You are on page 1of 96

सोलहवाां सावन, भाभी के गााँव में

सांकलन और हहन्दी फान्ट – Pdf Guru Xforum

लेख़िका - komaalrani

सैयाां जिन माांगो, ननदी, सैयाां जिन माांगो, ननदी, सेि का ससांगार रे ,
अरे , सैयाां के बदले, अरे , सैयाां के बदले, भैया दां ग
ू ी, चोदी चत
ू तम्
ु हार रे ,
अरे , हदल खोल के माांगो, अरे बरु खोल के माांगो ननदी
अरे बरु खोल के माांगो ननदी िो माांगो सो दां ग
ू ी।

ve
सोहर (पत्र
ु जन्म के अवसर पर गाये जाने वाले गाने) में , भाभी के मायके में मझ
ु े ही टारगेट ककया जा रहा था,
आखिर मैं उनकी एकलौती छोटी ननद जो थी।

भाभी ने मश्ु कुराते हुये पछ


ककससे चदु वाओगी?”
.li
ू ा- “क्यों ननद रानी, मेरा कौन सा भाई पसांद है, अजय, सन
ु ील, रवी या ददनेश…
um
मेरे कुछ बोलने के पहले ही भाभी की अम्मा बोल पड़ी- “अरे ककससे क्या? चारों से चद
ु वायेगी। मेरी ये प्यारी
बबन्नो सबका मन रिेगी…” और यह कहते-कहते, मेरे गोरे , गल
ु ाबी गालों पर चचकोटी काट ली।

मैं शमम से लाल हो गई।


or

हमारी हम उमर भाभी की छोटी कजजन, चन्दा ने मझ


ु े किर चचढ़ाया- “मन-मन भाये, मड़
ू दहलाये, मौका ममलते
ही सटासट गप्प कर लोगी, अभी शमाम रही हो…”
Xf

तब तक चन्दा की भाभी, चमेली भाभी ने दस


ू रा सोहर शरू
ु कर ददया, सब औरतें उनका साथ दे रही थीां।

कहाां से आयी सोंठ, कहाां से आया िीरा,


अरे , कहाां से आयी ननदी हो मेरी गुांइयाां।
अरे पटना से आयी सोंठ, बनारस से आया िीरा,
अरे आिमगढ़ से, अरे ऐलवल से आयीां ननदी, हो मेरी गुांइयाां।

क्या हुई सोंठ, क्या हुआ िीरा,


अरे क्या हुई ननदी, ओ मेरी गुांइयाां।
अरे िच्चा ने खाई सोंठ, बच्चा ने, बच्चा ने खाया िीरा,
अरे , मेरे भैय्या ने, अरे , मेरे भैय्या ने चोदी ननदी रात मोरी गांइ
ु याां।
1
अरे , मेरे दे वर ने चोदी ननदी, हो मेरी गुांइयाां, (भाभी ने िोड़ा।)
अरे राकी ने चोदी ननदी, हो मेरी गुांइयाां, (भाभी की भाभी, चम्पा भाभी ने जोड़ा।)

जब भाभी की शादी हुई थी, तब मैं 9वें पढ़ती थी, आज से करीब दो साल पहले, बस चौदह साल की हुई ही थी,
पर बरात में सबसे ज्यादा गामलयाां मझ
ु े ही दी गईं, आखिर एकलौती ननद जो थी, और उसी समय चन्दा से मेरी
दोस्ती हो गई थी। भाभी भी बस… गाली गाने और मजाक में तो अकेले वो सब पर भारी पड़ती थीां। पर शरू
ु से
ही वो मेरा टाांका ककसी से मभड़वाने के चक्कर में पड़ गई।

शादी के बाद चौथी लेकर उनके घर से उनके कजजन, अजय और सन


ु ील आये (वह एकलौती लड़की थीां, कोई सगे
भाई बहन नहीां थे, चन्दा उनकी कजजन बहन थी और अजय, सन
ु ील कजजन भाई थे, रवी और ददनेश पड़ोसी थे,
पर घर की ही तरह थे। वैसे भी गााँव में, गााँव के ररश्ते से सारी लड़ककयाां बहनें और बहुयें भाभी होती हैं)। उन
दोनों के साथ भाभी ने मेरा नांबर।

ve
दोनों वैसे भी बरात से ही मेरे दीवाने हो गये थे, पर अजय तो एकदम पीछे ही पड़ा था। रात में तो हद ही हो
गई, जब भाभी ने दध
ू लेकर मझ
ु े उनके कमरे में भेजा और बाहर से दरवाजा बांद कर ददया। पर कुछ ही ददनों
में भाभी अपने दे वर और मेरे कजजन रवीन्र से मेरा चक्कर चलवाने के। रवीन्र मझ
ु से 4-5 साल बड़ा था, पढ़ाई
में बहुत तेज था, और िब
ू सरू त भी था, पर बहुत शमीला था। पहले तो मजाक, मजाक में… हर गाली में मेरा
नाम वह उसी के साथ जोड़तीां-

मेरी ननद रानी बड़ी हरिायी,


.li
um
अरे गुड्डी छिनार बड़ी हरिायी,
हमरे दे वर से नैना लड़ायें,
अरे रवीन्र से िुबना दबवायें, अरे िुबना दबवायें,
वो खब
ू चद
ु वायें।
or

पर धीरे -धीरे सीरीयसली वह मझ


ु े उकसाती। अरे कब तक ऐसे बची रहोगी… घर का माल घर में… रवीन्र से
करवाओगी तो ककसी को पता भी नहीां चलेगा।
Xf

मन्
ु ने के होने पर जब मैंने भाभी से अपना नेग माांगा, तो उन्होंने बगल में बैठे रवीन्र की जाांघों के बीच में मेरा
हाथ जबदमस्ती रिकर बोला- “ले लो, इससे अच्छा नेग नहीां हो सकता…”

“धत्त…” कहकर मैं भाग गई। और रवीन्र भी शमामकर रह गया।

मन्
ु ने के होने पर, बरही में भाभी के मायके से, चन्दा भी आयी थी। हम लोगों ने उसे िूब चुन-चुन कर गाने
सन
ु ाये, और जो मैं सन
ु ाने में शमामती, वह मैंने औरों को चढ़ाकर सन
ु वाये-

“मुन्ने की मौसी बड़ी चुदवासी, चन्दा रानी बड़ी चद


ु वासी…”

एक माह बाद जब सावन लगा तो भाभी मन्


ु ने को लेकर मायके आयीां और साथ में मैं भी आयी।
2
“अरे राकी ने चोदी ननदी, रात मोरी गुांइयाां…” चम्पा भाभी जोर-जोर से गा रही थीां।

ककसी औरत ने भाभी से पछ


ू ा- “अरे राकी से भी… बड़ी ताकत है तम्
ु हारी ननद में नील…
ू ”

“अरे , वह भी तो इस घर का मदम है, वही क्यों घाटे में रह जाय…” चमेली भाभी बोलीां- “और क्या तभी तो जब ये
आयी तो कैसे प्यार से चूम चाट रहा था, बेचारे मेरे दे वर तरसकर रह जाते हैं…” चम्पा भाभी ने छे ड़ा।

“नहीां भाभी, मेरी सहे ली बहुत अच्छी है, वह आपके दे वरों का भी ददल रिेगी और राकी का भी, क्यों?” कहकर
चन्दा ने मझ ु े जोर से पकड़ मलया।

सावन की झड़ी थोड़ी हल्की हो चली थी। िूब मस्त हवा बह रही थी। छत से आांगन में जोर से पानी अभी भी
टपक रहा था। ककसी ने कहा एक बधावा गा दो किर चला जाये। चम्पा भाभी ने शरू
ु ककया-

ve
आांगन में बतासा लुटाय दां ग
ू ी, आांगन में … मुन्ने की बधाई।
अरे िच्चा क्या दोगी, आांगन में … मन्
ु ने की बधाई।
अरे मैं तो अपनी ननदी लट
ु ाय दां ग
ू ी, मन्
ु ने की बधाई।
अरे मन्
ु ने की बआ
ु क्या दोगी, मन्
अरे मैं तो दोनों िोबना लट
ु ने की बधाई
ु ाय दां ग
ू ी, मन्
.li
ु ने की बधाई
um
मन्
ु ने के मामा से चद
ु वाय लांग
ू ी, मन्
ु ने की बधाई।

बाररश ितम सी हो गई थी। सब लोग चलने के मलये कहने लगे।

चमेली भाभी ने कहा- “हााँ, दे र भी हो गई है…”


or

मेरी भाभी ने हाँसकर चुटकी ली- “और क्या? चमेली भाभी, वहाां भैय्या भी बरसने के मलये तड़पते होंगे…”

चमेली भाभी हाँसकर बोली- “और क्या? बाहर बाररश हो, अांदर जाांघों के बीच बाररश हो, तभी तो सावन का
Xf

असली मजा है…”

मैंने चन्दा से रुकने के मलये कहा। पर वह निड़ा करने लगी- “नहीां कल आ जाऊाँगी…”

चम्पा भाभी ने उसे डाांट लगायी- “अरे तेरी भाभी तो सावन में चुदवासी हो रही हैं पर तेरे कौन से यार वहाां
इांतजार कर रहे हैं…”

आखिर चन्दा इस शतम पर तैयार हो गई कक कल मैं उसके और उसकी सहे मलयों के साथ मेला जाऊाँगी। चन्दा,
भाभी के साथ मन्
ु ने को सम्हालने चली गई और मैं कमरे में आकर अपना सामान अनपैक करने लगी। मेरे
सामने सब
ु ह से अब तक का दृश्य घम
ू रहा था।

3
सब
ु ह जब मैं भाभी के साथ उनके मायके पहुाँची, तभी सायत अच्छी हो गई थी। सामने अजय ममला और उसने
सामान ले मलया।

चम्पा भाभी ने हाँसकर पछ


ू ा- “अरे , इस कुली को सामान उठाने की िीस क्या ममलेगी?”

भाभी ने हाँसकर धक्का दे ते हुये मझ


ु े आगे कर ददया और अजय की ओर दे िते हुए पछ
ू ा- “क्यों पसांद है , िीस?”

अजय जो मेरे उभारों को घरू रहा था, मश्ु कुराते हुए बोला- “एकदम दीदी, इस िीस के बदले तो आप चाहे जो
काम करा लीजजये…”

मन्
ु ना मेरी गोद में था। तभी ककसी ने मझ
ु े चचढ़ाया- “अरे , बबन्नो तेरी ननद की गोद में बच्चा… अभी तो इसकी
शादी भी नहीां हुई…”

ve
मैं शमाम गई। पीछे से ककसी का हाथ मेरे कांधे को धप से पड़ा और वह बोली- “अरे भाभी, बच्चा होने के मलये
शादी की क्या जरुरत… हााँ, उसके मलये जो जरूरी है , वो करवाने लायक यह अच्छी तरह हो गई है …”

पीछे मड़
ु कर मैंने दे िा तो मेरी सहे ली, हम उमर चन्दा थी। भाभी अपनी सहे मलयों और भामभयों के बीच जाकर
बैठ गईं। अजय मेरे पास आया और मन्
.li
ु ने को लेने के मलये हाथ बढ़ाया। मन्
ु ने को लेने के बहाने से उसकी
उां गमलयाां, मेरे गदराते उभारों को न मसिम छू गईं बजल्क उसने उन्हें अच्छी तरह रगड़ ददया। जहाां उसकी उां गली ने
छुआ था, मझ
ु े लगा कक मझ
ु े बबजली का करें ट लगा गया है । मैं चगनचगना गई।
um
चन्दा ने मेरे गल
ु ाबी गालों पर चचकोटी काटते हुए कहा- “अरे गड्
ु डो, जरा सा जोबन पर हाथ लगाने पर ये हाल
हो गया, जब वह जोबन पकड़कर रगड़ेगा, मसलेगा तब क्या हाल होगा तेरा?”

मेरी आाँि अजय की ओर मड़


ु ी, अभी भी मेरे जोबन को घरू ते हुए वह शरारत के साथ मश्ु कुरा रहा था।
or

मैं भी अपनी मश्ु कुराहट रोक नहीां पायी। भाभी ने मझ


ु े अपने पास बल
ु ाकर बैठा मलया।

एक भाभी ने, भाभी से कहा- “बबन्नो… तेरी ननद तो एकदम पटािा लगा रही है । उसे दे िकर तो मेरे सारे दे वरों
Xf

के दहथयार िड़े रहें ग…


े ”

मझ
ु े लगा कक शायद, मझ
ु े ऐसा ड्रेस पहनकर गााँव नहीां आना चादहये था। टाप मेरी थोड़ी टाइट थी उभार िूब
उभरकर ददि रहे थे। स्कटम घट
ु ने से ऊपर तो थी ही पर मड़
ु कर बैठने से वह और ऊपर हो गई थी और मेरी
गोरी-गोरी गद
ु ाज जाघें भी ददि रही थीां।

मेरी भाभी ने हाँसकर जवाब ददया- “अरे , मेरी ननद तो जब अपनी गली से बाहर ननकलती है तो उसे दे िकर
उसकी गली के गदहों के भी दहथयार िड़े हो जाते हैं…”

Vo चमेली भाभी उनकी बात काटकर बोलीां- “अच्छा ककया जो इसे ले आयीां इस सावन में मेरे दे वर, इसके सारे
तालाब पोिर भर दें ग…
े ”
4
“हााँ भाभी, इस साल अभी इसका सोलहवाां सावन भी लगा है …”

उन लोगों की बात सन
ु कर मेरे तन बदन में मसहरन दौड़ गई।

“अरे सोलहवाां सावन। तब तो ददन रात बाररश होगी, कोई भी ददन सि


ू ा नहीां जायेगा…” चम्पा भाभी िुश होकर
बोलीां।

तभी राकी आ आया और मेरे पैर चाटने लगा। डरकर, मसमटकर मैं और पीछे दीवाल से सटकर बैठ आयी। राकी
बहुत ही तगड़ा ककसी ववदे शी ब्रीड का था।

चम्पा भाभी ने कहा- “अरे ननद रानी डरो नहीां वह भी ममलने आया है …”

ve
चाटते-चाटते वह मेरी गोरी वपांडमलयों तक पहुाँच गया। मैं भी उसे सहलाने लगी। तभी उसने अपना माँह
ु िुली
स्कटम के अांदर तक डाल ददया, डर के मारे मैं उसे हटा भी नहीां पा रही थी।

मेरी भाभी ने कहा- “अरे गड्


ु डी, लगाता है इसका भी ददल तेरे ऊपर आ आया है जो इतना चूम चाट रहा है…”

.li
चम्पा भाभी बोलीां- “अरे बबन्नो, तेरी ननद माल ही इतना मस्त है…”
um
चमेली भाभी कहाां चुप रहतीां, उन्होंने छे ड़ा- “अरे घस
ु ाने के पहले तो यह चूत को अच्छी तरह चूम चाटकर गीली
कर दे गा तब पेलग
े अ। बबना कानतक के तम्
ु हें दे िकर ये इतना गमाम रहा है तो कानतक में तो बबना चोदे छोड़ेगा
नहीां। लेककन मैं कह रही हूाँ कक एक बार ट्राई कर लो, अलग ढां ग का स्वाद ममलेगा…”

मैंने दे िा कक राकी का मशश्न उत्तेजजत होकर थोड़ा-थोड़ा बाहर ननकाल रहा था। बसांती जो नाउन थी, तभी आयी।
or

सबके पैर में महावर और हाथों में में हदी लगायी गई। मैंने दे िा कक अजय के साथ, सन
ु ील भी आ गया था और
दोनों मझ
ु े दे ि-दे िकर रस ले रहे थे। मेरी भी दहम्मत भामभयों का मजाक सन
ु कर बढ़ गई थी और मैं भी उन
दोनों को दे िकर मश्ु कुरा दी।
Xf

हम लोग किर झूला झूलने गये। भाभी ने पहले तो मना ककया कक मन्
ु ने को कौन दे िग
े । भाभी की अम्मा बोलीां
कक वह मन्
ु ने को दे ि लेंगी। बाहर ननकलते ही मैंने पहली बार सावन की मस्ती का अहसास ककया। दहरयाली
चारों ओर, िूब घने काले बादल, ठां डी हवा… हम लोग थोड़ा ही आगे बढे होंगे कक मैंने एक बाग में मोर नाचते
दे ि,े िेतों में औरतें धान की रोपायी कर रहीां थी, सोहनी गा रहीां थी, जगह जगह झूले पड़े थे और कजरी के
गाने की आवाजें गज
ूां रहीां थीां। हम लोग जहाां झूला झल
ू ने गये, वह एक घनी अमरायी में था, बाहर से पता ही
नहीां चल सकता था कक अांदर क्या हो रहा है । एक आम के पेड़ की मोटी धाल पर झूले में एक पटरा पड़ा हुआ
था।

झूले पे मेरे आगे चन्दा और पीछे भाभी थीां। पें ग दे ने के मलये एक ओर से चम्पा भाभी थीां और दस
ू री ओर से
भाभी की एक सहे ली परू बी थी जो अभी कुछ ददन पहले ससव
ु ल से सावन मनाने मायके आयी थीां। चन्दा की
छोटी बहन ने एक कजरी छे ड़ी-
5
अरे रामा घेरे बदररया काली, लवहट आवा हाली रे हरी।
अरे रामा, बोले कोयसलया काली, लवहट आवा हाली रे हरी,
पपया हमार पवदे शवा िाये, अरे रामा गोहदया होररल बबन खाली,
लवहट आवा हाली रे हरी,

भाभी ने चम्पा भाभी को छे ड़ा- “क्यों भाभी रात में तो भैया के साथ इत्ती जोर-जोर से धक्के लगाती हैं, अभी
क्या हो गया…”

चम्पा भाभी ने कस-कसकर पें ग लगानी शरू


ु कर ददया। काांपकर मैंने रस्सी कसकर पकड़ ली।

भाभी ने चमेली भाभी से कहा- “अरे जरा मेरी ननद को कसके पकड़े ररहयेगा…” और चमेली भाभी ने टाप के
ऊपर से मेरे उभारों को कस के पकड़ मलया। भाभी ने और सबने जोर से गाना शरू
ु कर ददया-

ve
कैसे खेलन िैयो किररया, सावन में , बदररया छघर आयी ननदी,
गुांडा घेर लेहहांयें तोर डगररया, सावन में बदररया छघर आयी ननदी,
चोली खोसलहें , िोबना दबइहें , मिा लुहटहें तोर सांग, बदररया छघर आयी ननदी
.li
कैसे खेलन िैयो किररया, सावन में , बदररया छघर आयी ननदी।
um
तब तक चमेली भाभी का हाथ अच्छी तरह मेरे टाप में घस
ु गया था, पहले तो कुछ दे र तक वह टीन ब्रा के
ऊपर से ही मेरे उभारों की नाप जोि करती रहीां, किर उन्होंने हुक िोल ददया और मेरे जोबन सहलाने मसलने
लगीां। झूले की पें ग इत्ती तेज चल रही थी कक मेरे मलये कुछ रे जजस्ट करना मजु श्कल था। और जजस तरह की
आवाजें ननकल रहीां थी कक मैं समझ गई कक मैं मसिम अकेली नहीां हूाँ जजसके साथ ये हो रहा है । कुछ दे र में
बबन्रा भाभी और चन्दा की छोटी बहन कजली पें ग मारने के काम में लगा गईं, पर उन्होंने स्पीड और बढ़ा दी।
इधर चमेली भाभी के हाथ, अब मेरे जोबन िूब िुलकर मसल, रगड़ रहे थे और आगे से चन्दा ने भी मझ
ु े दबा
or

रिा था। मैं भी अब िुलकर मस्ती ले रही थी। अचानक बादल एकदम काले हो गये और कुछ भी ददिना बांद
हो गया। हवा भी िूब ठां डी और तेज चलने लगी।
Xf

चम्पा भाभी ने छे ड़ा-

अरे रामा, आयी सावन की बाहर


लागल मेलवा बिार,
ननदी छिनार, चलें िोबना उभार,
लागें िै ला हिार, रस लूटें, बार-बार,
अरे रामा, मिा लूटें उनके यार, आयी सावन की बाहर,

6
मेरी स्कटम तो झूले पर बैठने के साथ ही अच्छी तरह िैलकर िुल गई थी। तभी एक उां गली मेरी पैंटी के अांदर
घस
ु कर मेरी चत
ू के होंठों के ककनारे सहलाने लगी। घना अांधेरा, हवा का शोर, जोर-जोर से कजरी के गाने की
आवाज। अब कजरी भी उसी तरह िुलकर होने लगी थी-

ररमखिम बरसे सवनवाां, सिन सांग मिा लूटब हो ननदी,


चोसलया खोसलहें , िोबना दबईहें , अरे रात भर चद
ु वाईब हो ननदी।
तोहार बीरन रात भर सोवें ना दें , कस-कस के चोदें हो ननदी।
अरे नवाां महीने होररल िब होइांहें, तोहे अपने भैया से चद
ु वाइब हो ननदी।

जब उां गली मेरे ननचले होंठों के अांदर घस


ु ी तो मेरी तो मससकी ननकल गई। अब धीरे -धीरे सावन की बद
ांू े भी पड़ने
लगी थीां और उसके साथ उां गली का दटप भी अब तेजी से मेरी योनी में अांदर-बाहर हो रहा था। ऊपर से चमेली
भाभी ने अब मेरे टाप को परू ी तरह िोल ददया था और ब्रा ने तो कब का साथ छोड़ ददया था। ककसी ने कहा
कक अब घर चलते हैं पर मेरी भाभी ने हाँसकर कहा कक अब कोई िायदा नहीां, रास्ते में अच्छी तरह भीग

ve
जययेंग,े यहीां सावन का मजा लेते हैं। तेज होती बरसात के साथ, मेरी चूत में उां गली भी तेजी से चल रही थी।
कपड़े सारे भीग गये और बदन पर परू ी तरह चचपक गये थे। चूत में उां गली के साथ अब जक्लट की भी अांगठ
ू े से
रगड़ाई शरू
ु हो गई और थोड़ी दे र में ही मैं झड़ गई और उसी के साथ बरसात भी रुक गई।

सन
.li
लौटते समय भाभी, चमेली भाभी के घर चली गई और मैं चम्पा के साथ लौट रही थी कक रास्ते में अजय और
ु ील ममले। भीगे कपड़ों में मेरा परू ा बदन लगभग ददि रहा था, ब्रा हटने से मेरे उभार, मसांथेदटक टाप से
um
चचपक गये थे और मेरी स्कटम भी जाांघों के बीच चचपकी थी। चन्दा जानबझ
ू कर रुक कर उनसे बात करने लगी
और वो दोनों बेशमी से मेरे उभारों को घरू रहे थे।

मैंने चन्दा से कहा- “हे चलो, मैं गीली हो रही हूाँ…”

चन्दा ने हाँसकर कहा- “अरे , बबन्नो दे िकर ही गीली हो रही हो तो अगर ये कहीां पकड़ा-पकड़ी करें गे तो, तम
ु तो
or

तरु ां त ही चचपट जाओगी…”

सन
ु ील और अजय दोनों ने कहा- “कब ममलोगी?”
Xf

मैं कुछ नहीां बोली।

चन्दा बोली- “अरे , तम


ु से ही कह रहे हैं…”

हाँसकर मैंने कहा- “ममलग


ांू ी…” और चन्दा का हाथ पकड़कर चल दी।

पीछे से सन
ु ील की आवाज सन
ु ाई पड़ी- “अरे , हाँसी तो िाँसी…”

तब तक चन्दा की आवाज ने मझ
ु े वापस ला ददया। उसने अांदर से दरवाजा बांद कर मलया था और साड़ी उतार
रही थी।

7
मैंने उसे छे ड़ा- “क्यों मेरे चक्कर में घाटा तो नहीां हो गया…”

“और क्या, लेककन अब तेरे साथ उसकी भरपायी करूांगी…” और उसने मेरे उभारों को फ्राक के ऊपर से पकड़
मलया। हम दोनों साथ-साथ लेटे तो उसने किर फ्राक के अांदर हाथ डालकर मेरे रसभरे उभारों को पकड़ मलया और
कसकर मसलने लगी।

“हे , नहीां प्लीज छोड़ो ना…” मैंने बोला।

पर मेरे िड़े चच
ू क
ु ों को पकड़कर िीांचते हुए वह बोली- “झठ ू ी, तेरे ये कड़े कड़े चच
ू क
ु बता रहें हैं कक तू ककत्ती
मस्त हो रही है और मझ ु से छोड़ने के मलये बोल रही है । लेकीन सच में यार असली मजा तो तब आता है जब
ककसी मदम का हाथ लगे…” मेरी चूचचयों को परू े हाथ में लेकर दबाते हुए वो बोली कक कल मेले में चलेगी ना, दे ि
ककत्ते छै ले तेरे जोबन का रस लट
ू ें ग।े उसने मेरे हाथ को िीांचकर अपने ब्लाउज के ऊपर कर ददया और उसकी

ve
बटन एक झटके में िुल गईं।

“मैं अपने यारों को ज्यादा मेहनत नहीां करने दे ना चाहती, उन्हें जहाां मेहनत करना है वहाां करें …” चन्दा बोली।
उसका दस
ू रा हाथ मेरी पैंटी के अांदर घस
ु कर मेरे भगोष्ठों को छे ड़ रहा था। थोड़ी दे र दोनों भगोष्ठों को छे ड़ने के
बाद उसकी एक उां गली मेरी चत

चन्दा बोली- “यार, सन


ू के अांदर घस
.li
ु गई और अांदर-बाहर होने लगी।

ु ील का बड़ा मोटा है, मैं इत्ते ददनों से करवा रही हूाँ पर अभी भी लगाता है, िट जायेगी
um
और एक तो वह नांबरी चोद ू भी है , झड़ने के थोड़ी दे र के अांदर ही उसका मस ू ल किर िनिना कर िड़ा हो जाता
है …” उसका अांगठ
ू ा अब मेरी जक्लट को भी रगड़ रहा था और मैं मस्ती में गीली हो रही थी।

“यार सन
ु ील का बहुत मोटा है …” चन्दा ने मेरी कलाई पकड़कर दबाते हुए किर कहा- “आलमोस्ट इत्ता…”
or

मैं मसहर गई लेककन उसे उकसाती बोली- “झूठी, इतना मोटा कहीां हो सकता है और… आलमोस्ट मतलब…”

“बबन्नो घबड़ाओ मत जल्दी ही तेरे इसी हाथ में पकड़वाऊाँगी उसका, आलमोस्ट मतलब… तेरी इस कलाई इत्ता
मोटा या एक दो सत
ू ज्यादा ही होगा…” चन्दा ने चचढ़ाया।
Xf

“मेरी मााँ, तझ
ु े ही मब
ु ारक, मझ
ु े मरना नहीां है…” मैंने उसके गाल पे जोर से चचकोटी काटी।

“सच कहती है यार त,ू एकदम जान ननकल जाती है । आज तक नहीां हुआ की उसका सप ु ाड़ा घस
ु ा हो और मेरे
आांसू न ननकले हों, जब की इत्ते ददनों से करवा रही हूाँ उससे। उसके बबना चैन नहीां ममलता, लेककन जब डालता
है न, दरे रता, रगड़ता, िाड़ता, छीलता, घस
ु ता है उसका मस
ू ल तो जान ननकल जाती है । और बेरहम भी इतना है
कक चाहे जजतना चीिो, चचल्लाओ, रोओ, उसके हाथ पैर जोड़ो, लेककन बबना परू ा ठे ले रुकता नहीां है । ऐसे
परपराती है अपनी सहे ली की…” चन्दा ने हाल िुलासा बयान ककया। लेककन चन्दा की आवाज से लग रहा था की
जैसे सोच-सोच के उसकी सहे ली गीली हो रही हो।

“न बाबा न, मझ
ु से नहीां होगा, तू घोंट…” मैंने अपना िाइनल िैसला सन
ु ा ददया।
8
एक पल के मलए चन्दा ने कुछ सोचा, किर जैसे पैंतरा बदल रही हो, बोला- “ददन में तू दीपा से ममली थी न,
जजसे काममनी भाभी और चन्दा भाभी…”

“हााँ हााँ… एकदम याद है मझ


ु ,े मझ
ु से दो साल छोटी, नौवें में पढ़ती है, वही न…” मझ
ु े याद आ गया।

और चन्दा ने भी ताकीद की- “हााँ वही…”

और मझ
ु े ददन की छे ड़छाड़ याद आ गई, जब हम झूले पे गए थे उसके पहले की। दीपा, काममनी भाभी के बगल
में बैठी थी और गााँव के ररश्ते से उनकी ननद लगती थी। दीपा, मझ
ु से थोड़ी छोटी लम्बाई में और उम्र में दो
साल, जैसे कहते हैं जो बचपन और जवानी के बीच में िड़े हों एकदम उसी तरह की। चेहरा गोल, हाँसती तो बड़े-
बड़े गड्ढे पड़ते गालों में, और नमक बहुत ज्यादा। उभार बस आ रहे थे। हााँ… उनका पता उसको भी था और
दे िने वालों को भी, और इत्ते कम भी नहीां, उसकी उमर वामलयों से 20 नहीां 21 से ज्यादा रहे होंगे, 28सी होंगे।

ve
और किर भौजाई के मलए ननद की उमर नहीां ररश्ता इम्पोटें ट है और मैं भी तो इसी उमर की थी, जब भाभी की
शादी में यहााँ आई थी, एकलौती ननद थी तो सारी गामलयाां मेरे िाते में ही पड़ीां और एक से एक… बस काममनी
भाभी ने फ्राक के ऊपर से उसके उभारों पर हाथ लगाया और दबाते हुये बोली- “ये कच्चे दटकोरे ककसी को चिाए
की नहीां?”
.li
कुछ शमामकर, कुछ घबड़ा के उसने भाभी का हाथ हटाने की कोमशश की, और भाभी कौन इत्ते आसानी से हाथ
um
आई कच्ची कली को छोड़ दे तीां, उनका हाथ सीधे से ऊपर से फ्राक के अांदर, और जजस तरह से दीपा ने मससकी
भरी, और हल्के से होंठ काट के चीिी- “उईईई…”

साि था कक काममनी भाभी ने, उसके उठान को न मसिम दबाया था, बजल्क जोर से अांगठ
ू े और तरजनी से उसके
आ रहे ननपल को भी जोर से मसल ददया था, जो मग
ूां िली के दाने ऐसे िड़े-िड़े फ्राक के ऊपर से साि ददि रहे
or

थे।

और किर चांपा भाभी भी मैदान में आ गईं- “क्यों कैसे हैं दटकोरे ?” पछ
ू मलया उन्होंने।
Xf

काममनी भाभी ने किर जोर से मग


ूां िली के दाने मसले और दीपा से ही पछ
ू ा- “बोल, ककस-ककस लड़के को गााँव में
चिाया…”

पीछे से ककसी भौजाई ने घी डाला- “अरे सब लौंडे तो इसके भाई ही लगें ग…


े ”

“अरे हमारे सारे दे वर हैं ही बहनचोद…” काममनी भाभी ने दीपा के फ्राक में आते हुए उठान को दबाते मसलते
बोला।

“एकदम मेरे दे वर की तरह…” मेरी भाभी क्यों मौका छोड़ती, मझ


ु े दे िकर मश्ु कुराते हुए उन्होंने भी तीर छोड़ा।

9
“दे वर की क्या गलती, साल्ली ननदें ही नछनार हैं, जुबना उभार के ललचाती किरती हैं…” चांपा भाभी (मेरी भाभी
की भाभी) ने मेरी भाभी (और अपनी ननद) की ओर दे िकर मश्ु कुरा के बोला।

और उनका अगला ननशाना दीपा थी, उसके गाल पे चचकोटी काटती बोलीां- “अरे हमारी ननदें तो चौदह होते-होते
चुदवासी हो जाती हैं। तझ
ु े चौदह पार ककये ककत्ते महीने हो गए? अब तक तो कब की चद
ु जानी चादहए थी।
सीधे से ककसी को पट के घोंट ले वरना अबकी होली में मैं और काममनी भाभी ममल के तेरी नथ इसी आाँगन में
उतरवाएांगी…”

“जब रतजगा होगा न तो हो जाय मक


ु ाबला, जांगी कुश्ती, दे िे हमारी ननद ज्यादा नछनार है या बबन्नो तेरी…”
ककसी ने भाभी को चैलन्
े ज ददया।

और भाभी ने मझ
ु े मश्ु कुराकर दे िते हुए बोला- “एकदम मांजूर है , लेककन जीतने वाले को इनाम क्या ममलेगा?”

ve
चम्पा भाभी ने अपनी गोद में भाभी के बच्चे को हलराते, दल
ु राते बोला- “मन्
ु ने के सारे मामा… और हारने वाली
पे मन्
ु ने के सारे मामा अगवाड़े वपछवाड़े दोनों ओर चढ़ें गे…” काममनी भाभी ने परू ी स्कीम अनाउां स कर दी।

हम लोगों को झल
ू ा झूलने जाना था इसमलए बात वहीां रुक गई।

था न?”
.li
दीपा भी हम लोगों के साथ चलने वाली थी, लेककन चन्दा ने उसका हाथ दबा के बोला- “तझ
ु े तो कहीां और जाना
um
और किर जैसे उसे कुछ याद आ गया हो, वो बजाय हमलोगों के साथ जाने के वो जल्दी-जल्दी अपने घर की
ओर चल दी।

चन्दा ने किर बोला- “दीपा…”


or

और मैं फ्लैश बैक से वापस आ गई, पछ


ू ा- “हााँ क्या हुआ दीपा को यार बोल न…”

“जानती है वो तझ
ु से परू ी दो साल छोटी है …” चन्दा ने बोला।
Xf

“मालम
ू है, कच्चे दटकोरे वाली, कच्ची कली… अभी…” मैंने ऐसे ही बोला।

लेककन आगे जो चन्दा ने बताया- “और दीपा ने सन


ु ील का घोंटा है…” चन्दा ने राज िोला।

और अब चौंकने की बारी मेरी थी- “क्याऽऽ?” और मेरी बबन चोदे ही िट गई।

“उस छुटकी ने…” मझ


ु े ववश्वास नहीां हो रहा था। मैंने किर बोला- “उस सन
ु ील ने तझ
ु े कहानी सन
ु ाई होगी…”

“जी नहीां, और उस कच्ची कली की मसिम ली ही नहीां बजल्क उसकी िाड़ने वाला वही है , और मैं इसमलए कह रही
हूाँ की मेरे सामने उसने ली है दीपा की…”
10
मझ
ु े न समझ में आया न ववश्वास हुआ- “लेककन कैसे?” मैंने किर पछ
ू ा।

“लम्बी कहानी है…” जजस अांदाज से चन्दा बोली, साि था कक वो सस्पें स बढ़ा रही है ।

“सन
ु ा न, अगर तू अपने को मेरी सच्ची सहे ली मानती है , बता न यार…” मैं सन
ु ने के मलए बेचन
ै थी कक ये
कच्चे दटकोरे वाली कैसे, कलाई इतना मोटा,

“लेककन तझ
ु े मेरी सारी बातें माननी होंगी…” चन्दा ने ब्लैकमेल ककया।

“मानग
ूां ी यार, दे ि तेरे साथ मेला दे िने की बात मान गई न आगे भी जो बोलेगी त…
ू यार अब तेरे गााँव में हूाँ
तो तेरे हवाले हूाँ, अब ज्यादा भाव न ददिा…” मैंने बोला।

ve
और चन्दा चालू हो गई। बात मसम्पल भी थी और उलझी हुई भी।

चन्दा एक बार गन्ने के िेत से ननकल रही थी, और दीपा स्कूल से वापस आ रही थी और दीपा ने उसे
आलमोस्ट रां गे हाथों पकड़ मलया। चन्दा ने उसे पटाने की बहुत कोमशश की लेककन उसे लगा कक दीपा ‘गाएगी’

मन में डर घर ककये हुए था। सन


.li
जरूर। रात भर वो परे शान रही। अगले ददन आम के बाग में सन ु ील से उसे ममलना था। वो ममली, लेककन उसके
ु ील बहुत डीांग हाांकता था की वो ककसी भी लड़की को पटा सकता है ।
um
बस उसके ददमाग में आइडडया आया और सन
ु ील को चचढ़ा के वो बोली- “हे तझ
ु े कच्चे दटकोरे पसांद हैं?”

सन
ु ील उसका मतलब समझ रहा था और मश्ु कुरा के बोला- “एकदम, ककसके ददलवा रही है ?”

और चाांस की बात… तभी दीपा वहीां से गज


ु री। जजस तरह दीपा ने चन्दा को दे िा, चन्दा कााँप गई। अब ये बात
or

साि थी की ये तोता-मैना की कहानी जग जादहर होने वाली है और वो भी बहुत जल्द।

उसके गज
ु रते ही चन्दा ने सन
ु ील को पकड़ मलया और बोली- “कैसे लगे कच्चे दटकोरे , अब इसे पटा के ददिा…”
Xf

थोड़ी दे र सन
ु ील ना नक
ु ु र करता रहा, किर मान गया, और दो ददन बाद उसने िुशिबरी दी कक दीपा गन्ने के
िेत में आने के मलए राजी हो गई है । पहले तो चन्दा को ववश्वास नहीां हुआ, किर जब सन
ु ील मान गया की ‘शो’
शरू
ु होने के बाद चन्दा भी ज्वाइन कर सकती है ।

किर चन्दा ने उसे परू ी बात बताई की कैसे दीपा उन दोनों के बारे में जानती है ।

और अगले ददन शाम को, दीपा स्कूल से कुछ बहाना बना के एक घांटे पहले ही कट ली। सन
ु ील उसकी राह दे ि
रहा था और उसे सीधे गन्ने के िेत में ले गया, जहााँ रोज मैं और वो… सन
ु ील ने थोड़ी दे र बाद अपनी स्पेशल
सीटी बजाई, वही जो बजा के मझ
ु े वो बल
ु ाता था।

11
मैं पास में गन्ने के बीच से दे ि रही थी, दीपा की टााँगें उठी थीां और चड्ढी दरू पड़ी थी, सन
ु ील अपना मोटा
िांट
ू ा उसकी चन
ु मनु नया पे रगड़ रहा था और वो मस्ती से चत
ू ड़ पटक रही थी। मझ
ु े भी मजु श्कल लग रहा था की
ये कच्चे दटकोरे वाली, कैसे इतना मोटा गन्ना घोंटे गी। मैंने वहीां से सन
ु ील को इशारा ककया की उसे कूल्हे के बल
कुनतया वाली पोज में कर दे ।

और सनु ील ने उसे उसके घट


ु नों के बल कर ददया, िायदा ये हुआ की जो मैं वहाां पहुांची तो दीपा दे ि नहीां
सकती थी मझु े। और बस पहुाँचते ही उसका कन्धा दोनों हाथों से पकड़कर मैंने परू ी ताकत से झक ु ा ददया, उसका
सर िेत में झुका था। वो मझ
ु े दे ि नहीां सकती थी और न अब दहल-डुल सकती थी। उसकी कमर सन
ु ील ने
पकड़ रिी थी और उसका हचथयार, उसकी प्रेमवपयारी से सटा था। एक हाथ से ननचले होंठों को परू ी ताकत से
िैलाकर जोर से उसने ठोंक ददया। दो-चार धक्के में सप
ु ाड़ा अांदर था। दीपा अब लाि गाण्ड पटकती, लण्ड
ननकाल नहीां सकती थी।

एक पल के मलए सन
ु ील को भी लगा, कहीां ज्यादा िट वट गई तो? और इतना मोटा कैसे घोंट पाएगी। लेककन

ve
मैंने उसे चढ़ाया की एक बार जब प्रेम गली में सप
ु ाड़ा घस
ु गया है तो बाकी का रास्ता बना लेगा। और किर
सन
ु ील का एक हाथ उसके चत
ू ड़ पे और दस
ू रा दटकोरे पे, और वो धक्के लगाए उसने की दीवाल में छे द हो
जाता, 15-20 धक्कों में आधा से ज्यादा लण्ड अांदर।

चन्दा की बात सन
ु -सन
.li
ु के सोच-सोच के मैं गीली हो रही थी। लेककन उसे रोक के मैंने अपना डर जादहर ककया-
“हे वो कच्चे दटकोरे वाली इत्ता मोटा घोंट रही थी, तो रो-गा तो नहीां रही थी, कहीां कोई सन
ु लेता तो…”
um
चन्दा जोर खिलखिलाई- “अरे यार यही तो िास बात है उस गन्ने के िेत की। िूब बड़ा लम्बा चौड़ा िेत है ,
और उसके एक ओर आम का बाग है, वो भी बहुत गखझन। िेत के बगल में एक पगडांडी है पतली सी जजसपे
दस
ू रे ओर सरपत के बड़े-बड़े झरु मट
ु और बाँसवाड़ी है । िेत ित्म होने के बाद एक िल
ु ा मैदान है जहााँ मेलेकर
समय मेला लगता है बाकी टाइम ऊसर है और एक पोिर है । कई एकड़ तक ककसी के आने जाने वाले का
जल्दी सवाल नहीां। िेत और आम का बाग तो सन
ु ील का ही है । और उसमें लगे गन्ने भी स्पेशल वैरायटी के हैं,
or

25 से 30 किट के।

और एक बात और… सन
ु ील को मजा आता है । कोई लड़की जजतना चीिती चचल्लाती है , उसे वो उतनी ही ज्यादा
बेरहमी से पेलता है , और किर इतना मोटा औजार बबना बेरहमी के घस
ु ेगा भी नहीां…”
Xf

मेरा चेहरा एकदम शमीला था। मजु श्कल से थक


ू घोंटते हुये मैंने पछ
ू ा- “तो क्या, उस दटकोरे वाली ने परू ा… …”

हाँसते हुए चन्दा बोली- “एकदम… थोड़ी दे र बाद जब परू ा घोंट मलया था तो सन
ु ील ने किर उसको पीठ के बल
मलटा ददया, और हचक-हचक के, जबतक चूतड़ गन्ने के िेत में ममटटी के ढे ले पे रगड़े न जाय तो क्या मजा…
और अब वो मझ
ु े दे ि भी रही थी। मैं उसको चचढ़ा रही थी, और उसकी चड्ढी मैंने जब्त कर ली…”

मझ
ु े अभी भी ववश्वास नहीां हो रहा था। मैंने रुक-रुक के चन्दा से पछ
ू ा- “वो गस्
ु सा तो नहीां हुई? कहीां ककसी से
जा के, मशकायत ववकायत…”

12
चन्दा जोर-जोर से खिलखिलाने लगी। बड़ी दे र तक हाँसती रही किर मझ
ु े जोर से भीांच के चूम के बोली- “यार तू
सच में बच्ची है, मम्मे बड़े हो जाने से कुछ नहीां होता। अरे दो ददन बाद वो िद
ु सन
ु ील के पीछे पड़ गई। एक
बार इस चुन्मनु नया में औजार घस
ु जाए न तो िुद चीांटे काटने लगते हैं…”

मैं चुप हो गई।

चन्दा ही बोली- “अच्छा, चल तू अपनी नथ अजय से उतरवा लेना। बहुत सम्हाल-सम्हाल के लेगा तेरी, और तेरा
दीवाना भी एक नांबर का है…”

“धत्त, तू भी न…” मैं जजस तरह शमामई वो शमामहट कम थी, हामी ज्यादा।

“अच्छा, तो गड्
ु डो रानी, अजय से चुदवाना चाहती हैं…” चन्दा ने कसकर मेरी जक्लट को वपांच कर मलया और मेरी
मससकी ननकल गई।

ve
***** *****अजय
“तम्
ु हारी पसांद सही है , मझ
ु े भी सबसे ज्यादा मजा अजय के ही साथ आता है , और उसे मसिम चोदने से ही
मतलब नहीां रहता, वह मजा दे ना भी जानता है । जब वह एक ननपल माँह
ु में लेकर चूसता है और दस
ू रा हाथ से

दीवाने तो सभी लड़के हैं तम


ु पर…”
.li
रगड़ते हुए चोदता है ना तो बस मन करता है कक चोदता ही रहे । तम्
ु हारा तो वह एकदम दीवाना है , और वैसे
um
चन्दा की उां गली अब िुल स्पीड में मेरी चूत का मांथन कर रही थी और उसने मेरा भी हाथ िीांचकर अपनी चूत
पर रि मलया था। चन्दा रानी बोल रही थीां।

लेककन मेरा मन अजय के पीछे लगा था। भाभी का कजजन, मझ


ु से 4-6 साल बड़ा रहा होगा, िूब लम्बा, तगड़ा
लेककन बहुत सीधा। भाभी की चौथी लेके आया था और उसके बाद भी एक दो बार कभी भाभी को लेने कभी
or

भाभी को छोड़ने।

और हर बार उसकी मैं वो रगड़ाई करती थी की दस


ू रा कोई लड़का होता तो बरु ा मान जाता। चाय बबचारे को हर
बार मसिम नमक या ममचम ममली ममलती थी, और वो भी ऐसा कक जो कभी एक बाँद
ू भी छोड़ा हो उसने। एक बार
Xf

जब कोई नहीां था तो मैंने उससे पछ


ू ा की चाय कैसी थी?

