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ु टघ ना से चुदाई तक
मैं एक मध्यम वर्ग परिवाि से हूँ। ये आज से कोई एक साल पहले की बात है । मैं िात को कोई 8:00 बजे के
आस-पास अपने घि जा िहा था। िास्ते में मझु े बहुत ही भीड़ नजि आयी। मैं दे खने के ललए रुक र्या कक क्या
हुआ है वहाूँ पे। एक बढ़े आदमी को कोई बाइक वाला टक्कि माि के भार् र्या था औि सब लोर् उसे लसर्फग दे ख
िहे थे। पि कोई उसकी मदद नहीीं कि िहा था। ताड़ी का मौसम था मैं भी बाइक पे ही था। मैंने उस बढ़े को
उठाया औि पास ही से एक आदमी से रिक्वेस्ट किी कक इसको लेके मेिे बाइक पे बैठ जाए। वो मान र्या तो मैं
उसको लेके डाक्टि के पास र्या। डाक्टि ने चेक ककया औि मेडडलसन दे दी। उशके घट
ु ने पे थोड़ी सी चोट लर्ी
थी। किि मैं उन अींकल को उनके घि तक छोड़ने र्या।
तो मैंने उसे बताया कक अींकल का आक्क्सडेंट हो र्या था मैं इन्हें लेके आया हूँ। अींकल थोड़ा साइड में उस
आदमी के साथ खड़े थे। उसने जैसे ही अींकल को दे खा तो एकदम से चौंक र्ई औि अींकल के पास जाकि िोकि
पछने लर्ी- क्या हुआ पपता जी?
तो अींकल बोले- “कुछ नहीीं बस जिा सी चोट लर् र्ई…” अींकल से ठीक से चला नहीीं जा िहा था।
मैंने कहा- “ठीक है…” औि अींकल को मैं औि वो भाभी अपने कींधों पे हाथ िखवा के अींदि ले र्ये औि अींदि
जाकि उन्हें बेड पे ललटा ददया औि भाभी को मेडडलसन दे दी औि बोला- “ये अींकल को दे दे ना अब मैं चलता
हूँ…”
उनके बहुत जोि दे ने पि मैं रुक र्या। भाभी चाय बनाने चली र्ई औि अींकल मझ ु से बातें किने लर्े। उन्होंने
मझ
ु े बताया कक घि में लसर्फग वो औि उनकी बाह ही िहते हैं औि उनका बेटा इींग्लैंड में िहता है औि उसको र्ये
8 महीने हो र्ये हैं। उन्होंने मझ
ु े बहुत धन्यवाद ककया कक मैं उनको डाक्टि के पास लेकि र्या। किि भाभी आ
र्ई चाय ले के। हम चाय पीते हुए बातें किने लर्े। भाभी मझ ु े बहुत ही अजीब नजिों से दे ख िही थी। उसके
इस तिह दे खने से मझ
ु े भी कुछ-कुछ होने लर्ा था।
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मेिा लण्ड तनकि खड़ा हो र्या औि मैं उसकी नजिों से नजिें लमलाकि इधि-उधि की बातें किने लर्ा। मेिा वहाूँ
से दहलने का ददल ही नहीीं कि िहा था। इतने में मझ
ु े घि से िोन आ र्या कक कहाूँ िह र्ये? तो मैंने उन दोनों
को बोला कक अब मैं चलता हूँ, कल सब
ु ह आऊूँर्ा अींकल का पता लेने।
उन्होंने मझ
ु े बहुत थैंक्स किी औि भाभी मझ
ु े छोड़ने र्ेट तक आई।
तो वो मश्ु कुिाने लर्ी। मेिा ददल कि िहा था कक अभी इसे पकड़कि इसको ककस कि दीं पि मैंने अपने आप पि
काब िखा। िीमा मझ
ु े तब तक दे खती िही जब तक मैं उनकी र्ली के मोड़ तक नहीीं पहुूँच र्या। मैंने सोचा
मामला इधि भी र्िम ही लर्ता है , बात बन सकती है औि मन मसोस कि मैं घि चला र्या। औि घि जाते ही
मैंने सबसे पहले अपने आपको हल्का किना ही ठीक समझा क्योंकी मेिा अभी तक पिा तनकि खड़ा था औि
उसमें ददग हो िहा था।
मैं बाथरूम में र्या औि िीमा की चचचयों का ख्याल किके मठ मािी, क्योंकी उसकी चचचयाीं बहुत ही िसीली थी।
हल्का होकि मैंने खाना खाया औि सोने चला र्या, पि नीींद मेिी आूँखों से कोसों दि थी। मझ
ु े हि तिि बस
िीमा ही नजि आ िही थी। मैं सब
ु ह होने का इींतज
े ि कि िहा था, पि आज की िात बहुत लींबी थी। इसी
कशमकश में मझु े कब नीींद आई मझु े नहीीं मालम।
सब
ु ह जल्दी ही मेिी आूँख खुल र्ई। मैं नहा धोकि ब्रेकिास्ट ककया औि 9:00 बजे तक मैं घि से ननकल र्या
औि सीधा िीमा के घि पहुूँच र्या औि बेल बजाई। िीमा शायद बाथरूम में थी औि दिवाजा खुलने में 15 लमनट
लर् र्ये। िीमा ने र्ेट के छे द से दे खा पि मैं थोड़ा साइड में खड़ा था।
मैंने िीमा को िात को अपना नाम नहीीं बताया था तो मैंने उसको बोला- “िात को मैं अींकल को ले आया था…”
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िीमा ने दिवाजा खोला औि बहुत सािी महसस ककया औि कहा- “अपने अपना नाम नहीीं बताया था इसललए मैं
आपको पहचान नहीीं पाई…”
िीमा तौललया में आई थी औि बहुत ही सद ुीं ि लर् िही थी। उसका र्ोिा क्जश्म दे खकि मेिे शिीि में एक लसहिन
सी हुई औि एक पल तो मझ ु े होश ही नहीीं िहा कक मैं कहाूँ हूँ। उसने मझ
ु े अींदि आने को कहा औि मश्ु कुिाने
लर्ी औि बोली- “मैं आपका ही इींतज
े ाि कि िही थी…”
पहले तो उसने कहा क्या? किि शायद उसको समझ लर्ी औि वो हूँसने लर्ी औि भार्कि अपने रूम में चली
र्ई औि दिवाजा बींद कि ललया।
औि मैं अींकल के रूम की तिि चल ददया, क्योंकी अींकल ने अींदि से पछा था- कौन है बेटा?
इतने में िीमा भी तैयाि होकि आ र्ई औि बोली- “वो भी साथ ही चलती है…” उसने आज हल्के नीले िीं र् की
एकदम टाइट पाजामी वाला सट पहना था जीसमें वो ककसी पिी से कम नहीीं लर् िही थी। उसके मम्मे इस तिह
कड़े थे जैसे िसीले आम हों औि उसकी उभिी हुई र्ाण्ड तो र्जब ही ढा िही थी। बहुत ही खबसित नजािा था।
शायद उसने जानबझ कि ऐसा सट पहना था औि वो बाि-बाि मेिी तिि दे खकि मश्ु कुिा िही थी। मैं आज
अपनी काि से र्या था।
मैंने अींकल को बाहि काि की बैक सीट पे ललटाया औि िीमा फ्रींट सीट पे मेिे बर्ल में बैठ र्ई औि हम इधि-
उधि की बातें किने लर्े। हाक्स्पटल ज्यादा दि नहीीं था, 10 लमनट में ही हम हाक्स्पटल पहुूँच र्ये। मैंने अींदि से
स्रे चि मींर्वाकि उसपे अींकल को डाक्टि के पास अींदि ददखाने के ललए ले र्या। िीमा मेिे पीछे -पीछे ही चल िही
थी क्जससे मेिा हाथ कभी-कभी उसकी जाूँघ से छ िहा था। मेिे अींदि िोमाींच भि िहा था। जब मैंने पीछे मड़
ु कि
िीमा को दे खा तो वो हूँसने लर्ी।
इतने में डाक्टि का कमिा आ र्या डाक्टि ने चेक किके कहा कक एक्सिे किवाना पड़ेर्ा… हो सकता है फ्रैक्चि
हो जो इतना ददग है । ये सन
ु कि िीमा बहुत घबिा र्ई औि िोने लर्ी। मैंने उसे साींत्वना दे ते हुए समझाया कोई
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बात नहीीं सब ठीक ही होर्ा, पि वो औि जोि से िोने लर्ी। मैंने उसकी पीठ पे हाथ िेिा औि उसे िोने से माना
ककया औि कहा- “अभी तो शक है , फ्रैक्चि का कुछ नहीीं होर्ा… हम एक्सिे किवा के दे खते हैं औि वो चप
ु हो
र्ई। हमने एक्सिे किवाया फ्रैक्चि नहीीं था। डाक्टि ने एक हफ़्ता िोज आने को बोल ददया। ये सन
ु कि िीमा
थोड़ी पिे शान हो र्ई औि मेिी तिि दे खने लर्ी।
ये सन
ु कि वो हूँसने लर्ी। मैंने अब बात को आर्े बढ़ाने की सोची क्योंकी हाक्स्पटल में अभी 2-3 घींटे लर्ने
वाले थे। इसललए मैंने िीमा से बोला- “चलो कूँटीन में चलो थोड़ी चाय हो जाये। हम लोर् कूँटीन में आ र्ये। मैंने
िीमा से उसके घिवालों के बािे में पछा तो उसने बताया कक वो यहीीं जालींधि के पास ही र्ाूँव में िहते हैं औि
उसके पापा वहाूँ के मखु खया हैं। उसकी दो बहनें हैं, एक 20 साल की िे खा औि एक 18 साल की टीना दोनों
जालींधि में ही डी॰ए॰वी॰ कालेज में पढ़ती हैं।
मैंने कहा- ठीक है । किि मैंने उसकी शादी के बािे में पछा तो उसने कहा के अभी 9 महीने ही हुए हैं शादी के।
एक महीने बाद ही उसका पनत इींग्लेंड चला र्या था औि उसकी एक ननद भी जो इींजीननयरिींर् कि िही औि
हास्टल में िहती है ।
उसने बोला- “बहुत आती है, उनकी बहुत कमी महसस होती है पि मैं क्या कि सकती हूँ… मजबि हूँ… मेिे पनत
के पास मेिे ललए िुसगत ही नहीीं है …”
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ये सन
ु कि वो मेिी ओि पहले तो अचींभे से दे खने लर्ी, किि हूँसने लर्ी।
मैंने ददल में सोचा लर्ता है तीि ननशाने पे लर् र्या। मैंने िीमा से किि कहा- अपने मेिी बात का जवाब नहीीं
ददया?
िीमा बोली- “आपको कैसे बताऊूँ सािी िात जार्-जार् कि काटती हूँ…”
मैं- क्यों?
मैं- औि?
िीमा- औि क्या?
मैं- तम्
ु हें नहीीं मालम?
िीमा- आप ही पछो?
मैं- तम्
ु हािा ददल नहीीं किता?
िीमा- क्या?
मैं- तम्
ु हािा ददल नहीीं किता कुछ किने को जो शादी के बाद लमयाीं बीवी किते हैं?
िीमा- मझ
ु े शिम आती है, प्लीज आप ऐसी बातें मत किे ।
मैं- अिे मझ
ु े अपना दोस्त ही समझो औि दोस्त के सामने कैसी शिम?
िीमा- प्लीज मझ
ु े बहुत शिम आती है ।
िीमा- ददल तो बहुत किता है पि मैं कि भी क्या सकती हूँ? जब ददल किे तो बाथरूम में जाकि हाथ से किती
हूँ।
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मझ
ु से ऐसी बातें किके िीमा कसमसाने लर्ी। उसकी आूँखों में एक अजीब सी मस्ती छाने लर्ी या यूँ कहें की
वो र्िम होने लर्ी औि उठकि टायलेट की ओि जाने लर्ी। पि मैंने उसे आवाज दे कि िोक ललया औि पछा-
िीमा कहाूँ जा िही हो?
वो बोली- “मैं अभी आई…” किीब 8-10 लमनट बाद वो टायलेट से आई औि किि से मेिे सामने बैठ र्ई। उसके
चेहिे पि बेचैनी थी।
ये सन
ु कि उसकी आूँखों में आूँस आ र्ये, बोली- “उसको अपने पनत की बहुत याद आ िही है…” इतने में उसके
मोबाइल की रिींर् बजी। ये उसकी ननद का िोन था। उसने िोन को हैंड फ्री पे सन
ु ना शरू
ु ककया। उसकी ननद
का नाम ददव्या था।
ददव्या ने उसका हालचाल पछा किि वो बोली- “पपता जी से बात किवा दो…”
किि मैं िीमा औि अींकल को लेकि उनके घि चला र्या औि वहाीं जाकि अींकल बोले- “बेटा, तम्
ु हें हमािी वजह से
बहुत पिे शानी हो िही है …”
मैंने कहा- “अींकल जी, कोई बात नहीीं ये तो मेिा िजग है । वैसे भी मैं फ्री ही िहता हूँ। आपके काम आ र्या…”
अींकल ने मझ
ु े बहुत आशीश दी- “जीते िहो बेटा… तम्
ु हािे जैसा बेटा पिमात्मा सबको दे …”
किि मैंने अींकल से पवदा ली औि बाहि आ र्या। मैंने सोचा चलो िीमा से लमलकि जाता हूँ पि वो अपने कमिे
में थी औि कमिा खुला था। मैं जैसे ही अींदि र्या अींदि का नजािा दे खकि मेिे िोंर्टे खड़े हो र्ये। िीमा अपने
कपड़े बदल िही थी। उसने समझा मैं शायद चला र्या हूँ इसललए दिवाजा बींद नहीीं ककया था। वो लसर्फग पपींक
कलि की ब्रा औि पैंटी में थी। पैंटी िुद्दी वाली जर्ह से भीर्ी हुई थी। मैं तो वहीीं जम र्या। उसको ऐसे दे खकि
र्ोिे क्जश्म पि पपींक पैंटी औि ब्रा ऐसे थी जैसे कललयों के ऊपि र्ल
ु ाब िख ददए हों। वो शीशे के सामने अपने
आपको दे ख िही थी।
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मेिी तिि से अींजान कक मैं उसको दे ख िहा हूँ।
उसने अपनी ब्रा के हुक खोलकि ब्रा भी ननकल दी औि उसके मोटे -मोटे मम्मे आजाद हो र्ये। अब वो अपने
मम्मों को मसलने लर्ी। इधि मेिा लण्ड एकदम खड़ा हो चुका था। मैं उसे दे ख िहा था, वो लससककयाीं भिने
लर्ी। उसने अपनी आूँखें बींद कि िखी थी औि अपनी चचचयाीं को दबा िही थी। अपनी घडुीं डयों को र्ोल-र्ोल घम
ु ा
िही थी। इधि मेिा भी बिु ा हाल था, मेिा तनकि पैंट को तींब बना िहा था। अचानक मेिा हाथ दिवाजे से लर्ा
औि थोड़ी आवाज हुई।
मझ
ु े तो जैसे मन माूँर्ी मिु ाद लमल िही थी। उसने झट से मेिी शटग के बटन खोलने शरू
ु कि ददए। ये सब इतनी
तेजी से हो िहा था कक मेिे कुछ किने से पहले उसने मेिी शटग उतािनी शरू
ु कि दी। अब उसका हाथ मेिी पैंट
की क्जप पि था। क्जप खोलते ही उसने मेिा लण्ड अपने मूँह
ु में भि ललया औि ऐसे चसने लर्ी जैसे वो जनम-
जनम की प्यासी है । मैं पिा र्िम हो र्या था। मैंने जल्दी से अपने सािे कपड़े उताि ददए औि उसकी पैंटी भी
खीींचकि ननकाल दी।
मैं उसके होठों से होंठ लर्ाकि उसे जोिदाि ककस किने लर्ा, कभी उसका ऊपि वाला होंठ चसता कभी उसके
नीचे वाला होंठ चसता। ऐसा कोई 10 लमनट तक चला। उसके बाद मैंने अपनी जीभ उसके मूँह
ु में डाल दी औि
हम एक दसिे के सलाइवा का टे स्ट लेने लर्े। मझ
ु े इतना मजा आ िहा था कक मैं शब्दो में बयान नहीीं कि
सकता। किीब 20 लमनट के बाद हम बेड पि 69 पोजीशन में आ र्ये औि वो मेिा लण्ड चस िही औि मैं
उसकी चत का िस चाट िहा था।
वो जोि से मझ
ु से चचपक कि झड़ने लर्ी औि तब तक कस के पकड़कि िखा जब तक मैंने उसका सािा िस चस
नहीीं ललया। किि वो थोड़ी ढीली पड़ी औि मझ
ु से बोली- “अब जल्दी से मेिे अींदि डाल दो। अब मझ
ु से बदागश्त नहीीं
हो िहा। मझ
ु े तम्
ु हािे लण्ड की र्मी चादहए अपनी चत में …”
इसके बाद मैंने उसकी टाींर्ों को उठाकि अपने कींधों पि िखा औि लण्ड को उसकी चत के मह
ु ाने पि लर्ा ददया।
मैंने कहा- “ठीक है…” मैंने धीिे -धीिे अींदि किना शरू
ु ककया। थोड़ा सा अींदि जाकि मेिा लण्ड ऐसे लर्ा जैसे कोई
िोक िहा है । मैंने थोड़ा जोि लर्ाया तो उसे ददग होने लर्ा।
उसने कहा- “उसके पनत ने उसके साथ लसर्फग 5-6 बाि ही सेक्स ककया… वो भी वो जब वो ऊपि िखता था तो
उसका पानी ननकल जाता था औि मझ
ु े ऐसे ही प्यासी छोड़कि वो सो जाता था। आज मेिी चत को इतना चोदो
कक मेिी चत शाींत हो जाए… चोदो मझ
ु …
े ”
मस्ती किते-किते टाइम का पता ही नहीीं चला। शाम के 5:00 बज चुके थे। अींकल मेडडलसन के नशे में सोए थे।
किि िीमा उठी, उससे चला नहीीं जा िहा था। उसकी चत िली हुई थी। वो अपनी टाूँर्ें चौड़ी किके चल िही थी।
नींर्ी ही ककचेन में र्ई औि चाय नाश्ता ले आई। हमने चाय नाश्ता ललया औि नहाने चले र्ये। शावि के र्िम
पानी में नहाने का मजा ही कुछ औि था, वो भी िीमा के साथ… िीमा मेिे लण्ड को चस िही थी औि मैं उसकी
चत में उीं र्ली कि िहा था। वो किि से र्िम हो र्ई औि सीए… सीई… किने लर्ी औि मेिे लण्ड को जोि-जोि से
चसने लर्ी।
वो सीत्काि कि िही थी- “औि जोि से जीत… जोि सेईई… अह्ह… उह्ह… हाूँन ्… हाूँन्न्न… ऐसे हीई… ऐसे ही…”
कहते-कहते वो झड़ र्ई औि उसकी टाींर्ें काींपने लर्ीीं। इतने में मेिा भी बड़े जोि ननकला औि हम वहीीं शावि के
नीचे लेट र्ये। थोड़ी दे ि बाद उठे औि बाहि आकि हमने कपड़े पहने औि एक जोिदाि ककस की। िीमा बहुत
खुश लर् िही थी, जैसे उसने कोई ककला ितेह कि ललया था औि बहुत सींतष्ु ट भी। इतने में उसके मोबाइल की
घींटी बजी।
उसकी ननद का िोन था कक उसको िात को आने में 11:30-12:00 बज जाएींर्े। अर्ि कोई हो तो उसे लेने को
भेज दो।
ये सन
ु कि िीमा सोच में पड़ र्ई के क्या करू?
ये सन
ु कि िीमा ननक्श्चींत हो र्ई।
मैंने िीमा से कहा- “थोड़ी दे ि में आता हूँ घि हो के… क्योंकी मैं सब
ु ह से घि से ननकला था…”
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िीमा मेिे र्ले लर् र्ई औि किि ककस की किि मैं अपने घि चला र्या। िात को किीब 9:00 बजे मैंने अपनी
बाइक ली औि िीमा के घि चला र्या औि अपने घि बोल ददया कक शायद मझ
ु े घि आने में दे ि हो जाए या
सब
ु ह ही आऊूँर्ा।
मैंने अपने लसि पे हाथ मािा- “ओह… सािी डडयि, मैं भल र्या था…” औि उसके साथ अींदि चला र्या। िीमा से
अींकल के बािे में पछा।
तो िीमा ने कहा वो खाना औि दवाई खाकि 7:00 बजे ही सो र्ये थे, शायद ददग की वजह से डाक्टि ने नीींद की
दवाई दी है ।
मैंने कहा- “चलो अच्छा है …” औि िीमा को ककस किने लर्ा। हम दोनों ने एक बाि किि से चुदाई की औि िजाई
में नींर्े ही एक दसिे की बाहों में बाहें डाले टीवी दे खने लर्े।
इतने उसकी ननद का िोन आया क्जसे हम भल ही र्ये थे। वो बोली कक एक घींटे में स्टे शन पे पहुूँच जाएर्ी।
कोई आ िहा है उसे लेने कक नहीीं?
