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होल - हषा और लाल क

होल पर पछले तीन साल से घर नहं जा पाया था। उस बार माँ का फ़ोन आ ह गया। कह रह थी- “सुरेश
बेटा इस होल पर ज$र आ जाना। और हाँ वो अपनी हषा) भी आई हुयी है , तझ
ु े पूछ रह थी।”

हषा) का नाम सुनते ह मेरे तन बदन म2 एक मादक तरं ग दौड़ गयी। म6ने तरु ं त फैसला 8कया क9 इस बार होल
पर ज$र घर जाऊंगा। “ठ<क है माँ, म6 को=शश करता हूँ, अगर द>तर से छु?ी =मल गयी तो ज$र आऊंगा।” म6ने
माँ से फ़ोन पर कह @दया।

होल को अभी परू ा एक ह>ता बाक9 था। म6 Aटे शन पर Bे न का इCतजार कर रहा था। मन म2 हषा) उमड़ घम
ु ड़
रह थी। तभी Bे न आने का अनाउं सम2 ट हुआ, Bे न के आते ह म6 अपनी कोच म2 अपनी बथ) पर जा के बैठ गया।
Bे न चल पड़ी और म6 8फर से हषा) के EयालF म2 खो गया।

हषा), मेरे अज़ीज़ दोAत मेघ =संह ठाकुर क9 बेट हषा)।

मेघ =संह ठाकुर हमारे गाँव के जमींदार थे। खूब बड़ी हवेल, सैकड़F एकड़ जमीन िजस पर खेती होती थी। बाग़
बगीचे, सब कुछ। मेघ =संह से मेर परु ानी यार थी। हम लोग शाम को अKसर एक साथ बैठते कुछ पीने पलाने
का दौर चलता, हसी मजाक होती, कहकहे लगते। ना जाने 8कतनी हसीनाओं का मान मद) न हम दोनF ने =मल
कर 8कया था। अब तो वो सब बात2 इक Eवाब सी लगती ह6।

बात हषा) क9 है , उस @दन से पहले मेरे मन म2 हषा) के MNत ऐसा वैसा कुछ भी नहं था। म6ने उसे उस नज़र से
कभी दे खा भी नहं था। हषा) ने इंटर पास करने के बाद पास के शहर म2 बी काम म2 दाPखला ले =लया था। उन
@दनF वो ग=म)ओं क9 छु?ी म2 आई हुयी थी। उस @दन जनू का तपता म@हना, लू के थपेड़े अभी भी चल रहे थे।
हालाँ8क शाम के ६ बजने वाले थे। मेर तRबयत ठ<क नहं थी। शायद लू लग गयी थी। सोचा क9 कSचे आम का
पना (पना। कSचे आम भून कर बनाया जाने वाला शब)त) पी लँ ू तो मेर तRबयत ठ<क हो जाएगी। यह सोच कर
म6 हषा) क9 अमराई (आम का बगीचा) म2 कSचे आम तोड़ने के इरादे से चला गया। चारF तरफ सCनाटा था।
माल भी कहं नज़र नहं आया। मन ह मन सोच रहा था क9 अब मुझे ह पेड़ पर चढ़ कर आम तोड़ने पड़2गे।
तभी मुझे कुछ लड़8कयF के हं सने PखलPखलाने के आवाज2 सुनाई द।

“हषा), तम
ु दे खो ना मेर चूत को। तुमसे बड़ी है , और गहर भी।” कोई लड़क9 कह रह थी।

“हाँ हाँ। मुझे पता है तू अपने जीजाजी से चुदवाती है । तभी तो तेर चूत ऐसी भोसड़ा बन गयी है।” 8कसी दस
ू र
लड़क9 क9 आवाज आई।

“ऐ कमल, अब तू रहने दे । मेरा मुहं ना खुलवा। मुझे पता है तम


ु अपने चाचू का लWड चूसती हो और अपनी
बुर म2 लेती हो।” वो लड़क9 बोल उठ<।

“दे खो, तम
ु लोग झगडा मत करो, "चूत-चूत।" खेलना हो तो बोलो वना) म6 तो घर जा रह हूँ।” हषा) बोल रह थी।

मेरे कदम जहाँ के तहां ठहर गए। म6 दबे पांव उस तरफ चल @दया जहाँ से आवाज2 आ रहं थी। पेड़F क9 ओट म2
छुपता हुआ म6 आगे बड़ने लगा। 8फर जो दे खा, उसे दे ख कर मेरा गला सूख गया। मेर साँसे थम गयीं। @दल क9
धड़कन तेज हो गयी। हषा) और उसक9 सात आठ सहे =लयां एक गोल घेरा बना के बैठ< थी। सब लड़8कयF ने
अपनी अपनी सलवार और च[डी उतार रखी थी और अपनी अपनी टाँगे फैला के अपनी अपनी चूत अपने हाथो
से खोल रखी थी। और आपस म2 बNतया रहं थी।

“सरAवती, अब तू ह समझा इस प\ु पा को। ये तो आज "चूत-चूत।" खेलने नहं झगडा करने आई लगती है ।”
कमल बोल पड़ी।

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सभी लड़8कयF को म6 जनता पहचानता था। सरAवती उ] म2 सबसे बड़ी थी, उसने भी अपनी चूत दोनF हाथF से
खोल रखी थी। कमल क9 बात सुनकर उसने अपना एक हाथ चत
ू पर से हटाया और सबको समझाने के अंदाज़
म2 बोल, “दे खो तुम लोग लड़ो मत, हम लोग यहाँ खेलने आयी ह6, झगड़ने नहं। समझीं सब क9 सब।”

तभी हषा) बोल पड़ी, “तो अब खेल श$


ु , म6 तीन तक ^गनंग
ु ी 8फर खेल श$
ु और अब कोई झगडा नहं करे गा।
एक दो तीन।”

हषा) के तीन बोलते ह सब लड़8कयF ने अपनी अपनी चूत म2 ऊँगल करना शु$ कर द। 8कसी ने एक ऊँगल
डाल रखी थी 8कसी 8कसी ने दो। िजस पेड़ के पीछे म6 छुपा हुआ था वहां से =सफ) तीन लड़8कयां ह मेरे सामने
थीं। बाक9 सब क9 नंगी कमर और @ह_स ह @दख रहे थे। हषा) मेरे ठ<क सामने थी। हषा), मेरे खास =म` क9
बेट। िजसे म6 आज तक एक भोल भाल मासूम नादान लड़क9 समझता आया था उसका कामुक $प मेरे सामने
था। वो भी अपनी चूत क9 दरार म2 अपनी ऊँगल चला रह थी। हषा) क9 गोर गोर पु\ट जांघो के बीच म2 उसक9
चूत पाव रोट क9 तरह फूल हुयी @दख रह थी। उसक9 चूत पे हलक9 हलक9 मुलायम रे शमी झांटे थी। तभी
सुनयना बोल पड़ी।