वो मश्ु कुरा के बोला- “तम्


ु हारा नमक और चाय का नमक ममल के शहद से भी मीठा हो जाता है । बस…”

एक बार वो सो रहा था की मैं चुपके से उसके कमरे में गई, जनाब घोड़े बेच के सो रहे थे। मैंने चट
ु की भर
मसन्दरू उसकी भर मााँग लगा ददया और एक बड़ी सी गोल लाल-लाल बबांदी, माथे पर। अजय िूब गोरा है,
एकदम चचकना और उसके गोरे माथे पे बड़ी-बड़ी बबांदी िब
ू िब रही थी। मैं दोनों ऊाँगली पे मलपजस्टक लगा के
अजय के होंठों पे लगा के उसका मसांगार परू ा करना चाहती थी। तभी उसने अपने मजबत
ू हाथों से मेरी कलाई
पकड़ ली।

और तभी भाभी की भी एांट्री हो गई।


13
घबड़ा के उसने कलाई छोड़ दी।

“मसांदरू दान हो गया तो बबन्नो सह


ु ागरात भी मनाना पड़ेगा, पीछे मत हटना तब…” भाभी ने मझ
ु े चचढ़ाया।

“अरे भाभी, आपकी एकलौती ननद हूाँ, पीछे नहीां हटने वाली। हााँ… आपका ये छोटा भैय्या ही शमामकर भाग
जाएगा…”

और हुआ भी यही, अजय एकदम बीरबहूटी बन गया था।

इधर मैं अजय के बारे में सोच रही थी।

और चन्दा रवी के गन
ु गाये जा रही थी- “और रवी तो… वह चाटने और चूसने में एक्सपटम है, नांबरी चूत चटोरा

ve
है , वह…”

मैं िूब मस्त हो रही थी। मेरी एक चच


ू ी चन्दा के हाथ से मसली जा रही थी और उसके दस
ू रे हाथ की उां गली
मेरी चूत में अांदर-बाहर हो रही थी।

मेरी स्कटम के अांदर हाथ डालकर मेरी चत


ू पर गल
.li
ऐसा नहीां था कक मेरी चूत रानी को कभी ककसी उां गली से वास्ता न पड़ा हो, वपछली होली में ही भाभी ने जब
ु ाल रगड़ा मसला था तो उन्होंने उां गली भी की थी और वह तो
um
ऐसे भाांग के नशे में थीां की कैं डमलांग भी कर दे तीां पर भला हो कक रवीन्र, उनका दे वर आ गया तो, मझ
ु े छोड़कर
उसके पीछे पड़ गईं।

पर जैसे चन्दा एक साथ, चूची, चूत और जक्लट कक रगड़ाई कर रही थी वैसे पहले कभी नहीां हुई थी और एक
रसीले नशे से मेरी आाँिें मद
ु ी जा रही थीां।
or

चन्दा साथ में मझ


ु े समझा भी रही थी- “सन
ु , मेरी बात मान ले, यहाां जमकर मजा लट
ू ले, दे िो यहाां दो िायदे
हैं। अपने शहर में ककसी और से करवायेगी तो ये डर रहे गा की बात कहीां िैल ना जाय, वह किर तम्
ु हारे पीछे ना
पड़ जाय। पर यहाां तो तम
ु हफ्ते दस ददन में चली जाओगी किर कहाां ककससे मल
ु ाकात होगी। और किर शहर में
Xf

चाांस ममलना भी टे ढ़ा काम है । जब भी बाहर ननकलोगी कोई भी टोकेगा की कहाां जा रही हो? जल्दी आना, और
किर अगर ककसी ने ककसी के साथ दे ि मलया और घर आकर मशकायत कर दी तो अलग मस
ु ीबत। और यहाां तो
ददन रात चाहे जहाां घम
ू ो, किरो, मौज मस्ती करो, और किर तम्
ु हारी भाभी तो चाहती ही हैं कक तेरी ये कोरी
कली जल्द से जल्द िूल बन जाये…” ये कहकर उसने कस के मेरी जक्लट को दबा ददया।

मैं मस्ती से काांप गई- “पर… मैंने सन


ु ा है कक पहली बार ददम बहुत होता है…” मस्ती ने मेरी भी शमम ित्म कर
दी थी।

“अरे मेरी बबन्नो… बबना ददम के मजा कहाां आता है , और कभी तो इसको िड़वाओगी? जब िटे गी… तभी ददम
होगा… वह तो एक बार होना ही है … आखिर तम ु ने कान नछदवाया, नाक नछदवायी ककत्ता ददम हुआ? पर बाद में
ककत्ते मजे से कान में बाला और नाक में कील पहनती हो। ये सोचो न कक मेरी उां गली से जब तम्
ु हें इतना मजा
14
आ रहा है, तो मोटा लण्ड जायेगा तो ककत्ता मजा आयेगा। और अगर तम्
ु हें इतना डर लगा रहा है तो मैं तो
कहती हूाँ तम ु वाओ, वह बहुत सम्हाल-सम्हाल कर चोदे गा…”
ु सबसे पहले अजय से चद

सेक्सी बातों और उां गली के मथने से मैं एकदम चरम के पास पहुाँच गई थी, पर चन्दा इत्ती बदमाश थी कक वह
मझ
ु े कगार तक लेजाकर रोक दे ती और मैं पागल हो रही थी।

“हे चन्दा प्लीज, रुको नहीां हो जाने दो… मेरा…” मैंने ववनती की।

“नहीां पहले तम
ु प्राममस करो कक अब तम
ु सब शमम छोड़कर…”

“हााँ हााँ मैं अजय, रवी, सन


ु ील, ददनेश, जजससे कहोगी, करवा लग
ूां ी… बस प्लीज रुको नहीां…” उसे बीच में रोककर
मैंने बोला।

ve
“नहीां ऐसे थोड़े ही… साि-साि बोलो और आगे से जैसे िुलकर चम्पा भाभी बोलती हैं ना तम
ु भी बस ऐसे ही
बोलोगी…” चन्दा ने धीरे -धीरे , मेरी जक्लट रगड़ते हुए कहा।

“हाहाहा… मैं अजय से, सन


ु ील से तम
ु जजससे कहोगी सबसे चुदवाऊाँगी… ओह्ह… ओह्ह्ह…” मैं एकदम कगार पर
पहुाँच गई थी।

चन्दा ने अब तेजी से मेरी चत


.li
ू में उां गली अांदर-बाहर करना शरू
ु कर ददया और मेरी जक्लट कसकर वपांच कर ली
um
और मैं बस… झड़ती रही… झड़ती रही… मेरी आाँिें बहुत दे र तक बांद रहीां। जब मेरी आाँि िुली तो मैंने दे िा कक
चन्दा ने मझ
ु े अपनी बाहों में भर रिा है और वह धीरे -धीरे मेरे उभारों को सहला रही है । मैंने भी उसके जोबन
को जो मेरे जोबन से थोड़े बड़े थे, को हल्के-हल्के दबाने शरू
ु कर ददया। थोड़ी दे र में ही हम दोनों किर गमम हो
गये। अबकी चन्दा मेरी दोनों टाांगों को िैलाकर, ककसी मदम की तरह, सीधे मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे सख्त
मम्मों को दबाना शरू
ु कर ददया।
or

“जानती हो अब तक सबसे मोटा और मस्त लण्ड ककसका दे िा है मैंन?


े ” चन्दा ने कहा।

“ककसका…” उत्सक
ु ता से भरकर मैंने पछ
ू ा।
Xf

मेरी चत
ू पर अपनी चत
ू हल्के से रगड़ते हुये, चन्दा बोली- “तम्
ु हारे कजजन-कम-आमशक का… रवीन्र का…”

“उसका? पर वह तो बहुत सीधा-सादा शमीला है … और तम


ु ने उसका कैसे दे िा? किर वह मेरा आमशक कहाां से हो
गया?”

“बताती हूाँ…”

मेरी चूत की रगड़ाई अपनी चूत से करते हुए उसने बताना शरू ु ककया- “तम्
ु हें याद है , अभी जब मैं मन्ु ने के होने
पे गई थी तो मैंने रवीन्र पे बहुत डोरे डालने की कोमशश की। मझु े लगाता था कक भले ही वह सीधा हो पर बहुत
मस्त चुदक्कड़ होगा, उसका बाडी-बबल्ड मझ ु े बहुत आकर्मक लगता था। पर उसने मझ ु े मलफ्ट नहीां दी तो मैं
15
समझ गई कक उसका ककसी से चक्कर है… पर एक ददन दरवाजे के छे द से मैंने उसे मट्
ु ठ मारते दे िा तो मैं तो
दे िती ही रह गई… कम से कम बबत्ते भर लांबा लण्ड होगा और मोटा इतना कक मट्
ु ठी में ना समाये, और वह
ककसी िोटो को दे िकर मट्
ु ठ मार रहा था। कम से कम आधे घांटे बाद झड़ा होगा, और बाद में अांदर जाकर मैंने
दे िा तो… जानती हो वह िोटो ककसकी थी?”

“ककसकी? ववपाशा बसु या ऐश की?” मेरी आाँिों के सामने तो उसकी मट्


ु ठ मारती हुई तस्वीर घम
ू रही थी।

“जी नहीां… तम्


ु हारी… और मझ
ु े लगा की पहले भी वो तम्
ु हारी िोटो के साथ कई बार मट्
ु ठ मार चुका है । यहाां मैं
अपनी चूत मलये मलये घम
ू रही हूाँ वहाां वह बेचारा… तम्
ु हारी याद में मट्
ु ठ मार रहा है … अगर तम
ु दे दे ती तो?”

मझ
ु े याद आ रहा था कक कई बार मैं उसको अपने उभारों को घरू ते दे ि चुकी हूाँ और जैसे ही हमारी ननगाहें चार
होती हैं वह आाँिें हटा लेता है , और एक बार तो मैं सोने वाली थी कक मैंने पाया कक वह हल्के-हल्के मेरे सीने के
उभारों को छू रहा है । मैं आाँि बांद ककये रही और वह हल्के-हल्के सहलाता रहा। पर उसे लगा कक शायद मैं

ve
जगने वाली हूाँ तो उसने अपना हाथ हटा मलया।

मझ
ु े भी वह बहुत अच्छा लगाता था।

“क्यों नहीां चद
ु वा लेती उससे?” मेरी चत

“आखिर… कैसे? मेरा कजजन है …”


.li
ू पर कसकर नघस्सा मारते हुये, चन्दा ने पछ
ू ा।
um
“अरे लोग सगे को नहीां छोड़ते… तम
ु कजजन की बात कर रही हो, तम्
ु हें कुछ ख्याल है कक नहीां उसका, अगर
कहीां इधर-उधर जाना शरू
ु कर ददया… कोई ऐसा वैसा रोग लगा बैठा तो?”

चन्दा ने किर मझ
ु े पहली बार की तरह कगार पे ले जाकर छोड़ना शरू
ु कर ददया, और जब मैंने िुलके कसम
or

िाकर ये प्राममस ककया कक न मैं मसिम रवीन्र से चुदवाऊाँगी बलकी रवीन्र से उसकी भी चूत चुदवाऊाँगी तभी
उसने मझ
ु े झड़ने ददया। जब सब
ु ह होने को थी तब जाकर हम दोनों सोये।

बाहर बाररश बांद हो गई थी, लेककन आम के पेड़ों से झरकर बद


ूां े अभी भी धीरे -धीरे टप-टप चगर रही थीां।
Xf

***** *****
अगले ददन दोपहर के पहले से ही मेले जाने की तैयाररयाां शरू
ु हो गई थीां। पहले एक चूड़ी वाली आयी और मैंने
भी सबके साथ, कुहनी तक हरी-हरी चूड़ीयाां पहनी। आज भाभी और चम्पा भाभी ने तय ककया था कक वो मझ
ु े
शहर की गोरी से गााँव की गोरी बनाकर रहें गी। पावों में महावर और हाथों में रच-रच कर में हदी तो लगायी ही,
नािून भी िूब गाढ़े लाल रां गे गये, पावों में घघ
ुां रू वाली पाजेब, कमर में चाांदी की करधनी पहनायी गई। भाभी ने
अपनी िब
ू घेर वाली हरे रां ग की चन
ु री भी पहना दी, लेककन उसे मेरी गहरी नाभी के िब
ू नीचे ही बाांधा, जजससे
मेरी पतली बलिाती कमर और गोरा पेट साि ददि रहा था। लेकीन परे शानी चोली की थी, चन्दा के उभार
मझ
ु से बड़े थे इसमलये उसकी चोली तो मझ
ु े आती नहीां पर रमा जो भाभी की कजजन थी और मझ
ु से एक साल
से थोड़ी ज्यादा छोटी थी, की चोली मैंने ट्राई की। पर वह बहुत कसी थी।

16
चम्पा भाभी ने कहा- “अरे यहाां गााँव में चड्ढी बननयान औरतें नहीां पहनती…” और उन्होंने मझ
ु े बबना ब्रा के चोली
पहनने को मजबरू ककया। भाभी ने तो ऊपर के दो हुक भी िोल ददये, जजससे अब ठीक तो लग रहा था पर मैं
थोड़ा भी झुकती तो सामने वाले को मेरे चूचुक तक के दशमन हो जाते और चोली अभी भी इत्ती टाइट थी कक मेरे
जोबनकर उभार साि-साि ददि रहे थे। हाथ में तो मैंने चूडड़याां, कलाई भर-भरकर तो पहनी ही थीां, भाभी ने
मझ
ु े कांगन और बाजूबद
ां भी पहना ददये। चन्दा ने मेरी बड़ी-बड़ी आाँिों में िूब गाढ़ा काजल लगाया, माथे को
एक बड़ी सी लाल बबांदी और कानों में झुमके पहना ददये।

चन्दा की छोटी बहन, कजरी, उसकी सहे ली, गीता, परू बी और रमा भी आ गई थीां और हम सब लोग मेलेकर
मलये चल ददये। काले उमड़ते, घम
ु ड़ते बादल, बाररश से भीगी ममट्टी की सोंधी-सोंधी महक, चारों ओर िैली हरी-
हरी चनु री की तरह धान के िेत, हल्की-हल्की बहती ठां डी हवा, मौसम बहुत ही मस्त हो रहा था। हरी, लाल,
पीली, चुनररया, पहने अठिेमलयाां करती, कजरी और मेलक े र गाने के तान छे ड़ती, लड़ककयों और औरतों के झडांु
मस्त, मेले की ओर जा रहे थे, लग रहा था कक ढे र सारे इांरधनर्
ु जमीन पर उतर आयें हो। और उनको छे ड़ते,
गाते, मस्ती करते, लम्बे, िूब तगड़े गठीले बदन के मदम भी… नजर ही नहीां हटती थी।

ve
कजरी ने तान छे ड़ी- “अरे , पाांच रुपय्या दे दो बलम, मैं मेला दे िन जाऊाँगी…” और हम सब उसका गाने में साथ
दे रहे थे।

तभी एक परु
मल
ु र् की आवाज सन
.li
ु ायी पड़ी- “अरे पाांच के बदले पचास दै दे ब, जरा एक बार अपनी सहे ली से
ु ाकात तो करवा दो…” वह सन
ु ील था और उसके साथ अजय, रवी, ददनेश और उनके और साथी थे।
um
परू बी ने मझ
ु े छे ड़ते हुये कहा- “अरे , करवा ले ना… एक बार… हम सबका िायदा हो जायेगा…”

मैंने शमाम कर नीचे दे िा तो मेरा आांचल हटा हुआ था और मेरे जोबनकर उभार अच्छी तरह ददि रहे थे, जजसका
रसास्वादन सभी लड़के कर रहे थे।
or

“बोला, बोला दे ब,ू दे बू कक जइबू थाना में बोला, बोला…” सन


ु ील ने मझ
ु े छे ड़ते हुए गाया।

“अरे दे गी, वो तो आयी ही इसीमलये है … दे िो ना आज हरी चन


ु री में कैसे हरा मसगनल दे रही है…” चन्दा कहाां
चुप रहने वाली थी।
Xf

“अच्छा अब तो इस हरे मसगनल पर तो हमारा इांजन सीधे स्टे शन के अांदर ही घस


ु कर रुकेगा…” उसके साथी ने
िुलकर अपना इरादा जताया।

“साढ़े तीन बजे गड्


ु डी जरुर ममलना, अरे साढ़े तीने बजे…” अजय की रसभरी आवाज मेरे कानों में पड़ी।

चन्दा ने िुसिुसाया- “अरे बोल दे ना वरना ये पीछे पड़े ही रहें गे…”

“ठीक है , दे िूांगी…” मैंने अजय की ओर दे िते हुए कहा।

“अरे लड़की शायद कहे, तो हााँ होता है …” अजय के एक साथी ने उससे कहा।
17
वह मदों के एक झांड
ु के साथ चल ददये और हम लोग भी हाँसते खिलखिलाते मेले की ओर चल पड़े। मेले का
मैदान एकदम पास आ आया था, ऊाँचे-ऊाँचे झूल,े नौटां की के गाने की आवाज… भीड़ एकदम बढ़ गई थी, एक ओर
थोड़ा ज्यादा ही भीड़ थी।

कजरी ने कहा- “हे उधर से चलें?”

“और क्या? चलो ना…” गीता उसी ओर बढ़ती बोली, पर कजरी मेरी ओर दे ि रही थी।

“अरे ये मेलें में आयी हैं तो मेले का मजा तो परू ा लें…” खिलखिलाते हुये परू बी बोली।

मैं कुछ जवाब दे ती तब तक भीड़ का एक रे ला आया और हम सब लोग उस सांकरे रास्ते में धांस गये। मैंने
चन्दा का हाथ कसकर पकड़ रिा था। ऐसी भीड़ थी की दहलना तक मजु श्कल था, तभी मेरे बगल से मदों का

ve
एक रे ला ननकला और एक ने अपने हाथ से मेरी चूची कसकर दबा दी। जब तक मैं सम्हलती, पीछे से एक
धक्का आया, और ककसी ने मेरे ननतम्बों के बीच धक्का दे ना शरू
ु कर ददया। मैंने बगल में चन्दा की ओर दे िा
तो उसको तो पीछे से ककसी आदमी ने अच्छी तरह से पकड़ रिा था, और उसकी दोनों चूचचयाां कस-कस के दबा
रहा था और चन्दा भी जमके मजा ले रही थी।

.li
कजरी और गीता, भीड़ में आगे चली गई थीां और उनको तो दो-दो लड़कों ने पकड़ रिा था और वो मजे से
अपने जोबन ममजवा, रगड़वा रही हैं। तभी भीड़ का एक और धक्का आया और हम उनसे छूटकर आगे बढ़ गये।
um
भीड़ अब और बढ़ गई थी और गली बहुत सांकरी हो गई थी। अबकी सामने से एक लड़के ने मेरी चोली पर हाथ
डाला और जब तक मैं सम्हलती, उसने मेरे दो बटन िोलकर अांदर हाथ डालकर मेरी चूची पकड़ ली थी। पीछे से
ककसी के मोटे िड़े लण्ड का दबाव मैं साि-साि अपने गोरे -गोरे , ककशोर चत
ू ड़ों के बीच महसस
ू कर रही थी। वह
अपने हाथों से मेरी दोनों दरारों को अलग करने की कोमशश कर रहा था और मैंने पैंटी तो पहनी नहीां थी,
इसमलये उसके हाथ का स्पशम सीधे-सीधे, मेरी कांु वारी गाण्ड पर महसस
ू हो रहा था। तभी एक हाथ मैंने सीधे
or

अपनी जाांघों के बीच महसस


ू ककया और उसने मेरी चत
ू को साड़ी के ऊपर से ही रगड़ना शरू
ु कर ददया था। चूची
दबाने के साथ उसने अब मेरे िड़े चच
ू ुकों को भी िीांचना शरू
ु कर ददया था। मैं भी अब मस्ती से ददवानी हो रही
थी।
Xf

चन्दा की हालत भी वही हो रही थी। उस छोटे से रास्ते को पार करने में हम लोगों को 20-25 ममनट लग गये
होंगे और मैंने कम से कम 10-12 लोगों को िल
ु कर अपना जोबन दान ददया होगा।

बाहर ननकलकर मैं अपनी चोली के हुक बांद कर रही थी कक चन्दा ने आ के कहा- “क्यों मजा आया हानम दबवाने
में …”

बेशमी से मैंने कहा- “बहुत…”

पर तब तक मैंने दे िा की गीता, पास के गन्ने के िेत में जा रही है । मैंने पछ


ू ा- “अरे … ये गीता कहाां जा रही
है …”

18
चन्दा ने आाँि मारकर, अांगठ
ू े और उां गली के बीच छे द बनाकर एक उां गली को अांदर-बाहर करते हुए इशारे से
बताया चद ु ाई करवाने। और मझ ु े ददिाया की उसके पीछे रवी भी जा रहा है ।

“पर तम
ु कहाां रुकी हो, तम्
ु हारा कोई यार तम्
ु हारा इांतज
े ार नहीां कर रहा क्या?” चन्दा को मैंने छे ड़ा।

“अरे लेककन तम्


ु हें कोई उठा ले जायेगा तो मैं ही बदनाम होऊाँगी…” चन्दा ने हाँसते हुए मेरे गल
ु ाबी गालों पर
चचकोटी काटी।

“अरे नहीां… किर तम्


ु हें िश
ु रिूांगी तो मेरा भी तो नांबर लगा जायेगा। जाओ, मैं यही रहूांगी…” मैं बोली।

“अरे तम्
ु हारा नांबर तो तम
ु जब चाहो तब लग जाये, और तम
ु न भी चाहो तो भी बबना तम्
ु हारा नांबर लगवाये
बबना मैं रहने वाली नहीां, वरना तम
ु कहोगी कक कैसी सहे ली है अकेले-अकेले मजा लेती है …” और यह कहकर वह
भी गन्ने के िेत में धांस गई।

ve
मैंने दे िा की सन
ु ील भी एक पगडांडी से उसके पीछे -पीछे चला गया। गन्ने के िेत में सरसराहट सी हो रही थी।
मैं अपने को रोक नहीां पायी और जजस रास्ते से सनु नल गया था, पीछे -पीछे , मैं भी चल दी। एक जगह थोड़ी सी
जगह थी और वहाां से बैठकर साि-साि ददि रहा था। चन्दा को सन
ु ील ने अपनी गोद में बैठा रिा था और
चोली के ऊपर से ही उसके जोबन दबा रहा था। चन्दा िद
को उठाकर कमर तक कर मलया। मझ
.li
ु ही जमीन पर लेट गई और अपनी साड़ी और पेटीपेट
ु े पहली बार लगा की साडी पहनना ककत्ता िायदे मद
ां है ।
um
उसने अपनी दोनों टाांगें िैला लीां और कहने लगी- “हे जल्दी करो, वो बाहर िड़ी होगी…”

सन
ु ील ने भी अपने कपड़े उतार ददये। उि… ककत्ता गठा मस्कुलर बदन था, और जब उसने अपना… वाउ… िब

लांबा मोटा और एकदम कड़ा लण्ड… मेरा तो मन कर रहा था कक बस एक बार हाथ में ले ल।ूां सन
ु ील ने उसकी
चोली िोल दी और सीधे, िैली हुई टाांगों के बीच आ गया।
or

उसके लण्ड का चूत पर स्पशम होते ही चन्दा मसहर गई और बोली- “आज कुछ ज्यादा ही जोश में ददि रहे हो
क्या मेरी सहे ली की याद आ रही है…”
Xf

“और क्या? जब से उसे दे िा है मेरी यही हालत है, एक बार ददलवा दो ना प्लीज…” सन
ु ील अपने दोनों हाथों से
चन्दा के मम्मे जमकर मसल रहा था।

चन्दा जजस तरह मससकारी भर रही थी, उसके चेहरे पे िुशी झलक रही थी, उससे साि लग रहा था की उसे
ककतना मजा आ रहा था। मेरा भी मन करने लगा कक अगर चन्दा की जगह मैं होती तो?

सन
ु ील अपना मोटा लण्ड चन्दा की बरु पर ऊपर से ही रगड़ रहा था और चन्दा मस्ती से पागल हो रही थी- “हे
डालो ना… आग लगी है क्यों तड़पा रहे हो?”

सन
ु ील ने उसके एक ननपल को हाथों से िीांचते हुए कहा- “पहले वादा करो… अपनी सहे ली की ददलवाओगी…”

19
चन्दा तो जोश से पागल हो रही थी और मझ
ु े भी लगा रहा था कक ककतना अच्छा लगता होगा। वह चूतड़ उठाती
हुई बोली- “हााँ, हााँ… ददलवा दां ग
ू ी, चद
ु वा दां ग
ू ी उसको भी, पर मेरी चत
ू तो चोदो, नशे में पागल हुई जा रही हूाँ…”

सन
ु ील ने उसकी दोनों टाांगों को उठाकर अपने कांधे पर रिा और उसकी कमर पकड़कर एक धक्के में अपना
आधा लण्ड उसकी चूत में ठे ल ददया। मैं अपनी आाँि पर यकीन नहीां कर पा रही थी, इतनी कसी चूत और एक
झटके में मससकी मलये बबना, लण्ड घोंट गई।

अब एक हाथ से सन
ु ील उसकी चूची मसल रहा था, और दस
ू रे से उसकी कमर कसकर पकड़े था।

थोड़ी दे र में ही, चन्दा किर मससककयाां लेने लगी- “रुक क्यों गये… डालो ना प्लीज… चोदो ना… उह्ह… उह्ह्ह…”

सन
ु ील ने एक बार किर दोनों हाथ से कमर पकड़कर अपना लण्ड, सप
ु ाड़े तक ननकाल मलया और किर एक धक्के
में ही लगभग जड़ तक घस
ु ड़
े ददया। अब लगा रहा था कक चन्दा को कुछ लग रहा था।

ve
चन्दा- “उि… उह िट गई… लग रहा है , प्लीज, थोड़ा धीरे से एक ममनट रुक… हााँ हाां ऐसे ही बस पेलते रहो हााँ,
हााँ डालो, चोद दो मेरी चूत… चोद दो…”

चन्दा और सन
ु ील दोनों ही परू े जोश में थे। सन

होती और मेरी चत
ू में सन
ु ील का ये मस
ू ल जैसा लण्ड घस
.li
ु ील का मोटा लण्ड ककसी वपस्टन की तरह तेजी से चन्दा की चत
के अांदर-बाहर हो रहा था। चन्दा की मस्ती दे िकर तो मेरा मन यही कह रहा था कक काश… उसकी जगह मैं
ु रहा होता… थोड़ी दे र में सन

ु ील ने चन्दा की टाांगें किर


um
से जमीन पर कर दीां और वह उसके ऊपर लेट गया, उसका एक हाथ, चन्दा के चूचुक मसल रहा था और दस
ू रा
उसकी जाांघों के बीच, शायद उसकी जक्लट मसल रहा था। चन्दा का एक चच
ू ुक भी सन
ु ील के माँह
ु में था। अब
तो चन्दा नशे में पागल होकर अपने चत
ू ड़ पटक रही थी। उसने किर दोनों टाांगों को उसके पीठ पर िांसा मलया।
मैं सोच भी नहीां सकती थी कक चद
ु ाई में इत्ता मजा आता होगा, अब मैं महसस
ू कर रही थी कक मैं क्या ममस
कर रही थी।
or

सटासट, सटासट… सन
ु ील का मोटा लण्ड… उसकी चूत में अांदर-बाहर… चन्दा का शरीर जजस तरह से काांप रहा था
उससे साि था कक वो झड़ रही है । पर सन
ु ील रुका नहीां, जब वह झड़ गई तब सन
ु ील ने थोड़ी दे र तक रुक-रुक
कर किर से उसके चूचक
ु चस
ू ने, गाल पर चुम्मी लेना, कसकर मम्मों को मसलना रगड़ना शरू
ु कर ददया और
Xf

चन्दा ने किर मससककयाां भरना शरू


ु कर ददया। एक बार किर सन
ु ील ने उसकी टाांगों को मोड़कर उसके चूतड़ों को
पकड़कर जमके िब
ू कस के धक्के लगाने शरू
ु कर ददये। क्या मदम था… क्या ताकत… चन्दा एक बार और झड़
गई। तब कहीां 20-25 ममनट के बाद वह झड़ा और दे र तक झड़ता रहा। वीयम ननकलकर बहुत दे र तक चन्दा के
चूतड़ों पर बहता रहा। अब उसने अपना लण्ड बाहर ननकाला तब भी वह आधा िड़ा था। मैं मांत्रमग्ु ध सी दे ि रही
थी, तभी मझ
ु े लगा कक अब चन्दा थोड़ी दे र में बाहर आ जायेगी, इसमलये, दबे पाांव मैं गन्ने के िेत से बाहर
आकर इस तरह िड़ी हो गई जैसे उसके इांतज
े ार में बोर हो रही हूाँ।

चन्दा को दे िकर उसके ननतांबों पर लगी ममट्टी झाड़ती मैं बोली- “क्यों ले आयी मजा?”

“हााँ, तू चाहे तो तू भी ले ले, तेरा तो नाम सन


ु कर उसका िड़ा हो जाता है…” चन्दा हाँसकर बोली।

20
“ना, बाबा ना, अभी नहीां…”

“ठीक है , बाद में ही सही पर ये चचडड़या अब बहुत दे र तक चारा िाये बबना नहीां रहे गी…” साड़ी के ऊपर से मेरी
चूत को कसके रगड़ती हुई वो बोली, और मझ ु े हाथ पकड़कर मेले की ओर िीांचकर, लेकर चल दी।

मेले में गीता के साथ परू बी, कजरी और बाकी लड़कीयाां किर ममल गईं। चन्दा ने आाँिों के इशारे से पछ
ू ा तो
गीता ने उां गली से दो का इशारा ककया। मैं समझ गई कक रवी से ये दो बार चद
ु ा के आ रही है । परू े मेले में
खिलखिलाती नततमलयों की तरह हम लोग उड़ते किर रहे थे। हम लोगों ने गोलगप्पे िाये, झूले पर झूल,े हम
लोगों का झुांड जजधर जाता, परू े मेले का ध्यान उधर मड़
ु जाता और किर जैसे ममठाई के साथ-साथ मजक्ियाां आ
जाती हैं, हमारे पीछे -पीछे , लड़कों की टोली भी पहुाँच जाती। और दक
ु ानदार भी कम शरारती नहीां थे, कोई चड़
ू ी
पहनाने के बहाने जोबन छू लेता तो कोई कलाई पकड़ लेता। और लड़कीयों को भी इसमें मजा ममल रहा था,
क्योंकी इसी बहाने उन्हें िब
ू छूट जो ममल रही थी। थोड़ी दे र में मैं भी एक्सपटम हो गई। दक
ु ानदार के सामने मैं
ऐसे झुक जाती कक उसे न मसिम चोली के अांदर मेरे जोबन का नजारा ममल जाता बल्की वह मेरे चूचुक तक

ve
साि-साि दे ि लेता। उसका ध्यान जब उधर होता तो मेरी सहे मलयाां उसका कुछ सामान तो पार ही कर लेतीां,
और मझ
ु े जो वो छूट दे ता वो अलग। हम ऐसे ही मस्ती में घम
ू रहे थे।

परू बी ने गाया-

अरे मैं तो बछनया यार फाँसा लांग


अरे िब वो बछनया चवन्नी माांगे,
ू ी,
.li
um
अरे िब वो बछनया चवन्नी माांगे, मैं तो िोबना खोल हदखा दां ग
ू ी।
अरे मैं तो बछनया यार फाँसा लांग
ू ी, दध
ू िलेबी खा लांग
ू ी
अरे िब वो बछनया रुपैया माांगे,
अरे िब वो बछनया रुपैया माांगे, मैं तो लहां गा खोल हदखा दां ग
ू ी।
or

गद
ु ने वाली के पास भी हम लोग गये और मैंने भी अपनी ठुड्डी पे नतल गद
ु वाया। तभी मैंने दे िा कक बगल की
दक
ु ान पे दो बड़े िब
ू सरू त लड़के बैठें हैं, िब
ू गोरे , लांबे, ताकतवर, कसरती, गठे बदन के, उनकी बातों में मेरा
नाम सन
ु के मेरा ध्यान ओर उनकी ओर लग गया।
Xf

“अरे तम
ु ने दे िा है, उस शहरी माल को, क्या मस्त चीज है …” एक ने कहा।

“अरे मैं, आज तो सारा मेला उसी को दे ि रहा है , उसकी लम्बी मोटी चत


ू ड़ तक लटकती चोटी, जब चलती है तो
कैसे मस्त, कड़े कड़े, मोटे कसमसाते चूतड़, मेरा तो मन करता है , कक उसके दोनों चूतड़ों को पकड़कर उसकी
गाण्ड मार ल…
ूां एक बार में अपना लण्ड उसकी गाण्ड में पेल दां …
ू ” दस
ू रा बोला।

“अरे मझ
ु े तो बस… क्या, गल
ु ाबी गाल हैं उसके भरे -भरे , बस एक चुम्मा दे दे यार, मन तो करता है कक कचाक
से उसके गाल काट ल…
ूां ” पहला बोला।

21
दस
ू रा बोला- “और चच
ू ी… ऐसी मस्त रसीली कड़ी-कड़ी चूचचयाां तो यार पहली बार दे िीां, जब चोली के अांदर से
इत्ती रसीली लगती हैं तो… बस एक बार चोदने को ममल जाय…”

शायद ककसी और ददन मैं ककसी को अपने बारे में ऐसी बातें बोलती सन
ु ती तो बहुत गस्
ु सा लगता, पर आज ये
सबसे बड़ी तारीि लग रही थी… और ये सनु के मैं एकदम मस्त हो गई। जब मैंने अपनी सहे मलयों की ओर
ननगाहें डाली तो वहाां उनके साथ कई लड़के िड़े थे, जब मैं नजदीक गई तो पाया कक चन्दा के साथ सन
ु ील,
गीता के साथ रवी और कजरी और परू बी के साथ भी एक-एक लड़का था। अजय अकेला िड़ा था।

गीता ने अजय को छे ड़ा- “अरे … सब अपने-अपने माल के साथ िड़े हैं… और तम


ु अकेले…”

मैंने ठीक से सन
ु ा नहीां पर मैं अजय को अकेले दे िकर उसके पास िड़ी हो गई और बोली- “मैं हूाँ ना…”

सब हाँसने लगे, पर अजय ने अपने हाथ मेरे कांधे पर रिकर मझ


ु े अपने पास िीांच मलया और सटाकर कहने

ve
लगा- “मेरा माल तो है ही…”

थोड़ा बोल्ड बनकर अपना हाथ उसकी कमर में डालकर, मैं और उससे मलपट, चचपट गई और बोली- “और क्या,
जलती क्यों हो, तम
ु लोग…”

चन्दा मझ
कराओ…”
.li
ु े चचढ़ाते हुए, अजय से बोली- “अरे इतना मस्त, तम्
ु हारा मन पसांद माल ममल गया है, माँह
ु तो मीठा
um
“कौन सा माँह
ु , ऊपर वाला या नीचे वाला?” छे ड़ते हुए गीता चहकी।

“अरे हम लोगों का ऊपर वाला और अपने माल का दोनों…” चन्दा मश्ु कुरा के बोली।
or

एक दक
ु ान पर ताजी गरम-गरम जलेबबयाां छन रहीां थीां। हम लोग वहीां बैठ गये।

सब लोगों को तो दोने में जलेबबयाां दीां पर मझ


ु े उसने अपने हाथ से मेरे गल
ु ाबी होंठों के बीच डाल दी। थोड़ा रस
टपक कर मेरी चोली पर चगर पड़ा और उसने बबना रुके अपने हाथ से वहाां साि करने के बहाने मेरे जोबन पे
Xf

हाथ िेर ददया। हम लोग थोड़ा दरू पेड़ के नीचे बैठे थे। उसका हाथ लगाते ही मैं मसहर गई।

एक जलेबी अपने हाथों में लेकर मैंने उसे ललचाया- “लो ना…” और जब वो मेरी ओर बढ़ा तो मैंने जलेबी अपने
होंठों के बीच दबाकर जोबन उभारकर कहा- “ले लो ना…”

अब वो कहाां रुकने वाला था, उसने मेरा सर पकड़कर मेरे होंठों के बीच अपना मह
ाँु लगा के न मसिम जलेबी का
रसास्वादन ककया बल्की अब तक कांु वारे मेरे होंठों का भी जमकर रस मलया और उसे इत्ते से ही सांतोर् नहीां हुआ
और उसने कसके मेरे रसीले जोबन पकड़कर अपनी जीभ भी मेरे माँह ु में डाल ददया।

“हे क्या िाया वपया जा रहा है , अकेले-अकेले?” चन्दा की आवाज सन


ु कर हम दोनों अलग हो गये।

22
रात शरू
ु हो गई थी। हम सब घर की ओर चल ददये। रास्ते में मैंने दे िा कक परू बी उन दोनों लड़कों से, जो मेरी
“रसीली तारीि”कर रहे थे, घल
ु ममलकर बात कर रही थी। गीता ने बताया कक वे परू बी के ससरु ाल के हैं और
बल्की उसके ससरु ाल के यार हैं। अजय का घर भाभी के घर से सटा हुआ ही था।

जब वो मड़
ु ने लगा तो हाँसकर मैंने कहा- “आज तम
ु ने मझ
ु े जठ
ू ा कर ददया…”

शैतानी से मेरी जाांघों के बीच घरू ता हुआ वो बोला- “अभी कहााँ, अभी तो अच्छी तरह हर जगह जठ
ू ा करना बाकी
है …”

मैंने भी जोबन उभारकर, आाँि नचाते हुए कहा- “तो कर ले ना, मना ककसने ककया है …” और चन्दा के साथ घर
में दाखिल हो गई।

चन्दा घर जाने की जजद करने लगी और मझ


ु से कहने लगी की, मैं भी उसके साथ चल।ूां मझ
ु े भी उससे कुछ

ve
सामान लेना था, लेककन मैं अकेले कैसे लौटती, ये सवाल था। तभी अजय दरवाजे पे नजर गया। चन्दा ने उससे
बबनती की- “अजय चलो ना जरा मझ
ु े घर तक छोड़ दो…”

पर अजय ने माँह
ु बनाया और कहने लगा कक उसे कुछ जरूरी काम है ।

.li
मैंने बहुत प्यार से कहा- “मैं भी चल रही हूाँ और किर मैं अकेले कैसे लौटूांगी, चलो ना…”
um
िुशी की लहर उसके चेहरे को दौड़ गई- “हााँ, एकदम चलो ना मैं तो आया ही इसीमलये था…”

चम्पा भाभी, जो मेरी भाभी के साथ ककसी और काम में व्यस्त थीां, ने भी उससे कहा कक वह हमारे साथ चल
चले। भाभी ने मझ
ु से कहा कक सब लोग पड़ोस में रतजगे में जायेंगे इसमलये मैं जब लौटूां तो पीछे वाले दरवाजे
से लौटूां और बसांती रहे गी वह दरवाजा िोल दे गी।
or

हम तीनों चन्दा के घर के मलये चल ददये। चन्दा ने अजय को छे ड़ा- “अच्छा, मैं कह रही थी तो जनाब के पास
टाइम नहीां था, और एक बार इसने कहा…”
Xf

“आखिर ये मेरा माल जो है …” और अजय ने मझ


ु े कस के पकड़ मलया।

और मैंने भी उसकी बाांहो में मसमटते हुए, चन्दा को छे ड़ा- “मझ


ु े कहीां कुछ जलने की महक आ रही है…”

चन्दा बोली- “लौटते हुए लगाता है इस माल का उद्घाटन हो जायेगा, डरना मत मेरी बबन्नो…”

“यहाां डरता कौन है?” जोबन उभारकर मैंने कहा।

चन्दा के यहाां से हम जल्दी ही लौट आये। रात अच्छी तरह हो गई थी। चारों ओर, घने बादल उमड़ घम
ु ड़ रहे
थे। तेज हवा साांय-साांय चल रही थी। बड़े-बड़े पेड़ हवा में झम
ू रहे थे, बड़ी मजु श्कल से रास्ता ददि रहा था।

23
मैंने कस के अजय की कलाई पकड़ रिी थी। पता नहीां अजय ककधर से ले जा रहा था कक रास्ता लांबा लग रहा
था। एक बार तेजी से बबजली कड़की तो मैंने उसे कस के पकड़ मलया। हम लोग उस अमराई के पास आ आ
गये थे जहाां कल हम लोग झूला झूलने गये थे। हल्की-हल्की बद
ूां े पड़नी शरू
ु हो गई थीां।

अजय ने कहा- “चलो बाग में चल चलते हैं, लगता है तेज बाररश होने वाली है …” और उसके कहते ही मस
ु लाधार
बाररश शरू
ु हो गई। मेरी साड़ी, चोली अच्छी तरह मेरे बदन से चचपक गये थे। जमीन पर भी अच्छी किसलन हो
गई थी। बाग के अांदर बाररश का असर थोड़ा तो कम था, पर अचानक मैं किसल कर चगर पड़ी। मझ
ु े कसकर
चोट लगती, पर, अजय ने मझ
ु े पकड़ मलया। उसमें एक हाथ उसका मेरे जोबन पर पड़ गया और दस
ू रा मेरे
ननतांबों पर। मैं अच्छी तरह मसहर गई।

सामने झूला ददि रहा था, उसने मझ


ु े वहीां बैठा ददया और मेरे बगल में बैठ गया। तभी बड़े जोर की बबजली
चमकी और उसने और मैंने एक साथ दे िा कक भीगने से मेरा ब्लाउज एकदम पारदशी हो गया है, ब्रा तो मैंने
पहनी नहीां थी इसमलये मेरी चूचचयाां साि ददि रही थीां। अजय के चेहरे पे उत्तेजना साि-साि ददि रही थी।

ve
उसने मझ
ु े िीांचकर अपनी गोद में बैठा मलया और मेरे गालों को चूमने लगा। उसके हाथ भी बेसबरे हो रहे थे
और उसने एक झटके में मेरी चोली के सारे बटन िोल ददये। मेरी साड़ी भी मेरी जाांघों के बीच चचपक गई थी।
उसका एक हाथ वहाां भी सहलाने लगा। मैं भी मस्ती में गरम हो रही थी। उसका हाथ अब मेरे िुले जोबन को
धीरे -धीरे सहला रहा था।

.li
जोश में मेरे चूचुक परू े िड़े हो गये थे। उसने साड़ी भी नीचे कर दी और अब मैं परू ी तरह टापलेश हो गई थी।
जब वह मेरे कड़े-कड़े ननपल मसलता तो… मेरी भी मससकी ननकल रही थी। तभी मझ
ु े लगा की मैं क्या कर रही
um
हूाँ… मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था पर मैं बोलने लगी- “नहीां अजय प्लीज मझ
ु े छोड़ दो… नहीां रहने दो घर
चलते हैं… किर कभी… आज नहीां…”

पर अजय कहाां सन
ु ने वाला था, उसके हाथ अब मेरी चूचचयाां िूब कस के रगड़ मसल रहे थे। मन तो मेरा भी
यही कर रहा था कक बस वह इसी तरह रगड़ता रहे , मसलता रहे … मेरे मम्मे। पर मैं बोले जा रही थी- “अजय,
or

प्लीज छोड़ दो आज नहीां… हटो मैं गस्


ु सा हो जाऊाँगी… सीधे से घर चलो… वरना…”

और अजय मझ ु े झल
ू े पर ही छोड़कर हट गया। उसकी आवाज जाती हुई सन
ु ाई दी- “ठीक है, मैं चलता हूाँ… तम

घर आ जाना…”
Xf

मैं थोड़ी दे र वैसे ही बैठी रही पर अचानक ही बबजली कड़की और मैं डर से मसहर गई। हवा और तेज हो गई
थी। पास में ही ककसी पेड़ के चगरने की आवाज सन
ु ाई दी और मैं डर से चीि उठी- “अजय… अजय… प्लीज
अजय… लौट आओ… अजय…”

परू ा सन्नाटा था, किर ककसी जानवर की आवाज तेजी से सन


ु ाई पड़ी और मैं एकदम से रुआांसी हो गई। मैं भी
ककतनी बेवकूि हूाँ, मन तो मेरा भी कर रहा था, आखिर चन्दा, गीता सब तो चद ु वा रही थीां और सब
ु ह से तो मैं
भी अजय को मसगनल दे रही थी- “अजय… अजय… अजय्य्य्य…” मैंने किर पक ु ारा, पर कोई जवाब नहीां था,
लगाता है , गस्
ु सा होकर चला गया, लेककन वह भी ककतना… मझ
ु े मना सकता था… कुछ ना हो तो जबदमस्ती कर
सकता था।

24
आखिर इतना हक तो उसका है ही। थोड़ा वक्त और गज ु र गया। मैं बहुत जोर से डर रही थी। मैं पक
ु ारने लगी-
“अजय प्लीज आ जाओ, मैं तम्
ु हारे पाांव पड़ती हूाँ… तम
ु मझ ु े ककस करो, जो भी चाहे करो, प्लीज आ जाओ… मैं
सारी बोलती हूाँ… मैं तम्
ु हारी हूाँ… जो भी चाहे…”

तब तक उसने मझ
ु े पीछे से पकड़ मलया, और बोला- “क्यों, मैं घर जाऊाँ?”

