर
लाई थी लेकिन यहां तो सब काम उल्टा हो गया। नीलू की मम्मी उन दोनों को ही दे ख रही थी नीलू क्या करें उसे कुछ
समझ में नहीं आ रहा था अब यह भी नहीं कह सकती थी कि मम्मी तुम इस समय यहां क्या कर रही हो। क्योंकि वो
राहुल को यही कहकर घर लाई थी कि वह उसे मम्मी से मिलाएगी।
नीलू का पूरा प्लान चौपट हो चुका था। अब वह मम्मी से क्या कहें कैसे राहुल को मम्मी से मिलवाए यही सब उसके
दीमाग मे चल रहा था। नीलू भी कम नहीं थी बहाना तो उसके जुबान पर होता था ऐसे मौके पर उसका दिमाग कुछ
ज्यादा ही चलता था। नीलू तपाक से बोली।

ममममम मम्मी यययय ये राहुल है । ( राहुल ने नीलू की मम्मी को नमस्ते किया। लेकिन राहुल की मम्मी ने कुछ
जवाब नहीं दिया। राहुल को कुछ अजीब सा लगा। नीलू समझ चुकी थी कि क्या मामला है। नीलू जानती थी कि
मम्मी को किसी पार्टी में जाना पार्टी एंजॉय करना और ड्रिंक लेना यह सब पसंद था.. अौर वह समझ गई थी कि
मम्मी ज्यादा ड्रिंक करके आ गई है। और नहा कर ही यहां पर बैठी है। लेकिन अभी भी होश में नहीं है।
राहुल तो पहले ही नीलू की मम्मी को दे खते ही सन्न रह गया था। क्योंकि नीलू की मम्मी चेयर पर एकदम बिंदास हो
कर बैठी हुई थी। उसके कपड़े भी अस्त- व्यस्त थे। जांघ पर जाँघ चढ़ा कर बैठी हुई थी वह भी उसकी आधी जाँघे
दिखाई दे रही थी। नंगी जाँघों को दे खकर ही राहुल के लंड में सनसनाहट पैदा होने लगी
थी। उसके लंड में उस वक्त और ज्यादा अकड़न पैदा हो गई जब उसकी नजर नीलू की मम्मी की छातियों पर पड़ी।
नीलू की मम्मी ने ब्लाउज नहीं पहनी थी। उसकी चूचियां बिल्कुल नंगी थी बस ऊपर से साड़ी के पल्लू से ढका हुआ
था। फिर भी आधी चूची नजर ही आ रही थी।
राहुल यह बात बिल्कुल भी नहीं समझ पा रहा था कि उसके होने की मौजूदगी में भी नीलू की मम्मी अपने नंगे बदन
को ढँ कने की जरा भी कोशिश नहीं कर रही थी।
लेकिन नीलू जानती थी कि उसकी मम्मी शराब के नशे में धुत थी। राहुल को यह बात मालूम नहीं पड़ गया है
इसलिए उसने अपनी मम्मी को कंधों से पकड़कर हीलाते हुए बोली।।।

मम्मी ये राहुल है मेरा क्लासमेट ये आपसे मिलने आया है ( इस बार नीलू की मम्मी जवाब नहीं बस मुस्कुरा दे राहुल
ने भी नीलु की मम्मी को नमस्ते किया। नीलु की नजर राहुल की जाँघों के बीच जाते ही वहां बने तंबू को दे खकर
एकदम से सन्न रह गई। वह समझ गई कि उसकी मम्मी के अस्त व्यस्त कपड़ों को दे ख कर ही राहुल का लंड खड़ा
हो गया है । और वह तुरंत अपनी मम्मी के कपड़ों को व्यवस्थित करते हुए बोली।

राहुल आज मम्मी की तबीयत ठीक नहीं लग रही है।( अपनी मम्मी की साड़ी को व्यवस्थित कर के राहुल की तरफ
बढ़ते हुए।) तुम्हें तकलीफ दे ने के लिए माफी चाहती हूं किसी और दिन में तुम्हें मम्मी से मिलवा दूं गी।

कोई बात नहीं नीलूं मैं समझ सकता हूं आंटी थोड़ा अपसेट लग रही है मैं किसी और दिन आ जाऊंगा घर तो तुम्हारा
दे ख ही चूका हूं इसलिए कभी भी मुझे जरूरत पड़ेगी तो मैं आ जाऊंगा। ( राहुल दरवाजे की तरफ जाने लगा तो
नीलु भी उस की तरफ बढ़ते हुए बोली।)

चलो तुम्हें गेट तक छोड़ दे ती हूं।

( नीलू राहुल को छोड़ने के लिए गेट तक आई ।)


राहुल चला गया नीलू उसे जाते हुए दे खते रह गई मन में ढे र सारे अरमान थे तभी तो अपनी बुर और पेंटी दोनों को
की गीली कर ली थी । आज उसे अपनी मम्मी पर बहुत गुस्सा आ रहा था वैसे कभी भी इस समय घर पर नहीं होती
थी लेकिन जब आज राहुल को लेकर आई तो ना जाने कैसे घर पर आ गई। नीलु यही साहब सोचते हुए कमरे में
आई और गुस्से में अपनी मां को दे खते हुए अपने कमरे में चली गई उसे कुछ सूझ नहीं रहा था उसके बदन में आग
लगी हुई थी खास करके उसकी टांगों के बीच में। बार-बार उसे राहुल याद आ रहा था वही सोच रही थी कि अगर
आज मम्मी घर पर नहीं होती तो मैं अपनी बुर मे राहुल के मोटे लंड को डलवाकर अपनी बुर की आग बुझा लेती। 
नीलू यह सब सोचते सोचते सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को मसल रही थी। इस तरह से बुर को मसलने की
वजह से उसके बदन मे जेसे चीटियां रेंग रही हो उससे बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हो रहा था।
उसकी पैंटी इतनी ज्यादा गीली हो चुकी थी कि सलवार के ऊपर से भी उसकी उँगलीया भीग जा रही थी।
तभी वह झट से बिस्तर से उठी और अपने कमरे का दरवाजा खोल कर किचन की तरफ बढ़ गई किचन में जाते ही
उसने फ्रीज का दरवाजा खोला और अंदर से एक मजबूत मोटा और ताजा बैगन निकाली। बेगन का साइज थोड़ा
ज्यादा ही था उसे लेकर नीलू अपने कमरे में आ गई कमरे का दरवाजा बंद करते ही वह अपने कपड़े उतारने लगी
अगले ही पल वह एकदम नंगी बिस्तर के पास खड़ी थी और अपने हाथ से ही अपनी चूची को दबा रही थी। कुछ ही
दे र में इस तरह से चूची दबाने से चुची का रंग एकदम गुलाबी हो गया। उत्तेजना की वजह से चूची के साइज में भी
बढ़ोतरी हो गई नीलू के मुह ँ से सिसकारीयो की आवाज़ निकलने लगी। नीलू एक हाथ से अपनी मस्त चूचियों को
दबाते हुए मसल रही थी और दूसरे हाथ मे लिए हुए बैगन को अपनी बुर पर रगड़ रही थी। बैगन का मोटा वाला भाग
बुर से स्पर्श होते हैं नीलू एकदम से मचल उठी उसकी काम भावनाएं प्रबल हो उठी। मीनू के मुह ं से गर्म सिसकारियां
बड़ी तेजी से फूट रही थी। बैंगन को नीलू अपने हाथों में इस तरह से पकडे हुई थी कि मानो वो बेगान न होकर राहुल
का लंड हो। नीलू पूरी तरह से उत्तेजना के शिखर पर विराजमान हो चुकी थी। वह धम्म से बिस्तर पर बैठी और
बैठते ही लेट गई। 
नीलू अपनी टांगों को फैला ली । चिकनी और सुडोल जाँघे बल्ब के उजाले में चमक रही थी। जांघों को फैलाते ही
नीलु की गुलाबी बुर की गुलाबी पंखड़ि ु यां हल्के से अलग हो गई। गुलाबी पंखड़ि
ु यों के अलग होते हैं उनमें से
नमकीन पानी का झरना जैसे फूट पड़ा हो इस तरह से नमकीन पानी टपकने लगा। हर पल नीलू की उत्तेजना बढ़ती
ही जा रही थी। उसकी गरम सिस्कारियों से पूरा कमरा गूंज रहा था। 
मारे उत्तेजना के नीलू के गोरे गोरे गाल भी लाल टमाटर की तरह हो गए। नीलू पूरे बिस्तर पर इधर से उधर तड़प
तड़प के मारे उत्तेजना के उछल-कूद मचा रही थी।
नीलू जोर-जोर से बैगन के आगे वाले भाग को अपनी बुर की फाँको के बीच रगड़ रही थी और जोर-जोर से साँसे ले
रही थी। नीलू इतनी ज्यादा मस्त हो चुकी थी कि उसके मुह ं से अनायस ही राहुल का नाम निकल जा रहा था।

ओहहहहहहह राहुल....उउम्म्मम्म्म्............ डाल दो अपने मोटे गरम लंड को मेरी बुर मे ।।


आआहहहहहहहह.........ओओहहहहहहहहह..........राहुल .....मेरी जान अब और मत तड़पाओ डाल दो
पूरा लंड मेरी बुर में।। ( इतना कहने के साथ ही नीलू ने बैगन के आगे वाले भाग को अपने बुर की गुलाबी छें द पर
टिकाई और अपने हाथ से अपनी बुर * के अंदर ठे ल दी। बुर पहले से ही गिली होने की वजह से चिपचिपी हो गई
थी। इसलिए बेगन के आगे वाला भाग गप्प करके बुर में समा गया। बैगन एकाद ईन्च ही बुर मे घुसा था की नीलू का
पूरा बदन अजीब से सुख के एहसास से गनगना गया। क्योंकि उसके ख्यालों में सिर्फ राहुल ही राहुल बसा हुआ था
इसलिए तो उसके हाथ में जो बैगन था वह भी नीलू को राहुल का लंड ही लग रहा था इसलिए तो वह और भी
ज्यादा मस्त हुए जा रही थी। 
नीलू एक हाथ से अपनी चूची को मसलते हुए और दूसरे हाथ से बेगन को अपनी बुर में ईन्च बाय उतार रही थी। 
थोड़ी दे र में आधे से भी ज्यादा बेगन नीलू की बुर में अंदर तक धँसा हुआ था। नीलू पसीना-पसीना हो गई थी वह
उत्तेजना की चरम सीमा पर थी। नीलू जल्दी-जल्दी बैगन को अपनी बुर में अंदर-बाहर कर रही थी। और गर्म
सिसकारियां भरते हुए अनाप-शनाप बोले जा रहे थी।

आआआहहहहहह..आआहहहहहहहहह.....ऊऊममममममममम ............ राहुल........ और जोर से और


जोर से राहुल......चोदो मुझे ......चोदो......... ( नीलू अपनी बुर में बैगन को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते
हुए अनाप-शनाप बोले जा रहे थी वह इतनी मस्त हो चुकी थी की उसे कुछ भी नहीं सुझ रहा था उसका पूरा बदन
पसीने से तरबतर हो चुका था। वह अपनी चरम सीमा की बिल्कुल करीब थी। उसकी सिसकारियां बढ़ती ही जा रही
थी और बैंगन एक लंड की तरह उसकी बुर के अंदर बाहर ठोकरें लगाता जा रहा था। थोड़ी ही दे र मे उसके मुंह से
चीख नीकली और उसकी बुर ने भलभला के नमकीन पानी की बोछार कर दी। नीलू की हथेली उसके अपने ही बूर
के पानी से भीग चुकी थी। कुछ ही दे र में नीलु की वासना शांत हो गई।उसके बदन की गरमी पानी बनके उसकी बुर
से निकल चुकी थी। नीलू का बदन शांत हो गया था। वह बिस्तर पर नंगी लेटी हुई
थी और धीरे धीरे नींद की आगोश मे चली गई।

दूसरी तरफ रात होते ही राहुल अपने बिस्तर पर पड़ा था आज उसके जेहन में नीलू की मम्मी का ही ख्याल आ रहा
था। नीलू की मम्मी भी इतनी बिंदास्त होगी इस बारे में राहुल को बिल्कुल भी पता नहीं था।
बार-बार राहुल की आंखों के आगे नीलु की मम्मी की नंगी जाँघे और साड़ी के पल्लू से बाहर झाँकता हुआ उसका
वक्षस्थल नाच जा रहा था। नीलू की मम्मी का भी बदन राहुल की मम्मी की तरह ही भरा हुआ था कद काठी भी
लगभग एक जैसी ही थी।
उसकी गुदाज जाँघे राहुल की टांगों के बीच हलचल मचाए हुए था। ना चाहते हुए भी फिर से उसका हाथ उसके
पैजामे में चला गया। और एक बार फिर से अपने भावनाओं पर काबू नहीं कर पाया और फिर से अपने पजामे को
गीला कर लिया। मुठ मारने की कला में भी वह नीपूण होता जा रहा था। राहुल को भी अब इसमें मजा आने लगा
था। अभी यह लगभग रोज का हो चुका था राहुल सोते समय रोज उन बातों को याद करता जिस से उस की
उत्तेजना बढ़ने लगती और वह उत्तेजना के चलते मुठ मारता और अपनी भावनाओं को शांत करता। कुछ दीन तक
यूं ही चलता रहा।
नीलू रोज-रोज राहुल के समीप रहने का मौका ढूं ढती रहती और थोड़ा बहुत मौका मिलने पर वह राहुल के बदन से
छे ड़छाड़ भी कर लेती। और कभी अपने बदन की झलक भी दिखा दे ती जिसे राहुल की दीवानगी परवान चढ़ने लगी
थी। राहुल भी ज्यादा से ज्यादा वक्त नीलू के साथ बिताने का बहाना ढूं ढता रहता था। लेकिन विनीत की वजह से
राहुल ज्यादा समय नीलू के साथ बीता नहीं पा रहा था। और विनीत को इस बारे में कुछ बता भी नहीं सकता था। 
राहुल का मन इन सब बातों में उलझे होने के बावजूद भी वह अपनी पढ़ाई पर बराबर ध्यान केंद्रित कर रहा था
अपनी हरकतों को अपनी पढ़ाई पर हावी होने नहीं दिया था। इसलिए उसका क्लास का हर काम पूरा होता था।
विनीत हमेशा राहुल की नोटबुक घर ले जाता और कॉपी करता क्योंकि उसका पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता
था ऐसे ही 1 दिन वह राहुल से इंग्लिश की नोट बुक ले गया और लगभग दो-तीन दिन तक स्कूल आया ही नहीं।
राहुल बहुत परेशान हो रहा था वह इस बात से परेशान नहीं था कि विनीत स्कूल नहीं आ रहा है उसे तो खुशी थे
क्योंकि इन 3 दिनों में वह नीलू के बहुत करीब रहता था नीलू ने भी इन 3 दिनों में राहुल के साथ ज्यादा छू ट छाट
लेने लगी थी। यहां तक कि जब भी उसे मौका मिलता रिसेस में या कहीं भी जब किसी की भी नजर उन पर नहीं
होती तो वह राहुल को किस करने लगती। और किस करते करते उसके पेंट के उभार को
हथेली में भरकर दबाती और मसलती। राहुल को भी इस में बहुत मजा आता । इसलिए तो उन दोनों को विनीत की
गैरमौजूदगी फल नहीं रही थी बल्कि दोनों विनीत की गैर मौजूदगी का पूरा फायदा उठा रहे थे। 3 दिन से तो राहुल
को विनीत का बिल्कुल भी ख्याल नहीं आया लेकिन उसे इंग्लिश में कुछ प्रोजेक्ट पूरे करने थे और वह नोटबुक
विनीत ले गया था बिना नोटबुक के राहुल प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर पाता इसलीए उसे वीनीत से ना चाहते हुए भी
मिलना जरुरी था। अब क्या करें विनीत के बगैर तो चल जा रहा था लेकिन जो उसने उस की नोट बुक लेकर गया है
उसके बिना कैसे चलेगा इसलिए उसे विनीत के घर जाना जरुरी हो गया था।

स्कूल से छूटने के बाद राहुल घर जाने के बजाए विनीत के घर की तरफ चल दिया वैसे स्कूल से ज्यादा
दरू नहीं था उसका घर लेकिन फिर भी 20 25 मिनट पैदल चलने में लगी जाते थे। राहुल चाहता तो ऑटो
पकड़ कर जा सकता था लेकिन वैसे भी घर पर कोई काम नहीं था और घर पर इस समय मम्मी भी नहीं
होती थी। इसलिए वह विनीत के घर पर पैदल ही जाने के सोचा था कि कुछ समय में भी बीत जाएगा।
राहुल विनीत के घर पर पहले भी जा चुका था। उसका घर भी सोसायटी में था वह लोग भी पैसे से सुखी और
संपन्न थे। 
थोड़ी दे र बाद विनीत का घर आ गया वह उसके घर के आगे गेट के पास खड़ा हो गया। कुछ दे र तक वहीं
खड़ा हो कर घर की तरफ दे खता रहा वहां बाइक खड़ी थी। बाइक को दे ख कर समझ गया की विनीत घर पर
ही है । उसने खुद ही गेट खोला और गेट के अंदर दाखिल हो गया। दोपहर का समय था इसलिए इक्का-
दक्
ु का को छोड़ कर कोई भी नजर नहीं आ रहा था। ...
राहुल ने डोर बेल पर अपनी उं गली रखकर दबाया
डोर बेल पर उं गली रखते ही वह समझ गया की स्विच खराब है । दरवाजा खटखटाने के लिए जैसे ही वह
दरवाजे पर हाथ रखा दरवाजा खुद-ब-खुद खुलता चला गया । इस तरह से दरवाजा अपने आप खुल जाने
से राहुल को बड़ा आश्चर्य हुआ। बस सोच में पड़ गया कि इस तरह से दरवाजा क्यों खुला पड़ा है ।
राहुल दरवाजा खोलते हुए कमरे में आ गया और दरवाजे को वापस बंद करते हुए विनीत को आवाज
लगाया लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला। एक दो बार ओर आवाज लगाने से भी कोई भी जवाब नहीं
मिला इस बार उसे चिंता होने लगी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर ये हो क्या रहा है । क्या इस
समय घर में कोई है नहीं और है तो मेरी आवाज सुनने के बाद भी जवाब क्यों नहीं दे रहा है । राहुल को बड़ी
चिंता होने लगी वह सोचने लगा की कहीं कुछ गलत तो नहीं हो गया है । उसके मन में ढे र सारे सवाल भी
चल रहे थे और डर भी रहा था। वह डरते डरते धीमे कदमों के साथ विनीत के कमरे की ओर बढ़ा वह ईस घर
में पहले भी आ चुका है इसलिए उसे पता था कि विनीत का कमरा कहां है । वह जेसे ही विनीत के कमरे के
पास पहुंचा तो कमरे का दरवाजा खुला दे ख कर उसके चेहरे पर चिंता के बादल उमड़ने लगे। क्योंकि कमरे
का दरवाजा तो खल
ु ा था लेकिन कमरे में कोई नहीं था। उसके मन में परू ी तरह से डर बैठ गया उसे लगने
लगा कि कुछ गलत जरूर हुआ है । इसलिए वापस आने लगा वह अब इस घर से निकल जाना चाहता था।
यहां अब एक पल भी ठहरना उसे ठीक नहीं लग रहा था।
राहुल जल्दी-जल्दी मख्
ु य दरवाजे के पास आ गया और जैसे ही दरवाजा खोलने के लिए अपना हाथ बढ़ाया
था कि उसे किसी औरत की खिलखिलाकर हँसने की आवाज आई और वो रुक गया। राहुल सोचने लगा कि
यह हसने की आवाज कहां से आने लगी अभी तक तो कोई भी आवाज नहीं आ रही थी। रह-रहकर औरत के
हं सने की आवाज राहुल के कानों में पड़ रही थी । वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर हं सने की आवाज
किस दिशा से आ रही है । राहुल वहीं खड़े होकर आ रही आवाज की दिशा तय करने लगा। थोड़ी ही दे र में
समझ गया की ये आवाज तो सीढ़ियों के ऊपर से आ रही है । राहुल के समझ में नहीं आ रहा था कि वह
ऊपर जाकर दे खें कि नहीं दे खे कौन होगा उपर । एक पल तो वह वापस लौट जाने के लिए मड़
ु ा लेकिन फिर
उसे नोटबक
ु का ख्याल आ गया नोट बक
ु ले जाना भी बहुत जरूरी था और सोचा कि हो सकता है उसे
नोटबुक ही मिल जाए कोई ओर भी होगा तो उससे वौ मांग लेगा।
यही सोचकर वह सीढ़ियां चढ़ने लगा सीढ़ियां चढ़ते समय भी उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था।
क्योंकि वह नहीं जानता था कि जिसके हं सने की आवाज आ रही है वह कौन है हो सकता है उसकी भाभी ही
हो विनीत के भाई के साथ। और कहीं वो लोग मुझ पर नाराज हो गए तो। यही सब सवाल उसे परे शान कीए
जा रहा था। फीर मन में सोचा कि कोई भी होगा कह दे गा की इंग्लिश की नोट बुक लेने आया हूं बहुत जरूरी
था इसलिए। वह मन नहीं है यह सब सोचते हुए
सीढ़ियां चढ़ गया और हं सने की आवाज की तरफ बढ़ने लगा सामने की गैलरी के बगल में ही कमरा था
राहुल को यह समझते दे र नहीं लगी की हं सने की आवाज उसी कमरे से आ रही थी। वह कमरे की तरफ बढ़ा
और दरवाजे के पास आकर रुक गया उसे अब कमरे के अंदर से आ रही हं स कर खिलखिलाने की आवाज
और धीरे -धीरे फुसफुसाने की आवाज साफ सुनाई दे ने लगी । लेकिन वह लोग किस बात पर हं स रहे थे वह
सुनाई नहीं दे पा रहा था। तभी वो धीरे से फुसफुसाने की आवाज सुनकर मन मे हीं बोला यह तो विनीत की
आवाज है । इसका मतलब विनीत घर मे ही है । घर में होने के बावजूद भी यह मेरी आवाज क्यों नहीं सुना।
और अपना कमरा छोड़कर इस कमरे में क्या कर रहा है । इस समय ढे र सारे सवाल उसके मन में चल रहे
थे। यही सब सोचते हुए वह कमरे का दरवाजा खट खटाने जा ही रहा था कि वह कुछ सोचने लगा उसकी
नजर खिड़की पर पड़ी। और वह दरवाजे को खटखटा या नहीं बल्कि उत्सुकतावश वह खिड़की की तरफ
बढ़ा एक बार खिड़की से झांक लेना चाहता था कि आखिरकार कमरे में ऐसा क्या हो रहा है कि हं सने और
धीरे -धीरे फुसफुसाने की ही आवाज आ रही है । 
राहुल खिड़की के पास ही खड़ा था खिड़की का दरवाजा खुला हुआ था लेकिन खिड़की पर पर्दा लगा हुआ था
। खिड़की पर परदा लगा होने की वजह से कमरे के अंदर का कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था और राहुल
कमरे के अंदर दे खना चाह रहा था इसलिए उसने थोड़ी हिम्मत बांध कर खिड़की के पर्दे को हल्का सा हटाया
राहुल ने पर्दे को सिर्फ इतना ही हटाया था कि वह कमरे के अंदर का दृश्य दे ख सके । पर्दे को हल्का सा हटते
ही राहुल अपनी नजर को पर्दे के सहारे कमरे के अंदर दौड़ाना शरू
ु किया जल्द ही उसे अंदर का दृश्य दे खना
आरं भ हो गया। राहुल की नजरों ने कमरे के अंदर के दृश्य को ज्यों पकड़ा उसे दे खकर राहुल के बदन के
साथ-साथ उसका दिमाग भी सन्न रह गया। अंदर कमरे में विनीत था जिसे तो वो पहचानता था। लेकिन
वह इस महिला को नहीं पहचान पा रहा था जिसकी गर्दन को विनीत जो मैं जा रहा था विनीत उस महिला
के बाहों में कसा हुआ था वह महिला विनीत को पागलों की तरह अपने सीने से लगा कर के वह भी विनीत
के गाल पर वोट पर और उसकी गर्दन पर चंब
ु नों की बौछार किए जा रही थी । उस महिला का बदन एकदम
गोरा भरा हुआ और एकदम कसा हुआ था उसकी कद-काठी भी अच्छी खासी थी। उसकी उम्र लगभग 30 से
35 साल की होगी। कमरे के अंदर का दृश्य बहुत ज्यादा ही कामक
ु था क्योंकि अंदर का गरम दृश्य दे खते ही
राहुल का लंड टनटना के खड़ा हो गया था। विनीत के दोनों हाथ उस महिला के बड़ी बड़ी गांड पर थे जिसे
विनीत अपनी हथेलियों में दबा रहा था। वह महिला भी सिर्फ ब्लाउज और पेटिकोट मे ही थी। इसलिए
उसका बदन और ज्यादा सेक्सी लग रहा था। राहुल बड़े सोच में पड़ गया था एक तो अंदर का गर्म दृश्य
उसके बदन में भी कामाग्नि भड़का रहा था ।

कमरे के अंदर का नजारा दे ख कर राहुल का बदन भी गरम होने लगा था। विनीत उस महिला की गांड को
अपने दोनों हाथों से कस कस के मसल रहा था और वह महिला विनीत के गर्दन पर गालों पर चुंबनों की
बौछार करते हुए सिसकारी भर रही थी। राहुल की नजर बार बार उस महिला की बड़ी-बड़ी गांड पर ही जा
रही थी जिसे विनीत अपनी हथेली से मसल मसल कर गर्म कर रहा था। उस महिला का बदन पेटीकोट
ब्लाउज में होने से और भी ज्यादा कामुक लग रहा था। 
तभी विनीत ने अपने हाथों से उस महिला की पेटीकोट को ऊपर की तरफ चढ़ाना शुरु कर दिया। और अगले
ही पल उस महिला की पेटीकोट उसकी कमर तक चढ़ चुकी थी। पेटिकोट को कमर तक चढ़ते ही जो नजारा
सामने आया उसे दे खते ही राहुल के लंड से पानी की बूंद टपक पड़ी। उस महिला की गोरी गोरी गांड एकदम
नंगी हो गई सिर्फ एक काले रं ग की पैंटी उसकी गांड पर टिकी हुई थी जो कि उसकी गांड को ढँ क पाने में
असमर्थ थे। राहुल की हालत बहुत खराब होते जा रही थीे उससे यह सब दृश्य दे ख पाना बर्दाश्त के बाहर
था।
उसकी पें ट में तुरंत तंबू बन चुका था। विनीत अपनी हथेलियों में भर भर के उस महिला की गांड को दबा
रहा था मसल रहा था। अपनी उं गलियों को पें टी के अंदर डालकर गांड को मसलने का मजा ले रहा था। 
राहुल ये फैसला नहीं ले पा रहा था कि वह वहां पर रुके या चला जाए। एक मन तो कर रहा था कि चला जाए
लेकिन दस ू रा मन उसकी जवानी को बल ु ावा दे रहा था औरतों के बदन का आकर्षण उसे वहीं रुकने को कह
रहा था। और इस उम्र में मन चंचल होता है पानी की तरह जहां पर बहाव होता है मन ही बता चला जाता है
ईस उम्र की दहलीज पर जवानी के बहाव को रोक पाना किसी के बस में नहीं होता है । राहुल को उस महिला
का कामक
ु बदन एकदम जड़वंत बना चक
ु ा था। वह वहां से चाह कर भी हील नहीं पा रहा था। । और उसके
मन में यह जिज्ञासा भी थी की आखिर यह महिला है कौन जो विनीत के साथ इस अवस्था में है । राहुल यह
सब सोच ही रहा था कि तब तक उस महिला ने खद
ु अपनी पें टी को अपने हाथों से नीचे सरकाते हुए अपनी
टांगो से बाहर निकाल दी। यह नजारा दे खते ही राहुल के लंड में सनसनाहट दौड़ने लगी उसका खन
ू उबाल
मारने लगा
खुद पर काबू कर पाना अब उसके लिए बड़ा मुश्किल होता जा रहा था। उसका हाथ खुद बा खुद पें ट में बने
तंबू पर चला गया।वह अपने तंबू को मसल ही रहा था कि तभी विनीत ने उस महिला के ब्लाउज के बटन
खोलना शरू
ु किया और अगले ही पल उसके ब्लाउज को उतार कर बिस्तर पर फेंक दिया। यह दे खकर
राहुल का लंड ठुनकी मारने लगा। उस महिला ने ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहना था इसलिए उसकी पीठ
एकदम नंगी हो गई उसकी गोरी गोरी चिकनी पीठ दे ख कर किसी का भी ईमान डोल जाए। तभी विनीत
उस महिला की चचि
ु यों के बीच अपना मंह
ु डाल दिया। लेकिन विनीत को यहां से उस महिला की चच
ू ी नहीं
दे ख रही थी क्योंकि उस महिला की पीठ खिड़की की तरफ से पर इतना जरुर पता चल रहा था कि विनीत
उस महिला की चचि
ु यों के बीच में ही अपना मँह
ु डालकर मजा लट
ू ा रहा था। इससे पहले विनीत ने सिर्फ
औरतों को नंगी दे खने का सुख ही प्राप्त किया था। वह अपनी मां और नीलू को एकदम नंगी तो नहीं लेकिन
जिसे दे खने के लिए दनि
ु या का हर मर्द उत्सुक रहता है वह अंग तो वह दे ख ही चूका था। लेकिन आज वह
पहली बार किसी महिला के अंगो से खेलते हुए दे ख रहा था और इस खेल को दे खने में उसे परम आनंद का
अनुभव भी हो रहा था। यहां से सिर्फ वह उस महिला की पीठ का ही भाग दे ख पा रहा था जिस पर विनीत
अपनी हथेलियां फिरा रहा था। तभी उस महिला ने अपने बदन पर से आखरी वस्त्र भी त्याग दी उसने खुद
अपनी पेटीकोट की डोरी खोल कर उसे नीचे सरका दी और पैरों के सहारे से अपनी टाँगो से निकाल कर एक
तरफ सरका दी । उस महिला की सारी कामुक हरकतें किसी भी कंु वारे लड़के का पानी निकालने के लिए
काफी था।
उस महिला की हरकतों से लग रहा था कि वह महिला इस खेल में काफी माहिर थी। अब वह महिला पूरी
तरह से निर्वस्त्र हो चुकी थी उसके बदन पर कपड़े का लेशमात्र भी नहीं था एकदम नंगी और एकदम गोरी
भरा हुआ बदन चिकनी पीठ चिकनी जाँघे । बड़ी-बड़ी तरबूज की तरह गोलाई लिए हुए उसकी मद मस्त
गांड और गांड के दोनों फाँको को अलग करती हुई और गजब की गहराई लिए हुए वह कामक
ु लकीर। इस
लकीर की अंधियारी गली में दनि
ु या का हर मर्द भटकने के लिए मचलता रहता है । विनीत अपने दोनों हाथों
से उस महिला की गांड की फांकों को अपनी हथेलियों में भर के इधर-उधर मसलते हुए खींच रहा था। जिसे
दे ख कर राहुल के दिल की धड़कने तेज हुई जा रही थी। 
उस महिला ने विनीत के भी कपड़े उतारना शुरू कर दिए और अगले ही पल विनीत बिल्कुल नंगा खड़ा था 
और महिला से लिपट चिपट रहा था। तभी उस महिला ने बोली

ओहहहहह वीनीत आहहहहहहहह तम्


ु हारा लंड तो परू ी तरह से तैयार हो चक
ु ा है । ( उस महिला के हाथ की
हरकत से राहुल इतना तो समझ रहा था कि उसने विनीत के लंड को पकड़ा हुआ है । और उस महिला के मंह

से इतनी सी बात सन
ु कर राहुल की उत्सक
ु ता वीनीत के लंड को दे खने के लिए बढ़ने लगी। राहुल
उत्सक
ु तावश विनीत के को दे खना चाह रहा था लेकिन उसका बदन महिला के बदन की वजह से ढका हुआ
था
इसलिए राहुल भी दे ख नहीं पा रहा था। विनीत बार-बार उस महिला की बड़ी बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए
मचल रहा था जिसे दे खकर राहुल के माथे से पसीना टपकने लगा। महिला के हाथ की हरकतें तेज होती
दे ख राहुल समझ गया था कि वह महिला वीनीत के लंड को पकड़ कर जोर-जोर से आगे पीछे कर रही है ।
उस महिला का खल
ु ापन दे खकर राहुल दं ग रह गया। इस महिला के बारे में जानने की राहुल की उत्सक
ु ता
और ज्यादा बढ़ गई। वह जानना चाहता था कि आखिर यह महिला है कौन ये वीनीत की क्या लगती है और
वीनीत के साथ इस तरह से क्यों है ? यह सब सारे सवालं उसे
परे शान किए हुए थे। तभी उस महिला की कामक
ु बातें
राहुल के लंड में रक्त संचार को तीव्र गति से बढ़ाने लगी

ओहहहहहहह मेरे राज्जा आज तो तेरे लंड को अपनी बुर मे जी भर कर लूंगी मेरी प्यास बुझा मेरे राजा
मसल दे मुझे नीचोड़ डाल।।। अपनी बाहों में कस ले मुझे।आहहहहहहहह....आहहहहहहहहह

विनीत उस महिला की बातें सुनकर एकदम गरम होने लगा था वह अपने हाथ से पें ट में मैंने तंबू को मसल
रहा था। अंदर कमरे में आग लगी हुई थी और बाहर कमरे की तपिश से राहुल जल रहा था। तभी विनीत के
मुंह से राहुल ने जो सुना उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ राहुल एकदम दं ग रह गया उसे एक पल तो
समझ में ही नहीं आया कि ये वीनीत ही है या कोई और! वह बोल रहा था।

ओह भाभी मेरी जान मेरा लंड तड़प रहा है तम्


ु हारी बरु में जाने के लिए। तम्
ु हारे कहने पर ही तो मैं 2 दिन से
स्कूल नहीं गया।( अपनी ऊंगली को उस महिला की गांड की फांकों के बीच में रगड़ते हुए) पिछले 2 दिन से
तम्
ु हारी दिन रात जमकर चद
ु ाई कर रहा हूं। फिर भी मेरा मन तम
ु से भरता ही नहीं है बस दिल करता है कि
परू ा लंड तम्
ु हारी बरु में डाल कर पड़ा रहुँ। 

ओह वीनीत मेरे राजा मैं भी तो 2 दिन से लगातार तझ


ु से चुदवा रही हुँ फिर भी मेरी बुर की प्यास बुझने का
नाम ही नहीं ले रही है । मेरा भी दिल यहीं करता है की तोरे लंड पर अपनी बुर रखके बैठी रहुँ। 

राहुल यह सब सुनकर एकदम दं ग रह गया उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि जो वह सुन रहा है वाकई में
वह सच है । इस वक्त उसे खुद के कानों पर भी भरोसा नहीं हो रहा था। जिस महिला को लेकर वो अब तक
शंके में था उसकी हकीकत जानकर उसे यकीन नहीं हो रहा था।उसे यह जानकर बड़ी है रानी हो रही थी कि
क्या वाकई में ये महिला वीनीत की सगी भाभी है ? नहीं ऐसा नहीं हो सकता विनीत तो अपनी भाभी को
अपनी मां से भी बढ़कर मानता था और उसकी भाभी भी विनीत को अपने बच्चे की तरह मानती थी। नहीं
ऐसा नहीं हो सकता यह महिला कोई और होगी जिसे वह भाभी कह रहा है । यह उसकी शगी भाभी नहीं हो
सकती। 
राहुल अब तक इस महिला के बारे में ख्यालों में ही तर्क वितर्क लगा रहा था वैसे भी राहुल अब तक वीनीत
की भाभी से रूबरू नहीं हुआ था। उसने वीनीत की भाभी को दे खा नहीं था । इसलिए वह लेकिन नहीं कर पा
रहा था कि वाकई में यह वीनीत की भाभी है या कोई और।
राहुल अब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं आ पाया था तब तक वह महिला जिसे विनीत भाभी कह रहा था।
वह महिला पलंग पर टांगे फैलाकर लेट गई। राहुल की नजर जैसे ही उस महिला की जाँघो के बीच गई
राहुल के बदन में सनसनी दौड़ गई। आज पहली बार राहुल की आंखों ने औरतं की खल ु ी बरु को दे खा था। 
उस महिला की जांघों के बीच की बनावट को दे खकर राहुल दं ग रह गया था। उसे खद
ु कि आंखों पर
विश्वास नहीं हो रहा था। हल्के हल्के बाल ओर उस रे शमी बालों के बीच हलके गल
ु ाबी रं ग की लकीर जोकि
हल्की सी खल
ु ी हुई थी। जिसे दे खते ही राहुल का लंड एकदम से टन्ना गया। आज उसने जो दे खा था उसकी
गहराई आज तक किसी ने नहीं नाप पाया। इस गहराई में न जाने कितने लोग डुब चुके हैं कितने डूब रहे हैं
और ना जाने कितने डुबते रहें गे। राहुल का लंड जिसे दे खकर एकदम से टन्ना गया था उसकी सही
उपयोगिता के बारे में राहुल को बिल्कुल भी पता नहीं था। उसको यह नहीं मालूम था कि जिसे दे ख कर वह
इतना मस्त हुए जा रहा है उसका उपयोग कैसे करते है ? 
राहुल उस महिला को दे खकर उसकी खूबसूरती को दे खकर दं ग रह गया था उसकी बड़ी बड़ी चूचियां एक
दम नंगी तनी हुई थी। उसका चेहरा एकदम खूबसूरत था। अपने हाथ से ही अपने बुर कों रगड़ रही थी। तब
तक राहुल की नजर विनीत और उसके लंड पर पड़ी जिसे वह अपने हाथ में लेकर हिला रहा था। विनीत का
लंड भी फुल टाइट हो चुका था विनीत के लंड को दे ख कर
राहुल के मन मे अजीब सी जिज्ञासा होने लगी। विनीत को अपनी मुट्ठी में अपने लंड को भर कर हीलाते हुए
दे ख कर राहुल से भी रहा नहीं गया और उसने अपनी पें ट की चेन खोल कर अपने मुसल जेसे लंड को बाहर
निकाल कर अपनी मुट्ठी में भर लिया। 
कमरे के अंदर का दृश्य बहुत ज्यादा गर्म था उससे भी ज्यादा गर्म होने जा रहा था।

अभी भी राहुल के मन में उस महिला को लेकर शंकाओ ने घेर रखा था । लेकिन विनीत के मुंह से जो उसने
सुना उसे सुनने के बाद सब कुछ साफ हो चुका था। विनीत अपने टनटनाए हुए लंड को मुठीआते हुए बोला 

ओह भाभी दे ख रही हो मेरे लंड को यह आप की ही सेवा करने के लिए बना है । तभी तो आप जब बल


ु ाती है
तब हाजिर हो जाता हूं। आपके फोन पर मैं जहां भी रहता हूं तुरंत आपके पास भागा भागा चला आता हूं
( विनीत लगातार अपने लंड को मुठीयाए जा रहा था और वह महिला ललचाई आंखों से विनीत के
टनटनाए हुए लंड को घूरे जा रही थी। ) क्यों न क्लास में रहुँ। कई बार तो रिसेस में दोस्तों के साथ बैठा
रहता हूं तभी आपका फोन आ जाता है और मुझे दोस्तों से झूठ बोल कर आप के पास आना पड़ता है ।।

विनीत के मुह
ं से इतनी सी बात सुनते ही राहुल एकदम से सकपका गया। मन में प्रबल हो रही शंका का समाधान हो
चुका था सब कुछ साफ था जिस महिला को लेकर राहुल के मन में ढे र सारी संकाए पनप रही थी सभी शंकाए दूर
हो चुकी थी। लेकिन इस बात पर यकीन कर पाना राहुल के बस में नहीं था वह बार-बार यही सोचता कि कहीं वो
सपना तो नहीं दे ख रहा है।
कभी कभी आंखो से दे खा हुआ झूठ भी हो सकता हैं।
लेकिन वह यहां पर जो अपनी आंखों से दे ख रहा था और अपने कानों से सुन रहा था इसे झुठलाया नहीं जा सकता
था। किसी और के मुह ं से यह बात सुनता तो राहुल कभी भी इस बात पर विश्वास नहीं कर पाता लेकिन यहां तो सब
कुछ अपनी आंखो से दे ख रहा था अोर अपने कानों से सुन रहा था।
राहुल के पास इससे ज्यादा सोचने का समय नहीं था क्योंकि तब तक उसकी भाभी ने आओ मेरी जान मेरी प्यास
अपने मोटे लंड से बुझाओ इतना कहने के साथ ही विनीत को अपनी बाहों में कस ली। विनीत भी अपनी भाभी के
बदन के ऊपर उसकी बाहों में लेट गया
उसकी भाभी ने तुरंत अपनी टांगो को खोल दी और अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर विनीत के लंड को
पकड़कर अपनी गुलाबी बुर के मुहाने पर रखकर अपने दोनों हाथ को विनीत के नितंबो पर रख दी और उसके
नितंबों को नीचे की तरफ दबाने लगी.
विनीत को भी जैसे उसकी मंजिल मिल गई थी वह भी अपनी कमर कोे नीचे की तरफ धकेला ओर उसका लंड गप्प
करके उसकी भाभी की बुर मे घुस गया। 
राहुल ये दे खकर एक दम पसीना पसीना हो गया राहुल आज पहली बार ऐशा गरम कर दे ने वाला दृश्य दे ख रहा था।
आज से पहले उसने कभी भी इस तरह का चुदाई करने वाला दृश्य नहीं दे खा था। राहुल की शांसे तेज चल रही थी।
विनीत की कमर को उसकी भाभी की बुर के ऊपर .ऊपर नीचे होता हुआ दे खकर राहुल का भी हाथ लंड पर तेज
चल रहा था। 
आदरणीय रिश्तो के बीच ईस तरह का जिस्मानी ताल्लुकात को दे ख कर राहुल की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ चुकी
थी। राहुल को विश्वास नहीं हो रहा था कि इस तरह के पवित्र संबंध मां समान भाभी और पुत्र समान दे वर के बीच मे
भी होता है। 
विनीत की भाभी की सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी और वह नीचे से अपनी गांड को उछाल उछाल के विनीत
के लंड को अपनी बुर मे ले रही थी। 
तकरीबन 20 मिनट तक दोनों के बीच चुदाई का खेल चलता रहा। कमरे के अंदर विनीत की कमर चल रही थी और
कमरे के बाहर राहुल कहां चल रहा था दोनों की साँसे तेज चल रही थी। दोनों की जबरदस्त चुदाई की वजह से
पलंग के चरमराने की आवाज कमरे के बाहर खड़े राहुल को साफ साफ सुनाई दे रही थी। राहुल बहुत ज्यादा
उत्तेजित हो गया था और इसी ऊत्ेजना के चलते उसके हाथों से खिड़की का पर्दा थोड़ा और खुल गया और तुरंत
विनीत की भाभी की नजर खिड़की के बाहर खड़े राहुल पर पड़ गई। राहुल और वीनीत की भाभी की नजरे आपस
में टकरा गई। राहुल एकदम से घबरा गया और उसका हाथ रुक गया। 
लेकिन इस बात से वीनीत की भाभी को बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ा की खिड़की पर खड़ा कोई उन दोनों की
कामलीला को दे ख रहा है। बल्कि ऐसा लग रहा था कि वीनीत की भाभी की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई है। वह
ओर ज्यादा कामोत्तेजित हो कर अपनी हथेली को विनीत की पीठ पर फीराते हुए धीरे-धीरे उसके नितंब पर ले
जाकर उसको अपनी बुर पर दबाते हुए सिसकारी भरते हुए बोली।

आहहहहहगहहहहहहह. मेरे राजा चोद मुझे आहहहहहह फाड़ दे मेरी बुर को आहहहहहहह. और जोर से 

वीनीत की भाभी सिसकारी भरते हुए राहुल को दे खे लेकर जा रही थी और गंदी गंदी बातें बोले जा रही थी। यह दे ख
कर राहुल का भी हौसला बढ़ गया वह फिर से अपना हाथ चलाने लगा। पुरी पलंग चरमरा रहे थे दोनों पसीने पसीने
हो गए थे दोनों की सिसकारियां तेज हो गई थी। और दो-तीन मिनट बाद ही दोनों भल भला के एक साथ झड़ गए।
कुछ सेकंड बाद राहुल का भी वही हाल हुआ। दोनों कमरे में और बाहर राहुल अपनी चरमसीमा को प्राप्त कर चुके
थे। राहुल का वहां खड़े रहना अब ठीक नहीं था इसलिए वह तुरंत वहां से हट गया और कमरे से बाहर आ गया।

राहुल विनीत के घर से निकल कर बाहर आ गया।


वह वहां से बड़ी तेज कदर्मों से चलकर कल अपने घर पहुंच गया मुझे पता ही नहीं चला।

सोने का समय हो गया था राहुल अपने कमरे में था आज दिन भर उसकी आंखों के सामने बस विनीत और उसकी
भाभी ही नजर आ रही थी। उसे अभी भी यकीन नहीं आ रहा था की आज जो उसने वीनीत के घर पर दे खा वह सच
है। उसकी आंखों ने जो दे खा था उस पर भरोसा कर पाना राहुल के लिए बड़ा मुश्किल हुआ जा रहा था।
अभी कुछ दिन पहले ही तो विनीत ने बताया था कि केसे उसकी भाभी ने उसे पाल पोस कर बडा किया। और यह
भी तो कह रहा था कि उसकी भाभी को वह अपनी मां के समान मानता था और उसकी भाभी भी उसे अपने बेटे की
तरह मानती थी। तो फिर आज उसके कमरे में मैंने दे खा वह क्या था। 
ऐसे ही ना जाने कितने सवाल राहुल के मन मे चल रहे थे। यह सारे सवालों उसे परेशान किए हुए थे। लेकिन फिर
उसके मन ने कहा नहीं जो उसकी आंखों ने दे खा जो उसके कानों ने सुना वो बिलकुल सच था। वह विनीत जी था
और वह महिला उसकी भाभी ही थी दोनों के बीच में ना जाने कब से नजायज संबंध कायम हो चुका था। तभी तो
विनीत खुद कह रहा था कि आपके बुलाने से वह कभी भी हाजिर हो जाता है भले क्यों ना हो क्लास में हो या चाहे
जहाँ हो। और वैसे भी ना जाने कितनी बार वह भी नींद के सामने घर पर काम का बहाना करके चालू क्लास से घर
चला गया है। 
यह सब सोच सोच कर विनीत का लंड फिर से टाइट होना शुरू हो गया था। यह सब सोचते हुए भी उसकी आंखों के
सामने बार-बार उसकी भाभी की नंगी गांड दिखाई दे रही थी। बार-बार विनीत के द्वारा उसकी गांड को मसलना
उसको दबाना गांड की फांकों के बीच उंगलियों को घिसना यह सब दृश्य सोच सोच कर राहुल की हालत खराब हुए
जा रही थी। उसके पजामे में तंबू बन चुका था। और उसका हाथ वीनीत की भाभी के बारे में सोच कर खड़े हुए लंड
पर चला गया। वह पजामे के ऊपर से ही लंड को मसलने लगा। उसे लंड मसलने मे मीठा मीठा आनंद मिलने लगा।
वीनीत की भाभी के नंगे बदन के बारे में सोच सोच कर वह पजामे के ऊपर से लंड को मसलते जा रहा था। पिछले
कुछ दिनों से उसकी जिंदगी में ऐसे ही कामुक हादशे हो रहे थे जो उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दे रहे थे। 
उसने अब तक 3 औरतों के नंगे बदन को दे खने का सौभाग्य प्राप्त कर चुका था। सबसे पहले उसने अपनी मां को
ही नंगी दे खा था। अपनी मां के कमरे में दाखिल होते ही उसे उसकी मां गाऊन बदलते नजर आई थी। गाऊन सिर्फ
कमर तक ही पहुंच पाई थी की राहुल कमरे में प्रवेश कर गया था और उसने जिंदगी में पहली बार अपनी मां की
बडी़े-बड़ी गौरी और सुडोल गांड को अपनी आंखों से दे खा था। उस दिन तो वह अपनी मां की नंगी गांड को दे खकर
पागल ही हो गया था।. कुछ सेकंड तक ही उसे उसकी मां की नंगी गांड का दर्शन करने को मिला था। लेकिन यह
कुछ सेकंड का पल ही उसकी जिंदगी को बदल कर रख दिया था। उसकी मां की मतवाली और आकर्षक गांड का
कामुक दृश्य उसकी आंखों में बस गया था जिसे वह बार-बार सोच सोच कर रात को अनजाने में ही मुठ मारना भी
सीख गया था। 
राहुल के दिमाग का संतुलन बिगड़ने में नीलू का भी बहुत बड़ा हाथ था । ना नीलू से राहुल की मुलाकात होती और
ना राहुल इस कामुकता भरी राहों में आगे बढ़ता। अलका की गांड का प्रदर्शन तो अनजाने में ही राहुल के सामने
हुआ था लेकिन नीलु ने तो जानबूझकर अपनीे मस्त गांड का प्रदर्शन राहुल के सामने की थी।
और पहली बार ही वह किसी औरत को पेशाब करते हुए दे खा था। यह सुख उसे नीलू के द्वारा ही प्राप्त हुआ था।
नीलू की मम्मी को तो वह पूरी तरह से नंगी नहीं दे ख पाया था। फिर भी उसने नीलू की मम्मी की हल्की सी चुचियों
की झलक और उसकी चिकनी जाँघों का गोरापन दे ख ही लिया था। जिसे दे ख कर उस समय भी राहुल का लंड
टनटना गया था। और वीनीत की भाभी उसने तो सब कुछ करके दिखा दिया था। अगर अाज नोटबुक लेने वीनीत के
घर ना गया होता तो राहुल एकदम कामुक और चुदाई से भरपुर दृश्य का मजा ना ले पाता। राहुल की उम्र के लगभग
सभी लड़के चुदाई का मजा ले चुके होते हैं या मोबाइल में क्लिप ओ के द्वारा दे ख चुके होते हैं। लेकिन इन सब में
राहुल सबसे अलग था ना उसने आज से पहले कभी मोबाइल में ही चुदाई का दृश्य दे खा था और ना ही असल में।
राहुल के लिए पहली बार था इसलिए तो वह उत्तेजना से भर चुका था। उसने अब तक तीन महिलाओं की मस्त मस्त
गांड दे ख चुका था। और तीनों की गांड अपने आप में जबरदस्त थी। उन तीनों की गांड की तुलना किसी और की
गांड से करने का मतलब था की उन तीनों की गदराई गांड की तौहीन करना। उन तीनों के बदन का आकर्षण इतना
तेज था खास करके उनकी बड़ी बड़ी और गोल चूचियां और गदराई हुई गांड जो भी दे खे बस अपलक दे खता ही रह
जाए।। इन तीनों महिलाओं ने राहुल की जिंदगी में तूफान सा ला दिया था
और आज विनीत की भाभी ने जो चुदाई का पूरा अध्याय राहुल के सामने खोल कर रख दि थी। वह राहुल के लिए
चुदाई का सबक सीखने का पहला अध्याय था जो की शुरू हो चुका था। 
राहुल की आंखों के सामने बार-बार विनीत की नंगी भाभी का बिस्तर पर लेटना अपनी जाँघो को फैलाना
और अपने ही हथेली से अपनी बूर को रगड़ना यह सब गर्म नजारे उसकी आँखो के सामने बार बार नाच जा रहे थे।
राहुल की सांसे तेज चल रही थी। विनीत की भाभी के बारे में सोच कर उसका पजामा कब उसकी जांघों तक चला
गया उसे पता ही नहीं चला। राहुल की हथेलि उसके टनटनाए हुए लंड के ईर्द गिर्द कसती चली जा रही थी। राहुल
अपने लंड को मुठिया रहा था पिछले कुछ दिनों से रात को सोते समय वह ईसी क्रिया को बार बार दोहरा रहा था।
और इस मुट्ठ मार क्रिया को करने में उसे बेहद आनंद प्राप्त होता था। ईस समय भी उसके हाथ बड़ी तेजी से उसके
लंड पर चल रहा था। 
उसके मन मस्तिष्क ओर उसका बदन ऐसी पवित्र रीश्तो के बीच सेक्स संबंध के बारे में सोच कर और भी ज्यादा
उत्तेजना से भर जाता । भाभी और दे वर के बीच इस तरह का गलत संबंध भी हो सकता है उसे आज ही पता चला
था। 
राहुल बार-बार अपनी आंखों को बंद करके उस दृश्य के बारे में सोचता जब उसकी भाभी अपनी टांगें फैलाकर
बिस्तर पर लेटी हुई थी और विनीत उसकी टांगों के बीच लेटकर अपना लंड उसकीबुरे में डाल कर बड़ी तेजी से
अपनी कमर को ऊपर नीचे करते हुए चला रहा था। और रह रह कर उसकी भाभी भी नीचे से अपनी भारी भरकम
गांड को ऊपर की तरफ से उछालकर अपने दे वर का साथ दे रही थी। जैसे-जैसे राहुल ऊपर नीचे हो रही विनीत की
कमर के बारे में सोचता वैसे वैसे उसका हाथ लंड पर बड़ी तेजी से चल रहा था। 
राहुल उसकी भाभी की चुदाई के बारे में सोच सोच कर मुट्ठ मारता हुआ चरम सुख की तरफ आगे बढ़ रहा था।
भाभी की गरम सिसकारियां राहुल को भी गरम कर रही थी। राहुल बार-बार यही सोच रहा था की क्या वाकई में
चुदाई में इतना मजा आता है कैसे दोनों एक दूसरे में गुत्थम गुत्था हो गए थे। कैसे उनकी चुदाई की वजह से पुरा
पलंग चरमरा रहा था। क्या गजब की चुदास से भरी आवाज आ रही थी जब वीनीत का लंड उसकी भाभी की
पनीयाई बुर मे अंदर बाहर हो रहा था। पुच्च पुच्च की आवाज से पुरा कमरा गुँज रहा था। 
कमरे के अंदर का पूरा दृश्य याद कर-करके राहुल बड़ी तेजी से मुट्ठ मारा था । वह चरम सुख के बिल्कुल करीब
पहुंच चुका था तभी उसके मुख से आवाज आई।
ओह भाभी ............. और एक तेज पिच्कारी उसके लंड से निकली और हवा मे उछलकर वापस उसके हथेली
को भिगो दी। राहुल एक बार फिर सफलतापूर्वक मुट्ठ मारता हुआ अपने चरम सुख को प्राप्त कर लिया था।
दूसरे दिन राहुल रोज की तरह अपने स्कूल गया । आज भी विनीत स्कूल नहीं आया था। विनीत को क्लास में ना
पाकर राहुल का दिमाग घूमने लगा उसे कल वाली घटना
सादृश्य आंखों के सामने किसी फिल्म की भाँति चलने लगी। वीनीत की भाभी की मस्ताई गांड उसकी बुर .... और
उसकी बुर में घुसता हुआ विनीत का लंड । यह सब सोचकर ही राहुल का लंड टनटना के खड़ा हो गया। राहुल फिर
से विनीत के घर पर जाने की सोचने लगा। क्योंकि अभी भी नोटबुक विनीत के पास ही थी जिसे लेना बहुत जरुरी
था। उसने मन में सोचा कि चलो उसके घर जाने का एक अच्छा बहाना तो है। लेकिन तभी उसके मन में झुंझलाहट
होने लगी क्योंकि कल जब खिड़की से चोरी से वह कमरे के अंदर का नजारा दे ख रहा था तब कामरत हुई उसकी
भाभी ने खिड़की के बाहर खड़े होकर अंदर का नजारा दे खते हुए उसे दे ख लिया था। और अब उसके मन में यही हो
रहा था कि वह क्या समझ रही होगी उसके बारे में और वह खुद क्या कहेगा उनसे और कैसे उनसे नजरे मिलाएगा
यही सब सवाल उसके मन को थोड़ा परेशान किए हुए था। लेकिन फिर अपने मन को यह कहकर मना लिया कि जो
होगा दे खा जाएगा। वैसे भी उसने कौन सा गलत काम किया है वह तो अपनी नोट बुक लेने गया था कोई गलत काम
को तो वह लोग खुद कर रहे थे। 
यह तो राहुल के मन की बात थी लेकिन उसका मन कुछ और चाहता था वह फीर से विनीत और उसकी भाभी को
संभोगरत दे खना चाहता था। उसकी भाभी को फिर से नंगी दे खना चाहता था उसकी बड़ी बड़ी चुचियां उसकी
कोमल गदराई गांड का फिर से दर्शन करना चाहता था। आज वह फिर दे खना चाहता था कि कैसे विनीत का लंड
उसकी भाभी की बुर में जाता है।
इसलिए वह फिर से तय कर लिया की आज छु ट्टी के बाद फिर वीनीत के घर जाएगा। 
उसकी नजरे नीलू को भी बार-बार ढूं ढ रही थी। राहुल बार-बार नीलु को भी जी भर कर दे ख ले रहा था। 
नीलु भी राहुल से नजरे मिला कर मुस्कुरा दे रही थी। 
रिसेेश के समय नीलू राहुल को फिर से स्कूल की तीसरी मंजिल पर ले जाना चाहती थी। लेकिन आज अपनी
सहेलियों से घीरी होने की वजह से राहुल को तीसरी मंजिल पर ले जाने का मौका ही नहीं मिला। राहुल खुद उसके
साथ खाली कमरे में जाना चाहता था लेकिन यह मुमकिन नहीं हो पाया। राहुल का मन तो वैसे भी आज पढ़ाई में
बिल्कुल भी नहीं लग रहा था उसे तो बार-बार कल वाला ही दृश्य नजरों के सामने दिखाई दे रहा था
वह चाहकर भी अपना ध्यान हटा नहीं पा रहा था। 
अपने समय पर स्कूल की छु ट्टी भी हो गई। राहुल का दिल जोर से धड़क रहा था उसके मन में अजीब-अजीब ख्याल
आ रहे थे। वह मन में ही सोचा की आज भी विनीत नहीं आया है क्या वीनीत आज भी अपनी भाभी के साथ होगा
क्या वीनीत आज फीर अपनी भाभी की चुदाई कर रहा होगा? क्या आज फिर से उसकी भाभी अपने कपड़े उतार
कर नंगी होगी। क्या उसके घर पर जाने पर वह फिर से उसकी भाभी को नंगी दे ख पाएगा की बड़ी-बड़ी गांड बड़ी
बड़ी चूचिया क्यां फिर से दर्शन होंगे? नहीं सब सवालों का सैलाब के मन में उमड़ रहे थे
यह सब सोचते हुए वह विनीत की घर की तरफ अपने कदम बढ़ा दिया मन में अजीब सी बेचैनी हो रही थी उसे डर
भी लग रहा था । लेकिन फिर से वही नजारा दे खने का उमंग उसके मन मस्तिष्क पर भारी पड़ रहा था वह ना चाहते
हुए भी विनीत के घर जा रहा था। 
थोड़ी दे र बाद राहुल फीर से विनीत के घर पहुंच गया था डोर बेल ख़राब थी इस वजह से वह दरवाजे को थोड़ा सा
धक्का लगाया तो दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया। राहुल की नसीब उसका साथ दे रही थी। घर में प्रवेश करते ही
राहुल ने चारों तरफ अपनी नजर दौड़ाई लेकिन पूरे घर में सन्नाटा पसरा हुआ था। घर में कोई भी नजर नहीं आ रहा
था राहुल को लगने लगा कि आज भी विनीत उसकी भाभी दोनो कमरे में ही मिलेंगे। राहुल उसी कमरे की तरफ
जाने के लिए सीढ़ीयो की तरफ कदम बढ़ाया लेकिन वो एक बार पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहता था इसलिए
उसने विनीत को आवाज लगाया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
एक बार फिर से उसमें विनीत का नाम पुकारा तो उसे किसी औरत की आवाज सुनाई दी यह उसकी भाभी ही थी।
उसकी भाभी की आवाज सुनते ही वह पहली सीढ़ी चढ़ा ही था कि उसके पाव वहि ठीठक गए। वह फिर से पुकारा
विनीत विनीत....

कौन-कौन है वहां विनीत घर पर नहीं है। 


( वीनीत की भाभी की आवाज दाहिने साइड की गैलरी से आ रही थी। )

तुम कौन हो और क्या काम है वीनीत से ? ( विनीत की भाभी की आवाज गैलरी से आ जरुर रही थी लेकिन वह
कहीं नजर नहीं आ रही थी। गैलरी में बंद कमरों के अंदर से ही उसकी आवाज आ रही थी। उसे समझ में नहीं आ
रहा था कि आख़िर उसकी भाभी कमरे के अंदर से ही क्यों सवाल जवाब कर रही है। सामने क्यों नहीं आ रही है?
तभी इसका जवाब भी मिल गया।।)

भाभी मैं विनीत का दोस्त हूं वह मेरे साथ ही पढ़ता है। 

अच्छा वही बैठो मैं नहा रही हूं।


( विनीत की भाभी बाथरुम में नहा रही थी । राहुल के मन में उमड़ रहे सवाल का जवाब भी मिल गया था और
उसकी भाभी बाथरुम में नहा रही थी इस बारे में सोच कर ही उसके कल्पना का घोड़ा सर पट दौड़ने लगा। कैसे नहा
रही होगी बाथरूम में क्या उसके बदन पर कपड़े होंगे । क्या बदन के सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल निर्वस्त्र होकर
स्नान कर रही होगी।या हो सकता है की उसके बदन पर सिर्फ ब्रा और पेंटी ही हो
कैसे वह अपने बदन पर साबुन लगाती होगी अपनी बड़ी बड़ी चूची को मसलते हुए साबुन से धोती होगी।
अपने चिकने पेट पर जाघों पर और अपनी जाँघो के बीच अपनी बुर पर भी साबुन लगाती होगी। क्या गजब का
नजारा होता होगा। ऊपर फुवारे से पानी गिरता होगा। पानी की बौछार उसके चेहरे पर पड़ती होगी। पर वह पानी
की बौछार बूंदों में तब्दील होकर उसके चेहरे से होती हुई उसकी बड़ी बड़ी चुचियों पर लसरती हुई
जब वही पानी की बूंद चिकने पेट़ से होती हुई जांघों के बीच की गुफा की ओर चहलकदमी करते हुए आगे बढ़ती
होगी और उस गुफा के उपरी नहर से हो कर वही पानी की बूंद जब नीचे टपकती होगी तो वही बुंद अमृत की बूंद
बन जाती होगी। उउफफफफ कितना गर्म नजारा होता होगा जब वह बिल्कुल नंगी होकर बाथरुम में नहाती होगी।
यहसब सोच-सोच कर ही राहुल का लंड टनटना के खड़ा हो गया। उसके पेन्ट मे तंबू बन चुका था । तंबु को छु पाने
के लिए राहुल वही सोफे पर बैठ गया और वीनीत की भाभी का इंतजार करने लगा।
थोड़ी ही दे र बाद राहुल का इंतजार खत्म हुआ । विनीत की भाभी नहा कर बाथरुम से बाहर निकल आई लेकिन
जैसे ही राहुल की नजर विनीत की भाभी पर पड़ी राहुल का बदन एकदम से झनझना गया जैसे कि उसे करंट लगा
हो उसकी आंखें एकदम से चौंधीया गई उसे खुद की आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। वह क्या अगर उसकी जगह
कोई और भी होता तो उसके बदन के साथ-साथ उसका मस्तिष्क भी काम करना बंद कर दे ता। नजारा ही कुछ इस
तरह का था। वीनीत की भाभी नहा कर बाथरुम से बाहर आई तो थी लेकिन उसके बदन पर मात्र एक टावल ही
लिपटा हुआ था। 
पूरा बदन एकदम भीगा हुआ भीगे बाल और उसकी लटे चेहरे पर चिपकी हुई और जो टॉवल उसने लपेट रखी थी वो
भी छोटी थी। टॉवल उसके बदन को ठीक से ढं क भी नहीं पा रहे थे। 
वह बाथरुम से निकलकर लगभग भागते हुए आई थी। 
राहुल जहाँ बैठा हुआ था उसके चार कदम पर ही सीढीयाँ थी जो उपर उसके कमरे की तरफ जाती थी।
बाथरूम से भागकर आने में उसका टावल हवा में लहरा गया था और लहरा कर ऐसे स्थान को उजागर कर गया था
कि जिसकी एक झलक दे खने के लिए दुनिया का हर मर्द पागल हुआ रहता है वह नजारा सेकंड से भी कम समय
का था जिस से कुछ दिखा तो नहीं लेकिन राहुल के लंड में झनझनाहट जरुर पैदा कर गया।। बाथरुम से लगभग
दौड़ते हुए आई थी और जैसे ही उसमे सीढ़ी पर पाव रखी ही थी की झटके से अपनी गर्दन घुमा कर पीछे की तरफ
दे खी और बोली। 

तुम विनीत के दोस्त हो लेकिन वीनीत तो घर पर नहीं है


( इतना कहकर वह राहुल को एकटक दे खने लगी राहुल क्या जवाब दे ता वह तो खुद मंत्रमुग्ध सा विनीत की भाभी
को एक टक दे खते रह गया। गीले बदन और गीले बालों में वह स्वर्ग से उतरी कोई अप्सरा लग रही थी । अपनी
छातियों पर उसने टॉवल को ईस तरह से बांध रखी थी कि उसकी आधी चुचिया टॉवल के बाहर दिख रही थी।
निप्पल तो नहीं लेकिन उसके चारों तरफ की गोलाई नजर आ रही थी।उसकी छातियां भी भारी थी।
टॉवल भी काफी छोटी थी । इतनी छोटी की बड़ी मुश्किल से उसकी कमर के नीचे वाला भाग ढं क पा रहा था। अगर
वह जरा सा भी अपना हाथ ऊपर उठाती तो राहुल को उसकी रसीली बुर दे खने का सौभाग्य जरुर प्राप्त हो जाता।
और राहुल ईसी ताक में लगा हुआ था उसका बदन इतना ज्यादा भीगा हुआ था की उसके बदन से पानी नीचे टपक
रहा था और फर्स को गीला कर रहा था। ईस रूप में ्वीनीेत की भाभी एकदम कामदे वी लग रही थी। राहुल उसे
एक टक दे खे जा रहा था। वीनीत की भाभी अपने कामुक बदन का जादू अपने दे वर के मित्र पर होता दे ख रहीे थी।
वह अपनी कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए फिर से बोली।

क्या हुआ कहां खो गए विनीत घर पर नहीं है ।अच्छा रुको मैं 2 मिनट में आती हूं। 
( राहुल विनीत की भाभी के सवालों का जवाब दे नहीं पाया वह बस विनीत की भाभी की सुंदरता मैं खो सा गया।
राहुल उसको सीढ़ियां चढ़ कर जाता हुआ दे खता रहा वह लगभग आधी सीढ़ियों पर पहुंची ही थी की उसके बदन से
टॉवल छु ट़कर नीचे सीढ़ियों पर गिर गई
वाह गजब एक पल को तो लगा जैसे समय रुक गया है। सांसे थम गई और दिमाग कामकरना बंद कर दिया
राहुल तो बस एक झलक दे खना चाहता था उसके नंगेपन का। लेकिन यहां तो वह खुद एकदम बिल्कुल नंगी हो गई।
राहुल की नजरें उसकी बड़ी बड़ी और
खरबूजे जैसी गोल गोल गांड पर ही टीक गई।विनीत की भाभी एकदम से सकपका गई और वह झट से नीचे झुक
कर टॉवल को उठाने लगी टॉवल को उठाते समय वह अपनी नजरें घुमाकर राहुल की तरफ दे खी तो राहुल को खुद
की तरफ दे खता हूआ पाकर शर्मा गई।
वह जल्दी से टॉवल को उठाकर अपने बदन से लपेटकर लगभग भागते हुए अपने कमरे की तरफ गई।
यह नजारा भी कुछ ही सेकंड का थालेकिन राहुल के तन-बदन मे हलचल मचाने के लिए काफी थ

राहुल वहीं सोफे पर अपने पैंट में टनटनाए हुए लंड को अपने दोनों हाथ से ढक कर बैठा रहा। विनीत की भाभी ने
अपने नंगे बदन का जो जलवा राहुल को दिखाकर गई थी राहुल उसके मोह पास में बँध चुका था।
राहुल एकदम उत्तेजना से भर चुका था। विनीत की भाभी राहुल को बहुत ही ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लग रही
थी। विनीत की भाभी जीस कमरे में गई थी उसी कमरे की तरफ राहुल अपनी नजरें गड़ाए हुए था।

राहुल की नजर इंतजार कर रही थी वीनीत की भाभी का वह वीनीत की भाभी के रूप के खजाने को फिर से दे खना
चाहता था। राहुल अभी तक तीन चार औरतों की नंगी दे ख चुका था लेकिन उन मे से विनीत की भाभी
का अंदाज उसका खुला पन राहुल के मन मस्तिष्क को और उसके कुंवारेपन को झकझोर गया था। राहुल वहीं बैठा
उसका इंतजार करता रहा। अब वह नहा कर गई है तो जाहिर है कि थोड़ा वक़्त तो लगेगा ही। राहुल मन में कमरे के
अंदर का दृश्य सोचने लगा। कैसे वहां ड्रोवर से कपड़े निकाल रही होगी पेंटी ब्रा पेटीकोट ब्लाउज इन सब बारे में
सोच सोच कर राहुल का लंड झनझना जा रहा था। थोड़ी ही दे र बाद राहुल के इंतजार की घड़ी खत्म हुई। कमरे से
वीनीत की भाभी बाहर निकलती नजर आई। इस बार राहुल उसको दे खा तो दे खता ही रह गया. पूरी तरह से नंगी
होकर जितनी खूबसूरत लग रही थी उस से भी कही ज्यादा सेक्सी और खूबसूरत कपड़ों में लग रही थी। उसके अंग
अंग से कामुक्ता झलक रही थी। पीले रंग की साड़ी और लॉ कट स्लीवलेस ब्लाउज में विनीत की भाभी कामदे वी
लग रही थी। राहुल उसे दे खा तो दे खता ही रह गया।
वह चलते हुए सीढ़ियों से नीचे उतर कर राहुल के सामने आकर खड़ी हुई। पहले उसने भी राहुल को ऊपर से नीचे
तक दे खी और बोली।

मैं माफी चाहती हूं तुम्हें मेरी वजह से इतना इंतजार करना पड़ा। वैसे तुम्हारा नाम क्या है? 

अब राहुल क्या कहता वह तो उसकी खूबसूरती दे खकर एकदम से मंत्रमुग्ध हो चुका था। राहुल उसके भरे हुए बदन
को एक टक निहार रहा था। इस बात को विनीत की भाभी बाखूबी जान रही थी। वह तो खुद अपने कामुक बदन
का प्रदर्शन करवा रही थी। विनीत की भाभी ये जान गई थी कि यह लड़का उसके मोहपाश में बँधता चला जा रहा
है। राहुल को तो जैसे होश ही नहीं था वह उसके सवाल का जवाब दिए बिना ही उसे एक टक दे खे जा रहा था।
विनीत की भाभी को राहुल कि इस हरकत पर हंसी आ गई। और वह अपने होठों पर कामुक मुस्कान बिखेरते हुए
बोली।

अरे क्या हुआ कहां खो गए। 

( वीनीत की भाभी की आवाज सुनते ही राहुल एकदम से सकपका गया। और हकलाते हुए बोला।)

ककककक...कुछ ननन...नही भाभी.... वो मुझे विनीत से काम था मुझे मेरी नोटबुक चाहिए थी। ।

लेकिन विनीत तो घर पर नहीं है बाहर गया है और कब लौटे गा इस बारे में मुझे कुछ पता नहीं है। ( इतना कहते ही
वह अपने दोनों हाथ बांधकर खड़ी हो गई जिससे कि उसके दोनों वक्षस्थल को सहारा मिल गया और वह दोनों
चुचीयाँ और ज्यादा उभर कर सामने आ गई। ब्लाउज के अंदर कैद उभरी हुई चूची को दे ख कर राहुल के जाँघोे के
बीच गुदगुदी सी होने लगी । ना चाहते हुए भी राहुल की नजरें बार-बार उसकी दोनों नारंगीयो पर चली जा रही थी।
जो कि राहुल की चोरी विनती भाभी की नज़रों से छु प नहीं पाई थी वह जानती थी कि राहुल उसके बदन के किस
अंग को दे ख रहा है। तभी राहुल अपनी नजरों को इधर-उधर घुमाते हुए बोला।

तो भाभी आप ही उसके बैग से निकाल कर मेरी नोटबुक दे दीजीए। 

ना बाबा ना मैं ऐसा नहीं कर सकती क्योंकि किसी के भी बेग को छु ना या उसमें से कुछ निकालना मुझे पसंद नहीं
है। अच्छा तुम यही बैठो में आती हूं।
( इतना कहते ही विनीत की भाभी किचन में आ गई। और अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए फ्रिज से ठं डे
पानी की बोतल निकालने लगी। 
अगर वह चाहती तो विनीत के बैग में से नोटबुक निकालकर राहुल को दे सकती थी लेकिन उसने जानबूझकर
बहाना बनाकर नोटबुक नहीं दी। क्योंकि उसे राहुल कहीं ना कहीं अच्छा लगने लगा था। उसकी मासूमियत उसको
भा गई थी। 
वह पानी की बोतल से गिलास में पानी निकाल रही थी
और मन ही मन में राहुल को पूरी तरह से अपने कब्जे में करने का प्लान बना रही थी और उसने अपना प्लान तैयार
भी कर ली थी। उसनें एक प्लेट में कुछ बिस्किट और पानी का गिलास रखकर उस प्लेट को लेकर राहुल के पास
आई और राहुल की तरफ बढ़ाते हुए बोली।

यह लो बिस्किट और इसे खाकर पानी पी लो इतनी दे र से बैठे हो थक गए होगे और मेरे ख्याल से स्कूल से छू टते ही
सीधे ईधर ही रहे हो इसलिए भूख भी लगी होगी। ( इतना कहते ही जैसे विनीत की भाभी प्लेट को टे बल पर रखने
के लिए झुकी वैसे ही तुरंत उसके साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिर गया या यों कहो कि उसने जानबूझकर अपने
साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दी थी।
और जैसे ही साड़ी का पल्लू नीचे गिरा वैसे ही सामने की दोनों घाटियां उजागर हो गई। दोनों घाटीयों की ऊंचाई
इतनी ज्यादा थी की इन्हें दे खते ही जांघों के बीच
लटक रहे औजार की लंबाई खुद-ब-खुद बढ़ जाये। 
लो कट ब्लाउज में से झाँक रही उसकी दोनों बड़ी बड़ी चुचियां के बीच की पतली लकीर इतनी गहरी थी कि अगर
दोनों चुचीयों के बीच लंड डालकर चोदा जाए तो बुर से कम मजा नही मिलेगा। उसकी चूचियों को कैद करने के
लिए ब्लाउज छोटा पड़ रहा था या यूं कह लो की छोटे से ब्लाउज में उसकी बड़ी बड़ी चूचियां समा नही रही थी।।
राहुल तो मुँह फाड़े विनीत की भाभी की चूचियों को ही घुरे जा रहा था। झुकने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी
चुचीयाँ लटक सीे गई थी। चुचियों का वजन इतना ज्यादा था की ब्लाउज के सारे बटन तन से गए थे। राहुल के मन
में इस बात का डर भी था कि कहीं चुचियों के भार से ब्लाउज के बटन टू ट ना जाए. और उसका एक मन यह भी
दुआ कर रहा था कि काश उसके ब्लाउज के सारे बटन टू ट जाते और उसे विनीत की भाभी की नंगी चूचियां दे खने
को मिल जाती जो नारंगी सी गोलाई और मलाई से भी ज्यादा चिकनाई लिए हुए थी। राहुल यह नजारा ऐसे दे ख रहा
था मानो की उसे सांप सूघ ं गया हो। वह सारी दुनिया से बेखबर होकर एक टक उसकी चुचियों की तरफ ही दे खता
रहा।
उसकीे साँसे बड़ी तेज रफ्तार से चल रही थी ओर मुह ं खुला का खुला मानो की राहुल के मुह
ँ से लार टपक रहा हो।
राहुल की हालत दे खकर विनीत की भाभी बहुत खुश हुई। वह कुछ दे र तक यूं ही झुक कर अपनी चुचियों का
प्रदर्शन करतीे रही। इस पूरी प्रक्रिया में 35 से 40 सेकंड ही लगे थे। लेकिन इस 40 सेकंड में बहुत कुछ हो चुका
था। वीनीत की भाभी अपना काम कर चुकी थी। अपनी चुचियों का जलवा दिखा कर राहुल को पूरी तरह से घायल
कर चुकी थी।
वह अपने साड़ी के पल्लू को व्यवस्थित करते हुए बोली।

अरे सिर्फ दे खते ही रहोगे या पानी भी पीयोगे। 


( विनीत की भाभी ने उसके चोरी पकड़ ली थी इसलिए राहुल एकदम से शर्मिंदा हो गया और सक पकाते हुए
बोला।)

कककककक.......कुछ नही भाभी। वो थथथथ......थोड़ी गर्मी ज्यादा है इसलिए ( इतना कहने के साथ ही
राहुल प्लेट में से पानी का गिलास उठा लिया और पीने लगा था की बीच में ही उसको टोकते हुए बोली)

अरे अरे बिस्किट तो खाओ ऐसे केसे सिर्फ पानी पिए जा रहे हो। 
( विनीत की भाभी की बात सुनते ही राहुल ट्रे मेे से बिस्किट उठा कर खाने लगा एक तरह से उसके दिमाग पर
उसका जोर नहीं चल रहा था राहुल पूरी तरह से विनीत की भाभी के सुडोल बदन और उसकी कामुकता में खो गया
था। 
जैसे ही राहुल ने बिस्किट खा कर और पानी का ग्लास खत्म करके ट्रे में रखा ही था कि विनीत की भाभी बोली 
वीनीत तो यहां है नहीं इसलिए तुम्हारी नोटबुक भी अभी नहीं मिल सकती अगर वह होता तो तुम्हारा काम बन
जाता। ( इतना कहने के साथ ही वह राहुल के बगल में एकदम से सटकर बैठते हुए बोली।) 
दे खो तुम मेरी बातों का बुरा मत मानना मुझे शुरु से किसी के काम में या उसके पर्सनल चीजों में दखल अंदाजी
करना कतई पसंद नहीं है। ( विनीत की भाभी राहुल के बदन से बहुत ज्यादा सटी हुई थी। उसकी मोटी मोटी जाँघे
राहुल की जाँघो से रगड़ खा रही थी। जिससे राहुल के बदन में हलचल सी मच रही थी।

राहुल शरमाते हुए कसमसा रहा था लेकिन उसको यह स्पर्श आनंददायक भी लग रहा था। राहुल उत्तेजना से
सराबोर हुए जा रहा था। इस गर्म स्पर्श से उसकी जाँघो के बीच का उठाव बढ़ने लगा था। जोकि विनीत की भाभी के
नजरों से छु पा नहीं रह सका। वीनीत की भाभी की नजर जैसे ही राहुल के उठाव पर पड़ी उसके तन-बदन में खास
करके उसकी जांघों के बीच गुदगुदी सी मचने लगी। राहुल का तो गला ही सूखने लगा था।
वैसे भी राहुल के पेंट में बने तंबू का उठाव कुछ ज्यादा ही था । इसलिए तो वीनीत की भाभी की आंखें फटी की फटी
रह गई थी। नीलू की तरह उसके मन में भी यही सवाल उठ रहा था कि अगर इसका उठाव इतना बड़ा है तो जब यह
बिल्कुल नंगा होता होगा तब ये कैसा दीखता होगा। यही सब सोचकर उसकी जाँघो के बीच नमकीन पानी का
रिसाव होने लगा। राहुल की साँसे बड़ी भारी चल रही थी। राहुल की हालत को दे खते हुए विनीत की भाभी बोली।)
अच्छा कोई बात नहीं अगर किसी कारणवश वह कल तुम्हें तुम्हारी नोटबुक नहीं लौटा सका तो मैं उससे ले कर
रखूंगी और कल तुम इसी समय आकर अपनी नोट बुक ले जाना। ( इतना सुनने के साथ ही राहुल सोफे पर से खड़ा
होता हुआ बोला।)

ठठठ.....ठीक है भभभा....भी अगर ऐसा होगा तो मैं कल आकर नोटबुक ले लूंगा। ( इतना कहने के साथ ही
राहुल एक दम से चौंक उठा क्योंकि उसे ज्ञात हो चुका था कि उसके पेंट में काफी लंबा तंबू बना हुआ है।वीनीत की
भाभी मुस्कुराते हुए उस के तंबू को ही दे खे जा रही थी। राहुल एकदम से शर्मिंदा हो गया और अपने स्कूल बैग को
उठाकर झट से पर अपने पेंट के आगे कर लिया ताकि उसका तंबु छिप. सके। राहुल की इस हरकत पर उसकी हंसी
छू ट गई और राहुल उसे हंसता हुआ दे खकर और ज्यादा शर्मिंदा हो गया और बोला।

अच्छा भाभी मैं चलता हूं। विनीत आए तो उसे कहना कि मैं आया था। ( इतना कहने के साथ वह दरवाजे की तरफ
बढ़ चला ओर उसके पीछे उसे छोड़ने के लिए दरवाजे तक आई।

जैसे ही राहुल दरवाजा खोल के घर के बाहर कदम रखा वैसे ही विनीत की भाभी बोली।
अच्छा राहुल एक बात बताओ कल तुम खिड़की से चोरी चोरी क्या दे ख रहे थे? 

( विनीत की भाभी की बात सुनकर वह एकदम से सकपका गया और बिना कुछ बोले वहाँ से निकल गया।
राहुल की हालत को दे ख कर विनीत के बाद भी हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)

कल आना जरुर भूल मत जाना।


( इतना कहकर वह भी कमरे में आ गई और सोफे पर बैठकर राहुल के बारे में सोचने लगी। राहुल की मासूमियत
का भोला चेहरा उसे भाने लगा था। और राहुल की हरकत से वह समझ गई थी कि यह लड़का पूरी तरह से कुंवारा है
शायद ईसने अबतक जन्नत का मजा नहीं लूटा था। बार-बार उसे राहुल का तंबू ही नजर आ रहा था वह उस तंबू को
दे ख कर बड़ी हैरान थी।
वह मन ही मन में सोच रही थी कि पेंट मे अगर इतना भयानक लग रहा है कि पूरी तरह से नंगा होकर टनटना के
खड़ा होगा तब कितना विशालकाय लगेगा। यही सोच सोच कर कि पैंटी गीली हो चली थी। 
अगर वह चाहती तो राहुल को नोटबुक दे सकती थी लेकिन वीनीत की भाभी बड़ी कामुक और चालबाज स्री थी ।
तभी तो वह अपने दे वर को अपना दीवाना बना कर रखी थी और उसी से अपने बदन की प्यास बुझाती रहती थी।
वह इतनी ज्यादा कामुक स्त्री थी की तीन चार दिनो से वह अपने दे वर को स्कूल जाने नहीं दी थी और दिन रात
उसको भोग रही थी। अब उसकी नजर विनीत के मित्र मतलब कि राहुल पर थी। विनीत की भाभी कामक्रीडा के हर
पासाओ मैं इतनी ज्यादा माहिर और शातीर थी की अगर वह चाहती तो इसी वक्त राहुल के कुंवारेपन को नीचोड़
डालती लेकिन उसे डर था कि विनीत कभी भी घर पर आ सकता है इसलिए उसने अपने इस प्लान को कैंसल कर
दी। और एक चाल के तहत उसे कल फिर आने का आमंत्रण भी दे दी। 
क्योंकि वह जानती थी कि राहुल अगर विनीत से मिलेगा तो वह खुद ही उससे नोटबुक ले लेगा और ऐसे में उसके
मन की अभिलाषा उसके मन मे ही दबकर रह जाएगी। इसलिए वह मन में ही सोच ली थी की वह विनीत को राहुल
से मिलने ही नहीं दे गी । कल विनीत फिर से स्कूल नहीं जाएगा और उसको जाएगा नहीं तो राहुल से मुलाकात भी
नहीं होगी और मुलाकात नहीं होगी तो राहुल को नोटबुक भी नहीं मिलेगी। और फिर राहुल को नोटबुक लेने के लिए
वीनीत के घर आना ही पड़ेगा। वीनीत की भाभी ने मन मे पूरा प्लान सोच कर रखी थी कि जब स्कूल छू टने के बाद
राहुल घर पर आएगा तो उससे पहले ही विनीत को किसी काम के बहाने घर के बाहर दो चार घंटो के लिए भेज दूं गी
और ऐसे में राहुल के कुंवारेपन को चखने का पर्याप्त समय भी मिल जाएगा। 
सोफे पर बैठे बैठे ही विनीत की भाभी कल की पूर्व रेखा मन में ही तैयार कर रही थी। राहुल के बारे में सोच-सोच
कर ही उसकी बुर रीसने लगी थी। इस हालत में उसे वीनीत के लंड की जरूरत पड़ रही थी।राहुल के ऊठाव के बारे
में सोच-सोच कर उसकी बुर की खुजली बढ़तीे जा रहीे थी। उसे अपने बुर की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी वीनीत
जब आता तब आता इससे पहले ही वह अपनी साड़ी को उठा कर कमर तक खींच ली और पैंटी को बिना निकाले हैं
उसकी किनारी को खींचते हुए बुर के उठे हुए भाग के किनारे अटका दी जिससे बुर का पूरा उपसा हुआ भाग और
बुर की गहरी घाटी के समान लकीर पूरी तरह से नंगी हो गई। विनीत की भाभी की साँसे बड़ी तेजी से चलने लगी
थी। उसका बदन चुदासपन से भरा जा रहा था। विनीत की भाभी के लिए अब बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हुए
जा रहा था
उसने झट से अपनी हथेली को अपनी गरम बुर पर रख दी ओर हथेली को बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ने लगी
लेकिन उसकी यह क्रिया आग में घी डालने के बराबर साबित हो रही थी। वह जितना अपने आग को बुझाने की
कोशिश करती उसके बदन की आग और ज्यादा भड़कने लग रही थी। वह सोफे पर हल्के से लेट गई और अपने
एक हाथ से ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी नारंगी यों को दबाने लगी और दूसरे हाथ से अपने बुर को रगड़े जा रही
थी। अपनी बुर को मसलते हुए बार-बार उसकी जेहन में राहुल के पेंट का उभार का ही ख्याल आ जा रहा था और
जब जब उसका ख्याल आता है वीनीत की भाभी जल बिन मछली की तरह तड़प उठती । 
बदन में चुदाई की लहर बढ़ती जा रही थी उसने एक साथ अपनी बुर में दो ऊंगलियो की जगह बना दी। जहां तक हो
सकती थी वहां तक वह अपनी उंगली को घुसा रही थी। इस समय वह उत्तेजना से सरो बोर हो रही थी।
बड़ी तेजी से उसकी ऊँगली बुर में अंदर बाहर हो रही थी। विनीत की भाभी अपनी आंखों को मुंदकर राहुल के लंड
का ख्याल करके अपनी बुर मे बड़ी तेजी से ऊँगली को अंदर बाहर कर रही थी। पूरे कमरे में उसकी गर्म सिसकारी
गूंज रही थी। वीनीत की भाभी सोफे पर अपनी गदराई गांड को घिसते हुए अपनी बुर में उंगली पेले जा रहीे थी।
वीनीत की भाभी की बुर नमकीन पानी से लबालब भरी हुई थी। कुछ दे र तक यूं ही यु हीं अपनी बुर मे उंगली करते
करते वह चरम सीमा की ओर बढ़ने लगी उसके मुँह से लगातार चुदास से भरी गरम सीस्कारी छू ट रही थी। 

आआहहहहहहह..........ऊऊमममममममममम..........
ओहहहहहहहहहहहह...मेरे राहुल.....आआआहहहहहहह..... डाल. ओर डालललल......आआहहहहहहहहह
(वीनीत की भाभी अपनी ऊँगली को ही राहुल का लंड समझकर अपनी बुर मे पेले जा रही थी।।)
आहहहहहहह......मे गई......मे गई।..........आहहहहहहहहहहहहह.....राहुल......
(ईतना कहने के साथ ही वीनीत की भाभी की बुर से भलभला के नमकीन पानी का फुहारा फुट पड़ा। जैसे-जैस
उसकीे बुर से पानी का फुवारा छू ट रहा था वैसे वैसे उस की गदराई गांड के साथ साथ पूरा बदन हिचकोले खा रहा
था। आज अपने हाथ से बदन की प्यास बुझाने में उसे बहुत आनंद मिला था। वह सोफे पर लेटे-लेटे हांफ रही थी।
उसके मन का तुफान शाँत हो चुका था।
लेकिन उसका बदन एक नए औजार के लिए तड़प रहा था वह अपनी साड़ी को कमर से नीचे सरकाते हुए अपने
कमरे की तरफ चल दी उसे इस समय विनीत का इंतजार था। वह मन में सोच रही थी कि अब तक तो विनीत आ
जाता था लेकिन आज कहां रह गया। यही सब सोचते हुए वहां अपने बिस्तर पर लेट गई।

वहीं दूसरी तरफ विनीत दिनभर इधर उधर घूम कर अपना समय व्यतीत कर रहा था। यूं तो उसे घर समय पर ही
जाना था लेकिन आज कुछ दोस्त मिल गए थे जिस वजह से वह अपने घर जा नहीं सका। शाम हो गई थी वह
जानता था कि उसकी भाभी नाराज होगी क्योंकि वह समय पर घर पर नहीं गया था । 
वीनीत को मालूम था कि उसकी भाभी बड़ी बेशब्री से उसका इंतजार कर रही होगी इसलिए वह सोच रहा था कि घर
पर कुछ ले जाया जाए ताकी भाभी का गुस्सा कम हो जाए । इसलिए वह वही खड़ा यही सोच रहा था कि क्या
लेकर जाऊं की भाभी सारा गुस्सा भुला कर उस से प्यार करने लगे। तभी अचानक उसे याद आया कि भाभी को
सफेद गुलाब जामुन बेहद पसंद है।
इसलिए वह गुलाबजामुन खरीदने के लिए मिठाई की दुकान पर गया और जैसे ही वह मिठाई की दुकान के अंदर
प्रवेश किया वैसे ही दुकान के अंदर उसे उस दिन वाली महिला मतलब की अलका मिठाई खरीदती नजर आ गई।
अलका को दे खते ही विनीत बहुत खुश हुआ खास करके उसकी जाँघों के बीच लटक रहे औजार में गुदगुदी होने
लगी। विनीत की नजरें अलका के बदन को टटोलने लगी
राहुल की मम्मी को दे खते ही विनीत बहुत खुश हुआ राहुल की मम्मी के मांसल और भरे हुए बदन के
कटाव 
और उभार को दे खते ही वीनीत के जांघों के बीच हलचल सी मचने लगी। वह तुरंत मिठाई की दक
ु ान के
अंदर प्रवेश किया और सीधे राहुल की मम्मी मतलब कि अलका के पास पहुँच गया। अलका जलेबियां ले
रही थी अलका को जलेबी लेते दे ख विनीत बोला।

हाय अांटी आप यहां क्या कर रही हो? 

कुछ नहीं बेटा बस बच्चों के लिए जलेबी ले रही थी। तुम्हें यहां क्या चाहिए क्या तम
ु भी यहाँ मिठाई
खरीदने आए हो।

हाँ मुझे भी सफेद रसगुल्ले खरीदने थे। ( तब तक दक


ु ान वाले ने अलका की जलेबियों को पेक करके
अलका को थमा दिया ... विनीत की बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी वह अलका से नज़दीकियां बढ़ाना चाहता
था। वह अलका से क्या बात करें क्या ना करें उसे कुछ सूझ नहीं रहा था। तभी उसने झट से आव दे खा ना
ताव तुरंत अलका की कलाई थाम ली ... अलका ईस तरह से एक अन्जान लड़के द्वारा अपनी कलाई
पकड़े जाने से उसका बदन एकबारगी झनझना सा गया। उसे कुछ समझ में नहीं आया और वह कुछ समझ
पाती इससे पहले ही विनीत जल्दी से उसे लगभग खींचते हुए पास में ही पड़ी कुर्सी पर बिठा दिया। और
जल्दी से मिठाई की काउं टर पर गया। 
अलका अभी भी सहमी हुई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार एक अनजान लड़का इस
तरह से उसकी कलाई पकड़ के कुर्सी पर क्यों बैठा कर गया। अलका के मन मे मंथन सा चल रहा था। वह
कुछ और सोच पाती इससे पहले ही वीनीत हाथ में दो कटोरिया लिए उसकी तरफ ही बढ़ा आ रहा था।
अलका विनीत को और उसके हाथ में उन दो कटोरियों को आश्चर्य से दे खे जा रही थी। तब तक वीनीत ने
दोनों कटोरियों को टे बल पर रख दिया और पास में ही पड़ी कुर्सी को खींचकर टे बल की दस
ू री तरफ रख के
बेठ गया। अलका आश्चर्य से कभी कटोरी में रस में डूबी हुई सफेद रसगल्
ु ले को तो कभी विनीत की तरफ
दे खे जा रही थी। वह विनीत से बोली। 

यह क्या है बेटा? 
( विनीत ने अपने दीमाग मे पुरा प्लान फीट कर लिया था। वह अलका से झूठ बोलते हुए बोला।)

आंटी जी आज मेरा जन्मदिन है और मैं चाहता था कि मैं अपना जन्मदिन किसी अच्छे और खूबसूरत
इंसान के साथ मनाऊँ। लेकिन दिनभर घूमने के बाद मुझे ना तो कोई खूबसूरत इंसान और ना ही अच्छा
इंसान मिला ।
और एेसे मै मुझे लग ही नहीं रहा था कि मैं अपना जन्मदिन मना पाऊंगा। लेकिन शायद भगवान भी नहीं
चाहता था कि मैं अपने जन्मदिन पर इस तरह से उदास रहूं इसलिए उसने आपको भेज दिया। और मैं भी
एक पल भी गवाँए बीेना आपको इस तरह से यहां बिठा दिया इसके लिए माफी चाहता हूं।
( अलका को सारी बातें समझ में आने लगी थी। वह विनीत के रवैये से और उसकी बात करने की छटा से
मंत्रमुग्ध सीे हो गई थी। विनीत में सफेद रसगुल्ले की एक कटोरी को अलका की तरफ बढ़ाते हुए बोला)

लीजीए आंटी मुंह मीठा कीजिए...


( वैसे तो सफेद रसगुल्ले को दे खकर अलका के मुंह में भी पानी आ गया लेकिन वह अपने आपको रसगुल्ले
खाने से रोके रही। उसे इतना उतावला पन दिखाना ठीक नहीं लग रहा था। क्योंकि कुछ भी हो वह अभी भी
इस लड़के को पूरी तरह से जानती नहीं थी बस एक दो ही मुलाकात तो हुई थी ईससे। अलका बड़ी
असमंजस में थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस लड़के के द्वारा ऑफर किया हुआ यह सफेद
रसगुल्ले की कटोरी को पकड़े या इंकार कर के यहां से चली जाए। लेकिन सफेद रसगुल्ले को खाने की
लालच भी उसके मन में पनप चुकी थी। वह खुद की शादी में ही सफेद रसगुल्ले का स्वाद चख पाई थी
उसके बाद उसने कभी भी सफेद रसगुल्ले को मुंह से नहीं लगाया। तभी विनीत द्वारा एक बार फिर से मुंह
मीठा करने की बात को मानते हुए उसने कटोरी में से एक रसगुल्ले को उठा ली और अपनी गुलाबी होंठ को
खोलकर दांतों के बीच रखकर आधे रसगुल्ले को काट ली। विनीत उसके गुलाबी होठों को दे खता रह गया
और मन ही मन उसके होंठ पर अपने होंठ को सटा कर उसका मधुर रस पीने की कल्पना करने लगा। )

आंटी जी आपने मेरी बात रख ली इसलिए मैं आपको धन्यवाद करता हूं। मेरे जन्मदिन को आपने सफल
बना दिया। 

अरे मैं तो भूल ही गई( और अपने हाथ को आगे बढ़ाकर वीनीत से हाथ मिलाते हुए उसे जन्मदिन की ढे र
सारी बधाई दी।)
जन्मदिन मुबारक हो है प्पी बर्थडे टू यू..... वैसे मैं बेटा तुम्हारा नाम नहीं जानताी हुँ। 

विनीत........ वीनीत नाम है मेरा। 

ओके.....है प्पी बर्थडे टू यू वीनीत। 

थैंक्यू आंटी। लेकिन आपने अपना नाम नहीं बताया अब तक

मेरा नाम अलका है ।

वाह बड़ा ही प्यारा नाम है ( विनीत की बात सुनते ही अलका मुस्कुरा दी। दोनों वहीं 20 मिनट तक बैठे रहे ।
दोनों में काफी बातें हुई एक हद तक अलका को विनीत बड़ा प्यारा लगने लगा था खास करके उसकी मन
लुभाने वाली बातें । ज्यादातर वीनीत ने अलका की खूबसूरती की तारीफ ही की थी जोकि अलका को कुछ
अजीब लेकिन बड़ी लभ
ु ावनी लग रहीे थी। 
यह शाम की मल
ु ाकात दोनों की जिंदगी में काफी हलचल मचाने वाली थी। अलका के जीवन में ये लड़का
काफी हद तक उतार चढ़ाव और रिश्तो में तफ
ू ान लाने वाला था। 
इस मल
ु ाकात से ही दोनों काफी हद तक खल
ु ना शरू
ु हो गए थे। विनीत को घर जाने में दे र हो रही थी
लेकिन फिर भी वह यहां से जाना नहीं चाहता था उसे अलका का साथ बहुत ज्यादा अच्छा लगने लगा था।
यही हाल अलका का भी हो रहा था विनीत के साथ उसे अच्छा लग रहा था लेकिन उसे घर भी जाना था
क्योंकि घर पर उसके दोनों बच्चे इंतजार कर रहे थे। इसलिए वह बेमन से कुर्सी से उठते हुए बोली मुझे घर
जाना होगा काफी समय हो गया है ।

ठीक है आंटी जी मुझे भी अब जाना ही होगा। लेकिन मेरा इतना साथ दे ने के लिए थैंक यू( जवाब मे अलका
मुस्कुराकर दक
ु ान के बाहर जाने लगी तब वीनीत भी झट से मिठाईयेां के पेक कराकर दक
ु ान से बाहर आ
गया और अलका के साथ चलने लगा। अलका आगे आगे चल रही थी और वह पीछे पीछे । विनीत की नजर
अलका की गदराई गांड पर ही टिकी हुई थी। अलका को मालूम था कि विनीत उसके पीछे -पीछे आ रहा है
और इस तरह से विनीत का उसके पीछे -पीछे आना उसे अच्छा भी लग रहा था। अलका की मटकती हुई
गांड वीनीत के कलेजे पे छुरियां चला रही थी। वह मन मैं ही सोच रहा था कि काश इसको चोदने का मौका
मिल जाता तो लंड की किस्मत ही खुल जाती।
यही सब सोचते हुए विनित अलका के पीछे कुछ दरू ी चला था कि उबड़ खाबड़ रस्ते पर अलका का बैलेंस
डगमगाया और उसका पैर फिसल गया। वह गिरने से तो बच गई लेकिन उसके सैंडल की पट्टी टूट गई।
वीनीत जल्दी से आगे बढ़ा और अलका के लग पहुंच गया।

क्या हुआ आंटी आपको चोट तो नहीं लगी।

( अलका संभलते हुए) नहीं बेटा चोट तो नहीं लगी लेकिन मेरी सेंडल की पट्टी टूट गई..... अब मुझे बिना
सैंडल के नंगे पांव ही घर जाना होगा। 
(अलका को परे शान दे खकर विनीत भी परे शान हो गया और वह बोला)
आंटी जी एेसे कैसे आप नंगे पांव घर जाएंगी लाइए अपनी सेंडल मुझे दीजिए मैं उसे ठीक करवा कर लाता
हूं। 

नहीं बेटा मैं चली जाऊंगी इतना परे शान मत हो। 

नही आंटी जी आप कैसे अपने घर तक यंह


ू ी नंगे पैर जाएंगे आप जिद मत करिए मझ
ु े दे दीजिए सेंडल मैं
तुरंत बनवा कर ले आता हूं यही पास में ही है ।
( अलका को यँू अपना सेंडल निकालकर विनीत को दे ना बड़ा अजीब सा लग रहा था। विनीत के लाख
मनाने पर अलका उसे सैंडल दे ने के लिए तैयार हुई। अलका की भी मजबरू ी थी क्योंकि उसे भी कहीं नंगे
पांव आना जाना अच्छा नहीं लगता था। 
अलका के पांव की सैंडल पाकर विनीत बहुत खश
ु हो रहा था वह अलका को वही रुकने के लिए कहकर
सैंडल सिलवाने के लिए चला गया। 
अलका वहीं पास में फुटपाथ पर रखी हुई कुर्सी पर बैठ गई और वीनीत का इंतजार करने लगी। थोड़ी ही दे र
बाद विनीत लगभग दौड़ते हुए उसके पास आ रहा था जैसे ही पास में पहुंचा अलका के उठने से पहले ही वह
सैंडल लेकर अलका के कदमों में झक
ु गया और बोला।

लाईए आंटी जी में आज आपको अपने हाथों से सैंडल पहना दे ता हूं। ( अलका उसके मुंह से इतना सुनते ही
एक दम से शर्मा गई और उसे हाथों से रोकने लगी लेकिन वह वीनीत को रोक पाती इससे पहले ही विनीत
ने अलका के पांव को अपने हाथ में ले लिया और अपने हाथ से अलका की साड़ी को पकड़ कर थोड़ा ऊपर
की तरफ उठाया करीब दो तीन इंच ही ऊपर साड़ी को उठाया था लेकिन विनीत की इस हरकत पर अलका
एकदम से शहम गई। उसने मन ही मन ऐसा महसूस कर लिया कि कोई उसकी साड़ी को उठाकर नंगी कर
रहा है । अलका कुछ बोल पाती इससे पहले ही विनीत ने सैंडल को उसके पांव में डालकर सेंडल की पट्टी को
लगा दिया।
सैंडल पहनाने में विनीत को केवल सात आठ सेकेंड ही लगे थे लेकिन इतने मिनट में अलका की मखमली
दधि
ू या पैरों के स्पर्श को अपने अंदर महसस
ू कर लिया।
विनीत ने अपनी उं गलियों को अलका की चिकने पैर सहलाया था जिससे विनीत का लंड टनटना के खड़ा
हो गया था। 
अलका अंदर ही अंदर कसमसा रही थी उसको बड़ी शर्म महसस
ू हो रही थी इसलिए वह बार बार अपने
अगल बगल नजर घम
ु ा कर दे ख ले रही थी कि कोई दे ख तो नही रहा है । लेकिन सब अपने अपने काम में
मस्त थे किसी को फुर्सत कहां थी कि उन लोगों को दे ख सके।
सैंडल पहरा कल विनीत खड़े होते हुए बोला।

लो आंटी अब आप अपने घर नंगे पांव नहीं जाएंगी।


( अलका उसकी बात पर मुस्कुरा दी और उसे थैंक्स कह के अपने घर की तरफ चल दी। विनीत वही खड़े-
खड़े अलका को गांड मटकाते हुए जाते दे खता रहा
वह कभी अलका को तो कभी अपनी ऊंगलियों को आपस में मसलते हुए उसके नरम नरम मखमली पैरों के
बारे में सोचने लगा और तब तक वहीं खड़े रहा जब तक कि अलका उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गई।
इसके बाद वह भी अपने घर की तरफ चल दीया।)

अलका को आज घर पहुंचने में काफी लेट हो गया था।


राहुल और सोनू दोनों अलका का इंतजार कर रहे थे।
अपनी मम्मी को आता दे ख राहुल बोला।

क्या हुआ मम्मी आज इतना लेट क्यों हो गयी?

क्या करूं बेटा आज रास्ते में मेरी सेंडल की पट्टी टूट गई थी और उसी को ठीक कराने में दे री हो गई।

और हां यह लो जलेबी( जलेबी का पैकेट राहुल को पकड़ाते हुए) तम


ु दोनों के लिए रास्ते में से ली थी। 
( इतना कहकर अलका झटपट खाना बनाने के लिए गइ। कुछ दे र बाद खाना बनाकर और खा पीकर सब
लोग अपने अपने कमरे में चले गए।

राहुल के लिए तो हर रोज अपनी उत्तेजना बढ़ाने के लिए टोपीक तैयार ही रहता था। वैसे भी विनीत की भाभी ने
उसे कुछ ज्यादा ही अपने गठीले बदन का दर्शन करा दी थी। इसलिए तो वह रोज ही हस्तमैथन ु की कला में पारंगत
हु आ जा रहा था। 
और वहीं दूसरी तरफ अलका सोच में पड़ गई थी।
अपने आप से ही बोल रही थी। कैसा लड़का है कितना जिद करता है। उसका चेहरा उसकी बोलने की अदा उसका
गठीला बदन सब कुछ अलका को लुभा गया था
खास करके उसका जिद करना। वह उस पल को याद कर रही थी जब उसने बिना कुछ बोले ही उसकी कलाई
पकड़ कर कुर्सी पर बिठा दिया और कैसे जल्दी-जल्दी सफेद रसगुल्ले की कटोरिया उसके सामने रख दिया। 
अलका यह सब सोचकर आईने में अपने रुप को दे खते हुए अपनी साड़ी खोल रही थी। कभी अपने खूबसूरत गठीले
बदन को को तो कभी इस उम्र में भी गुलाब सा खिला हुआ खूबसूरत चेहरे को दे खते हुए शाम की बात को याद किए
जा रही थी। और तब तक उसने अपने बदन से साड़ी को उतार कर पलंग पर फेंक दी। 
ब्लाउज के बटन को खोलते समय उसे उस लड़के की
उस हरकत पर ध्यान गया जब उसने सैंडल के लिए उसकी साड़ी को हल्के से उठाया था।। 
उफफफफफ सोच कर ही उसके बदन में सिहरन सी दौड़ जा रही थी। कैसा है वह लड़का बिल्कुल भी नहीं डरा की
उसकी इस हरकत पर मैं कुछ बोल दूं गी। उसका जबरदस्ती मेरे पास से सेंडल निकाल कर ले जाना और उसे ठीक
करवाकर बड़ी रोमांटिक अदा से मेरे पैरों में पहनाना बिल्कुल राहुल के पापा की तरह।
राहुल के पापा का ख्याल आते हैं अलका अचंभित हो गई की आाज बरसों के बाद कैसे राहुल के पापा याद आ गए।
( अलका तब-तक ब्लाउज को भी उतार चुकी थी और उसकी नाजुक उंगलियां पेटिकोट की डोरी से उलझ रही थी।
वह मन में ही सोच रही थी कि) हां बिल्कुल ऐसे ही तो थे राहुल के पापा ऐसे ही वो भी बोलते थे एकदम फिल्मी
डायलॉग और जिद भी ऐसे ही करते थे। ( तब तक पेटीकोट की दूरी को भी खोल कर पेटीकोट को नीचे सरका दी।
उसके बदन पर सिर्फ ब्रा और पेंटी ही रह गई थी जो की ट्यूब लाइट के उजाले में चमक रही थी। आईने में अपने
बदन को दे ख कर वो खुद ही शर्मा जा रही थी। बड़ी-बड़ी उन्नत चूचियां आज भी अपनी गोलाइयां लिए हुए तन कर
खड़ी थी।। अपनी चुचियों को दे खकर जोकी ब्रा मे ठीक से समा भी नहीं पा रही थी उन गोलाईयो पर अनायास ही
अपनी दोनों हथेलियां रखकर हथेली से गोलाईयों को दबाई । और जैसे ही चुचियों पर हथेली का दबाव बढा़ई
अलका के मुंह से हल्की सी शिसकारी फूट पड़ी। अलका ने ईससे पहले ऐसा कभी भी नहीं की थी। लेकिन आज
उस लड़के की हरकत खास करके उस लड़के के द्बारा साड़ी उठाना इस बात को याद कर करके थोड़ी उत्तेजित हो
गई थी। उसे खुद ही अजीब सा लगा कि यह कैसे हो गया तभी उसकी जाँघो के बीच उसे कुछ रिश्ता हुआ महसूस
हुआ। अलका ने आश्चर्य के साथ अपनी पैंटी में अपनी हथेली को डाली और उंगलियों से टटोलते हुए
अपनी बुर जोकी उत्तेजना के कारण रोटी की तरह फुल चुकी थी उसकी दरार पर अपनी उंगली लगा कर स्पर्श की
तो उसमें से लिसलिसा रस टपक रहा था अलका को समझते दे र नहीं लगी कि वह क्या है। उसे अपने ऊपर गुस्सा
आने लगा क्योंकि उसकी बुर से रीस रहा मधुर जला जो की उत्तेजना के कारण ही निकल रहा था। 
आज ना जाने कितने सालों बाद उसकी बुर से यह नमकीन पानी रिस रहा था इससे पहले उसकी बूर सुखी ही पड़ी
थी। 
छी...... यह मुझे क्या हो गया है एक लड़के के बारे में सोच कर मुझे यह सब छी.....छी......

और झट से अलमारी में से गाऊन निकालि और उसे पहन कर अपने बिस्तर पर चलीे गई। और लाइट बंद करके सो
गई।
दूसरे दिन राहुल स्कूल गया लेकिन क्लास में विनीत को ना दे खकर वह समझ गया कि आज भी वीनीत स्कूल नहीं
आया है और अब उसे नोट बुक लेने वीनीत के घर जाना ही होगा। विनीत के घर जाने के बारे में सोच कर ही राहुल
की धड़कने बढ़ने लगी थी। क्योंकि जब भी वह वीनीत के घर के बारे में सोचता तब उसे विनीत की भाभी का
गदराया हुआ बदन उसकी आंखों के सामने तेर जाता था। मुझसे अब छु ट्टी की घंटी बजने का इंतजार था और
उसका इंतजार समय पर खत्म भी हो गया।
राहुल सीधे वीनीत के घर पहुंच गया और दरवाजे पर दस्तक दिया दस्तक दे ने के कुछ दे र तक कमरे के अंदर से कोई
भी हलचल नहीं हुई तो राहुल ने फिर से दरवाजे को खटखटाया इस बार दरवाजा खुला और राहुल की धड़कनै फिर
से तेज होने लगी। दरवाजा राहुल के सोचने के मुताबिक विनीत की भाभी ने खोला था।
वीनीत की भाभी ने मुस्कुराकर राहुल का स्वागत किया और उसे अंदर आने को कहा और राहुल भी मंत्रमुग्ध सा
वीनीत की भाभी को निहारते हुए कमरे में प्रवेश किया। कमरे में प्रवेश करते ही वीनीत की भाभी ने दरवाजे को बंद
कर दी दरवाजे के बंद होते ही राहुल की धड़कने तेज होने लगी। विनीत की भाभी के बदन से आ रही महंगीे और
मादक परफ्यूम की खुशबू राहुल के उत्तेजना को बढ़ा रही थी जिसका असर राहुल के पेंट में साफ दिखाई दे रहा था।
विनीत की भाभी ने ट्रांसपेरेंट साड़ी और स्लीव लेश ब्लाउज पहन रखी थी और ब्लाउज भी एकदम लो कट जिसमें
से चुचियों के बीच की गहरी और लंबी लाइन साफ साफ दिखाई दे रही थी। जिस पर नजर पड़ते ही मारे उत्तेजना के
राहुल का गला ही सूखने लगा।
अपने पहनावे का असर राहुल पर पूरी तरह से हो रहा है इसका अंदाजा विनीत की भाभी को हो गया था। वह मन
ही मन बहुत खुश हो रही थी। और मंद मंद मुस्कुराते हुए बोली।

बैठो राहुल......

( वीनीत की भाभी के मुह


ं से इतना सुनते ही राहुल को कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या बोले और वह
हड़बड़ाते हुए बोला।)
ववववो .....भाभी ...... वीनीत आज भी स्कूल नहीं आया। 

अरे हां......... पहले बैठो तो फिर बतातीे हूं।

( विनीत की भाभी के कहने के साथ ही राहुल सोफे पर बैठ गया।)

हां मैं जानती हूं कि विनीत आज भी स्कूल नहीं गया है।


लेकिन आज भी वह घर पर नहीं है किसी काम से बाहर गया है। 
( इतना सुनते ही राहुल के हावभाव बदल गए। 
राहुल के बदलते हावभाव को दे ख कर वीनीत की भाभी तुरंत बोली।)

तुम टें शन मत लो मैंने तुम्हारी नोटबुक वीनीत से मांग कर रख ली है। ( वीनीत की भाभी का जवाब सुनकर राहुल के
चेहरे पर सुकून के भाव नजर आने लगे।)

लेकिन भाभी विनीत आएगा कब बहुत दिन हो गए उससे मुलाकात हुए। 

कुछ कह के तो नहीं गया है हां लेकिन तीन-चार घंटे लग सकते हैं। ( विनीत की भाभी यह अच्छी तरह से जानती
थी कि विनीत अपने मन से नहीं बल्कि उसने खुद ही विनीत को तीन चार घंटे के लिए बाहर जानबूझकर भेज दी
थी। उसने जो कल अपने हुस्न का राहुल को जलवा दीखाई उससे उसे पूरा यकीन था कि राहुल घर पर जरुर आएगा
और अपनी नोट बुक लेने नहीं बल्कि उसके बदन को दे ख कर अपनी आंखे सेकने बाकी नोटबुक तो एक बहाना ही
है। राहुल कुछ सोच कर बोला) 

फिर तो आज भी वीनीत से मुलाकात नहीं हो पाएगी।

हां वो तो है। चलो कोई बात नहीं फिर कभी मुलाकात कर लेना। 
( राहुल की नजर बार बार वीनीत की भाभी के वछस्थल पर चली जा रही थी। जोकि ट्रांसपेरेंट साड़ी होने की वजह
से उसका उठान साफ साफ दिखाई दे रहा था। साड़ी में से उसके वक्ष स्थल के साथ-साथ उसका चिकना पेट और
उसकी गहरी नाभि साफ-साफ झलक रही थी। जिसे दे ख कर वह उत्तेजित हुआ जा रहा था।
विनीत की भाभी उसी जगह पर खड़ी थी जहां पर कल खड़ी थी। उसका गोरा बदन पारदर्शक साडी की वजह से
और भी ज्यादा निखर गया था। विनीत की भाभी बातों के दरमियान अपनी कमर को इस तरह से कामुक अदा से
झटकती थी की राहुल की साँसे से ऊपर नीचे हो जाती थी। 
विनीत की भाभी को आगे क्या करना है यह उसने पहले से ही सोच रखी थी। इसलिए वह बोली।

अच्छा तम
ु यहीं बैठो मैं तुम्हारी नोटबुक लेकर आती हूं (इतना कहते ही मुस्कान बिखेरते हुए सीढ़ियों पर
चढ़ने लगी। राहुल उत्तेजित होता हुआ विनीत की भाभी को सीढ़ियां चढ़ते हुए बड़ी ही प्यासी नजरों से
दे खने लगा
विनीत की भाभी जब एक एक कदम सिढ़ीयों के चढ़ाव पर रखती तो उसकी भारी भरकम बड़ी बड़ी सुडोल
गांड का उठाव और ज्यादा उभर जाता और उसकी भरावदार गांड को दे खकर राहुल का लंड हीचकोले खाने
लगता। राहुल उसी सीढ़ियों पर जाता हुआ ललचाई आंखों से दे खता रहा और वीनीत की भाभी भी सरपट
अपनी गांड को मटकाते हुए सीढ़ियों पर चढ़ी जा रही थी कि अचानक उसका पैर फिसला और वह सीढ़ियों
पर ही गिर पड़ी। जैसे ही विनीत की भाभी सीढ़ियों पर गिरी वीनीत घबराकर खड़ा हो गया । 
विनीत की भाभी गिरने की वजह से दर्द से कराहने लगी

ऊईईईई......... मां............. मर गई रे ....... हाय मेरी


कमर.........ओहहहहहहह........माँ................( अपनी कमर को पकड़ते हुए) मर गई रे .......
बहुत दर्द हो रहा है ..... 

( दर्द से कराहता दे खकर राहुल झट से उसके पास पहुंच गया। लेकिन हड़बड़ाहट में उसे क्या करना है क्या
नहीं करना है यह सुझ ही नहीं रहा था। वह बस सीढ़ियों पर गिरि विनीत की भाभी को आँख फाड़े दे खता ही
रहा। सीढ़ियों पर गिरने से वीनीत की भाभी का आंचल कंधे से नीचे गिर गया जिससे उसकी बड़ी बड़ी
छातियां दिखने लगी और राहुल का ध्यान बार बार उसकी विशालकाय छातियों पर चली जा रही थी।
विनीत की भाभी उसकी नजर को भाँप गई थी इसलिए बोली।)

अरे यूं ही घूरता रहे गा या मेरी मदद भी करे गा। मुझे उठा तो सही मुझसे तो ठीक से हिला भी नहीं जा रहा
है ।

हां हां भाभी मैं मैं उठाता हुँ। ( हकलाते हुए बोला) 

मुझे सहारा दे कर खड़ी कर लगता है जैसे कि मेरे पैरों में मोच आ गई हो( विनीत की भाभी दर्द से कराहते
हुए बोली। राहुल भी उसकी मदद करते हुए विनीत की भाभी कि बाँह को पकड़ कर उठाने की कोशिश करने
लगा। लेकिन वीनीत की भाभी का वजन ज्यादा होने से उससे उठाया नहीं गया तो वह बोली।)

आहहहहहहह(कराहते हुए) अरे ठीक से उठाना थोड़ा दम लगा कर। 

विनीत की भाभी की बात सुनकर राहुल ने ईस बार उसकी गुदाज बाहों को अपनी हथेली से कस के पकड़ा
उसकी गोरी गोरी मांसल गुदाज बाहों को हथेली में भरते ही राहुल के बदन में झनझनाहट सी फेल गई।
उसका गला सूखने लगा । उत्तेजना के कारण राहुल का चेहरा सुर्ख लाल हो गया था। उसने जिस तरह से
अपनी हथेली में नंगी बाँह को दबोचा था उससे वीनीत की भाभी कसमसा सी गई थी। आगे से लॉ कट
ब्लाउज में से उसकी आधी से ज्यादा चुचीयाँ बाहर झाँक रही थी
लेकिन उसनें जरा सी भी उसे ढं कने की दरकार नही ली। इसलिए तो राहुल भी विनीत की भाभी को उठाते
समय भी अपनी नजर को बराबर उसके उभारों पर गड़ाया हुआ था। सीढ़ियों पर गिरने की वजह से उसकी
साँसे बहुत भारी चल रही थी जिससे उसकीे दोनों छातीयाँ ऊपर नीचे हो रही थी और ऊपर नीचे होती हुई
चचि
ु यों को दे खकर राहुल का लंड पें ट मे हीं ठुनकी लगा रहा था। जैसे तैसे करके राहुल ने वीनीत की भाभी
को सीढ़ियों से उठाया ... राहुल उसको सहारा दे कर एक कदम बढ़ा ही था कि वीनीत की भाभी फिर से
लड़खड़ा गई ....राहुल ने तरु ं त उस को संभालने के लिए अपना एक हाथ उसकी कमर में डाल दिया। 
राहुल ने उसे सभाल तो लिया लेकिन उसको संभालने मे राहुल की हथेली विनीत की भाभी के चिकनी कमर
पर टिक गई और उसकी कमर का एहसास राहुल को होते ही उसके तन बदन में झुनझुनी से फेल गई। 
राहुल के कोमल हथेलि का स्पर्श अपनी कमर पर महसूस करके विनीत की भाभी सीहर गई। 
विनीत की भाभी आगे कदम बढ़ाते हुए और भी ज्यादा राहुल स सटते हुए बोली।

आहहहहहहहहह.............राहुल ..........मेरी कमर


बहुत दर्द कर रही है ..... ओहहहहह.....मां.......

( राहुल उसकी कराहने की आवाज सन ु कर थोड़ा चिंतित हो गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या
करें वो बस उसको सहारा दे कर उसे उसके कमरे की तरफ ले जा रहा था। वीनीत की भाभी से बिल्कुल चला
भी नहीं जा रहा था और उसे सहारा दे ने के चक्कर में राहुल का हाथ उसे संभालते हुए उसकी बड़ी बड़ी चच
ू ी
पर पड़ गई। चच
ू ी पर उसकी हथेली पड़ते ही उसकी नर्माहट और गज
ु गज
ु ाहट से राहुल के बदन में सनसनी
फैल गई। उसको समझते दे र नहीं लगी कि उसकी हथेली किस अंग पर पड़ी है उसकी जांघों के बीच का
मुसल डोलने लगा था। राहुल ने झट से उसकी चूची पर से हाँथ हटा लिया लेकिन विनती की भाभी के बदन
में राहुल की इस गलती के कारण मस्ती की लहर दौड़ गई। विनीत की भाभी को तो यह सब ट्रे लर लग रहा
था अभी तो पूरी पिक्चर बाकी थी। वह मन ही मन सोचने लगी की जब ट्रे लर इतना रं गीन है तो पूरी फिल्म
कैसी होगी। 
और दस
ू री तरफ राहुल अपनी इस हरकत की वजह से शर्मिंदा हो रहा था विनीत की भाभी से आंख मिलाने
में भी उसे शर्म आ रही थी वो मन ही मन सोच रहा था कि ववनीत की भाभी उसके बारे में क्या सोचेगी।
लेकिन जहां उसे एक तरफ शर्मिंदगी उठानी पड़ रही थी और वहीं दस
ू री तरफ उसके मन के कोने में गुदगुदी
भी हो रही थी। उसे यह सब अच्छा लग रहा था वीनीत की भाभी को संभाल के ले जाने में उसकी जाँघे राहुल
की जांघो से रगड़ खा रही थी जिससे उसके बदन में उन्माद और आनंद दोनों का प्रसार हो रहा था। 
लड़खड़ाकर चलते हुए विनीत की भाभी ने कब अपनी नंगी बाहों को राहुल के कंधे पर रख दी इसका
एहसास तक राहुल को नहीं हुआ। थोड़ी ही दे र में दोनों दरवाजे के सामने खड़े थे। विनीत की भाभी ने
लड़खड़ाते हुए एक कदम आगे बढाई और दरवाजे को खोल दी।
दरवाजे को खोलकर जैसे ही वह अंदर कदम बढ़ाई वैसे ही फिर से लड़खड़ा कर गिरने ही वाली थी कि राहुल
ने तरु ं त पीछे से थाम लिया। लेकिन इस बार वीनीत की भाभी को थामने मे कुछ ऐसा हुआ जिसका अंदाजा
दोनों को बिल्कुल भी नहीं था। विनीत की भाभी को गिरते हुए पीछेे से थामने में राहुल के दोनों हाथ विनीत
की भाभी को गिरते हुए पीछे से थामने में राहुल के दोनों हाथ विनीत की भाभी की बड़ी बड़ी चचि
ु यों पर पड़
गई और वीनीत की भाभी को संभालने में दोनों हथेलियाँ चच
ू ीयो पर जम सी गई थी। राहुल के पेन्ट में
पहले से ही तंबु बना हुआ था ओर पीछे से पकड़ के संभालने मे राहुल का बदन वीनीत की भाभी के पिछवाड़े
से बिल्कुल सट गया ओर विनीत के पें ट में बना तंबू सीधे वीनीत की भाभी की बड़ी बड़ी सुडौल़ गांड मे चुभ
गया। जैसे ही राहुल का तंबू वीनीत की भाभी की नरम नरम और सुडौल़ गांड में साड़ी के ऊपर से धंसा वैसे
ही मानो राहुल के बदन में बिजली कौंध गई हो । राहुल एकदम सन्न हो गया उसे कुछ पल तो समझ में
नहीं आया कि यह क्या हो गया वह बस पीछे से विनीत की भाभी की चूचियां ब्लाउज के ऊपर से ही दोनों
हाथों से दबाए हुए और पीछे से अपने टनटनाए हुए तंबू को उसकी नरम नरम और सुडौल़ गाँड मे धंसाए
हुए खड़ा रहा। यह पल उसे उसके जीवन का सबसे उत्तम और आनंद दायक पल लग रहा था। इतना आनंद
उसने शायद अब तक नहीं प्राप्त किया था। इसलिए वह इस पल को जी लेना चाहता था वह जानता था की
ये बिल्कुल गलत है उसे हट जाना चाहिए था लेकिन चुचियों की नर्माहट और गांड की गर्माहट उसे चिपके
रहने के लिए विवश कर रही थी। 
राहुल की ऐसी हरकत कर विनीत की भाभी भी दं ग रह गई थी उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं था कि राहुल
ऐसी हरकत करे गा हालांकि यह सच था कि यह कामक ु हरकत राहुल से अनजाने में ही हुई थी लेकिन इस
हरकत ने वीनीत की भाभी मे आत्मविश्वास भर दिया था। उसे यकीन हो चला था कि राहुल को लेकर जो
उसने प्लान रचा है वह उस प्लान में जरुर सफल होगी। 
राहुल के टनटनाए हुए लंड की चुभन वह अपनी गांड पर साफ-साफ महसूस कर रही थी। उसकी अनुभवी
गांड ने राहुल के लंड के कड़कपन और उसकी ताकत को तुरंत भाँप ली और राहुल के मजबुत लंड पर अपनी
स्वीकर्ती की मोहर लगाते हुए उसकी बुर ने नमकीन पानी की एक बँद
ु टपका दी। 
इस तरह से खड़े रहने में दोनों को परम आनंद की अनुभूति हो रही थी लेकिन इस तरह से कब तक खड़े रह
सकते थे विनीत की भाभी ने ही राहुल के बदन से दरू हटते हुए बोली।।

ओह राहुल अगर आज तुम नहीं होते तो पता नहीं क्या होता मुझसे तो ठीक से चला भी नहीं जा रहा है ।
अच्छा हुआ राहुल तुम यहां मौजूद हो वरना आज तो न जाने क्या होता। ( राहुल फिर से अपनी हरकत की
वजह से शर्मिंदा हो गया था उसकी पें ट मे अभी भी तंबू बना हुआ था जोकि विनीत की भाभी की नजरों से
छुपा नहीं था। लेकिन जानबूझकर वीनीत की भाभी ऐसा व्यवहार कर रही थी कि जैसे कुछ हुआ ही ना हो
और खुद ही दरवाजा बंद करके वापस मुड़ी आगे बढ़ने के लिए उसने राहुल को हाथ का इशारा करके अपने
नजदीक बुलाई।)
वीनीत की भाभी ने फिर से राहुल का सहारा लेकर बिस्तर तक गई और कराहते हुए धीरे से बिस्तर पर बैठ
गई। वह अभी भी दर्द से कराह ही रहीं थी राहुल से उसका दर्द दे खा नहीं जा रहा था लेकिन कर भी क्या
सकता था। वह अपनी कमर पर हाथ रखते हुए बोली

राहुल बहुत दर्द कर रही है मेरी कमर पता नहीं क्या हो गया है ऐसा पहले कभी भी नहीं हुआ। ( राहुल भी
समझ सकता था कमर के दर्द को क्योंकि इससे पहले भी दर्द से कराहते हुए उसने अपनी मम्मी को दे ख
चुका है और ऐसे हाल में वह खुद अपनी मम्मी के कमर पर मुव से मालिश करके राहत पहुंचाता था।
इसलिए वह बोला।) 

भाभी सब ठीक हो जाएगा आप बस मव


ु से मालिश कर लीजिए तरु ं त आराम मिल जाएगा मेरी मम्मी को
भी ऐसा दर्द होता था और मै हीं मालिश कर दे ता था जिससे उन्हे झट से आराम मिल जाता था। 
( राहुल की बात सन
ु कर वह राहुल को एकटक दे खने लगा और कुछ दे र बाद बोली।)

मेरी मालिश कौन करे गा विनीत भी तो नहीं है यहां पर नही तो वो मेरी मालिश कर दे ता खैेर जाने दो ....
और हां वहां टे बल पर तुम्हारी नोटबुक रखी हुई है जाकर ले लो ..... हाय मेरी कमर( इतना कहने के साथ
वह फिर से अपनी कमर पर हाथ रख ली। राहुल उसके बताए अनुसार टे बल की तरफ बढ़ा विनीत की भाभी
राहुल को अपनी कमर मलते हुए दे ख रही थी। राहुल टे बल तक पहुंचा तो वहां कुछ किताबें रखी हुई थी
उनमें उसकी किताब नहीं थी। वह इधर उधर किताबों को खंगालने लगा । विनीत की भाभी उसे दे खे जा रही
थी उसके लंड की चुभन अभी तक वह अपनी गांड पर महसूस कर पा रही थी। जिसके बारे में सोच सोच कर
उसकी बुर पनिया जा रही थी। राहुल को किताबें उलट पलट कर दे खते हुए वह बोली।)

अरे राहुल वहीं होगी दे खो वहीं पर तो रखी थी कहां चली जाएगी। अच्छा वहां बेग के पीछे दे खो तो..... 

( राहुल टे बल पर ही पड़ी बैग के पीछे दे खा तो उसे अपनी नोटबक


ु वही पर ही मिली उस ने हाथ आगे बढ़ा
कर नोटबक ु को उठाया नोटबक ु पर कोई कपड़ा भी पड़ा हुआ था जो की उसके हाथ में आ गया। राहुल उस
कपड़े को अपने हाथ में लेकर ऊलट पलट कर दे खने लगा । विनीत की भाभी राहुल को ही बड़े गौर से दे खे
जा रहीे थी। मरून रं ग का वह कपड़ा मखमली था जिस पर उं गलियां फिराने में राहुल को बड़ा मजा आ रहा
था।
जैसे ही उसने उस मखमली कपड़े को पूरा खोला उसे समझते दे र नहीं लगी कि यह कपड़ा क्या है और वैसे
ही तुरंत विनीत की भाभी बोली।
अरे राहुल( इतना सुनते ही घबराहट में राहुल के हाथ से वह मखमली कपड़ा छूट कर नीचे गिर पड़ा। ) 
ला तो वह मेरी पें टी है आज जल्दबाजी में मैं उसे पहनना ही भल
ू गई। 
( राहुल तो एकदम से सन्न हो गया जिस कपड़े को उसने भल
ू से अपने हाथों में ले लिया था उसके बारे में
जान कर उसके लंड में सरसराहट होने लगी। और तो और विनीत की भाभी के मंह ु से एकदम खल ु े शब्दों में
पैंटी पहनने की बात को सन
ु कर उस का मन एकदम चद
ु वासा हो गया। आज पहली बार ही उसने किसी
औरत की पें टी को हाथों में लिया था। औरतों के पहनने की चड्डी इतनी नरम और मल
ु ायम होती है आज
पहली बार उसे पता चला था। पें टी का मल
ु ायम एहसास अभी तक उसकी उं गलियों पर महसस
ू हो रहा था।
राहुल के पें ट में फिरसे तंबू बन गया जिस पर वीनीत की भाभी की नजर गड़ी हुई थी। उसके पें ट में बने तंबू
को दे ख कर एक बार फिर वीनीत की भाभी की बुर से पानी रीसने लगा। तंबू के कठोर चुभन का एहसास
उसके तन बदन को मदमस्त कर गया। विनीत एकदम सन्न मारकर वहीं खड़ा रहा। कुछ दे र खामोश रहने
के बाद वीनीत की भाभी फिर से बोली।)

अरे राहुल एसे ह़ी खड़े रहोगे क्या लाओ मेरी पैंटी उठा कर दो मुझे आज सुबह से पहनी नहीं हूं तभी कुछ
खाली खाली सा लग रहा है । 
( वीनीत की भाभी की यह बातें राहुल के तन बदन में आग सी लगा रही थी। औरत के मुंह से इतनी खुली
बातें उसने आज तक नहीं सुनी थी इसलिए उस की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी पेन्ट के अंदर का तंबु पें ट में
गदर मचाए हुए था। उसका लंड फूल टाइट हो गया था।
राहुल के मन में डर लगने लगा था कि कहीं लंड पें ट फाड़ कर बाहर ना जाए। राहुल दिलीप की भाभी की
तरफ दे खा तो वो आंखों से इशारा करके पें टी उठाने को कह रही थी। इस बार राहुल नीचे झक
ु ा और पें टी को
उठाकर अपने हाथों में ले लिया यह सोच कर ही कि उसके हाथ में एक खूबसूरत औरत की पें टी है जिससे
वह अपना बेशकीमती खजाना छुपाती है उसके मन में काम ज्वाला और ज्यादा भड़क उठी। 
राहुल के हाँथो मे विनीत की भाभी की पैंटी थी जिसे लेकर वह उसकी तरफ बढ़ रहा था साथ ही पें ट में बने
तंबू को अपनी नोटबुक की आड़ में छुपाए हुए था। 
राहुल की बालिश हरकत पर विनीत की भाभी मंद मंद मस्
ु कुरा रही थी। राहुल एकदम शर्मसार हुआ जा रहा
था और विनीत की भाभी को मजा आ रहा था। 
विनीत की भाभी बिस्तर पर ही बैठी हुई थी राहुल उसके पास पहुंच गया और कांपते हाथों से उसको पैंटी
थमाने लगा पें टी को थामते वक्त विनीत की भाभी की नरम नरम उं गलियां राहुल की उं गलियों से स्पर्श हो
गई। नरम नरम ऊँगलियों का स्पर्श होते ही राहुल का बदन गनगना गया। वीनीत की भाभी ने राहुल के
हाथों से अपनी पैंटी ले ली और बिस्तर पर से नीचे खड़ी हो गई राहुल समझ नहीं पा रहा था कि अब ये क्या
करने वाली है । राहुल के पें ट में पहले से ही तंबू बना हुआ था जिसकी वजह से वह परे शान था और उसे
अपनी नोटबुक से ढक रखा था। राहुल धड़कते दिल से विनीत की भाभी की तरफ दे खे जा रहा था। दिनेश
की भाभी उस मखमली पैंटी को इधर-उधर कर के दे ख रही थी तभी वह राहुल से बोली।
( बड़े ही शरारती और मादक अंदाज में ) राहुल दे खो मैं पैंटी पहनने जा रही हूं तो मेरी तरफ बिल्कुल भी मत
दे खना है । ( इतना कहने के साथ ही वह दस
ू री तरफ घम
ू गई उसके ना दे खने वाले सझ
ु ाव मे जी भर के
दे खने का आमंत्रण मिला हुआ था। और वह अच्छी तरह जानती थी की राहुल उसको पें टी पहनते हुए जरुर
दे खेगा इसलिए वह अपना चेहरा दस
ू री तरफ घुमा ली थी। और भला दनि
ु या में ऐसा कौन सा मर्द होगा जो
मौका मिलने पर भी औरतों को पें टी बदलते हुए दे खना नहीं चाहे गा बल्कि मर्द लोग तो हमेशा इसी ताक में
रहते हैं कि कहीं कुछ दे खने को मिल जाए। विनीत की भाभी दस
ू री तरफ घूम चुकी थी लेकिन राहुल ने
अपनी नजर विनीत की भाभी पर से नहीं हटाया था। राहुल के मन में तो गुदगद
ु ी सी मची हुई थी। राहुल तो
खुद अपनी आंख सेंकना चाहता था भला वह क्यों अपनी नजर फेर कर इस अतुल्य दृश्य का लुफ्त उठाने
से वंचित रहना चाहता था। विनीत की भाभी के द्वारा उसी के सामने पैंटी पहनने वालीे बात पर राहुल की
उत्तेजना चरम सीमा पर पहुंच गई थी। मुठ मारने से मिलने वाला परम आनंद का अहसास उसे इस समय
हो रहा था पें ट मे बने तंबु का उभार बढ़ता ही जा रहा था। राहुल की पैनी नजर वीनीत की भाभी पर टिकी
हुई थी। विनीत की भाभी की बड़ी-बड़ी गदराई हुई गाँड साड़ी में और ज्यादा कसी हुई लग रही थी। गांड का
असाधारण घेराव और उभार किसी के भी मन को उत्तेजना से भर दे ने के लिए काफी था। 
वीनीत की भाभी ने उस मखमली पें टी को अपनी उं गलियों में फंसा कर नीचे झुकी और हल्के से एक टांग
को थोड़ा सा उठा ली जिससे उसकी गदराई गांड और ज्यादा मादक लगने लगी। एक टांग को उठाकर उसने
पैंटी में डाली और फिर दस
ू री टांग को भी पैंटी में डाल दी। यह नजारा दे खकर राहुल के लंड का बुरा हाल हो
रहा था। अब विनीत की भाभी ने पें टी को दोनों हाथों की उं गलियों में फंसाए हुए ही उपर की तरफ सरकाने
लगी
पें टी के साथ-साथ साड़ी भी फंसकर ऊपर की तरफ सरक रही थी। जिससे उसकी चिकनी टांगे नंगी होती
चली जा रही थी। राहुल के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी जैसे की कोई जंगली घोड़ा ठप ठप की आवाज
करते हुए भागा चला जा रहा हो। राहुल के माथे से पसीने की बूंदे टपकने लगी। धीरे -धीरे करके विनीत की
भाभी ने पें टी को घुटनों के ऊपर तक सरका दी साथ ही साड़ी भी घुटनों के ऊपर तक हो गई आधी जाँघें
दिखने लगी थी। विनीत की भाभी की मांसल जाँघें एकदम चिकनी दधि
ू या रं ग कि मानो कि भाभी की जाँघे
मक्खन से बनी हो। जिसे दे खते ही किसी का भी लंड पानी छोड़ दे । राहुल की दिल की धड़कने बढ़ती ही जा
रही थी। 
बस कुछ ही इंच और रह गई थी वीनीत की भाभी की पर्ण
ू रुप से गांड के शभ
ु दर्शन के लिए लेकिन राहुल के
मन में शंका थी कि जो अब तक इतना कुछ दिखाते आ रही हैं क्या वह अपनी गदराई गांड का भी दर्शन
कराएंगी या नहीं। राहुल की नजर बराबर विनीत की भाभी पर ही गड़ी हुई थी। वह अपनी नजरें हटाकर इस
अतल्
ु य दृश्य का एक एक भी पल अपनी आंखों से ओझल नहीं होने दे ना चाहता था। वीनीत की भाभी की
हर एक अदा राहुल के दिल पर शोले बरसा रही थी।
जेसे ही वीनीत की भाभी ने आधी जाँघो के ऊपर पें टी को सरकाना शुरू कि राहुल के लंड ने ठुनकी मारना
शरू
ु कर दिया। 

वाह.....वाह.......वाह...... गजब का दृश्य।। कुछ ही पल में वीनीत की भाभी ने पूरी साड़ी को कमर तक
उठा दी थी। कुछ ही पल के लिए विनीत की भाभी ने अपनी संपूर्ण ऊभरी हुई गदराई गांड का दर्शन करवा
दी थी और उसके बाद अपनी मरून रं ग की मखमली पें टी से अपनी बेशकीमती गांड को ढँ क ली।
इस नजारे को दे खते ही राहुल को लगने लगा की कहीं उसके लंड से पानी का फव्वारा ना छूट पड़े .... उसके
लंड में हल्का-हल्का और मीठा दर्द होने लगा था। लंड की नसें लंड के ऊपर ही ऊपस आई थी। नसों में खून
का दौरा तीव्र गति से हो रहा था। ऐसा लगने लगा था कि लंड की नसे फट जाएंगी। 
विनीत की भाभी खास करके राहुल को अपनी गदराई गांड ही दिखाना चाहती थी इसीलिए तो साड़ी को
एकदम कमर के उपर तक चढ़ा ली थी ताकि राहुल जी भरके उसकी गांड के दर्शन कर सके। उसे तो इतना
यकीन ही था कि राहुल जरूर उसकी नग्नता का दर्शन कर रहा होगा लेकिन फिर भी अपनी तसल्ली के
लिए वैसे ही साड़ी को कमर तक उठा कर पकड़े हुए अपनी गर्दन घम
ु ा कर राहुल की तरफ दे खी और राहुल
को अपनी ही तरफ दे खते हुए पाकर कामक
ु मस्
ु कान बिखेरने लगी।

राहुल की नजरे जेसे ही वीनीत की भाभी की नजरो से 


टकराई राहुल एकदम से शर्मिंदा हो गया। और अपनी नजरों को नीचे कर लिया । पें ट में उभरे हुए राहुल के
तंबू को दे खकर विनीत की भाभी तो मन ही मन बहुत खशु हो रही थी क्योंकि उसके बदन का जाद ू पूरी
तरह से राहुल के ऊपर छा गया था। 
विनीत की भाभी ने पैंटी पहनने के बाद कमर पर लटकी हुई साड़ी को नीचे सरका दी और नंगी टांगें और
गदराई गांड सब कुछ साड़ी की ओट में छिप गया। विनीत की भाभी आगे की तरफ घूमी और जैसे ही पहला
कदम बढ़ाई उस से उठा हुआ कदम जमीन पर रखा नहीं गया और वह धम्म से बिस्तर पर कहरते हुए बैठ
गई। 

ओहहह मा........ (ओर अपनी जाँघ पर हांथ रखके दबाते हुए ) मर गई रे ....कमर के साथ साथ मेरी
जाँघो मे भी बहुत दर्द हो रहा है । ना जाने क्या हो गया है मेरी टांगों में । 
( राहुल अभी भी बहुत शर्मिंदा था वह कैसे उससे बातें करें कैसे उससे नजरें मिलाए यह सब उसे समझ में
नहीं आ रहा था। क्या करें उसकी चोरी जो पकड़ी गई थी। विनीत की भाभी ने तो उसे ना दे खने के लिए
बोली थी लेकिन उसके बोलने के बावजूद भी राहुल वीनीत की भाभी को पें टी पहनते हुए दे ख रहा था और
उसने भी अपने बदन को निहारते हुए राहुल को पकड़ ली थी। 
विनीत की भाभी राहुल की मनोदशा को भाँप ली थी। राहुल के माथे से टपक रही पसीने की बंद
ू े राहुल की
मनोस्तिथि को परू ी तरह से बयान कर रही थी। वीनीत की भाभी अच्छी तरह से जानती थी कि उसके
भरावदार नितंब के दर्शन करके राहुल पूरी तरह से गरमा चुका था। राहुल की जगह अगर कोई ओर खाया
पिया इंसान होता तो अब तक उसकी बरु में अपना टनटनाता हुआ लंड डालकर कब का चोद चक
ु ा होता। 
विनीत की भाभी को अब परु ी तरह से यकीन हो चक
ु ा था की राहुल अब तक कंु वारा ही था मतलब की
जवानी की बगिया में अभी कच्ची कली ही था। इस बात से वीनीत की भाभी और भी ज्यादा प्रसन्न हो रही
थी। 
और राहुल से बोली।

क्या हुआ राहुल ऐसे क्यों खड़े हो तबीयत तो ठीक है ना और तुम्हारे माथे पर यह पसीना क्यों। 

( राहुल क्या कहता कुछ बोलने जैसा था ही नहीं फिर भी हड़ बड़ाते हुए बोला।)

कककककक.....कुछ नही भाभी बस यू ही थोड़ी गर्मी लग रही थी ........ इसलिए।

अरे तो पहले कहना था ना कि गर्मी लग रही है वो सामने की स्विच ऑन कर दो पंखा चालू हो जाएगा।

( राहुल तुरंत उसकी बात मानते हुए स्विच ऑन कर दिया और पंखा चालू हो गया लेकिन वह अच्छी तरह
से जानता था कि उसके माथे से टपक रहे पसीने की बूंदें मौसम की गर्मी की वजह से नहीं बल्कि वीनीत की
भाभी के कामुक बदन की गर्मी की वजह से पसीना टपक रहा है । विनीत की भाभी की छातियों के ऊपर से
साड़ी का पल्लू नीचे लुढ़का हुआ था जिस से राहुल को
ब्लाउज के उपर से ही सही लेकिन उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को दे खने का लुत्फ बराबर मिल रहा था। वीनीत
की भाभी ये जानती थी कि राहुल क्या दे ख रहा है । किस लिए मन ही मन मुस्कुरा भी रही थी। 
राहुल के पें ट में बना तंबू एक पल के लिए भी ढीला नहीं पड़ा था जिससे उसे दर्द का एहसास भी हो रहा था।
उसे वापस घर भी जाना था लेकिन जाने का मन नहीं कर रहा था। नोटबुक मिल चुकी थी इसलिए जाना तो
था ही वह विनीत की भाभी से बोला।

अच्छा भाभी मैं अब चलता हूं नोट बक


ु दे ने के लिए शक्रि
ु या मेरी वजह से आपको तकलीफ हुई ना मैं
नोटबक
ु लेने आता ओर ना ही आपके कमर में ईस तरह से तकलीफ होती। भाभी मैं आपसे माफी चाहता
हूं। 

अरे इसमें माफी किस बात की यह तो बस हो गया इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है लेकिन अब तुम
गलती कर रहे हो।
गलती कैसी गलती भाभी।

मुझे जो इस हाल में छोड़ कर जा रहे हो अगर तुम्हारी जगह वीनीत होता तो क्या मुझे इस तरह तकलीफ
में छोड़कर जाता। मैं इस समय ठीक से चल भी नहीं पा रही हूं। 
( राहुल वीनीत की भाभी को हो रही तकलीफ से काफी चिंतित था। वह बड़ा मजबूर था ..... वह भी मदद
करना चाहता था लेकिन कैसे करें क्या करें उसके समझ के बाहर था। फिर भी हड़ बड़ाते हुए बोला।) 

भभभ...भाभी मममममम...मैं क्या कर सकता हूं।


( विनीत की भाभी आंखों को नचाते हुए बोली।)

तुम करोगे मेरी मालीस? 


मुझे मालिश की जरूरत है मालिस से ही मेरे दर्द मे राहत मिलेगी। करोगे ना मेरी मालीस! 

( अब राहुल क्या कहता उसका तो खुद ही दिल कर रहा था यह सब करने को लेकिन कह नहीं पा रहा था।
और खुद उसके मुंह से मालिस करने की बात सुनकर राहुल के खुशी का ठिकाना ना रहा। खश
ु ी के साथ
साथ उसके बदन में अजीब सा रोमांच भर गया था। उसने बिना किसी झिझक के हाँ मे सिर हीला दिला
दिया। राहुल की हामि से विनीत की भाभी बहुत खुश हुई। और उसने सामने के ड्रोवर मैसे मुव लाने को
बोली। राहुल डोवर में से मूव निकालने के लिए आगे बढ़ा ।
वीनीत की भाभी मन ही मन बहुत ही खुश हो रही थी क्योंकि उसका बनाया प्लान कामयाब हो गया था।
सीढ़ियों से वह जानबूझकर फिसली थी वह दर्द का बहाना करके जानबूझकर ही राहुल को रोकी थी ।
राहुल का सहारा लेकर कमरे में आना और नोटबुक के साथ अपनी पैंटी को रखना राहुल के सामने ही
जानबझ ू कर अपनी पें टी को पहनना और अपने नितंबों का प्रदर्शन कराना यह सब प्लान के तहत ही था।
जो कि राहुल के उपर परू ी तरह से सफल हो चक
ु ा था।

राहुल मूव लेकर आया और राहुल को अपनी तरफ आता दे खकर विनीत की भाभी कराहते हुए बोली

हाय रे मेरी कमर ! अब तो तू ही मेरी मदद कर सकता है राहुल। चल जल्दी से मेरी मालिश कर दे एेसा दर्द
हो रहा है कि मुझसे रहा नहीं जा रहा। ( ऐसा कहते हुए विनीत की भाभी बिस्तर पर पेट के बल लेट गई
और इस तरह से अपने दोनो पैरों को उठाई की उसकी साड़ी
घुटनों तक नीचे सरक गई और गोरी गोरी दोनों पिंडलियां दिखने लगी जिसे दे ख कर राहुल का पजामा तंग
होने लगा । विनीत की भाभी को इस तरह से लेटे हुए दे ख कर और उसकी उभरी हुई गांड को दे खकर राहुल
फिर से उत्तेजित होने लगा। राहुल को समझ में नहीं आ रहा था कि कहां से शरू
ु करे कि तभी विनीत की
भाभी बोल पड़ी।

राहुल अब खड़े ही रहोगे या मालीस भी करोगे।

हां हां हां हां भाभी अभी करता हुं। ( हकलाते हुए बोला।)

( राहुल विनीत की भाभी के बगल में जाकर बैठ गया और विनीत की भाभी बोली।)
कमर पर से थोड़ी साड़ी हटाकर अच्छे से मालिश कर दे राहुल बहुत दर्द कर रहा है ।
( राहुल के तो हांथ कांप रहे थे। फिर भी हिम्मत करके कमर पर से साड़ी हटाया कमर पर से साड़ी के हटते
ही
राहुल की आंखें मांसल कमर और कमर के बीच की गहरी लकीर को दे खकर फटी की फटी रह गई। राहुल में
तुरंत मुव निकालकर वीनीत की भाभी की कमर पर लगाया और मालिश करना शुरु कर दिया। गोरी गोरी
कमर के स्पर्श से राहुल का बदन रोमांचित हुआ जा रहा था। इससे पहले भी उसने अपनी मम्मी की कमर
पर मालिश किया था लेकिन ऐसा रोमांच उसे उस समय बिल्कुल भी नहीं हुआ था। विनीत की भाभी की
गांड का उभार दे खकर राहुल के लंड का तनाव बढ़ता जा रहा था। राहुल बढ़िया अच्छी से मालिश कर रहा
था जिससे उसे सक
ु ू न मिलने लगा था लेकिन उसके मन में और ज्यादा खरु ापात चल रही थी। वह बोली।

राहुल थोड़ा और नीचे वहां कुछ ज्यादा ही दर्द कर रहा है ।

कहां पर भाभी? 

( विनीत की भाभी अपना एक हाथ पीछे लाकर और कमर के नीचे जहां गांड का उभार शुरु होता था वह
जगह पर उं गली रख कर दिखाते हुए बोली।)

यहां इस जगह पर राहुल बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है उधर पर मालिश कर दो।

( राहुल के मन का गुब्बारा फूटने लगा था विनीत की भाभी का यह ईसारा उसके तन बदन में आग लगा
रहा था राहुल भी मालिश करने के लिए बेताब था लेकिन असमंजस मे था। राहुल थोड़ा घबराहट के साथ
बोला)

भाभी.........ईधर ...... केसे..... मतलब ...... ईधर ....तो


ससससस....साड़ी बंधी हुई है । ( राहुल सकपकाते हुए बोला ।) 

हाँ तो थोड़ी साड़ी ढीली कर दो अच्छा रुको में ही कर दे ती हूं।( इतना कहने के साथ ही वीनीत की भाभी
अपने दोनों हाथ को अपने पेट के नीचे ले गई और अपनी गांड को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठाई ..... गांड
उचकाने की इस अदा पर राहुल के मुंह में पानी आ गया । वीनीत की भाभी ने पेट के नीचे खोशी हुई साड़ी
को बाहर निकाल कर पेटीकोट की डोरी को ढीली कर दी और बोली।

लो राहुल थोड़ी सी साड़ी को नीचे सरका दो ताकि अच्छे से क्रीम लगाकर मेरी मालिश कर सको। ( वीनीत
की भाभी की यह बात सुनकर राहुल का दिल बल्लियों उछलने लगा एक तरफ उसके मन में गुदगुदी सी
मच रही थी और दस
ू री तरफ उसका दिल घबरा भी रहा था। घबराहट से उसका गला सूखने लगा था। दिल
तो उसका भी चाह रहा था वीनीत की भाभी की विशाल गांड के दर्शन के लिए । आज उसे विनीत की भाभी
की गांड को एकदम करीब से दे खने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ था इसलिए उसके हाथ भी कांप रहे थे फिर
वह अपने कांपते हाथों की उं गलियों से साड़ी के दोनों छोर को पकड़ा और फिर पेटीकोट सहित नीचे की
तरफ सरकाने लगा पेटीकोट के साथ-साथ विनीत की भाभी की पें टी भी सरकते आ रही थी और जैसे ही
गदराई गांड के बीच की फांक नजर आई मारे उत्तेजना के उसके हाथ ठीठक गए। भाभी की गांड की फांक
उसके लंड की ऐठन को बढ़ाने लगे। मारे उत्तेजना के राहुल का बुरा हाल हो रहा था उसके माथे से पसीने की
बूंदें टपक रही थी। वहीं दस
ू री तरफ वीनीत की भाभी का भी कम बुरा हाल नहीं था उसके अरमान पूरे होने
के कगार पर थे उस का प्लान पूरी तरह से सफल हो चुका था। इससे पहले भी वीनीत की भाभी ना जाने
कितनों के सामने नंगी हुई थी और खुद को नंगी करवाई थी लेकिन जो आज राहुल के सामने नंगी होते हुए
उसके बदन में रोमांच उठ रहा था ऐसा रोमांच उसने आज तक महसस
ू नहीं कि। इतने से ही उसकी बरु
पनीया गई थी। 
साड़ी और पेटीकोट के साथ जैसे ही उसकी पैंटी भी नीचे सरकते हुए आई वैसे ही तरु ं त राहुल ने पें टी को
वापस उपर की तरफ चढ़ा दिया। राहुल की आंखों में नशा छाने लगा था वह मदहोश होकर एकटक कमर के
नीचे का गोलाकार उठान को दे खता ही रह गया।

राहुल की दिल की धड़कने तेज होती जा रही थी। राहुल के हाथों के स्पर्श से विनीत की भाभी भी गरमा गई
थी।
राहुल ने थोड़ी सी क्रीम अपनी उं गली पर लगाया और कमर के ऊपरी भाग पर हल्के हल्के मालिस करने
लगा। मालिश करते समय भी उसकी नजर विनीत की भाभी की गांड पर ही टिकी हुई थी। तभी विनीत की
भाभी बोली।

राहुल का कमर के नीचे मालिश कर उधर ज्यादा दर्द हो रहा है ।


हां हां भाभी करता हूं मालीस ( भाभी की बात सन
ु ते ही राहुल के लंड में एठन बढ़ने लगी उसने भी मालिश
करते हुए धीरे -धीरे पैंटी में एक उं गली को डाल कर हल्के हल्के मालिश करने लगा उस जगह पर मालिश
करते हुए राहुल के बदन में झनझनी सी फेल जा रही थी। विनीत की भाभी मंद मंद मुस्कुराते हुए अपनी
गांड की मालिश राहुल से करवाये जा रही थी। राहुल पूरी तरह से उत्तेजना से भर चुका था उसकी
अंडरवियर धीरे धीरे करके आगे से गीली होने लगी थी। इस वक्त राहुल की आधी हथेली उसकी पैंटी के
अंदर समाई हुई थी।
गदराई गांड का नरम नरम एहसास राहुल को पागल किए जा रहा था। राहुल का गला एकाएक सूखने लगा
जब उसकी बीच वाली उं गली नें गांड के बीचोबीच की फांक का स्पर्श किया उसके तन-बदन में आग सी लग
गयी। विनीत की भाभी का भी यही हाल हुआ जब उसने राहुल की बीच वाली उं गली का स्पर्श अपनी गांड
की फांक पर महसुस की तो मारे उत्तेजना के उसने अपनी गांड को ऊपर की तरफ उचका दी। दोनों की
सांसे तेज चलने लगी थी। अब राहुल अपनी हथेली का दबाव गांड पर बढ़ाते हुए मालिश करने लगा था
जिससे विनीत की भाभी को भी मजा आ रहा था। रह-रहकर राहुल की उं गलिया उसकी गांड के बीचोबीच
की लकीर में चली जा रही थी जिससे दोनों का उन्माद बढ़ता ही जा रहा था। 
राहुल का लंड एकदम से टाइट हो चुका था ऐसा लगने लगा था कि कहीं लंड की नशे फट ना जाएं। विनीत
की भाभी की बुर भी पानी से फचाफच भरी हुई थी। राहुल की तो जेसे लॉटरी लग गई हो। विनीत की भाभी
का पूरा खजाना उसके हाथों में था बस ढका हुआ था। विनीत की भाभी की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वो
अब खुल के मजा लेना चाहती थी। इसलिए बोली। 

राहुल डर तो आराम लगने लगा है लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि मेरी जांघो मे भी बहुत दर्द है । जाँघो पर
भी मालिश कर दे मझ
ु े आराम मिल जाएगा। 
( पैंटी के अंदर हाथ डाले हुए ही राहुल बोला)
लेकिन भाभी यह साड़ी.........( इतना कहने के साथ ही राहुल खामोश हो गया राहुल के कहने का मतलब
विनीत की भाभी समझ गई थी इसलिए वह बोली।)

हां तो क्या हुआ मेरी साड़ी को नीचे से ऊपर की तरफ कमर तक चढ़ा दो तब ठीक से मालिश हो पाएगी।
( इतना सुनते ही राहुल का लंड पें ट में ही उछाल मारने लगा वह मन ही मन बहुत ज्यादा खुश हुआ अब
तक तो सिर्फ नंगी औरतों को दे खता ही आया था लेकिन आज उसे खुद ही औरत नंगी करने का मौका
मिला था।
राहुल की साँसे बेकाबु हो चुकी थी घोड़े की टॉप की तरह उसकीे दिल की धड़कनें चल रही थी। अब राहुल को
वो करना था जो अब तक उसने नहीं किया था।इसलिए उसके हाथ कांप रहे थे। राहुल के मन में पूरी विशाल
नंगी गांड को दे खने की उत्सुकता के साथ साथ कामक
ु उन्माद भी चढ़ा हुआ था जिस का मिलाजुला असर
राहुल के चेहरे पर साफ झलक रहा था
साड़ी पर चढ़ी हुई सिलवटें विनीत की भाभी के बदन को ओर भी ज्यादा कामक
ु बना रही थी।
आने वाले पल और बेहतरीन नजारे का राहुल को बड़ी बेसब्री से इंतजार था। विनीत की भाभी को भी इसी
पल का इंतजार था कि कब राहुल अपने हाथों से उसकी साड़ी उठाकर उसको नंगी करे और उसकी
विशालकाय
गदराई हुई गांड के दर्शन करके उत्तेजित हो और उसकी तीव्र संभोग की कामेच्छा को परू ी करें । 
आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी। दोनों तरफ वासना का समंदर उछाल मार रहा था। तभी राहुल ने
अपने कांपते हाथों से विनती भाभी की साड़ी को पकड़कर जाँघों की तरफ से ऊपर की तरफ सरकाने लगा
जिससे वीनीत की भाभी कसमसाने लगी।
पैरों की तरफ से जैसे जैसे साड़ी सरक कर ऊपर आने लगी विनीत की भाभी की टांगे नंगी होने लगी गोरी
चीकनी टांगो को दे खकर राहुल का मन मचलने लगा।
धीरे धीरे करके साड़ी घुटनों तक सरक के आ गई 
नंगी टांगें और गोरी गोरी पिंडलियां दे खकर राहुल अपने मन पर काबू ना कर सका और हल्के से गोरी-गोरी
पिंडलियों पर अपनी उं गलियों से सहलाने लगा। 
राहुल की इस हरकत से विनीत की भाभी समझ गई कि राहुल अब लाइन पर आने लगा है उसके मन का
डर धीरे -धीरे खत्म हो रहा था।
पिंडलियों को सहलाते हुए उसने साड़ी को फिर से ऊपर की तरफ खींचा इस बार आधे से भी ज्यादा दधि
ू या
जांघे उजागर हो गई। वाहहहहहहह...........
अपने आप ही राहुल के मुख से निकल गया। विनीत की भाभी के साड़ी की अंदर की सुंदरता दे खकर राहुल
की आंखें चौंधिया जा रही थी। हक्का-बक्का सा बस दे खे जा रहा था। हाथों में कपकपी और होंठ थर्रा रहे थे
अपने कांपते हाथों से राहुल ने साड़ी को और ऊपर खींचने की कोशिश किया तो साड़ी जाँघो के नीचे दबी
होने से ऊपर की तरफ खींचा नहीं पाई इसलिए खुद ही विनीत की भाभी ने अपनी गदराई गांड को थोड़ा
ऊपर की तरफ उचका दी ताकि राहुल साड़ी को कमर तक खींच सकें और कुछ सेकंड में ही विनीत की भाभी
की साड़ी उसकी कमर तक चढ़ चुकी थी अब उसकी कमर के नीचे मात्र गदराई गांड को ढकने के लिए
मखमली मैरून रं ग की पैंटी ही रह गई थी जो कि उसके गोरे रं ग पर और ज्यादा खीेल रही थी। राहुल तो
थूक निगलता हुआ गांड के घेराव ओर उसके आकार को दे खता ही रह गया। राहुल से रहा नही गया और
उसने अपने दोनों हाथों की हथेली को विनीत की भाभी के गांड की दोनों फांकों पर रख दिया और हल्के से
दबा दिया .... जैसे ही राहुल की हथेलियों का दबाव विनीत की भाभी अपनी नरम नरम गौरी गांड पर
महसस
ू की वैसे ही उसके मख
ु से गरम सिसकारी फुट पड़ी । 

स्स्स्स्स ्सहहहहहहहहह...........राहुलल.....
( वीऩत की भाभी के मुख से गर्म सिसकारी सुनते ही राहुल घबरा गया उसे लगा कि शायद भाभी को दर्द
होने लगा इसलिए उसने झट से अपनी हथेली को दिनेश की भाभी की गांड पर से हटा लिया और बोला।)

क्या हुआ भाभी ज्यादा दर्द कर रहा है क्या? 

( राहुल बिल्कुल नादान था इस बात से विनीत की भाभी वाकिफ हो चुकी थी। इसलिए उसने अपने मुख से
निकली गरम चुदवासी सिसकारी को दर्द का नाम दे कर बोली।) 

हां राहुल (दर्द से कंहरते हुए) बहुत दर्द कर रहा है अब तो बर्दाश्त के भी बाहर होता जा रहा है मेरा दर्द। कुछ
कर राहुल मुझे इस दर्द से निजात दिला मेरे पूरे बदन में अजीब सा दर्द होने लगा है । तू आज ऐसी मालिस
कर कि सारा दर्द हमेशा के लिए भाग जाए। ......
( कुछ दे र खामोश रहने के बाद फिर बोली)

राहुल एक काम करो मेरी पैंटी को भी उतार दो ताकि तम


ु मेरी अच्छी से मालिश कर सको। 

( इतना सुनते ही राहुल के बदन में झुनझुनी सी फैल गई। राहुल के खश


ु ी का ठिकाना ना था ऐसा लग रहा
था जैसे किसी ने उसे अनमोल तोहफा दे दिया हो। मन में उन्माद भी था उत्तेजना के साथ-साथ घबराहट
भी राहुल के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था। उत्तेजना से तो उसका चेहरा लाल टमाटर की तरह हो गया
था पें ट में तंबू एेसा उभरा हुआ था कि मानो अभी फट के बाहर आ जाएगा। उसने कभी सपने में भी नहीं
सोचा था कि उसे ऐसा सुनहरा मौका मिलेगा। वह मन ही मन सोच रहा था कि आज तो जैसे किस्मत का
ताला ही खल
ु गया हो। और खश
ु भी क्यों ना हो जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही तीन-तीन महिलाओं
का नग्न शरीर और ऊपर से भाभी के बदन को खद
ु नंगा करने का अवसर मिल रहा था । इसलिए तो वह
अपने आप को खश
ु नसीब समझ रहा था। यह तो राहुल था कि अभी तक संभाला हुआ था उसकी जगह कोई
और होता तो ऐसी विशालकाय भरपरू जवानी और कयामत से भरी गांड को दे ख कर पानी छोड़ दिया होता।
परू े घर में विनीत की भाभी और राहुल को छोड़कर कोई नहीं था। दिनेश को तो पहले से ही उसने किसी
काम से भेज दि थी जहां से वह 2. 4 घंटे के पहले आने वाला नहीं था । तभी तो विनीत की भाभी भी
निश्चिंत और बेसब्र हो कर लेटी हुई थी। राहुल का दिल जोरो से धड़क रहा था। आगे क्या करना है उसे पता
था लेकिन डर भी लग रहा था। विनीत की भाभी की गदराई हुई गांड मरुन रं ग की चड्ढी मे और भी ज्यादा
कसी हुई लग रही थी। राहुल ने फिर से अपने कांपते हाथों की ऊंगलियो से चड्ढी के दोनो छोर को पकड़
लिया और जैसे ही नीचे सरकाने को हुआ विनीत की भाभी ने तुरंत अपनी गांड को ऊपर की तरफ उचका दी
जैसे कि वह इस पल का इंतजार ही कर रही थी। राहुल ने भी तुरंत धीरे धीरे कर के वीनीत की भाभी की
चड्डी को नीचे सरकाने लगा मरून रं ग की चड्डी जैसे जैसे वीनीत की भाभी की विशालकाय गांड पर से
नीचे सरकती गई वैसे वैसे गौरी चिकनी दधि
ू या गांड उजागर होती चली गई। मखमली गोरी चिकनी गांड
को दे खकर राहुल आश्चर्यचकित हो गया। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस गांड को दरू से
दे ख कर रात भर मठ
ु मारा था उसी गैंड को इतनी नजदीक से दे खेगा और खद
ु ही नंगी करे गा यह सब उसे
एक सपना सा लग रहा था। वीनीत की भाभी की गांड इतनी मादक और मांसल थी कि जरा सा भी वह
कसमसाती तो उसकी गांड में थिरकन पैदा हो जाती थी
गांड की गोलाई उसके लंड की लंबाई को बढ़ा रही थी पंखे की हवा के बावजद
ु भी 
राहुल एकदम पसीने से तरबतर हो गया था। राहुल अपने अंदर की उत्तेजना पर काबू नहीं कर पाया और
उसने अपने दोनों हथेलियों को विनीत की भाभी की संपूर्णता नग्न गांड पर रख दिया और जैसे ही उसने
अपनी हथेली को नंगी गांड पर रखा वैसे ही गांड की नरमाई ओर गुदाज पन को महसूस करते ही उसका
पूरा बदन गदगद हो गया। उसके मुख से अपने आप गर्म सिसकारी निकल गई वह मन में ही बोला
वाहहहहह इतनी नरम और मुलायम गांड मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है की गांड इतनी मुलायम ओर
नरम एकदम रूई की तरह होती है । राहुल की आंखों में अजब सा नशा छाने लगा था। वह अपनी हथेली को
उसकी गांड पर सात आंठ सेकंड तक ही रख पाया था कि विनीत की भाभी कसमसाते हुए बोली ।।

राहुल पहले मेरी पैंटी को पूरी तरह से उतार लो तब अच्छे से मालिश करना। ( राहुल की नजर जांघो में
फंसी पैंटी पर गई तब उसे ख्याल आया कि उसने पें टी को पूरी तरह से उतारना भूल गया और फिर पैंटी को
पकड़कर धीरे -धीरे करके चिकनी टांगो से होती हुए उसने पैंटी को टांगो से बाहर निकाल दिया। अब वीनीत
की भाभी कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी थी। पैंटी को टांगो से अलग होते ही विनीत की भाभी बोली।)

हाँ अब ठीक है ..... अब तम


ु अच्छे से मेरी मालिश कर सकते हो। ( इतना कहते ही वीनीत की भाभी
इत्मािनान. से तकिए पर सिर रखकर आंखों को मंद
ु ली। और राहुल ने क्रीम निकाल कर अपनी उं गली पर
लगाया और उं गली से उसकी गांड पर चप
ु ड़ते हुए मालीस करने लगा मांसल और नरम नरम गांड पर राहुल
की हथेली फिसलते ही राहुल के बदन में गद
ु गद
ु ी होने लगी उसका गला सख
ू ने लगा वह हल्के हल्के से गांड
की मालिश किए जा रहा था और अपनी किस्मत को धन्यवाद दिए जा रहा था। गांड का लाजवाब उभार
तो पहले से ही उसे दीवाना बनाए हुए था लेकिन गांड की फांक तो उसे पागल ही किए जा रही थी । वह बार-
बार मालिश करते हुए दोनों अंगुठों को गांड के फांक की लकीर में रगड़ते हुए आ रहा था जिससे राहुल को
तो मजा आ ही रहा था लेकीराहुल की ईस हरकत से विनीत की भाभी पर जेसे बिजली गिर रही हो।वीनीत
की भाभी भी उत्तेजित हो गई थी । उसका बदन रह रह को अपनी उत्तेजित अवस्था को दबाने के लिए
कसमसा रहा था। एक अजीब से सुख का अहसास विनीत की भाभी के बदन मे फैलता जा रहा था। राहुल
की उं गलियों का जाद ू उसके बदन में उन्माद भरते जा रहे थे वासना की लहर उसके बदन मे हिलोरे ले रहा
था
राहुल भी वासनामई दनि
ु या में पूरी तरह से प्रवेश कर चुका था। पलंग से नीचे खड़े होकर राहुल विनीत की
भाभी की मालिश कर रहा था उसकी हथेली अब बेझिझक उसकी गांड पर घूम रहीे थी लेकीन अभी भी जब
वह अपनी उं गलियों को गांड़ की फांक की गहराई में डुबोता तो घबरा जाता । उसकी हसरत जिस चीज को
छूने और दे खने को थी उसकी ईस हसरत काे वीनीत की भाभी अच्छी तरह से समझ रही थी। वह औरत के
उसी अंग को अपनी उं गलियों से टटोलना चाह रहा था जिसे दे खने की छूने की उसमें समा जाने की हसरत
हर मर्द में होती है । इसलिए तो विनीत वहां डर डर के उसी स्थान पर अपनी उं गलियों का स्पर्श करा दे रहा
था लेकिन विनीत की भाभी के गांड का उभार इतना ज्यादा था की गांड के फांर्कों के बीच की गहराई तक
उसकी उं गली पहुंच ही नहीं पाती थी । जहां तक उसकी उं गली पहुंच पाती थी वहां से उस गल
ु ाबी द्वार का
छें द बस दो तीन अंगल
ु ही रह जाता।। लेकिन जैसे ही राहुल की ऊंगलिया उसकी गुलाबी छें द के इर्द गिर्द
गश्त लगाती वैसे ही तुरंत विनीत की भाभी के बदन में जैसे शुईयां सी चुभ रही हो वह एकदम से चुदवासी
हो कर लंड के लिए तड़प उठती उसकी गुलाबी बुर से नमकीन पानी की बूंदे टपक पड़ती उसकी बुर फूलने
पिचकने लगती
राहुल की जादईु अंगलि
ु यां वीनीत की भाभी का बुरा हाल कर रही थी।

विनीत की भाभी हर पल एक नई सुख के एहसास में मस्त हुए जा रही थी। आज बहुत दिनों बाद राहुल के
छूने मात्र से ही इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी। विनीत की भाभी के लिए भी यह पल अविस्मरणीय था
राहुल ऐसा लगने लगा था कि हर पल अनुभवी होता जा रहा है उसकी हाथों की उं गलियां अपना कमाल
दिखा रही थी संपूर्ण गांड पर फिरते हुए राहुल की उं गलियां गश्त लगाते हुए जांघों के अंदरुनी भाग से होते
हुए बुर के उपसे हुए भाग को छूकर गुजर जाती थी। यह पल विनीत की भाभी और राहुल के लिए इतना
नाजुक और उन्माद पर भरा होता था कि जैसे ही राहुल की उं गलियां बुर के ऊपर से हुए भाग को छू कर
गुजरती थी वैसे ही तुरंत उत्तेजना से भर कर विनीत की भाभी की बुर से और राहुल के टनटनाए हुए लंड से
कामरस की बूंदे टपक पड़ती थी। रह-रहकर विनीत की भाभी के मुख से गरम सिसकारी छूट पड़ती थी।
विनीत की भाभी अपने हाल से इतनी लाचार हो चुकी थी कि अपनी उत्तेजना खुद से छुपाए नहीं छुपा पा
रही थी बार-बार उत्तेजना बस उसका बदन कसमसा जा रहा था । 
अभी तक राहुल कि सिर्फ मंगोलिया ही उस गल
ु ाबी रं ग की जन्नत के द्वार को स्पर्श कर पाई थी लेकिन
आंखों से दीदार नहीं हो पाया था। इस बात को वीनीत की भाभी भी अच्छी तरह से जानती थी उसके मन में
भी यही था कि राहुल जिस ने अब तक भरावदार गांड दे खकर ही इतना गरमा गया है अगर वह उस की
रसीली बरु दे खेगा तो क्या हाल होगा उसका। विनीत की भाभी अपने भरावदार और उभरी हुई गांड के
भग
ू ोल से परू ी तरह से वाकिफ थी वह जानती थी कि उसकी गांड कीे गहराई इतनी ज्यादा ठीक की बरु का
दीदार करना लगभग नामम
ु किन था। 
राहुल बहुत अच्छी तरह से कमर से लेकर के गांड और जाँघो की मालिश कर रहा था। इस मालीस से
विनीत की भाभी का कामज्वर और ज्यादा बढ़ गया था। उसकी बुर चुदवासी होकर के पानी बहा रही थी। 
माहौल पूरी तरह से गरमा चुका था राहुल का बदन पसीने से तरबतर होता हुआ उन्माद के सागर में बहा
चला जा रहा था। राहुल का लंड पें ट में गदर मचाए हुए था ऐसा लग रहा था कि पैंट फाड़कर बाहर चला
आएगा गांड की मालीस करते करते राहुल की भी हिम्मत बढ़ती जा रही थी वह अपनी दोनों हथेलियों में
जितना हो सकता था उतनी गद
ु ाज गांड को भर कर मसल दे ता और राहुल के ईस हरकत पर विनीत की
भाभी की आह निकल जाती थी। थोड़ी दे र मालिश करने के बाद राहुल ने फिर से गांड को हथेलियों में
भरकर जोर से मसल दिया इस बार भी विनीत की भाभी के मंह
ु से आह निकल गई और वह बोली।

क्या करते हो राहुल? 

कककककक....कुछ नही भाभी ........ ( राहुल हड़बड़ाते हुए बोला। वीनीत की भाभी की यह बात सुनकर
राहुल घबरा सा गया था वीनीत की भाभी ने राहुल को टोकी जरूर थी लेकिन अंदर से वह यही चाहती थी
कि राहुल जोर-जोर से उसकी गांड को मसले क्योंकि गांड मसलवाने में उसे अपार आनंद की अनुभति
ू हो
रही थी जिसको वह शब्दों में नहीं बल्कि ट सिषकारियों में बयाँ कर रही थी। लेकिन विनीत की भाभी के
टोकने पर राहुल अब हल्के हल्के मालिश कर रहा था जिससे वीनीत की भाभी को मजा नहीं आ रहा था एक
तरह से राहुल को टोकने पर अंदर ही अंदर पछता रही थी। राहुल अब छुट छाट लेने में शर्म के साथ-साथ
घबरा भी रहा था जोकि विनीत की भाभी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था वह फिर से चाहती थी कि
राहुल उसके बदन से थोड़ी छूट छाट ले इसलिए उसने अपने बदन का ही सहारा ली ताकी राहुल फीर से
उत्तेजित होकर उसके बदन से छूठ छाट लेने लगे इसलिए वह कसमसाते हुए बोली.....

राहुल थोड़ा सा अंदर की तरफ भी मालीस कर दे उधर भी बहुत दर्द कर रहा है ( इतना कहने के साथ ही
उसने अपनी मांसल जांघो को थोड़ा सा फैला दी... और जांघो को फेलते ही राहुल को वह नजर आया
जिसकी तमन्ना लिए वह कब से मालिश किए जा रहा था। राहुल थक
ू निगलते हुए जांघो के बीच के उस
जन्नत के द्वार को दे खने लगा गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियां हल्की सी बाहर की तरफ निकली हुई थी
और बुर पर बाल के नामो निशान नही थे । एकदम चिकनी बुर वह भी उत्तेजना के कारण उपसी हुई। गांड
की तरफ से ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन फिर भी राहुल के लिए इतना काफी था यह नजारा दे खते
ही उसके लंड का तनाव दग
ु ुना बढ़ गया था। रह-रहकर उसके लंड के काम रस की बूंदे टपक रही थी जिसके
कारण पें ट के आगे का भाग गीला हो चुका था। राहुल की हालत संभाले नहीं संभल रही थी। विनीत की
भाभी रह रहकर अपनी तिरछी नजर से राहुल की हालत दे ख कर मन ही मन खश
ु हो रही थी लेकिन जैसे ही
उसकी नजर उसकी पें ट में बने लंबे तंबू पर पड़ी तो तुरंत ही उसकी बुर चुदवासी होकर फूलने पिचकने
लगी। आंखों से ही पें ट में बने तंबू का साइज नाप ले रही थी उसकी लंबाई और मोटाई की कल्पना करते ही
उसके मुख से गरम सिसकारी छुट पड़ी। वह मन हीं मन मे बोली.......

वाहहहहहह... गजब का लंड होगा इसका अगर पें ट में इतना भयानक लग रहा है तो जब पें ट के बाहर
आएगा तो कितना मजेदार लगेगा इसकि मोटाई ईसकी लंबाई उफफ्फ ... जब यह मेरी बुर में जाएगा तो
मेरी बरु का सारा रस निचोड़ डालेगा। 

अब विनीत की भाभी की प्यास और ज्यादा बढ़ने लगी थी अपने बदन की गर्मी उससे सही नहीं जा रही थी
उसको तो इंतजार था कि कब राहुल का मोटा लंड उसकी बुर में जाकर उसकी बुर की खुजली मिटाए। 
राहुल जी मंत्रमुग्ध होकर जांघो के बीच के उस हसीन द्वार को दे खे जा रहा था और बार-बार एक हाथ से
अपने टनटनाए लंड को पें ट में एडजस्ट किए जा रहा था। 
वीनीत की भाभी समझ गई थी कि राहुल उसकी बुर दे खकर पगला सा गया है .. और वह अब पूरी तरह से
उसके बस में था वह उससे चाहे जो करवा सकती थी इसलिए उसकी प्रसन्नता का कोई ठिकाना ना था।
राहुल अब पूरी तरह से विनीत की भाभी की मुट्ठी में था।
तभी वीनीत की भाभी ने राहुल के उत्तेजना को बढ़ाते हुए हल्के से अपनी भरावदार गांड को उचकाई ओर
पुन उसी स्थिति में अपनी गांड को लाते हुए बोली।

राहुल करना रे मेरी मालिस बहुत दर्द कर रहा है वहां पर

हाँ हां करता हुँ भाभी.. ( इतना कहने के साथ ही राहुल ने वापस जांघो पर अपनी हथेली रखकर मालिश
करते हुए अपनी उं गलियों को जांघों के बीच सरकाने लगा जैसे-जैसे राहुल की उं गलियां जांगो के अंदरूनी
भागों पर पिसल रही थी वैसे वैसे राहुल के साथ-साथ विनीत की भाभी का भी उन्माद और उत्तेजना बढ़ते
जा रहा था वह रह रहकर कसमसा रही थी। राहुल का गला सर्ख
ु हो चला था। मालिश करते करते उसकी
उं गलियां बरु के मख
ु द्वार से बस दो अंगल
ु ही दरू रह जाती थी राहुल का मन बहुत करता था कि वह अपने
उं गलियों का स्पर्श बरु के मख
ु द्वार पर कराए लेकिन उसकी हिम्मत नहीं होती थी। वह बार बार हिम्मत
करके अपनी उं गलियों को सरकाता हुआ गुलाबी बुर की तरफ बढ़ता लेकिन बुर के उपसे हुए हिस्से पर ही
उं गलियों को रगड़ता हुआ ऊपर की तरफ आ जाता । लेकिन इतने मात्र से ही राहुल का पूरा बदन अजीब से
सुख की अनुभूति से गनगना जाता । विनीत की भाभी का भी यही हाल होता
जैसे ही उसकी उं गली बुर के उपसे हुए भाग को रगड़ते हुए बढ़ती उसकी तो मानो जेसे सांसे ही अटक जाती
थी। पूरे बदन पर जैसे चींटिया रें ग रही हो ना सहा जा रहा था और ना ही कहा जा रहा था। 
आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी । एक तरफ राहुल था जो अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख
रहा था जिसके लिए सब कुछ नया नया था सब कुछ धीरे -धीरे सीख रहा था उसका कंु वारापन जवानी की
सागर में हिलोरे ले रहा था जिस पर सवार होने के लिए विनीत की भाभी मचल रही थी। 
दस
ू री तरफ विनीत की भाभी जो अनुभव से भरी हुई थी
जिसके अंग अंग से काम रस टपक रहा था जिसने अपने कामुक अंगों का प्रदर्शन राहुल के सामने करके
उसे अपना दीवाना बना ली थी अपनी भरावदार गांड और रसीली बुर के दर्शन करवा कर राहुल को पूरी तरह
से अपने कब्जे में कर ली थी। राहुल के कंु वारे पन को लूटने का सारा दावपें च आजमा रही थी जिसमें उसे
पर्ण
ू रूप से सफलता भी मिलती दिखाई दे रही थी।

राहुल अपनी निगाह उस गल ु ाबी द्वार पर टिकाए हुए ही जांघो की मालिश कर रहा था। उसका मन बार बार
फुदक रहा था उस गल
ु ाबी द्वार को स्पर्श करने के लिए। और इस बार उसने मन में हिम्मत जट
ु ाकर अपनी
उं गलियों को जांघो पर धीरे -धीरे रें गाते हुए आगे बढ़ने लगा अपने कांपते हाथों की उं गली को उसने मालिश
करते हुए हल्के से बहुत ही तीव्र गति से बरु की गल
ु ाबी पत्ती को स्पर्श कराते हुए आगे की तरफ बढ़ गया।
बस इतने स्पर्श मात्र से ही राहुल का लंड अकड़ सा गया। उसके बदन में झन
ु झन
ु ी सी छा गई। इस बार फिर
से उसके लंड ने काम रस की बुंद को टपका दिया। राहुल को इस पल हस्तमैथुन से भी ज्यादा आनंद मिल
रहा था। जैसे ही राहुल की उं गलियां विनीत की भाभी के बुर की गुलाबी पत्ती को स्पर्श की वीनीत की भाभी
एकदम से गनगना गई उसका बदन हिचकोले खाने लगा उसने उसी पल अपनी भरावदार गांड को आगे
पीछे करते हुए कसमसाई उसकी बुर तवे पर जेसे रोटी फूलती है उसी तरह से उत्तेजना के मारे रोटी की
तरह फूल गई। 
राहुल को अपनी ईस हरकत पर आनंद तो बहुत आया लेकिन वो अंदर ही अंदर घबरा भी रहा था कि भाभी
कुछ बोल ना दे इसलिए वह जाँघो के अंदरुनी भाग पर मालिश करने लगा जैसे की कुछ हुआ ही ना हो। 
विनीत की भाभी को तो बुरा हाल हो रहा था वासना पूरी तरह से उसके ऊपर हावी हो चुकी थी सही गलत का
फैसला करना उसकी बस में बिल्कुल नहीं था वह अपने हालात के आगे घुटने टे क दी थी।। वह मन ही मन
सोच भी रही थी कि अगर राहुल की जगह कोई और लड़का होता तो न जाने कब से इतने में ही उसकी
जमकर चुदाई कर दिया होता है लेकीन राहुल इतना नादान था की अपने आप से इससे ज्यादा ब़ढ़ ही नहीं
रहा था। वह अब समझ चुकी थी कि जो भी करना है उसे खुद ही करना है । इसलिए विनीत की भाभी ने कुछ
ऐसा करीें कि जिसे दे खकर राहुल का पूरा वजद
ू हिल गया। वीनीत की भाभी पेट के बल लेटी हुई थी कि
तभी अचानक उसने एकाएक करवट बदली और सीधे पीठ के बल हो गई।

विनीत की भाभी ऐसा कुछ करे गी इसका अंदाजा राहुल को बिल्कुल भी नहीं था। जो नजारा उसकी आंखों
के सामने पेश हुआ उसे दे खते ही राहुल की आंखें चौंधिया सी गई ... उसका दिमाग काम करना बंद कर
दिया। 
पीछे से दे खने पर जितनी खब
ू सरू त लग रही थी उससे भी कहीं ज्यादा खब
ू सरू त और रसीली थी वीनीत की
भाभी की बरु . इसका पता आगे से ही दे खने पर राहुल को हुअा था। बरु ईतनी ज्यादा खब
ू सरू त होती है अब
पता चल रहा था। एकदम चिकनी ऐसा लग रहा था कि आज ही क्रीम लगा कर साफ की हो । दरू की गल
ु ाबी
पत्तियों पर हल्की हल्की बंद
ू े नजर आ रही थी मानो की गल
ु ाब के फूल पर ओस की बंद
ू े गिरी हो और
उन्माद उत्तेजना के कारण ईतनी ज्यादा फुली हुई थी की मानो तवे पर कोई रोटी गरम हो कर फूल गई हो।
राहुल तो मंत्रमुग्ध होकर बुर को ही निहारे जा रहा था । उसे अब क्या करना था इस बारे में बिल्कुल भूल
चुका था वह तो बुर की मोहकता में मोह गया था। विनीत की भाभी अपने चेहरे पर कामक
ु मुस्कान
बिखेरते हुए बड़े गोर से राहुल के मासम
ु चेहरे को दे ख रही थी। राहुल की हालत दे ख कर वीऩीत की भाभी
को बहुत ही आनंद हो रहा था। उसकी नजर कभी राहुल के चेहरे पर तो कभी राहुल के पें ट में बने तंबू पर जा
रही थी। 
तभी विनीत की भाभी ने कुछ ऐसी हरकत कर दी थी जिसे दे ख कर राहुल की सांसे थम सी गई उसे ऐसा
लगने लगा कि जैसे किसी ने उसे जकड़ लिया हो। राहुल कर भी क्या सकता था वह नजारा ही कुछ इस
तरह का था कि राहुल की जगह कोई भी होता उसकी भी यही हालत होती। विनीत की भाभी ने जानबझ
ू कर
राहुल को दिखाते हुए हथेली के बीच वाली उं गली को अपनी बुर के बीचोबीच गुलाबी पत्तियों के बीच में
रखकर उं गली को रगड़ते हुए आगे पीछे करते हुए कामुक अंदाज में बोली।

क्या दे ख रहे हो राहुल कभी किसी की दे खे नहीं हो क्या? ( ऐसा कह कर भी अपनी उं गली को बराबर बुर के
बीचो बीच रगड़ती रही। ईस नजारे को दे खते ही राहुल एकदम से गरमा गया था। पें ट के अंदर ही राहुल के
लंड ने ठुनकि मारते हुए ठं डी आह भरी और काम रस की बूंद को फिर से टपका दिया। पें ट के अंदर का
तनाव बढ़ता ही जा रहा था इस नजारे को दे खकर तो राहुल के बदन मे जेसे वासना की आग और ज्यादा
भड़क गई हो । उत्तेजना में उसका चेहरा और ज्यादा तमतमा गया था। वह वीनीत की भाभी के सवाल का
जवाब दिए बिना ही ललचाई आंखों से उसकी बुर को घुरता रहा ... राहुल की हालत को दे खकर वीनीत की
भाभी के मन का पंछी उड़ने लगा था वह अभी भी मंद मंद मुस्कुरा रही थी अपने सवाल का जवाब ना पाकर
उसने फिर से इस बार बुर पर रगड़ रही अपनी बीच वाली उं गली को हल्के से बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच
के छें द मे सरका दी और जैसे ही उसकी आधी ऊंगली बुर में समाई उसने उत्तेजना वश अपने निचले होंठ
को दात से दबा ली और कामक
ु अंदाज में बोली।)

क्या हुआ राहुल तम्


ु हारी हालत क्यों खराब हो रही है क्या तम्
ु हें अच्छा नहीं लग रहा है यह सब।..... छूना
चाहोगे ईसे ....

( अब राहुल क्या कहता था तो खुद अचंभित उन्माद और उत्तेजना के सागर में डूबने लगा था उसे तो कुछ
सुझ ही नहीं रहा था वीनीत की भाभी का यह अंदाज उसके वजद
ू को हिला कर रख दिया था उसने जिस
तरह से अपनी उं गली को बुर में सरकाई थी उसे दे खते ही उसके लंड में सुरसुरी सी फैल गई थी। राहुल के
पास कोई भी जवाब नहीं था और ना ही जवाब दे ने की हालत में था। राहुल की हालत को दे खकर वीनीत की
भाभी समझ गई थी कि जो भी करना है अब उसे ही करना था क्योंकि राहुल आगे से कुछ भी नहीं कर
सकता था उसके में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह आगे बढ़ सके। इसलिए राहुल को खामोश दे खकर वो
फिर से बोली।)
क्या हुआ राहुल खामोश क्यों हो क्या तम्
ु हें मेरी यह चीज (उं गली से इशारा करते हुए) पसंद नहीं आई क्या
इस से भी खब
ू सरू त कहीं दे ख चक
ु े हो... बोलो ..।खामोश क्यंू हो? 

राहुल क्या कहता उसकी हालत ऐसी हो गई थी जैसे कि उसे सांप सूंघ गया हो वह कभी विनीत की भाभी
की तरफ दे खता तो कभी उस की रसीली बुर को निहार लेता। उसकी हालत दे ख कर वीनीत की भाभी फिर
से बोली। 

बोलो राहुल इस से भी खूबसूरत क्या दे ख चुके हो तुम?

( राहुल कुछ बोला नहीं बस ना में सिर हिला दिया) 

तो बताओ कैसी लगी मेरी बुर .. अच्छी लगी ना। 

( वीनीत की भाभी के मुख से बुर शब्द सुनकर ही वह एकदम गदगद हो गया उसके लंड में खून का दौरा
दग
ु नी तेजी से होने लगा .. राहुल पहली बार किसी औरत के मुंह से इतनी गंदी बात सुन रहा था। मुझसे
यकीन ही नहीं हो रहा था कि कोई और है अपने अंगो के बारे में इतना खुल कर बोल सकती है ।
आश्चर्यचकित होकर आंख फाड़े विनीत की भाभी को दे खने लगा । वीनीत की भाभी को उसका
आश्चर्यचकित होने का कारण मालूम था इसलिए वह उसको और उकसाते हुए बोली।)

बोलो ना राहुल कैसी लगी मेरी रसीली फूली हुई बुर ...

( एक बार फिर से उसके मंह


ु से बरू शब्द सन
ु कर राहुल से रहा नहीं गया उसकी उत्तेजना बढ़ते ही जा रही
थी इसलिए वीवश होकर वह बोला।)

हां भाभी मुझे आपकी बहुत अच्छी लगी बहुत खूबसूरत है ।

(हं सते हुए )क्या खूबसूरत है यह तो बताओ शरमाओ मत... बोल दो जो बोलना है डरो मत मैं तुम्हें कुछ
नहीं कहूंगी( इतना कहते हुए उसने फिर से अपनी हथेली को अपनीे बुर पर रख कर मसल दी। यह सब
राहुल को उकसाने के लिए और उसका होसला बढ़ाने के लिए ही था। उसकी बातों से राहुल का हौसला जरूर
बढ़ गया था इसलिए वह हिम्मत जुटाते हुए बोला।)

आपकी बुर मुझे बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लगती हैं। 


( राहुल हिम्मत उठाकर उसके सामने बोल ही दिया)

छुना चाहोगे मेरी बरु को (अपनी बरु को मसलते हुए बोली)

( राहुल भला कब मना करने वाला था वह तो तड़प रहा था उसे छूने के लिए मसलने के लिए बस थोड़ा सा
घबरा रहा था उस घबराहट को भी विनीत की भाभी अपनी बातों से दरू करने लगी थी इसीलिए वह हामी में
सर हिला दिया। ) 

तो लो छुओ मेरी बुर को ईस पर अपनी ऊंगलिया फिराओ ( इतना कहने के साथ ही उसने अपनी गांड को
ऊपर की तरफ उचका दी ) लो महसूस करो इसकी गर्माहट को। 

( विनीत की भाभी के इस अंदाज पर तो अच्छे अच्छों का पानी निकल जाए लेकिन ना जाने राहुल कैसे
बचा हुआ था वैसे तो इस अंदाज पर राहुल के लंड में भी झन
ु झन
ु ी सी फेल गई थी। वीनीत की भाभी की
नजर बार बार राहुल के पें ट में बने तंबू पर ही चली जा रही थी जब भी लंड में थोड़ी सी भी हलचल होती तो
उसके ऊपसे हुए भाग पर उस की हलचल साफ दिखाई पड़ती थी। बरु को छूने वाली बात पर राहुल का बदन
अजीब से सख
ु की अनभ
ु ति
ू के एहसास से ही कांप गया था। उसके बदन में भी कंपकंपी सी फैलने लगी थी।
वह अपने कांपते हुए हाथ को बरु की तरफ बढ़ाया लेकिन बरु को स्पर्श करने से घबरा रहा था। विनीत की
भाभी उसकी घबराहट को भाप गई और बोली।

डरो मत राहुल यह तो वह द्वार है जिसमें प्रवेश करने के लिए दनि


ु या का हर मर्द तरसता और तड़पता है ..
इसे छू कर दे खो इसका हसीन एहसास तुम्हारी उं गलियों से सीधे तुम्हारे बदन तक पहुंच जाएगा जो तुम्हें
एक अजीब सी दनि
ु या में लेकर जाएगा। डरो मत राहुल छू कर के दे खो इसे सहला कर दे खो...

विनीत की भाभी की बातों को सुनकर राहुल को थोड़ी हिम्मत हुई और उसने फिर से अपने हाथ को वीनीत
की भाभी के बुक के नजदीक ले जाने लगा हांलाकि उसका हाथ अभजैसे ही उसकी उं गलियां तपती हुई बुर
के नजदीक पहुंची तो बुर की गर्माहट उसे अपनी उं गली पर महसूस होने लगी। जेसे जेसे राहुल की
ऊंगलिया बुर के नजदीक पहुंच रही थी वेसे वेसे उत्तेजना के कारण वीनीत की भाभी की बुर सिकुड़ रही
थी,फुल रही थी पिचक रही थी। राहुल की ऊंगलियो का स्पर्श अपनी बुर पर करवाने के लिए कसमसा रही
थी। 
जैसे ही राहुल ने अपनी उं गली से तपती हुई बरू को छुआ उसके गर्म एहसास से उसका परू ा बदन कंपकपा
गया राहुल ने अपनी उं गली से बरु की गल
ु ाबी पत्तियों को हल्के से छुआ था राहुल के साथ साथ विनीत की
भाभी एकदम से जोश में आ गई उसे कुछ भी नहीं सझ
ु ा अपनी बरु पर राहुल की उं गलियेां का स्पर्श पाकर
वह एकदम से गनगना गई थी। अब वह इस पल को इस मौके को गंवाना नहीं चाहती थी' इसलिए उसने
तुरंत अपनी हथेली को झट से राहुल की हथेली पर रखकर कसकर अपनी बुर पर दबा ली और जैसे ही राहुल
की हथेली को अपनी बरु पर दबाई वैसे ही वीनीत की भाभी सिसक उठी साथ ही साथ तपती हुई बरु की
गरमी को अपनी हथेली पर महसस
ू करके राहुल का बदन गनगना गया और उसक मँह
ु से गरम सिसकारी
फूट पड़ी।

ओहहहहहह......भाभी.... ( इतना कहने के साथ ही राहुल की आंखें मस्ती में अपने आप ही मूंद गई और
उत्तेजना के कारण राहुल ने विनीत की भाभी की रसीली बूर को अपनी हथेली में दबोचते हुए बोला)
भाभी...भाभी ..... मुझे कुछ हो रहा है ऐसा लग रहा है मैं हवा में उड़ रहा हूं..... मुझे संभालो.... मुझे
संभालो भाभी....
( वीनीत की भाभी खुद मस्ती के सागर में गोते लगाने लगी थी। उसकी भी आंखें मुंद गई थी.. राहुल की
हथेली को अपनी हथेली में दबोच कर अपनी दरू पर गोल-गोल घुमाते हुए अपनी बुर को मसलवाते हुए
बोली)

आआहहहहहह..... राहुल .... कुछ नहीं हो रहा है तझ ु े बस मजा आ रहा है मजा आ रहा है ..।बस मजा ले
खोजा इस मस्ती के सागर में ,डूब जा मेरी बुर की गहराई में ..राहुल....( विनीत की भाभी बदहवास हो
चुकी थी उसकी आंखों में मदहोशी छाने लगी थी उसने अपनी बुर पर अपने ही हाथ से राहुल की हथेली को
रगड़ते हुए एक हाथ से राहुल का हाँथ पकड़ के अपनी तरफ खींची ' राहुल को कुछ समझ में नहीं आया और
वह कुछ समझ पाता इससे पहले ही विनीत की भाभी ने राहुल के पें ट मे बने तंबु को पें ट के ऊपर से ही
अपनी हथेली में दबोच ली' वीनीत की भाभी की इस हरकत पे राहुल एकदम से शकपका गया। वीनीत की
भाभी पैंट के ऊपर से ही लंड की लंबाई और मोटाई नाप रही थी लंड को पें ट के ऊपर से ही कस कस के दबा
रही थी जिससे राहुल को भी आनंद का अनभ
ु व हो रहा था। राहुल की तो पांचों उं गलिया घी मे डुबी हुई थी।

एक हाथ से वीनीत की भाभी उसके लंड को पें ट के ऊपर से ही मसल रही थी तो दस


ू रे हाथ से राहुल की
हथेली से अपनी गरम बुर को मसलवा रही थी। दोनों कामातूर हो चुके थे विनीत की भाभी तो आहें भर-भर
की अपनी बुर मसलवा भी रही थी और राहुल के लंड को मसल भी रही थी। दोनों को बहुत मजा आ रहा था
राहुल तो मस्ती में अपनी आंखें बंद कर लेता था जब विनीत की भाभी उसके लंड को अपनी हथेली में कस
के मसल दे ती थी' वीनीत की भाभी भी सिहर उठती थी जब राहुल कामातुर होकर उसकी रसीली बुर को
अपनी हथेली मे दबोच लेता था। विनीत की भाभी की खश
ु ी का कोई ठिकाना ना था तो मन में ही सोच रही
थी कि जब पैंट के अंदर इतना ज्यादा तगड़ा मोटा लंबा लग रहा है तो अगर बाहर आएगा तो कितना
भयानक दिखेगा इतना सोच कर ही वह मस्त हुए जा रहे थी। राहुल लंबी-लंबी सांसे भरने लगा था यह सब
रोकने की स्थिति में वह बिल्कुल भी नहीं था। बल्कि वह तो अपनी किस्मत पर खश
ु हो रहा था कि बिना
मांगे ही उसे सब कुछ मिल रहा था। 
वीनीत की भाभी से अब ज्यादा सहा नहीं जा रहा था उसने अपनी उं गलियों को पें ट के बटन पर रखकर
बटन को खोलने ही जा रही थी कि राहुल एकदम शर्मा कर अपना हाथ विनीत की भाभी के हाथ पर रख कर
उसे रोकना चाहा लेकिन तभी विनीत की भाभी ने अपनी आंख तैर्राते हुए राहुल की तरफ दे खी तो राहुल ने
अपनी हथेली को उसकी हथेली पर से हटा लिया। अगले ही पल पें ट की बटन को खोलकर पें ट की जीप को
खोलने लगी विनीत की भाभी की हरकत से राहुल के भजन में हलचल सी मच ने लगी उसका रोम रोम
झनझना गया' अगले ही पल विनीत की भाभी ने पें ट की जीप खोल कर पें ट को घट
ु नों को तक सरका दी ,
अंडर वियर में उसका तना हुआ तंबू और ज्यादा भयानक लग रहा था यह नजारा दे खकर विनीत की भाभी
से अपने आप को रोका नहीं गया और उसने अंडरवियर के ऊपर से ही लंड के आगे वाले भाग पर अपनी
जीभ फिराने लगी , राहुल के तो जेसे होश ही उड़ गए वो मन मे ही सोचने लगा ये क्या ... भाभी यह क्या
कर रही है ? उसे अजीब तो लग रहा था उसे रोकना भी चाह रहा था लेकिन रोके भी तो कैसे रोके मजा भी तो
आ रहा था। 
विनीत की भाभी जीभ से मजे ले लेकर अंडरवियर के ऊपर से हीं लंड के आगे वाले भाग का जो हिस्सा
गीला हो चुका था उसी को ही चाटे जा रही थी। उत्तेजना के कारण राहुल की आंखें बंद हो चुकी थी और
उसकी सांसे गहरि चल रही थी। वीनीत की भाभी ने राहुल की तरफ दे खी तो उसकी आंखें बंद थी वह समझ
गई कि राहुल को बहुत ज्यादा मजा आ रहा है इसलिए उसने राहुल की हथेली पर से अपनी हथेली को हटा
ली और
एक झटके में अंडरवियर को पकड़ कर नीचे सरका दी।
अंडरवियर के नीचे से सरकते ही राहुल झट से अपनी आंखों को खोल दिया आंखो को फाड़े विनीत की भाभी
की तरफ दे खने लगा। 
जैसे ही वीनीत की भाभी ने अंडर वियर को नीचे सरकाई थी सामने का नजारा दे ख कर उसकी आंखें फटी
की फटी रह गई थी उसने सपने में भी ऐसा लंड नहीं दे खी थी बस पोर्न मूवी में ही इस तरह के लंड को दे ख
दे ख कर अपनी बुर में उं गली करती रहती थी। इसकी लंबाई लगभग 9 इंच की रही होगी जो की हवा में
ऊपर नीचे लहरा रहा था लंड के गुलाबी सुपाड़े पर नजर पड़ते ही उसकी बुर पनिया गई थी इतना मोटा
सुपाड़ा शायद ही उसने दे खी हो उसकी बुर अंदर ही अंदर फूलने पिचकने लगी थी। उसकी मोटाई नापने के
लिए विनीत की भाभी ने लंड को अपनी हथेली मे लेकर कस ली... और लंड को अपने हथेली में कसते ही
उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी।

आहहहहहहह...राहुल.... कहां से लाया रे इतना मोटा लंड गजब का है रे तेरा.... ( इतना कहने के साथ ही
विनीत की भाभी ने लंड की तरफ अपना मँह ु बढ़ाई और दे खते ही दे खते लंड के सप
ु ाड़े को अपने मंह
ु में भर
ली ........ राहुल एकदम से गनगना गया जेसे की उसके शरीर में करं ट दौड़ गया हो। राहुल का गला
सूखने लगा उसका बदन अकड़ने लगा वह ऐसे तड़प उठा कि जैसे जल बिन मछली तड़पती हो। विनीत की
भाभी तो पहले से ही अनुभवी थी उसने तुरंत लंड के सुपाड़े पर अपनी जीभ फिराने लगी जिससे मारे
उत्तेजना के राहुल छटपटाने लगा और अपने पैर के पंजो पर खड़ा होके ऊपर उचकने लगा। 
लंड के सप
ु ाड़े को अपने मंह
ु में लेकर विनीत की भाभी को लंड की ताकत का अंदाजा लग गया था। किसी
का भी लंड मंह
ु में लेकर चस
ू ने में उसे इतना मंह
ु खोलना नहीं पड़ा था जितना कि राहुल का लंड मंह
ु में लेने
के लिए खोलना पड़ा था। वीऩत की भाभी राहुल के लंड को लोलीपोप की तरह चस
ू ने लगी थी। राहुल को तो
जन्नत का मजा मिल रहा था उसके आनंद की कोई सीमा नहीं थी आंखों को बंद करके लंड चस
ु वाने का
मजा ले रहा था। एक हाथ उसका अभी भी विनीत की भाभी की बरु पर ही था जिसे वह बार बार चद
ु वासा
होकर दबोच ले रहा था, राहुल जब भी हथेली से वीनीत की भाभी की रसीली बरु को दबोचता तो वीनीत की
भाभी भी कामातुर होकर राहुल के लंड को ओर भी अंदर मुंह मे भर लेती थी। 
दोनों को भरपुर मजा मिल रहा था' अनुभवी वीनीत की भाभी ने अपनी जीभ का कमाल पुरी तरह से कंु वारे
राहुल के लंड पर दीखा रही थी। एक तरह से राहुल के उपर दोनों तरफ से हमला हो रहा था एक तरफ से
उसकी बुर की गर्माहट हथेली से होती हुई उसके बदन को गनगना दे रही थी और दस ू री तरफ वीनीत की
भाभी राहुल के टनटनाए हुए लंड पर अपनी जीभ से कहर बरसा रही थी। 
राहुल अपना सुध बुध खो चुका था बस आनंद के सागर में डूबता चला जा रहा था वनीत की भाभी आज
पहे ली बार एेसे दमदार लंड का स्वाद चख रही थी वह रह रह कर लंड को पूरा अपने गले में उतार ले रही थी
जिससे उसकी सांसे भी रुं ध जाती थी। राहुल गहरी गहरी सांसे ले रहा था। उसकी हथेली वीनीत की भाभी के
बुर पर बराबर जमी हुई थी। बुर से रिस रहा नमकीन पानी की वजह से राहुल की हथेली पुरी तरह से गीली
हो चुकी थी। एक तो लंड की जबरजस्त चुसाई ओर. दस
ू रे बुर की मदहोश कर दे ने वाली गर्मी राहुल को
बेचैन कर रही थी उससे यह सब बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था इसलिए उसने अपनी बीच
वाली उं गली को बुर की फांकों पर रगड़ते हुए उं गली से ही गुलाबी छे द को टटोलकर उसमे अपनी उं गली को
प्रवेश करा दिया।
आहहहहहहह...( उसके मुंह से आनायस ही ये ऊदगार निकल गया।। वो भी क्या करता नया नया खिलाडी
था इसलिए पीच की नमी और उस की गर्मी को भांप नहीं पाया तभी तो बुर में उं गली डालते ही उसकी
सिसकारी छूट गई थी। बुर में उं गली के घुसते ही वीनीत की भाभी का भी यही हाल हुआ वह एकदम से
चुदवासी हो गई और तुरंत अपनी गांड को ऊपर की तरफ उचका दी। वीनीत की भाभी की हालत को दे ख
कर राहुल को लगा की शायद कुछ गलत कर दिया है वह अपनी उं गली को बुर से निकलने ही वाला था कि
राहुल का इरादा भापकर कर विनीत की भाभी ने तुरंत फिर से अपनी हथेली को राहुल की हथेली पर रखकर
दबा दी ओर राहुल की उं गली सड़सड़ाट बुर के अंदर समा गई।
ऊंगली के अंदर घस
ु ते ही राहुल का परू ा वजद
ू हचमचा आ गया। बरु अंदर से इतनी तेज तप रही थी कि उसे
ऐसा लगने लगा की कहीं उसकी उं गली गल ना जाए।
राहुल की उं गली आधे से भी ज्यादा बरु में समाई हुई थी और विनीत की भाभी अपनी हथेली का दबाव बढ़ा
कर उं गली को ओर अंदर करने की कोशिश कर रही थी।
राहुल की उत्तेजना चरम शिखर तक पहुंच चक
ु ी थी उसकी उं गली बरु में होने के बावजद
ू भी वह हथेली से
बुर को दबोच ले रहा था जिससे वीनीत की भाभी सिहर उठती थी। 
वीनीत की भाभी खब
ु आगे पीछे करके लंड की चस
ु ाई कर रही थी। राहुल का लंड एकदम लोहे की छड़ की
तरह हो गया था। लंड इतना ज्यादा टाइट था कि राहुल को हल्का-हल्का उसमें दर्द महसस
ू हो रहा था। 
विनीत की भाभी राहुल की हथेली पकड़कर उसकी उं गली को खद
ु ही अंदर बाहर करते हुए गरम सिसकारी
भरने लगी।

आहहहहहहहहह.....राहुल.....बड़ा मजा आ रहा है ....उममममममममम.....एसे ही करते रह रे ....


आहहहहहहह...( इतना कहते हुए वीनीत की भाभी ने अपने मुंह से लंड को बाहर निकालकर अपने हाथ से
मुट्ठीयाए जा रहे थी। वीनीत की भाभी की तड़प बढ़ने लगी थी उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। ) 

ओहह... राहुल अब यह प्यास उं गली से नहीं बुझने वाली। अब तो उं गली नहीं मेरी बुर में तेरा ( लंड को
हीलाते हुए) यह मोटा तगड़ा लंड डाल और चोद मुझे मेरी प्यास बुझा दे मेरी बुर की खुजली मिटा दे राहुल।

( विनीत की भाभी की यह बात सुनकर राहुल एकदम से सकपका गया और खुद को चोदने वाली बात से
एकदम से जोश में आ गया। और हकलाते हुए बोला)

ममममम...मै कककक....कैसै...भाभी... ! 

( वीनीत की भाभी लंड को मुठ्ठीयातेे हुए बोली।) 

अरे राहुल इसमें कौन सी कला दिखाना है बस जो काम तम ु उं गली से कर रहे हो( अपनी बुर की तरफ
इशारा करते हुए) बस यही काम तुम्हें इसके अंदर तुम्हारा लंड डालकर करना है । 

( वीनीत की भाभी की बात सुनकर राहुल एकदम पसीने पसीने हो गया था घबराहट और उत्तेजना के
कारण उसका बदन काँप रहा था। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि चद
ु ाई करने का शभ
ु अवसर
उसे इतने जल्दीे प्राप्त होगा। उसे यह तो मालम
ू था कि क्या करना है लेकिन यह नहीं पता था कि कैसे
करना है इसीलिए वहीं पर खड़ा ही रहा वीनीत की भाभी उसकी मनोदशा को अच्छी तरह से जानती थी
इसलिए वह खद
ु ही बोली।) 

अच्छा तू इधर आ मैं तझ


ु े बताती हूं कैसे करना है ( इतना कहने के साथ ही वह बिस्तर पर बेठते हुए अपने
ब्लाउज के बटन को खोलने लगी और अगले ही पल वह राहुल के सामने एकदम नंगी होकर बिस्तर पर
बैठी थी राहुल की नजर तो अब उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर ही टिकी हुई थी। अपनी चुचियों को घुरता हुआ
राहुल को पाकर वह बोली।
क्या दे ख रहे हो राहुल( अपनी चचि
ु यो को दोनों हाथों से थाम कर) मेरी चच
ू ी! इसका भी मजा दं ग
ू ी लेकिन
बाद में
( इतना कहने के साथ ही वह खिसक कर बिस्तर के किनारे आ गई और अपने दोनों पैरों को बिस्तर के
नीचे लटका कर अपनी दोनों जांघों को फैला दी.. जाँघों को फैलाते ही वीनीत की भाभी की गुलाबी बुर हल्के
से खुल गई जिस पर राहुल की नजर पड़ते ही...

जिस पर नजर पड़ते हैं राहुल के लंड नें आलस को मरोड़ते हुए हल्की सी ठुनकी लिया जिसे दे ख कर वीनीत
की भाभी बोली।

दे खो राहुल तम्
ु हारा लंड कितना तड़प रहा है मेरी बरु में समाने के लिए...(अपनी बरु को हथेली से मसलते
हुए) 
आजा राहुल दे र मत कर डाल दे अपना लंड..

राहुल के तो जेसे होश ही उड़े हुए थे वह धीरे -धीरे कदम बढ़ाते हुए विनीत की भाभी की तरफ बढ़ा जब वह
चहलकदमी कर रहा था तो उसका लंड बड़े ही भयानक तरीके से ऊपर नीचे ही रहा था जिसे दे खकर विनीत
की भाभी की बुर को फुदकने लगी थी। वह बहुत ही ज्यादा चुदवासी हो गई। राहुल के बदन पर अभी भी
कपड़े थे इसलिए वीनीत की भाभी बोली।

रुको राहुल पहले अपने कपड़े तो उतार लो जब तक तम


ु भी मेरी तरह पूरे कपड़े उतारकर नंगे नहीं हो
जाओगे तब तक चुदाई का पूरा मजा नहीं ले पाओगे।

( विनीत की भाभी की यह बात सुनकर राहुल शर्मा गया है क्योंकि उसने आज तक अपनी जानकारी में
किसी के सामने अपनो कपड़े नहीं उतारे थे। और यहां तो एक औरत के सामने कपड़े उतारकर नंगा होना
था इसलिए ज्यादा शर्म आ रही थी कोई और पल होता तो शायद राहुल अपने कपड़े नहीं उतारता लेकिन
यह पल ही इतना ज्यादा कामक
ु था ओर दिलीप की भाभी की आंखों में उसकी बातों में एक अजीब सा
आकर्षण और जाद ू सा था जिसमे राहुल का परू ा ध्यान खो सा गया था
इसीलिए वह वही करता था जो विनीत की भाभी कहती थी अगले ही पल वह भी अपने सारे कपड़े उतार कर
एकदम नंगा हो गया। 
अब कमरे में वासना का उन्मादक खेल शुरु होने वाला था विनीत की भाभी और राहुल दोनों ईस वक्त
कमरे मे एकदम नग्नावस्था मे थे। राहुल का टनटनाया हुआ हिलता डुलता लंड और भी भयानक लग रहा
था। विनीत की भाभी एक हाथ से अपनी खरबूजे जैसी चूची को मसल रही थी और दस
ू रे हाथ से अपनी बुर
की गुलाबी पंखुड़ियों को उं गली के सहारे रगड़ रही थी। जिसे दे ख कर राहुल के लंड की नशे उभर आई थी
राहुल धीरे -धीरे इसकी जानू के बीच जाकर खड़ा हो गया और ललचाई आंखों से विनीत की भाभी के परु े नंगे
बदन का अवलोकन करने लगा। राहुल की नजर बार-बार उसकी बड़ी बड़ी चचि ु याे पर ही जाकर टीक जा
रही थी। राहुल का मन बार-बार चचि
ू यों को दे खकर मचल जा रहा था वह उन चचि
ू यों को हाथों में भरना
चाहता था दबाना चाहता था हथेलियों में भर कर मसलना चाहता था। लेकिन वह जानता था कि अपने मन
से वह कुछ नहीं कर सकता क्योंकि उसके में इतनी हिम्मत ही नहीं थी ' विनीत की भाभी की आज्ञा के
बिना चचि
ु यों को हाथ लगा पाना राहुल के लिए बड़ा ही मश्कि
ु ल था। वैसे तो नामम
ु किन कुछ भी नहीं खाने
की राहुल के लिए जरूर नामुमकिन सा था। 
राहुल जिस नजारे को हमेशा सपने में दे खता था या कल्पना करके अपनी हस्तकला का उपयोग करता
था। 
उसकी यही कल्पना अब वास्तविकता का रूप धारण कर रहीे थी। उसके फड़फड़ा रहे कबत
ू र को उसका
घोसला मिलने वाला था। 
वीऩत की भाभी राहुल के लंड को दे खकर मस्त हुए जा रही थी उत्तेजना में आकर उसने अपने निचले होंठ
को दांतो तले दबा दी और एक हाथ से राहुल की लंड को पकड़कर आगे पीछे कर के हिलाने लगी। राहुल तो
उत्तेजना के उस शिखर तक पहुंच चुका था जहां से वापस लौटना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था। उसकी
गहरी सांसे उसके अंदर कितना उत्तेजना भरा हुआ है इस को बयां कर रही थी। वीनीत की भाभी भी सातवें
आसमान में विहर कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि नया और कंु वारा लंड ज्यादा दमदार और जोशीला
होता है । आज बरसो बाद फीर से उसकी रसीली बुर एक लंड का स्वाद चखने वाली थी। 

राहुल क्या इससे पहले भी तुमने कभी किसी लड़की या औरत को चोदा है ? ( वीनीत की भाभी राहुल के लंड
को मुठ्ठीयाते हुए बोली। राहुल ने तो इससे पहले इतनी नजदीक से किसी औरत को नंगी दे खा भी नहीं था
तो चाेदने की बात तो बहुत दरू रही 'आज पहली बार ही तो उसने इतने नजदीक से किसी औरत की रसीली
बुर को दे खा था।) 

नहीं भाभी बिल्कुल भी नहीं।

राहुल का जवाब सुनकर वीनीत की भाभी प्रसन्न होते हुए बोली.