“ऐ, शबनम तेरा हाथ बहुत धीरे चल रहा है । जरा जाके अपना ह^थयार तो उठा ला।” सुनयना बोल

यह सुन कर शबनम उठ< और पास क9 झाaड़यF म2 से कुछ उठा लायी। म6 उbसुकता से दे ख रहा था। शबनम के
हाथ म2 लाल कपडे म2 =लपटा हुआ लcबा सा कुछ था। वो उसने लाकर सुनयना को दे @दया। सुनयना ने उस
ह^थयार के ऊपर से कपडा हटाया। वो ह^थयार एक लकड़ी का बना हुआ aडdडो, (कृR`म लWड) था। लगभग बारह
अंगुल लcबा और तीन अंगुल मोटा। एकदम ^चकना, कांच क9 तरह। सुनयना ने वो ह^थयार अपनी चूत म2 दCन
से घस
ु ेड =लया और उसे अCदर बाहर करने लगी।

मुझे भी दो। मुझे भी दो। सब लड़8कयां कह रह थी, 8फर सुनयना ने वो aडdडो अपनी चूत से बाहर Nनकाल कर
हवा म2 उछाल @दया। कई लड़8कयF ने केच करने क9 को=शश क9। ले8कन बाजी शबनम के हाथ लगी। शबनम
उस aडdडो को अपनी चूत म2 सरका कर मजे लेने लगी। उ>>फ>>>फ़ मेर कनप@टयाँ गरम होने लगी थी। मेरा
गला सूख चुका था। जैसे तैसे म6ने थूक Nनगला। िजन लड़8कयF को म6 आज तक सीधी साद भोल भाल
समझता आया था, उनका असल $प मेरे सामने था।

“हषा), तू भी ले ना इसे अपनी बरु म2 । बहुत मज़ा आता है ।” शबनम बोल।

“ना, बाबा ना। मुझे तो इसे दे ख कर ह डर लगता है । म6 तो शाद के बाद ह असल चीज लुंगी अपने भीतर।”
हषा) बोल।

सब लड़8कयां बार बार से उस aडdडो को अपनी चूत म2 चलाती रह। =सफ) हषा) ने वो aडdडो अपनी चूत म2 नहं
घस
ु ाया। जब लड8कयF क9 मAती परू े शवाब पे आई तो वो एक दस
ु रे के ऊपर लेट के चत
ू से चूत रगड़ने लगीं।
ये खेल लगभग पंfह बीस =मNनट तक चला। जब सब क9 सब झड गयीं तो सबने अपनी अपनी च[डी और
सलवार प@हन ल। अSछा सPखयF, आज का अपना खेल ख़तम। कल 8फर हम लोग चूत-चूत खेल2गी। हषा) बोल
पड़ी। सब लड़8कयF के जाने के बाद म6 भी दबे पांव अपने घर को चल @दया। उस रात नींद मेर आँखF से कFसF
दरू थी।

रह रह कर "चूत-चूत" का खेल मेरे @दमाग म2 चल रहा था। िजसक9 कभी कdपना भी ना क9 थी, उसे Mbयh
दे ख चुका था। हषा) क9 भर भर चूत मेर आँखF म2 नाच रह थी। उसक9 गुलाबी सलवार उसके पांव के पास पड़ी
थी, और उसने अपनी धानी रं ग क9 कुतi अपनी कमर के ऊपर तक समेट ल थी, उसक9 चु^चयF पे म6ने jयादा
गौर नहं 8कया था। ले8कन हषा) क9 कुतi काफ9 ऊंची उठ< हुयी @दख रह थी।

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तभी मेरे लWड ने खड़े होकर हुंकार सी भर और मेरे पेट से सट गया, जैसे मुझे उलाहना दे रहा था। म6ने अपने
लWड को _यार से थपथपाया। “सk करो छोटू, बहुत जdद तम ु हषा) क9 चत
ू क9 सैर करोगे।”

ले8कन कैसे। ये सवाल मेरे सामने मुह बाए खड़ा था। हषा)। जो मेरे सामने पैदा हुई थी। मेर गोद म2 नंगी खेल
थी। मेरे खास दोAत क9 Rब@टया। म6ने कभी आज तक उसके बारे म2 ऐसा सोचा भी नहं था। ले8कन आज जो
खेल उसक9 अमराई म2 दे खा। हषा) ने अपनी चूत अपने हाथF से खोल रखी थी। उसक9 चूत के भीतर वो तरबूज
जैसा लाल और भीगा भीगा सा lवार। वो उसक9 छोट अंगुल क9 पोर जैसा उसक9 चूत का दाना (Clit)। अनचाहे
ह म6 हषा) क9 चत
ू का Aमरण करता हुआ मठ ु मारने लगा। मेरे लWड से जब लावा Nनकल गया तब कुछ चैन
=मला। अब मेरा मन। हषा) क9 rरयल चुदाई करने के ताने बाने बुनने लगा।

अगल सुबह म6 जdद उठ गया और घम ू ने के बहाने हषा) क9 अमराई म2 जा पहुंचा। म6 झाaड़यF म2 aडdडो क9
तलाश करने लगा। वो मुझे वैसा ह कपडे म2 =लपटा =मल गया। म6ने aडdडो को कपडे से बाहर Nनकल कर दे खा,
बड़ा मAत aडdडो था। उसम2 से लड़8कयF क9 चूत के रस क9 गंध अभी भी आ रह थी। म6ने उसे अपनी नाक से
लगा कर एक गहर सांस ल। और aडdडो अपनी जेब म2 रख =लया। इतना तो म6 समझ ह गया था क9 हषा)
एक सेKसी लड़क9 है और लWड लेने क9 चाहत उसे भी होगी। आPखर अब वो भरपूर जवान हो चुक9 थी। मुझे
अपनी राह आसान नज़र आने लगी।

म6ने कुछ कुछ सोच =लया था क9 मुझे Kया करना है । उसी @दन म6 हषा) के घर जा पहुंचा, इbतफाक से हषा) से
अकेले म2 बात करने का मौका =मल ह गया।

“हषा), कैसी हो तुम। तc


ु हार पढ़ाई =लखाई कैसी चल रह है ।” म6ने पछ
ू ा।

“ठ<क चल रह है अंकल जी, म6 @दन भर मन लगा के पड़ती हूँ।” हषा) बोल।

“ठ<क है हषा), खूब मन लगा के पढो तुcह2 िज़Cदगी म2 बहुत आगे बढ़ना है ।” म6ने कहा।

“जी अंकल।” वो बोल।

“वैसे हषा), कल म6ने तुcह2 तc


ु हार अमराई म2 सहे =लयF के साथ पढ़ते दे खा था।” म6ने कह @दया।

यह सुन कर हषा) सकपका गयी और उसका चेहरा फक पढ़ गया। उसके मुंह से बोल ना फूटा। 8फर म6ने वो
aडdडो Nनकाल कर हषा) को @दखाया।

