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रेवो यूशन 2020

चेतन भगत ने पांच बे टसे लग नॉवल लखे ह -फाइव पॉइंट समवन (2004), वन नाइट @
द कॉल सटर (2005), द ी म टे स ऑफ माय लाइफ (2008), 2 टे ट्स : द टोरी ऑफ
माय मै रज (2009) और रेवॉ यूशन 2020 (2011 ).

चेतन क कताब अपनी रलीज़ के बाद से ही बे टसेलस क सूची म बनी ई ह। उन


पर फ म भी बनाई गई ह। द यूयॉक टाइ स ने उ ह ‘भारत के इ तहास म सबसे यादा
बकने वाला अं ेज़ी नॉवे ल ट’ बताया है। टाइम प का ने उ ह ‘ नया के सौ सवा धक
भावशाली लोग ’ क फेह र त म शा मल कया है और अमे रका क फा ट कंपनी ने उ ह
‘ नया के शीष सौ रचना मक लोग ’ म से एक माना है।

चेतन भारत के शीष अं ेज़ी और हद अखबार म लखते ह और उनका फोकस


युवा और दे श क वकास संबंधी सम या पर रहता है। वे मो टवेशनल ीकर भी ह।

चेतन ने वष 2009 म अपने इंटरनैशनल इंवे टमट ब कग कै रयर को अल वदा कह


दया, ता क अपना पूरा समय लेखन और दे श म बदलाव लाने क को शश के लए दे
सक। वे मुंबई म अपनी प नी अनुषा, जो उनक आईआईएम-ए क ए स- लासमेट ह,
और दो जुड़वा बेट याम और ईशान के साथ रहते ह।

चेतन के बारे म और जानने के लए www.chetanbhagat.comदे ख या उ ह


info@chetanbhagat.comपर ईमेल कर।

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eISBN: 9781503945982

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मां के लए
वाराणसी के लए
प व गंगा के लए
मेरे दे श के टू डट् स के लए

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इनका शु या

मेरे पाठक का, उनके यार और सहयोग के लए।


भगवान का, जो हमेशा मेरे साथ ह।
शाइनी एंटनी का, जो मेरी कताब क पहली पाठक और संपादक ह।
अनुभा बंग का, इस कताब के लेखन म हर कदम पर उनके सुझाव के लए। नूतन
ब े , नहा रका ख ा, मशेल परेरा, तीक धवन, ज तन धवन और अनुराग आनंद का,
पांडु ल प पर बेहतरीन ट प णय के लए।
सौरभ ं गटा और कशोर शमा का रसच म मदद के लए।
वाराणसी के अद्भुत, अद्भुत लोग का।
या ा और बातचीत के दौरान मुझे मले उन सभी लोग का, ज ह ने अपने दे श को
अ धक बेहतर ढं ग से समझने म मेरी मदद क ।
मां रेखा, प नी अनुषा, भाई केतन का मेरी जदगी का ह सा बनने के लए। मेरे बेट
इशान और याम का, जो मायूसी के ल ह म मुझसे कहते ह: ‘इट् स ओके, डै डी।’
ट् वटर और फेसबुक पर मेरी ए सटडे ड फै मली का।
पा एंड कंपनी का, मेरी कताब छापने के लए।
उन फ मकार का, ज ह ने मेरी कहा नय को फ म बनाने के लए चुना।
और एक बार फर, आपका, मेरे य पाठक का, एक रेवो यूशन क ज रत महसूस
करने के लए।

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तावना

‘और म उ मीद करता ं क न केवल आप ब क हमारा पूरा दे श उस चनगारी को जलाए


रखेगा। यह कहना सचमुच बड़ा कूल लगता है क म उस दे श म रहता ं, जहां एक अरब
चनगा रयां सुलगती ह। शु या,’ मने वाराणसी के तलक हॉल म अपनी मो टवेशनल
ीच ख म करते ए कहा।
ता लयां और सी टयां इस बात का इशारा कर रहे थे क अब मुझे यहां से चले जाना
चा हए। स यो रट वालं टयस ने एक ह्यूमन बै रकेड बनाया और म ज द ही बड़ी
आसानी के साथ हॉल से बाहर नकल आया।
‘थक यू सो मच, सर,’ मेरे ठ क पीछे कसी क आवाज सुनाई द ।
मने पलटकर दे खा। पीछे मेरे मेजबान खड़े थे।’ म टर म ा,’ मने कहा,’ म आप ही
को खोज रहा था।’
‘ लीज मुझे गोपाल कहकर बुलाइए,’ उ ह ने कहा।’ कार उस तरफ है।’
म गंगाटे क कॉलेज के नौजवान डायरे टर गोपाल म ा के साथ बाहर चला आया।
उनक लैक मस डीज हम भीड़ भरे व ापथ रोड से फौरन र ले गई।
‘तो आपने मं दर और घाट दे खे?’ गोपाल ने पूछा।’ वैसे भी वाराणसी म मं दर और
घाट के सवा और या है।’
‘हां, म सुबह पांच बजे व नाथ मं दर और दशा मेध घाट गया था। मुझे इस शहर से
यार है,’ मने कहा।
‘ओह ब त अ ा। आपको वाराणसी क कौन-सी बात सबसे अ लगी?’
‘आरती,’ मने कहा।
‘ या?’ गोपाल हैरान लग रहा था।
‘घाट पर होने वाली सुबह क आरती। मने यह नजारा पहली बार दे खा। सुबह-सुबह
इतने सारे द ये नद म तैरते चले जा रहे थे। कमाल का दॄ य था।’
गोपाल ने नाक-भ सकोड़ी।
‘ या आ?’ मने कहा।’ या तु ह वाराणसी क आरती सुंदर नह लगती?’
‘हां, हां, है तो... ऐसी बात नह है,’ उसने कहा, ले कन उसने अपनी बात को आगे नह
बढ़ाया।
‘तुम मुझे रमाडा होटल छोड़ दोगे?’ मने कहा।
‘कल सुबह आपक लाइट है,’ गोपाल ने कहा। ’अगर आप आज हमारे यहां डनर
पर आएं तो कैसा रहे?’
‘औपचा रकताएं मत क जए...’ मने अपनी बात शु क।
‘आपको घर आना ही होगा। हम साथ म क करगे। मेरे पास नया क सबसे
बेहतरीन ह क है,’ उसने कहा।
मने अपना सर हलाया और मु करा दया। ’थ स गोपाल, ले कन म यादा नह
पीता।’
‘चेतन सर, एक क? म भी लोग को कह सकूंगा क मने’ द’ चेतन भगत के साथ
क क है।’
म हंस पड़ा।’ इसम ड ग हांकने जैसा कुछ नह है। फर भी, य द तुम ऐसा कहना
चाहो तो कह सकते हो। इसके लए वा तव म मेरे साथ क करने क ज रत नह है।’
‘ऐसे नह , सर। म सचमुच म आपके साथ क करना चाहता ं।’ मने उसक बेस
आख को दे खा। पछले छह महीन म वह मुझे बीस बार आमं त कर चुका था और
आ खरकार मुझे आने के लए सहम त दे नी ही पड़ी थी। मुझे पता था क वह जद पकड़
सकता था।
‘ओके, एक क!’ मने यह उ मीद करते ए कहा क शायद बाद म मुझे इसके लए
पछतावा न करना पड़े ।
‘ए सीलट,’ गोपाल ने कहा।
गंगाटे क प ंचने के लए हम शहर से बाहर दस कलोमीटर र लखनऊ हाईवे पर
ाइव करके प ंचे। कै स के गेट्स खुलते ही गाड् स ने सै यूट ठ का। कार े रंग के एक
बंगले के पास जाकर ठहर गई। बंगले के ए सट रयर पर टोन वक कया गया था, जसके
कारण वह कॉलेज और हो टल क ब स जैसा ही दख रहा था।
हम ाउं ड लोर पर ल वग म म बैठ गए। ल वग म का दरवाजा बैड मटन कोट
के आकार के एक लॉन क ओर खुलता था।’
नाइस हाउस,’ मने भूरे रंग के एक मखमली सोफे पर बैठते ए कहा। मने गौर कया
क ल वग म क छत क ऊंचाई कुछ यादा ही थी।
‘थ स। मने घर को खुद ही डजाइन कया है। घर तो कांटेर टर ने बनाया, ले कन मने
हर चीज को सुपरवाइज कया है,’ गोपाल ने कहा। वह कमरे के सरे कोने पर बने बार
काउं टर क ओर बढ़ चला।’ यह एक इंजी नय रग कॉलेज डायरे टर का बंगला है। आप
और आपके दो त ने ऐसे ही एक बंगले पर धावा बोल दया था ना!’
‘तु ह कैसे पता?’ मने कहा।
‘सभी जानते ह। हमने कताब पड़ी है, फ म दे खी है।’
हम हंस पड़े । उसने मुझे अ -खासी मा ा म ह क से भरा एक टल लास
थमा दया।
‘थक यू।’
‘ सगल मा ट, बारह साल पुरानी,’ उसने कहा।
‘डायरे टर का बंगला तो है, ले कन तु हारी कोई बेट नह है,’ मने कहा। ’तु हारी तो
अभी शाद भी नह ई है। मने इतना नौजवान डायरे टर इससे पहले क भी नह दे खा।’
वह मु करा दया।
‘तु हारी उ या है?’ म उ सुक था।
‘छ बीस‘, गोपाल ने कहा। उसक आवाज म गव क ह क -सी झलक थी। ’ले कन
आपने न केवल इससे आइ धक नौजवान डायरे टर ब क इससे अ धक अनएजुकेटे ड
डायरे टर भी नह दे खा होगा।’
‘अनएजुकेटे ड?’
म कभी कॉलेज नह गया।’
‘ या !’ मने अपने लास म मौजूद आइस कसूर के साथ खेलते ए कहा। म सोच रहा
था क कह मुझ पर शराब का असर तो नह हो रहा है।
‘वेल, मने प ाचार ड ी नामक मजाक ज र कया है।’
‘वॉव!’ मने कहा।’ ले कन इतना बड़ा कॉलेज खोलना कोई मजाक नह है।’
‘आज इस कॉलेज क सभी बैचेस म सोलह सौ टू डट् स ह, चेतन-जी। सभी एक
लाख पया सालाना फ स पर रहे ह। हमारा टनओवर ऑलरेडी सोलह करोड़ का हो गया
है। और आज आपने एमबीए को चग का शुभारंभ कया है। वह एक और नया बजनेस
है।’
मने एक घूंट भरा। मृद ह क ने मेरे गले म मानो आग लगा द । ’आपके पास बयर
है? या वाइन?’ मने खांसते ए कहा।
गोपाल का चेहरा उतर गया। मने न केवल उसके बजनेस के असरदार आकड़ को
नजरअंदाज कर दया था, ब क उसक ह क को भी नकार दया था।
‘अ नह लगी?’ गोपाल ने पूछा। ’यह लेन फ डच है, चार हजार क एक बॉटल।
लू लेबल खोलूं? वह दस हजार क एक बॉटल है।’
‘सवाल क मत का नह है‘, म उसे कहना चाहता था, ले कन कहा नह ।’ म ह क
नह पीता। यह मेरे लए कुछ यादा ही ांग है,’ मने उसके बजाय यह कह दया।
गोपाल हंस पड़ा।’ जदगी का मजा ली जए। फाइन ह क लेना शु कर द जए।
आपका टे ट डे वलप होगा।’
मने एक और घूंट भरने क को शश क और मुंह बना दया। वह मु कराया और मेरी
क को ह का करने के लए उसम और पानी उड़े ल दया। इससे कॉच तो बरबाद हो गई,
ले कन मेरे होशोहवास कायम रहे।
‘ जदगी मजा लेने के लए है। मेरी तरफ दे खए, म इस साल चार करोड़ पए
कमाऊंगा। य द म जदगी का मजा न लूं तो फर कोई तुक ही या होगी?’
नया के अनेक ह स म अपनी आमदनी का बखान करना अ ा नह माना जाता,
ले कन भारत म हम अपनी आमदनी के आंकड़े इस तरह सभी से शेयर करते ह, मानो वह
हमारी रा श हो। खासतौर पर तब, जब हमारी आमदनी अ -खासी हो।
ऐसा लग रहा था मानो उसने वह सवाल मुझसे यादा अपने आपसे पूछा था। उसक
गहरी आंखे मुझे बेधती रह । वे मुझसे यह मांग कर रही थ क म उसक बात को तव ो
ं । ले कन उसके शरीर क बाक चीज -गे आ रंग, पांच फ ट सात इंच का दर मयानी कद,
एक तरफ काढ़े गए बाल -सामा य ही थ ।
‘हां, यक नन। हम जदगी का मजा लेना चा हए..’ मने कहा ले कन उसने मेरी बात
काट द ।
‘अगले साल म पांच करोड़ कमाऊंगा।’
म समझ गया क अगर मने इस आंकड़े पर भी हैरत नह जताई तो वह इसी तरह
अपनी आमदनी म बढ़ोतरी का पूवानुमान लगाता चला जाएगा।
‘पांच करोड़!’ मने झूठमूठ म ही तेज आवाज म कहा।
गोपाल ने खीस, नपोर द । शायद वह अपने लए ऐसी कोई ट -शट चुनता :’ बेबी, ईट
दस, य क मने इसे बनाया है।’
‘यह तो कमाल क बात’ है म धीमे-से फुसफुसाया। म सोच रहा था क आ खर इस
वज़य को कैसे बदला जाए। मेरा यान ऊपर जाती सी ढ़य पर गया।’ ऊपर या है?’ मने
पूछा।
‘बेड म और एक टे रेस। आइए, म दखाता ं।’
हम ऊपर चढ़े और एक कमरे से होकर गुजरे, जसम एक आलीशान कग साइज बेड
था।
मने टे रेस से सामने का शानदार नजारा दे खा।
‘यहां बंजर जमीन आ करती थी। यह मेरे दादाजी क खेती-बाड़ी क पुरानी जमीन
है,’ गोपाल ने कहा।
‘दस एकड़?’ मने अनुमान लगाते ए कहा।
‘पं ह। हमारे पास पं ह एकड़ जमीन और थी,’ गोपाल ने कहा,’ ले कन हमने
कं यान के लए उसे बेच दया।’
उसने रोशनी म नहाए कै स क पूव द वार क ओर रोशनी क एक छोट -सी कतार
क ओर इशारा कया।’ वहां दे खए। वहां एक मॉल बन रहा है।’
‘आजकल तो भारत के हर शहर म मॉल बनाए जा रहे ह,’ मने कहा।’
इं डया शाइ नग, चेतन-जी,’ उसने कहा और मेरे गलास से अपना अपना गलास
टकरा दया।
गोपाल मुझसे चौगुनी अ धक ग त से पी रहा था। मने अपना पहला गलास भी ख म
नह कया था, जब क वह अपने लए पांचवां जाम बना रहा था।’ यू बग- सट टाइ स।
पीते भी केवल टाइल के लए ह,’ जब मने अपना गलास फर से भरने से इनकार कर
दया तो उसने मुझे छे ड़ते ए कहा।
‘म वा तव म यादा नह पीता,’ मने कहा। मने घड़ी दे खी, रात के दस बज चुके थे।
‘आप डनर कब लेते ह?’ उसने पूछा।
‘ फलहाल तो यह आप पर नभर करता है,’ मने कहा, हालां क म मन ही मन चाह रहा
था क वह फौरन खाने के लए तैयार हो जाए।’
आ खर खाने क ज द भी या है? दो आदमी, एक एजुकेटे ड, सरा अनएजुकेटे ड,
एक- सरे के साथ अ ा व बता रहे ह,’ गोपाल ने कहा और हवा म अपना जाम
लहराया।
मने सौज यवश सर हला दया। भूख के मारे मेरे पेट म मरोड़े उठ रही थ । हम फर
से ल वग म म बैठने के लए नीचे चले आए।
‘ या आप वाकई ोफेसर क बेट के घर गए थे?’ गोपाल ने पूछा।
म मु करा दया।’ यार म हम बेवकूफ भरी हरकत कर बैठते ह।’
गोपाल जोर से हंसा। उसने अपनी पूरी क गटक ली और फर अपना छठा पेग
बनाने के लए आधी खाली हो चुक बॉटल उठाई।’
यार? बेवकूफ भरी हरकत को तो खैर रहने ही द, ले कन यार हमारी ऐसी-तैसी कर
दे ता है,’ गोपाल ने कहा।
‘यह तो पूरी तरह सही नह है,’ मने कहा।’ या यही कारण है क अभी तक कोई
मसेज डायरे टर नह है?’
गोपाल का हाथ कांपा, ले कन उसने क बनाना जारी रखा। मने सोचा क या मुझे
उसे यादा पीने से रोकना चा हए।
‘ मसेज डायरे टर !’ गोपाल बनावट हंसी हंस दया। उसने ह क क बोतल को
कसकर पकड़ लया।
‘ईजी, गोपाल, तुम ब त तेजी से पी रहे हो। यह खतरनाक है।’
गोपाल ने बोतल कॉफ टे बल पर पटक द ।’ खतरनाक कैसे है? भला मेरे पीछे मेरे लए
रोने वाला कौन है? य द म जी रहा ं तो म मौज-म ती करना चाहता ं, ले कन य द म मर
गया तो कसे परवाह है?’’
तु हारे पैरट् स?’
गोपाल ने सर हलाया।
‘दो त?’
‘कामयाब लोग के कोई दो त नह होते,’ गोपाल ने दावे के साथ कहा।’ सच है ना?’
उसका आलीशान घर सद और त हा लगने लगा। मने ह क क बोतल उठाई और
उसे फर बार म रख दया।
‘ नराशावाद हो?’ मने कहा।’ मुझे हैरानी हो रही है, य क तु हारा कै रयर इतनी
अ त म है।’
‘ या अ त म है, चेतन-जी?’ गोपाल ने कहा। वह अब तक पूरी तरह नशे म
चूर हो चुका था और ऐसा माना जाए क अब वह पूरी तरह से ईमानदार था।
उसने एक के बाद एक तेजी से अपनी वशालकाय ट वी, ट रयो स टम और हमारे
पैर के नीचे बछे स क कापट क ओर इशारा कया।’
इस सबका भला या मतलब है? मेरी जदगी म इन सबके लए कोई जगह नह …’
हमारी बातचीत अब गंभीर हो गई थी। मने उसका उ साह बढ़ाने के लए उसक पीठ
थपथपाई।’ तो तुमने कताब म मेरी गल ड के बारे म पड़ा है। हाऊ अबाउट यू? तु हारी
कभी कोई गल ड थी?’
गोपाल ने कोई जवाब नह दया, ले कन वह ब त हताश नजर आ रहा था। उसने
कॉफ टे बल पर अपना गलास रख दया।
यह एक नाजुक मसला था, ले कन यह तो मुझे ब त दे री से समझ आया।
उसे उबकाई आने लगी।
‘आर यू ओके?’ मने कहा।
वह भागकर रे ट म म प ंचा। मने सुना क उसे उ टयां हो रही ह। समय काटने के
लए म ड ले क आलमा रयां दे खने लगा। वहां गंगाटे क के बारे म छपी खबर े म क ई
थ ॉ फयां थ , कॉलेज म व जट करने वाले मेहमान के साथ गोपाल क त वीर थ । मने
सोचा क या ज द ही वहां मेरी त वीर भी होगी।
जब वह बीस मनट बाद भी नह लौटा तो मने मेड को बुलाया। वह मुझे बाथ म तक
ले गई। मने दरवाजे पर द तक द । कोई जवाब नह आया। म दरवाजे को जोर से
खटखटाने लगा, ले कन इसका भी कोई फायदा नह आ।
‘लगता है हम दरवाजा तोड़ना पड़े गा,’ मेड ने कहा।
म सोचने लगा क म, जो एक कॉलेज के ओ रएंटेशन ो ाम म चीफ गे ट बनकर
आया था, आ खर कैसे वाराणसी म टॉयलेट्स के दरवाजे तोड़कर उनम घुसने के लान म
इनवाँ च होने वाला ं।

अ ताल के ब तर पर चादर क सरसराहट से मेरी झपक टू ट । ब तर के सरहाने रखी


घड़ी रात तीन बजे का व बता रही थी। म वाराणसी के लंका ए रया म हे रटे ज हॉ टल
म गोपाल को ले आया था।
अब गोपाल जाग गया था और अपनी कनप टयां सहला रहा था।
उसके हगओवर ने मुझे अपने कॉलेज के दन क याद दला द । बहरहाल यहां
डायरे टर ने केवल अ कोहल के साथ ही मौज-म ती क थी, कसी टू डट के साथ नह ।
‘आप पूरी रात यहां थे?’ वह हैरान नजर आ रहा था।
‘ऐसा कैसे हो सकता था क म अपने मेजबान को मरने दे ता मने कहा।
‘आई एम सॉरी, कुछ यादा ही हो गई थी।’ गोपाल ने खीस नपोरते ए कहा।
‘आर यू ऑलराइट?’
‘हां, म ठ क ं।’
‘नह , म केवल अभी क बात नह कर रहा ं। या तुम पूरी तरह से ठ क हो?’
उसने अपना सर घुमा लया और सरी तरफ दे खने लगा।
‘हाऊ इज लाइफ, गोपाल?’ मने आ ह ते -से पूछा।
उसने कोई जवाब नह दया।
म एक मनट बाद उठ खड़ा आ।’ अब म चलता ं, लाइट से पहले मुझे कुछ दे र सो
लेना चा हए।’ म दरवाजे क ओर बढ़ा।
‘ या आपको लगता है क म एक अ ा इंसान ं, चेतन-जी उसने कहा।
म पीछे मुड़ा।
‘ या म एक अ ा इंसान ं?’ उसने फर पूछा।
मने कंधे उचका दए।’ म तु ह अभी नह जानता, गोपाल। तुमने टॉक अ े -से
ऑगनाइज कराई, मुझे अ े -से ट कया। तुम ठ क ही जान पड़ते हो,’ मने कहा।
‘ या वाकई आपको ऐसा लगता है?’
‘तुमने ब त कुछ हा सल कया है। टे क इट ईजी। महंगी ह क भी नुकसानदे ह
सा बत हो सकती है।’
वह मु करा दया और आ ह ते-से सर हलाया।’ अब म कम पीऊंगा,’ उसने कहा।’
और कुछ?’
‘तुम नौजवान हो। यार पर अभी से भरोसा करना मत छोड़ो,’ मने अपनी घड़ी दे खते
ए कहा। ’अब मुझे चलना चा हए। लगभग सुबह क आरती का समय हो गया है।’
‘यह उसका नाम है,’ उसने कहा।
‘म यादा समय तक नह कना चाहता था, ले कन यह सुनकर मेरे पैर थम गए।’
कौन-सा नाम? कसका नाम?’ मने पूछा, जब क म अ तरह जानता था क इससे मेरा
कोई सरोकार नह है और मुझे ज द ही यहां से चले जाना है।
‘आरती,’ उसने कहा।
‘आरती कौन? कोई लड़क , जसे तुम पसंद करते थे?’ मने अनुमान लगाते ए कहा।
‘पसंद करना सही श द नह है, चेतन-जी।’
‘तुम उससे यार करते थे?’ म मु करा दया।
‘वाराणसी के सभी साधु और पुजा रय क क पना क जए और उनक तमाम
पूजा-भ को एक साथ रख द जए। म उससे इतना ही यार करता था।’
म इस तुलना को समझ गया। ज ासा ने मेरी न द उड़ा द थी। मने उससे एक और
पूछ लया :’ या वह भी तुमसे यार करती थी?’
वह कुछ दे र तक सोचता रहा।’ वह न केवल मुझे यार करती थी, ब क मुझ पर
उसका पूरा अ धकार भी था।’
मने एक पैर से सरे पर अपना वजन श ट कया। मेरे सामने एक लंबा दन था और
रात को न सोना ब त अ ा वचार नह कहा जा सकता था। ले कन मने उससे पूछ ही
लया,’ फर तु हारे और आरती के बीच या आ?’
गोपाल मु करा दया।’ यह कोई इंटर ू नह है, चेतन-जी। या तो आप बैठकर इस
टु पड आदमी क पूरी कहानी सु नए या चले जाइए। अब यह आप पर है।’ उसक काली
आख मेरी आख से मल । इस युवा डायरे टर म कुछ ऐसा था, जसम मेरी दलच ी
जाग रही थी। उसक हैरान कर दे ने वाली उपल यां, उसका अ त आ म वशवास, उसक
खभरी आवाज या शायद ऐसा इस व च प व शहर के कारण आ था क म उसके
बारे म और जानना चाहता था।
मने गहरी आह भरी। उसने अपने पास रखी एक कुस क ओर इशारा कया।
‘ओके, मुझे अपनी कहानी सुनाओ,’ मने कहा और बैठ गया।
‘आपको एक और क चा हए?’ गोपाल ने कहा।
मने उसे आख तरेरकर दे खा। वह हंस पड़ा।’ मेरा मतलब चाय से था,’ उसने कहा।
हमने एक पॉट ए ा हॉट मसाला ट और लूकोज ब कट ऑडर कया। कसी भी
बातचीत के लए इससे बेहतर और कुछ नह हो सकता।
‘म कहां से शु आत क ं ?’ गोपाल ने कहा।
‘आरती से शु आत करो। वह लड़क जसक वजह से आज तुम इस हाल म हो।’
‘आरती? जस दन म पहली बार उससे मला था, उसी दन उसने मुझे मु कल म
डाल दया था,’ गोपाल ने कहा।
मने अपनी चाय म एक ब कट डु बोया और सुनने लगा।

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वषय-सूची
1
2
सात साल बाद
3
4
5
कोटा
6
7
8
9
10
11
वाराणसी
12
13
14
15
16
17
वाराणसी : तीन और साल बाद
18
19
20
21
22
23
24
25
26
27
28
29
30
31
32
33
34
35
36
37
38
39
40
41
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1

‘लेजी पैरट् स, आज फर ेड एंड बटर,’ म सरी कतार म एक नीले ला टक ट फन को


बंद करते ए बड़बड़ाया। राघव और म सरी डे क पर चले आए।
‘छोड़ो भी, गोपाल। लास कसी भी समय फर से लग सकती है,’ राघव ने कहा।
‘ श...’
‘म पूरी-आलू लाया ं, हम उसे बांटकर खा सकते ह। सर का खाना चुराना अ
बात नह है।’
म एक छोटे -से गोल ट ल ट फन बॉ स से जूझने लगा। ‘इसे कैसे खोलते ह?’
बॉ स के पतले ले कन जद्द ढ कन को खोलने के लए नुक ले नाखून क ज रत
होती है, ले कन वे हम दोन के पास नह थे। हमने वीकली ट फन चोरी के लए अपनी
सुबह क असबली छोड़ द थी। हमारे पास दस मनट का और समय था, जसके बाद
बाहर रा ीय गीत शु हो जाता। उसके बाद लास 5 सी लग सकती थी। हम इसी दौरान
ट फन को खोजना, उसे चट कर जाना और वापस रखना था।
‘अचार और परांठे ह,’ राघव ने ढ कन खोलने के बाद कहा। ‘तु ह चा हए?’
‘रहने दो,’ मने टू डट के बैग म ट ल का ड बा फर से रखते ए कहा। मेरी आंख
एक बैग से सरे बैग तक दौड़ रही थ । ‘यह वाला,’ मने पहली कतार म एक गुलाबी
इंपोटड झोले क ओर इशारा करते ए कहा। ‘यह बैग दखने म महंगा लगता है। इसम
ज र अ ा खाना होगा। आओ।’
हम दौड़कर उस बैग क सीट तक प ंचे। मने बाब बैग उठा लया, सामने से उसक
चेन खोली तो मुझे एक लाल, चमकदार आयताकार ट फन मला। कवर पर च मच के
लए भी एक कंपाटमट था। ‘फसी बॉ स!’ मने उसका ढ कन खोलते ए कहा।
इड लयां, चटनी का एक छोटा-सा बॉ स और चॉकलेट केक का एक बड़ा-सा टु कड़ा।
हमारे हाथ जैकपॉट लग गया था।
‘मुझे तो केवल केक ही चा हए,’ मने केक का बड़ा-सा टु कड़ा उठाते ए कहा।
‘पूरा मत लो। इट् स नॉट फेयर,’ राघव ने कहा।
‘य द म केवल थोड़ा-सा ही खाऊंगा तो भी उसे पता चल जाएगा,’ मने यौ रयां चढ़ाते
ए कहा।
‘तो इसे दो भाग म काट दो। एक तुम ले लो और सरा छोड़ दो,’ राघव ने कहा।
‘ले कन काटं कससे?’
‘ कसी लर का इ तेमाल करो,’ उसने सुझाया।
म दौड़कर अपनी डे क पर गया, एक लर लाया और उसक मदद से केक को बड़ी
सफाई से काट दया। ‘फाइन?’ मने कहा। ‘अब तो खुश हो ना?’
‘यह उसका केक है।’ राघव ने कंधे उचकाते ए कहा।
‘ले कन तुम मेरे दो त हो,’ मने कहा।
मने उसे एक बाइट ऑफर क । उसने मना कर दया। मने घर पर ना ता नह कया था।
म केक पर टू ट पड़ा। मेरी अंगु लयां आइ सग म लथपथ हो गई।
‘तुम अपना खुद का ट फन य नह लाते?’ राघव ने पूछा।
मेरे मुंह म केक भरा था, इसके बावजूद मने जवाब दया, ‘ य क इसका मतलब होगा
बाबा के लए ए ा वक। उ ह पहले ही लंच और डनर तैयार करने पड़ते ह।’
‘तो?’
‘म उनसे कह दे ता ं क मुझे भूख नह लगती।’ मेरे पता एक सरकारी कूल म पढ़ाते
थे। वे सुबह छह बजे घर से नकल जाते थे, यानी मुझसे भी पहले। मने अपनी अंगु लय
पर लगी चॉकलेट म को चाटकर साफ कया। हम रा गान सुन सकते थे।
‘म तु हारे लए ट फन ला सकता ं,’ राघव ने कहा। वह रा गान के लए उठ खड़ा
आ और अपने साथ मुझे भी खड़ा कर दया।
‘रहने दो, तु हारी मॉम बो रग खाना बनाती ह। रोज-रोज पू रयां,’ मने कहा।
हमने सुना क टू डट् स आपस म ब तयाते ए लास क ओर चले आ रहे थे। मने
बचा-खुचा केक अपने मुंह म ठूं स लया।
‘ज द करो ज द करो,’ राघव ने कहा।
मने लाल ट फन बॉ स बंद कया और फर से बाब बैग म रख दया।
‘वैसे यहां बैठता कौन है?’ राघव ने पूछा।
म गुलाबी झोले क खोजबीन करने लगा और उसम मुझे एक नोटबुक मली, जस पर
भूरे रंग का कवर चढ़ा था। मने कवर पर लखे लेबल को पड़ा -‘आरती ताप धान, वषय
-ग णत, लास 5, से न सी, उ 10, रोल नंबर 1, सनबीम कूल।’
‘ हाटे वर। अब हम चल?’ राघव ने कहा।
मने बैग को फर से आरती क कुस पर टांग दया, जहां वह पहले भी टं गा आ था।
‘चलो,’ मने कहा। हम दौड़कर अपनी पीछे वाली सीट तक प ंचे वहां बैठे और अपना
सर डे क के ऊपर झुका लया। हमने अपनी आंख मूंद ल और ऐसा दखावा करने लगे
मानो हमारी तबीयत खराब हो। यह सुबह क असबली म शा मल न होने का बहाना था।
लास 5, से न सी के सभी ब े भीतर आए और पूरा लास म दस साल के चार
दजन ब के शोरगुल से भर उठा।
हमारी लास ट चर समरन गल मैडम एक मनट बाद आई और पूरी लास म
खामोशी छा गई। ‘म ट लकेशन,’ उ ह ने बोड पर लखा, जब क ब े अभी अपनी-
अपनी जगह पर बैठ ही रहे थे।
म सीधा खड़ा हो गया और गदन उचकाकर आरती ताप धान, रोल नंबर वन को
दे खने क को शश करने लगा। उसने सफेद कट, लाल का डगन पहन रखा था और उसक
चो टय म रबन बंधा था। वह अपनी जगह पर बैठ गई। ट चर उसके ठ क सामने थ ।
‘ऐ’, आरती जोर से चीखी। उसने अपनी सीट पर चॉकलेट म लथपथ एक लर
उठाया। उसक कट पर चॉकलेट के दाग लग चुके थे। ‘ओह माय गॉड!’ आरती क तीखी
आवाज ने पूरी लास का यान ख चा।
‘आरती, बैठ जाओ!’ गल मैडम ने च लाते ए कहा। उनक आवाज इतनी तेज थी
क वह पीछे क पं म बैठे ब को भी कंपा दे ने के लए काफ थी। गल मैडम को
शोरगुल पसंद नह था, चाहे शोर करने वाली लड़क ने यूट चो टयां बना रखी ह ।
राघव और मने एक- सरे को सहमी ई नजर से दे खा। हम वारदात करने के बाद
अपने पीछे सबूत छोड़ गए थे।
‘मैडम कसी ने मेरी सीट पर एक गंदा लर रख दया है। मेरी नई कूल े स खराब हो
गई है,’ आरती ने सुबकते ए कहा।
पूरी लास हंस पड़ी और आरती क आंख से आंसू बहने लगे।
‘ या?’ ट चर ने कहा। उ ह ने-चक नीचे रखा, अपने हाथ झाड़े और आरती से लर
ले लया।
आरती सुबकती रही। ट चर लास म घूमने लग । वे जहां-जहां से गुजरत , टू डट् स
अपनी सीट म धंसते चले जाते। ‘आज चॉकलेट केक कौन लाया था?’ उ ह ने अपनी
तहक कात शु कर द थी।
‘म लाई थी,’ आरती ने कहा। उसने अपना ट फन खोला और वह समझ गई क उसी
के केक का इ तेमाल उसी क े स को बरबाद करने म कया गया है। अब तो उसका रोना-
धोना और बढ़ गया। ‘कोई मेरा केक खा गया है,’ वह इतनी जोर से रोने लगी क समीप ही
लगने वाली लास 5 बी भी उसक आवाज सुन सकती थी।
‘पूरा, नह आधा केक,’ म उससे कहना चाहता था।
राघव ने मेरी ओर दे खा। ‘अपनी गलती कबूल कर ल?’ उसने फुसफुसाते ए कहा।
‘पागल हो गए हो या?’ मने उसी तरह फुसफुसाते ए जवाब दया।
जब गल मैडम मेरे पास से होकर गुजर तो मने फश पर नजर गड़ा द । उ ह ने गो न
लपस पहन रखी थ जसक ै प पर नकली टल लगे थे। मने मुट् ठयां भ च ल ।
मेरी अंगु लयां चप चपी हो रही थ ।
ट चर फर से लास के आगे वाले भाग म चली गई। उ ह ने अपने पस से एक टशू
नकाला और लर को प छकर साफ कर दया। ‘ जसने गलती क है वह चुपचाप कबूल
कर ले, वरना उसे ब त स त सजा मलेगी उ ह ने चेतावनी दे ते ए कहा।
मने ऐसा दखावा कया मानो कुछ सुना ही न हो और अपनी ग णत क नोटबुक खोल
ली।
‘जी एम कौन है?’ ट चर ने पूछा। उ ह ने मेरे नाम के इ न शय स पढ़ लए थे। मने
उ ह एक कंपास क मदद से अपने लर पर उकेरा था। ध ेरे क !
लास म दो जी एम थे। उनम से एक गरीश माथुर पहली पं म बैठता था। वह
फौरन उठ खड़ा आ।
‘मने नह कया है मैम,’ उसने कहा और अपनी गदन झुका ली। ‘भगवान कसम,
मैम।’
ट चर ने उसे तरछ नजर से दे खा। उनके मन म अब भी शक था।
‘म गंगा क सौगंध खाकर कहता ं, मैम,’ गरीश ने कहा और फफककर रोने लगा।
गंगा वाली बात काम कर गई। सभी को उसक बात पर भरोसा हो गया।
‘ सरा जी एम कौन है? गोपाल म ा!’ ट चर ने मेरा नाम पुकारते ए कहा।
सभी क आंख मेरी तरफ घूम गई। ट चर चलकर मेरी डे क तक आई। म उठ खड़ा
आ।
मने एक श द भी नह कहा। न ही ट चर ने कुछ कहा। तड़ा तड़ाक! मेरे दोन गाल
झनझना उठे थे।
‘खाने क चोरी? तुम चोर हो या?’ ट चर ने कहा। उ ह ने मेरी तरफ कुछ इस तरह
दे खा, मानो मने टश वीन के यू जयम से को हनूर हीरा चुरा लया हो।
मेरा सर झुका रहा। अब उ ह ने मेरी गदन पर एक धौल जमाई। ‘मेरी लास से दफा
हो जाओ!’
म अपने पैर घसीटता आ लास से बाहर चला आया। यहां तक क पूरी लास 5
से न सी तक क नजर भी मुझ पर ही जमी थ ।
‘आरती, जाओ और बाथ म म अपना कट साफ कर आओ,’ गल मैडम ने कहा।

म लास के बाहर द वार से टककर खड़ा था। आरती अपनी आंख प छते ए मेरे करीब से
गुजरी।
‘ ामा वीन! वह चॉकलेट केक क केवल आधी लाइस ही तो थी!’ मने सोचा।
खैर तो इसी तरह मेरी, गोपाल म ा क ेट आरती ताप धान से पहली मुलाकात
ई। हां यहां म यह ज र कहना चाहता ं क भले ही यह कहानी मेरी है ले कन आप मुझे
यादा पसंद नह करगे। आ खर दस साल का चोर कोई ब त पसंद करने लायक इंसान
होता भी तो नह है।
म वाराणसी का ं। मेरी समाज व ान क ट चर कहती ह क यह नया के सबसे
पुराने शहर म से एक है। यह शहर 1200 ईसा पूव से ही आबाद है। वाराणसी का यह नाम
दो न दय व णा और अ स के नाम पर पड़ा जो इस शहर से होकर बहती ह और आगे
जाकर गंगा म मल जाती ह। अलग-अलग जगह के लोग मेरे शहर को अलग-अलग नाम
से बुलाते ह जैसे काशी बेनारस या बनारस। कुछ लोग वाराणसी को मं दर का शहर भी
कहते ह य क यहां हजार क तादाद म मं दर ह। कुछ लोग इसे ान का शहर कहते ह
य क वाराणसी म पड़ाई- लखाई के कुछ बेहतरीन सटर ह। ले कन म वाराणसी को
केवल अपना घर कहता ं। म गढौ लया के करीब रहता ं जहां इतना शोरगुल होता है क
य द आप चैन से सोना चाहते ह तो इसके लए आपको अपने कान म ई ख सना पड़
सकती है। गढौ लया गंगा नद के घाट के करीब है इस लए य द गढौ लया क घनी आबाद
के कारण आपका जीना मुहाल हो जाए तो आप घाट पर जाकर बैठ सकते ह और गंगा
और मं दर के शखर को नहार सकते ह। कुछ लोग मेरे शहर को प व खूबसूरत और
आ या मक भी कहते ह खासतौर पर तब जब वदे शी पयटक के सामने इसक खू बयां
गनानी ह । कुछ लोग इसे गंदगी से भरपूर भी बताते ह। ले कन मुझे नह लगता क मेरा
शहर गंदा है वा तव म लोग उसे गंदा बना दे ते ह।
खैर कहते ह क जीवन म एक न एक बार वाराणसी क सैर ज र करनी चा हए।
जब क हमम से कइय ने तो अपना पूरा जीवन ही इस शहर म बता दया है।
मेरी जेब म एक प सल थी। म उससे द वार पर 5 सी लखता रहा। इससे मुझे व
काटने म भी मदद मल रही थी और 5 सी लखने के बाद म अपनी लास को अ धक
आसानी से खोज भी सकता था।
वह टॉयलेट से बाहर आई -उसका चेहरा भीगा आ था। ामा- वीन जैसे ए स ेशंस
अपनी जगह बरकरार थे और उसक नजर मुझ पर जमी ई थ । वह लास क ओर चली
जा रही थी।
जैसे-जैसे वह मेरे करीब आती गई उसक नजर लगातार मुझे घूरती रह । ‘तुम द वार
चतर रहे हो!’ उसने कहा।
‘जाओ इसक भी शकायत कर दो मने कहा। ‘जाओ।’
‘तुमने मेरा ट फन चुराने क ह मत कैसे क ?’ उसने कहा।
‘मने तु हारा ट फन नह चुराया मने कहा।’ मने केवल तु हारे चॉकलेट केक क तीन
बाइट खाई। तु ह तो पता भी नह चलता।’
‘तुम वाकई बैड बॉय हो आरती ने कहा।

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2

हमारे वक ल बे अंकल ने चार लड् डु का एक छोटा-सा बॉ स हमारी ओर बढ़ाया।


‘ मठाइयां? कस खुशी म?’ पापा ने पूछा।
बे अंकल हमारे घर आए थे। उनसे हमारी भट बाबा आदम के जमाने क हमारी
डाइ नग टे बल पर ई।
‘तु हारी सुनवाई क तारीख नकली है बे अंकल ने कहा।’ इसम ब त व लग गया।
मने सोचा इसका ज मनाया जाए।’
मने सोचा क केक के मुआवजे के तौर पर य द ामा वीन आरती को कुछ लड् डू दे
दए जाएं तो कैसा रहे। वैसे तो म एक चॉकलेट केक खरीदकर उसक डे क पर पटक दे ना
चाहता था, ले कन मेरे पास ऐसा करने के लए पैसे नह थे। मेरे पता मुझे यादा पॉकेट
मनी नह दे ते थे और खुद उनक पॉकेट म यादा मनी नह थी।
मां क बीमारी ने उनक पूरी बचत का सफाया कर दया था। मेरी चौथी साल गरह के
दो स ताह बाद ही वे गुजर गई। मुझे उनके या उनक मौत के बारे म यादा कुछ याद नह
है। बाबा कहते ह क उनक मौत के बाद उ ह एक महीने तक उनका पट् टा पहनकर मेरे
पास सोना पड़ता था। उनक मौत के बाद जमीन का ववाद भी शु हो गया। इसी कारण
बे अंकल का हमारे घर म आना-जाना बढ़ गया था।
‘आप केवल इसी लए मठाई ले आए क मेरी सुनवाई क तारीख नकली है?’ बाबा ने
खांसते ए पूछा। मुकदमे क वजह से उनक जमीन तो उ ह वापस नह मल सक ले कन
उससे उनक दमे क बीमारी ज र और बदतर हो गई थी।
‘घन याम मामले को अदालत के बाहर ही नपटा दे ना चाहता है बे अंकल ने कहा।
मेरे पता के बड़े भाई घन याम ताया-जी ने भी हमारा बेड़ा गक कर रखा था। मेरे
दादाजी अपने दो बेट के लए लखनऊ हाईवे पर तीस एकड़ खेती क जमीन छोड़ गए थे
जसका बंटवारा दो बराबर के ह स म कया जाना था। दादाजी क मौत के कुछ समय
बाद घन याम ने बक से लोन लया और बाबा क आधी संप पर क जा जमा लया।
उ ह ने बक अफसर को पूस दे ते ए गलत लॉट नंबर के साथ जाली कागजात बना लए।
घन याम ताया-जी ने बजनेस म कुछ गलत फैसले लए और अपना पैसा गंवा दया।
बक ने हम एक फोर लोजर नो टस भेजा। बाबा ने इसका वरोध कया तो बक ने मेरे पता
और अंकल दोन पर मुकदमे ठ क दए। दोन भाइय ने भी एक- सरे पर मुकदमा कर
दया। ये सभी मुकदमे बैलगाड़ी से भी धीमी चाल से चलते रहे।
‘सेटल?’ मेरे पता ने आगे झुकते ए पूछा।
मने एक लड् डू उठाया और अपनी जेब म रख लया।
‘घन याम तु ह कुछ नगद पैसा दे दे गा। वह जमीन का तु हारा ह सा ले लेगा और बक
और कानूनी मुकदम को तु हारे हवाले कर दे गा बे अंकल ने कहा।
‘ कतना पैसा?’ बाबा ने पूछा।
‘दस लाख बे अंकल ने जवाब दया।
मेरे पता चुप हो गए। मने मौका ताड़कर एक और लड् डू चुरा लया। मने सोचा आरती
दो लड् डू पाकर खुश हो जाएगी।
‘म यह बात तो मानता ं क 15 एकड़ जमीन के लए यह पेशकश ब त ही कम है बे
अंकल ने अपनी बात जारी रखी।’ ले कन तु हारी संप पर एक करोड़ का लोन है।’
‘यह मेरा लोन नह है!’ बाबा ने ऊंची आवाज म कहा जो उनके आम मजाज से मेल
नह खाती थी।
उसने तु हारे द तावेज बक म जमा कर दए ह। तुमने उसे अपने ॉपट पेपस य दे
दए?’
‘वह मेरा बड़ा भाई है बाबा ने अपने आसु को थामते ए कहा। उ ह जमीन के
नुकसान से यादा यह ख सता रहा था क उ ह ने अपना भाई खो दया था।
‘य द तु ह और पैसा चा हए तो म उससे बात कर सकता ं। इस मामले को लंबे समय
तक य घसीटे ?’ बे अंकल ने कहा।
‘म कसान का बेटा ं। अपनी जमीन नह छोड़ सकता बाबा ने कहा। उनक आंख
लाल थ ।’ जब तक जान म जान है तब तक जमीन मेरी है। उसे कह दो क य द उसे
जमीन चा हए तो पहले मुझे जान से मारना होगा।’
उसके बाद बाबा ने मुझे घूरकर दे खा। मेरा हाथ तीसरा लड् डू चुराने के लए आगे बढ़
रहा था।
‘ठ क है ठ क है सभी लड् डू ले लो बे अंकल ने कहा।
मने उन दोन को दे खा मठाई का ड बा उठाया और कमरे से बाहर भाग गया।

मने मठाई के ड बे को उसक डे क पर जाकर रख दया।


‘यह या है?’ उसने तक लुफ के साथ मेरी ओर दे खा।
‘मने तु हारा केक खा लया था ना। आई एम सॉरी,’ मने कहा। मेरे अं तम श द ब त
म म थे।
‘मुझे लड् डू पसंद नह , ‘उसने घोषणा क ।
‘ य ? तुम या अं ेजन हो? ‘मने कहा।
‘नह , य क लड् डू खाने से हम मोटे हो जाते ह और म मोट नह होना चाहती,’
उसने कहा।
‘तो या चॉकलेट केक खाने से हम मोटे नह होते?’
‘मुझे नह चा हए ये लड् डू ,’ उसने कहा और लड् डू के ड बे को मेरी ओर धकेल दया।
‘ठ क है,’ मने कहा और ड बा अपने पास रख लया।
‘तुमने सॉरी बोला था ना?’ आरती ने पूछा।
‘हां, बोला तो था।’ मने रबन से गुंथी उसक चोट को गौर से दे खा। वह कसी कॉटू न
कैरे टर जैसी लग रही थी।
‘अपॉलॉजी ए से टे ड’ उसने कहा।
‘थक यू,’ मने कहा।’ या वाकई तु ह लड् डू नह चा हए?’
‘नह मोट लड कयां एयर हो टे स नह बन सकत ’ उसने कहा।
‘तुम एयर हो टे स बनना चाहती हो?’ मने कहा।
‘हां।’
‘ य ?’
‘ य क वे पूरी नया क सैर करती ह। म तरह -तरह क जगह दे खना चाहती ं।’
‘ठ क है।’
‘और तुम या बनना चाहते हो?’ आरती ने पूछा।
मने कंधे उचका दए।’ एक अमीर आदमी’ मने कहा।
उसने सर हला दया मानो उसे मेरी चॉइस ठ क -ठाक’ अभी तुम गरीब हो या?’
‘हां।’
‘म तो अमीर ं। हमारे पास एक कार है।’
‘हमारे पास कार नह है। ओके बाय म जाने के लए पीछे मुड़ा क आरती ने कुछ
कहा।
‘तु हारी मां तु ह ट फन बनाकर य नह दे त ?’
‘मेरी कोई मां नह ह मने कहा।
‘तु हारी मां अब इस नया म नह ह?’ उसने पूछा।’
‘हां,’ मने कहा।
‘ओके, बाय।’
म अपनी सीट पर लौट आया, ल डु का ड बा खोला और एक लड् डू बाहर नकाल
लया।
आरती मेरे पास आई।
‘ या है?’ मने पूछा।
‘तुम चाहो तो कभी-कभी मेरा ट फन खा सकते हो। हालां क यादा मत खाना। और
केक या उस जैसी अ ट् स मत लेना।’
‘थ स,’ मने कहा।
‘और इस तरह बखेड़ा खड़ा मत कया करो। य द तु हारी इ ा हो तो हम लंच- ेक के
दौरान साथ-साथ खा सकते ह।’
‘ले कन तब तो तुम भूखी रह जाओगी,’ मने कहा।
‘इट् स ओके। म डाइ टग कर रही ं। म मोट नह होना चाहती,’ आरती ने कहा।

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सात साल बाद

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3

‘पहले घर तक मेरे साथ चलो। उसके बाद केट ाउं ड चले जाना,’ आरती ने कहा।
हम गंगा पर बो टग करने के बाद शाम को घर लौट रहे थे। आरती और म पछले पांच
साल से हर स ताह इसी तरह बो टग करने जाते थे। अ सी घाट के ना वक फूलचंद भाई
मुझे अपनी नाव दे दे ते थे। हम एक गली से होकर गुजर रहे थे जो इतनी संकरी थी क एक
मोट गाय आसानी से उसम फंस सकती थी। हम घाट से सटे एक मु य माग पर नकले।
‘मुझे पहले ही दे री हो गई है आरती। राघव मुझ पर ब त च लाएगा।’
‘तो मुझे भी अपने साथ आने दो। म घर जाकर बोर नह होना चाहती उसने कहा।
‘नह ।’
‘ य ?’ उसने आंख झपकाते ए कहा।
‘वहां ब त लड़के ह। याद है पछली बार कतनी सी टयां बजी थ ?’
‘म हडल कर लूंगी आरती ने अपने माथे से बाल क लट हटाते ए कहा।
मने उसके खूबसूरत चेहरे को दे खा।’ तु ह पता नह तु ह दे खकर उ ह या हो जाता है
मने कहा। वा तव म म उससे कहना चाहता था क तु ह पता नह तु ह दे खकर मुझे या
हो जाता है।
आरती को उसके लु स के कारण हमेशा कूल ट चस क सराहना मलती थी। ले कन
दो साल पहले जब वह पं ह क हो गई तो पूरा कूल उसके बारे म बात करने लगा। इस
तरह क बात आम हो गई क वह सनबीम कूल क सबसे खूबसूरत लड़क है उसे तो
फ म ए टे रस बनना चा हए या वह चाहे तो मस इं डया के लए अ लाई कर सकती है।
इनम से कुछ बात वे लोग करते थे जो उसे लुभाना चाहते थे। आ खर एक सी नयर
आईएएस ऑ फसर क बेट और एक त त पूव राजनेता क पोती क गुड बु स म कौन
शा मल नह होना चाहेगा?
ले कन हां, आरती के कारण वाराणसी क दल क धड़कन ज र तेज हो गई थ ।
य द वह सगरा टे डयम केट ाउं ड म चली जाती तो न त ही खेल म खलबली
मच जाती। ब लेबाज गद खेलना भूल जाते फ स कैच टपका दे ते और बेरोजगार बौड़म
लड़के उसे दे खकर सी टयां बजाने लगते जनके कारण यूपी बदनाम हो चुका है।
‘म काफ समय से राघव से नह मली आरती ने कहा।’ चलो चलते ह। म तु ह खेलते
ए दे खूंगी।’
‘कल ट् यूशंस पर उससे तु हारी मुलाकात हो जाएगी,’ मने खेपन से कहा।’ अब घर
जाओ।’
‘तुम चाहते हो क म अकेले घर जाऊं?’
‘एक र ा कर लो मने कहा।
उसने मेरी कलाई थाम ली।’ तुम अभी मेरे साथ चल रहे हो।’ उसने मेरा हाथ पकड़ा
और जब तक म उसके साथ उसके घर नह प ंच गया तब तक वह मेरे हाथ को आगे-पीछे
झुलाती रही।
म उससे कहना चाहता था क वह अब इस तरह मेरा हाथ न पकड़ा करे। बारह क उ
तक यह ठ क है ले कन स ह क उ म नह । ये अलग बात है क स ह क उ म उसका
मेरा हाथ पकड़ना बारह क तुलना म मुझे यादा अ ा लगता था।
‘ या आ?’ उसने कहा।’ तुम घूर य रहे हो? मने तु हारा हाथ केवल इसी लए
पकड़ा है क कह तुम भाग न जाओ।’
म मु करा दया। हम शोरगुल भरी सड़क से होकर शांत कटोनमट इलाके तक चले
आए। फर हम जला जज ताप बृज धान के बंगले पर प ंचे। वे आरती के पता थे।
सांझ का आकाश गहरे नारंगी रंग का हो गया था। यह तय था क राघव मुझ पर ब त
बगड़े गा य क खेलने के लए ब त समय जाया हो चुका था। ले कन म आरती क बात
नह टाल सका।
‘थक यू’ आरती ने ब सरीखी आवाज म कहा।’ भीतर आआगे?’
‘नह , मुझे पहले ही ब त दे री हो चुक है मने कहा।
हमारी आंख मल ले कन ज द ही मने अपनी आंख हटा ल । बे ट ड् स बस हम
यही थे मने खुद से कहा।
हवा म उसके बाल लहराए और काली लट उसके चेहरे को हौले-से सहलाने लग ।
‘मुझे अपने बाल कटवा लेने चा हए। इ ह मटे न करना ब त मु कल है आरती ने कहा।
‘नह ऐसा मत करना मने ढ़ता से कहा।
‘मने केवल तु हारे लए ही अपने बाल इतने लंबे रखे ह। बाय!’ उसने कहा। म सोचने
लगा क या वह भी मेरे बारे म अलग तरह से सोचने लगी है। ले कन मुझे नह पता था क
यह बात उससे कैसे पूछ जाए।
‘ट् यूशंस पर मलते ह मने चलते-चलते कहा।
‘राघव क यप’ ट चर ने नाम पुकारा और एक आ सर-शीट ऊपर उठा द । राघव आरती
और मने गाकुंड म जेएसआर को चग लासेस जॉइन क थ ता क हम इंजी नय रग
वेश परी ा क तैयारी कर सक। जेएसआर का नामकरण उसके तीन सं ापक
म टर झा म टर सह और म टर राय के नाम पर कया गया था और वह एआईईईई (
ऑल इं डया इंजी नय रग एंटेरस ए जाम) और आईआईट जेईई (इं डयन इं टट् यूट ऑफ
टे कनालजी जॉइंट ेस ए जाम) के लए लगातार मॉक टे ट आयो जत करता था।
एआईईईई म हर साल दे शभर के दस लाख टू डट् स परी ा दे ते ह जो नेशनल इं टट् यूट्स
ऑफ टे मालॉजी (एनआईट ) के तीस हजार पद के लए त धा करते ह। इंजी नयर
बनने क चाहत रखने वाला हर छा यह परी ा दे ता है। म इंजी नयर तो नह बनना चाहता
था ले कन बाबा मुझे इंजी नयर बनते दे खना चाहते थे और इसी लए मने जेएसआर जॉइन
कया था।
राघव चालीस टू डट् स से खचाखच भरे लास म से होकर अपनी आ सर शीट लेने
आगे बढ़ा।
‘अ सी म से छयासठ। वेल डन राघव ट चर ने कहा।
‘आईआईट मटे रयल एक लड़के ने फुसफुसाते ए कहा।’ वह सनबीम का टॉपर है।’
म साफ तौर पर दे ख सकता था क राघव अपने आईआईट यन पता के कदम पर चल
रहा है, जो भेल म इंजी नयर ह। मुझे अ सी म से पचास नंबर मले। यह एक ठ क-ठाक
दशन था। यह कसी केट ट म म बारहवां खलाड़ी बनने के लए तो काफ था ले कन
खलाड़ी बनने के लए नह ।
‘फोकस, गोपाल,’ ट चर ने कहा।’ तु ह अपनी जगह सुर त करने के लए साठ से
यादा नंबर लाने ह गे।’
मने सर हला दया। म एक अ े इंजी नय रग कॉलेज म पढ़ना चाहता था। मेरे पता
ने कई साल से कोई अ खबर नह सुनी थी।
‘आरती धान!’ ट चर ने पुकारा। पूरी लास क नगाह सफेद सलवार कमीज पहने
उस लड़क क ओर घूम गई जसके कारण उबाऊ को चग लासेस भी अखरती नह थ ।
आरती ने अपनी आ सर शीट ली और खल खला द ।
‘अ सी म से बीस नंबर लाना तु ह फनी लगता है?’ ट चर ने यौ रयां चढ़ाते ए कहा।
आरती ने हथे लय से अपना चेहरा छु पा लया और अपनी सीट पर लौट आई। उसक
इंजी नयर बनने क कोई इ ा नह थी। उसने तीन कारण से जेएसआर जॉइन कया था।
पहला यह क को चग लासेस अटड करने से उसे अपनी बारहव सीबीएसई क पढ़ाई म
मदद मल सकती थी, सरा यह क मने भी जेएसआर जॉइन कया था और उसे कंपनी
मल गई थी और तीसरा यह क ट् यूशन सटर उससे फ स नह लेता था, य क उसके
पता शहर के डीएम या ड ट म ज टे रट बनने वाले थे। वैसे आरती के पता ईमानदार
छ व वाले थे, ले कन ट् यूशन लेना बेईमानी के दायरे म नह आता था।
‘मने तो एआईईईई का फॉम तक नह भरा है आरती ने मेरे कान म फुसफुसाते ए
कहा।