तो राहुल आज मैं तुम्हें स्वर्ग के सुख का अहसास कराऊंगी , एक औरत और मर्द के बीच किस प्रकार का
संबंध होता है ये आज तुम्हें मैं बताऊंगी। मर्द औरत को चोदने के लिए इतना बेताब इतना तडपता क्यों है
आज तुम्हें खुद ही पता चल जाएगा।
( विनीत की भाभी की बातें सुनकर ही राहुल एकदम से चुदवासा हुए जा रहा था वीनीत की भाभी के मुंह से
गंदी बातें उसे और भी ज्यादा सह
ु ानी और सरु ीली लग रही थी। राहुल एकदम मस्त हुए जा रहा था उसे तो
बस इंतजार था कि कब वीनीत की भाभी उसे संभोग का एक नया अध्याय सिखाती है । राहुल मन में ऐसा
सोचा ही रहा था कि तभी विनीत की भाभी बोली।

( राहुल के लंड को मुट्ठी में भर कर आगे पीछे करते हुए।) दे खो राहुल ज्यादा कुछ करना नहीं है बस अपने
इस मोटे लंबे लंड को मेरे इस( बुर की तरफ उं गली से इशारा करके) बुर की गुलाबी छे द में डालकर अपनी
कमर को आगे पीछे कर के ही लाना है बस जैसा मैं कहती हूं वैसा करते जाओ तुम्हें स्वर्ग के सुख की
अनुभुति होगी ।। बहोत मजा आएगा तुम्हे इतना ज्यादा मजा की तुम रोज एसा सुख पाने के लिए मेरे पास
आओगे।। ( इतना कहने के साथ ही विनीत की भाभी राहुल का लंड अपनी तरफ खींचने लगी थी तभी वह
बोली।) 
रुको राहुल मुझे चोदने से पहले मुझे इतना ज्यादा गर्म कर दो कि बस मजा आ जाए। ( गर्म करने वाली
बात राहुल समझ नहीं पाया और अनजान बन खड़ा ही रह गया तो विनीत की भाभी बोली।) 

मैं तझ
ु े बताती हूं कि कैसे गर्म करना है तु शायद नहीं जानता जब तक औरत गर्म ना हो तब तक चुदाई का
मजा ना औरत को आता है ना मर्द को मिलता है । इसलिए औरत का गर्म होना बहुत जरूरी है । 
राहुल जैसे मैंने तेरा लंड मुंह में लेकर चूसी उसे जीभ से चाटी वैसे ही तुम्हें भी अपनी जिभ से मेरी बुर को
चाटना होगा और मुझे एकदम गर्म करके चुदवासी बनाना होगा। ( एक औरत के मुंह से इतनी गंदी बातें
सुनकर राहुल की उत्तेजना उसकी नसों में दिखाई दे रही थी वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुका था। खास
करके उसे बरु चाटने वाली बात और ज्यादा उत्तेजित कर गई उसे यह नहीं पता था कि औरत की बरु को
भी चाटा जाता है । उसे यह नहीं समझ में आ रहा था कि आखिरकार जहां से औरत पेशाब करती है उस
जगह को चाटकर किस प्रकार का आनंद मिलता होगा। लेकिन फिर भी विनीत की भाभी की बात उसे
मानना ही था। इसलिए वह मंत्मग्ु ध सा जैसा जैसा वीनीत की भाभी कहती गई वैसे ही वह करता गया।
वीनीत की भाभी ने उसे बिस्तर के किनारे जांघो के बीच घट
ु नों के बल. उसे बैठने को कहीं
राहुल वैसे ही बैठ गया वीनीत की भाभी ने थोड़ा सा और अपनी गांड को सरका कर बिस्तर के किनारे पर
रख दी और अपनी जाँघो को थोड़ा सा और फैला दी। 

राहुल का चेहरा बुर के बिल्कुल करीब था इतनी करीब के बुर के अंदर से उठ रही मादक खश
ु बु सीधे उसके
नथुनों से होकर के सीने में भर जा रही थी। राहुल बुर की मादक खुशबू से एकदम बदहवास हो गया
मदहोशी उसकी आंखों में छाने लगी' विनीत की भाभी भी अगले पल की इंतजार में मदहोश हो रही थी उसे
राहुल की जीभ का स्पर्श अपनी बरु पर होने का इंतजार था। इसलिए उसकी बरु उत्तेजना में फूल पिचक
रही थी। राहुल विनीत की भाभी की तरफ दे ख रहा था और वीनीत की भाभी भी राहुल को ही दे ख रही थी
दोनों की नजर आपस में टकराई तो राहुल शर्मिंदा हो गया। वीनीत की भाभी ने उसे इशारे से अपनी बूर
चाटने के लिए बोली तो राहुल घबराते हुए बरु के बिल्कुल करीब अपना मंह
ु ले गया बरु से एक भाप सी उठ
रही थी जो कि राहुल के नथन
ु ों को गर्म कर दे रही थी। राहुल ने हल्के से अपना मंह
ु खोल कर अपनी जीभ
को बाहर निकाला और एक नजर फिर से वीनीत की भाभी पर डाल दिया विनीत की भाभी भी राहुल पर ही
नजर गड़ाए हुए थी इसलिए उसे इशारा करके बरु चाटने के लिए बोली।
विनीत की भाभी की बरु एकदम गीली हो चक
ु ी थी उस पर राहुल ने हल्के से बरु की गल
ु ाबी पंखड़ि
ु यां पर
जीभ का स्पर्श कराया। जैसे ही राहुल की जीभ का स्पर्श बरु की पंखड़ि
ु यों पर हुआ वीनीत की भाभी एकदम
मदहोश हो गई उसका रे ाम राेम झन्ना गया' ऐसा लगने लगा कि जैसे वीनीत की भाभी के शरीर में करं ट
उतर आया हो। उसका पूरा बदन कांप सा गया' आज उसे ऐसा महसूस होने लगा कि पहली बार किसी के
जीभ का स्पर्श उसकी बुर पर हुआ है । जबकि अनगिनत मर्दों से उसने अपनी बुर चटवाकर उसका लूत्फ
उठाई थी। लेकिन आज राहुल की जीवनी उसे पहली बार का एहसास दिला दिया और वह चुदवासी हो करके
एक हाथ राहुल के सर पर रखकर अपनी बुर पर दबाई और अपनी गदराई गांड को उपर की तरफ उचका दी
.' जिससे राहुल की जीभ गप्प करके विनीत के भाभी की पनियाई बुर मे समा गई। जैसे ही राहुल की जीभ
विनीत की भाभी की बुर में समाई वह तो एकदम पगला सी गई, और अपना दस
ू रा हाथ भी राहुल के सर
पर रख कर जोर से अपनी बुर पर ही दबा दी राहुल की जीभ के साथ साथ उसकी नाक भी बुर की दरार में
प्रवेश कर गई
दिनेश की बातें तो उत्तेजना में जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी छटपटाने लगी बिस्तर पर इधर
उधर अपना सर पटकने लगी और सिसकारी लेते हुए बोली।

ससससहहहहहहहह....आहहहहहहहहहहहह..... राहुल ऊमममममममममम....चाट...चाट. मेरी बुर


को....आहहहहहह...राहुल...ओहहहहहह...राहुल.... ऊमममममममम.....
( मस्ती की अनुभूति होते ही विनीत की भाभी की आंखें अपने आप मुंद गई और वह अपने दोनों हाथों से
राहुल का सिर पकड़ कर अपनी बुर पर चाँपी हुई थी ओर उसे उकसा भी रही थी बूर चाटने के लिए।) 

ओहहहहहह...राहुल.... अपनी जीभ घम


ु ा मेरी बरु में चाट-चाट मेरी बरु को अपने जीभ से मेरे राजा अो
मेरे राहुल....
( वीनीत की भाभी जैसे पहली बार अपने बुर चटवा रही हो इस तरह से पगला सी गई थी। राहुल की जीभ
उसकी बुर में समाई हुई थी नमकीन पानी का बल
ु बुला सा छुट रहा था उसकी बुर से जोगी जी तस
ु ी लगते ही
उसके स्वाद का अनुभति
ू राहुल को हो रहा था। बुर के पानी का स्वाद चखते ही राहुल का मन खिन्न हो
गया,

बुर का कसैला स्वाद उसे अच्छा नहीं लगा। वह बुर पर से अपना मुंह हटाना चाहता था लेकिन मजबूर था
क्योंकि विनीत की भाभी उसका सिर अपनी बुर पर ही दबाई हुई थी तो ना चाहते हुए भी उसे अपनी जीभ
बरु मे टीकाए रहना पड़ा। वीनीत की भाभी बार-बार उसे बरु के अंदर जीभ चलाने के लिए कह रही थी तो ना
चाहते हुए भी राहुल हल्के हल्के से अपनी जीभ को बरु की दीवारों पर घम
ु ाने लगा। अभी उस पगले को क्या
मालम
ू था कि बरु चाटने में जो जन्नत का मजा मिलता है और कहीं नहीं। सारी दनि
ु या इसी को चाटने के
लिए पागल है इसका कसेला स्वाद भी मधरु मध की तरह लगने लगता है बरु के नमकीन पानी का नशा वा
नशा होता है कि इसके आगे दनि
ु या की सारी शराब की बोतलों का नशा फीका लगने लगता है । कुछ ही दे र
में राहुल को भी इसका अंदाजा होने लगा था। जो थोड़ी दे र पहले बेमन से अपनी जीभ को इधर-उधर घम
ु ा
रहा था वह अब मजे ले लेकर बुर की दीवारों को चाट रहा था।
वह समझ गया कि वाकई में इस नमकीन और कसेले पानी का स्वाद तो मधुर मध की तरह है । 
राहुल अब वीनीत की जाँघो को अपनी हथेली मे कसकर बुर चाटने का लुफ्त उठा रहा था। विनीत की भाभी
तो जैसे सातवें आसमान में उड़ रही हो उसका बदन बिस्तर पर हीचकोले खा रहा था। वह मदहोश होकर
अपना सिर दाएं बाएं पटक रही थी और अपने दोनों हाथों से राहुल के सिर को पकड़ कर जितना हो सकता
था उतना अपनी बुर पर ही दबाए हुए थी। 
दोनों मदहोश हो चुके थे, बुर चटवा कर विनीत की भाभी एकदम चुदवासी हो चुकी थी। उसकी चुदवाने की
प्यास बढ़ चुकी थी एकदम से गरमा चुकी थी विनीत की भाभी। अब उसे राहुल के लंड की जरूरत थी।
और राहुल था की उसकी बुर में ही खोया हुआ था जन्नत का मजा उसे मिल रहा था वह खुद चटकारे लगा
लगा कर बूर के पानी को जीभ से चाट कर मस्त हु ए जा रहा था। गजब का नजारा बना हुआ था कमरे में
राहुल और विनीत की भाभी दोनों एकदम नग्नावस्था में वासना का खेल खेल रहे थे दोनों की सिसकारियों
और गर्म अाहों से पूरा कमरा गूंज रहा था। दोनो एक दस
ू रे को संपूर्ण सुख दे ने और लेने में लगे हुए थे।
वीनीत की भाभी अनुभवी थी इसलिए समझ गई थी कि उसकी बुर को इस समय किस चीज की जरूरत है
इसलिए वह राहुल से बोली।

ओहहहहहह...राहुल... मेरी बुर तड़प रही है तेरे मोटे लंड को अंदर लेने के लिए.. बस अब दे र मत कर
अपने टनटनाए हुए लंड को मेरी बरु में डालकर इसकी प्यास बझ ु ा दे ,'मेरी बरु को चोदकर पानी पानी कर दे
मेरे राजा...
( वीनीत की भाभी तड़प रही थी सिसक रही थी राहुल के मोटे ताजे लंड को लेने के लिए लेकिन राहुल था
की वह बरु चाटने में ही मगन था। जब भी नहीं की भाभी में एक दो बार और उसे बोली तो वह नहीं माना वह
बरु चाटने में ही मस्त रहा. तो इस बार भी नहीं थी भाभी गस्
ु से में उसके बाल पकड़कर अपनी बरु से हटाते
हुए बोली।। 

राहुल... मेरे राजा मुझे अब तेरे लंड की जरूरत है । तू अपनी मोटे लंड को मेरी बुर में डालकर चोद मुझे... 
( इस तरह से अपनी बुर पर से उसका बाल खींचकर हटा दे ने से राहुल वीनीत की भाभी पर थोड़ा गुस्सा
जरूर हुआ लेकिन वह कुछ कर भी नहीं सकता था। 
क्योंकि वह जानता था कि वीनीत की भाभी का यह एक एहसान ही था उसके ऊपर क्योंकि ऐसा जन्नत का
मजा उसी ने उसको दे रहीे थी वरना कौन औरत उसे एसा सख
ु दे ती इसलिए वह अभिनीत की भाभी के एक
इशारे पर उठ कर खड़ा हो गया उसका लंड छत की तरफ टनटनाए खड़ा था' जिसे दे ख कर विनीत की भाभी
की बरु उसे अपने अंदर लेने के लिए फूलने पिचकने लगी। वीऩत की भाभी ने राहुल को इशारे से सबकुछ
समझा दी कि अब क्या करना है । राहुल भी उसके इशारों का अनक
ु रण करते हुए अपना पोजीशन ले लिया
था। राहुल उसकी जाँघों के बीच थोड़ा झक
ु ा हुआ था उत्तेजना के मारे उसका बदन कांप सा रहा था।
उसे यह नहीं मालूम था कि लंड को बुर में डालने से कैसा मजा मिलेगा लेकिन इतना जरुर जानता था कि
ऐसा करने से पत बहुत ही ज्यादा सुख और आनंद की अनुभति
ू होती है । इसलिए वह वीनीत की भाभी पर
झुकता चला गया। उसका लंड बुर से बस दो अंगल
ु की दरू ी पर ही था जहां से बूर की गर्मी का एहसास उसके
लंड के सुपाड़े पर बराबर हो रहा था। वीनीत की भाभी को अगले पल का बड़ी बेचैनी से ईंतजार था तभी
राहुल थोड़ा सा और झुका तो उसका टनटनाया हुआ लंड बुर के मुहाने पर स्पर्श कीया।..

आहहहहहहहह....राहुल...( बुर के मुहाने पर राहुल के लंड का सुपाड़ा स्पर्श होते ही वीनीत की भाभी के
मुंह से सिसकारी निकल गई.. सुपाड़े की गर्मी से अंदर ही अंदर बुर रिसने लगी। वीनीत की भाभी को
एहसास हो गया की आज असली मर्द से पाला पड़ा है । राहुल अभी अनाड़ी था वह लंड के सुपाड़े से बुर के
गुलाबी छें द को टटाेल नही पाया ओर लंड के सुपाड़े को बुर के मुहाने पर ही स्पर्श कराकर धक्का लगा दिया
और लंड फटाक से आगे की तरफ निकल गया राहुल गिरते-गिरते बचा।
वीनीत की भाभी उसकी इस नाकाम कोशिश से समझ गई कि राहुल कितना नादान है । राहुल की नाकाम
कोशिश की वजह से विनीत की भाभी चुदास की आग में और ज्यादा झुलसने लगी । उससे यह तड़प
बर्दाश्त नहीं हुई और उसने खुद ही अपने हाथ को आगे की तरफ लाकर राहुल के लंड को पकड़ ली ' लंड को
अपनी मुट्ठी में भर कर पहले तो उसने गरम सुपाड़े को अपनी बुर की दरार पर ऊपर नीचे करके रगड़ने लगी
जिससे राहुल का भी जोश बढ़ गया। विनीत की भाभी ने लंड के सुपाड़े को अपनी गुलाबी बुर के छें द पर
रखकर बोली...( एकदम मादक आवाज में )

ओह ..... राहुल बस जहां पर मैं तेरे सुपाड़े को रखी हूं बस इसी जगह पर धक्के लगा.।. डाल दे पूरे लंड को
मेरी बुर में उतर जा बुर के सहारे मेरे जिस्म में ..आहहहहहह...राहुल अब दे र मत कर डाल दे ...
( वीनीत की भाभी चुदवासी हो कर तड़प रही थी उसे इस समय अपनी बुर में लंड की बहुत ज्यादा जरूरत
थी इसीलिए वह राहुल से मिन्नते कर रही थी। राहुल तो पहले से ही व्याकुल हो चुका था जब वीनीत की
भाभी ने उसके लंड को पकड़ के अपनी बुर पर घिसते हुए बुर के छें द पर टीकाकर उसे धक्के लगाने को
बोली थी। राहुल बदहवास हो चुका था। विनीत की भाभी की बात मानते हुए उसने उसकी जांघो को हथेली
में दबोच कर अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ाया... बुर पहले से ही पानी से पनीयाई हुई थी ईसलीए
राहुल को थोड़ा कम ही जोर लगाना पड़ा और लंड करीब आधा जितना बुर मे घुस गया... आधा लंड बुर में
घसु ते ही राहुल तो मस्त हो गया उसको ऐसा लगने लगा कि वह हवा में उड़ रहा है , एक अजीब से सख
ु का
अहसास उसके परू े बदन में फैल गया, उसका रोम-रोम झन्ना गया उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि
क्या हो रहा है आंखों मैं खम
ु ारी सी छाने लगी ... और दस
ू री तरफ आधा लंड घस
ु ते ही वीनीत की भाभी
अंदर ही अंदर चरमरा गई' एक अजीब से सख
ु और मीठे दर्द की अनभ
ु ति
ू से उसका परू ा बदन कांप सा
गया। राहुल की मोटे लंड ने उसकी बरु की गल
ु ाबी पंखड़ि
ु यों को कुछ ज्यादा ही फैलाते हुए अंदर की तरफ
गया था। ....
राहुल तो फिर से आगे की तरफ झटका लगाया.. इस बार का धक्का कुछ ज्यादा ही करारा था। इसलिए
राहुल का मोटा ताजा लंड बुर के अंदरुनी अड़चनो को पार करते हुए सीधा बुर की जड़ में जाकर गड़ गया'
और जैसे ही लंड बुर की जड़ में धंसा वैसे ही दर्द के मारे वीनीत की भाभी के मुंह से आह निकल गई। धक्का
इतना तेज था कि विनीत की भाभी अंदर तक कांप गई
तुरंत उसका बदन पसीने पसीने हो गया' अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसका लंड कौन सी जगह पर
जाकर ठोकर मारा था। आज तक इस जगह पर बहुत कम लोगों का ही लंड पहुंच पाया था वीनीत जो उसे
दिन रात चोदता था उसका लंड दे तो आज तक यहां पहुंच ही नहीं पाया था। विनीत की भाभी बहुत प्रसन्न
थी कि बिना किसी परे शानी के राहुल का लंड उसकी बच्चेदानी से सीधे जाकर टकराया था। बुर के अंदर
जाने पर वीनीत की भाभी को इसका एहसास हुआ कि राहुल का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा था। विनीत की
भाभी का पूरा बदन पसीने से तरबतर हो चुका था। वह गहरी गहरी सांसे ले रही थी वह मन ही मन बोल रही
थी कि आज चुदाई का असली मजा आएगा। राहुल पूरा लंड वीनीत की भाभी की बुर में ठुंस कर वह वैसे का
वैसे ही खड़ा था इसके आगे उसे क्या करना है यह शायद उसे नहीं मालूम था। इसलिए विनीत की भाभी
सिसकारी लेते हुए बोली।

ससससससहहहहहहह....राहुल.... बड़ा तगड़ा लंड है रे तेरा... तूने तो मेरी बुर.. को फैला ही दिया... बस बेटा
अब तू अपने लंड को युं ही मेरी बुर में अंदर बाहर करके चोद.... चोद मेरे राजा....( विनीत की भाभी की बातें
सुनकर राहुल का जोश बढ़ गया ओर जेसा वीनीत की भाभी बोली थी ठीक वैसे ही उसने अपने लंड को बाहर की
तरफ खींचा... और फिर से एक जबरदस्त करारा धक्का बुर के अंदर लगाया... ल़ंड फिर से सब कुछ चीरता हुआ
वापस वीऩत की भाभी के बच्चेदानी से टकराया... और फिर से इस बार वीनीत की भाभी के मुह ं से सिसकारी के
साथ उसकी आह निकल गई। विनीत की भाभी की आह सुनकर राहुल को बहुत ज्यादा आनंद प्राप्त हो रहा था।
उसे आज पहली बार एहसास हुआ कि बुर क्या चीज होती है. राहुल पसीने पसीने हो गया था बुर की गरमी लंड से
होते हुए उसके पूरे बदन को तपा रही थी। राहुल अपने आप को संभाल नहीं पा रहा था उसे ऐसा लगने लगा था कि
बुर की गर्मी में कहीं उसका लंड तपकर गल ना जाए.. उसे नहीं मालूम था कि वाकई मे बुर इतनी गर्म होती है।
.....( दोबारा अपनी बुर में करारा धक्का खाकर वीनीत की भाभी बोली।)

बस बेटा इसी तरह से चोद मुझे फाड़ दे मेरी बुर को समा जा मेरी बुर में ...जैसे तेरा मन करता है वैसे मुझे चोद़
...मेरी प्यास बुझा दे खुजली मिटा दे मेरी बुर की...( वीनीत की भाभी चुदवासी हो कर जो मन में आ रहा था वह
बड़बड़ाए जा रही थी। और विनीत की भाभी के मुहं से इतनी गंदी बातें सुनकर राहुल के बदन में नशा सा होने लगा
था उसका जोश दुगना हो चला था। और उसने फिर से अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा और वापस अंदर की
तरफ ठुं स दिया... अब राहुल का लंड वीनीत की भाभी की बुर

अब राहुल का लंड वीनीत की भाभी की बुर में अंदर बाहर होने लगा था वह अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए
वीनीत की भाभी को जबरजस्त धक्कों के साथ चोद रहा था। कुछ ही दे र में राहुल की सिसकारी छू टने लगी' अब
राहुल को एहसास हो रहा था कि चुदाई करने में कितना मजा आता है। 
विनीत की भाभी कुछ ज्यादा ही प्रसन्न नजर आ रही थी जबरदस्त चुदाई के कारण उसका चेहरा तमतमा गया था।
पहली बार वीनीत की भाभी को चुदाई का असली मजा मिल रहा था। राहुल का लंड सटा सट बुर के अंदर बाहर हो
रहा था। राहुल को तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि वह किसी औरत को चोद रहा है। इतनी जल्दी उसे ये शुभ
अवसर मिलेगा यह सच में उसके लिए यकीन के बाहर था। 
कुछ ही दे र मे बुर से फच्च फच्च की आवाज आने लगी। लेकिन यह आवाज पुरे कमरे एक मधुर संगीत की तरह
बजने लगी। कमरे का पूरा वातावरण संगीतमय हो गया था। 
राहुल का हर धक्का जबरदस्त पड़ रहा था, हर धक्के के साथ पूरा पलंग हचमचा जा रहा था वाकई मे राहुल के
लंड का प्रहार वीनीत की भाभी की बुर मे ईतना तेज हो रहा था की खुद वीनीत की भाभी भी आगे की तरफ सरक
जा रही थी। तभी चोदते हुए राहुल की नजर उस की बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चुचियों पर पड़ी' और उससे रहा नहीं
गया उसने अपनी दोनों हथेली को भाभी के दोनों खरबूजों पर रख दिया ' चूचियों पर हथेली पड़ते ही राहुल पूरी
तरह से गनगना गया उसके बदन में इतना ज्यादा जोश बढ़ गया कि वह जोर जोर से चूचियों को मसलने लगा। इससे
विनीत की भाभी का मजा दुगुना हो गया ।
वीनीत की भाभी दोनों जाँघों को फैलाकर राहुल के लंड को बड़ी तेजी से अपनी बुर के अंदर बाहर ले रही थी। 
वीनीत की भाभी दुसरे पॉजीशन मे चुदवाना चाहती थी लेकीन राहुल ईतना मस्त चुदाई कर रहा था की वह एक पल
भी बिना लंड के गंवाना नही चाहती थी। ईसलिए वह ईसी पॉजीशन मे चुदवाने का मजा लेती रही। 
करीब ३५ मिनट की चुदाई के बाद वीनीत की भाभी की सिसकारीयों की आवाज बढ़ने लगी .. वीनीत की भाभी
अब चरमसीमा की तरफ बढ़ने लगी थी। पुरे कमरे मे उसकी सिसकारीयां गुंजने लगी।

आहहहहहह...राहुल.... ओर जोर से...ऊममममममम...।ओह मेरे राजा...चोद मुझे....आहहहहह.....


( ओर थोड़ी ही दे र मे वीनीत की भाभी ने राहुल को अपनी बांहो मे कस के भींच ली.... ओर सिसकारी भरते हुए
अपना मदन रस की पिचकारी छोड़ दी.. राहुल भी कुछ ही दे र मे अपने लंड की पिचकारी वीनीत की भाभी की बुर
मे छोड़ दीया ओर भाभी के ऊपर ही ढह गया।

राहुल अपने गर्म पानी का बौछार विनीत की भाभी की बुर में करके निढाल होकर उसके ऊपर पड़ा था। दोनों हांफ
रहे थे, विनीत की बात भी तो अभी भी राहुल को अपनी बाहों में कसी हुई थी मेरा मुन्ना राम और बड़ी बड़ी चूचियां
राहुल के छातियों से दबी हुई थी जिसकी निकोली निप्पले सुई की तरह चुभ रही थी। 
आज बरसों के बाद विनीत की भाभी सावन का बादल बनके राहुल के ऊपर बर्सी थी। राहुल का लंड अभी भी
वीऩत की भाभी की बुर में समाया हुआ था जिस में से दोनों का मिला जुला काम रस बुर से होता हुआ उसकी गांड
की किनारी पकड़ कर बिस्तर को भिगो रहा था। वासना का तूफान थम चुका था लेकिन दोनों की सांसे अभी भी
गहरी चल रही थी। राहुल आंख मुंदे उसकी छातियों पर पड़ा था। चुचियों की गर्माहट उसे बहुत ही शांति पहुंचा रही
थी । चुचियों का स्पर्श उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था। 
विनीत की भाभी को राहुल पर बहुत ज्यादा प्यार उमड़ रहा था वह अपनी उंगलीयो से उसके बालों को सहला रही
थी। और प्यार उमड़े भी क्यों ना उसने जो आज चुदाई का असीम सुख उसे दिया था वह आज तक किसी मर्द ने उसे
नहीं दे पाया था। इसलिए तो वह इतनी गर्म सिसकीरीयां ले लेकर उस से चुदवा रही थी कि राहुल का तो दिमाग ही
ठनठना गया था। 
औरत एैसी अजीब-अजीब चुदवाते समय जोश से भरी हुई आवाजे निकालती है इसका ज्ञात राहुल को इसी समय
चला था। राहुल को सिसकारियों की आवाज इतनी ज्यादा सुमधुर लगी थी कि उसकी कानों में अभी भी वो आवाजे
ही गुंज रही थी। राहुल के बालों को सहलाते हुए विनीत की भाभी बोली।

राहुल आज मैं बहुत खुश हूं आज तुमने ईस प्यासन को अपना गरम जल पिलाकर.. तृप्त कर दिया है।आज मेरी
बुर ने जानी है की असली लंड क्या होता है.( राहुल उसकी चूचियों पर ही लेटा रहा) राहुल पहली बार की ही चुदाई
में तूने मुझे दो बार झाड़ दिया.
( राहुल उसकी बातें सुनकर मन ही मन खुश हो रहा था और मन ही मन विनीत की भाभी को धन्यवाद भी कर रहा
था उसने जो उसे आज दी थी उसे से राहुल की पूरी दुनिया ही बदल गई थी।
कुंवारे लंड का मालिक राहुल अब कुंवारा नहीं रह गया था अब एक लड़के से मर्द बनने का सफर उसका शुरू हो
चुका था। राहुल के कानों में तो बार-बार विनीत की भाभी की सू मधूर सिसकारियां गूंज रही थी। वह मन ही मन में
सोच रहा था कि कैसे वीनीत की भाभी चुदवाते समय गरम गरम सिसकारियां और आहे भर रही थी।
विनीत की भाभी के बदन के ऊपर से राहुल का उठने का मन ही नहीं कर रहा था वीनीत की भाभी का गुदाज बदन
उसे डनलप का गद्दा लग रहा था। 
अच्छा तो विनीत की भाभी को भी लग रहा था वह दोनो नग्न अवस्था में एक दूसरे से चिपके बिस्तर पर लेटे हुए थे
भला एक कामुक औरत के लिए इससे अच्छा पल और कौन सा हो सकता है। लेकिन फिर भी बिस्तर पर पीठ के
बल लेटे लेटे राहुल के धक्को को सहन करते करते उसकी पीठ दर्द करने लगी थी' इसलिए ना चाहते हुए भी उसने
राहुल को अपने ऊपर से उठाते हुए खुद उठने लगी, आखिरकार राहुल भी कब तक उसके ऊपर लेटे रहता वह भी
उठने लगा लेकिन राहुल का लंड अभी वीनीत की भाभी की बुर में फंसा हुआ था। जिस पर दोनों की नजर आकर
टीक गई, दिनेश की भाभी बड़ी उत्सुकता से अपनी बुर की तरफ दे ख रही थी जिसमें कि राहुल का लंड घुसा हुआ
था अभी भी उसे अपनी बुर में राहुल के लंड़ के कड़कपन का एहसास हो रहा था। अपने लंड को वीनीत की भाभी
की बुर में घुसा हुआ दे खकर एकबार फीर से राहुल का मन डोलने लगा। एकबार फीर चुदाई के इस अद्भुत खेल को
खेलने की उसकी इच्छा प्रबल हो गई। राहुल अपने लंड कों वीनीत की भाभी की बुर से निकालना नहीं चाहता था'
विनीत की भाभी को उसके कड़कपन का अहसास अपनीे बुर में बराबर हो रहा था वह एकदम से हैरान हो रही थी
कि पानी निकलने के बाद भी उसका लंड तनिक भी ढिला नहीं पड़ा था। फिर भी राहुल बेमन से अपने लंड को बुर
के अंदर से बाहर की तरफ खींचा, लंड बुर की दीवारों में रगड़ खाता हुआ गप्प की आवाज करता हुआ बुर के बाहर
निकल गया। लंड को दे खकर वीनीत की भाभी का भी मन फीर से डोल गया। लेकिन दिन आपकी भाभी को जोरों
से पेशाब लगी थी इसलिए वह राहुल को बोली।

राहुल तुम ही खड़े रहो मुझे जोरों की पेशाब लगी है मैं पेशाब करके आती हूं।( दिनेश की भाभी की यह बात सुनकर
राहुल का लंड एक बार ठु नकि मारा जिस पर वीनीतं की भाभी की नजर पड़ गई वह मन ही मन मुस्कुराते हुए रूम
से अटै च बाथरूम की तरफ बढ़ गई। 
विनीत की भाभीें संपर्ण
ू नग्नावस्था में ही चलते हुए बाथरुम की तरफ जा रही थी जिसे पीछे से दे खकर राहुल का
लंड टनटना के और भी ज्यादा टाइट हो गया- मटकती हुई बड़ी बड़ी गांड दे खकर राहुल के मुह ं में पानी भर आया
.. राहुल वहीं खड़े खड़े वीनीत की भाभी को बाथरूम में जाते हुए दे ख रहा था। विनीत की भाभी बाथरुम के अंदर
जाकर कुछ सेकंड खड़ी ही रही राहुल को लगा कि वह दरवाजा बंद करेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ विनीत की भाभी
एक बार पीछे की तरफ राहुल को दे खि जो कि वह उसी को दे ख रहा था और वीनीत की भाभी बिना किसी शर्म के
राहुल की तरफ दे खते हुए एक बार फिर मुस्कुराई और एक बार बड़ी ही मादक अदा से अपने भारी भरकम गांड को
पीछे की तरफ उभारकर वही राहुल दे ख सके इस तरह से बैठकर पेशाब करने लगी। वह इतना मादक दृश्य था कि
राहुल अपनी नजरें चाह कर भी नहीं हटा पा रहा था। 
इस चुदास से भरे नजारे को दे खकर राहुल का लंट ठु नकी मारने लगा। 
वीनीत की भाभी ने जानबूझकर दरवाजे को बंद नहीं की थी क्योंकि वह भी यही चाहती थी थी कि राहुल उसे पेशाब
करता हुआ दे खकर उत्तेजित हो' । वीनीत की भाभी भी बार बार पीछे मुड़कर राहुल की तरफ दे ख ले रही थी और
राहुल को भी उसकी तरफ दे खता हूआ पाकर उसका मन मयूर नाचने लगता था। 
जैसे उसकी बुर ने अपने गुलाबी पत्तियों के बीच से काम रूपी धुन छें ड़ दी हो इस तरह से एक मधुरमय संगीत पूरे
कमरे में गूंज रहा था। बुर से आ रही सीईईईई.....सीईीईीईई ...करती सीटी की आवाज की बांसुरी की धुन से कम
नही लग रही थी। 
कुल मिलाकर बहुत ही कामोत्तेजक और अतुल्य नजारा था। कुछ ही दे र मे वह पेशाब करके बड़े ही मादक अदा से
गांड मटकाते हुए खड़ी हुई और अपनी बड़ी बड़ी प पइया जैसी चूचियों को हिलाते हुए राहुल की तरफ आने ली,
राहुल के पास पहुंचते है उसने राहुल के टनटनाए हुए लंड पर अपना हाथ रख दी। उसकी गर्म हथेली का स्पर्श अपने
गरम लंड पर होते ही राहुल एकदम से गनगना गया। और वीनीत की भाभी उसके लंड को पकड़कर मुठीयाते हुए
बोली। 
ओहहहह....राहुल.... तेरा टनटनाया हुआ लंड दे खकर मे हैरान हुं..जानता हे क्यों? 
( राहुल ने ना मे सिर हिला दिया। राहुल का जवाब सुनकर विनीत की भाभी ने अपनी हथेली को लंड पर और
ज्यादा कसते हुए।)
राहुल अगर लंड से एक बार पानी निकल जाए तो लंड ढीला पड़ जाता हे ओर ईतने जल्दी खड़ा नही होता हे। 
( राहुल के लंड को मुठ़ीया ही रही थी।) लेकीन तुम्हारा लंड ( ईतना कहने के साथ ही गरम सिसकारी लेते हुए)
ससससससहहहहहह....राहुल...तेरा लंड तो झड़ने के बाद भी बिना ढीला हुए अभी तक खड़ा है...राहुल तेरी
ताकत दे खकर मेरी बुर फीर से तुझसे चुदने के लिए पनीया रही है। ( वीनीत की भाभी की ऐसी बातें सुनकर फिर से
राहुल का मन मचल उठा. राहुल खुद उसे फिर से चोदना चाहता था लेकिन यह बात कह नहीं पा रहा था. विनीत
की भाभी की एसी ही ख्वाहिश सुन कर उसका मन प्रसन्नता से भर गया। राहुल का जवाब सुने बिना ही वीनीत की
भाभी पलंग की तरफ बढ़ी और अपना एक घुटना बिस्तर पर रख के आगे की तरफ घोड़ी बन कर झुक गई। राहुल
तो कुछ समझ हीें नहीं पाया की यह कर क्या रही है। घोड़ी बने हुए यह पीछे की तरफ नजर घुमाकर राहुल को दे ख
रही थी । लेकिन राहुल था कि वैसे ही लंड टाइट करके खड़ा था। दिनेश की भाभी उसके अनाड़ीपन को समझ गई
और राहुल से बोली।

राहुल तम्ु हें मेरी (अपने हाथ को पीछे ले जाकर अपनी बरु की तरफ इशारा करके)बरु दिखाई दे रही है ना।(
राहुल भी अपनी नजरों को थोड़ा सा नीचे की तरफ झक ु ा कर उसकी बरु को दे खते हुए हां मैं सिर हिलाया)
इसी में तुम्हें मेरे पीछे ं आकर खड़े खड़े ही लंड डालकर मेरी चुदाई करनी है । ( यह सब दे खकर राहुल तो
पहले से उतावला हो चुका था वह तुरंत उसके पीछे आकर खड़ा हो गया , राहुल को पीछे से उसकी गदराई
हुई और ऊभरी हुई गांड और भी ज्यादा बड़ी लग रही थी । यह दे खकर राहुल से रहा नहीं गया और उसने
अपने दोनों हथेली को उसके बड़े बड़े खरबूजों पर रखकर दबाने लगा। राहुल का लंड एकदम टाइट खड़ा था
इसलिए उसका सप
ु ाड़ा उसकी गांड की दरार के ईर्द गिर्द रगड़ खा रहा था। जिससे वीनीत की भाभी और
ज्यादा चद
ु वासी हुई जा रही थी। वीनीत की भाभी से रहा नही गया ओर उसने खद
ु अपना हांथ पीछे ले
जाकर लंड को थामी ओर उसके सप
ु ाड़े को बरु के छें द पर टीकाकर राहुल को धक्का लगाने के लिए बोली।
राहुल तो पहले से ही उतावला था। उसने भी अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का लगाया ओक उसका
लंड पहले से ही पनियायी बरु में घस
ु ता चला गया। दोनों थोड़ी दे र में फिर से एकाकार हो गए। । विनीत की
भाभी की गरम सिस्कारियों से फीर से परू ा कमरा गंज
ू उठा। जांघो से जाँघ टकरा रही थी जिसकी ठाप से
कमरे का पुरा माहोल मादक हो गया था। राहुल तो बस बिना रुके ही अपना मुसल जेसा लंड वीनीत की
भाभी की बुर मे पेले जा रहा था। दोनो चुदाई का मजा लुट रहे थे। कभी कभी धक्के ईतने तेज लग जा रहे थे
की वीनीत की भाभी आगे की तरफ लुढक जा रही थी लेकीन राहुल उसकी कमर को थाम कर धक्के लगाते
हुए चोद रहा था। करीब बीस मिनट की घमासान चुदाई के बाद दोनो की सांसे तेज चलने लगी ' ओर कुछ
ही धक्को मे दोनो अपना कामरस बहाते हुए हांफ रहे थे। ।
वीनीत की भाभी ओर राहुल दोनो बहोत खश
ु थे। राहुल तो आज पहली बार ईस अद्भत
ु सुख से परीचीत हो
रहा था। 
दोनो कपड़े पहन चुके थे 'राहुल अपनी नोटबुक ले लिया था। वीनीत की भाभी ने उसकी नोटबुक पर अपना
नम्बर लिख कर दी थी। राहुल वीनीत के घर से बाहर निकल आया।

राहुल जा चुका था वीनीत की भाभी ने दरवाजे को बंद करके सोफे पर आकर धम्म से बैठ गई। उसके रोम
रोम मे पूरे बदन में मीठा मीठा दर्द हो रहा था। उसे साफ-साफ एहसास हो रहा था कि उसकी बुर की फाँके
कुछ ज्यादा ही खुल चुकी थी। वह जानती थी की राहुल का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा था। उसके लंड
के बारे में सोचते ही विनीत की भाभी का पूरा बदन अजीब से सुख की अनुभति
ू करता हूंआ गनगना जा रहा
था। आज पूरे तीन चार घंटे तक राहुल से चुदवाकर पूरी तरह से तप्ृ त हो चुकी थी।
आज पहली बार ही उसके साथ चुदवाकर चुदाई का सुख ली थी लेकिन अगली मुलाकात के लिए अभी से
तड़पने लगी थी मन ही मन मे सोच रही थी कि अच्छा हुआ कि उसने वीनीत को तीन चार घंटे के लिए
बाहर भेज दी थी वरना आज ऐसा अतल
ु ् एहसास का अनभ
ु व कभी नहीं कर पातेी। आज वह बहुत खश
ु थी। 

शाम ढल चुकी थी रात गहरा रही थी राहुल खाना खाकर अपने कमरे में लेटा हुआ था आज उसका
कंु वारापन खो चुका था लेकिन इस कंु वारे पन के खोने का जरा सा भी गम राहुल को नहीं था े । राहुल को
ही क्यों सारी दनि
ु या के मर्दो को इस को खोने का जरा सा भी ग़म नहीं होता बल्कि दनि
ु या का हर मर्द
अपना कंु वारापन लूटाने के लिए हमेशा बेताब रहता है ।
वीनीत की भाभी को याद करके राहुल का लंड खड़ा होने लगा था। आज उसे एहसास हो गया था कि बुर में
जो मजा आता है वह दनि
ु या की किसी चीज में नहीं आता*। 
राहुल संभोग के सुख को प्राप्त करके आनंदित हो चुका था आज पहली बार उसने अपने लंड का सदप ु योग
किया था वरना अब तक सिर्फ मत्र ु त्याग और हिलाने के ही काम में आता था। कसी हुई बरु की गर्मी अब
तक उसे अपने लंड पर महसस
ू हो रही थी। जिस तरह से वीनीत की भाभी राहुल से दोबारा मल
ु ाकात के
लिए तड़प रही थी ठीक उसी तरह राहुल भी वीनीत की भाभी के साथ दस
ू री मल
ु ाकात के लिए तड़प रहा था
वह मन ही मन में सोच रहा था कि ना जाने कब भाभी से कब मल
ु ाकात होगी।
विनीत की भाभी के बारे में सोचते हुए राहुल का हाथ कब उसके पजामे में जाकर टनटनाए हुए लंड को थाम
लिया उसे पता ही नहीं चला। उसने अपनी मट्ठ
ु ी को लंड पर एकदम भींच लिया और आंखों को बंद करके
हिलाते हुए विनीत की भाभी की कसी हुई बुर के बारो मे सोचते हुए मुठ मारने लगा। और कुछ ही दे र में
हांफते हुए लंड का पानी पजामे में ही गिरा दिया। 

कुछ दिन तक यूं ही चलता रहा राहुल हमेशा विनीत की भाभी के ख्यालों में ही खोया रहता था। पढ़ाई में
उसका मन नहीं लगता था और दस ू री तरफ नीलू थी जो कि राहुल के आगे पीछे लट्टु बनकर फिरा करतीे
थी। लेकिन कुछ दिनों से उसे भी मौका नहीं मिला था कि राहुल से संबंधों को आगे बढ़ाया जा सके। सब
अपनी अपनी धुन में मस्त थे। 

एक दिन अलका अपनी ऑफिस में बैठकर कंप्यट


ू र पर कुछ फाइले सबमिट कर रही थी। बाहर का मौसम
खराब हो रहा था। हल्की फुल्की बंद
ू ाबांदी हो रही थी,
अलका के मन में घबराहट सी हो रही थी क्या कल बारिश तेज होने लगी तो घर कैसे पहुंचेगी क्योंकि रास्ते
में घट
ु नों तक पानी भर जाता था ऐसे में चल पाना बड़ा मश्कि
ु ल होता था और तो और पानी में अलका को
डर भी लगता था' उनका यही सब सोचते हुए कंप्यट
ू र के बटन को बड़ी तेजी से दबाए जा रही थी ताकि काम
जल्द से जल्द खत्म हो। 
अभी अलका एक मुसीबत के बारे में सोच ही रही थी कि तब तक दस
ू री मुसीबत भी सामने कुर्सी पर आकर
बैठ गई। 
और बताइए मैडम जी क्या हाल है ( हाथ में कॉफी का मग पकड़े शर्मा जी कुर्सी पर बैठते हुए बोले।) 

ठीक है शर्मा जी।( अलका भी औपचारिक वश शर्मा जी की तरफ बिना दे खे ही कंप्यूटर पर बटन दबाते हुए
बोली।) 

आजकल आप हमारी तरफ जरा भी गौर नहीं कर रही है मैडम जी। ( कॉफी की चुस्की लेते हुए शर्मा जी
बोले)

( अलका वैसे ही अपने काम में मग्न होते हुए बोली।) 


शर्मा जी हम सिर्फ यहां अपने काम पर गौर करने आते हैं किसी आलतू फालतू चीज पर नहीं।
( अलका का जवाब सन
ु कर शर्मा जी बरु ा सा मंह
ु बनाने लगे । लेकिन अपनी वासनामई नजरों को अलका
के मधुशाला की दोनों छलकते हुए पैमानो पर बराबर गड़ाए हुए थे। इस बात से अलका बिल्कुल अंजान थी
क्योंकि वह शर्मा की तरफ ज्यादा ध्यान दे ही नहीं रही थी पर वह अपने काम में इतनी ज्यादा खो गई थी
कि उसका आंचल के कंधे से लड़ा कर कब नहीं चाहिए आ गया इसका पता ही नहीं चला। और इसी बात का
फायदा शर्मा जी उठाते हुए अलका की पड़ी पड़ी चूचियों के बीच की गहराई को आंखों से ही नाप रहे थे।
बड़ी बड़ी चुचियों को अधनंगी दे खकर शर्मा जी के बुढ़े लंड में भी तनाव आना शुरु हो गया। अलका तो पूरी
तरह से अपने काम मे खोई हुई थी उसे यह कहां पता था कि उसके दोनों छलकते हुए पैमानों को कोई
अपनी आंखों से ही पी रहा है । शर्मा जी के मुंह में पानी भर आया था अलका के मदमस्त बदन उसकी बड़ी
बड़ी चूचियां और मटकती हुई गांड को दे ख दे खकर वह तड़पता रहता था और उसकी याद में घर जाकर रोज
मुठ मारा करता था। 
शर्मा जी अभी भी बेशर्मों की तरह कॉफी की चुस्की लेते हुए अलका की छातियों को ही निहारे जा रहा था। 
लास्ट फाइल सबमिट करने के बाद जैसे ही अलका का ध्यान अपनी छातियों पर गयी और उसने अपने
छातियों को खुला पाई तो उसकी नजर सामने बैठे शर्मा जी पर पड़ी जो की ललचाई आंखों से उसकी चूचियों
को ही घूर रहा था'अलका ने झट से अपने पल्लू को दिल तो करते हुए अपनी छातियों को ढकते हुए गुस्से मे
बोली।

शर्मा जी आप जाकर अपना काम कीजिए युं दस


ू रों को परे शान करने मत चला आया करिए। ( अलका का
गस्
ु सा दे खकर शर्मा जी झट से कुर्सी से उठ गए और बिना कुछ बोले वहां से हाथ मलते हुए अपनी केबिन में
चले गए। अल्का का काम खत्म हो चक
ु ा था उसे घर जल्दी भी जाना था क्योंकि बाहर बारिश शरु
ु हो चक
ु ी
थी इसलिए उसने मैनेजर पर घर जाने की अनम
ु ति मांगी और मैनेजर भी हवामान को दे खते है उसे घर
जाने की इजाजत दे दिया। अलका भी जल्दी-जल्दी अपना पर्स उठाई और ऑफिस के बाहर आ गई, हल्की
हल्की बारिश शरु
ु हो चक
ु ी थी। वह जानती थी कि वह भीग जाएगी लेकिन किया भी क्या जा सकता था इस
मौसम का ठिकाना होता तो छतरी भी ले कर घर से बाहर आती लेकिन अब तो बिन मौसम ही बारिश होने
लगती है । 
अलका मन में ही बड़बड़ाते हुए अपने कदम बढ़ा रही थी। बारिश की हाल्की ठं डी ठं डी बूदे धीरे धीरे करके
उसके बदन को भिगोने लगी थी। वह कुछ दरू ही चली थी कि धीरे -धीरे करके उसके सारे कपड़े भीग गए।
रह-रहकर पवन का तेज झोंका उसके बदन मे सुरसराहट फैला जाता। अलका को मार्के ट पहुंचते-पहुंचते वह
बारिश के पानी में पूरी तरह से तरबतर हो चुकी थी और बारिश थी कि रुकने का नाम नहीं ले रही थी ।
सड़को पर पानी धीरे धीरे करके घुटनों से नीचे तक बहने लगा था । अलका की परे शानी बढ़ते जा रही थी। 
साड़ी गीली हो कर उसके मादक बदन पर चिपकी हुई थी जहां से हल्के हल्के उसके अंग का प्रदर्शन हो रहा
था। पूरी तरह से ब्लाउज के लिए होने की वजह से ब्लाउज के अंदर की काले रं ग की ब्रा साफ साफ नजर आ
रही थी पीठ की तरफ उसकी काली पट्टीी दे खकर आने जाने वालों का लंड टाइट हो जा रहा था। साड़ी गीली
होकर उसके बदन से एेसे चिपकी हुई थी की उसकी भरपरु मादक गांड का उभार और कटाव साफ साफ
दीखाई दे रहा था। और वास्तव में अलका को बदन की प्राकृतिक संद
ु रता को दे ख कर आने जाने वालों की
नजरें एक पल के लिए उसके बदन पर ही चिपक जाती थी। अलका भीगे बदन में और भी ज्यादा खब
ू सरू त
लगने लगी थी। घर पहुंचने की जल्दी में बिना आगे पीछे दे खे झटाझट अपने कदमों को बढ़ाते हुए चली जा
रही थी लेकिन रास्ते पर पानी घट
ु नों तक आ गया था जिसकी वजह से पैर को आगे बढ़ाने में तकलीफ हो
रही थी। 

अलका को अब शर्म महसूस होने लगी थी , क्योंकि रास्ते का पानी घुटनों तक होने की वजह से उसे ना
चाहते हुए भी अपनी साड़ी को घुटनों तक उठाना पड़ा जिससे उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलियां दिखने
लगी थी। बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी रह रह कर बादलों की गड़गड़ाहट से उसका मन काँप उठ़ता
था और कोई समय होता तो ऐसी बारिश में वो कभी नहीं निकलती लेकिन क्या करें मजबूरी थी घर पहुंचना
था इसलिए उसे बारिश में निकलना ही पड़ा। पानी में अपने पैरों को घसीटते हुए वह आगे बढ़ ही रही थी कि
तभी उसे पीछे से आवाज आई। 
आंटी जी... वो आंटी जीे ...थोड़ा रुकिए....
( उसे यह आवाज कुछ जानी पहचानी लगी इसलिए उसके कदम ठीठक गए , पीछे मुड़कर दे खी तो विनीत
था जो की छतरी लेकर उसकी तरफ ही बढ़े चले आ रहा था। उसे दे खते ही उसके चेहरे पर मुस्कान तेैर गई
विनीत को दे ख कर उसे क्यों इतनी खुशी हुई यह खुद वह नहीं जानती थी। इस खश
ु ी के पीछे कोई लगाव
कोई अपनापन या आकर्षण था ईसको बता पाना अलका के लिए भी बड़ा मुश्किल था। 
वीनीत छत्री ओढ़ै अलका के पास पहुंच गया और बोला
आंटी जी आप ऐसी बारिश में कहां से आ रहीे हैं? 

अरे बेटा मैं तो ऑफिस से आ रही हूं अब क्या करूं मुझे बारिश में बहुत ज्यादा डर लगता है लेकिन मजबूरी
है इसलिए मझ
ु े एसी बारिश में भी जाना पड़ रहा है । ( अलका विनीत के सवाल का जवाब दे ते हुए बोली.
अलका को अब तक बहुत जल्दी पड़ी थी घर पहुंचने को लेकिन अलका भी शायद अंदर ही अंदर विनीत के
प्रति आकर्षित होती जा रही थी। इसलिए तो ऐसी तफ
ू ानी बारिश में भी खड़ी हो गई थी। अलका के चेहरे पर
और ज्यादा प्रसन्नता के भाव दीखाई दे ने लगे जब वीनीत ने छत्री को अपने ऊपर से हटाकर अलका के
ऊपर कर दीया। अलका परु ी तरह से भीग चक
ु ी थी लेकीन उस लड़के का अंदाज दे खकर उससे कुछ. बोला
नही गया। विनीत भीगा हुआ नहीं था लेकिन अपने ऊपर से छतरी हटाकर अलका के ऊपर रखने से वह भी
बारिश में भीगने लगा । अलका उसे छतरी में आने के लिए कहने से शर्मा रही थी. दोनों घट
ु ने तक पानी में
दो ही कदम चले थे कि जोर से बादल गरजा और बादल के गरजने की आवाज सुनते ही अलका घबरा गई
और उसने तुरंत विनीत को छतरी में आने के लिए कहीं।

विनीत तो जैसे अलका के कहने का इंतजार ही कर रहा था कि वह तरु ं त क्षतरी में आ गया ओर जान बझ
ु के
बिल्कुल अलका के बदन से सट गया लेकिन इस बात से अलका बिल्कुल अनजान थीे कि विनीत
जानबूझकर उसके बदन से अपने बदन का स्पर्श करा रहा है । दोनों घुटनोे तक पानी में धीरे धीरे पैरों को
लगभग घसीटते हुए आगे बढ़ रहे थे। अलका ने किस तरह से अपनी साड़ी को घुटनों तक उठाकर पकड़कर
चल रही थी उसे दे खकर किसी भी मर्द की इच्छा उसको चोदने के लिए मचल उठे उसकी इठलाती बलखाती
कमर और बड़ी-बड़ी मटकती हुई गांड अच्छे अच्छो का पानी निकाल दे । विनीत तो रह रह कर अपनी नजरें
नीचे करके उसकी गोरी नंगी पिंडलियो को दे ख कर अपनी आंखों को सेक ले रहा था, विनीत के साथ चलते
हुए अलका का डर कुछ हद तक कम हो चुका था। अभी दोनों मार्के ट में ही थे बारिश का जोर कुछ कम होता
नजर आ रहा था लेकिन पानी अभी भी घुटनों तक ही था अभी भी दोनों को बहुत चलना था वैसे तो आम
दिनों में अपने घर पहुंचने में अलका को सिर्फ 15 या 20 मिनट लगते थे लेकिन पानी भरे होने की वजह से
आज शायद कुछ ज्यादा ही समय लग जाए। विनीत अलका के साथ बातों का दौर बढ़ा रहा था। और भी
लोग थे जो सड़कों पर घुटनों तक पानी में आ जा रहे थे जब भी कोई बड़ी मोटर वहां से गुजरती तो पानी की
लहरें दोनों को हक मचा दे ती ओर पानी का बड़ा सा गुब्बारा की तरह लहरों के साथ दोनों के बदन से
टकराता तो दोनों गिरते गिरते बचते । अलका अगर अकेले ही होती तो लहरों की टक्कर से जरुर गिर जाती
लेकिन विनीत बार-बार अलका को सहारा दे कर संभाल ले रहा था। और अलका को संभालने मे वीनीत का
हांथ अलका के बदन पर जहां तहां पड़ जा रहा था। एक हाथ में छतरी पकड़े अलका अपने आप को संभाल
भी नहीं पा रही थी। विनीत उस को संभालने में कभी अपने हाथ को अलका की मांसल कमर तो कभी
उसकी बांह पकड़ ले रहा था एक बार तो मौका दे ख कर वीनीत ने अलका को सभालने संभालने में अपनी
हथेली को अलका कि बांह से निकालकर अलका की चूची पर ही रख दिया और मौका दे ख कर उसे हल्के से
दबा भी दिया। 
अलका को विनीत की ये हरकत महसूस जरूर हुई लेकिन उसने यह सोच कर टाल दिया कि शायद
अनजाने में ही वीनीत के हांथो ऐसी गलती हो गई होगी। 
लेकिन एकबारगी विनीत की इस हरकत से अलका के परू े बदन में झनझनाहट सी फैल गई, चचि
ू यों पर
विनीत के हाथों का स्पर्श की झनझनाहट उसकी रीढ की हड्डी से होते हुए उसकी जांघों के बीच की पतली
दरार तक पहुंच गई। अलका वीनीत को कुछ बोल नहीं पाई।
दोनों बातें करते हुए पानी में चले जा रहे थे लेकिन अलका कुछ कम ही बोल रही थी क्योंकि उसे शर्म सी
महसस
ू होने लगी थी , लता अपने मन के द्वंद यद्ध
ु में ही उलझी पड़ी थी वह अपने आपको समझा नहीं पा
रही थी कि विनीत का यह स्पर्श उसे अच्छा लग रहा था या खराब लग रहा था। जितना सटकर विनीत चल
रहा था इतने करीब उसने किसी मर्द को नहीं आने दी थी। सिर्फ राहुल ही था जो चलते समय या कैसे भी
उसके इतने करीब रहता था राहुल उसका बेटा था और विनीत भी राहुल के ही हम उम्र का था जो कि उसके
बेटे के ही समान था। विनीत के इतने करीब रहने पर अलका के बदन में अजीब सी फीलिंग हो रही थी जब
की राहुल की वजह से उसे आज तक ऐसी फीलिंग नहीं हुई थी,
ईसी फीलिंग को समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है । 
विनीत का तो हाल बरु ा हो चक
ु ा था बारिश की ठं डी बंद
ू ों में भी उसके पसीने छूट रहे थे इतना गर्म इतना
मल
ु ायम और गद
ु ाज चच
ू ी का स्पर्श उसे अंदर तक हीला गया था। ब्लाउज गीली होने की वजह से उसकी
काले रं ग की ब्रा साफ साफ नजर आ रही थी और ब्रा से झांकती उसकी बड़ी बड़ी चचि
ू यां उसके लंड में खन

के दौरे को बढ़ा रही थी। भीगे मौसम में भी विनीत परू ी तरह से गरमा चक
ु ा था, शाम ढल चक
ु ी थी अंधेरा
छाने लगा था वैसे भी बारिश के मौसम की वजह से काले बादलों ने पहले से ही अंधेरा किए हुए था। दोनों
धीरे धीरे चलते हुए मार्के ट से बाहर आ चुके थे. अब सड़क पर केवल इक्का-दक्
ु का इंसान ही नजर आ रहे थे
जो कि वह लोग भी घर पहुंचने की जल्दी मे अपने आसपास ध्यान दिए बिना ही चले जा रहे थे। 
अलका की खूबसूरती और उसके भीगे बदन की खश
ु बू से विनीत का मन मचल रहा था। अपने आप पर
कंट्रोल कर पाना उसके लिए मुश्किल हुए जा रहा था। एक तो रोमांटिक मौसम और ऊपर से एक खूबसूरत
औरत का साथ जोकि पानी में भीगकर और भी ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी हो चुकी थी, और तो और
दोनों एक ही छतरी के नीचे आपस में कटे हुए भीगते बारिश में घुटनों तक पानी मे चले जा रहे थे जिससे
विनीत का अपने ऊपर कंट्रोल कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा लगने लगा था। 
बारिश ने अपना जोर कम कर दी थी लेकिन बंद नही की थी। वीनीत अलका को अपनी बाहों में भरकर
चूमना चाहता था उसके मधभरे रसीले होठों को अपने होठों के बीच रख कर उनके रस को नीचोड़ना चाहता
था' अलका की बड़ी बड़ी गांड जो की साड़ी भीेगने की वजह से और भी ज्यादा उभरी हुई और उसके कटाव
साफ साफ दिखाई दे रहे थे जिसे दे खकर विनीत पगला सा गया था विनीत उसे मसलना चाहता था। उसे
इंतजार था तो बस सही मौके का, अंधेरा छाने लगा था रह-रहकर बादलों की गड़गड़ाहट से अलका का मन
बैठ जा रहा था। बिजली की चमक और बादलों की गड़गड़ाहट से अलका को बहुत डर लग रहा था इसलिए
डर वश वह विनीत के और भी ज्यादा नजदीक सट कर चलने लगी। यहां से कुछ ही दरू ी पर चौराहा था जहां
तक अलका के साथ ही चलना था। विनीत की बेचैनी बढ़ती जा रही थी उससे रहा नहीं जा रहा था क्या करें
कि वह अलका को अपनी बाहों में भर कर चूमने लगे। 
अलका थी की विनीत की हरकत की वजह से अभी तक रह रहकर उसके बदन में सीहरन सी दोड़ जा रही
थी। ना जाने क्यों उसे ऐसा लगने लगता कि अभी भी उसकी चूची पर विनीत की हथेली कसी हुई है । उसे यू
पानी में वीनीत के साथ चलना अच्छा लग रहा था, 
परू ी तरह से अंधेरा छातियों का था आज सड़कों पर की लाइट भी बंद थी इसलिए कुछ ज्यादा ही घना अंधेरा
लग रहा था। अलका इस अंधेरेपन से परू ी तरह से वाकिफ थी क्योंकि वह जानती थी कि जब भी बारिश का
सीजन आता है तो बारीश की वजह सें सड़कों की लाइटें चली जाती हैं। 
पानी घट
ु नों से नीचे आ चक
ु ा था क्योंकि ईधर का रास्ता थोड़ा ऊंचाई पर था और चारों तरफ बड़े-बड़े घने
पेड़ों से ढके होने के कारण यहां कुछ ज्यादा ही अंधेरा लग रहा था और अब तो सड़क पर एक इंसान भी
नजर नहीं आ रहा था यही मौका वीनीत को ठीक लग रहा था। 
अलका इस रास्ते से गज
ु रते वक्त मन ही मन घबरा रही थी, उसकी घबराहट का एक कारण अंधेरा तो था
ही और उपर से सबसे बड़ा कारण था बादलों का तेज गड़गड़ाहट और बिजली का चमकना ये सबसे अलका
कुछ ज्यादा ही घबरा रही थी इसलिए यहां पर चलते समय वह विनीत से कुछ ज्यादा ही सट चक
ु ी थी।
अकेलापन और अंधेरे का साथ पाकर विनीत मैं थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए धीरे से अलका की कमर पर
अपनी हथेली रख दिया, अपनी कमर पर विनीत की हथेली का स्पर्श पाते हैं अलका एकदम से सिहर ऊठी '
वीनीत धीरे -धीरे अलका की कमर को सहलाते हुए उसे अपनी तरफ खींचे हुए चल रहा था। विनीत को
अपनी कमर को ईस तरह से सहलाते हुए दे ख कर अलका का पूरा बदन कांप पर सा गया। सड़क एकदम
सुनसान थी पानी उतर चुका था बारिश की बूंदे भी लगभग बंद हो चुकी थी, दरू दरू तक कोई दिखाई नहीं दे
रहा था इसलिए अलका को वीनीत की हरकत से और ज्यादा डर लगने लगा। अलका के हाथ में अभी भी
छतरी थी।
वीनीत ने धीरे -धीरे अपनी हथेली को कमर से होते हुए ऊपर की तरफ सरकाना शुरू कर दिया और कुछ ही
सेकंड में उसकी हथेली पूरी तरह से अलका की एक चूची पर जम चुकी थी, और विनीत ने तो उसे मसलना
भी शुरू कर दिया था। अलका की चूची इतनी बड़ी थी कि विनीत के हाथ में ठीक से समा भी नहीं पा रहे थे।
विनीत तो एकदम मदहोश हो चुका था और अलका एकदम से घबरा चुकी थी लेकिन ना जाने क्यों उसे
अच्छा भी लग रहा था। आज बरसों के बाद कीसी के हथेलियों का स्पर्श उसकी चूची पर हुआ था, उसे
अच्छा भी लग रहा था लेकिन उसका मन नहीं मान रहा था की अपने बेटे की उम्र के लड़के के साथ इस
तरह....छी...छी..।छी.. उसकी अंतरात्मा गवाही नहीं दे रही थी उसे यह सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग
रहा था अलका उसे यह सब करते हुए रोकना चाह रही थी,
लेकिन भी नहीं था कि वहां चूची को दबाए ही जा रहा था, तभी अलका ने हिम्मत करके उसे रोकते हुए
बोली

विनीत.....( अलका के मुंह से इतना निकला ही था कि तभी अचानक इतनी तेज बिजली कड़की की वह
एकदम से कांप उठी और डर के मारे खद
ु ही विनीत के बदन से चिपक गई. वीनीत भी मौके की नजाकत
को समझते हुए तरु ं त उसे अपनी बाहों में कस लिया। बाहों लोक आते ही विनीत अपने दोनों हाथों को
उसकी पीठ पर सहलाते हुए नीचे कमर की तरफ ले जाने लगा, अलका परु ी तरह से गनगना चक
ु ी थी।
विनीत ऐसी हरकत करे गा अलका को यह उम्मीद न थी। अलका उससे छूटने की कोशिश करती ईससे
पहले ही विनीत में अपने दोनों हथेलियों को उस की गदराई गांड पर रखकर दोनों हाथ से दबाने लगा।
विनीत को तो जैसे कोई खजाना मिल गया होै इस तरह से टूट पड़ा था। गर्दन को चम
ू ते चम
ू ते उसने एक
हाथ से अलका के सिर को थाम कर अपनी प्यासे होठो को अलका के दहकते होठो पर रख दिया ओर
गुलाबी होठो को चुसने लगा। 
अलका ऊसके बांहो की कैद से छुटने के लिए तड़फड़ा रही थी लेकीन वीनीत के हांथो को अपनी गदराई गांड
पर महसूस कर के अलका का भी मन बहकने लगा था लेकिन वह पूरी तरह से बदहवास नहीं हुई थी वह
उससे अभी भी चोदने की कोशिश कर ही रही थी कि, विनीत ने अलका को उस की गदराई गांड से पकड़कर
फिर से अपने बदन से सटा लिया ओर इस बार विनीत के पें ट में बना तंबू सीधे जाकर साड़ी के ऊपर से ही
उसकी बरु पर दस्तक दे ने लगा, वीनीत के हर स्पर्श से अलका अपने आप को संभाले हुए थी लेकिन इस
बार वीनीत के लंड की ठोकर अपनी बरु पर महसस
ु करके अलका परु ी तरह से बहक गई ओर वह अपने
आपको संभाल नहीं पाई और खद
ु ही जैसे पेड़ में तने लिपट़ते हैं ।

उसी तरह से वह भी वीनीत के बदन से लिपट गई' और खुद ही उसके होठों को चूसने लगी। अलका को साथ
दे ता दे खकर विनीत की हिम्मत बढ़ने लगी। अंधेरे का लाभ उठा कर विनीत यहीं पर सब कुछ कर लेना
चाहता था इसलिए वह अलका की चूचियों को भी मसलने लगा' लंड की चुभन ओर चुचीयो के मसलन से
अलका मस्त होने लगी।उसकी कामोत्तोजना बढ़ती जा रही थी। ठं डे ओर खश
ु नुमा मोसम मे भी अलका
गरमाने लगी थी। वीनीत तो इतना पागल हो चक
ु ा था कि उसके हाथ अल्का के बदन के कोने-कोने तक
पहुंच रहे थे।
अलका के गल ु ाबी होठों को चस
ू चस
ू कर के बदन में मदहोशी छाने लगी थी ऐसा लगने लगा था कि जैसे
शराब की कई बोतल का नशा उसकी आंखों में उतर आया हो। अलका उत्तेजना की वजह से शध
ु बध
ु को
बैठी थी। उसके दिमाग में इस समय कुछ भी नहीं चल रहा था अच्छे -बरु े कि समझ खो चक
ु ी थी। इस वक्त
उसका दिमाग एकदम शन्
ु यमनस्क हो चक
ु ा था। कामोत्तेजना में सराबोर होकर कब उसके दोनों हाथ
विनीत की पीठ पर जाकर उसे सहलाने लगे उसे खद
ु को पता नहीं चला। 
विनीत तो कभी उसकी पीठ सहलाता तो कभी उस की गदराई बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हाथों से मसलता तो
कभी दोनो चुचियों को हथेली में भर भर कर दबाता , अलका विनीत की इन सभी हरकतों से आनंदित हुए
जा रही थी। अलका उस वक्त एकदम जल बिन मछली की तरह तड़प उठी जब विनीत ने अपनी हथेली को
साड़ी के ऊपर से ही उसकी जांघों के बीच बुर पर रगड़ने लगा
अलका के पुरे बदन में चुदास की लहर भर गई. वह एकदम से तड़प ऊठी। वह उत्तेजना के मारे कसमसाने
लगी विनीत की हथेली बुर वाली जगह को लगातार रगड़ रही थी। दोनों के हॉट आपस में भिड़े हुए थे दोनों
पूरी तरह से गरमा चुके थे।
विनीत समझ चुका था कि अलका पुरी तरह से उसके हाथ में आ चुकी है । इसलिए वह एक हाथ से उसकी
साड़ी को पकड़कर उपर कि तरफ सरकाने लगा धीरे धीरे करके उसने साड़ी को जाँघो के ऊपर तक ऊठा
दिया, अलका इससे ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि उसने एक बार भी विनीत को रोकने की कोशिश नहीं
की बल्कि वह शायद अंदर से यही चाह भी रही थी' या उसके बदन की गर्मी ने उसे वीनीत को रोकने की
इजाजत नहीं दिया। विनीत का लंड एकदम टाइट चुका था, और उसने तुरंत एक हाथं से अपनी जीप
खोलकर अपने टनटनाए हुए लंड को पें ट से बाहर निकाल लिया था। वीनीत पूरी तरह से तैयार था वह इसी
जगह पर अलका को चोदना चाहता था इसलिए वह अलका को पकड़कर दस
ू री तरफ घुमाना चाह ही रहा
था कि दरू से आ रही मोटरकार कीे लाईट की वजह से रुक गया और तुरंत अपने लंड को वापिस पें ट में ठूस
लिया। अलका को भी जैसे होश आया हो उसने तरु ं त अपने कपड़े को दरु
ू स्त की ओर मोटर कार उसके पास
से होकर गज
ु रे इससे पहले ही वह बिना कुछ बोले लगभग दौड़ते हुए चौराहे के दस
ू रे तरफ से अपने घर की
तरफ चल दी ' अलका एक बार भी पीछे मड़
ु कर नहीं दे खी वह जल्द से जल्द अपने घर की तरफ चली जा
रही थी और वीनीत वही खड़े ठगी आंखों से अलका को जाते हुए दे खता रहा।

अलका हांफते हांफते अपने घर पर पहुंची ' रात के 8:30 बज चुके थे। राहुल अपनी मां को दे खते ही सवाल
पर सवाल पूछने लगा।

क्या हुआ मम्मी इतनी दे र कैसे लग गई , कहां रह गई थी मम्मी, ( अब राहुल के सवाल का क्या जवाब
दे ती इसलिए वह गोल-गोल घुमाते हुए बोली।)

अरे बेटा दे ख तो रहे हो एक तो वैसे ही ऑफिस में इतनी दे र हो गई थी और ऊपर से जब ऑफिस से छुट्टी तो
बाहर यह बारिश घुटनों तक पानी में पैदल चल कर आ रही हुं ओर तू है कि सवाल पर सवाल पूछे जा रहा
है ।
( अलका का जवाब सन
ु कर राहुल बोला।)

सॉरी मम्मी इतनी दे र हो गई थी इसलिए मुझे चिंता हो रही थी।

अच्छा सोनू कहां है उसे कुछ खिलाए कि नहीं? 

अपने कमरे में हे मम्मी पढ़ रहा है ।

ठीक है बेटा थोड़ा इंतजार करो मैं झटपट खाना बना दे ती हूं मझ
ु े मालम
ू है कि तम
ु लोगों को भख
ू लगी
होगी।

( अलका बाथरूम में जाकर अपने कपड़े बदल ली और पतला गाऊन अपने बदन पर डाल कर खाना बनाने
में जुट गई। खाना बनाते समय रह नहीं कर उसे सड़क वाला दृश्य याद आ रहा था उस दृश्य को याद करके
अलका रोमांचित हो जा रही थी। आज उसके साथ जो हुआ था उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी। वह
इतना कैसे बहक गई उसे खुद समझ में नहीं आ रहा था। आज खाना बनाने में उसका मन बिल्कुल नहीं
लग रहा था लेकीन जैसे तैसे करके उसने खाना तैयार कर ली। अलका अपसाथ में बैठकर खाना खाने लगी
तभी राहुल की नजर दीवाल के सहारे रखी छतरी पर पड़ी, और छतरी को दे खते ही राहुल बोला। 
यह छतरी किस की है मम्मी? 

( राहुल की बात सुनते ही अलका का दिल धक से रह गया। उसे तुरंत याद आया कि उसने तो छतरि दे ना
भूल ही गई। और छतरी को दे खते ही अलका के आंखों के सामने विनीत का चेहरा तेरने लगा उसे वह सब
याद आने लगा जो उसके साथ सड़क पर हुआ था। राहुल का उसको अपनी बाहों में कसना उसका होठो को
चूसना, अपनी दोनों हथेलियों से उसकी बड़ी बड़ी गांड को कस कस के मसलना, अलका के पूरे बदन में
सीहरन सी दौड़ गई जब उसे याद आया कि कैसे वीनीत ने साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुप को मसलना शुरू
कर दिया था और तो और हद तब हो गई थी जब उसने उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाना शुरु कर दिया
था। यही सब अलका याद कर रही थी कि तभी अचानक राहुल बोला।

क्या हुआ मम्मी कहां खो गई तबीयत तो ठीक है ना!

राहुल की बात सुनते ही अलका हड़बड़ाते हुए बोली।

ककककक...कुछ नही बेटा ये छतरी तो मेरी एक सह कर्मचारी की है जिसने मुझे बारिश से बचने के लिए
छतरी दी थी कल उसे लौटा दं ग
ू ी।
( अलका राहुल से झूठ बोल गई थी। थोड़ी दे र में खाना खत्म करके दोनों बच्चे अपने अपने कमरे में चले
गए और रसोई की साफ-सफाई कर के अलका भी अपने कमरे में आ गई। 
अलका अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी, रह-रहकर अभी भी उस का मन मचल जा रहा था। आज जो कुछ भी
हुआ उसके बारे में सोचते ही उसकी जांघों के बीच सुरसुराहट होने लग रही थी। वह मन ही मन बार बार
अपने आप को ही कोस रही थी कि उसने क्यों उस बित्ते भर के छोकरे को रोक नहीं पाई। वह मन ही मन
अपने आप से ही सवाल पछ
ू रही थी कि पति के जाने के बाद जिसने आज तक किसी भी मर्द को अपने
आस-पास भटकने भी नहीं दी, तो उस लड़के को इतनी आगे बढ़ने की इजाजत कैसे दे दी क्यों उसे रोक
नहीं पाई कैसे उसका बदन उसके सामने ढीला पड़ने लगा। विनीत के साथ का रास्ते पर का सारा ब्यौरा
उसकी आंखों के सामने तैर रहा था' बार-बार उसे उसकी बरु पर साड़ी के ऊपर से ही विनीत के द्वारा हाथ
लगाना याद आ रहा था उस दृश्य को याद कर करके रोमांचित भी हो जा रही थी लेकिन फीर अपने आप पर
गस्
ु सा भी आ रहा था। 
वह अपने आप मन में ही बड़बड़ातेे हुए बोली उस बित्ते भर के छोकरे की इतनी हिम्मत कि उसने मेरी
......छी....( अलका अपनी बुर के बारे में मन ही मन बड़बड़ा रहे थी लेकिन अलका कभी भी अपने मुंह से
अपनी अंगो का नाम नहीं ली थी अपने पति के सामने भी नहीं )...उसने मुझे क्या दस
ू री औरतों की तरह
समझा था जो मेरे साथ ऐसा करने लगा , अब कभी भी वह मुझे मिला तो उसे जरूर डांटुंगी और अब से यह
भी कहूंगी कि मेरे करीब बिल्कुल ना आए। ( अलका दस
ू री तरफ करवट लेकर आंखों को बंद करके सोने की
कोशिश करने लगी लेकिन जैसे ही आंखों को बंद की तरु ं त उसकी आंखों के सामने फिर से वही दृश्य तेरने
लगा। उसका चचि
ू यों को दबाना है उस को मसलना कमर को सहलाते हुए बड़ी-बड़ी गांड को दबाना, उसके
होठों को ऐसे चस
ू ना जैसे कि वह उसकी प्रेमिका हो और उसकी बरु को साड़ी के ऊपर से ही मसलना, साड़ी
को ऊपर की तरफ उठाना और उसको होश में लाती हुई मोटर कार की तेज रोशनी, उसने तरु ं त अपनी आंखें
खोल दी और मन ही मन सोचने लगी कि अगर आज वह ऐन मौके पर मोटर गाड़ी नहीं आती तो ना जाने
क्या हो जाता बरसों से बेदाग दामन में बदनामी का धब्बा लग जाता। अभी अलका को ऐसा लगने लगा कि
उसकी जाँघों के बीच कुछ रीस रहा है , वह समझ नहीं पाई की यह क्या है और उत्सुकता वश बैठ गई।
उसने बैठे-बैठे ही अपने गांउन को झट से अपनी कमर तक खींच ली, तुरंत कमर के नीचे का भाग पूरा नंगा
हो गया
और तो और उसने आज पें टी भी नहीं पहनी थी इसलिए गांव के अंदर पूरी तरह से नंगी ही थी, अलका ने
जब अपनी उं गलियों से बुर को टटोलते हुए चेक करने लगीे तो उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना ना था। वह
समझ गई कि उसकी बुर से काम रस रीस रहा था।
वह समझ नहीं पाई कि ऐसा क्यों हो रहा है आखिर यह काम रस क्यों उसकी बुर से निकल रहा है । कहीं
विनीत के साथ उसका जोवा क्या हुआ था कहीं उसके बदन को आनंदित तो नहीं कर रहा है . । अलका
बार-बार कैटरीना को भूलना चाहती थी इस घटना से निकलना चाहती थी लेकिन फिर भी ना जाने क्यों
उसे वही सब वाकया याद आ रहा था और वह यह भी साफ तौर पर जानती थी कि उस वाक्ये से उसे भी
आनंद आ जरूर रहा था। तभी तो बारबार उसे आज की घटना याद आ जा रहाी थी। और वह भी उस घटना
को याद कर करके रोमांचित हुए जा रही थी। 
अलका की ऊंगलिया खुद ब खुद बुर पर घुमने लगी थी।
अलका आज बड़े गौर से अपनी बुर को निहार रही थी, कई सालों के बाद आज पहली बार इतनी ध्यान से
अपनी जांघों के बीच की पतली दरार को दे ख रही थी।
नाजुक नाजुक उं गलीयो पर बालों के झुरमुटों का नरम स्पर्श होते ही उसको यह एहसास हुआ कि महीनों से
उसने इन बालों को साफ नहीं की थी और बाल काफी बड़े हो गए थे जिसकी वजह से बुर की पतली दरार भी
बड़ी मुश्किल से नजर आ रही थी, अलका की ऊंगलिया बुर के कामरस मे भीगने लगी थी। अपनी बुर पर
ऊंगलिया फीराते हुए अलका मदहोशी के आलम में उतरती चली जा रही थी। अलका ने उत्सुकता वश जैसे
ही अपनी उं गली से बरु की गल
ु ाबी पत्तियों को कुरे दी उसे फिर से वीनीत याद आ गया, जब उसने उसे
कसके अपनी बाहों में भींचा था तो कैसे उसका टनटनाया हुआ लंड पें ट के अंदर होते हुए भी उसकी ठोकर
उसकी साड़ी के ऊपर से ही सीधे इसकी बरु पर लग रही थी।
उसके लंड की ठोकर को अपनी बरु पर महसस
ु करके अलका एक बार फिर से परू ी तरह से गनगंना गई। 
अलका के चेहरे पर एक बार फिर से शर्म-ओ-हया की लाल़ी छाने लगी उसके गाल सर्ख
ु गलु ाबी हो गए।
उसके चेहरे पर एक बार फीर से क्रोध ओर आनंद का मिला जुला असर दे खने को मिल रहा था। 
अलका एक साथ दो राहों पर चल रही थी एक तो उसका बदन जो बरसों से प्यासा था उसके बस में नहीं था
एक तरफ वीनीत की हरकतों से उसके बदन में मस्ती की लहर दौड़ जा रही थी और दस
ू री तरफ उसका मन
इन सब बातों से अपने आप को खद
ु ही कोश भी रहा था। 
अलका विनीत के बारे में सोचते हुए अंगलि
ु यों से अपनी बरु को कुरे दे जा रही थी, उसे अब मजा आने लगा
था। 
ईसमे दोष उसका नही बल्की बर्षो से ऊसके अंदर दबी हुई उसके बदन की भख
ु थी जैसे विनीत ने अपनी
हरकतों से भड़का दिया था। अलका ने उसके पति के जाने के बाद अपने हालात से समझौता कर ली थी,
उसने अपना सारा ध्यान अपने बच्चों के पालन-पोषण में ही लगा दी थी। बल्कि जिस समय उसका पति
उसे छोड़ कर गया था एसी उम्र में बदन की प्यास और ज्यादा भड़क जाती है ऐसे में औरत बिना लंड लिए
संतुष्ट नहीं हो पाती। अलका जीस उम्र के दौर से गुजर रही थी एसी उमर में अक्सर औरत बिना लंड के एक
पल भी गुजारा नहीं कर पाती, और अलका ने तो इस उम्र में ही इन सब बातों को बहुत पीछे छोड़ चुकी थी,
अपने बदन की जरूरत को उसने अपने अंदर ही दफन कर ली थी। अलका को सेक्स की जरूरत कभी
महसूस ही नहीं हुई थी. उसने अपने अंदर सेक्स की प्यास को भड़कने ही नहीं दी थी । लेकिन आज उस
छोकरे ने अपनी हरकत से बरसों से दबी हुई उसके बदन की आग को भड़का दिया था।
अलका प्यासी थी लेकिन उसके संस्कारों ने उसे बांध रखे थे। अगर हल्की सी चिंगारी को भी थोड़ी सी हवा
दी जाए तो वह भड़क उठती है , उसी तरह से अलका के भी बदन में दबी हुई बरसों की चिंगारी धीरे धीरे
भड़क रही थी।
अलका हल्के हल्के अपनी उं गलियों से बुर की पत्ती को मसलना शुरू कर दी थी, झांटों के झुरमुटों के बीच
जब
अलका अपनी उं गलियों को कसकर रगड़ती तो बड़े बड़े बाल अंगुलियों की रगड़ के साथ खींचा जाते जिससे
उसे दर्द होने लगता लेकिन उस दर्द को अलका अपने होंठ को दातो तले दबा कर सह जाती। कुछ ही पल में
उन्माद से भरा हुआ अलका का बदन हिचकोले खाने लगा, सांसे भारी होने लगी थी. उसका गला सूख रहा
था। अब उसे ज्यादा कुछ नहीं बस वही दृश्य बार-बार याद आ रहा था जब विनीत ने उसे करके अपनी बाहों
में भींचा था, और तुरंत उसका कड़क लंड साड़ी के ऊपर से ही बुर पर ठोकर मार रहा था। आज बरसों के
बाद उसने लंड की कठोरता को अपनी बुर के इर्द-गिर्द महसूस की थी। इसलिए तो उसका बदन और भी
ज्यादा चुदवासा होकर चुदास की तपन मे तप रहा था।
इस वक्त ना चाहते हुए भी उसे विनीत ही बार बार याद आ रहा था । मदहोशी के आलम में अलका की
आंखें मंद
ु ी हुई थी, और वह विनीत को याद करके अपनी बरु को बड़ी तेजी से रगड़ रही थी, लेकिन बार-बार
उसकी झांट के बाल उं गलियों के साथ खींचा जा रही थी।

जिसकी वजह से उसे दर्द के साथ साथ बूर को रगड़ने में दिक्कत भी ं हो रही थी इसलिए वह मन ही मन तय कर
ली कि कल वह मार्के ट से लौटते समय दुकान से वीट क्रीम लेकर आएगी और अपने इन बालों को साफ करके बुर
को वापस एकदम चिकनी कर लेगी वैसे भी उसे बुर पर ज्यादा बाल पसंद नहीं थे लेकिन उसकी उमंग ही खत्म हो
चुकी थी इसलिए उसने बार बार बाल को साफ करने की जेहमत उठाना ठीक नहीं समझती थी, लेकिन अब उसे
लगने लगा था कि बुर को समय समय पर साफ करके चीकनी कर लेना ही ठीक रहेगा।
अलका बदहवास होकर अपनी बुर को मसल रहीे थी और तभी फिर से उसे वीनीत के लंड की ठोकर याद आई और
उसने झट से अपनी बीच वाली उंगली को आधी बुर में उतार दी , यह कब और कैसे हो गया उसे पता ही नहीं चला।
अलका अपनी आंखें खोली अपनी ब** की तरह ही दे ख रही थी और बार बार बुर में अाधी घुसी हुई अपनी उंगली
की तरफ दे खकर सोच रही थी कि, यह ठीक नहीं है मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए यह गलत है अगर आज बहक गई
तो अनर्थ हो जाएगा। उसका दिमाग उसे रोक रहा था लेकिन उसका मन नहीं मान रहा था उसके बदन की जरूरत
उसके दिमाग का साथ नहीं दे रही थी। वैसे भी जब तू दास की लहर बदन में उतरती है तो अच्छे -अच्छों का दिमाग
काम करना बंद कर दे ता है। क्या सही है क्या गलत है इसका फैसला कर पाना इंसान के लिए मुश्किल हो जाता है।
ऐसे में इंसान सिर्फ अपने बदन की जरूरत का ही साथ दे ता है बाकी सब बातें उसे बकवास लगने लगती है। अलका
के साथ भी यही हुआ इस समय उसे बदन की प्यास मिटाने की जरुरत थी और अलका ने भी बदन की प्यास मिटाने
को ही अग्रिमता दी। और ना चाहते हुए भी वीनीत को याद करके अपनी उंगली को बुर के अंदर बाहर करना शुरु
कर दी। वैसे तो अल्का दो बच्चों की मां थी ईसलिए उसकी बुर फैली हुई होनी चाहिए थी लेकिन बरसों से उसने लंड
का स्वाद नहीं चखी थी, उसकी बुर में बरसों से किसी भी लंड ने प्रवेश नहीं किया था इसलिए उसकी बुर धीरे धीरे
टाइट हो चुकी थी। उसकी कसी हुई बुर में आधी उंगली भी चुस्त पड़ रही थी। धीरे धीरे अलका आनंद के अथाग
सागर में परवेश कर गई थी। 
हल्की-हल्की अंदर बाहर हो रही उंगली अब बड़ी तेजी से अंदर बाहर होने लगी थी और साथ ही साथ उसकी सांसे
बड़ी तीव्र गति से चल रही थी। धीरे धीरे करके अलका ने पूरी उंगली को बुर में उतार दी और बड़ी तेज गति से अंदर
बाहर करने लगी, रह-रहकर उसके मुह ं से गरंम सिसकारी छू ट पड़ रही थी। अब अलका के लिए यहां से पीछे हट
जाना बड़ा ही मुश्किल था और वैसे भी वहां अब पीछे हटना नहीं चाहती थी। इसलिए वह धीरे धीरे करके इतनी
ज्यादा चुदवासी हो गई की उसने अपनी दूसरी उंगली भी बुर में घुसा दि, अलका की रसीली बिर उसके काम रस
एकदम लतपत हो चुकी थी। उस की उंगलियां बुर के काम रस में सनि हुई थी। 
उत्तेजना के मारे उसे ऐसे लगने लगा था कि जैसे उसके बदन पर चिंटिया रेंग रही हो इसलिए वहां एक हाथ से अपने
पूरे बदन को सहला रही थी बार-बार अपनी हथेली को गाऊन के ऊपर से ही चूचियों पर रखकर दबा रही थी अपनी
उत्तेजना को समा पाना उससे मुश्किल हुआ जा रहा था इसलिए उसने एक हाथ से धीरे-धीरे करके अपने गाऊन को
उतार फेंकी। वह बिस्तर पर एकदम निर्वस्त्र हो गई एकदम नंगी। 
गजब की खूबसूरत लग रही थी अलका ,उसके बदन का मादक कटाव ,उसका उभार किसी के भी मन को डोला
दे । वह कस कस के अपनी चुचियों को बारी-बारी से दबा रही थी। उसकी गर्म सिस्कारियों से उसका पूरा कमरा गूंज
रहा था। उसकी गरम सिसकारीयो की आवाज उसके बच्चों के कानो तक ना पहुंच जाए अब इसकी भी जरा सी
चिंता उसे नहीं थी। वह तो अपने आप में मस्त हो गई थी, आंखों को मूंद कर विनीत के द्वारा उसके साथ ली गई छु ट
छाट को याद करके अपनी बुर में बड़ी तेजी से उंगली को पेले जा रही थी। वह चरम सीमा के बिल्कुल करीब पहुंच
गई थी। तभी उसकी सिसकारियां एकाएक तेज होने लगी।

आहहहहहहहहह.......ससससहहहहहहहह.....आहहहहहहहहहहहह.........ऊमममममममममम.....
ओहहहहहहहह.....ओहहहहहहहहह.....
ओह....।म्म्म्म्म्म्म्मा.......
इतना कहने के साथ ही उसकी बुर से कामरस का फव्वारा फुट पड़ा। उसकी पूरी हथेली काम रस में भीग गई।
उत्तेजना के मारे उसकी सांसे उखड़ने लगी थी।
चुदास से भरा हुआ तूफान अपना काम कर चुका था।
बरसों से चुदास की आग में तप रही अलका का बदन काम रस के फव्वारे के छू टने के साथ ही कुछ हद तक ठं डा
पड़ने लगा था। थोड़ी ही दे र में अलका शांत हो गई उसकी उखड़ती सांसे दुरुस्त होने लगी। उसकी तड़प मीट चुकी
थी वह आंखों को मु्दे हुए ही बिस्तर पर तकिए पर सर रखकर लेट गई और कब उसकी आंख लग गई उसे पता ही
नहीं चला।

सुबह राहुल नहा कर तैयार हो गया तब तक उसकी मां उठी नहीं थी। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। इसलिए राहुल
को चिंता होने लगी उसे ऐसा लगने लगा कि कहीं उसकी मम्मी भीगने की वजह से बीमार तो नहीं हो गई है। मन मे
ढे र सारे सवाल लिए राहुल अपनी मम्मी के कमरे की तरफ जाने लगा। कमरे के पास पहुंचते ही उसने दरवाजे को
खटखटाने के लिए जैसे ही उस पर अपनी हथेली रखा दरवाजा खुद-ब-खुद खुलता चला गया। दरवाजा खुला हुआ
दे खकर राहुल के मन में अजीब अजीब से सवाल पैदा होने लगे। वह दबे क़दमों से कमरे में प्रवेश किया और जैसे ही
उसकी नजर सामने बिस्तर पर पड़ी। वह एकदम से दं ग रह गया वह अपनी नजरें बिस्तर पर ही गड़ाये रहा, उसका
गला सूखने लगा उत्तेजना के मारे उसके बदन मे कंपकंपी सी फैल गई। तुरंत उसके पजामे में तंम्बू तन गया। क्या
करे नजारा ही कुछ ऐसा था। उसकी मम्मी एकदम निर्वस्त्र पूरी तरह से नंगी होकर पेट के बल एकदम बिंदास होकर
बिस्तर पर लेटी हुई थी। 

अपनी मां को नंगी लेटे हुए दे खकर राहुल का दिमाग सन्न रह गया था उसके होश उड़ चक
ु े थे। वह अपनी
मां के कामक
ु ं बदन को एक टक दे खते ही रह गया' उसकी मां भी बड़े ही कामक
ु अंदाज में अपने पैरों को
थोड़ा सिकोड़कर लेटी हुई थी जिसकी वजह से उसकी भारी भरकम गांड अपनी गोलाइयां लिए हुए उभर कर
सामने आ रही थी । जिसे दे खते ही राहुल तो क्या दनि
ु या के किसी भी मर्द के होश उड़ जावे।
वीनीत की भाभी के साथ बिताए हुए पल के बाद राहुल को हर औरत अब सेक्सी लगने लगी थी वह हर
औरत को अपने अलग नजरिए से दे खने लगा था। अपनी मम्मी को नग्नावस्था में दे ख कर आज पहली
बार राहुल को लगने लगा था कि उसकी मम्मी बहुत ज्यादा ही खूबसूरत और बहुत ही सेक्सी है । राहुल का
गला शुर्ख हो चला था उसकी आंखों की चमक उसकी ही मां की भरपुर गांड को दे खकर बढ़ चुकी थी। उसका
लंड अपनी ही मां को नंगी दे खकर तुरंत हरकत में आ गया था और उसका लंड पूरी तरह से फुल टाइट
होकर पें ट में तनकर तंबू बनाया हुआ था। जिस दिन से उसने विनीत की भाभी को चोदा था उसके बाद से
उसे चोदने की इच्छा बहुत ज्यादा होने लगी थी और इस वक्त अपनी मम्मी को संपूर्ण नग्नावस्था में
दे खकर उसके चोदने की इच्छा और भी ज्यादा प्रज्वलित हो चुकी थी।
वह क्या करे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, एक मन तो कह रहा था कि जाकर उसे जगा दे इसी बहाने
वह अपनी मां के कामुक ओर मादक बदन को स्पर्श कर सकेगा लेकिन इस तरह से जगाना ठीक नहीं था '
क्योंकि उसे डर था कि मेरे इस तरह से जगाने पर उसकी मां अगर उठे गी तो अपनी नग्न हालत को दे खकर
शर्मसार हो जाएगी. और उसे भी भला बुरा कह सकती है । उसकी यह भी इच्छा हो रही थी कि बिना कुछ
बोले बिस्तर पर जाकर मम्मी की बड़ी बड़ी गांड को पकड़कर पूरा लंड उसकी बुर में पेल कर चोदना शुरू कर
दे जिस तरह से वीनीत की भाभी की बुर में लंड पेल कर चोदा था। यही मन में सोचते हुए राहुल पें ट के ऊपर
से ही अपने टनटनाए हुए लंड को मसलना शुरु कर दिया। उसके मन में यह विचार आ रहा था कि ज्यादा
कुछ नहीं तो पें ट को नीचे सरका कर टनटनाए हुए लंड को बाहर निकाल कर अपनी मां की खब
ू सरू त नंगे
बदन को दे खते हुए ही मठ
ु मार लं,ू और उसने ऐसा किया भी अपनी पें ट की जीप खोला और अब उठे और
उं गली का सहारा लेकर अपने मोटे ताजे लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन उसका लंड
इतना ज्यादा मोटा और टाइट हो चक
ु ा था कि इस तरह से जीप के रास्ते बाहर आ पाना मश्कि
ु ल हो रहा
था। इसलिए उसने पें ट की बटन खोलकर पें ट को ही नीचे जांघो तक सरका दिया। उसका लंड अपनी मां के
नंगे बदन को दे ख कर और भी ज्यादा मोटा ताजा हो गया था और खश
ु ी के मारे हवा में झल
ू रहा था। राहुल
एकदम चुदवासा हो चुका था इसलिए वह अपने मोटे लंड को अपने मुठ में दबा लिया और आगे पीछे करके
मुठ मारना शुरू कर दिया उसकी नशीली और चुदवासी आंखें अपनी मां के पुरे नंगे बदन पर ऊपर से नीचे
तक घूम रही थी। वह दो-चार बार ही लंड को मुट्ठी में भर कर हिलाया ही था कि उसकी मां के बदन में हल्की
सी हलचल हुई। हलचल होते ही राहुल तुरंत उल्टे पाव कमरे से बाहर आ गया उसने यह दे खना भी ठीक
नहीं समझा कि उसकी मम्मी जाग गई है या अभी भी सो ही रही है । राहुल अपने कमरे में खड़ा था उसका
लंड अभी भी फूल टाइट था। कुछ पल पहले जो नजारा उसने अपनी मम्मी के कमरे में दे खा था वह नजारा
पूरी तरह से राहुल के दिमाग पर हावी हो चुका था, उस नजारे से पूरी तरह से निकल पाना तो बहुत
मुश्किल था लेकिन उससे कुछ पल के लिए पीछा छुड़ाने का एक ही तरीका था। और राहुल ने भी वही किया
उसने फिर से अपनी पें ट को नीचे जांघो तक सरका दिया , उसकी नज़र जैसे ही अपने टनटनाए हुए लंड पर
पड़ी तो उसके चेहरे पर कामुक मुस्कान फैल गई। उसने तुरंत अपने मोटे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर कस
लिया और आगे पीछे करके अपने लंड काे मुठीयाने लगा। राहुल की ऊत्तेजना पल पल बढ़ती जा रही थी।
क्योंकि उसके जेहन में उसकी मां की बड़ी बड़ी गांड कि वह छवी बसी हुई थी जिसे दे ख कर वह उन्माद से
भर चुका था।
वह अपने लंड को कसकर के मुट्ठीयाने लगा उसकी आंखें बंद थी और हाथ बड़ी ही तीव्र गति से आगे पीछे
चल रहे थे। लंड तो उसका हथेली मे कसा हुआ था लेकीन ऊसकी कल्पना मे उसका लंड उसकी मम्मी की
नमकीन बुर मे घुसकर कमर आगे पीछे कर रहा था।
इसलिए उस की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी। राहुल के सर पर इस समय वासना सवार थी
आज अगर जरा सा भी मौका मिलता तो वह अपनी मां की बुर लंड कर चोद दिया होता। लेकिन फिर भी वह
यहां पर मुठ मारते हुए कल्पना मे ही अपनी मां को चोद रहा था। राहुल मुठ मारते हुए चरमसीमा के
बिल्कुल करीब पहुंच चुका था कि अगले ही उसके मुंह से हल्की चीख निकल गई और लंड से फुवारा छुट़कर
नीचे फ़र्श पर गिरने लगा। राहुल पर्ण
ू रुप से संतष्ु ट हो चक
ु ा था।
वह कपड़े व्यवस्थित कर के कुछ दे र वहीं बैठ गया बासना का तफ
ू ान शांत हो चक
ु ा था,कुछ दे र पहले उस
की जो मनोस्तिथि थी उस से उबर चक
ु ा था'
वासना का तफ
ू ान शांत होने पर उसे अपनी हरकत पर क्रोध आने लगा उसका मन ग्लानीे से भर गया' वह
अपने आप को ही कोसने लगा की उसने ऐसी गंदी हरकत कैसे कर दी अपनी ही मम्मी के बारे में इतना
गंदा गंदा सोच कर हस्तमैथुन कैसे कर लिया। उसका मन पछतावे से भर गया और आइंदा ऐसी गंदी
हरकत कभी भी नहीं करे गा इसकी कसम भी खा लिया।
और वहीं दस
ू री तरफ अलका की आंख खल
ु चक
ु ी थी और अपनी हालत पर गौर करते ही शर्म की लाली
उसके चेहरे पर बिखर गई, अपने बिस्तर पर अपने आप को नंगी पाकर भी वह अपने बदन को चादर से
ढं क लेने की जरूरत नहीं समझी क्योंकि वह जानती थी कि कमरे में उसे कौन दे खने वाला है , लेकिन वह
यह कहां जानती थी कि दे खने वाले ने तो उसका सब कुछ दे ख चक
ु ा है , और उसके नग्न बदन रुपी खजाने
को दे खने वाला दस
ू रा कोई और नहीं बल्कि उस का अपना ही बेटा था जो कि उस के नंगे बदन को दे खकर
इतना उत्तेजित हो गया था कि मुठ मारकर अपने आप को शांत करना पड़ा।
अलका एकदम बिंदास होकर एकदम नंगी बिस्तर पर बैठी हुई थी और अपनी बाहें फैलाकर अंगड़ाई लेते
हुए अपने आलस को मरोड़ रही थी, उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे के चेहरे पर जरा सा भी कल जो हुआ
था उसको लेकर बिल्कुल भी तनाव नहीं था। खशु नजर आ रही थी आज अलका और खुश हो भी क्यों ना
आज पहली बार उसने अपने लिए अपने मन की सुनी थी, आज बरसो बाद उसने वह की थी जो उसके मन
ने कहा था और जो उसके बदन की जरूरत थी। अलका आरस मरोड़ कर बिस्तर से नीचे उतर कर खड़ी हुई
नीचे जमीन पर उस का गाउन पड़ा हुआ था अपने गाउन को दे ख कर वो फिर से मुस्कुराएं क्योंकि उसे तुरंत
याद आ गया कि रात को इतनी ज्यादा उत्तेजित और उन्माद से भर चुकी थी कि कब उसने अपने बदन से
एक-एक करके सारे कपड़ों को उतार के नीचे फेंक दी उसे पता ही नहीं चला। अलका ने अपना काउं ट उठा
कर कैसे अपने बदन पर डाल ली और कमरे के बाहर आ गई।
कमरे में बैठे बैठे काफी समय बीत चुका था वह कमरे से बाहर आया तो दे खा कि उसकी मम्मी रसोई घर में
नाश्ता तैयार कर रही थी, राहुल को सब कुछ नॉर्मल ही लग रहा था वह रसोई घर में प्रवेश किया और
अपनी मम्मी से बोला।

गुड मॉर्निंग मम्मी।

गड
ु मॉर्निंग बेटा( कढ़ाई में चमची चलाते हुए बोली)

आज इतनी लेट तक सोए रहे मम्मी तबीयत तो ठीक है ना। ( इतना कहने के साथ ही वह मटके से पानी
निकाल कर पीने लगा। उसकी मम्मी भी जवाब दे ते हुए बोली।)

हां बेटा थोड़ी थकान सी महसूस हो रही थी और वैसे भी कल भीगने की वजह से थोड़ी सर्दी हो गई है
इसलिए आज आंख लग गई थी। ( इतना कहने के साथ ही वह हरी मिर्ची को काटने लगी और राहुल अपनी
मम्मी के जवाब से संतुष्ट होकर रसोई घर से बाहर आ गया। राहुल के जाते ही अलका को फीर से कल की
और रात की बाते याद आने लगी, उत्तेजनात्मक पल को याद करके एक बार फिर से उसकी पें टी गीली
होने लगी।
उसे बीते पल को याद करने में बड़ा ही रोमांच लग रहा था और मजा भी आ रहा था। बातों ही बातों में
अलका ने नाश्ता तैयार कर ले और राहुल और सोनू को नाश्ता दे कर खद
ु अपने कमरे में जाकर ऑफिस के
लिए तैयार होने लगी। सज धज कर तैयार होते ही अलका फिर से आसमान से उतरी कोई हूर लगने लगी।
हाथ में पर्श़ लिए अलका अपने कमरे से बाहर आई राहुल की नजर अपनी मम्मी पर पड़ी तो वह दे खता ही
रह गया, पहले भी हो इसी तरह से तैयार होकर संद
ु र लगती थी लेकिन राहुल के लिए आज दे खने का रवैया
कुछ और था। विनीत की भाभी के साथ शारीरिक संबंध के बाद कहीं और तो को दे खने का उसका नजरिया
बदल गया था जो कुछ भी बचा था आज सुबह अपने ही मम्मी को संपूर्ण रुप से नग्नावस्था में दे खकर वह
भी बदल गया।

( अलका आज कुछ जल्दी मे हीं थी' इसलिए वह राहुल को हिदायत दे ते हुए बोली।)

बेटा आज मुझे दे र हो रही है तम


ु और सोनू ठीक से स्कूल चले जाना और जाते जाते दरवाजे पर लोक मारते
जाना' ठीक है ना।

ठीक है मम्मी आप चिंता मत करिए आप आराम से जाइए।( राहुल जवाब दे ते हुए बोला और राहुल कि
मम्मी राहुल के जवाब से संतष्ु ट होकर प्यार से दोनों बच्चों पर अपना हाथ फेरते हुए कमरे से बाहर चलीे
गई। ना चाहते हुए भी राहुल की नजर की मम्मी की बडीे-़बड़ेी मटकती हुई गांड पर चली गई जो की चलते
समय गजब की थिरकन लिए हुए थी। अपनी मम्मी की मटकती हुई गांड को दे खकर राहुल के लंड ने फिर
से अंगड़ाई लेना शरु
ु कर दिया। राहुल इससे ज्यादा और कुछ सोच पाता इसके पहले ही उसकी मम्मी
उसकी आंखों से दरू होती चली गई। लेकिन जब तक उसकी मम्मी उसकी आंखों से ओझल होती तब तक
उसकी मटकती गांड ने अपना कमाल दिखा चुकी थी और तुरंत राहुल के लंड में पूर्ण रुप से तनाव आ चुका
था।

अपनी मम्मी के कारण पें ट में बने हुए तनाव पर नजर पड़ते ही एक बार फिर से राहुल को अपने ऊपर क्रोध
आ गया अपने आप पर गस्
ु सा करने लगा और अपना ध्यान दस
ू री तरफ बंटाने लगा। राहुल और सोनू भी
दरवाजे पर लॉक लगाकर अपने अपने स्कूल की तरफ चल दीए।

आज क्लास में विनीत बड़ा ही गुम सुम बैठा हुआ था गुमसम


ु क्या था वह सिर्फ अलका के ख्यालों में ही
खोया हुआ था। उसकी आंखोे के सामने कल की बीती सारी घटना के वह लाजवाब पल एक एक करके नजर
आ रहे थे। उसके बदन मे झनझनाट फैल गई जब उसे याद आया कि उसने पहली बार एक बहाने से कैसे
उसकी चूची को स्पर्श किया था, ऊफफफफ.... गजब की नरमी और गुदाजपन था उसकी चूची में , वीनीत
का लंड टनटना के खड़ा हो गया जब उसे वह पल याद आया जब उसने अंधेरे का लाभ उठाते हुए अलका को
अपनी बाहों में कस के भींच लिया था और लगे हाथ अपने दोनों हथेलियों काे अलका की गदराई हुई बड़ी-
बड़ी गांड पर रख के कस कस के दबाए जा रहा था और परू ा मन बना लिया था की आज तो अलका को
चोदकर ही रहे गा और इसीलिए उसने अलका की साड़ी को कमर तक उठा कर अपने लंड को बाहर भी
निकाल लिया था अलका को घम
ु ाकर इससे ज्यादा और कुछ कर पाता इससे पहले ही मोटरगाड़ी की लाइट
में सारा मजा किरकिरा कर दिया था। वह उस समय इतना ज्यादा उत्तेजित हो चक
ु ा था कि अगर अलका
वहां से भाग ना खड़ी हुई होती तो उसे वो मोटर गाडी वाले का जरा भी ़ परवाह नहीं था, विनीत अलका को
वही खुली सड़क पर ही चोद दीया होता, लेकिन उसका नसीब खराब था । घर पर पहुंचने पर भी उस की
उत्तेजना जरा सी भी कम नहीं हुई थी । अलका के बदन की गर्मी का गरम एहसास उसे उत्तेजित किए हुए
था। तभी तो घर पहुंचते ही जैसे ही उसकी भाभी चुदवासी होकर उसके बदन से लिपटी तो वीनीत ने तुरंत
अपनी भाभी को अलका समझ कर अपनी बाहों में भीच लिया
और बिस्तर पर पटक कर ऐसी जबरदस्त चुदाई किया कि उसकी भाभी का पोर पोर दर्द करने लगा था।
वह क्लास में बैठे-बैठे भी उस मोटर गाड़ी वाले को कोस ही रहा था कि पीछे से अपने कंधे पर थपथपाने से
उसकी तंद्रा भंग हुई। पीछे मुड़कर दे खा तो राहुल था। राहुल उसे यूं गुमसम
ु होकर बैठा हुआ दे ख कर बोला।

क्या हुआ यार तू इतना उदास क्यों है ? क्या कोई प्रॉब्लम है क्या।( इतना कहने के साथ ही राहुल उसके
बगल में बैठ गया। अब वीनीत उसे बताएं भी तो क्या बताएं, पहले तो वह सब कुछ बता भी दे ता था लेकिन
ना जाने क्यों अब राहुल से वह अपनी प्राइवेट बातें नहीं बताता था। इसलिए सर दख
ु ने का बहाना कर के
राहुल से कन्नी काट लिया। राहुल भी उससे ज्यादा पूछताछ करना ठीक नहीं समझा। तो राहुल का पूरा
ध्यान उसकी मम्मी पार ही लगा हुआ था उसकी मम्मी के ऊपर से ध्यान हटता दो विनीत की भाभी पर
चला जाता, दोनों औरतों की वजह से आप उसका ध्यान पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था।
राहुल के बदन मे चुदाई की खुजली मच रही थी। वह जानबूझकर विनीत से नोट्स ले जाने के बारे में
बोलता था ताकि विनीत नोट ले जाए तो उसे लेने के लिए वह भी वीनीत के घर जा सके। लेकिन विनीत को
अभी नोट्स की जरूरत नहीं थी इसलिए वह इंकार कर दे ता।
दस
ू री तरफ मधु थी जिसकी जवानी ऊफान मार रही थी
जिसकी बरु में आग लगी हुई थी राहुल के लंड को लेने के लिए, लेकिन उसे कोई मौका हाथ नहीं लग रहा
था।
राहुल से चदु वाने के लिए वह किसी भी हद तक तैयार थी।
रिशेष
े में वह मौका दे खकर राहुल से बोली।

राहुल तुमसे मुझे जरूरी काम था क्या तम


ु मेरी मदद करोगे।( मधु दौड़ते हुए राहुल के पास गई थी इस
वजह से वह हांफ रही थी। और तेज तेज सांस लेने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी गाेलाईयां ऊपर-नीचे हो रही
थीे जिस पर राहुल की नजर पड़ ही गई। और राहुल भी थूक निगलते हुए एकदम मधु की चूचियों को दे खने
लगा। मधु की तेज नजरों ने राहुल की नजरों के निशाने को भांप ली और अंदर ही अंदर खश
ु होने लगी।
राहुल एकटक उसकी चचि
ू यों को ही दे खे जा रहा था तो मधु मस्
ु कुराते हुए फिर से बोली।)

क्या हुआ राहुल मेरी मदद करोगी या नहीं?

( राहुल हड़ बड़ाते हुए बोला।)


हां हां कककक...क्यों नही। जरूर करूंगा तुम्हारी मदद लेकिन कैसी मदद। ( राहुल को भी नहीं पता था कि
मधु को किस तरह की मदद चाहिए थी । और वैसे भी मधु को तो किसी और चीज में मदद चाहिए थी
लेकिन इस तरह से खुल्लम खुल्ला तो बोल नहीं सकती थी इसलिए कोई ना कोई बहाना तो चाहिए ही था।
और पढ़ाई के बहाने से बेहतर बहाना और क्या हो सकता था इसलिए वह बोली।)

मुझे मैथ्स में कुछ प्रॉब्लम पड़ रही है जिसका सोल्युशन मिल नहीं रहा, क्या तुम मैथ के प्रश्नों को हल
करने में मेरी मदद करोगे।

हां हां जरूर करूंगा यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है ।

तो चलो वही ऊपर की मंजिल पर जहां पर सारी क्लास खाली रहती हैं वहां कोई शोर शराबा भी नहीं होगा
और मैं ठीक से समझ भी लूंगी। ( ऊपर की क्लास की बात सुनते ही राहुल का रोम रोम संजना गया
क्योंकि कुछ दिन पहले ही मधु उसे ऊपर की क्लास में ले गई थी और क्लास में जो उसने की थी उसकी
यादें अभी भी उसके मानस पटल पर ताजा थी। राहुल के लिए मना करने का सवाल ही नहीं उठता था
इसलिए वह तुरंत तैयार हो गया क्योंकि उसे भी मधु का साथ बहुत ही प्यारा लगता था।
दोनों नजरे बचाकर ऊपर की मंजिलें पर चले गए।

ऊपर की मंजिल पर पहुंचते ही नीलू ने राहुल को क्लास में ले गई। नीलू के करीब होते ही राहुल की धड़कन
बढ़ जाती थी, एक तरह से उसकी सिट्टी पिट्टी गम
ु हो जाती थी। ऊपर की मंजिल परू ी तरह से खाली थी कोई
भी विद्यार्थी नहीं था। नीलू को अक्सर ऐसे ही मौके की तलाश रहती थी। नीलू और राहुल दोनों एक ही बेंच
पर बैठ गए। बेंच पर बैठते ही राहुल ने बोला।

लाओ बताओ तो नीलू तुम्हें कौन से प्रश्न में उलझन हो रही है । ( अब नीलू क्या कहें उसे कोई उलझन हो
ताे ना बताए लेकिन फिर भी उसने झूठ मूठ का मैथ्स की बुक खोलकर एक सवाल राहुल को बता दी।
राहुल ने किताब अपनी तरफ खींच कर नोट में सवाल हल करने लगा सवाल हल करते जाता था और नीलू
को समझाता भी जाता था लेकिन नीलू का ध्यान किधर था उसे सवाल हल करना होता तो ना ध्यान दे ती।
उसे तो बस बहाना चाहिए खराब होने के नजदीक रहने का और हमेशा मौके की ही ताक में रहती थी। नीलू
की आंखों के आगे तो हमेशा राहुल के पें ट में बना हुआ तंबू ही नजर आता था। वह बहुत दिनों से तड़प रही
थी राहुल के लंड को लेने के लिए लेकिन उसकी नसीब खराब थी कि मौका मिलते हुए भी वह मौके का लाभ
नहीं उठा पा रही थी कोई ना कोई उलझन सामने खड़ी हो ही जा रही थी। आज इस मौके का लाभ उठाना
चाहती थी। राहुल नीलू के मन में क्या चल रहा था इन बातों से वह बिल्कुल भी बेखबर था।
नीलू मन ही मन में कोई न कोई बहाना ढूंढ ही रही थी कि क्लास में राहुल के साथ थोड़ा बहुत मजा ले लिया
जाए लेकिन कैसे? वह मन ही मन में राहुल को कोस भी रही थी कि कैसा लड़का है एक सुंदर, जवानी से
भरपूर नवयौवना उसके सामने अकेले ही बैठी है और यह मौका है कि सवाल हल करन मेे लगा है इस उमर
में तो इसको जवानी के सवाल हल करने चाहिए न की किताबों के। इसकीे जगह कोई ओर लड़का होता तो
ना जाने कब से मेरे ऊपर टूट पड़ता मेरी जवानी के रस को अपने मोटे ताजे लँ ड से खींच खींचकर चूस लिया
होता।
यही सब सोच-सोच कर परे शान हुए जा रही थी उसे कोई बहाना सुझ नहीं रहा था। बहुत दिनों बाद जो उसे
मौका मिला है उसे हांथ से गंवाना नहीं चाहती थी ।
नीलू आंखें मटका मटका कर राहुल के चेहरे को गौर से दे खे जा रही थी राहुल था कि सवाल हल करने में ही
मस्त था उसने एक बार भी नजरें उठाकर नीलु की तरफ नहीं दे खा था।
तभी उसने अपने पैर से सैंडल को पेऱ का सहारा लेकर उतार दी और उस पैर को राहुल की टांगो पर रगड़ने
लगी। अपने पैर पर नीलू के पैर की रगड़ने को महसूस करके राहुल आश्चर्यचकित होकर नीलू की तरफ
दे खने लगा और नीलू थी कि राहुल को दे खते हुए मुस्कुराए जा रही थी।
नीलू ने अपने पैर के अंगूठे के बीच राहुल के पें ट की किनारी को दबाकर हल्के से पें ट को ऊपर की तरफ
उठाने लगी' और उतने से भाग पर अपनी नरम नरम ओर मुलायम गोरी टांग को रगड़ने लगी। नीलू की
हरकत पर राहुल पूरी तरह से गनगाना गया' , नीलू की आंखों में अजीब सी ख़ुमारी छाई हुई थी उसके चेहरे
पर बिखरी हुई कामक
ु मुस्कान किसी के भी कलेजे पर छुरिया चलाने के बराबर था। नीलु राहुल की तरफ
दे खते हुए बड़े ही मादक अंदाज में अपने लाल-लाल होठों को दांत से चबाने लगी। नीलू का यह रुप दे ख कर
राहुल उत्तेजना से भर गया उसकी जांघों के बीच फन दबाए बैठे मुसल मे सुरसुराहट होने लगी। नीलू
लगातार अपने पैरों का कमाल दिखाई जा रही थी राहुल का गला सुर्ख होने लगा था अजीब से सुख की
अनभ
ु ति
ू करके उसके बदन में कंपकंपी सी मची हुई थी।
नीलू के लगातार प्रयास करने पर भी राहुल बिना कुछ किए सिर्फ मक
ु दर्शक बनकर नीलू की हरकतों का
आनंद उठा रहा था, बल्कि राहुल की जगह कोई और होता है तो कब से इस इशारे को अपने लिए आमंत्रण
समझ कर टूट पड़ता। लेकिन नीलु समझ चक
ु ी थी कि जो भी करना था उसे ही करना था। अब इससे
ज्यादा वह क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन इतना तो उसे ज्ञात हो चक
ु ा बात है कि राहुल परू ी
तरह से ऊत्तेजीत हो चुका था। और उत्तेजित हुआ है तो उसका लंड भी पूरी तरह से टन टना कर खड़ा हो
चक
ु ा होगा। यही सोचकर नीलू के मन में गद
ु गद
ु ी मचने लगी।
उसने तो मन ही मन में राहुल के मोटे तगड़े लंड का चित्रांकन करके मस्त होते हुए अपनी बरु को पनिया
चक
ु ी थी। वह मन में ही सोच रही थी कि राहुल की जगह अगर कोई और लड़का होता तो बिना बोले ही
उसकी पनियाई बरु में लंड डालके चोद दीया होता।
नीलू अभी भी अपनी हरकतों से राहुल को बहकाने की कोशिश कर रही थी पर ऐसा नहीं था कि राहुल का
हक ना रहा हो राहुल के चेहरे से साफ पता चल रहा था कि वह परू ी तरह से उत्तेजित हो चक
ु ा है । उसका
चेहरा उत्तेजना के कारण तमतमा गया था। वह थूक निकलते हुए नीलू को ही घूरे जा रहा था और नीलू थी
की अपने होठों को दांतों से चबाते हुए अपनी उत्तेजना को दबाए जा रही थी। क्या करें उसको कुछ समझ
नहीं आ रहा था लेकिन कुछ तो करना ही था ऐसा मौका वह हाथ से जाने भी नहीं दे ना चाहती थी। तभी
उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी और वह तुरंत बेंच पर से उठ खड़ी हुई।
खड़े होते ही मैं उसी जगह पर उछलने लगी , जैसे कि उसके कपड़ो में कुछ घुस गया हो और वाकई में वह
उछलते हुए अपने दोनों हाथो को पीछे पीठ की तरफ करके खुजाते हुए राहुल से बोली।
ककककककककुछ काट रहा है कुछ काट रहा है राहुल मुझे....
( नीलू का चिल्लाना सुनकर वह भी झट से बेंच पर से खड़ा हुआ और घबराते हुए बोला।)

क्या काट रहा है नीलु कहां काट रहा है ?

( अभी भी जोर-जोर से उछलते हुए अपनी हथेली से पीठ को खुजला रही थी और बोली।)

यहां पीठ पर राहुल कुछ बहुत जोरों से काट रहा है मझ


ु से रहा नहीं जा रहा। कुछ करो राहुल कुछ करो।

अब इसमे राहुल क्या कर सकता था उसे पीठ में कुछ काट रहा था और वह ऐसे में कर भी क्या सकता था
वह बस बेवजह हवा में हाथ पैर मार रहा था कोई चालाक और होशियार लड़का होता तो इतने से भी फायदा
उठाते हुए नीलु को उसकी कमीज उतार दे ने के लिए कहता, लेकिन शर्मिले राहुल से इतना सा भी नहीं कहा
गया। नीलू उसके भोलेपन पर खब
ू नाराज हुई वह उसे खल
ु कर डांटना चाहती थी लेकिन मजबरू ीवश डांट
ना सकी। लेकिन तभी वह वक्त गंवाना नहीं चाहती थी इसलिए खद
ु ही अपनी कमीज को नीचे से पकड़कर
ऊपर की तरफ सरकाने लगी जैसे कि वह उतार रही हो राहुल को तो कुछ समझ में नहीं आया क्योंकि जैसे
जैसे कमीज ऊपर की तरफ सरकती गई वैसे वैसे नीलू की दधि
ू या नंगी पीठ राहुल की आंखों के सामने नंगी
होती चली गई। राहुल ने सोचा कि नीलू बस पीठ तक की ही कमीज को उठाएगी ताकि मैं दे ख सकंू कि उसे
पीठ पर क्या काट रहा है । लेकिन तभी राहुल की आंखें आश्चर्य से फटी की फटी रह गई जब उसने अपनी
कमीज को पूरी तरह से अपने बदन से अलग कर दी। राहुल की तो सांसे थम गई उसे समझ में नहीं आया
कि यह नीलू उसकी आंखों के सामने इस क्लास में इस तरह की हरकत क्यों कर रही है । पूरी कमीज़
उतारने की क्या जरूरत थी लेकिन राहुल थोड़ा बद्ध
ु ू का बद्ध
ु ू ही था उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि
जवान लड़की किसी लड़के के सामने ऐसी हरकतें
और अपनी कमीज क्यों उतारती है ? जबकि उसने विनीत की भाभी के संग औरत के बदन की खश
ु बू क्या
होती है औरत की चद
ु ाई का मजा क्या होता है सब कुछ ले चक
ु ा था फिर भी अभी वह नादान ही था। नीलु
काली रं ग की ब्रा पहने हुए थीे उसकी दधि
ू या नंगी पीठ राहुल की तरफ ही थी और वह उं गली के इशारे से
राहुल को दिखाने लगी थी की किस जगह पर उसे कुछ काट रहा है वह जिस जगह पर दिखा रही थी वह ब्रा
की पट्टी के ठीक नीचे आ रही थी। जिसे दे खने के लिए राहुल को या तो ब्रा का हुक खोलना पड़ता या तो पट्टी
थोड़ा ऊपर सरका कर दे खना पड़ता, वह जानबूझकर बार-बार राहुल से आग्रह कर रहे थे कि दे खो राहुल
कौन सी कीड़ी काट रही है जो मुझे इतना दर्द हो रहा है ।
नीलू की नंगी पीठ और उसकी काली रं ग की ब्रा की पट्टी को दे ख कर ही राहुल का लंड तनकर पें ट में तंबू
बना चुका था। नीलू को इस रुप में दे ख कर राहुल उन्माद से भर चुका था , वॉइस शर्मा भी रहा था लेकिन
नीलू के बार-बार आग्रह करने पर वह नीलू की तरफ बढ़ा नीलू गर्दन घुमा कर राहुल की तरफ ही दे ख रही
थी वह दे खना चाहती थी कि अब राहुल क्या करता है ।
राहुल नीलू के ठीक पीछे खड़ा था और कांपते हाथों से नीलू की पीठ पर अपनी हथेली रखा ही था की नंगी
पीठ पर हथेली रखते हैं उसका बदन उत्तेजना से झनझना गया, नीलू का भी यही हाल था स्कूल के इस
खाली क्लास में नीलू राहुल की हथेली का अपनी नंगी पीठ पर स्पर्श पाते ही वह भी पूरी तरह से चुदवासी हो
गई। समय बहुत कम था और आज इतने कम समय में उसे थोड़ा बहुत लुफ्त उठाना ही था। इसलिए वह
राहुल को निर्देश दे ते हुए बोली, राहुल यहां ( उं गली से रगड़कर दिखाते हुए) पिक्चर का पर दे खो पट्टी के
नीचे कुछ काट रहा है ।

राहुल भी उस काले रं ग की ब्रा की पट्टी को उं गली से ऊपर की तरफ सरकाने की कोशिश करने लगा लेकिन
ब्रा इतनी टाइट थीै कि उसकी पट्टी ऊपर की तरफ खसक नहीं रही थी। नीलू राहुल की मनोदशा को भांप गई
इसलिए वह बोली।
राहुल पट्टी बहुत टाईट है इसलिए शायद खसक नहीं रही है तम
ु पट्टी के हुक को खोल दो मझ
ु े उस जगह पर
बहुत ज्यादा जलन हो रही है ,

राहुल को लगने लगा था कि नीलू को वाकई में बहुत ज्यादा जलन हो रही होगी तभी तो वह इतना तडप
रही है । इसलिए अब आपने कांपते हाथों से ब्रा की हुक को खोलने की कोशिश करने लगा। ब्रा का हुक दोनों
हाथों से पकड़कर आमने-सामने खींचने लगा, वाकई में ब्रा की पट्टी बहुत ज्यादा टाइट थी वैसे भी नीलु की
आदत थी की वह अपनी चुचियों के कप की साइज से कम नाप की ब्रा पहनती थी, ताकि उसकी पड़ी-पड़ी
गोल चुचीयां टाइट रह सके। आखिरकार राहुल की मेहनत रं ग लाई और अगले ही पल उसने ब्रा के हुक को
खोल दिया। हुक के खुलते ही ब्रा कि दोनों पत्तियां साइड में हो गई और पीछे की पूरी पीठ एकदम नंगी हो
गई। राहुल की आंखों में कई बोतलों का नशा चढ़ने लगा उसका लंड पें ट के अंदर गदर मचाए हुए था।

नीलू भी ऐसे माहौल में कम उत्तेजित नहीं थी उसे साफ महसूस हो रहा था कि उसकी पैंटि गीली होने लगी
थी। उसकी बुर में भी खुजली मची हुई थी, नीलु गर्दन को पीछे की तरफ घुमाकर राहुल की तरफ दे ख भी
रही थी वह दे खना चाहती थी कि राहुल क्या करता है उसकी नंगी पीठ को दे खकर राहुल में किस तरह का
बदलाव आता है ।
राहुल का मुंह खुला का खुला रह गया था वह नजरें झुकाए अपनी नजरों को नीलू की नंगी पीठ पर ही
टीकाए हुए था कभी कभार उसकी नजर पीठ से होते हुए कमर के नीचे भरावदार नितंब पर भी चली जा रही
थी जिससे राहुल की उत्तेजना में पल पल बढ़ोतरी हो रही थी। राहुल की उत्तेजना दे ख कर नीलू को बहुत
खुशी हो रही थी। तभी राहुल के अंदर कामोत्तेजना ने अपना असर दिखाना शुरू किया और वह हल्के से
अपनी हथेली को नीलू की नंगी पीठ पर फिराने लगा। जैसे ही राहुल ने नीलु की नंगी पि ठ पर अपनी हथेली
को फिराया वैसे ही तुरंत उत्तेजना से सराबोर होकर नीलू अपनी आंखों को मूंद ली। कामातूर नीलू जो कि
ना जाने कितने ही लड़कों के साथ हमबिस्तर हो चुकी थी। उसके लिए इतनी सी बात कोई बडे मायने नहीं
रखती थी । ना जाने कितने लड़कों ने उसकी चुदाई कर चुके थे ना जाने उसके बदन पर कहां कहां हाथ और
मुंह दोनों लगा चुके थे लेकिन फिर भी आज राहुल के मात्र हथेली के छुअन से नीलु का पूरा वजद
ू कांप गया
था राहुल में जरूर कोई अनोखी बात थी जिसे नीलू की अनुभवी आंखों ने पहचान ली थी। राहुल हल्के-हल्के
उसकी पीठ पर अपनी हथेली को फेरने लगा दधि
ू या नंगी पिठ का रे शमी मुलायम अहसास का असर राहुल
को उसकी जांघो के बीच टनटनाए हुए लंड में दिखने लगा था।
सनी लियोन को भी मजा आने लगा था लेकिन वह जानती थी कि समय बहुत ही कम है और अगर ऐसे ही
केवल हांथ फिराने में समय निकल गया तो इसका यहां आना व्यर्थ होगा। इसलिए वह खुदही झट से
अपनी ब्रा को निकाल दी, और इस तरह से झटकने लगी जैसे कि कपड़े में चींटी हो, इसलिए नीलू के इस
तरीके पर राहुल को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ। और नीलू वही उछलकूद मचाते हुए अपनी ब्रा को झटकने
लगी। राहुल उसे दे खने लगा ' नीलू का यंु उछल-कूद मचाना राहुल को अच्छा लग रहा था राहुल उसके पीछे
के भाग पर परू ी तरह से अपनी नजर ऊपर से नीचे तक घम
ु ा रहा था
उछलने पर उसकी गदराई हुई गांड कि थिरकन दे खकर राहुल का मन डोलने लगा था। उसके लंड में एेंठन
आना शरु
ु हो गया था की तभी नीलू ब्रा को झटकते हुए राहुल की तरफ घम
ू गई, नीलू काे उसकी तरफ
घम
ू ते ही राहुल के तो जेसे होश ही उड़ गए उसका दिमाग सन्
ु न हो गया। राहुल की नजर सीधे ऊपर नीचे हो
रही नीलू की दोनों गोलाइयों पर चली गई, एक बार नजर उस पर पड़ी तो बस राहुल की नजरे गड़ी की गड़ी
रह गई और नीलू थी की राहुल की तरफ ध्यान दिए बिना ही जानबझ
ू कर ब्रा को झटकते ही जा रही थी '
लेकिन नीलू यह अच्छी तरह से जानती थी कि राहुल की नजर कहां है ? उसकी गोल गोल चुचियां कुछ
ज्यादा ही उछाल मार रही थी। राहुल उत्तेजना से सरो बोर हो चुका था। तभी नीलू की नजर राहुल पर पड़ी
और ऐसे बर्ताव करने लगी कि जैसे कि यह सब अनजाने में ही हुआ है और वही शर्मिंदा होकर ठिठक गई,
वह झट से ब्रा का साहारा लेकर अपनी चचि
ु यों को ढं कने की नाकाम कोशिश करने लगी। ढं क क्या रही थी
बल्कि वह और भी ज्यादा राहुल का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने में लगीे थी। राहुल एकटक नीलू के
नंगे बदन को निहारे जा रहा था तभी नीलू और राहुल की नजरे में आपस में टकराई, दोनों एक दस
ू रे की
आंखों में खोने लगे दोनों की आंखों में अजब सा नशा छाने लगा था। नीलू हाथों में ब्रा पकड़े और उससे
चचि
ु यों को ढकने की नाकाम कोशिश करते हुए राहुल की तरफ बढ़ी दोनों की नजरें एक दस
ू रे के ऊपर से
हट नहीं रही थी। नीलू राहुल के बिल्कुल करीब पहुंच गई दोनों अजीब से आकर्षण में बंध चक
ु े थे। तभी
नीलू ने अपने होठों को राहुल के होठों की तरफ बढ़ाई राहुल मे भी जैसे हिम्मत आ गई हो ऐसे वह भी अपने
होंठ को नीलु के होठो की तरफ बढ़ाया, नीलू यह मौका नहीं खोना चाहती थी इसलिए उसने तुरंत अपने
तपते हुए होंठ को राहुल के होंठ पर रखकर चूमने लगी। राहुल तो खश
ु ी से एकदम गदगद हो गया।
नीलू खुद राहुल के होठों को अपने होठों के बीच भरकर चुसे जा रही थी। नीलू की एक दम उत्तेजित हो चुकी
थी उसके हाथों से ब्रा छूट कर नीचे गिर गई। उत्तेजना की वजह से राहुल की आंखें मुंद चुकी थी। नीलू एक
पल भी गांव आना ठीक नहीं समझी और उसने तुरंत राहुल के दोनों हाथों को पकड़ कर खुद ही अपनी
चुचियों पर रख दी, राहुल का मन प्रसन्नता से भर गया उसके हाथों में भी ऐसे छुपा हुआ खजाना हाथ लग
गया हो इस तरह से वह खुद ही उस खजाने को लूटने से अपने आप को रोक नहीं पाया और वह नीलू की
दोनों को गोलाइयो को अपनी हथेली में हल्के हल्के भरकर दबाने लगा।
आाहहहहहहहह.... गजब का गरम और मुलायम अहसास था नीलू की चुचियों में , राहुल को तो जैसे
सीजनल अाम मिल गया हो इस तरह से दबाना शुरु कर दिया। राहुल को तो मजा आ ही रहा था नीलू भी
कम लुत्फ नहीं उठा रही थी। वेरावल के होठों से और उसकी हथेलियों से भरपूर आनंद ले रही थी।
क्लासरूम में दोनों एक दस
ू रे में खोए हुए थे राहुल तो मदमस्त हुआ जा रहा था उसे बार बार वीनीत ं की
भाभी याद आ जा रही थी जिससे कि उसके लंड में खून का दौरा काफी बढ़ जा रहा था। ऐसा लगने लगा था
कि उसका लंड पें ट फाड़ कर बाहर ही चला आएगा।
राहुल पूरी तरह से आवेश में था उत्तेजना का नशा उसके सर पर हावी हो चुका था वह लगातार नीलू की
चुचियों दवाई जा रहा था । नीलू भी उसके होठों को चुसते हुए उसके बदन के सटी जा रही थी। वह अपने
दोनों हाथों को राहुल की पीठ पर सहलाते हुए अपनी दोनों हथेलियों के नीचे की तरफ ्लाई और कमर से
नीचे राहुल के नितंब पर दोनों हथेलियों को रख कर उसे अपने बदन से सटाने के लिए अपनी तरफ दबाई ही
थी की नीलू का खुद का बदन झनझना गया उसके बदन में जैसे चीटियां रें गने लगी, उसकी सांसे ऊपर
नीचे होने लगी क्योंकि जैसे ही नीलू ने राहुल के नितम्ब पर हथेली रखकर उसे अपनी तरफ दबाई थी। वैसे
ही तरु ं त राहुल के पें ट में बना तंबू सीधे जाकर नीलू की जांघेा के बीच बरु वाली जगह से टकरा गया' नीलू के
तो होश ही उड़ गए क्योंकि तंबू का स्पर्श कुछ ज्यादा ही दमदार था जिसका असर सीधे उसकी बरु की
गहराई में उतर गई।
नीलू की बरु ने छलछला के दो चार मदनरस की बंद
ु े पें टी मे ही टपका दी।
राहुल भी जानता था की उसका लंड सलवार के ऊपर से ही कोन सी जगह ठोकर मार रहा था। इसलिए तो
राहुल भी अपने आप को संभाल नहीं पाया और कस कस के नीलू की चचि
ू यों को मसलने लगा।
नीलू राहुल के स्तन मरदन और लंड की ठोकर को अपनी बरु पर महसस
ु करते ही एकदम से चद
ु वासी हो
गई,और कामातरु होकर पें ट के ऊपर से ही राहुल के लँ ड को अपनी हथेली मे दबोच ली।
आहहहहहहहहहह.......राहुल के मंह
ु से अनायास ही सीसकारी छुट गई। अजीब से सख ु की अनभ ु ति
ु के
एहसास से गनगना गया। नीलु भी एेसे दमदार लंड को पें ट के ऊपर से दबोचते ही गदगद हो गई ,ऊसकी
पनीयाई बरु भी खश
ु ी से फुलने पिचकने लगी। पें ट के ऊपर से ही नीलु लंड की मजबत
ु ी को भांप गई। ऊसने
एक पल भी गंवाए बिना ही पें ट की बटन को खोलकर चड्ढी सहीत एक झटके मे जांघो तक खींच दी। पें ट के
नीचे सरकते ही जो नजारा आंखो के सामने था,वह नीलु के होश उड़ाने के लिए काफी था।
राहुल का टनटनाया हुआ लंड पें ट ऊतरते ही हवा मे लहराने लगा, जो की गजब का लग रहा था' नीलु तो
बस दे खते ही रह गई। ऊसने अब तक एसा जानदार ओर तगड़ा लंड नही दे खी थी। नीलू का मुंह खुला का
खुला रह गया था, लंड का बदामी रं ग का सुपाडा ही गजब की गोलाई लिए हुए था नीलु मन ही मन सोचने
लगी कि, हे भगवान इसके लंड का सुपाडा कितना मोटा है । और इसके सुपारी की मोटाई की तल
ु ना में मेरी
बुर का गुलाबी छे द कुछ ज्यादा ही छोटा है अगर उसका सुपाड़ा मेरी बुर में गया तब तो यह मेरी बुर फाड़ ही
दे गा। ऊफफफफफफफ..... गजब का दमदार लंड है इसका। नीलू मन हीं मन मे बड़बड़ाए जा रही थी।
राहुल तो अपनी सुध बुध पूरी तरह से खो चुका था। दोनों का प्रगाढ़ चुंबन टूट चुका था। नीलू धीरे धीरे नीचे
घुटनों के बल बैठते जा रही थी। राहुल को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था और वह खाली मूकदर्शक बन
कर नीलू की हरकतों को दे खता जा रहा था। उसे अब डर लगने लगा था क्योंकि यह क्लास था वैसे तो
किसी के यहां आने का डर बिल्कुल भी नहीं था फिर भी उसके मन में डर बना हुआ था। नीलु अब तक
जिसके बारे में कल्पना करके बार-बार पनियां जाती थी वह जानदार ओर तगड़ा लंड उसके सामने सिर
उठाए खड़ा था। नीलू अपने लालच को और ज्यादा रोक नहीं पाई और अपना हाथ बढ़ाकर राहुल के
टनटनाए हुए लंड को थाम ली । जैसे ही नीलू ने राहुल के लंड को अपनी हथेली में दबोची, लंड की मोटाई
और उसका गरम एहसास नीलू के रोम रोम को झनझना दिया, साथ ही राहुल का भी बुरा हाल होने लगा।
नीलू से अब अपने आप को रोक पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था और उसने तुरंत एक दो बार लंड को
मुठीयाई ' राहुल की तरफ नजर उठाकर दे खी तो राहुल गहरी सांस ले रहा था। राहुल की उत्तेजना दे खकर
नीलु बहुत प्रसन्न हुई और उसने तुरंत राहुल से नजरें मिलाते हुए ही लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में भर ली।

आहहहहहहहह.....( जैसे ही नीलू ने लंड को मंह


ु में भरी राहुल के मंह
ु से सिसकारी छूट गई।)

नीलू चुदाई के हर एक खेल में माहिर थी इसलिए वह अपनी जीभ का कमाल राहुल के लंड पर दिखाने
लगी।
वह अपनी जीभ को सुपाड़े पर गोल गोल फिराते हुए लंड को आइसक्रीम कोन की तरह चाट रही थी।
राहुल की तो सांसे ऊपर नीचे हुए जा रही थी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसका पूरा बदन हवा में झल

रहा है । आंखों को मंद
ु कर वह जन्नत के ईस परमसख ु की अनभु ति
ू करके मस्त हुआ जा रहा था।

नीलू एकदम चुदवासी हो चुकी थी। उसकी पैंटी भी धीरे-धीरे करके गीली हो चुकी थी तभी तो वह लंड को मुह ं में
लेकर चूसते हुए एक हाथ से सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को मसल रही थी। दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई
थी दोनों चुदवासे हो कर चुदाई की आग में झुलस रहे थे। चप्प चप्प की कामुक आवाज नीलू के मुख से निकल रही
थी जिससे पूरा क्लास रूम गुंज रहा था। ऐसे अजब से सुख की अनुभूति करके राहुल नीढाल हुए जा रहा था। नीलू
तो राहुल के मोटे लंड को पाकर एकदम पगला सी गई थी वह बहुत जल्दी जल्दी अपने मुह ं को उसके ऊपर आगे
पीछे कर के लंड चुसाई का मजा ले रही थी। उसकी बुर से मदन रस टपक रहा था जिस पर अपनी हथेली को रगड़
रगड़ कर बुर वाली जगह को एकदम गीली कर ली थी।
दोनों लंड चुसाई का भरपूर आनंद उठा रहे थे। राहुल से रहा नहीं जा रहा था' उसे ऐसा लग रहा था जैसे की उसका
लंड वीनीत की भाभी की बुर में अंदर बाहर हो रहा है। इसलिए राहुल से और ज्यादा सब्र नहीं हुआ और उसने
अपनी कमर को आगे पीछे हिलाते हुए नीलू के सर को दोनों हाथों से थाम लिया' और आंखों को मुंद़कर जिस तरह
से वीनीत की भाभी की बुर में लंड को अंदर बाहर करते हुए पेल रहा था। उसी तरह से नीलू के मुंह में लंड को ठुं से
हुए ही कमर को आगे पीछे करके चलाने लगा।
नीलू और राहुल दोनों को बहुत मजा आ रहा था पल-पल दोनों की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी राहुल था कि अब
बिना शर्म किए सिसकारी लेते हुए नीलू के मुहं में लंड को पेले जा रहा रहा था।
नीलू भी अपने मुख से गर्म सिसकारी भरी आवाज निकालते हुए अपनी हथेली को बुर पर लगातार रगड़ते जा रही
थी। दोनों चरमसुख की तरफ बढ़ ही रहे थे कि तभी रीशेष पूरी होने की घंटी बज गई। घंटी की आवाज सुनते ही
राहुल हड़बड़ा गया हालांकि फिर भी वह नीलू के मोह में धक्के लगाए जा रहा था और नीलू भी लंड को चूसे जा रही
थी। नीचे विद्यार्थियों की आवाज बढ़ती जा रही थी जिसकी वजह से राहुल को डर लगने लगा वह नीलू के मुह ं से
अपने लंड को बाहर की तरफ खींचने लगा लेकिन नीलू थी की राहुल कै लंड को अपने मुंह से निकालने के लिए
तैयार ही नहीं थी। राहुल ने फिर भी जैसे-तैसे करके अपने लंड को नीलू के मुंह से बाहर खींच ही लिया ओर झट से
अपनी पेंट को ऊपर चढ़ा कर बटन बंद कर लिया। राहुल बिना कुछ बोले क्लास से बाहर निकल गया पर नीलू वहीं
पर ठगी सी बैठी रह गई। अकेले बैठे वह वहां पर क्या करती वह भी नीचे फर्श पर गिरी अपनी ब्रा उठाई और उसे
पहनने लगी' कमीज पहन ने के बाद वह अभी क्लास से बाहर आ गई।

आज नीलू की अभिलाषा कुछ हद तक पूरी हुई थी। जिसके बारे मैं अब तक कल्पना कर कर के ही अपनी पेंटी को
गीली करती आ रही थी आज बहुत दिनों बाद उसे छू ने का उसकी गर्मी को महसूस करने का मौका मिला था। और
नीलू ने इस मौके का कुछ हद तक फायदा भी उठा ली ,बहुत लडको के लंड को चूस चूस कर नीलू ने अपनी प्यास
बुझाई थी। लेकिन आज राहुल के मोटे तगड़े लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने के बावजूद भी उसकी प्यास बुझने
के बजाए और भी ज्यादा बढ़ चुकी थी। उसकी बुर कुलबुला रहीे थेी राहुल के मोटे तगड़े लंड को अपने अंदर लेने के
लिए।। इसलिए तो वहां छु ट्टी के बाद जैसे ही घर पर पहुंची तुरंत अपने कमरे के अटै च बाथरूम में पूरी तरह से नंगी
होकर सावर ली, शावर लेने के बाद अपने बदन को टावल से पोछकर नग्नावस्था में ही अपने बिस्तर पर लेट गई
और ना जाने कितनी बार अपनी उंगली से ही अपनी बुर का पानी निकालकर अपने आप को शांत करने की कोशिश
करती रही।

राहुल का भी यही हाल था ,एक तो वीनीत की भाभी ने उसके होश पहले से ही उड़ा रखे थे। ऊपर से जो आज नीलू
ने क्लासरूम में उसके साथ मुखमैथुन का आनंद प्रदान की थी उस आनंद ने तो राहुल को पागल ही बना दिया था।
राहुल ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि स्कूल के क्लास रूप में एक सुंदर लड़की उसके अकेलेपन का फायदा
उठाते हुए उसके लंड को चूसकर उसे परम आनंद की अनुभूति कराएगी। राहुल अपने आप को भाग्यशाली समझ
रहा था कि बिना मांगे ही उसे सब कुछ मिल रहा था। एक खूबसूरत लड़की नीलु जो उसे प्यार करने लगी थी और
आज मुखमैथुन जैसे अतुल्य कार्य का आनंद भी दे चुकी थी। और वीनीत की भाभी थी जिसने उसे संभोग सुख दे
चुकी थी। जिसने उसे यह एहसास दिलाया कि बुर और लंड के मिलन से जो सुख प्राप्त होता है ऐसा सुख दुनिया में
और कहीं भी नहीं प्राप्त होता। और तों और अब तो राहुल के ऊपर उसकी खुद की मां के बदन का आकर्षण भी
बनता जा रहा था। अपनी मम्मी के भरावदार बदन के प्रति भी उस का झुकाव बढ़ने लगा था। इन तीनों औरतों के
बारे में कल्पना कर करके राहुल ने सारी रात ना जाने कितनी बार हस्तमैथुन करते हुए अपने गरम पानी को
निकालकर अपने बदन को शीतलता प्रदान करता रहा।

दूसरी तरफ विनीत था वह अलका के चक्कर में एकदम दे वदास हो गया था ,उसकी हालत एकदम मजनू की तरह
हो चुकी थी। ना ठीक से खाता था ना पीता था और पढ़ाई में तो उसका मन पहले से ही नहीं था।
यह तो तय था कि यह कोई प्रेम नहीं था बस आकर्षण और वासना का मिला-जुला असर था।
इंसान में वासना गजब का असर दिखाती है। एक बार जब इंसान के अंदर वासना दाखील हो जाती है तो ना उम्र
दे खती है ना संबंध ना ही रिश्तो का लिहाज ही करती है। अलका उसके परम मित्र की मा थी इस बात से तो विनीत
अनजान था लेकिन फिर भी अलका उसके मां की उम्र की थी। उसे अलका की उम्र का भी लिहाज नहीं था, उसे तो
बस अलका का खूबसूरत मादक बदन उसकी खूबसूरती उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और सबसे ज्यादा अलका का
भरावदार गांड विनीत को भा गई थी। उसे चारों पहर ़ बस अलका ही अलका नजर आती थी। इसलिए पिछले 3
दिनों से रोज शाम के वक्त ऑफिस से लौटने के समय पर अलका की राह तकता रहता था, लेकिन जैसे कि वक्त ने
उसकीे तड़प को और ज्यादा बढ़ाने की ठान ली थी इसलिए अलका से उसकी मुलाकात हो ही नहीं पा रही थी।
विनीत पूरी तरह से अलका के मोह पास में जकड़ चुका था। अब तो हाल यहां तक हो चुका था कि विनीत को
उसकी भाभी की चुदाई करने में भी मजा नहीं आ रहा था, वह जब भी अपनी भाभी की चुदाई करता तो कल्पना में
अलका के बदन के बारे में ही सोचते हुए अपनी भाभी को चोदता तब जाकर उसके मन को थोड़ी बहुत शांति
मिलती थी।

जबसे विनीत की भाभी ने राहुल का लंड अपनी बुर में ली थी तब से उसे विनीत के लंड से जरा भी मजा नहीं आ
रहा था उसकी बुर तड़प रही थी दुबारा राहुल के लंड को लेने के लिए।

अब तो अलका का भी बुरा हाल हो गया था उसकी भी रातें विनीत द्वारा की गई कामुक हरकत की वजह से बिना
पेंटि गीली किए नहीं कट रही थी। हालाकी उसने उस दिन की तरह अपनी बुर में उंगली डालकर अपने आप को
शांत करने की कोशिश नहीं की थी बल्कि उन विचारों के माध्यम से ही वह अपनी बुर की पुतलियों को अपनी हथेली
से रगड़ रगड़ कर आनंद ले रही थी। अलका खुद विनीत की तरफ खींची चली जा रही थी जिसका उसे पता ही नहीं
था क्योंकि अब तो जब भी शांत बैठती थी तब उसके दिमाग में विनीत ही घूमता था खास करके बारिश वाली रात
की हरकतें। मार्के ट से गुजरते समय उसकी भी नजरे विनीत को ही ढूं ढती रहती थी ,लेकिन उसकी भी मुलाकात
विनीत से नहीं हो पा रही थी। बरसात के दूसरे दिन ही वह मार्के ट के एक स्टोर पर गई थी, उसे वीट हेयर रिमूवर
लेना था। क्योंकि वह रात को अपनी बुर पर उगे हुए बालों के गुच्छे को दे ख कर बहुत खराब लगा था और उसे वह
क्रीम लगाकर साफ करना चाहती थी इसलिए वीट क्रीम खरीदने का निर्धार वो रात को ही बना ली थी ।स्टोर पर
जाने में उसे बहुत ही संकोच हो रहा था। 2. 3 स्टोर तो वह छोड़ चुकी थी क्योंकि वहां पर कुछ ग्राहक पहले से ही
जमा हुए थे तो उन लोगों के सामने वीट क्रीम मांगने में उसे शर्म सी महसूस हो रही थी। ऐसे करते करते वह मार्के ट
खत्म होने के करीब तक पहुंच गई। तभी सामने एक छोटा सा स्टोर दिखा, वहां पर भी पहले से ही दो लड़के खड़े
थे। लेकिन उसने हिम्मत जुटाकर मन में ही फैसला कर ली थी जो होगा दे खा जाएगा। आख़िर सभी औरतें लड़कियां
इसे खरीदतीे हैं, मैं ही हमेशा क्यों बीट लेते समय इतना शर्माती हुं। इसलिए वह हिम्मत जुटाकर सीधे स्टोर पर पहुंच
गई।
और बेधड़क होकर दुकानदार से उसने वीट क्रीम मांग ली, और इधर उधर दे खते हुए अपने चेहरे पर आई शर्म के
भाव को छु पाने की कोशिश करने लगी।
अमिता के द्वारा बीत क्रीम मांगने पर दुकानदार कबाट की ओर बढ़ गया और पास में ही खड़े दोनों लड़कों ने
अलका के मुंह से बीट क्रीम सुने ही थे की उनकी कान के साथ-साथ जांघों के बीच लटक रहा लंड भी खड़ा हो
गया। अलका के बदन में गुदगुदि सी मची हुई थी। बीट मांगने के नाम पर ही अलका के बदन में एक रोमांच सा ऊठ
रहा था। उसकी पैंटी बीट के नाम पर कब गीली हो गई उसे खुद को पता नहीं चला।
अलका को बीट मांगते दे ख पास मे हीं खड़े दोनों लड़कों की नजर अलका के बदन पर ऊपर से नीचे तक पड़ी ,
तभी एक लड़के ने दूसरे लड़के को फुशफुसाते हुए कहा।
यार दे ख तो सही आज बीट ले जा रही है आज पूरे बाल साफ करके चिकनी कर दे गी,उफफफफ.... आज तो जो
भी इसकी लेगा पूरी चीभ लगाकर चाट जाएगा। काश हमारी किस्मत में ऐसी होती... । ( इतना कहने के साथ ही
दोनों हंसने लगे। अलका उन लड़कों के कमेंट्स सुनकर एकदम शर्मसार हो गई, उसे उन लड़कों पर क्रोध भी आया
वह उन लड़कों को डांटना चाहती थी लेकिन शर्म के मारे कुछ कह नहीं पाई, उन लड़कों से ज्यादा उसे उस
दुकानदार पर गुस्सा आ रहा था जो क्रीम दे ने में इतनी दे र लगा रहा था। उन लड़कों की गंदी कमेंट सुनकर अलका
के बदन में शिहरन सी दौड़ गई थी। उत्तेजना में अलका की बुर फुदकने लगी थी।
वैसे भी अक्सर मर्द लोग औरत के उपयोग में ली जाने वाली हर वस्तु के बारे में कल्पना करना शुरु कर दे ते हैं।
अगर कोई औरत ब्रा पैंटी लेती होगी तो मर्द लोग कल्पना करने लगते हैं कि वह कैसे ब्रा और पैंटी पहनेगी यै कैसी
दिखेगी इसे पहनने के बाद' हेयर रिमूवर ली तो उसके बारे में कल्पना करना शुरू कर दें गे कि कैसे वह अपनी बुर पर
पर वीट लगाकर साफ करके अपनी बुर को चिकनी करेगी यह सब क्या अक्सर हर मर्द ने चलने लगता है।

अलका द्वारा बीट का उपयोग करने की कल्पना उन दो लड़कों में भी चल रही थी। तभी उस दुकानदार ने अलका
को क्रीम थमाया और अलका ने तुरंत उसे पैसे दे कर वहां से चलती बनी। हालाकि दो-तीन दिन गुजर गए थे लेकिन
अलका ने बीट क्रीम का उपयोग नहीं कर पाई थी। बरसों बाद उसके बदन में भी प्यास की फुवार उठ रही थी।

एक दिन अलका ऑफिस से छू टकर अपनी घर की तरफ जा रही थी और जैसे ही मार्के ट से होते हुए गुजर रही थी,
की वही उसकी राह तकते हुए बैठे विनीत की नजर अलका पर पड़ी और वह दौड़ते हुए अलका के पास गया,
अलका की नजर जैसे ही विनीत पर पड़ी वह अंदर ही अंदर बहुत खुश हुई लेकिन चेहरे पर बनावटी गुस्सा लाते हुए
बोली।

तुम मेरे पास भी मत अाना' तुम्हें मैं इतना सीधा लड़का समझी थी लेकिन तुम तो शैतान निकले। बीते भरके हो
लेकिन तुम्हारी हरकतें एकदम आदमियों की तरह हो गई है। ( अलका उसे खरी-खोटी सुनाते हुए कंधे पर पर्स
लटकाए तेजी से चली जा रही थी, और विनीत था कि उससे मिन्नतें करते हुए उसके पीछे पीछे लगा हुआ था।
अलका के बीते भरके वाली बात पर वह मन ही मन सोचा की अगर यह आंटी मुझे मौका दे दे ती तो मे ईसे दिखा
दे ता की यह बीते भर का लड़का इस औरत का तीन चार बार पानी एक ही बार में निकालने की ताकत रखता है।
लेकिन अभी तैयार से काम लेना था इसलिए उसके पीछे पीछे मिन्नते करते हुए जा रहा था। वह उसके साथ चलते
चलते बोला।

एक बार सुनो तो आंटी मानता हूं मुझसे गलती हो गई पर मेरी पूरी बात तो सुन लो इस तरह से नाराज होकर
जाओगी तो कैसे चलेगा।

अब कहने और सुनने के लिए बचा ही क्या है तुम्हे जो करना था कर तो दिया ना। अब क्या है? ( अलका की बात
सुनकर उसके मुंह से एकाएक निकल गया।)

कहां आंटी जी ।कहां कुछ कर दिया।

अब यूं भोला मत बन, तुम कितना शैतान हो मैं उस दिन जान गई।

आंटी जी उसी बात की तो मैं आपसे माफी मांगने के लिए कितने दिनों से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं। ( रास्ते पर
एक दूसरे की दलीलों को सुनते हुए दोनों आगे निकल गए यहां रास्ते पर भीड़ कुछ कम थी, इसीलिए वीनीत हिम्मत
करके अलका का हाथ थाम लिया, इस तरह से हांथ थामने पर अलका को विनीत पर गुस्सा आ गया और वह
झटके से अपना हाथ छु डाते़ हुए बोली

विनीत अब कुछ ज्यादा ही हो रहा है तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस तरह से मेरा हाथ पकड़ने कीे ।

मेरी इस हरकत के लिए माफी चाहता हूं आंटी जी। उस दिन जो हुआ उसके लिए मैं आपसे हाथ जोड़कर माफी
मांगता हूं। ( विनीत लगभग रुवांसा होते हुए बोला' दिनेश के चेहरे पर बदलते भाव को दे खकर अलका शांत हुई।
और बोली।)

अब क्या कहना चाहते हो । तुम्हे क्या ईसका अंदाजा भी है की अगर ऊस दीन कीसीने जो तुम हरतक कर रहे थे
अगर कीसी ने दे ख लिया होता तो क्या होता, लोग क्या समझते मेरे बारे मे मे तो कीसी को भी मुंह दीखाने के
काबिल भी नही रह जाती। ( हल्का बनावटी गुस्सा दिखाते हुए विनीत को बोले जा रही थी। और विनीत भी अब
सच में रोने जैसा हो गया था ओर वह भी अपनी सफाई दे ते हुए बोला।)

माफी तो मांग रहा हूं आंटी जी अब बोलो मे क्या करु'


मेरी ओर गलती के लिए आप जो बोलोगे वह सजा मुझे मंजूर होगी लेकिन उसके पहले मेरी बात तो सुन लो।
( वीनीत की बातें सुनकर अलका एक दम शांत हो गई और वीनीत उसकी खामोशी को उसकी इजाजत समझते हुए
बोला।)

आंटी जी उस दिन जो भी हुआ मैं वैसा कुछ भी नहीं करना चाहता था मैं तो आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाना
चाहता था ताकि आपको बारिश में तकलीफ ना हो. लेकिन आंटी जी आपकी खूबसूरती दे खकर मैं बाहक गया।
मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि औरत इतनी ज्यादा खूबसूरत होती है। ( इस बार अलका विनीत को ध्यान से दे खने
लगी उसकी बात को ध्यान से सुनने लगी। अलका को वीनीत की ऐसी रोमांटिक बातें अच्छी लगने लगी थी। विनीत
जानता था कि अगर किसी औरत को वश में करना हो तो सबसे बड़ा हथियार है उनकी तारीफ करना। अपनी
तारीफ सुनकर दुनिया की कोई भी औरत किसी के भी सामने पिघल सकती हैं। और वही अलका के साथ भी हो
रहा था। विनीत अलका की तारीफ के पुल बांधता हुआ बोला।)

सच कहूं तो आंटी जी बारिश में भीगने के बाद आप ओर भी ज्यादा खुबसुरत हो गई थी। मैं तिरछी नजर से चोरी
छिपे आपके बदन की खूबसूरती को निहार ले रहा था। और आंटी जी तब तो मुझसे और भी अपने आप को संभाला
नहीं गया जब आपको संभालते समय अनजाने में मेरा हाथ आप की चूची पर पड़ी थी। ( विनीत के मुह ं से चुची
शब्द सुनते ही अलका का मुंह खुला का खुला रह गया, उसे कुछ पल तो यकीन ही नहीं हुआ कि यह विनीत क्या
कह रहा है, कभी वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए जानबूझकर अलका को उकसाते हुए बोला।)
आंटी जी आपकी चूची जैसे ही मेरे हाथों को छू आई थी मेरा पूरा बदन ऐसा झनझना गय़ा मानो की करंट लग गया
हो। इतनी नरम नरम चूची के स्पर्श का एहसास मेरे पूरे वजूद को हिला गया था। ( विनीत जानबूझकर नमक मिर्च
लगा कर उनका की तारीफ करते हुए गंदी बातों का सहारा लेकर उसको उकसाने की कोशिश कर रहा था। अलका
भी उसकी चिकनी चुपड़ी बातों के बाहाव में बही जा रही थी। कुछ दे र वहीं खड़े रहने के बाद अलका फिर से चलने
लगी, वीनीत भी उसके पीछे पीछे चलने लगा लेकिन इस बार अलका ने उसे रोकने की कोशिश नहीं की। विनीत
फिर से उसके बराबर में चलते हुए बोला।)

आंटी जी आप मेरी बातों से नाराज तो नहीं है ना, दे सी आंटी जी मेरे मन में पाप नहीं है लेकिन जो मेरे मन में था वह
साफ साफ आपको पूरी सच्चाई बता दिया।
( दिनेश की बातें सुनने के बाद चलते चलते ही अलका का बोली।)

तुम्हें नहीं लगता है कि तुम्हारी यह बातें और तुम्हारी की गई हरकतें दोनों गंदी हैं।

मैं कब कह रहा हूं आंटी जी कि मैंने जो कुछ भी किया वह सब ठीक था। आप की जगह पर अगर कोई और होती
तो मेरी इन हरकतो की वजह से मेरे गाल पर थप्पड़ रसीद कर दी होती' और तो और मैं हैरान हूं कि अब तक मेरे
गाल लाल क्यों नहीं हो गए।
( वीनीत की इस बात पर अलका को हंसी आ गई' और अलका की हंसी को दे खकर विनीत अंदर ही अंदर खुश
होने लगा क्योंकि उसने बहुत कुछ साफ-साफ बोल दिया था जो कि एकदम खुले शब्दों में था फिर भी अलका की
हंसी से साफ जाहिर हो रहा था कि वह उसकी बातों को सुनकर नाराज नहीं थी। इसलिए उसकी हिम्मत बढ़ रही थी
और वह फिर से अलका की तारीफ में दो शब्द और जोड़ते हुए बोला।)

आंटी जी आप सच बताइए आप नाराज तो नहीं है ना।

दे खो विनीत नाराजगी का तो कोई सवाल ही नहीं उठता जो भी तुम कर रहे हो ये सब सही नहीं है।

आंटी जी मैं जानता हूं कि ऐसा सही नहीं है लेकिन उसके लिए बारिश की वजह से बहक गया था खास करके
आपके भीगे हुए बदन को दे ख कर, मैं आपको पहले भी बता चुका हूं कि मैंने आपसे ही खूबसूरत औरत कभी नहीं
दे खा। उस दिन अगर मैं आपके होठों का रास्ता ना किया होता तो मैं अपना होश कभी नहीं खोता, और ना ही
आपके गुलाबी हो तो के मधुर रस की वजह से मेरे होश खोते ओर न मैं आपकी इन( आंखों से इशारा करते हुए)
बड़ी बड़ी चुचियों को अपनीे हथेली में भर कर दबाता। और ना ही आपकी साड़ी को आपकी कमर तक उठा कर
आपकी मोटी मोटी जांघों को सहलाने की जुर्रत करता। इसमें आपका ही दोष है ।
( कल का दिन एक की इन बातों को सुनकर एकदम भोंचक्की सी हो गई उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा
था की वह जो सुन रही है ना कोई उसके बेटे के हमउम्र का लड़का ही है। जो खुद उससे इतनी गंदी बातें कर रहा है।
अलका को गुस्सा भी आ रहा था लेकिन विनीत की इन बातों में अश्लीलता के साथ-साथ उसकी खुद की तारीफ भी
छु पी हुई थी इसलिए उसे यह सब सुनने में अच्छा भी लग रहा था। विनीत का जवाब सुनकर उसे क्या कहना है ये
उसे सुझ ही नहीं रहा था, फिर भी वह बोली।)

तुम पागल हो गए हो क्या यह तो वही हो गया आपकी उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। गलती भी खुद कर रहे हो ओर
गलती का दोष दूसरे के सर मथ रहे हो।

कैसी गलती आंटी जी मैं आपसे प्यार करने लगा हूं आई लव यू( वीनीत ने बिना एक पल गंवाए एक सांस में ही सब
कुछ बोल दिया। उसकीे बात सुनकर अलका एकदम से स्तब्ध रह गई उसे इस बात पर गुस्सा करें कि ना करें कुछ
समझ नहीं पा रहीे थी। वह मन में बहुत कुछ सोचने लगी। मेरे बेटे का हम उम्र होकर मुझे से कैसी बातें कर रहा है।
इसे कुछ समझ हे कि नहीं, विनीत के प्रपोजल का जवाब दे ते हुए अलका बोली।)

तुम पागल हो क्या तुम्हें इतना समझ में भी नहीं आ रहा,


अरे अपनी उम्र दे खो ओर मेरी उम्र दे खो। कुछ तो ऊम्र का भी लिहाज कीया होता। तुम्हारी मां की उम्र की हुँ।
तुमको तो अपनी उम्र की कोई सुन्दर लड़की से कहना चाहीए था। मुझसे कहकर तुम्हे क्या हासिल हो जाएगा।

आंटी की कुछ हासिल करने वाला करने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता मुझे बस तुम अच्छी लगती हो आज तक
मैंने तुम्हारे जैसी कोई औरत नहीं दे खा, आप मुझे बहुत पसंद आई इसलिए तो मैं आपसे आई लव यू कह रहा हूं।

फिर वही आलाप जपना शुरु कर दिया तुमने। मैं कह तो रही हूं' मेरी उम्र में और तुम्हारी उम्र में बहुत फर्क है और
मुझे इन सब चीजों में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है।
( अलका सड़क पर बने फुटपाथ पर चलती जा रही थी
साथ में विनीत भी अलका के कदमों से कदम मिलाकर चले जा रहा था। अलका भले ही ऊपरी मन से यह सब कह
रही थी लेकिन अंदर ही अंदर विनीत की बातों को सुनकर वह प्रसन्न हुए जा रही थी। बातों ही बातों में सड़क का वह
मोड आ गया जहां से अलका अपने घर की ओर चली जाती थी।। विनीत जानता था कि अलका अब अपने घर की
तरफ मुड़ने वाली है। इसलिए विनीत की तड़प बढ़ती जा रही थी। उसने फिर से बोला।

( हाथ पकड़ते हुए) आंटी जी मैं सच कह रहा हूं मुझे आप से मोहब्बत होने लगी है। और रही बात उमर की तो मे
उम्र को नहीं मानता। बस इतना जानता हूं कि मैं आपसे प्यार करने लगा हूं। अब मुझे आपके बिना कुछ अच्छा नहीं
लगता, सोते जगते हर पल हर घड़ी आपकी याद मुझे सताती रहती है। मैं आपके बिना नहीं रह पाऊंगा आई लव यू
,आई लव यू
( अलका फिर से उसके भोलेपन पर मुस्कुरा दी और उसके सवाल का जवाब दिए बिना ही हंसते हुए फिर से मुख्य
सड़क से नीचे उतर कर अपने घर की तरफ जाने लगी। विनीत वही खड़ा उसे दे खता रह गया, वीनीत की नजर
फिर से अलका के मादक बदन पर ऊपर से नीचे तक फीरने लगी। अलका हाई हील की सेंडल पहने हुए थी जिससे
चलते समय उसकी बड़ी बड़ी गांड कुछ ज्यादा ही थिरक रहे थे ' अलका की बड़ी बड़ी गांड एक बार फिर से वीनीत
के लंड में सुरसुराहट पैदा कर गई थी। विनीत वही खड़ा पैंट के ऊपर से ही लंड को मसलते हुए अलका को जाते
दे खता रहा और तब तक दे खता रहा जब तक कि अलका उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गई। वीनीत को उसका
काम बनता हुआ नजर आ रहा था। क्योंकि उसने जैसा सोचा था कि अलका उसको गुस्सा करेंगीे नाराज होगी
डाटें गी यह हो सकता है कि मिलना जुलना ही बंद कर दे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था बल्कि वह तो उसकी बातों
को सुनकर मुस्कुरा रही थी। इसलिए तो विनीत एब एकदम आत्मविश्वास से भर चुका था। मुझे पक्का यकीन हो
गया था कि बारिश की रात को जो काम उसने अधूरा छोड़ा था बहुत जल्द वह पूरा होने वाला है। कुछ ही दे र में
अलका भी आंखों से ओझल हो गई फीर भी वही खड़ा खड़ा उस रास्ते को दे खने लगा जहां से अलका रोज आती
जाती थी ' ईसके बाद विनीत भी अपने घर की तरफ चल दिया।

रसोई बनाते समय अलका बहुत खुश नजर आ रही थी वह मन ही मन में कोई गीत गुनगुना रही थी। और खुश क्यों
ना हो बरसों के बाद किसी ने उसे प्रपोज किया था वरना जो भी उसकी तरफ दे खता था तो बस नोचने और खसोटने
जेसा ही विचार हर मर्द में आता था। अलका के हिसाब से विनीत सबसे अलग था। उसका अंदाज उसके बोलने का
तरीका उसका एटीट्यूट सब कुछ अल्का को भाने लगा था।

अलका बहुत खुश थी । उसकी खुशी का पूरा असर आज रसोईघर में भी दे खने को मिल रहा था क्योंकि आज से
बच्चों के मन पसंद की खीर पूरी सब्जी और मालपुआ भी बना रही थी। तभी तो पढ़ाई कर रहे राहुल और सोनू दोनों
को रसोई घर से आती स्वादिष्ट खुशबू इन दोनों के मुह
ं में पानी आ गया। राहुल और सोनू से एक पल भी रुका नहीं
गया और वह दोनों रसोई घर में आ गए , रसोई घर में घुसते ही राहुल मालपुआ को चखना चाहता था लेकिन जैसे
ही मालपुआ को लेने के लिए आगे बढ़ा ही था कि उसकी नज़र सीधे उसकी मां की भरावदार नितंब पे पड़ी' और
उसके कदम ज्यों के त्यों वहीं रुक गए। राहुल की मम्मी मालपुआ को छानते वक्त एक पांव को घुटनों से मोड़ कर
दूसरे पांव पर रखकर हल्के हल्के रगड़ रही थी। जिसकी वजह से उसके पीछे का भाग कुछ ज्यादा ही उभार लिए
हुए था।
और ऊस वक्त उसने सिर्फ गाउन पहने हुए थी। जोकि उसके बदन से बराबर चिपका हुआ था इसलिए उसके अंगों
का घुमाव मरोड़ और कटाव बराबर झलक रहा था। यह सब दे ख कर राहुल को अपनी जांघों के बीच सुरसुराहट सी
महसूस होने लगी। तत्काल उसके लंड ले तनाव आना शुरु हो गया। बड़ी-बड़ी और भरावदार गांड राहुल की
कमजोरी बनती जा रही थी। विनीत की भाभी की भी गांड बिल्कुल ऐसी ही भरावदार और गोल गोल थी, और तो
और उसने तो दिनेश की भाभी की गांड को छु आ भी था उसकी नरमाहट को अपनी हथेली में मसल मसल कर
महसूस भी किया था। उस वक्त राहुल को विनीत की भाभी की बड़ी बड़ी गांड बहुत ही ज्यादा कामुक और अतुल्य
लग रही थी' और उसे चोदने के बाद से उसकी नजर जब भी किसी औरत पर पढ़ते थी तो सबसे पहले उसके
भरावदार गांड पर ही पड़ती थी। और वहां तो खुद दो तीन बार अपनी मां की नंगी गांड के दर्शन कर चुका था।
सबसे उसके मन के कोने में की मां की भरावदार गांड के प्रति आकर्षण बना हुआ था। इसलिए तो रसोई घर में
प्रवेश करते ही, उसकी नजर जैसे ही उसकी मम्मी की भरावदार गांड जो कि गाउन का लबादा ओढ़े हुए थी उस पर
पड़ते ही राहुल की यादें भरावदार गांड को लेकर तरोताजा हो गई,
राहुल वहीं खड़े होकर अपनी मां के पिछवाड़े का नजरों से जायजा ले रहा था तब भी इस तरह से खड़े हो जाने पर
सोनू बोला।
भैया मम्मी तो आज पकवान बना रही है आज मजा आ जाएगा खाने मे। ( सोनू की आवाज उसके कानों में पढ़ते
ही जैसे कि वह नींद से जगा हो इस तरह से सकपका गया' राहुल की मम्मी को भी इसका एहसास हो गया कि
उसके दोनो बच्चे रसोईघर में आ चुके हैं। तभी वह मालपुआ तलते हुए बोली।)

राहुल सोनू तुम दोनो रसोई में चले आए मुझे मालूम है जिस लिए आए हो। आज तुम दोनों की पसंद का खाना बना
रहीे हुं। ( मालपुआ को कड़ाई से निकालते हुए )
आज तो तुम दोनों के मुंह में पानी आ गया होगा।

राहुल के मुंह में मालपुआ की खुशबू से तो पानी आया ही आया था लेकिन अपनी मां की भरावदार गांड को दे खकर
उसके लंड से भी पानी की एक दो बुंद टपक पड़ी। राहुल बड़ी-बड़ी नितंब के आकर्षण से अपने आप को बचा नहीं
सका और आगे बढ़ कर उसने पीछे से अपनी मां को अपनी बाहों में कसते हुए बोला।

ओह मम्मी तुम कितनी अच्छी हो ,तुम हम दोनों का बहुत ख्याल रखती हो। आज तुमने हम दोनों के मनपसंद का
खाना बनाई हो आज मैं बहुत खुश हूं मम्मी।

( राहुल अपनी बात हो गई पीछे से अपनी मां को भरा हुआ था लेकिन उसके पेंट में बना तंबू सीधे उसकी मां की
गांड के दरार में घर्षण करने लगा था, राहुल आम तौर पर इसी तरह से रसोई घर में जब भी खुश होता था तो अपनी
मम्मी को पीछे से यूं ही बाहों में भर कर दुलार करने लगता था। उसकी मां को भी है अौपचारीक ही लगा था की '
उसने अपनी गदराई हुई गांड पर कुछ नुकीला सा चुभता महसुस की ,उसे समझते जरा भी दे र नही लगी की उसकी
गांड पर जो नुकीली चीज चुभ रही है वह कुछ ओर नही बल्की राहुल का लंड है जो की ईस समय एकदम तनाव मे
है। उस नुकीली चीज के चुभन को समझते ही उसका पुरा बदन अजीब से रोमांच मे झनझना गया। तुरंत उसकी बुर
मे सिहरन सी दौड़ गई ओर उत्तेजना मे फुलने पिचकने लगी। उसको तो कुछ समझ में नहीं आया कि क्या करें,
राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हुई थी तुरंत वह सकते में आ गई थी। उसको यह लग रहा था कि राहुल से यह
हरकत अनजाने में ही हुई है क्योंकि जहां तक वह पूरी तरह से अपने बच्चों से वाकिफ थी राहुल इस तरह का
लड़का कदापि नहीं था वह इतनी गंदी हरकत जानबूझ कर ही नहीं सकता था।
वह समझ रही थी कि राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हो रही है क्योंकि वह इस तरह से हमेशा उसे पीछे से बाहों
में भर कर दुलार करता था। लेकिन आज की यह हरकत अलका को अजीब सी लगी क्योंकि इससे पहले उसके
भरावदार नितंब पर इस तरह की चुभन कभी भी नहीं हुई।

अलका को लग रहा था कि यह हरकत राहों से अनजाने में ही हुई है लेकिन राहुल ने इस तरह की हरकत
जानबूझकर किया था। अपनी मां के भरावदार गांड को दे ख कर वो अपने आप को रोक नहीं पाया था और सीधे
जाकर पीछे से अपनी मां को बाहों में भरते हुए अपने पेंट में बने तंबू को आगे की तरफ बढ़ा कर अपनी मां की
भरावदार गांड पर रगड़ने लगा था, राहुल को इस तरह से बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। उसे अपने तंबु को
अपनी मां की गांड पर चुभाने में रगड़ने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। राहुल उत्तेजना से एकदम से भर चुका था
उसका बस चलता तो कब का गाउन उठाकर अपनी मां की बुर में लंड पेल दिया होता
वैसे भी विनीत की भाभी ने कुछ हद तक चुदाई करने के सारे दांव पें च सिखा ही दि थी। राहुल इतनी
हिम्मत तो दिखा चक
ु ा था लेकिन इसके आगे हिम्मत दिखाने की ताकत उसमे नहीं थी।
दस
ू री तरफ अलका को यह सब अनजाने में ही लग रहा था राहुल को कैसे मना करे उसे कुछ समझ में नहीं
आ रहा था । अगर वह राहुल को उसकी हरकत बताते हुए डांटती है तो इसका बरु ा असर राहुल पर पड़
सकता था। वह नही चाहती थी कि इन सब गंदी बातों पर उसका ध्यान जाए। वह अभी तक अपने तंबू को
अलका की गांड पर रगड़े हुए था और अलका मालपआ
ु चल रही थी वह माल पए
ू को कड़ाही से निकालते हुए
बोली।

अरे छोड़ मुझे मालपुआ तों बनाने दे वरना रसोई तैयार करने में फिर दे र हो जाएगी।
( राहुल अपनी मां को छोड़ना नहीं चाहता था लेकिन उसकी बात सुनकर उसे छोड़ना ही पड़ा,)

अच्छा तम
ु दोनों बाहर बैठोे मैं तुरंत रसोई तैयार करके
उसे परोस कर लाती हूं।
( राहुल के मन से हामी भर कर रसोई घर के बाहर जाने लगा की तभी अचानक अलका उसे रोकते हुए
बोली।)

सन
ु ो राहुल

हां मम्मी ...( अपनी मां की तरफ पलटते हुए।)

दे खो बेटा तम
ु दोनों ठीक है अपने हाथ पांव धो लेना क्योंकि खाने से पहले सफाई बहुत जरूरी है ठीक है ना।
( राहुल भी हामी भरके रसोई घर के बाहर चला गया।
अलका का यह स्वच्छता के बारे में हिदायत दे ना कोई जरूरी नहीं था लेकिन वह इस बहाने कुछ और
दे खना चाहती थी और जो दे खना चाहती थी राहुल के बदन पर उसकी नज़रों ने कोई जगह का पूरी तरह से
मुआयना कर ली थी। अलका की अनुभवी आंखों ने अपने बेटे के पें ट में बने तंबू का पूरी तरह से जायजा ले
लिया था। पें ट में बने उस उभार को दे ख कर अलका अंदर ही अंदर सिहर उठी थी। अपने बेटे के पें ट में बने
उस तंबू को दे ख कर आज पहली बार उसे यह एहसास हुआ कि उसका बेटा भी अब बड़ा हो चुका है । अलका
को अंदर ही अंदर यह एहसास हो चुका था कि उसके बेटे का लंड काफी तगड़ा और जानदार है ।
राहुल रसोई घर के बाहर जा चुका था लेकिन उसने जो अपनी मां को एहसास करा गया वह बहुत कुछ
बदलने वाला था।
अलका रसोई तैयार कर चुकी थी उसका मन अब नहीं लग रहा था। बार बार वह अपनी गदरै ई हुई गांड पर
अपने बेटे के लंड के चुभन को महसूस करके गंनगना जा रही थी। ना चाहते हुए भी उसका ध्यान बार-बार
अपने बेटे के पें ट में बने उस उभार पर चला जा रहा था
गैस की नौब बंद करते समय उसे अपनी बरु से कुछ रीसता हुआ महसस
ु हुआ वह एक दम से चौंक गई और
उसने तरु ं त एक नजर रसोई घर की तरफ करते हुए नजरें बचाकर अपने गांऊन में को कमर तक उठा दि
और पें टी की तरफ दे खीे तो परू ी पें टी गीली हो चक
ु ी थी उसने अपनी उं गली गीली पें टी के ऊपर रगड़ कर
अपनी उं गली को अंगठ
ू े से रगड़ कर दे खी तो उसमे बहुत चिकनाहट थी, वह समझ गई कि चिकनाहट से
भरी यह गीलापन कैसा है । उसे ऐसा लगने लगा था कि कहीं उसका पीरियड तो नहीं आ गया लेकिन ऐसा
कुछ भी नहीं था।
उसे समझ में ही नहीं आया कि आज उसके खुद के बेटे की वजह से वह इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई कि
उसका नमकीन पानी छूट गया और उसे पता भी नहीं चला।
खेर जैसे-तैसे करके उसने 3 थाली में रसोई परोसी और पहले की तरह तीनों साथ में बैठकर भोजन किए।
भोजन करने के बाद उसके दोनों बच्चे अपने अपने कमरे में चले गए। और अलका विचारमग्न होकर सारे
काम करती रही बर्तन साफ करने के बाद वह भी अपने कमरे में सोने के लिए चली गई। वह अपने बिस्तर
पर लेट कर बहुत सारी बातें सोचने लगी नींद उसकी आंखों से क इसको तय कर पाना उसके लिए भी बड़ा
मुश्किल हुआ जा रहा था।
पहले तो उसे वीनीत की हरकतों ने परे शान किए हुए था
और उसका बड़े ही रोमांटिक तरीके से प्रपोज करना यह सब उसे अच्छा भी लग रहा था और परे शान भी
किए हुए था। वह कैसे अपने ही बेटे के उमर के लड़के का प्रपोजल सवीकार कर ले । अगर कर भी लेती है तो
कितना अजीब लगता है अगर इस बारे में किसी को पता भी चल गया तो उसके बारे में कैसी कैसी धारणाएं
बंधेगी। लोग क्या कहें गे। एक तरफ वह लोगों के बारे में सोचकर चिंतित हो रही थी और दस
ू री तरफ खश

भी थी की एक जवान लड़के ने अपनी मां की उम्र कि औरत मे ऐसा ना जाने क्या दे ख लिया कि उससे प्यार
करने लगा। उसे अंदर ही अंदर खश
ु ी हो रही थी कि इस उम्र में भी उसके अंदर बहुत कुछ बाकी है तभी तो
एक जवान लड़का इस कदर उससे प्यार करने लगा है ।
यह सब सोच ही रही थी की तभी रसोई घर वाली बात याद आ गई। राहुल के द्वारा पर हरकत अनजाने में
ही हुई थी लेकिन उस हरकत का असर ईतना ज्यादा था कि कुछ हरकत के बारे में सोचकर ...

अलका की बरु पसीजने लगी थी। अलका से बर्दाश्त नहीं हो रहा था पल पल उस की उत्तेजना बढ़ती जा रही
थी। अपने बेटे के ख्याल से तो उसकी उत्तेजना एकदम चरम शिखर पर पहुंच जाती थी। वह अपने बेटे के
इस तरह के ख्याल से एकदम परे शान हो चक
ु ी थी ना चाहते हुए भी उसका ध्यान बार-बार राहुल के पें ट में
बने तंबु पर ही चला जा रहा था। आखिरकार वह बिस्तर से उठी
और तरु ं त अपनी गाउन को उतार फेंकी, बिना एक पल भी गवाएं उसने तरु ं त अपने दोनों हाथ को पीछे ले
जाकर ब्रा के हुक को खोल दी। हुक के खुलते ही उसने ब्रा को अपनी बाहों से उतार फेंकी। उसी तरह से उसने
झट से अपनी पैंटी को उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई और आकर आदम कद आईने के सामने अपने
आप को निहारने लगी।

अलका एकदम संपर्ण


ू निर्वस्त्र होकर आईने के सामने खड़ी थी। उसके बदन का हर एक अंग उभार मार रहा
था। आईने में अपनी बड़ी बड़ी चुचियों को दे खकर अलका के चेहरे पर मुस्कान फैल गई। यूं तो वह अपने
बदन को रोज ही निहारती थी ,कभी कभी निर्वस्त्र होकर बात हुई नहीं तो कभी कपड़े बदलते समय आईने
के सामने। लेकिन आज की बात कुछ और थी आज उसे अपनी चुचियों में कुछ बदलाव सा नजर आ रहा था
उत्तेजना की वजह से उसकी चुचीयो का साइज थोड़ा सा बढ़ गया था, जिसे दे ख कर अल्का मुस्कुरा रही
थी उसे लगने लगा था कि वाकई में इस उम्र में भी उसके बदन में अभी बहुत कुछ बाकी था। वह मन ही मन
अपने ऊपर गर्वित हुए जा रही थी। यह वह भली भांति जानती थी कि उसके अंगों में जो अभी भी निखारता
और सुंदरता बची है यह उसके अनुशासन और अपने ऊपर काबू कर पाने की शक्ति कि ही वजह से कायम
है
वरना वह भी दस
ू री औरतों की तरह अगर अपने मन पर काबू नहीं कर पाती तो अब तक उसके अंगों में भी
लचीलापन और चुचीयों में ढीलापन ना जाने कब से आ चुका होता।
उससे रुका ना गया और उसके दोनों हथेलियां खुद-ब-खुद चूचियों पर फिरने लगी, जैसे-जैसे उसकी नरम
हथेलियां उसकी कैसी हुई चूचियों पर फिर रही थी वैसे वैसे उसके चेहरे के भाव बदलते हुए नजर आ रहे थे।
अपने बेटे के खड़े लंड की चुभन को अपनी गांड पर चुभता हुआ महसूस करते हुए उसने अपनी हथेली को
चूचियों पर कसना शुरु कर दिया जैसे ही चुचियों पर उसकी मुट्ठी भींची उसके मुख से करारी सिसकारी छूट
पड़ी। 
सससससससस....आहहहहहहहहहहह......
अचानक से अपने मुख से निकली गरम सिसकारी की आवाज सुनकर वह खुद है रान हो गई और मुस्कुराने
भी लगी। 
आज रसोईघर में जो भी हुआ उससे वह काफी तौर पर है रान थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह राहुल
की नादानी थी या उसकी शरारत। अलका के लिए समझ बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था। आज से पहले कभी
भी उसे ऐसी चभ
ु न अपने नितंबों पर महसस
ू नहीं हुई , पहली बार उसने अपने नितंब पर अपने बेटे के लंड
की चभ
ु न को महसस
ू की थी , विनीत की भाभी और मधु की ही तरह अलका भी अपने बेटे के लंड की
मजबत
ू ी और तगड़ेपन को भांप ली थी। 
अलका अभी भी आईने के सामने ही खड़ी होकर अपनी चचि
ु यों को अपनी हथेली में नीचे जा रही थी और
सोच रही थी कि यह हरकत राहुल से अनजाने में हुई है या यह उसके उम्र का दोष है कहीं ऐसा तो नहीं कि
मेरा लड़का बड़ा होने लगा है । हां ऐसा तो उसके ल** की चभ
ु न की मजबत
ू ी को दे खकर लगने लगा है कि
वाकई में मेरा लड़का जवान होने लगा है ।
कल का मन ही मन अपने आप से बातें कर रही थी।
पहले तो वीनीत की कामुक हरकत नैं उसे बेचैन किए हुए था और अब तो उसके खुद के लड़के के लंड की
चभ
ु न ने उसकी तड़प को और भी ज्यादा बढ़ा दिया था।

आईने में अपने सुर्ख हो चले गाल को दे ख कर वो खुद ही शरमा गई। पल पल उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी
चूचियों पर भीेची हुई हथेली धीरे-धीरे पेट पर से सरकते हुए नाभि से गुजरते हुए जांघों के बीच जाकर तपती हुई
दरार पर जाकर ठहर गई। अलका ईस समय इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी की उत्तेजना मे उसने अपनी हथेली
से अपनी बुर को दबोच ली। बुर को दबोचते ही फिर से उसके मुह ं से सिसकारी छू ट गई। बुर के साथ-साथ उसकी
बुर पर ऊगी हुई झांटों की झुरमुटे भी उसकी हथेली में भींच गई जिससे उसे हल्के दर्द का एहसास हुआ तब उसे
एकाएक याद आया की 2 दिन पहले ही उसने बाजार से लौटते समय वीट क्रीम खरीदी थी, अपने बालों को साफ
करने के लिए। वह झट से अलमारी की तरफ बढ़ी और ड्रोवर खोल कर उसमें से वीट क्रीम को बाहर निकाल ली।
वीट क्रीम को हथेली में लेते ही उसके बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी ही तीव्र गति से होने लगा। उसकी बुर से
नमकीन पानी अमृत की बूंद बनकर रिसना शुरू हो गई। अलका को यह एहसास अब अच्छा लगने लगा था।
अलका ने वीट क्रीम के ढक्कन को खोलकर अपनी एक टांग को आईने के टे बल पर रख दी और थोड़ा सा अपनी
टांगो को फैला दी ताकि वह क्रीम को ठीक से लगा सकें। उसने सीधे क्रीम को बालों से सटाकर ट्यूब को दबाई और
ढे र सारी क्रीम को अपने बालों पर छोड़ दी, जरूरत जितनी क्रीम को बालों पर निकाल कर ट्यूब को टे बल पर रख
दी ओर प्लास्टिक की पट्टी से क्रीम को बालो पर फैलाने लगी। बहुत ही कामुक नजारा बना हुआ था। अलका पुरी
तरह से नंगी होकर के आईने के सामने एक टांग को टे बल पर टिका कर अपनी बालों से भरी बूर पर
क्रीम को चुपड़ रही थी। एक टांग को उठाकर के टे बल पर रखने की वजह से उसकी भारी-भरकम गांड और भी
ज्यादा उभार लिए हुए दिखाई दे रही थी। सच में अगर इस समय अलका के रूप को कोई भी मर्द दे ख ले तो उसका
खड़े-खड़े ही पानी छू ट जाए।
अलका अपने बालों पर पूरी तरह से क्रीम को लगा चुकी थी। वह भी बड़ी उत्सुक थी अपनी बालों से भरी बुर को
एकदम चिकनी दे खने के लिए। वह ट्यूब को वापस खोखे में रख कर ड्रोवर में डाल दी। और कमरे में ही चेहरे करनी
करते हुए नजर को अपने ही बदन पर ऊपर से नीचे तक आगे से पीछे तक दोड़ाते हुए अपनी चाल-ढाल का जायजा
लेने लगी। खास करके उसकी नजर पीछे को उसके पिछवाड़े पर ही जा रही थी क्योंकि चलते वक्त वो कुछ ज्यादा
ही थिरकन लिए हुए थी। अपनी उधर ही बड़ी बड़ी गांड को मटकते हुए दे ख कर उसे अपने बदन पर और भी ज्यादा
फक्र होने लगा था।
वह यूं ही चहल कदमी करते हुए कुछ समय बिता रही थी ताकी क्रीम मैं डू बे हुए उसके झांट के बाल नरम पड़ जाए।

वही दूसरे कमरे में राहुल भी परेशान था आज उसने जो हरकत किया था इससे उसके पूरे बदन में अभी तक
झुनझुनी सी मची हुई थी। वह बिस्तर पर लेटा हुआ था उसका पाजामा नीचे घुटनों तक सरका हुआ था।।
और उसकी मुठ्ठी उसके टनटनाए हुए लंड पर भींची हुई थी और वह जोर-जोर से लंड को हिलाते हुए मुठ मार रहा
था। और उसके जेहन में बस उसकी मां की ही कल्पना चल रही थी। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वह इतनी
हिम्मत दिखा पाएगा। करता भी क्या इतनी बड़ी बड़ी और गोल गोल गांड को दे खकर वह अपने आपे से बाहर हो
गया था इसलिए अपनी मां को गले लगाने के बहाने उसके चूतड़ों के बीच अपने टनटनाए हुए लंड को रगड़ने का
आनंद लेने से अपने आप को रोक नहीं पाया। इस वक्त उसे मुठ मारने में कुछ ज्यादा ही आनंद की प्राप्ति हो रही थी
क्योंकि वह आंखों को मुंद कर अपनी मां के बारे में गंदी कल्पना कर रहा था वह मन ही मन में सोच रहा था कि वह
वैसे ही रसोई घर में खाना बना रही है और वह रसोई घर में जाता है , और वह अपनी मां को खाना बनाते हुए
दे खता है लेकिन उसकी नजर सीधे जा कर उस की उभरी हुई बड़ी बड़ी गांड पर ही टीक जाती है। पल में ही उसका
सोया हुआ लंड टनटना कर खड़ा हो जाता है, वह एकदम कामातूर होकर सीधे अपनी मम्मी के पीछे जाकर खड़ा
हो जाता है और तुरंत उसकी साड़ी को उसकी कमर तक उठा कर एक टांग को रसोईघर की टे बल पर रख कर पीछे
से अपना खड़ा लंड पेल दे ता है,
थोड़ी ही दे र में उसकी मां भी अपने बेटे का साथ दे ते हुए अपनी भारी भरकम गांड को पीछे की तरफ ठे लते हुए
राहुल के लंड को अपनी बुर में तेजी से लेने का प्रयास करती है। यह कल्पना करते हुए राहुल थोड़ी ही दे र में लंड
की पिचकारी छोड़ता है जोकि खुद उसके ऊपर जांघो पर आ कर गिरता है।
राहुल के मन में चल रहे वासना का तूफान जैसे ही शांत होता है उसे अपने किए पर पछतावा होने लगता है। राहुल
फिर से अपने आप को भला बुरा कह कर आइंदा से ऐसी गंदी हरकत ना करने की कसम खा कर सो जाता है।

कमरे में अलका अभी भी चहल कदमी करते हुए बार-बार कभी बालों पर लगी क्रीम को तो कभी अपने पिछवाड़े
को दे ख कर संतुष्ट हो रही थी। क्रीम को साफ करने का समय हो चुका था। अलका को बड़ी बेसब्री से इंतजार था
अपनी चिकनी बुर को दे खने के लिए, उसने बिस्तर पर रखे हुए टावल को उठाई और टॉवल से घिस घिसकर क्रीम
को साफ करने लगी , टावल से क्रीम को पूरे इत्मीनान से साफ कर लेने के बाद वह जैसे ही टावल को अपनी बुर
पर से हटाई तो अपनी बुर को दे ख कर वह खुद हैरान रह गई। वह कभी अपनी बुर की तरफ तो कभी आईने में दिख
रही उसकी बुर के अक्स की तरफ नजरें दौड़ा रही थी। झांटों के झुरमुटो को क्रीम से साफ करने के बाद उसमें आई
चिकनाई को दे खकर वह बहुत आश्चर्य चकित हुई। अपनी बुर की खूबसूरती को दे खकर वह खुद ही कायल हो चुकी
थी।
उसकी बुर की गुलाबी पत्तियां हल्के से बाहर की तरफ झांक रही थी। जिस पर नजर पड़ते ही अलका का मन
एकदम से उत्तेजना से भर गया और वह ना चाहते हुए भी अपनी हथेली को उन गुलाबी पत्तियों के ऊपर रख कर
मसल दी जिससे पुनः उसके मुख से सिसकारी छू ट गई।
ससससससससस......

अलका का बदन पूरी तरह से कसमसा गया और वह और भी ज्यादा दबाव दे ते हुए हथेली को बुर की गुलाबी
पत्तियों पर रगड़ने लगी। आज बरसों के बाद उसने अपनी बुर को इतनी ध्यान से निहार रही थी, अपनी ब** को दे ख
दे खकर और बार-बार उस पर हथेली रगड़ने की वजह से उसकी बुर से मदन रस की बूंदें टपक पड़ती थी।
अलका उत्तेजना से सरो बोर हो चुकी थी बुर पर मसल रही हथेली से कब एक उंगली उसकी बुर मे समा गई उसे
खुद को पता ही नहीं चला। मस्ती के सागर में हिलोरे लेते हुए उसने अपनी आंखोें को मूंद ली। 
उसकी उत्तेजना दबाए नहीं दब रही थी उसने अपनी एक हथेली को अपनी बड़ी बड़ी चूची पर रखकर दबाने लगी,
अलका आईने के सामने एकदम निर्वस्त्र खड़ी थी टांगे फैलाकर एक उंगली से अपनी उतेजना को शांत करने की
कोशिश कर रही थी। अलका के अंदर बरसों से दलीप यार अब उछलने लगी थी आखिरकार औरत का मन नदी के
पानी के बहाव की तरह होता है कब तक वह उसे मिट्टी का रोड़ा बनाकर रोक सकती है। एक ना एक दिन तो पानी
के बहाव में वह मिट्टी का रोड़ा बह जाना था। अलका के मन के अंदर का बांध टू ट चुका था। एक उंगली से बुर को
चोदते हुए वह गर्म सिसकारी भर रही थी उसे अब लगने लगा था कि उसकी बुर की प्यास एक उंगली से नहीं बुझने
वाली है इसलिए वह अपनी दूसरी उंगली को भी रसीली चिकनी बुर में प्रवेश करा दी।

ऊउउममममममममममम...सससससससहहहहहहह....
आहहहहहहहह.......ऊईईई....म्मा....
( अलका अब दोनों अंगुलियों को बुर के अंदर बाहर करते हुए अपनी बुर की चुदाई कर रही थी और गरम गरम
सिसकारियां छोड़कर पूरे कमरे का माहौल गर्म किए हुए थी। अलका जिंदगी में पहली बार आज अपनी उंगलियों से
हस्तमैथन ु करते हुए अपने आप को संतुष्ट करने की कोशिश कर रही थी। वह पूरे लय में अपनी उंगली को अंदर
बाहर तीव्र गति से कर रही थी और उसी लय में अपनी कमर को भी आगे पीछे करते हुए मजा ले रही थी। वह
अपनी बुर को उंगली से तो चोद रही थी लेकिन उसके जेहन में राहुल के पजामे में बने तंबू का ही ख्याल आ रहा था।
बुर में उंगली पेलते हुई उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुक में उसकी उंगली नहीं बल्कि उसके बेटे का लंड
अंदर बाहर हो रहा है। अपनी गदराई गांड पर अपने बेटे के लंड की चुभन को याद करके वह और भी ज्यादा
चुदवासी हो गई। 

अलका इस समय सच पूछा जाए तो उंगली की बजाए उसे लंड की ही जरूरत थी और खास करके ऊसके बेटे के
हीे लंड की जरूरत उसे पड़ रहीे थी। 
अलका चुदासपन से भरी जा रही थी और उसकी चुदवाने की तड़प बढ़ती ही जा रही थी। तभी उत्तेजना के मारे
उसके मुंह से कुछ ऐसे शब्द निकल गई जिसके बारे में सोच कर वह बाद में खुद अपने ऊपर क्रोधित होने लगी।

ओह राहुल चोद मुझे डाल दे पूरा लंड मेरी बुर में बेटे..
आहहहहह...।बेटा चोद मुझे....ससससससहहहहहहह....आहहहहहहह...। बेटा
डाल ....आहहहहहहह...पुरा डाल....अपना लंड मेरी बुर
मे...शशशशशशहहहहहहह....आहहहहहहहह....राहुल मेरे बेटे....
( अलका बड़ी तीव्र गति से अपनी उंगली से अपनी बुर की चुदाई करते हुए अपने बेटे को याद कर रही थी खास
करके उसके मोटे तगड़े लंड को जिसे उसने अभी तक दे खी भी नहीं थी। सिर्फ उसके आकार से पजामे में बने तंबू
को ही दे खी थी। अलका की सिसकारियां बढ़ने लगी थी।पुरे कमरे मे गुँज रही गरम सिसकारीया उसके चुदासपन
की गवाही दे रहीे थी। कुछ ही पल में अलका के मुंह से एक गर्म चीख निकली और उसकी रसीली बुर से नमकीन
पानी का फुवारा फुट पड़ा , वह आनंद के सागर में गोते लगाने लगी उसकी भारी हो चली सांसे और भी तेज चलने
लगी थी। वह पानी का तेज फव्वारा छोड़ते हुए पीछे कदम बढ़ाते हुए अपने बिस्तर की तरफ चली जा रहीे थी, जैसे
ही बिस्तर से उसकी टांगें स्पर्श हुई वह बिना कुछ सोचे समझे धम्म से बिस्तर पर पसर गई और गर्म सांसे लेते हुए
नमकीन पानी का फव्वारा छोडऩे लगी।
थोड़ी दे र में वो एक दम शांत हो गई, अपनी प्यास को वह अपने ही उंगलियों से बुझाने में अंततः कामयाब हो चुकी
थी। चैन की सांस लेते हुए उसकी आंख लग गई।

विनीत भी कम नहीं तड़प रहा था। रात भर उसकी भाभी ने उसके लंड से खेली वह जब भी विनीत का लंड अपनी
बुर में लेती तब वीनीत यह सोच कर अपनी भाभी की बुर में लंड डालता है कि वह उसकी भाभी नहीं बल्कि अलका
है वह मन में अपनी भाभी को चोदते हुए अलका का ही कल्पना कर रहा था। वह सारी रात अपनी भाभी को
अलका समझकर ही चोदता रहा।

तीनों अपने अपने तरीके से प्यासे तड़प रहे थे। इन सभी के साथ साथ मधु और विनीत की भाभी भी थी। सब के
सब चुदाई के प्यासेे हो चुके थे। इन सभी का केंद्र बिंदु राहुल ही था। 
अलका के पति के जाने के बाद जानकारी अपने आपको दुनिया की नजरों से संभाल के रखे हुए थी। लाख मुसीबते
आई लेकिन अलका अपने हालात और परिस्थितियों से कभी भी समझौता नहीं की वह अपने कर्म पथ पर अडग
चलती ही रही. लेकिन अब हालात बदल चुके थे बित्ते भरका लगने वाला वह लड़का वीनीत और उसी के हम उम्र
का उसका खुद का बेटा राहुल की वजह से बरसों से दबी उसकी काम भावनाएं अब प्रज्वलित होने लगी थी। 
अलका के कमरे में शांति से फेली हुई थी कि तभी सुबह का 6:00 बजे का अलार्म बजने लगा' अलार्म की आवाज
सुनते ही प्रगाढ़ निद्रा में सो रही अलका की नींद अचानक खुल गई, सामने टं गी दीवार घड़ी पर नजर पड़ते ही वह
तुरंत बिस्तर पर से उठ खड़ी हुई और सामने दरवाजे की तरफ लगभग भागते हुए गई , लेकिन जैसे ही उसने अपनी
हालत पर गौर की तो वह एकदम से दं ग रह गई। उसे तुरंत रात की बात याद आ गई जब वह अपने हाथों से ही
हस्तमैथन ु करते हुए आत्म संतुष्टि पाकर उसी तरह से संपर्ण ू नग्नावस्था में ही बिस्तर पर सो गई थी। वह खुद ही
अपनी हालत पर शर्मिंदा हो गई उसके गोरे-गोरे गाल शर्म की वजह से सूर्ख लाल हो गए और उसके चेहरे पर
मुस्कान फैल गई ज्यादा दे र वही खड़े रहना उसके लिए मुनासीब ना था।
क्योंकि वह पहले से ही एक घंटा लेट हो चुकी थी। वह मन ही मन में यह सोचते हुए कि राहुल तो उठ गया होगा
उसके लिए नाश्ता बनाना है सोनू भी उठ गया होगा आज इतनी दे र तक सोई रह गई उसे पता ही नहीं चला। 
अलका मन ही मन में बड़ बड़ाते हुए गाउन उठाइ और उसे पहन ली। 
कमरे से बाहर आते ही वह कमरे में फेली शांति को दे खकर हैरान थी, वह समझ गई कि उसी की ही तरह आज
लगता है उसके दोनों बच्चे भी सो ही रहे हैं। 
राहुल के कमरे की तरफ बढ़ गई दरवाजे के बाहर खड़े होकर वह दरवाजे पर दस्तक दे ने ही वाली थी कि उसकी
हथेली दरवाजे पर पड़ते ही दरवाजा खुद ब खुद खुलता चला गया' इस तरह से लापरवाह की तरह दरवाजा खुला
छू टा हुआ दे खकर वह मन ही मन बड़बड़ाई ।
यह लड़का भी ना इतना बड़ा हो गया लेकिन ना जाने कब इसे अक्ल आएगी( इतना कहने के साथ ही वह कमरे में
प्रवेश कर गई लेकिन जैसे ही उसकी नजर बिस्तर पर सो रहे राहुल पर पड़ी वह दं ग रह गई राहुल का पजामा उसके
घुटनों तक खींचा हुआ था और उसका लंड खुंटे की तरह बिल्कुल सीधा छत की तरफ मुह ं ऊठाए खड़ा था। अलका
की नजर सीधे ही उसके बेटे के खड़े लंड पर पड़ी थी। 
बाप रे बाप इतना मोटा ताजा ओर इतना तगड़ा लंड
( अलका की नजर अपने बेटे के लंड पर पड़ते ही सबसे पहली प्रतिक्रिया उसकी यही थी। वह हैरान थी, उस के
समझ के बाहर था कि इतना सीधा सादा लड़का होते हुए भी उसका हथियार इतना दमदार क्यों था वह मन ही मन
में सोचने लगी कि वाकई में मेरे बेटे के लंड को दे ख कर ही औरतों की बुर पानी झटक दे ।
अपने बेटे के लंड को दे ख कर उसकी खुद की बुर पानी रिसने लगी थी गजब का नजारा बना हुआ था राहुल बिस्तर
पर अध नंगा लेटा हुआ था, उसका लंड एकदम टनटना के सीधे खड़ा था। और कमरे में उसकी मां जोकि बरसों के
बाद चुदवासी हुई थी वह एकदम कामातूर होकर अपने ही बेटे के लंड को बुर में पानी लिए निहार रहीे थी। 
वह क्या करे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसे कल रसोई घर वाली घटना तुरंत याद आने लगी और वह मन मे
ही बड़बडाई़..तभी तो मैं सोचूं कि मेरे बेटे के पजामे में बना तंबू मेरी गांड मे इतना ज्यादा क्यों चुभ रहा था। 
अलका कमरे में अपने बेटे को जगाने ं आई थी लेकिन अपने बेटे का मूसल लंड दे खकर वह काम विह्वल हो गई
थी। उत्तेजना के मारे उसकी हथेली खुद-ब-खुद गाउन के ऊपर से ही बुर के ऊपर चली गई थी जिसे वह गांऊन के
ऊपर से हि मसल रही थी। 
समय बीतता जा रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस तरह से अपने बेटे को जगाए इस तरह से
जगाना भी ठीक नहीं था। वैसे तुम इसका मानी यहां से जाने को हो ही नहीं रहा था उसका दिल तो यह कह रहा था
कि एक बार वह अपने ही बेटे के लंड को अपनी हथेली में दबोच कर दे खें लेकिन ऐसा संभव नहीं
था। वह ना चाहते हुए भी कमरे के बाहर गई और दरवाजे को बाहर से बंद करते हुए दरवाजे पर दस्तक दे ने लगी।
दरवाजे पर दस्तक की आवाज को सुन कर रहा हूं कि नींद खुली और उसकी नजर भीे सामने टं गी दीवार घड़ी पर
पड़ी तो वह भी हैरान हो गया। उससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह थी कि उसका पजामा घुटनों में फंसा
हुआ था और उसने झट से पजामे को ऊपर सरका कर पहन लिया।
उसकी मम्मी लगातार दरवाजे पर दस्तक दिए जा रही थी तो जवाब में सिर्फ इतना ही बोला।
हां हां आया मम्मी। ( इतना कह कर वह बिस्तर से उठा 
और मन ही मन में वह भी बोला कि अच्छा हुआ इस हाल में मम्मी ने उसे नहीं दे खा वरना डांटना शुरू कर दे ती। हो
जल्दी से कमरे से बाहर आया तब तक उसकी मम्मी जा चुकी थी। 
बाथरूम में अलका ने अपने बेटे के लंड की कल्पना करते हुए फिर से अपनी उंगली से संतुष्टि प्राप्त की।। 

थोड़ी दे र बाद अलका नाश्ता तैयार कर दी । और दोनों बच्चों को नाश्ता करा कर स्कूल भेजने के बाद , खुद भी
तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गई।

कुछ दिन तक सब कुछ सामान्य ही रहा, राहुल का मन होते हुए भी उसे कुछ भी दे खने का मौका नहीं मिल पाया।
उसकी नजरे अब हमेशा अपनी ही मम्मी को नंगी दे खने की कामना लिए यहां वहां घूमती रहती थी। लेकिन कुछ
दिनों से कोई बात नहीं बनी। नीलू से भी कोई खास बात नहीं बन पाई हालांकि राहुल का तो मन बहुत करता था कि
नीलू वही हरकत दौहराएे जो उस दिन स्कूल के ऊपरी मंजिल की क्लाश में की थी। नीलू के द्वारा की गई उसके लंड
की चुसाई को याद करते ही राहुल का पुरा बदन गनगना जाता था। राहुल की दिली ख्वाहिश बढ़ती जा रही थी कि
नीलू एक बार फिर से उसके मुसल जैसे लंड को अपने मुंह में लेकर चुसे। 
लेकिन उसकी दिल की बात दिल में ही रह गई क्योंकि अब तक जो भी हुआ था दूसरों के ही मर्जी से हो रहा था
राहुल की मर्जी तो थी ही लेकिन कभी भी उसने आगे से चलकर अपनी जरूरत को नहीं बताया। राहुल कुछ इस
तरह से लाभ होता आ रहा था अगर उसकी जगह कोई और लड़का होता तो सामने से चलकर अपने को मिली हुई
लाभ का पूरा का पूरा फायदा उठा था लेकिन यह सब में उसकी शर्म आड़े आ जा रही थी।
खेर जैसे तैसे करके दिन बीतता गया, राहुल के तन की और मन की दोनों प्यास बढ़ती ही जा रही थी। जिसे वह
रोज रात को मुठ मारकर शांत करने की कोशिश करता रहता। 
राहुल की मां भी ठीक इसी तरह परेशान थी उसके भी तन की प्यास उसे परेशान किए हुए थे राहुल की तरह वह भी
अपनी उंगली से ही काम चला रहीे थी और जब से उसने अपने बेटे के लंड को अपने चूतड़ों के बीच महसुस की थी
और अपनी आंखों से अपने बेटे के टन टनाए हुए लंड को दे खी थी तब से तो और भी ज्यादा उसकी प्यास भड़क
चुकी थी। और कुछ दिनों से तो उसकी मुलाकात विनीत से भी नहीं हो पाई थी। विनीत भी अल्का से ना मिलकर
परेशान ही था। सबके सब अपने जरूरत और सड़क को लेकर परेशान थे।

रविवार का दिन था। मतलब ना अलका को ऑफिस जाना था ना बच्चों को स्कूल जाना था वैसे भी रविवार
के दिन राहुल दे र तक सोए रहता था। आज की सुबह के 9:00 बज चुके थे फिर भी राहुल अपने कमरे में
सोया हुआ था। जिस दिन से अलका अपने बेटे के लंड को दे खी थी उस दिन से वह रोज राहुल को जगाने
उसके कमरे तक पहुंच जाती थी। लेकिन उस दिन की तरह उसे दब
ु ारा वह सुनहरा मौका ना मिल सका
हमेशा राहुल के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद ही रहता था। वह हमेशा यही सोचकर से कमरे तक जाती थी
कि शायद आज उसे फिर से वही दृश्य दे खने को मिल जाए ताकि उसकी सूखी तपती जांघो के बीच की नहर
मैं कुछ गिला पन आ जाए लेकिन ऐसा दब
ु ारा हो नहीं पा रहा था। 
अलका रसोई घर में रसोई तैयार कर रही थी उसे मालूम था कि सोनू और राहुल दोनों छुट्टी के दिन दे र तक
ही सोते रहते थे। इसलिए वह उन्हें आज के दिन जल्दी नहीं जगाती थी। फिर भी कुछ ज्यादा ही टाइम हो
जाने पर अलका के मन में विचार आया कि आज कुछ ज्यादा ही टाइम हो गया है चलकर दोनों बच्चों को
जगा ही दे ती हूं, और उसके मन में वही दृश्य पन
ु : दे खने की लालसा भी जाग गई थी। इसलिए वह राहुल के
कमरे की तरफ बढ़ गई लेकिन दरवाजा अंदर से बंद होने की वजह से निराश हो गई और वह बाहर से ही
दरवाजे को थपथपाकर राहुल को आवाज दे ने लगी, अलका के आने के कुछ दे र पहले ही राहुल की आंख
खल
ु चक
ु ी थी। इसलिए वो दरवाजे पर दस्तक होते ही बिस्तर पर से उठ चक
ु ा था और आता हूं कहकर
अपने कपड़े व्यवस्थित करने लगा। राहुल जब चक
ु ा था यह जानकर अलका बाथरूम की तरफ बढ़ गई ।
राहुल जग तो चकु ा था लेकिन उसकी आंखों में अभी भी नींद की वजह से भारीपन था। अगर वह फिर से
बिस्तर पर पड़ता तो उसे फिर से नींद आ जाती लेकिन समय काफी हो चुका था इसलिए उसे उठना ही
पड़ा। दरवाजे को खोलते हुए उसे याद आ गया कि आज तो उसे एक मित्र के वहां उसके बर्थडे पर जाना था।
राहुल जानता था कि वह मित्र उतना खास नहीं था बस हाय हे लो जितना ही संम्बंध था। लेकिन फिर भी वह
बड़े प्यार से बुलाया था इसलिए जाना तो पड़ता ही। लेकिन वहां जाने के लिए आज तो अभी बहुत टाइम था
क्योंकि उसने पार्टी शाम को दे रखी थी। 
राहुल आंखों को मिंजता हुआ बाथरूम की तरफ जाने लगा। उस पर नींद अभी भी हावी थी। आंखों को
मिंजते मिंजते वह बाथरूम तक पहुंच गया। जैसे ही वह दरवाजे को खोलने के लिए दरवाजे का हैंडल पकड़ा
दरवाजा खुद-ब-खुद हल्का सा खुल गया। बस हल्की सी खुले दरवाजे से उसने जो बाथरुम के अंदर का
नजारा दे खा तो उसकी नींद उड़ गई। उसका रोम रोम झनझना गया। उसकी सांस अटक गई। बाथरूम के
अंदर का नजारा राहुल तो क्या उसकी जगह दनि
ु या का कोई भी मर्द दे खता तो उसकी हालत ठीक वैसीे ही
होती जैसी राहुल की थी। राहुल के पजामे में तुरंत तंबू सा तन गया। राहुल करता भी क्या अंदर का नजारा
से कुछ ऐसा था कि अच्छे अच्छो का लंड खड़ा हो जाए।
बाथरूम के अंदर राहुल की मां थी जो कि इस वक्त पोशाब कर रही थी। उसका मुंह सामने दीवार की तरफ
था। और उसकी गांड राहुल कीे तरफ थी , जिस पर राहुल की नजर पहले ही पड़ी थी। अपनी ही मां की बड़ी-
बड़ी सुडोल गोरी गोरी गांड पर नजर पड़ते ही राहुल की तो हालत खराब हो गई। नींद की वजह से पहले तो
राहुल को पता ही नहीं चला कि बाथरूम में मम्मी कर क्या रही है । लेकिन बाथरूम में गूंज रही सुमधुर
सीटी की आवाज जो बिल्कुल बांसुरी की आवाज की तरह लग रही थी राहुल उस सिटी की आवाज को तुरंत
पहचान गया । उसे जैसे ही यह आभास हुआ की मम्मी बाथरूम में बैठ कर पेशाब कर रही है ,तो इस बात से
ही राहुल का लंड टनटना कर खड़ा हो गया । क्योंकि इससे पहले भी वह बाथरुम के बाहर खड़ा होकर पेशाब
करने की वजह से आ रही सीटी की आवाज को सुन चुका था , लेकीन पहले यह बांसुरी की धुन की तरह
निकल रही सीटी की आवाज को सन
ु कर ऊसे कभी उत्तोजना और रोमांच का एहसास कभी नही हुआ।
लेकीन अब... अबकी बात कुछ ओर थी अब तो माहोल के साथ साथ नजरीया भी बदल चक
ु ा था। 
पेशाब करते समय राहुल की मां ने गाऊन को आधी पीठ तक चढ़ा ली थी जिससे पीछे से उसकी बड़ी बड़ी
गांड संपर्ण
ू त: नग्न दीखाई दे रही थी। राहुल वहीं खड़े खड़े हल्के से खल
ु े दरवाजे की ओट लेकर अंदर का
नजारा दे खकर उत्तेजित हुआ जा रहा था। राहुल अपनी मां को पेशाब करते हुए और उसकी मदमस्त बड़ी-
बड़ी गोरी गांड को दे खकर उत्तेजित होता हुआ मन ही मन बोला।
ऊफ्फ्रफफ......... क्या गजब की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड है मम्मी की जी करता है कि पीछे से जाकर परू ा
लंड डालकर चोद दँ (ु इतना सोचते हुए वह पजामे भी बने तंबू को अपनी हथेली में भरकर मसनने लगा।
राहुल की मम्मी एक दम बिंदास होकर आराम से बैठ कर पेशाब कर रही थी। अलका को यह बिल्कुल भी
आभास नहीं था कि उसने जो दरवाजा खल ु ा ही छोड़ आई थी पेशाब करने के लिए उसी खल
ु े हुए दरवाजे की
ओट लेकर उसका ही बेटा उसकी बड़ी बड़ी गांड को और पेशाब करते हुए दे ख कर एकदम चद
ु वासा हुआ जा
रहा था। अलका लापरवाही ने दरवाजा खल
ु ा छोड़ दी थी क्योंकि अभी-अभी ही वह राहुल को जगा कर आई
थी और इसी यह लग रहा था कि इतनी जल्दी राहुल बाथरुम की तरफ नहीं आएगा फिर उसे पेशाब भी तो
बड़ी तेज लगी थी की उसे दरवाजे की कड़ी लगाने तक का समय नहीं ले सकी और वह आव दे खी ना ताव ,
झट से गाऊन उठा कर बैठ गई पेशाब करने वो तो अच्छा हुआ कि उसने पें टी नहीं पहनी थी वरना पें टी ही
गीली कर दे ती।
राहुल अभी भी दरवाजे के बाहर खड़ा अपनी फटी आंखों से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को घूरे जा रहा था
और एक हाथ से अपने तने हुए तंबू को मसले जा रहा था। तभी उसे बुर से आ रही सीटी की आवाज धीमी
पड़ती सुनाई दे ने लगी उसे पता चल गया कि मम्मी की टं की खाली होने वाली है , और अब यहां ज्यादा दे र
तक खड़े रहना ठीक नहीं था क्योंकि मम्मी किसी भी वक्त बाहर आ सकती थी। वह सोच ही रहा था कि
तब तक उसकी मम्मी पेशाब करके खड़ी हो गई। राहुल अपनी मम्मी को खड़ी होते दे ख एकदम से हड़बड़ा
गया उसे कुछ सुझ ही नहीं पाया और उसने भी हड़बड़ाहट में हल्के से दरवाजे को बंद किया और दरू जाने
का तो मौका था ही नही उसके ईसलिए वह झट से मुंह दस
ु री तरफ घुमाकर एेसे खड़ा हो गया की जेसे वह
अपनी मम्मी का बाहर निकलने का ईंतजार कर रहा हो। 
पेशाब करने के बाद राहुल की मां राहत का अनुभव कर रही थी बहुत कोई गीत गुनगुनाते हुए जैसे ही
दरवाजा खोलकर सामने नजर दौड़ाई तो दरवाजे के बाहर राहुल सामने की तरफ मुंह किए हुए खड़ा मिला।
राहुल को दे खते ही वह बोली। 

अरे बेटा तम
ु उठ गए ।( अपनी मां की आवाज सन
ु ते ही राहुल अपनी मां की तरफ घम
ु ा ।) 
कब आए यहां? अच्छा कोई बात नहीं है तम
ु जल्दी से नहा लो मैंने नाश्ता तैयार कर दीया है , तैयार होकर
आओ जल्दी से गरमा-गरम खा लो( इतना कहने के साथ ही जैसे ही उसकी नजर राहुल के पजामे में बने
तंबू पर गई तो वह चौंक गई। कब तक राहुल बोला।)

जी मम्मी आप नाश्ता लगाओ मैं झट से नहा कर तैयार होकर आता हूं। 

इतना कहने के साथ ही वह बाथरूम का दरवाजा खोलकर झट से बाथरूम में घुस गया। अलका उसे
बाथरूम में जाते दे खते रह गई। और कुछ दे र तक वहीं खड़े खड़े सोचती रह गई कि कहीं राहुल ने से पेशाब
करते दे ख तो नहीं लिया है , वैसे भी तो दरवाजा खुला ही था हो सकता है वह भूल से अंदर झांक लिया हो
और मझ
ु े पेशाब करता हुआ दे खकर शर्मिंदा होकर वापस बाहर खड़े होकर मेरे बाहर निकलने का इंतजार
करने लग गया हो। लेकिन अगर वह मझ
ु े पेशाब करता हुआ दे ख कर शर्मिंदा हुआ होता तो उसके पजामे में
उसका लंड क्यों तनकर खड़ा हो गया? कहीं ऐसा तो नहीं कि वह मझ
ु े इस हाल में दे खकर उत्तेजित हो रहा
हो। ऐसे ढे र सारे सवाल अलका के मन में उसके बेटे को लेकर घम
ू रहे थे जिसका जवाब ढूंढ पाना उसके
लिए मश्कि
ु ल हुए जा रहा था। अलका वहीं खड़ी खड़ी रसोई घर में हुई हरकत और आज की घटना को बारी-
बारी से टटोल रही थी। लेकीन वह कीसी भी सवाल का जवाब ढुंढ पाने मै असमर्थ साबित हो रही थी। वह
वहां से चल कर वापस रसोई घर में आ गई।

राहुल से यह दृश्य दे ख कर बर्दाश्त नहीं हुआ और वह बाथरुम में घुसते ही अपने सारे कपड़ों को उतारकर
एकदम नंगा हो गया। और उसने अपनी मुट्ठी में अपने टनटनाए हुए लंड को भरकर आगे पीछे करके अपनी
मां की बड़ी-बड़ी गांड के बारे में सोच कर मुठ मारने लगा। मुठ मारकर वह जल्दी जल्दी नहा कर तैयार हो
गया और गरमा गरम नाश्ता करने लगा। उसकी मम्मी उसे बड़ी अजीब नजरों से दे ख रही थी। उसे कुछ
समझ में नहीं आ रहा था कि वाकई में उसका लड़का अभी भी मासूम है या अब बड़ा हो चुका है । चेहरे से तो
अभी भी वह भोलाभाला ही लगता था लेकिन अपनी हरकतों से बड़ा होने लगा था। खैर तीनों ने साथ
मिलकर नाश्ता किया, । राहुल बार-बार छिपी नजरों से अपनी मां को दे ख ले रहा था। 
नाश्ता करते समय ही राहुल ने अपनी मां को बता दिया था कि उसे एक दोस्त के जन्मदिन पर जाना था।
तो उसकी मां ने वहां जाने कि उसे इजाजत भी दे दी।

दे र शाम को निकालना था लेकिन वह घर से 3:00 बजे ही निकल गया। वह सड़क पर पैदल चला ही जा रहा
था कि तभी एक स्कूटी उसके बिल्कुल करीब आकर एक झटके से रुकी। राहुल घबरा गया लेकिन तभी
स्कूटी चलाने वाली को दे ख कर वह खश
ु हो गया क्योंकि स्कूटी नीलू चला रही थी। नीलू राहुल को दे खते ही
खुश हुई और वह बोली।

यार राहुल मझ
ु े मैथ्स में काफी प्रॉब्लम हो रही है क्या तम
ु मेरे घर चल कर मझ
ु े कुछ समझा सकते हो।
भला राहुल को इसमें क्या इनकार हो सकता था उसने नीलू को यह नहीं बताया कि वह किसी दोस्त के वहां
बर्थडे पार्टी पर जा रहा है । वह नीलू के बोलने के साथ ही हामी भर कर स्कूटी के पीछे बैठ गया। और नीलू
उसे बिठाकर अपने घर की तरफ चल दी।
नीलू के तो जैसे लॉटरी ही लग गई थी। उसे नहीं मालूम था कि राहुल यूं उसे रास्ते पर मिल जाएगा। वह
किसी और काम से जा रही थी लेकिन राहुल के मिल जाने पर
उसने अपना पूरा प्लान बदल दी। राहुल को दे खते ही उसकी टांगों के बीच में गुदगुदी होना शुरू हो गया था।
उसने मन ही मन अपना पूरा प्लान बना ली। जैसे ही राहुल उसके साथ जाने के लिए तैयार हो गया , तो
नीलू के चेहरे पर आई मुस्कान दे खते ही बनती थी। मुझे लगने लगा था कि आज उसकी इच्छा जरुर पूरी
होगी क्योंकि वैसे भी आज रविवार का दिन था। और आज के दिन अक्सर मम्मी पूरे दिन के दिन और
कभी-कभी तो सारी रात तक गायब ही रहती थी। नीलू जिस उम्र के पड़ाव पर थी वह अच्छी तरह से
समझती थी की रात रात भर गायब रहकर उसकी मम्मी क्या गल
ु खिला रही थी। लेकिन सब कुछ जानते
हुए भी नीलु खामोश ही रहती थी क्योंकि ज्यादातर आदतें उसमे उसकी मां की ही थी। वैसे भी नीलू एकदम
बिंदास किस्म की लड़की थी वैसे भी वह जानती थी कि सबको अपना अपना शौख परू ा करने का परू ा हक
है । हर इंसान को अपने तरीके से जिंदगी का लफ्
ु त उठाने का परू ा परू ा हक है ।
नीलू स्कूटी का एक्सीलेटर बढ़ाते हुए राहुल को अपने घर की तरफ लिए जा रही थी। नीलू जानती थी कि
उस दिन क्लास में रिसेस के समय जो आग उसने राहुल के बदन में लगाई थी उसे बुझाने के लिए राहुल
उसे कभी भी इनकार नहीं कर सकता है । 
राहुल तो वैसे भी तड़प रहा था, और जब से उसने विनीत की भाभी की बुर का स्वाद चखा था तब से यह
तड़प उसकी बढ़ती ही जा रही थी। और अपनी आंखों से ऐसे ऐसे नजारे दे खते आ रहा था कि उसकी चुदास
की प्यास हर पल बढ़ते ही जा रहीे थी। और आज बाथरूम में जो उसने नजारा दे खा था उसे दे ख कर तो
उसके होस ही उड़ गए थे। अपनी मां को पेशाब करते हुए दे खने के बाद स तोे उसका मन चोदने को मचलने
लगा था। इसलिए तो वह अपने दोस्त के बर्थडे पार्टी में ना जा कर नीलू के साथ उसके घर जाने के लिए
तैयार हो गया।

कुछ ही दे र में नीलु ने स्कूटी को अपने घर के गेट के सामने खड़ी की। राहुल खुद ही स्कूटी पर से उतरकर
गेट खोलने लगा गेट के खुलते ही नीलू स्कूटी को गेट के अंदर ले आई। नीलू की बुर खुशी से फुल पिचक
रही थी। नीलु स्कूटी को स्टैंड पर लगाकर पर्स में से घर की चाबी निकाली और चाबी को की हॉल में डाल
कर घुमा दी। राहुल के साथ साथ नीलू का भी दिल जोरों से धड़क रहा था। घर में आते ही नीलू ने दरवाजे
को बंद कर दी। आज वह घर पर एकदम अकेली थी इसका भरपूर फायदा उठाना चाहती थी नीलू। सिर्फ
सोच-सोच कर ही नीलू की पैंटी गीली होने लगी थी। दस
ू री तरफ राहुल के लंड में भी तनाव आना शुरू हो
गया था।
नीलू उसे अपने कमरे में ले गई , कमरे में पहुंचते ही नीलू राहुल से बोली।

आओ राहुल शर्माओ मत इसे अपना ही घर समझो आराम से बैठो। मैं तुम्हारे लिए कुछ नाश्ते का बंदोबस्त
कर के आती हूं। ( इतना कहने के साथ ही नीलू कमरे से बाहर आ गई। राहुल का दिल जोरो से धड़क रहा
था। बार-बार उसे उस दिन की बात याद आ जा रही थी जब नीलू ने क्लास के अंदर उसके लंड को चूसी थी।
अभी भी उसके रसीले होंठ और जीभ की गर्मी अपने लंड पर महसूस होते ही वह पूरी तरह से गनंगना जाता
था। को मन ही मन में सोच रहा था कि आज ना जाने कौन सा गुल़ खिलाने वाली है यह नीलु। फिर भी
उसके मन में इस बात की तसल्ली थी कि कुछ भी हो आखिरकार फायदा तो उसका ही था। 
थोड़ी ही दे र में नीलू प्लेट में कुछ बिस्कुट और हाथ में पानी का गिलास लेकर कमरे में प्रवेश की, नीलू को
दे खते ही राहुल अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ।

अरे अरे उठ क्यों गए ' बैठो और हां बिल्कुल भी शर्माने की जरुरत नहीं है आखिरकार हम दोनों दोस्त हैं
और दोस्त के बीच में शर्म नहीं होनी चाहिए( इतना कहने के साथ ही नीलू प्लैट को टे बल पर रखते हुए
मुस्कुराने लगी जवाब में राहुल भी मुस्कुरा दिया।) 

( प्लेट को राहुल की तरफ बढ़ाते हुए) लो राहुल खाओ... ( नीलू थोड़ा झक


ु कर राहुल को बिस्किट थमा रही
थी जिससे बिस्कुट खाते वक्त राहुल की नजर सीधे
नीलू की बड़ी बड़ी चुचियों पर पड़ी जो की झक
ु ने की वजह से आधे से ज्यादा चूचियां कमीज से बाहर झांक
रही थी। प्लेट से बिस्कुट लेते समय राहुल की नजर नीलू की चुचियों पर ही गड़ी रही, नीलू ने राहुल की
नजर को भांप ली थी इसलिए मन हीं मन बहुत खश
ु हो रही थी। 
बिस्कुट थमा कर नीलू सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गई। 
नीलू की चुचीयो को दे खते ही राहुल के लंड में एेंठन आना शुरु हो गया था। राहुल ने बिस्किट खा कर पानी
पिया तो कुछ हद तक उसका मन शांत हुआ। नीलू राहुल को दे ख दे ख कर मुस्कुरा रही थी। तभी राहुल
बोला दिखाओ नीलू कौन से प्रश्न मैं तुम्हें ज्यादा तकलीफ हो रही है मैं उसे हल कर दे ता हूं। ( राहुल के
कहने के साथ ही जैसे नीलू का ध्यान भंग हुआ हो इस तरह से वह बोली।)
हां.. मैं तो भूल ही गई रुको। ( नीलू पास में पड़ा अपने स्कूल बैग में से एक नोटबुक निकालि और सामने
टे बल पर रख दी। और बोली।) 

लो दे ख लो राहुल। 

( राहुल नोटबुक को अपनी तरफ सरका कर उसके तेज को खोला तो पन्ने पर लिखे वाक्य को पढ़कर वह
दं ग रह गया उसे कुछ समझ में नहीं आया कि यह क्या है । वह बस एक तक आश्चर्य चकित होकर पन्ने पर
लिखे उस वाक्य को दे खते ही जा रहा था। उसे कुछ समझ में नहीं आया तो वह नीलू से बोला।)

यह क्या है नीलू? 