“नहीां मैं बहुत सारी हूाँ…” मैं भी उसे और कस के जकड़ के बोली।

“अच्छा, सच-सच बताओ, मेरी कसम, तम्


ु हारा भी मन कर रहा था कक नहीां…” अजय ने मेरे होंठों को चूमते हुए
पछ
ू ा।

“हााँ कर रहा था… बहुत कर रहा था…” मैंने अपने मन की बात सच-सच बता दी। अजय के होंठ अब मेरे रसीले
गलों का रस ले रहे थे।

ve
“क्या करवाने को कर रहा था?” मेरे गालों को काटते हुए उसने पछ
ू ा।

“वही करवाने को… जो तम्


ु हारा करने को कर रहा था…” हाँसते हुए मैंने कबल
ू ा।

“नहीां तम्
ु हारी सजा यही है कक आज तम
जाऊाँ तम्
ु िुलकर बताओ कक तम्
.li
ु हारा मन क्या कर रहा… वरना बोलो तो मैं चला
ु हें यहीां छोड़कर…” और ये कहते हुये उसने कस के मेरे कड़े ननपल को िीचा।
um
“मेरा मन कर रहा था॰ चुदवाने का तम
ु से आज अपनी कसी कांु वारी चूत… चुदवाने का…” और ये कहकर मैंने भी
उसके गालों पर कस के चम्
ु मी ले ली।

“तो चद
ु वाओ ना… मेरी जान शमाम क्यों कर रही थी, लो अभी चोदता हूाँ अपनी रानी को…” और उसने वहीां झल
ू े पे
or

मझ
ु े मलटाके मेरे टीन जोबन को कसके रगड़ने, मसलने, चूमने लगा।

थोड़ी ही दे र में मैं मस्ती में मससककयाां ले रही थी। मेरा एक जोबन उसके हाथों से कसकर रगड़ा जा रहा था और
दस
ू रे को वह पकड़े हुए था और मेरे उत्तेजजत ननपल को कस-कस के चूस रहा था। कुछ ही दे र में उसने जाांघों पर
Xf

से मेरे साड़ी सरका दी और उसके हाथ मेरी गोरी-गोरी जाांघों को सहलाने लगे। मेरी परू ी दे ह में करें ट दौड़ गया।
दे िते-दे िते उसने मेरी परू ी साड़ी हटा दी थी और चन्दा की तरह मैं भी टाांगें िैलाकर, घट
ु ने से मोड़कर लेट गई
थी। उसकी उां गमलयाां, मेरे 16 सावन के प्यासे भगोष्ठों को छे ड़ रहीां थी, सहला रही थी। अपने आप मेरी जाांघें,
और िैल रही थीां। अचानक उसने अपनी एक उां गली मेरी कांु वारी अनचुदी चूत में डाल दी और मैं मस्ती से
पागल हो गई। उसकी उां गली मेरी रसीली चत
ू से अांदर-बाहर हो रही थी और मेरी चूत रस से गीली हो रही थी।
बाररश तो लगभग बांद हो गई थी पर मैं अब मदन रस में भीग रही थी। उसका अांगठ
ू ा अब मेरी जक्लट को
रगड़, छे ड़ रहा था।

और मैं जवानी के नशे में पागल हो रही थी- “बस… बस करो ना… अब और ककतना… उह्ह्ह… उह्ह्ह… ओह्ह्ह…
अजय… बहुत… और मत तड़पाओ… डाल दो ना…”

25
अजय ने मझ
ु े झूले पे इस तरह मलटा ददया कक मेरे चत
ू ड़ एकदम ककनारे पे थे। बादल छां ट गये थे और चाांदनी
में अजय का… मोटा… गोरा… मस्क्यल
ु र… लण्ड, उसने उसे मेरी गल
ु ाबी कांु वारी… कोरी चत
ू पर रगड़ना शरू
ु कर
ददया, मेरी दोनों लम्बी गोरी टाांगें उसके चौड़े कांधों पर थीां। जब उसके लण्ड ने मेरी जक्लट को सहलाया तो मस्ती
से मेरी आाँिें बांद हो गईं। उसने अपने एक हाथ से मेरे दोनों भगोष्ठों को िैलाया और अपना सप
ु ाड़ा मेरी चत
ू के
मह
ु ाने पे लगा के रगड़ने लगा। दोनों चच
ू ीयों को पकड़कर उसने परू ी ताकत से धक्का लगाया तो उसका सप
ु ाड़ा
मेरी चूत के अांदर था।

ओह्ह… ओह्ह… मेरी जान ननकल रही थी, लगा रहा था मेरी चूत िट गई है- “उह्ह… उह्ह… अजय प्लीज… जरा
सा रुक जाओ… ओह्ह…” मेरी बरु ी हालत थी।

अजय अब एक बार किर मेरे होंठों को चूचक


ु को, कस-कस के चूम चूस रहा था। थोड़ी दे र में ददम कुछ कम हो
गया और अब मैं अपनी चत
ू की अदां रूनी दीवाल पर सप
ु ाड़े की रगड़न, उसका स्पशम महसस
ू कर रही थी और
पहली बार एक नये तरह का मजा महसस
ू कर रही थी। अजय की एक उां गली अब मेरी जक्लट को रगड़ रही थी

ve
और मैं भी ददम को भल
ू कर धीरे -धीरे चूतड़ किर से उचका रही थी।

एक बार किर से बादल घने हो गये थे और परू ा अांधेरा छा गया था। अजय ने अपने दोनों मजबत
ू हाथों से मेरी
पतली कमर को कस के पकड़ा और लण्ड को थोड़ा सा बाहर ननकाला, और परू ी ताकत से अांदर पेल ददया। बहुत
जोर से बादल गरजा और बबजली कड़की… और मेरी सील टूट गई।

मेरी चीि ककसी ने नहीां सन


.li
ु ी, अजय ने भी नहीां, वह उसी जोश में धक्के मारता रहा। मैं अपने चत
ू ड़ कस के
um
पटक रही थी पर अब लण्ड अच्छी तरह से मेरी चूत में घस
ु चुका था और उसके ननकलने का कोई सवाल नहीां
था। दस बाहर धक्के परू ी ताकत से मारने के बाद ही वह रुका। जब उसे मेरे ददम का एहसास हुआ और उसने
धक्के मारने बांद ककये।

मेरी चूत िटी जा रही थी। अजय ने मेरी पलकों पर, किर गालों पर धीरे -धीरे चूमा। उसका एक हाथ अब बड़े
or

प्यार से मेरे सर के बालों को सहला रहा था। धीरे -धीरे , अब वह कसकर मेरे होंठों को चूसने, चूमने लगा था और
एक हाथ से मेरे जोबन को प्यार से सहला रहा था। उसके इस प्यार भरे स्पशम ने मेरे ददम को आधा कर ददया।
अचानक जोबन सहला रहे उसके हाथ ने मेरे कड़े चच
ू क
ु को सहलाना, जफ्लक करना शरू
ु कर ददया, उसके होंठ
भी मेरे दस
ू रे ननपलस को जुबान से उसके बेस से ऊपर तक चाट रहे थे और थोड़ी दे र बाद उसने मेरे कड़े गल
ु ाबी
Xf

ननपल को कस-कस के चूसना शरू


ु कर ददया। अब एक बार किर मस्ती की नयी लहर मेरे अांदर दौड़नी शरू
ु हो
गई।

पर अजय भी… थोड़ी दे र में ही, उसका एक हाथ मेरे ननपल मसल, िीांच रहा था और दस
ू रा जक्लट को छे ड़ रहा
था। मेरा दस
ू रा ननपल उसके होंठों के बीच चूसा जा रहा था। मेरी चूत अभी भी ददम से िटी जा रही थी पर मेरी
दे ह में एक अजीब नशा दौड़ रहा था और अब अजय को भी इसका अहसास हो गया था। उसने अब एक बार
किर मेरी कमर को पकड़कर धीरे -धीरे धक्के मारने शरू
ु कर ददये। थोड़ी दे र में ही उसने धक्के की रफ्तार तेज
कर दी।

पर मैं मस्ती में बोले जा रही थी- “ओह्ह… अजय प्लीज हााँ ऐसे ही… नहीां बस जरा दे र रुक जाओ… ओह्ह… हााँ…
रुको नहीां बस ऐसे करते रहो बड़ा अच्छा… ओह्ह… ददम हो रहा है … प्लीज…”
26
कभी उसके हाथ मेरी चचू चयों को मसलते, कभी जक्लट को छे ड़ते, मेरी दोनों टाांगें उसके कांधों पर थी और वह
कभी मेरी दोनों चूचचयों को पकड़कर, कभी कमर को पकड़कर और कभी मेरे चूतड़ों को पकड़कर कस-कस के
धक्के लगाये जा रहा था।

बाररश किर तेजी से चालू हो गई थी, और पानी उसके शरीर से होकर मेरे ऊपर चगर रहा था, तेज धार मेरे कड़े
जोबनों पर सीधे पड़ रही थी।

मस्ती से मैं अपने चूतड़ों को उठा-उठाकर मजे ले रही थी और थोड़ी दे र में, मैं झड़ गई। पर अजय की चद
ु ाई की
रफ्तार में कोई कमी नहीां आयी। मैं झड़ती रही और वह दग
ु न
ु े जोश से चोदता रहा। मेरे झड़ चक
ु ने के बाद वह
रुका पर उसके होंठों और उां गमलयों ने मेरे ननपल को चस
ू -चूसकर, मेरी चूचचयों को रगड़-रगड़कर और मेरे जक्लट
को छे ड़-छे ड़ कर मेरी दे ह में ऐसी आग लगायी की थोड़ी ही दे र में मैं किर अपने चूतड़ उचकाने लगी। और अब
अजय ने जो चोदना शरू
ु ककया तो किर उसने रुकने का नाम नहीां मलया। मेरी कमर को पकड़कर वह लण्ड

ve
लगभग परू ा बाहर ननकालता और किर अांदर ढकेल दे ता, जब उसका लण्ड मेरी चत
ू को िैलाता, कसकर रगड़ता,
अांदर घस
ु ता, मैं बता नहीां सकती कैसा मजा ममल रहा था।

मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ मलया और- “हााँ अजय… अजय… हााँ रुको नहीां… बस चोदते रहो… और बहुत अच्छा
लगा रहा है … ओह्ह…”
.li
थोड़ी दे र के बाद जब मैं झड़ी तो उसके थोड़ी दे र बाद अजय भी झड़ गया, लेककन वह झड़ता रहा… झड़ता रहा
um
दे र तक… बाहर सावन बरस रहा रहा और अांदर मेरा सोलहवाां सावन।

प्यासी धरती की तरह मैं सोिती रही और जब अजय ने अपना लण्ड बाहर ननकाल मलया तो भी मैं वैसे ही पड़ी
रही। अजय ने मझ
ु े उठाकर अपनी गोद में बैठा मलया। मैंने झुक कर अपनी जाांघों के बीच दे िा, मेरी चूत अजय
के वीयम से लथपथ थी और अभी भी मेरी चूत से वीयम की सिेद धार, मेरी गोरी जाांघ पर ननकल रही थी। पर
or

तभी मैंने दे िा- “ओह्ह… ये िून िून कहाां से… मेरा िून…”

अजय ने मेरा गाल चम ू ते हुए, मेरा ब्लाउज उठाया और उसीसे मेरी जाांघ के बीच लगा वीयम और िनू पोंछते हुए
बोला- “अरे रानी पहली बार चुदोगी तो बरु तो िटे गी ही… और बरु िटे गी तो ददम भी होगा और िून भी
Xf

ननकलेगा, लेककन अब आगे से मसिम मजा ममलेगा…”

अजय का लण्ड अभी भी थोड़ा िड़ा था। उसे पकड़कर अपनी मट् ु ठी में लेते हुए, मैं बोली- “सब इसी की करतत

है … मजे के मलये मेरी कुवाांरी चूत िाड़ दी… और िून ननकाला सो अलग… और किर इतना मोटा लांबा पहली बार
में ही परू ा अांदर डालना जरूरी था क्या?”

अजय मेरा गाल काटता बोला- “अरे रानी मजा भी तो इसी ने ददया है… और आगे के मलये मजे का रास्ता भी
साि ककया है… लेककन आपकी ये बात गलत है की॰ जब तम्
ु हें ददम ज्यादा होने लगा तो मैंने मसिम आधे लण्ड से
चोदा…”

27
बनावटी गस्
ु से में उसके लण्ड को कस के आगे पीछे करती, मैं बोली- “आधे से क्यों? अजय ये तम्
ु हारी बेईमानी
है … इसने मझ
ु े इत्ता मजा ददया, जजांदगी में पहली बार और तम
ु ने… और ददम… क्या? आगे से मैं चाहे जजतना
चचल्लाऊाँ, चीि,ूां चूतड़ पटकांू , चाहे ददम से बेहोश हो जाऊाँ, पर बबना परू ा डाले तम
ु मझ
ु …
े छोड़ना मत, मझ
ु े ये परू ा
चादहये…”

अजय भी अब मेरी चूत में कस-कस के ऊाँगली कर रहा था- “ठीक है रानी अभी लो मेरी जान अभी तम्
ु हें परू े
लण्ड का मजा दे ता हूाँ, चाहे तम
ु जजत्ता चत
ू ड़ पटको…”

मैंने माँह
ु बनाया- “मेरा मतलब यह नहीां था और अभी तो… तम
ु कर चुके हो… अगली बार… अभी-अभी तो ककया
है …” लेककन अजय ने अबकी मेरे सारे कपड़े उतार ददये और मझ
ु े झल
ू े पे इस तरह मलटाया की सारे कपड़े मेरे
चूतड़ों के नीचे रि ददये और अब मेरे चूतड़ अच्छी तरह उठे हुए थे। वह भी अब झूले पर ही मेरी िैली हुई टाांगों
के बीच आ गया

ve
और अपने मोटे मसू ल जैसे लण्ड को ददिाते हुए बोला- “अभी का क्या मतलब… अरे ये किर से तैयार है अभी
तम्
ु हारी इस चत
ू को कैसा मजा दे ता है, असली मजा तो अबकी ही आयेगा…” वह अपना सप ु ाड़ा मेरी चत
ू के मह
ाँु
पर रगड़ रहा था और उसके हाथ मेरी चचू चयाां मसल रहे थे। वह अपना मोटा, पहाड़ी आलू ऐसा मोटा, कड़ा
सप
ु ाड़ा मेरी जक्लट पर रगड़ता रहा।

.li
और जब मैं नशे से पागल होकर चचल्लाने लगी- “अजय प्लीज… डाल दो ना… नहीां रहा जा रहा… ओह्ह… ओह्ह…
करो ना… क्यों तड़पाते हो…” तो अजय ने एक ही धक्के में परू ा सप
ु ाड़ा मेरी चत
ू में पेल ददया।
um
उह्ह्ह, मेरे परू े शरीर में ददम की एक लहर दौड़ गई, पर अबकी वो रुकने वाला नहीां था। मेरी पतली कमर
पकड़कर उसने दस
ू रा धक्का ददया। मेरी चत
ू को िाड़ता, उसकी भीतरी दीवाल को रगड़ता, आधा लण्ड मेरी कसी
ककशोर चूत में घस
ु गया। ददम तो बहुत हो रहा था पर मजा भी बहुत आ रहा था। वह कभी मझ ु े चूमता, मेरी
रसीली चूचचयों को चूसता, कभी उन्हें कस के दबा दे ता, कभी मेरी जक्लट सहला दे ता, पर उसके धक्के लगातार
or

जारी थे। मैंने भी भाभी के मसिाने के मत


ु ाबबक अपनी टाांगों को परू ी तरह िैला रिा था। उसके धक्कों के साथ
मेरी पायल में लगे घघ
ुां रू बज रहे थे और साथ में सरु ममलाती सावन की झरती बद
ूां े , मेरे और उसके दे ह पर और
इस सबके बीच मेरी मससककयाां, उसके मजबत
ू धक्कों की आवाज… बस मन कर रहा था कक वह चोदता ही रहे …
चोदता ही रहे ।
Xf

कुछ दे र में ही उसका परू ा लण्ड मेरी रसीली चत


ू में समा गया था और अब उसके लण्ड का बेस मेरी चत
ू से
जक्लट से रगड़ िा रहा था। नीचे कपड़े रिकर जो उसने मेरे चूतड़ उभार रिे थे। एकदम नया मजा ममल रहा
था। थोड़ी दे र में जैसे बरसात में , प्यासी धरती के ऊपर बादल छा जाते हैं वह मेरे ऊपर छा गया। अब उसका
परू ा शरीर मेरी दे ह को दबाये हुए था और मैंने भी अपनी टाांगें उसकी पीठ पर कर कस के जकड़ मलया था। कुछ
उसके धक्कों का असर, कुछ सावन की धीरे -धीरे बहती मस्त हवा… झूला हल्के-हल्के चल रहा था। मझ ु े दबाये
हुए ही उसने अब धक्के लगाने शरू
ु कर ददये और मैं भी नीचे से चत
ू ड़ उठा-उठाकर उसका जवाब दे रही थी। मेरे
जोबन उसके चौड़े सीने के नीचे दबे हुए थे। वह पोज बदल-बदल कर, कभी मेरे कांधों को पकड़कर, कभी चूचचयों
को, तो कभी चूतड़ों को पकड़कर लगातार धक्के लगा रहा था, चोद रहा था, न सावन की झड़ी रुक रही थी, न
मेरे साजन की चद
ु ाई… और यह चलता रहा।

28
मैं एक बार… दो बार… पता नहीां ककतनी बार झड़ी… मैं एकदम लथपथ हो गई थी। तब बहुत दे र बाद अजय झड़ा
और बहुत दे र तक मैं अपनी चत
ू की गहराईयों में उसके वीयम को महसस
ू कर रही थी। उसका वीयम मेरी चत
ू से
ननकलकर मेरी जाांघों पर भी चगरता रहा। कुछ दे र बाद अजय ने मझ
ु े सहारा दे कर झूले पर से उठाया। मैंने
ककसी तरह से साड़ी पहनी, पहनी क्या बस दे ह पर लपेट ली।

घर के पास पहुाँचकर अजय ने एक बार किर मझ ू ा- “अब कब ममलेगा?”


ु े अपनी बाहों में भरकर पछ

चारों ओर सन्नाटा था। मैंने भी दहम्मत से उसके होंठों को चूमकर कहा- “जब चाहो…” और घर की ओर भाग
गई।

बसांती ने पीछे की खिड़की िोली, वह गहरी नीांद में थी और भाभी, अभी रतजगे से आयी नहीां थी। मैं जल्दी से
अपने कमरे में जाकर बबस्तर पर लेट गई। अभी भी मेरी चूत में अजय का वीयम था, और जोबन को उसके
दबाने का रसभरा ददम महसस
ू हो रहा था। उसकी बात सोचते-सोचते मैं सो गई।

ve
सब
ु ह जब मेरी नीांद िल
ु ी तो चन्दा मेरे सामने थी और मझ
ु े जगा रही थी- “क्यों कल रात चचडड़या ने चारा िा
मलया ना…” उसकी मश्ु कुराहट से मझ
ु े पता चल रहा था कक उसे रात की बात का अांदाज हो गया है ।

पर मैंने बहाना बनाया- “नहीां… ऐसा कुछ नहीां… वो तो…”


.li
“अच्छा, तो ये क्या है , कल रात भर ये पायल कहाां बजी…” वो मेरे सामने मेरी एक पैर की घघ
ांु रू वाली चाांदी की
um
पायल लहरा रही थी।

अब मैं समझी, कल रात लगाता है पायल वहीां झल ू े पे… मैं पायल छीनने की कोमशश करते हुए बोली- “हे , तम्
ु हें
कहाां ममली… दो ना, कल रात रास्ते में लगता है…”
or

मेरे जोबन दबाते हुए, चन्दा मश्ु कुराई और बोली- “बनो मत मेरी बबन्नो, यह वहीां ममली जहाां कल रात तम

चुदवा रही थी, दे िूां चारा िाने के बाद ये मेरी चचडड़या कैसी लग रही है…” और उसने मेरे मना करते-करते, मेरी
साड़ी उठाकर मेरी चत
ू कस के दबोच ली। उसे रगड़ते मसलते वो बोली- “दे िो एक रात में ही घोंटने के बाद…
कैसी गल
ु ाबी हो रही है, लेककन अब जब इसे स्वाद लग ही गया है तो इसके मलये तो रोज के चारे का इांतज
े ाम
Xf

करना पड़ेगा…” और मेरी ओर दे िते हुए वो बोली- “और अगर तम्ु हें ये पायल चादहये ना… और तम
ु चाहती हो
कक ये राज राज रहे तो तम्
ु हें एक जगह मेरे साथ चलना पड़ेगा और मेरी एक शतम माननी पड़ेगी…”

“ठीक है , मझ
ु े तम्
ु हारी हर शतम मांजूर है पर…” मैं नहीां चाहती थी की ये बात सब तक पहुाँच।े

“तो तम
ु जल्दी तैयार हो जाओ…” कहते हुए उसने मझ
ु े पायल दे ददया।

मैं हाथ माँह


ु धोकर तैयार हो गई और एक चटक गल
ु ाबी रां ग की साड़ी और लाल रां ग की कसी-कसी चोली पहन
ली। मैंने सोचा कक ब्रा पहनूां किर उसे एक तरि रि ददया। कुछ सोचकर मैंने गाढ़े लाल रां ग की मलवपस्टक भी
लगा ली, और एक बड़ी सी लाल बबांदी भी। पायल पलांग पर पड़ी थी। मैंने दोनों पाांवों में , जजसने मेरी कल की

29
बात िोल दी थी, घघ
ुां रू वाली, अपनी चाांदी की पायल भी पहन ली। भाभी और चम्पा भाभी कुछ गााँव की औरतों
से बात करने में व्यस्त थीां।

चन्दा ने भाभी से मझ
ु े साथ ले जाने के मलये बोला तो भाभी बोलीां की जाओ लेककन जल्दी आ जाना। चम्पा
भाभी बोली- “लेककन इसने कुछ िाया नहीां है …”

“अरे , भाभी मैं इसे अच्छी तरह से खिला दां ग


ू ी, सारी, हर तरह की भि
ू ममटवा दां ग
ू ी…” ये कहते, हाँसते हुए चन्दा
मेरा हाथ िीांचते घर से बाहर ले गई।

“कहाां ले चल रही है । क्या खिलायेगी…” मश्ु कुराते हुये मैंने पछ


ू ा।

पर चन्दा तेजी से मझ
ु े िीांचकर ले गई। रास्ते में गााँव के कुछ लड़के ममले। मझ
ु े दे िते ही छे ड़ने लगे- “अरे छुवे
दा होंठवा के होंठ से, जोबना के मजा लेवे दा…”

ve
दस
ू रे ने छे ड़ा- “खिलल खिलल गाल बा, अरे ये माल बड़ा टाइट बा…”

एक ने हाँसकर कहा- “अरे हमारी ओर भी तो एक नजर डाल लो…”

.li
चन्दा ने हाँसते हुये कहा- “अभी एडवाांस बकु कां ग चल रही है । लाइन में लग जाओ तम्
ु हारा भी नांबर लग जायेगा…”
um
थोड़ी ही दे र में हम लोग उस गन्ने के िेत के पास पहुाँच गये थे जहाां कल चन्दा सनु ील के साथ… चन्दा ने मेरा
हाथ पकड़कर, मझ ु से बबनती करते हुए कहा- “सन
ु , मेरा एक काम कर दे प्लीज, सनु ील ने… मेरा आज सब ु ह से
मन कर रहा था, पर सन
ु ील ने एक शतम रि दी है, कक जब तक… तब तक वह मझ
ु े हाथ भी नहीां लगायेगा, बस
तू ही मझ
ु े हे ल्प कर सकती है …”
or

मैं समझ तो गई थी और ये सोच के मेरे मन में गद


ु गद
ु ी भी हो रही थी कक ये लड़के मेरे ककतने दीवाने हैं, पर
बनावटी ढां ग से मैं बोली- “ठीक है बता ना क्या करना है , मैं तेरी पक्की सहे ली हूाँ… कर दां ग
ू ी अगर तू कहे गी…”

“सच… पर पहले प्राममस कर मेरी कसम िा, मैं जो कहुांगी… सन


ु ने के बाद मक
ु र तो नहीां जायेगी…” चन्दा ने
Xf

लगभग ववनती करते कहा।

“हााँ हााँ, ठीक है, जो तू कहेगी, करूांगी, करूांगी, करूांगी…”

यह सनु ते ही चन्दा लगभग घसीटते हुए, मझ


ु े गन्ने के िेत के अांदर िीांच ले गई- “तो चल प्लीज एक बार
सन
ु ील से करवा ले, उसने कहा कक मैं जब उसे… तम्ु हारी ददलवाऊाँगी तभी वह मेरे साथ करे गा… करवा ले ना,
बस एक बार मेरी अच्छी सहे ली…”

गन्ने के घने िेत में हम बीच में पहुाँच गये थे और वहाां सन


ु ील िड़ा था। मझ
ु े दे िकर, सन
ु ील एकदम िुशी से
जैसे पागल हो गया हो, वह कुछ बोल नहीां पा रहा था।

30
चन्दा ने कहा- “दे िो, तेरी मरु ाद परू ी करवा दी अब तम
ु हो और ये, जो करना हो करो… मैं चलती हूाँ…”

मैं भी चन्दा के साथ चलने के मलये मड़


ु ी पर सन
ु ील ने मझ
ु े कसकर अपनी बाांहों में जकड़ मलया। उस पकड़ा
धकड़ी में मेरा आांचल नीचे चगर गया और मेरी कसी लो कट लाल चोली के अांदर तने हुए मेरे सर उठाये दोनों
मस्त जोबन साि-साि ददि रहे थे। सन ु ील का तो मह
ाँु िुले का िुला रह गया। वह जमीन पर बैठ गया था
और मझ ु े पकड़कर अपनी गोद में बैठाये हुये था। वह मेरे गल
ु ाबी रसीले होंठ बार चूम चूस रहा था, पर मेरे तने,
कड़े-कड़े जोबन को दे िकर उससे नहीां रहा गया और चोली के ऊपर से ही उन्हें चम ू ने, काटने लगा।

“अरे इतने बेसबर हो रहे हो… ऊपर से ही…” मैंने उसे चचढ़ाया।

“तम्
ु हारे जोबन हैं ही ऐसे, तम
ु क्या जानो मैं कैसे इनके मलये तड़प रहा था, लेककन तम
ु ठीक कहती हो…”

मेरी चोली इतनी कसी और तांग थी कक उसके हाथ लगाते ही ऊपर के दोनों हुक िुल गये और चच ू ुक तक मेरे

ve
मदमस्त, िड़े, गोरे -गोरे , जोबन बाहर हो गये। पर मैंने हाथ से नीचे चोली कस के पकड़ ली जजससे वह परू ी
चोली ना िोल पाये। थोड़ी दे र तक कोमशश के बाद उसने पैंतरा बदला और अपने हाथ नीचे ले जाकर मेरी साड़ी
जाांघों तक उठा ली और मझ
ु े नीचे से… मैंने तरु ां त अपने दोनों हाथ नीचे करके उसे अपनी साड़ी परू ी तरह िोलने
से रोका। वहाां तो मैं बचा ले गई पर तब तक अचानक उसने मेरी चोली के सारे हुक िोल ददये और मेरे जोबन
को पकड़कर दबाने लगा।

“नहीां… नहीां छोड़ो ना मझ


.li
ु े शमम लगा रही है…” मैं उसका हाथ हटाने की कोमशश करने लगी।
um
पर उसकी ताकत के आगे मेरा क्या जोर चलता, हााँ, मेरे दोनों हाथ जब जोबन को बचाने के चक्कर में थे तो
उसने हाँसते हुए मेरी साड़ी परू ी उठा दी और अब उसका एक हाथ कस के मेरी चत
ू को पकड़े हुए था और दस ू रा
जोबन की रगड़ाई कर रहा था। मैं ऊपर से मना भले कर रही थी पर मेरे दोनों ननपल मस्ती में कड़े हो रहे थे।
थोड़ी दे र तक चूत को सहलाने मसलने के बाद उसने अपनी एक उां गली मेरी चत
ू में डाल दी और आगे पीछे
or

करने लगा। उसका एक हाथ मेरी गोरी-गोरी कममसन चूची का रस ले रहा था और दस


ू रा, ननपल को पकड़कर
िीांच रहा था। उसने मझ
ु े इस तरह उठाकर अपनी गोद में बबठा मलया की मेरे चूतड़ भी नांगे होकर उसकी गोद
में हो गये थे।
Xf

अब मैं समझ गई कक बचना मजु श्कल है (वैसे भी बचना कौन बेवकूि चाहती थी), तो मैंने पैंतरा बदला- “अरे ,
तम
ु ने मेरी चोली और साड़ी दोनों िोल ली, मेरा सब कुछ दे ि मलया, तो अपना ये मोटा िट
ांू ा क्यों नछपाकर रिा
है …” उसके पाजामा िाड़ते, मोटे िट
ूां े पर अपना चूतड़ रगड़ते मैं बोली।

“दे िती जाओ, अभी तम्


ु हें अपना ये मोटा िूांटा ददिाऊाँगा भी और घोंटाऊाँगा भी और एक बार इसका स्वाद चि
लोगी ना तो इसकी दीवानी हो जओगी…” ये कहते हुए उसने कस के अपनी उां गली परू ी तरह चुत के अांदर
डालकर गोल-गोल घमु ाना शरू
ु कर ददया।

मेरी चूत परू ी तरह गीली हो गई थी और मैं मससककयाां भर रही थी। उसने मझ
ु े जमीन पर, कल जैसे चन्दा लेटी
थी, साया और साड़ी कमर तक करके, वैसे ही मलटा ददया। जब उसने अपना पाजामा िोला और उसका मोटा

31
लांबा लण्ड बाहर ननकला तो मेरी तो मससकी ही ननकल गई। उसने उसे मेरे कोमल ककशोर हाथ में पकड़ा ददया।
ककतना सख्त और मोटा… अजय से भी थोड़ा मोटा ही था।

मेरा ध्यान तब हटा जब सन


ु ील की आवाज सन
ु ाई दी- “क्यों पसांद आया, जरा उसको आगे पीछे करो, इसका
सप
ु ाड़ा िोलो… असली मजा तो तब आयेगा जब तम्
ु हारी गल
ु ाबी चूत इसको घोंटे गी…”

मैंने अपने कोमल हाथों से उसको कस के पकड़ते हुए, आगे पीछे ककया और एक बार जोर लगाकर जब उसका
चमड़ा आगे ककया, तो गल ु ाबी, िूब बड़ा सप
ु ाड़ा सामने आ गया। उसके ऊपर कुछ ररस रहा था। सन
ु ील मेरी दोनों
गोरी लांबी टाांगों के बीच आ गया और बबना कुछ दे र ककये, उसने मेरी टाांगें अपने कांधे पर रि लीां। उसने अपने
एक हाथ से मेरी गीली चत
ू िैलायी और दस
ू रे हाथ से अपना सप
ु ाड़ा मेरी चत
ू पर लगाया। जब तक मैं कुछ
समझती, उसने मेरी दोनों चूचचयाां पकड़कर परू ी ताकत से इत्ती कस के धक्का लगाया की उसका परू ा सप
ु ाड़ा मेरी
चूत के अांदर था।

ve
मेरी बहुत कस के चीि ननकल गई।

वह मश्ु कुराता हुआ बोला- “अरे , मेरी जान अभी तो मसिम सपु ाड़ा अांदर आया है, अभी परू ा मस
ू ल तो बाहर बाकी
है , और वैसे भी इस गन्ने के िेत में तम ु चाहे जजतना चीिो कोई सन ु ने वाला नहीां…”

.li
अब उसने मेरी दोनों पतली कोमल कलाईयों को कस के पकड़ मलया और एक बार किर से परू े जोर से उसने
धक्का लगाया, मेरी चीि ननकलने के पहले ही उसने सांतरे की िाांक ऐसे मेरे पतले रसीले होंठों को अपने दोनों
um
होंठों के बीच कसके भीांच मलया और मेरे माँह
ु में अपनी जीभ घस
ु ेड़ दी। मझ
ु े उसी तरह जकड़े वह धक्के लगाता
रहा।

मेरी आधी लाल गल


ु ाबी चडू ड़याां टूट गईं। मैं अपने गोरे -गोरे मदमस्त चूतड़, ममट्टी में रगड़ रही थी पर उसके
लण्ड के ननकलने का कोई चाांस नहीां था। और जब आधे से ज्यादा लण्ड मेरी चूत ने घोंट मलया तभी उस
or

जामलम ने छोड़ा।

पर छोड़ा क्या? उसके हाथ मेरी कलाईयों को छोड़कर मेरी रसीली चचू चयों को मसलने, गथ
ांू ने में लग गये। उसके
होंठों ने मेरे होंठों को छोड़कर मेरे गल
ु ाबी गालों का रस लेना शरू
ु कर ददया और उसका लण्ड उसी तरह मेरी चूत
Xf

में धांसा था।

“क्यों बहुत ददम हो रहा है…” उसने मेरी आाँिों में आाँिें डालकर पछ
ू ा।

“बकरी की जान चली गई और िाने वाला स्वाद के बारे में पछ


ू रहा है…” मश्ु कुराते, आाँि नचाते, मशकायत भरे
स्वर में मैंने कहा।

“अरे स्वाद तो बहुत आ रहा है , मेरी जान, स्वाद तो मेरे इससे पछ


ू ो…” और ये कहकर उसने मेरे चूतड़ पकड़कर
कस के अपने लण्ड का धक्का लगाया। अब वह सब कुछ भल ू के गचागच गचागच मेरी चद
ु ाई कर रहा था। मेरी
चत
ू परू ी तरह िैली हुई थी। ददम तो बहुत हो रहा था, पर जब उसका लण्ड मेरी चत ू में अांदर तक घसु ता तो बता
नहीां सकती, ककतना मजा आ रहा था। उसकी उां गमलयाां कभी मेरे ननपल िीांचतीां, कभी मेरी जक्लट छे ड़तीां, और
32
उस समय तो मैं नशे में पागल हो जाती। उसकी इस धुआध
ां ार चद
ु ाई से मैं जल्द ही झड़ने के कगार पर पहुाँच
गई। पर सन
ु ील को भी मेरी हालत का अांदाज हो गया था और उसने अपना लण्ड मेरी चत
ू के लगभग मह
ु ाने
तक ननकाल मलया।

मैं- “हे डालो ना, प्लीज रुक क्यों गये, करो ना… अच्छा लगा रहा है …”

पर वह उसी तरह मझ
ु े छे ड़ता रहा।

मैं- “हे डालो ना, करो ना…” मैंने किर कहा।

“क्या डाल…
ूां क्या करूां… साि-साि बोलो…” वो बोला।

मैं- “चोदो चोदो, मेरी चूत… अपने इस मोटे लण्ड से कस-कस के चोदो, प्लीज…”

ve
“ठीक है , लेककन आज से तम
ु मसिम इसी तरह से बोलोगी, और मझ
ु से एक बार और चद
ु वाओगी…”

मैं- “हााँ, हााँ, जो तम


ु कहो एक बार क्या मेरे राजा तम
ु जजतनी बार बोलोगे उतनी बार चुदवाऊाँगी, पर अभी तो…”

.li
उसने परू ी ताकत से मेरे कांधे पकड़कर इतनी जोर से धक्का मारा कक उसका परू ा लण्ड एक बार में ही अांदर
समा गया। और मैं झड़ गई, दे र तक झड़ती रही, पर वह रुका नहीां और धक्के मारता रहा, मझ
ु े चोदता रहा।
um
थोड़ी ही दे र में मैं किर परू े जोश में आ गई थी और उसके हर धक्के का जवाब चूतड़ उठा के दे ती। मेरे टीन
चूतड़ उसके जोरदार धक्कों से जमीन पर रगड़ िा रहे थे। मेरी चच
ू ी पकड़कर, कभी कमर पकड़कर वह बहुत दे र
तक चोदता रहा और जब मैं अगली बार झड़ी तो उसके बाद ही वह झड़ा। सन ु ील ने मझ
ु े हाथ पकड़कर उठाया
और मेरे ननतम्बों पर लगी ममट्टी झाड़ने के बहाने उसने मेरे चूतड़ों पर कस-कस के मारा और एक चूतड़
पकड़कर न मसिम दबोच मलया बल्की मेरी गाण्ड में उां गली भी कर दी।
or

“हे क्या करते हो मन नहीां भरा क्या, अब इधर भी…” मैंने उसे हटाते हुये कहा।

“और क्या, तेरे ये मस्त चत


ू ड़ दे िकर गाण्ड मारने का मन तो करने लगाता है…” ये कहते हुये उसने मेरे जोबन
Xf

दबाते हुये गाल कसकर काट मलया।

“उईई…” मैं चीिी और उससे छुड़ाते हुए बाहर ननकली।

साथ-साथ सन
ु ील भी आया। बाहर ननकलते ही मैं चककत रह गई। चन्दा के साथ-साथ अजय भी था। सन
ु ील ने
मेरे कांधे पे हाथ रिा था, मेरी चूची टीपते हुए, अजय को ददिाकर वो बोला- “दे ि मैंने तेरे माल पे हाथ साि
कर मलया…”

अजय कौन कम था, उसने चन्दा के गाल हल्के से काटते हुए कहा- “और मैंने तेरे पे…”

चन्दा भी छे ड़ने के मड
ू में थी, उसने आाँि नचाकर मझ
ु से पछ
ू ा- “क्यों, आया मजा सन
ु ील के साथ?”
33
मह
ाँु बनाकर मैं बोली- “यहाां जान ननकल गई और तू मजे की पछ
ू रही है …”

चन्दा मेरे पास आकर मेरे ननतम्बों को दबोचती बोली- “अभी चूतड़ उठा-उठाकर गपागप घोंट रही थी और… (मेरे
कान में बोली) आगे का जो वादा ककया है … और यहाां नछनारपन ददिा रही है…”

“हे , तन
ू े कहाां से दे िा?” अब मेरे चौंकने की बारी थी।

“जहाां से तू कल दे ि रही थी…” मैं उसे पकड़ने को दौड़ी, पर वह मोटे चूतड़ मटकाती, तेजी से भाग ननकली।
मझ
ु े घर के बाहर छोड़कर ही वह चली गई। घर के अांदर पहुाँचकर मैं सीधे अपने कमरे में गई और अपनी हालत
थोड़ी ठीक की।

कुछ दे र में भाभी मेरे कमरे में आयीां और बोली- हे तैयार हो जाओ, अभी परू बी, गीता, काममनी भाभी और

ve
औरतें, आती होंगी, आज किर झूला झूलने चलेंगे। और हााँ ये मैं अपनी कुछ परु ानी चोमलयाां लाई हूाँ, जब मैं
तम
ु से भी छोटी थी, ट्राई कर लेना और ये बाकी कपड़ें भी हैं…” चलते-चलते, दरवाजे पर रुक कर भाभी ने शरारत
से पछ
ू ा- “तम
ु अपने आप तैयार हो जाओगी या… चम्पा भाभी को भेज दां ू तैयार करवाने के मलये…”

चलांू तो दरू -दरू तक रुन झन


.li
“नहीां भाभी मैं तैयार हो जाऊाँगी…” हाँसकर उनका मतलब समझते मैं बोली और मैंने दरवाजा बांद कर मलया।
अच्छी तरह नहा धोकर मैं तैयार हो गई। रां गीन घाघरा, पैरों में , िूब चौड़ी चाांदी की घघ
ु करे और जब… मैं सोचकर ही शमाम गई। हाथ में कांगन, बाजब
ू द
ुां रू वाली पाजेब जो जब
ां , कानों के मलये
um
लांबे लटकते झुमके, मेरी चोटी भी मेरे ननतम्बों तक लटकती थी, मैंने माथे को लाल बबांदी और गल
ु ाबी होंठों पे
गाढ़ी मलवपस्टक भी लगा ली। पर चोली जो थोड़ी किट हुई वह पीले रां ग की कोननकल आकार वाली थी, और
नीचे से मेरे टीन जोबन को परू ा उभार रही थी और टाइट भी बहुत थी। मझ
ु े ऊपर के दो बटन िोलने पड़े पर
अब मेरा गोरे -गोरे उभारों के बीच का क्लीवेज एकदम साि ददि रहा था। जब मैंने दपीण में दे िा तो मैं िद

शमाम गई।
or

दरवाजे पे िटिट की आवाज सन


ु कर मेरा ध्यान हटा। दरवाजा िोला, तो सामने परू बी िड़ी थी- “हे बड़ा सजा
सांवरा जा रहा है, आज ककधर बबजली चगराने का इरादा है …” किर मझ
ु े बाांहो में भर के मेरे कानों में बोली- “यार
लड़कों का कोई दोर् नहीां हैं, तू चीज ही इतनी मस्त है , अगर मैं लड़का होती ना, तो मैं भी तझ
ु े बबना चोदे नहीां
Xf

छोड़ती…”

वह मेरा हाथ पकड़कर बरामदे में ले गई, जहाां गीता, उसकी कुछ और सहे मलयाां, चमेली भाभी, चम्पा भाभी बैठी
थीां और बसांती सबके पैर में महावर लगा रही थी। बसांती ने मेरा भी पैर पकड़ा, कक मझ
ु े भी महावर लगा दे पर
मैं आनाकानी कर रही थी। चमेली भाभी ने हाँसकर मझ
ु े छे ड़ते हुये कहा- “अरे बसांती इसे तो सबसे कस के और
चटि लगाना, गााँव के जजस-जजस लड़के के माथे पे वो महावर लगा ममलेगा…”

मेरे गोरे गाल उनका मतलब समझकर शमम से लाल हो गये पर परू बी बोली- “अरे भाभी, इसीमलये तो वो नहीां
लगवा रही है कक चोरी पकड़ी जायेगी…”

और बसांती से बोली- “अरे महावर लगाते-लगाते, जरा अांदर का भी दशमन कर लो…”


34
“हााँ बसांती दे ि लो, अांदर घास िूस है या मैदान साि है …” चमेली भाभी ने मश्ु कुराकर पछ
ू ा।

बसांती ने भी हाँसकर मेरे घाघरे के अांदर झाांकते हुए बोला- “मैदान साि है, लगता है , घास िूस साि करके परू ी
तैयारी के साथ आयी हैं ननद रानी…”

तब तक मेरी भाभी मेरे बगल में आकर बैठ गईं थीां। मेरी कलाईयों की ओर दे िती हुई बोलीां- “अरे तम्
ु हारी
चूडड़याां क्या हुईं… ककसके साथ तड़
ु वा के आयी…”

“नहीां भाभी, बरसात है, किसलन में चगर पड़ी थी…” मैं भोली बनकर बोली।

“चगर पड़ी थी या ककसी के साथ कुश्ती लड़ रही थी…” परू बी ने मझ


ु े छे ड़ते हुए पछ
ू ा।

ve
तब तक काममनी भाभी आ गईं िूब लहीम-शहीम लांबा कद, ताकतवर, पकड़ लें तो कोई तगड़ा मदम भी न छुड़ा
पाये, गोरा रां ग, कम से कम 38डी जोबन लेककन एकदम कड़े और िमम, मजाक करने और गामलयाां दे ने में चम्पा
भाभी से भी दो हाथ आगे। मैं उनसे ममली नहीां थी पर सन
ु ा बहुत था।

.li
मेरा चेहरा पकड़कर ध्यान से उन्होंने दे िा और बोलीां- “जजतना सन
ु ा था उससे भी बहुत अच्छा पाया…”

और किर भाभी को छे ड़तीां बोलीां- “इसको इत्ता छे ड़ रही हो, पर भल


ू गई। इससे कम से कम तम
ु दो साल छोटी
um
रही होगी, जब श्यामू ने तम्
ु हारे साथ… और उसके बाद…”

हाँसते हुए, भाभी ने उन्हें रोकते हुये कहा- “अरे जाने दीजजये भाभी आप तो इसके सामने मेरी सारी पोल ही िोल
दें गी…”
or

पर मेरे गाल पर चचकोटी काटती चम्पा भाभी बोलीां- “अरे अब इससे क्या नछपाना, अब ये भी तो हमारी गोल की
हो गई है …”

परू बी, मझ
ु से थोड़ी ही बड़ी रही होगी, और वह मेरी भाभी की बहन लगती थी। तीन चार महीने पहले ही उसकी
Xf

शादी हुई थी और वह शादी के बाद पहली बार सावन में अपने मायके आयी थी, और अपनी ननद को छे ड़ने का
कोई मौका, काममनी या चमेली भाभी क्यों छोड़तीां।

“इससे तो पछ
ू रही थी कक इसकी चूड़ी कहााँ… ककसके साथ टूटी, तू बता… पहली रात में ककतनी चूडड़याां टूटीां…”
काममनी भाभी ने पछ
ू ा।

“भाभी सच बताऊाँ, दो दरजन पहनी थीां अगली सब


ु ह एक दरजन बचीां…” मश्ु कुराती हुई परू बी ने कबल
ू ा।

“अच्छा बता आने के पहले झूला झूला की नहीां…” चमेली भाभी ने पछ


ू ा।

परू बी- “वो तो मैं रोज…”


35
उसकी बात काटकर चम्पा भाभी बोलीां- “अरे वो तो मझ
ु े मालम
ु है ददन रात चद
ु वाती होगी, मझ
ु े मालम
ू है कक
मेरी ननदों का एक ददन बबना मोटे लण्ड के नहीां कट सकता, पर आने के पहले कभी झूले पे…”

परू बी बोली- “धत्त… हााँ… यहाां आने के एक ददन पहले… घर में कोई नहीां था, बादल िूब जोर से बरस रहे, और
मैं, उनकी गोद में बैठी झूला झूल रही थी कक उन्होंने मेरी पहले तो चोली िोलकर जोबन दबाने शरू
ु ककये और
किर साड़ी उठाकर करने लगे…”

“अरे मैं तेरी साड़ी उठाकर अपना हाथ तेरी चूत के अांदर कलाई तक कर दां ग
ू ी। साि-साि बता… डडटे ल में…”
काममनी भाभी बोलीां।

अब परू बी के पास कोई चारा नहीां बचा था, वह सन


ु ाने लगी- “मेरी चच
ू ी दबाते-दबाते, और मेरे चूतड़ों के रगड़ से
उनका लण्ड एकदम िड़ा हो गया था, उन्होंने मझ
ु से जरा सा उठने को कहा और मेरी साड़ी साया उठाकर कमर

ve
तक कर ददया और अपना पाजामा भी नीचे कर मलया। मेरी चूत िैलाकर मेरे चत
ू को सेंटर करके उन्होंने धक्का
लगाया और परू ा सप
ु ाड़ा अांदर चला गया, किर वह मेरी चचू चयाां पकड़कर धक्का लगाते और मैं झल
ू े की रस्सी
पकड़कर पें ग लगाती, िूब िच्चािच्च अांदर जा रहा था। वो मेरा कभी गाल काटते, कभी चूम लेत।े कािी दे र
बाद उन्होंने मझ
ु से कहा कक मैं उठकर झूले पे उनकी गोद में आ जाऊाँ। मैं उनको िेस करते हुये, उनकी गोद में
बैठ गई, उन्होंने सपु ाड़े को मेरी चत
तो परू ा लण्ड जड़ तक अांदर तक घस
भी िब
ू में घस
.li
ु ाके मेरी पीठ पकड़कर कसके मझु े अपनी ओर िीांचा और अबकी बार
ु गया था, मेरी चचू चयाां उनकी छाती से दब वपस रहीां थीां, अब तक बाररश
ू तेज हो गई थी और तेज हवा के चलते बौछार भी एकदम अांदर आ रही थी। हम दोनों अच्छी तरह से
um
भीग रहे थे, पर चुदाई के मजे में कौन रुकता। वो एक हाथ से मेरी पीठ पकड़कर धक्के लगाते और दस
ू री से
मेरी चूचचयाां, जक्लट मसलते और मैं दोनों हाथों से झल
ू े की रस्सी पकड़कर पें ग लगाती… झड़ने के बाद भी हम
लोग वैसे ही झल
ू ते रहे …”

औरों का तो नहीां मालम


ू पर ये हाल सन
ु के मैं एकदम गरम हो गई थी। मेरे माँह
ु से ननकला- “पर… कैसे… झूले
or

पर… झूलते…”

“अरे मेरी बबन्नो, आज मैं झल


ू े पर तम्
ु हारे ठीक पीछे बैठूांगी, और तम्
ु हारे ये दोनों रसीले जोबन दबाते, जजसके
इस गााँव के सारे लड़के दीवाने हैं, तम्
ु हें अच्छी तरह ट्रे ननांग दे दां ग
ू ी…” वास्तव में मेरे जोबन कसके पकड़कर,
Xf

दबाते, परू बी बोली।

“परू बी सही कह रही है, दे िो तम


ु (मेरी भाभी से वो बोलीां) परू बी, मेरी सारी ननदें पक्की नछनाल हो, और ये
तम्
ु हारी ननदें है तो जब ये यहाां से वापस जाय तो तब तक तो दर-नछनाल हो जानी चादहये, इसकी ट्रे ननांग तो
पक्की होनी चादहये…” काममनी भाभी ने कहा।

“इसकी ट्रे ननांग मेरे सारे दे वर दें ग…


े ” चमेली भाभी ने हाँसकर कहा- “और यहाां से लौटने के बाद मेरा दे वर, इसका
टे स्ट लेगा, क्यों ठीक है ना…” मझ
ु से पछ
ू ते हुए, मेरी आाँिों में आाँिें डालकर, भाभी बोली।

“हााँ और जब ये कानतक में वापस आयेगी ना तो िाईनल इम्तहान राकी के साथ, क्यों?” चम्पा भाभी कहाां चप

रहने वालीां थीां।
36
“इसकी तो ऐसी ट्रे ननांग होनी चादहये की ऐसी नछनार कहीां ना हो, बाकी “िास”ट्रे ननांग हम तम
ु ममलकर दे दें गे…”
अथम पण
ू म ढां ग से मश्ु कुराते हुये, काममनी भाभी चम्पा भाभी से बोलीां।

“दीदी, तम
ु कहो तो मैं भी कुछ इसकी ट्रे ननांग करवा दां …
ू ” परू बी मेरी भाभी से मश्ु कुरा के बोली।

“और क्या, तम
ु ससरु ाल से इत्ती प्रैजक्टस करके आयी हो, और… आखिर ये तम्
ु हारी भी तो ननद है…” भाभी बोलीां।

हमलोग झल
ू ेकर मलये ननकलने ही वाले थे की जमकर बाररश शरू
ु हो गई और हमारा प्रोग्राम धरा का धरा रह
गया। बाररश िब
ू दे र तक चली और बाररश के कारण चन्दा भी नहीां आ पायी। पर परू बी, गीता, काममनी भाभी
के साथ िूब चुहलबाजी हुई, सब शमम छोड़कर, और िास कर तो परू बी मेरे पीछे ही पड़ी थी। जब कोई भाभी
उसे चचढ़ाते हुये पछ
ू ती- “लगाता है , िूब स्तन मदम न हुआ है, तम्
ु हारी चोली तांग हो गई है …”

ve
वह चोली के ऊपर से ही मेरे जोबन दबा के ददिाते हुये कहती- “हााँ भाभी वो ऐसे ही दबाते थे…”

परू बी तो मेरे पीछे थी ही, पर जजस तरह काममनी भाभी मझ


ु े मीठी नतरछी ननगाहों से दे ि रहीां थी, मैं समझ गई
कक उनके भी इरादे कम ितरनाक नहीां। दो-तीन घांटे में मैं परू बी और काममनी भाभी से कािी िुल गई। जब

ु से गले ममली और बोली- “ननद रानी मैं तो तम्


मााँ नहीां होती…”
.li
शाम होने को थी तब बाररश बांद हुई और सब लोग जा रहे थे की चन्दा आयी। चलते समय, काममनी भाभी
मझ ु हें इतना एक्सपटम बना दां ग
ू ी कक जजतना चार-चार बच्चों की
um
चन्दा ने मझ
ु े नीचे से ऊपर तक दे िा, और धीरे से बोली- “इतना चरांगार, ककसी के पास जाने वाली थी क्या?”

