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लेखक - assmasala
एक था गााँव जिसका नाम था लादपरु , बहुत ही छोटा सा गााँव था बस 30-35 घरों का बसेरा था। करीब 100-
120 लोग रहते थे उस गााँव में । गााँव से 10 कक॰मी॰ की दरू ी पर ही शहर था, मगर शहर के शोर गल
ु से परे
था। बहुत ही शाांत और खूबसरू त गााँव था लादपरु । वहााँ के मदद सब
ु ह सब
ु ह ही काम पे ननकल िाते थे, कुछ शहर
की तरफ कुछ खेतों की तरफ। औरतें घर का काम काि करती। गााँव में ही एक छोटा सा स्कूल था िहााँ 7वीां
तक पढ़ाया िाता था। बस सभी लड़के लड़ककयाां 7वीां तक पढ़ाई खतम कर चुके थे। अब बस कोई काम धांधा तो
नहीां था बस ऐसे ही घम
ू घाम कर ददन गि
ु ारते थे।
उसी गााँव में चार दोस्त रहते थे, दीन,ू हररया, असलम और कल्ल।ू चारों 15-16 साल के थे और िवानी में
कदम रख चुके थे। बस उनके ददमाग में 24 घांटे ससफद औरत… औरत… औरत होती थी। मम्मे, चूत, गाण्ड, लौड़ा,
चद
ु ाई बस यही सब उनकी ज ांदगी बन गई थी। हर लड़की बस उन्हें एक चोदने की मशीन लगती थी बस और
कुछ नहीां, वो चुदाई के सलए इतना तरस रहे थे की उन्हें अपनी मााँ, बहन, भाभी के बारे में भी गांदी-गांदी बातें
करने में भी उन्हें कोई शरम नहीां आती थी। कभी कभी शहर िाकर कफल्म दे खना और वहााँ से गांदी-गांदी
कहाननयाां और तस्वीरों वाली ककताबें खरीदना इनका शौक था।
एक ददन ऐसे ही झाड़ड़यों में बैठकर, लौड़ा लांगोटी में से हाथ में लेकर मट्
ु ठ मारते हुए बनतया रहे थे यह चारों
चोद ू यार।
असलम- “अबे सालों, कल िो दे खी थी “जिश्म” कसम से क्या पपक्चर थी, बबपाशा का तो दीवाना हो गया हूाँ
यार…”
हररया- “हााँ रे असलम सही कहता है , उस मादरचोद िान की तो ननकल पड़ी, कैसे उसे समद
ुां र के पास नीचे
सल
ु ा के उसके लौड़े को चूत में लेकर घोंटती है, मेरा तो लौड़ा तन के बम्बू हो गया था…”
कल्ल-ू “हररया, तेरा तो लौड़ा तन के बम्बू हो गया था मगर मेरा तो उस नछनार के िलवे दे खकर वहीां पानी
ननकल गया, आअह्हह्हह…”
1
कल्ल-ू “तझ
ु े कैसे पता के उसकी चत
ू झाांटों से भरी होगी…”
दीन-ू “हााँ… एक बार दे खी थी, िब मैं खेतों में गया था। मााँ सांडास करके गाण्ड धो रही थी। मैं झाड़ड़यों में छुपके
दे ख रहा था। बहुत ही प्यारी है मेरी मााँ की गाण्ड, बाल थे या नहीां दे ख नहीां पाया मगर गाण्ड तो बहुत प्यारी
लगी मझ ु े। मैंने कफर बहुत बार कोसशश की मााँ को सांडास करते हुए दे खने की पर मााँ ऐसी िगह बैठती थी की
दे खना मजु श्कल होता था…”
कल्ल-ू “दीन,ू तेरी बहन किरी के भी मम्मे ननकल आए हैं, साली ससफद चौदह साल की है मगर मम्मे िैसे कोई
चद
ु ी चद
ु ाई रां डी के हों…”
हररया- “हााँ… रे दीनू तेरी बहन किरी को तो बहुत चोदने का मन करता है , उसकी काँु वारी चूत की खुश्बू क्या
होगी। चूत तो बहुत कसी हुई होगी तेरी बहन किरी की और गाण्ड की तो क्या कहने… उस सााँवली सी गाण्ड में
माँह
ु मारने को िी कर रहा है । मेरी शादी करवा दे ना रे उसके साथ, मेरा साला बन िा…”
कल्ल-ू “हररया तेरी बड़ी बहन आशा का क्या हुआ, उसके सलए कोई ररश्ता आया था ना, क्या पक्का हो गया?”
हररया- “अरे कहााँ, उस बहनचोद को 50 हिार रोकड़ा, स्कूटर और टीवी दहे ि में चादहए था, हमारी इतनी
है ससयत कहााँ, बापू तो ककसी तरह शहर में काम करके घर चला रहे हैं…”
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असलम- “साला िाने दे , अकल घास चरने गई थी उसकी और लण्ड तो था ही नहीां उस भड़वे का, िो तेरी बहन
आशा से शादी करने के सलए दहे ि मााँगा, अगर मैं होता ना तो… आशा िैसी राांड़ कुनतया की चत
ू और गाण्ड के
सलए खुद पैसे दे के शादी करता…”
कल्ल-ू “हााँ रे असलम सही कहता है , आशा क्या फटाका है , चेहरा एकदम सोनाली बेंद्रे, मम्मे अमीशा पटे ल,
गाण्ड एकदम करीना कपरू के िैसी, कमर सशल्पा शेट्टी, बस रां ग ही थोड़ा साांवला (व्हेआनतश डाकद) है । मगर
एक नांबर की राांड़ ददखती है, उसके चेहरे से ऐसा लगता है की एक लण्ड को तरस रही है …”
दीन-ू “हााँ… रे हररया, इतनी नछनार बहन जिसकी उमर ढलती िा रही है, बबना लण्ड के कैसे गि
ु ारा करती है।
क्या उसकी चत
ू और गाण्ड में लण्ड के सलए खि
ु ली नहीां होती…”
हररया- “होती होगी मगर बेचारी क्या करे भरी िवानी बेकार िा रही है, चूत सख
ू रही है और मम्मे ढीले पड़ रहे
हैं, पर क्या करे अगर कोई ररश्ता ना आए…”
असलम- “अरे ऐसे में ही तो भाई काम आता है, तू अपनी बहन को पटा क्याँू नहीां लेता। तझ
ु े चत
ू और गाण्ड
चादहए और तेरी आशा को लौड़ा। बस घर की बात घर में ही रहे गी। मझ
ु े लगता है की अगर तू िरा कोसशश
करे गा ना तो अपनी बहन की चूत में लौड़ा पेल सकता है । अगर तेरा लौड़ा कम पड़ िाए ना तो हम सब हैं ना
तेरी बहन की चत
ू और गाण्ड की खि
ु ली समटाने के सलए…”
हररया- “लागत है तम ु लोग ठीक कह रहे हो, बहुत बार आशा को कपड़े बदलते भी दे खा है मैंन,े बहुत ही मस्त
माल है , कफल्मों की सारी हीरोइनें भी गाण्ड चाटें गी उसके सामने। मगर सगी बहन को चोदना पाप है यह
सोचकर मैं चुप रहा, पर अब लगता है की उसकी चूत और गाण्ड में लौड़ा पेलने का वक्त आ गया। मैं आि से
ही कोसशश शरू
ु करता हूाँ…”
असलम- “सच में यार इन मााँ बहनों ने तो गाण्ड और लण्ड में दम कर रखा है, अब मेरी बात ले लो िब से
मेरा बाप मरा है मेरी मााँ और सौतेली मााँ के झगड़े सन
ु सन
ु के लण्ड पागल हो िाता है …”
असलम- “झगड़ते झगड़ते ऐसी ऐसी गांदी-गांदी गासलयाां दे ती हैं की अब क्या बताऊाँ?”
िैसे की मेरी मााँ कहती है- “राांड़ साली अपनी चूत के िलवे ददखा के मेरे शोहर को अपने िाल में फाँसा सलया,
तेरी चूत में कुत्ते का लौड़ा, तेरी गाण्ड में साांड़ का मस
ू ल…”
यह सब सन
ु के मेरा तो लौड़ा ऐसे तन िाता है के िी करता है दोनों राांडों को वहीां सलटा के चोद डाल।ांू
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असलम के माँह
ु से यह सब सन
ु के और उसकी नछनार माओां के बारे में सोच के चारों ने लण्ड से अपना अपना
पानी ननकाल ददया।
हररया- “असलम तू सबको गाण्ड मारने को कहता है मगर तू क्याँू नहीां मारता, तेरी सौतेली मााँ तो चद
ु ने के सलए
हमेशा तैयार लगती है वो खुशी खश
ु ी अपने सौतेले बेटे का लण्ड घोंटे गी, चल दे र मत कर। आि से तू भी लग
िा अपनी मााँ को पटाने में…”
सबने कहा- “अरे कल्लू तू क्याँू उदास होता है, हम सबकी मााँ बहनें तेरी भी मााँ बहनें हैं, अगर हम कभी उनको
चोद पाए तो तू भी िरूर चोद लेना उनको। हर औरत जिसको हम चोदें गे उसे तझ
ु से भी िरूर चद
ु वाएांग,े िवानी
का हर मिा हम साथ साथ लट
ू ें गे रे रां डी की औलाद, क्यूाँ कफकर करता है, चल अब चलते हैं भख
ू लगी है । िरा
पेट की पि
ू ा करके कफर बैठते हैं…”
***** *****
उसी गााँव में दस
ू री तरफ-
करीब 10 समनट के बाद, वो तीनों लड़ककयाां एक झोपड़े के पास आईं, यह झोपड़ी गााँव से एकदम अलग था,
मगर कफर भी गााँव का ही दहस्सा था। किरी कभी इस तरफ नहीां आई थी, उसे पता भी नहीां था की यहााँ कोई
झोपड़ी भी है ।
आशा- “पि
ू ा भाभी, बहुत दे र लगा दी दरवािा खोलने में ?”
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पि
ू ा भाभी- “हााँ… रे िरा आाँख लग गई थी, इसीसलये दे र हो गई आओ अांदर आओ…”
पि
ू ा भाभी- “कहो आशा यह ककसे साथ लाई हो अपने साथ?”
आशा- “भाभी मैंने कहा था ना आपसे ज हमारी एक और सहे ली है किरी, यही है वो हमारी प्यारी किरी…”
पि
ू ा भाभी- “अरे तम
ु लड़ककयों ने किरी को मेरे बारे में कुछ नहीां बताया?”
आशा- “किरी यह पि
ू ा भाभी हैं, तम्
ु हें मालम
ू है ना लज्िो के भैया िगन ने शहर की एक लड़की से प्रेम पववाह
ककया था, तब गााँव वालों ने उन्हें यह कहकर गााँव से ननकाल ददया की उस लड़की की िात पात गााँव की परां परा
से मेल नहीां खाती। कफर कुछ ददनों बाद िगन भैया की ककसी बीमारी की विह से मौत हो गई, यह पि
ू ा भाभी
उनहीां िगन भैया की पत्नी हैं। अब यहााँ अकेली रहती हैं गााँव से दरू । एक ददन ऐसे ही घम
ू ते हुए रास्ता भटक
गये थे हम तो पिू ा भाभी ने हमें सही रास्ता बताया, इससे हमारी उनसे दोस्ती हो गई। अब पि ू ा भाभी हमारी
पक्की सहे ली बन गई हैं और हम दोनों को भाभी ने बहुत ससखाया है ज ांदगी के बारे में , क्याँू भाभी है ना?”
पि
ू ा भाभी- “अरे हााँ री मेरी प्यारी आशा…” एक शरारत भारी मस्
ु कुराहट से बोली।
आशा- “तू आि सब
ु ह कह रही थी ना के तेरी चत
ू में खि
ु ली हो रही है, हम तेरी वो खि
ु ली समटाने यहााँ आए
हैं…”
पि
ू ा भाभी- “आशा ने बताया की तम्
ु हारी माहवारी अभी कुछ ददन पहले ही शरू
ु हुई है , इसका मतलब है तम्
ु हारी
उमर हो गई है अब चूत और लण्ड का खेल खेलने की, यह िो खुिली हो रही हैं तेरी चूत में यह कोई मामलू ी
खि
ु ली नहीां है, यह िवानी की खि
ु ली है, तझ
ु े चद
ु स लगी है , तेरी चत
ू एक लण्ड मााँग रही है , तेरी चत
ू चद
ु ना
चाहती है , िब मदद का लण्ड औरत की चूत में िाता है ना उसे चद
ु ाई कहते हैं…”
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इतने में किरी ने दे खा की आशा और लज्िो एक-दस
ू रे माँह
ु में माँह
ु डालकर होंठ चूस रहे थे, और गले समलकर
एक दस
ू रे की छाती रगड़ रहे थे। यह निारा दे खकर किरी की चत
ू में खि
ु ली कफर से शरू
ु हो गई, और उसका
हाथ अपने आप ही उसकी चूत के पास चली गई।
पि
ू ा भाभी- “रूको मैं करती हूाँ, मैं सहलाती हूाँ तम्
ु हारी चूत, पहले िरा नांगे हो िाएां…” कहते हुए पि
ू ा भाभी ने
किरी के कपड़े उतारने शरू ु कर ददए।
किरी- “मझ
ु े शरम आ रही है , भाभी छोड़ दीजिए मझ
ु …
े ”
आशा- “किरी िो भाभी करती है करने दो, कसम से बड़ा मिा आएगा। कपड़े उतार दे , दे ख हम भी उतार रहे
हैं…”
किरी- “हााँ… भाभी, बहुत अच्छा लग रहा है और चूसो और चूसो, मसल दो इन मम्मों को, काट के खा िाओ…”
किरी की चूत में एक आग सी लग गई थी, ऐसी िलन ऐसी तड़प ऐसी प्यास उसने कभी महसस
ू नहीां की। वो
िोर िोर से चत
ू सहलाने लगी। बीच में उसने आशा और लज्िो की तरफ दे खा तो िो दे खा वो दे खकर तो है रान
रह गई, लज्िो आशा के मह
ाँु पे बैठी थी, और आशा उसकी चूत चाट रही थी।
किरी अपनी आाँखें फाड़ के दे ख रही थी यह सब, उसने कभी नहीां सोचा था की चूत िैसी गांदी चीि पे भी कोई
माँह
ु लगाता है , मगर िो वो दे ख रही थी उसके होश उड़ा रही थी।
किरी- “आअह्हह्हह… भाभी, यह मैं क्या दे ख रही हूाँ आशा लज्िो की चूत चाट रही है , चूत जिसमें से पेशाब
ननकलती है, माहवारी का गांदा खन
ू ननकलता है, ऐसी गांदी िगह को ऐसे चाट रही है िैसे इससे सवाददष्ट चीि
और कुछ नहीां है । मेरी समझ में कुछ नहीां आ रहा है…”
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पि
ू ा भाभी- “अरे चद
ु ाई में कुछ भी गांदा नहीां होता है और तो और चद
ु ाई जितना गांदा काम करो उतना ज्यादा
मिा आता है । अभी तन ू े दे खा ही क्या है , ससफद एक लड़की दस
ू रे लड़की की चूत चाट रही है अभी तो और बहुत
कुछ गांदा दे खना और करना है । दे ख अब मैं तेरी चूत चूसती हूाँ, कफर दे ख कैसा मिा आता है?”