आई लव यू और क्या है ।( इतना कहने के साथ ही नीलू कुर्सी पर से उठ कर राहुल के बगल में जाकर बैठ
गई। राहुल एक दम दं ग हो चक
ु ा था। वह भोला बनते हुए बोला।) 

यह कैसा सवाल है नीलू? 

या कोई सवाल नहीं है राहुल यह मेरे दिल के जज्बात है । मैं तुमसे प्यार करने लगी हूं आई लव यू। 
( इतना कहकर नीलू राहुल की आंखों में दे खने लगे राहुल भी आवाक सा नीलू को दे खे जा रहा था दोनों एक
दस
ू रे की आंखों की गहराई में उतरते जा रहे थे। राहुल ने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई लड़की
उसे आई लव यू कहे गी। परू े कमरे में खामोशी छाई हुई थी बस दीवाल पर टं गी हुई घड़ी की टिक टिक, दोनों
के सीने में धड़क रहा है दिल की आवाज बस यही दो चीजों की आवाज कमरे में गंज
ू रही थी। नीलू और
राहुल दोनों एक तक एक दस ू रे की आंखों में डूबते जा रहे थे नीलू अपने होठों को धीरे धीरे राहुल के होठ के
करीब ला रही थी। नीलू के दोनों हाथ धीरे से राहुल के कंधे पर चले गए । नीलू तड़प रही थी राहुल से
एकाकार होने के लिए, और उसने इस मौके का फायदा उठाते हुए अपने होठों को राहुल के होठ पर रख दी।
फिर क्या था जैसे लोहचुंबक लोहे को खींचता है उसी तरह से नीलू के होठ राहुल के होठ पर रखते ही, राहुल
नीलू का स्वागत करते हुए तुरंत नीलू के होंठ को अपनी होठो के बीच में भर लिया और किसी प्यासे की
तरह तुरंत चूसने लगा। वैसे भी राहुल को इससे पहले भी दिखा दो बार किस करने का अनुभव हो चुका था।
इसीलिए वह बड़े मजे से नीलू के होठों को अपने मुंह में भर कर चुसे जा रहा था। दोनों उत्तेजित हुए जा रहे
थे नीलू की बुर नमकीन पानी छोड़ने लगी थी जिसकी वजह से उसकी पें टी गीली हो रही थी, राहुल का लंड
भी टनटना के खड़ा हो चुका था। राहुल के हाथ खुद ब खुद नीलू की पीठ पर फिरने लगे और पीठ पर से
फीरते हुए नीचे नीलू की कमर तक पहुंच गई। पतली पतली कमर पर दोनों हथेलिया पहुंचते ही राहुल
एकदम से उत्तेजित हो गया और उत्तेजना अवश्य सुने हथेलियों में नीलू की कमर को दबोच लिया और
खूब जोश के साथ होंठों के रस को चूसने लगा, ऐसा लग रहा था मानो कोई भंवरा फूल की पंखुड़ियों में से
रस चूस रहा हो। दोनों की सांसे तेज चलने लगी थी नीलू की तो ऊपर नीचे हो रही सांसो के साथ साथ
उसकी बड़ी बड़ी छातियां भी ऊपर नीचे हो रही थी। विनीत की भाभी ने राहुल को थोड़ा बहुत नहीं बहुत
ज्यादा ज्ञान दे चुकी थी जिसका फायदा उठाते हुए राहुल ने एक हथेली को कब कमर पर से नीलु की बड़ी
बड़ी चूची पर रख दिया इसका एहसास तक नीलू को नही हो पाया। वह तो राहुल ने उत्तेजना वस जब
अपनी हथेली का कसाव नीलू की नारं गी पर बढ़ाया तो दर्द की छटपटाहट में नीलू के मुंह से हलकी कराहने
की आवाज निकल गई। तब जाकर नीलू को पता चला कि राहुल उसके होंठों के साथ-साथ उसकी चुचियों
का भी रस नीचोड़ने में लगा हुआ था। राहुल और नीलू दोनों एक दस
ू रे के होठों का रस नीचोड़ते हुए एक
दस
ू रे की बाहों में गुत्थमगुत्था हो चुके थे।

राहुल और नीलू दोनों को एक दस ू रे को किस करने में बहुत ही मजा आ रहा था। नीलू राहुल के होठों को
चसू ते हुए उसे अपनी बाहों में भर ली। राहुल भी अब दोनों हथेलियों से नीलू की नारं गीयो को मसल रहा था।
राहुल को नीलू की चचि
ू यां दबाने में बहुत ज्यादा ही आनंद की प्राप्ति हो रही थी। चच
ू ी मसलवाने की वजह
से नीलु बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी उसकी सांसे भारी हो चली थी। राहुल की पैंट के अंदर तो गदर
मचा हुआ था उसका लंड बेताब था पें ट के बाहर आने के लिए। तभी एकाएक राहुल का बदन झनझना
गया। उसे अपने पें ट में कैद लंड पर हथेलि का कसाव महसूस होने लगा। राहुल की दिल की धड़कनें बढ़
गई। 
पें ट के ऊपर से नीलू को राहुल का लंड और भी ज्यादा मोटा लग रहा था। लंड की मोटाई को अपनी हथेली में
महसस
ू करते ही उसकी बरु से पानी का रिसाव होना शरू
ु हो गया था। उत्तेजना के साथ-साथ इस समय
वह बहुत खश
ु नजर आ रही थी क्योंकि राहुल के लंड से चद
ु ने की चाहत कीए उसे महीने से भी ज्यादा गज
ु र
गया था लेकिन उसकी यह आकांक्षा परू ी नहीं हो पा रही थी लेकिन आज उसे लगने लगा था कि उसकी बरु
राहुल के लंड को आज जरूर अपने अंदर लेगी।
इसलिए वह एक हाथ से लंड को टटोलते हुए पें ट के बटन को खोलने लगी। नीलू की नाजक
ु नाजक

उं गलिया
बटन से उलझते हुए उसे खोलेने में जुटे हुए थे। अगले ही पल नीलू ने पें ट के बटन को खोलकर चेन की जीप
को पकड़कर नीचे सरका दी , राहुल तो नीलू के होंठों के रस को चूसने में लगा हुआ था और चूचीयो को
कमीज के ऊपर से ही मसल मसल कर अंदर ही अंदर लाल कर दिया था।
अंडरवियर में तने हुए मूसल को दे ख कर नीलू की बुर खश
ु ी के मारे फूलने पीचकने लगी। उसकी बुर में ऐसा
लग रहा था जैसे चीटिया रें ग रही हो बुर के अंदर खुजली सी मचने लगी थी।बुर की खुजली आज राहुल के
मोटे तगड़े लंड से ही मिटने वाली थी। नीलू एक पल भी गवाएं बिना अपने हाथ को राहुल के अंडरवीयर में
डाल दी। 

ऊफ्फफफ.........स्स्स्स्स ्स्स्स...आहहहहहहहहहहह.....( लंड की मोटाई और उसकी गरमी को अपनी


हथेली में महसस
ू करते ही उसके मख
ु से सेिसकारी छुट गई। नीलू एकदम से चद
ु वासी हो गई और
चद
ु ासपन से भर कर उसने राहुल की नंगे लंड पर अपनी हथेली का कसाव बढ़ा दी, लंड को हथेली में कसते
ही राहुल की भी सिसकारी फूट पड़ी, उससे भी रहा नहीं गया और उसने नीलू की चूची को कसकर दबाते हुए
उसके होंठों के रस को बड़ी तेजी से चूसने लगा। 
नीलू के लिए तो लंड को सिर्फ हथेली में लिए रहना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था। वह लंड को हथेली में भर
कर मुठीयाना शुरू कर दी' इससे राहुल की हालत खराब होने लगी। राहुल से भी रहा नहीं जा रहा था और
जोर-जोर से दोनो चुचियों को दोनों हथेली में भर भर के कमीज के ऊपर से ही रोंद रहा था। उसका भी अब
सिर्फ होठ चुसाई से काम नहीं चलने वाला था। राहुल ने अपने होठों को नींलु के होठों से अलग किया।
दोनों बड़ी तेजी से हांफ रहे थे दोनों को दे खकर ऐसा लग रहा था कि मीलों की दरू ी दौड़ते हुए तय करके आए
हैं। राहुल भी अब थोड़ा खुलने लगा था। उसने नीचे झक
ु कर नीलु की चुची को कमीज के ऊपर से ही मुंह मे
भर लिया। राहुल की इस हरकत से नीलू एकदम से मचल उठी क्योंकि पहली बार राहुल ने अपनी तरफ से
कोई हरकत किया था उसे लगने लगा था कि अब इस खेल में ज्यादा मजा आने वाला है । राहुल कपड़ा
सहित नीलू की चूची को अपने मुंह में भर रहा था नीलू से रहा नहीं गया और उसने खुद ही अपनी कमीज
को उतार फेंकी उसके बदन पर काले रं ग की ब्रा खूब फब रही थी
और उस काले रं ग की ब्रा के अंदर कैद नीलू की बड़ी-बड़ी दोनों चूचियां एकदम गोल गोल नारं गी की तरह
लग रही थी। नीलू की दोनों चूचियों को राहुल अांख फाड़े दे खे जा रहा था जिसे नीलू अपने दोनों हाथ पीछे ले
जाकर ब्रा के हुक को खोल रही थी। और अगले ही पल ब्रा के हुक खुलते ही नीलू झट से अपनी ब्रा को भी
उतार फेंकी। नीलू के कमर के ऊपर का भाग परू ी तरह से नंगा हो चक
ु ा था जिसे राहुल मंह
ु मे पानी लिए घरु े
जा रहा था। नीलू राहुल को उकसाते हुए खद
ु ही अपनी चचि
ु यों को अपने हाथ में भरकर राहुल की तरफ
दिखाते हुए बोली।

दे ख क्या रहे हो राहुल लो भर लो अपने मुंह में और निचोड़ डालो इस के पूरे रस को। ( नीलू को यूं अपनी हि
चूचियों को पकड़ कर दिखाते हुए दे खकर राहुल के बदन में आग लग गई उसके ऊपर चुदासपन का भूत
सवार हो गया। और उसने तुरंत नीलू के इस निमंत्रण को स्वीकार करते हुए उसकी दोनों खशि
ु यों के बीच
अपना मुंह दे मारा। राहुल पागलों की तरह नीलू की दोनों चुचियों से खेल रहा था तभी एक चूची को मुंह में
भरता तो कभी दस
ू री चूची तो मुंह में भर कर पीने लगता तो कभी अंगूठे और उं गली के बीच में उसकी तनी
हुई निप्पल को कसकर दबाते हुए खिंचता, राहुल के साथ साथ नीलू को भी उसकी इस हरकत पर बड़ा
मजा आ रहा था। इस दौरान नीलू लगातार राहुल के टन टनाए आए हुए लंड को मुठ्ठीयाती रही ,राहुल के
लंड में इतना ज्यादा तनाव आ चुका था कि उसके लंड की सारी नसे उभर आई। जिससे उसका लंड और भी
ज्यादा मोटा लगने लगा था। लंड को हिलाते हिलाते और राहुल से अपनी चूचियों को चुसवाते चुसवाते नीलू
एकदम कामातूर हो चुकी थी, उससे अब सहा नहीं जा रहा था।
उसे और भी ज्यादा मजा लेना था , इसलिए उसने अपनी चुचीयो पर से राहुल का मुंह हटाई , नीलू की
चूचियों के साथ साथ राहुल के गाल भी उत्तेजना के कारण लाल लाल हो गए थे। नीलू तुरंत बिस्तर पर से
खड़ी हो गई और अपनी सलवार की डोरी को खोलने लगी। राहुल भी कामातूर हो करके नीलू को दे खने लगा
राहुल की नजरें खास करके नीलू की उं गलियों पर टिकी हुई थी जो कि इस समय सलवार की डोरी में उलझी
हुई थी। नीलू इतनी नाजुक नाजुक उं गलियां को सलवार की डोरी में उलझाकर उसे खोल रही थी। अगले ही
पल नीलू ने सलवार की डोरी को खोल चुकी थी। राहुल का दिल धक धक कर के बड़े तेजी से धड़क रहा था।
नीलू अपनी हरकतों से राहुल को और भी ज्यादा उत्तेजित कर रही थी उसने अपने होठ को दांत से दबाते
हुए कामकु अदा बिखेरते हुए धीरे धीरे करके अपनी सलवार को नीचे सरका ने लगी , तभी उसके दिमाग में
जैसे कुछ सझ
ू ा हो और वह राहुल की तरफ पीठ करके खड़ी हो गई। राहुल कुछ समझ पाता इससे पहले ही
नीलू जैसे पॉर्न मव
ू ीस में एक्ट्रे स अपने बदन को होले होले से हीलाते हुए अपने बदन पर से कपड़ों को
उतारती हैं उसी तरह से नीलू भी अपनी मस्त मस्त गांड को मटकाते हुए अपनी गांड के उभार को राहुल की
तरह बढ़ाकर अपनी सलवार को उतारने लगी। नीलू की यह हरकत राहुल पर बिजली गिराने जैसी थी,नीलु
की यह अदा कामक
ु अंदाज राहुल से सहा नहीं गया और उसका एक हाथ खद
ु ब खद
ु लंड पर जाकर
मट्ठ
ु ीयाने लगा। नीलू धीरे -धीरे करके अपनी सलवार को अपनी चिकनी टांगो से गज
ु ारते हुए निकाल फेंकी।
नीलू के बदन पर मात्र उसकी छोटी सी पें टी ही बची थी । जिसकी किनारी को नीलू ने अपने दोनों हाथ की
उं गलियों में फंसा ली और ठीक पहले की तरह ही अपनी गांड को मत कहते हुए पैंटी को नीचे सरकाने लगी,
राहुल उत्तेजित और अचंभित होकर अपनी आंखों के सामने के नजारे को दे ख कर उस का लुफ्त उठा रहा
था। एक हाथं से लंड को मुठियाते मुठियाते सामने का नजारा उससे दे खा नहीं गया और उसने एक हाथ से
नीलू की गोरी गोरी भरी हुई गांड को मसल दिया। नीलू भी मस्ती से आउच कहके ऊछल पड़ी। नीलू पें टी को
उतारते हुए अपने घट
ु नों तक ही लाई थी की राहुल एकदम से बेकाबू हो गया और उसने नीलू की गद
ु ाज गांड
को अपने दोनों हथेलियों में भरकर दबाते हुए मसलने लगा। नीलू गर्दन घम
ु ाकर राहुल की तरफ दे खने लगे
और राहुल को दे खते हुए ऊसकी हरकत पर मस्
ु कुरा भी रही थी। राहुल से सब्र करना बड़ा मश्कि
ु ल हुए जा
रहा था। राहुल नीलू की गांड को मसलते हुए धीरे -धीरे अपना मंह
ु नीलू की गांड की तरफ बढ़ा रहा था और
अगले ही पल राहुल कामोत्तेजना में डुबते हुए
अपनी गाल को नीलू की बड़ी-बड़ी गोरी गांड पर हल्के हल्के रगड़ने लगा। राहुल नीलू की गांड की गर्माहट
को अपने बदन में उतारना चाहता था बाहर से दिखने वाली सख्त गांड अंदर से इतनी नरम और मुलायम
होती है उसे आज ही पता चल रहा था। धीरे -धीरे करके राहुल अपने गाल के साथ-साथ अपने हॉट नाक
ठोड़ी सब कुछ नीलू की गांड पर रगड़ने लगा। राहुल की इस हरकत ने नीलू को भी पूरी तरह से

कामोत्तेजित कर दिया था। वह भी खुद ही अपनी गांड को राहुल के मुंह पर गोल-गोल घुमाते हुए रगडने
लगी। पूरे कमरे में सिर्फ दोनों की सिसकारी की आवाज ही गूंज रही थी। नीलू की पैंटी अभी भी उसके घुटनो
में ही फसी हुई थी। राहुल में इतनी ज्यादा ताकत कहां से आ गई इस बात का पता नहीं चल पा रहा था
शायद यह सब काम उसके अंदर सवार हुई वासना ही कर रही थी वरना राहुल से यह सब हरकते तो होने से
रहीं। नीलू चाहती थी कि राहुल उसकी गांड को चाटे अपनी जीभ की नुकीली हिस्सें से उसकी कृषि ली
चिकनी बुर को कुरे दे इसलिए उसने अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाकर अपनी गांड के फांकों को पकड़कर
हल्के से अलग करते हुए राहुल से बोली।
ससससससस.....आहहहहहहह.....राहुल ...... तुमने तो मुझे पागल कर दिया है राहुल...... मुझसे रहा
नहीं जा रहा है ..... प्लीज राहुल अपनी जीभ से मेरी बुर को चाटोे
राहुल....स्स्स्स्स ्स्स्स...हहहहहहहह......( नीलू अपनी गांड की फांकों को हथेली से और ज्यादा फैलाते
हुए बोली. नीलू के मुंह से इस तरह की मदभरी बाते सुनकर और नीलू के बदन को दे ख कर खास करके
उसकी भरी हुई गांड को दे खकर पहले ही वह मदहोश हो चुका था। वह अपने गाल नाक और होठ को और
भी ज्यादा पागलों की तरह नीलु की गांड से रगड़ने लगा था। बुर चाटने का अनुभव उसने पहले ही विनीत
की भाभी से ले चुका था। और इस बात को राहुल अच्छी तरह से जानता था कि औरतों की बुर चाटने में
कितना ज्यादा आनंद आता है । उस दिन भी राहुल को विनीत की भाभी की बुर चाटने में इतना ज्यादा
आनंद मिला था कि पूछोआज फिर से नीलू के द्वारा उसे बुर चाटने का शुभअवसर प्राप्त होने जा रहा था

नीलू के द्वारा प्राप्त इस आमंत्रण से राहुल परू ी तरह से गदगद हो गया। राहुल के लंड नें भी नीलू के इस
प्रस्ताव पर अपनी मह
ु र लगाते हुए हल्की सी ठुनकी लिया। राहुल एकदम मदहोश हो चक
ु ा था उसकी
आंखों में कई बोतलों का नशा उमड़ आया था। मदहोशी का आलम उस पर इस कदर छाया था कि उसे
समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें इसलिए वह कभी अपने दोनों हाथों से नीलू की गांड की फांको को
आपस में पकड़ के रगड़ता तो कभी अपने लंड को मुठ्ठीयाने लगता। नीलू पीछे सिर घुमाकर राहुल को घूरे
जा रही थी और राहुल की हरकतों का मजा ले रही थी लेकिन नीलू की ख्वाहिश इससे भी ज्यादा थी वह
राहुल की जीभ को अपनी बरु पर रें गती हुई महसस
ू करना चाहती थी वह चाहती थी कि राहुल रगड़-रगड़
कर उसकी बरू को चाटे उसकी बरु की नमकीन रस की हर एक बंद ू को अपनी जीभ से चाटते हुए गटक
जाए। राहुल भी यही चाहता था इसलिए उसने अपनी दोनों हथेलियों से नीलू की बड़ी-बड़ी गांड की फांकों को
अलग किया गांड की दोनों फांको के अलग होते ही नीलू की गल
ु ाबी बरु नजर आने लगी। उस पर हल्के
हल्के रोए दार बाल झलक रहे थे ऐसा लग रहा था कि जैसे दो-चार दिन के अंदर ही नीलू मैं अपनी बरु को
साफ करके चिकनी की थी। बुर की पतली दरार से झांकती गुलाबी पत्तियां गुलाब की पंखुड़ियों से कम नहीं
लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे ऊंची पहाड़ी पर से कोई शांत नहर बह रही हो। 
राहुल तो बस दे खता ही रह गया। नीलू की गुलाबी बुर को दे खकर राहुल से अपने ऊपर कंट्रोल कर पाना बड़ा
मुश्किल हुए जा रहा था, राहुल के बदलने उत्तेजना का तफू ान उमड़ रहा था। राहुल ने होले होले से अपने
मुंह को नीलू की गांड की दरार के बीचो-बीच ले गया जेसे ही उसने अपने नथुनों को नीलू के पूर्व के बिल्कुल
करीब लेकर आया तो बुर से उठ गई मादक खश
ु बू सीधे उसके नथुनों से होते हुए उसके सीने में भर गई। बुर
की मादक गंध राहुल को उतेजना के परम शिखर तक ले जाने के लिए काफी थी। राहुल एकदम से
कामोत्तेजना मे विह्वल हो गया। उसने अपनी नाक के छोर से नीलू की बुर के गुलाबी पंखड़ि
ु यों को कुरे दने
लगा। जैसे ही नीलू ने अपनीे बुर पर राहुल के नाक के आगे वाले भाग का स्पर्श पाई नी्लू का पूरा वजद
ू ही
डगमगा गया उसके बदन में झुनझुनी सी फैल गई। राहुल अपनी नाक से ही गुलाबी बुर को कुरे दते हुए
उसकी मादक गंध को जोर जोर से खींच रहा था। राहुल बुर की मादक गंध से एकदम से चुदवासा हो गया
नीलू भी बुरी तरह से कामवासना में तड़प रही थी उसकी बुर से नमकीन पानी रिस रहा था जोकि बुर की
गुलाबी पत्तियों से होकर राहुल की नाक से लग कर टपक रहा था। बुर से अमत
ृ की धारा को टपक कर नीचे
गिरता हुआ दे खकर राहुल से रहा नहीं गया और उसने तुरंत बुर पर अपनी जीभ लगा दिया। इस बार नीलू
अपनी बुर पर राहुल की जीभ का स्पर्श पाते ही तड़प उठी वह अपने आप को रोक नहीं पाई और उसके मुंह
से गर्म सिसकारी छूट गई

स्स्स्स्सहहहहहह.....आहहहहहहहहहह......राहुल ..... ऊम्म्म्म्म ्म ्......( उत्तेजना में नीलू की आंखें


बंद हो गई।)
चाटो मेरी बुर......आहहहहहहहहह....राहुल....

नीलू की खुमारी दे खकर राहुल का जोश दग


ु ना हो गया वैसे भी वीनीत की भाभी की बुर चाटने के बाद उसे
नशा सा हो गया था उसका मन हमेशा बुर चाटने को करता था और आज उसे भरपूर मौका मिला था
इसलिए उसने अपनी जीभ को नीलू की बुर पर फीराना शुरु कर दिया। नीलू तो राहुल की नुकीली जीभ को
अपनी बुर पर महसूस करते ही एकदम गदगद हुए जा रहीे थीे उसके बदन में रोमांच बढ़ता चला जा रहा
था।
नीलू की सांसें अटकने लगी थी। राहुल दोनों हाथों से नीलु की गांड को थामे बरु की दरार में ऊपर से नीचे
तक अपनी जीभ घम
ु ाए जा रहा था। बरु से रिस रहा कामरस कसैला होने के बावजद
ू भी राहुल को मदन रस
लग रहा था। तभी राहुल ने अपनी जीभ को गल
ु ाबी छे द के अंदर प्रवेश करा दिया और जैसे ही बरु के गल
ु ाबी
छे द में राहुल की जीभ प्रवेश की नीलू बरु ी तरह से गंनगना गई उसकी टांगों में कंपकंपी सी फेल गई। 
राहुल ने नीलू की गांड को कस के थामे हुए था और बरु को चाटते हुए गांड को मसल भी रहा था जिससे
उसको दग ु ना मजा मिल रहा था। 
राहुल ने इससे पहले वीनीत की भाभी की ही बुर को चाटा था हालांकि उसकी बुर को चाटने में भी बहुत मजा
आया था लेकिन जो मजा उसे नीलू की बुर को चाटने में मिल रहा था वैसा मजा विनीत की भाभी की बुर से
नहीं मिला था। राहुल पागलों की तरह अपने काम में जुटा हुआ था। नीलु एकदम उत्तेजित होकर के अपनी
गांड को गोल-गोल घुमाते हुए उसके मुंह पर रगड़ रही थी।
उसके मुंह से लगातार गरम सरकारी की आवाज आ रही थी जो कि पूरे कमरे में गुंज रही थी। 
नीलू भी मन ही मन में यह सोच रही थी कि उसने बहुतो को अपनी बुर चटवाई थी लेकिन जिस तरह से
राहुल उसकी बुर को मजे लेकर चाट रहा था , जिस तरह से उसकी जीभ का नुकीला हिस्सा उसकी की बुर
के कोने कोने में पहुंच रहा था और बुर चटाई का जो उसने आह्ललादक आनंद दे रहा था। वैसा आनंद और
मजा आज तक किसी ने नहीं दिया और ना ही किसी के साथ आया। 
राहुल पागलों की तरह नीलु की बुर में जुटा हुआ था। नीलू अपने गर्म सिसकारी से माहौल को और भी
ज्यादा गर्म कर रही थी।
स्स्स्स्स ्सहहहहह.....।आहहहहहहहहहह.....राहुल...
ऊऊहहहहहहहहहह......ऊम्म्म्म्म ्म्म्म....:.हीस्स्स्स्स
चाटो राहुल..:-) ओर....चाटो.....चाट चाट कर लाल कर दो मेरी बुर को......

नीलू बुरी तरह से तड़प रही थी और बुर चटाई का पूरा का पूरा लुफ्त उठा रही थी। नीलू की तड़प बढ़ती जा
रही थी। जिस काम के लिए उसने राहुल को लेकर आई थी, राहुल उस काम को बखब ू ी निभा रहा था। राहुल
का परू ा मंह
ु नीलू के बरु के कामरस मे सन गया था। राहुल ने तो नीलू की बरु के साथ साथ नीलू की गांड को
भी मसल मसल कर लाल कर दिया था। दोनों की सांसे तीव्र गति से चल रही थी। कुछ दे र तक यंू ही नहीं
नीलू राहुल से अपनी बरु चटवाती रही। लेकिन यंह
ू ी झक
ु े -झक
ु े बरु चटवाने से उसकी कमर दख
ु ने लगी थी,
लेकिन बरु चटाई का आनंद कमर के दर्द को दबा दे रहा था। लेकिन कब तक वह इसी तरह से झक
ु ी रहती
उसकी कमर अकड़ चक
ु ी थी उसके घट
ु नो में अभी भी उसकी गीली पैंटी फंसी हुई थी। उसने बिना हाथ
लगाए सिर्फ पैरों का सहारा लेकर के अपनी पैंटी को टांगो से निकाल फैं की। वह सीधी खड़ी होना चाहती थी
कि तभी राहुल की जीभ उस जगह पर गश्त लगा दी जहां पर नीलू को जरा भी उम्मीद नहीं थी। और ना ही
आज तक किसी ने भी वहां तक पहुंचने की जुर्र त की थी। नीलू का बदन एकाएक अकड़ सा गया ऐसा लग
रहा था जैसे कि उसके ऊपर बिजली गिरी हो, आखिर नीलू करती भी क्या राहुल ने हरकत ही ऐसी कर दी
थी। राहुल नीलू की बरु को चाटते चाटते अपनी जीभ को बरु के नीचे वाले छें द पर चद
ु वासा होकर फिरा
दिया। नीलू ने कभी सोची भी नहीं थी कि राहुल ऐसी हरकत कर सकता है । लेकिन राहुल की ऐसी हरकत में
नीलू को एकदम से बदहवास बना दिया, उसने अपना होश खो बैठी , और उसने उन्माद और उत्तेजना में
एक हाथ पीछे ले जाकर राहुल के बालों को कसके अपनी हथेली में दबोच ली, और राहुल के मंह
ु का दबाव
अपनी गांड के बीचोबीच बढ़ाने लगी, राहुल तो उस छें द पर सिर्फ अपनी जीभ का स्पर्श ही करा रहा था।
लेकीन नीलू के इस तरह से उसके बाल को पकड़कर अपनी गांड पर दबाव बढ़ाने की वजह से राहुल की
जीभ का आगे वाला हिस्सा हलके से नीलूं के उस भूरे रं ग के छे द में प्रवेश कर गया, ऊफ्फ्फ........ नीलु
तो सिर कटी मुर्गी की तरह तड़प उठी। उसका बदन दे खने लगा और उसने और जोरों से राहुल के बालों को
भींेजते हुए उसके मुंह को अपनी छें द से चिपका दी। और भल भला कर झड़ने लगी।
नीलू की बुर से निकल रहा नमकीन पानी का फव्वारा बुर से होते हुए उस छोटे से भूरे रं ग के छे द से गुजर
रहा था जिधर से राहुल जल्दी-जल्दी जीभ से चाटते हुए झपट रहा था। 
नीलू पूरी तरह से अचंबित थी और है रान भी। क्योंकि आज तक किसी ने भी सिर्फ चाट कर उसकी बुर को
नहीं झाड़ा था। लेकिन राहुल ने वह कर दिखाया था उसकी जीभ के कमाल से नीलू पूरी तरह से वाकिफ हो
चुकी थी। धीरे -धीरे चाटते हुए राहुल ने नीलू के काम रस को गले के अंदर उतार चुका था। नीलू सीधे खड़ी
हुई
उसकी सांसे अभी भी तेज चल रही थी। नीलू के काम रस से राहुल का पूरा मुंह सना हुआ था। राहुल भी हांफ
रहा था। नीलू राहुल की तरफ दे ख कर मुस्कुराई और बोली।

वाह राहुल तुम तो कमाल कर दिए असली मर्द हो यार तम


ु तो। सिर्फ अपनी जीभ से चाट चाट कर ही तुमने
मुझे झाड़ दिया।ऊफ्फ्फ.....गजब के हो यार तुम मान गई तुम्हे । ( इतना कहते हुए उसने अपनी हथेली
को थोड़ी सी टांगे फैलाकर अपनी बुर पर रखकर मसलते हुए एक लंबी सांस खींची और फिर बोली।)

यार यह गलत है ।

क्या... क्या गलत है ?( राहुल को लगा कि जैसे उसने कोई गलती कर दिया)

अरे यार राहुल मुझे तो पूरी नंगी कर दीए और खुद अभी तक कपड़े में ही ं हो। ऐसा नहीं चलेगा यार तुम
भी मेरी तरह पूरे कपड़े निकाल कर नंगे हो जाओ तभी यह खेल खेलने में मजा आएगा।( तभी नीलू की
नजर राहुल के टनटनाए हुए लंड पर पड़ी जो कि अभी भी पूरी औकात में खड़ा ही था। उसे दे खते ही नीलू
बोली।)
वाह..ईसे कहते हैं ताकतवर लंड दे खो तो सही अभी भी पूरी तरह से टन्ना के खड़ा है । चलो राहुल अब
जल्दी से अपने कपड़े उतार दो मुझ से रहा नहीं जा रहा है । 
( राहुल खद
ु अपने कपड़े उतार कर नंगा होना चाहता था लेकिन उसे शर्म महसस ू हो रही थी लेकिन फिर भी
उसे मजा तो लेना ही था इसलिए शरमाते शरमाते ही उसने परू े कपड़े निकाल कर बिल्कुल नंगा हो गया।
नीलु तो उसके नंगे बदन को एकटक दे खे जा रही थी। उसका गठीला बदन दे खकर मन ही मन खश
ु भी हो
रही थी।
नीलु की नजर खासकरके राहुल के खड़े लंड पर ही घम
ु रही थी। नीलु से रहा नही गया ओर वह राहुल के
करीब
जाकर राहुल को धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दी ओर खुद भी बिस्तर पर चढ़ गई। नीलु पर खुमारी छाई
हुई थी। बिस्तर पर चढ़ते ही उसने राहुल के लंड को अपनी हथेली में भर ली।

और उसे ऊपर नीचे करके मुठीयाने लगी। राहुल भी नीलु को बड़ी गौर से दे ख रहा था। तभी दखते ही दे खते
नीलू ने लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में भर ली। राहुल तो जैसे हवा में उड़ रहा हो ऐसा एहसास होने लगा।
एक बार फिर नीलू राहुल के ऊपर पूरी तरह से छा चुकी थी। नीलू राहुल के लंड को पुरा गले तक ऊतार ले
रही थी।
वैसे भी नीलु लंड चुसने मे माहीर थी इसका नमुना वह क्लास रूम में दे ख ही चुका था। कुछ ही दे र में
अनुभवी नीलू ने राहुल के लंड को चूस चूस कर उसे मस्त कर दि।
लोहा पूरी तरह से गर्म हो चुका था क्योंकि राहुल नीचे से कमर उचका उचकाकर धक्के लगा रहा था। नीरु
समझ गई थी कि आप ज्यादा दे र रुकना ठीक नहीं है । वैसे भी वह मन ही मन राहुल के लंड को दाद दे रही
थी क्योंकि वह जानती थी कि इतनी दे र में तो कोई भी होता दो बार झड़ चुका होता। वह अपने मुंह में से
राहुल के लंड को बाहर निकाली , राहुल का लंड उसके लार से पुरी तरह से सना हुआ था। नीलु की सांसे
भारी चल रही थी। वह राहुल से बोली ।

बस राहुल अब तम
ु अपने लंड का कमाल दीखाओ ताकी मै जिंदगी भर याद रखं.ु मेरी बरु तम्
ु हारे लंड को
अपने अंदर लेने के लिए तड़प रही है ।( इतना कहने के साथ ही नीलू बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई अब
राहुल की बारी थी राहुल बिस्तर पर से उठा और सीधे जाकर नीलू के टांगों के बीच घट
ु नों के बल बैठ गया।
विनीत की भाभी से वह चुदाई का सारा गुण सीख चुका था। इसने उसे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। नीलू तरसी
आंखों से राहुल की तरफ ही दे ख रही थी और राहुल नीलू की जांघो को पकड़कर अपनी जांघों पर चढ़ा दिया
जिससे
नीलु की बुर ठीक राहुल के लंड के सामने आ गइ। नीलू के बदन में गुदगुदी सी मच रही थी आने वाले पल
के इंतजार है मैं उसका बदन का कसा रहा था । की तभी लगने लगा कि उसकी इंतजार की घड़ियां अब
खत्म हो जाएगी, और राहुल ने अपने लंड़ को पकड़कर नीलू की गुलाबी बुर पर सुपाड़े को रगड़ने लगा। जैसे
ही सुपाड़ा बुर पर स्पर्श हुआ नीलू पूरी तरह से गनगना गई। जिस पल के इंतजार में उसने तड़प-तड़प कर
महीनों गुजार दी थी वह पल आ चुका था उसका ख्वाब सच होने जा रहा था। राहुल के ऊपर तोे चुदाई का
भत
ू सवार था। उसने तरु ं त लंड के सप
ु ाड़े से ही टटोलकर बरु के गल
ु ाबी छे द को ढूंढ लिया और सप
ु ाड़े को उस
जगह पर टिका कर कमर को आगे की तरफ धकेला, बरु पहले से ही पानीयाई होने के कारण परू ी तरह से
चिकनी हो चक ु ी थी इसलिए राहुल का मोटा सपु ाड़ा धीरे -धीरे सरकते हुए नीलू की बरु में उतर गया। नीलू
को अपने बरु में दर्द महसस
ू होने लगा था की तभी राहुल ने दस ू रा भी धक्का लगा दिया इस बार लंड एकाद
ईन्च ओर अंदर घस
ु गया लेकिन इस बार दर्द थोड़ा बढ़ गया और नीलू ने अपने होठो को दांत से दबाते हुए
दर्द को पी जाने की परू ी कोशिश की लेकीन जवान बरु दे खकर राहुल मदहोश हो चक
ु ा था और इस बार उसने
पुरी ताकत से लंड को अंदर ठे ला और इस बार राहुल का तगड़ा लंड बुर की अंदरूनी सभी अड़चनों को
धकेलते हुए सीधे बुर की जड़ मे जाकर धंस गया। नीलू अपने आपको संभाल ना सकी और उसके मुंह से
चीख निकल गई। 
ऊईईईईईई....मां....मर गई रे .....आहहहहह.....बहुत मोटा है रे तेरा....आहहहहहह....

राहुल नीलू को दर्द से छटपटाते हुए दे ख रहा था नीलू को दर्द हो रहा था राहुल को लगता था कि वह लंड को
बाहर निकालने के लिए कहे गी. लेकिन वह दर्द को दांतों को भींचकर दबाती रही। और लंड को निकालने का
एक बार भी जिक्र नहीं की तो राहुल की हिम्मत बढ़ने लगी। 
राहुल ने बुर की जड़ तक घुसा हुआ लंड बाहर की तरफ खींचा और सिर्फ लंड के सुपाड़े को ही बुर में फंसे
रहने दिया, और फिर से वापस पूरी ताकत से लंड को बुर में पेल दिया। इस बार फिर से नीलू के मुंह से
हल्की सी चीख निकली लेकिन तब तक राहुल नीलू की पतली कमर को थाम चुका था। अब राहुल ने नीलू
को चोदना शुरू किया उसका लंड सटा सट नीलू की बुर के अंदर बाहर हो रहा था। नीलू ने ना जाने कितनों
से चुदवाई थी। लेकिन आज तक कोई भी ऐसा नहीं मिला था जो उसकी चीख निकाल सके। राहुल के लंड
की बात ही कुछ और थी चुदवा चुदवा कर चोड़ी हो चुकी बुर में भी राहुल का लंड एकदम रगड़ कर जा रहा
था। नीलु मदहोश हुएे जा रही थी वह अपने हाथों से ही अपनी चुचियों को मसल रही थी। राहुल धड़ाधड़
नीलू को चोद रहा था पंखा चालू होने के बावजूद भी दोनों का बदन से पसीने से तरबतर हो चुका था। राहुल
के हर धक्के पर परू ा पलंग हच मचा जा रहा था। नीलू ने आज तक ऐसी चद
ु ाई करने वाला मर्द नहीं दे खी
थी। विनीत की भाभी की चद
ु ाई राहुल को याद आ रही थी इसलिए उसने नीलू की कमर पर से हाथ हटाकर
नीलू की चचि
ू यों पर रख दिया था और धक्के लगाते हुए जोर जोर से चचि
ू यों को मसल रहा था। नीलू की
गरम सिसकारी परू े कमरे में गँज
ु रही थी। 
राहुल चदु ाई का परू ा मजा ले रहा था वह कभी चच
ु ीयों को मसलता तो कभी चचि ू यों पर अपना मंह ु रख दे ता
ओर चच ू ी को पीने लगता। इससे वीरू भी मस्त हुए जा रही थी। थोड़ी ही दे र में राहुल ने उसे हवा की सैर
कराने लगा। पच्
ु च पच्
ु च की आवाज से परू ा कमरा गंज
ू रहा था। करीब आधे घंटे की चु दाई के बाद नीलू की
सिसकारी बढ़ने लगी।
स्स्स्स्स ्सहहहहहहह......आहहहहहहहहहह....।राहुल.... और तेज .....और तेज .......राहुल चोद
मझ
ु े..... फाड़ दे मेरी बरु को घस
ु जा मेरी बरु मे.....आहहहहहहह......( वह गरम सिसकारी ले रही थी
कि तभी राहुल ने जोरदार धक्के लगाना शरु
ु कर दिया।)
आहहहहहहहह.......आहहहहहहहहहहह......आहहहहहहहहह....:-) राहुल......ओहहहहहह....।
राहुल....
( तभी नीलू का बदन एकाएक अकड़ने लगा वह चरम सख
ु के करीब थी।) 
ओहहहह।।राहुल..... मै गई ....।मै गई....।आहहहहहहहहह......राहुल..( और नीलू हल्की चीख के
साथ ही भलभलाकर पानी का फुआरा छोड़ने लगी नीलू ने कस के राहुल को अपनी बाहों में जकड़ लिया था
और अपना मदन रस छोड़ते हुए झड़ने लगी थी। दो-चार तेज धक्को मे राहुल भी अपना गरम फुवारा नीलू
की बुर मे छोड़ते हुए झड़ने लगा और नीलू के ऊपर ही पसर गया।

नीलू बहुत खुश नजर आ रही थी संतुष्टि के भाव उसके चेहरे पर साफ साफ झलक रहे थे राहुल उसके ऊपर
डह चुका था उसकी नरम नरम चुचियों पर सिर रखकर
लंबी लंबी सांसे भर रहा था। नीलू राहुल की नंगी पीठ पर अपनी हथेलियां फेर रही थी। कई महीनों से जो
ख्वाब नीलू दे खते आ रही थी जिसकी कल्पना करते हुए ना जाने कितनी बार उसने अपनी पैंटी को गीली
कर चुकी थी आज उसका यह ख्वाब पूरा हो चुका था। राहुल के लंड के लिए तड़प रही नीलु की बुर आज पूरी
तरह से उसे अपने अंदर लेकर संतुष्ट हो चुकी थी। दोनों की तेज चल रही सांसे थोड़ी ही दे र में सामान्य हो
गई। नीलू का दे श की नंगी पीर का से लाती तो कभी उसके बालों में अपनी उं गलियां फसाकर उसे बहलाती
रहती।
नरम नरम चुचियों का एहसास राहुल को फिर से गर्म कर रहा था। राहुल जो की बहुत ही भोला-भाला
लगता था इन दोनों औरतों ने मिलकर वीनीत की भाभी और नीलू ने उसे पूरा मर्द बना चुकी थी। राहुल का
ल** शिथिल हो कर नीलू की जांघों के बीच दब
ु का हुआ पड़ा था । वह अब मीनू की छुट्टियों की वजह से फिर
से तनाव में आना शुरु हो गया था। राहुल का एक हाथ खुद-ब-खुद नीलू की एक चूची पर चली गई। राहुल
उसे मीठा फल समझ कर फिर से दबाना शुरू कर दिया। इस तरह से चूची मर्दन करने से कुछ ही दे र में
नीलू की सिसकारी फिर से छूटने लगी। राहुल फिर से गर्म हो चुका था थोड़ी दे र में उसका भी ढीला हो चुका
लंड एक बार फिर से पूरे शबाब में खिल उठा था। जिसे नीलू अपनी जांघों के बीच साफ-साफ चुभता हुआ
महसूस कर रही थी। लंड की चुभन अपनी टांगों के बीच महसूस करते हैं नीलू फिर से सिसकने लगी उसका
बदन कसमसाने लगा। नीलु राहुल के वजन से कसमसा रही थी। राहुल उसकी कसमसाहट को समझ गया
और अपना वजन उसके बदन के ऊपर से कम करते हुए उसकी कमर के ईर्द गिर्द घट
ु नों के बल हो गया
और अब नीलू की दोनों चचि
ू यां राहुल की दोनों हथेलियों में कसी हुई थी । एक बार फिर से माहौल बनना
शरू
ु हो गया था राहुल नीलू की नारं गियों को दबाते हुए उसे एक-एक करके अपने मंह
ु में भरकर चस
ू भी रहा
था। 
सससससस्स्स्हहहहहहहह......राहुल....आहहहहहह...
( नीलू की गर्म शिसकारी छूट रहीे थी। वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं रख पा रही थी। राहुल था की नीलू
के दध
ू पर ही टूट पड़ा था। गोरी गोरी और गोल चुचियां राहुल की आंखों में चु दास की चमक को बढ़ा रही
थी। राहुल नया नया खिलाड़ी था इसलिए तुरंत तैयार हो गया। नीलू की पीच काफी अनुभवी थी इसलिए
नए-नए खिलाड़ी का जोश दे खते ही उसकी पीच गीली होना शुरु हो गई। राहुल के लंड का गर्म सुपाड़ा नीलू
के बुर के इर्द-गिर्द गस्त लगा रहा था। राहुल पागलों की तरह नीलू की चुचियों पर टूट पड़ा था कभी दाएं
चूची को मुंह में भर कर पीता तो कभी बाँए तो कभी उसके निप्पलों को दांतो के बीच दबाकर खींचने
लगता। राहुल के इस तरह की हरकतों से नीलू एकदम चुदवासी हो गई। उसकी दोनों हथेलियां राहुल की
पीठ पर से होते हुए उसके नितंबों पर पहुंच गए और राहुल के नितंबों पर अपनी हथेलियों का दबाव बढ़ाते
हुए उसे अपनी जांघों के बीच कसने लगी जिससे राहुल का लंड उसकीे बुर की पतली दरार पर रगड़ खाने
लगा। लंड की रगड़ अपनी बुर पर महसुस करते ही नीलू एक दम से मदहोश होने लगी। 
नीलू से लंड की रगड़ बर्दास्त नहीं हो पा रही थी और उसने एक हाथ नीचे ले जाकर राहुल के लंड को थाम
ली। राहुल तो नीलु की चूचियों को दबा दबा कर एकदम कश्मीरी सेव की तरह लाल कर चुका था। नीलू
अगले राउं ड के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी उसने लंड के सुपाड़े को अपनी बुर की पतली दरार पर
ऊपर नीचे करके रगड़ना शुरू कर दी वह लंड की सुपाड़े को अपनी बुर पर रगड़ती भी जा रही थी और गरम
गरम सिसकारी छोड़े भी जा रहीे थी। 
स्स्स्स्स ्स्स्ह्ह्हहहह....आहहहहहहहहहह.....।ऊम्म्म्म्म ्म्म्म्म्म ्म.......राहुल....मेरी जान.....बहुत
तगड़ा लंड हे तुम्हारा......
( इतना कहने के साथ ही नीलू ने लंड के सुपाड़े को अपनी गुलाबी बुर की नमकीन छें द पर टिका दी लंड का
सुपाड़ा गुलाबी बुर के छे द के मुहाने पर टिकने के बाद भी राहुल ने उसे अंदर डालने की शुध बिल्कुल भी
नहीं ली. और नीलु थी की वो इतनी ज्यादा चुदवासी हो गई थी कि उसे बिना लंड कोे बुर मे लिए एक पल
भी सांस लेना मुश्किल हुए जा रहा था। इसलिए उसने खुद ही अपने दोनों हाथ को राहुल के नितंबों पर
रखकर दबाव दे ना शरू
ु कर दी जिससे बरु गीली होने की वजह से धीरे धीरे करके रगड़ खाते हुए राहुल का
लंड बरु में घस
ु ना शरू
ु हो गया , नीलू तब तक राहुल के नितम्ब पर दबाव बनाती रही जब तक कि राहुल का
परू ा लंड उसकी बरु में अंदर तक नहीं चला गया। राहुल का परु ा लंड नीलु की बरु मे अंदर तक समा गया था।
राहुल की जगह अगर दस ू रा कोई होता तो इतने में ही कब से नीलू को चोदना शरूु कर दे ता लेकिन राहुल था
कि नीलू की चचि
ु यों में ही मगन था। राहुल को इस तरह से सिर्फ चचि ू यों को ही पीता हुआ दे खकर नीलू एक
हाथ राहुल के सिर पर रख कर उसे जोर से अपनी चच
ू ी पर दबाते हुए सिसकते हुए बोली।

ओहहहहहह.....राहुल.... मेरी जान.....स्सससससहहहहहह..... मैं तेरे लंड की प्यासी


हूं....राहुल.....चोद मुझे...चोद मुझे...राहुल... अपने लंड से फाड़ दे मेरी बुर को..... अब रहा नही जाता
राहुल...

नीलू की तड़प और उसका सिसकना दे खकर राहुल का जोश दग


ु ना हो गया और वह जितना हो सकता था
उतनी चूचियों को मुंह में भर कर पीते हुए हल्के हल्के से कमर को हिलाना शुरू कर दिया। लंड की मोटाई
इतनी ज्यादा थी की नीलू की बुर को फेलाते हुए बुर की अंदरुनी दीवारों को एकदम रगड़ते हुए बुर की जड़
तक घुस रहा था। जिसकी वजह से नीलू चुदास की मस्ती में एकदम सरो बोर हो चुकी थी कुछ धक्को में ही
उसे ऐसा लगने लगा कि उसका बदन हवा में झूल रहा है । राहुल की कमर बड़ी तेजी से चलने लगी थी। लंड
अपनी लय मे बुर के अंदर बाहर हो रहा था। नीलू पागलों की तरह अपनी उं गलियों को राहुल के बालों में
फंसा कर उसे कसके अपनी हथेली में भींचते हुए अपनी चूचियों के बीच दबाए हुए थी। राहुल उत्तेजना में
चूची के निप्पल को दांतों से काट ले रहा था जिस के निशान नीलू की गोरी चूची पर पड़ जा रहै थै। एक बार
फिर से फुच्चफुच्च और गरम सिसकारी की आवाज से पूरा कमरा गूंजने लगा। नीलू अपनी मम्मी की गैर
मौजूदगी में आज पूरी तरह से राहुल की होकर रह गई थी। 
एक बार फिर से नीलु अपने चरम सुख के करीब बढ़ती जा रही थी। राहुल के जबरदस्त धक्को नीलू के साथ
साथ पूरा पलंग चरमरा जा रहा था। राहुल की कमर किसी मशीन की तरह बड़ी तेजी से ऊपर-नीचे हो रही
थी नीलू के लिए अपने आप को संभाल पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था राहुल के हर धक्के के साथ नीलू
के मुंह से अजीब अजीब सी आवाजे आ रही थी।
कुछ ही धक्कों के बाद नीलू ने राहुल को अपनी बाहों में कस के दबोच लिया और बड़ी तेजी से सिसकारी
लेते हुए अगले ही पल एक हलकी चीख के साथ ही भल भला कर अपना गरम नमकीन पानी छोड़ने लगी।
उसके बाद राहुल भी दो चार धक्के लगाने के बाद नीलू की बुर में ही झड़ गया। दोनों एक दस
ू रे की बाहों में
बिस्तर पर लेटे रहे । राहुल का लंड अभी भी नीलू की बुर के अंदर धंसा हुआ था जो कि कुछ ही दे र में ढीला
हो कर अपने आप नीलू की बुर से बाहर आ गया। नीलु की बुर से दोनों का गरम रस रीसते र्हुए बिस्तर को
भिगो रहा था। 
दोनों इसी तरह से कुछ दे र तक बिस्तर पर लेटे रहे वासना का तफ
ू ान शांत हो चुका था। नीलू राहुल को
दल
ु ार करते हुए उसके बालों में ऊंगलिया फेरने लगी। और ऊंगलियां फेरते हुए बोली।
आई लव यू राहुल मैं तम
ु से बहुत प्यार करती हूं जिस दिन से मैंने तम्
ु हें विनीत के साथ दे खी थी उसी दिन
से मझ
ु े तम
ु से प्यार हो गया था।( नीलू की बात सन
ु ते ही राहुल नीलू की तरफ दे खने लगा राहुल बहुत खश

नजर आ रहा था, वैसे भी उसने कभी सोचा नहीं था कि कोई लड़की उसे इतना प्यार करे गी। और तो और
अपना सब कुछ उसे सौंप दे गी। नीलू की बात से खश
ु होकर राहुल से रहा नहीं गया और उसने अपने होट
को नीलू के होंठ पर रख दिया दोनों प्यार के भख
ू े फिर से एक दस
ू रे के होठों को चस
ू ना शरू
ु कर दिए। और
कुछ दे र यंू ही एक दस
ू रे के होठों का रसपान करते रहे । 
तभी नीलू को अपने पेट में दर्द का एहसास होने लगा वैसे तो यह दर्द बिल्कुल आम था क्योंकि यह दर्द उसे
पेशाब लगने की वजह से हो रहा था। वह राहुल को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली।
हटो राहुल मैं बाथरुम जाकर आती हूं। ( इतना कहकर नीलू बिस्तर से उठी और कमरे से ही अटै च्ड
बाथरूम का दरवाजा खोल कर बाथरूम में चली गई और बाथरूम का दरवाजा बंद कर दी। राहुल करवट
बदल कर बिस्तर पर ही एकदम नंगा लेटा रहा। तभी उसके कानों में सीटी की आवाज सन
ु ाई दे ने लगी जो
कि बाथरुम में से आ रही थी। उसके कान के साथ-साथ उसका लंड भी खड़ा होने लगा, क्योंकि राहुल ईस
सीटी की आवाज को बखब
ू ी पहचानता था। वह समझ गया कि नीलू पेशाब कर रही थी। राहुल से रहा नहीं
गया और वह बिस्तर पर उठ कर बैठ गया। वह नीलू को एक बार फिर से पेशाब करते हुए दे खना चाहता था
लेकिन इस बार उसकी मरु ाद परू ी नहीं हुई। उसे विनीत के घर पर का दृश्य याद आ गया जब विनीत की
भाभी उससे चुदवाकर ऐसे ही अटै च्ड बाथरूम में घुस कर पेशाब कर रही थी और मे दे ख सकु इसलिए उसने
बाथरुम का दरवाजा भी बंद नहीं कि थी। वीनीत की भाभी को पेशाब करते हुए दे ख कर तो उस समय फीर
से राहुल का लंड खड़ा हो गया था। विनीत की भाभी को पेशाब करते हुए दे खकर राहुल एकदम आनंदमय हो
गया था। इसलिए बाथरुम से आती सीटी की आवाज को सुन कर वह समझ गया था कि नीलू पेशाब कर
रही है और वह नीलू को पेशाब करते हुए दे खना चाहता था हालांकि नीलू को पेशाब करते हुए वह पहले भी
एक बार पार्क में दे ख चुका था। लेकिन यहां इस कमरे में वह बिल्कुल नंगा था और नीलू भी बिल्कुल नंगी
थी ।बिल्कुल नंगी होकर इतनी नजदीक में पेशाब कर रही थी और वह दे ख नहीं पा रहा था इसलिए उसकी
तड़प और ज्यादा बढ़ती जा रही थी।

तभी राहुल को एका एक सुबह वाली घटना याद आ गई जब नहाने के लिए बाथरूम की तरफ गया था और
बाथरूम का दरवाजा खोलते ही अंदर अपनी मां को पेशाब करते हुए दे खकर उसका पूरा बदन झनझना
गया था। सुबह वाली घटना याद आते ही उसके लंड का तनाव और भी ज्यादा बढ़ गया और उसका हाथ
खुद-ब-खुद लंड पर चला गया जिसको वह मुठीयाने लगा। बाथरुम के अंदर से सीटी की आवाज आना बंद
हो गया था वह समझ गया की नीलू पेशाब कर चुकी थी और तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और नीलू की
नजर सीधे राहुल के ऊपर पड़ी तो उसका खड़ा लंड दे खकर दं ग रह गई । वह आश्चर्य में पड़ गई कि वह
पहले ही दो बार पलंगतोड़ कबड्डी का राउं ड ले चुका था और दो राउं ड के बाद भी राहुल का लंड दब
ु ारा खड़ा
हो चुका था। यह बात उसके लिए है रान करने वाली थी क्योंकि वह जानती थी की ज्यादा से ज्यादा 2 राउं ड
के बाद लंड खड़ा नहीं होता और खड़ा भी होता है तो उसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है ।और यहां तो
राहुल का लंड तीसरी बार बिना कीसी मेहनत के खड़ा हो गया था। राहुल के लंड को दे खकर नीलु की बुर
फीर से गीली होने लगी। उसके मन में एक बार फिर से चुदवाने की महे च्छा जाग चुकी थी वरना इस बार
बार राहुल को उसके घर के पास तक छोड़ने के लिए तैयार होने जा रही थी। राहुल उसे ही एकटक घूर रहा
था। नीलू बड़े ही कामक
ु अदा से राहुल की तरफ आने लगी राहुल के बिल्कुल करीब पहुंच गई और जैसे ही
राहुल के लंड को पकड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाएं तभी उसके मोबाइल की घंटी बजने लगी। और वह
मोबाइल को उठाने के लिए वापस घम ू गई और सामने पड़े टे बल पर अपना मोबाइल लेने के लिए चहल-
कदमी करने लगी उसे जाते हुए दे खकर राहुल का मन डोलने लगा। नीलू की गोरी गोरी मटकती हुई गांड
को दे खकर राहुल जोर-जोर से अपने लंड को मुठीयाने लगा। तभी नीलू ने फोन उठा ली। उसकी बातों से
पता चल रहा था कि फोन उसकी मां का ही था। और वह 10:00 बजे से पहले आने वाली नहीं थी। अपने मां
की बात को सन
ु कर नीलू मन ही मन बहुत प्रसन्न हुई। वह आज इस मौके का भरपरू फायदा उठा लेना
चाहती थी वैसे भी उसके मन की बात तो परू ी हो चक
ु ी थी लेकिन फीर भी उसके पास समय बहुत था तो
उसके मन में यही चल रहा था कि चलो ना क्यों ना आज राहुल की ताकत का परू ी आजमाइश कर ली जाए।
और वह मोबाइल बात करने के बाद टे बल पर ही रख दी नीलू की गांड राहुल की तरफ थी। जिस पर राहुल
की नजर बराबर बनी हुई थी नीलू ने अपनी एक टांग को उठाकर टे बल पर रख दी और अपनी गांड का
उभार बढ़ाते हुए राहुल की तरफ कर दी। नीलू बड़े ही कामक
ु अदा से राहुल को इशारा करके अपने पास
बुलाने लगी। वह उं गली से अपनी बुर को रगड़ते हुए राहुल को अपने पास बल
ु ा रही थी। नीलू के ईस इशारे
को राहुल अच्छी तरह से समझ गया। और वह तुरंत बिस्तर पर से उठा और सीधे नीलु की गांड के पीछे
जाकर खड़ा हो गया नीलू की बुर से काम रस टपक रहा था। राहुल अच्छी तरह से जानता था कि उसे क्या
करना है और उसने अपने लंड कै सुपाड़े को पीछे से नीलू की बुर से टिका दिया , एक बार फिर से राहुल और
नीलू एक हो गए राहुल ने खड़े-खड़े ही नीलू को तारों की सेर करा दी। एक बार फिर से पूरे कमरे में नीलू की
गरम सिसकारी गूंजने लगी। 
राहुल ने भी मौके का पूरा फायदा उठाया और इसके बाद भी दो राउं ड और नीलू की जमके चुदाई कीया।
नीलू राहुल की ताकत को दे खकर एकदम दं ग रह गई।
नीलू राहुल से चुदवाकर पूरी तरह से थक चुकी थी। करीब 9:00 बजे दोनों ने कपड़े पहन लिया और नीलू
राहुल को उसके घर के करीब चौराहे तक छोड़ कर वापस चली गई।

राहुल बहुत ही खश
ु नजर आ रहा था वह घर पर जैसे ही पहुंचा तो उसकी मां दरवाजे पर खड़ी उसका
इंतजार कर रही थी। राहुल को दे खते ही वह सवालों की झड़ी बरसाने लगी।

कहां रह गया था राहुल इतनी दे र लगाते मझ


ु े कितनी फिक्र हो रही थी तझ
ु े मालम
ू है कब से तेरा इंतजार
कर रही हूं तेरी राह दे खते दे खते सोनू भी अभी तक खाना नहीं खाया है । 
( अपनी मां के सवालों का जवाब दे ते हुए राहुल बोला)

सॉरी मम्मी पार्टी में दे र हो गई मैं तो कब से आ जाना चाहता था लेकिन उसी ने मुझे रोके रखा था। मेरी
वजह से आप लोगों को तकलीफ हुई उसके लिए माफी मांगता हूं। अब चलो जल्दी से खाना परोस दो मुझे
भी भूख लगी है । 
( राहुल की मम्मी आश्चर्य जताते हुए बोली।)

भूख लगी है तू तो पार्टी में खा कर आया होगा ना फिर भी तझ


ु े भूख लगी है ।( इतना कहकर हसने लगी)
अरे मम्मी आप तो जानती हो कि मुझे बाहर का खाना पसंद नहीं है और वैसे भी मैं बाहर भले ही खा लो
लेकिन जब तक आप के हाथ का बना खाना नहीं खाता मेरी भख
ू ही नहीं मिटती।

चलो अच्छा अब बातें मत बनाओ जल्दी से हाथ पैर धो कर आ जाओ। ( राहुल हाथ पैर धोकर फ्रेश होने
चले गया और उसकी मम्मी रसोई घर में खाना परोसने चली गई। राहुल हाथ पैर धोते हुए नीलू के संग
बिताए पल के बारे में सोचने लगा वह मन ही मन में बोल रहा था कि आज का दिन कितने अच्छे से गुजरा।
सुबह से ही सब कुछ मेरे मन का ही हो रहा था सुबह सुबह जब बाथरूम का दरवाजा खोला तो अंदर मम्मी
को दे ख कर मेरा लंड ही टनटनाकर खड़ा हो गया था। मैं कभी सोचा नहीं था कि मैं मम्मी को इस हाल में
भी दे ख पाऊंगा।
सच में मम्मी पेशाब करते हुए एकदम कामदे वी लग रही थी। उनकी बड़ी गोरी गोरी चोड़ी गांड को दे खते ही
मेरा मन तो कर रहा था कि पीछे से जाकर लंड घुसा दं ।ु ऊफ्फ..... मम्मी भी बहुत सेक्सी लगती है । नीलू
ने तो पूरी कसर ही निकाल ली थी। कसम से विनीत की भाभी से जो मैं क्या मिला था वैसा ही मजा नीलू ने
आज मुझे दी थी। सच में नीलू की गोरी गोरी गांड दे ख कर तो ऐसा लगने लगा था कि वह सीधे ही मेरे
कलेजे पर छुरीया चला रहीे हो। ( राहुल यह सब अपने आप से ही कहते हुए टॉवल से अपना हाथ पोछ रहा
था। तब तक उसकी मां ने खाना परोस चुकी थी'। दे र होने पर उसने तुरंत राहुल को फिर से आवाज लगाई
इस पर राहुल भागता भागता रसोई घर में आया , भोजन करने के लिए राहुल जमीन पर बैठ गया और
उसकी मां उसके आगे पड़ोसी हुई थाली बढ़ाते हुए बोली।) 
कितना समय लगा दिया, तेरा ध्यान लगता है कहीं और भटकने लगा है इसलिए ए सब कर रहा है ना। 
( अलका का मतलब रसोई घर में हुई हरकत और बाथरुम मै हुई हरकत से था लेकिन इस बात को राहुल
समझ नहीं पाया वह बिना कुछ बोले भोजन करने लगा। थोड़ी दे र में तीनों ने भोजन कर लिया और अपने
अपने कमरे की तरफ चल दीए। अलका पहले ही की तरह बर्तन को साफ करके रसोई घर में साफ सफाई
करके वह भी अपने कमरे में चली गई।
बिस्तर पर पड़ते ही उसे भी सुबह वाली घटना याद आ गई। इतना पक्के तौर से तो वह नहीं कह सकती थी
की उसको पेशाब करते हुए उसका ही बेटा उसे चोरी से दे ख रहा था। लेकिन जब वह बाहर निकली थी तो
दरवाजे पर ही राहुल खड़ा था और उसने उसके पें ट में बने उभार को दे खी थी। राहुल के पें ट में बने उभार की
वजह से अलका को इस बात का शक हो रहा था कि वह जरूर उसे चोरी छुपे पेशाब करते हुए दे ख रहा था।
तभी उसके पें ट मे उसका लंड तन गया था। और वैसे भी तो बाथरूम का दरवाजा खल
ु ा ही था। यही सब
सोच-सोचकर अलका है रान हुए जा रही थी की क्या वाकई में राहुल अब बड़ा हो चक
ु ा है । क्योंकि उसकी उम्र
को दे खते हुए उसकी हरकतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था। क्योंकि जिस तरह से रसोई घर में
उसने उसे पीछे से अपनी बाहों में जकड़ते हुए अपने पैंट में मैंने तंबू को उसकी गांड के बीचोबीच धंसाया
था।
यह नहीं कहा जा सकता था कि उस से यह गलती अनजाने में हुई थी। वैसे भी वह जीस उम्र के पड़ाव पर था
उस उम्र में अक्सर लड़कों का खिंचाव लड़कियों और औरतों के प्रति ज्यादा होने लगता है । रसोईघर वाली
घटना को याद करके अलका की जांघो को बीच रिशाव सा महसस
ु होने लगा था। और सद
ु ामा की घटना को
याद करके तो उसका परू ा बदन गनंगाना गया था। भले ही अलका को इस बात से है रानी थी कि उसका ही
बेटा उसे पेसाब करते हुए दे ख रहा था लेकिन इससे भी ज्यादा उसे रोमांच भी हो रहा था। क्योंकि उसके
दिमाग में उन्माद ने अपना कब्जा जमा लिया था।
सोचने समझने की शक्ति को एकदम छीण कर दिया था।
वरना इस बात को लेकर व राहुल को जरूर डालती ताकि ऐसी गलती को दब
ु ारा ना करें लेकिन दिमाग में
छाई उन्माद की वजह से उसके सोचने समझने का तरीका ही बदल गया। अब वह इस बात को सोचकर
उत्तेजित हुए जा रही थी कि क्या सच में राहुल उसे पेशाब करते हुए दे ख रहा था। क्या उसने जान बुझ कर
दरवाजा खोला था,या उसे पता नहीं था और अनजाने में ही दरवाजा खुल गया था। नहीं ऐसा नहीं था अगर
उसे अनजाने में ही दरवाजा खुला होता तो वह सीधा अंदर तक आ चुका होता और वह बाहर ही खड़ा था
इसका मतलब वह जरूर उसे पेशाब करते हुए ही दे ख रहा था।
( अलका यह सब सोच सोच कर मस्त हुए जा रही थी। और वह धीरे धीरे अपने गांऊन को ऊपर उठाने
लगी। वासना और उन्माद की वजह से उसने अपनी गाउन को कमर तक खींचकर सरका दी थी। उसकी
गरम हथेली उसकी तपती हुई बुर पर रगड़ खा रही थी। वह अपनी बुर को मसल रही थी और सुबह वाली
घटना को याद कर कर के ढे र सारी बातें बना रही थी।) 
राहुल अगर उसे पेशाब करते हुए दे ख रहा था तो क्या दे ख रहा था। क्या वह उसकी बड़ी बड़ी और गौरी गांड
को दे ख रहा था, जरूर वह गांड को ही दे ख रहा होगा क्योंकि उस दिन भी वह पीछे से उसकी गांड पर ही
अपने लंड को चुभा रहा था। वैसे भी वह खुद ही जानती थी कि उसकी गांड कुछ ज्यादा ही बड़ी और गोल
गोल थी अक्सर रास्ते में आते जाते लोग उसे अपनी वासनामई और खा जानेवाली नजरों से घूरते रहते थे
खास करके उसकी मदभरी बड़ी-बड़ी गांड को ऐसे घुरते थे की अगर मौका मिल जाए तो सब कुछ कर डाले।
इसलिए उसे पक्का यकीन था कि राहुल भी उसकी गांड को ही दे ख रहा होगा।( अपने बेटे के बारे में उन्माद
से भरी बातों को सोचते हुए उसने अपनी एक उं गली को बुर में प्रवेश कर दी और उं गली को अंदर बाहर
करते हुए दस
ू री बातों को सोचने लगी।) क्या राहुल ने उसकी बुर को( बुर का ख्याल आते ही उसका उन्माद
और ज्यादा बढ़ गया और उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी निकल गई।) दे खा होगा अगर उसकी नजर
सच मे उसकी बुर पर पड़ी होगी तो वह उसमे से पेशाब निकलते हुए भी जरुर दे खा होगा। पेशाब करते हुए
दे ख कर वह क्या सोच रहा होगा। पेशाब करते समय बुर से आ रही सीटी की आवाज जरूर उसके कानों में
पड़ी होगी। और वह सिटी की आवाज को सन
ु कर जरूर पागल हो गया होगा, उसके पापा भी पेशाब करते
समय दरू से आती थी थी की आवाज को सन
ु कर एकदम पागल हो जाया करते थे और उसके बाद एक दम
मस्त हो कर जो उसकी चद
ु ाई करते थे कि दस
ू रे दिन तक लंगड़ा कर चलना पड़ता था। राहुल भी उनकी
तरह ही मस्त हो गया होगा तभी तो उसके पें ट का उभार इतना ज्यादा बढ़ चक
ु ा था।( अलका यह सब सोच
कर पागल हुए जा रही थी वह गर्म सिसकारी भरते हुए बहुत ही तीव्र गति से उं गली को अपनी बरु के अंदर
बाहर कर रही थी। अपनी बुर में उं गली करते हुए वह आहें भरते हुए अपनी आंखों को मुंद ली थी। उसकी
आंखों के सामने बार-बार राहुल के पें ट में बना उभार ही नाच रहा था जिसकी वजह से उसकी उत्तेजना
बढ़ती जा रही थी। उस की उत्तेजना इतनी ज्यादा बढ़ चक
ु ी थी कि उसने एक उं गली के साथ साथ अपनी
दस
ू री ऊंगली को भी बरु में घस
ु ेड़ दी। अब वह अपनी गांड को उचकाते हुए अपनी बरु को उं गली से चोद रही
थी। थोड़ी ही दे र में उसने हल्की सी चीख के साथ झड़ना शरु
ु कर दी। भलभलाकर. उसकी बरु से मदनरस
निकल रहा था। थोड़ी ही दे र मै वह शांत हो गई।और फिर आंखों को मंद
ु कर सो गई।

राहुल की खुशी का ठिकाना ना था। अभी से ही उसने दो दो रसीले मलाईदार बुर का स्वाद चख चुका था।
उसे खुद पर और अपनी किस्मत पर यकीन ही नहीं हो रहा था। क्योंकि वह खुद जानता था कि वह कितना
शर्मिला और लड़कियों के मामले में कितना डरपोक था। वह हमेशा लड़कियों से कतराता रहता था। लेकिन
पिछले कुछ दिनों में उसका व्यक्तित्व बदल चुका था। लड़कियों के प्रति उसका डर कम होने लगा था कम
क्या लगभग दरू ही हो चक
ु ा था। दो-दो नारियों के साथ सफलतापर्व
ू क संभोग को अंजाम दे चक
ु ा था। दोनों
को परू ी तरह से संतष्ु ट करने के बाद ही हटा था यही बात उसके लिए बहुत थी। उसे अपने लंड की ताकत
पर गर्व होने लगा था। राहुल को अपनी ताकत का एहसास नहीं था उसे तो इन दोनों के मंह
ु से उसके लंड की
ताकत की तारीफ सन
ु कर ही पता चला था।
नीलू भी तीन-चार घंटे में ही जितनी बार झड़ चक
ु ी थी। इतनी बार वह कभी भी नहीं झड़ी थी। राहुल का लंड
ले लेकर उसकी बरु में मीठा मीठा दर्द होने लगा था होता भी क्यों नहीं ... राहुल का लंड था ही इतना मोटा
की उसकी बरु में घस
ु ते ही बरु की चौड़ाई को बढ़ा दिया।

इसके बाद उसे कुछ दिनों तक सब कुछ शांत चलता रहा। नीलू और राहुल की नजरें उस स्कूल में न जाने
कितनी बार टकराई दोनों मुस्कुरा कर रह जाते थे। दोनों अधीर हुए थे फिर से एक दस
ू रे में समाने के लिए
लेकिन वैसा मौका उन दोनों को नहीं मिल पा रहा था। विनीत के होते हुए दोेनो थोड़ी सी भी छूट छाट लेने
से भी घबराते थे। क्योंकि वह दोनों जानते थे कि विनीत को पता चलने पर मामला बिगड़ सकता था। नीलू
चाहे जैसी भी की थी तो विनीत की गर्लफ्रेंड। जिसे विनीत बहुत प्यार करता था। और ऐसे में कौन प्रेमी
चाहे गा कि उसकी प्रेमिका के संबंध उसके ही सबसे अजीज मित्र के साथ हो जाए। इसलिए नीलू और राहुल
दोनों ही विनीत के सामने पड़ते ही एक दस
ू रे से कन्नी काटने लगते थे। 
बुर का स्वाद चख चुका राहुल अब बुर के लिए तड़पता रहता था। अब वह हमेशा मौके के ही ताक में रहता
था लेकिन अब मौका मिलना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था उसने बहुत बार कोशिश किया वीनीत के घर पर
जाने की लेकिन उसकी ये कोशिश भी हमेशा नाकाम ही रही। 
राहुल के सिर पर वासना इस कदर सवार हो चुकी थी कि वह घर में ही ताक-झांक करना शुरू कर दिया था।
लेकिन इधर भी बस इक्का-दक्ु का बार ही अलका के बदन की झलक मिल पाई और इससे ज्यादा बात नहीं
बढ़ी। 
बस वह रात को ही बीते हुए दिनों को याद कर कर के विनीत की भाभी के बारे में तो कभी नीलू के बारे में तो
कभी अपनी मां के बारे में ही गंदी बातों को सोच सोच कर मठ
ु मारकर काम चलाया करता था। 

अलका के मन में भी पिछली बातों को सोच सोच कर गुदगुदी होती रहती थी। विनीत से उसकी मुलाकात
बाजार में हुआ करती थी विनीत तो बहुत चाहा की आगे बढ़ सके लेकिन अलका उसे अपनी हद में ही रहने
को कहती रहती थी। हालांकि विनीत ने बहुत बार उसके सामने अपने प्यार का इजहार कर चुका था।
लेकिन अलका हर बार मुस्कुरा कर टाल दे ती थी। क्योंकि वह अपने और विनीत के बीच उम्र की खाई को
अच्छी तरह से पहचानती थी। दोनों के बीच में उम्र का बहुत बड़ा फासला था। जो कभी भी मिटने वाला नहीं
था और वैसे भी अलका अच्छी तरह से जानती थी कि आजकल के लड़के किस लिए प्यार करते हैं हमें बस
एक ही चीज़ से मतलब होती है । मतलब पूरा होने के बाद ऐसे गायब हो जाते हैं जैसे गधे के सिर से सींग।
धीरे धीरे अलका को यह समझ में आने लगा था कि वीनीत के मन में भी उसी चीज को पाने की ख्वाहिश
घर कर चुकी है । विनीत की नजरें के बदन पर कहां कहां फिरती थी यह वह अच्छी तरह से जानती थी।
लेकिन यह सब अलका को भी अच्छा लगने लगा था। उसकी नजरों की सिध को भांपकर वह मन ही मन
खुश होती थी। अलका दिनेश के साथ बाजार में रूकती नहीं थी बस वह चलती ही रहती थी और विनीत भी
उसके पीछे पीछे लगा रहता था जब तक की वह चौराहे से अपने घर की ओर ना मुड़ जाए। बाजार से लेकर
चौराहे तक की दरू ी नहीं वह अलका के मन को भा गया था। विनीत की फ्लर्ट करने वाली बातें अलका को
अच्छी लगने लगी थी। अलका विनीत की बातों को सिर्फ सुनने तक ही लेती थी उसकी बातों को कभी
गहराई तक नहीं ली। अलका किसी की भावनाओं में बह जाए ऐसी औरत नहीं थी। भावनाओं पर काबू
करना उसे अच्छी तरह से आता था तभी तो इतने बरस गज
ु र जाने के बाद भी उसने अपने आप को संभाल
कर रखी हुई थी। वीनीत जिस तरह से उसके पीछे लगा हुआ था उससे फ्लर्ट करता था अगर अलका की
जगह कोई और औरत होती तो विनीत अपनी मंशा मे ना जाने कब से कामयाब हो चक ु ा होता और वह
औरत भी विनीत को अपना सब कुछ सोंप चक
ु ी होती । 

धीरे -धीरे समय गुजर रहा था राहुल के साथ साथ विनीत और अलका की प्यास भी बढ़ती जा रही थी।
वीनीत की तो प्यास उसकी भाभी बुझा दे ती थी। और भाभी नहीं तो नीलू तो थी ही उसके पास लेकिन सबसे
ज्यादा तड़प रहे थे तो राहुल और अलका। दोनों अपनी प्यास बुझाने के लिए अंदर ही अंदर घुट रहे थे राहुल
मुख्य मारकर शांत होता तो अलका अपनी उं गलियों से ही अपने आप को संतुष्ट करने में जुट़ जाती। जैसे
तैसे करके दिन गुजर रहे थे। 
सोनू के स्कूल की फीस भरनी थी जिसे पिछले तीन महीनों से अलका ने भर नहीं पाई थी। लेकिन अब
भरना बहुत जरूरी था। । वरना स्कूल वाले सोनू का नाम काट दें गे यह बात सोनू ने ही अपनी मम्मी को
बताई थी। करीब 1500 साै के लगभग फीस बाकी थी। जिसे भरना बहुत जरूरी था। अलका बहुत परे शान
थी क्योंकि उसके पास में सिर्फ ₹800 ही थे। तनख्वाह होने में अभी 10 दिन बाकी थे। यह ₹800 उसने 10
दिन के खर्चे के लिए बचा कर रखी थी जो कि बहुत मश्कि
ु ल से चलने वाला था। वह क्या करें अब उसे कुछ
समझ में नहीं आ रहा था। अपनी मां को यंू परे शान बैठा हुआ दे खकर राहुल उस से परे शानी का कारण
पछ
ू ा।
तो उसकी मां ने सर दर्द का बहाना बनाकर बात को टाल दी। अलका घर में चाहे केसी भी परे शानी हो वह
अपने बच्चों पर जाहिर होने नहीं दे ती थी। वह सारी मस
ु ीबत को अपने ही सर ले लिया करती थी। 
आज ना खाना बनाने में मन लगा और ना ही खाने में , जैसे तैसे करके रात गज
ु र गई। सब
ु ह आंख खल
ु ते
ही फिर से वही फीस वाली टें शन आंखों के सामने मंडराने लगी। इतनी बेबस वो कभी भी नजर नहीं आई
इससे पहले भी फीस भरने की दिक्कते उसके सामने आई थी लेकिन जैसे तैसे करके वह निपटाते गई।
लेकिन इस बार उसे कोई रास्ता सूझ नहीं रहा था। मन में चिंता का भाव लिए वह बिस्तर से उठी और
कमरे से बाहर आ गई । आज उठने में कुछ ज्यादा समय हो गया था, उसके दोनों बच्चे अभी तक सो रहे
थे। उसे नाश्ता भी तैयार करना था वह सोची पहले जाकर राहुल और सोनू को उठा दे इसलिए वह राहुल के
कमरे की तरफ बढ़ी। मन में चिंता के बादल घिरे हुए थे उसका मन आज नहीं लग रहा था उसे इस बात की
चिंता थी कि सोनू की फीस कैसे भरी जाएगी क्योंकि घर खर्च के लिए जितने पैसे उसके पास थे उतने से भी
काम चलने वाला नहीं था। यह सब चिंता उसे खाए जा रही थी। यही सब सोचते हुए वह राहुल के कमरे के
पास पहुंच गई उज्जैन से ही दरवाजा खोलने के लिए उसने अपना हाथ बढ़ाई हाथ लगते ही दरवाजा खुद-
ब-खुद खुलने लगा। अपने आप दरवाजा खुलता दे खकर उसका दिल धक कर रह गया उसे उस दिन का
नजारा याद आ गया। उसके मन में तुरंत उत्तेजना के भाव उमड़ने लगे। फिर से वही ख्वाहिश उसके मन
में जोर मारने लगी। जैसे ही दरवाजा खुला अलका का दिल खश
ु ी से झूम उठा पल भर में फीस वाली चिंता
फुर्र हो गई। सामने वही नजारा था जिसे दे ख कर उस दिन वो रोमांचित हो गई थी। दबे पांव वह कमरे में
परवेश की धीरे -धीरे वह राहुल के बिस्तर की तरफ बढ़ने लगी। राहुल के बिस्तर के पास पहुंचते ही अलका
का मुंह खुला का खुला रह गया। राहुल बेसुध होकर सोया हुआ था। उसका लंड टनटना के खड़ा होकर छत
की तरफ ताक रहा था । अलका अपने बेटे के इतने मोटे ताजे लंड को दे खकर उत्तेजित हो गई वह एकटक
अपने बेटे के लंड को दे खती रही। 
वह कभी राहुल की तरफ दे ख लेती तो कभी उसके खड़े लंड की तरफ. कल का पूरी तरह से अचंभित थी
क्योंकि राहुल के भोलेपन और उसकी उम्र को दे ख कर लगता नहीं था कि उसके पास इतना जानदार और
तगड़ा हथियार होगा। अलका की जांघों के बीच सनसनी सी फैलने लगी। अलका का गला सूखने लगा था
और उसके गाल अपने बेटे के लंड को दे खकर शर्म से लाल होने लगे थे। उसने एक बार चेक करने के लिए
कि वह वाकई में गहरी नींद में है या ऐसे ही लेटा हुआ है इसलिए उसको आवाज दी, लेकिन उसकी आवाज
दे ने के बावजद
ू भी राहुल के बदलने में ज़रा सी भी हलचल नहीं हुई तो वह समझ गए कि राहुल गहरी नींद
मैं सो रहा है । यह जानकर कि राहुल गहरी नींद में है उसके मन में हलचल सी होने लगी। नजरें लंड पर से
हटाए नहीं हट रही थी। वह अपने बेटे के लंड को स्पर्श करने के लालच को रोक नहीं पाई और अपने कांपते
में हाथ को अपने बेटे के खड़े लंड की तरफ बढ़ाने लगी। हाथ को बढ़ाते हुए उसका दिल जोरों से धड़क रहा
था। लंड और हथेली के बीच बस दो चार अंगल
ु का ही फासला रह गया था की अलका घबराहट में अपना
हाथ पीछे खींच ली। उसका दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था लेकिन फिर भी लंड को स्पर्श करने की चाहत
मन में बनी हुई थी। बरसों बीत गए थे अलका को जी भर के लंड को दे खे उसे हथेली में भर कर प्यार किए
हुए, आज दस
ू री बार अपने ही बेटे के लंड को दे ख कर उसका मन डोलने लगा था। उससे रहा नहीं गया और

उसने वापस फिर से अपनी हथेली को लंड की तरफ बढाने लगी और पहली बार उसकी उं गली पर लंड के
सप
ु ाड़े का स्पर्श हुआ। सप
ु ाड़े का गरम एहसास उं गली पर होते ही उसका हलक सख
ू ने लगा। अलका का परू ा
बदन झनझनाने लगा। वह कांपती हुई उं गलियों को सुपाड़े पर हल्के हल्के से रगड़ते हुए घुमाने लगी। सांसे
चल नहीं बल्कि दौड़ रही थी। अलका के मन में या डर बराबर बना हुआ था कि किसी भी वक्त राहुल जग
सकता है लेकिन जो उसके मन में लालच था उस लालच ने उसे मजबूर किए हुए था।

अलका को उसकीे बुर पसीजती हुई महसूस होने लगी।


अलका का लालच बढ़ता जा रहा था। उसकी हथेली तड़प रही थी उसे उसके दबोचने के लिए, और उसने
तुरंत अपने बेटे के लंड को अपने हथेली में दबोच ली। अलका का पूरा बदन कांप गया। ऊफ्फ..... यह क्या
हो रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आया उसका बदन एकाएक अकड़ने ं लगा और वह भलभला कर झड़ने
लगी। उत्तेजना में इतनी कस के राहुल के लंड को दबोच ली थी की उसका बदन कसमसाने लगा। उसके
बदन में हलचल को दे खकर अल्का ने तुरंत अपनी हथेली को लंड पर से हटा ली और बिस्तर से नीचे गिरी
चादर को उठा कर राहुल के नंगे बदन को ढं क दी। राहुल वापस सो चुका था। राहुल का नंगा बदन चादर से
ढक चुका था इसलिए अब अलका को उसे जगाने में ज्यादा मुश्किल नहीं थी। अलका ने राहुल को कंधे से
पकड़कर हीलाते हुए उसे जगाई। अलका के इस तरह से जगाने से उसकी आंख खुल गई। राहुल की नींद
खुलती हुई दे खकर अलका ने उसे जल्दी से नहा कर तैयार होने के लिए कह कर जल्दी से कमरे से निकल
गई। 
राहुल अपने बदन पर चादर को पाकर संतुष्ट हुआ कि अच्छा हुआ मम्मी ने नहीं दे खा वरना आज तो गजब
हो जाता। वह मन ही मन में बोला वह जानता था कि कमर के नीचे वह बिल्कुल नंगा था और इस समय भी
उसका लंड उत्तेजित अवस्था में था। वह जल्दी से बिस्तर पर से उठ गया।
अलका बाथरुम में थी और मन ही मन में सोच रही थी कि एसा आज तक नहीं हुआ ' इतनी ज्यादा
उत्तेजित वह कभी भी नहीं हुई थी जितना कि आज हुई। वाह आश्चर्य मे थी की मात्र अपने बेटे के लंड को
छुने भर से ही वह इस कदर से झड़ी थी कि इस तरह सो आज तक नहीं झड़ी। इतना सोचते हुए वह बाथरुम
में परू ी तरह से नंगी हो गई। उसका मन और ज्यादा विचरण करता इससे पहले ही उसने अपने सर पर एक
बड़ा मग भर कर पानी डाल दी . तब जाकर उसका मन थोड़ा शांत हुआ वह जल्दी जल्दी से नहाकर
बाथरुम से बाहर आ गई और नाश्ता तैयार करने लगी तब तक सोनू और राहुल दोनों तैयार हो कर नीचे आ
गए। वह आज अपने बेटे से ही नजरें नहीं मिला पा रही थी उसे शर्म सी महसूस हो रही थी जैसे तैसे करके
उसने दोनों को नाश्ता करवाया और दोनों को स्कूल भेज दी सोनू को जाते समय यह दिलासा दिलाई कि
कल तक उसकी फीस भर दी जाएगी।

अलका अपने दोनों बच्चों को स्कूल भेजकर थोड़ी दे र में तैयार होकर वह भी ऑफिस के लिए निकल गई।
मन में फीस की चिंता बराबर बनी हुई थी। वह एकदम लाचार नजर आ रही थी उसके पास कोई रास्ता ना
था। कहां जाए किस से मांगे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। यही सब सोचते सोचते वह अपने ऑफिस में
पहुंच गई उसे पता ही नहीं चला। ऑफिस में पहुंचते ही सबसे पहले शर्मा की नजर अलका पर पड़ी। वह तो
अलका का पहले से ही बहुत बड़ा दीवाना था। अलका को दे खते ही। शर्मा रोज की तरह बोल पड़ा।

नमस्ते मैडम जी( कामक


ु नजर से दे खते हुए।) 

अलका भी रोज की तरह उसके नमस्ते का जवाब दे ना ठीक नहीं समझी और सीधे अपनी केबिन की तरफ
बढ़ गई। शर्मा अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ और पान चबाते हुए अलका को अपनी गांड मटकाते जाते हुए
दे खता रहा। वैसे भी शर्मा की नजर हमेशा अलका पर ही टिकी रहती थी खास करके उसकी बड़ी बड़ी
चूचियां और उसकी गहरी घाटी पर, और उसकी भरावदार गांड पर। यह दोनों अंगों को दे खते हुए शर्मा जी
का लंड टं नटना कर खड़ा हो जाता था। इस समय भी शर्मा जी का हाल यही था अलका को अपनी केबिन में
घुसते हुए दे खकर 
शर्मा जी अपने लंड को पें ट के ऊपर से ही मसल रहे थे।
अलका अपने केबिन में कुर्सी पर आकर बैठ गई उसका मन चिंताओं में घिरा हुआ था। फीस भरने की चिंता
उसे पल पल खाए जा रही थी। फीस का बंदोबस्त कैसे होगा यह उस के समझ में नहीं आ रहा था। क्या करें
क्या ना करें उसके सामने कोई रास्ता सझ
ू नहीं रहा था। तनख्वाह मिलने में अभी 10 दिन का समय था।
साहब से मांगने का मतलब था कि मस
ु ीबत मोड़ लेना क्योंकि वह तनख्वाह तय की हुई तारीख को ही दे ता
था उससे पहले ₹1 भी नहीं। अलका बहुत मजबरू थी, इसमें एक बार उसके मन में आया कि जाकर साहब
से ही पैसे मांग ले। लेकिन अपने बढ़ते कदम को उसने रोक ली। पिछले दिनों को याद करके आगे बढ़ने की
उसकी हिम्मत ही नहीं हुई । क्योंकि ऐसे ही किसी मस
ु ीबत के समय उसने साहब से कुछ पैसे मांगे थे
जोकि आने वाली तनख्वाह में से काटने को भी कही थी लेकिन अलका के ऊपर साहब बिगड़ गया था वह
साफ साफ शब्दों में सुना दिया था की तनख्वाह से पहले ₹1 भी मिलने वाला नहीं है । उस समय हुई
बेईज्जती को याद करके उसकी हिम्मत नहीं हुई। वह दोबारा अपनी बेइज्जती नहीं करवाना चाहती थी। 
अलका का मन आज काम में बिल्कुल नहीं लग रहा था जैसे तैसे करके वह धीरे -धीरे काम करती रही । लंच
का समय कब बीत गया उसे पता ही नहीं चला उसने आज लंच भी नहीं की थी। जैसे जैसे दिन गुजर रहा था
उसकी चिंता बढ़ती ही जा रही थी। 
ऑफिस का समय पूरा होने वाला था और अब तक फीस का बंदोबस्त हो नहीं पाया था और नाही होने के
आसार नजर आ रहे थे। एक बार तो उसके मन में हुआ की शर्मा जी से ही पैसे उधार ले ले, क्योंकि वह
जानतेी थीे कि शर्मा जी उसके ऊपर पहले से ही लट्टु है । अगर वह मांगेगी तो शर्माजी कभी भी इनकार नहीं
करे गा। अच्छी तरह से जानती थी कि शर्मा जी उसे पैसे दे कर फीस की समस्या से निजात तो दिला दे गा
लेकिन एक बार मदद करके फिर वह उसके साथ छुट छाट़ भी लेना शरु
ु कर दे गा। और अलका अभी तक
उसे दत्ु कारते ही आ रहीे थी। शर्मा जी का उसके बदन को यंू घरू घरू कर दे खना कतई पसंद नहीं था। लेकिन
इस समय वह बड़ी मस
ु ीबत में फंसी हुई थी। ऑफिस का समय भी परू ा होने वाला था। अलका की नजरें
केबिन में टं गी दीवार घड़ी पर ही टिकी हुई थी। जैसे जैसे सेकंड वाली सई
ु टिक टिक करके आगे बढ़ रही थी
वैसे वैसे अलका की दिल की धड़कने भी धक-धक करते हुए तेज गति से चल रही थी। अब तक उसे कोई भी
राह नहीं मिल पाई थी बस एक रास्ता दिखाई दे रहा था जो की शर्मा जी पर ही खत्म हो रहा था। ऐसी
मुसीबत की घड़ी में शर्मा जी के सामने हाथ फैलाने के सिवा उसके पास और कोई रास्ता भी नहीं था। इसी
सोच में ऑफिस का समय भी पूरा हो गया। उसने मन में ठान ली थी कि जो भी हो वह शर्मा जी से पैसे
उधार जरूर लेगी। ऑफिस का समय पूरा होते ही टे बल पर रखा पर्श उसने कंधे पर लटका ली। केबिन से
निकलते ही उसकी नजरे आज पहे ली बार शर्मा जी को ढूंढ रही थी और शर्मा जी उसे अपने टे बल पर ही बैठे
नजर आ गए। वह शर्मा जी के पास जाए या ना जाए अभी भी उसके मन में हीचक बहुत थी
मजबूर थी इसलिए धीरे -धीरे शर्मा जी के टे बल के पास बढ़ने लगी। अलका को अपने टे बल के पास आता
दे खकर शर्मा की आंखें चमक उठी, अलका को दे खकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया। अक्सर अलका
ऑफिस से छूटने के बाद सीधे ऑफिस से बाहर निकल
जाया करती थी। शर्मा जी की खुशी का ठिकाना ना रहा जब अलका सीधे उसके टे बल के पास आकर रुकी। 
अलका उससे कहने में हिचकिचा रही थी। तभी हिम्मत जुटाकर वह शर्मा जी से बोली।

शर्मा जी मुझे आपसे कुछ....( इतना कहते-कहते अलका रुक गई और शर्मा जी के नजरों के सीधान को
भांपते हुए वह अपनी साड़ी से अपने नंगे पेट को ढकने की कोशिश करने लगी। क्योंकि शर्मा जी की नजर
अलका की गहरी नाभि पर जमी हुई थी। शर्मा जी उस नाभि को खा जाने वाली नजरों से दे ख रहा था। और
दे खता भी क्यों नहीं आखिरकार अलका की नाभि थी इतनी खूबसूरत, की उसका आकर्षण किसी को भी
आकर्षित कर लेती थी। गोरा चीकना सपाट पेट चर्बी का जरा सा नामोनिशान भी नहीं था। और पेट के
बीचोबीच गहरी खाई समान नाभि, जिसका आकर्षण जांघों के बीच छिपी पतली दरार से कम नहीं थी।
और शर्मा जी के लिए तो वाकई मे ं इस समय नाभी, नाभी न हो करके अलका की बरु ही थी। 
साड़ी से नंगे पेट को छुपाने के बावजद
ू भी जब शर्मा अपनी नजरों को नाभि से नहीं हटाया तो अल़का फिर
से उसका ध्यान हटाते हुए बोली।

शर्मा जी (इस बार जोर से बोली थी)

हां हां हां ..... मैडम जी बोलिए.... क्या बोल रही थी आप। ( शर्मा जी हकलाते हुए बोल पड़े।)
शर्मा जी मुझे आपसे कुछ जरूरी.....( इतना कहते ही अलका फिर से रुक गई. क्योंकि इस बार शर्मा जी
की नजर नाभि से हटकर उसकी बड़ी बड़ी चुचियों पर जा कर टीक गई थी। इस बार अलका से रहा नहीं
गया वह गुस्से में एकदम आग बबूला हो गई। और एक बार फिर से गुस्से में जोर से चिल्लाते हुए बोली।
शर्मा जी.........

(अलका को जो गुस्सा होता दे खकर शर्मा जी घबरा गए और हड़बड़ाहट में बोले।)

ककककक्या .... क्या कहना चाहती थी आप?

यही कि अपनी नजरों और जब


ु ान दोनों को अपनी औकात में रखो वरना मझ
ु से बरु ा कोई नहीं होगा।(
हल्का गुस्से में शर्मा जी को चेतावनी दे कर वहां से पाव पटककर ऑफिस के बाहर निकल गई। शर्मा जी
अल्का को गुस्से में जाता हुआ दे खता रहा अलका के गुस्से से वह भी घबरा गया था। 

अलका के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा था आखिरी उम्मीद शर्मा जी से थी लेकिन शर्मा जी की काम
लोलुप नजरें अलका के बदन को जहां-तहां नाप रही थी यह अलका से बर्दाश्त नहीं हुआ, और उसने शर्मा
जी को खरी-खोटी सुनाकर आखरी उम्मीद पर भी पर्दा डाल दी। अलका उदास मन से सड़क पर चली जा
रही थी उसको यही चिंता सताए जा रही थी कि आखिर कल वह सोनू के उस स्कूल की फीस कैसे भरे गी।
सोनू से उसने वादा की थी कि कल तुम्हारी फीस भर दी जाएगी उसके मन में ना जाने कैसे-कैसे ख्याल आ
रहे थे। धीरे धीरे चलते हुए वह कब बाजार में पहुंच गई उसे पता ही नहीं चला। वह अपने मन में यह सोच
रही थी कि घर जाकर वह सोनु से क्या कहे गी, वह कैसे स्कूल जाएगा। यही सब बातें उसके दिमाग में घूम
रही थी कि तभी पीछे से विनीत उसका हाथ पकड़ के उसे रोकते हुए बोला। 

क्या आंटी जी मैं कब से आपको पीछे से पक


ु ारे जा रहा हूं लेकिन आप हैं कि मेरी आवाज सन
ु े बिना ही चली
जा रही हैं। ( विनीत अलका के उदास चेहरे की तरफ दे खते हुए बोला।) क्या बात है आंटी जी आप इतना
उदास क्यों ह ैईतना उदास होते हुए मैंने आपको पहले कभी भी नहीं दे खा। क्या बात है आंटीजी... (
अलका एकदम उदास चेहरा लिए हुए विनीत की तरफ दे खते हुए बोली।)

क्या बताऊं बेटा आज बड़ी तकलीफ में हूं। 

ऐसा क्या हो गया आंटी जी.... अच्छा पहले आप एक काम करिए मेरे साथ आइए इधर( इतना कहने के
साथ ही विनीत अलका की कलाई पकड़े हुए पास वाले रे स्टोरें ट मे ले गया। अलका उसकी इस हरकत पर
उसे कुछ बोल नहीं पाई कोई और समय होता तो जरूर उसका हांथ झटक दी होती ,लेकिन इस समय वह
अपने दख
ु से ही परे शान थी कि किसी बात की भी शझ
ू उसमें नहीं थी। विनीत अलका का हाथ पकड़े हुए
रे स्टोरें ट में ले गया और एक टे बल के पास कुर्सी खींचकर उसके तरफ बढ़ाते हुए अलका को बैठने के लिए
कहा और खद
ु एक कुर्सी पर बैठ गया। अलका के चेहरे पर उदासी के बादल बराबर छाए हुए थे। 
तभी टे बल के पास एक वेटर आया । विनीत ने दो कॉफी और थोड़े बिस्कुट ऑर्डर कर दिया। लेकिन पहले
दो गिलास ठं डा पानी लाने को कहा। वेटर आर्डर लेकर चला गया। 
अलका टे बल पर दोनों हाथ रखकर सिर झक
ु ाए बैठी हुई थी। विनीत ने मौका दे खकर फिर से अलका की
हथेलियों को अपनी हथेलियों में भर लिया, इस बार अलका का हाथ पकड़ते ही विनीत का पूरा बदन
झनझना गया। अलका के नरम नरम मुलायम हाथ विनीत के होश उड़ा रहे थे। विनीत ने अलका के नरम
नरम हथेलियों को अपनी हथेली में दबाते हुए बोला।

क्या बात है आंटी जी आप इतना उदास क्यों हो? 


( नरम नरम अंगुलियों का स्पर्श उसके बदन के तार तार को झंकृत कर रहा था। विनीत का इस तरह से
अलका का हाथ पकड़ना अलका के भी बदन मे सुरसुराहट पैदा कर रहा था। आज बरसों के बाद अलका के
हाथ को कोई इस तरह से पकड़ रहा था। लेकिन अलका भी ऐसी हालत में थी कि वीनीत को कुछ कह नहीं
पा रही थी। और वीनीत था की मौके का फायदा उठाते हुए अलका की नरम नरम हथेलियों को दबा रहा था
सहला रहा था। विनीत की इस हरकत में विनीत के बदन में जोश जगा दिया था।वीनीत का लंड टनटना के
खड़ा हो गया था। अलका थीे कि अपनी हालत पर गौर नहीं कर पा रही थी, और वो इस तरह से बैठी थी कि
उसके ब्लाउस से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां आधी से भी ज्यादा झुक कर बैठने की वजह से बाहर को झांक
रही थी। 

जिसे दे खकर विनीत के लंड की नशो मे दौड़ रहा खन


ु दौरा

विनीत की हालत खराब होतेे जा रही थी एक तो उसकी नरम नरम उं गलियां जैसे की एक दम रूई और
दस
ू रे उसके आगे की तरफ झक
ु ने की वजह से ब्लाउज से झांकती आधे से भी ज्यादा उसकी
चूचियां,ऊफ्फफ.... यह सब नजारा उसके लंड पर ठोकर मार रही थी। जिसके चलते वह उत्तेजना से
सरोबोर हो चुका था। कुछ दे र तक यु ही विनीत अलका की हथेलियो को अपनी हथेली मे लेकर मींजता
रहा।

तब तक वेटर ने ठं डे पानी का गिलास रख कर चला गया। विनीत पानी का गिलास लेकर अलका को थमाते
हुए बोला. 
लीजीए आंटी पहले पानी पीजीए . 

अलका ने पानी का ग्लास विनीत के हाथों से थाम ली। और पीने लगी गलत का पानी खत्म करने के बाद
अलका ने राहत की सांस ली। अलका को सामान्य होता दे ख विनीत बोला।

क्या हुआ क्या बात है आंटी आप इतनी उदास क्यूं हैं? 

क्या कहु बेटा इतनी परे शान में कभी नहीं थीी जितनी कि आज मैं महसूस कर रही हूं। ( इतना कहने के
बाद अलका है चुप हो गई विनीत फिर से उससे बोला।)

आंटी जी आप बताएंगी नहीं तो मझ


ु े पता कैसे चलेगा कि आप परे शान क्यों हैं कि आपके परे शानी का
कारण क्या है । आप बिल्कुल भी चिंता मत करिए हो सकता हो कि कहीं मैं आपकी मदद कर सकता हूं ।
आप बताइए। 
( अलका को समझ में नहीं आ रहा था कि वह वीनीत से बताए कि ना बताए। और बताएं भी तो कैसे क्या
वह उसकी मदद कर पाएगा क्योंकि रकम बड़ी थी और विनीत की उम्र दे खते हुए लगता नहीं था कि वह
इतनी मदद कर पाएगा। फिर भी डूबते को तिनके का सहारा रहता है उसी तरह से अलका को भी शायद
दिन एसे ही कोई मदद मिल जाए इसी उम्मीद से अलका उससे बोली।)

बेटा अब में तुम्हें कैसे बताऊं. दस


ू रों के लिए यह शायद उतनी बड़ी मुसीबत नहीं है जितनी कि मेरे लिए है ।
बड़ी उम्मीद लेकर आज मैं ऑफिस के लिए निकली थी लेकिन कोई बात नहीं बनी।

आंटी जी (इतना कहने के साथ ही विनीत ने फिर से अनुष्का की हथेली को अपनी हथेली में भर लिया )
आप सीधे सीधे बताइए कि आप को क्या परे शानी है आप बिल्कुल भी चिंता मत करिए।

विनीत की हथेलियों में अपनी हथेली होते हुए भी अलका अपना हाथ पीछे खींचने की बिल्कुल भी दरकार
नहीं ली शायद ऐसी मुसीबत की घड़ी में विनीत का यह सहारा उसे अच्छा लग रहा था। विनीत के इतने
आग्रह करने के बाद अलका ने अपनी मुसीबत बताते हुए बोली।

बेटा तुम तो जानत हीे हो कि ऑफिस में तनख्वाह अपनी नियत समय पर ही मिलती है । और अभी
तनख्वाह होने में 10 दिन बाकी है । 
( अलका की हथेलियों को अपनी हथेली में भरकर जब आते हुए विनीत फिर बोला।) 
तो आंटी जी यह तो बताइए कि आपकी तकलीफ क्या है ।

यही तो बता रही हूं बेटा। तनख्वाह होने में अभी 10 दिन बाकी है और तनख्वाह तक घर कर्ज चलाने के
लिए भी मेरे पास इतनी रकम नहीं है और ऐसे में मेरे छोटे बेटे की स्कूल की फीस बाकी है । जैसे तुरंत भरने
के लिए उस कूल वाले ने सूचना भेजी है अगर मैं फैसला कर पाई तो मेरे बेटे का नाम स्कूल से काट दिया
जाएगा बस मे फीस का बंदोबस्त नहीं कर पाई यही चिंता मुझे पल पल खाए जा रही है । की अब मैं फीस
का बंदोबस्त कैसे करूं कैसे भरूंगी 3 महीने की फीस।

( अलका की परे शानी का कारण जानकर वीनीत मुस्कुराने लगा. तब तक वेटर ने भी ऑर्डर ले आया
विनीत कॉफी के कप को अलग का की तरफ बढ़ाते हुए बोला।)

बस आंटी जी अब आप सारी चिंता मुझ पर छोड़ दीजिए और यह कॉफी पी जिए। ( अलका विनीत की बात
का मतलब समझ नहीं पा रही थी वह विनीत को आश्चर्य से दे खे जा रही थी। अलका को विनीत पर भरोसा
नहीं था कि वह उसकी मदद कर पाएगा। अलका के चेहरे पर आए हाव भाव को विनीत अच्छी तरह से
समझ पा रहा था इसलिए वह अलका को कॉफ़ी का कप थमाते हुए बोला आप आंटी जी बस कॉफी पी जिए।
अब आपकी परे शानी की जिम्मेदारी मेरी है ।( इतना कहने के साथ विनीत ने कॉफी के कप को अलका को
थमा दिया और अलका भी कॉफी पीने लगी। अलका कॉफी पी जरूर रही थी लेकिन उसके मन में परे शानी
बराबर बनी हुई थी। उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि पीने क्या सच में उसकी मदद करे गा या यंू ही
बातें बना रहा था। 
थोड़ी ही दे र में दोनों कॉफी की चस्
ु की लेते हुए कॉफी खत्म कर दिए। विनीत कॉफी के खाली कप को ट्रे में
रखते हुए अलका से बोला। 

क्या आंटी जी बस इतनी छोटी सी बात के लिए आप इतना परे शान हो रही थी। अपने गुलाब से खूबसूरत
चेहरे पर बस छोटी सी चीज के लिए इतनी उदासी लेकर चल रही थी आप। मुझसे पहले कह दी होती तो
शायद यह सब की नौबत नहीं आती लेकिन मुझे लगता है कि आपको मुझ पर भरोसा नहीं है । ( विनीत के
मुंह से अपनी सुंदरता की तारीफ सुनकर अलका एक पल के लिए अपनी चिंताओं को भूल गई और खश
ु ी से
गदगद हो गई। विनीत ने हाथ को पीछे ले जाकर अपनी जेब में से बटुवा निकालते हुए बोला।)

कितनी फीस की जरूरत है आंटी जी आपको।

1500( ना चाहते हुए भी अलका के मंह


ु पर झट से निकल गया।) 
विनीत ने अलका के मुंह से सुना भर था और तुरंत बटुए से 500 500 के 4 नोट निकालकर अलका के हाथ
में थमा दिया। अलका आश्चर्य से विनीत की तरफ दे खे जा रही थी उसका मंह
ु खल
ु ा का खल
ु ा था उसे
यकीन नहीं हो रहा था कि विनीत उसकी मदद कर रहा है । वह तनोट को हाथ में थाम तो ली थी । लेकिन
पैसों को गिनने के लिए उसकी उं गलियां चल नहीं रही थी। मझ
ु े यकीन नहीं हो रहा था कि बित्ते भर का
छोकरा उसकी इतनी बड़ी मदद कर रहा है । वह नोट को थामे हुए ही बोली।

इतने सारे पैसे तुम्हारे पास कैसे आए( अलका आश्चर्य से विनीत से सवाल पूछ रही थी।) 

वह वापस बटुए को अपने पें ट की पीछे की जेब में रखते हुए बोला।।

आंटी जी यह सारे पेसे मेरे ही हैं। मैं कोई ऐरा गैरा लड़का नहीं है मैं अच्छे खानदान से हूं। मेरे भैया
बिजनेसमैन है । इसलिए आप इत्मीनान से यह सारे पैसे रख लीजिए। 
( अलका अभी भी आश्चर्य से विनीत की तरफ दे खे जा रही थी। तब तक वीनीत ने फिर से अलका के हथेली
में रखा हुआ पेसे को अपनी हथेली से अलका की मुट्ठी बांधते हुए बोला।)

रख लीजिए आंटी जी मझ
ु े खश
ु ी है कि मैं आपके इतना मदद कर सकने में काबिल तो हूं। 

मैं तुम्हारा यह एहसान कैसे चुकाऊंगी, मुझे शर्मिंदगी भी महसूस हो रही है । कि मैं अपने बेटे की उम्र के
लड़के से मदद ले रही हूं। 

इसमें शर्म कैसी आंटी जी। आप बेवजह इतनी सारी बातें सोच रही हैं। आप रख लीजिए पैसे को ।

( वीनीत की बात सुनकर और उसकी की गई मदद की वजह से अलका की आंखों से खश


ु ी के आंसू टपक
पड़े, लेकिन तुरंत विनीत ने अलका के आंखों से टपके हुए आंसू को नीचे गिरने से पहले ही अपनी हथेली
बढ़ा कर अपनी हथेली में अलका के आंसू को थाम लिया। और अलका की आंखों के सामने ही अपनी बंद
मट्ठ
ु ी को चम
ू कर अलका के आंसू को अपने होठ पर लगा कर चम
ू ते हुए पी गया। अलका विनीत की इस
हरकत को दे खकर एकदम से रोमांचित हो गई। उसे ऐसा लगने लगा था कि वह कोई फिल्म दे ख रही है
और हीरो हीरोइन की आंखों से निकले हुए आंसू को पी रहा है ।
दिनेश की इस हरकत पर अलका को शर्मा भी आने लगी थी। वह अंदर ही अंदर कसमसाने लगी और
विनीत अलका की हालत को दे ख कर मस्
ु कुरा रहा था। और अलका की तरफ दे खते हुए बोला।

आंटी जी आपके आंसु बहुत अनमोल है इसे बेवजह जाया मत करिए। ( इतना कहने के साथ ही विनीत
आगे बढ़कर अलका के हाथ को चूम लिया। वीनीत के होठों का स्पर्श अपने हाथ पे होते हैं अलका पूरी तरह
से गनगना गई। वह तुरंत रे स्टोरें ट में चारों तरफ नजर घुमाकर दे खने लगी कि कहीं कोई उन दोनों की
तरफ दे ख तो नहीं रहा है । लेकिन सब अपने-अपने में मशगल
ू थे। अलका शर्म से अपने हाथ को पीछे की
तरफ खींचते हुए बोले अब मझ
ु े चलना चाहिए काफी दे र हो चक
ु ी है । ( इतना कहने के साथ ही कंधे पर
टिका हुआ बैग को टे बल पर रख कर उसकी चेन को खोल कर पर्स में पैसे रखने लगेी लेकिन तभी उसे
एहसास हुआ कि पैसे कुछ ज्यादा है । इसलिए वह पर्स में पैसे डालने के पहले उसे गिनने लगी। 500 रु
उसमे ज्यादा था। 
अलका 500 की एक नोट निकालकर विनीत को वापस थमाने लगी। लेकिन विनीत ने उस नोट को वापस
पर्स में रख वाते हुए बोला

यह भी रख लीजीए आंटी जी आपको इस की ज्यादा जरूरत है । 


( अलका मजबूर थी और इस वक्त विनीत के आगे उसकी एक ना चली और वह नोट को पर्श में रखते हुए
बोली।

बेटा आज जो तम
ु ने मुझ पर एहसान किया है ईस एहसान का बदला मैं कैसे चुका पाऊंगी। 

आंटी जी इस एहसान का बदला आपने कब से चक


ु ा दिया है । मस्
ु कुरा कर,। 
( वीनीत की ऐसी रोमांटिक बातें सन
ु कर अलका फिर से मस्
ु कुरा दी। और अलका को मस्
ु कुराता हुआ
दे खकर वीनीत फिर बोला।)

यह हुई ना बात बस आंटी जी इसी तरह से मुस्कुराते रहिए आप पर मुस्कुराहट और ज्यादा अच्छी लगती
है ।

( अलका मुस्कुराते हुए कुर्सी पर से उठी और बाय कहकर रे स्टोरें ट के बाहर जाने लगी विनीत कुर्सी पर बैठे-
बैठे अलका को गांड मटका कर जाते हुए दे खता रहा। एक बार फिर से अलका की बड़ी बड़ी मस्त गांड को
दे खकर विनीत का लंड खड़ा होने लगा था, विनीत और कुछ सोच पाता इससे पहले वेटर बिल लेकर आ
गया। विनीत भी खश
ु होकर बिल के पैसे चुकाया और मुस्कुराता हुआ रे स्टोरें ट के बाहर आ गया। 
आज विनीत के लिए बहुत बड़ा दिन था। विनीत धीरे धीरे अपने इरादे में कामयाब होता जा रहा था। वह
अपने साथ अलका को कुर्सी पर तो ले ही आया था अब उसका इरादा अलका को बिस्तर तक ले जाने का था
और अलका की माली हालत दे ख कर उसे लगने लगा था कि आगे चलकर यह काम आसान हो जाएगा।

अलका अपने घर पहुंच चक


ु ी थी आज वह बहुत खश
ु थी एक तो उसकी मस
ु ीबत जो थी वह टल चक
ु ी थी।
और दस
ू रा यह कि आज वह अपने आप को एक लड़की की तरह महसस
ू कर रही थी। उसे यकीन नहीं हो
रहा था कि उसके बेटे की उम्र का लड़का उसका इस कदर दीवाना हो जाएगा कि बिना सोचे समझे ही झट से
पर्स में से निकाल कर दो हजार रुपया थमा दे गा। विनीत की रोमांटिक बातोें ने अलका को अंदर तक हिला
दिया था। जिस तरह से विनीत में किसी रोमांटिक हीरो की तरह उसकी आंख से निकले आंसू को थामकर
अपने होठों से लगाया था उसकी इस अदा पर अलका
कुर्बान हो गई थी।

उस पल का रोमांच अलका के बदन को अभी तक झनझना दे रहा था। 


सोनू और राहुल दोनों पढ़ाई कर रहे थे। अलका सोनू के सर पर हाथ रखकर दुलार करते हुए बोली।

बेटा कल मैं ऑफिस जाते समय तुम्हारी फीस भरते हुए जाऊंगी। ( अपनी मम्मी की बात सुनकर सोनू बहुत खुश
हुआ। और अलका उसके बालों को सहलाते हुए किचन की तरफ चल दी। वह मन ही मन गुनगुना रही थी। 
वह मन ही मन बैगन का भरता बनाने की सोच रही थी इसलिए सब्जी के ठे ले को पलटने लगी तो उसमे से बेगन
नीचे गिरने लगा। अलका उस बेगन को इकट्ठा करके पानी से धोने लगी। अलका मन में कोई गीत गुनगुनाते हुए एक
एक बेगन को हथेली में लेकर उसे ठीक से धोने लगी। तभी एक बेगन थोड़ा ज्यादा लंबा और मोटा तगड़ा था, कुछ
बेगन को हथेली में लेते ही तुरंत अलका को सुबह वाला दृश्य याद आ गया यह बेगन भी उतना ही मोटा तगड़ा था
जितना की राहुल का लंड था। उस बेगन को लिए लिए ही अलका उत्तेजित हो गई और अपने बेटे के लंड को याद
करके उसकी बुर फुलने पिचकने लगी।

अलका की हालत खराब हो रही थी बैगन को दे ख दे ख कर उस की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। अलका उस मोटे
तगड़े बेगन को यूं पकड़ी थी की मानो वह बैगन ना हो करके राहुल का लंड हो। उत्तेजना में अलका बेगन को ही
मुठ्ठीयाने लगी। बैगन का निचला भाग बिल्कुल राहुल के लंड के सुपाड़े के ही तरह था। जिस पर अलका अपना
अंगूठा रगड़ रही थी। 
सुबह वाला नजारा उसकी आंखों के सामने नाच रहा था जिस को याद कर करके अलका और भी ज्यादा उत्तेजित
हुए जा रही थेी। 

और बाहर राहुल का मन पढ़ने में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था। वह बार-बार नीलू और विनीत की भाभी के संग
गुजारे गए पल को याद करके मस्त हुआ जा रहा था उसके पेंट का तंबू बढ़ने लगा था। और जब भी उसे उसकी
मम्मी की भरावदार गांड के बारे में ख्याल आता तो उस की उत्तेजना दुगनी हो जाती थी। राहुल पढ़ने बैठा था लेकिन
पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था। वह अपने बदन की गर्मी को कैसे शांत करें इसका कोई जुगाड़ भी इस समय नहीं
था। बार बार उसकी आंखों के सामने वीना की भाभी की बुर नीलू की चूचियां और उसकी मां की भरावदार बड़ी-
बड़ी गांड नाच उठती थी।
राहुल से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह इसी ताक में था कि कैसे अपने मन को ठं डा करें। कोई भी जुगाड़
नजर में नहीं आता दे ख राहुल ने सोचा कि चलकर एक गिलास ठं डा पानी भी पी लिया जाए ताकि उसका मन कुछ
हद तक शांत हो जाए। इसलिए वह अपनी जगह से उठा। 
रसोई घर में अलका की हालत खराब हो रही थी वह खड़ी होकर सब्जी काटने लगी लेकिन उस मोटे तगड़े बेगन को
उसने पास में ही रखी। अलका बार-बार उस बेगन को दे ख कर मस्त हुए जा रही थी उसके मन में उस बेगन को
लेकर ढे र सारे ख्याल आ जा रहे थे। बैंगन की लंबाई और मोटाई साथ ही अपने ही बेटे का खड़ा लंड याद करके
अलका से बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हुए जा रहा था। तभी वह अपनी गर्मी को शांत करने के लिए बेगन को उठा ली
और थोड़ा सा आगे की तरफ झुक गई जिससे कि उसकी भरावदार बड़ी-बड़ी गांड उभरकर सामने आ गई और
अलका ने एक हाथ से बेगन को लेकर साड़ी के ऊपर से ही बुर वाली जगह पर हल्के हल्के से बैंगन को रगड़ने लगी।
जैसे ही बेगन का मोटा वाला हिस्सा बुर वाली जगह के बीचो-बीच स्पर्श हुआ वैसे ही तुरंत अलका मदहोश हो गई
और उसके मुख से गरम सिसकारी फूट पड़ी। 
राहुल ठं डा पानी पीने के लिए रसोई घर की तरफ आ रहा था और जैसे ही रसोई घर के दरवाजे पर पहुंचा तो सामने
अपनी मां को झुकी हुई अवस्था में दे खकर उसका लंड एक बार फिर से टनटना कर खड़ा हो गया। झुकने की वजह
से हल्का की भरावदार गांड और भी ज्यादा उभरकर सामने की तरफ दिखाई दे रही थी। जिसे दे खते ही राहुल की
आंखों में मदहोशी छाने लगी
उसकी सांसे तेज चलने लगी। राहुल से रहा नही जा रहा था । वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए
एक बार फिर से वही हरकत दौहराने की सोचा। क्योंकि राहुल को ऐसा लगता था कि उस दिन से अब उसने अपनी
मां को पीछे से अपनी बाहों में भर कर पजामे के अंदर से ही सही ,लंड को उसकी गांड पर चुभाया था उससे राहुल
को बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी और वह यही समझता था कि उसकी मां को इस हरकत के बारे में बिल्कुल भी
पता नहीं चला था इसलिए राहुल ने फिर से वही हरकत दोहराने के लिए धीमे कदमों से अपनी मां की तरफ बढ़ने
लगा उसका तंबू पैजामे में सीधा तना हुआ था।। 
उसकी मां को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि पीछे उसका बेटा उसकी बड़ी बड़ी गांड को दे ख रहा है । और
अलका थी कि अपने में ही खोई हुई उस बैगन को साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर पर रगड़े जा रहीे थी। वैसे अलका
इस तरह से खड़ी होकर बेगन को अपनी बुर पर रगड़ रही थी की उसकी हलन चलन से ऐसा ही लग रहा था कि वह
सब्जी काट रही है। वह तो मस्त थी बैगन से अपनी बुर को रगड़ने में और पीछे पीछे धीमे कदमों से राहुल अपनी मां
की तरफ बढ़ रहा था उसकी नजर बस उसकी मटकती गांड पर ही टिकी हुई थी।
उसका लंड ऊपर नीचे होकर खुशी व्यक्त कर रहा था। तभी राहुल अपनी मां के पिछवाड़े के बिल्कुल करीब पहुंच
कर पीछे से अपनी मां को अपनी बाहों में भरते हुए बोला।

ओह मम्मी आज कुछ स्पेशल बना रही हो क्या? ( इतना कहने के साथ ही राहुल ने अपने पेंट में बने तंबू को अपनी
मां की गांड की फांकों के बीचो-बीच धंसा दिया। एकाएक हुए इस हमले से अलका एकदम से घबरा गई और उसके
हाथ से लंड समान मोटा तगड़ा बैगन छु ट कर नीचे गिर गया , और राहुल था कि अपनी मां को बाहों में भरे हुए
अपने लंड को अपनी मां की गांड के बीचोबीच धंसाए ही जा रहा था उसकी कमर आगे की तरफ खींची चली जा
रही थी। राहुल के ऊपर वासना पूरी तरह से सवार हो चुकी थी। 
राहुल के इस तरह से पकड़ने पर हड़बड़ाहट में बैंगन गिरने की वजह से हल्का अपने बेटे को डांटती इससे पहले ही
अलका को अपनी गांड के बीचोबीच कुछ धंसता हुआ सा महसूस होने लगा, उस धंसतेे हुए चीज के बारे में समझते
ही अलका का पूरा बदन उत्तेजना की असीम लहर में लहराने लगा उसके होठ खुद-ब-खुद बंद हो गया । वीनीत को
डांटने के लिए जो शब्द मुहं से बाहर निकलने वाले थे वह शब्द उत्तेजना की गर्मी में पिघलकर अंदर ही अंदर समा
गए। 
अलका को पलभर में ही समझते दे र नहीं लगी कि बैगन से कई गुना दमदार उसके बेटे का लंड था। राहुल था कि
अपनी मां को बाहों में कसे हुए ही अपनी कमर को एक बहाने से अपनी मां की गांड पर गोल-गोल घुमाते हुए
जितना हो सकता था उतना साड़ी के ऊपर से ही लंड को धंसाने लगा। उसकी मां उसकी इस हरकत पर शक ना
करने लगे इसलिए वह प्यार से पुचकारते हुए बोला।

बोलो ना मम्मी क्या बना रही हो आज। वैसे भी आज आप बहुत खुश नजर आ रही हो। ( अलका उसे यह जताने के
लिए कि जो वह हरकत कर रहा है इस हरकत से वह अनजान है इसलिए वह सब्जी को काटते हुए बोली।) 
आज मैं तुम लोगों के लिए बेगन का भर्ता बना रहे हो तुझे भी पसंद है ना राहुल। ( बड़ी मुश्किल से उत्तेजना के
बावजूद अलका के मुंह से शब्द निकल रहे थे वह बोल जरूर रही थी लेकिन उसका पूरा ध्यान अपने बेटे के लंड की
चुभन पर ही बना हुआ था। अपनी मां का जवाब सुनकर राहुल खुश होता हुआ बोला। खुश क्या गांड में लंड घंसाने
की उत्तेजना से सराबोर होकर वह बोला।) 

ओह मम्मी तुम कितनी अच्छी हो तुम हम लोग कब बहुत ज्यादा ही ख्याल रखती हैं तभी तुम हम आपसे इतना प्यार
करते हैं।( इतना कहने के साथ ही राहुल ने अपनी कमर को अपनी मां के बदन से और ज्यादा सटा लिया, और
अपने हाथों का कसाव अपनी मां की सीने पर बढ़ा दिया जिससे अलका कि दोनों चूचियां राहुल के हाथों के नीचे
दब गई अलका की हालत खराब होने लगी। राहुल को मालूम था कि उसके हाथ के नीचे उसकी मम्मी की चूचियां
दबी हुई थी फिर भी वह चूचियों पर से हाथ हटाने की दरकार बिल्कुल भी नहीं ले रहा था। कल का सब कुछ जानते
हुए भी अनजान बनी रहे और सब्जी काटती रही और राहुल था कि अपने लंड को जितना हो सकता था उतना
ज्यादा अंदर तक चुभाने की कोशिश कर रहा था। राहुल इस कदर उत्तेजित हो चुका था कि अगर इस समय उसकी
मां बिल्कुल नंगी खड़ी हुई होती तू ना जाने कब से है राहुल अपने लंड को अपनी मां की बुक में डाल दिया होता।
अलका को भी मजा आ रहा था अपने बेटे के लंड की चुभन उसे मदहोश बना रही थी उसकी आंखों में खुमारी
झलकने लगी थी। अलका का गला सूखता जा रहा था।
वह भी उत्तेजना में अपनी बड़ी बड़ी गांड को इस तरह से गोल गोल घुमा कर अपने बेटे के लंड को चुभवा रही ठीक
है राहुल को जरा सा भी शक ना हो वह यही समझता रहे की सब्जी काटने की वजह से उसका बदन हलन चलन
कर रही है। 
राहुल को तो मजा आ ही रहा था लेकिन अलका भी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी। वह कुछ दे र तक यूं ही झूकी
रही और मजा ले ले कर सब्जी काटती रही। 
अलका बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी अपने बेटे के लंड की चुभन की वजह से उसे साफ-साफ महसूस हो रहा
था कि उसकी बुर से नमकीन पानी रिस रहा है। 
अपनी मां की बड़ी बड़ी चूचीयो पर राहुल अपने हाथ का कसाव बढ़ा रहा था। अलका की सांसे भारी हो चली थी।
राहुल खाकी बस मम्मी मम्मी करते हुए उसके बदन से लिपटा चला जा रहा था। 
अलका को जैसे होश अाया हो इस तरह से अपने आप को छु ड़ाते हुए बोली।

बेटा यूं ही दुलार दिखाता रहेगा या मुझे खाना बनाने भी दे गा बहुत समय हो चुका है जाकर तू पढ़ तब तक मे जल्दी
से खाना बना लेती हूं। राहुल का मन अपनी मां को यू बाहों से अलग करने को बिल्कुल भी नहीं था। ओर नाहीं
अलका चाहती थी कि उसका बेटा हट जाए लेकिन अलका अपने बेटे को यह जताना चाहती थी कि राहुल जो उसे
अपनी बाहों में भर कर गंदी हरकत कर रहा है उस हरकत से वह बिल्कुल अनजान है। उसे कुछ भी पता नहीं है।
इसीलिए अलका उसकी चूचियों पर कसो हुए हाथ को अपने हाथ से ही छु ड़ाते हुए कटी हुई सब्जी को पानी से धोने
लगी। राहुल वहीं खड़ा होकर अपनी मां को दे ख रहा था उसके पेजामे में अभी भी तंबू तना हुआ था। जिसे अलका
सब्जी धोते हुए दे ख ली थी। इस समय भी वह राहुल के पजामे में बने हुए तंबू को दे खकर दं ग रह गई थी। राहुल
रसोई घर में ही खड़ा था। अलका शब्जी धोते हुए राहुल से फिर बोली।
क्या हुआ बेटा कुछ काम है क्या?

(अपने पहचाने में बने तंबू को छिपाते हुए वह बोला)


कुछ नहीं मम्मी बस प्यास लगी थी तू है यूं मेरी मनपसंद का खाना बनाते हुए दे खा तो रुक गया।

तो बेटा पानी लेकर पी लो ' और जाकर पढ़ाई करो तब तक मैं खाना बना लेती हूं।

ठीक हे मम्मी ( इतना कह कर राहुल पानी पीकर बाहर चला गया।)

राहुल के जाने के बाद हल्का ने महसूस की कि वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसने साड़ी के ऊपर से ही
अपनी बुर वाली जगह टटोली तो हैरान रह गई थी क्योंकि उसके काम रस ने पेंटी को गीली कर दिया था।
आज दूसरी बार अपने बेटे की वजह से इतनी जल्दी झड़ी थी।।

थोड़ी दे र बाद सभी लोगों ने खाना खाकर अपने अपने कमरे में चले गए और अलका घर और रसोई घर की सफाई
करने के बाद वह भी अपने कमरे में चली रसोई घर से वही बेगन लेकर अपने कमरे में गई थी

अलका कुछ और करना चाहती थी क्योंकि सुबह से और इस समय दो बार झड़ चुकी थी। इस समय भी वह आज
के बारे में सोच सोच कर उत्तेजित हुए जा रही थी इसलिए अपने बदन की प्यास को बुझाने के लिए अलका ने एक
नया रास्ता ढूं ढ निकाली थी।
अलका जैसे ही अपने कमरे में पहुंची तुरंत दरवाजा बंद कर लि। उस मोटे तगड़े बेगन को बिस्तर पर फेंक कर खुद
आईने के सामने खड़ी हो गई और तुम भी लेकर अपनी बिखरे हुए बाल को सवारने लगी। अपनी खूबसूरत बदन को
आईने में दे खकर वह अपने आप मुस्कुराने लगी यह तो वह अच्छी तरह से जानती थी कि वह काफी खूबसूरत थी।
इसलिए तो इस उम्र में भी बेटे की उम्र का दीवाना मिला था। उसकी रोमांटिक बातो ने अलका को पूरी तरह से मोह
लिया था। 
अलका ब्लाउज उतार कर फेंक चुकी थी और अपनी ब्रा को एडजस्ट करने लगी तभी उसे याद आया कि राहुल ने
किस तरह से अपने हाथों से दोनों चूचियों को भींचा हूआ था। और किस तरह से उसका मोटा ताजा लंड उसकी
गांड में घुसे जा रहा था। उस पल को याद करके अलका पूरी तरह से उत्तेजित हो गई और तुरंत अपने बिस्तर पर
चली गयी लेकिन बिस्तर पर जाने से पहले उसने अपनी साड़ी ब्रा पेटी कोट पेंटी सब कुछ उतार कर बिल्कुल नंगी हो
गई थी।
बरसों के बाद कुछ दिन से वह अपनी उंगली का सहारा लेकर के अपने बदन की प्यास को बुझा रही थी। लेकिन
आज उसने कुछ और सोच रखी थी बेगन को हाथ में लेकर उसके मोटे वाले हिस्से को अपनी बुर पर रगड़ने लगी।
तुरंत उसकी सांसे तेज चलने लगी उत्तेजना का संचार उसके पूरे बदन में हो रहा था। बरसों के बाद लंड के साइज
की कोई वस्तु उसकी बुर मे जाने वाली थी।
सोच-सोच कर अलका रोमांचित हुए जा रही थी।
अलका इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि एक पल का भी विलंब सहन करना उसके लिए मुश्किल हुआ जा रहा
था इसलिए उसने थोड़े से थूक को अपनी बुर की पंखड़ि ु यों पर लगाई और थोड़े से तुम बेगन कि मोटे वाले हिस्से पर
लगा दी। और तुरंत दे खने का मोटा वाला हिस्सा अपने बुर की पतली दरार के गुलाबी छे द में प्रवेश कराने लगी।
अगले ही पल धीरे धीरे करते हुए पूरा बेगन उसकी बुर में समा गया। बरसों के बाद उसकी बुर में कुछ मोटा सा गया
था इसलिए उसे दर्द भी हो रहा था लेकिन वह जानती थी कि दर्द के बाद ही असली मजा मिलता है। अलका धीरे-
धीरे उस बेगन को बुर के अंदर बाहर कर के चोदने लगी। 
थोड़ी ही दे र में हाथ चलाने की गति तीव्र हो गई। अलका की सिसकारियां फूटने लगे खास करके यह सिसकारियां
उस समय ज्यादा तेज हो जाती थी जब वह उस बेगन की जगह अपने बेटे के मोटे ताजे लंड की कल्पना करती थी।
वासना के शिकंजे में पूरी तरह से वह गिरफ्त हो चुकी थी। इसलिए उसे कुछ सूझ नहीं रहा था और वह बेगन को
अंदर बाहर करते हुए अपने बेटे का नाम ले लेकर, बेगन से अपनी बुर को चोद रही थी।
थोड़ी दे र बाद ही बेगन से बुर को चोदते चोदते उसकी सांसे तेज चलने लगी उसकी सिसकारियां बढ़ने लगी। अलका
कसमसाते हुए अपने बदन की अकड़न को दे ख रही थी उसे मजा आ रहा था। तभी भरभराकर वह झड़ने लगी।
उसकी बुर से कामरस का फुवारा छु ट पड़ा। अलका को आज उंगली से ज्यादा बेगन से चुदने में मजा आया था।
अलका तृप्त हो चुकी थी' थोड़ी ही दे र में वह बिना कपड़ों के ही बिस्तर पर सो गई।

राहुल अपनी हरकत से अंदर ही अंदर बहुत खुश था लेकिन अपने किए गए हरकत की वजह से शर्मिंदगी महसूस
कर रहा था। वह मन ही मन में यह सोच रहा था कि क्या मेरे लंड की चुभन मम्मी को अपनी गांड पर महसूस हुई भी
या नहीं। अगर सच में मम्मी मेरे लंड की चुभन अपनी गदराई गांड पर महसूस कर रही थी तो मुझे रोकी क्याे नही
,क्यों उसी तरह से झुक कर खड़ी रहेी। कहीं ऐसा तो नहीं मम्मी मेरी हरकत का मजा ले रही थी इसलिए मुझे कुछ
बोल ही नहीं वरना इतनी दे र तक बाहों में भरने नहीं दे ती तो वैसे भी तो वह सब्जी काट रही थी। पर ऐसा भी तो हो
सकता है कि साड़ी के ऊपर से मम्मी को मेरे लंड की चुभन महसूस ही ना हुई हो। 
राहुल भी कंफ्यूज था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था वह यह नहीं तय कर पा रहा था कि उसकी मम्मी मजा ले
रही थी या यूं ही उस का दुलार समझ कर खड़ी रह गई थी। फिर भी राहुल अपने मन को यह समझा कर रहे गया
कि उसकी मम्मी दूसरी औरतों की तरह नहीं थी जो ऐसी हरकत का मजा ले वह तो बहुत ही सीधी सादी औरत हे।
मैं ही कुछ गलत समझ गया। 
राहुल यह कहकर अपने मन को मना ले गया। 
लेकिन फिर यह सोच कर हैरान हुआ जा रहा था कि मम्मी का पिछवाड़ा दे खते हैं उसे क्या हो जाता है क्यों ऐसी
हरकत कर बैठता है। ऐसा पहले तो कभी नहीं होता था फिर अब क्यो एसा होने लगा। फिर खुद ही पिछले कुछ
दिनों से आए अपने अंदर के बदलाव के कारण को समझने लगा। नीलू से मुलाकात और फिर विनीत की भाभी इन
दोनों के साथ तो सब कुछ हो ही चुका था ऊपर से अपनी मां को संपूर्णता नंगी दे खना। यही सब कारण था कि
राहुल अपनी मां की मदमस्त गांड को दे खकर आपे से बाहर हो जाया करता था।
और फिर से आइंदा ऐसी हरकत ना करने का खुद ही वचन लेकर शांत हो गया। 
इसी तरह से कुछ दिन और बीत गए. अलका के अंदर वासना का संचार बढ़ता ही जा रहा था वह भी अब अपने बेटे
के ताक में लगी रहती थी खास करके अलका अपने बेटे का तंबू दे खना चाहती थी जिस दिन से उसने अपने बेटे के
नंगे लँड को अपने हाथ से छु ई थी। तब से तो राहुल के लँड ने अलका के दीमाग मे पुरी तरह से कब्जा जमा लिया
था। 

अलका राहुल के ताक झांक में लगी रहती थी और राहुल अपनी मां के में लगा रहता था बस वह मौका ही दे खता
रहता था कि कब कौन सा अंग झलक जाए।

ऐसे ही एक दिन रविवार का दिन था। अलका के ऑफिस की और राहुल के स्कूल की छु ट्टी थी। अलका के अंदर की
कामाग्नि दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी। खास करके जब से उसने अपने बेटे के लंड को दे खी थी तब से तो उससे
रहा ही नहीं जाता था हर रात अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड की कल्पना करके कभी उंगली से तो कभी बैगन से
ककड़ी और केले से सभी तरह के लंबे और मोटे फल से अपने बुर की प्यास को बुझाने की पूरी कोशिश कर चुकी
थी लेकिन यह प्यास थी की बढ़ती ही जा रही थी। अलका जो इतने बरसों से अपने आप को संभाले हुए थी अब
उससे अपने बदन की आग बुझाए नहीं बुझ रही थी किसी भी वक्त उसके कदम लड़खड़ा सकते थे। विनीत तो इसी
ताक में लगा रहता था लेकिन कुछ दिन से उससे मुलाकात नहीं हो पा रही थी अलका को भी बाजार में आते जाते
बस वीनीत का ही इंतजार रहता था और घर पहुंचने पर अपने बेटे के गठीलेे बदन और उसके पेंट में बने तंबू को दे ख
दे खकर अपनी पैंटी गीली किए जा रही थी। राहुल भी कम नहीं था रोज अपनी मां के मांसन गोरे बदन और उसकी
बड़ी बड़ी चूचियां और भरावदार गांड को दे ख दे ख कर और उसकी कल्पना कर कर के रोज रात को मुठ मारकर
शांत हुआ करता था। 
कुछ दिन से राहुल का मन चोदने को तड़प रहा था, राहुल को भी बहुत दिन हो गए थे बुर में लंड डाले, क्या करे
उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था नीलू और वीनीत की भाभी की बहुत याद आ रही थी उसे। बहुत दीन हो गए थे
बुर के दर्शन किए। चुदाई का जुनून राहुल पर इस कदर छाया हुआ था कि बार-बार उसकी नजर घर का काम कर
रही उसकी मां पर ही जा रहे थी। एक मन उसका कहता कि यह गलत है ऐसा सोचना भी पाप है लेकिन जब जब
उसकी नजर अपनी मां की गदराई गांड पर जाती तो सारे रिश्ते नाते एक तरफ रख दे ता और उस समय बस उसे
उसकी मां का नशीला बदन और गदराई गांड ही नजर आती थी। वह अपनी मां के साथ आगे बढ़ना चाहता था
लेकिन डर लगता था उसे , कि कहीं उसकी मम्मी इस हरकत से नाराज ना हो जाए। 
उसे कहां पता था कि जिस तरह से वह चुदाई करने के लिए तड़प रहा था। उसी तरह उसकी मा भी मोटे ताजे लंड
को अपनी बुर में डलवाने के लिए तड़प रही थी। अगर राहुल अपनी मां के मन की बात को जान सकता तो जरूर
बिना कहे घर में ही अपनी मां की जमकर चुदाई कर दिया होता। लेकिन मजबूर था अपने संस्कारों की वजह से
क्योंकि अब तक अलका ने एसा माहौल नहीं बनने दी थी कि राहुल किसी तरह की छू ट छाठ ले सकें। वह तो राहुल
की उम्र का तकाजा था जो अपनी रसोई घर में अपनी मां को बाहों में भरकर हरकत कर बैठा था। 
दोपहर का समय था गर्मी अपने चरम सीमा पर थी। पंखे की हवा भी बदन को ठं डक दे ने में असमर्थ साबित हो रहे
थे। अलका राहुल और सोनू तीनों ड्राइंग रूम में आराम कर रहे थे। गर्मी की वजह से तीनों फर्ष पर चटाई बिछाकर
नीचे लेटे हुए थे सोनू तो सो चुका था लेकिन अलका और राहुल की आंखों से नींद कोसों दूर थी। तापमान की गर्मी
से ज्यादा दोनों के अंदर बासना की गर्मी का पारा ज्यादा था। अलका पतला सा गाउन पहने हुए थी। बीच में सोनू
लेटा हुआ था और किनारे पर राहुल जौकी सिर्फ टॉवल और बनियान पहनकर ही लेटा हुआ था। जिसमे से उसके
गठीले बदन का आकर्षण किसी भी औरत को मस्त कर दे ने में सक्षम था। और उस आकर्षण से खुद उसकी मां भी
बच नहीं पाई थी। रह रह कर अलका की नजर अपने बेटे के बदन पर चली जा रही थी, लेकिन उसकी नजरें जो
दे खना चाहती थी अभी तक वह नजारा सामने नहीं आया था। बार-बार अलका की नजर राहुल की जांघों के बीच
उस उठाव को दे खना चाहती थी जिसे दे खने के लिए हर औरत बेताब रहती हे। लेकिन अभी तक राहुल का लंड
फनफना कर खड़ा नहीं हुआ था अभी शायद टॉवल के अंदर सो रहा था और उसे जगाने की कोशिश में अलका जूट
चुकी थी। वह बार-बार जानबूझकर अपने चूड़ियों को खनकाती थी ताकि राहुल उसकी तरफ दे ख सकें और ऐसा
होता भी था अपनी मां की चूड़ियों की खनक सुन कर राहुल बार-बार अपनी मां की तरफ एक नजर फेर ले रहा था।
लेकिन इसका प्रभाव उसकी जांघो के बीच सोए लंड महाराज पर बिल्कुल भी नहीं पड़ रहा था। अलका की की गई
कोशिश नाकाम होती नजर आ रही थी वह परेशान थी की कैसे राहुल को अपनी तरफ आकर्षित करें। अपने बेटे को
अपनी तरफ आकर्षित करने में उसे एक अजीब सा मजा मिल रहा था। लेकिन इस मजे की वजह से उसकी तड़प
और ज्यादा बढ़ जा रहे थे अभी तक तो राहुल उसकी तरफ आकर्षित नहीं हो पाया था और अलका की उत्तेजना
पल पल बढ़ती जा रही थी। क्या करें कैसे राहुल का ध्यान अपनी तरफ खींचे अलका इसी सोच में लगी हुई थी।
अलका पीठ के बल लेटी हुई थी तभी वहां अपने पैर को घुटनों से मोडते़े हुए राहुल का ध्यान उस पर जाए इस तरह
से उसको सुनाते हुए बोली।
बेटा आज कितनी गर्मी है मुझसे तो बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है। ( इतना कहने के साथ ही अलका ने अपने
पैर को घुटनों से मोड़ आते हुए और बड़े ही चतुराई से अपने गांऊन को थोड़ा सा चढ़ा कर घुटनों से छोड़ दी और
उसका गांऊन तुरंत घुटनों से फिसलता हुआ नीचे कमर तक आ गया जिससे अलका की मांसल गोरी गोरी जांघे
बिल्कुल नंगी हो गई, चूड़ियों की खनक और ज्यादा गर्मी वाली बात सुनकर राहुल की नजर अपनी मां पर पड़ी तो
वह अपनी मां को दे खते ही दं ग रह गया। अपनी मां की गोरी चिकनी टांगे और मांसल केले के तने के समान मांसल
जांघों को दे खकर उसका सोया हुआ लंड फुंफकारने लगा। यह नजारा दे खते ही राहुल का गला उत्तेजना के कारण
सूखने लगा । अलका भी तिरछी नजर से अपने बेटे की तरफ दे खी तो उसकी नजरों को अपने बदन के ऊपर फिरती
दे ख कर अंदर ही अंदर खुश होने लगी। अलका की नजर तुरंत अपने बेटे के जांघो के बीच गई, और जांघों के बीच
उठते हुए टावल को दे ख कर उसकी बुर उत्तेजना के कारण फूलने पिचकने लगी। वह जान गई थी कि उसका काम
बन चुका हैबदन की प्यास बुझाने के लिए जो काम उसने जवानी में नहीं की थी वह काम उसे इस उम्र में करना पड़
रहा थाा। वो भी अपने बेटे के लिए। राहुल तिरछी नजरों से अपनी मां को ही दे खे जा रहा था। अलका अपने बेटे को
और ज्यादा उकसाना चाहतीे थी। ताकि उसका लंड बुर मांगने लगे इस वजह से उसने करवट बदलते हुए दूसरी
तरफ मुंह करके अपने बेटे की तरफ पीठ कर ली। और राहुल को पता ना चले इस तरह से एक हाथ से धीरे से
गाऊन को ओर कमर की तरफ सरका ली , जिससे अलका की मदमस्त बड़ी-बड़ी और गोरी गांड बिल्कुल नंगी
होकर राहुल की आंखों के सामने नाचने लगी। राहुल अपनी मां का यह रूप दे ख कर एकदम से चुदवासा हो गया।
उसका जी तो कर रहा था कि अपनी मां के पीछे जाकर लेट जाए और अपना टनटनाया हुआ लंड पीछे से अपनी मा
की बुर मे डालकर चोद दे ।

राहुल अपनी मां का गजब का रुप दे ख कर आश्चर्य से भर चुका था। अलका ने भी अपने बेटे को अपनी तरफ
आकर्षित करने के लिए पूरा जोर लगा चुकी थी इसलिए तो उसने आज पेंटी भी उतार फेंकी थी। गोरी गोरी गांड वह
भी एक दम भरावदार ऐसा लग रहा था कि जैसे रस से भरे दो तरबूज किसी ने लगा दिए हो। वैसे भी अलका के
बदन में सबसे ज्यादा आकर्षक उसकी उन्नत नितंब ही थी, पैसा नहीं था कि अलका सिर्फ बड़ी-बड़ी और गोलाकार
गांड की वजह से ही सुंदर दिखती थी उसका हर एक अंग तरासा हुआ था। सर से लेकर पांव तक पोर पोर में
खूबसूरती भरी हुई थी। उन्नत वक्ष स्थल गोरा बदन भरे हुए लाल लाल गाल जैसे कि काशमीेरी सेव, चिकना पेट
एकदम सपाट और चिकने पेट के बीच
गहरी नाभि जौकी छोटी सी बुर ही लगती थी। कुदरत की सारी कारीगरी अलका में उतर आई थी एकदम कामदे वी
लगती थी। 
राहुल दे खा तो दे खता ही रह गया' ऐसा नहीं था कि वह पहली बार दे ख रहा हूं इससे पहले भी कई बार उसने अपनी
मां को नंगी दे ख चुका है खास करके उसकी भरावदार गांड को लेकिन इस समय का नजारा कुछ और ही था। राहुल
जानता था कि उसकी मां जाग रही है, लेकिन जिस तरह से उसके अंगो का प्रदर्शन हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था
शायद उसकी मां अर्ध निद्रा में है वरना उसकी मां ऐसी हरकत करने की कभी सपने में भी सोच नहीं सकती थी। नींद
मे ही होने की वजह से उसका गाउन घुटनों से नीचे सरक गया था, और अनजाने में ही करवट लेने की वजह से
उसकी मां का भरपूर गांड उजागर होकर प्रदर्शित हो रहा था। ऐसी धारणा राहुल के मन में बनी हुई थी लेकिन वह
यह नहीं जानता था कि यह सारी हरकतें उसकी ही मां की सोची समझी साजिश थी। 
वाकई में अलका की हिम्मत की दाद दे नी होगी क्योंकि वह बहुत ही संस्कारी और शर्मीली औरत थी। ऐसी हरकत
करने के बारे में वह कभी सोच भी नहीं सकती थी। लेकिन कहते हैं ना की वासना की पट्टी अगर आंखों पर पड़
जाए तो अच्छे बुरे की पहचान करना मुश्किल हो जाता है उसी तरह का कुछ अलका के साथ भी हो रहा था उसकी
आंखों पर भी वासना की पट्टी चढ़ी हुई थी इस समय वह यह नहीं सोच पा रही थी कि जो हरकत वह कर रही है
इसका कितना दुष्परिणाम हो सकता है। लेकिन इसके बारे में सोचने की शक्ति अलका खो चुकी थी उसनेे इस समय
अपना सारा ध्यान बस अपने बेटे को अपना अंग प्रदर्शित करके उसे अपनी तरफ आकर्षित करने में लगा रखी थी
और अपनी इस साजिश में कामयाब भी होती जा रही थी क्योंकि इससे मैं राहुल का पूरा ध्यान उसकी मां पर ही
टीका हुआ था। राहुल की प्यासी नजरें उसकी मां की भरपूर उठी हुई गांड पर ही इधर-उधर फिर रही थी चिकनी
जांगे वह भी मोटी मोटी मांसल जांघे जिसे दे ख कर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। अपनी मां की नंगी गांड को
दे ख कर राहुल का भी यही हाल हो रहा था कुछ दे र पहले सोया हुआ उसका लंड टन टना के खड़ा होने लगा था ।
टॉवेल का उभार बढ़ता ही जा रहा था। और उसकी मां अपने बेटे को पूरा मौका दे रही थी कि वह उसकी मदमस्त
गांड को दे खकर उत्तेजित होने लगे। इसलिए तो उसने अभी तक करवट नहीं बदली थी और रह-रहकर अपनी
हथेली को अपनी जांघ पर ऐसे फिरा रही थी कि राहुल को लगे कि वह खुजला रही हो।

राहुल तो एक दम मस्त हो चुका था उसका मन अंदर ही अंदर बेताब हुए जा रहा था। वह इस समय का नजारा
दे खकर अपनी मां को चोदना चाहता था। लेकिन कैसे वह डर भी रहा था कि कहीं उसकी मां बुरा मान गई तो और
इस की ऐसी हरकत पर इसकी मां क्या सोचेगी। शर्मिंदा होने पर वह कैसे अपनी मां से आंख मिला पाएगा। राहुल
इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था । पूरे बदन में उसके उत्तेजना का प्रसार हो चुका था उसके लंड में मीठा मीठा दर्द होने
लगा था। टावल में उठे हुए तंबू को दे ख कर राहुल खुद हैरान था क्योंकि आज तंबू की ऊंचाई कुछ ज्यादा ही लग
रही थी। 
और उसकी मा थी की उत्तेजना में डू बी जा रही थी उसकी बुर धीरे-धीरे करके मदन रस बहा रही थी। उस की
उत्तेजना और भी ज्यादा पर जा रही थी जब वह मन ही मन यह सोच रही थी कि पीछे से उसकी गांड पूरी तरह से
निर्वस्त्र और नंगी थी जिसे उसका ही बेटा आंखें फाड़ कर दे खे जा रहा था। वाकई में यह नजारा क्या खूब था जब
एक मां अपने नंगे बदन को याद करके उसकी बड़ी बड़ी मस्त गांड को अपने ही बेटे को उकसाने के लिए उसे
कामुक अदा से दिखा रही हो और उसका बेटा भी उत्तेजना में सराबोर होकर अपनी मां की मस्त बड़ी बड़ी गांड
दे खकर अपना लंड टाइट किए हुए हो तो वाकई में यह नजारा कामुक की दृष्टि से एकदम अतुल्य हो जाता है। 
मां बेटे दोनों एक दूसरे के लिए तड़प रहे थे दोनों के बदन में कामाग्नि अपना असर दिखा रही थी राहुल अपनी मां के
बदन को दे ख कर उत्तेजित हो चुका था तो अलका अपने बेटे को अपने अंग का प्रदर्शन करके उसके उठे हुए टॉवल
को दे खकर मस्त हुए जा रही थी

दोनों आगे बढ़ना चाहते थे एक दूसरे में खो जाना चाहते थे। अपने बदन में भड़की जिस्म की प्यास को एक दूसरे से
बुझाना चाहते थे लेकिन दोनों अनजान थे दोनों एक दूसरे की हसरत को समझ नहीं पा रहे थे। राहुल भी पूरी तरह
से तैयार था अपनी मां को चोदने के लिए और अलका भी पूरी तरह से तैयार थी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में
लेने के लिए। लेकिन दोनों के बीच पतली सी असमंजसता की चादर थी जो पहल करने में घबरा रही थी। दोनों के
बीच मां बेटे की रिश्तो की मर्यादा ने दोनों को रोके हुए था। रिश्तो का उल्लंघन कर पाने मैं दोनों संकोच कर रहे थे ।
पूरे कमरे का माहौल गर्म हो चुका था। वातावरण की गर्मी और दोनों के बदन की गर्मी कहर बरसा रही थी। दोनों ईस
आग को बुझा कर ठं डा करना चाहते थे। लेकिन कैसे दोनों के समझ के बाहर था अलका से अब सहन कर पाना
बड़ा मुश्किल हुआ जा रहा था। बदन में आए जरा सी हलचल से हलका का पूरा बदन कसमसा उठता जिससे उसके
नितंबों की थिरकन बढ़ जाती जिसे दे ख कर राहुल का लंड अकड़ने लगता । अलका से बर्दाश्त कर पाना बड़ा
मुश्किल हुए जा रहा था और आगे बढ़ने में उसे डर भी लग रहा था कि अगर कहीं उसका बेटा उसके बारे में गलत
धारणा बांध लिया तो जीते जी मर जाएगी कैसे मुह दीखाएगी, कैसे अपने बच्चों से आंख में आंख मिलाकर बात
कर पाएगी। यही सोचकर वह तुरंत उठ गई और उसे उठता हुआ दे खकर राहुल में तुरंत दूसरी तरफ करवट कर
लिया। अलका की नजर जब राहुल पर पड़ी तो वह दूसरी तरफ करवट किए हुए था। उसे कुछ समझ में नहीं आया
क्या वाकई में राहुल उसके नंगे बदन को नहीं दे खा या दे ख कर भी ना दे खने का नाटक कर रहा है अलका के लिए
यह समझ पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था। 
अलका वहां से तुरंत बाथरूम में चली गई और बाथरूम में जाते ही उसने अपने गांऊन को उतार फेंकी, गांऊन के
उतारते हैं अल्का पुरी तरह से नंगी हो गई। 
नीचे लेटे लेटे राहुल से भी रहा नहीं जा रहा था अपनी मां की नंगी गांड को दे ख कर जिस तरह से वह उत्तेजित हुआ
था उसे अपने आप को शांत करना था इसलिए वह भी अपनी जगह से उठा और अपनी मां के पीछे पीछे बाथरूम
की तरफ आ गया। राहुल मन में यह उम्मीद लेकर आया था कि शायद उस दिन की तरह आज भी बाथरूम में उसे
अपनी मां नंगी दे खने को मिल जाए और उसकी यह उम्मीद खरी भी उतर गई। बाथरूम के दरवाजे पर पहुंचते ही
उसे पता चला कि बाथरूम का दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था। उस हल्के से खुले हुए दरवाजे के अंदर नजर ़
दौड़ाते ही राहुल के लँड ने ठु नकी मारना शुरू कर दिया। बाथरूम के अंदर उसकी मां पूरी तरह से नंगी थी। राहुल
की आंखों के सामने उसकी मां की नंगी पीठ बड़ी बड़ी गांड जो कि हल्के उजाले में चमक रही थी। राहुल दीवार की
वोट लेकर अपने आप को छु पा कर चोर नजरों से अपनी मां के नंगे बदन के रस को अपनी नजरों से पीने लगा।
आगे से उसका टावल उठ चुका था। 
अंदर उसकी मां खड़े-खड़े ही पानी के पीप में से मग भर भर के पानी अपने बदन पर डाल रही थी। पानी अपने सर
पर डालते ही उसकीे गर्मी शांत होने लगी। कुछ दे र पहले उसके सर पर जो वासना की गर्मी छाई हुई थी ठं डा पानी
पड़ते ही सारी गर्मी ठं डे पानी के साथ पिघलने लगी। वह कुछ दे र तक अपने बदन पर ठं डा पानी डालती ही रही।
और बाथरूम के बाहर खड़ा होकर अपनी मां के नंगे बदन को दे ख कर राहुल मुठ मारना शुरु कर दिया था। अलका
का दिमाग शांत होते ही उसे अपनी हरकत पर पछतावा होने लगा। उसे इसका एहसास होने लगा कि उससे बहुत
बड़ी गलती होने जा रही थी। अगर आज वाकई में कुछ गलत हो गया होता तो वह अपने आप को ही कैसे मुंह
दीखाती।
ठं डा पानी पड़ते ही अलका के सर से वासना का बुखार ऊतर चुका था। बाथरुम के अंदर अलका अपने नंगे बदन
पर ठं डा पानी डाल कर शांत हो चुकी थी लेकिन बाहर राहुल अपनी मां के नंगे बदन को दे ख कर अपने आप को
शांत करने के लिए जोर जोर से मुठ मारे जा रहा था अपने मां की गांड की थिर कन को दे खते ही उसका जोश दुगना
होता जा रहा था। और वह जोर जोर से लंड को मुठीयाने मे लगा हुआ था। अपनी मां को चोदने की कल्पना करते
हुए वह थोड़ी ही दे र में लंड से गर्म फुवारा फर्श पर दे मारा। 
अलका अंदर नहा चुकी थी। इसलिए किसी भी वक्त वह बाथरुम से बाहर आ सकती थी। इसलिए राहुल का वहां दे र
तक खड़े रहना ठीक नहीं था इसलिए वह अपने आप को शांत कर के वहां से आ कर वापस नीचे चटाई पर लेट
गया।

बासना का तूफान गुजर चुका था। मां बेटे दोनों इस वासना के तूफान में तहस-नहस होने से बच तो गए थे,
लेकिन यह तूफान दोनों के अंतर्मन में अपनी निशान चिन्हित कर गया था। मन में जब किसी के प्रति आकर्षण जन्म
लेता है तो आकर्षण से अपने नजरअंदाज कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा हो जाता है। भले ही मन अपने
आप को संभालने की पूरी कोशिश करें लाख दुहाई दे फिर भी या आकर्षण नहीं जाता। वासना का तूफान इस वक्त
के लिए तो शांत हो चुका था लेकिन खत्म नहीं हुआ था। अलका और राहुल जिस दौर से गुजर रहे थे' ऐसे नहीं
ज्यादा दिन तक अपने आप को संभाल पाना नामुमकिन सा था। राहुल अभी अभी जवान हो रहा था उसके अंदर
किसी औरत के प्रति आकर्षण जन्म लेना कुदरती था। ऐसे में उसकी निगाह अपनी ही मां के बदन पर फीरने लगी
थी। अलका एकदम मैच्योर थी लेकिन बरसों से प्यासी एेसे में विनीत के द्वारा प्रेम का इजहार करना और अपने ही
बेटे के दमदार लंड के प्रति आकर्षित होना , अलका अपने आप को ज्यादा दिन बहकने से रोक नहीं सकती थी। 
राहुल अपनी गर्मी शांत करके वापस आकर लेट चुका था और अलका भी ठं डे पानी से नहा कर अपने बहकते मन
पर रोक लगा चुकी थी। 

तनख्वाह की तारीख आ चुकी थी ।अलका बहुत खुश नजर आ रही थी। ओर खुश हो भी क्यों न महीने भर तो ऐसे
ही हाथ तंग रहते हैं। बस एक ही दिन मिलता है जिसमें थोड़ा अपने पसंद का और बच्चों के पसंद का कुछ खरीद
सकती हो। इसलिए तो तनख्वाह कर दिन अलका के साथ साथ दोनों बच्चे भी खुश नजर आते हैं।
तनख्वाह के एक दिन पहले ही अलका सारी लिस्ट तैयार कर लेती थी किसको कितना दे ना है दूधवाला राशन वाला
जैसे छोटे बड़े खर्चे सभी को लिस्ट में समाहित कर लेती थी लेकिन इस बार 2000 का अलग का खर्चा था जोकि
विनीत को दे ना था। यह 2000 की रकम विनीत को चुकाने के बाद हाथ में ज्यादा रकम नहीं बच पा रही थी। और
ऐसे में तो 15 दिन में ही घर खर्च के सारे पैसे खत्म हो जाएंगे और फिर तनख्वाह तक घर का खर्चा उठा पाना बड़ा
मुश्किल हो जाएगा। अलका के चेहरे पर आई मुस्कान तुरंत गायब हो गई उसे 2000 की चिंता सताए जा रही थी।
लेकिन फिर मन में यही सोच कर अपने आप को तसल्ली दे ती की दे ना तो है ही, और वैसे भी विनीत ने बहुत ही
मुश्किल के समय उसकी मदद की थी इसलिए समय पर उसका पैसा चुकाना बहुत जरूरी है। 
फिर मन मे वह सोची की 2000 हो चुका दे गी और अपने बॉस से कुछ पैसे अडवांस ले लेगी ताकि महीने भर का
खर्चा चल सके। यही सोचकर वह राहुल और सोनू को स्कूल भेज कर ऑफिस चली गई।

काम करते-करते शाम हो गई लेकिन ऑफिस में काम कुछ ज्यादा था इसलिए बॉस ने 2 घंटे ओवरटाइम करने को
कहा। 
तनख्वाह मिल चुकी थी, एडवांस के लिए कहने पर बॉस ने इनकार कर दिया जिससे अलका दुखी हो गई लेकिन
उसके लिए खुशी वाली बात यह थी की उसकी मेहनत और लगन उसके काम को दे खते हुए बॉस ने उसकी
तनख्वाह में १५०० का ईजाफा कर दिया था लेकिन यह रकम उसे अगले महीने की तनख्वाह से मिलने वाला था
दुखी होने के बावजूद भी उसे इस बात की खुशी थी कि अगले महीने से उसकी मुसीबते कुछ हद तक कम हो
जाएंगी। 
२ घंटे के ओवर टाइम के बाद समय कुछ ज्यादा हो चुका था ऑफिस से छू टते ही अलका जल्दी-जल्दी अपने घर
की तरफ जाने लगी। तनख्वाह वाले दिन वह घर पर कुछ स्पेशल खाने को जरूर ले जातीे थी इसलिए वह तेज
कदमों से मार्के ट की तरफ बढ़ रही थी। कि अचानक एक मोटरसाइकिल उसके आगे आकर रुक गई अलका
एकदम से घबरा गई उसे यू लगा कि मोटरसाइकिल से टकरा जाएगी तभी मोटरसाइकिल वाले ने अपना हेलमेट
निकाला तो अलका को थोड़ी राहत हुई' क्योंकि वह वीनीत था, हेलमेट उतारते ही विनीत बोला आईए आंटी जी मैं
आपको छोड़ दे ता हूं।
अलका इंकार ना कर सकी क्योंकि वैसे भी उसे दे र हो रही थी और वह मोटरसाइकिल पर वीनीत के पीछे बैठ गई।
मोटरसाइकिल मर्यादीत रफ्तार में सड़क पर भागी चली जा रही थी। अपनी मोटरसाइकल पर अलका को बिठा कर
मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रहा था। तभी विनीत के गंदे दिमाग में एक युक्ती सूझी। उसने रह-रहकर ब्रेक मारना शुरू
कर दिया जिससे अलका का मदमस्त बदन उसके बदन से टकरा जा रहा था और जब-जब अलका का खूबसूरत
बदन विनीत के बदन से टकराता विनीत के पूरे बदन में हलचल सी मच जाती। बार बार वीनीत के ब्रेक मारने पर
अलका परेशान हो जा रही थी। उसका कंधा बार-बार विनीत की पीठ पर टकरा जाता था। विनीत जानता था कि
इस तरह से अलका को परेशानी हो रही है लेकिन वह भी ट्राफिक का बहाना बना दे ता था। मोटरसाइकिल का
एक्सीलेटर बढ़ाते हुए विनीत बोला आंटी जी परेशानी हो रही है तो एक हाथ मेरे कंधे पर रख दीजिए इससे आपका
बैलेंस बना रहेगा। वैसे भी विनीत के मोटरसाइकिल चलाने पर अलका हचमचा जा रही थी , इसलिए वह भी अपने
बैलेंस को बनाने के लिए एक हाथ वीनीत के कंधे पर रखकर उस का सहारा ले ली। अपने कंधे पर अलका का हाथ
रखवा कर विनीत ने चालाकी करी थी। क्योंकि अब वह जब भी ब्रेक लगाता तो अलका की दाहिनी चूची सीधे
विनीत की पीठ पर टकराकर दब जाती जिससे विनीत के साथ-साथ अलका के बदन में ऐसा रोमांच उठ़ता कि पूछो
मत। विनीत के जांघों के बीच तुरंत सोया हुआ लंड फुफकारने लगा।वीनीत को बहुत मजा आ रहा था, औरअलका
शर्मसार हुए जा रही थी। वह अपने आप को संभाले भी तो कैसे क्योंकि विनीत इतनी तेज ब्रेक लगाता कि संभल
पाना बड़ा मुश्किल था। और ना चाहते हुए भी अलका विनीत के बदन से टकरा जाती। पराए मर्द के बदन की रगड़
से अलका भी पूरी तरह से गंनगना जा रही थी। यह रगड़ और आगे बढ़ती इससे पहले ही बाजार आ गया। विनीत ने
झट से सरबत की दुकान के आगे मोटरसाइकिल को खड़ी कर दिया, और अलका को ऊतरने को कहा। अरे कभी
मन में सवाल लिए उतर गई।वीनीत भी मोटरसाइकिल को स्टैं ड पर लगाते हैं सरबत वाले को दो मैंगो ज्युस का
आर्डर दे दिया। अलका कुछ कह पाती इससे पहले ही विनीत ने कुर्सी उसकी आंखें बढ़ा दिया और अलका को
बैठना ही पड़ा। 
शाम ढल रही थी अलका को घर जाने की भी चिंता सताए जा रही थी। वीनीत बहुत खुश नजर आ रहा था वह
अलका के पास ही कुर्सी पर बैठ गया। थोड़ी ही दे र में मैंगो जूस भी आ गया। वीनीत झट से शरबत वाले के हाथ से
दोनों गिलास थाम कर एक गिलास अलका को थमा दिया। अलका भी गर्मी से बेहाल थी इसलिए वह भी झट से
जूस का गिलास थाम ली, और गिलास को अपने गुलाबी होठों से लगाकर पीने लगी। 
विनीत अलका को जुस पीते हुए दे ख रहा था। उसके गुलाबी गुलाबी होठों से आम का जूस घुंट घुंट अंदर जा रहा था
जिसे दे ख कर वीनीत के शैतानी दिमाग ने कल्पना करना शुरू कर दिया कि जिस तरह से अलका आम का जूस धीरे
धीरे करके होठों से चूस रही है, एक दिन मैं भी उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को मुह
ं में भरकर धीरे धीरे से उसका रस
पियूंगा। इतना सोचते ही वीनीत का पूरा बदन झनझना गया। उसका लंड फिर से टनटना कर खड़ा हो गया। अलका
जूस पीते पीते 2000 रु के बारे में सोचने लगी वह मन ही मन सोच रही थी कि यह 2000 रु विनीत को दे की नहीं।
क्योंकि अगर वह 2000 रु भी नहीं तो को लौटा दे ती है तो महीने का खर्च चलाना बड़ा मुश्किल हो जाएगा लेकिन
अगर नहीं दे ती है तो भी अच्छी बात नहीं थी उसका मन बड़ा असमंजस में था। इसी सोचने जूस का गिलास भी
खत्म हो गया। धीरे-धीरे अंधेरा छाने लगा था उसे घर जाने की भी चिंता सताए जा रही थी। घर जाकर उसे खाना
बनाना था। और यही बाजार में ही दे र हो जाने की वजह से खाना बनाने का मूड. नही कर रहा था। 
2000 रुपए के चलते अलका विनीत से नजरें मिलाने में कतरा रही थी वह उसे कहना चाह रही थी कि 2000 रु के
लिए उसे कुछ दिन की मोहलत और दे दे , लेकिन कह भी नहीं पा रही थी। इसी उधेड़बुन में विनीत में शरबत वाले
को उसके पैसे चूका दिए और पैसे चुकाने के बाद
वह अलका से बोला। 
आंटी जी आपको और कुछ चाहिए।( वीनीत के सवाल से अलका एकाएक हड़बड़ा गई. और हड़बड़ाते हुए
बोली।) 

हंहंहं.... हां आज मुझे दे र हो चुकी है इसलिए मुझे अपने बच्चों के लिए कुछ नाश्ता ले जाना पड़ेगा ताकि खाना ना
बना सकूं क्योंकि मेरा आज खाना बनाने का मूड नहीं है।

तो चलिए कुछ ले लीजिए। 


( अलका सामने की हलवाई की दुकान पर जाने लगी और पीछे पीछे विनीत भी आगे बढ़ने लगा दुकान पर पहुंच
गए अलका ने हलवाई से कुछ मिठाईयां और समोसे पेक करवाए, विनीत ने आगे बढ़कर रसमलाई का पैकेट भी
पैक करवा लीया, अलका समझी की विनीत ने अपने लिए रसमलाई पैक करवाया है और दुकानदार ने साथ में ही
सबका बिल बना दिया, अलका ने जैसे ही दुकानदार के पैसे चुकाने के लिए अपना पर्स खोली उससे पहले ही
वीनीत ने अपने पर्श से 500 का नोट निकालकर दुकानदार को थमाते हुए बोला। 

लो जो भी होता है इस में से काट लो।


( विनीत को यू नोट थमाते हुए दे खकर अलका बोली।)

अरे अरे यह क्या कर रहे हो! मैं दे रही हूं ना।

तब तक दुकानदार ने पैसे काट कर बाकी के पैसे विनीत को लौटा दीया। अलका दे खती ही रह गई। दुकानदार ने
मिठाई और समोसे को एक थैली में डालकर अलका को थमा दीया। अलका भी आवाक सी उस थैली को पकड़
ली, वीनीत दुकान से बाहर आ गया पीछे पीछे अलका भी आ गई। वीनीत ने अलका से बोला।

आप यहीं रुकिए मैं गाड़ी लेकर आता हूं। ( विनीत के इतना कहते ही अलका बोली।)

नहीं नहीं मेरे लिए तकलीफ मत उठाओ में खुद चली जाऊंगी। 

अरे इसमें तकलीफ केसी, आप ऐसा कह कर मुझे शर्मिंदा कर रही हैं। आप यहीं रुकिए मैं लेकर के अाता
हुं। ( इतना कहकर वह मोटरसाइकिल लाने चला गया। वीनीत मोटरसाइकल चालू करके सीधे अलका के सामने
लाकर खड़ा कर दिया और अलका को बेठने का इशारा किया। अलका भी बिना कुछ बोले मोटर साइकिल पर बैठ
गई। विनीत भी धीरे-धीरे एक्सीलेटर दे ते हुए मोटरसाइकिल को आगे बढ़ाने लगा। वह ज्यादा से ज्यादा वक्त अलका
के साथ बिताना चाहता था इसलिए उसे कोई जल्दी नहीं थी अंधेरा छा रहा था। अलका असमंजस में थी तनख्वाह
मिल चुकी थी विनीत को ₹2000 लौटाने थे लेकिन अगर लौटा दे ती तो महीने भर का खर्चा चलाना मुश्किल हो
जाता। इसलिए वह बड़े सोच में पड़ी हुई थी। फीर भी औपचारिकता तो यही बनती थी कि विनीत का पैसा लौटा
दिया जाए क्योंकि बड़े मुसीबत की घड़ि में उसने पैसे दे कर मदद किया था। बातों के दौऱ को आगे बढ़ाते हुए अलका
बोली।
तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। मैं दुकानदार को पैसे चुका रही थी ना फिर दे ने की क्या जरूरत थी।

अरे आंटी जी ईसमें क्या हुआ मैं चुकाऊ या आप चुकाओ बात तो एक ही है। रही बात पैसे की तो हमें बिजनेस में
बहुत ज्यादा मुनाफा हुआ है। और आज मैं बहुत खुश हूं मेरे रिश्तेदार तो है नहीं , की उनके साथ में अपनी खुशी
शेयर कर सकूं। घर पर सिर्फ भाभी है और भैया तो बिजनेस में ही मस्त रहते हैं जो कुछ भी है आप ही हैं इसलिए मैं
आपके साथ अपनी खुशी सेयर करता हूं। और आप हैं कि मेरी खुशी में शामिल नहीं होना चाहती, 

ऐसी बात नहीं है वीनीत , मुझे अच्छा लगेगा अगर मैं तुम्हारी खुशी में शामिल हो सकूं तो लेकिन इस तरह से बार
बार पैसे की मदद करना....( अलका बोलते बोलते अचानक रुक गई, रुक क्या गई जानबूझकर बात का रुख
बदलते हुए बोली।) 
अरे हां विनीत पैसे से याद आया कि आज मेरी तनख्वाह हो गई है और मुझे तुम्हारे ₹2000 लौटाने हैं आगे चलो
चौराहे पर वही दे ती हूं। 
( पैसे की बात आते ही विनीत सकपका गया, क्योंकि वह जानता था कि अलका को दिए हुए उधार पैसे की ही
वजह से वह थोड़ी बहुत छू ट छाट ले पाता था। अगर वह अलका से पैसे वापस ले लिया तो,मिलने वाली छु ट छाट
भी बंद हो जाएगी। इसलिए वह बोला।)

अरे आंटी जी मुझे पैसे की जरूरत नहीं है और मैंने कहा आपसे पैसे मांगे हैं आपको जरूरत हो तो अभी रख
लीजिए। मुझे जरूरत होगी तो मैं खुद ही मांग लूंगा।( कहते हुए विनीत धीरे-धीरे मोटरसाइकिल को आगे बढ़ा रहा
था अंधेरा छा चुका था और जिस रास्ते से वे दोनों गुजर रहे थे वहां पर कम ही गाड़ी आ जा कर रही थी यह वही
जगह थी जहां पर बरसात और अंधेरे का फायदा उठाते हुए विनीत ने अलका को अपनी बाहों में भर कर अपनी
मर्यादा को लांघने की कोशिश किया था। वह दृश्य याद आते हैं विनीत के बदन मे सुरसुराहट सी फेल गई। तभी
उत्तेजना में हल्के से ब्रेक मारकर जैसे ही एक्सीलेंटर छोड़ा अलका का बदन झटका खाकर विनीत के बदन से टकरा
गया जिससे अलका की चूची विनीत की पीठ से रगड़ खा गई जिसका एहसास महसुस करते ही विनीत का लंड
खड़ा हो गया। ओर ब्रेक लगते ही अलका अपने आप को संभाल नहीं पाए थे और उसके मुंह से आउच निकल
गया।)

आाउच....( विनीत के कंधे पर अपना हाथ रख कर संभलते हुए) बात ऐसी नहीं है विनीत अब उधार लेी हुं तो उसे
लौटाना भी तो होगा ना। ( अलका पैसे लौटाने के लिए तो बोल रही थी लेकिन अंदर ही अंदर पैसे ना लौटाने का
लालच भी बना हुआ था लालच कैसा यह लालच नहीं उसकी मजबूरी थी। और विनीत तो चाहता ही था कि अलग
का उसे पैसे ना लौटाए, ताकि पैसों के बहाने उस से नज़दीकियां बढ़ाई जा सके। इसलिए वह बोला।)

ऐसी कोई बात नहीं है आंटी जी मुझे क्या, जरूरत होगी तो मैं आपसे खुद ही कह दूं गा। ( विनीत की बात सुनकर
अलका अंदर ही अंदर खुश होने लगी क्योंकि उसके महीने भर का खर्चा चलाने का टें शन दूर हो चुका था। लेकिन
वह अपनी खुशी जाहिर नहीं होने दी। अंधेरा बढ़ चुका था बड़े-बड़े उठ हमें पेड़ की वजह से अंधेरा और गाढ़ा लगने
लगा था जगह जगह पर स्ट्रीट लाइट लगी हुई थी लेकिन कुछ-कुछ स्ट्रीट लाइट नहीं जलती थी जिसकी वजह से
अंधेरा ही अंधेरा नजर आता था। तभी विनीत जिस चीज में माहीर था, अपना वही हथियार उपयोग करने की
सोचा। अपनी मीठी मीठी् फ्लर्टी बातों से अलका को खुश करने का पूरा मन बना लिया और अलका से बोला।)

एक बात कहूं आंटी जी। 

हां बोलो (हवा से उड़ रहे अपने जुल्फों को अपनी नाजुक उंगलियों के कान के पीछे ले जाते हुए बोली।)

आप बुरा तो नहीं मानेगी ना। 

बुरा ! मैं भला बुरा क्यों मानुंगी हां अगर कुछ गलत कहागे तो जरुर बुरा मान जाऊंगी। ( अलका अब थोड़ी बेफिक्र
हो चुकी थी उसका एक हाथ विनीत के कंधे पर था और उसका मांसल खूबसूरत बदन विनीत के बदन से सटा हुआ
था। जिसकी वजह से रह रहे कर विनीत के बदन में सुरसुराहट फैल जा रही थी। )

बुरी बात तो नहीं है आंटी जी लेकिन फिर भी मेरे मन की बात है इसलिए कहता हूं पहले प्रॉमिस करिए तभी कहूंगा।

अच्छा बाबा प्रॉमिस बस।


आंटी जी वैसे तो आप बहुत खूबसूरत हैं लेकिन आज और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही हो। ददद...।दे खो आंटी
जी बुरा मत मानिएगा यह तो मेरे दिल की बात थी इसलिए मैंने कह दिया अगर आप को बुरा लगा हो तो इसके लिए
भी माफी मांगता हूं। 
( भला ऐसी कौन औरत होगी जो अपनी सुंदरता की तारीफ सुनकर नाराज होगी। अपनी तारीफ सुनकर तो अलका
अंदर ही अंदर खुश हो रही थी। उसे तो इस बात की और ज्यादा खुशी थी कि एक बेटी की उम्र का लड़का अपने मां
के उम्र की औरत की खूबसूरती की तारीफ कर रहा था। )

आप नाराज हो आंटी जी।

नहीं तो।

फिर आप कुछ क्यों बोल नहीं रही है। क्या आपको मेरी बात अच्छी नहीं लगी।( विनीत की बातों का अलका क्या
जवाब दे ती विनीत की बातें सुनकर अलका अंदर ही अंदर प्रसन्नता के साथ साथ शर्म भी महसूस कर रहे थे कि एक
बित्ते भर का छोकरा उसकी तारीफ कर रहा था। तभी वह चौराहा आ गया जहां से अलका को अपने घर की तरफ
मुड़ना था और अलका तुरंत बोली।)

बस बस यहीं रोक दो में चली जाऊंगी।


( विनीत भी ब्रेक दबाते हुए मोटरसाइकिल को चौराहे के किनारे रोक दिया रोज की तरह इधर भी अंधेरा था कुछ
लोग ही आ जा कर रहे थे। वैसे भी कोई यह मुख्य सड़क नहीं थी। यहां का रास्ता आजूबाजू के सोसाइटियों में ही
जाता था इसलिए इस रोड पर आवन जावन कम ही होता था। अलका मोटरसाइकिल से उतर गई उसे शर्म सीे
महसूस हो रही थी विनीत अभी भी मोटर साइकिल पर बैठा हुआ था। अलका विनीत का शुक्रिया अदा करने के
लिए उस से बोली।

थैंक्यू विनीत( शरमाते हुए)

इसमें थैंक यू की क्या बात है अांटी जी लेकिन आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया।

क्या( अलका मुस्कुराते हुए पूछी)

यही कि मेरी बात आपको अच्छी लगी या बुरी।

बुरी लगने जैसी कोई बात ही नहीं थी तो भला मुझे क्यों बुरी लगती।( अलका मुस्कुराते हुए बोली।)

( अलका के चेहरे पर मुस्कुराहट दे खकर विनीत बहुत खुश हुआ और तभी अचानक अलका के हाथ से नास्ते वाली
थैली छू ट कर नीचे गिर गई। नाश्ते की हथेली उठाने के लिए अलका नीचे झुकी तो वैसे तो कुछ साफ दिख नहीं रहा
था लेकिन फिर भी वीनीत को उसके ब्लाउज मै से झांकते दोनों कबूतर नजर आ गए। जिसे दे खकर विनीत का मन
मचल उठा और वह अलका की मदद करने के लिए तुरंत मोटरसाइकिल को स्टैं ड पर लगाकर नाश्ते की थैली में से
बिखरे सामान को इकट्ठा करके थेली में भरने लगा। नीचे बिखरे हुए पैकेट को उठाने में अलका के नाजुक हाथ
विनीत के हाथ में आ गया जिससे अलका शरमा गई। बिखरे हुए पैकेट इकट्ठा करके थैली में रख चुका था, लेकिन
उसने अलका के हाथ को नहीं छोड़ा था उसका हाथ पकड़े-पकड़े ही वह दोनों खड़े हुए। विनीत की उत्तेजना बढ़ती
जा रही थी, अलका के बदन में भी कुछ कुछ उत्तेजना का प्रसार हो रहा था। वह दोनों अंधेरे में भी एक दूसरे की
आंखों में झांक रहे थे। दोनों अपने आपे से बाहर हो रहे थे। दोनों की नजदीकियां बढ़ती जा रही थी विनीत अपने
होठों को अलका के होठों पर नजदीक ले जा रहा था। विनीत के होटो से अलका के होठों की दूरी मात्र तीन चार
अंगुल भरी ही रह गई थी। विनीत को यह दूरी बर्दाश्त नहीं हो रही थी और उसने तुरंत एक झटके से ही अपने होठों
को अलका के गुलाबी होठो पर रखकर तुरंत चूसने लगा इस तरह से होठों की चुसाई करने परअलका भी संयम खो
बैठी और अलका भी विनीत का साथ दे ते हुए उसके होठों को भी चूसना शुरू कर दी। कुछ ही पल में दोनों उत्तेजना
के परम शिखर पर सवार हो गए। विनीत एक पल की भी दे री किए बिना तुरंत अपनी हथेली को ब्लाउज में फुदक
रहे उसकी चूची पर रख दिया और दबाना शुरु कर दिया इससे अलका के बदन में उत्तेजना का प्रसार दुगनी गति से
होने लगा और वह भी विनीत और अपनी उम्र के बीच की खाई को भुलाते हुए विनीत को अपनी बाहों में भर ली
और अपने गुलाबी होंठ का रस उसको पिलाते हुए खुद भी उसके होठों को चूसने लगी। कामुकता की वजह से
अलका का बदन कांप रहा था। एक दूसरे के होठों को चूसने की वजह से च्च्च्च....च्च्च्च.....की कामुक आवाजे
दोनों के मुह
ं से आ रहीे थी। विनीत ने तो अपने दोनों हाथों को अलका के पूरे बदन पर इधर उधर घुमाने लगा। कभी
इस चूची को दबाता तो कभी दूसरी चूची को, और कभी तो साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर वाली जगह पर अपनी
हथेली से कुरेदने लगता । अलका काम विह्वल हुई जा रही थी।
आज फिर बरसात वाला दृश्य दोहराया जा रहा था। दोनों की सांसे तेज चल रही थी। गालों का रंग लाल सुर्ख पड़ता
जा रहा था और चूची मर्दन करने से चुचीयों का भी रंगलाल हुआ जा रहा था। गाढ़े अंधेरे में दोनों एक दूसरे के बदन
में समा जाने को पूरी तरह से तैयार थे। तभी अचानक विनीत ने ऐसी हरकत कर दिया कि अलका की बुर से मदन
रस टपकने लगा। विनीत ने फिर से उस दिन की तरह अपने दोनों हथेलियों को अलका की भरावदार नितंब पर
रखकर गांड को कस के अपनी हथेलियों में दबोचते हुए उसे अपनी तरफ खींच कर अपने बदन से सटा लिया
जिससे पेंट में तना हुआ उसका लंड सीधे अलका की जांघों के बीच बुर वाली जगह पर घर्षण करने लगा। विनीत
की इस हरकत पर अलका इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई कि जैसे ही उसका लंड साड़ी के ऊपर से ही ठीक बुर वाली
जगह पर स्पर्श हुआ तुरंत ही अलका की बुर से मदन रस टपकने लगा।
अपनी हालत को दे खते हुए अलका एकदम से शर्मसार हो गई। उसे शर्म इस बात की महसूस होने लगी की बेटे की
उम्र के लड़के ने उसका पानी निकाल दिया था। और मदन रस टपकने की ही वजह से उसे जैसे होश आया हो इस
तरह से तुरंत उसके बदन पर अपने बदन को दूर कर ली,

और फिर से उस दिन की तरह ही बिना कुछ बोले झट से तेज कदमों के साथ अपने घर की तरफ मोड़ रहे सड़क पर
चलने लगी, विनीत एक बार फिर से पीछे से आवाज़ दे ते हुए अपना हाथ मलता रह गया।

अलका अपने घर पर पहुंच चुकी थी। दरवाजा खोलते ही सामने सोनू पढ़ाई कर रहा था अपनी मां को दे खते ही
खुश हो गया और अपनी मां से जाकर लिपट गया।

कहां रह गई थी मम्मी आज इतनी दे र क्यों लगा दी।( अपनी मां से लिपटते ही सोनू सवाल पर सवाल पूछने लगा।
अलका का बदन अभी भी उत्तेजना से कांप रहा था। वह सोनू को नाश्ते की थैली पकड़ाते हुए सीधे बाथरूम में घुस
गई। बाथरूम में घुसते ही वह ठं डे पानी के छींटे अपने चेहरे पर मारने लगी। हाथ मुंह धोने के बाद उसका मन कुछ
शांत हुआ वह फिर पछताने लगी आज फिर से अपने आप को बचा ले गई थी। आज फिर से अपने दामन पर दाग
लगते लगते बचा ली थी।
अलका यह बखूबी जानती थी कि ऐसे नाजुक समय में अपने आप को संभाल पाना बड़ा मुश्किल होता है वह कैसे
बच जा रही थी यह वह भी नहीं जानती थी। 
लेकिन यह भी वह जानती थी कि अगर ऐसा ही होता रहा तो बहकने से अपने आप को बचा नहीं पाएगी। बरसों
बीत चुके थे शारीरिक सुख का आनंद लिए हर शरीर का हर औरत की एक जरूरत होती है उसे ज्यादा दिन तक
दबाए हुए रहा नहीं जा सकता था इसलिए बल का को भी डर लगने लगा था कि वह भी किसी भी ऐसे नाजुक पल
में बहक सकती है। 
हाथ मुंह टॉवल से पोछने के बाद अलका बाथरुम से बाहर आ गई। बाहर आकर दे खी तो सोनू नास्ते की थैली में से
सारे पैकेट को बाहर निकाल चुका था। अलका सोनू के नजदीक पहुंच गई, अपनी मम्मी को पास आता दे ख सोनू
बोला।

मम्मी आज नाश्ता लेकर आई हो( सोनू खुश नजर आ रहा था। अलका सोनू के सर पर हाथ फेरते हुए बोली।)

हां बेटा आज ऑफिस में कुछ ज्यादा काम था और आज तनख्वाह की तारीख की थी इस वजह से लेट हो गया।
आज खाना नहीं बनाऊंगी इसलिए तुम लोगों के लिए नाश्ता ले कर आई हूं अरे हां राहुल कहां गया। 

वह तो अपने कमरे में है मम्मी शायद पढ़ाई कर रहा है। बुला कर लाऊं क्या?

नहीं तुम यहीं रुको मैं बुला कर लाती हूं।


( इतना कहकर अलका राहुल के कमरे की तरफ जाने लगी, वह मन मे सोच रही थी कि राहुल जरुर मेरा इंतजार
करते-करते सो गया होगा भूख भी लगी होगी , आज वाकई में कुछ ज्यादा ही लेट हो गया। यही सोचते सोचते वह
राहुल के कमरे के सामने खड़ी हो गई जैसे ही वह दरवाजे पर दस्तक दे ने के लिए अपना हाथ रखी दरवाजा खुद-ब-
खुद खुलने लगा । दरवाजा थोड़ा सा ही खुला था कि अंदर का नजारा दे ख कर उसके होश उड़ गये , उसे ऐसा
लगने लगा जैसे कि उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई हो। अलका की नजर सीधे अपने बेटे के लंड पर पड़ी
थी जो कि एकदम टनटना के खड़ा था, और राहुल उसे मोटे तगड़े लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर ऊपर नीचे करते
हुए मुट्ठ मार रहा था। एक पल को तो उसे ऐसा लगा कि अंदर जाकर राहुल के गाल पर चार-पांच तमाचा जड़ दें ।
लेकिन अलका अपने गुस्से को दबा ले गई। ओर वही खड़े होकर अंदर का नजारा दे खने लगी। राहुल बिस्तर पर पूरी
तरह से निर्वस्त्र अवस्था में था बिल्कुल नंगा उसके पूरे बदन में उत्तेजना छाई हुई थी और उत्तेजना के मारे उसकी
आंखें मूंद चुकी थी। वह जोर जोर से अपने लंड को हीलाते हुए अपनी कमर को ऊपर नीचे कर रहा था। यह दे ख
कर थोड़ी ही दे र में अलका की बदन में भी उत्तेजना की चीटियां रेंगने लगी , कुछ पल पहले ही जो अपने बेटे के इस
हरकत पर उसे तमाचा जड़ने की सोच रहीे थी। वही इस समय उत्तेजित हुए जा रहीे थी। राहुल के मोटे लंड को दे ख
कर उसे अपनी बुर में सुरसुराहट सी महसूस होने लगी। उसे वीनीत की हरकत याद आने लगी। विनीत द्वारा किए
गए हरकत को याद करके अलका भी फिर से चुदवासी होने लगी और अंदर राहुल चरम सुख की तरफ बढ़ रहा था।
राहुल की हालत को दे खकर अलका भी मस्त हुए जा रही थी , अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को दे खकर उसका हाथ
खुद ब खुद अपने ही बुर पर पहुंच चुका था जिसे वह साड़ी के ऊपर से मसल रही थी। अंदर के नजारे का लुत्फ
अलका ज्यादा दे र तक नहीं उठा पाई क्योंकि तभी राहुल जोर-जोर से मुठ मारते हुए गरम नमकीन पानी की तेज
धार छत की तरफ लंड से छोड़ने लगा, और लंड से तेजधार छोड़ते हुए जोर जोर से सिसकारी भी ले रहा था।
लंड से निकली इतनी तेज पिचकारी को दे खकर अलका के मुंह के साथ साथ उसकी बुर में भी पानी आ गया। अब
ज्यादा दे र तक यू दरवाजे पर खड़ा रहना ठीक नहीं था इसलिए अलका भी बिना कुछ बोले वहां से सीधे सोनू के
पास आ गई।

सोनू के पास आकर अलका सोनू को नाश्ता दे ने लगी लेकिन उसके बदन में आग लगी हुई थी। अपने बेटे को लंड
मुठियाता दे खकर अलका एकदम से चुदवासी हो गई थी। उसकी बुर से नमकीन पानी रिसने लगा था। पहले वीनीत
और अब राहुल दोनों ने मिलकर अलका के बदन में आग लगा दीया था। अब तक राहुल नहीं आया था इसलिए सोनू
बोला।

क्या हुआ मम्मी भाई अब तक नहीं आया।

(राहुल का भी नाश्ता निकालते हुए) आता ही होगा बेटा।

अलका अच्छी तरह से जानती थी कि उसने राहुल को बुलाई ही नहीं तो आएगा कैसे। इसलिए सोनू को दिखाने के
लिए वह वहीं बैठे बैठे ही जोर से राहुल को आवाज लगाई। और राहुल ने अपनी मां की आवाज सुनी भी इसलिए
वह जल्दी जल्दी कपड़े पहन कर नीचे आ गया और आते ही अपनी मम्मी से बोला।

आज इतनी दे र कहां लगा दी मम्मी और यह क्या( नाश्ते की तरफ दे खते हुए) आज लगता है तनख्वाह हो गई। (
अपनी मम्मी की तरफ दे खते हुए) 

हां बेटा आज तनिक वा का दिन भी था और ऑफिस में काम भी जा रहा था इसलिए मुझे इधर आने में दे र हो गई
और आते आते मैं तुम दोनों के लिए नाश्ता भी लेकर आई हुं, चलो अब जल्दी से नाश्ता कर लो समय भी काफी हो
गया है। 
तीनों मिलकर नाश्ता करने लगे अलका की नजर बार-बार राहुल पर चली जा रहीे थी। खास करके उसके पेंट की
तरफ, अलका पेंट के उभार को दे खना चाहते थे लेकिन अभी अभी राहुल अपने लंड को शांत कर के आया था
इसलिए उसका लंड भी आराम से सो रहा था।
ा नाश्ता करते हुए अपने बेटे के बारे में ही सोच रही थी। अपने बेटे को मुठ मारता हुआ दे खकर वह समझ गई थी
कि उसके बेटे ने जवानी पूरी तरह से आ चुकी है। अब वह बड़ा हो चुका था और उसके दमदार मोटे तगड़े और लंबे
लंड को दे ख कर खुद उसकी बुर कुलबुलाने लगी थी। नाश्ता करते हुए राहुल के बारे में सोच-सोच कर ही उत्तेजित
होने लगी थी उसकी सांसे भारी हो चली थी। बुर से रीस रहा नमकीन पानी उसे आंखों से निकले आंसू से कम नहीं
लग रहे थे जो कि बुर की तड़प ना सह पाने की वजह से आंसु की तरह ही बुर से निकल रहा था। राहुल को दे ख
दे खकर अलका का बदन कसमसा रहा था। अलका के कमर के नीचे की हालत बिल्कुल खराब थी खासकर के
जांघो के बीच की दशा के बारे में तो पूछो मत। बार-बार अपने बेटे के मुठ को याद कर करके उसकी बुर फुल पिचक
रही थी। 
अलका या सोच-सोचकर और भी ज्यादा उत्तेजित हो जा रही थी कि अगर सच में राहुल का लंड जो की कुछ ज्यादा
ही मोटा और तगड़ा था उसकी बुर में जब अंदर तक जाएगा तब कैसा महसूस होगा बुर लंड की मोटाई की वजह से
एकदम फेलते हुए अंदर जाएगा। इतना कल्पना करते ही अलका की बुर से अमृत की बूंद टपक पड़ी। राहुल बड़े
मजे ले लेकर समोसे और रसमलाई खा रहा था। सोनू भी बड़े चाव से नाश्ता कर रहा था। लेकिन अलका का हाल
बुरा था हाथ में समोसा तो जरूर था लेकिन उसे खा नहीं रही थी। और रसमलाई तो बस कटोरे में ही रखी हुई थी
और उसका रस अलका की बुर से निकल रहा था। अलका जिस्म की तपन में तप रही थी। उसकी तड़प बढ़ती जा
रही थी उस से अब
बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हुआ जा रहा था। एक बार तो उसके जी में आया कि राहुल को अपनी बाहों में भर ले और
खुद ही उसके लंड पर अपनी बड़ी बड़ी गांड रख कर बैठ जाए। वासना तो पूरी तरह से अलका पर हावी हो चुका
था। वह चाहती तो जरूर ऐसा कर लेतीे लेकिन रिश्तों की मर्यादा और उसके संस्कार ऐसा करने से उसे रोक रहे थे।
हलका में अभी भी थोड़ी बहुत समझ बची थी जिससे वह बार बार बच जा रही थी। 
दोनों ने नाश्ता कर लिया था। अलका का मन खाने में नहीं लग रहा था लेकिन फिर भी थोड़ा बहुत खा कर उठ गई। 
राहुल और सोनू दोनों अपने कमरे में जा चुके थे। अलका रसोईघर में तड़प रही थी, बदन की आग बुझाए नहीं दिख
रही थी उसका मन में आज बहुत चुदवाने का कर रहा था। अपने बेटे के ही लंड पर मोह गई थी वह।
रसोई घर में खड़े खड़े ही वह कल्पना कीे दुनिया में खोने लगती। उसे ऐसा महसूस होता है कि उसका ही बेटा
उसको चोद रहा है उसका मोटा लंड उसकी बुर की गुलाबी पंखड़ि ु यों को फैलाते हुए अंदर की तरफ सरक रहा है
और वह भी मजे ले ले कर खुद अपनी कमर को हिलाते हुए अपने बेटे से चुदवा रही हैं। और जब कल्पना की
दुनिया से बाहर आती तो, उसकी सांसे भारी हो चली होती, और तेज चलती सांसों के साथ-साथ उसकी ऊपर नीचे
हो रही विशाल छातियां उसकी कामुकता की गवाही दे ती। अलका रसोईघर में खड़े-खड़े ही अपने बेटे के लंड को
याद करके साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर को मसल रही थी। लेकिन आज वो अच्छी तरह से जानती थी कि इस
तरह से मसलने से रगड़ने से और उंगली डालने से भी उसकी प्यास बुझाने वाली नहीं थी इसलिए थक हार कर
मटके से ठं डा पानी निकाल कर एक सांस में गटक गई, पानी पीने के बाद वह सीधे अपने कमरे में चली गई
खिड़की से ठं डी ठं डी हवा आ रही थी और बाहर का मौसम भी बदलने लगा था दूर दूर हल्की-हल्की बिजली चमक
रही थी। वह मन ही मन बड़बड़ाई कि आज बारिश होने वाली है। 
ऐसी गर्मी में ठं डी हवा उसे राहत पहुंचा रही थी इसलिए बिस्तर पर पड़ते ही उसे नींद आ गई। अर्धा एक घंटा ही
बीता होगा कि उसे ऐसा लगने लगा कि, राहुल उसकी साड़ी धीरे धीरे ऊपर की तरफ सरका रहा है। उसकी गरम
हथेलियों के स्पर्श से अलका पूरी तरह से गनंगना जा रही थी। अलका कुछ समझ पाती इससे पहले ही राहुल ने
साड़ी को एकदम कमर तक चढ़ा दिया था। अलका भी अपने बेटे की इस हरकत पर पूरी तरह से उत्तेजित हो गई।
इतनी ज्यादा उत्तेजित कि वह खुद ही अपने हाथों से अपनी पैंटी उतार कर अपनी बुर को अपने बेटे के सामने परोस
दी। रसीली और फुली हुई बुर मे तुरन्त राहुल अपना लंड डालकर चोदने लगा। बुर में मोटा लंड घुसते हुी अलका से
सहन नहीं हुआ और उसके मुंह से चीख निकल गई वह बार-बार राहुल से अपना लंड निकालने को कहती रही
लेकिन राहुल अपनी मां की एक नहीं सुना और धड़ाधड़ अपने लंड को अपनी मां की बुक में अंदर बाहर करके
चोदता रहा। अलका से यह चुदाई बर्दाश्त नहीं हो रही थी। थोड़ी ही दे र में वो दर्द से कराहने लगी उसका पूरा बदन
पसीना पसीना हो गया था। वह बार बार दर्द को दबाने के लिए
अपने दांतों को भींच ले रही थी । लेकिन दर्द था कि बढ़ता ही जा रहा था उस के दर्द का राहुल पर बिल्कुल भी
असर नहीं पड़ रहा था। वह तो बस अपनी मां को चोदने में लगा था। तभी राहुल ने पूरी ताकत लगाकर जोरदार
धक्का लगाया और अलका की बुरी तरह से चीख निकल गई। उसकी तुरंत आंख खुल गई। आंख खुली तो दे खी
कमरे में कोई नहीं था वह एक सपना दे ख रही थी। अलका अपनी हालत पर गौर की तो वह पसीने से पूरी तरह से
तरबतर हो चुकी थी जबकि बाहर तेज हवा के साथ बारिश हो रही थी। वह अपनी हालत को दे ख कर परेशान हुए
जा रही थी उसकी सांसे अभी भी तेज चल रही थी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था इस तरह का सपना दे खने
का क्या मतलब था आज तक उसने इस तरह का सपना नहीं दे खी थी जो कि इतना पूरी तरह से हकीकत लगे। वह
सोचने लगी क्या वाकई में वह अपने बेटे के साथ चुदाई का सुख ले सकती है। कभी उसका मन कहता हां तो कभी
इंकार कर दे ता। लेकिन फिर वह सोचने लगती कि आखिर बुरा ही क्या है उसकीे भी तो जरूरते हैं, आखिर कब
तक तड़पती रहेगी चुदाई के लिए, राहुल भी तो तड़प रहा है चोदने के लिए तभी तो वह मुठ मार रहा था।। शायद
वह भी मुझे चोदना चाहता है तभी तो रसोई घर में दो बार मुझे अपनी बाहों में भर कर जानबूझकर अपने लंड को
मेरी गांड की फांको के बीचो बीच चुभा रहा था। वह सच मे मुझे चोदना चाहता है। यही सब बातें अलका के दिमाग
में चल रहीे थी। और बाहर हवा के साथ बारिश हो रही थी जिससे पानी के छीटे अंदर कमरे तक आ रहे थे। अलंका
खिड़की को बंद करने के लिए बिस्तर से उठी, और खिड़की को बंद करते हुए उसे ख्याल आया कि छत पर उसने
कपड़े सूखने के लिए रखी थी। इतनी दे र में तो कपड़े भीग चुके होंगे लेकिन लाना भी तो जरुरी था इसलिए मैं छत
पर जाने के लिए कमरे से बाहर आ गई।

बारिश का जोर बढ़ता ही जा रहा था। अलका जानती थी की छत पर जाकर कपड़े समेटने का कोई मतलब
नहीं था क्योंकि सारे के सारे कपड़े गीले हो चक
ु े ही होंगे। लेकिन फिर भी वह छत की तरफ जाने लगी, तेज
हो रही बारिश की वजह से राहुल की भी नींद खल
ु चक
ु ी थी। वह भी उठकर कमरे से बाहर आ गया। ऐसी
तेज बारिश में राहुल का मन बहक रहा था । उसे इस समय स्त्री संसर्ग की ज्यादा ही जरूरत महसस
ू हो रही
थी। उसके लंड में अपने आप ही तनाव आ गया था। इस समय उसके बदन पर सिर्फ एक टॉवल ही लिपटी
हुई थी. और तो और उसने कमरे में ही अंडरवियर उतार फेंका था, वैसे भी वह कमरे में परू ी तरह से नंगा ही
लेटा हुआ था वह तो बारिश की वजह से बाहर आते ही टॉवेल लपेट लिया था। उसका मन इधर उधर भटक
रहा था। खास करके उसे इस समय उसकी मां ही याद आ रही थी। उसकी मतवाली मटकती भरावदार गांड
और उसका नंगा बदन राहुल के होश उड़ाए हुए था। टॉवल के अंदर लंड का तनाव बढ़ता ही जा रहा था कि
तभी उसे सीढ़ी पर से ऊपर की तरफ जाते हुए उसकी मां नजर आई व सोच में पड़ गया कि इतनी रात गए
मम्मी कहां जा रही है छत पर वो भी इस बारिश में . वैसे इस समय सीढ़ियों पर चढ़ते हुए अपनी मां को
दे खकर उसका मन डोल ने लगा था क्योंकि राहुल की प्यासी आँखे उसकी मां की गोल गोल बड़ी गांड पर ही
टीकी हुई थी। वैसे भी मन जब चुदवासा हुआ होता है तब औरत का हर एक अंग मादक लगने लगता है
लेकिन यहां तो हल्का सर से पांव तक मादकता का खजाना थी। सीढ़ियों पर चढ़ते समय जब वह एक एक
कदम ऊपर की तरफ रखती थी. तब जब भी वह अपने कदम को शिढ़ी पर रखने के लिए ऊपर की तरफ
बढ़ाती तब उसकी भरावदार गांड और भी ज्यादा उभरकर बाहर की तरफ निकल जाती जिसे दे खकर राहुल
के लंड में एेंठन होना शुरू हो गया था। बस यह नजारा दो-तीन सेकंड का ही था और उसकी मां आगे बढ़ गई
लेकिन यह दो-तीन सेकेंड का नजारा उसके बदन में कामक
ु ता भर दिया। वह भी अपनी मां के पीछे पीछे
सीढ़ियों से ऊपर चढ़ने लगा। बारिश तेज हो रही थी अलका जानती थी की छत पर जाने पर वह भी भीग
जाएगी लेकिन ना जाने क्यों आज उसका मन भीगने को ही कर रहा था। वह छत पर पहुंच चुकी थी, और
बारिश की बूंदे उसके बदन को भिगोते हुए ठं डक पहुंचाने लगे। बारिश की बूंदे जब उसके बदन पर पड़ती तो
अलका के पूरे बदन में सिरहन सी दौड़ने लगती। अलका को आनंद का अहसास हो रहा था। लेकिन अलका
की नजरें छत पर कुछ और ढूंढ रही थी। वह छत पर अपनी नजरों को इधर उधर दौडा रही
़ थी, राहुल दीवार
की ओट लेकर
अपनी मां को बारीश मे भीगते हुए दे ख रहा था। धीरे धीरे करके बारिश के पानी में उसका परू ा बदन. भीगने
लगा। साड़ी के साथ-साथ उसका ब्लाउज पेटीकोट ब्रा और पें टी भी परू ी तरह से गीली हो गई। राहुल अपनी
मां के मदमयी बदन को दे ख कर उत्तेजित होने लगा। 
लेकिन यह दे ख कर आश्चर्य में था कि उसकी मां छत पर इधर उधर नजरें दौड़ाकर क्या ढूंढ रही थी। एक
तो अलका का गीला बदन उसे परे शान किए हुए था, और फिर उसका इधर-उधर ढूंढना राहुल से रहा नहीं
गया वह भी छत पर आ गया उसके बदन को भी बारिश की बंद
ू े भीगाेने लगी, वैसे भी वह परू ी तरह से ही
नंगा था बस एक टॉवल ही थी जो उसके नंगेपन को छिपाए हुए थी।े बारिश के पानी में वह भी गीला होने
लगा था। 
राहुल उत्तेजना में सरोबोर हो चुका था और ऊपर से यह बारिश का पानी उसे और ज्यादा चुदवासा बना रहा
था।
अलका की पीठ राहुल की तरफ थी'। पूरी तरह से भीगी बाल खुले हुए थे, जो कि पानी में भीगते हुए बिखर
कर एक दस
ू रे में उलझे हुए थे जिससे पीछे का भाग और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था। अलका की साड़ी
कपड़े पूरी तरह से गीले हो कर बदन से ऐसे चिपके थे कि बदन का हर भाग हर कटाव और उसका उभार
साफ साफ नजर आ रहा था राहुल तो यह दे ख कर एकदम दीवाना हो गया उसकी टावल भी तंबू की वजह
से उठने लगी थी। राहुल को अपनी मां के खूबसूरत बदन का आकर्षण इस कदर बढ़ गया था कि उसके
बदन में मदहोशी सी छाने लगी थी उसे अब यह डर भी नहीं था कि कहीं उसकी मां जांघों के बीच बने उठे
हुए तंबू को ना दे ख ले, राहुल भी शायद अब यही चाहता था कि होता है जो हो जाने दो। इसलिए वह खुद भी
यही चाहता था कि' उसकी मां की नजर उसके खड़े लंड पर जाए। राहुल भी बारिश के पानी का मजा ले रहा
था लेकिन बारिश का यह ठं डा पानी उसके बदन की तपन को बुझाने की वजाय और ज्यादा भड़का रहीे थी।
उसकी मां भी अब कुछ ढूंढ़ नहीं रही थी बल्कि भीगने का मजा ले रही थी पहली बार यु आधी रात को वह
छत पर भीेगने के लिए आई थी। शायद बारिश के ठं डे पानी से अपने बदन की तपन को बुझाना चाहतीे थी
लेकिन, लेकिन इस बारिश के पानी से अलका के भी मन की प्यास भड़क रही थी। उसे अपनी जवानी के
दिन याद आने लगे जब ऐसी ही किसी भीगती बारिश में उसके पति ने उसकी जमकर चुदाई किया था। उस
पल को याद करके अलका और भी ज्यादा उत्तेजित होने लगी और उत्तेजना के मारे भीगती बारिश में
उसके दोनों हाथ खुद-ब-खुद उसकी चूचियों पर चले गए जिसे वह जोर जोर से दबा रही थी, राहुल आंख
फाड़े अपनी मां के इस हरकत को दे ख रहा था। उत्तेजना के मारे राहुल के लंड में मीठा मीठा दर्द होने लगा।
लंड की एठन ओर 
दर्द उस पर और ज्यादा बढ़ गया जब राहुल ने दे खा कि उसकी मां की दोनों हथेलियां चचि
ू यों पर से बारिश
के पानी के साथ सरकते सरकते कमर से होते हुए उसकी भारी भरकम भरावदार गांड पर चली गई और
गांड पर हथेली रखते ही उसकी मां उसे जोर जोर से दबाने लगी।
अपनी मां को अपनी मदमस्त पानी में भीगी हुई भरावदार गांड को दबाते हुए दे खकर राहुल से रहा नहीं
गया वह मदहोश होने लगा उसकी आंखों में खुमारी सी छाने लगी। एक बार तो उसके जी में आया कि पीछे
से जाकर अपनी मां के बदन से लिपट जाए और तने हुए लंड कोें उसकी बड़ी बड़ी गांड की फांकों के बीच
धंसा दे । लेकिन अपने आपको रोके रहा। अपनी मां की कामक
ु अदा को दे खकर राहुल की बर्दाश्त करने की
शक्ति क्षीण होती जा रही थी। लंड में इतनी ज्यादा ऐठन होने लगी थी कि किसी भी वक्त उसका लावा फूट
सकता था। अभी भी उसकी मां के दोनों हाथ उसीकी भरावदार नितंबों पर ही टिकी हुई थी। अलका को भी
अपने उठे हुए नितम्ब पर नाज होता था। 
राहुल वहीं इसके पीछे खड़े खड़े अपनी मां को ही दे ख कर पागल हुए जा रहा था उसकी हर एक अदा पर
उसका लंड ठुनकी मारने लग रहा था। राहुल की कामुक नजरें अपनी मां के मदमस्त बदन, चिकनी पीठ,
गहरी कमर और उभरे हुए नितम्ब जोकि भीगने की वजह से साफ साफ नजर आ रही थी ऊस पर फीर रही
थी। 
उसे डर लग रहा था कि कहीं उसकी मां पीछे मुड़कर उसे दे ख ली तो उसे अपने आप को दे खता हुआ पाकर
कहीं गुस्सा ना हो जाए इसलिए वह बोला। 

मम्मी ईतनी रात को ओर ईस बारीस मे क्यों भीग रही हो और क्या ढूंढ रही थी? 
( पीछे से आती आवाज सुनकर अलका चौंक गई और चौक कर पीछे अपने बेटे को खड़ा पाकर तुरंत अपने
नितंबों पर से हाथ हटा ली। और हड़बड़ाते हुए बोली।)

ककक...कुछ नही ....युं ही.... बारिश हो रही थी तो मैं छत पर कपड़े लेने आई थी लेकिन यहां तो......