ददव्या ने कहा- “ये वोही हैं ना जो पपता जी को िात को घि लाए थे…” िीमा ने उसे पहले ही िोन पे सब बता
ददया था।
ददव्या ने कहा- उनको हमािी वजह से ककतनी पिे शानी हो िही होर्ी?
ददव्या- “उनको बोलना आज िात हमािे घि ही रुक जाएीं कहाूँ िात को वो जाएींर्े…”
मझ
ु से चद
ु ने के बाद िीमा तो पहले ही यही चाहती थी। उसने मझ
ु े कस के झफ्िी डाली औि कहा- “बोल दूँ र्ी…”
औि किि हमने जोिदाि ककक्स्सींर् की औि मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने औि ददव्या को लेने ननकल पड़ा। मैंने
िीमा से ददव्या का सेल नींबि ले ललया औि स्टे शन पहुूँचकि ददव्या को िोन ककया। वो अभी स्टे शन पे नहीीं
पहुूँची थी। धध
ींु की वजह से रे न लेट थी। मैं वहाूँ बेंच पि बैठकि उसका इींतज
े ाि किने लर्ा। मैंने उसको िोन
ककया तो वो क्स्वच-आि आया। किीब आधे घींटे के बाद रे न आई। उसमें से कई सवारियाीं उतिीीं। मैंने किि से
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ददव्या को िोन ककया वो अब भी क्स्वच-आि था। मैं दे खता िहा पि मझ
ु े कोई लड़की कहीीं नजि नहीीं आई। मैंने
एींक्वाइिी से पता ककया कोई औि भी रे न आने वाली है क्या?
ददव्या ने झट से पलटकि दे खा औि मझ
ु से कहा- आप जीत है?
वो मेिे से एकदम सटकि बैठी थी। उसके मम्मे मेिी पीठ में र्ड़े जा िहे थे। कसम से क्या टाइट मम्मे थे याि…
मैं जानबझ कि खड्डों में से ननकालकि बाइक चला िहा था क्जससे कक वो मझ
ु से औि ज्यादा सटकि बैठ जाती।
मेिा लण्ड तनकि डींडे जैसा खड़ा हो र्या। आर्े स्पीड ब्रेकि आया मैंने स्पीड से उसपि से ननकाला, ददव्या का
बलेन्स बबर्ड़ा औि उसने र्लती से मेिा लण्ड पकड़ ललया। जब उसे एहसास हुआ तो एकदम से छोड़ के मेिे
कींधे पे हाथ िख के बैठ र्ई।
मैंने किि से एक खड़े में से ननकाला। अब तक वो भी जान चुकी थी कक मैं जानबझ कि ऐसा कि िहा हूँ तो वो
मेिे से चचपक कि बैठ र्ई औि मझ
ु े जोि से पीछे से जकड़ने लर्ी जैसे मझ
ु स से जािी डाल िही हो इतने में
हम लोर् घि पहुूँच र्ये तो ददव्या मेिी तिि दे खकि हूँसने लर्ी।
वो मझ
ु े नतिछी नजि से दे खकि हूँसी औि मझ
ु े दे खते-दे खते ही बेल बजाने लर्ी। िीमा बाहि आई औि ददव्या से
र्ले लमली। मैंने उन दोनों से कहा- “अच्छा, अब मैं चलता हूँ…”
ददव्या ने िीमा से कहा- “भाभी, आपने जीत जी कहा नहीीं कक आज यहीीं पे रुक जाएीं, ककतनी िात हो चक
ु ी है
सब
ु ह चले जाएींर्…
े ”
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िीमा हूँसने लर्ी औि मझ
ु से बोली- “आप यहीीं रुक जाएीं…”
मैंने झट से बाइक अींदि की औि उनके साथ अींदि चला र्या। ददव्या ने िीमा से कहा- “भाभी, जल्दी से खाना
लर्ा दो बहुत भख लर्ी है मैं तब तक फ्रेश हो लेती हूँ…”
ददव्या जब बाथरूम से बाहि आई तो उसने ब्लैक कलि का टाप औि कैप्री पहनी हुई थी। टाप उसका नालभ तक
था औि कैप्री घट
ु नों तक थी औि एकदम टाइट क्जसमें से उसके मम्मे औि र्ाण्ड का उभाि साि-साि ददखाई दे
िहा था। उसे ऐसे दे खकि मेिा मन औि लण्ड दोनों डोलने लर्े। मैं उसको दे खता ही िह र्या… क्या सेक्सी किर्ि
थी उसकी… उसकी चचचयाीं एकदम खड़ी थीीं औि दोनों ननपल ऐसे लर् िहा था कक अभी टाप िाड़कि बाहि
ननकल आएींर्े।
औि हम लोर् डाइननींर् टे बल पे आ र्ये औि खाना खाने लर्े। िीमा मेिे साथ बैठी थी औि ददव्या बबल्कुल
सामने। ददव्या िीमा से नजि बचाकि बाि-बाि मेिी तिि दे ख िही थी औि जब मैं उसको दे खता तो वो मश्ु कुिा
दे ती। खाना खतम किके िीमा ने मझ
ु े र्ेस्ट-रूम का दिवाजा खोल ददया औि ददव्या िीमा के साथ सोने चली
र्ई। िीमा थोड़ी दे ि बाद किि से मेिे कमिे में आई औि कहा- “वो बहुत थकी हुई है औि ददव्या भी साथ है तम
ु
बिु ा मत मानना… तम ु अकेले ही सो जाओ…”
मैंने िीमा को अपनी ओि खीींचा औि एक ककस ककया औि कहा- “डाललिंर्, कोई बात नहीीं…”
वो ददव्या थी।
ददव्या हड़बड़ा कि बोली- “नहीीं ववो… वऊ… मैंन्न… ऐसे ही आ र्ई थी आपको दे खने कक आप ठीक से सो िहे हैं
या नहीीं?”
मैंने कहा- आओ थोड़ी दे ि इधि मेिे कमिे में आ जाओ, थोड़ी बातें किते हैं। मझ
ु े भी नीींद नहीीं आ िही है ।
ददव्या औि मैं बेड पि िजाई में बैठ र्ये। वो बेड एक दीवान टाइप था इसललए ददव्या मेिे पैिों की तिि बैठ र्ई
औि हम बातें किने लर्े। मैंने उसकी कालेज लाइि के बािे में पछा।
वो बोली- मस्त है ।
उसने बताया कक वो एक पी॰जी॰ में िहती है अपनी एक सहे ली के साथ। उसकी सहे ली भी यहीीं हमािे लसटी की
है ।
उसने बोला- “प्रपोस तो बहुतों ने ककया पि उसने ककसी को िे स्पोन्स नहीीं ददया…”
ददव्या नजिें झक
ु ा कि हूँसने लर्ी।
किि मैंने धीिे से अपना पैि लींबा किने के बहाने ददव्या की जाींघ से टच ककया तो ददव्या कसमसा र्ई, जैसे
उसको कोई किें ट लर्ा औि वो मेिी तिि दे खकि हूँसने लर्ी।
पि मैंने दहम्मत किके अपना हाथ ददव्या की जाूँघ पे िख ददया क्जसका असि ये हुआ कक ददव्या मेिे से औि
चचपक र्ई औि सोने लर्ी। अब मैं ननक्श्चींत होकि धीिे -धीिे दसिा हाथ उसके मम्मों पि ले र्या औि उसका
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मम्मा सहलाया तो ददव्या ने एक ठीं डी आह्ह… भािी औि मेिे हाथ को अपने मम्मे पि दबा ददया। अब िास्ता
बबल्कुल साि था तो मैंने ददव्या के होंठ अपने होंठों में कैद कि ललए औि उसे ककस किने लर्ा। ददव्या बहुत
र्िम हो िही थी। उस टाइम मैं लसर्फग अींडिवेि औि बननयान में था क्योंकी िात को मझ
ु े ऐसे ही सोने की आदत
है ।
ददव्या ने मेिी बननयान खीींचकि िाड़ दी। इतनी तेजी से ये सब कुछ हो िहा था की मैं शब्दो में बयान नहीीं कि
सकता। मेिी जब
ु ान ददव्या की जब
ु ान से खेल िही थी। ददव्या ने मेिे अींडिवेि में हाथ डालकि मेिा लण्ड पकड़
ललया औि मसलने लर्ी। अब मेिा भी बिु ा हाल था मैंने ककस किना बींद ककया औि ददव्या का टाप उतािा तो
उसने नीचे ब्रा नहीीं पहनी थी। उसके दोनों मम्मे आजाद हो र्ये जैसे कोई कैदी जैल से आजाद होता है । किि
मैंने उसकी कैप्री भी खीींचकि उताि दी। अब ददव्या बबल्कुल नींर्ी ही मेिे समने बैठी थी। किि मैंने उसके मम्मों
को चसना शरू
ु कि ददया औि ददव्या मेिे लण्ड से खेल िही थी। मैंने अपना अींडिवेि उतािकि लण्ड को ददव्या के
होंठों पे लर्ा ददया।
अब मैं ददव्या के ऊपि आ र्या औि उसके होंठों का िसपान किने लर्ा औि लण्ड को उसकी चत पे लर्ाया
औि एक जोिदाि झटके से पिा लण्ड उसकी चत में उताि ददया। ददव्या ने एकदम चीख मािी जो मेिे ककस किने
की वजह से बाहि नहीीं जा सकी औि ददव्या बेहोश हो र्ई। मैंने नीचे उसकी चत को दे खा तो नीचे बेडशीट
उसके खन से भीर् र्ई थी औि खन अभी भी ननकल िहा था। मैं घबिा र्या, खन उसके कींु वािे पन की ननशानी
था जो कक अभी जा चुकी थी। मैंने थोड़ा पानी लेकि ददव्या के मूँह
ु पे छीींटे मािे तो ददव्या को होश आया औि
वो ददग की वजह से िोने लर्ी।
मैंने उसे समझाया कक अब ददग नहीीं होर्ा अब लसर्फग मजा आएर्ा औि मैं उसके मम्मे चसने लर्ा। वो किि से
र्िम होने लर्ी। अब मैंने धीिे -धीिे उसकी चत में लण्ड को पिा जड़ तक घस
ु ा ददया।
इस बाि उसे ददग कम हुआ पि वो सह र्ई औि मझ ु से सहयोर् किने लर्ी। अब मैं धीिे -धीिे आर्े पीछे किने
लर्ा क्जससे ददव्या को मजा आने लर्ा, औि वो मूँह
ु से अजीब-अजीब आवाजें ननकलने लर्ीीं- “मेिे जीत… मेिीई
जाींन बहुत्त मज़्ज़ज़्ज़जा आ िहा है … जिा तेज किो औि अह्ह… उह्ह… किने लर्ी औि मेिी कमि पि अपनी टाींर्ों को
कस के भीींच ललया औि नीचे से जोि-जोि से झटके लर्ाकि मेिा लण्ड अपनी चत में खीींचने लर्ी जैसे कोई
वाक्कुम क्लीनि लमट्टी को खीींचता है । इसी के साथ ही हम दोनों एक साथ झड़ र्ये। कुछ दे ि ऐसे ही पड़े िहने
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के बाद उठे तो ददव्या ने मझ
ु े ककस किके ‘आई लोव योउ सो मच जीत’ कहा औि हम उठकि बाथरूम में चले
र्ये।
ददव्या ने र्िम पानी से अपनी चत की थोड़ी लसकाई की क्योंकी उससे ठीक से चला नहीीं जा िहा था। अब
उसकी चत एकदम सजी हुई थी र्िम पानी से उसे थोड़ा आिाम लमला। किि हम कमिे में आ र्ये। ददव्या ने
जल्दी से अपने कपड़े पहने बेडशीट चें ज की औि जहाूँ खन लर्ा था उस बेडशीट को धोकि वहीीं बाथरूम में िख
ददया औि मझ
ु े ककस किके अपने रूम में चली र्ई।
इतने में ददव्या भी बाथरूम से बाहि आ र्ई। िीमा ने भी ब्रेकिास्ट टे बल पि लर्ा ददया था औि मझ
ु से कहा-
“जल्दी से फ्रेश होकि आ जाओ…”
मैं जल्दी से बाथरूम र्या औि नहा धोकि बाहि आ र्या औि उन दोनों के साथ नाश्ता किने लर्ा थोड़ी दे ि
बाद मैं औि िीमा अींकल को लेके हाक्स्पटल में र्ये।
डाक्टि ने बोला- “उनको यहाूँ पे अड्लमट किना पड़ेर्ा, क्योंकी उनका ददग कम नहीीं हो िहा था…”
किि हम 69 पोजीशन में आ र्ये औि एक दसिे के र्प्ु ताींर्ो की चसाई में व्यस्त हो र्ये, जब तक कक हम
दोनों का पानी नहीीं ननकल र्या औि किि शरू
ु हुआ चदु ाई का खेल जो लर्भर् ½ घींटे तक चला। ददव्या की
चत अभी भी सजी हुई थी पि इस बाि उसे ददग नहीीं मजा आ िहा था औि वो चद ु ाई के नशे में नीचे से अपनी
कमि उछाल-उछालकि मेिा लण्ड अपनी चत में पपलवा िही थी औि मूँह
ु से आवाजें ननकल िही थी- “आह्ह…
आह्ह… उह्ह… हाूँन्न्न… जोि सेई हाूँ ऐसे ही औि नीचे से उसके धक्के तेज हो र्ये औि वो मेिे से जोि से चचपक
र्ई जब तक कक उसका पानी पिा नहीीं ननकल र्या उसके साथ ही मैंने भी अपना माल उसकी चत में लबालब
भि ददया औि हम एक दसिे को झफ्िी डालकि ऐसे ही थोड़ी दे ि लेटे िहे ।
किि उसने मझ
ु से पछा- “िीमा औि पपता जी कहाूँ हैं?”
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मैंने उसे सािी बात बताई औि हम दोनों जरूिी सामान लेकि हाक्स्पटल को ननकल पड़े। वहाूँ पहुूँचे तो िीमा की
दोनों बहनें औि िादि भी वहाूँ पे आए हुए थे। उसकी दोनों बहनें िीमा से भी बहुत सद
ींु ि थीीं। िीमा के िादि को
कहीीं बाहि जाना था आउट आि स्टे शन सो वो हमसे पवदा लेकि थोड़ी दे ि बाद वहाूँ से चले र्ये।
उन्हें मब
ुीं ई जाना था 10-15 ददन के ललए तो उन्होंने अींकल से कहा- “अर्ि आपको ककसी चीज की जरूित हो
तो मझ
ु े िोन कि दें । उनके पहचान वाले कई लोर् हैं यहाूँ…”
िीमा की दोनों बहने अभी हाक्स्पटल में ही थी। ददव्या िीमा औि उसकी बहनें आपस में बातों में व्यस्त थीीं औि
मैं बैठा उनकी बातें सन
ु िहा था। इतने में िीमा ने कहा- “तम
ु दोनों यहीीं रुक जाना, आज िात हाक्स्पटल में मझ
ु े
शायद िहना पड़े। तम
ु मेिे साथ ही रुक जाओ, ददव्या घि चली जाएर्ी…”
उसकी छोटी बहन ने कहा- “कल उसका कोई एग्जाम है उसे घि जाकि तैयािी किनी है , तम
ु रुक जाओ िे खा…”
औि िीमा की छोटी बहन, उसका नाम टीना था, ने कहा- “अब मैं चलती हूँ…”
पि उस ददन बस वालों की स्राइक थी टीना ने कहा- “ओह… आज तो बस की स्राइक है मैं जाऊूँर्ी कैसे?”
क्योंकी अचानक ही स्राइक हुई थी।
िीमा ने मेिी ओि दे खा औि मझ
ु से कहा- प्लीज जीत आप टीना को हमािे घि छोड़ दें र्े?
उसका घि वहाूँ से 15-20 ककलोमीटि की दिी पि एक र्ाूँव में था। टाइम कािी हो र्या था िीमा ने कहा- “आप
वहीीं रुक जाना िात को, सब
ु ह आप दोनों इकट्ठे ही आ जाना…”
िीमा मझ
ु से ऐसे बात कि िही थी जैसे अपने पनत के साथ कि िही हो। किि मैं टीना को साथ लेकि अपनी
बाइक से उनके र्ाूँव की ओि ननकल पड़ा। िास्ते में टीना की माहवािी हो र्ई तो टीना बाइक पे दहलने डुलने
लर्ी। मैंने पछा- क्या हुआ?
थोड़ी दे ि बाद वो किि से दहली। मैंने किि पछा- क्या हुआ टीना जी?
टीना ने लड़खड़ाती जुबान में कहा- “उसे माहवािी आ र्ई है औि सलवाि खिाब हो र्ई है , इस वजह से वो दहल
िही थी…”
उसने कहा- “नहीीं, क्योंकी ये उसका आखखिी ददन था इसललए उसने िखा नहीीं अपने पास…”
मैंने कहा- “कोई बात नहीीं िास्ते में ककसी केलमस्ट से ले लेते हैं…”
उसने कहा- “ठीक है…” अभी हम उनके घि से किीब 18 ककलोमीटि दि थे। िास्ते में एक केलमस्ट आया। मैंने
टीना को बाइक के पास खड़ा ककया औि एक पवस्पि का पैकेट ले ललया औि साथ ही एक कींडोम का पैकेट भी
ले ललया।
मैं टीना के पास आया औि उससे कहा- “मैं िास्ते में ककसी सन
ु सान जर्ह पे िोकीं र्ा तम
ु वहाूँ नैपककन लर्ा
लेना…”
टीना ने कहा- “ठीक है…” औि मेिे से पवस्पि का पैकेट ले ललया औि थैंक्स कहा।
किि िास्ते में एक बस स्टाप आया वहाूँ पे कोई नहीीं था औि अींधेिा भी हो चला था। मैंने टीना से कहा- “तम
ु
जाओ औि नैपककन लर्ा लो…”
टीना बस स्टाप के अींदि र्ई, सलवाि का नाड़ा खोला औि अींदि हाथ डालकि नैपककन लर्ाने लर्ी। मैं ये सब
दि से दे ख िहा था। टीना ने जल्दी-जल्दी नैपककन लर्ाया औि भार्कि मेिे पास आ र्ई। उसे पता ही नहीीं चला
की मैं उसे दे ख िहा था औि हूँसते हुए बाइक पे बैठ र्ई औि पीछे से मेिे से चचपक कि बैठ र्ई, क्योंकी ठीं ड
बहुत थी औि उसने एक पतला सा स्वेटि ही डाला हुआ था। मैं धीिे -धीिे उनके र्ाूँव की ओि चलने लर्ा।
धुींध बहुत हो र्ई थी। हमें घि पहुूँचते-पहुूँचते कोई दो घींटे लर् र्ये धध
ुीं के कािण, क्योंकी आर्े कुछ ददखाई ही
नहीीं दे िहा था। हम टीना के घि पहुूँच र्ये वहाूँ पे ताला लर्ा था। टीना ने ताल्ला खोला औि हम लोर् अींदि
चले र्ये। टीना जल्दी से टायलेट में घस
ु र्ई औि 10-15 लमनट के बाद वापस आई। वो एक मैक्सी पहनकि
आई थी। उसने जल्दी से खाना बनाया मैं तब तक टीवी दे खने लर्ा। अचानक एक चैनेल पि ब्ल-मवी चल िही
थी। टीवी की आवाज तेज थी सेक्स सीन की तेज आवाज बाहि तक जा िही थी- “ओह्ह कम ओन कोमीईई
ओन िक मी…” ऐसी आवाज आ िही थीीं।
वहाूँ जाकि क्या दे खा… टीना अपनी मैक्सी उठाकि अपनी उीं र्ली चत के अींदि-बाहि कि िही है, बहुत ही तेज
आूँखें बींद किके। मैं धीिे से जाकि उसके पास खड़ा हो र्या। जब वो अपना पानी ननकल चक ु ी तो सामने मझ ु े
दे खकि एकदम डि र्ई। बोली- आप कब्ब आए?