“ये तc
ु हारा ह है ना।” म6ने पछ
ू ा।

“अंकल जी, वो वो।” इसके आगे हषा) कुछ ना बोल सक9।

“हषा), ये आदत2 अSछ< नहं। मझ


ु े तc
ु हारे पताजी से बात करनी पड़ेगी इस बारे म2 ।” म6ने कहा।

“नहं अंकल जी, आप पताजी से कुछ मत कहना इस बारे म2 । म6 आपके पांव पड़ती हूँ।” वो बोल।

“हषा), तम
ु उन गCद लड़8कयF के साथ ये सब गंदे गंदे काम करती हो। मुझे तc
ु हारे पताजी को ये सब बताना
ह पड़ेगा।” म6ने अपनी बात पर जोर दे कर कहा।

“नहं, अंकल जी, _लज। आप पताजी से कुछ मत कहना। अब म6 कभी भी वैसा नहं कtँ गी।” हषा) tआंसे Aवर
म2 बोल और मेरे पैरF पर झुक गयी। मेरा तीर एकदम सह जगह लगा था।

“दे खो, हषा) म6 तम


ु से इस बारे और बात करना चाहता हूँ। तम
ु कल दोपहर को मुझे अपनी अमराई म2 =मलना।”
म6ने उससे कहा।

“अंकल जी, अब Kया बात करनी है आपको।” वो बोल।

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“हषा), तम
ु कल मुझे वह पे =मलना। अब तुम छोट बSची तो हो नहं। अपने आप समझ जाओ।” म6ने उसक9
आँखF म2 आँखे डाल कर कहा।

कुछ दे र वो चुप रह, 8फर धीरे से बोल।” ठ<क है अंकल जी, म6 कल दोपहर को आ जाउं गी वह पर, ले8कन
आप पता जी से कुछ मत कहना।”

“ठ<क है , नहं कहूँगा। ले8कन तम


ु समझ गयीं ना मेर बात को ठ<क से।”

“जी, अंकल। म6 तैयार हू।” वो बड़ी मुिuकल से बोल। यह सुन कर म6ने हषा) को अपनी बहो म2 भर =लया और
उसका गाल चूम =लया। वो

थोड़ी कसमसाई ले8कन कुछ नहं बोल 8फर म6ने धीरे से उसक9 चु^चओं पर हाथ 8फराया और उसक9 जांघो के
बीच म2 हाथ ले जाकर उसक9 चत
ू अपनी मुvी म2 भर ल। हषा) के मुह से एक =ससकार Nनकल। “हषा)। अपनी
इसे भी ^चकनी कर के आना।” म6 उसक9 चूत पर हाथ 8फरते हुए बोला।

हषा) ने अपना सर झुका =लया, बोल कुछ नहं। मै 8फर अपने घर लौट आया। अब मझ
ु े कल का इंतज़ार था।
अगले @दन म6 नहा धोकर तैयार हुआ, खूब रगड़ रगड़ के मल मल के नहाया और 8फर अपने लWड पर चमेल
के तेल क9 मा=लश क9, सुपाडे पर खूब सारा तेल चुपड़ =लया। आPखर हषा) क9 चूत क9 सील तोड़ने जा रहा था
मेरा छोटू। म6 हषा) क9 अमराई म2 लगभग एक बजे ह पहुँच गया। चारF तरफ सुनसान था, ^चल^चलाती धप
ू पड
रह थी और गरम हवाएं चल रह थी।

करब आधे घंटे बाद मुझे हषा) आती @दखाई द, उसने अपने सर पर दप
ु ?ा ढँ क रखा था, गुलाबी रं ग के सलवार
सूट म2 ताजा Pखला गुलाब सी लग रह थी। “आओ हषा)। तम
ु ने तो मुझे बहुत इंतजार करवाया, म6 कब से यहाँ
अकेला बैठा हू।” म6ने कहा।

“अंकल जी, वो तैयार होने म2 दे र लग गयी।” वो धीरे से बोल। हषा) क9 काNतल जवानी गजब ढहा रह थी, खूब
सज संवर के आई थी वो। म6ने उसे अपनी बाँहF म2 खींच =लया, उसक9 कड़क कठोर च^ू चया मेरे सीने से आ
लगीं, उसके तन क9 तपश मुझे दवाना बनाने लगी।

“अंकल जी, कोई दे ख लेगा।” वो बोल और मझ


ु से छूटने क9 को=शश करने लगी।

“अरे , यहाँ तो कोई भी नहं है । तम


ु बेकार डर रह हो।” म6ने उसे समझाया।

“नहं, अंकल यहाँ नहं। हम लोग मचान पर चलते ह6। वहां हम2 कोई डर नहं रहे गा।” हषा) बोल।

“ठ<क है चलो।” म6ने कहा। मचान का नाम सुन कर म6 भी खुश हो गया। वहं पास म2 एक आम के पेड़ पर
मचान बनी थी। म6ने हषा) को सहारा दे कर ऊपर मचान पर चडा @दया और 8फर म6 भी ऊपर चढ़ गया। अब हम2
दे खने वाला कोई नहं था।

मचान पर नम) नम) पआ


ु ल Rबछ< थी, िजस पेड़ पर मचान बनी थी उसम2 ढे र सारे बड़े बड़े आम लटक रहे थे।
इKका दK
ु का तोते आमF को कुतर रहे थे। हषा) सहमी =सकुड़ी सी मचान पर बैठ गयी। म6 उसके पास म2 लेट
गया और उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच =लया। वो मेरे सीने से आ लगी। म6 धीरे धीरे उसके अंगF से
खेलने लगा। वो हdका फुdका वरोध भी कर रह थी। उसके मुंह से ना नक
ु ु र भी Nनकल रह थी, म6ने हषा) क9
कुतi म2 हाथ डाल @दया और उसके दध
ू दबाने लगा। उसका Nनचला होठ अपने होठो म2 लेकर म6 उसक9 Nन_पलस
चुटक9 म2 भर कर धीरे धीरे मसलने लगा। धीरे धीरे हषा) भी सुलगने लगी। आPखर जवान लड़क9 थी, मेरे हाथF
का असर तो उस पर होना ह था। 8फर म6ने उसक9 सलवार का नाडा पकड़ कर खींच @दया, और उसक9 च[ढ म2
हाथ डाल @दया। हषा) को मानो कर2 ट सा लगा, उसका सारा बदन =सहर उठा। हषा) क9 ^चकनी चूत मेर मुvी म2

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थी। वो सच म2 अपनी चूत को शेव करके आई थी। म6ने खुश होकर हषा) को _यार से चूम =लया, और उसक9 चूत
से खेलने लगा।

हषा) का वरोध अब ख़तम हो चुका था और वो भी मेरे साथ रस लेने लगी थी। 8फर म6ने उसक9 सलवार Nनकाल
द। और जब च[ढ उतारने लगा तो हषा) ने मेरा हाथ पकड़ =लया। “अंकल जी, मझ
ु े नंगी मत करो _लज।” वो
अनरु ोध भरे Aवर म2 बोल। ले8कन अब म6 कहाँ मानने वाला था। म6ने जबरदAती उसक9 च[ढ उतार के अलग
कर द। और 8फर उसक9 कुतi और kा भी जबरदAती उतार द।