कपड़े मैंने समेट लिए थे मम्मी( अपनी मां की बात परू ी होने से पहले ही राहुल बीच में बोल पड़ा।) 

वोह तभी मैं कहूं कि कपड़े कहां चले गए। वैसे भी बेटा गरमी इतनी थी कि बारिश दे खकर मुझे नहाने की
इच्छा हो गई और मैं यहीं रुक गई। लेकिन तुम कब आए।

मैं अभी-अभी आया हूं मुझे ऐसी बारिश में नींद नहीं आ रही थी और मैंने आपको सीढ़ियों से ऊपर आते
दे खा तो मै भी आपके पीछे पीछे आ गया। ( रह रह कर बादलों की गड़गड़ाहट के साथ बिजली भी चमक जा
रही थी। राहुल का लंड पूरी तरह से तना हुआ था. टॉवेल आगे से उठकर एकदम तंबू बनी हुई थी। जो के
पानी में भीगने की वजह से रह रहे कर सरकने लगती और राहुल उसे हाथ से संभाल लेता। अभी तक
अलका की नजर उस के तने हुए लंड पर नहीं पडीे थी।
़ लेकिन राहुल की नजर अपनी मां के बदन के हर एक
कोने तक पहुंच रही थी। पानी में भिगोकर अलका का ब्लाउज उसकी चूचियों के चिपक गया था जिससे
ब्लाउज के अंदर गुलाबी रं ग की ब्रा भी साफ साफ नजर आ रही थी। राहुल ललचाई आंखों से पानी में भीगी
हुई अपनी मां की चुचियों को दे ख रहा था अलका ने तुरंत उसकी नजरों के सिध को भांप ली। अपने बेटे की
कामुक नजरो को अपनी चूची पर घूमती हुई दे खकर उसकी बुर में सुरसुराहट होने लगी। तभी अलका की
नजरें उसके बेटे की नंगी छातियों पर पारी जोकि अच्छी खासी चोड़ी थी गठीला बदन दे खते अलका भी
उत्तेजित होने लगी
बारिश का जोर और ज्यादा बढ़ने लगा था बिजली की चमक और बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ने लगी थी एक
तरह से यह तफ
ू ानी बारिश थी। लेकिन इतनी तफ
ू ानी बारिश में भी दोनों मां बेटे एक दस
ू रे को अपनी तरफ
आकर्षित करने में लगे हुए थे। तेज बारिश में भी अपनी मां के ऊपर नीचे हो रही है छातियों को राहुल साफ-
साफ दे ख रहा था। साड़ी भीगकर एक तरफ हो गई थी।
जिससे अलका का गोरा चिकना पेट पर पेट के बीचमें नीचे की तरफ गहरी नाभि एकदम साफ दिखाई दे
रही थी जिस पर रह रहकर राहुल की नजर चली जा रही थी। अलका अपने बेटे की नजर को अपने बदन के
नीचे जाति दे ख उसकी नजर भी अपने बेटे की कमर से ज्यों नीचे गई उसका दिल धक्क से कर गया।
उसकी भीगी बुर मे से भी मदन रस चु गया। अलका कर भी क्या सकते थे अपने बेटे के कमर के नीचे का
नजारा ही कुछ ऐसा दे ख ली थी कि उसकी बुर पर उसका कंट्रोल ही नहीं रहा। अलका आंख फाड़े अपने बेटे
की कमर के नीचे दे ख रही थी। बारिश के पानी मे राहुल के साथ साथ उसकी टावल भी एकदम गीली हो
चुकी थी। टावल का कपड़ा भीगने की वजह से गीला होकर और ज्यादा वजनदार हो गया था। लेकिन टॉवल
के अंदर राहुल का लंड एकदम टाइट हो कर आसमान की तरफ दे ख रहा था जिससे टॉवल भी तन कर तंबू
बन गया था। यह नजारे को दे खकर अलका समझ गई थी कि उसके बेटे का लंड बहुत ज्यादा ताकतवर
और तगड़ा है । और इस तरह से अपने बेटे के लंड खड़े होने का कारण भी वह जान गई थी ।

वह अच्छी तरह से जान गई थी की उसके कामुक भीगे हुए बदन को दे खकर ही उसके बेटे का लंड खड़ा हुआ
है । अलका ऐसी तफ
ू ानी बारिश में भी अल्का पुरी तरह से गर्म हो चुकी थी।
राहुल भी जान गया था कि उसकी मां की नजर उसके खड़े लंड पर पड़ चुकी है । इस पल एक दस ू रे को दे ख
कर दोनों मां बेटे चुदवासे हो चुके थे। बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज माहौल को और गर्म कर रहा था। न
अलका से रहा जा रहा था और ना ही राहुल से दोनों मां-बेटे अपने आप को संभाल पाने में असमर्थ साबित
हो रहे थे। दोनों तैयार थे लेकिन दोनों अपनी अपनी तरफ से यह दे ख रहे थे कि पहल कौन करता है ।
दोनों एक दस
ू रे को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए सब कुछ कर चक
ु े थे और कर भी रहे थे लेकिन
पहल करने में डरते थे। तभी राहुल अपनी मां को अपनी तरफ दे खते हुए दे ख कर बोला।

क्या दे ख रही हो मम्मी? 


( अपने बेटे के इस सवाल का जवाब एकदम ठं डे दिमाग से दे ते हुए बोली।)

कुछ नहीं बेटा मैं बस यह दे ख रही हूं कि मेरा साथ दे ने के लिए तुम इतनी रात को भी छत पर भीगने चले
आए इसलिए आज मेरा जी भर के मन कर रहा है की इस बारिश मे मै खुब नहाऊं। ( इतना कहने के साथ
हुई अलका अपने बेटे को लुभाने के लिए अपने हाथ से साड़ी को उतारने लगी यह दे खकर राहुल के बदन में
कामाग्नी भड़क उठी। और राहुल के दे खते ही दे खते अलका ने अपने बदन से साड़ी को उतार फेंकी और
सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में ही बारिश में भीगने का मजा लेने लगी। शायद अलका को दे खकर बरसात
भी उसकी दीवानी हो गई थी इसलिए तो साड़ी को उतारते हुए बरसात और तेज पड़ने लगी बादलों की
गड़गड़ाहट बढ़ गई बिजली की चमक वातावरण को और ज्यादा गर्म करने लगे। अलका साड़ी को उतार
फेंकते हैं बारिश में भीगने का मजा लेने लगी मजा क्या लेने लगी वह अपनी कामक
ु अदा से अपने ही बेटे
को लभ
ु ाने लगी। वह जानती थी कि गीले कपड़ो मे से उसके गोरे बदन का पोर पोर झलक रहा हे और उसे
दे खकर उसका बेटा उत्तेजित भी हो रहा है इसलिए वह उसे और ज्यादा दिखा कर अपने बेटे को अपना
दीवाना बना रही थी। 

राहुल भी अपनी मां की अदाओं को दे खकर एकदम ज्यादा उत्तेजित हो चुका था इतना ज्यादा उत्तेजित कि उसे डर
था कि कहीं उसके लंड का लावा फूट ना पड़े।

लंड की नसों में खन


ू का दौरा दग
ु नी गति से दौड़ रहा था। उसका लंड इतना ज्यादा टाइट हो चुका था कि टॉवल के
दोनों छोर को जहां से बांधा हुआ था। लंड के तगड़ेपन की वजह से टॉवल का वह छोर हट गया था या युं कह सकते हैं
कि लंड टॉवल फाड़कर बाहर आ गया था। अपनी मां को दे खकर राहुल की सांसे बड़ी ही तीव्र गति से चलने लगी थी।
वह एक टक अपनी मां को दे खे ही जा रहा था अलका के अंदर ना जाने कैसी मदहोसी आ गई थी कि वह पानी में
भीगते हुए लगभग नाच रही थी। अलका के बदन में चुदासपन का उन्माद चढ़ा हुआ था। उत्तेजना और उन्माद की
वजह से उस की चिकनी बुर पूरी तरह से फुल चुकी थी। वह भीगने में मस्त थी। और राहुल उसे दे खने में मस्त था।
टॉवल से बाहर झांक रहे लंड को वापस छुपाने की बिल्कुल भी दरकार नहीं ले रहा था बल्कि वह तो यही चाहता था
कि

उसकी मां की नजर के नंगे लंड पर पड़े और उसे दे ख कर दोनों बहक जाएं। और यही हुआ भी बारिश में भीगते भीगते
अलका की नजर अपने बेटे के टावल में से झांक रहे मोटे तगड़े लंड पर पड़ी ओर उसकी मोटाई दे ख कर अलका की
बुर फुलने पिचकने लगी। उसके बदन में झनझनाहट सी फैल गई। राहुल अच्छी तरह से जान रहा था कि इस समय
उसकी मां की नजर उस के नंगे लंड पर टिकी हुई है । और जीस मदहोशी और खुमारी के साथ वह लंड को दे ख रही थी
राहुल को लगने लगा था कि बात जरूर बन जाएगी।

अलका उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुकी थी वह इससे आगे कुछ सोच पाती थी तभी। इतनी तेज
बादल गरजा की, परू े शहर की बिजली गुल हो गई छत पर जल रहा बल्ब भी बंद हो गया ' चारों तरफ घोर अंधेरा छा
गया इतना अंधेरा की ईस तेज बारिश में वह दोनों एक दस
ू रे का चेहरा भी नहीं दे ख पा रहे थे। रह रह कर बिजली
चमकती तब जाकर कहीं दोनों एक दस
ू रे को दे ख पा रहे थे।
पूरे शहर की लाइट गुल हो चुकी थी, अलका और राहुल दोनों छत पर भीग रहे थे। अंधेरा इस कदर छाया हुआ था कि
एक दस
ू रे को दे खना भी नामुमकिन सा लग रहा था। बारिश जोरों पर थी बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ती ही जा रही थी।
यह ठं डी और तूफानी बारिश दोनों के मन में उत्तेजना के एहसास को बढ़ा रहे थे। अलका की सांसे तो चल नहीं रही
बल्कि दौड़ रही थी, राहुल बेताब था तड़प रहा था उसका लंड अभी भी टावल से बाहर था। जिसे दे खने के लिए अलका
की आंखें इस गाढ़ अंधेरे में तड़प रही थी लेकिन दे ख नहीं पा रही थी। राहुल इस कदर उत्तेजित था उसकी लंड की
नसें उभर सी गई थी। ऐसा लगने लगा था कि कहीं यह नसे फट ना जाए। तभी राहुल बोला।

मम्मी यहां तो बहुत अंधेरा हो गया कुछ भी दे ख पाना बड़ा मश्कि


ु ल हो रहा है ।

हां बेटा नहाने का पूरा मजा किरकिरा हो गया अब हमें नीचे चलना होगा।( इतना कहते हुए अलका राहुल की तरफ
बढ़ी ही थी कि हल्का सा उसका पैर फिसला और वह राहुल की तरफ गिरने लगी कि तभी अचानक राहुल ने अपनी
मां को थाम लिया उसकी मां गिरते-गिरते बची थी वह तो अच्छा था कि राहुल के हाथों में गीरी थी वरना उसे चोट भी
लग सकती थी। लेकिन बचते-बचाते में अलका सीधे अपने बेटे की बाहों में आ गई थी। जिससे अलका का बदन
अपने बेटे के बदन से बिल्कुल सट गया था। दोनों के बदन से बारिश की बूंदें नीचे टपक रही थी। हवा इतनी तेज थी
कि दोनों अपने आप को ठीक से संभाल नहीं पा रहे थे। अचानक जो एक दस
ू रे के बदन से सटने पर टॉवल से बाहर
झांक रहा राहुल का तना हुआ लंड पेटीकोट सहित उसकी मां की जांघों के बीच सीधे उसकी बुर वाली जगह पर हल्का
सा दबाव दे ते हुए धंस गया , अलका को अपनी बरु पर अपने बेटे के लंड के सुपाड़े का गरम एहसास होते ही अलका
एकदम से गरम हो कर मस्त हो गई। आज एकदम ठीक जगह लंड की ठोकर लगी थी। लंड की रगड़ बुर पर महसुस
होते ही , अलका इतनी ज्यादा गर्म हो गई थी कि उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी छूट पड़ी , लेकिन शायद तेज
बारिश की आवाज में वह सिसकारी दब कर रह गई। अलका को भी अच्छा लग रहा था वह तो ऊपर वाले का शुक्र
मनाने लगे कि फिसल कर ठीक जगह पर गई थी फिर भी औपचारिकतावश बोली।

अच्छा हुआ बेटा तुमने मुझे थाम लिया वरना में गिर गई होती।

मेरे होते हुए आप कैसे गिर सकती है मम्मी।( राहुल अपनी मम्मी को थामने से मिले इस मौके को हांथ से जाने नही
दे ना चाहता था इसलिए वह अपनी मम्मी को अभी तक अपनी बाहों में ही भरा हुआ था उसकी मां भी शायद इसी
मौके की ताक में थी तभी तो अपने आप को अपने बेटे की बाहों से अलग नहीं कर रही थी।

और राहुल भी था मिलने के बहाने अपनी कमर को और ज्यादा आगे की तरफ बढ़ाते हुए अपने लंड को अपनी मां की
बुर वाली जगह पर दबा रहा था। राहुल का ल** रसोईघर की तरह पें ट में नहीं था बल्कि एकदम नंगा था और एक
दम शुरुर में था और इतना ज्यादा ताकतवर था कि इस बार पेटीकोट सहित लंड का सुपाड़ा अलका की बरु में हल्का
सा अंदर घुस गया। सुपाड़ा बरु के ऊपरी सतह पर ही था। लेकिन अलका के लिए इतना ही बहुत था आज बरसों के
बाद लंड उसकी बुर के मुहाने तक पहुंच पाया था। इसलिए तो अलका एकदम से मदहोश हो गई उसके पूरे बदन में
एक नशा सा छाने लगा और वह खुद ही अपने बेटे को अपनी बाहों में भींचते हुए अपनी बरु के दबाव को अपने बेटे के
लंड पर बढ़ाने लगी। दोनों परम उत्तेजित हो चुके थे। अपनी मां की बरु के और लंड के बीच सिर्फ वह पटना का
पेटीकोट ही दीवार बना हुआ था यह दीवार पेटीकोट की नहीं बल्की शर्म की थी। क्योंकि उसकी मां की जगह अगर
कोई और औरत होती तो यह पेटीकोट रुपी दीवार राहुल खुद अपने हाथों से गिरा दिया होता ' और अलका खुद अगर
इस समय यह उसका बेटा ना होता तो वह खुद ही इस दीवार को ऊपर उठा कर लंड को अपनी बुर में ले ली होती।

सब्र का बांध तो टूट चुका था लेकिन शर्म का बांध टूटना बाकी था। मां बेटे दोनों चुदवासे हो चुके थे। एक चोदने के
लिए तड़प रहा था तो एक चुदवाने के लिए तड़प रही थी। दोनों की जरूरते एक थी मंजिले एक थी और तो ओर रास्ता
भी एक था। बस उस रास्ते के बीच में शर्म मर्यादा और संस्कार के रोड़े पड़े हुए थे।

मां बेटे दोनो एक दस


ू रे में समा जाना चाहते थे। दोनों एक दस
ू रे की बाहों में कस के चले जा रहे थे बारिश अपनी ही
धुन में नाच रही थी अलका की बड़ी बड़ी चूचियां उसके बेटे के सीने पर कत्थक कर रहीे थी। राहुल का सीना अपनी मां
की चुचियों में समा जाना चाहता था। तेज बारिश और हवा के तेज झोंकों में राहुल की टावल उसके बदन से कब गिर
गई उसे पता ही नहीं चला राहुल एकदम नंगा अपनी मां को अपनी बाहों में लिए खड़ा था। उसका तना हुआ लंड
उसकी मां की बरु में पेटीकोट सहित धंशा हुआ था। अलका की हथेलियां अपने बेटे की नंगी पीठ पर फिर रहीे थी। उसे
यह नहीं पता था कि उसका बेटा परू ी तरह से नंगा होकर उससे लिपटा पड़ा है । अलका की बरु एकदम गर्म रोटी की
तरह फूल चुकी थी। बरु से मदन रस रिस रहा था जो कि बारिश के पानी के साथ नीचे बहता चला जा रहा था। तभी
आसमान में इतनी तेज बादल गरजा कि जैसे दोनोे को होश आया हो , दोनों एक दस
ू रे की आंखों में दे खे जा रहे थे
लेकिन अंधेरा इतना था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था वह तो रह रह कर बिजली के चमकने हल्का-हल्का दोनों एक
दस
ू रे के चेहरे को दे ख ले रहे थे। अलका मस्त हो चुकी थी' बुर में लंड लेने की आकांक्षा बढ़ती ही जा रही थी। मैं थोड़ा
बहुत अपने बेटे से दख
ु ी थी और दख
ु ी इस बात से थी कि उसका बेटा ये भी नहीं जानता था कि औरत के मन में क्या
चल रहा है क्योंकि वह जानती थी कि राहुल की जगह अगर कोई और लड़का होता तो इस मौके का भरपरू फायदा
उठाते हुए कब से उसकी चुदाई करने लगा होता।

अलका भी इस मौके को हाथ से जाने नहीं दे ना चाहती थी छत पर नजर दौड़ाते हुए कुछ सोचने लगे क्योंकि आज वह
भी यही चाहती थी कि होता है जो वो हो जाने दो।

बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी बारिश पल-पल तेज होती जा रही थी छोटी-छोटी बुंदे अब बड़ी होने लगी थी
जो बदन पर पड़ते ही एक चोट की तरह लग रही थी। अलका कोई उपाय सोच रही थी क्योंकि उसे रहा नहीं जा रहा था
बारिश के ठं डे पानी में उसकी बरु की गर्मी को बढ़ा दिया था। जिस पर अभी भी उसके बेटे का लंड पेटीकोट सहित
सटा हुआ था। अलका अपने बेटे की नंगी पीठ पर हाथ फिराते हुए बोलि।
अच्छा हुआ बेटा कि तू छत पर आ गया वरना मुझे गिरते हुए कौन संभालता।( इतना कहते हुए एक हाथ से अपनी
पेटीकोट की डोरी को खोलने लगी, क्योंकि वह जानती थी की डोरी खुलते ही उसे पेटीकोट उतारने की जरूरत भी नहीं
पड़ेगी क्योंकि बारिश इतनी तेज गिर रही थी कि बारिश की बोछार से खुद ही उसकी पेटीकोट नीचे सरक जाएगी।
और अगले ही पल उसने पेटीकोट की डोरी को खोल दी। राहुल जवाब दे ते हुए बोला।)

मैं इसलिए तो यहां आया था मम्मी ताकि मुसीबत में मैं काम आ सकंु , और तुम्हें गिरते हुए बचा कर मुझे अच्छा
लग रहा है ।

( अपनी बेटे की बात को सन


ु कर अलका खश
ु हो गई और लंड की रगड़ से एकदम रोमांचित हो गई। और रोमांचित
होते हुए अपने बेटे के गाल को चम
ु ने के लिए अपने होठ आगे बढ़ाई अंधेरा इतना गाढ़ा था कि एक दस
ू रे का चेहरा भी
नहीं दिखाई दे रहा था इसलिए अलका के होठ राहुल के गाल पर ना जाकर सीधे उसके होंठ से टकरा गए। होठ से होठ
का स्पर्श होते ही राहुल के साथ साथ खद
ु अलका भी काम विह्ववल हो गई। राहुल तो लगे हाथ गंगा में डुबकी लगाने
की सोच ही रहा था इसलिए तरु ं त अपनी मां के होठों को चस
ू ने लगा बारिश का पानी चेहरे से होते हुए हॉठ चस
ु ाई की
वजह से एक दस
ू रे के मंह
ु में जाने लगा। दोनों मस्त हो गई. राहुल तो पागलों की तरह अपनी मां की गल
ु ाबी होंठों को
चस
ु े जा रहा था। उसकी मां भी अपने बेटे का साथ दे ते हुए उसके होठों को चस
ू रही थी । यहां चंब
ु न दल
ु ार वाला चंब
ु न
नहीं था बल्कि वासना में लिप्त चंब
ु न था। दोनों चंब
ु न में मस्त थे और धीरे -धीरे पानी के बाहावं के साथ साथ अलका
की पेटीकोट भी उसकी कमर से नीचे सरक रही थी। या यों कहो कि बारिश का पानी धीरे -धीरे अलका को नंगी कर
रहा था। दोनों की सांसे तेज चल रही थी राहुल अपनी कमर का दबाव आगे की तरफ अपनी मां पर बढ़ाए ही जा रहा
था और उसका तगड़ा लंड बरु की चिकनाहट की वजह से पेटीकोट सहित हल्के हल्के अंदर की तरफ सरक रहा था।
दोनों का चद
ु ासपन बढ़ता जा रहा था की तभी बहुत जोर से फिर बादल गरजा ओर ईस बार फीर से दोनों की तंद्रा भंग
हो गई। अलका की सांसे तीव्र गति से चल रही थी। वह लगभग हांफ रही थी। और इस बार खद
ु को राहुल की बाहों से
थोड़ा अलग करते हुए बोली।

बेटा शायद यह बारिश रुकने वाली नहीं है वैसे भी लाइट चले जाने पर नहाने का सारा मजा किरकिरा हो गया है अब
हमें नीचे चलना चाहिए। ( वैसे तो राहुल का नीचे जाने का मन बिल्कुल भी नहीं था उसे छत पर ही मजा आ रहा था।
फिर भी वह एतराज जताते हुए बोला।)

हां मम्मी लेकिन कैसे जाएंगे नहीं थे यहां इतना अंधेरा है कि हम दोनो एक दस
ू रे को भी नहीं दे ख पा रहे हैं। हम दोनों
का बदन भी पानी से परू ी तरह से भीग चुका है , ऐसे नहीं सीढ़ियां चढ़कर नीचे उतर कर जाना हम लोग फेशल भी
सकते हैं और वैसे भी सीढ़ी भी दिखाई नहीं दे रही है ।
( मन तो अलका का भी नहीं कर रहा था नीचे जाने को लेकिन वह जानती थी कि अगर सारी रात भी छत पर रुके रहो
तो भी बस बाहों में भरने के सिवा आगे राहुल बढ़ नहीं पाएगा। और वैसे भी अलग का आगे का प्लान सोच रखी थी
इसलिए नीचे जाना भी बहुत जरूरी था।

नीचे तो चलना पड़ेगा बेटा और वैसे भी जब तुम मुझे संभाल सकते हो तो क्या मैं तुम्हें गिरने दं ग
ू ी। ( अलका इतना
कह रही थी तब तक पेटिकोट सरक कर घुटनों से नीचे जा रही थी अलका मन ही मन बहुत खुश हो रही थी। क्योंकि
नीचे से वह परू ी तरह से नंगी होती जा रही थी। माना कि उसका बेटा उसे नंगी होते हुए दे ख नहीं पा रहा था लेकिन
फिर भी अंधेरे मे ही सही अपने बेटे के सामने नंगी होने में ।

अलका के बदन में एक अजीब से सुख की अनुभूति हो रही थी। वह रोमांचित होते हुए बोली।

बेटा तू बिल्कुल भी चिंता मत कर बस तू मझ


ु े पकड़कर

मेरा सहारा लेते हुए मेरे पीछे पीछे सीढ़ियां उतरना। ( इतना कहने के साथ ही सरक कर पैरों में गिरी हुई पेटीकोट को
पैरों का ही सहारा दे कर टांग से निकाल दी। अब अलका कमर के नीचे बिल्कुल नंगी हो चक
ु ी थी, उसके मन में यह
हूक रहे जा रहीे थीे कि काश उसे नंगी होते हुए उसका बेटा दे ख पाता तो शायद वह कुछ आगे करता लेकिन फिर भी
जो उसने सोच रखी थी वह अगर कामयाब हो गया तो आज की ही रात दोनों एक हो जाएंगे। अलका के बदन पर मात्र
उसका ब्लाउज ही रह गया था और अंदर ब्रा बाकी वह बिल्कुल नंगी हो चुकी थी। राहुल तो पहले से ही एकदम नंगा
हो चुका था। आने वाले तूफान के लिए दोनों अपने आपको तैयार कर रहे थे। इसलिए तो अलका ने अपने बदन पर से
पेटीकोट उतार फेंकी थी और राहुल बारिश की वजह से नीचे गिरी टावल को उठाकर लपेटने की बिल्कुल भी दरकार
नहीं ले रहा था। और बारिश थी की थमने का नाम ही नहीं ले रही थी। अलका नीचे जाने के लिए तैयार थी बादलों की
गड़गड़ाहट से मौसम रं गीन बनता जा रहा था तेज हवा दोनों के बदन में सुरसुराहट पैदा कर रही थी।

अलका नीचे उतरने के लिए नीचे जाती सीढ़ियों की तरफ जाने के लिए कदम बढ़ाएं और एक हाथ से टटोलकर राहुल
को इशारा करते हुए अपने पीछे आने को कही क्योंकि सीढ़ियों वाला रास्ता बहुत ही संकरा था वहां से सिर्फ एक ही
इंसान गुजर सकता था इसलिए राहुल को अपने पीछे ही रहने को कहीं अंधेरा इतना था कि वह खुद राहुल का हाथ
पकड़कर अपने कंधे पर रख दी ताकि वह धीरे धीरे नीचे आ सके। अलका सीढ़ियों के पास पहुंच चुकी थी क्योंकि रह
रह कर जब बिजली चमकती तो उसके उजाले में ज्यादा तो नहीं बस हल्का हल्का नजर आ रहा था। बारिश का शोर
बहुत ज्यादा था। अब वह सीढ़ियों से नीचे उतरने वाली थी इसलिए राहुल को बोली।
बेटा संभलकर अब हम नीचे उतारने जा रहे हैं अगर डर लग रहा हो तो मुझे पीछे से पकड़ लेना। ( अलका ने टॉवल से
बाहर झांकते उसके लंड को दे ख चुकी थी और वह यही चाहती थी कि राहुल सीढ़ियां उतरते समय उसे पीछे से
पकड़ेगा तो उसका लंड गांड में जरूर रगड़ खाएगा। उसकी मां की यह बात राहुल के लिए तो सोने पर सुहागा था।
इससे तो उसे खुला मौका मिल जाएगा। वह कुछ बोला नहीं बस हामी भर दीया।

अलका धीरे धीरे सीढ़िया उतरने लगे और उसके पीछे पीछे राहुल, अलका आराम से दो तीन सीढ़ियां उतर गई, और
राहुल भी बस कंधे पर हाथ रखे हुए नीचे आराम से उतर रहा था। दोनों तरफ रहे थे कल का चाह रही थी कि राहुल
पीछे से उसे पकड़ ले राहुल भी यही चाह रहा था कि अपनी मां के बदन पर पीछे से जाकर सट जाए। लेकिन ऐसा हो
नहीं पा रहा था। अलका तो तड़प रही थी उसे जल्द ही कुछ करना था वरना यह मौका हाथ से जाने वाला था दोनों
अगर ऐसा ही होता रहा है तो शर्म के मारे यह सुनहरा मौका हाथों से चला जाएगा। इसलिए अलका ने शिढ़ी पर
फिसलने का बहाना करते हुए आगे की तरफ झटका खाते हुए।

ऊईईईई....मां ....गई रे .....

( इतना सन
ु ते ही राहुल बिना वक्त गवाएं झट से अपनी मां को पीछे से पकड़ लिया, अब लगा पीछे से अपने बेटे की
बाहों में थी। राहुल का बदन अपनी मां के बदन से बिल्कुल सटा हुआ था इतना सटा हुआ कि दोनों के बीच में से हवा
को आने जाने की भी जगह नहीं थी। लेकिन अपनी मां को संभालने संभालने मे उसका लंड जोकी पहले से ही
टनटनाया हुआ था वह ऊसकी मां की बड़ी बड़ी भरावदार गांड की फांको के बीच जाकर फंस गया। राहुल के बदन मे
आश्चर्य के साथ सरु सरु ाहट होने लगी।

राहुल के बदन में आश्चर्य के साथ सरु सरु ाहट होने लगी क्योंकि पीछे से अपनी मां को थामने में उस का टनटनाया
हुआ लंड उसकी मां की भरावदार गांड की फांखों के बीच फंस गया था। उसे आनंद तो बहुत आया लेकिन लेकिन एक
बात उसको आश्चर्य में डाल दी थी। क्योंकि उसकी मां पेटीकोट पहनी हुई थी। लेकिन इस वक्त सीढ़ियों से उतरते
समय जिस तरह से उसका लंड सटाक करके गांड की फांकों के बीच फस गया था , इससे तो यही लग रहा था उसे कि
उसकी मां ने पेटीकोट नहीं पहनी है । राहुल को अजीब लग रहा था ' तभी उसकी मां ने बोली।

ओहहहहह.... बेटा तूने मुझे फिर से एक बार गिरने से बचा लिया और कहां मैं तझ
ु े कह रही थी कि मै सभाल लूंगी।
तेरा बहुत-बहुत शुक्रिया बेटा।

इसमें शुक्रिया कैसा मम्मी यह तो मेरा फर्ज है ।


तू बहुत समझदार हो गया और बड़ा भी। ( इतना कहकर अलका हं स दी, उसके कहने का कुछ और मतलब था लेकिन
उसका मतलब राहुल समझ नहीं पाया अलका कुछ दे र तक सीढ़ियों पर खड़ी थी राहुल भी उसे अपनी बाहों में लिए
खड़ा था उसका लंड अलका की भरावदार गांड में फंसा हुआ था जो कि यह बात अलका बहुत अच्छी तरह से जानतीे
थी। वह इसी लिए तो जान बझ
ू कर अपनी पेटीकोट को छत पर उतार आई थी, क्योंकि वह जानती थी की सीढ़ियों से
उतरते समय कुछ ऐसा ही दृश्य बनने वाला था। अलका के साथ साथ राहुल की भी सांसे तीव्र गति से चल रही थी।

राहुल तो अपनी मां की गांड के बीचो बीच लंड फंसाए आनंदीत भी हो रहा था और आश्चर्यचकित भी हो रहा था।
उसने अपनी मन की आशंका को दरू करने के लिए एक हाथ को अपनी मम्मी के कमर के नीचे स्पर्श कराया तो
उसके आश्चर्य का ठिकाना ही ना रहा। उसकी हथेली अलका की जांघो पर स्पर्श हो रही थी और जांघो को स्पर्श करते
ही वह समझ गया कि उसकी मम्मी कमर से नीचे बिल्कुल नंगी थी। उसके मन में अब ढे र सारे सवाल पैदा होने लगे
कि यह पेटीकोट कैसे उतरी क्योंकि उसकी आंखों के सामने तो उसकी मां ने सिर्फ अपनी साड़ी को उतार फेंकी थी।
साड़ी को उतार फेंकने के बाद उसके बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट रह गई थी।

तो यह पेटीकोट कब और कैसे उतर गई, कहीं मम्मी ने अंधेरे में तो नहीं अपनी पेटीकोट उतार कर नंगी हो गई।
क्योंकि बिना पेटीकोट की डोरी खोलें ऐसी तेज बारिश में भी पेटीकोट अपने आप उतर नहीं सकती थी।

इसलिए जानबझ
ु कर मम्मी ने अपनी पेटीकोट की डोरी खोलकर पेटीकोट उतार दी' इसका मतलब यही था कि मम्मी
भी कुछ चाह रही है । कहीं ऐसा तों नहीं कि मम्मी भी इस मौके का फायदा उठाना चाहती है । जो भी हो उसमें तो मेरा
ही फायदा है । यही सब बातें कशमकश राहुल के मन में चल रही थी।

मजा दोनों को आ रहा था,खड़े लंड का युं मस्त मस्त भरावदार गांड में फसने का सुख चुदाई के सुख से कम नहीं था।
अलका तीन सीढ़ियां ही उतरी थी और वहीं पर ठीठक गई थी। अपने बेटे की जांघों का स्पर्श अपनी जाँघो पर होते ही
हल्का को समझते दे र नहीं लगा की उसका बेटा भी परू ी तरह से नंगा है । अपने बेटे के लंड की मजबूती का एहसास
उसे अपनी गांड की दरारो के बीच बराबर महसूस हो रहा था। बादलों की गड़गड़ाहट अपने पूरे शबाब में थी बारिश
होगा जोर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था कुल मिलाकर माहौल एकदम गरमा चुका था। बारिश की ठं डी ठं डी
हवाओं के साथ पानी की बौछार मौसम में कामुकता का असर फैआ रही थी। अलका कि साँसे भारी हो चली थी रह-
रहकर उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ रही थी। लेकिन बारिश और हवा का शोर इतना ज्यादा था कि अपनी मां
की गरम सिसकारी इतनी नजदीक होते हुए भी राहुल सुन नहीं पा रहा था। तभी अलका अपने बेटे से बोली।

कसकर मुझे पकड़े रहना बेटा क्योंकि छत का पानी सीढ़ीयो से भी बह रहा है । और हम दोनों भीगे हुए हैं इसलिए पैर
फिसलने का डर ज्यादा है इसलिए निसंकोच मुझे पीछे से कस के पकड़े रहना।

( अलका का इरादा कुछ और था बस वह पेेर फीसलने का बहाना बना रही थी। आज अलका भी अपने बेटे के साथ हद
से गुजर जाना चाहती थी। और राहुल भी अपनी मां के कहने के साथ ही पीछे से अपने दोनों हाथ को कमर के ऊपर
लपेटे हुए कस के पकड़ लिया और इस बार कस के पकड़ते ही उसने अपनी कमर का दबाव अपनी मां की गांड पर
बढ़ा दिया, जिससे उसके लंड का सुपाड़ा सीधे उसकी गांड की भूरे रं ग के छें द पर दस्तक दे ने लगा। उस भूरे रं ग के छे द
पर सुपाड़े की रगड़ का गरम एहसास होते ही अलका के बदन में सुरसुरी सी फैल़ गई एक बारगी उसका बदन कांप सा
गया। अलका के बदन में इतनी ज्यादा उत्तेजना भर चुकी थी कि उसके होठों से लब्ज भी कपकपाते हुए निकल रहे
थे। वह कांपते स्वर में बोली।

बबबबब....बेटा ... कस के पकड़ा है ना।

हहहह...हां मम्मी राहुल की भी हालत ठीक उसकी मां की तरह ही थी उसके बदन में भी उत्तेजना का संचार तीव्र गति
से हो रहा था खास करके उसके तगड़े लंड में जो की अपनी ही मां की गांड की दरार में उस भूरे रं ग के छे द पर टिका
हुआ था जहां पर अपने बेटे के लंड का स्पर्श पाकर अलका पूरी तरह से गनगना गई थी। अलका की बरु से मदन रस
रीस नहीं बल्कि टपक रहा था। अलका परू ी तरह से कामोत्तेजना में सराबोर हो चुकी थी। उसकी आंखों में नशा सा
चढ़ने लगा था। बरसात की भी आवाज किसी रोमांटिक धुन की तरह लग रही थी। अलका अपने बेटे का जवाब
सुनकर अपना पैर सीढ़ियों पर उतारने के लिए बढ़ाई अब तक राहुल का लंड अलका की गांड में फंसा हुआ था। लेकिन
जैसे ही अलका ने अपने पैर को अगली सीढी पर उतारी और उसी के साथ राहुल अपनी मां को पीछे से बाहों में जकड़े
हुए जैसे ही अपनी मां के साथ साथ पैर को अगली सीढ़ी पर उतारा उसका लंड गांड की गहरी दरार से सरक कर गांड
की ऊपरी सतह से सट गई। राहुल अपनी मां को पीछे से कस के पकड़े हुए था उसकी मां भी बार बार करते पकड़े रहने
की हिदायत दे रही थी। और मन ही मन अपने बेटे के भोलेपन को कोस रही थी क्योंकि इतने में तो, कोई भी होता
अपने लंड को थोड़ा सा हाथ लगाकर उसकी बुर में डाल दिया हो तो उसके लिए राहुल भोला का भोला ही रहे गा।

अलका अपने बेटे को भोला समझ रही थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि वह इससे पहले दो सिखरो की चढ़ाई कर
चुका था। ऐसे ही ऐसे एक दस
ू रे से चिपके हुए दो सीढ़ियां और उतर गए। अलका की तड़प बढ़ती जा रही थी इतनी
नजदीक लंड के होते हुए भी उसकी बरु अभी तक प्यासी थी और उसकी प्यास अलका से बर्दाश्त नहीं हो रही थी। उसे
लगने लगा था कि उसे ही कुछ करना है जैसे जैसे नीचे उतारती जा रही थी अंधेरा और भी गहराता जा रहा था और
बारिश तो ऐसे बरस रही थी कि जैसे आज पूरे शहर को निगल ही जाएगी। लेकिन यह तूफानी बारिश दोनों को बड़ी ही
रोमांटिक लग रही थी। तभी अलका ने सीढ़ी पर रुक कर अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाकर राहुल की कमर को
पकड़ते हुए थोड़ा सा पीछे की तरफ करते हुए बोली।

बेटा थोड़ा ठीक से पकड़ नहीं तो मेरा पैर फिसल जाएगा( पर इतना कहते हैं कि साथ ही वापस अपने हाथों को हटा
ली,)
ठीक है मम्मी (इतना कहने के साथ ही राहुल का लंड अपने आप एडजस्ट होकर वापस गांड की गहरी दरार में फस
गया। और अलका यही करने के लिए बहाना बनाई थी। अलका अपनी बाहों में में परू ी तरह से कामयाब हो चुकी थी
क्योंकि इस बार उसका लंड उसकी गांड के भुरे छें द से नीचे की तरफ उसकी बुर की गुलाबी छे द के मुहाने पर जाकर
सट गया। बरु के गुलाबी छे द पर अपने बेटे के लंड के सुपाड़े का स्पर्श होते हैं अलका जल बिन मछली की तरह तड़प
उठी, उसकी हालत खराब होने लगी वह सोचने लगी थी की वह क्या करें कि उसके बेटे का मोटा लंड उसकी बुर में
समा जाए और दो औरतों की चुदाई कर चुका राहुल भी अच्छी तरह से समझ चुका था कि उसके लंड का सुपाड़ा
उसकी मम्मी के कौन से अंग पर जाकर टिक गया है । राहुल का लंड तो तप ही रहा था। लेकिन उसकी मां की
बुरउसके लंड से कहीं ज्यादा गरम होकर तप रही थी। अपनी मां की बरु की तपन का एहसास लंड पर होते हैं राहुल को
लगने लगा की कहीं उसका लंड पिघल ना जाए। क्योंकि बरु का स्पर्श होते ही उसके लंड का कड़कपन एक दम से बढ़
चुका था और उसमे से मीठा मीठा दर्द का एहसास हो रहा था। अलका पुरी तरह से गनगना चुकी थी। क्योंकि आज
बरसों के बाद उस की नंगी बुर पर नंगे लंड का स्पर्शा हो रहा था।

बरसों से सूखी हुई उसकी जिंदगी में आज इस बारिश में हरियाली का एहसास जगह आया था। उत्तेजना के मारे
अलका के रोंगटे खड़े हो गए थे। अपने बेटे के लंड के मोटे सुपाड़े को वह अपनी बुर के मुहाने पर अच्छी तरह से
महसूस कर रही थी वह समझ गई थी कि उसकी बुर के छे द से उसके बेटे के लंड का सुपाड़ा थोड़ा बड़ा था।

जो की बुर के मुहाने पर एकदम चिपका हुआ था। अलका अपनी गर्म सिस्कारियों को दबाने की पूरी कोशिश कर रही
थी लेकिन उसकी हर कोशिश उत्तेजना के आगे नाकाम सी हो रही थी। ना चाहते हुए भी उसके मुंह से कंपन भरी
आवाज निकल रही थी।

बबबबब.....बेटा ....पपपपपप...पकड़ा है ना ठीक से।

हं हंहंहंहं....हां .... मम्मी ( राहुल भी उत्तेजना के कारण हकलाते हुए बोला)

अब मैं सीढ़ियां उतरने वाली हूं मुझे ठीक से पकड़े रहना। ( इतना कहने के साथ ही एक बहाने से वह खुद ही अपनी
गांड को हल्के से पीछे ले जाकर गोल-गोल घुमाते हुए अपने आप को सीढ़िया उतरने के लिए तैयार करने लगी। राहुल
भी गरम सिसकारी लेते हुए हामी भर दिया। राहुल की भी हालत खराब होते जा रही थी। वह मन ही मन में यह सोच
रहा था कि इतनी उत्तेजित अवस्था में तो वह नीलू और विनीत की भाभी के साथ भी नहीं था जितना उत्तेजित वह
इस समय अपनी मां के साथ था। रिमझिम गिरती तूफानी बारिश और बादलों की गड़गड़ाहट एक अजीब सा समा
बांधे हुए थी। अलका जानती थी कि इस बार संभालकर सीढ़ियां उतरना है वरना फिर से इधर उधर होने से राहुल का
लंड अपनी सही जगह से छटककर कहीं और सट जाएगा। इसलिए वह वापस अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ ले
जाकर अपने बेटे के कमर को कस के पकड़ते हुए अपनी गांड से सटाते हुए बोली बेटा इधर फीसल़ने का डर कुछ
ज्यादा है परू ी सीढ़ियों पर पानी ही पानी है ।

इसलिए तु मुझे कस के पकड़े रहना मैं नीचे उतर रही हूं

( इतना कहने के साथ ही अलका अपने पैर को नीचे सीढ़ियों पर संभालकर रखने लगे और राहुल को बराबर अपने
बदन से चिपकाए रही। इस तरह से राहुल की कमर पकड़े हुए वह आधी सीढ़ियो तक आ गई। इस बीच राहुल का लंड
उसकी मां की बरु पर बराबर जमा रहा। अपनी बरु पर गरम छुपाने की रगड़ पाकर अलका पानी पानी हुए जा रही थी
उसकी बरु से मदन रस टपक रहा था जो कि राहुल के लंड के सप
ु ाड़े से होता हुआ नीचे सीढ़ियों पर चु रहा था। अलका
के तो बर्दाश्त के बाहर था ही लेकिन राहुल से तो बिल्कुल भी यह तड़प सही नहीं जा रही थी। दो औरतों की चद
ु ाई कर
चक
ु ा राहुल या अच्छी तरह से जानता था कि, उसका लंड उसके मां की उस अंग से सटा हुआ था जहां पर हल्का सा
धक्का लगाने पर लंड का सप
ु ाड़ा सीधे बरु के अंदर जा सकता था लेकिन राहुल अभी भी शर्म और रीश्तो के बंधन में
बंधा हुआ था। राहुल को अभी भी शर्म की महसस
ू हो रही थी यह तो अंधेरा था इस वजह से इतना आगे बढ़ चक
ु ा था।
वह अपने मन मे बोल भी रहा था की इस समय अगर इसकी मां की जगह कोई और औरत होती तो वह कब से अपना
समच
ू ा लंड बरु में पेल दिया होता। लेकिन राहुल की मां इसके विपरीत

सोच रही थी, उसे राहुल नादान लग रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि किसी को भी अगर इतनी छूट
दी जाए तो इतने से ही सब कुछ कर गज
ु र गया होता। लेकिन राहुल इतना नादान और भोला है कि जन्नत के द्वार
पर बस लंड की टीकाए खड़ा है ।

दोनों से बर्दाश्त नहीं हो रहा था दोनों एक दस


ू रे की पहल में लगे हुए थे। लेकीन ईस समय जो हो रहा था। उससे भी
कम आनन्द प्राप्त नही हो रहा था। ईस तरह से भी दोनो संभोग की पराकाष्ठा का अनभ
ु व कर रहे थे।

दोनों की सांसे लगभग उखड़ने लगी थी। अलका तो यह सोच रही थी कि वह क्या करें कि उसके बेटे का लंड उसकी
बरु में समा जाए। सीढ़ियां उतरते समय राहुल का लँ ड उसकी मां की गांड में गदर मचाए हुए था, राहुल का लंड
अलका की गांड की दरार के बीचोबीच कभी बरु पर तो कभी भरु े रं ग के छें द पर रगड़ खा रहा था।

अलका तो मदहोश हुए जा रही थी उसकी दोनों टांगे कांप रही थी। राहुल की भी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी। वह
बराबर अपनी मां को कमर से पकड़ कर अपने बदन से चिपकाए हुए था। इसी तरह से पकड़े हुए दोनों सीढ़ियां
लगभग उतर चुके थे , राहुल अपनी मां को अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था और अलका भी अपने दोनों हाथों से अपने
बेटे के कमर को पकड़ कर अपने बदन से चिपकाए हुए थी। मां बेटे दोनों संभोग का सुख प्राप्त करने के लिए तड़प रहे
थे।

लेकिन अब राहुल से बर्दाश्त नहीं हो रहा था क्योंकि कई दिन बीत चुके थे उसने बरु में लंड नहीं डाला था। और इस
समय दोनों के बीच इस तरह के हालात पैदा हुए थे की ऐसे में तो चुदाई ही ईसकी मंजिल बनती थी। राहुल अजीब सी
परिस्थिति में फंसा हुआ था। उसके अंदर मनो मंथन सा चल रहा था। वह अपनी ओर।अपनी मम्मी के हालात के
बारे में गौर करने लगा क्योंकि यह सारी परिस्थिति उसकी मां ने ही पैदा की थी। उसका इस तरह से उसके सामने
साड़ी उतार कर बारिश में नहाना अपने अंगो का प्रदर्शन करना और जान बझ
ू कर अपनी पेटीकोट उतार फेकना , और
तो और सीढ़ियां उतरते समय अपने बदन से चिपका लेना। यह सब यही दर्शाता था कि खुद उसकी मां भी वही
चाहती थी जो कि राहुल खुद जाता था यह सब सोचकर राहुल का दिमाग और खराब होने लगा।. अब उसी से यह
कामुकता की हद सही नहीं जा रही थी तीन-चार सीढ़ीया ही बाकी रह जा रही थी। इस समय जो बातें राहुल के मन में
चल रही थी वही बातें अलका के मन में भी चल रही थी अलका भी यही चाहती थी कि कैसे भी करके उसके बेटे का
लंड उसकी बरु में प्रवेश कर जाए। उसको भी यही चिंता सताए जा रहे थे की बस तीन चार सीढ़ियां ही रह गई थी। जो
होना है ईसी बीच हो जाता तो अच्छा था। एक तो पहले से ही राहुल के लंड ने उसकी बुर को पानी पानी कर दिया था।
कामातूर होकर अलका ने ज्यों ही अपने कदम को नीचे सीढ़ियों की तरफ बढ़ाई और राहुल था की इस मौके को हाथ
से जाने नहीं दे ना चाहता था इसलिए वह अपनी मां को पीछे से अपनी बाहों में भरे हुए हल्के से अपनी कमर को नीचे
की तरफ झुकाते हुए वह भी अपनी मां के साथ साथ नीचे कदम बढ़ाया ही था कि उसका खड़ा लंड उसकी मां की बुर
के सही पोजीशन में आ गया और जैसे ही राहुल के कदम सीढ़ी पर पड़े तुरंत उसके लंड का सुपाड़ा उसकी मां की
पनियाई बुर मे करीब आधा समा गया' और जैसे ही सुपाड़े का करीब आधा ही भाग बरु में समाया अलका का समुचा
बदन बुरी तरह से गंनगना गया। उसकी आंखों से चांद तारे नजर आने लगे। एक पल को तो उसे समझ में ही नहीं
आया कि क्या हुआ है आज बरसों के बाद उसकी बुर में लँ ड के सुपाड़े का सिर्फ आधा ही भाग गया था। और वह सुपाड़े
को अपनी बरु में महसूस करते ही मदहोश होने लगी उसकी आंखों में खुमारी सी छाने लगी। और एकाएक उसके मुंह
से आह निकल गई, अपनी मां की आह सुनकर राहुल से रहा नहीं गया और वह अपनी मां से पूछ बैठा।

क्या हुआ मम्मी।

( अब अलका अपने बेटे के इस सवाल का क्या जवाब दे ती, जबकि राहुल भी अच्छी तरह से जानता था कि उसका लंड
किसमे घस
ु ा है फिर भी वो अनजान बनते हुए अपनी मां से सवाल पछ
ू रहा था। तो अलका भी तो अभी इतनी बेशर्म
नहीं हुई थी कि अपने बेटे को साफ साफ कह दें कि तेरा लंड मेरी बरु में घस
ु गया है । जब राहुल सब कुछ जानते हुए
भी अनजान बना हुआ था तो उसे भी अनजान बने रहने में क्या हर्ज था और वैसे भी अनजान बने रहने में ही ज्यादा
मजा आ रहा था। इसलिए वह कांपते स्वर में बोली।)

कककककक.... कुछ नहीं बेटा .....पाव दर्द करने लगे हैं।

( अपनी मां की बात सुनकर राहुल अनजान बनता हुआ बोला।)

आराम से चलो मम्मी कोई जल्दबाजी नहीं है वैसे भी अंधेरा इतना है कि कुछ दे खा नहीं जा रहा है ।
( राहुल तो इसी इंतजार में था कि कब उसकी मम्मी अगलीे सीढ़ी उतरे और वह अपना आधा लंड उसकी बुर में डाल
सके। और तभी अलका अपने आप को संभालते हुए वह भी यही सोचते हुए की शायद अगले सीढ़ी उतरते समय
उसके बेटे का पूरा सुपाड़ा उसकी बरु में समा जाए। और यही सोचते हैं उसने सीढ़ी उतरने के लिए अपना कदम नीचे
बढ़ाई और राहुल भी मौका दे खते हुए अपनी मां को यूंही बाहों में दबोचे हुए अपनी कमर को थोड़ा और नीचे ले जाकर
हल्का सा धक्का लगाया ही था कि, अलका अपने आप को संभाल नहीं पाई उत्तेजना के कारण उसके पांव कांपने
लगे और वह लड़खड़ाकर बाकी की बची दो सीढ़ियां उतर गई और राहुल के लंड का सुपाड़ा जितना घुसा था वह भी
बाहर आ गया। दोनों गिरते-गिरते बचे थे राहुल का लंड डालने का मौका जा चुका था और अल्का का भी लंड डलवाने
का मौका हाथ से निकल चुका था।

अलका अपनी किस्मत को कोस रही थी कि अगर ऐन मौके पर उसका पेर ना फिसला होता तो अब तक उसके बेटे
का लंड उसकी बुर में समा गया होता और राहुल भी खड़े लंड पर ठोकर लगने से दख
ु ी नजर आ रहा था। दोनों सीढ़ियां
उतर चुके थे और राहुल अपनी मां से पूछा।

क्या हुआ मम्मी आप ऐसे लड़खड़ा क्यों गई?

( कुछ दे र पहले लंड के एहसास से वह परू ी तरह से गर्म हो चक


ु ी थी उसके सांसे अभी भी तेज चल रही थी। उत्तेजना
उसके सर पर सवार थी यह नाकामी उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी। लेकिन फिर भी अपने आप को संभालते हुए वह
बोली।)

कुछ नहीं बेटा एकाएक मुझे कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ और मुझे दर्द होने लगा इसलिए मैं अपने आप को संभाल
नहीं पाए और गिरते गिरते बची और तझ
ु े तो चोट नहीं लगी ना बेटा।

नहीं मम्मी मुझे चोट नहीं लगी है लेकिन यह बताओ क्या चुभ रहा था और किस जगह पर। ( अलका यह अच्छी
तरह से जानतीे थी कि राहुल भोला बनने की कोशिश कर रहा था वह सब कुछ जानता था, वरना यूं इतनी दे र से
उसका लंड खड़ा नहीं रहता। वैसे भी इस समय पहले वाली अलका नहीं थी यह अलका बदल चुकी थी। शर्मीले
संस्कारों और मर्यादा में रहने वाली अलका इस समय कहीं खो चुकी थी उसकी जगह वासना मई अलका ने ले ली थी।
जिसके सर पर इस समय वासना सवार थी। इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि रिश्ते नाते सब कुछ भूल चुकी
थी और अपने बेटे के सवाल का जवाब दे ते हुए बड़े ही कामुक अंदाज में बोली।)

अब क्या बताऊं बेटा तुझे की ं क्या चुभ रहा है और कौन सी जगह चुभ रहा है । इतने अंधेरे में तो तुझे दिखाई भी
नहीं दे गा। ( वैसे भी शीढ़ी वाली गैलरी में अंधेरा कुछ ज्यादा ही था बारिश अभी भी तेज बरस रही थी बादलों की
गड़गड़ाहट लगातार सुनाई दे रही थी। अलका हाथ में आए मौके को गंवाते हुए दे खकर अंदर ही अंदर झझ
ुं लाहट
महसूस कर रही थी। उसके हाथ से एक सुनहरा मौका निकल चुका था। वह फिर से कोई रास्ता दे ख रहे थे कि फिर से
कोई काम बन जाए। इसलिए और राहुल से बोली।)

चलो कोई बात नहीं बेटा हम दोनों काफी समय से भीग रहे हैं, अब हम दोनों को बाथरूम में चलकर अपने गीले
कप्प......( इतना कहते ही अलका थोड़ा रुक कर बोली।)

बेटा जब तु मेरे बदन से चिपका हुआ था तो मझ


ु े ऐसा एहसास हो रहा था कि बेटा तू बिल्कुल नंगा था।

( अलका अब खल
ु ेपन से बोलना शरू
ु कर दी थी अपनी मां के इस बात पर राहुल हड़बड़ाते हुए बोला।)

वो...वो...मम्मी ....वो टॉवल.... ऊपर तेज हवा चल रही थी तो छत पर ही छूट गई और अंधेरे में कहां गिरी दिखाई
नहीं दी..... लेकिन मम्मी मुझे भी ऐसा लग रहा है कि नीचे से आप परू ी तरह से नंगी है । आप तो पेटीकोट पहनी हुई
थी....तो.....

अरे हां उपर कितनी तेज बारिश गिर रही थी वैसे भी मझ


ु से तो मेरी साड़ी भी नहीं संभाले जा रही थी। और शायद तेज
बारिश की वजह से मेरी पेटीकोट सरक कर कब नीचे गिर गई मझ
ु े पता ही नहीं चला। वैसे भी तू तो दे ख ही रहा है कि
अंधेरा कितना घना है हम दोनों एक दस
ू रे को भी ठीक से दे ख नहीं पा रहे है . तो वह क्या खाक दिखाई दे ती। इसलिए
मैं भी बिना पेटीकोट पहने ही ईधर तक आ गई। ( तभी धीमी आवाज में बोली।) तुझे कुछ दिख रहा है क्या?

नहीं मम्मी कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है अगर दिखाई दे ता तो सीढ़ियां झट से ना उतर गया होता, यू आपसे चिपक
कर क्यों उतरता ।

( दोनों जानते थे कि दोनों एक दस


ू रे को झठ
ू बोल रहे थे दोनों की हालत एक दस
ू रे से छिपी नहीं थी। दोनों इस समय
सीढ़ियों के नीचे नंगे ही खड़े थे। अलका कमर से नीचे परू ी तरह से नंगी थी और राहुल तो संपर्ण
ू नग्नावस्था में अंधेरे
में खड़ा था तभी अलका बोली।

चल कोई बात नहीं बाथरूम में चलकर कपड़े बदल लेते हैं ( इतना कहते ही अलका अंधेरे में अपना हाथ आगे बढ़ा कर
अपने बेटे का हाथ पकड़ना चाहि कि तभी ) ज्यादा दे र तक अगर ऐसे ही भीगे खड़े रहें तो तबीयत खरा......( इतना तो
ऐसे ही हो आश्चर्य के साथ खामोश हो गई और हड़ बड़ाते हुए बोली....)
यययययय......ये.....ककककक.....क्कया....है ।

( अलका ने अंधेरे में अपने बेटे का हाथ पकड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाई थी लेकिन उसके हाथ में उसके बेटे का
टनटनाया हुआ खड़ा लंड आ गया और एकाएक हाथ में आया मोटे लंड की वजह से अलका एकदम से हड़बड़ा गई
थी। अलका को अपने बेटे कां लंड हथेली में कुछ ज्यादा ही मोटा लग रहा था। अल्का पुरी तरह से गनगना गई थी।
जब उसे यह एहसास हुआ कि उसके हाथ में राहुल के हाथ कीे जगह क्या आ गया है तो वह एकदम से रोमांचित हो
गई और उत्तेजना के मारे उसकी बरु फूलने पीचकने लगी। राहुल जी उत्तेजना के समंदर में गोते लगाने लगा,
अपनी मम्मी के हाथ में अपना लंड आते ही राहुल भी पुरी तरह से गनगना गया था।

अलका से अब बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह एकदम से चुदवासी हो चुकी थी। इसलिए वह तुरंत उसका लंड
छोड़कर राहुल का हाथ थाम ली और बाथरुम की तरफ जाते हुए बोली।

चल बाथरूम में चलकर अपना बदन पहुंचकर कपड़े बदल लेते हैं वरना सर्दी लग जाएगी।

अंधेरा इतना था तुमसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था फिर भी रह-रहकर बिजली चमकने की वजह से खिड़की से उस की
रोशनी अंदर आ रही थी। जिससे बाथरूम कहां है यह थोड़ा-थोड़ा दिखाई दे रहा था। थोड़ी ही दे र में दोनों बाथरुम के
अंदर थे, यहां भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा था और बाथरूम की खिड़की की वजह से आती रोशनी में हल्का-हल्का
झलक रहा था। तभी अचानक

राहुल के कानों में वही उस दिन वाली बाथरूम में से आ रही है सीटी की आवाज सुनाई दे ने लगी राहुल का माथा ठनक
गया , उसे समझते दे र नहीं लगेगी उसकी मम्मी के सामने ही भले ही नहीं दिखाई दे रहा है फिर भी पास में बैठ कर
पेशाब कर रही थी। राहुल एकदम मदहोश होने लगा है उससे रहा नहीं जा रहा था उसके लंड का कड़क पन बढ़ता ही
जा रहा था। वह सब कुछ जानते हुए भी अपनी मां से बोला।

क्या हुआ मम्मी क्या कर रही हो?

अलका जानती थी कि पेशाब करते वक़्त उसकी बरु से

सीटी की आवाज बड़े जोरों से आ रहे थे और यह आवाज राहुल भी साफ साफ सुन रहा था और राहुल जानता भी था
कि वह क्या कर रही है लेकिन फिर भी वो जानबझ
ू कर पूछ रहा था इसलिए अलका भी मादकता लिए चुदवासी
आवाज में बोली।
क्या बेटा यह भी कोई पूछने वाली बात है बड़े जोरों की आई थी इसलिए यहीं बैठ कर पेशाब कर रही हूं अगर तुझे भी
लगी हो तो ले कर ले इस अंधेरे में कहां कुछ दिखने वाला है

अपनी मां की सी बातें सुनकर राहुल और ज्यादा उत्तेजित हो गया। उससे रहा नहीं गया और वह भी वही खड़े होकर
पेशाब करने लगा कि तभी लाइट आ गई।

लाइट आ चुकी थी बाथरूम का भी बल्ब चमकने लगा बाथरूम में रोशनी ही रोशनी हो गई। राहुल की
नजर अपनी मां पर गई तो उसका दिल धक्क से रह गया।

अलका भी अपने बेटे की तरफ दे खी तो चौक गई। दोनों हतप्रत हो गए थे। गजब का नजारा बना हुआ
था अलका बैठ कर पेशाब कर रही थी और राहुल साफ-साफ दे ख पा रहा था कि उसकी मां की पेशाब की
धार सामने दीवार से टकरा रही थी, और उसकी बरु से लगातार मधुर मई संगीत की धुन बज रही थी
जिसे सुन सुनकर राहुल कामातूर हुए जा रहा था। बल्ब के जलते ही अलका की नजर सीधे अपने बेटे पर
गई थी जो कि उसके ही नजदीक खड़ा होकर पेशाब कर रहा था उसका टनटनाया हुआ लंड उसकी
ऊंगलियों मे फंसा हुआ था। और उसमें से भी पेशाब की तेज धार फूट रही थी जोकि सामने की दीवार से
टकरा रहीे थी। दोनों की नजर एक दस
ू रे की पेशाब की तेज धार पर ही टिकी हुई थी दोनों कुछ समय के
लिए सब कुछ भूल चुके थे।

कुछ दे र पहले अंधेरे का फायदा उठाते हुए दोनों ने जो

वासनामई क्रिया का प्रारं भ किया था वह इससे में उजाले में और ज्यादा भड़क चुका था। दोनों एक दस
ू रे
के अंगों को दे खे जा रहे थे हालांकि राहुल को उसकी मां की बुर नजर नहीं आ रही थी लेकिन उसमें से
निकलीती हुई पेशाब की तेज धार साफ साफ नजर आ रही थी। अलका का मुंह खुला का खुला रह गया
था उसकी मदहोश आंखें अपने ही बेटे के मोटे लंड पर टिकी हुई थी। अंधेरे में जिसे दे खकर मचल उठी
थी इस समय उजाले में उस के दर्शन करके पागल सी होने लगी थी उसके सर पर वासना का भूत सवार
हो गया था उससे रहा नहीं जा रहा था वह मन में ठान ली थी की, आज चाहे जो हो जाए अपने बेटे के
लंड को अपनी बरु में परू ा का परू ा डलवा कर उससे चुदवा कर ही रहे गी।

पेशाब करते हो दोनों की नजरें आपस में टकराई तो दोनों शर्म से पानी पानी हो गए दोनों ने अपनी
नजरों को शर्म के मारे दस
ू री तरफ फेर लिए। अलका मन में तो चुदवाने की ठान ली थी लेकिन बल्ब के
उजाले में अपने बेटे से नजर मिलते ही उसकी आंखों के सामने पेशाब करते हुए शर्म से पानी-पानी हुए
जा रही थी। उसे इस तरह से अपने बेटे के सामने बैठकर मुंतने में शर्म महसूस होने लगी, लेकिन कुछ
दे र पहले अंधेरे में आगे चलकर उसी में जानबूझकर अंधेरे का फायदा उठाते हुए अपने बेटे के सामने
पेशाब करने बैठी थी। ताकि बरु से आ रही सीटी की आवाज को सुनकर राहुल एकदम से चुदवासा हो
जाए और उसे चोदने के लिए मजबूर हो जाए लेकिन इस समय अलका के चेहरे पर शर्मो हया की लाली
छाई हुई थी। राहुल अपनी नजरों को शर्म के मारे दस
ू री तरफ फेरकर पेशाब तो कर रहा था लेकिन अपने
आप को अपनी मां को नंगी होकर जो बैठकर पेशाब करते हुए दे खने का लालच रोक नहीं पा रहा था
इसलिए बार-बार तिरछी नजरों से अपनी मां की भरावदार गांड ओौर बुर से निकल रही पेशाब की तेज
धाार को दे ख ले रहा था। दोनों इस समय एकदम चुदवासे हो चुके थे। पर मर्यादा की और शर्म की
पतली चादर को जो कि तार तार हो चुकी थी फिर भी हटा नहीं पा रहे थे।

अलका दस
ू री तरफ मुंह फेरे पेशाब करते हुए सोचने लगीे की, यह क्या कर रही है , बरसों से जो प्यास
बनने लिए प्यासी तड़प रही थी और आज उस प्यास को बझ
ु ाने का समय आया तो शर्म के मारे नजर
फेर ले रही है । वह मन ही मन में अपने आप से ही बोले जा रही थी। अगर आज अपने बदन की प्यास
नही बझ
ु ा पाई तो यह प्यास हमेशा के लिए उसके सीने में दफन हो जाएगा और औरत जिस सुख की
हकदार रहती है उस सुख से वह हमेशा के लिए वंचित रह जाएगी। अलका मन ही मन में अपने आप को
समझा रही थी। यह सुनहरा मौका आज हाथ से जाने मत दे ना( उसके अंदर से आवाज आ रही थी वह
भी सोचने लगी कि आखिरकार इसमें हर्ज ही क्या है । राहुल उसका सगा बेटा है और वह भी चोदने के
लिए तैयार है तभी तो उसके सामने परू ी तरह से नंगा खड़ा था। वह मन में सोच रही थी कि सब कुछ
माहौल के हिसाब से बना हुआ है मैं भी तैयार हूं और मेरा बेटा भी तैयार है । और इसमे किसी के सामने
बेईज्जत होने का डर भी नहीं रहे गा।

यह सब सोच सोच कर अलका की बरु को फुलने पिचकने लगी दोनों पेशाब कर चुके थे। अलका ने
अपनी नजरों को अपने बेटे की तरफ घूमाई , वह पहले से ही अपनी मां को एकटक दे ख रहा था। अलका
की नजरें फिर से अपने बेटे की नजरों से मिली लेकिन इंतजार अलका की आंखों में शर्मिंदगी का एहसास
रत्ती भर भी नहीं था। वह अपने आप को वासना के रास्ते पर चलने के लिए पूरी तरह से तैयार कर
चुकी थी।

अलका की नजर अपने बेटे के चेहरे से होती हुई नीचे की तरफ आने लगी राहुल भी अपनी मां को
वासना की नजरों से हो रहा था।

धीरे -धीरे नीचे की तरफ आती हुई नजरें राहुल के लंड पर टिक गई। अलका एकटक अपने बेटे के खड़े
ल** को दे ख रहे थे और राहुल इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुका था की लं के ऊपर उसकी नसें उभर
चुकी थी जिसे दे खकर अलका की बरु से मदन रस की बूंद नीचे टपक पड़ी। अलका यह सोचकर और
अत्यधिक उत्तेजित हुए जा रही थी थी जब यह ऊभरी हुई नसों वाला लंड ऊफ्फ्फ...... उसकी कसी हुई
बुर में जाएगा तो कितना रगड़ता हुआ जाएगा, अलका उसकी कल्पना करके ही चरम सुख का अनुभव
कर रही थी।

अपने बेटे का लंड दे खकर अब उससे सब्र नहीं हो रहा था, अलका की हालत उस समय और ज्यादा
खराब हो जा रही थी जब राहुल जानबझ
ू कर अपनी मां को उकसाने के लिए अपने हाथों से लंड को पकड़
कर ऊपर नीचे करते हुए हिला रहा था, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां उसके लंड
को ही दे ख रही थी और इस हरकत को दे खते ही उसकी मां एकदम से चुदवासी हो गई उससे रहा नहीं
गया और उसने अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर सीधे अपने बेटे के खड़े लंड को पकड़ कर अपनी मुट्ठी में
भींच ली,, मुठ्ठी में भींचते ही लंड की गर्माहट से अलका की आह निकल गई। राहुल भी अपने लंड को
अपनी मां की हथेली में दे खकर उत्तेजना के साथ मदहोश होने लगा। अलका का तो गला ही सूखने लगा
था उससे रहा नहीं जा रहा था बरसों के बाद उसकी तमन्ना उसके बदन की दबी हुई प्यास बुझने के
आसार नजर आ रहे थे। अलका के लिए इस समय उसका बेटा मीठे पानी का कुआं था और वह खुद
बरसों से प्यासीे थी। और अपनी प्यास बुझाने के लिए प्यासे को कुएं के पास जाना ही पड़ता है ।

राहुल अपने खड़े लंड को अपनी मां की नरम नरम गरम हथेलियों की आगोश में पाकर गनगना गया
था। उसका बदन अजीब से सुख की अनुभूति करते हुए कसमसा रहा था। अलका तो मुंह खोले आश्चर्य
के साथ अपने बेटे का लंड पकड़े लंड के गोल सुपाड़े को ही घरू े जा रही थी। दोनों की सांसे तीव्र गति से
चल रही थी। बाहर बरसात अभी भी जारी थी बादलों की गड़गड़ाहट बिजली की चमक रह रह कर अपने
होने का अंदेशा दे जा रही थी। अलका अंदर ही अंदर बरसात को धन्यवाद किए जा रही थी क्योंकि इस
समय जो भी हो रहा था वह इस तूफानी बारिश का ही नतीजा था वरना अब तक तो ना जाने कबसे
अपनी बूर को हथेली से रगड़ते हुए सो गई होती। अलका का गला उत्तेजना के मारे इतना ज्यादा सूख
चुका था गले से थूक निकलना भी मुश्किल हुए जा रहा था। राहुल उसी तरह से खड़ा था अलका भी
पेशाब करने के लिए बेठी तो बेठी ही रह गई। काफी दे र से दोनों के बीच वार्तालाप हो नहीं पा रही थी
बस दोनों कामुकता के आकर्षण में बंध कर अपना आपा खो बैठे थे। अलका ही खामोशी को तोड़ते हुए
बोली।

बाप रे इतना तगड़ा लंड ( अपनी मां के मुंह से ऐसी खुली हुई बातें सुनकर वह अपनी मां को दे खने
लगा' अलका को पता था कि अब उसे खुलना ही पड़ेगा , शर्म का पर्दा त्याग कर बेशर्म बनना पड़ेगा
तभी वह उस परम सुख को भोग सकती है जिसकी कल्पना में रात दिन लगी हुई थी। आज वहां बेशर्म
बनकर चुदाई के सारे सुखों को भोग लेना चाहती थी इसलिए वह अपने बेटे के लंड को मुट्ठी में भरकर
धीरे धीरे मुट्ठीयाते हुए बोली।)

सच राहुल तेरा यह हथियार तो बहुत ज्यादा मोटा लंबा और तगड़ा है । ( इतना कहते हुए वह धीरे -धीरे
अपने बेटे के लंड को हिला रही थी जिससे राहुल को परम आनंद की अनुभूति हो रही थी। लंड को
हिलाते हुए अलका फिर बोली।)
बेटा तेरा लंड तो तेरे पापा से भी ज्यादा मोटा तगड़ा है ।

तभी तो मुझे यह इतना ज्यादा चुभ रहा था। तझ


ु े पता तो होगा ना कि कहां चुभ रहा था।( राहुल तो
अपनी मां का यह रूप दे ख कर और उसके मुंह से इतनी गंदी गंदी बातें सुनकर आवाक सा रह गया था।
आश्चर्य से अपना मुंह खोले अपनी मां की हरकतों को दे ख भी रहा था और उसका आनंद भी उठा रहा
था। अपनी मां के चुभने वाले सवाल का जवाब दे भी तो कैसे दे ' इतना तो वह अच्छी तरह जानता था
कि उसका लंड उसकी मां के किस अंग पर चुभ रहा था। लेकिन यह बात अपने मुंह से कहे भी तो कैसे
कहें इसलिए वह संकोच भाव से ना में सिर हिला दिया, और अपने बेटे का ना में सिर हिलता हुआ
दे खकर वह मुस्कुराते हुए बोली।)

बड़ा भोला है रे तू इतना भी नहीं जानता कि तेरा यह हथियार मेरे किस अंग पर चुभ रहा था। रुक मैं
तुझे दिखाती हूं । ( अपनी मां के मुंह से दिखाने वाली बात सुनते ही उत्तेजना के मारे अलका के हाथ में
ही राहुल का लंड ठुनकी मारने लगा। जिसका एहसास अलका को साफ तौर पर अपनी हथेली में हो रहा
था। अलका ठुनकी लेते हुए लंड के कारण उत्तेजित हो रही थी और धीरे से खड़ी होते हुए बोली।)

रुक मैं तुझे अच्छी तरह से दिखाती हूं।( इतना कहते हुए अलका खड़ी हो गई उसके बदन पर अभी भी
सिर्फ ब्लाउज ही थी। राहुल आंख फाड़े अपनी मां के नंगे बदन को ऊपर से नीचे तक दे ख रहा था।
अलका खड़ी हो चुकी थी लेकिन अभी भी उसके हाथ में उसके बेटे का लंड था । अलका अपने बेटे को
तड़पाते हो एक बार उसकी राय जानने के लिए उससे बोली।)

दे खना चाहता है कहां चुभ रहा था तेरा ये ( अपनी हथेली में लंड को खींचते हुए )हथियार।

( अपनी मां की गंदी बातें सन


ु कर राहुल का मन मस्तिष्क मस्ती से हिलोरे ले रहा था अपनी मां की
बातों को सुनकर उसको मजा आने लगा था। वह भी हामी भरते हुए सिर हिला दिया। अलका तो तड़प
रही थी अपने बेटे को अपना वह बेशक़ीमती अंग दिखाने के लिए ' जिसकी तपन में तपकर वह तड़प
रही थी।

अलका खड़ी थी राहुल अपनी मां को ही दे ख कर जा रहा था वह दे खना चाहता था कि उसकी मां उसे
क्या दिखाती है जबकी वह जानता था, कि उसकी मां उसे अपनी बरु ही दिखाना चाहती है लेकिन कैसे
दिखाएगी यह उसे दे खना था। तभी अलका ने सामने दीवार से गुजर रही छोटी सी पाईप पर अपना पैर
उठाकर रख दें और पैर उठाए हुए ही थोड़ा सा अपने बेटे की तरफ घूम गई, ऐसा करने पर अलका का
पूरा बदन राहुल के सामने आ गया एक खुली किताब की तरह। उसकी बरु भी दिखाई दे रही थी। लेकिन
शर्म के मारे राहुल की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह अपनी मां की बुर को दे ख सके। हालांकि अपनी
मां के इस हरकत कर उसकी बरु दे खने की इच्छा एकदम प्रबल हो चुकी थी फिर भी शर्म की वजह से
अपनी नजरें अपनी मां की बरु पर नहीं ले जा पा रहा था। वह थुक को गले में निगलते हुए अपनी नजरें
इधर-उधर घुमा रहा था। अलका अपने बेटे की मनोदशा को भांप गई थी। अलका को लगने लगा था कि
उसका बेटा शरमा रहा है । उसे यह नहीं पता था कि यही राहुल उसे ना जाने कितनी बार नंगी दे ख चुका
है और उसके बारे में कल्पना कर कर के मुट्ठ मार चुका है ।

फिर भी अलका यह समझती थी कि अगर आगे बढ़ना है तो राहुल के डर और शर्म को भी खत्म करना
होगा इसलिए एक टांग उठाई हुए वह राहुल से बोली।

बेटा दे ख (उं गली से दिखाते हुए )इसी जगह पर तेरा यह हथियार चुभ रहा था।

अपनी मां की बात मानते हुए राहुल अपनी नजरों को बुक की तरफ घुमा दिया, राहुल की तो सांस ही
अटक गई जब उसकी नजर उसकी मां की बरु पर पड़ी बरु एकदम चिकनी थी बस हल्के हल्के रोए ही
नजर आ रहे थे ऐसा लग रहा था कि तीन चार दिन पहले ही क्रीम लगाकर साफ की है । राहुल दे खा तो
दे खता ही रह गया

उत्तेजना के मारे बरु रोटी की तरह फूल गई थी। राहुल भारी सांसो के साथ अपनी मां की फुली हुई बरु
को दे ख रहा था, उसकी मां भी बड़े अरमान से अपने बेटे को अपनी बरु के दर्शन करा रही थी। अलका
की नजर अपने बेटे पर गई तो दे खें कि वह बड़े रोमांच और गौर के साथ उसकी बुर की तरफ दे ख रहा
था इसीलिए उसको और ज्यादा उकसाते हुए उसने अपनी हथेली को धीरे से अपनी बरु पर रखकर हल्के
से मसलते हुए ऊपर की तरफ हथेली को बढ़ा दी अपनी मां की यह हरकत को दे खकर राहुल अत्यधिक
उत्तेजना महसूस करने लगा और उत्तेजना बस उसका हाथ अपने आप उस के तने हुए लंड पर आ गया
और वह उसे मुट्ठी में भींच लिया। राहुल की हालत को दे ख कर वह समझ गई थी की राहुल एकदम से
चुदवासा हो चुका है । उसे लोहा परू ी तरह से गर्म लगने लगा था जोकि चोट मारने का बिल्कुल सही
टाइम आ गया था। लेकिन उसे और गर्म करने के लिए अलका बोली।

दे ख बेटा ठीक से दे ख ले यह वही जगह है जिस पर तेरा यह हथियार( लंड की तरफ इशारा करते हुए )
चुभ रहा था मझ
ु े बड़ी परे शानी हो रही थी। ऐसे कैसे दे ख रहा हे छू कर दे ख ले दे ख तो अभी तक
कितनी गरम है ।
( अपनी मां की बात सुन कर राहुल हक्का-बक्का रह गया उसकी मां उसे बुर छूने के लिए उकसा रही
थी। जबकि राहुल को खुद ही उसकी बुर छुने के लिए तड़प रहा था। अपनी मां के इस आमंत्रण से वह
पूरी तरह से गनगना गया था। वह अच्छी तरह से जान लिया था कि वासना की आग दोनों तरफ बराबर
लगी हुई थी। अलका ने एक बार फिर उसे ज़ोर दे ते हुए उसकी बरु छुने के लिए कही। और इस बार
राहुल अपनी मां की बुर को स्पर्श करने के लिए अपने हाथ को आगे बढ़ाया लेकिन उत्तेजना की मारे
उसका हैंथ कांप रहा था। यह दे खकर अलका मुस्कुराने लगी। अपने बेटे का डर दरू करने के लिए उसने
खुद ही उसका हाथ पकड़ कर उसकी हथेली को अपनी बुर पर रख दी। अपनी मां की बुर पर हथेली
रखते ही राहुल के मुंह से आह निकल गई और जब उत्तेजना के कारण राहुल ने अपनी मां की बुर को
अपनी हथेली में दबोचा तो अलका की सिसकारी फुट पड़ी।

स्स्स्स्स ्हहहहहहह.......आहहहहहहहहहह.....राहुल

राहुल अपनी मां की ब** को अपनी हथेली में दबोचे हुए अलका के एकदम करीब आ गया दोनों
उत्तेजना में करो बोर हो चुके थे। वीनीत की भाभी और नीलू के साथ चुदाई का अनुभव ले चुका राहुल
औरत को खुश करने का तरीका जान चुका था इसलिए वह अपनी हथेली को अपनी मां की बरु पर धीरे -
धीरे रगड़ने लगा। इससे हल्का की सिसकारी फूटने लगे उत्तेजित हुए जा रही थी साथ ही उसके चेहरे का
रं ग सुर्ख लाल होता जा रहा था राहुल अपनी मां के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था और जैसे ही राहुल के
होठ अलका के होंठ के बिल्कुल करीब पहुंचे राहुल से रहा नहीं गया वह अपनी मां के गुलाबी होंठों को
चूसने का लालच दबा नहीं पाया और तुरंत अपने होंठ को अपनी मां के हॉठ पर सटा दिया, होठ से हॉठ
सटते ही जेसे दोनों बरसों के प्यासे हो इस तरह से एक दस
ू रे के होठों पर टूट पड़े। राहुल अपनी मां के
होंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा उसकी मां भी अपने बेटे के होंठ को अपने मुंह में भर कर
चूसने लगी दोनों बारी बारी से एक दस
ू रे के मुंह में जीभ डाल कर एक दस
ू रे के थुक तक तो चाट जा रहे
थे। दोनों पागल हो चुके थे वासना के नशे में अंधे हो चुके थे अपनी बदन की प्यास के आगे वह दोनों
को रिश्ते नाते कुछ दिखाई नहीं दे रहे थे राहुल तो अपनी मां की बुर को अपनी हथेली से रगड़ते हुए
मस्त हुआ जा रहा था वाकई में उसकी बुर ज्यादा ही गर्म थी।

अलका उसी तरह से अपनी एक टांग पाइप पर रखकर अपनी बुर काे मसलवा रही थी, और एक दस
ू रे के
होटो को चुसने का मजा ले रहे थे राहुल के करीब आने की वजह से राहुल का तना हुआ लंड अलका के
पेट पर रगड़ खाने लगा। जिससे अलका की उत्तेजना में और ज्यादा बढ़ोतरी हो रही थी और उसने तरु ं त
पेट पर रगड़ खा रहे अपने बेटे के लंड को अपनी मुट्ठी में भरली और धीरे -धीरे मुठीयाने लगी। अपनी मां
की हरकत पर राहुल से रहा नहीं गया ओर बरु को मसलते मसलते ऊसने अपनी एक उं गली को धीरे से
बुर में प्रवेश करा दिया, बरसों से प्यासी अलंका की बुर में जेसे ही उसके बेटे की उं गली कैसी अलका
एकदम से मचल उठी, उत्तेजना और मदहोशी के कारण उसके पैर कांपने लगे लेकिन अपने बेटे के इस
हरकत से वह समझ गई थी राहुल को जितना नादान समझती है उतना नादान वह था नहीं।

राहुल अपनी मां के होठों को चूसते हुए धीरे -धीरे अपनी ऊंगली को बरु के अंदर बाहर करने लगा। इससे
अलका का चुदासपन पल पल बढ़ता जा रहा था। वह अपने बेटे के बदन से और ज्यादा चिपक गई।
पाइप पर से अपने पैर नीचे करके अपने बेटे को अपनी बाहों में भर ली राहुल लगातार अपनी उं गली से
अपनी मां की बुर चोद रहा था। अलका की गरम सिस्कारियों से पुऱा बाथरुम गुंजने लगा था। साथ ही
साथ बादलों की गड़गड़ाहट लगातार हो रही थी। दोनों ऐसा लग रहा था एक दस
ू रे के होटो को चूस नहीं
बल्कि चबा रहे हैं।

अलका सिसकारी लेते हुए बोली।

आहहहहहहहहह......स्सहहहहहहहहहहहह.... बेटा मझ
ु े कुछ हो रहा है । ऊफ्पफ्फ....... मुझ से रहा नहीं जा
रहा है बेटा।

राहुल अपनी मां की गर्दन को चूमते हुए एक हादसे उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को दबाते हुए बोला।

क्या हो रहा है मम्मी? ( इतना कहने के साथ ही ब्लाउज के बटन को खोलने लगा।)

(अपने बेटे के लंड को हिलाते हुए )पता नहीं बेटा मुझे क्या हो रहा है ैं मुझसे रहा नही जा रहा है । ऐसा
लग रहा है कि मेरी बुर में चींटीया रें ग रहीे हैं मुझे बरु में खुजली हो रही है ।

( अलका के बात पूरा करते ही राहुल ने ब्लाउज के सारे बटन को खोल दिया। उसका लंड अलका के बूर
के इर्द-गिर्द ही रगड़ खा रहा था। जिससे अलका की बुर की खुजली और ज्यादा बढ़ने लगी थी। ब्लाउज
के बटन खुलते ही राहुल तो चुचियों पर ही टूट पड़ा। वह तो अच्छा हुआ कि अभी भी अलका की दोनों
चूचियां ब्रा मे कैद थी। वरना ऐसा लग रहा था कि राहुल तो अपनी मां की दोनों चूचियों को खा ही
जाएगा। अपने बेटे को इस तरह से अपनी चूचियों पर टूटता हुआ दे खकर अलका एक दम मस्त हो गई
उसकी आंखो में खुमारी छाने लगी। राहुल था कि ब्रा के ऊपर से ही दोनों चुचीयो को हथेली में भरकर
उस पर मुंह मारने लगा। अलका सिसकारी भरते हुए खुद ही एक हाथ से अपनी बरु को मसलते हुए और
दस
ू रे हाथ से अपने बेटे के लँ ड को मुट्ठीयाये जा रही थी। दोनों गर्म हो चुके थे अलका भी यही चाहती थी
कि उसका बेटा उसकी चूचियों को मुंह में भरकर चुसे उसे पिए और इसलिए वह खुद ही अपने ब्लाउज
को उतारने के लिए अपनी बुर पर से हाथ हटा ली और लंड को भी अपने पेट पर रगड़ता हुआ छोड़कर
ब्लाउज उतारने लगी। यह दे खकर राहुल एकदम से चूचियो को पीने के लिए तड़प उठा और ब्रा के ऊपर
से ही दोनों चुचियों को हथेली में भर भर कर दबाने लगा। यह दे खकर अलका कामुक मुस्कान बिखेरते
हुए अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाकर अपनी ब्रा के हुक को खोलते हुए बोली।

इतना उतावला क्यों हुआ है बेटा मैं कहीं भागी थोड़ी जा रही हूं। जी भर के पी ना मेरी चूचियों को।

अपनी मां की ऐसी बात सुनकर राहुल भी हं स दिया लेकिन अपने लंड को थाम कर हिलाते हुए अपनी मां
की बुर पर रगड़ने लगा। बरु पर लंड का सुपाड़ा रगड़ खाते ही अलका कामोत्तेजना में मदहोश होने लगी।
वह अपनी ब्रा के हुक खोलते खोलते सिसकारी लिए जा रही थी। उससे लंड के सुपाड़े की रगड़ अपनी बुर
* पर बर्दाश्त नहीं हो रही थी। तभी बुर पर सुपाड़े को रगड़ते हुए राहुल बोला।

इसी जगह खुजली हो रही है ना मम्मी......( अलका से तो उत्तेजना के मारे मुंह से आवाज ही नहीं
निकल रही थी इसलिए वह सिर्फ हां मे सिर हिला दी। और अपनी मां की हामी सुनते ही वह बुर पर लंड
को रगड़ते हुए बोला।

रुक जाओ मम्मी मैं अभी तुम्हारी बुर की खुजली मिटा दे ता हूं। ( इतना कहने के साथ ही जैसे ही वह
सुपाड़े को बुर के गुलाबी छे द पर टिकाया वैसे ही अलका अपनी ब्रा भी उतार चुकी थी और राहुल ने बरु
के छे द पर लंड के सुपाड़े को टीकाकर हल्के से कमर को आगे की तरफ धक्का दिया तो बरु की
चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा हल्का सा बुर में प्रवेश करने लगा। सुपाड़े को हल्का सा बुक में प्रवेश
होते ही दर्द के मारे अलका छटपटाने लगी और साथ ही उसकी सिसकारी भी छूटने लगी।

राहुल का लंड का सुपाड़ा जैसे ही उसकी मां की बुर में

हल्का सा प्रवेश किया वैसे ही अलका की चीख निकल गई साथ ही उसकी गरम सिसकारी भी फूट पड़ी
इतने से ही अलका समझ गई कि उसके बेटे का लंड उसकी बुर में गदर मचा दे गा। अलका तड़प रही थी
लंड को अपनी बरु में घुसवाने के लिए, लेकिन बाथरूम में नहीं इसलिए वह राहुल आगे बढ़ता इससे
पहले ही बोली।
बेटा इधर नहीं चल कमरे में चलते हैं। ( अलका कामुक स्वर में बोली' राहुल भी अपनी मां की बात
मानते हुए अपने लंड को वापस बरु के ऊपर से हटा लिया लेकिन गरम बरु के ऊपर से लंड हटते ही
उत्तेजना के मारे ऊपर नीचे होकर ठुनकी ले रहा था। जिस पर नजर पड़ते ही अलका के चेहरे पर कामुक
मुस्कान बिखर गई और अपने बेटे के लंड की ठुनकी को दे ख कर उसकी बुर पसीजने लगी। राहुल तो
अपना लंड बुर में डालने के लिए बेताब था लेकिन उसकी मां ने उसे कमरे में चलने की बात कहकर रोक
दी थी वरना उसने तो अपना काम कर ही चुका था।

कमरे में जाने के लिए प्यासी अलका मचल रही थी क्योंकि वह जानती थी कि कमरे में जाकर इत्मीनान
से अपनी प्यास बुझा सकेगी' इसलिए वह बाथरुम में टँ गी टावल को लेकर अपने बदन पर लपेटने चली
ही थी कि

राहुल ने अपनी मां के हांथ से टावल लेकर नीचे फेकं दिया। राहुल के इस हरकत पर है रान होते हुए वह
उसे दे खने लगी तो राहुल बोला।

मम्मी इतनी रात को यहां कौन दे खने वाला है सोनू भी अपने कमरे में सो रहा है ।( राहुल की बात
अलका समझ नहीं पा रही थी कि वह क्या कहना चाह रहा है । वह आश्चर्य से अपने बेटे की तरफ दे खते
हुए बोली।)

मतलब....

मम्मी.....( इतना कहते ही राहुल अपनी मां की नंगे बदन को ऊपर से नीचे की तरफ दे खते हुए) ऐसे ही
चलो ना बिल्कुल नंगी यहां कौन दे खने वाला है ।

( राहुल की बात सुनकर अलका को शर्म सी महसूस होने लगी लेकिन फिर भी बोली।)

अगर सोनू जाग गया तो। ( राहुल की बात सुनकर अलका का भी मन मचलने लगा था नंगी जाने के
लिए वह भी कमरे में नंगे घूमने का आनंद लेना चाहती थी इसलिए थोड़ा सा एतराज जताते हुए बोली
थी।)

कोई नहीं दे खेगा मम्मी और सोनू तो कमरे में घोड़े बेच कर सो रहा है अगर जग ना होता तो बादलों की
गड़गड़ाहट सुनकर ना जाने कब से जाग गया होता।
( इतना कहने के साथ ही दोनों एक दस
ू रे की आंखों में दे खने लगे दोनों इस पल का भरपूर आनंद उठाना
चाहते थे। बाथरूम में इस समय दोनों मां-बेटे संपूर्णता नग्नावस्था में थे उनके बदन पर कपड़ा नाम भर
का भी नहीं था। अलका की चुचीयां इस उम्र में भी तनकर खड़ी थी उनमे जरा भी लचक नहीं था। दोनों
एक दस
ू रे के नंगे बदन को निहार रहे थे।

तभी अलका बिना कुछ बोले बाथरूम के दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी और राहुल अपनी मां को जाते हुए
दे ख रहा था खास करके उसकी नजर इसकी मां की बड़ी-बड़ी भरावदार गांड पर ही टिकी हुई थी। राहुल
अपनी मां की मटकती हुई गांड को दे खने का लुफ्त ओर ज्यादा उठा पाता इससे पहले ही अलका बाथरूम
का दरवाजा खोलकर बाहर जाते जाते अपने चेहरे पर कामुक मुस्कान बिखेरते हुए वह राहुल की तरफ
नजरें घुमा कर दे खी और आंखों से इशारा करके उसे अपने पीछे आने को कहीं, राहुल भवरे की तरह
पीछे -पीछे हो लिया। गजब का नजारा था। राहुल की मां बिल्कुल नंगी होकर एकदम बेशर्म औरत की
तरह अपनी गांड को कुछ ज्यादा ही मटकाते हुए चल रही थी और रह रहकर वह पीछे मुड़कर अपने बेटे
को भी दे ख ले रही थी राहुल को वह परू ी तरह से उकसा रही थी। इतनी ज्यादा रं गीनियां तो वह शादी
की पहली रात को अपने पति के सामने भी नहीं बिखेरी थी जितनी रं गीनियां वह अपने बेटे के सामने
बिखेर रही थी। अपनी मां को नंगी चलते हुए दे खकर राहुल का लंड और ज्यादा कड़क हो गया मौसम
बारिश की वजह से एकदम ठं डा हो गया था लेकिन फिर भी राहुल और अलका के बदन में वासना की
गर्मी मौसम की ठं डी को पछाड़ दे रही थी। अभी भी बारिश अपने जोर पर ही थी बादलों की गड़गड़ाहट
बीजली की चमक' वातावरण को और ज्यादा रं गीन बना रही थी। राहुल का लंड बार-बार अपनी मां की
गांड को दे खकर उछाल मार रहा था। अलका के बदन में कामुक्ता का सुरूर चढ़ा हुआ था वह अपने हाथों
से बालों को खोल दी थी जिससे उसके लंबे बाल उसकी कमर तक लहलहा रहे थे। गीले बालों में अलका
की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ चुकी थी इस समय अलका काम की दे वी लग रही थी। मां बेटे दोनों संपूर्ण
नग्नावस्था में चहलकदमी करते हुए कमरे की तरफ बढ़ रहे थे। अलका की भरावदार गांड की फांक चलते
समय इधर उधर फैल रही थी। सब कुछ मिलाकर बहुत ही कामोत्तेजक नजारा था। थोड़ी ही दे र में
अलका अपने कमरे का दरवाजा खोलकर अंदर प्रवेश कर गई और पीछे -पीछे राहुल अपनी मां के नंगे
बदन को दे खकर उत्तेजित होता हुआ लंड हिलाते हुए वह भी कमरे में प्रवेश कर गया। जैसे ही राहुल
कमरे में प्रवेश किया वैसे ही उसके कानों में उसकी मम्मी की आवाज आई।

दरवाजा बंद कर दो राहुल( राहुल दे खा तो उसकी मम्मी कमरे में जाते हैं एक टावल अपने बदन से लपेट
ली थी,
और दीवार की तरफ मुंह करे खड़ी थी, कुछ दे र पहले अपने बेटे के सामने अपने बदन की नुमाइश कर
रही अलका को इस समय शर्म महसूस हो रही थी।

राहुल टॉवल में अपने बदन को छुपाती अपनी मां को दे खते हुए दरवाजे को बंद कर दिया।

कमरे में खामोशी छाई हुई थी। कुछ भी हो रह रहे कर दोनों के बीच में शर्म और मर्यादा का एहसास हो
ही जा रहा था। अलका कुछ दे र पहले यही सोचकर कमरे में आई थी थी वह खुल कर जी भर के अपने
बेटे के साथ अपने बदन की प्यास बुझाएगी लेकिन इस समय शर्म सी महसूस कर रही थी।

राहुल भी कमरे का दरवाजा बंद कर के दरवाजे पर ही खड़ा था उसे भी शर्म महसूस हो रही थी उसके
लंड का तनाव कुछ कम होने लगा था। अलका वही खड़े खड़े फिर सोचने लगी अपने आप से बातें करने
लगी।

यह क्या कर रही है अलका ऐसे तो हाथ में आया हुआ यह सन


ु हरा मौका चला जाएगा जब तक शर्म के
बादल रहें गे तब तक तेरी प्यास नहीं बुझने वाली। शर्मा और मर्यादा में रहकर ही तू अपने अंदर दबाए
रखी प्यास को अपने अंदर दबाए रखी, वरना आज तेरी भी सूखी हुई जमीन हरी भरी होती। बेशर्म बन
जा , यूं ही शर्म की चादर ओढ़े हुए कब तक अपनी जिंदगी तड़प तड़प कर बितााएगी। आज मौका है पर
यह मौका हाथ से मत जाने दे तेरा लड़का भी पूरी तरह से तैयार है तेरे को चोदने के लिए शर्म मत कर
आगे बढ़ वरना तेरी तरह तेरा बेटा भी शर्मा कर रह जाएगा आगे बढ़ अलका । तोड़ दे इस रिश्ते और
मर्यादाओं की दीवार को और बुझा ले अपने बदन की प्यास को।

अलका के अंतर आत्मा से आवाज आ रही थी जिसको सुनकर अलका ने भी मन में ठान ली, और उसने
तुरंत अपने बदन पर से टावल निकाल कर बिस्तर पर फेंक दें और फिर से नंगी हो गई। राहुल यह दे ख
कर मन ही मन प्रसन्न होने लगा और वह भी अपनी मां की तरफ बढ़़ा।

अलका घूम कर अपने बेटे की तरफ दे खने लगी जोंकि उसकी तरफ ही बढ़ रहा था। दोनों एक दस
ू रे की
आंखों में दे खने लगे राहुल अपनी मां के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था । इतना करीब कि उसका खड़ा
लंड उसकी मां के पेट पर फिर से रगड़ खाने लगा। अपने पेट पर खास करके नाभि के बीचो-बीच लंड के
सुपाड़े का स्पर्श पाकर अलका फिर से मस्त हो गई। उसके बदन में वापस कामोत्तेजना की लहर दौड़ ने
लगी। अलका से रहा नहीं गया और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के लँ ड को थाम ली। अपना
खड़ा लंड अपनी मां के हाथ में आते ही राहुल भी उत्तेजना से सराबोर हो गया और तरु ं त अपने होठों को
फिर से अपनी मां के होठ पर रखकर उसे चूसना शुरू कर दिया। दोनों एक बार फिर से वासना के सागर
में गोते लगाते हुए एक दस
ू रे को चूमने चाटने लगे।

राहुल अपनी मां के होठों का रसपान करते हुए उसे अपनी बाहों में दबोच लिया राहुल के दोनों हाथ
उसकी मां की नंगी पीठ से होते हुए कमर और कमर से नीचे उभरे हुए नितंब पर फिरने लगे , राहुल
अपनी मां के चिकने बदन से और ज्यादा उत्तेजित हो रहा था वह अपनी मां की गांड को दोनों हथेलियों
में भर भर कर दबा रहा था। अपनी मां की गांड को दबाते हुए वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो रहा था कि
ऐसा लग रहा था कि आज वो अपनी मां की गांड को खींच कर खा जाएगा। राहुल और अलका दोनों मां
बेटे एक दस
ू रे को बेतहासा चुमे चाटे जा रहे थे। राहुल रह रह कर अपनी मां की गुदाज गांड को दोनों
हथेलियों से आमने सामने की तरफ खींचता जिससे उसे तो मजा आ ही रहा था अलका भी एक दम
मस्त हो जा रही थी। एक हाथ से अलका अपने बेटे का लंड पकड़ कर धीरे धीरे मुठीयाये जा रही थी .
अलका के बदन में चुदवाने की ललक बढ़ती जा रही थी। अलका भी एक हाथ अपने बेटे के पीठ पर ले
जाकर उसे अपनी बाहों में भरने लगी जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचियां राहुल के सीने पर लगने लगे
उत्तेजना के मारे चुचियों की निप्पल इतनी ज्यादा कड़क हो चुकी थी की राहुल के सीने में सुइयों की
तरह चुभ रही थी। वह जब जब अपने बेटे को की एक हाथ से ही बाहों में भर कर अपने सीने पर दबाती
तो उसकी बड़ी बड़ी चूचियां एेसे ही दब जा रही थी।

अलका को बहुत मजा आ रहा था। अलका को और भी ज्यादा खुल कर मजा लेना था इसलिए वह धीरे
धीरे अपने बेटे को लिए हुए ही अपने कदम को पीछे की तरफ बढ़ाते हुए बिस्तर की तरफ जाने लगी।
राहुल अपनी मां को चूमते हुए उसकी जान को दबाते हुए धीरे -धीरे वह भी अपनी मां के साथ खिसकने
लगा। दोनों की सांसे इतनी तीव्र गति से चल रही थी कि कमरे में ऊन दोनों की सांस की आवाज भी
सुनाई दे रही थी। बारिश की आवाज कमरे के वातावरण को संगीतमय बना रही थी। तभी अलका के पैर
उसके बिस्तर से टकराए तो वह जानबूझकर अपने बेटे को अपने बदन से चिपकाए हुए ही धम्म से
बिस्तर पर गिरी। अलका नीचे और राहुल उसके ऊपर था। अपनी मां के हरकत पर राहुल और ज्यादा
उत्तेजित हो चुका था और उसने तरु ं त अपनी मां के दोनों पके हुए आम को अपनी हथेलियों में भर लिया
और उसकी नजर अपनी मां की नजरों से टकराई तो अपनी मां की आंखों में शुरुर से झांकते हुए

अपने होठों पर अपनी जीभ फीराते हुए कस के चुचियों को दबाने लगा और जैसे ही राहुल ने अपनी मां
की चुचियों को दबाया उसकीे मां के मुंह से हल्की सी सिसकारी भरी चीख निकल गई।

स्ससहहहहहहहह....राहुल क्या कर रहा है रे मुझे ना जाने क्या हो रहा है । ऊफ्फफ्फ..... मुझसे रहा नहीं
जा रहा है ।( उत्तेजना के मारे अलका के मुंह से आवाज अटक अटक के नीकल रही थी। उसका मुंह खुला
का खुला रह गया था राहुल को तो खेलने के लिए जैसे खिलौना मिल गया था वह जोर-जोर से गोलाईयों
को दबा दबा कर मजा ले रहा था। ईस चूची मर्दन में अलका को भी बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी
ऐसा आनंद कि जिसके बारे में शायद बयान कर पाना बड़ा मुश्किल है । थोड़ी ही दे र में चूची मर्दन की
वजह से चूचीयो का रं ग कश्मीरी सेब की तरह लाल हो गया। अलका अपने बेटे के ईस चुची मर्दन से
बेहद प्रसन्न नजर आ रही थी।
आज सब कुछ वर्षों के बाद ही हो रहा था जिस तरह से उसका बेटा अपनी मां की चुचियों को दबा रहा
था अलका मन में यही सोच रही थी कि इस तरह से तो उसकी चूचियों को दबाकर उसके पति ने भी
इतना आनंद नहीं दिया था जितना आनंद उसका बेटा उसे दे रहा था। शर्म और मर्यादा की दीवार टूट
चुकी थी इस समय राहुल अपनी मां के ऊपर लेटा हुआ था और उसकी बड़ी बड़ी तनी हुई गोल चूचियों
को दबाने का सुख प्राप्त कर रहा था। राहुल का तना हुआ लंड अलका की जांघो के बीच रगड़ खाते हुए
उसकी बुर के अंदर गदर मचाए हुए था अलका की बरु अंदर से पसीज पसीज कर पानी पानी हो रही थी।
राहुल अपनी मां की चुचियों को दबा दबा कर मस्त हुए जा रहा था अपनी मां की चुचियों की गोलाई
दे खकर उससे सब्र करना मुश्किल हुए जा रहा था। अलका सिसक रही थी। उसके मुंह से लगातार
सिसकारी फूट रही थी वह उत्तेजना के मारे अपने सिर को पटक रही थी।

स्स्स्स्स ्हहहहहहहह......आहहहहहहहहह...... राहुल गजब कर रहा है रे तू .....।मेरे बदन मे चीटिया रें ग रही
है ।

( अपनी मां की गरम सिस्कारियों को सन


ु कर राहुल अच्छी तरह से जानता था कि वह एकदम गरम हो
चुकी है वह इन गरम सिसकारीयों से वाकिफ था। इसी तरह की उत्तेजनात्मक सिसकारियां वह विनीत
की भाभी और नीलू के मुंह से सन
ु चुका था और वह यह अच्छी तरह से जानता था कि ऐसी सिस्कारियों
के बाद उन दोनों को चुदवाने की इच्छा प्रबल हो गई थी। इसका मतलब साफ था कि राहुल यही समझ
रहा था कि उसकी मां भी अब उसके लंड को अपनी बरु में डलवाने के लिए तड़प रही है । लेकिन राहुल
अभी अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर चोदने वाला नहीं था, आज इस रात को और ज्यादा
मदहोश बनाने की सोच रहा था। वह आज रात अपनी मां को पूरी तरह से संतुष्ट करना चाहता था उसे
जी भर कर प्यार करना चाहता था इसलिए वह दोनों हाथों से चूचियों को दबाते हुए झट से एक चूची पर
अपना मुंह लगा दिया और उसकी कड़क निप्पल को मुंह में भरकर पके हुए आम की तरह चूसना शुरू
कर दिया। अपने बेटे को इस तरह से अपनी चूची पीते हुए दे खकर अलका मस्त हो गई और उसके मुंह
से गर्म सिसकारियां निकलना शुरू हो गई। राहुल तो जैसे पागल सा हो गया था वह कभी ईस चूची को
दबाते हुए पीता तो कभी दस
ू री चुची को मुंह में लगाता जितना हो सकता था ऊतना मुंह में भर भर कर
चूची को पीने का मजा लूट रहा था । बादलों की गड़गड़ाहट के साथ साथ वह दोनों के मुंह से गर्म
सिस्कारियों की आवाज भी लगातार आ रही थी।

अलका पूरी तरह से कामातरू हो चुकी थी वह यह नहीं जानती थी कि का बेटा इस तरह से उसकी
चूचियों को पिएगा दबाएगा मसलेगा, अलका को उसकी जवानी के दिन याद आने लगे थे जब उसका
पति ऐसे ही उसकी चूचियों को दबाता था लेकिन कभी भी उसे मुंह में भरकर चूसते हुए इतना प्यार नहीं
दिया था जितना कि राहुल दे रहा था।
अलका मस्त लग रही थी ठं डे मौसम में भी उसके बदन से पसीने छूट रहे थे। वह अपने दोनों हाथ को
राहुल के सिर पर रख कर अपनी ऊंगलीयों को उसके बालों में ऊलझाते हुए कस के भींचते हुए उसको
अपनी चूचियों पर दबा रही थी ताकि वह और जोर-जोर से उसकी निप्पल को मुंह से खींचते हुए पी
सके। और राहुल अपनी मां की उम्मीदों पर खरा उतर रहा था उसके सोचने के विरुद्ध ही वह और तेजी
से पागलों की तरह निप्पलों को पिए जा रहा था। उसका यू पागलों की तरह राहुल का प्यार करना उससे
बर्दाश्त नहीं हो रहा था उसकी बरु लंड के लिए और ज्यादा तड़पने लगी थी।

इसीलिए एक हाथ को वह नीचे की तरफ ले जाकर अपने बेटे के लंड को पकड़ ली और उसे अपनी बुर
पर रगड़ते हुए स्तनपान का मजा लेने लगी।

अपनी मां के द्वारा लंड को इस तरह से अपनी बुर पर रगड़ना राहुल से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
राहुल के बदलने और ज्यादा आग तब लग जाती है जब उसकी मां लंड के सुपाड़े को अपनी बरु के दरार
के बीचोबीच रखकर ऊपर से नीचे की तरफ रगड़ती। राहुल के बदन में एकदम से झनझनाहट सी फैल
जाती। कामोत्तेजना की आग में दोनों पल पल जल रहे थे दोनों के बदल पसीने में तर बतर हो चुके थे।
अलका अपनी कामुक बदन की कामुक हरकतों से राहुल को परे शान कर रही थी। और राहुल अपनी
परे शानी का इलाज अपनी मां की चुचियों में ढूंढ रहा था वह लगातार अपनी मां की चुचीयो को मुंह में
भर कर चूस रहा था राहुल के इस तरह के स्तन मर्दन करने से अलका की चुचीया एकदम लाल लाल
होकर उत्तेजित अवस्था में तन गई थी।

दोनों को असीम आनंद की प्राप्ति हो रही थी बाहर बारिश जोरों पर अपना काम कर रही थी।

अलका का बदन रह-रहकर झटके खा रहा था और हर झटके के साथ उसकी बुर मदन रस फेंक रही थी।

स्स्सहहहहहहहह.....राहुल बहुत मजा आ रहा है । आहहहहहहहह......एेसे ही.......।हां........ बस चूसता रह


मेरी चूचियों को। निचोड़ डाल ईसका सारा रस दबा दबा कर पी जा। ओहहहहहह....राहुल.....

( अलका की आंखों पर वासना की पट्टी चढ़ चुकी थी वह अपने बेटे को ही उकसा रही थी उसके बदन से
खेलने के लिए, और राहुल का क्या था वह तो पहले से ही तड़प रहा था अपनी मां के रसीले बदन का
लुफ्त उठाने के लिए, ना जाने कितनी बार उसने अपनी मां के बारे में सोच-सोच कर मुट्ठ मार चुका है
कल्पना मे उसकी चुदाई भी कर चुका है । पर यहां तो खुद उसकी मा ही उसे आमंत्रण दे रही थी उसके
बदन से खेलने के लिए । राहुल भी इस आमंत्रण को स्वीकार करते हुए अपनी मां की दोनों बड़ी बड़ी
चुचियों को गें द की तरह हाथों में लेकर दबा दबा कर मजा ले रहा था। अलका जैसी खूबसूरत औरत के
बारे में सोच कर भी ना जाने कितनों का लंड पानी छोड़ दे ता होगा। और यहां तो राहुल अपनी मां के
नंगे बदन पर लेट कर उसके अंगों से खेलता हुआ मजा ले रहा था अलका से अपनी कामुकता बर्दाश्त
नहीं हो रही थी वह बार-बार अपने बेटे के लंड को अपनी बुर पर रगड़कर और ज्यादा गरम होती जा रही
थी।

दोनों पर अब उन दोनों के खुद का बस नहीं चल रहा था। रिश्तो के मायने बदल चुके थे। बिस्तर पर
दोनों मां-बेटे संपूर्णता नग्नावस्था में एक दस
ू रे के अंगों से खेलते हुए मजा लूट रहे थे। राहुल काफी दे र
से अपनी मां की चुचियों से खेल रहा था और अलका थी कि अपने बेटे के लंड को अपनी बुर पर रगड़
रगड़ कर राहुल को और ज्यादा गर्म कर रहीे थी उस से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था और अलका भी यही
चाहती थी। राहुल का लंड इतना ज्यादा सख्त और कड़क हो चुका था कि अलका को अपने बेटे का लंड
अपनी जांघों के बीच चुभता सा महसूस हो रहा था। लंड की चुभन से ही अलका को अंदाजा लग गया था
कि उसकी बरु की जमकर कुटाई होने वाली है ।

राहुल को अब कुछ और चाहिए था राहुल धीरे -धीरे चूचियों को दबाता हुआ नीचे की तरफ सरक रहा था
और अलका एक हाथ से उसके बाल को भींच कर अपने बदन से दबा रही थी। अपनी मां के बदन पर
नीचे की तरफ सरकते हुए राहुल हर जगह चुम्मा-चाटी करते हुए धीरे -धीरे पेट तक पहुंच गया। जैसे-जैसे
राहुल के होठ अलका के बदन पर होते हुए नीचे की तरफ जा रहा था वैसे वैसे उसका बदन झनझना जा
रहा था। तभी राहुल के होठ अलका की नाभि पर आकर अटक गए , राहुल के होठ अलका की गहरी
नाभि पर टिके हुए थे।

अपने बेटे के होंठ का स्पर्श अपनी नाभि पर पाकर उत्तेजना के मारे अलका की सांसे और तेज हो चुकी
थी वह गहरी सांसे लेते हुए ं मन ही मन में सोच रही थी कि यह राहुल क्या करने वाला है । राहुल को
अपनी मां की नाभि में से आती मादक खुशबू और ज्यादा चुदवासा कर रही थी। राहुल अपने नथन
ु ो से
नाभी से आती मादक खुशबू को खींच कर अपने सीने के अंदर उन्माद की लहर भर रहा था और नाभी
की मादक खुशबू से उत्तेजित होते हुए वह अपनी जीभ को उस गहरी नाभि में उतार दिया। अपने बेटे के
इस हरकत पर अलका तो एकदम से गनगना गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि राहुल ऐसा करे गा।
लेकिन अपने बेटे की इस हरकत की वजह से उसकी उत्तेजना में पल-पल बढ़ोतरी होती जा रही थी
उसकी सांसे तीव्र गति से चल रहे थे और सांसो के अंदर बाहर होने के साथ साथ ही उसकी बड़ी बड़ी
चूचियां मादकता लिए हुए ऊपर नीचे हो रही थी। राहुल जैसे जैसे अपनी जीभ को नाभि के अंदर गोल-
गोल घुमाता वैसे-वैसे अलका सिसकारी लेते हुए कसमसाने लगती। अलका के बदन में इतना ज्यादा
उत्तेजना का संचार हो रहा था कि उसकी गरम बरु फूल पिचक रही थी। अलका के बदन में उत्तेजना के
कारण जिस तरह से कंपन हो रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे आज उस की सुहागरात है और आज
पहली बार ही किसी मर्द के साथ बिस्तर पर मजा ले रही है । राहुल तो अपनी मां की नाभि को ही बुर
समझ कर उसे चाटने का लुत्फ उठा रहा था और अलका भी मदमस्त हुए जा रही थी। तभी राहुल नाभि
के अंदर अपनी जीभ को गोल-गोल घुमाते हुए एक हाथ से जैसे ही अपनी मां की बुर को मसला वैसे ही
अलका के मुंह से सिसकारी छूट गई।

स्स्स्स्हहहहहहहहहह......आहहहहहहहहहहह.....राहुल

ओहहहहहहहह......राहुल..( राहुल का हाथ अपनी बुर पर महसूस करते ही अलका एकदम से चुदवासी हो
गई और उत्तेजना के मारे अपना सिर दाएं बाएं पटकने लगी उससे अपनी उत्तेजना को दबाया नहीं जा
रहा था इसलिए वह खुद ही अपनी चूचियों को अपने हाथ से ही दबाने लगी।

यह दे खकर राहुल का जोश बढ़ गया और वह अपना में नाभि पर के हटाकर धीरे धीरे नीचे की तरफ
बढ़ने लगा जैसे जैसे नीचे बढ़ रहा था अलका के बदन में कंपकपी सी फेल जा रही थी राहुल के बदन के
नीचे उसका बदन कसमसा रहा था। और कसमसाते हुए वह अपनी चूचियों को खुद ही जोर जोर से दबा
रही थी और अपने मुंह से गर्म सिसकारी छोड़ रही थी। अलका का आज एक नया रूप नजर आ रहा था।
शर्मो हया की चादर ओढ़े जो हमेशा रहती थी वह खुद आज वासना के अंधेपन में अपनै बदन से शर्मो
लिहाज की चादर को उतार फेंकी थी। अपने बच्चों को संस्कार संस्कार रिश्ते मर्यादाओं का पाठ पढ़ाने
वाली आज खुद अपने ही बिस्तर पर अपने बेटे के साथ काम क्रिडा का पाठ पढ़ रही थी। राहुल धीरे धीरे
नीचे की तरफ बढ़ रहा था अब वह द्वार जिसमे हर इंसान को बेतहाशा मजा मिलता है बस दो चार
अंगुल हिं दरू रह गए थे। उस द्वार के करीब पहुंचते-पहुंचते राहुल की दिल की धड़कन तेज हो गई
उसकी सांसे चल नहीं बल्कि दौड़ रही थी और अलका का भी यही हाल था जैसे जैसे राहुल उसर्की बरु के
नजदीक आता जा रहा था, वैसे-वैसे अलका के बदलने उत्तेजना की लहर बढ़ती जा रही थी। कुछ ही पल
में वह घड़ी भी आ गई जब राहुल कि नजरे ठीक उसकी मां की बरु के दो चार अंगूल ही दरू थी। राहुल
फटी आंखों से अपनी मां की बुर की तरफ दे ख रहा था वह बुर की खूबसूरती में खो सा गया था। उसका
गला सुख होने लगा था लंड का तनाव एका एक दग
ु ना हो गया था। एक तरह से बरु पूरी तरह से
चिकनी थी बस उसके ऊपर हलके हलके रोए नजर आ रहे थे ऐसा लग रहा था कि मानो अलका ने दो
चार दिन पहले ही क्रीम लगाकर अपनी बुर साफ की हो। अपने बेटे को अपनी बरु की तरफ इस तरफ से
प्यासी नजरों से दे खता हुआ पाकर अलका शरमा गई। और शर्म के मारे दस
ू री तरफ अपनी नजरों को
फेर ली। दोनों की सांसे तेज चल रही थी राहुल के मन में अजीब सी खुशी का एहसास हो रहा था।

राहुल के लिए यह पल बहुत अनमोल था क्योंकि जिस दिन से उसने अनजाने में ही अपनी मां को नंगी
दे खा था तब से ही बात हमेशा अपनी मां को नंगी दे खने का मौका ढूंढता रहता था वैसे भी उसे अपनी
मां का गुदाज नंगा बदन बहुत ही ज्यादा आकर्षित करता था खास करके उसकी मदमस्त उभरी हुई गांड
जिसे दे ख कर ओर जिसके बारे में कल्पना कर कर वह ना जाने कितनी बार मुठ मार चुका था। लेकिन
हर बार उसके मन में अपनी मां की बुर दे खने की ललक रहती थी। लेकिन कभी भी ठीक से दे ख नहीं
पाया था। लेकिन आज उसे भरपूर मौका मिला था अपने मन की आस पूरी करने की, जिसे दे खने के
लिए वह रात दिन तड़पता रहता था। आज वह रसीली बरु र उसकी आंखों के सामने थी। इसलिए तो वह
लार टपकाए बरु को दे खे जा रहा था। दो दो औरतों की बुर को चोदने के बाद भी उन दोनों से ज्यादा
उसे अपनी मां की बरु आकर्षित कर रही थी। जो की उत्तेजना की वजह से गर्म रोटी की तरह फूल चुकी
थी राहुल उसे छुन
़ े की अपनी लालच को रोक नहीं पाया और अपने कांपते हाथों की कांपते उं गलियों को
अपनी मां की बुर पर रख दिया। जैसे ही अलका को अपनी बरु पर अपने बेटे की उं गली का स्पर्श
महसूस हुआ वह अंदर तक सिहर उठी। राहुल अपनी उं गलियों को हल्के हल्के बरु की दरार के ईद गिर्द
फिराने लगा अपने बेटे की इस हरकत की वजह से अलका का बदन कसमसाने लगा। अलका मन ही
मन सोच रही थी कि इस तरह से तो वहअपनी सुहागरात पर भी नहीं कांप रही थी और ना ही इतनी
ज्यादा उत्तेजना महसूस कर रही थी। तो आज अपने बेटे के साथ मुझे ऐसा क्यों महसूस हो रहा है ।
अलका कुछ और विचार कर पाती इससे पहले ही उसका बदन असीम सुख के कारण एकदम से गंनगना
गया। और एकाएक ना चाहते हुए भी उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी। करती थी क्या वह राहुल ने
जो हरकत किया था उसकी वजह से हल्का अपने बदन पर और मन पर बिल्कुल भी काबू नहीं रख पाई
क्योंकि राहुल ने उसकी बुर पर अपने होंठ रख दिए थे। उसकी बुर से मदन रस का फुवार फूट पड़ा जब
राहुल ने अपनी मां की बरु पर होठ रखने के साथ ही अपनी जीभ को भी लस लसी दरार में प्रवेश करा
दिया। और उसकी बुर की नमकीन रस को जीभ से चाटने लगा। अलका कभी यकीन भी नहीं कर सकती
थी थी कोई इस तरह से भी प्यार करता है । इतनी गंदी जगह पर कोई अपना मूह भी लगा सकता है
उसे इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था।। राहुल अपनी मां की बरु को लगातार जीभ से चाटे जा रहा
था। और अलका मदहोश हुए जा रही थी उत्तेजना के मारे वह अपने सिर को दाएं-बाएं पटक रही थी वह
अपनी उत्तेजना को दबाने के लिए अपने होंठ को अपने दांत से ही काट रहे थे लेकिन फिर भी उसके
मुख से गर्म सिसकारी निकल ही जा रही थी। अलका को बहुत ही मजा आ रहा था लेकिन उसे इस बात
पर शर्म भी आ रही थी कि उसका बेटा कितना गंदा काम कर रहा था।

अलका को आज बहुत ही गंदा लग रहा था क्योंकि इससे पहले उसे मालूम ही नहीं था कि कोई मर्द
औरत की बुर भी चाटता है और इस क्रिया में औरत को इतना बेहद आनंद की प्राप्ति होती है । क्योंकि
उसके पति ने आज तक कभी भी उसके साथ यह क्रिया नहीं की थी इसीलिए उसको इस बारे में कुछ भी
ज्ञात नहीं था। थोड़ी ही दे र में अलका को बेहद और असीम आनंद की प्राप्ति होने लगी वह अपने बेटे के
सिर पर अपना दोनों हाथ रखकर उसे जोर-जोर से अपनी बरु पर दबाने लगी।

सससससससससहहहहहहहहह.......राहुल ...... तू यह क्या कर .......रहा है ......क्या कोई इस तरह .....भी


करता है ( उत्तेजना की वजह से अलका की आवाज भी ठीक से नहीं निकल पा रही थी वह अटक- अटक
कर बोल रही थी। अपनी मां के सवाल पर थोड़ी दे र के लिए वह अपनी मां की बुर पर से अपने होंठ
हटाकर अपनी मां की तरफ दे खते हुए बोला। )

मम्मी मुझे तो बहुत मजा आ रहा है । मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है कि बुर चाटने मे ईतना आनंद
मिलता है । ( राहुल यह बात झूठ बोल गया था क्योंकि इससे पहले भी उसने नीलू और वीनीत की भाभी
के बुर चाटने का स्वाद चख चुका था। )

मम्मी सच सच बताना क्या तुम्हें बरु चटवाने में मजा नहीं आ रहा है । ( अपने बेटे के खुले शब्दों में यह
सवाल सन
ु कर अलका दं ग रह गई वह समझ गई कि जितना भोला और नादान वह अपने बेटे को
समझती है इतना भोला और नादान वह है नहीं। लेकिन वह अच्छी तरह से जानते थे कि मजा लेना है
तो बेशर्मं बनना ही होगा। ईसलिए वह अपने बेटे की बात को ज्यादा तुलना दे ते हुए वह भी अपने बेटे के
खुले शब्दों की तरह ही जवाब दे ते हुए बोली।)

( अपने हाथ से ही अपनी चूचियों को मसलते हुए) मुझे भी बेहद आनंद प्राप्त हो रहा है लेकिन तुझे कैसे
मालूम कि औरतों की बरु चाटने में इतना ज्यादा आनंद आता है ।

( अपनी मां के इस सवाल पर राहुल एकदम से हड़बड़ा गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या
जवाब दे लेकीन फिर भी नमक मिर्च लगाते हुए वह बोला।)

मम्मी क्या करूं मुझे आपकी बुर दे खकर रहा नहीं गया।आपकी बुर में ढे र सारा नमकीन रस भरा हुआ है
और उस रस को दे खकर मुझसे अपने आप को रोका नहीं गया और मैं मुंह लगाकर आप की बुर का रस
चाटने लगा। ( राहुल की बात सुनकर कल का मन ही मन प्रसन्न होने लगी उसे यकीन नहीं आ रहा था
कि इतने गंदी जगह को भी कोई इतनी चाव से जीभ लगा-लगाकर चाटे गा। अलका के चेहरे पर
उत्तेजनाओं प्रसन्नता के भाव दे खकर राहुल उसकी मां और कुछ पूछती इससे पहले ही अपना मुंह वापस
बुक में डाल दिया। दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी अलका को बुर चटवाने मे मजा आ रहा था और
राहुल को चाटने में

थोड़ी ही दे र में बुर चटाई का आनंद लेते हुए अलका के मुख से हल्की-हल्की चीख के साथ सिसकारी की
आवाज तेज होने लगी परू े कमरे में उसकी गर्म सिसकारी गूंजने लगी, अगर बाहर बारिश और बादलों की
गड़गड़ाहट का शोर ना होता तो अलका की शिसकारियों की आवाज जरूर कमरे के बाहर पहुंच रही होती।
आहहहहहहहहहह......।राहुल.......ऊम्म्म्म्म ्म्म ्......स्स्स्हहहहहहहहहहहह......ओहहहहहहहहह.....राहुल.....
मुझसे रहा नहीं जा रहा है ...... मेरी बुर में आग लगी हुई है राहुल....... बझ
ु ा दे बझ
ु ा दे इसे.......राहुल।
ठं डी कर दे मेरी बुर को अपना लंड डाल कर...... चोद मझ
ु े राहुल...... चोद अपनी मां को ......बझ
ु ा दे
मेरी प्यास को राहुल.....

अलका एकदम से चुदवासी हो चुकी थी।वह इतनी गरम हो चुकी थी कि उसे अब आपनी बुर मे लंड की
जरूरत महसूस होने लगी थी। उसकी बुर में खुजली मच रही थी वह अपने बेटे से मिन्नते कर रही थी
चुदवाने के लिए। अपनी मां की गरम सिस्कारियों को सुनकर वह समझ गया था कि अब उसकी बुर में
लंड डाल दे ना चाहिए। वह अपनी मां की दरू ी से अपने मुंह को हटाया उस की सांसे बड़ी तीव्र गति से
चल रही थी वहां हांफते हुए अपनी मां को दे ख रहा था, और उसकी मां प्यासी नजरों से अपने बेटे को
दे ख रही थी उसकी आंखों में लंड की प्यास साफ झलक रही थी। अलका एकदम कामातरू हो चुकी थी।
अपने बेटे के लंड को अपनी बरु में लेने के लिए वह पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी इसलिए तो बुर परसे
अपने मुंह को हटाते हैं अलका ने अपनी टांगो को फैला दी। राहुल अपनी मां की जल्दबाजी को दे ख कर
समझ गया था कि तवा परू ी तरह से गर्म हो चुका है और इस पर रोटी सेक ही लेनी चाहिए। इसलिए
वह भी अपनी मां की जांघों के बीच घुटनों के बल बैठ कर अपने लिए जगह बनाने लगा अपने बेटे को
इस तरह से जगह बनाते हुए दोख अलका की कामोत्तेजना बढ़ गई। और वह अपने दे खते को दे खते हो
खुद ही अपनी चूचियों को मसलने लगी।

राहुल अपने लिए जगह बना चुका था उसने अपनी मां की जांघों को दोनों हाथों से पकड़कर अपनी तरफ
खींच कर अपनी जांघ पर अपनी मां की जांघ को चढ़ा लिया।

क्या गर्म नजारा लग रहा था जांघ से जाघ का स्पर्श होते ही दोनों की उत्तेजना बढ़ गई। राहुल ने अपने
टनटनाए हुए लंड को अपने हाथ में लेकर उसके सुपाड़े को अपनी मां की बुर पर रगड़ने लगा। उत्तेजना
के मारे अलका का गला सूख रहा था। बुर पहले से ही एकदम गीली थी जिसकी वजह से उस पर सुपाड़ा
रगड़ने से सुपाड़ा भी पूरी तरह से गीला हो गया। थोड़ा सा अपनी मां पर झुकते हुए एक हाथ से लंड को
पकड़ के बरु के गुलाबी छे द पर टिकाया और हल्के से आगे की तरफ अपनी कमर को धक्का दिया बरु
एकदम गीली होने की वजह से लंड का मोटा सुपाड़ा बरु की गुलाबी पत्तियों को को फैलाते हुए अंदर की
तरफ से सरकने लगा। जैसे-जैसे सुपाड़ा बुर के अंदर सरकने लगा वैसे वेसे अलका की सांस अटकने लगी
उसे हल्का हल्का दर्द महसूस होने लगा। दर्द के मारे उसका मुंह खुला का खुला रह गया। राहुल की
उत्तेजना इस बात से और ज्यादा बढ़ चुकी थी कि जिस बारे में वह सपना दे ख रहा था आज वो एकदम
हकीकत हो रहा था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह वास्तव में अपनी मां की चुदाई कर रहा था और
उसकी मां उसके चुदवा रही थी। धीरे धीरे कर के लंड का परू ा सुपाड़ा अलका की बरु में उतर चुका था।
उसकी सांसे टूट रहीे थी। सुपाड़ा घुसते हैं दर्द के मारे उसकी आंखों से आंसू छलक उठे पता नहीं है आंसू
दर्द के थे या बरसों के बाद उसके बदन की प्यास बझ
ु ाने की खुशी के आंसू थे या पता लगा पाना बड़ा
मुश्किल था कि तभी राहुल ने फिर से अपनी कमर को आगे की तरफ झटका और इस बार उसका लंड
आधा बरु में घुस गया। अलका को ज्यादा दर्द महसूस होने लगा। अलका को यह समझ में आ गया था
कि उसके बेटे का लंड वाकई में उसके पति से कुछ ज्यादा मोटा और लंबा है । अलका अपने दर्द को
दबाने के लिए जैसे ही अपने होंठ को अपने दांतों तले दबाई तभी राहुल ने यह जोरदार झटका लगाया
ओर पूरा का पूरा समूचा लंड बरु के सारे अवरोधों को धकेलते हुए सीधे बच्चेदानी से जा टकराया। और
जैसे ही लंड का नुकीला सुपाड़ा अलका की बच्चेदानी से टकराया उसके मुंह से एक जोरदार चीख निकल
गई। वह तो अच्छा हुआ कि बारिश का शोर इतना ज्यादा था वरना अपनी मां की चीख सन
ु कर सोनू
जरूर कमरे तक आ जाता। अपनी मां की दर्द भरी चीख सुनकर राहुल अपने लंड को बरु की जड़ में डाले
हुए बस ऊपर लेटा रहा। और दोनों चूचियों को धीरे -धीरे दबाने लगा अलका हाफं रही थी। उसे इसकी
उम्मीद कतई नहीं थी कि इतना ज्यादा दर्द करे गा लेकिन धीरे -धीरे वह सामानय होती नजर आने लगी
और राहुल फिर से लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी ही दे र में अलका की चीख की जगह
उसकी गरम सिसकारियां ने ले लिया। वह अब सिसकारी लेते हुए चुदाई का मजा लेने लगी। राहुल को
बेहद आनंद आ रहा था अपनी मां को चोदने ने उसे उसकी मां विनीत की भाभी ओर नीलू से भी ज्यादा
मजा दे नेवाली लग रही थी।

पूरे कमरे में पुच्च पुच्च की आवाज गूंज रही थी और राहुल अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर जोर
जोर से कमर हिला रहा था। अलका भी अपने बेटे को बाहों में भर कर चुदाई का भरपूर मजा लेने लगेी।
अलका ने ऐसी दमदार चुदाई का मजा कभी भी नहीं ली थी े इसलिए वह आज एक दम मस्त हो चुकी
थी बार बार अपने बेटे का लंड उसे अपने बच्चे दानी पर महसूस हो रहा था जब की यहां तक उसके पति
का भी लंड पहुंच नहीं पाया था। अलका इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि वह नीचे से या अपनी
गांड को ऊपर उठा उठाकर अपने बेटे का लंड लेने की परू ी कोशिश कर रही थी और राहुल था की रुकने
का नाम ही नहीं ले रहा था।

करीब 30 मिनट के बाद हल्का की सिसकारियां बढ़ने लगी। और वह एकाएक अपने बेटे को अपनी बाहों
में कस कर भलभला कर झड़ने लगी। अलका पहली बार जिंदगी में ऐसे चरमोत्कर्ष का अनुभव करते हुए
झड़ी थी। थोड़ी ही दे र में राहुल ने भी अपने गर्म ्रस को अपने मां की बुर में छोड़ने लगा। दोनों झड़
चुके थे अलका को लग रहा था कि बस अब पूरा हो चुका है लेकिन अभी तो पूरी रात बाकी थी।

राहुल अपनी मां की नारं गीयो पर डह चुका था। झटके खा-खाकर उसके लंड से गर्म पानी निकल कर
उसकी मां की बुर को तर्र कर रहा था। अलका भी अपने बेटे को अपनी बाहों में भरकर गहरी गहरी सांसे
छोड़ रही थी। बासना का तूफान शांत हो चुका था दोनों एक दस
ू रे की बाहों में खोए बिस्तर पर लेटे
अपनी उखड़ी हुई सांसो को दरु
ु स्त कर रहे थे । अलका के चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ झलक रहे थे।
उसके जीवन का यह अनमोल पल था। आज बरसों के बाद उसके चेहरे का गुलाबीपन वापस लौटा था।
अलका के गोरे चेहरे पर पसीने की बूंदें मोतियों की तरह चमक रही थी। मां बेटे दोनों ने जमकर पसीने
बाहाए थे इस अद्भत
ु अदम्य पल की प्राप्ति के लिए।

अलका आंखों को मूंद कर इस अद्भत


ु पल का आनंद ले रही थी। वह अपनी बरु में अपने बेटे के लंड से
निकलती एक एक बूंद को बराबर महसुस कर रहीे थी। अलका तो इतने वर्षों में बुर के अंदर लंड के
गरम पानी की बौछार का अहसास भूल ही चुकी थी जो कि आज उसके बेटे ने उसे उस अमूल एहसास से
परिपूर्ण कराया था। राहुल के भी चेहरे पर आज संतुष्टि के भाव कुछ ज्यादा ही नजर आ रहे थे ।ऊसकी
खुशी का ठिकाना नहीं था' राहुल को ऐसा एहसास हो रहा था कि अपनी मां की चुदाई करके उसने जैसे
किसी अमूल्य वस्तु को हासिल कर लिया हो। और वैसे भी अलका एकदम अमूल्य ही थी। उसकी
खूबसूरती उसके बदन की बनावट दे ख कर किसी के भी मुंह से आहहहह निकल जाए।

काफी दे र तक दोनों यूं ही लेटे रहे दोनों के बीच किसी भी प्रकार के वार्तालाप का आसार नजर नहीं आ
रहा था। इस अद्भत
ु क्रिडा के पश्चात दोनों के मन में फिर से शर्म के भाव उभर रहे थे। यह पल दोनों
को आनंदित कर गया था लेकिन अब दोनों एक दस
ू रे से नजर नहीं मिला पा रहे थे अलका बिस्तर पर
लेटे हुए अपनीे ऊंगलियों को अपने बेटे के बालों में फिराते हुए मुंह दस
ू री तरफ फेरी हुई थी। दोनों
संपूर्णता नग्नावस्था में एक दस
ू रे की बाहों में बाहें डाले बिस्तर पर पड़े थे राहुल अपनी मां के बदन पर
से उठने की कोशिश भी नहीं कर रहा था। उसे यह डर भी था कि अगर उसके बदन पर से उठ गया तो
अपनी मा से नजरे केसे मिलाएगा। इसलिए वह लेटै ही रहा लेकिन थोड़ी ही दे र में अलका की ऊपर नीचे
हो रही सांसों के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां भी जोकि राहुल के सीने से दबी हुई थी वह भी ऊपर
नीचे हो रही थी। लेकिन ऊपर नीचे हो रही चूचियो की कड़ी निप्पल की चुभन से राहुल के बदन में फिर
से उन्माद जगने लगा था । उसके लंड का तनाव कम हो चुका था लेकीन ढीला होकर अभी भी अलका
की बुर. में ही समाया हुआ था, लेकिन अलका की ऊपर नीचे हो रही चुचीयो की वजह से राहुल का बदन
उन्मादित हो रहा है , और अलका की बुक में ढीला पड़ चुका लंड धीरे -धीरे तनाव में आने लगा था
जिसका एहसास अलका अपनी बरु में अच्छी तरह से कर रही थी।

अपने बेटे के लंड को इतनी जल्दी फिर से टाइट होता दे खकर अलका अचंभित हो गई। क्योंकि उसके
पति ने जब भी उसकी चुदाई की तो लंड दब
ु ारा टाइट हुआ ही नहीं। और राहुल का लंड था कि तुरंत
टाइट होने लगा था जिसके कड़कपन का अहसास बुर में होते ही अलका की सांसे फिर से भारी होने
लगी। और साथ ही राहुल को इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां की चूचियां कुछ ज्यादा ही उठ
रही थी इसलिए वह अपना सिर उन चुचियों पर से हटाया और अपनी मां की तरफ दे खा तो उसकी मां
शर्मा कर आंखे मूंदे हुए दस
ू री तरफ दे ख रही थी। राहुल अपनी मां का शर्माता हुआ चेहरा एकटक दे खने
लगा उसका लँ ड अभी भी उसकी मां की बरु में था। राहुल अलका- दोनों पसीने से तरबतर थे जबकि
बरसात की वजह से मौसम का तापमान गिर चुका था। राहुल अपनी मां की बड़ी बड़ी चुचियों पर पसीने
की बूंदे दे खकर उत्तेजित होता हुआ दोनों चूचियों को अपनी हथेली में भर लिया और जैसे ही राहुल ने
अपनी मां की चुचियों को अपनी हथेली में भरा अलका के मुंह से उन्माद भरी सिसकारी फूट पड़ी। पसीने
की बूंद गालों से होती हुई अलका के होठों से टपक रही थी जिसे दे ख कर राम सराहने किया और वह
अपने होठों को अपनी मां के होठों पर रखकर पसीना की बुंदो को जीत से चाटने लगा इतने में अलका
भी मस्त हो गई और अपने बेटे के चुंबन का जवाब दे ते हुए अपने दोनों हाथ से राहुल का सिर पकड़ कर
ऊसके बालो को भींचकर. होठो को चुसना सुरु कर दी । मां बेटे दोनों एक बार फिर से एक होने में लग
गए लंड तो अभी भी अलका की बुर में धंसा हुआ था जो की परू ी तरह से अपने सबाब पर था। एक बार
फिर से अलका की बरु की गुलाबी पत्तियां फेल चुकी थी अलका की सांसे तेज होती जा रही थी लेकिन
अब तक राहुल ने जरा सा भी अपनी कमर को झटके नहीं लगाया था वह बस बरु में लंड पेले अलका के
बदन से खेल रहा था। और अलका अपने बेटे के लंड को इतनी जल्दी खड़ा होता दे ख है रान थी ले किन
आनंदित भी हो रही थी क्योंकि तना हुआ लंड उसकी बरु में हलचल मचा रहा था जिससे अलका से
बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था और वह कसमसाते हुए रह रह कर अपनी कमर को ऊपर
की तरफ उछाल दे रहीे थी। अलका परू ी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसे भी खुद पर यकीन नहीं हो
रहा था कि इतनी जल्दी वह दब
ु ारा उत्तेजित हो जाएगी।

राहुल खुद भी पसीने से तरबतर हो चुका था उससे अब गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी उसकी मां का भी
यही हाल था सीलिंग फैन चलते हुए भी ठं डे मौसम के बावजूद दोनों को गरमी लग रही थी। वह अपनी
मम्मी को राहत दे ना चाहता था इसलिए वह अपनी मम्मी के बदन के ऊपर से उठने लगा और उसे
उठता हुआ दे खकर अलका राहुल को एकटक दे खने लगे कि तभी राहुल ने अपनी मां की बुक में से लंड
को खींचकर बाहर निकल लिया , लेकिन जैसे ही राहुल ने अपने खड़े ल** दिखाओ अपनी मां की बरु में
से खींचकर बाहर निकाला तो लंड की रगड़ से अलका एकदम से उन्मादित हो गई और उसकी फिर से
सिसकारी निकल गई।

राहुल अपनी मां की गरम सिसकारी को सन


ु कर बिस्तर से उठता हुआ बोला।

गर्मी बहुत है मम्मी दखो तो आपका पूरा बदन कैसे पसीने में भीग चुका है ।

तू भी तो पूरी तरह से पसीने में तर बतर हो चुका है ।

मेहनत करने पर तो पसीना निकलता है ना मम्मी (राहुल मुस्कुराते हुए बोला' )

( राहुल के तने हुए ल** पर नजर गड़ाते हुए) तू अब बच्चा नहीं रहा बड़ा हो गया है ।
( राहुल जानता था कि उसकी मां की नजर उसके लंड पर है इसलिए मुस्कुराते हुए बोला।)

एक ना एक दिन तो बड़ा होना ही था' अच्छा रुको में खिड़की खोल दं ू ताकि ठं डी हवा से कुछ राहत
मिले।

( इतना कहने के साथ ही राहुल खिड़की की तरफ बड़ा और अलका उठ कर बैठ गई' अलका अपनी दोनों
नंगी टांगों को बिस्तर पर लटकाकर दे र गई और राहुल की तरफ दे खने का है जहां से राहुल की सिर्फ
नितम्ब ही दिख रहे थे। अलका ने आज अपने बेटे को पूरी तरह से नंगा दे खा था हालांकि बचपन में तो
हमेशा दिखती थी लेकिन जब से राहुल अपने आप से नहाना तैयार होना शुरू कर दिया था तब से लेकर
आज ही उसने राहुल को नंगा दे खी थी। राहुल खिड़की खोल चुका था और जैसे ही खिड़की खुली वैसे ही
ठं डी हवा का झोंका बाहर से आकर कमरे में ठं डक फ़ैलाने लगा और उस हवा के झोंके से अलका के
रे शमी बाल उड़ने लगे जिसकी वजह से उसकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ने लगी थी। बाहर का नजारा
दे खते ही राहुल प्रसन्न होते हुए अपनी मां को दे खे बिना ही उसे बुलाते हुए बोला।)

जल्दी आओ मम्मी जल्दी आओ।

क्या हुआ।

अरे यहां आओ तो सही दे खो तो सही बाहर का नजारा कितना खुशनुमा हो चुका है । ( राहुल की तरह से
बुलाने पर हल्का अपने आप को रोक नहीं पाई और अपने बदन पर बिना कपड़े डालें वह बिल्कुल नंगी
बिस्तर पर से उठी और खिड़की के पास आ गए दोनों बिल्कुल नंगे थे। बाहर का नजारा दे खकर अलका
भी प्रसन्न हो गई पसीने से तरबतर दोनों के बदन अब खिड़की खुलने से ठं डक का अहसास कर रहे थे।
बाहर बारिश का जोर बिल्कुल कम हो चुका था स्ट्रीट लाइट में पूरा रोड जगमगा रहा था,लेकीन परु े सड़क
पर घुटनो तक पानी भरा हुआ था। सड़क के कीनारे लगे हुए पेड़ हवा मे एसा लग रहे थे की झुल रहे
हो। सड़क की दस
ू री ओर मंजुले दो मंजिला घर में नाइट लैंप जल रहा था परू ा शहर सो रहा था हां होंगे
कुछ जो इन दोनों की तरह अपनी राते रं गीन कर रहे होंगे। अलका अपने बेटे से बिल्कुल सटकर खड़ी थी
और खिड़की से बाहर का नजारा दे ख रही थी। राहुल अलंका दोनों बिल्कुल नंगे खिड़की पर खड़े थे।
अलका की चूचियां बिल्कुल टट्टाार होकर खड़ी थी। खिड़की पर खड़े होकर वह अपने नंगे तन को छुपाने
के बिल्कुल भी कोशिश कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि इतनी रात को कोई दे खने वाला नहीं था
और वैसे भी बाहर घने पेड़ की परछाई से खिड़की वाली जगह हमेशा अंधेरा ही रहता था इसलिए कोई
दे ख भी नहीं सकता था। अलका की नजर बाहर का नज़ारा दे खते दे खते पास में खड़े राहुल के तने हुए
लंड पर गई तो अलका अपने आप को रोक नहीं पाई और तुरंत अपने बेटे के लंड को पकड़ कर मुठीयाने
लगी। राहुल से भी रहा नहीं गया और वह अपने हाथों से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को पकड़ कर
दबाने लगा। दोनो फीर से उत्तेजित होने लगे। राहुल से रहा नहीं गया तो उसने दस
ू रे हाथ से अपनी मां
की एक चूची को थाम लिया उसे जोर जोर से दबाने लगा। दोनों एक दस
ू रे की आंखों में दे खते हुए
उन्मादित हुए जा रहे थे तभी राहुल अपने होंठ को आगे बढ़ा कर अपनी मां के होठ पर रख दिया और
अपनी मां की गुलाबी होठोे को चूसने लगा। अलका बड़ी जल्दी उत्तेजित हो गई थी शर्मीली अलका
एकदम बेशर्म हो चुकी थी। अपने बदन की प्यास दिखाने के चक्कर में उसने सारी हदें पार कर चुकी थी
वैसे भी वासना की कोई हद नहीं होती वह जब भी होती है बेहद होती है । इसलिए तो अलका ने फिर से
अपने बेटे के लंड को अपनी प्यासी और रसीली बुर की फांकों के बीच रगड़ना शुरु कर दी और खुद भी
अपने बेटे के होंठ को मुंह में भर कर चूसने लगी राहुल एक हाथ से लगातार अपनी मां की बड़ी बड़ी
गांड को उस पर चपत लगाते हुए मसले जा रहा था। जब भी वह अपनी मां की गांड पर चपत लगाता

वह जब भी अपनी मां की गांड पर चिपक लगाता तो उसकी मां हर चपत पर आउच्च कहकर अपनी
गांड उचका दे ती जिससे राहुल दर्द के मारे अपनी मां की उचकी हुई गांड को दे खकर मदहोश हो उठता
और फिर लगातार जोर-जोर से दो-चार चपत और लगा दे ता। दोनों एक दस
ू रे के बदन से खेलते हुए
आनंदित हो रहे थे बारिश बिल्कुल रुक चुकी थी लेकिन रह रह कर बादलों की चमक और गड़गड़ाहट
बारिश के होने का एहसास करा दे ते थे लेकिन मौसम पूरी तरह से ठं डा हो चुका था। ठं ड के बावजूद भी
दोनों फिर से गर्म हो चुके थे और अलका की गरम सिस्कारियों ने कमरे के अंदर के तापमान को और
ज्यादा गर्म कर दिया था। राहुल उत्तेजना में हल्का के गुलाबी होंठ को दातों से काट भी ले रहा था
जिससे अलका और मस्त हो जाती थी और मदहोश होते हुए अपने बेटे के लंड कोे कस के हथेली में
दबोच लेती थी।

अलका अभी भी अपने बेटे के लंड को अपनी बरु पर लगातार रगड़ रही थी। और इस तरह से अपनी मां
के द्वारा अपने लंड को बुर पर रगड़ने से राहुल उत्तेजना की परम शिखर पर पहुंच गया, उससे यह
बदन की जरूरत बर्दाश्त नहीं हो रही थी। इसलिए वहां हल्के हल्के अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा
जिससे राहुल के लंड का सुपाड़ा अलका की बुर में थोड़ा-थोड़ा जाकर अंदर-बाहर होने लगा इससे अलका
की कामोत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई उसके मुंह से लगातार सिसकारी छूट रही थी। दोनों खुली खिड़की
के पास एकदम नग्न अवस्था में अपनी वासना को अंजाम दे ने में लगे हुए थे राहुल लगातार अपनी मां
की चुचियों को दबाए जा रहा था और साथ ही कमर को हिला कर सुपाड़े को बस थोड़ा-थोड़ा इन अंदर-
बाहर कर रहा था धीरे -धीरे इस तरह से अलका के बदन की चिंगारी भड़क रही थी वह बार-बार अपनी भी
कमर को आगे की तरफ ठे ल दे रही थी ताकि राहुल का लंड पूरी तरह से अलका की बुर में घुस सके
लेकिन राहुल जानबझ
ू कर लंड को घुसने नहीं दे रहा था। क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि ऐसा
करने पर उसकी मां और ज्यादा चुदवासी हुई जा रही थी।
बाहर से अा रहीे ठं डी हवा का झोंका बार बार दोनों के बदन मे सिरहन सीे पैदा कर रही थी। दोनों
मदहोश होकर एक दस
ू रे के होठों को चूसने और काटने में लगे हुए थे राहुल का एक हाथ अलका के
नितंब पर तो दस
ू रा हाथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पर अपना दबाव बराबर बनाए हुए था। अलका की
मदहोश कर दे ने वाली गर्म सिसकारी राहुल की टांगो के बीच हलचल मचाए हुए थी जिसे वह पकड़ कर
बार-बार अपनी बरु में डालने की कोशिश कीए जा रही थी। लेकिन राहुल था कि बार बार बस उतना ही
जाने दे रहा था कि जिससे उसके मां की कामाग्नि और ज्यादा भड़क जाए, और जैसा राहुल सोच रहा था
वैसा हो भी रहा था। राहुल की मां की प्यास पल-पल बढ़ती जा रही थी। उत्तेजना की तपन में उसका
गला सूखता जा रहा था और सूखते गले से थुक निगलने की नाकाम कोशिश कर रही थी।

अलका बेतहाशा चुदवासी हो चुकी थी उससे अपने आपको संभाला नहीं जा रहा था बादलों की गड़गड़ाहट
नें उसके उत्तेजना को और ज्यादा भड़काने का काम कर रहा था। वह लंड को छोड़कर दोनों हाथ को
राहुल के पीछे ले जाकर अपने बदन से चिपका ली इतना कस के वह अपनीं बाहों में दबोची की उसकी
बड़ी बड़ी चूचियां राहुल के सीने से दब गई और निप्पल सुईयो की तरह चुभने लगी। इस तरह से अपनी
बाहों में भेींचने से राहुल एकदम से चुदवासा हो गया। और जो हाथ उसकी नितंबों पर गश्त लगा रहे थे
उसे वह जांघो को बीच सटा दिया। जांघों के बीच अपने बेटे के हथेली का स्पर्श पाते ही राहुल अपनी
जांघों को सिकोड़ने लगी। राहुल की हथेली जैसे ही अलका की रसीली गोरे की दरारों पर पड़ी तो राहुल के
मूल्यों में भूल से निकला नमकीन सा चिपचिपा तरल पदार्थ लग गया। अपनी उं गलियों पर नमकीन
अरथ लगते हैं राहुल और ज्यादा उत्तेजित होने लगा और वह बिना एकपल गंवाए तुरंत घुटनों के बल
बैठ गया। अलका उसे अपने गठ
ु नाे पर बैठते हुए प्यासी नजरों से दे खने लगी' और भला दे खने के सिवा
कर भी क्या सकती थी अजीब सी मनोस्थिति में दोनों फंसे हुए थे। दोनों रिश्ते को मर्यादा के बंधन को
तोड़ कर सब कुछ कर चुके थे और आगे करने की तैयारी भी कर रहे थे लेकिन एक दस
ू रे से वार्तालाप
करने में शर्म महसूस कर रहे थे दोनों एक दस
ू रे के बदन से लगातार अपनी प्यास बुझाने की कोशिश
कर रहे थे लेकिन अपने मन की बात करने में अभी भी शर्म सी महसूस कर रहे थे जो बाते उनकी
जुबान से होनी थी वह सारी बातें उनके शरीर की हरकत और आंखों के इशारे से हो रही थी।

राहुल ने अपनी मां को खिड़की की तरफ सटा दिया और खुद ऊसकी जांघों के बीच घुटनों के बल बैठ
गया। अलका को अभी भी नहीं पता था कि राहुल क्या करने वाला है वह आश्चर्य से और प्यासी नजरों
से बस राहुल को ही ताके जा रही थी। राहुल किसान से बड़ी ही तीव्र गति से चल रही थी जैसे की
मेरेथोन की रे स दौड़ कर आया हो। राहुल का भी गला सूख रहा था वह अपने दोनों हाथो को अपनी मां
की गुदाज जांघों पर रखते हुए अपने मुंह को जागों के बीच में जाने लगा तो उसकी मां समझ गई कि
राहुल क्या करने वाला है और उस बारे में सोचकर ही उसका पूरा बदन झनझन आ गया उसकी टांगे
कांपने लगी।
राहुल खाकी अपनी नशीली आंखों से अपनी मां की तरफ दे खते हुए बुर जब दो चार अंगुल दरू रह गई
तभी अपनी जीभ को बाहर निकाल लिया ' अपने बेटे की लपलपाती हुई जीभ को दे खकर उसके बदन में
सिरहन सी दौड़ गई ठं डी हवा के झोंकों में भी उसके पसीने छूटने लगे अगले पल की बेसब्री से इंतजार
करते हुए वह गनगना रही थी। ऊसकी फुलती हुई सांसो के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां भी ऊपर
नीचे हो रही थी जिसे दे खते हुए राहुल और ज्यादा उत्तेजित हो रहा था और अपनी जीभ को लपलपाते
हुए अपनी मां की बुर के करीब ले जा रहा था। अलका का बदन उत्तेजना की वजह से कसमसा रहा था,
और वह कसमसाते हुए अपनी बरु को पीछे की तरफ करने की कोशिश कर रही थी लेकिन राहुल ने उसे
उसकी जांघों से दबोच रखा था। जिसकी वजह से वह अपनी बुर को पीछे नहीं ले जा पा रही थी और
राहुल ने तरु ं त अपनी जीभ की नोक से अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तीयों को कुरे दना शुरू किया' और
जैसे ही अलका अपने बेटे की जीभ को अपनी बुर की गुलाबी पत्तीी पर महसूस की वैसे ही तुरंत अलका
की ब** में मदन रस की 24 बहुत अब खाना शुरु कर दी जो किसी भी राहुल की जीभ पर ही गिर गई
थी राहुल मदन रस को अमत
ृ बुंद समझ कर चाटते हुए अपने गले के नीचे उतार कर अपना गला तर्र
करने लगा। अलका यह दे ख कर परू ी तरह से उत्तेजित हो गई और तुरंत गरम सिसकारी लेते हुए अपने
दोनों हाथो से राहुल का सिर पकड़ कर अपनी बरु पर दबा दी। दोनों मां-बेटे एकदम बेसब्र हो गए दोनों
से रहा नहीं जा रहा था राहुल लगातार अपनी जीभ का वार अपनी मां की बुर पर करने लगा एक तरफ
से वह जीभ से ही अपनी मां के बुर की चुदाई कर रहा था। कुछ सेकंड तक वह बुर की गुलाबी पत्तियों
पर ही अपनी जीभ को लपलपाता और फिर तुरंत एक झटके से जितना हो सकता था उतनी अंदर अपनी
जीभ को सट से उतार दे ता ' अलका की बुर इतना ज्यादा पानी छोड़ रही थी कि तुरंत जीभ को अपने
अंदर ले लेती जिससे अलका का मजा दग
ु ना बढ़ जा रहा था। अपने बेटे का यह प्यार करने का ढं ग से
बड़ा ही कामुक लग रहा था। अलका अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी और बार बार उत्तेजना बस
दांतों से अपने होंठ को ही चबाने लग जा रही थी। उसके मुंह से गर्म सिसकारियां बंद होने का नाम ही
नहीं ले रही थी। वह बार-बार अपने बेटे के बालों को खींचते हुए उसके मां को अपनी बरु से सटा दे रही
थी और खुद ही अपनी भरावदार गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपनी बुर चटवाने का मजा ले रही थी।
राहुल कुछ दे र तक अपनी मां की बुर मे ही लगा रहा अलका से अब बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हो
रहा था । उसकी गरम सिसकारी बढ़ती जा रही थी उससे जब बर्दाश्त कर पाना मुश्किल होने लगा तो
वह सिसकारी लेते हुए बोली।

स्स्स्सहहहहहहहहहहहह.....आहहहहहहहहहह..... राहुल .... तू जब ऐसा करता है ना ......तो ना जाने मुझे


क्या होने लगता है .....स्स्सहहहहहहह......ऐसा लगने लगता है कि मैं हवा में उड़ रही हुं।
ऊऊऊहहहहहह.... बेटा कुछ कर मुझ से रहा नहीं जा रहा है । ( अलका लगातार सिसकारी भरते हुए बोले
जा रहीे थी' राहुल अपनी मां की गरम सिसकारी और उसकी बातों को सन
ु कर समझ गया था की अब
उसकी मां को क्या चाहिए इसलिए वह खड़ा हुआ। और एक बार फिर से अपनी मां की गुलाबी होठों को
अपने होठों में भऱ कर चूसने लगा' होठो को चूसते हुए वह धीरे -धीरे चूचियों को मसलने लगा दोनों को
बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी राहुल ने तुरंत अपनी जगह बदल दिया कुछ दे र पहले जहां उसकी मां
खड़ी थी अब खिड़की पर राहुल खड़ा था बाहर की ठं डी हवा दोनों के तन को ऐसे माहौल में ठं डा करने
की वजाय गरम कर रहा था। अलका कुछ समझ पाती इससे पहले ही वह अपनी मां के कंधो को
पकड़कर धीरे धीरे नीचे की तरफ ले जाने लगा और हल्का भी उसकी गर्दन से होते हुए उसके चौड़े सीने
पर चुंबनों की बौछार करते हुए नीचे की तरफ जा रही थी राहुल जल्दी से जल्दी से और नीचे ले जाना
चाह रहा था। इसलिए बाहर अपनी मां के कंधो पर और ज्यादा जोर दे ने लगा और अगले ही पल उसकी
मां घुटनों के बल बैठे हुए थे अल्का परु ी तरह से समझ गई थी थी राहुल क्या चाह रहा था। राहुल का
लंड अलका के होठो से बस दो चार अंगुल ही दरू था जिसे अलका अांख फाड़े दे ख रही थी। अलका की
सांसे और ज्यादा तीव्र गति से चलने लगी। अपनी मां को इस स्थिति में बैठी हुई दे खकर राहुल की दिल
की धड़कनें बढ़ने लगी उसके बदन एक अजीब से सुख की अनुभूति हो रही थी अलका कुछ कह पाती
इससे पहले ही राहुल अपने खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाते हुए सुपाड़े को अपनी मां के होठों पर
स्पर्श कराने की कोशिश करने लगा लेकिन उसकी मां ने मुंह दस
ू री तरफ फेर ली और बोली।

नहीं ऐसा मत कर राहुल मैंने कभी भी ऐसा नहीं कि हुं

बहुत अजीब सा लग रहा है ।

राहुल की बहुत इच्छा थी कि उसकी मां उसके लंड को मुंह में लेकर चूसे क्योंकि इससे पहले वीनीत की
भाभी और नीलू ने उसके खड़े लंड को मुंह में लेकर चुसी थी और लंड की चुसाई में उसे जो आनंद प्राप्त
हुआ था बहुत ही अतुल्य था इसलिए आज भी वह चाहता था कि उसकी मां उसके पूरे लंड को मुंह में
भरकर चुसे लेकिन उसकी मा थीे की अपना मुंह फेर ले रही थी इसलिए अपनी मां को समझाते हुए वह
बोला।

मम्मी बहुत मजा आएगा( लंबू को ऊपर-नीचे करके हिलाते हुए) बस एक बार इसे अपने मुंह में ले कर
दे खिए बहुत मजा आएगा मम्मी प्लीज..... बहुत मजा आएगा मम्मी। ( अपने बेटे को इस तरह से
गिड़गिड़ाते हुए दे खकर वह बोली।

तु ईतना कहता है तो बस एक बार ही लुंगी अगर खराब लगा तो फिर बाहर निकाल दं ग
ू ी।

हां.... हां मम्मी खराब लगे तो जरुर बाहर निकाल दे ना बस एक बार इसे अपने मुंह में ले लीजिए। (
इतना कहने के साथ ही राहुल फिर से अपने लंड को अपनी मम्मी के होठो की तरफ बढ़ाकर उसके
सुपाड़े को अपनी मां के गुलाबी होठो से रगड़ने लगा। अलका भी सुपाड़े के गर्म एहसास से, अपने होठों
को हल्का सा खोल दी राहुल को तो बस यही चाहता था इसलिए होठ खुलते ही उसने तुरंत सुपाड़े को
अपनी मां के होठो के बीच फंसा कर अंदर डालने लगा और अलका भी सुपाड़े को हलके हलके से जीभ से
चाटने लगी। अपनी मां के जीभ का स्पर्श लँ ड के सुपाड़े पर होते ही राहुल अजीब सी आनंद की अनुभुती
करके पुरी तरह से गनगना गया। अलका की सांसे तेज चल रही थी । उसे अजीब सा लग रहा था ।
क्योंकि आज इससे पहले उसने ऐसा कभी नहीं की थी हालांकि उसके पति ने बहुत जोर दिया था उसका
लंड चूसने के लिए लेकिन अलका इसके लिए कभी तैयार ही नहीं हुई लेकिन आज माहौल बदल चुका था
अपने पति का लंड मुंह में लेने से इनकार करने वाली अलका आज अपने ही बेटे का लंड मुंह मे लेकर
चूस रही थी। अलका धीरे -धीरे अपने होंठों को खोल रही थी और राहुल मौका दे खते हुए धीरे -धीरे अपने
लंड को उसके मुंह के भीतर उतार रहा था। कुछ ही दे र में राहुल का पूरा समुचा लंड उसकी मां के मुंह
में घुसा हुआ था जिसको राहुल धीरे धीरे अंदर बाहर करते हुए अपनी मां के मुहं को चोद रहा था। राहुल
की तो सांसे गर्म होने लगी थी। राहुल के बदन में मदहोशी छाने लगी थी आंखों को मुंदकर कर अतुल्य
सुख का अहसास अपने अंदर कर रहा था। राहुल के लिए तो यह अतुलनीय पल था लेकिन अलका के
लिए अजीब सी स्थिति बनी हुई थी। उससे तो ना ठीक से लंड चुसा जा रहा था और ना ही उसे बाहर
निकाला जा रहा था। लंड का स्वाद उसे कसेला लग रहा था। राहुल तो अपनी मां के मँह
ु को ही बरु
समझकर अंदर बाहर करने लगा था।

थोड़ी दे र में अलका को भी मजा आने लगा उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह किसी का लंड
अपने मुंह में लेगी और चुसेगी , लेकिन आज अपने बेटे के आग्रह पर खुद उसका ही लंड मुंह में लेकर
चूस रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि लंड जुसाई में इतना आनंद प्राप्त होता है । अलका अब मजे
ले लेकर लंड को चुस रही थी। अलका के साथ साथ राहुल भी एकदम गर्म हो चुका था । उसे इसका
एहसास हो गया था कि अगर वह कुछ दे र और लंड को यूंही अपनी मां के मुंह में अंदर बाहर करता रहा
तो उसका गर्म लावा फूट पड़ेगा। इसलिए उसने तरु ं त अपनी मां के मुंह में से लंड बाहर खींच लिया। लंड
के मुंह से बाहर निकलते ही अलका हांफने लगी। उसे बहुत मजा आ रहा था इसलिए थोड़ा सा नाराजगी
जताते हुए अपने बेटे की तरफ दे खने लगी। राहुल अपनी मां की बाहों को पकड़कर उसे खड़ा किया।
राहुल अब अपनी मां को चोदने जा रहा था। वह अपनी मां को बिस्तर की तरफ ले गया। और बिस्तर
पर पीठ के बल लेटा दिया अलका ने खुद ही अपनी टांगो को फैला दी अाधी टांग उसकी पलंग के नीचे
लटक रही थी। राहुल एक बार अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए अपनी मां की रसीली बुर को
दे खने लगा, अलका भी प्यासी नजरों से अपने बेटे के खड़े लंड को दे ख रहीे थी। दोनों तरफ आग बराबर
लगी हुई थी राहुल ने अपनी मां के जांघो के बीच जगह बनाया और अपनी मां के बदन के ऊपर झुकते
हुए अपने लंड के सुपाड़ो को बुक की गुलाबी फांखों के बीच रखकर अंदर की तरफ सरकाना शुरु कर
दिया। अलका की बरु इतनी ज्यादा गीली थी कि लंड धीरे -धीरे आराम से अंदर की तरफ सरकने लगा।।
अगले ही पल राहुल का समूचा लंड ऊसकी मां की बरु में घुसा हुआ था। अलका की सांसे तेज चल रही
थी उसकी चूचियां कुछ ज्यादा ही ऊपर नीचे हो रही थी और उस फुदकती हुई चूचियों को राहुल ने अपने
हथेली में दबोच लिया और अपने कमर को आगे पीछे करके अपनी मां की चुदाई करना शुरु कर दिया।
लंड गजब का सरकता हुआ बरु के अंदर बाहर हो रहा था। राहुल के हर ठाप पर अलका की आह निकल
जा रही थी। अलका के सांसे तीव्र गति से चल रही थी। राहुल की कमर पूरे लय में ऊपर नीचे हो रही
थी। इतनी तेजी से राहुल अपनी मां की चुदाई कर रहा था कि अलका को यकीन ही नहीं हो रहा था कि
इतनी तेजी से भी चुदाई की जा सकती है । थोड़ी ही दे र में दोनों पसीने पसीने हो गए। पुच्च पुच्च की
आवाज से परू ा कमरा गूंज रहा था। यह पुच्च -पुच्च की आवाज लंड और बुर के संगम से आ रही थी।
अलका मदहोश हुए जा रही थी और वह भी नीचे से कमर उछाल उछाल कर अपने बेटे का साथ दे रही
थी। कुछ दे र तक यूं ही राहुल अपनी मां के ऊपर सवार होकर उसे चोदता रहा। तभी चुदाई करते करते
उसे विनीत की भाभी याद आ गई जब उसने पीछे से अपनी बुर में लंड डलवाकर चुदवाई थी। राहुल ने
उस तरीके को अपनी मां पर आजमाने की सोचा। इसलिए वह अपनी मां की बरु से लंड को बाहर
खींचकर निकाल लिया। अलका को बहुत मजा आ रहा था इसलिए लंड निकालने पर उसका सारा मजा
किरकिरा होता नजर आने लगा तो राहुल से सिसकारी भरते हुए बोली।

ससससहहहहहहहहह.....आहहहहहहहहह.......राहुल नीकाल क्यों लिया....... बहुत मजा आ रहा था।

( बिस्तर से उठते हुए ) इसे भी ज्यादा मजा मिलेगा मम्मी बस एक बार खड़ी हो जाओ।

( कितना कह कर राहुल बिस्तर से खड़ा हो गया। अलका समझ नहीं पा रही थी कि राहुल क्या करना
चाह रहा है । लेकिन राहुल के कहने के अनुसार कि इस से भी ज्यादा मजा मिलेगा इसलिए वह भी
बिस्तर से खड़ी हो गई। जैसे ही अलका खड़ी हुई राहुल ने उसे घूमने के लिए कहा तो वह आश्चर्य से
राहुल की तरफ पीठ करके खड़ी हो गई और राहुल ने अपनी मां कीे पीठ पर हाथ लगाते हुए उसे नीचे
झुकाते हुए बिस्तर पर करने लगा। जैसे जैसे राहुल ने अपने हाथों के इशारे से और समझाते हुए निर्देश
दिया वैसे-वैसे अलका उसी पोजीशन में हो गई इस पोजीशन में अपनी मां को दे खते ही राहुल और भी
ज्यादा चुदवासा हो गया । क्योंकि इस पोजिशन में उसकी मां की गांड वीनीत की भाभी की गांड और
नीलू की गांड से कुछ ज्यादा ही उभरी हुई और गोल नजर आ रही थी। अपनी मां की गांड को दे खकर
राहुल के लंड़ ने ठुनकी मार कर उसे सलामी दीया। अलका अभी भी आश्चर्य में थी उसे अभी भी कुछ
समझ में नहीं आ रहा था। राहुल ने अपने मां के गोल. गांड को अपनी हथेली में भरने के लालच को
रोक नहीं पाया। और तरु ं त अपनी मां की गांड पर दोनों हाथ से चपत लगाते हुए कस के हथेली में भर
लिया।चपत लगते ही उसकी मां के मुंह से आह निकल गई। अलका को ईस तरह से झुक कर अपनी
गांड को बाहर निकाल कर बैठने में ज्यादा रोमांच का अनुभव हो रहा था। लेकिन कुछ भी समझ में नहीं
आ रहा था कि राहुल करने क्या वाला है राहुल तू बार-बार अपनी हथेलियों को अपनी मां की उभरी हुई
गांड पर मसलते हुए फिरा रहा था। अलका के बदन में झन
ु झन
ु ी की लहर फैल जा रही थी। अलका से
रहा नहीं जा रहा था और वह अपने बेटे से पूछने लगी।

तू करने क्या वाला है बेटा मुझे इस तरह से कर के ।

बस मम्मी आप दे खते जाओ आपको कितना मजा मिलता है ।( इतना कहने के साथ ही राहुल अपने हाथ
में लंड को पकड़े अपनी मां की गांड से बिल्कुल सट गया

और ज्यों ही लंड के सुपाड़े को अपनी मां की बरु पर लगाया अलका एकदम से गनगना गई ' वह कुछ
और समझ पाती इससे पहले ही राहुल नहीं जोरदार झटका लगाया और पूरा लंड सीधे उसके बच्चेदानी से
जा टकराया अलका के मुंह से चीख सीे निकल गई। अब अलका को परू ी तरह से समझ में आ गया था।
तभी राहुल ने दस
ू रा ठाप लगाया और फिर से अलका के मुंह से चीख निकल गई। इस पोजीशन में राहुल
कहां रुकने वाला था अब धड़ाधड़ बरु में धक्के लगाते हुए अपनी मां को चोदने लगा। और उसकी मां के
मुंह से लगातार सिसकारी की आवाज गूंजने लगी। इस पोजीशन में अलका को भी बहुत मजा आ रहा था
उसने कभी सोची ही नहीं थी कि ईस तरह से भी चुदवाया जाता है । बहुत ज्यादा मजा आ रहा था कुछ
ही दे र में अलका भी अपनी गांड को पीछे की तरफ धकेल कर राहुल के हर धक्के का जवाब दे ने लगी।
जांघ से जांघ टकराने की बहुत ही मादक आवाज कमरे में गूंज रही थी। मां बेटे दोनों पसीने से तरबतर
हो चुके थे कोई भी हार मान नहीं रहा था राहुल के हर धक्के का जवाब अलका अपनी गांड को पीछे की
तरफ ठे लकर दे ती थी।

राहुल इतनी जल्दी झड़ने वाला नहीं था क्योंकि कुछ दे र पहले उसने अपना गरम पानी की मां की बुर में
छोड़ चुका था। अद्भत
ु चुदाई का नजारा राहुल दिखा रहा था अलका कभी सोची भी नहीं थी कि ईस तरह
की भी चुदाई होती है । आआआहहहहहहह आहहहहहह की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था राहुल के हर
धक्के के साथ ही पूरी पलंग चरमरा जा रही थी जब जब राहुल कसके धक्का लगाता तो अलका आगे की
तरफ गिरते गिरते वह जाती हो तो अच्छा था कि राहुल ने उसे कमर से पकड़ा हुआ था बहुत ही गजब
का नजारा लग रहा था सिस्कारियों की आवाज से पुरा कमरा गूंज रहा था। अलका को अभी भी विश्वास
नहीं हो रहा था कि यह हकीकत है उसे यह सब सपना हीं लग रहा था।

एक रात में सब कुछ बदल चुका था कुछ ही दिन पहले अलका एक संस्कारी महिला थी । शरीर सुख की
कामना को उसने अपने अंदर दफन कर चुकी थी उसे इन बातों से कुछ भी लेना दे ना नहीं था लेकिन
इस समय वही संस्कारी मर्यादा वाली अलका झुक कर डोगी स्टाइल में अपने बेटे से ही चुदवा रही थी।
दोनों ठाप पर ठाप लगा रहे थे राहुल पीछे से तो अलका आगे से कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था।
यह चुदाई कुछ ज्यादा ही लंबी चल रही थी। तकरीबन 40 45 मिनट के घमासान चुदाई के बाद अलका
की सिसकारी और ज्यादा तेज होने लगी। उसका बदन अकड़ने लगा साथ ही राहुल का भी और एक
जबरदस्त धक्के के साथ ही दोनों एक साथ झड़ गए । राहुल अपनी मां के पीठ पर झड़ते हुए लेट गया
था। अलका भी गहरी गहरी सांसे ले रही थी। दोनों बिस्तर पर लेट गए।

दोनों हाथ से हुए एक दस


ू रे की बाहों में बिस्तर पर लेटे रहे । और थक कर वह दोनों को कब नींद आ
गई इसका पता ही नहीं चला।

सुबह चिड़ियों की चहचहाहट से अलका की नींद खुल गई। अपने आपको अपने बेटे की आगोश में पाकर
, अलका एकदम से शर्मसार होने लगी और होती भी क्यों नहीं वह दोनों एकदम संपूर्ण नग्नावस्था में
बिस्तर पर एक दस
ू रे की बाहों में सोए हुए थे। राहुल अपनी मां को अपनी बाहों में लेकर कब सो गया
था उसे भी पता नहीं चला था अलका की पीठ राहुल की तरफ थी जोकि राहुल के सीने से सटी हुई थी।
अलका जब उठने के लिए अपने बदन में हरकत की तो उसका बदन एकदम से गनगना क्योंकि राहुल
का लंड उसकी गांड की दरार के बीच में फसा हुआ था जो कि इस समय पूरी तरह से तनाव में था।
अपने बेटे के लंड का कड़कपन का एहसास अलका को होते ही तुरंत उसके बदन में उत्तेजना की लहर
दौड़ ने लगी। उसकी रसीली बुर फिर से फूलने पिचकने लगी। एक बार फिर से उसकी सांसे गहराने लगी
दिल की धड़कनें बढ़ने लगी। वह बिस्तर से उठने को हो रही थी लेकिन अपने बेटे की लंड की गर्माहट में
एक बार फिर से उसे अपनी बुर पिघलती सी महसूस होने लगी। अलका का जी एक बार फिर से मचलने
लगा। राहुल एकदम कार्ड निद्रा में सो रहा था अलका पल-पल उत्तेजित हुए जा रही थी और रह रहकर
हल्के हल्के से अपनी भरावदार गांड को राहुल के लंड पर रगड़ रही थी। अलका की सांसे उसके बस में
नहीं थी एक बार उसका मन तो कहा कि राहुल को जगा कर एक बार फिर से चुदवाले लेकिन रात के
अंधेरे में बेशर्म बन चुकी या लड़का सुबह के उजाले में शर्मिंदगी महसूस कर रही थी। बारिश के पानी की
तरह अलका के वासना का भी पानी उतर चुका था। रात के अंधेरे को सुबह का उजाला धीरे धीरे काट
रहा था और परू े सष्टि
ृ पर अपना कब्जा जमा रहा था। खिड़की से हल्की हल्की रोशनी कमरे में आ रही
थी रोशनी के साथ ही अलका की बेशर्मी भी दरू होने लगी थी। अपने नंगे बदन पर गौर करते ही अलका
शर्मिंदा हो गई और जल्द से जल्द अपने बदन को कपड़े से ढक लेना चाहती थी इसलिए धीरे से और
बिस्तर पर से उठने लगी ताकि राहुल की नींद ना खुल जाए क्योंकि वह राहुल के जगने से पहले ही
कमरे से चली जाना चाहती थी नहीं तो वह रात की हरकत के बाद से अपने बेटे से नजर नहीं मिला
पाती। अलका बिल्कुल आहट किए बिना ही बिस्तर से धीरे से उठ खड़ी हुई बिल्कुल नंगी थी । एक बार
अपने आपको ऊपर से नीचे की तरफ नजरें घुमा कर दे खने पर उसके चेहरे पर शर्म की लालीमा छा गई।
वह जल्द से जल्द कमरे से बाहर निकल जाना चाहती थी इसलिए अपने कपड़ों को ढूंढने की झंझट में
नहीं पड़ना चाहती थी इधर उधर दे खने पर भी उसे अपने कपड़े नजर नहीं आए तो वह नंगी ही कमरे से
बाहर आ गई क्योंकि उसे पता था सोनू अभी भी सो रहा होगा इसलिए झट से बाथरूम में जाकर जल्दी-
जल्दी नहा धोकर फ्रेश हो गई। उसे जल्द से जल्द सुबह का नाश्ता बनाना था इसलिए रसोई घर में आ
गई। रसोईघर में काम करते हुए उसका ध्यान बार-बार रात वाली घटना पर केंद्रित होने लगा रह रह कर
उसे अपने बेटे का लंड याद आने लगा उसे अपनी बुर मैं मीठा-मीठा दर्द का एहसास होने लगा।

रात भर जमकर चुदवाने के बाद उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसका बेटा एक दमदार और
तगड़ा लंड का मालिक है उसके जबरदस्त धक्को को याद करके अलका मन-ही-मन सिहर ऊठ रही थी।

वह सोच में पड़ गई थी कि कितना मोटा लंड है राहुल का कि उसकी बरु में घुसते ही कैसे उसकी बुर की
गुलाबी पत्तियों को फैलाता हुआ अंदर तक वह भी उसके बच्चेदानी तक पहुंच कर परू ी तरह से खलबली
मचा रहा था।

इन सब बातों को याद करके एक बार अलका का दिल फिर से मचलने लगा था उसे अपनी बुर में एक
बार फिर से अपने बेटे का लंड परू ी तरह से डलवाकर चुदवाने का करने लगा था। लेकिन कैसे या उसे
समझ में नहीं आ रहा था रात को तो ना जाने उसे क्या हो गया था और थोड़ी बहुत मदद उसे बारिश से
भी मिल चुकी थी लेकिन रात को जो उसने हिम्मत दिखाई थी उसके बारे में सोच कर अलका का दिल
अभी भी मचल जा रहा था।

उसे एक बार फिर से उसी हिम्मत को दिखाने की जरूरत का एहसास हो रहा था क्योंकि इस समय
उसकी बुर में आग लगी हुई थी जिसे उसका बेटा ही अपने लंड से बझ
ु ा सकता था। लेकिन उसे यह
समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें कैसे करें कि उसका बेटा एक बार फिर से रात की तरह
अपने लंड को उसकी बुर में डालने के लिए मजबूर हो जाए। यही सब सोचते हुए अलका सब्जी काट रही
थी तभी वह अपने मन में ठान ली कि, रात को दो-तीन बार तो अपने बेटे का लंड अपनी बुर में डलवा
कर चुदवा चुकी है तो इस समय शर्म कैसी एक बार हो या बार बार हो तो गया है और अब शर्म करने
से कोई फायदा नहीं है अगर अपने बदन की प्यास को बझ
ु ाना है तो हमेशा ही राहुल का ही सहारा लेना
होगा और इस समय अगर उसे चुदवाना है तो रात की तरह ईस समय भी अपने बेटे को उकसाना ही
होगा ताकि वह फिर से चुदाई कर सके।

रसोई घर में आटा गुंथते गुंथते अलका राहुल को कैसा उकसाया जाए इस बारे में सोचने लगी। तभी
अचानक से वह अपनी साड़ी उतारने लगी, साड़ी उतारने के बाद बगल में लटक रही रस्सी पर साड़ी को
डाल दी और फिर अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी। थोड़ी दे र मे अलका ने अपने ब्लाउज को दी उतार
दी और फिर अपनी लाल रं ग की ब्रा के हुक को खोलकर ब्रा भी उतार दी और उसे रस्सी पर ही साड़ी के
नीचे छिपा कर टांग दी और फिर वापस से ब्लाउज को कहें गे लेकिन ऊपर के दो बटन को खुला ही छोड़
दी। वह अच्छी तरह से जानती थी की राहुल उठकर नहाने के बाद रसोई घर में जरूर आएगा इसलिए
अलका ने यह परू ी तैयारी कर के रखे थे इस समय वह सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में ही थी पेटीकोट भी
थोड़ी सी टाईट थी जिससे उसके अंगो का हर कटाव उभार साफ-साफ पेटीकोट में होने के बावजूद भी
उपस के बाहर आ रहा था। और उसने ब्रा को जानबूझकर उतार दी थी क्योंकि उसके ब्लाउज का कपड़ा
एकदम ट्रांसपेरेंट था । बिल्कुल पारदर्शक वह कपड़ा इतना पतला था कि उसके आर-पार की चीज आराम
से दे खी जा सकती थी और इस समय अलका की नंगी पीठ उसकी बड़ी बड़ी गोल चुचीयां ब्लाउज मे से
आराम से नजर आ रही थी। अलका अपने बेटे को उकसाने का परू ा सामान तैयार कर चुकीे थी। वैसे भी
ब्लाउज का साइज उसकी छातियों के साइज से थोड़ा कम ही था, इस वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां
और भी ज्यादा बड़ी लगती थी । अलका को परू ा यकीन था कि राहुल उसे इस हाल में दे ख कर जरूर
चुदवासा हो जाएगा और उसकी भी कामना परू ी हो जाएगी। अलका यही आस मन में लिए प्यासी बरु की
तड़प को सहन करते हुए रसोई का काम करने लगी।

दस
ू री तरफ राहुल की नींद खुल चुकी थी अपने आप को बिस्तर में नंगा पाकर उसके चेहरे पर मुस्कान
फैल गई क्यों कि उसकी भी प्यास बझ
ु चुकी थी लेकिन यह प्यास एसी थी की कभी भी किसी से भी
पूरी तरह से बझ
ु नहीं सकती थी हां कुछ दे र के लिए शांत जरूर हो जाती थी। वह जान गया था कि
उसकी मम्मी जल्दी उठ कर चली गई थी। वह रात वाली बात को सोच सोचकर गनगना जा रहा था।
रात भर अपनी मां को जमकर चोद ता रहा इस बात पर उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था। उसे यहं
सब सपना ही लग रहा था।

अपने लंड में आए तनाव को दे खकर उसका मन बहकने लगा था। वह मन में यही सोच रहा था कि
अगर इस समय उसकीे मम्मी इधर होती तो, वह जरूर एक बार फिर से उसे चोद कर अपने आप को
शांत करता लेकिन क्या करें हाथ मसल कर रह गया। बिस्तर पर से जल्दी जल्दी नीचे उतरकर अपने
कपड़े पहन कर सीधा बाथरुम के अंदर चला गया। बाथरुम से नहा धोकर तैयार हो कर वह सीधे अपनी
मां के पास रसोईघर में चला गया। अलका को रसोईघर में राहुल की आहट होते ही उसकी जाँघो को बीच
सुरसुरी सी मचने लगी। उसे पता था कि राहुल की नजर उस पर ही टिकी होगी लेकिन वह पीछे मुड़कर
दे खे बिना ही पत्थर पर मसाला पीसती रही। और उसके सोचने के मुताबिक ही राहुल की नजर अलका
पर ही गड़ी थी। राहुल आश्चर्यचकित होकर अपनी मां को ही दे ख कर जा रहा था अलका की पीठ राहुल
की तरफ थी। अपनी मां को सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में दे ख कर राहुल है रान हो रहा था क्योंकि आज
से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मम्मी स्नान करने के बाद
ही रसोई घर में कदम रखती थी और इस तरह से सिर्फ पेटीकोट ब्लाउज में कभी भी नजर नहीं आई थी
तो आज ऐसा क्या हो गया। उसे अपनी मां को इस अवस्था में दे खकर उत्तेजना का भी एहसास हो रहा
था और यह सब जानने के लिए उत्सुकता भी हो रही थी। जैसे जैसे अलका के हाथ हिलते थे वैसे वैसे
उसकी भरावदार गांड मटकती थी और अपनी मां की मटकती गांड को दे ख कर राहुल के लंट में तनाव
आना शुरू हो गया था। अपनी मां की गांड का घेराव दे खकर राहुल है रान हुए ो जा रहा था
पलपलउसकी ऊत्तेजना बढ़ती जा रही थी।
राहुल अपनी मां के ब्लाउज को दे खकर कुछ ज्यादा ही हे रान हुए जा रहा था। क्योंकि राहुल को ब्लाउज
के अंदर से झांकती नंगी पीठ साफ साफ नजर आ रही थी उसे साफ साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी
मां ने अंदर ब्रा नहीं पहनी है । यह दे ख कर उसका लंड और ज्यादा उछल मारने लगा, कल का मन ही
मन अपनी भरावदार गांड को और ज्यादा मटकाते हुए कसमसा रही थी उसे इस प्रकार से अपने बेटे को
उकसाते हुए अजीब सी आनंद की अनुभूति हो रही थी। राहुल के पें ट में परू ी तरह से तंबू बना हुआ था
राहुल का मन अपनी मां की स्थिति को दे ख कर एक बार फिर से उसे चोदने को करने लगा और अलका
भी तो यही चाहती थी बस दोनों एक दस
ू रे से सब कुछ हो जाने के बाद भी इस समय शर्मा रहे थे।
राहुल यह अच्छी तरह से जानता था कि पारदर्शी ब्लाउज पहनने पर जब नंगी पीठ पूरी तरह से दिखाई
दे रही है तो जरूर उसकी बड़ी बड़ी चूचियां भी साफ साफ दिखाई दे ती होंगी अब राहुल की इच्छा अपनी
मां की चुचियों को दे खने का कर रहा था लेकिन कैसे शर्मिंदगी भी महसूस हो रही थी। अलका थी कि
जानबझ
ू कर पत्थर पर मसाला पीसने में ही लगी हुई थी राहुल ही बातों का दौर आगे बढ़ाते हुए रसोई घर
में प्रवेश करते हुए बोला।

क्या बात है मम्मी आज सुबह-सुबह आप अपनी साड़ी नहीं पहनी हो क्या। ( राहुल रसोई घर में प्रवेश
करते हुए बोला।)

अलका ने अपनी लालसा को पूरी करने के लिए पहले से ही पूरी तरह से रुपरे खा तैयार कर चुकी थी।
इसलिए उसे इस स्थिति में होने के बावजूद भी अपने बेटे को जवाब दे ने में कोई भी दिक्कत महसूस
नहीं हुई वह एक दम शांत मन से बोली।

क्या करूं बेटा आज नहाने के बाद इतनी गर्मी महसूस हो रही है कि मुझ से रहा ही नहीं जा रहा
इसलिए मैंने पहनी हुई साड़ी उतारकर सामने( उं गली से निर्देश करते हुए) रस्सी पर टांग दी हुँ।

( राहुल जानता था कि उसकी मम्मी झूठ बोल रही है रात भर बरसने के बाद मौसम परू ी तरह से ठं डा
हो चुका था लेकिन फिर भी अपनी मां की हां में हां मिलाते हुए वह बोला।)

हां मम्मी आप सच कह रही हो मुझे भी गर्मी का एहसास कुछ ज्यादा ही हो रहा है ।

तो तू भी अपने कपड़े उतार दे ( अलका झट से बोलकर मुस्कुराने लगी। अलका की मुस्कुराहट राहुल के
कलेजे पर छुरियां चला रही थी अलका की कामुक मुस्कान दे ख कर राहुल का दिल मचलने लगा था।)

अच्छा बता नास्ते मे क्या चाहिए तझ


ु े। ( इतना कहने के साथ ही अलका राहुल की तरफ घुंम गई, और
जैसे वा राहुल की तरफ घूमि वैसे ही तुरंत राहुल की नजर सीधे अलका की बड़ी बड़ी चुचियों पर चली
गई जौकी ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी साफ साफ नजर आ रही थी। अपनी मां की बड़ी बड़ी
चुचियों को दे खकर राहुल तो सन्न रह गया। पारदर्शी ब्लाउज की वजह से अलका की चुचीयां इतनी
साफ-साफ नजर आ रही थी कि लग ही नहीं रहा था कि वह ब्लाउज पहने हुए है । राहुल तो आंखें फाड़े
अपनी मां की चुचियों को ही दे खे जा रहा था। अलका समझ गई थी कि उसके बेटे की नजर किस अंग
पर है । वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी। वह एक बार फिर से अपने चेहरे पर कामुक मुस्कान लाते
हुए बोली।

क्या हुआ बेटा बता तो सही आज नाश्ता में क्या लेगा?

( राहुल अपनी मां के इस सवाल पर एक दम से तक पका गया उसे समझ में ही नहीं आया कि क्या
कहे उसकी नज़रों और दिमाग में तो उसकी मां की चुचीयां ही छाई हुई थी इसलिए उसके मुंह से
एकाएक दददद....दध
ु निकल गया। राहुल के मुंह से दध
ू शब्द सुनकर अलका मुस्कुराने लगी और
मुस्कुराते हुए बोली।

क्या बात है बेटा आज सुबह-सुबह दध


ू पीएगा।तु रूक अभी गर्म कर दे ती हुं, पहले मसाला तो पीस लु।(
इतना कहकर वह फिर से मसाला पीसने लगी। राहुल अपने जवाब से हक्का-बक्का रह गया था लेकिन
साथ ही साथ रोमांचित भी था। दोनों एक दस
ू रे के साथ सब कुछ कर चुके थे कुछ भी बाकी नहीं था
फिर भी दोनों आपस में थोड़ा थोड़ा शर्म लिहाज कर रहे थे अलका तो परू ी तरह से तैयार थी। अपने आप
को फिर से राहुल को सौंपने के लिए। लेकीन सब कुछ होने के बावजूद भी दोनो अभी परू ी तरह से खुले
नहीं थे। राहुल परू ी तरह से गर्म होने लगा था अलका तो पहले से ही गर्म थी। राहुल की आंखों के सामने
अलका की चूचियां नाच रही थी। उससे रहा नहीं जा रहा था और उसकी मां उसे तड़पाकर मसाला पीसने
में लगी थी। मसाला पीसने में क्या मसाला पीसना तो एक बहाना था वह खुद राहुल की पहल का
इंतजार कर रही थी। राहुल वहीं खड़े-खड़े अपनी मां के बदन की थिरकन को दे खकर मचल रहा था। रात
वाला सारा नजारा उसकी आंखों के सामने नाच जा रहा था। उसे सब कुछ याद आ रहा था कि किस
तरह से उसकी मां उसे से चुदवा रही थी और वह भी मजे ले लेकर सारी रात अपनी मां को चोदता रहा
था। राहुल अपने अंदर थोड़ी हिम्मत जुटा रहा था क्योंकि उसे इस समय मजा लेना था। वह मन ही मन
में अपने आपको तैयार कर रहा था अपने आपको समझा रहा था कि जो काम कल रात को हो चुका तो
उसे अभी करने में हर्ज क्या है । यही सोचते हुए धीरे -धीरे रसोई घर के बाहर आ कर इधर उधर नजरें
घुमा कर सोनु को दे खने लगा कि कहीं सोनू तो उठ नहा गया है । पुऱी तसल्ली कर लेने के बाद, वह
फिर से दरवाजे को बंद करता हुआ रसोई घर में प्रवेश कीया। दरवाजे के बंद होने की आवाज को सुनते
ही अलका की बुर फूलने पिचकने लगी। वह समझ गई कि राहुल उसे पाने के लिए फिर से तड़प रहा है
इसलिए वह खुद भी अपनी भरावदार गांड को कुछ ज्यादा ही बाहर निकालते हुए मटकाने लगी' यह
दे खकर राहुल से बिल्कुल भी रहा नहीं गया अपनी मां की मटकती गांड को दे खकर उसका लंड टन
टनाकर खड़ा हो गया। वह जिस तरह से खड़ी थी राहुल अच्छी तरह से जानता था कि उसके मन में
क्या चल रहा है इसलिए ज्यादा दे र ना करते हुए पीछे से जाकर अपनी मां को पकड़ लिया जैसे ही
अपनी मां को पीछे से पकड़ा उसका तंबू अलका की भरावदार गांड में चुभ गया और अलका के मुंह से
तुरंत गर्म सिसकारी फूट पड़ी।

सससससहहहहहहह.....।राहुल......( इतना कहने के साथ ही जल बिन मछली की तरह अपनी भरावदार


गांड को राहुल की तरफ ऊचकाते हुए तड़प ऊठी। राहुल की सांसे तेज हो चली। उससे अब रुक पाना बड़ा
मुशकिल हुए जा रहा था। उसने तुरंत अपनी मां की पेटीकोट को पकड़कर ऊपर की तरफ सरकाने लगा।
अलका की भी सांसे तीव्र गति से चलने लगी। धीरे धीरे करके राहुल ने अपनी मां की पेटीकोट को कमर
तक उठा दिया, राहुल बहुत ही उतावला हुआ जा रहा था। पेटीकोट के कमर तक ऊठने पर अलका खुद
दोनों हाथों से अपनी पेटीकोट को थाम ली और राहुल अपनी मां की गुलाबी पें टि को दोनों हाथों की
उं गलियों में फंसा कर धड़कते दिल से धीरे धीरे नीचे सरकाने लगा जैसे-जैसे पें टी नीचे सरक रही थी
अलका की गोरी गोरी भरावदार गांड दिन के उजाले में चमक रही थी। राहुल की तो हालत ही खराब होनै
लगीे थी अपनी मां की गोरी गोरी गांड को दे खकर उसका गला सूखने लगा था उसका पूरा बदन उत्तेजना
में सराबोर हो चुका था। राहुल धीरे धीरे कर के पें टी को भी पैरों के नीचे तक पहुंचा दिया। जहां से खुद
अलका ही पैरों का सहारा ले कर पैंटी को उतार फेंकी। यह नजारा दे खकर राहुल से रुक पाना नामुमकिन
सा हो गया था। ओर वह अपनी पें ट उतार ने लगा राहुल को पें ट उतारता दे ख अलका के बदन में
गुदगुदी सी होने लगी और वह राहुल से बोली।

बेटा अगर सोनू आ गया तो।

(राहुल अपनी पें ट उतारतेे हुए ) इसलिए तो दरवाजा बंद कर दिया हुं अगर आएगा भी तो दे ख नहीं
पायेगा।

( इतना कहने के साथ ही राहुल अलका के पीछे आकर एक हाथ से उसकी टांग को पकड़ कर उठाते हुए
किचन पर रख दिया और अलका की पीठ पर दबाव बनाते हुए उसे आगे की तरफ झुका दिया। अलका
आश्चर्यचकित होते हुए राहुल के निर्देश का पालन कर रही थी उसे तो इस पोजीशन के बारे में पता ही
नहीं था और राहुल कुछ बोले बिना ही अपने लंड के सुपाड़े को उसकी बुर के गुलाबी छे द पर टीका कर
एक करारा थक्का लगाया और परू ा का परू ा लंड बुर के अंदर समा गया। एक बार लंड के घुसने के बाद
राहुल कहां रुकने वाला था बस धक्के पर धक्का लगाता रहा। अलका की गरम सिसकारियां पुरे रसोईघर
को और भी ज्यादा गर्म कर रही थी। दोनों आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे राहुल की कमर बड़ी
तेजी से आगे पीछे हो रही थी अलका की भारी सांसे माहौल को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी। सब
कुछ बड़ी तेजी से हो रहा था राहुल रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था बस अपनी मां की कमर को दोनों
हाथों से थामे लंड को बुर के अंदर धकाधक डाल रहा था। करीब 15 मिनट की घमासान चुदाई के बाद
अलका की सांसे और ज्यादा तीव्र गति से चलने लगी उसकी सिसकारियां बढ़ने लगी। और एक जबरदस्त
धक्के के साथ दोनों झड़ गए। राहुल अपनी मां की बुर में झड़ ही रहा था कि दरवाजे पर दस्तक होने
लगी।

दरवाजे पर दस्तक होते ही दोनों हड़बड़ा गए, दोनों को समझते दे र नहीं लगी की रसोई घर के बाहर सोनू
खड़ा है । अलका जोकि राहुल के साथ ही झड़ रही थी वह अपने पैर को किचन पर से उतार कर हटने को
हुई ही थी की राहुल ने उसकी कमर को कसके दबोच लिया क्योंकि वह अपने लंड की हर एक बूंद को
बुर में उतार दे ना चाहता था इसलिए दरवाजे पर दस्तक होते हुए भी वह झटके खाते हुए रह रहकर झड़
रहा था। अलका बार-बार उसके कानों में फुसफुसाते हुए उसे छोड़ने के लिए कह रही थी लेकिन राहुल तब
तक नहीं छोड़ा कि जब तक उसके लंड की हर एक बुंद बुर में न उतर गई।

जैसे ही राहुल पूरी तरह से झड़ गया वह हांफते हुए अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर खींचा।
दोनों के कपड़े अस्तव्यस्त थे। अलका के ब्लाउज के बटन परू ी तरह से खुले हुए थे हालांकि राहुल ने नहीं
खोला था अलका खुद ही अपने हाथों से अपने ब्लाउज के बटन खोल दी थी। उसकी बड़ी बड़ी चूचियां
ब्लाउज से बाहर तनी हुई खड़ी थी और उसका पेटिकोट कमर के ऊपर तक चढ़ा हुआ था बाहर लगातार
दस्तक हो रही थी।

रुक जा बेटा खोलती हूं (इतना कहकर अलका नीचे जमीन पर पड़ी अपनी पें टी को जल्दी से उठाकर उसे
पहनने लगीे राहुल तब तक अपनी पैंट पहन चुका था और जल्दी से जाकर रस्सी पर टं गी साड़ी और ब्रा
लाकर अपनी मां को थमाया। अलका झट से राहुल के हाथों से साड़ी लेकर पहनने लगी थोड़ी ही दे र में
अलका अपने अस्तव्यस्त कपड़ों को व्यवस्थित करते हुए , दरवाजा खोली तो दरवाजे के बाहर सोनू खड़े
होकर आश्चर्य के साथ अलका को ही दे ख रहा था और दोनों को दे खते हुए बोला।

क्या कर रही थी मम्मी इतनी दे र से मैं कब से दरवाजे को खटखटा रहा हूं।

बेटा कुछ नहीं दरवाजे का लोक ठीक से बंद नहीं हो रहा था यही ठीक कर रहे थे हम दोनों( अलका
हड़बड़ाते हुए बोली और तुरंत बातों का रुख मोड़ ते हुए।)

अच्छा हुआ तू नहा कर आ गया तु बाहर ही बैठ में जल्दी से गरमा गरम नाश्ता तैयार करके तझ
ु े दे ती
हूं। (इतना कहने के साथ हुई अलका वापस रसोई घर की तरफ चली गई और राहुल भी बाहर आ गया।)
सोनू के जाते ही अलका ने राहत की सांस ली। वैसे भी अलका अच्छी तरह से जानती थी की सोनु अभी
ईतना बड़ा नही हुआ था की उसे औरत और मर्द के बीच के संबंधों के बारे में कुछ मालूम पड़े इसलिए
उसे शक भी नहीं हुआ था उसे यही लग रहा था की उसकी मम्मी दरवाजा ही ठीक कर रही थी।

थोड़ी दे र में नाश्ता तैयार हो चुका था और तीनों साथ में बैठकर नाश्ता किए इसके बाद दोनों अपने
अपने स्कूल चले गए अलका को ऑफिस जाना था अलका आज बहुत खुश नजर आ रही थी। और खुश
हो भी क्यों नहीं उसकी सुनी जिंदगी में बाहर आ गई थी। रात से लेकर अब तक चार बार जम कर
चुदवा चुकी थी लेकिन यह प्यास ऐसी थी की बार-बार बढ़ती ही जा रही थी वह अपने कमरे में तैयार
होते हुए अपने बेटे के बारे में हीं सोच रही थी। अपने बेटे के मोटे लंड के बारे मे सोच कर तो कभी
अपने बेटे के हर एक धक्के के बारे में याद करके उसके चेहरे पर मंद मंद मुस्कान बिखर जा रही थी।
अपनी बुर पर पड़ने वाले हर एक धक्के का एहसास उसकी बरु को फिर से गीला कर रहा था। कुछ दे र
पहले ही अपने बेटे का लंट डलवाकर चुद चुकी थी लेकिन फिर से उसका मन चुदवाने को करने लगा
था।

जैसे तैसे करके उसने अपने मन को शांत की को तैयार होकर ऑफिस चली गई। राहुल भी बहुत खुश था
क्योंकि उसका जुगाड़ अब घर में ही हो गया था।

ऑफिस से शाम को छूटते ही अलका खुशी खुशी अपने घर की तरफ गई वह रात को फिर से परू ा
प्रोग्राम फिट करना चाहती थी लेकिन ना जाने क्यों रात होते ही उसके मन को शर्म ने घेर लिया। उसे
रात और सुबह वाली घटना के बारे मे सोचकर शर्मिंदगी का एहसास होने लगा। प्रताप एक मन कह रहा
था कि यह सब जो हुआ वह ठीक नहीं था मां और बेटे के रिश्ते को कलंकित कर दी थी उसने यह बात
का एहसास उसे अंदर तक हचमचा दे रहा था। रिश्ते और मर्यादाओं की डोर को उसने तोड़ चुकी थी ,
इस बात को लेकर वह परे शान हुएे जा रही थी।

उसे रात वाली सारी घटनाओं के बारे में सोच कर परू ी तरह से शर्मिंदगी का एहसास होने लगा उसे अपने
आप पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वह खुद अपने बेटे के सामने भरी बारिश में उसे उकसाने के लिए
अपने अंगों को उसे दिखाएं ताकि वह वह सब करने पर मजबूर हो जाए जो एक औरत और मर्द के बीच
होता है ऐसी हरकत तो उसने अपने पति को भी उकसाने के लिए कभी नहीं की थी।

उसे इस समय बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था कि वह अपने बेटे के सामने पूरी तरह से नंगी
होकर उस से चूदवाई उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसी और राहुल को भी अपनी बुर चटवाई जो
कि आज तक उसके पति ने भी कभी नहीं चाटा था। उसका एक मन उसे धिक्कार रहा था लेकिन दस
ू री
तरफ उसका एक मन यह सारी घटनाओं को सही ठहरा रहा था। उसका एक मन यह समझा रहा था कि
यह जो कुछ भी हुआ उसमें ना तो उसकी गलती है ना तो राहुल की यह दोनों की जरूरत है जिसको पूरा
करना एक दस
ू रे का फर्ज था। अलका दोनों में से किसकी बात माने उसके लिए यह तय कर पाना बड़ा
मुश्किल हुए जा रहा था।

आखिरकार रिश्तो की समझदारी के आगे वासना का तूफान हावी हो गया। अलका को भी यह सब सही
लगने लगा क्योंकि इस समय फिर से उसकी बुर में चीटियां रें ग रही थी। और वह अपनी बुर की प्यास
बुझाने के लिए बिस्तर पर से उठी और सीधे अपने बेटे के कमरे की तरफ चली गई जहां पर राहुल
पजामे के ऊपर से अपने लंड को मसलते हुए उसका इंतजार कर रहा था। वह पहले से ही दरवाजा खुला
छोड़ दिया था उसे यकीन था कि उसकी मां जरूर आएगी। उसकी मां को कमरे में प्रवेश करते दे ख राहुल
खुशी से झूम उठा ओर अलका भी कामुक मुस्कान बिखेरते हुए बिस्तर पर लेट गई और राहुल को अपनी
बाहों में कश्मीर दोनों के हाथ एक दस
ू रे के बदन पर चारों तरफ फिरना शुरु कर दिए थोड़ी दे र में दोनों
एक दस
ू रे के कपड़ों को उतारकर बिल्कुल नंगे हो गए । और फिर से दोनों के बीच घमासान चुदाई का
यद्ध
ु शुरू हो गया जिसमें ना तो कोई भी एक दस
ू रे से हार मानने वाला था न पस्त होने वाला था। इस
तरह से परू ी रात ना अलका सोई और ना राहुल को सोने दी।

दोनों के बीच अब इसी तरह का संबंध स्थापित हो चुका था। रोज रात को या जब भी मौका मिलता
दोनों एक दस
ू रे से अपनी प्यास बुझाने में जुट जाते महीनों तक ऐसा चलता रहा।

एक दिन बाजार में अचानक राहुल की मुलाकात वीनीत की भाभी से हो गई। राहुल को दे खकर विनीत
की भाभी बहुत खुश हुई राहुल भी वीनीेत की भाभी से मिलकर प्रसन्न दिखाई दे रहा था। दोनों की
मुलाकात कपड़े की दक
ु ान में हुई थी जहां पर राहुल अपने लिए टी शर्ट खरीदने गया था।

क्या बात है राहुल तुम तो उस दिन के बाद से कभी दिखाई भी नहीं दिए। मैं तो बड़ी बेशब्र होकर
तुम्हारा और तुम्हारे फोन का इंतजार करती रही और तुम हो कि मुझे बस तड़पाते रहे । उस दिन के बाद
से ना तो एक बार भी मिलने आए और ना ही फोन किए क्या मेरे प्यार में कोई कमी रह गई थी राहुल।
( विनीत की भाभी बड़े ही कामुक अंदाज में अपनी आंखों को नचा नचा कर राहुल से बातें कर रही थी।
राहुल विनीत की भाभी की यह अदा को दे खकर पानी पानी हुए जा रहा था उसे समझ में ही नहीं आ
रहा था कि क्या कहे । अलका अच्छी तरह से समझ रही थी कि राहुल शर्मा रहा है इसलिए बातों का रुख
बदलते हुए वह बोली।

अच्छा आप मझ
ु े कुछ मेरे लिए कपड़े खरीदने हैं उसे पसंद करने में मेरी मदद तो करो।( इतना कह कर
डिलीट की भाभी कपड़े की शॉप में अंदर जाने लगी लेकिन राहुल वहीं खड़ा रहा राहुल को वहीं खड़ा दे ख
कर विनीत की भाभी उसे फिर से अंदर आने को कहीं ईस बार राहुल उसके कहने पर शोप में उसके पीछे
पीछे जाने लगा। कपड़े की अशोक बड़े ही लेटेस्ट डिजाइन के कपड़ों से भरी सोई थी राहुल को समझते
दे र नहीं लगी थी यह बहुत महं गे कपड़े की दक
ु ान है ।

अंदर बहुत ही महं गे काउं टर बने हुए थे । एक से एक लेटेस्ट डिजाइन के कपड़े काचों के भीतर सजाए
हुए थे। राहुल की तो आंखें ही चौंधिया जा रही थी।

वीनीत की भाभी उसे-सीधे अंदर के काउं टर पर ले गई।

इस काउं टर पर सिर्फ औरतों के अंतरवस्त्र ही सजाए हुए थे। जिस पर नजर पड़ते ही राहुल के बदन में
सुरसुरी मचने लगी । इस काउं टर पर दस
ू रा कोई कस्टमर नहीं था काउं टर को मैनेज करने के लिए एक
लेडीज थी। काउं टर पर पहुंचते ही वीनीत की भाभी ने उस लेडी को कुछ दिखाने को बोली क्या ,बोली
राहुल ठीक से सुन नहीं पाया। राहुल को थोड़ी दरू ी पर खड़ा हुआ दे खकर वीनीत की भाभी ने उसे अपने
पास बुलाई। राहुल उसके पास जाता तब तक उस लेडी ने मरून रं ग की ब्रा और पें टी की जोड़ी उसे
दिखाने लगे जिस पर नजर पड़ते ही राहुल के पजामे में तंबू बनना शुरू हो गया। वीनीत की भाभी ने
उस मरून रं ग की ब्रा और पें टी को राहुल की ओर दिखाते हुए बोली।

कैसी लग रही है राहुल।

( उसके इस सवाल पर राहुल एकदम से सकपका गया उसे इस की कतई उम्मीद नहीं थी कि वह ब्रा
पें टी के बारे में उसकी राय पूछेगी। राहुल क्या कहता उसे तो इस समय दोनों औरतों के सामने ब्रा और
पें टी को दे खने में भी शर्म महसूस हो रही थी। लेकिन वह बार बार जानबझ
ू कर उस की राय जानने की
कोशिश कर रही थी। जब काउं टर वाली लेडी ने भी उसकी राय जानने के लिए बोली।)

बोल दो ना राहुल इतना भाव क्यों खा रहे हो आपकी भाभी आप से बार बार पूछे जा रहीे हैं और आप हो
कि कुछ भी जवाब नहीं दे रहे हो ।(इतना कह कर वह मंद मंद मुस्कुराने लगी। तो इस बार राहुल
शरमाते हुए बस इतना ही बोला।)

बहुत अच्छी है भाभी।


( राहुल का जवाब सुनकर दोनों औरतें मुस्कुराने लगे इसके बाद विनीत की भाभी ने ऐसे ही ब्रा पैंटी की
दो चार और जोड़ी खरीद ली। और एक छोटी सी गांऊन जौकी एकदम पारदर्शक थी गाउन क्या थी वह
छोटी सी ड्रेस ही थी उसे भी खरीद ली। इतनी दे र में तो राहुल का लंड फूल टाईट हो चुका था। विनीत
की भाभी ने राहुल को भी जबरदस्ती एक मेहंगी टी-शर्ट दिला दी। और जाते-जाते उसे रवि दिन में 3:00
बजे अपने घर पर आने का आमंत्रण दे गई

विनीत की भाभी के जाने के बाद राहुल बहुत खुश नजर आ रहा था। विनीत की भाभी के बोलने की अदा
और उसके कामुक अंदाज की वजह से एक बार फिर से उसे भोगने की इच्छा राहुल के मन में प्रज्वलित
हो चुकी थी। आज पहली बार वह किसी औरत के हाथ में अंतर वस्त्र को दे ख रहा था और वह भी उसे
दिखाते हुए विनीत की भाभी की ये हरकत उसके बदन में काम ज्वाला को भड़का चुकी थी और वीनीत
की भाभी तो चाहती भीे यही थी इसलिए तो वह जानबूझकर उसे उस की राय जानने के लिए पें टी दिखा
रही थी। विनीत की भाभी ने उसे जानबूझकर हाथ में थमा दी थी और हाथ में लेते ही दिन की तो हालत
पतली हो गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहे वह तो काउं टर वाले लेडी के कहने पर
हामी भर दिया वरना उसके मुंह स शर्म के मारे े कुछ निकलता भी नहीं।

नई टी-शर्ट लेकर राहुल शाम को अपने घर पर पहुंच गया जो पैसे उसने टी शर्ट खरीदने के लिए लिए थे
वह पूरा का पूरा बच गया और उस से भी ज्यादा कीमती टी शर्ट विनीत की भाभी ने उसे दिला दी थी।
लेकिन यह बात उसने अपनी मां को नहीं बताई और बचे हुएे पेसे अपने पास ही रखे रहा यह सोचकर
की जरूरत पड़ने पर काम आएगा। विनीत की भाभी के आमंत्रण को पाकर राहुल मन ही मन बहुत खुश
हो रहा था क्योंकि एक बार फिर से उसे उसकी बुर चोदने को मिलने वाली थी। अभी तक अपनी मां के
बिस्तर पर उसके साथ जो भी कला बाजिया दिखा रहा था वह सब वीनीत की भाभी की ही दे न थी। नीलू
ने भी उसे बहुत खूब सिखाई थी। लेकिन विनीत की भाभी ज्यादा ही मैच्योर थी। इसीलिए उससे राहुल
को कुछ ज्यादा ही सीखने को मिला था और जो जो उसे सीखने को मिला था वह सारी कलाओ का
उपयोग उसने अपनी मां पर कर दिखाया था। जिस दिन से दोनों ने अपना आपा खोया था उस दिन से
लेकर अब तक, रोज रात को रिश्ते और मर्यादाएं चकनाचूर हो रहे थे।

अलका को तो जैसे एक प्रेमी मिल गया था। राहुल को पाकर अलका सारे जग को भूल चुके थे हमेशा
उसके आगे पीछे घूमने वाले वीनीत के बारे में तो वह सोचती भी नहीं थी। उसका जैसे नया जन्म हुआ
था उसकि सुनी बगिया में बहार आ गई थी। अब उसे हमेशा रात का इंतजार रहता था जो मजा वह
अपने जवानी के दिनों में नहीं लूट पाई अलका अब इस उम्र में अपनी सारी मुरादें परू ी कर रही थी। कुछ
दिनों से संपूर्ण रूप से संतुष्टि का एहसास करके उसका खब
ू सूरत चेहरा और ज्यादा खिलने लगा था।
सारे काम निपटा लेने के बाद रसोई घर की सफाई से निपटकर वह सीधे राहुल के कमरे की तरफ बढ़
गई जहां पर राहुल पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था लेकिन दे र होता दे ख अपने स्कूल की बुक
निकालकर पढ़ने लगा था हमेशा की तरह राहुल का दरवाजा खुला ही था और अलका भी दरवाजे को
धक्का दे कर कमरे में प्रवेश कर गई और राहुल के बगल में जाकर बैठ गई।

राहुल के बदन से एकदम सट कर बैठीे थी। राहुल अपनी मां की तरफ दे ख कर मुस्कुरा दिया और वापस
किताब पढ़ने लगा उसे किताब पढ़ता हुआ दे खकर अलका अपना एक हाथ उसके कंधे पर रख दि। अलका
से रहा नहीं जा रहा था फिर भी वह शांत होकर बैठी रही उसकी चूड़ियों की खनक से कमरे का माहौल
मादक बनता जा रहा था वह अपने हाथ से राहुल की पीठ सहला रही थी। रात होते ही उसकी बुर तड़पने
लगती थी लंड से मिलन के लिए। सजती संवरती तो वह पहले से ही थी लेकिन जब से राहुल से ऐसा
रिश्ता कायम हुआ था तब से वह अपने बदन पर कुछ ज्यादा ही ध्यान दे ने लगी थी वह अब हमेशा
टिपटॉप मे हीं रहती थी। खास करके वह अपने बदन के अंदरुनी भाग पर सफाई को लेकर ज्यादा सजाग
हो चुकी थी। पहले तो उसकी बरु के ऊपर बालों का झुरमुट सा उग जाता था। लेकिन अब वह हमेशा
तीसरे चौथे दिन ही क्रीम लगा कर बालों को साफ करके अपनी बुर को हमेशा चिकनी रखने लगी थी।

अलका कुछ दे र तक यू ही राहुल की पीठ को सहलाती रही , धीरे धीरे उसके बदन में उत्तेजना का
संचार हो रहा था उसकी बरु गरम रोटी की तरह फूलना शुरू हो गई थी। वह इंतजार कर रही थी कि
राहुल कुछ करें लेकिन इस समय राहुल ना जाने किताबों में क्या ढूंढ रहा था जबकि उसके बाजू में परू ी
पुस्तकालय पड़ी हुई थी।

अलका पल पल उत्तेजना की सागर में खिंची चली जा रही थी उसे इस समय राहुल की बहुत ज्यादा
जरूरत थी। इसलिए जो हाथ पीठ पर फिर रहे थे वहां तब राहुल की जांघों पर रें गना शुरु कर दिए थे।
अपनी मम्मी की हरकत पर राहलु भी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था। उसके पजामे में तंबू बनना शुरू
हो गया था। जोकि अलका को साफ साफ दिखाई दे रहा था। राहुल की भी सांसे तेज चलने लगी थी। वह
भी चाहता था कि अपनी मां के बदन से झट से लिपट जाए लेकिन ना जाने क्यों रुका हुआ था। और
दस
ू री तरफ अलका पल पल तड़प रही थी उसकी हालत खराब होती जा रही थी राहुल को उकसाने के
लिए उसने खुद ही अपने कंधे से साड़ी का पल्लू धीरे से नीचे गिरा दी और उसकी बड़ी बड़ी चूचियां
ब्लाउज मे कैद होने के बावजूद भी बहुत ही मादक और प्यारी लग रही थी। चूचियों के बीच की गहरी
लकीर और भी ज्यादा मादकता फैला रही थी जिस पर बार-बार राहुल की तिरछी नजरें

गस्त लगा ले रही थी। अलका कनखियों से दे ख रही थी की राहुल भी उत्तेजित होने लगा था क्योंकि
उसके पजामे का उभार पूरी तरह से बढ़ चुका था और उस उभार को अपनी हथेली में दबोचने के लालच
को अलका रोक नहीं पाई और तुरंत अपना हाथ पजामे की तरफ बढ़ा दी। जैसे ही अलका ने पजामे के
ऊपर से ही राहुल के लंड को अपनी हथेली में दबोचीे राहुल अजीब सी उत्तेजना की अनुभूति करते हुए
सिहर उठा। राहुल का मुंह उत्तेजना के मारे खुला का खुला रह गया।

अलका लगातार पजामे के ऊपर से ही लंड को सहला रही थी और राहुल उत्तेजना के मारे लंबी लंबी सांसे
भर रहा था वह लंबी लंबी सांस भरते हुए बोला।

सससससहहहहहहह......मम्मी ....( ऊत्तेजना के मारे राहुल की आंखे मुंद चली थी। ) क्या यह सही है ?

( राहुल की आंखें परू ी तरह उत्तेजना के मारे मुंद चुकी थी , राहुल कि यह बात अलका समझ नहीं पाई
इसलिए वह बोली।)

क्या सही है ?