वो हूँसने लर्ी। मैंने उसे पकड़कि बेड से नीचे उतािा औि उसे अपने आर्ोश में लेकि ककस किने लर्ा। मेिी
जुबान उसकी जुबान का मआ ु यना किने लर्ी। वो बहुत ही र्िम हो िखी थी। मैंने सन
ु ा है जब लड़की की डेट
आती है तो वो बहुत जल्दी र्िम होती है । किि मैंने अपना एक हाथ उसके दध पे औि दसिा हाथ उसकी चत पे
िखा औि दोनों को मसलने लर्ा, साथ ही साथ ककस किना भी चाल िखा। वो अब र्िम होने लर्ी। टीना ने
अपनी आूँखें बींद कि लीीं। मैं अपनी ककश्मत पे िश्क किने लर्ा कक मझ
ु े तीन तीन कूँु वािी चतें लमली वो भी दो
ददनों में… अब मैंने जल्दी से अपने कपड़े खोल ददए औि उसकी मैक्सी भी उताि दी। उस एकदम क्स्लम िीर्ि
वाली लड़की को दे खकि मेिा लण्ड एकदम हाडग हो र्या।
मैंने ज्यादा िोसग नहीीं ककया औि अपनी जेब से कींडोम ननकाला औि अपने लण्ड पे चढ़ाने लर्ा। ये सब टीना
बड़ी उत्सक
ु ता से दे ख िही थी। मैंने टीना को बेड पे ललटाया औि अपने लण्ड का सप
ु ाड़ा उसकी चत के छे द पि
िखा औि थोड़ा सा अींदि ककया। टीना के मूँह
ु से हल्की सी चीख ननकली औि मेिा लण्ड उसकी खझली पे जाकि
रुक र्या। उसकी चत बहुत टाइट थी।
मैंने अपनी उीं र्ली से अच्छी तिह उसकी चत में वैसेलीन लर्ाई औि किि लण्ड को उसकी चत में घस
ु ेड़ने लर्ा।
उसकी टाींर्ों को मैंने अच्छी से तिह खोल ददया। मैंने एक जोि से झटका ददया क्जससे मेिा आधा लण्ड टीना की
चत में चला र्या औि उसकी चीख ननकल र्ई। मैंने झट से अपना हाथ उसके मूँह
ु पि िख ददया औि वहीीं पि
रुक र्या। टीना के आूँस बहने लर्े औि वो मझ
ु से छटने का असिल प्रयत्न किने लर्ी। जब टीना थोड़ी ढीली
पड़ी तो मैंने पिे जोि से एक औि झटका ददया औि मेिा पिा लण्ड टीना की चत में जड़ तक घस
ु र्या। टीना
किि से छटपटाई।
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मैं किि तब तक रुका िहा जब तक टीना शाींत नहीीं हो र्ई। किि वो नीचे से अपनी कमि उचकाने लर्ी। उसको
मजा आने लर्ा था। अब मैं धीिे -धीिे आर्े पीछे किके टीना को चोदने लर्ा। टीना अब पिा मज़्ज़जा ले िही थी
अपनी कमि उछाल-उछालकि। मैं उसके मम्मों की घडुीं डयों को उीं र्ललयों से र्ोल-र्ोल घम
ु ा िहा था औि साथ में
उसको ककक्स्सींर् भी कि िहा था। वो मेिे से जोि से चचपक र्ई औि बहुत ही जोि से झड़ी। उसके पानी ने मेिे
लण्ड को ति कि ददया क्जससे मेिा लण्ड उसकी चत में किसलने लर्ा औि मैं भी 4-5 जोि के धक्के लर्ाकि
पानी ननकलकि उसके ऊपि ही सो र्या।
किीब एक घींटे बाद जब उठा तो टीना भी र्हिी नीींद में थी। मेिा लण्ड किि से तनकि खड़ा था औि उसपि
कींडोम पहले ही चढ़ा हुआ था। मैंने वो वाला कींडोम उतािा औि नया वाला डालकि टीना की चत में लण्ड घस ु ा
डाला। टीना हड़बड़ा कि उठी औि मझ ु से चचपक र्ई। हमािी चुदाई किि शरू
ु हो र्ई। किीब आधे घींटे बाद हम
दोनों इकट्ठे झड़े औि एक दसिे से चचपक कि िजाई ओढ़ कि सो र्ये। सब
ु ह 8:00 बजे नहा धोकि टीना ने
मझ
ु े उठाया। मैंने उसे अपनी तिि िजाई में खीींच ललया औि एक चद
ु ाई का दौि औि चला। टीना की माहवािी
ठीक हो र्ई थी। इसललए आज वो टे न्शन फ्री नजि आ िही थी।
किि हम दोनों उठे । मैंने नहा धोकि नाश्ता ककया औि टीना को लेकि उसके कालेज में छोड़ ददया औि मैं
हाक्स्पटल चला र्या। वहाूँ िीमा अकेली ही थी, ददव्या औि िे खा घि पि थी, अींकल सो िहे थे। िीमा ने मौके का
िायदा उठाया औि मझ
ु से आ के चचपक र्ई औि बोली- “जीत डडयि, िात को तम्
ु हािी बहुत याद आई…”
िीमा बहुत र्िम हो िही थी। उसने ददव्या को िोन किके हाक्स्पटल आने को बोल ददया औि 15 लमनट बाद
ददव्या आ र्ई। िीमा ने पछा- िे खा कहाूँ है?
किि िीमा औि मैं उसके घि चले र्ये। िीमा ने घि में दाखखल होते ही मझ
ु े ककस किनी शरू
ु कि दी। वो मेिे
कपड़ों को खोलने लर्ी। मैं भी जल्दी-जल्दी िीमा के कपड़े उतािने लर्ा औि हम दोनों बबल्कुल नींर्े हो र्ये औि
69 पोजीशन में सककीं र् किने लर्े। िीमा इतनी र्िम थी कक उसका चत िस ननकलने लर्ा औि वो मझ
ु से कहने
लर्ी- प्लीज जीत… अब अपना लण्ड मेिी चत में डाल दो मझ
ु से औि सहन नहीीं हो िहा…”
उसने मझ
ु े कहा- जान एक सवाल पछीं ?
इतने में डोिबेल बजी। िीमा ने जल्दी से कपड़े पहने औि पछा- कौन है ?
बाहि से टीना की आवाज आई। वो एग्ज़ॅम दे कि सीधी घि आ र्ई थी औि थकी-थकी लर् िही थी।
टीना मेिी र्ोद में आकि बैठ र्ई औि हम ककस किने लर्े। िीमा के आने से पहले हम किि अलर्-अलर् होकि
बैठ र्ये। टीना बहुत खुश लर् िही थी, अपनी पहली चुदाई से… िीना चाय लेकि आ र्ई औि हम चाय पीने
लर्े। टीना चाय पी के सोने चली र्ई औि िीमा औि मैं एक दसिे की बाहों में बाहें डालकि बातें किने लर्े। ऐसे
ही थोड़ी दे ि बातें किते िहे ।
शाम को िीमा टीना औि मैं खाना लेकि हाक्स्पटल चले र्ये, वहाूँ िे खा भी आई हुई थी। किि हम सब बैठकि
बातें किने लर्े। िीमा टीना औि ददव्या बाि-बाि मेिी ओि दे खकि हूँस िही थी, जैसे कह िही हों आओ मझ
ु े
चोदो… ऐसे ही बातें किते-किते 9:00 बज र्ये। िीमा औि ददव्या ने कहा- “हम यहीीं रुक जाएींर्ी… िे खा औि टीना
को घि ले जाओ, क्योंकी इन्होंने सब
ु ह कालेज भी जाना है …”
किि हम घि के ललए ननकल पड़े। टीना बाइक पे िे खा औि मेिे बीच में बैठी थी औि उसने मेिा लण्ड पकड़ा
हुआ था, धीिे -धीिे पैंट के ऊपि से ही सहला िही थी औि मझु से एकदम चचपक कि बैठी थी। ऐसे ही हम कब
घि पहुूँचे पता ही नहीीं चला। घि जाकि हम लोर् टीवी दे खने लर्े। हम ड्राइींर् रूम में बैठे थे। टीना मेिे साथ
सोिे पि बैठी थी औि िे खा लसींर्ल वाले सोिे पि अकेली बैठी थी औि मेिी तिि कनखखयों से दे ख िही थी।
इसललए टीना औि मैं चप
ु चाप बैठे थे औि कोई छे ड़-छाड़ नहीीं कि िहे थे क्जससे की िे खा को कुछ पता चले।
िे खा थोड़ी दे ि बाद उठकि चली र्ई। उसने कहा कक उसको नीींद आ िही है वो सोने जा िही है ।
19
उसने टीना को भी कहा- “आओ चलें…”
उसके जाते ही टीना औि मैं एक दसिे से चचपक र्ये। टीना बहुत उतावली हो िही थी औि बहुत र्िम हो िखी
थी। पता नहीीं इतनी दे ि उसने अपने आपको कैसे सींभाल िखा था। टीना मझ
ु े ऐसे चचपक िही थी जैसे कोई भखी
शेिनी अपने लशकाि पि झपटती है । बहुत ही िोमाींदटक सीन हो िखा था। टीना औि मैं फ्रेंच ककस कि िहे थे,
कभी वो अपनी जुबान से मेिे मूँह
ु का मआ
ु यना कि थी औि कभी मैं। हम बीच-बीच में हम एक दसिे के होंठ
भी चस िहे थे औि सोिे पि लेट र्ये थे।
ऐसे ही कुछ दे ि किने के बाद मैंने टीना को उठाया औि अपने रूम में ले र्या औि उसके कपड़े उतिने लर्ा।
टीना बहुत मदहोश हो िही थी। किि मैंने झट से अपने कपड़े उतािे औि टीना को बेड पि ललटाकि उसपि सवाि
हो र्या। उसकी चत से इतना पानी रिस िहा था कक वो पिी तिह से र्ीली हो चक
ु ी थी। मैंने अपने लण्ड का
सप
ु ाड़ा उसकी चत के मूँह
ु पि लर्ाया औि थोड़ा सा धक्का ददया तो पिा लण्ड बड़ी आसानी से पाचक की आवाज
से उसकी चत की झड़ तक घस
ु र्या।
पि अभी मेिा नहीीं हुआ था औि मैं धक्के लर्ा िहा था। मैंने िाजधानी की िफ़्ताि से जोि-जोि से धक्कों की
स्पीड बढ़ा दी। टीना किाहने लर्ी। ऐसे ही 20-25 धक्कों में मेिे लण्ड ने एक जोि की पपचकािी टीना की चत में
छोड़ दी औि उसकी चत मेिे र्ाढ़े वीयग से लबालब भि र्ई। किि हम नींर्े ही एक दसिे से चचपक कि थोड़ी दे ि
पड़े िहे । कब नीींद आई पता ही नहीीं चला। जब आूँख खुली तो एक बज िहा था औि टीना मेिे लण्ड को मूँह
ु में
डालकि चस िही थी। उसकी चस
ु ाई में जाद था। मेिा लण्ड झट से खड़ा हो र्या औि हम 69 में होकि चस
ु ाई
किने लर्े। 10-15 लमनट तक चुसाई किते िहे । टीना दो बाि पानी छोड़ चुकी थी। मैं उसकी क्क्लट को मूँह
ु में
लेकि चस िहा था क्जससे टीना को बहुत मजा आ िहा था।
इतने में अचानक बाहि से िे खा सीधी अींदि आ र्ई। टीना औि मेिी लसट्टी-पपट्टी र्म
ु हो र्ई, क्योंकी हमें तो
उसका खयाल ही नहीीं िहा कक वो दसिे कमिे में है । हम दोनों को ऐसे दे खकि िे खा टीना को र्ललयाीं दे ने लर्ी-
“अच्छा… तो त ये र्ल
ु खखला िही है । कल सब
ु ह तेिी लशकायत करूूँर्ी िीमा से…” खुजली तो िे खा की चत में भी
हो िही थी औि वो हमें डिाने के ललए ऐसे कि िही थी। ये उसने बाद में बताया।
20
टीना अब िोने लर्ी थी औि िे खा को बोल िही थी- “प्लीज िे खा, मझ
ु े माि कि दो मैं आर्े से कभी ऐसे नहीीं
करूूँर्ी… पि तम
ु ककसी को बताना नहीीं…”
दोनों मेिी ओि ही दे ख िही थीीं। मैं तौललया लपेट कि खड़ा था औि मेिे लण्ड ने तौललया को तींब बनाया हुआ
था। िे खा मेिे लण्ड की ओि भखी नजिों से दे ख िही थी औि मेिे जवाब का इींतजे ाि कि िही थी।
िे खा खश
ु होकि मझ
ु से आकि ललपट र्ई। वो बहुत खश
ु लर् िही थी जैसे कोई ककला ितेह कि ललया हो।
मेिे मन में भी लड्ड िटने लर्े के बबन माूँर्े एक औि कूँु वािी चत लमल र्ई।
िे खा बहुत र्िम हो िखी थी। उसने बताया कक वो तब से हमें दे ख िही थी जब से हमने चसाई शरू
ु की थी औि
वो अपने हाथ से अपनी प्यास बझ ु ा िही थी। पि जब नहीीं िहा र्या तो वो आ र्ई।
मेिी हाूँ सन
ु कि टीना भी खश
ु हो र्ई। अब हम तीनों ही काम किया में ललप्त हो र्ये। मैंने टीना को िे खा की
चत चसने को कहा औि अपना लण्ड िे खा के मूँह
ु में डाल ददया औि उसकी चचचयाीं दबाने लर्ा। ििखा के मम्मे
ददव्या से भी बहुत बड़े थे। मझ
ु े मम्मे दबाने में बड़ा मजा आ िहा था। िे खा भी हुमक-हुमक कि मेिा लण्ड चस
िही थी औि अपनी चत टीना से चस ु वा िही थी। टीना िे खा की चत को चसते-चसते अपनी चत में उीं र्ली कि
िही थी। कमिे का माहौल बहुत ही र्िम हो िखा था, जैसे कोई ब्ल किल्म चल िही हो। िे खा बहुत ही सेक्सी थी
उसमें सेक्स तो जैसे कट-कट कि भिा था।
अब मैंने टीना से उसकी चत चसनी बींद किने को बोला औि िे खा की टाूँर्ें बेड से नीचे औि उसका बाकी दहस्सा
बेड पे इस तिह ककया औि उसकी टाूँर्ें िैला दी। टीना ने िे खा की चत चस-चसकि अच्छी तिह र्ीली कि दी
थी। अब मैंने टीना को िे खा से उसकी चत चस
ु वाने को कहा तो टीना झट से उसके मूँह
ु पि आ र्ई औि अपनी
चत को िे खा के मूँह
ु पि अड्जस्ट कि ददया औि िे खा के मम्मे दबाने लर्ी। मैंने अपने लण्ड का टोपा िे खा की
चत के ऊपि सेट ककया औि टीना को इशािा ककया। टीना समझ र्ई कक अब क्या होने वाला है । टीना ने अपनी
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चत को थोड़ा उसके मूँह
ु पि दबा ददया क्जससे की जब मैं िे खा की चत में लण्ड डालीं तो िे खा की आवाज बाहि
ना ननकल सके।
अब मैं अपना लण्ड िे खा की चत के ऊपि िर्ड़ने लर्ा। िे खा बहुत उत्तेक्जत हो र्ई औि अपनी चत के दाने पि
हाथ िेिने लर्ी। अब मैंने अपना लण्ड सेट ककया औि थोड़ा सा झटका ददया तो मेिा लण्ड िे खा की चचकनी चत
में किसलता हुआ उसकी खझल्ली से जाकि अटक र्या। मैंने धीिे -धीिे ऐसे ही अींदि बाहि ककया किि टीना को
आूँख मािकि एक जोि का झटका ददया। टीना उसके मूँह
ु पि बैठ र्ई औि मेिा लण्ड िे खा की खझल्ली की दीवाि
को तोड़ता हुआ उसकी बच्चेदानी से जाकि छ र्या। िे खा कसमसाने लर्ी। पि मैंने औि टीना ने उसे दहलने ही
नहीीं ददया। उसकी आूँखों से आूँस झि-झि बहने लर्े औि वो अपनी कमि इधि-उधि उचकाने लर्ी पि वो कुछ
नहीीं कि सकी।
मैं तब तक ऐसे ही उसकी चत में लण्ड डालकि खड़ा िहा जब तक िे खा सामने नहीीं हो र्ई किि िे खा को लण्ड
की र्मी से र्मी आनी शरू
ु हो र्ई। अब वो मेिे लण्ड को अपनी चत से कभी टाइट किती कभी ढीला छोड़ती।
अब मैंने धीिे -धीिे अींदि-बाहि किना शरू
ु कि ददया। अब िे खा को मजा आने लर्ा। टीना उसके मम्मों को जोि-
जोि से दबा िही थी औि मैं टीना से ककस कि िहा था। िे खा टीना की चत चस िही थी बहुत ही मादक सीन
था।
िे खा उचक-उचक कि मेिा लण्ड अींदि ले िही थी। िे खा 2-3 बाि अपना पानी छोड़ चक
ु ी थी। अब मैंने दोनों की
पोजीशन चें ज की औि दोनों को घोड़ी बनने को कहा। टीना झट से िे खा के ऊपि से उतिकि घोड़ी बन र्ई, औि
िे खा ने भी किवट ली औि घोड़ी बन र्ई। अब मैं कभी टीना की चत में लण्ड डालता तो कभी िे खा की चत में ।
दोनों बहनें बड़ी मस्त होकि अपनी चत चुदा िही थी औि मजा ले िही थीीं। अब मेिा भी ननकलने वाला था मैंने
कहा- “मैं आने वाला हूँ…”
वहाूँ दोनों मझ
ु से र्ले लर्कि कालेज के अींदि चली र्यीीं औि मैं हाक्स्पटल चला र्या। जब मैं हाक्स्पटल पहुूँचा
तो वहाूँ िीमा औि ददव्या बाहि ही बैठी थी। क्योंकी ठीं ड बहुत थी औि बाहि धप सेंक िही थी। जब मैं वहाीं पहुूँचा
औि अपनी बाइक को स्टॅं ड पि लर्ा िहा था तो दोनों मेिे पास आ र्ई औि हूँसने लर्ी। किि हम कूँटीन में चले
र्ये। वहाूँ पि िीमा ने मझ
ु े बताया कक उसने अपने ससिु से मेिे औि ददव्या के बािे में बात की है । ये सन
ु कि
ददव्या शमाग कि अींकल के पास चली र्ई।
िीमा ने कहा- “िात को उसके पनत का भी िोन आया था औि वो दोनों िाजी हो र्ये हैं। उन्होंने ददव्या से भी
पछा था। ददव्या ने भी हाूँ कि दी है…”
मैंने कहा- “कोई बात नहीीं आज ही कि लेते हैं…” पि अभी मेिे को एक मक्ु श्कल थी कक मैंने अभी तक अपने घि
पे बात नहीीं किी थी। इसललए मैं थोड़ा नवगस महसस कि िहा था।
इतने में िीमा ने मेिा हाथ पकड़ा औि पछा- क्या हुआ? क्या सोच िहे हो जान?
सन
ु कि वो भी पिे शान हो र्ई औि बोली- “अर्ि तम्
ु हािे घि वालों ने मना कि ददया तो?
मैंने कहा- पहले बात तो कि लूँ किि दे खते हैं क्या होता है ? इसी उलझन में हम वहाीं से उठे औि अींकल के
पास चले र्ये। मैंने अींकल को जाकि नमस्ते की औि उनका हालचाल पछा।
मैंने उनको अपना नींबि दे ददया। अींकल ने मेिे घि पे िोन ककया औि सािी बात बता दी। मेिे घि वाले थोड़ी दे ि
बाद हाक्स्पटल में आ र्ये। वो अींकल से लमले औि वहाूँ ददव्या को भी उन्होंने दे खा औि ददव्या मेिे घि वालों को
भी अच्छी लर्ी औि वहीीं पे रिश्ता पक्का हो र्या। अब मैं टे न्शन फ्री था क्योंकी मझ
ु े अब घि वालों से कोई डि
नहीीं था। थोड़ी दे ि बाद सब वहाीं से चले र्ये औि मझ
ु े अींकल का खयाल िखने को बोला।
मैंने भी कहा- “जी ठीक है…” औि उन सबको बाहि छोड़कि मैं वापस अींदि आ र्या। किि मैं िीमा औि ददव्या
साइबि कैिे र्ये औि वहाूँ पि िीमा के पनत यानी मेिे होने वाले साले से बात किने।
मैंने अपनी आई॰डी खोली औि पवन िीमा का पनत को ही ललखकि बज़्ज़ज ककया।
किि मैंने ललखा- पवन जी क्या हाल है? मैं जीत हूँ।
मैं- ठीक है ।
थोड़ी दे ि ऐसे ही बातचीत होती िही औि किि हम हाक्स्पटल आ र्ये। वहाूँ िे खा औि टीना भी आ र्ई थी। िीमा
ने उन दोनों को भी मेिे औि ददव्या के बािे में बताया तो पहले तो वो चौंक र्ईं।
अींकल ने कहा- “शादी क्जतनी जल्दी हो जाए अच्छा है …” उन्होंने मेिे घि पे िोन ककया औि दो ददन बाद हमािी
शादी किक्स कि दी। मझ
ु े औि ददव्या को उन्होंने अकेला छोड़ ददया औि बोले- “जाओ, कहीीं घम किि आओ
कोई बातचीत कि लो…”
मैंने सोचा मौका अच्छा है । मैं औि ददव्या वहाूँ से बाहि आए औि सीधा घि की ओि चल पड़े क्योंकी घि की
चाभी मेिे पास ही थी। ददव्या बहुत ही खुश नजि आ िही थी।
24
ददव्या ने मझ
ु से कहा- “वो शादी के बाद पढ़ना चाहती है …”
मैंने कहा- “याि, इसमें थैंक्स वाली क्या बात है ?” औि मन में सोचा- “ददव्या त तो मेिा लाइिटाइम चद
ु ाई का
पास है …”
अब ददव्या ने पछा- तम
ु कोई शतग की बात कि िहे थे?