िैसे ही पि
ू ा भाभी की िीभ किरी की चूत पे पड़ी, मानो िैसे करें ट दौड़ गया किरी के जिश्म में, अब तक िो
सख
ु पाया वो सब कुछ इस सख
ु के मक
ु ाबले फीका लग रहा था। इतना सख
ु भी है ज ांदगी में यह कभी सोचा
नहीां था किरी ने, ज ांदगी इतनी हशीन है उसे कभी नहीां लगा था। कफर पि
ू ा भाभी ने अपनी दो उां गसलयाां उसकी
काँु वारी चूत में डाल दी और उसकी चूत चोदने लगी, बस कफर क्या था किरी ने ऐसी ऐसी आवािें ननकालनी
शरू
ु की की वहााँ का माहौल बबल्कुल रां गीन हो गया।
किरी- “अया पि
ू ा भाभी, यह क्या कर रही हो, इतना सख
ु तो मैंने कभी नहीां महसस
ू ककया, आआह्हह्हह… मैं मर
िाऊाँगी सख
ु से और चाटो, भाभी िोर िोर से चाटो, मेरी चत
ू में उां गली करो ना भाभी, अब बदादश्त नहीां हो रहा
है कुछ ननकल रहा है, भाभी कुछ ननकल रहा है मेरी चूत से, आअह्हह्हह… आआह्हह्हह… मैं मर गई अया…” और
कफर किरी ने अपना पहला पानी ननकाला अपनी चूत से।
पि
ू ा भाभी ने सारा का सारा रस पी सलया।
किरी- “शकु िया भाभी, मैं बता नहीां सकती की आि मैंने क्या पाया है , इतनी खुशी और इतनी शाांनत कभी नहीां
समली। आह्हह्हह… भाभी तम
ु महान हो…”
वहााँ आशा और लज्िो ने भी अपना अपना पानी ननकाल ददया था। अब चारों राांड़ें नांगी पड़ी थी।
लज्िो- “हााँ… दीदी पहले कोई दहन्दी कफल्म लगाओ, कफर एक अच्छी सी ब्लू कफल्म भी हो िाए…”
पि
ू ा भाभी ने सबको एक एक बैंगन ददया- “यह लो किरी, यह बैंगन तम
ु अपनी चूत में डालकर अांदर बाहर
करो, बहुत मिा आएगा…” कफर पि
ू ा भाभी ने एक सी॰डी॰ डाली, सी॰डी॰ गानों की थी।
आशा- “क्या मस्त गाना है भाभी, मेरी तो चूत बहने लगती है िब मैं िान को दे खती हूाँ तो, आह्हह्हह… क्या
गठीला शरीर है उसका और बहन चोद की गाण्ड भी बड़ी मस्त है । िी में आता है की गाण्ड चाट लाँ ू साले की।
इसके शरीर के नीचे मसल ना िाए वो िवानी बेकार है । पता नहीां साले का लण्ड कैसा होगा मगर लगता है की
िबरदस्त है । हाए ककतनी नसीब वाली है यह नछनार बबपाशा, िो अपनी चूत और गाण्ड में िान का लण्ड लेती
है । हाए िान िैसा मदद समल िाए ना तो मैं उसकी राांड़ बन के रह लाँ ग
ू ी, बस मझ
ु े कुछ नहीां चादहये बस तीन
वक़्त की चूत और गाण्ड की चुदाई हो िाए िान के लण्ड से। आह्हह्हह… उसके लण्ड का रस ककतना सवाददष्ट
7
होगा। मैं तो हमेशा उसे अपने माँह
ु में ही झड़ाऊाँगी और उसका सारा रस पी िाऊाँगी। अरे िान िैसा कोई समल
िाए तो उसका मट
ू भी पी लाँ ग
ू ी। आअह्हह्हह… िान मेरी गाण्ड चोद के िा मादरचोद आआह्हह्हह…” कहते कहते
आशा अपनी गाण्ड को बैंगन से चोद रही थी।
दस
ू रा गाना सलमान कफल्म “प्यार ककया तो डरना क्या?” से था।
लज्िो- “िान बहुत मस्त है लेककन मेरे गान्डू रािा सलमान के सामने कुछ भी नहीां, दे ख साले की बाडी दे ख
ककतनी टाइट और मस्त है, हाए नांगा क्या अच्छा लगता है , हाय यह पैंट भी उतार दे रे मेरे रािा, मझ
ु े अपना
लण्ड ददखा, ककतना बड़ा होगा तेरा लण्ड, तेरा लौड़ा मैं अपने माँह
ु में लेना चाहती हूाँ, तेरे लण्ड से अपना माँह
ु
चद
ु वाना चाहती हूाँ, तेरे लण्ड का सवाद चखा दे , मेरी चत
ू और गाण्ड तेरे लण्ड के सलए तड़प रही है । िैसे तन ू े
ऐश्वयाद की गाण्ड और चूत एक कर दी थी अपने इस हलब्बी लण्ड से, और िैसे अभी तू कटरीना की गाण्ड मार
रहा है , वैसे ही िरा मेरी चत
ू को भी चखा दे इसका सवाद, आह्हह्हह… मेरी गाण्ड को भी िरा अपना लण्ड खखला
दे । सलमान मैं तेरी गल
ु ाम बन के रहूांगी, तेरा मट
ू पपयग
ूां ी, तेरी गाण्ड चाटूाँगी, अपने पेट में तेरे बच्चे पालग
ूां ी।
लड़की हुई तो तू चोद लेना लड़का हुआ तो उसे तेरी तरह बड़ा करके मैं चोद लाँ ग ू ी। दे ख साले की गाण्ड भी
ककतनी अच्छी है, िी में आता है की उसकी गाण्ड में उां गली करूाँ और कफर उसे बाहर ननकाल के चाट लाँ …
ू ”
किरी तो एकदम पागल हो गई थी, इतनी गांदी-गांदी बातें उसने अपनी परू ी ज द
ां गी में कभी नहीां सन
ु ी थी। और
उसे ताज्िब
ु यह हो रहा था की यह सब सन
ु ना उसे अच्छा लग रहा था और उसकी चत
ू कफर मचलने लगी थी।
यह लड़ककयाां बबल्कुल राांडों की तरह बातें कर रही ही थी।
इतनी बेशमद भी कोई हो सकता है यह किरी ने कभी नहीां सोचा था। उसके मन में भी अब चुदाई की प्यास
िागने लगी थी, लण्ड की िरूरत महसस
ू हो रही थी।
लज्िो ने गाण्ड में उां गली करते हुए कहा- “हााँ… दीदी कोई िबरदस्त चुदाई की कफल्म लगाओ, बहुत ही गांदी
कफल्म होनी चादहए, मस्त मस्त लण्ड वाली कफल्म लगाओ ना भाभी…”
पि
ू ा- “यह लो, सी॰डी॰ कल ही समली है, िबरदस्त है कफल्म, लो दे ख दे ख के मठ
ू मारो…” कफर पि
ू ा भाभी ने
एक सी॰डी॰ डाली। कफल्म शरू
ु होते ही एक कमससन लड़की दो मश्ु टां डों का लौड़ा चस
ू रही थी, उन लौड़ों को
अपनी थक
ू से गीलाकर करके चस
ू रही थी। कफर एक ने अपनी गाण्ड उस लड़की की तरफ कर दी और कफर वो
लड़की उसकी गाण्ड में अपनी नाक डालकर उसकी गाण्ड की बदबू सघ
ूां ने लगी और कफर अपनी िीभ उसकी
गाण्ड में डालकर, गाण्ड चाटने लगी।
8
पि
ू ा भाभी- “अभी कुछ दे र पहले मैंने क्या कहा था, की चुदाई करते वक़्त कोई भी चीि गांदी या बरु ी नहीां होती,
हमारे इस शरीर को भगवान ने बनाया है और यह गाण्ड भी भगवान की दे न है , और भगवान की बनाई कोई भी
चीि गांदी या बरु ी नहीां हो सकती, है ना… तो कफर अगर वो लड़की उसकी गाण्ड चाटती है तो इसमें बरु ा क्या है ,
दे खो वो लड़का ककतना सख
ु ले रहा है िब वो लड़की उसकी गाण्ड चाट रही है, और चद
ु ाई में जितना नघनोना
और गांदा काम करो चद
ु ाई में उतना ही मिा आता है । और लड़की को भी उतना ही मिा समलता है िब कोई
उसकी गाण्ड चाटता है …”
आशा- “हााँ… रे , गाण्ड चटाई में बहुत मिा है, मैंने लज्िो और पि
ू ा भाभी की गाण्ड चाटी है, सचमच
ु इतना मिा
आया की मैं बता नहीां सकती, िब गाण्ड से गांदी-गांदी बास आती है , और िब अपनी िीभ गाण्ड में िाती है तो
चत
ू में एक ऐसी खि
ु ली उठती है की बस सख
ु के मारे िान ननकल िाती है, और िब कोई मेरी गाण्ड चाटता है
तो यूाँ लगता है की आसमान में उड़ रही हूाँ, पि
ू ा भाभी िरा किरी की गाण्ड तो चाटो…”
पि
ू ा भाभी ने कफर किरी को घट
ु नों के बल कुनतया बना ददया और धीरे -धीरे उसकी छोटी सी गाण्ड की छे द में
अपनी िीभ डाल दी और गोल गोल उसके छे द पे फेरने लगी, किरी को ऐसा नशा छा रहा था की मिे के मारे
बेहोश हो रही थी, उसने कभी ज ांदगी में नहीां सोचा था की अपने ही शरीर में इतना आनांद और सख
ु छुपा है। वो
अपनी चूत को बराबर सहला रही थी और भरपरू मिे ले रही थी अपनी िवानी की। जिस गाण्ड को हाथ लगाना
भी वो गांदा समझती थी, आि उसी गांदी गाण्ड को कोई अपनी िीभ डाल के चूस रहा है ।
“पिू ा भाभी, बहुत मिा आ रहा है , आप रुककये में चाटते रदहए, प्लीस और िीभ को अांदर डासलए, मेरी गाण्ड के
अांदर, और अांदर, आअह्हह्हह… आअह्हह्हह… मिा आ रहा है , बहुत अच्छा लग रहा है , मैं मर िाऊाँगी और चादटये
भाभी…”
अब भाभी ने गाण्ड को चस
ू ना शरू
ु कर ददया, ऐसा लग रहा था की वो किरी की गाण्ड के अांदर का सारा माल
अपने माँह
ु से चूस के बाहर ननकाल दे गी।
किरी- “भाभी यह आप क्या कर रही हैं, चूससए मत अगर कुछ गांदा ननकल आया मेरी गाण्ड से तो आप कफर
मेरी गाण्ड को कभी माँह
ु नहीां लगाएांगी, चूससए मत भाभी, मझ
ु े लग रहा है कुछ ननकालने वाला है भाभी, भगवान
के सलए रुक िाइए…” जिसका डर था किरी को वोही हुआ, एक धमाकेदार बदबद
ू ार पाद किरी की गाण्ड से
ननकली और सारे कमरे में उसकी बदबू फैल गई, सब एकदम से रुक गये और कमरे में सन्नाटा छा गया।
9
पि
ू ा भाभी- “अरे हााँ किरी मझ ु े पाद सघूां ना बहुत अच्छा लगता है और िब वो पाद तझ ु िैसी कमससन और
खबू सरू त लड़की की गाण्ड से ननकला हो तो और भी मिेदार आगता है, तेरी पाद सचमच ु ही बहुत खशु बद
ू ार है
किरी, मझ ु े तो और सघूां नी है तेरी पाद, और पादो किरी और बदबद ू ार हवा ननकालो अपनी गाण्ड से…” कहते
हुए भाभी कफर किरी की गाण्ड चूसने लग गई।
आशा- “कोई हमें भी इतनी बेरहमी से चोदे , साले गााँव में इतने हरामी है मगर कोई भी लण्ड इस चूत में नहीां
सलया। आअह्हह्हह… आअह्हह्हह… क्या चोद रहा है बहनचोद उस नछनार की चत
ू , हाय मझ
ु े भी कोई ऐसा लौड़ा समल
िाए और मेरी बांिर चूत में बरसात कर दे तो मेरी ज द
ां गी बन िाए…”
लज्िो- “मझ
ु े तो ऐसा एक लौड़ा अपनी गाण्ड में चादहए, मझ
ु े िरा गाण्ड की खुिली ज्यादा है । आआह्हह्हह… कोई
आर मझ
ु े चोदे कोई तो आर मझ
ु …
े आअह्हह्हह… अब सही नहीां िाती यह िवानी की खुिली आह्हह्हह… क्या मस
ू ल
है मादरचोद का, अगर मेरी गाण्ड में चली िाए तो मेरी टट्टी भी चद
ु िाएगी, मेरी गाण्ड भी फड़वा लाँ ग
ू ी मगर
ऐसा लौड़ा एक ददलवा दे भगवान…”
पि
ू ा भाभी- “अरे यही तो वो रस जिससे तम
ु बनी हो, मैं बनी हूाँ, आशा और लज्िो बने हैं, यह रस िब एक
मदद औरत कक चत
ू में डालता है तो वो औरत मााँ बनती है , यही वो रस है िो हमारे िीवन का मल
ू है , अगर
यह रस नहीां होता तो ना तम
ु होती ना मैं होती…”
किरी- “तो यह लड़की इसे अपनी चूत में लेने की बिाय माँह
ु में क्यूाँ ले रही है ?”
पि
ू ा भाभी- “किरी, इस रस को माँह
ु में लेकर पीने में भी बहुत मिा आता है, मदद औरत से तभी प्यार करता है
िब तम ु उसकी हर चीि को अपना बनाओ, और उसके लण्ड का रस अगर तम ु पपयोगी तो वो तम्
ु हारा दीवाना
हो िाएगा…”
पि
ू ा भाभी- “पहली बार शायद उतना अच्छा नहीां लगे मगर कफर बाद में बहुत अच्छा लगेगा, बस ऐसे िी करे गा
की तम्
ु हें दनु नया के हर मदद का रस पीना है । और याद रखो तम्
ु हें वो हर चीि करनी िो एक मदद तम
ु से चद
ु ाई
के वक़्त कहे गा, क्यक
ांू ी हर मदद तम्
ु हारा भगवान है, उसके लौड़ा से चद
ु ना ही तम्
ु हारी ज ांदगी का मकसद है,
उसके लण्ड से चुदने के सलए तम्
ु हें कुछ भी करना पड़े, करो शरमाओ मत। बेशमद होकर वो हर गांदी चीि करो
जिससे तम्
ु हारे मदद को खुशी और सख
ु समले। िरूरत पड़े तो उसका लौड़ा चूसो, उसकी गाण्ड चाटो, खूब चत
ू
चद
ु वाओ, ददद की परवाह ना करते हुए गाण्ड मराओ, अगर वो कहे तो उसका मट ू भी पपयो, उसकी गाण्ड की
बदबू भी साँघ
ू ो, खुल के चद
ु ाई का आनांद दो, इसमें तम्
ु हें भी बहुत मिा आएगा…”
10
आशा- “यह सब तो हम लोग करने के सलए कबसे तड़प रहे हैं भाभी, मगर कोई समलता ही नहीां… गााँव में बहुत
से लड़के हैं जिनसे हम चुदवाना चाहते हैं मगर बदनामी से डर लगता है । अगर बापू और हररया को पता चल
गया तो वो मेरी गाण्ड फाड़ दें गे। और यह ननकम्मी शादी भी नहीां हो रही है, िो कोई भी आता है साला दहेि
मााँगता है और बापू तो दहेि दे ने से रहे, अब बताओ मैं क्या करूाँ। मैं तो लल
ू ,े लांगड़े, अांधे, बहरे से भी शादी
करने को तैयार हूाँ, बस उसका लण्ड तगड़ा होना चादहए। हाये भाभी अब सहा नहीां िाता यह िवानी का ददद , 22
साल तो हो गये हैं अब और ककतना इांति
े ार करना पड़ेगा…”
लज्िो- “हााँ… भाभी, अब यह चूत और गाण्ड हमारे बस में नहीां है , एक मदद के लण्ड के बगैर अब इनका रहना
मम
ु ककन नहीां है , िल्दी कुछ करो भाभी कोई लण्ड का बांदोबस्त करो…”
पि
ू ा भाभी- “दे ख आशा, मैं एक बात बताती हूाँ बरु ा तो नहीां मानेगी ना?”
आशा- “क्या भाभी, क्या कभी मैंने आपकी कोई बात का बरु ा माना है…”
पि
ू ा भाभी- “अगर तू अपने िोबन का ददद और िवानी की प्यास और नहीां सहना चाहती तो चुदवा ले…”
पि
ू ा भाभी- “अरे तेरा गबरू िवान भाई हररया है ना, उससे अपनी चत
ू और गाण्ड में उसका लण्ड पेलवा ले…”
आशा- “क्याऽऽ?”
पि
ू ा भाभी- “िो मैं कहती हूाँ, उसे ध्यान से सन
ु , मझ
ु े पता चला है की तेरे भाई और उसके दोस्तों को भी
िवानी के कीड़े ने काट सलया है और वो भी एक औरत की चत
ू और गाण्ड के सलए तड़प रहे हैं। अगर तू थोड़ी
सी दहम्मत ददखाएगी ना तो तझ
ु े घर में ही लण्ड का मिा समल िाएगा। दे ख अगर तू घर में ही चद
ु वा लेगी ना,
तो ककसी को पता भी नहीां चलेगा और घर की बात घर में ही रहे गी। िब तक तेरी शादी नहीां होती तू अपनी
चत
ू और गाण्ड खब
ू चद
ु वा अपने भाई से, वो भी िवान है , भख
ू ा है , तम
ु दोनों की िोड़ी िम िाएगी…”
आशा को भी भाभी की बात िमने लगी, उसने सोचा भाभी िो कहती है ठीक कहती है , इससे बेहतर रास्ता
अपनी खुिली समटाने का और कुछ नहीां है ।
आशा- “पि
ू ा भाभी बात तो तम्
ु हारी ठीक है पर, खद
ु अपने सगे भाई से चत
ू और गाण्ड मरवाना पाप है ना
दीदी, अगर लोगों को पता चलेगा तो क्या कहें ग?
े ”
पि ू ा भाभी- “तू क्या ढोल पीटकर सबको बताएगी की मैं वो नछनार हूाँ िो अपने सगे भाई से गाण्ड मरवा रही
हूाँ… अरे िो कुछ भी होगा चार दीवारी के अांदर होगा। तू बस आि से ही काम पे लग िा…”
11
आशा- “ठीक है, भाभी मगर बापू को पता चल गया तब क्या होगा, वो तो हम दोनों को मार ही डालेंग…
े ”
पि
ू ा भाभी- “मैंने सन
ु ा है की तेरा बाप बहुत ही चोद ू आदमी है , शहर िाकर वहााँ की रां ड़डयों को खूब चोदता है ,
अगर तू उसे पटा लेगी तो घर में ही उसे एक िवान रां डी अपनी ही बेटी में समलेगी िो फोकट में ही उससे
अपनी चूत और गाण्ड मरवा लेगी। क्यूाँ क्या कहती है, ठीक है ना?”
आशा- “पि
ू ा भाभी तम
ु तो कमाल हो, बस अब तो मैं तम
ु को भाईचोद और बापचोड़ बनने के बाद ही समलने
आऊाँगी। अब मैं ऐसी राांड़ बन िाऊाँगी अपने बाप और भाई के सलए की तम
ु दे खना। भाभी िानती हो िब मैं
अपने भाई और बापू के कपड़े धोती हूाँ, तो मैंने दे खा है की उनकी चड्डी में कई सफेद सफेद से दाग समलते हैं,
मैंने तो कई बार उन धब्बों को चाटा है , और उनके गाण्ड की बदबू भी बहुत मस्त है , मगर कभी उनको चोदने
का खयाल नहीां आया, मगर तम्
ु हारी सलाह के बाद मझ
ु े लगता है की इतने ददन मैंने बबादद कर ददए, आि से
मैं बस इसी कोसशश में रहूाँगी की अपने बाप और भाई के लण्ड अपनी गाण्ड, चूत और माँह
ु में लाँ ू और उनके
साथ वो सारे गांदे काम करूाँ िो तम
ु ने हम सबको ससखाया है …”
पि
ू ा भाभी ने एक शरारत सी भरी मस्
ु कान हां सते हहुए आशा को गले लगा सलया।
लज्िो- “तो क्या मैं भी अपने पपतािी को पटा लाँ ,ू क्या वो मान िाएांग?
े ”
पि
ू ा भाभी- “अरे कैसे नहीां मानेंगे, कोई भी मदद ऐसी िवान चत
ू को चोदने के सलए ना नहीां कहे गा कफर चाहे वो
चूत और गाण्ड अपनी बेटी की ही क्यूाँ ना हो। तू भी िरा अपनी सोलह साल की िवानी के िलवे अपने बाप को
ददखा दे कफर वो तेरा पपता नहीां तेरा पनत बन िाएगा…”
लज्िो- “मैं भी आि से ही कोसशश करती हूाँ, दे खती हूाँ की कब तक मेरा बाप मेरी िवानी से बचता है…”
किरी- “पर भाभी आपने तो बताया ही नहीां की मैं क्या करूाँ। क्या मैं भी अपने भाई दीनू को फाँसा लाँ ,ू मगर वो
तो हमेशा मझ
ु से झगड़ते रहता है और मैं भी उसे ज्यादा पसांद नहीां करती, क्या मैं चुदवा लाँ ू उससे?”
पि
ू ा भाभी- “हााँ… रे किरी, आि तक तन
ू े उसे ससफद एक भाई के रूप में दे खा है, आि से उसे तू अपनी चत
ू का
पिु ारी मान के दे ख कफर वो तझु े बहुत प्यारा लगेगा। आि से तू भी उसे पटाना शरू
ु कर दे । मेरा तिुबाद कहता
है की अगर तम ु ने ठीक से कोसशश की तो िल्द ही उसका प्यारा सा लौड़ा तेरी चत ू और गाण्ड की सील
तोड़ेगा…”
पि
ू ा भाभी- “अरे तेरी मााँ भी सालों से प्यासी है , उसे भी लण्ड की िरूरत अपनी चत
ू और गाण्ड में महसस
ू होती
होगी, अपने भाई के साथ समलकर तम
ु दोनों अपनी मााँ को भी अपनी तरह राांड़ बना दे ना, सीधी सी बात है…”
12
भाभी ने ढे र सारे गांदे और नघनओने तरीके बताए अपने घर वालों को चुदाई के खेल में शासमल करने के। तीनों
लड़ककयों ने बड़े ध्यान से सब कुछ समझा और वादा ककया की वो भाभी के ससखाए सारे तरीके आिमाएांगी
अपने अपने घर में ।
कफर तीनों लड़ककयों ने समलकर भाभी के पैर छूकर उनका आशीवादद सलया- “भाभी तम
ु ही हमारी गरु
ु हो, तम
ु ना
होती तो शायद हम ज ांदगी भर इस चूत की प्यास को लेकर मर िाते, तम्ु हारा बहुत बहुत शकु िया भाभी, अब
हमें आशीवादद दो की हम अपने घर वालों के साथ चद
ु ाई करने में कामयाब हों…”
पि
ू ा भाभी- “मेरा आशीवादद ओह हमेशा तम्
ु हारे साथ है, िाओ िाकर अपने बाप भाइयों के लौड़ों पर टूट पड़ो
और उनकी राांड़ और नछनार बनकर ही वापपस लौटना…”
आशा- “भाभी एक राांड़ है, रात को शहर से कई नामी लोग आते हैं और भाभी को चोदते हैं, भाभी उनसे हर तरह
से चुदवाती हैं, और उन्हें बहुत खुश करती हैं। भाभी रोि रात का 10 हिार तो कमा ही लेती हैं। और वो सारे
सी॰डी॰स िो तन ू े वहााँ दे खी उन्हीां सब लोगों ने तो भाभी को ददए हैं। समझी…”
आशा- “अगर हमारे घर वालों को पता चल गया तो वो लोग हमें िान से मार दें गे, और बदनामी भी बहुत
होगी। पहले हम घरवालों को बोतल में उतारते हैं कफर राांड़ भी बन िाएांगे कभी ना कभी…”
लज्िो- “वैसे किरी तझ ु े भाभी के समझाए हुए सारे तरीके याद है ना, बस उन्हें अपने घर में इस्तेमाल कर और
कफर दे ख कैसे तेरा भाई दीनू और तेरी अम्मा चुदाई के खेल में शासमल होते हैं…”
आशा- “अब तम
ु लोग चलो, मैं शायद कल तम
ु लोगों से समलने नहीां आ पाऊाँगी, मझ
ु े कल सारा ददन अपने भाई
हररया से चद
ु वाना है , अभी से उसको पटाने में लग िाती हूाँ। बरसों से मेरी इस काँु वारी चत
ू की आग को कल
ककसी हालत में ठां डा करना है । मैं तम
ु से दो ददन बाद समलती हूाँ, वोही बरगद के पेड़ के पास…”
असलम- “सबर कर, सबर कर, िल्द ही तझ ु े बहुत सारी चूतें और गाण्डें चोदने को समलेंगी। याद नहीां हम लोगों
ने क्या फैसला ककया था। बस अब कुछ ही ददनों की बात है …”
हररया- “हााँ… बात तो याद है , मगर अब रहा नहीां िा रहा है , और उसपर से यह हमारी कफल्मों की रां ड़डयाां, अभी
कुछ ददन पहले माधरु ी की एक कफल्म आई थी “प्रेम ग्रांथ” टीवी पे, आह्हह्हह… क्या मस्त नछनार है माधरु ी, उसके
मम्मे और गाण्ड दे खकर तो मेरी वहीां टाइट हो गई। पास में बापू और किरी थे वरना मैं तो वहीां अपना लौड़ा
ननकाल के माधुरी की गाण्ड पे मट्
ु ठ मार लेता था…”
असलम- “मझ ु े तो करीना की गाण्ड मारने का बहुत मन करता है , साली हर पपक्चर में ऐसे गाण्ड दहलाती है
िैसे हम लोगों से कह रही हो की मादरचोदों आर मेरी गाण्ड मारो, साली की गाण्ड बहुत ही मस्त है, मैं तो उस
गाण्ड को चूसना भी चाहता हूाँ, एम्म क्या कसैला सवाद होगा उसकी गाण्ड का…”
हररया- “हााँ… रे मझ
ु े भी गाण्ड चस
ू ने का बहुत मन करता है , ऐश्वयाद की भी गाण्ड कमाल की है, छोटी है मगर
मस्त है , साली िब भी हाँसती है मेरा लौड़ा तन िाता है , ऐसा लगता है िैसे उसने अभी अभी अपनी गाण्ड से
एक पाद छोड़ी हो और वो इसी बात पे हां स रही है …”
हररया- “हन मैंने अपनी बहन को तो यह सब करते हुए दे खा है, मगर लगता नहीां की इतनी ऐश्वयाद िैसी
खूबसरू त औरतें भी ऐसा गांदा-गांदा काम करती हैं…”
असलम- “इसी में तो मिा है , िरा सोच की तू अपनी नाक ऐश्वयाद की गाण्ड में घस
ु ेड़ के लेटा है और वो तरु रद
तरु रद तरु रद पउ
ु उर्द तस्
ु स्स तझ
ु पे पादती िा रही है और तू उनको सघ
ूां रहा है । आअह्हह्हह… मैं तो मर िाऊाँ खश
ु ी से
अगर मेरा साथ ऐसा हुआ तो। यार चुदाई में जितने गांदे काम करो मिा उतना ही समलता है…”
14
हररया- “सच कहता है यार, अब मझ
ु े भी औरतों के साथ गांदे गांदे काम करने का मन कर रहा है । मझ
ु े अगर
रानी मख
ु िी िैसी औरत समल िाए ना तो मैं उसका सांडास खाने को भी तैयार हूाँ…”
आशा ने सोचा- “क्या मााँ के लण्ड हैं दोनों के दोनों, इनको पटाना तो चुटककयों का काम है…” मगर आशा िल्द
बािी नहीां करना चाहती थी, वो अपने भाई को पटाने का परू ा मिा लेना चाहती थी। यह सब सन
ु के वो समझ
गई के उसे अब क्या करना है ?