यही जो हम दोनों के बीच इतने दिनों से हो रहा है क्या यह दनि


ु या की नजर में सही है ? ( राहुल की
आंखें अभी भी मुंदी हुई थी अलका राहुल के इस सवाल का क्या जवाब दै उसे कुछ समझ में नहीं आया
लेकिन उसके बदन में उत्तेजना पूरी तरह से घर कर चुकी थी। इसलिए वह धीरे -धीरे पजामे की चैन
खोलकर राहुल की टनटनाए हुए लंड को पहचाने से बाहर निकालकर हिलाने लगी। ऐसा करने पर राहुल
के मुंह से गरम सिसकारी छूट गई। सिसकारी लेते हुए ही वह एक बार फिर से अपने सवाल को दोहराया
तो इस बार अलका अपनी बेटे के लंड को धीरे धीरे मुठीयाते हुए बोली।)

मैं नहीं जानती बेटा कि हम दोनों जो कर रहे हैं यह दोनों के बीच जो भी हो रहा है यह दनि
ु या की
नज़रों में सही है या गलत लेकिन इसकी हम दोनों को बहुत ज्यादा जरूरत है इसलिए मैं यही समझती
हूं कि सही गलत कुछ भी नहीं है बल्कि यह हम दोनों की हालात के मुताबिक बिल्कुल ठीक है । ( अपनी
मां का जवाब सुनकर राहुल आंखें खोल कर अपनी मां को एकटक दे खे जा रहा था। और उसकी मां धीरे
धीरे सुरूर के साथ उसके खड़े लंड को मुठ्ठीयाए जा रही थी। राहुल का जोश बढ़ता जा रहा था धीरे -धीरे
करके अलका लंड को मुठीयाते हुए अपने होंठ को राहुल के होंठों के नजदीक ले जा रही थी और जैसे ही
अलका के होठ राहुल के होंठों के नजदीक पहुंचे अलका ने एक पल का भी विलंब किए बिना तुरंत अपने
होंठ को राहुल के होठों से सटा दि, राहुल भी जैसे इसी पल का इंतजार कर रहा था वह भी तुरंत अपनी
मां के होठों को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा दोनों के होठों से चप्प-चप्प की आवाजें आना शुरू हो
गई। अलका की हथेली अपने बेटे के लंड पर कसती जा रही थी और राहुल ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी
मां की चुचियों को दबाता हुआ उसे बिस्तर पर लेटाने लगा। अगले ही पल अलका बिस्तर पर चि ्त लेटी
हुई थी राहुल अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोलने लगा अलका ललचाई आंखों से अपने बेटे को ही
दे खे जा रही थी धीरे -धीरे करके राहुल ने अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए। ब्लाउज के
खुलते ही अलका ने खुद बिस्तर से थोड़ा उचक कर अपने हाथों से ब्लाउज को निकालकर उतार फेंकी।
ब्रा मे केद अलका के दोनों कबूतर आजाद होने के लिए फड़फड़ा रहे थे लेकिन राहुल ने अपनी मां के
दोनों कबुतरों को आजाद किए बिना ही ब्रा के ऊपर से ही दोनों हाथों से दबाना ं लगा। अपने बेटे के
हाथों से चूचियों के दबते ही अलका के मुंह से गरम सिसकारी छूटने लगी।

ससससससहहहहहहह....आहहहहहहहह.... बेटा और जोर से दबा नीचोड़ दे मेरी चूचियों को बहुत मजा आ


रहा है राहुल .....आहहहहहहह.....ऐसे ही दबाते रहे इतना अच्छा तू दबाता है एैसे तो तेरे पापा ने भी कभी
नहीं दबाया था मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है की चूचियों को दबवाने में इतना आनंद प्राप्त होता है ।

राहुल अपनी मां की बातों को सुनकर अत्यधिक उत्तेजित हो गया उसे भी तो चूचियों को दबाने में आनंद
प्राप्त हो रहा था इसलिए और ज्यादा जोर लगा लगा कर ब्रा के ऊपर से ही चूचियों को दबाने का आनंद
लूट रहा था और अलका लगातार सिसकते हुए सिसकारी ले रही थी। राहुल बार-बार ब्रा के ऊपर से ही
चुचियों पर अपना मुंह इरादा तो कभी ब्रा के ऊपर से ही चूची की कड़क निप्पल को दांतों से काट लेता
और तो कभी चूचियों के बीच गहरी दरार में अपना मुंह डाल दे ता यह सब करने में राहुल को तो आनंद
मिल ही रहा था अलका का भी मजा दोगुना होता जा रहा था वह खुद अपने हाथों से राहुल के बालों को
पकड़कर अपनी चुचियों पर दबा रही थी। दोनों की सांसे तेज चल रही थी

राहुल अपनी मां के ऊपर लेटा हुआ था अलका मदहोश होकर अपना बदन कसमसाते हुए अपना पेऱ
पटक रही थी कभी वह पैर को राहुल के ऊपर फेंकतीे तो कभी बिस्तर पर पटक दें ती ऐसा करने पर
उसकी साड़ी ऊपर की तरफ सरक कर जांघो तक आ गई थी। जिससे कमरे का नजारा और भी ज्यादा
मादक हो गया था।

राहुल अपनी मां की चुचियों को चुमता हुआ धीरे धीरे नीचे की तरफ आ रहा था।

जैसे-जैसे राहुल के होठ उसकी मां की चूची होती होती हुई नीचे की तरफ जा रहे थे वैसे वैसे अलका के
बदन की कसमसाहट बढ़ती जा रही थी साथ ही साथ उत्तेजना के मारे उसके बदन में ऐठन का भी
संचार हो रहा था। थोड़ी ही दे र में राहुल अपनी मां की नाभि को चूमता हुआ नीचे जहां पर साड़ी बनी
हुई थी वहां पर पहुंच गया। राहुल अपने दांतों से पेटीकोट में खोशी हुई साड़ी को खींचकर निकालने लगा
अपने बेटे के इस हरकत पर अलका और ज्यादा मदहोश होने लगी। अगले ही पल धीरे -धीरे करके राहुल
ने दांतों से परू ी साड़ी खोल डाली। जिसे अलका ने खुद अपने हाथों से निकाल कर बिस्तर के नीचे फेंक
दी। अब उसके बदन पर पेटीकोट थी।

जिस तरह से राहुल ने साड़ी को दांतो से खींचकर अलग कीया था उसी तरह से पेटीकोट की डोरी को भी
दांतों से खोलने लगा और जैसे जैसे राहुल के दांत डोरी खोलते वक्त अलका के पेट से स्पर्श होते थे तो
अलका का बदन अजीब से सुख की अनुभूति करते हुए झनझना जाता था उसके मुख से दबी दबी सी
चीख निकल जाती। उत्तेजना के मारे वह अपने नितंबों को बिस्तर पर से ऊपर उचका दे ती थी। राहुल
की उत्तेजना के साथ-साथ अलका की भी उत्तेजना पल-पल बढ़ती ही जा रही थी।

राहुल की हरकतों से अलका की बरु की तड़प और बढ़ती जा रही थी उसमे से मदन रस का रिसाव होना
शुरू हो गया था। अगले ही पल राहुल ने दांतों से पेटीकोट की डोरी को भी खोल दिया और दोनों हाथों से
पेटीकोट को पकड़ कर नीचे की तरफ सरकाते हुई उतारने लगा। अगले ही पल अलका के बदन से
पेटीकोट भी उतर कर दरू हो गई इस समय उसके बदन पर सिर्फ ब्रा और पें टी ही रह गई थी। राहुल
अपनी मां के मांसल बदन को दे ख कर ललचनें लगा। राहुल की नजर अपनी मां के भजन पर उस पर से
लेकर के नीचे तक फिर रही थी अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची को दे ख कर उसके पजामे का तनाव ज्यादा
बढ़ गया था चिकना पेट एकदम गोरा ,बीच में किसी छोटे से तालाब की तरह गहरी नाभि और चीकनी
मांसल जांघे जैसे के केले का तना हो यह सब दे खते हुए राहुल अपनी टी-शर्ट उतारने लगा थोड़ी दे र में
वह अपने पहचाने को भी उतार कर एक दम नंगा हो गया पजामें को उतारते ही अलका की नजर सीधे
अपने बेटे के खड़े लंड पर पड़ी जिसका तनाव दे खते हैं अलका के मुंह के साथ साथ उसकी बुर में भी
पानी आ गया। अपने बेटे को इस तरह से कपड़े उतारते हुए दे ख कर भला अलका कहां पीछे रहने वाली
थी वह भी धीरे से बिस्तर से थोड़ा सा अपने बदन को उचकाई और अपने दोनों हाथों को पीछे ले जाकर
ब्रा की हुक खोलने लगी और हुक के खुलते ही तुरंत उसने ब्रा को बाहों में से निकाल कर बिस्तर पर
फेंक दी। ब्रा के निकलते ही अलका की दोनों चूचियां एक दम तन कर खड़ी हो गई ऐसा लग रहा था कि
जैसे चूचियां राहुल को चैलेंज कर रही थी कि आ और मझ
ु से भीड़ जा , मैं भी दे खूं कि तुझ में कितना
दम है ऐसा लग रहा था कि जैसे चूचियों के मुख ् मुद्रा को राहुल भाप गया हो और तरु ं त चूचियों पर ही
कूद पड़ा दोनों हाथों से चूचियों को दबा दबा कर एकदम लाल टमाटर की तरह कर दिया। कभी एक चूची
को मुंह में भरता तो कभी दस
ू री को तो कभी चुचियों के बीच में ही अपना मुंह मारने लगता अलका तो
मदहोश हुए जा रही थी बार-बार मदहोशी के आलम में राहुल के बालों को खींचते हुए उसके मुंह को
अपनी चुचियों के बीच दबा रही थी। दोनों एक दस
ू रे को नोच खसोट रहे थे कुछ दे र तक चुचियों में
व्यस्त रहने के बाद राहुल धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ने लगा। अलका खुद उसके बाल को पकड़कर नीचे
की तरफ दबाव दे रही थी क्योंकि वह भी यही चाह रही थी जो अब राहुल चाह रहा था। थोड़ी ही दे र में
राहुल ने अपनी मां की जांघों के बीच जगह बना लिया। धड़कते दिल के साथ अलका अपने बेटे की तरफ
तरसी आंखों से दे ख रही थी। राहुल अपनी मां की जांघों के बीच घुटनों के बल बैठ कर अपने तने हुए
लंड को मुठिया रहा था। यह दे खकर अलका की प्यास और ज्यादा बढ़ने लगी थी। अपनी मां की तड़प
को और ज्यादा बढ़ाते हुए राहुल ने पें टी के ऊपर से हीं अपनी मां की बुर वाली जगह पर उं गली से
कुरे देना शुरू कर दिया। और जैसे ही राहुल ने अपनी ऊंगली का दबाव पैंटी के ऊपर से ही बरु वाली जगह
पर बढ़ाया वैसे ही तुरंत अलका की सिसकारी फुट पड़ी उस से बर्दाश्त कर पाना मुश्किल होने लगा। और
सिसकारी लेते हुए राहुल से बोली।

सससससहहहहहहहहह.....ओहहहहहह.....राहुल....।

ऊफ्फ्फ...... क्या कर रहा है रे ...स्सहहहहहह....मुझे क्यों इतना तड़पा रहा है .... अब रहा नहीं जाता बेटा
जल्दी से...... मेरी बुर की प्यास बझ
ु ा ऐसे मत तड़पाओ मुझे.....आहहहहहह..... राहुल....

अपनी मां को क्यों चुदवासी होकर तड़पते हुए दे ख कर

राहुल का जोश दग
ु ना हो गया उसके लंड ठूनकी लेना शुरु कर दिया। राहुल समझ गया था कि उसकी मां
पूरी तरह से तैयार हो चुकी है । लेकिन अभी भी राहुल उसे और ज्यादा तड़पाना चाहता था। इसलिए वह
अपनी मां की पैंटी के दोनों छोर को पकड़ कर नीचे की तरफ सरकाते हुए पें टिं उतारने लगा। जैसे जैसे
पें टी उतारती जा रही थी अलका की दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी। बरु वाली जगह से पैंटी को हटते
ही चिकनी बुर को दे खकर राहुल के मुंह में पानी आ गया। पैंटी अभी जांघो तक ही आई थी की बुर की
खूबसूरती को दे खकर राहुल बोल पड़ा।

वाहहहहह...... मम्मी आज तो तुम्हारी बुर कुछ ज्यादा ही चिकनी लग रही है ।( इतना कहते हुए राहुल
पें टि को और नीचे सरका ने लगा। अपनी चिकनी बूर की तारीफ अपने बेटे के मुंह से सुनकर आनंदित
हो गई और मंद मंद कामुक मुस्कान बिखेरते हुए बोली।)

तेरे लिए ही तो क्रीम लगा कर साफ की हूं ताकि तू अच्छे से इसे चाट सके ओर मुझे भी इसका मजा दे
सके। सच कह रही हुं राहुल तुने मेरी सन
ु ी जिंदगी में बहार ला दिया वरना बस एक मशीन की तरह जी
रही थी। ( अलका बहुत ही प्रसन्न होकर राहुल से बोले जा रही थी और अलका अपनी बात खत्म करती
ईससे पहले ही राहुल ने अपनी मां की पैंटी को उसके पैरों से बाहर निकाल दिया पें टी को टागों से बाहर
उतारते ही राहुल का ध्यान पें टी पर गया तो उसे वीनीत की भाभी याद आ गई जो की इतनी महं गी
महं गी पैंटी और ब्रा खरीद कर अपने घर ले गई। पें टि क्या थी बस जालियों का मखमली गुच्छा था ।
जिसके पहनने से छुपाने लायक कुछ भी नहीं था जालियो मे से सब कुछ नजर आता। राहुल अपनी मां
के लिए भी ऐसी पें टिं खरीदना चाहता था क्योंकि जो पें टिं उसके हाथ में थी वह खास नहीं थी वह तो
उसकी मम्मी की खूबसूरत बदन के वजह से खास हो जाती थी। राहुल ने पें टी को एक साइड में रख
दिया और जांघो के बीच घुटनों के बल बैठे हुए वह अपनी मां की खुली हुई चिकनी दरू को दे खने लगा
उसकी चिकनाहट दे ख कर उससे रहा नहीं गया और वह तुरंत झुक कर अपने होठों को अपनी मां की बुर
की गुलाबी पत्तियों पर टीका दिया। जैसे ही राहुल के तपते होठ तपती हुई बरु पर स्पर्श हुई वैसे ही
तुरंत अलका के मुंह से गर्म सिसकारी की बौछार होना शुरू हो गई।

सससससहहहहहहह.....राहुल......ओहहहहहह....म्मां....ऊहहहहहहह.....।स्सहहहहहहहहह.....राहुल......

( इस तरह की गरम सिसकारी लेते हुए अलका बुर चटाई का मजा ले रही थी। राहुल तो ऐसे चाट रहा
था जैसे उसके सामने दध
ू से भरा कटोरा रख दिया गया हो

राहुल लपालप अपनी मां की बुर की नमकीन पानी को जीभ से चाटे जा रहा था। और उसकी मां गरम
सिसकारी लेते हुए, राहुल के बालो को उत्तेजना में पकड़ कर. उसके मुंह को अपनी बरु में धंसा दी और
खुद ही अपनी कमर को उठाकर गोल-गोल घुमाते हुए अपने बेटे से बरु चटवाने लगी। दोनों शारीरिक
सुख के सागर में गोते लगा रहे थे। आनंद का अथाग सागर दोनों के हाथों में था। जिसे दोनों पूरा जोर
लगा कर पाने की कोशिश कर रहे थे बिस्तर पर बड़े जोरों की गहमागहमी चल रही थी अलका रुकने का
नाम नहीं ले रही थी उसकी बुर से मदन रस का फव्वारा सा छूट रहा था जिसे राहुल अपनी जीभ
लगाकर लबालब गले में गटक रहा था। अपनी बरु चटवाते हुए अलका जोर-जोर से सिसकारी ले रही थी।
अपनी मां की गरम सिसकारी सुनकर राहुल का जोश दग
ु ुना होता जा रहा था उसके लँ ड में मीठा मीठा
दर्द का एहसास उसे और भी चुदवासा बनाते जा रहा था। अलका से अब बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल
में जा रहा था उसे इस बात का एहसास हो गया था कि अब जीत से काम चलने वाला नहीं है अब उसे
अपनी बुर में राहुल का मोटा लंड डलवा कर चुदवाने की इच्छा प्रबल होती जा रही थी। इसलिए वह गर्म
सिसकारी लेते हुए बोली।

ओहहहह.....राहुल.....स्सहहहहहहहहह......( अपना सिर दाएं बाएं पटकते हुए )ओहहहह.....राहुल मुझसे अब


बर्दाश्त नहीं हो रहा है ......मुझे चोद ......डाल दे .... परू ा लंड मेरी बुर में .....चोद मझ
ु े ....राहुल चोद...
मेरी प्यास बुझा मेरी तड़प मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही है । ....आहहहहहहहह.....राहुल......

अपनी मां को यूं लंड के लिए तड़पता दे खकर राहुल का लंड ठुनकी लेने लगा। एसा लग रहा था की
राहुल के लंड को भी पता चल गया था की अब उसका गुलाबी रसीली छे द में घुसने का समय आ गया
है । राहुल भी पूरी तरह से तैयार था अपनी मां को चोदने के लिए इसलिए अपनी मां की बरु पर से अपने
होंठों को हटा लिया। राहुल जोर-जोर से हांफ रहा था इस तरह से राहुल को हांफ्ते दे खकर अलका मस्ताई
अंदाज में अपनी दोनो चूचियों को अपने हाथों से ही मसलते हुए बोली।

ओहहहहह.... तू इतने पागलों की तरह मेरी बुर के रस को चाटता है कैसा लगता है तझ


ु े ईसका स्वाद।

( राहुल अपनी मां की जांघो को खींचकर अपनी जांघ पर चढ़ाता हुआ बोला।)

ओहहहहहह.... मम्मी बड़ा ही अद्भत


ु स्वाद है कसैला होने के बावजूद भी मधुर लगता है । इस को चाटने
के बाद तो मेरी एक इच्छा होती है कि खूब जमकर तुम्हारी चुदाई कर चोद चोदकर तुम्हारी बुर एकदम
लाल कर दं ।ु

( अपने बेटे की जोश भरी बातें सुनकर अलका भी जोश में आ गई और बोली।)

तो दे र किस बात की है बेटा तेरे सामने ही लेटी हूं। मेरी बरु की गुलाबी छे द भी तेरे लंड के ठीक सामने
हैं। इसमें डालकर अपने सारे अरमान परू े कर मेभी पूरी तरह से तैयार हूं तुझसे चुदने के लिए ।

(अपनी मां की ऐसी कामुक बातें सुनकर राहुल ने अपने लंड के सुपाड़े को अपनी मां की गुलाबी बुर की
गुलाबी छे द पर टिका दिया, और जैसे ही अपने बेटे का लंड का सुपाड़ा अपनी गुलाबी बुर पर महसुस की
वैसे ही तुरंत उत्तेजना के मारे अपने बदन को सिकुड़ने लगी और राहुल धीरे धीरे सुपाड़े को बुर के अंदर
रगड़ते हुए जाने दिया। लंड का सुपाडा धीरे धीरे करके लंड सहित बुर के अंदर समा गया। अलका की
सांसे अटक गई थी उसका गला सूखने लगा था अपने बेटे के मोटे लंड की रगड़ से उसकी बुर की
अंदरूनी दीवारें छिलने लगी थी।

राहुल अपनी मां की कमर को दोनों हाथ से थामे लंड को अंदर बाहर करना शुरु कर दिया। रह-रहकर
इतनी जोर से धक्का लगा था कि लंड का सुपाड़ा सीधे अलका की बच्चेदानी से जा टकरा रहा था और
उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल जाती वैसे भी अलका को इस तरह की जबरदस्त धक्के वाली चुदाई
ज्यादा पसंद आ रही थी इस तरह से चुदवाने मे उस को संपूर्ण रुप से संतुष्टि का एहसास होता था।
थोड़ी ही दे र में राहुल के धक्के की लय तेज होने लगी। अलका लगातार गरम सिसकारी लेते हुए अपने
हाथों से ही अपनी बड़ी बड़ी चुचियों को मसल रही थी। अपनी मां को ही अपनी चुचिया मसलते दे ख
राहुल से रहा नहीं गया और वह अपनी मां की कमर को छोड़ कर अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर
दोनो चूचियों को एक एक हाथ में भर लिया और दबाते हुए बुर में तेज धक्को लगाना शुरु कर दिया। हर
धक्के के साथ पलंग चरमरा जा रही थी राहुल का धक्का इतना तेज होता था कि अलका आगे की तरफ
सरक जाती। राहुल को चोदने में और अलका को चुदवाने में

बहुत मजा आ रहा था चुदवाते समय दोनों की शर्मो हया दरू हो जाती थी सारे रिश्ते मर्यादा सब कुछ
भूल कर दोनों एक दस
ू रे में समाने की परू ी कोशिश करते हुए चुदैई का मजा लूटते थे। जांघो से जांघो की
टकराने की बड़ी ही कामुक आवाज़ कमरे में गूंज रही थी। और जब राहुल का समुचा लंड अलका की बुर
में गस्त लगाने के लिए बच्चेदानी तक जाता तो राहुल की दोनों गोटियां अलका की बरु के नीचे वाले
छे द से टकराती तो अलका के बदन में सनसनी सी फैल जाती। लंड और बुर के संगम से पूच्च पूच्च की
आवाज गजब का माहौल बना रही थी। अलका बार-बार अपने बेटे को उकसाते हुए उसे जोर जोर से
चोदने के लिए बोल रही थी। और राहुल भी अपनी मां की बात मानते हुए दग
ु नी तेजी से धक्के पे धक्का
लगा रहा था। दोनों की तेज चलती सांसो के साथ साथ अलका की गरम सिसकारी से परू ा कमरा गूंज
रहा था।

करीब तीस मिनट की घमासान चुदाई के बाद दोनों सिसकारी लेते हुए अपना गरम पानी छोड़ने लगे
राहुल अपनी मां की छातियों पर ही ढह गया। और तब तक उसके ऊपर से नहीं उतरा जब तक कि
उसका एक एक बुंद बुर में उतर नहीं गया। सारा पानी निकल जाने के बाद राहुल अपनी मां के ऊपर के
ऊपर के बाजू में लेट गया अलका भी कुछ दे र तक ऐसे ही लेटी रहे तब तक राहुल की आंख लग गई
लेकिन अलका की आंखों से नींद कोसों दरू थी। क्योंकि अभी भी उसकी बुर में आग लगी हुई थी उसने
राहुल की तरफ दे खी तो राहुल की आंखें बंद थी वह सो रहा था अलका की नजर जैसे ही राहुल के लंड
पर गई तो उसकी बरु में फीर से चीटियां रें गने लगी। क्योंकि सिकुड़ने के बाद भी राहुल का लंड भयानक
लग रहा था अलका से रहा नहीं गया और राहुल को जगाए बिना ही वह उसके लंड को चूसना शुरु कर
दी थोड़ी ही दे र में राहुल का लंड फिर से पहले की तरह एकदम कड़क हो गया। राहुल अभी भी सो रहा
था अलका ने अपना काम खुद ही करने की सोची और अपने बेटे के लंड के उपर सवार हो गई। और
ऊपर नीचे होते हुए खुद ही अपनी बुर चुदाई करने लगी थोड़ी ही दे र में अलका की सांसे फिर से तेज
चलने लगी उसके मुंह से सिसकारी छूटने लगी। अलका के इस तरह लंड पर सवार होने पर राहुल की भी
नींद खुल गई और वह अपनी मां की दोनो चुचियों को पकड़ कर नीचे से धक्के लगाना शुरु कर दिया।
करीब 15 मिनट के बाद फिर से दोनों झढ़ गए और अलका अपने बेटे के लंड पर सवार हुए ही उसके
ऊपर लेट गई और लेटे लेटे दोनों सो गए। सुबह नींद खुली तो अलका अपने बेटे पर ही सोई हुई थी वह
धीरे से राहुल के ऊपर से उठी और अपनी साड़ी पेटीकोट ब्रा और पें टी को हाथ में समेट कर उसे बिना
पहले ही उससे अपना बदन छिपाए सीधे बाथरूम में घुस गई।

दोपहर में राहुल स्कूल से छुट़ कर अपने घर की तरफ जा ही रहा था कि तेजी से स्कूटी आकर रुकी और
नीलू ने राहुल को स्कूटी पर बैठने के लिए बोली।
नीलू राहुल को अपने स्कूटी पर बैठाए बड़ी तेजी से चली जा रही थी। काफी दिन बीत चुके थे नीलू ठीक
से राहुल से मिल नहीं पाई थी। इनदिनों दोनों की मुलाकात

कम ही होती थी नीलू की इच्छा यही रहती थी कि राहुल से जम के अपनी बरु की चुदाई करवाए क्योंकि
जिस दिन से राहुल नीलु की बरु में अपना मोटा लँ ड डालकर उसे चोदा था उस दिन से नीलू उसके मोटे
लंड को अपनी बरु में लेने के लिए तड़प रही थी लेकिन उसकी यह इच्छा परू ी नहीं हो पा रही थी।
क्योंकि राहुल अपनी मां में ही व्यस्त हो गया इसलिए उसे बाहर मुह मारने की जरूरत ही नहीं पड़ रही
थी लेकिन आज मौका दे खकर नीलू उसे अपनी स्कूटी पर बैठा कर बड़ी तेजी से चली जा रहीे थीे रास्ते
में राहुल उससे पूछ भी रहा था कि कहां चल रही हो नीलू कुछ बताओगी भी ।

तो नीलू उसे बस इतना ही जवाब दे ती थी।

सब कुछ बताऊंगी राहुल बस थोड़ी दे र और।

थोड़ी ही दे र में नीलू की स्कुटी एक रे स्टोरें ट के आगे रुकी । स्कूटी को पार करके नीलू उसे रे स्टोरें ट के
अंदर ले गई और रे स्टोरें ट के कोने में खाली कुर्सी दे ख कर दोनों वहीं बैठ गए। कुर्सी पर बैठते ही तुरंत
एक वेटर इन दोनों के पास आया और नीलू ने कुछ नाश्ता और दो कॉफी का ऑर्डर दे दिया। वेटर के
जाने के बाद राहुल आश्चर्य के साथ नीलू से बोला।

नीलू मुझे यहां क्यों ले आई हो। आखिर बात क्या है ?

( राहुल की बात सुनकर नीलू उसके सवालों का जवाब दे ते हुए बोली ।)

दे खो राहुल मैं घुमा फिरा कर बातों को और उलझाना नहीं चाहती इसलिए साफ-साफ कहती हूं। ( इतना
कह कर मेरे अपनी आंखों को गोल गोल घुमाते हुए )

दे खो राहुल पिछले कुछ दिनों से ना जाने मुझे क्या होने लगा है सोते जागते हं सते बोलते हर जगह मुझे
बस तुम्हारा ही चेहरा और तुम्हारा ही ख्याल आता है अब तो मझ
ु े से एक पल भी तुम्हारे बिना रहा नहीं
जाता और तुम हो कि कुछ दिनों से मुझ पर ध्यान ही नहीं दे रहे हो राहुल मैं बस तुमसे इतना कहना
चाहती हूं कि मुझे तुमसे प्यार हो गया आई लव यू.. आई लव यू राहुल मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकती।
( नीलू एक सांस में सब कुछ कह चुकी थी राहुल के सामने अपने मन की बात बिना रुके एक सांस में
बोल गई। नीलू की यह सब बातें सुन कर राहुल तो आवाक ही रह गया राहुल को तो समझ में नहीं
आया कि वह क्या कहे जा रही है । क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि एक बार पहले भी नीलू ने
अपने घर पर उससे अपने प्यार का इजहार की थी लेकिन उस समय माहौल कुछ और था। जिस्मानी
जरूरत को परू ा करते समय नीलु ने यह बात राहुल से की थी इसलिए राहुल ने उसकी बात का कोई
मायने नहीं दिया था लेकिन इस समय नीलू सीरियस थी वह वाकई में राहुल से प्यार करने लगी थी
लेकिन राहुल उसके इजहार का जवाब दे ने में असमर्थ साबित हो रहा था। वैसे तो राहुल जी नीलू को
पसंद करता था नीलू उसे अच्छी लगती थी लेकिन उस से अब तक सीरियसली अपने प्यार का इजहार
नहीं किया था। राहुल उसका इजहार सुनकर कशमकश में लगा हुआ था कि तभी वेटर आर्डर लेकर आ
गया वह ट्रे से नाश्ता टे बल पर रखा और ट्रे से उठाकर दो कॉफी भी रख दिया और चला गया। तब तक
ले लो राहुल को ही दे कर जा रही थी वह उसका जवाब जानना चाहती थी लेकिन राहुल को खामोश दे ख
वह फिर से बोली।

राहुल मैंने तो अपने मन की अपने दिल की बात तुम्हें कह दि हूं और हां मुझे तुमसे ना सुनने की
उम्मीद बिल्कुल भी नहीं है । इसलिए सोच समझकर जवाब दे ना।

इतना कहने के साथ ही कॉफी से भरा हुआ मग उठाकर उसकी चुस्की लेने लगी। राहुल क्या जवाब दे
उसे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था वह भी नीलू से प्यार का इज़हार करना चाहता था लेकिन
उसके मन में ढे र सारी दवि
ु धाएं भी चल रही थी उन्हीं का हल ढूंढ़ते हुए वह नीलु से बोला।

नीलू कोई पागल ही होगा जो तुम जैसी खूबसूरत लड़की का प्रपोजल ठुकराने की सोचेगा सच कहूं तो मैं
भी तुमसे प्यार करने लगा हूं। लेकिन डरता हूं।

( चुस्की लेते हुए) डरते हो किससे डरते हो किस बात से डरते हो।
अपने आप से ही डरता हूं। नीलू यह मैं भी जानता हूं और तुम भी अच्छी तरह से जानती हो कि हम
दोनों के बीच जो है सियत की दीवार है वह बहुत ऊंची है जहां तक मैं शायद ना पहुंच पांऊ... तुम मुझसे
प्यार करती हो मैं तुमसे प्यार करता हूं लेकिन क्या तुम्हारे मां-बाप इस रिश्ते के लिए कभी राजी होंगे....
कभी नहीं होंगे। इसलिए मझ
ु े डर लगता है ।

( राहुल की बात सुनकर नीलू हं सने लगी और उसको हं सता हुआ दे खकर राहुल बोला।)

हं स क्यों रही हो नीलू मेरा मजाक उड़ा रही हो।

नहीं राहुल मैं तुम्हारा मजाक उड़ाने के बारे में सोच भी नहीं सकती मैं तो तुमसे बेहद प्यार करती हूं
मुझे हं सी आ गई तुम्हारी बात पर हां लेकिन जो तुम सोच रहे हो बिल्कुल सच भी है ....( कॉफी का मग
टे बल पर रखते हुए।) दे खो राहुल मैं मेरे मां-बाप की एकलौती संतान हैं भगवान का दिया हुआ सब कुछ
उनके पास है गाड़ी बंगला फैक्ट्री बैंक बैलेंस किसी बात की कमी नहीं है । और आज तक मेरी हर
ख्वाहिश पूरी करते आए हैं जिस चीज को हासिल करना चाहीे कर लीे मेरे मां बाप मेरी ही खुशी में
अपनी खुशी ढूंढते हैं। इसलिए जब मैं तुम्हारे बारे में उन्हें बताऊंगी तो मेरी ख़ुशी की खातिर वह लोग
कभी भी इनकार नहीं कर पाएंगे और मेरी यही ख्वाहिश है कि मेरी शादी जब भी हो तुमसे ही हो। (
नीलू ने फिर से कॉफी के मग को उठाकर अपने होठों से लगाते हुए एक लंबी चुस्की भरी और राहुल से
बोली।)

हां अगर अभी भी तुम्हें कोई ऐतराज हो तो बता दे ना।( यह बात नीलू ने टोन मारने वाली अदा में बोली
थी।) प्यार है या एतराज है ।

( राहुल क्या कहते उसकी झोली में तो खुद ही एक गुलाब अपने आप गिरने के लिए तैयार था तो भला
उसे क्या इनकार होता है वह भी हामी भर दिया। यह सोच कर कि आगे जो भी होगा दे खा जाएगा।
राहुल की हामि सन
ु कर नीलू बहुत खुश नजर आने लगी और राहुल को कॉफी पीने के लिए बोली। थोड़ी
ही दे र में दोनों ने कॉफी खत्म कर लिया , नीलू बिल पे करके राहुल के साथ बाहर आ गई। दोनों खुश
नजर आ रहे हो नीलू ने राहुल को उसके चौराहे तक छोड़ कर वापस चली गई।
राहुल भाई बहुत खुश नजर आ रहा था उसे तो मुंह मांगी मुराद मिल गई थी नीलू ऐसे भी बहुत ही
खूबसूरत थी। लेकिन वह यह भी अच्छी तरह से जानता था कि नीलू से विनीत भी प्यार करता है और
नीलू भी उससे प्यार करती थी। लेकिन आज सब कुछ बदल चुका था नीलू उससे प्यार करने लगीे थी।
अपना पलड़ा भारी होता दे ख राहुल मन ही मन प्रसन्न हो रहा था।

राहुल इस समय तीन औरतों के बीच उलझा हुआ था एक तो उसकी मां और दस


ू री वीनीत की भाभी और
तीसरी नीलू । इस समय राहुल की पांचों उं गलियां घी मे थी ।उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि
उसकी जिंदगी में ऐसा भी दिन आएगा कि उसे तीन तीन औरतों का प्यार मिलेगा।

राहुल का लक ईस समय बुलंदियों पर था। अलका तो अपने बेटे की मर्दानगी पर फिदा हो चुकी थी रोज
रात को अपने बेटे से अपना बदन रोंदवाने के बाद ही उसे नींद आती थी। अपने बेटे के रूप में उसे प्रेमी
मिल गया था। जो कि रोज रात को उसे चोद कर उसकी प्यास के साथ-साथ अपनी भी प्यास बुझाता
था।

तीनों औरतों का राहुल के साथ ईस तरह का लगाव रखने का बहुत बड़ा कारण राहुल की जबरदस्त
ताकत से भरी उसकी मर्दानगी थी। ज्योति बिस्तर पर सबसे अलग साबित होता था विनीत की भाभी
जोकि उसकी प्यास उसका दे वर मतलब विनीत ही बुझाता था । और विनीत की भाभी भी अब तक
विनीत से ही चुद कर संतुष्ट होती आ रही थी। लेकिन जिस दिन से उसने राहुल के लंड को अपनी बरु
में ले कर चुदवाई उस दिन से वह राहुल की दीवानी हो गई राहुल को पाने के लिए वह भी दिन-रात उसी
का ही सपना दे खने लगी । नीलू भी राहुल से मिलने से पहले विनीत से ही प्यार करती थी और वह भी
अपने बदन की प्यास विनीत से ही चुदकर बझ
ु ाती थी । लेकिन वह भी राहुल से चुदने के बाद ही असली
लंड क्या होता है इस बारे में उसको एहसास हो गया और उस दिन के बाद से ही उस का झुकाव राहुल
की तरफ बढ़ने लगा। नीलू तो राहुल से चुदवाने के बाद से ही उसकी काम भावना और भी ज्यादा
प्रज्वलित हो गई थी। हर पल वह बस अपनी काम भावना को शांत करने में लगी रहती थी स्कूल से घर
जाते ही बिना अपने यूनिफार्म उतारे हैं राहुल को याद करके अपने अंगो से खेलना शुरु कर दे ती थी।
उसके दिलों दिमाग पर राहुल परू ी तरह से छा चुका था

राहुल जोकी तीन औरतों में उलझा हुआ था वह किसी के लिए भी किसी को भी छोड़ नहीं सकता था
तीनों के प्रति उसका लगाव बराबर था। उसके मन में भी किसी के प्रति प्रेम के अंकुर नहीं फूटे थे बस
यह सारा खेल अपनी जरूरतों को परू ा करना और एक दस
ू रे के प्रति आकर्षण भर ही था। तीनों औरतों
और राहुल के बीच वासना का ही रिश्ता बना हुआ था चारों एक दस
ू रे से मिल कर अपनी प्यास बुझा रहे
थे।
धीरे -धीरे वक्त के साथ दिन गुजरता गया और आखिरकार वह दिन भी आ गया जिसका राहुल बेसब्री से
इंतजार कर रहा था आज रविवार का दिन था। विनीत की भाभी ने उसे दोपहर में आने का आमंत्रण दे
चुके थे और राहुल अच्छी तरह से जानता था कि वहां जाने पर क्या क्या होने वाला है इसलिए उसके
मन के सभी तार झनकने लगे थे। रविवार के दिन का पूरा प्रोग्राम फिक्स हो चुका था। इसके लिए वहं
अपनी मम्मी से पढ़ाई करने जाने के बहाने पूरे दिन की इजाजत भी ले लिया था। वैसे तो अलका उसे
रविवार के दिन जाने दे ना नहीं चाहती थी क्योंकि उसकी भी उमंगे उबाल मार रही थी।अलका भी रविवार
का दिन राहुल के साथ बिताना चाहती थी लेकिन सवाल पढ़ाई का था इसलिए उसे जाने की इजाजत दे
दी थी। अलका शनिवार की रात से ही बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि वह रविवार की पूरी छुट्टी को
बस अपनी बरु के नाम कर दे ना चाहती थी। आज दिन भर राहुल के लंड को अपनी बुर में डलवा कर
चुदवाना चाहती थी, इसलिए वह परू ी तैयारी करते हुए सुबह में ही बाथरूम में नहाते समय फिर से क्रीम
लगा कर अपनी बरु को चिकनी कर ली थी।

लेकिन नहाने के बाद जैसे ही वह रसोई घर में नाश्ता तैयार करने के लिए आई कुछ दे र बाद ही राहुल
पीछे से आकर उसे अपनी बाहों में भरते हुए पढ़ाई करने के लिए दोस्त के वहां जाने की इजाजत मांग
लिया। और अलका भी पढ़ाई के वजह से उसे जाने की इजाजत दे ते हुए मन मसोसकर रह गई।

समय से एक घंटा पहले ही राहुल पढ़ाई के बहाने विनीत की भाभी के घर की ओर निकल गया था और
दस
ू री तरफ धीरे -धीरे सोनू को बख
ु ार चढ़ने लगा था। अलका सोनू के माथे पर गीली पट्टीयां रख रख कर
उसका बुखार कम करने की परू ी कोशिश करती रही लेकिन नाकाम रही उसका बुखार था कि बढ़ता ही
जा रहा था। अब अलका की परे शानी बढ़ने लगी थी राहुल भी घर पर नहीं था ऐसे अकेले में उसका दिल
घबराने लगा था। सोनू था कि बुखार से कहरने लगा था। अलका अलका अच्छी तरह से समझ गई थी
कि जो हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने से तबीयत और भी ज्यादा बिगड़ जाएगी इसलिए वह अकेले ही सोनू
को लेकर अस्पताल की तरफ जाने लगी। अलका बहुत ही हडबड़़ाहट में चली जा रही थी। उसके पास पैसे
कम थे इसलिए उसकी ओर चिंता बढ़ गई थी। चौराहे से आगे गई ही थी की बाइक लेकर वहीं से गुजरते
हुए विनीत में अलका को दे ख लिया और भाई घुमाकर ठीक उसके सामने आकर रुका।

कहां है आंटी जी आप तो आकर मुलाकात ही नहीं हो पा रही है ।


मैं वह सब बाद में बताऊंगी वीनीत इस समय मेरे बेटे की तबीयत खराब है उसे अस्पताल लेकर जा रहीे
हुं।

( मौके की नजाकत को समझते हुए राहुल झट से बोला।)

आइए बैठिए आंटी जी मैं भी साथ चलता हूं।

( अलका को विनीत की यह बात ठीक हीं लगी क्योंकि वैसे भी अकेले वह परे शान हो जाती , इसलिए
सोनू को बिठाकर वह खुद भी बाइक पर बैठ गई और वीनीत बाइक को अस्पताल की तरफ भगाने
लगा।)

थोड़ी ही दे र में राहुल विनीत की भाभी के घर पहुंच गया। कमरे के अंदर विनीत की भाभी के साथ जो
जो होना था उसके बारे में सोच-सोच कर ही उसके बदन में गुदगुदी सी हो रही थी। उसका दिल जोरों से
धड़क रहा था उसे अच्छी तरह से मालूम था कि अंदर क्या होने वाला है और उसे क्या करना है राहुल
दरवाजे के बाहर खड़ा होकर बेल बजा दिया और धड़कते दिल के साथ दरवाजे पर खड़ा रहा।

थोड़ी दे र बाद दरवाजा खुला तो राहुल विनीत की भाभी को दे खकर दं ग रह गया जो कि बस हल्का सा
ही दरवाजा खोलकर बाहर कौन खड़ा है इसकी तसल्ली कर रही थी लेकिन फिर भी इतने से ही राहुल को
बहुत कुछ दीख गया था। वीनीत की भाभी इस समय सिर्फ एक सवाल ही लपेटे हुई थी और उसके बदन
पर कुछ भी नहीं था पूरी तरह से तसल्ली कर लेने के बाद राहुल को दरवाजे पर दे खकर उसने तुरंत
दरवाजे को खोलकर और मुस्कुराते हुए उसे कमरे में आने को कही। कमरे में प्रवेश करते ही चल पूरी
तरह से राहुल की नजर विनीत की भाभी पर पड़ी तो उसके परू े बदन में हलचल सी मचने लगी । उस
दिन की तरह आज भी विनीत की भाभी सीधे बाथरूम से ही आ रही थी उसके गोरे बदन पर टावल
लिपटी हुई थी । इस बार भी पहले की ही तरह टावल में दे खकर राहुल बोला।

भाभी ऐसा क्यों होता है कि जब भी मैं आपके घर आता हूं आप हमेशा टावल में ही रहती हैं।

( राहुल की बात सुनकर वह हं सने लगी और हं सते-हं सते बोली।)

तो क्या टावल मे मैं तुम्हें अच्छी नहीं लगती हूं? ( थोड़ा नखरा दिखाते हुए कमर पे अपने हाथ रख दी।)

नहीं भाभी ऐसी बात नहीं है आप तो हमेशा खब


ू सूरत लगती हो चाहे जैसी भी रहो।

चाहे जैसी भी रहती हूं मतलब! मैं क्या नंगी घूमती रहती हूं। ( यह बात कहने के साथ ही वह अपनी
नजरों को गोल गोल घुमाने लगे राहुल उसके मुंह से नंगी सब्द सुनकर उत्तेजना से भर गया और विनीत
की भाभी ने ऐसे शब्दों का उपयोग जानबझ
ू कर कि थीे वह उसे उकसाना चाह रहीे थी। )
( हड़बड़ाते हुए) नहीं भाभी मेरा यह कहने का मतलब बिल्कुल भी नहीं था। मैं तो बस यही कहना चाह
रहा था कि आप जैसे भी रहती हो चाहे कुछ भी पहनती हो आपकी खूबसूरती और भी ज्यादा बढ़ जाती
हैं।

( राहुल के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर वह खुश होने लगी आज कई दिनों बाद फिर से
ऊसके बदन मे ऊन्माद की लहर ऊठ रही थी। यह भी राहुल की परू ी तरह से दीवानी हो चुकी थी हालांकि
अपने दे वर से रोज ही चुदती थी लेकिन जो मजा राहुल दे ता था वैसा मजा विनीत के बस में नहीं था
इसलिए तो वह हमेशा राहुल के लिए तड़पती रहती थी। जिस दिन से राहुल विनीत के घर आने का
आमंत्रण पाया था और आमंत्रण पाते हैं विनीत की भाभी से मिलने के लिए बेकरार हुआ जा रहा था उसी
तरह से वीनीत की भाभी भी आमंत्रण दे ने के बाद इस पल के इंतजार में ना जाने कितनी बार अपनी बरु
को गीली कर चुकी थी। आग दोनों जगह बराबर लगी हुई थी। राहुल एकटक विनीत की भाभी को दे खे
जा रहा था ऊपर से नीचे तक दे खने पर उसकी आंखों में खुमारी का नशा छाने लगा था उसके दिल की
धड़कने पल पल बढ़ती जा रही थी राहुल की नजर खास करके उस जगह पर सबसे ज्यादा फिर रही थी,
जिस जगह पर विनीत की भाभी ने टॉवल को आपस में बांधे हुए थी, क्योंकि जिस जगह पर टावल बांधी
हुई थी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर ही झलक रही थी। और उसकी बीच की लकीर इतनी ज्यादा गहरी
थी कि उस गहराई मे ऊसका लंड. आराम से ऊतर सके। विनीत की भाभी यह अच्छी तरह जानती थी
कि राहुल क्या दे ख रहा है इसलिए वो जानबूझकर गहरी सांस लेते हुए अपनी चुचियों को और ज्यादा
उभार दी। उसकी यह हरकत पर तो राहुल की सांस ही अटक गई उसके पें ट में तुरंत तंबू बनना शुरु हो
गया। जिस पर वीनीत की भाभी की नजर चली गई। और पें ट में बने तंबू को दे ख कर उसकी बरु में
सुरसुराहट होने लगी। वह चाहती तो तुरंत उसके लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाने का आनंद ले सकती
थी लेकिन. इस तरह की जल्दबाजी दिखाने में उतना मजा नहीं आता। जब आम पूरी तरह से पक जाए
तभी उसे खाने में आनंद और तप्ति
ृ का अहसास होता है । इसलिए वह यही चाहती थी कि दोनो की
ऊत्कंठा ओर कामोत्तेजना पुरी तरह से प्रबल हो जाए तभी अपनी कामेच्छा की प्यास बझ
ु ाने में आनंद
की प्राप्ति होगी इसलिए वह धीरे -धीरे बढ़ना चाहती थी। राहुल के लंड में पूरी तरह से तनाव आ गया
था। वह भी अच्छी तरह जानता था कि विनोद की भाभी की नजर बार बार पें ट में बने उसकी तंबू पर ही
जा रही थी और इसका एहसास ही उसको कामोत्तेजना का आनंद दे रहा था । पिछले कुछ दिनों में

राहुल की परिपक्वता बढ़ चुकी थी इसलिए वह विनीत की भाभी से अपने पैंट का उभार छुपाने की
बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था। वीनीत की भाभी भी अपने बदन की नुमाइश करते हुए टावल में
ही उसके सामने खड़ी रही वैसे भी एक दस
ू रे से कुछ छुपाने के लिए बाकी था ही नहीं, कुछ दे र तक दोनों
यूं ही एक दस
ू रे को निहारते रहे दोनों के आकर्षण का केंद्र बिंद ु वासना ही था लेकिन दोनों की नजरिया
में वासना का रूप बदल चुका था राहुल उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को निहार रहा था तो विनीत की भाभी
उसके पैंट में आए भयानक उभार को निहार कर अपनी बुर गीली कर रही थी।
दोनों के बीच कुछ दे र तक खामोशी छाई रही दोनों ड्राइंग रूम में एक दस
ू रे के बदन को नजरों से टटोल़
रहे थे। दोनों के बीच आई खामोशी को तोड़ते हुए राहुल बोला।

भाभी विनीत कहीं दिखाई नहीं दे रहा है ।

( राहुल यह अच्छी तरह से जानता था कि वीनीत ईस े समय घर पर नहीं है वह तो बातों के दौर को


शुरू करने के लिए बस यूं ही बात छें ड़ दिया था। राहुल की बात सुनते ही विनीत की भाभी के चेहरे पर
कामुक मुस्कान पैर में लगी और वह अपने होठों को हल्के से दांतों से दबाते हुए कमर मटकाते हुए
राहुल की तरफ आगे बढ़ी और जैसे ही उसके बिल्कुल करीब पहुंची तो एक हाथ उसकी कमर में डालते
हुए तुरंत उसे अपनी तरफ खींचते हुए अपने बदन से सटा लीे ओर कामुक अंदाज में उसके कानों में होठो
को ले जाकर बोली ।)

राहुल तुम अच्छी तरह से जानते हो कि विनीत इस समय घर पर नहीं है और तभी मैं तुम्हें यहां पर
बुलाई हूं

और यह भी तुम्हें अच्छी तरह से मालूम है कि तुम्हें क्या करना है और किसलिए तुम्हें बुलाई हूं (इतना
कहने के साथ ही उसने अपने एक हाथ को नीचे ले जाकर राहुल की लंड को पें ट के ऊपर से ही दबोच
ली, ऐसा करने पर राहुल के मुंह से हल्की सी आह निकल गई। और वहां और भी ज्यादा कामुक अंदाज
में और धीरे से फुसफुसाते हुए बोली।) राहुल विनीत को मैंने ऐसे काम के लिए भेज दी हूं कि वह तीन-
चार घंटे से पहले नहीं आएगा, ( इतना सुनते ही राहुल विनीत की भाभी की तरफ आश्चर्य और
मुस्कुराहट के साथ दे खने लगा और तभी वीनीत की भाभी ने अपनी हथेली का दबाव राहुल के लंड पर
बढ़ाते हुए तुरंत अपने तपते होठों को राहुल के होठो पर रखकर उसके होठों को चूसने लगी। राहुल भी
जेसे इसी पल का इंतजार कर रहा था और मौका मिलते ही वह भी अपने दोनों हाथ को विनीत की भाभी
के पीछे ले जाकर उसकी कमर में डालकर अपने बदन से और ज्यादा सटा दिया और उसके गुलाबी होठों
को चूसना शुरू कर दिया। दोनों एक दस
ू रे को होठों को इस तरह से चूस रहे थे कि मानो उन्माद में
आकर कहीं एक दस
ू रे के होठों को काट ना ले , राहुल का तंबू विनीत की भाभी की जांघों के बीचोंबीच
टावल के ऊपर से ही उसकी बरु की मुहाने पर दस्तक दे रहा था। जल की कठोरता का अहसास विनीत
की भाभी को होते हैं वह और जोर से राहुल को अपने बदन पर सटा ऐसा लग रहा था कि जैसे वह
अपने अंदर ही उसे उतार लेगी।

दोनो ड्राइंग रूम के बीचो-बीच खड़े-खड़े ही एक दस


ू रे मे गुत्थमगुत्था हुए जा रहे थे। दोनों की सांसे तेज
चलने लगी थी। राहुल के दोनों हाथ उसकी कमर से होते हुए नीचे नितंबों पर पहुंच गए थे और वह उन्हें
अपनी हथेलियों में भर भर के टॉवल के ऊपर से ही दबाने का सुख भोग रहा था। अपने नितंबों पर राहुल
के दोनों हथेलियां कसते ही विनीत की भाभी ने राहुल की पें ट की चेन खोलना शुरू कर दि। तब तक
राहुल टॉवल को हथेलियों का सहारा लेकर कमर तक उठा दिया और अपने दोनों हथेलियों को भाभी की
नंगी गांड पर रखकर उसे दबोचने लगा। राहुल की इस हरकत पर विनीत की भाभी की उत्तेजना बढ़ने
लगी थी। और वह अपनी उत्तेजना को दबाने के लिए राहुल के होठों को अपने दांतो तले दबा रही थी
और धीरे -धीरे उसकी पें ट की चेन खोल चुकी थी। चेन के इर्द-गिर्द उं गलियों का स्पर्श होते ही उसे लंड के
कड़क पन का एहसास होने लगा था। अपनी उं गलियों पर लंड के कड़क पन का एहसास होते ही उसकी
बुर कुलबुलाने लगी। राहुल तो उसकी भरावदार गांड को मसलते हुए मदहोश हुआ जा रहा था। दोनों एक
दस
ू रे के होठों को चूसते हुए एक दस
ू रे के मुंह में अपनी जीभ उतार दे रहे थे जिससे दोनों के थुक और
लार सब कुछ एक दस
ू रे के मुंह में आदान प्रदान हो रहे थे।

विनीत की भाभी से अपने आप को बिल्कुल संभाले नहीं जा रहा था वह चेन खोलकर उस के तने हुए
लंड को उस चेन वाली छोटी सी जगह से निकालना चाहती थी लेकिन राहुल का लंड ज्यादा तगड़ा मोटा
और लंबा था ऊस छोटी सी जगह से जिसका तनाव की स्थिति में बाहर निकाल पाना असंभव सा हो रहा
था इसलिए विनीत की भाभी ने तरु ं त ऊपर से पें ट के बटन को खोलकर नीचे जांघो तक सरका दी ,
राहुल तो उसकी गुलाबी होठों और उसकी भरावदार गांड पर ही मशगुल था। विनीत की भाभी तो अंडर
वियर में तने हुए उसके लंड को दे खकर एकदम से तड़प उठी उसे से यह तड़प बर्दाश्त कर पाना मुश्किल
हुए जा रहा था। विनीत की भाभी विनीत के साथ इतनी जल्दी उत्तेजित नहीं होती थी जितनी जल्दी वह
राहुल के साथ हो गई थी। उसे खुद अपने आप पर आश्चर्य हो रहा है इतनी ज्यादा चुदवासी हो चुकी थी
कि उससे रहा नहीं जा रहा था और वह तुरंत राहुल के होठों से अपने होठ को अलग करते हुए थोड़ा सा
े पीछे की तरफ कदम बढ़ाए और उसके आंखों में झांकते हुए मदहोशी के साथ अपनी टावल को खोलने
लगी राहुल ऊसकी यह अदा दे खकर एकदम से कामविह्वल हुए जा रहा था।

और विनीत की भाभी राहुल की काम भावना को और ज्यादा भड़काते हुए अगले ही पल अपनी टॉवल को
खोलकर एकदम नंगी हो गई राहुल की नजर सीधे उसकी बड़ी बड़ी और तनी हुई गोल चुचियों से होती
हुई चिकने पेट से सरकते हुए जांघों के बीच की उस पतली दरार पर गई जो कि ईस समय एकदम
विनीत की भाभी के गाल की तरह ही चिकनी थी, शायद कुछ दे र पहले ही उसने बाथरूम में क्रीम लगा
कर बालों को साफ की थी राहुल को दे खते ही रह गया उसकी आंखें फटी की फटी रह गई और अंडर
वियर में लंड का तनाव और ज्यादा उभरने लगा था। राहुल की नजर तो बुर पर गड़ी की गड़ी रह गई।
राहुल से रहा नहीं जा रहा था और वह अंडरवियर के ऊपर से ही अपने लंड को मुट्ठी में दबोच लिया यह
दे खकर विनीत की भाभी के भी मुंह से गरम आह निकल गई।

विनीत की भाभी अपने बदन से टावल को निकाल कर सोफे पर फेंक दी और मस्तानी अदा में अपने
घुटनों के बल बैठ गई राहुल विनीत की भाभी को ही घरू े जा रहा था और विनीत की भाभी थी कि अपने
गुलाबी रसीली होठों पर अपनी जीभ फेरते हुए अपने दोनों हाथों की नाजुक उं गलियों से राहुल की अंडर
वियर के दोनों छोर को पकड़ ली। और राहुल की आंखों में झाकते हुए धीरे धीरे अंडरवियर को नीचे
सरकाने लगी , राहुल की दिल की धड़कने तेज होती जा रही थी। उसके सामने बला की खूबसूरत सेक्सी
भाभी बिल्कुल नग्न अवस्था में घुटनों के बल बैठी हुई थी। अगले ही पल विनीत की भाभी ने अंडर
वियर को राहुल की जान हो तक सरका दी अंडरवियर के कैद से आजाद होते हैं राहुल का टनटनाया हुआ
लंड हवा में लहराने लगा जिसको दे खकर विनीत की भाभी का धैर्य जवाब दे ने लगा। ऐसे भी पहले से ही
लंड दे खकर ही विनीत की भाभी के मुंह में पानी आ जाता था और यहां तो एक दमदार तगड़ा मोटा और
लंबा लंड था इसको दे ख कर तो विनीत की भाभी को मुंह के साथ साथ ऊसकी रसीली

बुर मैं भी पानी आ गया था। राहुल की सांसे इतनी तेज चल रही थी की वह नाक की बजाए मुंह से
सांसो को अंदर बाहर कर रहा था। विनीत की भाभी की भी हालत खराब हो रही थी उसने तुरंत राहुल के
खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगी ऊसका लंड मोटे लकड़े की तरह वजनदार लग रहा था।
जिसका एहसास उसके परू े बदन में रोमांच भरा रहा था राहुल कुछ सोच पाता ईससै पहले ही विनीत की
भाभी ने लंड के सुपाड़े को आइसक्रीम कौन की तरह अपने मुंह में भर लि और उसे लॉलीपॉप की तरह
जीभ घुमा घुमा कर चाटने लगी। इससे राहुल के बदन में झनझनाहट सीे फैल जा रही थी। राहुल को
विनीत के भाभी के द्वारा लंड चाटने की कारीगरी खूब भाती थी। विनीत की भाभी धीरे -धीरे करके राहुल
का पूरा लंड गले तक ले ली और खूब मजे ले लेकर चारों तरफ जीभ घुमा कर चाट रही थी जब जब
उसकी जीभ लंड के सुपाड़े के इर्द-गिर्द नाचती तो उसके परू े बदन में सनसनी सी मच जाती थी। राहुल
वीनीत की भाभी के रे शमी गीले बालों में अपनी उं गलियां उलझाकर हल्के-हल्के उसके मुंह में धक्के
लगाना शुरु कर दिया था या यूं कहो कि उसके मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया था। दोनों को परम
आनंद की अनुभूति हो रही थी पूरे घर में सिर्फ वीनीत की भाभी और राहुल ही थे जोकि इस समय मजा
लूट रहे थे। जब-जब वीनीत की भाभी लंड को अपने गले तक लेती थी तो घघघघघघघघ...... की आवाज
उसके गले से आती थी उसकी सांसे घुटने लगती थी लेकिन फिर भी वह लंड को बाहर निकालने की
बिल्कुल भी चेष्टा नहीं करती थी उसे इस तरह से ही लंड चाटने में बेहद आनंद मिलता था। कुछ दे र यूं
ही राहुल का लंड चाटने से उसकी काम भावना और ज्यादा प्रज्वलित हो गई लंड के कड़कपन को वह
अपनी रसीली बुर के दीवारों पर महसूस करना चाहती थी अपने बरु की दीवारों को वह राहुल के लंड से
रगड़वा दे ना चाहती थी।

इसलिए वह राहुल का लंड उसके मुंह में ही पानी की पिचकारी छोड़ दें इससे पहले ही उसने लंड को
अपने मुंह में से बाहर निकाल दी। उसकी बुर उत्तेजना बस तवे पर जिस तरह से रोटी गरम हो कर
फूलती है उसी तरह से गरम होकर फुल चुकी थी। विनीत की भाभी खड़ी हो चुकी थी उसे याद अगले
मुठभेड़ का बेसब्री से इंतजार था राहुल से चदवाने की तमन्ना में वह अपनी हथेली से अपनी बुर को
रगड़ने लगी राहुल उसे इस तरह से अपनी बुर को रगड़ते हुए दे ख कर गर्म आहें भरने लगा उसे भी
जल्दबाजी थी अपने खड़े लंड को उसकी रसीली बरु में डालने की। इसीलिए वह भी खुद विनीत की भाभी
को दे खते हुए अपने लंड को मुठ्ठीयाने लगा। दोनों एक दस
ू रे में उतरने के लिए बेताब हुए जा रहे थे।
विनीत की भाभी इतनी जल्दी चुदवाना नहीं चाहती थी लेकिन राहुल के खड़े लंड को दे खकर उसके सब्र
का बांध टूट चुका था उसे अब अत्यधिक जल्दी पड़ी थी लंड को अपनी बुर में डलवाने की, इसलिए वह
राहुल से बोली।।

राहुल आज मझ
ु े मस्त कर दे , ऐसा चोद मुझे कि मेरी चीख निकल जाए और तू मेरे दर्द की बिल्कुल भी
परवाह मत करना बस अपने लंड को सटासट अंदर बाहर करते रहना मुझे चोदकर एकदम मस्त कर दे
मैं तेरे लंड की प्यासी हूं। तेरे मोटे लंड को मेरी बरु में डालकर मेरी प्यास बुझा दे । ( इतना कहने के
साथ ही वह सोफे की तरफ बढ़ी और सोफे पर अपने दोनों हाथ को टिका कर अपनी भरावदार गांड को
राहुल की तरफ उचका दी, राहुल के लिए विनीत की भाभी का यह इशारा काफी था वह समझ गया था
कि अब उसे क्या करना है । ड्राइंग रूम का नजारा बडा ह़ी कातिलाना लग रहा था विनीत की भाभी की
भरावदार नंगी गांड राहुल के कलेजे पर छुरियां चला रही थी। अपने घुटनों में अटकी हुई पें ट और अंडर
वियर को वह तरु ं त उतार फेंका और हाथ में लंड को हिलाते हुए सीधे विनीत की भाभी के पीछे जाकर
खड़ा हो गया। दिनेश की भाभी पीछे ही आंखें गड़ाए हुए थे राहुल के हर एक हरकत पर उसकी नजर थी
उसका भी दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि राहुल के उसकी गांड पर हाथ रखते ही उसे पता चल गया
था कि बरु और लंड के बीच की दरू ी दो तीन अंगूल की ही थी। जोकि अगले ही पल लंड के सुपाड़े को
बुर की गुलाबी छे द पर टीकाते ही वह दरू ी भी खत्म हो गई। बरु पहले से ही अध्यतिक गीली थी जिससे
लंड का मोटा सुपाड़ा धीरे -धीरे बुर की गहराई में उतरने लगा थोड़ी ही दे र में राहुल का आधा लंड उसकी
रसीली बरु में उतर चुका था। उत्तेजना के मारे विनीत की भाभी की टांगे कांप रही थी। राहुल उसकी
कमर को दोनों हाथों से कस के थामे हुए था। राहुल का जोश जब जब वह अपनी नजर को उसकी
भरावदार गांड की तरफ घुमाता तो दग
ु ुना हो जाता था। अगले ही पल राहुल ने उसकी कमर को और
ज्यादा कस के पकड़ लिया और ईतना तेज धक्का लगाया कि वह गिरते गिरते बची वह तो अच्छा था
कि वह कमर से उसे कस के पकड़े हुए था। वरना विनीत की भाभी आगे को लुढ़क जाती। लेकिन इस
जबरदस्त धक्के से उसके गले से चीख निकल गई क्योंकि राहुल का पूरा लंड उसकी बुक की गहराई में
उतर चुका था और लंड के सुपाड़े का धक्का का सीधा उसके बच्चेदानी में लगा था जिसकी वजह से
उसके मुंह से कामुक चीख निकल गई ।

डिलीट की भाभी के मुंह से गरम गरम सिसकारी निकल रही थी जिसकी आवाज सुनकर राहुल बेचैन होने
लगा और उसकी कमर को थाने अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा उसका मोटा लंड उसके नमकीन
रस मे सना हुआ अंदर बाहर होने लगा। थोड़ी ही दे र में राहुल अपने लय के साथ विनीत की भाभी की
चुदाई करना शुरु कर दिया। कुछ महीनों में ही राहुल विनीत की भाभी के द्वारा सिखाए गए इस कला में
पूरी तरह से पारं गत हो चुका था। वीनीत की भाभी भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका शिष्य चुदाई
की कला में निपुण होता जा रहा है वह हर तरह से उसे संतुष्ट करने में पूरी तरह से समर्थ था। खास
करके जब वह पीछे से ऊसे चोदता है तब उसकी गरम सिसकारी के साथ-साथ उसके पसीने छूट जाते थे।
वह एकदम से कपकपा जाती थी, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि विनीत जब भी उसे पीछे से
चोदता है तो बार बार उसका लंड बुर के बाहर निकल जाता था लेकिन राहुल का लंड बिना बरु के बाहर
निकले बरु को रगड़ते हुए चुदाई करते रहता था।

दोनों को मजा आ रहा था राहुल के हर ठाप पर विनीत की भाभी का पूरा बदन कांप उठता था। पूरे
ड्राइंग रूम में सिसकारी की आवाज गुंज रही थी। थोड़ी ही दे र में दोनों का बदन अकड़ने लगा और
विनीत की भाभी के साथ साथ राहुल भी सिसकारी लेते हुए एक साथ झड़ने लगे। राहुल विनीत की भाभी
की नंगी पीठ पर सिर टीताए अपने लंड की एक-एक बूंद को उसकी बरु में उतारने लगा ' विनीत की
भाभी भी भलभला कर झड़ी थी इसलिए दोनों का काम रस बुर से बाहर टपक रहा था। दोनों संतुष्ट हो
चुके थे।

और दस
ू री तरफ विनीत अलका और सोनू को लेकर अस्पताल पहुंच चुका था वहां सोेनु का इलाज शुरू
हो चुका था। विनीत डॉक्टर की लिखी हुई हर दवा को खुद ही जाकर अपने पैसे से खरीद कर ले आता।
दवा में काफी पैसे लग चुके थे और इतने पैसे तो अलका भी लेकर नहीं गई थी वह मन ही मन वीनीत
को धन्यवाद दे ने लगी। विनीत ने एक बार भी अलका से पैसे के बारे में कोई भी बात नहीं किया था।
सोनू का बख
ु ार उसके सर पर चढ़ चुका था उसे बोतल का पानी चल रहा था और डॉक्टर ने दिलासा दे ते
हुए यह कहा था कि दिमाग में बुखार चढ़ चुका है इसलिए उतरने में समय लगेगा इसलिए आज के दिन
सोनू को अस्पताल में ही रहना पड़ेगा। अस्पताल में 1 दिन रुकने की बात पर अलका का मन घबराने
लगा क्योंकि वह जानती थी कि उसके पास इतने पैसे नहीं है कि वह अस्पताल का बिल चुका सके वह
तो यह सोच कर आई थी कि दवा दे ने पर ठीक हो जाएगा। शायद अलका की इस परे शानी को विनीत
भाप चुका था इसलिए वह अलका को दिलासा दे ते हुए बोला।

आंटी जी आप चिंता मत करिए मैं हूं ना तो घबराने की कोई बात नहीं है ।

( विनीत की यह बातें अलका को हिम्मत दिलाने के लिए काफी थी वह अस्पताल में विनीत के ही सहारे
रुकी हुई थी। और दस
ू री तरफ राहुल और दिनेश की भाभी दोनों संपूर्ण नग्नावस्था में सोफे पर आराम से
बैठे हुए थे राहुल उसकी चिकनी जांघों को सहला रहा था और विनीत की भाभी उसके ढीले पड़े लंड पर
हल्के हल्के उं गलियां फिरा रही थी।
अलका बहुत परे शान नजर आ रही थी उसके बगल में विनीत बैठा हुआ था अलका मन ही मन विनीत
का शुक्रिया अदा कर रही थी, क्योंकि वह जानती थी कि अगर एन मौके पर विनीत उसके साथ
अस्पताल ना आया होता तो आज बहुत मुसीबत का सामना करना पड़ता है उसे। विनीत बिना
हिचकिचाएं अस्पताल का सारा खर्चा अपनी जेब से ही चुकाता रहा है एक बार भी उसने अलका से पैसे
के बारे में जिक्र तक नहीं किया।

अलका वीनीत को एक अच्छा और संस्कारी लड़का मानने लगी थी। उसके इस एहसान की वजह से
अलका विनीत के पहले की गलतियों को भुला चुकी थी जब वह उसके बदन से छे ड़छाड़ करने की कोशिश
कर रहा था इस समय वह उसे अच्छा लड़का और संस्कारी लगने लगा था। सोनू के बेड के बगल में
दोनों बैठे हुए थे सोनू अपने अंदर बहुत कमजोरी महसूस कर रहा था इसलिए उसकी आंखें बार बार
खुलती और बार-बार बंद हो जाती। अलका की नजर बार बार बोतल में से टपक रहे एक एक बूंद
ग्लूकोज के पानी पर ही टिकी हुई थी।

विनीत बेफिक्र होकर दवा पर पैसे खर्च कर रहा था। लेकिन इसके पीछे उसके मन का स्वार्थ छिपा हुआ
था वह किसी भी हालत में किसी भी कीमत पर अलका को भोगना चाहता था उसके मदमस्त बदन के
रस को चूसना चाहता था। उसे पूरा विश्वास है कि उसका यह स्वार्थ उसके लालसा जरुर पूरी होगी
लेकिन कब परू ी होगी कौन सी जगह पूरी होगी इस बारे में वह नहीं जानता था लेकिन अलका इस बात
से परू ी तरह से अनजान थी वह तो उसकी मदद के पीछे मानवता को कारण समझती थी लेकिन बात
कुछ और ही थी। धीरे -धीरे समय गुजर रहा था संध्या हो रही थी सूरज की लालिमा अपनी किरणों को
बिखेरते हुए दरू कहीं आसमान में ढलने की फिराक में था। अलका बार-बार सोनू के माथे पर अपना हाथ
रख कर उसका बुखार जांचने की कोशिश करती लेकिन बुखार ज्यों का त्यों बना हुआ था। अलका की
चिंता बढ़ती जा रही थी लेकिन बीच-बीच में दिनेश अलका को दिलासा दे ते हुए सब कुछ ठीक हो जाएगा
ऐसा कहकर हमेशा सांत्वना दे ता रहता था।

दस
ू री तरफ राहुल और वीनीत की भाभी यह दोनों ड्राइंग रूम में संपूर्ण नग्नाअवस्था में सोफे पर बैठे हुए
थे। क्या हुआ धीरे धीरे उसकी चुचियों से खेल रहा था जो की उत्तेजना के कारण उसके निेप्पले एकदम
कड़क हो चुकी थी। विनीत की भाभी को राहुल की हरकत पर मजा आ रहा था वह रह रह कर अपने
अंगूठे और अंगुली के बीच में निप्पल को दबा दे ता जिससे विनीत की भाभी कराह उठ़ती थी। वीनीत की
भाभी राहुल के ढीले लंड पर उं गलियां फिरा फिरा कर उसे तनाव में ला चुकी थी जोकी राहुल की जांघो
के बीच में एकदम डंडे की तरह खड़ा था। जिसके सुपाड़े पर वीनीत की भाभी अपना अंगूठा बार-बार
दबाकर उसकी ओर खुद की उत्तेजना बढ़ा रही थी।
विनीत की भाभी राहुल की ताकत को दे खकर फिर से आश्चर्यचकित हुए जा रहे थे क्योंकि अभी पांच
सात मिनट पहले ही राहुल ने अपने दमदार तगड़े लंड से उसकी बुर की चुदैई कर करके बरु की नसों को
ढीला कर दिया था और साथ ही उसकी भी लंड की नशे ढीली हो गई थी लेकिन सात आठ मिनट के
अंदर ही फिर से उसकी लंड की नसों में खन
ू का दौरा तीव्र गति से होने लगा था और इस बार उसका
लंड पहले से भी ज्यादा भयानक लग रहा था।

राहुल के लंड के कड़कपन को दे ख कर एक बार फिर से उसकी बरु कुल बुलाने लगी और वह हाथ आगे
बढ़ाकर लंड को अपनी हथेली में दबोच ली और उसे आगे पीछे कर के मुठीयाते हुए बोली।

वाह राहुल मुझे तुम्हारी ताकत पर बिल्कुल भी यकीन नहीं होता कि ऐसा भी हो सकता है ।

( राहुल को बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा था कि विनीत की भाभी क्या कहना चाह रही थी, इसलिए
आश्चर्यचकित हो कर उसकी चुचियों को एक हाथ में भरकर दबाते हुए बोला।)

क्या हो सकता है भाभी मैं कुछ समझा नहीं।

( लंड को ते हुए )यही कि अभी अभी कुछ मिनट पहले ही भलभलाकर मेरी बुर में झड़े हो और उसके
बावजूद भी बस पांच सात मिनट के अंदर ही तुम्हारा लंड फिर से पूरी तरह से खड़ा हो गया है । वाह
मान गए तुम्हारी ताकत को( राहुल अपने लंड की तारीफ वीनीत की भाभी के मुंह से सुनकर गदगद हो
रहा था।)

अच्छा यह बताओ तुम इसे ताकतवर बनाने के लिए इस पर तीर कि मालिश करते हो या ऐसे ही
कुदरती है । ( उत्तेजना वश अपनी हथेली में लंड को कसके दबाते हुए।)

( भाभी की बात सुनकर राहुल शर्मा गया लेकिन फिर भी शर्माते हुए बोला।)

नहीं भाभी यह तो कुदरती ही है मैं कभी भी इस पर किसी चीज की भी मालीश नहीं करता। लेकिन
भाभी आप कैसे कह सकती हैं कि यह ताकतवर है ।
( अपने होठों पर कामुक मुस्कान बिखेरते हुए )तुम नहीं समझोगे क्योंकि मैं जानती हूं एक बार चुदाई
करके झड़ने के बाद दोबारा खड़ा होने में अर्धा अर्धा घंटा लग जाता है । लेकीन तुम्हारा इतनी जल्दी
जल्दी खड़ा हो जाता है कि मैं दे ख कर है रान हो जाती हुं। ( वीनीत की भाभी की खुली बातें सुनकर
राहुल मुस्कुराने लगा।)

(लंड को मुठीयाते हुए) अच्छा एक बात बताओ राहुल लगभग महीना गुजरने को है तुम मेरे पास दब
ु ारा
क्यों नहीं आए। क्या तुम्हें मेरी याद नहीं आती थी।

( दोनों हाथों से चुचियों को दबाते हुए) ऐसी बात नहीं है भाभी जिस दिन से तुम्हारे साथ सोया था उस
दिन से लेकर आज तक मैं हर पल उठते जाते बस तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता था।

तो मिलने क्यों नहीं आए?

कैसे आता मुझे क्या पता कि कब किस टाइम घर पर कौन-कौन रहता है अगर मेरे आने पर कोई घर में
मौजूद होता तो उसे मैं क्या जवाब दे ता।

( मोटे लंड को पकडे पकडे विनीत की भाभी फिर से गरमाने लगी उसकीे सांसे भारी हो चली थी। और
एकदम मदहोश होकर बोली।)

मुझे एक बार फोन तो कर लिए होते आखिर मैंने नंबर किस लिए दी थी तुम्हें ।

मेरे पास मोबाइल नहीं है ।

नहीं तुम झूठ बोल रहे हो ऐसा कैसे हो सकता है कि आज के जमाने में तुम्हारे पास मोबाइल न हो।

( चुचियों को कस के दबाते हुए) नहीं भाभी मे सच कह रहा हूं मेरे पास मोबाइल नहीं है मेरी माली
हालत ऐसी नहीं है कि मैं मोबाइल खरीद सकु।

( राहुल की बात सुनकर वह है रान लेकिन उसके ऊपर वासना की खुमारी पूरी तरह से छाने लगी थी
इसलिए वह चुदवासी आवाज में बोली।)

तो पीसीओ से कर लिए होते।( इतना कहने के साथ ही वह राहुल कि जांघो के बीच झुकने लगी और
अगले ही पल वह लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में भर कर चुसना शुरु कर दी। जैसे ही उसकी जीभ
सुपारी पर फिर ना शुरू हुई राहुल की तो सांस ही अटक गई उसका मुंह खुला का खुला रह गया और
अटकते हुए बोला।)
मममम....मेरी हीम्मत .....नही हुई भाभी। ( राहुल इतना कह पाता इससे पहले ही वीनीत की भाभीी
उसके ऊपर परू ी तरह से छा गई । वह परू ा लंड मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी वह पूरी तरह से
चुदवासी हो चुकी थी। उसकी इस तरह से लंड चुसाई से राहुल एकदम से मदहोश हो गया उसकी हालत
खराब होने लगी और इसकी उं गलियां खुद-ब-खुद वीनीत की भाभी के रे शमी बालों मे उलझने लगी।
उसके गीले बालों से मादक मादक आ रही खुशबू माहौल को और ज्यादा गर्मा रहा था। राहुल का एक
हाथ उसकी चिकनी पीठ पर फिराने लगी जो कि पीठ पर से फिर से फिर से नीचे नितंबों तक पहुंच रही
थी और इस तरह से उसे लंड चुसाते चुसाते उसकी गांड को सहलाने और मसलने में और ज्यादा आनंद
मिल रहा था। माहौल एक बार फिर से गर्म हो चुका था विनीत की भाभी राहुल के लंड को चूसने में
मस्त थी और राहुल उसके नंगे मखमली बदन पर अपना हाथ फिरा रहा था। दोनों परू ी तरह से वासना
के इस दरिया में कूद चुके थे। विनीत की भाभी तो जैसे उसके लंड की दीवानी हो गई थी। वह उसके लंड
को किसी भी कीमत पर छोड़ना ही नहीं चाहती थी वह उसे परू ा गले तक उतार कर मस्ती के साथ
चुसाई कर रही थी। दोनों की गरम सिसकारी एक बार फिर से पूरे कमरे में गूंजने लगी। राहुल अब दोनों
हाथों से आगे की तरफ झुक कर उसकी बड़े-बड़े भरावदार नितंबों को हथेलियों में भरकर दबाने लगा और
रह रह कर उस पर चपत भी लगाने लगा जिससे विनीत की भाभी का उन्माद और ज्यादा बढ़ जा रहा
था। थोड़ी ही दे र में लंड की चुसाई कर रही वीनीत की भाभी की गांड चपत लगाने से और मसलने से
एकदम लाल हो गई जोकि उस के नितंबों की खूबसूरती में ओर भी ज्यादा इजाफ़ा कर रहे थे। राहुल एक
दम मस्त हुए जा रहा था उसकी उत्तेजना पल पल परवान चढ़ रही थी। और उत्तेजना में सराबोर होकर
सोफे पर बैठे बैठे ही नीचे से धक्के लगाना शुरु कर दिया। इस तरह से वीनीत की भाभी को भी मजा
आने लगा। कुछ दे र तक यूं ही विनीत की भाभी राहुल के मोटे लंबे लंड को चुसती रही लेकिन नीचे
जांगो के बीच उसकी बरु की गुलाबी पत्तियां फड़फड़ा रही थी। उन पत्तियों के इर्द-गिर्द खून का दौरा बड़ी
तेजी से हो रहा था इसलिए विनीत की भाभी को उसमे खुजली सी महसूस होने लगी थी। इसलिए रह रह
कर गुलाबी पत्तियों के बीच से मदन रस की बूंदें टपक पड़ रही थी। राहुल तो एकदम चुदवासा हो गया
था। और उत्तेजना बस उसकी भरावदार गांड को खूब जोर जोर से मसलते हुए सिसकारी लेते हुए बोला।

ओहहहहहह.... भाभी बहुत मजा आ रहा है ....स्सहहहहहहह.... बस ऐसे ही..... हां बस ऐसे ही चुसते रहिए
भाभी बहुत मजा आ रहा है ।

राहुल उसकी लंड चुसाई पर पूरी तरह से मर मिटा था उसे बहुत आनंद की अनुभूति हो रही थी ऐसा लग
रहा था कि जैसे उसका बदन हवा में झूल रहा हो।
राहुल की बातें सुनकर वह भी जोर-जोर से उसके लंड को आइसक्रीम कोन की तरह चूसने लगी लेकिन
ऊसकी जाघों के बीच उसकी बरु में खुजली मची हुई थी उस खुजली को मिटाना भी बहुत जरूरी था।
इसलिए वह राहुल के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाली और खड़ी हो गई राहुल ललचाई आंखों से
उसे दे खता रह गया। वीऩत की भाभी की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह भी राहुल को और उसके
खड़े लंड को कामुक नजरों से दे खते हुए अपनी हथेली को अपनीे बुर पर रगड़ने लगी। जिसे दे ख राहुल के
लंड ठुनंकी लेना शुरु कर दिया। तभी विनीत की बारी एक कदम आगे बढ़े और अपने दोनों हाथों की
उं गलियों को राहुल के बालों में उलझाते हुए उसके बाल को कस के पकड़ ली

और खुद ही उसके मुंह के नजदीक अपनी बुर को ले जाने लगी यह दे खकर राहुल के बदन में सुरसुरी सी
मचने लगी अजीब सी सुख की अनुभूति करके वह अंदर ही अंदर कांप सा गया। बड़ा ही रोमांचक और
उत्तेजनात्मक नजारा बना हुआ था विनीत की भाभी अपनी रसीली बरु की गुलाबी पंखुड़ियां को राहुल के
होठो पर रगड़ने लगी। और राहुल की उत्तेजना में अपनी आंखों को बंद कर अपने होठों का हल्का हल्का
स्पर्श बरु की गुलाबी पत्तियों पर कराने लगा जिससे विनीत की भाभी की सिसकारी छूट गई।

स्ससससहहहहहहहह........राहुल....ऊहहहहहहह.... बस ऐसे ही इतना कहने के साथ ही वह खुद राहुल के


बालों को पकड़कर उस के मुंह को अपनी बरु पर दबा दी और अपनी भरावदार नितंब को गोल-गोल
घुमाते हुए उससे अपनी बुर चटवाने लगी। थोड़ी ही दे र में अपनी बुर चटवाते चटवाते वह इतनी मस्त हो
गई की वह खुद ही राहुल के मुंह में हल्के हल्के धक्के लगाना शुरु कर दी। एक तरह से वह अपनी बुर
से राहुल के मुंह को चोदने लगी। राहुल का मुंह बुर के कामरस से पूरी तरह से भीग चुका था। कभी-कभी
विनीत की भाभी इतनी ज्यादा उत्तेजित हो जाती कि अपनी बरु को कस के राहुल के मुंह पर दबा दे ती
जिससे उसकी सांस फूलने लगती। दोनों के आनंद में और उत्तेजना में पल पल बढ़ोत्तरी होती जा रही
थी। विनीत की भाभी की सिसकारी पूरे कमरे में गूंज रही थी परू ा ड्राइंगरूम उसकी कामुक आवाज से
उन्मादित हो रहा था कामोतेजना के परम शिखर पर विराजमान होकर वीनीत की भाभी एकदम से
चुदवासी हो गई थी और उसने तुरंत अपनी बुर चटवाते चटवाते राहुल के कंधे पर हाथ रख कर ऊसे
धक्का दे ते हुए सोफे पर लिटा दी और वह भी पीठ के बल सोफे पर चित लेट गया। राहुल बस आवाक
सा दे खता रहा और विनीत की भाभी उसे सोफे पर चित लिटा कर अपनी गर्म हथेली को अपनी तपती
हुई और टपकती हुई गर्म् बुर पर रखकर मसलने लगी जिसे दे ख कर राहुल भी खुद अपने लंड को पकड़
कर मुठीयाते हुए गर्म आहें भरने लगा। दे खते ही दे खते विनीत की भाभी राहुल पर सवार होने लगी राहुल
को कुछ समझ में नहीं आ रहा था जब तक वह समझ पाता तब तक विनीत की भाभी ने अपना एक
घुटना उसकी कमर के बगल में सोफे पर टीका दी और एक टांग को दस
ू री कमर की तरफ ले जाते हुए
पेर को सोफे से नीचे
फर्श पर टीकाते हुए पोजीशन बना ली। राहुल उसे आंख भर के दे ख रहा था इसकी बड़ी बड़ी चूचियां
उसकी आंखों के सामने ऐसे नजर आ रहे थे जैसे कि आम के बगिया में पेड़ पर बड़े-बड़े पके आम लटक
रहे हैं और जिसे तोड़ने के लालच को वह अपने अंदर दबा नहीं पा रहा है , वह अपने दोनों हाथ आगे
बढ़ाकर भाभी के पके हुए आम को लपकता इससे पहले ही विनीत की भाभी थोड़ा सा झुक गई और
झुकने की वजह से राहुल का टनटनाया हुअा लंड का सुपाड़ा उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों से स्पर्श होने
लगी, और जैसे ही बुर की गुलाबी पत्तियों से सुपाड़ा स्पर्श हुआ राहुल एकदम से गंनगना गया , उसके
पूरे बदन में करं ट सा दौड़ने लगा और उसके दोनों हाथ खुद-ब-खुद दोनों चुचियों पर चली गई जिसे वह
तुरंत पकड़कर दबाने लगा राहुल की इस हरकत पर विनीत की भाभी की सिसकारी छूट गई और उसने
तुरंत एक हाथ को नीचे ले जाकर राहुल के लंड को थाम ली, लंड को थामते ही विनीत की भाभी उसके
सुपाड़े को अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ते हुए उसपर सुपाड़ा पीटने लगी जिससे उसकी
उत्तेजना चरम शिखर पर पहुंच गई। राहुल को भी उसकी इस हरकत पर बेहद आनंद मिलने लगा और
दिनेश की भाभी सिसकारी लेते हुए सितारे को अपनी गुलाबी पत्तियों के बीच टिका कर धीरे -धीरे लंड पर
बैठने लगी यह राहुल के लिए बिल्कुल अलग और अद्भत
ु एहसास था वह इस बारे में कभी सोचा भी नहीं
था विनीत की भाभी धीरे -धीरे दर्द का अहसास लिए राहुल के तने हुए लंड पर बैठने लगी धीरे -धीरे करके
राहुल का लंड विनीत की भाभी की बरु के अंदरूनी दीवारों को रगड़ते हुए अंदर की तरफ सरकने लगा
अद्भत
ु आनंद की अनुभूति के साथ विनीत की भाभी का मुंह खुला का खुला रह गया था राहुल भी सकते
में था और साथ ही उसकी दोनों चुचियों को कस कसके दबाए जा रहा था। और थोड़ी ही दे र में विनीत
की भाभी राहुल के परू े समूचे खड़े लंड को अपनी बुर के अंदर गप्प से निगल गई। राहुल ने जब नजरे
झुका कर अपने लंड की तरफ दे खा तो उसका पूरा लंड विनीत की भाभी की बुर में समाया हुआ था जरा
सा भी जगह बाकी नहीं रह गया था। राहुल बड़ी है रानी से कभी उसकी बरु की तरफ तो कभी उसके चेहरे
की तरफ दे खता जो कीे ईस समय उत्तेजना की वजह से एकदम लाल लाल हो गया था और उसका मुंह
खुला का खुला था आंखें मूंदी हुई थी और वह गर्म सिसकारी लेते हुए गहरी गहरी सांसे ले रही थी। वह
धीरे -धीरे करके राहुल के लंड पर उठना बैठना शुरु कर दी थी राहुल का लंड उसकी चिकनाहट की वजह
से लगातार बिना रुकावट के अंदर बाहर हो रहा था जिसकी वजह से विनीत की भाभी की उत्तेजना और
ज्यादा बढ़ती जा रही थी राहुल पल पल उसकी दोनों चुचियों को कसकस के दबाते हुए मस्ती के सागर
में गोते लगा रहा था। विनीत की भाभी राहुल के सीने पर हथेलियां टिकाकर अपनी गांड को ऊपर नीचे
करते हुए राहुल के लंड पर मार रहा थीे और राहुल दोनों चुचियों में व्यस्त है होकर गर्म सांसे छोड़ रहा
था। कमरे का माहौल दोनों की चुदास पन में सराबोर होकर एकदम रं गीन हो गया था परू ा ड्राइंग रूम
चुदास की मादक खुशबू से महकने लगा था। विनीत की भाभी की मादक सिसकारियां राहुल को उसका
दीवाना बना रही थी।

राहुल कोे विनीत की भाभी की यह मादक अदा और भी ज्यादा कामोत्तेजित कर रही थी वीनीत की
भाभी अब अपनी गति में थोड़ा सा उछाल लाते हुए राहुल के लंड पर उठ बैठ रही थी। जिससे राहुल की
हथेलियों में कसी हुई उसकी दोनों चुचीया किसी फुटबॉल की तरह लग रही थी। जांघो से जांघ टकराने
की वजह से एक अलग सी ठाप बज रही थी। जोकि माहौल को और ज्यादा गर्माहट प्रदान कर रहा था।
दोनों जिस्म एक दस
ू रे में उतरने की भरपरू कोशिश करते हुए आगे बढ़ रहे थे विनीत की भाभी के उछाल
का जवाब वह भी अपनी कमर को नीचे से उछाल कर दे रहा था। नजरों को नीचे करके बुर की तरफ
दे खने पर विनीत की भाभी की भरावदार गांड और भी ज्यादा मादक लग रही थी जिसे राहुल ने अपने
दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर उस पर अपनी हथेली रख दिया और जोर-जोर से गांड को मसलते हुए नीचे
से धक्के लगाने लगा। विनीत की भाभी भी धड़ाधड़ अपनी गांड को राहुल के खड़े लंड पर पटक रही थी
जिससे बुर और लंड के मिलन से पुच्च पुच्च की मादक आवाज आ रही थी। विनीत की भाभी सिसकारी
लेते हुए राहुल का हौसला बढ़ाते हुए उसकी तारीफ किए जा रही थी।

स्ससससहहहहहहह.....आहहहहहहह.... राहुल तेरे जैसा मर्द मैंने आज तक नहीं दे खी तेरा दमदार लंड मेरी
बुर को रगड़ कर रख दे रहा है .... मेरी बरु अंदर से पानी पानी हुए जा रही हे मेरे राजा .....और जोर से
पेल और जोर से पेल मुझे..... अंदर तक घुस जा मेरी बुर में

...आहहहहहहहहह.........आहहहहहह.... (तब तक राहुल ने उसकी कामुक बातें सुनकर जोश में आकर दो
जबरदस्त धक्के लगा दिए जिससे उसकी आह निकल गई) बस ऐसे ही .....ऐसे ही चोद मुझे मेरे राजा मैं
तेरी दासी हो गई हूं मैं तेरे लंट की दीवानी हो गई हूं राहुल...

विनीत की भाभी इस तरह की चुदाई सें एक दम मस्त हो गई थी उसके मुंह में जो आ रहा था वह बोल
रही थी राहुल भी उसकी बातें सुन सन
ु कर इतना जोश में आ गया था कि नीचे से उसकी गांड थामे
धड़ाधड़ अपना लंड उसकी बुर में ठुस रहा था।

राहुल भी विनीत की भाभी का दीवाना हो गया था वह उसे चोदते चोदते कभी उसकी चुचियों को दबाता
तो कभी उसकी भरावदार गांड को मसलने लगता। दोनों को मजा आ रहा था विनीत की भाभी ने कभी
भी ऐसी चुदाई का सुख प्राप्त नहीं की थी उसे चुदाई का एेसा सुख अब जाकर राहुल के साथ मिल रहा
था।

ओह भाभी बहोत मजा आ रहा है । मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि आप जैसी खुबसुरत औरत
को चोदने का सुख मुझे मिलेगा। ओहहओहहह.....भाभी ...स्सहहहहहहह....आहहहहहहहहह...भाभी....।

राहुल भी जोर-जोर से सिसकारी लेते हुए चोदे जा रहा था। एक बार दोनों ही झड़ चुके थे इसलिए यह
चुदाई कुछ लंबी ही चल रही थी तकरीबन 35 40 मिनट के पश्चात दोनों की साँसे तीव्र गति से चलने
लगी दोनों के मुख से सिसकारी की आवाज भी तेज हो गई एक-दो जबरदस्त धक्कों के साथ ही दोनों का
बदन अकड़ने लगा और दोनों ही एक साथ भलभलाकर झड़ने लगे । कुछ दे र बाद दोनो ही एक दस
ु रे की
बाहों में बाहों में डाल कर लेटे हुए थे।

धीरे -धीरे करके शाम ढल चुकी थी अस्पताल में अभी भी सोनू को बोतल का पानी चढ़ रहा था शाम
ढलते दे ख, अलका परे शान हो रही थी। वीनीत उसके बगल में ही बैठा हुआ था। तभी डॉक्टर आया और
सोनू का बख
ु ार मापने लगा, बुखार मापकर अलका से बोला।

दे खो मैडम बख
ु ार अभी परू ी तरह से नहीं होता है बख
ु ार को पूरी तरह से उतरने में समय लग जाएगा
इसलिए आपको आज की रात अस्पताल में ही रुकना होगा क्योंकि पानी की दस
ू री बोटल भी चढ़ानी
पड़ेगी। डॉक्टर की बात सुनते ही अलका के पसीने छूटने लगे उससे कुछ बोला भी नहीं जा रहा था कि
तभी विनीत बीच में बोल पड़ा।

कोई बात नहीं डॉक्टर साहब आज की रात हम यहीं रुक जाएंगे।

( थोड़ी ही दे र में चेकअप करके डॉक्टर चला गया लेकिन अलका परे शान होने लगी उसे राहुल की भी
चिंता थी कि अगर घर नहीं गई तो राहुल परे शान हो जाएगा लेकिन विनीत ने उसकी परे शानी को दरू
करते हुए बोला ।

बस रात भर की तो बात.हे आंटी जी सोनू का बुखार भी रात भर में परू ी तरह से उतर जाएगा तो सुबह
में अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी। तो सोनू को लेकर अपने घर जा सकती हो। मैं अभी जाता हूं और
सुबह से वापस आ जाऊंगा। ( विनीत के जाने की बात सुनकर अलका की परे शानी और बढ़ने लगी वहां
विनीत के बॉली।)

बेटा अगर तुम भी यही रुक जाते तो मुझे थोड़ी मदद मिल जाती।

( अलका की बात भला विनीत कैसे मना कर सकता था वह भी अलका के कहने पर वहीं रुकने का
फैसला कर लिया। )
विनीत अलका से बोला।

ठीक है आप कहती हो तो मैं यहां रुक जाता हूं लेकिन मझ


ु े घर पर फोन करना होगा। आप यहीं रुकिए
मैं फोन करके आता हूं। ( अलका विनीत की बात सुनकर राहत की सांस ली और विनीत अपने घर पर
फोन करने के लिए दो चार कदम पर गैलरी तक चला गया।)

दस
ू री तरफ वीनीत की भाभी जबरदस्त चुदाई का आनंद ले कर झड़ चुकी थी और राहुल के ऊपर लेटकर
उसके होठों को अपने होठों में भर कर चुसाई कर रही थी। राहुल जी उसे अपनी बाहों में भर कर उसकी
गोरी चिकनी पीठ पर अपने हाथ को फेरते हुए वह भी हॉठ चुसाई का आनंद ले रहा था। विनीत की
भाभी अच्छी तरह से जानती थी कि अर्धा एक घंटे में वीनीत किसी भी वक्त यहां आ जाएगा इसलिए
वह तीसरे राऊंड की जल्दी से तैयारी करना चाहती थी। इसलिए वह राहुल के ऊपर से हटी नहीं थी
उसकी दोनों चूचियां पके हुए आम की तरह राहुल के सीने पर अपना दबाव बनाए हुए थी और उसकी
तनी हुई निपल उसके सीने में सुईयो की तरह चुभ रही थी। लेकिन यह चुभन राहुल के बदन के अंदर
तक सनसनाहट फैला रही थी। राहुल अपने आप को बड़ा ही खुशकिस्मत समझता था और समझता भी
क्यों नहीं तीन तीन औरते उसकी झोली में आकर गिरी थी। वह भी तीनों एक से एक बढ़कर, किसी की
चूचियां एकदम गोल गोल थी तो किसी की चूची एकदम बड़ी बड़ी , किसी के नितंबों का घेराव एकदम
सटीक था तो किसी का भरावदार दे ख कर ही लंड की नसें तन जाती थी। झड़ने के बाद राहुल का लंड
अपना तनाव खो चुका था लेकिन फिर भी तनाव में ना होने के बावजूद भी इतना तो था ही कि उसके
जरासे स्पर्श से वीनीत की भाभी अपनी बरु पर पाते ही उसे अंदर लेने के लिए चुदवासी हो जाती थी।

विनीत की भाभी अब उसे तीसरे राऊंड के लिए तैयार कर रही थी उसे क्या तैयार कर रही थी वह खुद
ही तैयार हो रही थी क्योंकि राहुल को तैयार होने में जरा सा भी वक़्त नहीं लगता था। वह राहुल के
बदन पर लेटे लेटे ही एक हाथ नीचे ले जाकर राहुल के ढीले लंड को थाम ली और उसे आगे पीछे करती
इससे पहले ही मोबाइल की घंटी बजने लगी। दोनों टे बल पर रखे पर्स की तरफ दे खने लगे जिसमें से
मोबाइल के बजने की आवाज आ रही थी।

कौन ईस समय रं ग में भंग डाल रहा है । ( विनीत की भाभी बेमन से राहुल के बदन पर से उठते हुए
बोली। वह मोबाइल उठाने के लिए राहुल के ऊपर से उठकर टे बल की तरफ जाने लगी राहुल उसे जाते
हुए दे ख रहा था संपूर्ण नग्नावस्था में विनीत की भाभी एकदम कयामत लग रही थी चिकनी पीठ
भरावदार नितंब, जब वह चलती थी तो नितंब के दोनों भाग उसके हर एक कदम पर ऊपर नीचे होकर
राहुल की हालत को और खराब कर रहे थे। लंबी लंबी गोरी टांगे दे ख कर और उसकी भरावदार गांड की
लचक दे खकर राहुल के लंड में फिर से तनाव अाना शुरु हो गया। विनीत की भाभी टे बल के पास पहुंच
कर अपने पर्स में से मोबाइल निकाल कर उसकी स्क्रीन पर दे खी तो वीनीेत का नाम चमक रहा था। वह
मन में ही कुछ सोचते हुए कॉल रिसीव कर ली।)

हे लो विनीत क्या हुआ?

बाकी कुछ नहीं एक दोस्त के वहां कुछ जरूरी है काम आ गया है जिसकी वजह से मझ
ु े आज परू ी रात
उसके घर रुकना पड़ेगा आज मैं नहीं आ पाऊंगा कल सुबह में ही आ पाऊंगा आपको कोई एतराज तो
नहीं है ।

( अपने दे वर की यह बात सुनते ही विनीत के चेहरे पर मुस्कान फैल गई वह अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा
प्रसन्न होने लगी लेकिन अपने इस प्रसन्नता को अपने होठों पर नहीं आने दे दीखावटी नाराजगी जताते
हुए बोली।)

क्या वीनीत क्या करते हो तुम तो जानते हो कि तुम्हारे बगैर मेरी रात कैसे कटे गी। ( वीनीत को
जानबझ
ू कर ऐसा बोल रही थी ताकि उसको ऐसा लगे की उसके बिना उसे कुछ अच्छा नहीं लगता है ।
उसके बिना उसकी रात अधूरी रहती है । विनीत अपनी भाभी को जवाब दे ते हुए बोला)

क्या करूं भाभी काम ही ऐसा पड़ गया है कि मुझे रुकना ही पड़ेगा।

क्या सच में जरूरी काम पड़ गया है ।

हां भाई सच में बहुत ही जरुरी काम है वरना मैं ऐसा कभी नहीं करता।

चल कोई बात नहीं आज के बाद करवटें बदल बदल कर ही रात गुजार दं ग


ू ी।

ठीक है भाभी बाय।( इतना कहकर वीनीत ने फोन कट कर दिया। )

अलका के चेहरे पर मुस्कान दख


ु ी नहीं रहे थे वह मुस्कुराते हुए मोबाइल की स्विच ऑफ करके पर्स में
रख दें ताकि कोई और परे शान ना कर सके मोबाइल को पसंद रखने के बाद बहुत राहुल की तरह बढ़ी,
बातचीत से तो राहुल को पता ही चल गया था की क्या बात है लेकिन फिर भी वह विनीत की भाभी से
बोला।)

क्या बात है भाभी आप इतना किस बात पर मुस्कुरा रहे हो।

( एकदम नग्न अवस्था में राहुल की तरफ बढ़ते हुए) क्या बताऊं राहुल बात ही कुछ ऐसी है बस ऐसा
लगता है कि ऊपर वाला हम दोनों पर मेहरबान हो गया है ।
( राहुल अपने लंड को मुट्ठी में भरकर धीरे धीरे हिलाते हुए)

ऐसा क्या हो गया है हमें भी तो बताओ।

राहुल आज सारी रात इस घर में मेरे और तुम्हारे सिवा दस


ू रा कोई भी नहीं होगा मतलब आज की रात
सिर्फ मैं और तुम और मेरा बिस्तर आज तो एस ही ऐस हैं।

( विनीत की भाभी की बात सुनकर राहुल भी खुश हुआ आज रात भर वीनीत की भाभी के साथ वह भी
मजे लेना चाहता था। लेकिन पल भर में उसे एहसास हो गया क्या घर पर भी जाना जरूरी है इसलिए
थोड़ा उदास हो गया उसे उदास होता हुआ दे खकर विनीत की भाभी बोली।

क्या बात है तुम क्यों उदास हो गए तुम्हें भी तो खुश होना चाहिए।

खुश होना चाहिए लेकिन घर पर मम्मी अकेली है वहां जाना भी तो जरुरी है ।

( राहुल के जाने की बात सुनकर विनीत की भाभी परे शान सी हो गई उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा
था कि कैसे राहुल को रोकेगी तभी वह राहुल से बोली।)

अच्छा क्या कह कर आए थे मतलब कुछ तो बहाना बनाए होगे इधर आने के लिए।

यही कह कर आया था कि दोस्त के वहां पढ़ने के लिए जा रहा हूं। ( राहुल का जवाब सुन कर उसकी
आंखों में चमक आ गई और वह झट से बोली।)

तब तो काम बन गया तुम अपने घर पर यह कह दो कि इंपॉर्टेंट प्रोजेक्ट था जिसे परू ा करना बहुत
जरूरी था इसलिए सारी रात अपने दोस्त के वहां रुक कर प्रोजेक्ट तैयार करते रहे । तुम अपने घर पर
फोन कर लो रुको मैं फोन लेकर आती हूं। ( इतना कहकर वह फिर से मोबाइल लेने के लिए टे बल की
तरफ बढ़ी ही थी राहुल उसे रोकते हुए बोला।)

भाभी मेरे घर पर भी फोन नहीं है ।( राहुल की बात सुनकर विनीत की भाभी जहां थी वहीं रुक गई और
वापस मुड़ते हुए बोली।)

कमाल की बात है कि तुम्हारे घर पर भी मोबाइल नहीं है चलो कोई बात नहीं इतना तो तुम्हारी मम्मी
को पता ही है कि तुम अपने दोस्त के वहां गए हो तो अगर रात भर रुक रुक अभी तो कोई चिंता की
बात नहीं है कल जाकर सब कुछ बता दे ना ।

(राहुल को भी वीनीत की भाभी का यह सुझाव बढ़िया लगा और वह भी हामी में सिर हिला दिया। मिनट
के बाद ही बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि उसका काम बनने वाला था पूरी रात बाहर राहुल के साथ
गुलछर्रे उड़ाने के बारे में सोच-सोच कर ही गंनगना जा रही थी। इस बातचीत के दौरान राहुल का लंड
थोड़ा सा ढीला पड़ चुका था। जिसे वीनीत की भाभी अपनी नरम नरम हथेलियों में लेकर सहलाते हुए
बोली।)

क्या राहुल इस पर भी जुर्म ढाते हो इसको भी तुमने टें शन में डाल दिया है इसीलिए तो दे खो कैसा ढीला
पड़ गया है ।

आप हो ना भाभी फिर से खड़ा कर दो।( इतना कहकर राहुल मुस्कुराने लगा और विनीत की भाभी ऊसे
धीरे -धीरे मुठियाने लगी। विनीत की भाभी का हाथ लगते ही राहुल के सोए हुए लंड में हरकत होना शुरू
हो गई लेकिन तभी विनीत की भाभी बोली।

राहुल हम दोनों के पास तो परू ी रात है क्यों ना ऐसा करते हैं कि चलकर थोड़ा नहा लेते हैं वैसे भी
तुम्हारी चुदाई ने मेरे पसीने छुड़ा दिए हैं। ( राहुल को वीनीत की भाभी का यह सुझाव अच्छा लगा। और
वह अभी नहाने के लिए तैयार हो गया।)

मैं आज खाना भी आर्डर करके होटल से मंगा लेती हूं हम जब तक नहाएंगे तब तक खाना भी आ चुका
होगा उसके बाद और मजा आएगा।
इतना कहकर वह अपने पर्स मे से मोबाइल निकाल कर होटल में फोन लगाई और खाने का ओर्डर दे दी।
इसके बाद वह अपने बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन राहुल वहीं बैठा रहा एक बार पीछे मुड़ कर
दे खी तो राहुल अपनी जगह पर बैठा हुआ था इसलिए उसे भी साथ आने को कही लेकिन राहुल को कुछ
समझ नहीं आया बस वह भी उठ कर पीछे पीछे जाने लगा। दोनों परू े कमरे में एकदम नंगे होकर के
बिना किसी झिझक कि एक दस
ू रे के सामने ही चल रहे थे राहुल की नजर तो वीनीत की भाभी की
भरावदार नितंब पर ही टिकी हुई थी। भरावदार नितंब का आकर्षण राहुल को हमेशा से ही लगा रहता
था। विनीत की भाभी बाथरूम के दरवाजे के सामने खड़ी थी वह मुस्कुराते हुए दरवाजा खोली और राहुल
को भी अंदर आने के लिए बोलि लेकिन राहुल था की हिचकीचा रहा था। उसकी हिचकिचाहट को दरू
करते हुए विनीत की भाभी बोली।

अरे यहां खड़े रहोगे कि अंदर चलकर मेरे साथ नहाने का आनंद लूटोगे, आओ सावर के नीचे एक दस
ू रे
के अंगों से खेलते हुए नहाने का मजा ही कुछ और होगा।

( वीनीत की भाभी के बताए अनुसार मजा लूटने वाली बात से भाभी कल्पना के सुख सागर में गोते
लगाते हुए बाथरुम के अंदर आ गया राहुल के अंदर आते ही वीनीत की भाभी ने बाथरुम का दरवाजा बंद
कर दी। जैसे ही दोनों सावर के नीचे आए विनीत की भाभी ने शावर चालू कर दी और पानी का फव्वारा
दोनों के गरम दिमाग को ठं डा करने लगा। दोनों का बदन पूरी तरह से पानी में भीगने लगा ऐसा लग
रहा था कि जैसे दोनों बरसात में भीग रहे हो। दोनों एक दस
ू रे के बदन पर साबुन लगाने लगे। सागर से
निकल रहा पानी का फव्वारा वीनीत की भाभी के सर पर पड़ते हैं पानी की बूंदे उसके बालों को गीला
करते हुए गोरे बदन पर मोतियों की तरह फिसल रहे थे जिसे राहुल अपना जीभ लगा लगा कर चाट रहा
था राहुल की इस हरकत पर वीनीत की भाभी के ऊ्तेजीत होने लगी थी। राहुल उसके बदन के हर कोने
से टपक रही पानी की बूंदों को अपना जीभ लगा लगा कर चाट रहा था। उसकी दोनों तनी हुई चूचियों से
उसके गाल से उसकी गहरी नाभि से तो कभी ऊसकी जाँघो के बीच की पतली दरार से

जहां पर राहुल अपनी जीभ लगाकर दरार पकड़कर टपक रही पानी की बूंदों को अपनी जीभ से चाट रहा
था। इस तरह से वीनीत की भाभी की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाती है और वह सावर के नीचे नहाते
हुए अपने दोनों हाथों से राहुल का सर पकड़कर अपनी बुर पर दबा दे ती और राहुल भी उत्तेजना बस
अपने दोनों हाथों को उसकी भरावदार नितंब पर रखकर दबाते हुए बुर चाटने का आनंद लूट रहा था।
राहुल की उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही थी उसका लंड लोहे की छड़ की तरह टाइट हो चुका था। वह
एकदम चुदवासा हो चुका था इस समय वह अपने लंड को उसकी बुर में डालकर चोदना चाहता था
इसलिए वह खड़ा हुआ लेकिन उसे खड़ा होते ही विनीत की भाभी उसके खड़े लंड को अपने हाथ में भर
ली और नीचे घुटनों के बल बैठ गई। उसे बैठते दे र हुई नहीं कि वह पूरा लंड अपने मुंह में भरकर चूसना
शुरू करदी बड़ा ही कामुक दृश्य बना हुआ था बाथरूम के अंदर का। शॉवर चल रहा था उसमें से पानी का
फव्वारा दोनों के बदन को भिगो रहा था और विनीत की भाभी घुटनों के बल बैठ कर भीगते हुए राहुल
के लंड को चूस रही थी। राहुल ने हल्के हल्के कमर हिला कर उसके मुंह में ही धक्के लगाना शुरु कर
दिया दोनों की गरम सिसकारी बाथरूम को और गरम कर रही थी। राहुल का परू ा लंड धक्के लगाने पर
उसके गले तक समा जा रहा था लेकिन फिर भी विनीत की भाभी लंड को मुंह से बाहर निकालने का
कष्ट उठा नहीं रही थी। ऊसे लंडचूसने में मजा आ रहा था। कुछ दे र तक यूं ही वह सावर के नीचे दे खते
हुए लंड चूसने का मजा लेती रही लेकिन वह कुछ और चाहती थी इसलिए वह राहुल के लंड को अपने
मुंह से बाहर निकाल कर खड़ी हो गई। और शॉवर की रफ्तार को कम करने के लिए जैसे ही शॉवर की
नोब को घुमाने चली , तब तक राहुल की नजर उस की नंगी भरावदार गांड के ऊपर पर चली गई और
उस पर उस से बिल्कुल भी रहा नहीं गया और वह है विनीत की भाभी को पीछे से अपनी बाहों में भरते
हुए अपनी कमर को आगे की तरफ ऊचका दिया जिससे कि उसका तना हुआ लंड वीनीत की भाभी की
भरावदार गांड की गहरी दरार में रगड़ खा गया जिससे वीनीत की भाभी का बदन पूरी तरह से झनझना
गया।

वह कुछ समझ पाती है इससे पहले ही राहुल ने उसे अपनी बाहों में कस के दबोच लिया। और तुरंत
अपना एक हाथ नीचे ले जाकर अपने लंड को जांघों के बीच की दरार पर सेट करने लगा ले किन इस
तरह से राहुल अपने लंड को उसकी गुलाबी बरु के छे द पर टीकाने में कामयाब नहीं हो पा रहा था।
विनीत की भाभी उसकी इस असमर्थता को भाप गई और खुद ही एक टांग को टॉयलेट पोर्ट पर रखकर
आगे की तरफ झुक गई और खुद ही एक हाथ अपने जांघों के बीच ले जाकर राहुल के लंड को थाम कर
उसके सुपाड़े को अपनी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच टीका दी, राहुल के लिए यह इशारा काफी
था उसने भी एक पल का भी विलंब किए बिना अपने दोनों हाथों से उसके भरावदार गांड को दबोचते हुए
अपनी कमर को आगे की तरफ धकेला ' कामरस और पानी की वजह से चिकनाहट पाकर लंड सट् से
बुर के अंदर समा गया और दस
ू रे धक्के में तो वीनीत़ की भाभी की चीख निकल गई। विनीत की भाभी
उसे चुदाई के अध्ययन का हर एक अध्याय अपने तरीके से पठन करवा रही थी। और राहुल भी उसका
ऐसा विद्यार्थी बन चुका था कि एक ही बार में उसका पर आया हुआ हर एक अध्याय में पारं गत होता
जा रहा था। राहुल की कमर लगातार उसकी नितंबों पर आगे पीछे हो रही थी उसका लंड पानी में भीगते
हुए बुर के अंदर बाहर हो रहा था। राहुल कि इस तरह की जबरदस्त चुदाई से मस्त होते हुए विनीत की
भाभी भी

अपनी गांड को पीछे की तरफ चलते हुए राहुल के लंड को अपनी बरु में लेने की पूरी कोशिश कर रही
थी।
विनीत की भाभी बहुत ही काली औरत थी उसकी काम की प्यास कभी बुझती ही नहीं थी कुछ दे र के
लिए जरूर शांत हो जाती थी और राहुल भी अभी नया नया जवान होता लौंडा था उसकी काम पिपासा
तो अभी-अभी उभरना शुरू हुई थी इसलिए एक के बाद एक कामसूत्र के हर आसन को आजमाते हुए
आगे बढ़ता ही जा रहा था। राहुल धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था और विनीत की भाभी भी जवाबी
कार्रवाई मे अपनी भरावदार गांड को पीछे की तरफ ठे ल ठे ल कर लंड ले रही थी। बड़ा ही कामुक नजारा
बना हुआ था ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई विदे शी पोर्न मूवी चल रही हो। कुछ दे र तक ठाप पर ठाप
पड़ती रही शॉवर से पानी का फव्वारा नीचे गिर कर दोनों के बदन को भीगोता रहा

करीब बीस पच्चीस मिनट के बाद राहुल तेज धक्कों के साथ लंड का फुंवारा बुर के अंदर छोड़ने लगा
दोनों एक साथ झढ़ने लगे।

दस
ू री तरफ विनीत और अलका अस्पताल के ऊपरी मंजिल पर टे बल पर बैठे हुए शीशे से बाहर नीचे की
तरफ सड़क पर आती जाती तेज लाइट के साथ मोटर गाड़ी को दे ख रहे थे। अलका शांत नजर आ रही
थी उसे सोनू की भी चिंता थी और राहुल की भी सोनू का बख
ु ार धीरे धीरे कम हो रहा था। दोनों के बीच
कोई भी वार्तालाप नहीं हो रही थी ख़ामोशी को तोड़ते हुए वीनीत बोला, ।

अब चिंता की कोई बात नहीं हे आंटी जी सोने का बुखार धीरे धीरे काम हो रहा है मैं नीचे जाकर कुछ
खाने को ले आता हुं । इस तरह से भूखी रहें गी तो आपकी भी तबीयत बिगड़ जाएगी और कुछ फल ले
आता हूं सोनु के लिए। ( विनीत की बात सुनकर अल्का कुछ बोली नहीं बस हां में सिर हिला दी। वीनीत
तुरंत

वहां से उठा और नाश्ता लाने के लिए नीचे जाने लगा। अलका शांति आंखों से उसी तरह से नीचे की
तरफ गाड़ियों को आते जाते दे खती रही। कुछ दे र बाद विनीत खाने के लिए कुछ नाश्ता ले आया और
साथ में कुछ फल भी था। सोनू की आंख खुल चुकी थी वह भी राहत महसूस कर रहा था इसलिए विनीत
खुद ही उसे फल काट कर दे ने लगा और वह भी भूखा था इसलिए फल खाने लगा अलका कभी सोनू को
तो कभी वीनीतं को बिना पलक झुकाए दे खे जा रही थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि विनीत का
यह एहसान वह ं कैसे चुकाएगी।

सोनू खा चुका था और विनीत अलका को जबरजस्ती खाने के लिए आग्रह करने लगा आखिरकार अलका
भी

विनीत के आग्रह पर नाश्ता कर ले वैसे उसे भी भूख का एहसास तो हो ही रहा था नाश्ता करने के बाद
उसका भी मन थोड़ा हल्का हुआ।
रात के 10:30 बज रहे थे नर्स आई और सोनू का बख
ु ार माफ कर ग्लूकोज का बोतल बदल कर दस
ू रा
ग्लूकोज का बोतल लगा दी। और जाते जाते बोल कर गई की कोई भी तकलीफ हो नीचे आ कर के बता
दे ना और हां सोते समय लाइट ओफ करके डिंम. बल्ब फोन कर लेना।

नर्स जा चुकी थी ' जिस रूम में सोनु का इलाज हो रहा था इस रुम में सिर्फ तीन ही बेड थे । एक बेड
पर सोनू लेटा हुआ था बीच में एक बेड खाली था और उसके किनारे वाले बेड पर एक और बच्चा एडमिट
था। उसके साथ उसकी बुढ़ी दादी थी जो कि एक किनारे होकर उस बेड पर सो चुकी थी।खाली बेड पर
हम दोनों बैठकर कुछ दे र तक बातें करते रहे सोनू भी सो चुका था उसका बुखार भी लगभग उतर चुका
था। धीरे -धीरे घड़ी की सुई घड़ी में 11:00 बजाने लगी। अब दोनों के सामने सोने की समस्या खड़ी हो
चुकी थी। इस समस्या का समाधान लाते हुए विनीत ही बोला।

आंटी जी आप बेड पर सो जाइए मैं कुछ दे र तक टे बल पर ही बेठता हूं, नींद आएगी तो दीवार से टे का
ले कर सो जाऊंगा। ( इतना कहने के साथ ही दिन एक छोटे से टे बल पर जाकर बैठ गया अलका मन
ही मन में सोचने लगी कि यह मेरे लिए इतना कुछ किया है तो क्या बेड पर एक साथ सोने में क्या हर्ज
है । क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानती थी की सोने की ओर कोई जगह नहीं थी। अलका सोनू के बेड
पर नहीं सोना चाहती थी क्योंकि वह उसे परे शान नहीं करना चाहती थी बड़ी मुश्किल से उसका बख
ु ार
उतरा था। उसे आराम की जरूरत थी। बहुत सोच समझकर उसने मन ही मन में फैसला कर लि। उसे
अब इस बात पर दिक्कत नहीं थी कि एक बेड पर वह दोनों साथ में सोए क्योंकि जो आज दिनभर
ऊसने सोनू और अलका के लिए निस्वार्थ भाव से उन दोनों की मदद किया था। अलका को लगने लगा
था कि अगर वह उसे बेड पर सोने भर की जगह नहीं दे सकती तो वह खुद गर्ज कहलाएगी। और अलका
को विनीत के आज के व्यक्तित्व से ऐसा लग रहा था कि वह बरु ा लड़का नहीं है । इसलिए वह विनीत से
बोली।

विनीत टे बल पर तुम्हें नींद कैसे आएगी एक काम करो तुम भी यही एक किनारे पर आकर बेड पर सो
जाओ।

( वैसे भी तीनों बेड के किनारे किनारे पर बड़ा बड़ा सा परदा लगा हुआ था । इसलिए अलका को एक
साथ सोने में कोई हर्ज दिखाई नहीं दे रहा था । लेकिन अलका के इस फैसले से विनीत के मन में लड्डू
फूटने लगा था।)

विनीत की भाभी और राहुल दोनों नहा चुके थे और होटल से खाना भी आ चुका था। आज पहली बार
राहुल डाइनिंग टे बल पर खाना खा रहा था नहाने के बाद विनीत की भाभी ने उस दिन स्टोर में से
खरीदी हुई ब्रा और पें टी जिसमें से पहनने के बावजूद भी छुपाने लायक कुछ भी नहीं बचता था। राहुल तो
नई ब्रा और पैंटी में वीनीत की भाभी को दे खकर एकदम मदहोश होने लगा था। और इस पर भी कहां
रहते हुए विनीत की भाभी ने ट्रांसपेरेंट गाउन जो की एक छोटी सी फ्रॉक के ही बराबर थी उसे पहन ली
थी विनीत की भाभी का संगमरमर सा बदन इन कपड़ो में भी साफ साफ झलक रहा था उसकी बड़ी बड़ी
चूचियां जोकी ब्रा में कैद होने के बावजूद भी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर को झलक रही थी और दोनों
गोलाईयों के बीच में से गुजरती गहरी लकीर गजब का कहर ढा रहे थे चिकने सपाट पेट के बीच की
गहरी नाभि बुर से कम कामुक नहीं लग रही थी। पें टी भी क्या थी बस आगे से बुर की लकीर भर छुपाने
के लिए दो अंगूल का कपड़ा वह भी बिल्कुल जालीदार जिसमें से उसकी गुलाबी पत्तियां साफ-साफ नजर
आती थी और पीछे से बस एक पतली सी डोरी

और वह भी भरावदार गांड की फांकों के बीच की दरार में समा जाती थी। गीले बालों से टपकता पानी
उसके बदन से फिसलते हुए नीचे फर्श पर गिर रहा था। जिस की खूबसूरती दे खकर किसी का भी मन
डोल जाए इस समय वह बिल्कुल काम की दे वी लग रही थी जो की उसके सामने की कुर्सी पर बैठ कर
खाना खा रहीे थी। राहुल सिर्फ तोलिया लपेट कर ही कुर्सी पर बैठ कर खाना खा रहा था। दोनों एक दस
ू रे
से बातें करते हो डिनर का आनंद ले रहे थे थोड़ी ही दे र में दोनों खाना खा लिए। दोनों के मन में आगे
की क्रिया कलाप को लेकर उत्सुकता जगी हुई थी दोनों का मन मयरू नाच रहा था क्योंकि उन्हें अच्छी
तरह से मालूम था कि परू ी रात अब उनकी मुट्ठी में है । बेझिझक होकर वे दोनो अपनी काम कलाप को
अंजाम दे सकेंगे। इसलिए तो विनीत की भाभी एक पल भी गवाना नहीं चाहती थी इसलिए डाइनिंग
टे बल पर ही झठ
ू े बर्तन को छोड़कर वह राहुल को लेकर अपने बेडरूम में चली गई।

दस
ू री तरफ अस्पताल में विनीत अंदर ही अंदर प्रसन्नता के शिखर पर चढ़ रहा था अलका उसे अपने
साथ सोने के लिए तो मंजूरी दे दी थी लेकिन उसके मन में भी असमंजसता का भाव उमड़ रहा था।
अलंका वीनीत के एहसान तले दबी हुई थी, कोई और वक्त होता तो वह जरूर अपने बिस्तर पर उसे
बैठने भी नहीं दे ती लेकिन यहां हाल कुछ और ही था पूरी तरह से माहौल हालात की काबू में चला जा
रहा था। अगर ऐसे हालात ना होते तो शायद इस तरह की असमंजसता अलका के मन में कभी भी नहीं
होती। धीरे -धीरे समय गुजर रहा था अलका को भी नींद आने लगी थी लेकिन अभी भी वह बेड पर बैठी
हुई थी विनीत भी टे बल पर बैठकर अलका को ही दे ख रहा था। काफी समय गुजर गया था । किनारे
वाले पेड पर बच्चे की बूढ़ी दादी और वह बच्चा न जाने कब से सो चुके थे सोनू भी गहरी नींद में था
विनीत को भी नींद आने लगी थी, अलका बैठे बैठे ही झपकी ले रही थी झपकी लेते समय अचानक रह-
रहकर ऊसकी आंखें खुल जाती तो वह विनीत की तरफ दे ख लेती जो कि अभी भी टे बल पर बैठा हुआ
था
उसे दे खकर अलका उसे बिस्तर पर आकर सोने के लिए बोली और खुद बिस्तर पर लेट गई क्योंकि उसे
गहरी नींद की झपकी लग रही थी। वह कुछ दे र तक टे बल पर बैठकर अलका की तरफ दे खता रहा जोंकि
सो चुकी थी

वह एक किनारे पर सोई हुई थी। उसने दिनेश को सोने के लिए एक किनारे की जगह खाली कर रखी थी
वैसे बेड सिंगल ही बेड था, ऊसपे एक ही इंसान आराम से सो सकता था जो कि बच्चों के लिए ही बना
हुआ था लेकिन यह मजबूरी थी इसलिए छोटे से बेड पर दो जन को सोना पड़ रहा था। विनीत सोने के
लिए टे बल पर से खड़ा हुआ तभी उसे ध्यान आया कि दरवाजा तो खुला ही है इस तरह से खुला छोड़
दे ना ठीक नहीं था क्योंकि अलंकार और विनय दोनों साथ सोने वाले थे और दरवाजा खुला रहा तो कोई
भी आकर दे ख सकता है इसलिए उसने दरवाजे की कड़ी लगा दिया और सभी बत्तियों को बझ
ु ाने के बाद
डिम लाइट ऑन कर दिया। उसके मन में अजीब से सुख की अनुभूति हो रही थी अलका के साथ सोने
भर की स्थिति को जानकर वहउत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गया था। उसके पूरे बदन में
गुदगुदी सी मची हुई थी वह अपनी स्थिति को बयान नहीं कर पा रहा था। धीरे -धीरे वह बेड के करीब
जाने लगा अलका सो चुकी थी वह भी बेड पर बैठते हुए पर्दे को नीचे गिरा दिया अब पर्दे के अंदर सिर्फ
विनीत और अलका ही रह गए थे। उसके लंड में पूरी तरह से तनाव आ चुका था इतनी ज्यादा उत्तेजना
का अनुभव कर रहा था कि ऐसा लग रहा था कि कही उसके लंड की नसें फट न जाए। वह कुछ दे र तक
यूं ही बेड पर बैठा रहा और फिर पीठ के बल लेट गया, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें
महीनोे से जिसके पीछे पड़ा था जिस को भोगने की लालसा मन में लिए दिन-प्रतिदिन कामेच्छा का
अनुभव किया करता था आज वह औरत उसके बिल्कुल करीब एक ही बिस्तर पर लेटी हुई थी। दो बार
अलका के साथ संबंध बनाने की कोशिश कर चुका वीनीत इस समय अलका के व्यक्तित्व के आगे न
जाने की सोच में पड़ गया था। बेड छोटा होने की वजह से दोनों का बदन आपस में सदा हुआ था।
अलका के बदन का स्पर्श उसके बदन में रोमांच की स्थिति को पैदा कर रहा था। उसने नजरें घुमा कर
दे खा तो अलका सो चुकी थी उसकी नजर धीरे -धीरे उसके चेहरे से नीचे की तरफ बढ़ने लगी सोने की
वजह से उसका आंचल जरा सा सीने से ढलग गया था जिसकी वजह से उसकी ब्लाउज मे कैद बड़ी बड़ी
चूचियां सांस लेने की वजह से सांसो की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही थी और विनीत और ऊपर-नीचे
हो रही चूचियों को दे खकर अंदर ही अंदर गनंगना गया उसकी जांघों के बीच सुरसुराहट होने लगी। उसके
मुंह में पानी आ गया वह उन चुचियों को छूना चाहता था दबाना चाहता था उनसे प्यार करना चाहता था
लेकिन इस समय ना जाने किस वजह से वह यह सब करने में हिचकिचा रहा था जबकि इससे पहले दो
बार खुद ही आगे बढ़ने की परू ी कोशिश कर चुका था लेकिन आज अलका का व्यक्तित्व वीनीत को आगे
बढ़ने से रोक रहा था या यूं कहो उसे आज ना जाने क्यों एक अजीब सा डर लग रहा था। वह अलंका
की उठते-बैठते चुचीयों को दे ख कर मन ही मन ललचा रहा था। उसे एक अजीब प्रकार का डर मन में
बैठ गया था कि अगर अस्पताल में वह भी इस समय जबकि उसका बेटा बीमार है ऐसे में उसके साथ
कोई गंदी हरकत करे गा तो शायद वह हमेशा के लिए उससे नाराज हो जाए और वह अलका जेसी दोस्त
के ही समान इंसान को खो दें और वह यह नहीं चाहता था कि उसकी ऐसी गलती की वजह से अलका
से दरू हो या उसकी नाराजगी मोड़ ले।

विनीत इसी वजह से अलका के साथ कुछ भी करने से हीचकीचा भी रहा था ओर डर भी ं रहा था।
उसका लंड पैंट के अंदर फुल टाईट था जिसमें उसे मीठा मीठा दर्द का अहसास भी हो रहा था। क्या
करता धीरे -धीरे पैंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए गर्म आहें भर कर कब ऊसे नींद आ गई
उसे पता ही नहीं चला।

और दस
ू री तरफ राहुल विनीत की भाभी की कपड़े उतार रहा था वैसे भी उतारने जैसा कुछ था ही नहीं,
वैसे तो राहुल ने बहुत बार औरतों के कपड़ों को उठा रहा था लेकिन इस समय विनीत की भाभी के
ट्रांसपेरेंट गाउन को उतारते समय उसे कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का एहसास हो रहा था। अगले ही पल
राहुल विनीत की भाभी का गांऊन उतारकर बिस्तर पर फेंक दिया। ओर उसे अपनी बाहों में भरकर उसकी
सुराहीदार गर्दन को चूमने लगा जिससे वीनीत की भाभी की उत्तेजना बढ़ने लगी और वह भी राहुल
टॉवल को खोलने लगी। अगले ही पल वह उसकी गर्दन को उसके गाल को होठ को चुमता रहा और तब
तक वीनीत की भाभी ने उसके बदन से टॉवल को उतारकर नीचे फर्श पर फेंक दी।

टावर के नीचे राहुल कुछ नहीं पहना था इसलिए उस का टनटनाया हुआ लंड उसकी आंखों के सामने
झूलने लगा

जिसे दे खते ही विनीत की भाभी के मुंह में पानी आ गया। और उससे रहा नहीं गया और उसने आगे
हाथ बढ़ा कर लंड को अपनी हथेली में भर ली और उसे हिलाने लगी। राहुल उसे पागलों की तरह चुमते
हुए अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर उसकी ब्रा के हुक को खोलने लगा , हुक के खुलते ही
वीनीत की भाभी खुद ही अपनी ब्रा को निकाल फेंकी ब्रा की कैद से दोनों कबूतर आजाद होते ही
फड़फड़ाने लगे जिसे राहुल अपनी दोनों हथेलियों में भरकर सहलाते हुए उसे प्यार करने लगा। वीनीत की
भाभी के आंखों में खुमारी छाने लगी चुदास का नशा उसके चेहरे पर साफ साफ नजर आ रहा था उससे
अपनी उत्तेजना दबाए नहीं दब रही थी और वह राहुल का सिर पकड़कर उसके मुंह को अपनी चुचियों से
सटा दी। राहुल भी भूखे बच्चे की तरह चुचियों को मुंह में भर कर पीना शुरु कर दिया। विनीत की भाभी
की गरम सिसकारी गूंजने लगी राहुल लगातार कभी इस चूची को तो कभी दस
ू री चूची को मुंह में भर भर
कर पीना शुरु कर दिया। दोनों मदहोशी के आलम में खोने लगी थी।

ससससहहहहहह....आहहहहहहहहहहह....राहुल.... और जोर से पी दबा दबा कर पी मेरे राजा


.....ससससहहहहह.....ऊहहहहहहहह.....म्मा...... हां ऐसे ही जोर-जोर से पी.....
विनीत की भाभी की गरम बातें सुनकर राहुल पूरी तरह से जोश में आ गया था। और वह दोनों हाथों से
चूचियों को दबा दबा कर पीना शुरू कर दिया था। कुछ दे र तक राहुल उसकी चुचियों को पीता रहा और
वह भी मस्त होती रही लेकिन धीरे -धीरे राहुल का हाथ उसके चिकने पेट से होते हुए पें टि के ऊपर से ही
बुर को सहलाना शुरू कर दिया। पें टी एकदम जालीदार थी इसलिए उसकी उं गली सीधे गुलाबी पत्तियों से
स्पर्श हो रही थी जिसको करते हुए वह खुद भी गरम हो रहा था और विनीत की भाभी को भी गर्म कर
रहा था थोड़ी ही दे र में दोनों एकदम गरम हो गए। विनीत की भाभी से अब बिल्कुल सहन नहीं हो रहा
था और वह खुद ही अपनी पैंटी को अपने हाथों से उतार फेंकी, पैंटी को अपने बदन से अलग करते ही
दोनों बिल्कुल नंगे हो गए राहुल का लंड उस के नंगे बदन को दे खकर ठुनकी मारने लगा।

इस समय विनीत की भाभी के दिमाग में कुछ और चल रहा था, वह उठ कर बैठ गई,

वह एकदम डॉगी स्टाइल में हो गयी घुटने और कोहनी के बल बैठकर अपनी भरावदार गांड को ऊपर की
तरफ उचका दी , राहुल सोचा कि यह पीछे की तरफ से चुदवाना चाहती हैं वह अपने लंड को हिलाते हुए
उसकी गांड के पीछे गया ही था कि वीनीत की भाभी बोली।

राहुल आज मैं तुम्हें बिल्कुल नया प्रकार का मजा दे ना चाहती हूं तुम एकदम मस्त हो जाओगे लेना
चाहोगे एसा मजा।( विनीत की भाभी पीछे राहुल की तरफ दे खते हुए बोली और राहुल बलात्कार इंकार
करने वाला था उसे तो बस मजा चाहिए था। इसलिए वह बोला।)

हां भाभी क्यों नहीं।

तो एक काम करो, तुम्हें मेरी बुर दिखाई दे रही है ।

हां भाभी एकदम साफ साफ दीखाई दे रही है ।( अपने लंड को हिलाते हुए बोला)

( राहुल का जवाब सुनकर विनीत की भाभी मुस्कुराने लगी और फिर बोली)


और उसके ऊपर का तुम्हें भूरे रं ग का जो छें द हे वो दिखाई दे रहा है ।

हां भाभी वो भी दिखाई दे रहा है ।

बस राहुल मेरे राजा अब तुम्हें उसी छे द को अपनी जीभ से चाटना है चाटोगे ना।

( विनीत की भाभी के मन में शंका थी कि राहुल साइड इंकार कर दे गा क्योंकि राहुल भी अच्छी तरह से
जानता था कि वह उसकी गांड का भूरे रं ग का छे द है और विनीत की भाभी ने इतनी नशीली और
कामुक आवाज़ में उससे यह बात कही थी कि राहुल के लिए इनकार करने का कोई भी बहाना नाथा। )

भाभी मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं तुमने जो मुझे ऐसा सुख दिया है कि मैं उसे जिंदगी भर भूल नहीं
सकता तुम्हारे इस भूरे रं ग के छे द को तो क्या मैं किसी भी चीज को तुम्हारे बदन में किसी भी जगह
को अपनी जीभ से चाट सकता हूं।

राहुल का इतना कहना भर ही था कि वह खुद अपने घुटनों के बल बैठ कर उसकी भरावदार गांड को
अपनी हथेलियों में थाम लिया और अपनी जीभ को उसे भूरे रं ग के छे द पर टिका कर चाटने लगा, जैसे
ही राहुल की जीत भूरे रं ग के छे द से स्पर्श हुई विनीत की भाभी परू ी तरह से गनंगना गई उत्तेजना के
मारे उसकी रीढ़ की हड्डी एकदम टाइट हो गई। और उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई यह चीख
बहुत ही कामुक थी। पहले तो राहुल को उस भूरे रं ग के छे द का स्वाद कुछ कसैला सा अजीब सा लगा'
लेकिन राहुल के मन मस्तिष्क पर वासना का भूत इस तरह से छाया हुआ था कि उन्मादित अवस्था में
उसे भूरे रं ग के छे द का कसैला स्वाद भी एकदम मधुर लगने लगा और वहां मस्ती के साथ अपनी जीभ
से चाट चाट कर मजा लेने लगा विनीत की भाभी तो एकदम चुदवासी हो गई, उसे इतना ज्यादा आनंद
का अहसास हो रहा था कि शब्दों में उसका वर्णन करपाना शायद मुश्किल हो। वीनत
ृ की भाभी सिसकारी
लेते हुए अपनी बड़ी-बड़ी भरावदार गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपनी गांड चटवाने का आनंद ले रही
थी। दोनों को खूब मजा आ रहा था विनीत की भाभी रह रह कर अपनी गांड को पीछे की तरफ ठे ल दे
रही थी। राहुल को तो इस बात का एहसास तक नहीं था कि औरत की गांड को चाटने में बुर चाटने से
ज्यादा मजा आता है । औरत की गांड चाटने में बदन में एक अजीब प्रकार की सनसनी सी फैल जाती है ।
आज राहुल औरत की गांड को चाटकर एक अद्भत
ु और अतुल आनंद की अनुभूति कर रहा था यह पल
उसके लिए बहुत खास था आज मिनट की भाभी ने उसके अध्ययन में एक नया अध्याय जोड़ दि थी।
जिसका वह बेहद आनंद ऊठा रहा था।
तभी वीनीत की भाभी के अगले निवेदन पर राहुल के तोते ऊड़ गए ,ऊसे अपने कानो पर विशवास ही
नही हुआ ,वह भी क्या करता ऊसने बात ही कुछ ऐसी कह दी थी। इसलिए तो राहुल ने दोबारा उससे
पूछा।

क्या कहा भाभी आपने मुझे ठीक से सुनाई नहीं दिया

(वीनीत की भाभी यह अच्छी तरह से जानती थी की राहुल सब कुछ सन


ु चुका है लेकिन उसे अपने ही
कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। इसलिए वह अपनी बात को दोहराते हुए बोली।)

राहुल....स्सहहहहह...... जिस छें द को तुम....ऊहहहहहह...म्मा....( राहुल लगातार उस छें द को चाटे जा रहा


था इसलिए लगातार विनीत की भाभी के मुंह से गर्म सिसकारी निकल रही थी।) चाट कर
मुझे....स्सहहहहहहहहहहह....मस्त कर दीए हो....ऊसमे तुम्हे तुम्हारा मोटा लंड डालकर चोदना है ।

वीनीत की भाभी की यह बात सुनकर राहुल एकदम से सन्न रह गया । राहुल को सच में उसकी बातों
पर और अपने कानों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ था। क्योंकि ऊसे आज तक यह पता ही नहीं था
कि उस भूरे रं ग के छे द में भी लंड डाल कर चोदा जाता है । वह इस वास्तविकता से बिल्कुल अनजान
था। उसे इस तरह से आश्चर्य में पड़ता हुआ दे खकर वीनीत ं की भाभी बोली

क्या हुआ राहुल क्या सोच रहे हो।

भभभ....भाभी .... यह आप क्या कह रही हैं? मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है । ( राहुल हकलाते
हुए बोला)

इसमें क्या समझने वाली बात है जिस तरह से तुम अपने लंड को मेरी बरु के छे द में डाल कर चोदते हो
बस उसी तरह से तुम्हें मेरे इस छें द में भी अपने लंड को डालकर चोदना है ।

कककक....क्या ..... इसमें कैसे जाएगा भाभी?


अरे सब जाएगा मेरा यकीन करो मैं अपने छें द में तुम्हारे पूरे लंड को ले लूंगी, और तुम्हें भी इसे चोदने
में इतना मजा आएगा कि पूछो मत उसके बाद तो तुम मेरी बरु नहीं बल्कि मेरी गांड ही मारोगे।

( भाभी के मुंह से ऐसी खुली गंदी बातें सुनकर के राहुल का जोश सातवें आसमान पर पहुंच गया वह भी
उसकी बातों से गांड मारने के लिए बेताब होने लगा। )

मारोगे ना मेरी गांड( विनीत की भाभ़ी एक बार फिर से राहुल से पूछी और राहुल ने भी हामी भर दिया।
राहुल की हामि होते ही विनीत की भाभी अत्यधिक प्रसन्न हुए और अपने चेहरे पर कामुक मुस्कान
बिखेरते हुए बोली)

रुक जाओ राहुल पहले मैं तुम्हारे लंड को चूस कर एकदम गीला कर दं ू ताकि जब तुम मेरी गांड में
अपना लंट डालो तो आराम से अंदर जा सके ।

(इतना कहकर वह फिर से सीधे बैठ गई और राहुल के लंड को अपने हाथ में थाम कर उसे मुंह में भर
कर चूसने लगी। लंड को मुंह में जाते ही राहुल का पूरा बदन अकड़ने लगा वह आनंद के सागर में गोते
लगाने लगा, वीनीत की भाभी राहुल के लंड को परू ा मुंह में भरकर अपने लार और थुक के साथ गीला
करने लगी ताकि उसकी गांड के भूरे रं ग के छे द में आराम से जा सके। और थोड़ी ही दे र में विनीत की
भाभी ने राहुल की लंड को चूस कर पूरी तरह से लसलसा बना दी। अब वह परू ी तरह से तैयार थी गांड
मरवाने के लिए और राहुल भी उत्सुकता पहली बार गांड मारने के आनंद की अनुभूति करने के लिए।

विनीत की भाभी पहले थे वैसे ही फिर से डॉगी स्टाइल में हो गयी लेकिन इस बार अपनी गांड को कुछ
ज्यादा ही उचका दी , राहुल उसकी भरावदार बड़ी-बड़ी और गोल गांड दे खकर के मदमस्त हो गया, उसकी
गांड का भूरे रं ग का छें द साफ नजर आ रहा था जो कि वह भी थुक की वजह से लसलसा हो गया था।
राहुल अपने लंड को हिलाते हुए उसकी गांड की तरफ बढ़ा, राहुल घुटने के बल ही आगे की तरफ बढ़
रहा था लेकिन उसे यह समझ में आ गया की युं घुटनों के बल ही खड़े रहकर उसका लंड गांड के भूरे
रं ग के छे द तक नहीं पहुंच पाएगा इसलिए वह खड़ा हो गया वीनीत की भाभी अपनी नजरें पीछे करके
राहुल की हरकत को दे खे जा रही थी। राहुल परू ी तरह से विनीत की भाभी के ऊपर जाने की तैयारी कर
चुका था वह अपने लंड को उस भूरे रं ग के छे द पर टीका दिया, जैसे ही लंड का मोटा सुपाड़ा विनीत कि
भाभी को अपनी गांड के छे द पर महसूस हुआ उसका परू ा बदन कामोत्तेजना का एहसास करते हुए
अकड़ने लगा एक अजीब सी सुख की अनुभूति उसके परू े बदन में फैल गई। मोटे सुपाड़े का घेराव उस
भूरे रं ग के छे द को ढक दिया ' राहुल को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर कार ईस छोटे से छे द में
उसका मोटा लंड जाएगा कैसे। राहुल सुपाड़े को अंदर डालने की कोशिश किए बिना ही यूं ही टिकाकर
खड़ा रहा तो विनीत की भाभी उत्तेजित अवस्था में बोली।

ओहहहह.... राहुल ....अब इंतजार किस बात का है लोहा गरम है मार दो हथोड़ा ....मैं तो तड़प रही हूं
तुम्हारे लंड को अपनी गांड के अंदर लेने के लिए बस राहुल डालो धीरे -धीरे .....

( वीनीत की भाभी मदहोश होते हुए बोली ' लेकिन राहुल के मन में उस छोटे से छे द को लेकर के शंका
थी इसलिए वह सिर्फ इतना ही बोला।)

जाएगा भाभी?

हां मेरे राजा जरूर जाएगा तुम अंदर सरकाओ तो सही। ( विनीत की भाभीी की बात सुनकर राहुल अपने
गीले लंड को धीरे -धीरे अंदर की तरफ ताकत लगाते हुए सरकाने की कोशिश करने लगा, और उसके
आश्चर्य के साथ उसके लंड का मोटा सुपाड़ा गांड के छे द का चिकनाहट पाकर धीरे धीरे अंदर की तरफ
सरकने लगा जो छे द सुपाड़े की आड़ में ढं क सा गया था वही अब अपने आप खुलते हुए सुपाड़े को अपने
अंदर ले रहा था राहुल तो मस्त हुए जा रहा था। वाकई में राहुल हल्का-हल्का ताकत लगाते हुए लंड को
अंदर की तरफ ले जा रहा था और लंड का सुपाड़ा धीरे -धीरे उस भूरे रं ग के छें द की गहराई में उतरता जा
रहा था। दोनों की सांसे अटकी हुई थी विनीत की दवा भी अच्छी तरह से जानती थीे कि राहुल के लंड के
साथ-साथ उसका सुपाड़ा भी काफी मोटा था। और उसे लेने में उसको तकलीफ भी हो रही थी लेकिन
उसकी उत्सुकता भी उसे पूरा अंदर लेने की बढ़ती जा रही थी। जैसे जैसे ताकत लगाकर वह अंदर की
तरफ उतार रहा था वैसे वैसे विनीत की भाभी का मुंह दर्द के कारण खुला का खुला रह जा रहा था।
थोड़ी मेहनत और ताकत दिखाने के बाद राहुल के लंड का मोटा सुपारा उसे छें द में पूरा समा चुका था।
दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे, राहुल की सांसे तेज चल रही थी वह अपने दोनों हाथों से वीनीत की
भाभी की भरावदार गांड को थामे हुआ था।

रह-रहकर उत्तेजना के कारण विनीत की भाभी का पूरा बदन कांप जा रहा था। तभी राहुल ने कमर को
आगे की तरफ धकेला तो करीब आधा लंड उसकी गांड में समा गया यह दे खकर राहुल की खुशी का
ठिकाना ना रहा है क्योंकि ईतने मैं समझ गया था कि गांड मारने में ज्यादा मजा आने वाला है । तभी
राहुल थोड़ा पोजीशन बना कर दोनों हथेलियों में उसकी भरावदार गांड को दबोच कर एक करारा धक्का
लगाया ओर लंड सब कुछ चीरते हुए उस भरू े रं ग के छे द में समा गया।
जैसे ही राहुल का पूरा लंड भाभी की गांड के छे द में अंदर गहराई तक पहुंचा वैसे ही विनीत की भाभी
दर्द से बिलबिला उठी उसके मुंह से चीख सी निकल गई और उसकी चीख सुनकर राहुल ज्यों का त्यों
गांड में लंड ठुसे खड़ा रहा, विनीत की भाभी को वास्तव में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था वैसे तो उसने
बहुत बार विनीत और कई लोगों से गांड मरवा चुकी थी लेकिन राहुल का हथियार उन लोगों से कुछ
ज्यादा ही दमदार था जो कि उसकी चीख निकाल दिया था। वह अपने दर्द को दबाने के लिए दांत से
अपने होठ चबा रही थी, लेकिन दर्द है ज्यों का त्यों बना हुआ था। कुछ दे र तक विनीत की भाभी कुछ
भी कर सकने की स्थिति में नहीं थी वह ज्यो कि त्यों अपनी गांड उचका कर घुटनों के बल बैठी हुई
थी। उसे अपनी गांड के छे द के ऊपर हिस्से पर ज्यादा दर्द का अनुभव हो रहा था कुछ दे र तक दोनों
शांत रहे थोड़ी दे र बाद विनीत की भाभी का दर्द कम होने लगा तो राहुल खुद ही अपनी कमर को आगे
पीछे करते हुए अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी ही दे र में वीनीत की भाभी का दर्द गायब हो
गया और उस दर्द की जगह उन्माद और आनंद ने ले लिया। राहुल तो यकीन ही नहीं कर पा रहा था कि
वाकई में गांड मारने में इतनी ज्यादा आनंद मिलता है । यह छें द बुर की गुलाबी छें द से ज्यादा कसा हुआ
था इसलिए राहुल को लंड अंदर बाहर करने में कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था वीनीत की भाभी भी मजे
ले लेकर अब खुद ही अपनी गांड को पीछे की तरफ ठे ल रही थी। राहुल तेज धक्के लगाते हुए उसकी
गांड मारने लगा हर धक्के के साथ विनीत की भाभीअंदर तक हिल जा रही थी। विनीत की भाभी जितना
अंदाजा लगाई थी उससे कई गन
ु ा ज्यादा उसे आनंद की अनुभूति हो रही थी। राहुल ने कभी सोचा नहीं
था कि इस तरह का भी मौका हाथ में आएगा वह खूब जोरों से भाभी की भरावदार गांड को दोनों हाथों
में दबोच कर चोद रहा था करीब 20 25 मिनट के बाद दोनों की सांसे तेज चलने लगी राहुल सिसकारी
लेते हुए तेज धक्के लगा रहा था। बरु चोदने से ज्यादा ऊत्तेजना का अनुभव उसे गांड मारने मे महसुस
हो रहा था।

ओर फीर पांच सात तेज धक्को के साथ ही राहुल के लंड ने गरम पानी की पिचकारी उसके भुरे रं ग के
छें द मे दो मारा। दोनों तप्ृ त हो चुके थे। दोनो के चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ दिखाई दे रहे थे।

दस
ू री तरफ अस्पताल में अलका की नींद खुल चुकी थी। क्योंकि उसे उसके नितंबों के बीच कुछ चुभता
हुआ सा महसूस हो रहा था। वह वीनीत की तरफ पीठ करके गहरी नींद में लेटी हुई थी लेकिन उसे
नितंबों के बीच कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ तो उसकी नींद खुल गई उसे इसका एहसास हो गया कि
विनीत भी उसकी तरफ करवट लेकर लेटा हुआ है लेकिन उसे यह पता नहीं था कि वह सो रहा है या
जाग रहा है । अलका को जब इस बात का एहसास हुआ कि उसकी नितंबों के बीच में चुभती हुई वह
चीज क्या है तो वह परू ी तरह से सिहर उठी, उसका परू ा शरीर झनझना गया, वह विनीत का लंड था जो
की पूरी तरह से टाईट हो चुका था। अलका को तो कुछ समझ में ही नहीं आया कि वीनीत कर क्या रहा
है कि तभी अचानक पहले की दो बार की घटनाएं
उसकी आंखों के सामने तेरने लगी जब विनीत ने उसके साथ छूट छूट लेने की परू ी कोशिश की थी।
उसका ख्याल होते ही उसके अंदर डर का एहसास होने लगा उसे लगातार उसका लंड नितंबों पर चुभता
महसूस हो रहा था वह कुछ कर सकने की स्थिति में भी नहीं थी उसे तो यहां तक यह भी नहीं मालूम
था की वीनीत सो रहा है या जाग रहा है क्योंकि इससे ज्यादा हरकत हो ही नहीं रही थी। करीब 1015
मिनट से अलका परे शान होते हुए कसमसा रही थी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या
करें , और वास्तविकता यही थी कि वीनीत ईस समय गहरी नींद में था, उसे इस बारे में कुछ भी पता
नहीं था हां कल का क्या ख्याल करते हुए उसे कब नींद लग गई थी उसे खुद को पता नहीं चला था
और उस समय वह काफी उत्तेजित अवस्था में था और नींद में ही करवट लेने की वजह से अलका के
नितंब विनीत की जांघों से सट चुके थे जिसकी वजह से उसका खड़ा लंड अलका की साड़ी के ऊपर से ही
उसकी भरावदार गांड की फांकों के बीच ठोकर लगा रहा था।

इस तरह से लगातार गांड की फांकों के बीच खड़े ल** की ठोकर लगने की वजह से वह धीरे धीरे
उत्तेजित होने लगी उसकी आंखों में भी खुमारी का नशा छाने लगा वह कसमसाते हुए अपने बदन को
आगे की तरफ ले जाने की कोशिश कर रही थी लेकिन इस कोशिश में वह नाकाम सी होती जा रही थी
क्योंकि कहीं ना कहीं उसे भी यह लंड की रगड़ अच्छी लगने लगी थी, वैसे भी बेड इतना छोटा था कि
इससे आगे वह जा ही नहीं सकती थी । इतनी दे र में तो उसको भी यह आभास हो चुका था कि विनीत
जग नहीं रहा बल्कि सो रहा है इसलिए वह थोड़ा शर्मिंदगी महसूस करते हुए अपने बदन में थोड़ा सा
हरकत की तो उसी समय वीनीत की भी नींद खुल गई। और विनीत जैसे ही अपनी स्थिति को भांपा ,
उसके बदन में जैसे बिजली का करें ट लग गया हो इस तरह से वह पूरी तरह से झनझना गया, उसे यह
ज्ञात हो गया कि इस समय उसका लंड संपूर्ण उत्तेजना का अनुभव करते हुए पूरी तरह से टाइट हो चुका
था जो कि अलका की गांड के बीचो बीच अड़ा हुआ था। विनीत पूरी तरह से उत्तेजित हो गया। उसे ऐसा
लगने लगा कि शायद ऊपर वाला ही उसके ऊपर मेहरबान है तभी तो अपने आप ही एसी स्थिति पैदा हो
गई थी। उसने जब अलका की स्थिति पर नजर डालें तो उसे उसकी गरम सांसों की आवाज साफ सुनाई
दे रही थी उसे यह समझते दे र नहीं लगी की अलका ईस समय जाग रही है । और उसकी तेज चल रही
सांसो से उसे पता चल गया की व्हाट इस समय एकदम गरम हो चुकी है क्योंकि विनीत जी केला खाया
लड़का था। उससे यह पलको गवाना मतलब के हाथ में आई हुई बाजी को छोड़ दे ना जो कि उसे कभी भी
मंजूर नहीं हो सकती थी इसलिए वह अपनी कमर को थोड़ा सा और अलका के नितंबों पर सटाते हुए
अपने हाथ को उसकी बाह पर रख दिया। अपनी बाहों पर हाथ का स्पर्श होते ही अलका एकदम से सिहर
उठी , उसे ऐसा लगने लगा कि विनीत सिर्फ सोने का नाटक कर रहा था बल्कि वह परु ी तरह से जगा
हुआ है । अलका कुछ भी कर सकने की स्थिति में नहीं थी, एक तो उसकी हरकत में पहले से ही उसे
उत्तेजित कर दिया था' जिससे कि उसकी भी बुर पंनिया चुकी थी' अलका आगे कुछ और सोच पाती
ईससे पहले ही वीनीत का हांथ धीरे धीरे उसकी बांह पर से सरकते हुए उसकी गोलााइयों पर आकर रुक
गया। विनीत को तो ऐसा लगने लगा कि जैसे उसके हाथ कोई खजाना लग गया हो' और वह ब्लाउज के
ऊपर से ही अलका की चुची को हथेली में भरकर कस के दबा दिया। इस तरह से चूची को कस के दबाने
से अलका की सिसकारी छूट गई और वह मुंह घुमा कर विनीत की तरफ दे खते हुए , सिर्फ इतना ही
बोल पाई थी।

विनीत.......

उसका बस इतना ही कहना था कि विनीत ने तुरंत अपने होठों को उसके होठों पर रखकर चूसना शुरू
कर दिया। इस तरह से हॉटतठ चुसाई की वजह से अलका भी कुछ ही मिनटों में मदहोश होने लगी और
वह विनीत की तरफ करवट लेने लगी, वीनीत लगातार उसके गुलाबी होठों को चुसते हुए उसकी चूचियों
को दबाता रहा। अलका भी उत्तेजित होते हुए विनीत के होठों को चूसने लगी। इस तरह से अलका की
हामि को जानकर वह तुरंत एक हाथ से उसके ब्लाउज के बटन को खोलने लगा और अगले ही पल
अलका के ब्लाउज के सारे बटन खुल चुके थे। वीनीृत एक पल भी गवाए बिना उसके होठों पर से अपने
होंठ को हटाया और ब्रा को खींचकर ऊपर की तरफ कर दिया, जिससे उसकी बड़ी-बड़ी गोल चूचियां
एकदम नंगी हो गई विनीत तो अलका की चुचियों को दे खकर एकदम पागल सा हो गया और वह तुरंत
चूची को पकड़कर अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दिया। वीनीत निप्पल को दांतो से पकड़कर ईस
तरह से खींचते हुए पी रहा था कि अलका एकदम मदमस्त होने लगी और वह खुद ही उसके बालों को
पकड़ कर अपनी चुचियों पर दबाने लगी विनीत के साथ-साथ अलका भी एकदम चुदवासी हो गई थी।
विनीत के लिए यह पल बहुत ही खास था क्योंकि इस पल के लिए ना जाने कितने दिनों से वह उसके
पीछे पीछे लगा हुआ था। अलका की गरम सिसकारी ना चाहते हुए भी उसके मुंह से निकल जा रही थी।
वीनीत थोड़े ही समय में सब कुछ कर लेना चाहता था। क्योंकि उसे ऐसा डर था कि कहीं ऐसा ना हो कि
अलका का मूड बदल जाए इसलिए वह एक हाथ से धीरे -धीरे उसकी कमर में बधी साड़ी को खींच कर
अलग कर दिया। और लगे हाथ उसके पेटीकोट की डोरी को भी खोलने लगा, अलका तो अपनी चूचियां
पिलाने में ही व्यस्त थी तब तक वीनीत ने उसके पेटिकोट की डोरी को खोलकर पेटिकोट को नीचे जाने
तक सरका दिया। विनीत धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ते हुए एक हाथ से उसकी पैंटी को भी नीचे सरकाने
लगा। अगले ही पल विनीत की नजरें अलका जांघों के बीच चिकनी पतली दरार पर टिकी हुई थी वह तो
यह नजारा दे खकर एकदम धन्य हो गया। उससे रहा नहीं गया और वह तरु ं त अलका की बुर पर अपना
होंठ रख दिया। और गुलाबी पत्तियों को जीभ से छे ड़ते हुए चाटना शुरु कर दिया। दोनो इस समय
कामातूर होकर यह भी भूल चुके थे कि वह दोनों एक अस्पताल में थे और अलका तो इतनी ज्यादा
चुदवासी हो चुकी थी की ऊसे इतना भी ख्याल नहीं रहा कि उसका बेटा बीमार है बस दोनों एक दस
ू रे से
अपनी प्यास बझ
ु ाने में लगे हुए थे। अलका अपनी गर्म सिस्कारियों को दबाने के लिए दांत से अपने होंठ
को काट रही थी। लेकिन फिर भी घुटी-घुटी सी उसके सिसकारी मुंह से फूट पड़ रही थी। विनीत परू ी
तरह से तैयार था आज महीनों की लालसा परू ी होने जा रही थी वह जल्दी जल्दी अपनी पें ट को उतार े
फेंका। और अलका की जांगों के बीच जगह बनाते हुए उसकी जांघों को अपनी जांघो पर चढ़ा कर. उस
की चिकनी बुर पर अपना लंड टिकाया'बरु पहले से ही गीली हो चुकी थी इसलिए लंड तुरंत अंदर चला
गया और जैसे ही लंड बुर में समाया विनीत उसकी चुचियों को पकड़ कर चोदना शुरू कर दिया। दोनों
को मजा आ रहा था कुछ दे र तक यूं ही विनीत अलका को चोदता रहा और थोड़ी दे र बाद खुद पीठ के
बल लेट गया और अलका को अपने ऊपर चढ़ा लिया अलका भी तरु ं त उसके लंड को अपनी बरु में लेकर
ऊपर नीचे बैठते हु

अलका भी वीनीत के लंड पर ऊठते बैठते हुए वीनीत से चुदने लगी ' अलका को भी इस तरह से चुदवाने
में मजा आने लगा वह अपनी भारी भरकम शरीर को विनीत के लंड पर कुदाने लगी और विनीत भी
उसकी ऊछलती चुचियों को अपने हाथों में भरकर दबाते हुए नीचे से अपनी कमर उठाने लगा। दोनों की
सबसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी अलका जोर-जोर से विनीत के लंड पर कुदते हुए चुदवाने का मजा
ले रही थी। थोड़ी दे र तक यूं ही उसके चेहरे पर को दे ते हुए उसका बजन करने लगा और वह सिसकारी
लेते हुए विनीत को अपनी बाहों में कस लो वीनीत भी नीचे से तेज धक्के लगाते हुए अलका को चोदने
लगा और थोड़ी ही दे र में दोनों एक साथ भलभला कर झढ़ गए।

सुबह होने तक वीनीत ने अलका को दो तीन बार और चोदा कभी बिस्तर से नीचे उतर कर तो कभी
पीछे से हर जगह से आज की रात वह पूरा मजा ले लिया। उसकी दिली ख्वाहिश थी कि अलका उसके
लंड को मुंह में लेकर चूसे जो कि उसने अपनी इस ख्वाहिश को भी पूरा कर लिया।

सुबह हो चुकी थी विनीत सुबह होने से पहले ही नीचे चला गया था जहां पर कुछ दिखाने खोलना शुरू हो रही थी। वहां
उसने एक चाय के स्टॉल पर बैठ कर चाय की चुस्की लेते हुए रात के एक-एक पल को याद करके मन ही मन प्रसन्न
होने लगा क्योंकि आज उसके मन की हो चुकी थी। किसी काम के लिए किसी लालसा को पूरी करने के लिए वह
महीनों से अलका के चक्कर काट रहा था। लेकिन आज जाकर उसकी मनोकामना पूर्ण हुई थी। अलका को भोग कर
वह अपने आप को धन्य भाग्य समझ रहा था। उसने आज तक अलका जैसी औरत न दे खा था , और ना ही भोगा
था। उसके नंगे मांसल ओर गुदाज दें ह का वह दीवाना हो गया था। वह मन ही मन में प्रसन्न होते हुए चाय की चुस्की
ले रहा था धीरे -धीरे दक
ु ानों के शटर खुलना शुरू हो गए थे । करीब आधे घंटे बाद ही सूर्य की किरण अपने उजाले से
धरती को रोशनी चलाने लगे वह चाय के हिस्टोरी चाय और कुछ बिस्कुट के पैकेट लेकर ऊपर की ओर गया। तब
तक अलका नींद से जाग चुकी थी। उठते ही उसने सोनू का बख
ु ार चेक करने के लिए उसके माथे पर अपनी हथेली
रखी तो उसे इसका एहसास हुआ कि सोनू का बख
ु ार पूरी तरह से उतर चुका था माथे पर हाथ रखने से सोनू की भी
आंख खुल गई वह भी राहत महसूस कर रहा था। तब तक विनीत चाय और बिस्कुट के पैकेट लेकर आ गया। विनीत
चाय और बिस्कुट वही टे बल पर रखते हुए बोला।

आंटी जी आप चाय और नाश्ता कर लीजिए और सोनू को करा लीजिए तब तक मैं आता हूं थोड़ी दे र में । इतना
कहकर वह बिना रुके वहां से फिर से नीचे चला गया।
अलका रात की बात को सोचकर मन ही मन पछता रही थी। वह अपने आप को ही कोस रही थी, बरसों से जमाने भर
से छुपाते आ रही इज्जत को आज उसने अस्पताल के बेड पर नीलाम कर दी थी यह बात उससे हजम नहीं हो पा रही
थी। उसके सब्र धैर्य और मर्यादा की चादर इतनी पतली होगी उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था। । आज
उसने खुद मर्यादा की चादर को अस्पताल के बेड पर अपने हाथों से ही तार तार कर चुकी थी। वह चाहती तो उसे रोक
सकती थी लेकिन ना जाने कौन सी मजबूरी थी कि उसे रोक नहीं सके और इतनी ही ऐसे ही पैदा हो गई थी कि वह
खुद ही उत्तेजित होने लगी थी हालांकि यह बात अलग है कि उस संय े उसका ही बेटा उसके बाजू के बेड पर बख
ु ार
की वजह से एडमिट था। लेकिन बेड पर एक साथ सोने की वजह से उसकी उत्तेजना ना जाने क्यों बारे में लगी थी
शायद एक अनजान लड़के के स्पर्श की वजह से उसके बदन ने उसके दिमाग का साथ नहीं दिया और वह बहकने
लगी

यह भी उसकी गलती थी कि एक बार बहकने के बाद वह फिर अपने आप को संभाल ना सकी ओर वही गलती दो
तीन बार दोहरातीे रही। वह बार-बार अपनी गलती पर पछताते हुए अपने ऊपर क्रोधित हो जा रही थी। वैसे भी अब
पछताने के अलावा उसके हक में कुछ बचा भी नहीं था। वही बातें सोच-सोचकर उसकी आंख भर आ रही थी सोनू यह
दे ख कर अपनी मां से बोला।

तम
ु रो क्यों रही हो मम्मी?

( अलंका अपने बेटे को क्या जवाब दे ती लेकिन फिर भी उसके सवाल का जवाब दे ते हुए बोली।)

कुछ नहीं बेटा कल तेरी तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी इसलिए तेरी तकलीफ दे खते हुए मेरी आंखों में आंसू आ गए
,हा लेकिन अब तु बिल्कुल ठीक हो गया है ।

मम्मी यह कौन है जो हमारी इतनी मदद कर रहा है ।

( सोनू के इस बात पर अलका एक दम से चौंक गई कल रात को जो शर्मनाक हरकत वह कर बैठी थी अगर वह ऐसी
हरकत ना करती तो शायद उसे उसकी पहचान से सोनू को अवगत कराने में कोई हर्ज नहीं होता लेकिन इस समय '
लेकिन इस समय वहां उसकी पहचान बताने मैं शर्मिंदगी महसूस कर रही थी लेकिन फिर भी बताना तो था ही
इसलिए बहाना बनाते हुए वह बोली।)

मैं जहां काम करती हूं ना बेटा उसी में मेरी एक सहे ली भी काम करती है यह उसी का बेटा है ।
( सोनू की उम्र अभी इतनी नहीं हुई थी की वह ईन रिश्तो तो के बीच शक की दीवार को खड़ी कर सकें। सोनू अपनी मां
की बात को मान गया था और वह उसे नाश्ता कराने लगी, लेकिन वह खुद कुछ नहीं खाई वैसे भी वह बिना नहाए
धोए कुछ भी नहीं खाती थी लेकिन इस समय विनीत से उसे नफरत सी होने लगी थी इसलिए वह गुस्से में नाश्ता भी
नहीं की और उसे ले जाकर कूड़ेदान में फेंक दी।

दस
ू री तरफ राहुल और विनीत की भाभी दोनों की आंख खुल चुकी थी दोनों एक दस
ू रे की बाहों में एकदम नग्नावस्था
में लिपटे हुए थे। राहुल का लंड उसकी बरु के इर्द-गिर्द दस्तक दे ते हुए तनाव की स्थिति में था। वीनीत की भाभी
राहुल के लंड को अपनी बरु के इर्द-गिर्द रगड़ खाते हुए महसस
ू करते ही , एक बार फिर से उसे अपनी बरु में लेने के
लिए तड़प उठी। दोनों एक दस
ू रे की आंखों में झांक रहे थे। विनीत की भाभी से रहा नहीं गया और वह तरु ं त अपने
होंठ को उसके होंठ पर रख कर चम
ू ने लगी राहुल कुछ समझ पाता इससे पहले ही वह उसके ऊपर सवार हो गई
घट
ु नों के बल बैठते हुए उसके खड़े लंड को अपनी नाजक
ु उं गलियों से पकड़ कर उसके सप
ु ाड़े को अपनी बरु की
गल
ु ाबी पत्तियों के बीच टिका दी। राहुल भी तरु ं त उसकी दोनों चचि
ु यों को हाथों में दबोच लिया, और वीनीत की भाभी
धीरे धीरे उसके लंड पर बैठती चली गई जब तक कि उसका परू ा लंड उसकी बरु में समा नही गया। एक बार फिर से
दोनों की सांसे तेज हो चली। राहुल नीचे से अपनी कमर उचका उचका कर धक्के लगा रहा था तो विनीत की भाभी भी
खब
ू जोर लगाकर उसके लंड के ऊपर उठ बैठ रही थी। थोड़ी ही दे र में दोनों की गरम सांसों से और दोनों की गरम
सिस्कारियों से परू ा कमरा गंज
ू ने लगा और इसके बाद हल्की सी चीख के साथ दोनों एक साथ झड़ गए।

थोड़ी ही दे र में विनीत की भाभी और राहुल नहा कर तैयार हो गए थे। राहुल के जाने का समय हो गया था वीनीत की
भाभी परू ी तरह से संतुष्ट नजर आ रही थी उसे अपने जीवन में एसा सूख कभी भी नहीं मिला जब भी मिला तो वह
राहुल से ही मिल रहा था। वह परू ी तरह से राहुल की दीवानी हो चुकी थी वह चाहती थी कि राहुल उसके घर हमेशा
आए लेकिन जिस तरह से पहली बार नंबर दे ने के बावजूद भी वह है ना फोन किया और ना ही उससे मिलने की कभी
कोशिश किया वह तो बाजार में मिल जाने की वजह से आज जो सुख भोग रही थी यह उसी का नतीजा था अब ना
जाने वह कब मिलेगा। इसलिए वह ऐसा चाहती थी कि कुछ ऐसा जुगाड़ हो जाए की वह जब भी बुलाए राहुल दौड़ता
हुआ चला आए इसके लिए राहुल के पास फोन होना जरूरी था। इसका भी जुगाड़ वह सोच रखी थी।

राहुल जाने को था क्योंकि किसी भी वक्त विनीत अा सकता था। दरवाजे पर राहुल पहुंचा ही था कि विनीत की भाभी
उसे रोकते हुए बोली।

रुको राहुल

(इतना कहने के साथ ही वह उसके करीब पहुंच गई।)


(राहुल भी दरवाजे को खोलते खोलते रुक गया।)

क्या हुआ भाभी कहीं फिर से तो आपका मूड नहीं बन गया।

मेरा मूड तो तुम्हें दे खते ही बन जाता है ।( इतना कहने के साथ ही वह उसे अपना परु ाना वाला स्मार्टफोन थमाते हुए
बोली।)

यह रख लो राहुल

यह क्या है भाभी?

यह मेरा मोबाइल है , पुराना मैं इसे यूज नहीं करती यूं ही पड़ा हुआ था सोची कि तुम्हारे कुछ काम आ जाएगा। लो रख
लो।

( राहुल को समझ में ही नहीं आया कि वह ले या ना ले क्योंकि आज तक ना उसने किसी से कुछ लिया है वैसे भी
आज तक उसे किसी ने भी ऐसी कोई चीज दी भी नहीं, इसलिए वह उस मोबाइल को लेने में असहज हो रहा था।)

नहीं भाभी यह मैं नहीं ले सकता ।

लो रख लो राहुल हमें तुम्हारे लिए नहीं बल्कि अपने लिए ही दे रही हूं। ( विनीत की भाभी की यह बात राहुल को
समझ नहीं आई इसलिए वह बोला।)

मैं समझा नहीं भाभी।

अरे मेरे राजा (बड़े ही नटखट अंदाज में ) तुम तो एकदम बुद्धू अगली बार जब तुम मेरे घर आए थे उसके बाद जाकर
अब मुझसे मिले हो , जानते हो तुम से दोबारा मिलने के लिए मैं कितनी तड़पी हूं, इसलिए तो मैं तुम्हें यह मोबाइल दे
रही हूं ताकि जब भी मेरा दिल करे तुम्हें फोन करके बुला लूं। ( उसकी बात सुनकर राहुल मुस्कुरा दिया और उसके
मुस्कुराहट के साथ ही विनीत की भाभी ने उसे मोबाइल थमा दी। और जाते जाते हैं उसे एक 500 का नोट भी दे दी
जिसे वह लेने से इंकार कर रहा था लेकिन उस ने जबरदस्ती उसके शर्ट की जेब में डालते हुए बोली।)

राहुल यह तुम्हारी मेहनत के हैं हमेशा आते रहना और मैं हमेशा तुम्हारी मेहनत की बक्षीस तुम्हें दे ती रहूंगी।

( जबरदस्ती पेसे जेब में रखने की वजह से वह लेने से इनकार नहीं कर पाया, और उसे लेकर अपने घर की तरफ चल
दिया विनीत की भाभी उसे जानबझ
ू कर पैसे दे ते हुए उसके अंदर पैसे का लालच दे रही थी ताकि वह बार-बार उसके
बल
ु ाने पर आता रहे ।)

दस
ू री तरफ अस्पताल में अलका गुमसुम बैठी हुई थी रात की यादें उसका पीछा नहीं छोड़ रही थी। लेकिन एक टें शन
और था उसे अस्पताल का बिल भरने की जिसके लिए उसके पास पैसे नहीं थे और वह ना चाहते हुए भी वीनीत का
इंतजार कर रही थी, जोकि नीचे गया हुआ था। क्योंकि उसे यकीन था कि बिल के पैसे भी वही चुकाएगा।

बस शायद एक यही बात उसे रात को विनीत को इनकार करने से रोक रही थी और वह आगे बढ़ता गया और साथ ही
वह खुद भी उस बहाव में बहती चली गई, मजबूरी इंसान से क्या कुछ नहीं कर रही थी यह भी उसकी एक मजबूरी ही
थी, ऐसे बहुत से पल उसके सामने जिंदगी में आ चुके थे जब वह अपने आप को लाचार महसूस करती थी लेकिन
आज की लाचारी उसका सबकुछ उजाड़कर जा चुकी थी। बरसो की तपस्या भंग हो चुकी थी।

तभी वीनीत हाथ में अस्पताल का बील और कुछ दवाइयां ले कर के आया और उसे अलका को थमाते हुए बोला।

आंटी जी डॉक्टर ने छुट्टी दे दी है यह कुछ दवाइयां है जो सोनू को समय-समय पर दे नी है , और मैंने अस्पताल का


बिल चुका दिया है । अब हमें चलना होगा।

( वीनीत की बातें सुनकर वह कुछ बोली नहीं बस सोनु को साथ लेकर चलने लगी , )

राहुल घर पर पहुंचकर दरवाजे का ताला खोला क्योंकि एक चाभी राहुल के पास भी रहती थी। वह पूरी तरह से संतुष्ट
हो चुका था रात भर वीनीत की भाभी की चुदाई कर करके थकान सी महसूस कर रहा था। और वहीं कुर्सी पर बैठ
गया' रात भर जागने की वजह से उसकी आंख लग गई।

थोड़ी दे र बाद विनीत अलका को और सोनू को घर के दरवाजे के सामने ही छोड़ कर गया विनीत मन ही मन इस बात
से प्रसन्न हो रहा था कि उसने आज अलका का घर भी दे ख लिया था। अलका दरवाजे पर पहुंची तो दरवाजे की कड़ी
खुली हुई थी और उसने हल्का सा धक्का दे कर दरवाजा खोल दि। दरवाजा खुलने की आवाज उसे राहुल की नींद खुल
गई और वह दरवाजे की तरफ दे खा तो अल्का और सोनू अंदर प्रवेश कर रहे थे उन्हें दे खते ही राहुल बोला।

मम्मी आप यहां आज ऑफिस..... सोनू भी स्कूल नहीं गया.... बात क्या है मम्मी।
( अलका उसे बता दे कि उसके जाने के बाद सोनू की तबीयत खराब हो गई थी जिसकी वजह से वह उसे अस्पताल
लेकर गई थी और ज्यादा तबीयत खराब होने की वजह से रात भर अस्पताल में रुकना पड़ा। और कल शाम से गई
तो इस वक्त आ रही हुं। राहुल अपनी मम्मी की बात सुनकर परे शान हो गया पर अपने आप पर गुस्सा भी होने लगा
कि इस वक्त उसे घर पर होना चाहिए था वह बाहर था' उसने भी यह बता दिया कि रात भर वह भी दोस्त के वहां था
प्रोजेक्ट पूरा करने में लगा हुआ था और थोड़ी दे र पहले ही आया है ।)

चलो कोई बात नहीं सोनू तम


ु चल कर आराम करो तब तक मैं नहा धोकर के कुछ खाने को बना दे ती हुं ।

( इतना कहकर वह बाथरूम की तरफ चली गई राहुल वहीं बैठा रहा। अलका बाथरूम में जाते ही दरवाजा बंद कर ली।
वह रात की घटना को याद करके सिसक सिसक कर रोने लगी, ऊसे अपनी गलती पर बहुत ज्यादा पछतावा हो रहा
था। लेकिन कर भी क्या सकती है वक्त रे त की तरह होती है एक बार हांथसे फिसल गई तो फिसल गई । वह मन ही
मन अपने आप से ही बोलते हुए रो रही थी।

मुझे इंकार कर दे ना चाहिए था भले ही वह मेरी इतनी मदद कर रहा था तो क्या हुआ जरा सी भी मैं हिम्मत दिखाई
होती' अगर मुझे उसके एहसान की परवाह ना होती तो आज मैं अपनी नजरों से यूं गिरी ना होती।

लड़का मेरी जिंदगी में तूफ़ान बन कर आया है मेरे हं सते खेलते परिवार को मेरे सुखचैन को सब कुछ तबाह कर
दीया। कहीं ऐसा ना हो कि वह यह बात दस
ू रों को बताना शुरू कर दे मैं तो कहीं कि नही रह जाऊंगी। नहीं वह ऐसा
नहीं कर सकता उसने मुझसे जबरदस्ती तो नहीं किया था मै ही उसपल में थोड़ा-बहक गई थी

मैं कैसे अपने आप को संभाल न सकी मुझे तो अपने आप से घिन्न होने लगी है ।

यही सब अपने आप से कहते हुए अपने ऊपर एक-एक मग ठं डा पानी डाल कर नहाती रही। ठं डे पानी से नहा कर का
मन कुछ शांत हुआ वह नहा कर बाहर आ गई।

अलका सीधे रसोई घर में जाकर खाना बनाने लगी बाहर कुर्सी पर बैठा राहुल उसे ही दे ख रहा था गीले बालों की वजह
से ब्लाउज भेज चुका था जिसकी वजह से उसके अंदर की लाल ब्रा की स्ट्रे प दिखाई दे रही थी जिसे दे खते ही राहुल के
लंड में तनाव आना शुरू हो गया, वैसे भी नहाने के बाद अलका की खब
ू सूरती में चार चांद लग जाया करता था। राहुल
की नजर बार-बार ऊसके गैीले बालो से होकर के कमर के नीचे के उन्मुक्त घेराव पर चले जा रहे थे। राहुल भी अच्छी
तरह से जानता है कि भले ही रात भर विनीत की भाभी के साथ शरीर सुख का आनंद लिया है लेकिन उसकी मां की
तरह खब
ू सूरत और उसकी तरह गुदाज बदन ना तो विनीत की भाभी का था और ना ही नीलू का। राहुल एक तरह से
अपनी मां के प्रेम में ही पड़ गया था वह से बेइंतहा प्यार करने लगा था। बिस्तर पर जो मजा उसे उसकी मां से
मिलता था वह मजा दस
ू रे किसी भी औरत से उसे नहीं मिलता था।

बस यूं नज़रों से अपनी मां के बदन को टटोलने भर से उसका मन शांत होने वाला नहीं था इसलिए वह कुर्सी पर से
उठा और सीधे रसोईघर में चला गया, और जाते ही अपने पें ट में बने तंबू को अपनी मां के खेरा अवतार नितंबों के
बीच की दरार में धंसाते हुए उसे अपनी बाहों में भर लिया। खड़े लंड की चुभन अपनी गांड के बीचो-बीच महसूस करते
ही अलका पूरी तरह से सिहर उठी

, मैं कुछ बोल पाती उससे पहले ही गीले बालों में से आ रही मादक सोंधी सोंधी खुशबू को नाक से जोर से खींचते हुए
उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर हथेलिया रखकर दबाने लगा, वह अपनी मां की सुराहीदार गर्दन को चुमते हुए धीरे -धीरे
करके उसकी साड़ी को उठाने लगा लेकिन तभी अलका उसे रोकते हुए बोली।

आज नहीं राहुल रात भर सोई नहीं हूं मझ


ु े थकान महसस
ू हो रही है फिर कभी।

( अपनी मां की यह बात सन


ु कर राहुल का जोश एकदम से ठं डा हो गया उसे अच्छा तो नहीं लगा लेकिन फिर भी वह
जानता था कि रात भर वह सोनु को लेकर परे शान हुई है इसलिए चेहरे पर झठ
ू ी मस्
ु कान लाते हुए बोला।)

सॉरी मम्मी मैं आपका यह रुप को दे ख कर बहक गया था इसके लिए ऐसा कर बैठा सॉरी। ( इतना कहने के साथ ही
वह खड़े लंड को लेकर रसोई घर के बाहर आ गया और अलका भी बिना कुछ कहे अपना काम करती रही उसका मन
अभी भी भारी ही था।

राहुल अपने कमरे में चला गया विनीत की भाभी के द्वारा दिए गए मोबाइल को लेकर वह बहुत उत्सुक था। वह जेब
से मोबाइल निकाल कर उसे दे खने लगा मोबाइल पाकर बहुत खुश था लेकिन वह जानता था कि मोबाइल को उसे
छुपा कर ही रखना होगा वरना कहीं उसकी मां ने दे ख ली तो बात का बतंगड़ बन जाएगा। तभी उसे यह ख्याल आया
कि विनीत की भाभी ने मुझे ₹500 का नोट भी दी थी यह कैसे खर्च करना है या उसे नहीं मालूम था वह अपनी मां को
यह रुपए दे भी नहीं सकता था क्योंकि हजार सवाल पूछने लगें गी, तभी उसे विनीत की भांभि के महं गे ब्रांडड
े पैंटी
और ब्रा के बारे में ख्याल आया। ब्रा और पैंटी के बारे में ख्याल आते ही उसने अपनी मां की मस्ती चडडी नजर आने
लगी इसलिए उसने तय कर लिया था कि इन पैसों से वह अपनी मां के लिए ब्रांडड
े ब्रा पैंटी और एक सेक्सी गाउन
लाकर दे गा। अपनी मां के लिए महं गी ब्रा और पें टी को खरीदने मात्र के बारे में सोचकर ही वह उत्तेजित होने लगा ।
वह बहुत खुश था की अब वह अपनी मां के लिए ब्रांडड
े ब्रा और पें टी खरीद के लाकर दे सकेगा।

पैसे और मोबाइल को वह अपने बैग में ही छुपा दिया ताकि उसकी मां की नजर उस पर ना पड़ सके।
दो-तीन दिन ही बीते थे कि वीनीत की भाभी ने उसे फोन करके अपने घर बुला ली और वह फोन आते ही तुरंत घर पर
पढ़ाई का बहाना बनाकर उसके घर चला गया और वहां जाकर के वीनीत की भाभी को चोदकर खुद भी शांत हुआ और
उसकी भी प्यास को बझ
ु ाया। अभी मोबाइल दिए 10 दिन भी नहीं बीते थे कि वह पांच छ: बार अपने घर फोन करके
बुला ली थी। और हर बार उसे कुछ न कुछ बक्षीस दे दे ती थी। वह जितने पैसे मिलते थे उनमें से कुछ पैसे अपनी मां
को दे दे ता था लेकिन यह पैसे वह यह बोलकर दे रहा था कि, उसका एक दोस्त है उसके पापा का कारखाना है और वह
उसे कुछ ऑफिस का काम दे दे ते हैं और थोड़े पैसे भी दे दे ते हैं। वह उनका काम कर दे ता है और बदले में वह कैसे पैसे
दे ते हैं यह बात अलका को अच्छी तरह से हजम भी हो गई उस का भी खर्चा चलने लगा था। वह तो इस बात से खुश
ही हुई थी की थोड़े से काम में राहुल को पैसे मिलने लगे थे।

जैसे तैसे करते हुए दिन गुजर रहे थे। अस्पताल वाली रात को गुजरे 15 दिन जैसे हो चुके थे उस दिन से अलका
सहमी सहमी सी रहती थी। रास्ते में आते जाते कभी कभार विनीत मिल जाता तो अलका की आंखों में खून ऊतर
जाता था लेकिन अपने आप पर काबू कर के वह दो चार बातें बतिया कर आगे बढ़ जाती थी। लेकिन वीनीत जब भी
मिलता था उसके चेहरे पर एक कामुक मुस्कान होती थी जोकि अलंका के दिल में भाले की तरह चुभती थी।

पिछले कुछ दिनों से राहुल अपनी मां के हावभाव पर गौर कर रहा था। पिछले कुछ दिनों से ऊसकी मां का रवैया
बदला बदला सा नजर आ रहा था। वह जब भी उसकी तबीयत के बारे में पूछता तो वह सर दर्द का बहाना बनाकर
बात को पलट दे ती राहुल को भी ऐसा लगने लगा था कि शायद हो सकता है मम्मी की तबीयत खराब हो इसलिए वह
बार-बार में दवा लेने के लिए भी बोल चुका था। राहुल की बात पर वह दवा ले लेगी ऐसा कह कर बात को हमेशा टाल
जाती थी क्योंकि वह जानती थी कि वह तन से नहीं मन से बीमार है दवा से उसके मन की बीमारी जाने वाली नहीं
थी। राहुल अपनी मां को चोदने के लिए तड़प रहा था क्योंकि जब से सोनु बीमार हुआ था तब से लेकर अब तक वह
उसे चोद नहीं पाया था जब भी वह उसके करीब जाता तो वह तबीयत का बहाना बनाकर उसे हटा दे ती थी उसे अपनी
मां का यह रूप कुछ समझ में नहीं आ रहा था। राहुल की यह तड़प लाजीमी थी क्योंकि जो मजा बिस्तर पर उसकी
मां उसे दे दी थी वह मजा उसे किसी के भी साथ नहीं मिल पाता था। वह रोज रात को अपनी मां की बड़ी बड़ी चुचियों
के बारे में उसकी गुदाज मांसल गोरे बदन के बारे में और उसकी रशीली गुलाबी पत्तीयो वाली बुर के बारे में सोच
सोचकर मुठ मारा करता था। अपनी मां को चोदने की ऊसकी तड़प दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। ऐसे मे उसे
एक दिन फिर वीनीत की भाभी का फोन आ गया और वह फिर से वहां चला गया, लेकिन अभी तक उसकी मां को यह
पता नहीं चल पाया था कि उसके पास मोबाइल है वह मोबाइल रखने में बहुत ही सावधानी रखता था।

विनीत के घर पहुंचते ही एक बार फिर दोनों एक हो गए दोनों के बदन से सारे कपड़े एक एक कर के नीचे फर्श पर
गिरने लगे, और दोनों एकाकार हो गए आज जी भर कर वीनीत की भाभी ने राहुल से अपनी बरु रगडव़ाई थी

क्योंकि कल उसे और विनीत को एक रिश्तेदार के वहां जाना था क्योंकि वहां शादी थी और वहां से आने में बस 15
दिन का समय लग सकता था इसलिए वह आज ही जी भर के अपनी बरु में राहुल का लंड डलवा कर चुदवा चुकी थी।
धीरे धीरे अलका सामान्य होने लगी थी, अब वो राहुल से मुस्कुरा कर बातें करने लगी थी। अपने अंदर आए बदलाव
का कारण व समझ पा रही थी क्योंकि कुछ दिनों से उसे विनीत नजर नही आया था।

धीरे धीरे कर के अस्पताल वाले वाक्ये को गुजरे बीस 25 दिन हो गए थे। लेकिन विनीत के तरफ से ऐसी कोई भी
हरकत नहीं हुई जिससे अलका को शर्मिंदा होना पड़े' इसलिए रुका था गणित के प्रति डर धीरे -धीरे दरू होने लगा था।
और जैसे-जैसे उसका डर दरू होता जा रहा था वह सामान में होती जा रही थी और यह बदलाव राहुल को अच्छा लग
रहा था लेकिन अभी भी बहुत प्यासा था अलका को दे खते ही राहुल का लंड हमेशा तन कर खड़ा हो जाता था।
खासकर के चलते हुए उसकी मटकती हुई गांड को दे खकर वह अपना आपा खो बैठता था। आज उसकी मां का थोड़ा
सा रवैया बदलता हुआ नजर आ रहा था इसके लिए राहुल भी मन में यही सोच रहा था कि आज उसकी बात बन
जाएगी ।

शाम को उसकी मां छत पर कपड़ों को समेट रही थी। राहुल भी वही पहुंच गया अपनी मां को रस्सियो पर से कपड़े
उतारते हुए दे ख कर बोला।

क्या कर रही हो मम्मी (जबकि वह जानता था कि उसकी मां क्या कर रही है वह तो सिर्फ बातों का सिलसिला शुरु
करने के लिए एक तार छे ड़ दिया था।)

दे ख नहीं रहे हो कपड़े उतार रही हूं( उसके चेहरे पर मुस्कुराहट बनी हुई थी, तभी अपनी साड़ी को रस्सी पर से उतरते
हुए पानी के बीच में रखी हुई उसकी ब्रा और पें टी दोनों नीचे गिर गई। जिस पर राहुल की नजर पड़ गई और वह उसे
झट से उठा लिया। अलका ने अपने बेटे को उसकी गिरी हुई ब्रा और पें टी को उठाते दे ख ली। और तुरंत बोली।)

लाओराहुल ईधर दो क्या कर रहे हो ऊसको लेकर के। ( उसका इतना कहना था कि राहुल तुरंत पें टी को अपनी नाक
से लगाकर सुंघने लगा।

राहुल अपनी मां की पैंटी को उठाकर उसे नाक से लगा कर सुंघने लगा। अपने बेटे की इस हरकत को दे खकर अलका
अंदर ही अंदर गंनगना गई, राहुल था की पैंटी को एकदम नाक से रगड़ रगड़ कर सुन रहा था खास करके उस स्थान
को जो स्थान बरु से एकदम चिपका रहता है । वह अपने मित्रों को पें टी से लगाकर गहरी सांस खींचते हुए बोला।
ओहहहहह.... मम्मी बहुत ही मादक खुशबू आ रही है इसमें से। मेरा तो रोम रोम झनझना जा रहा है । ( अपनी बेटे को
इस तरह से मदहोश होकर अपनी पैंटी सुंघते हुए दे ख कर उसके बदन में अजीब सी हरकत होने लगी उसके बदन में
गुदगुदी सी मचने लगी। उसके हाथ में कपड़ों का ढे र था और उसने अपनी साड़ी को थोड़ा सा ऊपर उठा कर कमर के
साईड अंदर खोसी हुई थी, जिससे उसकी घुटनों से नीचे की आधी टांगे नंगी दिख रही थी। अलंकार अपनी साड़ी को
उठा कर कमर में ठुसने की वजह से और भी ज्यादा कामुक ओर सुंदर लग रही थी। वह एक तरह से राहुल की हरकत
कर शरमा गई उसे ईसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि राहुल ऐसी हरकत करे गा। वह राहुल की हरकत पर
शर्मसार होते हुए अपने अगल-बगल नजर दौड़ा ले रही थी कि कहीं कोई दे ख तो नहीं रहा है । जबकि वह जानती थी
कि उसकी छत पर कोई भी कहीं से भी नहीं दे ख सकता था फिर भी उसके मन में डर बना हुआ था अलका के मन में
भी गुदगुदी होने लगी थी। राहुल की इस हरकत ने अस्पताल के बाद से आज पहली बार उसके बदन में एक नई उमंग
जगाया था। वह पागलों की तरह पैंटी को सुंघते हुए अपनी मां को दे खे जा रहा था। राहुल अपनी मां की पैंटी को सॉन्ग
कर उत्तेजित होने लगा था उसके पें ट का तंबू बढ़ने लगा था जिस पर रह रहकर अलका की नजर चली जा रही थी वह
क्या करें क्या ना करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था हाथों में कपड़ों का ढे र था रे शमी जुल्फों की लटे उसके गालों
को छू रही थी। चेहरे पर कामुक्ता और शर्मो हया की मिली जुली मुस्कान बिखर रही थी। राहुल दीवानों की तरह पें टिं
को अपनी नाक पर सहलाते हुए उसकी मादक खुशबू का मजा ले रहा था। यह दे ख अलका से रहा नहीं गया और वह
मुस्कुराते हुए बोली।

क्या कर रहा है , ऐसा कोई करता है क्या।

कोई करे या ना करे लेकिन मैं ऐसा जरूर करूंगा मम्मी, क्योंकि तुम्हारी पैंटी से तुम्हारी बुर की मादक खुशबू आती है
जिसे सुनते ही मेरे तन बदन में गुदगुदी होने लगती है एक अजीब सा एहसास होने लगता है ।

( राहुल अपनी मां से कुछ ज्यादा ही खुल चुका था पहले तो वह ऐसी गंदी बातें करने से शर्म आता था लेकिन कुछ ही
दिनों में वह अनुभवी हो चुका था उसे पता था कि ऐसी बातें सेक्स को और ज्यादा आनंददायक बना दे ता है इसलिए
ऐसी बातें करने से अब बिल्कुल भी नहीं चुकता था, अलका अपने बेटे के मुंह से ऐसी खुली गंदी बातें सुनकर आवाज
रह गई थी लेकिन उसे ऐसी बातें अच्छी लग रही थी राहुल के मुंह से अपनी बुर के बारे में सुनकर उसकी जांघों के
बीच गुदगुदी सी होने लगी थी।

इस समय न जाने क्यों राहुल के सामने उस की ऐसी बातें सुनकर उसे शर्म आ रही थी। और शर्म के मारे उसका गोरा
सुंदर चेहरा कश्मीरी सेब की तरह लाल होने लगा था। वह अभी भी अपने चारों तरफ नजर दौड़ा ले रही थी, तभी
उसकी नजर नीचे पड़ी ब्रा पर गई जो कि पें टि के साथ ही नीचे गिरी थी लेकिन राहुल ने सिर्फ पें टी ही उठाया था. वह
ब्रा ऊठाने के लिए नीचे झुकी और जैसे ही ब्रा को उठाकर वह सीधे खड़ी हुई तो उसके कंधे से साड़ी का आंचल नीचे
गिर गया जिससे उसकी पहाड़ी छातियां अनावत
ृ हो गई। ऊसकी बड़ी बड़ी चूचियां जोकि ब्लाउज के अंदर हीथी
लेकिन अलका ने इस तरह का ब्लाउज पहनी थी कि उसकी आधी से ज्यादा चूचियां बाहर को झलक रही थी। राहुल
राहुल की नजर जेसे ही अपनी मां की बड़ी बड़ी पहाड़ी छातियों पर पड़ी वैसे ही तुरंत उसके तन-बदन में कामाग्नि की
तपन बढ़ने लगी उसकी जांघों के बीच का हथियार सुरसुराने लगा।

अलका अपनी ब्रा को उठाने के बाद एक नजर अपनी ब्लाउज मे कैद चुचियों की तरफ डाली और फिर राहुल की तरफ
मुस्कुराते हुए दे खते हुए बोली।

यह पें टिं तो धलि


ू हुई है ।

( यह बात अलका ने इतनी कामक


ु अंदाज में बोली थी कि राहुल उसकी बात सन
ु कर अंदर तक चरमरा गया ऊसकी
आंखों में तरु ं त खम
ु ारी का नशा छाने लगा। अलका यह अच्छी तरह से जानती थी कि यह क्या कह रही है और इसका
मतलब भी राहुल अच्छी तरह से समझ रहा था । अलका यह भी जानती थी कि उसकी साड़ी कंधे पर से नीचे फिसल
गई है । और उसकी बड़ी बड़ी छातियां ब्लाउज में छे द होने के बावजद
ू भी कामक
ु तरीके से प्रदर्शित हो रही है , लेकिन
फिर भी वह इस बात को जानबझ
ू कर नजरअंदाज करते हुए वापस साड़ी को कंधे पर डालने तक की सध
ु नहीं ली थी।
अपनी मां की बातों ही बातों में खल
ु े आमंत्रण को पाकर सिसकारी लेते हुए मादक अंदाज में वह बोला।

ससससहहहहहह...... मम्मी तो क्या हुआ यह तो तुम्हारी धुली हुई पें टी है मैं तो तुम्हारी पहनी हुई भी चड्डी को नाक
से लगा कर मस्ती से सुंघ कर उसकी मादक खुशबू का आनंद ले सकता हूं।

( इतना कहने के साथ ही राहुल अपने पैंट के ऊपर से ही खड़े लंड को मसल दिया यह दे खकर अलका कि बुर से मदन
रस बुंद बनकर ं झर गया। अलका इस समय छत पर राहुल की हरकत और उसकी बातों से मदहोश हुए जा रही थी
विनीत का डर उसके मन से लगभग खत्म होते जा रहा था। एक बार फिर से वह राहुल के साथ बहकने लगी थी

ईसी छत पर उन दोनों ने पवित्र रिश्ते की डोरी को तोड़कर एक नए रिश्ते की शुरुआत की थी और आज फिर से कुछ
दिनों के विराम के बाद एक बार फिर से उनकी वासना की पुस्तक मे नया अध्याय जुड़ने लगा था।

राहुल लगातार पें टी को सुंघते हुए धीरे -धीरे अपने कदम को अपनी मां की तरफ बढ़ा रहा था। जैसे-जैसे राहुल उसकी
तरफ बढ़ रहा था अलका के बदन में गुदगुदी और ज्यादा बढ़ रही थी उसका बदन कसमसाने लगा था। वह अलका के
बिल्कुल करीब पहुंच गया अलका इतनी ज्यादा शर्मसार हुए जा रही थी कि वह अपने बेटे से नजरें तक नहीं मिला पा
रही थी। रह रह कर उसकी पलके पटपटा रही थी। वह कभी राहुल को तो कभी नीचे जमीन की तरफ दे खने लगती
उसके हाथों में अभी भी कपड़ो का ढे र लदा हुआ था। उसका आंचल अभी भी कंधे से लोगों का हुआ था जिस पर राहुल
की नजर बराबर बनी हुई थी वह अपनी मम्मी के चारों तरफ धीरे धीरे चक्कर लगाने लगा और उसकी नजरें उसके
गद
ु ाज बदन पर चारों तरफ फिरने लगी। राहुल को इस तरह से अपने बदन के इतने करीब चक्कर लगाते हुए घम
ु ने
की वजह से वह शर्मसार हुए जा रही थी और उसका बदन शर्म के मारे कसमसा रहा था। राहुल नजरों को अपनी मां
के भजन के कोने कोने पर फिरा रहा था अपनी मां के इर्द-गिर्द चारों तरफ चक्कर काटते हुए उसकी नज़र खास करके
ब्लाउज से झांकती उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और चुचियों के बीच की गहरी लकीर पर फिरती फिरती हुई पीछे कमर के
नीचे का पहाड़ी उठाव पर घूम रही थी। अलका भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे की नजर उसके बदन पर
कहां कहां चिपक रही है । राहुल अपनी मां के पीछे की तरफ जाकर धीरे से ऊसके कानों में मादक स्वर में बोला।

ससहहहहहहह.....मम्मी .... तुम बहुत ही हॉट और खूबसूरत हो, तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं
दे खा। ( राहुल अपनी मां की तारीफ करते हुए लगातार उसकी पैंटी को भी नाक लगाकर सुंघे जा रहा था ऐसा लग रहा
था कि जैसे पें टी को सुंघते हुए उसकी उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही है । अपने बेटे के मुंह से अपने बदन की तारीफ
सुनकर वह शर्माकर ईठलाते हुए बोली।)

चल झूठा कोई काम नहीं है तो बेवजह की तारीफ किए जा रहा है । ( इतना कहकर वह राहुल के हाथ से अपनी पैंटी को
छीन कर जाने लगी तो पीछे से राहुल बोला।)

सच कह रहा हूं मम्मी आप बहुत खब


ू सरू त हो। ( अपने बेटे की बात सन
ु कर वह वहीं रुक गई। ) तम
ु अगर कोई गैर
औरत होती तो मैं तम्
ु हें अपना गर्लफ्रेंड बना लिया होता। ( अपने बेटे की यह बात से वह एकदम से रोमांचित हो गई
उसके चेहरे पर मस्
ु कुराहट फैल गई और वह मस्
ु कुराते हुए गर्दन घम
ु ाकर पीछे राहुल की तरफ दे खने लगी। अपनी
मां को अपनी तरफ इस तरह मस्
ु कुराते हुए दे खकर राहुल बोला।) आई लव यू मम्मी।

( राहुल को यंु ईजहार बयां करते हुए दे ख कर अलका बोली।)

तू पागल हो गया है ।( इतना कहकर वह मस्


ु कुराते हुए जाने लगे तो राहुल ने फिर से से रोकते हुए बोला।)

मम्मी रुको।( अलका फिर रुक गई राहुल के बदन मे उत्तेजना बढ़ चुकी थी उसके लंड का तनाव पें ट में तंबू बनाया
हुआ था जिस पर बार-बार अलका की भी नजर चली जा रही थी। राहुल की बात सुनकर भर रुक तो गई थी लेकिन
वह अपनी पीठ राहुल की तरफ किए हुए ही खड़ी थी। वह बहुत ही उत्सुक थी,वह दे खना चाहती थी कि अब राहुल
क्या करता है क्या कहता है ? तभी राहुल बोला।

मम्मी क्या आप अपनी पें टी दोगी ऊतार के!


( अलका अपने बेटे की यह बात सुनते ही एकदम सन्न हो गई, साथ ही ऊसके कहे एक-एक शब्द ने उसके बदन में
रोमांच फैला दिया। वह जानती थी कि राहुल क्या कह रहा है और उसकी पैंटी के साथ क्या करना चाहता है । लेकिन
फिर भी अनजान बनते हुए वह बोली।)

उतार के...... मतलब (इतना कहने के साथ ही अलका राहुल की तरफ घूम गई वह अपना आंचल फिर से कंधे पर रख
ली थी, उसकी नजर राहुल की पैंट पर पड़ी तो अभी भी ऊसका पूरा तनाव बना हुआ था, राहुल फिर बोला।)

उतार के मतलब... इस समय आप जो पें टी पहनी हुई हो उसकोे उतार कर मझ


ु े दो।

क्या करोगे मेरी पैंटी को?

वही करुं गा जो आप की धुली हुई पें टी के साथ कर रहा था।( पें ट के ऊपर से ही लंड को सहलातो हुए बोला, अपने बेटे
को यूंही उसकी आंखों के सामने ही लंड सहलाता हुआ दे खकर उसकी बरु में सुरसुराहट बढ़ गई, राहुल की बातों से
अलका का उन्माद बढ़ने लगा। वह उन्मादित होते हुए बोली।)

तम
ु पागल हो गए हो राहुल, ऐसा भी भला कोई करता है क्या?

मैं करुूं गा मम्मी मैं तुम्हारी बुर की खुशबू तुम्हारी पैंटी में महसूस करना चाहता हूं। तुम्हारी बुर सो लाखों फूलों की
खुशबू आती है उसकी मादक खुशबू मे मैं अपना सब कुछ भूल जाता हूं। मम्मी दोना।

मेरा मन बहुत कर रहा है आप की पहनी हुई पें टी की मादक खुशबू अपने सीने में उतारने के लिए।

( अपने बेटे की ऐसी उत्तेजक और उन्माद से भरी गरमा बातों को सुनकर का रोम-रोम जना गया उसके तन-बदन में
उत्तेजना की लहर फेलने लगी। वह राहुल की बातों को सुनकर कामोतेजना से भर गई उसे इस बात की उम्मीद कभी
नहीं थी कि राहुल ऐसी भी इच्छा रखता है । उसे इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था कि कोई कैसे भला
किसी औरत की यूज़ की हुई पें टिं को इस तरह से नाक लगाकर सुंघ सकता है । अब तो अलका की भी उत्सुकता
बढ़ती ही जा रहीे थी वह भी दे खना चाहती थी कि कैसे राहुल उसकी पहनी हुई पें टी को यु नाक लगाकर मस्ती के साथ
सुघता है । वह भी बात बनाते हुए बोली।
नहीं राहुल एेसा नही होता छी: कितनी गंदी बात है । ( अलका जानबझ
ू कर ऐसा बोल रही थी अब तो वह खुद चाहती
थी कि उसका बेटा उसकी पहनी पें टी को सुंघकर मस्त हो। लेकिन वह खुद सामने से अपनी पैंटी उतार कर अपने बेटे
को दे ने में असहजता का अनुभव कर रही थी वह चाहती थी कि उसका बेटा जोर दे कर उसकी पें टी को मांगे। और
राहुल यही कर रहा था वह फिर से जोऱ दे ते हुए अपनी मां से बोला।

दो ना मम्मी प्लीज अब और ना तड़पाओ मेरी हालत दे खो( पैंट के ऊपर से ही अपने लंड को हथेली से मसलता हुआ )
मझ
ु से रहा नहीं जा रहा है प्लीज मम्मी प्लीज...( राहुल एकदम मदहोश होता हुआ आहें भरते हुए अपनी मम्मी से
बोल रहा था अलका भी उसकी तड़प दे खकर खद
ु मचलने लगी, और बोली।)

तो तू ही बता मैं क्या करूं।

आप कुछ मत करो मम्मी बस अपनी पहनी कोई पें टिं निकाल कर मुझे दे दो।

यहां .....छत पर ....।।कोई दे ख लिेया तो.....

कौन दे खेगा मम्मी यहां छत पर वैसे भी हम दोनों के सिवा यहां है ही कौन? ( अलका पूरी तरह से तैयार थी अपनी
पैंटी उतार कर अपने बेटे को दे ने के लिए बस थोड़ा सा ना नुकुर कर रही थी। वैसे भी शाम ढल चुकी थी, अलका भी
अच्छी तरह से जानती थी उनकी छत पर कोई भी उन दोनों को दे ख नहीं सकता था यह तो अलका सिर्फ बहाना बना
रही थी। )

दोना मम्मी प्लीज कोई भी नहीं दे खेगा।

ठीक है ठीक है , मैं उतार कर तुझे दे ती हूं,। ( अलका उन्माद से भर चुकी थी इसलिए अपने बेटे के कहने पर पें टी
उतारने के लिए तैयार हो गई, उसके हाथों में अभी भी कपड़ों का ढे र था वह राहुल के सामने खड़ी होकर छत के ऊपर
से ही चारों तरफ नजर घुमाकर यह तसल्ली कर ली कि कहीं कोई दे ख तो नहीं रहा है । परू ी तसल्ली कर लेने के बाद
वह फिर पें टी उतारने के लिए तैयार हो गई।
अलका परू ी तरह से तैयार हो चुकी थी उसके बदन में अपने बेटे के सामने पें टी उतारने की बात से ही गुदगुदी होने
लगी थी। उसके हाथों में अभी भी कपड़ों का ढे र था वह कहां धीरे -धीरे नीचे ले जाने लगी, राहुल की आंखों में वासना
का नशा छाने लगा था,वह बहुत कामुक नजरों से अपनी मां की तरफ दे ख रहा था। उसकी मा भी राहुल की तरफ
दे खते हुए एक हाथ घुटने तक ले जाकर झुकते हुए, धीरे धीरे उं गलियों से साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी। यह
नजारा दे खते ही राहुल के साथ ही तीव्र गति से चलने लगी उसके बदन में रोमांच की लहर दौड़ ने लगी। छत पर
केवल राहुल ओर अलंका ही थै अंधेरा छाने लगा था कोई उन्हें छत पर दे ख भी ले ऐसी कोई उम्मीद भी नहीं थी.। धीरे
धीरे करके अलका ने अपनी साड़ी को जांघों तक उठा दि,

गोरी गोरी नंगी टांगें दे खते ही राहुल के लंड नें ठुनकी मारना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे अलका अपने बेटे के सामने
अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी वैसे वैसे उसकी सांसो का जोर बढ़ने लगा था। धीरे धीरे करके अलका
हाथों मे कपड़े का ढे र लिए और एक हाथ से अपनी साड़ी को उठाते हुए साड़ी को जांघो के ऊपर तक सरका दी। साड़ी
अब जांघो के ऐसे स्थान तक पहुंच गई थी कि जहां से उसकी पैंटी की किनारी दिखने लगी थी जिस पर राहुल की
नजर जाते हैं उसका हाथ खुद ब खुद उसके टन टनाए हुए लंड पर चला गया जो कि इस समय पें ट के अंदर ही गदर
मचाए हुए था। अलका भी अपने बेटे को इस तरह से पें ट के ऊपर से ही लंड को सहलाते हुए दे खकर चुदास के रं ग में
रं गने लगी। अलका का भी चेहरा उत्तेजना में तपकर लाल टमाटर की तरह तमतमा रहा था।अलका मुंह हल्का सा
खुल चुका था वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी अस्पताल वाली घटना को वह परू ी तरह से भूल चुकी थी विनीत
का ख्याल उसके दिलों दिमाग से निकल चुका था इसलिए वह इतनी सहज और उत्तेजित नजर आ रही थी। वासना
का रं ग एक बार फिर से उसके ऊपर चढ़ने लगा था। वह साड़ी को वहीं पर रोक दी जहां से पें टी की किनारी नजर आ
रही थी उस गुलाबी रं ग की पैंटी के किनारी को दे खते ही राहुल के होश उड़ने लगे थे मदहोशी छाने लगी थी। उसके
चेहरे पर उत्तेजना की लालीमा साफ नजर आ रही थी और अलका यही दे खना ही चाहती थी। अलका साड़ी को थोड़ा
और कमर तक उठा दी अब उसकी गुलाबी रं ग की पें टी परु ी तरह से साफ साफ नजर आने लगी । यह नजारा दे ख
करके राहुल से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था। अपने बेटे की यह तड़प दे खकर अलका मन ही मन मुस्कुरा रही थी।
अलका भी कुछ ज्यादा ही उत्सुक थी अपनी पैंटी को उतारने के लिए वह पें टिं के साथ-साथ अपनी बरु भी दिखाना
चाहती थी। ऐसा भी नहीं था कि अलका पहली बार अपनी बुर के दर्शन अपने बेटे को करवा रही हो और ऐसा भी नहीं
था कि राहुल पहली बार ही अपनी मां की बरु दे खने जा रहा हो । इससे पहले भी यह दोनों सारी मर्यादा को लांघ कर
एक हो चुके हैं। दोनों एक दस
ू रे के अंगों को दे ख चुके हैं सहला चुके हैं चुम चुके हैं सब कुछ कर चुके हैं। लेकिन फिर भी
आज दोनों इस तरह से कामोत्तेजित हो चुके थे एक दस
ू रे के अंग को दे खने दिखाने के लिए की ऐसा लग रहा था कि
दोनों आज पहली बार एक दस
ू रे को ईस हाल में दे ख रहे हो।

गजब का नजारा बना हुआ था शाम ढल चुकी थी हल्का हल्का अंधेरा छाने लगा था राहुल और अलका दोनों छत पर
थे। अलका के हाथों में कपड़ों का ढे र था और वह एक हाथ से अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए थीऊसकी गोरी
गोरी मांसल जांघें अंधेरे में भी चमक रही थी और उसकी छोटी सी गुलाबी रं ग की चड्डी जिसे दे खकर राहुल बेचैन हो
जा रहा था वह बार बार पें ट के ऊपर से ही अपने टं नटनाए हुए लंड को सहलाए जा रहा था। तभी अलका जिस हाथ में
कपड़ों का ढे र ली हुई थी उसी हाथ से साड़ी को थाम ली और दस
ू रे हाथ से अपनी पैंटी को नाजुक उं गलियों में
उलझाकर नीचे की तरफ सरकाने लगी , जैसे ही अलका अपनी पैंटी को उं गलियों के सहारे नीचे सरकार ने लगी वैसे
ही राहुल की सांसे भारी होने लगी उत्तेजना के मारे उसका बुरा हाल हो रहा था अपनी मां को अपनी पैंटी उतारते दे ख
कर उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा। अलका अपने बेटे को तड़पाते हुए धीरे -धीरे अपनी पैंटी उतारने लगी।
कभी इस साइड से पैंटी को थोड़ा नीचे सरकारी तो कभी दस
ू रे साइट पर इस तरह से करते करते वह अपनी पैंटी को
जांघो तक सरका दी। अलका की बरु एकदम नंगी हो गई थी राहुल उसे दे खते ही तड़प ऊठा और उसे छुने के लिए
मचल रहा था। बुर पर हल्के हल्के बालो का झुरमुट स उग गया था, क्योंकि विनीत वाले हादसे के बाद से अलका ने
उस दिन से अब तक एक बार भी क्रीम लगाकर अपनी बुर को साफ नहीं की थी। इसलिए एकदम तरोताजा दिखने
वाली अलका की बुर इस समय हलके हलके बालों के झुरमुट से घिरी हुई दे खकर राहुल को थोड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन
राहुल को अपनी मां की बुर पर यह हल्के हल्के बाल और भी ज्यादा कामुक्ता का एहसास दिला रहे थे। दोनों की
हालत खराब हो जा रहे थे दोनों के मन की लालसा बढ़ती ही जा रही थी अलका नो धीरे से पें टी को घुटनों के नीचे
सरका दी, घुटनों के नीचे आते ही पें टी खुद-ब-खुद पैरों में जा गिरी

इसके बाद पैंटी निकालने के लिए अलका को ज्यादा जहमत उठाना नहीं पड़ा वह पें टी में से एक पैर को खुद ब खुद
निकाल ली, लेकिन एक पैर में अभी भी उसकी पैंटी फसी हुई थी जिसे वह बिना निकाले ही बड़े ही कामुक अदा से
अपना वह पैर हल्के से उठाकर राहुल की तरफ बढ़ा दी राहुल अपनी मां का यह ईसारा समझ गया और तुरंत अपनी
मां की तरफ बढ़ा और अपने घुटनों के पास बैठकर अपनी मां के पैर में फंसी हुई उसके गुलाबी रं ग की पैंटी को
पकड़कर पेर से बाहर निकाल लिया। पें टी को हाथ में लेते ही राहुल तुरंत पें टी को अपने नाक से लगाकर सुंघने लगा,
राहुल मस्त होकर अपनी मां की पहनी हुई पैंटी को सुंघने लगा। जिसे वह दिनभर पहने हुए थी, पें टी जो कि हमेशा
अलका की मादक खुशबू से भरी रसीली बरु से और उसकी भरावदार गांड से चिपकी हुई रहती थी। जिसकी मादक
खुशबू उसकी पैंटी मे उतर आई थी। जिसे सुंघते ही राहुल मदमस्त हो गया। पैंटी की मादक खुशबू उसके नथन
ू ों से
होकर सीने में भरते ही उसके पूरे बदन में चुदास की लहर दौड़ने लगी। वह आहें भर-भर कर पैंटी को अपनी नाक और
होंठो से रगड़ते हुए पें टी की मादक खुशबू का मजा ले रहा था। राहुल को इस तरह से अपनी पैंटी सुंघते हुए दे खकर
अलका का भी मन बहकने लगा। उसने अब तक अपनी साड़ी को नीचे करने की शुध बिल्कुल नहीं ली थी। या
जानबझ
ू कर वह अपनी साड़ी को कमर से पकड़ी हुई थी' ताकि राहुल की नजर उस पर भी बराबर बनी रहे ।

दोनों के बदन मे ऊन्माद अपना असर दिखा रहा था। राहुल पैंटी को सुघते हुए रसीली बरु पर बराबर नजर गड़ाए हुए
था। उसकी आंखों के सामने दनि
ु या की बेशकीमती चीज बेपर्दा थी भला वह उसे छूने की अपने लालच को केसे रोक
सकता था इसलिए वह घुटनों पर चलते हुए अपनी मां की तरफ बड़ा और उसे अपनी तरफ बढ़ता हुआ दे ख कर
अलका कसमसाने लगी। क्योंकि वह समझ गई थी कि अब राहुल क्या करने वाला है उसके बारे में सोचकर ही उसके
पैरों में कपकपी सी होने लगी। और अलका के सोचने के मुताबिक ही राहुल हाथ में पैंटी लिए हुए ही उसकी जांघों को
हथेली में दबोच कर अपनी नाक को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ते हुए उसकी मादक खुशबू को अपने अंदर
खींचने लगा। राहुल की हरकत कर अलका एकदम मस्त होने लगी ऊसके बदन मे सुरसुराहट सी होने लगी। अभी
राहुल को पत्तियों के बीच नाक लगाएं उसकी मदद खुशबू को अपने अंदर खींचते कुछ सेकंड ही बीते थे कि वह झटके
से जांघो को पकड़े हुए ही अपनी मां को दस
ू री तरफ घुमा दिया और अलका अपने बेटे के इस हरकत पर गिरते गिरते
बची हो तो अच्छा हुआ कि उसके हाथों में दीवार की किनारी आ गई लेकिन उस कीनारी को पकड़ते पकड़ते उसके
हाथों से कपड़ों का ढे र नीचे गिर गया लेकिन कमर तक उठी हुई साड़ी नीचे नहीं गिरी राहुल आज कुछ और करना
चाहता था। इस तरह से अलका को घुमाने से उसकी भरावदार नितंभ राहुल के आंखों के सामने हो गई और राहुल
तुरंत अपनी मां की भरावदार गोरी गोरी और एकदम रुई की तरह नरम गांड की दोनो फांको को अपनी दोनों
हथेलियों में दबोच कर फैलाते हुए फांको के बीच अपना मुंह सटा दीया। अपने बेटे की इस हरकत पर अलका पूरी
तरह से गनगना गई। उसे समझ में नहीं आया कि राहुल कर क्या रहा है जब तक वह समझ पाती इससे पहले ही
राहुल फांकों के बीच अपनी नाक सटाकर ऊसकी मादक खुशबू को अपने अंदर खींचने लगा। अलका एकदम
मदमस्त होने लगी उसकी आंखों में नशा छाने लगा। उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी निकल गई।

ससससहहहहहह....।राहुल .....

( अलका का इतना कहना था कि तभी सीढ़ियों के नीचे से सोनू की आवाज आई।)

सोनू की आवाज सुनते ही अलका परू ी तरह से हड़बड़ा गई, लेकिन राहुल अपने काम में डटे ही रहा ।वह अपनी मां की
भरावदार गांड की दोनो फांकों को अपनी हथेलियों में दबोच कर अपना मुंह फांकों के बीच में डाल कर मस्त हुए जा
रहा था उसे इस समय किसी की भी चिंता नहीं थी। उसे भी सोने की आवाज आई थी जोकि अलका को ढूंढ रहा था
लेकिन फिर भी वह अपनी इस मस्ती को खोना नहीं चाहता था उसके रग-रग में अलका की भरावदार गांड से आ रही
मादक खुशबू दौड़ रही थी। अलका बार-बार अपने हाथ से राहुल के बालों को पकड़कर उसे हटाने की कोशिश कर रही
थी लेकिन राहुल था क्या अड़ा हुआ था। वह इस समय किसी भी कीमत पर अपनी मां की भरावदार नितंबों को
छोड़ना नहीं चाहता था। क्योंकि इस समय उसे अपनी मां के नितंबों से बेहद आनंद कीे अनुभूति हो रही थी। एकदम
रुई की तरह नरम-नरम भरावदार गांड ऐसे लग रही थी मानो कोई लचकदार तकिया हो। राहुल के इस हरकत से
अलका परू ी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी, ओर ऊसकी बरु की धार पकड़कर मदन रस रिस रहा था। राहुल नरम
नरम नितंबों को दबाते हुए गांड का मजा ले रहा था लेकिन तभी फिर से दोबारा सीढ़ियों के नीचे से आवाज आई।

मम्मी ओ मम्मी छत पर क्या कर रही हो?

( इस बार सोनु की आवाज सुनकर अलका पूरी तरह से घबरा गई वह राहुल को छोड़ने के लिए कहने लगी।)

राहुल छोड़ मुझे जाने दे सोनू मुझे बुला रहा है अगर कहीं वह ऊपर आ गया तो गजब हो जाएगा।( ऐसा कहते हुए वह
अपने हाथ से राहुल को पीछे की तरफ ठे लने लगी। लेकिन राहुल था की छोड़ने से इंकार कर रहा था।)
मम्मी मुझे बहुत मजा आ रहा है आपकी मदद गांड की खुशबू मुझे मदहोश बना रही है ।( ऐसा कहते हुए वह लगातार
गांड की दरारों के बीच अपनी नाक रगड़े जा रहा था।)

मम्मी कितना समय लगा रही हो।( सीढ़ियों के नीचे से फिर से सोनू आवाज लगाया।)

बस राहुल मुझे अब जाने दे (इतना कहने के साथ ही अलका ने जोर से राहुल को पीछे की तरफ धकेला और राहुल भी
अलका के इस धक्के से गिरते गिरते बचा, अलका राहुल की गिरफ्त से आजाद हो चुकी थी, और अपने कपड़े दरु
ु स्त
करके नीचे गिरे हुए कपड़ों को समेटने लगी.। राहुल अपनी मां को ही दे खे जा रहा था उसका हाल बुरा था उसके बदन
में काम अग्नि की आग लपटे ले रही थी । अलका अपने कपड़े समेटकर जाने लगे जाते-जाते वह पीछे मुड़कर दे खे
उसके चेहरे पर कामुक मुस्कान फैली हुई थी उसकी नजर राहुल के हाथ में जो कि अभी भी उसकी पैंटी थी उस पर
गए और वह नीचे सीढ़ियों पर उतरने के लिए पांव रखते हुए बोली मेरे कमरे में आ जाना मेरी पैंटी लौटाने के लिए
और इतना कहकर हं सते हुए चली गई। राहुल अलका को कातिल मुस्कान बिखेऱ कर जाते हुए दे खता रह गया।

वह वहीं बैठा-बैठा खुश होने लगा क्योंकि आज दश पन्द्रह दिनों के बाद कुछ काम बना था उसे इस बात की खुशी होने
लगी कि ईतने दिनों के बाद आज फिर से उसका काम बनता नजर आ रहा था।

अलका अपनी पैंटी वहीं छोड़ गई थी जोंकि राहुल के हाथों में थी। अलका इस समय

साड़ी के नीचे बिल्कुल नंगी थी। इसका एहसास होते ही राहुल के बदन में गुदगुदी होने लगी उसके लंड में ऐठन बढ़
गया, और वह एक बार फिर से अपनी मां की पैंटी को नाक से लगाकर गहरी सांस लिया और फिर उसे अपने पैंट की
जेब में रख लिया।

रसोई घर में खाना बनाते समय अलका का भी बरु ा हाल था इसे भी बहुत दिनों के बाद उत्तेजना का एहसास हुआ था
एक बार फिर से उसका मन मचल रहा था राहुल के लंड को लेने के लिए बहुत दिनों से उसकी बुर में उसके बेटे का
मोटा लंड नहीं गया था जिसकी वजह से बरु की खुजली भी बढ़ती जा रही थी। वह रोटियां बनाते समय गर्म तवे को
दे ख रही थी जिस पर रोटी रखते ही वह गरम होकर फूल जाती थी। मुझे इस बात का एहसास हो गया कि तवे की
रोटी की तरह ही उसकी बरु का भी यही हाल था। क्योंकि इस समय वह भी गरम होकर फुल चुकी थी जिसका
एहसास ऊसे बार-बार साड़ी के ऊपर से ही उस पर हाथ लगाने से हो रहा था। अलका का मन बहकनें लगा था। आज
उसको राहुल के लंड की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ रही थी रोटी बनाते समय बार-बार उसे छत वाली घटना याद आ
रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि राहुल उसका इतना ज्यादा दीवाना हो चुका है । उस पल को याद करके वह
रोमांचित हो उठती थी जब राहुल, अपना मुंह उसके भरावदार गांड की फांकों के बीच डाल कर उसकी मादक खुशबू
का मजा ले रहा था। सारी घटनाओं को याद करके उसके बदन में कामाग्नि प्रबल होते जा रही थी उसकी बुर राहुल के
लंड से चुदने के लिए तड़प रही थी क्योंकि जिस तरह की खुजली उसकी बुक में मची हुई थी उस खुजली को उसका
बेटा ही मिटा सकता था।

खाना बनाने में भी उसका मन बिल्कुल नहीं लग रहा था फिर जैसे तैसे करके वह रसोई का काम समाप्त की।

तीनों साथ में खाना खाने बैठे हुए थे। राहुल की जेब मैं अभी-भी अलका की पें टिं थी , जिसे वह सोनू की नजर बचाकर
अपने हाथ में लिया हुआ था अलका भी भोजन करते समय अपनी पैंटी को अपने बेटे के हाथ में दे खकर गंनगना गई।
और राहुल भी अपनी मां को ऊकसाते हुए उसे दिखा कर पैंटी को रह रहकर अपनी नाक से लगा कर सुंघ ले रहा था।
यह दे ख कर अलका की बुर की खुजली और ज्यादा बढ़ने लगी थी वह जैसे तैसे करके भोजन ग्रहण के भोजन करने
के बाद सोनू अपने कमरे में चला गया और राहुल भी अपने कमरे में जा रहा था की पीछे से उसे आवाज दे ते हुए
अलका बोली

बेटा मेरे कमरे में आकर वह दे जाना। ( इतना कहकर अलका मुस्कुराने लगी राहुल भी मुस्कुरा कर अपने कमरे में
चला गया वह भी उत्सुक था अपनी मां के कमरे में जाने के लिए क्योंकि आज फिर से बिस्तर पर अपनी कला
बाजिया दिखाना चाहता था वह तड़प रहा था अपनी मां की बुर में अपना लंड डालने के लिए। राहुल भैया अच्छी तरह
से जानता था कि संभोग सुख का संतुष्टि भरा एहसास जो उसकी मां से मिलता था वह किसी से भी नहीं मिल पाता
था। कमरे में जाते हुए उसके लंड में संपूर्ण तनाव बना हुआ था। यह तनाव को बने हुए आधे घंटे से ज्यादा हो चुका था
लेकिन राहुल इतना ज्यादा उतेजित था की उसके लंड का तनाव थोड़ा सा भी कम नहीं हो रहा था।

दस
ू री तरफ रसोई घर साफ करते हुए अलका भी अपने बेटे के लंड के बारे में सोच-सोच कर उत्तेजित हुए जा रही थी
आज उसने ठान ली थी थी आज एक बार फिर से जमकर अपने बेटे से चुदेगी। यही सोचते हुए वह बार-बार साड़ी के
ऊपर से ही अपनी बुर को मसल दे रही थी जिसकी वजह से उसकी कामोत्तेजना और ज्यादा बढ़ जा रही थी। जल्दी-
जल्दी रसोई घर की सफाई करके वह अपने कमरे में पहुंच गई लेकिन दरवाजे को खुला छोड़ दी, ऊसकी कड़ी नहीं
लगाई थी ताकि राहुल बेझिझक अंदर आ सके। कमरे में जाते ही अलका ने अपनी साड़ी उतार फेंकी और आईने के
सामने ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी होकर अपने चेहरे को निहारने लगी। अपने बदन को एकटक निहारते हुए वह
मुस्कुराने लगी। अपने बदन को दे ख कर चेहरे पर आई मुस्कुराहट के राज को वह भी अच्छी तरह से जानती थी। उसे
अच्छी तरह से पता था कि इस उम्र में भी उसके बदन में जवानी भरपूर तरीके से बरकरार थी।

वह धीरे धीरे अपनी हथेलियों को ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी दोनों चुचीयों पर रखकर हल्के-हल्के दबाने लगी।

राहुल को भी अपनी तरफ बर्दाश्त नहीं हो रही थी वह तुरंत बिस्तर पर से उठा और अपनी मां के कमरे की तरफ चल
दिया। अपनी मां के कमरे के दरवाजे पर पहुंचा तो उसे पता चल गया कि दरवाजा खुला हुआ है और वह दरवाजे को
हल्कै से धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया और फिर वह कमरे में प्रवेश करके सामने नजर करते हुए दरवाजे को बंद
कर दिया। सामने नजर पढ़ते ही उसने दे खा कि उसकी मां की बदन से साड़ी उतरकर नीचे फर्श पर गिरी हुई थी, और
वह सिर्फ इतना उजड़ पेटीकोट में आईने में अपने आप को भी निहार रही थी। अलका को भी पता चल गया था कि
उसका बेटा कमरे में आ गया है इसलिए उसके बदन में एक अजीब तरह की गुदगुदी होने लगी। उसकी सांसे
उत्तेजना के नारे भारी हो चली। राहुल मन में ढे र सारे अरमान लिया अपनी मां की तरफ बढ़ा, कल का पीछे मुड़कर
बिल्कुल भी दे खने की सुध नहीं ली वह बस राहुल के कदमों की आवाज को सुनकर अपने बदन में सुरसुराहट का
एहसास कर रही थी। राहुल के पें ट में तनाव पूर्ण रुप से बना हुआ था जो कि कुछ ज्यादा ही तना हुआ लग रहा था।
राहुल सीधे ही पीछे से आकर अपनी मां को बाहों में भर लिया और बाहों में भरने के साथ ही उसने अपनी दोनों
हथेलियों को ब्लाउज के ऊपर से ही उसके बड़े बड़े चुचियों पर रख दिया और अपने पैंट में बने हुए तनाव को पेटीकोट
के ऊपर से ही गोल गोल गांड की फांकों के बीच धंसाते हुए अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ा दिया। राहुल की इस
हरकत से अलका कसमसाते हुए एकदम से मचल उठी और उसके मुंह से हल्की सी शिसकारी निकल गई।

सससहहहहहह.....राहुल......