मैं भी उसी सरु में बोली- “तम्


ु हारे बबना कौन ले जाने वाला है …”
or

“उसी मलये तो आयी हूाँ सब


ु ह तम
ु ने ककसी से वादा ककया था…” मेरे गाल पर कस के चचकोटी काटती वो बोली।

“भाभी, जरा इसको मैं बाहर की हवा खिला लाऊाँ, गााँव के बाग बगीचे ददिा लाऊाँ…” वह चम्पा भाभी से बोली।
Xf

“ले जाओ, बेचारी सब


ु ह से घर में बैठी है, बरसात के चक्कर में झल
ू ा भी नहीां जा पायी…” चम्पा भाभी ने
इजाजत दे दी।

हम दोनों तेजी से घर के बाहर ननकले। मैं चन्दा से भी तेज चल रही थी।

“हे बहुत बेकरार हो रही हो यार से ममलने के मलये…” चन्दा ने मझ


ु े छे ड़ा।

“और क्या?” मैं भी उसी अांदाज में बोली।

बरसात के बाद जमीन से जो भीनी-भीनी सग


ु ध
ां ननकल रही थी, ठां डी मदमस्त सावन की बयार बह रही थी, हरी
कालीन की तरह धान के िेत बबछे थे, झूलों पर से कजरी गाने की आवाजें आ रही थीां, मौसम बहुत ही मस्त
37
हो रहा था। चन्दा मेरा हाथ पकड़कर एक आम के बाग में िीांच ले गई। बहुत ही घना बअग था और अांदर जाने
पर एक अमराई के झांड ु के अांदर वो मझ
ु े ले गई। कोई सोच भी नहीां सकता था कक वहाां कोई कमरा होगा।
शायद बाग के चौकीदार का हो। पर तबतक चन्दा मेरा हाथ पकड़कर कमरे के अांदर ले गई और जब तक मेरी
आाँिें उसके अांधेरे की अभ्यस्त होतीां, उसने अांदर से साांकल लगा दी। अांदर पव
ु ाल के एक ढे र पे सन
ु ील और रवी
लेटे थे, और एक बोतल से कुछ पी रहे थे। दोनों के पाजामे में तने तांबू बता रहे थे कक इांतजार में उनकी क्या
हालत हो रही है ।

“हे , दोनों… तम
ु ने तो कहा था कक…” मशकायत भरे स्वर में मैंने चन्दा की ओर दे िा।

तब तक सन
ु ील ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी गोद में िीांच मलया, और जब तक मैं सम्हलती उसके बेताब हाथ
मेरी चोली के हुक िोल रहे थे।

“अरे एक से भले दो… आज दोनों का मजा लो…” चन्दा भी उनके पास सटकर बैठकर बोली।

ve
“अरे लड़ककयाां बनी इस तरह होती हैं, एक-एक गाल चम
ू े और दस
ू रा, दस
ू रा…” यह कहकर उसने मेरा गाल कस
के चूम मलया।

“और एक-एक चच ू ी दबाये और दस


ू रा, दस
ऊपर से दबायी और रवी ने चोली िोल के मेरा दस
.li
ू रा…” ये कहते हुए सनु ील ने कस के मेरी एक चच
ू रे जोबन का रस लट ू ा।
ू ी अधिल
ु ी चोली के
um
मैं समझ गई की आज मैं बच नहीां सकती इसमलये मैंने बात बदली- “ये तम
ु दोनों क्या पी रहे थे, कैसी महक
आ रही थी…” अभी भी उसकी तेज महक मेरे नथुनों में भर रही थी।

“अरे चन्दा, जरा इसको भी चिा दो ना…” सन


ु ील बोला। मैं उसकी गोद में पड़ी थी। मेरा एक हाथ रवी ने कस
के पकड़ा और दस
ू रा चन्दा ने। चन्दा ने बोतल उठाकर मेरे माँह
ु में लगायी पर उसकी महक या बदबू इतनी तेज
or

थी कक मैंने कसकर दोनों होंठ बांद कर मलये।

पर चन्दा कहाां मानने वाली थी, उसने कस के मेरे गाल दबाये और जैसे ही मेरा माँह
ु थोड़ा सा िल
ु ा, बोतल
लगाकर उड़ेल दी। तेज तेजाब जैसे मेरे गले से लेकर सीधे चूत तक एक आग जैसी लग गई। थोड़ी दे र में ही
Xf

एक अजीब सा नशा मेरे ऊपर छाने लगा।

“अरे गााँव की हर चीज ट्राई करनी चाहीये, चाहे वह दे सी दारू ही क्यों ना हो…” चन्दा हाँसते हुये बोली। पर चन्दा
ने दब
ु ारा बोतल मेरे माँह
ु को लगाया तो मैंने किर माँह
ु बांद कर मलया। अबकी सन ु ील से नहीां रहा गया, और उसने
मेरे दोनों नथुने कस के भीांच ददये।

“मझ
ु े माँह
ु िल
ु वाना आता है…” सन
ु ील बोला।

मजबरू न मझ
ु े माँह
ु िोलना पड़ा और अबकी चन्दा ने बोतल से बची िुची सारी दारू मेरे माँह
ु में उड़ेल दी। मेरे
ददमाग से लेकर चत
ू तक आग सी लगा गई और नशा मेरे ऊपर अच्छी तरह छा गया। सन
ु ील और रवी ने
ममलकर मेरी चोली अलग कर दी थी और दोनों ममलकर मेरे जोबन की मसलायी, रगड़ायी कर रहे थे।
38
“हे तम
ु ने कहा था… की…” मैंने मशकायत भरे स्वर में सन
ु ील की ओर दे िा।

सन
ु ील ने मेरे प्यासे होंठों पर एक कसकर चुम्बन लेते हुये, मेरे ननपल को रगड़ते हुये बोला- “तो क्या हुआ, रवी
भी मेरा दोस्त है , और तम ु भी… और वह बेचारा भी मेरी तरह तम् ु हारे मलये तड़प रहा है , और इसके बाद तो मैं
तम
ु को चोदां ग
ू ही, बबना चोदे थोड़े ही छोड़ने वाला हूाँ मैं। तम
ु मेरे दोस्त की प्यास बझ
ु ाओ तब तक मैं तम्
ु हारी
सहे ली की आग बझ
ु ाता हूाँ, चलो चन्दा…” और वह चन्दा को पकड़कर वहीां बगल में लेट गया।

“हे ये क्या यहीां… मेरे सामने मझ


ु े शमम लगेगी…” मैंने मना ककया।

“अरे रानी चोदवाने में… लण्ड घोंटने में शमम नहीां और सामने शमाम रही हो…”

“नहीां नहीां अबकी नहीां…” मैं मना करती रही।

ve
“चलो अबकी तो मान जाती हूाँ पर ये शमम वमम का चक्कर छोड़ो, अगली बार से मेरे सामने ही चद
ु वाना पड़ेगा…”
चन्दा बोली।

“ये साली, शमम छोड़… वरना तम्


लेकर दस
ु हारी गाण्ड में डाल दां ग
ू रे कोने में चला गया, पआ
.li
ू …” सन
ु ील परू ी तरह नशे में लगा रहा था। वह चन्दा को
ु ल के पीछे , जहाां वो दोनों नहीां ददि रहे थे। अब रवी ने मझ
ु े अपनी बाहों में
ले मलया। मैं अपने घाघरे को ऊपर करने लगी पर “उां ह्ह”कहकर उसने सीधे घाघरे का नाड़ा िोल ददया और
um
उसके बाद साये को भी। उसने दोनों को उतारकर उधर ही िेंक ददया जहाां मेरी चोली पड़ी थी, और अब उसने
मेरे प्यासे होंठों को चम
ू ना शरू
ु कर ददया। उसे कोई जल्दी नहीां लगा रही थी। पहले तो वो धीरे -धीरे मेरे होंठों को
चम
ू ता रहा, किर उसने अपने होंठों के बीच दबाकर रस ले-लेकर चस
ू ना शरू
ु कर ददया। उसके हाथ प्यार से
जोबन को सहला रहे थे और मैं अपना गस्
ु सा कब का भल
ू चुकी थी। मेरे ननपल िड़े हो गये थे। उसके होंठ
अचानक मेरे जोबनकर बेस पे आ गये और उसने वहाां से उन्हें चूमते हुए ऊपर बढ़ना शरूु ककया। मेरे ननपल
or

उसका इांतजार कर रहे थे, पर उसकी जुबान मझ


ु ,े मेरे िड़े चच
ू ुक को तरसाती, तड़पाती रही। अचानक जैसे कोई
बाज चचडड़या पर झपट्टा मारे उसने अपने दोनों होंठों के बीच मेरे ननपल को कस के भीांच मलया और जोर से
चस
ू ने लगा।
Xf

“ओह्ह… ओह्ह… हााँ बहुत… अच्छा लगा रहा है, बस ऐसे ही चूसते रहो। हााँ हााँ…” मैं मस्ती में पागल हो रही थी।

थोड़ी दे र के बाद उसने मेरी दोनों चचूां चयाां कस के सटा दीां और अपनी जीभ से दोनों ननपल को एक साथ जफ्लक
करने लगा। मस्ती में मेरी चूचचयाां िूब कड़ी हो गई थीां। वह तरह-तरह से मेरे रसीले जोबन चूसता चाटता रहा।
जब मैं नशे में पागल होकर चूतड़ काटक रही थी, वह अचानक नीचे पहुाँच गया और मेरी दोनों जाांघों को ककस
करने लगा।

मेरी जाांघें अपने आप िैलने लगी और उसके होंठ मझ ू तक पहुाँच गये। बगल से
ु े तड़पाते हुये मेरी रसीली चत
सनु ील और चन्दा की चुदाई की आवाजें आ रहीां थीां। उसकी जीभ मेरे भगोष्ठों के बगल में चाट रही थी। मस्ती
से मेरी चत
ू एकदम गीली हो रही थी। धीरे से उसने मेरे दोनों भगोष्ठों को जीभ से ही अलग ककया और अपनी

39
जुबान मेरी चूत में डालकर दहलाने लगा। मेरी चूत के अांदरूनी दहस्से को उसकी जीभ ऐसे सहला, रगड़ रही थी
कक मैं मस्ती से पागल हो रही थी।

मेरी आाँिें मद
ुां ी जा रही थीां, मेरे चूतड़ अपने आप दहल रहे थे, मैं जोश में बोले जा रही थी- “हााँ रवी हााँ… बस
ऐसे ही चूस लो मेरी चूत और कस के… बहुत मजा आ रहा है…”

और रवी ने एक झटके में मेरी परू ी चत


ू अपने होंठों के बीच कस के पकड़ ली और परू े जोश से चस
ू ने लगा।
उसकी जीभ मेरी चूत का चोदन कर रही थी और होंठ चूत को परू ी ताकत से दबा के ऐसे चूस रहे थे कक बस…
मैं अपनी कमर जोर-जोर से दहला रही थी, चूतड़ काटक रही थी और झड़ने के एकदम कगार पर आ गई थी-
“रवी हााँ बस ऐसे ही झाड़ दो मझ
ु को ओह्ह्ह… ओह्ह्ह… हााँ…”

पर उसी समय रवी मझ


ु े छोड़कर अलग हो गया। मैं मशकायत भरी ननगाह से उसे दे ि रही थी और वह शरारत
ू ना, चाटना, चूसना शरू
से मश्ु कुरा रहा था। जब मेरी गरमी कुछ कम हुई तो उसने किर मेरी चूत को चम ु कर

ve
ददया। वह थोड़ी दे र चूत को चूमता और किर उसके आसपास… एक बार तो उसने मेरे चत ू ड़ उठाकर मेरे लाि
मना करने पर भी पीछे वाले छे द के पास तक चाट मलया। उसकी जीभ की नोक लगभग मेरी गाण्ड के छे द तक
जाकर लौट गई और किर उसने िूब कस के मेरी चूत चूसनी शरू
ु कर दी। मेरी हालत किर िराब हो रही थी।
अबकी रवी वहीां नहीां रुका। वह अपनी जुबान से मेरी जक्लट दबा रहा था और थोड़ी ही दे र में उसे कस-कस के
चस
ू ने लगा।
.li
मैं अब नहीां रुक सकती थी और मस्ती से पागल हो रही थी- “हााँ हााँ… चस
ू लो, चाट लो, काट लो मेरी जक्लट,
um
मेरी चूत मेरे राजा, मेरे जानम… ओह्ह… ओह्ह… झड़ने ले मझ
ु …
े ”

मेरे चत
ू ड़ अपने आप िब
ू ऊपर-नीचे हो रहे थे पर उसी समय वह रुक गया।

“ओह्ह… क्यों रूक गये? करो ना प्लीज…” मैं ववनती कर रही थी।
or

“अभी तो तम
ु इतने निड़े ददिा रही थी, कक तम
ु सन
ु ील से चुदवाने आयी हो… मझ
ु से नहीां करवाओगी?” अब
रवी के बोलने की बारी थी।
Xf

मैं नशे से इत्ती पागल हो रही थी कक मैं कुछ भी करवाने को तैयार थी- “मैं सारी बोलती हूाँ। मेरी गलती थी अब
आगे से तम ु जब चाहो… जब कहोगे तब चद ु ाऊाँगी, जजतनी बार कहोगे उतनी बार…”

“अब किर कभी मना तो नहीां करोगी…” रवी बोला।

“नहीां कभी नहीां प्लीज बस अब चूस लो, चोद दो मझ


ु को…” मैं कमर उठाती बोली।

रवी ने जब अबकी चूसना शरू ु ककया तो वह इतनी तेजी से चूस रहा था कक मैं जल्द ही किर कगार पे पहुाँच
गई, अब उसकी उां गमलयाां भी मझु े तांग करने में शाममल थीां, कभी वह मेरी ननपल को पल
ु करतीां कभी जक्लट को
और जब वह मेरी जक्लट को चस
ू ता तो वह चत
ू में घस
ु कर चत
ू मांथन करतीां। अबकी जब मैं झड़ने के ननकट
पहुाँची तो उसने शरारत से मेरी ओर दे िा।
40
और मैं चचल्ला उठी- “नहीां, प्लीज, अबकी मत रुकना तम
ु जजस तरह जब कहोगे मैं तम
ु चद
ु वाऊाँगी… प्लीज…”

रवी मेरी जक्लट चूस रहा था, उसने कस के परू ी ताकत से मेरी जक्लट को चूमा और उसे हल्के से दाांत से काट
मलया। मेरे परू े शरीर में लहर सी उठने लगी और उसी समय रवी ने मेरी दोनों जाांघों को िैलाकर परू ी ताकत से
अपना लण्ड मेरी चूत में पेल ददया और कमर पकड़कर परू े जोर से ऐसे धक्के लगाये कक 3-4 धक्कों में ही
उसका परू ा लण्ड मेरी चत
ू में था। जैसे ही मेरी चत
ू को रगड़ता उसका लण्ड मेरी चत
ू में धांसा, मैं झड़ने लगी…
और मैं झड़ती रही… झड़ती रही।

लेककन वह रुका नहीां। उसके शरारती होंठ मेरे ननपल को चम


ू चस
ू रहे थे। मैं थोड़ी दे र ननढाल पड़ी रही पर,
उसके होंठ, उां गमलयाां और सबसे बढ़कर मेरे चूत के अांत तक घस
ु ा उसका मोटा लण्ड, थोड़ी ही दे र में मैं किर
उसका साथ दे रही थी। अब उसने मेरी लम्बी गोरी टाांगें उठाके अपने कांधे पे रि रिीां थीां। दोनों हाथों से मेरे
भरे -भरे जोबन पकड़कर वह धक्के लगा रहा था। बाहर किर सावन की झड़ी चालू हो गई थी और उसकी िुहारें

ve
हम दोनों के बदन पर भी पड़ रहीां थीां। मेरी चौड़ी चाांदी की पाजेब के घघ
ुां रू उसके हर धक्के के साथ बज रहे थे
और जब मैंने उसकी ओर दे िा तो मेरे पैरों का महावर भी उसके माथे को लग गया था। कभी वह कस के मेरे
जोबन दबाता, कभी मेरे ननपल िीांच दे ता, उसके होंठ मेरे होंठों का रस पी रहे थे। कई बार वह मझ
ु े कगार पे ले
आया और किर वह रुक जाता और किर थोड़ी दे र में दब
ु ारा परू ी जोश से चोदना चालू कर दे ता… बहुत दे र तक।

मैं मस्ती से पागल हो रही थी- “हााँ रवी… प्लीज मझ


जोर से हााँ…”
.li
ु े झड़ने दो ना… रुको नहीां… नहीां… हााँ करते रहो… हााँ… परू े
um
अबकी रवी नहीां रुका और परू े जोर से धक्के लगाता रहा। जब मैंने झड़ना शरू
ु ककया तो उसके लण्ड का बेस
मेरी जक्लट को कस के रगड़ रहा था। मेरी आाँिें बांद हो गई थी, मेरी चत
ू कस-कस के बार-बार रवी के लण्ड को
भीांच मसकोड़ रही थी। और रवी भी मेरे साथ-साथ झड़ने लगा। बहुत दे र तक उसके लण्ड से बहते वीयम को मैं
अपने अांदर महसस ू कर रही थी।
or

जब मेरी आाँि िुली तो चन्दा और सन


ु ील मेरे सामने िड़े थे। सन
ु ील ने मश्ु कुराकर मझ
ु से पछ
ू ा- “क्यों मजा
आया मेरे यार से चद
ु वाने का…”
Xf

मैं क्या बोलती, बस मश्ु कुराकर रह गई।

चन्दा ने हाँसकर कहा- “हम लोगों ने बहुत कुछ सन


ु ा और थोड़ा दे िा भी कक रानी जी कैसे मस्त होकर चुदवा
रहीां थीां…”

मैं बड़ी मजु श्कल से उठकर िड़ी हुई और चन्दा से बोली- “क्यों चलें…” पर तब तक मैंने दे िा की चन्दा ने मेरी
चोली, घाघरा और साया उठाकर अपने कब्जे में कर रिा है ।

सन
ु ील ने मझ
ु े पीछे से पकड़ मलया और बोला- “कहाां चली, अभी मेरा नांबर तो बाकी है …”

चन्दा मेरे कपड़े ददिाती बोली- “नहीां नहीां… अगर ये ऐसे ही जाना चाहें तो जाय, कहो तो साांकल िोल दां …
ू ”
41
मैं समझ गई थी की बबना चद
ु वाये कोई बचत नहीां है । और सन
ु ील का किर से उजत्थत होता लण्ड दे िकर मेरा
मन भी बेकाबू होने लगा था। सन
ु ील ने मझ
ु े पकड़कर अपनी गोद में बबठा मलया और अपना लण्ड मेरे गोरे
में हदी लगे हाथों में दे ददया। मैं अपने आप उसे आगे पीछे करने लगी।

सामने रवी ने चन्दा को अपनी गोद में बबठा मलया था और एक हाथ से उसकी चूची दबा रहा था और दस
ू रा,
उसकी चत
ू में उां गली कर रहा था। जल्द ही सन
ु ील का लण्ड िुफ्कार मारने लगा था और मेरी मट्
ु ठी से बाहर हो
रहा था। पर मेरे कोमल ककशोर हाथों को उसके मोटे कड़े लोहे की तरह सख्त लण्ड का स्पशम इतना अच्छा लग
रहा था कक उसी से मेरे चच
ू ुक िड़े हो रहे थे।

सन
ु ील मेरी िैली हुई जाांघों के बीच आ आया और मेरी दोनों सख्त चचू चयाां पकड़कर उसने दो-तीन धक्कों में
आधा से ज्यादा लण्ड मेरी कसी चूत में पेल ददया।

ve
रवी की चद
ु ाई के बाद मेरी चूत अच्छी तरह गीली थी पर सन
ु ील का लण्ड इतना मोटा था की मेरी चीि ननकल
गई। पर उसकी परवाह ककये बगैर सन
ु ील ने परू ी ताकत से धक्के लगाना जारी रिा। मैं तड़प रही थी, चचल्ला
रही थी, ममट्टी पर, पव
ु ाल पर अपने ककशोर चूतड़ काटक रही थी, पर जब तक उसका मोटा मस
ू ल ऐसा लण्ड,
जड़ तक मेरी चत
ू में नहीां घस
ु गया, वह पेलता रहा… चोदता रहा।

मैंने चन्दा की ओर मड़
.li
ु कर दे िा, वह मेरे पास ही बैठी थी और रवी उसकी जाांघें िैलाकर उसकी चूत चूम चाट
रहा था। मेरी ओर दे िकर चन्दा मश्ु कुरा दी।
um
सन
ु ील ने मेरे भरे -भरे गोरे -गोरे गाल अपने माँह
ु में भर मलया था और उन्हें कस के चूस रहा था, अचानक उसने
िब
ू कस के मेरा गाल काट मलया और मैं चीि पड़ी। थोड़ी दे र तक वहाां चभ
ु लाने के बाद उसने किर वहीां कसकर
काट मलया और अबकी उसके दाांत दे र तक वहीां गड़े रहे , भले ही मैं चीिती रही। आज मेरी चचू चयों की भी
शामत थी।
or

सन
ु ील अपने दोनों हाथों से उन्हें िूब कस के मसल रगड़ रहा था और चच
ू ी पकड़कर ही परू ी ताकत से धक्के
मार मारकर मझ
ु े चोद रहा था। वह लण्ड सप
ु ाड़े तक बाहर ननकालता और किर परू ी ताकत से परू ा लण्ड एक बार
में अांदर तक ढकेल दे ता। उसका लण्ड मेरी जक्लट को भी अच्छी तरह रगड़ रहा था। ददम से मेरी जाांघें और चूत
Xf

िटी जा रही थी पर उसकी इस धकापेल चुदाई से थोड़ी दे र में मैं भी नशे से पागल हो गई और चूतड़ उठा-उठा
के उसका साथ दे ने लगी। सन
ु ील के होंठ अब मेरी चच
ू ी कस के चस
ू रहे थे, उसने चच
ू ी का ऊपरी भाग माँह
ु में
दबा मलया और दे र तक चस
ू ने के बाद कस के काट मलया। मैं चीि भी नहीां पायी क्योंकी चन्दा ने अपने होंठों
के बीच मेरे होंठ दबा मलये थे और वह भी उन्हें कस के चूस रही थी। सन
ु ील उसी जगह पर थोड़ी दे र और
चुभलाता, चूसता और किर कस के काट लेता।

चन्दा ने भी मौके का िायदा उठा के मेरे होंठ चस


ू ते हुये काट मलये और हाँसकर बोली- “अरे , चद
ु ाई का कुछ तो
ननशान रहना चादहये…”

सन
ु ील ने मेरे दोनों जोबन को कस-कस के ऊपर के दहस्से को अपने दाांत के ननशान बना ददये थे। अब तक मेरी
टाांगें िैली हुईं थीां पर अब सन
ु ील ने मझ
ु े मोड़कर लगभग दहु रा कर ददया और मेरे पैर भी सटा ददये जजससे मेरी
42
चूत अब एकदम कसी-कसी हो गई। और जब उसने लण्ड थोड़ा बाहर ननकालकर चोदा तो मेरी तो जान ही
ननकल गई।

पर चन्दा को इसमें भी मजा आ रहा था। वह हाँसकर बोली- “हााँ… सन


ु ील ऐसे ही िूब कस के चोदो की इसका
सारा नछनारपन ननकल जाय, तीन ददन तक चल न पाये…”

पर लण्ड इतना रगड़-रगड़ के जा रहा था की मैं जल्द ही झड़ गई।

चन्दा ने मेरी एक चूची पकड़ ली और कस के सहलाते, दबाते बोली- “अरी, ये एक बार मेरे साथ झड़ चुका है
अबकी बहुत टाइम लेगा…”

सन
ु ील मेरे चूतड़ पकड़कर लगातार धक्के लगा रहा था। रवव दस
ू री ओर से मेरी चूची पकड़कर दबा मसल रहा
था। मेरे होश लगभग गायब थे, मझ
ु े पता नहीां की मैं ककतनी बार झड़ी पर बहुत दे र तक चोदने के बाद सन
ु ील

ve
झड़ा।

मैं बड़ी दे र तक वैसे ही लेटी रही। थोड़ी दे र में चन्दा और रवी ने सहारा दे कर मझ
ु े उठाया। जब मैंने गदम न झुका
कर दे िा तो मेरे दोनों जोबनों के ऊपरी दहस्से में िूब साि ननशान थे, और वैसे तो परू ी चच
ू ी पर रगड़, िरोंच
और काटने के ननशान थे।

सन
ु ील ने मझ
ु से कहा- “यार तम्
.li
ु हें पाकर मैं होश िो बैठता हूाँ, तम
ु चीज ही ऐसी हो…”
um
मैं मश्ु कुराके बोली- “चलो चलो ज्यादा मक्िन लगाने की जरूरत नहीां है…” और मैं चन्दा के साथ घर के मलये
चल दी।

रास्ते में चन्दा ने बात छे ड़ी- “आज जो तम्


ु हारी कस के चुदाई हुई, वह तम्
ु हारे भाई रवीन्र के मलये बहुत जरूरी
or

थी…”

मैं ठीक से चल नहीां पा रही थी। मैं बनावटी गस्


ु से में बोली- “बेचारे मेरे भाई रवीन्र को क्यों घसीटती हो
इसमें …”
Xf

चन्दा ने मेरे गाल पे चचकोटी काट कर कहा- “इसमलये मेरी प्यारी बबन्नो कक रवीन्र का, सन
ु ील बल्की अब तक
मैंने जजतने भी दे िे हैं सबसे बहुत लांबा और मोटा है , इसमलये अब कम से कम वह अपना सप
ु ाड़ा तो घस
ु ा
सकेगा, अपनी प्यारी बहना की चूत में…”

मेरी आाँिों के सामने रवीन्र की तस्वीर घम ू रही थी, पर मैंने चन्दा को छे ड़ते हुए कहा- “अगर ऐसी बात है तो
तू ही क्यों नहीां चद
ु वा लेती रवीन्र से…”

“अरे यार, मैं तो अपनी चूत हाथ पे लेके घम


ू रही हूाँ, पर उसको तो अपनी इस प्यारी बहना को ही चोदना है ना,
साल्ला… बहनचोद…” चन्दा हाँसकर बोली।

43
“हे गाली क्यों दे ती है, मेरे प्यारे भाई को…” मैं उसे घरू के बोली।

चन्दा ने मश्ु कुराकर कहा- “अपनी इस प्यारी प्यारी बहना को तो वह बबना चोदे मानेगा नहीां और अब इस बहना
की चूत में भी इतनी िुजली मच रही होगी की वह भी अपने भैय्या से बबना चुदवाये रहे गी नहीां। तो बहनचोद
वह हुआ की नहीां और उसकी इस बहन को गााँव के मेरे सारे भाई बबना चोदे तो जाने नहीां दें गे, और जजसकी
बहन यहाां चुदेगी वह साला हुआ की नहीां…”

बात तो उसकी सही थी पर मेरे मन में बार-बार रवीन्र की शक्ल घम


ू रही थी। मझ
ु से नहीां रहा आया और मैंने
चन्दा से पछ
ू ही मलया- “लेककन मेरी समझ में ये नहीां आता कक… वह इत्ता शमीला है … मैं शरू
ु आत कैसे करूां?”

थोड़ी दे र में खिलखिलाती हुई चन्दा बोली- “मेरे ददमाग में एक आइडडया आया है … जब तम
ु घर लौटोगी तो
उसके कुछ ददन बाद ही सावन की पन ू ो, पड़ेगी, रािी…”

ve
“तो…” उसकी बात बीच में काटकर मैं बोली।

“तो जब तम
ु उसको रािी बाांधना तो वह पछ
ू े गा की क्या चादहये… तम
ु उसकी पैंट पर हाथ रिकर माांग लेना,
भैय्या, मझ
ु े तम्
ु हारा लण्ड चादहये…” चन्दा जोर-जोर से हाँस रही थी।

“हााँ जरुर माांगग


ूां ी पर ये बोलग
.li
ूां ी की… मेरी प्यारी सहे ली चन्दा के मलये चादहये…” मैंने चन्दा की पीठ पर हाथ
मारकर कहा। बार-बार चन्दा की बात और रवीन्र मेरे मन में आ रहा था, इसमलये मैंने बात बदली- “यार रवी…
um
जब चूसता है तो… आग लग जाती है…”

“सही बात है, पक्का चत


ू चटोरा है, एक बार तो… अच्छा छोड़ो तम
ु ववश्वास नहीां करोगी…”

“नहीां नहीां… बताओ ना…” मैंने जजद की।


or

“एक बार… हम लोग िेत में थे, मझ ु े पेशाब लगी थी मैं जैसे ही करके आयी, रवी ने मझु े पकड़ मलया, मैंने बहुत
कहा कक मैंने अभी साि नहीां ककया, पर वह नहीां माना, कहने लगा- कोई बात नहीां, स्पेशल टे स्ट ममलेगा और
उस ददन रोज से भी ज्यादा कस के चूसा और मश्ु कुराके कहने लगा- थोड़ा िारा-िारा था…”
Xf

“हाय… लगी हुई थी और…” मैं आश्चयम से बोली। घर आ गया था इसमलये हम लोग बाहर िड़े-िड़े हल्की आवाज
में बातें कर रहे थे।

“अरे , चौंक क्यों रही है दे िना अभी चम्पा भाभी और काममनी भाभी तम
ु से क्या-क्या करवाती हैं?” चन्दा बोली।

मैं- “हााँ चम्पा भाभी हरदम चचढ़ाती रहती हैं कक कानतक में आओगी तो राकी के साथ…”

मेरी बात काटकर चन्दा ने िुसिुसाते हुए कहा- “अरे राकी के साथ तो अब तझ ु े चुदवाना ही होगा उससे तो तू
बच ही नहीां सकती। उसके साथ तो वो तेरी सह ु ागरात मनवाएांगी, पर… उसके बाद दे िना, हर चीज तम्ु हें
वपलायेंगी-खिलायेंगी…”
44
तब तक घर के अांदर से भाभी की आवाज आयी, अरे तम
ु लोग बाहर क्या कर हो। जैसे ही हम अांदर गये चम्पा
भाभी बोलीां- “अरे मैं बताना भल
ू गई थी, आज काममनी भाभी के यहाां सोहर और कजरी होगी, सबको बल
ु ाया है
तैयार हो जाओ, जल्दी चलना है …”

“ठीक है भाभी मैं चलती हूाँ काममनी भाभी के घर पे ममलग


ूां ी…” ये कहकर चन्दा अपने घर को ननकल गई।

थोड़ी दे र में सब लोग तैयार होने लगे। आज भाभी ने अपने हाथों से मझ


ु े तैयार ककया। िूब ज्यादा, गाढ़ा मेकप
ककया, कहने लगीां- “सबको मालम
ू तो हो कक मेरी ननद ककतना मस्त माल है ।

चोली मेरी आज कुछ ज्यादा ही लो कट थी। जब शीशे में मैंने दे िा तो मेरे जोबन को, सन
ु ील ने जो ननशान
बनाये थे वे बहुत साि ददि रहे थे। मैंने भाभी से आखिरी कोमशश की- “भाभी मैं ना चलूां तो…”

ve
पर भाभी कहाां मानने वाली चथ, मेरे गालों पे चचकोटी काट के बोलीां- “अरे मेरी ननद रानी, आखिर हम लोग किर
गाली ककसको दें ग…
े ” बेचारा अजय, उसने मझ
ु से वादा मलया था कक रात को मैं अपनी खिड़की िोल के रिांग
ू ी, वो
आयेगा और किर रात भर… लेककन?

काममनी भाभी हम लोगों का इांतजार कर रहीां थीां। मझ


.li
ु से तो वो िब
ू जोश से गले ममलीां और उनके 38डीडी
जोबन ने मेरे 32सी ककशोर जोबनों को एकदम दबाकर रि ददया। सबसे मझ
ज्यादा तो मझ
ु े इसी माल का इांतजार था…”
ु े ददिाकर कहने लगीां- “सबसे
um
थोड़ी दे र तो ऐसे ही गाने चलते रहे पर जब चमेली भाभी ने ढोलक ली तब मैं समझ गई कक अब क्या होने
वाला है । चमेली भाभी ने एक सोहर शरू
ु ककया-

सासू िो आयें चरुआ चढ़ाने, िो आयें चरुआ चढ़ाने,


or

उनको तो मैं नेग हदलाय दां ग


ू ी, नेग लेवे में िो ठनगन कररहें ,
नेग लेवे में िो ठनगन कररहें , मुन्ने के, अरे मुन्ने के नाना से उनको चद
ु ाय दां ग
ू ी।
दे वरा िो आये बांसी बिाये, िो आये बांसी बिाये,
Xf

उनको तो मैं नेग हदलाय दां ग


ू ी, नेग लेवे में िो ठनगन कररहें ,
नेग लेवे में िो ठनगन कररहें , अरे उनकी अरे उनकी गाण्ड में बांसी घुसाय दां ग
ू ी।

ननदी िो गये किरा लगाये, अरे छिनरी िो गये किरा लगाये,


उनको तो मैं नेग हदलाय दां ग
ू ी, नेग लेवे में िो ठनगन कररहें ,
नेग लेवे में िो ठनगन कररहें , उनकी भोंसड़ी में किरौटा घस
ु ाय दां ग
ू ी।
अरे अपने दे वर से प्यारे रवीन्र से उनको चद
ु ाय दां ग
ू ी… (भाभी ने जोड़ा।)
राकी से उसको चद
ु ाय दां ग
ू ी। (चम्पा भाभी कहाां चप
ु रहने वाली थीां।)

मैंने भाभी को चचढ़ाया- “पर भाभी, गा तो चमेली भाभी रही हैं और उनकी ननद तो आप, चन्दा हैं।

45
काममनी भाभी ने मेरा साथ ददया- “ठीक तो कह रही है , अरे नाम लेके गाओ…”

परू बी ने मझ
ु े चचढ़ाते भाभी से कहा- “अरे राकी से भी, बड़ी कैवपमसटी है, आपकी ननद में …”

चम्पा भाभी को तो मौका ममल गया- “अरे कानतक में दरू -दरू से लोग अपनी कुनतया लेकर आते हैं, नांबर लगता
है , राकी को ऐसा मत समझो…” भाभी बड़े भोलेपन से मेरे कांधे पर हाथ रिकर मेरी ओर इशारा करके बोलीां।

“अबकी मैं भी ले आऊाँगी अपनी… इस कानतक में…” काममनी भाभी बोलीां।

“ठीक है , तम्
ु हारी वाली का नांबर पहले लगावा दां ग
ू ी। और नांबर क्या उसका नांबर तो हर रोज लगेगा…”

बाहर बादल उमड़ घम


ु ड़ रहे थे। गीता को भी जोश आ गया, वो बोली- “भाभी वो बादल वाला सन
ु ाऊाँ?”

ve
“हााँ हााँ सन
ु ाओ…” चमेली भाभी और मेरी भाभी एक साथ बोलीां। चन्दा भी गीता का साथ दे रही थी-

बबन बदरा के बबिरु रया कैसे चमके, हो रामा कैसे चमके, बबन बदरा के बबिरु रया,
अरे हमरी ननदी छिनार के गाल चमके, अरे गड्
ु डी रानी के दोनों गाल चमकें,
अरे उनकी चोली के, अरे उनकी चोली के भीतर अरे गड् .li
ु डी रानी के दोनों अनार िलकें
िाांघों के बीच में अरे िाांघों के बीच में अरे गुड्डी छिनरौ के दरार िलके।
बबन बदरा के बबिुररया कैसे चमके, हो रामा कैसे चमके।
um
चमेली भाभी ने पछ
ू ा- “कैसी लगी?”

मैंने आाँिें नचाकर, मश्ु कुराकर कहा- “भाभी ममचम जरा कम थी…”
or

काममनी भाभी ने परू बी की ओर दे िकर कहा- “ये तो तम


ु ननद सामलयों के मलये चैलेंज है…”

परू बी और उनका साथ दे ने के मलये मेरी भाभी चालू हो गईं-


Xf

अरे हमरे खेत में सरसों फुलायी, अरे सरसों फुलायी


गुड्डी रानी की अरे गुड्डी साल्ली की हुई चद
ु ाई,
अरे , रवीन्र की बहना की, गड्ु डी छिनरो की हुई चद
ु ाई।

भाभी ने किर दस
ू रा गाना शरू
ु ककया और अबकी परू बी साथ दे रही थी-

अरे मोती िलके लाली बेसररया में , मोती िलके,


हमरी ननदी रानी ने, गुड्डी रानी ने एक ककया, दो ककया, साढ़े तीन ककया,
हहांद ू मस
ू लमान ककया, कोइरी, चमार ककया,
अरे 900 गांड
ु े बनारस के, अरे 900 िै ले पटना के, मोती िलके,
46
अरे मोती िलके लाली बेसररया में , मोती िलके,
हमरी ननदी छिनार ने, गुड्डी छिनार ने एक ककया, दो ककया, साढ़े तीन ककया,
हमरो भतार ककया, भतरो के सार ककया, उनके सब यार ककया,
अरे 900 गदहे एलवल के, अरे 900 भांड़ुये कालीनगांि के, अरे मोती िलके।

(मैं जजस मह
ु ल्ले में रहती थी उसका नाम एलवल था, और मेरी गाली के बाहर धोबबयों के घर होने से, कािी
गधे बांधे रहते थे, इसमलये मजाक में उसे, गधे वाली गाली कहते थे और हमारे शहर में जो रे ड लाइट एररया थी,
उसका नाम कालीन गांज था।) मेरी भाभी ने मश्ु कुराकर पछ
ू ा- “क्यों आया मजा, अब तो नाम साि-साि है ना…”
मैं मश्ु कुरा कर रह गई।

काममनी भाभी ने कहा- “मैं असली तेज ममचम वाली सन


ु ाती हूाँ…” परू बी ने ढोलक थामी और चम्पा भाभी ने उनका
साथ दे ना शरू
ु ककया-

ve
अरे गुड्डी छिनार, हरामिादी, वो तो कुत्ता चोदी, गदहा चोदी,
हमरे दे वर के माँह
ु पे आपन चच
ू ी रगड़े,
उनके लण्ड पे अपनी बुर रगड़े, अपनी गाण्ड रगड़े,
अपने भाई के माँह
ु पे आपन चच .li
ू ी रगड़े, अपनी बुर रगड़े… (भाभी ने िोड़ा।)
अरे गुड्डी छिनार, हरामिादी, वो तो कुत्ता चोदी, गदहा चोदी।
um
“क्यों गदहों के साथ भी, अभी तक तो कुत्तों की बात थी…” परू बी ने मझ
ु े चचढ़ाते हुए कहा।

“अरे जब ये अपनी गली के बाहर चूतड़ मटकाती हुई ननकलती है , तो गदहों के भी लण्ड िड़े हो जाते हैं…” भाभी
आज परू े मड
ू में थीां।
or

“क्यों ममचाम लगा?” काममनी भाभी ने पछ


ू ा।

“हााँ भाभी, बहुत तेज, लेककन मजा तो मझ


ु े तेज ममची में ही आता है …” मैं मश्ु कुराकर कर बोली।
Xf

तभी ककसी बड़ी औरत ने कहा- “अरे लड़का हुआ है तो थोड़ा नाच भी तो होना चादहये, कौन आयेगा नाचने?”

भाभी ने चमेली और चम्पा भाभी की ओर इशारा करके कहा- “मन्


ु ने की मामी को नचाया जाय…”

“ठीक है , अगर ये तम
ु मान ले कक बच्चा मन्
ु ने के मामा का है तो हम तैयार हैं…” चमेली भाभी ने हाँसकर कहा।

आखिर भाभी को िद ु उठना पड़ा। कुछ दे र में चमेली भाभी भी उनका साथ दे ने के मलये िड़ी हुईं और नाचते
नाचते, चमेली भाभी ने भाभी का जोबन पकड़ने की कोमशश की पर मेरी भाभी झुक कर बच गईं। भाभी ने मेरी
ओर इशारा करते हुए कहा की, अगला नांबर मन्
ु ने की बआ
ु का होगा।

47
मैं मान गई पर मैंने कहा- “ठीक है , लेककन मन्
ु ने की मौसी को साथ दे ना होगा…”

काममनी भाभी ने परू बी से कहा- “ठीक है, हो जाये मप


ु काला दे ितें है कक बआ
ु और मौसी में कौन ज्यादा चत
ू ड़
मटका सकती है …”

भाभी ने ढोलक सम्हाली और चन्दा उनका साथ दे रही थी। मेरे साथ परू बी िड़ी हुई, भाभी ने गाना शरू
ु ककया-

लौंडे बदनाम हुये, नसीबन तोरे सलये, हो गड्


ु डी तोरे सलए,
ऊपर से पानी होगी, नीचे से नाली होगी,
सट्टासट, घचाघच्च कीचड़ होगा, हो नसीबन, हो गुड्डी तेरे सलए।

मैं भी परू े जोश में “मेरी बेरी के बेर मत तोड़ो…” ररममक्स की तरह कभी जोबन उभारकर, कभी झुककर लो कट
चोली से जोबन झलकाकर, कभी चद
ु ाई के अांदाज में चत
ू ड़ मटकाकर नाच रही थी और परू बी तो और िल
ु कर…

ve
भाभी ने अगली लाइन शरू
ु की-

लौंडे बदनाम हुये, नसीबन तोरे सलये, हो गुड्डी तोरे सलए


िोटा सा कोल्हू होगा मोटा सा गन्ना होगा, अरे , िोटा सा कोल्हू होगा

अरे िोटी सी चत
.li
सटासट िाता होगा, अरे सटासट िाता होगा, गुड्डी तेरे सलये,
ू होगी, मोटा सा लण्ड होगा, अरे गुड्डी तेरे सलये,
um
अरे गपागप िाता होगा, खचाखच िाता होगा, हो गुड्डी तोरे सलए।

काममनी भाभी ने परू बी को इशारा ककया- “अरे परू बी ददिा तो ससरु ाल से क्या सीि के आयी है…”

परू बी ने मेरी कमर पकड़कर रगड़ना कभी धक्के लगाना, इस तरह शरू
ु ककया कक जैसे जोर की चद
ु ाई चल रही
हो। काममनी भाभी ने परू बी को कुछ इशारा ककया, और जब तक मैं समझती, चन्दा और गीता ने मेरे दोनों हाथ
or

कस के पकड़ मलये थे और परू बी ने मेरी साड़ी एक झटके में उठा दी और मेरे रोकते-रोकते कमर तक उठा दी।

“अरे जरा ठीके से भरतपरु के दशमन कराओ…” चम्पा भाभी बोली।


Xf

और चन्दा ने परू बी के साथ ममलकर मेरी जाांघें िैला दीां। मैं अपनी चूत हर हफ्ते, एन-फ्रेंच ररमव
ू र से साि
करती थी और अभी कल ही मैंने उसे साि ककया था इसमलये वह एकदम चचकनी गल
ु ाबी थी।

“अरे ये तो एकदम मक्िन मलाई है । चाटने के लायक और चोदने के भी लायक…” काममनी भाभी बोल पड़ी।

“अरे तभी तो गााँव के सारे लड़के इसके दीवाने हैं और लड़के ही क्यों?” चम्पा भाभी ने हाँसकर कहा।

“और मेरा दे वर भी…” भाभी क्यों चप


ु रहतीां, बात काटकर वो बीच में बोलीां।

48
मैं परू बी के साथ बैठ गई। काममनी भाभी भी मेरे पास आ गईं। उनकी आाँिों में एक अजीब चमक थी। चैलेंज
सा दे ते हुये उन्होंने पछ
ू ा- “तो तम्
ु हें तेज ममचम पसांद है ?”