मैं भी बहुत खश
ु हुआ औि उसको जोि से अपने सीने से लर्ा ललया।
मैंने कहा- मझ
ु े सह
ु ार्िात में कोई सीलबींद चत ही चादहए औि वो भी तम्
ु हािे सामने।
मेिे जोि दे ने पि उसने बताया कक उसकी एक चाचा की लड़की है जो उसकी हम उमि औि उसकी िाजदाि है।
ददव्या ने अपनी चुदाई के बािे में भी उसको बता ददया था। उसका नाम लसमिन है औि वो लचु धयाना में िहती
है । किि ददव्या ने कहा कक जब उसने लसमिन को अपनी चद
ु ाई के बािे में बताया तो लसमिन ने बड़ी ददलचस्पी
से उसकी चुदाई की दास्तान सन
ु ी थी औि ये भी कहा कक उसको भी लण्ड का स्वाद चखा दो… क्योंकी अभी तक
उसने कभी ककसी के साथ नहीीं ककया। किि ददव्या ने कहा कक मैं तो खद
ु तम
ु से लसमिन को चोदने की बात
किने वाली थी, क्योंकी लसमिन ने ददव्या से प्रालमस ललया था कक वो उसे जीत से चुदवाएर्ी।
मैं ये सब सन
ु कि है िान हो र्या, औि बहुत खश ु हुआ कक मेिी होने वाली पत्नी अभी से मेिा इतना खयाल िख
िही है तो बाद में ककतना िखेर्ी। किि मैंने ददव्या को बेड पे ललटाया औि एक हाट सेक्स सेशन चला। इस बाि
ददव्या कुछ ज्यादा ही उत्तेक्जत हो िही थी औि मझ
ु से ऐसे चचपक िही थी जैसे कोई साूँप चींदन के पेड़ को
चचपकता है, बहुत ही र्िम हो िही थी। मेिे झड़ने तक वो चाि बाि झड़ चुकी थी। चुदाई के बाद हम माकेट के
ललए ननकल पड़े। मेिे पास कैश नहीीं था तो मैंने ए॰टी॰एम॰ से रूपये ननकलवाए औि कुछ खिीदािी की औि शाम
को किि से हाक्स्पटल पहुूँच र्ये। वहाूँ टीना, िे खा औि िीमा हमािा इींतज
े ाि कि िही थीीं।
जब हम वहाूँ पहुूँचे तो ददव्या उन तीनों को दे खकि हूँस िही थी, मानो जैसे कह िही हो कक तम
ु तीनों को मेिे
होने वाले पनत ने चोदा है औि अपने आप पि र्वग कि िही हो… अींकल को हाक्स्पटल से छुट्टी लमल र्ई थी। मैं
अपने घि र्या वहाूँ से काि ली औि किि अींकल को उनके घि ले र्या साथ में वो चािों भी थीीं। ददव्या मेिे साथ
आर्े बैठ थी औि िीमा भी उसके बर्ल में थी। टीना औि िे खा पीछे अींकल के साथ बैठी थी औि मझ
ु े लमिि में
से दे खकि हूँस िही थीीं।
मैं चर्यि बदलने के बहाने ददव्या की जाींघों पि बाि-बाि हाथ लर्ा िहा था। ददव्या बाि-बाि मेिा हाथ पकड़कि
पीछे कि दे ती थी। उसे िीमा से शिम आ िही थी कक कहीीं िीमा दे ख तो नहीीं िही… ऐसे ही हम घि पहुूँच र्ये
िात के 8:30 हो र्ये थे।
26
िीमा औि िे खा ककचेन में खाना बनाने लर्ी। ददव्या, मैं औि टीना ड्राइींर् रूम में टीवी दे खने लर्े। ददव्या टीना से
बातें कि िही थी। थोड़ी दे ि बाद खाना लेकि िे खा औि िीमा आ र्यीीं। खाना खाकि हम लोर्ों ने इधि-उधि की
बातें की औि सोने की ललए चले र्ये। िीमा ददव्या के साथ एक कमिे में , टीना औि िे खा दसिे कमिे में औि मैं
अकेला र्ेस्टरूम में । मझ
ु े बहुत थकावट महसस हो िही थी इसललए लेटते ही नीींद आ र्ई। थोड़ी दे ि बाद मेिी
आूँख खुली तो टीना औि िे खा मेिे लण्ड से खेल िही थीीं।
मैंने जानबझ कि सोने का नाटक ककया। िे खा टीना की चत चस िही थी औि टीना मेिा लण्ड। किि थोड़ी दे ि
बाद टीना ने पोजीशन बदली औि मेिे लण्ड पे अपनी चत को सेट ककया औि ऊपि नीचे होने लर्ी। िे खा टीना
के मम्मे दबा िही थी औि उसको ककस कि िही थी। जब टीना झड़ र्ई तो िे खा मेिे ऊपि आ र्ई। पि मैं अभी
भी वैसे ही िहा। अब िे खा मजे ले िही थी औि टीना िे खा के मम्मे दबा िही थी। जब िे खा भी झड़ र्ई तो उसके
साथ ही मेिा भी वीयग ननकल आया।
अचानक मझ ु े ककसी का मह
ूँु मेिे लण्ड पे महसस हुआ तो दे खा िीमा मेिे लण्ड को मूँह
ु में डालकि मेिा पेशाब पी
िही थी। मैं झट से पीछे हो र्या औि धीिे से कहा- िीमा ये क्या कि िही हो?
मैंने पेशाब ककया औि िीमा को अपने रूम में ले आया औि अींदि से दिवाजा लाक कि ललया। मैंने िीमा से
ददव्या के बािे में पछा।
िीमा ने कहा- “वो तो घोड़े बेच कि सो िही है बोल िही थी कक बहुत तक र्ई है आज…”
िीमा बहुत र्िम हो िखी थी। जैसे ही मैंने अपनी जीभ की नोक को उसकी चत के अींदि ककया िीमा दहल-दहल
कि झड़ने लर्ी औि मेिे लसि को पकड़कि अपनी टाींर्ों के बीच कस ललया औि नीचे से अपने चति ऊपि नीचे
किने लर्ी औि मेिा लण्ड भी जोि-जोि से चसने लर्ी।
अब िीमा झड़ कि ढीली पड़ र्ई। पि मैं अभी नहीीं झाड़ा था। मैंने झट अपना लण्ड िीमा की चत पे लर्ाया औि
एक ही झटके से अींदि घस
ु ड़
े ददया। िीमा अचानक अींदि लण्ड घस
ु ने से कसमसा र्ई औि उसके मूँह
ु से एकदम
से- “उउईई… माूँ आआआ… माि डाला…” ननकला।
27
जब िीमा सामान्य हुई तो मैं आर्े पीछे किके जोि-जोि से धक्के लर्ाने लर्ा। किीब 20 लमनट िीमा को चोदने
के बाद हम दोनों इकट्ठे ही झड़े औि ननढाल होकि एक दसिे के ऊपि ही 15-20 लमनट पड़े िहे किि िीमा उठी
औि अपने कमिे में चली र्ई। मैं भी सी र्या। सब
ु ह मैं अपने घि चला र्या। घि वालों ने हमािे रिश्तेदािो को
िोन पि ही शादी के बािे में बता ददया था औि दसिे ददन शाम को पैलेस भी बक
ु कि ललया था। दसिे ददन
रिश्तेदाि आने शरू
ु हो र्ये औि शाम तक हमािे घि में कािी र्हमा र्हमी हो र्ई। किि सब लोर् तैयाि होकि
पैलेस के ललए ननकल पड़े।
वहाूँ हम कोई 11:30-12:00 बजे तक फ्री हो र्ये औि डोली लेकि घि की तिि ननकले। लसमिन ददव्या के साथ
थी क्योंकी ददव्या ने घि वालों से क्जद किके उसे अपने साथ ले जाने को मनाया था। हम घि पहुूँच र्ये ददव्या
दल्
ु हन बनी बहुत ही खबसित लर् िही थी औि लसमिन ने भी लहूँर्ा चोली डाल िखा था, वो बहुत सेक्सी लर्
िही थी। थोड़ी दे ि बाद हम घि पहुूँच र्ये।
घि पहुूँचकि सब लोर् धीिे -धीिे सोने की ललए अपने-अपने कमिे में जा िहे थे। मेिी दि की एक भाभी मेिे पास
आई औि ददव्या को मेिे कमिे में ले र्यीीं, लसमिन भी उसके साथ थी। ददव्या ने भाभी को कहा- “उसे डेट आई
हुई है इसललए लसमिन को आज उसके साथ ही िहने दो…” वो क्जद किने लर्ी।
भाभी ने कहा- “चल त भी अींदि चला जा, पि ककसी को इस बात के बािे में मत बताना… मैं सब सींभाल लूँ र्ी…”
मैंने भाभी को थैंक्स बोला औि अींदि चला र्या। अींदि जाकि मैंने दे खा कक ददव्या औि लसमिन दोनों ने एक
जैसी चुनिी ओढ़ िखी है औि दोनों ही घघ
ूँ ट ननकालकि बैठी हैं। मैं पहचान ही नहीीं पाया कक कौन ददव्या है औि
कौन लसमिन? मैंने आवाज दी- “ददव्या…”
दोनों में से कोई नहीीं बोली। मैं है िानी से दोनों को दि से दे ख िहा था औि सोच िहा था कक ददव्या कौन हो
सकती है ? किि मेिे ददमार् में एक आइडडया आया… मैं उन दोनों के पास र्या औि पहले तो दोनों को र्ौि से
दे खा किि एक झटके से दोनों की ही चुनिी खीींच दी उन दोनों को सींभलने का मौका ही नहीीं ददया। दोनों ही मझ
ु े
है िानी से दे खने लर्ी, किि हूँसने लर्ीीं कक उनका प्लान िैल हो र्या। किि ददव्या ने लसमिन से कहा- पहले तो
बहुत बोल िही थी अब आ र्ये तेिे जीज… अब बोल क्या कहना है ?
लसमिन ने आूँखें झुका ली औि धीमी सी आवाज में बोली- “कुछ नहीीं… कुछ भी तो नहीीं, ये तो ऐसे ही बोले जा
िही है …”
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मैंने ददव्या से पछा- “चलो ददव्या, तम
ु ही बता दो क्या कह िही थी लसमिन?”
ददव्या ने मेिे कान में आकि कहा- “जान, कि लो अपने ददल की… तम्
ु हािा चर्फ्ट हाक्जि है…”
मैंने ददव्या को र्ले लर्ाकि चम ललया। ददव्या बहुत खुश लर् िही थी औि लसमिन हमें चोिी-चोिी दे ख िही थी।
ददव्या मझ ु े लसमिन के पास ले र्ई औि लसमिन का हाथ मेिे हाथ में दे ददया औि खुद जाकि सामने सोिे पि
बैठ र्ई।
अब मैंने लसमिन को र्ले लर्ाया औि धीिे -धीिे किके उसके कपड़े उतािने लर्ा। लसमिन बहुत ही उतावली हो
िही थी। मैंने लसमिन को लसर्फग पैंटी औि ब्रा में िहने ददया। र्ल
ु ाबी कलि की ब्रा औि पैंटी में लसमिन पिी जैसी
लर् िही थी। कमिे की कद्चधम िोशनइ में लसमिन का बदन चमक िहा था। वो भी आज ददव्या के साथ ही
ब्यटी-पालगि से तैयाि होकि आई थी।
ददव्या हम दोनों को दे ख-दे खकि अपना लहूँर्ा टाींर्ों से ऊपि उठाकि चत में उीं र्ली कि िही थी।
अब मैंने अपने सािे कपड़े उताि ददए औि अपना लण्ड लसमिन के होंठों से लर्ा ददया। लसमिन मेिे लण्ड को
कुलिी की तिह चाटने लर्ी। लसमिन की चस
ु ाई मझ
ु े मदहोश कि िही थी। मैं अपना आपा खोने लर्ा था, पि
मैंने अपने आप पि कींरोल ककया औि अपना लण्ड लसमिन के मूँह
ु से पीछे कि ललया। अब मैंने लसमिन की ब्रा
उताि दी औि उसकी मटि के दाने क्जतनी अनछुई ननपल को उीं र्ललयों के बीच दबाकि मसलने लर्ा। औि एक
को मूँह
ु में लेकि चसने लर्ा।
लसमिन को बहुत मजा आ िहा था औि वो मजे में आूँखें बींद किके अपने मम्मों को चस
ु वा िही थी। अब मैं
थोड़ा सा नीचे आया औि लसमिन की नालभ के ऊपि ककस ककया। लसमिन के शिीि में एक लसहिन सी हुई औि
उसके िोंर्टे खड़े हो र्ये। अब मैंने लसमिन की कान की लोलकी पि अपनी जुबान को िेिा। लसमिन बहुत
उत्तेक्जत हो र्ई औि मूँह
ु में बड़बड़ाने लर्ी। लसमिन की पैंटी ऐसे र्ीली हो र्ई थी जैसे उसने टायलेट कि ददया
हो।
अब मैंने लसमिन की पैंटी को उसके तन से जुदा कि ददया। लसमिन की चचकनी चत ऐसे लर् िही थी जैसे
र्ल
ु ाब की पींखुडड़याीं। उसकी चत के होंठ एकदम एक दसिे से चचपके हुए थे औि बीच की दिाि बबल्कुल टाइट
थी। मैंने अपनी उीं र्ली को चत की दिाि में िर्ड़ा तो लसमिन उछल र्ई औि अपनी कमि को उचकाने लर्ी,
मानो कह िही हो कक जल्दी किो… ये सब किते-किते हम दोनों ने एक बाि भी कोई बात नहीीं की। लसमिन
चुपचाप सब कुछ किवा िही थी जैसे कोई चाबी वाली र्डु ड़या हो।
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ददव्या ये सब बड़े ही ध्यान से दे ख िही थी औि जब मैं ददव्या की ओि दे खता तो ददव्या मेिी ओि आूँख मािकि
हूँस दे ती औि मझ
ु े फ्लाइींर् ककस किती। ददव्या हमें ऐसे दे ख िही थी जैसे कोई किल्म दे ख िही हो।
अब मैंने दिाज से वैसेलीन की डडब्बी ननकाली औि अपनी उीं र्ली से वैसेलीन लसमिन की चत के अींदि तक लर्ा
दी। लसमिन का बिु ा हाल हो िखा। वो मझ
ु े तिसती आूँखों से दे ख िही थी मानो कह िही हो कक अब अींदि डाल
दो।
मैंने अब उसे ज्यादा तिसाना ठीक नहीीं समझा औि अपने लण्ड का टोपा उसकी नन्ही सी चत के ऊपि िखा
औि थोड़ा सा धक्का लर्ाया तो मेिा लण्ड किसलकि उसकी खझल्ली से जाकि टकिा के रुक र्या। लसमिन के
मूँह
ु से आआआह्ह… ननकल र्ई। मैंने लसमिन के होंठों से अपने होंठ लर्ाकि एक जोिदाि तर्ड़ा झटका लर्ाया
तो मेिा लण्ड लसमिन की सािी दीवािों को तोड़ता हुआ ककसी तीि की भाूँनत लसमिन की चत में पिा घस ु र्या।
लसमिन की चीख मेिे होंठों में दबकि िह र्ई, नहीीं तो वो सािा मोहल्ला ही इकट्ठा कि दे ती। मैं ऐसे ही थोड़ी
दे ि पड़ा िहा औि उसके मम्मों को धीिे -धीिे दबा िहा था औि उसे ककस कि िहा था।
अब लसमिन धीिे -धीिे र्िम होने लर्ी औि अपनी कमि को उचकाने लर्ी। अब मैं धीिे -धीिे अपने धक्कों को
तेज किने लर्ा। लसमिन भी मेिा पिा सहयोर् कि िही थी। जब मैं ऊपि से नीचे होता तो वो भी नीचे से
झटका लर्ाती औि लण्ड उसकी चत में जड़ तक घस
ु जाता। ऐसे हमािी लय-ताल चलती िही औि हम दोनों
जोि-जोि से एक दसिे को चोदते हुए बहुत जोि से झड़े। मैंने लसमिन जैसी र्िम लड़की क्जींदर्ी में पहली बाि
दे खी थी। उसकी चत मेिे वीयग से भि र्ई औि हम दोनों थक कि एक दसिे के बर्ल में लेट र्ये। हमें तो ये
भी ख्याल नहीीं िहा कक ददव्या भी वहाूँ पि है ।
इतने में ददव्या उठी औि लसमिन की चत से बहते मेिे वीयग को पीने लर्ी।
ददव्या लसमिन को दे खकि जोि-जोि से हूँसने लर्ी औि बोली- “लसमिन आिाम से चस खा जाएर्ी क्या? अभी
तो पिी िात बाकी है …”
पि ददव्या ने कहा- “अभी नहीीं… अभी थोड़ी दे ि रुक कि किना औि वहाूँ टे बल पि पड़ा थिमस उठाया औि उसमें
से र्िम दध से ग्लास भि ददया औि मेिी तिि बढ़ा ददया औि बोली- “पपयो मेिे िाजा… पहले दध पपयो किि
हम दोनों लमलकि तम्
ु हािे लण्ड से दध ननकालकि पपएींर्ी…”
30
तभी मेिे ददमार् में एक आइडडया आया। मैंने आज सब
ु ह ही 4 र्ोली पवयाग्रा की ली थी औि बाथरूम की
खखड़की में छुपाई थी। मैंने ददव्या से कहा- “रूको जान, मैं जिा टायलेट में होकि आता हूँ…”
मैंने कहा- ठीक है, पहले मैं जाता हूँ किि तम्
ु हें आवाज दूँ र्ा तो आ जाना।
दोनों मान र्ईं। मैं जल्दी से अींदि र्या। मैंने एक पवयाग्रा ननकाली औि पानी से खा ली औि दोनों को आवाज
लर्ा दी। दोनों वहाूँ पे आ र्ईं औि मैं बाहि ननकल र्या। दोनों मझ
ु े दे खने लर्ीीं।
वो दोनों भी मेिे साथ ही अींदि आ र्ईं। तब तक ददव्या ने तीन ग्लास दध से भिकि िखे थे। ददव्या ने एक
ग्लास उठाया औि मेिे मूँह
ु से लर्ा ददया। मैंने आधा ग्लास दध पपया औि बाकी उन दोनों ने खाली ककया।
जब लण्ड अच्छी तिह से र्ीला हो र्या तो मैंने ददव्या को घोड़ी बनाया औि उसकी र्ाण्ड पे चचकनाई लर्ाई
औि अच्छी तिह से उीं र्ली उसकी र्ाण्ड में घम
ु ाई क्जससे चचकनाई अच्छी तिह उसकी र्ाण्ड के अींदि तक लर्
र्ई। अब मैंने अपना लण्ड उसकी र्ाण्ड पे सेट ककया औि धक्का लर्ाया चचकनाई की वजह से मेिे लण्ड का
टोपा अींदि चला र्या औि ददव्या छटपटाने लर्ी। लसमिन ने ददव्या का मूँह
ु बींद कि िखा था क्जससे ददव्या
चचल्ला नहीीं सकी। अब मैंने एक औि धक्का लर्ाया औि मेिा पिा लण्ड ददव्या की र्ाण्ड में किट हो र्या। अब
मैं ऐसे ही 1-2 लमनट रुका िहा, जब ददव्या सामान्य हुई तो मैं आर्े पीछे किने लर्ा। अब ददव्या को मजा आ
िहा था।
लसमिन अब तक नीचे आकि ददव्या की चत चस िही थी औि उसके मम्मे दबा िही थी ददव्या लसमिन की चत
चस िही थी। सबको मजा आ िहा था औि सब अपने-अपने काम में व्यसत ददख िहे थे।
ददव्या बीच-बीच में अपनी र्ाण्ड को कभी टाइट किती, कभी ढीला छोड़ती क्जससे मझ ु े बहुत मजा आ िहा था।
ददव्या बहुत मजे से र्ाण्ड मिवा िही थी। अब मैंने ददव्या की र्ाण्ड में से लण्ड ननकमैंलकि ददव्या की चत में
डाल ददया औि कभी उसकी चत में लण्ड डालता औि कभी ददव्या की र्ाण्ड में । ददव्या अपनी दोहिी चद
ु ाई से दो
बाि झड़ र्ई। जब ददव्या तीसिी बाि झड़ी तो एकदम ढीली पड़ र्ई।
औि मझ
ु से बोली- “बस जीत अब मझ
ु े लेटने दो मझ
ु े बहुत थकावट महसस हो िही है …”
ददव्या लेट र्ई मेिा लण्ड पवयाग्रा की वजह से एकदम तनकि खड़ा था।
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इतने में लसमिन झट से घोड़ी बन र्ई औि मेिी तिि दे खने लर्ी। मैंने मौके की नजाकत को समझते हुए
अपना लण्ड अब लसमिन की र्ाण्ड में सेट ककया औि ददव्या को आूँख मािी।
ददव्या ने तिु ीं त लसमिन के होंठों से होंठ लर्ा ददए औि मैंने एक ही धक्के में अपना लण्ड लसमिन की कूँु वािी
र्ाण्ड में घस
ु ेड़ ददया। लसमिन की चीख ददव्या के मूँह
ु में दब र्ई औि उसकी आूँखों से आूँस झि-झि बहने लर्े
औि लसमिन सब
ु कने लर्ी औि अपनी र्ाण्ड को अपने दोनों हाथों से पकड़ ललया। उसकी र्ाण्ड से खन रिस िहा
था औि लसमिन मेिी औि घि कि दे ख िही थी।
मैंने अपना लण्ड उसकी र्ाण्ड से ननकाला औि उसको अपने सीने से लर्ा ललया औि प्याि से उसके लसि पि
हाथ िेिने लर्ा। किि उसके र्ाल पे ककस ककया औि वो इस प्याि से खश
ु हो र्ई औि मझ
ु े ककस किने लर्ी
औि बोली- “जान, थोड़ा धीिे किो, बहुत ददग होता है…”
किि मैंने लसमिन को दोबािा घोड़ी बनाया औि उसकी र्ाण्ड पे थक लर्ाकि अपना लण्ड धीिे -धीिे अींदि किने
लर्ा। इस बाि लसमिन को ददग नहीीं हुआ औि मेिा पिा लण्ड आसानी से अींदि चला र्या। मैंने अब जोि-जोि से
धक्के लर्ाने शरू
ु कि ददए औि लसमिन की र्ाण्ड 15 लमनट मािने के बाद मैंने लण्ड उसकी चत में घस ु ेड़
ददया। उसके मह
ूँु से लससकी ननकली हाई… औि 2-3 लमनट बाद मेिा पानी उसकी चत में ननकल र्या औि हम
तीनों थक कि बेड पि नींर्े ही लेट र्ये। मैं बीच में ददव्या औि लसमिन मेिे आज बाज मझ
ु से ललपट र्ईं। ऐसे
ही हमें कब नीींद आई पता ही नहीीं चला।
सब
ु ह 5:00 बजे के किीब मेिी नीींद खुली औि मझ
ु े जोि की पेशाब लर्ी थी। मैं उठा औि टायलेट की ओि जाने
लर्ा। इतने में बाहि का दिवाजा खुला औि वो भाभी अींदि आ र्ई औि ददव्या औि लसमिन को नींर्ी दे खकि
औि मझ
ु े भी नींर्ा दे खकि मूँह
ु पे हाथ िखकि शिम की मािी बाहि चली र्ई।
मेिे तो होश ही उड़ र्ये। मैंने सोचा अब ये बाहि जाकि सबको बताएर्ी औि इसी कशमकश में मैंने पेशाब
ककया, मूँह
ु धोया औि अपना रै क सट पहना औि बाहि चला र्या। लसमिन औि ददव्या अब भी र्हिी नीींद में
थीीं। मैंने दिवाजा बाहि से लाक ककया औि जैसे ही मड़
ु ा तो दे खा भाभी बाहि सोिे पि बैठी थी औि मेिी ओि
दे खकि हूँस िही थीीं।
मझ
ु े थोड़ी तस्सली हुई अब मैं भाभी के पास जाकि बैठ र्या औि भाभी ने बातचीत शरू
ु की- दे विजी, कैसी िही
आपकी सह ु ार्िात? औि हूँसने लर्ीीं।
मैंने नजिें झक
ु ा ली औि ऐसे ही बैठा िहा।
मैंने दहम्मत किके भाभी से कहा- “भाभी, आप ककसी से कुछ कहोर्ी तो नहीीं? जो अपने अींदि दे खा…”
भाभी ने मझ
ु से हाथ लमलाया औि बोली- पक्का प्रालमस या कच्चा?