हररया- “अभी बहुत दे र हो गई है , बापू के भी आने का वक़्त हो गया है, और तेरी दोनों मााँ भी तेरा इांति
े ार कर
रही होंगी, तू चल मैं तझ
ु े कल समलता हूाँ…”
घर के अांदर आते ही हररया ने आशा को दे खा िो असभ-अभी नहाकर ननकली थी, पानी की बाँद
ू ें उसके चेहरे पे
बड़ी अच्छी लग रही थी। उसे लगा की इतनी खूबसरू त लड़की को शादी करवा के ककसी गैर मदद के हवाले कैसे
कर दां ।ू िैसे तैसे अपने आपको सांभाला और हाथ माँह
ु धोने चला गया।
आशा रोदटयाां बेलने लगी, आशा ने अपना आाँचल कुछ इस तरह से ढका था की उसके दोनों मम्मे आधे से
ज्यादा ददखाई दे रहे थे, ऐसा लग रहा था मानो िैसे चोली फाड़ के बाहर आ िाएांगे। हररया घरू घरू कर आशा
के मम्मों की तरफ दे ख रहा था। उसका लण्ड उसकी चड्डी में तन के लोहा हो गया था। िी में तो आ रहा था
की उसके मम्मों को दबोच कर नोच खाए, उसे समझ नहीां आ रहा था अपने िज़्बातों को कैसे रोके। तभी
अचानक रोदटयाां सेंकते हुए आशा का हाथ तवे को िा लगा।
इस बात में आशा का मतलब कुछ और था… हररया को भी मतलब समझ में आया लेककन सोचा आशा शायद
सचमच
ु ही तवे की बात कर रही हैं।
15
आशा चल्
ू हे के सामने बैठ के पसीने से भीग गई थी, उसके पसीने की खश्ु बू भी अब हररया को पागल कर रही
थी, उसके बगल बबलकुल भीग गये थे, उसने दो तीन बार दे खा था के आशा के बगलों में थोड़े बहुत बाल हैं,
उसे बहुत इच्छा हुई आशा के बगलों का पसीना चाटने की, मगर वह बेबस था। वो चुपचाप रोटी खाने लगा।
हररया- “बहुत अच्छी बनी हैं रोदटयाां, और सब् ी भी मस्त है , मगर दीदी तम
ु तो पसीन से भीग गई हो, िरा
फैन के नीचे बैठकर आराम कर लो, मैं तब तक यह दो रोटी खाता हूाँ…”
आशा ने कफर दस
ू रा तीर छोड़ा, िरा सा अपनी टााँगें फैलाकर बोली- “हााँ… रे मैं तो परू ी भीग गई हूाँ, मेरा तो सब
कुछ भीग गया है…”
आशा- “तू सख
ु ा सकता है मझ
ु …
े ”
आशा को बहुत मिा आने लगा, पहली बार ककसी मदद से ऐसी मिेदार बातें कर रही थी- “अच्छा बता तो कैसे
सख
ु ाते हैं लड़की को?”
आशा- “ठीक है तो तू िल्दी से खाना खा ले, मैं भी अपना काम खतम करके आती हूाँ, कफर टीवी के पास बैठकर
खूब बातें करें ग,े चल िल्दी से खा ले…”
हररया ने अपना खाना खतम ककया और िाके टीवी के सामने बैठ गया, आशा भी 10-15 समनट में अपना काम
खतम करके हररया के पास आर बैठ गई। कुछ दे र तक तो दोनों ने कुछ नहीां कहा, लेककन यह खामोशी आशा
की िान ले रही थी, तो उसने ही बात छे ड़ दी।
आशा- “हााँ… हररया बता तो क्या बोल रहा था वहााँ चूल्हे के पास?”
16
हररया- “मैं क्या बोल रहा था, तम
ु ही पता नहीां कुछ सख
ु ाने की बातें कर रही थी…”
आशा- “भैया पहले यह तो बता, की लड़की के पास ऐसी कौन सी चीि है िो भीग िाती है और ससफद लड़के ही
उसे सख
ु ा सकते हैं…”
हररया अब पागल हो रहा था, उसकी दीदी अब सीधे सीधे उसके लण्ड पर वार कर रही थी। उसका लौड़ा अपनी
बहन आशा के माँह
ु से ऐसी बातें सन
ु के तन रहा था। मगर अपनी टााँगों से उसे छुपाने की कोसशश कर रहा था।
हररया- “दीदी तम
ु तो सब िानती हो, कफर क्यूाँ अांिान बन रही हो?”
आशा- “अरे मैं तो सब िानती हूाँ, मगर मैं अपने छोटे भाई के माँह
ु से सन
ु ना चाहती हूाँ, शमाद मत बता ना…”
हररया- “अरे वोही चीि दीदी िो लड़ककयों के टााँगों के बीच में होती है…”
आशा- “अरे सीधे सीधे बता ना क्या कहते हैं उसे, अपने दोस्तों के साथ तो बड़ी गांदी-गांदी बातें करता है और
अपनी बहन के सामने शरमाता है , मझ
ु े भी अपना दोस्त समझ भैया, चल बता ना क्या कहते हैं उस चीि को
िो एक लड़की की टााँगों के बीच होती है िो हमेशा भीगी रहती है और ससफद एक लड़का ही उसे सख
ु ा सकता
है …”
आशा- “हाय… हाय… ककतना अच्छा लगा आपे छोटे के भाई के माँह
ु से “चूत” शब्द सन
ु कर…” कहते हुए आशा ने
हररया का माथा चम
ू सलया, चम
ू ते चम
ू ते उसने अपने गोल गोल मम्मे हररया की छाती से चचपका ददए।
हररया के जिश्म में तो करें ट दौड़ने लगा। हमेशा लड़ककयों के मम्मे, चूत सोचने वाला हररया एकदम से इस
िवानी की बहार को अपनी बाहों में पाकर खश
ु ी से झम
ू उठा। तभी टीवी पर गाना आ रहा था- “चोली के पीछे
क्या है, चोली के पीछे …” माधुरी का डान्स गिब का सेक्सी था।
आशा- “बता तझ
ु े कैसी लगती है एक लड़की के चोली के अांदर का माल…”
17
हररया- “कमाल है दीदी, भगवान ने लड़ककयों को क्या गिब की चीि दी है मम्मे, दे खो कैसे वहााँ माधुरी अपने
मम्मों को झटका दे दे के उठा रही है , िैसे हम लोगों से कह रही हो की आओ और आर मेरे मम्मों को नोच
डालो। कोई भी लड़का कफदा हो िाएगा अगर एक लड़की अपने मम्मों का माल उसे ददखा दे गी तो…”
आशा को खूब नशा चढ़ने लगा िवानी का, परू े रां ग में आ गई थी अब आशा, अब तो चुदाई ककए बगैर वो
हररया को छोड़ने वाली ही नहीां थी, इसीसलये उसने हररया को और गरम करना चाहा- “बता क्या कहते हैं मेरे
मम्मों के बारे में तम्
ु हारे दोस्त…”
हररया- “असलम सबसे बड़ा दीवाना है तेरा दीदी, वो तेरे मम्मों के बीच में लौड़ा डाल के चोदना चाहता है, कफर
तेरे इन मम्मों को अपने लण्ड के पानी से परू ा सभगो दे ना चाहता है और बहुत से गांदे गांदे खयाल आते हैं उसके
मन में तेरे बारे में…”
कहता है - “हररया तेरी बहन आशा की गाण्ड की बदबू ककतनी मस्त होगी, काश एक बार उसकी गाण्ड में नाक
डालने को समल िाए बस… और और…”
18
आशा- “िब तेरे दोस्त यह सब गांदी-गांदी बातें मेरे बारे में कर रहे थे तो तझ
ु े बरु ा नहीां लगा?”
आशा- तो चल हररया आि मैं तेरे ददल की हर तमन्ना परू ी करने को तैयार हूाँ, आ िा मेरे होंठों को चूम ले…”
हररया का ददल खुशी के मारे उछल पड़ा, हररया आशा के होंठ चूमने के सलए आगे बढ़ा। आशा भी अपने भाई को
चूमने के सलए अपने होंठ हररया के होंठ के करीब लाई, होंठों ने होंठों का स्पशद ककया ही था की तभी ककसी ने
दरवािे पे दस्तक ददया। आशा और हररया को बहुत गस् ु सा आया की कौन आ गया इस वक़्त कबाब में हड्डी
बनकर। बापू के आने में तो अभी घांटा था, इस वक़्त कौन आ टपका।
असलम के ददल में तो आया की वो आशा का वहीां बलात्कार कर दे मगर ककसी तरह अपने आपको रोक कर
कहा- “दीदी, हररया है … िरा िरूरी काम था…”
आशा ने दे खा के हररया की निरें उसकी चोली को चीर के उसके मम्मों को आाँखों से चोद रही थीां, आशा ने एक
शरारत भरे मस्
ु कुराहट के साथ कहा- “बैठो असलम अभी बल
ु ाती हूाँ…”
असलम- “अरे हररया, कल शहर में समननस्टर साब आ रहे हैं और वहााँ उनके स्वागत की परू ी जिम्मेदारी हमें
समली है , बस एक रात का काम है , कल सब
ु ह तक लौट आएांग,े और सन
ु अगर काम अच्छा ककया तो ससफद एक
रात में 200 रुपये तक कमा सकते हैं। ज्यादा सोच मत और चल अभी मेरे साथ…”
हररया बहुत ननराश हुआ, आशा के साथ वक़्त बबताने का यह एक िो मौंका समला था अब वो भी गया, उसने
उदास मन से आशा की तरफ दे खा, वो भी उदास हो गई थी।
हररया ने असलम से कहा- “तू चल मैं बस अभी 10 समनट में आता हूाँ…” असलम चला गया।
आशा- “कोई बात नहीां भैया, आि की रात मैं खुद को सांभाल लाँ ग
ू ी, और तो और कल से तो हमारा राि है, कोई
रोकने वाला नहीां, आि अगर तम
ु िाओगे तो 200 रुपये समलेंगे जिससे घर को बहुत मदद समलेगी, तू िा, हम
कल मिा करें गे तू िा आि…”
19
हररया- “ठीक है दीदी अगर तम
ु कहती हो तो मैं िाता हूाँ, मगर कल तक पता नहीां कैसे सबर कर पाऊाँगा?”
आशा- “कोई बात नहीां कर लेंगे, कल का ददन हमारे ज ांदगी का सबसे अच्छा ददन होगा, यह सोचकर आि की
रात गि
ु र लेंगे भैया…”
हररया ननकल गया असलम के साथ शहर की तरफ, इधर आशा भी बहुत उदास हो गई। अपनी चत ू और गाण्ड
की आग समटाने का मौका हाथ से ननकल गया था, मगर कल के बारे में सोच सोच के अपने ददल को बहलाने
लगी। कुछ दे र में आशा के बापू सरु रांदर ने दरवािा खटखटाया। आशा ने दरवािा खोला तो दे खा की उसका बापू
परू ी तरह से नशे में धत
ु था, कमीि खल
ु ी हुई थी, बाल बबखरे हुए थे और धोती ननकल रही थी। आशा ने ककसी
तरह अपने बापू को सांभाला और लाकर बबस्तर पे सलटा ददया।
आशा- “बापू क्यों पीते हो इतना बापू की खुद को सांभाल ना पाओ, अभी क्या ऐसे ही पड़े रहोगे या कुछ खाना
भी खाओगे, बापू बापू उठो बापू बाप…
ू ”
मगर सरु रांदर की तरफ से कोई िवाब नहीां आया वो खामोश आाँखें बांद करके पड़ा हुआ था बबस्तर पर। आशा ने
अभी खाना नहीां खाया था इसीसलये वो अकेले ही खाना खाने चली गई। आकर िब उसकी निर बबस्तर पर
पड़ती है तो दे खती है अपने बापू की चौड़ी छाती, बालों से भरी हुई मस्त लग रही थी। कफर उसने अपने बापू के
चेहरे की तरफ दे खा, ददखने में भी आशा का बापू कुछ बरु ा नहीां था, मानो अननल कपरू िैसा ददखता था।
आशा अपने बापू के सड ु ोल शरीर को ननहारने लगी। उसे अपने बापू पर बहुत प्यार आने लगा, वो धीरे से उसके
पास गई और उसे थोड़े झटके दे के उठाने की कोसशश की पर सरु रांदर गहरी नीांद में सोया हुआ था, आशा थोड़ी
सी ननजश्चांत हो गई और अपने बापू के पास बैठ गई। कफर धीरे -धीरे आशा ने अपने बापू की कमीि खोली और
उसके बालों से भरी छाती पे हाथ फेरने लगी। िब दे खा की सरु रांदर दहला तक नहीां तो आशा अब अपनी िीभ
अपने बापू की छाती पर फेरने लगी। पसीने और शराब से सनी हुई छाती को चाटने में बहुत मिा आ रहा था
आशा को। पहली बार एक मदद की महक महसस ू कर रही थी आशा, उसे बहुत अच्छा लग रहा था। आशा अब
अपने बापू के माँह
ु की तरफ बढ़ी।
माँह
ु से शराब की बहुत बदबू आ रही थी मगर आशा को यह बदबू बहुत अच्छी लगने लगी और उसने फाटक से
अपने बापू के होंठों को चम
ू सलया। चूमते चूमते अपने बापू के होंठों को िोर िोर से चूसने लगी, अपनी िीभ
बापू के माँह
ु के अांदर डाल डाल के चस
ू रही थी। यह सब करते करते वो अपनी चत
ू में उां गली भी कर रही थी।
इतना मिा उसे कभी नहीां आया, एक मदद का शरीर क्या होता है यह उसने आि पहली बार समझा था। अब वो
धीरे -धीरे नीचे आकर बापू की धोती खोलने लगी, कफर उसके लांगोट को नीचे ककया तो दे खा सााँप की तरह
फनफनाता हुआ बापू का लौड़ा बाहर ननकला।
पहली बार अपनी ज ांदगी में एक मदद का िीता िागता लौड़ा इतने करीब से दे ख रही थी आशा और उसकी खश
ु ी
का कोई दठकाना नहीां था। उसने धीरे से उसको अपने हाथ में सलया, लौड़ा बहुत भारी था और लांबा था, आशा के
छोटे छोटे हाथों में नहीां समा रहा था। हल्के से अपने बापू का लौड़ा दहलाने लगी, कफर आशा ने उसे साँघ
ू ा, तो
पाया की बापू के लण्ड से तो गाण्ड की बदबू आ रही है , लगता है शहर में ककसी राांड़ की गाण्ड मार कर आए हैं,
गौर से दे खा तो लण्ड पे िरा सी टट्टी भी लगी हुई थी। यह सब दे खकर आशा के माँह
ु में पानी आने लगा मगर
20
पानी तो चूत के माँह
ु से भी आ रहा था। आशा को समझ नहीां आ रहा था की अपने बापू के लण्ड को माँह
ु में ले
या चत
ू में । आशा ने सोच सलया की पहले वो इस लण्ड का स्वाद चखेगी और उसे हौले हौले माँह
ु में लेने लगी
और चस
ू ने लगी। वाआह क्या स्वाद था एक मदद के लण्ड का, वो तो पागल हो रही थी अपने बापू के लण्ड को
माँह
ु में लेके, और उस पर गाण्ड की खुश्बू अलग से।
एम्म्म वो अब रफ़्तार बढ़ने लगी और चूसने लगी, उसे खूब अपनी थूक से गीला करती और कफर परू े के परू े
लण्ड को अपने माँह
ु में लेती।
इतने में उसके बापू नीांद में बाद बड़ाने लगे- “हााँ… उमा और चूसो उमा और चूसो, ले लो मेरा पानी अपने मह
ाँु में
और चस
ू ो उमा और अांदर लेकर चस
ू ो…”
आशा ने कफर लौड़ा चूसते चूसते अपने बापू की टााँगों को उठा ददया और उनकी गाण्ड में उां गली करने लगी, थोड़ी
दे र बाद उस उां गली को बाहर ननकाल के सघ
ांू ने लगी। बहुत ही बदबद
ू ार गाण्ड थी बापू की मगर आशा को वो
बदबू बहुत रास आई और वो और िोर िोर से लौड़ा चूसने लगी। कफर कुछ दे र के सलए अपने बापू की गाण्ड में
आशा ने िीभ डाली और अपने बापू की गाण्ड चाटने लगी। बहुत अच्छा लगा उसे एक मदद की गाण्ड का स्वाद।
इतने में अचानक से बापू की गाण्ड में से एक गीली बदबद
ू ार पाद ननकली और आशा की नाक में घस
ु गया। उस
बदबू ने तो आशा को पागल कर ददया और वो एक नये िोश के साथ बापू का लौड़ा गाण्ड में उां गली करते हुए
चस
ू ने लगी।
***** *****
सब
ु ह आशा िल्दी उठ गई, बाहर आाँगन में दे खा तो हररया लेटा था, शायद अभी अभी लौटा था, थका लग रहा
था। इसीलये उसे उठाया नहीां। आशा ने पहले घर का सारा काम खतम ककया, मगर रोि की तरह खेतों में
सांडास करने नहीां गई, क्योंकी उसके इरादे कुछ और थे। कफर थोड़ी दे र बाद आशा का बापू सरु रांदर उठ गया।
आशा- “रोि इतना दारू पपयोगे तो तबीयत ऐसे ही खराब होती रहे गी बाप,ू क्यों पीते हो इतना दारू, मेरा कहना
मानो तो दारू पीना बबल्कुल ही छोड़ दो…”
बापू ने अब पहली बार आशा की तरफ ठीक से दे खा, आशा का ब्लाउस के ऊपर के दो बटन खल ु े हुए थे और
उसके स्तन बाहर आने को मचल रहे थे। लहें गा नासभ के बहुत नीचे बाँधा था, अगर और एक इांच भी नीचे होती
तो आशा की चूत के बालों के दशदन हो िाते। उसकी नासभ बहुत सद ुां र और रसीली लग रही थी, आशा की
मलाईदार कमर चाटने लायक थी। पल्लू तो डाला ही नहीां था, पक्की नछनार लग रही थी आशा। बापू का लौड़ा
धोती में खड़ा होना शरू
ु हो गया, अपनी आाँखों से उसकी िवानी का रस पीने लगा।
अब सरु रांदर को चाय बहुत फीकी लग रही उसे अपनी बेटी की मसालेदार िवानी के सामने। बाप-ू “क्या करूाँ रे ,
तेरी शादी की कफकर मझ ु े खाए िा रही है, कोई भी ररश्ता िम नहीां रहा। तू नहीां िानती एक “िवान” लड़की का
बाप होना ककतना मजु श्कल है , घर में काँु वारी तझ
ु े कब तक बबठा के रख…
ूां ”
आशा ने कफर कहा- “िाने दो बाप,ू लगता है मेरी ज ांदगी में यह काँु वारापन ही सलखा है, शादी मेरे नसीब में नहीां
है । यह िवानी का “द…” और उसकी “तड़प” मैं सह लाँ ग
ू ी। यहीां रह कर ज द
ां गी भर तम्
ु हारी और हररया की सेवा
करूाँगी…”
बाप-ू “हााँ… मैं समझ सकता हूाँ, तू क्या कहना चाहती है , मैं तेरा ‘ददद’ समझता हूाँ…”
सरु रांदर ने सोचा- “मेरी बेटी तो वाकई िवानी की आग में झुलस रही है, इसकी िवानी रस टपका रही है, इसकी
चूत लण्ड मााँग रही है, क्यों ना मैं ही इसे चोद डाल,ूां उमा को चोद के बहनचोद तो मैं बन ही गया हूाँ, अब इस
राांड़ आशा को भी चोद के बेटीचोद बन िाऊाँगा तो क्या हरि है । घर में ही कसी हुई चत
ू और गाण्ड चोदने को
समलेगी। पर क्या आशा मानेगी मझ ु से चुदवाने को… ठीक है कोसशश करता हूाँ मान गई तो अच्छा है वरना माफी
मााँग लाँ ग
ू ा…”
कफर अचानक कमरे में एक बदबू सी फैलने लगी, सरु रांदर ने हल्के से साँघ
ू ा तो वो एक पाद की बदबू थी, इसका
मतलब कमरे में ककसी ने अपनी गाण्ड से हवा छोड़ी है । सरु रांदर ने सोचा- “मैंने तो नहीां छोड़ी पाद तो इसका
मतलब इस राांड़ ने छोड़ा है, आआआः क्या मस्त है मेरी बेटी की पाद, इतनी नशीली पाद तो उमा की भी नहीां
है । आवाि नहीां आई पर उसकी खुशबू तो पागल कर दे नेवाली है । हााँ इतनी मस्त राांड़ मैंने घर में ही पाल रखी
है और चनू तयों की तरह शहर में नछनारों को ढूांढ़ता कफरता हूाँ। इसकी गाण्ड सघ
ांू ने को समल िाए तो बस मिा
आ िाए…”
आशा- “ठीक है मैं पानी गरम कर दे ती हूाँ बापू नहा लो। अगर सांडास िाना है तो िाके आ िाओ…” कहकर
आशा उठके गाण्ड मटकाते हुई चली गई, उसकी गाण्ड पीछे से बहुत मस्त लग रही थी। सरु रांदर के तो िी में आ
रहा था की “लहें गा उठा के आशा की गाण्ड में माँह
ु मार दां ,ू उसकी गाण्ड चाट लाँ ।ू उसके पाद सघ
ूां लाँ ,ू अगर वो
मन िाए तो आशा बबदटया का सांडास भी खा िाऊाँ…” पर अभी वो िल्दबािी नहीां करना चाह रहा था। वो मह
ाँु
धोने चला गया।
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बापू की हालत और खराब हो। कफर अचानक से आशा ने कफर पादा मगर इस बार आशा ने एक िोरदार
धमाकेदार पाद अपनी गाण्ड से ननकाला था।
कफर सरु रांदर नहाने चला चला गया, बाथरूम भी ऐसा मतलब चारों तरफ घास फूस से बना हुआ एक छोटा सा
कमरा। आशा भी बाहर से थोड़ी सी घास हटाकर अांदर का निारा दे खने लगी। सरु रांदर बेकफकर होकर सारे कपड़े
ननकाल के परू ा नांगा होकर नहाने लगा। आशा के तो माँह
ु में पानी आगे अपने बापू को परू ा नांगा दे खके, उसका
सड
ु ौल बदन, ताकतवर बाि,ू मिबत
ू िाांघ,ें गोल गोल आकर्दक गाण्ड और लोहे सा सख़्त लांबा और मोटा लण्ड।
बस अपने बापू के नीचे रगड़ने को आशा बेकरार हो रही थी। अपनी बालों भरी छाती पे साबन
ु माल मल के नघस
रहा था। कफर अचानक नहाते नहाते ही वहीां बैठ गया और मत
ू ने लगा। उसका लौड़ा सख़्त था मगर कफर भी मत
ू
रहा था।
आशा ने कहा- “तैयार होकर आ िाओ मैंने हलवा परू ी बनाई है तम्
ु हारे सलए, आकर खा लो…”
सरु रांदर कपड़े पहन के आकर खाने के सलए बैठ गया, आशा को बापू बहुत स्माटद और सद
ुां र अच्छा लग रहा था।
आशा- “बापू आि तम
ु बहुत अच्छे ददख रहे हो…”
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सरु रांदर को बहुत अच्छा लगा की एक िवान लड़की उसकी तारीफ कर रही है, वो हल्के से मस् ु कुरा कर रह गया।
कफर सरु रांदर ने खाने को दे खते हुए कहा- “सब
ु ह सब
ु ह इतना सब कुछ बनाने की क्या िरूरत थी बेटी?”