जैसे चैलेंज स्वीकार करते हुए मैं बोली- “हााँ भाभी जब तक कस के छरछराय नहीां तो क्या मजा…”

काममनी भाभी ने मश्ु कुराकर चम्पा भाभी से कहा- “तो इसको स्पेशल चटनी चटानी पड़ेगी…”

चम्पा भाभी मझ
ु से बोलीां- “अरे जब एक बार वो चटनी चाट लोगी तो कुछ और अच्छा नहीां लगेगा…”

काममनी भाभी और कुछ बोलतीां तब तक उनकी एक ननद ने उनको चन


ु ौती दे दी और वह उससे लोहा लेने चल
पड़ीां। मैं और परू बी बैठकर मजा ले रहे थे, एकदम फ्री िार आल चालू हो गया था। परू बी ने मझ
ु से पछ
ू ा कक
कभी गााँव में मैंने नदी में नहाया है । मेरे मना करने को वो बोली कक बहुत मजा आता है और वह कल मझ
ु े
अपने साथ ले चलेगी।

ve
गाने, पकड़ा-पकड़ी, सब कुछ चल रहा था, चन्दा के पीछे चम्पा भाभी और गीता के पीछे चमेली भाभी पड़ीां थीां।
सन
ु ील की छोटी बहन रीना भी आयी थी, अभी 8वीां में पढ़ती थी, मजु श्कल से 13 साल की होगी। चेहरा बहुत
भोला सा, दटकोरे से छोटे छोटे उभार, फ्राक को पश
ु कर रहे थे, पर गाली दे ने में भाभी लोगों ने उसको भी नहीां
बख्शा, आखिर उनकी ननद जो थी।

और ये तो अभी मसिम शरू


.li
ु आत है, बाकी का हाल भाग-2 में , कैसे हुई और बरसात 16वें सावन में भाभी के गााँव
um
में ।
रानी।
***** *****

सोलहवाां सावन भाभी के गााँव में - भाग दो


or

अगले ददन जब परू बी मझु े लेने गई तो आांगन में कािी धूप ननकल चुकी थी। बहुत ददनों के बाद आज मौसम
िुला था। चन्दा के घर कुछ मेहमान आये थे इसमलये वह आज िाली नहीां थी। बसांती और भाभी आांगन में बैठे
थे और बसांती मन्
ु ने को तेल लगा रही थी। तेल लगाते-लगाते, बसांती ने मेरी ओर दे िकर, मामलश करते बोला-
Xf

आटा पाटा दही का लाटा, मुन्ने की बुआ का लहां गा फाटा।

भाभी ने मजाक में मझ


ु से धीरे से पछ
ू ा- क्यों लहां गे के अांदर वाला अभी िटा की नहीां।

मैंने मश्ु कुराकर हामी में सर दहला ददया और उनका चेहरा खिल उठा। थोड़ी दे र में, गीता, कजरी और नीरा भी
नदी नहाने के मलये इकठ्ठा हो आयीां और हम लोग चल ददये।

मेरी समझ में नहीां आ रहा था की हम लोग नदी में नहायेंगे कैसे… क्योंकी बदलने के मलये कपड़ा हम लोगों ने
मलया नहीां था। पर नदी के ककनारे पहुाँच कर मेरे समझ में आ गया। सब लड़ककयों ने साड़ी चोली उतार दी थी
और अपना साया िब
ू कस के अपने सीने के ऊपर बाांध रिा था। नहाने के बाद मसिम साड़ी चोली में घर वापस
49
आ जातीां और गीले पेटीकोट साथ ले आतीां। वह जगह एकदम एकाांत में थी और मझ
ु े गीता ने बताया कक औरतों
का घाट होने के परण वहाां मदम नहीां आते। सबकी तरह मैंने भी अपने जोबनकर ऊपर पेटीकोट बाांध मलया और
नदी में घस
ु गई।

पर थोड़ी दे र में ही छे ड़छाड़ शरू


ु हो गई। पानी के जोर से सबका पेटीकोट ऊपर हो जाता और परू ा शरीर भीग
रहा था। तभी मैंने पाया कक गीता ने पानी के अांदर घस
ु कर मेरे जोबन पकड़ मलये और मसलने लगी। मैं क्यों
छोड़ती, मैंने भी उसके उभारों को पकड़कर कस के दबा ददया। तब तक कजरी भी मैदान में आ गई और वह मेरे
जाांघों के बीच हाथ रगड़ने लगी। कुछ दे र तक मैं और गीता एक दस
ू रे की चूचचयाां दबाते रहे पर तभी मैंने दे िा
कक परू बी मझ
ु े इशारे से बल
ु ा रही है । मैं जैसे ही उसकी ओर मड़
ु ी, गीता और कजरी एक दस
ू रे के साथ चालू हो
गईं।

परू बी नीरा के पास नहा रही थी। उसने मझ


ु से आाँि मारकर इशारे से पछ
ू ा- “क्यों इस कच्ची कली का मजा लेना
है …”

ve
मैंने कहा- “अभी बहुत छोटी है …”

परू बी बोली- “जरा नीचे का चेक करो, छोटी वोटी कुछ नहीां है …”

.li
जब तक वो बेचारी कुछ समझती, मैंने उसकी जाांघों के बीच में हाथ डालकर कस के दबोच मलया था। उसकी
छोटी-छोटी काली झाांटें मेरे हाथ में आ गईं। जब तक वह कुछ बोलती, परू बी ने उसके दोनों छोटे छोटे उभरते
um
उभारों को कस के पकड़ मलया था और मजे ले-लेकर दबा रही थी। मझ
ु े सन
ु ील की याद गई कक कल कैसे कस-
कस के उसने मेरी चूत िाड़ी थी और आज उसकी बहन… मैंने अपनी उां गली का दटप उसकी चूत में बबना सोचे
डाल दी। मेरा दस
ू रा हाथ उसके छोटे -छोटे चत
ू ड़ दबा रहा था। हम लोग इतनी मस्ती कर रहे थे पर ऊपर से कुछ
पता नहीां चलता, क्योंकी हमारे हाथ जो शैताननयाां कर रहे थे वो पानी के अांदर थे। बहुत दे र तक उसको छे ड़ने
मजा लेने के बाद, अचानक परू बी ने पैंतरा बदलकर मेरे जोबन दबाने चालू कर ददये। पर जब मैं उसकी चूचचयाां
or

पकड़ने लगी तो वो तैरकर दरू ननकल गई। पर उसे ये नहीां पता था की मैं भी पानी की मछली हूाँ। मैं इांटर-स्कूल
तैराकी चैजम्पयन थी। मैंने भी उसका पीछा ककया। जब मैंने उसे पकड़ा तो वो जगह एकदम एकाांत में थी। नदी
में तेज मोड़ आ आया था और वहाां से हमारी सहे मलयाां क्या, कुछ भी नहीां ददि रहा था। दोनों ओर ककनारे िब

ऊाँचे और घने लांबे पेड़ थे। पानी की धार भी वहाां एकदम कम थी।
Xf

परू बी पानी में िड़ी हो गई। वहाां उसके सीने से थोड़ा ही कम पानी था और पेटीकोट के भीग जाने से, उसके
पत्थर से कठोर स्तन एकदम साि ददि रहे थे। मैंने पीछे से उसे पकड़कर उसके भरपरू जोबन कस-कस के
दबाने शरू
ु कर ददये। पर वो भी कम नहीां थी। थोड़ी दे र में मेरे हाथ से मछली की तरह वो किसल गई और तैर
कर सामने आ गई। जब उसने मेरे सीने की ओर हाथ बढ़ाया, तो मैंने अपने दोनों उभारों को हाथ से नछपा
मलया। पर मझ
ु े क्या मालम
ू था कक उसका इरादा कुछ और है । उसने एक झटके में मेरे पेटीकोट का नाड़ा िीांच
मलया और जब तक मैं सम्हल,ांू पानी के अांदर घस
ु कर उसने नीचे से उसे िीांच मलया और यह जा वह जा। मैं भी
उसके पीछे तैरी।

ु चैलेंज करती रही पर जब मैं पास में पहुाँची तो उसने उसे ककनारे
थोड़ी दे र मेरा पेटीकोट हाथ में मलये, वो मझ
पर दरू िेंक ददया। पहली बार इस तरह िुले आसमान के नीचे, नदी में मैं परू ी तरह ननवमस्त्र तैर रही थी। नदी
50
का पानी मेरे जोबन, जाांघों के बीच सहला रहा था। जल्द ही मैंने उसे धर पकड़ा, पर परू बी पहले से तैयार थी
और उसने अपने साये का नाड़ा कस के पकड़ रिा था। कािी दे र िीांचातानी के बाद भी जब मैं उसका हाथ नहीां
हटा पायी तो उसकी जाांघों के बीच हाथ डालकर मैंने कसकर उसकी चूत को पकड़कर मसल ददया। अपने आप
उसका हाथ नीचे चला आया और मैंने उसका नाड़ा िोलकर पेटीकोट िीांच ददया। जब तक वह मझ
ु े पकड़ती मैंने
उसका पेटीकोट भी वहीां िेंक ददया, जहाां मेरा पेटीकोट पड़ा था।

अब हम दोनों एक जैसे थे।

अब परू बी ने मझ
ु े पकड़ने की कोमशश की तो मैं तैरकर ककनारे की ओर बढ़ी, पर इस बार परू बी ने मझ
ु े जल्द ही
पकड़ मलया (मैं शायद चाहती भी थी, पकड़वाना)। मैं हार मानकर िड़ी हो गई। वहाां पर पानी हमारे सीने के
आस-पास था। परू बी ने मझ
ु े अपनी बाांहों में भरकर, अपनी बड़ी-बड़ी चूांचचयों से मेरी चूांचचया रगड़नी शरू
ु कर दीां।
उसके हाथ मझ ु े कसकर जकड़े हुये थे और मैंने भी उसे पकड़ मलया था। चूचचयों से चूचचयाां मसलते हुये परू बी ने
प्यार से मेरी ओर दे िा और अचानक मेरे होंठों पर अपने होंठ रिकर कसकर एक चुम्मी ले ली। मेरी दे ह भी

ve
अब दहकने लगी थी और मैं भी अपनी चच
ू ीां उसकी चूची पर दबा रही थी।

परू बी का एक हाथ सरक कर पानी के अांदर मेरे चूतड़ों तक पहुाँचा और उसने उसे कसकर भीांच मलया। उह्ह्ह मेरे
ु से मससकारी ननकल गई। अब उसकी चूत भी मेरी चूत दबा रही थी। धीरे -धीरे , उसने मेरी चूत पर अपनी
माँह
चत
ू रगड़नी शरू
ु की और मेरा एक हाथ भी िीांचकर अपनी चच
अपनी चूत एक दस
.li
ू ी को रिकर दबवाने लगी। हम दोनों कसकर
ू रे से रगड़ रहे थे, मैं उसकी पथरीली, कड़ी-कड़ी चचू चयाां अपने हाथे से सहला दबा रही थी
और परू बी का एक हाथ मेरे चत
ू ड़ों को कसकर भीांच रहा था। हम दोनों एकदम मस्त होकर आपा िो बैठे थे
um
और ककनारे के कािी पास पहुाँच गये थे।

वहाां एक पत्थर सा ननकला हुआ था, जजस पर परू बी ने मझ ु े मलटा ददया। मेरी आाँिें मद
ांु ी जा रही थीां। परू बी के
एक हाथ ने मेरी चूत में उां गली डालकर मांथन करना शरू
ु कर ददया और दस ू रा कस के मेरी चूची मसल रहा था
और मेरे चूचुक को िीांच रहा था। मैंने भी परू बी की चूत पानी के अांदर पकड़ ली और उसे रगड़ने मसलने लगी।
or

अभी भी पानी हम दोनों की कमर से कािी ऊपर था। परू बी की उां गली तेजी से मेरी चूत के अांदर-बाहर हो रही
थी और अांगठ
ू ा मेरी जक्लट को रगड़ रहा था। मैं एकदम झड़ने के कगार पर पांहाँच गई थी। तभी जैसे ककसी ने
मेरे पैर पकड़कर पानी के अांदर िीांच मलया।
Xf

मैं एकदम डर गई। मैंने सन


ु रिा था कक, पानी के अांदर कुछ… होते हैं जो सद
ुां र कन्याओां को पकड़ ले जाते हैं,
लेककन तभी उसने पीछे से मेरे ककशोर उरोजों को पकड़ मलया, पहले मझ
ु े लगा कक परू बी है , पर वह तो सामने
िड़ी हाँस रही थी और अबतक मैं मदों का हाथ पहचानने भी लगी थी। दोनों जोबनों को कस के दबाते उसने
पीछे से ही मेरे गालों पर िूब रसभरा कसकर चम्
ु बन ले मलया। उसका लण्ड भी एकदम िड़ा होकर मेरे चत
ू ड़ों
के बीच धांस रहा था।

“हे कौन?” मैंने पीछे मड़


ु ने की कोमशश करते हुये पछ
ू ा। पर एक तो उसकी पकड़ बड़ी तगड़ी थी और दस
ू रे , अब
उसने मेरी पीठ के पीछे अपना माँहु नछपा मलया था।

परू बी मश्ु कुराती हुई बोली- “अरे तम्


ु हें लण्ड से मतलब या नाम से…” और उससे बोली- “ठीक है आ जाओ
सामने…”
51
जब वह सामने ननकला तो मैं उसे पहचान गई, ये तो वही था, जो उसे ददन मेले में मेरी इतनी तारीि कर रहा
था और जजसके बारें में चम्पा ने बताया था कक वह परू बी के ससरु ाल का यार है, गोरा, लांबा, ताकतवर, कसरती
गठा बदन।

“अपने आमशकों की मलस्ट में इसका भी नाम मलि लो, राजीव नाम है इसका…” हाँसती हुई, परू बी बोली।

अब तक उसने मझ
ु े अपनी बाहों में भर मलया था और कस-कस के चूम रहा था, उसकी चौड़ी छाती मेरे कड़े-कड़े
उत्तेजजत रसीले जोबनों को दबा रही थी, और उसका सख्त, कड़ा लण्ड मेरी चूत पे धक्का मार रहा था। अपने
आप मेरी जाांघें िैल गईं। थोड़ी दे र में मेरी बाहें भी उसी जोश से उसे पकड़े थीां और अब उसका एक हाथ कस-
कस के मेरी चूचचयों का रस ले रहा था और दस
ू रा मेरा चूतड़ नाप रहा था। परू बी ने ही मझ
ु े इतना गरम कर
ददया था और किर जब उसका लण्ड मेरी अब परू ी तरह गीली चूत को टक्कर मारता, तो बस यही मन कर रहा
था कक अब ये कस के पकड़कर मझ
ु े चोद दे ।

ve
मन तो उसका भी यही कर रहा था। उसने मेरी टाांगों को थोड़ा िैलाकर मेरी चत
ू में अपना लण्ड डालने की
कोमशश की पर वह नहीां घस
ु पाया। इसके पहले मैंने कभी िड़े-िड़े नहीां चद
ु वाया था और किर वह भी नदी के
भीतर… उसकी कोमशश से लण्ड तो नहीां घस
ु पाया पर मैं और गरम हो गई।

परू बी ने रास्ता सझ
.li
ु ाया- “जरा और ककनारे को चले आओ, यहााँ…” उसने उस पत्थर की ओर इशारा ककया जजस
पर मलटाकर वह कर रही थी।
um
उसने वही ककया और पत्थर पर मझ
ु े पेट के बल मलटा ददया। मेरे कांधे के ऊपर पानी से बाहर था और बाकी
सारा शरीर नदी के अांदर। परू बी मेरा सर सहला रही थी। पीछे जाकर उसने मेरी जाांघों को िब
ू चौड़ा करके िैला
ददया और मेरी चूत में कस-कस के उां गली करने लगा, उसका दस
ू रा हाथ नदी के अांदर मेरी चूची मसल रहा था।
मेरी हालत िराब हो रही थी।
or

मैं िीझकर बोली- “हे करो ना… डालो… प्लीज… जल्दी… हााँ ऐसे ही… ओह्ह… लगा रहा है … एक ममनट… बस…”

मेरे बोलते-बोलते उसने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़कर कस के अपना लण्ड मेरी चूत में डाल ददया और चोदने
Xf

लगा। मेरे चचल्लाने का उसके ऊपर कोई असर नहीां था और वह पागलों की तरह मझ
ु े परू ी ताकत से चोद रहा
था। और ऊपर से परू बी, वह मेरे दोनों उरोजों को उससे भी कस के दबा, मसल रही थी और उसे उकसा रही थी-
“हााँ राजीव रुकना नहीां परू ी ताकत से चोदो, िाड़ दो इसकी…”

और राजीव का हाथ जैसे ही मेरी जक्लट पर पहुाँचा मैं झड़ने लगी। पर राजीव रुका नहीां वह कभी मेरे चूतड़
पकड़कर, कभी कमर पकड़कर, कभी चचू चयाां दबाते, नदी के अांदर चोदता रहा, चोदता रहा और बहुत दे र चोदने
के बाद ही झड़ा।

हम दोनों ककनारे पे आकर बड़ी दे र लेटे रहे । किर अचानक मझ


ु े याद आया कक अपनी साड़ी और चोली तो हम
घाट पे ही छोड़ आये हैं।

52
मैंने जब परू बी से कहा तो वो हाँसके बोली- ये तेरा आमशक ककस ददन काम आयेगा। जैसे ही राजीव कपड़े लेने
गया, परू बी मझ
ु े पटक के मेरे ऊपर चढ़ गई और बोली- तन
ू े तो मजा ले मलया पर मेरा क्या होगा… जो काम
हम कर रहे थे, चलो उसे परू ा करते हैं…”

उसके होंठों ने मेरी चत


ू को कस के भीांच मलया था और वह उसे कस-कस के चूस रही थी। अपनी चूत भी वह
मेरे माँह
ु पर रगड़ रगी थी। थोड़ी दे र में उसकी तरह मैं भी चूत चूसने लगी। यह मेरी मसक्स्टी नाईन की पहली
ट्रे ननांग थी। जब हम लोग झड़कर अलग हुए तो दे िा कक राजीव हम दोनों के कपड़े मलये मश्ु कुरा रहा है । परू बी
के कपड़े तो उसने दे ददये पर मेरे कपड़ों के मलये उसने मना कर ददया।

जब मैंने परू बी से बबनती की तो वो बोली- तेरे कपड़े हैं तू मना इसको या किर वैसे ही घर चल।

मैंने राजीव से कहा की- “मैं मसिम उससे ही नहीां बल्की आज के बाद अगर गााँव में जो भी मझ
ु से माांगेगा, मैं
मना नहीां करूांगी…” मेरे पास चारा क्या था। बड़ी मजु श्कल से कपड़े ममले और उसपर से भी दष्ु ट परू बी ने

ve
जानबझ
ू कर मेरी चोली दे ते हुये नदी में चगरा दी। वह अच्छी तरह गीली हो गई, और मझु े भीगा ब्लाउज
पहनकर ही घर आना पड़ा। मेरी चचू चयों से वह अच्छी तरह चचपका था और रास्ते में दो-चार लड़के गााँव के ममल
भी गये जो मेरी चूचचयों को घरू रहे थे।

परू बी ने मझ

ये तो धप ू अच्छी थी, रास्ते में वह कुछ सि


.li
ु े चचढ़ाया- “अरे दे दो ना जोबन का दान, सबसे बड़ा दान होता है ये…”

ू गया। गनीमत था कक जब मैं घर पहुाँची तो भाभी और चम्पा भाभी


um
नहीां थी, मसिम बसांती थी। उसने बताया कक सब लोग पड़ोस के गााँव में गये हैं और शाम के आस-पास ही 3-4
घांटे बाद लौटें ग,े मेरा िाना रिा है और उसे भी कुछ काम से जाना है ।

मैं अपने कमरे में चली गई और जल्दी से कपड़े बदले। कहीां जाना तो था नहीां इसमलये मैंने, एक टाप और स्कटम
पहना और िाना िाने आ गई। िाने के बाद मैं अपने कमरे में थोड़ी दे र लेटी थी और बसांती सब काम समेट
or

रही थी। तभी बसांती ने दरवाजे के पास आकर बताया कक ददनेश आया है ।

मैं चौंक कर उठ बैठी और मश्ु कुराने लगी। मझ


ु े याद आया कक जब मैंने चन्दा से ददनेश के बारे में पछ
ू ा था तो
उसने हाँसकर कहा था कक िुद दे ि लेना। और बहुत िोदने पर वो बोली- “ममलने के पहले कम से कम आधी
Xf

शीशी वैसलीन की लगा लेना…”

मैंने बसांती से कहा- “बैठाओ, मैं आ रही हूाँ…”

मैंने अपने ड्रेस की ओर दे िा। मेरी टाप िूब टाइट थी या शायद इधर दबवा-दबवा कर मेरे जोबनकर साईज कुछ
बढ़ गये थे, मेरे उभार… यहाां तक की ननपल भी ददि रहे थे। ब्रा तो मैंने गााँव आने के बाद पहननी ही छोड़ दी
थी। और स्कटम भी जाांघ से थोड़ी ही नीचे थी। िड़ी होकर मैं ड्रेमसांग टे बल के पास गई और मलवपस्टक हल्की सी
लगा ली। सामने वैसलीन की बोतल थी, मैंने दोनों उां गलीयों में लेकर टाांग िैलाकर अपनी चूत के एकदम अांदर
तक लगा ली। किर थोड़ी और लेकर चूत के मह
ु ाने पर भी लगा ली। मझ
ु े एक शरारत सझ
ू ी और मैंने हल्की सी
मलवपस्टक चत
ू के होंठ पर भी लगा ली।

53
मैं बाहर ननकली तो ददनेश इांतजार कर रहा था, उसने पछ
ू ा- “क्यों भाभी नहीां हैं क्या?”

मैंने हाँसकर कहा- “नहीां, आज तो हमीां से काम चलाना पड़ेगा…” और मैंने उसको सन
ु ाते हुए बसांती से पछ
ू ा- “क्यों
भाभी लोग तो शाम को आयेंगी, तीन चार घांटे बाद…”

बसांती काम ितम करती हुई बोली- “हााँ शाम के आसपास, और मैं भी जा रही हूाँ, दरवाजा बांद कर लेना…”

दरवाजा बांद करके मैंने मश्ु कुराते हुए कहा- “चलो, अांदर कमरे में चलते हैं…” उसको लेकर चूतड़ मटकाती आगे
आगे चलती मैं कमरे में आयी। उसे पलांग पर बैठाकर उसके सामने पड़ी कुरसी पर बैठकर मैंने धीरे -धीरे अपनी
जाांघें िैलानी शरू
ु कीां। उसका ध्यान एकदम मेरी स्कटम से साि-साि ददि रही भरी-भरी गोरी-गोरी जाांघों की ओर
ही था। बैठते समय मेरी स्कटम थोड़ी ऊपर चढ़ भी गई थी। मैंने उसे छे ड़ा- “कहाां ध्यान है … तम
ु ददिते नहीां, कहाां
रहते हो… मैंने भाभी से भी पछ
ू ा कई बार…”

ve
“नहीां नहीां… कहीां नहीां… मेरा मतलब है …” हड़बड़ाकर अब उसने अपनी ननगाहें ऊपर कर लीां।

पर मैं कहाां मानने वाली थी। मेरे कबत


ू र तो वैसे ही मेरे कसे टाप को िाड़कर बहर ननकलना चाहते थे, मैंने
उनको थोड़ा और उभारा। अब उसकी ननगाहें वहीां चचपक गईं थीां। मैंने अपने दोनों हाथों को उनके बेस को क्रास
करके उन्हें परू ा पश
ु करते हुए भोलेपन से पछ
.li
ू ा- “अच्छा… एक बात बताओ, मैं तम

उसका तम्बू अब साि-साि तनने लगा था- “अच्छी लगती हो… बहुत अच्छी लगती हो…”
ु को कैसी लगती हूाँ…”
um
मैंने अपने टाप के बाकी बटन भी िोलते हुये कहा- “उमस लग रही है ना, आराम से बैठो…” बटन िुलने से मेरा
क्लीवेज तो अब परू ा ददि ही रहा था, मेरे रसीले जोबन भी झाांक रहे थे।

उसकी हालत एकदम बेकाबू हो रही थी पर मैं कहाां रुकने वाली थी। मैंने अपने दोनों पैर मोड़ मलये और स्कटम
or

को एड्जस्ट करके अच्छी तरह िैला मलया। अब तो उसे मेरी चूत की झलक भी अच्छी तरह ममल रही थी।
उसकी ननगाहें मेरी जाांघों के बीच अच्छी तरह धांसी हुई थीां और उसका लण्ड उसके पाजामे से बाहर आने को
बेताब था। थोड़ी दे र वह दे िता रहा किर अचानक उठकर मैं उसके पास आकर, एकदम सटकर बैठ गई। मैंने
उसका हाथ िीांचकर अपने कांधे को रि मलया और उसे अपने भरे -भरे जोबनकर पास ले गई और मेरा गोरा हाथ
Xf

उसकी जाांघ पे था, उसके तने हुए टें टपोल के पास।

“अच्छा… अगर मैं तम्


ु हें अच्छी लगती हूाँ तो तम
ु मेरे पास क्यों नहीां आते…” मैंने मश्ु कुराकर पछ
ू ा।

“मझ
ु े लगाता है… था… कक कहीां तम
ु बरु ा ना मानो…”

मैंने अब िीांचकर उसका हाथ अपने जोबन पर रिकर हल्के से दबा ददया और बोली- “बद्
ु ध,ू अरे अगर ककसी
को कोई लड़की अच्छी लगेगी, तो वह बरु ा क्यों मानेगी, उसे तो और अच्छा लगेगा…” और उसके हाथ अब िूब
कस के अपने जोबन पर दबाते हुए, मेरा हाथ जो उसकी जाांघ पर था, हल्के से उसके िड़े िूांटे को छूने लगा।
मैंने अपने दहकते होंठों से उसके कान को सहलाते हुये कहा- “और मझ
ु े तो तम
ु कुछ भी… कुछ भी करोगे तो
बरु ा नहीां लगेगा…”
54
“सच… कुछ भी… करूां…” उसकी आवाज थरथरा रही थी।

मैंने अपने गल
ु ाबी गाल उसके गाल से रगड़ते हुए कहा- “हााँ… कुछ भी जो तम
ु चाहो… जैसे भी… जजतनी बार…
जब भी…”

अब उससे नहीां रहा गया और उसने िीांच के मझ


ु े अपनी दोद में बबठा मलया और मेरे गरम गल
ु ाबी रसीले होंठों
को कस-कस के ककस करने लगा। उसका एक हाथ मेरा सर पकड़कर अपनी ओर िीांच रहा था और दस
ू रा कस-
कस के टाप के ऊपर से ही मेरे जोबन का रस ले रहा था। उसकी जुबान मेरे होंठों के बीच घस
ु गई थी और
जल्द हो उसने मेरा टाप उठाकर मेरे कबत
ू रों को आजाद कर ददया। मेरे गोरे -गोरे उठते उभारों को दे िकर जैसे
उसकी साांस थम गई पर बबना रुके, जैसे ककसी नदीदे बच्चे को ममठाई ममल जाये और वह उसपे टूट पड़े, वह
उसे दबाने मसलने लगा। उसके होंठ भी अब उसे चूम रहे थे, मेरे रसीले जोबन का रसपान कर रहे थे। और
पाजामे के अांदर से उसका मोटा िड़ा लण्ड… लग रहा था कक अब मेरी स्कटम को भी िाड़कर मेरी चूत में घस

ve
जायेगा।

उसका हाथ मेरी गोरी जाांघों को सहलाते सहमते-सहमते, मेरी चूत की ओर बढ़ रहा था, किर अचानक उसने कस
के मेरी चूत को पकड़ मलया। वह भी अब िूब गीली हो रही थी। लेकीन अब मेरा मन भी उसके िड़े लण्ड को
दे िने को कर रहा था। उसने मझ
मेरा टाप इस बीच मेरा साथ छोड़ चक
लगाकर मेरे चत
ू ड़ िब
ू उभार ददये।
.li
ु े पहले तो मलटा ददया किर कुछ सोचकर मझ
ु से पेट के बल लेटने को कहा।
ु ा था। जब मैं पेट के बल लेट गई, तो उसने मेरे पेट के नीचे कई तककया
um
मेरे सर के नीचे भी उसने एक छोटी सी तककया लगा दी और पीछे जाकर, स्कटम कमर तक करके मेरी टाांगें भी
िब
ू अच्छी तरह िैला दीां। कपड़ों की सरसराहट की आवाज के साथ मैं समझ गई, कक अब उसके भी कपड़े उतर
गये हैं। मझ
ु े लगा रहा था कक अब वो अपना लण्ड मेरी चूत में डालेगा। पर मेरे पीछे बैठकर थोड़ी दे र वो मेरे
सेक्सी चूतड़ों को सहलाता रहा और किर उसने एक उां गली मेरी चूत में घस
ु ेड़ दी। मेरी चूत वैसे ही गरम हो रही
or

थी। थोड़ी दे र तक एक उां गली अांदर-बाहर करने के बाद, उसने उसे ननकाल मलया। मैं मस्ती के मारे पागल हो
रही थी।

पर अब भी उसने अपना लण्ड पेलने के बजाय अपनी दो उां गमलयाां एक साथ घस


ु ेड़ दीां। मैं िूब गीली हो रही थी,
Xf

और वैसलीन भी मैंने अच्छी तरह चुपड़ी थी किर भी दो उां गमलयाां मेरे मलये बहुत थीां और वो मेरी चूत में िब

रगड़-रगड़ के अांदर जा रही थी।

मैं मस्ती के मारे मससककयाां भर रहीां थी- “हााँ ददनेश डाल दो ना प्लीज, अब और मत तड़पाओ… उह्ह… उह्ह्ह…
हााँ हााँ… करो ना… कब तक… ओह्ह…” मस्ती के मारे मेरे चूतड़ भी दहल रहे थे।

पर उसे कोई िकम नहीां पड़ रहा था और अब वह एक हाथ से मेरी झक ु ी हुई चचू चयों को कस-कस के दबा रहा था
और उसकी दोनों उां गमलयाां भी िूब कस के मेरा चूत मांथन कर रही थी। कभी वह तेजी से अांदर-बाहर होतीां,
कभी वह उसको गोल-गोल तेजी से घम ु ाता। जब मेरी हालत बहुत िराब हो गई तो उसने एक हाथ से मेरी चूत
के होंठ िैलाकर अपना सप
ु ाड़ा सटाया और कमर पकड़कर परू ी ताकत से पेल ददया।

55
ओह्ह्हह… मेरी जान ननकल गई। मैंने अपना माँह
ु कस के तककये में दबा मलया था।

तब तक उसने किर परू ी ताकत से दब


ु ारा धक्का लगाया। मैं समझ गई कक आज तो मेरी चूत िट जायेगी। पर
गलती तो मेरी ही थी मैंने उसे इतना छे ड़ा था। मेरी चत
ू परू ी तरह िैली हुई थी, पर वह रुकने वाला नहीां था,
उसने किर कस के धक्का लगाया।

“उईईई…” मैंने कसकर अपने होंठों को दाांत से काटा, पर किर भी चीि ननकल गई। लग रहा था कक कोई लोहे
का मोटा राड मेरी चूत में धांस गया हो। मैं कस-कस के अपने चूतड़ दहला रही थी, पर लण्ड एकदम अांदर तक
धांसा हुआ था और बाहर ननकलने वाला नहीां था। मैंने अच्छी तरह से अांदर-बाहर वैसलीन लगायी थी किर भी
मेरी चतू … चरचरा रही थी। जब उसने अगला धक्का लगाया तो मेरी तो जान ही ननकल गई। अजय, सन ु ील,
रवी, राजीव इतने लोगों से मैंने चुदवाया, पर…

मेरे मोटे चूतड़ को पकड़कर उसने थोड़ा रूक के और अांदर पश


ु ककया। अब और नहीां ओह्ह्ह… मझ
ु े लगा कक अब

ve
मैं और नहीां सह सकती, उसने थोड़ा रुककर बाहर िीांचकर अपना लण्ड किर परू ी ताकत से एक बार में अांदर
ढकेला, और मैं… ददम की ऐसी लहर उठी की मैं बेहोश सी हो उठी। कुछ दे र बाद, जब ददम कुछ कम हुआ तो मैंने
गरदन मोड़कर उसकी ओर दे िा। उसकी मश्ु कुराहट और चेहरे की िुशी दे िकर मैं भी मश्ु कुरा पड़ी। अब उसने
धीरे -धीरे चोदना शरू
ु ककया।

पर जब चत
.li
वह हल्के से लण्ड थोड़ा सा बाहर ननकालता और किर धीरे से उसे अांदर ढकेलता। ददम तो अभी भी हो रहा था,
ू की दीवारों से उसका मोटा लण्ड रगड़ता तो मजा भी आ रहा था। कुछ ही दे र में ददम की टीस सी
um
बाकी रही पर एक नये ढां ग की मस्ती छा रही थी और मैं भी उसके साथ-साथ अपने चूतड़ दहलाती, चूत से उसके
लण्ड को मसकोड़ती। उसको जल्द ही इस बात का अहसास हो आया और उसने किर कस-कस के धक्के लगाकर
चोदना शरू
ु कर ददया। मझ
ु े ददम के साथ एक नया नशा हो रहा था। अब उसने मेरी चचू चयाां पकड़ ली थी और
उसको दबाते मसलते, कस-कस के चोद रहा था। चूत की इस जबरदस्त रगड़ाई से मैं कुछ दे र बाद झड़ गई।
थोड़ी दे र में उसने पोजीशन चें ज की और मझ
ु े पीठ के बल मलटा ददया और मेरी टाांगें अच्छी तरह िैलाकर, कांधे
or

पे रिकर चोदना शरू


ु ककया।

अब मैंने दे िा कक उसका लण्ड ककत्ता मोटा था और अभी भी कुछ दहस्सा बाहर था। मैं उसे चचढ़ाना चाहती थी
की… बाकी क्या अपनी बहनों के मलये बचा रिा है , पर अभी जो मेरी चूत की हालत हुई थी वो सोचकर चप ु
Xf

रही। वह तरह-तरह के पोज में चोदता रहा, कभी टाांगें अपने कांधे को रि के, कभी मझ
ु े अच्छी तरह मोड़ के,
उसने मझ
ु े रूई की तरह धन
ु ददया। मैं ककतनी बार झड़ी पर जब वह झड़ा तब तक मैं पस्त हो चक
ु ी थी। कुछ
दे र बाद हल्की ठां डी बयार के साथ मेरी आाँि िुली। मेरी चूचचयों पर उसके मसलने के, काटने के ननशान, िैली
हुई जाांघों और चूत पर सिेद वीयम, लग रहा था कक वहाां से कोई ति
ू ान गज
ु र गया हो। उसने मझ
ु े सहारा दे कर
उठाया।

हम लोग कुछ दे र बातें करते रहे । बाहर बहुत अच्छी हवा चल रही थी। मैंने उससे कहा कक चलो बाहर चलते हैं।
मैंने एक साड़ी ऐसे तैसे लपेट ली और आांगन में उसके साथ आ गई। सिेद बादल के टुकड़ों से आसमान भरा
था और ठां डी परु वाई चल रही थी। भाभी के घर के आांगन में एक बड़ा सा नीम का पेड़ था उसकी मोटी डाल पर
रस्सी का एक झल
ू ा पड़ा था। मैं उसपे बैठ गई और मैंने, ददनेश से इसरार ककया कक मझ
ु े झल
ु ाये। वह मेरे पीछे

56
जमीन पर िड़ा होकर झुला रहा था। कुछ हवा का झोंका और कुछ उसकी शरारत, मेरा आांचल हट गया और मेरे
उभार एकदम िल
ु गये।

मैंने उन्हें ढकने की कोमशश की पर उसने मना कर ददया और मझ


ु े टापलेश ढां ग से ही आांगन में झुलाता रहा।
थोड़ी दे र में साांवन बदूां दयाां पड़ने लगी और मैं उठ गई पर उसने कहा नहीां झुलो ना और मेरे बची िुची साड़ी भी
पकड़कर िीांच दी और वैसे ही झूले पे बैठा ददया। रस्सी मेरे कोमल चूतड़ में गड़ रही थी लेककन उसने कस-कस
के पें ग दे नी शरू
ु कर दी। मझ
ु े याद आया कक परू बी ने जो बताया था कक ददन में मायके आने से पहले उसने
अपने साजन के साथ कैसे झूला झुला था।

झल
ु ाते समय कभी ददनेश मेरी चचू चयाां दबा दे ता, कभी जाांघों के बीच सहला दे ता। मैंने उसको अपने मन की
बात कान में बताई तो वह तरु ां त मझ
ु े हटाकर झूले पे आ गया। पानी की बद
ूां े अब तेज हो चुकी थीां। ददनेश जब
झूले पे बैठा तो उसके टाांगों के बीच, िूब लांबा मोटा, ववशालकाय िट
ूां े जैसा, लण्ड… मेरा तो ददल धक्क से रह
गया, इतना बड़ा… और ककतना… मोटा पर दहम्मत करके मैंने उसे पकड़ मलया और उसे चचढ़ाया- “क्यों, ये

ve
आदमी का है, कक गधे का…”

मश्ु कुराकर वह बोला- “पसांद तो है ना…”

मट्
जैसे एकदम गस्
ु से में हो… लाल लाल… िब
.li
मेरे ककशोर गोरे -गोरे हाथों की गरमी पाकर वह एकदम िड़ा हो गया था और अब इत्ता िूल गया था कक मेरी
ु ठी में नहीां समा पा रहा था। मैंने उसे कस के िीांचा तो ऊपर का चमड़ा हट गया और परू ा सप
ू बड़े पहाडी आलू जैसा।
ु ाड़ा िुल गया।
um
मैंने बात बदलकर पछ
ू ा- “तम
ु मेरे पीछे से क्यों आये… मेरा मतलब है…”

“इसमलये मेरी जान…” मेरे गाल चूमते हुये वो बोला- “कक कहीां तम
ु उसे दे िकर डर ना जाओ, और किर… इसका
क्या होता?”
or

बात उसकी सही थी… ककसी लड़की का भी ददल दहल जाता… पर एक बार लेने के बाद कौन मना कर सकता
था। मैं उसका लण्ड पकड़कर सहला, मसल रही थी पर सप
ु ाड़ा उसी तरह िल
ु ा हुआ था।
Xf

“आओ ना…” अब वह बेताब हो रहा था। उसने मेरी दोनों टाांगें िूब अच्छी तरह िैलाकर मझ
ु े झूले पे अपनी गोद
में बबठा मलया। मेरे चत
ू ड़ उसकी जाांघों पे थे और उसका बेताब सप
ु ाड़ा मेरी चत
ू को रगड़ रहा था। मैंने दोनों
हाथों से कसकर झूले की रस्सी पकड़ ली। उसने अपने दोनों मजबत
ू हाथों में पकड़कर मझ
ु े अपनी ओर कसकर
िीांचा और मेरे रसीले गाल कसकर काट मलये। मेरे उभरे जोबन उसकी चौड़ी छाती से कस के दब गये थे। मेरी
टाांगें उसकी कमर के दोनों ओर िैलीां थी इसमलये चूत का माँह
ु वैसे ही थोड़ा िैला था।

उसने अपने एक हाथ से मेरे भगोष्ठों को िब


ू जबरन िैलाया और किर अपना सप
ु ाड़ा सेंटर करके कस के मेरे
चूतड़ पकड़कर धक्का ददया। मैंने भी दहम्मत करके रस्सी पकड़कर अपनी कमर को जोर से उसकी ओर पश

ककया… एक हाथ कमर पे और दस
ू रा मेरे चूतड़ को पकड़कर उसने परू ी ताकत से धक्का ददया और दो-तीन बार
में मेरी कसी चत
ू परू ा सप
ु ाड़ा गप्प कर गई। हवा तेज हो चली थी, इसमलये बौछार िब
ू कस-कसकर हम लोगों
की दे ह पे पड़ रही थी। नीम का पेड़ भी झूम रहा था, और आांगन की उां ची दीवालों के पार, हरे -हरे पेड़ िूब
57
कसकर झूम रहे थे, घने काले बादल उमड़ घम ु ड़ रहे थे और मौसम की इस मस्ती में भीगते हुये, ददनेश िबू
जोर से पें ग लगाता, जब झल
ू ा ऊपर जाता तो वो लण्ड थोड़ा बाहर िीांच लेता और जैसे ही वह नीचे आता, वह
परू ी ताकत से कस के धक्के के साथ लण्ड अांदर करता, और मैं भी अपनी ओर से धक्का लगाकर उसका परू ा
साथ दे ती। झूले पे इस तरह झूलते, बाररश में भीगते, चुदाई का मजा लेत,े हम दोनों एक दस
ू रे को चूम रहे थे,
दबा रहे थे।

झल
ू ा हो और कजरी ना हो, ददनेश ने मझ
ु से कहा और मैं मस्ती में गाने लगी-

हमरे आांगन में , नीम पे िूला डलवाय दो, हमका िुलाय दो ना,
अरे अपनी गोहदया में हमका बैठाय के, सिन िुलाय दो ना,
हमार दोनों िोबना पकड़, धक्का कस के लगावा, हमका िुलाय दो ना,
लण्ड कस के घुसावा, बुर हमरी चद
ु ावा, चद
ु वाय दो ना, सिन सावन में हमका िुलाय दो ना,

ve
बाररश अब और तेज हो गई थी। आांगन में पानी के बल
ु बल
ु े िूट रहे थे। भाभी के मायके का आधा आांगन कच्चा
था, जजसके बगल में िूलों की क्याररयाां बनी थी। वहाां ममट्टी गीली हो रही थी।

ददनेश ने मझ
ु से पछ
ू ा- “तम
ु ने कभी बबना झूलक
े र झल
ू ा, झल
ू ा है…”

मैंने कहा- “नहीां, बबना झूलक


े र कैसे…”
.li
um
वह बात काटकर बोला- “झूलना है , तम्
ु हें ?”

उसके होंठ चूमते हुये, मैं बोली- “हााँ… जरूर…”

अब वह मझ
ु े मलये झूले पर से उतरा, आधे से अचधक लण्ड मेरी चूत में घस
ु ा था। वह मझ
ु े वैसे ही मलये वहाां
or

आया जहाां आांगन कच्चा था और मझ


ु े मलटा ददया। मेरी दोनों टाांगों अभी भी उसी तरह उसके दोनों ओर िैली
थीां। उसने अपनी दोनों टाांगें मेरे चत
ू ड़ के नीचे की और किर अचानक मेरी कमर के नीचे हाथ डालकर मझ
ु े उठा
मलया। मैं जैसे ऊपर आती, वह पीछे मड़
ु जाता और जब वह आगे आता तो… मझ
ु े लगभग अपने हाथों के सहारे
Xf

जमीन पे मलटा दे ता, जैसे बच्चे सी-सा िेलते हैं उसी तरह। और इसी के साथ-साथ उसका लण्ड भी िूब कस-
कस के रगड़ता हुआ मेरी चत ू के अांदर-बाहर हो रहा था। आांगन का पानी भी बहकर ममट्टी वाले दहस्से की ओर
से आ रहा था और वहाां परू ा कीचड़ हो रहा था। मेरे चतू ड़ में भी कीचड़ थोड़ा लगा गया।

थोड़ी दे र तक इस तरह झल
ू ा झूलाने के बाद उसने मझ
ु े िीांच के अपनी जाांघ पे बबठा मलया और मेरे होंठों को
कस के चूमते, पछ
ू ा- “क्यों कैसा लगा झूला?”

उसके चम्
ु बन का जवाब मैंने भी िूब कस के उसे चूमते हुए ददया और बोली- “बहुत मजा गया…”

“तो लो इस तरह से भी झलू ने का मजा लो…” अब वह मझ


ु े अपनी जाांघ पर बबठाकर चोदते हुये ही झल ू ने का
मजा दे रहा था। इसमें और भी मजा आ रहा था, कभी वह मेरी कमर पकड़कर झल ु ाता, कभी दोनों चांचू चया

58
पकड़कर। थोड़ी दे र इस तरह से झुलाने के बाद उसने मझ
ु े ममट्टी पर मलटा ददया। मेरी जाांघें परू ी तरह िैली हुई
थीां, और उसके बीच में वह।

उसका आधे से भी ज्यादा, ववशालकाय मोटा लण्ड मेरी चूत को िाड़ते हुये, उसके अांदर घस ु ा हुआ था। पानी की
धार चारों ओर उसके शरीर से होते हुये मेरी कांचन काया पर चगर रही थी। मेरी दोनों चूचचयों को पकड़ वह मेरी
आाँिों में प्यार से झाांक रहा था। जैसे उसकी आाँिें पछ
ू रही हों- “क्यों? डाल दां ू परू ा… ददम तो तम्
ु हें होगा थोड़ा…
पर मेरा मन भी…”

और मेरी आाँिों ने भी जैसे मश्ु कुराकर हामी भर दी हो और मैंने अपने चूतड़ उठाकर अपनी दे ह की इच्छा का
भी अहसास करा ददया। बस अब दे र ककस बात की थी, उसने मेरी दोनों टाांगें अब अपने कांधे को रि लीां और
मेरी कोमल कमर पकड़कर अपने लण्ड को सप
ु ाड़े तक बाहर ननकाला और मेरे होंठों का रस चम
ू ते, काटते कस
के धक्का लगाया। कभी कमर पकड़कर, कभी चचूां चयाां पकड़कर मेरी धुआध
ां ार चद
ु ाई चालू हो गई थी और इसी के
साथ मेरे चूतड़ भी आांगन की ममट्टी में, जो अब अच्छी तरह कीचड़ हो गआया था, रगड़े जा रहे थे। हम दोनों

ve
सब कुछ भल
ू कर वहमशयों की तरह चुदाई कर रहे थे।

थोड़ी दे र में उसने मझ


ु े पलट ददया। अब मेरे दोनों हाथ कोहननयों के बल मड़
ु े थे और उनके और घट
ु नों के बल
मैं थी, मेरे चूतड़ उठे थे। वो कमर पकड़कर अपना लण्ड हर धक्के के साथ सप
ु ाड़े तक ननकालकर परू ा पेल रहा

.li
था और मैं भी उसके हर धक्के का जवाब कस के दे रही थी। थोड़ी ही दे र में उसके जोरदार धक्कों से मेरी
कुहनी जमीन पर लग गई और अब मेरी रसीली चूचचयाां कस-कस के कीचड़ में मलथड़ रही थीां, उसके हर धक्के
के साथ वह बरु ी तरह कीचड़ में रगड़ िा रहीां थी, मैं कभी ददम से, कभी मजे से चचल्ला रही थी पर उसके ऊपर
um
कोई असर नहीां था।

सटासट-सटासट वह धक्के मारे जा रहा था और मेरी चत


ू भी गपागप-गपागप उसका लण्ड घोंट रही थी। बरसात
भी अब ति
ू ानी बरसात में बदल चुकी थी। मस
ु लाधार पानी के साथ ति
ू ानी हवा भी चल रही थी, पेड़ जोर से हर
हरा रहे थे। चर-चर धड़ाम की आवाज से बाहर अचानक कोई बड़ा पेड़ चगरा। और उसी समय उसके मोटे गधे की
or

तरह लांबे लण्ड का बेस मैंने अपने चूत के माँह


ु पे महसस
ू ककया।

और मैं तेजी से झड़ने लगी। मैं ऐसे इसके पहले कभी नहीां झड़ी थी। मेरी परू ी दे ह जोर-जोर से काांप रही थी,
मेरी चूचचयाां पत्थर जैसी कड़ी हो गईं थीां और मेरे चूचक
ु ों में भी झड़ने का सेंसेशन हो रहा था। मेरा झड़ना रुकता
Xf

और किर एक नयी लहर शरू


ु हो जाती। मेरी चूत में उसके लण्ड का एहसास बार-बार झड़ना दट्रगर कर रहा था।

जैसे ककसी बहुत पतली माँह


ु वाली बोतल में िूब ठूांस कर कोई मोटा, बड़ा काकम घस
ु ेड़ ददया जाय, और बड़ी
ममु शक्ल से वह घस
ु तो जाय पर उसका ननकालना उतना ही मजु श्कल हो, वही हालत मेरी हो रही थी। जब उसने
आखिरी बार कस के धक्का मारा तो मैं कीचड़ में परू ी तरह लेट गई थी और चूांचचया तो अच्छी तरह मलथडीां थीां
हीां, बाकी पेट, जाांघों पर भी अच्छी तरह कीचड़ मलपट गया था। मेरी कमर को पकड़कर ऊपर उठाकर िूब कस-
कस के िीांचा तो लण्ड थोड़ा, बाहर ननकला। अब उसने मझ
ु े पीठ के बल मलटा ददया।

जब उसने मझ
ु ,े मेरे जोबन को कीचड़ से लथपथ दे िा तो कहने लगा- “अरे , तेरी चूचचयाां तो कीचड़ में…”

59
“और क्या, कीचड़ में ही तो कमल खिलते हैं, लेककन तम
ु क्यों अलग रहो…” और मैंने अपने हाथ में बगल की
क्यारी में से िब
ू अच्छी तरह कीचड़ ले मलया था, उसे मैंने उसके दोनों गालों पर होली में जैसे रां ग मलते हैं,
िूब कसकर मल ददया।

“अच्छा, अभी लगता है थोड़ी कसर बाकी है…” और उसने ढे र सारा कीचड़ ननकालकर मेरे जोबन पर रि ददया
और कसकर मेरी चूचचयों की रगड़ाई मसलाई करने लगा। मैं क्यों पीछे रहती मैंने भी अबकी ढे र सारा कीचड़
लेकर उसके माँह
ु , पीठ पर अच्छी तरह लपेट ददया।

मझ
ु े किर एक आइडडया आया। मैंने उसे कस के अपनी बाहों में भीांच मलया और अपनी चूांचचयाां उसकी चौड़ी
छाती पर रगड़ने लगी और अब वह भी उसी तरह लथपथ था, जैसे हम कीचड़-कुश्ती कर रहे हों।

“अच्छा…” कहकर उसने मेरे भरे -भरे गालों को कसकर काट मलया और जोर से काटता रहा।

ve
उईईई… मैं चीि पड़ी पर बाररश और ति
ू ान में क्या सन
ु ाई पड़ता। पर उसे कोई िरक नहीां पड़ा और कुछ रुक
कर उसने दब ु ारा वहीां परू ी ताकत से काटा। मैं समझ गई, गाल के ये दाग, मेरे घर लौटने के भी बहुत ददन बाद
तक रहें गे। तभी उसने, मैंने जो उसके गाल पे कीचड़ लगाया था, कसकर अपने गाल को मेरे गालों पर रगड़कर
लगाना शरू
ु कर ददया।

.li
“इस मलहम से तेरे गालों का ददम चला जायेगा…” वह हाँसकर बोला।
um
मैंने बदले में ढे र सारा कीचड़ उठाकर उसकी पीठ पर डाल ददया। हमारे बदन एक दस
ू रे को रगड़ रहे थे, लग रहा
था उसके ढे र सारे हाथ और होंठ हो गये हों। कभी वह मेरी चूचचयों को कस-कस के रगड़ता, मसलता, कभी
जक्लट को छे ड़ता, कभी उसके होंठ मेरे गाल और होंठ चस
ू ते काटते, कभी मेरे ननपल का सारा रस ननकाल लेत,े
और उसका लण्ड तो ककसी मोटे वपस्टन की तरह बबना रुके मेरी चूत के अांदर-बाहर हो रहा था, कभी वह मेरे
चूतड़ पकड़कर चोदता, कभी कमर पकड़कर।
or

उसने अपना लण्ड सप


ु ाड़े तक बाहर ननकालकर मेरी दोनों ककशोर चूांचचयों को कस के पकड़कर पछ
ू ा- “क्यों गड्
ु डी
मजा आ रहा है , चद
ु वाने का?”
Xf

“हााँ साजन हााँ, ओह्ह…” और मेरे चूतड़ अपने आप ऊपर उठ गये। मैंने अपनी दोनों टाांगें उसके कमर के पीछे
जकड़कर िीांचा और उसने इत्ता कस के धक्का मारा कक परू ा लण्ड एक बार में अांदर हो गया। चोदते-चोदते कभी
वह मझ
ु े ऊपर कर लेता, उसका परू ा लण्ड मेरी चूत में और वह मेरी मस्त चूचचयों को मसलता रहता, उसकी परू ी
पीठ कीचड़ से लथपथ हो जाती।

पर हम दोनों को कोई परवाह नहीां थी। वह चोदता रहा, मैं चुदवाती रही। मझ
ु े पता नहीां कक मैं ककत्ती बार झड़ी
पर जब वह झड़ा तब तक मैं पस्त हो चक
ु ी थी। बाररश धीमी हो गई थी। हम दोनों ने जब एक दस
ू रे को दे िा
तो हां से बबना नहीां रह सके, कीचड़ में एकदम लथपथ। आांगन के बगल की िपड़ैल जो थी उसपर से छत का
पानी परनाले की तरह बह रहा था। मैं उसे, उसके नीचे िीांच के ले गई और छोटे बच्चों की तरह, जैसे मोटे नल
की धार के नीचे िड़े होकर हम दोनों नहाते रहे और मल-मल कर एक दस
ू रे का कीचड़ छुड़ाते रहे । किर मैं एक
तौमलया ले आयी और ददनेश को मैंने रगड़-रगड़ के सि
ु ाया।
60
और वह भी मझ
ु े रगड़ने का मौका क्यों छोड़ता। वह बार-बार पछ
ू ता- “अगली बार कब?”