‘मेरी एआईईईई रक क बुरी गत होने वाली है,’ मने अपना लेमनेड हलाते ए राघव से
कहा।
हम नारद घाट के करीब जमन बेकरी म आए थे। यह फरंगी टू र ट का य जॉइंट
था, जहां गोरे लोग वाराणसी के क टाणु और दलाल दोन से सुर त महसूस करते थे।
वे सड वच और पैनके स जैसा फरंगी फूड खाने के लए लकड़ी क खप य वाले
ब तर पर बैठा करते थे। वाराणसी इफे ट दे ने के लए दो कुपो षत बूढ़े एक कोने म बैठकर
सतार बजाया करते थे य क गोर को सतार सुनते ए सड वच खाना एक सां कृ तक
अनुभव लगता था।
मने कभी इस जगह के बारे म यादा नह सोचा। ले कन आरती इसे पसंद करती थी।
‘उसने अपने बाल बांधने के लए जस तरह से काफ का इ तेमाल कया है वह मुझे
अ ा लगा आरती ने एक म हला टू र ट क ओर इशारा करते ए कहा। जा हर है उसे
मेरी एआईईईई से जुड़ी चता म कोई दलच ी न थी।
‘दस और अंक और उसके बाद यू वल बी फाइन। रलै स राघव ने कहा।
‘मेरे और उन दस अंक के बीच एक लाख टू डट् स खड़े ह मने कहा।
‘ सर के बारे म मत सोचो। अपनी पढ़ाई पर यान दो उसने कहा।
मने धीमे से अपना सर हला दया। जब आप टॉपर होते ह तो सलाह दे ना आसान
होता है। मने क पना क क म एक लाख अ य लो-रकस के साथ एक समु म ं और
सांस लेने के लए तड़प रहा ं। हम डू ब रहे थे और भारत के एजुकेशन स टम के लए
बेकार होते जा रहे थे। तीन स ताह का समय और था और उसके बाद एआईईईई नाम क
सुनामी आने वाली थी।
आरती ने मेरे चेहरे के सामने अपनी अंगु लयां लहराई।’ न द से जागो ड़ीमर सब ठ क
हो जाएगा उसने कहा।
‘तुम ए जाम नह दोगी राघव ने आरती से पूछा।
‘हां वह खल खला द ।’ इसी स ताह’ म ं ना’ रलीज हो रही है। आ खर म शाह ख
खान क फ म कैसे मस कर सकती ं? उ ह एआईईईई पो टपोन कर दे ना चा हए।’
‘वेरी फनी।’ मने मुंह बना दया।
‘अगर तुम इंजी नयर नह बनना चाहती तो फर तुम आ खर करना या चाहती हो?’
राघव ने आरती से पूछा।
‘ या कुछ करना ज री है? म भारतीय नारी ।ं शाद क ं गी घर बसाऊंगी और खाना
पकाऊंगी। या फर, नौकर को खाना पकाने का म ं गी।’
यह कहकर वह हंस पड़ी और राघव भी उसक हंसी म शा मल हो गया।
ले कन मुझे इसम कुछ भी हंसने जैसा नह लगा। म उन लाख टू डट् स से अपना
यान नह हटा पा रहा था, जो इंजी नयर बनना चाहते थे और जनसे मुझे कुछ ही दन
बाद भड़ना था।
‘इतने सी रयस य हो रहे हो, गोपाल-जी म मजाक कर रही ं। तुम तो जानते ही हो
क म घर पर नह बैठ सकती।’ आरती ने मेरा कं धा थपथपाते ए कहा।
‘चुप करो, आरती,’ मने कहा।’ मुझे पता है क तुम एयर हो टे स बनना चाहती हो।’
‘एयर हो टे स? वॉव !’ राघव ने कहा।
‘दै ट्स नॉट फेयर, गोपाल!’ आरती ने च लाते ए कहा।’ तुम नया के सामने मेरे
सी े ट् स उजागर कर रहे हो।’
‘ नया नह , वह केवल मुझे ही बता रहा है, राघव ने कहा।
आरती ने मुझे एक डट लुक द ।
‘सॉरी,’ मने कहा।
आरती से मेरा र ता यादा गहरा था। हम राघव को अपना दो त मानते थे, ले कन
गहरा दो त नह ।
‘तुम वाकई ब त अ एयर हो टे स बनोगी,’ राघव ने कहा। उसके लहजे म शरारत
थी।
‘खैर, जो भी हो,’ आरती ने कहा।’ जैसे क डै ड मुझे वाराणसी से कह जाने दगे। यहां
कोई एयरलाइंस नह ह। यहां केवल मं दर ह। शायद, म एक टे ल हो टे स बन जाऊं।
सर, लीज फश पर अपना ान हण क जए। ा थना शी ही ारंभ होने वाली है।
साद आपक सीट तक प ंचा दया जाएगा।’
राघव अपना पेट पकड़कर फर हंस पड़ा। उसका पेट ब त गठ ला था। मुझे ऐसे लोग
से घृणा होती है, ज ह ाकृ तक प से सपाट पेट मला होता है। भगवान सभी पु ष के
लए स स पैक को एक डफॉ ट टडड य नह बना दे ते? या फैट जमा करने क पेट
के सवा कोई और जगह नह हो सकती?
राघव ने आरती के हाथ पर ताली द । मेरे कान क लव सुख हो गई। सतार वादक ने
एक त धुन बजानी शु कर द ।
‘आरती, तुम भी या नॉनसस बात कर रही हो,’ मने कहा। मेरी आवाज तेज थी। मेरे
इद- गद मौजूद फरंगी, जो यहां वै क शां त क तलाश म आए थे, चौक े हो गए।
मुझे यह अ ा नह लग रहा था क राघव और आरती एक- सरे के फसड् डी जो स
का भी मजा ले रहे थे।
राघव ने अपने लेमनेड म ॉ को इतनी जोर से चूसा क क उसक नाक से बहने
लगी।
‘ ॉस!’ आरती ने कहा और दोन फर से ठहाका लगाकर हंसने लगे। म उठ खड़ा
आ।
‘ या आ?’ राघव ने कहा।
‘मुझे जाना है। बाबा मेरा इंतजार कर रहे ह.’ मने कहा।

बाबा के खांसने क आवाज म दरवाजे क घंट क आवाज डू ब गई थी।


‘सॉरी, म सुन नह पाया था, आ खरकार उ ह ने दरवाजा खोलते ए कहा।
‘आप ठ क तो ह ना?’ मने पूछा।
‘हां, कुछ खास नह । मने दाल-रोट बनाई है।’
‘यह भी तो कुछ खास नह है।’
मेरे पता पछले साल ही साठ साल के ए थे, ले कन नॉन टॉप खांसी के कारण वे
अ सी के लगने लगे थे। डॉ टर ने हाथ खड़े कर दए थे। हमारे पास सजरी के भी पैसे
नह थे। उनके कूल ने उ ह एक अरसा पहले ही नकाल बाहर कर दया था। आप दस
बार ेक लेकर पचास मनट क लास नह पड़ा सकते। उ ह पशन ज र मलती थी,
जसके सहारे हमारे महीने के तीन ह ते कट जाते थे।
म हमारी डावांडोल डाइ नग टे बल पर बैठकर चुपचाप खाने लगा।
‘एं स ए जाम...’ मेरे पता ने कहना शु कया, ले कन खांसी आ जाने के कारण वे
क गए। म समझ गया वे या कहना चाहते ह।
‘मने एआईईईई क तैया रयां पूरी कर ली ह,’ मने कहा।
‘और जेईई?’ बाबा ने कहा। ए जाम क तैयारी करने से भी मु कल है प रवार क
उ मीद पर खरा उतरना।
‘मेरे लए आईआईट क उ मीद मत पा लए, बाबा,’ मने कहा। मेरे पता का चेहरा
उतर गया।’ म जेईई भी कर लूंगा। ले कन जरा सो चए, चार लाख म से केवल तीन हजार
का सले न’
‘तुम कर सकते हो। तुम ाइट हो,’ बाबा ने कहा। बाप का यार न त ही अपने बेटे
क का ब लयत का आकलन बढ़ा-चढ़ाकर कर रहा था।
मने सर हला दया। मुझे एआईईईई से फर भी उ मीद थ , ले कन जेईई से नह । म
सोचने लगा क या बाबा इस बात को समझ पा रहे ह क य द मेरी रक लग गई तो मुझे
घर छोड़ना पड़े गा। अगर मुझे एनआईट अगरतला जाना पड़ा तो या होगा? या कह सु र
द ण म?
‘इंजी नय रग ही सब कुछ नह है, बाबा,’ मने कहा।
‘इससे तु हारा जीवन सुर त हो जाता है। अब ए जाम से ठ क पहले मुझसे झगड़ा
मत करो।’
‘म झगड़ नह रहा ं।’
डनर के बाद बाबा अपने ब तर पर लेट गए। म उनके करीब बैठ गया और उनका सर
दबाने लगा। उ ह खांसी का एक दौरा पड़ा और वे उठ बैठे।
‘हम सजरी के बारे म सोचना चा हए,’ मने कहा।
‘यानी दो लाख पए खच करने के बारे म?’ बाबा ने लेटे-लेटे कहा। उनक आंख मुंद
ई थ । म समझ गया क इस बारे म बात करना बेकार है।
म चुप रहा। म इस वषय को छे ड़ना नह चाहता था। हम जमीन ववाद को एक अरसा
पहले ही सुलझा सकते थे, ले कन अदालती सुनवाइय ने हमारा जीना मुहाल कर रखा था।
जमीन पड़ी-पड़ी बंजर हो रही थी और हमारे पास पैसे नह थे।
‘तुम ही बताओ, हम पैसा कहां से लाएंग?े ’ मेरे पता ने कहा।’ तुम पहले इंजी नयर
बन जाओ, अ ा जॉब हा सल करो। फर, म सजरी करवा -लूंगा।’
अब म चुप नह रह सका।’ ताया-जी ने दस लाख पए ऑफर कए थे। अभी तक तो
बक म रखे-रखे ही वह रकम दोगुनी हो गई होती।
‘बाबा ने आंख खोल ।’ और हमारी जमीन का या होता?’ उ ह ने कहा।
‘वह टु पड जमीन वैसे भी हमारे कस काम क है?’
‘इस तरह मत बोलो,’ उ ह ने मेरा हाथ धकेलते ए कहा।’ कसान न कभी अपनी
जमीन का अपमान करता है और न ही उसे कभी बेचता है।’
मने अपना हाथ फर उनके सर पर रख दया।’ अब हम कसान नह ह, बाबा। हम
उस जमीन का कोई उपयोग नह कर सकते, य क आपका अपना भाई...’
‘जाओ, और पढ़ाई करो। तु हारे इ तहानआने वाले ह।’ बाबा ने मेरे कमरे क ओर
इशारा करते ए कहा।

आधी रात को लडलाइन फोन क घंट घनघनाई। मने फोन उठाया।


‘मुझे न द आ रही है, आरती,’ मने कहा।
‘झूठ मत बोलो, तुम रात एक बजे तक नह सोते हो।’
‘बात या है?’
‘कुछ नह । बस, तुमसे बात करने को जी कया तो फोन लगा लया।’
‘ कसी और से ब तयाओ, मने कहा।
‘आहा,’ उसने कहा।’ मुझे पता है तु ह कौन-सी चता खाए जा रही है।’
‘बाय, आरती,’ मने कहा।
‘अरे, को तो। मुझे राघव के कुछ जो स फनी लगे। बस इतनी-सी बात है। तुम अब
भी मेरे बे ट ड हो।’
‘नह उसके जो स फनी नह थे। और यह बे ट ड से तु हारा या मतलब है?’ मने
कहा।
‘हम आठ साल से बे ट ड ह, हालां क तुमने अभी तक मुझे एक भी चॉकलेट केक
नह दया है।’
‘और राघव?’
‘राघव केवल दो त है। म उससे केवल इस लए बात करती ं य क तुम उसके
करीबी दो त हो,’ आरती ने कहा।
म चुप रहा।
‘अब तो गु सा थूक दो, गोपाल। घर पर या हाल ह?’ उसने कहा।
‘हमेशा क तरह हाल बेहाल ह। और तुम कैसी हो?’
‘म ठ क ं। डै ड चाहते ह क म एयर हो टे स बनने क कोई को शश करने से पहले
अपनी कॉलेज क पढ़ाई पूरी कर लूं। ले कन बारहव पास करने के बाद भी तो एयर
हो टे स तो बना जा सकता है।’
‘कॉलेज जाओ। तु हारे डै ड सही कह रहे ह,’ मने कहा।
‘ऐसे मा स के साथ म कौन-सा कॉलेज जॉइन कर सकती ं? म राघव और तु हारी
तरह माट नह ं।’
‘राघव माट है, म नह ,’ मने उसक बात सु धारते ए कहा।
‘ य ? मॉक टे ट क वजह से? यू आर सो टु पड,’ आरती ने कहा।
‘यू आर टु पड।’
‘हम दोन ही टु पड ह, फाइन? तुमने डनर कर लया?’
पछले पांच साल म उसने हर रात मुझसे यह सवाल पूछा था। म उस पर नाराज ही
रहना चाहता था, ले कन ऐसा कर न पाया।’ हां मने डनर कर लया, थ स।’
‘ हाट थ स टु पड। चलो अब सो जाओ और -हंस ए जा स के बारे म मत सोचना।’
‘आरती,’ मने कहा और क गया।
या?
‘यू आर वेरी नाइस,’ मने कहा। म इससे बेहतर कोई सरी पं नह सोच पाया।
‘नाइस ं या टु पड ं? या नाइसली टु पड ं?’ आरती हंस पड़ी।
‘म तु हारे बना या कर पाऊंगा?’
‘शट अप, म यह तो ं,’ उसने कहा।
‘अब हम छोटे ब े नह रहे, आरती,’ मने कहा।
‘ओके, ओके। अब फर से वह सब मत शु कर दे ना। अब सो जाओ, मेरे ोन-अप
मैन।’
‘आरती, कम ऑन, तुम हमेशा इस बात को टाल जाती हो...’
‘हम बात करगे, ले कन अभी नह । तु हारे एंटेरस ए जा स के बाद।’
म चुप रहा।
‘ जदगी को उलझाओ मत, गोपाल। या तुम हमारी दो ती से ही खुश नह हो?’
‘हां, खुश तो ं, ले कन..’
‘ले कन-वे कन या? गुड नाइट वीट ी स लीप टाइट।’
‘गुड नाइट।’

‘अब इसका कोई फायदा नह है,’ मने मै स क नोटबुक बंद करते ए कहा।
ए जाम के एक दन पहले राघव मेरे घर आया था। उसने कहा क हम ायगोनोमे का
ला ट- मनट रवीजन कर। म इस वषय म कमजोर था। राघव ने टे सबुक उठा ली।
‘तुम सो जाओ, ओके ए जाम से पहले आराम करना ब त ज री है। और खूब सारी
धारदार प सल साथ रखना मत भूलना,’ उसने कहा।
राघव को जाता दे ख बाबा कचन से बाहर आए।’ डनर के लए को, बाबा ने कहा।
‘नह आज नह , बाबा,’ राघव ने कहा।’ गोपाल को रक मलने के बाद म एक अ -
सी दावत लूंगा।’
4

मुझे रक मली। रक मतलब एक पट ई रक।


‘52043,’ मने न पर दे खा। म शवपुर म राघव के घर आया था। हमने एआईईईई
वेबसाइट पर लॉग ऑन कया था।
न त ही मने ब त बुरा कोर नह कया था। टे ट दे ने वाले दस लाख टू डट् स म से
मने साढ़े नौ लाख को हरा दया था। बहरहाल, एनआईट म केवल तीन हजार सीट् स
उपल थ । कभी-क भी जदगी आपके साथ ू र मजाक करती है। म उन बदनसीब म से
एक था, ज ह ने अ ा दशन तो कया था ले कन पया त अ ा दशन नह कया था।
‘5820,’ राघव ने क यूटर मॉ नटर पड़ते ए कहा।
राघव के पता भी कमरे म चले आए थे और वे हमारे पीछे खड़े थे।
‘यह या है?’ मने पूछा।
‘मेरी रक,’ राघव ने कहा।
‘ए सीलट!’ राघव के पता ने खुशी से चहकते ए कहा।
राघव मु करा दया। वह इससे यादा रए ट नह कर सकता था।
‘इससे तु ह ब त सारी चॉइसेस मल जानी चा हए,’ राघव के पता ने फ से कहा।’
तुम द ली म इले ॉ न स कर सकते हो।’
‘एनआईट लखनऊ भी तो है, है ना?’ राघव ने कहा।’ घर के और करीब।’
‘एआईईईई को छोड़ो, हम जेईई का इंतजार करगे,’ राघव के पता ने कहा। उनक
आवाज म उ लास था।
दोन बाप-बेटे को यह रयलाइज करने म थोड़ा समय लगा क कमरे म म भी मौजूद
ं। उ ह ने मेरा लटका ए चेहरा दे खा तो चुप हो गए।’ अब मुझे घर जाना चा हए,’ मने
फुसफुसाते ए कहा।
‘पचास हजार क रक से तु ह भी कुछ न कुछ मलना ही चा हए, है ना?’ राघव के
पता ने कहा, जब क वे अ तरह जानते थे क ऐसा नह होगा। वे मुझे ठे स नह
प ंचाना चाहते थे, ले कन मुझे ब त बुरा लगा। मने अपनी जदगी म कभी खुद को इतना
छोटा महसूस नह कया था। मुझे लगा क म एक भखारी ं, जो राजा के दरबार म
खड़ा है।
‘राघव, म तुमसे बाद म बात करता ,ं ’ मने कहा और उनके घर से बाहर नकल आया।
म नह चाहता था क कोई भी मेरे आसु को दे खे।
घर के बाहर गली म राघव दौड़ते ए आया।’ तुम ठ क तो हो ना?’ उसने पूछा।
म अपने आंसू पी गया और उसक तरफ मुड़ने से पहले अपना चेहरा अ े -से प छ
लया।’ म ठ क ं, बडी,’ म झूठ बोल गया।’ और बाइयां एक ट तो बनती है। ले कन
तु हारे डै ड सही ह। असली पाट तो जेईई के बाद ही होगी।’
म कहता चला जा रहा था क राघव ने मुझे टोक दया।’ बाबा ठ क ह?’ उसने पूछा।
मने कंधे उचका दए। मेरा गला ध गया, ले कन मने उसे जा हर नह होने दया।
‘म तु हारे साथ चलूं उसने कहा।
‘हां, ठ क ही तो है, जब इ तहान म पट जाओ तो एक टॉप रकर को अपने पैरट् स से
मलवाने ले जाओ ‘, मने मन ही मन सोचा।
‘ड ट वरी। उ ह ने जदगी म इससे भी बदतर चीज का सामना कया है,’ मने कहा।

‘आज एआईईईई के रज ट आने वाले थे ना? पेपर म तो नह ह,’ मेरे घर म घुसते ही बाबा
ने कहा। फश पर चार अलग-अलग अखबार फैले थे।
‘नह , अब अखबार म रज ट नह छपते। बाबा, अखबार इस तरह य फैला रखे
ह?’ मने कहा।
म अखबार समेटने के लए झुका। मने यह नह बताया क नतीजे ऑनलाइन उपल
थे।
‘तो हम रज ट कैसे पता चलगे? तारीख तो आज क ही थी ना?’ उ ह ने कहा।
म चुपचाप अखबार बटोरता रहा। म उ ह कह दे ना चाहता था क रज ट आने म अभी
कुछ व है। कुछ दन क शां त मेरे लए अ होती, फर चाहे वह अ ायी ही य न
हो। मने उनका बूढ़ा चेहरा दे खा। उनक आंख के आसपास झु रयां थ , ले कन उन आंख
म आज एक खास चमक थी।
‘एनआईट लखनऊ चलकर पता लगाएं?’ बाबा ने कहा। वे यह पता लगाने के लए
पांच घंटे का सफर करने को खुशी-खुशी तैयार थे क उनका बेटा लूजर है।
‘बाबा!’ मने झ लाते ए कहा।
‘ या?’
‘च लए लंच तैयार करते ह।’ म कचन म चला गया। बाबा आदम के जमाने का हमारा
टोव छह बार को शश करने के बाद चालू आ। मने दाल उबालने के लए बनर पर एक
कटोरी पानी चढ़ा दया।
बाबा मेरे पीछे खड़े थे।’ हम रज ट जानना ही होगा। चलो, चलते ह,’ उ ह ने कहा।
जब बुजुग लोग कसी बात क जद पकड़ लेते ह तो वे आसानी से नह मानते।
‘पहले खाना पका लेते ह,’ मने कहा।’ जब खाना बन जाएगा, तो म आपको बुला
-लूंगा।’
अपने पैरट् स को अपनी नाकामी के बारे म बताना क भी-कभी नाकाम होने से भी
यादा तकलीफदे ह होता है। म अगले एक घंटे तक खाना पकाता रहा। म सोचने लगा क
या जदगी फर कभी पटरी पर लौट पाएगी। एक टु पड ए जाम और म ट पल चॉइस
ॉ ल स म आ धा दजन गल तय ने मेरी जदगी को हमेशा के लए बदल दया था।
मेरे पता और म चुपचाप खाते रहे। उनक उ मीद से भरी आंख मुझ पर जमी थ । अब
उनसे खबर छु पाना मुम कन नह रह गया था।
खाने के बाद म उनके पास गया।’ बाबा, मुझे रज ट पता है,’ मने धीमे -से कहा।
‘और?’ उ ह ने पूछा। उनक आंख फैल गई थ ।
‘मेरी रक 52043 है।’
‘यह अ रक है?’
मने सर हला दया।
‘तु ह अ ांच नह मलेगी?’
‘म एनआईट म नह जा पाऊंगा,’ मने कहा।
बाबा के चेहरे के भाव फौरन बदल गए। उनके चेहरे पर अब वे भाव थे, जनसे हर बेटा
डरता है। वे नजर, जो कहती ह,’ मने तु ह या यही दन दे खने के लए पाल-पोसकर बड़ा
कया था!’
ऐसी नजर को झेलने से तो कनपट म गोली दाग लेना बेहतर है।
बाबा बेचैनी के साथ उठे और डाइ नग टे बल के इद - गद च कर हाटने लगे।’ ऐसा
कैसे आ क तु ह अ रक नह मल पाई?’
‘वेल, हर कसी को अ रक नह मलती, बाबा। म अकेला नह साढ़े नौ लाख और
टू डट् स को अ रक नह मली है,’ मने मन ही मन सोचा, ले कन कहा नह ।
‘अब या?’ उ ह ने पूछा।
मने सोचा क या मुझे कुछ करने के लए कुछ वक प सुझाने चा हए, जैसे क –
आ मह या, हमालय पर जाकर कठोर तप या फर मेहनत -मजूरी क खी-सूखी
जदगी?
‘आई एम सॉरी, बाबा,’ मने कहा।
‘मने तु ह और पढ़ाई करने को कहा था,’ उ ह ने कहा।
आ खर कौन बाप ऐसा नह कहता होगा!
वे अपने कमरे म चले गए। आ धे घंटे बाद म ह मत जुटाकर उनके कमरे म गया।
उ ह ने अपने सर पर गम पानी क बोतल रखी थी।
‘म बीएससी कर सकता ं, बाबा,’ मने कहा।
‘भला उससे या फायदा होगा?’ उ ह ने कहा। उनक आवाज इतनी तेज थी क
लगता नह था क वे बीमार ह।
‘म अपना ेजुएशन पूरा क ं गा और फर नौकरी क तलाश क ं गा। मुझे अनेक मौके
मल सकते ह,’ मने कहा। म बना सोचे-समझे बोले चला जा रहा था।
‘एक मामूली-से ेजुएट को भला कौन अ नौकरी दे ता है?’ बाबा ने कहा।
करे ट, एक मामूली-सा ेजुएट, जसक कोई औकात नह होती।
‘हमारे पास कसी डोनेशन कॉलेज के लए पैसे नह ह, बाबा,’ मने उ ह याद दलाया।
उ ह ने सर हला दया। कुछ समय बाद वे फर बोले,’ फर से को शश करोगे?’
बाबा ने कोई बेतुका सुझाव नह दया था, ले कन उसक टाइ मग ब त गलत थी।
एंटेरस ए जाम ही मुझे खासी मुसीबत दे चुका था। एक बार फर को शश करने के
वचार से ही मुझे तकलीफ होने लगी।’ बस करो, बाबा,’ मने चीखते ए कहा।’ य द
आपने जमीन का सेटलमट कर लया होता तो आज हमारे पास एक ाइवेट कॉलेज के
लायक पैसा होता। ले कन आपने ऐसा नह कया, इस लए मुझे तो मुसीबत उठानी ही
पड़े गी।’
बाबा ने अपने माथे पर गम पानी क बोतल घुमाई। वे सरदद के साथ ही मेरे कारण भी
तकलीफ म लग रहे थे।’ मेरे कमरे से चले जाओ, उ ह ने कहा।
‘आई एम सॉरी,’ मने यं वत् कह दया।
‘ए जाम म फेल होना, अपने पता पर च लाना, तुम एकदम सही दशा म जा रहे हो
बेटा,’ उ ह ने कहा। उनक आंख मुंद ई थ ।
‘म कुछ न कुछ ज र क ं गा। म आपको नराश नह क ं गा। म एक दन ज र
अमीर बनूंगा,’ मने कहा।
‘अमीर बनना आसान नह है। उसके लए ब त मेहनत करनी पड़ती है। ले कन तुम तो
मेहनत से जी चुराते हो,’ उ ह ने कहा।
म उ ह बताना चाहता था क मने अपनी ओर से खासी मेहनत क थी। आप बना
मेहनत के पचास हजारव रक हा सल नह कर सकते, फर चाहे उसका कोई भी य
मतलब न हो। म कहना चाहता था क म भीतर से टू टा आ महसूस कर रहा ं। म चाहता
था क वे इस बात को समझ पाएं क म फूट-फूटकर रोना चाहता था और य द वे मुझे
अपने सीने से लगा लेते ह तो इससे मुझे ब त अ ा लगेगा।
‘चले जाओ। जदगी के ये बचे-खुचे दन मुझे चैन से बता लेने दो,’ उ ह ने कहा।
म अपने कमरे म गया और चुपचाप बैठ गया। इतने साल म मने कभी अपनी मां को
मस नह कया था। ले कन, एआईईईई रज ट के इस दन म चाहता था क काश वे मेरे
साथ होत । मने वे छह एका ॉ ल स ठ क न कर पाने के लए खुद को ब त कोसा। म मन
ही मन ए जाम के दन को बार-बार दोहराता रहा, जैसे क मेरा दमाग समय म पीछे क
ओर या ा कर सकता है, उसी दन को फर से दोहरा सकता है, और म वहां जाकर अपनी
गलती सुधार सकता ं। पछतावा – शायद, पछतावे क भावना इंसान के सबसे बड़े
मै यूफे च रग डफे ट् स म से एक होगी। हम पछतावा करते रहते ह, चाहे उसक कोई
तुक न हो। म अपने ब तर म लेटा सोचता रहा।
आधी रात को म ल वग म म आया और आरती को कॉल कया।
‘अरे, तुम ठ क तो हो ना?’ उसक आवाज शांत थी।
उसे मेरे रज ट के बारे म पता था। फर भी उसने कॉल नह कया था। उसे पता था
क जब म उससे बात करने को तैयार होऊंगा, तभी उसे कॉल क ं गा। आरती मुझे ब त
अ तरह से समझती थी।
‘हम बोट पर बात करगे,’ मने कहा।
‘कल सुबह साढ़े चार बजे अ सी घाट पर,’ उसने कहा।
फोन के बाद म सोने चला गया। म लेटा रहा, ले कन न द न आई। म ब त दे र तक
करवट बदलता रहा। जब तक म बाबा के साथ अ े -से बात नह कर लेता, मुझे चैन नह
आने वाला था।
म उनके कमरे म गया। वे सो रहे थे। गम पानी क बोतल अब भी उनके सर पर थी।
मने बोतल उठाकर एक तरफ कर द । वे जाग गए।
‘आई एम सॉरी, बाबा,’ मने कहा।
उ ह ने कुछ नह कहा।
‘आप जो कहगे, म वो ही क ं गा। य द आप चाहते ह तो म एक बार फर को शश
क ं गा। म इंजी नयर बनकर दखाऊंगा, बाबा,’ मने कहा।
उ ह ने मेरे सर पर एक हाथ धर दया, मानो मुझे आशीवाद दे रहे ह । अब मेरे लए
अपनी भावना को थामकर रखना मुम कन नह था। म फूट-फूटकर रो पड़ा।
‘म ब त मेहनत क ं गा,’ मने कहा। आंसू मेरे गाल से होकर ढु लक रहे थे।
‘गॉड लेस यू। चलो, अब सो जाओ,’ उ ह ने कहा।

म सुबह साढ़े चार बजे अ सी घाट जा प ंचा। मेरा ना वक दो त फूलचंद मुझे च पू थमाते
ए मु करा दया। इतने साल म उसने मुझसे कभी एक पैसा नह लया था। म उसक
बोट एकाध घंटे के लए ले जाता था और बदले म उसे चाय और ब कट खरीदकर दे दया
करता था। जब क इतनी दे र नाव चलाने के लए फरंगी पांच सौ पए दे सकते थे।
कभी-कभी म फरं गय से अं ेजी म ब तयाने म उसक मदद कर दया करता था और
वह मुझे दस फ सद कमीशन दे दे ता था। हां, म इस तरह भी पैसा कमा सकता था।
शायद, ब त यादा नह , ले कन म इतना तो कमा ही सकता था क अपनी रोजी-रोट
कमा सकूं। काश, बाबा यह सब समझ पाते।
‘साढ़े पांच तक लौट आना, फूलचंद ने कहा।’ मेरी एक बु कग है। जापानी टू र ट् स।’
‘मुझे आधे घंटे से यादा समय नह लगेगा,’ मने वादा कया।
उसने खीस नपोर द ।’ तुम लड़क के साथ जा रहे हो, शायद तु ह व का पता ही न
चले।’
‘नह , ऐसा नह होगा।’
‘तु हारी उसके साथ से टग है?’ फूलचंद ने बोट क र सी खोलते ए कहा। छोटे शहर
म लड़का और लड़क के आपसी र त म, सभी क दलच ी होती है।
‘फूलचंद भाई, म आधे घंटे म लौट आऊंगा।’ मने कहा और बोट पर सवार हो गया।
मेरे खे जवाब पर फूलचंद ने यौ रयां चढ़ा ल ।
‘वह कूल के दन से मेरी लासमेट है। म उसे आठ साल से जानता ं,’ मने कहा।
वह मु करा दया। सुबह के नीमउजाले म उसके पान के दाग लगे दांत चमक रहे थे।
‘म जापानी टू र ट से बातचीत कराने म तु हारी मदद क ं गा हम दोन मलकर उनसे
नपट लगे,’ मने पतवार थामते ए कहा।
आरती घाट से बीस मनट आगे ना वक और सा धु क नजर से र मेरा इंतजार कर
रही थी। वह धीमे -से नाव पर चढ़ । म नाव को खेते ए तट से र ले गया।
‘चलो, उस तरफ चलते ह,’ उसने प म दशा क ओर इशारा करते ए कहा, जधर
अ धक शां त थी। पूव दशा म भीड़ भरे दशा मे ध घाट पर सुबह क आरती शु हो चुक
थी। माना जाता है क दशा मे ध घाट वह जगह है, जहां ह्मा ने दस अ मे ध य कए
थे और वह वाराणसी म गंगा तट पर होने वाली स भी धा मक ग त वाइ धय का क है।
म जैसे-जैसे नाव खेता चला गया, घं टय और मं ो ार क व नयां पीछे छू टती चली
गई। ज द ही हम केवल पानी म चल रहे चमु क ही आवाज सुन पा रहे थे।
‘लाइफ म ऐसा हो जाता है,’ आरती ने कहा।
भोर क करण के कारण उसके चेहरे पर पीली-सी रंगत थी। वह उसके लाल-
केश रया पट् टे से मैच कर रही थी।
मेरी बांह थकने लग । मने नाव खेना बंद कर दया और पतवार एक तरफ रख द ।
हमारी नाव गंगा नद के बीच म कह खड़ी थी। आरती उठ और मेरे पास आकर बैठ गई।
उसके चलने के कारण नाव जरा डगमगाई। हमेशा क तरह, उसने मेरी थक ई हथे लय
को अपने हाथ म लया और उ ह सहलाने लगी। फर उसने मेरी ठोढ़ पकड़कर मेरा चेहरा
अपनी तरफ कर लया।
‘मुझे डर लग रहा है, आरती, ‘मने धीमे-से कहा।
‘ य ?’
‘म जदगी म कभी कुछ हा सल नह कर पाऊंगा,’ मने कहा।
‘बकवास मत करो, उसने कहा।’ जो लोग एआईईईई म टॉप रक हा सल नह करते,
या वे जदगी म कुछ भी नह कर पाते?’
‘पता नह । मुझे लगता है जैसे... जैसे म हार गया ं। मने बाबा को नराश कया है।’
‘वे ठ क ह ना?’
‘वे चाहते ह क म एक बार फर को शश क ं । वे मुझे कसी भी क मत पर इंजी नयर
बनाना चाहते ह।’
‘ या तुम भी इंजी नयर बनना चाहते हो?’ आरती ने पूछा।
‘मेरे पता आईएएस म नह ह। मेरे दादा मं ी नह थे। म एक मामूली-से प रवार से ं।
हम खुद से इस तरह के सवाल नह पूछते क हम जीवन म या बनना चाहते ह। हम
अपनी रोजी-रोट अ े -से कमाना चाहते ह। इंजी नय रग से ऐसा हो सकता है मने जवाब
दया।
‘ कतनी द कयानूसी बात ह!’
‘अपना पेट भरना कभी आउट ऑफ फैशन नह हो सकता आरती मने कहा।
वह मु कराई और मेरी बांह पर अपना हाथ रख दया। मने उसे बांह म भर लया। मेरा
चेहरा उसके चेहरे के करीब था।
‘ या कर रहे हो?’ आरती ने मुझे धकेलते ए कहा।
‘म... म केवल...’
‘ऐसा मत करो आरती ने कठोरता से कहा। ‘तुम हमारी दो ती को बबाद कर दोगे।’
‘म तु ह ब त पसंद करता ं ‘मने कहा। म कहना चाहता था क म तु ह ब त यार
करता ं ले कन मुझम ऐसा कहने क ह मत नह थी।
‘म भी तु ह पसंद करती ं ‘उसने कहा।
‘तो तुम मुझे चूम य नह लेत मने कहा।
‘ य क म ऐसा नह करना चाहती। ‘उसने मेरी ओर दे खते ए कहा। ‘मुझे गलत मत
समझो। तुम कई साल से मेरे बे ट ड हो। ले कन म तु ह पहले भी कह चुक ं..’वह
चुप हो गई।
या?
‘म तु ह उस तरह से नह दे खती उसने अपनी बात पूरी क ।
म उससे र हट गया।
‘गोपाल लीज मुझे समझने क को शश करो। तुम पहले ही ड टब हो इस लए म
तु ह,..’
‘इस लए या आरती? तुम मेरी फ ल स को हट नह करना चाहत ?
वेल, तुम ऐसा कर चुक हो।’
मने घड़ी दे खी। 4.50 हो चुके थे। मुझे नाव लौटानी थी। मने फर से पतवार उठा ल ।
‘चलो तु हारे घर चलते ह मने कहा। उसने हामी भर द । घाट प ंचने तक हम खामोश रहे।
फूलचंद हम दे खकर मु करा दया ले कन जब मने नजर तरेरकर दे खा तो उसक मु कराहट
गायब हो गई।
हम नाव से नीचे उतरे।
‘तुम आज कुछ समय बाद घर आना चाहोगे?’ आरती ने कहा। ‘मुझसे बात मत करो
मने कहा।
‘तुम इ डयट क तरह बहेव कर रहे हो।’
‘म इ डयट ही ं और तुम यह जानती हो। इसी लए तो म एआईईईई लीयर नह कर
पाया मने कहा और उसक तरफ दे खे बना वहां से चला आया।
5

एआईईईई क ही तरह म जेईई भी लीयर नह कर पाया। राघव ने ज र जेईई लीयर


क और दे श भर म 1123व रक बनाई। इससे वह वाराणसी म एक मनी सेले ट बन
गया। अगले दन ानीय अखबार म उसके बारे म छपा था। वाराणसी के चार टू डट् स ने
जेईई ै क क थी, जनम से केवल राघव ही ऐसा था जो वाराणसी म रहता भी था। बाक
के तीन कोटा म रहते थे।
‘वे तीन कोटा य चले गए?’ बाबा ने अखबार पड़ते ए कहा। बाबा को अब मेरे
लूजर होने से कोई फक नह पड़ता था। मेरे ारा जेईई रक नह हा सल करने पर उ ह ने न
के बराबर त या क ।
‘कोटा आईआईट को चग लासेस क राजधानी है। हजार टू डट् स वहां जाते ह,
‘मने कहा।
हर साल एक हजार या सरे श द म कह तो कुल आईआईट सले स म से एक
तहाई छा के लए पइ मी भारत का यह छोटा-सा शहर ही ज मेदार होता है।
‘ या? ‘बाबा ने कहा। ‘ऐसा कैसे संभव है? ’
मने कंधे उचका दए। म अब एंटेरस ए जा स के बारे म बात नह करना चाहता था।
मुझे बारहव म 79 फ सद मा स मले थे। म इलाहाबाद यू नव सट से बीएससी कर
सकता था। पढ़ाई के लए इलाहाबाद से वाराणसी तक नय मत प से 120 कलोमीटर
सफर करना क ठन ज र था ले कन म इलाहाबाद जाकर भी रह सकता था और स ताहांत
म बाबा से मलने आ सकता था।
‘राघव कौन-सी आईआईट जॉइन कर रहा है?’
‘पता नह मने कहा। ‘बाबा या आप मुझे दो सौ पए दे सकते ह। मुझे कॉलेज
एड मशन फॉम खरीदना है।’
बाबा ने मेरी तरफ इस तरह दे खा जैसे मने उनके कलेजे म खंजर घ प दया हो। ‘तुम
एआईईईई के लए एक बार फर को शश नह करोगे?’ उ ह ने कहा।
‘म इलाहाबाद यू नव सट जॉइन क ं गा और वहां से एक बार फर को शश क ं गा
मने कहा।
‘तुम सरा कोस करते समय तैयारी कैसे कर पाओगे?’
‘म अपना एक साल बबाद नह कर सकता मने कहा और घर से बाहर चला गया।
मुझे राघव से मलना था। मने उसे बधाई तक नह द थी। यह सच है क जेईई म उसके
सले यान पर मुझे ब त खुशी नह ई थी। मुझे खुश होना चा हए था ले कन म आ
नह । ले कन आ खर हम दस साल से दो त थे। हम अपने दो त क खु शय म शरीक
होना चा हए। बहरहाल अब वह एक आईआईट यन होने जा रहा था जब क म कुछ भी
नह था। जाने य मुझे यह अ ा नह लग रहा था। मने उसके दरवाजे क घंट बजाते
समय नकली मु कराहट का अ यास कया। राघव ने दरवाजा खोला और सीधे मुझे गले से
लगा लया।
‘हे नाइस टु सी यू ‘उसने कहा।
‘कॉ सेट्स बॉस मने कहा। मेरे ह ठ फैल गए और मेरे दांत को दे खा जा सकता था।
‘अब म कह सकता ं क म एक सेले ट को जानता ं।’
म उसके घर म चला आया। भेल ारा दया गया एक सादा-सा तीन बेड म का
अपाटमट। डाइ नग टे बल पर अखबार फैले थे जनम उसके सले यान क खबर थ ।
राघव के पता सोफे पर बैठे थे और उनके साथ उनके कुछ र तेदार थे जो उनसे मलने
आए थे। वे उ ह मुबारकबाद दे ने आए थे। आ खर आईआईट रक ब त बड़ी उपल
होती है माउं ट एवरे ट पर चढ़ने या ेस मशन म शा मल होने के बराबर। म टर क यप
मुझे दे खकर र से मु कराए। शायद यह मेरी क पना ही रही होगी ले कन उनक
मु कराहट दे खकर मुझे लगा क ऐसी मु कान अपने से नीचे कद वाले लोग को द जाती
है। मुझे कोई शक नह था क अगर मुझे भी रक मली होती तो वे खड़े हो जाते और मुझसे
हाथ मलाते। बहरहाल फक तो उससे भी कुछ नह पड़ता। राघव और म उसके कमरे म
चले गए। म एक कुस पर बैठ गया और वह ब तर पर।
‘तो कैसा लग रहा है तु ह?’ मने कहा। म जानना चाहता था क उन टु पड रै स म से
एक हा सल करने पर कैसा लगता है जो आपको रात रात कोयले से हीरा बना दे ती ह।
‘अन बलीवेबल राघव ने कहा। ‘मने सोचा था क म शायद एआईईईई लीयर कर
पाऊंगा ले कन जेईई? वॉव
‘कौन-सी आईआईट म जा रहे हो?’ मने कहा।
‘म आईट -बीएचयू जॉइन क ं गा। मुझे अ ांच मल जाएगी और वह भी
वाराणसी म राघव ने कहा।
आईट -बीएचयू यानी बनारस ह यू नव सट का इं टट् यूट ऑफ टे नोलॉजी
वाराणसी का सबसे त त कॉलेज था। वह अपनी भत या जेईई के माफत
संचा लत करता था। ले कन उसक ांड है सयत आईआईट के बराबर नह थी।
‘बीएचयू य ?’ मने कहा।
‘म पाट टाइम जन ल म भी करना चाहता ं। यहां के अखबार म मेरे कॉ टै ट् स ह
राघव ने कहा।
जब लोग को कोई चीज त तरी म सजाकर पेश क जाती है तो वे उसक क नह
करते। न त ही राघव के मन म लेखक बनने क इ ा थी। कुछ अखबार म उसके कुछ
संपादक के नाम प और लेख भी छपे थे। बहरहाल मुझे उसक बात बेतुक लगी।
‘तुम एक हॉबी के लए आईआईट छोड़ दे ना चाहते हो?’ मने कहा।
‘जन ल म मेरी हॉबी नह पैशन है।’
‘ फर तुम इंजी नय रग य कर रहे हो?’
‘डै ड के लए और य ? मने उ ह कहा है क म बीएचयू इस लए जॉइन कर रहा ं
य क मुझे कं यूटर साइंस जैसी एक बेहतर ांच मल जाएगी। तुम उ ह कुछ मत
बताना।’
‘राघव तुम अब भी.
‘राघव!’बाहर से म टर क यप के च लाने क आवाज आई।
‘सॉरी मुझे जाना होगा राघव ने कहा। ‘बाद म मलते ह। आरती को भी बुलाना।
तु हारी मुझ पर एक पाट बकाया है।’
वह जाने के लए उठ खड़ा आ।
जब लोग कुछ हा सल कर लेते ह तो वे से फ ऑ से हो जाते ह। ‘जानना चाहते हो
अब म या करने वाला ं?’ मने बेपरवाही के साथ कहा।
राघव क गया। ‘ओह सॉरी। हां हां बताओ ना उसने कहा। पता नह उसे मेरी बात
सुनने म दलच ी थी या वह इसे एक बोझ समझ रहा था।
‘इलाहाबाद यू नव सट । म वहां से एक बार फर को शश क ं गा मने कहा।
‘अ ा याल है राघव ने कहा। ‘मुझे पूरा यक न है क तुम कुछ न कुछ ै क करोगे।
कम से कम एआईईईई तो ज र ही।’
जब लोग जेईई लीयर कर लेते ह तो वे ‘कम से कम एआईईईई तो ज र ही ‘जैसे
जुमल का इ तेमाल करने लगते ह।
म मु करा दया। ‘बाबा चाहते ह क म फर से को शश करने के लए पढ़ाई का एक
साल भी ड़ाँप कर ं ।’
‘हां तुम ऐसा भी कर सकते हो राघव ने कहा। उसके पता एक बार फर च लाए।
‘ठ क है अब जाओ ‘मने कहा। ‘अब म भी चलता ं।’
‘सी यू बडी। ‘राघव ने मेरा कं धा थपथपाते ए कहा।

‘नह बाबा मने कहा। ‘म कोटा नह जाऊंगा।’


बाबा ने मेरी जानकारी के बना पूरा एक ह ता कोटा पर रसच करते ए बताया था।
‘बंसल एंड रेजोनस आर बे ट उ ह ने कहा। ‘आपको कैसे पता?’
‘म रटायड ट चर ं। म पता लगा सकता ं।’
‘ ेट मने कहा।
‘म तु ह कोटा भेजने को तैयार ं। ट् यूशन के लए सालाना तीस हजार पए लगगे।
ल वग ए स ेस म महीने के तकरीबन तीन हजार खच ह गे तो बारह महीने का कतना
आ? तीस हजार लस छ ीस हजार...’बाबा ने फुसफुसाते ए कहा।
‘ छयासठ हजार!’मने कहा। ‘और एक साल का नुकसान भी। बाबा आपको या
लगता है हम कह के राजा-रजवाड़े ह?’
‘मेरे पास चालीस हजार का एक फ स डपॉ जट है जसके बारे म मने तु ह नह
बताया है बाबा ने कहा।’ पछले तीन साल म म जतनी बचत कर सकता था उतनी क है।
इतना पैसा शु आत के लए काफ है। बाक के लए हम कुछ बंदोब त करगे।’
‘तो हमारे पास जो थोड़ा-ब त पैसा है उसे हम ट् यूशंस पर उड़ा द? कसी रदराज के
इलाके म? वैसे कोटा है कहां?’
‘राज ान म। र है ले कन यहां से कोटा के लए सी धे टे रन है। बाइस घंटे का सफर
है।’
‘बाबा ले कन... म कॉलेज जॉइन य नह कर सकता? पैसा दे ना है तो उसके लए
द जए। कम से कम मेरे पास ड ी तो होगी।’
‘एक बेकार-सी ड ी हा सल करने म भला या तुक है? और बेहतर को चग के बना
तुम फर से को शश कैसे कर पाओगे? तुम कुछ ही मा स से एक अ रक हा सल करने
से चूक गए हो। शायद कोटा तु ह वे एका मा स हा सल करने म मदद करे।’
म कं यू था। मने कभी नह सोचा था क म सरी बार भी को शश क ं गा एक
साल के लए अपने शहर से इतनी र जाना तो र क बात है।
‘तु ह अपनी ओर से पूरी को शश करनी ही होगी। राघव को दे खो। उसक पूरी जदगी
अब सेट हो गई है बाबा ने कहा।
‘राघव को दे खो ‘हां यह नई दवाई अब वाराणसी के हर ब े के गले के नीचे उतारी जा
रही थी। ‘हम यह अफोड नह कर सकते मने अपने वचार को एकजुट करते ए कहा।
‘ फर यहां आपका याल कौन रखेगा? इलाहाबाद यहां से पास है। म हर ह ते यहां आ
सकता ं। आप भी वहां आ सकते है
‘म मैनेज कर लूंगा। वैसे भी घर का यादा काम तो म ही करता ं ना?’ बाबा ने कहा।
मने आरती के बारे म सोचा। न त ही बोट पर उसने मुझे ना कह दया था ले कन म
जानता था क वह मेरी कतनी फ करती है। ऐसा एक भी दन नह जाता था जब हम
आपस म बात न कर। उसी ने मुझे सुझाया था क म यहां के कसी कॉलेज म जाऊं और
मुझे अपने मा स के हसाब से एक अ ा कोस भी मल गया था। अब म उसे कैसे
बताऊंगा क म कोटा जा रहा ं?
न त ही म बाबा को वाराणसी म कने का यह कारण नह बता सकता था। ‘म वादा
करता ं क म अगली बार और यादा मेहनत क ं गा मने कहा।
‘तुम यहां घरेलू कामकाज ही करते रह जाआगे बाबा ने अचानक च लाते ए कहा।
‘तुम कोटा जा रहे हो।’
‘आपके पास चालीस हजार ह। बाक के पैस का बंदोब त कैसे होगा? और हम सफर
कताब एंटेरस ए जाम फ स जैसे खचा का भी बंदोब त कैसे करगे?’ मने कहा।
बाबा ने मुझे अपनी झु रय दार तजनी दखाई। उस पर सोने क एक मोट अंगूठ थी।
‘मुझे अब इस बेकार अंगूठ क कोई ज रत नह है उ ह ने कहा। ‘हमारे पास तु हारी मां
क भी कुछ वेलरी है।’
‘आप को चग लासेस के लए मां क वेलरी बेच दे ना चाहते ह?’
‘मने यह सब तु हारी प नी के लए बचा रखा था ले कन अगर तुम इंजी नयर बन गए
तो तुम उसके लए खुद ही यह सब खरीद सकते हो।’
‘और अगर आपक तबीयत खराब हो गई तो या होगा बाबा? हम यह सब मे डकल
इमजसी के लए बचाकर रखना चा हए।’
‘तुम इंजी नय रग कॉलेज जॉइन करोगे तो मेरी उ दस साल घट जाएगी बाबा ने हंसते
ए कहा। वे माहौल को थोड़ा ह का बनाने क को शश कर रहे थे। मने उनके चेहरे को
दे खा। उनका आगे का एक दांत गायब था ले कन उनक हंसी ही मेरे लए सब कुछ थी।
मने कोटा के बारे म सोचा। लगता तो यही था क कोटा क को चग लासेस वाकई ेस
ए जाम लीयर करने म टू डट् स क ब त मदद करती ह। फर मने सरी बात के बारे म
सोचा – कोटा म रहने के लए ज री पैसा अ न तता और जा हर है आरती से री।
‘अपने बाप के लए तुम इतना नह कर सकते? ‘उ ह ने कहा। ‘संभव होता तो म भी
तु हारे साथ कोटा चला जाता ले कन मेरे लए इतना लंबा सफर तय करना क ठन है। फर
हम अपने इस छोटे -से घर का रखरखाव भी करना होगा।’
‘ठ क है बाबा। य द म कोटा जाऊंगा तो अकेले ही जाऊंगा ‘मने कहा।
‘तु हारी मां भी यही चाहती थ क तुम इंजी नयर बनो।’
मने द वार पर मां क त वीर क ओर दे खा। वे खुश सुंदर और युवा नजर आ रही थ ।
‘अपने पता का यान रखना ‘मानो वे मुझसे कह रही ह ।
‘तुम कोटा जाओगे ना? ‘बाबा ने कहा।
‘य द इससे आपको खुशी मलती है तो हां।’
‘मेरा बेटा! ‘बाबा ने मुझे गले लगाया – एआईईईई के नतीजे आने के बाद पहली बार।

‘काले वाले दखाना, ‘आरती ने कानदार को बारह लॉथ हगस का एक सेट दखाते ए
कहा।
हम नादे शर रोड पर घरेलू सामान क एक कान म आए थे, ता क उन चीज क
खरीदारी क जा सके, जनक मुझे कोटा म ज रत पड़ने वाली थी।
‘म खरीदारी म तु हारी मदद कर रही ं इसका यह मतलब नह क तु ह वाराणसी से
जाता दे खकर मुझे खुशी हो रही है आरती ने कहा।
‘अगर तुम कह दो तो म अपना टकट रद्द करवा ं गा।’
उसने मेरे गाल पर अपनी हथेली रख द । ‘मुझे ब त बुरा लग रहा है क मेरा सबसे
अ ा दो त जा रहा है, ले कन तु हारे लए यही सही होगा।’
उसने हगस ले लए। उनक क मत पचास पया त सेट थी। ‘अंकल, म टॉवे स,
सोप डशेस और ढे र सरी चीज ले रही ं। आपको अ ा ड काउं ट दे ना चा हए।’
कानदार ने मुंह बनाया ले कन उसने इसे अनदे खा कर दया।
‘थक यू फॉर क मग। मुझे तो समझ ही नह आता क या लेना चा हए और या नह
मने उससे कहा।
‘तुमने खाना पकाने के बतन लए? भूल गए ना?’
‘म वहां खाना नह पकाऊंगा। ट फन बुलवा लूंगा।’
आरती ने मेरी बात अनसुनी कर द । वह बतन वाले से न क ओर गई और ट ल
का एक बड़ा-सा बडल उठा लया।
‘इमजसी के लए आरती ने कहा। ‘य द म तु हारे साथ कोटा जाती तो तु ह रोज अपने
हाथ से खाना पकाकर खलाती।’
उसने अपने गोरे हाथ म चमकदार बतन थाम रखा था। मेरे जेहन म यह त वीर क ध
गई क वह मेरे कचन म है और खाना पका रही है। आ खर आरती इस तरह क बात य
करती है? अब म उससे या क ं? ‘म अ े -से मैनेज कर -लूंगा मने कहा।
कानदार ने बल बनाया। आरती ने मेरी ओर दे खा। वह जब भी मुझे दे खती थी म
मं फ ध रह जाता था। वह दन-ब- दन और खूबसूरत होती जा रही थी।
एक छोट -सी लड़क जो अपनी मां के साथ शॉप पर आई थी आरती के पास आई।
‘ या आप ट वी पर आती ह?’
आरती ने अपना सर हलाया और मु करा द । फर वह कानदार क ओर मुड़ी।
‘अंकल ट् वट परसट ड काउं ट। ‘आरती अपने लु स को लेकर ब त सचेत नह थी। वह
बार-बार आईने म अपनी श ल नह दे खा करती थी न कभी मेकअप करती थी और यहां
तक क उसके बाल भी उसके चेहरे पर बखरे रहते थे। ले कन इससे वह और आकषक
लगती थी।
‘अब चल?’ उसने कहा।
‘ हाटे वर।’
‘ या आ?’
‘तुम जाते-जाते ऐसी बात कह जाती हो क अगर म भी तु हारे साथ कोटा चलती।’
‘म आ सकती ं। म डै ड को कह ं गी क म भी एक साल रपीट करना चाहती ं। यू
नेवर नो। ‘उसने अ ख मारते ए कहा।
मने उसक ओर दे खा। म उसक इस बात म गंभीरता क एक झलक तलाश रहा था।
या ऐसा मुम कन होगा?
‘ रयली?’ मने उसक बात पर लगभग भरोसा करते ए कहा।
‘म मजाक कर रही ं टु पड। मने तु ह बताया था ना। मने अ सेन कॉलेज म
साइकोलॉजी ऑनस के लए एनरोल कया है।’
‘मने सोचा क...’
‘तुम इतने बु य हो?’ वह यकायक ठहाका लगाकर हंस पड़ी। ‘ या कहा...?’ मने
कहा। उसने मेरे गाल ख चे। ‘ओह मने कहा और खुद को संभाला।
जा हर है वह कसी सूरत म कोटा नह आ सकती थी। म कोई बु इंसान नह ं। म
चीज को समझता ं। ले कन आरती मेरे सोचने-समझने क ताकत को कमजोर बना दे ती
थी। जब म उसके साथ होता था तो कुछ सोच नह पाता था।
मने सामान उठाया। मने दे खा क वह कानदार को पैसे दे रही है। ‘ को मने कहा।
‘पैसे म ं गा।’
‘रहने दो। चलो चलते ह उसने कहा। उसने मेरी कोहनी थामी और मुझे कान से बाहर
ले आई।
‘ कतना आ?’ मने अपना वॉलेट संभालते ए कहा।
उसने मेरा वॉलेट लया और मेरे शट क पॉकेट म ख स दया। फर उसने मेरे ह ठ पर
एक अंगुली रख द ।
आ खर लड् कयां ऐसे कं यूज करने वाले स न स य दे ती ह? उस दन बोट पर
उसने मुझे दोटू क जवाब दे दया था इसके बावजूद वह ये बो रग लॉ थ हगस खरीदने के
लए मेरे साथ कान तक आई और मुझे पे भी नह करने दया। वह दन म तीन बार मुझे
फोन कर पूछती है क मने खाना खा लया है या नह ? या वह वाकई मेरी फ करती है?