सरु रांदर ने खाते हुए कहा- “आ क्या मस्त स्वाद है तेरा यार… मेरा मतलब है हलवे का, मिा आ गया…”
आशा अब और झक ु झुक के अपने मम्मे का िोरदार प्रदशदन करते हुए परोसने लगी। सरु रांदर भी अपनी भरपरू
िवान बेटी को आाँखों से चोद रहा था, उसका मिा ले रहा था। तभी आशा ने अपने एक और हचथयार का प्रयोग
ककया। हल्के से उसने एक धीमी मगर बहुत ही बदबद ू ार पाद अपनी गाण्ड से ननकाली। आशा उस बदबू का
अपने बापू की नाक तक पहुाँचने का इांति
े ार कर रही थी।
आशा ने मन ही मन कहा- “अच्छा तो बापू हलवे की बात कर रहें हैं, मैं तो सोची बापू मेरी पाद के बारे में बात
कर रहे हैं…”
मगर सच तो यह था की सरु रांदर आशा के पाद की ही तारीफ कर रहा था। उसकी बदबू उसे बहुत मस्त कर रही
थी, एक िवान गाण्ड के पाद की महक उसे हवस से पागल कर रही थी।
आशा ने कहा- “हााँ… बाप,ू एक रात की तैयारी लगी है इसे बनाने में …” लेककन आशा का मतलब कुछ और था।
सरु रांदर भी दोहरे अथद में बात करने लगा- “तभी िाकर इतनी अच्छी खुश्बू आ रही है , वाह क्या खुश्बू है तेरे
हलवे का… आशा कसम से बहुत हलवा खाया है मगर ऐसी खुश्बू ककसी भी हलवे में नहीां थी। िी में आता है की
इसकी खश्ु बू ज ांदगी भर सघ
ांू ता रहूां…”
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आशा ने मन ही मन कहा- “एक बार हााँ तो कहो बापू परू ा का परू ा हलवा खखला दाँ ग
ू ी…”
आशा- “तम्
ु हें मेरे हलवे की खुश्बू अच्छी लगी, यही मेरे सलए बड़ी बात है…”
सरु रांदर ने बड़े चाव से सारा हलवा परू ी खाया, शायद आशा के पाद की महक ने उसकी भख
ू बढ़ा दी थी। खाने के
बाद सरु रांदर उठा और काम पर िाने की तैयारी में लग गया।
तभी आशा ने पछ
ू डाला- “शहर में उमा बआ
ु की क्या तबीयत है …”
सरु रांदर को एक झटका लगा की आशा को अचानक उमा की क्यों सझ ू ी उसने बात को टालते हुए कहा- “पता
नहीां कैसी है , बहुत ददन हो गये उसे समले हुए, भरी िवानी में पवधवा हो गई है , अभी उमर ही क्या है उसकी
बस 29 साल, अब पता नहीां कैसे गि
ु ारा कर रही है, मेरी इतनी औकात भी नहीां है की मैं िाके उसकी कुछ
मदद करूाँ…”
बाप-ू “तझ
ु े अचानक उमा की याद कैसे आ गई?”
तभी अचानक से आशा ने कफर एक बार धमाकेदार पाद छोड़ा मगर इस बार िानबझ
ू के नहीां था, गाण्ड में िो
टट्टी भरी थी उसने अपना असर ददखाना शरू
ु कर ददया था। आशा अचानक से ननकले इस पाद पर है रान हुई
और बापू की तरफ दे खा िो आशा का पाद सघूां ने में व्यस्त था।
आशा ने सोचा- “साला बहनचोद, खाते वक़्त मेरे पादों की बदबू का मिा ले रहा था, मेरा हलवा खाने की बातें
कर रहा था और अब कहता है पाद छुड़ना सभ्य लोगों का काम नहीां है, अब दे ख मैं कैसे अपनी बातों से तझ
ु े
अपना दीवाना बनाकर मिा चखाती हूाँ…”
आशा- “हााँ… बापू आि मैं नहीां गई क्योंकी घर में काम इतना था, सोचा तम्
ु हारे सलए हलवा परू ी बना लाँ ू कफर
चली िाऊाँगी। और वैसे भी िब मैं टट्टी करने िाती हूाँ तो गााँव के सारे लड़के मेरे पीछे पीछे चले आते हैं,
आकर मझ ु े सांडास करते हुए दे खते हैं, बहुत शरम आती है बाप।ू कल तो एक नछछोरे ने पीछे से आकर मेरी
गाण्ड में उां गली करनी शरू
ु कर दी और मैं उसे रोक भी नहीां पाई क्योंकी इतना अच्छा लग रहा था उसकी उनली
मेरे गाण्ड में की मैं अपने आपको भल
ू गई। कफर िब होश में आई तो वहााँ कोई नहीां था। लेककन इतना मिा
26
आया की मैं बता नहीां सकती, मन बहकने लगा था। कुछ ऊाँच नीच ना हो िाए इसी डर से आि से मैंने खेतों
में सांडास िाना बांद कर ददया है । यहीां घर के पपछवाड़े बैठ िाऊाँगी…”
बस अब तो सरु रांदर पागल हो गया था, यह उसकी बेटी कैसी बातें कर रही है । आशा की बातों का असर सीधे
उसके लण्ड पर हो रहा था। अब उससे रहा नहीां िा रहा था, िी में तो आया की आशा को पलटा के, उसका
लहें गा उठाके गाण्ड में से सारी टट्टी चूस लाँ ू मगर वो अभी रुकना चाह रहा था। अपने और अपने लण्ड को काबू
करके बोला- “हााँ… हााँ ठीक ककया तन
ू ,े कहीां कुछ गड़बड़ हो गई तो गााँव में मैं मह
ाँु ददखाने लायक नहीां रहूाँगा…”
आशा ने सोचा- “वाह रे राांड़ के िने, शहर िाके तू अपनी सगी बहन की गाण्ड चोदता है और यहााँ इज्ित की
बात करता है…”
सरु रांदर- “िब तक मैं बीड़ी पी लाँ ू तू पपछवाड़े िाके हग के आ िा, मैं बैठता हूाँ…”
आशा ने सोचा- “अच्छा तो आि बापू मझ ु े हगते हुए दे खना चाहता है, ठीक है अब ऐसा निारा ददखाती हूाँ की
साला लण्ड में से फव्वारे छूटें गे…”
सरु रांदर खखड़की के पास बैठकर आशा को सांडास करते हुए दे ख रहा था। आशा ने लहें गा उठाया तो सरु रांदर ने
दे खा की आशा ने तो कच्छी ही नहीां पहनी। सोचा साली क्या नछनार है बबना कच्छी के घम ू ती है , आशा खखड़की
की तरफ गाण्ड करके बैठ गई हगने।
सरु रांदर ने अपना लौड़ा ननकाला और आशा की गाण्ड को दे खते हुए मट् ु ठ मारने लगा, आशा सब िानती थी की
पीछे से उसका बापू उसे दे ख रहा है । आशा पहले अपनी गाण्ड में उां गली डालकर दहलाने लगी, थोड़ी दे र बाद
उां गली ननकाल ली, और कफर धीरे -धीरे गाण्ड में से बड़े बड़े टुकड़े गू के ननकलने लगे। सरू ि की रोशनी में
चमकते हुए पीले पीले से टुकड़े बहुत ही प्यारे और मस्त लग रहे थे। एक पे एक, एक पे एक, एक पे एक ऐसे
टुकड़े ननकलते ही िा रहे थे और एक छोटा सा पहाड़ िैसे बन गये थे। कफर थोड़ी दे र बाद आशा ने वैसे ही
लहें गा उठाए हुए पानी लेने गई और बैठके अपनी गाण्ड धोने लगी। आशा के हाथ पे उसकी गाण्ड की बदबू खबू
लग गई थी। आशा ने खखड़की की तरफ दे खना चाहा मगर नहीां दे खा। कफर लहें गे को नीचे करके कमरे में आ
गई।
सरु रांदर अांिान बनने का नाटक करते हुए बीड़ी पी रहा था।
आशा- “हााँ… बापू कर आई सांडास मैं, पेट हल्का हो गया वरना ना िाने और ककतने पाद ननकलते…”
आशा ने सोचा- “पता नहीां बापू इतना शरीफ बनने का नाटक क्यों करता है, अगर मौका समले तो यह मेरी गाण्ड
के नीचे बैठके मेरी सारी टट्टी खा िाए, साला नछनार की पैदाइश, अभी दे ख मैं क्या बोलती हूाँ…”
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आशा- “नहीां बापू कुछ गांदा नहीां होगा, वो हमारा कुत्ता है ना, उसे मेरी टट्टी बहुत पसांद है, कई बार उसने मेरी
टट्टी खाई है, बड़े चाव से खाता है मेरा सांडास, ठीक वैसे ही िैसे तम ु अभी वहााँ मेरा बनाया हलवा खा रहे थे,
अरे , यह भी तो मेरा बनाया हुआ ही हलवा है ना, वो हाथ से बनाया तम
ु ने खाया, यह गाण्ड से बनाया कुत्ते ने
खा सलया…”
सरु रांदर को अब कुछ कहने को रहा ही नहीां, आशा ऐसी ऐसी बातें कर रही थी की उसका लौड़ा गरम लोहे की
तरह धोती में सरु ाख करके बाहर आने को था, उसे लगा- “मझ
ु से अच्छी ककश्मत तो उस कुत्ते की है िो आशा
की टट्टी खा सकता है, काश थोड़ी दे र के सलए वो भी कुत्ता बन िाता, तो वो भी आशा की टट्टी का स्वाद तो
चख सकता…”
बाप-ू “कहााँ?”
आशा ने सब दे खा और खश
ु हो गई, उसकी और भाभी के नक्
ु के काम कर रहे थे, अब वो पल ज्यादा दरू नहीां
िब इस घर में चद
ु ाई का नांगा नाच होगा।
सब
ु ह के 10:00 बिे थे, अभी हररया उठा नहीां था। अब आशा ने अपना रुख हररया की तरफ ककया और उसे
उठाने आाँगन में चली गई।
***** *****
आशा को हररया को उठाने के सलए एक शरारत सझ
ू ी, उसने अपने सांडास की बदबू वाले हाथों को हररया की नाक
के पास रख ददया। हररया िो गहरी गहरी सााँसें भर रहा था, अचानक से अपनी नाक में एक अिीब सी बदबू को
28
साँघ
ू कर उठ गया, आाँखें खोलकर दे खता है तो आशा, एक खूबसरू त मस्
ु कुराहट के साथ उसके साथ पास बैठी थी।
इतनी खब
ू सरू त लग रही थी आि हररया को अपनी बहन, उसकी छाती फूलकर उसकी चोली से बाहर आ रही
थी, कमर ललचा रही थी। हररया तो बस अब अपनी बहन का दीवाना हो गया था, उसे ज द
ां गी में और कुछ नहीां
बस उसकी बहन चादहए थी।
हररया- “दीदी, यह कैसी बदबू है , िानी पहचानी है मगर कफर भी याद नहीां आ रही है …”
आशा ने हां सते हुए आाँख मारी और कहा- “लगता है याद आ गई की कहााँ की बू है …” कहते हुए वो उठ के भाग
गई।
आशा आाँगन में हररया से बचने के सलए भाग रही थी, हररया उसके पीछे पीछे दौड़ रहा था- “रुक िाओ दीदी,
रुक िाओ…”
आशा िब दौड़ रही थी तो उसके मम्मे उसकी चोली से अांदर बाहर हो रहे थे, उसकी गाण्ड के गोल गोल चूतर
दहल रहे थे, ऐसा निारा अपनी आाँखों के सामने हररया पहली बार दे ख रहा था। सब
ु ह सब
ु ह उसका लौड़ा वैसे ही
तन िाता था, आि तो उसकी बहन की गाण्ड की बदबू और उसपर ऐसा निारा, उसका लौड़ा लोहा हो गया था।
कफर हररया ने आखखर उसे पीछे से आकर पकड़ ही सलया, आशा के मम्मे हररया के मिबत
ू बाहों में मसल रही
थी और उसे बहुत मिा आ रहा था, “आअह्हह्हह… अच्छा लग रहा है भैया। आअह्हह्हह… और मस्लो भैया,
म्म्म्मम…”
हररया- “यहााँ आाँगन में दीदी, यहााँ तो कोई भी हमें दे ख लेगा दीदी…”
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आशा- “दे खने दो, अब मझ
ु े ककसी से नहीां डरना है, मैं सबके सामने अपने भैया से मिे लेना चाहती हूाँ। मैं
तम्
ु हारी राांड़ बन के रहूांगी भैया। तम
ु मझ
ु े कहीां भी ककसी के सामने भी कुछ भी कर सकते हो। मैं तम्
ु हें कुछ
नहीां कहूाँगी…”
हररया- “दीदी तम
ु तो बड़ी हरामी हो, आ िाओ, आि तम्
ु हारा भाई सबके सामने तम्
ु हारा माँह
ु चूमता है और तम्
ु हें
अपनी राांड़ घोपर्त करता है …” और कफर हररया आशा के माँह
ु से अपना माँह
ु सभड़ा दे ता है और आशा के होंठ
चम
ू ने लगता है ।
आशा- “मेरे होंठ एक एक करके चूसो भैया, बहुत मिा आएगा तम्
ु हें भी और मझ
ु े भी…”
हररया आशा के दोनों होंठ एक एक करके चूस रहा था, ऐसा बस उसने कफल्मों में दे खा था सोचा ही नहीां था की
इतनी िल्दी ककसी के साथ यह सब करने का मौका समलेगा और वो भी अपनी सगी बहन के साथ। वो अपनी
खुश ककस्मती पर इतरा रहा था।
कफर एक ने आशा से कहा- “क्यों री आशा, तेरी सारी शरम हया मर गई है क्या, िो ऐसे नघनोने काम कर रही
है , अपने ही भाई से माँह
ु चस
ु वा रही है , पाप कर रही है त,ू अगर चुदाई के सलए चूत इतनी ही खुिला रही है तो
गााँव में ककसी भी मदद के नीचे सो िाती, अपने ही भाई से करवाने में तझ
ु े शरम नहीां आई…”
30
आशा- “तझ
ु े चचांता करने की कोई िरूरत नहीां है, अगर बापू ने कुछ कहा तो मैं सांभाल लाँ ग
ू ी, तू नहीां िानता
बापू भी साला बहुत बड़ा बहनचोद है , तू बस दे खता िा अब कैसे मैं इस घर का सारा माहौल बदल दे ती हूाँ। तू
बस अब िो हो रहा है उसे होने दो, आ अब मझ ु े तेरे होंठ चूसने दे , एक िवान मदद के माँह
ु का स्वाद दे खूां तो
कैसा है …”
आशा अब धीरे -धीरे हररया के दोनों होंठ एक एक करके चूसने लगती है, कफर हररया की िीभ को चाटती है,
हररया तो खश
ु ी से पागल हो रहा था, उसके मिे की कोई हद नहीां थी, वह मदहोश होकर अपना माँह
ु आशा से
चुसवा रहा था, आशा अपनी िीभ उसके माँह
ु में डालकर परू ा का परू ा माँह
ु चाट लेती है ।
हररया आशा को चम ू ते हुए आशा की भरी भरी गोल गोल गाण्ड को अपनी परू ी ताकत से मसलने लगा। उसके
लहें गे के ऊपर से ही उसकी गाण्ड की गली में उां गली डालकर उसकी गाण्ड की छे द में घस
ु ाने लगा।
आशा को खूब मिा आने लगा था मगर वो हररया को और उकसाना चाहती थी। वो उसे लेकर घर के अांदर चली
गई और दरवािा बांद कर सलया।
िैसे ही आशा दरवािा बांद करके पलटी तो हररया उसे अपनी बाहों में भरके अपनी छाती से उसके मम्मों को
दबाने लगा। आशा को बहुत मिा आ रहा था, मगर उसने अपने आप पर काबू पाया और अपने भाई को धकेल
ददया- “भैया यह क्या कर रहे हो, मैं तम्
ु हारी बड़ी बहन हूाँ, तम्
ु हारी राांड़ नहीां िो ऐसे दबोच रहे हो। कुछ तो
शरम करो। चलो दरू हटो मझ
ु से…”
हररया परे शान हो उठा, यह अचानक आशा को क्या हो गया है , बाहर तो सबके सामने मझ
ु से चुम्मा चाटी कर
रही थी, अांदर आते ही सती सापवत्री बन गई।
31
हररया- “क्या हुआ आशा दीदी, तम ु िानती हो की मैं तम्
ु हारा ककतना दीवाना हो चुका हूाँ। अब तो तम्
ु हें चोदे
बगैर मैं ज द
ां ा नहीां रह सकता। और तम
ु भी मेरा लौड़ा अपने छे दों में लेने के सलए तरस रही थी। बाहर तो
बािारू नछनारों की तरह मझ
ु से सलपट रही थी, कमरे में आते ही अचानक तम
ु बदल कैसे गई…”
आशा हररया को एहसास ददलाना चाहती थी की वो अपनी सगी बहन को चोदने िा रहा है , दनु नया का सबसे बड़ा
पाप वो करने िा रहा है , और वो िानती थी की पाप करने में ककतना मिा आता है , वो हररया को उस मिे का
एहसास ददलाना चाहती थी।
आशा- “शरम कर बहनचोद, मैं तेरी बहन हूाँ, सगी बहन। तू और मैं एक ही बाप के लण्ड के पानी से बने हैं,
एक ही मााँ की भोसड़े से ननकले हैं और तू मेरी चत
ू और गाण्ड में लण्ड पेलकर चोदना चाहता है , छीः तू ककतना
गांदा है , पापी…”
हररया का लौड़ा िो िरा मरु झा गया था, अब कफर से आशा की मसालेदार बातें सन
ु के तन गया। वो समझ गया
की आशा उसे और उकसाने की कोसशश कर रही है । वो भी इस खेल में शासमल हो गया।
हररया- “हााँ… आशा दीदी… मैं तझ ु े अपनी नछनार बनाना चाहता हूाँ, तू मेरी राांड़ बनकर रहे गी। पहले तो मैं तझ ु े
खूब चोदाँ ग
ू ा, तेरी चूत को भोसड़ा और तेरी गाण्ड को चूत बनाऊाँगा। कफर मैं तेरे माँह
ु में खूब मतू ाँग
ू ा, तझ
ु से अपनी
गाण्ड चटवाऊाँगा। अब तू मझ
ु से नहीां बच सकती…”
आशा समझ गई की हररया को उसका खेल समझ में आ चक ु ा है और वो मन ही मन खश ु होते हुए बोली-
“साले राांड़ के िने, तू मझ
ु े अपनी राांड़ बनाएगा, अपनी सगी बहन को गााँव की रां डी बनाएगा, भड़वे तझु े िरा भी
शरम नहीां आई ऐसा कहते हुए, मैं मर िाऊाँगी मगर कभी तेरे लण्ड को अपनी इस चूत (लहें गा उठाके चूत की
तरफ इशारा करते हुए) या गाण्ड (पीछे मड
ू के गाण्ड में उां गली डालते हुए बोली) के पास भी भटकने नहीां दाँ ग
ू ी।
समझा, और तेरा मत
ू पीने का तो सवाल ही नहीां उठता, तू क्या समझता है की मैं तेरा लण्ड खश
ु ी खुशी अपने
माँह
ु में लेकर तेरा मत
ू पपयग
ूां ी, सपने दे खना छोड़ दे । तन
ू े क्या सोच तू मेरी तरफ गाण्ड करके बोलेगा “चाट” और
मैं तेरी गांदी बदबद
ू ार गाण्ड में िीभ डालकर परू ी गाण्ड चाट लाँ ग
ू ी। ऐसा कभी नहीां होगा, मैं अपनी मााँ की चत
ू
की कसम खाके कहती हूाँ…”
हररया तो अब हवस से पागल हो रहा था, वो आशा की ओर लपका और उसे अपनी मिबत
ू बाहों में भर के
उसके माँह
ु में अपनी िीभ डालकर उसके माँह
ु के अांदर चाटने लगा। कफर अपने हाथों को नीचे िाने ददया और
उसके गोल गोल चत ू रों को मसलने लगा। आशा को एहसास हुआ के लोहा गरम हो चक
ु ा है , अब तो बस उसे
रास्ता ददखाने की िरूरत है।
हररया समझ गया के आशा उसे अपने मम्मे चूसने और मसलने को कह रही है । उसने अपने हाथ आशा के
ननतांबों से हटाकर उसकी चोली पे डाल ददया और एक ही झटके में उसे फाड़ ददया। आशा के दो खूबसरू त कबत
ू र
बाहर ननकल आए िो ककसी भी मदद को खन
ू (कत्ल) करने पर भी मिबरू कर सकते थे। बस हररया की तो
बोलती बांद हो गई थी आशा के मम्मों को दे ख के, वो खुद को कोसने लगा की ऐसा फटाका घर में होते हुए वो
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लड़की की तलाश में कहााँ कहााँ भटकता रहा, ककतने ही लीटर पानी मट्