पानी लगभग बांद हो गया था। मैं उसे छोड़ने दरवाजे तक गई। बाहर गली में दोनों ओर दे िकर मैंने उसे कसकर
बाहों में पकड़ मलया और उसके माँह
ु पर एक कसकर चुम्मा लेते हुए बोली- “तम
ु , जब चाहो तब…”

अब मेरी दे ह बरु ी तरह टूट रही थी। पलांग पर लेटते ही मझ


ु े पता नहीां क्यों रवीन्र की याद आ रही थी। मझ
ु े
अचानक याद आया, चन्दा ने जो कहा था, रवीन्र के बारे में , उसका… उसने जजतना दे िा है उन सबसे ज्यादा…
और उसने ददनेश का तो दे िा ही है… तो क्या रवीन्र का ददनेश से भी ज्यादा… उि… आज तो मेरी जान ही
ननकल गई थी और रवीन्र… यह सोचते सोचते मैं सो गई।

सपने में भी, रवीन्र मझ


ु े तांग करता रहा।

ve
जब मैं उठी तो शाम ढलने लगी थी। बाहर ननकलकर मैंने दे िा तो भाभी लोग अभी भी नहीां आयी थीां। मैंने
ककचेन में जाकर एक चगलास िब
ू गरम चाय बनायी और अपने कमरे की चौिट पर बैठकर पीने लगी। बादल
लगभग छट गये थे, आसमान धुला-धुला सा लगा रहा था।

.li
ढलते सरू ज की ककरणों से आकाश सरु मई सा हो रहा था, बादलों के ककनारों से लगाकर इतने रां ग बबिर रहे थे
कक लगा रहा था कक प्रकृनत में ककतने रां ग हैं। जहाां हम झूला झूल रहे थे, उस नीम के पेड़ की ओर मैंने दे िा,
जैसे ककसी बच्चे की पतांग झाड़ पर अटक जाय, उसके ऊपर बादल का एक शोि टुकड़ा अटका हुआ था। तभी
um
कहीां से राकी आकर मेरे पास बैठ आया और मेरे पैर चाटने लगा। मेरे मन में वही सब बातें घम
ू ने लगीां जो मझ
ु े
चचढ़ाते हुए, चम्पा भाभी कहतीां थीां… उस ददन चन्दा कह रह थी।

लगता है , राकी भी वही कुछ सोच रहा था, मेरे पैर चाटते चाटते, अब उसकी जीभ मेरे गोरे -गोरे घट
ु नों तक पहुाँच
गई थी। मैं वही टाप और स्कटम पहने हुए थी जो ददनेश के आने पे मैंने पहन रिा था। कुछ सोचकर मैं
or

मश्ु कुरायी। राकी को प्यार से सहलाते, पच


ु कारते, मैंने अपनी, जाांघें थोड़ी िैलायीां और स्कटम थोड़ी ऊपर की, जैसे
मैंने ददनेश को मसड्यस
ू करने के मलये ककया था।

उसका असर भी वैसे ही हुआ, बल्की उससे भी ज्यादा, मेरी ननगाहें जब नीचे आयीां तो… मैं ववश्वास नहीां कर
Xf

सकती… उसका लाल उत्तेजजत मशश्न कािी बाहर ननकल अया था। और अब वह मेरी जाांघों को चाट रहा था। मेरी
शरारत बढ़ती ही जा रही थी। मैंने दहम्मत करके स्कटम कािी ऊपर कर ली और जाांघें भी परू ी िैला दीां। अब तो
राकी… जैसे मेरी चूत को घरू रहा हो। मेरे ननपल भी कड़े हो रहे थे लेकीन मैं चाय, दोनों जाांघें िैला के आराम
से पी रही थी। तभी साांकल बजी और झट से घबड़ाकर मैंने अपनी स्कटम ठीक की और जाकर दरवाजा िोला।

चम्पा भाभी थीां अकेले।

“क्यों भाभी नहीां आयीां कहाां रह गईं। वो…”

“अपने भैया से चद
ु वा रही हैं…” अपने अांदाज में हाँसकर चम्पा भाभी बोली।

61
पता चला की रास्ते में चमेली भाभी और उनके पनत ममल गये थे तो भाभी वहीां चली गईं। चम्पा भाभी भी
चौिट पर बैठ गईं थी और मैं भी।

चाय के चगलास को अपने होंठों से लगाकर सेक्सी अांदाज में भाभी ने पछ


ू ा- “ले ल?
ूां ”

मेरे चेहरे को मश्ु कुराहट दौड़ गई और मैंने कहा- “एकदम…”

तभी उनकी ननगाह, नीचे बैठे राकी पर और उसके िड़े मशश्न पर पड़ गई- “अच्छा, तो इससे नैन मटक्का हो
रहा था…” चम्पा भाभी ने मझ
ु े छे ड़ा।

उनका हाथ मेरी गोरी जाांघ पर था। उन्होंने जैसे उसे सहलाना शरू
ु ककया, मझ
ु े लगा मैं वपघल जाऊाँगी, मेरी जाांघें
अपने आप िैल गईं। उन्होंने सहलाते-सहलाते मेरी स्कटम को परू ी कमर तक उठा ददया और जैस,े राकी को
ददिाकर मेरी रसीली चूत एक झपट्टे में पकड़ मलया। पहले तो वह उसे सहलाती रहीां किर उनकी दो उां गमलयाां

ve
मेरे भगोष्ठों को बाहर से प्यार से रगड़ने लगीां। मेरी चूत अच्छी तरह गीली हो रही थी। भाभी ने एक उां गली धीरे
से मेरी चत
ू में घस
ु ा दी और आगे पीछे करने लगी।

जैसे वो राकी से बोल रहीां हों, उसे ददिाकर, भाभी कह रह थीां- “क्यों, दे ि ले ठीक से, पसांद आया माल, मझ
ु े
मालम
तो बाकी सब कुनतया भल
.li
ू है … जैसे तू जीभ ननकाल रहा है , ठीक है… ददलवाऊाँगीां तझ
ु े अबकी कानतक में । हााँ एक बार ये लेगा न…
ू जायेगा, दे शी, बबलायती सभी… हााँ हाां मसिम एक बार नहीां रोज, चाहे जजतनी बार…
अपना माल है…” भाभी की उां गली अब िब
ू तेजी से मेरी बरु में जा रही थी।
um
और राकी भी… वह इतना नजदीक आ गया था कक उसकी साांस मझ
ु े अपनी बरु पे महसस
ू हो रही थी और इससे
मैं और उत्तेजजत हो रही थी। मेरी ननगाह, ये जानते हुये भी कक भाभी मझ ु े ध्यान से दे ि रही हैं, बड़ी बेशमी से,
राकी के अब िूब मोटे , लांबे, परू ी तरह बाहर ननकले मशश्न पर गड़ी थी।
or

“पर भाभी… इतना बड़ा, मोटा… कैसे जायेगा?” मैंने सहमते हुये पछ
ू ा।

“अरे पगली, ये जो मन् ु ना हुआ है तेरी भाभी के कहाां से हुआ है, उसकी बरु से, या माँह
ु से… या कान से…” भाभी
ने हड़काते हुये पछ
ू ा।
Xf

“मैं क्या जान,ू मेरा मतलब है , मैंने दे िा थोड़े ही… ठीक है भाभी उनकी बरु से ही ननकला है…” मैंने सहमते हुए
बोला।

“और ककतना बड़ा है… ककतना वजन था ककतना लांबा रहा होगा तू तो थी ना वहााँ…” भाभी ने दस
ू रा सवाल दागा।

“हााँ भाभी, 4 ककलो से थोड़ा ज्यादा और एक-डेढ़ िीट का तो होगा ही…” मैंने स्वीकार ककया।

“तो मेरी प्यारी गड्


ु डी रानी, जजस बरु से 4 ककलो और डेढ िीट का बच्चा ननकल सकता है तो उसमें एक िीट
का लण्ड भी जा सकता है, तू चत
ू रानी की मदहमा जानती नहीां…” और किर मेरे कान में बोलीां- “अरे कुत्ता क्या,
अगर तू दहम्मत करे तो गदहे का भी लण्ड अांदर ले सकती है और मैं मजाक नहीां कर रही, बस ट्रे ननांग चादहये
62
और दहम्मत, ट्रे ननांग मैं करवा दां ग
ू ी, और दहम्मत तो तेरे अांदर है ही…” अपनी बात जैसे मसद्ध करने के मलये,
अब उन्होंने दो उां गमलयाां मेरी बरु में डाल दी थीां और िुल स्पीड में चद
ु ाई कर रहीां थीां। पर मझ
ु े अभी भी
ववश्वास नहीां हो रहा था।

भाभी से मैंने िुलकर पछ


ू मलया- “पर भाभी… लड़की की बात और है … और वो कैसे कर सकता है?”

“अरे , घबड़ा क्यों रही है , बड़ी आसानी से करवा दां ग


ू ी पर इसका मतलब है कक मन तेरा भी कर रहा है… अरे
इसमें क्या है, बस चारों पैरों पर, कुनतया की तरह िड़ी हो जाना, (मझ
ु े याद आया, ददनेश ने मझ
ु े इसी तरह
चोदा था), टाांगें अच्छी तरह िैला लो, किर ये, (राकी की ओर उन्होंने इशारा ककया) पास आकर तेरी बरु चाटे गा,
और अगर एक बार इसने चाट मलया तो तम
ु बबना चद
ु े रह नहीां सकती, एकदम गीली हो जाओगी। जब अपनी
मोटी िुरदरु ी जीभ से चाटे गा ना… उतना मजा तो ककसी भी मदम से चुदाई में नहीां आता जजत्ता चटवाने में आता
है , और किर जैसे कोई मदम चोदता है, तम्
ु हारी पीठ पर चढ़कर ये अपना लण्ड डाल दे गा। इसका पहला धक्का ही
इतना तगड़ा होता है … इसमलये आांगन में वह चुल्ला दे ि रही हो ना, गले की चेन को हम लोग उसी में बाांध दे ते

ve
हैं जजससे कोई छुड़ा ना सके। बस एक बार जब तम
ु ने पहला धक्का सह मलया ना, और उसका लण्ड थोड़ा भी
अांदर घस
ु गया ना, तो किर क्या? आगे सब राकी करे गा, तम्
ु हें कुछ नहीां करना। तम
ु लाि चत
ू ड़ पटको, लण्ड
बाहर नहीां ननकलने वाला… कािी दे र चोदने के बाद उसका लण्ड िूलकर, गाांठ बन जायेगा, तम
ु ने दे िा होगा
ककतनी बबचारी कुनतयों को… जब वह िाँस जाता है ना… बस असली मजा वही है … कोई मदम ककतनी दे र तक

तम्
ु हें कुछ नहीां करना… बस तम
ु कानतक में आ जाओ…”
.li
करे गा 15 ममनट, 20 ममनट। पर राकी तो गाांठ बनने के बाद कम से कम एक घांटे के पहले नहीां छोड़ता… तो
um
भाभी की इस बात से अब मझ
ु े लगा गया था कक ये मसिम मजाक नहीां है । उनकी उां गली अब परू ी तेजी से
सटासट-सटासट, मेरी बरु में आ जा रही थी और राकी के लण्ड की दटप पे मैं कुछ गीला दे ि रही थी। भाभी ने
किर कैं ची ऐसी अपनी उां गली िैला दी और मैं उचक गई, मेरी चत
ू परू ी तरह िल
ु गई थी।

उसे राकी को ददिाते हुये, वो बोलीां- “दे ि कैसी मस्त गल


ु ाबी चूत है, इस माल का परू ी ताकत से चोदना तेरी
or

गल
ु ाम हो जायेगी…” और उचकने से भाभी ने अपनी हथेली मेरे चूतड़ के नीचे कर दी। थोड़ी दे र के मलये उन्होंने
उां गली ननकालकर मेरा गीला पानी मेरे पीछे के छे द पे लगाना शरू
ु कर ददया।

“नहीां भाभी उधर नहीां…” मैं चचहुांक गई।


Xf

“क्यों? इतने मस्त चत


ू ड़ हैं तेरे, तू क्या सोचती है तेरी गाण्ड बची रहे गी…” उन्होंने उां गमलयाां तो वापस मेरी चत

में डाल दीां पर अब उन्होंने अपना अांगठ
ू ा मेरी गाण्ड के छे द पर रगड़ना शरू
ु कर ददया। और किर एक झटके में
अपना अांगठ
ू ा, मेरी कोरी गाण्ड में डाल ददया। उनके इस दोहरे हमले को मैं नहीां झेल सकी और जोर से झड़ गई
पर उनका अांगठ
ू ा, गाण्ड में और उां गमलयाां बरु का मांथन करती रहीां। जब मैं झड़ कर शाांत हो गई तो उन्होंने,
अपनी उां गमलयों में लगा मेरी चूत का सारा रस, राकी के नथुनों पर िूब अच्छी तरह पोत ददया। उसे लगा कक,
दो बोतल शराब का नशा हो आया हो।

मैंने स्कटम को ठीक करने की कोमशश की पर भाभी ने मझ


ु े मना कर ददया। थोड़ी दे र तक हम चुपचाप बैठे रहे
किर चम्पा भाभी ने मेरे टाप को थोड़ा ऊपर उठाकर मेरे एक उभार को िोल ददया और उसे सहलाने लगीां। उनसे
बोले बबना नहीां रहा गया- “अरे गड्
ु डी तेरी चूांचचयाां तो बड़ी रसीली हैं…”
63
मैंने मश्ु कुरा कर कहा- “भाभी आपको पसांद हैं?”

उन्होंने अब टाप परू ा उठाकर दोनों जोबन आजाद कर ददये थे- “एकदम…” और इसे बताने के मलये उन्होंने दोनों
को िूब प्यार से पकड़ मलया। उसे सहलाते हुये बोलीां- “यार तू मझ
ु े बहुत अच्छी लगती है । तझ
ु े एक दट्रक बताती
हूाँ कोई भी लड़का तेरा गल
ु ाम हो जायेगा, चाहे जजतना भी शमीला क्यों ना हो… रवीन्र क्या बहुत शमीला और
सीधा है…”

“हााँ भाभी, एकदम शमीला लड़ककयों से भी ज्यादा, जरा भी मलफ्ट नहीां दे ता…” मैंने अपनी परे शानी साि-साि
बतायी।

“तो सन
ु … उसके मलये तो एकदम सही है… तू कोई भी िाने वाली चीज ले-ले, आम की िाांक, गाजर, जो भी उसे
पसांद हो और उसे अपनी चत
ू में रि ले, और हााँ कम से कम 6-7 इांच लांबी तो होनी ही चादहये, उसे कम से

ve
कम एक घांटे तक चूत में रिे रह, और उसके बाद चूत से ननकालने के तीन चार घांटे के अांदर, उसे रवीन्र को
खिला दे , तेरे आगे पीछे जैसे राकी किरता है ना, दम
ु दहलाता ना किरे तो मेरा नाम बदल दे ना…” मेरे कड़े
ककशोर चूचुक मसलते भाभी ने मश्ु कुराकर हल बताया।

“पर भाभी उसकी तो दम

“अरे आगे वाली दम


.li
ु है ही नहीां…” आाँि नचाकर, हाँसते हुए मैंने पछ
ू ा।

ु तो है ना…” भाभी भी मेरी हां सी में शाममल हो गईं थी।


um
बाहर बसांती और भाभी की आवाज सन
ु ाई पड़ रही थी। चम्पा भाभी दरवाजा िोलने उठीां पर उसके पहले उन्होंने
मेरे गल
ु ाबी टीन होंठों पर एक कस-कसकर चम्
ु मी ले ली और मैंने भी उसी तरह जवाब ददया।

***** *****
or

अजय और सन
ु ील, चन्दा के यहाां जो मेहमान आये थे, उनको छोड़ने शहर गये थे, इसमलये रात में… वैसे भी
आज मैं बरु ी तरह थकी थी। जब मैं सोने गई तो भाभी ने मन्
ु ने को मेरे पास मलटा ददया और बोलीां- “आज
मन्
ु ना, अपनी बआ
ु के पास सोयेगा…”
Xf

“और मन्ु ने की अम्मा, क्या मन्


ु ने के मामा के पास सोयेंगी…” हाँसकर मैंने पछ
ू ा।

मश्ु कुराकर भाभी बोलीां- “नहीां मन्


ु ने की मामी के पास…”

चम्पा भाभी के पनत कुछ ददन के मलये शहर गये थे, इसमलये वो अकेली थीां। चम्पा भाभी का कमरा मेरे कमरे
के बगल में ही था। थोड़ी ही दे र में, कपड़ों की सरसराहट के बीच भाभी की िुसिुसाहट सन
ु ायी दी- “थोड़ी दे र
रुक जाओ भाभी, गड्
ु डी जाग रही होगी…”

“अरे तो क्या हुआ वह भी यह िेल अच्छी तरह से सीि जायेगी…” चम्पा भाभी बेसबर हो रहीां थी।

“ठीक कहती हो भाभी आप ऐसा गरू


ु कहाां ममलेगा, इस िेल का… अच्छी तरह मसिा दीजजयेगा, मेरी ननद को…”
64
मझ
ु े कसकर नीांद आ रही थी पर नीांद के बीच-बीच में, चडू ड़यों और पायल की आवाज, मससककयाां, चीि, मझ
ु े
सब कुछ साि-साि बता दे रही थी कक दोनों भाभी के बीच रात भर क्या िेल हो रहा है ।

अगले ददन जब मैं नाश्ते के मलये रसोई में पहुाँची तो वहाां बसांती, चम्पा भाभी और मेरी भाभी सभी थीां। बसांती
ने मझ
ु े िूब मलाई पड़ा हुआ, दधू का बड़ा चगलास ददया। दध ू , घी, मक्िन िा-िाकर मेरा वजन िास कर कुछ
“िास जगहों”पर ज्यादा बढ़ गया था और मेरे सारे कपड़े तांग हो गये थे।

मैंने निड़ा ददिाया- “नहीां भाभी, दध


ू पी-पीकर मैं एकदम पहलवान बन जाऊाँगी…”

“तो ठीक तो है, वहाां चलकर मेरे दे वर से कुश्ती लड़ना…” भाभी ने मझ


ु े चचढ़ाया और मझ
ु े परू ा ग्लास डकारना
पड़ा।

ve
तब तक बसांती िूब ढे र सारा मक्िन लगी हुई, रोदटयाां ले गई और छे ड़ते हुये बोली- “अरे मक्िन िा लो िूब
चचकनी भी हो जाओगी और नमकीन भी…”

मेरे चचकने गाल सहलाते हुये भाभी ने किर छे ड़ा- “अरे मेरा दे वर िूब स्वाद ले-लेकर तम्
ु हारे इन चचकने गालों को
चाटे गा…”

चम्पा भाभी क्यों चप


.li
ु रहती- “अरे मसिम गालों को ही क्यों, इसकी तो हर जगह मक्िन मलाई है, सब जगह रस
um
ले-लेकर चाटे गा। और नमकीन तो ये इतनी हो जायेगी की परू े शहर में इसी का जलवा होगा, लौंडडया नांबर
वन…” तब तक दध
ू उबलने लगा था और भाभी उधर चली गईं।

बसांती मझ
ु े घरू ते हुये बोली- “अरे ननद रानी तम्
ु हें अगर सच में नमकीन बनना है ना तो सबसे सही है की तम
ु …
िारा नमकीन शरबत पी लो, इतना नमक हो जायेगा ना कक किर…”
or

मैंने दे िा कक चम्पा भाभी उसे आाँिों सें चुप रहने का इशारा कर रही हैं।

पर मैं बोल पड़ी- “बसांती भाभी, कहाां ममलेगा वह शरबत…”


Xf

बसांती ने मेरे मस्त गालों को सहलाते हुये कहा- “अरे मैं वपलाऊाँगी अपनी प्यारी ननद को, दोनों टाइम सब
ु ह
शाम। सबसे नमकीन माल हो जाओगी…”

मैंने दे िा कक चम्पा भाभी मांद-मांद मश्ु कुरा रही थीां- “वपयोगी ना… और अगर तम
ु ने एक बार हााँ कह ददया और
किर मना ककया ना तो हाथ पैर बाांध कर जबरन वपलाऊाँगी…”

बबना समझे मैंने हामी भरते हुए धीरे से सर दहला ददया।

तब तक मेरी भाभी आ आयीां और पछ


ू ने लगीां- “ये आप दोनों लोग ममलकर मेरी ननद के साथ क्या कर रही
हैं…”
65
“हम लोग इसे अपने शहर की सबसे नमकीन लौंडडया बनाने की बात कर रहे थे…” चम्पा भाभी हाँसकर बोलीां।

“एकदम भाभी, मेरी ओर से परू ी छूट है, और अगर ये कुछ ना नक


ु ु र करे ना तो आप दोनों जबदमस्ती भी कर
सकती हैं…”

“तो बसांती ठीक है, चालू हो जाओ, और जब ये लौट कर जायेगी ना तो किर इसके शहर के जजतने लड़के हैं सब
मट्
ु ठ मारें तो गड्
ु डी का नाम लेकर और रात में झडें तो सपने में इसी नछनार को दे िकर और तेरे दे वर को तो
ये बहनचोद बना ही दे गी…” चम्पा भाभी अब परू े मड
ू में थीां।

भाभी ने हामी भरी। बसांती भी आज मेरे साथ िुलकर रस ले रही थी, वह बोली- “अरे तम्
ु हारा दे वर रवीांर मसिम
बहनचोद थोड़ी ही है…”

ve
“किर… और… क्या-क्या है …” मजा लेते हुए भाभी ने बसांती से पछ
ू ा।

“अरे गांडुआ तो शकल से ही और बचपन से ही है, जब शादी में आया था तभी लगा रहा था और अब अपनी इस
ननद रानी के चक्कर में… भांड़ुआ भी हो जायेगा… जब ये रां डी बनकर कालीनगांज में पेठे पे बैठेगी तो… मोल भाव
तो वही करे गा…” और सब लोग िल
ु कर हाँसने लगी।

आज कहीां जाना नहीां था इसमलये मैं सलवार सट


.li
ू पहनकर बैठी थी। बसांती ने िब
ू रच-रच कर मझ
ु े में हदी
um
लगायी थी और महावर भी, आज सब
ु ह से वह ज्यादा मेहरबान थी और चम्पा भाभी के साथ ममलकर िूब गांदे
मजाक कर रही थी। चन्दा के इांतज
े ार में दोपहर हो गई थी। काममनी भाभी भी आयीां थी। मेहांदी सि
ू गई थी
और बसांती उसे छुड़ा रही थी।

काममनी भाभी ने बसांती से कहा- “मेहांदी तो िूब रच रही है , ननद रानी के हाथ में , बहुत अच्छी लगायी है
or

तम
ु ने…”

वो हाँसकर बोली- “इसमलये कक जब ये गााँव के लड़कों का पकड़ें तो उन्हें अच्छा लगे…”


Xf

“हे अच्छा बताओ, तम


ु ने अब तक ककसका-ककसका पकड़ा है …” चम्पा भाभी चालू हो गईं।

मैं चुप थी।

“अच्छा चलो, नाम न सही नांबर ही बता दो, 4, 5, 6 मेरे ककतने दे वरों का पकड़ा है , अबतक…”

“अरे भाभी यहाां आपके दे वरों का पकड़ रही है और घर चलकर मेरे दे वर का पकड़ेगी…” मेरी भाभी क्यों मौका
चूकतीां।

“धत्त भाभी, आप भी…” शमम से मेरे गाल गल


ु ाबी हो रहे थे।

66
काममनी भाभी हाँसकर बोलीां।- “अरे इसमें धत्त की क्या बात, तम्
ु हारी भाभी पकड़ने का ही तो कह रहीां हैं लेने का
तो नहीां… पकड़कर दे ि लेना, ककतना लांबा है, ककतना मोटा है, दबाकर दे ि लेना ककत्ता कड़ा है, और न हो तो
टोपी हटाकर सप
ु ाड़ा भी दे ि लेना, पसांद हो तो ले-लेना…”

“अरे भाभी, ये मसिम यहीां निड़ा ददिा रही है, वहाां पहुाँचकर तो ये सोचेगी कक जब मैंने भाभी के सारे भाईयों का
पकड़ा, ककसी को भी नहीां मना ककया तो बेचारे अपने भाई का क्यों ना पकड़ूां और किर अपने में हदी रचे हाथों में
गप्प से पकड़ लेगी…” भाभी ने मझ
ु े छे ड़ा।

पर मेरे मन में तो रवीन्र की… जो चन्दा ने कहा था कक उसका इत्ता मोटा है, कक मेरे हाथ में नहीां आयेगा। घम

रही थी।

“और क्या पहले हाथ में, किर अपने इन दोनों कबत


ू रों के बीच पकड़ेगी…” काममनी भाभी ने मेरे उभारों पर
चचकोटी काटते हुये कहा।

ve
“और किर ऊपर वाले होंठों के बीच…” चम्पा भाभी बोलीां।

“और किर नीचे वाले होंठों के बीच…” अब मेरी भाभी का नांबर था।

चालू थीां। उन्होंने मझ


ु े चचढ़ाते हुए गाना शरू
.li
“अरे , जब रवीन्र बोलेगा, बहन एक बार पकड़ लो मेरा तो ये कैसे मना करे गी, बोलेगी लाओ भैया…” भाभी आज
ु ककया और सब भामभयाां उनका साथ दे रहीां थीां-
um
हो प्यारी ननदी, पकड़कर दे ख लो, बाांकी ननदी, पकड़कर दे ख लो।
ना ये आधा, ना ये पौना, पूरा फुट है , पकड़कर दे ख लो, बाांकी ननदी, पकड़कर दे ख लो।
ना ये िोटा, ना ये पतला, पूरा अांदर है , पकड़कर दे ख लो।
हो, बाांकी ननदी, पकड़कर दे ख लो, गुड्डी रानी, पकड़कर दे ख लो।
or

हो प्यारी ननदी, पकड़कर दे ख लो, बाांकी ननदी, पकड़कर दे ख लो।


काहे का रुकना, क्या खििकना, तम्
ु हारा धन है , पकड़कर दे ख लो,
हो बाांकी ननदी पकड़कर दे ख लो।
Xf

हो प्यारी ननदी, पकड़कर दे ख लो, गड्


ु डी रानी, पकड़कर दे ख लो।
नीचे लकड़ी ऊपर ितरी, रूप गिब का, पकड़कर दे ख लो। हो बाांकी ननदी पकड़कर दे ख लो।
हो प्यारी ननदी, पकड़कर दे ख लो, बाांकी ननदी, पकड़कर दे ख लो।

तभी चमेली भाभी आयीां और उन्होंने बताया कक चन्दा को बि


ु ार हो गया है इस मलये वो नहीां आ पायी है और
उसने मझ
ु े वहीां बल
ु ाया है । मैं तरु ां त जाने के मलये तैयार हो गई और चम्पा भाभी की ओर दे िा। उन्होंने तरु ां त हााँ
कह दी।

पर बसांती भाभी ने बोला- “अरे एक हाथ की में हदी तो छुड़वा लो…”

67
पर मैंने कहा कक मैं रास्ते में िुद छुड़ा लग
ूां ी। सलवार और कुताम दोनों टाइट हो गये थे और मेरे जोबनकर उभार
और चत
ू ड़ एकदम साि-साि ददि रहे थे।

पीछे से काममनी भाभी ने छे ड़ा- “अरे ऐसे चूतड़ मटका के ना चलो, कोई छै ला ममल जायेगा तो बबना गाण्ड मारे
नहीां छोड़ेगा…”

“अरे भाभी, इसको भी तो गाण्ड मरवाने का मजा चिने दीजजये…” मैंने पीछे मड़
ु कर दे िा तो बसांती हाँसकर बोल
रही थी।

अब तक गााँव की गली, पगडांडडयों का मझ


ु े अच्छी तरह पता चल गया था इसमलये, हरी धानी चन
ु री की तरह
िैले िेतों के बीच, पगडांडडयों पर, आम से लदे अमराईयों से होकर, दहरणी की तरह उछलती, कुलाांचे भरती,
जल्द ही मैं चन्दा के घर पहुाँच गई। चन्दा बबस्तर पे ओढ़कर लेटी थी। माथे पे हल्की सी हरारत लग रही थी।

ve
मैंने उससे कहा- “जोबान ददिाओ…”

और उसने शरारत से अपनी चोली पर से आांचल हटा ददया।

मैं क्यों चक

धड़कन तो बहुत तेज चल रही है , डाक्टर बल


.li
ू ती, मैंने चोली के दो बटन िोले और अांदर हाथ डालकर, धड़कन दे िने के बहाने, उसके जोबन दबाने
लगी। मैं समझ गई थी कक मेरी सहे ली पे ककस चीज का बि
ु ार है । उसका सीना सहलाते, मसलते मैं बोली- “हााँ
ु ाना पड़ेगा और इांजक्
े शन भी लगेगा…”
um
“हााँ नसम, तम
ु तो मेरे डाक्टर को अच्छी तरह जानती हो पर जब तक वह नहीां आते, तम्
ु हीां मेरे सीने पर मामलश
कर दो ना…” मेरे हाथ को अपने सीने पर कस के दबाते वह बोली।

“डाक्टर, हाजजर है…” मैंने नजर उठायी तो अजय और सन


ु ील दोनों एक साथ बोल रहे थे।
or

सन
ु ील को पकड़कर, मैं सामने ले गई और बोली- “मझ
ु े मालम
ू है की तम्
ु हारा िेवररट डाक्टर कौन है?”

सन
ु ील मेरी टाइट सलवार में मेरे कसे भरे -भरे ननतांबों को दे ि रहा था। उसका तम्बू तना हुआ था।
Xf

अपनी ओर से ध्यान िीांचती मैं बोली- “अरे डाक्टर साहब, बीमार ये है , मैं नहीां, पहले इसके माँह
ु में अपना
थमाममीटर लगाकर इसका बि
ु ार तो लीजजये…”

“अरे कैसी नसम है , थमाममीटर ननकालकर लगाना तो तम्


ु हारा काम है…” सन
ु ील बोला।

“हााँ… हााँ अभी लगती हूाँ डाक्टर साहब…” और मैंने उसका लण्ड ननकालकर चन्दा के होंठों के बीच लगा ददया।

मैंने एक हाथ से चन्दा का सर पकड़ रिा था और दस


ू रे से सन
ु ील का तन्नाया लण्ड। उसे मैंने चन्दा के प्यासे
होंठों के बीच घस
ु ा ददया।

68
चन्दा भी जैसे जाने कब की भि
ू ी रही हो, झट गप्प कर गई।

मैंने चन्दा से शरारत से कहा- “अरे सम्हाल कर काटना नहीां, अगर पारा बाहर ननकल गया तो डाक्टर साहब
बहुत गस्
ु सा होंगे…”

सन
ु ील से अब नहीां रहा जा रहा था और उसका हाथ कस-कस के मेरे ननतांबों को दबा रहा था। कुछ दे र बाद,
उसने मेरे चत
ू ड़ कस के भीांचां मलये और मेरी गाण्ड में अपनी एक उां गली चलाने लगा।

“अरे डाक्टर साहब मरीज का ध्यान कररये… नसम का नहीां…”

अब उसने सीधे मेरी गाण्ड के छे द में सलवार के ऊपर से उां गली घस


ु ाते हुए कहा- “अरे जब नसम इतनी सेक्सी हो
उसके चूतड़ इतने मस्त हों तो उसका भी ख्याल करना पड़ता है ना…”

ve
“तो मेरे पीछे , मेरी गाण्ड में उां गली क्यों कर रहे हैं…” मैंने बनावटी मशकायत के अांदाज में कहा।

अपने माँह
ु से सन
ु ील का लण्ड ननकालकर चन्दा बोली- “इसमलये गड्
ु डी रानी कक वह तम्
ु हारी सेक्सी गाण्ड मारना
चाहते हैं…”

मैंने किर पकड़कर सन


ु ील का लण्ड चन्दा के माँह
.li
ु में ढकेला और बोली- “हे थमाममीटर क्यों बाहर करती हो?”
um
तब तक मझ
ु े अजय की आवाज सन
ु ायी दी- “हे मसस्टर, जरा इन डाक्टर साहब के पास भी तो आओ…” वह
बगल के ही पलांग पे बैठा था और उसने िीांच के मझ
ु े अपनी गोद में बैठा मलया। उसका तन्नाया मोटा लण्ड
जैसे मेरी सलवार िाड़कर मेरी गाण्ड में घस
ु जायेगा।

कुते के ऊपर से मेरे मम्मे भी िूब तने लगा रहे थे। उसने उस कस के पकड़ मलया अर दबाते हुए बोला- नसम,
or

इस डाक्टर के थमाांमीटर का भी तो ख्याल करो।

“अभी लीजजये…” मैं बोली और जजप िोलकर उसके तने लण्ड को मैंने बाहर कर ददया। मेरे गोरे -गोरे हाथों में
बसांती ने जो में हदी लगायी थी िूब चटि चढ़ी थी।
Xf

अजय भी िब
ू प्यार से उन्हें ननहार रहा था। उसने गज
ु ाररश की- “हे , रानी जरा अपने इन प्यारे -प्यारे हाथों से
पकड़ो ना इसे, सहलाओ, रगड़ो…”

“अभी लो मेरे जानम…” और में हदी लगे अपने हाथों से मैंने पहले तो उसे धीरे से पकड़ा, और किर हल्के-हल्के
सहलाने लगी।

अजय अब िूब कस के मेरे सट ू के ऊपर से ही मेरे मम्मों को दबा, मसल रहा था- “हे तम्
ु हारा ये सट
ू बहुत
सेक्सी है, इसमें तम्
ु हारे सेक्सी मम्मे और चूतड़ और सेक्सी लगते हैं…” उसने मेरे सट
ू की तारीि की।

मैं हाँस दी।


69
उसने पछ
ू ा- “क्यों क्या हुआ?”

मैंने बताया कक- “जल्दी में मैं सट


ू में आ गई। जब मैं साड़ी पहनकर आती थी, तो बस तम
ु लोग साड़ी उठाकर
काम चला लेते थे। मैंने सोचा की आज सलवार सट
ू में मेरी बचत होगी पर… आज तम
ु दोनों लगता है …”

मेरी बात काट कर अजय ने सीधे, मेरी सलवार का नाड़ा िोलते हुये कहा- “ऐसा कुछ नहीां है , बबचारी चत
ू को
चुदना ही है, आखिर लण्ड को इतना तड़पाती है …” और उसने मेरी सलवार घटु ने तक सरका दी और मेरी चत ू को
कस के दबोच मलया।

मैंने चन्दा की ओर ननगाह डाला तो वह कस-कस के सन


ु ील का लण्ड चूस रही थी। उसकी साड़ी भी जाांघों के
ऊपर उठ चुकी थी और सन
ु ील अपनी दो उां गमलयों से उसको चोद रहा था।

ve
अजय ने तब तक मझ
ु े घट
ु ने और कोहननयों के बल कर ददया और कहने लगा- “चलो, तम्
ु हें मसिाता हूाँ कक
सलवार सट
ू पहने-पहने कैसे चद
ु वाते हैं…” मेरे पीछे आकर उसने मेरी टाांगें िैलायीां पर सलवार पैरों में िांसी होने
के कारण वह ज्यादा नहीां िैला पाया और मेरी जाांघें कसी-कसी थीां। उसने एक उां गली मेरी चूत में कस-कस के
अांदर-बाहर करनी शरू
ु कर दी और मैं जल्द ही गीली हो गई। मेरी कमर पकड़कर अब उसने चूत िैलाकर अपना
लण्ड एक करारे धक्के में अांदर धकेल ददया।

मेरी जाांघें सटी होने के कारण मेरी चत


ू भी िब
.li
ू कसी थी और लण्ड चत
ू की दीवारें को कस-कस के रगड़ता
um
नघसता जा रहा था। मझ
ु े एक नये ककस्म का मजा ममल रहा था। थोड़ी दे र इसी तरह चोद के अब अजय ने मेरे
रसभरे झुके हुए मम्मों को कुते के ऊपर से ही पकड़ मलया था और उन्हें दबा-दबा के कस के चोदने लगा। हमारी
दे िा दे िी, सन
ु ील ने भी अब अपना लण्ड चन्दा के मह
ाँु से ननकाल मलया था और उसकी जाांघों के बीच आकर
चुदाई करने लगा।
or

अजय ने मेरा कुरता ऊपर सरका ददया था और अब मेरी िुली लटकी चूचचयाां कस-कस के ननचोड़ रहा था। पर
थोड़ी ही दे र में अजय ने मेरे सारे कपड़े उतार ददये और मझ
ु े मलटाकर, मेरी टाांगें अपने कांधे को रिकै कस-कस
के चोद रहा था।
Xf

यही हाल बगल के पलांग पे चन्दा की भी थी जजसको सन


ु ील ने परू ी तरह ननवमस्त्र कर ददया था और उसके मोटे -
मोटे चत
ू ड़ पकड़कर कस-कस के चोद रहा था।

यह पहली बार था कक हम और चन्दा अगल बगल इस तरह ददन में , पलांग पर अगल बगल लेटकर, अजय और
सन
ु ील से िुल्लमिुल्ला चद
ु ा रहे थे। सन
ु ील की ननगाह अभी भी मेरे चत
ू ड़ों पर थी। चन्दा ने उसकी चोरी पकड़
ली, वह बोली- “क्यों आज उसकी बहुत गाण्ड मारने का मन कर रहा है क्या, जो चोद मझ
ु े रहा है पर चूतड़
उसके घरू रहा है…”

और मझ
ु से कहा- “हे गड्
ु डी, मरवा ले ना गाण्ड आज, रि दे मन मेरे यार का…”

“ना बाबा ना, मझ


ु े नहीां मरवानी गाण्ड, इतना बोल रही है तो तू ही मरवा ले ना…”
70
अजय और सन
ु ील दोनों मश्ु कुरा रहे थे- “यार आज साथ-साथ चद
ु ाई कर रहे हैं। तो कुछ बद कर करें ना…”

कुछ दे र बाद सन
ु ील बोला- “मझ
ु े मांजूर है…”

मेरी चूची पकड़कर कसके चोदते हुये, अजय ने कहा- “तो ठीक है, जजसका यार पहले झड़ेगा, उसके माल की
गाण्ड मारी जायेगी…” सन
ु ील ने शतम रिी।

अजय और चन्दा दोनों एक साथ बोले- “हमें मांजूर है …”

पर मैं बोली- “हे गड़बड़ तुम लोग करो पर, गाण्ड हमारी मारी जाय…”

पर हमारी सन
ु ने वाला कौन था। अजय मेरी चूची रगड़ते, गाल काटते, कसकर चोद रहा था और सन
ु ील भी

ve
चन्दा की बरु में सटासट अपना लण्ड पेल रहा था। पर तभी मैंने ध्यान ददया कक चन्दा ने कुछ इशारा ककया
और सन
ु ील ने अपना टे मपो धीमे कर ददया बल्की कुछ दे र रुक गया। मैं कुछ बोलने ही वाली थी की अजय ने
मेरी जक्लट वपांच कर ली और मैं झड़ने लगी। मैं अपनी चूत में कस के अजय का लण्ड भीांच रही थी, अपने
चूतड़ कस-कस के ऊपर उठा रही थी, और अपने हाथों से कस के उसकी पीठ जकड़ ली। और जल्द ही अजय भी
मेरे साथ झड़ रहा था।

जब हम दोनों झड़ चक ु े तो मझ
.li
ु े अहसास हुआ कक… पर साथ-साथ झड़ने का जो मजा था। मैंने जब बगल में
um
दे िा तो अब चन्दा भी िूब कस-कस के चूतड़ उछाल रही थी और वह और सन ु ील साथ-साथ झड़ रहे थे। मैं
शाांत बैठी थी तो अजय और सन
ु ील एक साथ दोनों मेरे बगल में आ गये और गद
ु गद
ु ी करने लगे।

अजय बोला- “हे … यार… चलता है …” और उसने मेरे गाल को चूम मलया।
or

मेरे दस
ू रे गाल को सन
ु ील ने और कस के चम
ू मलया। अजय ने मेरी एक चच
ू ी पकड़कर दबा ददया। सन
ु ील ने
मेरी दस
ू री चच
ू ी पकड़कर मसल ददया।

“हे … एक साथ… दो-दो…” चन्दा बोली।


Xf

“अरे जलती है क्या? अपनी-अपनी ककश्मत है…” अब मैं भी हाँसकर बोली और मैंने अपने में हदी लगे हाथों में
दोनों के आधे-िड़े लण्ड पकड़ मलये, और आगे पीछे करने लगी।

जल्द ही दोनों तनकर िड़े हो गये। अजय के लण्ड के चमड़े को मैंने कस के िीांचा और उसका मोटा गल
ु ाबी
सप
ु ाड़ा बाहर ननकल आया। मैंने उां गली से उसके छे द को हल्के से छू ददया और वह मसहर गया। तब तक
अचानक अजय ने मझ
ु े पकड़कर कस के झक
ु ा ददया और उसका गरम सप
ु ाड़ा, मेरे गल
ु ाबी होंठों से रगड़ िा रहा
था- “ले चूस इसे, घोंट, िोल के अपना माँह
ु ले अांदर जैसे अभी चन्दा चूस रही थी…”

और मैंने अपने होंठ िोलकर पहली बार उसके सप


ु ाड़े को घोंट मलया। मेरे गल
ु ाबी, मिमली होंठ उसके सप
ु ाड़े को
रगड़ते, नघसते हुये, उसे अांदर ले रहे थे। मेरी रे शमी जुबान, सप
ु ाड़े के ननचले दहस्से को चाट रही थी। थोड़ी दे र
71
तक मैं उसके मोटे सप
ु ाड़े को चूमती चाटती रही। अजय ने उत्तेजजत होकर मेरे सर को और जोर से अपने लण्ड
पर दबाया और आधा लण्ड मेरे माँह
ु में घस
ु गया। मेरे हाथ उसके लण्ड के बेस को पकड़े हुए, दबा सहला रहे थे
और किर मैं उसके पेल्हड़ को भी सहलाने लगी।

“हााँ हााँ ऐसे ही, और कस के चूस ले, चूस ले मेरा लण्ड साल्ली… ले-ले परू ा ले…”

मझ
ु े अच्छा लगा रहा था कक मेरा चस
ू ना अजय को इतना अच्छा लगा रहा है । मैं अपनी गदम न ऊपर-नीचे करके
िूब कस के चूस रही थी। कुछ दे र चूसने के बाद, जब मैं थोड़ी थक जाती तो उसे बाहर ननकालकर लालीपाप की
तरह उसके लाल िूब बड़े सप
ु ाड़े को चाटती, मेरी जीभ उसके परू े लण्ड को चाटती और किर मैं उसका लण्ड गप्प
से लील जाती। मेरे गाल एकदम िूल जाते, कभी लगता कक वह मेरे हलक तक पहुाँच गया है पर मैं गप्पागप
उसका लण्ड घोंटती रहती, चूसती रहती। मैं सन
ु ील को एकदम भल
ू गई थी पर मझ
ु े तब उसकी याद आयी जब
उसने मेरे चूतड़ सहलाते हुये मेरे गाण्ड के छे द पर अपना लण्ड लगाया।

ve
“नहीां… नहीां… वहाां नहीां…” मैंने कहने की कोमशश की।

पर अजय ने कस के मेरा सर अपने लण्ड पर दबा ददया और मेरी आवाज नहीां ननकल पायी। थोड़ी दे र वहाां
रगड़ने के बाद, सन
ु ील ने लण्ड मेरी चूत पे सटाया और एक झटके में सप
ु ाड़ा अांदर पेल ददया। मेरी जान में जान
आयी कक मेरी गाण्ड बच गई।
.li
पर चन्दा के रहते, ये कहाां होने वाला था। चन्दा ने पहले तो सहलाने के बहाने मेरे चत
ू ड़ को कस-कस के दो-दो
um
हाथ लगाये और किर अपनी उां गली में िूब थक
ू लगाकर उसे मेरी गाण्ड के छे द पे लगाया। सन
ु ील ने अपनी परू ी
ताकत लगाकर मेरे दोनों कसे-कसे कोमल ननतांबों को अच्छी तरह िैलाया और चन्दा ने भी कस के मेरी गाण्ड
के छे द को चचयार कर उसमें अपनी थक ू लगी उां गली को ढकेल ददया। मैंने अपनी गाण्ड दहलाने की बहुत कोमशश
की पर वह धीरे -धीरे , परू ी उां गली अांदर करके मानी।
or

पर वह वहाां भी रुकने वाली नहीां थी। जब मेरी गाण्ड को उसकी आदत हो गई तो वह उसे गोल-गोल घम
ु ाने
लगी, और किर जोर-जोर से अांदर-बाहर करने लगी। जब मैंने अपने चूतड़ ज्यादा दहलाये तो वो बोली- “अरे , अभी
एक उां गली में इत्ता चत
ू ड़ मटका रही हो तो अभी थोड़ी दे र में ही परू ा मस
ू ल ऐसा लण्ड इसी गाण्ड में घस
ु ेगा तो
कैसे गप्प करोगी?”
Xf

मैं चाहकर भी कुछ नहीां बोल सकती थी क्योंकी अजय मेरा सर पकड़कर मेरे माँह
ु को अब परू ी ताकत से लण्ड से
चोद रहा था और अब मेरे थूक से वह इतना चचकना हो गया था कक गपागप मैं उसे लील रही थी और कई बार
तो वह मेरे गले तक ढकेल दे ता। और उधर सन
ु ील भी मेरे मम्मे पकड़कर कस के चोद रहा था। जब कुछ दे र
बाद चन्दा ने मेरी गाण्ड से उां गली ननकाली तो मेरी साांस आयी।

अब मेरी चत
ू सन
ु ील के लण्ड की धकापेल चद
ु ाई का परू ा मजा ले रही थी और मैं भी अपनी चत
ू उसके मोटे िांट
ू े
जैसे लण्ड पर भीांच रही थी।

तभी चन्दा ने ककसी ट्यब


ू की एक नोजल मेरी गाण्ड के छे द में डाल दी। मैं मन ही मन उसे िब
ू गामलयाां दे
रही थी। वह जेली की ट्यब
ू थी और उसने दबा-दबाकर परु ी ट्यब
ू मेरी गाण्ड में िाली कर दी। मेरी परू ी गाण्ड
72
चप-चप हो रही थी। उसके ट्यब
ू ननकालते ही सन
ु ील ने अपना लण्ड मेरी चूत से ननकालकर मेरी डर से दब
ु दब
ु ाती
गाण्ड के छे द पे लगा दी। चन्दा ने बेरहमी से मेरे दोनों चत
ू ड़ों को पकड़कर, िब
ू कस के गाण्ड के छे द तक िैला
ददया था।

अब सन
ु ील का लण्ड भी मेरी चूत को चोद के अच्छी तरह गीला हो गया था और गाण्ड के अांदर भी िूब क्रीम
भरी थी, इसमलये अब जब उसने धक्का मारा तो थोड़ा सा मेरी गाण्ड में घस
ु गया। पर मेरी गाण्ड एकदम कड़ी
हो गई थी और मसल्स अांदर लण्ड घस
ु ने नहीां दे रही थीां। सन
ु ील ने मझ
ु से कहा कक मैं डरूां नहीां और थोड़ा ढीली
करूां पर मैं और सहम गई।

चन्दा कस के बोली- “हे ज्यादा नछनारपना ना ददिा, गाण्ड ढीली कर ठीक से मरवा नहीां तो और ददम होगा…”
और उसने अचानक मेरी दोनों टाांगों के बीच हाथ डालकर कस के अपने नािूनों से मेरी जक्लट पर िूब कस के
चचकोट मलया।

ve
मैं ददम से बबलबबला कर चीि उठी और मेरा ध्यान मेरी गाण्ड से हट गया। सन
ु ील परू ी तरह तैयार था और
उसने तरु ां त मेरी कमर पकड़कर कस के तीन-चार धक्कों में अपना परू ा सप
ु ाड़ा मेरी गाण्ड में पेल ददया। मेरी परू ी
गाण्ड ददम से िटी जा रही थी। मैंने बहुत जोर से चीिने की कोमशश की पर अजय ने और कस के अपना लण्ड
मेरे हलक तक ठे ल ददया और कस के मेरा सर दबाये रहा। मसिम मेरी गों गों की आवाज ननकल पा रही थी। मैं
कस-कस के अपनी गाण्ड दहला रही थी पर?