थोड़ी दे ि सोचने के बाद भाभी ने कहा- “ठीक है , टाइम आने पे माूँर् लूँ र्ी पि दे खो मक
ु िना नहीीं तम
ु ने प्रालमस
ककया है…”
किि भाभी ने कहा- “उन दोनों को उठा दे जाकि, ककसी औि के जार्ने से पहले…”
मैंने कहा- “ठीक है…” औि अपने कमिे की औि बढ़ र्या औि कमिे का लाक खोला, अींदि र्या औि ददव्या औि
लसमिन को जर्ा ददया औि कहा- “जल्दी से तैयाि होकि बाहि आ जाओ…”
तब तक बाकी सब लोर् भी जार्ने लर्े थे। 8:00 बजे तक सब लोर् तैयाि हो र्ये औि हम सब ददव्या के घि
की ओि ननकल पड़े, बाकी िश्में पिी किने। लसमिन थोड़ा लींर्ड़ा कि चल िही थी। जैसे ही हम ददव्या के घि
पहुूँचे तो वो लोर् हमािा ही इींतज
े ाि कि िहे थे। िीमा बाहि आई औि ददव्या से र्ले लमली औि किि लसमिन से
र्ले लमली औि लसमिन से पछा- “क्या हुआ लसमिन तम ु लींर्ड़ा कि क्यों चल िही हो?
लसमिन ने कहा- “भाभी, पाींव में मोच आ र्ई है…” औि ददव्या की ओि दे खकि हूँसने लर्ी।
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िीमा ने मझ
ु े भी नमस्ते किी औि हम सब अींदि चले र्ये। दोपहि तक हम वहाीं िहे औि किि वापस अपने घि
आ र्ये। इस बाि लसमिन नहीीं आई थी।
ये मझ
ु े बाद में पता चला के भाभी ने सब सन
ु ललया है ।
हमलोर् घि पहुूँचे तो मैं औि ददव्या अपने रूम में आ र्ये। मैंने ददव्या को भाभी वाली सािी बात बता दी की
कैसे उसने हम तीनों को दे खा है औि प्रालमस वाली बात…
ददव्या तो घबिा र्ई औि कहने लर्ी- “अर्ि भाभी ने ककसी को बता ददया तो क्या होर्ा?
मैंने ददव्या को समझाया तम ु किकि मत किो मैं सब सींभाल लूँ र्ा। तो ददव्या थोड़ा रिलैक्स हुई औि मैंने ददव्या
के होंठों से अपने होंठ लर्ा ददए औि ककस किने लर्ा तो ददव्या पीछे हट र्ई औि बोली- “प्लीज जीत, मड
खिाब मत किो थोड़ा कींरोल िखो…”
ददव्या ने कहा- “ददल को काब में िखो डडयि, लसर्फग 5 ददन की तो बात है…”
मैंने कहा- “ठीक है…” औि बाहि आ र्या औि ददव्या टायलेट की ओि चली र्ई।
जब मैं बाहि आया तो सािे रिश्तेदाि ननकलने की तैयािी में लर्े थे। पि भाभी वहाूँ इतमीनान से बैठी थी। धीिे -
धीिे सब रिश्तेदाि एक-एक किके जाने लर्े। शाम तक हम लसर्फग घि वाले ही िह र्ये औि वो भाभी िह र्ईं।
बाकी सब लोर् अपने-अपने घि चले र्ये। भाभी ने बताया कक तम्
ु हािे भाई तो टि पे ओबिा र्ये हैं, मैं वहाूँ
अकेली क्या करूूँर्ी? इसललए सोचा कुछ ददन तम
ु लोर्ों के साथ िहीं र्ी।
अब मैं आपका अपनी भाभी से परिचय किवाता हूँ। वो मेिी माूँ के चाचा की बह हैं। हमािा उनके घि आना-जाना
बहुत है इसललए औि तो कोई उनके घि से नहीीं आ सका लसर्फग भाभी ही आईं। भाभी की शादी को तीन साल हो
र्ये हैं औि मेिे भाई एक एम॰एन॰सी॰ कींपनी में मैनज
े ि हैं, इसललए वो ज्यादाति टि पे ही िहते हैं। अभी भाभी
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को कोई बच्चा भी नहीीं है । भाभी की किर्ि भी मस्त है । वो ज्यादाति पाजामी सट ही पहनती हैं औि वो भी
एकदम टाइट। भाभी का साइज है 34-30-34, उसके मम्मे औि र्ाण्ड बहुत उभाि ललए हुए हैं क्जसकी वजह से
जब वो चलती हैं तो उनकी र्ाण्ड ऊपि-नीचे ऐसे दहलती है जैसे लेफ्ट-िाइट कि िही हो। बहुत मस्त शिीि की
माललक है भाभी औि बहुत बद् ु चधमान भी हैं। भैया को उसने बहुत खीींच कि िखा है औि जो भी भाभी कहती हैं,
वोही भैया किते हैं, मतलब कक वो जोरू के र्लु ाम हैं।
हम सब लोर् बैठकि बातें कि िहे थे इतने में िोन पि रिींर् हुई औि मेिे पपता जी ने िोन उठाया। ये उनके
बहुत ही क्लोज फ्रेंड का िोन था जो पपछले 15 साल से दक्षिण अकफ्रका में िह िहे थे। उन्होंने पपता जी को
िोन पि बताया कक वो कल इींडडया आ िहे हैं औि पपता जी से बोले कक तम
ु मझ
ु े एयिपोटग पि िे सीव किने
आओर्े। पपता जी बहुत खश
ु हुए।
साथ ही अींकल मेिे पापा के दोस्त ने कहा कक भाभी को भी साथ लेकि आना है क्योंकी वो 2-3 ददन दे ल्ही में
साथ िहें र्े क्योंकी उनको एम्बैसी में कोई काम है तो पपता जी ने कहा ठीक है । पपता जी औि माूँ अपना सामान
पैक किने लर्े। औि शाम को मैं ददव्या औि भाभी उनको स्टे शन पे रे न में बैठाने के ललए र्ये। जाते-जाते माूँ
ने भाभी से मेिा औि ददव्या का ख्याल िखने को बोला।
भाभी ने कहा- “आप चचींता मत किो मैं इन दोनों का पिा ख्याल िखर्
ूँ ी…”
उन्हें रे न में बैठाकि हम लोर् घि के ललए ननकल पड़े। िास्ते में भाभी ने कहा- “जीत डडनि किके ही घि जाते
हैं…”
मैंने कहा- ठीक है, औि हम लोर् एक होटे ल में चले र्ये। वहाूँ हमने आडगि ददया थोड़ी दे ि में खाना आया हमने
खाया औि बबल आ र्या।
भाभी ने झट से बबल मेिे हाथ से खीींच ललया औि बोली- “ये डडनि मेिी तिि से तम
ु दोनों की शादी की खश
ु ी
में है …”
किि हम घि के ललए ननकल पड़े। ददव्या की तबीयत थोड़ी खिाब हो र्ई, उसे बख
ु ाि हो र्या तो मैंने उसे िास्ते
में डाक्टि से मेडडलसन ले दी। डाक्टि ने ददव्या को आिाम की सलाह दी औि हम लोर् घि आ र्ये। ददव्या ने
मेडडलसन ली औि रूम में सो र्ई औि मैं बाहि आकि टी॰वी॰ दे खने लर्ा। भाभी भी र्ाउन डालकि आ र्ई औि
मेिे साथ बैठकि टी॰वी॰ दे खने लर्ी। साथ-साथ हम लोर् बातें भी कि िहे थे। इतने में टी॰वी॰ में एक ककक्स्सींर्
सीन आया औि हमािी बातें सेक्स की तिि मड़
ु ड र्ई।
औि भाभी मझ
ु से पछने लर्ी- जीत, कैसी िही तम्
ु हािी सह
ु ार्िात ददव्या औि लसमिन के साथ?
भाभी ने कहा- “छोड़ो, कोई औि बात किते हैं। वैसे भी क्या िायदा ऐसी बातें किने का मझ
ु े ही तकलीि होर्ी…”
भाभी ने कहा- “होना क्या है ? वो पहले से ही थके होते है औि िात को हम लोर् थोड़ी बहुत बातें किते हैं औि
तम्
ु हािे भैया अपना काम किके सो जाते हैं…?
भाभी ने कहा- “बहुत बाि बोला पि तम् ु हािे भैया कहते हैं कक अर्ि िोज किो तो आदमी की सेहत खिाब हो
जाती है । उनके ददमार् में पता नहीीं ककसने ये घस ु ा ददया है इसललए मझु े लसर्फग महीने में एक आध बाि ही मजा
लमलता है …”
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हम लोर् एक ही कींबल में बैठकि बातें कि िहे औि टी॰वी॰ दे ख िहे थे। थोड़ी दे ि ऐसे ही चुप िहे किि भाभी
बोली- जीत, मैं तम
ु से कुछ माूँर्ना चाहती हूँ? तम्
ु हें अपना प्रालमस याद है ना?
मैं ये सन
ु कि सोच में पड़ र्या।
भाभी ने मेिे होंठों से अपने र्िम होंठ लर्ा ददए। भाभी के होंठ ऐसे लर् िहे थे जैसे कोई र्िम निम
र्ल
ु ाबजामन
ु … इतने मल
ु ायम होंठ मैंने पहले कभी नहीीं दे खे थे। मझ
ु े बहुत उत्तेजना होने लर्ी। भाभी औि मैं फ्रेंच
ककस किने लर्े। भाभी बहुत र्िम हो र्ई उसने झट से अपना र्ाउन उताि ददया। रूपाली ने नीचे कुछ नहीीं
पहना था, बबल्कुल नींर्ी थी। उसका मखमली बदन दमक िहा था, उसके शिीि पि एक भी बाल नहीीं था, एकदम
चचकना बदन जैसे कोई सींर्म
े िमि की तिाशी हुई कोई मित… पता नहीीं उसका पनत उसको क्यों नहीीं चोदता था?
रूपाली को दे खकि तो ककसी नामदग का लण्ड भी खड़ा हो जाए। रूपाली बहुत सेक्सी लर् िही थी, उसकी चत के
होंठों में उसका क्क्लट दबा हुआ था औि उसकी चत में से हल्का-हल्का पानी रिस िहा था क्जसकी वजह से
रूपाली भाभी की जाींघें थोड़ी र्ीली हो र्ई थीीं।
रूपाली अपनी जुबान अपने होंठों पि कििा िही थी औि बहुत उत्तेक्जत हो िखी थी। मैंने रूपाली को कींधों से
जाकि पकड़ा औि सोिे से जमीन पि खड़ा कि ददया। किि मैंने अपने होंठ रूपाली के होंठों से सटा ददए। नीचे
से मैं उसकी चत के ऊपि हाथ कििा िहा था। इससे से वो औि ज्यादा उत्तेक्जत हो र्ई औि एक बाि तो उसका
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पानी ननकल र्या औि उसकी टाींर्ें काींपने लर्ीीं। पि मैंने उसे मजबती से पकड़कि खड़े िखा, अर्ि नहीीं पकड़ा
होता तो शायद रूपाली धड़ाम से नीचे चर्िती।
अब मैंने उसे टे बल के ऊपि सीधा ललटाया औि अपना लण्ड उसकी चत से सटा ददया औि उसकी चत के ऊपि
लण्ड को िर्ड़ने लर्ा। रूपाली नीचे से अपनी कमि उचकाने लर्ी औि बड़बड़ाने लर्ी- “अर्ि डालना है तो जल्दी
डालो मर्ि ऐसे तड़पाओ मत… जल्दी किो जीत, प्लीज… अब मझ
ु से बदागश्त नहीीं हो िहा…” रूपाली ने कहा। पहले
से ही उसकी एक महीने से चद
ु ाई नहीीं हुई थी। रूपाली मेिी लमन्नतें किने लर्ी।
अब मैंने भी उसे तड़पाना ठीक नहीीं समझा औि लण्ड को उसकी र्ीली चत में घस
ु ा ददया। उसकी चत ऐसे थी
जैसे ककसी कूँु वािी लड़की की होती है , एकदम टाइट… जैसे ही मैंने लण्ड उसकी चत में घस
ु ेड़ा उसके मूँह
ु से ठीं डी
साूँस ननकली- आअह्ह… कककक… हाूँन्न्न जीत ऐसे हीईई… बहुत्त मज़्ज़जा आअ िहा है …”
अब मैं ऐसे ही अींदि-बाहि किने लर्ा। भाभी मेिा पिा साथ दे िही थी। बहुत सलीके से नीचे से अपनी कमि
उछाल-उछालकि अपनी चुदाई किवा िही थी। अब हम दोनों के धक्के तेज होते जा िहे थे, कमिे में हम दोनों की
वासना यक्
ु त आवाजें र्ूँज िही थीीं। भाभी का ननकलने वाला था औि वो एक बाि जोि से मेिे से चचपक र्ई औि
अपनी टाींर्ें मेिी कमि के इदग -चर्दग जोि से ललपटा ली औि नीचे से अपनी चत को कभी लसकोड़ती औि कभी
खुला छोड़ती औि उसका पानी ननकल र्या।
रूपाली के चेहिे पि सींतक्ु ष्ट के भाव साि-साि नजि आ िहे थे औि वो बहुत खश ु लर् िही थी। अब हम दोनों
उठे औि रूपाली के कमिे में चले र्ये। हम दोनों नींर्े ही इधि-उधि घम िहे थे कक अचानक मेिे ददमार् में
ददव्या का खयाल आया कक कहीीं वो उठ ही ना जाए। मैंने रूपाली से कहा कक मैं दे खकि आता हूँ।
मैं ददव्या के पास र्या तो दे खा ददव्या र्हिी नीींद में है । मैंने उसे ककस ककया तो ददव्या ने मझ
ु े अपनी बाहों में
भि ललया। शायद उसे मेडडलसन की वजह से थोड़ा नशा हो र्या था औि नशे में पछी- ककतना टाइम हुआ जान?