ु ठ मार के बबादद कर ददया। अब तो
दनु नया की कोई भी ताकत उसे अपनी बहन की िवानी लट
ू ने से रोक नहीां सकती थी। वो फौरन उसका एक
ननपल माँह
ु में सलया और िोर-िोर से चूसने लगा और दस
ू रे मम्मे को बेरहमी से मसलने लगा। आशा को ददद
होने लगा पर मिा भी बहुत आने लगा। वो भी कहााँ शरीफों वाला प्यार चाहती थी, उसे भी ऐसी िोर िबरदस्ती
वाली चुदाई की तमन्ना थी। वो सससकाररयाां मारती हुई अपने भाई की चूसाई का मिा ले रही थी।
आशा- “क्या करता है भैया, ऐसा मत कर ददद होता है । ऊओह आआह्हह्हह… क्या चस
ू ता है मेरे रािा, और चस
ू
अांदर तक माँह
ु में लेकर चस
ू , मसल दे , बहुत तड़पे हैं मेरे मम्मे एक मदद के हाथों के सलए। अब परू ी तरह से
समटा दे इनकी तड़प। आअह्हह्हह… आह्हह्हह… मगर एक बात बताए दे ती हूाँ, अपने दस ू रे हाथ को नीचे ले िाके मेरी
गाण्ड में उां गली मत कर, मझ
ु े गाण्ड में उां गली करवाना बबल्कुल पसांद नहीां…”
हररया इशारा समझ गया और अपने एक हाथ को आशा की कमर के नीचे िाने ददया और उसका लहें गा उठाके
उसकी गाण्ड के छे द में उां गली डालकर अांदर बाहर करने लगा। काफी चचकनी और सकरी थी आशा की काँु वारी
गाण्ड। अब तक ककसी मदद की सख़्त उां गसलयाां उसकी गाण्ड के छे द में नहीां घस
ु ी थी। आशा को िन्नत में होने
का एहसास हो रहा था।
एक ओर िहााँ उसके मम्मों को चूसा िा रहा था वहीां दरू ी तरफ उसकी गाण्ड में पहली बार एक मदद की उां गसलयाां
घस
ु रही थी। बस वो समझ गई थी की अब ज ांदगी में कुछ करना है तो बस चद
ु ना चद
ु ाना है । ज ांदगी में चद
ु ाई
के ससवा कुछ नहीां रखा है ।
आशा- “बहनचोद हररया, तझ ु े शरम नहीां आती ककसी लड़की की गाण्ड में उां गली करते हुए, िानते नहीां यह वो
छे द है जिसमें से हम लड़ककयाां हगती हैं, टट्टी ननकलती है हमारी यहााँ से, और तम
ु उसी छे द में उां गली घस
ु ा रहे
हो और वो भी तब िब वो लड़की तम्
ु हारी अपनी सागी बड़ी बहन है । तम
ु बड़े हररामी हो। ना िाने ककतने सव
ु रों
को चोद के मेरी मााँ ने तझ
ु े िन्मा है । अब क्या उां गली ननकाल के नाक से साँघ
ू ेगा और माँह
ु में डालकर चाटे गा…”
हररया ने ठीक वैसे ही, आशा की गाण्ड में से उां गली ननकाली और उसकी बदबू सघ
ूां ने लगा और कफर उसे अपने
माँह
ु से चाटने लगा। आशा को बहुत खुशी हुई की उसका भाई बबल्कुल उसके इरादों पे खरा उतर रहा है । उसकी
हवस इतनी बढ़ चुकी थी की वो उससे कुछ भी करवा सकती थी।
आशा- “छीईईईई, ककतना गांदा बहनचोद भाई है मेरा, मेरी गाण्ड में उां गली करके उसी की बदबू सघ
ूां रहा है, उस
उां गली पे लगी मेरी टट्टी को चाट रहा है । कैसी लगी मेरी गाण्ड की बदबू और उसका स्वाद…”
हररया- “दीदी क्या मस्त बू है तेरी गाण्ड का, तेरा पाद तो बहुत बार साँघ
ू ा है मगर तेरे गाण्ड की बदबू इतने
करीब से कभी नहीां साँघ
ू ी। कसम से दीदी क्या बदबू है, सौ बार भी झड़ िाने पर, अगर इसकी बदबू साँघ ू ले कोई
तो उसका लौड़ा कफर से खड़ा हो िाएगा और इसका स्वाद लािवाब है, ज्यादा तो कुछ माँह
ु में नहीां आया पर
अब तो परू ा का परू ा हलवा खाने को मन कर रहा है…”
आशा- “क्या तू मेरी गाण्ड में पके हुए हलवे को खाने की सोच रहा है । मैं तो समझी की गाण्ड की इतनी खराब
बदबू साँघ
ू कर तू मेरी गाण्ड से दरू भागेगा पर तू तो हवस में इतना पागल हो चक ु ा है की तझ
ु े मेरी गाण्ड का
हलवा खाने का मन कर रहा है , कलयग
ु है घोर कलयग
ु है । अब चल अलग हो िाते हैं। बस बहुत हो गया। ऐसे
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क्या दे ख रहा है, मेरे कबत
ू र भी चूस सलए और गाण्ड में उां गली भी कर ली अब क्या चूत चाटे गा मेरी। चल गााँव
में िाके ककसी राांड़ को चोद…”
हररया- “गााँव की सबसे चुदक्कड़ नछनार और राांड़ तो मेरे ही घर में मेरे सामने चोली फड़वाकर खड़ी है । अब
इससे अच्छी चूत मझ
ु े चाटने को कहााँ समलेगी। चल मझ
ु े अपना लहें गा खोलने दे …”
आशा- “कमीने वहााँ से भगवान दे ख रहा है सब कुछ, तू पाप कर रहा है । एक लड़की अपना चत
ू ससफद अपने
पनत को ददखाती है, अपने भाई को नहीां। यह गलत है भैया। तझ
ु े पाप लगेगा। मझ
ु े अपनी राांड़ मत बना, चाहे
तो एक बार कफर मेरी गाण्ड में उगली कर ले मगर मेरी चूत बक्स दे । मैं तझ
ु े यह चूत चाटने और चोदने के
सलए नहीां दे सकती। भगवान के सलए छोड़ दे मझ
ु …
े ”
हररया आशा के पास आया, उसे पास वाली खदटया पे धकेल ददया और अपने मिबत
ू हाथों से उसकी टााँगें फैला
दी, जिस िन्नत के बारे में सोच सोच के ना िाने ककतनी रातें तरसा था वो िन्नत का दरवािा उसकी आाँखों
के सामने खुला पड़ा था, आशा की चूत, हवस की प्यास से पानी पानी हो गई थी। वो हरीया की आाँखों में चमक
दे खकर बहुत खश
ु हुई। पर वो कुछ नहीां बोली, वो दे खना चाहती थी की हररया क्या करे गा और कैसे करे गा।
हररया अपना चेहरा आशा की चूत के पास ले गया और अपनी नाक उसकी चत ू पे रखकर गोल गोल घम ु ाने लगा
और चत
ू की खुश्बू का मिा लेने लगा।
आआआह्हह्हह… क्या खुश्बू थी वो, एक िवान लड़की की ररसती हुई चूत से आती हुई खुश्बू दनु नया की सबसे
अच्छी खश
ु बू होती है । हररया उस खश्ु बू को कुत्ते की तरह सघ
ांू रहा था।
आशा से अब बदादश्त नहीां हुआ और बोल पड़ी- “अरे मादरचोद, िल्दी से िीभ डाल दे मेरी चूत में और चाट मेरी
चत
ू को, बदादश्त नहीां हो रहा है हररया, डाल दे , अांदर तक डालकर चाट, चस
ू -चस
ू के लाल कर दे मेरी चत
ू को।
आअह्हह्हह… आह्हह्हह… ऊवन्न्ननणणनह म्म्म्मममम क्या चूसता है रे तू आह्हह्हह… मिा आ गया, मेरी सारी
सहे सलयों से चूत चुसवा चक
ु ी हूाँ मगर आि तक ऐसा मिा नहीां आया, िन्नत ददख रहा है मझ
ु े आअह्हह्हह…”
हररया- “मझ
ु े पता होता की तू इतनी चुदासी है तो कभी इतने ददन नहीां लगाता दीदी, आि दे खना ऐसा मिा
दाँ ग
ू ा तम्
ु हें की तम्
ु हें यह ज द
ां गी की पहली चद
ु ाई मरते दम तक याद रहे गी। आअह्हह्हह… क्या कसैला स्वाद है
दीदी तम्
ु हारी चूत रस का, एक लड़की की चूत रस चाटने का सपना दे खते थे हम सब दोस्त। आि मेरा यह
सपना मेरी बहन खुद सच कर रही है , ओउम्म्म्म म्म्म्मममम स्ल्ल्लर्द प
् र स्लरद रूऊरदप…”
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आशा- “अब क्या ससफद मेरी चूत चाटे गा, गाण्ड से क्या तेरी दश्ु मनी है, चल चाट मेरी गाण्ड चाट और ददखा दे
की तू मझ
ु िैसी गांदी नछनाल का भाई है, चल डाल अपना माँह
ु मेरी गाण्ड में…”
आशा- “हााँ… रे तेरे सलए कुछ भी छोड़ूाँगी पाद क्या चीि है , चल अपनी नाक डाल दे गाण्ड के छे द में और तैयार
हो िा मेरी बदबद ू ार पाद सघूां ने के सलए…”
कफर कुछ दे र बाद आशा के िोर लगाने पर एक मीठी सी धुन सलए एक पाद आशा की गाण्ड से ननकलकर
हररया के माँह
ु पे िा लगी। उसकी गाण्ड की बदबू मदहोश कर दे ने वाली थी। आशा की गाण्ड की हवा अपने
चेहरे पे लेकर हररया का लौड़ा तो और भी तन गया, इतना सख़्त उसका लौड़ा पहले कभी नहीां हुआ था। कफर
क्या था, वोह आशा की गाण्ड को िोर िोर से चस
ू ने लगा, इतना िोर िोर से की अगर आशा की गाण्ड में कुछ
माल होता तो तेिी से बाहर आकर हररया के माँह
ु में चगरता मगर आशा अभी एक घांटे पहले ही हग चक
ु ी थी
अपने बाप के सामने इसीसलए हररया बस चूसते ही रह गया।
हररया उठा अपनी धोती ननकली और आशा की गाण्ड में कुस्स्स से लौड़ा पेल ददया। आशा िोर से चचल्लाई।
“हााँ… रे मगर इसी ददद में तो मिा है, तू बस धक्के मारते िा िोर िोर से, बस चचथड़े उड़ िाने चादहए आि
मेरी चूत के। बस चोद आआह्हह्हह… ऐसे ही दम लगा के, चोद चोद आअह्हह्हह… आअह्हह्हह… मेरे बहनचोद भड़वे चोद
अपनी नछनाल बहन की चत
ू का भोसड़ा बना दे । हााँ ऐसे ही ऐसे ही आउच आअह्हह्हह…”
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छोड़ ददया। हररया ननराश हुआ की वो आशा के इरादों पर खरा नहीां उतरा। मगर आशा िानती थी की अब क्या
करना है ।
आशा- “तू उदास मत हो रे भैया, होता है होता है तेरा पहली बार है ना, अती उत्सक
ु ता में तू िरा िल्दी झड़
गया। पर कोई बात नहीां, िब तक यह तेरी राांड़ बहन है तेरे लण्ड को कभी मरु झाने नहीां दाँ ग
ू ी। चल अब दे ख
तेरी कुनतया बहन क्या कमाल ददखाती है…” कहते हुए इस बार आशा ने हररया को खाट पे धकेल ददया और
आशा ने अपना नांगा बदन अपने भाई के नांगे बदन से समला ददया। आशा का माँह
ु हररया के माँह
ु के पास था,
आशा के मम्मे हररया की छाटी पर मसल रहे थे।
आशा की चत
ू हररया के लण्ड के बबल्कुल ऊपर थी, एक बहन के शरीर का अपने भाई के शरीर से समलन हो
रहा था, िो दे खने लायक था। कफर आशा ने हररया के माँह
ु में अपनी िबान डाल दी और उसके माँह
ु को चाटने
लगी। कफर उसकी िीभ को चूसने लगी। कफर आशा ने हररया को माँह
ु खोलने को कहा, कफर आशा ने उसमें थूक
ददया। हररया का लौड़ा अब कफर धीरे -धीरे परवान चढ़ रहा था। आशा हररया के सारे माँह
ु पर थूकती िा रही थी,
कफर अपने ही थूक को वो चाट चाट के साफ कर रही थी। एक औरत का ऐसा रूप हररया पहली बार दे ख रहा
था। वो तो बस सपनों में ऐसे सख
ु के बारे में सोचता था मगर यहााँ उसकी अपनी बहन उसके हर सपने को परू ा
कर रही थी।
कफर आशा ने अपने बालों से भरी बगल को हररया के माँहु पास रख ददया। पसीने से भीगी हुई वो काांखें और
उसमें आ रही बू हररया के लण्ड को और सख़्त बनाती िा रही थी। आशा ने कहा- “मेरे पसीने से भीगी हुई
काांखें को चाट रे हररया, औरत के जिश्म का हर रस मधरु होता है, सबका स्वाद लेना चादहए, तभी चद
ु ाई के
खेल का असली आनांद आता है …”
अब आशा और नीचे गई और हररया के तने हुए लण्ड को अपने हाथ में सलया, और उसे अपनी नाक से सघ ूां ने
लगी। एक िवान लड़के के लण्ड की खुश्बू वो पहली बार सघ
ूां रही थी। अपने बापू के लौड़े की खुश्बू तो वो सघ ूां
चक
ु ी थी, पर हररया तो अभी िवान था और बस अभी एक लड़का था, िो आि के बाद मदद बन िाएगा और वो
भी अपनी सगी बहन आशा को चोद के। कफर आशा ने दे खा की हररया के सप
ु ाड़े पर अभी भी कुछ लण्डरस
बाकी था। आशा ने अपनी िुबान ननकाल के उसके सप
ु ाड़े को धीरे -धीरे चाटने लगी। िवान लण्ड रस उसे बहुत
पसांद आया।
हररया तो मिे से पागल हुए िा रहा था- “आअह्हह्हह… दीदी यह क्या कर रही हो, मैं मर िाऊाँगा सख
ु से
आअह्हह्हह… दीदी क्या मस्त चाट रही हो मेरे सप
ु ाड़े को एम्म्म आअह्हह्हह… ऊऊऊओह…”
आशा- “िानबझ
ू के िोर से डाल के पछ
ू ता है ददद हुआ है क्या, मगर कसम से बहुत मिा आया इस धक्के में ,
िोर का झटका इस बार लगा भी बहुत िोर से। अयाया बस रफ़्तार धीमी मत कर, चोदते चोदते िा बस
आअह्हह्हह… ऐसे ही मेरे चुदक्कड़ भैया। चोदते िा मैं तेरी गल ु ाम बनके रहूांगी भैया, तेरी नछनाल बन के रहूांगी,
तेरे मत
ू में नहाऊाँगी, तेरा मत
ू पपयग
ांू ी, तेरी टट्टी खाऊाँगी, अपनी सारी सहे सलयों को तझ ु से चद
ु वाऊाँगी, तेरे सारे
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दोस्तों से चुदवाऊाँगी, बस तू मझ
ु े ऐसे ही ज ांदगी भर चोदते िा आआह्हह्हह… आआह्हह्हह… ओऊच। मार धक्के मरते
िा और िोर से और िोर से हााँ बस ऐसे ही रुक मत, आह्हह्हह… मैं झड़ रही हूाँ आह्हह्हह… अह्हह्हह…”
हररया- “मझ ु े लड़की की गाण्ड मारने की बहुत ख्वाइश थी, मगर मैं भी तेरी इतनी सकरी गाण्ड को दे खकर डर
रहा हूाँ, कहीां मेरे लण्ड की चमड़ी नछल तो नहीां िाएगी…”
आशा दहम्मत करके बोली- “दहम्मत-ए-मदादन तो मदद-ए-खुदा। बस दहम्मत करके लौड़ा डाल दे अपनी बहन की
काँु वारी गाण्ड में िो होगा दे खा िाएगा। बाकी सब भगवान पे छोड़ दे । भगवान का नाम लेकर डाल घस
ु ा दे मेरी
गाण्ड में , मगर धीरे से घस
ु ा, ताकक तझ
ु े और मझ
ु े दोनों को ददद कम हो और मिा ज्यादा आए…”
हररया- “हे भगवान हमारी मदद कर, एक भाई अपनी बहन की गाण्ड पहली बार मारने िा रहा है, हमारी मदद
कर…”
भगवान का नाम लेते हुए हररया अपना मस ू ल आशा की गाण्ड के छे द पे रखता है और धीरे -धीरे उसकी गाण्ड में
पेलने लगता है । हररया का सप
ु ाड़ा अांदर नहीां िा रहा था, िोर लगाने से डर रहा था।
आशा- “डर मत मेरे चोद ू भैया, अच्छा चल िरा सा सरसों का तेल ले आ और मेरी छे द पे और अपने लण्ड पे
मल और कफर डाल…”
हररया तेल ले आया और अपने लण्ड पे और आशा की गाण्ड में खूब लगा ददया।
हररया इस बार दहम्मत करके धीरे -धीरे अपना लण्ड आशा की गाण्ड में घस
ु ाने लगा, तेल की विह से सप
ु ाड़ा
थोड़ी ही दे र में आशा की गाण्ड में घस
ु गया। आशा की तो िैसे िान ही ननकल गई और इधर हररया भी ददद से
चीख उठा।
आशा- “हाययी राम, आअह्हह्हह… बहुत ददद हो रहा है रे मदारचोद बहुत ददद हो रहा है , मगर ननकाल मत अांदर ही
अांदर घस
ु ाता िा, ननकाल मत ददद को बदादश्त कर कफर बहुत मिा आएगा। ददद को बदादश्त कर ले, मझ ु े भी बहुत
ददद हो रहा है, ऐसा लग रहा है गाण्ड फट िाएगी मगर तू लण्ड ननकाल मत। भगवान अपने साथ है, बस तू
अांदर ही अांदर घस
ु ते िा…”
हररया- “आअह्हह्हह… दीदी बहुत ददद हो रहा है, लण्ड की चमड़ी नछल रही है , मगर तम ु कहती हो तो नहीां
ननकालता। आअह्हह्हह… आअह्हह्हह…” दो समनट में हररया का लौड़ा परू ा का परू ा आशा की गाण्ड ननगल चुकी थी।
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आशा- “बस अब हो गया, आअह्हह्हह… अब ददद नहीां होगा, तू बस धीरे -धीरे धक्के मारते िा, आराम से कर…”
और हररया आशा की बात मानते हुए धीरे -धीरे आशा की गाण्ड मारने लगा। कुछ समनट बाद ददद की िगह सख
ु
ने ले ली थी, अब दोनो को गाण्ड मारने और मरवाने का मिा आ रहा था।
आशा- “हााँ… रे मझ
ु े भी बहुत मिा आ रहा है, कुनतया बन के मैं तझु से गाण्ड मरवा रही हूाँ, तेरा लौड़ा मेरी गाण्ड
को मस्त चोद रहा है, और तेरे दोनों टट्टे (बाल्स) िब मेरी चूत को रगड़ते हैं तो कसम से मैं बता नहीां सकती
की ककतना मिा आ रहा है। ज ांदगी में मझ
ु े तझ
ु से कुछ नहीां चादहए हररया, तू बस मेरी चूत और गाण्ड का
पि
ु ारी मेरा मतलब है चुदारी बन िा और मैं तेरी गल
ु ाम बनके तेरी सेवा करूाँगी, तू िो बोलेगा वो करूाँगी, वो
ककतना ही गांदा और नीच काम क्यों ना हो, बस तू मााँ की चत
ू की कसम खाके बोल की कभी ऐसा ददन आने
नहीां दे गा िब तेरी बहन अपनी चूत और गाण्ड बबना चुदाए सोएगी। आअह्हह्हह… मैं कफर से झड़ रही हूाँ उम्म्म्म…
आह्हह्हह…”
हररया- “यह भी कोई पछ ू ने या बताने वाली बात है क्या?” कहते हुए हररया ने आशा का माँह ु चूम सलया, दोनों
ऐसे ही नांगे एक दस
ू रे की बाहों में माँह
ु में माँह
ु डालकर सो गये। दोनों इतने थक गये थे की कब आाँख लगी पता
ही नहीां चला, कुछ दे र बाद हररया मत
ू ने के सलए उठने लगा।
करीब एक घांटे बाद दरवािे पे दस्तक हुई, आशा ने दरवािा खोल तो दे खा की बापू थे। बापू अांदर आए और बड़े
गस्
ु से में लग रहे थे।
आशा- “पता नहीां, अभी अभी गया है , शायद अपने ककसी दोस्त के यहााँ चला गया होगा…”
आशा- “नहीां सब
ु ह से घर पे ही था अभी कुछ ही दे र पहले गया है …”
सरु रांदर (गांभीर आवाि में बोला)- “क्या कर रहा था घर पे, कोई काम वाम ढूाँढने नहीां गया आि?”