और राहुल खाकी ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चुचियों को दबाते हुए अपने लंड को पैंट के ऊपर से ही उसमे
बने तंबू को अपनी मां की गांड के बीचोंबीच पेटीकोट के ऊपर से ही धंसाने लगा। राहुल एक साथ दोनों का मजा ले
रहा था अपनी मां की भरावदार गांड पर अपने लंड को रगड़ते हुए और उसकी दोनो चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही
हथेली में भर भर कर दबाते हुए आनंद के सागर में गोते लगा रहा था। अलका मदहोश में जा रही थी उसकी बरु परू ी
तरह से गीली हो कर चिपचिपी हो गई थी राहुल भी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां पें टी नहीं पहनी है ,
क्योंकि उसकी उतारी हुई पें टी तो उसके पास में ही थी।

राहुल अपनी मां की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाते हुए अपने पैंट में से उसकी पैंटी को निकाल कर उसकी आंखों के
सामने अपनी उं गलियों से पकड़कर लहराने लगा। इस तरह से राहुल को उसकी ही पैंटी हाथों में लेकर उसकी आंखों
के सामने लहराते हुए दे खकर अलका मुस्कुराने लगी और अपने बेटे के हाथों से पें टिं को छीनते हुए बोली।

ुईसे पागलों की तरह अपनी नाक से लगाकर मदहोश होकर क्यों सुंघता है ? तुझे ऐसा करने मे गंदा नहीं लगता
(अलका एकदम कामुक होकर बोल रही थी। )

ऊममममम.....मम्मी... (गर्दन को चूमते हुए बोला)

तुम्हें क्या मालूम इसमें कितना मजा मिलता है ।

इसमें क्या मजा मिलता है ?


( ब्लाउज के बटन को खोलते हुए) ओह मम्मी पें टिं पर तुम्हारे बरु की खुशबू सिमटी हुई होती है जिसे मैं नाक से
खींचकर एक दम मस्त हो जाता हूं। ( अपने बेटे की इस तरह की बात को सुनकर वह मदहोश हुए जा रही थी) ऐसा
लगता है कि जैसे मैं तुम्हारे पें टी नहीं बल्कि तुम्हारी बरु पर नाक लगाकर सुंघ रहा हूं। ( इतना कहने के साथ ही वह
अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन को खोल दिया।)

तू चाहे तो बुर में भी नाक लगा कर सुघ सकता है फिर क्यों पें टी को नाक लगाकर सुंघता है । ( इतना कहने के साथ ही
वह अपने बदन को कमान की तरह पीछे की तरफ झुका कर अपने बेटे को ब्लाउज निकालने का इशारा कर दी
क्योंकि वह आईने में दे ख चुकी थी कि उसके बेटे ने ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए थे। राहुल भी अपनी मां के इश
ईसारे को समझ गया था की वह अब अपने ब्लाउज को ऊतरवाना चाहती थी, और बुर में नाक लगाकर सुंघने के
इशारे को भी समझ गया था, अच्छी तरह से समझ गया था कि उसकी मां अब ऊससे अपनी बरु चटवाना चाहती थी'
और राहुल खुद बेताब था अपनी मां की बुर को चाटने के लिए लेकिन पहले वह अपनी मां के ब्लाउज को उतारने के
लिए उसके कंधे पर से ब्लाउज की किनारीे को पकड़कर पीछे की तरफ खींचने लगा और अगले ही पल उसके बदन के
ब्लाउज बाहों से होता हुआ निकल गया। इस वक़्त उसकी मां सिर्फ ब्रा और पेटिकोट पर आईने के सामने खड़ी थी
और राहुल पीछे से उससे बराबर सटा हुआ ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबा रहा था। कमरे का माहौल परू ी
तरह से गर्म हो चुका था। अलका के मुंह से रह रहकर सिसकारी की आवाज निकल जा रही थी राहुल आईने में अपने
और अपनी मां को दे खते हुए उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को ब्रा के ऊपर से ही दबाए जा रहा था। उत्तेजना के मारे
अलका का चेहरा लाल टमाटर की तरह तमतमा रहा था। अलका के हॉठ हलके से खुले हुए थे जिससे उसके मोतियों
की तरह चमकते हुए दांत दिख रहे थे जिसकी वजह से उसकी खब
ू सूरती में और भी ज्यादा इजाफा हो रहा था। राहुल
के भी सब्र का बांध टूट रहा था वह हल्की-हल्की अपनी कमर को अपनी मां के नितंबों पर हिलाते हुए आगे पीछे करने
लगा ऐसा करने में उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी और अलका भी मदमस्त हुए जा रही थी राहुल ब्रा के हुक
को खोले बिना ब्रा के कप के नीचली किनारी को

पकड़ कर आगे की तरफ खींच कर उसे क्यों क्योंकि वक्त पर चढ़ा दिया जिससे अलका के दोनों बड़ी-बड़ी नारं गीया
तनकर सामने आईने में दिखने लगी अपनी मां की बड़ी बड़ी चुचियों की खूबसूरती दे खकर राहुल से रहा नहीं गया
और उसने दोनों निप्पलों को अपनी उं गलियों के बीच लेकर उसे मसलते हुए सुराहीदार गर्दन को चूमने लगा। अलका
उत्तेजना में इतनी ज्यादा सरो बोर हो चुकी थी कि जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी। और वह खुद अपने दोनों
हाथ को पीछे की तरफ लाकर अपने बेटे के नितंबों पर रखकर उसे अपने बदन से और ज्यादा सटाने लगी जिससे
राहुल का लंड पेटीकोट के ऊपर से ही हल्के-हल्के उसकी बुर वाली जगह पर ठोकर लगाने लगा इससे अलका की
तड़प और ज्यादा बढ़ गई। मुझसे बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हो जा रहा था और राहुल हल्के हल्के अपनी कमर को
हिलाता हुआ बड़ी बड़ी चुचियों को मचल मचल कर एकदम लाल टमाटर की तरह कर दिया। दोनों के मुख्य से हल्की
हल्की सिसकारी निकल जा रही थी दोनों अपनी उत्तेजना को दबाने में नाकामयाब साबित हो रहे थे। ट्यब
ू लाइट की
दधि
ू या रोशनी में अलका का गोरा बदन मक्खन की तरह चमक रहा था जिसे दे खकर कोई भी उसका दीवाना हो
जाए। चुचियों का कद उत्तेजना के मारे थोड़ा सा बढ़ गया था और उसकी छोटी सी निप्पल तनकर छोटी ऊंगली की
तरह हो चुकी थी दोनों एक दस
ू रे में खो चुके थे आईना दोनों के रूप रं ग को अच्छी तरह से बयां कर रहा था।

सससहहहहहह.....राहुल..... मुझसे रहा नहीं जा रहा है राहुल.....ऊफ्फफ..... कुछ कर राहुल मेरा अंग अंग तेरे मिलन
के लिए तड़प रहा है । ( अलका कामुकता भरी आवाज में राहुल से बोली राहुल समझ गया था कि उसकी मां बेहद
उत्तेजित हो चक
ु ी है और अनभ
ु वी हो चक
ु ा राहुल इतना तो समझता ही था कि अब क्या करना है इसलिए वह चचि
ु यों
पर से अपनी हथेली को हटाकर उसकी ब्रा के हुक को खोलने लगा। अलका भी तरु ं त हरकत में आई उसे भी एक पल
भी गंवाना गवारा नहीं था। इसलिए वह खद
ु अपने हाथों से पेटीकोट की डोरी को खोलने लगी, राहुल आईने में अपनी
मां की उत्तेजना और उसके जल्दबाजी के साफ साफ दे ख पा रहा था। अपनी मां की जल्दबाजी को दे ख कर राहुल के
लंड का तनाव इस हद तक बढ़ गया कि उसे अपने लंड में हल्का हल्का दर्द सा महसस
ू होने लगा। अलका ने पेटीकोट
की दरू ी को अपने नाजक
ु नाजक
ु उं गलियां की सहायता लेकर खल
ु चक
ु ी थी और उसकी दोनों तरफ के छोरों को
पकड़कर नीचे की तरफ सरकाने लगी, जैसे ही उसने पेटीकोट को जांघों तक लाइ उसमें पेटीकोट को छोड़ दी और
हल्की हल्की अपने जांघो को झटकते हुए पेटीकोट को नीचे पैरों में गिरा दी। और गिरी हुई पेटीकोट को पैरों में से
निकालकर एक साइड में कर दी इस समय अलका संपर्ण
ू निर्वस्त्र अवस्था में आईने के सामने खड़ी थी राहुल को जैसे
ही यह एहसास हो गया कि इसकी मां के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं है और वह परू ी तरह से नंगी खड़ी है तो वह
अपना आपा खोते हुए चचि
ु यों को हथेली में भरकर जोर जोर से दबाने लगा। और चचि
ु यों को दबाते दबाते एक हाथ
को नीचे जांघो के बीच में ले जाकर हल्के हल्के बालों से भरी बरु को सहलाने लगा। अपनी गरम-गरम और फूली हुई
बरु पर अपने बेटे की हथेली का स्पर्श होते ही अलका परू ी तरह उत्तेजना से भर गई और हथेली की रगड़ से उसके मंह

से सिसकारी निकल पड़ी।

आाहहहहहहह...राहुल..... अब बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा है कुछ कर राहुल ........

राहुल अपनी मां की उत्तेजना भरी आवाज सुनकर तड़प ऊठा। ऊसका मोटा लंड भी गांड की दरारों में फंसकर गदर
मचाई हुए था। राहुल समझ गया था कि अब समय आ गया है ऊसे बिस्तर पर ले जाने का। एक बार तो उसके
दिमाग में आया कि वह अपनी मां को गोद में उठाकर बिस्तर तक ले जाए। लेकिन वह अच्छी तरह से जानता था कि
उसकी मां का बदन भारी था जोकि उससे उठाया नहीं जा पाता, इसलिए वह जोश में होश नहीं खोना चाहता था।

राहुल अपनी मां का हाथ पकड़कर बिस्तर तक ले गया और बिस्तर के किनारे पर उसके गुलाबी होंठों को चूमते हुए
अपने दोनों हाथों को उसकी चिकनी पीठ पर फीराते हुए उसके भरावदार नितंबों पर ले जाकर कस के दबाते हुए उसे
बिस्तर पर झुकाते हुए खुद उसके ऊपर झुकता चला गया। धीरे -धीरे राहुल ने अपनी मां के गुलाबी होठों को चूसते हुए
और उसके भरावदार नितंबों को मसलते हुए उसे बिस्तर पर लिटा दिया ' दोनों की सांसे तेज चल रही थी दोनों संभोग
की कला में लिप्त होने के लिए परू ी तरह से तैयार थे। अलका आहें भरते हुए प्यासी नजरों से अपने बेटे की तरफ दे ख
रही थी और राहुल धीरे -धीरे करके अपने कपड़े उतार रहा था

अगले ही पल राहुल अपने सारे कपड़े ऊतार कर नंगा हो गया अपने बेटे का गठीला बदन दे खकर उसकी बरु चोदने
की चिकने लगी। राहुल का लंड तनकर छत की तरफ मँह
ु ऊठाए खड़ा था जिस पर अलका की नजर पड़ते ही
उत्तेजना और खुशी के मारे गदगद हो गई। राहुल एक हाथ से अपने खड़े लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करते हुए
हिलाने लगा। अपने बेटे के दमदार लंड को इस तरह से हिलते हुए दे खकर उसके मुंह में पानी आ गया। एक हाथ से
लंड को हिलाते हुए राहुल बोला ।

स्सहहहहहहहह.... तम
ु बहुत सेक्सी हो मम्मी तम्
ु हें नंगी दे खकर तो मेरी हालत खराब हो जाती है । तम्
ु हारी यह बड़ी
बड़ी चचि
ू यां ऊफ्फ.... इन्हें दे खते ही मेरा मन करता है कि इन्हें मंह
ु में भर कर जोर-जोर से दबाते हुए ईसका सारा रस
पी जाऊं।

( अपने बेटे के मंह


ु से अपनी तारीफ सन
ु कर अलका प्रसन्नता के साथ उत्तेजना का भी अनभ
ु व कर रही थी और चच
ू ी
की जाने वाली बात को सन
ु ते ही उसके हाथ खद
ु -ब-खद
ु चचि
ू यों पर पड़ी गई और वह खद
ु ही अपनी चचि
ु यों को दबाने
लगे और चचि
ु यों को दबाते हुए बोली।)

सब कुछ तेरा ही है बेटा तेरा जो मन में आए वो कर मेरे साथ तेरे प्यार के बिना मैं अधूरी हूं ना जाने कैसे इतने वर्षों
तक में तेरे इसके लिए ( लंड की तरफ इशारा करते हुए) प्यासी तड़पती रही। बस अब मुझे तड़पा मत बझ
ु ा दे मेरी बरु
की खुजली तेरे लंड से।

दोनों के बीच की यह गंदी बातचीत माहौल को और ज्यादा गर्म कर रहे थे और दोनों आपस में खुल भी रहे थे। दोनों
आपस में इस तरह की बात करके और भी ज्यादा काम उत्तेजना का अनुभव कर रहे थे। सभी अपनी चुचियों को
मसलते हुए अलका बोली।

बस बेटा अब और मत तड़पा आजा मेरी बाहों में ओर बुझा दे मेरी प्यास को।( इतना कहने के साथ ही वह अपनी
मोटी मोटी जांघों को फैला दी। यह दे खकर राहुल से रहा नहीं गया और वह, अपनी मां की जांघो के बीच में पलंग के
नीचे घुटनों के बल बैठ गया और अलका उसको दे खकर कुछ समझ पाती ईससे पहले ही उसने अपने होंठ को अपनी
मां की तपती हुई बरु की गुलाबी पत्तियों पर रख कर चुसना शुरु कर दिया। अपने बेटे की इस हरकत पर तो अलका
एकदम बदहवास हो गई, अपनी बुर चटाई से उसकी आंखों में नशा छाने लगा, राहुल बार-बार अपनी जीभ के छोर से
अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तियों को छे ड़ रहा था। जिससे अलका उत्तेजित होकर एकदम मदहोश होने लगी
अपने दोनों हाथ से अपने बेटे का सिर पकड़कर अपनी बुर पर दबाते हुए गरम गरम सिसकारी लेना शुरु कर दी। कुछ
ही दे र में युं ही बरु चाटने चटवाने से दोनों एकदम मदहोश हो गए। अलका लगातार गरम सिसकारी लेते हुए अपने
बेटे को चोदने के लिए उकसा रहीे थी।

ससससहहहहहहह...।आहहहहहहहह राहुल..... अब और मत तड़पा मुझे डाल दे अपने मोटे लंड को मेरी बुर में दे ख
केसे तड़प रही है तेरे लंड के लिए....सहहहहह.... बस इंतजार मत कर..अपने लंड को डाल कर चोद मुझे ..:.

अपनी मां की गरम सिसकारी सुनंकर और चुदवाने की तड़प को दे खकर राहुल भी ऊत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच
गया वह भी तड़प रहा था अपनी मां की बुर में अपना लंड डालकर चोदने के लिए इसलिए वह अपनी मां की रसीली
बुर पर से अपना मुंह हटा लिया और जांघों के बीच घुटने रखकर अपनी मां की मांसल जांघों को पकड़कर अपनी
तरफ खींचते हुए पलंग के किनारे कर दिया। अब उसकी मां की बरु और लंड के बीच बस दो अंगूल का ही फासला रह
गया था जिसे राहुल ने अगले ही पल लंड के सुपाड़े को बरु के गुलाबी पत्तियों के बीच रखकर व फासला भी मिटा
दिया। अपने बेटे के लंड के सुपाड़े को अपनी गुलाबी बरु पर महसूस करते ही उसका बदन कमान की तरह एेंठ गया।
उसके बदन में जैसे चुदास की लहर भर गई हो इस तरह से वह उत्तेजित हो गई। एक बार फिर से राहुल अपनी मां
को चोदने जा रहा था उसकी मां खुद ही अपनी चुचियों को जगाते हुए अपने बेटे के धक्के को सहने के लिए परू ी तरह
से तैयार हो चुकी थी। वह इसी इंतजार में थी कि कब उसका बेटा अपने दमदार और तगड़े लंड को उसकी बरु में अंदर
डालता है और राहुल भी पूरी तरह से लंड को अपने मां की गुलाबी बरु की पत्तियों पर टाकाए हुए अपनी कमर को धीरे
धीरे आगे की तरफ सरका रहा था। बुर काम रस से एकदम गीली होकर चिपचिपी हो गई थी, इसलिए लंड का मोटा
सुपाड़ा

धीरे -धीरे बुर के अंदर सरक रहा था। धीरे धीरे लंड का मोटा सुपाड़ै सरकते हुए अलका की बरु में उतर गया।

एक पल तो अलका दर्द से बिलबिला उठी क्योंकि बुर में लंड लिए उसे 15 दिन जैसे बीत चुके थे इसलिए उसे यह दर्द
का एहसास हो रहा था। उसका दर्द कम होता है इससे पहले ही राहुल ने एक जोरदार धक्का लगाया और इस बार बुर
की चिकनाहट पाकर लंड बरू के अंदर की सारी अड़चनों को दरू करता हुआ बरु की गहराई मे उतर गया। इस बार तो
अलका को और भी ज्यादा वेदना होने लगी राहुल वैसे का वैसा बुर में लंड ठुंसकर अपनी मां के ऊपर ही लेटा रहा और
उसकी मां दर्द से बिलबिलाते हुए बोली।

आहहहहहहहहह.....ऊईईईईई....।मां .....मर गई रे ....


ऊफ्फ....निकाल ईसे बाहर....तेरा लंड है की गधे का लंड है रे .. मेरी तो जान ही निकली जा रही है .( दर्द से छटपटाते
हुए अपने सिर को दाए बाए पटक रही थी। राहुल कुछ दे र तक ऐसे ही रुका रहा और आगे अपने दोनों हाथ को बड़ा
कर बड़ी बड़ी चुचियों को थामते हुए बोला।)

बस बस मम्मी को थोड़ा सा रुक जाओ थोड़ी ही दे र में तुम्हें परम आनंद की अनुभूति होने लगेगी। ( राहुल अपनी मां
के दर्द को कम करने के लिए कुछ दे र तक यूं ही चुचियों को मसलता रहा और वाकई में थोड़ी ही दे र में अलका जो
कुछ दे र पहले दर्द से तड़प रहे थे वह अब खुद अपने हाथ को राहुल के हाथ पर रखकर अपनी चुचियों को दबाने में
मदद करने लगी और गरम सिसकारी लेने लगी। राहुल समझ गया कि आप मामला बिल्कुल फिट है इसलिए वह
धीरे से अपने लंड को बरु से बाहर की तरफ खींचा बरु के अंदर सिर्फ लंड के सुपाड़े को हल्के से रहने दिया और बाकी
का सारा लंड बरु के बाहर निकाल लिया इसके बाद अपनी मां की मांसल जांघों को हथेलियों में दबोचे हुए एक जोरदार
धक्का लगाया और फिर से लंड बुर की गहराई में ऊतरते हुए सीधे बच्चेदानी से जा टकराया। इस बार फिर से अलका
की चीख निकल गई लेकिन इस बार अपनी मां के दर्द की परवाह किए बिना ही वह लंड को बुर के अंदर बाहर करना
शुरु कर दिया। अब राहुल अपनी मां को धीरे -धीरे चोद रहा था और साथ ही चुचियों को भी दबाए जा रहा था। इससे
अलका को दग
ु ना मजा मिल रहा था राहुल कुछ दे र तक यूं ही धीरे -धीरे चोट लगाता रहा। लेकिन अपनी मां की गरम
सिसकारी को सुनकर वह अपने धक्के तेज कर दीया।

अलका की गरम सिसकारी से परू ा कमरा गूंज रहा था और राहुल था कि रुकने का नाम नहीं ले रहा था। राहुल
धड़ाधड़ अपनी मां की बरु में धक्के पर धक्का लगाता रहा और उसकी मां हल्की-हल्की चीख के साथ गर्म आहें भरते
हुए सिसकारी लेती रही। अपनी मां की मादक सिस्कारियों को सुनकर राहुल के धक्के और ज्यादा तेज होने लगे।
पुच्च पुच्च की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था बहुत दिनों के बाद दोनों आज चुदाई का मजा ले रहे थे इसलिए कुछ
ज्यादा ही लिपट चिपट रहे थे। पंखा चालू होने के बावजूद भी दोनों के बदन से पसीना टपक रहा था। दोनों पसीने से
तरबतर हो चुके थे अलका भी मदहोश हो करके अपने बेटे की हर एक ठाप का जवाब नीचे से अपनी कमर को उचका
कर दे रही थी। दोनों की चुदाई खासा टाइम तक चल रही थी दोनों अब चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ रहे थे। दोनों की सांसे
तेज गति से चलने लगी और दो चार धक्कों के बाद ही दोनों एक दस
ू रे के बदन से कस के लिपटते हुए

झड़ना शुरु कर दिए। दोनों अपने लक्ष्य को प्राप्त कर चुके थे। दोनों एक दस
ू रे की बाहों में लंबी सांसे लेते हुए झड़ रहे
थे। राहुल ने सुबह 5:00 बजे तक अपनी मां की जमकर चुदाई किया। अलका एकदम मस्त हो कर चुदाई का सुख
भोग कर एक दस
ू रे की बाहों में बाहें डाले कब नींद की आगोश में चले गए दोनों को पता नहीं चला।

दरवाजे पर जोर जोर की दस्तक की आवाज सुनकर अलका की नींद खुली तो वह सामने टं गी दीवार घड़ी में समय
दे खते ही हड़बड़ा गई, वह बिस्तर से उठने को हुई तो उसे एहसास हो गया कि वह परू ी तरह से नंगी लेटी हुई थी।
बगल में राहुल वह भी पूरी तरह से नंगा लेटा हुआ था उसका लंड उसकी जांघों के बीच से ऐसा लग रहा था कि जैसे
वह अलका को ही दे ख रहा हो। अलका की नजर उस पर पड़ते ही वह मुस्कुराने लगी इस समय उसके लंड को ढीले
अवस्था में दे ख कर यकीन कर पाना बड़ा मुश्किल हो रहा था कि रात भर यह अपनी मां की बरु में गदर मचाए हुआ
था। बाहर दरवाजे पर लगातार दस्तक हो रही थी अलका को समझते दे र नहीं लगी की दरवाजे पर सोनू ही खड़ा है ।
वह अब तक दरवाजे को पीट रहा था लेकिन कुछ दे र बाद वह बाहर खड़ा होकर दरवाजे पर दस्तक दे ते हुए बुलाने
लगा।

मम्मी मम्मी आज कितना लेट हो गया है अभी तक सो रही हो क्या?

इस बार सोनू की आवाज सुनकर राहुल भी जाग गया।

अपनी और अपनी मां की हालत पर गौर करते ही वह भी घबरा गया।

अब क्या होगा मम्मी बाहर तो सोनू खड़ा है ? ( राहुल घबराते हुए अपनी मां से बोला उसकी मां को भी कुछ समझ में
नहीं आ रहा था कि क्या कहे लेकिन फिर वह राहुल को वैसे ही लेटे रहने को कहा और खुद अपने बदन पर चादर
लपेट कर अपने नंगे बदन को छुपाने की कोशिश करते हुए राहुल को बोली।

रुक जा मैं दे खती हूं तू बस लेटे रह उठना नहीं।

ठीक है मम्मी।

( अलका बिस्तर पर से नीचे खड़ी हुई और चादर को अपने बदन पर साल की तरह ओढकर उसकी किनारी को अपने
चुचियों की तरफ मुट्ठी बाँध की पकड़ ली और दरवाजे की तरफ जाने लगी।)

रुक जा बेटा ऐसे ही दरवाजे को थपथपाते ही रहे गा कि शांति से खड़ा भी रहे गा, आती हूं।

इतना कहने के साथ अलका दरवाजे तक पहुंच गई और अपने अंगो को चादर की ओट से छुपाते हुए धीरे से दरवाजा
खोली और सिर्फ इतना ही खोली की सिर्फ उसका चेहरा ही दिख सके। जैसे ही दरवाजा खोलि सामने सोनू खड़ा था।
और सोनू को दे खते ही बोली।
क्या हुआ बेटा इतनी जोर-जोर से दरवाजा क्यों पीट रहे हो?

मम्मी पहले घड़ी में दे खो तो कितना समय हुआ है आज आप लेट हो चुकी है ।

हां बेटा मुझे मालूम है थोड़ा तबीयत ठीक नहीं था इसलिए नींद नहीं खुली (जम्हाई लेते हुए बोली)

बात करते समय अलका से हल्का सा दरवाजा खुल गया और सोनू अपनी मां को गौर से ऊपर से नीचे तक दे ख रहा
था उसकी नजर तभी बिस्तर पर पड़ी तो उस पर राहुल लेटा हुआ था उसे दे खते ही वह बोला।

भाई यहां क्यों सोया है मम्मी? ( सोनू के इस सवाल से अलका थोड़ा सा हड़बडा गई
़ और हड़बडाते हुए बोली।

वो वो वौ... उसके कमरे का पंखा चल नहीं रहा था इसलिए गर्मी की वजह से वह मेरे पास आ गया सोने, अच्छा तुम
चल कर तैयार हो मैं जल्दी से नहाकर आती

हुं। ( अलका बात को बदलते हुए बोली और वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि सोनू की उमर अभी यह सब समझ
सके ऊतनी नहीं हुई थी, लेकिन तभी उसे राहुल का ख्याल आ गया जिसे कुछ दिन पहले तक भोला समझती थी और
वही भोला लड़का आज दिन रात उसकी बुर को रगड़ रहा था यह ख्याल मन में आते ही ऊसके चेहरे पर मुस्कुराहट
बिखर गई। सोनू के चाहते हैं वह दरवाजा बंद करके राहुल को बाहर जाने का इशारा किया लेकिन वह उसका उससे
पहले ही वह किस हाल में थी वैसे ही चादर लपेटे हुए ही वह अपने बाथरुम में चली गई।

आज स्कूल जाने में लेट तो हुआ ही था घर से निकलते निकलते राहुल अपने ही फूल के गमले से एक गुलाब का फूल
तोड़कर उसे जेब में रख लिया। स्कूल में पहुंचते ही वह सबसे पहले नीलू से मिला और नीलू से मिलते ही अपने जेब
से गल
ु ाब का फूल निकालकर नीलू को थमाते हुए बोला ।

आई लव यू नीलू आई लव यू । ( राहुल के इस तरह के रोमांटिक प्रपोजल से नीलू बेहद प्रसन्न हुई। उसके चेहरे पर
असीम प्रसन्नता के भाव साफ-साफ झलक रहे थे। उसे इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि राहुल उसे
इस तरह से प्रपोज कर रहा है क्योंकि वह जानती थी कि राहुल बेहद शर्मीला लड़का था। इसलिए आज उसकी यह
अदा दे खकर नीलू के तो वारे न्यारे हो गए। नीलू भी मुस्कुराकर फूल को अपने पर्स में रखते हुए लव यु टू कहकर
अपने गहरे प्यार का ठप्पा लगा दी। विनीत की गेर हाजिरी में दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा था दोनों एक दस
ू रे
के बिना अब बिल्कुल भी रह नहीं सकते थे। नीलु उसे कभी फिल्म दे खने तो कभी पार्क में सब जगह पर उसे साथ में
लेकर घूमने लगी। नीलू अब उसे सीरियसली प्यार करने लगी थी हालांकि इस प्यार के पीछे भी उसका शारीरिक सुख
को भोग लेने की आकांक्षा छुपी हुई थी लेकिन इसके साथ ही उसका प्यार भी गहराता जा रहा था। स्कूल के ऊपरी
मंजिल पर दोनों सबसे नजरें बचाकर मिल ही लेते थे और खाली पड़े क्लास में अक्सर दोनों एक दस
ू रे के अंगों से
छे ड़छाड़ करने का परू ा फायदा उठाते थे। दिन गुजरता जा रहा है स्कूल से घर पहुंचने के बाद वह अपनी मां की बाहों
में खो जाता था उसकी मां ने अपने सारे अरमान अपने बेटे से ही परू ा कर रही थी दिन रात जब भी मौका मिलता
अपनी बुर की खुजली मिटाने के लिए अपने बेटे के लंड पर सवार हो जाती थी। और विनीत की भाभी से भी फोन पर
लगातार बात हो रही थी वह फोन पर ही अश्लील बातों का सहारा लेकर के उसका पानी निकालने में ऊसकी मदद
करता और साथ ही खुद भी विनीत की भाभी के गंदी बातें सुनकर गर्म हो जाता और अपने लंड को हिला कर अपने
आप को शांत कर लेता। राहुल तीनो औरतों में उलझा हुआ था तीनो का प्यार उसे बराबर मिल रहा था। एक का भी
साथ छोड़ दे ना उसके लिए गवारा नहीं था और ना ही तीन औरतों में से कोई भी उसका साथ छोड़ना चाहती थी। रोज
रात को वह अपनी मां के कमरे में जाता है या तो खुद ही उसकी मां उसके कमरे में आ जाती और फिर वासना का
जबरदस्त खेल बिस्तर पर खत्म होता।

एक दिन स्कूल से छूटने के बाद नीलू राहुल को पीछे बैठा कर उसके चौराहे तक छोड़ने जा रहे थी। नीलू को भी काफी
दिन हो गए थे राहुल के लंड से चुदवाए उसकी बुर राहुल के लंड की प्यासी हुए जा रही थी। लेकिन राहुल के लंड को
अपनी बुर में लेने का उसे कोई मौका हाथ नहीं लग रहा था। चुम्मा चाटी एक दस
ू रे के अंगों से खेलना उसे से जलाना
और यहां तक की तलाश में नीलू उसके लिंग को मुंह में लेकर भी झाड़ दे ती थी लेकिन उसे अपनी बरु में लेने का
मौका नहीं मिल पा रहा था इसलिए वह उससे जी भर के और खुल के चुदवाना चाहती थी. इसलिए रास्ते में वह राहुल
से बोली।

क्या राहुल तुम तो मेरी अब किसी भी सब्जेक्ट में मदद करने के लिए मेरे घर नहीं आते। ( नीलू की यह बात सुनकर
राहुल के बदन में गुदगुदी होने लगी क्योंकि सब्जेक्ट में मदद करने का मतलब वह अच्छी तरह से जानता था वह भी
कुछ दिनों से तड़प रहा था नीलू की टाइट बुर चोदने के लिए, इसलिए वहां ठं डी आहें भरता हुआ बोला।)

कभी तुम बुलाओगी नहीं तो मैं आऊंगा कैसे ,मैं भी तो तड़प रहा हूं तुम्हारे सब्जेक्ट में मदद करने के लिए।

( राहुल की बात सुनकर नीेलु मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली।)

सच राहुल क्या तुम भी वैसे ही तड़पते हो जैसे में तड़पती हुं।

( स्कूटी पर बैठे-बैठे अपने दोनों हथेलियों से नीलूं की कमर पकड़ते हुए वह बोला।)
सच बोलूं मैं भी बहुत तड़पता हूं तुममें एकाकार होने के लिए, तुम्हारे बदन की कंु वारी खुशबू को अपने बदन में
उतारने के लिए। तुम्हारे यह दोनों( चुचियों की तरफ इशारा करते हुए) नारं गीयो को दबा दबा कर उसे मुंह में ले कर
पीने के लिए।

( राहुल के हथेलियों का अपनी कमर पर कसाव और उसकी गर्म बातें सुनकर नीलू मस्त होने लगी। वह कुछ बोल
पाती उससे पहले ही वह चौराहा आ गया जहां उसे उतरना था। जैसे ही राहुल स्कूटी से नीचे उतरा नीलू चेहरे पर
कामक
ु भाव लाते हुए बोली।)

राहुल मेरी जान कल घर पर मैं बिल्कुल अकेली हूं और कल छुट्टी भी है ओर कल मम्मी सब


ु ह से ही दे र शाम घर पर
नहीं रहें गी वह किसी पार्टी में जाएगी इसलिए कल मेरे घर जरुर आना मेरे सब्जेक्ट पर ध्यान दे ने के लिए। ( नीलू ने
सब्जेक्ट शब्द बोलते ही राहुल को आंख मारी थी क्योंकि वह दोनों सब्जेक्ट का मतलब अच्छी तरह से जानते थे।
राहुल भी छुट्टी के दिन उसके घर पर ही दिन गज
ु ारने का फैसला करते हुए हामी भर दिया। और नीलू ओके बाय
बोलते हुए वहां से चली गई।)

छुट्टी का दिन आते ही राहुल का रोम रोम पल


ु कित होने लगा क्योंकि उसे मालम
ू था कि आज सारा दिन उसे नीलू की
नंगी बाहों में गज
ु ारना है । उसकी कोमल बरू की

मादक गंध को अपने बदन में उतारकर उत्तेजित होकर उसे जी भरकर चोदना है यह सब सोचकर ही राहुल मस्त हुए
जा रहा था उसके लंड का तनाव पैंट में बढ़ने लगा था । वह अपने लंड के बढ़ते हुए आकार को पें ट के ऊपर से ही
मसनते हुए रसोईघर में गया और फिर दरवाजे पर ही खड़ा होकर अपनी मां का पिछवाड़ा घरू ने लगा। गोल-गोल
भरावदार पिछवाड़ा दे वकर राहुल से बिल्कुल भी सब्र करना मश्कि
ु ल होने लगा। वैसे भी सब
ु ह से ही नीलू का ख्याल
करते करते उसके बदन में उत्तेजना रह-रहकर बढ़ती जा रही थी वह एकदम से चद
ु वासा हो चक
ु ा था और इस समय
उसे बरु की जरूरत थी जिसमें वह अपना लंड डालकर शांत हो सके। वैसे भी सारी रात अलका ने उसे सोने नहीं दि थी,
रात भर चद
ु ाई का खेल जोरों शोर पर चलता रहा कभी राहुल ऊपर तो कभी आलका उपर कभी झक
ु कर तो कभी
घोड़ी बनकर सारे संभोग के आसन वह रात को आजमा चक
ु े थे। लेकिन फिर भी यह बदन की प्यास एेसी थी की
बझ
ु ाने से भी नहीं बझ
ु रही थी। राहुल से रहा नहीं गया और वह पीछे से जाकर अपने तने हुए लंड को अपनी मां की
भरावदार नितंबों से सटाते हुए उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया तने हुए लंड का स्पर्श अपने भारी नितंबों पर
होते ही हल्का उचक ते हुए बोली।

छोड़ मुझे छोड़ पागल हो गया है क्या तू दे ख नहीं रहा है कि सोनू भी यहीं बैठा हुआ है । ( अपनी मां की बात सुनते ही
उसका ध्यान सोनु पर गया तो वह भी हड बढ़ाते हुए सोनू की तरफ दे खने लगा जोकि रसोईघर के बाहर बैठकर पढ़ाई
कर रहा थ
राहुल सोनू को दे खते ही तुरंत अपनी बाहों के घेरे से अपनी मां को आजाद करते हुए दरू खड़ा हो गया।

अलका यह दे ख कर मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए सब्जी चलाने लगी और सब्जी चलाते हुए बोली।

रात भर मेरे अंदर डाल कर मेरे ऊपर चढ़ा रहा और फिर भी तुझे अभी नशा चढ़ा है ।

क्या करूं मम्मी तुम्हारा पिछवाड़ा दे ख कर मुझसे रहा है जाता न जाने मुझे क्या होने लगता है । दे खो तो सही(लंड
की तरफ ईशारा करते हुए) मेरी हालत कैसे हुए जा रही है । मुझसे इस समय सब्र करना नामुमकिन सा हूआ जा रहा
है ।

हां वह तो दिख ही रहा है तेरा तो यही हाल रहता है न जाने मझ


ु में क्या दे ख लेता है कि तु अपना सब्र खो बैठता है ।

मम्मी ये तुम्हारी भरावदार बड़ी-बड़ी गांड, जिसे दे खते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है और फिर तुम्हारी रसीली बरु मे
लंड डालके चोदने की तड़प बढ़ जाती है ।

तेरी बातों से तो मेरा भी मन बहकने लगा है । ( सब्जी में मसाला डालते हुए)

तभी तो कह रहा हूं कुछ करो ना ताकी हम दोनों का काम बन जाए।

क्या करूं कैसे करूं सोनू सामने बैठा है उसे कहीं जाने के लिए भी नहीं कह सकती क्योंकि उसने पहले ही कह दिया है
कि मैं पढ़ाई कर रहा हूं और मुझे कहीं भी कुछ लेने भेजना नहीं। वरना मसाला लेने ही भेज दे ती।

तो फिर कैसे होगा मम्मी (राहुल के लं का तनाव बढ़ता ही जा रहा था।)

मन तो मेरा भी बहुत करने लगा है । रुक जा कोई उपाय ढुंड़ती हुं । ( वह सब्जी चलाते-चलाते उपाय ढूंढने लगी तभी
उसके चेहरे पर एक चमक आई और वह रसोई घर के दरवाजे की तरफ कदम बढ़ाते हुए बोली। )

बेटा उस दिन की तरह आज भी दरवाजा ठीक से बंद नहीं हो रहा है ।( दरवाजे को बंद करते हुए) ले फिर से इसे ठीक
कर तो( राहुल की तरफ दे खकर मस्
ु कुराते हुए आंख मारी) मैं तो इस दरवाजे से तंग आ गई हूं।
( राहुल अपनी मां का इशारा परू ी तरह से समझ गया था, उस दिन की तरह आज भी सोनू के सामने दरवाजे का
बहाना बनाकर अपनी प्यास बुझाने का परू ा जुगाड़ बना चुकी थी। राहुल खुशी से अपनी मां को बाहों में भरते हुए
बोला।)

ओहह मम्मी तुम बहुत अच्छी हो बड़ी शातिर की तरह तुम्हारा दिमाग चलता है ।

( अलका भी राहुल को अपनी बाहों में कसते हुए बोली)

चल अब बिल्कुल भी दे र मत कर समय बहुत कम है ।

( रसोई घर का दरवाजा अलका ने एक बहाने से बंद कर दी थी ताकि सोनू को यही लगेगी दरवाजे में प्रॉब्लम की
वजह से बंद किया हुआ है । अलका का रोमांच बढ़ता जा रहा था क्योंकि आज पहली बार वह इस तरह से संभोग सुख
का आनंद उठाने जा रही थी उसके बड़े लड़के और छोटे लड़के के बीच में बस यह दरवाजा ही था। अलका भी इस
रोमांच के चलते की रसोई घर में वह अपने बड़े बेटे से चुदने जा रही हे जबकि उसका छोटा बेटा रसोई घर के बाहर बैठ
कर पढ़ रहा है । इतना सोच कर ही वह रोमांचित हुए जा रही थी । राहुल के साथ-साथ अलका भी पूरी तरह से
चुदवासी हो चुकी थी। तभी अलका अपने दोनों हाथ से साड़ी को कमर तक उठा दी और गांड को उचकाते हुए थोड़ा
झुक कर दरवाजे के हत्थे को पकड़ते हुए बोली ।

बेटा पहले दरवाजे की सिटकनी को ( पें टी की तरफ इशारा करते हुए )थोड़ा नीचे की तरफ सरका के ठीक से दे ख ले
ताकि कंु डी बराबर अंदर जा सके।

( मम्मी की बात सुनते ही मैं दं ग रह गया क्योंकि मम्मी द्वीअर्थी भाषा मैं बात कर रही थी। उनकीे बातों के मतलब
को राहुल अच्छी तरह से समझ गया था। अलका अपनी पैंटी को नीचे सरकाने की बात कर रही थी। जोकि दरवाजे के
उस पार बैठे सोनू को ऐसा ही लग रहा था कि ऊसकी मम्मी दरवाजे को रिपेयर करने की बात कर रही है । अलका का
कामी दिमाग बहुत ही गजब का काम कर रहा था। राहुल अपनी मां के इस अदा को दे खते ही उत्तेजना से भर गया
उसकी मां इस समय साड़ी को कमर पर उठाए दरवाजे के हें डल को पकड़ कर झुकी हुई थी। जिससे उसके भरावदार
नितंब राहुल की आंखों के सामने नग्न नाच करते नजर आ रहे थे गुलाबी रं ग की पैंटी उसके गोरे -गोरे गांड पर बहुत
ही खब
ू सूरत फब रही थी। राहुल के लंड में खून का दौरा इतनी तीव्र गति से हो रहा था कि उसे ऐसा लग रहा था कहीं
यह लंड की नसें फट ना जाए। राहुल धीरे से अपने हाथ को बढ़ाकर अपनी मां की गुलाबी पें टी के दोनों छोर को
उं गलियों में फंसा लिया और धीरे -धीरे पें टी को नीचे सरकाने लगा। उसकी मां पीछे निचले को माफ कर राहुल की
हरकतों पर नजर रखी हुई थी। अलका की भी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी। अगले ही पल राहुल ने अपनी मां की
गुलाबी पें टी को सरका कर नीचे जांघो तक ला दिया। अब उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी-बड़ी भरावदार
गांड एकदम नंगी थी

और गांड की फांको के बीच की लकीर के नीचले हीस्से से उसकी फुलीी हुई रसीली बरु झांक रही थी। जिसे दे खते ही
राहुल का लंड मोर बनकर नाचते हुए ठुनकी लेने लगा। राहुल से रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हथेलियों को गांड
पर रखकर मसलने लगा। अलका जल्दबाजी में थी इसलिए रह-रहकर वह दरवाजे की कंु डी को दरवाजे पर पीटते हुए
बोलती।

ठीक है बेटा ठीक से दे ख कंु डी बराबर लग नहीं रही है । ( ताकि बाहर बैठा सोनू यही समझे की दोनों मिलकर दरवाजे
की रिपेयरिंग कर रहे हैं। राहुल ने तरु ं त अपने पैंट की बटन खोल कर उसे नीचे घट
ु ने तक सरका दिया

अलका गहरी सांसे लेते हुए पीछे नजरे घम


ु ाकर राहुल को ही दे ख रही थी उसे इंतजार था कि कब उसका मोटा लंड
उसकी बरु में समा जाए। राहुल अपनी मां के नितंबों को पकड़े हुए ठीक उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया बरु की
गल
ु ाबी छे द की पोजीशन लंड के बराबर आ नहीं रही थी इसलिए वह नितंबों को पकड़े हुए ही बोला।

मम्मी थोड़ा दरवाजे को मेरी तरफ खींचो ताकि दरवाजे में कंु डी ठीक से लग जाए। ( राहुल की बात सुनते ही अलका
अपनी भारी भरकम गांड को थोड़ा और उचकाते हुए बोली।)

ले बेटा मुझसे अभी से ज्यादा नहीं हो पाएगा तो ही अपने हाथ से एडजस्ट कर ले।

( अपनी मां की बात सुन कर रहुल खुद ही भरावदार गांड को पकड़कर अपने लंड के स्तर तक ले आया और गर्म
सुपाड़े को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच सटा कर बोला। )

मम्मी अब मैं थोड़ा धक्का दं ग


ू ा दे खना तुम हैंडल पकड़ कर रखना ऐसा ना हो की कंु डी छटक जाए वरना सारा मेहनत
बेकार जाएगा।

तू चिंता मत कर बेटा तू धक्का लगा मैं संभाल लूंगी( अलका कसमसाते हुए बोली। और राहुल अपनी मां की
भरावदार गांड को हथेलियों में कसके दबोचे हुए अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ाने लगा और उसका लंड बरु की
चिकनाहट पाकर धीरे धीरे अंदर की तरफ सरकने लगा जैसे जैसे राहुल के लंड का सुपाड़ा बरु के अंदर उतर रहा था
अलका के मुंह से वैसे-वैसे सिसकारी छूट रही थी । अलका बार-बार कंु डी को दरवाजे पर पटकती दरवाजे पर अपनी
हथेली ठोकती ताकि सोनू को यही लगे की रसोई घर के भीतर कुछ और नहीं चल रहा है बल्कि दरवाजे की रिपेयरिंग
हो रही है ।

धीरे धीरे करके राहुल ने अपना समूचा लंड अपनी मां की बरु में डाल दिया और कमर को थामे हुए धीरे -धीरे लंड को
अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। थोड़ी ही दे र में अलका की सिसकारी छूटने लगी लेकिन यह सिसकारी की आवाज
बाहर बैठा सोनू ना सुन न ले इसलिए अपने होंठ को दांतों तले जोर से दबाते हुए अपनी उत्तेजना को दबाने की पूरी
कोशिश करने लगी। राहुल धड़ाधड़ अपने लंड को बरु के अंदर बाहर करते हुए चोद रहा था। और अलका बीच-बीच में
दरवाजे को रोकते हुए बोले जा रहीे थी।

हां हां बस ऐसे ही हां बेटा बस ऐसे ही थोड़ा जोर से ठोक तो बराबर जाएगा हां बस ऐसे ही थोड़ा पकड़ दरवाजे को हां
बस ऐसे ही अब अच्छे से ठोक आज इसका काम तमाम कर दे मैं तो इस दरवाजे से तंग आ गई हूं बार-बार रिपेयरिंग
की जरूरत पड़ती है ।

हां मम्मी बस तुम ही सही दरवाजे को पकड़कर खड़ी रहो आज एकदम से ठीक कर दे ता हूं( जोर जोर से धक्के लगाते
हुए) ऐसे ही ठोकु ना मम्मी।

हां बेटा बस ऐसे ही, दे ख दरवाजे की कड़ी बराबर जा रही है हां ऐसे दो चार बार और कर लगता है एकदम ठीक हो
जाएगा।

दोनों के द्वीअर्थी संवाद की वजह से माहौल और भी ज्यादा गरमा चुका था आज दोनों अपने अपने बदन में एक नई
उत्तेजना का एहसास कर रहे थे। जबरदस्त माहौल बना हुआ था रसोई घर में बड़ा बेटा अपनी मां की जमकर चुदाई
कर रहा था और छोटा बेटा कैसे घर के बाहर बैठ कर पढ़ रहा था। राहुल की उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही थी उसे
और ज्यादा नशा चढ़ने लगता जब अलका की मोटी मोटी जांघें उसकी जांघों से टकराती, ऊफ्फ गजब का नशा चढ़
जाता । धीरे -धीरे दोनों अपने चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ने लगे अलका कि सिशकारी बढ़ रही थी लेकिन वह दांतों को
भींच कर दबा ले रही थी। राहुल के धक्के तेज होने लगे।

बस बेटा बस लगता है आज ठीक हो जाएगा। हां बस ऐसे ही दो चार धक्के और लगा कड़ी जा रही है बराबर बस बेटा
बस, अलका का बदन एंठने लगा साथ ही राहुल की भी सांसे तेज चलने लगी और दो चार धक्कों में ही दोनों एक साथ
झड़ गए। दोनों बड़ी तेजी से हांफ रहे थे। थोड़ी दे र में जब दोनों की सांसे दरु
ु स्त हुई तो राहुल ने अपनी मां की बरू से
लंड को बाहर खींच लिया

और अपने कपड़ों को भी दरु


ु स्त करने लगे। अलका अपनी पें टिं को कमर पर चढ़ाते हुए बोली।
अब दे ख इसकी कड़ी बिल्कुल सटीक अंदर बाहर हो रही है अब बराबर हो गया है । ( यह बात वह सोनू को सुनाने के
लिए बोली थी थोड़ी दे र में वहां रसोई घर का दरवाजा खोल दी दोनों बिल्कुल सामान्य नजर आ रहे थे वह दोनों को
दे खते ही सोनू बोला।)

मम्मी दरवाजा ठीक हो गया।

हां बेटा अब दरवाजा बिल्कुल ठीक हो गया है (इतना कहने के साथ ही अलका राहुल की तरफ दे ख कर मुस्कुराने
लगी)

दरवाजा ठीक करने के बहाने दोनों सोनू के उपस्थित होने के बावजूद भी अपनी काम प्यास को बुझाने में सफल रहे ।
हां अपनी यह प्यास बुझाने के चक्कर में सब्जी थोड़ी जल गई थी, सब्जी के जल जाने का दख
ु दोनों को बिल्कुल नहीं
था बल्कि अपने बदन की जलन को शीतलता प्रदान करने की संतुष्टी दोनों के चेहरे पर साफ नजर आ रहीे थी।

राहुल ने तो अपने जिस्म की भूख को अपनी मां को चोदकर मिटा लिया था लेकिन पेट की भूख मिटाने के लिए उसे
जली हुई सब्जी ही खाना पड़ा। खाना खाकर वक्त अलका और राहुल दोनों एक दस
ू रे को दे खते हुए मुस्कुरा रहे थे।

खाना खाने के बाद राहुल पढ़ाई का बहाना बनाकर घर पर नीलू के घर जाने के लिए निकल पड़ा। रास्ते भर नीलू के
बारे में सोच सोच कर वह अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव कर रहा था। उसके रे शमी बाल उसके गोरे -गोरे गाल
गुलाबी रस भरे होठ उसका भरा हुआ बदन. उसके गोल गोल नारं गी की तरह चुचीया उसके बदन में रोमांच जगा रहे
थे। खास करके नीलू की भरावदार और चुस्त गांड, जिसके बारे में सोचते ही राहुल की आंखों के सामने उसकी नंगी
गांड और गांड की फांकों के बीच से झांकती हुई उसकी गुलाबी बुर और बरु की गुलाबी पक्तियां नजर आने लगती थी
खास करके स्कूटी पर बैठती हुई नीलू ज्यादा जेहन में बसी हुई थी क्योंकि जब भी वह स्कूटी पर बैठती थी या उठती
थी तब तब उसके भरावदार गांड कीसी रुईदार गद्गे की तरह दबती और उठती थी। जिसे दे खकर राहुल के बदन में
चुदास की चीटियां रें गने लगती। राहुल का मन यह सब याद करके नीलू से जल्दी से जल्दी मिलने के लिए तड़पने
लगा। वह चौराहे पर आकर जल्दी से एक ऑटो किया और सीधे नीलू के बंगले के सामने उतर गया। बंगले का गेट
खोलकर वह दरवाजे तक गया और दरवाजे पर पहुंचते ही उसकी उत्सुकता बढ़ने लगी वह अंदर से थोड़ा घबरा रहा
था क्योंकि नीलू ने यह नहीं बताई थी कि उसकी मम्मी घर से कब जाएंगेी इसलिए वहां मन में यही सोच रहा था कि
अगर नीलू की मम्मी घर पर उपस्थित रहीे तो वह क्या कहे गा। फिर भी घबराते हुए वह बेल बजा दिया। थोड़ी दे र
बाद से दरवाजे के भीतर कदमों की आहट सुनाई दी वह समझ गया कि अब दरवाजा खुलने वाला है लेकिन कौन
खोलेगा यह उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था। उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था, तभी दरवाजा खुला और सामने का
नजारा दे खकर राहुल के होश ही उड़ गए । सामने नीलु ही थी। नीलू ईस समय बला की खूबसूरत लग रही थी। बाल
गीले ही थे लेकिन उसने बालों को एक रिबन से बांध रखी थी और बालों की लटे गालों पर चहल-कदमी करते हुए
लहरा रहे थे। नीलू ने एक गंजी टाईप सफेद रं ग की पहनी हुई थी। जोकि बाल के पानी की एक एक बूंद के गिरने की
वजह से जगह जगह से भीग कर बदन पर चिपक गई थी जिससे उसका गोरा बदन साफ साफ झलक रहा था। राहुल
के बदन में एकाएक झनझनाहट का अनुभव हुआ जब उसकी नजर नीलू की छातियों पर गई जो कि स्लीप में से
उसकी ब्राउन रं ग की निप्पल पानी में भीगने की वजह से स्लीप के ऊपर से साफ साफ नजर आ रही थी। एक बात तो
साफ़ थीै कि इस समय नीलू स्लीप के नीचे ब्रा बिल्कुल नहीं पहनी हुई थी। राहुल की तो आंखें फटी की फटी रह गई
क्योंकि जो नजारा उसने दे खा था वह भले ही कपड़ों में था लेकिन बहुत ही कामुक नजारा था। नीलू कमर के नीचे की
स्कर्ट पहनी हुई थी जोकि घुटनों तक आ रही थी आज नीलु अपने रुप रं ग रवैया से और भी ज्यादा खूबसूरत और
सेक्सी लग रही थी। राहुल तो नीलू के रूप-रं ग में ऐसा खो गया की वह ईस बात को भूल ही गया था कि इस समय वह
दरवाजे पर खड़ा है । नीलू भी अच्छी तरह से समझ गई थी कि राहुल की नजर उसके छाती के उभारों पर ही टिकी हुई
थी। इसलिए वह राहुल को ओर ज्यादा तड़पाते हुए अपने लाल-लाल होठों पर कामुक मुस्कान बिखेरते हुए अपनी
हथेली को अपनी चुचियों पर हे ल्कैसे फिराते हुए

बोली।

क्या हुआ राहुल ऐसे क्या दे ख रहे हो?

नीलू की बात सुनकर जैसे उसे नींद से जगाया गया हो इस तरह से थूक निगलते हुए बोला।

ओह नीलू आज तो तुम्हारा यह रुप दे ख कर मेरा मन एकदम से डोलने लगा है आज बहुत ज्यादा खब


ू सूरत और
सेक्सी लग रही हो।

( राहुल के मुंह से अपनी तारीफ के शब्द सुनकर नीलू मन ही मन प्रसन्न होने लगी और प्यारी मुस्कान बिखेरते हुए
बोली।)

अंदर तो आ जाओ या यूं ही दरवाजे पर खड़े खड़े ही बात करोगे।

तुम्हारे साथ तो मैं कहीं भी खड़े होकर बात कर सकता हूं क्योंकि जब तुम पास होती हो तो ना मुझे धूप छांव का पता
चलता है ना दिन रात का।

चलो अब बातें ना बनाओ और अंदर आ जाओ।

( राहुल मुस्कुराते हुए कमरे में दाखिल हो गया और नीलू ने दरवाजे को बंद कर दी , नीलू दरवाजे को बंद कर ही रही
थी कि तभी राहुल बुला।)
आंटी है या चली गई?

मम्मी तो सुबह ही चली गई करीब 9:00 बजे ही अब से मैं तुम्हारी बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी कि आप आओगे
कब आओगे लेकिन तुम हो कि....खैर छोड़ो दे र आए दरु
ु स्त आए। अच्छा यह बताओ क्या लोगे चाय या कॉफी या
फिर कोल्ड्रिंक।

( राहुल नीलू की गोल-गोल चुचियों पर नज़र गड़ाते हुए बोला।)

ना चाय ना कॉफी और ना ही कोल्ड्रिंक, मझ


ु े तो आज बस तम्
ु हारा दध
ू पीना है ।

( नीलू राहुल की बात सन


ु कर फिर से हं सने लगी और बोली।)

धत पागल तुम एकदम बुद्धू होते जा रहे हो। अभी मेरे (अपनी चुचियों को हथेलियों में कसते हुए )इस में से दध
ू थोड़ी
निकलता है ।

कुछ भी हो नीलू लेकिन मैं आज तुम्हारी चुचियों को मुंह में भर भर कर इसका सारा रस निचोड़ डालूंगा (इतना कहने
के साथ ही वह नीलू की तरफ आगे बढ़ने लगा और नीलू खिलखिलाते हुए पीछे की तरफ कदम ले जाने लगी लेकिन
राहुल लपक कर उसे अपनी बाहों में भर लिया और फिर सोफे पर लेट आते हुए उसके होठों को चूमने लगा और एक
हाथ से कपड़े के ऊपर से ही उसकी तनी हुई चूची को दबाते हुए बोला।

मेरी रानी मेरी प्यारी नीलू आज मुझे तुम अपना दध


ू पिला ही दो।

( नीलू हं सते हुए उसे अपने ऊपर से हटाने की पूरी कोशिश करते हुए बोली।)

नहीं बिल्कुल भी नहीं आज मैं तुम्हें इसे छूने भी नहीं दं ग


ू ी। ( नीलू इनकार तो कर रही थी लेकिन अंदर ही अंदर वह
ऐसा ही चाहती थी जैसा कि राहुल करना चाहता था। राहुल भी कम नहीं था उसे अब औरतों को अपने कामों में करना
अच्छी तरह से आता है इसलिए वह नीलू के गुलाबी होठों को चूसते हुए एक हाथ स्लिप के अंदर ले जाकर
अठखेलियां करती उस गोलाई को पकड़ लिया और उसे दबाना शुरु कर दिया। थोड़ी ही दे र में नीलू के ऊपर हीं और
उसके गुलाबी होठों का रस चूसते हुए दस
ू रा हाथ भी स्लिप के अंदर डाल कर नीलू की दस
ू री गोलाई को भी हथेली में
भर लिया। नीलू के दोनों खरबूजे राहुल के हाथ लग चुके थे उसे तो जैसे मुंह मांगी मुराद मिल चुकी थी। दोनों चूचियां
हाथ में आते ही राहुल रबर की गें द की तरह दोनों को दबाना शुरु कर दिया और थोड़ी ही दे र में नीलू कमजोर पड़ने
लगी उसकी आंखों में खुमारी का नशा छाने लगा। राहुल उसके होठों को चूसना छोड़कर अपना ध्यान चूचियों पर ही
लगा दिया। थोड़ी ही दे र में नीलु चूची मर्दन से मस्त होने लगी। रह रह कर उसकी गरम सिसकारी छुटने लगी। उसे
रहा नहीं गया राहुल के नीचे कसमसाते हुए वह अपनी स्लिप को खींचकर चूचियों के ऊपर चढ़ा दी।

अब नीलू की दोनों नारं गी है राहुल की आंखों के सामने थी और राहुल दोनो चुचियों को कस कसके दबाते हुए

अपना मुंह उसकी ब्राउन कलर की नीप्पल पर लगा कर चूसना शुरू कर दिया। इस तरह से चुसाई करते दे ख नीलू
बदहवास होने लगी, वह अपना होश खोने लगी उसकी स्कर्ट जांघो से सरक कर कमर तक आ गई । राहुल को इसका
एहसास हो गया कि नीलू की स्कर्ट सरककर कमर तक चली गई है और उसकी चिकनी जांघे बिल्कुल नंगी हो चुकी है
इसलिए राहुल चुचियों को मुंह में भरकर चूसते हुए एक हाथ नीचे ले जाकर चिकनी चिकनी जांघों को सहलाना शुरु
कर दिया। नीलू की तो हालत ही खराब होने लगी राहुल बराबर डटा रहा। वह एक साथ नीलू के संगमरमर जैसे
चिकने बदन पर टूट कर बिखरना शुरू हो गया था कभी चूचियों को दबाता तो कभी निप्पल को मुंह में भर कर पीने
लगता तो कभी नीलूं के दधि
ू या चिकनी जांघों को सहलाने लग जाता इतने पर भी उसका मन बिल्कुल भी नहीं भर
रहा था। उसके पैंट में ऊसका मोटा लंड गदर मचाए हुए था।

उसने तुरंत एक हाथ नीचे ले जाकर अपने पें ट के बटन को खोलना शुरू कर दिया' वह बटन खोलते हुए लगातार नीलू
की चूचियों को दबा दबा कर पीए जा रहा था नीलु की तो हालत पतली होती जा रही थी। उसके मुंह से लगातार गर्म
सिसकारी की आवाज़ आ रही थी ओह राहुल ससससहहहहहहह.....क्या कर रहे हो.....ऊंमममममम..... मुझसे तो रहा
नहीं जा रहा है ...। और पीअों राहुल पूरा सससससहहहहहहह.....मुंह में भर कर......आहहहहहहहह..... दबा दबा कर
पीअो।

ओहहहहहहह....राहुल..... ( नीलू उत्तेजना बस अटक अटक कर बोल रही थी और साथ ही गर्म सिसकारी भरते हुए
राहुल के बालों में अपनी उं गलियां उलझाकर उसे कस कर अपनी छातियों पर दबाकर उसे और जोर से चुचीया पीने
के लिए उकसा रही थी। राहुल भी अपना होशा खो बैठा था। उसने अपनी पें ट नीचे जांघोे तक सरका दिया उसके
अंडरवीयर में गजब का भयानक उभार बना हुआ था जो कि अब वह उभार नीलू की जांघों के बीच उसकी पें टी के तले
फूली हुई बरु पर बराबर महसूस हो रहा था। राहुल के तने हुए लंड को अपने बुर पर महसूस करते हीैं वह जल बिन
मछली की तरह तड़प उठी। और वह तुरंत अपने दोनों हथेलियों को राहुल के नितंबों पर रखकर उसे अपनी बरु पर
दबाने लगी। राहुल अब अच्छी तरह से समझ गया था कि नीलू का लोहा परू ी तरह से गर्म हो चुका है बस अब उस पर
चोट करने की दे र है । वैसे तो राहुल का हथोड़ा भी गरम भट्टी की तरह तपने लगा था , उसे भी ठं डा होने के लिए शीतल
जल से भरे झील की तलाश थी जोकि नीलू के जांघों के बीच छुपी हुई थी। राहुल भी अब अगले आक्रमण की तैयारी
कर चुका था, इसलिए वह चूची वाले मोर्चे को छोड़कर खड़ा हुआ और खड़ा होकर अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिया
नीलू तरसी और उत्सुक आंखो सेराहुल को कपड़े उतारते हुए दे ख रही

नीलू की नजरे खासकर के उसके उभरे हुए अंडरवियर पर ही टिकी हुई थी जिसे राहुल एक झटके से उतार कर अपनी
टांगों से बाहर निकाल दिया और इस समय राहुल परू ी तरह से नीलू की आंखों के सामने नंगा खड़ा था। राहुल अपने
तने हुए लंड को नीलू की आंखों के सामने पकड़कर उसे ऊपर-नीचे करते हुए हीलाना शुरु कर दिया। जिसे दे ख कर
नीलू की बरु उत्तेजना के मारे फूलकर पकौड़ी हो गई। राहुल कुछ कह पाता ईससे पहले ही नीलू आगे बढ़कर राहुल के
लंबे लंड को अपने हथेली में भर ली और राहुल की आंखों में झांकते हुए बड़ी ही कामुक अंदाज से अपनी जीभ को
बाहर निकालकर जीभ की किनारी से लंड के सुपाड़े को चाटना शुरु कर दि। जैसे ही नीलु के जीभ का स्पर्श लंड के
सुपाड़े पर हुआ वैसे ही तुरंत राहुल के बदन में रोमांच की लहर भर गई। नीलू भी जैसे कि उसे और ज्यादा तड़पा रही
हो इस तरह से जीभ की किनारी को

लंड के सुपाड़े के चारों तरफ गोल-गोल घुमाते हुए उसे चाटना शुरू कर दी। नीलू के इस कामुक हरकत की वजह से
राहुल के बदन में कामोत्तेजना कि वह लहर भर गई की उसे ऐसा लगने लगा कि जैसे नीलू उसके बदन पर धीरे -धीरे
छुरिया चला रही हो। राहुल से बिल्कुल रहा नहीं गया उसके मुंह से भी गरम सिसकारी की आवाज आने लगी।

ओह नीलू सससहहहहहहहहह.....आाााहहहहहहह...।मेरी जान यह क्या कर रही हो मुझे ऐसा लग रहा है कि


ससससहहहहह...... मेरा पूरा बदन हवा में झूला झूल रहा है । ( और इतना कहने के साथ ही राहुल ने नीलू के सर पर
अपने दोनों हाथ रख कर अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ाया ' नीलू भी राहुल के इशारे को समझते हुए अपना परू ा
मुंह खोल दी और अगले ही पल राहुल का तना हुआ मोटा लंबा लंड होठो पर रगड़ खाता हुआ

गले तक ऊतर गया। नीलू परू ा लंड मुंह में लेकर चूस ना शुरू कर दी। राहुल के मुंह से गरम सिसकारी की आवाज
आने लगी। गले तक लंड लेकर उसे चूसने की वजह से ऊग्ग..... ऊग्ग ......ऊग्ग ....की नीलू के गले से आ रही थी।
पूरा माहौल गरमा चुका था राहुल भी एकदम मैच्योर की तरह उसके बालों को पकड़कर हल्के हल्के कमर को आगे
पीछे करते हुए उसके मुंह को ही चोद रहा था। कुछ दे र तक राहुल ऐसे ही नीलू के मुंह चोदने का मजा लेता रहा। नीलू
पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी,ऊसकी बुर से नमकीन पानी अमत
ृ की बूंद की तरह रीस रहा था । नीलू की चुदास से
भरी बुर राहुल के लंड के लिए तड़प रही थी जिसे वह अपनी हथेली से रगड़ रगड़ कर और भी ज्यादा गर्म कर रही थी।
कुछ दे र तक राहुल यूंही नीलू को अपना लंड लोलीपोप की तरह चुसवाता रहा । अब ऊससे भी रहा नही जा रहा था।
राहुल को भी याद नीलू के बुर की तड़प लगने लगी थी इसलिए कहा नीलू के मुंह में से अपने लंड को बाहर की तरफ
खींचकर निकाला। राहुल का समुचा लंड नीलू के थुक में सना हुआ था। जिसे राहुल अपनी मुट्ठी में भरते हुए और उसे
आगे पीछे कर के हिलाते हुए बोला।

बस मेरी जान अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है अब तो तुम्हारी बरु में अपना लंड डाल कर ही अपनी प्यास
बुझाऊंगा।

वह भी अपनी टांग को सोफे के नीचे फैलाते हुए बोली।


तो दे र किस बात की है आ जाओ। मैं तो कब से तैयार बैठी हूं।

ओह मेरी जान तुम्हें तो दे खते ही मुझे ना जाने क्या होने लगता है ।( इतना कहते ही राहुल झुककर नीलू की स्कर्ट को
पकड़कर नीचे की तरफ खींचते हुए उसको निकालने लगा। स्कर्ट के निकलते ही नीलू ने खुद अपनी पैंटी को नीचे की
तरफ सरकाते हुए उसे अपनी लंबी चिकनी टांगो से निकाल कर नीचे फर्श पर फेंक दी। नीलू अपनी स्कर्ट और पें टी के
बदन से दरू होते ही अपने स्लिप को भी निकाल कर फेंक दी।राहुल और नीलू दोनों इस समय संपूर्णता नग्नावस्था में
थे। नीलू उत्तेजना के मारे अपनी बरु की गल
ु ाबी पत्तियों पर अपनी हथेली रगड़ रही थी और राहुल वहीं पास में खड़ा
खड़ा अपने लंड को मठि
ु या रहा था। नीलू की गर्मी दे खकर राहुल से रहा नहीं गया और राहुल झक
ु कर नीलु की जांघों
को फैलाते हुए जांगो के बीच अपने लिए जगह बनाने लगा। राहुल के इस हरकत पर नीलू के बदन में गद
ु गद
ु ी होने
लगी। क्योंकि उसे मालम
ू था कि अब कुछ ही सेकंड में उसकी बरु के अंदर राहुल का मोटा लंड घस
ु ने वाला है ।

तभी राहुल अपने लंड को पकड़े हुए नीलंु के ऊपर झक


ु ना शरु
ु कर दिया। और अगले ही पल अपने दमदार लंड के
सप
ु ाड़े को नीलू की पसीजति हुई बरु की गल
ु ाबी पत्तियों के बीच टीका दिया ,लंड का गरम सप
ु ाड़ा बरु से स्पर्श होते ही
नीलु गद गद हो गई । उत्तेजना के मारे उसकी बरु की गल
ु ाबी नाजक
ु पत्तियां किसी सख
ू े पत्ते की तरह फड़फड़ाने
लगी। राहुल की भी उत्तेजना परम शिखर पर विराजमान हो चक
ु ी थी किसी भी पल वह आक्रमण कर सकता था
क्योंकि उसने अपने लिए जगह बना लिया था। नीलू भी जबरदस्त प्रहार के लिए अपने आप को तैयार करते हुए बड़ी
तेजी से सांस लेते हुए अपने बदन को सिकुड़े हुए थी। अभी तो राहुल ने सिर्फ अपने लंड के सप
ु ाड़े को ही बरु से सटाया
था और इतने में ही नीलू के पसीने छूट गए थे राहुल के मर्दानगी का लोहा वह पहले ही मान चक
ु ीे थी। तभी राहुल
अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ाते हुए सप
ु ाड़े को गल
ु ाबी पत्तियों के बीच से अंदर की तरफ सरकाने लगा। नीलू
दर्द को दबाते हुए अपने होठों को दांत से भींच ली। धीरे धीरे करते हुए राहुल ने अपना परू ा समच
ु ा लंड नीलू की बरु में
जड़ तक उतार दिया। नीलू अंदर तक सहम गई वह दर्द से छटपटा रही थी क्योंकि राहुल के मोटे लंड ने नीलू की बरु
पर कोई भी रहम नहीं दिखाया वह नीलू की बरु की गल
ु ाबी पत्तियों के बीच से बड़ी बेरहमी से रगड़ता हुआ अंदर तक
उतर गया। जैसे ही राहुल का लंड नीलु की बरु की जड़ मे ऊतरा वैसे ही नीलू के मख्
ु य से हल्की सी कराहने की आवाज
निकल गई।

आहहहह...राहुल......

राहुल कहां मानने वाला था वह नीलू की पतली कमर को अपनी हथेलियों में थामकर धीरे धीरे अपने लंड को बरु के
अंदर बाहर करते हुए चोदना शुरू कर दिया। धीरे धीरे करते हुए नीलू की सिसकारियां पूरे कमरे में गूंजने लगी। राहुल
के बदन से पशीना टपक कर नीलू की छातियों पर गिर रहा था। जिस पर नजर पड़ते हैं राहुल ने तरु ं त अपने हाथ को
बढ़ाकर नीलू की दोनो चुचियों को थाम लिया और मैं जोर-जोर से बताते हुए नीलू की बुर मे लंड पेलना शुरु कर दीया।
राहुल के मोटे लंड की वजह से नीलू के बरु की गुलाबी पत्तियां फेल चुकी थी।

सससससहहहहहह .....राहुल बहुत मजा आ रहा है ...... गजब की ताकत है तुम्हारे में .... तुमने मेरी बुर को अंदर तक
हिला कर रख दिया है .....आहहहहहह......आहहहहहहहहह.. (तब तक राहुल ने दो-तीन जबरदस्त धक्के लगा दिया
.... और नीलू के मुख से आह निकल गई।)

गजब की चद
ु ाई चल रही थी दोनों थकने का नाम नहीं ले रहे थे राहुल के हर धक्के पर सोफे मै से फचर फचर की
आवाज आ रही थी। करीब आधे घंटे तक नीलु की बरु को रगड़ने के बाद नीलु की सिसकारीया बढ़ने लगी और राहुल
के भी धक्के तेज हो गए। और दो चार धक्कों के बाद ही दोनों एक दस
ू रे को अपने बदन से भींचते हुए झड़ने लगे।

राहुल और नीलू दोनों एक दस


ू रे के बाहों में भेजे हुए झटके खाते हुए झड़ रहे थे।ईस अप्रीतम अद्भत
ु जबरदस्त संभोग
के पश्चात जो दोनों के बदनमे संतष्टि
ु का आभास हो रहा था ऐसा सख
ु वह दोनों को इस दनि
ु या के किसी भी वस्तु में
प्राप्त नहीं होता। दोनों लंबी लंबी सांसे लेते हुए एक दस
ू रे के बदन को चम
ु ैं जा रहे थे। राहुल का मोटा लंड अभी भी
नीलू की पनियाई बरु में अंदर तक घस
ु ा हुआ था। जिसका एहसास नीलू को पल-पल चरमोत्कर्ष का एहसास करा रहा
था। नीलू इस चद
ु ाई से एकदम गदगद हो चक
ु ी थी। दोनों सोफे पर संपर्ण
ू नग्नावस्था में लेटे हुए थे। धीरे धीरे राहुल
का टनटनाया हुआ लंड नीलू की बरु में ही शिथिल पड़ने लगा था। धीरे -धीरे करके खद
ु ही राहुल का शिथिल पड़ा हुआ
लंड नीलू की बरु मे से बह रहे मदन रस के साथ फीसलकर बाहर आ गया। थोड़ी दे र के लिए यह वासना का तफ
ू ान
शांत हो चक
ु ा था। नीलू राहुल के बालों में अपनी नाजक
ु उं गलियों को गोल-गोल घम
ु ाते हुए बोली।

राहुल मैं तुम्हारी दल्


ु हन बनना चाहते हैं इस तरह प्रेमिका बनकर तुमसे ना जाने कितनी बार चुदवा चुकी हूं लेकिन
मेरी दिली ख्वाहिश यही है की हम दोनों की शादी हो तुम मेरे पति मैं तुम्हारी पत्नी बनु और तुम्हारी दल्
ु हन बनकर
सुहागरात को तुमसे जी भरकर चुदवाऊ। और सच कहूं तो तुम्हारी दल्
ु हन बनने के बाद तुम से चुदवा कर जो मुझे
शारीरिक संतुष्टि मिलेगी वह एकदम अतुल्य होगी जिसकी तुलना नहीं कर सकते।

नीलू की ऐसी रोमांटिक बातों को सुनकर राहुल एकदम गदगद हो गया और वह नीलू के गुलाबी होठों को चूमते हुए
बोला।

मैं भी यही चाहता हूं नीलू और भगवान करे ऐसा ही हो क्योंकि मैं भी तुमसे अब बेहद प्यार करने लगा हूं तुम्हारे
बिना मैं अब जी नहीं सकता।
दोनों एक दस
ू रे से प्यार की बातें करते हुए एक दस
ू रे के बदन को सहला रहे थे अभी तो शुरुआत हुई थी अभी परू ा दिन
बाकी था दोनों कुछ दे र तक यूं ही नंगे ही एक दस
ू रे की बाहों में बाहें डाल कर लेटे रहे । दोनों को एक दस
ू रे के बदन से
कुछ ज्यादा ही सुकून मिल रहा था तभी नीलू राहुल को अपने बदन के ऊपर से हटाते हुए बोली।

मुझे तो भूख लग रही है राहुल रुको मैं कुछ खाने को ले आती हूं।( इतना कहकर वह उठने लगी और पास में पड़े कपड़े
के उठाकर पहनने ही वाली थी कि राहुल उसे रोकते हुए बोला।)

नीलू आखिर इस घर में हम दोनों अकेले ही हैं और कोई हमें दे ख भी नहीं सकता है तो क्या यह लिबास पहनना जरूरी
है ,

मतलब?

मतलब यही कि मैं चाहता हूं कि जब तक मैं यहां हूं तब तक तम


ु और मैं बिल्कुल नंगे होकर ही रहे क्योंकि तम
ु जब
परू े कपड़े उतारकर नंगी होती हो तो तम्
ु हारी खब
ू सरू ती और भी ज्यादा बढ़ जाती है ।

( राहुल की बातें सन
ु कर नीलू मस्
ु कुरा दे और मस्
ु कुराते हुए बोली।)

सच पछ
ू ो तो मैं भी यही चाह रही थी तम
ु ने मेरे दिल की बात कह दी । ( और इतना कहने के साथ ही वह किचन की
तरफ जाने लगी राहुल उसे जाते हुए दे ख रहा था। और ज्यादा दे र तक उसे सिर्फ दे खता हुआ वहां पर खड़ा नहीं रह
सकता और वह भी नीलू के पीछे -पीछे किचन की तरफ जाने लगा क्योंकि वह कर भी क्या सकता था, नजारा ही कुछ
इस तरह का बना हुआ था नीलक
ु ी गोल गोल दध
ु ीया रं ग की मदमस्त गांड को ऊपर नीचे हीचकोले खाते हुए दे खकर
राहुल अपने आप को रोक नहीं सका और नीलू की मदभरी गांड को निहारते हुए किचन की तरफ जाने लगा नीलू
किचन में प्रवेश कर गई थी और पीछे पीछे राहुल भी किचन में आ गया था। नीलू फ्रीज में से ब्रेड का पैकेट निकाली
और साथ ही जाम की जार भी निकाल ली , राहुल भी फ्रिज के पास पहुंच गया, राहुल नीलू के बिल्कुल पीछे ही खड़ा
था जहां से वह नीलू के नितंबों को लगातार घरू े जा रहा था तभी अचानक नीलू के हाथों से ब्रेड का पैकेट नीचे गिर
गया और जैसे ही वह ब्रेड उठाने के लिए नीचे झक
ु ी वैसे ही तरु ं त उसका भरदार नितंब राहुल के लंड से टकरा गया।
राहुल का ढीला लंड जैसे ही नीलू के भराव दार नितंबों से टकराया जैसे कि तरु ं त ढीले लंड में एक जान सी आ गई हो
और उसके लंड में हरकत होना शरू
ु हो गया। यू एकाएक लंड का स्पर्श अपनी गांड पर महसस
ू करते ही ं नीलू उचक
के खड़ी हो गई , और मस्
ु कुराते हुए बोली।

क्या राहुल क्या करते हो?

तभी फ्रीज में से केले के गुच्छे में से एक केला तोड़कर

लेते हुए बोला।


क्या करूं जान ं तुम्हारी मदमस्त गांड को दे ख कर मुझसे रहा नहीं जाता।

( इतना सुनते ही वह मुस्कुराने लगी और फ्रिज को बंद करके ब्रेड के पैकेट को लेकर ओवन के करीब गई तब तक
राहुल केले के छिलके को निकाल चुका था। और जैसे ही उसे खाते हुए नीलू के नजदीक गया नीलू उसके केले को
दे खकर जो कि कुछ ज्यादा ही मोटा था बोली इससे ज्यादा मोटा और तगड़ा तो तुम्हारा केला( उं गली से लंड की तरफ
इशारा करते हुए) है ।

( राहुल नीलु की बात सन


ु कर हं स दीया ओर बोला )

तो ठीक है इस बार मैं तम्


ु हारे बरु में अपने लंड की जगह इस केले को ही डालंग
ू ा।

ना बाबा ना इतने छोटे से केले से मेरा क्या होगा मझ


ु े कुछ तम्
ु हारे गधे जैसे लंड से ही चद
ु ना है ।( इतना कहकर नीलू
ब्रेड पर मक्खन लगाने के लिए नीलू के मंह
ु से ऐसी गंदी बातें सन
ु कर राहुल परू ी तरह से गनगना गया था ना जाने
क्यों उसे नीलू के मंह
ु से गंदी बातें सन
ु ना बहुत ही अच्छा लगता था। नीलू ब्रेड पर चमची से मक्खन लगा रही थी
जिसकी वजह से उसके भरावदार नितंब ऊपर नीचे होते हुए बड़े ही मादक अदा से हिल रहे थे जिसे दे खते ही राहुल से
रहा नहीं गया और वह नीलू के बदन से जाकर सट गया। नीलू के नंगे बदन से सटने से उसका लंड टं नटना कर खड़ा
होने लगा

उसका तनाव में आता हुआ लंड भरावदार गांड की फांकों के बीच की लकीर में गस्त लगाने लगा और गश्त लगाते
हुए धीरे -धीरे अपनी औकात पर आ रहा था। नीलू मोटे लंड को अपनी गांड पर रगड़ खाते महसस
ू करके कसमसाने
लगी और कसमसाते हुए ब्रेड पर बटर लगाने लगी राहुल पीछे से उसके नंगे बदन को अपनी बाहों में भर कर उसके
दोनो चचि
ु यों को पकड़ लिया, जैसे ही राहुल ने कस के उसकी दोनों चचि
ु यों को हथेली में दबोचा वैसे ही उसके मख
ु से
सिसकारी फूट पड़ी।

ससससससहहहहहहहह......राहुल .....।

लेकिन राहुल कहां मानने वाला था। उसके हाथों में तो वैसे से भरे दो आम आ चक
ु े थे जिसे वह किसी भी कीमत पर
छोड़ना नहीं चाहता था।वह तो मजे ले लेकर जोर जोर से दबाने लगा । साथ ही अपनी कमर को हिलाते हुए नीलू की
गांड पर लंड को लगातार रगड़े जा रहा था जिससे नीलू भी गरम होने लगी थी। नीलू उत्तेजित होते हुए ब्रेड पर बटर
लगा चक
ु ी थी और उसे ओवन खोलकर उस में रख कर ओवन ऑन कर दी उधर ब्रेड ओवन में गर्म हो रहा था और
बाहर नीलू गरम हो रही थी राहुल तो नीलू की चुचिया दबा दबा कर एकदम लाल टमाटर की तरह कर दिया था। वह
चुचियों को दबाते हुए लगातार उसकी सुराहीदार गर्दन को चूम रहा था जिससे नीलू की उत्तेजना ओर ज्यादा बढ़ रही
थी। थोड़ी दे र में राहुल का लंड टनटनाकर पूरे सुरूर में आ चुका था। नीलू की परू ी तरह से गर्म हो चुकी थी क्योंकि
राहुल एक हाथ ऊसकी चुची पर से हटा कर उसके चिकने पेट से होते हुए जांघों के बीच गुलाबी पत्तियों के ऊपर
रगड़ने रहा था जिसकी गर्माहट पर नीलू तुरंत चुदवासी हो करके गर्म सिसकारी छोड़ने लगी
ओहहहहहह....राहुल...सीईईईईईई....... मुझे फिर से कुछ कुछ हो रहा है मुझसे रहा नहीं जा रहा है राहुल...

आहहहहहहहहह.....राहुल......

नीलू की गरम सिसकारी सुनकर राहुल परु ी तरह से उत्तेजित होकर चुंदवासा हो गया अब उससे एक पल भी रुक
पाना बड़ा मुश्किल हो रहा था। राहुल का लंड नीलू की बुर में घुसने के लिए परू ी तरह से तैयार हो चुका था इसलिए
एक पल की भी दे री किए बिना राहुल में नीलू की एक टांग घुटने से पकड़ कर किचन पर रख दिया। अनुभवी नीलू
अच्छी तरह से समझ गई थी कि राहुल अब क्या करने वाला है इसलिए वह खुद ही आगे की तरफ झुका कर अपनी
गांड को राहुल की तरफ ऊचका दी । नीलू को इस तरह से चुदवासी होकर अपनी गांड को ऊचकाते हुए दे ख कर राहुल
से रहा नहीं गया और उसने तुरंत अपने लंड को हाथ में थाम कर एक हाथ से नीलु की नरम नरम गांड को पकड़कर
लंड के सुपाड़े को नीलू की रसीली बुर की गुलाबी फांकों के बीच टिकाकर हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ
धकेला बुर पहले से ही एक दम पानीयाई हुई थी इसलिए बिना रुकावट के हल्के से धक्के में ही पूरा सुपाड़ा बुर के
अंदर उतर गया।सुपाड़े को बुर के अंदर उतरते ही नीलू की सिसकारी तेज हो गई

ससससससहहहहहह.....आहहहहहहहहहह.... राहुल इतना कहने के साथ ही वह अपने बदन को कसमसाने लगी और


राहुल उसकी दोनों बाजू से भरावदार गांड को पकड़ कर एक तेज धक्का लगाया और और राहुल का समूचा लंड
एकदम तेजी के साथ बुर की दीवारों को रगड़ता हुआ सीधे जाकर ठीक बच्चेदानी से जा टकराया। जैसे ही राहुल के
लंड का सुपाड़ा बच्चेदानी से टकराया वैसे ही नीलू के मुंह से दर्द भरी आह निकल गई वह दर्द से कराहने लगी।

ओहहहहहहह....मां मर गई रे ...... निकालो राहुल.... ईसे निकालो .....ऊई मां ......कितनी तेजी से तुमने अंदर डाला
है ....आहहहहहहहह..... मेरी तो जान ही निकली जा रही है । ऊफ्फ.... बहुत दर्द हो रहा है राहुल मुझसे यह दर्द बर्दाश्त
नहीं हो रहा है ।

( वाकई में राहुल ने बड़ी तेजी और बेरहमी के साथ अपने लंड को नीलू की बरु में ठुंस ़ दिया था। ना जाने कितनों का
लंड अपनी बुर में ले चुकीे नीलू इस बार राहुल के लंड के वार ं को सह नहीं पा रही थी। और यह बात राहुल भी अच्छी
तरह से जानता था कि एक बार उसने अपने लंड को बड़ी शक्ति के साथ ओर बड़ी ही बेरहमी के साथ नीलू की बरु में
पेल दिया था। ईसलिए नीलु से बरदाश्त नही हो पा रहा था।

राहुल ऊसके दर्द से वाकीफ था। ईसलिए वह ऐसे ही उसकी गांड को थामे रुक आ रहा लेकिन अपने लढ को 1 इंच भी
बाहर नहीं निकाला। कुछ दे र तक वह यूं ही उसके चुचियों को दबाता रहा है और इसका असर थोड़ी दे र में नीलू पर
होने लगा क्योंकि चुची को मसलने से थोड़ी ही दे र में नीलू के मुंह से आ रही दर्द के कराहने की आवाज आनंददायक
सिसकारी में बदलने लगी। राहुल समझ गया कि अब दर्द की जगह आनंद नहीं ले लिया है इसलिए वह अपने लंड को
बाहर की तरफ खींचा और फिर हल्के से अंदर डाला। नीलू को मजा आने लगा और राहुल धीरे -धीरे लंड को अंदर बाहर
करते हुए नीलू को चोदने लगा दोनों को बेहद मजा आ रहा था पूरा किचन नीलू कि शिसकारियों से गुंज रहा

था। ।
राहुल कभी-ऊसकी गांड को पकड़कर ऊसे चोदता तो कभी उसकी चूचियों को पकड़ कर चुचीयो को दबाते
हुए चोदता। राहुल के हर एक धक्के पर नीलू किचन के फर्श पर पसर जा रहीे थी। हर धक्के के साथ ही
नीलू की बरु से फुच्च फुच्च की आवाज आ रही थी। आज नीलू राहुल को पूरी तरह से नीचोेड़ डालने के
मूड में थी

और खुद भी अपनी बुर में इकट्ठा सारे रस को चरमोत्कर्ष को महसुस करते हुए बहा दे ना चाहती थी।

थोड़ी ही दे र बाद दोनों चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ रहे थे राहुल के धक्के बड़ी ही तीव्र गति से लगने लगे
थे। नीलू की सिसकारियां भी बढ़ती जा रही थी तभी थोड़ी दे र बाद दोनों का बदन एक साथ अकड़ने
लगा। और दोनों हल्की चीख के साथ झड़ने लगे। राहुल नीलू के ऊपर ढह गया दोनों की सांसे तीव्र गति
से चल रही थी। दोनों के अंगों से निकला हुआ काम रस धीरे -धीरे करके नीलु की जांघो को भिगोता हुआ
नीचे फर्श पर गिरा रहा था।

दोनों दस
ू री बात चरमोत्कर्ष का आनंद ले चुके थे नीलू और राहुल दोनों पसीने में तर बतर हो चुके थे।
जब तक यह चुदाई चलती तब तक ओवन में ब्रेड तैयार हो चुका था। राहुल नीलू के ऊपर से हटा नीलू
के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे उसे पूरी तरह से संतुष्टि मिलती थी। वह राहुल की तरफ
दे खकर मुस्कुराते हुए ओवन खोली और उसमें से पूरी तरह से तैयार हो चुका ब्रेड निकालकर ओवन को
बंद कर दी। दोनों संपूर्ण नग्नावस्था में भी डाइनिंग टे बल पर बैठकर नाश्ता किए। नीलू का बदन काम
रस की वजह से पूरी तरह से चिपचिपा हो चुका था इसलिए उसने राहुल को बाथरूम में साथ नहाने का
प्रस्ताव दिया जिसे राहुल हं सते-हं सते स्वीकार भी कर लिया। और स्वीकार भी कैसे नहीं करता उसे भी
नीलू के साथ संपूर्ण नग्नावस्था में स्नान करने का मजा जो लेना था।

दोनों पूरे दिन चुदाई का मजा लेते रहे डाइनिंग रूम से शुरू हुआ यह सिलसिला किचन से लेकर के
बाथरूम और बाथरूम के बाद बैडरूम तक परू ी तरह से वासना में लिप्त यह चुदाई का खेल चलता रहा।
दोनों एक दस
ू रे के अंगों के रस को परू ी तरह से निचोड़ने में लगे रहे ।

राहुल को जाते-जाते नीलू पूरी तरह से थक चुकी थी उसके बदन में संतुष्टि परू ी तरह से अपना असर
दिखा दीखा दी थी। नीलु ने दरवाजे पर आकर अपनी मां के आने से पहले ही मुस्कुराते हुए राहुल को
विदा कर दी।

राहुल के लिए भी आज का दिन पूरी तरह संतुष्टि भरा रहा।

शाम ढल चुकी थी अंधेरा छाने लगा था राहुल घर लौटते समय रास्ते में मिठाई की दक
ु ान से अपनी मां
के मन पसंद की मिठाई खरीद कर घर ले गया। उसे पता था कि उसकी मां मिठाई बहुत पसंद करते हैं
लेकिन हमेशा अपने बजट के अनुसार ही कभी कभार ही खरीद पाती थी। लेकिन राहुल तेरी जेब गर्म
होने लगी थी इसलिए वह जब भी मन करता था घर पर जरुर कुछ ना कुछ खाने पीने की वस्तुं ले
जाया करता था।

घर पर जैसे ही पहुंचा तो उसकी नजर सामने चली गई जहां पर अलका बैठकर पोछा लगा रही थी। बहुत
थोड़ा आदमी की तरफ झुक कर पोछा लगा रही थी जिसकी वजह से उसकी भरावदार गांड उभर कर
सामने आ रहे थे जिसे दे खते ही राहुल के बदन में गुदगुदी सी होने लगी। भरावदार गोल गोल ओर उभरी
हुई बड़ी गांड़ हमेशा से राहुल की कमजोरी रही है । चाहे जितनी बार भी चुदाई का सुख भोग चुका हो ं
लेकिन जब भी किसी औरत की भराव दार गांड पर नजर जाती थी तो उसका मन चोदने के लिए
ललचाने लगता था। यहां भी ऐसा ही हुआ दिन भर नीलू को भोग कर अाया था लेकिन घर पर आते हैं
अपनी मां की बड़ी बड़ी मस्त गांड को दे खकर उसका मन फिर से चोदने को करने लगा। उसके सोए हुए
लंड में फिर से हरकत होना शुरु हो गई। वह मिठाई लेकर घर में प्रवेश किया तभी अलका की नजर
राहुल पर पड़ गई। और वह पोछा लगाते हुए बोली।

तू आ गया बेटा कब से तेरा इंतजार कर रही हु।

क्यों मम्मी कोई काम था क्या ?(मिठाई को टे बल पर रखते हुए बोला)

नही रे , लेकीन अब तेरे बिना मेरा बिल्कुल भी मन नहीं लगता। अच्छा यह तू क्या लेकर आया है ।

तुम्हारी मनपसंद की मिठाई है मम्मी मैं आज तुम्हारे लिए रसमलाई लेकर आया हूं।

रस मलाई का नाम सुनते ही अलका के मुंह में पानी आ गया उसकी यह पसंदीदा मिठाई थी वह चहकते
हुए बोली।

सच बेटा तू कितना अच्छा है तू मेरा इतना ख्याल रखता है मुझे रसमलाई बेहद पसंद है लेकिन तू
अपनी आर्थिक स्थिति जानता ही है जब कभी तनख्वाह का दिन आता है तभी मैं मिठाई खरीद कर खा
सकती हूं और तुम लोगों को खिला सकती हूं।

हां मम्मी ने जानता हूं तभी तो आज मेरे पास पैसे दे दो मैं तुम्हारे लिए तुम्हारे पसंद की मिठाई लेकर
आया हूं।

( कुर्सी पर बैठते हुए राहुल बोला)

ठीक है बेटा मैं जल्दी-जल्दी पहुंचा लगा कर खाना बना दे ती हुं आज तो खाना बनाने में लेट हो गया है ।
तुझे भूख तो नहीं लगी है ना।

लगी है ना मम्मी (अपनी आंख को नचाते हुए राहुल बोला।)


बस बेटा थोड़ा इंतजार करना जल्दी से बना दे तीे हुं। एक काम कर जब तक खाना नहीं बन जाता तू
रसमलाई ही खा लो। ( अलका खड़ी होते हुए बोली।)

मम्मी तुम तो जानती हो मुझे इस रसमालाई से ज्यादा स्वादिष्ट तुम्हारी रसमलाई (उं गली को अपनी मां
की बुर की तरफ इशारा करते हुए।) लगती है । और मेरी भूख तो तुम्हारी रसमलाई चाट कर ही मिटे गी।

अपने बेटे की इस तरह की बातें सुनकर अलका का चेहरा सुर्ख लाल रं ग का हो गया शर्म की बदरी उसके
चेहरे पर साफ नजर आ रही थी। वह पहुंचा और बाल्टी को हाथ में उठा कर बाहर की तरफ जाते हुए
बोली।

धत्त तू अब बड़ा शेतान हो गया है । ( इतना कहकर वह गंदे पानी को नाले में बहा कर वापस आ गई।
और हाथ पैर धोकर सीधे रसोई घर में घुस गई। पीछे पीछे अपनी मां की मटकती हुई गांड को दे खकर
वह भी रसोई घर में चला गया और वैसे भी राहुल की मौजूदगी में अलका कुछ ज्यादा ही अपनी गांड को
मटका कर चल रही थी।

जिसे दे खकर राहुल तो क्या दनि


ु या के किसी भी मर्द का मन डोल जाए। राहुल का भी बरु ा हाल था नीलू
को जी भर कर चोदने के बाद भी उसका मन भरा नहीं था। या यूं कह लो कि राहुल अपनी मां की
मदमस्त गांड को दे ख कर एक बार फिर से चुदवासा हो गया था इसलिए वह रसोईघर में अपनी मां के
पीछे पीछे चला आया था।

अलका को आभास हो गया था कि राहुल उसके पीछे -पीछे रसोईघर में आ गया है और उसे यह भी
मालूम था कि राहुल क्या हरकत करने वाला है । इसलिए अपने बेटे को और ज्यादा ऊकसाते हुए गैस का
नॉब चालू करते समय अपनी ऊभरी हुई गांड को कुछ ज्यादा ही उभार कर आगे की तरफ झुक गई।
अलका भी दिन भर की प्यासी थी, क्योंकि सुबह-सुबह राहुल ने रसोईघर में दरवाजा ठीक करने के बहाने
उसको चोद़कर उसके कामाग्नी को और ज्यादा भड़का दिया था। उसे दिनभर राहुल के मोटे लंड की
जरूरत महसूस होती रही लेकिन वह अपना मन मसोसकर रह गई। इसलिए वह सोच रही थी कि क्यों
ना एक बार फिर से रसोई घर में ही वह उसकी प्यासी बरु की प्यास बुझा दे । इसलिए वहीं राहुल को
ऊकसाने की पूरी कोशिश करने लगी। राहुल की पैंट में तो तंबू बन चुका था राहुल सब्र कर पाना
़ वह भी
अपनी मां की मध भरी ,ऊभरी हुई गांड दे खकर नामुमकिन था। अलका करना चाहते हुए अपनी गांड के
भार को कभी दाहिने पैर पर खड़ी होकर टीकाती तो कभी बाएं पैर पर उसकी इस हरकत पर उसकी गांड
का मटकना कुछ ज्यादा ही उभर कर सामने आ रहा था। यह दे ख कर राहुल से रहा नहीं गया और सुबह
की तरह ही वह पीछे से अपनी मां को बाहों में भर लिया और साथ ही अपने तंबू को अपनी मां की
नरम नरम गांड पर साड़ी के ऊपर से ही धंसाने लगा और साथ ही

ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की बड़ी बड़ी चुचियों को दबाना शुरु कर दिया। अलका की सांसे भारी
होने लगी थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी। अपनी उत्तेजना को दबाते हुए वह बोली।
हट छोड़ मुझे ना जाने तुझे क्या हो जाता है अभी सुबह में ही तो करके गया, और अभी आते ही शुरु हो
गया चल तु बाहर जा मुझे खाना बनाने दे ।( गैस पर कढ़ाई रखते हुए बोली,ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि
अलका का मन चुदवाने को नहीं कर रहा था बल्कि उसके अंदर तो काम भावना एकदम प्रबल हो चुकी
थी। लेकिन फिर भी वह जानबूझकर ऐसा जता रही थी कि उसका मन बिल्कुल भी नहीं है । अंदर से तो
वह यही चाहती थी कि उसका बेटा अपना मोटा लंड उसकी बुर में डाल कर जमकर चुदाई करें ।

अपनी मां की बात सुनकर राहुल बोला।)

सुबह में करके गया तो क्या हुआ मम्मी उस बात को बीते तो 10 घंटे हो चुके हैं और मेरा मन तो हर
10 मिनट बाद तुम्हें दे खकर ही तुम्हें चोदने को करने लगता है । मेरा बस चले तो मैं तो सारा दिन
तुम्हारी बरु में लंड डालकर पड़ा रहु।

तो डालकर पड़ा रहे , तुझे मना किसने किया है ।

( अलका कटी हुई सब्जी को कड़ाही में डालते हुए बोली)

सोनू कहां है मम्मी( ब्लाउज के बटन को खोलते हुए बोला।)

पड़ोस में गया है उसके दोस्तों के घर पर पढ़ाई करने अभी कुछ वक्त है उसे आने में । ( अलका बातों ही
बातों में राहुल को परू ी तरह से इजाजत दे चुकी थी और अपनी मां की बात को सुनकर राहुल बोला।)

ओहहहहहह मम्मी मझ
ु से तो बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है तुम बहुत सेक्सी हो तुम्हें दे खते ही मेरा
लंड खड़ा हो जाता है ।( इतना कहने के साथ ही उसने ब्लाउज के सारे बटन खोल दिया और कैसी हुई ब्रा
को अपने दोनों हाथों से खींच कर चूचियों के ऊपर चढ़ा दिया जिससे इस समय ऊसकी दोनों चुंचियां ब्रा
की कैद से आजाद हो गई। राहुल अपनी मां की नंगी चूचियों को जोर-जोर से दबाने लगा उसकी मां के
मुंह से सिसकारी छूटने लगी

दोनों पूरी तरह से गर्म हो चुके थे। राहुल का तंबू हल्का की गांड के बीचो-बीच उसकी बुर के करीब ही
दस्तक दे रहा था। अलका परु ी तरह से उत्तेजना के मारे कहां पर है थे वह कांपते हाथों से सब्जी चलाते
हुए बोली।

बेटा पहले दरवाजा तो बंद कर लो अगर कहीं ं समय से पहले सोनू आ गया तो गजब हो जाएगा।

कोई नहीं आएगा मम्मी ऐसे ही चलने दो ना मुझे बहुत मजा आ रहा है ।( निप्पल को उं गलियों के बीच
मसलते हुए बोला।)

मेरी बात मान ले बेटा जल्दी से दरवाजा बंद कर दे मेरा भी बहुत मन कर रहा है तुझसे चुदवाने के लिए
तू नहीं जानता कि आज दिनभर कितना तड़पी हूं तेरे बिना।
ठीक है मम्मी मैं जल्दी से दरवाजा बंद कर दे ता हूं। ( ईतना कहते ही वह दरवाजा बंद करने के लिए
आगे बढ़ा जब तक वह दरवाजा बंद करता है आलू का सब्जी में मसाला डालकर उसे बर्तन से ढं ककर
पकने के लिए छोड़ दी। राहुल दरवाजा बंद करके जैसे ही लौटा दोनों एक दस
ू रे की बाहों में समा गए ।
राहुल अपनी मां की चुचियों को दबाता हुआ उसके गले पर होठों पर जहां पर हो सकता था वहां वहां
चुंबन की झड़ी बरसा दिया और अलका कामोत्तेजना के वशीभूत होकर अपने बेटे के पें ट की बटन खोलने
लगी, अगले ही पल वह अपने बेटे की पें ट को खोलकर उसे घुटनों को सरका दी

अपने बेटे के तने हुए लंड को दे खकर उसके बदन में गुदगुदी होने लगी और वह अपनी हथेली में लंड
को-भरकर आगे पीछे करते हुए हिलाने लगी।

सससससससहहहहहहहह.......आहहहहहहहह..... मम्मी बस आ जाओ अब बिल्कुल भी रहा नहीं जाता।

( इतना कहते हुए वह फिर से अपनी मां को अपनी बाहों में भर लिया और उसके गुलाबी होठों को चूसने
लगा अपनी मां के होठों को चूसते चूसते वह किचन फ्लोर पर अपनी मां को सटा दिया। और तरु ं त दोनों
हाथों से साड़ी को ऊपर की तरफ सरकाने लगा। जैसे ही अलका की साड़ी को राहुल कमर को खाया
अलका ने खुद साड़ी को थाम ली और राहुल ने तुरंत अपनी मां की पैंटी को पकड़कर नीचे सरकाने लगा,
अगले ही पल राहुल नीचे की तरफ झुकते हुए अपनी मां की पें टी को ऊसकी चिकनी टांगो से निकाल कर
फर्श पर फेंक दीया। अलका कमर के नीचे से बिल्कुल नंगी हो गई अपनी मां की नंगी बुर को दे ख कर
राहुल अपने आप पर बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाया और खड़े होकर एक हाथ से अपने लंड को पकड़
कर अपनी मां की बरु पर रगड़ने लगा। अलका अपनी बेटे के गरम लंड के स्पर्श मात्र से ही एकदम
चुदवासी हो गई और एकदम कामोतेजना का अनुभव करते हुए उसकी बरु से मदन रस की एक बूंद
टपक पड़ी। राहुल तुरंत अपनी मां की दोनों जनों को अपनी कलाइयों का सहारा दे कर ऊपर की तरफ
उठाया अलका को तो बिल्कुल समझ में नहीं आया कि राहुल क्या कर रहा है , जब तक अलका को कुछ
समझ नहीं आता वह किचन फ्लोर पर बैठ चुकी थी और राहुल ने उसकी जांघो को थोड़ा सा फैलाते हुए

अपने लंड के सुपाड़े को अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच टीकाकर अपनी कमर को आगे की
तरफ बढ़ाया अलका की बुर पहले से ही पानीयाई हुई थी इसलिए सटाक से पूरा सुपाड़ा बुर के अंदर
सरकने लगा। और अगले ही पल उसने एक जोरदार धक्का लगाया जिससे राहुल का परू ा लंड उसकी मां
की बुर में समा गया। राहुल का पूरा लंड अलका की बुर में घुस चुका था । राहुल ने तुरंत अपनी मां की
नंगी चूचियों को हथेली में भर लिया और उसे दबाते हुए हल्के हल्के शॉट लगाते हुए अपनी मां को
चोदना शुरू कर दिया। अलका अपने बेटे के इस अंदाज पर एकदम गदगद हुए जा रही थी। उसे अंदाजा
भी नहीं था कि राहुल ऐसा कुछ कर सकता है । उसने जिस अंदाज से अपनी कलाइयों का सहारा लेकर
जांघो से उसे उठाकर किचन फ्लोर पर रखा था अलका खुशी के मारे एक दम झूम उठी थी। इस
पोजीशन में अलका को ज्यादा आनंद आ रहा था। राहुल लगातार अपनी मां की चूची को दबाते हुए उसे
चोदे जा रहा था। राहुल का मोटा लंड अलका की बरु में सटासट अंदर बाहर हो रहा है अलका अपनी
नजरें नीचे झुका कर अपनी बुर की तरफ दे ख रही थी जिसमें उसके बेटे का मोटा लंड ऊसकी बुर की
गुलाबी पत्तियों को फैलाता हुआ जल्दी-जल्दी अंदर बाहर हो रहा था जिसे दे खते हुए उसके बदन में
रोमांच फेल रहा था। अलका को यह दे खकर बड़ा ही मजा आ रहा था वह रहकर राहुल लगातार इतनी
जोर जोर से धक्के लगा ताकि उसके मुंह से लगातार गर्म सिसकारी फूट पड़ती।

आहह....आहह...:आहह...आहह...( लगातार धक्के पड़ने पर अलका के मुंह से ईस तरह की आवाज़ आ रही


थी। राहुल जोर जोर से धक्के लगाते हुए अपनी मां को अपनी बाहों में भींच कर लगातार उसकी चूचियों
को दबाता हुआ उसके गले पर चुंबन की झड़ी बरसा रहा था जो कि अलका की उत्तेजना को और ज्यादा
बढ़ा रहा था। कुछ दे र तक यूं ही राहुल अपनी मां को चोदता रहा' ना जाने क्यों राहुल को किचन में
चुदाई करना कुछ ज्यादा ही पसंद आ रहा था जिसमे अब अलका को भी मजा आने लगा था।

दोनों की सांसे भारी होती जा रही थी अलका के मुंह से लगातार गर्म सिसकारियां छूट रही थी। राहुल
जबरदस्त प्रहार कर रहा था। अपने बेटे के हर धक्के पर अलका पूरी तरह से हिल जा रही थी। उसे
हल्का हल्का दर्द भी महसूस हो रहा था लेकिन जितना दर्द हो रहा था उससे कहीं ज्यादा उसे आनंद की
प्राप्ति हो रही थी। कुछ ही दे र में दोनों के बदन की अकड़न बढ़ने लगी राहुल के साथ साथ अलका भी
अपने बेटे को अपनी बाहों में कस के भींच ली और दो-चार धक्के मे ही दोनो भलभलाकर झड़ने लगे
दोनों की गर्मी शांत हो चुकी थी। राहुल जल्दी से अपने कपड़े पहन लिया उसकी मा भी किचन फ्लोर से
नीचे उतर कर नीचे पड़ी अपनी चड्डी को उठाकर जल्दी से पहन ली ओर अपने कपड़े दरु
ु स्त कर ली।

राहुल जल्दी से किचन का दरवाजा खोल कर बाहर आ गया तब तक सोनु वापस नहीं आया था। अलका
अपनी वासना की भूख मिटा कर खाना बनाने में जुट गई और राहुल अपने कमरे में चला गया।

राहुल का आज का दिन कुछ ज्यादा ही बेहतर जा रहा था। अपने बिस्तर पर लेट कर अपनी सुस्ती मिटा
रहा था। कि तभी उसके पैंट में विनीत की भाभी का दिया हुआ मोबाइल वाइब्रेट होने लगा वह समझ
गया कि भाभी का ही फोन है । उसे मालूम था कि वीनीत की भाभी आपसे गरम बातें करते हुए अपने
आप को शांत करे गी राहुल थोड़ा सा दिन भर की मेहनत के साथ थकान सा महसूस कर रहा था। वह
चाहता तो वीनीत की भाभी को कॉल रिसीव नहीं करता। लेकिन वह किसी को भी नाराज नहीं करना
चाहता था या किसी से भी दरू रहना नहीं चाहता था क्योंकि तीनों के साथ उसकी आत्मीयता जुड़ चुकी
थी तीनों के साथ वह बना रहना चाहता था। वह फिर चाहे उस की मां हो वीनीत की भाभी हो या फिर
उसकी प्रेमिका नीलू हो। इसलिए वह ना चाहते हुए भी उसका कॉल रिसीव कर लिया और फिर वह शुरू
हो गई वही गंदी बातों का सिलसिला यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक कि विनीत की भाभी
की गर्मी शांत नहीं हो गई। जब तक वह झड़ नहीं गई तब तक वह फोन कट नहीं की। झड़ने से पहले
उसने अपनी ढ़े र सारी नंगी सेल्फी भी ऊसे व्हाट्स एप पर भेज दी जिसे दे खकर राहुल गरम आहें भरने
लगा था।

तीनों खाना खा चुके थे अलका ने अपने दोनों बच्चों को उनके हिस्से की रसमलाई खाने को दी सोनू तो
रसमलाई खा कर बहुत खुश हुआ और राहुल भी अपने हिस्से की रसमलाई खा गया। सोनू खाना खाने के
बाद अपने कमरे में चला गया और अलका रसोई घर साफ करने लगी राहुल तब तक वहीं बैठा रहा।
अलका बहुत खुश नजर आ रही थी रसोई घर साफ करने के बाद वहां अपने हिस्से की रसमलाई कटोरी
में लेकर अपने कमरे की तरफ जाने लगी और साथ ही राहुल की तरफ दे खकर कामुक मुस्कान बिखेर
रही थी। राहुल भी अपनी मां को दे ख कर मंद मंद मुस्कुरा रहा था। अलका हाथ में कटोरी लिए जिसमें
उसके हिस्से की रसमलाई थी। उसे हाथ में हिलाते हुए बड़े ही कातिल अंदाज में अपनी भराव दार गांड
को कुछ ज्यादा ही मटकाते हुए अपने कमरे की तरफ जा रही थी और जाते जाते राहुल की तरफ दे खकर
बोली अगर तुझे रसमलाई खाना हो तो मेरे कमरे में आ जाना। राहुल अपनी मां के इन शब्दों का अर्थ
अच्छी तरह से समझता था सुबह से दो-दो बार अपनी बुर में अपने बेटे का लंड डलवा कर चुदवा चुकी
थी, लेकिन उसकी प्यास थी कि मुझे नहीं किया जाए और ज्यादा भड़कने लगती थी। अलका अपने कमरे
में चली गई, राहुल भले अपनी मां का इस मस्ती भरे आमंत्रण को कैसे ठुकरा सकता था.। लेकिन वह
कुछ दे र तक वहीं बैठा रहा और अलका अपने कमरे में पहुंचते ही अपने बदन से साड़ी निकाल कर
बिस्तर पर फेंक दी और ब्लाउज के ऊपर के दो बटन को खोल दी।

ऊपर के दो बटन खुलते ही अलका की बड़ी बड़ी चुचियों का आधा भाग ब्लाउज के बाहर झांकने लगा
और चुचियों के बीच की गहरी लकीर और भी ज्यादा कामुक लगने लगी अगर किसी की भी नजर
अलका की खुली हुई लकीरों पर पड़ जाए तो खड़े-खड़े उसका लंड पानी छोड़ दे । अलका अधखुली ब्लाउज
और पेटीकोट में रस मलाई की कटोरी ले कर बिस्तर पर लेट गई, और रसमलाई का स्वाद चखते हुए
आनंदित होने लगी।

आखिरकार बाहर राहुल कब तक अपनी चुदवासी मां को कमरे में अकेला छोड़ कर बैठा रहता उसका
चुदास से भरा हुआ आमंत्रण उसे फिर से एक बार चुदवासा बना रहा था। दिनभर की चुदाई की यात्रा
करने के बाद भी उसे कोई मंजिल नहीं मिली थी। वह कुर्सी से उठकर अपनी मां के कमरे की तरफ जाने
लगा, कमरे के पास पहुंचते ही कमरे का दरवाजा उसे खुला मिला क्योंकि अलका जानती थी कि उसका
चुदास से भरा हुआ आमंत्रण पाकर उसका बेटा कमरे में आए बिना रह ही नही ं सकता था। कमरे में
प्रवेश करते ही उसने एक नजर अपनी मां पर डाली और उसे पेटीकोट और ब्लाउज में दे ख कर मुस्कुराते
हुए दरवाजा बंद कर दिया

अपने बेटे को कमरे में दे ख कर रस मलाई खाते हुए अलका भी मुस्कुराने लगी ओर बोली।

अच्छा हुआ बेटा तू आ गया यूं अकेले-अकेले रसमलाई खाने में बिल्कुल भी मजा नहीं आ रहा था।
मुझे भी बिना तुम्हारी रसमलाई चखे नींद कहां आती है (अपनी मां के करीब बिस्तर पर बैठता हुआ
राहुल बोला। अलका भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा किस रसमलाई की बात कर रहा है
इसलिए वह रसमलाई को जीभ से चाटते हुए बोली।)

तो चाट ले चख ले जो मन आए वह कर ले आखिर तुझे रोका किसने हैं। ( अपनी मां की हामि पाते ही
राहुल ने तरु ं त अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाया, और एक हाथ से अपनी मां की पेटिकोट की डोरी को
पकड़कर झटके से खींच दिया, तुरंत ही झटके से खींचने की वजह से पेटीकोट की गांठ खुल गई , और
अपने बेटे की इस हरकत करें अलका के बदन में गुदगुदी सी होने लगी। पेटीकोट की डोरी खुलते ही
पेटीकोट ढीला हो गया। पेटीकोट के ढीला होते ही राहुल से सब्र करना मुश्किल होने लगा और उसमें तुरंत
दोनों हाथ से पेटीकोट पकड़कर कमर से नीचे की तरफ सरकाने लगा, लेकिन अलका की भारी-भरकम गांड
के वजन की वजह से पेटीकोट नीचे की तरफ सरक नहीं रही थी जिसे अलका ने भांप ली और खुद ही
कटोरी से रसमलाई खाते हुए अपनी भरावदार गांड को ऊपर की तरफ उचका कर अपने बेटे को पेटीकोट
निकालने में मदद करने लगी। अपनी मां को यूं अपनी भारी भरकम गांड उचकाते हुए दे ख कर राहुल ने
तुरंत पेटिकोट को घुटनों तक खींच लिया जिसे खुद ही अलका ने अपने पैरों के सहारे उसे अपनी गोरी
चिकनी टांगों से निकाल कर बाहर फेंक दि।

राहुल तो अपनी मां की चिकनी जांघो को दे खकर मदहोश हो गया। और तरु ं त झुककर अपनी मां की
जांघो को चूमने चाटने लगा। अलका अपने बेटे के चुंबन तेरे मस्त होने लगी राहुल लगातार जांघों से
लेकर घुटनों तक चुंबनों की बौछार लगा दिया अलका रस मलाई खाते हुए मस्त हुए जा रही थी उसके
बदन में उत्तेजना की लहर पल-पल बढ़ती जा रही थी। राहुल की नजर जैसे ही अपनी मां की पैंटी की
तरफ गई तो बरु वाली जगह पर पें टिं परू ी तरह से गीली नजर आने लगी। जिसे दे खते ही राहुल एकदम
उत्तेजना से भर गया और तुरंत उसकी गीली वाली जगह पर अपनी जीभ फिराकर चाटने लगा अलका के
बदन में सुरसुरी सी फेलने लगी । अब उसे रसमलाई खाने से ज्यादा अपनी रसमलाई चटवाने की
आतुरता बढ़ती जा रही थी। राहुल भी एकदम पागल हो चुका था उसने तुरंत अपनी मां की पैंटी को दोनों
छोऱ से पकड़ा और इस बार भी अलका ने तुरंत एक पल भी गवाएं बिना अपनी भारी-भरकम गांड को
ऊपर की तरफ उचका दी, राहुल अभी तुरंत अपनी मां की पैंटी को खींचते हुए नीचे की तरफ सरकाने
लगा

जैसे जैसे पें टी कमर से नीचे की तरफ सऱक रही थी, वैसे वैसे अपनी मां की पनियाई बरु को दे ख कर
उसकी आंखों की चमक बढ़ती जा रही थी पें टी निकालने में राहुल को बहुत ही उत्तेजना का अनुभव हो
रहा था ।गोरी चिकनी मांसल जांघोे से होते हुए जैसे जैसे अलका की पें टी नीचे की तरफ सरक रही थी
राहुल के दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी। उत्तेजना के मारे राहुल का गला सूख रहा था। अलका
जी बदहवास सी हुए जा रहीे थी। उसकी भी बरु कुलबुलाने लगी थी। ऊसकी बुर से मदनरस की बँद
ु े रह
रहकर टपक रही थी। राहुल ने बिना रुके अपनी मां की पैंटी को सीधे घुटनों से नीचे तक उतार दिया
और उसे भी अलका ने अपने पैरों के सहारे निकाल फेंकी। अलका रसमलाई खाना बिल्कुल भूल गई
उसका ध्यान अब सिर्फ राहुल पर ही लगा हुआ था और उसकी हरकतों पर। राहुल तो अपनी मां की नंगी
बुर को दे ख कर एकदम दीवानों की तरह जांघों के बीच वाली जगह पर चुंबनों की बौछार कर दिया।
अलका अपने बेटे के चुंबन से एकदम मस्त होकर कसमसाने लगी और उत्तेजना के मारे दाएं-बाएं अपना
सिर पटकने लगी। राहुल को तुरंत अपनी प्यासी जीभ को अपनी मां की रसीली बुर पर रखकर चाटना
शुरू कर दिया। बेतहाशा चुंबनों और चटाई के कारण अलका भीगने लगी उसकी बुर से नमकीन पानी का
फुवारा फूट पड़ा। नथुनो से निकल रही गर्म सांसों की कसमसाहट में अलका मस्त हुए जा रही थी। मां
बेटे के बीच का स्नेह और प्यार का संबंध किस ने वासना और संभोग के सुख में खो गया था। राहुल से
बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था बंद कमरों के बीच कोई सोच भी नहीं सकता था कि एक मां और बेटे
मर्यादा की सारी हदें लांघकर संभोग सुख की खोज में वासना के समुंदर में इस कदर डूब जाएंगे कि उन्हें
उन्हें दनि
ु या का जरा भी ख्याल नहीं रहे गा। राहुल की जीभ लबालब अलका की बरु की गुलाबी पत्तियों
के बीच फड़फड़ाकर चल रही थी जिससे अलका को अद्भत
ु अतुल्य आनंद की प्राप्ति हो रही थी। तभी
राहुल की नजर माता के हाथों में जो रस मलाई की कटोरी थी उस पर गई उसने एक हाथ आगे बढ़ाकर
उस कटोरी को थाम लिया अलका को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि राहुल ने कटोरी किस लिए
लिया है । अलका कुछ पूछ पाती इससे पहले ही राहुल ने कटोरी को एकदम बुर के ऊपर लाकर उसमें से
चार-पांच रसमलाई की बूंदें अपनी मां की बरु की गुलाबी पत्तियों के बीच टपका दिया। अलका को
समझते दे र नहीं लगी कि उसका बेटा अब क्या करने वाला है वह अपने बेटे के द्वारा आगे होने वाली
हरकत के बारे में सोचकर ही रोमांचित हुए जा रही थी। तभी राहुल रस मलाई की कटोरी को एक बाजू
रखकर अपनी मां की जांघों के बीच झुक गया और बरु की गुलाबी पत्तियों के बीच जीभ लगा कर
चाटना शुरू कर दिया ।

आाहहहहहह गजब का एहसास और स्वाद दोनों का एक साथ आनंद उठा रहा था राहुल। उसे इस समय
बेहट आनंद की प्राप्ति हो रही थी और वह चटखारे लगा लगा कर अपनी मां की बूर चाट रहा था।
अलका को एकदम चुदवासी हो गई वह अपनी कमर को गोल-गोल घुमाते हुए अपने बेटे से अपनी बुर
चटवा रही थी।

ससससहहहहहहहहहह...... राहुल तन
ू े तो मेरे पूरे बदन में आग लगा दी है रे ।
ओहहहहहहहहह...राहुल....ऊफ्फफफ....

ओर चाट ....चाट....मेरी बुर को....ऊम्म्म्म ्..:.... ( सिसकारी लेते हुए अलका उत्तेजना के मारे अपना सिर
बाय-बाय पटक रही थी यह दे खकर राहुल और भी ज्यादा चुदवासा हुए जा रहा था और जोर जोर से
अपनी मां की बुर को लबा लब चाटे जा रहा था। कुछ दे र तक यूं ही राहुल अपनी मां की बरु में ही
मस्त होता रहा , पें ट के अंदर उसका लंड टनटनाकर एकदम लोहे की छड़ की तरह हो गया था। और
उसने उत्तेजना के कारण हल्का हल्का दर्द भी होने लगा था इसी तरह का एक ही इलाज था और वह था
चुदाई जबरदस्त चुदाई।

अलका का भी यही हाल था वह भी पूरी तरह से चुदवासी हुए जा रही थी वह सिसकारी लेते हुए राहुल से
चुदाई करने के लिए गिड़गिड़ाने लगी थी।

ससससससहहहहहहहह.....आहहहहहहहहह.....राहुल..... बस भी करो राहुल अब तो मझ


ु से बिल्कुल भी बर्दाश्त
नहीं हो रहा है । बस आप मेरी बरु से अपनी जीभ निकालकर अपना मोटा लंड डाल दो।
ऊहहहहहह.....राहुल....

अपनी मां की उत्तेजना से भरी हुई बातें सन


ु कर राहुल काफी दिल तड़प उठा अपनी मां को चोदने के
लिए इसलिए वह बरु पर से अपना मंह
ु हटा लिया ओर जल्दी से अपनी जगह पर खड़ा होकर अपनी पें ट
के बटन खोलने लगा अपने बेटे को पें ट खोलता हुआ दे खकर अलका की बरु मे खज
ु ली होने लगी। और
वह खद
ु ही अपनी हथेली उस पर रगड़ कर अपनी उत्तेजना को शांत करने की कोशिश करने लगी और
दे खते ही दे खते राहुल ने अपनी पें ट की बदन खोल कर पें ट को तरु ं त घट
ु ने से नीचे सरका कर उसे उतार
दिया। ऊफ्फ् ..... क्या खम
ु ारी छाई हुई थी अलका की आंखों में जब उसकी नज़र अपनी बेटे के खड़े लंड
पर पड़ी गजब का हथियार था उसका ऊसकी मोटाई लंबाई उसके सप
ु ाड़े का अंडाकार आकार दे ख कर
अलका की बरु फूलने पिचकने लगी। वह अपनी बरु को मसलते हुए एकटक अपने बेटे के लंड को दे खने
लगी। वग जानबझ
ू कर उसे अपनी मट्ठ
ु ी में लेकर आगे पीछे करते हुए हिलाने लगा जिसे दे ख कर अलका
से बिल्कुल भी रहा नहीं गया और वह तरु ं त बेठ गई।

ओहहहहहह राहुल तेरा लंड दे ख कर तो मझ


ु से बिल्कु......( इतना ही कही थी कि इसके आगे की सब्जी
उसके मंह
ु में ही घट
ु कर रह गए क्योंकि तब तक उसने अपने बेटे के लंड को थाम कर अपने मंह
ु में
भर ली थी

और उसे चस
ू ने शरू
ु कर दी। राहुल तो एकदम मस्त हुए जा रहा था। कुछ ही पल में उसके मंह
ु से भी
गर्म सिसकारी छूटने लगी।

आहहहहहहहह.....मम्मी ....ऊूूहहहहहहहहहह..... बहुत गर्म हो मम्मी तुम मुझे बहुत मजा आ रहा है ऐसा
लग रहा है कि जैसे मेरा पूरा बदन हवा में गोते लगा रहा है बस एसे ही चाटते रहीए
मम्मी...आहहहहहह..... मम्मी ...थोड़ा जीभ से.....आहहहह.:..हां हां हां मम्मी बस एेसे ही...ऊफ्फ् ....बहोत
मजा आ रहा है ।
राहुल को अपना लंड चटवाने में बहुत मजा आ रहा था उसकी मां भी अपने बेटे के लंड को बड़े चाव से
लॉलीपॉप की तरह चाट रही थी। दोनों अपनी अपनी मस्ती में मस्त हुए जा रहे थे। राहुल को डर था कि
कहीं वह अपनी मां के मुंह में ही ना झड़ जाए। इसलिए उसने तुरंत अपनी मां के मुंह में से अपने लंड
को बाहर खींच लिया। अलका भी शायद यही चाहती थी क्योंकि उसे अब अपनी बरु में लंड लेना था
इसलिए वह खुद ही अपने हाथों से ब्लाउज के बाकी बटन को खोलना शुरू कर दी, और ब्लाउज के बटन
खुलते ही हमें झट से अपने हाथ को पीछे ले जाकर ब्रा की हुक को खोलते हुए स्ट्रे प को भी नीचे सरका
दी। उसे इतनी जल्दी थी कि वह एक साथ ब्लाउज और ब्रा दोनों को उतार फेंकी। राहुल अपनी मां का
उतावलापन दे खकर बोला वह मम्मी तुम तो एकदम चुदवासी हो गई हो इस उम्र में भी तुम गजब की
सेक्सी लगती हो मैं तो तुम्हारा दीवाना हो गया हूं। कसम से मम्मी आपकी खूबसूरत और सेक्सी बदन
को दे खकर ना जाने कितनों का पानी निकल जाता होगा। ( राहुल लंड को मुठीयाते हुए बोला। अलका भी
अपने बेटे के मुंह से अपने बदन की तारीफ सुनकर खुशी से एकदम गदगद होने लगी। और झूठ मुठ का
नाराजगी दर्शाते हुए बोलेी।)

चल अब बस भी कर बेकार की बातें छोड़कर चल अब चढ़ जा मेरे ऊपर और आज ऐसा चोद की मैं


पानी पानी हो जाऊं (बिस्तर पर पीठ के बल लेटने हुए अलका अपने बेटे से बोली। राहुल कहां पीछे हटने
वाला था वह तो पहले से ही तैयार था ऐसे हालात में तो राहुल और भी ज्यादा निखरकर सामने आता
था। अलका अपनी टांगे फैलाकर बिस्तर पर लेट चुकी थी राहुल अपने लंड को हिलाता हुआ अपनी मां
की जांघों के बीच अपने लिए जगह बनाने लगा। जगह बनाते ही वह अपनी मां की जांघों को अपनी जांघ
पर चढ़ा दिया । जांघ से जांघ की रगड़ दोनों की कामोत्तेजना को बढ़ाने लगी। राहुल लंड के सुपाड़े को
अपनी मां की बुर के गुलाबी पत्तियों के बीच रख कर सुपाड़े पर हल्का सा दबाव बनाया तो सुपाड़ा गच्च
करके बुर के अंदर सरक गया। सुपाडा जैसे ही बुर के अंदर प्रवेश किया अलका का मुंह खुला का खुला
रह गया। उसके माथे पर पसीने की बूंदें उपसने लगी । राहुल अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से थाम
कर अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ाया तो उसका मोटा लंड धीरे धीरे रगड़ खाता हुआ बरु मे घुसने
लगा,जैसे जैसे लंड बरु मे घुस रहा था वेसे वेसे अलका की सांसे अटकती जा रही थी। धीरे -धीरे करके
राहुल ने परू ा लंड अपनी मां की बुर में डाल दिया।

और आहें भरते हुए लंड को अंदर बाहर करते हुए अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया। राहुल की जगह
अगर दस
ू रा कोई होता तो थक कर न जाने कब से चूर हो गया होता क्योंकि आज के दिन बाद सुबह से
ही चुदाई का खेल खेल रहा था ना जाने कितनी बार उसके घंटे में काम रस का फुवारा बुर में छोड़ा था।
लेकिन फिर भी अपनी मां की अंगड़ाई लेते हुए मस्त जवानी में एक बार फिर से उसके अंदर जोश भर
दिया था और राहुल नतीजन अपनी मां की बुर में लंड पेल कर उसे चोद रहा था। ऐसे तेज तेज धक्के
लगा रहा था कि अलका को कमरे के अंदर भी आसमान के तारे नजर आ रहे थे।
अपनी मां की चुचियों को पकड़कर राहुल बिना रुके लगातार बुर के अंदर धक्के पर धक्का लगा रहा था।
उसकी कमर के हर ठाप पर पूरा पलंग हील जा रहा था। गजब का कामुक नजारा बना हुआ था राहुल
अपनी मां के कमरे में उसके ही बिस्तर पर उसे चोद रहा था। अलका के रे शमी घने बाल खुले हुए थे
जोकि बिस्तर पर इधर उधर बिखरे हुए थे। चेहरे पर शर्म और संतुष्टि की लालिमा छाई हुई थी। इस
समय अलका परू ी तरह से अपने बेटे के कब्जे में थी क्योंकि वह हर तरह से अपनी मां को चोद रहा था।
कभी अपने लंड की रफ्तार को कम कर दे ता तो कभी बढ़ा दे ता । कभी जोर जोर से चूचियों को मसलता
हुआ चोदता तो कभी झुक कर ऊंन चुचीयों को मुंह में भर कर पीते हुए चोदता। वह हर तरह से अपनी
मां की ले रहा था अलका तो अपने बेटे के एक हुनर से एकदम गदगद हुए जा रही थी उसे यकीन नहीं
हो रहा था कि यह उसी का बेटा है एकदम सीधा-सादा भोला-भाला सा दिखने वाला उसका बेटा आज
उसको ही चोद चोद कर ऊसकी बरु को पानी पानी कीए जा रहा था। राहुल जब कभी थक जाता तो
उसकी मां की दस
ू री टांग को दस
ू री टांग पर सटा कर दोनों टांगों के बीच से उसकी बरु में लंड डालकर
चोदता। गर्म सिस्कारियों से पूरा कमरा गूंज रहा था। राहुल के माथे पर पसीना का पक्का अलका की
चूची ऊपर गिर रही थी।

आाााहहहहहहह....ओोहहहहह मम्मी बहुत मजा आ रहा है दे खो तो कैसे मेरा लंड तम्


ु हारी बरु मे सटासट
अंदर बाहर हो रहा है ।ऊूहहहहहहह मम्मी मेरे मोटे लंड को दे खकर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता है कि
तम्
ु हारी छोटी सी बरु में घस
ु जाएगा। आहहहहहहह....आहहहहहहह.... ( राहुल गर्म आहें भरते हुए अपनी मां
की गंदी बात करके अपनी मां को चोदा जा रहा था अपने बेटे की गंदी बात सन
ु कर अलका भी मस्त हुए
जा रही थी। अलका भी अच्छी तरह से जानती थी कि अगर चद
ु ाई के दौरान एकदम गंदी बातें करते हुए
चद
ु ाई करवाने में अत्यधिक आनंद की अनभ
ु ति
ू होती है इसलिए उसे भी बहुत मजा आ रहा था।

हां बेटा..... बस ऐसे ही बस ऐसे ही...... जोर जोर धक्के लगा .......मेरी बरु को पानी पानी कर दे ...।...हां
बस ऐसे ही बेटा...ऊफ्फ... चोद बेटा चोद....आहहहहहह.....आहहहहहहहहह.....आहहहहहहह..... ( अपनी मां की
सिसकारी भरी गंदी बाते सन
ु कर राहुल ने लगातार दो चार धक्के जोर जोर से लगा दिया जिससे अलका
के मंह
ु से आह निकल गई। दोनो पसीने से तरबतर हुए जा रहे थे राहुल ठाप पर ठाप लगाए जा रहा
था। पूरा पलंग चरमरा रहा था अलका बिस्तर पर पीठ के बल चुदवाते हुए हर धक्के के साथ ऐसे हील
रही थी कि जैसे मानो कोई उसे झूला झूला रहा हो। कुछ भी हो दर्द भरी आह मेरी सिसकारी से भरी
मस्ती छुपी हुई थी जिसका दोनों ही भरपूर आनंद ले रहे थे कुछ दे र तक यूं ही दोनों की चुदाई का
कार्यक्रम चलता रहा । तभी थोड़ी दे र बाद अलका की सिसकारी तेज हो गई अपनी मां की तेज होती
सिसकारी की आवाज की आवाज को राहुल जल्द ही भांप गया और उसने अपने धक्कों को दग
ु नी गति
से चलाना आरं भ कर दिया। मानो अलका की बुर में लंड नहीं कोई मशीन अंदर बाहर हो रही है इतनी
तीव्र गति से राहुल का लंड उसकी मां की बरु में अंदर बाहर हो रहा था। थोड़ी ही दे र में अलका अपनी
बांहो मे राहुल को कस के भींच ली राहुल भी कस के अपनी मां को अपनी बांहो मे भींचते हुए जोर जोर
से चोदना शुरु कर दीया। और थोड़ी ही दे र मे दोनो गर्म आंहे भरते हुए एकसाथ झड़ने लगे। दोनों एक
साथ झढ़ कर संतुष्टि प्राप्त कर लिए थे। राहुल और अलका दोनों नंगे ही एक दस
ू रे की बाहों में सो गए।

राहुल का प्यार अपनी मां के लिए दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था लेकिन इसे प्यार कह पाना ठीक नहीं
होगा क्योंकि यह प्यार नहीं प्यार के रुप में वासना था जोकि दोनों के दे श के पवित्र रिश्ते को पल पल
बर्बाद किए जा रहा था। अलका भी एक तरह से अपने बेटे की दीवानी हो चक
ु ी थी अपने बेटे के रूप में
उसे एक प्रेमी मिल गया था जोकि उसकी हर इच्छा को परू ी कर रहा था वह फिर आर्थिक हो या
शारीरिक। अलका पहले से ही काफी खब
ू सरू त थे लेकिन अपने बेटे से शारीरिक संबंध स्थापित करके
उसकी खब
ू सरू ती दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही थी। अलका और राहुल मां-बेटे कम प्रेमी और प्रेमिका या
एक तरह से पति-पत्नी बन चक
ु े हैं क्योंकि दोनों के बीच जो संबंध थे वह ईसी रिश्ते को मायने दे ते थे।
राहुल जब भी घर में रहता था तो उसकी नजरें अपनी मां पर ही टिकी रहती थी बार-बार उसकी नजरें
अपनी मां के भरे हुए बदन पर ऊपर से लेकर नीचे तक घम
ू ती रहती थी ना जाने कितनी बार वह अपनी
मां को भोग चक
ु ा था लेकिन फिर भी यह जिस्म की भख
ू बदन की प्यास बझ
ु ाए नहीं बझ
ु रही थी।
अलंका का भी यही हाल था जब से उसने राहुल से चद
ु वाना शरु
ु की थी तब से लेकर अब तक. चद
ु ाई की
भख
ू उसकी कम नहीं हुई थी बल्कि हर दिन बढ़ती ही जा रही थी। वैसे भी अलका जिस उम्र से गज
ु र
रही थी उस उम्र में चद
ु ाई की बहुत कुछ ज्यादा ही होने लगती हैं। और अलका तो अपनी जवानी के
दिनों से ही सेक्स की भख
ू ी थी। अपनी जवानी के दिनों में ही वह सेक्स के सख
ु से वंचित रह गई थी
और इस उमर में जब आ करके अपने ही जवान बेटे का दमदार और तगड़ा लंड मिल रहा था चद
ु वाने के
लिए तो भला अलका कैसे पीछे रहने वाली थी अपने बेटे का जवान लंड पाकर वह तो दिन-ब-दिन और
ज्यादा चद
ु ाई की भख
ू ी होती जा रही थी। वह भी अब इसी ताक में रहती की कब का बेटा अपना मोटा
लंड उसकी बरु में डालकर उसे चोदे और उसकी बरु की खज
ु ली को मिटाए और यही दिन रात जब भी
मौका मिलता अलका अपनी प्यास अपने बेटे से चद
ु कर बझ
ु ा ले रही थी।

राहुल अपनी प्रेमिका नीलू की भी लगातार चद


ु ाई करते हुए उसे भी लंड का सख
ु बराबर दे रहा था और
ऊसकी रसीली बुर का स्वाद खुद भी चख रहा था। राहुल का प्यार ऊसकी मां के साथ साथ नीलू से भी
गहराता जा रहा था। हालांकि राहुल को विनीत की भाभी की कमी महसूस हो रही थी क्योंकि एक वही
उसकी एक टीचर थी जिसमें उसे संभोग की कला का ज्ञान दी थी। वह जब भी विनीत की भाभी के पास
जाता तो उसे कुछ ना कुछ नया ही सीखने को मिल रहा था। राहुल को विनीत की भाभी की भी बरु की
याद तड़पा रही थी। कुछ भी हो राहुल को उसकी भाभी के साथ भी बेहद आनंद की प्राप्ति होती है राहुल
की पांचों उं गलियां धी मे तेर रही थी। अपने घर में भी अपनी मां की चुदाई कर रहा था और बाहर नीलू
की। राहुल आनंद के सागर में पूरी तरह से डूबा हुआ था साथ ही उसके साथ साथ उसकी मां और नीलू
भी खूब मजा ले रही थी। नीलू और राहुल दोनों प्यार की हद से आगे बढ़ चुके थे। वाकई में दोनों जब
भी मिलते थे जीने मरने की कसमें खाया करते थे दोनों पूरी तरह से एक दस
ू रे के साथ विवाह को बंधन
में बंधने के लिए तैयार थे। धीरे धीरे करते दिन गुजरने लगे राहुल ओर अलका अपनी ही मस्ती में खोए
हुए थे। अलका के जीवन में मस्ती के साथ साथ एक शांति सी फैली हुई थी लेकिन यह शांति तूफान से
पहले की शांति थी। क्योंकि राहुल को वीनीत की भाभी का फोन आया कि वह कल आने वाली है राहुल
तो यह सुनकर बहुत खुश हुआ लेकिन अलका आने वाली मुसीबत से बिल्कुल भी अनजान थी। क्योंकि
विनीत उसकी हं सती-खेलती जिंदगी में जहर घोलनें आ रहा था। एक गलती अलका के लिए कितनी भारी
पड़ सकती थी वह आने वाला समय ही बता सकता था। राहुल को तो सिर्फ विनीत की भाभी की रसीली
बुर ही नजर आ रही थी। लेकिन भाभी के साथ आने वाला वीनीत उसके लिए भी कितनी बड़ी मुसीबत है
इस बात से राहुल बिल्कुल भी अनजान था। वह तो उसके द्वारा भेजी गई नंगी तस्वीरों को दे ख दे खकर
मुठ मारकर वीनीत की भाभी को याद कर रहा था।।

उसके आने से एक दिन पहले वाली रात को राहुल ने अपनी मां की जमकर चुदाई किया और अलका ने
भी उस रात को अपने बेटे से अत्यधिक आनंद लेते हुए चुदवाइ। अलका भी आने वाले खतरे से अनजान
थी, वह नहीं जानती थी कि आने वाला दिन उसके लिए मुसीबतों का पहाड़ लेकर आएगा। अपने बेटे से
संतुष्टि भरी चुदैई करवा कर आराम से चैन की नींद सो गई ।

सारे काम करके अलका सजधजकर बच्चों को स्कूल भेज कर खुद ऑफिस चली गई उसके दिन बड़े
अच्छे से गुजर रहे थे ईस समय उसे कोई भी परे शानी नहीं हो रही थी ना तो आर्थिक रुप से ना तो
शारीरिक रूप से दोनों ही रूप से अलका परू ी तरह से संतुष्ट थी। रोज अपने बेटे द्वारा शारीरिक कसरत
हो जा रही थी इसी वजह से उसकी खूबसूरती और भी ज्यादा निखरते अा रही थी।

राहुल भी बहुत खुश था क्योंकि आज उसे विनीत की भाभी से मिलने जाना था बहुत दिन हो गए थे उसे
विनीत की भाभी की बुर का स्वाद चखे। लेकिन राहुल को यह नहीं पता था कि उसका ही दोस्त अब
इसके लिए मुसीबत बनने वाला था। विनीत की भाभी ने राहुल को फोन करके यह बता दी थी कि उसे
कब घर आना है । वीनीत की भाभी के घर पर जाने की परू ी तैयारी राहुल ने कर लिया था। उसकी याद
में आज रह-रहकर राहुल का लंड ठुनकी ले रहा था। यही हाल वीनीत की भाभी का भी था। वह भी जब
से गई थी तबसे ढं ग से चुदवाने का मौका भी नहीं मिल पाया था और जब मौका मिला तो राहुल की
तरह तगड़ा मोटा लंड नहीं मिल पाया। इसलिए माफी राहुल से चुदवाने के लिए तड़प रही थी और वहां
से निकलते ही राहुल को फोन कर दी थी कि आज घर पर आ जाना।। आग दोनों जगह बराबर लगी हुई
थी।

विनीत को तो राहुल की मां की याद सता रही थी जब से उसने अस्पताल में अलका को भोगा था , सबसे
उसको अलका के बदन को ले करके एक अजीब सा सुरूर छा गया था। दिन-रात उसे बस अलका ही
नजर आती थी। क्योंकि उसने आज तक अलका जैसी औरत ना दे खा था और ना ही भोगा था बार-बार
उसे अलका का नंगा बदन आंखों के सामने नजर आ रहा था उसकी बड़ी बड़ी चूचियां जिसे वह उस रात
दबा दबा कर अपने मुंह में भर कर चूसा था, उसकी मोटी मोटी मांसल केले के तने के सामान चिकनी
जांगे , ऐसी जांगो के बारे में विनीत ने कभी कल्पना भी नहीं किया था , और अलका की खूबसूरत जांघो
उसने अपनी हथेली से निकलते हुए उसके गरम स्पर्श का अहसास अपने अंदर उतारा था। जिसकी गर्मी
उसे आज तक अपनी हथेली में महसूस होती थी। उसे इस बात का भी यकीन उसे भोगने के बाद भी
नहीं हो पा रहा था कि इस उम्र में भी उसकी रसीली बुर का कसाव पहले की तरह बरकरार है । उसने तो
आज तक ऐसी कसी हुई बुर में कभी लंड भी नहीं डाला था। नीलु को भी जब वह पहली बार चोदा था
तब भी जो ऐसा जान का के साथ उसे आया था वैसा एहसास उसके साथ कभी भी महसूस ही नहीं हुआ।

इसलिए तो वह अलका की खूबसूरती और उसके बदन के प्रति पूरी तरह से कायल हो चुका था। इसलिए
तो वह अलका को फिर से भोगना चाहता था। अलका के खूबसरू त बदन के मादक खुशबू को वह फिर से
अपने सीने में उतारना चाहता था। वह भी अलका से मिलने के लिए परू ी तरह से बेकरार था।

राहुल तो स्कूल से छूटते ही सीधे विनीत की भाभी के घर पहुंच गया। विनीत की भाभी उसे दे खते ही
बहुत प्रसन्न हुई। बहुत दिनों से काम की प्यासी थी और उसने जी भर के राहुल से चुदवा कर अपने
काम की प्यास बुझाई । राहुल भाई कुछ दिनों से नीलू और अपनी मां की प्यास बझ
ु ाने में लगा हुआ था
आज एक बार फिर से विनीत की भाभी की बुर पाकर उसकी जबरदस्त चुदाई किया। जाते समय फिर से
वीनीत की भाभी ने राहुल को कुछ पैसे दी जिसे राहुल ले करके अपने पें ट की जेब में रख लिया' और घर
से बाहर आ गया।

शाम के वक्त विनीत अलका का इंतजार करते हुए उसी मार्के ट में बैठा रहा लेकिन ना जाने कब अलका
वहां से निकल गई इस बात का विनीत को पता भी नहीं चला। विनीत को यह लगा कि शायद अलका
ऑफीस ही नही गई होगी। ऊस दीन तो राहुल हांथ मसल के रह गया।

अलका घर पहुंचकर घर में राहुल को दे खते ही खुश हो गई। खुशी खुशी वह भोजन तैयार करने में जुट
गई। ऊसे बड़ी बेसब्री से रात का इंतजार था क्योंकि रोज की तरह आज भी उसकी बरु में खुजली मची
हुई थी जो कि उसका बेटा ही अपना लंड डालकर मिटा सकता था।

खाना बन चुका था तीनों गरमा गरम भोजन करके संतुष्ट हो चुके हैं रोज की तरह दोनों अपने कमरे में
चला गया और राहुल अपनी मां के पीछे पीछे उसके कमरे में ।

आज जब राहुल अपनी मां के कपड़े उतारकर उसे नंगी कर रहा था तब जैसे ही राहुल अलका की पें टिं
को खींच कर नीचे सरकाने लगा तभी उसकी नजर पें टिं पर हुए छोटे से छें द पर पड़ी , पें टिं को टांगो से
निकालने के बाद वह उस छोटे से छे द को अपनी मां को दिखाते हुए बोला।
मम्मी तुम्हारी गांड थोड़ी और ज्यादा बड़ी होती जा रही है तभी तो दे खो यह पें टी फटने लगी है ।

अपने बेटे की यह बात सुनकर अलंका शरमा गई क्योंकि वह जानती थी कि महं गी पें टी और ब्रांडड

कंपनी की वह खरीद नहीं पाएगी इसलिए बाजार से लाकर चालू कंपनी की पैंटी वह पहनती थी। वह
एकबार पहले भी बता चुकी थी, और वही बात फीर से दोहराते हुए बोली।

बेटा मैं तुझे पहले भी तो बता चुकी हुं की महं गे और ब्रांडड


े पैंटी और ब्रा पहनने की मेरी है सियत नहीं है ।
इसलिए यह सब जो भी पहनती में बाजार से लाते हैं एक दो महिना तो बड़ी मुश्किल से चलता है और
फटना शुरू हो जाती है ।

( अपनी मां की बात और उसकी मजबूरी जानकर राहुल बोला।)

कोई बात नहीं मम्मी 10 दिन बाद मेरा जन्मदिन है मैं तुम्हारे लिए ब्रांडड
े कंपनी की ब्रा और पैंटी और
एक अच्छी सी गाऊन खरीद कर आप को गिफ्ट कर दं ग
ू ा।

( अपने बेटे की बात सुनकर अलका हं सने लगी और हं सते हुए बोली।)

अरे ऐसा कैसे हो सकता है बेटा जन्मदिन तेरा है और तू खद


ु मझ
ु े गिफ्ट दे गा बल्कि मझ
ु े तझ
ु े गिफ्ट
दे ना चाहिए था।

तो क्या हुआ मम्मी आप तो रोज मुझे गिफ्ट दे ती हो

( बुर की तरफ इशारा करते हुए) और इससे अनमोल दस


ू रा कोई भी गिफ्ट नहीं हो सकता।

( राहुल की बात सन
ु कर अलका एक बार फिर से मस्
ु कुरा दी और मस्
ु कुराते हुए बोली।)

तू बहुत चालाक है सच में यह औरत की सबसे अनमोल गिफ्ट है जो कि मैंने तझ


ु े अर्पित कर दिया
लेकिन फिर भी तो मझ
ु े मेरे जन्मदिन पर कुछ ना कुछ तो दे ना ही होगा।

मुझे कुछ नहीं चाहिए मम्मी बस अपनी यही अनमोल तोहफा मुझे हमेशा दे ते रहना मैं हमेशा खुश
रहूंगा।
यह अनमोल तोहफा तेरा ही है बेटा इस पर सिर्फ तेरा ही हक है । तू जब चाहे जेसे चाहे इसे ले सकता
है ।

( अलका अपनी हथेली को अपनी बुर पर मसलते हुए बोली। राहुल अपनी मां को अपनी बुर को मसलते
हुए दे खा तो अपनी भी हथेली अपनी मां की हथेली पर रखकर दबा दिया। राहुल की ईस हरकत पर
अलका की सिसकारी छूट गई, और वह सिसकारी लेते हुए बोली।)

ससससहहहहहहह......आााााहहहहहहह..... राहुल मेरे को इतना तेरे जन्मदिन पर मैं तुझे जरुर कोई ना कोई
तोहफा दं ग
ू ी। ( राहुल अपनी मां की बुर को मसलते हुए एकदम से चुदवासा हो गया था और वह अपनी
मां की कलाई हो तुम अपनी हथेली में तो करते हुए अपनी मां के ऊपर सवार हो गया और अपने लंड के
सुपाड़े को अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच टीकाते हुए बोला।

बस मम्मी अब कुछ मत बोलो तुम मेरे लंड का सिर्फ मजा लो( इतना कहने के साथ ही राहुल ने अपना
पूरा लंड अपनी मां की बुर में पेल दिया। और अपनी मां को चोदने लगा दोनों ने एक बार फिर से पूरी
रात चुदाई का सुख लेते रहें । )

दस
ू रे दिन स्कूल जाते समय अलका ने राहुल से बोली की स्कूल से सीधा घर पर आाना कहीं जाना मत
क्योंकि आज बाजार जाना है घर का कुछ सामान खरीद कर लाना है तो मेरी मदद कर दे ना क्योंकि
आज मेरे ऑफिस की छुट्टी है इसलिए मैं आज सारा दिन घर पर ही हूं।

ठीक है मम्मी (इतना कह कर राहूल अपने स्कूल चला गया विनीत के आ जाने के बाद राहुल और नीलू
छुप-छुपकर मिलने लगे क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि बात का बतंगड़ बने ,। नीलू भी जितना हो सकता
था विनीत से दरू ही रहने की पूरी कोशिश करती थी।

स्कूल छुटने के बाद राहुल सीधे अपने घर पर चला गया

क्योंकि वह अपनी मां की बात याद थी उसे बाजार जाना था इसलिए शाम को दोनों साथ में ही बाजार
चले गए। पूरी खरीदी हो चुकी थी अलका सामान का थैला लेकर मिठाई की दक
ु ान के बाहर खड़ी होकर
राहुल का इंतजार कर रही थी जो कि मिठाई की दक
ु ान में मिठाई खरीद रहा था।
अलंका कीे ताक में बैठा वीनीत अलका का इंतजार कर रहा था तभी मिठाई की दक
ु ान के आगे से खड़ी
दे खकर विनीत अंदर ही अंदर बहुत खुश हुआ, वह अलका की खूबसरू ती दे खकर है रान हुए जा रहा था
क्योंकि दस पंद्रह दिनों में अलका और ज्यादा खूबसरू त हो गई थी। अलका को दे खते ही राहुल के लंड में
सुरसुराहट होने लगी। वह अलका की तरफ बड़ा ही था कि तभी एका एक मिठाई की दक
ु ान में से मिठाई
खरीद कर राहुल निकला और मिठाई की थैली को अलका को थमाने लगा। राहुल को वहां दे ख कर वह
भी अलका के साथ वीनीत तो दं ग रह गया । उसके पांव जहां थे वहीं ठीठक गए। विनीत को तो कुछ
समझ में ही नहीं आया कि आखिर यह हो क्या रहा है । वह बस आंखें फाड़े अलका और राहुल को दे खे
जा रहा था अलका राहुल से हं स-हं स के बातें कर रही थी जो कीे विनीत को जरा भी अच्छा नहीं लग रहा
था। उसके मन में राहुल और अलका को लेकर के ढे र सारे सवाल पैदा होने लगे उसे समझ में नहीं आ
रहा था कि आखिरकार राहुल और अलका के बीच संबंध कैसा है दोनों का रिश्ता क्या है ?

यह सवाल विनीत के मन में उठना लाजमी था क्योंकि राहुल का दोस्त होते हुए भी उसने आज तक
उसके ना घर गया था ना उसकी मां से ही मिला था। इसलिए अलका को राहुल के साथ दे खकर इस
समय वह है रान हो रहा था। वीनीत वहीं खड़ा रहा ,अलका और राहुल अपने रास्ते जाने लगे तो विनीता
से रहा नहीं गया वह दोनों के बीच के संबंध को जानना चाहता था इसलिए वह भी उनके पीछे -पीछे नजरें
बचाकर जाने लगा। राहुल रह रहकर चलते समय अपनी मां का हाथ पकड़ ले रहा था। जो कि यह बात
वीनीत को कांटे की तरह चुभ रही थी। क्योंकि एक तरह से वो अलका को अपनी प्रेमिका समझ बैठा था
जिसके साथ इस में अस्पताल में शारीरिक सुख का आनंद ले लिया था इसलिए वह नहीं चाहता था कि
अगर किसी गैरों के साथ घूमती फिरे । विनीत दोनों से कुछ दरू ी बनाकर उन दोनों के पीछे पीछे जाने
लगा। उन दोनों की बातें भी उसे सुनाई दे रही थी ।

विनीत को तो तब झटका लगा जब राहुल के मंह


ु से वह अलका के लिए मम्मी मम्मी शब्द सन
ु ा। उसे
अपने कानों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ वह तो जब अलका भी उसे बेटा बेटा करके संबोधित कर
रही थी तब उसे यकीन हुआ कि राहुल अलका का ही बेटा है जो कि उसका मित्र भी है । विनीत को तो
आप और भी ज्यादा राहुल से जलन होने लगी। क्योंकि उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि राहुल
की मम्मी इतनी ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी होगी जिसका वह खुद दीवाना हो चुका है । जिसके साथ
अस्पताल में एक रात भी गुजार चुका है । दोनों के पीछे जाते-जाते वह चौराहे तक आ गया। जहां से
राहुल और अलका अपने घर के लिए मुड़ गए। इतनी गहरी दोस्ती होने के बावजूद भी विनीत आजतक
राहुल के घर कभी नहीं गया था इसलिए वह उसका घर भी नहीं दे खा था। इसलिए वह राहुल का घर भी
दे खना चाहता था इसलिए ऊन दोनों के पीछे पीछे लगा रहा है । अलका की भारी-भरकम भटकती हुई गाने
को दे खकर इस समय भी विनीत की हालत खराब हुए जा रही थी। राहुल के प्रति जलन की भावना के
बावजूद अलका की खूबसूरत गांड को दे खकर उसका लंड ठुनकी ले रहा था। इसमें वीनीत का बिल्कुल भी
दोष नहीं था क्योंकि हालात चाहे कैसे भी हो अलका की खूबसरू ती सब पर अपना जाद ू चला ही दे ती थी।

धीरे धीरे चलते हुए अलका ओर राहुल का घर भी आ गया । विनीत आज पहली बार अपने दोस्त का
घर दे ख रहा था। घर दे खने के बाद विनीत वहां से चला गया लेकिन उसके मन में राहुल के प्रति नफरत
होने लगी और अलका को पाने कि उसकी चाहत बढ़ने लगी।

ऐसे कुछ समझ में भी नहीं आ रहा था एक तरफ तो वह सोचता था कि अलका राहुल की मां है इसलिए
कुछ करना ठीक नहीं है क्योंकि अभी तक जो हुआ उसके बारे में राहुल को बिल्कुल भी नहीं पता था
अगर कहीं राहुल को कुछ पता चल गया तो वह भी वीनीत के बारे में क्या सोचेगा। लेकिन तभी बार
बार उसकी आंखों के सामने अलका का कामुक बदन उसकी खूबसूरती उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और
उसकी भराव दार गांड नजर आने लगती, और उसकी खूबसूरत चिकनी बुर नजर आती जिसमें वह अपना
लंड डालकर उसे चोद रहा था। यह सब ख्याल आते हैं विनीत का दिमाग फिर बदलने लगा। वह किसी
भी हालत में अलका को फिर से पाना चाहता था वह उसको फिर से चोदना चाहता था उसकी खूबसूरत
रसीली बरु का नमकीन पानी अपने होठों से लगाकर पीना चाहता था। विनीत यह चाहता था कि अलका
खुद ऊसकी दीवानी हो जाए। वह यह चाहता था की अलका खुद अपनी बड़ी बड़ी गांड को उसके लंड पर
रखकर अपनी बुर में उसका लंड ले और लंड पर उठक बैठक करते हुए चुदवाने का आनंद ले यह सब
सोचकर ही ऊसका लंड पूरी तरह से पागल हो चुका था जिसे वह अलका के बारे में सोचकर मुठ मारकर
शांतहुआ।

विनीत मन में ठान लिया था कि चाहे जो भी हो जाए अलका को वह किसी भी कीमत पर पाकर रहे गा
चाहे इसके लिए ऊसे कुछ भी करना पड़े। अलका को पाने के लिए वह यह भी भूल जाएगा कि अलका
राहुल की मां है उसके परम मित्र की मां। वह राहुल से भी दश्ु मनी लेने को पूरी तरह से तैयार हो गया
था।

अलका और राहुल दोनों अपने जीवन में आने वाले तफ


ू ान से अनजान अपनी ही मस्ती में खोए हुए थे।
राहुल अपनी मां के कमरे में एकदम नंगा हो कर के अपनी मां की कपड़े उतार रहा था। और साथ ही
उसके बदन को चुंबन से नहला भी रहा था। अलका के लिए अपने बेटे के साथ अपने ही बिस्तर पर
बिताए हुए हर एक पल अविस्मरणीय यादगार के रूप में उसके मन मस्तिष्क में बसता चला जा रहा
था। जो आनंद कुछ नहीं ना से उसका बेटा उसे दे रहा था वह आनंद उसके लिए अतुल्य था वह मन में
कभी कभी सोचती भी थी कि अगर राहुल के साथ उसके शारीरिक संबंध स्थापित नहीं होते तो वह इसे
सूखे के लिए सारी जिंदगी तड़पती रह जाती और उसे ऐसा अद्भत
ु आनंद से भरा हुआ सुख कभी भी
हासिल नहीं हो पाता। राहुल के लिए भी यह पल अविस्मरणीय था। राहुल एक-एक करके अपनी मां के
खूबसूरत बदन पर से उसके लिबास को हटा रहा था। और कुछ ही दे र में उसके बदन पर से अंतिम वस्त्र
के रूप में उसकी पैंटी को भी उसकी चिकनी जानवरों से होते हुए उसकी गोरी टांग में से निकाल कर
नीचे फर्श पर फेंक दिया। इस समय राहुल और अलका दोनों निर्वस्त्र अवस्था में एक दस
ू रे के बदन से
चिपके हुए चुम्मा-चाटी कर रहे थे राहुल का टनटनाया हुआ लंड अलका की जांघों के बीच रगड़ खा रहा
था। जिस की रगड़ को अपनी बुर के इर्द-गिर्द महसूस करके अलका चुदवासी हुए जा रही थी और खुद ही
अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर और अपने बेटे के लंड को पकड़ कर अपनी बुर की फांको के
बीच रगड़ कर मस्त हुए जा रही थी।

ससससससहहहहहह.... बहुत ही गर्म लंड है रे तेरा...आहहहहहहहह.... बस अब बिल्कुल भी दे र मत कर डाल


दे मेरी बरु में तेरा लंड...

अलका अपने बेटे के लंड की गर्मी महसूस करके बदहवास हुए जा रही थी। और खुद ही अपनी कमर को
ऊपर की तरफ उठा कर ल़ंड को अपनी बुर में डालने की नाकाम कोशिश कर रही थी। अपनी मां के
उतावलेपन को दे खकर राहुल से भी रहा नहीं गया और उसने तुरंत अपने खड़े लंड को अपनी मां की बुर
में उतारना शुरू कर दिया। राहुल बहुत ही तीव्र गति से अपनी मां की चुदाई कर रहा था और अलका
लगातार सिसकारी लेते हुए मजे ले रही थी। राहुल हर आसन का प्रयोग करके अपनी मां को भोग रहा
था लेकिन जैसे ही वह अपनी मां को पीछे से चोदने के लिए अलका को घुटने और पैर के बल झुकाया
तो उसकी नजर अलका के भूरे रं ग के उस छें द पर चली गई। ऊस कामुक छोटे से छे द को दे खकर राहुल
का मन बदल गया, उसे वह पल याद आ गया जब उसने विनीत की भाभी के कहने पर उसकी गांड मारा
था गांड मारने का अनुभव राहुल को बड़ा ही बेहतरीन लगा था लेकिन उसके बाद से उसे गांड मारने का
सुख हासिल नहीं हो सका । इसलिए इस समय वह अपनी मां की गांड के भूरे रं ग के छे द को दे ख कर
उसकी वही सोई हुई इच्छा फिर से जाग गई। और राहुल ने खुद थोड़ा सा थुक लगाकर उस छे द को
गीला करने लगा। गिला करने के बाद जैसे ही उसने अपने लंड के सुपाड़े को उस भूरे रं ग के छें द पर
टिकाया ही था की अलका को आभास हो गया की उसका बेटा कुछ अलग करने जा रहा है , वह तुरंत झुके
हुए ही अपनी नजरें पीछे करके राहुल की तरफ दे खिए और उसे ऐसा ना करने के लिए कहने लगी।

नहीं बेटा ऐसा मत करो मैंने आज तक ऐसा कभी नहीं करवाई मुझे तो ऐसा मालूम भी नहीं है कि उस
जगह पर करवाया भी ज्यादा है कि नहीं। तू तो दे ख ही रहा है कि उसका अच्छे अभी कितना छोटा है
और तेरा लंड का सप
ु ाड़ा ही इतना मोटा है कि अंदर जाएगा ही नहीं अभी नहीं बेटा।
बस मम्मी एक बार एक बार थोड़ा ट्राई तो करने दो।

नहीं राहुल बिल्कुल भी नहीं तुझे मेरी कसम आज ऐसा मत कर किसी दिन मौका दे खकर जरूर तेरा लंड
अपनी गांड में लूंगी।

( एक बार राहुल अपनी मां की बात मान गया और एक छोटे से छे द में लंड ना डाल कर उसकी रसीली
मदन रस से टपकती हुई बुर में डाल कर चोदना शुरू कर दिया और कुछ मिनटों बाद दोनों गरम आहें
भरते हुए झड़ गए। )

दस
ू रे दिन स्कूल में नीलू राहुल से बात करने के लिए मौके की तलाश करने लगी लेकिन विनीत के होते
हुए उसे मौका हाथ नहीं लगा। नीलू राहुल को दिलों जान से चाहने लगी थी इसलिए उसके बगैर एक पल
भी काटना उसके लिए मुश्किल हो जाता था। राहुल से मिलकर उसे राहत मिलती थी लेकिन जब से
वीनीत वापस आया था वह ठीक से राहुल से मिल भी नहीं पाई थी। इसलिए जब भी थोड़ा सा भी समय
मिलता है तो दोनों एक दस
ू रे का हाथ पकड़कर मुस्कुरा लेते थे। नीलू भी विनीता से कन्नी काटने लगी
थी वह भी मौके की तलाश में थी कि जब भी उसे मौका मिलेगा तो वह वीनीत से सारे रिश्ते तोड़ दें गी
क्योंकि राहुल के मिल जाने से वह वीनीत कोई भी रिश्ता आगे नहीं बढ़ाना चाहती थी। वह भी बस मौका
ही ढूंढ रही थी विनीत से मिलकर वह सब कुछ क्लियर कर लेना चाहती थी। वैसे उसके लिए खुशी की
बात आज यह थी कि उसके पापा बिजनेस टूर को पूरा करके महीनो बाद आज घर लौट रहे थे। नीलू
उसके पापा की चहिती थी। नीलू भी अपने पापा से बहुत प्यार करती थी उसके पापा ने भी उसकी हर
जिद परू ी की थी उसकी हर ख्वाहिशों का ख्याल रखा था इसलिए वह घर पर अपने पापा के आने का
बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी क्योंकि आज वह अपने पापा से राहुल के बारे में बात करना चाहती
थी। और उसे यकीन भी था कि उसके पापा उसकी यह ख्वाहिश भी जरुर परू ी करें गे क्योंकि अपने पापा
की वह ईकलौती संतान थी। धन-दौलत की कोई भी कमी नहीं थी। सब कुछ उसके पास था बस वह अब
राहुल को पाना चाहती थी यही बात वह राहुल से करना चाहती थी लेकिन विनीत की मौजूदगी में वह
राहुल से कुछ भी कह नहीं पाई।

विनीत राहुल से मिला जरूर लेकिन उसकी आंखों में आज राहुल खटक रहा था। राहुल से जलन सी होने
लगी थी क्योंकि जिस तरह से वह अलका का हाथ पकड़कर रास्ते पर चला जा रहा था और जिस तरह
से हं स हं स कर दोनों बातें कर रहे थे यह सब वीनीत से दे खा नहीं जा रहा था। राहुल को क्या पता था
कि विनीत के मन में क्या चल रहा है । राहुल तो उसे हं स कर बातें कर रहा था लेकिन विनीत ही कुछ
खींचा खींचा सा लग रहा था। स्कूल से छूटने के बाद राहुल घर चला आया।
अलका शाम को ऑफिस से छूटने के बाद बहुत खुश नजर आ रही थी उसे अब हमेशा घर पर पहुंचने के
बहुत जल्दी पड़ी रहती थी। इसलिए मैं ऑफिस से बाहर निकलते ही जल्दी-जल्दी घर की तरफ जाने
लगी उसके चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट रहती थी उसके चेहरे पर खूबसूरती की लालिमा साफ साफ नजर
आती थी।

अलका आने वाली मुसीबत से बिल्कुल अनजान थी क्योंकि बाजार में विनीत ऊसका इंतजार कर रहा था।
अलका मन में रोमांटिक गीत गन
ु गुनाते हुए पैदल चली जा रही थी। वह मिठाई की दक
ु ान से आज फिर
से रसमलाई खरीदना चाहती थी क्योंकि जिस तरह से राहुल ने पिछली रात को रसमलाई का सही
उपयोग करते हुए उसकी बुर की चटाई किया था ऊस आनंद के वशीभूत होकर के आज अलका फिर से
वही चाहती थी कि उसका बेटा फिर से रात को रस मलाई के रस को उसकी बरु टपकाते हुए अच्छे से
उसकी बुर की चटाई करें , यही सोचकर वह बाजार में पहुंचते ही मिठाई की दक
ु ान पर चली गई और वहां
से रसमलाई पर करवा कर जैसे ही दक
ु ान पर बाहर निकली , अपने ठीक सामने विनीत को दे खकर
उसका पूरा वजूद कांप गया

पंकज तू विनीत को पूरी तरह से भूल चुकी थी कुछ दिनों में राहुल ने ढे र सारा प्यार दे कर उसे सारी दर्द
दे ने वाली बातों को भुलवा चुका था। उसे ना तो विनीत ही याद रहा और ना ही ऊससे लिए गए पैसे और
ना ही उसके साथ अस्पताल में बिताया वह पल याद रहा जिसे याद करके वह अपने आपको ही कोसती
रहती थी। सारी भुली बाते वीनीत को दे खते ही एक बार फिर से याद आ गई। अलका की तो सांसे ही
अटक गई थी। ऊसमें इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि अपने कदम आगे बढ़ा सकें। तब तक विनीत उसके
बिल्कुल करीब आ गया चेहरे पर कामुक मुस्कान लिए वह अलका से बोला।

वाह आंटी वाह आप तो अब बहुत ज्यादा खब


ू सरू त लगने लगी हो। आपकी खब
ू सरू ती का राज तो बता
दो।

( अलका उस की ऐसी बात सन


ु कर है रान नहीं हुई क्योंकि वह जानती थी कि अस्पताल में किस तरह का
दोनों के बीच वाक्या हो चक
ु ा था उससे विनीत के द्वारा ऐसी ही बातों की उम्मीद की जा सकती थी।
विनीत की ऐसी बात सन
ु कर अलका को बहुत गस्
ु सा आया लेकिन कर भी क्या सकती थी इसलिए वह
सिर्फ इतना ही बोली।)

इस तनख्वाह पर मैं तुम्हारे परू े पैसे लौटा दं ग


ू ी।( इतना कहकर वह आगे बढ़ने लगी तो उसके पीछे पीछे
विनीत चलते हुए बोला।)
मैं पैसे मांगने नहीं आया हूं आंटी मैं तो बस आप से बात करने आया हूं।

मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी है रही बात पैसो की तो ईस तनख्वाह को मैं तुम्हें पूरे पैसे लौटा दं ग
ू ी
और मुझसे यूं मिलने की कोशिश बिल्कुल भी मत करना।

मैं कह तो रहा हूं आंटी के मुझे पैसे नहीं चाहिए। ( वह अलका के पीछे पीछे जाते हुए बोला। इस बार
गुस्से में अलका वही फुटपाथ पर रुक गई और उसकी तरफ गुस्से में दे खते हुए बोली।)

पैसे नहीं चाहिए !क्यों नहीं चाहिए पैसे आखिर तुमने मुझे उतार दिए हैं उसे लौटाना मेरा फर्ज है और मैं
तुम्हें जरूर लौटाऊंगी।

( यहां सड़क पर लोगों का आना जाना कम था जो भी जा रहे थे वह लोग अपने अपने वाहन से निकल
जा रहे थे फुटपाथ पर सिर्फ वीनीत और अलका ही थे इसलिए मौका दे खकर वीनीत बोला। )

मैं तम
ु से एक भी पैसा नहीं लंग
ू ा आंटी और जो पैसे मैंने तम्
ु हें दाया हूं उसे लौटाने की भी जरूरत नहीं है
। हां उसके बदले में आप मझ
ु े....( इतना कहकर विनीत इधर उधर नज़र घम
ु ाकर दे खने लगा की कहीं
कोई सन
ु तो नहीं रहा है । और अलका विनीत की बात को समझ नहीं पा रही थी इसलिए बोली।)

बदले में क्या? ......

उन पैसों के बदले में आंटी मैं आपको..... मैं आपको....

चचचच.... चोदना चाहता हूं।( विनीत इससे पहले इतना गंदा लड़का कभी भी नहीं था लेकिन उसके सर पर
वासना सवार हो गई थी वह अलका की खब
ू सरू ती को अलका को पाना चाहता था उसे किसी भी कीमत
पर भोगना चाहता था। जबकि वह जानता था की अलका उसकी मां की उम्र की है और उसके दोस्त की
मां भी है ।

लेकिन जब एक बार वासना का भत


ू सर पर सवार होता है तो अपनी मनमानी कर के ही छोड़ता है । वही
हाल विनीत का भी था अलका के मदमस्त बदन ने उसके दिमाग पर अपना परू ी तरह से कब्जा बना
चक
ु ा था। जिसके असर से निकल पाना विनीत के लिए बहुत ही मश्कि
ु ल था वह अलका को किसी भी
कीमत पर भोगना ही चाहता था। विनीत के मंह
ु से अपने लिए इतने गंदे शब्द और इसकी इच्छा
जानकर अलका को इतना गुस्सा आया कि उसने विनीत के गाल पर थप्पड़ मारने के लिए अपने हाथ
उठा दि।)

हरामजादे तेरी इतनी हिम्मत( इतना कहकर जैसे ही अलका ने विनीत को मारने के लिए जैसे ही हाथ
उठाए विनीत झट से उसकी कलाई को थाम लिया। और इतने गंदे शब्दों में उसे बोला कि वह अंदर ही
अंदर शर्मिंदा हो गई वह डर के मारे उसका बदन कांप गया। वह अलका की कलाई पकड़ते हुए बोला।)

हाय जानेमन नाजुक हाथ मेरे गाल पर थप्पड़ मारने के लिए नहीं बल्कि मेरे लंड को हिलाने के लिए है ।

( अलका को उम्मीद नहीं थी कि विनीत ईतने गंदे शब्दों का प्रयोग करे गा। वह अभी भी अलका की
तलाई को अपनी मुट्ठी में दबोचे हुए था जिसे अलका छुड़ाने की परू ी कोशिश कर रही थी। लेकिन वीनीत
उसकी कलाई को छोड़ नहीं रहा था।)

वीनीत तुझसे मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी मैं तेरी मां की उम्र की बराबर है फिर भी तू मुझसे ऐसी चाहत
रखता है तझ
ु े शर्म आनी चाहिए। ( वह विनीत के हाथों से अपनी कलाई को छुड़ाने की नाकाम कोशिश
करते हुए बोली।)

अच्छा मझ
ु े शर्म आनी चाहिए और मेरी रानी अस्पताल में जो तम
ु ने मझ
ु से चद
ु वा चद
ु वा कर मजा लि
तब शर्म नहीं आ रही थी। उस समय तो अपनी उम्र का तुझे बिल्कुल भी ख्याल नही आया। और अब
कहती है कि मैं तेरी मां की उम्र के बराबर हूं। दे ख मेरी रानी तुझे चोदने के बाद जो सुख जो आने में
मुझे मिला वह आज तक किसी और औरत को चोदने के बाद भी नहीं मिला। इसलिए मैं तुझे फिर से
चोदना चाहता हूं। बदले में मैं तेरा सारा कर्जा माफ कर दं ग
ू ा और ऊपर से तुझे पैसे भी दं ग
ू ा। ( इतनी
गंदी बात अपने बारे में सुनकर अलका की आंखों में आंसू आ गए। वह सोच भी नहीं सकती थी कि
उसकी जिंदगी में ऐसा भी दिन आएगा। वीनीत उसकी कलाई को छोड़ते हुए बोला।)

तुझे सोचने का मैं पूरा वक्त दे ता हूं ठीक तरह से मान जा वरना मुझे दस
ू रे तरीके भी आते हैं।( इतना
कहकर विनीत वहां से चला गया। विनीत की धमकी और उसके इरादे के बारे में जानकार अलका की
हालत बिल्कुल खराब हो गई थी। उसकी आंखों से आंसू छलक रहे थे कोई दे ख ना ले इसलिए वह अपनी
ही साड़ी से अपने आंसू पोंछते हुए धीरे -धीरे अपने घर की तरफ जाने लगी । )
दस
ू री तरफ नीलू बहुत खुश थी क्योंकि बिजनेस टूर पर लौटकर उसके पापा घर पर आ चुके थे और
उसके लिए ढे र सारे गिफ्ट और कपड़े भी लेकर आए थे जिन्हें वह बारी-बारी से दे ख कर खुश हो रही थी।
वह अपने पापा से राहुल के बारे में बात करना चाहती थी लेकिन उसे अभी यह समय ठीक नहीं लगा
वह सोच रही थी कि खाते समय वह अपने पापा से जरूर राहुल के बारे में बात करे गी उसकी मम्मी भी
खुश थी।

डिनर करने नहीं अभी अभी कुछ समय बाकी था नीलू अपने पापा से इधर उधर की बातें कर रही थी कि
तभी अचानक नीलू के पापा के सीने में जोऱों का दर्द ऊभरने लगा। पलभर में ही नीलू के पापा का पूरा
शरीर पसीने में भीग गया नीलू तो एकदम घबरा गई नीलू की मम्मी ने तुरंत एंबुलेंस को फोन कर दी।
एंबुलेंस को आते ही तुरंत नीलू के पापा को अस्पताल पहुंचाया गया।

नीलू की मम्मी ने विनीत को भी फोन करके अस्पताल में बुला ली।

सभी लोग की नजर बंद दरवाजे पर ही टिकी हुई थी। करीब 1 घंटे बाद अंदर से डॉक्टर बाहर आया और
उसने बताया कि उनको दिल का दौरा पड़ा था। यह सन
ु कर नीलू के साथ-साथ सभी लोग घबरा गए
डॉक्टर ने बताया कि उनके सामने कुछ भी ऐसी बातें ना की जाए जिससे उनको दख
ु हो। वरना अगर
ऐसा होगा तो इस बार फिर मुश्किल है वहां कुछ ही दे र में होने होता जाएगा तब आप एक-एक करके
उनसे मिल सकते हैं।

इतना कहकर डॉक्टर चला गया नीलू की आंखों से तो आंसू थम नहीं रहे थे। कुछ दे र बाद नीलु के पापा
को होश आया तो नीलू और उसकी मम्मी अपने पापा से मिलने कमरे में गई। डॉक्टर ने ज्यादा बोलने
के लिए मना किया था इसलिए उन्होंने खुद बताया कि उनकी तबीयत अब ठीक है और बात ही बात में
नीलू की मम्मी से वह विनीत के भैया और भाभी को भी बुलाने को कह दिया।

विनीत की बातें सन
ु कर के तो अलका के होश ही उड़ गए थे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि
क्या करें । घर पर पहुंचते ही पहले वह बाथरूम में जाकर रोने लगी उसकीे एक गलती उसे इतनी भारी
पड़ेगी उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी। इस मुसीबत से कैसे छुटकारा पाया जाए इसका उपाय उसे
सुझ भी नहीं रहा था। लेकिन क्या करती आने वाले समय का सामना तो करना ही था उसे जैसे तैसे
करके उसने खाना बनाई लेकिन खाने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था। अपने दोनों बच्चों को खाना
परोस कर वह तबीयत का बहाना करके अपने कमरे में चली गई अपनी पसंदीदा रसमलाई को भी
बिल्कुल नहीं चखी। सोनू और राहुल को यही लग रहा था कि शायद मम्मी की तबीयत खराब है इस
वजह से उन्होंने खाना नहीं खाई इसलिए राहुल ने हीं रसोई घर की सफाई कर के बर्तन साफ कर के रख
दिया। । वह अपनी मां की तबीयत पूछने के लिए उसके कमरे में गया तो उसकी मम्मी पेट के बल
अोंधी लेटी हुई था जिससे उसकी भरावदार गांड बहुत ही कामुक अंदाज में नजर आ रही थी जिसे दे खते
ही राहुल के बदन में उत्तेजना का प्रसार होने लगा और कामोत्तेजना के वशीभूत होकर के उसने अपनी
हथेली को अपनी मां की नरम नरम गांड़ पर रख दिया, लेकिन उसकी मां ने राहुल का हांथ हटाते हुए
बोली।

आज नहीं बेटा आज मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही है ।

दवाई ली मम्मी।

हां बेटा दवा खा लि हूं तु जा अपने कमरे में सो जा और मझ


ु े भी आराम करने दें । ( इतना कहकर वह
फिर से आंखें बंद कर ली राहुल के वहां खड़े रहने का कोई मतलब नहीं था इसलिए वह भी कमरे से
बाहर आ गया।)

विनीत को जब नीलू की मम्मी ने अपने भैया भाभी को बल


ु ाने को कहीं तो विनीत ने उन्हें बताया कि
उसके भैया बिजनेस टूर पर गए हुए हैं जो कि दो-चार दिन बाद लौटें गे। नीलू के पापा की तबीयत में
सध
ु ार होने लगा था नीलू अब खश
ु नजर आने लगी थी क्योंकि वह अपने पापा से बेहद प्यार करती थी
और उन्हें इस हाल में दे ख पाना उसके लिए बड़ा मश्कि
ु ल था।

धीरे -धीरे दो-तीन दिन गज


ु र गए, विनीत लगातार उन लोगों के साथ ही अस्पताल में रह रहा था। वैसे भी
नीलू और विनीत के परिवारों के बीच अच्छे संबंध थे नीलू के पापा और विनीत के भैया दोनों आपस में
कई बिजनेस की डील भी कर चुके थे। इसलिए नीलू के पापा चाहते थे कि बिजनेस की डील भी अब
रिश्तेदारी मे बदल जाए। विनीत जी उन्हें अच्छा लगता था और नीलू के लिए यही सही लड़का है ऐसा
मन में विचार भी बना लिए थे लेकिन अभी तक यह बात उन्होंने किसी से भी नहीं कही थी। इस मेजर
अटै क के बाद वह काफी घबरा गए थे उन्हें लगने लगा था कि अब उनके पास ज्यादा समय नहीं है
इसलिए वह विनीत के भैया को बुला कर के वह शादी की बात करना चाहते थे। और अपना सारा
बिजनेस विनीत और नीलू को विनीत के भैया के दे खरे ख में सौंपना चाहते थे। लेकिन विनीत के भैया के
बाहर होने की वजह से यह बात हो नहीं पाई।

डॉक्टर ने आज उन्हें घर जाने की इजाजत दे दिया था लेकिन मैं ज्यादा बोलने की छूट दिया था और ना
ही ज्यादा चलने फिरने कि छोड़ दिया था और महीनों तक तो बिजनेस के बारे में बिल्कुल भी सोचने
विचारने के लिए मना कर दिया था क्योंकि जरा सा भी प्रेशर उनकी जान पर खतरा बन सकता था।
नीलू के पापा को छुट्टी मिल चुकी थी वह घर आ चुके थे साथ में नीलू और विनीत भी थे नीलू ने अभी
तक यह बात राहुल को नहीं बताई थी और उसे मौका भी नहीं मिला था कि यह बात तो वह राहुल से
बता सके।

विनीत कामन अस्पताल में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था और जब उन्हें छुट्टी मिल गई थी तो वह बहुत
खुश था क्योंकि वह अस्पताल में बेमन से रुका हुआ था उसका मन तो अलका में ही खोया हुआ था। वह
तो नीलू से और दोनों परिवारों के बीच संबंध अच्छे होने की वजह से नीलू के परिवार के साथ साथ था।
नीलू के पापा को घर तक पहुंचाने के बाद वीनींत वहां से चला गया। विनीत के जाते ही उनके पापा नीलू
की मम्मी से नीलू की शादी के बारे में चर्चा करने लगे। उन्होंने बताया कि वह नीलू की शादी विनीत से
करना चाहते हैं ताकि वह और उसके भैया और नीलू तीनों के साथ साथ नीलू की मम्मी भी बिजनेस को
चला सके क्योंकि उनको भरोसा नही था की उनकी तबीयत ठीक रहे गी। नीलू की मम्मी को भी विनीत
पसंद था इसलिए उन्होंने भी कोई एतराज नहीं जताया। दो दिन बाद विनीत के भैया आने वाले थे तब
ऊन्हे घर पर बुलाते नीलू के पापा उनसे सारी बात करना चाहते थे।

इधर विनीत अलका से मिलना चाहता था उसका मन अलका पर ही अटका पड़ा था। वह अलका की
खूबसूरती के मोह पास में बंध चुका था। जिससे छूट पाना हो उसके लिए बड़ा मुश्किल हुआ जा रहा था।

राहुल भी कुछ दिनों से अपनी मां के रवैया से परे शान था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां
को क्या हुआ है जब भी वह उसके नजदीक जाने की कोशिश करता हूं तो तबीयत खराब होने का बहाना
बनाकर बात को आगे बढ़ने से रोक दे ती। राहुल को भी अपनी मां का उखड़ा-उखड़ा सा चेहरा दर्द दे रहा
था उसके लिए समझ पाना मुश्किल बजा रहा था कि आखिरकार उसकी मां को परे शानी क्या है ।

स्कूल जाने पर जैसे ही उसकी मुलाकात नीलू से हुई वह उसके ऊपर सवालों की झड़ी बरसा दिया। क्या
बात है नीलू तुम कुछ दिनों से स्कूल क्यों नहीं आ रही हो मैं तुमसे मिलने के लिए कितना तड़प रहा था
लेकिन तुम हो की.... अच्छा यह बताओ थी कहां पर तुम जो इतने दिन स्कूल नहीं आ सकी।

अरे रुको तो सही थोड़ा सांस ले लो तम


ु तो बस हो की शरू
ु ही पड़ गए। आप थोड़ा वेट कर बात करते
हैं।

( इतना कहने के साथ ही वह पास के पेड़ के नीचे बैठ गई राहुल भी उसके बगल में बैठ गया।)

राहुल मेरे पापा घर आ गए हैं क्योंकि महीनों बाद बिजनेस दरू करने के बाद लौटे हैं। मैं शाम को तुम्हारे
बारे में बात करना ही चाहती थी कि उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। ( इतना सुनते ही रावण के चेहरे पर
आश्चर्य के भाव फैल गए।) और उन्हें ले करके हम हॉस्पिटल भागे ' भगवान की बहुत बड़ी कृपा थी की
उनकी जान बच गई वरना ना जाने क्या हो जाता।

नीलू इतना कुछ हो गया लेकिन तुमने मुझे बताई भी नहीं।

कैसे बताती उस दिन से मैं लगातार हॉस्पिटल में ही थी तुम्हारे पास अगर फोन होता तो मैं जरुर तुम्हें
फोन कर दे ती। ( राहुल को नीलू की बात सही लगे वह उससे संपर्क करती भी तो कैसे करती राहुल के
पास मोबाइल जरूर है लेकिन उसका नंबर सिर्फ विनीत की भाभी के पास था और राहुल के पास मोबाइल
है यह बात कोई जानता भी नहीं था। )

कोई बात नहीं नहीं तो भगवान का शुक्र है कि सब कुछ ठीक हो गया।

सच कह रहे हो भगवान की बड़ी कृपा है मैं भी कोई अच्छा सा समय दे खकर तुम्हारे बारे में जरूर पापा
से बात करुं गी।

विनीत भी स्कूल नहीं आता था लेकिन इस बारे में राहुल ने जरा भी ध्यान नहीं दिया। विनीत भी राहुल
से मिला लेकिन विनीत आप पहले की तरह उससे नहीं मिलता था। क्योंकि राहुल को दे खते ही उसे
अलका याद आ जाती थी और उसे राहुल से जलन होने लगती थी।

राहुल को चोदने की तड़प लगी हुई थी। कुछ दिन से उसे चोदने को तो क्या बुर के दर्शन करने को भी
नहीं मिला था। ना तो उसे विनीत की भाभी का फोन ही आ रहा था ना तो नीलू को बहुत होता था
क्योंकि वह खुद कुछ दिनों से परे शान थी। और उसकी मा थी की जबसे वीनीत ने उसे धमकी दिया था
तब से किसी भी काम में

उसका मन ही नहीं लगता था उसे हर जगह धमकी दे ता हुआ वीनीत हीं दिखाई दे रहा था।

तीन-चार दिनों से रास्ते में अलका को वीमीत नहीं मिला था। इसलिए उसे थोड़ा राहत थी लेकिन फिर
भी वह डर के मारे बाजार में कुछ खरीद भी नहीं पाती थी उधर से वह जल्दी से जल्दी निकल जाना
चाहती थी। इसलिए शाम को वह अपने चारों तरफ नजर दोड़ा कर दे खते हुए ऑफिस से लौट रही थी
भगवान से मनाए भी जा रही थी कि उसे भी नहीं तो कभी भी कहीं भी दिखाई ना दे । बाजार से गुजरते
समय वह कुछ ज्यादा ही चौक्कनी ं हो जाती थी। नजरें बचाकर वह बाजार से आगे निकल गई उसके
मन में थोड़ी राहत हुई लेकिन जैसे ही बाजार से थोड़ी दरू ी पर पहुंची ही थी ंकि सन्न से बाइक आकर
उसके सामने ही रुकी अलका तो डर के मारे कांपने लगी जब उसने अपने सिर पर से हे लमेट को उतारा '
हे लमेट के पीछे विनीत ही था। उसे दे खते ही अलका कांपने लगी। अलका को कांपते हुए दे ख कर विनीत
मुस्कुराते हुए बोला।

क्यों डर रहे हो मेरी जान मुझ से डरने की तुम्हें कोई भी जरूरत नहीं है । बस मेरी बात मान लो तुम्हारा
सारा डर दरू हो जाएगा।

नहीं विनीत ऐसा मत करो कुछ तो रहम करो मुझ पर। मैं दो बच्चों की मां हुं। मेरी इज्जत से यूं ना
खेलो विनीत।

जानता हूं मेरी जान कि तुम्हारे दो बच्चे हैं। और तुम्हारे दो बच्चों में से एक बच्चा मेरे ही क्लास में
पढ़ता है जो कि मेरा दोस्त भी है । ( यह सुनकर अलका आश्चर्यचकित हो गए और आश्चर्य के साथ
बोली।)

तम्
ु हारे साथ तम
ु झठ
ू बोल रहे हो।

मैं झूठ नहीं बोल रहा हूं अलका डार्लिंग तुम्हारे उस बच्चे का नाम राहुल है । और वह मेरी क्लास में है
और मेरा दोस्त भी है ।

तुम मेरे बेटे के दोस्त होने के बावजूद भी अपने ही दोस्त की मां पर तुम अपनी नियत बिगाड़ रहे हो
तम्
ु हें शर्म नहीं आती। ( इतना कहने के साथ ही वह जाने ही वाली थी कि उसने फिर से उसकी कलाई
पकड़ लिया और कलाई पकड़ते हुए बोला।)

रुको तो सही मेरी जान जो तुम मुझे कह रही है वही मैं भी तुम्हें कह सकता था कि तुम अपने बेटे के
दोस्त के साथ चुदवाइ तो तुम्हें क्या अपने बेटे के दोस्त के साथ चुदवातो हुए शर्म नहीं आई।
वह मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी मैं बहक गई थी और मैंने तुम पर भरोसा की। मैं करती हूं उस
पल को जो मैं तुम्हारे साथ बहक गई।( अपना हाथ छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए।)

तो एक बार और बहक जाओ मेरी जान बस एक बार एक बार और मुझे चोदने दो तुम्हें ( अलका वीनीत
की यह गंदी बातें सुनकर शर्म से मझ
ु े यकीन नहीं हो रहा था कि वह ऐसी गंदी बातें सुन कैसे ले रही है ।
लेकिन मजबूर थी उसकी मजबूरी का कारण बहुत बड़ा था इसलिए वह खामोश थी।

लेकिन अपनी इज्जत बचाने कि वह पूरी नाकाम कोशिश कर रही थी विनीत के सामने वह मिन्नतें
करती गिड़गिड़ाती लेकिन उसके सर के ऊपर तो वासना का भूत सवार था जो कहां मानने वाला था। बह
उसकी कलाई पकड़े हुए ही बोला।

जानेमन बस एक बार एक बार फिर से अपनी रसीली बुर का स्वाद चखा दे । बस एक बार मुझे चोदने दे
उसके बाद मैं तुझे कभी भी परे शान नहीं करूंगा और ना ही तुझे दिया हुआ पैसा वापस मांगुगा। बस एक
बार मेरी बात मान जा।

नहीं विनीत ऐसा मत कर मेरी इज्जत चली जाएगी और हम लोगों के पास इज्जत के सिवा कुछ नहीं है
।बस तेरे साथ एक बार बाहक गई थी उसका बदला मुझसे युं न ले। ( अलका विनीत के हाथों से अपनी
कलाई को छुड़ाने की परू ी कोशिश कर रही थी लेकिन विनीत का हाथ कुछ ज्यादा ही मजबूत था।)

दे ख मैं फिर कहता हूं सीधे सीधे मान जा वरना मुझे उं गली टे ढ़ी करके भी घी निकालना आता है । अब
तो तू अच्छी तरह से जान ही गई होगी कि तेरा बेटा मेरे ही स्कूल में पढ़ता है । जरा सोच अगर मैं
अपने दोस्तों से परू े स्कूल में यह कह दो कि राहुल की मां मेरे साथ सेट है और वह मझ
ु से चद
ु वाती भी
है , तो सोच जरा क्या होगा। राहुल के साथ साथ तम्
ु हारी भी इज्जत की धज्जियां उड़ जाएगी उसका
स्कूल में आना दश्ु वार हो जाएगा और फिर वह परे शान होकर के स्कुल ही छोड़ दे गा। क्या तम
ु ऐसा
चाहती हो।

( विनीत की यह बात सन
ु कर के तो अलका सन्न रह गई। उसे इस बात का बिल्कुल भी यकीन नहीं था
कि विनीत ऐसा कुछ भी कर सकता है अब उसका डर और ज्यादा बढ़ गया था उसके चेहरे पर डर के
भाव साफ नजर आ रहे थे। अलका का डरा हुआ चेहरा दे खकर विनी को लगने लगा कि इस बार उसकी
धमकी जरूर काम करे गी इसलिए वह उसकी कलाई छोड़ते हुए बोला।)

मेरी इच्छा पूरी कर दें वरना बेटा कहां हो वैसा ही कर दं ग


ू ा तो कहीं भी मुंह दिखाने के लायक नहीं रह
जाओगी तुम्हारे पास सोचने का पूरा मौका है मुझे जल्द से जल्द बताना कि तुम क्या चाहती हो अभी
तो मैं जा रहा हूं लेकिन फिर आऊंगा।( इतना कहने के साथ ही वह बाइक स्टार्ट कर के चला गया।
अलका के सर पर तो मानो मस
ु ीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है आज की दी हुई धमकी उसे अंदर तक हिला
गई थी इसके बारे में किसी से कह पाना भी बड़ा मश्कि
ु ल था। वह जैसे तैसे कर के अपने घर पर पहुंची
और फिर वही बाथरूम में जाकर रोने लगी। अलका को अपने चारों तरफ सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा दिख रहा
था उसे कोई राह सिध नहीं रही थी।

दस
ू री तरफ विनीत का भाई घर पर आ चुका था। ऊसे नीलूं के पापा ने बुलवाया था और शाम को ही
उनके घर जाने का प्लान बन चुका था। शाम को ठीक समय पर विनीत उसकी भाभी और उसके भैया
नीलू के घर पर जाने के लिए निकल पड़े।

नीलू के घर पर तैयारियां चल रही थी अनिल की मम्मी रसोई में ढे र सारे पकवान तैयार कर रही थी
और नीलू भी अपनी मां का हाथ बँटा रही थी लेकिन उसे यह नहीं मालूम था कि घर में है क्या जो
आज इतने पकवान बनाए जा रहे हैं। इसलिए वह सब्जी काटते हुए अपनी मां से बोली।

आज क्या बात है मम्मी आज इतनी ढे र सारे पकवान बनाए जा रहे हैं कोई खास बात है क्या।

हां खास बात तो है आज तेरी शादी की बात करने के लिए तेरे पापा ने विनीत के भैया सहित परू े
परिवार को निमंत्रण दिए हुए हैं। और वह लोग किसी भी वक्त घर पर आ सकते हैं। ( इतना सुनते ही
नीलू तो सन्न हो गई जिसे कि उसे किसी सांप ने सघ
ूं लिया हो। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था
वह बस जड़वंत उसी स्थान पर खड़ी रह गई। उसे तो जैसे कोई हो सही ना हो उसे यकीन नहीं हो रहा
था कि उसके पापा ने इतना बड़ा फैसला उससे पूछे बिना ले लिए हैं।)

नीलू उदास हो गई उसके चेहरे पर परे शानी के भाव साफ झलक रहे थे मुझे अपने पापा से यह उम्मीद
नहीं थी। तभी उसे उदास दे ख कर उसकी मां उससे बोली।
क्या हुआ नीलु तुम खामोश क्यों हो गई?

क्या बात है ?

(नीलू अपनी मां की बात सुन कर रोने लगी। अब वह अपनी मां से क्या कहती लेकिन फिर भी अपने
दिल की बात सुबह अपनी मां को बताना चाहती थी क्योंकि उसे थोड़ी बहुत उम्मीद थी कि शायद कुछ
बात बन जाए इसलिए वह अपनी मां से बोली।)

मम्मी मुझे पता नहीं था कि पापा इतनी जल्दबाजी कर दें गे। मैं उनसे कुछ इस बारे में बात करना
चाहती थी और दिन बात करने के लिए पूरी तरह से तैयार भी थी की तभी उनकी तबीयत खराब हो गई
और मैं उनसे बात नहीं कर सकी।

किस बारे में बात करना चाहती थी क्या कह रही हो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है ।

मम्मी मे एक लड़के से प्यार करती हूं जोंकि मेरे ही स्कूल में पढ़ता है वह बहुत अच्छा है मम्मी।
आपको याद है मम्मी मैं किसी सब्जेक्ट में मदद के लिए ऊसे घर पर लेकर आई थी।

नहीं बेटा मझ
ु े ऐसा कुछ भी याद नहीं है ।( अपने दिमाग पर जोर दे ते हुए बोली।)

मीनू को पता था किसी समय वह विनीत को घर पर लेकर आए थे उस समय उसकी मम्मी ड्रिंक की
हुई थी इसलिए शायद उन्हें याद नहीं है । फिर भी वह बोली।

मम्मी को बहुत अच्छा है बहुत प्यार करता है ।

( कोई सामान में घर की लड़की होती तो अपनी मम्मी के सामने ऐसी बात करने में उसे शर्म का एहसास
जरूर होता लेकिन नीलू मॉडर्न परिवार से थे उसके मम्मी पापा भीे मॉर्डन थे इसलिए वह अपनी मम्मी
से इस तरह की बातें करने में सक्षम थी। नीलू की बात सुनकर उसकी मम्मी कढ़ाई को ढं कते हुए बोली।

नाम क्या है उसका?


राहुल नाम है मम्मी उसका।

उसके पापा क्या करते हैं कितना कमाते हैं समाज में क्या स्टे टस है ? ( सवाल करते हुए नीलू की तरफ
घरू ते हुए बोली।)

मम्मी उसके पापा नहीं है ।

पापा नहीं है मतलब तो घर का खर्चा कैसे चलता है करते क्या है वो लोग।

मम्मी वह लोग अमीर नहीं हूं वह लोग सामान्य स्थिति में रहते हैं उसकी मम्मी है जो ऑफिस में काम
पर जाती है उसी से वो लोग का घर खर्च चलता है ।( नीलू नीचे नजरें करती हुई बोली। इतना सुनते ही
नीलू की मम्मी उसपर भड़क गई।)

तुम पागल हो गई हो नीलू तुम्हें कुछ खबर भी है कि तुम क्या कह रही हो तुम्हारी हर जरुरत को
तुम्हारी हर जिद को सर आंखों पर रखकर तुम्हारे पापा पूरी करते आ रहे हैं। बड़े ही लाड़-प्यार से तुम्हें
पालकर इतना बड़ा किए है । तुम उनके लिए लड़की नहीं उनके लिए उनका बेटा हूं जानती हो जब भी
हकीकत उनके सामने खुलेगी तब उनके दिल पर क्या बीतेगी। एक बार तो दिल का दौरा पड़ चुका है ।
तुम्हारी यह बात सुनकर कहीं उन्हें फिर से दिल का दौरा ना पड़ जाए वह डॉक्टर ने क्या कहा है तुम
अच्छी तरह से जानती हो नीलू।

( अपनी मां की बात सुनकर नीलू सिसक सिसक कर रोने लगी। उसको रोते हुए दे ख कर नीलू की मम्मी
उसके नजदीक गई और उसे चप
ु कराने लगी। )

नीलु बेटा तुम कितनी समझदार हो फिर क्यों ऐसा कर रहीे हो तुम्हारे पापा कभी भी ऐसा नहीं चाहें गे कि
उनकी परी जैसी लड़की सामान्य जीवन जीने के लिए मजबरू हो जाए।

मम्मी मैं उसके बिना नहीं जि पाऊंगी। ( नीलू अपनी मां से लिपट कर रोते हुए बोली।)
नीतू बेटा समझने की कोशिश करो डॉक्टर ने क्या कहा था जरा सा भी ऐसी कोई बात जो हमें टें शन
दे गी तो ऊन्हे फिर से दिल का दौरा पड़ सकता है क्या तुम यही चाहती हो कि तुम्हारे प्यारे पापा फिर
से मुसीबत झेले। या ऊनकी जान पर कोई खतरा हो। नीलू बेटा अपने पापा के लिए उनकी खुशी के लिए
तुम्हें यह फैसला मानना ही होगा।

मम्मी मैं नहीं रह पाऊंगी मुझसे यह नहीं हो पाएगा।

कैसे नहीं हो पाएगा बेटा अगर तुम खुद अपने पापा को मौत के कुएं में ढकेलना चाहती हो तो खुशी से
धकेलो। (अपनी मां की यह बात सुनकर वह अपनी मां को गौर से दे खने लगी )

बेटा समझने की कोशिश करो अभी अभी तुम्हारे पापा मौत से लड़कर आए हैं और तुम अगर ऐसी बात
उनके सामने करोगी तो शायद फिर मुश्किल हो जाए। (अपनी मां की यह बात सुनकर वह अपनी मां की
तरफ दे खने लगी।)

समझने की कोशिश करो बेटा अभी स्थिति ठीक नहीं है अगर ऐसा है तो अभी अपने पापा की बात मान
लो अभी तो सिर्फ शादी की बात कर रहे हैं सगाई करें गे शादी तो दो-तीन साल बाद ही होनी है और वैसे
भी अभी शादी की उम्र तो है नहीं।

( अपनी मां का यह सलाह नीलू को अच्छा लगा। इसलिए वह अपनी मां की बात मान गई।)

नीलू की माया अच्छी तरह से जानती थी की इस उम्र में सिर्फ आकर्षण ही होता है जिसमें लड़के लड़की
अपनी जिंदगी बर्बाद कर दे ते हैं उन्हें जिंदगी की सच्चाई के बारे में कुछ भी पता नहीं होता। वह सिर्फ
आकर्षण को ही प्यार समझ बैठते हैं जिंदगी में आने वाली मुसीबतों जिंदगी का कड़वा सच उनकी समझ
से कोसों दरू होता है जब तक यह समझ में आती है तब तक बहुत दे र हो चुकी होती है । इसलिए नीलू
की मां भी यही चाहती थी कि नीलू ऐसी कोई भी गलती ना करें इसलिए उसे एक बहाने से बहला चुकी
थी।

वैसे भी राहुल से मिलने के पहले नीलू को वीनीत से ही प्यार था वह वीनीत को ही अपना सब कुछ
समझती थी। लेकिन राहुल से मिलने के बाद उससे शारीरिक सुख हासिल करने के बाद उसे राहुल से
प्यार हो गया जो कि प्यार नहीं बल्कि एक वासना ही था। क्योंकि शरीर सुख दे ने के मामले में विनीत
से राहुल कई गुना आगे था। सही मायने में नीलू का झुकाव राहुल की तरफ से इसलिए ज्यादा था कि
वह उसके मोटे लंबे और तगड़े ल़ंड पर फिदा हो चुकी थी। उसके मोटे लंड से चुदने में उसे बेहद आनंद
की प्राप्ति होती थी चौकी विनीत के साथ उसे इतनी ज्यादा आनंद की अनुभूति नहीं होती थी।

खेर नीलू अपनी मां की बात मानकर रसोई के काम में उसका हाथ बताने लगी क्योंकि उसकी मां ने में
से एक उम्मीद जगा दी थी कि अभी नहीं तो बाद में इस बारे में बात करें गे। पूरी तैयारियां हो चुकी थी
किसी भी वक्त वीनीत के भैया भाभी और वीनीत घर पर आ सकता था।

दस
ू री तरफ अलका बेहद परे शान थी। वीनीत ने जो मुसीबत खड़ी किया था उससे निकलने की ऊसे कोई
राह नजर नहीं आ रही थी। ऊसका घर से निकलना मुश्किल हो गया था। वह विनीत और बदनामी के
डर से ऑफिस जाना बंद कर दी थी े उसके दिल में दहशत बन चुकी थी। ऊसका कहीं भी आना जाना
दश्ु वार हो चुका था। अपनी मां के इस व्यवहार से राहुल आश्चर्य में पड़ गया था उसे कुछ समझ में नहीं
आ रहा था कि आखिरकार ऊसकी मां को हुआ क्या है । वह कई बार अपनी मां से इस बारे में पूछने की
भी कोशिश किया लेकिन हर बात उसकी मां तबीयत का बहाना बनाकर बात को टाल दे रही थी। राहुल
की तड़प अपनी मां का व्यवहार दे खकर और ज्यादा बढ़ती जा रही थी कुछ दिनों से उसे चुदाई तो दरू -बुर
दे खना भी नसीब नहीं हुआ था। वह अपनी मां को जमकर चोदना चाहता था लेकिन उसे अपनी मां की
तबीयत को दे खते हुए, अपने आप पर संयम रखना पड़ रहा था।

नीलू के घर में विनीत और उसके भइया भाभी आ चुके थे सब लोग डिनर पर बैठे हुए थे। सभी लोग
खाना खा रहे थे और नीलू और उसकी मम्मी उन सभी को खाना परोस रही थी। नीलू का मन उदास था
वह बेमन से विनीत और उसके भइया भाभी को खाना परोस रही थी। नीलू के पापा और विनीत का बड़ा
भाई दोनों एक दस
ू रे से अच्छी तरह से परिचित थे। खाना खाते हुए बातों का दौर शुरू हुआ। नीलू के
पापा विनीत के बड़े भाई से बोले।

दे खिए मैं ज्यादा घुमा फिरा कर बात नहीं करना चाहता वैसे भी हम दोनों के परिवार के बीच बहुत पहले
से ही संबंध है । मैं चाहता हूं कि अब यह संबंध रिश्तेदारी में बदल जाए। मैं अपनी बेटी नीलू की शादी
तुम्हारे छोटे भाई वीनीतं से करना चाहता हूं। ( यह सुनते ही विनीत के साथ-साथ उसके भइया भाभी भी
बहुत खुश हुए खुश होते हुए उसके भइया बोले।)
दे खिए इसमें हमें कोई एतराज नहीं है हम तो यही चाहते थे कि वीनीत की शादी आपकी बेटी नीलू से ही
हो। और वैसे भी नीली और वीनीत दोनों एक दस
ू रे को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं वह दोनों एक ही
स्कूल में पढ़ते भी हैं। पिछले दोनों एक दस
ू रे को अच्छी तरह से जानते हैं। क्यों वीनीत तुम्हें कोई
एतराज तो नहीं है ।( विनीत का भाई निवाला मुंह में डालते हुए वीनीत से बोला।)

मुझे कोई एतराज नहीं है भैया।

( नीलू को यह सब अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए वह नाराज होकर वहां से चली गई। तो उसकी मम्मी
बात को संभालते हुए बोली।)

शरमा गई है , अपनी शादी की बात सुन कर। नीलु के पापा ने यह भी बताया कि अभी इन दोनों की
सगाई कर दें गे दो तीन साल बाद शादी क्यों की अभी यह लोग शादी करने की उम्र से छोटे ही हैं।

( नीलू के पापा ने अपने बिजनेस के आगे का प्लान विनीत के बड़े भाई को बता दिया जिससे साफ
जाहिर था की शादी के बाद नीलू के पापा का सारा बिजनेस नीलू के नाम पर और उसके होने वाले पति
के नाम पर हो जाएगा इस बात को लेकर विनीत और भी नहीं उसका बड़ा भाई काफी खश
ु नजर आ रहे
थे। सब कुछ ठीक से निपट जाने के बाद विनीत और उसके भइया भाभी नीलु के घर से वापस अपने
घर पर चले गए रास्ते में वीनीत का बड़ा भाई विनीत को बोला कि यह रिश्ता तुम्हारे लिए और हम
सबके लिए बहुत ही लाभदायक है क्योंकि आने वाले दिनों में नीलू के पापा के बिजनेस की वजह से हम
लोगों का भी बिजनेस काफी बढ़ जाएगा इसलिए यह रिश्ता बेहद जरूरी है ।

विनीत के बड़े भाई ने विनीत से कहा कि अगर नीलू के पापा नीलू की शादी अभी करना चाहते तो मैं
अभी तुम्हारी शादी उसके साथ कर दे ता लेकिन। क्योंकि वह सगाई करके निश्चित हो जाना चाहते हैं।
जिस तरह से उनकी तबीयत अभी ठीक नहीं रहती इसलिए उन्हें अपनी तबीयत पर ज्यादा भरोसा नहीं
है ।

विनीत को बिजनेस से कोई लेना दे ना नहीं था उसे तो नीलु से प्यार था और वह उससे शादी करना
चाहता था यह ख्याल उसके मन में बहुत पहले से ही था। नीलू से शादी की बात को लेकर वह बहुत
खुश था। एक तरफ खुशी थी तो दस
ू री तरफ डर और दहशत का माहौल था। अलका का हर एक पल
बड़ी दहशत के साथ गुजर रहा था उसे बार बार इस बात का डर लगा रहता था कि कही उसके बेटे को
सारी बात का पता न चल जाए। और कहीं वीनीत ने अलका की सारी बातों को इन दोनों के बीच क्या
क्या हुआ सब कुछ कहीं अपने स्कूल में बता दिया तब क्या होगा। राहुल का क्या होगा? , वह खुद कैसे
घर से बाहर निकलेगी , कैसेदनि
ु या को मुंह दिखाएगी। यही सब सोच सोच कर उसके मन में विनीत का
डर पूरी तरह से छा चुका था। राहुल को चुदाई की तड़प लगती तो वह तबीयत का बहाना बनाकर उसे
परे कर दे ती। अपनी मां का यह व्यवहार उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। नतीजन उसे रात को
अपने हाथ का इस्तेमाल करके ही शांत होना पड़ता था।

दस
ू रे दिन भी अलका ऑफिस नहीं गई। उसने राहुल से बता रखी थी कि कुछ दिनों के ऑफिस से छुट्टी
ले रखी है । उसने तम
ु अपने बच्चों को यह बात बता दी थी लेकिन बात कुछ और ही थी जो कि वह
अपने बच्चों से छुपा रही थी।

स्कूल में विनीत बहुत खश


ू था। उसने राहुल को बताया कि उसके घर वाले और नीलू के घर वालों ने
मिलकर दोनों के रिश्ते को तय कर दिया है और बहुत ही जल्द नीलू उसकी पत्नी बन कर उसके घर
आएगी। यह सन
ु ते ही राहुल का दर्द बढ़ गया उसे यह उम्मीद नहीं थी कि नीलू उसके बिना बताए ही
विनीत से शादी करने के लिए तैयार हो जाएगी। जबकि वह तो खद
ु राहुल से शादी करने के सपने दे ख
चक
ु ी थी साथ जीने और साथ मरने की कसमें खा चक
ु े थे दोनों। नीलू उसे इस तरह से धोखा दे गी
इसकी उम्मीद ऊसे कतई नहीं थी। विनीत के चेहरे पर खश
ु ी दे खकर राहुल को उससे जलन होने लगी।
जी में तो आया कि उसका मंह
ु तोड़ दे लेकिन किसी तरह से अपने आपको संभाल ले गया। राहुल को
दे खते ही विनीत को भी जलन होती थी उसके पीछे का कारण अलका थी जिसकी खब
ू सरू ती और भरे
बदन का वह दीवाना हो चक
ु ा था। नीलू जैसी खब
ू सरू त लड़की के साथ के बावजद
ू भी वह उसकी मां की
उम्र की अलका का वह दीवाना था। और दीवाना होता भी क्यों नहीं अलका का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि
उसे दे खते ही कोई भी उसका दीवाना हो जाए। गोरा गोरा भरा हुआ बदन बेहद खब
ू सरू त चेहरा रे शमी
काले घने बाल जिसकी लटें

उसके गोरे गांल पर काली नागिन कि तरह बलखाती थी। उसकी बड़ी बड़ी गोल चचि
ू यां ब्लाउज में कैद
होने के बावजद
ू भी ऐसा लगता था कि अभी ब्लाउज फाड़ के बाहर आ जाएगी। वीनीत को इस उम्र में
भी अलका की कसी हुई बरु ज्यादा प्रभावित कर गई थी। इसलिए तो वह एक बार उसे भोगने के बाद
भी फिर से भोगने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार था।

दोनों की शादी की बात सुन कर राहुल का दिल टूट चुका था वह नीलू से मिलना चाहता था उससे बात
करना चाहता था कि आखिर यही सब करना था तो उस से दिल क्यों लगाई। क्यों उसे झूठे सपने
दिखाए। यही सब सवालों का जवाब ऊसे चाहिए था।
और मौका दे खकर वह नीलू से मुलाकात कर लिया नीलू से मिलते हैं उस पर सवालों की झड़ी बरसाना
सुरु कर दिया। नीलू ऊसे सब कुछ समझाते हुए बोली।

सुनो राहुल जैसा तुम समझ रहे हो वैसा बिलकुल भी नहीं है । हां मेरी ओर विनीत की शादी की बात चल
रही है । पापा का यह फैसला था लेकिन तुम तो जानते ही हो पापा की तबीयत ठीक नहीं है । और ऐसे में
ऐसी कोई भी बात सुनकर दिल को ठे स पहुंचाती हो इसी बात पर उन्हें फिर से दिल का दौरा पड़ सकता
है । क्योंकि उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है इसलिए मेरे सामने उनकी बात मानने के सिवा और
कोई चारा भी नहीं था।

और वैसे भी मम्मी को मैंने सब कुछ बता दी हुं और उन्होंने मझ


ु े यकीन दिलाया है कि सही समय आने
पर इस बारे में वह पापा से बात करें गी। तम
ु चिंता मत करो सब कुछ ठीक हो जाएगा।

(इतना कहकर वह चली गई। लेकिन राहुल समझ चक


ु ा था कि अब ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है नीलू
की शादी वीनीत से ही होगी। नीलू की मम्मी उसे बेवकूफ बना रही है । कोई भी मां बाप यह बिल्कुल
नहीं चाहे गा कि उसकी बेटी जो कि यह तो आराम में पली बढ़ी हुई है , जिसकी शादी एेसे घर में हो
जिसकी कोई है सियत ही ना हो। राहुल बहुत ही जल्द सच से वाकीफ हो चक
ु ा था। आज उसका दिल टूट
चक
ु ा था। वह भी नीलू के साथ साथ उसे पाने का सपना दे ख चक
ु ा था। जो कि सच में सपना बनके रह
गया था।

विनीत का दिल अब कुछ ज्यादा ही मचलने लगा था। क्योंकि नीलू अब उसके हाथ में थी और जिस
तरह से उसने अल़का को धमकाया था उसे यकीन हो चला था। कि अपनी इज्जत बचाने के लिए अलका
उसे फिर से अपना सब कुछ सौंप दे गी। वह तो आने वाले पल की कामना में ही रचा हुआ था। उसे फिर
से अलका अपनी बाहों में कसमसाते हुए नजर आने लगी थी। अलंका ने अपना इरादा बदला कि नहीं यह
जानने के लिए वह फिर से शाम को बाजार में उसका इंतजार कर रहा था।

लेकिन अलका विनीत के ही डर से ऑफिस नहीं गई थी तो इसलिए बाजार में मिलने का कोई सवाल ही
नहीं उठता था वीनीत पागलों की तरह अलका की याद में आंखें बिछाए उसका इंतजार कर रहा था।
लेकिन समय बीतता गया घड़ी की सई
ु अपनी रफ्तार में अपनी मध्य बिंद ु पर घम
ू ती रही। विनीत उसका
इंतजार कर कर के थक चुका था उसे यकीन हो गया था कि शायद आज अलका ऑफिस गई ही नहीं।
थक हारकर वह अपने घर लौट गया।

राहुल अपने घर में अपने कमरे में बैठकर नीलू के साथ बिताए पलों को याद कर रहा था उसके मन में
नीलू को खोने का डर बन चुका था जो कि वास्तव में नीलू ऊससे दरू हो चुकी थी। उसे इस बात पर
कभी भी यकीन नहीं हुआ कि नीलू जैसी खूबसूरत लड़की उसकी गर्लफ्रेंड थी। क्योंकि दोनों के बीच में
जमीन आसमान का फर्क था कहा नीलू और कहां राहुल दोनों के बीच में है सियत की दीवार खूब ऊंची
थी। नीलू की चलती तो वह ईस दीवार को कब से गिरा चुकी होती। लेकिन इसमें उसकी भी कोई गलती
नहीं थी हालात ही कुछ ऐसे पैदा हो गए थे कि ऊन हालातों से समाधान करना ही उचित था। नीलू की
मां भी उसे बहका कर मना ली थी।

नीलू के प्यार में वासना ही केंद्र बिंद ु था लेकिन राहुल उस से सच्चे दिल से मोहब्बत करने लगा था।
राहुल उसे खोना नहीं चाहता था लेकिन कर भी क्या सकता था हालात के हाथों वह भी मजबूर था।
राहुल ने इस सच्चाई को अपना लिया था की नीलू अब उसकी नहीं रही। सपनों की दनि
ु या में रे त के घर
बनाने से कोई फायदा नहीं था। राहुल का मन कहीं लग नहीं रहा था। आज अलका के साथ-साथ राहुल
ने भी खाना नहीं खाया उसकी मां जब उसे ना खाने का कारण पूछी तो वह भी तबीयत ठीक नहीं है
कहकर अपने कमरे में चला गया। विनीत का बड़ा भाई घर पर होने से विनीत की भाभी से भी बात नहीं
हो पा रही थी ।अलका तो वैसे ही परे शान थी वह तो दिन रात बस भगवान से बस यही प्रार्थना करती
थी कि कैसे भी करके इस मुसीबत से वह छुटकारा पा जाए। रात भर वाह विनीत के द्वारा दी गई
धमकी के बारे में सोच सोच कर करवटें बदलती रही, उसे अब कोई भी रास्ता सूझ नहीं रहा था किसी से
कहने पर बदनामी होने का पूरा डर था। इस मुसीबत से निकलने का ऊसे कोई भी रास्ता ना हीं सूझ रहा
था ना दिखाई दे रहा था और ना वह किसी की मदद ले सकती थी । उसके सामने सिवा समर्पण के कोई
ओर चारा नहीं था। लेकिन यह बात उसे कुछ अजीब सी लगती थी कल के छोकरे के सामने वह इस
तरह से झुक जाए। उसकी दी हुई धमकी के आधीन हो जाए,। उसका मन किसके आधीन होने के
बिल्कुल खिलाफ था। क्योंकि उसका मन इस बात को मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं थी कि वह एक
बीत्ते भर के लड़के के सामने उसकी अवैध मांग के अधीन हो कर उसे अपना एक बार फिर से सब कुछ
समझ पढ़ कर दे ।

लेकिन ऐसा भी नहीं था कि वह उसकी बात ना मानकर उसे करारा जवाब दे सके। उसके साथ बीच
सड़क पर बहस करने का मतलब था , बात का खुलना। जो कि उसके और उसके बच्चों के लिए ठीक
नहीं था। मतलब अलका के लिए इस मुसीबत से बचने के सारे दरवाजे बंद हो चुके थे एक दरवाजा खुला
था जो कि सिर्फ वीनींत के पास जाता था वह भी उसकी इच्छा पूर्ति के लिए। इसलिए उसने फैसला कर
ली की अपनी और अपने परिवार की इज्जत बचाने के लिए एक बार फिर से वह अपनी इज्जत विनीत
को सौंपें गी। मन में यह फैसला कर के वह सो गई।

सुबह उठते ही वह घर के काम में लग गई नाश्ता बना कर दोनों बच्चों को स्कूल भेज दि जाते जाते
राहुल ने आज फिर से ऑफिस जाने के लिए पूछा तो कुछ दे र सोचने के बाद ना बोल दी।

रात को जो उसने वीनीत को समर्पण करने का फैसला की थी सुबह होते ही उस फैसले पर अटल रहने
कि उसकी हिम्मत नहीं हुई। क्योंकि वह मन ही मन में सोच रही थी कि विनीत को अपना तन सौंपने
का मतलब था कि वह सीधे सीधे दें ह के व्यापार में उतर रही थी। क्योंकि यह एक समाधान की तरह ही
था अलका उसे कर्जा चुकाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी लेकिन वह था कि पैसा लेना ही नहीं चाहता
था उसे तो अलका से कुछ और चाहिए था। विनीत को अलका की इज्जत चाहिए थे वह उसे भोगना
चाहता था बदले में वह ऊसका सारा कर्जा माफ कर दे ता। इज्जत के बदले कर्जा माफ करने वाली बात
अलका को कतई पसंद नहीं थी क्योंकि वह इतनी भी मजबूर नहीं थी कि अपना तन बेचकर कर्जे की
रकम चुकाए। बात अगर कर्जे की ही होती तो अलका जैसे तैसे करके उसका कर्जा जरूर चुका दे ती
लेकिन बात अब इज्जत की थी। अलका को अपने आप पर गुस्सा आ रहा था अगर अस्पताल में उससे
गलती नहीं हुई होती तो विनीत की इतनी हिम्मत नहीं थी कि उसके सामने एसी बात कर सके। उसकी
एक गलती आज उसके लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन चुकी थी। विनीत बार-बार उसे धमकी दे ते हुए उसे
चोदने की फरमाइश कर रहा था और अगर वह ऐसा नहीं करती है तो कहां उसे समाज में बदनाम कर
दे गा बस इसी बात का डर अलका को खाए जा रहा था।

अलका रोज की तरह आज भी बहुत परे शान थी घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया था इसलिए सारा
दिन घर में ही बैठी रहती थी।

स्कूल में राहुल आज पहले की तरह खश


ु नजर नहीं आ रहा था विनीत से तो वह नफरत सा करने लगा
था। लेकिन नीलू उससे पहले की तरह ही मिली क्योंकि वह अनजान थी कि उसकी मां उसे धोखे में रख
रही थी। राहुल को नीलू की मस्
ु कान बेहद पसंद है उसके गल
ु ाबी होठों की नरमी का एहसास उसे अपने
होठों पर हमेशा महसस
ू होता था। राहुल भी उसी से पहले की ही तरह मिला क्योंकि वह नीलू को उदास
नहीं दे खना चाहता था चाहे जो भी हो वह नीलू से बेहद प्यार करने लगा था।

जैसे तैसे करके वह तड़प तड़प कर अपना दिन क्लास में काटा और छूटने के बाद वह अपने घर नहीं
गया बल्कि इधर उधर घम
ू ता रहा।

विनीत बाजार में फिरसे ऑफिस के छूटने के समय से पहले ही आकर अपना डेरा जमा लिया था वह
आज अलका से मिलना ही चाहता था। क्योंकि उसकी तड़प बढ़ती ही जा रही थी अलका को पाने का
जुनून हर पल बढ़ता ही जा रहा था। लेकिन फिर वही हुआ अलका जब ऑफिस आई ही नहीं थी तो
बाजार से गुजरने का तो सवाल ही नहीं था वह फिर से पागलों की तरह बेवकूफ बना बैठा रहा। मैं समझ
गया कि कल का ऑफिस आई ही नहीं है और मंद मंद मुस्कुराते हुए मन में ही सोचने लगा कि उसकी
धमकी परू ी तरह से अलका पर असर कर गई है । क्योंकि वह उनका को धमकी तो दे ता था लेकिन उसे
अंदर से डर भी लगता था कि नहीं उसका दांव उल्टा ना पड़ जाए । इसलिए बहुत ज्यादा खुश था
क्योंकि अलका का ऑफिस ना आना ऊसकी धमकी का असर बता रहा था। उसे अपनी मंजिल करीब
होती नजर आ रही थी। लेकिन इस तरह से हल्का कर ऑफिस में नहाना और बाजार में ना मिलना
विनीत की तड़प को और ज्यादा बढ़ा रहा था। इसलिए वह अभी इसी समय उसके घर पर जाने का
फैसला कर लिया, और मोटरसाइकिल स्टार्ट करके उसके घर की तरफ चल पड़ा ।लेकिन उसके मन में
इस बात की शंका भी दे गी अगर घर पर राहुल मिला तो वह क्या कहे गा। शंका का समाधान भी उसने
ढूंढ लिया अगर घर पर राहुल हुआ तो वह कह दे गा कि वह नोट्स लेने के लिए आया है । और अगर
राहुल नहीं हुआ तो वह अपने मन की बात करे गा।

वीनीत राहुल के घर पर थोड़ी ही दरू ी पर अपनी बाइक खड़ी करके वहां से पैदल उसके घर की तरफ
जाने लगा। दरवाजे के पास पहुंचा तो दरवाजा बंद था तो उसने दरवाजे को खटखटाते हुए दस्तक दिया।
दस्तक दे ने के थोड़ी दे र बाद दरवाजा खल
ु ा दरवाजा खोलते हैं विनीत को अलका के दर्शन हो गए।
अलका को दे खते ही विनीत बहुत खश
ु हुआ लेकिन अलका के तो होश ही उड़ गए। विनीत अपने चेहरे
पर का मख्
ु य स्थान लिए कमरे में प्रवेश कर दिया। लेकिन तभी उसकी नजर नीचे बैठ कर पढ़ाई कर रहे
सोनू पर चली गई। अलका अपने घर में विनीत को दे खकर घबरा गए और घबराते हुए उससे बोली।

यहां क्या करने आए हो वीनीत ?