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ददव्या ने कहा- अब तो थोड़ा ठीक लर् िहा है पि नीींद बहुत आ िही है ।
मैंने कहा- “चलो किि सो जाओ मैं थोड़ी दे ि बाद आता हूँ, क्योंकक मझ
ु े अभी नीींद नहीीं आ िही…”
मेिा लण्ड तनकि टाइट हो र्या था। अब हम दोनों 69 में आ र्ये औि लर्भर् 15-20 मीनट तक इसी
पोजीशन में एक दसिे की चसाई किते िहे । जब मैं उसके दाने को अपने मूँह
ु में लेकि चसता तो रूपाली की
हालत दे खने लायक होती थी, वो एकदम कसमसा जाती औि मेिा लसि अपनी टाूँर्ों में दबा लेती… जैसे कह िही
हो सािी उमि ऐसे ही किते िहो। रूपाली अपनी क्जींदर्ी के सबसे आनींद दायक छणों को महसस किके िली नहीीं
समा िही थी।
वो बहुत खश
ु थी, जो मजा उसे अपने पनत से नहीीं लमला उसे मझ ु से लमल िहा था। मैंने भी बबना ककसी लशकवे
लशकायत के उसे पिा मजा दे ने की ठान ली थी। अब मैंने रूपाली को पेट के बल ललटाया औि पीछे से उसकी
चत में लण्ड डाल ददया औि मैं ऐसे ही रूपाली की चद
ु ाई किने लर्ा। लण्ड सीधा उसकी बच्चेदानी पे जाकि लर्
िहा था। रूपाली मजे से आूँखें बींद किके अपनी चद
ु ाई किवा िही थी। अब मैंने रूपाली को अपने ऊपि आने को
बोला औि मैं नीचे लेट र्या।
रूपाली मेिे ऊपि आ र्ई। रूपाली ने मेिा लण्ड अपनी चत पे सेट ककया औि ऊपि झटके से बैठ र्ई क्जससे मेिा
पिा लण्ड सीधा उसके अींदि चला र्या औि उसके मूँह
ु से एक हल्की सी आवाज ननकली उउइईई… म्माूँ… औि वो
ऊपि-नीचे होने लर्ी। ऐसे लर् िहा था कक जैसे मैं नहीीं वो मझ
ु े चोद िही हो। वो बहुत तेजी से ऊपि-नीचे हो
िही थी औि उसका पानी ननकल-ननकलकि मेिे अींडों के ऊपि से होता हुआ नीचे बेड पि जा िहा था। वो ना जाने
ककतनी बाि पानी छोड़ चुकी थी पि उसे बहुत मजा आ िहा था औि मझ ु े भी। लर्भर् आधा पौना घींटा हम इसी
पोजीशन में चद
ु ाई किते िहे पि मेिा पानी नहीीं ननकल िहा था।
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रूपाली 3 बाि झड़ चक
ु ी थी। अब मेिा भी आने वाला था। मैंने जोिदाि 7-8 धक्के लर्ाए औि अपना सािा वीयग
रूपाली की चत में भि ददया। इस चद
ु ाई से हम दोनों कािी थक र्ये औि ना जाने कब आूँख लर्ी पता ही नहीीं
चला।
रूपाली को सब
ु ह जल्दी उठाने की आदत है । वो उठी औि उसने मझ
ु े उठाया औि मैं अपने रूम में चला र्या।
ददव्या र्हिी नीींद में थी, उसे मेिे आने का पता नहीीं चला औि मैं उसके बर्ल में सो र्या। किि दोपहि तक
मेिी नीींद नहीीं खल
ु ी।
जब उठा तो िीमा औि मेिे ससिु ददव्या को लेने आए हुए थे। साथ में लसमिन भी थी। लसमिन मेिे रूम में आ
र्ई औि मैं भी… मैंने ददव्या को इशािा ककया औि ददव्या ने अपना लसि दहलाकि मझ
ु े ओके कहा। ये सब रूपाली
भाभी दे ख िही थीीं। वो समझ र्ई औि हूँसने लर्ीीं। अब मैं औि लसमिन रूम में अकेले थे औि बाकी सब बाहि
बैठे बातें कि िहे थे।
मैंने अपना तौललया ललया औि बाथरूम की तिि चलने लर्ा औि लसमिन को भी मैंने हाथ पकड़कि साथ ही ले
ललया। लसमिन ककसी कठपत
ु ली की तिह मेिे साथ खीींची चली आ िही थी। मैंने जाकि अपने सािे कपड़े उताि
ददए औि साथ ही लसमिन के भी। अब हम दोनों नींर्े थे… बबल्कुल नींर्े। मैंने शावि चला ददया औि शावि के
नीचे हम दोनों का शिीि भीर् िहा था औि हम दोनों ही कामवासना में जल िहे थे। मैंने लसमिन को जोि से
अपने सीने से लर्ा िखा था।
उसके मम्मे मेिे सीने में र्ड़े जा िहे थे। काम वासना से उसके मम्मे एकदम तन र्ये थे औि उसकी घडींु डयाीं
एकदम िाकेट की तिह खड़ी थीीं औि लसमिन ने आूँखें बींद कि िखी थीीं। अब मैंने लसमिन को वहाूँ जमीन पि
ललटा ददया औि उसके ऊपि सवाि हो र्या औि हमािा चुदाई का लसललसला चाल हो र्या। 15-20 लमनट तक
हम एक दसिे में समाए िहे बबना ककसी की पिवाह ककए। किि हम दोनों का एक साथ ही पानी ननकला औि हम
दोनों को होश आया। हम जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहनकि बाहि आ र्ये। लसमिन ने जल्दी से अपना मेकप
ठीक ककया औि हम दोनों बाहि आ र्ये। ददव्या औि रूपाली हमें दे खकि हूँस िही थीीं।
तभी िीमा ने बोला- हो र्ई बात जीजा साली की? बहुत दे ि लर्ा दी बातें किते-किते?
थोड़ी दे ि हम ऐसे ही बातें किते िहे किि िीमा ने कहा- “चलो, अब हम चलते हैं। अब तम
ु ददव्या को एक हफ्ते
बाद ले जाना…”
मैंने कहा- “ठीक है, जैसे आप सब लोर्ों की मजी…” औि उनके साथ र्ेट तक उनको छोड़ने र्या।
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जाते-जाते िीमा औि मैं सबसे पीछे चल िहे थे। िीमा ने सबकी नजि बचाते हुए मेिा लण्ड पकड़ ललया औि मझ ु े
आूँख मािी औि मझ ु े िोन किने का इशािा ककया मैंने भी उसे हाूँ में लसि दहलाया। वो लोर् काि में बैठे औि चले
र्ये। ददव्या बहुत दि तक जाते-जाते हाथ दहलाती िही औि मैं औि रूपाली तब तक र्ेट पि खड़े िहे जब तक
कक वो आूँखों से ओझल नहीीं हो र्ये।
हम दोनों अींदि आ र्ये औि रूपाली आकि मेिे से चचपक र्ई औि बोली- “अब तो मजे ही मजे हैं जीत… घि
वाले घि नहीीं औि हमें ककसी का डि नहीीं…” औि हम दोनों हूँसने लर्े।
तो रूपाली ककचन में र्ई औि आल वाले पिाठे बना के ले आई औि साथ में ढे ि सािा मक्खन भी। हम दोनों ने
पिाठे खाए। किि रूपाली उठी औि बोली- “मैं अभी आई…”
औि रूपाली अपने रूम में चली र्ई। थोड़ी दे ि बाद रूपाली बाहि आई तो वो एकदम नींर्ी थी। आते ही उसने मेिे
कपड़े उतािने शरू
ु कि ददए औि बोली- “अब जब तक हम दोनों अकेले हैं ऐसे ही िहें र्े… बबल्कुल नींर्े।
वो बोली- “कोई बात नहीीं डडयि, मैं अभी ब्लोवि ओन कि दे ती हूँ…” औि रूपाली ने ब्लोवि ओन कि ददया औि
मेिे साथ आकि चचपक कि मेिे साथ बैठ र्ई।
रूपाली मेिे लण्ड से खेल िही थी जैसे कोई बच्चा अपने मन पसींद खखलौने से खेलता है औि बीच-बीच में कभी
मूँह
ु में भी डाल लेती थी। वो पिा मजा ले िही थी। मैं रूपाली के मम्मे दबा िहा था। रूपाली र्िम होती जा िही
थी। उसकी चत से पानी रिस-रिस कि नीचे से सािा सोिा र्ीला हो र्या था औि वो अपने हाथ से अपना क्क्लट
िर्ड़ िही थी।
मैंने उसे अपने ऊपि आने को कहा। उसने मेिे दोनों तिि अपनी टाींर्ें की औि मेिे लण्ड पे बैठ र्ई औि मेिे
सीने से लर् र्ई औि उठक बैठक के स्टाइल में अपनी चत चद ु वाने लर्ी। इस स्टाइल में बहुत मजा आ िहा था
हम दोनों को ही। रूपाली बहुत तेज-तेज धक्के लर्ा िही थी। वो दो बाि झड़ चक ु ी थी औि मेिा लण्ड उसके
पानी से एकदम र्ीला हो र्या था क्जसकी वजह से लण्ड उसकी चत के बहुत अींदि तक घस
ु िहा था औि उसकी
बच्चेदानी पे चोट कि िहा था।
मैं सोच में पड़ र्या कक ये क्या सप्रागइज दे र्ी? मैं िात का इींतज
े ाि किने लर्ा।
रूपाली ने मझ
ु से बोला कक तम
ु आज डडनि बाहि से ही ले आओ।
मैंने कहा- “ठीक है औि मैं डडनि लेने चला र्या। किीब आधे पौने घींटे बाद जब मैं वापस आया।
उसने नजिें उठाकि मेिी ओि दे खा… उसका ऐसे दे खना मेिे ददल में ककसी तीि की तिह लर्ा। मझ
ु े अपने आप
पि र्वग होने लर्ा कक ऐसी सद
ुीं ि लड़की मेिे ललए इतना सब कुछ कि िही है । मैं िला नहीीं समा िहा था। मैंने
आर्े बढ़कि अपने होंठ रूपाली के होठों से लर्ा ददए। मझ
ु े स्रॉबेिी जैसा टे स्ट लर्ा, जो उसकी ललपक्स्टक का था
औि मैं उसके होंठ धीिे -धीिे चसने लर्ा। वो भी मेिा पिा सहयोर् कि िही थी। वो बबल्कुल ऐसे बबहे व कि िही
थी जैसे उसकी पहल सह
ु ार्िात है ।
मझ
ु े बहुत मजा आ िहा था। ऐसा िोमाींच मेिे मन में उठ िहा था कक मैं आप लोर्ों को बता नहीीं सकता। अब
मैंने रूपाली को बेड से नीचे खड़ा ककया औि उसकी साड़ी का पल्ल नीचे चर्िा ददया अब मैं धीिे -धीिे उसकी साड़ी
उताि िहा था। रूपाली ने आूँखें बींद कि िखी थी।
धीिे -धीिे मैंने उसकी लाल िीं र् की साड़ी उतािकि बेड के कोने पे िख दी। अब वो ब्लाउस औि पेटीकोट में खड़ी
थी। अब मैंने उसके ब्लाउस के हुक खोलने शरू
ु ककए औि एक-एक किके सािे हुक खोलकि ब्लाउस को उसके
शिीि से अलर् कि ददया। नीचे उसने बहुत ही टाइट िे ड कलि की स्रै पलेश ब्रा पहनी थी क्जसमें उसके उभाि
बहुत सेक्सी लर् िहे थे। उसके मम्मे एकदम तने हुए थे।
42
अब मैंने रूपाली के पेटीकोट का नाड़ा खीींच ददया क्जससे उसका पेटीकोट उसकी टाूँर्ों से नीचे खखसक कि पैिों पे
चला र्या जो रूपाली ने अपने पैि से उठाकि पीछे कि ददया। अब रूपाली लसर्फग पैंटी औि ब्रा में खड़ी थी। मैंने
पहले रूपाली की ब्रा को उसके शिीि से अलर् ककया औि उसके मम्मों को अच्छी तिह दबाया, उसकी घडुीं डयों को
अपनी उीं र्ललयों से र्ोल-र्ोल घमने लर्ा।
रूपाली ने अपने ननचले होंठों को अपने दान्तों से दबा िखा था औि अपने मम्मे दबवाने का पिा मजा ले िही
थी। अब मैंने रूपाली की पैंटी को एक झटके में उताि ददया। रूपाली का हाथ मेिे पैंट की क्जप खोलकि अींदि मेिे
लण्ड पे जमा हुआ था, रूपाली मेिे लण्ड से खेल िही थी। अब रूपाली ने मेिे कपड़े उतािने चाल ककए औि एक-
एक किके मेिे सािे कपड़े उताि ददए।
रूपाली बहुत र्िम हो िही थी। वासना उसके अींर्-अींर् पे सावि हो चुकी थी। मैंने रूपाली को बेड पे ललटाया औि
69 पोजीशन में उसकी चत का दाना अपनी जुबान से कुिे दने लर्ा। रूपाली अपनी कमि उचकाने लर्ी औि मेिे
लण्ड को जोि-जोि से चसने लर्ी।
रूपाली ने मझ
ु े आवाज दी- “जीत डाललिंर्, मैं तम्
ु हें ककस किना चाहती हूँ… तम
ु इधि आओ…”
मैंने कहा- “ठीक है…” औि मैं अपना लण्ड उसकी चत के पास ले र्या। मैंने जैसे ही अपना लण्ड रूपाली की चत
के ऊपि लर्ाया।
मैंने उत्सक
ु ता से पछा- क्या?
मैंने कहा- “ठीक है… लेककन पहले थोड़ी चचकनाई तो लर्ा लो, नहीीं तो तम्
ु हें ददग होर्ा…”
मैंने रूपाली को घोड़ी बनाया औि अपना लण्ड उसकी र्ाड़ में घस ु ेड़ ददया। रूपाली ने उसमें तेल लर्ाया हुआ था
क्जस वजह से ना मझ ु े कोई ददक्कत हुई ना ही रूपाली को। औि मेिा लण्ड आसानी से रूपाली की र्ाण्ड में घस
ु
र्या। जैसे ही मेिा लण्ड रूपाली की र्ाण्ड में घस
ु ा, उसने पहले तो एक ठीं डी साींस ली औि बाद में मेिा सहयोर्
किने लर्ी।
43
15 लमनट तक मैंने रूपाली की र्ाण्ड मािी किि मैंने अपना लण्ड उसकी चत में घस
ु ेड़ ददया।
सब
ु ह हम लोर् जल्दी उठ र्ये औि रूपाली ने रूम की साि सिाई की औि हम लोर् हाल में आकि बैठ र्ये।
हम दोनों नींर्े ही इधि-उधि घम िहे थे की अचानक डोिबेल बाजी औि हम दोनों जल्दी से भार्े औि अपने-अपने
कपड़े डालने लर्े। कपड़े पहनकि मैं दिवाजे की ओि चला र्या औि रूपाली बाथरूम में घस
ु र्ई।
मैंने दिवाजा खोला तो सामने मेिे माता पपता औि उनके दोस्त औि उनका परिवाि था। मैंने सबको अलभवादन
ककया औि सब अींदि आ र्ये। मेिे अींकल की परिवाि में उनका एक लड़का था क्जसकी अभी एक हफ्ते पहले ही
शादी हुई थी औि वो इींडडया घमने आए थे। वो सब िात के सिि से थके थे इसललए सबने कहा कक हम सोना
चाहते हैं।
इतने में रूपाली भी आ र्ई औि मेिी माूँ ने रूपाली का सबसे परिचय किवाया औि ददव्या के बािे में पछा तो
मैंने उन्हें बताया कक वो मयके र्ई है । तो उन्होंने कहा ठीक है औि रूपाली को बोला कक रूपाली तम
ु जीत के
कमिे में िह लो औि र्ेस्टरूम इनको दे दो।
मैंने अींकल का सामान दसिे र्ेस्टरूम में औि उनके बेटे औि बाह का सामान रूपाली के रूम में लशफ्ट कि ददया
औि रूपाली ने जल्दी से बेड पे नई बेडशीट बबछा दी औि वो लोर् अपने-अपने रूम में सोने चले र्ये। औि मैं
औि रूपाली अपने रूम में आ र्ये।
उसकी लोव मैिेज हुई थी इसीललए अींकल इींडडया आए थे क्योंकी लड़की दे ल्ही की है औि उन्होंने उसके पेपि
तैयाि किवाने थे, इसीललए मेिे पापा को उन्होंने दे ल्ही में बल
ु ाया था। सौिभ की पत्नी का नाम डेजी है औि वो
अभी कालेज में पढ़ िही है पि शादी की वजह से उसने कालेज छोड़ ददया।
हम लोर्ों ने लींच खतम ककया औि मेिे िोन पि बेल बजी, वो िीमा का िोन था। मैंने मोबाइल उठाया औि छत
पे चला र्या। िीमा ने कहा- “क्या बात है जीत? मझ
ु े तो तम
ु भल ही र्ये…”
िीमा ने कहा- “तो ऐसे किो कक जल्दी से मैं जहाूँ बोलती हूँ आ जाओ…”
मैंने उसको 10 लमनट में आने का बोला औि जल्दी से तैयाि होकि िीमा की सहे ली के घि की ओि चला र्या।
िीमा औि उसकी सहे ली बाहि ही खड़ी थी। मैं जैसे ही उनके पास पहुूँचा िीमा ने मझ ु से हाथ दहलाया औि इशािे
से अींदि आने को कहा औि वो दोनों अींदि चली र्ईं। मैं भी उनके पीछे -पीछे अींदि चला र्या।
ये िीमा की क्लासमेट थी। उसका नाम है चारू औि वो अपने मायके आई थी, उसकी शादी हो चुकी है । उसके
घि वाले कहीीं काम से 3-4 घींटे के ललए बाहि र्ये थे औि उसने िीमा को बल
ु ा ललया। िीमा ने जब उसे मेिे बािे
में बताया तो चारू ने कहा- “तम
ु जीत से यहाूँ पे लमल लो…”
इसीललए िीमा ने मझ
ु े वहाूँ बल
ु ाया।
हम लोर् अींदि ड्राइींर् रूम में बैठ र्ये औि चारू ने कहा- “मैं चाय बनाकि लाती हूँ तब तक तम
ु लोर् बातें
किो…” औि चारू िीमा को आूँख मािकि बाहि चली र्ई।
45
मैंने िीमा को पछा- अर्ि चारू आ र्ई तो?