उ>>फ, 8कतना मादक हुAन था हषा) का। उसके दध ू कैद से आजाद होकर मानो फूले नहं समां रहे थे। हषा) क9
गोर गुलाबी पु\ट जांघो के बीच म2 उसक9 ^चकनी गुलाबी चूत। म6 तो हषा) को Nनहारता ह रह गया। तभी वो
शरमा के दोहर हो गयी और उसने अपने पैर मोड़ कर अपने सीने से लगा =लए और अपना मुंह अपने घुटनF म2
Nछपा =लया।

म6ने भी अपने सारे कपडे उतार @दए और हषा) को जबरदAती सीधा करके म6 उसके नंगे बदन से =लपट गया।
जवान कंु वार अनछुई लड़क9 के बदन से जो मनभावन मादक गंध आती है । हषा) के तन से भी उसक9 @हलोर2
उठ रह थी। मै हषा) के पैरF को चूमने लगा। उसके पैरF क9 अँगु=लयF को म6ने अपने मंह
ु म2 भर =लया और
चूसने लगा। 8फर मेरे हFठ उसक9 टांगो को चूमते हुए उसक9 जांघो को चूमने लगे।

हषा) के बदन क9 =सहरन और कcपन म6 महसस


ू कर रहा था। 8फर म6ने अपनी जीभ उसक9 चत
ू पे रख द। हषा)
क9 चूत के लब आपस म2 सटे हुए थे। म6ने धीरे से उसक9 चूत के कपाट खोले और अपनी जीभ से उसका
खजाना लूटने लगा। तभी मानो हषा) के बदन म2 भक ू ं प सा आ गया। उसने मेरे =सर के बाल कस कर अपनी
म@ु vयF म2 जकड =लए। उसने अपनी कमर ऊपर उठा द। 8फर म6ने अपनी अंगल
ु  क9 एक पोर उसक9 चत
ू म2
घस
ु ा द और उसके दध
ू चूसने लगा। हषा) का दायाँ दध
ू मेरे मुंह म2 था और उसके बाएं दध
ू से म6 खेल रहा था।

तभी हषा) मेर पीठ को सहलाने लगी। “अंकल जी, हटो आप। बहुत दे र हो गयी, अब मुझे जाने दो।” वो
थरथराती आवाज म2 बोल, और अपनी टाँगे मेर कमर म2 लपेट दं। हषा) अपने मुंह से कुछ और कह रह थी
ले8कन उसका नंगा बदन कुछ और ह कह रहा था। म6 हषा) को िजस मुकाम पे लाना चाहता था वहां वो धीरे
धीरे आ रह थी। 8फर म6 उसके ऊपर लेट गया। मेरे लWड म2 भरपरू तनाव आ चुका था। और मेरा लWड हषा) क9
चूत पे टकरा रहा था। म6 उसके ऊपर लेटे लेटे ह उसके गाल काटने लगा।

“अंकल जी, गाल मत काटो ऐसे। Nनशान पड जाय2गे।” वो बोल, ले8कन म6ने अपनी मनमानी जार रखी।

“अब नहं रहा जाता।” वो बोल उठ<।

हषा) क9 आँखF म2 वासना के गुलाबी डोरे तैरने लगे थे। उसक9 कजरार आँखे और भी नशील हो चुक9 थी। 8फर
म6 उठ कर बैठ गया और हषा) को खींच कर म6ने उसका मंह
ु अपनी गोद म2 रख =लया। और म6 अपना लWड
उसके गालF पर रगड़ने लगा।

“हषा), मेरा लWड अपने मुंह म2 लेकर चूसो।” म6ने कहा।

“नहं, अंकल जी ये नहं।” वो बोल।

“तो ठ<क है । मत चूसो, अपने कपडे प@हन लो और जाओ अब।” म6ने कहा।

तब हषा) ने झट से मेरा लWड पकड़ =लया और Pझझकते हुए अपने मुह म2 ले =लया और चूसने लगी। म6 तो जैसे
पागल सा हो उठा। कुछ दे र बाद उसने मेर foreskin नीचे करके मेरा सुपाडा अपने मंह
ु म2 भर =लया और वो
बड़ी तCमयता से मेरा लWड चूमते चाटते हुए चूसने लगी। म6ने भी हषा) का =सर पकड़ =लया और उसे अपने लWड

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पर ऊपर नीचे करने लगा। मेरा लWड हषा) के मुंह म2 आ जा रहा था। कुछ दे र म6 यू ह हषा) का मुंह चोदता रहा
और साथ म2 उसक9 चत
ू क9 दरार म2 अपनी अंगल
ु  भी 8फराता रहा।

“अंकल जी, अब नहं होता सहन। आप और मत तरसाओ मुझे। जdद से मुझे अपनी बना लो।” हषा) कांपती सी
आवाज म2 बोल।

“ठ<क है मेर जान। म6 भी तड़प रहा हू तुcह2 अपनी बनाने के =लए। हषा), अब तुम सीधी लेट जाओ और अपने
पैर अSछ< तरह से फैलाकर अपनी चूत क9 फांके खोल दो पूर तरह से।” म6ने कहा।

“जी, अंकल। हषा) शरमाते हुए बोल।” और 8फर उसने अपनी टाँगे फैला के अपनी चूत के हFठ अपनी अँगु=लयF
से खोल ह @दए।

मझ
ु े लड़क9 का ये पोज सदा से ह पसंद है । जब लड़क9 नंगी होकर अपनी चत
ू अपने हाथF से खोलकर लेटती
है । 8फर म6ने हषा) क9 खुल हुयी चूत के छे द से अपना सुपाडा सटा @दया और उसक9 हथे=लयाँ अपनी हथे=लयF म2
फंसा कर धीरे धीरे अपना लWड उसक9 चूत म2 घस ु ाने क9 को=शश करने लगा। कंु वार चूत के साथ थोड़ी मुिuकल
तो होती ह है । म6ने अपने लWड को खूब सारा चमेल का तेल पलाया था। और 8फर हषा) के चस
ू ने के बाद मेरा
लWड काफ9 ^चकना हो चुका था। अंततः मेर मेहनत रं ग लायी। और मेरा लWड हषा) क9 चूत क9 सील को वेधता
हुआ, उसका कौमाय) भंग करता हुआ उसक9 चूत म2 समां गया।

हषा) के मुंह से एक घुट घुट सी चीख Nनकल, उसने मुझे परे धकेलने क9 को=शश क9 ले8कन मेरे हथे=लयF म2
उसक9 हथे=लयाँ फंसी हुयी थी, वो बस तड़प के ह रह गयी।

“उई माँ… मर गयी…” हषा) के मुंह से Nनकला।” हाय अंकल, Nनकाल लो अपना बाहर। मुझे नहं चुदवाना आपसे।”