‘तुम सगरा पर नए डो मनो ाय करना चाहोगे? ‘उसने कहा।


‘घाट पर चल? ‘मने कहा।
‘घाट पर? ‘उसने कहा। वह च क ई थी।
‘वाराणसी से जाने से पहले म उसक मौजूदगी के अहसास को पूरी तरह जी लेना
चाहता ं।’
हम ल लता घाट क सी ढ़य क ओर बढ़ चले। दाई ओर भीड़ भरे दशा मे ध क
तुलना म यह घाट यादा शांत रहता है। हम एक - सरे के आमने-सामने बैठ गए और
सांझ के सूरज के साथ गंगा को रंग बदलते दे खते रहे। हमारे बाई ओर म णक णका घाट पर
कभी न बुझने वाली चता क लपट नजर आ रही थ । इस घाट का नाम शव के कण-
कुंडल के नाम पर रखा गया है। कहते ह एक बार नृ य के दौरान शव के कण-कुंडल यहां
गर गए थे। इस ान को शवदाह के लए सबसे प व माना जाता है।
उसने मेरी कोहनी को धीमे-से थामा। मने आजू -बाजू दे खा। कुछ टू र ट और सा धु
के अलावा वहां कुछ ानीय लोग भी थे। मने अपनी कोहनी छु ड़ा ली।
‘ या आ?’ उसने कहा।
‘ऐसा मत करो। यह ठ क नह है। खासतौर पर तु हारे लए।’
‘ य ?’
‘ य क तुम लड़क हो।’
उसने मेरी कोहनी पर चपत लगाते ए कहा ‘तो या आ?’
‘लोग बात करते ह। वे उन लड़ कय के बारे म अ बात नह करते जो घाट पर
लडु क क कोह नयां थामकर बैठ रहती ह।’
‘हम केवल ब त अ े दो त ह उसने कहा।
मुझे इस वा य से नफरत थी। म उसे बताना चाहता था क उसक जदगी म मेरी या
जगह है हालां क म हमारे र ते म कडु वाहट भी नह घोलना चाहता था। ‘ले कन अब म
जा रहा ं ‘मने कहा।
‘तो? हम टच म रहगे। एक- सरे से बात करगे। हम नेट पर चैट भी कर सकते ह।
कोटा म सायबर कैफे ह है ना?’
मने सर हला दया।
‘ऐसे उखड़े -उखड़े मत नजर आओ उसने कहा। हमने र मं दर क घं टयां बजते
सुन । शाम क आरती शु होने वाली थी।
‘तु हारी ॉ लम या है?’ मने कहा।
‘कौन-सी ॉ लम?’
‘हमारे बारे म। दो ती से आगे हमारे र ते के बारे म?’
‘ लीज गोपाल। फर नह ।’
म चुप हो गया। हम र से शाम क आरती दे खते रहे। दजनभर पुजारी बड़ी-बड़ी
द पब यां लए एक सुर म इस तरह गा रहे थे जैसे गायक पृ भू म म गुनगुनाते ह।
पुजा रय के आसपास सैकड़ टू र ट थे। वाराणसी के घाट क आरती को आप चाहे
जतनी बार दे ख ल वे हमेशा आपको स मो हत कर लेती ह मेरे पास बैठ आरती क तरह।
उसने मोरपं खया सलवार-कमीज और मछली के आकार क चांद क ईयर र स पहनी
थ।
‘म उस तरह से महसूस नह करती गोपाल उसने कहा।
‘मेरे बारे म?’
‘ कसी के भी बारे म। और मुझे हम दोन के बीच का यह र ता अ ा लगता है। या
तु ह नह अ ा लगता?’
‘मुझे भी अ ा लगता है। ले कन अब म जा रहा ं। अगर हम कोई क मटमट करते तो
या यह अ ा नह होता?’
‘क मटमट? गोपाल अभी हमारी उ ही या है!’वह हंस पड़ी। फर वह उठ खड़ी ई।
‘चलो तु हारी या ा शुभ रहे इसके लए नद म द ये बहाते ह।’
बात बदलने म लड़ कय का कोई सानी नह है।
हम नद क ओर चले गए। उसने पांच पए म छह चलते ए द य का एक सेट
खरीदा। उसने एक द या मेरी ओर बढ़ाया। फर उसने एक द या नद म बहा दया। मेरा
हाथ थामे ए उसने कहा ‘चलो तु हारी कामयाबी के लए साथ-साथ ाथना करते ह।’
‘जो तुम चाहते हो कोटा म वह तु ह मले उसने आख बंद करते ए कहा।
मने उसक ओर दे खा। जो म वा तव म चाहता था वह कोटा म नह था उसे तो म यहां
वाराणसी म अपने पीछे छोडे जा रहा था...

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कोटा

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6

कोटा प ंचने के लए मुझे खचाखच भरी ारका ए स ेस म 23 घंटे सफर करना पड़ा।
मने वनीत को ईमेल कया था। वनीत वाराणसी का लड़का था जसने पछला साल
कोटा म बताया था। मने को चग लासेस के बारे म जानकारी हा सल क । बंसल एंड
रेजोनस सबसे जानी-मानी को चग लास थी। बहरहाल वे टू डट् स क क नग खुद अपने
टे ट से करते थे। य द म बंसल एंड रेजोनस म दा खल होने म कामयाब नह हो पाता तो
कोटा म उससे कमतर और अनेक को चग लासेस थ जनम मेरे जैसे लूजस पढ़ाई कर
सकते थे।
बहरहाल को चग लास खोजने से पहले मुझे रहने क जगह का बंदोब त करना था।
वनीत ने मुझे पेइंग गे ट सु वधा वाले कुछ घर के बारे म बताया था। मने रेलवे टे शन से
एक ऑटो पकड़ा और कहा ‘बंसल लासेस के पास महावीर नगर म गाय ी सोसायट
ब ग चलो।’
ऑटो कोटा क धूलभरी सड़क पर दौड़ता रहा। वह भारत के कसी भी अ य छोटे
शहर जैसा लग रहा था जहां ब त ै फक और षण होता है और टे लीकॉम अंडर वयर
और को चग लासेस के ज रत से यादा हो ड स होते ह। म सोचने लगा क आ खर इस
जगह म ऐसा या खास था। आ खर यह शहर नया क सबसे त धा मक परी ा
पास करने म हजार व ा थय क कैसे मदद कर पाता है?
‘आईआईट या मे डकल?’ ऑटो ड़ाइवर ने पूछा। उसके बाल सफेद थे और उसके
दांत के रंग से मेल खाते थे।
म समझ गया क कोटा म या खास था। यहां के सभी लोग को -ऐस ए जा स के बारे
म जानकारी होती है।
‘आईआईट , ‘मने कहा।
‘बंसल बे ट है। ले कन उनक एं स ए जाम अगले ह ते शेड्यू है।’
‘तु ह यह सब पता है?’ म ड़ाइवर के नॉलेज से हैरान था।
वह हंस पड़ा। उसने पीछे मुड़ते ए कहा ‘मेरी पूरी फै मली एजुकेशन बजनेस म है।
मेरी वाइफ ट फन बजनेस चलाती है। तु ह ट फन क ज रत है?’
मने सर हला दया।
‘मेरा नाम शंकर है। म अलवर से ं ‘उसने कहा। उसने ीज म सना अपना हाथ आगे
बढ़ाया।
मने उससे जरा-सा हाथ मलाया। ‘म गोपाल ं वाराणसी से।’
उसने मुझे ट फन स वस के लए एक बजनेस काड दया। दन म दो बार के खाने के
लए पं ह सौ पया तमाह।
‘आपके खान-पान क चता हम करने द जए। आप केवल पढ़ाई क जए ए जाम
ब त क ठन है।’
‘कौन-सा ए जाम?’ मने कहा।
‘आईआईट के लए जेईई। या गोपाल भाई हम इतने अनएजुकेटे ड भी नह ह।’

हम गाय ी सोसायट कंपाउं ड प ंचे। एक जंग लगा लोहे का दरवाजा अपाटमट् स के जजर
लॉक क पहरेदारी कर रहा था। सफाई करने के मकसद से एक वीपर अपनी
वशालकाय झाडू क मदद से हवा म धूल का गुबार उड़ा रहा था। म ब ग के -हंस पर
बनी छोट -सी गाड पो ट पर गया। भीतर एक वॉचमैन बैठा था।
‘ कससे मलना है?’ वॉचमैन ने कहा।
‘मुझे एक कमरा कराये से चा हए, ‘मने कहा।
वॉचमैन ने मुझे ऊपर से नीचे तक दे खा। फर उसने मेरे खचाखच भरे फटे -पुराने दो
सूटकेस दे खे। एक म कपड़े भरे थे और सरे म वे कताब जो मुझे जदगी म कोई भी
मुकाम दला पाने म नाकाम रही थ । मेरे कंधे पर लटके झोले म वह सामान था, जो आरती
ने मुझे खरीदकर दया था। म उसे मस कर रहा था। म सोच रहा था क या मुझे यहां
कोई एसट डी बूथ मलेगा, जहां जाकर म उसे फोन लगा सकूं।
‘आईआईट या मे डकल? ‘वॉचमैन ने सैनी रगड़ते ए कहा। कोटा के लोग तब तक
बाहरी लोग को अपने यहां नह रखते जब तक वे यह नह जान लेते क वे यहां या करने
आए ह।
‘आईआईट मने कहा। म चाह रहा था क वह अपने लए नको टन का बंदोब त करने
के बजाय मुझे थोड़ी और तव ो दे गा।
‘फ ट टाइम है या रपीट कर रहे हो?’ वॉचमैन ने अगला सवाल दागा। वह अब भी मेरी
ओर नह दे ख रहा था।
‘ या इससे कोई फक पड़ता है?’ मने कहा। अब म खीझ रहा था।
‘हां फक पड़ता है उसने कहा और अपने मुंह म सैनी उड़े ल द । ‘य द तु हारा फ ट
टाइम है तो तुम एक कूल भी जॉइन करोगे और अ धकतर समय घर से बाहर रहोगे।
ले कन रपीटस केवल को चग लासेस के लए बाहर जाते ह। उनम से कई तो दनभर
सोते रहते ह। कुछ मकान मा लक को यह पसंद नह है। इस लए मुझे सही-सही बताओगे
तो म तु ह सही जगह दखा सकता ं।’
‘ रपीटर मने कहा। पता नह य यह कहते ए मेरी नजर झुक गई। मेरा याल है क
जब आप कसी एंटेरस ए जाम म फेल हो जाते ह तो सैनी चबाने वाले वॉचमैन के सामने
भी खुद को छोटा महसूस करने लगते ह।
‘हे भगवान एक और रपीटर वॉचमैन ने कहा। ‘कोई बात नह म को शश क ं गा।
पहले मेरी फ स तय कर लेते ह।’
‘ या?’ मने कहा।
‘म महीने भर के कराये का आधा लेता ं। तु हारा बजट या है?’
‘दो हजार पया महीना।’
‘बस इतना ही?’ वॉचमैन ने कहा। ‘चार हजार तक का बजट बनाओ। म तु ह एक
ब ढ़या शेयड एयर कंडीशंड म दला ं गा।’
‘म इतना खच अफोड नह कर सकता मने कहा।
वॉचमैन उपहासपूण तरीके से मु कराया जैसे क कसी ने कसी पांच सतारा बार म
दे शी ठरा मांग लया हो।
‘ या?’ मने कहा। म सोच रहा था क या मुझे कोटा म अपनी पहली रात सड़क पर
बतानी होगी।
‘आ जाओ उसने कहा। उसने दरवाजा खोला और मेरे सूटकेस अपने के बन म रखवा
लए। वह पहले अपाटमट लॉक क सी ढ़यां चढकर ऊपर चला गया।
‘ सरे लडु क के साथ शेयर करोगे? एक म है वॉचमैन ने कहा। ‘कर सकता ं ‘मने
कहा ‘ले कन म पढ़ाई कैसे क ं गा? मुझे ाइवेट कमरा चा हए, चाहे छोटा ही सही।’
सवाल पढ़ाई का नह था म अकेला रहना चाहता था।
‘ओके फ य लोर पर चलो वॉचमैन ने कहा।
हम तीन मं जल और चढ़े । थकान के कारण म हांफने लगा। बेहद गम क वजह से भी
द कत हो रही थी। ‘कोटा ब त गम शहर है ज द से ज द इस मौसम के आद हो जाओ
वॉचमैन ने कहा।’बाहर तो गम के मारे जान ही नकल जाती है। इसी लए यह घर म
घुसकर रहने और पढ़ाई करने के लए एक अ जगह है।’
हम चौथी मं जल पर प ंचे। म अब भी हांफ रहा था। ले कन वॉचमैन लगातार बोले
चला जा रहा था। ‘तो तुम वाकई पढ़ाई करना चाहते हो या बस यूं ही...’वह कहते-कहते
क गया।
‘बस यूं ही या?’ मने कहा।
‘टाइमपास। कई टू डट् स यहां इस लए आते ह य क उनके पैरट् स उ ह यहां भेज
दे ते ह। वे जानते ह क वे पास नह हो पाएंगे। ले कन यहां आने के कारण वे कम से कम
एक साल तक अपने पैरट् स क झड़ कय से तो मु पा जाते ह उसने कहा।
‘म पास होना चाहता ं और म पास होकर ही र ंगा मने कहा उससे यादा अपने आप
से।
‘गुड। ले कन य द तु ह बीयर या सगरेट जैसी चीज क ज रत हो तो मुझे बताना।
इस हाउ सग सोसायट म इस सब क इजाजत नह है।’
‘तो?’
‘जब तक बरजू तु हारा दो त है तु ह फ करने क कोई ज रत नह है। ‘उसने मुझे
अ ख मारते ए कहा।
हमने पांचव मं जल पर मौजूद लैट क घंट बजाई। एक बुजुग म हला ने दरवाजा
खोला।
‘ टू डट, ‘वॉचमैन ने कहा।
म हला ने हम भीतर आने दया। कमरा दवाइय और नमी क गंध से भरा था। वॉचमैन
ने मुझे वह कमरा दखाया जो कराये पर दे ना था। म हला ने एक टोर म को टडी और
बेड म म कनवट कर दया था। कमरा इतना छोटा था क उसम हम तीन लोग मु कल से
ही खड़े हो पा रहे थे।
‘पढ़ाई के लए यह परफे ट है,’ वॉचमैन ने कहा, जसने शायद अपने जीवन म एक
दन भी पढ़ाई नह क होगी। ‘यह कमरा ले लो, यह तु हारे बजट म भी है।’
मने सर हला दया। कमरे म खड़ कयां नह थ । बुजुग म हला या तो बहरी थी या
बद मजाज, या शायद दोन ही। पूरे समय उसका मुंह बना रहा। म यहां नह रहना चाहता
था। आ खर म वाराणसी म य नह पढ़ाई कर सकता था? आ खर इस जगह म ऐसा या
खास था? म ज द से ज द कोटा से चले जाना चाहता था।
म लैट से बाहर चला आया। वॉचमैन दौड़ा–दौड़ा मेरे पीछे आया।
‘य द तुम ऐसे ही नखरे दखाते रहोगे तो तु ह कुछ नह मलेगा।’
‘तो म वाराणसी लौट जाऊंगा,’ मने कहा।
मने सोचा क य द मने छह और म ट पल– चॉइस वे ंस के जवाब दे दए होते तो
मेरी जदगी कतनी अलग होती। मने राघव के बारे म सोचा जो शायद इस व बीएचयू
कै स म अपना ओ रएंटेशन अटड कर रहा होगा। मने आरती और हमारी दली बातचीत
के बारे म सोचा। मने बाबा क खराब सेहत और इस कूड़ागाह म मुझे झ क दे ने क उनक
ढ़ इ ा के बारे म सोचा। मेरा गला ं ध गया। म सी ढ़यां उतरने लगा।
‘या अपना बजट बढ़ाओ,’ वॉचमैन ने मेरे पीछे आते ए कहा।
‘म ऐसा नह कर सकता। मुझे खाने और को चग लासेस के लए भी पैसा बचाना
है,’ मने कहा।
अब हम ाउं ड लोर पर आन प ंचे थे। ‘पहली बार घर से बाहर नकले हो?’ वॉचमैन
ने कहा, ‘अपनी मां को याद कर रहे हो?’
‘वे अब इस नया म नह ह,’ मने कहा।
‘उनक मौत हाल ही म ई है?’ वॉचमैन ने पूछा। कुछ लोग को अजन बय से
नयाभर के सवाल पूछना ब कुल सामा य लगता है।
‘उनक मौत चौदह साल पहले हो गई थी,’ मने कहा।
म गाड क पो ट पर आया और अपने बै स उठा लए। ‘थक यू, बरजू,’ मने कहा।
‘अब तुम कहां जाओगे? कोई शेयड म ले लो,’ उसने अनुरोध करते ए कहा।
‘अभी तो म कसी स ती–सी होटल म बसेरा बनाऊंगा। मुझे अकेले रहने क आदत है।
म ज द ही कोई न कोई रा ता नकाल लूंगा।’
बरजू ने मुझसे सूटकेस लए और उ ह नीचे रख दया। ‘मेरे पास एक अ ा कमरा
है,’ उसने कहा, ‘तुमने जैसा कमरा दे खा है, उससे दोगुना बड़ा। उसम खड़ कयां भी ह
और एक बड़ा पंखा है। एक रटायड दं पती वहां रहते ह। वह तु हारे बजट म होगा...’
‘ फर तुमने वह मुझे पहले य नह दखाया?’
‘उसके साथ एक ॉ लम है।’
‘ या?’
‘उस घर म कसी क मौत ई थी।’
‘कौन?’ मने कहा। मेरे लए यह कोई बड़ी बात नह थी। म वाराणसी से था, जहां पूरी
नया अपने आ खरी दन बताने के लए आती है।
‘वहां कराये से रहने वाला एक टू डट। वह पास नह हो सका तो उसने आ मह या
कर ली। यह दो साल पुरानी घटना है, ले कन वह कमरा तभी से खाली पड़ा है।’
मने कुछ नह कहा।
‘अब समझे, मने तु ह पहले उसके बारे म य नह बताया था,’ बरजू ने कहा।
‘म वह कमरा लूंगा,’ मने कहा।
‘वाकई?’
‘मने ताउ लाश को जलते और नद म तैरते दे खा है। य द कसी लूजर ने फांसी लगा
ली तो इससे मुझे कोई फक नह पड़ता।’
वॉचमैन ने मेरे सूटकेस उठा लए। वह तीसरे लोर पर अगले लैट म चला गया। वहां
एक दं पती रहते थे, जनक उ साठ पार कर चुक थी। उनका घर चकाचक साफ रहता
था। टु –लेट म म एक बैड, टे बल, कबड और पंखा था।
‘पं ह सौ,’ मने कहा। वॉचमैन ने मुझे डट लुक द ।
बुजुग दं पती ने एक– सरे क ओर दे खा।
‘मुझे पता है यहां या आ था और मुझे उससे कोई फक नह पड़ता,’ मने कहा।
बुजुग ने सर हलाया। ‘म आरएल सोनी ं, म पीड यूडी म काम करता था।’
उ ह ने अपना हाथ आगे बढ़ाया।
मने स ती के साथ उनसे हाथ मलाया। ‘म गोपाल ं, आईआईट रपीटर। और इस
बार मेरा पास होने का इरादा है,’ मने कहा।
7

मने ोशर को ब तर पर फका और अपने जूते और जुराब नकाल लए। मने पूरा दन
अलग– अलग को चग कू स के च कर काटते ए बताया था। दोपहर के तीन बजे थे
और ऐसा लग रहा था जैसे मेरे कमरे म बस आग ही लगने वाली हो।
म टर सोनी ने धीमे–से मेरे कमरे के दरवाजे पर द तक द । ‘तु हारा लंच,’ उ ह ने
कहा और मेरी टडी टे बल पर ट फन रख दया।
मने कृत ता म सर हलाया। गम इतनी थी क खुशी–खुशी अ भवादन करने का जी
न आ। मने अपने रहने और खाने का बंदोब त कर लया था। बहरहाल, कोटा म मेरी
सबसे बड़ी चुनौती, आरती के याल से जूझने के अलावा, यह थी क म कसी अ े
टडी ो ाम म एनरोल क ं । मेरे पछले तीन दन हर को चग कूल के च कर काटते ए
ही बीते थे। मने उन को चग कू स के इन बुलंद दाव को बदा त कया क वे कसी भी
उ लू के पट् ठे को आईआईट यन बना सकते ह। मने उनके बेहद लचीले (और न त ही
बेहद महंगे) फ स चर पर नजर दौड़ाई। बंसल, रेजोनस और कै रयर पाथ हर कसी क
टॉप चॉइस लगते थे। इन सभी के अपने खुद के क ठन –ऐस ए जा स थे। वा तव म अब
कोटा म ऐसी छोट को चग कान भी थ , जो इन टॉप को चग लासेस म दा खल होने म
आपक मदद कर सकती थ और वे टॉप को चग लासेस कसी इंजी रय रग कॉलेज म
दा खल होने म आपक मदद करती थ । एक बार वहां प ंच जाने के बाद आप इंजी नयर
बनने के लए जी तोड़ पढ़ाई करते ह। न त ही ब तेरे इंजी नयर एमबीए भी करना चाहते
ह। लहाजा, को चग लास का यही दौर एक बार फर शु हो सकता है। मेरे जैसे हर
मामूली भारतीय छा को एक अ ा जीवन बताने के लए टे ट् स, लासेस, चयन और
तैयारी के इस पेचीदे भंवर से होकर गुजरना ही पड़ता है। नह तो मुझे वॉचमैन बरजू जैसा
कोई जॉब करने या इससे भी सरल श द म क ं तो मुझसे पहले मेरे कमरे म रहने वाले
मनोज द क तरह खुद को फांसी के फंदे पर लटका दे ने के लए तैयार रहना होगा।
मने पंखा चलाया। यह वही पंखा था, जस पर लटककर मनोज जीवन के एं स
ए जाम से बाहर हो गया था। पंखा गम हवा को ही फर से कमरे म फक रहा था।
‘घर पर फोन लगाया था?’ म टर सोनी ने पूछा।
‘हां,’ मने कहा। म टर सोनी मुझसे दन म कम से कम दो बार यह सवाल पूछते थे।
मुझे लगता है मनोज द अपने घर अ सर फोन नह लगाता होगा और शायद यही उसके
अकेलेपन और अवसाद का कारण रहा होगा।
‘उ ह अपने बारे म बताते रहना, ठ क है? तु ह अपने पैरट् स से यादा कोई यार नह
कर सकता,’ म टर सोनी ने कमरे से बाहर नकलते ए कहा।
मने दरवाजा बंद कर दया और अपनी कमीज नकाल ली। मुझे नाव चलाए दस दन
हो गए थे। मुझे लग रहा था जैसे मेरी बांह ढ ली पड़ गई ह । म कसरत करना चाहता था,
ले कन पहले मुझे ढे र ोशस पड़ डालने थे।
मने वा तव म दन म दो बार बाबा को फोन लगाया था। वे ठ क ही लग रहे थे। मने
उ ह बताया था क मने अगले साल के लए तैयारी शु कर द है, जब क मने अभी तक
कताब भी खोलकर नह दे खी थी। मुझे इसक फ भी नह थी। म जस भी को चग
लास को जॉइन करता वह मुझसे ज द ही कड़ी मेहनत करवाने वाली थी।
म पहले आरती से बात करना चाहता था। मने उसे चार बार फोन लगाया था, ले कन
एक बार भी उससे बात न हो सक । पहली दो बार उसक मां ने फोन उठाया था। उ ह ने
मुझे बताया था क एक बार तो आरती अपने दो त के साथ बाहर गई थी और सरी बार
अपने कॉलेज का एड मशन फॉम जमा करने के लए। मने अगले दन भी उसे दो बार फोन
लगाया और इस बार भी दोन ही बार उसक मां ने फोन उठाया। मने बना कुछ कहे फोन
रख दया। म नह चाहता था क आरती क मां उससे कहे क आ खर यह लड़का तु ह
इतनी र होने के बावजूद बार– बार फोन य लगाता है? इससे अ ा असर नह पडता
है। आरती ने कहा था क वह ज द ही एक सेलफोन ले लेगी। म भी यही चाहता था। ऐसा
लगता था क आजकल हर के पास सेलफोन है, अमीर के पास तो न त ही।
आरती के पास मुझे फोन लगाने के लए कोई नंबर नह था। मुझे ही कल फर को शश
करनी थी।
मने हरे रंग का ोशर उठाया। कवर पर नया के कुछ सबसे बदसूरत लोग के फोटो
थे। ये उस इं टट् यूट के आईआईट टॉपस थे। उ ह ने टू थपे ट का व ापन करने वाले
मॉड स से भी यादा खीस नपोर रखी थ , अलब ा उनके दांत इतने अ े नह थे।
चूं क व जाया करना मेरा सबसे पसंद दा शौक था, इस लए म शाम को ोशस क
आपस म तुलना करना रहता था। नह , म कोस मटे रयल, स सेस रेट्स या फ स चस
क तुलना नह करता था, य क सभी तो अपने आपको इन े म सव े बताते थे। म
उनके सबसे सफल टू डट् स क त वीर क तुलना कया करता था, कसके यहां सबसे
बदसूरत लड़का है, कसके यहां सबसे वरट लड़क है, वगैरह–वगैरह। इस सबका कोई
मतलब नह था, ले कन मेरे कोटा म होने का भी तो कोई मतलब नह था।
मने बंसल का ोशर दे खा, जो क कोटा के इस लोक का अमृत पा था। बसलाइट् स
कोटा के कूल टू डट् स आ करते थे। मुझे बंसल का ही इ तहान पास करना था। ले कन,
तीन दन बाद होने वाले टे ट के लए मेरी न के बराबर तैयारी थी। वा तव म, अनेक को चग
लासेस के ए जा स एक ह ते के भीतर ही होने वाले थे। अगले ए जा स एक महीने बाद
थे। अब मुझे कसी न कसी को जॉइन करना ही था। य द म अब भी कुछ नह करता तो म
मनोज द से भी अ धक तेजी से पागल हो सकता था।
हर इं टट् यूट ए लकेशन फॉम के लए हजार पए मांग रहा था। चाहे वे आपको
सले ट कर या न कर, चाहे आप जॉइन कर या न कर, फ स चुकानी ही थी। मेरे पास
पचास हजार पए थे और बाबा ने मुझसे वादा कया था क छह महीने बाद वे मुझे और
पैसा दगे। मेरे पास सी मत सं या म पैसा था, इस लए मुझे उसे ब त चु नदा तरीके से ही
खच करना था।
मने पांच को चग इं टट् यूट्स को शॉट ल ट कया – बंसल, कै रयर पाथ, रेजोनस,
और दो नए व इन तीन क तुलना म अ धक स ते – एम – आईआईट और
कै रयरइ नाइट।
एम – आईआईट के ोशर पर लखा था – हम हर टू डट के इस लोकतां क
अ धकार म व ास करते ह क उसे को चग मले, इस लए हम एं स ए जा स नह लेते।
यानी इसका मतलब यह था क एम – आईआईट े को चग लासेस क ेणी म
शा मल नह था। अगर वे अपने ोशर पर यह लखते तो भी चलता – ‘य द आपके पास
नगद पया है तो आपका वागत है।’
मने अपनी बाक क शाम उबाऊ और दोहराव से भरे फॉ स भरते ए बताई। म खुद
को यह कहते ए े रत करता रहा क म डनर से पहले एक बार फर आरती से बात करने
क को शश क ं गा।

शाम सात बजे म ईव नग वॉक के लए बाहर नकल आया। सड़क उन पढ़ाकू टू डट् स से
भरी पड़ी थ , जो ताजा हवा क अपनी रोजमरा क खुराक लेने बाहर नकल आए थे।
मुझे एक एसट डी बूथ नजर आया।
‘हैलो?’ म टर धान क रौबदार आवाज सुनाई द । मने फौरन फोन काट दया।
एसट डी बूथ का मीटर जरा– सा घराया।
‘तु ह पे करना पड़े गा,’ कानदार ने उखड़े ए ढं ग से कहा। मने सर हला दया।
मुझे कसी से बात करने क ज रत महसूस हो रही थी। म बाबा को सुबह फोन लगा
चुका था। मने राघव को कॉल कया।
‘राघव, म बोल रहा ं। गोपाल। कोटा से,’ मने कहा। मने अं तम श द को कोमलता से
कहा था।
‘गोपाल! ओह, वॉव, हम तु हारे बारे म ही बात कर रहे थे,’ राघव ने कहा।
‘मेरे बारे म? रयली? कसके साथ?’ मने कहा।
‘आरती यहां है। तुम कैसे हो, मैन? कोटा म कैसा लग रहा है? वी मस यू।’
‘आरती तु हारे यहां है?’ मने उलझन भरे मन से पूछा।
‘हां, वह चाहती थी क म कोस चुनने म उसक मदद क ं । वह साइकोलॉजी को
लेकर मन नह बना पा रही है।’
आरती ने बीच म राघव से फोन झपट लया।
‘गोपाल! कहां हो तुम?’
‘कोटा म, और कहां। मने तु ह फोन लगाया था,’ मने कहा। म उससे पूछना चाहता था
क वह राघव के यहां य आई है। बहरहाल, यह मुझे बातचीत शु करने का सबसे
अ ा तरीका नह लगा।
‘ फर तुमने बाद म फोन य नह लगाया? मेरे पास तु ह कॉल करने के लए कोई नंबर
तक नह है,’ उसने कहा।
‘म अपने लडलॉड से पूछूंगा क या म उनके फोन पर अपने कॉ स रसीव कर सकता
ं। घर कब जाओगी? मुझे तुमसे बात करना है।’
‘अभी बोलो ना। या बात है?’
‘अभी म कैसे बात कर सकता ं?’
‘ य ?’
‘तुम राघव के साथ हो मने कहा।
‘तो?’
‘तुम राघव के यहां या कर रही हो?’
‘कुछ नह । बस यूं ही।’
जब लड़ कयां ‘बस यूं ही’ जैसे गोल–मोल श द का इ तेमाल करती ह, तो उसके
कारण हम सीधे–सीधे कुछ चताएं होने लगती ह। या शायद ऐस न हो, मेरा दमाग ही कुछ
यादा सोच रहा हो।
‘मुझे अपने लए एक कोस चुनना है। साइकोलॉजी क ं या बीएससी होम साइंस?’
उसने कहा।
‘तुम या करना चाहती हो?’ मने कहा।
‘म एयर हो टे स बनने से पहले अपना ेजुएशन पूरा कर लेना चाहती ं। म केवल
इसी लए यह कर रही ं। मुझे एक सीधा–सरल कोस चा हए।’
‘ओह, तो एयर हो टे स बनने के तु हारे इरादे अभी भी बरकरार ह,’ मने कहा।
‘वेल, राघव कहता है क हम इतनी ज द सपने दे खना नह छोड़ दे ना चा हए। शायद
बीएससी होम साइंस यादा बेहतर होगा, है ना? यह कुछ–कुछ हॉ टै लट इंड से
मलता–जुलता है। या मुझे अ सेन छोड़कर होटल मैनेजमट जॉइन कर लेना चा हए?’
म चुप रहा। राघव उसे सलाह–मश वरा दे रहा है? आ खर वह है कौन? कै रयर
काउं सलर? या एक स ड़यल जेईई रक हा सल कर लेने भर से उसे वचन दे ने का
लाइसस मल गया है?
‘बोलो ना, गोपी,’ आरती ने कहा। ‘आई एम सो कं यू ।’ फर मने उसक दबी ई
खल खलाहट सुनी।
‘ या बात है?’ मने कहा।
‘राघव एक एयर हो टे स क नकल कर रहा है। उसके पास े भी है,’ उसने मजे लेते
ए कहा।
‘म तु ह बाद म फोन लगाता ं,’ मने कहा।
‘ओके, ले कन बताना ज र क मुझे कौन–सा कोस लेना चा हए,’ उसने कहा। अब
उसक आवाज ज र कुछ गंभीर लग रही थी।
‘राघव से पूछो, वह बेहतर टू डट है,’ मने कहा।
‘कम ऑन, गोपी। तुम नॉनसस बात कर रहे हो।’
‘हम तब बात करगे, जब तुम अकेली होओगी,’ मने कहा।
‘कल इसी समय मुझे फोन लगाना।’
‘ओके, बाय।’
‘बाय,’ आरती ने कहा।
‘आई मस यू,’ मने कहा। शायद मुझे यह कहने म एक पल क दे री हो गई थी। मुझे
जवाब म केवल एक लक क आवाज सुनाई द ।
म अपने कमरे पर लौट आया, जहां मेरा डनर ट फन और ोशस मेरी राह दे ख रहे थे।
म सोचने लगा क आरती राघव के यहां है और हंसी–ठ ा कर रही है। मेरे भीतर कुछ
सुलगने लगा।
मने उखड़े मन से एक ोशर उठाया। शे वग कट से एक लेड नकाली, आईआईट –
सले टे ड टू डट् स के कवर च काटे और उ ह पुजा–पुजा कर दया।

बंसल लासेस वाराणसी के छोटे –से अपाटमट म लगने वाले मामूली ट् यूशन सटस जैसी
कतई नह लगती थी। वह कसी इं टट् यूट या बड़े कॉप रेट ऑ फस जैसी लगती थ । म
उसक वशालकाय लॉबी म खड़ा रहा और सोचता रहा क अब मुझे आगे या करना
चा हए। मेरे इद– गद टू डट् स और ट चस क गहमागहमी थी और वे सभी ब त त
नजर आ रहे थे, मानो वे ेस म सैटेलाइट् स लॉ च करने जा रहे ह । कोटा क अनेक अ य
को चग लासेस क ही तरह यहां के टू डट् स क भी खास यू नफॉ स थ । यहां द ली के
वे अमीर ब े थे, जनके पैरट् स उ ह इतनी पॉकेट मनी दे ते थे, जतना पैसा मेरे पता
सालभर म कमा पाते ह गे। सरी तरफ, मेरे जैसे वाराणसी से आए लूजस थे, जनके पास
न तो यहां होने के लए पया त पैसा था, न पया त अ ल।
ले कन कपड़ क समानता का यह मतलब नह था क बंसल म सभी टू डट् स को
समान माना जाता था। यहां भी एक क म क वग णाली थी, जसका आ धार यह था क
–एं स ए जाम ै क करने के आपके अवसर कतने उजले ह।
एड मशन ऑ फस म बैठे एक ने मुझसे फॉम लया। ‘हाई परफॉमर?’ उसने
पूछा।
म सोचने लगा क आ खर कोई इस तरह के सवाल का या जवाब दे सकता है।
‘ए स यूज मी?’
‘य द आपके बारहव म 85 तशत से अ धक अंक ह, या य द आपक एआईईईई म
40 हजार तक क रक है तो आपको 30 तशत का ड काउं ट मलता है,’ उसने मुझे
समझाया।
‘मुझे 79 तशत अंक मले थे और मेरी एआईईईई रक थी 52043,’ मने कहा।
‘ओह, तब तो आपको फुल –रेट ो ाम के लए अ लाई करना होगा,’ एड मशन
ऑ फसर ने कहा। मने कभी नह सोचा था क एआईईईई रक इस तरह सीधे– सीधे
ड काउं ट के पैस म भी बदल सकती है।
‘मुझे ड काउं ट नह मल सकता?’ मने कहा। म सोच रहा था क या यहां मोल –
भाव करने से बात बन सकती है।
‘यह इस पर डपड करता है क एं स ए जाम म आपका दशन कैसा है,’ ऑ फसर ने
कहा और मेरे फॉम पर ठ पा लगा दया। उसने मुझे एं स ए जाम के लए एक रसी ट–
कम – एड मट काड दया।
‘ या मुझे आपके – एं स ए जाम के लए पढ़ाई करने क ज रत होगी?’ मने कहा।
‘अब दो दन म तुम भला या पढ़ लोगे? खैर, तु हारे मा स दे खकर लगता नह क
तुम ब त ाइट टू डट हो। म तो यही सुझाव ं गा क तुम कसी सरे इं टट् यूट म अ लाई
करो,’ उसने जवाब दया।
‘थ स, म ऐसा ही क ं गा,’ मने कहा।
ऑ फसर ने आसपास दे खा क कह कोई उनक बात तो नह सुन रहा। फर उसने
फुसफुसाते ए कहा, ‘मेरे क जन ने हाल ही म एक इं टट् यूट खोला है। म तु ह वहां
फ ट परसट ड काउं ट दला सकता ं।’
म चुप रहा। उसने मुझे एक व ज टग काड थमा दया – ‘ड़ीम आईआईट ’।
‘पैसा य बबाद करना? कोस मटे रयल तो वही है। मेरा क जन ए स–बंसल फैक ट
है।’
मने काड का मुआयना कया।
‘ले कन इस बारे म कसी को मत बताना, ओके?’ उसने कहा।
सरे इं टट् यूट्स म भी मुझे ऐसी ही घटना का सामना करना पड़ा। सफल जेईई
क डडे ट्स, जो वांटेड आतंकवा दय जैसे लग रहे थे, क टा –साइ त वीर से लद –
फद द वार मुझे हर जगह नजर आई। मने यह भी पाया क त त इं टट् यूट्स
‘ रपीटस’ के बारे म कुछ यादा ही हो–ह ला करते थे। आ खर, रपीटस एक बार नाकाम
हो चुके थे और इं टट् यूट्स अपने आंकड़ पर पलीता नह लगाना चाहते थे। टॉप
इं टट् यूट्स दावा करते थे क वे एक साल म पांच सौ तक टू डट् स को आईआईट
भजवाते ह। न त ही, ये इं टट् यूट्स यह कभी नह बताते ह क वे दस हजार टू डट् स
को एनरोल करते ह, जनम से केवल पांच सौ ही कामयाब हो पाते ह। इसका मतलब यह
था क सले न का अनुपात महज पांच फ सद ही था। बहरहाल, जेईई का ओवरऑल
सले न रे शयो दो फ सद से भी कम का था और कोटा इं टट् यूट्स उससे बेहतर
दशन करने का दावा करते थे। क डडै ट्स क ी– नग औसत से अ धक सले न
का एकमा कारण हो सकती थी। खैर, दे शभर से आए मेरे जैसे टू डट् स तो यूं भी उनके
इद– गद मंडराते रहते थे और अपने एड मशन फॉ स सब मट करने के लए कतार लगाकर
खड़े रहते थे।
एम– आईआईट और कै रयरइ नाइट के यहां कम टू डट् स थे। वा तव म उ ह ने तो
मुझे ॉट पर ही ऑफर दे डाले और कै रयरइ नाइट ने तो बीस फ सद ड काउं ट का भी
ताव रखा।
‘ ड काउं ट केवल तभी ए लकेबल होगा, जब आप त काल साइन अप कर, अगली
बार आने पर नह ,’ आ ामक से समैन–कम–एड मशन–इन–चाज ने मुझसे कहा।
‘ले कन मने अभी तक अपना मन नह बनाया है,’ मने कहा।
‘तुम बंसल जाने क को शश कर रहे हो, है ना?’ उसने कहा और मुझे इस तरह दे खा,
मानो उसे सब कुछ पता हो।
म चुप रहा।
‘म ए स–बंसलाइट ं,’ उसने कहा।
‘ या कोटा म कोई ऐसा है, जो ए स–बंसलाइट न हो?’ मने कहा और वहां से
बाहर चला गया।
8

‘गोपाल! तु हारी आवाज सुनकर ब त अ ा लगा,’ आरती ने कहा। वह मुझे एक सेकंड


म ही पहचान गई थी। इससे मुझे अ ा लगा।
‘गो टु हेल, तु ह मेरी कोई परवाह नह ,’ है मने कहा।
‘हाऊ टु पड। मुझे तु हारी परवाह है। ले कन पहली बात तो यही क या तु हारे पास
कोई ऐसा नंबर है, जस पर तु ह फोन लगाया जा सके?’
‘हां है,’ मने कहा और उसे मेरे मकान मा लक का नंबर दे दया।
‘ले कन इस पर यादा कॉल मत करना। ह ते म दो बार से यादा नह ।’
‘तो या आ? वैसे भी तु हारे कॉल करने वाली अकेली म ही तो होऊंगी है ना?’
आरती ने कहा।
‘हां। खैर, या चल रहा है? मुझे तो यहां ब कुल अ ा नह लग रहा।’
‘ या वाकई वहां इतना बुरा लग रहा है? तुमने पढ़ाई शु क ?’ उसने पूछा।
‘नह , अभी म नह कर सकता। उ ह कताब को फर से शु करना क ठन है। शायद
को चग लास जॉइन करने के बाद मुझे मो टवेशन मले।’
‘मुझे वहां होना चा हए था, म तु ह मो टवेट करती,’ वह हंस पड़ी।
‘ऐसे मजाक मत करो।’
‘सब ठ क हो जाएगा, गोपी। बस एक और को शश। य द तुम इस बार कामयाब ए
तो तु हारा कै रयर बन जाएगा।’
‘आई मस यू,’ मने कहा। मेरी कै रयर जैसी बेकार क चीज म कम दलच ी थी।
‘ओह,’ उसने कहा। मेरे इस तरह एकदम से यह कह दे ने से वह कुछ–कुछ च कत थी।
‘म भी तु ह मस करती ं।’
‘मेरा कोई नह है, आरती,’ मने कहा।
‘ऐसा मत कहो। बाबा ह। राघव, म... हम तु हारे बारे म ब त बात करते ह।’ उसक
आवाज म म पड़ती गई।
‘हम कपल य नह बन सकते?’
‘ लीज वह सब फर से मत शु करो। हम पहले ही उस बारे म काफ बात कर चुके ह
उसने कहा।
‘ य नह ? तुम कहती हो क तुम मुझे मस करती हो, मेरी परवाह करती हो, फर?’
‘म तु हारी ब त परवाह करती ं, ले कन उस तरह से नह । एनीवे हम अपने–अपने
कै रयर पर फोकस करना है। तुम वहां हो। म यहां ं।’
‘य द मेरी कोई गल ड होती तो कम से कम म उससे बात तो कर पाता। म ब त
अकेलापन महसूस करता ं आरती मने कहा।
‘गोपाल, तुम होम सकनेस महसूस कर रहे हो। तुम मुझसे जस बारे म चाहे बात कर
सकते हो। या हम चैट कर सकते ह।’
‘इंटरनेट पर?’ मने दे खा था क मेरे घर के आसपास कुछ सायबर कैफे ह।
‘हां। अपना जीमेल आईडी बनाओ। मेरा आईडी है – लाइंगआरती@ जीमेल. कॉम।
मुझे इनवाइट करो।’
‘ लाइंग आरती।’ म हंस पड़ा।
‘शट अप।’
म और जोर से हंस पड़ा।
‘कम से कम इससे तु हारा मूड तो अ ा आ,’ उसने कहा।
‘मेरे पोजल के बारे म सोचना,’ मने कहा।
‘कोई पोजल नह है। और अब कॉ स पर अपना पैसा मत बबाद करो। हम शाम को
चैट कर सकते ह। म तु ह अपनी लाइफ के बारे म बताऊंगी और तुम अपने बारे म बताना।
ओके?’
‘ओके। हे, लसन। मुझे कोई जाना–माना ले कन महंगा इं टट् यूट जॉइन करना
चा हए या कोई नया ले कन स ता?’
‘जो तु ह सबसे अ ा लगे,’ आरती ने जवाब दया। ‘एंड नाऊ, बाय। डनर टाइम।

मुझे कोटा आए एक ह ता हो चुका था और म अपने लए कुछ फैसले ले चुका था। पहली


बात तो यह क म बंसल ए जाम लीयर नह कर सका। म उनके अलग प ाचार
पाठ् य म जॉइन कर सकता था ले कन उससे मेरे कोटा आने का मकसद ही बेकार हो
जाता। रेजोनस ने ऐन व पर अपनी फ स बढ़ा द । वह मेरे लए अफोडबल नह रह गया
था इस लए मने उनके एं स ए जाम म शा मल होने क को शश भी नह क । मने कै रयर
पाथ ो ाम क वेट ल ट के लए ाय कया।
‘तु हारे पास अ ा मौका है। अनेक टू डट् स तो कसी भी हालत म बंसल और
रेजोनस ही जॉइन करगे,’ कै रयर पाथ के एक ने मुझसे कहा।
ले कन कै रयर पाथ क वेट ल ट क भी अपनी एक क मत थी। एम– आईआईट और
कै रयरइ नाइट ने मेरे सामने 30 फ सद ड काउं ट का ताव रखा था।
‘तुमम का ब लयत है,’ एम–आईआईट के ने मुझसे कहा। ‘तुमने कै रयर पा थ
लीयर कर दया, जसका मतलब है क तुमम संभावनाएं ह। अब हमारे यहां कह स ती
दर पर पढ़ाई करो और ए जाम म पास हो जाओ।’
‘कै रयर पाथ पर हजार क भीड़ म तुम कह खो जाओगे। ले कन इ नाइट म तुम
ेशल होओगे,’ एक और ए स–बंसलाइट का इं टट् यूट चला रहे एक ए स–बंसलाइट ने
मुझसे कहा।
बहरहाल पांच दन बाद कै रयर पाथ ने मुझे बताया क म पास हो गया ं। मने कांपते
हाथ के साथ कै रयर पा थ के अकाउं टट को बीस हजार पय का ा ट थमाया।
‘यह तु हारी जदगी का सबसे बेहतरीन इंवे टमट सा बत होगा,’ अकाउं टट ने कहा।
मने फ ट टम के लए ज री आइट स चुने–कोस मटे रयल, आईडी काड टाइमटे बल,
सकुलस और अनेक वकशीट् स, जनक मुझे अगले तीन महीन म ज रत पड़ने वाली
थी। मने तीन जोड़ी कै रयर पाथ यू नफॉ स भी ल । उसे पहनकर मुझे लगा क म कसी
बजट होटल का रसे श ट ं।
म यू नफॉ स हाथ म लए इं टट् यूट से बाहर चला आया।
‘कां े यूलेशंस,’ काला कोट पहने एक ने मुझे रोकते ए कहा।
‘हैलो,’ मने कहा। मुझे समझ नह आ रहा था क म और या क ं।
‘म संजीव सर ं। वे मुझे यहां म टर पुली कहकर पुकारते ह। म फ ज स पढ़ाता
ं।’
मने उससे हाथ मलाया। ऐसा लग रहा था क कोटा म पुली ॉ ल स सॉ व करने म
संजीव सर का कोई तोड़ नह था। मुझे ज द ही समझ आ गया क कोटा के तमाम
इं टट् यूट्स म ऐसे ही स जे ट ए सपट् स थे। कै रयर पाथ के पास अपने सूरमा थे।
ग णत पढ़ाने वाले म टर वमा को ायनोमे – वामी के नाम से पुकारा जाता था। म टर
जडे जा के म पढ़ाते थे। टू डट् स यार से उ ह बैलस–जी कहते थे। के मकल इ वेशंस
को बैलस करने के लए उनके पास बेजोड़ तरक ब आ करती थी। अफवाह तो यह भी थ
क उ ह ने उ ह पेटट कराने क भी को शश क थी।
‘म गोपाल ं वाराणसी से।’
‘एआईईईई ो ाम?’ म टर पुली ने कहा।
‘जेईई भी’ सर।’
‘गुड। हाई पोट शयल?’ उ ह ने क रयर पाथ के टू डट् स के अंद नी वग करण के बारे
म पूछा।
‘नह , सर,’ मने कहा और नजर झुका ल । एक बार कम मा स पाने के बाद आपको
ब त ज द नजर झुकाने क आदत पड़ जाती है।
‘इट् स ओके। कई नॉन–हाई पोट शयल टू डट् स यहां तक प ंच जाते ह। यह सब कड़ी
मेहनत पर डपड करता है।’
‘म अपनी ओर से पूरी को शश क ं गा,’ सर मने कहा।
‘गुड,’ म टर पुली ने कहा और मेरी पीठ थपथपाई।

कोटा आने के एक महीने बाद म खुद को एक स ा कोटा–वासी कह सकता था। हजार


अ य टू डट् स क ही तरह मेरी नई जदगी क भी एक लय बन गई थी। कै रयर पाथ कसी
कूल क तरह था, बस उसम मौज–म ती के लए कोई जगह न थी। लास म कोई शोर
नह करता था। न कोई एक– सरे से मजाक करता था और लासेस बंक करने के बारे म
तो कोई सोचता तक नह था। आ खरकार, सभी यहां अपनी मज से आए थे और यहां
होने के लए उ ह ने काफ क मत चुकाई थी।
हमारी एक दन म तीन से चार लासेस लगती थ , जो दोपहर को शु होती थ ।
कहने को तो ऐसा इस लए कया गया था, ता क अभी बारहव क पढ़ाई कर रहे टू डट् स
सुबह का कूल अटड कर सक, ले कन हक कत म बारहव के टू डट् स कभी कूल नह
जाते थे। कै रयर पाथ का एक को–ऑपरे टव सीबीएसई कूल से ए ीमट था जसक एक
लचीली अटडस पॉ लसी थी। अफवाह थ क इसके लए सीबीएसई कूल को कै रयर
पाथ ारा अ –खासी रकम द जाती थी।
पहले–पहल तो मुझे कै रयर पाथ का ू र शेड्यूल ब कुल पसंद न आया। ले चस
दोपहर दो बजे शु होते थे और रात नौ बजे तक चलते थे। इसके बाद टू डट् स डनर के
लए घर जाते थे और ‘डे ली ै टस शीट् स’ तैयार करते थे, जो क पढ़ाए जा रहे लेसन के
आधार पर दस ॉ ल स क एक सूची आ करती थी। आमतौर पर मेरा काम आधी रात
तक ख म हो पाता था। कुछ घंटे सोने के बाद म उठ जाता था और अगले दन क लासेस
क तैयारी करता था। इस बीच म अपने घरेलू काम भी करता था, जैसे कपड़े धोना और
ज री चीज क खरीदारी करना। म पागल क तरह यह सब करता रहता था, इस लए
नह क म ब त अ तैयारी करना चाहता था, ब क इस लए क म अपने आपको त
रखना चाहता था। म नह चाहता था क कोटा का अकेलापन मेरी जान ले ले।
एक बार हमारी लासेस दे र से ख म ई। साढ़े नौ बजे म सायबर कैफे प च ं ा, जो क
आरती से चैट करने के मेरे आम व से दे री से था। मुझे यह दे खकर हैरानी ई क वह अब
भी ऑनलाइन थी।
मने एक मैसेज टाइप कया।

गोपालकोटाफै टरी: हाय!


लाइंगआरती: हे!! गेस वॉट!

य द लड़ कय को ामर के स नए सरे से लखने को कहा जाए तो उसम केवल


ए स लेमेशन मा स ही ह गे।

गोपालकोटाफै टरी : या आ?
लाइंगआरती : म बीएचयू कै स म ं। उनके कं यूटर सटर पर!!
गोपालकोटाफै टरी : कैसे?
लाइंगआरती : राघव ने कॉलेज जॉइन कर लया है। वही मुझे यहां लाया है।
उसने कहा है क म यहां कभी भी आ सकती ं और कं यूटर यूज कर सकती ं।
गोपालकोटाफै टरी : या ब त दे र नह हो गई है? तुम वापस कैसे जाओगी?
लाइंगआरती : मेरे पास डै ड क लाल ब ती वाली कार है। कसम ह मत होगी
जो मुझसे पंगा ले?
गोपालकोटाफै टरी : तुम राघव से कतनी बार मलती हो?

मुझे उसके जवाब के लए कुछ दे र इंतज़ार करना पड़ा।

लाइंगआरती : यह भला कस क म का सवाल आ? या दो त से मलने का


कोई टाइमटे बल होता है?
गोपालकोटाफै टरी : वो तु हारा बस े ड ही है ना?
लाइंगआरती : येस डयर। तु ह इंजी नयर के बजाय जासूस बन जाना चा हए।
गोपालकोटाफै टरी : ह मम।
लाइंगआरती : म केवल उसका कै स दे खने आई थी। और तु हारे वहां या
चल रहा है?
गोपालकोटाफै टरी : मुझे कोटा म एक महीना पूरा हो गया है।
लाइंगआरती : कम से कम अब तुम उसे उजड़ा चमन तो नह कहते!
गोपालकोटाफै टरी : हां। ले कन म ब त बजी ं। म गग अवे। हमारे लास टे ट
भी ए ह।
लाइंगआरती : तुमने अ े –से कया ना?
गोपालकोटाफै टरी : टॉप फ ट परसट म। इतनी कांपी ट टव लास के लए बुरा
कोर नह है।
लाइंगआरती : मुझे पूरा यक न है क तुम इस बार जेईई ै क करोगे।
गोपालकोटाफै टरी : नोज? य द मने ऐसा कया तो या तुम मेरे साथ घूमने
चलोगी?
लाइंगआरती : हयर वी गो अगेन!!!!
गोपालकोटाफै टरी :?
लाइंगआरती : हम जैसे ह, मुझे वैसे ही अ ा लगता है। और भला इसका जेईई
से या ता लुक आ? तुम मेरे फेवरेट हो!!!
गोपालकोटाफै टरी : इतने सारे ए स ोमेशन मा स का इ तेमाल मत करो।
लाइंगआरती : ंह??!!
गोपालकोटाफै टरी : कुछ नह । एनीवे, अब मुझे चलना चा हए। मुझे अपनी डे ली
वकशीट करनी है।
लाइंगआरती : ओके।

मुझे उ मीद थी क वह मुझसे कुछ दे र और चैट करने को कहेगी, केवल एक खा–सूखा


ओके भर नह कह दे गी। ले कन उसने तो मुझसे यह भी नह पूछा क मने डनर कया या
नह ....

लाइंगआरती: तुमने डनर कर लया?


गोपालकोटाफै टरी: अभी नह । घर जाकर कर लूंगा।
लाइंगआरती: कूल!

जब लड़ कयां कुछ छु पाने क को शश करती ह तो वे लडु क क तरह बात करने लगती ह


और ‘कूल’ जैसे ए स ेशंस का उपयोग करने लगती ह।

गोपालकोटाफै टरी: हाऊ अबाउट यू?


लाइंगआरती: राघव मुझे ट दे रहा है। ले कन केवल अपने ही कट न
पर। चीपो!
गोपालकोटाफै टरी: तुम अब तक ए साइटे ड लग रही हो।

उसने कोई जवाब नह दया। जब कोई चैट पर आपको जवाब नह दे ता तो हर मनट एक


घंटे के बराबर लगने लगता है। पांच लंबे मनट बाद उसने आ खरकार कुछ लखा।

लाइंगआरती: हाट?

मने सोचा कुछ दे र उसे भी इंतजार कराया जाए। ले कन, म दस सेकंड से यादा दे र तक
खुद को रोक नह सका।

गोपालकोटाफै टरी: कुछ नह ।


लाइंगआरती: ओके, एनीवे। राघव भी यहां है। वह हाय कह रहा है। मुझे ज द
से खाकर घर प ंचना होगा। बाद म चैट करते ह। XOXO....