हम दोनों ने अपने सािे कपड़े उतािकि एक तिि िख ददए। िीमा मेिा लण्ड चसने लर्ी औि मैं उसके मम्मे दबा
िहा था। िीमा इतने ददनों से बहुत प्यासी थी क्योंकी उसकी चद
ु ाई हुए 15-20 ददन हो र्ये थे औि वो लण्ड के
ललए तड़प िही थी। किि मैंने भी उसको ज्यादा तड़पाना ठीक नहीीं समझा औि उसको घोड़ी बनाकि लण्ड को
उसकी चत में घस
ु ेड़ ददया।
मैंने शीशे में से दे खा कक चारू दिवाजे की ओट लेकि हम दोनों को दे ख िही थी औि एक हाथ उसने अपनी
सलवाि के अींदि डाला हुआ था औि दसिे हाथ से अपने मम्मे दबा िही थी। उसे दे खकि मैं औि भी उत्तेक्जत हो
र्या औि िीमा को औि जोि-जोि से चोदने लर्ा।
िीमा अपनी चद
ु ाई का पिा मजा ले िही थी।
मैंने इशािे से िीमा को शीशे में दे खने को बोला तो िीमा चारू को दे खकि हूँसने लर्ी। चारू को पता नहीीं चला
की हम दोनों उसे शीशे में से दे ख िहे हैं। चारू भी जोि-जोि से अपना हाथ दहलाने लर्ी औि एकाएक झड़ते ही
चारू की टाींर्ें काूँपने लर्ीीं औि वो वहीीं जमीन पे बैठ र्ई या यूँ कहो कक चर्ि र्ई। इतने में िीमा भी तीसिी बाि
झड़ी औि मैंने भी अपना लावा िीमा की चत में भि ददया औि हम दोनों बेड पे लेटकि हाूँिने लर्े।
िीमा मझ
ु से ललपटकि लेटी हुई थी औि हम दोनों बातें कि िहे थे। इतने में चारू ने िीमा को आवाज दी तो िीमा
ने औि मैंने जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहने औि उसको अींदि बलु ाया। चारू हाथ में रे लेकि आ र्ई औि दो
ग्लास पानी लेकि आई थी, औि हम दोनों को दे खकि मश्ु कुिा िही थी। चारू ने रे टे बल पे िखी औि वापस चली
र्ई।
जैसे ही वो वापस मड़ ु ी तो मैंने दे खा कक चारू की सलवाि औि सट पीछे से भीर्ा हुआ था, शायद उसके कामिस
से। मैंने िीमा को ददखाया तो िीमा ने मेिी ओि अजीब नजिों से दे खा औि चारू के जाने के बाद बोली- क्या
इिादा है जनाब? चारू पे बड़ा ध्यान दे िहे हो…” औि हूँसने लर्ी।
मैंने ललिािा खोला तो उसमें मनाली के 4 दटकट थे। मेिे ददव्या, सौिभ औि उसकी पत्नी डेजी के नाम की।
***** *****
मैं वहाूँ से ददव्या को लेने चला र्या क्योंकी हमें सब
ु ह जल्दी ननकलना था। सब
ु ह हम लोर्ों ने अली माननिंर् में
बस पकड़ी। हम लोर्ों को सबसे लास्ट वाली सीट लमली थी औि वहाीं हम चािों बैठ र्ये। सौिभ को बस में
उक्ल्टयाीं होती थी इसललए उसने खखड़की वाली सीट ली औि ददव्या ने भी खखड़की वाली सीट ली। मैं औि डेजी
बीच में थे। मनाली यहाूँ से किीब 14-15 घींटे का िास्ता था। बस चल पड़ी। ददव्या औि मैंने अपने ऊपि एक ही
शाल ओढ़ िखी थी औि मैं ददव्या के मम्मे दबा िहा था।
हम दोनों बहुत मस्ती कि िहे थे। ददव्या ने मेिा लण्ड मेिी पैंट से बाहि ननकालकि पकड़ ललया औि दहलाने लर्ी
औि मैं उसके मम्मे दबा िहा था। मैंने ददव्या को इशािे से लण्ड चसने को बोला तो ददव्या ने ना में लसि दहला
ददया औि इशािे से मझ
ु े बोली- “डेजी दे ख िही है …”
मैंने ज्यादा जोि नहीीं ददया। थोड़ी दे ि ऐसे ही हम मस्ती किते िहे । अचानक बस एक खड्डे में से ननकली औि
शाल थोड़ी ऊपि सिक र्ई औि मेिा लण्ड बाहि से ददखने लर्ा। ये सब डेजी बड़े ध्यान से दे खने लर्ी। मैंने उसे
अपना लण्ड दे खते हुए दे खा तो मैंने जल्दी से शाल को नीचे ककया औि डेजी मूँह
ु दसिी ओि किके हूँसने लर्ी।
अब डेजी बाि-बाि मेिी ओि सिकने लर्ी। जब भी बस ककसी मोड़ से ननकलती तो डेजी क्जतना हो सके मेिे
ऊपि अपना पिा बोझ डाल दे ती औि अपना शिीि मेिे से िर्ड़ दे ती औि सोने का नाटक किने लर्ी।
डेजी ये सब चोिी-चोिी थोड़ी-थोड़ी आूँखें खोलकि दे खने लर्ी औि अपनी चत पे हाथ कििाने लर्ी। डेजी को ये
सब किते दे खकि मैं कींरोल से बाहि हो र्या औि मेिा पानी ननकल र्या औि ददव्या मेिा सािा पानी पी र्ई
औि चाट-चाट कि मेिा लण्ड अच्छी तिह साि कि ददया औि उठकि अपने कपड़े ठीक किके बैठ र्ई औि उसने
मझ
ु े अब कुछ औि किने से मना कि ददया औि मेिे कींधे पे लसि िखकि सो र्ई।
47
डेजी ने भी उठाने का नाटक ककया औि एक जोिदाि अींर्ड़ाई ली औि इतने में बस एक मोड़ पि मड़
ु िही थी
औि डेजी अींर्ड़ाई लेत-े लेते जानबझ कि मेिे ऊपि चर्ि र्ई औि मेिे लण्ड पे हाथ कििा ददया औि जल्दी से
उठकि सािी कहा।
उसके ऐसा किने से मेिा लण्ड किि से खड़ा हो र्या, क्जसकी वजह से मेिा पाजामा तींब जैसा बन र्या क्योंकी
मैंने नीचे अींडिवेि नहीीं पहना था। डेजी मेिी तिि नतिछी ननर्ाहों से दे खने लर्ी औि अपने ननचले होंठ को
अपने दाींतों से चबाने लर्ी। मैंने भी उसे टे ढ़ी नजि से दे खा। डेजी मूँह
ु दसिी औि किके हूँसने लर्ी। इतने में
बस एक स्टाप पि रुकी। वहाूँ एक िे स्टोिें ट था औि हम लर्भर् 5-6 घींटे का सिि कि चक
ु े थे। वहाीं पि सब
लोर् उति र्ये।
मैंने ददव्या को उठाया औि कहा- “चलो थोड़ा फ्रेश हो लेते हैं…” औि मैंने सौिभ को भी उठया औि फ्रेश होने के
ललए चलने को बोला।
हम चािों एक टे बल पि आकि बैठ र्ये। ददव्या औि डेजी ने बोला- “वो टायलेट होकि आती हैं…” औि वो दोनों
चली र्ईं।
सौिभ भार्कि िोड के दसिी ओि जाकि उक्ल्टयाीं किने लर्ा। मैं भी उसके पीछे र्या औि उसे उठाया तो सौिभ
ने कहा- “उसकी तबीयत ठीक नहीीं है …”
उधि से ददव्या औि डेजी आ र्ई औि सौिभ के बािे में पछा तो मैंने उन्हें उसकी तबीयता के बािे में बताया
औि कहा कक वो अींदि बस में लेटा हुआ है । किि हमने थोड़ा नाश्ता वर्ैिा ककया औि वापस बस में आ र्ये।
सौिभ के लेटने की वजह से जर्ह कम थी इसललए हम तीनों एक दसिे से सटकि बैठे थे। मैं बीच में औि मेिी
एक तिि डेजी औि दसिी तिि ददव्या बैठ र्ये। ददव्या बस चलते ही सो र्ई औि डेजी भी सोने का नाटक
किने लर्ी औि उसने अपना लसि मेिे कींधे पे िख ददया। मेिी बाज उसके मम्मों पे लर् िही थी क्जसकी वजह से
डेजी की घडुीं डयाीं खड़ी हो र्ईं, जो मझ
ु े महसस हो िही थी, औि डेजी मेिे से एकदम सट कि बैठी थी।
48
ऐसे ही मस्ती किते-किते हम मनाली पहुूँच र्ये, सौिभ का बख
ु ाि भी थोड़ा ठीक लर् िहा था। वहाूँ पे ठीं ड बहुत
थी, हम बस स्टॅं ड से ननकले औि अपने होटे ल की तिि चल पड़े जो की बस स्टॅं ड से लसर्फग 5 लमनट की दिी पे
था। हम लोर् होटे ल में पहुूँच र्ये। हम लोर् सिि में बहुत थक र्ये थे। हमािे कमिे आज बाज में थे औि एक
औि बात कक दोनों कमिो में दो बाथरूम थे औि एक बाथरूम का दिवाजा दसिे कमिे में खुलता था।
ददव्या फ्रेश होने के ललए बाथरूम में चली र्ई औि मैं कामन बाथरूम में घस
ु र्या, मैं दसिी ओि का दिवाजा
बींद किना भल र्या। मैंने सोचा कक बींद ही होर्ा औि अपने कपड़े उतािकि शावि को चाल कि ददया। इतने में
उधि से डेजी अींदि आ र्ई औि हम एक दसिे को है िानी से दे खने लर्े, डेजी ने लसर्फग एक तौललया लपेट िखा
था। मझ
ु े दे खकि डेजी शमाग कि बाहि भार् र्ई।
िात के दस बज चक ु े थे औि हम बहुत थके हुए थे। ददव्या औि मैं उन दोनों के कमिे में ही चले र्ये। वहीीं पे
हमने डडनि मींर्वा ललया औि साथ में एक पवस्की की बोतल भी मींर्वा ली औि किि सौिभ औि मेिा पीने का
दौि चल पड़ा। मैंने तो लसर्फग दो पेर् ही लर्ाए पि सौिभ आधी से ज्यादा बोतल पी र्या। किि हमने डडनि ककया
औि सोने के ललए अपने रूम में आ र्ये।
रूम में आते ही ददव्या बोली- “जीत, मेिी तबीयत कुछ ठीक नहीीं लर् िही है , इसललए आज मझ
ु े तींर् मत किना
प्लीज… क्योंकी मझ
ु े बहुत नीींद आ िही है …”
मैंने कहा- “ठीक है… जैसे आपका हुकुम जनाब…” औि ददव्या को एक जोिदाि ललप-ककस ककया औि ददव्या हूँसने
लर्ी। ददव्या को लेटते ही नीींद आ र्ई, पि मेिी आूँखों से नीींद कोसो दि थी, मेिा लण्ड खड़ा हुआ था, मैंने
सोचा चलो आज मठ मािकि ही र्ज ु ािा ककया जाए, चत तो लमलने से िही। मैं बाथरूम में चला र्या औि मठ
मािने लर्ा।
अचानक दसिे रूम से डेजी अींदि आ र्ई, औि वहाूँ आकि खड़ी हो र्ई औि मेिी तिि प्यासी नजिों से दे खने
लर्ी। उसने पपींक कलि की पािदशी नाइटी पहनी हुई थी औि नीचे ब्लैक कलि की ब्रा औि पैंटी पहनी हुई थी,
औि वो भी नाम की ही पैंटी थी। उसकी चत पैंटी में से साि नजि आ िही थी, औि उसकी पैंटी उसके पानी से
र्ीली हुई पड़ी थी।
औि अपना लण्ड उसकी चत पे लर्ाया उसने कहा- “यहाूँ नहीीं, रूम में चलकि किो जो किना है …”
मैं औि डेजी रूम में आ र्ये औि बेड पि आ र्ये बेड की एक तिि सौिभ बेसध ु सोया हुआ था। मैं औि डेजी
69 पोजीशन में आ र्ये औि चस ु ाई किने लर्े। मैंने जैसे ही डेजी के दाने को चसा डेजी झि-झि किके झड़ने
लर्ी। औि मेिे लसि को पकड़कि अपनी चत पे दबा ददया। अब मैं डेजी के ऊपि आ र्या औि अपना लण्ड डेजी
की चत पे िखा औि एक जोिदाि झटका लर्ाया। डेजी की चीख ननकलते-ननकलते िह र्ई औि उसकी आूँखों से
आूँस बहने लर्े।
वो िोने लर्ी औि मझ
ु े धीिे -धीिे किने की लमन्नत किने लर्ी, औि बोली- “उसकी शादी को दो महीने हो र्ये हैं
पि इन दो महीनों में सौिभ ने लसर्फग 4 बाि ही उसकी चत ली है, औि उसका लण्ड भी तम
ु से छोटा औि पतला
है । औि वो ज्यादा दे ि चोद भी नहीीं पाता औि अपना इलाज किवा िहा है । ज्यादा मठ मिने की वजह से उसका
पानी पतला हो र्या है औि इसललए वो जल्दी झड़ जाता है औि मैं प्यासी िह जाती हूँ। प्लीज… जीत, आज तम
ु
मेिी प्यास बझ
ु ा दो।
डेजी भी नीचे से अपनी कमि उचका-उचका कि अपनी चुदाई किवाने लर्ी औि आनींद में उसने आूँखें बींद की हुई
थी औि अपने होंठों को अपने दाींतों से चबा िही थी। औि उसके चेहिे पि सींतक्ु ष्ट के भाव आ जा िहे थे, जैसे
उसे स्वर्ग का अनभ
ु व लमल िहा हो। उसकी चत एकदम टाइट थी औि मझ ु े भी बहुत मजा आ िहा था। डेजी की
चत िह-िहकि पानी छोड़ िही थी। मैंने अपनी क्जींदर्ी में ऐसी सेक्सी लड़की नहीीं दे खी थी, सेक्स उसमें कट-कट
कि भिा हुआ था।
किि मैंने अपने धक्कों की िफ़्ताि बढ़ा दी औि मेिा पानी ननकलने लर्ा।
इसके साथ ही डेजी भी नीचे से जोि लर्ाने लर्ी औि अपनी चत को कभी लसकोड़ती औि कभी िैलाती, उसका
भी पानी ननकलने लर्ा औि हम दोनों ऐसे ही लेटे िहे । डेजी के चेहिे पे पिी सींतक्ु ष्ट झलक िही थी, औि वो मेिा
धन्यवाद कि िही थी।
मैंने सोचा चलो आज पहली बाि ककसी की चत भी लमली औि साथ में उसपि मेिा एहसान भी हुआ। मैं औि
डेजी बातें किने लर्े।
डेजी ने मझ
ु े बताया कक सौिभ के साथ उसकी लोव मिे ज हुई है पि उन दोनों ने शादी से पहले कभी सेक्स नहीीं
ककया था औि जब उसकी सह ु ार्िात थी तो पहली िात ही सौिभ िेल हो र्या औि मझु से लमन्नत किने लर्ा
कक प्लीज ककसी को मत बताना औि मझ
ु े छोड़कि भी मत जाना, क्योंकी मैं अपना इलाज किवा िहा हूँ।
इसीललए वो िोज इतनी शिाब पीता है औि अपने होश खो दे ता है औि मैं प्यासी िह जाती हूँ।
50
बातें किते-किते मेिा किि से खड़ा हो र्या। हो भी क्यों ना पास में इतनी कयामत चीज हो औि लण्ड खड़ा ना
हो… किि हमािा एक औि चुदाई का दौि चला। इस बाि मैंने डेजी को घोड़ी बनाकि चोदा।
डेजी बहुत खुश हुई कक उसका हनीमन बहुत अच्छा हो िहा है , उसके पनत के साथ नहीीं तो क्या हुआ? हो तो
िहा है ।
किि डेजी की चद
ु ाई किके मैं अपने रूम में जाकि सो र्या। ददव्या घोड़े बेचकि सो िही थी। लेटते ही मझ
ु े कब
नीींद आ र्ई पता ही नहीीं चला। सब
ु ह डेजी मेिे रूम में आ र्ई। ददव्या नहाने र्ई थी औि मैं अभी िजाई में
घसु ा हुआ था। डेजी ने आते ही मझ ु े ककस किके र्ड
ु माननिंर् कहा औि मझ
ु े जर्ाया औि िात के ललए किि से
‘थैंक य’ कहा। मैंने डेजी को वहीीं लेटा ललया औि उसको ककस किने लर्ा। औि हम दोनों एक दसिे को छे ड़ने
लर्े। डेजी बहुत खुश लर् िही थी।
इतने में दिवाजे की चचटकनी खुलने की आवाज आई औि हम दोनों ठीक होकि बैठ र्ये। डेजी ने ददव्या को र्ड
ु
माननिंर् कहा औि पछा- कैसी र्ज
ु िी िात?
ददव्या ने कहा बहुत थकावट थी इसललए लेट ते ही कब नीींद आई पता ही नहीीं चला।
डेजी ने कहा- “चलो ठीक है…” औि वापस अपने रूम में चली र्ई। थोड़ी दे ि बाद डेजी अकेली ही मेिे रूम में
आई औि कहा- “सौिभ भी ठीक नहीीं है औि आिाम किना चाहता है । क्यों ना हम दोनों ही चले घमने के
ललए?”
डेजी औि मैं माकेट में घमने के ललए चले र्ये। वहाूँ पे हम दोनों ने ककसी औि होटे ल में जाकि एक रूम ले
ललया औि वहाूँ किि से मस्ती किने लर्े। मैंने डेजी की जीन्स औि टाप उताि ददया औि उसने आज नीचे कुछ
नहीीं पहना था। मैं डेजी के मम्मे चसने लर्ा। मझ ु े उसकी घडुीं डयाीं बहुत अच्छी लर्ीीं, चने के बड़े दायें क्जतनी
मोटी। मैं उसकी घडुीं डयों को जीभ से र्ोल-र्ोल घमु ाकि चसने लर्ा। डेजी र्िम होने लर्ी औि वो मेिे कपड़े
खोलने लर्ी। धीिे -धीिे उसने मेिे सािे कपड़े खोल ददए।
किि हम लोर् किि घमने ननकल पड़े। हम दोनों ऐसे बबहे व कि िहे थे की जैसे हम पनत पत्नी हों। दो घींटे घमने
के बाद हम दोनों होटे ल में वापस आ र्ये। ददव्या िजाई में डुबकी हुई सो िही थी औि उसे तेज बख
ु ाि हो र्या
था। मैं औि डेजी वहाूँ से ननकले औि एक डाक्टि को ले आए औि ददव्या को चेक किवाया। डाक्टि ने ददव्या को
िे स्ट किने को बोला औि मेडडलसन दे दी। उसमें नीींद आने की मेडडलसन भी थी जो मझ
ु े डाक्टि ने बता ददया।
4:00 बज चक
ु े थे औि सौिभ औि डेजी तैयाि होकि आ र्ये। मैंने उन दोनों को जाने को बोल ददया कक मैं
ददव्या के पास रुकता हूँ, तम
ु दोनों घम आओ। पि वो मझ
ु े साथ ले जाने की क्जद किने लर्े।
हम वहाूँ थोड़ी दे ि कुदित के नजािे दे खते िहे किि हम वहाूँ से वापस आ र्ये। इस बाि टै क्सी में सौिभ आर्े
ड्राइवि के साथ बैठ र्या औि मैं औि डेजी पीछे बैठ र्ये। मैंने डेजी का हाथ पकड़ ललया औि उसे दबा ददया।
डेजी ने अपना हाथ मेिे पैंट के ऊपि से ही मेिे लण्ड पे िख ददया औि दबाने लर्ी। ऐसे ही मस्ती किते हुए हम
लोर् वापस होटे ल में पहुूँच र्ये।
तब तक िात के 9:00 बज चक
ु े थे औि सौिभ ने वेटि को दारू का आडगि दे ददया औि किि जाम लर्ाने का
लसललसला शरू
ु हो र्या। ददव्या अभी सो िही थी। मैंने ददव्या को उठाया औि डडनि किने के ललए बोला। ददव्या
ने हमािे साथ डडनि ककया औि हम सोने की तैयािी किने लर्े।
मैं औि डेजी सौिभ को उनके रूम में छोड़ने र्ये क्योंकी सौिभ से चला नहीीं जा िहा था औि वो नशे में पिी
तिह धुत्त हो र्या था। डेजी के रूम में हमने सौिभ को बेड पे ललटाया औि वो लेटते ही जोि-जोि से खिागटे भिने
लर्ा। डेजी मेिी बाहों में आ र्ई औि मैंने डेजी का पाजमा नीचे किके अपना लण्ड उसकी चत में घस
ु ेड़ ददया,
15 लमनट चुदाई किने के बाद मैं अपने रूम में आ र्या।
52
मझु े तम
ु बहुत प्याि किते हो… मझ ु े कोई पिवाह नहीीं… तम
ु चाहे ककसी के साथ कुछ भी किो… मैं तम्
ु हािी इसी
बात पे तो किदा हूँ की तम
ु मझ ु े सब कुछ बता दे ते हो…”
औि हम दोनों ने एक दसिे को आललींर्नबद्ध कि ललया औि लेट र्ये औि हमािी बातें होने लर्ी। मैंने उसे
सौिभ के बािे में बताया ददव्या ने कहा- “वो ऐसे लर्ता तो नहीीं? चलो, खैि छोड़ो… पि मझ
ु े बेचािी डेजी पि
तिस आता हैं वो इतनी सद
ुीं ि है । उसका स्वभाव भी अच्छा है औि उसे ऐसा पनत लमला, सब ककश्मत की बात
बात है … पि मझ
ु े अपने आप पि र्वग है की मझ
ु े तम
ु जैसा पनत लमला, इतना प्याि किने वाला औि…” वो कहते
कहते रुक र्ई।
ददव्या का बख
ु ाि ठीक था औि वो अब नामगल लर् िही थी। उसने कहा- जीत, अब क्या इिादा है आपका?
मैंने कहा- तम
ु बोलो?
मैंने ददव्या से कहा- अिे , इसमें नािाज होने वाली कौन सी बात है?
जब मैंने अपनी आूँखें खोली तो ददव्या ने एक मैक्सी पहनी हुई थी औि वो बहुत सेक्सी लर् िही थी। उसकी
मैक्सी िे ड कलि की औि लसर्फग उसकी जाींघों तक थी औि नीचे उसने िे ड कोलि की स्रै पलेश ब्रा औि िे ड कलि
की पैंटी पहनी हुई थी, क्जससे लसर्फग उसकी चत की दिाि ढकी हुई थी।
53
उसने बेड पि आते ही मेिा पाजामा खीींच ददया औि मेिा लण्ड मूँह
ु में लेकि चसने लर्ी। आज उसका लण्ड
चसने का अींदाज अलर् ही था। वो बहुत र्िम हो र्ई औि मैंने भी धीिे -धीिे उसके कपड़े उताि ददए औि हम
69 पोजीशन में आ र्ये। ददव्या चसाई किते-किते मूँह
ु से अजीब-अजीब आवाजें ननकाल िही थी- “ऊम्म्म्म…
उम्म्म्म… स्लप्पग…”
मझ
ु े बहुत मजा आ िहा था।
किि ददव्या मेिे ऊपि आकि मेिे लण्ड को अपनी चत पे सेट किके बैठ र्ई औि मझ ु े ककस किते हुए अपनी
कमि ऊपि-नीचे किने लर्ी औि वो भी िाजधानी की स्पीड पे मैं तो ये सोच िहा था के ददव्या मझ
ु े चोद िही है
या मैं ददव्या को। ददव्या की चत का पानी बह-बह कि मेिे टट्टों (अींडकोर्ों) से होते हुए नीचे बेड पि चर्ि िहा
था। औि नीचे बेडशीट र्ीली हो र्ई ददव्या बबल्कुल पार्लों की तिह चद ु िही थी, उसपि वासना का भत सवाि
था। बहुत ही िोमूँदटक पल थे वो।
मझ
ु े भी आज पवस्की का नशा कुछ ज्यादा ही था इसललए वक़्त का पता ही नहीीं चला औि हम पौना घींटा चद
ु ाई
किते िहे औि जब मेिा औि ददव्या का पानी एक साथ ननकला तब जाकि हम दोनों को शाींनत लमली। औि हम
दोनों की ना जाने कब आूँख लर्ी पता ही नहीीं चला। जब आूँख खुली तो सब
ु ह के 6:00 बज चुके थे औि परिींदे
चहचहा िहे थे औि ददन ननकल आया था।
हम दोनों उठे साथ में बाथरूम र्ये। वहाूँ इकट्ठे ही नहाए औि वहाूँ पि मैंने ददव्या को घोड़ी बनाकि शावि के
नीचे चोदा। सबु ह-सब ु ह चद
ु ाई किने में बहुत मजा आता है अर्ि आप लोर्ों को पवश्वास नहीीं तो कभी किके
दे खो। किि हम दोनों तैयाि होकि डेजी के रूम में पहुूँचे। वो दोनों अभी भी िजाई में दहु ु ए थे। मैंने उन दोनों को
उठाया। डेजी मझ ु े दे खकि बहुत खुश हुई औि उसने मझ ु े ककस किने के ललए पकड़ना चाहा पि जब उसकी
ननर्ाह ददव्या पि पड़ी तो उसने झट से अपने आपको सींभाला।
डेजी कभी मझ
ु े औि कभी ददव्या को असमींजस से दे खने लर्ी। डेजी ने ददव्या को र्ड
ु माननिंर् कहा औि वहाूँ से
ननकलकि बाथरूम में घस
ु र्ई। ददव्या ने मझ
ु े दे खकि डेजी की ओि इशािा ककया औि हूँसने लर्ी। साथ ही मैं
भी हूँस ददया, औि मैंने सौिभ को उठाया।
मैंने कहा- “हाूँ याि, आज हमािा िोहताींर् जाने का प्रोग्राम है िोहताींर् मनाली से 7-8 घींटे की दिी पि है औि वहाूँ
का नजािा बहुत ही आकर्गक है । वहाूँ पे बहुत बिग होती है औि जमाने वाली ठीं ड पड़ती है …” मैंने ये सौिभ को
बताया।
सौिभ बहुत खुश हुआ औि बोला- “अिे याि, किि तो वहाूँ बहुत मजा आएर्ा, मैं वहाूँ जाकि पवस्की से अपनी
ठीं ड दि करूूँर्ा…”
54
मैंने मन ही मन सोचा अिे कैसा िुद्द इींसान है इतनी र्िम चीज इसके साथ है औि ये पवस्की से अपने आपको
र्िम किने की बात कि िहा है ।
उसने मझ
ु े झकझोिा- “अिे क्या सोच िहे हो जीत?