बहुत दिनों से तुम्हारे दर्शन नहीं हुए इसलिए सोचा कि तुम्हारे घर पर ही चल कर क्यों ना मिल लुं।

( विनीत की आवाज सुनकर सोनू उसकी तरफ दे खते हुए बोला।)

भैया आप यहां कैसे ? (सोनू खुश होता हुआ बोला)

तम्
ु हारी तबीयत के बारे में पछ
ू ने आया था अब तो तम्
ु हें आराम है ना।

हां भैया अब मुझे बिल्कुल आराम है ।


सोनू तू अपने कमरे में जाकर पढ़।( अलका सोनू को कमरे में जाने के लिए बोली और सोनू चला भी
गया)

अच्छा हुआ कि तुम खुद ही उसे अंदर जाने के लिए कह दी वरना मैं उसके सामने ही तुमसे सारी बातें
करता तब जाकर तुम्हारी अकल ठिकाने आती। तुम मेरी धमकी को लगता है सीरियस नहीं ली इसलिए
कोई जवाब नहीं दे रही हो।

दे खो विनीत जो तुम करना चाह रहे हो वह ठीक नहीं है ।

ऐसा हरगिज़ नहीं हो सकता हूं मैं तुम्हारी धमकी के आगे झुकने वाली नहीं हूं। ( अलका थोड़ी हिम्मत
दिखाते हुए विनीत से बोली।)

अच्छा तो क्या करोगी ( इतना कहने के साथ वह अलका की तरफ बढ़ने लगा।), विनीत को अपनी तरफ
बढ़ता दे खकर अलका घबराने लगी' । और घबराते हुए बोली।)

दे खो अगर तम
ु नहीं माने तो मैं पलि
ु स के पास जाऊंगी।( पलि
ु स का नाम सन
ु कर एक बार तो वीनीत भी
घबरा गया, लेकिन अपनी घबराहट को अलका के सामने महसस
ू होने नहीं दिया। और बहुत ही जल्द
अपने आप को संभालते हुए वह बोला।)

अच्छा पुलिस के पास जाओगे लेकिन पुलिस से कहोगी क्या। यह कहोगी कि मैंने तो हस्पताल में
तुम्हारी मर्जी से तुम्हें चाेदा हूं। या यह कहोगे कि तुम मझ
ु से ढे र सारा रूपया ऊधार ली हो और उसे ना
चुका पाने के एवज में

तुमने मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाए यही कहोगी या यह कहो गि कि मैंने तुम्हारे साथ जबरदस्ती किया
हुं।

दे खो मेरी जान चाहे तुम कुछ भी कहो अगर तुम पुलिस के पास जाओगी तो पुलिस पूछताछ करने के
लिए तुम्हारे घर पर जरूर आएगी और घर पुलिस तुम्हारे घर पर आए तो तुम्हारी आस पड़ोस के लोग
इकट्ठा जरूर होंगे। और धीरे -धीरे चाहे तुम कितना भी छुपाने की कोशिश कर लो यह बात सामने जरुर
आएगी की तुम्हारे शारीरिक संबंध मेरे साथ है और मैं तुम्हारे साथ क्या करना चाहता हूं। तो तुम ही ठं डे
दिमाग से सोचो जब परू े मोहल्ले में यह बात सामने आएगी कि उनकी पड़ोस में रहने वाली अलका अपने
बेटे के उम्र की और तों और अपने ही बेटे के दोस्त के साथ शारीरिक संबंध बनाती है । तो सोचो आस
पड़ोस में परू े समाज में तुम्हारी क्या इज्जत रह जाएगी कैसे तुम उनके सवालों का सामना कर पाओगी
और कैसे घर से बाहर निकल पाओगे जबकि अभी सिर्फ मेरी धमकी की वजह से ही तुम ऑफिस जाना
छोड़ दि हो।

विनीत की यह सब बातें सुनकर अलका फूट कर रोने लगी। विनीत की एैसी बातें उसके मन में विनीत
का डर परू ी तरह से बैठा दी थी। अलका के सामने अब कोई भी विकल्प नहीं बचा था सिवाय समर्पण
के। इसलिए वह रोए जा रही थी क्योंकि अब कोई भी रास्ता नहीं बचा था। अलका को रोता हुआ दे खकर
विनीत ऊसका हाथ पकड़ते हुए बोला।

दे खो मेरी रानी इसलिए ही मैं कह रहा था की बस एक बार एक बार फिर से मुझे अपनी बुर का स्वाद
चखा दो।

एक बार मुझे चोदने दो। बस एक बार उसके बाद फिर मैं कौन और तुम कोन मै तुमसे दोबारा कभी भी
नहीं मिलूंगा। अच्छे से सोच लो मैं फिर तुम्हें जल्दी ही मिलूंगा।( इतना कहकर वह जाने लगा जाते-जाते
वह रुका और बोला।) और हां खुद बदनाम होने का शौक हो तो अपनी मनमानी जरूर कर लेना। मैं जल्द
ही तुमसे मिलूंगा और इस बार तुम्हारी हां होनी चाहिए।

इतना कहकर वीनीत चला गया। अलका वही बेठी रोती रही और अपनी किस्मत को कोसती रहीं। जिस
समय विनीत अलका के घर से निकल रहा था उसी समय दस
ू री सड़क से राहुल घर की तरफ चला आ
रहा था उसने विनीत को अपने घर से बाहर निकलते हुए दे खा ऊसे समझ में नहीं आया कि वह क्या
करने घर पर आया है । वह उसे आवाज दे ता इससे पहले ही वह निकल गया। उसे कुछ अजीब सा लग
रहा था क्योंकि विनीत आज तक उसके घर पर कभी नहीं आया था चाहे जितना भी जरूरी काम है उसने
तो आज तक उसका घर भी नहीं दे खा था। वह वीनीत के बारे में सोचते हुए घर में प्रवेश करते हुए
बोला।

मम्मी यह राहुल यहां ( तभी उसकी नजर उसकी मम्मी पर पड़ी जोंकि वह रो रही थी, मुझे रोता हुआ
दे खकर) क्या हुआ मम्मी आप रो क्यों रहीे हैं?

राहुल घबराते हुए बोला।


मम्मी आप रो क्यों रही है क्या हुआ? अौर ये राहुल यहां क्यों आया था? क्या हुआ मम्मी आप कुछ
बोलेंगी भी या ऐसे ही रोती रहें गी मुझे आपका यह रोना बिल्कुल भी दे खा नहीं जा रहा है । ( राहुल अपनी
मां को रोता हुआ दे खकर परे शान हुआ जा रहा था और उसकी मम्मी थी कि बस रोए जा रही थी। राहुल
को दे ख कर उसकी आंखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। वह सिसक सिसक कर रोए जा रही
थी। राहुल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार हुआ क्या है विनीत का यूं घर से बाहर
निकलना और अलका का रोना उसे कुछ खटक रहा था। लेकिन जब तक अलका खुद नहीं बताएगी कि
बात क्या है तब तक राहुल को पता कैसे चलेगा कि वह रो क्यों रही है उसके पीछे का कारण क्या है ।
अपनी मां को यूं रोता दे खकर उसका मन बहुत परे शान हो रहा था। और अपनी मां की खामोशी को दे ख
कर उसे गुस्सा भी आने लगा था।

वह अपनी मां के कंधे पर हांथ रखते हुए बोला।

मम्मी जब तक तम
ु मझ
ु े बताओगी नहीं की क्या हुआ है तब तक मझ
ु े पता कैसे चलेगा और यह रोना(
अपने हाथ से आंसू पोंछते हुए) बंद करो और मझ
ु े बताओ कि क्या हुआ है और यह वीनीत यहां क्या
करने आया था। इसने तो कभी भी मेरा घर नहीं दे खा था तो यहां कैसे पहुंच गया।

विनीत का जिक्र आते ही अलका फिर से जोर जोर से रोने लगे उसका रोना बंद ही नहीं हो रहा था
उसकी आंखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। वह अब तक छुपाते आ रही थी लेकिन बताना
भी जरूरी था, कि उसके ऊपर क्या गुजर रही है काफी दिनों से वह अंदर ही अंदर कौन सा दख
ु झेल रही
है । और उसके दख
ु के पीछे किसका हाथ है ।

राहुल अपनी मां को चुप कराने की पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन अलका चुप होने का नाम ही नहीं ले
रही थी वह भी पर क्या करती थी बहुत दिनों से वह भी अंदर ही अंदर घुट रही थी। वह कैसे अपने बेटे
को बता दें कि उसका ही दोस्त उसके साथ गलत कर चुका है और फिर से संभोग सुख की मांग कर के
उसे ब्लैकमेल किए जा रहा है । वह बताना भी चाहती थी लेकिन डरती थी सच्चाई जानने के बाद कहीं
राहुल उससे नफरत न करने लगे वह क्या सोचेगा ' उसके दिल पर क्या गुजरे गी जब राहुल को पता
चलेगा कि उसकी मम्मी उसके ही दोस्त के साथ चुदवा चुकी है । राहुल अपनी मां को चुप करा करा कर
परे शान हो चुका था अलका के रोने की आवाज सुनकर सोनू भी नीचे आ गया। राहुल अपने छोटे भाई
सोनू से पूछने लगा कि हुआ क्या है । वह अपने भाई को जवाब दे ते हुए बोला।

मझ
ु े नहीं मालम
ू भैया सब कुछ तो ठीक था मैं यहीं नीचे बैठ कर पढ़ रहा था तभी वह भैया आए और
उसके बाद में ऊपर कमरे में चला गया।
कौन भैया! कौन आया था इधर।

( अब राहुल का दिमाग झनझनाने लगा था क्योकी अभी अभी वीनीत ही घर से बाहर गया था। राहुल की
बात सुनकर उसका जवाब दे ते हुए सोनू बोला।)

वही जो उस दिन मेरी तबीयत खराब होने पर साथ में ही अस्पताल में रुके थे।

अस्पताल में रुके थे, किसके साथ मझ


ु े तो इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है ।( राहुल आश्चर्य के साथ
बोला, अब अलका के सामने राहुल को विनीत के बारे में बताने के सिवा और कोई रास्ता नहीं था इसलिए
वह बोली।)

विनीत, विनीत ही उस दिन मेरे साथ अस्पताल में रुका था।( अलका नीचे की तरफ नजर झक
ु ा कर बोली।
उसकी आंखों से आंसू टपक रहे थे। राहुल को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह लोग क्या कह
रहे हैं इसलिए आश्चर्यचकित होता हुआ फिर से बोला।)

लेकिन विनीत ने ईस बारे में मुझसे कभी भी कोई भी बात नहीं किया।

क्योंकि वह नहीं जानता था कि मैं तुम्हारी मम्मी हुं।

(अलका साड़ी की कीनारी से अपने आंसू पोंछते हुए बोली। राहुल अभी भी आश्चर्य में था।)

क्या मतलब मम्मी?

( राहुल फिर से आश्चर्य जताते हुए बोला। अलका पूरी तरह से तैयार थी जवाब दे ने के लिए वह अपने
आप को तैयार कर चुकी थी आज वह अपना राज बताने के लिए जिस वजह से वहां अंदर ही अंदर घुट
घुट कर मर रही है । )

मैं तुम्हें सब कुछ बताती हुं राहुल ,( अलका सोनू की तरफ दे खकर ) तुम अंदर जाकर पढ़ो बेटा।
( राहुल को उसकी मां की बातें और उसका व्यवहार कुछ अजीब सा लग रहा था। वह समझ नहीं पा रहा
था कि आखिर ऐसी कौन सी बात है कि वह सोने के कमरे में जाने के लिए बोल रही है फिर भी वह
शांत खड़ा रहा वह जानना चाहता था कि आखिर बात क्या है । अलका कुछ दे र तक शांत बैठी रही उसके
बाद फिर से फफक कर रो पड़ी। राहुल अपनी मां को फिर से चुप कराते हुए ऊन्हे उनकी परे शानी का
कारण बताने के लिए बोला। इस बार अलका बोली।)

बेटा जो मैं तम्


ु हें बताने जा रही हूं एक मां के लिए बेहद शर्मनाक है लेकिन मैं किसी और से बता भी
नहीं सकती पता नहीं तम
ु मझ
ु पर विश्वास करोगे या नहीं हो सकता है तम
ु मझ
ु पर गस्
ु सा भी करो
लेकिन मेरी भावनाओं को समझ कर फैसला करना कि जो भी हुआ था इसमें मेरा दोष था या मेरी
मजबरू ी या फिर हालात का दोष था।

( राहुल अपनी मां की बात सन


ु कर और भी ज्यादा परे शान होने लगा उसे समझ में नहीं आ रहा था कि
आखिर क्या बात क्या है जो मम्मी मझ
ु से इस तरह से बातें कर रही है । और मम्मी के परे शानी के पीछे
विनीत हो सकता है यह बात ऊसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही थी। अलका उसे बताते हुए बोलीे )

बेटा विनीत से मेरी मुलाकात ऑफिस से आते समय बाजार में हुई थी। वह मेरी मदद किया था तुम्हारी
उम्र का ही है तुम्हारा ही दोस्त है यह तो मुझे अब जाकर मालूम पड़ा लेकिन यह बात उसे पहले भी
शायद नहीं मालूम थी मैं तुम्हारी मम्मी हूं। वह आए दीन मुझे बाजार में मिलता और कभी कभार मेरी
मदद भी कर दे ता। शायद तुम्हें पता होगा एक बार मुझे पैसो की बहुत ज्यादा जरूरत थी सोनू की फीस
भरनी थी। और मेरे पास फूटी कौड़ी नहीं थी मैं सब जगह हाथ फैलाकर मदद मांग कर हार गई लेकिन
मुझे कहीं से भी मदद नहीं मिली जहां तक कि मुझे ऑफिस में भी कोई मदद नहीं मीली। ऑफिस से भी
जब मुझे कोई मदद नहीं मिली तो मैं ऑफिस से घर पर आ रही थी तो रास्ते में ही मुझे विनीत मिल
गया। मैं उससे कोई मदद मांगने नहीं चाहती थी लेकिन क्या करूं मैं मजबूर थी और मुझे लगता भी
नहीं था कि वह मेरी मदद कर पाएगा लेकिन बात ही बात में मैंने ऊसे अपनी परे शानी बताइए तो वह
झट से पैसे निकालकर मुझे थमा दिया। मैं क्या करती मजबूरी थी तो मैंने वह पैसे उधार के तौर पर ले
ली। विनीत को मैं अपने बेटे जैसा ही मानने लगी थी क्योंकि वह अच्छा लड़का था वह तुम्हारी उम्र का
था।

तभी सोनू की भी तबीयत खराब हो गई लेकिन तुम उस समय घर पर नहीं थे, मैं सोनू को लेकर जल्दी
जल्दी अस्पताल की तरफ चली जा रही थी कि तभी विनीत मिल गया और वह अपनी मोटरसाइकिल पर
बैठा कर हमें अस्पताल पहुंचाया और अस्पताल में सारी मदद किया यहां तक कि अस्पताल का बिल भी
उसी ने चुकाया । ( राहुल अपनी मां की सारी बातों को ध्यान से सुने जा रहा था अब तक की बातों को
सुनकर उसे कोई ऐसी बात नहीं लगी जो कुछ गलत हुआ हो। ) मेरे पास तो अस्पताल का बिल चुकाने
के लिए भी पैसे नहीं थे । मैं मन ही मन में सोच रही थी कि इसका यह एहसान मैं कभी भी चुका नहीं
सकती लेकिन इतना तय कर ली थी कि तनख्वाह मिलने पर उसका धीरे -धीरे सारा कर्जा चुका दं ग
ू ी। (
इतना कहकर अलका शांत हो गई, राहुल ठीक उसके सामने कुर्सी पर एकदम करीब बैठा हुआ था। वह
अपनी मां को खामोश दे खकर बोला।)

फीर क्या हुआ मम्मी?

( इस बार अलका बात को आगे बढ़ाते हुए जज्बाती हो गई है और अपनी बेटे का हाथ पकड़कर नजरें
झुका कर वह बोली।)

बेटा डॉक्टर ने कहा था कि रात भर हम को रुकना होगा हम रुक तो गए लेकिन सोने के लिए एक ही
बेड खाली था । और उस बेड पर मैं और विनीत दोनों सो गए, मैं तो अभी नहीं को अच्छा लड़का
समझती थी बेटा लेकिन मझ
ु े क्या मालूम था वह एक नंबर का हरामखोर निकलेगा।( अपनी मां की यह
बात सुनकर राहुल को अंदेशा हो रहा था कि क्या हुआ होगा लेकिन फिर भी अपने मन को बार बार
समझा रहा था कि जैसा वह सोच रहा है वैसा ना हो। इसलिए वह बीच नहीं बोला।)

क्यों मम्मी फिर ऐसा क्या हो गया जो आप ऐसा बोल रही है ?

क्या कहूं बेटा मेरी तो दनि


ु या ही उजड़ गई मैं किसी को भी मुंह दिखाने के लायक नहीं रही।( इतना
कहने के साथ ही वह फिर से फफक-फफक कर रोने लगी। एक बार फिर से उसकी आंखों से आंसू बहने
लगे राहुल अपनी मां को चुप करा था वह बोला )

बोलो तो सही मम्मी फिर क्या हुआ?

वही हुआ बेटा जो नहीं होना चाहिए था मेरे माथे पर कलंक लग गया मेरा दामन गंदा कर दिया उसने।

उसने मौके का फायदा उठाकर, मेरी मजबूरी का फायदा उठा कर मेरे साथ शारीरिक संबंध बना लिया।

( इतना कहने के साथ है वह राहुल का हाथ जोर से पकड़ कर फिर से वह रोने लगी। इतना सुनते ही
राहुल एकदम से आग बबूला हो गया वह जोर से चिल्लाया।)

मम्मीईई.......

यह क्या कह रही हो मम्मी ऐसा नहीं हो सकता कह दो कि यह झूठ है । ( राहुल के मन में यह बात लग
गई कि उसका ही दोस्त उसकी मां के साथ ऐसा गलत संबंध स्थापित किया। अलका रोए जा रही थी
चुप होने का नाम ही नही ले रही थी। और राहुल की आंखों से अंगारे छूट रहे थे, उसका गुस्सा सातवें
आसमान पर पहुंच चुका था। अगर इस समय विनीत उसके सामने होता तो वह ना जाने क्या कर दे ता।
अलका के आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे वह रोते सिसकते हुए अपनी बेगन
ु ाही बताई जा रही
थी।)

बेटा इसमें मेरी कोई गलती नहीं है मैं हालात के आगे मजबूर हो गई थी ।मुझे ....मुझे यह नहीं मालूम
था कि विनीत ऐसी नीच हरकत करे गा।

( राहुल को गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन अपनी मां के आंसुओं को दे खकर वह अपने आप को
संभाल ले गया। वह जानता था कि कुछ दिनों से उसकी मां अंदर ही अंदर ईतना बड़ा दख
ु अकेले ही
झेल रही थी। अगर इस समय राहुल उसे कुछ भी कहता है तो उसकी मां अंदर ही अंदर से टूट सकती
थी इसलिए वह अपनी मां को दोष नहीं दिया। बल्कि वह भी अपनी मां के हाथ को पकड़े हुए उसे शांत
करा रहा था। लेकिन बहुत दिनों से वह अपने अंदर बहुत कुछ छुपा कर रखी थी।

जो कि आज वह अपने बेटे के सामने रो रो कर अपना मन हल्का कर लेना चाहती थी। इसलिए वह रोए
जा रही थी ओर साथ मे बोले भी जा रही थी।

बेटा वह रात मेरे लिए किसी तूफ़ान से कम नहीं था जिसने मेरी जिंदगी को झकझोर कर रख दिया था
रात बीतने के बाद मुझे अपनी गलती का एहसास पूरी तरह से हो गया था। मुझे इस बात का खेद
हमेशा रहे गा कि मैं उस रात को उसे रोक सकती थी लेकिन ना जाने किन हालातों ने मेरे हाथ बांध रखे
थे कि मैं उसे बिल्कुल भी ना नहीं कह सकी। रात गुजर जाने के बाद सुबह होते ही मुझे अपनी गलती
का एहसास हो गया लेकिन अब पछताने किसी का मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था। मैं अपनी गलती
की वजह से पल पल रोज मर रही हुं। तुम खुद ही कुछ दिनों से मेरी हालत पर गौर कर रहे होगे मुझे
कहीं भी सुकून नहीं मिल रहा , मैं मर जाना चाहती हूं बेटा मैं मर जाना चाहती हूं मैं जीना नहीं चाहती
मुझसे जो गलती हुई है उसकी यही सजा है ( इतना कहने के साथ ही वह फिर से जोर जोर से रोने
लगी। राहुल तरु ं त अपनी जगह से उठा और अपनी मां की ख़ुशी के बगल में अपनी कुर्सी लगाते वहां
बैठकर अपनी मां को चुप कराने लगा।)

चुप हो जाओ मम्मी मैं समझ सकता हूं इसमें आपकी गलती नहीं है गलती तो उस हरामजादे की है
जिसने मदद के बहाने आपके साथ इतना घटिया काम किया है उसकी सजा उसे जरूर मिलेगी। ( इतना
कहने के साथ ही उसे जैसे कुछ याद आया हो एेसे बोला।) लेकिन मम्मी मुझे यह समझ में नहीं आ रहा
है कि इतना कुछ होने के बावजूद भी आज विनीत अपने घर में क्या करने आया था।

वह मेरे साथ फिर से वही करना चाहता है जो उसने अस्पताल में किया था ।(अलका अपनी नज़रें नीचे
झुका कर बोली।)

यह क्या कह रही हो मम्मी ।(राहुल फिर से क्रोधित हो गया)


हां बेटा यह सच है विनीत कुछ दीनों से फिर से मेरे पीछे पड़ा है । वह हमेशा ऑफिस जाते जाते मुझे
मिलता है और मुझे फिर से वही करने के लिए मजबूर कर रहा है ।

और यह धमकी भी दे ता है कि अगर जैसा वह चाहता है वैसा मैंने नहीं की तो वह मुझे बदनाम कर


दे गा। मझ
ु े बहुत डर लग रहा है बेटा (अपने बेटे का हाथ पकड़ते हुए बोली।) मैं उसकी धमकी के आगे
डरती नहीं लेकिन वह मुझे परू े समाज में बदनाम कर दे ने की धमकी दे ता है और तो और यदि कैसा है
कि मैं तुम्हारे बेटे की स्कूल में सबको बता दं ग
ू ा कि उसके और मेरे बीच में कैसे संबंध है । इसी बात से
मुझे और भी डर लग रहा है मैं बदनाम होना नहीं चाहती बेटा। मेरी जिंदगी उसने बर्बाद कर दिया है । (
राहुल के चेहरे पर क्रोध के भाव साफ नजर आ रहे थे वह बहुत कुछ कर दे ना चाहता था। लेकिन अपनी
मां की वजह से अपने आप को संभाले हुए था क्योंकि अगर वह जरा सा भी हिम्मत हारता तो उसकी
मां टूट कर बिखर सकती थी क्योंकि वह नहीं चाहता था क्योंकि वह अपनी मां से बेहद प्यार करता था।
वह नहीं चाहता था कि उसकी मां ऐसे बिखर जाए इसलिए वह अपनी मां को दिलासा दे ते हुए बोला।)

ऐसा कुछ भी नहीं होगा मम्मी आप चिंता मत करिए। जेसा वह धमकी दे रहा ऐसा कुछ भी नहीं होगा
अच्छा हुआ सब कुछ आप ने मझ
ु े बता दिया अब आप चिंता मत करिए मैं सब कुछ संभाल लंग
ू ा मम्मी
। और उस से डरने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है । वह साला हरामजादा हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़
सकता। उसे तो मैं अच्छी तरह से सबक सिखाऊंगा।

( अपने बेटे की बात सन


ु कर अलका को थोड़ी राहत हुई लेकिन उसे इस बात की चिंता भी होने लगी कि
राहुल कहीं गस्
ु से में आकर कुछ गलत ना कर दे जिससे जिंदगी भर पछताना पड़े इसलिए वह बोली।)

बेटा गुस्से में आकर ऐसा कुछ मत कर दे ना कि हम सभी को जिंदगी भर पछताना पड़े तेरे ओर सोनु के
सिवा मेरा इस दनि
ु या में कौन सहारा है । हम दोनों उसे मिलकर समझाएंगे हो सकता है कि वह समझ
जाए और दोबारा ऐसी गलती ना करें ।

मम्मी आप बिल्कुल भी टें शन मत लो मैं कहता हूं ना कि मैं उसे समझा दं ग


ू ा आखिरकार वह मेरा दोस्त
है मेरी बात जरुर मानेगा जो भी हुआ उससे गलती से ही हो गया आगे से ऐसा नहीं होगा। मैं उसे कल
समझाऊंगा आप बिल्कुल भी चिंता मत करो जैसे पहले रहती थी वैसे ही बिना टें शन के रहो और हां
जल्दी से खाना बना दो क्योंकि मुझे बहुत जोरों की भूख लगी है ।
( अपने बेटे की बात सुनकर अलका के चेहरे पर बहुत दिनों बाद मुस्कुराहट आई इस मुस्कुराहट को
दे खकर राहुल भी मुस्कुरा दिया। अपने बेटे को सारी बातें बता कर अलका का मन शांत हो गया था वह
अंदर ही अंदर अपने आप को हल्का महसूस कर रही थी। राहुल के द्वारा दिए गए दिलासे से उस का
टें शन कुछ हद तक दरू हो चुका था। वह कुर्सी से उठी और मुस्कुराते हुए बोली।)

बेटा मैं अभी जल्दी से खाना बना दे ती हूं।( इतना कहने के साथ ही वह किचन में चली गई।)

जैसे ही अलका रसोईघर में गई राहुल वही कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगा वह अच्छी तरह से जानता था
कि विनीत ऐसी बातों से मान जाए ऐसा नहीं था वह एक नंबर का वासना से भरा हुआ था। अपनी मां
की बात को सन
ु कर वह अच्छी तरह से समझ गया था कि विनीत भी उसकी मां के खूबसूरत बदन का
दीवाना हो चुका था उसके बदन की खुशबू को वह फिर से महसूस करना चाहता था। राहुल इस
वास्तविकता से अच्छी तरह से वाकिफ था कि उसकी मां बेहद खूबसूरत थी और कोई भी जरा सा भी
मौका मिलने पर वह मौके का फायदा जरूर उठाता और यही काम विनीत ने भी किया था। राहुल को यह
सब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। राहुल अपनी मां को बेहद प्यार करता था वह बहुत खूबसूरत थी और यह
प्यार सारी मर्यादाए लांघ चुका था दोनों के बीच दनि
ु या के लिए मां बेटे का रिश्ता था लेकिन घर की
चारदीवारी के अंदर दोनों प्रेमी प्रेमिका और पति पत्नी की तरह ही रहते थे। और कोई भी प्रेमी है या
पति यह नहीं चाहता कि उसकी शादी किसी और के साथ हमबिस्तर हो। पर यहां तो हल्का उसकी मां
भी थी , तो वह कैसे बर्दाश्त कर लेता कि उसकी मां जिसके साथ वहां रोज शारीरिक संबंध बनाकर
शारीरिक सुख का आनंद लेता था वह किसी और के साथ शारीरिक संबंध बना ली हो या कैसे बर्दाश्त कर
पाता। जबकि वह जानता था कि जो भी हुआ वह एक बहकावे में ही हुआ है जिसका पछतावा उसकी मां
को पल पल तड़पा रहा था। लेकिन जिस तरह का संबंध राहुल का अलका के साथ का राहुल बर्दाश्त नहीं
कर पा रहा था कि उसकी मां के साथ कोई और उस तरह का संबंध स्थापित करें । जोकि वीनीत ने कर
चुका था। और यही बात राहुल को भी अंदर ही अंदर खाए जा रही थी वह क्रोध में एकदम आग बबूला
हो चुका था लेकिन किसी तरह से अपने आप को संभाले हुए था। अलका पर सिर्फ पूरी तरह से राहुल का
ही हक था जिसे वह किसी के साथ भी बांट नहीं सकता था। उसे बस इंतजार था सुबह का।

दस
ू रे दिन सुबह राहुल तैयार होकर स्कूल जाने के लिए निकला उसकी मां रसोई घर में काम कर रही थी
और रसोई घर में जाते ही , राहुल की नजर आदत अनुसार फिरसे उसकी मां के भरावदार नितंबों पर पड़ी
तो उन्हें दे खते ही राहुल का मन ललच उठा। भले ही अलका चाहे कितनी भी परे शान क्यों न हो उसकी
खूबसूरती में कोई कमी आने वाली नहीं थी। इसलिए तो इतना कुछ हो जाने के बावजूद भी राहुल का
आकर्षण अपनी मां के प्रति बिल्कुल भी कम नहीं हुआ था इसका कारण एक ही था अलका का भराव
दार बदन ,उसकी खूबसूरती ,उसका गठीला बदन ,उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और उभरी हुई बड़ी बड़ी गोल
गांड। इसलिए तो राहुल की नज़रों में हमेशा इसकी मां की यही कामुकता से भरी छवि बनी रहती है ।
अलका की खासियत भी यही थी उसकी उपस्थिति में उसके समकक्ष चाहे कोई भी हो , उसके प्रति
आकर्षित हुए बिना रह नहीं पाता।

राहुल के मन में बदला लेने की भावना तीव्र हो गई थी वह जल्द से जल्द स्कूल पहुंचना चाहता था
क्योंकि उसे वीनीत से मिलना था और उसे सबक सिखाना था। लेकिन रसोईघर में आते ही उसकी नजर
अलका पर पड़ गई जोकि कड़ाही में कुछ चला रही थी और कढ़ाई में चमची चलाने की वजह से उसके
बदन में अजीब सी थिरकन हो रही थी खास करके उसकी कमर के नीचे का उभार कुछ ज्यादा ही थिरक
रहा था जिस पर नजर पड़ते ही राहुल की टांगो के बीच लटक रहा हथियार सन
ु सुराने लगा। और यह
नजारा दे ख कर उससे रहा नहीं गया वह पीछे से जाकर अपनी मां को बाहों में भर लिया तब तक उसके
लंड का तनाव अपनी पूरी औकात पर आ गया था वह पें ट में तंबू बना लिया था। राहुल अपनी मां को
पीछे से अपनी बाहों में भरते हुए तरु ं त अपने पें ट मे बना तंबू अपनी मां के नितंबों के बीचो-बीच सटा
दिया। जैसे ही अलका को अपने नितंबों के बीच के बीच कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ उसके मुंह से
आउच निकल गया। और वह तुरंत अपनी गांड को आगे की तरफ बढ़ाकर अपने बेटे के ल** की पहुंच से
दरू करने की कोशिश करने लगी लेकिन राहुल ने तुरंत अपने दोनों हाथ को नीचे जांगो पर ले जाकर उसे
फिर से अपनी तरफ खींचते हुए पैंट के अंदर अपने खड़े लंड से सटा दिया। कड़क लंड की चुभन से
अलका के बदन में सनसनी फैल गई। उसके मुख से कामुक स्वर में आवाज निकली।

क्या कर रहा है राहुल ऐसा मत कर मझ


ु े ना जाने क्या होने लगता है । मेरे मन में इतनी सारी चिंताएं हैं
कि कुछ दिनों से मैं तेरी तरफ और तेरी जरूरत को परू ा भी नहीं कर पा रहीे हुँ। ( अलका कसमसाते हुए
बोली।)

क्या करूं मम्मी मुझे भी तुम्हें दे खते ही ना जाने क्या होने लगता है जब भी तुम्हारी यह बड़ी-बड़ी (एक
हाथ से गांड को मसलते हुए) गांड दे खता हूं तो मेरा लंड तुरंत खड़ा हो जाता है । ( राहुल इतना कहने के
साथ ही अपनी मां की बड़ी बड़ी चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा। अलका भी अपने बेटे की
हरकत से थोड़ी ही दे र में गर्म होने लगी। लेकिन उसके मन में अभी भी बहुत बड़ा बोझ था। उत्तेजित
होने के बावजूद भी वह राहुल को अपने से अलग करते हुए बोली।

बेटा जो बोझ मेरे मन पर है जब तक कि हल्का नहीं हो जाता तब तक मेरा मन किसी भी चीज़ में नहीं
लगेगा मझ
ु े जल्दी से जल्दी ईस मस
ु ीबत से निजात दिला उसके बाद जी भरके मैं तझ
ु े प्यार दं ग
ू ी। (
राहुल अपनी मां की पीड़ा को समझ सकता था उसके मंन पर बहुत बड़ा बोझ था लेकिन क्या करता ऐसे
नाजुक घड़ी में भी अपनी मां के प्रति उसका आकर्षण बिल्कुल भी कम नहीं हो रहा था। इसलिए तो वह
वीनीत को सबक सिखाने के लिए घर से निकल ही रहा था कि अपनी मां की कामुकता से छलकती
मादक गांड को दे खते ही अपने होश खो बैठा और वह पीछे से जाकर अपनी मां को बाहों में भर लिया।
अपनी मां की बात को सुनकर राहुल अपनी मां को दिलासा दे ते हुए बोला।

आप बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी ने बहुत ही जल्दी तुम्हें इस मुसीबत से निजात दिला दं ग
ू ा
क्योंकि आपका जो पल पल अंदर ही अंदर तड़पना मुझसे दे खा नहीं जा रहा है ।

राहुल को बहुत ही जल्द एहसास हो गया की स्कूल के लिए उसे लेट हो रहा है इसलिए वह तुरंत अपनी
मां से इजाजत लेकर स्कूल के लिए निकल पड़ा। उसकी मां वहीं खड़े खड़े राहुल के बारे में सोचने लगी
उसे यकीन तो नहीं हो रहा था कि राहुल उसे एक मुसीबत से छुटकारा दिला दे गा लेकिन फिर भी
भगवान को प्रार्थना करके वह मन ही मन राहुल की रक्षा के लिए प्रार्थना करने लगी और जल्द से जल्द
वह अपना वचन परू ा कर सके इसके लिए भी भगवान से मिन्नतें मांग रही थी ।

राहुल स्कूल पहुंच गया था। दोनों क्लास में बैठे हुए थे राहुल विनीत को घण
ृ ा की नजर से दे ख रहा था
लेकिन चालू स्कूल में वहां उसके साथ कुछ कर नहीं सकता था इसलिए वह रिशेष का इंतजार करने
लगा।

रीशेष की घंटी बजते ही वह विनीत के पास आया और उसे जरूरी काम है यह कहकर उसे अकेले में ले
गया। दोनों को एकांत मिलते ही राहुल विनीत से एकदम क्रोधित होते हुए बोला।

वीनीद हरामजादे ( राहुल के मुंह से यह शब्द सुनते ही विनीत चौंक गया उसे कुछ समझ में नहीं आया कि
राहुल यह क्या कह रहा है ।) तूने जो किया है वह तुझे नहीं करना चाहिए था तू ने दोस्ती की भी लाज
नहीं रखी

तो साला इतना बेशर्म हो गया कि अपने ही दोस्त की मां के साथ ....छी.....छी.....छी..... मुझे तो सोचकर
ही तुझसे घिन्न आती है ।

अच्छा तो तुझे सब पता चल गया चल अच्छा हुआ कि तुझे सब पता चल गया कहीं दस
ू रों के मुंह से
सुनता तो शर्म से गड़ जाता। ( विनीत के मुंह से इतना सुनते ही राहुल में उसकी कॉलर पकड़ लिया और
कॉलर पकड़ते ही दो घुसा उसके गाल पर जड़ दिया जिससे विनीत तुरंत नीचे जमीन पर गिर गया।
राहुल नीचे गिरें विनीत को लातों से मारने लगा। दो-चार लात वह विनीत को मारा ही था कि विनीत ने
उसकी टांग पकड़कर पीछे की तरफ ठे ल दिया जिससे राहुल भी गिर गया। और विनीत मौका दे खकर
तुरंत खड़ा हो गया राहुल की फुर्ती से भरा हुआ था इसलिए वह भी नीचे गिरते ही तरु ं त खड़ा हो गया।
खड़ा होते ही राहुल गाली दे ते हुए विनीत की तरफ लपका।)

हरामजादे कुत्ते कामीने मैं तुझे आज नहीं छोडूग


ं ा ( इतना कहने के साथ ही वह भी लेती तरफ लपका
और उसी से भिड़ गया उसके पेट में वह मुक्के से मारने लगा विनीत भी कम नहीं था वह भी जवाब दे ते
हुए राहुल पर भी वार करने लगा। राहुल ने उसे कस के पकड़ कर घुमा कर फेंका तो वह थोड़ी दरू जाकर
गिरा। दोनों की भिड़ंत में विनीत को ही ज्यादा मार लग रही थी क्योंकि राहुल विनीत के मक
ु ाबले अच्छी
कद-काठी का था। विनीत इतना बेशर्म हो चक
ु ा था कि वह राहुल से माफी तक नहीं मांग रहा था बल्कि
मौका मिलने पर उसे उसकी मां की गंदी बात बोलकर उकसा भी रहा था। जब वह नीचे गिरा तो राहुल
को उकसाते हुए बोला।

यार तेरी मां बहुत मस्त माल है क्या खूब मजा दे ती है मेरा तो लंड झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।

( विनीत के मुंह से अपनी मां के लिए इतनी गंदी बातें सुनकर राहुल फिर से उसकी तरफ दौड़ा लेकिन
विनीत भी तुरंत खड़ा होकर फिर से उससे भिड़ गया और दोनों एक दस
ू रे को मुक्के से मारने लगे। राहुल
उसे गाली दे ते हुए मार रहा था और विनीत मार खाते हुए उसकी मां की गंदी बात बोले जा रहा था।)

राहुल तेरी मां ने जेसे ही मेरा मोटा लंड अपने मुंह में लेकर चूस ना शुरू की मैं तो जैसे हवा में उड़ रहा
हूं। साली बहुत मजा दे ती है ।( राहुल उसकी गंदी बातें सुनकर उसे और ज्यादा क्रोध में मारने लगा था
लेकिन विनीत पर जैसे कोई असर नहीं हो रहा था हालांकि उसे चोट लग रही थी लेकिन ऐसी बातें करके
वहां राहुल को बिना मारे ही चोट पहुंचा रहा था।)

राहुल साले तेरी मां की बरु इस उम्र में भी इतनी टाइट है कि क्या बताऊं बुर में डालते ही इतना मजा
आता है कि पूछो मत अंदर से तेरी मां की बरु इतनी गरम रहती है कि लगता है कि अभी तरु ं त लंड का
पानी निकल जाएगा।

विनीत के मुंह से अपनी मां के लिए चिंतन भी गंदी बातें सुनकर राहुल का गुस्सा सातवें आसमान पर
पहुंच जा रहा था और वह बार-बार ऊसे पीटते हुए फेक दे रहा था लेकिन वीनीत पर इसका कोई असर
नहीं हो रहा था वह ऐसी गंदी बातें बोल बोल कर राहुल को अंदर से आहत कर रहा था। और राहुल
अपनी मां की गंदी बातें सन
ु -सुनकर अंदर से आहत भी हो रहा था। दोनों कि इस तरह के झगड़े को
दे खकर कुछ विद्यार्थी दोनों को छुड़ाने लगे और दोनों को बोल रहे थे कि तुम दोनों इतने अच्छे दोस्त
होने के बावजूद भी इस तरह से क्यों झगड़ रहे हो क्या बात है । दस
ू रों की बात सुनकर वीनीत हं सते हुए
बोला।

राहुल इन लोगों को बता दो कि अपने दोनों में किस बात को लेकर झगड़ा हो रहा है तू कहे तो बता दं ।ू

राहुल विनीत की यह बात सुनकर अंदर ही अंदर सुलग उठा लेकिन कुछ कहने की हालत में वह बिल्कुल
नहीं था। दोनों को छुड़ाकर सभी लड़के अपनी अपनी क्लास की तरफ जाने लगे। राहुल विनीत को गुस्से
की नज़र से दे ख रहा था और वीनीत भी उसे दे ख कर बेशर्मी मुस्कान मुस्कुरा रहा था। राहुल से
मुस्कुराते हुए बोला।

दे ख रहा हूं तुझे ठीक है समझा रहा हूं वरना दस


ू रे तरीके भी हैं समझाने के। तुझे शायद इस बात का
एहसास नहीं है कि अगर मैं तेरी मां के साथ मेरा क्या संबंध है इस बारे में सारी स्कूल को बता दं ू तो तू
कहीं मुंह दिखाने के काबिल ही नहीं रह जाएगा।

तू ऐसा नहीं कर सकता हरामजादे ( राहुल विनीत को घरू कते हुए बोला।)

मैं ऐसा बिल्कुल कर सकता हूं तेरी मां को पाने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं। ( विनीत के मंह
ु से
इतना सन
ु ते ही वह फिर से वीनीत को मारने के लिए लपका लेकिन विनीत उसे रोकते हुए बोला।)

ना नननननननन....... अब मुझ पर हाथ उठाने की गलती दोबारा मत करना वरना सारे स्टूडेंट अभी इधर
ही है , सब को बुलाकर में बता दं ग
ू ा कि तेरी मां मुझसे चुदवाती है । तब तू ही सोच ले यह खबर जब पूरे
स्कूल में आपकी तरफ से मिलेगी तब सारे स्टूडेंट तुझे कौन सी नजर से दे खेंगे और तु ऊन लोगों से
कैसे नजरें मिला पाएगा।

इसीलिए कहता हूं कि तू मान जा और अपनी मां को भी मना ले बस एक बार बस एक ही बार मझ


ु े मैं
जो चाहता हूं वह मझ
ु े दे दे ऊसके बाद मैं तम
ु लोगों को कभी परे शान नहीं करूंगा।

( विनीत कि यह सब बातें सुनकर राहुल का खून खौल रहा था लेकिन कुछ सोचकर वह रुका रहा विनीत
की बातों ने उसके मुंह पर ताला लगा दिया था उसे इस बात का डर था कि कहीं विनीत सब को बताना
भी कि अस्पताल में उसकी मां और ऊसके बीच में क्या हुआ था। इसी डर की वजह से वह खामोश रहा
अपनी बेज्जती सुनता रहा। विनीत अपने चेहरे पर बेशर्मी वाली मुस्कुराहट लाते हुए राहुल और उसकी मां
के बारे में गंदी गंदी बातें बोले जा रहा था। जिसे सन
ु ने के अलावा राहुल के पास और कोई चारा नहीं
बचा था। )

राहुल अगर अपने आप को अपनी परिवार को बदनामी से बचाना है तो मेरी बात मान जा वरना तू तो
अंजाम जानता ही है एक बार तेरे परिवार की तेरी ओर तेरी मां की इज्जत चली गई तो समाज में रहने
लायक नहीं रह जाओगे। बस एक ही बार की तो बात है इसमें तेरा और तेरी मां का कुछ घिस जाने
वाला नहीं है । ( विनीत राहुल से यह सब बोल ही रहा था कि रिशेष पूरी होने की घंटी बज गई और वहां
जाते जाते राहुल के कान में बोला।)

एक बात कहूं राहुल बरु ा मत मानना तेरी मां की बरु सच में बहुत टाइट है एकदम कसी हुई साली को
चोदने में मजा ही आ जाता है । ( इतना कहने के साथ वह हं सते हुए चला गया और राहुल अपने आप को
अपनी किस्मत को अपनी लाचारी पर कोसते हुए वहीं कुछ दे र खड़ा रहा। इसके बाद वह भी अपने क्लास
मे चला गया उसे इसका आभास हो चक
ु ा था कि विनीत इतनी आसानी से मानने वाला नहीं है । उसे ऐसा
लगा था कि विनीत उसकी धमकी उसके मारपीट से मान जाएगा लेकिन हालात की सोचने के मत
ु ाबिक
कुछ उल्टा ही हो गया था। स्कूल में जब तक छुट्टी नहीं हो रही तब तक वो भी नींद के बारे में ही
सोचता रहा कि कैसे इस मस
ु ीबत से छुटकारा पाया जाए लेकिन उसे भी कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा
था। स्कूल में उसकी मल
ु ाकात नीलू से भी हुई लेकिन आज ऊसे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था,ईसलिए
तबीयत का बहाना बनाकर घर आ गया।

अलका जो कि विनीत के डर से ऑफिस नहीं जा रही थी राहुल के कहने पर आज ऑफिस गई थी , उसे


लग रहा था कि राहुल सब कुछ ठीक कर लेगा लेकिन बाजार में उसकी मल
ु ाकात फिर से वीनीत से हो
गई।

विनीत को दे खते ही फिर से उसके हाथ पांव फूलने लगे उसके मन में फिर से एक बार घबराहट होने
लगी वीनीत कामक
ु मस्
ु कान लिए उसकी ओर बढ़ा और अपने आसपास नगर दौड़ाकर अलका का हाथ
पकड़ लिया अलका उसके हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन वह बड़ी मजबूती से पकड़ा था' और
उसे धमकाते हुए बोला।

क्यों तुम्हें क्या लगा था कि राहुल मुझे समझा लेगा वह सब कुछ ठीक कर दे गा। वह मुझे क्या
समझाएगा मैंने ही उसे अच्छी तरह से समझा दिया हुं।
छोड़ मेरा हाथ मुझे जाने दे ।( अलका अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली।)

मै तझ
ु े अभी भी कहता हूं कि ठीक तरह से मान जा । एक तो पहले ही तन
ू े गलती कर दी अपने बेटे
को बता कर वैसे तो सब कुछ हो जाता हूं और तेरे बेटे को भनक तक नहीं लगती लेकिन अब तो तेरे
बेटे को भी पता चल गया है कि मैं तझ
ु े चोद़ना चाहता हूं। और तू थक हार के मुझसे चुदवाएगी भी।
लेकिन अब तो तेरे बेटे को पता भी चल जाएगा कि तु मुझसे चुदवा कर आ रही है तो सोच तेरे बारे में
वह क्या सोचेगा?

अब दे खना अब तो तझ
ु े तेरा बेटा ही मेरे पास लेकर आएगा( इतना कहने के साथ ही वह अलका का हाथ
छोड़ दिया और हाथ छूटते हतअलका वहां से भाग खड़ी हुई।

घर पर पहुंचते ही बार फिर से राहुल के सामने रोते हुए बोली।

तू तो कह रहा था कि बेटा कि मैं इस मस


ु ीबत से छुटकारा दिला दं ग
ू ा वीनीत को समझा दं ग
ू ा लेकिन
उसने आज फिर से बाजार में मझ
ु े धमकी दिया है । मझ
ु े बहुत डर लग रहा है बेटा वह तेरी बात भी नहीं
माना।

( अपनी मां को रोते और डरा हुआ दे खकर राहुल उसे समझाते हुए बोला।)

मां तुम चिंता मत करो मुझे लगा था कि वह समझाने से मान जाएगा लेकिन मुझे भी लगता है कि अब
ऊंगली टे ढ़ी ही करनी पड़ेगी। वह ऐसे नहीं मानेगा।

लेकिन बेटा मुझे डर लग रहा है कि गुस्से में आकर कहीं तू कुछ उल्टा-सीधा ना कर बैठे।

तुम चिंता मत करो मम्मी मैं तुमसे वादा करता हूं (अपनी मां के कंधे पर हाथ रखते हुए) उससे छुटकारा
दिलाना मेरी जिम्मेदारी है । और हां उससे छुटकारा ही मेरे जन्मदिन की तुम्हारे लिए तोहफा होगा। (
अपने मां के मुड को ठीक करने हे तु वह हं सते हुए बोला।) लेकिन तुम को भी मुझे मेरे जन्मदिन पर
तोहफा दे ना होगा।

कैसा तोहफा? ( अलका आश्चर्य के साथ बोली)


कैसा तोहफा पर इतनी जल्दी भूल गए क्या वहीं मझ
ु े पूरी तरह से खुश करने का।

( अपने बेटे की यह बात सुनकर अलका रोते-रोते हं सने लगी और राहुल के सीने पर धीरे से मुक्का मारते
हुए बोली।)

धत्त ऐसे मौके पर भी तुझे शरारत सुझती है ।

अच्छा मम्मी अब जल्दी से गरमा गरम खाना बना दो मुझे भूख लगी है ।

( खाना खाने के बाद राहुल अपने कमरे में बैठा विनीत से छुटकारा पाने के बारे में ही सोच रहा था।
राहुल अच्छी तरह से समझ गया था कि उससे लड़ाई झगड़ा करके इस मुसीबत से निकला नहीं जा
सकता था बल्कि ऐसा करने पर उसकी ओर उसके परिवार की बदनामी हो सकती थी। आर्थिक स्थिति से
भले ही वह लोग मजबूत ना हो लेकिन अभी भी उनकी इज्जत समाज में बरकरार थी जोकी इन हालात
में वह अपने परिवार की बदनामी होने नहीं दे ना चाहता था। बहुत ही सोच समझकर और संभालकर इन
विकट परिस्थितियों में वह इस मुसीबत का हल ढूंढ रहा था। उसे इस बात का बखूबी ख्याल रखना था
कि जिस परिस्थितियों ं से वह लोग गुजर रहे थे पूनम प्रस्तुतियों ं के बारे में किसी को कानों-कान
भनक भी नहीं लगनी चाहिए थी। वरना उसके परिवार की बदनामी होना निश्चित था।

राहुल के सामने बड़ी ही कठिन परिस्थिति आ चुकी थी। उसकी मां अजीब सी मुसीबत में फंसी हुई थी।
कैसे मैं उसे सिर्फ अपने बेटे का ही सहारा था उस पर ही वह पूरी तरह से विश्वास कर रही थी। राहुल
भी अपनी मां के विश्वास को पूरा करने के लिए एक बार कोशिश कर चुका था लेकिन इस कोशिश से
उसे उल्टा मुंह की खाना पड़ा था। इसलिए वह आगे क्या करना है कैसे करना है इस बारे में रात भर
जागकर सोचता रहा। उसे विनीत के हाथों अपनी मां की इज्जत बचानीे थी, जो कि अब वह उसे अपनी
प्रेमिका के रूप में ही दे खा करता था। उसे अपनी मां के साथ साथ अपनी प्रेमिका की भी इज्जत बचाना
था। विनीत उसकी मां को और उसे ब्लैकमेल कर रहा था। इसलिए सारी रात जागकर राहुल में भी यह
फैसला कर लिया कि विनीत के ही हथियार से वह विनीत को मारे गा।

सुबह नहा धोकर नाश्ता करके स्कुल के लिए तैयार हो गया। अलका राहुल से ऑफिस जाने के लिए पूछा
तो वह अपनी मां को हं सते हुए बोला।

मम्मी तुम ऑफिस बेफिक्र होकर जाओ मैं तुम्हें इस मुसीबत से छुटकारा दिला दं ग
ू ा।( और क्या कर जाती
राहुल अपनी मां की गुलाबी होठ पर अपने होठों पर चूम लिया और स्कूल के लिए चला गया। लेकिन
वह स्कूल नहीं गया था बल्कि इधर-उधर घूमता रहा ओर।करीब 20 मिनट बाद आज वह पहली बार खुद
विनीत की भाभी को फोन लगाया।

सामने फोन रिसीव करके विनीत की भाभीी बोली।

अरे वाह आज क्या बात है आज तुम सामने से फोन कर रहे हो।

क्या करूं भाभी बहुत दिन हो गए थे इसलिए मेरा आज बहुत मन कर रहा था तुम्हारी याद भी मुझे
बहुत आ रही थी इसलिए तुम्हें सामने से कॉल करना पड़ा और तुम तो अब फोन ही नहीं करती हो।

नहीं राहुल ऐसी बात नहीं है मैं भी तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही हुं। विनीत के भैया घर पर ही थे
इसलिए मैं तुम्हें फोन नहीं कर सकी। लेकिन तुमने अच्छे समय पर फोन किया है कल रात को ही
विनीत भैया बिजनेस के सिलसिले में बाहर चले गए। एक काम करो तुम मेरे घर पर चले अाओ विनीत
के आने तक हम दोनों मजे कर लेंगे।

आज दिन की छुट्टी के बाद घर नहीं आएगा वह शाम तक ही लौटे गा क्योंकि उसे कहीं बाहर घम
ू ने जाना
है ।

वाह तब तो अच्छा है आज दिन भर हम दोनों एस करें गे

लेकिन भाभी मुझे कुछ पैसों की जरूरत है ।

कोई बात नहीं ले लेना तुम सिर्फ घर पर आओ तो सही। जल्दी आना।( इतना कहकर वीनीत की भाभी ने
फोन काट दी और राहुल वहीं खड़ा मुस्कुराने ं लगा क्योंकि यह उसके प्लान का पहला चरण था।)

राहुल खुश था क्योंकि उसके प्लान का पहला चरण सफल हो चुका था वह आज जानबूझकर स्कूल नहीं
गया था। राहुल अपनी मां को तोहफे में वीनीत से छुटकारा दे ना चाहता था। राहुल के लिए अब उसकी
मां ही सब कुछ थी क्योंकि राहुल खुद अपनी मां की खूबसूरती का दीवाना हो चुका था अपनी मां के
आगे उसे कोई भी औरत पानी भर्ती नजर आती थी। इसलिए वह नहीं चाहता था कि उसकी मां किसी
और के भी साथ उस तरह के संबंध रखें जिस तरह के संबंध ऊसके साथ थै। इतना कुछ हो जानें के बाद
भी राहुल के लिए सुकून वाली बात यह थी कि विनीत से जो उसकी मां के संबंध स्थापित हो चुके थे वह
एक हादसा था उसके बाद से वह वीनीत से नफरत करने लगी थी। राहुल के लिए अच्छी बात यह भी थी
कि पहले से ही उसकी मां ने राहुल के साथ शारीरिक संबंध बना लिए थे और दोनों के बीच की सारी
मर्यादाएं टूट चुकी थी। इसलिए अलका की जरूरत, सारी जिस्मानी चाहते राहुल से ही पूरी होने लगी थी
इसलिए उसे बाहर किसी और का सहारा लेना नहीं पड़ता था। राहुल यह भी अच्छी तरह से जानता था
कि ऊसकी मां बेहद खूबसूरत और भरे हुए बदन की मालकिन है जिस की तरफ कोई भी मर्द ललचाई
आंखों से हमेशा घूरता रहता है । अगर वह खुद अपनी मां को चोदकर उसे शारीरिक सुख नहीं दे ता तो
जरूर वीनीत के साथ जो संबंध मजबूरी में बन गए थे वह संबंध आगे चलकर और भी ज्यादा मजबूत
होते जाते। इसलिए घर में ही शारीरिक सुख भोगने की सुविधा उपलब्ध होने की वजह से अलका विनीत
के साथ संबंधों को आगे बढ़ाना नहीं चाहती थी। विनीत के साथ उस संबंध को लेकर वह इस समय
पीड़ादायक जिंदगी जी रही थी। जिससे राहुल को अपनी मां को ऊबारना था।

इसके लिए राहुल को बहुत ही सोच समझकर बड़ी चालाकी से कदम आगे बढ़ाना था जिसमें वह अपना
एक कदम बढ़ा भी चुका था।

कुछ दे र बाद राहुल विनीत के घर के बाहर खड़ा था दरवाजे पर पहुंचते ही वह डोर बेल बजा दिया। कुछ
सेकंड बाद ही दरवाजा खुला तो सामने का नजारा दे खकर राहुल का बदन उत्तेजना में झनझना गया।
विनीत की भाभी एकदम तैयार होकर खड़ी थी पीली साड़ी में उसका गोरा बदन सोने की तरह चमक रहा
था चेहरे पर शर्मो हया की लाली साफ नजर आ रही थी गीले बालों मे से आती मादक खुशबू वातावरण
को उन्मादित कर रही थी। राहुल की नजर पूरे बदन से ऊपर से नीचे तक गुजरते हुए उसकी छातियों पर
ही टिक गई, क्योंकि लो कट ब्लाउज के उसके आधे से भी ज्यादा चूचियां बाहर को झांक रही थी। जिसके
बीच की पतली दरार बड़ी ही मोहक उत्तेजनात्मक लग रही थी।

राहुल तो बुत बना उसकी खूबसूरती और उसके काम के भजन को दे खता ही रह गया राहुल को तो
विनीत की भाभी पहले से ही खूबसूरत और सेक्सी लगती थी लेकिन आज की बात कुछ और थी आज
वह कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी उसके बदन से एक अजीब सी मादक खुशबू रही थी जो राहुल
के नथुनों से होकर के उसके सीने में अजीब सी हरकत पैदा कर रही थी। राहुल के लंड में तनाव की
स्थिति पैदा होने लगी थी विनीत की भाभी राहुल के मनोस्थिति को अच्छी तरह से भांप चुकी थी। वह
राहुल की स्थिति को दे खकर हं सते हुए बोली।

क्या हुआ राहुल ऐसे क्यों दे ख रहे हो क्या पहले मुझे नहीं दे खे हो क्या और अंदर आ जाओ कि ऐसे ही
दरवाजे पर सिर्फ खड़े रहोगे।

( उसकी बात सुनते ही जैसे वह नींद से जगा हो इस तरह से हड़बड़ाते हुए बोला।)

ककककक..... कुछ नहीं भाभी आज तो तुम वाकई में आसमान से उतरी कोई परी लग रही हो।
चल अब बातें मत बना। अब अंदर आ जा। ( राहुल कमरे में प्रवेश करते हुए दरवाजे को बंद किया
लेकिन उसे हल्का सा खुला ही रहने दिया विनीत की बाकी दो चार कदम उससे आगे ही थी इसलिए उसे
कुछ पता नहीं चला। वीनीत की भाभी सीधे अपने कमरे की तरफ जाने लगी और राहुल को भी पीछे
पीछे आने को बोली राहुल विनीत की भाभी की लटकती हुई गांड को दे खते-दे खते उसके पीछे जाने लगा।
राहुल को विनीत की भाभी का भी आकर्षण खूब था उसकी बड़ी बड़ी चुचीयां ऊसे खुब भाती थी। वीनीत
की भाभी अपने कमरे में प्रवेश कर गई और पीछे पीछे राहुल भी कमरे में घुस गया कमरे में घुसते ही
विनीत की भाभी ने ड्रोवर खोलकर उस में से एक नोटों की गड्डी निकाली और उसे विनीत को थमाते
हुए बोली ।

यह लो राहुल इसे रख लो बार-बार पैसा दे ना मझ


ु े अच्छा नहीं लगता बार-बार पैसा दे ने से ऐसा लगता है
कि जैसे मैं कोई धंधा कर रही हूं । (इतना कहकर वह हं सने लगी, विनीत तो सौ सौ के नोटों की गड्डी
दे खकर चौंक गया। जितना वीनीत की भाभी दे रही थी वह इतना पैसा नहीं मांगा था लेकिन विनीत की
भाभी उसे बिना मांगे ही दे रही थी , इसलिए वह पैसा लेने में हिचकिचा रहा था। विनीत की भाभी उसकी
हिचकिचाहट को जान गई और उसकी हिचकिचाहट को दरू करते हुए बोली।

रख लो राहुल या मैं तुम्हें ऐसे ही नहीं दे रही हूं बल्कि यह तो तुम्हारे मेहनत के पैसे हैं।

भाभी आप बहुत अच्छी हो( उसके हाथ से पैसे को थामते हुए राहुलबोला।)

तभी अचानक विनीत की भाभी के कंधे से उसका आंचल नीचे लुढ़क गया, जिससे उसकी बड़ी बड़ी
छातियों राहुल की आंखों के सामने उजागर हो गई जिसकी विशालता को दे खकर राहुल की आंखें फटी की
फटी रह गई। ऐसा नहीं था कि राहुल विनीत की भाभी की खुली छातियों को पहली बार दे ख रहा हूं
इससे पहले भी वह बहुत बार दे ख चुका था। लेकिन कुछ दिनों से उसकी नज़रों ने ऐसे नजारे बिल्कुल
भी नहीं दे ख पाए थे। या यूं कह दो कि राहुल को अपनी आंखें सीखने का बिल्कुल भी मौका नहीं मिला
था। इसलिए तो आज विनीत की भाभी की विशाल छातीयों को दे ख कर उसकी आंखों में चुदास की
चमक साफ साफ नजर आने लगी। उसका चेहरा दे ख कर विनीत की भाभी के चेहरे पर मुस्कान फैल
गई। वह अपने आंचल को फिर से कंधे पर डालते हुए मुस्कुरा कर बोली।

तुम तो बहुत जल्दी गर्म हो जाते हो।


क्या करूं भाभी तुम्हें दे खते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है । ( इतना कहने के साथ ही वह आगे बढ़कर
विनीत की भाभी को अपनी बाहों में भरने लगा था कि तभी वीनीत की भाभी पीछे हटते हुए बोली।)

अरे इतनी भी क्या जल्दी है मेरी जान अपने पास तो अभी बहुत समय है इस लिए थोड़ा सब्र करो। (
लेकिन शायद राहुल के लिए सब्र करना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था क्योंकि कुछ दिनों से उसकी भी
जिस्मानी भूख बढ़ चुकी थी। कुछ दिनों से उसके लंड ने बुर का स्वाद नहीं चखा था। इसलिए उसकी
कदर नहीं हुआ और वह आगे बढ़ कर जबरदस्ती मिनट की भाभी को अपनी बाहों में भर लिया और उसे
अपनी बाहों में भरे हुए ही नीचे की तरफ झुकते हुए ऊसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ब्लाउज के
बटन को खोलते हुए बोला।)

क्या करूं मेरी जान मुझसे भी कंट्रोल नहीं हो रहा है तुम्हें दे खते ही मुझे ना जाने क्या होने लगता है
तुम्हारी बड़ी बड़ी चूचियां मुझे पागल कर दे ती है । (इतना कहने के साथ ही वह झट से ब्लाउज का
आखरी बटन भी खोल दिया , विनीत की भाभी राहुल की इस हरकत से और उसकी जल्दबाजी को दे ख
कर खिल खिलाकर हसने लगी थी। राहुल का ऊतावलापन दे ख कर उसे भी अच्छा लग रहा था। ब्लाउज
के खुलते ही ब्लैक रं ग की ब्रा जिसमें विनीत की भाभी की बड़ी बड़ी चूचियां बड़ी मुश्किल से समा रही
थी, उसे ब्रा के ऊपर से ही पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा। आज राहुल विनीत की भाभी का पूरी तरह
से मजा लेने के मूड में था। आज वह वीनीत की भाभी को एकदम से मस्त कर दे ना चाहता था। और
आज यही सोच कर वह इधर आया भी था। बड़ी बड़ी चुचियों को ब्रा के ऊपर से मसलने में उसे उतना
मजा नहीं आ रहा था, इसलिए वह नीचे से ब्रा को पकड़कर ऊपर की तरफ खींच दिया जिससे विनीत की
भाभी की दोनो चुचीयां आजाद हो गई। चूची के दधि
ू या रं ग को दे खकर राहुल एक दम से पागल हो गया
और वह अपनी हथेली में दोनो चुचियों को भरते हुए अपने होंठ को विनीत की भाभी के गुलाबी होठ पर
रख दिया। अपने होंठ पर राहुल के होंठ का स्पर्श होते ही वीनीत की भाभी उत्तेजना से भर गई उसका
पूरा बदन अजीब के सुख की अनुभूति करके गंनगना गया। राहुल पागलों की तरह विनीत की भाभी के
दोनो चुचियों को अपने दोनों हथेली में भरकर दबाते हुए उसके गुलाबी होठों का रस चूस रहा था। राहुल
कामोतेजना से भर चुका था। वीनीत की भाभी भी राहुल की इस हरकत से उत्तेजित हो चुकी थी उसका
चेहरा सुर्ख लाल होने लगा था।

राहुल उसके गुलाबी होठों को चुसता हुआ एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ सरका
ने लगा कि तभी विनीत की भाभी ने उसका हाथ पकड़ते हुए बोली।

ओहहहह राहुल तन
ू े मझ
ु े एकदम चद
ु वासी कर दिया है ।
लेकिन अभी थोड़ा सब्र कर मुझे बहुत जोरों से पेशाब लगी है मुझे बाथरुम जाना है । ( वह राहुल को
रोकते हुए बोली। विनीत की भाभी के मुंह से पेशाब करने वाली बात सुनकर राहुल का लंड ठुनकी मारने
लगा। वह भी बड़े ही उत्तेजनात्मक स्वर में बोला।)

भाभी मुझे भी पेशाब लगी है चलो मैं भी चलता हूं।

राहुल के भी साथ चलने की बात से विनीत की भाभी के लिए उत्सुक का बढ़ गई साथ में पेशाब करने
की बात को सोचकर ही उत्तेजना के मारे उसकी बुर फुलने पिचकने लगी। विनीत की भाभी के इनकार
करने का सवाल ही नहीं उठता था क्योंकि उसके बदन में भी पेशाब करने वाली बात से रोमांच उठ रहा
था। विनीत की भाभी उत्तेजना से भर चुकी थी इसके लिए उसके होंठों से एक भी शब्द निकल नहीं पाई
और वह बस रूम से आते है बाथरूम का दरवाजा खोलकर बाथरूम में घुस गई और उसके पीछे पीछे
राहुल भी बाथरुम का दरवाजा बंद करने की कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि घर में वह दोनों के सिवा
तीसरा कोई नहीं था। विनीत की भाभी बड़ी ही कामुक महिला थे इसलिए निसंकोच होकर वहां खड़ी हो
गई राहुल की तो हालत खराब हो रही थी विनीत की भाभी जी कहां से खरीदे बहुत ही उत्तेजनात्मक
तरीके से खड़ी थी। वीनीत की भाभी एकदम सीधी खड़ी थी और उसने अपनी छातियों वाला भाग आगे
की तरफ निकाली हुई थी और कमर के नीचे का संपूर्ण नितंब वाला भाग बाहर की तरफ उभार कर खड़ी
थी। उसका ब्लाउज का बटन खुला होने से और ब्रा ऊपर की तरफ खींची होने की वजह से उसकी बड़ी
बड़ी और नुकीली चुचीया साफ नजर आ रही थी।

भरावदार गांड अपने उन्मादक रं ग में राहुल को पूरी तरह से रं ग रही थी। राहुल उत्तेजना से सराबोर हो
चुका था उसके पैंट में तंबू तन चुका था। विनीत की भाभी धीरे से अपने दोनों हाथों से जांघों की तरफ
से साड़ी को पकड़ी और कामुक नजरों से राहुल की तरफ दे खते हुए धीरे -धीरे साड़ी को ऊपर की तरफ
सरकाने लगी। साड़ी ऊपर की तरफ सरकाने की अदा बड़ी ही कातील थी जिसे दे खकर राहुल से रहा नही
जा रहा था। वह पें ट के ऊपर से ही अपने खड़े लंड को सहलाने लगा उसको अपना लंड सहलाते हुए
विनीत की भाभी बखूबी दे ख रही थी। धीरे धीरे विनीत की भाभी ने अपनी साड़ी को घुटनों तक उठा दे
गोरी गोरी टांगे दे ख कर राहुल के लंड अंगड़ाई लेना शुरु कर दिया था।

दोनों के बीच कोई भी वार्तालाप नहीं हो रही थी बस दोनों एक दस


ू रे को दे खकर उत्तेजित हुए जा रहे थे,
राहुल की हालत पल पल खराब हो रही थी। कुछ दिनों से जिस्मानी तौर पर वह भूखा था औरत का
बदन स्पर्श करने तक को उसे नहीं मिला था। इसलिए इतना ज्यादा उत्तेजित होना उसके लिए
स्वाभाविक था। अगले ही पल विनीत की भाभी ने अपनी साड़ी को धीरे धीरे करके परू ी तरह से कमर
तक उठा दी , कमर के नीचे का भाग संपूर्ण रूप से नग्न हो चुका था ,केवल पैंटी ही थी जो की ऊसकी
नग्नता को कुछ हद तक ढं के हुए थी ।
कुछ हद तक क्या पें टिग
ं के अंदर ही तो दनि
ु या का सबसे बेशकीमती खजाना छिपा हुआ था। जिसे
विनीत की भाभी ने दे खते ही दे खते उसे भी अपनी जांघो तक सरका दी। ऊफ्फफफ...... क्या नजारा दे खने
को मिल रहा था। राहुल को यह नजारा दे ख कर इस बात का डर लग रहा था कि कहीं उसका लंड पानी
ना छोड़ दे । विनीत की भाभी की भरावदार गोरी गोरी गांड गजब का कहर ढा रही थी। विनीत की भाभी
अच्छी तरह से जान रही थी कि इस वक्त राहुल के ऊपर क्या बीत रही थी राहुल उत्तेजना के परम
शिखर तक पहुंच चुका था।

डिलीट की भाभी राहुल की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाते हुए एक हाथ से साड़ी को पकड़कर दस
ू रे हाथ
की हथेली को अपनी बरु पर रखकर उसे मसलने लगीं यह दे खकर राहुल के मुंह से सिसकारी छूट गई।

विनीत की भाभी एक हाथ से अपनी बरु को मसलते हुए बोली ।

ओहहहहह राहुल मझ
ु े बहुत जोरो से पिसाब लगी है ।( विनीत की भाभी मादक स्वर में बोली।)

ओ मेरी प्यारी भाभी ( लंड को मसलते हुए) तो मुतो ना मे भी तो तड़प रहा हुं तुम्हें पेशाब करते हुए
दे खने के लिए।

सच

हां भाभी कसम से तुम्हें पेशाब करते हुए दे खकर मुझे ना जाने क्या होने लगता है मेरे बदन में
झनझनाहट सी फैल जाती है ।

लेकिन तन
ू े कब मुझे पेशाब करते हुए दे खा है ? ( बरु को मसलते हुए बोली।)

भाभी पहली बार जब तम


ु मझ
ु से चद
ु वाई थी और बाथरूम में जाकर पेशाब कर रही थी तब शायद तम
ु ने
दरवाजा बंद करना भल
ू गई थी और मैंने तम्
ु हें पेशाब करते हुए दे ख लिया था। सच कहूं तो भाभी
तम्
ु हारी बड़ी-बड़ी गांड और तम्
ु हारी बरु सें सीटी की आवाज को सन
ु कर तो ऐसा लगने लगता है की
तम्
ु हारी बरु में लंड डाले बिना ही पानी निकल जाएगा।
तू बहुत शरारती है मुझे पता भी नहीं चला कि तु मुझे पेशाब करते हुए दे ख रहा है । ( वीनीत की भाभी
उसी तरह से अपनी बरु को मसलते हुए बोली, और फिर अपनी गांड को बाहर की तरफ थोड़ा और ज्यादा
उभारते हुए पेशाब करने के लिए नीचे बैठने लगी । राहुल उसे बड़ी ही उत्सुकता से दे ख रहा था उसे पता
था कि कुछ ही दे र में भूल से निकलने वाली बांसुरी से भी मधुर सीटी की आवाज उसके कानों में पड़ने
वाली है इसलिए उसके बारे में सोचकर ही उसके बदन में रोमांच सा फेल रहा था। राहुल के दे खते ही
दे खते वह नीचे बैठ गई उसकी सारी कमर तक उठी हुई थी।जिससे उसकी भरपरू गांड परू ी तरह से नज़र
आ रही थी । तभी कुछ सेकंड बाद ही राहुल के कानों में बरु से निकल रही पेशाब के साथ मधुर सीटी
की आवाज भी सुनाई दे ने लगी। बुर से आ रही सीटी की आवाज को सुनकर राहुल का रोम-रोम झनझना
ऊठा। भाभी की बरु से निकल रही पेशाब की तेज धार राहुल को साफ साफ नजर आ रही थी जोकि
सामने की दीवार में लगी टाइल्स पर ठोकरे लगा रही थी । विनीत की भाभी भी उत्तेजना के भरोसे तेरे
वह राहुल को दे खते हुए कामोत्तेजित होकर अपने दांतो से ही अपने गुलाबी होठों को काट रही थी। राहुल
तो यह नजारा दे ख कर एक दम से पागल हो गया था ऐसा नहीं था कि किसी औरत को पेशाब करते
हुए वह पहली बार दे ख रहा हो, इससे पहले भी उसने पेशाब करते हुए औरतों को दे ख चुका था पहली बार
इस नजारे का दर्शन नीलू ने हीं करवाई थी। जिसे दे ख कर पहली बार उसके मन में कामवासना जागी
थी और फिर अपनी मां को भी पेशाब करते हुए नग्नावस्था में दे ख चुका था जिसने उसके दिलो दीमाग
मे काम का ऐसा पर चढ़ाया की अब तक नहीं उतर रहा है विनीत की भाभी को तो वह दे ख ही चुका था
और दोबारा दे खकर कामोत्तेजित हो चुका था।

उसके पैंट में अच्छा खासा तंबू बन चुका था जिस पर विनीत की भाभी की बरा बर नज़र बैठी हुई थी।
बुर से सीटी की आवाज लगातार आ रही थी राहुल से रहा नहीं गया और उसने अपनी जेब से मोबाइल
निकाला और दिनेश की भाभी को पेशाब करते हुए रिकॉर्ड करने लगा यह दे ख कर वीनीत की भांभी
पेशाब करते हुए बोली।

यह क्या कर रहा है राहुल ऐसा मत कर एैसे भी कोई रिकॉर्ड करता है क्या?

करने दो ना भाभी तुमसे एक पल भी मैं अगर दरू रहता हूं तो मुझसे रहा नहीं जाता है और वह तुम्हारा
ही ख्याल आता है अगर ऐसा नजारा मेरे पास रहे गा तो मेरा मन तड़पेगा नहीं बल्कि तुम्हारे इस नजारे
को दे ख कर मैं खुद ही अपने लंड को हिलाकर पानी निकाल दं ग
ू ा।( राहुल रिकॉर्ड करते हुए बोला और एक
हाथ से खुद ही अपने पें ट की बटन खोलने लगा। राहुल की यह बात सुनकर वह मुस्कुराने लगी और
मुस्कुराते हुए बोली।)
तू बहुत बदमाश है ला इधर ला मैं तेरी पें ट की बटन खोल दं ।ु ( इतना कहने के साथ ही राहुल विनीत
की भाभी के करीब आ गया और दिनेश की भाभी अपने नाजुक नाजुक उं गलियों का सहारा लेकर राहुल
की पें ट के बटन को खोलने लगे और अगले ही पल फुर्ती दिखाते हुए विनीत की भाभी ने पें ट के बटन
को खोलकर तुरंत उसे घुटनों तक सरका दी। टनटनाया हुआ लंड दे खकर ऊसकी बरु मे मदन रस भर
गया। वीनीत की भाभी भी कुछ दिनों से प्यासी थी। उससे दे खा नहीं गया और उसने तरु ं त लंड को पकड़
कर हिलाने लगी यह दे खकर राहुल की भी उत्तेजना बढ़ गई और वह सारे नजारे को अपने मोबाइल में
कैद करने लगा बड़ा ही मोहक दृश्य लग रहा था। वीनीत की भाभी लगातार पेशाब किए जा रही थी।
तभी राहुल के दिमाग में कुछ सुझा ओर वह रिकॉर्ड करते हुए बोला।

भाभी जल्दी से खड़ी हो जाओ।( राहुल इतनी उत्साहजनक है शब्दों में बोला था कि विनीत की भाभी को
कुछ पता ही नहीं चला और वह पूछते हुए बोली।)

क्यों क्या हुआ?

अरे पहले खड़ी तो हो जाओ मैं बताता हूं ना।

रुक जाओ परू ी तरह से पेशाब कर लूं।

नहीं नहीं भाभी पेशाब मत करो रोक के रखो मैं बताता हूं तुम्हें क्या करना है ।

( राहुल की यह बात भी नहीं की भाभी के तो पहले ही नहीं पड़ रही थी कि आखिर वह करना क्या
चाहता है लेकिन फिर भी थक हारकर वह खड़ी होने लगी तो वह फिर से बीच में बोल पड़ा।)

एैसे नही भाभी साड़ी को ऊठाए ही रहो।

( वीनीत की भाभी को राहुल की बातें बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही थी लेकिन फिर भी वह खड़ी हो
गई। और राहुल यह खाते में मोबाइल लिए सारे नजारे को कैद करता हुआ दस
ू रे हाथ से अपने लंड को
पकड़ कर मुठीयाते हुए बोला।)

अोहहहहहह....भाभी,ईस तरह से साड़ी ऊठाए हुए कीतनी सेक्सी लगती हो।

( राहुल की बात सुनते ही वह मुस्कुराने लगी ओर बोली )

यह सब छोड़ो अब करना क्या है ?

कुछ नहीं भाभी बस अब तुम अपने पेशाब की धार मेरे लंड पर मारो।
( राहुल की यह बात सुनते ही विनीत की भांभी का बदन उत्तेजना से भर गया उसे यकीन नहीं हो रहा
था कि राहुल यह बात कह रहा है । लेकिन जो उसके कानो ने सुना उसे सुनते ही वीनीत की भाभी की
उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच गई। वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही राहुल फिर बोला।

दे र मत करो भाभी अब जल्दी से मेरे लंड के ऊपर मूतना शुरू कर दो।

( वीनीत की भाभी तो उत्तेजना में सरो बोर हो चुकी थी उसकी बुर फूलने पिचकने लगी थी। और उसने
थोड़ा सा राहुल की तरफ घुमकर अपनी बुर के गुलाबी पत्तियों के बीच से पेशाब की तेज धार राहुल के
लंड पर मारने लगी । बुर से निकलती हुई पेशाब की तेज धार राहुल के लंड पर पड़ रही थी तो राहुल से
भी रहा नही गया और वह भी मुतना शुरु कर दीया। एक साथ दोनों पेशाब कर रहे थे। विनीत के भाभी
को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जोभी वह कर रही थी वैसा करने में उसे बेहद आनंद की
प्राप्ति हो रही थी।रहरहकर उसका बदन झनझन इस बात पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि
वह राहुल के खड़े लंड पर पेशाब कर रही हे

और राहुल यही चाहता भी था वह आज विनीत की भाभी के साथ खूब मस्ती करना चाहता था और उसे
दिल बेहद मस्ती दे ना चाहता था जिसमें वह कामयाब भी होता जा रहा था। विनीत की भाभी तो आज
एक नए सुख का अनुभव कर रही थी। वह उत्तेजना के मारे पेशाब करती हुए ही अपनी बरु को हथेली से
मसल रही थी। राहुल भी कम उत्तेजना का एहसास नहीं कर रहा था बल्कि उसे भी बहुत ज्यादा
उत्तेजना का एहसास हो रहा था। भाभी के पेशाब की तेजधार लंड पर पड़ते ही उसे ऐसा लगने लगा था
कि उसके लंड की लंबाई और मोटाई कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी। इसलिए तो उसे और ज्यादा मजा आ
रहा था।

ओहहहह ....भाभी बहुत मजा आ रहा है ।

सससससससहहहह..आहहहहहहहहह.....राहुल मझ
ु े भी बहुत मजा आ रहा है मैंने आज तक ऐसा
आनंददायक अनुभव नहीं ली हुं। ( वीनीत की भाभी सिसकारी लेते हुए बोली। मजा दोनों को बेहद आ रहा
था राहुल पूरे दृश्य की रिकॉर्डिंग अपने मोबाइल में कर रहा था। दोनों यही सोच रहे थे कि कुछ दे र तक
और पेशाब की धार चलती रहे ैं लेकिन पेशाब थी तो खत्म तो होना ही था। आखिरकार दोनों पेशाब कर
चुके थे।

राहुल विनीत की भाभी से पहले ही बॉथरुम से बाहर आ गया। और बाहर आते ही सबसे पहले उसने
हल्का सा खिड़की को खोल दिया ।
राहुल अपना प्लान आगे बढ़ा रहा था खिड़की को हल्की सी खोल दे ने के बाद वह तरु ं त आकर बेड पर
बैठ गया तब तक विनीत की भाभी भी बाथरुम से बाहर आ गई उसके चेहरे पर संतुष्टि भरी मूत्रत्याग
का सुखद एहसास साफ साफ नजर आ रहा था। आज से पहले उसने कभी भी इस तरह से रोमांच से
भरा हुआ मूत्रत्याग नहीं की थी।

बाथरुम से बाहर आ करके अपनी कमर पर हाथ रख कर वह राहुल की तरफ दे खने लगी जोकि अपना
शर्ट के बटन को खोल रहा था। वीनीत की भाभी कि दोनों चूचियां अभी भी नंगी थी। बड़ी ही कामुक
अदा लग रही थी वीनीत की भाभी की । राहुल अपनी शर्ट को उतार चुका था अपनी पैंट को भी उतारता
इससे पहले ही वह विनीत की भाभी के छातियों के उतार चढ़ाव को दे खकर उत्तेजित हो गया और उससे
रहा नहीं गया, वह पलंग पर से उठा और उठते ही सीधे एक हाथ विनीत की भाभी की कमर में डालकर
अपने बदन से सटाते हुए अपने मुंह को उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों पर टिका दिया।

विनीत की भाभी राहुल की इस हरकत पर भी एकदम से गनंगना गई, उसे यह महसूस होने लगा था कि
राहुल आज कुछ ज्यादा ही उसे अपना दीवाना बनाए जा रहा था क्योंकि हर एक अदा में वह विनीत की
भाभी को पूरी तरह से उत्तेजित कर दे रहा था।

राहुल तो पागलों की तरह उसकी चूचियों को पीना शुरु कर दिया, कभी वह दांई चुची को पकड़ता तो कभी
बांई तो कभी उसकी तनी हुई निप्पल को दांतो से दबाकर खींचता। राहुल एकदम पागलों की तरह हरकत
कर रहा था और इन हरकत में विनीत की भाभी को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। वह भी राहुल के
सिर को पकड़कर अपनी चुचियों पर ही दबाने लगती तो कभी उसकी पीठ पर अपनी हथेली को मसलती।
दोनों वासना की आग में तपने लगे थे दोनों के जिस्म में चुदास की लहर बढ़ती जा रही थी। इसे रोक
पाना दोनों के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था । राहुल ने विनीत की भाभी की बड़ी बड़ी चुचियों को
चूस चूस कर कश्मीरी सेव की तरह लाल कर दिया था और इस चुची चुसाई में राहुल के साथ साथ
विनीत की भाभी को बहुत मजा आ रहा था उसके मुंह से लगातार गरम सिसकारी निकल रही थी।

ससससहहहहहह....आहहहहहहहह....ऊहहहहहहहह...राहुल...ऊमममममम.... बहुत मस्ती के साथ चुसता है रे


तू,स्स्सहहहहहहहहह.... पागल कर दिया है रे तन
ू े। तु जैसे चूस रहा है उस तरह से आज तक किसी ने
नही चुसा। ऊफ्फ्फ .... ऐसा लगता है कि तेरी चुसाई से मेरी चूचियां और ज्यादा बड़ी हो गई है । बस ऐसे
ही दबा दबा कर चूसता रहे । आाहहहहहहहह.....राहुल....ऊममममममम......

( विनीत की भाभी गरम पिचकारी लेते हुए अपने हिसाब से अपने गुलाबी होंठ को कांटे जा रही थी और
राहुल को अपनी मस्त बातों के द्वारा उकसाए जा रहे थी । राहुल तो पहले से ही विनीत की भाभी की
खूबसूरती और उसकी बड़ी बड़ी चूचियां दे खते ही मस्त हो चुका था और उन चूचियों को मुंह में भर कर
पीते हुए ऊसकी संगेमरमरी समान चिकनी पीठ से लेकर परु े बदन पर अपनी हथेली फीराकर आनंद
लेनेलगा। धीरे -धीरे उसकी हथेली नीचे की तरफ बढ़ने लगी और उसने विनीत की भाभी की साड़ी को
हथेली से पकड़कर ऊपर की तरफ सरकाने लगा। राहुल का सब्र का बांध टूटता जा रहा था और तोड़ता
भी क्यों नहीं आखिरकार कुछ दिनों से कुछ करने का मोका जो नहीं मिला था और जब आज मौका
मिला था तो इस मौके का पूरी तरह से वह फायदा उठाना चाहता था। विनीत की भाभी की मस्ती सातवें
आसमान तक पहुंच चुकी थी उसकी गर्म गर्म सांसे सिस्कारियों के साथ पूरे कमरे में गूंज रही थी।

राहुल धीरे -धीरे करके उसकी साड़ी को कमर पर फिर से उठा दिया और सारी को उठाते हैं अपने हाथ को
उसकी पैंटी में डाल कर, बरु पर रख दिया, बुर पर हथेली पड़ते ही राहुल के मुंह से आहहहहह निकल गई
क्योंकि मारे उत्तेजना के उसकीे बरु गरम रोटी की तरह फूल चुकी थी और उसमें से मदनदास धीरे -धीरे

करके रिस रहा था। राहुल बरु की फांकों के बीच अपनी बीच वाली उं गली को ऊपर से नीचे तक रगडने
लगा। जिससे वीनीत कीे भाभी का पूरा बदन कसमसाने लगा। उसके बदन में अजीब से सुख की अनुभूति
लगातार हो रही थी।

राहुल था कि अपनी हथेलियों को लगातार गुलाबी फांकों के ऊपर रगड़े जा रहा था। विनीत की भाभी की
उत्तेजना उस समय और ज्यादा बढ़ जाती एकदम से मचल उठती जब राहुल अपनी उं गलियों के बीच में
बुर के गुलाबी पत्ती वाला हिस्सा दबाकर बाहर की तरफ खींचता। दोनों आनंद के सागर में गोते लगा रहे
थे बंद कमरे के अंदर दोनों वासना का खेल खेल रहे थे।

विनीत की भाभी भी कुछ दिनों से बहुत प्यासी थी और वैसे भी वह एक अति कामुक और प्यासी महिला
थी,

जो अपनी प्यास बझ
ु ाने के लिए न जाने कितने मर्दों का सहारा ले चुकी थी अपने ही दे वर के साथ उसके
जिस्मानी ताल्लुकात थे और अब जाकर के विनीत के ही मित्र राहुल के साथ उसकी घने संबंध बन चुके
थे।

विनीत की भाभीी कभी भी अपने पति से परू ी तरह से संतुष्ट नहीं हो सकी। पूरी तरह से उसे संतुष्टि
अब राहुल ही दे रहा था। तभी तो राहुल को भी नाराज नहीं करना चाहती थी इसीलिए उसे आए दिन
पैसे दिया करती थी और आज तो एक साथ सौ सौ के नोटों की गड्डी थमा दी

इतने सारे पैसे राहुल पहली बार ही दे खी दे ख रहा था। इसलिए पैसे को ले करके भी उसके शरीर में
अजीब सी उत्तेजना बनी हुई थी। इसलिए तो वह वीनीत की भाभी को पूरी मस्ती दे करके उसे मस्त
किए हुए था।

राहुल चुचियों को चूसते चूसते उन्हें एकदम लाल कर दिया था। गोलियों को दबा दबा कर रहा हूं अंदर ही
अंदर कामोत्तेजना से भरा जा रहा था। विनीत की भाभी भी उत्तेजना से कसमसाते हुए राहुल को अपने
सीने से भींच ले रही थी। विनीत की भाभी अर्धनग्न अवस्था में और भी ज्यादा कामुक लग रही थी।
ओहहहहहह..... भाभी तुम्हारा खूबसूरत बदन ऐसा लगता है कि मैं किसी गुलाब के फूल को अपनी बाहों में
कसा हुआ हूं।

ससससससहहहहह..... राहुल तेरे साथ मत बोलो वरना ख़ुशी के मारे मैं तुम्हारी बाहों में ही पिघल जाऊंगी।

तो पिघल जाओ ना भाभी मना किसने किया है ।

( पिघलने वाली बात सुनकर राहुल तुरंत अपनी उं गली को विनीत की भाभी की बरु में घुसेड़ते हुए बोला।
)

ओोहहहहहह राहुल तम
ु बड़े ही रोमांटिक हो... अपनी प्यारी प्यारी बातों से ही तम
ु ने मेरी बरु को पानी
पानी कर दिया है । अब तो बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है राहुल बस अब डाल दो अपने लंड को मेरी

बरु में , चोदो मझ
ु े राहुल जल्दी से अपना लंड डालकर मझु े चोदो।

( राहुल की अति कामक


ु हरकतों की वजह से विनीत की भाभी शीघ्र ही कामोत्तेजित होकर एकदम से
चद
ु वासी हो गई, राहुल का लंड भी पैंट के अंदर गदर मचाए हुए था। राहुल भी अब अच्छी तरह से समझ
चक
ु ा था कि, लंड को अब बरु में डाले बिना ना उसे चेन मिलने वाला था और ना ही विनीत की भाभी
को। इसलिए वह वीनीत की भाभी की बरु से अपनी उं गली को बाहर निकाल कर अपनी पें ट की बटन
खोलने लगा। और अगले ही पल उसकी पेटं उसके घट
ु नों में अटकी हुई थी। राहुल का लंड परू ी तरह से
अपनी औकात में आ चक
ु ा था।जिस पर नजर पड़ते ही वीनीत की भाभी की बरु आनंदित हो कर के
कुलबल
ु ाने लगी। विनीत की भाभी के साथ साथ उसकी बरु की भी प्यास बढ़ती जा रही थी। ऊसकी बरु से
रीस रहे मदन रस की वजह से उसकी पैंटी परू ी तरह से गीली हो चुकी थी। ऐसा लग रहा था कि मानो
राहुल के तगड़े लंड को दे खकर बुर के मुंह से पानी आ रहा हो।

राहुल से अब एक पल भी बर्दाश्त कर पाना नामुमकिन सा लगने लगा था। उसे उसकी पें टी निकालने
तक की फुर्सत नहीं थी। राहुल में झटके से विनती भाभी की एक टांग पकड़ कर उसे पलंग पर रख
दिया। और पें टी को बिना निकालें ही उसके नीचे के एक सिरे को पकड़कर दस
ू रे सिरे पर खींचकर कर
दिया। बरु रोटी की तरह फूली हुई थी इसलिए दस
ू रे सिरे पर आराम से अटक गई

विनीत की भाभी की बुर ईस तरह से परू ी तरह से नंगी सामने नजर आने लगी। जिसे दे खते ही राहुल के
मुंह में भी पानी आ गया उसने तुरंत वीनीत की भाभी की कमर को दोनों हाथों से थाम लिया और अपने
लंड के सुपाड़े को बरु की गुलाबी फांकों के बीच टीका दिया। जैसे ही राहुल का मोटा सुपाड़ा विनीत की
भाभी ने अपनी बुर पर महसूस की वैसे ही तुरंत उसका पूरा बदन अजीब से सुख की अनुभूति करते हुए
गनगना गया। वह तुमसे चुदवासी हो गई और खुद ही अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ा दी जिससे
सुपाड़े का हल्का सा भाग बुर के अंदर प्रवेश कर गया विनीत की भाभी का या उतावलापन दे खकर राहुल
से रहा नहीं गया और उसने तुरंत अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ा दिया। ऐसा करने से राहुल का
मोटा लंट धीरे -धीरे बुर की गहराइयों में उतरने लगा , लंड की रगड़ वीनीत की भाभी को मस्ती के सागर
मे लिए जा रही थी।

राहुल विनीत की भाभी के गुलाबी होठों को चुसते हुए अपनी मोटे लंड को और ज्यादा अंदर की तरफ ले
जा रहा था। विनीत की भाभी एकदम से कामातरू हुए जा रही थी वह भी अपने होठो में राहुल के होठ
को-भरकर चूस रही थी और अपने दोनों हाथों से राहुल की नंगी पीठ को सहला रही थी। दोनों मस्ती के
सागर में गोते लगा रहे थे धीरे धीरे करके राहुल ने अपने समूचे लंड को भाभी की बुर की गहराईयो मे
पूरा उतार दिया परू ा लंड बुर में घुसते हैं विनीत की भाभी एक दम मस्त हो गई वह कस के राहुल को
अपनी बांहो मे भींच ली। राहुल भी अब कहां रुकने वाला था वह भी करके विनीत की भाभी की कमर को
थाम कर अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए चोदना शुरू कर दिया। राहुल की कमर अपनी लय में आगे
पीछे हो रही थी। विनीत की भाभी तो कामातूर हो करके एकदम से कसमसा रही थी

उसकी गर्म सांसे उसकी नथुनोों से निकलकर के राहुल के नथुनो से टकरा रही थी जोकि राहुल को
गर्माहट प्रदान कर रही थी। राहुल भाभी के गुलाबी होठों को चुसते हुए हल्के हल्के धक्के लगा रहा था।
वीनीत की भाभी की बरु कुछ ज्यादा ही पनिया रही थी। राहुल वीनीत की भाभी को कमर से पकड़े हुए
एकदम अपने बदन से सटाए हुए था। राहुल को खड़े खड़े चोदने में कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था और
खड़े-खड़े चुदवाने का आनंद वीनीत की भाभी भी पूरी तरह से ले रही थी।

सससससहहहहहह....राहुल....मेरे राजा....ऊमममम...

कस कस के धक्के लगा। ऊूूहहहहहहहहह.....गजब का लंड है रे तेरा.....

( विनीत की भाभी राहुल से चुदवाते हुए उसे ऊकसा रही थी । राहुल तो पहले से ही तय करके आया था
कि आज विनीत जी भाभी को एकदम मस्त कर दे गा इसलिए उसके कहते ही जोर जोर से धक्के लगाना
शुरु कर दिया। राहुल के लंड का प्रहार इतना तेज था कि राहुल के हर धक्के पर विनीत की भाभी
लड़खड़ा जाती, लेकिन उसकी कमर को कस के पकडे होने की वजह से बार-बार राहुल उसे संभाल ले रहा
था। फच्च फच्च की आवाज वीनीत की भाभी की पनियाई बुर से आ रही थी। राहुल चाहता तो उसे
आराम से लेटा कर पूरे कपड़े निकाल कर के नंगी करके चोद सकता था। लेकिन दोनों ही प्यासे थे
विनीत की भाभी के काम रुपी बदन को दे ख करके राहुल से बिल्कुल भी सब्र नहीं हुआ था, और उसने
उसके बिना कपड़े ं निकाले ही बस पें टिं को थोड़ा सा सरका कर अपने लंड के लिए जगह बनाकर
चोदना शुरू कर दिया था। राहुल को विनीत की भाभी की पनियाई बुर में लंड अंदर बाहर करने में बहुत
मजा आ रहा था।

ससससससहहहहह.....ओहहहहहह...राहुल बस ऐसे ही ....चोदते रहो .....हां बस ऐसे ही .....बड़ा मजा आ रहा


है राहुल.... कितना आराम से तुम्हारा लंड.... रगड़ते हुए मेरी बुर......में आ जा रहा है ....ओह राहुल चौदो
और चोदो .....आज मेरी बुर को फाड़ दो....... डाल दो पूरा लंड मेरी बरु में ....बस ऐसे ही चोदते रहो
...आहहहहहहहह.....आहहहहहहहहह....आहहहहहहहहहह....( जब तक वह अपनी बात पूरी करती तब तक
राहुल दो चार धक्के ओर तेजी से लगा दिए जिससे विनीत की भाभी की आह निकल गई। विनीत की
भाभी मस्त होकर की राहुल को अपने गंदे और उन्माद से भरी बातो से ऊकसाने लगी। राहुल भी एक
दम मस्त हो चुका था वह विनीत की भाभी की बुर में धक्के पर धक्का लगाए जा रहा था। खड़े खड़े
चुदवाकर विनीत की भाभी मस्त हो चुकी थी उसकी बड़ी पूरी नंगी चूचियां हर धक्के पर झूलते हुए लहरा
रही थी। जिसे राहुल रह-रहकर उसके गुलाबी होठों को चुसता हुआ अपनी हथेली में भरकर पके हुए आम
की तरह दबा रहा था। विनीत की भाभी उत्तेजना से तरबतर हो चुकी थी उसका परू ा बदन पसीने से
भीग चुका था ।

आहहहहहहह ....आहहहहहहहहह की आवाज राहुल की हर धक्के पर उसके मुंह से आ रही थी। ऐसी गजब
की चुदाई राहुल कर रहा था कि विनीत की भाभी जोकी ईतना खेली खाई और अनुभवी थी उसे भी
विश्वास नहीं हो रहा था कि राहुल इस तरह की जबरदस्त चुदाई करे गा। ऐसा नहीं था कि राहुल ईस
तरह की चुदाई नहीं कर सकता था लेकिन आज का आलम ही कुछ अलग था राहुल ने पहले से ही
विनीत की भाभी को अपनी हरकतों से एकदम मस्त कर दिया था। आज घर से तय करके ही आया था
कि विनीत की भाभी को ऐसा मजा दे गा कि वह जिंदगी भर याद रखेंगी। और जैसा वह चाहता था वैसा
होगी रहा था विनीत की भाभी एक दम मस्त हो चुकी थी। राहुल का हर एक ठाप उसे चरमसुख का
एहसास दीला रहा था। विनीत की भाभी एकदम बदहवास हो चुकी थी वह रह-रहकर गरम सिस्कारियों के
साथ राहुल से चुदवा रही थी। राहुल था कि उसकी कमर को थामे अपनी कमर को बड़े ही तीव्र गति से
आगे पीछे करते हुए अपने लंड को उसकी बुर में पेल रहा था। विनीत की भाभी भी राहुल के हर धक्के
का जवाब दे ते हुए अपनी कमर को आगे की तरफ फेंक रही थी।

दोनों कुछ दे र तक यूं ही संभोग का आनंद लेते रहे लंड अपनी लय मे बुर के अंदर बाहर होता रहा। तभी
विनीत की भाभी की सबसे तीव्र गति से चलने लगी सांसो के साथ ऊपर नीचे उठ रही उसकी दोनों
गोलाइयां बड़ी कामुक लग रही थी। उसकी सिसकारी बढ़ने लगी और साथ ही उसके बदन की ऐंठन भी
बढ़ने लगी। राहुल समझ गया कि विनीत की भाभी झड़ने वाली है इसलिए उसने भी अपने धक्कों को
तेज कर दिया। और थोड़ी ही दे र में विनीत की भाभी के मुंह से जोर से चीख निकली और चीख के साथ
ही विनीत की भाभी के साथ साथ राहुल के लंड ने भी ऊसकी बुर मे गरम पानी की बौछार कर दीया।
विनीत की भाभी का यह चरमोत्कर्ष का सुख कुछ ज्यादा ही सेकंड चल रहा था। रह रह कर विनीत की
भाभी की बुर से मदन रस की पिचकारी छूट जा रही थी। जिस तरह से वीनीत की भाभी-अभी झड़ रही
थी उसे भी अच्छी तरह से मालूम था कि इस तरह से वह कभी भी नहीं झड़ी। इस तरह की बेहतरीन
अद्भत
ु अतुल्य चरमोत्कर्ष की अनुभूति करके विनीत की भाभी तो मस्ती के सागर में गोते लगाने लगी।
राहुल का लंड भी विनीत की भाभी की बरु में ठुनकी मारते हुए झड़ रहा था वह विनीत की भाभी को
कमर से करके दबोचे हुए था उसका लंड बुर की गहराई में समाया हुआ था।

धीरे -धीरे करके कुछ ही पल में दोनों पानी-पानी हो गए पूर्व में इकट्ठा हुआ दोनों का काम रस बरु से
निकलकर नीचे फर्स पर टपक रहा था राहुल विनीत की भाभी को अपनी बाहों में कस के दबोचे हुए था,
विनीत की भाभी भी राहुल को अपने बदन से सटाए हुए थी। कुछ ही दे र में दोनों की सांसे सामान्य हुए
तो दोनों एक दस
ू रे के बदन से अलग हुए। राहुल का लंड ढीला पड़ चुका था वह बिस्तर पर पीठ के बल
लेट गया। विनीत की शादी भी उसके बगल में ही लेट गई उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ नजर
आ रहे थे राहुल खुश था जो विनीत की भाभी को आज इतनी ज्यादा संतुष्टि प्रदान किया था। विनीत
की भाभी राहुल के सीने पर अपने ऊंगलिया फिराते हुए उसकी तरफ दे खते हुए बोली।

ओह राहुल तन
ू े तो आज मझ
ु े पागल ही बना दिया है इस तरह से मैंने कभी भी नहीं झड़ी थी जिस तरह
से तन
ु े मझ
ु े आज पानी पानी कर दिया है । सच में तू और तेरा लंड काबिले तारीफ है ।( इतना कहने के
साथ ही वह अपना हाथ बढ़ाकर राहुल के ढीले लंड को थाम ली। और ऊसे धीरे धीरे सहलाते हुए उसमें
जान डालने की कोशिश करने लगी। राहुल भी उसकी तरफ दे खते हुए बोला ।

भाभी तुम भी तो बहुत खूबसूरत हो तुम और तुम्हारा बदन भी काबिले तारीफ है । मैं तो तुमको दे खते ही
पागल हो जाता हूं । (इतना कहते हुए वह भी वीनीत की भाभी की बड़ी बड़ी चुचियों को अपनी हथेली में
भर लिया और उसे हल्के हल्के से दबाने लगा.. विनीत की भाभी राहुल किस बात पर मुस्कुराने लगी और
ढीले लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर ऊपर नीचे करके हिलाने लगी। राहुल वीनीत की भाभी की चुचियों को
दबाते हुए उसे मुंह में भर लिया, और चूसना शुरू कर दिया थोड़ी ही दे र में दोनों फिर से उत्तेजित होने
लगी अभी-अभी एक अद्भत
ु चरमोत्कर्ष की प्राप्ति करने के बाद दोनों की उत्तेजना कुछ ही दे र में फिर से
अपने परम शिखर पर पहुंच चुकी थी। विनीत की भाभी ने अपनी हथेलियों का कमाल दिखाते हुए राहुल
के लंड को फिर से पहले की तरह खड़ा कर दी, एक बार राहुल का इंतजार किए बिना ही जिस अवस्था में
थी उसी अवस्था में ही फिर से एक बार राहुल के लंड पर खुद ही चढ़ गई , और खुद ही वह अपने हाथ
के से अपनी पैंटी को साइड में सरकाते हुए एक हांथ से राहुल का लंड पकड़ कर अपनी बुर पर टिका दी
और धीरे -धीरे करके उस पर बैठती चली गई, राहुल का लंड पूरी तरह से उसकी बुर में समा चुका था।
गजब का नजारा बना हुआ था विनीत की भाभी बिना नंगी हुए ही जिस अवस्था में राहुल ने पहली बार
चुदाई किया था उसी अवस्था में वह राहुल के लंड पर बैठी हुई थी। राहुल से नजारा दे ख कर रहा नहीं
गया और उसे जैसे कुछ याद आया हो इस तरह से वह तुरंत अपना मोबाइल लेकर के रिकॉर्डिंग करना
शुरू कर दिया। विनीत की भाभी मस्ती के साथ उसके लंड पर उठ बैठ रही थी। दोनों की सांसे एक बार
फिर से भारी हो चली दोनों एक बार फिर से एक दस
ू रे के बदन में समाने की परू ी कोशिश करते हुए
संभोग का आनंद लेने लगे। कुछ दे र बाद दोनों की साथ एक तीव्र गति से चलने लगी दोनों की बदन में
अकड़न सी होने लगी ,और थोड़ी ही दे र में दोनों भल भला कर झड़ने लगे एक बार फिर से दोनों
चरमोत्कर्ष की प्राप्ति कर लिए थे।

इस तरह से दोनों तीन चार बार चुदाई का आनंद ले चुके थे। विनीत की भाभी पूरी तरह से थक चुकी
थी। वह बदहवास से बिस्तर पर लेटी हुई थी संपूर्ण नग्नावस्था में उसका बदन बड़ा ही उत्तेजक लग रहा
था। राहुल की नजर बार बार दीवार घड़ी पर चली जा रही थी क्योंकि स्कूल छुट चुकी थी। और वक्त आ
चुका था अपने प्लान को अंजाम दे ने का वह जानता था कि कुछ ही दे र में अब वीनीत घर पर पहुंच
जाएगा इसलिए वह आगे का कार्यक्रम शुरु कर दिया । वह फीर से मोबाइल निकाल कर के अपने ढीले
लंड को विनती भाभी के होठों से लगाकर के रिकॉर्डिंग करना शुरु कर दिया। विनीत की भाभी तुरंत अपने
होठों को खोलकर लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी। थोड़ी ही दे र में राहुल का लंड चार चार बार
झड़ने के बावजूद भी एक बार फिर से टनटनाकर खड़ा हो गया। दोनों पूरी तरह से तैयार हो चुके थे एक
बार फिर से राहुल ने वीनीत की भाभी के बदन में चुदाई की आग लगा दिया था।

राहुल अच्छी तरह से जानता था कि विनीत किसी भी वक्त घर पर पहुंच जाएगा इसलिए उसने घर के
दरवाजे को लोक नहीं किया था ताकि वह अंदर आराम से आ सके। और वैसा हुआ भी विनीत की भाभी
इस बात से अनजान थी की विनीत घर में प्रवेश कर चुका है । क्योंकि उसे राहुल ने यह बताया था कि
वीनीत कहीं बाहर जाने वाला है और वह शाम को ही घर पर लौटे गा इसलिए तो वह बेफिक्र होकर के
राहुल से जमकर चुदवा रही थी। राहुल की नजर बार बार खिड़की की तरफ जा रही थी क्योंकि किसी भी
वक्त वह यहां तक पहुंच सकता था।

राहुल ने मोबाइल को एक तरफ रख दिया विनीत की भाभी पलंग पर चित होकर लेटी थी उसकी दोनों
टांगे फेली हुई थी।

दस
ू री तरफ विनीत इस बात से अनजान था कि उसके घर में उसका ही दोस्त उसकी ही भाभी के साथ
काम क्रीड़ा कर रहा है । वह तो हमेशा किसी तरह स्कूल से आते ही अपने भाभी के कमरे की तरफ जाने
लगा। लेकिन घर में घुसते समय उसे दरवाजा खुला मिलने पर बड़ा ही अजीब लगा था वह धीरे धीरे
अपनी भाभी के कमरे की तरफ बढ़ रहा था और कमरे के अंदर राहुल अपने प्लान को अंजाम दे ने के
कगार पर था।

राहुल धीरे -धीरे कदम बढ़ाते हुए अपनी भाभी के कमरे पर पहुंच गया था वह आगे बढ़ता कि तभी उसे
कमरे की खिड़की खुली नजर आई और उसमें से हल्की हल्की रोशनी आ रही थी। वह कोतूहल बस हल्की
सी खुली खिड़की में से अंदर की तरफ नजर बुलाया तो अंदर का नजारा दे खकर उसके पांव के नीचे से
जमीन खिसकती नजर आने लगी। अंदर का दृश्य दे खकर उसे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा
था। अंदर का नजारा बड़ा ही कामुक था लेकिन वीनीत के लिए किसी हादसे से कम नहीं था। राहुल
उसकी भाभी की टांगों के बीच खड़े होकर अपने लंड को बरु की फांकों के बीच रगड़ रहा था यह दे ख कर
वीनीत का दिमाग खराब हो गया। वह कुछ करता इससे पहले ही राहुल की आवाज उसके कानों में पड़ी।

भाभी क्या तुम्हें मेरा लंड बहुत अच्छा लगता है ।

हां रे मुझे तो तेरा लंड बहुत अच्छा लगता है ।

तुम तो विनीत से भी चुदवाती हो तो फिर क्या उसका लंड तुम्हें अच्छा नहीं लगता। ( बुर पर लंड के
सुपाड़े को रगड़ते हुए बोला।)

जब से मेरी बुर में तेरा लंड लेना शुरु किया हे तब से मुझे अपने दे वर का लंड बिल्कुल भी नहीं भाता।

( इतना सुनते ही वीनीत सन्न रह गया उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था और इस बात से
वह बिल्कुल अनजान था कि राहुल को भी इस बात का पता था कि वह अपनी भाभी की चुदाई करता
है । वह बस मुक प्रेक्षक बनकर अंदर का दृश्य दे ख रहा था। राहुल को इस बात का पता चल गया था की
खिड़की पर विनीत खड़ा होकर अंदर सब कुछ दे ख रहा है इसलिए जानबूझकर ऐसी बातें कर रहा था। )

भाभी चलो थोड़ा आज खल


ु कर चद
ु ाई का मजा लेते हैं।( वह लंड को बरु के अंदर सरकाते हुए बोला।)

राहुल की बात सन
ु कर विनीत की भाभी को अजीब लगा उसे समझ में नहीं आया कि खल
ु कर चद
ु ाई का
मजा लेने का मतलब क्या होता है । लेकिन गरीब की थाली राहुल की कामुक हरकतों की वजह से एक
बार फिर से एक दम से चुदवासी हो चुकी थी। क्योंकि राहुल की हरकत ही कुछ ऐसी थी कि विनीत की
भाभी खुद-ब-खुद उत्तेजना के महा सागर में गोते लगाने को तैयार हो गई। राहुल अच्छी तरह से जानता
था कि दिनेश की नजरें खिड़की के पल्ले से अंदर की तरफ बराबर बनी हुई है । इसलिए वह उसे दिखाने
के लिए अपने लंड कै सुपाड़े को उसकी भाभी की रसीली बरु के गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ रहा था।
जिससे विनीत की भाभी बिस्तर पर नागिन की तरह छटपटा रही थी। वह अपनी बड़ी बड़ी नंगी चूचियों
को अपने हाथों से मसलते हुए राहुल से बोली।

ओह राहुल मैं तुम्हारा मतलब नहीं समझ पा रही हूं खुलकर मतलब क्या?
भाभी तुम इतनी समझदार होकर भी इतनी सी बात नहीं समझ पा रही हो खुलकर मतलब कि तुम
मुझसे चुदवाते समय मुझे कुछ भी बोल सकती हो और मैं तुम्हें कुछ भी बोल सकता हूं गाली भी दे
सकती हो ।

( राहुल की बात सुनते ही विनती भाभी के बदन में रोमांच से उठने लगा, उसे भी इस तरह का अनुभव
लेने का कुछ ज्यादा ही मन कर रहा था लेकिन वह चाहे जितनी भी खुली हुई थी लेकिन इस तरह की
गंदी बातें और गालियों के साथ चद
ु ाई करने में अजीब प्रकार की झिझक उसके मन में होती थी लेकिन
आज राहुल के द्वारा खल
ु कर चद
ु ाई का मजा लेने का सन
ु कर उसका भी मयरु मन नाचने लगा। वह परू ी
तरह से तैयार थी इसलिए वह खद
ु ही शरु
ु आत करते हुए बोली।)

तो चलना इंतजार किस बात का कर रहा है । चल शुरू हो जा हरामजादे मैं भी दे खूं तेरे में कितना दम
है ।

( विनीत की भाभी शुरुआत करते हुए अपनी चुचियों को दबाते हुए बोली, राहुल को विनीत की भाभी की
ऐसी बातें सुनकर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था लेकिन खिड़की पर खड़ा वीनीत अपनी भाभी की यह
सब बातें सुनकर अंदर ही अंदर जल भुन जा रहा था। तभी राहुल ने अपने लंड के मोटे सुपाड़े को हल्के
से गुलाबी फांकों के बीच प्रवेश कराते हुए बोला।

हां साली आज मैं भी तुझे दिखाऊंगा कि जब असली मर्द का लंड बुर में जाता है तो औरत को कैसा
लगता है अब तक तो तू अपने हरामजादे दे वर से चुदते आई है पता नहीं तझ
ु े उसके लंड से मजा आता
भी था कि नहीं आज मैं तुझे दिखाऊंगा कि मैं कैसे चोदता हूं। मेरा मोटा लंड तेरीे बुर में जाएगा तो तेरी
बुर फट जाएगी साली

( राहुल विनीत की भाभी को बोलते हुए दो चार बार अपने लंड कै सुपाड़े को गुलाबी बरु के अंदर घुसा
घुसा कर बाहर निकाल लिया जिससे विनीत की भाभी एकदम चुदवासी हो गई और वह अपनी चुचियों
को जोर-जोर से मसलती हुए बोली।

सससससहहहहहह..... कुत्ते तो एैसे तड़पा क्यों रहा है हरामजादे डाल दे ना परू ा लंड मेरी बुर में फाड़ दे
मेरी बरु को । मैं तो कब से तैयार बैठी हूं तुझ से चुदवाने के लिए बस अब बिल्कुल भी दे र मत कर
डाल दे एकदम जड़ तक । आहहहहहहहहह....
( राहुल भाई भाभी की बातों से एक दम मस्त हो गया वह जानबूझकर ऐसी बातें करके विनीत को जला
रहा था उससे बदला ले रहा था बाहर खड़ा विनीत कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि उसकी
भाभी उसके ही दोस्त के साथ इस तरह से संबंध बना रही होगी। विनीत को यह समझते दे र नहीं लगा
कि राहुल भी उसके साथ यह सब करके बदला ले रहा है । उसे गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन कुछ
कर सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था उसे डर था कि अगर वह इन दोनों को ऐसा काम करते
हुए रोकेगा तो शायद राहुल उसकी बातों को यह बता दे ती वीनीत उसकी मां के साथ गलत करना चाहता
है ' घर में बवाल खड़ा हो जाए वह नहीं चाहता था कि किसी भी बात का बखेड़ा खड़ा हो लेकिन जो हो
रहा था कमरे के अंदर उसे दे ख कर वह अंदर ही अंदर जल भन
ू जा रहा था। विनीत की भाभी की गंदी
बातों को सन
ु कर राहुल से रहा नहीं जा रहा था और उसने अपने लंड को सप
ु ाड़े के साथ अंदर की तरफ
एक झटके मे ं सरका दिया। जैसे ही परू ा लंड बरु की गहराई में अंदर तक धंसा वैसे ही वीनीत की
भाभी के मख
ु से चीख निकल गई।

आहहहहहहहहह... हरामजादी कुत्तिया समझ के रखा है क्या थोड़ा आराम से कर इतनी जल्दी बाजी किस
बात की है तुझे मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूं बस आराम से कर' साले भोंसड़ी वाले अब धीरे -धीरे करना।

( विनीत तो यह सब दे ख कर और इन सब बातों को सुनकर उसका क्रोध बढ़ता ही जा रहा था साथ ही


वह राहुल की ताकत को दे खकर भी अचंभित था। और राहुल तो जैसे आनंद के सागर में गोते लगा रहा
हो उसका प्लान परू ी तरह से सफलता की ओर बढ़ रहा था जो वह चाह रहा था वैसा बिलकुल होता जा
रहा था। वह तो अब बस विनीत की भाभी को गाली दे ते हुए उसे जमकर चोदना शुरू कर दिया वह
विनीत की भाभी को चोद जरूर रहा था लेकिन वह बाहर खड़े विनीत को दिखाना चाहता था, के जो वह
मजबूरी का फायदा उठाते हुए कर सकता है वह उसकी भाभी को आनंद प्रदान करने के लिए कर रहा है
जिसमें उसकी परू ी तरह से संमती है । राहुल विनीत की भाभी को चोदता हुआ उसे गाली दे ते हुए बोला।)

साली हरामजादी कुत्तिया ले मेरा परू ा लंड ले भोसड़ी की । ले माधरचोद, विनीत की रं डी भाभी ले पूरा
लंड लेकर लेकर चुदवा साली। ( राहुल की कमर बड़ी तीव्र गति से विनीत की भाभी की बरु पर आगे पीछे
हो रही थी। दोनों को बेहद आनंद आ रहा था राहुल को पता था कि बाहर उसका दे वर खड़ा होकर के सब
कुछ दे ख रहा है इस बात से वीनीत की भाभी बिल्कुल अनजान थी। उसे इस बात का बिल्कुल भी पता
नहीं था कि उसका दे वर बाहर खड़ा होकर के खिड़की से सब कुछ ऊसकी काली करतूतों को दे ख रहा है ।
)
साली रं डी आज तेरी बरु को चोद चोद कर भोसड़ा कर दं ग
ु ा । साली हरामजादी विनीत की रं डी भाभी
उसका लंड ले लेकर मजा नहीं आया तो मेरे लंड से चुदवा रही है भोसड़ी की। साली हरामजादी विनीत
की माधरचोद छिनाल रं डी भाभी।

( राहुल गंदी से गंदी गाली दे दे कर विनीत की भाभी की चुदाई कर रहा था। सुबह गाली तो विनीत की
भाभी को दे रहा था लेकिन उसका सीधा असर विनीत को हो रहा था क्योंकि वह उसे सुनाने के लिए ही
उसे जलाने के लिए ईतनी गंदी गंदी बातें बोलकर उसकी भाभी को उसकी आंखों के सामने चोद रहा था।
इस तरह से गाली सन
ु कर चुदवाने का आनंद विनीत की भाभी पूरी तरह से उठा रहीे थेी उसे आज बेहद
आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसने आज तक इस तरह की चुदाई कभी भी नहीं करवाई थी। जो मजा
आज राहुल उसे अपनी हरकतों से अपनी जबरदस्त चुदाई से और अपनी गंदी गंदी गालियों से उसे दे रहा
था उससे वह पूरी तरह से तप्ृ त हुए जा रही थी। वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह इस तरह
का आनंद लेते हुए चुदाई का पूरी तरह से लुत्फ उठाएगी। विनीता तो यह सब दे खकर परू ी तरह से सदमे
में था लेकिन एक बात उसको यह भी खटक रही थी कि उसने भी दिन-रात अपनी भाभी पर मेहनत
किया था उसे हर तरह से चुदाई का सुख दिया था लेकिन जिस तरह से वह राहुल के साथ चुदाई का
आनंद ले रही थी उस तरह का आनंद वह कभी भी उसके साथ ना ले सकी या शायद उसे मिला ही नहीं।

राहुल का लंड बड़ी तेजी से वीनीत की भाभी की बुर में अंदर बाहर हो रहा था। विनीत की नजर मन में
बुरी तरह से ग्लानी होते हुए भी राहुल के मोटे और लंबे लंड पर टिकी हुई थी वह कभी सोचा भी नहीं
था कि राहुल को हथियार इतना तगड़ा होगा। राहुल उसे जलाने के लिए जानबझ
ू कर बार-बार विनीत की
भाभी की बुर में से लंड को बाहर निकालकर उसके सुपाड़े को बुर की फांकों के बीच थपथपाते हुए
बोलता।)

ओ मेरी प्यारी रं डी भाभी साली यह तो बता तुझे विनीत के साथ ज्यादा मजा आता है या मेरे साथ
चुद़वाने मे।

( राहुल के लिए गंदी गंदी बातें विनीत को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही थी उसने आज तक अपनी
भाभी से इसी भाषा में कभी भी बात नहीं किया था पहले चाहे उसके साथ शारीरिक संबंध रखता हो। उसे
राहुल से ज्यादा अपनी भाभी पर गुस्सा आ रहा था तो उसके साथ इस तरह की गंदी गंदी बातें करते हुए
चुदवा रही थी। राहुल के सवाल का जवाब अपनी भाभी के मुंह से सुनकर वीनीतअंदर ही अंदर से टूटता
चला गया उसे बहुत बुरा लग रहा था लेकिन कर भी क्या सकता था।)

सससससहहहहहह....मेरे राज्जा ...आहहहहहहहह.... तेरे साथ चुदने का मजा ही कुछ ओर है । तू इस तरह


से चोदता है विनीत तो कभी सोच भी नहीं सकता सच में तू बहुत ही कमाल का चोदता है । ( विनीत की
भाभी की बातें जले पर नमक छिड़कने जैसी लग रही थी वीनीत को, कभी राहुल ने विनीत की भाभी से
कुछ ऐसा पूछ लिया जिसे सुनकर विनीत शर्म से पानी पानी हो गया उसे अपने आप पर ग्लानी होने
लगी।)

ओहहहहहह मेरी रानी ,लंड की प्यासी मेरी जान मेरी भाभी सच-सच बताना तुम्हें विनीत का लंड कैसा
लगता है और मेरा लंड कैसा लगता है ? ( राहुल जोर-जोर से अपने लंड को उसकी बुरमें पेलते हुए बोला ।।
राहुल का यह सवाल सुनकर वीनीत की हालत खराब होने लगी उसे अंदेशा हो गया था कि उसकी भाभी
क्या कहने वाली है वह उन शब्दों को सन
ु ना नहीं चाहता था लेकिन क्या करें वह भी सुनना चाहता था
कि आखिककार उसकी भाभी क्या कहती है । राहुल खूब जमकर उसकी कमर अपने दोनों हाथों से पकड़े
हुए जोर जोर से चोद रहा था और उसकी भाभी अपने हाथों से ही अपनी बड़ी बड़ी चुचियों को दबाते हुए
बोली।)

ससससससससहहहहहहहह..... अब क्या बताऊं राहुल तझ


ु े....आहहहहहहह.....आहहहहहहहहह....

(वीनीत की भाभी कुछ कह पाती इससे पहले उसने जबरजस्त दो धक्के और लगा दिया जिससे उसके
मंह
ु से आह निकल गई।) ओहहह मेरे राजा तेरे लंड के सामने तो विनीत का लंड जैसे बच्चे का हो इस
तरह से लगता है । वह जब मेरी बरु में अपना लंड डालता है तो पता ही नहीं चलता कि अंदर क्या गया
है । और जब तेरा लंड मेरी बरु में जाता है तो ऐसा लगता है कि किसी सांड का लंड मेरी बरु में चला
गया है ।

( विनीत की भाभी का यह जवाब सन


ु कर राहुल अंदर ही अंदर प्रसन्न होने लगा वह खश
ु ी से गदगद हो
गया वह खिड़की के बाहर खड़ा भी नहीं अपनी भाभी का यह जवाब सन
ु कर शर्मसार हो गया। )

राहुल उसे और ज्यादा शर्मसार करते हुए अपनी आंखे बड़ी-बड़ी करके खिड़की में से अंदर झांक रहे विनीत
को दे खा विनीत और राहुल दोनों की नजरें आपस में मिली तो विनीत शर्मिंदा होकर अपनी नज़रें नीचे
झुका लिया। वीनीत की भाभी ने जिसमें सबसे ज्यादा मर्दानगी भरी हुई थी उसके ऊपर अपनी सहमति
का ठप्पा लगा चुकी थी। विनीत भी इस बात से अनजान नहीं था उसे तो उसने ऐसा लग रहा था कि
वह मर्द ही नहीं है वह एकदम से शर्मसार हुआ जा रहा था लेकिन उसकी शर्मिंदगी कम होने की बजाए
बढ़ती जा रही थी क्योंकि अभी भी वह बेशर्म बना अपनी भाभी को अपने दोस्त राहुल के साथ चुदते हुए
दे ख रहा था। शायद उसने भी राहुल के मर्दानगी का लोहा मान लिया था क्योंकि जिस तरह से वह ठाप
पर ठाप लगाकर उसकी भाभी को चोद रहा था उस तरह से चोद पाना उसके बस की बात नहीं थी।
राहुल के हर धक्के पर विनीत की भाभी आगे की तरफ सऱक जा रही थी। ऐसे जबरदस्त धक्कों को
दे खकर विनीत की भी आंखें फटी की फटी रह जा रही थी।
राहुल अपने प्लान में पूरी तरह से सफल हो चुका था अब बस विनीत को जला रहा था। राहुल रह-रहकर
उसकी भाभी की बड़ी-बड़ी पके हुए आम की तरह गोल गोल चुचियों को अपने हथेली में भरकर दबाते हुए
उसके ऊपर झुक कर मुंह में भर लेता था , जिसे दे ख कर भी नहीं सकते क्रोध का पारा बढ़ जाता था
लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा था।

राहुल था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था उसकी कमर किसी मशीन की तरह आगे पीछे हो रही
थी। विनीत की भाभी आज मस्ती के महासागर में गोते लगा रही थी। कुछ दे र तक राहुल उसे ऐसे ही
बिस्तर पर चित लीटाकर चोदता रहा । उसकी कमर के दर्द करने लगी थी इसलिए वह झटके से अपने
लंड को भाभी की बुर से बाहर निकाल लिया, विनीत की भाभी को बेहद आनंद मिल रहा था इसलिए लंड
को बाहर निकलते ही वह प्यासी नजरों से राहुल की तरफ दे खने लगी। प्यासी नजरों से अपनी तरफ
दे खता हुआ पाकर राहुल बोला।

वह मेरी रानी मेरी जान मेरी जाने बाहर आ जरा सा कुतिया की तरह बन जा रं डी मैं तझ
ु े पीछे से
चोदं ग
ू ा।

राहुल की बातें सुनकर वह कुछ बोली नहीं बस गरमा गरम सिसकारी अपने मुंह से छोड़े जा रही थी
उसकी सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी भारी-भारी चलती सांसो के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां
भी ऊपर नीचे हो रही थी। उसकी हालत दे ख कर लग रहा था कि वह कुछ ज्यादा ही चुदवासी हो चुकी
थी उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल रहे थे पंखा चालू होने के बावजूद भी उसके बदन से पसीना
टप टप करके नीचे चु रहा था। वह बिना एक पल भी गम आए तुरंत घोड़ी बन गई और अपना सारा
भार अपने हाथ की कोहनी पर लाते हुए अपनी बड़ी-बड़ी भरावदार गांड को हवा में ऊपर उठा दी। राहुल
उसकी मातवाली गांड दे खकर बदहवास हो गया उससे रहा नहीं गया और उसने तुरंत दो चपत उसकी
गांड पर लगा दिया', राहुल ने यह दो चपत लगाई तो थी विनीत की भाभी की गांड पर लेकिन यह दो
चपत विनीत के गाल पर लगी थी, हर पल राहुल विनीत को शर्मसार किया जा रहा था उसकी बेज्जती
करने का एक भी मौका वह अपने हाथ से गवाना नहीं चाहता था। इसीलिए वह विनीत की तरफ दे खता
हुआ फिर से लगातार दो चार चपत उसकी भाभी की गांड पर लगा दिया। विनीत की भाभी की गांड चोट
लगने की वजह से कश्मीरी सेब की तरह लाल लाल हो गई थी। गोरी गोरी गांड लाल लाल हो जाने की
वजह से राहुल को बहुत ही आनंद प्राप्त हो रहा था इसलिए वह तुरंत भाभी की बड़ी-बड़ी गांड को अपनी
हथेली में भरते हुए

थाम लिया और अपने टनटनाए हुए लंड को भाभी की रसीली बुर पर टिका कर अंदर की तरफ घुसेड़
दिया। लंड को बुर में जाते ही राहुल बिना रुके उसको चोदना शुरू कर दिया।ठाप पर ठाप पढ़ने लगी इस
तरह की जबरदस्त चुदाई को दे खकर के वीनीत का लंड भी खड़ा हुए बिना नहीं रह सका , उसे ऐसा लग
रहा था कि जैसे कि वह कोई पॉर्न मूवी दे ख रहा हो। जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि अंदर अपनी
भाभी की अपने दोस्त के द्वारा चुदाई होता हुआ दे खकर उसका लंड खड़ा हो गया है तो वह एक बार
फिर से शर्मसार हो गया। उसे अपने आप पर ग्लानी होने लगी। लेकिन कर भी क्या सकता था हालात
उसके हाथ में नहीं थे सबकुछ राहुल के कंट्रोल में था और राहुल था कि उसकी भाभी को चोदे जा रहा था
कभी उसकी चिकनी पीठ को सहलाता तो कभी आगे बढ़कर उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को अपनी हथेलियों
में भरकर दबाते हुए चोदना शुरू कर दे ता। विनीत की भाभी की गरम सिसकारी पूरे कमरे में गूंज रही
थी। कंमरे मे गुंज रही शिसकारियों को ऊन दोनों के अलावा बाहर खड़ा विनीत भी सुन रहा था जिसकी
आवाज उसके कानों में गर्म शीशे की तरह पड़ रही थी। राहुल था कि उसे जलाने के लिए बार-बार उसकी
भाभी की गांड पर चपत लगाते हुए उसे चोद रहा था। विनीत की भाभी कुछ ही घंटों में कितनी बार झड़ी
थी कि वह थक चुकी थी उसका रोम रोम मीठा-मीठा दर्द करने लगा था लेकिन आज जिस तरह की
चुदाई वह करवाई थी वह अपनी जिंदगी में न कभी दे खी थी ना करवाई थी। एक बार फिर से वह अपने
चरमोत्कर्ष की तरफ आगे बढ़ रही थी। कुछ दे र बाद विनीत की भाभी की सिसकारियां बढ़ने लगी वह
जोर जोर से अपनी गांड को पीछे की तरफ ठे लते हुए राहुल को गंदी-गंदी गालियां दे ते हुए उसे और जोर
से चोदने के लिए ऊकसा रही थी।

हरामजादे कुत्ते ऐसे ही जोर जोर से चोद मझ


ु े फाड़ दे मेरी बरु को भोंसड़ी के। और जोर जोर से च**
अंदर तक घस
ु जा मेरे मेरी बरु को चोद चोद कर भोसड़ा कर दे । हरामजादे माधरचोद।

( राहुल को विनीत की भाभी की दी हुई है सब गालियां

सुनने में बड़ी ही आनंद दायक लग रही थी। राहुल जोर जोर से धक्के लगा कर छोड़ दे ना शुरु कर दिया
था वह समझ चुका था की विनीत की भाभी चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ रही है । और कुछ ही दे र बाद दोनों
गरम सिसकारी लेते हुए झड़ना शुरु हो कर दीए । वीनीत की भाभी तो निढाल होकर बिस्तर पर ही लेट
गई और उसके ऊपर राहुल कुछ दे र तक युं ही पड़ा रहा । राहुल का काम बन चुका था वह जो चाहता
था ठीक वैसा ही हो गया था। विनीत की भाभी थक कर चूर हो गई थी वह बेसुध होकर बिस्तर पर लेटी
हुई थी कुछ दे र बाद राहुल बिस्तर से उठा और अपने कपड़े पहनने लगा कपड़े पहनते हुए लगातार
विनीत की तरफ ही दे ख रहा था। वह जाते-जाते वीनीत की भाभी की तरफ दे खा तो वह थक कर सो
चुकी थी। वह जाते जाते एक बार उसको झकझोर कर जगाने की कोशिश करने लगा लेकिन वह एकदम
बेशुध हो चुकी थी। वह नींद के आगोश में चली गई। राहुल कमरे से बाहर निकला और वीनीत की तरफ
गुस्से में दे खते हुए बोला।
इसे कहते हैं चुदाई। ( और इतना कहकर वह चला गया विनीत उसे जाते हुए दे खता रहा लेकिन कुछ भी
कर पाने जितनी हिम्मत उसमे नहीं थी।)

राहुल विनीत के घर से जा चुका था वह जैसा प्लान बनाया था ठीक वैसा ही हुआ था विनीत को नीचा
दिखाने में वह कोई भी कसर बाकी नहीं रखा था विनीत खुद शर्मिंदा हो चुका था उसे इस बात का
बिल्कुल भी अंदाजा ही नहीं था कि राहुल ऐसे कदम भी उठा सकता है । उसे इस बात से ज्यादा है रानी
हुई कि राहुल को कैसे पता चल गया कि विनीत और उसकी भाभी के बीच में शारीरिक संबंध का रिश्ता
है । उसके मन में भी इस समय ढे र सारे सवाल उमड़ रहे थे जिसका जवाब उसकी भाभी या राहुल ही दे
सकता था । विनीता शर्मसार हो कर वह खिड़की पर खड़ा रहा उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि
क्या करें । कुछ दे र तक वह वहीं पर बत
ु बना खड़ा रहा। विनीत की भाभी थकान से चरू हो चक
ु ी थी
उसे इसका अंदाजा भी नहीं था कि राहुल आज इतना जमकर उसकी चद
ु ाई करे गा।

विनीत की भाभी राहुल से बहुत ही ज्यादा खश


ु और संपर्ण
ू संतष्टि
ु का एहसास लिए बेसध
ु होकर बिस्तर
पर पड़ी थी। विनीत कुछ दे र तक वहां खड़ा रहने के बाद बिना कुछ बोले ड्राइंग रूम में आकर बैठ गया
उसका मन इधर उधर भाग रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब करना क्या है उसका दांव
खद
ु उस पर ही भारी पड़ गया था।

थोड़ी दे र बाद उसकी दादी अपनी साड़ी को ठीक करते हुए ड्राइंग रूम में आई तो उसे दे खते ही वीनीत
अपनी जगह से खड़ा होता हुआ बोला।

भाभी राहुल इधर क्या करने आया था।

कुछ नहीं वह कुछ नोटबुक लेने आया था तो मैंने उसे कह दी कि विनीत अभी घर पर नहीं है जब आए
तो ले लेना । ( वह अपनी साड़ी ठीक करते हुए बोली, )

लेकिन तुम कब आए?

मैं तो कब से आ चुका हूं भाभी तभी तो पता चला कि राहुल इधर आया था। ( विनीत की बात सुनकर
होती वह भी कुछ बोली नहीं बल्कि अपनी हालत को दरु
ु स्त करने लगी कुछ दे र तक खामोशी छाई रही
तभी वीनीत बात को आगे बढ़ाते हुए बोला।)
यह सब कब से चल रहा है भाभी। ( विनीत थोड़ा गुस्से में बोला विनीत के सवाल पर उसकी भाभी थोड़ा
सक पका गई। कुछ दे र तक उसे समझ नहीं आया की विनीत क्या कह रहा है इसलिए वह हड़ बड़ाते
हुए बोली।)

ककककक.... क्या कब से चल रहा है ?

वही तुम्हारे और राहुल के बीच में ।

( इस बार उसको अंदेशा हो गया कि कुछ गड़बड़ हो चक


ु ी है फिर भी बात को संभालते हुए वह बोली।)

मेरे और राहुल के बीच में ...... क्या चल रहा है ? तुम पागल तो नहीं हो रहे हो तुम्हें शर्म नहीं आती है की
बातें करते हो वह तुम्हारा दोस्त है तुमसे मिलने घर पर आया था बस और क्या।( वह अपना मुंह दस
ू री
तरफ फेरते हुए बोली।)

बनो मत भाभी, मैंने अपनी आंखों से तुम दोनों की कामलीला दे ख चुका हूं। ( विनीत अपनी भाभी का
गुस्से से जोर से हाथ पकड़ते हुए बोला। )

दे ख लिए तो दे ख लिए मझ
ु े इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और तम
ु अपने काम से काम रखो दस
ू रों के
कमरे में झांकना छोड़ दो। समझ गए।

( विनीत की भाभी को समझ में आ गया था कि वीनीत ने सब कुछ दे ख लिया है तो बात को घुमाने से
कोई फायदा नहीं है इसलिए वह विनीत से साफ़ साफ़ बोल दी। विनीत भी गुस्से में था इसलिए वह
अपनी भाभी का हाथ जोर से झटकते हुए बोला।)

नहीं तुम्हारी सारी काली करतूतों को भैया को बता दं ग


ू ा।

जा बता दे लेकिन यह सब बताने पर भी कुछ फायदा नहीं होगा उल्टा मैं तझ


ु े ही फसा दं ग
ू ी। बस मुझे
इतना ही कहना होगा कि मुझे नग्नावस्था में दे खकर तुम्हारे भाई से कंट्रोल नहीं हुआ और वह मेरे साथ
जबरदस्ती करना चाहता था तो मैंने उसे जोर से दो तमाचे गाल पर जड़ दि। बस मेरा इतना ही कहना
होगा उसके बाद तुम जानते हो कि तुम्हारे भैया तुम्हारे साथ क्या करें गे तुम्हें घर से भी निकाल दें गे।(
वह इतराते हुए बोली। विनीत यह सब बातें सुनकर सन्न रह गया लेकिन फिर भी अपनी भाभी की बात
पर आशंका जताते हुए बोला।)
तुम अच्छी तरह से जानती हो भाभी की भैया तुम्हारी इन सब मनगढ़ं त बातों पर कभी भी विश्वास नहीं
करें गे।

करें गे जरूर करें गे( अपनी गांड मटकाते हुए दो चार कदम चलते हुए वह बोली।) तू अभी बहुत नादान है
विनीत तू औरतों की मायाजाल को नहीं जानता। मर्दों की समझदारी बड़प्पन चालाकी सब कुछ औरतों
की दो टांगो के बीच आते ही धरी की धरी रह जाती है । तेरे भैया भी मेरी टांगों के बीच आते ही सब
कुछ भूल जाएंगे यह भी भूल जाएंगे कि तू उन का छोटा भाई है और वही करें गे जो मैं कहूंगी।

तू बहुत बेशर्म है भाभी।

अच्छा तो यह बात है तेरे साथ सोती हूं तो सती सावित्री और तेरे दोस्त के साथ सोई तो बेशर्म। तेरी
भाभी होने के बावजूद जब मैं तेरे साथ संभोग सुख का आनंद लेती थी तभी तुझ को समझ लेना चाहिए
था कि मैं कितनी प्यासी हूं। तेरा भाई मुझे चोद कर संतुष्ट नहीं कर पाता था तब मैंने तेरा सहारा ली,
और जब मुझे तेरे से भी ज्यादा दमदार और तगड़ा लंड मिल गया तो मैं तेरे दोस्त से चुदवाने लगी।
सही मायने में तुझे कहूं तो असली मर्द राहुल ही है उसे पता है की औरतों को कैसे खुश किया जाता है ।
और उसके पास औरतों को संपूर्ण रुप से संतुष्टि प्रदान करने वाला लंबा तगड़ा हथियार भी है । जो कि
तुम दोनों भाइयों के पास उसका आधा भी नहीं है ।

( अपनी भाभी की ऐसी गंदी और कड़वी बातें सुनकर विनीत शर्म से पानी पानी हुए जा रहा था इससे बड़ी
शर्मकी बात विनीत के लिए क्या होगी की उसकी भाभी ही उसकी मर्दानगी पर सवाल उठा रही हो।
विनीत ऐसी बातें सुनकर गुस्से में बोला।)

बस भाभी बस मुझे नहीं मालूम था कि तुम इतनी बड़ी बेशर्म निकलोगी।

अच्छा तुम्हारे साथ सोऊं तो सती सावित्री और तुम्हारे दोस्त के साथ सो गई तो बेशर्म।

मुझे यकीन नहीं आ रहा है कि तुम इस तरह की औरत निकलोगी।

बस अब मे ईससे ज्यादा कुछ नहीं सुनना चाहती जैसा चाहती हूं वैसे ही रहो अगर जरा भी चालाक बनने
की कोशिश किए तो तुम्हारे लिए ही अच्छा नहीं होगा।

( इतना कहने के साथ ही वह अपने कमरे में चली गई और विनीत वहां पर ठगा सा खड़ा रह गया । वह
चारों खाने चित हो चुका था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसके सोचने के बिल्कुल उल्टा हो रहा
था। वह एकदम से बौखला गया था। उसकी प्यारी भाभी जिसे वह जी जान से ज्यादा मानता था उसे
अपने ही दोस्त के साथ रं गरे लिया मनाते हुए दे खकर दं ग रह गया था। वह अब राहुल से मिलने के लिए
छटपटा रहा था वह अपनी बेइज्जती का बदला राहुल की मां को चोद कर लेना चाहता था। वह भी अपने
मन में ठान लिया था कि आगे उसे क्या करना है ।
दस
ू रे दिन स्कूल जाते वक्त विनीत रास्ते में ही राहुल का इंतजार कर रहा था और वह उसे रास्ते में
मिल गया । राहुल को दे खते ही विनीत का भी खून खोलने लगा वह सड़क पर ही राहुल का गिरे बान
पकड़कर उसे धमकाने लगा। लेकिन राहुल था कि हं से जा रहा था क्योंकि उसे अच्छी तरह से मालूम था
की उसने कौन सा दांव खेल चुका है वीनीत के साथ। विनीत के हाथों में अब एक भी बाजी नहीं रह गई
थी। जितना विनीत क्रोधित हो रहा था उतना ही ज्यादा राहुल हं स रहा था राहुल की हं सी विनीत को
जहर की तरह लग रही थी। राहुल की हं सी बंद नहीं हो रही थी उसको इतना से हं सता हुआ दे खकर
विनीत उससे बोला।

हं स मत हरामजादे मुझे अभी के अभी अपने पैसे भी चाहिए और तेरी मां भी , तू खुद अपनी मां को मेरे
पास लाएगा वरना आज मैं परू ी स्कूल को बता दं ग
ू ा कि तेरी मां के साथ मेरा क्या रिश्ता है । ( विनीत
राहुल का गिरे बां पकड़ते हुए बोला लेकिन विनीत की यह बात सुनकर राहुल उसे जोर से धक्का दिया
और वह नीचे जमीन पर गिर गया। और उसके नजदीक जाकर बोला।)

हरामजादे कुत्ते तो क्या हम लोगों को बदनाम करे गा मैं चाहूं तो अभी इसी वक्त तेरी और तेरे खानदान
की धज्जियां उड़ा सकता हूं। लेकिन तू ऐसे नहीं मानेगा लगता है तझ
ु े एक बार फिर से असली नजारा
दिखाना होगा। ( विनीत के गिरे बान को कस के पकड़ते हुए)

हरामजादे तू तो दे ख ही चूका है कि नहीं क्या क्या कर सकता है लेकिन शायद इससे भी तेरा पेट नहीं
भर रहा है , तो सुन आज रिशेेश में ऊपर के मंजिलें पर आ जाना शायद वहां का नजारा दे खकर तझ
ु े कुछ
सीखने को मिलेगा और आइंदा से मेरे साथ ऊलझने की गलती ना कर सके। ( वह जाने ही वाला था कि
फिर से दिनेश की तरफ मुड़कर गुस्से में बोला।) और हां सिर्फ दे खना और उससे मिला इससे ज्यादा कुछ
भी करने की कोशिश किया तो तेरा बना बनाया सारा खेल बिगड़ जाएगा और तू कहीं का नहीं रह
जाएगा समझ गया।

( इतना कहकर राहुल स्कूल की तरफ चला गया विनीत वहीं खड़ा फिर से सोचने लगा कि आखिरकार
उसके साथ हो क्या रहा है प्रिया राहुल ऊपर की मंजिल पर ऊसे क्या दिखाने वाला है । उसके सामने सारे
राज अभी राज ही थे उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि आखिर राहुल उसे दिखाना क्या चाहता है ।
अलका को लेकर के उसकी चाहत बढ़ती जा रही थी वह उसे लगभग हासिल कर ही लिया था लेकिन
एक दिन में सारा खेल उल्टा पड़ने लगा था। लेकिन फिर भी वह अलका को भोगने की उम्मीद पर
कायम था वह मन में अलका को लेकर के ख्याली पुलाव बना रहा था उसे लगता था कि अलका उसके
हाथ लग जाएगी। जिसके लिए उसने इतना कुछ कर दिया अपनी दोस्ती भी दांव पर लगा दिया इतनी
आसानी से वह अलका को अपने हाथ से जाने नहीं दे ना चाहता था। वह ऊसे किसी भी हाल में पाना
चाहता था।और ऊसे पाने के लिए मन में ठान लिया था कि आज शाम को किसी भी हाल में चाहे कुछ
भी हो अलका को भोगकर ही रहे गा।

मन में यह ख्याल करके वह स्कूल की तरफ चल दिया क्लास में बैठे-बैठे वह रिशेश होने का इंतजार कर
रहा था।

विनीत को बड़ी बेसब्री से रिशेेश होने का इंतजार था। उसके मन में एक अजीब सा डर भी बना हुआ था
लेकिन फिर भी उत्सुकता भी थी कि आखिरकार राहुल उसे क्या दिखाने वाला है उसका दिल जोरो से
धड़क रहा था हालात के हाथो वह इतना लाचार हो चुका था कि कुछ भी उस के पक्ष में होता नजर नहीं
आ रहा था।

आखिरकार इंतजार की घड़ियां खत्म हुई दीवार घड़ी की सुई अपनी नियत स्थान पर पहुंचते ही स्कूल में
रिशेेश की घंटी भी बज गई। राहुल के चेहरे पर संतुष्टि भरी मुस्कान तैर रही थी। लेकिन वीनीत के चेहरे
पर तो जैसे 12:00 बजे हुए थे। वह राहुल के हाथों का कठपुतली बना हुआ था वह जैसे चाहता, वैसा ही
उसे नचा रहा था। रीषेश की घंटी बजते ही दोनों एक दस
ू रे को घूरते हुए क्लास से बाहर निकले , राहुल
उसे थोड़ा आगे को निकल गया, विनीत ऊससे कुछ दरू ी बनाकर उसके ऊपर नजर गड़ाए हुए था उसे
इंतजार था कि वह कब स्कूल की ऊपरी मंजिल पर जाएगा कुछ दे र तक यूं ही वहां खड़ा रहा। कुछ ही
मिनट बाद उसकी नजरों ने जो दे खा उसे दे ख कर उसे अपनी आंखो पर विश्वास नहीं हुआ। राहुल और
नीलू दोनों हं स हं स कर बातें कर रहे थे राहुल ने उसके कान में कुछ धीरे से कहा जिससे दोनों सबसे
नजरें बचाते हुए ऊपरी मंजिलें की तरफ जाने लगे। राहुल का तो यह दे खकर होश ही ऊड़ गया था। दोनों
के बीच कुछ गड़बड़ होने की आशंका वीनीत को साफ नजर आ रही थी। वह धड़कते दिल के साथ दोनों
के पीछे पीछे ऊपरी मंजिल पर जाने लगा, राहुल और नीलू भी नजरे बचाते हुए उस क्लास की तरफ बढ़
रहे थे जिस क्लास में दोनों बहुत बार अपनी मर्यादाओं को लांघ चुके थे। मैंने तुमसे कुछ दरू ी बनाकर ही
चल रहा था ताकि उन लोगों की नजर उस पर ना पड़ सके लेकिन राहुल को अच्छी तरह से मालूम था
कि लिमिट इन दोनों के पीछे पीछे आ रहा है इसलिए उसे जानबझ
ू कर जलाने के उद्देश्य से उसने अपने
एक हाथ को नीलू की संगमरमरी पीठ पर धीरे -धीरे सरकाते हुए नीचे की तरफ ले जाकर नीलू की भरी
हुई भरावदार गोल गांड पर अपनी हथेली फिर आते हुए उसे अपनी हथेली में दबोच लिया और गांड को
दबोचे हुए हैं पीछे की तरफ नजर घुमाकर विनीत की तरफ दे खते हुए धीरे से आंख मार दिया। विनीत
अब तो राहुल की इस हरकत से एकदम जल भून गया। उसे इसकी भी उम्मीद बिल्कुल नहीं थी राहुल
के व्यवहार पर का पता चला था कि दोनों के बीच लंबे समय से कुछ चल रहा है । नीलू उसकी होने
वाली पत्नी थी। नीलू से उसे इस तरह की कतई उम्मीद नहीं थी। वह नीलू पर हमेशा से अपना ही हक
समझता था क्योंकि नीलू भी उसे बेहद प्यार करती थी लेकिन इस समय उसकी आंखें जो दे ख रही थी
वह सनातन सत्य था उसकी होने वाली बीवी के नितंबों पर उसका ही दोस्त राहुल की हथेली घूम रहीे
थी। जो की बहुत कुछ कह रही थी। वीनीत का गुस्से से बुरा हाल था लेकिन हालात कुछ इस तरह के
खड़े हो चुके थे कि विनीत कुछ करने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था।

उसके दे खते ही दे खते दोनों खाली क्लास में चले गए और दोनों के अंदर प्रवेश करते ही फटाक की
आवाज के साथ दरवाजा बंद हो गया दरवाजा के बंद होते ही विनीत के दिल की धड़कन तीव्र गति से
चलने लगी। उसे इसका आभाष अच्छी तरह से हो गया था कि बंद कमरे में दोनों के बीच कुछ गंदा ही
होने वाला है । वह दबे क़दमों से दरवाजे के करीब पहुंच गया और कमरे के अंदर का दृश्य दे खने के लिए
वह दरवाजे में से जगह तलाशने लगा। विनीत के कानों में कमरे के अंदर से आ रही आवाज साफ साफ
सुनाई दे रही थी और उस आवाज को सुनते ही गुस्से के मारा उसका खून खौल रहा था। कमरे के अंदर
से नीलू की ही आवाज आ रही थी।

छोड़ो राहुल क्या कर रहे हो तम्


ु हें तो जरा भी सब्र नहीं होता।ऊंहहहहहहह..... छोड़ो ना .....आहहहह....प्लीज
ऐसे मत दबाओ दर्द होता है ।

( कमरे के अंदर से आती नीलू की मादक आवाज को सन


ु कर विनीत बेचैन हो गया उसके कानों में उसकी
आवाज किसी सल
ु की तरह चभ
ु रही थी। उसे पक्का यकीन हो गया था कि कमरे के अंदर दोनों के बीच
गंदा ही हो रहा था ।वह अंदर की बातों को तो आराम से सन
ु ले रहा था लेकिन अंदर का नजारा दे ख
सके ऐसा कोई जग
ु ाड़ उसे नजर नहीं आ रहा था कि तभी उसकी नजर दरवाजे के किनारे पर पतली सी
दरार पर पड़ी और वह तरु ं त दरार मैं अपनी नज़र गड़ा कर अंदर के दृश्य को दे खने की कोशिश करने
लगा। दरवाजे की उस पतली दरार से जैसे ही उसने कमरे के अंदर अपनी नजर दौड़ाया तो अंदर का
नजारा दे ख कर दं ग रह गया। वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि नीलू उसके साथ इस तरह
की बेवफाई करे गी।

वह गस्
ु से से एकदम बौखला गया था वह भी कर क्या सकता था अंदर का नजारा ही कुछ ऐसा था। नीलु
के शर्ट के ऊपर के दोनों बटन खल
ु े हुए थे। ब्रा ऊपर की तरफ ऊठी हुई थी उसकी दोनों चचि
ू यां राहुल की
हथेली में कसी हुई थी और वह उसकी निप्पल को मंह
ु में भर कर चस
ू रहा था। नीलू के चेहरे के भाव
को दे ख कर साफ मालूम पड़ रहा था कि नीलु को इसमें बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। राहुल बड़े मजे
लेते हुए नीलू की दोनो चुचियों को बारी-बारी से मुंह में भर कर चूस रहा था। विनीत से यह सब दे खा
नहीं जा रहा था लेकिन ना चाहते हुए भी वह अपनी आंखों को दरवाजे की पत्नी दरार से सटाए रहा।
राहुल जोर-जोर से उसके चुचियों को दबाते हुए बोले जा रहा था कि।
ओह नीतू मेरी जान मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूं तुम्हारे बिना मैं जी नहीं सकता। ( ऐसा कहते हुए वह
नीलू की गोल-गोल दोषियों को अपनी हथेली में भरकर जोर जोर से दबाने लगा जिससे नीलू की गरम
सिसकारी निकल जा रही थी।)

ससससहहहहहहहह....राहुल मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूं तुम्हारे बिना मे भी नहीं जी सकती। ( राहुल
के चेहरे को अपनी हथेलियों में लेते हुए बोली। यह सब दे खकर विनीत जल भन
ू जा रहा था वह गुस्से में
आग बबल
ू ा हो चक
ु ा था। वह अंदर का दृश्य दे खने में अपने आप को असमर्थ पा रहा था उसकी इच्छा हो
रही थी कि दरवाजा तोड़कर अंदर चला जाए और राहुल की जमकर धल
ु ाई कर दे । वह ऐसा करने की
सोच रहा था लेकिन बार-बार उसे राहुल की दी हुई धमकी याद आ जा रही थी कि अगर वह कुछ भी
किया तो उसका बना बनाया सारा खेल बिगाड़ दे गा। विनीत को यह भी नहीं समझ में आ रहा था कि
कौन सा बना बनाया खेल बिगाड़ दे गा लेकिन एक अजीब प्रकार का डर विनीत के मन में बैठ चक
ु ा था
जिसकी वजह से वह आगे कदम बढ़ाने में घबरा रहा था। तभी विनीत की नजर जब राहुल की कमर के
नीचे गई तो वह सन्न रह गया, राहुल एक हाथ से अपने पें ट की बटन को खोल रहा था और साथ ही
बोल रहा था कि।

नीलू तुम मुझसे प्यार तो करती हो लेकिन तुम्हारी शादी तो वीनीत के साथ तय हो गई है ।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो राहुल इसमें पापा की तबीयत ठीक नहीं है इसलिए मैं उनसे तुम्हारे बारे
में कोई भी जिक्र नहीं करना चाहती लेकिन मेरा यकीन मानो सब कुछ हालात ठीक होते ही मैं तुम्हारे
बारे में पापा से बात करूंगी और मेरे पापा जरुर मेरी खुशी के लिए मान जाएंगे और मैं तुम्हारी ही
दल्
ु हन बनुंगी।

( ऐसा कहते हुए वह खुद ही अपना एक हांथ नीचे ले जाकर के राहुल की मदद करते हुए उसके पैंट की
चेन को खोलने लगी' नीलू की बात सुनकर और उसकी हरकत को दे खकर राहुल शर्मिंदा होने लगा और
उसे एक झटका सा लगा, उसे आज तक इस बात की भनक तक नहीं लग पाई थी कि दोनों के बीच कुछ
चल रहा है और बात बढ़ते-बढ़ते यहां तक बढ़ गई थी दोनों एक दस
ू रे से शादी करना चाहते थे और नीलू
खुद अपने पापा से राहुल के बारे में बात करने वाली थी। नीलू की बात सुनते ही राहुल के पैरों के नीचे
से जैसे जमीन खिसक गई हो। उसकी आंखों के सामने अंधेरा सा छाने लगा उसे ऐसा लगने लगा कि वह
कहीं गिर ना जाए इसलिए अपने आप को संभालते हुए दरवाजे का टे का ले लिया। वह शर्मिंदगी से गड़ा
जा रहा था लेकिन कर भी क्या सकता था वह तो नीलू के साथ शादी करके अपने भविष्य के सपने
बन
ु ना शरू
ु कर दिया था। लेकिन आज सच्चाई जानकर उसे एक झटका सा लगा था उसकी नाक के नीचे
ही यह सब कुछ चल रहा था और उसे कानों-कान पता भी नहीं चला। विनीत ना चाहते हुए भी अंदर का
दृश्य दे खने के लिए अपने आपको संभाल कर फिर से अपनी नजर को दरवाजे की पतली दरार से ज्यों
ही अंदर की तरफ ़ दौड़ाया तो अंदर का नजारा दे खकर उसका माथा ठनक गया। राहुल का लंड उसकी
पें ट से बाहर लटक रहा था जिसे नीलू अपनी हथेली में भरे हुए धीरे -धीरे मुठिया रही थी। विनीत बार-बार
शर्मसार हुए जा रहा था उसके सब्र की सीमा समाप्त हो रही थी। लेकिन राहुल के आगे वह पूरी तरह से
लाचार और मजबूर हो गया था राहुल ने वीनीत को कुछ इस तरह से घेर लिया था कि जिससे निकल
पाना विनीत के बस में नहीं था।

सच नीलु तम
ु मेरी दल्
ु हन बनोगी ना कहीं तम
ु वीनीत से शादी करके उसकी दल्
ु हन बन गई तो ।

( अपनी हथेली को राहुल के होठों पर रखते हुए) नहीं राहुल ऐसा मत बोलो मैं तुमसे ही प्यार करती हूं
और तुम्हारी ही दल्
ु हन बनुंगी चाहे कुछ भी हो जाए।

ओहहहहहह नीलू मेरी जान तुम कितनी अच्छी हो इसीलिए तो मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूं।

( राहुल को मालूम था कि वीनीत दरवाजे के बाहर खड़ा होकर अंदर का दृश्य दे ख रहा है । इसलिए
जानबझ
ू कर ऐसी बातें कर रहा था और नीलू के मन की बात ऊगलवा रहा था ताकी वर्तमान परिस्थिति
की स्थिति को जान कर विनीत अच्छी तरह से समझ सके कि राहुल क्या कर सकता है । तभी राहुल
एक और झटका दे ने वाली बात नीलू से बोला।

नीलू प्लीज एक बार मेरा लंड मुंह में लेकर चूस लो मेरा बहुत मन कर रहा है तुम्हें लंड चुसवाने का...
प्लीज नीलु ।)

राहुल की बात सुनकर वीनीत अंदर ही अंदर जलभुन गया क्योंकि आज तक वह समझता था कि नीलू
सिर्फ

उसके ही लंड को मुंह में लेकर चूसी है लेकिन आज उसे कुछ और दे खने को मिलने वाला था। नीलू अभी
भी उसके लंड को मुट्ठी में भरकर हिला रही थी। वह राहुल के लंड को हिलाते हुए बोली।

राहुल रिशेष पूरी होने वाली है चलो नीचे चलते हैं। ( लंड को मुठीयाते हुए बोली।)

क्या नीलू अभी बहुत समय है अच्छा सच सच बताना क्या तुम्हारा मन नहीं कर रहा है मेरे लंड को मुंह
में लेकर चूसने का ।
( नीलू राहुल की बात सुन कर हं सने लगी और हं सते हुए बोली।)

मेरा तो हमेशा मन करता है तुम्हारे लंड को मुंह में लेकर चूसने का ।

( और इतना कहने के साथ हुआ नीचे घुटनों के बल बैठ गई यह दे खकर विनीत की हालत ऐसी हो गई
थी कि जैसे उसे सांप सूंघ गया हो। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार करें तो क्या करें
वह बस बूत बना अंदर का दृश्य दे खता रहा। और नीलू दे खते ही दे खते राहुल के मोटे लंबे लंड को धीरे
धीरे करके अपने गले तक निगल गई। जिस तरह से नीलु उसके लंड को चस
ू रही थी राहुल की तो
सिसकारी छूट रही थी। विनीत इसे यह सब दे खा नहीं जा रहा था और वह राहुल था कि जानबझ
ू कर
विनीत को यह सब दे खने के लिए मजबरू किए हुए था उसने झट से अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर
रिकॉर्ड करना शरु
ु कर दिया। बाहर दरवाजे पर खड़ा अंदर का दृश्य दे ख रहा वीनीत राहुल की चालाकी को
अच्छी तरह से समझ चक
ु ा था। राहुल बार-बार दरवाजे की तरफ दे ख ले रहा था विनीत को लग रहा था
कि जैसे वह उसी को दे ख रहा हूं जबकि दरवाजे की तरफ दे खना यह राहुल का इशारा था कि वह उसी
को सब कुछ दिखा रहा है । नीलुू लंड चस
ू ते हुए राहुल को रिकॉर्डिंग करते हुए दे खीतो वह राहुल की
हरकत को दे खकर मस्
ु कुरा दी वह गले के अंदर तक लंड को लेकर अच्छी तरह से लंड की चस
ु ाई कर
रही थी। राहुल को यंू विनीत को दिखाते हुए उसकी होनो वाली पत्नी से लंड चस
ु वाते हुए बेहद आनंद की
प्राप्ति हो रही थी। रह रह कर राहुल की सिसकारी छुट जा रही थी।

विनीत का परू ा बना बनाया खेल बिगड़ चक


ू ा था विनीत ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि सीधा-
साधा लगने वाला राहुल इस तरह की हरकत भी कर सकता है । यह एक तमाचा था विनीत के गाल पर।
राहुल अपनी कमर को आगे पीछे हिलाते हुए नीलू के मंह
ु को ही चोद रहा था उसे पता था कि कुछ ही
समय बचा हे रिशेष परू ी होने में । इसलिए वह विनीत को एक और झटका दे ना चाहता था इसके आगे
का नजारा दिखा कर इसलिए वह तरु ं त नीलू के मंह
ु में से अपने लंड को बाहर की तरफ खींच कर
निकाल लिया। नीलू की सांसें भारी हो चली थी वह अपनी सांसो को दरु
ु स्त करती इस से पहले ही राहुल
ऊसके कंधो को पकड़ कर उठाते हुए

( नीलू कुछ समझ पाती उससे पहले ही वह टे बल की तरफ उसका मंह


ु करके उसे नीचे की तरफ झक
ु ा
दिया नीलू को अब समझ में आ गया था कि राहुल क्या करने वाला है उसका भी बहुत मन कर रहा था
चुदवाने को लेकिन इस तरह से जल्दबाजी में चुदवाना पड़ेगा उसे पता नहीं था लेकिन फिर भी उसके
दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी और साथ ही दरवाजे के बाहर खड़े विनीत की भी, राहुल की खड़े लंबे मोटे
लंड को दे खकर विनीत की भी हालत खराब हो जा रही थी उसे राहुल से इस बारे में भी काफी जलन हो
रही थी।
राहुल ने झटके से नीलू की स्कर्ट को ऊपर कमर तक चढ़ा दिया और दरवाजे की तरफ दे खते हुए जल्दी
से नीलू की गुलाबी रं ग की पैंटी को भी पकड़ कर नीचे जंघोा तक सरका दिया। राहुल के हाथों से अपनी
पैंटी को नीचे सरकावाती हुई नीलु को दे खकर नीलु के ऊपर उसे गुस्सा आने लगा। उसे नीलू से भी इस
तरह की बेशर्मी की उम्मीद नहीं थी लेकिन वह भी उसकी भाभी की तरह बेशर्म निकल गई थी।

क्या कर रहे हो राहुल रीशेष पूरी होने वाली है क्यों मेरी भी गर्मी को बढ़ा रहे हो।( नीलू का भी बहुत मन
था चद
ु वाने का लेकिन उसे इस बात की फिक्र भी थी की कहीं यह चद
ु ाई का कार्यक्रम परू ा ना हो सका
तो वह प्यासी ही रह जाएगी लेकिन उसकी शंका को दरू करते हुए राहुल बोला।)

तुम चिंता मत करो मेरी जान मैं तुम्हें चोद चोदकर तुम्हारी बरु से पानी का झरना बहा दं ग
ू ा बस तुम
दे खती जाओ। ( इतना कहने के साथ ही वह विनीत को चिढ़ाने के लिए अपने लंड को अपनी उं गलियों से
पकड़कर ऊपर नीचे करके हिलाते हुए दरवाजे की तरफ दिखाने लगा ,लंड की मोटाई और चौड़ाई दे खकर
विनीत का भी गला शुखने लगा। तभी राहुल अपने लंडको पकड़ कर लंड के सुपाड़े को नीलू की गांड के
नीचे के भाग में उसकी गुलाबी बुर पर टिका दिया। नीलू की बरु इतनी ज्यादा पनीया ई हुई थी कि
राहुल को अंदर डालने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी और लंड पहले ही प्रयास में बुर की गहराई
नापने लगा। राहुल नीलू की गांड को पकड़कर शुरू से ही जोर जोर से धक्के लगाते हुए चोदना शुरू कर
दिया था। हर धक्के के साथ नीलू की सिसकारी निकल जा रही थी। दरवाजे के बाहर खड़ा विनीत यह
सब दे ख कर दं ग रह जा रहा था कुछ दे र पहले जो नीलू और राहुल कोई समझता में दे खकर गुस्से में
तमतमाया हुआ था, वही विनीत राहुल की जबरदस्त चुदाईको दे खकर मंत्रमुग्ध हो चुका था। बुर और लंड
के संगम से उत्पन्न हो रही फच्च फच्च की

आवाज इतनी तेज थी कि कमरे के साथ-साथ दरवाजे के बाहर खड़ा विनीत के कानों में भी साफ साफ
सुनाई दे रही थी जिसे सुनकर वीनीत का लंड भी खड़ा हो गया था अपनी स्थिति को जानकर विनीत
अपनी ही नजरों में गिरा जा रहा था लेकिन कर भी क्या सकता था कमरे के अंदर का दृश्य नीलू भले
ही उसकी होने वाली बीवी थी इतना ज्यादा गर्म नजारा दे ख कर वीनींत तो क्या उसकी जगह कोई भी
होता तो उसका भी हाल वीनीत की तरह ही होता। राहुल बड़े ही तीव्र गति से नीलू की चुदाई कर रहा था
और उसकी चुदाई करते हुए बोल रहा था कि।

आहहहहहहहह...नीलु मेरी जान कैसा लग रहा है तुम्हें ।

ससससहहहहहहह....राहुल बहुत मजा आ रहा है राहुल बस ऐसे ही चोदते रहो...आहहहहहह....


छोटा तो नहीं पड़ता ना मेरा लंड तुम्हारी बुर के लिए..

.( राहुल तेज धक्के लगाते हुए बोला।)

नहीं मेरी जान ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मुझे तो तुम्हारे लंड दे खकर कभी-कभी लगता है कि मेरी बुर में
जाएगा भी या नहीं।

( नीलू का जवाब सुनकर राहुल बहुत प्रसन्न हुआ क्योंकि वह जानता था कि नीलू का जवाब वीनीत भ
ीं सन
ु ा होगा और सन
ु कर जल भन
ू गया होगा। और एैसा था भी नीलू का जवाब सन
ु कर विनीत शर्म से
पानी पानी हो गया था कि तभी रिशेश परू ी होने की घंटी बज गई, घंटी की आवाज सन
ु ते ही राहुल ने
धक्कों की गति को और ज्यादा तेज कर दिया जैसे-जैसे धक्के बढ़ते जा रहे हैं वैसे वैसे नीलू की
सिसकारी भी बढ़ती जा रही थी। और दो चार धक्कों के बाद ही दोनों भलभला कर झड़ने े लगे। राहुल
का काम परू ा हो चक
ु ा था उसने अपना आखिरी पत्ता भी वीनीत के सामने खोल दिया था और वीनीत
राहुल के इस पत्ते को दे खकर ढे र भी हो चक
ु ा था। राहुल और नीलू कमरे के बाहर आते इससे पहले ही
विनीत अपना टूटा हुआ दिल लेकर वहां से जा चक
ु ा था।

राहुल के द्वारा एक बार फिर से संतष्टि


ु भरा संभोग सख
ु पाकर नीलू अति प्रसन्न हो गई थी। उसे क्या
मालम
ू था कि उसके संभोग का सीधा प्रसारण विनीत दे ख रहा था वह दे ख क्या रहा था राहुल उसे दिखा
रहा था। राहुल के चेहरे पर भी संतष्टि
ु भरा अहसास साफ झलक रहा था।

चद
ु ाई की गरमा-गरम संतष्टि
ु के साथ उसके चेहरे पर विजयी मस्
ु कान भी तैर रही थी। उसे अपने ऊपर
और अपने प्लांट पर परू ा विश्वास था जो कि उसे लगने लगा था कि उसका प्लान परू ी तरह से सफल हो
चक
ु ा है और ऐसा था भी विनीत की हालत को दे ख कर यह तय हो चक
ु ा था कि राहुल अपने मकसद में
कामयाब हो चक
ु ा था।

राहुल और नीलू भी अपने क्लास में आ गए राहुल नीलू के साथ जो किया सो किया लेकिन उसे विनीत
के सामने प्रदर्शित करना नहीं चाहता था लेकिन वह भी मजबरू हो चक
ु ा था वह जानता था कि विनीत
उसकी इस चाल से एक दम मात हो जाएगा। राहुल के सामने बड़ी ही संकट की घड़ी थी उसे अपनी मां
को ही प्रमख
ु ता दे नी थी। राहुल यह अच्छी तरह से जानता था कि नीलू चाहे जितना भी वादे कसमे खा
ले लेकिन उसकी शादी राहुल के साथ नहीं हो सकती क्योंकि उसकी मम्मी पापा कभी भी यह नहीं चाहें गे
कि उसकी लड़की ऐसे घर में ब्याह कर जाए जहां उनके खुद का ठिकाना ना हो। दे र-सबेर नीलू भी इस
वास्तविकता को समझ जाती की उसके मम्मी पापा भी उसकी शादी राहुल के साथ नहीं होने दें गे, कहां
वह अमीर घराने की नीलू और कहां राहुल जो ढं ग से उसे अपने घर में रख भी नहीं सकता था ।वह ऊन
सुख सुविधा मुहैया नहीं करा सकता था जो सुख सुविधा वह अपने घर में भोगती थी।
राहुल कीसी भी हाल मे अपनी मां की ईज्जत को बचाना चाहता था विनीत को उसके गंदे इरादे में
कामयाब नहीं होने दे ना चाहता था बरसों से कमाई हुई इज्जत को वह ऐसे ही गंवा दे ये ऊसके लिए
नामुमकीन था। इसलिए उसे अपनी मां की इज्जत और घर की बदनामी से बचाने के लिए ऐसे कठोर
कदम उठाएं क्योंकि इसी तरह से ही वीनीत की अकल ठिकाने आ सकती थी, क्योंकि समझाने से वह
समझने वाला नहीं था उनका के कामुक बदन का नशा उसके सिर पर सवार हो चुका था इसलिए वह
नशा उतारने के लिए यह कदम उठाना राहुल के लिए बेहद जरूरी था। राहुल के लिए यह बर्दाश्त कर
पाना बड़ा मुश्किल था कि उसकी मां के संबंध उसके ही दोस्त वीनींत के साथ बन चुके थे । लेकिन
किसी तरह से वह इस कड़वे घूंट को पीकर अपने आप को संभाल ले गया था। उसे अपनी मां के इस
बात से थोड़ी तसल्ली मिली थी कि जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में हुआ था जिस का पछतावा उसे
हो रहा था।

वैसे भी राहुल यह अच्छी तरह से जानता ही था कि उसकी मां बेहद खब


ू सूरत और खूबसूरत बदन वाली
महिला थी जिसके आगे नीलू और विनीत की भाभी उसके पास बराबर भी नहीं थी इसलिए वह अपनी मां
से नाराज ना हो करके बल्कि उसे इस मुसीबत से छुटकारा दिलाने के लिए अपनी चहीती नीलू और
खूबसूरत विनीत की भाभी के साथ ऐसा खेल खेलना पड़ा।

अलका राहुल की मां ही नहीं बल्कि उसकी सब कुछ उसकी प्रेमिका तक हो चुकी थी। ऐसे में वह अपनी
बेहद खूबसूरत बहुत ही कामुक और भरे हुए बदन की हुस्न की मल्लिका अलका को अपनी आंखों के
सामने किसी और के हाथों में जाते हुए कैसे दे ख सकता था इसलिए उसने सारा प्लांन रचाया। और
अपने पलान में लगभग कामयाब हो चुका था।

क्लास में छुट्टी होने तक विनीत अपना मुंह लटकाए बैठा रहा उसके गरम-गरम अरमानों पर राहुल ने ठं डा
पानी दो डाल दिया था। राहुल अंदर ही अंदर बेहद खुश नजर आ रहा था क्योंकि उसने निश्चित तौर पर
अपनी मां को दष्ु ट विनीत के हाथों से बचा लिया था। विनीत के मन में ढे र सारे सवाल चल रहे थे
जिनका जवाब सिर्फ राहुल ही दे सकता था इसलिए वह राहुल से मिलकर सारी बातें करना चाहता था ।
उसके मन से अलका का ख्याल लगभग पूरी तरह से निकल चुका था। लेकिन कुछ यादें जो राहुल की
मां से जुड़ी हुई थी वह शायद जिंदगी भर उसके जेहन से कभी नहीं मिट पाती। राहुल की मां की
खूबसूरत कामुक बदन की कसक उसके तन-बदन में अभी तक झनझनाहट पैदा कर दे रही थी। उसकी
मंन की आखिरी इच्छा यही थी कि वह एक बार फिर से राहुल की मां को भोग पाता लेकिन उसकी मन
की इच्छा उसके मन में ही दब के रह गई। विनीत के मन की इच्छा लगभग पूरी होने वाली थी अलका
भी तैयार हो चुकी थी कि एक बार फिर से विनीत के साथ सोकर शायद वह इस मुसीबत से छुटकारा
पाने लेकिन एक मौके पर राहुल ने परू ी बाजी पलट दिया था। विनीत राहुल से चोट खाकर मुंह के बल
गिर पड़ा था।ं तभी छुट्टी होने की घंटी बज गई राहुल पहले ही क्लास के बाहर निकल गया पीछे -पीछे
विनीत भी क्लास के बाहर आ गया राहुल पैदल ही सड़क पर चला जा रहा था कि पीछे से राहुल उसे
आवाज दे कर रुकने को कहा। राहुल रुक गया वह दे खना चाहता था कि विनीत का मिजाज अभी भी वैसा
ही है या बदल गया है ।

तूने यह अच्छा नहीं किया राहुल , दोस्त होकर तन


ू े दोस्त के पीठ पर छुरा भोंका है । ( विनीत अपनी हार
के कारण बौखलाया हुआ था इसलिए वह गुस्से में राहुल से इस तरह की बातें करता हुआ बोला।)

तेरे मुंह से यह सब बातें अच्छी नहीं लगती वीनीत । तूने भी तो वही किया जो मुझे मजबूरन करना
पड़ा। ( राहुल विनीत को जवाब दे ते हुए बोला।) मैं कभी भी नहीं चाहता था कि मैं ऐसा करूं लेकिन तूने
मुझे मजबूर कर दिया है सब करने के लिए।

तू सब कुछ जानते हुए भी कि वह मेरी भाभी है उसके साथ भी तन


ू े गंदा काम किया और तो और यह
भी तझ
ु े अच्छी तरह से पता था की नीलू मेरी प्रेमिका है और मेरी होने वाली पत्नी भी फिर भी तन
ू े
उसके साथ भी गंदा काम किया।

लेकिन तू भी तो अच्छी तरह से जानता ही था कि जिसके साथ तुने गलत काम किया और जिसके साथ
तू अभी भी गलत काम करने के लिए इस कदर पागल हुआ था वह मेरी मां है । ( राहुल की बात सुनकर
विनीत के पास कहने के लिए कोई शब्द नहीं बचे फिर भी वह अपने बचाव में बोला।)

तेरी मां भी यही चाहती थी , तेरी मां की ही मंजूरी पाकर हम दोनों आगे बढ़ें ।

झठ
ू बिल्कुल झठ
ू हरामजादे , वह तो मजबरू थी । तन
ू े उसकी मजबरू ी का फायदा उठा कर उसके साथ
गलत काम किया और आगे भी यही करना चाहता था। वह तो अच्छा हुआ कि आगे कुछ और गलत
होता इससे पहले ही मझ
ु े मेरी मां ने तेरे बारे में सारी सच्चाई बता दी।

( राहुल की बात सन
ु कर विनीत एकदम से हड़बड़ा गया और शक पकाते हुए बोला।)
ततततत... तू भी तो वही कर रहा है और मुझे इल्जाम दे ता है ।

( राहुल विनीत की यह बात सुनकर हं सने लगा उसे हं सता हुआ दे खकर विनीत को अजीब सा लगा
लेकिन फिर वह हं सते हुए ही बोला।)

साले तेरी भाभी तो मेरी दीवानी है और तेरी गर्लफ्रेंड नीलू भी मेरी दीवानी है । तो यह जानने के लिए
उत्सुक होगा कि यह सब कब से चल रहा है और तो और लड़कियों औरतों से दरू भागने वाला राहुल
आज उनके इतने करीब केसे पहुंच गया। और हां जो यह तू मझ
ु े और मेरे परिवार को समाज में बदनाम
करने की धमकी दे ता फिरता है ना मैं चाहता तो ना जाने कब से परू े स्कूल में तेरे और तेरी भाभी के
बीच कैसा रिश्ता है सब कुछ बता दे गा तब तु यहां मंह
ु दिखाने के भी लायक नहीं रह जाता। ( राहुल की
बात सन
ु ते ही वीनीत एकदम सन्न हो गया, उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी भाभी और
उसके बीच क्या चल रहा है यह उसे कैसे पता चल गया। उसका भी खल
ु ासा करते हुए राहुल बोला।) बड़ा
दह
ु ाई दे रहा था ना तु कि मेरी भाभी मेरी मां के समान है उसी ने मझ
ु े बचपन से पाल पोस कर बड़ा
किया मेरा इतना ज्यादा ख्याल रखती है यह सब तू ही कह रहा था। साले यह सब मझ
ु े भी नहीं पता
चलता कि तेरे और तेरे भाभी के बीच में कैसा रिश्ता है अगर मैं उस दिन अपनी इंग्लिश की नोट लेने
तेरे घर ना आया होता। तेरे घर पहुंचते ही मैंने दे खा कि दरवाजा खल
ु ा हुआ था मैं अंदर चला गया और
मैंने कमरे में तझ
ु े तेरी भाभी को चोदता पाया। मैं तो यह सब दे खकर एकदम दं ग रह गया क्योंकि तू
अपनी बड़ी भाभी को मां के समान मानता था और तू खद
ु अपनी मां समान भाभी को चोद रहा था। तेरी
नंगी भाभी को तझ
ु से ही चद
ु वाते दे ख कर मझ
ु े बड़ा अजीब लगा। तन
ू े तो मझ
ु े नहीं दे खा लेकिन तेरी
भाभी मझ
ु े दे ख ली थी कि मैं खिड़की से सब कुछ दे ख चक
ु ा हूं लेकिन तेरी भाभी बिना शर्माए मझ
ु े दे खते
हुए जमकर तेरे लंड पर कूदने लगी। मझ
ु से यह नजारा बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मैं वहां से बिना कुछ
बोले चला गया। लेकिन तेरी भाभी का नंगा बदन और उसकी मदमस्त कर दे ने वाली अदा बार बार मेरी
आंखो के सामने तैर जा रही थी। मझ
ु से रहा नहीं गया और मैं फिर से नोट मांगने के बहाने तेरे घर
पहुंच गया। ( विनीत राहुल की बातों को बड़े ध्यान से सन
ु रहा था और उसे गस्
ु सा भी आ रहा था लेकिन
सन
ु ने के सिवा और कुछ कर भी नहीं सकता था। ) तेरे घर पहुंचा तो तू घर पर मौजद
ू नहीं था, और तेरी
भाभी मौका दे ख कर मझ
ु ऊकसाने लगी और सच कहूं तो मुझे भी बेहद आनंद आने लगा था तेरी भाभी
का मदमस्त बदन दे ख-दे ख कर मेरा भी लंड हिचकोले खाने लगा था। ( राहुल की बात सुनकर वीनीत
क्रोध से भरा जा रहा था लेकिन कर भी क्या सकता था, राहुल उसको और ज्यादा जलाते हुए अपनी बात
को बढ़ाने लगा।)

मुझे तो यकीन ही नहीं आ रहा था कि ऐसा कुछ हो जाएगा तेरी भाभी ने मुझ पर अपने बदन का अपने
कामुक हुस्न का ऐसा जाल बिछाया की जो नहीं होना था वही हो गया तेरी भाभी ने मुझसे उस दिन
चुदाई का पूरा मजा ली और सही बताऊ तो चुदाई का मजा क्या होता है मैंने भी उसी दिन जाना( राहुल
विनीत को और ज्यादा जलाते हुए बोला ।) तेरी भाभी ने मेरा कंु वारा पन उसी दिन तोड़ दि थी।

( राहुल अपने चेहरे पर विजयी मुस्कान बिखेरते हुए बोल रहा था और विनीत उसकी मुस्कुराहट और
उसकी बातें सुनकर जलभुन जा रहा था। )

और हां वींनीत मैं नहीं जाता था तेरी भाभी को चोदने बल्की तेरी भाभी खुद मुझे फोन करके जब भी
उसका मन मोटा लंबा लंड लेने को करता तो मुझे बुलाती थी। इसलिए उसने दे ख मुझे (अपनी जेब में
हाथ डालकर मोबाइल निकालते हुए) यह उसका मोबाइल भी दी है ।

राहुल के हाथ में मोबाइल दे खते ही विनीत दं ग रह गया। क्योंकि वाकई मे वह उसकी भाभी का ही
मोबाइल था। वाह मोबाइल दे खते ही उसे झपटने के लिए हाथ बढ़ाते हुए बोला।

यह मोबाइल तो मेरी भाभी का है ।

( राहुल ने अपना हाथ पीछे लेते हुए और मुस्कुराते हुए बोला। )

राहुल के हाथ में मोबाइल दे खते ही विनीत दं ग रह गया। क्योंकि वाकई मे वह उसकी भाभी का ही
मोबाइल था। वाह मोबाइल दे खते ही उसे झपटने के लिए हाथ बढ़ाते हुए बोला।यह मोबाइल तो मेरी
भाभी का है ।( राहुल ने अपना हाथ पीछे लेते हुए और मुस्कुराते हुए बोला। )

हां, यह मोबाइल तेरी भाभी का ही है और तझ


ु े पता है कि तेरी भाभी ने मझ
ु े यह मोबाइल क्यों दी है ।

ताकि जब भी उसका मन चुद़वाने को करें ,अपनी बुर में मोटा लंड लेने को करे तो तुरंत मुझे फोन करके
अपने पास बुला सके। और ऐसा होता भी था जब भी उसका मन जमकर चुदाई करवाने के लिए तड़पता
था तो वह मुझे फोन करके अपने घर बुला लेती थी और मैं भी उसकी प्यास को बखूबी बझ
ु ाता था।
क्योंकि जब से उसने अपनी बुर में मेरा मोटा लंबा लंड डलवा कर चुदवाई है तब से तेरा लंड ऊसे छोटा
पड़ने लगा है और यह बात तू भी अच्छी तरह से जान ही गया होगा।

( राहुल जानबूझकर उसकी भाभी के बारे में गंदी गंदी बातें करके उसे बता रहा था ताकि विनीत और
ज्यादा जले और ऐसा हो भी रहा था विनीत अपनी भाभी के बारे में कानों से तो सुन रहा था लेकिन वह
राहुल की सारी बातें सीधा उसके दिल में चोट पहुंचा रही थी। वह खामोश बुत बना राहुल की बातें सुनता
रहा।)

विनीत तू नहीं जानता कि तेरी पीठ पीछे मैंने तेरी भाभी के साथ क्या क्या गुल खिलाए हैं , तेरी भाभी
तो मुझ पर फिदा हो गई है , दीवानी है मेरीे, जैसा मैं कहूं वैसा वह करती है । उसे तो हर रोज अगर मिले
तो मेरा लंड ही अपनी बुर में लेकर दिन रात पड़ी रहे । ( ऐसा कहते हुए राहुल हं सने लगा राहुल के हं सने
की आवाज उसके दिल में छुरा भोंक रही थी वह अंदर ही अंदर राहुल से जल भून जा रहा था। उसे इस
बात का परू ा मलाल था कि उसकी नाचनीचे यह सब चलता रहा है और उसे इस बात की बिल्कुल भनक
तक नहीं लगी। अलका को भोगने की मंशा उसके दिल में ही दब कर रह गई थी। विनीत चाह कर भी
अलका की दे ह लालीत्य को भुला नहीं पा रहा था लेकिन अब अलका को पाने का सारा रास्ता उसके लिए
बंद हो चुका था। राहुल उसको गुस्से से दे खते हुए फिर बोला।)

नीलू के साथ भी मेरा किस तरह का रिश्ता है यह तो तू आज क्लास में दे ख कर अच्छी तरह से समझ
ही गया होगा। नीलू के साथ भी मेरा सब कुछ हो गया और इस बात की भनक तझ
ु े कानों-कान तक
नहीं हुई। जिस तरह से तेरी भाभी मेरी दीवानी हो चक
ु ी है उसी तरह से नीलू भी मेरी दीवानी हो चक
ु ी
है । नीलू से मझ
ु े मिलाने की गलती तन
ू े हीं की थी ना तू नीलू से मझ
ु े मिलाया होता और ना नीलु मेरी
बाहों में आकर इस तरह से सिमटती। जिस दिन से तन
ू े मझ
ु े नीलू से मिलाया उसी दिन से नीलु मझ
ु े
दे खते ही मेरी तरफ आकर्षित होने लगी। वह मझ
ु े एक बहाने से घम
ु ाने ले जाती थी सैर सपाटे कराती थी
, और एक दिन वह मझ
ु े पढ़ाई की तैयारी के बहाने अपने घर ले गई और उस दिन उसने भी तेरी भाभी
की ही तरह अपनी रसीली बरु का स्वाद

जमके उसने मझ
ु े चखाई और एक बार जो ऊसने मेरे

लंड को अपनी बरु मे लेकर चद


ु वाई , फिर तो वह भी तेरी भाभी की ही तरह मेरे मोटे तगड़े लंड की
दीवानी हो गई और कब मझ
ु से प्यार करने लगी है पता ही नहीं चला। और अब तो हाल यह है कि वह
मेरे बिना रह नहीं सकती मेरे खातिर भी तेरे से भी सारे रिश्ते तोड़ लेगी।

अगर मैं कह दं ू तो वह मेरे साथ अभी के अभी शादी कर ले और शादी करने के बाद आखिर कब तक
मां-बाप नाराज रहें गे एक ना एक दिन तो अपना ही लेंगे और उसके घर पर उसके बिजनेस पर सब पर
मेरा राज होगा। मेरे एक इशारे पर तेरा पत्ता साफ हो जाएगा मैं जानता हूं कि ऊससे शादी करने के बाद
तो उसके बिजनेस का मालिक बन जाएगा और यह सपना तू अच्छी तरह से दे ख रहा है लेकिन तू यह
नहीं जानता कि तेरा सारा बना बनाया खेल में चट
ु की बजाते ही बिगाड़ सकता हूं ' तेरी पत्नी बनने से
पहले ही वह ना जाने कितनी बार मेरे साथ सुहागरात मना चुकी है मैं चाहूं तो उसे तेरी पत्नी बनने से
पहले अपनी पत्नी बना लुं। ( राहुल की यह सब बातें सुनकर विनीत के चेहरे पर तो जैसे हवाइयां उड़ने
लगी। उसे इसका अंदाजा तक नहीं था कि राहुल की मां के साथ गंदा काम करने की वजह से उसे इतना
कुछ भुगतना पड़ेगा। वह तो राहुल के दिमाग से एकदम परे शान हो चुका था राहुल के परिवार पर वह
अपना शिकंजा करना चाहता था। वह राहुल के परिवार को बदनामी का डर दिखाकर उसकी मां को
चोदना चाहता था उसे दे खना चाहता था उसे हर तरह से अपनी बनाकर रखना चाहता था। ले किन राहुल
के दिमाग में और उसकी समझदारी की वजह से विनीत चारों खाने चित हो चुका था ।उसके पास करने
के लिए अब कुछ भी नहीं बचा था। विनीत के सारे सपने टूट चुके थे विनीत को इस तरह के हाल में
दे खकर राहुल मुस्कुरा रहा था और विनीत है रान परे शान होकर उसके सामने बूत बना खड़ा था। राहुल को
उसके परे शान सा चेहरा दे खने में बड़ा आनंद मिल रहा था अब जाकर उसके दिल को सुकून मिला था
क्योंकि ऐसी ही परे शानी और डर को वह अपनी मां के चेहरे पर दे ख चुका था इसलिए वही हाल वीनीत
का दे खकर उसकी खुशी का ठिकाना ना था वह विनीत का हाल दे ख कर बोला।)

बस यही डर यही परे शानी में तेरे चेहरे पर दे खना चाहता था जो कि मैं अपनी मां के चेहरे पर दे खते आ
रहा था। मैं चाहता तो तझ
ु े सब कुछ अपने मोबाइल पर भी दिखाकर तेरी बोलती बंद कर सकता था ।
तेरी शान ठिकाने ला सकता था। लेकिन जो काम तन
ु े मेरी मां के साथ किया था उसकी मजबरू ी का
फायदा उठाकर तन
ू े जो उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया था। और उसे फिर से भोगने के लिए यह सारा
षड्यंत्र रचाया था। इसलिए मझ
ु े तेरी औकात दिखाना जरूरी था इसलिए मैंने तेरी भाभी के साथ
रं गरे लिया मनाता हुआ रिकॉर्डिंग की बजाए तझ
ु े उसका सीधा प्रसारण दिखाने का परू ा बंदोबस्त बना लिया
था। कल मैं उस स्कूल ना जाकर सीधे तेरे घर चला गया और तेरी भाभी को यह बोला कि तू शाम तक
लोटे गा किसी काम से बाहर जा रहा है । तेरी भाभी तो है ही बहुत चद
ु वासी ,उसे तो मौका मिल गया
मझ
ु से चद
ु ने का। मैं तेरे घर में प्रवेश करते ही दरवाजे को खल
ु ा ही छोड़ दिया उसे लोक नहीं मारा बस
ऐसे ही बंद कर दिया ताकि तू आराम से कमरे में आ सके। और मैंने हल्की सी खिड़की भी खद
ु ही छोड़
दिया था कि तू उस खिड़की में से तेरी भाभी और मेरा चद
ु ाई का सीधा प्रसारण अपनी आंखो से दे ख
सके।

और जैसा मैं चाहता था ठीक वैसा ही हुआ मझ


ु े तो स्कूल छूटने तक का ही इंतजार था मझ
ु े मालम
ू था
कि तू घर में घस
ु ते ही अपनी भाभी के कमरे तक जरूर आएगा। और तू आकर सब कुछ अपनी आंखों से
दे ख भी लिया और यही मैं चाहता भी था। जानता है तेरी भाभी कितनी बड़ी चद
ु वासी है स्कूल छुटने तक
मैंने उससे पांच छ बार जमकर चोदा और उसने चद
ु ाई का परू ा लफ्
ु त उठाई। अपनी भाभी को मेरे से
चद
ु ते दे ख तेरे माथे पर जो परे शानी के पसीने छूट रहे थे तेरे चेहरे पर जो है रानी छाई हुई थी यही मै
तेरे चेहरे पर दे खना चाहता था।

( विनीत पूरी तरह से घायल हो चुका था बिना मारपीट के बिना लड़ाई झगड़े की विनीत परू ी तरह से
राहुल के सामने पस्त हो चुका था। राहुल अपने चेहरे पर विजई मुस्कान बिखेरते हुए उसे उसकी ही
भाभी का मोबाइल दिखाते हुए बोला।)

तेरी भाभी के साथ हो तेरी होने वाली बीवी के साथ मेरे किस तरह के नाजायज संबंध शारीरिक संबंध हे ,
इसकी सारी रिकॉर्डिंग इस मोबाइल में है तेरे पास तो मेरी मां को बदनाम करने का कोई सबूत भी नहीं
था फिर भी हम शरीफ लोग हैं इसलिए सबूत से नहीं बातों से ही हम लोगों को बदनामी का डर पूरी
तरह बना रहता है ।

आखिर तू चाहता क्या है ? (बहुत दे र बाद भी नहीं सोच समझ कर बोला)

तू अब इस लायक भी नहीं रहा कि मैं तझ


ु े आगे क्या करना है इसके लिए बताऊं कुछ भी तो अपना
हाल दे ख कर खुद ही समझ जाना चाहिए कि तुझे अब क्या करना है कैसे करना है । जो तू अपने मन में
मेरी मां को पाने का गंदा सपना संजो रखा है । अपना हाल दे खकर तझ
ु े यह समझ जाना चाहिए कि
अब आगे से किसी अपने सपने के साथ चलना है या नहीं। फिर भी मैं तेरे अच्छे के लिए इतना बता दं ू
कि आइंदा अगर तू मेरे परिवार को बदनाम करने की या फिर मेरी मां के आसपास भी भटका तम
ु मझ
ु से
बरु ा कोई नहीं होगा।

और हां मैं चाहूं तो इस रिकॉर्डिंग के जरिए तझ


ु े तेरे परिवार सहित परू ी तरह से बदनाम कर सकता हूं।
परू े समाज में तू और तेरा परिवार कहीं मंह
ु दिखाने के काबिल भी नहीं रह जाएगा।

( विनीत आंखें नीची करके राहुल की सारी बातें सन


ु े जा रहा था और सन
ु ने के सिवा कुछ कर भी नहीं
सकता था राहुल उसे हिदायतें दे ते हुए धमका रहा था।)

विनीत अगर मैं चाहूं तो इस रिकॉर्डिंग के जरिए आंखें भी तेरी आंखों के सामने ही तेरी भाभी के साथ
चद
ु ाई का परू ा सख
ु ले सकता हूं। और तू मेरा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता और अगर चाहूं तो तेरी होने
वाली बीवी नीलू के साथ भी सब कुछ कर सकता हूं और तू कुछ भी नहीं कर सकता। लेकिन मैं अब
ऐसा करुं गा नहीं आज आखिरी बार तझ
ु े सबक सिखाने के लिए मझ
ु े यह सब करना पड़ा। और अब से
मेरा और तेरा कोई रिश्ता नहीं है और ना ही तेरी भाभी के साथ और ना ही नीलू के साथ आज सब कुछ
त्याग रहा हूं। तू अपनी दनि
ु या में मस्त रह और मैं अपनी दनि
ु या में ।

अगर अभी भी तेरे मन में कोई शंका हो या और कोई षड्यंत्र तेरे मन में बन रहा हो तो वह भी बता
दे ना इसका भी इलाज में अच्छी तरह से कर दं ग
ू ा। यह तू अच्छी तरह से समझ लेना।

( इतना कहने के साथ ही राहुल मस्ती में अपने रास्ते पर चल पड़ा विनीत वहीं खड़ा उसे जाते हुए दे खता
रह गया एक हारे हुए सिपाही की तरह वह मैदान ए जंग में घट
ु नों के बल बैठा हुआ था। उसके पास
कोई रास्ता नहीं था शिवाय राहुल की दी हुई हिदायतो पर कायम रहने के। विनीत भी वही खड़े राहुल को
तब तक दे खता रहा जब तक की वह उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गया इसके बाद वह भी अपने
रास्ते पर चल पड़ा।

राहुल अब सुकून की सांस ले रहा था उसने अपनी मां अलका के लिए दो दो औरतों का साथ छोड़ चुका
था वह चाहता तो दोनों औरतों के साथ भी अपने संबंधों को कायम रख सकता था क्योंकि उन दोनों के
साथ संबंध रखने में भी उसे कोई अड़चन नहीं होती लेकिन वह अब इस दनि
ु या में वापस नहीं जाना
चाहता था। वह अलका से ही बेहद प्यार करता था दो दो औरतों को अलका के लिए त्याग कर दे ना ईसी
से इस बात की साबिती होती थी कि अलका की खूबसूरती उसका भरा हुआ बदन, विनीत की भाभी और
नीलू की खूबसूरती पर भारी पड़ रही थी वरना कौन बेवकूफ होगा जो वीनीत की भाभी जैसी मस्त योवन
वाली औरत और खूबसरू ती की कुतुब मीनार की ऊंचाई को छूती हुई नीलु जेसी लड़की को छोड़ेगा। लेकिन
राहुल तीनों औरतों के साथ मजे ले चुका था उसे अच्छी तरह से मालूम था कि तीनों में से कौन सबसे
ज्यादा बेहतर है वह अच्छी तरह से जानता था कि ऊसकी मां के मादक बदन के हर एक अंग से मदन
रास टपकता था। और राहुल अलका के मदनरस का दीवाना हो चुका था।

राहुल अपने घर नां जा कर इधर-उधर घूमता रहा। उसे शाम होने का इंतजार था। जब शाम ढले लगी
पर अंधेरा छाने लगा तो उसे पता चल गया कि उसकी मां घर पर आ चुकी होगी और घर का काम कर
रही होगी तब जाकर वह अपने घर की तरफ जाने लगा। घर में प्रवेश करते ही वह सीधा रसोईघर की
तरफ गया और जैसे ही दरवाजे पर पहुंचा तो उसकी नजर सीधे अपनी मां पर गई जो कि इस समय भी
आटा ही गुंथ रही थी। और आटा गूथते हुए जिस तरह से उसकी भरावदार गांड मटक रही थी। उसे दे खते
ही ऊसकी परु ानी यादें ताजा हो गई। अपनी मां की मटकती हुई गांड को दे ख कर उसे अपने ऊपर सब्र
नहीं हुआ और वह रसोईघर के अंदर दाखिल हो गया।

राहुल से रसोई घर के अंदर का नजारा दे खकर बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था। अपनी मां की मटकती
हुई गांड को दे ख कर उसे पहले की बात याद आ गई और वह अपने आप को रोक नहीं पाया और रसोई
घर में घुस गया। आटा गूथने के साथ ही अलका के भजन में हो रही हरकत की वजह से उसके कमर के
नीचे के नीचे के भाग मैं अजीब तरह की थिरकन हो रही थी जिसकी वजह से अलका की भराव दार गांड
ऊपर नीचे होते हुए मटक रही थी जोकि साड़ी के ऊपर से भी साफ-साफ महसूस हो रही थी। अलका यह
नहीं जानती थी कि राहुल रसोईघर में आ चुका है , वह तो आटा गूथ होते हुए भी अपने सर पर आई
मुसीबत के बारे में ही सोच सोच कर परे शान हो जा रहे थे वह उसे यकीन नहीं आ रहा था कि राहुल
उसे इस बड़ी मुसीबत से छुटकारा दिला दे गा वह परे शान सी रसोई घर में रसोई बनाने में जुटी थी, लेकिन
उसका मन रसोई बनाने में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था। दस
ू री तरफ राहुल कुछ दिनों से अलकां के
साथ कुछ भी नहीं कर पाया था। राहुल विनीत की भाभी और नीलू के साथ जमकर चुदाई का मजा लेने
के बावजूद भी उसकी प्यास बझ
ु ी नहीं थी उसकी प्यास अभी भी अधूरी थी, क्योंकि जब तक वह अपनी
मां को जमकर चोद नहीं लेता था तब तक उसकी प्यास बझ
ु ती नहीं थी। इसीलिए तो अपनी मां की
भरावदार और मटकती हुई गांड को दे खकर उसकी दबी हुई प्यास और ज्यादा बढ़ गई और अपनी प्यास
को भुझाने के लिए वह अपनी मां की तरफ बढ़ने लगा। दस
ू री तरफ अलका अपने ही ख्यालों में खोई हुई
थी तभी उसे अचानक अपनी कमर के इर्द-गिर्द हथेलियों की पकड़ का एहसास होते ही जोर से उछल पड़ी
लेकिन राहुल अपनी मां को कमर से कस के पकड़ कर अपने बदन से सटा दिया, अलका कुछ समझ
पाती इससे पहले ही राहुल की पें ट मे बना तंबु सीधे उसके भरावदार गांड के बीचो-बीच जाकर चुभने लगा
, अपनी गांड पर कड़क और मोटे वस्तु की चुभन को महसूस करते ही उसे समझते दे र नहीं लगी कि वह
वस्तु क्या है लेकिन फिर भी एकाएक इस तरह की हरकत से वह उछल पड़ी थी। वह नजरें घुमा कर
पीछे दे खी तो राहुल उसे पीछे से अपनी बाहों में भर कर गर्दन को चूम रहा था वह कुछ कहती इससे
पहले ही राहुल ने अपने दोनों हथेलियों को ऊपर की तरफ ले जाकर ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की
बड़ी-बड़ी चूचियों को अपनी हथेली में भरकर जोर जोर से दबाने लगा और लगातार अपने तंबू को गांड
की दरारों के बीच साड़ी के ऊपर से ही रगड़ने लगा। एकाएक हुए राहुल की इस हरकत से अलका एकदम
से हड़बड़ा गई थी और हड़ब़ड़ाते हुए ही अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करते हुए वह बोली।

क्या कर रहा है राहुल एक तो वैसे ही सर पर इतनी बड़ी मस


ु ीबत है । मेरा कहीं भी मन नहीं लग रहा
है और तू है कि इस हाल में भी मस्ती करने की सझ
ू रही है और मझ
ु े काम करने दे । ( इतना कहने के
साथ वह अपने आप को छुड़ाने की परू ी कोशिश करने लगी लेकिन राहुल था कि आज मानने वाला
बिल्कुल भी नहीं था। वह आज परू ी तरह से अपनी मनमानी करने पर उतारू हो चक
ु ा था इसलिए वह
चच
ु ीयों को दबाते हुए ही ब्लाउज के बटन खोलने लगा। अपने बेटे को ब्लाउज के बटन खोल के दे ख वह
उसे रोकते हुए बोली।)

यह क्या कर रहा है बेटा मेरा मूड बिल्कुल भी नहीं है अभी रहने दे जब तक इस मुसीबत से छुटकारा
नहीं मिल जाता तब तक मेरा मन कहीं भी नहीं लगेगा। ( अलका राहुल को ब्लाउज के बटन खोलने से
रोकती रही हो राहुल खाकी उसके बोलते बोलते हैं ब्लाउज के सारे बटन को खोल दिया, किस्मत भी
शायद राहुल के साथ ही थी क्योंकि शायद गर्मी की वजह से उसकी मां ने ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं
पहनी हुई थी। इसलिए ब्लाउज के बटन खुलते ही, अलका की दोनों बड़ी-बड़ी पके हुए आम की तरह गोल
गोल चुचियां तुरंत राहुल की हथेलियों में आ गई। अपनी मां की नंगी नंगी बड़ी बड़ी चुचियों का स्पर्श
हथेलियों में होते ही राहुल का लंड पें ट के अंदर ही फुंफकारने लगा। राहुल से बिल्कुल भी रहा नहीं जा
रहा था पें ट के अंदर तना हुआ तंबू वह लगातार अपनी कमर को अपनी मां की मादक भराव दार गांड
पर रगड़ते हुए स्तन मर्दन का आनंद लेने लगा। अलका फिर भी उसे रोकते हुए बोली।

रहने दे राहुल मेरा मूड बिल्कुल भी नहीं है । छोड़ मुझे काम करने दे ।

मम्मी मुड़ का क्या है ? अभी 2 मिनट में तुम्हारा मूड बन जाएगा और हां आप किसी के बारे में भी तुम्हें
चिंता करने की जरूरत नहीं है । ( इतना कहने के साथ ही वह अपनी पें ट के बटन को एक हाथ से खोलने
लगा। अपने बेटे की बात सुनकर अलका थोड़ी सी शांत होते हुए बोली ।)

क्या मतलब?
मतलब वतलब सब बाद में बताऊंगा मम्मी मझ
ु े बस अपना काम करने दो। ( इतना कहने के साथ ही
राहुल पें ट के बटन को खोल कर पें ट को घुटनों तक सरका दिया। अलका सोच में पड़ गई आखिर राहुल
उसे चिंता ना करने के लिए कह रहा है तो जरूर कोई बात होगी। लेकिन वास्तव में उसका हाल इस
समय बेहाल होने लगा था ना चाहते हुए भी राहुल ने उसके बदन में मदहोशी का आलम भर दिया था।
वह भी करके आ सकती थी बदन की मस्ती होती ही कुछ ऐसी है कि लाख मुसीबत हम लाख परे शानी
क्यों ना हो एक बार जब बदन के अंदर काम की मस्ती चढ़ती है तो सब कुछ भुला दे ती है यही हाल
अलका का भी हो रहा था धीरे -धीरे उसकी आंखों में चुदास का सुरूर छाने लगा था।

उसके बेटे ने उसकी बड़ी बड़ी चूचियां को मसल मसल कर और उसके मस्ताए लंड की रगड़ को अपनी
गांड के बीचो-बीच महसूस कर के वह भी चुदवासी होने लगी थी की तभी राहुल उसकी उत्तेजना को और
ज्यादा बढ़ाते हुए अपने नंगे लंड को अलका की गांड के बीचों-बीच टीकाकर उसे फिर से अपनी बाहों में
भरते हुए जोर-जोर से चूचियों को दबाने लगा जिसकी वजह से अलका की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई
और उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी निकल गई।

सससससससहहहहहह.....राहुल , यह क्या कर रहा है राहुल दरवाजा भी खल


ु ा है कहीं सोनु ना आ जाए। (
अलका के बदन में परू ी तरह से उत्तेजना जा चक
ु ी थी, राहुल ने फिर से उसके बदन में काम को जगा
दिया था।

वैसे भी कुछ दिनों से अलका की बरु भी सख


ू ी पड़ी थी विनीत के द्वारा दी गई धमकी की वजह से
अलका का कहीं भी मन नहीं लगता था। हालांकि राहुल ने बहुत बार कोशिश किया अलका को चोदने का
, लेकिन अलका ने हीं तबीयत ना ठीक होने का बहाना बनाकर राहुल को अपने से दरू करती रही लेकिन
आज राहुल ने उसका मड
ू बदल दिया था अपनी कामक
ु हरकतों की वजह से एक बार फिर से अलका के
बदन में चद
ु ास की लहर भर दिया था। कुछ दिनों से सख
ू ी पड़ी बरू की नहरो मे फिर से मदनरस का
झरना फूट पड़ा था। उसकी बरु गीली होने लगी थी। अलका को डर था कि कहीं उसका छोटा बेटा सोनू
रसोईघर में ना आ जाए लेकिन राहुल ऊसके डर को दरू करते हुए बोला।)

सोनू जब तक आएगा तब तक अपना काम हो जाएगा मम्मी बस आप जल्दी से अपनी साड़ी को उठा
कर के थोड़ा सा झुक जाओ।( राहुल एकदम से चुदवासा हो चुका था। वह थोड़ा सा भी सब्र नहीं कर
सकता था। वह अपने लंड को पकड़ कर आगे पीछे करके हिलाने लगा। उसकी मां की प्यासी थी इसलिए
राहुल के कहने के साथ ही अपनी साड़ी को पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाने लगी, अपनी मां को साड़ी
ऊपर की तरफ उठाते हुए दे खकर उसके कामुक अंदाज को दे खकर राहुल का लंड उसकी हथेली में ही
उत्तेजना के कारण ठुनकी मारने लगा। अगले ही पल दे खते ही दे खते राहुल की मां अपने हाथों से ही
अपनी साड़ी को उठाकर कमर तक ऊठा दी , कमर तक साड़ी के उठते ही जो नजारा राहुल की आंखों के
सामने आया उसे दे खकर उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई। एक तो वैसे भी वह काफी दिनों के बाद
अपनी मां की भरावदार बड़ी-बड़ी गांड को दे ख रहा था और उस पर भीे उसकी मां ने पैंटी नहीं पहनी थी।
अपनी मां के बिना पैंटी पहनी हुई गांड को दे खकर राहुल और ज्यादा चुदवासा हो गया था। उससे रहा
नहीं गया और उसने एक चपत अपनी मां की गोरी गांड पर लगा दिया । चपत के पड़ते ही उसकी मां
आउच की आवाज के साथ उछल पड़ी।

आहहहहहह क्या कर रहा है , लगती है ।

मम्मी तुम तो आज बहुत सेक्सी लग रही हो ना तो आज तुमने ब्रा पहनी हो और ना ही चड्डी पहनी हो
लगता है आज पहले से ही चुदवाने का इरादा था' इसलिए पहले से ही सारी तैयारी करके रखी थी। ( राहुल
यह कहते हुए दो चार चपत और अपनी मां की गांड पर लगा दिया। जिसकी वजह से उसकी मां के मुंह
से करारी आह निकल गई।)

आहहहहहह.... नहीं रे ऐसा बिल्कुल भी नहीं है वह तो आज करने जा रहे थे इसलिए ब्रा और पें टी दोनों
नहीं पहनी हो. बस अब बातों में वक्त जाया मत करो जल्दी से अपने लंड को मेरी बरु में डालकर चोदना
शरू
ु कर दो। कहीं ऐसा ना हो कि सोनू आ जाए और सारा मजा किरकिरा हो जाए।

( जिस तरह से राहुल बेकरार था अपनी मां को चोदने के लिए उसी तरह से उसकी मां भी अपने बेटे से
चद
ु वाने के लिए तड़प रही थी। इसलिए राहुल भी ज्यादा दे र ना करते हुए तरु ं त अपनी मां को थोड़ा नीचे
की तरफ झक
ु ने का इशारा करते हुए उसकी पीठ पर हाथ रख दिया, अलका भी अपने बेटे के ईशारे को
अच्छी तरह से समझ गई और खद
ु ही किचन पर थोड़ा सा झक
ु गई। अलका के झक
ु ते ही राहुल ने
अपने लिए जगह बनाई और अपने लंड को पकड़ कर अपनी मां की रसीली और पनियाई बरु के मह
ु ाने
पर टिका दिया, जैसे ही लंड का मोटा सप
ु ाड़ा उसकी गरम और रसीली बरु की गल
ु ाबी पत्तियों पर स्पर्श
हुई वैसे ही अलका उत्तेजना से भर गई और उसका परू ा बदन कांप सा गया।

अलका की बुर गीली होने की वजह से राहुल का लंड धीरे -धीरे करके आराम से अलका की बरु की गहराई
में धंस गया, काफी दिनों से राहुल की मां प्यासी थी' इसलिए अपने बेटे का लंड बुर के अंदर लेते ही
उसकी सांसे भारी होने लगी। राहुल का लंड जैसे ही अपनी मां की बुर की गहराई नापने के लिए अंदर
घुसा राहुल अपने दोनों हथेलियों से अपनी मां की चिकनी कमर को थाम कर अपने लंड को अंदर बाहर
करते हुए चोदना शुरू कर दिया। अलका की बुर में कुछ दिनों से लंड ने प्रवेश नहीं किया था इसलिए
अपने बेटे का लंड अपनी बुर में महसुस करके अलका गदगद हुए जा रही थी। राहुल रसोई घर में अपनी
मां को चोदना शुरू कर दिया था उसे भी इस बात का डर लगा हुआ था कि कहीं सोनू आ ना जाए
इसलिए अपने धक्कों को तेजी से लगाने लगा। अलका को भी जल्दी थी चुदाई के कार्यक्रम को खत्म
करने के लिए क्योंकि उसे भी डर लगा हुआ था कि कहीं ऊसका छोटा बेटा आकर अपनी आंखों से सब
कुछ दे ख ना ले ' इसलिए वह खुद ही अपनी भारी भरकम गांड को पीछे की तरफ ठे ल ठे ल कर अपने बेटे
का साथ दे ते हुए उसका लंड अपनी बरु में ले रही थी।

गरम सिस्कारियों से पूरा रसोईघर गूंज रहा था। अलका की दोनो हथेलियां आटे में सनी हुई थी। राहुल
अपनी मां की बुर में धक्के पर धक्का लगाया जा रहा था। वह भी अपनी मां की रसीली बरु को चोदते
हुए मन ही मन में यह सोच रहा था कि वाकई में विनीत की भाभी कि बुर से और नीलू की बुर से कई
गुना ज्यादा मजा उसकी मां की बुर से मिलता है । यह सब खयाल करके राहुल और ज्यादा उत्तेजित
हुआ जा रहा था और कस कसके अपनी मां की बुर में धक्के पे धक्के लगाए जा रहा था।

ससससहहहहहह..... राहुल और तेजी से चोद मझ


ु े जल्दी जल्दी चोद मझ
ु े मेरी बरु को पानी पानी कर दे
दे ख ले दरवाजा खल
ु ा हुआ है कहीं तेरा छोटा भाई आकर दे ख लिया तो गजब हो जाएगा।

नहीं आएगा मम्मी वह भी जानता है कि उसकी मां लंड की प्यासी है । और उसकी प्यास को उसका बड़ा
लड़का अपने मोटे ताजे लंड से चोदकर बुझा रहा होगा। इसलिए तो वह भी हम दोनों को इतना समय दे
रहा है । ( इतना कहते हुए राहुल अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर अपनी मां की बड़ी बड़ी चुचियों को
थाम लिया और उसे हथेलियों में भरकर दबाना शुरु कर दिया। दोनों को बहुत मजा आ रहा था अलका
की गरम सिस्कारियों को सुनकर राहुल के ऊपर मदहोशी छा रही थी।वह बहुत तेजी से अपने मां को चोदे
जा रहा था। फच्च फच्च और सससससहहहहहह. आहहहहहह आहहहहहह की आवाज से पूरा रसोईघर गूंज
रहा था। राहुल अभी तक अपनी मां को झुका कर चोद रहा था। उसकी दोनों टांगे नीचे जमीन पर टिकी
हुई थी। राहुल ने अपने लंड को बाहर की तरफ खींचकर बाहर निकाल लिया वह अपनी जगह बदलना
चाहता था लेकिन इस तरह से बरु से लंड को बाहर निकाल लेने से अलका पीछे नजरें घुमा कर तरसी
आंखों से अपने बेटे को दे खने लगी की अलका कुछ समझ पाती इससे पहले ही राहुल अपनी मां की एक
काम को पकड़कर किचन पर रख दिया और फिर दे खते ही दे खते अपने लंड को फीर से अपनी मां की
बुर मे पेल दीया । ईस. स्थिति में लंड सीधे बुर की गहराई मे ऊतर गया राहुल के साथ साथ उसकी मां
को भी इस पोजीशन में ज्यादा मजा आने लगा राहुल तो अपनी मां की कमर पकड़ कर चोदना शुरू कर
दिया। अलका की गरम सिसकारियां फिरसे रसोईघर मैं गूंजने लगी । अलका रह रहकर अपनी भारी-
भरकम गांड को पीछे की तरफ ठे लकर अपने बेटे का साथ दे रही थी। कुछ दे र तक किचन में जबरदस्त
चुदाई चलती रही और तभी गरम सिस्कारियों के साथ अलका का बदन अकड़ने लगा और फिर तेज
धक्कों के साथ दोनों एक साथ झड़ने लगे । राहुल एक बार फिर से अपनी मां को खुश कर दिया था
और साथ ही अपना भी संतुष्ट हो चुका था। राहुल जल्दी से रसोई घर के बाहर आ गया क्योंकि किसी
भी वक्त सोनू आ सकता था। काफी दिनों से प्यासी अलका की भी प्यास बुझ चुकी थी। अलका भी
खाना बनाने में जुट गई।

राहुल और अलका दोनों का काम हो चुका था थोड़ी ही दे र में सोनू के घर पर आ गया वह पड़ोस में
दोस्तों के साथ पढ़ने के लिए गया था। राहुल के सिर से बहुत बड़ा बोझ हट चुका था विनीत से उसे
छुटकारा मिल गया था लेकिन इस छुटकारा पाने के लिए राहुल को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी अपनी
दो दो मासक
ू ाअो को छोड़ना पड़ा था। जिनके साथ अपनी जिंदगी के बेहतरीन और हसीन पल गज
ु ारे थे
जिनको दे खकर वह बदन के भग
ू ोल को बदन की रूपरे खा को अच्छी तरह से समझा और जाना था। ऐसी
खब
ू सरू त दोनों औरतों को अपनी मां अलका के लिए छोड़ चक
ु ा था। क्योंकि दोनों के खब
ू सरू त होने के
बावजद
ू भी अलका की खब
ू सरू ती दोनों पर भारी पड़ती थी।

थोड़ी ही दे र बाद अलका ने सभी के लिए खाना परोसा और तीनो साथ में बैठकर खाना खाने लगे, खाना
खाते समय अलका का ध्यान फिर से वींनीत पर चला गया

उसे फिर से उसकी दी हुई धमकी याद आने लगी। राहुल ने उसे कहा तो था कि चिंता करने की जरूरत
नहीं है लेकिन फिर भी उसका मन नहीं मान रहा था। फिर जैसे तैसे करके उसने खाना खा ली सोनू के
सामने उसे विनीत के बारे में बात करना उचित नहीं लगा इसलिए खाना खाने के बाद अलका राहुल से
जरुरी बात करने के लिए अपने कमरे में आने को बोली। इतना कहकर वह रसोई घर की सफाई में लग
गई।

कमरे में आने की बात सन


ु कर रहा हूं प्रसन्ना रहा था क्योंकि वही सोच रहा था कि रसोई घर की चद
ु ाई
से शायद उसकी मां की प्यास और ज्यादा बढ़ गई है जिसे बझ
ु ाने के लिए वह अपने कमरे में बल
ु ा रही
है । राहुल के मन में घंटियां बजने लगी क्योंकि बहुत दिनों बाद मौका मिला था सारी रात अपनी मां की
चद
ु ाई करने का' वह बहुत खश
ु नजर आ रहा था और खश
ु होता अभी क्यों नहीं आखिर इसीलिए तो
उसने दो दो औरतो को ठुकरा चक
ु ा था।

खेर अल का मन में ढे र सारे सवाल लिए अपना साफ सफाई का काम परू ा करके अपने कमरे में चलीे
गई। राहुल को भी इसी पल का इंतजार था वह भी अपनी मां के पीछे पीछे उसके कमरे में चला गया।
कमरे में घुसते ही वह अपनी मां को दे खता ही रह गया ऊसकि मां आईने के सामने अपने कपड़े उतार
रही थी वह सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में ही थी लंबे लंबे घने बाल उसकी कमर तक आ रहे थे। अलका
आईने में दे खते हुए अपने ब्लाउज के बटन को खोल रही थी । यह दे खते ही राहुल से रहा नहीं गया और
वह अपनी मां को एक बार फिर से पीछे से जाकर अपनी बाहों में भर लिया। लेकिन इस बार अलका
अपने बेटे पर नाराज होते हुए बोली।
अब हट जा, मुझे परे शान मत कर ( इतना कहने के साथ ही अलका अपने बेटे का हाथ झटकने लगी,
अपनी मां का यह व्यवहार राहुल को बिल्कुल समझ में नहीं आया और वह फिर से अपनी मां को पीछे
से बांहों में भरता हुआ बोला।)

क्या हुआ मम्मी ऐसा क्यों कह रही हो?