आशा- “नहीां शायद उसकी तबीयत ठीक नहीां थी आि इसीसलए घर पे पड़ा रहा…”
आशा (अांिान बनते हुए बोली)- “क्या बापू मैं कुछ समझी नहीां…”
सरु रांदर आशा के पास आया उसके बालों को पकड़ते हुए बोला- “साली नछनाल सब
ु ह से घर पे अपने भाई से
चद
ु वाती रही और अब भोली बनती है …”
आशा समझदारी से अपने बापू को धीरे -धीरे रास्ते पे ला रही थी- “नहीां बापू तम्
ु हें शायद कोई गलत-फहमी हुई
है , मैं अपने सगे भाई के साथ ऐसा करने की सोच भी नहीां सकती…”
40
सरु रांदर- “भोसड़ी की, सारा गााँव तम
ु दोनों की चद
ु ाई की कहानी मिे ले लेकर सन
ु ा रहा है और तू यहााँ सती
सापवत्री बन रही है, बता सच बता क्या पाप ककया तम
ु दोनों ने आि…”
आशा (अब अपने बापू का लौड़ा खड़ा करना चाहती थी)- “नहीां बापू ऐसी कोई बात नहीां हुई, तम ु गलत समझ
रहे हो। मैं अपने भाई से चद
ु वाने की सोच भी नहीां सकती। मैं भले काँु वारी मार िाऊाँ मगर अपने भाई का लौड़ा
अपनी चूत या गाण्ड में कभी नहीां ले सकती। चूत तो क्या मैं तो माँह
ु में भी लेने का पाप भी नहीां कर सकती…”
सन्
ु दर का लौड़ा अपनी बेटी के माँह
ु से ऐसी कामक
ु बातें सन
ु कर धोती में उठने लगा। वो समझ रहा था की आशा
ऐसी बातें उसे गरम करने के सलए ही कर रही है ।
आशा को पता था उसे अब एक थप्पड़ पड़ने वाला है , इससलये वो तैयार थी। थप्पड़ पड़ते ही वो कुछ इस तरह
से घम
ू के चगर पड़ी की उसका लहें गा परू ा का परू ा उठ गया और उसकी मलाईदार िाांघें, और गोल गोल गाण्ड
कुछ पलों के सलए ही सही सरु रांदर को निर आई और िब चगरी तो उसकी चोली में से उसकी चचू चयाां आधे से
ज्यादा बाहर ननकल आईं। सरु रांदर यह निारा दे खकर हवस से पागल होने लगा और उसका खड़ा लण्ड इस बात
का सबत
ू था।
आशा उठी और सरु रांदर के पैरों को पकड़कर चगड़चगड़ाने लगी, आशा का चेहरा ठीक सरु रांदर के लण्ड के पास था।
आशा ने िानबझ
ू कर अपना माँह
ु सरु रांदर के लण्ड के पास रखा और अपने चेहरे से उसका लण्ड सहलाने लगी।
सरु रांदर का तो हाल बरु ा था, वो इतना चुदासा हो गया था की अब तो उसने ठान ली के वो आशा को चोद के ही
रहे गा।
सरु रांदर- “मैंने कभी सपने में भी नहीां सोचा था की मेरी बेटी ऐसी सअ
ु रनी ननकलेगी, लण्ड के सलए इतना ही
तरस रही थी तो मैं तझ
ु े शहर में रां डीखाने में बेच आता। चल उठ िा अब और ननकल िा मेरे घर से…”
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आशा- “नहीां बापू ऐसा मत करो, मैं कहााँ िाऊाँगी, बाहर िांगली भेड़ड़ए हैं बाप,ू ननकल िाऊाँगी तो हर कोई मेरी
गाण्ड मार दे गा, मैं मर िाऊाँगी। माफ कर दो बाप,ू कफर ऐसा कभी नहीां होगा…” आशा अपना हाथ सरु रांदर के
लण्ड पे रखते हुए बोली- “बापू मझ ु े तम्
ु हारी कसम है, मझ
ु े इसी घर में रहने दो, यहीां तम्
ु हारी गलु ाम बनकर सेवा
करूाँगी आप िो बोलेंगे वो करूाँगी। बापू माफ कर दो बाप।ू मझ ु े तम
ु से कुछ सीखना चादहए, तम् ु हारी भी तो िवान
बहन है , उमा बआ
ु लेककन तम
ु ने कभी लण्ड तो क्या आाँख उठाकर भी उसे नहीां दे खा और मैं नछनाल साली भाई
का लण्ड दे खते ही कफसल गई। मझ
ु े माफ कर दो बापू मैं आगे से कभी हररया या तम्
ु हारे लण्ड की तरफ दे खग
ूाँ ी
भी नहीां…”
सरु रांदर समझ गया की आशा को उसके और उसकी बहन उमा के ररश्ते के बारे में भी मालम
ू है , वो तो आशा
की अकल्मांदी पे है रान था, ककतनी आसानी से उसने सब कुछ कह ददया और ऐसे िता रही थी िैसे खद
ु ककतनी
अच्छी और सच्ची है । वो तो आशा का और भी दीवाना हो गया। आशा भी समझ गई की बापू परू ा गरम हो
गया है और ककसी भी वक़्त हचथयार डाल सकता है ।
सरु रांदर- “साली नछनाल और ककतना उठाएगी मेरा लण्ड, मैं समझ गया की आि तझ
ु े मझ
ु से भी चुदवाना है । चल
मैं तेरा दीवाना हो गया हूाँ, मझ
ु े अब तझ
ु से कोई सशकायत नहीां है , बस िल्दी से अपनी िवानी मझ
ु े सौंप दे । मैं
तेरी िवानी का हर रस पीने के सलए मरा िा रहा हूाँ। बस अब और दे र मत कर, दे ख कैसे मेरा लण्ड तेरे जिश्म
के छे दों में िाने के सलए मचल रहा है , बस अब और सहा नहीां िाता…” कहते हुए सरु रांदर ने आशा के लहें गा का
नाड़ा खीांच सलया और उसकी चोली को फाड़ ददया। आशा अब मादरिात नांगी अपने बाप के सामने खड़ी थी।
सरु रांदर आशा को अपनी बाहों में िकड़ते हुए बोला- “अया क्या िवानी दी है ऊपरवाले ने तझ ु ,े मैं खद
ु नहीां
िानता की कैसे अपने आपको इतने ददन रोक पाया हूाँ। सब ु ह िब तझु े सांडास करते हुए दे खा तभी से ददन भर
बस तेरी चूत, तेरी गाण्ड के बारे में ही सोच रहा हूाँ, आि तो मैं ठान के आया था की मैं तझ ु े चोद के रहूाँगा,
आअह्हह्हह… चल आि मझ ु े बेटीचोद बनाके तू बापचोदी बन िा। तू िो बोलेगी मैं वो करूाँगा बस तू आि मझ ु े
अपने जिश्म के कन्न कन्न का मिा लेने दे …”
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आशा- “ठीक है तो शरु
ु आत तेरी प्यास बझ
ू कर ही करती हूाँ मादरचोद, चल चूत के पास माँह
ु खोल के बैठ िा
क्योंकी मझ
ु े पेशाब आ रही है और मैं तेरे माँह
ु में मत
ू ना चाहती हूाँ। तू पपएगा ना अपनी बेटी की चत
ू से ननकली
हुई पेशाब…”
सरु रांदर- “दे ख आशा अब मैं झड़ने वाला हूाँ, तू चाहती है तो माँह ु हटाले, तू मेरा पानी पपए यह िरूरी नहीां है, तेरी
म ी अगर तझ ु े नहीां पीना है तो अपना माँह
ु मेरे लण्ड से हटा ले, मैं झड़ने वाला हूाँ…”
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आशा- “बापू तन
ू े अभी तक मझ
ु े ठीक से पहचाना नहीां, मैं इस गााँव की सबसे गांदी और चुदक्कड़ रां डी हूाँ। अरे
लण्ड का पानी तो बहुत मामल ू ी चीि है मैं तो तेरे शरीर से ननकली हुई हर चीि अपने माँह ु में ले सकती हूाँ,
कफलहाल तो तू बस मेरे मह
ाँु में झड़ िा, मैं एक मदद के लण्ड के पानी की प्यासी हूाँ, सब
ु ह हररया का पानी पपया
था मगर मेरी प्यास अभी बझ
ु ी नहीां तू बस झड़ िा मेरे माँह
ु में और अपनी सगी बेटी को अपनी राांड़ बना ले…”
और एक हल्की सी सससकारी के साथ सरु रांदर अपनी बेटी के माँहु में झड़ गया, बहुत ददनों बाद इतने िोर से
सरु रांदर ने पानी छोड़ा था। आशा भी एक पक्की राांड़ की तरह अपने बापू के लण्ड का सारा माल गटक गई।
आशा को हररया के पानी से ज्यादा अपने बापू के पानी का स्वाद ज्यादा अच्छा लगा क्योंकी यह ज्यादा गाढ़ा
था और इसका स्वाद भी काफी मिेदार था। वो एक एक बाँद
ू चाट गई। अब सरु रांदर थक गया था मगर आशा की
चद
ु क्कड़ प्यास अभी कहााँ बझ
ु ी थी, अभी तो उसे अपने बाप का लण्ड अपनी चत
ू और गाण्ड में लेना था। और
इसी इरादे से वो कफर सरु रांदर का लण्ड चूसने लगी।
सरु रांदर- “नहीां बेटी बस आि के सलए इतना काफी है, मैं अब कुछ नहीां कर सकता। कल करें गे। आि तेरे माँह
ु में
इतनी िोर से झड़ा हूाँ की ऐसा लगता है की मैंने सारा लण्ड का रस तेरे माँह
ु में उड़ेल ददया है , अब मेरे लण्ड में
कुछ भी बचा नहीां है । आि तू मझ
ु े छोड़ दे …”
यह कहते हुए आशा अपने बापू के लण्ड के सप ु ाड़े को धीरे -धीरे चूसना शरूु करती है , मगर सरु रांदर का लौड़ा
उठता नहीां है । अब आशा परू ा का परू ा लण्ड अपने मह ाँु में घस
ु ा लेती है, इतना अांदर ले लेती है की उसे मतली
सी आने लगती है , िैसे वो उल्टी कर दे गी मगर कफर अपने आपको रोक लेती है। ऐसा िुनन
ू दे खकर सरु रांदर
है रान हो िाता है की कोई औरत इतनी चद
ु क्कड़ हो सकती है क्या… उसने कई नछनाल औरतों को चोदा था
मगर आशा उन सबसे बड़ी लग रही थी।
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आशा- “बहनचोद भड़वे माँह
ु बांद रख अपना, और दे ख कैसे यह तेरी नछनार बेटी इस 5” इांच के लण्ड को 8” इांच
का लोहा बनाती है । अब तो मैं इसे ऐसा खड़ा करूाँगी की इतना खड़ा यह कभी ज ांदगी में नहीां हुआ होगा। तू
बस दे खता िा…”
कफर आशा उठ के खड़ी हो गई और अपने बाप के कांधों पे िोर डालकर उसे िमीन पे बबठा ददया और अपनी
गाण्ड उसके माँह
ु की पास रख दी और कहा- “चल बापू मेरी गाण्ड को अच्छी तरह से फैलाकर, अपना यह बेशरम
चेहरा मेरी गाण्ड में डाल और मेरी गाण्ड की बदबू को सघ
ांू …”
बस और क्या था सरु रांदर का लण्ड उस महान रां डी आशा की गाण्ड की मदहोश कर दे ने वाली पाद को सलामी
दे ने के सलये उठता ही चला गया, उठता ही चला गया। ऐसी मतवाली और सग
ु चां धत पाद उसने अपनी ज द
ां गी में
नहीां साँघ
ू ी थी। शायद इसीसलए की उसने पहले कभी एक लड़की को इतना मचलते नहीां दे खा था और उसपर वो
उसकी अपनी सगी बेटी थी।
वो बेटी िो कल तक फूल की तरह उसकी गोद में पली थी, मगर आि वो इस दनु नया की सबसे बड़ी नछनार के
िैसी अपने बाप को अपनी गाण्ड की मदमस्त बदबू सघ
ाँु ा रही थी। अब ककसी भी मदद का लण्ड यह सब महसस
ू
करके खड़ा तो होना ही था और सरु रांदर का भी अब खब
ू तन के खड़ा हो गया।
मगर आशा इससे परू ी तरह खुश नहीां थी। वो अपने बाप के लण्ड को और खड़ा करना चाहती थी क्योंकी वो
उसके रां डीपन का इजम्तहान था, वो दे खना चाहती थी की वो एक लण्ड को ककस हद तक खड़ा कर सकती है।
अब वो नीचे बैठ गई और अपने बाप से कहा- “बापू तेरा लण्ड तो कफर खड़ा हो गया है मगर मैं इसे और बड़ा
दे खना चाहती हूाँ, इसीसलए तम
ु खड़े हो िाओ और अपनी गाण्ड मेरी तरफ कर दो। और कफर दे खो मैं क्या गल
ु
खखलाती हूाँ…”
उधर दस
ू री तरफ िब हररया कल्लू के झोपड़ी की तरफ िा रहा था, उसे रास्ते में असलम समल गया।
असलम- “अरे तू तो िानता है ना यार, वो मेरी मााँ और सौतेली मााँ के बीच में वो िमीन को लेकर कोटद कचेहरी
का चक्कर, बस उसी के ससलससले में वकील से समलने गया था। और तू बता इस वक़्त तो तू हमेशा घर में
होता है , यह रात को कहााँ भटका-भटका कफर रहा है…”
कफर हररया ने असलम को सब कुछ बता ददया की कैसे आशा ने उसे अपनी गाण्ड की खुश्बू से पटाया, कैसे
उसने हररया से अपनी चूत और गाण्ड मरवाई, वगैरह-वगैरह।
हररया- “हााँ… यार बहुत मिा आया आि मझ ु े अपनी बहन के साथ ऐश करके, तू कफकर मत कर वो इतनी
चुदक्कड़ है की तझ ु से खुशी खुशी चुदवा लेगी। मगर मसु ीबत यह है की गााँव वालों ने हम दोनों को चूमते चाटते
दे ख सलया था और अब तक बापू को खबर भी कर ददया होगा। इसीसलये आशा ने मझ
ु े घर से बाहर भेि ददया
और बेचारी अकेली ही बापू का गस्
ु सा सह रही होगी…”
असलम- “अरे यह तो बहुत बरु ा हुआ, पता नहीां तेरा बाप उस बेचारी के साथ कैसा सल
ु क
ू कर रहा होगा। तझ ु े
तेरी बहन ने इतना प्यार और इतनी खश ु ी दी है तो तेरा भी फ द बनता है की तू उसका मस
ु ीबत में साथ दे । मेरे
खयाल से तझ
ु े घर िाना चादहए और अपने बाप के सामने दहम्मत से बोलना चादहए की तन
ू े तेरी बहन की चूत
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और गाण्ड मारी है और तझ
ु े इसका कोई अफसोस नहीां है । इस बात के सलए आशा जितनी जिम्मेदार है उतना
ही तू भी है । मदद बन यार यह क्या कर रहा है?”