मुझे पता नह था क XOXO का या मतलब होता है। X का मतलब माना जाता है हास
और O का मतलब माना जाता है कसेस। मुझे नह लगता आरती का यही मतलब रहा
होगा।
उसने लॉग आउट कर दया। मेरे पास बीस मनट का इंटरनेट टाइम बाक था। मने इन
बीस मनट का इ तेमाल वही करने के लए कया, जो सायबर कैफे आने वाले अ धकतर
लड़के करते ह – या तो ऑ फ शयल आईआईट वेबसाइट पर सफ करना या पोन दे खना।
मेरे याल से लड़के कोटा म ये दो चीज ही सबसे यादा चाहते थे। को चग सटस कम से
कम इनम से एक को पाने म आपक मदद कर सकते थे।
9

आरती का ज म दन आने तक म कोटा म तीन महीने बता चुका था। पहली बार म एक
लास टे ट म टॉप 25 परसटाइल तक प ंचने म कामयाब रहा था। बैलस–जी ने मुझे
बधाई द । मेरे के म कोर म बीस अंक क बढ़ोतरी हो चुक थी। अलब ा म टर पुली
को फ ज स म मेरा औसत दशन नह भाया। श शर सर, ज ह पर यूटेशन गु के नाम
से भी जाना जाता था, मेरी सीट के पास आकर कुछ सेकंड के लए के। वजह – मेरे मै स
के मा स म भी दस फ सद अंक क बढ़ो री ई थी।
फ ज स लास म बैठते ही मने आ सर–शीट अपने बैग म रख ली। मने तीन सौ सीट
वाले इस ले चर म म चार तरफ दे खा। म टर पुली हाथ म माइक थामे बोल रहे थे।
जब भी उ ह लगता क लास का यान उनक ओर नह है, वे माइक थपथपा दे ते।
मुझे अब भी एक लंबा सफर तय करना था। आईआईट सीट के लए का फडट
महसूस करने के लए कै रयर पाथ म कम से कम टॉप–फाइव परसटाइल तक प ंचना
ज री था।
‘आईआईट सीट हा सल करना कोई मजाक नह है,’ म टर पुली ने कहा, अलब ा
ऐसा कसी ने भी नह कहा था क वह मजाक है।
एक हायपर–का ी ट टव लास म अपना परसटाइल बढ़ाना आसान नह है। आपको
आईआईट को पूरी तरह से जीना पड़ता है।
हर लास टे ट के टॉप बीस टू डट् स को रॉयल टमट दया जाता था। उ ह जे स
कहा जाता था और यह टाइ टल अब भी मुझसे र था। जे स का मतलब होता था ‘ ुप
ऑफ एक ा मे रटो रयस टू डट् स’। जे स वे अ ा–गी स होते थे जो से स करने के
बजाय फ ज स क ॉ ल स सुलझाने को ाथ मकता दे ते थे और जनके लए मौज–
म ती का मतलब था पी रयॉ डक टे बल को रट लेना। कै रयर पाथ अपने इन जे स का ब त
यान रखता था, य क उनम जेईई क टॉप सौ रै स ै क करने क मता होती थी और
इस कारण वे कै रयर पाथ के लए व ापन क तरह थे। जे स को ब त अह मयत द
जाती थी, ठ क वैसे ही, जैसे हम क पना कर सकते ह ल स साबुन के अ धका रय ारा
अपनी ांड एंबेसेडर कैटरीना कैफ को द जाती होगी।
म अभी जे स बनने के करीब नह प ंचा था। बहरहाल, टॉप–25 परसटाइल भी अ
त थी। म आरती से यह शेयर करना चाहता था। साथ ही मने उसे कहा था क उसे
ज म दन वश करने वाल म सबसे पहला नाम मेरा ही होगा।
आधी रात के करीब म एसट डी बूथ पर गया। 11.58 पर मने फोन उठाया और उसका
नंबर घुमाया। मुझे बजी सगनल मला। मने फर को शश क , ले कन घंट नह बजी। मने
पांच बार को शश क , ले कन लाइन लगातार इंगेज थी।
‘ सरे क टमस को भी कॉल करने द जए,’ शॉपक पर ने कहा।
गनीमत थी क लाइन म केवल एक ही खड़ा था। वह एक टू डट था और
गुवाहाट म अपनी म मी को है पी बथडे वश करने का इंतजार कर रहा था। उसका कॉल
12.05 बजे ख म आ। म इ मीनान से इंतजार करता रहा।
उसके बाहर नकलते ही म फौरन भीतर घुसा और आरती को फर कॉल कया। लाइन
अब भी बजी थी। अनेक बार को शश करने के बाद शॉपक पर ने मुझे सहानुभू त के साथ
दे खा। उसने मुझे कहा क 12.30 पर उसे अपनी कान बंद करना होगी। म दो–दो मनट के
अंतराल से बार–बार को शश करता रहा, ले कन कामयाब नह आ।
पता नह य , मने राघव के घर पर फोन लगाने का सोचा। चूं क शु वार क शाम थी,
इस लए मुझे पता था क राघव वीकड के लए घर पर ही होगा। म नंबर डायल करने से
पहले पलभर को झझका। जा हर है, य द इतनी रात को फोन क घंट घनघनाती है तो
इससे पूरा घर ड टब हो जाएगा। बहरहाल, मने नंबर लगाया और मेरा शक सही नकला।
लाइन बजी थी।
मने बार–बार राघव और आरती के नंबर लगाने क को शश क , ले कन म कामयाब
नह हो पाया।
आरती के लए मेरी गुड वशेस ख म हो गई और रोमांच गु से म बदल गया।
आ खर राघव को उसे आधी रात को वश करने क या ज रत आन पड़ी? और या
बथडे वशेस म इतना समय लगता है?
शॉपक पर ने मेरी बूथ वडो थपथपाई। ‘य द मने कान और दे र तक खुली रखी तो
पु लस मुझे परेशान करने लगेगी।’
‘ या आप मुझे बता सकते ह क इस व एसट डी बूथ कहां खुले ह गे?’ मने कहा।
‘रेलवे टे शन,’ शॉपक पर ने कहा और ब ी बुझा द ।
उस समय कोई भी ऑटो– र ा वाला कम दाम पर रेलवे टे शन जाने को तैयार नह
था। ले कन य द म दौड़ लगाता तो आधे घंटे म पांच कलोमीटर क री तय कर सकता
था।
रात एक बजे म कोटा टे शन के लेटफॉम नंबर एक पर प ंचा। पांच कलोमीटर
जॉ गग करने के कारण म हांफ रहा था। इस समय भी टे शन पर चहल–पहल थी। एक
टे रन आई और जनरल–कोटा पैसजस सीट पाने के लए दौड़ पड़े ।
मुझे एक एसट डी बूथ मला और मने आरती को कॉल लगाया। इस बार फोन क घंट
बजी। मने गहरी सांस ली। उस समय मेरा मजाज ब त अ ा नह था। बथडे गल के
फोन उठाने पर म अपने आपको नयं त रखना चाहता था।
‘हैलो?’ डीएम धान क आवाज आई।
‘हैलो अंकल? अंकल, गोपाल,’ म बना जाने-बूझे कहने लगा, हालां क मुझे फोन रख
दे ना था। ले कन इतनी को शश करने के बाद मेरे लए आरती से बात करना ब त ज री हो
गया था।
‘ओह, येस। हो ऑन,’ उ ह ने कहा और आरती को पुकारा।
आरती फोन के पास आई। म उसके पता के साथ उसक बातचीत सुन सकता था।
‘फोन पर कतना बात करोगी? तु हारे दो त के फोन तो कने का नाम नह ,’ लेते
उसके पता ने बड़बड़ाते ए कहा।
‘ये मेरा बथडे है, डै ड,’ आरती ने कहा और फोन उठा लया।
‘है पी बथडे , आरती,’ मने कहा। म को शश कर रहा था क मेरी आवाज से रोमांच
झलके।
‘हे, गोपाल! थ स। दै ट्स सो वीट ऑफ यू। तुम मुझे वश करने के लए इतनी रात
तक जागते रहे?’ उसने कहा।
‘म इतनी रात तक जागने के अलावा पांच कलोमीटर दौड़ा भी ं और अब मुझे फर
लौटकर जाना है’, म उसे कहना चाहता था, ले कन कहा नह । ‘म एक घंटे से तु ह कॉल
करने क को शश कर रहा था।’
‘ रयली?’ आरती ने कहा।
‘हां, लाइन बजी थी। तुम कससे बात कर रही थ ? म तु ह सबसे पहले वश करना
चाहता था,’ मने कहा।
‘ओह, मेरे क ज स, वही जो अमे रका म ह। वहां मेरी औट रहती ह ना?’
उसक आवाज ज रत से यादा ही बेपरवाह लग रही थी। आरती भूल गई क म उसे
आठ साल से जानता था। म बड़ी आसानी से समझ सकता था क वह कब झूठ बोल रही
है और कब सच।
‘वे इतनी र से एक घंटे तक बात करते रहे?’
‘एक घंटा या? मने उनसे केवल दो मनट बात क । शायद मने फोन ठ क से नह रखा
होगा। लीव इट। तुम कैसे हो? काश तुम भी यहां होते।’
‘वाकई?’
‘हां, ऑफ कोस! म तु ह मस करती ं,’ आरती ने कहा। उसक आवाज इतनी
ईमानदार थी क यह व ास करना क ठन लग रहा था क दस सेकंड पहले उसने मुझसे
झूठ बोला था।
‘य द तुमने फोन गलत रख दया था तो फर उसे अब कसने ठ क कर दया?’
‘गोपाल! मुझसे इस तरह पूछताछ मत करो। आई हेट दस। आज मेरा बथडे है।’
‘और तुमने अपने बथडे के दन झूठ बोला?’
‘ या?’
‘हमारी दो ती क कसम खाकर कहो क राघव ने कॉल नह कया था?’ मने कहा।
‘ या?’ आरती ने कहा। उसक आवाज तेज थी। ‘कसम खाऊं? हमारी उ या है?
दस साल?’
‘उसने फोन लगाया था ना? तुम उसी से बात कर रही थ । तुम दोन के बीच आ खर
चल या रहा है?’
‘इट् स माय बथडे । या तुम इसे इतना टे रसफुल बनाना चाहते हो?’
‘तुमने मेरे सवाल का जवाब नह दया।’
‘ब त दे र हो चुक है। डै ड आसपास मंडरा रहे ह। कल नेट पर चैट कर? मेरे कॉलेज के
बाद?’
‘मेरी लासेस ह,’ मने कहा।
‘संडे। संडे को चैट करते ह, दोपहर म, ओके?’
‘आरती, मेरे साथ ईमानदारी से पेश आने क को शश करो। म ईमानदारी को ब त
अह मयत दे ता ं,’ मने कहा।
‘ऑफ कोस। ओके, बाय नाऊ। डै ड मुझे डट लु स दे रहे ह। ईमानदारी से!’
‘बाय,’ मने कहा।
म लौटकर वापस चला आया, अपनी लाई रोकता आ।
‘संडे तक इंतजार करो’, मने खुद को दलासा दे ते ए कहा।
वह संडे को ऑनलाइन नह आई। मने सायबर कैफे म दो घंटे गुजारे। बारह के एक और
एक के दो बज गए। आप इससे यादा समय तक पोन नह दे ख सकते। मने इतनी ए स-
रेटेड ल स डाउनलोड कर ली थ क म अब उनसे एक वी डयो लाय ेरी खोल सकता
था। अब म उसे और बदा त नह कर सकता था।
एक छोटा-सा वादा नभाना भी कतना मु कल सा बत हो रहा था! मने उससे बात
करने के लए संडे तक का बेस ी से इंतजार कया था। समय भी उसी ने तय कया था,
मने नह । म अपने गु से का इजहार करना चाहता था, ले कन मुझे कोई रा ता नजर नह
आ रहा था।
मने झ लाहट म कं यूटर के सीपीयू को ठोकर मारी। उसक बजली गुल हो गई।
‘तुम या कर रहे हो?’ सायबर कैफे का मा लक दौड़ता आ मेरे पास आया।
‘सॉरी, मेरे साथ टे र ॉ लम है। म इस ॉ लम को त करने क को शश कर रहा
ं,’ मने कहा और बाहर चला गया।
म एसट डी बूथ पर गया और उसके घर फोन लगाया। इस बार उसक मां ने फोन
उठाया।
‘गुड आ टरनून, औट । गोपाल हयर।’
‘हैलो, गोपाल,’ आरती क मां ने खेपन से कहा। उनके प तदे व भले ही डीएम ह ,
ले कन उनम अपने प त से भी यादा ए टट् यूड था।
‘आंट , आरती घर पर है?’
‘वह तो सुबह ही राघव के साथ कानपुर चली गई।’
‘कानपुर?’ म हैरान रह गया। वह वाराणसी से तीन सौ कलोमीटर र राघव के साथ
गई थी।
‘हां, आई आईट कानपुर म कोई फे टवल है। राघव डबे टग ट म म है। वह भी
पा ट सपेट कर रही है। स गग, शायद।’
‘ओके,’ मने कहा। मुझे समझ नह आ रहा था क अब इससे यादा और या पूछूं।
‘कोई खास बात थी?’ आरती क मां ने पूछा।
हेल, ब त खास बात थी, आंट । म जानना चाहता था क आपक बेट का या सीन
चल रहा है।
‘कोई खास बात नह । वे आज रात तक लौट आएंगे ना? रा ता सेफ नह है,’ मने
कहा।
‘ऑफ कोस। वह सरकारी गाडी़ म गई है। उसके साथ स यो रट गाड भी है।’
म आरती के इद- गद अपने खुद के स यो रट गाड् स तैनात कर दे ना चाहता था।
‘थ स, आंट ,’ मने कहा।
‘ओके। खूब पढ़ाई करो। तब तुम भी एक ॉपर कॉलेज म होओगे और राघव क तरह
मजे कर सकोगे।’
‘येस, आंट ,’ मने कहा और फोन रखने से पहले एक ॉपर कॉलेज जॉइन करने के
लए अपनी न ा एक बार फर जा हर क ।
मने अपना बटु आ टटोला। मेरे महीनेभर के एक हजार पय के बजट म से अब महज
सौ पए बचे थे। नवंबर का महीना पूरा होने म अब भी दस दन बाक थे। मने कॉ स पर
इतना पैसा खच करने के लए खुद को ब त कोसा।
मने खुद से कहा क अब म उसक परवाह नह क ं गा। अब वही मुझे कॉल या मेल
करेगी। ले कन अगले ही पल म फर उसके बारे म सोचने लगा। मेरी अपने आप से पागल
जैसी बातचीत होने लगी।
‘वह उसके साथ डे टग नह कर रही होगी। उसने मुझे कहा था क वह कसी
रलेशन शप के लए तैयार नह है। और य द है, तो वह मुझे ही चुनेगी’, म टर आशावाद
गोपाल ने कहा।
बहरहाल, म टर नराशावाद गोपाल यह बात मानने को तैयार नह थे।
‘तो या आ य द राघव दखने म मुझसे बेहतर है, ले कन आरती इतनी सतही लड़क
नह है। म उसे कतने साल से जानता ं’, म टर आशावाद ने फर अपनी बात रखी।
‘ले कन राघव का भ व य कतना उजला है’, म टर नराशावाद ने कहा।
‘ले कन या वह कसी लड़के को केवल जेईई रक के आधार पर चुनेगी? वह लड़क
है, कोई वा हयात इं टट् यूट नह ’, म टर आशावाद ने फर कहा।
‘उसको वह एक मजेदार इंसान लगता है’, म टर नराशावाद ने कहा।
‘ले कन उसको तो सकस के जोकस भी मजेदार लगते ह’, म टर आशावाद ने कहा।
मेरे भीतर मौजूद ये दोन कने का नाम नह ले रहे थे और उनके कारण मेरा सर खने
लगा। लड़ कय को कभी इस बात का अंदाजा नह हो सकता क उनके वहार का
लड़क पर या असर पड़ता है। मुझे आरती से बात करनी ही थी।
मेरा गु सा फर उफनने लगा। म दौड़कर कोटा टे शन प ंच जाना चाहता था और बना
रजवशन वाराणसी प ंच जाना चाहता था। म बैलस-जी या मेरे परसटाइल या टु पड
कै रयर पाथ के बारे म कुछ नह सोच रहा था।
य द राघव ने आरती के साथ कुछ कया, तो म उसे जदा नह छोडू ं गा।
घर प ंचने पर मने छह बार डोरबेल बजाई।
‘सब ठ क तो है ना?’ अंकल ने कहा।
‘जो भी हो, म फांसी के फंदे पर नह लटकने वाला, ओके?’ च लाने से तनाव कम
करने म मदद मलती है।
‘ या?’ उ ह ने कहा। वे मेरी बात से शॉ थे।
‘सॉरी,’ मने कहा। आप अपने मकान मा लक के साथ इस तरह बात नह कर सकते।
म पूरी रात नह सो सका। म उसके बारे म इतना सोचने के लए अपने आपको कोस
रहा था।
वह झूठ है, डचर है और प र दल लड़क है, मने अपने आपसे पचास बार कहा।
ले कन म उसे अपने याल से र नह कर पा रहा था। यार, यक नन, एक वा हयात
चीज है!
10

अगले दन लास म एक सर ाइज टे ट था, जसम मने ब त बुरा दशन कया। जब म


के म के एक आसान सवाल का भी जवाब नह दे पाया तो बैलस-जी ने मुझे झड़क
दया। ले कन मुझे इसक परवाह नह थी। म उस लड़क से सीधी बात करना चाहता था।
लास ख म होते ही म साइबर कैफे प ंच गया। वह ऑनलाइन नह थी। मुझे समझ
नह आया क या क ं । उसे एक बार फर कॉल लगाना तो अपने उतावलेपन को जा हर
करना होगा।
कै रयर पाथ म मेरा यह ह ता ब त खराब गुजरा था। मेरे रज ट् स अ सीव
परसटाइल पर जा प ंचे थे, जसका मतलब था क सौ म से अ सी टू डट् स ने मुझसे
बेहतर दशन कया था। कै रयर पाथ के पास एक ऐसा सॉ टवेयर था, जो कसी टू डट
के दशन म अ धकतम सु धार या अ धकतम गरावट को दज कर लेता था। मेरे दशन म
अ धकतम गरावट पाई गई।
‘यह ए से टे बल नह है,’ श शर सर, जो प यूटे शन गु और कै रयर पाथ के पाटनर
थे, ने कहा।
‘आई एम सॉरी, सर,’ मने कहा।
‘आई होप, तुम बुरी सोहबत म नह पड़ गए हो।’
‘मेरा कोई दो त ही नह है तो बुरी सोहबत का सवाल ही नह उठता,’ मने सच ही
कहा।
‘य द दो त नह ह तो ज द से कुछ दो त बना लो,’ श शर सर ने कहा। ‘कोटा म
अपना जीवन अ े -से बताने के लए तु ह कुछ दो त क ज रत होगी।’
मने श शर सर क ओर दे खा। वे युवा थे और उनक बात म स ाई लग रही थी। ‘म
जानता ं यह कतना क ठन है। आ खर म भी तो कोटा का ही ोड ट ं।’
संडे को म फर सायबर कैफे गया। हमेशा क तरह, कोई ईमेल नह था। बहरहाल,
पांच मनट बाद ही वह ऑनलाइन नजर आई।
मेरे भीतर के एक ह से ने मुझे उससे बात करने से मना कया था, ले कन इसके
बावजूद बातचीत क शु आत मने ही क ।

गोपालकोटाफै टरी: हाय।


उसने दो मनट तक कोई जवाब नह दया। मने एक और हाय भेजा।

लाइंगआरती: हाय गोपाल।

उसने मुझे गोपी कहकर नह पुकारा था। मुझे यह नॉमल नह लगा।

गोपालकोटाफै टरी: तुम अपसेट हो?


लाइंगआरती: आई एम फाइन।

जब कोई लड़क आई एम फाइन कहती है, खासतौर पर कै पटल एफ के साथ, तो इसका


मतलब कसी जहाज के लए ‘आगे आइसबग है’ के नशान जैसा होता है।

गोपालकोटाफै टरी: या हम चैट कर सकते ह?


लाइंगआरती: य द तुम मुझ पर चीखो- च लाओ नह तो।
गोपालकोटाफै टरी: य द मने उस दन ऐसा कया था तो आई एम सॉरी।

म इसके साथ ही यह भी जोड़ दे ना चाहता था क पछले संडे उसने चैट पर मुझे डच कर


दया था। म यह भी पूछना चाहता था क वह राघव के साथ आईआईट कानपुर य गई
थी। ले कन, य द म उससे ये बात पूछता तो वह मेरी बात का कोई जवाब नह दे ती और
यह सबसे बुरा होता। मेरे लए सबसे ज री यह पता करना था क उसके भीतर या चल
रहा है।

गोपालकोटाफै टरी : तु ह मेरी टे र ॉ लम के बारे म पता है ना। हालां क म


अपने आपम सुधार लाने क को शश कर रहा ं।
लाइंगआरती : इट् स फाइन। अपॉलॉजी ए से टे ड।

मुझे यह बात अजीब लगी क उसे मने सॉरी कहा, जब क वा तव म उसे मुझसे सॉरी
कहना चा हए था। या कभी कोई लड़क भी कोई गलती करती है? खैर, इंटरनेट पर
चै टग के साथ सबसे अ बात यह है क हम अपने को काबू म रखकर बात कर सकते
ह। मने गहरी सांस ली और एक सामा य-सा सवाल टाइप कर दया।

गोपालकोटाफै टरी: और, या चल रहा है?

जब हम संदेह से घरे ह , तो हम ऐसे ही सवाल पूछने चा हए, जनका केवल एक मतलब


न हो।
लाइंगआरती: कुछ खास नह । कॉलेज म समय का पता ही नह चलता।
मने कुछ नए दो त भी बनाए ह। ले कन यादा नह ।
गोपालकोटाफै टरी: कोई खास दो त?:-)

मने अंत म सोच-समझकर माइली लगाई थी। इससे मेरे सवाल के पीछे छपी ज ासा
और गु सा दोन छु प गए।

लाइंगआरती: कम ऑन, गोपी।

तो, अब वह मुझे मेरे नकनेम से पुकारने लगी थी। उसका मूड अ ा हो रहा था।

गोपालकोटाफै टरी: इट् स ओके। बताओ ना। नह बताओगी? तु हारे बे ट ड का


नाम?
लाइंगआरती: पता नह । तुम ब त अपसेट हो जाते हो।

मेरा दल तेजी से धड़कने लगा। म एक बार म एक अ र ही टाइप कर पा रहा था।


गोपालकोटाफै टरी: बताओ ना। म सुनना चाहता ं। :-):-):-)

मने इतनी सारी माइली इस लए लगा द , ता क वह बात करने म कंफटबल महसूस करे।
लाइंगआरती: वेल, कोई खास है।

मुझे लगा जैसे जंग लगे लोहे का एक खंजर मेरे सीने म घ प दया गया हो। ले कन मने
अपने दद को छु पाया और टाइप कया।

गोपालकोटाफै टरी::-)
लाइंगआरती: तुम उसे जानते हो।
गोपालकोटाफै टरी::-)
लाइंगआरती: वा तव म, तुम उसे ब त अ तरह जानते हो।
गोपालकोटाफै टरी: कहो ना, कौन है?:-)
लाइंगआरती: म टर बीएचयू, और कौन?

खंजर अब मेरे दल के टु कड़े -टु कड़े कर दे रहा था। मने अपने दांत को कसकर भ च
लया।
गोपालकोटाफै टरी: रयली?:-)
म खुद से कह रहा था: गहरी सांस लेते रहो, माइली लगाते रहो।

लाइंगआरती: हां वह पागल है। यमला पगला राघव!!! उसने मुझे फंसा ही
लया।
गोपालकोटाफै टरी: तो... तुम दोन एक- सरे के करीब हो?
लाइंगआरती: कुछ-कुछ।

अब म माइली नह लगा पा रहा था।

गोपालकोटाफै टरी: कुछ-कुछ का मतलब?


लाइंगआरती: अरे ऐसे सवाल मत पूछो।
गोपालकोटाफै टरी: तुमने वह सब कर लया है?
लाइंगआरती : हाऊ चीप गोपी। नह अभी नह ।
गोपालकोटाफै टरी : मतलब?
लाइंगआरती : मतलब आलमो ट... ओह, मुझे ए बैरैस मत करो।
गोपालकोटाफै टरी : हाट द फक?
लाइंगआरती : ए स यूज मी???
गोपालकोटाफै टरी : म तो समझता था तु हारी इन सब बात म दलच ी नह है।
लाइंगआरती : कन बात म?
गोपालकोटाफै टरी : तुम कहती थ क तुम केवल ड शप ही चाहती हो। मेरे
साथ। कसी के भी साथ।
लाइंगआरती : मने ऐसा कहा था या? पता नह । बस, सब कुछ होता चला
गया।
गोपालकोटाफै टरी: सब कुछ बस यूं ही कैसे होता चला गया? या तुमने बस यूं
ही अपने कपड़े उतार दए थे?

मेरा टे र लौट आया था और अब मेरा रमोट कं ोल उसी के हाथ म था।

लाइंगआरती: वॉच योर ल वेज।


गोपालकोटाफै टरी: य ? तुम या कोई सती सा व ी हो? यू आर बहे वग लाइक
अ लट।

उसने कोई जवाब नह दया। मने अपनी बात जारी रखी।


गोपालकोटाफै टरी : या तुम मुझे बता सकती हो य ? या इसी लए, य क
उसके पास जेईई रक है?
लाइंगआरती : शट अप गोपाल। मेरा और उसका र ता ब त खास है।
गोपालकोटाफै टरी : रयली? ऐसा कौन-सा खास र ता है? या तुमने उसे लो
जॉब दया? कहां पर? उसके हो टल म या कानपुर म?

उसने कोई जवाब नह दया। म समझ गया क म कुछ यादा ही कह गया था। खैर, आप
चैट पर भेजी कसी लाइन को अन-डू नह कर सकते। और म उससे फर माफ नह
मांगना चाहता था।
म उसके जवाब का इंतजार करता रहा।
तीन मनट बाद मेरी न पर एक मैसेज लैश आ - लाइंगआरती इज ऑफलाइन।
मने अपनी न र े श क । मुझे एक और नो ट फकेशन मला – लाइंगआरती इज
नो लॉगर अ कॉ टै ट।
उसने मुझे अपनी ड ल ट से नकाल दया था।
‘तु ह और व चा हए?’ कैफे ऑनर ने मुझसे पूछा।
‘नह , अब इसक कोई ज रत नह होगी,’ मने कहा।

जस दन आरती ने मुझसे कॉ टै ट ख म कर दया, उसी दन से मने अपनी रोज क


ै टस शीट् स पर काम करना बंद कर दया। अब म साइबर कैफे भी नह जाता था। अब
म हर रात को अपने घर के बाहर सड़क पर चमन चाय वाले के यहां बैठा रहता था। एक
हाथ म चाय के याले और सरे म वकशीट् स थामे टू डट् स लकड़ी क मेज पर बैठे रहते
थे। ले कन म अपने साथ कोई री डग मटे रयल लेकर नह आता था। म बस वहां बैठा-बैठा
व काटता रहता, चाय पीता रहता और आने-जाने वाले लोग को ताकता रहता था।
और एक दन मेरे पास इतने पैसे भी नह बचे क म उस कान पर कुछ ऑडर कर
सकूं।
‘आई एम सॉरी,’ मने कान मा लक चमन से कहा, ‘म कल तक पैस का बंदोब त
कर -लूंगा।’
तभी एक अजनबी आगे बढ़ा और उसने कानदार को दस पए थमा दए।
‘ चल’, उसने मुझसे कहा।
‘ओह, थ स,’ मने कहा।
‘बंसल?’ उसने चज लेते ए पूछा?
‘कै रयर पाथ,’ मने कहा। ‘म तु ह कल पे कर ं गा। म अपना वॉलेट घर भूल आया
था।’
‘ रलै स,’ उसने कहा और अपना हाथ आगे बढ़ा दया। ‘मेरा नाम तीक है। म रायपुर
से ं।’
अपने खुर रे चेहरे के कारण वह आईआईट ए रट से यादा आ ट ट लग रहा था।
‘ रपीटर? तीक ने पूछा।
मने सर हलाकर हामी भरी।
‘ वटर,’ उसने कहा।
‘मतलब?’
‘कोटा को आजमाकर दे ख लया। बात नह बनी। ले कन अब भी दमागी सुकून के
लए यह भटक रहा ं।’
म हंस पड़ा। ‘मेरी एआईईईई म 50 हजारव रक थी। मने सोचा य द म एक बार फर
को शश क ं तो शायद बात बन जाए।’
‘ या वाकई तुम ऐसा करना चाहते हो?’ तीक ने कहा।
म चुप रहा। हम कान के बाहर लकड़ी के कूल पर बैठ गए।
‘तु ह दे खकर लगता है क तुम भी ज द ही एक वटर बनने वाले हो,’ उसने कहा।
‘म ठ क ं। बस जरा मायूसी है। कै रयर पाथ का अगला इं टॉलमट ड् यू है, ले कन
अब मेरे पापा के पास यादा पैसा नह है।’
‘तो वापस लौट जाओ,’ तीक ने कहा। उसने सगरेट जलाई और मुझे ऑफर क ।
मने मना कर दया।
‘म ऐसा नह कर सकता। पापा क सारी उ मीद मुझ पर टक ह। वे कह से पैसा
उधार लेकर मुझे भजवाएंगे।’
तीक ने अपना सर झुका लया और सगरेट का धुंआ उगलने लगा।
‘म टॉप-25 परसटाइल तक प ंच गया था,’ मने कहा। म अपने कोटा म होने को
ज टफाई करना चाह रहा था।
‘प ंच गए थे यानी? तुम तो अब भी कोस कर रहे हो ना?’
‘ पछले कुछ ह त म मेरे दशन म गरावट आई है।’
‘ य ?’
‘कुछ खास नह ,’ मने चाय क चु क ली।
तीक ने अपनी चाय ख म क और एक और याले का ऑडर दया। ‘लड़क का
च कर है?’ उसने पूछा।
‘म तु ह अभी जानता भी नह । म तु हारे दस पए चुका ं गा, ले कन अब मेरी जांच-
पड़ताल मत करो,’ मने कहा।
‘ चल, मैन, म केवल बात कर रहा ं।’ वह हंस पड़ा और मेरा कंधा थपथपाया।
म चुप रहा। मेरे जेहन म बोट पर बताए उन ल ह क त वीर तैरने लग , जब आरती
मेरे साथ आ करती थी। म कस तरह पतवार खेया करता था। वह कस तरह उसके बाद
मेरी हथे लय को सहलाया करती थी। यह याद करके म अपने हाथ मलने लगा।
आई हेट हर, बट आई मस हर।
तीक ने एक भी श द कहे बना दो सगरेट फूंक द ।
‘हां, लड़क का ही मामला है,’ मने अनमने ढं ग से कहा।
‘उसने तु ह छोड़ दया?’ उसने खीस नपोरते ए कहा।
‘नह , वह कभी मेरी नह थी।’
‘ऐसा हो जाता है। हम लूजस ह। हम चीज आसानी से नह मलत । मा स, र स,
ग स -हमारे लए कुछ भी पाना आसान नह है।’
‘हां, हर कोई हम गया-गुजरा समझता है, फर चाहे कोटा क को चग लासेस ह या
हमारे शहर क कोई बदमाश लड़क ,’ मने कहा।
‘बदमाश लड़क , ऐह? तुम तो मजेदार इंसान जान पड़ते हो?’ तीक ने हाई -फाइव
करते ए कहा।
‘अब मुझे घर चले जाना चा हए।’
‘हमारा कोई घर नह होता। हम हवा म लटके ए ह। कोई घर नह , कूल नह ,
कॉलेज नह , जॉब नह । बस कोटा।’ उसने आंख मारते ए कहा।
तीक रेजोनस म पड़ता था और वह सेकंड-टाइम रपीटर था। वह पहली बार भी
वटर बन चुका था और इस बार भी वह कोटा से जाने का पूरा मन बना चुका था। हम
दो त बन गए। हर रात चमन चाय वाले के यहां हमारी मुलाकात होती।
ले कन एक दन ऐसा लगा क शायद चाय का सहारा काफ नह था। म टर पुली ने
मुझे अपनी लास से नकाल बाहर कर दया था।
‘अगर उ ह ने तु ह बाहर जाने को कह दया तो या आ? यह कोई रयल कॉलेज तो
है नह ,’ तीक ने कहा।
‘मुझे झपक लग गई थी। ले चर बड़ा बो रग था,’ मने कहा।
वह हंस पड़ा।
‘मने आज उ ह उनका सरा इं टॉलमट भी दे दया, इसके बावजूद वे मेरे साथ ऐसा
सलूक कर रहे ह,’ मने कहा।
‘ चल, आज हमारा काम केवल चाय से नह चलेगा।’ तीक उठ खड़ा आ। हम चाय
क कान से बाहर चले आए।
‘हम कहां जा रहे ह?’
‘मेरे घर,’ उसने कहा।

तीक का म दे खकर लगता नह था क वह कोटा के कसी हाडव कग रपीटर का म


है। कताब से यादा तादाद बीयर क बोतल क थी। पेन से यादा सगरेट के बट् स थे।
द वार पर रेजोनस के सकुलस के बजाय अधनंगी लड़ कय के पो टस थे।
‘तुम तो यहां वाकई सेटल डाउन हो गए हो,’ मने कहा।
‘नह , अगर म वाकई यहां सेटल हो सकता तो हो ही जाता। ले कन इस साल के बाद
मेरे पैरट् स मुझे पैसे नह दे ने वाले,’ उसने कहा। उसने अपने कबड से ओ म क क एक
बोतल नकाली। उसने मेरे लए नीट रम क एक क बनाई। उसका वाद ब त खराब
था।
‘इस साल के बाद या करोगे?’ मने पूछा।
‘कुछ नह । बस मेरे पैरट् स अस लयत से वा कफ हो जाएंगे। दोन ट चस ह। म उ मीद
करता ं पछले दो साल म अपनी जदगी क आधी से व स मुझ पर खच कर दे ने के बाद
वे यह समझ ही जाएंगे क उनका बेटा कसी भी एं स ए जाम को ै क नह कर सकता।’
‘य द तुम मेहनत करो तो तुम कर सकते हो,’ मने कहा और अपनी क को अपने से
र ही रखा।
‘नह , म ऐसा नह कर सकता,’ तीक ने ठोस तरीके से कहा।
‘ सले ान रेट तीन तशत से भी कम है। हमम से अ धकांश टू डट् स इन टे ट् स को
भी ै क नह कर सकते। ले कन आ खर यह बात हमारे पैरट् स को कौन समझाए? एनीवे,
अपनी क एक ही शॉट म ख म कर दो।’
रम का वाद कसी गम और कड़वी दवाई क तरह था। मने जैसे-तैसे उसे अपने गले
के नीचे उतारा। म आरती को भुला दे ना चाहता था। कभी-कभी कसी बुरे अहसास को
एक और बुरे अहसास से ही र लेस कया जा सकता है।
मने एक और क मांगी और उसके बाद एक और। ज द ही आरती का याल मुझे
इतना परेशान नह कर पा रहा था।
‘तुम उसे यार करते थे?’ तीक ने कहा।
‘ यार या होता है?’
‘ यार वह होता है, जो आईआईट ए जाम लीयर करने पर आपके पैरट् स आपके
लए महसूस करते ह,’ उसने कहा।
हमने हाई-फाइव कया। ‘मेरे याल से म उसे यार ही करता था,’ मने थोड़ी दे र से
कहा।
‘ कतने समय तक?’ उसने एक सगरेट सुलगा ली।
‘आठ साल।’
‘होली शट! या तुम दोन क मुलाकात अ ताल म पैदा होने के बाद ही हो गई थी?’
तीक ने कहा।
मने सर हला दया। अगले तीन घंटे तक म उसे अपनी एकतरफा ेमकहानी के बारे म
बताता रहा। उस दन से, जब मने उसका ट फन चुरा लया था, उस दन तक, जब उसने
आ खरी बार मेरे हाथ को सहलाया था और फर हाल ही म जब उसने मुझे अपनी
कॉ टै ट ल ट से नकाल बाहर कर दया था।
तीक चुपचाप सुनता रहा।
‘तो, तु ह या लगता है? कुछ कहो,’ मने कहा। मुझे यह दे खकर हैरानी ई क वह
अभी तक जाग रहा था।
‘तुम जब तक चाहे बात कर सकते हो मैन!’ उसने बची-खुची रम भी मेरी कम
उड़े ल द ।
‘सॉरी,’ मने सकुचाते ए कहा। ‘ या म तु ह बोर कर रहा था?’
‘इट् स ओके। उसे भूलने क को शश करो। उसे वश करो क वह उस जेईई वाले
लड़के के साथ खुश रहे।’
‘म उसे नह भूल सकता। जस दन से उसने मुझसे बात करना बंद कर दया, तबसे
मने एक दन भी पढ़ाई नह क है।’
‘ड ट वरी। तु ह और कोई लड़क मल जाएगी। हर लड़के को कोई न कोई लड़क
मल ही जाती है। ला ट रकस को भी। तु ह या लगता है इं डया क इतनी बड़ी आबाद
बस ऐसे ही है?’
‘म कभी शाद नह क ं गा,’ मने कहा।
‘ फर या करोगे? अपने हाथ से ही शाद कर लोगे?’ तीक ठहाका लगाकर हंस
दया।
लड़के कसी काम के नह होते। वे रलेशन श स के बारे म बात करने क अपनी
नाका ब लयत को ऊटपटांग जो स के पीछे छु पाने क को शश करते ह।
‘अब मुझे चलना चा हए,’ मने कहा।
उसने मुझे रोका नह । वह फश पर पड़ा था और इतना थक चुका था क उसम अपने
ब तर तक जाने क भी ह मत नह रह गई थी। म बाहर नकलने को आ क वह पीछे से
च लाया, ‘ जदगी पर अपनी पकड़ ढ ली मत करो, मैन।’
पकड़। हां, यह सही श द है। इन एं स ए जाम को ै क करने क क यही है क हम
उन पर अपनी पकड़ बना ल। इसके लए एक गेम लान ज री है। हम कन वषय म
मजबूत ह, कनम कमजोर ह। या हम ट चस के साथ मलकर उन कमजो रय को त
कर रहे ह? या हम मॉक -टे ट् स म अपनी तर क का आकलन कर रहे ह? या हम
दनभर ए जाम के सवाय और कुछ नह सोचते ह? या हम ज द -ज द नहाते और
खाना खाते ह ता क हमारे पास पढ़ाई करने का और समय हो? य द इन सभी सवाल का
जवाब हां है, तभी हम कह सकते ह क हमारी पकड़ मजबूत बनी है। कामयाब होने का
बस यही एक तरीका है। न त ही, हम उन कुछ टै लटे ड टू डट् स म से भी एक हो सकते
ह, ज ह कामयाब होने के लए यादा पड़ने क ज रत नह होती। ले कन हमारे पैरट् स
के मी डयोकर जी स के कारण हमम से अ धकतर इस तरह के टै लटे ड टू डट् स नह होते।
कतनी अजीब बात है क ऐसे सड़े ए जी स डोनेट करने वाले हमारे पैरट् स को ही यह
समझने म सबसे यादा व लगता है क उनका बेटा आइं टाईन का लोन नह है।
मेरी पकड़ ढ ली पड़ चुक थी। आरती ारा मुझसे री बना लेने के कम से कम तीन
महीन तक ऐसा ही रहा। तीक मेरा नया और इकलौता दो त बन गया था। म लासेस
अटड करता था, ले कन हगओवर के कारण मेरे लए बजीन चस या रे डयोए टव
आइसोटो स को समझना क ठन हो गया था। म ै टस शीट् स पर काम करने क को शश
करता था, ले कन फोकस नह कर पाता था। ट चस अब मुझे वटर मानने लगे थे और
उ ह ने मुझ पर यान दे ना बंद कर दया था। म एक सकर- टू डट बन गया था, उन नाउ मीद
टू डट् स म से एक, ज ह केवल इसी लए आने क इजाजत द जाती थी, य क उ ह ने
को चग सटर को इसके पैसे चुकाए थे।
एक और मुसीबत थी। मेरा खचा बढ़ गया था, य क अब मुझे रम के लए भी पैसे
चुकाने पड़ते थे। तीक ने मुझे कुछ समय तक ट द , ले कन उसके बाद उसने मुझसे
कहा क म अपने ह से के लए पे क ं । म जानता था क आ खरी इं टॉलमट के पैसे
चुकाने के लए बाबा ने उधार लया था और अब उनके पास ब कुल पैसा नह था।
बहरहाल, मेरे पास और कोई वक प नह रह गया था।
एक रात मने एसट डी बूथ से अपने घर फोन लगाया।
‘सॉरी बाबा, म पछले ह ते फोन नह लगा पाया,’ मने कहा।
‘ठ क है। तुम मन लगाकर पढ़ाई कर रहे हो ना?’ बाबा ने कहा। उनक आवाज ब त
कमजोर लग रही थी।
‘बाबा, एक छोट -सी ॉ लम है,’ मने कहा।
‘ या?’
‘मुझे कुछ नई कताब चा हए। मै स के लए उनसे अ कोई कताब नह ह।’
‘तुम उ ह कसी से ले नह सकते या?’
‘मु कल है,’ मने कहा। ‘सभी अपनी कताब अपने पास ही रखना चाहते ह।’
बाबा चुप हो गए। म भी चुप रहा और एक साथ इतने सारे झूठ बोल दे ने के बाद दम
लेने क को शश करता रहा।
‘ कतने पैसे चा हए?’
‘दो हजार। इंपोटड कताब ह।’
‘ओके।’
‘आपके पास पैसा है, बाबा?’
‘एक ह ते म भेज ं ?’
‘आपने कतना लोन लया है, बाबा?’ मने कहा।
‘पचास हजार,’ उ ह ने कहा। मने तु ह तीस हजार भेज दए थे, ले कन क छत त
कराने के लए मुझे भी कुछ पैस क ज रत थी।
‘और आपके मे डकल बल?’
‘अ ताल का मुझ पर बीस हजार पए का कज चढ़ चुका है।’
‘यानी आपको वैसे भी कुछ और पैसा उ धार लेना ही था?’
‘शायद।’
‘जो चाह, भेज द जए। अब म चलता ं, यह महंगा कॉल है,’
मने कहा। मने इस मु कल इ तहान को ज द ख म कर दे ना चाहता था।
‘तुम सले ट तो हो जाओगे ना, गोपी?’
‘हां, हां, म हो जाऊंगा।’
मने रसीवर नीचे रख दया। मुझे ब त बुरा लग रहा था। मने तय कया क और मेहनत
से पढ़ाई क ं गा। म फर से 25 परसटाइल म जगह बनाऊंगा और फर टॉप 5 तक भी
जाऊंगा। मने तय कया क म पूरी रात प ं गा। ले कन, मुझे रम क तलब भी लग रही थी।
ज द ही मेरा न य कमजोर सा बत आ। म तीक के घर गया और रात का आइ धकतर
व वहां गुजार दया। मुझे कोई भी चीज पढ़ाई करने के लए तैयार नह कर पा रही थी।
फर मेरा ज म दन आया।

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11

मेरा ज म दन मेरे कोटा आने के पांच महीने बाद आया था। मने इसे कोई ेशल डे नह
माना था और मने सोचा था क म रोज क तरह लासेस अटड क ं गा। ले कन, मेरी बथडे
वाली रात म टर सोनी ने मेरे दरवाजे पर द तक द ।
‘कोई फोन पर है और तु हारे बारे म पूछ रहा है।’ उनक न द म डू बी ई आवाज
सुनाई द ।
‘इस व कौन होगा?’ मने कहा। म हैरान था। ‘बाबा?’
‘कोई लड़क है,’ म टर सोनी ने कहा। ‘और है पी बथडे , बाय द वे।’
‘थ स,’ मने कहा और फोन उठा लया। आ खर कौन हो सकता था? मने सोचा।
कै रयर पाथ क कोई ट चर? या मने कुछ गलत कर दया था?
‘है पी बथडे गोपाल।’ आरती के अद्भुत श द मेरे कान म इस तरह पड़े , जैसे कोटा
क गम दोपहर म बा रश हो जाए। मेरे भीतर भावनाएं उफन रही थ । मेरी खुशी का कोई
पारावार न था।
‘आरती?’ म अपने आसु को नह रोक सका और वे मेरे गाल पर ढु लक पड़े ।
‘तो तुम अब भी मेरी आवाज पहचानते हो? मने तो सोचा था क म कुछ दे र गे सग गेम
खेलूंगी। हम बात कर सकते ह? म तु ह ड टब तो नह कर रही?’
म आरती से बातचीत करने के इस य क हजार बार क पना कर चुका था। मने
सोचा था क य द उसने मुझे क भी फोन लगाया तो म उसके साथ खा वहार क ं गा,
जैसे क मुझे कोई परवाह न हो क वह कौन है और या है। या म ऐसा दखावा क ं गा
कमब त त ं। न त ही, वह तमाम े स रहसल एक झटके म हवा हो गई। ‘नह ,
नह , आरती,’ मने कहा। ‘तुम मुझे ब कुल ड टब नह कर रही हो।’
मने कई महीन से इससे बेहतर महसूस नह कया था। आ खर बथडे साल म एक बार
ही य आता है?
‘तो, बथडे पर कुछ खास करने का इरादा है?’ आरती ने कहा।
‘नॉट रयली। शायद कसी दो त के साथ डनर पर जाऊं।’
‘दो त? डे ट, य ?’ उसने अपनी चर-प र चत शरारती आवाज म कहा।
‘ तीक। वह लड़का है,’ मने कहा।
‘ओह, ओके,’ आरती ने कहा। ‘दै ट्स नाइस।’
‘मुझे पछली बार क चैट के लए खेद है।’
वह चुप रही।
‘मुझे वे सारी बात नह कहनी थ । ले कन तुमने कॉ टै ट ही बंद कर दया...’
‘आज तक मुझसे कसी ने इस तरह बात नह क ।’
‘आई एम सॉरी।’
‘इट् स ओके। एनीवे, आज तु हारा बथडे है। म नह चाहती क तुम खराब महसूस
करो।’
‘राघव कैसा है?’ मने कहा। म अपने आपको रोक नह पा म उनके रलेशन शप टे टस
के बारे म जानने के लए बेकरार था।
‘वह अ ा है। उसने बीएचयू म अपना पहला सेमे टर पूरा लया है।’
‘तब तो वह मजे कर रहा होगा।’
‘नह , उतना नह । इन फै ट, अब वह कै स क मै जीन संपादन करता है। वह उसी
के बारे म बात करता रहता है।’
‘दै ट्स ेट,’ मने कहा। उसने मुझे अभी तक उन दोन के र त के बारे म नह बताया
था। म भी पछली बार क तरह ब त उतावला नजर नह आना चाहता था।
‘वह ब त बेहतरीन इंसान है, गोपाल। तु ह दे खना चा हए क वह नया के लए
कतना कुछ कर गुजरना चाहता है।’
मुझे इस बात से कोई सरोकार नह था क राघव नया के लए कतना कुछ कर
गुजरना चाहता था। म बस यही चाहता था क वह नया के एक इंसान को मेरे लए छोड़
दे । ‘मने तो कभी नह कहा क वह बुरा है,’ मने कहा।
‘गुड, और म उसके साथ खुश ं। य द तुम एक दो त के प म मेरी फ करते हो तो
तु ह इसे वीकार करना चा हए।’
‘ या हम दो त ह?’ मने पूछा।
‘य द हम दो त नह होते तो या म तुमसे अभी बात कर रही होती?’ उसने कहा।
म उसे बताना चाहता था क उसने मुझसे पछले तीन महीन से बात नह क थी। खैर,
य द लड़ कय के सामने उनके ारा कही गई बात से उलट सबूत पेश कए जाएं तो वे ब त
अपसेट हो जाती ह।
‘येस, आई गैस,’ मने कहा और चुप हो गया। फर मने कहा। ‘तो हम बात कर सकते
ह?’
‘हां, बशत तुम मुझे अनकंफटबल महसूस न कराओ। और...’
‘और या?’
‘राघव और मेरे र ते को ए से ट कर लो।’
‘ या मेरे पास कोई और चॉइस है भी?’ मने कहा।
‘दै ट्स द पॉइंट। म चाहती ं क तुम खुशी-खुशी इसे ए से ट कर लो। य द तु ह अपने
सपन क लड़क मल जाए तो मुझे भी ब त खुशी होगी।’
ते ये ही बात थी, राघव उसके सपन का लड़का था।
जंग लगा चाकू मेरे भीतर और गहरे धंसने लगा। मुझे समझ नह आया क या क ं।
‘म ए से ट करता ं,’ मने थोड़ी दे र बाद कहा। म एक बार फर उससे र नह होना चाहता
था। उससे बातचीत बंद होने के बाद कोटा म मेरी जदगी नक जैसी हो गई थी।
‘कूल, य क म तु ह मस करती ं,’ उसने कहा, ‘एक दो त क तरह।’ उसने इस
आ खरी वा य को जोर दे कर कहा।
लड़ कयां हमेशा इस तरह क बात करती ह। वे यह यान रखती ह क उनके ारा कही
गई बात के आ धार पर बाद म उ ह मु कल म न डाला जा सके। जैसे क य द म उसे
कहता, ‘तु ह ने तो कहा था क तुम मुझे मस करती हो तो वह तपाक से कहती, ‘ले कन
मने यह भी कहा था क एक दो त क तरह मस करती ं!’ जैसे क हम कसी अदालत म
ह । लड़ कय को समझ पाना मु कल है। म शत लगाकर कह सकता ं क कै रयर पाथ
के जे स भी लड़ कय को समझने म नाकाम सा बत होते।
‘यू दे यर?’ उसने पूछा और मेरे वचार का सल सला टू ट गया।
‘हां,’ मने कहा।
‘ओके, अब मुझे जाना है। है पी बथडे अगेन!’
‘थक यू, बाय। म तुमसे बात क ं गा या चैट क ं गा...’ मने कहा और क गया।
‘म तु ह बाद म चैट म एड कर लूंगी,’ वह हंस पड़ी।
‘सॉरी अगेन,’ मने कहा।
‘ड ट बी टु पड, बथडे बॉय। य द तुम यहां होते तो म तु हारे गाल ख च’, लेती उसने
कहा।
तो, उसने एक बार फर वही हरकत कर डाली – इस तरह क यारभरी बात से मुझे
कं यूज करना। वह मुझे पसंद करती थी या नह ? अरे हां, उसका यार तो राघव है, मने
खुद को याद दलाया।
‘चैट सून,’ उसने कहा और फोन रख दया।
म इतना अ ा महसूस कर रहा था क मेरी डे क पर रखी फ ज स सॉ यूशंस गाइड
भी चूमने लायक लग रही थी। म पढ़ाई करना चाहता था। म जीना चाहता था।

कै रयर पाथ इस बात को कभी नह समझ पाएगा क म एक बार फर उसक मो ट–


इ ु ड ल ट तक कैसे प ंचा। आरती ने फर से मन लगाकर पढ़ाई करने म मेरी ब त
मदद क थी। शायद, चैट म उसका यह पूछ लेना ही काफ होता था क ‘आज तु हारा दन
कैसा गया?’ मुझे भी यह अ ा लगता था क म उसके लए जवाबदे ह ं और म उसे
बताता था क मेरा दन कतना अ ा बीता। म उसे लास म पढ़ाए जाने वाले इ वेशंस,
ट चस ारा मुझे दए जाने वाले फ डबैक (खास तौर पर पॉ ज टव फ डबैक) और मेरे ारा
दे र रात तक पढ़ाई करने के बारे म बताता था।
कह न कह , म अब भी उसे इं ेस करना चाहता था। मने याल कभी नह छोड़ा क
वह अपना मन बदल सकती है। मेरे भीतर के म टर आशावाद ने हार नह मानी थी।
शायद, वह चैट पर कभी मुझे बताए क राघव के साथ उसक बन नह रही है, या
शायद वह कस तरह मुझसे अपने बॉय ड से भी यादा लगाव महसूस करती है।
बहरहाल, उसने ऐसी कोई बात नह क । हालां क कभी–कभी ऐसा ज र लगता क
वह ऐसा कुछ कहने ही वाली है। एक बार उसने मुझे बताया क राघव ब त अ ड़यल है।
राघव ने अपने कॉलेज क मै जीन क प लकेशन डे डलाइन के कारण उसे दो बार मूवी डे ट
के लए डच कर दया था। म तो क पना भी नह कर सकता था क कोई लड़का आरती
के साथ होने का मौका कैसे गंवा सकता है। कसी टु पड मै जीन क डे डलाइन तो छोड़ो
म आरती के लए कै रयर पाथ का मॉक– टे ट भी छोड़ सकता था। ले कन मने उसे यह
नह कहा। मुझे अपनी जगह पता थी। म, जो कभी राघव से अपनी तुलना नह सकता था।
एक शाम मने चैट पर उसे अपनी लास परफॉमस के बारे म बताया।

गोपालकोटाफै टरी : तो म 20व नंबर तक प ंच गया ं।


लाइंगआरती : 20वां या?
गोपालकोटाफै टरी : लास म मेरा परसटाइल। इसका मतलब है क 80 फ सद
लास ने मुझसे खराब दशन कया। यह मेरा अब तक का सव े दशन है!
लाइंगआरती : वॉव ! कूल !
गोपालकोटाफै टरी : हालां क मुझे अब भी एक लंबा सफर तय करना है।
लाइंगआरती : तुम अपनी मं जल ज र हा सल कर लोगे। तु हारे पास समय है।
गोपालकोटाफै टरी : समय तो खैर यादा नह है। जेईई और एआईईईई दो महीने
से भी कम समय बाद ह।
लाइंगआरती : यू वल बी फाइन।
गोपालकोटाफै टरी : आई होप सो। कोस के बीच म म थोड़ा पछड़ गया था।
लाइंगआरती : कैसे?
गोपालकोटाफै टरी : बस यूं ही। लैक ऑफ फोकस। एनीवे, म अब ज द से ज द
कोटा से चले जाना चाहता ं।
लाइंगआरती : म जानती ं... मुझे भी तु ह दे खे लंबा समय हो गया है। मस यू।
गोपालकोटाफै टरी : या वाकई?
लाइंगआरती : ऑफ कोस। दे खो, राघव ने मुझे ‘चक दे इं डया’ दखाने का वादा
कया, ले कन नह दखाई। य द तुम यहां होते तो म तु हारे सा थ फ म दे ख
सकती थी
गोपालकोटाफै टरी: तुम मेरे साथ फ म दे खने चलोगी?

उसने कोई जवाब नह दया। मने पांच मनट वेट कया।

गोपालकोटाफै टरी:???
गोपालकोटाफै टरी: यू दे अर?