“गड्
.li
ु डी रानी, अब चाहो ककतना भी चूतड़ दहलाओ, गाण्ड पटको, परू ा सप
ु ाड़ा अांदर घस
ु गया है , इसमलये अब लण्ड
um
बाहर ननकलने वाला नहीां है…” चन्दा मेरे सामने आकर मझ
ु े चचढ़ाते हुये बोली और मेरा जोबन कस के दबा
ददया।

सन
ु ील अब परू ी ताकत से मेरी कसी, अब तक कांु वारी गाण्ड के अांदर अपना सख्त, मोटा लण्ड धीरे -धीरे घस
ु ा रहा
ू -सत
था। मैं ककतना भी चूतड़ पटक रही थी पर सत ू करके वह अांदर सरक रहा था। ददम के मारे मेरी जान ननकली
or

जा रही थी पर उस बेरहम को तो… कभी कमर तो कभी मेरे कांधे पकड़कर वह परू ी ताकत से अांदर ठे ल रहा था
और जब आधा लण्ड घस
ु गया होगा और उसको भी लगा कक अब और अांदर पेलना मजु श्कल है तो वह रुका।

मझ
ु े लगा रहा था कक ककसी ने मेरी गाण्ड के अांदर लोहे का मोटा राड डाल ददया है । उसके रुकने से मेरा ददम
Xf

थोड़ा कम होना शरू


ु हुआ।

पर चन्दा को कहाां चैन, वह बोली- “हे गड्


ु डी रानी, क्या मजे हैं तम्
ु हारे , एक साथ दो लण्ड का मजा, एक माँह
ु में
चूस रही हो और दस
ू रे से गाण्ड में मजा ले रही हो, और मैं यहाां सि
ू ी बैठी हूाँ…”

और अजय से कहा- “हे इसका माँह


ु छोड़ो, जब तक सन
ु ील इसकी गाण्ड का हलव
ु ा बना रहा है , तम
ु मेरे साथ
मजा लो ना…” अजय ने जब इशारे से बताने की कोमशश कक जैसे ही वह मेरे मह
ाँु से लण्ड ननकालेगा, मैं चीिने
चचल्लाने लगग
ूां ी।

73
तो चन्दा ने अजय का लण्ड मेरे माँह
ु से ननकालते हुए कहा- “अरे चीिने चचल्लाने दो ना साल्ली को। पहली बार
गाण्ड मरा रही है तो थोड़ा, चीिना, चचल्लाना, रोना, धोना, अच्छा लगाता है । थोड़ा, रोने चीिने दो ना उसको…”
ये कहकर उसने अजय को वैसे ही नीचे मलटा ददया और िुद उसके ऊपर चढ़ गई।

मैं भी गदम न मोड़कर उसको दे ि रही थी। वह अपनी चूत, ऊपर से अजय के सप
ु ाड़े तक ले आती और जब अजय
कमर उचकाकर लण्ड घस
ु ाने की कोमशश करता, तो वह नछनार चूत और ऊपर उठा लेती। उसने अजय की दोनों
कलाई पकड़ रिी थी। किर उसने अपने माथे की बबांदी उतारकर अजय के माथे को लगा दी और कहने लगी-
“आज मैं चोदां ग
ू ी और तम
ु चुदवाओगे…”

और उसने अपनी चत
ू को उसके लण्ड पे जोर के धक्के के साथ उतार ददया। थोड़ी ही दे र में अजय का परू ा लण्ड
उसकी चत
ू के अांदर था। अब वह कमर ऊपर-नीचे करके चोद रही थी और अजय, जैसे औरतें मस्ती में आकर
नीचे से चूतड़ उठा-उठाकर चुदवाती हैं, वैसे कर रहा था।

ve
चन्दा ने मेरा एक झुका हुआ जोबन कस के दबा ददया और अब सन ु ील को चढ़ाते हुए, कहने लगी- “हे अभी मेरी
चत
ू की चद ु ाई तो सप
ु ाड़ा बाहर लाकर एक धक्के में परू ा लण्ड डालकर कर रहे थे, और अब इस नछनाल की
गाण्ड में मसिम आधा लण्ड डालकर… क्या उसकी गाण्ड मिमल की है और मेरी चूत टाट की… अरे मारो गाण्ड
परू े लण्ड से, िट जायेगी तो कल क्ललू मोची से मसलवा लेगी साल्ली… ऐसी गाण्ड मारो इस नछनाल की… की
सारे गााँव को मालम
.li
ू हो जाये कक इसकी गाण्ड मारी गई, पेल दो परू ा लण्ड एक बार में इसकी गाण्ड में… वरना
मैं आ के अभी अपनी चच
ू ी से तेरी गाण्ड मारती हूाँ…”
um
चन्दा का इतना जोश ददलाना सनु ील के मलये बहुत था। सन ु ील ने मेरी कमर पकड़कर अपना लण्ड थोड़ा बाहर
ननकाला और किर परू ी ताकत से एक बार में मेरी गाण्ड में ढकेल ददया।

उउह्ह्ह, मेरी तो जान ननकल गई। मैंने दाांत से होंठ काटकर चीि रोकने की कोमशश की पर ददम इतना तेज था
कक तब भी चीि ननकल गई। पर मैं जानती थी, कक अब सन
ु ील नहीां रुकने वाला है , चाहे मेरी गाण्ड िट ही
or

क्यों ना जाये। और वही हुआ, सन


ु ील ने बबना रुके किर पहले से जोरदार धक्का मारा और मैं बेहोश सी हो गई,
मेरी बहुत तेज चीि ननकली पर चन्दा ने कसकर मेरे माँहु पर हाथ लगाकर भीांच मलया। सनु ील धक्के को धक्का
मारता रहा। मैं छटपटा रही थी, ददम से बेहाल हो रही थी लेककन चन्दा ने इतनी कस के परू ी ताकत से मेरा माँह

भीांच रिा था कक मेरी जरा सा भी चीि नहीां ननकल पायी।
Xf

कुछ दे र में सन
ु ील के धक्के रुक गये, पर मझ
ु े अहसास तभी हुआ, जब चन्दा ने हाथ हटा मलया और बोली-
“अरे जरा बगल में तो दे ि, ककतनी आराम से तेरी गाण्ड ने लण्ड घोंट रिा है …”

और सच में जब मैंने बगल में दे िा तो वहाां शीशे में साि ददि रहा था कक, कैसे मेरी कसी-कसी गाण्ड में
उसका मोटा लण्ड परू े जड़ तक मेरी गाण्ड में घस
ु ा है । अब ददम जैसे धीरे -धीरे कम हुआ मेरी गाण्ड ने लण्ड अपने
अांदर महसस
ू करना शरू ु कर ददया। थोड़ी दे र तक रुक के सन ु ील ने लण्ड थोड़ा बाहर ननकाल के कस-कस के
धक्के किर मारने शरू
ु कर ददये। पर अब मझ
ु े ददम के साथ एक नये तरह का मजा ममल रहा था। उधर, अजय
ने भी अब चन्दा को चौपाया करके चोदना शरू
ु कर ददया था। मैं और चन्दा दोनों एक साथ एकदम सटकर
चद
ु वा रहे थे। सन
ु ील अब मेरी चचू चयाां पकड़कर गाण्ड मार रहा था।

74
वह एक हाथ से मेरी चूची पकड़ता और दस
ू री से चन्दा की दबाता। अब अजय और सन
ु ील दोनों परू ी तेजी से
धक्के पे धक्के मारे जा रहे थे। सन
ु ील ने मेरी चत
ू में पहले तो दो, किर तीन उां गमलयाां घस
ु ा दीां और कस के
अांदर-बाहर करने लगा। कहाां तो मेरी चूत को एक उां गली घोंटने में पसीना होता था और कहाां तीन उां गलीां… मेरी
गाण्ड और चूत दोनों का बरु ा हाल था, पर मजा भी बहुत आ रहा था। जब उसका लण्ड मेरी गाण्ड में जाता तो
वह उां गली बाहर ननकाल लेता और जब चूत में तीन उां गमलयाां एक साथ पेलता तो गाण्ड से लण्ड बाहर िीांच
लेता।

मैं बार-बार झड़ने के कगार पर पहुाँचती तभी चन्दा ने कस के मेरी जक्लट पकड़कर रगड़ मसल दी और मैं झड़ने
लगी और बहुत दे र तक झड़ती रही। मेरा सारा रस उसकी उां गली पर लग रहा था। जब मैं झड़ चक ु ी तो सन
ु ील
ने मेरी चत
ू से अपनी उां गली ननकालकर मेरे माँह
ु में लगा दी और मझ
ु े मजबरू करके चटाया। किर तो मैंने उसके
उां गमलयों से एक-एक बद
ूां रस चाट मलया।

चन्दा मझ
ु े चचढ़ाते हुए बोली- “क्यों कैसा लगा चूत रस?”

ve
मैं चप
ु रही।

पर चन्दा क्यों चुप रहती। वह बोली- “अरे अभी तो मसिम चूत रस चाटा है अभी तो और बहुत से रस का स्वाद
चिना है…”

जब सन
.li
ु ील ने उसे आाँि तरे र कर मना ककया तो वो बोली- “अरे गाण्ड मरवाने का मजा ये लेंगी, तो चम

um
चाटकर साि कौन करे गा?”

तभी सन
ु ील ने मेरे चत
ू ड़ों पर कस-कस के कई दोहथ्थड़ मारे , इत्ते जोर से की मेरे आाँिों में गांसू आ गये। और
उसने जोर से मेरी चोटी पकड़कर िीांचा, और बोला- “सच-सच बोल गाण्ड मराने में मजा आ रहा है की नहीां?”
or

“हााँ हााँ आ रहा है …” मझ


ु े बोलना ही पड़ा।

“तो किर बोलती क्यों नहीां?”


Xf

सच कहूाँ, मेरी समझ में नहीां आ रहा था अब मझ


ु े कभी-कभी ददम में भी अजब मजा ममलता था, कल जब ददनेश
ने चोदते समय कीचड़ में जमकर मेरी चचू चयाां रगड़ीां थीां और आज जब इसने मेरे चत
ू ड़ो पर मारा- “हााँ हााँ मेरे
जानम मार लो मेरी गाण्ड, बहुत मजा आ रहा है ओह्ह… हााँ हााँ… डाल ले… मारो मेरी गाण्ड… कस के मारो पेल
दो अपना परू ा लण्ड मेरी गाण्ड में …” और सच में मैं अब उसके हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी। कािी
दे र चोदने के बाद अजय और सन
ु ील साथ-साथ ही झड़े।

ककसी तरह चन्दा का सहारा लेकर मैं घर लौटी।

में हदी, मेल,े झूल,े और सावन की ररमखझम के बीच भाभी के गााँव में मजे लेत,े कैसे ददन कटे पता नहीां चला।
और मसिम गााँव के लड़के लड़ककयाां ही नहीां, भामभयों के साथ भी, और भामभयों ने बहुत कुछ मसिाया भी पर
उसकी ‘िीस’ भी ली।
75
चमेली भाभी ने तो, जब उनके घर पर गाना हुआ था और परू बी ने मेरी साड़ी उठाकर मेरी मक्िन मलाई चत ू
का दशमन कराया था, तभी से मेरी चूत पर किदा थीां। एक ददन उन्होंने मझ
ु े अपने घर बल
ु ाया। वह अकेली हीां
थीां। चन्दा कहीां गई थी। बातबात में , छे ड़छाड़ में, उन्होंने मेरी साड़ी उठा दी चूत का दशमन करने के मलये। और
थोड़ी दे र में हम दोनों, मसक्स्टी-नाइन की पोज में थे। इस िेल में मैं नयी थी, पर जैसे भाभी मेरी चूत चूसतीां
वैसे ही मैं भी उनकी चूत चूसने की कोमशश करती। थोड़ी ही दे र में मैं अच्छी तरह मस्त हो गई थी और चूतड़
उचका रही थी। भाभी की जीभ, मेरे उत्तेजजत, जक्लट को छे ड़ रही थी तभी मझ
ु े लगा की मेरे चत
ू में… जब तक
मैं समझ,ूां लण्ड मेरी चूत में था।

मैंने बहुत चतू ड़ मटकाने की कोमशश की पर… भाभी ने मझ


ु े कसकर दबा रिा था (ऊपर वो हीां थीां) और किर
उन्होंने भी… पता चला की वो चमेली भाभी के पनत, मदन थे। उन्होंने िूब रस ले-लेकर चोदा और साथ में
चमेली भाभी भी जक्लट चस
ू रहीां थीां। और अगली बार तो उन्होंने पहले मझ
ु ,े अपनी उां गली से, किर होंठों से
अच्छी तरह झाड़ा और उसके बाद जबरदस्त चुदाई की।

ve
पहली बार मझ
ु े ककसी मदम से चद
ु वाने का मजा ममला। मैं समझ गई की एक अनभ
ु वी, शादी-शद
ु ा मदम से चद
ु वाने
की बात ही और है । उसे लड़कों की तरह कोई जल्दबाजी नहीां होती, उसे कुछ प्रव
ू नहीां करना होता और सबसे
बढ़कर, वह मजा लेने से ज्यादा मजा दे ने में यकीन रिता है ।

चमेली भाभी ने मझ
चस्
ु त रिा जा सकता है । और ये भी बताया की उससे चद
.li
ु े मसिाया, कक चूत को स्कवीज करने की कसरत से कैसे बच्चे की मााँ होकर भी चूत को
ु ाई का मजा कैसे मलया जाता है, कैसे लण्ड को चत
ू से
um
कस के स्क्वीज ककया जाता है , थोड़ी दे र तक स्क्वीज करने के बाद, किर थोड़ी दे र तक छोड़कर, किर कैसे
स्क्वीज करो। यहीां नहीां, उन्होंने मझ
ु े प्रैजक्टकल ट्रे ननांग भी दी।

मेरी चूत में उां गली डालकर… वो बोलतीां कक मैं और जोर से चूत मसकोडू,ां जैसे उनकी उां गली लण्ड हो। उन्होंने
मझ
ु े बताया की कई बार तो अपने पनत के साथ चुदाई में मसिम वह मसकोड़-मसकोड़ के झाड़ दे ती हैं और मैं भी
or

कुछ ददनों में ही चूत मसकोड़ने में उन्हीां की तरह एक्स्पटम हो गई।

काममनी भाभी तो पक्की गरू


ु थीां। एक तो उन्होंने िब
ू जबरदस्त, दो दर्मन से भी ज्यादा, ऐसी तगड़ी नान-वेज
गामलयाां मसिायीां कक उनको सन
ु ने पर चम्पा भाभी भी, अपने कान में उां गली डाल लेतीां। यही नहीां नाच में, कैसे
Xf

जोबन मटकाये जायां, सी-ग्रेड वपक्चरों के नाच से भी ज्यादा, कमर और कूल्हे के साथ जोबन उछालते हुए, चुदाई
के पोज में नाचना उन्होंने मसिाया और सबसे बढ़कर लड़कों को मसड्यस ू करना। उन्हीां से मैंने पहले पहल जाना
कक लड़की का हर अांग सेक्स के काम में आ सकता है।

उन्होंने बताया कक कैसे हल्के से, बाल का झटका, नतरछी नजर, ननगाहों की जुजम्बश, या गीले होंठों पर जीभ
िेरना ही कानतल अदा बन सकती है । हल्के से आांचल चगराकर सम्हालना और इस तरह जोबन की ओर ध्यान
िीांचना, गदम न से चचपका कर दप
ु ट्टा पहनना, बैठते समय थोड़ी सी जाांघें हमेशा िोलकर बैठना, और इसके साथ
ही चुदाई के समय अपने साथी को मजा कैसे ज्यादा से ज्यादा ददया जाय। उन्हीां की सगांत में मैं सीिी की
लड़की होने का ये मतलब नहीां की सेक्स के मलये मसिम निड़ा ददिाया जाय, और ये माना जाय कक ‘करना’
लड़कों का काम है और ‘करवाना’ मलड़कयों का… बल्की लड़ककयों का भी रोल उतना ही ऐजक्टव होना चादहये
जजतना लड़कों का।
76
उनके पास एक कोकशास्त्र की पस्
ु तक थी उसमें से सारे 64 आसन उन्होंने न मसिम बताये, बल्की करवाये भी।
हााँ हर बार वो लड़का बनती थीां। काममनी भाभी के पास जड़ी बदू टयों, मांत्र, तांत्र का भी िजाना था। उन्होंने मझ
ु े
एक तेल ददया, नारी-कल्प, स्तनों के उभार को और बड़ा और कम बनाने के मलये… भाभी कहती थीां कक चचू चयों
के मलये सबसे अच्छी मामलश तो मदम के हाथ की है , हााँ अगर थोड़ा अपना ‘िास’ सिेद लोशन लगा दे बाद में …
तो और अच्छा।

उन्होंने मझ
ु े बताया कक कैसे तेल की मामलश उरोजों पर करते हैं, और हाँसके बोलीां कक मैं इसकी रे गल
ु र मामलश
करूां और हााँ साथ में मेरे जोबन पे मदों का हाथ भी पड़ता रहे तो जब मैं दो महीने बाद लौटूांगी तो वह 34डी या
सी हो ही जायेगा। एक और जड़ी उन्होंने मझ
ु े दी, जजसे मझ
ु े चत
ू में रिकर कसकर भीांचना था। यह चत
ू को
एकदम कसी बना दे ती थी। और हााँ भाभी के अनस
ु ार, अगर दो ददन का ‘उपवास’ करके उस दौरान, उसे चूत में
डालकर भीांचा जाय तो किर लेने वाले को उतनी ही मेहनत करनी पड़ेगी, जैसे वह ककसी कच्ची कली की सील
तोड़ रहा हो।

ve
हााँ, काममनी भाभी ने हाँसकर ये भी बताया कक इसका इश्तेमाल पीछे वाले छे द में भी कर सकते हैं। इसके साथ
गभम-ननरोध के मलये भी, और उसे रोज िाने की भी जरूरत नहीां थी, और यहाां तक कक उसे एक दो ददन के बाद
भी इश्तेमाल कर सकते थे। और वशीकरण के अनेक तरीके भी उन्होंने बताये। मझ
ु े उन्हीां से पता चला की
कोहबर में या ववदाई के पहले दल्
ू हे को दल
ु हन का जठ
.li
ू ा पानी, या पान खिलाया जाता है जजससे वह उसके काबू
में रहे , और उनका तो कहना था कक ससरु ाल में तो पहले ‘और भी बहुत कुछ’ ससरु ाल की जस्त्रयों का, ममलाकर…
टोने की तरह… जब भी वह वशीकरण की बात करतीां तो मझ ु े रवीन्र की याद आ जाती और मैं बहुत ध्यान से
um
सीिती।

काममनी भाभी के पनत शादी के शरू


ु में ‘बालकभोगी’ थे, इसमलये, काममनी भाभी ने दस
ू रा रास्ता चन
ु ा, लेककन
वह ‘सवमभक्षिणी’ थीां। और सबसे बढ़कर कच्ची से कच्ची कली का रस कैसे मलया जाय, इसमें वो मादहर थीां और
उन्होंने अपने सारे गरु मझ
ु े मसिा ददये थे। और मैं भी उनकी हर बात मानती थी।
or

सन
ु ील की छोटी बहन, नीरा, वही जो 8वीां में पढ़ती थी, से मेरी ‘अच्छी दोस्ती’ हो गई।

चम्पा भाभी तो िुलकर िेलतीां थीां। जजस ददन भाभी मन्


ु ने को मेरे पास सल
ु ाकर, चम्पा भाभी के पास आयीां थीां
Xf

और सारी रात दोनों की पायल बजती रही। उसी के अगली रात चम्पा भाभी ने मेरे ऊपर हाथ िेर ददया था।
और उसके बाद तो न वो ददन दे िती थीां ना रात। लेककन होंठों के इश्तेमाल में उनका कोई मक
ु ाबला नहीां था
और उनसे मैंने बहुत कुछ सीिा। वह मेरी सांतरे के िाांक जैसी रसीली चूत की िाांक को लेकर अपने माँह
ु में
चुभलाती रहती, चूसती रहती और उसी तरह मझ ु से भी चुसवाती। एक ददन तो उन्होंने हद कर दी, वो मझ ु से
चूसने की जजद कर रही थी, पर मझ
ु े बहुत जोर से… लगी थी।

मैंने इशारे से भाभी को बताया पर वह तो, वह बोलीां- “अरे यहीां आांगन में बैठकर मत
ू लो… नाली में … जल्दी
आओ बड़ी प्यास लगी है…”

77
पर मैं बाथरूम में होकर गई। भाभी तरु ां त मेरी जाांघों के बीच आकर चूसने की जजद करने लगीां। मैंने बहुत मना
ककया कक मैंने अभी साि नहीां ककया है , पर भाभी कहाां मानने वाली, उल्टे उन्होंने अपनी सिी बसांती को और
बल
ु ा मलया। बसांती ने बहुत जोर से मेरी बाांहें पकड़ ली और मझ
ु े कसकर दबा मलया।

चम्पा भाभी बहुत जोर से मेरी रसीली चूत चूस रहीां थीां और कह रहीां थीां- “बसांती आज तो एकदम स्पेशल स्वाद
है … िारा-िारा…”

मैं अभी भी छटक रही थी।

बसांती ने मझ
ु े कस के दबाते हुए कहा- “अरे िारा चिाने में इतना छटक रही हो… इसका मतलब तेरा मन िद

िारा चिाने का ज्यादा हो रहा है …”

मझ
ु े याद आया कक एक ददन दरवाजे के पार से मैंने चम्पा भाभी और बसांती की बातें सन
ु ी थीां। बसांती बोल रही

ve
थी कक वह शरबत वपलाना चाहती है , और अगर सीधे से न माने तो हाथ पैर बाांधकर… पर चम्पा भाभी कह रहीां
थीां, अभी नहीां बबदक जायेगी, जब कानतक में आयेगी… तब वह उसके हवाले कर दें गी किर वह जो चाहे करे …
अब मझ
ु े कुछ-कुछ समझ में आ रहा था।

तब तक बसांती ने चम्पा भाभी से पछ

अपनी चत
ू मेरे मह
ाँु पर रि दी और लगी रगड़ने, चस
.li
ू ा कक जब तो वो मेरी चाट रही हैं, वह मझ
ु े अपनी चटा दें । चम्पा भाभी
बोलीां कक आखिर मैं उसकी भी तो ननद हूाँ। किर तो बसांती मेरे ऊपर चढ़ गई और अपनी साड़ी उठाकर उसने
ु वाने, चटवाने। यही नहीां उसने तो मझ
ु े आगे के साथ पीछे
um
का छे द भी चाटने पर मजबरू कर ददया। उसने थोड़ी जबदम स्ती तो की पर मजा भी िूब आया। चम्पा भाभी के
माँह
ु में मैं झड़ी और मेरे मह
ाँु में बसांती। और उन्होंने मझ
ु े एक-एक बद
ूां रस वपलाकर, चटाकर दम मलया।

इसके बाद तो वो मेरी पक्की बसांती भाभी हो गई। वो बहुत गांदी बातें करती… पर धत्त कहते भी… वो बातें मझ
ु े
अच्छी लगतीां। और मेरी भाभी भी कम नहीां थीां। िुली तो हम दोनों पहले ही थे, पर अब तो एकदम ही… कभी
or

चम्पा भाभी के साथ तो कभी चमेली भाभी के साथ… और हााँ मैं उनसे अपनी कोई बात नहीां छुपाती थी, इसमलये
उन्हें हर बात मालम
ू थी।

जो मेरे आने पे चम्पा भाभी ने कहा था कक सोलहवें सावन में हर रोज बरसात हो, एकदम सही साबबत हुई,
Xf

बल्की एक बार नहीां हर रोज कम से कम तीन-चार बार… अजय, सन ु ील, रवी, ये सब तो हरदम, जब चाहे तब…
ददन रात और बाद में तो यहाां तक की भाभी के सामने भी छे ड़छाड़ की तो कोई मलममट ही नहीां थी। गााँव के
बाकी लड़के भी, और मैं उनको क्यों दोर् दां ,ू मैं ही चत
ू ड़ मटकाते, जोबन पर से आांचल लहराते, आाँिों से इशारे
करते, दहरणी की तरह, गााँव की पगडांडडयों, बागों, गन्ने के िेतों, नदी तालाब के ककनारे … िुला आमांत्रण दे ती
रहती।

एक ददन तो बाग में ददन दहाड़े, एक लड़के ने पकड़कर एक बड़े से महुये के पेड़ के पीछे , वहीां िड़े-िड़े मेरी
साड़ी उठाकर… (और काममनी भाभी की ट्रे ननांग से मैं िड़े-िड़े भी चुदवाने में दि हो गई थी),

एक बार िेत के ककनारे , ककसी लड़के ने मझ


ु े छे ड़ा- “उखियों में झाड़ब, रहररयो में झाड़ब, आय जा हमरी
अटररया पे…”
78
और मैंने उसे मश्ु कुराकर नतरछी नजरों से दे िा और कहा- “चलो…”

उसने मझ
ु े वहीां ऊाँची पगडांडी के नीचे ले जाकर सरपट के झुरमट
ु के पीछे ही। कोई जगह नहीां बची थी, गन्ने के
िेत, नदी का ककनारा, अमराई, एक बार तो अम के बाग में मैं और गीता दोनों पेड़ के ऊपर चढ़े थे, कक
रिवाला आ गया। गीता तो कूदकर भाग गई पर मैं िाँस गई। और उसने वहीां आम के पेड़ की मोटी डाल पे
मझ
ु े लेटाकर…

ददन कैसे बीत गये पता ही नहीां चला। मेरा तो वापस जाने का मन नहीां कर रहा था। पर भाभी बोलीां कक
रिाबांधन में मसिम चार ददन बचे हैं, और मैं उनके पनत और दे वर की इकलौती बहन थी। मश्ु कुराकर चचढ़ाया-
“और बाकी सावन वहाां बरस जायेगा, वहाां भी तम्
ु हारा कोई इांतजार कर रहा है…”

मश्ु कुराकर, जोबन उभारकर मैं बोली- “अरे डरता कौन है भाभी?”

ve
जजस ददन वापस जाना था, मैं सब
ु ह से व्यस्त थी। सामान रिना, ममलने के मलये मेरी सारी सहे मलयाां आ रहीां
थी और भामभयाां। किर भाभी मन्
ु ने को लेकर पहली बार मायके से वापस जा रही थीां, उसके रीत ररवाज… पता ही
नहीां चला कक कैसे समय बीत गया। चलने के समय के थोड़ी दे र पहले ही चन्दा ने आकर मेरे कान में कुछ
कहा।
.li
मैंने भाभी से कहा कक- “मैं अपनी कुछ सहेमलयों से ममलकर वापस आती हूाँ…”
um
भाभी बोलीां- “जल्दी आना, बस आधे घांटे में बस आ जायेगी…”

चन्दा मेरा हाथ िीांचकर ले जाते हुए बोली- “हााँ बस इसको आधे घांटे में वापस ले आऊाँगी… दे र नहीां होगी…” मझ
ु े
भगाते हुए वह पास के बगीचे में एक कमरे में ले गई। वहाां अजय, रवी और ददनेश के साथ-साथ गीता भी थी
or

और मझ
ु को दे िकर सब मश्ु कुरा पड़े। तीनों के पाजामें में तने तांबू और उनकी मश्ु कुराहट को दे िकर मैं उनका
इरादा समझ गई। तब तक चन्दा ने दरवाजे की साांकल बांद कर दी।

“हे नहीां… अभी टाइम नहीां है , तम


ु तीनों के साथ। आधे घांटे में बस पकड़नी है …”
Xf

अजय शरारत से बोला- “तो क्या हुआ… आधे घांटे बहुत होते हैं… अब तम
ु ककत्ते ददन बाद ममलोगी…”

“अरे दो महीने बाद… कानतक में तो आना ही है इसे… अच्छा चलो… आधे घांटें में ककसके साथ…” चन्दा ने
समझाया।

ददनेश का नांबर लगा। आज मैं वही टाप और स्कटम पहने थी, जजसे पहनकर मैं शहर से आयी थी। कुछ िाने
पीने से और उससे भी बढ़कर… कुछ मेरे यारों कक मेहनत से मेरे जोबन और गदरा गये थे, उभरकर टाप को
िाड़ रहे थे। वही हाल मेरे चूतड़ों ने स्कटम का ककया था। ददनेश ने कुछ अजय और रवी से बात की और तीनों
अथम-पण
ू म ढां ग से मश्ु कुरा रहे थे। ददनेश पाजामा िोल के लेट गया, उसका कुतब
ु मीनार हवा में िड़ा था। मैं
समझ गई वह क्या चाहता है ।
79
मैंने झक
ु के अपनी पैंटी उतारी और स्कटम उठा के दोनों टाांगें िैलाकर उसके ऊपर चढ़ गई। पर ददनेश का लण्ड
िाली कुतब
ु मीनार की तरह लांबा ही नहीां बल्की िूब मोटा भी था। मैं अपनी चूत िैलाकर उसके सप
ु ाड़े को रगड़
रही थी और वह अांदर नहीां घस
ु पा रहा था। तभी चन्दा और गीता दोनों ने मेरे कांधे पे धक्का दे ना शरू
ु कर
ददया और लण्ड मेरी चूत में समाने लगा। उसका मोटा लण्ड जैसे ही मेरी चूत की दीवारों को कसकर िैलाता,
रगड़ता अांदर घस
ु रहा था, मैं मस्ती से पागल हो रही थी।

चन्दा और गीता का साथ दे ने के मलये, रवी भी आ आया और जल्द ही ददनेश का परू ा लण्ड इन तीनों ने घस
ु वा
कर ही दम मलया। मस्ती में नीचे से ददनेश चूतड़ उठा रहा था और ऊपर से मैं। उसने मेरा टाप िोलकर मेरे
फ्रट ओपेन ब्रा के सब हुक िोल ददये और कस-कस के मेरी चचू चयाां मसलने लगा। ये दे िके अजय और रवी की
हालत और िराब हो रही थी।

चन्दा ने ददनेश को आाँि मारी और उसने मझ


ु े अपने ऊपर िीांच मलया। मैं उसकी चौड़ी छाती पर थी, वह अपनी

ve
बाांहों में मझ
ु े कस के भीांचे था और वह मेरे जोबन का रस चूस रहा था। तभी अजय ने अपना लण्ड पीछे से मेरी
गाण्ड के छे द पे लगाया। मैंने बचने के मलये दहलने डुलने की कोमशश की पर… ददनेश मझ
ु े कस के पकड़े था और
किर उसका मोटा लांबा लण्ड भी जड़ तक मेरी चूत में धांसा था। अजय ने मेरे दोनों चूतड़ िैलाकर कस के धक्का
मारा और एक बार में ही उसका मोटा सप
ु ाड़ा मेरी गाण्ड में परू ा घस
ु गया।

“उईइइ… उईईइइ…” मैं जोर से चीिी।


.li
um
पर रवी पहले से तैयार था और उसने अपना लण्ड मेरे माँह
ु में घस
ु ा ददया। वह कस के मेरा सर पकड़कर ढकेल
रहा था और वह अपना परू ा लण्ड मेरे माँह
ु में ठूांस के ही माना। उधर अजय ने मेरी कसी गाण्ड में अपना लण्ड
पेलना चालू रिा। रवी का लण्ड मेरे माँह
ु में होने से कोई आवाज भी नहीां ननकाल पा रही थी। उधर थोड़ी दे र में
ही अजय का लण्ड परू ी तरह मेरी गाण्ड में घस
ु आया और किर उसने और ददनेश ने ममलकर मझ
ु े चोदना शरू

कर ददया। जब अजय गाण्ड से लण्ड ननकालता, तो मझ
ु े पकड़कर अपना चूतड़ उठाकर ददनेश परू ा लण्ड मेरी चूत
or

में डाल दे ता और किर जब अजय जड़ तक अपना लण्ड डालकर मेरी गाण्ड मारता तो ददनेश बाहर ननकाल लेता।
लेककन कुछ दे र बाद, अजय और ददनेश एक साथ अपना लण्ड घस
ु ेड़ने लगे।

मझ
ु े लगा रहा था, जैसे कोई एक खझल्ली मेरी चूत और गाण्ड के बीच है और जजसे दोनों लण्ड रगड़ रहे हैं। मैं
Xf

भी एक साथ तीन लण्ड का मजा ले रही थी। मैंने रवी के लण्ड को िूब कस-कस के चूसना शरू
ु ककया और मेरी
जीभ उसके लण्ड को कस के चाट रही थी। मेरी एक चच
ू ी अजय मसल रहा था और दस
ू री ददनेश। तीनों ही तेजी
से चोद रहे थे और मैं भी चूतड़ उछाल-उछालकर, सर दहला-दहलाकर इस चुदाई का मजा ले रही थी। रवी सबसे
पहले झड़ा और उसने कस के मेरा सर पकड़ रिा था जजससे मझ
ु े उसका सारा वीयम, ननगलना पड़ा, पर वह
इतना ज्यादा रुक-रुक कर झड़ रहा था कक मेरा परू ा माँह
ु उससे भर गया और कुछ मेरे गाल से होते हुए मेरे
उभारों पर भी चगर गया।

तब तक परू बी ने बाहर से आकर दरवाजा िटिटाया- “हे बस आ गई है , हानम बजा रही है …”

अजय और ददनेश अब और कस-कस के धक्के लगाने लगे। और मैं भी… मैं झड़ने लगी… मेरी चत
ू कस-कस के
मसकुड़ रही थी और ददनेश और अजय दोनों एक साथ मेरी चूत और गाण्ड में झड़ रहे थे।
80
परू बी ने किर गह
ु ार लगायी- “अरे दे र हो रही है , भाभी बल
ु ा रही हैं…”

ददनेश ने अपना लण्ड मजु श्कल से मेरी चूत से बाहर ननकाला। उसमें अभी भी कािी मसाला बचा था। रवी की
जगह अब उसने अपना लण्ड मेरे होंठों पर रि ददया और मैं उसे गड़प कर गई। और मेरे होंठों से छूते ही किर
वीयम की एक बड़ी धार ननकली जो मेरे माँह
ु को भरकर गालों पर आ गई। उसने अपना लण्ड बाहर ननकालकर
सप
ु ाड़े को मेरे ननपकाल पर लगाया कक वीयम का एक बड़ा थक्का वहाां चगर गया। बाकी उसने अपने लण्ड को मेरी
चूांचचयों के बीच रगड़कर मेरी चूत का रस और अपने लण्ड का रस वहाां साि ककया।

अजय ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड से ननकाल मलया था और लग रहा था कक वह अभी भी झड़ रहा है । उसने
अपना लण्ड मेरे होंठों पर सटा ददया। मैं सोच रही थी कक… यह… अभी कहाां से… क्या?

पर चन्दा मेरे सर को दबाते बोली- “अरे ले-ले… ले-ले कसकर चूम ले तेरे यार का लण्ड है …”

ve
मेरे भी मन में झल
ू े का दृश्य याद आ गया, जब पहली बार उसने मेरी मारी थी… और उसी ने शरू
ु आत की थी
इस मजे की। मैंने होंठ िोलकर उसे ले मलया और होंठों से चूसते हुए जीभ से उसका सप ु ाड़ा अच्छी तरह चाटने
लगी। कुछ अलग सा अजीब सा स्वाद… मैंने आाँिें बांद कर ली और जोर से चस ू ने चाटने लगी। अजय भी उां ह्ह…

चाट चट
ू कर साि कर मलया।
.li
उां ह्ह… हो… आह्ह… आह्ह… कर रहा था। उसने जब अपने लण्ड को बाहर ननकालकर दबाया तो वीयम की एक बड़ी
तेज धार मेरे गालों और जोबन पे पड़ गई। एक बार किर उसको मैंने माँह
ु में लेकर जो भी कुछ बचा, लगा था,
um
तब तक चन्दा ने साांकल िोल दी और परू बी अांदर आ गई।

“हे जल्दी चलो, बस िड़ी है, ड्राइवर हानम बजाये जा रहा है …” उसने बोला।
or

मैंने बढ़कर अपनी पैंटी उठानी चाही तो परू बी ने उसे उठा मलया और मश्ु कुराते हुये बोली- “हे अब इसे पहनने,
पोंछने का टाइम नहीां है बस तम
ु चल चलो…”

मेरी गाण्ड और चूत दोनों में वीयम भरा था और बस चूना ही चाहता था। चच
ू ी और गाल पे जो लगा था सो
Xf

अलग। परू बी ने मेरे गाल पर लगे, अजय और रवी के वीयम को कसकर चेहरे पे रगड़ ददया और कहा कक तेरा
गोरा रां ग अब और चमकेगा। चन्दा और गीता ने जल्दी-जल्दी मेरा टाप बांद कर ददया पर उन नालायकों ने मेरी
ब्रा को िुला ही रहने ददया और मेरे ननपल पर लगे वीयम को भी वैसे ही छोड़ ददया।

मैं जल्दी-जल्दी चलकर गई। मेरे गालों पर तो लगा ही था, मेरा माँह
ु भी उन तीनों के रस से भरा था। बस िड़ी
थी और ड्राइवर अभी भी हानम बजा रहा था। मैं जल्दी-जल्दी सबसे ममली। राकी भी आकर मेरे पैरों को चाट रहा
था।

मैं जब उसको सहलाने लगी तो पीछे से ककसी ने बोला- “अरे ज्यादा घबड़ाने की बात नहीां है , कानतक में तो ये
किर आयेगी…”

81
मैं मश्ु कुराये बबना नहीां रह सकी।

ड्राइवर भी बगल के गााँव का था। वह भी बबना बोले नहीां रह सका, आखिर मैं उसके बहनोई की बहन जो थी।
मझ
ु े दे िते हुए, द्ववअथी ढां ग से बोला- “मैंने इतनी दे र से िड़ा कर रिा है…”

चमेली भाभी कैसे चुप रहतीां, उन्होंने तरु ां त उसी स्टाइल में जवाब ददया- “अरे िड़ा ककया है तो क्या हुआ, आ तो
गई हैं चढ़ने वाली, बैठाना दो घांटे तक…”

ककसी ने कहा कक ये बहुत दे र से हानम बजा रहा था।

तो चम्पा भाभी मेरे गालों पर कस के चचकोटी काटती, बोली- “अब इसका हानम बजायेगा…”

सामान पहले ही रिा जा चक


ु ा था। मैं जाकर बस में बैठ गई, खिड़की के बगल में और बस चल दी। मैं दे ि

ve
रही थी, बाहर, खिड़की से, गज
ु रती हुई, अमरायी, जहाां हम झूला झूलने जाते थे और जहाां रात में पहली बार
अजय ने… वो गन्ने के िेत, मेले का मैदान, नदी का ककनारा सब पड़ रहे थे और वपक्चर के दृश्य की तरह सारा
दृश्य एक-एक करके सामने आ रहा था।

भाभी ने पछ
.li
ू ा- “क्यों क्या सोच रही हो, तब तक एक झटका लगा और मेरी गाण्ड और चत
एक टुकड़ा मेरे चूतड़ और जाांघ पर किसल पड़ा।
ू दोनों से वीयम का
um
भाभी और मेरे पास सट गईं और मेरे गाल से गाल सटाकर बोलीां- “घर चलो, वहाां मेरा दे वर इांतजार कर रहा
होगा…”

मेरे चेहरे पर मश्ु कान खिल उठी। मेरे सामने रवीन्र की शक्ल आ गई। मैंने भी भाभी के कांधे पे हाथ रिकर,
मश्ु कुराकर कहा- “भाभी आपके भाइयों को दे ि मलया, अब दे वर को भी दे ि लग
ूां ी…”
or

तो ये रही मेरी भाभी के गााँव में आप बीती। भाभी के दे वर ने मेरे साथ क्या ककया, या मैंने भाभी के दे वर के
साथ, ये तो मैं अपकी कल्पना पर छोड़ती हूाँ पर हााँ, एक बात और… कानतक में मैं भाभी के गााँव जरूर गई…
और परू े महीने वहाां रही। ये कहानी आपको कैसी लगी मझ ु े जरूर बताइयेगा।
Xf

***** *****

आगे की बात… (सीक्वेल)


जब मैं घर पहुाँची तो बहुत दे र हो चुकी थी, इसमलये मैं अपने घर पे ही उतर गई। अगले ददन मैंने सब
ु ह से ही
तय कर मलया था, भाभी के घर जाने को। सावन की पन ू ो में अब तीन ददन बचे थे। और उसका बहाना भी ममल
गया। जब स्कूल की छुट्टी हुई, तो तेज बाररश हो रही थी। और भाभी का घर पास ही था। वैसे भी ददन भर
बजाय पढ़ाई के मेरा मन रवीन्र में, चन्दा ने उसके बारें में जो बताया था। बस वही सब बातें ददमाग में घम
ू ती
रहीां।

82
भाभी के घर तक पहुाँचते-पहुाँचते भी मैं अच्छी तरह भीग गई। मेरे स्कूल की यन
ू ीिामम, सिेद ब्लाउज और नेवी
ब्लू स्कटम है । और भाभी के गााँव से आकर मैंने दे िा कक मेरा ब्लाउज कुछ ज्यादा ही तांग हो गया है । भाभी के
घर तक पहुाँचते-पहुाँचते भी मैं अच्छी तरह भीग गई, िास कर मेरा सिेद ब्लाउज, और यहाां तक की तर होकर
मेरी सिेद लेसी टीन ब्रा भी गीली हो गई थी।

भाभी ककचेन में नाश्ता बना रहीां थीां और साथ ही साथ िुले दरवाजे से झाांक कर टीवी पर ददन में आ रहा सास
बहू का ररपीट भी दे ि रही थीां।

मैंने भाभी से पछ
ू ा- “ये ददन में आप इस तरह… सास बहू दे ि रही हैं… रात में नहीां दे िा क्या? और ये नाश्ता
ककसके मलये बना रही हैं?”