ले8कन म6 बहुत धीरे धीरे आ@हAता आ@हAता उसक9 चूत म2 अपने लWड को चलाता रहा। मेरा लWड हषा) क9 चूत
म2 रKत-Aनान कर रहा था, और वो मेरे नीचे बेबस थी।

“आह, अंकल। बहुत दख ु रह है ।” हषा) बोल। उसक9 आँखF म2 आंसू छलक आये। मुझसे उसक9 तड़प दे खी नहं
जा रह थी, ले8कन म6 कर भी Kया सकता था। म6ने _यार से उसक9 आँखF को चूम =लया, उसके गालF को अपना
_यार @दया। और अपनी धीमी र€तार जार रखी। जैसा क9 आ@द काल से होता आया है , कामदे व ने अपना रं ग
@दखाना शु$ 8कया तो हषा) को भी मAती चड़ने लगी। उसके Nन_पलस जो पहले 8कश=मश क9 तरह थे अब कड़क
हो कर बेर क9 गुठल जैसे हो चुके थे और उसका पूरा बदन कमान क9 तरह तन चुका था। अब हषा) के हाथ भी
मेर पीठ पर 8फसलने लगे थे।

थोड़ी दे र बाद उसके मुंह से धीमी धीमी 8कलकाrरयां Nनकलने लगीं। तब म6ने चुदाई क9 Aपीड थोड़ी तेज कर द।
और अपने लWड को पूरा बाहर तक खींच कर 8फर से उसक9 चूत म2 पूर गहराई तक घस
ु ा कर उसे चोदने लगा।

“हाँ, अंकल जी, ऐसे ह करो। थोडा और जdद जdद करो ना।” हषा) अपनी कमर उठाते हुए बोल।

“हाँ, ये लो मेर जान।” म6ने कहा और 8फर म6ने अपने Aपेशल शोस मारने शु$ कर @दए।

“अंकल जी, अब बहुत मजा दे रहे हो आप। हाँ।”

“तो ये लो मेर रानी, और लूटो मजा। Kया मAत जवानी है तेर, हषा)।” म6ने कहा।

“अंकल जी, ये हषा) ठाकुर आपके =लए ह जवान हुयी है । आप लट ू ो मेर जवानी को, जी भर कर भोग लो मेरे
शरर को। खेलो मेरे िजAम से, र‚द डालो मेर चूत को, फाड़ दो मेर चूत आह। जैसे आप चाहो वैसे खेलो मेर
अAमत से।

6
जी भर के लूटो मेर इjजत को। अंकल कुचल के रख दो मेर चूत को, बहुत सताती है ये चूत मुझे।” हषा) परू 
मAती म2 आके बोले जा रह थी।

8फर म6 हषा) के Kलायीटोrरस को अपनी झांटो से रगड़ रगड़ के उसक9 चूत मारने लगा, उछल उछल कर उसक9
चत
ू कुचलने लगा। (बनाने वाले ने भी Kया चीज बनाई है चत
ू भी। 8कतनी कोमल, 8कतनी नाजक
ु , 8कतनी
लचील, 8कतनी रसभर ले8कन 8कतनी सहनशील। कठोर लWड का कठोर से कठोरतम Mहार सहने म2 सhम।)

“आईई अंकल।उ>>फ।हाँ ऐसे ह।” वो बोल।

और मेरे धKकF से ताल म2 ताल =मलाती हुयी नीचे से अपनी कमर चलाते हुए टाप दे ने लगी।

***** *****P073…

हषा) क9 चूत अब बहुत गील हो रह थी और मेरा लWड अब बहुत आराम से अCदर बाहर हो रहा था। कुछ दे र
क9 चुदाई के बाद हषा) का बदन ऐंठने लगा। उसने अपनी बाह2 मेर पीठ पर कस कर लपेट द। म6 भी झड़ने के
करब था। 8फर अचानक उसने अपनी टाँगे मेर कमर म2 लपेट द और मझ
ु े कस कर भींच =लया। म6ने हषा) के
मुंह म2 अपनी जीभ डाल द। मेरे लWड से भी रस छूट गया। हषा) भी झड चुक9 थी।

कुछ दे र बाद हषा) का बदन ढला पड गया। ले8कन म6 अपना लWड उसक9 चूत म2 डाले हुए यू ह लेटा रहा।
उसक9 चूत म2 कcपन से हो रहे थे, और वो हलके हलके फ़ैल-=सकुड़ रह थी। हषा) क9 चूत फ़ैल-=सकुड़ कर मेरे
लWड से वीय) क9 एक एक बँद
ू Nनचोड़ रह थी, और वो खुद मेर जीभ चूस रह थी।

“अंकल जी… आपने मुझे लड़क9 से औरत बना ह @दया आPखर…” हषा) मेरा गाल चूमते हुए बोल।

“हाँ, मेर रानी, म6ने कुछ गलत तो नहं 8कया ना…” म6ने _यार से उसका चुcबन लेते हुआ पूछा।

“नहं अंकल, म6 तो हमेशा से आपके बारे म2 यह सब सोचा करती थी…” हषा) मेरे सीने म2 अपना मुंह Nछपाते हुए
बोल। म6ने भी उसे कस कर अपने से =लपटा =लया। हम लोग काफ9 दे र तक यू ह नंगे =लपटे हुए पड़े रहे । हषा)
के नंगे बदन को ^चपटाए हुए जो Aव^ग)क आनंद =मल रहा था, उसे शˆदF म2 बयां करना आसान नहं। करब
आधे घंटे बाद मेरे लWड म2 8फर से तनाव आने लगा, और मेरे हाथ 8फर से हषा) के नंगे बदन पर घम
ू ने लगे।
और म6 उसके @ह_स को सहलाने लगा।

हषा) के गोल गोल गुलाबी @ह_स बहुत ह सेKसी और मनभावन थे। म6 हषा) क9 गाWड मारने का लोभ संवरण न
कर सका। म6ने उसे वह मचान पर घोड़ी बना @दया, और उसके लाख मना करने पर भी उसक9 गाWड म2 भी
लWड पेल ह @दया। वो बेचार दद) से RबलRबला उठ<।

म6 उसके नीचे हाथ डाल कर, उसक9 चु^चया पकड़ कर उसक9 गाWड म2 धKके लगाने लगा। बीच बीच म2 म6
उसक9 चूत म2 ऊँगल डाल कर उसक9 गाWड म2 धKके मारता रहा। हषा) क9 पीठ चूमते हुए उसके सलोने @ह_स
सहलाते हुए, उसक9 कमर पकड़ कर उसक9 गाWड म2 धKके लगाने का एक अलग ह आनंद था। जब म6 झड़ने
को हुआ तो म6ने हषा) के बाल पकड़ कर खींच =लए। उसका चेहरा ऊपर उठ गया, और 8फर म6 परू  बेरहमी के
साथ उसके गाWड मारने लगा। 8फर दो तीन =मNनट बाद म2 म6 उसक9 गाWड म2 ह झड गया। शाम Nघरने लगी
थी।