उसने कोई जवाब नह दया। म सोचने लगा क मने कह कोई गलत बात तो नह कह द ।
मेरा दल तेजी से धड़कने लगा। पांच मनट मने फर लखा।

गोपालकोटाफै टरी : हे, यू अपसेट? य द मने कुछ गलत कह दया तो उसके लए


सॉरी... तु ह...
लाइंगआरती : हे, सॉरी...
लाइंगआरती : बॉय ड का फोन आया था। माफ मांग रहा था। उसका काम पूरा
हो गया है। हम मूवी दे खने जा रहे ह !!
गोपालकोटाफै टरी : ओह, दै ट्स ेट।
लाइंगआरती : तुम या कह रहे थे... वेट। ऑफ कोस, जब तुम लौट आओगे तो
हम साथ –साथ फ म दे ख सकते ह। और तुम सॉरी य बोल रहे हो?
गोपालकोटाफै टरी : कुछ नह । बस मुझे लगा क...
लाइंगआरती : रलै स। ओके, अब मुझे तैयार होना है।
गोपालकोटाफै टरी : फाइन।
लाइंगआरती : म इतना खूबसूरत दखना चाहती ं क वह मेरे चेहरे से नजर न
हटा पाए। नह तो वह हमारी डे ट पर भी अपने आ टक स क ूफ री डग करता
रहेगा।
गोपालकोटाफै टरी : ओके। अब मुझे भी पढ़ाई करनी चा हए।
लाइंगआरती : दो महीने और। फर हम सब मलकर खूब मौज – म ती
करगे।
गोपालकोटाफै टरी : येस। थ स।
लाइंगआरती : बाय। XOXOXO

और लाइंगआरती ने लॉग आउट कर दया।


म धीमे कदम से चलता आ घर लौट आया। आ खर मेरी जदगी म कताब के
अलावा और कुछ नह रह गया था। मने को शश क क म थएटर म एक– सरे का हाथ
थामे राघव और आरती क क पना न क ं । म सोचने लगा क या मुझे आरती से
बातचीत जारी रखनी चा हए। ले कन, मुझे नराशा क वह गत याद आती थी, जसम म
उससे पछली बार बातचीत बंद होने के बाद पड़ गया था। पूरी तरह नवस ेकडाउन होने से
तो यही बेहतर है क दल पर छोट –मोट चोट पड़ती रहे।

कै रयर पाथ के इं टस ने हम कहा था क हम रात आठ बजे ही सो जाएं। यह जेईई


ए जाम से पहले क शाम थी। हमारी आ खरी लास म मो टवेशनल ीचेस । बैलस–
जी ने महा मा गांधी से लेकर मुह मद अली तक के उदाहरण दए। ये वे लोग थे, ज ह ने
मु कल हालात का सामना करने के बावजूद कभी हार नह मानी। मने हवा म मुह मद
अली क तरह मु का लहराया और गांधी क तरह सधे ए कदम से इं टट् यूट से बाहर
चला आया। मेरा मकसद था नया के सबसे क ठन –ऐस ए जा स म से एक को ै क
करना। घर जाते व मने दो लोग को फोन लगाया, जो मुझे गुड लक वश कर सकते थे।
‘मेरे गोपी, मेरी बे ट वशेश हमेशा तु हारे साथ ह। कल तु हारे पास एक मौका है क
तुम अपने प रवार के नाम को मश र बना सकते हो,’ बाबा ने कहा।
‘थक यू बाबा,’ मने कॉल क अव ध कम रखते ए कहा।
फर मने आरती का नंबर घुमाया।
‘हैलो?’ एक पु ष वर ने मुझे च का दया। वह आवाज उसके पता जैसी नह लग
रही थी।
‘ या म लीज आरती से बात कर सकता ं?’ मने कहा।
‘ योर, आप कौन बोल रहे ह?’ उस ने पूछा।
‘गोपाल।’
‘हाय, गोपाल। इट् स राघव’, उस ने कहा।
मेरे हाथ से फोन लगभग छू टकर गर पड़ा। ‘राघव?’ मने कहा। मने लगभग एक साल
से उससे बात नह क थी।
मुझे नह पता था क राघव को आरती और मेरे बारे म कतना पता था। खासतौर पर
उससे ई मेरी झड़प और फर उसके बाद हमारी बातचीत फर शु होने के बारे म। मने
अपने लहजे को यू ल ही बनाए रखा। ‘बीएचयू म कैसा लग रहा है?’
‘अभी तक तो सब ठ क है। बीएचयू कसी भी सरे कॉलेज जैसा ही है। बस यहां
बेहतर सु वधाएं ह। तुम कैसे हो?’
‘कल जेईई है। तुम अंदाजा लगा सकते हो।’
‘पता है। मेरा कॉलेज भी एक सटर है। तुम तब से यहां एक बार भी नह आए?’
‘आ खरी मनट तक मेरी लासेस चलती रह । फर कल से मेरा एआईईईई फाइनल
र े शर भी शु हो रहा है।’
‘मुझे तो खुशी है क म इस सब से पार पा चुका,’ राघव ने हंसते ए कहा। वह मुझे
चढ़ाना नह चाहता था, ले कन मुझे बुरा लगा। जब कोई इनडायरे टली भी आपके
कमजोर ह से पर चोट करता है तो दद होता है।
‘उ मीद करता ं क म भी ज द ही इससे पार पा जाऊं,’ मने कहा। ‘तुम उसे ै क कर
लोगे। आरती ने मुझे बताया था क तु हारी पढ़ाई अ चल रही है।’
तो वे दोन मेरे बारे म बात करते ह, मने सोचा।
‘ कसे पता? पेपर पर डपड करता है। फर क मत का भी साथ मलना चा हए।’
‘सच बात है,’ राघव ने कहा।
एक मनट तक असहज– सी खामोशी पसरी रही। यह उसक गलती थी, य क वह
यह भूल गया था क मने आरती से बात करने के लए फोन लगाया था।
‘तो, आरती है?’
‘अरे हां, एक सेकंड हो करो।’
मुझे उसक खल खलाहट सुनाई द । मने सोचा कह राघव ने मेरे बारे म कोई जोक तो
नह सुनाया।
‘हे! बे ट ऑफ लक, जेईई बॉय,’ आरती ने कहा।
‘थक यू। मुझे इसक ज रत है।’
‘म तु हारे लए ाथना करने व नाथ मं दर गई थी,’ आरती ने कहा।
‘वाकई?’
‘हां। और म इस आलसी राघव को भी अपने साथ ले गई थी,’ उसने कहा और फर
हंस पड़ी। ‘हम अभी–अभी लौटे है... हे, राघव टॉप... टॉप... हो ऑन, गोपाल।’
जैसे क मने उनके इस ाइवेट हंसी–ठ े को सुनने के लए यह ल ग ड टस कॉल
लगाया हो। मने सुना क आरती राघव से कह रही थी क वह उसक नकल न करे, ले कन
शायद राघव के पास करने के लए कोई और बेहतर काम न था।
‘हैलो?’ मने साठ सेकंड् स के बाद कहा।
‘हे, सॉरी,’ आरती ने अपने आपको संभालते ए कहा। ‘ओके, अब म उसे अपने से
र कर सक ं। गोपी, तुम ए जाम सटर पर सुपर– कॉ फडट होकर जाओगे, ॉ मस?’
‘हां,’ मने कसी आ ाकारी ब े क तरह कहा। जब वह मुझसे इस तरह अ धकार के
साथ बात करती थी तो मुझे अ ा लगता था।
‘म चाहती ं क तुम यह महसूस करो क तुम जदगी म जो चाहे हा सल कर सकते
हो। य क म जानती ं तुम ऐसा कर सकते हो,’ आरती ने कहा।
‘म तु ह नह हा सल कर सकता’, म उससे कहना चाहता था। इसके बावजूद, मुझे
अ ा लगा क उसने बग टे ट से पहले मेरा हौसला बड़ाया। ‘एआईईईई ख म होते ही म
सीधे वाराणसी क े न म सवार हो जाऊंगा।’
‘हां, हम भी तु हारा इंतजार कर रहे ह। ज द आना। रज ट आने पर हम साथ
मलकर तु हारी जीत का ज मनाएंगे।’
‘हां, य द म जीत सका तो’, मने कहा।
‘ऐसे मत सोचो। ऐसा सोचो क तुम पहले ही जीत चुके हो,’ आरती ने कहा,’ मेरे
लए।
उसक यह बात मेरे लए नया क सबसे खूबसूरत बात थी। हां, म जीतना चाहता
था, उसी के लए!
शहर बदल गया था, ले कन कोटा का जेईई ए जाम सटर मुझे पछले साल जैसी ही
फ लग दे रहा था। पैरट् स टै सी–लोड् स और ऑटो–लोड् स म आ रहे थे। कुछ अमीरजादे
एयरकंडीशंड कार से आए थे। मांएं अपने ब के लए पूजा–पाठ कर रही थ , और यह
वडं बना ही है क इस पूजा–पाठ के ठ क बाद उनके ब को व ान म अपनी महारथ
दखानी थी। मेरे साथ मेरे प रवार का कोई न था। मुझे परवाह भी नह थी। माथे पर
तलक और मुंह म दही से फक नह पड़ता। एक बार भीतर दा खल होने के बाद आपको
दे शभर म ए जाम दे रहे पांच लाख टू डट् स म से न यानवे फ सद से कड़ा संघष करना
पड़ता है।
मेरी शु आत अ ई। मने कुछ शु आती ॉ ल स आसानी से सुलझा ल । बीच
म द कत आने लग । इनम से कुछ सवाल उन चै टस के थे, ज ह तब पढ़ाया गया था,
जब म शराब के नशे और नराशा क गत म आ करता था। कुछ ॉ ल स पर म उलझ
गया। मुझे लगता था क म उ ह सॉ व कर लूंगा और उनसे जूझते ए मने दस मनट बबाद
कर दए। मेरे याल से मेरी ॉ लम यह है क म कसी भी चीज को आसानी से छोड़ नह
सकता। जेईई म दस मनट ब त मायने रखते ह। मने अपने आपको दमागी प से
लताड़ा और अगली ॉ लम को सॉ व करने म भड़ गया। घंट बजने से पहले म हर संभव
ॉ ल स सॉ व करता चला गया।
ए जा मनर ने मुझसे मेरा पेपर छ न लया, जब क म उसे वनती कर रहा था क वह
मुझे आ खरी जवाब लख लेने दे । उस एक को छोड़ने भर से मुझे 500 रक का
नुकसान हो सकता था, बहरहाल... जेईई ख म हो चुका था!
‘ए जाम कैसा रहा?’ शाम को बाबा ने मुझसे पूछा।
मने एक ईमानदार जवाब दे ने क को शश क । ‘ पछली बार से बेहतर।’
‘गुड। ले कन अभी रलै स मत करो। एआईईईई पर पूरा यान लगाओ।’
‘जी हां,’ मने कहा।
आरती से मने थोड़ी दे र चैट क । जैसा क जा हर था उसने मुझे फर से हौसला
दलाया। कॉलेज म उसक पढ़ाई म बाधा आने वाली थी। उसके पैरट् स ने अमे रका म
उसक आंट से मलने के लए एक फै मली प का लान बनाया था।
‘य द म कॉल या चैट नह कर पाई तो म तु ह शकागो से ईमेल क ं गी,’ उसने कहा।
उसने मुझे एआईईईई के लए गुड लक वश करते ए कुछ मे स भी भेजे।
आरती ने मुझे यह भी बताया क राघव क छु ट् टयां चल रही थ और वह कसी
लोकल अखबार म इंट नग कर रहा था।
‘राघव के पता इस बात से ब त खुश नह ह क उनका इंजी नयर बनने वाला बेटा
अखबार म काम कर रहा है। ले कन म कहती ं भला इसम गलत ही या है?’ आरती ने
अपने एक ईमेल म लखा।
जब मेरे ये दो त इंटरनेशनल हॉलीडे मना रहे थे और अपनी पसंद का काम कर रहे थे,
तब म एआईईईई कर रहा था। ए जा स अ े –से ए, पछली बार से कह बेहतर।
बहरहाल, यह एक ीड–बे ट टे ट है। आप कभी नह बता सकते क सरे लोग क
तुलना म आपने वाकई अ ा दशन कया है या नह । स र फ सद सवाल कर दे ने का
मतलब होता है क आप लक ह। मुझे ऐसा लग रहा था क मने पछली बार से अ ा
दशन कया है। खैर, मने अपनी आ सर शीट सब मट क और पै कग करने के लए
दौड़कर अपने घर प ंचा। मुझे एक े न पकड़नी थी। म कोटा म अपनी सजा पूरी कर चुका
था।
तीक मुझे टे शन पर ाप करने आया। उसने कंपाटमट म भारी बै स चढ़ाने म मेरी
मदद क ।
‘तुम रायपुर कब जाओगे?’ मने कहा।
‘जब वे लोग मुझे लेने आएंगे,’ तीक ने बेपरवाही के साथ कहा और हाथ हलाकर
मुझे वदा द ।
वाराणसी

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12

टे शन पर केवल वाराणसी के नजारे और गंध ही मेरा वागत करने प ंचे। मने अपने आने
के बारे म कसी को नह बताया था। म नह चाहता था क बाबा टे शन तक प ंचने के
लए ऑटो- र ा पर पैसा खच कर। उ ह ने मुझे बताया था क हम पर जो कज और
उसका याज चढ़ा था वह डे ढ़ लाख के बराबर था। लोन दे ने वाले तीन फ सद तमाह क
दर से याज ले रहे थे।
‘तुम एक अ ा कॉलेज जॉइन करोगे तो हम टे ट बक ऑफ इं डया से स ती दर पर
लोन मल जाएगा,’ बाबा ने मुझसे कहा था।
मुझे गढौ लया क गंद और भीड़भरी सड़क भी खूबसूरत लग रही थ । अपने शहर क
तुलना कसी और कोई जगह से नह क जा सकती। ले कन म आरती से मलने के लए
बेचैन था। वाराणसी का च पा-च पा मुझे उसक याद दला रहा था। लोग मेरे शहर म ई र
क मौजूदगी का अहसास करने आते ह, ले कन मुझे तो यहां हर जगह वही नजर आती
थी। बहरहाल, मुझे सबसे पहले तो बाबा के पास ही जाना था।
मने अपने घर क घंट बजाई।
‘गोपाल!’ बाबा मुझे दे खते ही चीखे और अपनी बली-पतली बांह म मुझे जकड़
लया।
‘मने वाराणसी और अपने घर को ब त मस कया, बाबा। मने आपको भी ब त मस
कया।’
घर पहले से भी बेतरतीब नजर आ रहा था। शायद बाबा उसे इससे यादा साफ-सुथरा
नह रख सकते थे। मने कमरा बुहारने के लए झाडू उठा ली।
‘अरे को, तुम एक साल बाद आए हो, यह या कर रहे हो?’ बाबा ने मेरे हाथ से झाडू
छ न ली।
हमने लंच म पतली पीली दाल और खी-सूखी चपा तयां खाई। ले कन घर का बना
खाना ब त अ ा लग रहा था। मेरे पता ने पछले काफ समय से कसी से बातचीत नह
क थी, इस लए वे मुझसे खूब दे र तक ब तयाते रहे।
‘केस क हालत पहले जैसी ही है। घन याम तो सुनवाई पर भी नह आता है। मेरे
याल से उसे लगता है क म ज द ही मर जाऊंगा। उसके बाद चीज उसके लए ब त
आसान हो जाएंगी, ‘उ ह ने कहा।’
‘आप या बात कर रहे ह, बाबा?’
‘वह सही है। आ खर मेरे शरीर क गाड़ी और कतने दन चल सकती है?’ उ ह यह
कहते-कहते खांसी का दौरा पड़ा।
‘आपको कुछ नह होगा। म वक ल से बात करता ं।’
‘कोई फायदा नह है। मेरे पास उसे दे ने के लए पैसा नह है। वह भी अब मेरे फोन नह
उठाता है। यह सब भूल जाओ। तु हारे एं स रज ट् स कब आ रहे ह?’
‘एक महीने बाद,’ मने अनमने ढं ग से कहा। म सोच रहा था क मुझे पहले आरती को
कॉल करना चा हए या अपने हाथ धो लेने चा हए।
मने जूठे हाथ से ही उसका नंबर घुमा दया।
‘हैलो?’ उसने कहा।
‘आज शाम नाव पर सैर करना चाहगी, मैडम?’ मने कहा।
‘गोपाल! तुम आ गए? कब आए?’
‘एक घंटा पहले। हम कब मल सकते ह?’ मने कहा।’ आज शाम घाट पर?’
‘येस योर। अरे को। नह यार मुझे राघव के कॉलेज जाना है। चाहो तो तुम भी साथ
चल सकते हो।’
‘नो थ स।’
‘ य नह ? वह तु हारा भी तो दो त है।’
‘म पहले तुमसे मलना चाहता ं।’
‘हम रा ते म बात कर लगे। म डै ड क गाड़ी भजवा रही ं। ओके?’
मेरे पास कोई चारा नह था। म उसे दे खने के लए एक और दन इंतजार नह कर
सकता था।
‘राघव माइंड तो नह करेगा?’
‘उसे तो ब त खुशी होगी। आज उसके लए एक खास दन जो है।’
‘खास दन?’
‘ मलने पर तु ह बताऊंगी। वॉव, तकरीबन एक साल हो गया ना?’
‘तीन सौ पांच दन,’ मने कहा।
‘कोई ब त पढ़ाकू बनकर लौटा है। सी यू।’
जब आप लाल ब ी वाली कसी सरकारी सफेद एंबेसेडर गाड़ी म बैठते ह, तो आपको
पॉवर का अहसास हो जाता है। ै फक लीयर हो जाता है, पु लस वाले न जाने य
आपको सलाम ठ कते ह, और आप सोचने लगते ह क या आपको स वल स वसेस म
नह होना चा हए था?
कार मुझे डीएम के बंगले तक ले गई। पॉश कटनमट ए रया म दो एकड़ इलाके म बसी
इस ॉपट का ड़ाइव-वे स पलाकार था।
‘आरती मैडम से कहना क म कार म ही वेट कर रहा ं’ मने ाइवर से कहा।
म उसके पैरट् स के साथ कोटा और आने वाले एं स ए जाम रज ट् स के बारे म बात
नह करना चाहता था।
उसक गुलाबी सलवार-कमीज र से ही दखाई द । जब वह करीब आई तो मने
उसका चेहरा दे खा। उसने लप लॉस के अलावा और कोई मेकअप नह कया था। पछले
तीन सौ पांच दन म मने इससे खूबसूरत कोई और चेहरा नह दे खा था। उसने कार का
दरवाजा खोला तो म अपनी भावना पर काबू पाने क को शश करने लगा।
‘हाय, आरती,’ मने कहा।
‘अरे इतने फॉमल य हो रहे हो? यहां आओ,’ आरती ने कहा और मुझे गले लगा
लया। उसका सतारेदार पट् टा मेरे सीने म चुभा और उसक खुशबू मेरे जेहन म बस गई।
‘राघव के कॉलेज,’ उसने ाइवर से कहा और वह समझ गया।
‘सो, हाऊ इज लाइफ? तु ह वापस आकर अ ा नह लग रहा?’ उसने कहा।
‘यह मेरे लए ब त खुशी का दन है। उ मीद करता ं अब मुझे कभी वाराणसी छोड़ने
को मजबूर नह होना पड़े गा।’ मने उ साह से कहा।
‘बशत तु ह आईआईट न जाना पड़े ,’ उसने आंख मारते ए कहा।
म कोई जवाब नह दे पाया।
‘ या? तुम आईआईट के लए तो वाराणसी छोड़ दोगे ना?’
मने खुद को संभाला। ‘ऐसा तो है नह क सब कुछ मेरे ही हाथ म हो। एनीवे राघव के
लए आज का दन खास य है?’
‘उसने कॉलेज क मै जीन क श ल-सूरत ही बदल द है। आज उसका नया इ यू
लॉ य होने वाला है।’
‘वह बी-टे क कर भी रहा है या नह ? मुझे केवल उसक मै जीन के बारे म ही सुनने को
मलता है।’
आरती हंस पड़ी। गॉड, मने उसक इस हंसी को कतना मस कया। म उसक हंसी
को रकॉड करके बार-बार बजाना चाहता था।
‘वह बी-टे क कर तो रहा है,’ उसने मु कराते ए कहा। ‘हालां क म उसे नकली
इंजी नयर कहकर भी बुलाती ं।’
‘उसक यूजपेपर इंटन शप कैसी चल रही है?’
‘नॉट बैड। हालां क वे उसे यादा लखने का मौका नह दे ते। उ ह लगता है क उसके
आ टक स...’ वह सही श द क तलाश करने लगी,
‘ब त रे डकल और अलग ह।’
हम लंबे-चौड़े बीएचयू कै स म दा खल हो गए। मै न योड लॉ स और ब ग के
बेहतरीन रखरखाव के कारण वह कसी और दे श क जगह लग रही थी। खासतौर पर अगर
वाराणसी के बाक ह स से उसक तुलना क जाए तो।
‘जी-14 हॉल,’ आरती ने ड़ाइवर से कहा।
हम पांच सौ सीट वाले ऑ डटो रयम म दा खल ए, जो क खचाखच भरा था। टे ज
पर नई मै जीन के कवर का एक बड़ा-सा बैनर टं गा आ था।
राघव ने सब कुछ बदल दया था – लेआउट, लुक, कंटट और यहां तक क शीषक भी।
कवर पर लखा था बीएचयू-केएएमपी यानी भूकंप। मने दे खा यू नव सट के नाम का ब त
माटनेस के साथ उपयोग कया गया था। मैगजीन क टै गलाइन थी - नया हला दो!
आरती और म सरी कतार म बैठे थे। रोशनी म म थी और हॉल म संगीत गूंज रहा
था। दशक उ साह म शोर मचा रहे थे।
‘राघव बैक टे ज म है,’ आरती ने कहा। ‘उसे ब त सारी चीज त करनी ह। वह
हमसे बाद म मलेगा।’
दस टू डट् स के एक समूह ने मंच संभाला। वे सर से पैर तक काले लबादे से ढं के थे
और उस पर अ पंजर क आकृ त बनी थी। अ ा-वायलेट लाइट् स चालू ई और
अ पंजर चमकने लगे।
अब ऑ डटो रयम म माइकल जै सन का गाना ‘मैन इन द मरर’ गूंजने लगा।

आई एम गॉना मेक अ चज
फॉर व स इन माय लाइफ
अ पंजर ए ोबै टक डांस करने लगे। दशक ने जोरदार अ भवादन कया। गाना
चलता रहा।

इफ यू वाना मेक द व अ बेटर लेस


टे क अ लुक एट योरसे फ एंड दे न मेक अ चज

‘यह मैगजीन क लॉ चग है या डांस शो है?’ मने मुंह बचकाते ए कहा।


‘पहले टू डट् स को एंटरटे न करो। उनका यान ख चो और फर हम जो कहना चाहते
ह, वे हमारी बात सुनगे,’ आरती ने कहा।
‘ ंह’ मने कहा। उसका चेहरा अ ा वायलेट रोशनी म भीगा आ था।’
‘राघव भी यही कहता है -एंटरटे न एंड चज।’
मने कंधे उचका दए। फर मने मुड़कर टू डट् स को दे खा। म सोचने लगा क इनम से
कतन ने कोटा म समय बताया होगा। य द आंकड़ क ही बात कर तो उनम से एक
तहाई उसी शहर से होकर आए ह गे, जहां से म आज आया था।
म अपने को यह सोचने से रोक नह पाया क या हॉल क इतनी सारी सीट म से म
एक भी नह हा सल कर सकता?
अ पंजर का नाच ख म आ। ता लय क गड़गड़ाहट सुनाई द । काला सूट पहने
एक लंबा-सा टे ज पर आया। ‘गुड ईव नग बीएचयू,’ उसक जानी-पहचानी
आवाज सुनाई द ।
‘यह तो राघव है!’ मने हैरत से कहा। वह तो पूरी तरह बदल चुका था। मने इससे पहले
उसे कभी सूट म नह दे खा था। वह कसी रॉक टार जैसा लग रहा था। उसका सधा आ
शरीर दे खकर लग रहा था क उसने कॉलेज क ोट् स सु वधा का भरपूर फायदा
उठाया है। उसक तुलना म म कोटा म एक साल बताने के बाद थुलथुल और ढलती उ
का नजर आ रहा था।
राघव ने अपनी ीच शु क।
‘यह कोई मामूली कॉलेज नह है। आप मामूली टू डट् स नह हो। इस लए हमारी
मैगजीन भी मामूली नह हो सकती। लेडीज एंड जटलमेन आई ेजट -भूकंप!’
ॉटलाइट मैगजीन के कवर पर गरी। दशक ने जोरदार वागत कया। आरती ने भी
जोर से ताली बजाई। वह बना पलक झपकाए टे ज क ओर नहार रही थी।
‘ नया बदल चुक है। हमारे कॉलेज, हमारे शहर, हमारे दे श को भी बदलने क
ज रत है,’ राघव ने अपनी बात जारी रखी। ‘उ ह कौन बदलेगा? हम। इसक शु आत हम
आज यहां से करते ह। हम नया को हलाकर रख दगे!’
दशक ने फर जोरदार ता लयां बजाई। वे राघव के श द से यादा उसक आवाज से
उ सा हत थे।
राघव क ए डटो रयल ट म के टू डट् स ने टे ज पर भूकंप-भूकंप कहना शु कर
दया। दशक भी उनके सुर म सुर मलाने लगे।
‘हम वे बात छापगे, ज ह छापने क कसी को ह मत नह होती। वे मसले, जो सीधे-
सीधे हम भा वत करते ह। कोई बकवास नह ,’ राघव ने कहा।
ए डटो रयल ट म नीचे उतरी और मैगजीन क कॉ पयां बांटने लगी।
राघव ने अपनी ीच जारी रखी।’ हमारी पहली कवर टोरी हमारे हो टल कचंस क
हालत के बारे म है। हमारी सी े ट ट म वहां गई और त वीर ख चकर लाई। जरा दे खए,
आपका खाना कैसे तैयार कया जाता है।’
मने भूकंप के प े पलटाए। त वीर म दख रहा था क कचन के लोर पर कॉ ोच ह,
मठाइय पर म खयां भन भना रही ह और मेस म काम करने वाले अपने पैर से आटा
गूंध रहे ह। सभी टू डट् स म घृणा क लहर दौड़ गई।
‘ छ :,’ आरती ने त वीर दे खते ए कहा। ‘अब म बीएचयू म कभी कुछ नह खाने
वाली।’
‘भूकंप हमारे कॉलेज को बदलकर रख दे गा। ये त वीर डायरे टर को भेज द गई ह,’
राघव ने कहा। ‘ले कन यह मत सम झएगा क भूकंप केवल गंभीर बात ही करता है। हमने
ढे र सारे जो स, कहा नयां और क वताएं भी छापी ह। हमने डे टग करने से लेकर रे यूमे
बनाने तक क ट स भी द ह। है पी री डग। लॉ ग लव बीएचयू!’
राघव के टे ज से चले जाने के एक मनट बाद तक टू डट् स ता लयां बजाते रहे।

राघव ने आरती क ओर टे नलेस ट ल क एक लेट बढ़ाई, जसम ेड क दो लाइस


थ । ‘बटर टो ट। यह लीन है, म ॉ मस करता ं,’ उसने उससे कहा।
हम काय म ख म होने के बाद बीएचयू कट न म आए थे। आरती ने सड वच को
डरते-डरते उठाया।
‘कट न ठ क है। ॉ ल स हो टल के कचन म है,’ राघव ने कहा। ‘और अब वह भी
साफ हो जाएगा। गोपाल खाओ।’
मने एक लेन परांठा ऑडर कया था। म उसे धीरे-धीरे खाता रहा। राघव ने आरती क
सड वच उठाई और उसे एक कौर खलाया। वह मु करा द । म जल-भुन गया।
‘तु ह कोटा कैसा लगा?’ राघव ने मुझसे पूछा। ‘हमारे यहां कोटा से ढे र टू डट् स ह।’
‘य द म एक अ े कॉलेज तक प ंचने म कामयाब होता ं, तो कोटा ब त अ ा है।
अगर नह , तो वह नया क सबसे खराब जगह है।’
‘तुम कामयाब होओगे। तुम पछले साल भी लगभग कामयाब हो ही गए थे।’ राघव ने
दाएं हाथ से अपने मसाला डोसा का एक कौर तोड़ा। उसके बाएं हाथ म भूकंप क एक
कॉपी थी।
‘तुम बदल गए हो, राघव,’ मने कहा।
‘कैसे?’ उसने मेरी ओर दे खा।
‘यह मैगजीन और यह सब। कस लए?’
‘ कस लए? मुझे ऐसा करना अ ा लगता है, इस लए,’ उसने कहा।
आरती ने कुछ नह कहा। वह बस हम बात करते दे खती रही। म सोच रहा था क
उसके दमाग म अभी या चल रहा है। या वह हम दोन क तुलना कर रही थी? वेल, म
हर लहाज से राघव के मुकाबले कुछ नह था, सवाय एक चीज के। उसे यादा यार
करने के लहाज से। कोई भी उसे इतना यार नह कर सकता था, जतना म करता
था।
‘हम कसी ोफेशनल इंजी नय रग कॉलेज म मैगजीन ए डट करने नह जाते ह। लोग
जी-तोड़ मेहनत करके यहां तक प ंचते ह, ता क एक अ ा जॉब पा सक,’ मने कहा।
‘यह तो ब त संकरी सोच ई। जो चीज हमारे आसपास ह, उनके बारे म या? खाना
सफाई से नह पकाया जाता। लै स म बाबा आदम के जमाने क मशीन ह। हमारे शहर क
ही हालत दे ख लो। वाराणसी इतनी गंद य है? हमारी न दय को कौन साफ करेगा?’
राघव क काली आख आग उगल रही थ ।
‘कम से कम हम तो नह कर सकते,’ मने उसक बात का वरोध करते ए कहा।
‘हमारे लए तो अपनी जदगी क मु कल से जूझना ही काफ है।’
राघव ने अपनी च मच उठाई और मेरी तरफ इशारा करते ए कहा, ‘म इसी ए टट् यूड
को बदल दे ना चाहता ं।’
‘रहने भी दो,’ मने कहा। ‘कोई कुछ नह बदल सकता। हो टल वकस तु हारी मां क
तरह खाना नह पका सकते। और वाराणसी हजार साल से नया का सबसे बड़ा डं पग
ाउं ड बना आ है। हर कोई यहां अपने पाप को डं प करने आता है। या कभी कोई
वाराणसी म रहने वाले हम जैसे लोग के बारे म सोचता है, जो उनके ारा छोड़ी गई गंदगी
के बीच रहते ह?’
‘बॉ ज, या हम थोड़ा कम सी रयस हो सकते ह? म बोर हो रही ं,’ आरती ने कहा।
‘म तो बस...’ मने कहा।
‘वह नह सुनेगा। वह जद्द है,’ आरती ने कहा और राघव क नाक पर चकोट काट
ली। मेरे शरीर म सहरन दौड़ गई।
राघव ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और आरती ने उसे थाम लया। फर वह उठ और
उसक गोद म जा बैठ ।
सभी का यान हमारी ओर खच गया तो राघव से फ कॉ यस हो गया। इंजी नय रग
कॉलेज म आमतौर पर इस तरह यार का सावज नक दशन दे खने को नह मलता। जो
लोग यार करते ह, वे कभी-कभी इस बात को समझ नह सकते क वे नया क नजर म
कतने टु पड दख रहे ह।
‘ टॉप इट, आरती’ राघव ने उसे धकेलते ए कहा। ‘ या कर रही हो?’
... वह अपनी सीट पर चली गई। ‘ म टर ए डटर, मुझे अपनी जदगी से ए डट मत
करो, ओके?’ उसने कहा।
मुझे लगा क म उ ह यार करते दे खने के लए ही यहां आया ं। म आरती से इस तरह
नह मलना चाहता था। म यहां से कह र भाग जाना चाहता था। ‘चल?’ मने आरती से
कहा।
‘ योर, मुझे भी दस से पहले घर प ंचना है।’
हमने डनर पूरा कया और राघव ने बल चुकाया।
‘बाबा कैसे ह?’ राघव ने पूछा।
‘बीमार ह,’ मने कहा,’ अब उनक हालत और खराब हो गई है। मुझे लगता है वे मुझसे
कुछ छु पा रहे ह।’
‘ या?’ आरती ने कहा।
‘उ ह ऑपरेशन क ज रत है, ले कन वे यह बात मानने को राजी नह ह गे। वे खच
बचाना चाहते ह।’
‘यह तो बड़ी अजीब बात है,’ राघव ने कहा।
‘हां, दस साल पहले हमारे पास उस ववा दत जमीन को बेचने का ऑफर था। य द हम
उसे औने–पौने दाम म बेच डालते, तब भी अपना खचा नकाल लेते।’
‘वह तु हारी जमीन है। उसे स ते म य बेचना चाहते हो?’ राघव ने कहा।
‘तु हारी बात सुनकर बाबा को खुशी होगी,’ मने कहा।
हम आता दे खकर इवर ने कार टाट कर द । उसक हेडलाइट क रोशनी म पा कग
म खड़ी गा ड़यां नहा गई।
‘कार म बैठ जाओ, गोपाल। म एक सेकंड म आती ं,’ आरती ने कहा।
म कार म इंतजार करता रहा। हालां क मने सोचा था क म बाहर झांककर नह दे खूंगा,
ले कन म खुद को रोक नह पाया। रंगीन शीश से मने दे खा क वे दोन एक पेड़ के पीछे
गए। फर उ ह ने एक- सरे को बांह म भर लया। राघव ने अपना चेहरा उसके चेहरे पर
झुकाया। मुझे लगा जैसे मुझे मतली आ जाएगी।
वह पांच मनट बाद आई। ‘ यादा दे र तो नह ई?’ उसने लापरवाही से पूछा।
म चुप रहा। मने उससे नजर नह मलाई। उसने ाइवर से चलने को कहा।
‘नाइस इव नग है ना?’ आरती ने पूछा।
मने सर हला दया।
‘कै स ब त खूबसूरत है ना?’ बीएचयू गेट्स से बाहर नकलते ही उसने कहा।
हम चुपचाप बैठे रहे। कार ट रयो म यू जक बज रहा था। कैलाश खेर का गाना था,
जसम टू टे पंख वाले एक प रदे के बारे म बताया जा रहा था, जो अब कभी नह उड़
सकेगा। गाना टू टे सपन के बारे म था और इसके बावजूद अ ला के बंद से हंसने क
उ मीद कर रहा था।
मने एकाध बार नजर बचाकर उसके चेहरे क ओर दे खा। उसके ह ठ पर अब लप
लॉस नह था। न चाहकर भी म उन दोन के और अंतरंग ण क क पना करने लगा।
‘तुम ठ क तो हो?’ आरती ने कहा।
‘ ंह? हां, य ?’ मने कहा।
‘इतने चुप-चुप य बैठे हो?’
‘बाबा के बारे म सोच रहा ं।’
उसने समझदार क तरह सर हला दया। ले कन वह यह बात कभी नह समझ
सकती थी क लूजस के पास चाहे दमाग हो या न हो, दल ज र होता है।
13

ह त गुजरे और रज ट् स का दन और करीब आ गया। बाबा मुझसे भी यादा बेचैन नजर


आ रहे थे। एक रात जब म उ ह उनक दवाइयां दे ने गया तो उ ह ने पूछा,’ रज ट् स कब
आ रहे ह?’
‘अगले ह ते,’ मने कहा।
‘आईआईट ?’
‘उसके एक ह ते बाद,’मने कहा।
‘य द तुम आईआईट तक प ंचने म कामयाब हो जाओ तो ब त अ ा हो, है
ना?’बाबा ने कहा। उनक आंख म चमक थी।
मने उ ह एक लकेट ओढ़ा द । ‘बाबा, डॉ टर ने कहा था क आपको ऑपरेशन क
ज रत है?’
‘डॉ टस को यादा बजनेस चा हए, और या?’ उ ह ने कहा।
‘ या हम घन याम ताया–जी से बात कर क वे हम जमीन के लए जतना चाह पैसा
दे सकते ह?’ मने कहा।
‘कोई फायदा नह है। वे नह सुनगे। वैसे भी, अब इस उ म ऑपरेशन करवाकर म
या क ं गा?’
‘आप कभी मेरी बात नह सुनते, बाबा।’ मने सर हलाया और ब ी बुझा द ।

‘ नया ख म नह हो गई है, गोपाल। ऐसा नह है,’ उसने मेरा हाथ थामते ए कहा। ‘कुछ
तो कहो।’
एआईईईई रज ट् स के दन आरती ने मुझे अपने घर बुलाया था। उसके पास इंटरनेट
कने न था और मेरे ारा आ ह करने के बावजूद वह मुझे अकेले रज ट नह दे खने दे
रही थी।
मुझे उस ल हे से जुड़ी एक–एक चीज अ तरह याद है। कं यूटर टे बल पर लाल
और काला ए ायडड टे बल लॉथ, शोर करने वाला छत का पंखा, अनेक सरकारी ॉ फयां
जो उसके पता क थ , काले रंग का लैपटॉप और वह न जस पर मेरी रक दखाई दे
रही थी।
‘44,342,’ मेरे रोल नंबर के आगे लखा था।
एक साल तक उन कोसस से जूझने, जनसे म नफरत करता था, एक धूलभरे शहर म
अकेले रहने और अपने पता को कज म झ क दे ने के बाद म केवल यही सा बत कर पाया
था क म एक नाकाम आदमी ं।
मने कोई त या नह क । म रोया नह । न ही मुझे गु से, डर, खीझ का अहसास
आ। मुझे केवल इतना ही याद है क आरती मेरे पास थी और मुझसे बात कए जा रही
थी। खैर, म उसके श द को समझ नह पा रहा था।
म इस तरह उठ खड़ा आ, जैसे म कोई जी वत नह ं।
‘तुम ठ क तो हो ना?’ आरती ने मुझे झकझोरते ए कहा। मुझे लग रहा था क वह, म,
कं यूटर, पूरी नया ही लो मोशन म चल रही है। ‘जेईई के बारे म या?’ उसने पूछा।
‘वह तो और बुरा होगा। जेईई का पेपर अ ा नह गया था।’
वह चुप हो गई। आ खर वह कहती भी तो या?
‘म चलता ं,’ मने कहा।
‘कहां जाओगे?’ उसने पूछा। यह सबसे ज री सवाल था। हां, आ खर म कहां जा
सकता था? घर? और घर जाकर या म बाबा को यह बताता क उ ह ने जतना पैसा कज
लया था, वह मुझ पर बबाद हो गया है?
‘म तु हारे साथ चलती ं। म बाबा से बात कर सकती ं।’
मने सर हलाकर मना कर दया।
‘आर यू योर? उसने कहा।
मने कोई जवाब नह दया। दे भी नह सकता था। तेज कदम से म उसके घर से बाहर
चला आया।

‘कहां गए थे?’ बाबा ने दरवाजा खोलते ए कहा।


म सीधे अपने घर म चला गया। बाबा मेरे पीछे –पीछे चले आए।
‘तुम एआईईईई रज ट् स नह दे खना चाहते?’ उ ह ने पूछा।
म चुप रहा।
‘तुमने कहा था क आज रज ट् स आएंगे।’
मने अब भी कोई जवाब नह दया।
‘तुम कुछ बोल य नह रहे हो?’
मने बाबा क बेचैन आंख म झांककर दे खा।
‘बुरी खबर है,’ मने कहा।
बाबा ने घबराहट के साथ कहा, ‘ या?’
‘जो सबसे बुरा हो सकता था, वह हो गया।’
‘ या?’
मने कंधे उचका दए।
‘एआईईईई के रज ट् स कब आ रहे ह?’
‘ रज ट् स आ गए ह,’ मने कहा और ल वग म म चला गया।
‘और?’ बाबा मेरे पीछे –पीछे चले आए और मेरे सामने आकर खड़े हो गए।
मने नजर झुका ल । बाबा ने कुछ पल तक इंतजार कया।
चटाक! मुझे लगा मेरा दायां गाल झ ा गया है। उनक उ और हालत को दे खते ए
यह ब त तगड़ा तमाचा था। दस साल म ऐसा पहली बार आ था क उ ह ने मुझ पर हाथ
उठाया हो। ले कन म इसी के लायक था।
‘कैसे?’ बाबा ने कहा। ‘तुमने कोटा म कुछ नह कया, है ना? कुछ भी नह ।’
मेरी आंख म आंसू भर आए और मेरे कान सनसनाने लगे। म उ ह बताना चाहता था
क मने रात–रातभर जागकर असाइनमट् स कए ह, दनभर लासेस म बैठा रहा ं, अपना
परसटाइल सुधारा है। इस बार मेरे पास एक बेहतर मौका था। ले कन महज कुछ मा स के
कारण दस हजार रक का अंतर आ सकता है।
मने कुछ नह कहा। म ब क तरह रोया, जैसे क मेरे इस तरह पछताने से ही बाबा
बेहतर महसूस करगे।
‘अब हम पैसा कैसे चुकाएंगे?’ बाबा ने कहा। जतना मने सोचा था, वे उससे तेजी से
ावहा रक सवाल पर उतर आए।
म उ ह बताना चाहता था क मेरी रक सुधरी है। कै रयर पाथ के ट चस कहते थे क
मुझम संभावना है। हां, यह सच है क कुछ समय के लए मेरा यान भटक गया था और
शायद यही कारण रहा क म कामयाब नह हो पाया। खैर, कोटा म इतने टू डट् स थे, वे
सभी तो कामयाब हो नह पाए ह। कै रयर पाथ के भी अ धकतर टू डट् स नाकाम रहे।
वा तव म वाराणसी का वनीत मुझसे पहले कोटा गया था, ले कन वह भी कामयाब नह हो
सका। ले कन मने बाबा को यह सब नह बताया, केवल मुंह लटकाकर उनके सामने खड़ा
रहा।
‘ या सोच रहे हो? शम आती है?’ उ ह ने कहा और उ ह खांसी का दौरा पड़ गया।
उनका शरीर कांप रहा था और वे ब त मु कल से अपने को संतु लत रख पा रहे थे।
‘बैठ जाओ, बाबा,’ म उ ह थामने के लए आगे बढ़ा। उनक दे ह गम हो रही थी।
‘मेरे करीब मत आओ।’ उ ह ने मुझे र धकेल दया।
‘आपको बुखार है,’ मने कहा।
‘तो यह कसक वजह से है?’ उ ह ने कहा।
मुझे समझ नह आ रहा था क या क ं या या क ं । म खुद को इस का बल भी
महसूस नह कर पा रहा था क सरे कमरे म जाकर उनक दवाइयां ले आऊं। जब आप
कसी इंसान के लए तकलीफ का कारण बन जाते ह, तो आप यादा से यादा इतना ही
कर सकते ह क उसे अकेला छोड़ द।

‘म इस सबसे गुजर चुका ं। यू म ट बी सो फ ,’ वनीत ने मुझसे कहा।


हम अ सी घाट पर बैठे थे। मने वनीत से एक सी े ट मी टग अरज क थी। म उसे
ब त अ े –से नह जानता था। कोटा जानने से पहले मने उसे बस कुछ मे स कए थे।
ले कन अभी ऐसा लगता था क मेरे लए उससे बेहतर साथी कोई सरा नह हो सकता।
हां, आरती मेरे टच म रहती थी, मेरी खै रयत पूछती रहती थी और मेरे साथ बोट राइड पर
भी जाती थी। ले कन मेरे पास उसे कहने को कुछ नह था। म सोचता था क गंगा म
कूदकर जान दे ं । राघव से तो म अब खुद ही र रहने क को शश करता था। म नह
चाहता था क आईट –बीएचयू का ऐसा कोई मुझे दलासा दे , जसे अपनी ड ी क
क भी नह है।
वनीत मेरे जैसा ही मामूली लड़का था और म खुद को उसके साथ कंफटबल महसूस
करता था। उसने एक ाइवेट इंजी नय रग कॉलेज जॉइन कया था। ‘ता क म लोग को
बता सकूं क म बी–टे क कर रहा ं,’ वनीत ने कहा और हंस पड़ा। ‘बस म कसी को
अपने कॉलेज का नाम नह बताता। वैसे भी उसका नाम ब त कम लोग ने सुना है।
‘मने घाट क सी ढ़य से कुछ प र चुने और उ ह प व नद म उछालने लगा।
‘यू वल बी फाइन, ड् यूड,’ वनीत ने कहा। ‘पूरी तरह फाइन तो नह , ले कन अभी से
बेहतर तो हो ही जाओगे।’
‘ ाइवेट कॉलेज म से कसी एक को तुमने कैसे चुना?’ मने पूछा। इंजी नय रग
कॉलेज दजन क तादाद म थे और लगता था, जैसे हर ह ते नया कॉलेज खुल रहा हो।
‘म कै रयर फेयर म गया। पूछताछ क । आरएसट सी सरे कॉलेज से बेहतर लगा।
ले कन मुझे नह लगता वह सरे कॉलेज से ब त यादा अलग है।’
‘आरएसट सी या?’ मने कहा।
‘र स टे नकल कॉलेज। कॉलेज मा लक का इसी नाम से साड़ी का बजनेस
भी है।’
‘ओह,’ मने कहा। म साड़ी और एजुकेशन के बीच कोई कने न बनाने क को शश
कर रहा था।
‘बड़ा बैकवड नाम है ना? इसी लए हम उसे केवल आरएसट सी ही कहते ह। यह
यादा कूल लगता है,’ वनीत ने खीस नपोरते ए कहा।
‘ या इसके बाद जॉब मल जाएगा?’
‘य द हम लक ह तो। स ट परसट लेसमट् स ई ह। नॉट बैड।’
‘यानी फोट परसट टू डट् स का लेसमट नह होता?’ मने कहा। म शॉ ड था। यह तो
कोटा से भी बदतर हो सकता है। अपनी ड ी पाओ और उसके बावजूद कुछ हाथ नह
लगा।
‘आंकड़ म हर साल सुधार आ रहा है। फर, हम कोई जॉब मैनेज भी कर सकते ह।
कॉल सटस ह, े डट काड से स है। दमाग खुला रखो तो चीज अपने आप सुलझ जाती
ह।’
‘इंजी नय रग क पढ़ाई करके कॉल सटर जॉइन कर ल?’
‘ड् यूड, इतने शॉ ड मत होओ। ेट इं डयन एजुकेशन रेस म हम लाख सरे टू डट् स
क तरह लूजस ह। जो मले उसम खुश रहो। हां, य द तुम कोई अमीरजादे हो, तो बी–टे क
के बाद एमबीए करो। एक और को शश।’
‘और य द अमीरजादे न ह तो?’ मने कहा।
वनीत ने कुछ नह कहा। मने थककर सारे प र एक साथ गंगा म फक दए। लो–
र ड टू डट् स क तरह प र पानी म डू बे और अपने पीछे कोई नशान नह छोड़ गए।
‘अरे, मुझ पर नाराज मत होओ। ये स टम मने नह बनाया।’ वनीत ने मेरा कंधा
थपथपाते ए कहा। ‘तुम जतने दन तक बेकार बैठे रहोगे, उतना ही बुरा महसूस करोगे।
सपना टू ट गया। कोई भी कॉलेज जॉइन कर लो। कम से कम तुम सरे टू डट् स के साथ
होओगे।’
‘ सरे लूजस के साथ,’ मने कहा।
‘अपने जैसे ही लोग को इस तरह नीची नजर से मत दे खो,’ वनीत ने कहा।
उसक बात सच थी। ‘आई एम सॉरी,’ मने कहा। ‘तु हारे बी–टे क के लए कतने पैसे
लगते ह?’
‘चार साल क पढ़ाई के लए हर साल के एक लाख पए, हो टल स हत।’
‘फक,’ मने कहा। ‘य द इसके बाद कोई जॉब मलता भी है तो इतना पैसा कमाने म ही
जाने कतने साल गुजर जाएंगे!’
‘पता है। ले कन फ स पैरट् स चुकाते ह। फर वे हर जगह जाकर ड ग हांकते ह क
उनका बेटा इंजी नयर बनने वाला है। तुम भी चार साल तक के लए झंझट से बच जाते
हो। इस बारे म सोचना, यह बुरा तरीका नह है।’
‘हमारे पास पैसा नह है,’ मने सीधे–सपाट ढं ग से कहा।
वनीत उठ खड़ा आ। ‘तब तो, मेरे दो त, तु हारी ब त मुसीबत होने वाली है।’
‘जा रहे हो?’ मने कहा।
‘हां, कै स वाराणसी से बीस कलोमीटर र है। चीअर अप। तुमने जदगी को सबसे
फ ड–अप त म दे ख लया है, यहां से अब हालात बेहतर ही ह गे।’
म भी उठ खड़ा आ और अपने ाउजस से धूल झाड़ने लगा। मुझे घर जाने म डर लग
रहा था। बाबा ने तीन दन से मुझसे बात नह क थी।
गढौ लया मेन रोड प ंचने के लए हम संकरी व नाथ गली से होकर गुजरे।
‘दो ह ते बाद डॉ संपूणानंद ोट् स टे डयम म कै रयर फेयर होने वाला है,’ वनीत ने
कहा। ‘वहां जाना। हो सकता है, तु ह वहां कुछ स ते कॉलेज मल जाएं।’
‘हमारे पास ब कुल पैसा नह है। हम गले–गले तक कज म डू बे ह, ‘मने कहा।
‘वेल, तब भी एक बार जाने म तो कोई बुराई नह है। य द तु हारी एआईईईई रक
अ है तो तु ह ड काउं ट मल सकता है, खासतौर पर नए कॉलेज क ओर से।’

म घर चला आया। ताजी हवा म एक घंटा चहलकदमी करने के बाद म बेहतर महसूस कर
रहा था। मने सोचा क मुझे बाबा से महंगे कॉलेज के बारे म बात नह करनी चा हए।
शायद मुझे उनसे इस बारे म बात करनी चा हए क या म अब और पैसा खच करने के
बजाय कसी जॉब के ज रये पैसा कमाना शु कर ं । ले कन पहले मुझे उनक नाराजगी
तोड़नी होगी।
म उनके कमरे म गया। वे ब तर पर लेटे थे।
‘म जॉब करना चाहता ं, बाबा। कॉलेज जॉइन करने का फैसला करने से पहले म कुछ
पैसा कमाना चाहता ं।’
उ ह ने एक श द भी नह कहा। मने अपनी बात जारी रखी, ‘म समझता ं क आप
नाराज ह। आपक नाराजगी वा जब है। सगरा म कैफे कॉफ डे खुलने जा रहा है। यह
हाई लास कॉफ चेन है। उ ह टाफ क ज रत है। बारहव पास अ लाई कर सकते ह।’
मुझे जवाब म केवल पंखे क ह क घरघराहट ही सुनाई द ।
‘मने अ लाई कर दया है। म पूरी जदगी तो कॉफ शॉप म काम नह क ं गा ना। वे
मुझे पांच हजार पया महीना दगे। नॉट बैड, है ना?
बाबा चुप रहे।
‘य द आप इसी तरह चु पी साधे रहे तो म मान लूंगा क आप राजी ह।’
मेरे यह कहने के बावजूद बाबा चुपचाप लेटे रहे। म चाहता था क वे मुझ पर च लाएं,
नाराज ह , ले कन कम से कम यह खामोशी तो टू टे।
म उन पर झुका। ‘बाबा, मुझे इस तरह सजा मत दो,’ मने कहा। मने उनक बांह
थामकर उ ह हलाया। उनक बांह ठं डी और बेजान थी।
‘बाबा?’ मने फर कहा। उनक दे ह अकड़ी ई लग रही थी।
‘बाबा?’ और तब जाकर म समझ सका क म अनाथ हो चुका था।
14

वाराणसी म होने का एक फायदा यह है क यहां दाह सं कार के लए यादा झंझट नह


करनी पड़ती। डे थ इंड ही इस शहर को चलाती है। ह र ं घाट के इले क शवदाह
गृह म और नयाभर म जाने–माने म णक णका घाट पर सालभर म 45 हजार से यादा
लाश जलाई जाती ह यानी एक दन म सौ से भी यादा। केवल छोटे ब और नाग के
काटने से मरने वाले लोग का दाह सं कार नह कया जाता। आमतौर पर उनक लाश को
सीधे नद म छोड़ दया जाता है। सं कृत म कहा गया है का यां ह मरणान् मु :, जसका
मतलब है काशी म मरने वाला सीधे मो ा त करता है। ह मानते ह क य द
उ ह ने काशी म ाण यागे तो वे अपने आप वग प ंच जाएंगे, फर उ ह ने धरती पर चाहे
जतने ही पाप य न कए ह । बड़ी अजीब बात है क भगवान वग म इस तरह क
वाइ काड एं दे ते ह, ले कन जो भी हो, कम से कम इससे मेरे शहर क रोजी–रोट तो
चलती है।
े ल ट वन– टॉप कान म आपको जलाने क लक ड़य से लेकर पुरो हत और

मृतक क अ यां रखने के लए बतन तक मल जाते ह, ता क मरने वाला पूरी
ग रमा के साथ अपनी अं तम या ा पर नकले। म णक णका घाट पर दलाल वदे शय को
लुभाते ह क वे आकर अं तम सं कार दे ख और पैसा दे कर त वीर ख च। इससे भी उ ह
अ त र आय होती है। वाराणसी शायद नया का इकलौता ऐसा शहर होगा, जहां मौत
एक टू र ट आकषण है।
ले कन मेरे शहर का मौत से चाहे जो नाता रहा हो, इससे पहले मेरा कभी मौत से
वा ता नह पड़ा था। मुझे अपनी पूरी जदगी म कभी कसी मृत दे ह का सामना नह करना
पड़ा था। इस लए मुझे समझ नह आया क बाबा क मृत दे ह को दे खकर पहले–पहल या
त या क ं । म रोया नह । म रो नह सकता था। पता नह य । शायद, य क मुझे
ब त गहरा झटका लगा था और म भावना मक प से भीतर से पूरा सूख चुका था। या
शायद उनके अं तम सं कार के बाद भी मुझे एक और खद घटना के लए तैयार रहना था
यानी मेरे सरे एं स ए जाम का नतीजा। शायद य क मुझे उनके अं तम सं कार के लए
ब त काम करना था या शायद य क मुझे लगता था क म उनका ह यारा ं।
मुझे पहले अं तम सं कार और फर दो पूजा के लए व ा करनी थी। मुझे समझ
नह आ रहा था क कसे बुलाऊं। मेरे पता के ब त कम दो त थे। मने उनके कुछ पुराने
टू डट् स को बुलाया, जो उनसे लगातार संपक म बने ए थे। मने हमारे वक ल बे अंकल
को खबर क , कसी अ य कारण के बजाय ावहा रक कारण से अ धक। वक ल ने
घन याम ताया–जी को बताया। ताया– जी ने जीवनभर मेरे पता का खून चूसा था। ले कन
अब उनका प रवार ब त सहानुभू त जता रहा था। उनक प नी नीता ताई–जी मेरे घर
आई। उ ह ने मुझे दे खा तो अपने हाथ फैलाए और फूट–फूटकर रो पड़ ।
‘इट् स ओके, ताई–जी,’ मने अपने को उनके चंगुल से छु ड़ाते ए कहा। ‘आपको खुद
आने क ज रत नह थी।’
‘ या कह रहे हो? प त का छोटा भाई तो बेटे जैसा होता है,’ उ ह ने कहा।
जा हर है, उ ह ने उस जमीन का कोई ज नह कया, जो उ ह ने अपने ‘बेटे’ से
हड़प ली थी।
‘पूजा कब है?’ उ ह ने पूछा।
‘मुझे कुछ पता नह ,’ मने कहा। ‘पहले मुझे अं तम सं कार करवाना होगा।’
‘वह कौन करेगा?’ उ ह ने पूछा।
मने कंधे उचका दए।
‘म णक णका पर दाह सं कार के लए पैसे ह?’ उ ह ने पूछा।
मने सर हला दया। ‘ह र ं घाट पर इले क शवदाह गृह यादा स ता है,’ मने
कहा।
‘इले क– वले क या? वह शवदाह गृह तो वैसे भी टू टा–फूटा रहता है। हम ठ क
तरह से अं तम सं कार करगे। आ खर हम यहां कस लए ह?’
ज द ही, घन याम ताया–जी भी अपने सगे–संबं धय के साथ चले आए। उनके दो बेटे
और दो बे टयां थ । सभी ने महंगे कपड़े पहन रखे थे। म कसी तरह से उनका र तेदार नह
लगता था। ताया–जी ने आते ही अं तम सं कार क पूरी ज मेदारी संभाल ली। उ ह ने और
नाते– र तेदार को बुलाया। उ ह ने एक पुरो हत को बुलाया, जसने अं तम सं कार करवाने
के लए दस हजार पय के पैकेज क मांग क । ताया–जी ने उससे मोल–भाव कया और
बात सात हजार म तय ई। अं तम सं कार के लए भी मोल–भाव करना घनौना लग रहा
था, ले कन यह करना ज री ही था। ताया–जी ने पुरो हत को पांच–पांच सौ के कड़क नोट
थमा दए।
चौबीस घंटे बाद मने म णक णका घाट पर अपने पता क चता को अ न द । हालां क
वे अब इस नया म नह थे, फर भी मुझे लग रहा था क आग से उ ह तकलीफ होगी।
मुझे याद आया क जब म ब ा था, तब वे मुझे कैसे कूल जाने के लए तैयार करते थे
और मेरे बाल म कंघी करते थे... चता से धुंआ उठने लगा और आ खरकार मेरी आंख भर
आई। म सुबकने लगा। आरती और राघव भी अं तम सं कार म आए थे। वे मेरे पास
चुपचाप खड़े थे।
आधा घंटे बाद अ धकतर सगे–संबंधी जा चुके थे। आग क लपट धीरे–धीरे लक ड़य
को नगल गई। म उसे दे खता रहा।
मुझे लगा कसी ने मेरा कंधा थपथपाया है। मने पीछे मुड़कर दे खा। पान के दाग लगे
ह ठ वाले दो मु टं डे मेरे पीछे खड़े थे। उनम से एक क घनी मूंछ थ और उसने उ ह ऊपर
क ओर ठ रखा था।
‘क हए,’ मने कहा।
मूंछ वाले मु टं डे ने चता क ओर इशारा करते ए पूछा, ‘ या तुम इनके बेटे हो?’
‘हां।’
‘इधर आओ,’ उसने कहा।
‘ य ?’ मने कहा।
‘इ ह ने मुझसे दो लाख पए का कज लया था।’