भाभी हाँसकर बोलीां- “रात में तो 9:00 बजे के पहले ही पनत पत्नी चालू हो जाता है तो सास बहू कैसे दे ि…
ूां तेरे
बड़े भैया आजकल ओवरटाइम करा रहे हैं। मैं इतने ददन सावन में गैर हाजजर जो थी। आजकल हम लोग रात में

ve
8:00 बजे तक िाना िा लेते हैं और उसके बाद रवीन्र पढ़ने अपने कमरे में ऊपर चला आता है … और मेरे
कमरे में, तम्
ु हारे बड़े भैया मेरे ऊपर आ जाते हैं।

“और ये नाश्ता ककसके मलये बना रही हैं?” मझ


ु से नहीां रहा गया।

“रवीन्र के मलये… आज उसकी सब


.li
ु ह से क्लास थी बबना िाये ही चला गया था आते ही भि
ू -भि
ू चचल्लायेगा…”
um
मैंने उनके हाथ से चमचा छीनते हुये कहा- “तो ठीक है भाभी नाश्ता मैं बना दे ती हूाँ। और आप जाकर टीवी
दे खिये…”

“ठीक है , वैसे भी मेरे दे वर की भि


ू तम्
ु हें ममटानी है …” हाँसते हुए, भाभी हट गईं।
or

“चमलये… भाभी आपको तो हर वक्त मजाक सझ


ू ता है…” झेंपते हुये मैंने बनावटी गस्
ु से से कहा।

“मन मन भावे… और हााँ नाश्ते में उसे िल पसांद हैं तो अपने ये लाल सेब जरूर खिला दे ना…” ये कहकर उन्होंने
मेरे गल
ु ाबी गालों पर कस के चचकोटी काटी और अपने कमरे में चल दी।
Xf

भाभी के मजाक से मझ ु े आइडडया ममल गया और चम्पा भाभी का बताया हुआ श्योर शाट िामल ूम ा याद आ गया।
मैंने कफ्रज िोलकर दे िा तो वहाां दशहरी आम रिे थे। मैंने उसकी लांबी-लांबी िाांकें काटी और प्लेट में रि ली
और उसमें से एक ननकालकर, (मैंने भाभी के कमरे की ओर दे िा वो, सास बहू में मशगल ू थीां) अपनी स्कटम
उठाकर, पैंटीां सरकाकर, चूत की दोनों िाांके िैलाकर उसके अांदर रि ली और चूत कसकर भीांच मलया। नाश्ता
बनाते समय मझ
ु े चन्दा ने जो-जो बातें रवीन्र के बारें में बतायी थीां याद आ रही थीां और न जाने कैसे मेरा हाथ
पैंटी के ऊपर से रगड़ रहा था और थोड़ी ही दे र में मैं अच्छी तरह गीली हो गई। नाश्ता बनाकर मैंने तैयार ककया
ही था कक मझ
ु े रवीन्र के आने की आहट सन
ु ायी दी। वह सीधा ऊपर अपने कमरे में चला गया।

वहीां से उसने आवाज लगायी- “भाभी मझ


ु े भि
ू लगी है …”

83
भाभी ने कमरे में से झाांक कर दे िा। मैंने इशारे से उन्हें बताया की नाश्ता तैयार है और मैं ले जा रही हूाँ। जब
मैं सीढ़ी पर ऊपर नाश्ता लेकर जा रही थी, तभी मझ
ु े “कुछ”याद आया और वहीां स्कटम उठाकर आम की िाांक
मैंने बाहर ननकाली। वह मेरे रस से अच्छी तरह गीली हो गई थी। मैंने उसको उठाकर प्लेट में अलग से रि
मलया। बबना दरवाजे पर नाक ककये मैं अांदर घस
ु गई। वह मसिम पाजामे में था, चड्ढी, पैंट उसकी पलांग पर थी
और बननयाइन वह पहनने जा रहा था।

मैंने पहली बार उसको इस तरह दे िा था, क्या मसल्स थीां, कमर जजतनी पतली सीना उतना ही चौड़ा, एकदम
‘वी’ की तरह… और वह भी गीले हो चुके मेरे उभारों से अच्छी तरह चचपके ब्लाउज, जजससे न मसिम मेरे उभार
ही बल्की चच
ू ुक तक साि ददि रहे थे, घरू रहा था। थोड़े दे र तक हम दोनों एक दस
ू रे के दे ह का दृजष्ट रस-पान
करते रहे ।

किर अचानक वो बोला- “तम


ु … नाश्ता लेकर… भाभी कहाां है ?” लेककन अभी भी उसकी ननगाहें मेरे ककशोर उभारों
पर चचपकी थीां।

ve
मैं उसके बगल में सटकर जानबझ
ू कर बैठ गई और अपनी नतरछी मश्ु कान के साथ पछ
ू ा- “क्यों भाभी ही करा
सकती हैं नाश्ता, मैं नहीां करा सकती? मेरे अांदर कोई कमी है ?”

.li
मैंने नाश्ते की प्लेट सामने मेज पर रि दी थी। उसने भी बननयाइन पहन ली थी। मैंने उसकी चड्ढी और पैंट
उठाया और िूांटी पर टाांग ददया।
um
“तो लो ना… मेरे हाथ से कर लो…” और मैंने सबसे पहले वो िाांक जो मैंने “वहाां”रिी थी, उसे प्लेट से उठाकर
अपने हाथ से उसके होंठों पर लगाया।

उसने आपसे माँह


ु में ले मलया और थोड़ी दे र चूसने िाने के बाद बोला- “इसमें थोड़ा अलग ककस्म का रस है ?”
or

मैं अपने होंठों पर जीभ किराती, उसे ददिाकर बोली- “हााँ हााँ होगा, क्यों नहीां मेरा रस है …”

“तम्
ु हारा रस… क्या मतलब?” चौंक कर वो बोला।
Xf

“मेरा मतलब… कक मैंने अपने हाथ से खिलाया है इसमलये मेरा रस तो होगा ना…” बात बनाती मश्ु कुराती मैं
बोली। मैंने आम की एक दस
ू री िाांक उठा ली थी और उसके दटप को अपने गल
ु ाबी होंठों से रगड़ रही थी, किर
उसे ददिाते हुए मैंने उसका दटप अपने होंठों के बीच गड़प मलया और उसे चूसने लगी।

उसकी ननगाहें मेरे होंठों पर अटकी हुईं थीां।

“लो िाओ ना… इसमें भी मेरा रस है …” और जब तक वह समझे समझे मैंने उसे ननकालकर उसके होंठों के बीच
घस
ु ड़
े ददया। वह क्या मना कर सकता था। अब मैंने िड़ी होकर एक कस के रसदार अांगड़ाई ली, मेरे कबत
ू र
और िड़े हो गये थे और उसकी चोंच तो तनकर मेरे ब्लाउज िाड़े दे रहे थे।

84
एक बार किर उसकी ननगाह वहीां पे गई और जब मैंने उसकी ननगाहों की ओर दे िकर मश्ु कुरा ददया तो वह
समझ आया की चोरी पकड़ी गई। उसने ननगाहें नीची कर ली और कहने लगा- “तम
ु बदल गई हो… बड़ी वैसी
लगाने लगी हो…”

“कैसी? िराब?” मैं बोली।

“नहीां मेरा मतलब है… कैसे बताऊाँ? वैसी… एकदम बदली बदली…”

मैंने एक बार किर अपने हाथ पीछे करके जोबन को कस के उभारा और हाँसकर बोली- “तो क्या? तम्
ु हारा मतलब
है … सेक्सी… तो बोलते क्यों नहीां, मसिम मैं नहीां बदली हूाँ तम
ु भी बदल गये हो, तम्
ु हारी ननगाहें भी…” मैं अब
पाजामें में तने तांबू को दे ि रही थी। उसने चड्ढी भी नहीां पहन रिी थी इसमलये साि-साि ददि रहा था।

उसने मेरी ननगाह पकड़ ली पर मैंने तब भी अपनी ननगाह वहाां से नहीां हटायी।

ve
“मैं जरा बाथरूम हो के आता हूाँ…” वो बोला।

“तो क्या मैं चल?


ूां ” मैं भी िड़ी हुई।

वो बोला- “नहीां बैठो ना…”


.li
um
जैसे ही वह अांदर घस
ु ा, मैं बोली- “ज्यादा टाइम मत, लगाना नहीां तो मैं चली जाऊाँगी…”

“नहीां नहीां…” वह अांदर से बोला।

मैंने उसका पसम िोला, जैसा कक चन्दा ने कहा था उसके अांदर मेरी एक िोटो थी। मैंने पलटकर दे िा तो पीछे
or

उसने मलि रिा था- “आई लव य…


ू ”

मैं एकदम मसहर गई। मेरे चच


ू क
ु कस के िड़े हो गये। मैंने भी एक पेन उठायी और उसके नीचे मलि ददया-
“आई लव यू टू…” और िोटो वापस पसम में रि दी। जब वह बाहर ननकला तो मैं किर उसके पास बैठ गई और
Xf

कहने लगी- “मझ


ु े एक बात पता चली है…”

उत्सक
ु ता से उसने पछ
ू ा- “क्या?”

मैं मश्ु कुराकर बोली- “ककसी को मैं अच्छी लगती हूाँ…”

“तो इसमें कौन सी िास बात है ? तम


ु अच्छी हो, बहुत अच्छी हो… तो किर बहुतों को अच्छी लगती होगी?”

“नहीां ऐसी बात नहीां, वह एक िास है, बहुत िूबसरू त है , बद्


ु चधमान है… लेककन थोड़ा बद्
ु धू है… और एक िास
बात है …” मैं चलने के मलये उठी।

85
“क्या बात है… बताओ ना…” वह भी अब थोड़ा-थोड़ा समझ रहा था और बेताब था।

मैं- “कान में बताऊाँगी…” और मैंने अपने रसीले होंठों से उसके इअर-लोबस छू मलये और बोली- “वो मझ
ु े भी बहुत
अच्छा लगाता है…” और जैसे मैं अपनी स्कटम ठीक कर रही हूाँ, मेरे हाथ नीचे गये और उसके किर से उठते, टें ट
पोल को सहलाकर, वापस आ गये। जब तक वह सम्हले, सम्हले, मैं, अपने ननतांबों को इरोदटक ढां ग से दहलाती
हुई, वापस अपने घर को चल दी।

अगले ददन मैं भाभी के घर नहीां जा पायी, हााँ उसको आने का बल


ु ौवा मैंने जरूर भेजा था, मझ
ु े “पढ़ाई”में कुछ
हे ल्प करने के मलये। शाम से ही मैं बेचैन थी, क्या पहन,ूां क्या न पहन?
ूां कब तक आयेगा वो या कहीां ना अये?
मैंने कई ड्रेसेज ननकालकर पलांग पर रिीां, टाइट जीन्स, टाप, शटम स्कटम , सलवार सट
ू … लेककन किर कुछ सोचके
मैं मश्ु कुरायी और अपनी एक परु ानी फ्राक जजसे मैंने साल भर पहले से पहनना छोड़ ददया था, ननकाली, वपांक
कलर की। फ्राक थोड़ी, सच कहूां तो कािी टाइट थी।

ve
मेरे उभार िुलकर पता चल रहे थे और जजस तरह से कल वह उन्हें घरू रहा था, मझ
ु े लगा कक कुछ तो उसके
नजरों की प्यास बझ
ु ा दां ।ू मेरी वपछली बथम-डे पर भाभी ने मझ
ु े कुछ “नाटी”ब्रा पैंटी का सेट चगफ्ट ककया था,
उसमें से मैंने एक लेसी पतली पैंटी और लेसी हाि ब्रा ननकाली। जब मैंने अपने को शीशे में दे िा तो एकदम
पता चल रहा था कक मेरे उभार टाइट फ्राक से बस्टम कर रहे थे। मश्ु कुराते हुए मैंने हाथ डालकर थोड़ी अपनी ब्रा

.li
को एड्जस्ट ककया और अब मेरे ननपल ब्रा से बाहर थे और िल
दचू धया जाांघें िुलकर ददि रही थीां। मैंने हल्की सी गल
ु कर मेरी फ्राक से रगड़ िा रहे थे। नीचे भी मेरी
ु ाबी मलपजस्टक भी लगा ली।
um
बाहर घांटी बजी तो मैं बड़े जोर से बाहर ननकली, पर वह दध
ू वाला था।

अब मैं इांतजार में बेचैन हो रही थी। आयेगा, नहीां आयेगा, सामने रिे गल
ु दस्ते में से िूल ननकालकर उसकी
एक-एक पांिुडड़याां मैं, लव मी, लव मी नाट के अांदाज में तोड़ती रही। अचानक मैंने मड़
ु कर दे िा तो वह िड़ा था,
और मेरी बेचैनी ननहार रहा था। मझ
ु े दे िते ही वह मश्ु कुराने लगा।
or

पेस्टल टी-शटम और टाइट जीांस में वह बहुत डैमशांग और िूबसरू त लगा रहा था। उसे दे िते ही मैं िड़ी हो गई
और मश्ु कुराकर बोली- “हे तम
ु कब आये?”
Xf

“अभी…”
मैं उसे चप
ु चाप ननहार रही थी।

वह सामने पलांग पर बैठ गया।

मैं बोली- “तम्


ु हारी ड्रेस बहुत अच्छी है…”

“और ड्रेस के अांदर जो है… पहनने वाला…” आज वह भी बोल रहा था।

मैं भी उसी अांदाज में बोली- “वो भी बहुत अच्छा है । लेककन जजतना ददिेगा तारीि तो उतने की होगी ना। बाकी
का तो मसिम अांदाज लग सकता है …” मैं हाँसकर बोली।
86
उसकी ननगाह, मेरी फ्राक के अांदर कबत
ू रों पर चचपकी थी। मैंने अपने हाथ उनके नीचे रिकर इस तरह क्रास
ककया की वह और उभरकर सामने आ गये। कबत
ू रों की चोंच मेरी फ्राक से रगड़ िा रही थी और साि ददि रही
थी। मैंने अपनी जाांघें क्रास कर रिीां थीां। उसका असर उसके जीन्स पर हो रहा था।

“क्या पढ़ना है तम
ु को, तम
ु कह रही थी ना… कुछ पछ
ू ना है ना तम
ु को…” वह बोला।

“जो तम
ु पढ़ाओ… लेककन नहीां आयेगा तो मारोगे तो नहीां…” उसकी आाँिों में आाँिें डालकर शरारत से मैंने पछ
ू ा।

“मार भी सकता हूाँ… बात नहीां मानोगी तो…” आज वह भी मड


ू में लगा रहा था।

मैंने अब थोड़ी अपनी जाांघें िैलायीां और बोली- “दे िो मैं भी ककतनी बद्
ु धू हूाँ… तम
ु से पानी तक नहीां पछ
ू ा और
पढ़ायी की बात शरू
ु कर दी। लेककन सब तम्
ु हारी गालती है , जब तम
ु पास में रहते हो ना तब मैं सब कुछ भल

ve
जाती हूाँ…” आाँि नचाती हुई मैं बोली।

“अच्छा जी… भल
ू ें आप और गलती मेरी… ये अच्छी बात है …” अब तक मेरी जाांघें कािी िैल चुकी थीां और अब
उसकी ननगाहें वहीां िेल रहीां थीां।

.li
उठते हुए मैं शोि अदा से बोली- “और क्या लड़ककयाां कुछ भी करें , गलती तो लड़कों की ही होती है, आखिर
लड़की होने का किर िायदा क्या हुआ?”
um
उठते हुए जैसे मैं उससे टकरा गई हूाँ, मैं कुछ लड़िड़ा गई। उसने मझ
ु े पकड़ने की कोमशश की, उसमें उसके हाथ
मेरे उभारों से टकरा गये। वह हाथ हटाता, उसके पहले ही जैसे सहारा लेने के मलये, मैंने उसका हाथ पकड़कर
अपने उभारों पर हल्के से दबा ददया। कमरे से बाहर ननकलते समय मैंने नतरछी ननगाहों से दे िा कक उसका तांबू
तन गया था। जब मैं पानी लेकर लौटी तो वह अपने उभार को नछपाने के मलये टाांगों पर टाांगें क्रास करके बैठा
or

था।

“लो वपयो, थोड़ी गरमी शाांत हो जायेगी…” उसके हाथ में पानी पकड़ाते हुए मैं बोली।
Xf

“और परू ी… कब होगी?” आज चचडड़या चहकने लगी थी।

पर मैं क्यों चुप रहती- “होगी… जल्द ही जब जमकर बाररश होगी। बादल तो उमड़ घम
ु ड़ रहे हैं… बबना बाररश के
सावन का क्या मजा?”

खिड़की के बाहर दे िते हुए मैंने कहा- “और हााँ तम्


ु हें िाना िाकर जाना होगा…”

“नहीां नहीां… मझ
ु े िाना नहीां…”

उसकी बात काटकर मैं बोली- “अब तम्


ु हें मेरी बात मानने की आदत डालनी चादहये। तम
ु सीधे से नहीां िाओगे
तो मैं जबदमस्ती खिलाऊाँगी…” मैंने बायोलाजी की ककताब िोल ली थी।
87
“ये एन्डोक्राइन ग्लैंड वाला… जरा एक बार समझा दो… तम
ु एक बार कोई चीज समझा दे ते हो ना तो किर मैं
कभी नहीां भल
ू ती…” अब मैं उससे एकदम सटकर बैठी थी। हमारी जाांघें टकरा रहीां थीां। वो समझाने लगा पर मेरा
ध्यान तो कहीां और था। उसके हाथ की मसल्स, पावर, रे शमी आवाज तो सीधे मेरी जाांघों के बीच उतर रही थी,
उसके बगल में बैठकर ही मैं गीली हो रही थी।

“अच्छा, तो तम
ु ने समझ मलया ना अब तम
ु एक ओर से बोलो…” उसकी आवाज ने मझ
ु े वापस ला ददया और
मैंने सारे हामोन के नाम चगना ददये।

“तम
ु तो बहुत तेज हो… तो किर तम्
ु हें क्या समझाना है ?” प्रशांसा से वो बोला।

“िीमेल हामोन… उसका असर… मेरा मतलब है सेकांडरी सेक्सअ


ु ल कैरे क्टर…” मैं ध्यान से उसकी ओर दे िते हुए
बोली।

ve
“वो तो बहुत मसम्पल है… मेरा मतलब जो बाडी में चें ज होता है … लड़कीयों की…” अब वह कुछ घबड़ा रहा था पर
मैं उसे ऐसे छोड़ने वाली नहीां थी।

“अरे वही जब लड़ककयाां बड़ी होती हैं तो उनके… तम


.li
मश्ु कुराहट दबाते हुए, मैं बोली- “वही तो क्या चें ज होता है ? साि-साि बताओ ना…”

ु ये ककताब में पढ़ लेना ना…” अब वह हार मान रहा था।


um
मैं बोली- “अरे उतना तो मझ
ु े भी मालम
ू है , सीने के उभार बड़े हो जाते हैं, ननतांब और ववकमसत हो जाते हैं।
बाल और जगहों पर भी…”

तब तक आवाज आयी िाना लगाने के मलये और मैं उठ गई। झक


ु कर नीचे के ड्राअर से मैंने कुछ एल्बम
or

ननकाले। कनखियों से मैंने दे िा कक वह कैसे मेरी टीन चूचचयों को ललचायी ननगाह से ननहार रहा है । कुछ दे र
और उसे जोबन का नजारा कराने के बाद, मैं उठी और मैंने एल्बम उसके हाथ में पकड़ा ददये। उसमें मेरी स्कूल
की, वपकननक, स्पोट्मस, नाच की िोटुयें थीां।
Xf

“लो दे िो, तब तक मैं िाना लेकर आती हूाँ…”

ककचेन में िाना बना था, मैंने सलाद बनायी और उसके मलये िास तौर पे गाजर की िीर। जब मैं िाना लेकर
लौटी तो वह मेरी िोटुयें दे िने में मगन था और उसके चेहरे से लग रहा था कक उसके ऊपर क्या बीत रही है ।
मैंने कुछ सोचके फ्राक की दो टाप बटन िोल लीां और उसके पास आकर टे बल पर िाना रिकर, झुक कर
बोली- “िाना पेश है…”

उसने ननगाहें उठायीां तो सामने मेरे जोबन का क्लीवेज साि-साि ददि रहा था।

“िा ल…
ांू ” अब वह भी द्ववअथी ढां ग से बोलने लगा था और उसकी आवाज में भि
ू साि-साि ददि रही थी।

88
मैंने भी उसी तरह जवाब ददया और बल्की उसके पास सटकर- “और क्या? तम्
ु हारे मलये ही तो है, और सामने
इतना रसभरा िाना हो और कोई भि
ू ा रहे तो उसे तो बद्
ु धू ही कहें गे ना…”

“इसमें तम
ु ने क्या बनाया है?” बात बदलकर उसने पछ
ू ा।

“सलाद और गाजर की िीर, लो िाओ…” कहकर मैंने अपने हाथ से सलाद में से गाजर का एक पतला टुकड़ा
ननकाला और उसके माँह
ु पे लगा ददया। (बात यह थी कक मैं चम्पा भाभी का िामल
ूम ा नहीां भल
ू ी थी, जब मैं उसके
मलये पानी लेने गई थी, तभी मैंने ककचेन से एक लांबा और मोटा लाल गाजर ले मलया था और कमरे में घस
ु ने
से पहले, पैंटी सरकाकर अांदर… और जजतने दे र मैं उसके पास बैठी रही, उसकी रसीली ननगाहों से मैं गीली होती
रही, वह वहीां और जब मैं िाना लगाने गई तो उसी गाजर की सलाद और िीर बना ली)। अपने हाथों से मैं उसे
परू ी गाजर की सलाद खिलाकर ही मानी।

जब उसने िाने के मलये अपना हाथ बढ़ाया तो मैंने रोक ददया, अपने हाथ से कौर उसके माँह
ु में ले गई- “हे , जब

ve
मैं तम्
ु हारे पास हूाँ तो तम्
ु हें हाथ इश्तेमाल करने की क्या जरूरत? मैं हूाँ ना…”

वह मेरा असली मतलब समझ गया और मेरे हाथ से िाते हुए बोला- “आगे से नहीां करूांगा…” एक-दो कौर
खिलाने के बाद एक कौर मैं उसके माँह
ु के पास ले जाकर हटा ली और िुद गड़प ली। उसने जब मेरी ओर घरू ा
तो मैं हाँसकर आाँि नचाके बोली- अरे मैं भी तो भि

इस तरह छे ड़छाड़ के साथ एक दस


.li
ू ी हूाँ…”

ू रे के हाथों के रस के साथ िाकर िाना ितम ककया। गाजर की िीर तो मैंने


um
उसी परू ी खिलायी, यहाां तक की उसने जीभ से कटोरी तक चाट ली।

“हाथ कहाां साि करूां?” वो बोला।

“बताती हूाँ…” और उसके हाथ को मैंने पकड़ मलया और उसकी एक-एक उां गली मैंने चूस चाटकर साि कर दी। मैं
or

उसकी उां गली वैसे चाट रही थी जैसे कोई लड़की, ककसी लड़के का मलांग… मैं उसके दटप को गल
ु ाबी होंठों के बीच
लेकर चूसती… किर सारी उां गली गड़प कर लेती… उसे बाहर ननकालकर मैं साईड को जीभ से चाटती… मेरी ननगाहें
उसके उभार की ओर थीां और उसकी हालत िराब हो रही थी।
Xf

जब मैं थाली लेकर उठने लगी तो वो बोला- “कुछ बच गया है …”

“कोई बात नहीां…” कहकर मैं सब कुछ हाथ से समेटकर चट कर गई और थाली लेकर चल दी।

“हे वो मेरा जठ
ू ा था…”

दरवाजे के पास से मड़ु कर शोि अदा से, जीभ होंठ पर किराते मैं बोली- “तो क्या हुआ, जठ
ू ा िाने से प्रेम बढ़ता
है । और था भी बड़ा स्वाददष्ट…”

लौटकर मैंने दहांदी की एक ककताब उठायी, बबहारी की… और उसमें से मैंने एक दोहा ननकाला- “ये दे खिये… उन्नत
कुच, पत्थर से कठोर, उल्टे कटोरे की तरह… क्या मतलब है इसका?”
89
“ये ये कहाां से ममला ये तम्
ु हारे कोसम में तो नहीां है…” वो बोला।

“तो क्या हुआ? बबहारी तो कोसम में हैं ना… मैंने सोचा की मल
ू पस्ु तक पढ़नी चादहये तो मैं लाइब्रेरी से ले आयी,
पर ये जो अथम मलिा है… वह भी समझ में नहीां आ रहा है , तम् ु हें मालम
ू है तो ठीक वरना मैं ककसी और से पछ ू
लग
ूां ी…”

“नहीां नहीां… ककसी और से मत पछ


ू ना… इसका मतलब है की… नायक को नानयका के उन्नत कुच… जो पत्थर की
तरह कठोर हैं, पसांद हैं… मतलब…”

मैं उससे और सट गई और साि-साि जोबन को उभारकर अदा से बोली- “िुलकर साि-साि बताओ ना…”
उसकी साांस मेरे सीने को दे िकर तेज हो रही थी।

ve
“मतलब की नायक को नानयका के कुच, उसका सीना, सीने के उभार जो िूब…”

तब तक लाईट चली गई और मैंने उसके हाथ को अपने कांधे पे रि मलया, एकदम उभारों के पास िीांच मलया
और उसके चेहरे के पास चेहरे को ले जाकर मैंने धीरे से पछ
ू ा- “अच्छा तम
ु बताओ, तम्
ु हें कैसी लड़की पसांद है ?
कोई तो होगी जो तम्
ु हें पसांद होगी…”

“हााँ पसांद है… है एक बहुत अच्छी है …”


.li
um
मैंने उसके हाथ को अब और कस के िीांच मलया था और अब वह सीधे मेरे उभार पर था। मेरे गाल उसके गाल
से सटे हुए थे। मैंने किर पछ
ू ा- “बताओ ना कैसी है, कौन है ? मैं भी तो जान…
ांू ”

“है एक तम
ु जानती हो उसको… बहुत सद
ुां र है , एकदम सेक्सी… प्यारी सी…” वह धीमे से बोला।
or

“अगर एक बार ममल जाय ना मझ


ु को…” मैंने िुसिुसाहट में कहा।

“क्यों ममल जाय तो क्या करोगी?” मश्ु कुराकर वह बोला।


Xf

“माँह
ु नोच लग
ांू ी उसका… और क्या? लेकीन बड़ी ककश्मत वाली होगी जजसे तम
ु चाहोगे…”

“जलती हो उससे?” हाँसकर वो बोला।

तभी हवा तेज चली और खिड़की, दरवाजे िड़िड़ होने लगे। मैं उठकर गई और दोनों की मसटकनी लगाकर बांद
कर दी। लौटकर बैठते समय, मैं उसके पैरों से िाँस गई और चगरकर उसकी गोद में बैठ गई। मैंने किर उसका
हाथ िीांचकर अपने कांधे पर रि मलया और अपने उभार पर हल्के से दबा ददया।

“जलग
ांू ी ही… अगर मैं उसकी जगह होती…” हल्के से मैं बोली और उसके हाथ को सीने पे हल्के से दबा ददया।

90
अबकी उसने भी मेरे उभार को हल्के से सहलाते हुए, मेरे गाल से गाल रगड़कर पछ
ू ा- “अगर उसकी जगह तम

होती तो क्या करती?”

मैं भी अपने गल
ु ाबी गालों से उसके गाल रगड़कर बोली- “पहले मेरी तो इतनी ककश्मत नहीां है … किर करने को,
वो तो शेर वाली बात होती, ममलने पर जो करे गा शेर ही करे गा, तो उसी तरह जो करते तम
ु ही करते… लेककन
तम
ु जो भी जजतना भी जैसे भी करते… मैं सब करवा लेती… जरा भी चूां नहीां करती… पण
ू म समपमण के साथ…
लेककन मैं इत्ती अच्छी नहीां हूाँ कक तम
ु … मझ
ु …
े ” मैं अब िुलकर बोली।

“नहीां… ये आज के बाद तम
ु कभी मत कहना ऐसा, तम
ु से अच्छा कौन होगा…” वो बोला।

अब मैं समझ गई थी और मैं उसके दस ू रे हाथ को अपने सीने के ऊपर ले गई और उसे वहाां कस के दबाते हुए
कहा- “अच्छा तो तम्
ु हें मेरी कसम… िुलकर बताओ ना उसके बारें में ककतनी उमर है कैसी लगती है?”

ve
“सोलहवाां सावन है उसका और बड़ी सेक्सी है… सेक्सी मसक्स्टीन…”

तेज साांसों के साथ अब मेरा सीना तेजी से ऊपर-नीचे हो रहा था। मैंने उसके दोनों हाथ अब कस के अपने सीने
पे दबा मलये थे। और मैं बोली- “और वह… तम्
ु हारे स्कूल में ही पढ़ती है, तम्
ु हारे क्लास में…” अब मैंने कस के
उसके हाथ अपने सीने पे अपने हाथ से भीांच ददये।

वह भी अब िल
.li
ु कर हल्के-हल्के मेरे रसीले जोबन दबा रहा था। उसका उत्तेजजत मलांग लग रहा था कक, जीन्स
um
िाड़ दे गा। चन्दा की बात अब मझ
ु े गलत लग रही थी। उसका उससे भी बड़ा लग रहा था जजतना चन्दा ने
बताया था।

“और बोलो ना…” उसके िड़े मलांग को मैंने अपने ननतांब से हल्के से दबाते हुये पछ
ू ा।
or

उसने अब बबना ककसी दहचक के कस के मेरे दोनों रसीले जोबनों को दबाकर, मजा लेते हुए कहा- “और वह इसी
गली में रहती है …”

तब तक लाईट आ गई। हम दोनों उठ गये और मैंने साांकल िोल दी। जब वह जाते समय सबसे ममल रहा था
Xf

तो उससे पछ
ू ा गया- “कल रिा बांधन में क्या प्रोग्राम है ?”

उसने मझ
ु से पछ
ू ा- “क्या तम
ु आ सकती हो?”

ठसके से मैं बोली- “जजसको रािी बांधवाना हो वो आये…”

लेककन मझ
ु े डाांट पड़ गई और तय ये हुआ कक कल मैं उसके घर जाऊाँगी।

मैंने उससे पछ
ू ा- “तम्
ु हें कैसी रािी पसांद है?”

वो मेरी ओर दे िकर शैतानी से बोला- “बड़ी-बड़ी…”


91
उस ददन रात भर मेरी हलत िराब थी। मेरा बहुत मन कर रहा था उां गली करने के मलये, पर काममनी भाभी के
बताये तरीके से जजस ददन से अयी, मैं परू ी तरह ‘उपवास’ पर थी। उन्होंने बताया था की उनकी बट
ू ी, कोई दो
ददन तक चूत में डालकर कस के भीांचे तो, वह एकदम कच्ची कली जैसी बन जायेगी। और मैं वैसे ही कर रही
थी कक जब मैं रवीन्र से करवाऊाँ तब।

अगले ददन हालाांकी छुट्टी थी, पर मेरी एक्स्ट्रा क्लास थी। तय यह हुआ कक मैं क्लास के बाद आफ्टरनन
ू में
सीधे, भाभी के घर चली जाऊाँगी।

उसी प्रोग्राम के मत
ु ाबबक, मैं क्लास के बाद सीधे भाभी के घर पहुाँच गई। भाभी ने सब तैयारी करके रिी थी।
उनके पनत, मेरे बड़े भैया को कहीां दो ददन के मलये टूर पर जाना था और वो मेरा इांतजार ही कर रहे थे। सबसे
पहले उनको मैंने टीका लगाकर रािी बाांधी और अपने हाथ से ममठाई खिलायी। उन्होंने मझ
ु े 501 रूपये का
मलिािा ददया, और चले गये।

ve
मैंने भाभी से मजाक में कहा- “आज तो आप रात में सास बहू दे ि लेंगी…” मैं हाँसकर बोलीां।

“ननद रानी आज शक्रु वार है, आज सास बहू नहीां आता, और तम्ु हारे भैय्या इतने सस्ते में छोड़ने वाले नहीां आज

का िाना भी तम्
ु हीां बनाना…”
.li
ददन भर वो… रवीन्र घर में था तब भी, कमरा बांद करके चढ़े रहे… तीन-तीन बार और एक बार पीछे से भी,
चला नहीां जा रहा है, बस मेरा तो मन कर रहा है की बस जाकर सो जाऊाँ… अच्छा है तम
ु आ गई हो, आज रात
um
“िाना तो मैं बना दां ग
ू ी भाभी, लेकीन… मेरे भैय्या को क्यों बदनाम करती हैं? आप हैं ही इतनी प्यारी, इस
जोबन को दे िकर कौन नहीां… …”

मेरी बात काटकर भाभी बोली- “अच्छा, अब ज्यादा मक्िन मत लगा, रवीन्र को बल
ु ाती हूाँ वह भी इांतज
े ार कर
or

रहा है तम्
ु हारा…”

तब तक रवीन्र सीदढ़यों से उतरता ददिाई ददया।


Xf

“शैतान का नाम लो शैतान हाजजर…” मैं बोली।

मेरी चोटी कस के िीांचता वो बोला- “अभी शैतानी करूांगा ना तो पता चलेगा…”

मैंने इधर-उधर दे िा, भाभी टीका की थाली लाने ककचेन में गई थी। मैं मश्ु कुरा के बदमाशी से सीना उभार करके
बोली- “करो ना… यहाां डरता कौन है ? तम्
ु ही पीछे हट जाओगे…” मैं उसके मलये परू ा बाजार छानकर, सबसे बड़ी
रािी ढूाँढ़कर लायी थी।

भाभी अभी भी ककचेन में थी। मैंने उसे रािी ननकालकर, अपनी दोनों चचू चयों के क्लीवेज के बीच रिकर ददिाते
हुए, धीरे से मश्ु कुराकर पछ
ू ा- “क्यों पसांद है, साइज?”

92
“एकदम मेरे मलये परिेक्ट है , यही चादहये मझ
ु …
े ” शैतानी से मश्ु कुराते हुये वो बोला।

तब तक भाभी आ गई। मैंने रािी को थाली में रिा। वह िूब बड़ी और चमकदार तो थी ही, आची से मैंने एक
बड़े साईज का लाल पेपर-हाटम भी ले मलया और उसे उसमें जस्टच करा मलया था। पहले तो मैंने उसे टीका लगाया
और शैतानी से थोड़ी सी लाल रोली उसके गोरे गाल पर भी लगा दी। और किर उसकी कलाई में रािी बाांध दी।

वो बोला- “चलो अब ममठाई खिलाओ…”

मैं बोली- “नहीां पहले अपनी टें ट ढीली करो, चगफ्ट लाओ तब ममठाई ममलेगी…” मैं बोली।

“नहीां पहले ममठाई…” उसने जजद की।

मैं एक िूब बड़ा सा रसीला गल


ु ाब जामन
ु उठाकर उसके होंठ के पास ले गई और जब उसने माँह
ु िोला तो मैं

ve
उसे ललचाते हुए अपने माँह
ु में लेकर गड़प कर गई। अपने होंठों में लगे रस को मैंने अपनी दो उां गमलयों से पोंछा
और उसके होंठों पर लगा ददया, उसने भी जीभ ननकालकर सारा रस चाट मलया।

तब तक भाभी कमरे से बाहर ननकल के आयीां, वह उनसे बोला- “भाभी मैं कोचचांग जा रहा हूाँ…”

“ठीक है , लेकीन तम
.li
ु इससे इतना झगड़ा कर रहे हो, आज िाना यही बनायेगी…” भाभी बोलीां।
um
“अरे , तब तो मैं िाना बाहर िाकर आऊाँगा…”

“हााँ हााँ… ठीक है, हम लोगों के मलये भी पैक करा के ले आना…” मैं हाँसकर बोली।

चलते समय उसके हाथ में बांधी रािी में लाल ददल चमका।
or

भाभी ने शैतानी से मझ
ु से मश्ु कुराकर कहा- “बहना ने भाई की कलाई में प्यार बाांधा है …”

भाभी ने मेरे घर पे कह ददया था कक बड़े भैया रात को बाहर जायेंगे तो रात को मैं वहीां रुकांू गी और अगले ददन
Xf

यहीां से स्कूल चली जाऊाँगी।

मैंने भी कहा था कक मैं रवीन्र से कुछ पढ़ लग


ूां ी। इसमलये कुछ ककताबें और चें ज ड्रेस मैं ले आयी थी।

मैं थोड़ी दे र तक भाभी के साथ गप मारती रही और टीवी दे िती रही, पर भाभी थक गईं थीां और जल्द सो गईं।
अब ककचेन पे परू ा मेरा राज था। और चम्पा और काममनी भाभी के बताये िामल
ूम ों को ट्राई करने का परू ा मौका
भी। सबसे पहले तो मैंने फ्रूट सलाद की परू ी तैयारी की (मझ
ु े मालम
ू था कक ये भाभी तो डाइदटांग के चक्कर में
िायेंगी नहीां पर रवीन्र को ये बहुत पसांद था।) आम, सेब, सांतरे , सबके पीसेज काटकर, किर मैंने पैंटी सरकाकर
अपनी रसीली चूत के अांदर, एक साथ दो-दो… यहाां तक की क्रीम भी मैंने “वहाां”पहले िूब मलथेड़ी और किर उसे
बाकी क्रीम में ममलाकर… एक-एक करके मैंने सारी डडशेज बना ली। िाना तैयार करने के बाद फ्रेश होकर मैं भी
तैयार हो गई।
93
मैं अपने मलये एक लेमन येलो जस्ट्रां ग टाप ले आयी थी और एक स्कटम । जस्ट्रां ग टाप में मेरी पीठ का ऊपरी भाग
तो िुला ही था, सामने से भी वह कािी लो थी और मेरे टीन चचू चयों का भी ऊपरी दहस्सा साि ददिता था,
और छोटी इतनी कक मेरी नाभी तक पहुाँचती थी। स्कटम छोटी तो थी पर घेरदार थी। ब्रा पहनने का तो सवाल ही
नहीां था। मैंने हल्का सा मेकप भी कर मलया।

जब तक मैं वापस ककचेन में पहुाँची तो भाभी जागकर वहाां पहुाँच चक


ु ी थी और डडशेज टे स्ट कर रहीां थीां- “वाऊ…
वाकई तम
ु ने क्या िाना बनाया है सब एक से एक स्वाददष्ट…”

पर मेरी और दे िकर उन्होंने मझ


ु े पकड़ मलया और मेरी स्कटम उठाकर मेरे ननतांबों को, मसलती हुई बोलीां- “और
सबसे स्वाददष्ट… डडश तो तमु हो…”

जब उन्होंने अपना हाथ मेरी जाांघों के बीच ककया, तो वह मेरी पैंटी से छू गई- “हे यह क्या, ये क्या पहन रिा

ve
है तम
ु ने…” ये कहकर उन्होंने मेरी पैंटी िीांच दी। एक बाउल में फ्रेश क्रीम और चेरी रिी थी। उन्होंने ढे र सारी
क्रीम अपनी उां गमलयों में लगाकर, मेरी चत
ू पर लपेट ददया और किर उनकी क्रीम से मलपटी उां गमलयाां, मेरे अांदर-
बाहर होने लगीां।

और चच
ू ुक भी िड़े हो गये।
.li
“हे भाभी ये क्या कर रही हैं? ओह्ह… ओह्ह… कैसा लगा रहा है , रुककये ना…” उत्तेजना में मेरी जक्लट िूल गई
um
भाभी ने मेरा टाप उठाया और मेरे िड़े चच
ू ुकों को अपने दस
ू रे हाथ की उां गमलयों से रोल करने लगीां तभी उन्हें
एक बाउल में चाकलेट सास ददि गई। उन्होंने उसे एक उां गली में लगाया और मेरे दोनों िड़े चूचुकों पर अच्छी
तरह से कोट कर ददया। जो उां गली मेरे अांदर-बाहर हो रही थी, वह अब उनके होंठों के बीच थी- “यमयम…
यमयम… क्या स्वाद है…” वह चटिारे लेकर चाट रहीां थीां।
or

क्रीम बाउल से उन्होंने क्रीम में मलपटी एक चेरी उठायी और उसे थोड़ी दे र तक मेरे िूले जक्लट पर रगड़ने के
बाद उन्होंने मेरे अांदर घस
ु ा ददया।

तब तक रवीन्र की आवाज सन
ु ायी पड़ी।
Xf

मैंने जल्दी से अपनी स्कटम और टाप नीचे ककये और भाभी के साथ बाहर आ गई। हम दोनों ने जल्दी से टे बल
लगाया। िाते समय रवीन्र की शामत थी। मैं और भाभी दोनों ममलकर उसको छे ड़ रहे थे। एक तो मेरी कयामत
ढाती ड्रेस, और ऊपर से छे ड़छाड़, मैं कभी उसकी टाांगों में चचकोटी काट लेती, कभी भाभी शद्
ु ध दे हाती गारी सन
ु ा
दे तीां।

मैंने उसे वो स्पेशल फ्रूट सलाद तो सारी की सारी खिला दी। मझ


ु े अब याद आ रहा था की मेरी योनन के होंठ के
अांदर एक चेरी है । मैंने उसे अपने एक हाथ से धीरे से ननकाला, और जब भाभी पानी लेने अांदर गईं तो उसे मैंने
अपने होंठों के बीच दबाकर रवीन्र को आिर ककया। जब उसने हाथ बढ़ाया, तो मैंने उसे माँह
ु के अांदर करके मसर
से मना करने का इशारा ककया। और किर अपनी जब
ु ान पर रिकर उसके एकदम पास जाकर शष्ु क आवाज में
कहा- “टे क माई चेरी…”
94
और अबकी उसने मेरा सर पकड़कर अपने होंठों से मेरी जीभ को पकड़ मलया और चेरी अांदर कर ली।

भाभी ने रवीन्र से दध
ू के मलये पछ
ू ा, तो वो बोला- “नहीां भाभी अभी जगह नहीां है, मझ
ु े आज रात भर पढ़ना
है …”

बाद में मैं भाभी के साथ उनके कमरे में लेट गई। उनके इरादे तो कुछ और थे, पर ददन भर भैय्या ने जो उनके
साथ कुश्ती लड़ी थी, उनकी दे ह टूट रही थी। उन्होंने मझ
ु से कहा- “सन
ु बगल के ड्राअर में स्लीवपांग वपल्स रिी
हैं, मझ
ु े एक दध
ू में डालकर दे दे …”

मैंने एक की जगह दो डालकर दे दी। थोड़ी दे र में ही भाभी के िरामटे गज


ूां ने लगे। जब कुछ दे र में, मैं ननजश्चांत
हो गई कक भाभी गहरी नीांद सो रही हैं तो मैंने नीचे के फ्लोर की सब बवत्तयाां बांद कर दीां और रवीन्र के मलये
जो दध
ू भाभी ने रिा था, उसे लेकर ऊपर रवीन्र के कमरे के मलये चल दी। मैं दबे पाांव उसके कमरे में घस
ु ी।

ve
वह मसिम बननयान और शाटम में बैठा पढ़ रहा था। मैंने मड़
ु कर कमरे की साांकल लगा दी।

आहट सन
ु कर उसने गदम न मोड़ी।

बगल के स्टूल पर दध
.li
ू रिकर, मैं दोनों ओर टाांगें िैलाकर उसकी गोद में बैठ गई। उसके होंठों के पास इांच से
भी कम दरू ी पर अपने होंठ रिकर मैं बोली- “शाम को ममठाई बाकी रह गई थी ना। ले लो…”
um
जब उसने अपने होंठ मेरी ओर बढ़ाये तो उसे चचढ़ाते हुए मैंने सर पीछे हटा मलया, और अपने उभार उसके चौड़े
सीने पे रगड़ने लगी। वह अभी भी थोड़ा दहचक रहा था। मैंने उसका एक हाथ, जस्ट्रां ग टाप से बाहर ददि रहे
जोबन पे लेकर कस के दबा ददया। मेरे ननतांब अब उसके टें ट पोल को रगड़ रहे थे।

“क्यों कैसी लगी ममठाई?”


or

“ठीक से िाने तो दो, तम


ु तो मसिम ललचा रही हो…” वो बोला।

“लो ना…” और अब जब मैंने होंठ पास ककये तो वह तैयार था, और उसने कस के मेरा सर पकड़कर मझ
ु े चूम
Xf

मलया। उसके हाथ ने भी अब मेरा टाप हटाकर मेरे रसीले जोबन पकड़ मलये और दबाने लगे।

मैं क्यों पीछे रहती, मैंने भी अपने दोनों हाथों से, उसकी बनायन को पकड़कर उतार ददया और दरू िेंक ददया।
बाहर बादल िूब गरज रहे थे, बबजली चमक रही थी। लग रहा था, जमकर बाररश होगी। थोड़ी दे र में मेरा टाप
भी वहीां पड़ा था। अब वह कस-कस के मेरा जोबन मदम न कर रहा था। उसका बाांस ऐसा िूांटा, शाटम को िाड़ते हुए
मेरे अांदर गड़ रहा था।

“लो ममठाई िाओ…” कहकर मेरे ननपल, जो भाभी ने चाकलेट कोटे ड कर ददये थे, ननकालकर उसके होंठों से सटा
ददये।

95
ककसी नदीदे बच्चे की तरह जजसे जजांदगीां में पहली बार चाकलेट ममली हो, वह टूट पड़ा। कस-कसकर वह मेरे
ननपल चस ू रहा था, चाट रहा था। दोनों हाथों से पकड़कर कभी दबाते हुए, कभी मेरी चचू चयाां चाटते हुए। तभी
मेरी ननगाह टे बल पर रिे दध
ू पर पड़ी।

“अरे दध
ू तो मैं भल
ू ही गई…” और अपने हाथों से मैंने उसे दध
ू वपलाना शरू
ु कर ददया। इसमें मैंने काममनी
भाभी की दी एक िास हबम ममलाई थी, जो एक कमजोर से कमजोर मदम को भी रात भर के मलये साांड़ की
ताकत दे दे ती थी।

आधा ग्लास दध
ू ितम होने के बाद मझ
ु े एक आइडडया आया- “रुको, तम
ु लेट जाओ, और माँह
ु िोलो…”

और मैं उसके ऊपर इस तरह लेट गई कक मेरे ननपल ठीक उसके होंठों के ऊपर थे। और मैं दध
ू ग्लास से अपने
टीन चूचचयाां पर इस तरह धीरे से चगरा रही थी की वो मेरे चूचक
ु ों से होकर उसकी धार उसके माँह
ु में जाय। दध

ितम होने पर ग्लास में बची मलायी को मैंने उां गली से ननकालकर कड़े मस्त जोबन पर लपेट मलया और उसे

ve
पास में िीांचकर बोली- “लो चाटो…”

जब तक वह मेरी मलायी लगी चूची चाट रहा था, मैंने उसके शाटम नीचे सरका ददये और अपनी स्कटम को भी
उठा ददया। उसका मस
ू ल जैसा, मोटा सख्त लण्ड अब सीधे मेरी चूत पर रगड़ रहा था। अपनी चूत कस के उसके
भि
.li
ू े लण्ड पर रगड़ते हुए मैंने कहा- “ममठाई तो मैंने खिला दी। अब मेरी रिाबांधन की चगफ्ट…”

“क्या चादहये? तम्


ु हें बोलो…”
um
“यही…” यह कहकर मैंने कसकर अपनी चूत उसके लण्ड पर रगड़ी।

“अभी लो…” और तरु ां त मझ


ु े पीठ के बल पटक कर वह मेरे ऊपर आ गया, जैसे बरसने के मलये तड़पता, सावन
का बादल, प्यासी धरती के ऊपर छा जाय। उसका लण्ड अपनी प्यारी चूत को चम
ू रहा था। उसने अपने दोनों
or

हाथों से मेरी मल
ु ायम ककशोर कलाईयाां पकड़ रिीां थीां। बबजली की चमक में उसके दायें हाथ में मेरी बाांधी रािी
दमक रही थी।

मैं जानती थी कक आज मेरी बरु की बरु ी हालत होने वाली है । पर होनी है तो हो जाय।
Xf

💐💐💐💐💐 समाप्त 💐💐💐💐💐

96

You might also like