“अंकल जी, अब जाने दो मुझे, बहुत दे र हो गयी, पताजी भी घर लौटने वाले हFगे …” हषा) बोल।

“ठ<क है जाओ…” म6ने कहा। 8फर हमने जdद जdद कपडे प@हन =लए। और हषा) मचान से उतर कर अपने घर
को चल द।

म6 पीछे से उसे जाते हुए दे खता रहा। अब हषा) क9 चाल म2 वो पहले वाल बात न थी।

7
अचानक मेर तCfा भंग हुयी। पूरा सफ़र हषा) क9 याद म2 कट गया था। मेरा Aटे शन आने ह वाला था। Bे न क9
र€तार भी धीमी पड़ने लगी। Bे न tकने पर म6 उतर कर अपने घर चल @दया दो @दन बाद होल थी। हषा) क9
शाद पछल मई म2 ह हो गयी थी। अभी उसक9 शाद को पूरा एक साल भी नहं हुआ था।

“कैसी लगती होगी अब वो…” पता नहं 8कतने तरह के सवाल मेरे @दमाग म2 आते जाते रहे ।

अब तो शायद माँ भी बन चुक9 होगी या गभ)वती होगी। अगर ऐसा हुआ तो म6 कैसे ले पाऊंगा उसक9। अगले
@दन म6 शाम को हषा) के घर जा पहुंचा। राAते म2 म6 उसी के बारे म2 सोचता रहा। उस @दन हषा) से Mथम =मलन
के बाद भी हम लोग कई बार =मले। वो हमेशा Nनत नई नवेल लगती। बासी तो कभी लगी ह नहं मुझे। उसक9
शाद म2 तो म6 चाह कर भी न जा सका था, ऑ8फस क9 कुछ मजबrू रयां थी। हषा) के घर क9 ओर चलते चलते
वो उसक9 अमराई भी राAते म2 आई। फागुन का म@हना था। आम के पेड़F पर बौर छाया हुआ था। टे सू के फूल
पेड़F पर लदे हुए थे। सब कुछ जैसे मेर आँखF के सामने सजीव हो उठा।

वो मचान, मेर बाँहF म2 मचलती उसक9 नंगी जवानी, उसका _यार दल


ु ार। अचानक मेर आँखF म2 नमीं सी आ
गयी। सेKस तो िजंदगी म2 कईयF के साथ 8कया था ले8कन ऐसी तड़प 8कसी के =लए कभी ना उठ< थी मेरे @दल
म2 । हषा) क9 हवेल का lवार सदा क9 तरह खुला हुआ था। हषा) क9 माँ ने मझ
ु े आते दे खा तो अपना पdलू अपने
सर पे ले के बोल, “आओ भाई साहब… कैसे हो आप, आओ बैठो…” (म6 हषा) क9 माँ को भाभी जी कह कर बोलता
था और वो मुझे हमेशा भाई साहब ह कहतीं थीं)

“ठ<क हूँ भाभी… म6 बैठते हुए बोला। Kया हाल चाल है , आप सुनाओ। और वो मेरा यार मेघ =संह कहाँ है। जरा
बुलाओ तो सह उसे, कब से नहं =मला म6 उससे…”

“भाई साब वो तो कहं गए ह6। कह रहे थे क9 रात को दे र से आऊंगा। आप कल =मल लेना उनसे…” भाभी जी
बोलं।

“ठ<क है भाभी… अब म6 चलता हूँ। कल 8फर आऊंगा…” म6 उठते हुए बोला।

“हाय राम… भाई साब मेरे कहने का ये मतलब नहं क9 आप चले जाओ। आग लगे मेरे मुंह को, इतने @दनF बाद
आये हो, bयौहार का मौका है, कुछ चाय नाuता करके जाना।” भाभी जी ने इतना कह के जोर से आवाज लगाई।

“अर ओ हषा)… कहाँ है त।ू दे ख तो कौन आया है , जdद आ…”

मेरा @दल जोर जोर से धड़कने लगा। हषा) से =मले हुए तीन साल से ऊपर हो गए थे। मेरे कान उसक9 पदचाप
सुनने को अधीर हो रहे थे, म6 टकटक9 लगाये अCदर के दरवाजे क9 ओर दे ख रहा था। उसके इंतजार म2 मेरा
@दल बुर तरह धड़क रहा था।

“आई माँ…” तभी मेरे कानF म2 हषा) क9 खनकती आवाज पड़ी, 8फर वो मेरे सामने थी।

म6ने उसे दे खा, उसने मझ


ु े दे खा। मझ
ु े दे ख कर वो थम सी गयी। एक नज़र म2 उसने जैसे मझ
ु े सर से पाँव तक
पढ़ =लया, हषा) के होठF पर वो ^चरपrर^चत मोहक मुAकान Pखल और 8फर उसने अपनी नज़र2 झुका द और मेरे
सामने आके बैठ गयी। शाद के बाद वो और भी Pखल Pखल सी लग रह थी। उसका शरर थोडा सा भर गया
था, जैसा क9 लगभग सभी लड़8कयF के साथ होता है । साड़ी ˆलाउज म2 म6ने उसे पहल बार दे खा। मांग म2
=सCदरू , माथे पे सुहाग का लाल टका, तरह तरह के गहने, पाँव म2 सोने क9 पायल और RबNछया। उसके साथ
अपनी पछल याद2 याद करके मुझे अपने आप पर फŠ सा हुआ।

“कैसी हो Rब@टया रानी, ससुराल म2 सब लोग ठ<क से तो ह6 ना…” म6ने बात शु$ क9।

8
“अंकल जी, सब ठ<क है …” वो धीरे से बोल।

“अरे , हषा)… अंकल जी के =लए कुछ नाuता ला ना, बात2 8फर कर लेना…” भाभी बोलं।

हषा) उठ कर अCदर चल गयी और कुछ दे र बाद tray म2 ढे र सारा नाuता रख लायी। जैसा क9 होल पर बनता
है । गुिजयाँ, रसगुdले, मठर, दह बड़े और ना जाने Kया Kया… और 8फर उसने सार _लेट2 मेरे सामने मेज पर
सजा दं। और बैठ गयी।

Rब@टया रानी (हषा) को म6 उसके घर म2 सबके सामने "Rब@टया रानी" कह कर ह बुलाता था)

“अंकल जी, खाओ ना, सब कुछ म6ने खुद अपने हाथF से बनाया है …” हषा) चहकती हुयी सी बोल। 8फर हम सब
नाuता करने लगे। हषा) के हाथF म2 सचमुच जाद ू था। म6ने जी भर कर खाया, 8फर भी मन नहं भर रहा था।

“अंकल जी, tक KयF गए, और खाओ ना। Kया अSछा नहं लगा मेरे हाथ से बनाया हुआ।” हषा) ने पूछा।

“अर Rब@टया रानी, तेरे हाथF म2 तो सच म2 जाद ू है । मेरा पेट तो भर गया ले8कन Nनयत नहं भर अभी तक।
तूने सब कुछ बहुत ह Aवा@द\ट बनाया है …” म6ने @दल से कहा।