ददव्या समझ र्ई कक मैं क्या सोच िहा हूँ औि वो भी हूँसने लर्ी।
मैंने कहा- “अिे याि, मैं तो वैसे ही हूँस िहा हूँ…” मैंने बात को बदलते हुए कहा- “अिे याि, मैं भी तेिे साथ वहाूँ
पे पेर् लर्ाऊूँर्ा तो मजा आ जाएर्ा वहाूँ पहाड़ों में पेर् लर्ाने का…”
सौिभ ने मेिी हाूँ में हाूँ लमलाई- “हाूँ याि…” औि किि सौिभ भी जल्दी-जल्दी ननकालने की तैयािी किने लर्ा।
तब तक डेजी नहाकि अपनी िे शमी जुल्िें िैलाकि बाहि आ र्ई, वो इस रूप में ककसी पिी से कम नहीीं लर्
िही थी, बबना मेकप के भी वो इतनी सद
ींु ि लर् िही थी कक कयामत ढा िही थी। डेजी औि ददव्या आपस में बातें
किने लर्े।
उन दोनों ने ओके कहा औि मैं बाहि आकि िोड िॉस किके कैिे में चला र्या। वहाूँ पि उसका इींटिनेट
कनेक्सन जाम था तो उसने मझ
ु से कहा- “अर्ि आपको कोई जरूिी मेल किनी है तो आप दसिे कैिे में चले
जाएीं…” जो वहाूँ से थोड़ी दिी पि था।
उसने मझ
ु े बाहि आकि बताया- “साहे ब वो उसका बोडग ददख िहा यहाूँ से 5 लमनट का िास्ता है…”
मैं वहाूँ से ननकला औि दसिे कैिे में पहुूँच र्या। वहाूँ मैंने मेल की औि बाहि आ र्या। उस केिे के बबल्कुल
साथ में एक ब्यटी पालगि था। मैं वहाूँ से ननकला औि चलने लर्ा औि जैसे ही थोड़ा आर्े चला तो अचानक मझ
ु े
लर्ा शायद मझ
ु े कोई पीछे से आवाज लर्ा िहा है । मैंने पीछे मड़
ु कि दे खा तो वो ककसी औि को बल
ु ा िहा था।
मैं ब्यटी-पालगि के सामने से ननकल िहा था, औि पीछे उस आवाज दे ने वाले आदमी को दे खते-दे खते चल िहा था
की अचानक अींदि से कोई लड़की ननकली औि उससे मेिी टक्कि हो र्ई। हम दोनों नीचे चर्ि र्ये वो मेिे नीचे
औि मैं उसके ऊपि, मेिा मूँह
ु उसके बड़े-बड़े मम्मों पे था। मैं उठा औि उसे भी उठाया औि उसको सािी कहा।
55
मैंने कहा- पि मैं तो आपको नहीीं जानता… आप कहा पे िहती हो?
मैंने कहा- “हाूँ… मैं वहाूँ आता जाता िहता हूँ, शायद दे खा हो…”
किि वो बोली- “नहीीं, मैं आपको अच्छी तिह जानती हूँ आपका नाम जीत है…”
वो बोली- चलो छोड़ो… अर्ि आपको नहीीं मालम तो ठीक है , मैं चलती हूँ… वैसे भी मझ
ु े जल्दी है । मैं आपको
बाद में लमलकि बता दूँ र्ी की मैं कौन हूँ…”
मैंने अपने मन को समझाया- चलो छोड़ो याि बाद में दे खेंर्े की कौन है? अब चला जाए, वो लोर् मेिा इींतज
े ाि
कि िहे होंर्े। इसी असमींजस में मैं होटे ल में पहुूँच र्या तो दे खा वो तीनों मेिा इींतज
े ािि कि िहे थे औि ददव्या
ने पछा- कहाूँ िह र्ये थे? ककतनी दे ि से तम्
ु हािा इींतज
े ाि कि िहे है तम्
ु हािा मोबाइल भी आि है …”
मैंने अपनी जेब से मोबाइल ननकाला तो उसपे नेटवकग नहीीं आ िहा था। मैंने उसे आटो नेटवकग पे सेट ककया औि
हमलोर् बस स्टॅं ड की ओि चल पड़े। मझ
ु े बाि-बाि उस लड़की की याद आ िही थी, उसका चेहिा मेिे आूँखों के
सामने घम िहा था औि मैं है िान था, औि बाि-बाि याद किने की कोलशश कि िहा था की याि कौन थी वो जो
मझ
ु े टे न्शन में डाल के चली र्ई औि अपने बािे में बता के भी नहीीं र्ई।
मझ
ु े पिे शानी में दे खकि ददव्या ने मझ
ु े पछा- क्या हुआ जीत तम
ु पिे शान लर् िहे हो?
56
डेजी मन ही मन मश्ु कुिा िही थी की अब वो मझ
ु से छे ड़छाड़ कि सकती थी। डेजी ने अपना हाथ बढ़ाकि मेिी
पैंट के ऊपि से ही मेिे लण्ड पे िख ददया, उधि से ददव्या भी वैसे ही किने लर्ी तो मैंने ददव्या का हाथ
पकड़कि उसे दबाया औि उसे इस तिह से इशािा ककया की डेजी को मालम ना पड़े। ददव्या समझ र्ई औि
अपना मूँह
ु कींबल से ढक कि हूँसने लर्ी। किि मैंने डेजी का मम्मा पकड़ ललया औि दबाने लर्ा। डेजी र्िम
होने लर्ी, औि उसने मेिे पैंट की क्जप खोलकि मेिा लण्ड बाहि ननकालकि पकड़ ललया, मठ मिने लर्ी। मेिा
भी मड खिाब होने लर्ा। ददव्या अपना मूँह
ु कींबल के अींदि किके हमािा खेल दे ख िही थी औि ऐसे शो कि िही
थी कक जैसे सो िही है । उसने कोई हिकत नहीीं की। तिान तो ददव्या के अींदि भी मचल िहा था पि उसने अपने
पि जैसे तैसे किके कींरोल िखा। इतने में बस एक िे स्टोिें ट पे रुकी, वहाूँ पे आधे घींटे का स्टे था।
हम तीनों बस से नीचे उतिे औि िे स्टोिें ट में चले र्ये, वो िे स्टोिें ट चािों तिि से पहाडड़यो से चर्िा हुआ था, औि
उसके आस पास जींर्ल ही था, औि झाडड़याीं ही झाडड़याीं थीीं। हमने बस वाले को बोला- “हम जींर्ल में घमकि
आते हैं, अर्ि लेट हो र्ये तो हमिा इींतज
े ाि किना…”
हम तीनों जींर्ल की ओि चले र्ये, जब हम थोड़ा आर्े र्ये तो वहाूँ बहुत झाडड़याीं थी औि दि-दि तक पेड़ ही
पेड़ थे औि वो पहाड़ के ऊपि तक थे, बहुत बदढ़या नजािा था। मैंने उन दोनों को कहा- “तम ु यहाूँ रूको मैं जिा
पेशाब किके आता हूँ…”
वो दोनों वहाूँ खड़ी हो र्यीीं औि मैं झडड़यों के पीछे चला र्या। मैं जानबझ कि थोड़ी दे ि वहाूँ खड़ा िहा तो
ददव्या घबिा र्ई औि उसने कहा- “मैं दे खकि आती हूँ कक जीत कहाूँ िह र्या, औि मझ
ु े भी टायलेट लर्ी है …”
मैंने औि ददव्या ने जल्दी से अपने कपड़े ठीक ककए औि डेजी के साथ चलने लर्े तो डेजी ने ददव्या को सािी
कहा कक मैं अचानक आ र्ई औि तम
ु लोर्ों का काम खिाब कि ददया, डेजी ने कहा- “ददव्या, मझ
ु े भी टायलेट
लर्ी है तम
ु मेिे साथ रूको ना… क्योंकी मझ
ु े अकेले डि लर्ता है …”
ये सन
ु कि मैं वहाीं से जाने लर्ा ददव्या ने कहा- “रूको जीत, इसे पेशाब कि लेने दो किि इकट्ठे ही चलते हैं…”
57
डेजी ने कहा- “मैं इनके सामने…” औि कहते कहते रुक र्ई।
किि ददव्या ने बात आर्े बढ़ाई औि मेिे औि ददव्या में हुई सािी बात बता दी कक जीत ने तो मझ ु े उसी ददन
बता ददया था। तो डेजी की आूँखों में आूँस आ र्ये औि वो ददव्या क र्ले लर् र्ई। तो ददव्या ने उससे कहा-
अिे , िो क्यों िही हो?
औि डेजी को भी अब ददव्या से भी कोई डि नहीीं था क्योंकी ददव्या ने उसे मेिे साथ अपनी जरूित पिी किने की
इजाजत दे दी थी क्योंकी घि की बात घि में ही िहती। हम लोर् बस में आकि बैठ र्ये औि इस बाि डेजी
खखड़की सीट पे बैठी औि मैं बीच में । बस चल पड़ी सब लोर् बस में ऊूँघने लर्े। मझ
ु े भी नीींद आ र्ई तो ददव्या
ने डेजी को आूँख मािकि इशािा ककया। तो डेजी ने अपना मूँह
ु कम्बल के अींदि ककया औि झट से मेिी पैंट की
क्जप खोलकि मेिा लण्ड अपने मूँह
ु में ले ललया।
ये सब इतना अचानक हुआ की मझ ु े सोचने का मौका ही नहीीं लमला औि डेजी मेिा लण्ड चसने लर्ी। ददव्या उसे
कम्बल में मूँह
ु डालकि दे ख िही थी। डेजी ककसी भखी शेिनी की तिह मेिा लण्ड चस िही थी औि ददव्या उसे
दे ख-दे खकि िली नहीीं समा िही थी। वैसे तो कोई लड़की अपना पनत ककसी के साथ शेयि नहीीं किती पि ददव्या
मेिा पिा साथ दे िही थी, औि मझ
ु े पिा बढ़ावा दे िही थी।
जब मेिा पानी ननकलने वाला हुआ तो मैंने ददव्या को बताया तो ददव्या ने डेजी को हटाकि मेिा लण्ड अपने मूँहु
में डाल ललया औि जोि-जोि से चसने लर्ी। डेजी को पहले तो बिु ा लर्ा पि बाद में वो हूँसने लर्ी, औि मेिा
पानी ननकलने लर्ा क्जसे ददव्या चाट-चाट कि पीने लर्ी औि किि लण्ड के ऊपि थोड़ा सा पानी डेजी के ललए
भी छोड़ ददया। डेजी बहुत खुश हुई औि मेिा लण्ड चाट-चाट कि साि किने लर्ी।
58
किि हम तीनों आपस में बातें किने लर्े। अब डेजी ददव्या से बहुत खुल र्ई थी, औि मेिे से भी औि मेिे से
ऐसे बातें कि िही थी जैसे की वो मेिी पत्नी हो… ओ जी, ओ जी किके। ददव्या हम दोनों को बातें किते दे खकि
बहुत खुश हो िही थी औि दोनों एक दसिी को दीदी कह के बल
ु ा िही थीीं।
थोड़ी दे ि बाद हम लोर् िोहताींर् पहुूँच र्ये औि वहाूँ पे मौसम बहुत खिाब था। वहाूँ पे बिि पड़ िही थी औि
हम लोर् बस में ही बैठे िहे । थोड़ी दे ि बाद जब बिि पड़नी बींद हुई तो हम बस से बाहि ननकले। वहाूँ पे बहुत
ठीं डी औि जमा दे ने वाली हवा चल िही थी, हमने वहाूँ से िि वाले कोट ककिाए पि ललए।
सौिभ अभी बस में ही था औि वहाूँ िम की बोतल खोलकि पेर् लर्ा िहा था, अपनी बीवी के र्म में ।
तो उसने मझ
ु े आवाज लर्ाई, तब तक वो जल्दी-जल्दी दो पेर् खीींच चुका था औि उसने मझ
ु े भी ग्लास में डाल
के एक पेर् बना के ददया। मैंने बबना कोई ना नक
ु ि ककए पेर् लर्ा ललया। मैं सिु भ के पास बैठा था तो सौिभ ने
कहा- “याि जीत, एक बात बोलूँ तम
ु र्स्
ु सा तो नहीीं किोर्े?”
सौिभ िोने लर्ा, मैंने उसे चुप किाया औि मेिे साथ बाहि घमने की ललए चलने को बोला तो सौिभ ने कहा-
“नहीीं याि, तम
ु जाओ औि डेजी औि ददव्या दोनों को घम
ु ाओ, मैं यहीीं ठीक हूँ…”
मैं बस से नीचे उति आया औि ददव्या औि डेजी की बाहों में बाहें डालकि इधि-उधि का नजािा लेने लर्ा। मझ
ु े
भी िम का थोड़ा सरूि आ र्या था। हम तीनों बहुत मस्ती कि िहे थे, सौिभ हमें बस में से दे ख िहा था। डेजी
भी बीच-बीच में सौिभ को दे ख िही थी। हम 2-3 घींटे वहाूँ पे बिग से खेलते िहे , खब मस्ती की औि आइस-
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स्केदटींर् की। ददव्या औि डेजी आपस में बहुत घल
ु -लमल र्ई थी, औि बबल्कुल ऐसे बतागव कि िही थीीं जैसे दोनों
सर्ी बहने हों।
किि हम वापस मनाली आने के ललए बस में बैठ र्ये, तब तक शाम हो र्ई थी औि ठीं ड भी बहुत थी। मैंने बस
में आकि सौिभ से एक पेर् औि ललया औि डेजी के कींधे पे लसि िखकि सो र्या। ददव्या मेिे कींधे पे लसि
िखकि सो र्ई औि डेजी मेिे से एकदम चचपक कि बैठ र्ई। हम तीनों ने कम्बल अपने ऊपि अच्छी तिह ओढ़
ललया औि तें नो नीींद में ऊूँघने लर्े। हम तीनों मनाली जाकि ही उठे औि पता ही नहीीं चला की सिि कब खतम
हो र्या। किि हम तीनों अपने होटे ल में चले र्ये। सौिभ पी-पीकि पिा टन्न हो र्या था। मैंने उसे सहािा दे कि
उसके रूम तक पहुूँचाया औि बेड पि सल
ु ा ददया।
दोनों बहुत र्िम हो र्ई थीीं औि मझु े भी िम का नशा था, मैं भी मस्ती में ददव्या को चसे लर्वा िहा था,
ददव्या बहुत ही स्टाइल से मेिा लण्ड चस िही थी।
मैंने दोनों को बेड से नीचे खड़ा कि ददया औि घोड़ी बना ददया औि पीछे से पहले डेजी की चत में लण्ड घस
ु ड़
े
ददया, औि िुल स्पीड से उसको चोदने लर्ा। तब तक डेजी ददव्या की चत में उीं र्ली किती िही औि ददव्या का
पानी ननकल ददया औि साथ ही साथ डेजी ने भी अपना पानी छोड़ ददया क्जसकी वजह से उसकी जाींघें र्ीली हो
र्ई औि वो थक कि बेड पि पसि र्ई। किि मैंने ददव्या की चत में लण्ड घस
ु ेड़ ददया।
इतने में उधि से डेजी भी तैयाि होकि आ र्ई, क्योंकी आज हमें वहाूँ से वापपस आना था। मैंने जल्दी से कपड़े
पहने औि ददव्या को बोला- “तम
ु जल्दी से तैयाि हो जाओ मैं जिा माकेट होकि आता हूँ…”
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तो डेजी ने भी मेिे साथ चलने की क्जद की औि हम दोनों माकेट आ र्ये, वहाूँ मझ
ु े किि से वोही लड़की नजि
आई औि मझ
ु े दे खकि उसने अपना हाथ दहलाया तो मैंने भी अपना हाथ दहला ददया। डेजी ने मझ
ु े पछा- “कौन
है वो लड़की? तम
ु उसे जानते हो?
मैं औि डेजी उसके पास र्ये औि मैंने उससे कहा- अब तो बता दीक्जए की आप कौन हैं?
उस लड़की ने कहा- अभी नहीीं बताऊूँर्ी… पहले आप जिा सोचो की मैं कौन हूँ? शायद आपको याद आ जाए…”
उसने कहा- “आप याद कीक्जए मेिे पास आपका सेल नींबि भी है । अर्ि नहीीं याद आएर्ा तो मैं आपको कल
काल करूूँर्ी औि पछूँ र्ी, किि बता दूँ र्ी की मैं कौन हूँ?
मैंने कहा- “ठीक है, जैसे आपकी मजी…” औि मैं औि डेजी वहाूँ से आ र्ये।
शाम को हम तीनों घि वापस पहुूँच र्ये। सिि में थकावट की वजह से घि जाते ही सो र्ये, औि किि सब ु ह ही
उठे । सब
ु ह सौिभ के पापा यानी की मेिे अींकल ने वापस जाना था तो सौिभ ने भी साथ जाना था। पि डेजी ने
तबीयत खिाब का बहाना बनाया औि सौिभ को मजबिन अकेले अींकल के साथ जाना पड़ा उनको एयिपोटग तक
छोड़ने।
मेिे परिवाि वाले भी साथ र्ये, औि वो 3-4 ददन तक वापपस भी नहीीं आने वाले थे, इसललए हम तीनों को खल
ु ी
छट थी, चाहे जो मजी किते। उनके जाते ही पहले हम तीनों का चद
ु ाई का दौि चला, औि किि हम तीनों नींर्े
ही इधि-उधि घि में घमने लर्े, ककसी ने भी कपड़े नहीीं पहने। ददव्या औि डेजी भी सािा ददन नींर्ी ही घि का
सािा काम किती िहीीं औि उन्होंने मझ
ु े भी कपड़े नहीीं पहनने ददए। उस ददन हमने पता ही नहीीं ककतनी बाि
सेक्स ककया। मैंने उस ददन सब
ु ह ही पवयाग्रा की र्ोली खा ली थी।
61
दसिे ददन सब
ु ह मेिे सेल पे एक लमस काल आई, पि मैंने खयाल नहीीं ककया थोड़ी दे ि बाद एक लमस काल औि
आई। जब मैंने उस नींबि पे काल की तो उधि से ककसी ने नो॰ काट ददया। थोड़ी दे ि बाद किि काल आई औि
मैंने िे सीव की तो उधि से एक सिु ीली सी आवाज आई।
उसने कहा- मैं सोना बोल िही हूँ अब आपको कुछ याद आया?
उसने कहा- ठीक है, आप ऐसा किें , आज मैं यहीीं आपके लसटी में ही हूँ आप िे डडशनस होटे ल में आ जाओ, मैं
आपको वहीीं पे बताऊूँर्ी की मैं कौन हूँ?
हम थोड़ी दे ि चप
ु चाप बैटे िहे … ना उसने कोई बात की औि ना ही मैंने। किि उसने चप्ु पी तोड़ते हुए बात शरू
ु
की औि मझु से मेिा हाल चाल पछा।
मैंने कहा- “ठीक है…” औि उससे मैंने पछा- अब तो बता दीक्जए की आप कौन हैं?
मैंने झझ
ुीं ला कि कहा- “सोना, अर्ि तम
ु ने मझ
ु े बताना है बताओ की तम
ु कौन हो नहीीं तो मैं चलता हूँ…”
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तब सोना ने अपने बािे में बताना शरू
ु ककया ककया।
अधूरी
https://www.xossip.com/showthread.php?t=581507
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