हररया को असलम की बात ठीक लगी और बोल पड़ा- “हााँ… यार शायद तू ठीक कहता है , मझ
ु े बि
ु ददलों की तरह
आशा को अकेले छोड़ के नहीां आना चादहए था, मगर अब भी कुछ नहीां बबगड़ा मैं घर वापपस िाता हूाँ और बापू
को सब कुछ बता दे ता हूाँ…”
असलम- “यह हुई न मदों वाली बात, चल िा घर िा और बोल दे की तू बहनचोद है और तझ ु े कोई अफसोस
नहीां है इस बात का। मैं भी अपनी दोनों मााँ को पटाने की कोसशश करूाँगा आि रात से ही। आखखर तू बहनचोद
बन गया है तो मझ
ु े भी मादरचोद बनना ही होगा…”
दोनों दोस्तों ने इसी बात पे हां सते हुए पवदा ली और अपने अपने घर की तरफ चल पड़े।
हररया दहम्मत करके अपने घर पहुाँचा, उसका ददल तेिी से धड़क रहा था। उसने सोचा की अांदर आशा या तो
बापू के हाथों से मार खा रही होगी या कफर एक कोने में बैठ के रो रही होगी। यही सोचकर उसने पहले खखड़की
से अांदर झााँकना ठीक समझा और वो खखड़की के अांदर चोरी चोरी चुपके चुपके झााँकने लगा। मगर अांदर का
निारा दे खकर हररया दां ग रह गया। आाँखें फटी की फटी रह गई।
अांदर बापू खाट पे लेटा हुआ था और आशा अपने बापू के लण्ड पे उकड़ू मारकर बैठी थी और उनके लांबे और
तगड़े लण्ड से अपनी चत ू मरवा (चद
ु वा) रही थी। और बापू नीचे से घपा-घाप, घपा-घाप आशा की चत
ू में लण्ड
पेल रहा था। दोनों ही मदरिात नांगे थे और बहुत िोश के साथ चुदाई कर रहे थे। पहले तो उसे यकीन ही नहीां
हुआ के वो िो दे ख रहा है वो सच है या सपना।
कफर थोड़ा सोचने के बाद लगा, अरे आशा िैसी नछनार िब अपने सगे भाई को उकसा उकसा कर चुदवा सकती
है तो अपने बाप से क्यों नहीां। यह तो एक ना एक ददन होना ही था। हररया का लण्ड उसके पायिामे में गरम
हो रहा था, पछ
ु पछ
ु की चद
ु ाई की आवाि खखड़की तक आ रही थी पर सबसे चद
ु ासी बात यह थी की दोनों खूब
एक दस
ू रे को गसलयाां दे दे कर चुदाई का मिा ले रहे थे।
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मिा आ गया, जिस लड़की को मैंने अपनी बीवी की चूत में रस डालकर पैदा ककया था आि उसी के चूत में मैं
अपना रस छोड़ूाँगा, उसे भी मैं अपने बच्चे की मााँ बनाऊाँगा, बनेगी ना मेरे बच्चों के मााँ आशा…”
इतना सब सन
ु के और दे खके ककसी नमादद का लण्ड भी हवस से तन िाता, हररया तो कफर भी एक िवान हट्टा
कट्टा नौिवान था। हररया का लण्ड तो इतना तन गया था के पायिामे को फाड़ के बाहर आ सकता था। हररया
को अांदर िाने का मन कर रहा था मगर अपने बापू के बारे में सोच के बहुत घबरा रहा था। वो अपने बाप से
बहुत धरता था और उनकी इज्ित भी खूब करता था। इसीसलए वो अांदर िाने से कतरा रहा था, मगर इतना
सब कुछ दे खने और सन
ु ने के बाद उसे लगा की अब बापू से कोई खतरा नहीां है । हररया ने दहम्मत करके
दरवािे को एक झटका ददया और कमरे का दरवािे खल
ु गया।
सरु रांदर घबरा गया अपने बेटे को अपने सामने दे खकर, वो िानता था की उसका बेटा उसकी बहुत इज्ित करता
है इसीसलए सरु रांदर को बहुत शरम महसस ू हुई की वो अपने बेटे के सामने नांगा लेटा है और इतना ही नहीां
उसका लण्ड उसकी अपनी सगी बेटी की चत
ू में अांदर बाहर हो रहा है । सरु रांदर को लगा की िो कुछ भी इज्ित
हररया के मन में उसके सलए थी आि के बाद खतम हो िाएगी।
आशा समझ गई के बाप और बेटे के मन में क्या चल रहा है इसीसलए उसने पहल की और कहा- “भैया, दे खो
कैसे बापू मेरी चूत का भोसड़ा बना रहे हैं, मझ
ु े बचालो भैया इस मादरचोद बाप से, मझ
ु े बचा लो, मैं इनसे
अपनी चत
ू नहीां मरवाना चाहती…” मगर आशा ने अपनी चद
ु ाई को बांद नहीां ककया, बजल्क अब तो वो और िोर
िोर से चद
ु वाने लगी।
हररया को सब पता था की आशा ऐसा क्यों कह रही है , वो िानता था की आशा बापू और उसके बीच की दरू रयाां
समटाना चाहती थी।
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हररया दहम्मत करके बोला- “यह क्या कर रहे हो बाप,ू तम
ु अपनी सगी बेटी को चोद रहे हो, तम्
ु हें िरा भी शरम
नहीां आई। मैं तो तम्
ु हें ककतना शरीफ समझता था और तम
ु इतने बेगरै त ननकले, क्या तम
ु ने लौड़ा पेलने से
पहले एक पल के सलए भी नहीां सोचा की यह तम्
ु हारी अपनी बेटी की चूत है । मझ
ु े नफरत है तम
ु से बाप,ू मझ
ु े
तम
ु से ऐसी उम्मीद नहीां थी…”
सरु रांदर शरम से पानी पानी होता हुआ बोला- “हररया, मैं िानता हूाँ की मझ
ु से गलती हुई है , मगर आशा ने खद
ु
मझ ु े उकसाया था, मैं क्या करता, बस उसकी हरकतें ही ऐसी थीां की मैं उसकी तरफ खखांचता चला गया…”
हररया- “हााँ… रे मैं िवान हूाँ, चूत और गाण्ड के स्वाद का प्यासा हूाँ। िब गााँव में कोई औरत नहीां समली चोदने
के सलए तो अपनी बहन की चत ू और गाण्ड में माँह
ु मार ददया, मगर तू तो शहर िाकर वहााँ की रां ड़डयों को खूब
चोदता है, तू क्यों अपनी बेटी की चत
ू में लण्ड घस
ु ेड़ रहा है …”
आशा- “अरे अब तम
ु दोनों झगड़ा बांद करोगे या नहीां, तम
ु दोनों से मैंने चुदवाया है और मैं इसकी जिम्मेदार हूाँ।
मझ
ु े तम
ु दोनों का लौड़ा चादहए था और मैंने वोही ककया िो मेरी चूत ने कहा। अब सही है या गलत भगवान
िाने, मगर मैं इतना िानती हूाँ की भगवान ने हमें यह चूत और लण्ड ददया है तो उसकी मााँगें भी तो हमें ही
परू ी करनी पड़ेंगी। सही है या गलत इसका फैसला ऊपर वाला करे गा, हम तो बस चत
ू और लण्ड की आज्ञा का
पालन कर सकते हैं…”
सरु रांदर और हररया को आशा की बात िाँच गई और दोनों ने समलके आशा के होंठों को चम
ू सलया। सरु रांदर और
हररया को बहुत गवद महसस
ू हो रहा था की उनकी बेटी-बहन इतनी कामक
ु और गांदी होने के बाविद
ू इतनी
धासमदक है ।
आशा- “पि
ू ा का क्या मतलब है तम्
ु हारा?”
आशा- “तो पछ ू ता क्यों है , मैं तो तेरी राांड़ हूाँ, अगर तू मझ ु े चुदने को कहे गा तो मैं चुद िाऊाँगी, तू मझ
ु े मरवाने
को कहे गा तो मैं मरवा लाँ गू ी और अगर तू मझ ु े हगने को कहे गा तो मैं हग िाऊाँगी…”
हररया आशा की गाण्ड के पास िाकर बैठ गया और अपने होंठ आशा की गाण्ड के छे द पे लगा के िोर िोर से
चूमने लगा। आशा की चूत नीचे अपने बाप से चुद रही थी और उसके ठीक ऊपर उसका भाई उसकी गाण्ड चूस
रहा था। इतना सख
ु आशा की गाण्ड बदादश्त नहीां कर सकी और उसने अपने भाई के माँह
ु में एक धुवाांधार पाद
छोड़ ददया। वो पाद सीधा हररया के माँह
ु के अांदर चला गया और उसकी महक हररया की नाक में घस
ु गई।
इतनी बदबद
ू ार पाद थी आशा की की कोई और होता तो उस कमरे से ही भाग िाता था, मगर िब हवस का
भत
ू चढ़ता है तो िो चीि सबसे गांदी होती है वोही सबसे अच्छी लगती है और हररया पर भी आशा के पाद का
ऐसा ही असर हुआ, उसकी ठरक और बढ़ गई और वो और िोर िोर से आशा की गाण्ड चूसने लगा।
आशा- “आअह्हह्हह… चूस बहन के लौड़े चूस अपनी नछनार बहन की गाण्ड, खा ले मेरे पाढ़ों को, सघ
ूां ले मेरी गाण्ड
से ननकली हुई हर बदबू का झोंका, आअह्हह्हह… क्या मस्त चस
ू ता है रे मेरे भड़वे भाई, आआह्हह्हह… ऐसे ही चस ू ता
िा, चूसता िा आआह्हह्हह… लगता है ननकल रहा है, ऊओह आअह्हह्हह… आह्हह्हह… मह ाँु खोल, माँह
ु खोल मेरे भाई
और खा ले अपनी बहन की गाण्ड में ददनभर पका हुआ हलवा, खासतौर पे तेरे सलए बनाया है खा ले…”
हररया- “म्म्म्मममम आआह्हह्हह… आि मेरा सालों का सपना सच होने िा रहा है, कब से एक िवान लड़की का
गू खाने को तरस रहा था, आि मेरा वो ख्वाब परू ा हो रहा है और वो भी मेरी बहन आशा की गाण्ड का गू
आआह्हह्हह, इस दनु नया में मझ
ु से ज्यादा खुशनसीब भाई नहीां हो सकता, उउम्म्म्ममम यह ले माँह
ु खोल के बैठा हूाँ
तेरी गाण्ड के नीचे, चल िल्दी से हग दे और परू ा कर अपने भाई का सपना…”
हररया आशा के पीछे गया और उसकी गाण्ड में अपना तना हुआ गरम-गरम लोहा घस ु ा ददया, गू के रस की
विह से आराम से हररया का लौड़ा आशा की गाण्ड में चला गया। हररया अपने माँह
ु में आशा का गू चबाते
चबाते आशा की गाण्ड मार रहा था।
तब आशा अपने माँह ु में िो गू भरा हुआ था, वो अपने बापू के खल ु े माँह
ु में थक
ू ती िा रही थी, कफर अपना माँह
ु
झुका के सरु रांदर के माँह
ु में अपनी िबान घस
ु ा दे ती है । सरु रांदर अपनी बेटी की िब ु ान चूस-चूस कर आशा की
टट्टी का स्वाद लेते हुए नीचे से उसे िम कर चोदने लगता है । उधर पीछे से हररया अपनी बहन की िम कर
गाण्ड मार रहा था।
आशा- “क्या मैं स्वगद में हूाँ, क्या ज ांदगी इतनी खूबसरू त और मिेदार हो सकती है । मैं हर सोमवार सशविी के
मांददर में िाके सशव सलांग को पकड़कर दआ ु माांगती थी की हे ईश्वर मेरी चत
ू के सलए भी एक तगड़ा सलांग भेि
दो, िो मेरी खब
ू रगड़ रगड़ कर चद
ु ाई करे । और अब दे खो ईश्वर ने मेरी सन
ु ली। एक नहीां बलकी दो दो लण्ड
उसने मेरे सलए अपने ही भाई और बाप के रूप में भेि ददया। सच है उसके घर दे र है अांधेर नहीां। वो िब भी
दे ता है छप्पर फाड़ कर दे ता है । अब मैं भगवान के ददए इस वरदान को गााँव के हर मदद को दाँ ग
ू ी, ताकी उनकी
भी प्राथदना परू ी हो। ना िाने ककतने लण्ड गााँव में चूत और गाण्ड के सलए तरस रहे हैं। मैं उन सबके लण्ड की
खुिली समटाऊाँगी। आअह्हह्हह… आअह्हह्हह… मैं झड़ रही हूाँ आअह्हह्हह…” आशा एक िोरदार चीख के साथ झड़ गई,
और दोनों मदों ने भी अपना अपना पानी आशा के जिश्म में उडेल ददया।
और इस तरह आशा की ज द
ां गी हमेशा के सलए बदल चुकी थी।
असलम ने सन
ु ा था के सलमा की एक बेटी भी है शहर में ।
फानतमा- “अरे काफी रात हो गई, अभी असलम नहीां आया, पता नहीां कहााँ रह गया। कहकर तो गया था वकील
से समलकर आिाऊाँगा। पर पता नहीां क्या बात हो गई िो इतनी दे र हो गई…”
सलमा- “गााँव की ककसी काँु वारी छोरी की चूत में लण्ड पेल रहा होगा, 18 साल का गरम खून है ठां डा तो करना
पड़ेगा। आ िाएगा कफकर क्यों करती है?”
फानतमा- “अल्लाह माफ करे , कैसी गांदी-गांदी बातें करती रहती है । िरा तो शरम कर, वरना मरने के बाद िरूर
िहन्नम
ु में िाएगी…”
सलमा- “अरे शरम करे गी मेरी िूती, तेरी इसी शरम वरम की विह से तेरा शौहर मेरी चूत और गाण्ड सघ
ूां ता
हुआ मेरे पास शहर आ पहुाँचा। अगर उसे मिा यहीां तेरे पास समलता तो वो कभी मेरे चक्कर में नहीां आता। िरा
बता ककतनी बार तनू े अपनी चूत में उसका लण्ड डलवाया, ककतनी बार उससे गाण्ड मरवाई…”
52
सलवार चूत के पास िरा सी फटी हुई थी और उसमें से उसे सलमा की झाटों वाली चूत िरा-िरा ददख रही थी।
उसका लण्ड उसके पािामे में तन कर फनफना रहा था।
इस बात पर फानतमा की भी निर पड़ी तो उसने सलमा से कहा- “अरी ओ सलमा, िरा अपनी सलवार तो दे ख
बीच में से फटी हुई है, तेरी मत
ू ने की िगह साफ ददख रही है । िाके दस
ू री सलवार पहन ले…”
फानतमा- “तझ
ु े चूत, गाण्ड, चुदाई के ससवाय कुछ और सझ
ू ता नहीां क्या, पता नहीां तझ
ु िैसी नछनाल में क्या
दे ख सलया असलम के अब्बा ने। अपनी फटी सलवार को छुपा ले, घर में िवान लड़का है । तेरी फटी हुई सलवार
दे खेगा तो क्या सोचेगा?”
फानतमा- “तन
ू े कब दे खी उसकी वो चीि?”
सलमा- “अरे हर नछनाल अपने काम की चीि ढूाँढ़ ही लेती है , कल रात िब मैं मत
ू ने उठी थी तो दे खा असलम
का हलब्बी लण्ड उसकी लाँ ग
ू ी में से बाहर ननकला हुआ था। िी में तो आया के उस लण्ड को अपने माँह
ु भर के
चस
ू डालांू मगर डर गई के कहीां कुछ गड़बड़ ना हो िाए…”
फानतमा- “हाय हाय क्या िमाना आ गया है, एक औरत अपने बेटे िैसे लड़के के साथ कैसे कैसे नघनोने काम
करने की सोच रही है । उमीद करती हूाँ की तू िल्द से िल्द अपनी िमीन लेकर इस गााँव से दरू शहर चली
िाए, तू यहााँ रहे गी तो पता नहीां क्या कयामत ढाएगी इस घर पे, चल अब माँह
ु बांद करके अपना काम कर,
बाहर कुछ आहट हुई है शायद असलम आ गया…”
फानतमा- “क्या हुआ असलम बड़ी दे र लगा दी आने में, कहााँ रह गया था?”
सलमा- “हााँ तेरी मााँ को तेरी बहुत कफि हो रही थी। अच्छा हुआ तू आ गया, और बता वकील साहब ने क्या
कहा, और ककतने ददन में िमीन मेरे नाम हो िाएगी…”
असलम- “और 10-15 ददन तो लगें गे तब तक आपको यही रहना होगा। और अम्मी आपको कल वकील साहब
ने बल
ु ाया है , कुछ िरूरी कागिों पे आपके अांगठ
ू े का ननशान चादहए…”
53
फानतमा- “ठीक है चली िाऊाँगी, मगर तू घर पे ही रहना, कुछ काम है । और तू सलमा अब क्या खड़े खड़े ही
सब पछ
ू े गी मेरे बेटे से, असलम चल िाके माँह
ु हाथ धोके आ िा, मैं तेरे सलए खाना लगाती हूाँ…”
सलमा का ध्यान िब असलम के पायिामे पर गया तो उसने दे खा की असलम का तो लण्ड एकदम फूलकर
उभर आया है । वो समझ गई की असलम दोनों की बातें छुप छुप कर सन
ु रहा था और उनकी चुदासी बातों से
उसका खन
ू गरम हो गया है । वो ददल ही ददल में खश
ु होकर रह गई।
कफर तीनों ने खाना खाया और सो गये, फानतमा कमरे के एक कोने में िमीन पे लेटी हुई थी, कमरे के बीच में
सलमा और उसके बािू में असलम सोया हुआ था। असलम का चेहरा ठीक सलमा की गाण्ड के पास था। सलमा
की गाण्ड से थोड़ी थोड़ी सोंधी सोंधी बदबू आ रही थी िो असलम की हवस की आग को बढ़ा रही थी। असलम
के िी में तो आ रहा था की वो सलमा की सलवार फाड़ डाले और उसकी गाण्ड में माँह
ु डालकर उसके गाण्ड की
सारी बदबू सघ
ूां ले। पर वो डर रहा था।
अचानक उसे अपने चेहरे पे एक हवा के झोंके का एहसास हुआ। और कुछ पलों बाद एक गांदी सी बदबू असलम
की नाक की गसलयों में घस
ु गई जिसका असर सीधा असलम के लण्ड पे हुआ और वो मस्ती में फनफनाने
लगा। सलमा ने अपनी मस्त मस्त गाण्ड में से एक खामोश सी मगर बहुत ही बदबदू ार पाद सीधे सीधे असलम
के माँह
ु पे छोड़ी थी। असलम से यह िल्
ु म बदादशत नहीां हुआ और वोह अपना लण्ड ननकालकर िोर िोर से
मदु ठयाने लगा और हााँफने लगा। सलमा दस
ू री तरफ माँह
ु करके लेटी थी मगर वो सोई नहीां थी, उसे सब एहसास
था की असलम उसकी पाद सघ
ाँू के दीवाना हो गया है और अपना लौड़ा ननकाल के मट्
ु ठ मार रहा था। सलमा
को बहुत खुशी हुई की उसका सौतेला बेटा उसकी गाण्ड का दीवाना है, अब उसे अपने िाल में फाँसाना ज्यादा
मजु श्कल नहीां है । कफर उसने एक चाल चली, वो धीरे -धीरे िागने का नाटक करने लगी। असलम अचानक से
सावधान हो गया और अपना लण्ड पािामे में वापस डाल के आाँखें बांद कर ली। सलमा धीरे से उठी और फानतमा
के पास िाकर उसे िगाने लगी।
असलम वहााँ से सब सनु रहा था, वो नीांद से अभी अभी िागने का नाटक करते हुए बोला- “क्या अम्मी क्या
बात है िो इतनी रात को उठा रही हो। मझ ु े बहुत िोर की नीांद आ रही है…”
सलमा मन ही मन कह रही थी- “बड़ा आया सोने वाला, िब से मेरी गाण्ड में माँह
ु मार रहा था अब सोने का
नाटक करता है साला मादरचोद…”
सलमा आगे आगे चलने लगी और असलम उसके पीछे पीछे सलमा की मदमाती गाण्ड को दे खता हुआ चल रहा
था। सलमा भी गाण्ड मटका मटका के चल रही थी, वो िानती थी की िवान लड़कों पे उसकी गाण्ड का ककतना
असर पड़ता है । कफर घर के बाहर झाड़ड़यों के पास पहुाँच कर सलमा अपनी सलवार का नाड़ा उतारने लगी। चड्डी
तो उसने कभी अपनी परू ी ज ांदगी में नहीां पहनी थी इसीलये िैसे ही उसने अपनी सलवार नीचे की असलम को
सलमा की झाांटों से भरी चत
ू ददखाई दी। लालटे न की रोशनी में सलमा की चत
ू बड़ी ही प्यारी और रसीली लग
रही थी। धीरे -2 सलमा उकड़ू मार के िमीन पे बैठ गई और निरें उठाकर सामने खड़े हुए असलम को दे ख रही
थी। असलम का माँह ु हवस से चमक रहा था। यह दे खकर सलमा खश ु हुई और अपनी चत ू पे िोर दे कर पेशाब
की धार ननकालने लगी।
असलम तो पहले ही चद
ु ास की प्यास में तड़प रहा था ऊपर से सलमा की िब
ु ान से ननकली गांदी बातें सन
ु कर
और भी पागल हो गया। असलम ने लालटे न की रोशनी सलमा की चूत पे डाली। तब उसने दे खा की सलमा की
चतू से सनु ेहरी सी धार बह रही रही है , मत
ू ती हुई उसकी चत
ू बड़ी ही खब
ू सरू त लग रही थी। उसने सोचा खद
ु ा
ने भी चूत क्या मस्त चीि दी है औरतों को, इसमें से ननकलती हुई पेशाब भी ककतनी मस्त लगती है । सलमा ने
दे खा के असलम के माँह
ु से लार टपक रही थी।
असलम एकदम से घबरा गया और अपने तने हुवे लण्ड को अपनी टााँगों के बीच छुपाता हुआ बोला- “नहीां अम्मी
बस ऐसे ही दे ख रहा था की कहीां कोई सााँप या बबछू तो नहीां है । बस और कुछ बात नहीां है …”
सलमा- “मगर तेरा लण्ड तो खड़ा लग रहा है, कहीां ऐसा तो नहीां की अपनी अम्मी की बहती हुई चूत दे ख के
तेरा िी मचल उठा। अगर मचल भी गया तो कोई बात नहीां है , आखखर िवान खून है , चूत दे खकर नहीां मचलेगा
तो क्या दे खकर मचलेगा। तू मझ
ु े खल
ु के बता। मैं कुछ तेरे लण्ड का इांति
े ाम करती हूाँ…”
असलम की तो िबान िैसे पेट में िा चगरी थी। दोस्तों के सामने तो वो बड़ा तीसमार खान बना कफरता था
मगर अब िब की उसकी सौतेली मााँ खद
ु उसको चद
ु ाई के सलए उकसा रही थी तो उसका ददल कााँप रहा था।
हड़बड़ाहट में उसने कह ददया- “अरे नहीां अम्मी ऐसी कोई बात नहीां है , बस ठां ड की विह से जिश्म में अकड़ आ
गई है । तू मेरी कफकर ना कर, सब ठीक है …”
सलमा उसकी हड़बड़ाहट पे मस् ु कुराती हुई बोली- “अच्छा वो बात है, मैं समझी की िवानी की लहर उमड़ रही है
तेरे जिश्म से मेरी चूत दे खकर। अरे मैं भी ककतनी पगली हूाँ मझ
ु िैसे 35 साल की औरत की चूत दे खकर तझ ु े
55
िोश क्यों आएगा। तेरा तो गााँव की काँु वारी नछनालों को दे ख के फनफनाता होगा। मैं उनके िैसी खूबसरू त थोड़े
ही हूाँ। हााँ तेरे अब्बू यहााँ होते तो मझ
ु े ऐसे यहााँ बाहर आकर मत
ू ना नहीां पड़ता, कमरे में ही उनको पपला दे ती
थी…”
असलम यह सन
ु कर है रान हो गया और पछ
ू ा- “क्या अब्बू आपका मत
ू पीते थे?”