‘घन याम ताया–जी तीन लाख पए दे ना चाहते ह?,’ मने बे अंकल से कहा। म शॉ ड
था।
उ ह ने उन द तावेज के प े पलटाकर दे खे, ज ह उ ह ने मेरे लए तैयार करवाया था।
‘अगर तुम यहां द तखत कर दो तो तु ह तीन लाख पए मल जाएंगे। कज दे ने वाले तु हारे
इद– गद मंडरा रहे ह। वे खतरनाक लोग ह। म तु हारी मदद करने क ही को शश कर रहा
ं।’
मने द तावेज को दे खा, ले कन म उसे समझ न पाया। ‘तीन लाख तो ब त कम ह।
उ ह ने एक अरसा पहले दस लाख का ऑफर दया था’ मने कहा।
‘हां, सही है। यह एक अरसा पुरानी ही बात है। ले कन तब तु हारे पता ने वे पैसे लए
नह । अब वे जानते ह क तुम कुछ नह कर सकते। और तु ह पैस क स त ज रत है।’
म चुप रहा। बे अंकल खड़े हो गए। म सोचने लगा क हमारा वक ल आ खर कसके
प म है।
‘म समझ सकता ं यह तु हारे लए क ठन समय है। इस बारे म सोचना,’ उ ह ने
कहा।
डॉ. संपूणानंद ोट् स टे डयम म एक बड़े –से टट म कै रयर फेयर लगा था। म वहां गया।
वनीत ने मुझे वहां जाने को मजबूर कर दया था। ‘वहां जाकर मेरे दो त सुनील से
मलना। वह इस आयोजन का ईवट मैनेजर है और उसे सभी पा ट सपट् स के बारे म पता
है।’
म मु य टट म घुसा। हजार टॉ स के कारण वह कसी े ड ए सपो जैसा लग रहा
था। दे शभर के ाइवेट कॉलेज वाराणसी के टू डट् स को लुभाने क को शश कर रहे थे।
कॉलेज क बंधन सं ा के सद य चेहर पर मु कराहट लए खड़े थे। टॉ स के भीतर
लगे बैनस म कै स क त वीर इस तरह दखाई गई थ , मानो वे रयल ए टे ट ोजे ट् स
ह । जन कॉलेज क ब ग अभी बन ही रही थी, उ ह ने कलाकार क क पनाशीलता
का सहारा लया था।
‘बनकर पूरा हो जाने के बाद यह उ र दे श का सबसे बेहतरीन कै स होगा,’ मने
एक टॉल ऑनर को कुछ उ सुक पैरट् स से कहते ए सुना। ले कन उसने यह नह बताया
क नमाण के दौरान टू डट् स को कस तरह कां ट म सचस से घरी कामचलाऊ
क ा म पढ़ाई करनी होगी।
कुछ चलाऊ क म के पो टर म कॉलेज के नाम के साथ ही उनका चह्न भी था।
कॉलेज के नाम तरह–तरह के थे, ले कन वे अमूमन दे वी–दे वता या अमीर मोटर के
ांडपैरट् स के नाम पर आधा रत थे।
हर कॉलेज के चु नदा फैक ट और टू डट् स अपने– अपने टॉ स म अपनी सं ा
के चमक ले ोशस लए मलते थे। सभी ने सूट पहन रखे थे और वे इस तरह खीस नपोर
रहे थे, जैसे वे लाइट ू के सु श त सद य ह । मेरे जैसे सैकड़ लूजर टू डट् स एक
टॉल से सरे तक बेचैनी के साथ आ–जा रहे थे। स र फ सद टॉ स इंजी नय रग
कॉलेज के थे। बाक के कॉलेज मे डकल, होटल मैनेजमट, ए वएशन एकेडमीज और
बीबीए जैसे कुछ अ य कोसस के थे।
म ी गणेश वनायक कॉलेज, या एसजीवीसी के टॉल पर दोपहर को प ंचा। सुनील
से मलने के लए यही जगह और यही व तय आ था।
मने एसजीवीसी का ोशर उठाया। कवर पर उसके मु कराते ए टू डट् स क त वीर
थी। कोटा के ोशस के जेईई टॉपस म दखाए जाने वाले लडु क से भी यादा खुश ये
लड़के और उनक लड़ कय से भी यादा खूबसूरत ये लड़ कयां लग रही थ । ोशस के
बैक कवस पर इं टट् यूट क सु वधा और फैक ट का इतना बखान कया गया था क
कोई आईआईट डायरे टर भी शरमा जाए। बुकलेट म मुझे ऑफर कए गए ो ा स क
एक फेह र त दखाई द । एसजीवीसी कं यूटर साइंस से लेकर मेटालज तक सभी
इंजी नय रग कोसस पढ़ाने का वादा कर रहा था।
मने पूरा ोशर पढ़ डाला। मने सं ापक का वजन और मशन बताने वाले दावे पढ़े ।
मने श ा पर कॉलेज का नज रया भी पढ़ डाला और यह भी वे कैसे सर से ‘हटके’ थे।
मेरे पास से होकर गुजरने वाले कै रयर फेयर के सरे अनुभवी सद य मुझे दे खकर मु करा
दे ते। शायद म इकलौता ऐसा था, जो वा तव म इन द तावेज को पढ़ रहा था।
सुनील ने मुझे एसजीवीसी के टॅ ाल पर इन द तावेज क पढ़ाई म त लीन पाया।
‘गोपाल?’ उसने अनुमान लगाते ए कहा।
‘ ंह?’मने पीछे मुड़कर दे खा।’सुनील?’
सुनील ने मजबूती से मुझसे हाथ मलाया। चु गी दाढ़ और धूप का च मा उसके चेहरे
का एक बड़ा ह सा घेरे ए थे। उसने पपल शट और टाइट लैक जी स पहनी थी, जस
पर एक बड़ा–सा स वर बकल था। ‘काट द हेल आर यू डू इंग?’ उसने छू टते ही पूछा।
‘ ोशर पढ़ रहा ं,’ मने कहा।
‘आर यू टु पड? फ स और लेसमट् स पेज पर जाओ। एवरेज सेलेरी दे खो, फ स चेक
करो। य द दो साल क इंकम म लागत नकल आती है तो उसे शॉट ल ट करो, वरना आगे
बढ़ो।’
‘ले कन ट चग मैथड् स के बारे म या? ल नग...’
‘फक ल नग,’ सुनील ने कहा और मेरे हाथ से ोशर छ न लया। मुझे लगा क उसके
हावभाव और बोलचाल टफ है। उसने टॉल पर बैठे एक टू डट से कैलकुलेटर लया।
‘दे खो, ट् यूशन के पचास हजार, हो टल के तीस हजार, और वे तु ह जो बेकार क चीज
खरीदने को कहगे, उनके लए मान लो बीस हजार। तो तु ह चार साल तक हर साल एक
लाख पए चुकाने ह। एवरेज लेसमट डे ढ़ लाख है। फक इट। लेट्स गो।’
‘ले कन...’ म अभी कैलकुलेशन ही कर रहा था।
‘मूव ऑन। यहां सैकड़ टॉ स ह।’
हम अगले टॉल पर गए। लाल–सफेद बैनर पर लखा था ‘ ी चटू मल ुप ऑफ
इं टट् यूट्स, एनएच2, इलाहाबाद।’ एक छोटे –से न यो के ज रये कॉलेज क लोकेशन
दखाई गई थी। कॉलेज इलाहाबाद शहर से तीस कलोमीटर र था।
‘म चटू मल नाम वाले कसी कॉलेज म पढ़ने नह जा सकता,’ मने कहा।
शट अप। तु ह अपने कॉलेज का नाम लेने क कोई ज रत है भी नह ।’ सुनील ने एक
ोशर उठाया। चंद सेकंड म ही उसने वह पेज खोज नकाला, जो हमारे काम का था।
‘ओके, यहां एक साल म स र हजार का खच है। फाइनल लेसमट एक लाख चालीस
हजार। दे खो, यह ई न कुछ समझदारी वाली बात।’
कोई चालीसेक साल का एक थुलथुल–सा हमारे पास आया।
‘हमारा लेसमट इस साल और बेहतर होगा,’ उसने कहा। मेरा नाम यो त वमा है और
म टू डट् स का डीन ं।
मने कभी उ मीद नह क थी क कोई डीन अपने कॉलेज का व ापन इस तरह करेगा।
उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया। सुनील ने तपाक से उससे हाथ मलाया।
‘हां, आपक फ स भी उन लोग से कम है,’ मने कहा और ी गणेश टॅ ाल क ओर
इशारा कया।
‘उनके लेसमट नंबस भी फज ह। हमारे असली ह। हमारे कसी भी टू डट् स से पूछ
ली जए,’ यो त ने कहा।
उसने अपने टू डट् स क ओर इशारा कया। तीन लड़के और दो लड़ कयां, ज ह ने
अपने जीवन म पहली बार सूट पहने थे। वे सहमे –सहमे –से मु कराते रहे। मने चटू मल
टॅ ाल म कै स क त वीर पर नजर घुमाई।
ी गणेश टॉल से एक मेरे पास आया। उसने मेरा कंधा थपथपाया।
‘जी,’ मने कहा।
‘ ी गणेश से महेश वमा। या चटू मल ने हमारे बारे म कुछ नगे टव कहा?’
मने उसक ओर दे खा। महेश भी चालीसेक साल का और थुलथुल था। वह ब त कुछ
यो त वमा जैसा ही दखता था।
‘उ ह ने कुछ नगे टव कहा?’ महेश ने फर पूछा।
मने सर हला दया।
‘तुम चटू मल को कं सडर कर रहे हो? ‘उसने कहा।
मने हामी भरी।
‘ ी गणेश य नह ?’
‘महंगा है,’ मने कहा।
‘तु हारा बजट या है? शायद हम तु हारी कुछ मदद कर सक,’ उसने कहा।
‘ या?’ मने कहा। मने सोचा भी नह था क कॉलेज फ स क भी बाग नग हो सकती
है।
‘मुझे अपना बजट बताओ। य द तुम अभी साइन अप करते हो तो म तु ह टे न परसट
ड काउं ट ं गा।’
मने सुनील क ओर दे खा। मुझे समझ नह आ रहा था क अब या क ं या या क ं ।
सुनील ने मोचा संभाल लया।
‘हम थट परसट ऑफ चा हए। चटू मल हमसे इतनी ही फ स ले रहा है,’ सुनील ने
कहा।
‘उनके पास तो एक ब ग भी नह है,’ महेश ने कहा।
‘तु ह कैसे पता?’ मने कहा।
‘वह मेरा भाई है। उसने मुझसे नाता तोड़ लया और अपना खुद का कॉलेज खोल
लया। ले कन उसके कॉलेज क रपोट् स अ नह ह,’ महेश ने कहा।
यो त र से हम पर नजर बनाए ए था। तो वे दोन भाई थे, इसी लए एक जैसे लग
रहे थे।
‘हम उससे कोई मतलब नह । तुम तो हम अपना मै जमम ड काउं ट बताओ,’ सुनील
ने कहा।
‘मेरे टॅ ाल पर चलो,’ महेश ने हम अपने पीछे चलने को कहा।
‘ को,’ यो त ने हमारा रा ता रोक लया।
‘ या है?’ मने कहा।
‘तुम ी गणेश म य जा रहे हो?’
‘वह मुझे ड काउं ट दे रहा है,’ मने कहा।
‘ या तुमने मुझसे ड काउं ट क बात क ? या मने मना कया?’ यो त ने कहा।
उसके चेहरे पर बड़े गंभीर भाव थे। मने इससे पहले कभी कसी बजनेसमैन– कम–डीन
को नह दे खा था। ‘महेश भाई, लीज मेरे ट ल से चले जाइये,’ यो त ने ध स दे ते ए
कहा।
‘यह मेरा टू डट है। हमारी पहले बात हो गई थी,’ महेश भाई ने कहा और मेरी कलाई
थाम ली। ‘आओ, बेटा। तु हारा नाम या है?’
‘गोपाल,’ मने कहा। इतने म यो त ने मेरी सरी कलाई थाम ली। ‘ले कन लीज मुझे
लेकर यह ख चतान बंद क जए।’
दोन भाइय ने मेरी इस गुजा रश को नजरअंदाज कर दया।
‘म तु ह बे ट ड काउं ट ं गा। ी गणेश म जाकर अपनी जदगी मत बरबाद करना।
उनके पास लै स तक नह ह। ोशर म दखाई गई त वीर कसी सरे कॉलेज क ह,’
यो त ने कहा।
‘सर, म तो यह भी नह जानता...’ मने कहा और सुनील क ओर दे खा। वह भी मेरी ही
तरह भ चक नजर आ रहा था।
‘शट अप, यो त!’ अभी तक नम से पेश आ रहे महेश एकदम से गम हो गए।
‘मेरे टॅ ाल म मुझी पर मत च लाओ। चले जाओ यहां से,’ यो त ने कहा।
महेश ने हम सभी को एक डट लुक द । और फर दे खते ही दे खते उसने चटू मल का
बैनर फाड़ दया।
यो त का चेहरा उसके कॉलेज के चह्न जतना ही लाल–सुख हो गया। वह ी गणेश
के टॉल पर गया और ोशस के बॉ स को नीचे फक दया।
मने टॉल से बच भागने क को शश क , ले कन यो त ने मेरी कॉलर पकड़ ली।
‘ को, म तु ह पचास हजार सालाना के रेट पर एक सीट ं गा।’
‘मुझे... जाने... दो...,’ मने छटपटाते ए कहा।
महेश तीन लोग के साथ लौटा, जो दखने म बॉलीवुड क फ म के गुंड जैसे लग रहे
थे। ले कन वे फैक ट थे। उ ह ने चटू मल टॅ ाल के सभी बैनर फाड़ने शु कर दए।
यो त ने भी अपने स यो रट मेन को म दया क वे जाकर उनसे भड़ जाएं।
म एक बार फर बच नकलने क को शश कर रहा था क ी गणेश के एक भाड़े के
टट् टू ने मुझे पीछे धकेल दया। म मुंह के बल सफेद शीट से ढं क लकड़ी क एक टे बल पर
जा गरा। उसम एक क ल बाहर नकली ई थी, जससे मेरा गाल कट गया। मेरे चेहरे के
एक ह से पर खून क लक र बहने लगी। मेरे माथे पर पसीने क भी बूंद थ । आ खर मने
पढ़ाई के लए अपना खून–पसीना एक कर ही दया था।
सुनील ने उठने म मेरी मदद क । मने सफेद शीट पर खून दे खा तो मुझे उबकाई आने
लगी। हमारे आसपास भीड़ जमा हो गई थी। मने कुछ नह कहा और वहां से नकल
भागा। म टे डयम से नकला और मु य सड़क पर दो सौ मीटर तक दौड़ता रहा।
फर म सांस लेने के लए का। मुझे अपने पीछे सुनील के कदम क आवाज सुनाई
द।
हम दोन एक– सरे के सामने खड़े हांफ रहे थे।
‘फक,’ सुनील ने कहा। ‘बाल–बाल बचे।’
फर हम के म ट के यहां गए, जहां मने अपने गाल पर कुछ े सग करवाई।
‘चलो, म तु ह सीसीडी पर ले चलता ं। वह पछले ह ते ही खुला है,’ सुनील ने कहा।

हम सगरा के आईपी मॉल म कैफे कॉफ डे पर प ंचे। सुनील ने सौ का एक कड़क नोट


दे कर दो को कॉफ ले ल । म इतने पैसे म पूरा ह ता गुजार सकता था।
‘यह सब या था? ये लोग कॉलेज चलाते ह?’ मने कहा।
‘वह इलाहाबाद क वमा फै मली थी। वे दे शी शराब का धंधा करते ह। अब उ ह ने
कॉलेज भी खोल लया है।’
‘ या?’ मने कहा।
‘पैसा। ाइवेट कॉलेज म खूब पैसा है। फर इससे सोसायट म उनका नाम भी ऊंचा
होता है। अब वे एजुकेशन से टर के ऊंचे लोग ह, शराब का धंधा करने वाले नह ।’
‘ले कन उनका बताव तो गुंड जैसा ही था।’
‘गुंडे ही तो ह। भाइय म फसाद आ, दोन ने अपने– अपने कॉलेज खोल लए, अब वे
दोन एक– सरे क टांग ख चते रहते ह।’
‘म तो ऐसे कॉलेज म नह जा सकता,’ मने कहा।
‘ड ट वरी, हम तु हारे लए एक और कॉलेज ढूं ढ लगे। हम जमकर बागन करगे।
आ खर उ ह भी तो अपनी सीट भरनी ह।’
‘मुझे तो ऐसी जगह पर पढ़ाई करने के बारे म सोचकर भी डर लगता है। शराब
मा फया कॉलेज चला रहे ह?’
‘हां, नेता, ब स, बीड़ी बनाने वाले। जसे भी काले धंधे का तजुबा हो, वह एजुकेशन
से टर म अ ा पैसा कमाता है,’ सुनील ने कहा। उसने अपनी ॉ नकाली और उसक
म चाट गया।
‘ रयली?’ मने कहा। ‘ या एकेड म शयंस को कॉलेज नह खोलने चा हए? जैसे क
ए स– ोफेसस?’
‘पागल हो गए हो या? एजुकेशन से टर हर कसी के बस क बात नह है। हर कदम
पर खाने वाले बैठे ह,’ सुनील ने कहा। मुझसे बात करते– करते वह अपना एक पैर हलाने
लगा। फर उसने अपना मोबाइल फोन नकाला। अब सेलफो स आम हो चले थे, ले कन
उ ह अब भी टे टस स बल माना जाता था।
सुनील ने कसी को फोन लगाया। ऐसा लग रहा था जैसे जस को कॉल कया
गया है, वह मुसीबत म हो। ‘शांत हो जाइए, चौबेजी। फेयर पर एमएलए शु ला–जी का
हाथ है। हां, अब तो लो जग टाइम है। मुझे दो घंटे का और समय द जए... हो ऑन।’
सुनील मेरी ओर मुड़ा। ‘ईवट् स बजनेस, ये हमेशा मेरी जान के पीछे पड़े रहते ह,’ उसने
दबी आवाज म मुझसे कहा। ‘य द म कुछ दे र के लए जाऊं तो बुरा तो न मानोगे? म लौट
आऊंगा।’
‘ योर,’ मने कहा।
अब म अपनी क के साथ अकेला बैठा था। मने लोग को एक नजर दे खा।
अमीरजाद ने ज रत से यादा महंगे डॉनट् स और कुक ज खरीदे थे, जनका मजा वे
अपनी ह ड– म कॉफ के साथ ले रहे थे।
लेदर जैकेट पहने दो सीसीडी म आए। मने उ ह पहचान लया। वे मेरे पता के
अं तम सं कार म शरीक ए थे और उ ह ने मुझसे कज का पैसा मांगा था। उनसे बचने के
लए म अपनी सीट पर एक तरफ घूम गया। ले कन वे मुझे तब तक दे ख चुके थे। वे मेरे
पास चले आए।
‘अपने बाप क मौत का ज मना रहे हो?’ एक ने कहा। उसने अपनी ब ल भुजा से
टे बल पर चाय का एक कप रखा।
‘अभी मेरे पास पैसा नह है,’ मने धीमी आवाज म कहा।
‘नह होगा तो हम तु हारे हलक म हाथ डालकर नकाल लगे,’
मूंछ वाले ने कहा। उसके दाएं हाथ म कोक क एक कैन थी।
‘बशत जो हम नकाल, उसक क मत दो लाख के बराबर हो,’ चाय वाले गुंडे ने कहा।
वे हंस पड़े ।
सुनील अपनी बात पूरी करके भीतर आया। मेरे नए मेहमान को दे खकर वह च का।
‘ये तु हारे दो त ह?’ उसने पूछा।
मने सर हला दया।
‘हम इसके बाप के दो त ह,’ चाय वाले ने कहा।
‘मने तु ह पहले कह दे खा है...’ सुनील ने कहा।
‘यह हमारा शहर है। हम यहां हर जगह ह,’ कोक वाले ने कहा।
‘तुम तो एमएलए शु ह–जी के लए काम करते हो ना?’ सुनील ने कहा।
‘इससे तु ह या मतलब,’ चाय वाले ने कहा। अब उसक आवाज जरा नवस थी।
‘मने तु ह उनके घर पर दे खा था। हाय, आई एम सुनील। म सनशाइन ईवट् स का
मैनेजर ं। हम एमएलए शु ह–जी के लए ब त काम करते ह।’ सुनील ने अपना हाथ
आगे बढ़ाया।
कुछ पल क झझक के बाद उ ह ने सुनील से हाथ मला लया।
‘तु हारा दो त हमारा कजदार है। उसके लए यही बेहतर होगा क वह ज द से ज द
हमारा कज चुका दे । वरना।’ चाय वाला बस वरना कहकर क गया। कुछ तो बात को
असरदार बनाने के लए, ले कन अहम वजह यह थी क उसे पता नह था क इसके बाद
या कहना चा हए।
सुनील और म चुप रहे। मूंछ वाले गुंडे ने अपनी बाइक क चाबी से तीन बार टे बल
बजाई। फर हम एकाध बार घूरकर दे खने के बाद वे चले गए।
मन राहत क गहरी सांस ली। डर के कारण मेरा चेहरा लाल हो गया था। ‘मुझे कॉलेज
क कोई ज रत नह , म वैसे भी ज द ही इस नया को अल वदा कहने वाला ं,’ मने
कहा।
‘तुम ठ क तो हो?’ सुनील ने कहा। ‘म कुछ और कॉफ मंगवाता ं।’
म तो चाहता था क वह और कॉफ के बजाय मुझे कुछ ए ा पैसा दे ता, ले कन म
चुप रहा। कॉफ का सरा कप पीते ए मने सुनील को सं ेप म अपनी कहानी सुनाई –
मेरा बचपन, कोटा, मेरी नाकामी और बाबा क मौत।
सुनील ने टे बल पर अपना खाली कप रख दया। ‘तो अब तु हारे सर पर भारी कज
चढ़ा आ है और उसे चुकाने के लए तु हारे पास कोई ज रया नह है?’ उसने दोटू क कहा।
‘शायद मेरा घर। ले कन उसक क मत यादा नह है। और फर घर बेचने के बाद मेरे
पास सर छु पाने को भी कोई जगह नह रह जाएगी।’
‘और ॉपट ववाद?’
मने सुनील को ब त सं ेप म ही ॉपट ववाद के बारे म बताया था। ‘वह एक पुराना
ववाद है,’ मने कहा। म इस बात पर हैरान था क सं ेप म बताने के बावजूद सुनील का
यान उस तरफ चला गया था।
‘ या ॉपट है?’
‘ए ीक चरल लड,’ मने अनमने ढं ग से कहा।
‘कहां? उसने कहा।
‘शहर से दस कलोमीटर र।’
सुनील क आख फैल गई। ‘यह तो काफ पास है। जमीन कतनी बड़ी है?’
‘तीस एकड़। उसम हमारा ह सा पं ह एकड़ का है।’
‘और तु हारे अंकल या कह रहे ह?’
‘कुछ नह । उ ह पूरी जमीन चा हए। उस मामले म पूरा गड़बड़झाला हो चुका है। कई
द तावेज फज बनाए गए ह। मुकदमा बारह साल से चल रहा है।’ मने अपनी कॉफ ख म
क । ‘तो बात ये है क मेरी ऐसी–तैसी हो चुक है। शायद वे लोग अपना पैसा वापस लेने के
लए मेरा घर बकवा द। कॉफ के लए शु या।’
म जाने के लए उठ खड़ा आ।
‘अब तुम या करोगे?’ सुनील ने पूछा। वह अब भी बैठा आ था और सोच म डू बा
था।
‘म एक स ड़यल–सा कॉलेज जॉइन क ं गा और जो जॉब मले, वह कर –लूंगा।’
‘ को, बैठ जाओ,’ सुनील ने कहा।
‘ या बात है?’ मने बैठते ए कहा।
‘म तु ह कुछ सजे ट क ं गा। और उसम तु हारी मदद भी क ं गा। ले कन मुझे अपना
ह सा चा हए। बड़ा ह सा।’
‘ ह सा?’ मने कहा। कस बात का ह सा, मेरी इस पट ई जदगी का?
‘तो, टे न परसट। डन?’ सुनील ने कहा।
‘टे न परसट कस बात के?’
‘जो भी तुम कमाओगे। तु हारी कमाई म टे न परसट इ वट ।’
‘कैसी कमाई?’ मने कहा। मुझे समझ नह आ रहा था।
‘तुम एक कॉलेज खोलोगे।’
‘ या?!’
‘ रलै स,’ सुनील ने कहा।
‘ या तुम घाट के साधु क तरह भांग का नशा करते हो?’ मने कहा। आ खर म
उसक इन बहक –बहक बात पर कैसे भरोसा सकता था?
‘दे खो, तु हारे पास जमीन है। सबसे ज री चीज तो वही है। वह भी शहर पास,’ उसने
कहा।
‘वह अभी मेरे पास नह है। अदालत म मुकदमा साल से चल रहा है और कोई नतीजा
नजर नह आ रहा।’
‘हम उसे नपटा सकते ह।’
‘हम? हम कौन? और वह ए ीक चरल लड है। उस पर केवल फसल उगाई जा
सकती है। यही कानून है,’ मने कहा।
‘हमारे दे श म ऐसे भी लोग ह, जो कानून से ऊपर ह,’ सुनील ने कहा।
‘कौन?’ मने कहा।
‘एमएलए शु ला–जी,’ उसने कहा।
‘शु ला कौन?’
‘हमारे वधायक रमन लाल शु ला। तुमने कभी उनका नाम नह सुना या?’ सुनील ने
कहा।
‘तुमने फोन पर उनका ज कया था,’ मने कहा।
‘हां। म उनके आशीवाद से बीस ईवट् स कर चुका ं। नह तो मुझे अ धका रय क
अनुम त कैसे मलती? म खुद उनका ह सा उन तक प ंचाता ं। म तु ह भी उनके पास ले
जाऊंगा। अपने ह से के लए,’ उसने कहा और आंख मारी।
‘ ह सा?’
‘हां, ह सा। टे न परसट। अभी से भूल गए?’
‘तुम ये सब या बात कर रहे हो?’
‘शु ला–जी से मलते ह। तु हारे पास ॉपट के जतने भी पेपस ह , ले आना।’
‘तुम मजाक तो नह कर रहे हो ना?’
‘ या मुझे दे खकर ऐसा लगता है क म मजाक कर रहा ं?’ सुनील ने कहा।
मने उसके जेल कए गए बाल और उनम वरा जत रंगीन सन लासेस को दे खा। मने
अपनी धारणा बदल ली।
‘तुम चाहते हो क म कॉलेज खोलूं? म तो खुद कॉलेज नह गया ं,’ मने कहा।
‘भारत म जतने लोग कॉलेज के मा लक ह, उनम से अ धकतर खुद क भी कॉलेज
नह गए ह। टु पड लोग कॉलेज जाते ह। माट लोग कॉलेज खरीद लेते ह,’ सुनील ने
कहा। ‘अगले ह ते क मुलाकात तय करते ह। और याद रखना।’
‘ या?’
उसने अपनी अंगु लयां चटकाई। ‘मेरा टे न परसट।’
15

आरती और म एक लंबी बोट राइड पर गए। अलसुबह क बयार म उसका हरा पट् टा पीछे
क ओर उड़ रहा था। ‘तुमने कुछ तय कया क अब आगे या करोगे?’ उसने पूछा।
‘म ाइवेट इंजी नय रग कॉलेज दे ख रहा ं।’
‘और?’
‘वे सभी ब त महंगे और ब त बुरे ह,’ मने कहा।
म कुछ दे र के लए का। नाव नद के बीच म ठहरी ई थी। म सोचने लगा क या
आरती मेरे पास आएगी और मेरी हथे लयां सहलाएगी। उसने ऐसा नह कया।
‘तो? अब या?’ आरती ने पूछा।
‘कोई प ाचार ड ी और जॉब।’
‘और लोन के बारे म या?’
‘उसे मैनेज कया जा सकता है। बाबा उसम से ब त कुछ सेटल कर चुके थे,’ म झूठ
बोल गया। म नह चाहता था क म उस पर अपनी मुसीबत का बोझ डालूं और उसके सा
थ मुझे जतना व बताने का मौका मला है, उसे गंवा ं ।
‘गुड। चता मत करो। सब ठ क हो जाएगा।’ वह उठ और मेरे पास बैठ गई। फर
उसने मेरा हाथ अपने हाथ म लया और जैसे कुछ सोचते ए मेरी अंगु लयां चटखाने
लगी।
‘तुम राघव के साथ खुश हो ना?’ मने पूछा।
म उ मीद कर रहा था क काश वह कहती नह , ले कन म ऐसा दखावा कर रहा था
मानो म इससे उलटा चाहता ं।
‘ओह येस।’ उसने मेरी ओर दे खा। उसक आंख चमक रही थ । ‘राघव ब त अ ा
है।’
मने अपना हाथ ख च लया। वह मेरी नराशा को समझ गई।
‘मने तो कभी नह कहा क वह अ ा नह है,’ मने सरी तरफ दे खते ए कहा।
‘तुम ठ क तो हो?’
‘हां,’ म एक नकली मु कराहट मु करा दया। ‘और वह कैसा है?’
‘उसने अपने पैरट् स को कह दया है क वह इंजी नयर नह बनना चाहता। वे इस बात
से खुश नह ह।’
‘वह इ डयट है। अब भला वह या करेगा?’
‘जन ल म,’ उसने कहा। ‘उसे जन ल म से यार है। वह यही करना चाहता है। वह
कुछ बदलाव लाना चाहता है। उसने यू नव सट क पॉ ल ट स भी जॉइन कर ली है।’
‘टोटली टु पड,’ मने कहा। मने फर पतवार उठा ली। आरती अपनी जगह पर जाकर
बैठ गई।
वापसी के दौरान हम चु पी सा धे रहे। नद म पतवार क छपाक क आवाज ही
खामोशी को तोड़ रही थी। आरती के बाल और बड़े हो गए थे और अब वे उसक कमर तक
आने लगे थे। म उसक पलक का झपकना दे खता रहा। लगता था जैसे सुबह का सूय
उसके भीतर है और उसक वचा से उसक रोशनी फूट रही है। मने उसके होठो को
नजरअंदाज कर दया। य द म उ ह दे खता तो मेरे मन म उ ह चूम लेने क इ ा जाग
जाती।
‘अब वह कसी और क है, तु हारे जैसे कमअ ल को भी यह बात अब तक समझ म
आ जानी चा हए।’ हां, मेरा दमाग इस बात को जानता था, ले कन दल इसे मानने को
राजी न था।
‘आ खर हम बड़े ही य ए, गोपाल?’ आरती ने कहा। ‘पहले चीज कतनी सीधी–
सरल आ करती थ ।’

म इससे पहले कभी कसी वधायक के घर नह गया था। दोपहर तीन बजे हम कचहरी
े म शु ला–जी के लंबे–चौड़े बंगले पर प ंचे। बाहर पु लस क जीप खड़ी थ और
स यो रट गाड् स हर जगह तैनात थे। सुनील ने गेट पर अपना प रचय दया तो हम भीतर
जाने दया गया।
ं ट लॉन म अनेक ामीण बैठे थे और वधायक से मलने क अपनी बारी आने का
इंतजार कर रहे थे। सुनील ने बताया था क वधायक शु ला अकेले ही रहते थे। उनके
प रवार के सद य अ धकतर समय वदे श म बताते थे। उनके दोन बेटे भी वदे श म ही
पढ़ाई कर रहे थे। वधायक के घर म पाट के इतने कायकता मौजूद थे क वह घर से
यादा पाट का ऑ फस लग रहा था।
सुनील अपने साथ गरीश बेद को लाया था, जो क एक ‘अनुभवी एजुकेशन
कंस टट’ था। मेरे पास अटै ची भरके ॉपट के द तावेज और अदालती कागजात थे।
वधायक के ऑ फस प ंचने से पहले गाड् स ने तीन बार हमारा बैग जांचा।
एक खूबसूरत पॉ ल ड लकड़ी क मेज पर अधेड़ उ का एक कड़क कलफदार
कुता–पायजामा पहने बैठा था। अपनी छोट –सी त द के बावजूद शु ला– जी को हडसम
कहा जा सकता था, खास तौर पर इस बात के मद्दे नजर क वे वधायक थे। उ ह ने हम
बैठने का इशारा कया और सेलफोन पर ब तयाते रहे।
‘साइं ट ट से कहो शु ला पहले रपोट को दे खना चाहता है। हां, मेरे लए उसे दे खना
ब त ज री है। गंगा मेरी भी है। येस, ओके, अभी मेरी एक मी टग है, बाय।’
वधायक ने हमसे बातचीत शु करने से पहले अपनी मेज पर रखी फाइल का ढे र
एक तरफ खसकाया।
‘सुनील सर। सनशाइन इवट् स। हम... हम कै रयर फेयर करते ह,’ सुनील ने कहा। वह
हकला रहा था, जब क वह आमतौर पर ब त कां फडट रहता था।
‘काम क बात बताओ,’ शु ला–जी ने कहा।
‘जमीन का मामला है, सर,’ सुनील ने कहा।
‘कहां है? कतनी है?’ शु ला–जी ने कहा। उनक आंख फाइल पर जमी रह , ले कन
उनके कान हमारी बात पर लगे थे। राजनेता कसी भी अ य क तुलना म कह
अ े से म ट टा कग कर सकते ह।
‘तीस एकड़। शहर से दस कलोमीटर बाहर लखनऊ हाईवे पर,’ सुनील ने कहा।
वधायक लखते– लखते क गए। उ ह ने नजर उठाई।
‘ कसक जमीन है?’ उ ह ने कहा। उ ह ने अब अपनी फाइल बंद कर द थी ता क
हमारी बात पर यान क त कर सक।
‘मेरी है, सर,’ मने कहा। मुझे नह पता मने वधायक को सर य बोला। ‘मेरा नाम
गोपाल म ा है।’ मने अटै ची खोली और मेज पर ॉपट के द तावेज रख दए।
‘और तुम?’ शु ला–जी ने बेद से पूछा।
‘एजुकेशन कंस टट है। नए कॉलेज क डजाइन बनाने और उ ह तैयार करने म मदद
करता है। अपना आदमी है,’ सुनील ने कहा।
‘नया कॉलेज?’ शु ला–जी ने कहा।
‘वह ए ीक चरल जमीन है, सर,’ सुनील ने कहा।
‘आप ए ीक चरल जमीन को एजुकेशनल यूज के लए पर मशन दला सकते ह,’
बेद ने पहली बार अपना मुंह खोला।
‘तुम कमउ दखते हो,’ शु ला–जी ने मुझसे कहा। ‘तु हारे पैरट् स कौन ह?’
‘उनक मौत हो चुक है, सर,’ मने कहा।
‘ मम। तो ॉ लम या है?’ शु ला–जी ने कहा। उनक अंगु लयां जमीन क
लोकेशन शहर के बीच म कह खोज रही थ ।
‘मेरे अंकल,’ मने कहा।
‘यह नए बन रहे एयरपोट के ब त करीब है,’ शु ला–जी ने न ा समझते ए कहा।
‘जी हां,’ मने कहा।
शु ला–जी ने अपना इंटरकॉम उठाया। उ ह ने अपने टाफ को बोला क मी टग पूरी
होने तक उ ह ड टब न कया जाए।
‘गोपाल, इस जमीन ववाद के बारे म मुझे व तार से बताओ,’ शु ला–जी ने कहा।
अगले एक घंटे तक म उ ह पूरी कहानी सुनाता रहा। ‘और हक कत यह है क मुझ पर
आपके आद मय का भी दो लाख पए कज है,’ मने अपनी बात ख म करते ए कहा।
‘चाय पओगे? सॉ ट क?’ शु ला–जी ने कहा।
मने सर हला दया।
‘मेरे आद मय का तुम पर कजा है?’ शु ला–जी ने पूछा।
‘नह सर, वे आपके आदमी नह ह,’ सुनील ने कहा और मेरे पैर पर धीमे–से एक
ठोकर मारी। ‘बेद सर, इ ह बताइए क आप या सोचते हो।’
मुझे नह पता था क कज उगाहने वाले वधायक के आशीवाद से ही काम करते थे,
ले कन उनसे कसी तरह के ता लुकात से इनकार भी करते थे।
‘इंजी नय रग कॉलेज के लए इससे बेहतर कोई जमीन नह हो सकती, सर,’ बेद ने
कहा। ‘इसका जो पं ह एकड़ का ह सा है, वह काफ है।’
‘पं ह ही य ? जब पूरी तीस एकड़ जमीन हो तो हम केवल पं ह य ल?’ शु ला–
जी ने कहा।
म बेहद भावुक हो गया। जीवन म पहली बार ऐसा आ था क कसी पॉवरफुल
आदमी ने मेरा सपोट कया हो। ले कन म यह भूल गया क व धायक ने ‘हम’ श द का
इ तेमाल कया था।
सुनील मुझे दे खकर शा तर ढं ग से मु करा दया। आ खर वह मुझे ब कुल ठ क जगह
जो लाया था।
‘पं ह भी काफ ह, सर,’ मने कहा। म तो यह भी नह समझ पा रहा था क इतनी
जमीन भी कैसे हा सल क जाएगी।
‘तीस। बाक के बारे म बाद म सोचगे। जमीन शहर के पास है... एक बार कॉलेज खुल
जाए और एयरपोट बनकर तैयार हो जाए तो हम वहां रे सड शयल या कम शयल जोन भी
बना सकते ह,’ शु ला–जी ने कहा।
म समझ नह पा रहा था क वे या कह रहे ह, ले कन म इतना ज र समझ गया था
क उ ह मुझसे यादा पता है। फर, वे आ खर मेरे फायदे क ही तो बात कर रहे थे।
‘ले कन हम उतनी जमीन भी कैसे पाएंगे?’ मने कहा। मेरे अंकल पछले अनेक साल
से उस जमीन पर कुंडली मारकर बैठे थे।
‘ये तुम हम पर छोड़ दो,’ शु ला–जी ने कहा। ‘तुम तो मुझे बस इतना ही बताओ क
या तुम एक कॉलेज चला सकते हो?’
‘म?’
‘हां, य क कॉलेज का चेहरा और नाम तु ह होओगे। म तो पीछे से चुपचाप अपना
काम करता र ंगा,’ उ ह ने कहा।
‘ले कन कैसे?’ मने कहा। ‘मेरे पास अनुभव नह है। पैसा नह है।’
‘अनुभव तु ह म टर बेद दे दगे, और पैसा म दे ं गा। तुम उससे कं न और बाक
के काम कर सकते हो।’
शायद मुझसे कोई गलती हो रही है। आ खर नया अचानक मेरी मदद करने को
आमादा य हो गई है? माजरा या है?
सुनील मेरी वधा समझ गया।
‘शु ला–जी सर, य द आप इसे अपनी ट स बता दे ते तो अ ा होता। और हां, आप
मेरे लए भी जो ठ क समझ,’ सुनील ने कहा और मेरी तरफ दे खकर चापलूस क तरह
खीस नपोरने लगा।
‘मुझे कुछ नह चा हए। बस कॉलेज खोलो, मेरे शहर का भला इसी म है,’ शु ला–जी
ने कहा।
कसी ने भी उनक बात पर भरोसा नह कया। फर भी हम उनका मन रखना ही था।
‘सर, लीज,’ सुनील ने कहा, ‘यह तो वा जब नह होगा।’
‘अपने ट स के बारे म म खुद सोच लूंगा। ले कन तुम लोग तु हारे बारे म बताओ। तुम
यह कर लोगे ना?’ शु ला–जी ने मेरी ओर दे खा। मुझे लगा क उनके इस तरह दे खने भर
से ही मेरी उ दस साल बढ़ गई हो।
मने जतना संभव हो सकता था, अपनी झझक छु पाने क को शश क । ‘कैसा हो
अगर हम जमीन हा सल कर ल और बस उसे बेच द?’ मने कहा।
‘ जस जमीन पर इतने सारे केस चल रहे ह , उसे बेचना मु कल है,’ शु ला–जी ने
कहा। ‘जमीन का क जा तु ह दे ना एक बात है और उसके लए नया ाहक ढूं ढना सरी
बात।’
‘वही तो। हम उन सारे केसेस को कैसे नपटाएंगे?’ मने कहा।
शु ला–जी हंस पड़े । ‘हम केस नह नपटाते। हम उन लोग को नपटा दे ते ह, जो केस
म शा मल ह।’
वधायक भले ही हंस रहे ह , ले कन उनक आख से लग रहा था क उ ह ने मन बना
लया है। उ ह दे खकर वाकई लगता था क वे लोग को नपटा सकते ह। वैसे भी म जमीन
हा सल करने से भी यादा अपने र तेदार को सबक सखाना चाहता था।
‘य द आप ऐसा कर पाएं तो आप जतना चाहे उतना शेयर ले सकते ह,’ मने कहा।
‘म पं ह एकड़–लूंगा,’ शु ला–जी ने कहा। ‘म वह जमीन तब तक अपने पास रखूंगा,
जब तक क वह ए रया कम शयल या रे सड शयल यूज के लए री–जो नह हो जाता।
बाक क पं ह एकड़ जमीन म हम कॉलेज बनाएंगे।’
‘कॉलेज म आपको कतनी ऑनर शप चा हए?’ मने कहा।
‘ जतनी तुम दे ना चाहो। कॉलेज ट है, उसम कोई ॉ फट नह है,’ शु ला–जी ने
कहा। उनके चेहरे पर कोई भाव नह थे।
‘वाकई?’ मने हैरानी से कहा।
‘हां, सच है,’ बेद ने लंबे समय बाद मुंह खोला। ‘हर कॉलेज नॉन– ॉ फट टक
तरह होता है। उसम कोई शेयर हो स नह होते, केवल ट होते ह।’
‘ फर कोई ाइवेट लेयर एक नॉन– ॉ फट कॉलेज य खोलना चाहेगा?’ मने कहा।
बेद ने पहले तो गहरी सांस भरी और फर मुझे समझाने लगा। ‘वेल, ॉ फट होता है।
ट ट से कैश नकाल सकते ह और उसे खच बता सकते ह। या वे कैश म कोई फ स
ले सकते ह और उसे खाते म दज नह कर सकते ह। या वे कसी कॉ े टर से कह सकते
ह क य द हम तु ह कॉ े ट दगे तो बदले म तुम हम या दोगे। और भी कई तरीके ह’
बेद बोलता रहा। मने उसे रोका। ‘एक मनट। या ये सब गैरकानूनी तरीके नह ह?’
सभी चुप हो गए।
थोड़ी दे र बाद शु ला–जी बोले, ‘मुझे नह लगता क यह लड़का हमारे कसी काम का
सा बत हो सकता है। तुमने मेरा व बरबाद कया।’
बेद और सुनील ने शम से अपना सर झुका लया। ईमानदारी के बारे म मेरी ज ासा
के कारण उ ह श मदगी झेलनी पड़ी थी।
‘आई एम सॉरी। म तो बस समझने क को शश कर रहा ं,’ मने कहा।
‘ या?’ बेद ने कहा। उसक आवाज से झ लाहट झलक रही थी।
‘ या तुम मुझे यह बताना चाह रहे हो क कसी कॉलेज से पैसा कमाने का एकमा
तरीका यही है क गैरकानूनी हथकंड का इ तेमाल कया जाए? सॉरी, म नै तकता का
उपदे श नह दे रहा, केवल एक सवाल पूछ रहा ं।’
‘वेल,’ बेद ने कहा, ‘वा तव म कॉलेज पैसा कमाने के लए नह होते।’
‘तो फर कोई कॉलेज खोलना ही य चाहेगा?’ मने कहा।
‘समाज के भले के लए, जैसा क हम राजनेता चाहते ह,’ शु ला–जी ने कहा।
मेरे सवा सभी हंस पड़े । शायद वे मेरी बेवकूफ पर ही हंस रहे थे।
‘सुनो, गोपाल,’ सुनील ने कहा, ‘ नयम–कायदे ऐसे ही टु पड होते ह। अब यह हम
पर है क या तो उनसे बचने का कोई रा ता नकाल, या बेवकूफ क तरह चुपचाप खड़े
रह। कॉलेज है तो ट भी होगा। तुम और शु ला–जी ट बन जाएंगे। बेद तु ह सब
समझा दे गा।’
बेद ने मेरी ओर दे खकर इशारा कया क चता मत करो, सब समझा ं गा। हां, उस
आदमी को स टम के बारे म अ तरह पता था और वह यह भी जानता था क स टम
को कैसे झुकाया जाए।
‘बेद बाबू, इस लड़के को यह भी सखा दो क यादा कानून–कायद क बात न करे।
नह तो वह एजुकेशन का बजनेस नह कर पाएगा,’ शु ला–जी ने कहा।
‘ऑफ कोस,’ बेद मु करा दया। ‘शु ला सर, ट से पैसा नकालना बाएं हाथ का
खेल है। आप तो यह बताइए क तमाम पर मशन और अ ुवल कैसे मलगे? हर कदम पर
ेशल मैनेजमट क ज रत है।’
‘यही तो इस लड़के को करना है। म तो कसी प चर म नह ं। म केवल ट ं,
समाज के भले के लए,’ शु ला –जी ने कहा।
‘मुझे या करना होगा?’ मने कहा।
‘ड ट वरी, म समझा ं गा,’ बेद ने कहा। ‘तु ह ब ग ला स के लए वाराणसी नगर
नगम का अ ुवल लेना होगा, कॉलेज के लए एआईसीट ई का अ ुवल लेना होगा।
इं े न होगा। हर चीज का यान रखना होगा। टडड है।’
‘ र त दे नी होगी?’ मने कहा।
‘ श!’ शु ह–जी ने घुड़क दे ते ए कहा। ‘ये बात यहां मत करो। जो भी बात करनी
हो, बाहर जाकर करो। जाओ।’
हम जाने के लए उठ खड़े ए।
‘एक मनट को, गोपाल,’ वधायक ने कहा।
‘जी?’ मने सुनील और बेद के बाहर चले जाने के बाद कहा।
‘ या तुम यह सब कर पाओगे?’ शु ला–जी ने कहा, ‘म अपना व बरबाद नह
करना चाहता। य द तुम यह सब नह कर सकते तो अभी बता दो।’
म कुछ दे र सोचता रहा। ‘यह आसान तो नह है,’ मने वीकारा।
‘ जदगी म बड़ा आदमी बनना कभी आसान नह होता,’ शु ला–जी ने कहा। म चुप
रहा।
‘तुम बड़ा आदमी बनना चाहते हो या नह , गोपाल?’
म नीचे दे खता रहा। मने गौर कया क वधायक के घर का फश इटै लयन माबल से
बना था।
‘या तुम केवल एक मामूली आदमी बने रहना चाहते हो, जसके दो त उससे ब त आगे
नकल गए ह ?’
मेरा गला ं ध गया, ले कन मने उसे जा हर नह होने दया। मने नजर उठाई।
‘तु हारी कोई गल ड है?’
मने सर हलाकर मना कर दया।
‘पता है य ? य क तु हारी कोई औकात नह है।’
मने हामी पर द । मुझे याद आया क बीएचयू कार पा कग म आरती और राघव ने कस
तरह एक– सरे को शद्दत से चूमा था। य द म बीएचयू गया होता और राघव कोटा गया
होता, तब भी या आरती राघव को ही चुनती? मने शु ला–जी को दे खा। यह आदमी सर
से पैर तक गलत था, ले कन उसने मुझे एक मौका दया था। आ खर जदगी म हम इसी
बात क तो ज रत होती है – एक जॉब, एक एड मशन, एक मौका।
‘म क ं गा। ऐसा तो है नह क पूरे दे श म केवल म ही इकलौता ऐसा इंसान ं, जो
र त दे गा,’ मने कहा। ‘ले कन म ब त बड़ा आदमी बनना चाहता ं।’
शु ला–जी खड़े ए। वे अपनी मेज के करीब से बाहर नकले और मेरी पीठ थपथपाई।
‘तुम तो पहले ही बड़े आदमी बन चुके हो,’ उ ह ने कहा, ‘ य क तु हारे सर पर अब मेरा
हाथ है। अब जाओ, और अपने हरामी अंकल के डटे स बाहर मेरे से े टरी के पास छोड़
जाओ।’
‘और मुझ पर जो आपके लोग का कजा है, उस बारे म या?’ मने कहा।
‘दो लाख पए? इतने पैसे मेरे लए कोई मायने नह रखते। उसे भूल जाओ,’ शु ला–
जी ने कहा। वे अपनी मेज पर गए और दराज खोली। उसम से दस हजार पय के दो
बंडल नकाले और मेरी ओर उछाल दए। ‘एक सुनील के लए और एक तु हारे लए,’
उ ह ने कहा।
‘मेरे लए य ?’ मने पूछा।
‘मेरा कॉलेज चलाने के लए, डायरे टर सर।’ उ ह ने खीस नपोरते ए कहा।

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16

मने शु ला–जी के दस हजार पए रख लए। कम से कम उससे म अपने ज री खच तो


चला ही सकता था। बस मने उससे एक बड़ा खच कया – म ताज गंगा म आरती को डनर
कराने ले गया। यह वाराणसी का सबसे महंगा रे टोरट था।
‘आर यू योर?’ जैसे ही हम ताज क कॉफ शॉप म घुसे, आरती ने एक बार फर
पूछा। ‘हम घाट पर चाट भी खा सकते ह।’
उसने एक नई–नवेली गहरे नीले रंग क फुल लथ े स पहनी थी, जो उसके सगे–
संबं धय ने अमे रका से भेजी थी। उसने उस पर मैच के लए सोने क नकली वेलरी पहन
रखी थी, जसे उसने व नाथ घाट से खरीदा था।
‘माय ट,’ मने कहा।
वेटर ने आरती के लए कुस बाहर ख ची। उसने उसे थक कहा। हम बैठ गए। आरती
चॉकलेट केक खाना चाहती थी, ले कन वह अपने वेट को लेकर भी चौकस थी।
आ खरकार हमने सूप और सलाद लेना तय कया, ता क मीठे के लए कैलोरीज बचा सक।
उसने च मच से गम सूप हलाया। ‘सॉरी, ले कन तु हारे पास इसके लए पैसा कहां से
आया? बाबा तु हारे नाम अ –खासी वसीयत लख गए ह या?’
म हंस पड़ा। ‘नह , वे मेरे लए वसीयत म केवल कज लख गए ह।’
‘ फर?’
‘म नया बजनेस शु कर रहा ं।’
‘ मग लग?’ आरती ने अपना सर एक तरफ झुकाते ए पूछा।
‘शट अप। म एक कॉलेज खोल रहा ं।’
‘ या?’ आरती ने इतनी जोर से कहा क पूरी कॉफ शॉप ने सुना।
‘सॉरी,’ उसने धीमे–से फुसफुसाते ए कहा। ‘ या तुमने वही कहा जो मने सुना? तुम
एक कॉलेज खोलने जा रहे हो?’
‘हां, हमारी उस जमीन पर, जस पर केस चल रहा है।’
‘ले कन कैसे? उस पर तो तु हारे काका का क जा है ना? और तुम कॉलेज कैसे
बनाओगे?’
‘मेरे साथ कुछ पाटनस ह। ब त अ े पाटनस।’
‘कौन?’ आरती ने कहा।
‘म तु ह बताऊंगा। अभी हम अपने लान को अं तम प दे रहे ह।’ ‘ रयली?’ आरती
ने कहा। ‘तो तुम इसको लेकर इतने सी रयस हो?’
‘हां, शहर के बाहर हमारी पं ह एकड़ जमीन है। य द हम मामला सुलझा
ल और री–जो नग करवा ल तो वह जमीन कॉलेज बनाने के लए परफे ट है,’ मने बेद
क बात दोहरा द ।
‘वॉव,’ आरती ने कहा और खल खला द । ‘तुम तो बड़े आदमी बनने जा रहे हो,
गोपाल।’
उसने यह बात मजाक म कही थी, ले कन उससे मुझे ह क –सी ठे स प ंची
‘ य ? या तु ह नह लगता था क म ऐसा कर पाऊंगा?’
‘नह , मेरा यह मतलब नह था,’ आरती ने कहा। ‘म तो बस... सर ाइ ं।’
‘मुझे जदगी म कुछ न कुछ तो करना ही होगा ना।’
‘ योर। तुम कुछ से कुछ यादा ही करोगे। ले कन तु हारे अंकल का या होगा?’
‘हम उनके साथ हंसी–खुशी सेटलमट करने क को शश कर रहे ह,’ मने कहा।
वा तव म शु ला के आदमी, ज ह ने मेरे कजदार का मामला सुलझाया था, ने
घन याम ताया–जी से सेटलमट क को शश शु कर द थ , ले कन उ ह हंसी–खुशी वाली
को शश कतई नह कहा जा सकता था।
वे लोग तीन बार मेरे अंकल के घर जा चुके थे। पहली बार उ ह ने उनक ं ट बॉलकनी
म एक बोतल बकरी का खून उड़े ल दया था। सरी बार उ ह ने चाकु से उनके घर के
सभी सोफ और ब तर को गोद दया था। तीसरी बात उ ह ने पहली बार अपना मुंह
खोला था और आठ लाख पए म उनक ववा दत जमीन खरीदने क पेशकश क थी।
ले कन म आरती को ये सब डटे स नह बताना चाहता था।
‘ कस तरह का कॉलेज खोलोगे?’ उसने पूछा।
‘इंजी नय रग।’
‘कूल,’ आरती ने कहा।
‘बड़ा आदमी बनना है तो बड़ी–बड़ी चीज तो करनी ही पड़गी,’ मने कहा।
‘तुम तो मेरे लए हमेशा से ही बड़े आदमी रहे हो, गोपाल। पता है य ?’
‘ य ?’
‘ य क तु हारा दल ब त बड़ा है।’ आरती ने धीमे–से टे बल पर रखा मेरा हाथ
सहलाया।
मेरा दल बड़ा था या छोटा, ये तो पता नह , ले कन उसक छु अन से वह धक–धक
ज र करने लगा। मने फौरन बातचीत का ख बदला। ‘तु हारे या हाल ह? कॉलेज म
या चल रहा है?’
‘बो– र–ग। ले कन म एक ए वएशन एकेडमी जॉइन करने वाली ं।’
‘ या?’
‘उसम मुझे लाइट अटडट बनने क े नग द जाएगी। लास म कसी हवाई जहाज
के इंट रयर जैसा होगा।’
‘ रयली?’ मने दलच ी लेते ए कहा, ‘आजकल एजुकेशन म कतना कुछ हो रहा
है।’
‘हां, ले कन हमम से कई तो बस टू डट् स बनकर ही रह जाते ह। हर कोई कॉलेज नह
खोल सकता,’ उसने मुझे छे ड़ते ए कहा।
म मु करा दया। ‘अभी मुझे ब त लंबा सफर तय करना है। मु कल राह है,’ मने
कहा।
‘तुम तो जदगी म इससे भी मु कल चुनौ तय का सामना कर चुके हो। तुम ज र
कामयाब होओगे,’ आरती ने भरोसे के साथ कहा।
‘तु ह ऐसा लगता है?’ मने कहा।
उसने सर हलाकर हामी भरी। यह मेरे लए नया क सबसे बड़ी चीज थी। म उससे
कहना चाहता था क या वह फर मेरे साथ डे ट करेगी। मुझे ऐसा लग रहा था क शायद
अब वह हां कह सकती है। ले कन जा हर है, ये फ मी यो रयां केवल मेरे दमाग म ही
पक रह थ ।
‘राघव कैसा है?’ मने अपने आपको वा त वकता के धरातल पर लाते ए कहा।
‘उसके हाल अभी कुछ ठ क नह ह,’ उसने कहा।
मुझे ह क खुशी महसूस ई। ‘ रयली? य ?’ मने झूठमूठ क चता जताते ए कहा।
‘उसने यू नव सट का जनरल से े टरी बनने के लए चुनाव लड़ा था, ले कन वह चुनाव
हार गया।’
‘ओह,’ मने कहा। ‘ या इससे कोई फक पड़ता है?’
‘उसे पड़ता है। वह इस लए हार गया, य क उसने सरे हो टल के साथ हॉस े डग
नह क । वह ईमानदारी से जीतना चाहता था।’
‘ले कन मुझे तो उसक हार पर कोई हैरानी नह ई,’ मने एक गाजर को भाले क
तरह उठाते ए कहा।
‘उसका मानना है क हम हर जीत ईमानदारी से हा सल करनी चा हए। नह तो, जीतने
का फायदा ही या?’ आरती ने कहा।
‘ले कन जदगी के नयम तो कुछ और ही ह,’ मने धीमे–धीमे खाते ए कहा।
‘पता नह । ले कन ऐसा होना तो नह चा हए,’ आरती ने कहा। ‘वह अगले साल फर
को शश करेगा।’
‘वह कुछ यादा ही काम नह कर रहा है?’ मने कहा।
‘अरे हां, बी–टे क कोस, मैगजीन और इले ंस के दर मयान वह मेरे लए मु कल से
ही व नकाल पाता है।’
‘और तु ह यह अ ा लगता है?’
‘लगता तो नह , ले कन कोई और चॉइस नह है। य द इससे उसे खुशी मलती है तो
यही सही।’
हमने अपना डनर पूरा कया। चॉकलेट केक आया। उसक आंख चमक उठ । उसने
लेट अपनी ओर सरकाई। ‘मेरा केक फर मत चुरा लेना,’ उसने कहा और मु करा द ।
‘राघव कतना लक है क तुम उसके साथ हो आरती,’ मने कहा।
‘थ स,’ उसने कहा और जरा–सा शमाकर मु करा द ।
‘आरती, या म तुमसे कुछ पूछ सकता ं?’
‘हां,’ उसने मेरी ओर दे खा, उसक च मच केक के ऊपर उठ ई थी।
‘कुछ नह , बस मेरे लए थोड़ा–सा केक छोड़ दे ना,’ मने कहा और बल के लए इशारा
कया।