“भाई साब… अब आप हषा) से बात2 करो, शाम हो गयी है मुझे तो मं@दर जाना है । म6 तैयार होकर आतीं हूँ।”
भाभी बोलं और उठ कर अCदर चल गयीं। 8फर म6 और हषा) यहाँ वहां क9 हलक9 फुलक9 बात2 करने लगे। कुछ
दे र बाद हषा) क9 माँ मं@दर जाने के =लए तैयार हो कर बाहर आयीं। उनके साथ म2 एक लड़क9 और थी। म6ने इस
लड़क9 को पहल बार हषा) के घर म2 दे खा। उ] कोई सोलह या स`ह क9 रह होगी। दे खने म2 कुछ मॉडन) लगी।
जींस टाप प@हन रखा था उसने। rugged जींस और सफ़ेद टॉप म2 वो बहुत ह आकष)क लग रह थी। उसके कसे
हुए वhAथल पर मेर नजर ठहर सी गयी। शायद 32D, म6ने मन ह मन अंदाज़ लगाया। मेर नज़र2 उस
क़यामत का जायजा लेती हु” उसक9 जींस पर उसक9 जांघो के बीच ठहर गयीं। उसक9 जांघो के बीच का उभार
साफ़ नम
ु ायाँ हो रहा था।

“भाई साब, ये है लाल, हषा) क9 ननद, पहल बार यहाँ आई है होल पर। इस साल हाई Aकूल पास 8कया है
इसने अब इंटर म2 जायेगी…” भाभी जी ने उस लड़क9 के बारे म2 मुझे बताया।

तभी लाल ने मुझे नमAते क9 और अपनी जd


ु फF क9 ^गर हुई लट को संवारा। 8फर वो मुझे एक गहर नज़र से
दे खती हुई मं@दर चल गयी।

अब म6 और हषा) घर म2 अकेले थे। “हषा), मेरे पास आके बैठो ना…”

“जी, अंकल जी…” वो बोल और मेरे पास आके बैठ गयी। म6ने उसका हाथ अपने हाथ म2 ले =लया और उसक9
चूaड़यF से खेलने लगा।

“हषा), तc
ु हार याद बहुत आती है मुझे। वो पल Nछन जो हमने साथ Rबताये, वो तc ु हारा _यार, कभी कभी
तुcहारा $ठ जाना और मेरा मनाना, मुझे @दन रात चैन नहं लेने दे ता…” म6 भावक
ु होकर बोला और उसे खींच
कर अपनी बाँहF म2 भर =लया। हषा) के दध
ू मेरे सीने से आ सटे । उसका Nनचला हFठ म6ने अपने होठF म2 दबा
=लया और अपनी बाँहF का घेरा और कस @दया। हषा) क9 साँसF क9 महक मेर साँसF म2 घल
ु =मल रह थी। म6ने
हषा) के ˆलाउज म2 हाथ डाल @दया। हषा) ने kा नहं प@हन रखी थी।

म6ने उसके गालF का रस लेता हुआ उसके भरपूर उरोजF से खेलने लगा। साथ ह साथ उसके गले को चूमने
लगा। हषा) क9 साँसे भार होती जा रहं थी। 8फर म6ने उसक9 साड़ी उसक9 जांघो तक सरका द और उसक9
^चकनी जांघे सहलाने लगा।

तभी वो मझ
ु से Nछटक कर दरू हुई।

9
“अंकल जी, म6 अब एक शादशुदा औरत हूँ… अब नहं…” हषा) बोल। अंकल जी, म6 एक शादशुदा औरत हूँ, मान
जाओ आप…” हषा) बोल

“मेर जान, आज तुम इतने सालF बाद =मल हो, मत रोको मुझे, ऐसा मौका 8फर नहं =मलेगा…” म6ने कहा और
अपना हाथ उसक9 जांघो के जोड़ तक घस
ु ा @दया।

हषा) ने च[ढ भी नहं प@हन रखी थी। उसक9 चूत मेर मुvी म2 आ गयी। उसक9 नरम गरम चूत पर मेरा हाथ
लगते ह उसका वरोध हdका पड़ने लगा और उसक9 टाँगे खुद ब खुद फ़ैल गयीं। 8फर म6ने उसक9 नरम गरम
चूत अपनी मुvी म2 भर ल और मसलने लगा। म6ने 8फर हषा) के ˆलाउज के हूKस खोल @दए और उसके दोनF
नंगे दध
ू पकड़ कर दबाने लगा। उसका एक दध
ू अपने मुह म2 भर कर चूसने लगा और दस ू रे दध
ू क9 Nन_पल
अपनी चुटक9 म2 भर कर धीरे धीरे मसलने लगा।

“आह अंकल ईईईस… मत करो ना…” हषा) थरथराती आवाज म2 बोल।

8फर म6ने उसका ˆलाउज उतार @दया और उसक9 साडी खींच कर एक तरफ फ2क द और उसके पेटकोट का नाडा
खोल कर उसका पेटकोट भी उतर डाला। च[ढ तो उसने प@हन नहं रखी थी। अब हषा) परू  नंगी थी। म6ने अपने
कपडे भी उतारे और हषा) को लेकर बगल वाले कमरे म2 RबAतर पर =लटा @दया।

म6 हषा) के अंग अंग को चूमने चाटने लगा। 8फर म6ने हषा) क9 टाँगे फैला के उसक9 चत
ू क9 फांके पसार दं। हषा)
क9 चूत म6 परू े तीन साल बाद दे ख रहा था। पहले उसक9 चूत एकदम गुलाबी सी हुआ करती थी। ले8कन अब
उसक9 चूत म2 कुछ सांवलापन आ गया था। म6ने बेक़रार होकर उसक9 झांटो को चूम =लया और 8फर अपना लWड
उसक9 ^चकनी जांघो पर रगड़ते हुए म6 उसके गाल काटने लगा। उसके अधरपान करने लगा। हषा) भी अब अधीर
होने लगी थी। उसके Nन_पलस कड़क हो चले थे और उसका clitoris भी अपने शवाब पे आ चुका था। उसक9
चूत म2 से रस क9 न@दया सी बह Nनकल थी।

हषा) अब मुझे चोदने के =लए उकसा रह थी। वो बार बार मुझे चूम चूम कर मेरा लWड पकड़ कर अपनी चूत म2
रगड़ रह थी। ले8कन मुझे उसे सताने म2 मजा आ रहा था और म6 अपना लWड उसक9 चूत म2 घुसने ह नहं दे
रहा था। हषा) ने 8फर बहुत ह बेकरार हो कर, अपना एक पैर मोड़ =लया और अपनी कमर को थोडा सा उठा कर
मेरा सुपाडा जबरदAती अपनी चूत म2 घस ु ा =लया। और मेरा पूरा लWड अपनी चूत म2 लेने का Mयास करने लगी।
=सफ) मेरा सप
ु ाडा उसक9 चत
ू के भीतर था।