सलमा- “और नहीां तो क्या, वो तो मेरी चूत के पानी को तरस िाते थे। ससफद मत
ू ही नहीां, काई बार तो उन्हें मैं
अपनी गाण्ड से मसलदार चटनी भी खखला चकु ी हूाँ। यह सब चद
ु ाई की बातें हैं, तेरी समझ में नहीां आएगी…”
सलमा अभी भी थोड़ी थोड़ी करके मतू रही थी।
असलम ने चत
ू पर से निरें नहीां हटाई, उसने सोचा सलमा उसे पटा रही है और चद
ु ाई के सलए उकसा रही है ।
असलम को लगा अब पीछे हटना बेवकूफी होगी। मगर वो िल्दबािी नहीां करना चाह रहा था, वो सलमा के माँह
ु
से और गांदी-गांदी बातें सन
ु ना चाह रहा था।
यही सोच के वो बोला- “अरे नहीां अम्मी, ऐसी बात नहीां है आप बहुत खूबसरू त हो। मगर मैं आपके बारे में गलत
कैसे सोच सकता हूाँ। आप तो मेरी अम्मी हैं…”
उसे अपने लण्ड के सलए सलमा की चूत और गाण्ड चादहए थी। सलमा भी तैयार थी इसके सलए मगर वो इस
तिब
ु े को और मिेदार बनाना चाहता था। असलम ने सलमा की तरफ दे खा, लग रहा था िैसे वो गहरी नीांद में
है । मगर वो बािारु रां डी की तरह अपने पैर फैलाकर सोई थी। उसकी फटी सलवार में से उसकी रसीली चूत साफ
साफ ददख रही थी। सलमा की चूत अभी भी गीली लग रही थी और उसपर पेशाब की बाँद
ू ें मोनतयों की तरह
चमक रही थी। असलम से रहा नहीां गया और वो धीरे से उठा और सलमा की चत
ू की तरफ अपना चेहरा बढ़ाने
लगा।
56
सलमा की खल
ु ी चत
ू को पहले अपनी नाक से सघ
ांू ने लगा, ऐसी मस्तानी बू उसने पहले कभी नहीां साँघ
ू ी थी। िी
भरकर, सााँसें ले लेकर सलमा की चूत की बास अपनी नाक में भरने लगा और अपना लौड़ा भी दहलाने लगा।
कफर धीरे से अपनी िीभ ननकाल के उस चूत पर चमक रही मत
ू की बद
ाँू ों को चाटने लगा। मदमाती औरत की
मत
ू का स्वाद इतना मस्त लगा उसे की वो अब धीरे -धीरे अपनी िीभ सलमा की चूत के अांदर घस
ु ाने लगा।
सलमा तो सोने का नाटक कर रही थी, वो असलम की िीभ अपनी चूत में महसस
ू करके पागल हो रही थी।
आखखर उसका सपना सच हो रहा था। मगर वो सपने को धीरे -धीरे िीना चाहती थी।
वो चाहती तो उसी वक़्त उठकर असलम को अपने अांदर समा सकती थी मगर वो चुपचाप असलम की हरकतों
का इांति
े ार करने लगी। वो दे खना चाहती थी की उसका सौतेला बेटा कैसे आगे बढ़ता है । सलमा को असलम की
िीभ का बहुत मिा आ रहा था। हफ्तों बाद उसकी चत
ू में एक मदद माँह
ु मार रहा था और वो उसका परू ा परू ा
मिा ले रही थी।
सलमा परू ी तरह िाग रही थी और उसे अपने बेटे असलम की हरकतें बहुत पसांद आ रही थी। िब असलम की
गरम-गरम सााँसें अपनी गाण्ड के छे द पे महसस
ू कर रही थी, तभी उसे एक शरारत सझ
ू ी। उसने अचानक ही
असलम के चहे रे पे सरु ीली और बदबद
ू ार पाद छोड़ दी। असलम ने पहले भी सलमा की पाद साँघ
ू ी थी मगर इतने
करीब से नहीां। असलम से अब रहा नहीां गया और वो अपनी िीभ ननकाल के सलमा की गाण्ड पे गोल गोल
फेरने लगा। सलमा तो मिे में मानो सातवें आसमान में उड़ रही थी। बहुत से लोगों से उसने अपनी गाण्ड
चटवाई थी मगर अपने ही सौतेले बेटे को ररझाकर उकसाकर, अपनी पाद साँघ ु ाकर गाण्ड चटवाने का मिा ही
कुछ और था।
अब असलम िोर िोर से सलमा की गाण्ड चाटने लगा था। कफर अपने होंठ सलमा की गाण्ड के छे द पर रखकर
उसकी गाण्ड चूसने लगा। उसे तो िैसे िन्नत का दरवािा समल गया था।
सलमा (ददल ही ददल में कह रही थी)- “अल्लाह, आअह्हह्हह… चूस ले बेटे चूस ले, अपनी नछनाल मााँ की गाण्ड
चूस ले। ककतना प्यारा चस
ू ता है गाण्ड, तेरे बाप से भी चुसवाकार इतना मिा नहीां आया जितना तेरे से गाण्ड
चुसवाने में आ रहा है । चूस ले मादरचोद, बहुत माल छुपा रखा है तेरे सलए मैंने अपनी गाण्ड में । सब खखलाऊाँगी
तझ
ु ,े चूस मेरे मााँ के लण्ड, खा िा मेरी गाण्ड को…”
असलम ने कफर अपनी एक उां गली सलमा की गाण्ड में डाल दी, सलमा के माँह
ु से आअह्हह्हह… ननकलते ननकलते
रह गई। असलम अपनी उां गली उसकी गाण्ड में अांदर तक डालकर अांदर बाहर करने लगा।
57
असलम ने सोचा- “अरे अम्मी की गाण्ड तो गू से भरी हुई है , सब ु ह में कम से कम दो ककलो हगेगी। इसीसलए
राांड़ साली की गाण्ड से ऐसी बदबद
ू ार ऐसी क्यों ना मैं भी थोड़ी सी टट्टी का स्वाद चख लाँ …
ू ”
कफर असलम ने कुछ इस तरह से अपनी उां गली सलमा की गाण्ड में घम ु ाई की उसकी उां गली पर बहुत सारा गू
लगे। अपनी उां गली उसने धीरे -धीरे बाहर ननकाली तो दे खा उसकी उां गली पे खूब सारी पीली पीली और रसीली
टट्टी लगी हुई थी। असलम ने उस उां गली को अपनी नाक के पास लाकर एक गहरी सााँस ली और उसकी बदबू
का परू ा परू ा मिा सलया।
असलम को लगा- “हाय क्या मस्त बदबू है नछनाल की टट्टी का, म्म्म्मम िी करता है इसकी गू को ज द
ां गी
भर के सलए नाक में भर लाँ ू और सघ
ांू ता रहूां। अरे िब बदबू ही लण्ड से पानी ननकालने िैसी है तो स्वाद तो
माशा अल्लाह क्या िबरदस्त होगी…”
असलम- “म्म्म्ममम ओमम्म्मम एम्म म्ममौम्म्म क्या िबरदस्त स्वाद है इसकी सांडास का, एम्म दनु नया का
कोई भी पकवान सलमा की टट्टी से ज्यादा सवाददष्ट नहीां हो सकता। अल्ल्लह, इस टट्टी के सलए तो मैं िान
दे भी सकता हूाँ और ले भी सकता हूाँ। हाय अब ज ांदगी में मैं कभी और कुछ नहीां खाऊाँगा, बस सलमा का
सांडास ही खाता रहूाँगा। आह्हह्हह… आआह्हह्हह… आआह्हह्हह…”
यही सोचते सोचते असलम के लण्ड से पानी का ऐसा फव्वारा ननकला की िो सीधा सामने बबस्तर पे लेटी हुई
फानतमा के माँह
ु पे िा चगरा जिससे फानतमा की नीांद खुल गई। असलम झट से अपना लण्ड अपने पायिामे में
डालकर सो गया।
***** *****
सब
ु ह के 6:00 बिे फानतमा उठी और सलमा को उठाने लगी। सलाम की आवाि से असलम भी िाग गया।
फानतमा- “चल सलमा उठ िा, सरू ि ननकल आया है । चल सांडास िाके आते हैं। अब िल्दी से उठ…”
सलमा- “नहीां मझ
ु े बहुत नीांद आ रही है , तू िाके आ। मैं बाद में चली िाऊाँगी। आि तू अकेली चली िा…”
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फानतमा- “ठीक है, पड़ी रह ऐसे ही मैं अकेली ही चली िाती हूाँ…”
सलमा को नीांद तो आ रही थी, मगर उसका सांडास ना िाने की कुछ और विह भी थी। असलम सब सन
ु रहा
था और खुश हो रहा था की आि सलमा सांडास नहीां गई। इसका मतलब आि खूब गाण्ड मस्ती करने को
समलेगी सलमा के साथ। रात भर िागने की विह से वो भी सो गया।
करीब आधे घांटे बाद सलमा और असलम दोनों उठ गये। असलम िैसे ही माँह
ु धोने गया, सलमा ने उसे रोक
सलया और इशारे से मना कर ददया। इतने में दरवािे पे ककसी के आने की आहट हुई।
फानतमा घर के अांदर आई और असलम के पास आकर अपना बााँया (लेफ्ट) हाथ उसके चेहरे पे अपना हाथ फेरते
हुए कहा- “उठ गया मेरे लाल, अल्लाह तझ
ु े सारी खसु शयाां बकर्े, तेरे ददल की हर मरु ाद परू ी हो। चल नमाि का
समय हो गया है …”
फानतमा- “अरे क्या हुआ तझ ु े िो एकदम से अपनी अम्मी की हाथ चूमने लगा। रुक मैंने अभी अपने हाथ ठीक
से नहीां धोए, गांदे होंगे…”
सलमा- “लगता है तेरे बेटे को तेरी सांडास की बास भा गई है । इसीलये उसे ऐसे सघ
ांू रहा है …”
फानतमा- “चुप पागल कुछ भी अनाप शनाप बोलती रहती है । तू दे ख नहीां रही, उसे अपनी अम्मी पे प्यार आ
रहा है । यह एक बेटे का अपनी अम्मी से ममता भरा प्यार है । तझ
ु िैसी बािारु औरत नहीां समझेगी। चल िाने
दे , मैं हाथ माँह
ु धोकर आती हूाँ। नमाि पढ़ने का वक़्त हो गया…”
कफर नमाि शरू ु हुई, मगर असलम का परू ा ध्यान तो सलमा की गाण्ड पे था, वो िानता था की सलमा की
गाण्ड परू ी तरह टट्टी से भरी हुई है । थोड़ी दे र बाद िब इबादत का वक़्त आया और िैसे ही सलमा आगे की
तरफ झक
ु ती उसकी फटी हुई सलवार से उसकी बास मारती हुई गाण्ड बाहर ननकल आई। असलम भी झक
ु गया
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और सलमा की गाण्ड पे अपने होंठ रख ददया और चम ू ने लगा। सलमा को बहुत मिा आ रहा था। वो िरूरत से
कुछ ज्यादा ही दे र झक
ु ी रही ताकी असलम को और उसे खदु भी गाण्ड चस
ू ाई का परू ा लत्ु ़ आए। कफर उठ के
सीधी बैठ गई और नमाि पढ़ने लगी, असलम भी सीधे बैठ गया। फानतमा का ध्यान तो परू ा नमाि पे था
इसीसलए उसने इन दोनों की मस्ती का निारा नहीां दे खा। कफर िैसे ही सलमा इबादत करने के सलए झुकी और
अपना सर िमीन से लगा ददया, तो असलम भी उसके साथ ही झुक गया और सलमा की गाण्ड चाटने लगा।
इतनी बदबद
ू ार चीि असलम ने अपनी 17 साल की ज ांदगी में कभी नहीां साँघ
ू ी थी, गााँव की सबसे बदबद
ू ार गटर
से भी ज्यादा बदबद
ू ार थी सलमा की गाण्ड पर सच बात यह भी थी की इससे मिेदार चीि भी ज ांदगी में उसने
कभी नहीां साँघ
ू ी थी। यह ससलससला कुछ दे र तक चलता रहा। कफर नमाि खतम हुई, सब अपने अपने काम में
लग गये।
सलमा बोली- “अरे नहीां रे मेरी चूत के लाल, सब अल्लाह की बनाई कुदरत है । हमने बस उसके बनाए हुए
कुदरत का असली लत्ु ़ उठाया है । मेरी गाण्ड भी अल्लाह की दे न है और तेरी िब
ु ान भी। अगर तन
ू े अपनी
िुबान से मेरी गाण्ड चाटी तो इसमें क्या बरु ा सलया। आखखर अल्लाह की बनाई हुई दो चीिों को हमने समलाया
है और मिा सलया। अगर कोई चीि करने से खश ु ी समलती है तो वो कभी गलत नहीां हो सकती…”
असलम- “सच बड़ी ही मादरचोद राांड़ है तू अम्मी, अब समझ में आ रहा है की क्यों अब्बा अम्मी को छोड़कर
तेरी गाण्ड के पीछे पागल थे। अब मैं भी तेरा गल
ु ाम हो गया हूाँ। अब िो तू बोलेगी वोही मैं करूाँगा। बस अब
मझु े तू औरत के जिश्म का मिा दे दे जिसके सलए कब से तड़प रहा हूाँ। बस मेरी नछनाल बन िा त… ू ”
सलमा- “अरे यह भी कोई कहने की बात है । आि से मैं तेरी रखैल हूाँ, तू िो चाहे , िब चाहे मेरे साथ कर
सकता है । मझु से पछ
ू ने की िरूरत भी नहीां है । अब दे ख तझ
ु े औरत के जिश्म का कैसा मिा चखाती हूाँ। औरत
के जिश्म के हर रस का िायका तझ ु े चाखाऊाँगी। आि तू नहाना मत, मैं भी नहीां नाहाऊाँगी। गांदे जिश्म में चुदाई
का मिा ज्यादा आता है । तू िानता है की मैं 3 ददन से ना नहाई हूाँ ना माँह
ु धोया है , गांदे बदबद
ू ार जिश्म में
कैसा मिा है आि तझु े ससखाऊाँगी…”
असलम- “ठीक है अम्मी िान, आप बेकफि होकर िाइए। मैं और सलमा अम्मी घर सांभाल लेंग…
े ”
सलमा चुपके से असलम के पास आकर कहती है- “चलो शाम तक हमें कोई रोकने वाला टोकने वाला नहीां है ,
िल्दी से यह मसाला कूटते हैं और फानतमा के िाने का इांति
े ार करते हैं…”
60
सब
ु ह के 8:00 बि रहे थे और अच्छी खासी धूप भी ननकल आई थी। सलमा ने अपना दप
ु ट्टा कमर से बााँध
सलया। सलमा की कमीि उसकी मादरचोद मम्मों को छुपा नहीां पा रही थी। उसकी चचू चयाां कमीि के ऊपर से
बाहर ननकालने को मचल रही थी। सलमा िानबझ
ू कर अपनी कमीि इस तरह ससलवाती है की कमीि का गला
इतने नीचे होता है जिसमें से आधे से ज्यादा दध
ू झलक ददखला िाते हैं और उसपर आि तो वो और झुक झुक
कर अपने दध
ू का निारा असलम को ददखा रही थी। असलम मस
ू ल लेकर खड़ा हो गया। सलमा नीचे िमीन पर
बैठकर मसाले का सारा समान ओखली में डाल रही थी। असलम को खड़े खड़े सलमा की चचू चयों का निारा िान
ले रहा था। सलमा ने अचानक असलम की तरफ दे खा मगर असलम िरा भी नहीां शरमाया और वो सलमा की
चूचचयों को ताके ही िा रहा था।
सलमा ने मस्
ु कुरा कर कहा- “चस
ू ने का मन हो रािा है बेटा?”
असलम- “हााँ… अम्मी बहुत, कच्चा चबा िाने को िी कर रहा है । कुदरत ने क्या दौलत दी है तम
ु रां ड़डयों को।
बस अपनी चूचचयाां ददखाकर ककसी भी मदद के लण्ड में हलचल पैदा कर दे ।, कफर चाहे वो मदद अपना बेटा ही
क्यों ना हो?”
असलम मस
ू ल ओखली में डालकर कूटने लगा। सलमा समची, धननया, ओखली में डाल रही थी और असलम िोर
लगाकर कूटे िा रहा था।
सलमा- “अरे तू तो कूटने और घोटने में उस्ताद लग रहा है । क्या तू मेरी ओखली में भी अपना मस
ू ल डालकर
इसी तरह घोटे गा…”
इतने में अांदर से फानतमा की आवाि आई- “अरे मसाला तैयार हुआ की नहीां, यहााँ मझ
ु े सब् ी बनानी है । िल्दी
िल्दी कूटो। और कोई खुश्बू भी नहीां आ रही है मसले की। असलम िरा दे ख के बता, मसाला की खश्ु बू कैसी
है …”
असलम- “ठीक है अम्मी, अभी दे खकर बताता हूाँ…” असलम िरा सा मसाला अपनी नाक के पास ले गया और
सघ
ांू ने लगा।
सलमा- “अरे यह मसाला की खुश्बू क्या साँघ
ू ता है, असली मसाला की खुश्बू मैं तझ
ु े साँघ
ु ाती हूाँ। साँघ
ू ेगा मेरी
मसाला की खुश्ब…
ू ”
सलमा ने अपनी फटी हुई सलवार के अांदर उां गली डालकर अपनी गाण्ड में उां गली करने लगी। कुछ पल बाद उस
उां गली को अपनी गाण्ड से ननकालकर पहले खुद साँघ
ू ा।
सलमा की उां गली िैसे ही असलम की नाक के पास पहुाँची तो िैसे असलम के शरीर का रोम रोम हवस की आग
में िलने लगा। गाण्ड की हवा साँघ
ू ना अलग बात है मगर इस तरह से डाइरे क्ट सलमा की गाण्ड की बू साँघ
ू ना,
ऐसा तिुबाद असलम की ज द ां गी में पहले बार आया था। वो पागलों की तरह सलमा की टट्टी से सनी हुई उां गली
सघ
ूां ने लगा। क्या िबरदस्त और मस्तानी खुश्बू थी सलमा की टट्टी की। उसने सलमा का हाथ पकड़ सलया और
िोर िोर से सााँसें लेने लगा। वो उस उां गली की सारी बदबू साँघ
ू लेना चाहता था।
असलम- “आ नछनाल, क्या मस्त बदबू है तेरी गाण्ड की। पता नहीां तेरी गाण्ड में ऐसा कौन सा कुक्कर है िो
इतनी महकती टट्टी बनाता है । सच में माँह
ु में आ गया मेरी िान, अब रहा नहीां िाता…”
असलम- “अब क्या बताऊाँ अम्मी, ककतना मस्त मसाला बनाया है सलमा अम्मी ने। इतना खुशबद
ू ार मसाला मैंने
ज ांदगी में नहीां साँघ
ू ा। अया माँह
ु में पानी ला दे ता है सलमा अम्मी का मसाला। अगर यह मसाला खाने में पड़
िाए तो खाने का मिा आ िाए…”
फानतमा- “अच्छा ऐसी बात है , मगर िरा चख के भी दे ख ले। कभी कभी अच्छी खुश्बू वाला मसाला भी चखने
में ठीक नहीां रहता। िरा चख के बता…”
सलमा- “अच्छा तो अब असलम मादरचोद मेरी टट्टी चखेगा। चल अपनी उां गली से खखलती हूाँ तझ
ु े अपनी
टट्टी…”
कहकर सलमा कफर अपनी दो उां गसलयाां अपनी गाण्ड में अांदर तक डालती है और खब
ू घम
ू ती है । िब खब
ू सारी
टट्टी उसकी उां गसलयों पे लग िाती है वो उसे अपनी गाण्ड से बाहर ननकालकर असलम के माँह
ु के पास रखती
है । असलम धीरे -धीरे सलमा की उां गसलयों को अपने मह
ाँु में लेता है । सलमा की िायकेदार सांडास का स्वाद उसकी
िब
ु ान पर लगते ही उसका ददल और लण्ड हवस की आग में सल
ु गने लगा। वो एक भख
ू े कुत्ते की तरह सलमा
की उां गसलयाां चाटे िा रहा था चाटे िा रहा था।
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फानतमा- “अरे क्या हुआ कैसा बना है मसाला असलम, तू िवाब क्यों नहीां दे ता?”
असलम- “अरे अम्मी क्या िबरदस्त मसाला बनाया है सलमा अम्मी ने, कोई भी मदद इस मसले को एक बार
चखेगा ना अपनी उां गसलयाां तक चबा िाएगा…”
फानतमा- “अच्छा ऐसी बात है , सलमा है तो नछनाल मगर खाना अच्छा बना लेती है । चलो चलो िल्दी िल्दी
हाथ चलाओ, अभी बहुत काम है …”
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