आधी रात को म दरवाजे क घंट सुनकर जागा। मने अपनी आख मसल और दरवाजे तक
प ंचा। म अब भी आधी न द म था। बाहर मेरे अंकल, औट और उनका बेटा, 30 साल का
मेरा क जन अजय खड़े थे।
‘घन याम ताया–जी?’ मने कहा। ‘ या आ? लीज अंदर आइए।’
वे बैठकखाने म एक टू टे–फूटे सोफे पर बैठ गए। पांच मनट तक उनके मुंह से एक भी
श द नह नकला।
‘आप लोग इतनी रात गए मुझसे मलने इस लए तो यक नन नह आए ह क आप मुझे
मस कर रहे थे, है ना?’ मने कहा।
‘तुम हमारे साथ ऐसा य कर रहे हो?’ अजय फूट पड़ा।
‘म या कर रहा ं?’ मने कहा। ‘आपको पानी चा हए? या चाय?’
‘नह ,’ मेरे अंकल ने कहा। ‘गोपाल, अपने कम पर यान दो, भगवान तु ह दे ख रहे ह।
तु ह एक न एक दन इसक क मत चुकानी पड़े गी। हमारे साथ ऐसा मत करो।’
‘ले कन म कर या रहा ं?’ मने कहा। आ खर वे इतनी रात गए मेरे घर य आए थे?
‘ बट् टू अभी तक नसरी कूल से घर नह लौटा है,’ आंट ने कहा और फूट– फूटकर
रोने लग । अब ये लोग पूरी तरह वा त वक लग रहे थे, बाबा के अं तम सं कार म तो वे
मगरम क तरह लग रहे थे।
वे बट् टू क वजह से मेरे घर आए थे। बट् टू अजय का चार साल का बेटा था, जसे
मने केवल एक बार दे खा था ( बाबा के अं तम सं कार के दौरान उसक मां क गोद म) और
अब वह लापता था।
‘अरे, यह तो वाकई ब त बुरा आ है,’ मने कहा। ‘और या इसका मेरे कम से कोई
सब ध है?’
‘ये उन लोग क हरकत है, जो जमीन खरीदना चाहते ह,’ मेरे अंकल ने कहा। ‘हम
जानते ह वे तु हारे साथ ह।’
‘आप लोग या बात कर रहे ह?’ मने कहा।
अंकल ने दोन हाथ जोड लए। ‘हमारे साथ ऐसा मत करो,’ उनह ने कहा।
‘म कुछ नह कर रहा ।ं कुछ लोग मेरे पास भी वह जमीन खरीदने के लए आए थे।
ले कन मने उ ह कह दया क म उसे नह बेच सकता,’ मने कहा।
‘वाकई?’ अजय ने कहा।
‘आ खर म वह जमीन कैसे बेच सकता ं? वह तो ववा दत जमीन है ना?’ मने कहा।
‘ले कन जो लोग हमारे पास आए थे, वे उस जमीन को खरीदना नह चाहते। वे चाहते
ह क हम बक के केस सेटल कर द, ववाद ख म कर द और वह पूरी जमीन तु ह दे द,’
अंकल ने कहा।
‘दै ट्स ज। तो अब सवाल यह है क आपके लए जमीन यादा क मती है या बट् टू ?
करे ट?’
‘शट अप,’ अजय ने कहा। ‘हम पता है क वह जमीन तुम खरीदना चाहते हो।’
‘मेरे पास खाना खरीदने का पैसा नह है, जमीन कहां से खरी ं गा?’ मने सर खुजाते
ए कहा।
‘वे लोग कौन ह?’ अंकल ने पूछा।
‘पता नह । आप चाह तो पु लस क मदद ले सकते ह,’ मने कहा ‘ले कन लगता है
शायद वे गुंडे–बदमाश ह।’
‘हम पु लस–बु लस के पास नह जाना,’ औट ने कहा।
‘वे लोग कुछ भी कर सकते ह। बट् टू छोटा है। उनके लए उसक बॉडी छु पाना कोई
मु कल काम नह होगा। वैसे भी, यह वाराणसी है, यहां डे ड बॉडी को बड़ी आसानी से
ड ोज कया जा सकता है,’ मने कहा।
अजय सोफे से उठा और मेरी कॉलर पकड़ ली। ‘मुझे पता है क तुम इसम इनवॅा ह
हो। तु हारे पता सीधे–सादे थे, ले कन तुम टे ढ़े हो, उसने कहा। उसक आंख से आग बरस
रही थी।
‘मेरे भाई, कॉलर छोड़ दो, अभी इसी व ,’ मने शांत ले कन ठोस आवाज म कहा।
अजय क मां ने अपने बेटे का हाथ थपथपाया। उसने मुझे छोड़ दया।
‘वे लोग कतने पए दे रहे ह?’ मने पूछा।
‘आठ लाख,’ अंकल ने कहा।
‘नॉट बैड,’ मने कहा।
‘यह माकट ाइज के सामने र ी भर भी नह है।’
‘ले कन आपने मेरे सामने जतने पैस क पेशकश रखी थी, उससे तो यह दोगुना से भी
अ धक है,’ मने कहा।
‘इसका मतलब तुम इस मामले म इनवॅा ह हो।’ अजय ने मुझे घूरकर दे खा।
‘घर जाइए, ताया–जी, और ठं डे दमाग से सो चए। हम बट् टू को जमीन से यादा
चाहते ह।’
‘हमारे साथ यह सब या हो रहा है?’ आंट ने दरवाजे पर कहा।
‘यह सब कम का खेल है। ताया–जी आपको समझा दगे।’ मने मु कराते ए दरवाजा
बंद कर दया।
जब बट् टू तीन रात तक घर नह आया, तब जाकर मेरे रले ट स को आठ लाख के ऑफर
क वै यू समझ आई। जैसे ही म टर घन याम म ा और म टर अजय म ा ने पेपर
साइन कए, मुझे वधायक के ऑ फस से फोन आया।
शमा हयर, पीए टु शु ला–जी,’ कॉलर ने कहा। ‘आज रात एमएलए साहब ने आपको
डनर पर बुलाया है।’
‘चीयस,’ शु ला–जी ने कहा। हमने ह क के गलास टकराए।
बेद , सुनील और म उनके बड़े –से बैठकखाने म बैठे थे। उसम तीन अलग– अलग
स टग ए रया थे, जनम वेलवेट सोफे, कॉफ टे बल, सजी–धजी लै और फानूस थे। तीन
वेटर नैप कन–लाइ चायना लेट्स म कबाब, नट् स और मनी–समोसे परोस रहे थे। मने
दे खा क बैठकखाने क द वार पर शु ला–जी के प रवार के च टं गे ह।
‘ये मेरे बेटे ह – न खल और अ खल,’ शु ला–जी ने कहा। ‘दोन अमे रका म पढ़ रहे
ह। म उ ह यहां से अभी कुछ समय र रखूंगा।’
कुछ लोग का कहना था क शु ला–जी तलाकशुदा थे। कुछ अ य का कहना था क
लखनऊ म उनका एक और प रवार है। ले कन मुझे यह सब जानने म कोई दलच ी नह
थी।
‘जमीन हा सल करना एक बड़ी कामयाबी है,’ बेद ने कठोरता से कहा। ‘ले कन हम
अब भी एक लंबा सफर तय करना है। हम अगले ह ते वीएनएन वाल से मल रहे ह। तब
तक हम ट क औपचा रकताएं पूरी कर लेनी चा हए।’
बेद ने समझाया क कस तरह वीएनएन, यानी वाराणसी नगर नगम, हम हमारे लए
बेहद ज री ए ीक चरल–टु –एजुकेशनल लड री–जो नग पर मट दे गी, ता क हम नमाण
शु कर सक।
‘री–जो नग ज द से ज द करा लो। मने आठ लाख पए इस बात के लए नह दए ह
क उस जमीन पर धान क खेती हो,’ शु ला–जी ने कहा।
‘हम ज द से करवा लगे,’ बेद ने कहा। ‘उ ह पता है क इसके पीछे कौन है। आप
कोई छोट –मोट श सयत तो ह नह , सर जी।’
‘हां, ये तो है,’ शु ला–जी ने इस तरह कहा, मानो बेद कोई ब त ही जानी–मानी बात
दोहरा रहा हो। ‘ले कन हम वीएनएन का याल रखना होगा, है ना?’
‘जी हां, यक नन,’ बेद ने कहा। ‘यह री–जो नग है। इसके बाद जमीन क क मत पांच
गुना बढ़ जाती है। यह कोई स ता सौदा नह है।’
‘ कतने लगगे?’ शु ला–जी ने पूछा।
‘ऑफ कोस, आपके लए रेट अलग ह। मेरे याल से दस लाख लगगे।’
‘ या?’ शु ला–जी ने हैरत से कहा।
बेद ने ज द से एक घूंट म अपनी क ख म क । ‘सर, वह तीस एकड़ जमीन है।
एक नॉमल आदमी को उसके लए चालीस दे ने पड़गे।’
‘दे खो, इसी लए मेरे जैसे लोग के लए एजुकेशन से टर म आना ज री है। आ खर
इस दे श का या होगा?’ शु ला–जी ने कहा।
‘डीएम को भी इसके लए अनुम त दे नी होगी। ले कन धान ईमानदार है। वैसे भी,
य द जमीन पर कॉलेज बनाया जा रहा है और वीएनएन क रकमडे शन हो तो वह भी इसे
अ ूव कर दे गा।’
‘ईमानदार कतना है?’ शु ला–जी ने कहा।
‘इतना ईमानदार तो है ही क खुद पैसा न ले, ले कन इतना भी नह है क सर को
लेने से रोके।’
‘तब ठ क है। य द तुम ईमानदार हो, तो अपनी ईमानदारी अपने पास रखो,’ सुनील ने
कहा। वह उस शाम पहली बार कुछ बोला था।
‘सुनील,’ शु ला–जी ने कहा।
‘ या, सर?’
‘अब तुम जाओ। म तु हारे लए कुछ भजवाऊंगा। ले कन आज से हम इस ोजे ट
पर यान दे ना होगा,’ शु ला–जी ने कहा।
‘सर, ले कन...’ सुनील ने कहा।
‘तु हारा काम पूरा हो गया,’ शु ला–जी ने कहा और उसे जॉनी वॅाकल लैक लेबल क
एक बोतल थमा द ।
सुनील समझ गया। उसने बोतल के लए शु या अदा कया, इतना झुका, जतनी
कसी मनु य क रीढ़ इजाजत दे सकती थी, और वहां से चला गया।
‘म डीएम धान को जानता ं, उनक बेट मेरी दो त है,’ मने शु ला–जी से कहा।
‘उस मामले म कोई यादा द कत नह है। फर भी, डीएम का आशीवाद मल जाए
तो बुरा या है,’ शु ला–जी ने कहा।
‘ योर,’ मने कहा।
शु ला–जी अपने बेड म म गए और एक भारी ला टक बैग लेकर लौटे । उ ह ने वह
मुझे दे दया।
‘ये या है?’ मने कहा।
‘दस लाख पए,’ उ ह ने कहा, ‘वीएनएन के लए।’
‘दस लाख?’ मने कहा। उस भारी बैग को थामते समय मेरे हाथ कांप रहे थे। मने
इससे पहले कभी इतना पैसा दे खा या उठाया नह था।
‘दस लाख केवल एक आंकड़ा है,’ वधायक ने कहा। ‘बेद –जी, इस लड़के क मदद
करो। और अपने आपक भी मदद करो। मुझे खाली गलास पसंद नह ह।’
‘ योर, शु ला–जी,’ बेद ने कहा और वेटर को पुकारा।
‘एजुकेशन वाले लोग बस पैस से ही खुश रहते ह या उ ह सरी चीज भी चा हए?’
शु ला–जी ने बेद से पूछा।
‘जैसे क?’ बेद ने पूछा।
‘लड़ कयां, मौज–म ती के लए। मेरा एक आदमी है वनोद, वह उसका भी बंदोब त
करवा सकता है,’ वधायक ने कहा।
‘अ ा, ज रत ई तो आपको बता दगे। वैसे पैसा आने से उसका बंदोब त अपने
आप हो जाता है,’ बेद ने कहा।
‘गुड।’ उ ह ने ै क बदला। ‘ या गोपाल कुछ समय के लए तु हारे ऑ फस से काम
कर सकता है? जब तक क उसका अपना ऑ फस नह बन जाता?’
‘ऑफ कोस, शु ला–जी।’
वेटर हमारे गलास फर से भरने के लए दौड़े ।
‘ ट के कागजात तैयार ह। हम उ ह इस ह ते साइन कर सकते ह। ले कन एक
सवाल, गोपाल,’ बेद ने कहा।
‘ या?’ मने कहा।
‘कॉलेज का नाम या होगा?’ बेद ने कहा।
मने इस बारे म तो सोचा ही नह था।
‘पता नह । शायद कोई ऐसा नाम, जसम तकनीक पर जोर दया गया हो।’
‘और हमारे शहर पर भी,’ शु ला–जी ने कहा। ‘ता क म व आने पर लोग से कह
सकूं क मने यह उनके लए कया है।’
‘गंगाटे क?’ मने कहा।
शु ला–जी ने मेरी पीठ थपथपाई। ‘वेल डन, तुम मुझे पसंद हो, गोपाल। तुम ब त
आगे जाओगे।’ शु ला–जी ने खुद मेरा ह क का गलास पूरा भर दया।
17

बेद ने मेरी डे क पर जो द तावेज रखे थे, म उ ह पढ़ता रहा। म उसके एजुकेशन


कंस टसी ऑ फस के एक ए ा म म बैठा था।
‘ ट बनाने के लए भी पैसा दे ना होगा?’ मने कहा।
‘हां, कंप नय के र ज ार को। हर ट को वहां र ज टर करवाना ज री है,’ बेद ने
कहा।
‘ले कन उसके लए र त दे ने क या ज रत है? हम तो एक नॉन– ॉ फट ट
खोलने जा रहे ह,’ मने कहा।
‘हम र त इस लए दे रहे ह, य क य द हमने र त नह द तो र ज ार अहवल
लटका दे गा।’ वह खीझ रहा था।
मने ठं डी सांस छोड़ी।
‘खैर, चालीस हजार से यादा नह लगगे। अब लीज यहां साइन करोगे?’ बेद ने
कहा।
अगले दो घंटे तक म गंगाटे क एजुकेशन ट के 40 पेज के इंकॉप रेशन डॉ यूमट क
सभी छह कॉ पय पर द तखत करता रहा। बीच-बीच म म अपनी अंगु लयां चटखाता रहा।
बेद मेरे सामने एक के बाद एक द तावेज रखता गया।
‘ये या है?’ जब बेद ने मुझे लेटस का एक बंडल थमा दया, तो मने पूछा। हर लेटर
के साथ फाइल का एक सेट अटै च था।
‘कॉलेज खोलने के लए यू नव सट ांट कमीशन या यूजीसी के नाम तु हारी
ए लकेशंस। इन फाइल म कॉलेज के डटे स ह।’
म उन फाइल से भी होकर गुजरा। उनम कोस ववरण, ता वत सु वधाएं, फैक ट
हाय रग लान जैसे से न थे।
‘ये टडड फाइल ह और इ ह इससे पहले क ए लकेशंस के आध पर बनाया गया है,’
बेद ने कहा।
मने लेटस पर साइन कर दए।’ अ ूवल कैसे भेजा जाता है?’ मने पूछा।
‘वे साइट के इं े न क एक तारीख भेजगे। इं े न के बाद नमाण शु करने के
लए एक इन- सपल अ ूवल दगे।’
‘मेरे याल से हम इं े न लीयर करवाने के लए भी कसी को पैसे खलाने
ह गे?’ मने कहा।
बेद हंस पड़ा।’ तुम तो ब त ज द सीख गए। यक नन, हम उसके लए भी पैसे
खलाने पड़गे। हर इं े टर को एक मोटा-सा बंडल। खैर, सबसे पहले तो हम इं े ान
डे ट के लए पैसे दे ने ह गे। पहला काम पहले।’
मेरी भ ह तन गई।’ तुम मजाक तो नह कर रहे हो ना?’ मने कहा।’
नह , हर सरकारी काम के लए पैसा लगता है, खासतौर पर अगर वह एजुकेशन से
जुड़ा हो तो। तु ह इसक आदत डाल लेनी चा हए।’ इसके बाद उसने सूची बनाई क इस
दे श म ब को पढ़ाने के लए एक कॉलेज खोलने के लए कतने लोग क हथेली गम
करनी पड़े गी। यूजीसी के अलावा हम एआईसीट ई या ऑल इं डया काउं सल फॉर वकल
एजुकेशन के लए भी अ लाई करना था। इंजी नय रग कॉलेज को वे ही लीयर करते थे।
इसके अलावा हर ाइवेट कॉलेज को सरकार क ओर से एक यू नव सट ए फ लएशन क
भी दरकार होती है। इसके लए हम टे ट यू नव सट के कुलप त क अ ूवल चा हए थी।
शु ला-जी के कने ान और नोट से भरे एक अ े -खासे लफाफे से काम बन सकता
था।
‘नह तो कुलप त ब त मु कल पैदा कर सकते ह,’ बेद ने कहा। वह अपने पछले
अनुभव के आ धार पर बोल रहा था।
‘और ये यूजीसी और एआईसीट ई के इं े टर भला कौन ह?’ मने पूछा।
‘सरकारी कॉलेज के यू नव सट ले चरस को इं े टर बनाया जाता है। जा हर है,
चूं क यह मोट कमाई वाला काम है, इस लए इं े टर बनने के लए ले चरर भी पूस दे ते
ह,’ बेद ने कहा।
‘ कसे?’
‘यूजीसी के सी नयर मैनेजमट को, या श ा मं ालय म कसी को। खैर, ये उनक
ॉ लम है। हम अपनी ॉ लम पर यान दे ना है। लीज, शु ला-जी को बता दो क हम इन
सब चीज के लए पैस क ज रत होगी।’
मने सर हला दया।
‘और हां, वीएनएन मी टग को मत भूलना, बेद ने कहा।’ और बैग को तो ब कुल ही
मत भूलना।’
‘म तो उससे चंगुल छु ड़ाने के लए बेचैन ं,’ मने कहा।’ घर म इतना कैश रखने पर
डर लगता है।’
‘घबराओ मत, बेद ने कहा।’ वीएनएन क एक व जट के बाद सारा पैसा गायब हो
जाएगा।’

हम शाम को छह बजे शहीद उ ान के सामने त वाराणसी नगर नगम ऑ फस प ंचे।


अ धका रय ने ही हम कहा था क हम ऑ फस का काम ख म होने के बाद आएं। य द
पैसा मलने क गुंजाइश हो तो सरकारी अफसर म ट नेशनल वाल से भी यादा
ओवरटाइम करने को तैयार रहते ह।
‘वेलकम, वेलकम। आई एम स हा,’ खाली रसे शन ए रया म एक ने हमारा
अ भवादन कया। वह हम ऊपर ले गया। हम उस ख ताहाल इमारत क सरी मं जल पर
प ंचे। ड ट -कॉप रेटर स हा शु ला-जी को दस साल से भी अ धक समय से जानता था
और उ ह अपना बड़ा भाई बता रहा था।
‘य द बड़े भैया ऐसा चाहते ह, तो सम झए क हो गया,’ स हा ने कहा। उसने इस बात
का कोई ज नह कया क ऐसा करने के लए बड़े भैया को छोटे भैया को घूस खलानी
पड़े गी।
मने न े, ॉपट के द तावेज और हमारी फॉमल ए लकेशंस नकाल ल । स हा ने ग
भीरता के साथ उनका मुआयना कया और म- म करता रहा।
‘हम री-जो नग के बाद ही काम शु कर पाएंगे,’ मने कहा।
‘री-जो नग मु कल है,’ स हा ने कहा।’ इसके लए ऊंचे अफसर क अ ूवल
चा हए।’
‘इसम कतना समय लगेगा?’ मने कहा।
‘तुम कमउ दखते हो,’ स हा ने कहा।
‘ए स यूज मी?’ मने कहा।
‘अधीरता। यह नौजवान क पहली कमजोरी होती है। तुम कॉलेज खोलने जा रहे हो,
ज द कस बात क है?’
‘उसम तो वैसे भी काफ समय लगेगा। ले कन म चाहता ं क सभी अ ूवल ज द -
ज द हो जाएं।’ मने कहा।
बेद ने मुझे इशारा करके चुप रहने को कहा। स हा हंस पड़ा।’ तु ह तो ब ग के
लान का भी अ ूवल करवाना पड़े गा ना?’ ड ट -कॉप रेटर ने कहा।
‘हां, बेद ने कहा।’ या आपके जू नयर अ धकारी उसको हडल कर लगे?’
‘मुझे द तावेज भजवा दो। सब कुछ घर पर ही भजवाना। सब कुछ, स हा ने
आ खरी श द पर जोर दे ते ए कहा।
म उसक बात समझ गया। मने ला टक बैग थपथपाया, जो फश पर रखा था।
‘म यहां कुछ लाया ं, ’ मने कहा।
‘ऑ फस म?’ स हा फौरन उठ खड़ा आ।’ तुम पागल हो या?’
म अपने साथ पैसा इस लए लाया था ता क उ ह बता सकूं क हम काम करवाने के
लए कतने गंभीर थे। मुझे पता था क वह यहां पैसे नह लेगा।
‘बेद सर इसको कुछ सखाओ। ये सब कबाड़ा कर दे गा,’ स हा ने कहा और हम
ऑ फस से बाहर ले आया।
मने ला टक के उस भारी लाल बैग को अपने करीब सटा लया।
‘बाय द वे, कतना पैसा है?’ बाहर आने के बाद स हा ने पूछा।
‘दस, मने कहा।
‘री-जो नग और ब ग लान के लए काफ नह ह,’ स हा ने कहा।
‘ये कॉलेज है, लीज थोड़ा रीजनेबल होइए,’ मने कहा।
‘म रीजनेबल ही ं। ले कन दस तो ब त कम ह। पं ह लगगे, स हा ने कहा।
‘शु ला-जी के लए भी कोई कंसेशन नह ?’ मने कहा।
‘म पहले ही अपने रेट से आ धा ले रहा ं’ स हा ने कहा।
‘ यारह?’ मने कहा। म उससे इस तरह बाग नग कर रहा था, जैसे म कोई ट -शट ले
रहा होऊं। जा हर है, जतने अमाउं ट क यहां बात हो रही थी, उसने मुझे सु कर दया
था।
‘साढ़े बारह। डन अब मुझे अपने बड़े भैया के सामने श मदा मत करो,’ स हा ने कहा।
मने इसके बाद उससे कोई बहस नह क । मुझे बाक के पैस का बंदोब त करना था।
‘तुम अ े बागनर हो,’ बेद ने मुझे शु ला -जी के घर ले जाते ए कहा।

‘तुम ही इसे फोड़,’ शु ला-जी ने मुझे कॉलेज साइट के -हंस पर एक ना रयल थमाते ए
कहा। उनके आसपास उनके चमच क भीड़ थी।
भू मपूजन सेरेमनी के साथ ही नमाण क शु आत ई। यह दन दे खने के लए मुझे
तीन महीन तक यहां-वहां दौड़कर दो दजन अ ूवल लेने पड़े थे। यूजीसी और एआईसीट ई
इन- सपल अ ूवल भी मल गए थे। अं तम इं े न कॉलेज खुलने पर होना था। अभी
तो हमारे पास नमाण शु करने क अनुम त थी।
अब बस हम भगवान का आशीवाद चा हए था। गनीमत है क भगवान का आशीवाद
पाने के लए नोट का बंडल दे ने क ज रत नह थी।
मने हाथ म ना रयल थामा और इधर-उधर दे खा। आरती अभी तक नह आई थी।
‘ना रयल फोड़ा, बेटा,’ शु ला-जी ने कहा।
म उसका और दे र तक इंतजार नह कर सकता था। मेरे याल से इस दन का उससे
यादा मह व मेरे लए था।
मने यह क पना करते ए ना रयल फोड़ा क वह राघव का सर है। ना रयल फोड़ते
समय मेरी अंगुली कट गई। लोग ने ता लयां बजाई। मने कट ई अंगुली मुंह म रख ली
और खून चूसने लगा।
‘गंगाटे क इंजी नय रग कॉलेज’ -दो मज र ने क चड़ भरी जमीन पर मेटल का एक
हो डग लगा दया। इस मौके पर मुझे यादा भावुक होना था। आ खर मने इस दन के लए
महीन तक मेहनत क थी। ले कन इसके बावजूद मुझे कुछ महसूस नह आ। शायद
इसक वजह यह थी क मुझे पता था यह दन दे खने के लए मुझे कतनी पूस दे ना पड़ी है।
मुझे बजली कने यान से लेकर कं न साइट लेबर अ ूवल तक के लए कुल बह र
लाख तेईस हजार और चार सौ पए खच करने पड़े थे।
शु ला-जी ने सौ से आइ धक मेहमान को बुलाया था, जनम ेस के सद य भी
शा मल थे। हमने एक कैटरर भी रखा था, जो छोटे सफेद ब स म मेहमान को गम समोसे
और जले बयां परोस रहा था।
शु ला-जी ने सभी को एक कामचलाऊ मंच से संबो धत कया।’
बस तीन साल और उसके बाद यह सपना हक कत बन जाएगा। यह मेरे शहर को मेरी
तरफ से एक तोहफा है, जसके वह का बल भी है उ ह ने कहा।
म आगे क कतार म बैठा था। म बार-बार मुड़ मुड़कर दे खता रहा क आरती आई है या
नह । शु ला-जी क ीच के बाद ेस ने कुछ सवाल पूछे। उनम से आइ धकतर सवाल
सीधे -सरल थे। वे कॉलेज म पढ़ाए जाने वाले कोसस और अ य सु व धा के बारे म थे।
बहरहाल, कुछ स त प कार उ ह आड़े हाथ लेने का मौका नह चूके।
‘शु ला सर, या आप इस कॉलेज के मा लक ह? तो इसम आपक ह सेदारी कतनी
है?’ एक प कार ने पूछा।
‘म ट ं। मेरी कोई ह सेदारी नह है। यह एक नॉन- ॉ फट सं ा है,’ शु ला-जी ने
कहा।
‘जमीन और कं न के लए कौन फं डग कर रहा है?’
‘ म टर गोपाल म ा यहां मौजूद ह और वे ही इस जमीन के मा लक ह। चूं क म यंग
टै लट को इनकरेज करना चाहता ं, इस लए मने फंड जुटाने म उनक थोड़ी मदद भर क
है, शु ला-जी ने कहा और एक माल से अपना माथा प छ लया।
‘फंड कहां से जुटाया गया?’ प कार ने आगे पूछा।
‘अगल-अलग हत ा हय से। फ मत क जए कसी ने पैसा लगाया ही है लया
नह है। आजकल का मी डया कतना श क हो गया है,’ शु ला-जी ने कहा।
‘सर, गंगा एकशान लान घोटाले म या चल रहा है? उसम आपका नाम आया है,’
पीछे क कतार से एक प कार ने पूछा।
‘अब वह पुरानी कहानी हो गई है। कोई घोटाला नह आ था। हमने नद क साफ-
सफाई के लए पैसा खच कया था,’ शु ला-जी ने कहा।
इस नए वषय ने सभी प कार को उ े जत कर दया। सभी ने सवाल पूछने के लए
हाथ खड़े कर दए।
‘नो मोर वे ंस, थक यू -बेरी मच,’ शु ला-जी ने कहा।
वे साइट से चले गए। प कार उनके पीछे -पीछे हो लए। म साइट पर ही रहा और यह
सु न त करता रहा क सभी मेहमान को र े शमट् स सव कया जाए।
ईट , लोहे के स रय और अ य नमाण साम य से लदा एक टू क आया। उसके पीछे
लाल ब ी वाली एक एंबेसेडर कार थी।
आरती कार म से बाहर नकली और मेरी तरफ आई।’ आई एम सो सो सॉरी,’ उसने
कहा।’ पूजा हो गई?’
‘ या आरती के बना कभी कोई पूजा हो सकती है?’ मने जवाब दया।
वाराणसी
तीन और साल बाद

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18

तेज संगीत और लोग क बातचीत के शोरगुल के बीच मेरे आने पर कसी का यान ही नह
गया। हाई- लास पा टयां मुझे नवस कर दे ती ह और य द मुम कन होता तो म उस दन
राघव के ेजुएशन क पाट से खुशी-खुशी चला जाता। ले कन म वहां केवल इसी लए
गया था, ता क यह न समझा जाए क म उससे जल रहा ं।
मुझे वाकई उससे कसी तरह क कोई जलन नह थी। तीन महीने बाद मेरा कॉलेज
गंगाटे क खुलने वाला था। तीन साल तक दन-रात मेहनत के बाद आ खरकार मेरा कॉलेज
बनकर तैयार था। मुझे ज द ही फैक ट र ू टमट के इंटर ू लेने थे और एआईसीट ई के
इं े न क डे ट भी मुझे मल चुक थी। ऐसे म बीएचयू क कोई टु पड ड ी मेरे लए
कोई मायने नह रखती थी, य क ज द ही म खुद टू डट् स को ड यां बांटने वाला था।
‘हे!’ राघव ने जोर से कहा। ‘बडी तुम थे कहां?’
‘कं यूटर स लायर के साथ बात कर रहा था,’ मने कहा।
ऐसा लगा जैसे राघव ने मेरी बात सुनी नह ।
‘मेरे कॉलेज के लए। हम वहां एक कं यूटर सटर चालू कर रहे ह,’ मने कहा।
राघव ने अपना हाथ उठाया। ‘गुड शो। गव मी हाई फाइव’
उसने इतनी जोर से ताली मारी क मेरा हाथ झनझना गया।
‘ क चा हए?,’ राघव ने कहा। ‘बार वहां है।’
उसने डाइ नग टे बल क ओर इशारा कया, जहां बीयर, रम और कोक रखे थे। लोग
ला टक लासेस म अपने लए क बना रहे थे। उस रात राघव के माता- पता
जानबूझकर कसी रले टव के यहां क गए थे, ता क राघव और कॉलेज के दो त दल
खोलकर मौज-म ती कर सक।
मने नजर घुमाकर राघव के दो त को दे खा। तीस लड़के, जनम से अ धकतर ने च मे
और पुरानी ट -शट पहन रखी थ और जो जॉब ऑफस के बारे म बकबक कए जा रहे थे
और केवल तीन लड़ कयां, जनके े स सस को दे खकर ही लग जाता था क वे कसी
इंजी नय रग कॉलेज क ह।
मने अपने लए रम और कोक क ड़ स तैयार क । फर म आइस खोजने लगा।
डाइ नग टे बल पर आइस नह थी, इस लए म कचन क ओर बढ़ चला। लंबी चो टय
वाली एक लड़क एक बड़े -से चॉकलेट केक पर मोमब यां सजा रही थी। उसक पीठ
मेरी तरफ थी। केक क डजाइन गयर-शे ड थी और उस पर सफेद मा जपन से लखा
आ था -है पी ेजएु शन।
‘गोपाल!’ आरती ने मुझे दे खते ही कहा। म ज से जैसे-तैसे आइस-टे र नकाल रहा
था।
उसक आवाज ने मुझे रोमां चत कर दया।
‘हम मले शायद,’ आरती ने कहा,’ एक साल हो गया होगा?’
म वाकई उसके संपक म नह था।’ हाय,’ मने कहा।
ऐसा नह है क म उससे र भागना चाहता था। ले कन मुझे उसके संपक म बने रहने
क कोई तुक भी नजर नह आती थी। मुझे लगता था क मेरे लए कं न साइट पर
मज र पर च लाना उसके मुंह से उसक डे ट्स के बारे म सुनने से यादा फायदे मंद था।
मने उसके कॉ स को नजरअंदाज करना शु कर दया था और ज द ही वह भी मुझसे र
हो गई।
‘हां, आई एम सॉरी, गलती मेरी ही है,’ मने कहा।’ म साइट पर ब त बजी हो गया
था।’
उसने मेरे हाथ से आइस- े ले ली, आइस-कसूर नकालने के लए उसे मरोड़ा और दो
यू स नकालकर मेरे लास म डाल दए।
‘म तुमसे सफाई नह मांग रही ं। म समझ सकती ं क म अब तु हारे लए इंपोटट
नह रही।’
‘यह सच नह है। मेरे पास मेरी साइट थी, तु हारे पास राघव था,’ मने कहा।’ हमारे
सामने अपनी-अपनी जद गयां थ और...’
‘मेरा बॉय ड है, इसका यह मतलब नह क वह मेरी पूरी जदगी बन गया है, ओके?’
आरती ने कहा।
‘वेल, वह लगभग तु हारी पूरी जदगी जैसा ही है, है ना?’ मने कहा।
मने उसे अपनी क ऑफर क । उसने मना कर दया। वह फर केक सजाने लगी।
‘ऐसा नह है। कोई भी इंसान आपके लए इतना इंपोटट नह हो सकता क आपक
पूरी जदगी बन जाए।’
‘ या बात है?’ मने कहा। ‘कुछ आ या?’
‘नह नह ,’ उसने कहा। मुझे लगा उसने नह कहने म कतई दे र नह लगाई थी। ‘सब
कुछ ब त अ ा चल रहा है। राघव ेजुएट हो गया है। उसे इंफो सस से जॉब का ऑफर
है। मेरा ए वएशन कोस भी ज द ही ख म होने वाला है। सब कुछ पहले क तरह मजबूत
है।’
‘ या?’ मने कहा।
‘हमारा र ता।’
‘हमारा?’
‘मेरा और राघव का,’ उसने कहा।
‘जा हर है,’ मने कहा।
उसने राघव के पास ले जाने के लए केक उठाया।
‘म अब तु हारे टच म र ंगा,’ मने कहा।
‘दै ट वुड बी नाइस। म पूरे एक साल से नाव म नह बैठ ं,’ उसने कहा और मु करा
द।
वही कं यू जग हड़बड़ाहट भरी आरती फर लौट आई थी। आ खर उसक बात का
या मतलब था? या वह हमारी नाव क सैर को मस कर रही थी? या वह मेरे साथ होने
को मस कर रही थी? या वह मुझे उकसाने क को शश कर रही थी या वह बस यूं ही बात
बना रही थी? म इ ह वचार म डू बा आ कचन से बाहर चला आया।
सभी राघव के इद- गद खड़े थे। उसके हाथ म चाकू था। आरती उसके पास खड़ी थी।
राघव ने केक काटा। सभी ने ता लयां बजाई और ट कया। मुझे लगा क शायद कसी
कॉलेज से ेजुएट होना वाकई बड़ी बात होती है। राघव ने केक का पहला टु कड़ा आरती
को खलाया। आरती ने भी उसे एक टु कड़ा दया।
जैसे ही राघव ने केक खाने को अपना मुंह खोला, आरती ने उसके चेहरे पर केक लगा
दया। सभी ने ठहाका लगाया और ता लयां पीट । मुझे लगा क म एक ऐसी जगह आ गया
ं, जहां मुझे नह आना चा हए था। आ खर म यहां कर या रहा ं? ये लोग मुझे बुलाते ही
कस लए ह?
‘ ीच! ीच!’ सभी चाहते थे क राघव कुछ कहे। आरती ने एक टशू लया और
उसका चेहरा प छ दया।
‘वेल, ड् स, आपके ेजुएशन पर आप सभी को कां े यूलेशन,’ राघव ने कहा।
‘हमने एक- सरे के साथ चार बेहतरीन साल बताए। अब जब हम जदगी म आगे बढ़ रहे
ह तो मुझे पूरा यक न है क हमारे दल म हमारे कै स के लए हमेशा एक खास जगह
बनी रहेगी।’
‘हम अब भी साथ ही रहगे, ड् यूड,’ एक च मीश लड़के ने उसे टोकते ए कहा,’
इंफो सस म।’
सात टू डट् स ने अपने गलास हवा म ऊपर उठाए। उन सभी को उस सॉ टवेयर
कंपनी से ऑफर आए थे।
‘चीयस!’ उ ह ने कहा।
राघव चुप रहा।’ ए चुअली, म कुछ अनाउं स करना चाहता ं,’ उसने कहा।’ म जॉब
नह क ं गा।’
‘ या?!’ सभी क हैरतभरी आवाज सुनाई द ।
‘हां, मने यह रहने का फैसला कया है,’ राघव ने कहा और अपना हाथ आरती क
कमर पर लपेट दया, ‘मेरे यार के करीब।’
‘हां, ठ क है,’ आरती ने राघव के गाल से आइ सग का एक ध बा प छते ए कहा।
‘सभी को सही वजह बताओ।’
‘ले कन यही तो सही वजह है,’ उसने खल खलाते ए कहा।
‘नह ,’ आरती ने लोग क ओर मुड़ते ए कहा, ‘ म टर राघव क यप यहां इस लए
क रहे ह, य क वे ‘दै नक’ म एक रपोटर क तरह जॉइन करना चाहते ह।’
लोग म हैरत भरी खुसफुसाहट दौड़ गई। राघव ने कॉलेज क प का संपा दत क थी
और उसने एक अखबार के लए इंटन शप भी क थी। बहरहाल, ब त कम लोग को यह
अंदाजा था क उसम इतना साहस होगा क वह इंफो सस का जॉब छोड् कर एक अखबार
का प कार बनना चाहेगा।
राघव अपने दो त से ब तयाने लगा। आरती केक क लाइस काटकर सभी को दे ने
लगी। संगीत फर जोर से गूंजने लगा। मने एक और क बनाया। म सोचने लगा क या
अब मुझे यहां से चल दे ना चा हए।
आरती ने मुझे कागज क एक लेट पर केक दया। मने मना कर दया।
‘तो तु हारा कॉलेज कब खुल रहा है?’ उसने पूछा।
‘तीन महीने बाद गंगाटे क के एड मशंस शु हो जाएंगे,’ मने कहा।’ रयली? कैन आई
अ लाई?’ वह हंस पड़ी।
‘य द तुम चाहो तो म तु ह यूं ही एक ड ी दे ं गा। तु ह लासेस अटड करने क भी
ज रत नह है,’ मने कहा।
‘ रयली?’ उसने अपनी एक अंगुली नचाते ए कहा।’ ठ क है, मुझे राघव क ही तरह
इले ॉ न स इंजी नय रग क एक ड ी दे दो। ले कन मुझे उससे बेहतर मा स चा हए।’
‘ योर,’ मने कहा।
वह और जोर से हंस पड़ी। मने पछले चार साल म आरती को भुलाने क ब त
को शश क थ , ले कन इसके बावजूद उसक एक ही हंसी मेरी साल क मेहनत को
नाकाम कर सकती थी। अचानक मुझे ऐसा लगा जैसे सब कुछ पहले जैसा ही हो, इस
दौरान हमारे बीच कुछ आ ही न हो।
ले कन मुझे जाना था। मने धीमे-से फुसफुसाकर कहा,’ अब मुझे चलना चा हए।’
‘ य ?’ उसने कहा,’ तुम अभी-अभी तो आए हो।’
‘म अपने आपको यहां फट नह महसूस करता।’
‘इट् स ओके। म भी इन सब लोग को कहां जानती ं। सभी नड इंजी नयस ह। चलो,
बालकनी म चलते ह।’

हम राघव क बालकनी म बैठ गए। म अपनी क क छोट चु कयां भरता रहा। हवा के
कारण आरती के बाल उड़कर मेरे चेहरे पर आ रहे थे। म उससे थोड़ा र खसक गया।
‘तुमने ए वएशन एकेडमी म अपना कोस पूरा कर लया?’ मने कहा।
‘हां, क फन दो माह पहले ही ख म हो गया था। म सभी एयरलाइंस के लए ए लाई
कर रही ं। दे खते ह वे लोग मुझे इंटर ू के लए बुलाते ह या नह ,’ उसने कहा।
‘ले कन वाराणसी म तो कोई एयरलाइन नह है।’
‘हां, मुझे द ली या मुंबई जाना पड़े गा। बगलु म भी एक नई लो-कॉ ट एयरलाइन
है। डपड करता है।’
‘ कस पर डपड करता है?’ मने पूछा।
‘इस पर क मुझे कहां जॉब मलता है। ऑफ कोस, अब चूं क राघव यहां है, इस लए
मामला कॉ लकेटे ड हो गया है।’
‘वह सरे शहर म भी प कार बन सकता है ना?’ मने कहा।
‘शायद,’ उसने अपने बाल को कान के पीछे करते ए कहा। ‘ले कन उसे वाराणसी
पसंद है। उसे इस जगह और यहां क सम या के बारे म पता है। तु हारी क कैसी है?
म एक सप ले सकती ं?’
मने उसे अपना लास दे दया।’ उसे इस’ दै नक’ के जॉब के लए कतना पैसा मलता
है?’ मने कहा। म जानना चाहता था क राघव कमा कतना रहा है।
उसने कुछ घूंट पए और लास अपने पास ही रखा।’ इंफो सस उसे जतना दे ता,
उसका एक तहाई,’ उसने कहा।
‘वॉव, और उसके पैरट् स को भी इससे कोई ऐतराज नह है?’
‘कैसे नह होगा! जब उसने उ ह बताया, तो वे तो आगबबूला हो गए। सवाल पैस का
ही नह है, वह अपनी इंजी नय रग क ड ी का कोई इ तेमाल भी नह कर रहा है। वे लोग
अब भी अपसेट ह।’
‘तो?’
‘तो या? उसे कसी बात क कोई परवाह नह है। उसका मानना है क हर रेवो यूशन
क शु आत घर से ही होती है। समाज केवल त भी बदलता है, जब घर के नयम -कायदे
तोड़े जाते ह।’
‘रेवो यूशन?’ मने कहा।
‘हां, उसका दमाग पूरी तरह से उसम लगा आ है। द ेट इं डयन रेवो यूशन। अरे, म
तो तु हारी पूरी क पी गई। आई एम सो सॉरी, उसने कहा और माफ मांगने के अंदाज म
मेरी बांह छू ली।
‘इट् स फाइन। म एक और बना -लूंगा। और तुम उसके कै रयर क चॉइस को लेकर
खुश हो?’
‘ऑफ कोस। मेरा मानना है क हम वही काम करना चा हए जो हमारा पैशन हो। म भी
तो ऐसा ही कर रही ं ना? ये अलग बात है क एक एयर हो टे स होना ां तकारी होने
जैसा नह है, ले कन फर भी, वह मेरे मन का काम तो है ही।’
‘और यह रेवो युशन एजै टली कस तरह क होगी?’ मने झ लाहट म कहा।
‘वेल, राघव को लगता है क भारत के लोग एक न एक दन वा त वक ां त करगे।
वह यही सोचता है।’
‘ य ?’
‘उसी से पूछो, वह तु ह बताएगा। को, म हमारे लए और ड़ स बना दे ती ं।’
वह फर भीतर चली गई। म बालकनी म ही इंतजार करता रहा। म घर म मौजूद
आ मतु सॉ टवेयर इंजी नयर से र रहना चाहता था। म उस दन क क पना करने
लगा, जब मेरे कॉलेज के टू डट् स को जॉब मलेगा। म सोचने लगा क या कभी बड़ी
सॉ टवेयर कंप नयां गंगाटे क म व जट करने आएंगी। ऑफ कोस, पहले तो हम एड मशन
शु करने ह गे।
वह एक े लेकर लौट । उसम दो ड़ स के साथ ही एक लेट भी थी जसम सड वच,
केक और आलू च स थ ।
‘मुझे लगा तु ह भूख लग आई होगी, उसने कहा। आरती हमेशा इसी तरह दे खभाल
करने वाली मां क तरह पेश आती थी।
‘थ स, मने अपना लास लेते ए कहा।
‘अब बताओ। तुमने मुझे य भुला दया?’ आरती ने कहा।
‘ कसने कहा क मने तु ह भुला दया है?’ मने कहा। हमारी आंख मल । तीन सेकंड
के बाद मुझे असहज लगने लगा। पहले मेरी ही पलक झपक ।
‘अब मेरे पास मोबाइल फोन है। तु ह मेरा नंबर चा हए?’ उसने कहा।’
योर, मने कहा। शु ला-जी ने मुझे सेलफोन दया था। हमने एक- सरे को अपने नंबर
दए।
‘म चलकर तु हारा कॉलेज दे खना चा ंगी,’ उसने कहा।
‘उसे खुल तो जाने दो। म उसके शुभारंभ पर काय म करवाऊंगा, मने कहा।
‘ या यह कॉलेज ही तु हारा पैशन है?’ उसने पूछा।
‘पता नह । ले कन जदगी ने मुझे इससे बेहतर मौका कोई सरा नह दया।’
‘ या तु हारे जीवन म कभी कोई पैशन रहा है, गोपाल? वह एक अद्भुत फ लग होती
है,’ आरती ने कहा।
म चुप रहा और उसक ओर दे खता रहा। वही तो मेरा पैशन थी।
‘कुछ भी?’ उसने पूछा।
‘पैसा, म खूब पैसा कमाना चाहता ं’ मने कहा।
उसने अपने हाथ को झटक दया।’ ओह कम ऑन उसने कहा’ यह पैशन नह है यह
एं बशन है।’
‘जो भी हो। चलो अब अंदर चलते ह।’ म खड़ा हो गया। म नह चाहता था क राघव
हम अकेला दे ख ले।
‘यह रहो ना,’ उसने मनुहार के अंदाज म कहा और मेरा हाथ ख चकर मुझे नीचे बठा
लया।’ हम इतने दन से नह मले ह। तु हारे जीवन म या चल रहा है? तु हारी कोई
गल ड है?’
मने सर हलाकर मना कर दया।
‘तु हारी कोई गल ड होनी चा हए। यार अद्भुत होता है। यह फ लग पैशन से भी
बेहतर होती है उसने कहा।
‘ यार करना केवल तभी अद्भुत होता है जब वह श स भी आपको यार करे, जसे
आप यार करते ह,’ मने कहा ले कन यह कहते ही मुझे अफसोस आ क मने ऐसा य
कहा।
‘आउच यह तो तुमने मुझी पर वार कर दया।’
‘आई एम सॉरी मने कहा।
‘वह ब त पुरानी बात हो गई है। और राघव और म एक- सरे के साथ खुश ह। ब त
खुश।’
‘अब हम अंदर चल?’ मने कहा।
‘य द तुम चाहो तो अपने लए भी कोई अ -सी लड़क खोज सकते हो, गोपाल।’
‘मुझे कसी चीज क ज रत नह ,’ मने कहा और सरी तरफ दे खने लगा।
उसने मेरी ठोड़ी पकड़ी और मेरे चेहरे को अपनी तरफ घुमा लया।’ तु हारे पास अपना
एक कॉलेज होगा और य द तकद र ने मेरा साथ दया तो म यादा से यादा एक घइट
अटडट बनकर लोग को च स सव करती र ंगी। तुम एक बेहतर लड़क खोज सकते हो।’
‘तुम से भी बेहतर लड़क ?’ मने कहा।
‘ ब कुल,’ उसने कहा।
‘यह मुम कन नह है, आरती, मने कहा। इससे पहले क वह कुछ कह पाती म फर
उठ खड़ा आ और पाट म चला गया।
म राघव के पास गया और उससे कहा क मुझे एक कांटेर टर से मलना है, इस लए
मुझे जाना होगा। ऐसा लगा जैसे उसे इससे कोई फक नह पड़े गा। म उसके अपाटमट से
बाहर आया और नीचे चला आया। आरती मुझे पुकारती ई मेरे पीछे चली आई।
मने पीछे मुड़कर दे खा।’ या है?’ मने कहा।
‘कह ऐसा तो नह क तु हारे मन म अब भी मेरे लए कसी तरह क फ ल स ह?’
मने कसकर थूक नगला।’ कतई नह , मने कहा और तेजी से बाहर चला गया।
19

‘तुम लोग कतना लंबा ेक लेते हो?’ म च लाया। मु य कै स भवन के समीप मज र


का एक समूह बरगद के एक पेड़ के नीचे बैठा था।’ ढाई बज गए ह, खाने का समय एक
घंटा पहले ही ख म हो गया है।’
एआईसीट ई के फाइनल इं े न म अब केवल सात दन बचे थे। लास म पर एक
और बार प टग क ज रत थी, ले कन मज र को फ ही नह थी।
‘आपका काम हो जाएगा, साहब,’ एक मज र ने उस अखबार को समेटते ए कहा,
जस पर वह बैठा था। उसने फट बडी और गहरे रंग क गंद पतलून पहन रखी थी, जस
पर सब तरफ पट लगा आ था।
‘य द इं े टर हमसे नाराज हो गए तो मेरा कॉलेज नह खुल पाएगा,’ मने कहा।
‘आपके कॉलेज को भला कौन ना कह सकता है?’ मज र उठ खड़ा आ।
सरे मज र ने भी अपने साफे बांध लए। उ ह ने अपने-अपने श उठाए और
लास स क ओर चले गए। म बरगद के पेड़ के नीचे बैठा रहा। म हर सरे घंटे म
मज र को हांककर उनसे काम कराने के अपने डे ली ट न से थक चुका था। मने मज र
के पीछे छू ट गए अखबार पर नजर डाली। एक हेडलाइन ने मेरा यान ख चा -’ वाराणसी
को और कॉलेज क ज रत है।’
मने अखबार उठा लया। हेडलाइन के नीचे लेखक का नाम था -राघव क यप।
लेख म बताया गया था क कस तरह पछले दस साल म वाराणसी म युवा क
आबाद बेहद बढ़ गई है, ले कन कॉलेज क सं या म इतनी तेजी से बढ़ोतरी नह हो सक
है। कस तरह सरकार एजुकेशन को अपनी ाथ मकता बना सकती है। उसने यह भी कहा
था क सरकार को कॉलेज को इस बात क अनुम त दे नी चा हए क वे कानूनी तरीके से
मुनाफा कमा सक, ता क कॉप रेट्स इस े म वेश कर और श ा क गुणव ा सुधार।
भले ही यह लेख राघव ने लखा था ले कन वह मुझे अ ा लगा। वह लेख मेरे बजनेस के
भले के लए ही बात कर रहा था।
लेख म अलग से एक बॉ स भी था, जसम वाराणसी म खुलने वाले कॉलेज क सूची
थी। उसम पांच नाम थे। मने दे खा उसम गंगाटे क का नाम भी शा मल था।
‘वॉव,’ मने मन ही मन कहा। म रोमां चत था। मने इससे पहले कभी गंगाटे क का नाम
ट म नह दे खा था। मने शु ला-जी का नंबर घुमाया।
‘वेल-डन!’ शु ला-जी ने कहा।’ अब बस दे खते जाओ क कॉलेज खुलने के बाद हम
कतना चार मलता है।’
म चाहता था क म राघव को फोन लगाऊं और उससे क ं क या वह मेरे कॉलेज पर
अलग से एक लेख लख सकता है। य द वाराणसी का कोई त त अखबार गंगाटे क के
बारे म अ बात कह रहा हो तो यह हमारी ओप नग के लए ब त बड़ी बात होती।
ले कन मेरे पास उसका मोबाइल नंबर नह था। म बड़ी आसानी से आरती से उसका
नंबर ले सकता था, ले कन म उसे कॉल नह करना चाहता था। म अखबार को कै स
ब ग म ले गया। मेरे ऑ फस म अभी तक फन चर का बंदोब त नह हो पाया था। म
ला टक क एक कुस पर बैठ गया और खुद को याद दलाता रहा क मुझे कारपटर को
बुलाना है।
मने अपने फोन कॉ टै ट् स को दे खा। आरती का नाम उसम हमेशा सबसे पहले आता
था, य क उसके नाम म दो’ ए’ थे।
‘म उसे केवल इसी लए कॉल कर रहा ं ता क राघव का नंबर हा सल कर सकूं?’ मने
उसे फोन लगाने का साहस करने से पहले खुद से कई बार यह कहा।
चार रग जाने के बाद उसने फोन उठाया।’ हे, हाट अ सर ाइज,’ उसने कहा।
‘हाय, कैसी हो?’ मने कहा। हालां क म उससे इस तरह क बात नह करना चाहता
था, ले कन एकदम से मतलब क बात कहना भी तो ठ क नह था।
‘ब त अ ा तो नह महसूस कर रही ं, बट दै ट्स ओके,’ उसने कहा।’ तुम कैसे हो?
पाट म तुमसे बात करके अ ा लगा था।’
मुझे लगा क मुझे उससे पूछना चा हए था क वह ब त अ ा य नह महसूस कर
रही है। ले कन मने ऐसा नह पूछा।’ अ ा, सुनो, तु हारे पास राघव का नंबर होगा?’ मने
कहा।
‘ऑफ कोस है। तु ह य चा हए?’
‘मने आज अखबार म उसका एक लेख पढ़ा। एजुकेशन के बारे म है। मुझे अ ा
लगा, इस लए उससे बात करना चाहता था।’
‘ओह, योर,’ उसने कहा।’ वह ब त खुश होगा।’ उसने मुझे नंबर लखा दया।
‘थ स, आरती,’ मने कहा।’ तो बाद म बात कर?’
‘तुम यह नह पूछोगे क मुझे अ ा य नह लग रहा?’ उसने कहा।
जब कोई लड़क आपसे यह सवाल पूछे तो आपको हां ही कहना चा हए।’ ब कुल
पूछना चा ंगा, या बात है?’ मने कहा।
‘मॉम और डै ड नह चाहते क म वाराणसी से कह जाऊं,’ उसने कहा।
‘ रयली? फर तुम एयरलाइन म कैसे काम करोगी?’ मने कहा।
‘वही तो। म यहां क ं गी या? बोट हो टे स बनूंगी?’
‘उ ह क वस करने क को शश करो,’ मने कहा। मेरे पास और कोई बेहतर समझाइश
नह थी।
‘वे लोग नह सुनगे। शायद मुझे घर से भागना पड़े ।’
‘पागल हो गई हो या?’ मने कहा।
‘तुम उनसे बात करोगे?’ उसने कहा।
‘म?’
‘हां, य नह ?’
‘आ खर म ं कौन? राघव बेहतर रहेगा, है ना?’ मने कहा।
‘राघव? वह तो खुद नह चाहता क म यहां से जाऊं। फर, वह अपने अखबार म इतना
बजी है, वह तो मुझसे ही नह मल सकता, मेरे पैरट् स से या मलेगा।’
‘तु हारा और कोई अ ा दो त नह है? ए वएशन एकेडमी से कोई?’ मने कहा।’ या
शायद तु हारा कोई फैक ट ?’
‘इसका मतलब तुम नह करना चाहते, है ना?’ उसने कहा।
‘नह , म बस... मुझे बस लगता नह क म यह काम करने के लए सबसे अ ा
होऊंगा।’
‘फाइन, उसने कहा। लड़ कय क भाषा म’ फाइन’ का मतलब’ वॉटे वर’ और’ गो टु
हेल’ के बीच म कुछ होता है।
‘ओके, साइट इंजी नयर मुझे बुला रहा है, म झूठ बोल गया।’ म तुमसे बाद म बात
क ं गा।’
मने फोन रख दया। मने अपने फोन का ड् यूरेशन चेक कया। मने उससे सात मनट
बीस सेकंड बात क थी। मुझे लगा क मुझे उसे एक बार फर कॉल करके उसे बताना
चा हए क वह कस तरह अपने पैरट् स को समझाए। शायद मुझे उसके पैरट् स से मल ही
लेना चा हए। आ खर उसने इतने सारे लोग म से केवल मुझे ही ऐसा करने को कहा है। म
री-डायल का बटन लगभग दबा ही चुका था क मने अपने आपको संभाला।
उसके करीब जाकर केवल ख ही मलेगा। वह राघव क है और उसक जदगी म मेरे
लए कोई जगह नह है, मने खुद को झड़का। मने राघव को फोन लगाया। उसने फौरन
फोन उठा लया।
‘हाय, इट् स गोपाल,’ मने कहा।
‘ओह, हाय’ उसने कहा।’ वॉट् स अप, बडी? उस दन पाट म आने के लए शु या।’
‘यू आर वेलकम। नया जॉब कैसा चल रहा है?’
‘वे छोटे -मोटे मसल पर ही सही, ले कन मुझे लखने का मौका दे रहे ह।’
‘मने आज तु हारा लेख पढ़ा। ब त अ ा था।’
‘तुमने पढ़ा? वॉव। थ स।’
‘तुमने अपने लेख म गंगाटे क का नाम लया, उसके लए थ स।’
‘ओह, वह टे बल तो हमारी रसच ट म ने बनाई थी। तु हारा कॉलेज ज द ही खुलने
वाला है ना?’
‘हां, लगभग बनकर तैयार है। तुम एक बार आकर दे खना चाहोगे? शायद तुम गंगाटे क
पर ही एक पूरी टोरी कर सको।’
‘हां, कर तो सकता ं,’ राघव ने कहा, उसक आवाज म झझक थी।’ हालां क शायद
हमारी पॉ लसी कसी एक कॉलेज के बारे म लखने क न हो।’
‘ओह, तब तो रहने दो,’ मने कहा। म वैसे भी उसका फेवर लेना नह चाहता था।
‘ले कन म तुम पर एक टोरी कर सकता ं।’
‘मुझ पर?’
‘हां, वाराणसी का एक नौजवान, जो ज द ही एक कॉलेज खोलने जा रहा है। यह
वाकई दलच होगा। और हम उस इंटर ू म गंगाटे क के बारे म भी बात कर सकगे।’
‘म तो उस कॉलेज म ए लाई जैसा ही ं,’ मने कहा।
‘ वधायक शु ला कॉलेज के वा त वक मा लक ह, है ना?’ राघव ने कहा।
‘हां, वे ट ह।’
‘और कॉलेज बनाने के लए उ ह ने ही पैसा दया है?’
‘वेल, उ ह ने फंड् स अरज कए ह,’ मने कहा।
‘कहां से?’ राघव ने कहा।
मुझे उसक यह पूछताछ अ नह लगी।’ वे ब त से चै रटे बल लोग को जानते ह,’
मने कहा।’ खैर, तो तुम मेरा इंटर ू करना चाहते हो? ठ क है, यह भी चलेगा।’
‘ऑफ कोस, म क ं गा। तुम कब इंटर ू दे ना चाहोगे?’
‘अगले शु वार को मेरे कॉलेज म इं े न होना है। उसके बाद? शायद वीकड म,
मने कहा।
‘ योर, मलते ह। कहां आओगे?’ दै नक’ के ऑ फस म?’
‘नह , तुम मेरे ऑ फस आ जाओ, मने’ मेरे ऑ फस’ पर जोर दे ते कहा। मेरे पास अब
एक ब त बड़ा ऑ फस है बडी, म उसे बताना चाहता था।
‘ओह योर। तु हारा कै स कहां है?’
‘शहर से दस कलोमीटर बाहर लखनऊ हाईवे पर। तु ह अपने दाई ओर एक बोड दख
जाएगा।’
म कै स ब ग से बाहर चला आया। मने अपने कॉलेज क तीन मं जला इमारत को
गौर से दे खा। एक ह ते म हम उसे े पट कर दे ना था।
मेरे फोन क घंट बजी। बेद का कॉल था।
‘येस, बेद सर, मने कहा।
‘मने कल इंटर ू के लए सात सॉ लड फैक ट मबस तैयार कर रखे ह। तु हारे पास
टाइम है?’
‘टाइम तो नकालना ही पड़े गा। म दनभर साइट पर ही रहता ं, तुम उ ह यहां ला
सकते हो?’
‘ ब कुल नह । हम उनके घर जाना होगा। उस ए रया म तीन और कॉलेज खुल रहे ह।
उनके पास ऑफस ह। हम उ ह फुसलाना होगा, उसने कहा।
मने गहरी सांस ली। हर दन एक नई चुनौती सामने आ जाती थी।
‘ठ क है। म शु ला-जी के ऑ फस से एक कार अरज कर –लूंगा, मने कहा।