“अंकल जी, मेरा राjजा।। अब और मत तडपाओ मेर चूत को। म6 पागल हो जाउं गी आह… आप मारो ना मेर
चत
ू … KयF इतना तरसा रहे हो अपनी हषा) को…” हषा) बोल। वो सचमच
ु अbय^धक उbतेजना म2 आ चक
ु 9 थी।
उसक9 चूत से लगातार पानी बह रहा था।

“मेरे राjजा… मcमी मं@दर से आने वाल हFगी…” हषा) कुछ घबराहट भरे Aवर म2 बोल।

म6 भी च‚का, समय कम था।

ठ<क है हषा), तो 8फर जdद से तुम doggy Aटाइल म2 हो जाओ।

हषा) झट से उठ< और पलंग पर घोड़ी बन गयी। म6ने अपना लWड उसक9 rरसती हुई बुर से सटा @दया 8फर
उसक9 गोर गोर पीठ को चूम कर उसके गोल मटोल @ह_स सहला कर एक झटके म2 अपना लWड उसक9 चूत
को पहना @दया। 8फर म6ने हषा) को मजे दे ने म2 कोई कसर ना छोड़ी। उसक9 चत
ू म2 आड़े, Nतरछे , सीधे, गहरे
शोस लगाता हुआ म6 उसे चोदने लगा। अचानक मुझे कुछ नया सूझा।

“हषा)… अब तम
ु अपनी चूत को =सकोड़ लो…” म6ने कहा।

10
“कैसे क$ँ मेरे राjजा। म6 नहं जानती…” वो बोल।

“अरे जैसे 8कसी चीज को अपनी मुvी म2 पकड़ कर दबाते ह6। वैसे ह तम
ु अपनी चूत से मेरा लWड दबाओ।
अपनी चूत क9 muscles को अCदर क9 ओर =सकोडो…” म6ने उसे समझाया।

“अंकल ऐसे…” हषा) अपनी चूत भीतर क9 तरफ =सकोड़ती हुयी बोल। अब उसक9 चूत ने मेरा लWड ठ<क से कस
=लया था।

“हषा)… मेर रानी, Rबलकुल ठ<क, ऐसे ह…”

“हषा), अब म6 धKके नहं लगाऊंगा। म6 िAथर रहूँगा, तुम अपनी कमर को आगे पीछे कर के मेरा लWड अपनी
चूत म2 अCदर बाहर करो, और हाँ।अपनी चूत को यूँ ह भींच के रखना। =सकोड़े रखना…” म6ने उसे एक नई सीख
द।

“और हाँ… कुछ इस तरह से अपनी कमर को चलाओ क9 मेरा लWड पूर तरह से अCदर बाहर हो। जब तुम
अपनी कमर को आगे ले जाओ तो मेरा परू ा लWड तc
ु हार चत
ू से बाहर Nनकल जाए। =सफ) सप
ु ाडा चत
ू म2 रहे ,
और जब तम
ु अपनी कमर को वापस लाओ तो मेरा लWड 8फर से तc
ु हार चूत म2 समां जाये…” म6ने हषा) को
आगे समझाया।

“समझ गयी मेरे राjजा… समझ गयी… ये लो मेरे _यारे राjजा… वो बोल और अपनी कमर को आगे पीछे करने
लगी। उसने अपनी चूत कस कर =सकोड़ रखी थी। और मेरा लWड अCदर बाहर कर रह थी।

धीरे धीरे वो अपनी Aपीड बढाती चल गयी। म6 हषा) से जैसा सुख चाहता था, वो मुझे दे रह थी। म6 अपना लWड
उसके @ह_स के बीच म2 , उसक9 चूत म2 आते-जाते मजे से दे ख रहा था।

“ऊ माँ… हाय… ऐसा मजा तो आज तक नहं =मला मुझे…” हषा) अपनी कमर चलाते हुए कामुक आवाज म2 बोल
उठ<। कुछ दे र तक वो यु ह, मेरे लWड के मजे लेती रह, 8फर… “अंकल जी, मेरे राjजा बस मेरा तो होने ह
वाला है , अब आप धKके लगाओ।”

8फर म6ने चुदाई क9 कमान म6ने संभाल ल और हषा) के नीचे हाथ डालकर उसके दोनF द—
ु ू पकड़ कर म6 मजे से
उसक9 चूत लेने लगा। कुछ दे र बाद, हम दोनF झड़ने के बाद Nनढाल हो कर एक दज
ू े क9 बाँहF म2 नंगे ह पड़े
थे। मेरा लWड अभी भी हषा) क9 चूत म2 फंसा हुआ था।

“मेरे राjजा अंकल, ऐसा मजा मुझे आज तक नहं =मला। कहाँ थे आप अब तक…” हषा) मेरे बालF म2 अपनी
अंगु=लयाँ 8फराती हुयी बोल। म6ने उसे _यार से चूम =लया। म6 बोला कुछ नहं।

“अंकल, एक बात बताओ, लाल कैसी लगी आपको…” हषा) ने अचानक पूछा।

“लाल… कौन लाल…” म6ने बनते हुए कहा।

“अSछा जी, अभी घंटे भर पहले क9 बात आप भूल गए। लाल, मेर ननद लाल, आप तो उसे बड़ी गहर नज़रF
से ताक रहे थे…” हषा) ने मुझे उलाहना @दया। “और आप आँखF ह आँखF म2 उसके बदन का नाप भी ले रहे थे।
म6 दे ख रह थी क9 आपक9 नज़र2 Kया Kया टटोल रहं थी लाल का…” हषा) मेरे गाल पे ^चकोट लेती हुयी बोल।

“अSछा वो… लाल, अSछ< लड़क9 है । गुaडया क9 तरह _यार सी…” म6ने भोलेपन से कहा।

“अंकल जी, गुaडया से खेलोगे…” हषा) मेरे कानF म2 धीमे से फुसफुसाई और उसने मेरा लWड अपने हाथ म2 ले कर
धीरे से दबाया।

“Kया… हषा) तम
ु ये Kया कह रह हो, वो तुcहार ननद है , इस घर क9 मेहमान है …” म6ने आuचय) च8कत होकर
पूछा।
11
“अंकल जी, लाल बहुत ह सेKसी लड़क9 है । जब म6 अपने पNत के साथ सेKस करती हूँ तो लाल हम2 8कवाड़ क9
Pझर से झांक कर दे खती है । वो कई बार हमार चद
ु ाई दे ख चक
ु 9 है , और हम2 चद
ु ाई करते दे ख दे ख कर वो भी
अपनी चूत म2 ऊँगल चलाती है …” हषा) कुछ परे शान सी होकर बोल।

“ले8कन तc
ु ह2 ये सब बात2 कैसे पता…” म6ने पछ
ू ा।

“अंकल, मुझे कई बार शक हुआ क9 कोई हम2 Nछप कर दे ख रहा है । 8फर म6ने एक बार चालाक9 से लाल को रं गे
हाथF पकड़ =लया था…”

12

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