तो और क्या कहूं। ( अलका के ब्लाउज के बटन खोल चुके हैं जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां
सामने आईने में नंगी नजर आ रही थी। राहुल की नजर सामने आईने में नजर आ रही है अपनी मां की
बड़ी बड़ी चूची ऊपर पड़ी तो वह उन्हें पकड़ने से अपने आप को रोक नहीं सका और वह अपनी मां की
बड़ी बड़ी चुचियों को हथेली में भरते हुए। )

मैं कुछ समझा नहीं मम्मी तुम कहना क्या चाहती हो?

तझ
ु े जैसे मालम
ू ही नहीं कि मैं क्या कहना चाहती हूं मैं उसी विनीत के बारे में कह रही हूं। उसके बारे
में सोच सोच कर मेरी मस
ु ीबत बढ़ी जा रही है मेरा कहीं मन नहीं लग रहा है और तू है कि बस मझ

पर टूट पड़ता है अपनी प्यास बझ
ु ाने के लिए कुछ मेरे बारे में तो ख्याल कर कैसे छुटकारा पांऊ ऊस
मस
ु ीबत से। कहीं ऐसा ना हो कि तेरी आंखों के सामने ही हो मेरे साथ सब कुछ.....( इतना कहने के साथ
ही अलका खामोश होकर राहुल को आईने मे दे खने लगी। राहुल अपनी मां की बात को सुनकर और
उसकी खूबसूरती को आईने में दे खकर जोर से अपनी हथेलियों का दबाव चुचियों पर बढ़ाते हुए हं सने
लगा उसे हं सता हुआ दे खकर अलका आश्चर्य से राहुल को घरु ने लगी लेकिन राहुल हं सता हुआ बोला।)

अच्छा आप विनीत को ले करके इतना चिंतित हैं तो एक बात कहूं अब तुम विनीत के बारे में बिल्कुल
भी सोचना बंद कर दो।

क्या मतलब मैं तेरी बात को समझीे नहीं?


मतलब यह कि अब तुम्हारे सिर से विनीत नाम की मुसीबत बन चुकी है अब वह हमारा कुछ भी नहीं
बिगाड़ सकता उसे मैंने रास्ते पर ला दिया है । ( राहुल अपनी मां की तनी हुई निप्पल की उं गलियों के
बीच मसलते हुए बोला।)

अलका यह सुनकर एकदम चौंक गई और खुशी के मारे राहुल की तरफ घूमते हुए बोली।

सच राहुल तू सच कह रहा है ना ।

हां मम्मी मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं।

खा मेरी कसम कि यह सच है कि तुम मुझे उससे छुटकारा दिला दिया।

तुम्हारी कसम मम्मी ने बिल्कुल सच कह रहा हूं अब वह दिन हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता मैंने
आज ही उसको अच्छी तरह से समझा दिया हूं आइंदा से वह तुम्हारे रास्ते में भी नहीं आएगा।

ओह मेरे लाल तू नहीं जानता कि तूने मुझे कितनी बड़ी मुसीबत से निजात दिला दिया। ( इतना कहने के
साथ ही अलका राहुल को अपनी छाती से लगा ली ओर उसे कसके अपनी चुचियों पर दबा दी । अलका
बहुत खुश नजर आने लगी वह लगातार अपने बेटे के ऊपर चुंबनों की बारिश करने लगी। राहुल तो
अपनी मां की हरकत एकदम उत्तेजना के मारे गदगद हुआ जा रहा था। अलका थी की रुकने का नाम
ही नहीं ले रहीे थी। आखिरकार उसके बेटे ने महीनों के बाद उसे इस मुसीबत से छुटकारा दिलाया था।
जिस मुसीबत की वजह से वह महीनों से चिंताग्रस्त थी उसके बारे में सोच सोच कर वह अंदर ही अंदर
टूटते जा रही थी। अलका को ऐसा महसस
ू हो रहा था कि वह महीनों की कैद से आज आजाद हुई है
उसकी चंब
ु नों की बारिश राहुल के ऊपर रुक ही नहीं रही थी। राहुल तो अपनी मां की खश
ु ी भरी कामक

हरकत की वजह से उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच गया उसके पें ट मै ऊसका टनटनाया हुआ लंड तंबु
बनाए हुए था। अलका अपने बेटे के चेहरे पर कोई भी कोना बाकी नहीं रहने दे ना चाहती थी वह सब
जगह पर चंब
ु न की बारिश कर रही थी कि तभी राहुल अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पाया और उसने
तेरी मां के चेहरे को दोनों हाथों में भरकर अपने होठ को उसके होठ पर रखकर चस
ू ना शरू
ु कर दिया।
मस
ु ीबत से छुटकारा पाने की खश
ु ी और अपने बेटे के रसीले चंब
ु न की वजह से उसके बदन में भी
उत्तेजना का संचार होने लगा और वह भी अपने बेटे का साथ दे ते हुए उसे अपनी बाहों में भर कर
अपनी जीभ को अपने बेटे के मुंह में डाल कर चूसने लगी।

थोड़ी ही दे र में दोनों मां-बेटे कामोतेजना में सराबोर हो गए। अलका एक तरफ चुंबन का मजा लेते हुए
अपने हाथ से अपने बेटे के पें ट के बटन को खोलना शुरू कर दी और अगले ही पल उसने पें ट के बटन
खोल कर उसे नीचे घुटनों तक सरका दी । लंड को पें ट की कैद से आजाद होते हैं अलका बिना एक पल
भी बनाए तुरंत खुद नीचे घुटनो के बल बैठ गई और अपने बेटे के लंड को अपने हाथों से पकड़कर उसके
सुपाड़े को अपने मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दी। इतनी तेज गति से यह सब हुआ था कि राहुल को
कुछ पता ही नहीं चला लेकिन जैसे ही उसका लंड उसकी मां के मुंह में गया वैसे ही राहुल का पूरा बदन
उत्तेजना के मारे झनझना गया। इस समय सबकुछ बड़ी तेजी से हो रहा था राहुल और अलका दोनों एक
पल भी गवारा नहीं चाहते थे इसलिए अलका भी जल्दी जल्दी अपने बेटे के लंड को आइसक्रीम कौन की
तरह मुंह के अंदर डालकर जीभ को गोल-गोल घुमाते हुए चूसने लगी। राहुल भी अपनी मां के मुंह को ही
बुर की तरह अपनी कमर को आगे पीछे करके चोदने लगा। अलका को बहुत मजा आ रहा था आज
अपने बेटे का लंड चूसने में । उसके मुंह से गगगगगगगगगग. की आवाजें आ रही थी। राहुल अपनी कमर
को आगे पीछे हिलाता हुआ बोला।

ओहहह मम्मी बहुत मजा आ रहा है तम


ु बहुत सेक्सी हो तम
ु कितनी अच्छी तरह से मेरा लंड चस
ू रही
हो दे खो तो सही मेरे लंड का साईज और ज्यादा बढ़ गया है ।

राहुल अपनी मां के द्वारा लंड चुसाई का मजा लेते हुए गंदी गंदी बातें बोले जा रहा था और उसकी मां
अपना सारा ध्यान बस अपनी बेटे का लंड चूसने में लगा रही थी। कुछ दे र तक दोनों मां बेटे इस तरह
से मजा लेते रहें लेकिन आज अलका खुद कुछ ज्यादा मूड में नजर आने लगी थी इसलिए वह अपने बेटे
के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकालकर खड़ी हो गई और फिर से अपने बेटे के होठ को चूसते हुए
उसे बिस्तर के करीब ले जाने लगी जैसे ही बिस्तर करीब आया वह राहुल को धक्का दे कर बिस्तर पर
पीठ के बल लिटा दी। राहुल अपनी मां की इस कामुक रूप को दे खकर बहुत ही ज्यादा उत्तेजना से भर
चुका था। उसका लंड भी अपनी औकात में आ चुका था। राहुल बिस्तर पर पेट के बल लेटा हुआ अपनी
मां के कामुक रूप को दे ख रहा था और उसकी मां अपनी पेटीकोट की डोरी को खोलते हुए राहुल से बोली

आज तू नहीं बल्कि मैं तुझे चोदं ग


ू ी। (इतना कहने के साथ ही अलका अपनी पेटीकोट की डोरी को
खोलकर अपनी पेटीकोट को नीचे गिरा दी। पेटीकोट के नीचे गिरते ही अलका पूरी तरह से नंगी हो गई
क्योंकि आज उसने सुबह से ही पें टी भी नहीं पहनी थी। राहुल अपनी मां के नंगे बदन को दे ख कर
एकदम से चुदवासा हो गया और अपने हाथ से लंड को पकड़कर मुठियाने लगा। अपने बेटे को लंड
हिलाते हुए दे खकर अलका मुस्कुराई और खुद भी अपनी हथेली को अपनी रसीली बुर पर मसलते हुए
बिस्तर पर अपने घुटनों को रखकर चढ़ते हुए बोली ।

आज बेटा मैं तेरा पूरा पानी नीचोड़ लुंगी, आज दे खना मैं तझ


ु े कैसे चोदती हूं।

( इतना कहने के साथ ही अलका अपने बेटे के ऊपर सवार हो गई उसने अपने एक पैर के घट
ु ने को
उसकी दांई कमर के करीब रखी और दस
ू रे घट
ु ने को बांए।

राहुल को कुछ करने की जरूरत नहीं थी वह बस आंख फाड़े अपनी मां को दे खे जा रहा था। उसके दे खते
ही दे खते अलका ने अपनी बेटे के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसके गरम सप
ु ाड़े को अपनी बरु की
गल
ु ाबी पत्तियों के बीच टीकाई और अपने भारी भरकम गांड का दबाव लंड पर बढ़ाना शरू
ु कर दी। दे खते
ही दे खते राहुल का लंड कचकचाते हुए उसकी मां की रसीली बरु में घस
ु ने लगा।

दे खते ही दे खते राहुल का समुचा लंड उसकी मां की बुर की गहराई में कहां खो गया उसे पता ही नहीं
चला। अलका परू ी तरह से अपनी बेटे के लंड को अपनी बुर में ले चुकी थी वह अपने बेटे की जांघो पर
बैठ चुकी थी।

अलका धीरे धीरे अपने बेटे के लंड के ऊपर उठना बैठना शुरु कर दी थी। अलका को आज एक नया ही
अनुभव हो रहा था आज पहली बार बार कुछ ज्यादा ही खुल कर अपने बेटे के सामने आई थी। यह
निश्चित रुप से विनीता से छुटकारा दिलाने का इनाम था राहुल के लिए। और राहुल भी अपनी मां के
द्वारा दिए गए इस ईनाम का पूरी तरह से लाभ उठाते हुए अपनी मां की बड़ी बड़ी चुचियों को अपने
हथेली में भरकर दबाने लगा है अलका भी धीरे -धीरे अपने बेटे के लंड पर उठक बैठक करने की गति को
बढ़ा रही थी। थोड़ी ही दे र में अलका अपनी लय पकड़ ली और गर्म सिस्कारियों के साथ अपने बेटे को
चोदने लगी। राहुल भी रह रह कर नीचे से अपनी कमर को उछाल दे रहा था।

दोनों को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। अलका के उठने-बैठने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां
हवा में उछल रही थी जिसे राहुल अपनी हथेलियों में दबाकर उसे जोर जोर से मसल रहा था।

ससससससहहहहहहहह आाहहहहहह राहुल आज दे ख मैं तुझे कैसा चोदती हु। आजा तुझे पानी पानी कर
दं ग
ू ी तूने भी मझ
ु े विनीत से छुटकारा दिला कर एक बहुत बड़ी मुसीबत से बचाया है इसलिए तू जो
कहे गा वह मैं करुं गी आज तझ
ु े मे खश
ु कर दं ग
ु ी।
अलका बेहद कामोतेजना से भर चुकी थी और अपने बेटे को मुसीबत से छुटकारा दिलाने के लिए आज
की रात इनाम के तौर पर पेश कर रही थी। राहुल भाई मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए चुदाई का
आनंद ले रहा था। थोड़ी दे र तक यह घमासान चुदाई चलती रही और इसके बाद दोनों की सांसे तेज
चलने लगी । दोनों के मुंह से एक गरम आह निकली और दोनों भलभला कर झड़ने लगे। दोनों एक दस
ू रे
की बाहों में बाहें डाल कर बिस्तर पर उसी तरह से लेटे रहे । कुछ ही दे र में दोनों की सांसे सामान्य होने
लगी तो अलका बोली।

तूने मुझे आज बहुत खुशी दी है कि जिसके बारे में मैं बयां नहीं कर सकती इसलिए आज की रात में
तुझे इनाम की दरू कर दे ती हूं तुझे मेरे साथ जो करना है सब कुछ कर लो आज मैं तुझे परू ी तरह से
खुश कर दं ग
ू ी।

खुश तो तुमने मुझे हमेशा करती आई हो लेकिन यह इनाम में आज नहीं बल्कि परसों के दिन मेरे
जन्मदिन पर लूंगा। ( राहुल अपनी मां की नंगी पीठ को सहलाते हुए बोला। ) लेकिन हम इस बात का
वादा करो कि तुम मुझे उस दिन बिल्कुल भी ना इनकार करोगी ना नाराज करोगी ।

ठीक है मैं वादा करती हूं कि तझ


ु े उस दिन बिल्कुल भी नाराज नहीं करुं गी तु जैसा चाहे गा जैसे चाहे गा
वैसे मैं तुझे चोदने दं ग
ु ी।

कहीं उस दिन तुम अपने वादे से मुकर मत जाना।

नहीं नहीं पूरी तरह से अपना वादा निभाऊंगी मैं अपना वादा तोड़ुगी नहीं। ( इतना कहने के साथ अलका
मुस्कुराते हुए अपने बेटे को चूमने लगी और उसके बाद वह दोनों मैं सारी रात बिस्तर पर घमासान
चुदाई को जारी रखा।)

सुबह अलका जब उठी तो उसे कुछ महीनों से हो रही अजीब-अजीब ख्यालो से मुक्ति का एहसास हो रहा
था उसे आज बहुत ही बेहतर महसूस हो रहा था। बहुत बड़ी मुसीबत से छुटकारा पाने का एहसास उसके
तन बदन को रोमांच से भर दे रहा था। अलका की नजर अपने बिस्तर पर अपने ही बगल में निश्चिंत
होकर सो रहे अपने बेटे पर गई तो, उसके चेहरे पर खुशी और संतुष्टि भरी मुस्कान तैरने लगी। अलका
की नजर राहुल के मासूम चेहरे पर एक ही रह गई उसे राहुल का मासूम चेहरा दे खकर यकीन नहीं हो पा
रहा था कि यह वही पहले वाला सीधा साधा और शर्मिला राहुल है जो एक समय था जब लड़की और
औरतों से दरू भागता रहता था। उनसे बात करने में कतराता था और तो और वह मेरे से भी बात करता
था तो अपनी नजरों को मेरे बदन पर टीका नहीं पाता था उसकी नजरें हमेशा इधर उधर ही घूमती रहती
थी। कुल मिलाकर वह पूरी तरह से एकदम शर्मिला बच्चा ही था लेकिन अब यही शर्मिला बच्चा औरतों
के सुख का साधन बन चुका है । राहुल के चेहरे को दे ख कर अलका अच्छी तरह से जानती थी कि उसके
हथियार का लंबाई और मोटाई का पता लगा पाना बड़ा ही मुश्किल काम है । वह राहुल के सिर पर हाथ
फेरते हुए मन ही मन में सोची कि आज इसका हथियार इतना ज्यादा तगड़ा हो चुका है कि वह मेरी ही
क्या किसी भी लड़की और औरत को परू ी तरह से संतुष्टि प्रदान करने में सक्षम है । अलका एक तरह से
अपने बेटे पर गर्व कर रही थी। क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि अगर राहुल ना होता तो
उसके पास बहुत पहले ही डगमगा गए होते और ना जाने क्या हाल होता।

अलका अपने बदन पर गौर की तो शरमा गई क्योंकि इस समय भी वह संपूर्ण नग्नावस्था में बिस्तर पर
बैठी हुई थी और उसके बगल में उसका बेटा राहुल भी परू ी तरह से नंगा लेटा हुआ था। अपनी हालत
और अपने बेटे की हालत को दे ख कर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई। उसे रात वाली घटना याद आ
गई, उसे वापस याद आ गया जब उसने विनीत से छुटकारा पाने की खुशी में एकदम बेशर्म होकर के खुद
ही अपनी बेशर्मी और कामुकता का प्रदर्शन करते हुए अपने बेटे के खड़े लंड पर सवार होकर के और खुद
ही उसके तगड़े लंड को पकड़ कर उसके गरम सुपाड़े को अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रख कर
के ऊपर बैठना शुरु की थी और तब तक बैठती रही जब तक की उसके बेटे का लंड उसकी बरु की
गहराई में खो नहीं गया।

ऊफ्फफफ...... उस पल को याद करके इस समय भी अलका के बदन में झनझनाहट सी फैल जा रही थी।

अलका रात को खुद की ,की गई हरकत की वजह से,,,शर्मिंदगी महसुस कर रही थी । लेकीन अलका को
ईस बेशर्मी से भरी हरकत में भी बहुत ही ज्यादा आनंद की प्राप्ति हुई थी। अलंका की नजर जैसे ही खुद
की बड़ी बड़ी चूचीयो पर गई तो उसे वह पल याद आ गया जब राहुल दोनों हाथों में भर भर कि इसे मुंह
में लेकर चूसते हुए पीता था। अलका सोच-सोचकर उत्तेजना से भरी जा रही थी। । तीन-चार दिनों से वह
ऑफिस नहीं जा रही थी विनय से छुटकारा पाने की बात से वह सोच रही थी कि आज ऑफिस जा कर
दे ख लो और रास्ते में यह भी पता चल जाएगा कि विनीत का दिमाग ठिकाने आया कि नहीं। राहुल के
स्कूल जाने का भी समय हो रहा था इसलिए वह राहुल को जगा कर नहाने के लिए जाने लगी तब तक
राहुल भी नींद से जाग गया था। अलका अच्छी तरह से जानती थी कि सोनू अभी सो रहा होगा इसलिए
वह निश्चिंत होकर बिल्कुल नंगी हालत नहीं कमरे के बाहर जाने लगी तो बिस्तर पर लेटे हुए राहुल
बोला।

रुको मम्मी मैं भी चलता हूं नहाने आज हम दोनों साथ में ही रहें गे क्योंकि अभी सोनू सो रहा होगा तब
तक हम दोनों नहइतना कहने के साथ ही राहुल भी बिस्तर पर से बिल्कुल नग्नावस्था मे हीं खड़ा हो
गया अलका की नजर जब राहुल की जांगो के बीच गई तो वह मस्
ु कुरा दी। क्योंकि राहुल का लंड
सस
ु प्ु तावस्था में भी तगड़ा लग रहा था। साथ में नहाने की बात से अलका के भजन में उत्तेजना की
लहर दौड़ गई क्योंकि आज पहली बार वह अपने बेटे के साथ बिल्कुल नंगी होकर के नहाने का मजा
लेने वाली थी। लेकिन यह सब जल्दी से मिटाना चाहती थी क्योंकि थोड़ी ही दे र में सोनू भी जगने वाला
था इसलिए वह राहुल से बोली।

तो चलो जल्दी करो राहुल सोनू के भी उठने का समय हो गया है । ( इतना कहने के साथ ही वह कमरे
का दरवाजा खोल घर के बाहर निकल गई उसे मालूम था कि सोनू अभी सोया हुआ है लेकिन फिर भी
वह चारों तरफ नजर घुमाकर तसल्ली करने लगी कि कहीं सोनू जग तो नहीं गया है । अलका ईस
एकदम नंगी होकर चहलकदमी करते हुए बाथरूम की तरफ जा रही थी तब तक राहुल भी कमरे के बाहर
आ गया और अपनी मां के पीछे पीछे उसकी मटकती हुई गांड को दे खकर जाने लगा। अलका मस्ती में
चलते हुए बाथरूम के दरवाजे तक पहुंच गई लेकिन जब तक राहुल बाथरूम के दरवाजे तक पहुंचता
उसका सोया हुआ लंड उसकी मां की बड़ी-बड़ी गांड को मटकता हुआ दे खकर धीरे धीरे जाग गया। राहुल
की ईच्छा ऊसकी मां की गांड को दे खकर फीर से चोदने की करने लगी । ईसलिए बाथरुम मे घुसते ही
वह अपनी मां के बदन से लिपट गया ऊसकी मा भी बीते पल को याद करके पहले से ही गरमाई हुई थी
। ईसलिए वह भी राहुल को चुमने चाटने लगी । राहुल का लंड तो पहले से ही पुरी तरह से तैयार था ।
वह एकबार फीर से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को दे खकर चुदवासा हो गया था । ईसलिए बिना पल
गंवाए अपनी मां की पीठ पर हथेली रखकर नीचे की तरफ दबाते हुए ऊसे नीचे झुकने का ईसारा कीया
ऊसकी मां भी अपने बेटे का इशारा कहां कर तुरंत नीचे झुक गई और राहुल पीछे से अपनी मां की बड़ी
बड़ी गांड को अपनी हथेली में भरकर अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया।
दोनों की सांसे एक बार फिर से तेज होने लगी दोनों एक बार फिर से मस्ती के सागर में गोते लगाने
लगे राहुल जोर-जोर से अपनी मां की बुर में लंड पेले जा रहा था। और राहुल के हर धक्के के साथ
अलका की सिसकारी निकल जा रही थी । दोनो जमकर चुदाई का मजा लेते रहे और थोड़ी ही दे र में
दोनों भलभलाकर झढ़ने लगे।
इसके बाद राहुल और अलका दोनों एक दस
ू रे के बदन पर साबुन लगा कर बहुत ही अच्छे से नहाने का
मजा लिए।

दोनों बाथरुम से बाहर आ चुके थे अलका खाना बनाने में जुट गई थी वह सबके लिए नाश्ता तैयार कर
रही थी। अलका के मन में अभी भी विनीत को लेकर शंका थी इसलिए वह राहुल को नाश्ता दे ते समय
राहुल से बोली।

राहुल क्या मैं अब ऑफिस जा सकती हूं?

हां मम्मी बिल्कुल जा सकती हो।

नहीं मेरा मतलब यह था की कहीं वह फिर से मुझे परे शान तो नहीं करे गा।

नहीं मम्मी अब आप बेफिक्र रहो करो फिर जाइए वह आपको बिल्कुल भी परे शान नहीं करे गा यकीन ना
आए तो शाम को ही आजमा लेना।

( राहुल की बात सन
ु कर अलका बहुत खश
ु ी हुई। राहुल स्कूल जाने से पहले अपनी मां से बोला।)

मम्मी कल का दिन तुम्हें याद तो है ना कल मेरा जन्मदिन है ।

हां बेटा मुझे परू ी तरह से याद है मैं भला कैसे भूल सकती हूं। ( इतना कहकर अलका मुस्कुरा दी और
राहुल भी मुस्कुराकर स्कूल की तरफ चल दिया।)

दोनों बच्चों को स्कूल भेजकर खुद भी तैयार होने के लिए अपने कमरे में चली गई आज बहुत दिन बाद
उसे ऑफिस जाने का मौका मिला था वरना विनीत के डर से वह कुछ दिनों से ऑफिस नहीं जा पाई थी
और घर में ही बैठे बैठे बोर भी हो रही थी और विनीत की वजह से डरी सहमी भी रहती थी। लेकिन जब
राहुल ने बताया कि वीनीत का दिमाग ऊसने ठिकाने लगा दिया है तब उसका मन प्रसन्न हुआ विनीत
से छुटकारा पाने की बातों से उसे ऐसा लगने लगा कि जैसे कि उसे एक नई जिंदगी मिली हो। उसकी
प्रसन्नता का ठिकाना ना था वह मन में गीत गन
ु गन
ु ाते हुए आईने के सामने खड़ी होकर तैयार होने
लगी।
अलका पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी संभोग के असीम सुख की प्राप्त कर करके एक अाह्लादक
एहसास की वजह से उसकी खूबसूरती और उसके बदन का उठाव और कटाव दिन ब दिन ऊभरकर ओर
भी ज्यादा उभरकर खूबसरू त हो गया था।

अलका अपनी छातियों का उभार और अपने भरे हुए बदन को आईने में दे खकर अपनी खूबसूरती पर खुद
ही शरमा गई और गर्वित होने लगी। दिन ब दिन बढ़ती उसकी खूबसूरती का राज वो अच्छी तरह से
जानती थी। वह जानती थी कि उसके बेटे के साथ जबरदस्त संतुष्टि भारी चुदाई की वजह से ही उसकी
खूबसूरती दिन ब दिन निखरती जा रही थी। जेसे ही उसकी नजर उसकी खुद की बड़ी बड़ी चुचियों पर
गई तो अपनी चुचियों के उभार को दे ख कर और उसकी खूबसूरती से वह खुद ही चौंधिया गई और वह
अपने दोनों हाथों को अपनी दोनों गोलाइयों पर रखे बिना ना रह सकी। एक बार अपनी दोनो चुचियों को
अपनी हथेली में भरकर ब्लाउज के ऊपर से ही दबा कर वह आईने में अपने रूप को दे खने लगी और खुद
ही शरमा कर मुस्कुरा दी।

उसकी नजर दीवार पर टं गे घड़ी पर गई तो झट से बिस्तर पर से अपना पर्श उठाई और कमरे से बाहर
आ गई। वह घर से निकल कर जल्दी-जल्दी सड़क पर जाने लगी। अलका इस उम्र में भी क़यामत से
कम नहीं लगती थी आज भी वह अपनी खूबसूरती के जलवे बिखेर रही थी।

उसके बदन की बनावट और कटाव दे खकर अच्छे अच्छों का पानी निकल जाता था। अपनी बेटी की उम्र
की लड़कियों को भी वह बराबर का टक्कर दे ती थी। इसका ताजा उदाहरण राहुल ने दोनों औरतों को
अपनी मां अलका के लिए ठुकरा कर दे दिया था।

अलका जल्दी-जल्दी मस्ती के साथ सड़क पर अपनी गांड मटकाते हुए चली जा रही थी। उसकी भरावदार
गांड की थिरकन किसी को भी मदहोश कर दे ने में सक्षम थी। सड़क पर आते-जाते ऐसा कोई भी मर्द
नहीं होगा जिसकी नजर अलका के मदभरे रस टपकाते बदन पर ना पड़े। आगे से आ रहे राहगीर की
नजर सबसे पहले उसकी बड़ी बड़ी चुचियों पर ही जाती थी और पीछे से आ रहे राहगीर की नजर उस की
भरावदार बड़ी-बड़ी मटकती गांड. पर।

अलका अपनी मस्ती में कदम बढ़ाते हुए और अपनी गांड मटका के ऑफिस की तरफ चली जा रही थी
आज बहुत दिनों बाद खुली सड़क पर इस तरह से चलने पर उसे राहत महसूस हो रही थी। ऑफिस जाते
समय रास्ते में ही उसे याद आया कि राहुल का जन्मदिन आने वाला था और उसने उसे परू ी तरह से
खुश करने का वादा किया था। अपने किए हुए वादे का मतलब वह अच्छी तरह से जानती थी इसलिए
वह उस वादे को याद करके शरमाते हुए मन ही मन में मुस्कुरा दी। थोड़ी ही दे र में वह अपने ऑफिस
पहुंच गई आज खुशी-खुशी में ऑफिस का काम करके अपने मन को हल्का महसूस कर रही थी।
धीरे -धीरे घड़ी की सुई अपनी धुरी पर घूमती रही और शाम का वक्त हो गया। सपने निश्चित समय पर
ऑफिस छूट चुकी थी और अलंकार ऑफिस से निकल कर अपने घर की तरफ जा रही थी। सुबह तक
सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन ऑफिस से छूटने के बाद उसके मन में फिर से विनीत नाम का भूत
घूमने लगा उसे फिर भी नहीं कर नाम से ही चिंता होने लगी। अलका को विनीत के द्वारा दी गई
धमकी बार-बार याद आने लगी। अलका मन ही मन में घबराने लगीं उसके मन में ढे र सारे सवाल ऊठने
लगे। विनीत के बारे में सोचते हुए वह सड़क पर चली जा रहे थे उसे अब डर लगने लगा था क्योंकि
बाजार नजदीक थी और वहीं पर अक्सर उससे मुलाकात हो जाती थी। उसके मन में यह शंका बनी हुई
थी कि अगर कहीं विनीत नहीं माना और फिर से उसे धमकाने लगा और उसके साथ मनमानी करने के
लिए ब्लैकमेल करने लगा तो वह क्या करे गी, लेकिन राहुल नहीं तो उसे कहा था कि विनीत का दिमाग
उसनें ठिकाने लगा दिया है अब वह उसे कभी भी परे शान नहीं करे गा और उसी के कहने पर तो मैं आज
ऑफिस आई थी। यही सब खयाल रह-रहकर अलका के मन में उठ रहे थे और वह परे शान भी हो रही
थी यही सब सोचते सोचते बाजार आ गया उसकी दिल की धड़कनें बढ़ रही थी और वह जल्दी जल्दी
अपने कदम बढ़ाते हुए बाजार से निकल जाना चाहती थी।

वह मन ही मन भगवान से दआ
ु कर रही थी कि वीनीत उसे रास्ते में ना मिले और वह बिना किसी
मुसीबत के अपने घर चली जाए , धीरे धीरे करके वह बाजार के अंतिम छोर पर पहुंच गई जहां पर
बाजार खत्म होता था उसकी चिंता कुछ कम होने लगी मुझे लगने लगा कि वहां पर ही मैं अभी नींद से
उसका सामना नहीं होगा लेकिन उसका सोचना ही था कि सामने से उसे वीनीत मोटरसाइकिल पर आता
दिखाई दिया उस पर नजर पड़ते ही अलका के दिल की धड़कने डर के मारे तेज हो गई। उसकी चाल
कुछ धीमी हो गई ऐसा लग रहा था कि उसके पैर आगे बढ़ने से इंकार कर रहे हो धीरे धीरे विनीत करीब
आ रहा था। अलका डर के मारे उसकी तरफ से अपनी नजरें फेर भी ले रही थी लेकिन रह रहकर उसकी
नजरें बार बार वीनीत की तरफ चली जा रही थी। तभी कुछ करीब आया तो विनीत की नजर भी अलका
के ऊपर पड़ गई उसकी नजर एक पल के लिए अलका के कामुक भरावदाऱ बदन पर ही टिकी रह गई।
अलका को और उसके बदन की खूबसूरती को दे खकर विनीत के मन में लड्डू फूटने लगे और उसके मुंह
में पानी आ गया। उसकी टांगों के बीच के हथियार में हरकत होने लगी। लेकिन तभी उसे राहुल के
द्वारा दी गई शिकस्त के बारे में याद आ गया । उसे याद आ गया कि राहुल ने उसे कितना बेबस कर
दिया था कि वह उसकी आंखों के सामने उसकी भाभी और उसकी होने वाली बीवी के साथ शारीरिक
संबंध बना लिया और वह कुछ भी नहीं कर पाया। वह अच्छी तरह से समझ गया था कि राहुल से
उलझना ठीक नहीं है ।

अलका सड़क के बाएं तरफ से जा रही थी और विनीत सड़क के बाएं तरफ से आ रहा था दोनों बिल्कुल
करीब आमने सामने आने ही वाले थे कि दोनों की नजरें आपस में टकराई , अलका विनीत के नजर से
नजर मिलते ही सहमं गई उसकी डर के मारे पसीने छूट गए एक डर की लहर उसके परू े बदन में ऊपर
से नीचे तक फैल गई। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें । ना चाहते हुए भी घबराहट की वजह
से उसके पांव ज्यो के त्यों वही ठिठक गए दोनों बिल्कुल करीब आ गए थे विनीत भी अलका की आंखों
में झांकते हुए करते हुए बिल्कुल उसके करीब पहुंच गया था फर्क सिर्फ इतना था कि वह सड़क के ऊस
ओर था और अलका इस और।

अलका को लगने लगा कि राहुल की बातों का विनीत के ऊपर कोई असर नहीं हुआ है । उसकी घबराहट
बढ़ती जा रही थी उसे यकीन हो गया कि वह करीब आ करके फिर से उसे धमकाएगा और अपने साथ
सोने के लिए मजबूर करे गा वह सड़क पर बुत बने खड़ी होकर विनीत की तरफ ही दे खे जा रही थी और
विनीत भी उसी ही को घूर रहा था। विनीत एकदम आमने-सामने आ गया था लेकिन कभी विनीत अपनी
नजर सामने की तरफ फेर लिया औअपनी मोटरसाइकिल एक्सीलेटर को बढ़ाकर तेजी से आगे निकल
गया।

अलका तो वहीं खड़ी खड़ी आश्चर्य से फटी आंखों से विनीत को सड़क पर दरू जाते दे खती रह गई उसे
यह सब एक चमत्कार सा लगने लगा। वह सड़क पर खड़ी होकर विनीत को तब तक दे खती रही जब
तक की वह आंखों से ओझल नहीं हो गया । परू ा खेल उल्टा पड़ गया था कुछ दे र पहले अलका की दिल
की धड़कन जो की बहुत ही तेज चल रही थी वह अब सामान्य होने लगी। विनीत को बिना कोई हरकत
किए जाते दे ख कर उसकी जान में जान आ गई थी वह राहत सी महसूस कर रही थी।

अलका को उसके सर से बहुत भारी बोझ हल्का होता नजर आ रहा था। उसे राहुल की कही हुई एक-एक
शब्द पर यकीन होने लगा था वह अपने बेटे पर एकदम गर्वित हुए जा रही थी। राहुल पर उसे और
ज्यादा प्यार होने लगा था सड़क पर खड़े खड़े ही उसने मन में निर्धारित कर ली की वह अपने बेटे को
उसके जन्मदिन पर पूरी तरह से खुश कर दे गी वह जो चाहे गा उसे सब कुछ दे गी।

कुछ ही दे र पहले उसके चेहरे पर परे शानी के भाव नजर आ रहे थे लेकिन इस समय उसके चेहरे पर
प्रसन्नता साफ झलक रही थी। वह खुशी-खुशी अपने पैर अपने घर की तरफ बढ़ा दी।

घर पर पहुंचकर वह आराम से कुर्सी पर बैठ कर राहत की सांस ली। उसे आज अपने घर में अच्छा
महसस
ू हो रहा था। सब कुछ नया-नया सा बदला बदला सा लग रहा था। अगर राहुल घर पर मौजद

होता तो वह उसे कसके अपने सीने से लगा लेती उसे ढे र सारा प्यार करती आखिरकार उसने काम ही
ऐसा कुछ कर दिया

था। विनीत जैसी मुसीबत से छुटकारा दिला कर राहुल ने अलका को बहुत बड़ी मुसीबत से छुटकारा
दिलाया था । अलका को इंतजार था राहुल के घर पर आने का क्योंकि उसे मालूम था वह इधर उधर
घूम कर अपना टाइम पास करते रहता है इसलिए उसने झट से हाथ बहुत होकर तरोताजा हुई और रसोई
में जाकर राहुल के मनपसंद का भोजन बनाने में जुट गई।
जब तक राहुल आया तब तक खाना बन चुका था। सोनू कब से घर पर आकर अपने कमरे में पढ़ाई कर
रहा था। अलका कुर्सी पर बैठ कर राहुल का इंतजार कर रही थी कि तभी राहुल घर में प्रवेश किया उसे
दे खते ही अलका कुर्सी पर से उठी और तुरंत आगे बढ़कर राहुल को अपने सीने से लगा ली , और लगी
उसे चुमने चाटने लगी अपनी मां के इस व्यवहार को राहुल कुछ पल तक समझ ही नहीं पाया कि
आखिरकार यह हो क्या रहा है । तभी अपने बेटे को बेतहाशा चूमते हुए अलका बोली।

बेटा तन
ू े मझ
ु े आज बहुत खश
ु कर दिया है तू नहीं जानता कि तन
ू े मेरे सर से कितनी बड़ी मस
ु ीबत को
दरू किया है । मांग बेटा मांग तझ
ु े जो मांगना है मझ
ु से मांग ले में तेरी सारी इच्छाओं को परू ी करूंगी।
ईसलिए बेझिझक मांग ले।

( अपनी मां की बात सन


ु कर राहुल को समझते दे र नहीं लगी की ईतना ढे र सारा प्यार वीनीत से छुटकारा
दिलाने की खश
ु ी में है । ।।।।

अलका फिर से राहुल के गाल पर चुम्बनो का बौछार करते हुए बोली।

बोल बेटा तुझे क्या चाहिए तु जोे मांगेगा मैं तझ


ु े वो दं ग
ू ी। ( राहुल अपनी मां की बात सुनकर बहुत खुश
हुआ अपनी मां को खुश दे खकर राहुल को बेहद खुशी हो रही थी। इसलिए राहुल खुश होता हुआ बोला।)

मम्मी तुम खुश रहती है तू कितनी अच्छी लगती हो। और रही बात कुछ मांगने की तो कल मेरा
जन्मदिन है बस कल के दिन अपना यह वादा याद रखना।

( अपनी बेटी की बातें सुनकर अलका मुस्कुरा दी और एक बार फिर से उसे कस के अपने सीने से लगा
ली . अलका की इस हरकत पर राहुल के बदन में उत्तेजना फेलने लगी। इसलिए वह बोला।)

मम्मी मुझे जो चाहिए वह में कल अपने जन्मदिन पर मांग लूंगा लेकिन तुम्हारी इस हरकत से मेरा लंड
खड़ा होने लगा है ।

( अपने बेटे की बात सुनकर अलका मुस्कुरा दी उसे भी इस का आभास हो चुका था। अपनी टांगों के बीच
वह अपने बेटे के लंड की चुभन को महसूस कर चुकी थी इसलिए वह भी चुदवासी हो चुकी थी। अपने
बेटे की लंड खड़े होने वाली बात को सुनकर वह बोली।)
तो दे र किस बात की है बेटा डाल दे अपना लंड मेरी बुर में मेरी बुर भी तो तेरा लंड लेने के लिए पानी
पानी हो गई है ।

( अलका की बात को सुनते ही राहुल का लंड ठुनकी लेने लगा। लेकीन वह एक खेद जताते हुए बोला।)

लेकिन मम्मी सोनू .,,,,,

सोनू अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा है ।( अलका राहुल की बात को बीच में ही काटते हुए बोली। अलका को
भी बहुत ज्यादा ऊतावल मची हुई थी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए। राहुल भी अपनी
मां की जल्दबाजी को दे खकर एकदम से जोश में आ गया। अलका के बदन में उत्तेजना और प्रसन्नता
के भाव बराबर नजर आ रहे थे और इसी के चलते वह खुद ही वहीं पर ही कुर्सी पकड़कर झुक गई और
अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दी यह राहुल के लिए इशारा था। वह ं अपनी गांड ऊचका कर
अपनी नजरें घुमा कर राहुल की तरफ दे खने लगी और उसे आंखों से इशारा करके अपनी साड़ी को ऊपर
कमर तक उठाने का इशारा की,,,,, राहुल भी उत्तेजना से भर चुका था इसलिए वह भी एक पल की भी
दे री किए बिना सीधे अपनी मां की साड़ी को पकड़कर एक झटके में ही कमर तक उठा दिया और पें टी
को नीचे जांघो तक सरका कर अपनी भी पें ट को खोलकर नीचे घुटनो तक सरका दिया।

राहुल और अलका दोनों कामोतेजना के बहाव में बह़ते जा रहे थे। इस समय दोनों को इस बात का भी
बिल्कुल भी फिक्र नहीं थी कि वह लोग ड्राइंग रूम में ही अपनी उत्तेजना को शांत करने में लगे हुए थे
जहां पर किसी भी समय सोनु आ सकता था। लेकिन अलका आज बहुत खुश थी इसलिए वह राहुल को
भी खुश करना चाहती थी इसलिए किसी भी चीज की फिक्र उन दोनों को बिल्कुल भी नहीं थी। राहुल तो
कुछ ही दे र में अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर पूरी तरह से छा गया। राहुल अपनी मां की
गरम सिसकारियों के साथ जोर जोर से धक्के लगाता हुआ चोदे जा रहा था। कुछ मिनटों की घमासान
चुदाई के बाद दोनों एक साथ झड़ गए। दोनों अपनी कामोत्तेजना को बड़े सफाई के साथ मिटा चुके थे।

भोजन करते समय राहुल ने अपनी मां को कल के प्रोग्राम के बारे में बताया। कल के दिन अलका को
छुट्टी रखनी थी। राहुल अपनी मां और सोनू के साथ घुमने ओर खरीदी करने का प्रोग्राम बना लिया था।
कल वह अपनी मां का ब्रांडड
े ब्रा ओर पें टी के साथ साथ ट्रांशपेरेंट गाऊन भी दीलाना चाहता था., जिसके
बारे मे ऊसने अपनी मां को कुछ भी नही बताया था। जो की ऊसकीमां के लिए सरप्राईज था।

सुबह राहुल की नींद खुली तो वह अपनी मां की कमरे में बिल्कुल नंगा उसकी मां की नंगी बाहों में लेटा
हुआ था अलका और राहुल दोनों इस समय पहले की ही तरह बिल्कुल संपूर्ण नग्नावस्था में एक दस
ू रे की
बाहों में बाहें डाल कर चरमोत्कर्ष के पश्चात नींद की आगोश में लेटे हुए थे। राहुल की आंख खुलते ही
वह बहुत ही पसंद नजर आ रहा था क्योंकि आज ही उसका जन्मदिन था। राहुल दीवार पर टं गी घड़ी की
ओर दे खा तो काफी समय हो चुका था वैसे भी आज चिंता की कोई बात नहीं थी ना तो उसे स्कूल जाना
था और ना ही उसकी मां को ऑफिस। उसने कुछ दे र तक बिस्तर पर ही लेटे लेटे हुए अपनी मम्मी के
रे शमी बालो मे ऊंगलियो को ऊलझा कर सहला रहा था।

कुछ दे र तक यूं ही लेटे रहने के बाद वह जैसे ही बिस्तर पर से उठने को हुआ, वैसे ही तुरंत अलका की
भी नींद खुल गई। राहुल पर नजर पड़ते ही अलका मुस्कुराने लगी हो मुस्कुराते हुए उसे जन्मदिन की ढे र
सारी बधाई दे ते हुए उसे गले से लगा ली। राहुल भी अपनी मम्मी की बधाई को मंजूर करते हुए अपने
होठों को गुलाबी होता रखकर चुंबन करने लगा। गले मिलने के बाद राहुल अपनी मां को बोला।

मम्मी जल्दी से तम
ु नहा धोकर तैयार हो जाओ और सोनू को भी तैयार होने को कहो, मैं भी जल्दी से
नहा धोकर तैयार हो जाता हूं क्योंकि आज हम लोगों को बाहर है खाना खाना है और सारा दिन बस
घम
ू ना है और खरीदी करना है ।( राहुल की बात सन
ु कर अलका खश
ु तो हुई लेकिन उसके चेहरे पर उदासी
छाने लगी अपनी मां को उदास होता हुआ दे खकर वह बोला।)

क्या हुआ मम्मी तुम ऐसे उदास क्यूं हो गई?

बेटा बाहर घूमने फिरने की बात तो ठीक है लेकिन इतने सारे पैसे कहां है ?

तुम चिंता मत करो मम्मी मैंने सारा बंदोबस्त कर लिया है बस आप जल्दी से तैयार हो जाइए फिर हम
घूमने चलते हैं।

( अपने बेटे की कहानी सुनकर अलका को राहत हुई उसे अब अपने बेटे पर पूरा पक्का यकीन होने लगा
था। अगर वह कह रहा है कि बंदोबस्त कर के रखा है तो जरूर उसने कुछ ना कुछ बंदोबस्त किया होगा
तभी तो वह बाहर घूमने फिरने और खरीदी करने की बात कर रहा है । अलका खुश होते हुए बस एक
चादर भर अपने बदन पर लपेटी और वैसे ही बाथरूम की तरफ चल दी।
कुछ ही दे र मे राहुल और सोनू तैयार होकर नीचे बैठे हुए थे वह दोनों अपनी मां का इंतजार कर रहे थे
जो कि अपने कमरे में अभी भी तैयार हो रही थी लेकिन कुछ समय ज्यादा लगने की वजह से राहुल
सोनू से बोला।

तू यही बैठ मे मम्मी को बुला कर लाता हूं। ( इतना कहकर राहुल अपनी मां की कमरे की तरफ जाने
लगा। कमरे के दरवाजे के पास पहुंच कर अपने हलके से दरवाजे को धक्का दिया तो दरवाजा खुद-ब-खुद
खल
ु गया। राहुल की नजर जैसे ही कमरे के अंदर गई अपनी मां का गोरा बदन दे खकर उसकी आंखें
चौंधिया गई। अलका की पीठ उसकी तरफ थी और वह अपने दोनों हाथ पीछे लाकर ब्रा के हुक को बंद
करने की कोशिश कर रही थी। राहुल अपनी मां के इस रूप को दे खकर एकदम से चद
ु वासा हो गया। इस
समय अलका की गांड साड़ी ज्यादा टाईट बंधी होने की वजह से कुछ ज्यादा ही भरावदार लगने लगी थी।
राहुल के लिए ईतना लभ
ु ावना और कामक
ु दृश्य को दरवाजे पर खड़े खड़े दे खते रहना एक बिल्ली का दध

से भरी हुई कटोरी को बस दे खते रहने के बराबर था जोकि दोनों सरू त-ए-हाल में संभव नहीं था। इसलिए
राहुल कमरे में दाखिल हुआ और सीधे अपनी मां के पास पहुंच कर अपनी एक हथेली को उसकी
भरावधार गांड पर रखकर कस के दबा दिया। राहुल के ईस हरकत पर अलका के मंह
ु से आऊच्च निकल
गया।

आऊच्च,,,,,, क्या कर रहा है राहुल? ( वह फिर से अपनी ब्रा के हुक को बंद करने की नाकाम कोशिश करते
हुए बोली।)

क्या मम्मी हम दोनों कब से तुम्हारा नीचे इंतजार कर रहे हो और आप हैं कि अभी तक तैयार भी नहीं
हो पाई हो।

अरे दे ख नही रहा है ,,,, इस मुआा ब्रा का हुक है की बंद ही नहीं हो रहा है ।

अच्छा लगे नहीं बंद कर दे ता हूं ।(इतना कहने के साथ ही राहुल ब्रा के दोनों स्ट्रे प को पकड़ कर खींचकर
बड़ी मुश्किल से हुक में फसाते हुए बोला ।)
कहां से हुक लगेगा मम्मी ईस ब्रा का साईज दे खो और आपकी चुचियों का साइज दे खो। यह तब की ब्रा
लग रही है जब आपकी चूचियां नारं गी की तरह गोल गोल हुआ करती थी लेकिन अब आप की चूचियां
रस से भरी हुई पके हुए आम की तरह बड़ी बड़ी हो गई है ।

( इतना कहने के साथ ही राहुल पीछे से अपनी मां को बाहों में भरते हुए चुचीयों को अपनी हथेली में
भरकर दबा दिया। )

आऊच्च,,,, तो क्या करूं बेटा तू तो जानता है कि नई ब्रांडड


े ब्रा खरीदने की मेरी तो है सियत नहीं है । (
अपनी मां की बात को सन
ु कर वह बात को बदलते हुए बोला)

कोई बात नहीं मम्मी अब जल्दी करिए दे र हो रही है ।

बस बेटा दो मिनट ( इतना कहते ही वह साड़ी के पल्लू को अपने कंधे पर ले ली अब वह पूरी तरह से
तैयार हो चुकी थी। इस समय अलका का रूप दे खते ही बन रहा था बला की खूबसूरत लग रही थी
अलका। राहुल की नजर तो अलका के बदन के ऊपर से हट ही नहीं रही थी। अलका राहुल की नजर को
भांप गई और शर्माते हुए बोली।)

तू तो ऐसे दे ख रहा है जैसे की पहले कभी मझ


ु े दे खा ही न हो।

मम्मी आप को खुद पता नहीं है कि आप कितनी ज्यादा खब


ू सूरत हैं इसलिए तो जब भी आपको दे खता
हूं तो बस दे खता ही रह जाता हूं।

बस बस अब और ज्यादा तारीफ मत कर जल्दी चल दे र हो रही है ।

( दोनों कमरे से बाहर की तरफ जाने लगे लेकिन जाते जाते भी राहुल की नजर उसकी मां की भरावदार
नितंबों पर ही टिकी हुई थी जिसे वह कमरे के बाहर निकलते निकलते भी अपनी हथेली से जोर से दबा
दिया और अलका राहुल की तरफ दे खकर मुस्कुरा दी।)

तीनों घर से बाहर निकल चक


ु े थे घम
ू ने के लिए। आज तीनों बहुत खश
ु नजर आ रहे थे। अलका का रूप
तो दे खते ही बन रहा था उसकी खब
ू सरू ती में चार चांद लग गए थे। अपनी चचि
ु यों के साइज से भी छोटे
साईज का ब्लाउज पहनने की वजह से चचि
ु यों का आकार कुछ ज्यादा ही बड़ा लग रहा था ऐसा लग रहा
था कि अब यह दोनों कबूतर ब्लाउज फाड़कर बाहर फड़फड़ाने लगें गे। चूच़ियों के ऊपरी हिस्से की पतली
दरार कुछ ज्यादा ही लंबी और गहरी लग रही थी। जिस पर अगर किसी की भी नजर पड़ जाए तो
उसका लंड बिना कहे खड़ा हो जाए। आने जाने वाले सबकी नजर अलका पर ही टिकी रह जाती थी जिसे
राहुल भली-भांति समझ रहा था उसे अच्छा तो नहीं लग रहा था लेकिन कर भी क्या सकता था उसकी
मां थी भी इतनी खूबसूरत और सेक्सी की किसी की भी नजर उस पर पड़े बिना रही ही नहीं जाती थी।
राहुल को भी अलका का यह रूप बहुत ज्यादा भा रहा था।

आज राहुल दिल खोलकर अपने भाई सोनू और अपनी मां पर पैसे खर्च कर रहा था और उनकी हर
ख्वाहिशों को परू ी कर रहा था। उन दोनों की जो इच्छा होती थी वह उन दोनों को खिला रहा था पैसे की
बिल्कुल भी चिंता नहीं थी क्योंकि 10000 की नोटों की गड्डी जो वीनीत की भाभी से लिया था। राहुल
अपने भाई और अपनी मां को सभी जगहों पर घुमाया। पार्क में चिड़ियाघर में जहां-जहां हो सकता था
सभी जगहों पर घुमाया। राहुल ने उन दोनों को सीनेमा भी दिखाया। अलका को आज अपनी जवानी के
दिन याद आ गए जब पहली बार बार शादी कर के आई थी तब उसके पति ने पहली बार उसे सिनेमा के
दर्शन कर आए थे और उस दिन के बाद आज उसका बेटा उसे सिनेमा दिखाने ले गया था। अलका के
साथ-साथ सोनू बहुत खुश नजर आ रहा था क्योंकि उसने आज तक इतनी आजादी के साथ ना कहीं
घूमा फिरा और ना ही इतना कुछ खाया। थियेटर में ज्यादा भीड़ नहीं थी और अंधेरा होने के बाद अंधेरे
का लाभ उठाते हुए राहुल और अलका एक दस
ू रे को चुम्मा चाटी करने का पूरा आनंद उठाते रहे , राहुल
की इच्छा तो अलकां को लंड चुसवाने की थी लेकिन पास में सोनू के मौजूदगी में ऐसा संभव नहीं लगा
इसलिए सिर्फ चुंबन से ही काम चलाना पड़ा।

अलका की भी इच्छा बहुत थी थिएटर में नहीं अनुभव का आनंद उठाने के लिए लेकिन वह भी ऐसा ना
कर सकी. लेकिन कामुक हरकतों की वजह से अपनी बरु जरूर गिली कर ली। फील्म दे खकर बाहर निकले
तो शाम हो चुकी थी। राहुल अपने लिए केक खरीदना चाहता था इसलिए वह दक
ु ान से केक भी खरीद
लाया।

राहुल के मन में गुदगुदी सी होने लगी क्योंकि वह अपनी मां के लिए ब्रांडड
े ब्रा और पैंटी और ट्रांसपेरेंट
गाउन खरीदना चाहता था। उसकी उत्सुकता इस बात पर ज्यादा थी की यह सब ब्रांडड
े कपड़े पहनने के
बाद उसकी मां कैसी दिखेगी, यह सब सोच-सोच कर ही उसके लंड का तनाव बढ़ता जा रहा था।

राहुल ने सबसे पहले सोनू के लिए कपड़े खरीदने और उसके बाद उसकी मां के लिए एक नई सी सुंदर
सी साड़ी खरीदा नई साड़ी पाकर के तो अलका खुशी के मारे फुले नहीं समा रही थी। तीनों बहुत खुश
नजर आ रहे थे अलका अपने बेटे की तरफ दे ख कर मन ही मन अपने आपसे ही बातें करते हुए कह
रही थी कि वाकई मैं ऊसका बेटा अब बड़ा हो गया है ।
राहुल के बदन मे अजीब सी गुदगुदी मच रही थी क्योंकि इस समय वहं उसी दक
ु ान के सामने खड़ा था
जिस दक
ु ान से विनीत की भाभी ने अपने लिए ब्रांडड
े अंडर गारमें ट और राहुल के लिए टीशर्ट खरीदी थी
राहुल को भी इसी शॉप से अपनी मां के लिए ब्रांडड
े ब्रा और पैंटी के साथ-साथ ट्रांसपेरेंट गाउन भी
खरीदना था। वह अपनी मां को साथ में लेकर जा नहीं सकता था क्योंकि वह उसे सरप्राइस दे ना चाहता
था। इसलिए वह सोनू और अपनी मां को मैंगो जूस पिलाने के बहाने जूस की दक
ु ान पर ले गया जोकि
उसी शॉप के ठीक सामने ही थी। वहां जाकर वह दो ग्लास जुस का ऑर्डर कर दिया और अपनी मां और
सोनु को वहीं बैठे रहने के लिए बोला। राहुल वहां से जाने लगा तो उसकी मां बोली।

तू कहां जा रहा है बेटा?

तुम दोनों यहीं बैठकर जूस पीओ मम्मी मै तब तक सामने की शॉप से कुछ कपड़े खरीद कर लाता हूं।

लेकिन कपड़े तो हमने ले लिए है ना तो अब कौन से कपड़े खरीदने हैं।

मम्मी आप यहीं बैठकर जस


ु पीओ यह कपड़े आपके लिए ही है लेकिन सरप्राइज़ है । ( इतना कहने के
साथ ही वह दोनों को वहीं छोड़ कर सड़क पार करके ऊसी शॉप मे चला गया।

आज दस
ू री बार राहुल ईस शॉप में कदम रख रहा था। वह पहली बार भी नहीं आना चाहता था लेकिन
विनीत की भाभी ं उसे जबरदस्ती शोप मे ले आई थी। उस दिन उस को ब्रा और पें टी खरीदते दे ख कर
उसका भी मन हो रहा था कि वह भी अपनी मां के लिए ईस तरह के ब्रांडड
े ब्रा और पें टी खरीद कर उसे
पहनने को दे लेकिन उस समय उसके पास पैसे नहीं थे। लेकिन आज उसकी जेब गर्म थी और वह
अपनी मां को सरप्राइज भी दे ना चाहता था। शॉप में आते ही राहुल की आंखें कपड़ों की चमक और उसके
ब्रांडड
े लक्जुरीयस डिजाइन को दे खकर चाौंधीया गई। वहां लेडीज अंडर गारमें ट्स के काउं टर पर गया तो
वहां पर खड़ी लड़की उसे पहचानने और मुस्कुराते हुए उसका अभिवादन करते हुए बोली।

कहीए सर आपको क्या दिखाऊं?

( उसकी बातें सुनकर राहुल को थोड़ी झिझक हुई वह थोड़ा शर्माने लगा । वह लड़की जो काउं टर पर खड़ी
थी वह अनुभवी थी राहुल के असहजता का भाव वह भांप ली । इसलिए राहुल को सहज करने के उद्देश्य
से वह मुस्कुराते हुए बोली।)
सर आप बिल्कुल भी मत शर्माइए बस आप मुझे इतना बता दीजिए कि आपको चाहिए क्या?

( ऊस लड़की की बात सुनकर राहुल थोड़ा सा हड़बड़ा गया और हड़बड़ाते हुए बोला।)

ममममम,,,,,,, ममममम,,,, मुझे,,,,,,,,

( राहुल के मुंह से इतना ही निकला था कि वह लड़की उसकी बात को बीच में काटते हुए बोली।)

पहली बार किसी लेडी के अंडर गारमें ट्स खरीदने आ रहे हैं ना।

हां( राहुल हां में सिर हिलाते हुए बोला।)

आप बिल्कुल भी टें शन मत लीजिए सर पहली बार ऐसा ही होता है यहां बहुत लोग पहली बार आते हैं।
तो इसी तरह से थोड़ा सा घबरा जाते हैं। वह लोंग भी पहली बार ही अपनी गर्लफ्रेंड के लिए तो कोई
अपनी आंटी के लिए तो कोई अपनी भाभी के लिए और कोई तो अपनी मम्मी के लिए भी लेने आता है ।
कहीं आप भी तो अपनी मम्मी,,,,,,,( इतना कहते ही वह मुस्कुराने लगी।)

ननननन,,,,, नही,,,,, मैं तो अपनी पड़ोस वाली भाभी के लिए लेने आया हूं ।

कौन जो उस दिन आप उनके साथ आए थे वही भाभी।

नही नही यह दस
ू री भाभी है । वह क्या है कि उनके घर कोई इस समय मौजद
ू नहीं है खरीदने के लिए
तो उन्होंने मझ
ु े ही भेज दी।

कोई बात नहीं सर आप बस साईज बताइए मैं आपको एक से एक ब्रांडड


े ब्रा और पें टी दिखाती हूं और जो
भी आपको पसंद हो आप ले लीजिएगा।
( राहुल अपनी मां के बदन के हर एक अंग से वाकिफ था। वह अपनी मां के बदन को पूरी तरह से
अवलोकन कर चुका था। वह अपनी मां की दोनो चुचियों को अपनी हथेली में ले लेकर परू ी तरह से नाप
चुका था। और उसकी भरावदार नितंबों का तो वह पहले से ही दीवाना था। इसलिए उसे अपनी मां का
साईज बताने मे ऊसे नहीं जरा सी भी दिक्कत नहीं हुई। और उसने अपनी मां का साइज बता दिया। वह
लड़की बहुत याद आ रही थी इसलिए उसने झट से राहुल के बताए अनुसार साइज की ब्रा और पें टी
निकालकर काउं टर पर रख दी। राहुल को ब्रा की डिजाइन और पैंटी की डिज़ाइन दे खकर ही मदहोश होने
लगा। वह मन ही मन कल्पना करने लगा कि ईस तरह की ब्रा और पैंटी पहनने के बाद उसकी मां कैसी
दिखेगी। उसके बदन में अजीब सी उत्तेजना का अनभ
ु व हो रहा था। उसने ब्रा और पें टी को पसंद करने
में ज्यादा समय नहीं लिया और झट से पसंद कर लिया। इसके बाद उसने उस लड़की को शॉर्ट ट्रांसपेरेंट
गांऊन दिखाने को कहा। और उसका उनको भी उस लड़की ने बहुत ही अच्छी डिजाइन का दिखाया तो
राहुल ने झट से उसे भी पसंद कर लिया। बहुत ही जल्दी उस लड़की ने अपने तरीके से राहुल को सहज
कर ली थी। इसलिए तो उसकी हड़बड़ाहट खत्म हो चक
ु ी थी।)

मैडम आप से एक रिक्वेस्ट है ।

जी बोलिए।

यह सारे अंडर गारमें ट्स आप अगर किसी गिफ्ट की तरफ पैक करके मुझे दें गीे तो कुछ ज्यादा ही अच्छा
रहे गा। ( राहुल की बात सुनते ही वह लड़की समझ गई कि मामला कुछ और ही है इसलिए वह मुस्कुराते
हुए बोली।)

ओहहहह,,,,,, तो मामला कुछ और ही है ।(ईतना कहने के साथ ही वह फिर से मुस्कुराने लगी और


मुस्कुराते हुए बोली।)

कोई बात नहीं सर हो जाएगा लेकिन उसके एक्स्ट्रा चार्ज लगें गे।

ठीक है मैं एक्स्ट्रा चार्ज दे दं ग


ू ा बस आप जल्दी से पेक कर दीजिए।
( ऊस काम करने वाली लड़की ने जल्दी से सारे गारमें ट्स और गांव में को गिफ्ट की तरह बहुत ही अच्छे
तरीके से पैक करवा दी। और वह बिल बनाने लगी। ऊस लड़की ने लॉ कट टी-शर्ट पहनी हुई थी जिसकी
वजह से उसकी दोनों गालाइयों के बीच की लकीर साफ साफ नजर आ रही थी और हल्का हल्का दधि
ू या
रं ग के के दोनों गोलाई भी नजर आ रही थी। उस लड़की ने बिल बनाते समय तिरछी नजर से इस बात
पर गौर की कि वह उसकी दोनों चुचियों की ही तरफ दे ख रहा है लेकिन वह इस बात को नजरअंदाज
करके मुस्कुराते हुए बिल बनाने लगी।

राहुल बिल का पेमेंट करते समय उस काउं टर वाली लड़की से बोला।

अगर आप बरु ा ना माने तो आपसे एक बात कहूं।

जी कहीए ।

आप उस( ऊंगली से कांच के अंदर रखी ब्रा और पैंटी की तरफ इशारा करते हुए) रं ग और साईज की पहना
करिए आप पर बहुत सूट करे गी।

( राहुल की उं गली जिस तरफ निर्देश कर रही थी उस लड़की की नजर वहां गई तो वहां शरमा गई ।
इससे पहले कि वह कुछ बोल पाती राहुल काउं टर छोड़कर जाने लगा और वह जब पीछे मुड़कर दे खा तो
वह लड़की राहुल की तरफ दे खते हुए मुस्कुरा रही थी।)

राहुल ब्रा पैंटी और गाउन को गिफ्ट पैक कराकर शॉप के बाहर आ गया। अलका कुछ पूछ पाती इससे
पहले ही वह बोल दिया कि यह उसी के लिए गिफ्ट है जो कि आप अपने कमरे में जाकर खोलिएगा और
पहनकर दिखाइएगा कि कैसा लगता है । इस बात को बोलते हूंए वह इस बात का भी ध्यान रख रहा था
कि सोनू उसकी बात सुन ना ले।

राहुल ने होटल से खाना भी पैक करवा लिया। अंधेरा हो चुका था जब तक वह घर पहुंचते रात के 8:00
बज चुके थे। जल्दी-जल्दी राहुल ने सारी तैयारियां कर ली और केक काट कर सबसे पहले उसने अपनी
मां को खिलाया और उसके बाद सोनू को। सोनू और अलका ने बारी-बारी से राहुल को जन्मदिन की ढे र
सारी बधाई दी तीनों बहुत खुश नजर आ रहे थे।

होटल से लाया खाना खाने के बाद सोनू अपने कमरे में चला गया अरे राहुल सोनू के जाने के बाद कुछ
गिफ्ट के पैकेट को अपनी मां के हाथों में थमाते हुए बोला।
मम्मी यह आपके लिए है जो कि एक सरप्राइज़ है । और वादे के मुताबिक आज के दिन आप मुझे
बिल्कुल भी नाराज नहीं करें गी। इसलिए इस गिफ्ट के पैकेट को ले जाकर आप अपने कमरे में खोलिए
और इसमें जो भी हो उसे पहन कर मझ
ु े दिखाएंगे और मैं थोड़ी दे र में आपके कमरे में आता हूं।

( राहुल की बातें सुनकर अलका को अजीब सा महसूस होने लगा उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि
आखिरकार यह राहुल करना क्या चाहता है । इसलिए वह राहुल से बोली।)

लेकिन बेटा इस डिब्बे में है क्या?

अगर मैं खुद बता दं ग


ू ा तो सरप्राइज़ किस बात की रही थी। इसलिए आप बिल्कुल भी सवाल मत करिए
और अपने कमरे में जा कर के खुद इस डिब्बे को खोल कर दे ख लीजिए कि ईसमे क्या है ?

अलका आज के दिन भला कैसे इंकार कर सकती थी इसलिए उसे जाना ही पड़ा। वह अपने कमरे में उस
डिब्बे को लेकर के जा चक
ु े थी। और राहुल नीचे बैठकर अजीब सी उत्तेजना का अनभ
ु व अपने बदन में
कर रहा था।

अलका आज के दिन भला कैसे इंकार कर सकती थी इसलिए उसे जाना ही पड़ा। वह अपने कमरे में उस
डिब्बे को लेकर के जा चक
ु े थी। और राहुल नीचे बैठकर अजीब सी उत्तेजना का अनभ
ु व अपने बदन में
कर रहा था।

अलका राहुल के द्वारा दिए गए गिफ्ट के पैकेट को ले करके अपने कमरे में चली गई।,, राहुल रसोई घर
के सामने ही कुर्सी पर बैठ कर इंतजार कर रहा था कमरे में जाने का वह अपनी मां को थोड़ा समय दे ना
चाहता था ताकि वह सहज होकर उसके दिए गए कपड़ों को पहन सके., क्योंकि वह भी अच्छी तरह से
जानता था कि उसकी मां ने आज तक ऐसे कपड़ों को शायद फिल्मों में या टीवी पर ही दे खी हैं उस
कपड़ो को खरीदने के बारे में तो वह कभी सोच भी नहीं सकती थी तो पहनने की तो बात ही दरू रही
और ऐसे सेक्सी कपड़ों को अपने हाथों में दे खकर और यह जानते हुए कि यह उसके ही है

तो उसकी मां को कैसा लग रहा होगा यह सब सोच सोचकर राहुल उत्तेजित हुआ जा रहा था। उसने तो
अपने मन में उन कपड़ों को कि उसकी मां के बदन पर कैसा लगेगा उन कपड़ो को पहनकर उसकी मां
कैसी दिखेगी इस बारे में ढे र सारी कल्पनाएं भी कर चुका था। और कल्पना करते-करते ही उसका लंड
टाइट हो चुका था। वह कुर्सी पर बैठकर अब तक के सारे सफर के बारे में सोचता रहा उसने कभी सपने
में भी नहीं सोचा था कि उसकी मां के साथ उसका यह पवित्र रिश्ता कुछ ऐसा बदल जाएगा कि दोनों में
मां बेटे जैसा रिश्ता खत्म हो जाएगा।

मां बेटे के बीच की यह सारी मर्यादाएं कभी नहीं टूटती अगर राहुल सुबह सुबह बाथरुम में अपनी मां के
नंगे बदन को उसके भरावदार नंगी गांड को ना दे खा होता तो कभी भी इतनी हद तक ना गुजर पाता।
उस दिन के पहले उसके दिमाग में इन सब बातों के लिए कोई जगह नहीं थी उसकी मां की खूबसूरती के
बावजूद भी उसने अपनी मां को कभी भी ऊस तरह की नजर से नहीं दे खा था। लेकिन बाथरुम के दृश्य
के बाद उसे उसे अपनी मां को दे खने का नजरिया बदलने लगा। अपनी ही मां के भराव दार नितंबों का
आकर्षण बढ़ते-बढ़ते राहुल की नजर में इस कदर बढ़ गया कि वह आकर्षण संभोग में तब्दील हो गया।
अलका के मन में भी दबी बरसों से काम की चिंगारी राहुल की वजह से ही भड़क गई और वह भी अपनी
मर्यादा को लांघ कर अपने ही बेटे से संभोग सुख का आनंद लेने लगी। और आज दोनों के बीच में मां
बेटे का रिश्ता से समाज के लिए ही है ।

अलका अपने कमरे में पहुंचकर अपने बेटे के द्वारा गिफ्ट को खोलने लगी पेकेट में क्या होगा यह सोच-
सोचकर उसके दिल की धड़कन बढ़ती ही जा रही थी।

राहुल ने उसे क्या गिफ्ट किया है इस बारे में अलका परू ी तरह से अनजान थे लेकिन पहनने की बात
उसे इतना जरूर साफ हो चक
ु ा था कि वह कपड़ा ही था।

जैसे-जैसे गिफ्ट का रे पर खल
ु रहा था वैसे वैसे अलका के दिल की धड़कने और उसकी उत्सक
ु ता बढ़ती
जा रही थी। जैसे ही पैकेट खल
ु ा और अंदर से उसने उन कपड़ों को बाहर निकाली तो उन कपड़ो का रूप
दे खकर, उत्तेजना के मारे उसकी बरु फूलने पिचकने लगी। वह उन कपड़ो को अपने हाथ में लेकर उलट
पलट कर दे खने लगी उन कपड़ो को दे खते हुए उसकी दिल की धड़कनै और ज्यादा तीव्र गति से चलने
लगी।

अलका को तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि आखिरकार यह सब है क्या लेकिन जल्दी उसे सारा
माजरा समझ में आ गया। अपने बेटे के मन की इच्छा को जानकर वह मंद-मंद मस्
ु कुराने लगी लेकिन
वह उन कपड़ो को लेकर बहुत ही असहज हो रही थी।

वह मन में यह सोचने लगी कि वह इन कपड़ों को कैसे पहन सकती है उसने तो आज तक ऐसे कपड़ों
की कभी कल्पना भी नहीं की थी और कभी सपने मे भी नहीं सोची थी कि इस तरह के कपड़े वह कभी
पहन पाएगी। उसे उन कपड़ों को लेकर के बड़ी ही शर्म महसूस हो रही थी वह एक बार तो मन में यह
ठान ली की वह इन कपड़ों को नहीं पहनेगी लेकिन तभी उसे याद आ गया कि आज उसके बेटे का
जन्मदिन है और उसने अपने बेटे से वादा की थी कि वह उसकी हर इच्छा को पूरी करे गी। लेकिन फिर
भी उसके मन में शर्म की भावना बनी हुई थी क्योंकि हाथ में कपड़े पकड़ने के बाद उसे इस बात का
आभास हो गया कि वह कपड़े कुछ ज्यादा ही छोटे हैं वह कैसे उन कपड़ो को पहनकर राहुल के सामने
आएगी और वह भी गाउन एकदम ट्रांसपेरेंट,,,,,,,,

ऊफ्फ ये राहुल भी ना,,,,,, ( अलका अपने आपसे ही बातें करते हुए बोली। लेकिन फिर मन में सोचने लगी
कि राहुल उसका कितना ख्याल रखता है और तो और उसे इतनी बड़ी मुसीबत से भी बचाया और
जन्मदिन के दिन उसे और सोनू को कितना घुमाया खिलाया पिलाया उनके लिए कपड़े तक खरीदें अगर
ऐसे में वह अपने बेटे की ईस ईक्षा को परू ी नहीं कर पाएगी तो स्वार्थी कहलाएगी। बहुत कुछ सोचने के
बाद उसने मन में ठान की वह इन कपड़ों को जरूर पहनेगी।

पैंटी को हाथ में लेते ही उसकी बुर में गुदगुदी होने लगी क्योंकि पैंटी के ऊपर वाला हिस्सा एकदम
मखमली रोंएदार और जालीदार था। जिसे पहनने के बाद भी जिस चीज को छुपना चाहिए वह बड़ी ही
सफाई के साथ बाहर ही उजागर हुई रहती थी। पें टी को दे खकर और उसके पहनने के बाद वह कैसी
दिखेगी इस बारे में सोच कर ही उसकी बुर गीली होने लगी थी।

नीचे राहुल कुर्सी पर बैठकर ऊपर जाने का इंतजार कर रहा था उसे मालम
ू था कि इतनी जल्दी उसकी
मां उन कपड़ो को पहनने वाली नहीं है इसलिए थोड़ा वक्त दे रहा था।

अलका उन कपड़ों को पहनने के लिए अपनी साड़ी को उतारना शुरू कर दि। धीरे -धीरे करके उसने अपनी
साड़ी को अपने बदन से उतार कर के बिस्तर पर फेंक दी। साड़ी को अपने बदन से उतार फेंकने के बाद
वह अपने ब्लाउज के बटन को खोलना शुरू कर दी एक-एक करके वह अपनी ब्लाउज के सारे बटन को
खोल दी। बटन के खुलते ही उसने तरु ं त ब्लाउज उतार कर फेंक दी। ब्लाउज के उतरते हैं उसका ध्यान
पुरानी ब्रा पर गई जो कि वाकई में पुरानी हो चुकी थी जगह जगह से ब्रा के रे से बाहर की तरफ निकले
हुए थे। लेकिन ब्रा के अंदर का समान अभी भी खऱा सोना ही था। जिस तरह के आकार मे बड़े बड़े
चूचियां अलका की थी उस तरह की चुचीया पाने के लिए बहुत सी औरते तरसती थी। अलका एक नजर
अपनी ब्रा के साथ-साथ अपनी बड़ी बड़ी छातियों पर भी डाली और तरु ं त दोनों हाथ अपने पीछे की तरफ
ले जा कर के ब्रा के हुक को खोल दी और ब्रा को भी उतार कर फेंक दी।

उसने जल्दी-जल्दी बाकी के भी कपड़े उतार फेंके और इस समय एकदम नंगी अपने कमरे में खड़ी थी।
सबसे पहले उसने ब्रा को उठाई और उसे ऊलट पलट कर दे खते हुए पहनने लगी । पहनते हुए ऊसे ऊसके
बदन मे अजीब सी हलचल ओर ऊन्माद फैल रहा था। बांह से ऊपर की तरफ गुजरती हुई ब्रा की स्ट्रे प
ऊसके बदन मे गुदगुदी पैदा कर रहा थी। ऊसके मन मे ऊत्सुकता बढ़ती जा रही थी। आखिरकार होले
होले उसने ऊस बब्रा को पहन ही ली। ऊफ्फ गजब का एहसास उसके बदन में हो रहा था। ब्रा का कपड़ा
इतना ज्यादा मुलायम था कि ऐसा लग रहा था कि रही हो एकदम मखमली एहसास उसे मदहोश किए
जा रहा था। ब्रा का कपड़ा भी ऐसा था कि उसकी तनी हुई निप्पल साफ साफ नजर आ रही थी जिस पर
नजर पड़ते ही उसकी बरु में गुदगुदी होने लगी। अलका की दोनो चुचियों परं ब्रा एकदम फिट बैठ गई
थी। अलका को यह समझते दे र नहीं लगी की, उसके चुचियों को माप उसका बेटा अच्छी तरह से जानता
था । हाथों में ले लेकर मुंह में भरकर वह चूंचियों के आकार से अच्छी तरह से वाकिफ हो चुका था।
अपने बेटे की सही माप का अंदाजा लगाने की वजह से अलका मुस्कुराने लगी। आज इस तरह के कपड़े
पहनते हुए अलका को अजीब से सुख का एहसास हो रहा था। धीरे -धीरे करके उसने उस मखमली पैंटी
को भी पहन ली जिसके आगे वाला भाग जालीदार था और जिसे पहनने के बाद भी उसकी बुर साफ-साफ
झलक रही थी। अलका ब्रा और पें टी को पहन चुकी थी वह घूम घूम कर अपने कजन को आगे पीछे नहीं
आ रही थी और जाकर के आईने के सामने खड़ी होकर सामने की तरफ दे खने लगे आईने में अपना
अक्स दे ख कर ' अनायास ही उसके मुंह से वाह निकल गया।

उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इस तरह के कपड़े में वो इतनी ज्यादा सेक्सी लगेगी, आईने में अपना ही
रूप दे खकर उसका अंग अंग उन्माद में भरने लगा। उसकी बुर से मदन रस की एक बूंद टपक पड़ी।
ऊसके बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था। वह बिस्तर पर पड़ा गांउन को भी उठा लाई,
और उसे भी झट से पहन ली। उस ट्रांसपेरेंट गाउन को पहनने के बाद वह आईने में अपने रूप को दे खी
तो दे खती ही रह गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इन कपड़ों में वह इतनी ज्यादा सेक्सी लगेगी।
आज पहली बार उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि इस तरह के भी कपड़े होते हैं कि जिसे पहनने
के बाद भी बदन का हर एक अंग साफ साफ नजर आता है । इन कपड़ों को पहनकर वह अजीब से सुख
की अनुभूति कर रही थी उसे बहुत ही आनंद दायक लग रहा था। उसे अपना वजन बेहद हल्का महसूस
हो रहा था और इस तरह की ब्राह्मणों उसकी चूचियां कुछ और भी ज्यादा बड़ी बड़ी लग रही थी। उसे
अपना यह रूप बेहद अच्छा लग रहा था उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि इन कपड़ो में वह इतनी
ज्यादा सेक्सी लगती है बार-बार वह घूम घूम कर अपने बदन को दे ख ले रही थी और आईने में भी
नजर मार ले रही थी।

लेकिन उसे इस बात पर बड़ी शर्म महसूस हो रही थी कि ऐसे कपड़ों में वह अपने बेटे के सामने कैसे
जाएगी जबकि वह संपूर्ण नग्नावस्था में अपने बेटे से चुदवा कर चुदाई का हर तरह से मज़ा ले चुकी थी
। लेकिन फिर भी इस समय इन छोटे छोटे कपड़ों में अपने बेटे के सामने आने में उसे शर्म महसूस हो
रही थी।

अलका आज के दिन अपने बेटे को पूरी तरह से खुश कर दे ना चाहती थी इसलिए कोई भी ऐसा काम
नहीं करना चाहती थी जिससे राहुल को बरु ा लगे, इसलिए वह ना चाहते हुए भी इन कपड़ो में अपने बेटे
के सामने आने के लिए परू ी तरह से तैयार हो चुकी थी। आईने में दे खते हुए उसने अपने बाल के जुड़े
को भी खोल दि, जिससे वह और भी ज्यादा कामुक और सेक्सी लगने लगी। इन कपड़ों में और खुले बालों
में अलका का रूप और भी ज्यादा निखरकर सामने आ रहा था।
उसे बड़ी ही बेसब्री से अपने बेटे का आने का इंतजार था क्योंकि वह जानती थी कि उसका बेटा भी उसे
इस रुप में दे खने के लिए तड़प रहा होगा। अलका अपने बेटे का इंतजार करते हुए आईने में अपने रुप
को दे ख दे ख कर खुश हो रही थी।

अलका के सोचने के मुताबिक ही राहुल नीचे बैठकर अपनी मां का इंतजार करते हुए तड़प रहा था। उसे
अपनी मां के कमरे में जाना था लेकिन वह नीचे इसलिए बैठा हुआ था कि ताकि उसकी मां को पूरा
समय मिल सके उन कपड़ों को ट्राई करने का, समय काफी हो चक
ु ा था उसका लंड भी बेहद टाईट हो
करके तड़प रहा था।

उसके लिए अब यहां पर बैठकर कुर्सी पर इंतजार करते रहना बड़ा मश्कि
ु ल हो जा रहा था उसके सब्र का
बांध टूट रहा था वह भी बेहद उत्सक
ु ता अपनी मां को इन सेक्सी कपड़ो में दे खने के लिए। इसलिए
ऊसने सोचा कि अब चलना चाहिए इसलिए वह कुर्सी पर से उठा और अपनी मां के कमरे की तरफ चल
दिया। जैसे जैसे वह अपनी मां के कमरे की तरफ बढ़ रहा था उसके दिल की धड़कन तेज होती जा रही
थी। कल्पनाओं की सड़क पर वह सरपट भागे जा रहा था। अपनी मां के कमरे की तरफ जाते हुए भी
ऊसकी कल्पनाओं का घोड़ा बड़ी ही तेजी से भाग रहा था। उसके मन में अपनी मां को ले करके और उन
सेक्सी कपड़ों को लेकर के ढे र सारी कल्पनाए जन्म ले रही थी। वह मन में सोचते हुए जा रहा था कि
ऊन कपड़ो मे ऊसकी मां केसी लग रही होगी, ऊस सेक्सी ब्रा मे ऊसकी बड़ी बड़ी चच
ु ीया केसी लग रही
होगी। छोटी-छोटी जालीदार पैंटी में ऊसका मक्खन सा बदन कैसा दिख रहा होगा।

उसकी बरु की गल
ु ाबी पत्तियां क्या जालीदार पें टी मै से झलक रही होगी या नहीं। उसके बदन पर
ट्रांसपेरेंट गाउन कैसा लग रहा होगा। यही सब सोचकर उसके राहुल की हालत खराब हो जा रही थी। यही
सब सोचते हुए राहुल अपनी मां के कमरे पर पहुंच गया कमरे का दरवाजा हल्का सा खल
ु ा हुआ था।
उसने हल्के से दरवाजे को धक्का दिया और जैसे ही उसकी नजर कमरे के अंदर गई तो अंदर का नजारा
दे खकर ऊसकी आंखे चौंधिया गई।

राहुल धीरे -धीरे अपनी मां के कमरे तक पहुंच गया था और जैसे ही उसने दरवाजे को खोलकर कमरे के
अंदर नजर डाला तो वह अंदर का नजारा दे खकर एकदम से दं ग रह गया। अंदर का नजारा दे ख कर
उसकी आंखें फटी की फटी रह गई मन में उसने ढ़े र सारी कल्पनाएं की थी लेकिन यहां तो कल्पनाओं के
विपरीत ही सबकुछ था। कहते हैं कि कल्पना से ज्यादा सुंदर कुछ नहीं होता लेकिन कल्पना से भी बेहद
खूबसूरत और कामुक नजारा उसे कमरे में दे खने को मिल रहा था। अलका आईने में अपने अक्स को
निहार रही थी और दरवाजे पर खड़ा राहुल अपनी मां को आईने के सामने खड़ा दे ख रहा था उसकी नजर
सीधे उसकी मां के भरावदार नितंबों पर ही गई थी। राहुल ने कभी सोचा भी नहीं था कि उसके दिए गए
कपड़ों में ऊसकी मां और भी ज्यादा कामुक और सेक्सी हो जाएगी। राहुल की नजर तो अलका के बदन
पर से हट ही नहीं रही थी। वह तो बस दे खे जा रहा था खास करके उसकी नजर उसकी मां की बड़ी बड़ी
गांड पर ही टिकी हुई थी जिसके ऊपर ट्रांसपेरेंट गाऊन क्या खूब फब रही थी।

गाउन छोटा होने की वजह से वह सिर्फ अलका की आधी गांड को ही ढं क पा रहा था , ढाक क्या पा रहा
था ट्रांसपेरेंट गाउन होने की वजह से सब कुछ नजर आ रहा था। अलका अपनी खूबसरू ती को आईने में
निहारने में ही मस्त थी उसे इस बात का बिल्कुल भी आभास नहीं था कि उसका बेटा दरवाजे पर खड़ा
उसे कामुक नजरो से दे ख रहा है । राहुल के लिए खड़े-खड़े यह कामुक नजारा दे खना उसके सब्र के बाहर
था इसलिए वह अपनी मां की तरफ आगे बढ़ा, राहुल जैसे ही आगे बढ़ा और जैसे ही दो चार कदम आगे
बढ़ा ही था कि आईने में वह नजर आने लगा। राहुल को कमरे में मौजूद दे खकर और अपने हालात को
दे खकर इस समय अलका शर्माने लगी। राहुल कभी अपनी मां के भजन को पीछे से दे ख ले रहा था तो
कभी आईने में उसका चेहरा दे ख ले रहा था लेकिन अलका अपने परिवेश के कारण शर्म के मारे उससे
आईने में भी आंख नहीं मिला पा रही थी। राहुल की हालत तो जेसे जेसे आगे बढ़ रहा था वैसे वैसे
खराब होती जा रही थी। उसके पजामे में परू ी तरह से तंबू बना हुआ था। राहुल को अपने करीब आता
दे ख अलका शर्माते हुए उसकी तरफ घूम गई और अपनी छोटी सी ट्रांसपेरेंट गाउन को हाथों से खींच
खींच कर नीचे अपनी चिकनी जांघो को ढकने की नाकाम कोशिश करने लगी। राहुल को यह बिल्कुल भी
समझ मे नही रहा था की आखिरकार उसकी मम्मी इस तरह से शरमा क्यों रही है । जबकि वह दोनों तो
शर्मो हया और मर्यादा के सारे बंधन को तोड़कर ईतने आगे आ चुके थे कि जहां से पीछे वापस लौट कर
जाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था। फिर उसके मन में ख्याल आया कि शायद कपड़ों की वजह से
उसकी मां शर्मा रही थी। शायद उसे इन खुले कपड़ों में कुछ ज्यादा ही खुलापन लग रहा था। वैसे ही
राहुल भी अच्छी तरह से जानता था कि वह जिसे छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी वह ऐसे भी
दिखाई दे रहा था। राहुल तो बस मंत्रमुग्ध सा अपनी मां के बदन को दे खे जा रहा था। और अलका थी
की बस शर्माए जा रहीे थीे लेकिन इस बात का उसे गर्व भी थाकि इन कपड़ो में उसका वजन कुछ ज्यादा
ही सेक्सी और कुछ ज्यादा ही उभर कर सामने आ रहा था जिसे दे खकर उसका बेटा भी मंत्रमुग्ध हो
गया था। अलका फिर भी अपने बदन को छोटे से कपड़े से ढकने की परू ी कोशिश किए जा रही थी।
अपनी मां की यह हरकत राहुल को बड़ी ही कामुक और ऊत्तेजक लग रही थी। अलका की यह हरकत
उसके बदन में झनझनाहट पैदा कर रही थी। राहुल अपने अंदर एक अजीब से सुख का एहसास कर रहा
था। उसकी मां ऐसा बर्ताव कर रही थी कि जेसे वह खुद किसी गैर मर्द के सामने इन कपड़ो में आ गई
हो। राहुल को भी ठीक ऐसा ही अनुभव हो रहा था उसे भी अपनी मां का बरखा दे खते हुए लग रहा था
कि जैसे वह किसी गैर औरत के सामने पहली बार ईस अवस्था में आ गया हो। अलका के चेहरे पर शर्मो
हया के भाव उसके चेहरे को और भी ज्यादा खूबसूरत बना रहे थे। राहुल की तो हालत ऊपर से नीचे तक
दे ख दे ख कर खराब हुए जा रही थी उसके पजामे में उसका लंड गदर मचाए हुए था जिस पर रह रहकर
अलका नजर फेर ले रही थी। पजामे में तना हुआ लंड दे खकर अलका की बुर में भी सुरसुराहट होना शुरू
हो गई थी। लेकिन इस समय वह पहने हुए अपने छोटे छोटे कपड़ों में शर्मसार हुए जा रही थी। राहुल तो
अपनी मां के खुबसुरत नंगे बदन को दे खते हुए पजामे के ऊपर से ही अपने टनटनाए हुए लंड को
मसलने लगा।

अपने बेटे को ईस तरह से पजामे के ऊपर से ही लंड को मसलते हुए दे खकर अलका की बरु पानी छोड़ने
लगी।वह समझ गई की ऊसका बेटा चुदवासा हो चुका है । लेकीन ईन कपड़ो मे अलका की हया खत्म
नही हो रही थी। राहुल अपनी मां की खुबसुरती को दे खकर ऊत्तेजना के परमशिखर पर पहुंच गया था।
अलका के दधि
ु या बदन को दे खकर ऊसकी आंखे चौंधिया गई थी।

राहुल पजामे के ऊपर से ही लंड को मसलते हुए बोला।

ओहहहह मम्मी इन कपड़ों में तम


ु तो आसमान से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही हो। मझ
ु े यकीन नही
हो रहा है की सच मे तम
ु मेरी मम्मी हो ।

तो क्या लग रही हुं? ( अलका शर्म के मारे नजरे नीचे झुकाकर बोली।)

ऐसी लग रही हो जेसे फिल्म की कोई हीरोईन

( अपनी मां के चारो ओर चक्कर काटते हुए बोला।)

अपने बेटे की बात सुनकर वह शर्मा गई। राहुल अभी भी उसके चारों तरफ घूम घूम कर उसके खब
ू सूरत
बदन को ऊपर से नीचे की तरफ पूरी तरह से दे ख रहा था। दे खते-दे खते उससे रहा नहीं गया और जो ही
वह अपनी मां के पीछे पीठ की तरफ पहुंचा तो उसकी नजर अलका के भरावदार नितंब पर चली गई
और उस पर नजर जाते ही राहुल के अंदर उत्तेजना का संचार बड़ी ही तीव्र गति से होने लगा और उससे
रहा नहीं गया उसने तुरंत अपनी हथेली अपनी मां के भरावदार गांड पर रखकर उसे हथेली में ही दबोच
लिया, राहुल की इस हरकत पर अलंकाआगे की तरफ उचक गई और उसके मुंह से आउच निकल गया।

क्या कर रहा है राहुल?


क्या करूं मम्मी मुझ से रहा नहीं जा रहा है मैंने कहा ना कि आज आप स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा
लग रही है । आपका यह खूबसूरत बदन बड़ी बड़ी चूचियां और यह बड़े बड़े गांड ईन छोटे छोटे कपड़ों में
बड़ा ही मोहक और कामुक लग रहा है । क्या कहूं मम्मी मुझसे आज अपने आप पर काबू कर पाना बड़ा
ही मुश्किल हुए जा रहा है ।

( अपने बेटे की बात सुनकर अलका शर्म से गड़ी जा रही थी लेकिन अंदर ही अंदर अपनी तारीफ सुनकर
उसे बड़ी ही प्रसन्नता हो रही थी। वह शरमाते हुए अपने दोनों हथेलियों को आपस में जोड़कर जांघों के
बीच टिका कर पैंटी से झलक रही है अपनी गुलाबी बुक को ढकने की कोशिश कर रही थी। अपनी मां को
इस तरह की हरकत करते हुए दे खकर वह बोला।)

ओह मम्मी अपनी खब
ू सरू ती को इस तरह से छुपाओगी तो कैसे चलेगा। और किससे छुपा रही हो,,,,,
मझ
ु से,,,,,

अब हमारेे बीच छुपाने जैसा कुछ रहा ही क्या है मेरे और तम्


ु हारे बीच में मर्यादा की सारी हदें टूट चक
ु ी
है । हम दोनों के बीच कुछ भी छिपने छिपाने जैसा नहीं रहा है मम्मी। बस आज खल
ु कर प्यार करो सारी
हदें तोड़ दो आपकी खब
ू सरू त और सेक्सी बदन का में दीवाना हो चक
ु ा हूं। तम्
ु हारे जैसी औरत मैंने आज
तक नहीं दे खा तम्
ु हारे जैसी खब
ु सरू ती शायद ही किसी औरत में हो।

( राहुल अपनी मां की खब


ू सरू ती की तारीफ में चार चांद लगाते हुए शब्दों के ऐसे ऐसे पल
ु बांध रहा था
कि उसकी मां भी अपने बेटे के इन बातों को सन
ु कर आश्चर्यचकित होते हुए मन-ही-मन प्रसन्नता के
साथ साथ उत्तेजित भी हुए जा रही थी। वह कुछ भी बोल नहीं रही थी बल्कि अपनी दोनों हथेलियों से
अपनी जांघ़ों के बीच पहरे दारी करते हुए उस बेशकीमती खजाने को छुपाने की कोशिश कर रही थी, जो
कि उसकी यह कोशिश नाकाम थी । क्योंकि वहां क्या-क्या छिपाती उसका अंग-अंग बेशकीमती था जांगो
के बीच की जगह को छुपाने की कोशिश करती तो, छातियों की खब
ू सरू ती बढ़ाते हुए दो बड़े बड़े टिल़े के
सामान चचि
ु या उजागर हो जाती थी। और तो और उसकी बड़ी-बड़ी भरावदार नितंब इतनी ज्यादा उभरी
हुई थी कि उन्हें छुपाने के बारे में तो वह सोच भी नहीं सकती थी। अलका का खब
ू सरू त बदन इस तरह
से तराशा हुआ था कि उस के भदन के किसी भी हिस्से पर नजर जाती तो उत्तेजना की एक लहर परू े
बदन में दौड़ जाती थी। राहुल परू ी तरह से उत्तेजना में सराबोर हो चुका था वह अपनी मां की तारीफ
करते बिल्कुल भी नहीं थक रहा था।)

मम्मी आज मुझसे दिल खोलकर प्यार करो और मझ


ु े भी प्यार करने दो आज आप अपने बदन का वह
जलवा दिखाओ की जो मैंने आज तक नहीं दे खा। तुम्हारे बदन के अंग अंग से मदन रस टपक रहा है या
मदन रस पी कर मझ
ु े त्रप्त होने दो। ( यह सब बोलते हुए राहुल की आंखों में मदहोशी जा रही थी उसके
बदन में अलका के नशा का असर परू ी तरह से हो रहा था। और अलका थी की आज ना जाने कौनसी
शर्मो हया ने उसे घेर रखा था।

जो कि खुद नंगी होकर भी अपने बेटे को पूरी तरह से अपने काबू में कर चुकी थी उसे अपनी बुर साौंप
कर चुदाई का असीम आनंद ले चुकी थी। दोनों ने ना जाने कितनी बार चुदाई का परू ी तरह से आनंद ले
चुके थे।

संभोग सख
ु प्राप्त करने की सारी कलाबाजियां दोनों ने बिस्तर पर खेल चक
ु े थे, जिस के हिसाब से हल्का
की भी सारी शर्म की हदें तोड़ चक
ु ी थी लेकिन इस वक्त इस तरह के सेक्सी कपड़ों में वह अपनी शर्म
की हद से निकल नहीं पा रही थी। लेकिन उसके अंग अंग में उत्तेजना का संचार परू ी तरह से हो चक
ु ा
था। उत्तेजना के कारण उसकी सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी। और तेजी से सांस चलने की वजह
से उसकी बड़ी बड़ी चचि
ू यां सांस कि लय में लय मिलाते हुए बड़े ही कामक
ु अंदाज में ऊपर नीचे हो रही
थी, जिसे दे खकर राहुल चद
ु वासा हुए जा रहा था। वह अपनी मम्मी की बड़ी बड़ी चचि
ु यों को ऊफान
मारता हुआ दे खकर बोला।)

ओह मम्मी अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है । आप बस ऐसे किसी पुतले की तरह खड़ी रहें गेी तो काम
कैसे चलेगा, इन कपड़ों में पूरी मस्ती दिखाओ, मुझे चलकर दिखाओ मम्मी, चलते समय तुम्हारी गांड किस
तरह से मटकती है मैं तुम्हारी गांड की थिरकन को दे खना चाहता हूं।

मैं इन कपड़ो में तुम्हें चलते हुए दे खना चाहता हूं चलते समय किस तरह से तुम्हारा अंग अंग ऊफान
मारता है यह दे खना चाहता हूं।। आज यह तुम्हारा नया रुप दे ख कर मुझसे रहा नहीं जा रहा है दे खो तो
सही तुम्हारे इस रुप ने मेरी क्या हालत कर दी है ।( इतना कहते हुए उसने अपने पजामे को थोड़ा सा
नीचे सरका कर अपने टनटनाए हुए लंड को बाहर निकाल कर अपनी मां को दिखाते हुए एक बार
मुठीयाकर वापस उसे पजामे मे ठुंस ़ दिया। अलका की नजर जैसे ही अपने बेटे के टं नटनाए हुए लंड
पर पड़ी तो अलका की बुरमें उत्तेजना के मारे सुरसुराहट होने लगी। )

मम्मी मुझसे रहा नहीं जा रहा है तो आज जो मैं कहता हूं वैसा ही आप करिए।

लेकिन बेटा मुझे इन कपड़ों में शर्म आ रही है मुझसे ठीक से खड़ा नहीं रहा जा रहा है तो मैं कैसे तुझे
चलकर दिखाऊंगी। ( अलका को इन कपड़ो में चलने में दिक्कत आ रही थी उसे शर्म सी महसूस हो रही
थी इसलिए वह राहुल से बोली। लेकिन राहुल अपनी मां की बात नां मानते हुए बोला।)
मम्मी यह मत भुलो कि आज मेरा जन्मदिन है और तुमने ही मुझसे वादा की हो की मेरे जन्मदिन पर
तूम मेरी हर ख्वाहिश पूरी करोगी।

इन कपड़ों में चल कर दिखाने वाली बात पर अलका थोड़ी सी झिझक रही थी। एक तो पहली बार इस
तरह के कपड़े पहनने का अनुभव ले रही थी और उस पर से इन कपड़ों में ठीक से अरे रहने में भी शर्म
सी महसूस हो रही थी और राहुल उसे चलने को कह रहा था इसलिए उसे और भी ज्यादा झिझक महसूस
हो रही थी।

लेकिन उसे भी अपना वादा अच्छी तरह से याद था उसने ही राहुल से कहा था कि जन्मदिन के दिन वह
उसकी सारी बात मानेगी और उसे खुश कर दे गी। वह राहुल की तरफ दे खी तो उसकी कामुक नजरे उसके
ही बदन पर ऊपर से नीचे की तरफ घूम रही थी, जिसकी वजह से वह शर्म सी महसूस हो रही थी और
यही बात उसे भी समझ में नहीं आ रही थी कि वह अपने बेटे के साथ इतना खुल जाने के बावजूद भी
आज उसे इन कपड़ो में अपने बेटे के सामने शर्म क्यों महसुस रही है । लेकिन फिर वह इस बात को छोड़
कर अपने आप को सहज करने के लिए अपनी बेटे के साथ बिताए उस रं गीन पलों को याद करने लगी,
जब मस्त होकर के उसका बेटा उसे नंगी करके चोदता था और वह खुद चुदवासी हो करके अपने बेटे के
लंड पर सवार हो कर के चुदाई का मजा लेती थी। जल्द ही अलका को इसका असर दे खने को मिला वह
धीरे -धीरे सहज होने लगी अपने बेटे के साथ बिताए उन रं गीन पलों को याद कर करके अलका का
मिजाज इस समय भी रं गीन होने लगा। राहुल बड़ी मस्ती के साथ पजामे के ऊपर से अपने लंड को
मसलता हुआ अपनीे मां की गुदाज बदन को घूर रहा था। अलका अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर
ली थी, अपने बेटे की हसरत को पूरी करने के लिए इसलिए वह अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए और
बदन की कामुकता को दर्शाते हुए अपने गुलाबी होठ को अपने ही दांतों से कुचलते हुए राहुल की तरफ
बढ़ी, मादक अदा से चलते हुए जैसे ही वह राहुल के करीब पहुंची वह उसे उसके सीने पर अपनी हथेली
रखकर धक्का दे ते हुए बिस्तर पर गिरा दी। राहुल को अपनी मां की यह अदा कामुकता के परम शिखर
तक पहुंचाने की कोई सीढ़ी के समान लग रही थी। राहुल पीठ के बल चित बिस्तर पर लेटा हुआ था
और अलका एक बार उसके ऊपर झुकते हुए उसके सीने पर अपनी हथेली फीराते़ हुए नीचे की तरफ लाई
और जैसे ही उसकी हथेली जांगो के बीच उभरे हुए तंबू पर पड़ी तो उसे अपनी हथेली में कस के दबोच
ली,,,,, इतना कसके उसने राहुल के तंबू को हथेली में दबोची की राहुल के मुंह से दर्द भरी कराहने की
आवाज निकल गई।

आाााहहहहहहह,,,,,,, मम्मी,,,,,,,,,,,
राहुल के कराहने की आवाज को सुनकर अलका मुस्कुराने लगी। अलका कभी आंखो में खुमार है छाने
लगी थी मदहोशी उसके बदन को अपने कब्जे में ले चुकी थी। उसे अब क्या करना था यह उसे अच्छी
तरह से पता था क्योंकि कुछ फिल्मों में उसमें हीरो को इस तरह से रीझााते हुए दे ख चुकी थी। वह सीधे
खड़ी हुई और अपनी पीठ राहुल की तरफ करके अपनी नजरें पीछे घुमा कर राहुल की तरफ दे खने लगी।
ट्रांसपेरेंट गाउन में से राहुल को अपनी मां का बदन साफ साफ नजर आ रहा था। राहुल तो अपनी मां
का खूबसूरत बदन दे ख कर तड़प रहा था। अपना पिछवाड़ा राहुल की तरफ करके खड़े होने पर उसने
सबसे पहले अपने सांवरे हुए बाल को उसका बक्कल निकालकर खोल दी। जिससे उसके खूबसूरत काले
घने रे शमी बाल उस की नंगी पीठ पर बिखर गए। जो कि यह रे शमी बाल अलका की खूबसूरती में चार
चांद लगा रहे थे राहुल तो बस दे खता ही रह जा रहा था। अलका ने हल्के हल्के अपनी कमर को दाएं
बाएं घुमाकर के सिर्फ अपने भारी भरकम नितंबों को ही थिऱकन दे ते हुए अपने दोनों हाथ को अपनी
कमर पर रख दी। अलका की ईस हरकत पर जिस तरह से उसकी भराव दार गांड हल्के-हल्के कंपन लेते
हुए थिरकन ले रही थी उसे दे खकर किसी का भी लंड पानी छोड़ दे ।

अलका धीरे -धीरे अपनी कमर को आगे पीछे हिलाते हुए

किसी के साथ संभोग कर रही हो इस तरह की प्रतीति करा रही थी। जिसे दे खकर राहुल से रहा नहीं
गया और उसने अपने पजामे को नीचे जाघों तक सरका कर अपने टनटनाए हुए लंडं को अपनी मुट्ठी में
भरकर हीलाने लगा। अलका को अपने बेटे की हालत दे ख कर बड़ा मजा आ रहा था। वह अपने होठों पर
कामुक मुस्कान बिखेरते हुए अपनी गांड मटकाकर आगे की तरफ बढ़ने लगी, जैसे-जैसे वह अपने कदम
को आगे बढ़ा रही थी उसकी गांड वैसे वैसे थिरकती हुई राहुल के लंड पर छोरियां चला रही थी। राहुल
अपनी मां की भारी-भरकम गांड को दे खते हुए अपने लंड को मुठिया रहा था। धीरे -धीरे अपने हुस्न का
जलवा बिखेरते हुए अलका सामने की दीवार के छोर तक पहुंच गई। राहुल ने आज तक ऐसा नजारा नहीं
दे खा था इसलिए उसकी हालत बेहद खराब हो जा रही थी कामोत्तेजना उसके पूरे बदन में लहू की तरह
बह रही थी। अलका का भी यही हाल था जिंदगी में पहली बार उसने इस तरह का कोई काम की थी
जिसको करने में उसकी पैंटी धीरे धीरे गीली होने लगी थी। उसे भी जिस तरह का कामोत्तेजना का
एहसास हो रहा था ऐसा- एहसास उसने जिंदगी में कभी भी महसूस नहीं की थी। उस छोर पर पहुंचकर
वह फिर से बिस्तर की तरफ आते हुए अपने पैर को

पटककर फिर से अपनी गांड को मटकाते हुए चलने लगी लेकिन इस बार सामने की तरफ से उसकी बड़ी
बड़ी चूचियां, ब्रा मे कैद होने के बावजूद भी आधे से ज्यादा नजर आ रही थी, जोकि रबर की गें द की
भांति उछल रही थी। और अपनी मां की चुचियों को ऊछलता हुआ दे खकर राहुल की धड़कने जोर-जोर से
उछाल मारते हुए चल रही थी। अलका को भी अपने खूबसूरत बदन पर गर्व हो रहा था । आगे राहुल की
तरफ बढ़ते हुए अलका रह रहकर अपने दोनों हथेलियों से अपनी चुचियों को दबा दे रही थी जिससे राहुल
की हालत और भी ज्यादा खराब हो रही थी। राहुल तो अपनी मां की मस्त चाल को दे खते हुए अपने लंड
को जोर-जोर से मुठिया रहा था। उत्तेजना के मारे उसका चेहरा भी लाल लाल हो गया था ट्यूबलाइट के
दधि
ू या रोशनी में अलका का खूबसूरत गोरा बदन और भी ज्यादा चमक रहा था।

अलका ने दिया आज तक कर ली थी कि जन्मदिन के दिन वह अपने बेटे को किसी भी तरह से नाराज


नहीं करे गी और उसे हर तरह का सुख दे ने की पूरी कोशिश करें गी। इसलिए वह धीरे -धीरे और भी ज्यादा
खोलना शुरू कर दी थी क्योंकि जैसे ही वह अपने बेटे के करीब बिस्तर तक पहुंची उसने अपनी हथेली
को बड़े ही उन्मादक अंदाज में अपने पेट से होते हुए नीचे की तरफ जांघों के बीच में ले जाकर पैंटी के
ऊपर से ही अपनी रसीली पनीयाई बरु को मसलनें लगी। यह दे खकर राहुल ठं डी आह भरते हुए जोर जोर
से अपने लंड को मुठीयाने लगा।

अलका को अपने बेटे को इस तरह से तड़पाने में अब मजा आने लगा था। अभी भी वह पैंटी के ऊपर से
ही अपने बरु कों सहलाए जा रही थी और राहुल को तड़पता दे ख अपने होठों पर कामुक मुस्कान बिखेरे
जा रही थी। इससे पहले अलका ने इतनी कामुक हरकत कभी भी नहीं की। ट्रांसपेरेंट गाउन और नई
स्टाइलिश ब्रा और पैंटी में अलका कयामत लग रही थी और उस पर सितम ढाने का काम उसकी कामुक
हरकतें कर रही थी। राहुल की मूठ्टी में उसका खड़ा लंड और भी ज्यादा भयानक लगने लगा था जिसे
दे खकर अलका की बरु पानी पानी हुए जा रही थी। दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो
पा रही थी बस दोनों एक दस
ू रे के कामोंत्तेजना को दे खकर कामोतेजना के परम शिखर पर विराज रहे
थे। राहुल की धड़कनें बढ़ाते हुए अलका ने अपनी हथेली को अपनी पैंटी में ही डाल कर बुर के गुलाबी
पत्तियों को मसलने लगी, जोकि जालीदार पैंटी में से साफ साफ राहुल को सब कुछ नजर आ रहा था।
अलका ने पूरे कमरे में चक्कर लगा कर यह साबित कर दी की वह भी रे म्प वॉक पर बहुत ह़ी आसानी
से जलवा बिखेरते हुए सबके दिलों पर राज कर सकती है । पूरे कमरे में इन कपड़ो में चल करके उसने
राहुल को किया हुआ वादा निभा दी थी । राहुल की यही ख्वाहिश थी उसे इस तरह से चलते हुए दे खने
की जो कि उसकी यही ख्वाहिश उसकी कामोत्तेजना को और ज्यादा भड़का चुकी थी। अलका अपनी ही
कामुक हरकतों से खुद ही काम ज्वर में तड़पने लगी थी इसलिए वह अभी भी जोर जोर से अपनी बुर
की गुलाबी पत्तियों को अपनी उं गलियों में फंसाकर रगड़ रही थी। ऊसके मुंह से गरम सिसकारी फुटने
लगी थी।

सससससससहहहहहहह,,,,,,,, राहुल,,,,,,, आहहहहहहहह,,,,,,, ( बरु को जोर जोर से मसलते हुए) मेरी बरु में
आग लगी हुई है मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है कुछ कर,,, सससससहहहहहहह,,,,,,, आहहहहहहहह,,,,,,,,,

मम्मी मेरा भी तो यही हाल है मेरा लंड दे खो ( लंड को मुठीयाते हुए ऊसकी तरफ आंखो से ईसारा करते
हुए) किस तरह से तड़प के टनटनाकर खड़ा है । सससससससहहहहहह,,,,, मम्मी ने नहीं आज तक तुम्हारी
जैसी खूबसूरत औरत नहीं दे खा तुम्हारे सामने तो फिल्मों की हीरोइनें भी पानी भरें गी। ( राहुल गरम आहे
लेते हुए बोला। )

अपने बेटे के खड़े लंड को दे ख कर अलका की भी हालत खराब हुए जा रही थी। उसकी बरु पानी छोड़ते
हुए पें टी को परू ी तरह से गीली कर चुकी थी। राहुल की भी नजर अपनी मां की जांघों के बीच ही टिकी
हुई थी।

वह अपनी मां की पैंटी को गीली होता हुआ दे ख रहा था। उसकी मां लगातार अपनी बरु को मसल रही
थी जिससे वह और भी ज्यादा चद
ु वासी हुई जा रही थी।

उसे शायद अपने जिस्म की प्यास बर्दाश्त नहीं हो रही थी वह जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड को
अपनी बरु में अंदर जाता हुआ दे खना चाहती थी लेकिन अभी राहुल अपनी मां को और भी ज्यादा
चद
ु वासी करना चाहता था इसलिए जल्दबाजी नहीं दिखा रहा था जबकि उसका भी मन अपनी मां को
चोदने का खब
ू कर रहा था।

अलका से अपनी बरु की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी इसलिए वह लगातार अपनी बरु को मसलते हुए
सिसकारी लेते हुए अपने बेटे से बोली।

सससहहहहहहह,,,,,,, राहुल कुछ कर अब बर्दास्त कर पाना बड़ा मुशकिल हुए जा रहा है ।

( अपनी मां की हालत को दे खकर राहुल भी समझ गया था कि उसकी मां परू ी तरह से गर्म हो चुकी है
इसलिए वह बिस्तर पर से उठा और घुटनों के बल बैठ गया घुटनों के बल बैठते ही सबसे पहले उसने
अपनी हथेली को अपनी मां की पें टी पर रखते हुए उसे हल्के हल्के सहलाने लगा।

राहुल का इस तरह से अपनी मां की ब** को पें टी के ऊपर से ही सहलाना आग में घी का काम कर रहा
था अपने बेटे की इस हरकत पर अलका के कामोत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई और उसने खुद ही अपनी
दोनों बड़ी बड़ी चुचियों को अपने हथेली में भरकर दबाने लगी।

ससससससहहहहहहह,,,,,,,,,, आाहहहहहहहहहह बेटा तू तो और ज्यादा मेरी हालत खराब कर रहा है अब तो


उं गली से नहीं बस तेरे लंड से ही मेरी बुर की प्यास बझ
ु ेगी।
मम्मी तुम तो बहुत गीली हो गई हो। तुम्हारी बरु बहुत ज्यादा ही पानी छोड़ रही है ।( इतना कहते हुए
उसने अपनी हथेली को पें टी के अंदर डाल कर अपनी मां की बुर टटोलने लगा जो की बहुत गीली हो
चुकी थी।)

सससहहहहहहह,,,,,,,,, तभी तो कह रही हूं रे कुछ कर मुझसे मेरी बुर की तड़प बर्दाश्त नहीं हो रही है ।

( अपनी मां की पनियाई बरु को दे खकर राहुल की भी हालत खराब होने लगी उसके लंड ने भी ठुनकी
मारना शरु
ु कर दिया था।,,,, ईसलिए वह अपनी मां की पैंटी के दोनों छोर को पकड़कर धीरे -धीरे नीचे की
तरफ सिर पानी लगा आज उसे भी गजब की कामोत्तेजना का अनभ
ु व हो रहा था। क्योंकि पहली बार
वह भी इस तरह की स्टाइलिस पें टी को अपने हाथों से अपनी मां के बदन पर से उतार रहा था। अगले
ही पल उसने अपनी मां की पैंटी को सरका कर उसकी जांघो तक कर दिया। पानी से लबालब अपनी मां
की दरू ी दे ख कर उसका भी दिल बाग-बाग हो गया। अलका प्यासी नजरों से अपने बेटे की हरकत को
दे ख रही थी उसे लग रहा था कि उसका बेटा उसकी प्यास बझ
ु ाएगा, वह सोच ही रही थी कि तभी राहुल
ने अपने दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़ कर घम
ु ा दिया, जिससे उसकी भरावदार गांड ठीक उसकी आंखों
के सामने आ गई अलका को समझ में नहीं आ रहा था कि यह राहुल कौन सी हरकत करना चाहता है ।
राहुल ने धीरे से अपनी एक हथेली को अपनी मां की पीठ पर रखकर उसे दबाव दे ते हुए उसे झक
ु ने का
इशारा किया। उसकी मां को समझते दे र नहीं लगेगी राहुल क्या कहना चाहता है और वह तरु ं त नीचे की
तरफ झक
ु गई। इस तरह से नीचे झक
ु ने से उसकी बड़ी बड़ी गांड ऊचक के राहुल की आंखों के सामने
नाच रही थी। इस तरह से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को दे खकर राहुल का गला उत्तेजना के मारे
सख
ू ने लगा

राहुल की सांसे बड़ी ही तीव्र गति से चलने लगी थी उसकी आंखों के सामने अलका की नंगी गांड किसी
थाली में सजाए हुए पकवान की तरह लग रही थी जिसे दे खकर राहुल के मंह
ु में पानी आ रहा था। पैंटी
में लगी पतली सी डोरी अलका की भरावदार गांड की गहरी लकीर में कहीं खो गई थी जोकि दिखाई नहीं
दे रही थी पीछे से दे खने पर ऐसा ही लग रहा था की वह पीछे से परू ी तरह से नंगी है लेकिन राहुल ने
गांड की फांको को दोनों हाथों से पकड़कर फैलाते हुए उसमें से पें टिं की पतली डोरी को खींचकर फूली हुई
बुर की दस
ू री मुहाने पर कर दिया जिससे उसकी नंगी बुर एकदम मुंह के सामने ही नजर आने लगी।
अपनी मां की फूली हुई बरु दे खकर राहुल से रहा नहीं गया और उसने ऊंगलियो से

हल्के से फुली हुई बरु की गुलाबी पत्तियों को धीरे धीरे रगड़ना शुरु कर दिया। राहुल की हरकत की वजह
से अलका की उत्तेजना पल पल बढ़ती जा रही थी वह गहरी गहरी सांस लेते हुए पीछे नज़र घुमा कर
अपने बेटे की हरकत को दे खते हुए और भी ज्यादा चुदवासी हुई जा रही थी। राहुल कुछ दे र तक हल्के
हल्के यूं ही अपनी अंगुलियों से बरु की गुलाबी पति को रगड़ता रहा जिससे कि उन दोनों की उत्तेजना
परम शिखर पर पहुंच गई दोनों गरम गरम सिसकारी लेते हुए मजे ले रहे थे। लेकिन प्यास दोनों की
बुझने की वजाय और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी। दोनों इस तरह की कामक्रीडा से परू ी तरह से आनंद
ले रहे थे लेकिन तड़प भी ज्यादा रहे थे। राहुल से ज्यादा तो अलका तड़प रही थी इसलिए राहुल अपनी
मां की तड़प को थोड़ा कम करने के लिए। अपनी मां की जांघों के बीच अपना मुंह लाया और अपने
तपते हुए होठ को अपनी मां की गरम बरु के मुहाने पर रख कर जिभ से चाटना शुरु कर दिया। जैसे ही
अलका ने अपने बेटे की जीभ को अपनी बुर पर महसूस की उसके मुंह से गर्म सिसकारी छूट गई।

सससससहहहहहहह,,,,,,, आाहहहहहहहहहह,,,,,,, राहुल,,,,,

अपनी मां की गरम सिसकारी को सुनकर राहुल और भी ज्यादा बेताब हो करके जल्दी-जल्दी जीभ से बूर
की गुलाबी पत्तियों को चाटने लगा। अलका की बुर से और भी ज्यादा पानी टपकने लगा। राहुल अपनी
मां की बुर चाटकर मस्त हुए जा रहा था और अलका सिसकारी लेते हुए अपनी तड़प को और ज्यादा बढ़ा
रही थी।

ससससहहहहहह,,,, आाहहहहहहहहहह,,,,,,,, ऊफ्फ्फ्फ,,,,,,,,,,, ओहहहहहह राहुल,,,,,,,,

अलका का इस तरह सिसकारी लेते हुए सिसकना राहुल की बेचैनी और उत्तेजना दोनों को बढ़ा रहा था।
अलका की बुर पर राहुल की जीभ एैसे चल रही थी जैसे किसी आइस क्रीम के कप पर चल रही हो।
दोनों को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी राहुल रह-रहकर बुर को चाटते हुए एक हाथ से अपने लंड को
भी मुठीया ले रहा था। राहुल की ईच्छा हो रही थी कि उसकी मां उसके लंड को मुंह मे लेकर चुसे।
इसलिए उसने ऐसी हरकत कर डाला के उसके बारे में अलका कभी अंदाजा भी नहीं लगा सकती थी।
राहुल अपनी मां की बुर को चाटते चाटते धीरे से अपने दोनों हाथों से अपनी ृ मां की चिकनी जाँघो को
पकड़कर धीरे से फैलाया और अलका कुछ समझ पाती उससे पहले ही वह अपने आधी से भी ज्यादा
शरीर को जांघोे के बीच से निकाल कर आगे कर दिया। ऐसा करते ही राहुल का टनटनाया हुआ लंड ठीक
अलका के मुंह के सामने आ गया। अलका की नजर जैसे ही राहुल के टनटनाए हुए लंड

पर गई, अपनो बेटे की ईस हरकत पर ऊसे प्रसन्नता के साथ नाज होने लगा। ईतने पर ऊसे समझने की
ओर राहुल को समझाने की जरुरत नही थी। अलका समध गई थी की ऊसे अब क्या करना है ईसलिए
वह बिना एकपल गंवाए बिना राहुल के टनटनाए हुए लंड को पकड़ के सीधे अपने मुंह मे भरकर चुसना
शुरु कर दी।
दोनों को मजा तो आ ही रहा था लेकिन राहुल की हरकत की वजह से दोनों का मजा अब दग
ु ना हो गया
था। राहुल को तो ईतना मजा आ रहा था की उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसका परू ा शरीर हवा में
झूल रहा हो। अलका को तो ऊसकी मनपसंद खिलौना मिल गया था, जिससे वह जी भरके खेल रही थी।

दोनो एक दस
ु रे के अंगो से खेलते हुए ऊसे चुम चाट रहे थै। अलका मदमस्त होते हुए एकदम उन्मादित
होकर अपनी भरावदार गांड को अपने बेटे के मुंह पर गोल-गोल घुमाते हुए रगड़ भी रही थी। राहुल भी
रहरहकर

अपनी कमर को हिलाते हुए अपनी मां के मुंह को ही चोद रहा था। कुछ दे र तक दोनों अपने अपने अंगो
को एक-दस
ू रे को चुसाते रहे , थोड़ी ही दे र बाद दोनो का बदन ऊत्तेजना के परमशिखर को छुते हुए अकड़ने
लगा और दोनो ही एकदस
ु रे के मुंह मे ही झड़ गए।

अलका और राहुल दोनों एक दस


ू रे के मंह
ु में झड़ चक
ु े थे दोनों बिना किसी भी दे श के एक दस
ू रे का
मदन रस जीभ से चाटते हुए गले के अंदर गटक रहे थे। राहुल का यह तरीका अलका को बेहद पसंद

आया था उसने कभी सोची भी नहीं था कि इस तरह से आनंद लेते हुए वह अपने बेटे के मंह
ु में झडेगी
भी और अपने बेटे को झाड़ भी दे गी।

जन्मदिन के तोहफे के रुप में अलका के द्वारा लंड चस


ु ाई का दिया हुआ तोहफा राहुल को बेहद पसंद
आया था। जन्मदिन के रात की शरु
ु आत बेहद ही उम्दा तरीके से हुई थी दोनों संतष्टि
ु की प्राप्ति करते
हुए संखलित हुए थे। अपनी बरु के मदन रस का फुवारा छोड़ने के बाद अलका सीधी खड़ी हुई उसकी
सांसे अभी भी तेज चल रही थी और सांसों के तेज चलने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी चचि
ू यां ऊपर नीचे
हो रही थी। जिसे दे खकर राहुल का मन मचलने लगा। राहुल भी झड़ चक
ु ा था लेकिन झड़ने के बावजद

भी उसका लंड परू ी तरह से टाइट ही नजर आ रहा था। उसमें से जरा भी तनाव नहीं गया था। अलका
अपने बेटे के खड़े लंड को दे खते हुए बिस्तर पर धम्म से बैठ गई, उसकी पैंटी अभी भी उसकी जांगों में
अटकी हुई थी। बरु परू ी तरह से पानी पानी हो चक
ु ी थी उसमें से रीस रहा मदन रस उसकी जांघो को भी
भीगा रहा था। अलका की गहरी चल रही सांसे राहुल के कानों में साफ़ साफ सन
ु ाई दे रही थी जो कि
इस बात का सबत
ू थी कि अपनी बरु चटवाते चटवाते इसे बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी।

अलका कभी अपने बेटे की तरफ तो कभी उसके खड़े लंड की तरफ दे खते हुए मुस्कुरा रही थी और
मुस्कुराते हुए बोली।

बेटा एक साथ मजा लेने का जो तेरा यह तरीका था यह मुझे बेहद पसंद आया मुझे यकीन नहीं हो रहा
था कि हम दोनों कुछ इस तरह का करें गे,जिस तरह से तुने मुझे इस अवस्था में लाकर मेरी बरु को
चाटते हुए मेरा पानी निकाला है मैं तो तेरे इस तरीके की कायल हो गई हूं। लेकिन एक बात समझ लेना
कि अभी मेरी प्यास बझ
ु ी नहीं है भले तू ने मेरी बरु से पानी निकाल दिया है लेकिन जब तक मैं तेरा
लंड अपनी बुर में डलवा कर चुदवाऊंगी नहीं तब तक मेरी प्यास नहीं बझ
ु ेगी।

( अपनी मां के मुंह से ईस तरह की खुली बातें सुनकर राहुल का पूरा बदन उत्तेजना के मारे झनझना
गया। अलका आप पूरी तरह से खुल चुकी थी लेकिन इस समय उसकी ऐसी नंगी बातें सुनकर तो ऐसा
ही लगने लगा था कि वह पहले जैसा व्यवहार करती थी उससे भी ज्यादा खुल चुकी थी। शायद
जन्मदिन के इस रात को वह राहुल को परू ी तरह से खुश कर दे ना चाहती थी।

राहुल भी अपनी मां कोई तरह से खुला हुआ दे खकर उसका व्यवहार दे खकर और भी ज्यादा कामोत्तेजित
हो रहा था वह अपनी मां की बात सुनकर अपनी बाहों को उसके गले में डाल कर अपनी तरफ खींचते
हुए प्यार से बोला।)

मेरी भी तो अभी कहां परु ी प्यास बझ


ु ी है अलका मेरी जान।

( अपने बेटे के मंह


ु से अपना नाम सन
ु कर अलका आश्चर्यचकित हो गई लेकिन उसके मंह
ु से अपने लिए
यह शब्द सन
ु कर उसे प्रसन्नता भी हो रही थी इसलिए वह मस्
ु कुराते हुए बोली।)

क्या बात है आज तेरे मुंह से मेरा नाम सुनकर मुझे अजीब तो लग रहा है लेकिन बड़ी खुशी भी हो रही
है ।

तेरी यह बात सुनकर मुझे आज तेरे पापा की याद आ गई वह भी मझ


ु से प्यार करते समय मेरा नाम
लेकर ही मुझे बुलाते थे तो मुझे बेहद मजा आता था।

पता नहीं मम्मी ऐसा क्यों हुआ लेकिन आज उत्तेजना के मारे और तुम्हारा खूबसूरत बदन दे ख कर मुझे
मेरे मन पर काबू नहीं रहा और मेरे दिल की बात मेरे मुंह पर आ गई। ( राहुल सफाई दे ते हुए बोला।)

कोई बात नहीं बेटा मुझे भी अच्छा लगा,( अपने बेटे के खड़े लंड को दे खते हुए) लेकिन बेटा तेरा एक बार
झड़ने के बावजूद भी जरा सा भी ढीला नहीं हुआ है दे ख तो सही कैसे मुंह उठाएं खड़ा है ।

यह सब तुम्हारे रूप का ही जाद ू है तुम्हारा यह खूबसूरत गठीला बदन मेरे लंड को जरा सा भी ढीला नही
पड़ने दे ता।( राहुल अपने लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर मुठीयाते हुए बोला।)
अलका अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर गदगद हुए जा रही थी। अपने बेटे को लंट मुठीयाते हुए दे ख
कर उससे भी रहा नहीं गया और उसने भी अपनी हथेली को अपनी जांघों के बीच ले जाकर अपनी पानी
से तरबतर बुर को मैं मसलने लगी। राहुल यह दे ख कर एकदम से उत्तेजित होने लगा और अपना हाथ
आगे बढ़ा कर ब्रा के ऊपर से ही अपनी मां की बड़ी बड़ी चुचियों को मसलने लगा।

सससससहहहहहहह,,,,,,,,, क्या कर रहा है रे तुने तो मुझे फिर से गर्म करना शुरु कर


दिया,,,,,,,आाहहहहहहहहहह,,,,,,,, राहुल,,,,,,,,, ऊम्म्म्म्म ्म ्,,,,,,,,,, और जोर से दबा,,,,,,,, ( अलका अपनी बरु को
मसलते हुए बोली। राहुल अपनी मां की गरम सिसकारी को सन
ु कर और ज्यादा गर्म होने लगा और
अपनी मां की चचि
ु यों को जोर-जोर से दबाते हुए बोला।)

ओहहहह मम्मी तुम्हारी इन्हें दोषी होना तो मुझे तुम्हारा दीवाना बना रखा है कसम से मैंने आज तक
तुम्हारी जैसी बड़ी बड़ी गोल गोल चूचियां किसी औरत के पास नहीं दे खा।

( अपने बेटे की यह बात सुनते ही अलका चुटकी लेते हुए बोली।)

तूने किसी और औरत को भी नंगीं दे खा है क्या?

नहीं मम्मी मैंने तम्


ु हारे सिवा किसी और औरत को नंगी नहीं दे खा।( चचि
ू यों को मसलते हुए बोला)

फिर तुझे कैसे मालूम कि मेरी चूचियां दस


ू री औरतों से ज्यादा बड़ी और गोल है । ( अलका मुस्कुराते हुए
अपने बेटे की चुटकी लेने के लिए यह बोल रही थी क्योंकि उसे विश्वास था कि उसका बेटा उसके सिवा
आज तक किसी गैर औरत को ना तो कभी नंगी दे खा है और ना ही उनके साथ सेक्स किया है । राहुल
अपनी मां के सवाल का जवाब दे ते हुए बोला।)

अरे मम्मी मैंने कभी किसी गैर औरत को नंगी तो नहीं दे खा लेकिन उनकी तरफ दे खकर, उनकी छातियों
को दे खकर अंदाजा लगा लेता हुं।
तब तो तू मुझे भी पहले जब भी दे खता होगा तो मेरी छातियों की तरफ दे खकर यही अंदाजा लगाता
होगा कि मेरी चूचियां कितनी बड़ी-बड़ी है , हैं ना। ( अलका अभी भी अपनी हथेली से अपनी बुर को मसल
रही थी।)

नहीं मम्मी ऐसा बिल्कुल भी नहीं है हां यह सच है कि अब तुम्हारे और मेरे बीच एक पति पत्नी के बीच
जो रिश्ता होता है वही रिश्ता है लेकिन यह रिश्ता बनने से पहले मैंने कभी भी आपको इस नजरिए से
नहीं दे खा।

अपने बेटे की बात को सुनकर अलका मुस्कुराने लगी उसे अपने बेटे पर परू ा विश्वास था इस तरह के
रिश्ते की शुरुआत उसके साथ ही हुई थी। उसे अपने बेटे पर पक्का विश्वास था कि वह किसी और से
शारीरिक संबंध नहीं बनाया था। वह अपने बेटे से इस तरह की बातें सिर्फ मजाक के तौर पर कर रही थी
लेकिन जब की हकीकत कुछ और थी । अलका को तो यही लगता था कि उसका बेटा सिर्फ उसके प्रति
आकर्षित है उसके ही बदन का दीवाना है , जबकि राहुल के संबंध अलका के साथ-साथ तो और भी औरतों
के साथ थे जिनके साथ वह संभोग सुख का आनंद ले चुका था लेकिन इस बात को राहुल ने कभी भी
अपनी मां के सामने जाहिर नहीं होने दिया। अलका लेकिन अपने बेटे के मर्दाना ताकत से पूरी तरह से
वाकिफ थी उसे पक्का यकीन था कि अगर वह किसी भी औरत या लड़की के साथ शारीरिक संबंध
बनाएगा तो वह उसकी दीवानी हो जाएगी, जैसे कि वह खुद अपने बेटे के लंड की दीवानी हो चुकी थी।

अलका को अपने बेटे की मासूमियत पर प्यार आ रहा था और वह अपने बुर को अपनी हथेली से लते
हुए धीरे -धीरे गरम हो रही थी। साथ ही राहुल खुद अपनी मां की चुचियों को दबा दबा कर उसे और
ज्यादा चुदवासी कर रहा था।

दोनों पलंग पर बैठे हुए थे दोनों के पेर फर्श पर टिके हुए थे। अलका की पैंटी उसकी जांघों में अटकी हुई
थी और राहुल भी अपने पजामे को घुटनों तक सरका दिया था दोनों अपने अपने अंगो के साथ साथ एक
दस
ू रे के अंगों को दे खकर ओर सहलाकर आनंद ले रहे थे।

एक बार झड़ने के बाद दोनों धीरे धीरेे एक बार फिर से उत्तेजित होते हुए चुदवासे हुए जा रहे थे अलका
अपने बेटे के लंड को अपनी बरु में डलवाने के लिए तड़प रही थी और राहुल खुद अपनी मां को चोदने के
लिए तड़प रहा था। अलका की बरु में खुजली होने लगी थी वह अपनी बरु को मसलते हुए सिसकारी भी
ले रही थी।

अपनी मां की गरम सिसकारी की आवाज सुनकर राहुल का लंड और भी ज्यादा मोटा तगड़ा होने लगा
था।
अपने बेटे के लंड को दे खकर अलका से रहा नहीं गया और उसने हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के लंड
को अपनी हथेली में भर ली और ऊसे मुठीयाते हुए बोली।

राहुल तेरा लंड तो और भी ज्यादा मोटा तगड़ा लग रहा है ऐसा लग रहा है कि जैसे गधे का लंड हो। (
अपनी मां की बात सुनकर राहुल को हं सी आ गई और वह हं सते हुए बोला।)

तुम दे खी हो क्या मम्मी गधे के लंड को!

( अपनी बेटे के इस सवाल पर वह जवाब दे ने के बजाय मंद-मंद मुस्कुराने लगी। अपनी मां को इस तरह
से मुस्कुराते हुए दे खकर राहुल समझ गया कि ऊसकी मां जवाब दे ना नहीं चाहती। लेकिन राहुल कोतूहल
वश अपनी मां से ईस सवाल का जवाब सुनना चाहता था। इसलिए फिर से जोर दे ता हुआ अपनी मां से
यही सवाल दोहराया ओर ईस बार उसकी मां इंकार न कर सकी और जवाब दे ते हुए बोली।

हां दे खी हूं( शरमाते हुए)

कहां मम्मी और कैसे? ( चच


ु ीयों को जोर से मसलते हुए बोला।)

मार्के ट से आते समय वही बीच रास्ते में दे खी थी।

क्या दे खी थी मम्मी? ( राहुल जानबझ


ु कर पुछे जा रहा था। वह अपनी मां के मुंह से सबकुछ सुनना
चाहता था।)

वही जो तु पुछ रहा है ।

अपने मुंह से बोलो ना मम्मी।

( ईस बार अलका, राहुल को तिरछी नजर से कनखियो मे दे खते हुए बोली।)


मैं तेरी चलाकी खूब समझती हुं सब कुछ मेरे मुंह से ऊगलवाना चाहता है ।

जब सब कुछ जानती हो तो बोलो ना मम्मी मुझे तुम्हारे मुंह से सन


ु ना है ।( वह जोर जोर से चूची को
मसलते हुए बोला।)

गधे का लंड लटकते हुए दे खी थी। ( उत्तेजना में जोर से अपनी बुरको मसलते हुए बोली।)

कैसा लगा था मम्मी आपको जब आप पहली बार गधे के लंड को दे ख लेती तो।

मैं उस समय पहली बार तेरे पापा से शादी करके यहां आई थी और अकेले ही मार्के ट में सब्जी खरीदने
के लिए गई। जब सब्जी लेकर वापस लौट रही थी तो रास्ते में गधे के झंड
ु को दे खी जिनमें से एक गधे
ने अपना लंड बाहर निकाल कर नीचे तक लटका रखा था। उसके लंबे तगड़े मोटे लंड को दे खकर मेरी बरु
में सरु सरु ाहट होने लगी। ( इतना कहते हुए वह खब
ू ज्यादा कामोत्तेजित हो रही थी और साथ ही राहुल
भी और भी ज्यादा चद
ु वासा हुए जा रहा था।) क्योंकि नई-नई शादी हुई थी इसलिए तेरे पापा रोज मेरी
चद
ु ाई करते थे। इसलिए मेरा ध्यान उस गधे के लंड पर कुछ ज्यादा ही जा रहा था। बस इससे ज्यादा
मैंने कभी भी ऊस बारे में नहीं सोची और ऊससे ज्यादा और मझ
ु से कुछ पछ
ू ना भी मत।

राहुल अपनी मां के मुंह से गधे के लंड के बारे में सुनकर और ज्यादा चुदवासा हो गया था उससे अब
बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हुए जा रहा था। अलका भी पुरानी बातों को छें ड़कर अपनी बुर की गर्मी और
खुजली दोनों को बढ़ा ली थी उसे अब वाकई मे लंबे मोटे लंड की जरूरत हो रही थी। इसलिए वह अपनी
बरु को मसलते हुए राहुल की तरफ बड़ी ही खम
ु ारी नजरों से दे खने लगी। अलका का इस तरह से उन्माद
भरी नजरों से दे खना राहुल से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने झट से अपने होठों को अपनी मां की गल
ु ाबी
होठों से भिड़ा दिया। जैसे ही होंठ से होंठ टकराए दोनों के सब्र का बांध टूट गया। दोनों कामोत्तेजित होते
हुए एक दस
ू रे के होठो को चस
ू ना शरू
ु कर दिए। अलका ही पहल करते हुए अपने बेटे के होठो को अपने
मंह
ु में भरकर चस
ू ती हुई उसने धीरे धीरे पलंग पर लेटने लगी और साथ ही अपने बेटे को अपने ऊपर
लिटाने लगी ।

अलका से अब रहा नहीं जा रहा था वह जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड को अपनी बरु में डलवा लेना
चाहती थी इसलिए खद
ु ही अपने हाथों से अपनी पैंटी को नीचे सरकाते हुए घट
ु नों से नीचे कर दी, और
पैरों का सहारा लेते हुए उसे अपने पैर से निकाल फेंकी। उसने अपने बेटे को अपने ऊपर लिटा ली थी ।
वह धीरे से अपनी जांघो को फैला दी जिससे राहुल उसकी मांसल जांघों के बीच आ गया, इस बार अलका
ने बड़ी फुर्ती दिखाई थी राहुल कुछ समझ पाता इससे पहले ही उसने एक हाथ नीचे लै जा कर के अपने
बेटे के लंड को पकड़ ली

और लंड के गरम सुपाड़े को अपनी फुली हुई तपति बरु के मुहाने पर रख दी, राहुल को जैसे ही यह
महसूस हुआ कि उसका टनटनाया हुआ लंड इसकी मां की गुलाबी बरु के छे द पर टिकी हुई है तो उसने
तुरंत अपनी कमर को हरकत मे लाया और कमर को नीचे की तरफ दबाते हुए लंड के सुपाड़े को अपनी
मां की बुर में उतार दिया।और जेसे ही लंड का मोटा सुपाड़ा अलका की बुर मे घुसा वैसै ही अलका के
मुंह से कराहने की आवाज निकल गई।

आाहहहहहहहहहह,,,,,,,,, ऊईईईईईईईई,,, म्मां,,,,,,, आज सच में तेरा लंड और भी ज्यादा मोटा लग रहा है ।(


तभी राहुल ने हल्के से एक और धक्का लगाया।)

आाहहहहहहहहहह,,,,,, दर्द हो रहा है रे ,,,,,,,,,सससससहहहहहहह,,,,,,,, राहुल,,,,, ओहहहहहहह,,,,,,,


म्मांआआआ,,,,,,,,,, ( अलका दर्द से कराह रही थी, अलका की कराहने की आवाज सन
ु कर राहुल एक ओर
जोरदार धक्का लगाया और अपने परू े समच
ु े लंड को अपनी मां की बरु में पेलते हुए बोला।)

मम्मी दर्द मे हीं तो मजा है ।दर्द करे गा तभी तो मजा भी ज्यादा आएगा।,,,,, अब दे खना में तुम्हारी कैसे
चुदाई करता हूं। तुम भी याद रखोगी।

दे ख तो रही हूं कुछ ज्यादा ही दर्द कर रहा है आज क्या खाकर आया है कहीं ऐसा तो नहीं अपने लंड पर
तेल की मालिश करके आया है ।

मुझे मालिश की जरूरत नहीं पड़ती ऐसे ही मेरा लंड बहुत ज्यादा तगड़ा है । ( इतना कहने के साथ ही
राहुल अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया। )

सससससहहहहहहह,,,,,,, ऊहहहहहहह,,,,,,, ससससससहहहहहहहहह,,,,,,, राहुल,,,,,,,,, आाहहहहहहहहहह,,,,,,,,,, तू


सच कह रहा है दर्द तो कर रहा है लेकिन बचा भी उतना ही मिल रहा है बस ऐसे ही मुझे चोदता रह,,,,,,
आाहहहहहहहहहह,,,,,,,, बड़ा गर्म लंड है तेरा,,,,,,,,,
अलंका सिसकारी लेते हुए अपने बेटे को ऊकसाते हुए बोल रही थी। राहुल भी अपने मां की बात सुनकर
बड़े जोश के साथ अपने लंड को बरु के अंदर बाहर कर रहा था। दोनों चुदाई का मजा लेते हुए एक दस
ू रे
के बदन को सहला रहे थे । अलका अपनी दोनों हथेलियों को अपने बेटे की पीठ पर रखकर ऊपर से
नीचे तक सहला रही थी। रह-रहकर अलका के बदन मैं काम उत्तेजना का प्रसार कुछ ज्यादा ही हो जा
रहा था जिसके कारण वह अपनी दोनों हथेलियों को अपने बेटे के नितंबों पर रखकर उसे ज़ोर से दबोच
ले रहीे थी, और अपनी मां की इस हरकत पर राहुल की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाती थी ।और वह
लगातार दो चार जबरदस्त धक्के अपनी मां की बरु में लगा दे ता जिससे अलका की चीख सी निकल
जाती थी। अलका को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी आज जन्मदिन के अवसर पर वह अपने बेटे को
परू ी तरह से खश
ु करने के चक्कर में खद
ु भी बहुत ही ज्यादा आनंद की प्राप्ति करते हुए अपने बेटे से
चद
ु ाई का भरपरू आनंद ले रही थी।

फच्च फच्च की मधरु आवाज लंड और बरु के संगम से आ रही थी जो कि परू े कमरे में किसी संगीत की
तरह बज रही थी। जब भी राहुल जोरदार प्रहार करते हुए अपने मां की बरु में अपना परू ा लंड पेलता तो
उसकी जांघे अपनी मां की मांसल जांघों से टकराकर एक अजीब सी ठाप पैदा कर रही थी, वह ठाप एैसी
लग रही थी जैसे कोई कुशल तबला वादक तबले पर अपनी उं गलियों की करामत दिखा रहा हो। परू ा
कमरा अलका की उन्मादक सांसो की आवाज से गंज
ु रहा था। राहुल से यह पल बिना पाना बड़ा मश्कि
ु ल
हो रहा था क्योंकि पहले की अपेक्षा आज इस अवसर पर उसकी उत्तेजना इतनी ज्यादा प्रबल हो चक
ु ी
थी कि उसकी सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी वह अपनी सध
ु -बध
ु खो चक
ु ा था मदहोशी उसके परू े
बदन पर छा चक
ु ी थी। यही हाल अलका का भी हो रहा था, दोनों के ऊपर कामवासना परू ी तरह से छा
चक
ु ा था, दोनों के बदन और दिमाग पर काम वासना परू ी तरह से अपना कब्जा जमा चक
ु ा था। सही क्या
है गलत क्या है यह सब सोचने का समय और वक्त दोनों ने ना जाने कबसे गंवा चक
ु े थे।

राहुल प्रहार पर प्रहार किए जा रहा था और अलका अपने बेटे के प्रहार का जवाब दे ते हुए खद
ु अपनी
भारी भरकम गांड को ऊपर की तरफ उचका कर दे रही थी।

अलका अपनी हथेलियों को जोर-जोर से राहुल की पीठ पर रगड़ते हुए उसकी नितंबों को दबोच ले रही
थी।

चुदाई का नशा अलका की आंखों में पूरी तरह से जा चुका था वह मदहोश हो चुकी थी। आनंद की
अनुभूति करते हुए वह आंखों को मुंद कर चुदाई का मजा ले रही थी। राहुल अपनी मां के ऊपर परू ी तरह
से झुका हुआ था वह पागलों की तरह अपनी मां की गर्दन पर चुंबनों की बौछार करते हुए ब्रा के ऊपर से
ही चुचियों को दबाए जा रहा था। और अलका थी कि राहुल की इस हरकत से और ज्यादा कामोत्तेजित
होते हुए सिसकारी लिए जा रही थी।
ससससहहहहहह,,,,,,, सससससहहहहहहह,,,,,,, ओहहहहह,,,,,,, राहुल,,,,,,,,,,, तु तो मुझे परू ी तरह से पागल
किए जा रहा है ना जाने मेरे बदन मे में कैसी हलचल मची हुई है मझ
ु से बर्दाश्त नहीं हो रहा है ऐसे ही
मुझे चोदता रहै और जोर जोर से धक्के लगा। आाहहहहहहहह,,,,,,,, राहुल,,,,,,, (इतना कहते हुए अलका ने
अपनी टांगो को अपने बेटे की कब्र में फंसा ली)

राहुल तो अपनी मां की बात सुनकर पागल सा हो गया था और लगातार जोर जोर से धक्के लगाते हुए
उसके चचि
ु यों को दबाए जा रहा था और गर्दन गालों और होठों पर चंब
ु न की बारिश किए जा रहा था।

सससससहहहहहहह,,,,,,, ओहहहहह मेरी जान,,,,, अलका,,,,, तेरी बरु मे दे ख मेरा लंड कैसे घुस रहा है ।,,,,,,,, (
राहुल के मुंह से अनायस ही ऊत्तेजना के चलते ऐसे शब्द निकल गए। राहुल को खुद समझ मे नही आ
रहा था की ये कैसे हो गया । अलका खुद आश्चर्यचकित थी की उसका बेटा यह क्या बोल गया ऐसे
शब्दों का प्रयोग उसने पहले कभी नहीं किया था।

लेकिन जो भी शब्द अल्का के कानो ने सुने वह शब्द उसके पूरे बदन को एक अजीब से सुख की
अनुभूति कराते हुए तरबतर कर गया। ऐसे शब्दों का प्रयोग अपनी मां के लिए करते हुए राहुल का बदन
खुद झनझनाहट का अनुभव कर रहा था। उसे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह कैसे हो गया
लेकिन जो भी हुआ था वह बड़ा ही आनंद दायक लगा। अलका भी इस बात से जानबूझकर अनजान
बनते हुए अपने बेटे को अपनी बाहों में कस के भरते हुए उसे चुमने चाटने लगी।,,,,,,, राहुल का जोश और
ज्यादा बढ़ चुका था। वह और जोर से धक्के लगाते हुए अपनी मां के बरु मे लंड पेलने लगा।

कुछ ही दे र बाद दोनो की सांसे तेज गति से चलने लगी, एक साथ दोनो का बदन अकड़ने लगा और
एकसाथ दोनो भलभलाकर झड़ने लगे।

दोनों एक बार फिर से एक दस


ू रे की बाहों में दब
ू के हुए अपने अपने अंगो से मदन रस की बौछार कर रहे
थे।

दोनों ने जन्मदिन की रात की शुरुआत में ही दस


ू री बार सफलतापूर्वक उन्माद से भरा हुआ चरमोत्कर्ष
की प्राप्ति कर चुके थे। अभी भी राहुल का लंड ऊसकी मां की बरु में समाया हुआ था जो कि तनिक भी
ढिला नहीं पड़ा था। और रह-रहकर क्योंकि लगाता हुआ मदन रस की बूंदे बुर की गहराई में छोड़ रहा
था। अलका अभी भी अपने बेटे को कसके अपनी बाहों में भींची हुई थी, और उसकी दोनों हथेलियां राहुल
के नितंबों पर हरकत करते हुए दबोचे हुई थी। राहुल को भी अपनी मां की यह हरकत कुछ ज्यादा ही
उन्मादक लग रही थी। कुछ दे र तक राहुल यूं ही अपने मां के बदन पर लेटा रहा और गर्म गर्म सांसे
अपने नथन
ू ों से छोड़ता हुआ अपनी मां की गर्दन को गर्म करता रहा। अलका भी अपना नमकीन पानी
छोड़ते हुए गरम आहे भर रही थी।

जब दोनों की सांसे कुछ सामान्य हुई तो राहुल अपनी मां के बदन पर से उठने लगा वह कमर के ऊपर
वाला ही भाग अपनी मां के बदन पर से उठाया था, कमर के नीचे वाला भाग अभी भी उसकी मां की
मांसल जांगो के बीच में था और लंड अभी भी बुर की गहराई मे धंसा हुआ था, जिसे राहुल ने आहीस्ते से
बुर के बाहर खींचकर निकाला तो अलका की बुर के नमकीन रस में डूबा हुआ लंड धीरे धीरे सरकता हुआ
बाहर आ गया, जो कि अभी भी परू ी तरह से तनाव मे था। अलका तो अपने बेटे के लंड को अपनी बुर मे
से अाहीस्ते आहीस्ते निकलता हुआ दे खकर दं ग रह गई । झड़ी हुई और पानी से तरबतर बुर में एक बार
फिर से सुरसुराहट होने लगी। वह कभी अपने बेटे के लंड की तरफ तो कभी उसकी तरफ दे खकर मुस्कुरा
रही थी। अलका के चेहरे पर संतुष्टि दायक उन्माद से भरा हुआ सुखद एहसास साफ साफ नजर आ रहा
था।

अलका बिस्तर पर पीठ के बल निश्चेत हो कर लेटी हुई थी और राहुल ठीक उसके सामने खड़ा होकर मंद
मंद मुस्कुराते हुए उसकी जांघों के बीच बुर मे से निकल रहे मदन रस को दे ख रहा था। और दे खते हुए
बोला।

कैसी लगी मम्मी तम्


ु हें यह जबरदस्त चद
ु ाई? ( राहुल अपनी कमर पर हाथ रखते हुए बोला अलका अपने
बेटे के इस सवाल पर मस्
ु कुराई और अपने बेटे के लंड की तरफ दे खते हुए बोली।)

बहुत ही जबरदस्त चुदाई किया है तूने मेरी, मुझे यकीन नहीं हो पा रहा है कि तू सच में बड़ा हो गया है ।
तुने इतनी जोर जोर से जो धक्के लगाए हैं मेरी बुर में , मेरी बुर बाग-बाग हो गई। तन
ू े मेरी बुर की सारी
नसे ढिली कर दिया। तूने जो मझ
ु े जन्नत की सैर कराते हुए दो बार झाड़ा है , मुझे यकीन नहीं हो पा रहा
है की जन्मदिन के अवसर पर मैं तुझे खुश करता हुआ तोहफा दे रही हुं या तो खुद मझ
ु े तोहफा दे रहा
है ।

राहुल अपनी मां के मुंह से अपनी ही तारीफ सुनकर खुशी के मारे गदगद हुए जा रहा था। वह समझ
नहीं पा रहा था कि अपनी मां के द्वारा उसकी तारीफ करने के उपलक्ष्य में वह किन शब्दों में अपनी मां
को शुक्रिया अदा करें , वह जवाब में सिर्फ मुस्कुराए जा रहा था।
तभी अलका का वह पल याद आ गया जब राहुल उसका नाम लेते हुए और उसे जान कहते हुए उसकी
जम के चुदाई कर रहा था। वह पल अलका के लिए अविस्मरणीय था, क्योंकि उसका नाम लेते हुए सिर्फ
उसके पति ने दी उसकी जुदाई किया था जिनकी याद राहुल में ताजा करा दिया था। अपनी बेटी के मुझे
अपना नाम लेते हुए चुदाई करता हुआ वह एहसास उसे बहुत ही ज्यादा सुंखद लग रहा था। वह पल कुछ
ज्यादा ही उत्तेजनात्मक महसूस करा गया था अलका को। वह उसका ज़िक्र छे ड़ने ही वाली थी कि वह
खामोश रह गई। वह जैसा चल रहा था,वैसै ही चलने दे ना चाह रही थी । वह नही चाहती थी की राहुल
को इस बात का एहसास दिलाए की अनजाने में वह क्या किया है । ऊसे ईस बात का डर था की उसे उस
बात का एहसास दिलाने पर कहीं वह हीचकीचा ना जाए और दोबारा उसी अंदाज में उसका नाम लेते हुए
उसकी चुदाई ना कर पाए। इसलिए वह जैसा चल रहा था वैसा ही चलने दे ना चाह रही थी।

राहुल भी बिस्तर के पास खड़ा होकर उसी बारे में सोच रहा था क्योंकि उसके मुंह से भी अनजाने में ही
वह शब्द निकले थे। लेकिन उसे भी बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी, और वह मन में यही बात सोच रहा
था कि उस बारे में उसकी मां ने एक बार भी उसे नहीं टोकी। वह मन में यही सोच रहा था कि शायद
उसकी मां को भी यह सब अच्छा लगा था लेकिन वह भी इस बात का जिक्र नहीं करना चाहता था।
क्योंकि उसे भी बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी जब वह अपनी मां का नाम लेते हुए उसकी बुर में लंड
पेल रहा था । वह भी वैसा ही चलने दे ना चाह रहा था जैसा चल रहा था। कुछ दे र तक यूं ही दोनों एक
दस
ू रे के बदन पर ऊपर से नीचे तक अपनी नजरें फेरते रहे । तभी अचानक अलका बिस्तर पर से उठते
हुए बोली।

मुझे जोरो की पेशाब लगी है ।

( इतना सुनते ही राहुल के लंड में ऐठन सी होने लगी, और अलका बिस्तर पर से उठते हुए जाने लगी दो
कदम ही आगे बढ़ी थी वह खुद राहुल से बोली )

तू भी चलेगा ( इतना कहते ही वह मुस्कुराने लगी क्योंकि वह भी जानती थी कि अगर वह पेसाब करने
जाएगी तो राहुल भी उसके पीछे पीछे जरुर जाएगा, क्योंकि राहुल तो ऐसे ही मौके की तलाश में रहता था
भला राहुल कब मना करने वाला था। राहुल भी अच्छी तरह से जानता था कि अलका को पेशाब करते
हुए दे खना यह भी एक अतुल्य घड़ी होती थी। ऐसा मौका बार बार नहीं मिलता था इसलिए वह भी साथ
में जाने के लिए सिर हिलाकर हामी भर दिया । अलका दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी लेकिन इस बार
उसने अपने बदन को ढकने की जरा सी भी दरकार नहीं ली। क्योंकि उसे भी पता था कि घर में उन
दोनों के अलावा सोनू ही है जो कि वह अपने कमरे में सो रहा होगा। ईसलिए वह बे झिझक दरवाजे की
तरफ जाने लगी । कमर के नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी क्योंकि चुदवातेैं समय उसने अपनी पैंटी
को भी अपने हाथों से निकाल फेंकी थी।

उसके बदन पर सितम ट्रांसपेरेंट गाउन और एक छोटी सी ब्रा र्थी जौकी उसकी चूचीयो को बड़ी मुश्किल
से अपने कब्जे में ली हुई थी। अलका बड़ी ही मादक तरीके से चलते हुए दरवाजे तक पहुंची राहुल उसके
पीछे से खड़ा खड़ा दे ख रहा था, उसे बड़ा ही कामुक लग रहा था यह सब । अलका जानबूझ कर इतराते
हुए अपनी गांड मटका कर चल रही थी। दरवाजे का हैंडल पकड़कर उसे खोलने से पहले वह पीछे मुड़कर
राहुल की तरफ नजर डाली तो उसकी नजर सबसे पहले राहुल की जांघों के बीच लटक रहे उसके हथियार
पर पड़ी और उसे लटकते हुए हथियार को दे खकर वह मुस्कुरा दी। वह दरवाजा खोल कर कमरे से बाहर
निकल गई और राहुल भी उसके पीछे पीछे बाहर आ गया। अलका कमरे से बाहर निकल कर अपनी
आलस को मरोड़ते हुए बड़े ही उत्तेजक अंदाज में अंगड़ाई ली। जिसे दे खते ही राहुल की आह निकल गई।
दो-दो बार झड़ चुके लंड ने जब अलका के गुदाज बदन को अंगड़ाई लेता और मटकती गांड को दे खा तो
सिथील पड़ रहा लंड धीरे -धीरे तनाव में आने लगा।

अलका कुछ दे र वहीं खड़े रहने के बाद वापस बाथरुम की तरफ जाने लगे इस वक्त अलका का बदन
कुछ ज्यादा ही उत्तेजक और सेक्सी लग रहा था, उसकी बड़ी बड़ी गांड बहुत मोटी मोटी जांघे वातावरण
को और ज्यादा उन्मादक बना रहा था। अलका अपने हुस्न के जलवे को बिखेरते हुए बाथरूम के दरवाजे
तक पहुंच गई। यू रात को कमरे के बाहर निकलकर बिंदास तरीके से बाथरुम की तरफ जाती हुई अपनी
मां को पीछे से दे खकर राहुल का लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा। कल का बाथरूम का दरवाजा खोलने से
पहले एक बार फिर से राहुल की तरफ नजर घुमाकर दे खी और इस बार भी उसकी नजर उसके लंड पर
पड़ी जो कि अब पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था। टनटनाए हुए लंड को दे खकर अलका की
बुर एक बार फिर से फूलने पीचकने लगी, अलका भी दो बार पानी पानी हो चुकी थी लेकिन जिस तरह से
अपने बेटे को तरु ं त तैयार हो जाने की मर्दानगी को दे खी, अपने बेटे की ईसी मर्दानगी की वजह से उसकी
बुर भी लगातार पानी छोड़ते हुए उत्तेजित होकर के गरम रोटी की तरह फूल जा रही थी। वह अपने होठों
पर कामुक मुस्कान बिखेरते हुए बाथरुम में घुस गई। राहुल भी अपना लंड हीलाते हुए पीछे पीछे बाथरुम
में घुंस गया। बाथरूम का नजारा बेहद उत्तेजनात्मक होता जा रहा था, अलका बाथरुम के दस
ू रे छोर पर
चुदवासी हो करके अपने होंठ को खुद ही दांत से चबाते हुए राहुल की तरफ दे ख रही थी जो कि बाथरुम
का दरवाजा बंद करते हुए अलका को ही दे खे जा रहा था। और अलका थी कि अपनी बुर को अपनी
हथेली से रगड़ते हुए राहुल से बोली।

तुझे भी पेशाब लगी है क्या? ( इतना कहकर वह मुस्कुराने लगी लेकिन राहुल ने बिना जवाब दिए बस
आंख फाड़े अपनी मां को ही दे खे जा रहा था, अलका फिर बोली।) लगी हो तो तू भी कर ले,( लंड पर नजर
घुमाते हुए।) तेरे लंड को दे ख कर तो ऐसा लग रहा है कि तुझे पेशाब नहीं बल्कि चुदास लगी है । ( इतना
कहकर वह जोर से हं सते हुए नीचे पेशाब करने के लिए बैठने लगी, अोर राहुल प्यासी आंखों से अपनी मां
को पेशाब करने के लिए नीचे बैठते हुए दे खकर कामोत्तेजित हुआ जा रहा था। राहुल को दे खते ही दे खते
अलका नीचे बैठ गई और थोड़ी सी अपनी गांड को उचकाकर पेशाब करने लगी। थोड़ी ही दे र बाद उसकी
बुर में से मधुर बांसुरी की आवाज के समान सीटी की आवाज आने लगी जोंकि राहुल के कानों में पड़ते
ही उसका तन बदन झनझना गया। राहुल तो मंत्रमुग्ध सा बस दे खता ही रह गया कुछ पल तो उसे
किसी भी बात की सुध बुध ही नहीं रही। वह बस अपनी मां को पेशाब करता हुआ दे खता ही रहा और
अलका उसकी कामोतेजना को और ज्यादा बढ़ाते हुए नजरें घुमा कर उसकी तरफ दे खती हुई अपने लाल-
लाल होठों पर जीभ फिरा रही थी। राहुल से यह नजारा दे खकर बिल्कुल भी रहा नहीं गया वह अपने घर
में को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगा और लंड को हिलाते हुए अपनी मां के करीब जाने लगा। अलका
अपने बेटी को अपने करीब इस तरह से आते हुए दे खकर उत्तेजित होने लगी उसकी बरु में सुरसुराहट
बढ़ने लगी और वह और जोर से पेशाब करने लगी।बरु से आ रही सीटी की आवाज को सुनकर राहुल
बेचैन होने लगा।

राहुल अलका के बिल्कुल करीब थी उसके पीछे ही खड़ा था जिसे वह नजरें उठाकर दे ख रही थी। अलका
सोच रही थी कि वह भी उसकी आंखों के सामने पेशाब करे गा और वह यही दे खने के लिए तड़प रहीं थी
लेकिन उसके सोचने के विरुद्ध उसने कुछ ऐसा कर दिया जिससे अलका के बदन में हलचल मच गई और
उत्तेजना के मारे उसकी बरु फूलने पिचकने लगी।

राहुल ठीक उसके पीछे ही जिस तरह से वह बैठी थी उसी तरह से बैठ गया और अपने लंड को हाथ में
पकड़ कर अपनी कमर को आगे की तरफ थोड़ा सा बढ़ा कर लंड के सप
ु ाड़े को बरु के गल
ु ाबी छे द पर
टिकाने की कोशिश करने लगा, अलका कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि राहुल इस तरह की हरकत
करे गा लेकिन उसकी इस हरकत की वजह से उसका परू ा बदन उत्तेजना के मारे गंनगना गया था। वह
अपने बेटे के लंड के सप
ु ाड़े को अपनी बरु के इर्द-गिर्द महसस
ू कर रही थी। और सप
ु ाड़े का गर्म स्पर्श
उसके परू े बदन में कंपकंपी सी मचा दे रहा था। अलका लंड के सप
ु ाड़े की रगड़ को अच्छी तरह से
पहचानती थी कि राहुल इस तरह से क्या ढूंढ रहा था। राहुल की हरकत में उसे पूरी तरह से गर्म कर
दिया था इसलिए वह हल्का सा और अपनी गांड को थोड़ा सा उचकाकर अपने हाथ से अपने बेटे का लंड
पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपने गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच टिकादी, राहुल को जैसे उसकी
मनचाही मुराद मिल गई हो। अलका ने उसे रास्ता दिखा दी थी अब मंजिल तक पहुंचने का काम राहुल
का था।

राहुल कामज्वर के सागर मे डुब रहा था। मंजिल की चाह में तड़प रहे राहुल के लिए यह डूबते को
तिनके का सहारा था। उसने भी एक पल की भी दे री किए बिना ही हल्के से अपनी कमर को बैठे-बैठे ही
आगे की तरफ बढ़ाया तो लंड का सुपाड़ा गप्प से पनियाई बरु में धंस गया जिसमें से अभी भी पेशाब की
तेज धार फूट रही थी। राहुल के लिए अब रुक पाना बड़ा ही मुश्किल था वह बैठे बैठे ही अपनी मां कोे
पीछे से पकड़कर अपनी कमर को एक बार फिर से जोर से आगे की तरफ बढ़ाया तो इस बार लंड सब
कुछचीरता हुआ बुर की गहराई मे धंस गया। जैसे ही पूरा लंड बुर के अंदर घुसा वैसे ही अलका के मुंह
से आह निकल गई।

आहहहह,,,,,,,, राहुल,,,,,, यह क्या किया रे तन


ू े मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि तू कुछ इस तरह से
करे गा,,,,,

ओहहहहह,,,,,, अलका मेरी जान जब इस तरह से बड़ी बड़ी गांड दिखाते हुए मुतोगी तो मेरा मन तो
डोलेगा ही

,,,,,( राहुल अपनी कमर को हिलाते हुए अपनी मां को चोदते हुए बोला।)

आाहहहहहहहहहह,,,,,, सससससससहहहहहहहहहह,,,,,,,,,,,,औहहहहहह,,,,,म्माआआआआ,,,,,,,,ऊहहहहहह,,,,,,,,,,
राहुल बेटा,,,,, ( अपने बेटे के मुंह से अपना नाम फिर से सुनकर अलका पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी
थी और उसके मुंह से गरम गरम सिसकारी फुटना शुरू हो गई थी। उसे इंन शब्दो के साथ चुदवाने में
कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था, और राहुल को भी। अल्का पुरी तरह से मस्त हो जा रही थी उसकी बरु
में उसके बेटे का लंड बड़ी ही तेजी से अंदर बाहर होता हुआ चुदाई का सुख दे रहा था।

दे ख मेरी जान दे ख तेरी बुर केसे लपालप मेरा लंड ले रही है । आाहहहहहहहहहह,,,,,,औहहहहह,,,,, मेरी जान
मेरी अलका तुझे चोद चोदकर मैं मस्त हुएें जा रहा हूं।सससहहहहह,,,,,,आाहहहहहहहहहह,,,,, अलका
रानी,,,,,, कितनी मस्त है रे तु,,,,, तू तो मुझे पागल कर दी है मेरी जान,,,,,,,,,, आहहहहहहह,,,,,, ( राहुल बैठे-
बैठे ही जोर जोर से धक्के लगाता हुआ अपनी मां को चोद रहा था और मस्त हो कर के गंदी गंदी बातें
कर रहा था जो कि अलका को भी एकदम मस्त किए जा रही थी। अलका को यकीन नहीं हो पा रहा था
कि उसका बेटा उसे इन शब्दों में बोलते हुए इतनी मस्त चुदाई कर रहा है । फच्च,फच्च की आवाज से
पूरा बाथरूम गुंज रहा था। अलका पानी पानी हुई जा रही थी उसकी बुर से लगातार उत्तेजना के मारे
नमकीन पानी रिस रहा था। राहुल का लंड ईस अवस्था मे भी बड़ी तेजी से बुर के अंदर बाहर हो रहा
था।राहुल दोनो हाथ आगे बढाकर अलका की दोनो चुचियों को हथेली में दबोच कर पीछे से अपना लंड
अंदर बाहर करते हुए उसे चोद रहा था ।
राहुल को इस तरह से अपनी मां को चोदने में बहुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा
था कि वह कभी इस तरह से अपनी मां की चुदाई करे गा। अलका तो अपने बेटे का लंड ले लेकर पानी
पानी हुए जा रही थी मदहोशी उसकी आंखों में साफ नजर आ रही थीे वह अपनी आंखों को बंद करके
संभोग सुख की असीम आनंद की अनुभूति कर रहीे थी।

सससससहहहहहहह,,,,,,, औहहहहहह,,,,,,, मेरे राज्जा,,,,, सससहहहहह,,,,, और तेज धक्के लगा,,,,, मेरे


राजा,,,,,,, ( अलका भी अब राहुल की ही तरह की बातें करने लगी थी दोनों को बेहद मजा आ रहा था
राहुल तो अपनी मां के मुंह से ऐसी बातें सुनकर जोर-जोर से चूचियों को दबाता हुआ दो चार धक्के और
जोर से जड़ दिया )

आहहहहह आहहहहहहह आाहहहहहहहहहह,,,,,, ओहहहहह राहुल एेसे ही,,,,,,, हां,,,,, बस ऐसे ही चोदता रहे ।

पूरे बाथरूम में दोनों की गरम सांसो की सिसकारियां और चप्प,,,,,,,, चप्प,,,,,की आवाज गूंज रही थी।

तकरीबन 30 मिनट तक राहुल अपनी मां को ईसी अवस्था में चोदता रहा और उसकी मां भी इस अवस्था
में चुदाई का भरपरू आनंद उठाते हुए गर्म सिसकारियां भर्ती रही।

लगातार दोनों चरमसुख की प्राप्ति के लिए आगे बढ़ रहे थे दो चार धक्कों के बाद ही अलका के बदन में
अकड़न सी आने लगी,,,,,, उसकी सिसकारियां कुछ ज्यादा तेज हो गई राहुल को भी लगने लगा था कि
वह भी अब बिल्कुल करीब पहुंच चुका है । इसलिए वह भी अपने धक्कों की गति को तेज कर दिया और
कुछ ही धक्कों के बाद दोनों झड़ने लगे। राहुल ने गजब का संभोगासन े दिखाते हुए अपनी मां को
संभोग की संपूर्ण रुप से संतुष्ट जनक प्राप्ति करवाया था। दोनों तीसरी बार झड़ चुके थे। राहुल ने अपना
लंड अपनी मां की बरु से बाहर निकाल कर खड़ा हो गया अलका भी हांफते हुए खड़ी हुई। राहुल का लंड
अलका की नमकीन पानी में तरबतर होकर चु रहा था। अलका हांफते हुए मुस्कुरा रही थी, उसे इस बात
का अंदाजा बिल्कुल नहीं था कि बाथरुम में भी एक राउं ड पूरा हो जाएगा। अलका राहुल से बिना कुछ
कहे मुस्कुराते हुए बाथरुम से बाहर निकल गई और राहुल ने वही खड़े-खड़े पेशाब किया और वह भी
बाथरुम से बाहर आ गया। आधी रात से ज्यादा समय बीत चुका था लेकिन दोनों की आंखों से नींद
कोसों दरू थी। राहुल कमरे के अंदर प्रवेश किया तो अलका बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी लेकिन
उसके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था उसने अपनी ब्रा और गांऊन को भी उतार फेंकी थी। पेट के बल
लेटे होने की वजह से उसकी भरावदार गांड ऊपर की तरफ कुछ ज्यादा ही निकली हुई नजर आ रही थी।
राहुल जाकर बिस्तर पर बैठ गया और एक हाथ से अपनी मां की नरम नरम गांड को सहलाने लगा,
अलका नजर घुमाकर राहुल की तरफ दे खते हुए मुस्कुरा दी और बोली।

बेटा गजब की ताकत है तेरे मे बिना थके तूने तीन बार मुझे जन्नत की सैर करवा चुका है । मुझे तो
तूने थका डाला है । ( अपनी मां के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर राहुल खुश हो कर मुस्कुराया जा रहा था
और अपनी मां की नरम नरम गांड को सहलाए जा रहा था। अलका अपने बेटे की मर्दानगी की तारीफ
करते हुए बिल्कुल भी नहीं थक रही थी। थकती भी कैसे, जिस तरह से राहुल उसकी जमकर चुदाई करता
था शायद ही ऐसी चुदाई कोई कर पाए। आखिरकार वह राहुल ही था जिसने उसकी नीरस जिंदगी में रं ग
भर दिए थे। उसने उसे इक नई जिंदगी दिया था वरना वह तो बस जिए जा रही थी जिंदगी का बोझ
लेकर। अलका यही सब सोचे जा रहे थे और राहुल की तरफ दे खकर मुस्कुराए जा रहीे थी।

राहुल अलका की गांड को सहलाते हुए बोला।

मम्मी तेरी ये ( गांड की तरफ ईसारा करते हुए) मतवाली गांड दे ख कर मेरा जोश बढ़ जाता है ना जाने
मझ
ु में कितनी ताकत आ जाती है । सच मेरी जान

( दोनों हथेलियों में भरकर जोर से गांड को दबाते हुए) तेरी यह बड़ी बड़ी गांधी है जो मेरे लंड को हमेशा
खड़ा रखती है हमेशा तैयार रहती है तेरी बरु में डालने के लिए। ( राहुल फिर से दस
ू री भाषा में अलका से
बातें करने लगा और अलका इन शब्दों को सन
ु कर मस्त होने लगी। इस तरह की भाषा का प्रयोग अपने
लिए सन
ु कर उसके बदन में भी मस्ती छाने लगी और मस्तीयते हुए वह बोली।)

औहहहहह,,,,,, राहुल,,,,, मेरे राज्जा,,,,,,, ,, अगर सच मे तुझे मेरी गांड ईतनी ज्यादा अच्छी लगती है तो,,,,
मेरे राज्जा,,,,,, तु आज मेरी ( ऊंगली से गांड ं की तरफ इशारा करते हुए) गांड से खूब प्यार कर जमकर
प्यार कर इतना प्यार कर की तु इसे लाल लाल कर दे ।

राहुल अपनी मां की गंदी बातें सुनकर और उसकी भाषा का प्रयोग दे ख कर मस्त होने लगा वह जोर
जोर से अपनी मां की गांड को हथेलियों में भर भर कर दबाने लगा। वह इतनी जोर से दबा रहा था कि
अलका के मुंह से सिसकारी छुट जा रही थी। राहुल अपनी मां की गांड को दबाते हुए बीच की फांकों की
गहराई में अपनी उं गली डाल के ऊपर से नीचे तक सहला रहा था। अलका को भी अपने बेटे की यह
हरकत पर ज्यादा आनंद आ रहा था। राहुल का लंड फिर से टनटनाकर खड़ा होने लगा। अलका मस्त
होने लगी थी।

अलका की गांड़ इतनी ज्यादा बड़ी और भरावदार र्थी की उसकी गांड के बीच की फांक की गहराई के
अंदर का गुलाबी छे द नजर नहीं आ रहा था। राहुल जिसे उं गलियों से टटोलकर महसूस कर रहा था
जिसकी वजह से अलका कसमसा जा रही थी। इस तरह से अंगुलियों से गांड के साथ मस्ती करने पर
अलका के आनंद में लगातार वद्धि
ृ होती जा रही थी। अलका सिसकारी लेते हुए अपनी कमर को अगल
बगल हीलाते हुए कसमसा रही थी। और करना चाहते हुए वह उत्तेजना के मारे अपनी कार को रह-रहकर
हवा में उचका भी दे रही थी। राहुल को अपनी मां की मस्त गांड को दे ख कर मस्त हुए जा रहा था।
राहुल गांड की फांको के बीच की लकीर में ऊपर से नीचे तक अपनी बीच वाली उं गली को रगड़ते हुए उस
छोटे से छे द को महसुस करना चाह रहा था, जिसको दे खने के लिए जिस को महसूस करने के लिए उस
का तन बदन तड़प रहा था। अलका तो बेसुध होकर के मदहोशी के आलम में मस्ती के सागर में गोते
लगा रहे थे वह अपने बेटे की उं गलियों की रगड़ को अपनी गांड की फांकों के बीच महसूस कर के मस्त
हुए जा रही थी। उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और साथ ही गर्म आहें भरते हुए गरम
सिसकारियां भी ले रही थी।

ओहहहहह,,,,,, अलका मेरी जान मेरी रानी तेरी यह बड़ी बड़ी गांड दे ख कर तो मैं पागल हुए जा रहा
हूं।,,,,,,,,सससससहहहहहहह,,,,,,,, मेरी जान,,,, मेरी गरम गरम बरु की रानी,,,,,, मन कर रहा है कि परू ा लंड
तेरी गांड मै डाल कर चोद डाल,ु ,,,,,, सच में मेरी रानी मेरी छम्मक छल्लो,,,,,,, तेरी यह गांड मझ
ु े मदहोश
किए जा रही है ,,,,,,, समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करूं,,,,,,,, मन तो कर रहा है कि तेरी गांड को जीभ
से चाट डाल।ु

( अलका तू अपने बेटे की इतनी गंदी बात सन


ु कर एकदम मदहोश होने लगी उसकी उत्तेजना परम शिखर
पर पहुंच गई उसकी सांसे तीव्र गति से चलने लगी उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि इतनी गंदी बातें
उसका बेटा ही उससे कर रहा है । लेकिन अलका को इतनी बेहद आनंद की अनभ
ु ति
ू कभी भी वार्तालाप में
नहीं हुई थी। उसकी बरु में तो सरु सरु ाहट होने लगी थी। उसका चेहरा अपने बेटे की बात सन
ु कर
उत्तेजना के मारे एकदम लाल लाल हो गया था। उसके बदन में उत्तेजना इतनी ज्यादा बढ़ गई कि वह
खद
ु अपने दोनों हाथों से अपनी दोनों चच
ु ीयां पकड़कर दबा रही थी। और अपनी चचि
ु यों को दबाते हुए
सिसकारी लेते हुए बोली।

सससससहहहहहहह,,,,,,, मेरे,,,,,, राहुल,,,,,, मेरे राजा,,,,, तो दे र किस बात की है ,,, मेरी जान चाट डाल मेरी
गांड को अपनी जीभ से चोद डाल मुझे,,,,,,,आहहहहहहह,,,,,, राहुल मेरे राज्जा,,,,,,

( अलका भी रं ग मे रं ग चुकी थी,, वह भी अपने बेटे की ही तरह खुलकर राहुल से बोले जा रहीे थी। राहुल
तो अपने मां के मुंह से ऐसी गंदी बातें सुनकर एकदम से जोश में आ गया वह अपनी मां की बात सुनते
ही जोर जोर से उसकी गांड को दबाने लगा, अपनी मां की गांड को दबाते हुए राहुल एकदम से मदहोश हो
चुका था वह सुध बुध खो चुका था। गांड को दबाते दबाते वह अपनी नाक अपने होंठ फटने काल को भी
अपनी मां की नरम नरम गांड पर रगड़ रहा था। जिससे अलका और ज्यादा उत्तेजित होते हुए गरम
सिसकारी ले रही थी।)
ससहहहहहहह,,,,,,आआाआआआआ,,,,,,,,, ऊहहहहहह,,,,,,,, मेरे राजा,,,,,,,,, ऊहहहहहहहह,,,,,,,

( अलका अपने बेटे की हरकत से मस्त हुए जा रही थी। इसकी खुशी उसके बदन में समा नहीं पा रही
थी। वह रह रहकर अपने दांतों को भींच दे रही थी तो कभी अपने होंठो को दांतो से कुचल दे रही थी।
राहुल तो दीवानों की तरह अपनी मां के नितंबों पर टूट पड़ा था।

वह अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड की फंकों को दोनों हाथों से फैलाते हुए बीच में अपनी नाक डालकर उस
लकीर में रगड़ रहा था। इससे राहुल को तो बेहद आनंद की प्राप्ति हो ही रही थी साथ ही अलका इस
हरकत से और भी ज्यादा मदहोश होते हुए जोर जोर से सिसकारी ले रही थी। राहुल एक बार फिर से
अपने ऊंगलियों का सहारा लेकर गांड की लकीर के बीच रगड़ते हुए अच्छे को तो बोल रहा था तभी
उसकी उं गली गांड के बीचो-बीच उसी छे द पर आ कर रुक गई। राहुल एकदम उत्तेजित होने लगा उसे
समझ में आ गया था कि उसकी ऊंगली उसकी मां की गांड के छे द पर ही हरकत कर रही है । राहुल ने
जैसे ही उस छें द को अपनी उं गली से महसूस किया उसके मुंह से गर्म सिसकारी छूट पड़ी।

सससससहहहहहहह,,,,,,,, मम्मी मेरी जान मैं तो पागल हुए जा रहा हूं,,,,,,,,,, तझ


ु े अंदाजा भी नही होगा
अलका मेरी जान कि,,,,,, मेरी ये उं गली तेरे कौन से अंग पर हरकत कर रही है ।,,,,,, बता मेरी जान बता,,,,
मेरी यह उं गली तेरे कौन से अंग पर हरकत कर रही है ,,,,,,

( अलका तो अपने बेटे की उं गली को अपने नाजुक अंग पर महसुस करके उत्तेजना के परम शिखर पर
पहुंच चुकी थी,,, उससे अपनी यह उत्तेजन दबाए नही दब रही थी ।अलका को तो कुछ समझ में ही नहीं
आ रहा था कि वह अपने बेटे के ईस सवाल का क्या जवाब दे । वह बस गरम आंहे भरते हुए खामोश
रही अपनी मां को खामोश दे खकर राहुल फिर बोला ।)

बोलना मेरी जान चुप क्यों है ? मैं तेरे मुंह से सुनना चाहता हूं ।

( अलका अपने बेटे के मुंह से ऐसी बातें सुनकर पहले से ही गर्म हो चुकी थी और ऊपर से उसकी उं गली
जिस जगह पर हरकत कर रही थी उस जगह के बारे में सोचते ही उस का तन बदन झनझना रहा था।
लेकिन अलका भी परू ी तरह मस्त हो चुकी थी इसलिए अपने बेटे का जवाब दे ते हुए बोली।
ससससससस,,,,,,,, आहहहहहहह,,,,, राहुल मेरे राजा तू खुद जानता है कि तेरी उं गली मेरे कौन से अंग पर
है लेकिन मैं जानती हूं कि तू मेरे मुंह से सुनना चाहता है । तन
ू े मेरे पूरे तन-बदन में आग ही लगा दिया
है ,,,,,,

तू अगर मेरे मुंह से सुनना चाहता है तो सुन,,,,,, तू अपनी ऊंगली को मेरे जिस अंग पर रगड़ रहा है उसे
मेरी गांड का छे द कहते हैं ओर तेरी ये हरकत मेरी गांड में आग लगाए हुए हैं। सससससहहहहहहह,,,,,,,
अब मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है मेरे राजा,,, अब तू कुछ कर,,,,,,,,,, कुछ कर नहीं तो मैं
पानी पानी हो जाऊंगी।

( अलका तो एक दम से पागल हुए जा रही थी वह अपनी उत्तेजना को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे और


रह-रहकर एकदम कसमसाते हुए अपने पूरे गांड को इधर-उधर नचा दे रही थी। राहुल अपनी मां की तड़प
को दे खकर तरु ं त अपनी हथेलियों से गांड को दबोच के ऊपर की तरफ उठाते हुए बोला।

बस मेरी जान अभी मैं तेरी प्यास हो बझ


ु ाता हूं बस थोड़ी सी अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दे ।

( अपने बेटे की बात सुनते ही वह जल्दी से अपनी गांड को कमर से नीचे वाले भाग को ऊपर की तरफ
उठा कर हवा में लहरा दी। ऐसा करने के बाद राहुल तो अपनी मां की गोल गोल गांड को दे ख कर एक
दम से पागल हो गया और अपना मुंह गांड में ही भिड़ा दिया।

वह पागलों की तरह पूरी गांड पर अपनी जीभ फिराने लगा।वह रहरहकर अपने दोनों हाथों से गांड की
फांकों को फैला दे रहा था और ऐसा करने पर राहुल को अलका की मस्त गांड का वह भूरे रं ग का छें द
नजर आ गया। अपनी मां की गांड के उस भूरे रं ग के छे द को दे खते ही राहुल की कामोत्तेजना सर
चढ़कर बोलने लगी। बिना एक पल भी गांवाएं सीधा अपने होठों को उस भूरे रं ग के छे द पर टिका दिया।
और जेसे ही ऊसने अपनी जीभ को उस भूरे रं ग के छे द पर स्पर्श कराया वैसे ही अपनी बेटे की जीभ को
अपनी गांड के छे द पर महसूस करके अलका की तो सांस ही हालक में अटक गई। उत्तेजना के मारे
अलका का गला सूखने लगा था। उसका पूरा बदन सूखे हुए पत्ते की तरह थरथर करके कांपने लगा।
राहुल को अपनी मां की कंपकंपी और उसकी कसमसाहट साफ महसूस हो रही थी वह भी अच्छी तरह से
समझ गया था कि उसकी मां को भी बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही है । राहुल अपनी मां की उत्तेजना
को दे खकर अपनी चीभ से उस भूरे रं ग के छे द को चाटना शुरु कर दिया। अलका तो अपने बेटे की इस
हरकत से एक दम मस्त होने लगी उसका पूरा बदन उत्तेजना के मारे गंनगान सा गया। वह कभी सपने
में भी नहीं सोची थी की कभी कोई उसकी गांड के भूरे रं ग केछें द कोे जीभ लगाकर चाटे गा। वह मन में
यही सोच रही थी कि इतनी गंदी जगह को कोई कैसी अपनी जीभ लगाकर चाटता है , ऊसे तो यह सब
एक सपना ही लग रहा था ऊसे तो इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था कि उसका ही
बेटा उसकी इस गंदी जगहको अपने जीभ से चाट रहा है । रराहुल तो दीवानों की तरह अपनी मां के इस
भूरे रं ग के छे द को पाकर मदहोश हो गया था वह पूरी मस्ती के साथ अपनी जिद से ऊस भूरे रं ग के
छे द को चारो तरफ से चाट डाल रहा था। अलका को अपने बेटे की उस दिन की बात याद आ गई जब
चुदाई के समय वहं उसके इसी क्षेंद के बारे में जिक्र कर रहा था और अलका घबराकर उसे इंकार कर दी
थी। ऊसे अगर पता होता कि गांड चटवाने में इतना ज्यादा आनंद की प्राप्ति होती है तो वह उसी दिन
अपने बेटे से अपनी गांड चटवाली होती।

लेकिन दे र आए दरु
ु स्त आए इस समय भी वह अपनेी गांड चटवाने का परू ा आनंद उठा रही थी। वह
अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपने बेटे के मुंह पर रगड़ रही थी और राहुल भी मस्ती के साथ
अपनी मां की गांड को दोनों हाथों से दबोच कर जीभ से चाट रहा था।

कुछ दे र तक यूं ही राहुल अपनी मां की गांड को जीभ से चाटता रहा। उसके बाद वह अपने मकसद की
तरफ आगे बढ़ते हुए अपनी एक उं गली को गांड के रसीले छें द पर रखकर हल्के से दबाया तो उसकी
आधी उं गली गांड में प्रवेश कर गई.।

और जैसे ही राहुल की आधी उं गली गांड में प्रवेश हुई । अलका के मंह
ु से दर्द भरी कराह छूट गई। ऊसे
यकीन नहीं आ रहा था कि राहुल ऐसी हरकत करे गा। अभी तो आधी ही ऊंगली गांड में घश
ु ी थी की वह
दर्द के मारे छटपटाने लगी।

आााााहहहहहहह,,,,,,,,, ओहहहहहहहह,,,,,,,,, राहुल से जल्दी से बाहर निकाल,,,,,,,,, मझ


ु े बहुत दर्द कर रहा है ।

लेकिन अभी तो मेरी जान तुम मस्ती भरी सिसकारी लेते हुए मजा ले रही थी,,,,,,( राहुल गांड में उं गली
घु ्साए हुए ही बोला।)

अरे हरामजादे मुझे क्या मालूम था कि तू गांड को जीभ से चाटते चाटते अपनी उं गली भी घुसा दे गा।।

अरे मेरी रानी अभी तो मैंने सिर्फ आधी ऊंगली ही घस


ु ाया हूं अभी तो मेरा परू ा लंड इसमें जाना बाकी है
तब तेरा क्या हाल होगा।
( राहुल कीजिए बातें सुनकर अलका का तू दिल दहल गया उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि
राहुल ऐसा कुछ करने की सोचेगा। वह डर के मारे बोली।

नहीं नहीं राहुल ऐसा मत कर तू पागल हो गया है क्या ऐसा भी कोई करता है तझ
ु े पता है कि उसमें
ठीक से उं गली भी नहीं जा रही है तो तेरा लंड ऊस छोटे से छें द मे कैसे जाएगा। आाहहहहहहहहहह,,,,,,,
राहुल,,,,,,,, ऐसा बिल्कुल भी मत करना मझ
ु से बर्दाश्त नहीं होगा।

( अलका अंदर ही अंदर राहुल की कही बात सुनकर सहम जा रही थीे । उसे डर लग रहा था कि अगर
वास्तव में राहुल जैसा कह रहा है ,,,, अगर वैसा ही किया तो क्या होगा। अलका के मन में दहशत भी
बनी हुई थी लेकिन जिस तरह से राहुल अपनी जीभ से उसकी गांड कि उस बेशकीमती भूरे रं ग के छे द
को चाट रहा था, उसकी चटाई दे खकर अलका को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी जिस वजह से अपनी
गांड को लगातार गोल-गोल घुमाते हुए अपने बेटे के मुंह पर रगड़े जा रही थी। राहुल था कि अपनी मां
की बात पर जरा भी ध्यान दे ने बिना ही अपने काम को अंजाम की तरफ ले जा रहा था वह धीरे धीरे
अपनी आधी उं गली को गांड के छे द में अंदर बाहर करते ही रहा, और उसपर अपनी जीभ फीरा फिराकर
अपनी मां की कामाग्नि को भड़काए जा रहा था। राहुल अपनी मां के डर को कम करने के लिए बोला।

कुछ नहीं होगा मेरी जान,,,,,,, बल्की तुम्हें इतना मजा आएगा कि तुम हर रोज मुझसे अपनी गांड
मरवाओगी।

नहीं रे मुझे तो बहुत डर लग रहा है तू बस मेरी बरु में अपना लंड डालकर काम चला ले उस छें द में
बिल्कुल भी मत डालना।,,,,,,,, ( अलका को लगातार इसी बात का डर लगा हुआ था कि राहुल उसकी गांड
के छे द में इतना मोटा लंड ना डालें वर्ना वह सह नही पाएगी। लेकिन राहुल ने तो जैसे मन में ही ठान
लिया था कि आज वह अपनी मां की गांड मे अपना मोटा लंड डाल कर ही रहे गा,, इसलिए वह अपनी
दस
ू री ऊंगली भी उसकी भूरे रं ग के छे द में डालते हुए बोला।

कुछ नहीं होगा अलका डार्लिंग मेरा विश्वास करो एक बार जब परू ा लंड तम्
ु हारी गांड के भरु े रं ग के छें द
में घस
ु जाएगा तो तझ
ू े इतना मजा आएगा कि पछ
ू ो मत तु खद

अपनी गांड को पीछे ठे ल ठे ल कर मेरा लंड लेगी सच बस एक बार मझ
ु े तेरी गांड में मेरा लंड डालने दे
फिर दे खना तू और मैं दोनों कितना मजा लूटते हैं। ( राहुल अपनी मां से इस तरह से बात कर रहा था
कि जैसे वह अपनी मां को नहीं किसी दस
ू री औरत को चोद रहा हो और उसकी गांड मारने की बात कर
रहा हो। अपनी मां की गदराई गांड से खेलते हुए राहुल की भी हालत खराब हो जा रही थी जिस तरह से
राहुल उसकी गांड से अठखेलियां कर रहा था उसकी वजह से अलका की भी हालत खराब हो रही थी।
दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी लेकिन अलका आगे बढ़ने से डर रही थी।

राहुल धीरे धीरे अपनी दोनो उं गलियों को पूरी जड, तक घुसेड कर गोल-गोल घुमाते हुए अपनेे लंड के लिए
जगह बना रहा था। राहुल अपनी मां को गांड मरवाने के लिए मनाता रहा, लेकिन उसकी मां डर की वजह
से ना नुकुर करती रही । रात के करीब 3:30 बज चुके थे।

इतनी रात बीत जाने की वजह से ही दोनों की आंखों से नींद कोसों दरू थी। दोनों अपनी अपनी बदन की
प्यास बझ
ु ाने के लिए जग रहे थे।

राहुल को जब लगने लगा कि उसकी मां गांड मरवाने के लिए राजी नहीं होगी तो ऊसने ऊसका वादा
याद दीलाते हुए बोला।

मम्मी तम
ु अपने वादे से मक
ु र रही हो याद है तम्
ु हीं ने कही थी कि तेरे जन्मदिन के दिन में तझ
ु े परू ी
तरह से खश
ु कर दं ग
ू ी तु जो मांगेगा में वह तझ
ु े दं ग
ू ी। तेरी हर ख्वाइश परू ी करोगी लेकिन आप क्या
हुआ तम
ु अपने वादे से मक
ु र रही हो तम
ु मेरे जन्मदिन पर मेरी ख्वाहिश ना परू ी करने के लिए जिद पर
अड़ी हो।

राहुल की बात सुनते ही अलका जैसे कुछ याद कर रही हो इस तरह से सोचने लगी, उसे अपना किया
गया वादा परू ी तरह से याद था लेकिन वह नहीं जानती थी कि उसका बेटा उसकी गांड मारने की ही
ख्वाइश करे गा। उसके मन में गांड मरवाने का डर बराबर बैठा हुआ था वह सोच-सोच कर ही दहल जा
रही थी कि इतने से छोटे से छे द में उसके बेटे का मोटा लंड आखिर जाएगा कैसे जो उसका बेटा जिद
पर अड़ा हुआ है । वह जानती थी कि उसका बेटा मांनने वाला नहीं है फिर भी वह अपने बेटे को समझाते
हुए बोली।( वह नजरे घुमाकर राहुल की ही तरफ दे ख रही थी)

बेटा तू क्यों जिद कर रहा है तुझे भी अच्छी तरह से दिखाई दे रहा है कि मेरी गांड का छे द कितना
छोटा है और तेरा लंड कितना मोटा है तू ही सोच ईसमे जाएगा कैसे? ( राहुल परू ी तरह से तैयार हो चुका
था और वह अपनी मां की एक ही बात मानने के लिए तैयार नहीं था उसका लंड तड़प तड़प कर एकदम
कड़क हो चुका था। वह भूरे रं ग के छे द पर ढे र सारा थुत लगाते हुए तैयार हो चुका था। वह अपनी मां
की गांड को थोड़ा सा और ऊपर उठा कर खुद खड़ा हो गया और अपने लिए जगह बनाने लगा। वह ठीक
है अपनी मां की गांड के पीछे खड़ा हो गया और अपने लंड के गरम सुपाड़े को अपनी मां की गांड पर
सटाते हुए बोला।

तू बिल्कुल भी चिंता मत कर मैं सब कुछ संभाल लूंगा बस थोड़ा सा मेरा साथ दे दे ।

( अलका क्या करती उसके पास उसके बेटे की बात मानने के सिवा और कोई दस
ू रा रास्ता भी नहीं था
इसलिए वह डरती हुई अपनी नजरें पीछे घुमा कर अपने बेटे की हरकत को ही निहारती रही, उसके मन
में भी इस बात को लेकर गुदगुदी हो रही थी कि अब आगे क्या होगा उसे कैसा लगेगा। यही सब सोच
रही थी कि राहुल ने अपने लंड के सुपाड़े को उस भूरे रं ग के छे द में धंसाना शुरु कर दिया। जैसे-जैसे
राहुल उस छें द पर दबाव दे ता वैसे-वैसे दर्द के मारे अलका का मुंह खुलता चला जा रहा था। थोड़ी
मशक्कत करने के बाद राहुल को भी लगने लगा कि वाकई में उसकी मां की गांड का छे द छोटा है और
ऊसके लंड का सुपाड़ा कुछ ज्यादा ही मोटा है । लेकिन वह हार मानने वाला नहीं था वह बिस्तर पर से
नीचे उतरा और कबाट पर पड़ी नारियल के तेल की शीशी को ले आया। यह दे खकर उसकी मां समझ
गई थी वह क्या करने वाला है लेकिन बोली कुछ नहीं। वह अपनी गांड के छे द के इर्द-गिर्द एक खिंचाव
सा महसूस कर रही थी जिससे उसे दर्द हो रहा था। राहुल तुरंत बिस्तर पर चढ़कर तेल की बोतल से तेल
निकाल कर उसे छें द पर गिराने लगा। वह उं गली का सहारा लेकर उसे छे द पर तेल को ठीक से लगाकर
एकदम चिकना कर दिया। और थोड़ा सा तेल वह अपने लंड पर भी लगा लिया जिससे दोनों अंग चिकने
हो गए।

अलका लगातार नजरे पीछे घुमा कर अपने बेटे की हर हरकत पर नजर रखे हुए थी। डर के बावजूद भी
उसके मन में गुदगुदी सी मची हुई थी।

राहुल अब पूरी तरह से तैयार हो चुका था। राहुल अपने मोटे लंड के सुपाड़े को अपनी मां की चिकनी तेल
से तरबतर गांड के छैं द पर टीकाया और राहुल ने हल्के से ऊसपर दबाव डालना शुरु किया ।नारीयल के
चिकने तेल ने अपना असर दिखाना शुरू किया इस बार राहुल के लंड का सुपाड़ा गांड के छोटे से छे द में
उतरने लगा* ।

राहुल की मेहनत रं ग ला रही थी। गांड के क्षेंद पर और खुद के भी लंड पर लगाया हुआ नारियल का तेल
अपना असर दिखा रहा था उसकी चिकनाहट की वजह से लंड का सुपाड़ा छोटे से गांड के छे द में धीरे -
धीरे उतरने लगा था। राहुल की मेहनत की वजह से अलका के पसीने छूट जा रहे थे उसे अपनी गांड के
छे द में दर्द महसूस होने लगा था अभी तो लंड के सुपाडे का बस एक ही भाग अंदर घुसा था। अभी तो
पूरा समुचा लंड अंदर घुसना बाकी था। राहुल अपनी मंजिल को पाने के लिए कार्यरत था। राहुल धीरे धीरे
अपनी ताकत लगा रहा था। उसने थोड़ा ओर दम लगाया तो उसके लंड का सुपाड़ा आधा से ज्यादा गांड
के ङूरे रन के छें द में प्रवेश कर गया। लेकिन जैसे ही सुपाड़ा गांड में प्रवेश किया वैसे ही अलका की
हालत खराब होने लगी उसके मुख से दर्द से कराह ने की आवाज निकलने लगी।

ओहहहहहहह,,,,,, म्मां,,,,,,,,,, बहुत दर्द कर रहा है रे ,,,,,, ऊहहहहहह,,,,,,,,, हरामजादे ,,,,,,, निकाल,,,,,,
सससससहहहहहहह,,,,,,,,,, ( अलका दर्द से छटपटाते हुए बोली,,,,,, अलका से यह दर्द बिल्कुल भी सहन नहीं
हो रहा था। वह दर्द को दबाने के लिए अपने दांतों को भींच ले रही थी। वह कस के बिस्तर पर बिछाई
हुई चादर को अपने दोनों हथेलियों में दबोचे हुई थी। उसे इस बात का एहसास तो था ही कि छोटे से
छे द में उसके बेटे का मोटा लंड घस
ु नहीं पाएगा लेकिन वह अपने बेटे की जीद के आगे मजबरू हो चक
ु ी
थी। अगर उसे इस दर्द का एहसास पहले ही होता तो वह अपना यह वादा कभी भी नहीं निभाती। हल्का
पसीने पसीने हुए जा रही थी। राहुल के माथे पर भी पसीना उभर आया था। उसे भी यह इस तरीके का
आनंद लेने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा था।

उसकी मां जिस तरह से दर्द से छटपटा रही थी राहुल का मन एक बार किया कि वह अपने लंड को
बाहर निकाल ले लेकिन वह जानता था कि अगर एक बार उसने अपने लंड को वापस खींच लिया तो
उसकी मां दब
ु ारा डालने नहीं दे गी,,,, और यही सोचकर वह अपने लंड को बाहर खींच नहीं रहा था। उसने
तभी अपने दोनों हाथों की सहायता से गांड को पकड़कर थोड़ा सा फैलाया जिससे उसे थोड़ी सी जगह का
आभास होने लगा और वह तरु ं त उसे छे द पर हल्के से थक
ु को टपकाया जिससे कि वह स्थान गिला हो
जाए। और वैसा हुआ भी उसने हल्के से धक्का लगाया तो लंड थोड़ा सा और गांड मे घस
ु गया।

अलका अभी भी दर्द से छटपटाए जा रहीे थी।,,,,,,,

ओहहहहह,,,,,,, ऊहहहहहह,,,,,,, हरामजादे कुत्ते तू बहुत बेरहम होता जा रहा है । तझ


ु े मेरी जरा भी परवाह
नहीं है मझ
ु े इतना दर्द कर रहा है कि सहन नहीं हो रहा है और तझ
ु े बस मजा लेने की पड़ी है ।

( अपनी मां के मंह


ु से इस तरह की गाली सन
ु कर राहुल को मजा आने लगा,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था
कि उसकी मां उसके लिए इन शब्दों का भी प्रयोग कर सकतीे हैं,,,, फिर भी राहुल को अपने यह बातें यह
गालियां बड़ी अच्छी लग रही थी यह सब सुनकर उस का जोस और ज्यादा बढ़ने लगा,,,,, और वह गांडं
की दोनों फांखों को पकड़कर बोला।)

ओह मेरी रानी बस थोड़ा सा और थोड़ा सा दर्द और सहन कर ले उसके बाद मजा ही मजा है ,,,,,, दे खना
एक बार पर मेरा पूरा लंड तेरी गांड की गहराई में पहुंच जाएगा फिर दे खना कितना मजा आता है । जब
मैं तेरी गांड में अपने लंड को अंदर बाहर करता हुआ तेरी गांड मारूंगा तब तू खुद कहे गी की और तेज
और तेज,,,,,,, ( अलका को दर्द जरूर हो रहा था । लेकिन अपने बेटे की ऐसी बातें सुनकर उसके आनंद में
वद्धि
ृ भी हो रही थी। वह अभी भी दर्द से बेहाल हुए जा रही थी। एक एक पल उसके लिए बिस्तर पर
गुजारना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था। राहुल अगले धक्के के लिए पूरी तैयारी कर चुका था। और वह
जोर लगाकर अगला धक्का मार ही दिया। इस बार उसने कुछ तेजी से ही धक्का लगाया था क्योंकि इस
बार उसका आधे से भी ज्यादा लंड अलका की गांड में घुस चुका था।

अलका तो दर्द से एकदम बिलबिला उठी उसकी आंखों में आंसू आ गए। और ना चाहते हुए भी उसके मुंह
से गालियां निकलने लगी।

हरामजादे कुत्ते,,,,,, यह क्या किया तूने,,,,,,,,,ऊहहहह,,,,,,, ऊहहहहहह,,,,,,,, ओहहहहह,,,,, म्मांआआ,,,,,, मर गई


रे ,,,,,,,,,,,,,, मेरी तो जान ही निकल गई हरामजादे ,,,, भोसड़ी के कुत्ते,,,, तेरी मां की चुत में मोटा लंड,,,,,,,,,
हरामजादे ,,,,,,,, तेरी मां की भोंसड़ी में मोटा लंड जाएं,,,,,,,,,,,,

( अलका को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोल रही थी वह भी इस तरह की गालियां दे
रही थी उसके मुंह से आज तक कभी नहीं निकली थी। वह बिल्कुल होश में नहीं थे वह दर्द से छटपटा
रही थी। राहुल तो अपनी मां के मुंह से ऐसी गंदी गालियां सुन कर मस्त होने लगा। उसे यकीन ही नहीं
हो रहा था कि उसकी मां उसे ऐसी गालियां दे रही है । वह अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसकी मां
को यह नहीं पता चल रहा था कि वह क्या बोल रही है वह अनजाने में अपने आप को ही गालियां दिए
जा रही थी। कुछ भी हो राहुल का काम होते जा रहा था और उसे अपनी मां की गालियां सुन कर मजा
भी आ रहा था वह कुछ भी बोल नहीं रहा था। उसे मालूम था कि जिस तरह से उसकी मां उसे गालियां
दे रही है उससे उनकी मन की भड़ास बाहर आ रही थी जिससे कि उसके दर्द में राहत मिल रही थी।

राहुल आधे से भी ज्यादा लंड अपनी मां की गांड में डाले हुए था और वह उतने ही लंड को अंदर बाहर
करते हुए गांड मारना शुरू कर दिया। वाकई में अलका की गांड कुछ ज्यादा ही टाइट थी, राहुल को इसका
आभास हो रहा था उसे इस बात का अंदाजा बिल्कुल नहीं था कि उसकी मां की गांड ज्यादा टाइट होगी
क्योंकि इससे पहले वीनीत की भाभी की गांड मार चुका था और बड़े ही आराम से उसका लंड वीनीत की
भाभी की गांड में अंदर बाहर हो रहा था। उसके विरुद्ध यहां पर तो उसका लंड बड़ी मुश्किल से अंदर
बाहर हो रहा था। लेकिन राहुल को विनती भाभी से ज्यादा मजा अपनी मां की गांड मारने में आ रहा
था। कुछ दे र तक रहा हूं यूं ही गांड मारता रहा। अलका और राहुल दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे।
अलका थोड़ा सामान्य होने लगी थी। दर्द से कराह ने की आवाज अब गरम सिस्कारियों में बदलने लगी
थी। राहुल को भी यही सही मौका लगा और उसने ईस बार परू ी ताकत के साथ ऐसा धक्का लगाया कि
उसका पूरा लंड उसकी मां की गांड की गहराई में घुस गया। इस बार अलका फिर से दर्द से बिलबिला
उठी लेकिन इस बार राहुल दर्द की परवाह किए बिना ही अपने लंड को गांड के अंदर बाहर करता रहा,
कुछ पल तक अलका फिर से छटपटाती रही, लेकिन जिस तरह से उसका बेटा उसकी गांड में लंड को
अंदर बाहर कर रहा था थोड़ी ही दे र में वह गरम सिसकारी छोड़ने लगी।
सससससहहहहहहह,,,,,,, आहहहहहहह,,,,,,,, मेरे राजा,,, बहुत मजा आ रहा है और जोर से चोद मुझे,,,,,, और
गांड मार मेरी हरामजादे और गांड मार,,,,,, आहहहहहहह,,,,,,, सससससषहहहहहहह,,,,,,, राहुल मेरे राजा,,,,,,
आहहहहहहह,,,,,,

( अपनी मां की गरम सिस्कारियों को सन


ु कर राहुल अपनी मां की गांड मारते हुए बोला।)

दे खी ना मेरी रानी मेरी जान मैंने क्या कहा था उसे भी मजा आएगा और तुझे भी मजा आ रहा है ,,,,,,
कैसा लग रहा है मेरी रानी तुझे अपनी गांड मरवाते हुए,,,,

राहुल अपनी मां से उसकी गांड मारते हुए पूछ रहा था।

अलका तो पहले से ही मस्त हुए जा रही थी इसलिए अपने बेटे के सवाल का जवाब दे ते हुए बोली।

बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा मैं तुझे बता नहीं सकती कि मुझे गांड मरवाने में कितनी मजा आ रही
है अगर मुझे पता होता कि इतनी मजा आती है तो ना जाने कब से तझ
ु े से मरवा लेती।

( राहुल अपनी मां का जवाब सुनकर ओर जोर जोर से धक्के लगाने लगा।)

मेरी रानी कह तो रहा था कि मरवा ले तू ही नहीं मान रही थी। अब मजा आ रहा है ना,,,,,,,,,,( इतना
कहने के साथ ही वह और जोर जोर से धक्के मारते हुए बोला।)

ले हरामजादी और ले,,,,, और ले मादरचोद,,,,, ले मेरा परू ा लंड ले अपनी गांड में ,,,, भोसड़ी कीे ले,,,,, बहुत
ज्यादा प्यासी है ,,,,,, तु,,,,,,,, ले और चुद़वा मुझसे,,,,,,,

( राहुल पूरे जोश में आ चुका था वह अपनी मां को गालियां दे ते हुए चोद रहा था,,,,,, अपने बेटे की कहानी
सुनकर अलका कि भी कामाग्नि और ज्यादा धड़कने लगी,,,,,, अलका और ज्यादा चुदवासी होकर के पीछे
की तरफ अपनी गांड ठे लने लगी,,,,, राहुल और जोर से धक्के लगाते हुए अपनी मां की गांड मारने लगा
दोनों एक दस
ू रे को गंदी-गंदी गालियां दे ते हुए चुदाई का मजा ले रहे थे। पूरा कमरा फचर फचर की
आवाज से गुज रहा था। दोनों की सांसे तीव्र गति से चल रही थी। पुरा समराथल अलका की गरम
सिस्कारियों से गूंज रहा था।

राहुल के धक्के इतनी तेज थे की परू ा पलंग हचमचा जा रहा था,,,,, थोड़ी दे र में दोनों का बदन अकड़ने
लगा और राहुल ने एक जोरदार प्रहार किया और दोनों भरभराकर झढ़ने लगे।

सुबह के करीब 4:30 बज चुके थे दोनों थक हार कर एक दस


ू रे की बाहों में बाहें डाल नग्नावस्था में ही
नींद की आगोश में चले गए।

सुबह नहा धोकर अलका राहुल और सोनू तीनों तैयार हो चुके थे अलका रसोई घर में रसोई तैयार कर
रही थी और राहुल अपने कमरे में बैठ कर नीलू के बारे में सोच रहा था आज ना जाने क्यूं जब से उठा
था उसे नीलू का ही ख्याल आ रहा था। वह मन ही मन सोच रहा था कि जो भी हुआ तो हुआ लेकिन
नीलू के साथ जो हो रहा है और वह कर रहा है , वह बिल्कुल गलत है । नीलू पहले चाहे जैसी भी थी
लेकिन अभी उसे दिलो जान से प्यार करती थी। वह उससे सच्चा प्यार करने लगी थी और राहुल भी तो
उससे प्यार करने लगा था। अगर विनीत ये सारे लफड़े ना किया होता तो वह नीलू को कभी भी नहीं
छोड़ता,,,,, नीलू के बारे में सोचकर उसे रोना आ रहा था क्योंकि वह भी उसे दिलो जान से प्यार करने
लगा था।

अलका रसोई घर में खाना पका रही थी तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी व रसोई घर से बाहर आ
करके दरवाजा खोली,,,, दरवाजा खोलते ही वह झेंप गई क्योंकि दरवाजे पर एक सुंदर सी लड़की और एक
सुंदर सी औरत खड़ी थी जिन के कपड़े ही बता रहे थे कि वह लोग अच्छे घर पर और खानदानी लोग
थे। अलक को समझ में नहीं आया कि आखिर यह लोग कौन है ।

तभी दरवाजे पर दस्तक की आवाज को सुनकर राहुल अपने कमरे से बाहर आ गया था नीचे आकर के
जब उस ने दरवाजे पर खड़ी नीलू और उसकी मम्मी को दे खा तो वह चौंक गया।

नीलू तुम और यहां,,,,,,,, आंटी के साथ

( अपनी आंटी को नमस्ते किया और उं हें अंदर आने को कहा नीलू और उसकी मम्मी दोनों अंदर आ गई।
अलका को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन उसे इतना पता चल गया था कि राहुल इन दोनों
जन को जानता है बाद में राहुल ने हीं अपनी मां को इन दोनों के बारे में बताया। अलका जल्दी से रसोई
घर में गई और कुछ बिस्कुट प्लेट में निकाल कर, पानी के दो गिलास लेकर के बाहर आ गई। उन दोनों
ने बीस्किट खाकर पानी पिए। राहुल को खुद समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार नीलू और उसकी
मम्मी उसके घर क्या करने आई है । राहुल ने नीलू से उसके घर आने का कारण पूछा तो नीलू की
मम्मी बीच में बोल पड़ी।

राहुल बेटा नीलू ने हमें सब कुछ बता दि है ।

वह तुमसे बेहद प्यार करती है तुम्हारे बिना जी नहीं सकती। इसके पापा तो इसकी शादी दस
ू री जगह
तय कर चुके थे लेकिन नीलू ने जब मुझे तुम्हारे बारे में बता कर रोने लगे तो मुझसे रहा नहीं गया, और
मैं इसके पापा से बात की । और उसके पापा तो नीलू पर जान छिड़कते हैं वह जानते थे कि अगर नीलू
कि सादी उसकी मर्जी बिना कहीं और हो गई तो जिंदगी में सुखी नहीं रह सकती और उसके पापा इस
को दख
ु ी नहीं दे ख सकते। इसलिए उन्हें तुम्हारा और उसका रिश्ता मंजूर हो गया।

( राहुल तो भोंचक्का हो करके नीलू की मम्मी की बस बातें ही सुनता रहा,,,,,, नीलू की मम्मी की बातें
सुनकर तो उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब क्या हो
रहा है ।
नीलु की मम्मी की बात सुनकर अलका समझ चुकी थी कि यह सब राहुल और नीलू की सादी की बातें
हो रही थी। तभी अलका खेद जताते हुए बोली।

लेकिन बहन जी हम लोगों की है सियत,,,,,,

( नीलू की मम्मी अलका की बात को बीच में ही काटते हुए बोली।)

बहन जी आप चिंता क्यों करती है आखिर शादी के बाद इतनी सारी प्रॉपर्टी किसकी होगी यही दोनों मिल
कर तो संभालेंगे। इसके पापा भी जरूर आते लेकिन उनकी तबीयत कुछ ठीक नहीं थी इसलिए मझ
ु े आना
पड़ा। लेकीन ईसके पापा ने यह भी कहे हैं की शादी पढ़ाई परु ी होने के बाद ही होगी।

( सब कुछ साफ हो चुका था नीलू और राहुल की शादी होना तय हो चुका था। राहुल मन ही मन बहुत
खुश हो रहा था और नीलू भी उसे तो मुंह मांगी मुराद मिल गई थी। सब कुछ तय हो चुका था नीलू की
मम्मी को भी राहुल अच्छा लग रहा था अभी तक तो राहुल की नजर ठीक से नीलूं की मम्मी पर नहीं
फीरी थी।

जब वह ध्यान से नीलू की मम्मी की तरफ गौर किया तो वह उसकी खूबसूरती दे खकर दं ग रह गया
उसने ट्रांसपेरेंट साड़ी पहन रखी थी। जिसने से उनकी लो कट ब्लाउज साफ-साफ नजर आ रही थी और
उसमें से झाकती हुई उनकी बड़ी-बड़ी आधे से भी ज्यादा चूचियां। जिस पर नजर पड़ते ही राहुल के लंड
में सुरसरु ाहट होने लगी, वह मन ही मन यही सोचने लगा के नीलू की मम्मी भी बहुत सेक्सी है । दोनों
परिवार आपस में मिलकर बहुत खुश नजर आ रहे थे कि तभी हल्का चाय बनाने के लिए रसोई घर की
तरफ जाने के लिए उठी ही थी की,,, नीलू उसे रोकते हुए बोली।

आप बैठीए आंटी जी मैं बना कर लाती हूं।

( इतना कहकर वह उठ रही थी कि अलका राहुल को उसके साथ जाकर हाथ बताने के लिए बोली और
राहुल की कुर्सी से उठकर नींलु के साथ साथ रसोई घर में चला गया। राहुल बहुत खुश नजर आ रहा था
कि तू भी मन-ही-मन मुस्कुरा रही थी दोनों रसोई घर में एक दस
ू रे की आंखों में दे खते हुए खड़े थे। उन
दोनों को भी यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी आसानी से सब कुछ हो जाएगा,,,,,, राहुल तो नीलू को
पत्नी के रुप में पाकर खुशी से फूले नहीं समा रहा था,,,,,,,, दोनों से रहा नहीं दिया और दोनों आपस में
गले मिलकर एक दस
ू रे के होठों पर हाेठो रखकर चुंबन लेने लगे,,,,,, राहुल नीरू के गुलाबी होठों को चूसते
हुए मन ही मन अपनी किस्मत को धन्यवाद दे रहा था और सोच रहा था कि सच में होता है जो हो
जाने दो,,,,,,,

समाप्त

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