हम ठ क आठ बजे अशोक नगर म ोफेसर एमसी ीवा तवा के घर प ंच गए। एनआईट


इलाहाबाद से रटायड इस इले कल इंजी नय रग ोफेसर ने हम सही समय पर प ंचने
क हदायत द थी। हम चाहते थे क हमारा डीन य द आईआईट से नह तो एनआईट से
तो हो ही। भोपाल के रटायड एनआईट ोफेसर से हमारी डील तकरीबन फाइनल हो
चुक थी, ले कन उसे इंदौर म घर के पास एक बेहतर ऑफर मल गया। ोफेसर
ीवा तवा एआईसीट ई के गो टडड थे और उ ह तीस साल का तजुबा था। सोने क
हर चीज क तरह उ ह भी स ते दाम पर नह पाया जा सकता था।
‘दो लाख पया महीना?’ मने कहा।’ ले कन हमने तो अभी कॉलेज शु ही कया है।’
ोफेसर क प नी मसेज ीवा तवा ने ना ते के लए हम चाय और पोहा सव कया।
नगो शएशंस म वे भी शा मल हो गई।’ ी अ मा कॉलेज से भी ऑफर मला है। डे ढ़ लाख
पए लस ड़ाइवर स हत एक कार, उ ह ने कहा।
‘मैडम, हम जस यू नव सट से जुड़े ए ह, वह हमारी फ स को कं ोल करती है, मने
कहा।’ फर हम नए ह। मुझे यह भी नह पता क एड मशन कैसे ह गे।’
‘यह हमारी ॉ लम नह है,’ मसेज ीवा तवा ने कहा। बात तो सही थी।
बेद बीच म कूद पड़ा।’ आपक जो भी रीजनेबल ज रत ह , हम बताइए। हम
एकोमोडे ट करगे, उसने कहा।
‘ले कन हमारे पास ल मटे ड बजट है, मने कहा।
ीवा तवा ने अपनी च मच नीचे रख द ।’ तुम कौन हो?’ उ ह ने मुझसे पूछा।’ मा लक
के बेटे?’
‘म ही मा लक ं, गोपाल म ा। कॉलेज मेरे ही हाथ म है, मने कहा।
‘और शु ला -जी? या सारे फैसले वे ही नह लेते?’
‘वे साइलट ट ह, मने कहा।’ फैसले म लेता ं।’
ोफेसर ने मेरी इस गु ताखी से हैरान होकर मेरी ओर दे खा।
‘ म टर म ा, डीन ब त मह वपूण होता है। म एआईसीट ई वाल को जानता ं। य द
म कॉलेज म ं तो समझो इं े न पूरा हो गया, ीवा तवा ने कहा।
‘एआईसीट ई म हमारी भी से टग है,’ मने कहा,’ लीज, समझने क को शश क जए।
य द म आपको हाई पैकेज ं गा तो फैक ट के सरे मबस भी इतना ही मांगगे।’
‘म अपनी सेलेरी कसी को नह बताऊंगा,’ उ ह ने कहा।
‘इस बात को भला कैसे छु पाया जा सकता है? सारे डटे स तो अकाउं ट्स डपाटमट
के पास ह गे,’ मने कहा।
‘कैश म पूरी सेलेरी मत दे ना, ‘ ीवा तवा ने कहा। टे बल पर खामोशी पसर गई। उ ह ने
फौरन एक सॉ यूशन बता दया था। इससे ै टकल डीन खोजना मु कल था।
‘ फर कतना दे ना होगा?’ मने कहा।
‘ फ ट परसट? शायद इससे यादा, उ ह ने कहा।’ इससे मेरा टै स भी बचेगा और
कसी को मुझसे जलन भी नह होगी। इन फै ट, मेरी ऑन पेपर सेलेरी तो ट चस से भी
कम होगी।’
‘हम पता था क हम सही जगह आए ह,’ बेद ने कहा।
‘फाइन,’ मने कहा।
हम तमाह एक लाख कैश और स र हजार चेक से भुगतान करने पर राजी ए। नए
डीन ने फौरन काम शु कर दया। उ ह ने हमारे सामने ताव रखा क वे अ य फैक ट
हायर करने म हमारी मदद कर सकते ह। इन फैक ट क सेलेरी तीस से अ सी हजार
पया तमाह तक होगी और यह उनके अनुभव और उनक ड ी पर डपड करेगा।
‘म सेलेरी के अलावा फैक ट खोजने क फ स भी -लूंगा। हर पर दस हजार
पया।’
‘दे इस फाइन। आप कब शु कर सकते ह?’ मने कहा।
‘एनीटाइम,’ उ ह ने कहा।’ म ह ते म तीन दन कै स आऊंगा।’
‘तीन दन?’ मने कहा।’ आप कॉलेज के डीन है, आपके बना कॉलेज कैसे चलेगा?’
‘म डीन ं इसी लए तीन दन। नह तो ह ते म एक दन भी काफ है।’
‘ या?’ मने कहा।
‘ ाइवेट कॉलेज म कौन-सा फैक ट रोज पड़ाने जाता है? ड ट वरी, म एआईसीट ई
इं े टस को बोल ं गा क म रोज आता ं।’
‘ले कन फैक ट को कौन मैनेज करेगा? यह कौन दे खेगा क लासेस समय पर लग
रही ह या नह या टू डट् स को ठ क से पढ़ाया जा रहा है या नह ?’ मने कहा। मेरा दल
जोर से धड़क रहा था। मुझे नह पता था क कॉलेज का डीन ऐसा होता है।
‘यह ाइवेट कॉलेज है। हम मैनेज कर लगे। बेद -जी इसको समझाओ, काम कैसे
होता है, ीवा तवा ने खीस नपोरते ए कहा।
बेद ने अपनी चाय ख म क और सर हलाकर हामी भरी।’ यक नन, हम ट चग
अरजमट् स और बाक चीज बाद म दे ख लगे। अभी तो हमारा फोकस इं े ान पर है
और उसके बाद एड मशन पर। बाद म सी नयर टू डट् स फ ट ईयर के टू डट् स को पड़ा
सकते ह। ऐसा ब त से कॉलेज म होता है।’
मसेज ीवा तवा ने टे बल साफ क । हम बैठकखाने म चले आए।
‘तु हारी एड मशन टे रटे जी या है?’ ीवा तवा ने पूछा।
‘हम सभी अखबार म व ापन दे रहे ह। कै रयर फेयस म पा ट सपेट कर रहे ह। और
हम कूल और को चग लासेस म भी जा रहे ह, मने कहा।
‘ कूल म कस लए जा रहे हो?’ उ ह ने पूछा।
‘हम कूल म जाकर अपने कॉलेज के बारे म जटे शंस दगे, मने कहा।
‘ जटे शंस से या होगा? तुमने सप स को फ स कया?’ ीवा तवा ने पूछा।
‘हम कर लगे डट वरी,’ बेद ने कहा।
‘ या कर लगे?’ मने कहा। जब बेद मुझे पहले से कोई चीज नह बताता था तो मुझे
ब त गु सा आता था।
‘म तु ह समझा ं गा। अब चलो, हमारी सरी मी ट स भी ह,’ बेद ने कहा और उठ
खड़ा आ।’ थ स सर, शु वार को मलते ह।’
ीवा तवा हम बाहर छोड़ने आए।’ मुझे अपनी पहली सेलेरी कब मलेगी?’ उ ह ने
पूछा।
‘म घर पर कैश भजवा ं गा,’ मने कहा।
हम पांच और फैक ट ॉसपे ट् स से मलना था। शु ला-जी ने हम कॉलेज के काम
के लए खासतौर पर एक इनोवा कार द थी। हम एक रटायड के मकल इंजी नय रग
ोफेसर से मलने मुगलसराय प ंचे।
‘मुझे इस बात से ब त राहत मल रही है क हमने डीन पटा लया, कार के हाईवे पर
प ंचते ही बेद ने कहा।
‘मुझे तो वह म टर डीन से यादा म टर डील लग रहा था, मने कहा।
‘वह पहले भी ाइवेट कॉलेज म काम कर चुका है। उसे पता है क उसक डमांड है।
उसक बात को दल पर मत लो,’ बेद ने कहा।
‘और कूल के सप स को’ फ स’ करने का या मतलब था?’ मने कहा।
‘ब े कूल के बाद कहां जाएंगे, यह ब त कुछ कूल पर ही नभर करता है। कई
ब े आईआईट और एनआईट के लए को शश करते ह, ले कन अ धकतर कामयाब नह
हो पाते। वे ब े कहां जाते ह?’
‘कहां?’ मने पूछा।
‘बस यह से हमारा काम शु होता है। ाइवेट कॉलेज इंजी नयर बनने का आपका
सपना पूरा कर सकते ह, भले ही आपने -ऐस ए जाम लीयर न कया हो। बस ॉ लम
यही है क आजकल इतने सारे ाइवेट कॉलेज हो गए ह क टू डट् स के लए चुनना ब त
मु कल सा बत होता है।’
मने ड़ाइवर से कहा क वह एसी का तापमान और कम कर दे , ता क बाहर के चालीस
ड ी तापमान का मुकाबला कया जा सके।’ कैसे?’ मने कहा।
‘तब ब े कूल ट चस और सप स से राय लेते ह। आ खर वे और कस पर भरोसा
करगे?’
‘ठ क है,’ मने कहा।’ तो हम सप स से कह दे ते ह क वे हमारे कॉलेज क
सफा रश कर द?’
‘एजै टली! तुम माट हो,’ बेद ने कहा, शायद ं य म।
‘तो या हम उ ह भी पैसा खलाना पड़े गा मने कहा।
‘हां, ले कन वे कभी इसे पूस खाना नह कहते। इसका एक बड़ा सीधा-सा हसाब है।
हम उ ह हर एड मशन का टे न परसट ह सा कमीशन के प म दे दे ते ह।’
कमीशन और र त म अंतर होता है।
‘हम टे न परसट तो हर कसी को दे ते ह ना -को चग लासेस, कै रयर फेयर
ऑगनाइजर या जो भी कॉलेज चलाने म हमारी मदद करता हो।’
‘टे न परसट ना,’ मने कहा।
‘तुम मी डया लान के बारे म सोच रहे हो, य ?’ उसने कहा।
मेरे वचार मी डया ला नग से राघव और फर आरती तक चले गए। कतनी अजीब
बात है क हमारा दमाग एक चीज से सरी चीज इस तरह कने ट करता रहता है और
वह प ंच जाता, है जहां वह जाना चाहता है।
बेद बताता रहा क हम फ ट बैच के दो सौ टू डट् स का बंदोब त कैसे करगे। ले कन
मेरा यान कह और चला गया था। म कार से बाहर दे ख रहा था और याद कर रहा था क
राघव क बालकनी म मेरी क पीते समय आरती के बाल कैसे उड़ रहे थे। जब आप
केवल एक ही लडक के बारे म सोच पाते ह , और वह कसी और क हो, तो जदगी ब त
ददनाक हो जाती है।
20

मने अपने ऑ फस क खड़क से राघव को कै स म घुसते दे खा। मने कारपेटस पर


च ला- च लाकर सही समय पर मेरी ऑ फस डे क और कु सयां फ नश करवाई थ ।
य द व जटस सोफे को छोड़ दया जाए तो अब मेरा ऑ फस पूरी तरह से तैयार था। एयर
कंडीशनर चालू हो गया था। मने उसक कू लग को मै जमम कर दया ता क राघव को
पता चल जाए क मेरे ऑ फस म म एसी लगा है। मने अपने आसपास फाइल बछा ल ।
वह आया और अधखुले दरवाजे पर द तक द ।
‘येस?’ मने कहा और ऊपर दे खा।
‘दो बजे मलने का समय तय आ था ना?’ राघव ने कहा। उसने एक सफेद शट और
नीली ज स पहन रखी थी।
‘हाय राघव। सॉरी म इतना बजी रहता ं क कभी-कभी मुझे व का याल ही नह
रहता, मने कहा।
वह मेरे सामने बैठ गया। म डायरे टर क चेयर पर बैठा था। म सोचने लगा क या
उसने इस पर यान दया है या नह क मेरी कुस उसक कुस से कतनी शानदार और
आरामदे ह है।
उसने अपना नोटपैड, पेन और कुछ टआउट् स नकाले।’ मने कुछ रसच क है। म
कॉलेज के बारे म जो भी जान सका, वह।’
‘तु ह यादा नह मलेगा। हमारा कॉलेज नया है, मने कहा।
‘हां, ले कन मुझे कॉलेज के एक ट के बारे म ब त जानका रयां मल । शु ला।’
‘जा हर है, वे लोक य राजनेता ह। ले कन वे वा तव म इस कॉलेज क फै ा नग म
इनवॉ व नह ह।’
‘हालां क वे सरी अनेक चीज म इनवॉ व ह।’ राघव टआउट् स पर सवाल लखने
लगा।
‘चाय लोगे?’ मने कहा।
उसने सर हलाकर हामी भरी। मने घंट बजाई। मने पयून से पहले ही कह दया था
क ेशल गे ट् स को बोन चाइना क स म चाय द जाए। ऐसा नह है क राघव ेशल क
ेणी म आता था, ले कन म उसे जताना चाहता था क हम अपने मेहमान को फंसी क स
म चाय पलाते ह।
उसने मेरे बीस-बाय-अठारह फ ट के बड़े -से ऑ फस को दे खा। म उससे पूछना चाहता
था क या उसके अखबार म कसी का ऑ फस इतना बड़ा है, ले कन मने अपने आपको
कं ोल कर लया।
मेरे पीछे कै स का एक आ कटे ट मॉडल रखा था, जस पर उसक नजर पड़ी।’ म
इसे दे ख सकता ं?’ उसने पूछा।
‘ योर,’ मने कहा और उछलकर खड़ा हो गया। चलो म तु ह सारी सु व धाएं दखाता
ं।
मने उसे कै स का लेआउट समझाया।’ यहां हो ट स ह। हम बैचेस बढ़ने के साथ ही
स बढ़ाते जाएंगे। लास स और फैक ट ऑ फसेस यहां ह, मेन ब ग म, जहां हम
अभी ह। लै स एक सरी ब ग म ह। लैब के सभी उपकरण इंपोटड ह।’
‘फैक ट का रे शयो या होगा?’ राघव ने ज द -ज द नोट् स लेते ए पूछा।
‘हम को शश कर रहे ह क पं ह टू डट् स पर एक से आइ धक ट चर न हो, मने कहा,’
जो क एआईसीट ई के नमसे से बेहतर है। हम बीएचयू से भी बेहतर कॉलेज बनाना चाहते
ह।’
उसने मेरी ओर दे खा।
‘हमारा ल य है, केवल। आ खर कोई और कॉलेज ऐसा है नह , जससे होड़ क जा
सके,’ मने कहा।
उसने मेरी बात के सम थन म कंधे उचका दए।
चाय आई। मने पयून को कहा था क वह कम से कम पांच नै स सव करे। वह चाय
के साथ नट् स, ब कट् स, समोसे, आलू क च स और कटे ए फल भी लाया था।
‘यह तो चाय नह पूरा खाना है, राघव ने कहा।
‘ लीज, ना ता कर लो। हम इंटर ू बाद म जारी रखगे,’ मने कहा।
हम चुपचाप खाते रहे। म उससे कॉलेज के अलावा कसी और वषय म बात नह
करना चाहता था। उसने खाते -खाते अपनी नोटपैड उठाई।
‘इस कॉलेज म कतना इंवे टमट आ है?’ उसने पूछा।
‘ब त सारा। इंजी नय रग कॉलेज बनाना स ता सौदा नह है, मने कहा और हंस पड़ा।
मने उसे कोई भी वा त वक कड़े नह बताए।
‘ फर भी एजै टली कतना?’ उसने कहा।
‘कहना मु कल है। मेरी जमीन थी, ले कन य द इसको खरीदना पड़ता तो तुम अंदाजा
ही लगा सकते हो क इसके लए कतनी क मत चुकानी पड़ती।’
‘यह तो ए ीक चरल लड है ना?’ उसने कहा।
‘हां, यह तो तुम जानते ही हो, राघव। बाबा का कोट केस याद है ना?’
‘और तुमने यह जमीन अपने रले ट स से हा सल कर ली?’ उसने कहा।
‘हां, ले कन यह इंटर ू का ह सा नह है, ठ क?’ मने कहा।
‘नह है। ले कन बताओ ना यह ए ीक चरल लड री-जो कैसे हो गया?’
‘हमने अ लाई कया था, वीएनएन ने अहव कर दया,’ मने कहा।
उसने नोट् स लेना जारी रखा।
‘हमारे यहां हर चीज अ ू ड है, ‘मने शायद ब त र ा मक होते ए कहा।
‘शु ला क वजह से?’ उसने पूछा।
‘नह ,’ मने कुछ-कुछ खीझते ए कहा।’ य क हमने ो सजस को फॉलो कया था,
इस लए।’
‘फाइन। जमीन के अलावा कॉलेज बनने म कतनी लागत आई है?’ उसने पूछा।
‘शायद म अभी इस बारे म नह बता सकता। आ खर यह एक त धा मक
जानकारी होगी। ले कन हमारे कै स म आने वाला कोई भी आदमी बता सकता है क यह
एक बेहतरीन कै स है।’
‘पांच करोड़ से यादा?’ उसने बात जारी रखी। मुझे अटकल के इस खेल म शा मल
नह होना चा हए था।
‘हां, ’ मने कहा।
‘दस से भी यादा?’ उसने कहा।
‘ कतना पैसा लगा है इससे या फक पड़ता है?’ मने कहा।
‘पैसा कहां से आया?’ उसने पूछा।
‘ टय और उनके एसो शएट् स से।’
‘ कसके एसो शएट् स शु ला के या तु हारे?’ उसने पूछा।
‘मने अपनी जमीन द । शु ला-जी ने अपने शहर के भले के लए फंड् स का बंदोब त
कराया। हम नॉन- ॉ फट ट ह,’ मने कहा।
‘ या तु ह पता है क व धायक शु ला ने फंड् स कहां से अरज करवाए?’ राघव ने
अपनी डायरी से नजर उठाए बना पूछा।
‘नह । और मुझे नह लगता क मुझे यह जानना चा हए। यह उनक और सा थय क
नजी कमाई का पैसा है।’
‘ या तु ह पता है क शु ला गंगा ए यान लान घोटाले म इनवाँ च रहा है?’ उसने
कहा।
‘नह , राघव। म गंगाटे क के अलावा कसी और चीज पर कमट नह क ं गा। य द तु ह
पहले ही सारी जानकारी है तो हम इस इंटर ू को यह ख म कर सकते ह।’
राघव ने अपना पेन रोक दया।’ आई एम सॉरी। ठ क है, मेरा काम हो गया। घबराओ
मत, म बैल पीस ही लखूंगा।’
‘थ स, चलो तु ह बाहर तक छोड़ आऊं।’
हम कै स के गेट तक साथ-साथ चले। वह एक पुराने कूटर पर आया था जो उसके
पता का था।
‘य द तुम कहते तो म तु ह लेने अपनी कार भजवा दे ता,’ मने कहा।’ बाहर ब त गम
है।’
‘इट् स फाइन। मुझे ब त -सी जगह पर जाना है, उसने कहा और हेलमेट पहन लया।
‘तुम इंजी नय रग को मस करते हो?’ मने पूछा। यह मेरा उससे पहला सामा य सवाल
था।
‘नह तो। मुझे लगता है म कभी इंजी नयर बन ही नह पाया,’ उसने कहा।
मुझे लगा फाइनल पंच मारने का सही समय आ गया है।’ तुम बीएचयू से हो। हमारी
फैक ट ल ट म तु हारा नाम होगा तो ब त अ ा लगेगा। जॉइन करोगे?’ मने कहा। हां म
उसे अपने यहां रख सकता था। बीएचयू ने भले ही मुझे न लया हो, ले कन म उनके
ेजुएट् स को अपने यहां रख सकता था।
‘म? फैक ट ? नो वे। फर, मेरे पास पहले ही एक जॉब है,’ उसने कहा और कूटर पर
बैठ गया।
‘तु ह कॉलेज आने क ज रत नह होगी। इं े यास म मेरी मदद करो और फर बस
ह ते म एक बार चले आना,’ मने कहा।
वह अपना कूटर चालू करने ही वाला था, ले कन बीच म ही क गया। वह मेरे श द
को यान से सुनने लगा।
‘हम अ ा पे करते ह। शायद तु हारे अखबार से यादा,’ मने जोड़ दया।
वह मु कराया और सर हलाकर मना कर दया।
‘ य नह ?’ मुझे उसका इतनी आसानी से मना कर दे ना बुरा लगा था।
‘म कसी कर ट एंटर ाइज का ह सा नह बन सकता।’
‘ या?
‘यह शु ला का कॉलेज है।’
‘यह मेरा कॉलेज है,’ मने उसका वरो ध करते ए कहा।
‘म जानता ं क तुम यह कॉलेज चलाओगे, ले कन इसके पीछे वही है, है ना?’
‘तो? तुम हम कर ट कैसे बोल सकते हो? हमारा कॉलेज तो अभी खुला भी नह है।’
‘यह कॉलेज ाचार से कमाए गए पैस से बना है।’
‘मने तीन साल तक जी-तोड़ मेहनत करके यह कॉलेज बनवाया है, राघव। तीन साल,
जनम र ववार के दन भी शा मल ह। तुम इस तरह क बात कैसे कह सकते हो?’
‘शु ला पर आरोप है क उसने गंगा ए यान लान म बीस करोड़ पय का घोटाला
कया। यह सरकार का पैसा था, जो हमारी नद क सफाई के लए दया गया था।’
‘वह केवल एक आरोप था. जो कभी सा बत नह हो सका मने कहा।
‘उसके बाद उसने कई ॉपट इनवे टमट कए, जनम यह कॉलेज भी शा मल है। मुझे
तो भरोसा नह होता क तुम ये सारी बात नह दे ख-समझ पाए। आ खर एक राजनेता के
पास इतना पैसा कैसे हो सकता है? वह तो ब त ही मामूली घर से आया इंसान है।’
‘ या तुम ाचार को सा बत कर सकते हो?’ मने कहा।
‘अभी तो नह । ले कन या तुम योर हो क उसने कभी कुछ नह कया?’ उसने
पूछा।
अब म खुद को कं ोल नह कर सका।’ तुम जल रहे हो मने कहा।
‘ या?’
‘तुम इस लए जल रहे हो य क म अ ा काम कर रहा ।ं ऐसा होना नह चा हए
था, य ? आ खर मेरी एआईईईई रक तुमसे कम थी। सही है ना, म टर जेईई?’
‘ईजी, बडी। यह पसनल मैटर नह है,’ उसने कहा और अपना कूटर चालू कर लया।
‘पसनल नह तो या है, म टर रपोटर?’
‘यह मेरा काम है क म स ाई का पता लगाऊं, बस इतनी-सी बात है।’
इससे पहले क म कोई जवाब दे पाता, वह वहां से चला गया। वह अपने पीछे धूल का
गुबार छोड़ गया, जो क मेरे आंख म चुप रहा था। पछले एक साल म कोई और चीज मुझे
इससे यादा नह चुभी थी।

एआईसीट ई इं े न का दन इ तहानके दन क तरह आया। हमारे बीस फैक ट


सुबह आठ बजे कै स प ंच गए थे। वीपस आ खरी पल तक फश बुहारते-साफ करते
रहे। आईट ेश ल ट् स यह सु न त करते रहे क कं यूटर म म डे कटॉ स ठ क-ठाक
काम करते ह । हमने इं े न कमेट के लए ताज गंगा म डनर रखवाया था। शु ला-जी
ने मुझसे वादा कया था क वे आएंग,े ले कन एक अजट रल व जट के कारण उ ह ने
आ खरी समय म अपना काय म बदल लया। मेरे माथे पर पसीने क बूंद छलक आई। म
पांच बार कै स के गेट पर जाकर दे ख आया था क इं े टस अभी तक आए या नह ।
‘सीधे खड़े रहो,’ मने स यो रट गाड़से पर बरसते ए कहा’ और सभी मेहमान को
सै यूट करना।’
‘ रलै स, डायरे टर गोपाल,’ डीन ीवा तवा ने कहा,’ म उ ह हडल कर लूंगा।’
वे लोग यारह बजे आए। अशोक शमा, हमारे सबसे जू नयर फैक ट मेन ब ग
एंटेरस पर बुके लए इंतजार कर रहे थे।
इं े न कमेट के हेड ने मुझसे हाथ मलाया।’ आई एम झुले यादव, ए स ोफेसर
म एनआईट द ली।’
‘आई एम गोपाल म ा, मोटर एंड डायरे टर ऑफ द कॉलेज। हमारे डीन ीवा तवा
से म लए, ए स डायरे टर ऑफ एनआईट इलाहाबाद,’ मने कहा।
यादव और ीवा तवा ने एक- सरे को इस तरह दे खा, जैसे कसी मुकाबले से पहले
रग म बॉ सस एक- सरे का आकलन करते ह। हम चलकर मेरे ऑ फस प ंचे और नए
सोफ पर बैठ गए, जनसे वा नश क गंध आ रही थी।
‘एनआईट इलाहाबाद?’ यादव ने कहा।’ आपके यहां इले कल म कोई ब आ
आ करता था? वह बाद म टै नफड चला गया था।’
‘हां,’ ीवा तवा ने कहा,’ उसे मने ही हायर कया था।’
‘ब आ मेरा टू डट था,’ यादव ने कहा और अपनी जांघ पर हाथ मारा।
तभी बजली गुल हो गई। हम अं धेरे म घर गए। आसपास के गांव म बजली स लाई
क द कत थी। हर दोपहर छह घंट के लए बजली गुल रहती थी।
‘हमारे पास जनरेटर है,’ मने कहा और पयून उसे चालू करने का कहने के लए बाहर
चला गया।
ऑ फस म बैठे मेहमान का जी घुटने लगा था।
‘हम बाहर चलना चा हए?’ इं े न ट म के एक अ धेड् सद य ने कहा।
‘लाइट बस चालू होने ही वाली है, सर, मने कहा। मेरे ऑ फस क ट् यूब-लाइट
झपझपाई और बजली आ गई।
‘आपक मशी नग लैब म कतनी लै थ मशीन ह?’ एक इं े टर ने पूछा।
‘आठ,’ ीवा तवा ने कहा।’ हम वहां भी राउं ड लगाएंगे।’
‘ ीवा तवा सर, गम म काहे चहलकदमी कर?’ यादव ने कहा।
‘आपक ही ट म के एक सद य ने पूछा था, सर, ीवा तवा ने कहा। सभी का यान
उस इं े टर क ओर चला गया, जसने लैथ मशीन वाला सवाल पूछा था।’ आपक
तारीफ?’ ीवा तवा ने पूछा।
‘भंसाली,’ इं े टर ने कहा।
‘ म टर भंसाली, य न हम मेरे ऑ फस चल और कोस सब धी बात कर? बशत
आपको मोटर से कोई काम न हो।’
‘तुम नौजवान दखते हो,’ भंसाली ने मुझसे कहा।
‘म नौजवान ही ं,’ मने कहा।
‘तु हारी वा ल फकेशंस या ह?’ उसने पूछा।
‘मने यह कॉलेज बनवाया है,’ मने कहा,’ और मने अ े से अ े फैक ट को यहां
रखा है।’
‘ले कन...’ भंसाली ने कहा, ले कन ीवा तवा ने उसक बात को बीच म ही हाट
दया।
‘जाने भी द जए सर। म हर सवाल का जवाब ं गा,’ ीवा तवा ने कहा और उ ह
बाहर ले गए।
जब सभी लोग बाहर चले गए, तो ीवा तवा मेरे ऑ फस म आए। ‘भंसाली नया है।
ले कन बाक छह लोग कुछ नह बोलगे। लंच आ रहा है ना?’
‘हां, कैटरर यहां पहले ही प ंच चुका है,’ मने कहा।
‘गुड। और पैकेट् स?’
‘पैकेट् स?’
‘गोपाल, या मुझे यह भी समझाना पड़े गा यह एआईसीट ई है।’
‘ओह,’ मने कहा।’ आपका मतलब है लफाफे। ऑफ कोस, वे तैयार ह।’
‘गुड। मीठे के बाद उ ह दे ना। कतने ह?’
‘यादव के लए दो लफाफे। और सब के लए प ीस?’ मने कहा।
‘भंसाली को पचास दो,’ ीवा तवा ने कहा।’ और मीठे म या है?’
‘मूंग क दाल का हलवा,’ मने कहा।
‘माय फेव रट!’ ोफेसर ीवा तवा ने कहा और वहां से चले गए।

हमने एआईसीट ई इं े न डनर के लए ताज गंगा म एक ाइवेट म बुक कराया था।


हमने वहां अपने सभी फैक ट और हमारी मदद करने वाले सी नयर सरकारी अ धका रय
को भी बुलाया था। वे लोग अपने प रवार के साथ आए। करीब सौ लोग क यह पाट
गंगाटे क क जेब पर पड़ने वाला एक और डाका था।
हमने अभी तक कॉलेज से एक पया भी नह कमाया था। कं टान, इ वपमट,
फैक ट और ऑफ कोस सरकारी अ धका रय को र त दे ने म अभी तक छह करोड़ पए
खच हो चुके थे।
बहरहाल, ऐसा लगता नह था क शु घ-जी को इससे कोई फक पड़ा हो।
‘ चता मत करो, हम पैसा रकवर कर लगे,’ शु ला-जी ने कहा। उ ह ने मुझे सोडे के
साथ ह क द ।
मने कमरे को एक नजर दे खा।’ हमने इस कमरे म कम से कम तीस लोग को र त द
है,’ मने कहा।
शु ला-जी हंस पड़े ।
‘तो हमने गलत या कया? हम तो बस कॉलेज ही खोलना चाहते ह?’ मने कहा।
‘इट् स ओके,’ शु ला-जी ने कहा।’ य द हमारा स टम ही सीधा और साफ होता तो ये
ोफेसस ही अपने कॉलेज खोल लेते। लू चप कंप नयां और सॉ टवेयर फ स कॉलेज
खोल लेत । ले कन स टम पेचीदा है, वे लोग नह चाहते क इस से टर म कोई घुसे। यह
से हमारा काम शु होता है।’
‘हम पैसा कमाना कब शु करगे? मुझे आज इं े न के लए पचास लाख पए
खच करना पड़े ।’
‘उ ह और पैसा दो,’ शु ला-जी ने कहा।
‘ कसे?’
‘इं े टस को।’
‘ य ?’ मने कहा।’ ीवा तवा सर कह रहे ह क इतना काफ है। हम एक ह ते म
अ ूवल मल जाएगा।’
‘म चाहता ं क वे न केवल गंगाटे क को हरी झंडी दे द, ब क उसके बारे म अ
बात भी कर,’ शु घ-जी ने कहा।
‘इन राइ टग?’ मने कहा।
‘हां, जसका इ तेमाल हम माक टग म करगे। दस-दस हजार और दो। मेन आदमी को
पचास हजार और दो। पैस का बंदोब त म कर ं गा।
‘उ ह ने अपना फोन नकाला और एक कॉल लगाया।
शु ला-जी और म डनर बुफे पर गए। हमने अपनी लेट म खाना रखा और कमरे के
एक कोने म आए।’ पैसा एक घंटे म आ जाएगा,’ उ ह ने मुझे कहा।
‘आप मुझ पर इतना भरोसा य करते ह, शु ला-जी। म आपका पैसा चुरा भी तो
सकता ं।’
‘तु हारे आगे-पीछे कोई नह है। तुम काहे के लए पैसा चुराओगे?’ उ ह ने कहा।

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21

एआईसीट ई का अ ूवल ब कुल सही समय पर आ गया, जैसा क ोफेसर ीवा तवा ने
वादा कया था। अब एड मशन ओपन करने से पहले हम एक और आ खरी काम करना
था। हम टे ट यू नव सट का ए फ लएशन चा हए था। कुलप त मंगेश तवारी महीन से
हमारी ए लकेशन पर कुंडली मारकर बैठे ए थे।
हम शु ला-जी के घर पर थे।’ ए फ लएशन यादा मु कल काम नह है। हम माकट
रेट से दोगुना ऑफर कर रहे ह, ले कन मंगेश मान नह रहा है,’ बेद ने कहा।
‘ कतना मांग रहा है वो?’ शु ला-जी ने पूछा।
‘बात केवल पैसे क ही नह है। वह हम लोग को पसंद नह करता। वह हमारे फोन
तक नह उठा रहा है,’ बेद ने कहा।
‘सॉ यूशन या है?’ मने कहा।
‘कॉ टै ट् स का इ तेमाल करो। हो सके तो नॉन-पॉ ल टकल कॉ टै ट् स। वह हमारे
डीएम का कॉलेज बैचमेट है,’ बेद ने कहा।
‘म डीएम क बेट को जानता ं। मेरी पुरानी दो त है,’ मने कहा।
‘वेल, जो बने वो करो। म कसी भी हाल म अगले ह ते तक एड मशन ओपन चाहता
ं। हर अखबार म फुल-पेज व ापन दे दो,’ शु ला-जी ने कहा।
‘ड ट वरी, अगले र ववार तक वाराणसी केवल गंगाटे क के बारे म ही बात कर रहा
होगा,’ मने कहा।

मने खुद से ॉ मस कया था क आरती को कॉल नह क ं गा, ले कन अब मेरे पास और


कोई चारा नह था।
‘आज तो हमारी क मत खुल गई, जो आपने याद कया!’ आरती ने चहकते ए कहा।
‘तुम खुश लग रही हो,’ मने कहा।
‘अ ा? हो सकता है तु हारे फोन के कारण। मेरे पास खुश होने क और कोई वजह
तो है नह ।’
‘ य ? या आ?’ मने कहा।
‘कुछ नह । मुझे वाराणसी म ही कोई जॉब ढूं ढना पड़े गा।’
‘यह इतनी बुरी बात तो नह है।’
‘ या तु हारे कॉलेज का अपना कोई हवाई जहाज है?’ उसने कहा।
‘अभी तो नह है,’ मने कहा।’ ले कन जस दन हमारे पास हवाई जहाज होगा, उसी
दन तुम उसक कै बन सुपरवाइजर बन जाओगी।
‘वह हंस पड़ी।’ तुम कैसे हो? तु हारे कॉलेज म टू डट् स कब से आना शु हो
जाएंगे?’
‘जब हम इस धरती पर मौजूद हर भारतीय सरकारी आइ धकारी को खुश कर लगे,’
मने कहा।’ ए चुअली, मने तु ह एक काम से फोन लगाया है।’
‘ या?’ उसने कहा।
‘म तु हारे डै ड से मलना चाहता था।’
‘ रयली? य ?’
‘हम टे ट यू नव सट से लीयरस लेने म थोड़ी मदद चा हए।’
‘तुम उनसे अभी बात करोगे?’
‘नह , म उनसे फेस टु फेस मलना चा ंगा,’ मने कहा।
‘ या तुम मुझसे भी फेस टु फेस मलना चाहोगे?’ उसने कहा। ‘या म अब भी तु हारी
लैक ल ट म ं, जसे केवल काम पड़ने पर ही याद कया जाता है?’
‘ऐसी बात नह है। तु हारे डै ड से मलने के बाद म तुमसे भी मल लूंगा।’
‘ऑफ कोस, काम पहले,’ उसने कटा करते ए कहा।
‘मेरे एड मशंस अटके पड़े ह, आरती। इट् स अजट,’ मने कहा।
‘ओके, ओके, फाइन। एक सेकंड को, पहले मुझे दे ख लेने दो क वे घर पर ह या
नह ,’ उसने कहा।
उसने अपने पता से बात क और फर फोन उठा लया।’ कल सुबह आठ बजे?’
‘ योर,’ मने कहा।’ सी यू दे न।’

‘आजकल तो तुम घर आते ही नह । आजकल आरती से दो ती टू ट गई है या?’ डीएम


धान ने कहा।
हम उनके बैठकखाने म बैठे थे। द वार पर टं गा आरती के दादाजी पूव मु यमं ी ज
धान का आदमकद पोइंट मुझे घूर रहा था। चौड़े चेहरे, चसे फ चस वाले चु त- त
और गव से भरे डीएम धान मेरे साथ कॉफ क चु कयां ले रहे थे।
‘ऐसी बात नह है, अंकल। ले कन कामकाज ब त बढ़ गया है, उसी म त रहता ं,’
मने कहा।
‘मने तु हारे कॉलेज के बारे म सुना है। उसम शु ला-जी इनवाँ ह ह ना?’ डीएम
धान ने कहा।
‘हां, और अब हम एड मशंस से केवल एक कदम र ह,’ मने कहा और कुलप त
तवारी वाली ॉ लम बताई।
उ ह ने मेरी बात सुनी और कहा,’ लेट मी सी।’ फर उ ह ने अपना सेलफोन नकाला
और कुलप त को फोन लगाया।
‘ तवारी सर? हेलो, ताप धान हयर... येस, लगा टाइम। कैसे हो?’
आरती के पता ने दोपहर म तवारी के साथ मेरी मुलाकात तय करवा द ।
‘ब त-ब त शु या,’ मने उठते ए कहा।
‘यू आर वेलकम। सुनो तुमने तवारी को पैसा दया है?’
मुझे आरती के पता से इस बारे म बात करना थोड़ा अजीब लगा, इस लए म चुप रहा।
‘मुझे पता है क एजुकेशन बजनेस कैसे चलता है। तवारी बात तो ब त समझदारी
क करता है, ले कन उसे भी अपना ह सा चा हए। ले कन म उ मीद करता ं क तुम लोग
मुझे इसम इनवॉ व नह करोगे।’
‘नॉट एट ऑल, सर, मने कहा।’ ऐसे मामल म तो म भी कुछ नह करता। म केवल
कॉलेज का कामकाज दे खता ं।’
‘तो इस तरह के सारे काम शु ला-जी के लोग करते ह?’ आरती के पता ने पूछा।
‘हां,’ मने नजर झुकाए कहा।
‘गुड, तब तो तुम मेरे जैसे हो,’ उ ह ने कहा।’ ै टकल सोच वाले आदमी, जो सारे
ऊटपटांग काम सर पर छोड़ दे ता है।’
मने सर हलाया और उनके कमरे से नकलने से पहले झुककर उनका अ भवादन
कया।
‘वन चॉकलेट म क शेक वद आइ क म, लीज,’ आरती ने कहा। हम सगरा के उसी
सीसीडी म आए थे, जहां सुनील मुझे कै रयर फेयर म ए तमाशे के बाद लाया था।
‘ लैक ट ,’ मने कहा।
उसने एक माँव चकन सलवार -कमीज पहन रखा था। यह े स उसके पता लखनऊ
से उसके लए लाए थे। उसने अपना सफेद पट् टा उतारा और एक तरफ रख दया।
वेटर ने म क शेक टे बल पर रख दया। वह ओवर घेइग गलास को छु ए बगैर ॉ से
म क शेक पीने लगी।’ म अ सर म क शेक गरा दे ती ं। इस लए केयरफुल रहना ही
ठ क है,’ उसने कहा।
वह अपनी क सप करती रही। उसके बाल टे बल को छू रहे थे। पूरे कैफे क नजर
उस पर जम गई।
‘हम इस तरह क कॉफ मी टग और करनी चा हए’ उसने कहा,’ हालां क अभी हमम
से कोई भी कॉफ नह पी रहा है।’
‘मुझे ऐसा नह लगता,’ मने कहा।
‘ य ? तु ह मुझसे मलना पसंद नह ?’ उसने कहा। ‘दस साल से यादा समय से मेरे
बे ट ड रहने के बाद बस इतना ही?’
‘राघव हमारे मलने -जुलने को पसंद नह करेगा, मने कहा।
‘आ खर साथ बैठकर कॉफ पीने म या गलत है? इसके अलावा, राघव के पास समय
नह है क इन सब बात क परवाह करे।’
‘जा हर है, अब वह ब त बड़ा प कार बन गया है। म उससे मला था मने अपना कप
उठाते ए कहा।
‘तुम उससे मले थे?’ उसने कहा। वह अब भी अपना म क शेक सप कर रही थी,
ले कन ऐसा कहते समय उसक भ ह उठ गई।
‘उसने अपने पेपर के लए मेरा इंटर ू लया।’

‘ कस लए?’ उसने पूछा।


‘वाराणसी के एक लोकल बॉय ने कॉलेज जो खोल लया।’
‘यह तो सच है। तु हारी बड़ी अचीवमट है।’
‘हां, मेरे जैसे लूजर के लए तो वाकई बड़ी अचीवमट है।’
‘मने यह तो नह कहा, उसने कहा।’ हे, तुम कुछ खाना चाहोगे?’
इससे पहले क म कुछ कहता उसने दो चॉकलेट चप म फ स ऑडर कर दए। य द
आरती का बस चलता तो इस नया म चॉकलेट के अलावा और कुछ खाने को नह होता।
‘तु हारा जॉब-हंट कैसा चल रहा है?’ मने पूछा।
‘मुझे एक ऑफर है। ले कन पता नह मुझे हां कहना चा हए या नह ।’
‘ रयली? या ऑफर है?’
‘गे ट रलेशंस े नी, रमाडा होटल म। वे कटोनमट म होटल खोल रहे ह।’
‘फाइव टार, है ना?’
‘हां, वे कसी काम के सल सले म डै ड से मलने आए थे। डै ड को वैकसी के बारे म
पता चला, मने अ लाई कया, और अब वे चाहते ह क म अगले महीने से काम शु कर
ं ।’
‘कर दो। म तु ह जानता ं, तुम घर पर बैठने वाल म नह हो,’ मने कहा।
‘तुम मुझे ब त-से लोग से बेहतर जानते हो, गोपाल,’ उसने कहा, ‘ले कन...’
‘ या?’ मने कहा।
म फ स आ गए, ले कन उसने उ ह छु आ भी नह । मने उसक आंख को दे खा। वे नम
हो गई थ । फर एक आंसू उसके गाल से होता आ नीचे गर पड़ा।
‘आरती, आर यू ओके?’ मने उसे एक डश दे ते ए कहा।
उसने अपनी आंख प छ और आईलाइनर के ध बे वाला डश मुझे लौटा दया।’ एक
बार मने जॉइन कर लया, तो मेरे पैरट् स कहगे क जॉब अ ा है, घर के पास है, तुम यह
रहो। ले कन य द मने जॉइन नह कया और घर पर ही रही तो शायद वे मुझे कसी
एयरलाइन के लए ाय करने क इजाजत दे द।’
म हंस पड़ा।’ तो इसम आंसू बहाने क या ज रत है? तु ह अ ा जॉब मला है।
तुमने हॉ टै लट म कोस कया है...’
‘हॉ टै लट नह ए वएशन।’
‘ठ क है, ले कन घइट अटडट भी तो होटल टाफ क ही तरह गे ट् स को सव करती
है। और गे ट रलेशंस े नी के पास आगे बढ़ने का अ ा कोप होता है। आज े नी ह, कल
ऑ फसर, शायद कसी दन कसी होटल के जीएम। तुम माट हो। तुम आगे बढ़ोगी।’
उसने खुद को कं ोल करने के लए कुछ गहरी सांस ल ।
‘तु ह ऐसा लगता है?’ उसने पूछा। उसक आंख जब आसु से भरी थ , तब वे चमक
रही थ , ले कन अभी वे और खूबसूरत लग रही थ ।
म कोई जवाब नह दे सका। बस उसे नहारता रह गया।
‘ या आ? आईलाइनर फैल गया या?’ वह हंस पड़ी।’ म भी कतनी टु पड ं
ब क तरह रोने लगी।’
‘नह तुम टु पड नह हो। होत तो तु ह यह जॉब नह मलता,’ मने कहा।
‘हां बोल ं ?’
‘ य नह ? य द तु ह जॉब पसंद न आए तो छोड़ दे ना। राघव या कहता है?’
‘कुछ नह ।’
‘मतलब?’
‘ऑफर मलने के बाद से ही म उससे मली नह ं। मने उसे कॉल कया था, ले कन
उसने कहा मेरा जो मन चाहे, वही क ं । वह एक टोरी के लए इस ह ते कसी गांव गया
है।’
‘य द तुम यह रहती हो तो यह तुम दोन के लए अ ा होगा, मने कहा।
‘वेल, उसने तो ऐसा कुछ कहा ही नह ।’
‘मुझे यक न है क वह इस बात को समझता होगा।’
‘मुझे नह लगता क वह मेरे मामल म यादा दलच ी लेगा, बशत म कसी करथन
कडल म इनवाँ च न हो जाऊं,’ उसने कहा। म मु करा दया। वह भी यही चाहती थी।
मने बल मंगाया।
‘तो, हम कॉफ ड् स ह ना?’
‘हम ड् स ह,’ मने कहा।
‘कूल। होटल अभी ऑ फ शयली खुला नह है, ले कन म तु ह कसी दन दखाऊंगी।
ब त शानदार है।’
‘ योर, मने कहा।
‘और म गंगाटे क कब दे ख सकती ं?’ उसने कहा।
‘दो ह ते बाद, मने कहा,’ आई ॉ मस, कॉलेज लगभग पूरा बन चुका है।’
हम चलकर उसक कार तक आए।
‘म थोड़ा-सा हंसी, और मुझे थोड़ा-सा रोना भी आ गया। तुमसे मलकर कतना अ ा
लगता है, आरती ने कहा।
‘सेम हयर, हालां क मुझे रोना नह आया,’ मने कहा।
वह फर हंस पड़ी। उसने मुझे हग कया और आमतौर से यादा समय तक मुझे पकड़े
रखा।
‘पुराने दो त तो पुराने दो त ही होते ह। बॉय ड् स वगैरह सब ठ क ह, ले कन वे कभी
आपको उस तरह नह समझ सकते, जस तरह आपके पुराने दो त आपको समझते ह।’
मुझे इस’ दो त’ श द से नफरत थी, ले कन मने कुछ नह कहा। बस उसे गुडबाय वेव
कर दया।
मेरे फोन क घंट बजी। बेद का फोन था।
‘कुलप त ने हम मलने बुलाया है। डीएम का फोन कॉल काम कर गया। वे दोन एक
- सरे को बचपन से जानते ह,’ उसने कहा।
‘हां, पुराने दो त तो पुराने दो त ही होते ह,’ मने कहा।
22

गंगाटे क क ओप नग के लए मने अपने जीवन म पहली बार सूट पहना। सजावट का


कामकाज मने ही दे खा था। ओप नग से एक रात पहले हम मेरे ऑ फस म ही सोए थे।
हमने तीन लास स को एड मशन सटस बना दया था। म यह सु न त करने के लए
का था क हमारे पास फॉ स, पेन और इंफॉमशन बुकलेट्स ह ।
शु ला-जी ने भी अपनी तरफ से कोई कसर नह छोड़ी थी। उ ह ने ओप नग के लए
मु यमं ी को बुलाया था। उनके साथ दो रा यमं ी आने वाले थे। राजनेता के सुर ा
अ धकारी एक दन पहले ही आकर मौका मुआयना कर चुके थे। चूं क हमारे पास अभी
तक कोई ऑ डटो रयम नह था इस लए हमने ीचेस के लए एक टट के भीतर एक
मेक श ट पो डयम खड़ा कर दया था।
‘दो हजार इं वटे शंस भेजे गए ह, सर, वाराणसी के हर त त प रवार म इं वटे शन
गया है, के मकल इंजी नय रग फैक ट अजय ने मुझे बताया।
हमने लंच भी रखा था, इस लए हम उ मीद कर रहे थे क इनवाइट कए गए लोग म
से कम से कम आधे तो आ ही जाएं। री को दे खते ए हमने आम जनता के लए चार
बस का बंदोब त कया था। मी डया के लए एक दजन कार तैनात क गई थ ।
मने शहर के सभी बड़े अखबार म लगातार तीन दन तक फुल पेज व ापन दे ने के
लए दस लाख पए खच कए। आ खर लॉ यग का मौका एक बार ही मलता है। शु ला-
जी चाहते थे क पूरे शहर को पता चल जाए क उ ह ने एक इं टट् यूशन बनवाया था।
काम सुबह साढ़े पांच बजे ख म आ था। म फै ान से पहले एक झपक लेने के
लए ऑ फस के सोफे पर ही लेट गया। साढ़े छह बजे शु ला-जी के कॉल से म जाग गया।
मने अपनी आंख मसल । मुझे कुछ समझ नह आ रहा था।
‘गुड मॉ नग, शु ला-जी,’ मने कहा।
‘तुमने अखबार दे खा?’
मुझे लगा उ ह ने फुल पेज व ापन दे खे ह गे और उ सा हत होकर फोन लगाया होगा।
आ खर साल के इंतजार के बाद यह दन आया था।’ नह , म कै स म ं। अभी तक यहां
अखबार नह आया है, मने कहा।
‘ऐसा कैसे आ?’ शु ला-जी ने कहा।
म सोचने लगा क आ खर वे खुश य नह लग रहे ह। शायद सुबह के व उनका
मूड अ ा न रहता हो।’ व ापन अ े लग रहे ह ना?’
‘ व ापन नह , यू इ डयट! म’ दै नक’ म छपे इस आ टकल क बात कर रहा ं।’
शु ला-जी ने इससे पहले कभी मुझसे इस तरह बात नह क थी। न त ही, म उनके
लए काम करता था, ले कन उ ह ने अभी तक मुझ पर आवाज नह उठाई थी।
‘कौन-सा आ टकल?’ मने कहा। मेरा हाथ मेरे माथे पर चला गया, जो ख रहा था।
‘अखबार पड़ी और मुझे फोन लगाओ।’
‘ओके। व ापन कैसे लग रहे ह?’
मुझे जवाब म केवल फोन बंद करने क लक सुनाई द ।
मने आवाज दे कर पयून को बुलाया और उससे कहा क वह सारे अखबार ले आए।
एक घंटे म सारे अखबार मेरी डे क पर थे।
हर अखबार म हमारा फुल पेज व ापन था। कै स क त वीर ब त खूबसूरत दख
रही थ । व ापन के नीचे मुझे अपना नाम दखाई दया। ले कन शु ला-जी के कठोर श द
मेरे कान म बज रहे थे।
म पूरा’ दै नक’ छान मारा। पेज छह पर मुझे वह आ टकल दखा।
हेडलाइन थी -शहर म नया इंजी नय रग कॉलेज - ाचार के पैस से?
‘ हाट द फक!’ मने आ टकल पढ़ते ए खुद से कहा।

राघव क यप, टाफ रपोटर

म व ास ही नह कर पाया क उसने मेरे साथ ऐसा कया था। शु क कुछ लाइन तो


ठ क लग रह थ -

‘वाराणसी शहर, जसे ान क नगरी भी कहा जा सकता है, के पास अब अपना


एक और इंजी नय रग, कॉलेज है। द गंगाटे क कॉलेज ऑफ इंजी नय रग, जो
लखनऊ हाईवे पर पं ह एकड़ के कै स म बना है। इसी स ताहांत म वह
एड मशंस के लए अपने दरवाजे खोलने जा रहा है।’

राघव ने न त ही हमारे कॉलेज क तमाम सु वधा फैक ट ोफाइल इंजी नय रग क


शाखा और चयन या का ज कया था। आ धे पेज के उस लेख पर शु ला-जी
और मेरा फोटो भी था। मने इससे पहले क भी अपना फोटो अखबार म नह दे खा था।
बहरहाल, म इस पल का यादा मजा नह ले सकता था य क मुझे आगे पढ़ना था।

‘मजे क बात यह है क वधायक रमन लाल शु ला गंगाटे क के टय म से एक


ह। उ ह ने कॉलेज के लए फंड जुटाने म मदद क है। शु ला के पास गंगाटे क
कै स के इद- गद फैली जमीन क भी म कयत है, जसक क मत पांच से दस
करोड़ आक जाती है। आ खर शु ला ने फंड कहां से जुटाया? गौर करने लायक
बात यह है क यह कॉलेज तीन साल पहले बनना शु आ था, और यही वह
समय था, जब गंगा ए यान लान घोटाले म उनका नाम उछला था। या यह
कॉलेज उनके ारा अपनी छ व सुधारने क को शश है? लोग अपने पाप से मु
पाने के लए गंगा म नहाने आते ह। तो या शु ला गंगा के साथ कए गए अपने
पाप को धोने क को शश कर रहे ह?’

‘फक यू,’ आ टकल ख म कर मने कहा।


मने अखबार फाड़कर फक दया। हमारे साथ ऐसा नह हो सकता था। एड मशंस के
दन नह । कसी भी दन नह । शु ला-जी ने फर फोन लगाया। म थोड़ा झझका, ले कन
फोन उठा लया।
‘मने दे खा,’ मने कहा।
‘आ खर ये आ कैसे? कौन है ये रपोटर राघव? उसने वाकई तु हारा इंटर ू लया
था?’
‘वह मेरा... मेरा... कूली दो त है, मने हकलाते ए कहा।’ उसने ॉ मस कया था क
वह बैल लखेगा।’
‘यह बैल है? उसने मेरी ऐसी-तैसी कर द है।’
‘आई एम रयली सॉरी शु ला-जी। चता मत क जए, बाक अखबार म यह टोरी
नह है।’
“दै नक’ सबसे बड़ा और सबसे भावशाली अखबार है। मु यमं ी ने अपनी व जट
क सल कर द है।’
‘ या?’ मने कहा। म शॉ रह गया।’ फर कॉलेज का लोकापण कौन करेगा? हमने
तो प र पर भी उनका नाम खुदवा दया है।’
‘मुझे नह पता। हमारा पयून उसका लोकापण कर दे गा, मेरी बला से, शु ला-जी ने
कहा।
‘ लीज, शांत हो जाइए, शु ला-जी मने कहा।’ रयली, हम अगले तीन घंट म कसी
को खोजना होगा।’
वधायक ने गहरी सांस ली।’ श ा रा यमं ी आ रहे ह। वे कर दगे लोकापण।’
‘और मु यमं ी के नाम वाला प र?’
‘उस पर टकर चपका दो, गोपाल। या मुझे तु ह हर चीज बतानी पड़े गी
‘सॉरी, शु ला-जी। म सब ठ क कर ं गा,’ मने कहा।
मने फॉलो -अप शु कर दया। आइ धकतर इनवाइट ज आए थे। मुफा लंच के सामने
ाचार के आरोप क भला या बसात?
‘मे आई कम इन, सर?’ जैसे ही मने एक कॉल ख म कया, मुझे एक लड़क क
आवाज सुनाई द ।
मने सर उठाकर दे खा।’ आरती!’
‘म तु ह ड टब तो नह कर रही ं?’ उसने कहा।’ म ज द आ गई ं।’
वह शुभारंभ काय म से एक घंटा पहले नौ बजे आ गई थी। म तनाव म था, इसके
बावजूद म यह गौर करने से खुद को नह रोक पाया क उसने इस मौके के मुता बक े स
पहनी थी। उसने पपल और गो बॉडर वाली बॉटल ीन सलवार -कमीज पहनी थी।
म उसे दे खता रह गया, मेरा मुंह आ धा खुला रह गया।’ या म अंदर आ सकती ं,
डायरे टर सर?’ उसने कहा।
‘हां, ऑफ कोस,’ मने कहा।’ वॉव, यू लुक...’
‘ या?’ उसने कहा।
‘यू लुक सो फॉमल,’ मने कहा। म कहना चाहता था - ट नग।
‘ओह, मने सोचा तुम कहने वाले हो क म ब त अ लग रही ं।’
‘वह तो ऑब वयस है, आरती।’
‘ या ऑब वयस है?’
‘तुम हमेशा अ लगती हो,’ मने कहा।
‘अ ा? मुझे तो आजकल ऐसा सुनने को यादा नह मलता?’
‘ य ? तु हारा बॉय ड ऐसा नह कहता?’ मने यह बात जरा तकलीफ के साथ कही।
राघव के आ टकल का वचार मेरे दमाग से नह जा रहा था।
उसने आह भरी।’ वह तो मुझ पर त भी यान दे गा, जब म कपड़ के बजाय उसका
अखबार पहन लूंगी।’
म मु करा दया और कूल सप स क ल ट चेक करने लगा क कह म कसी को
चूक तो नह गया।
‘लगता है तुम बजी हो,’ आरती ने कहा।’ म बाहर वेट क ं ?’
म आरती को बाहर जाने नह दे ना चाहता था, ले कन मुझे ढे र फोन कॉ स करने थे।
‘तु ह बाहर ठ क लगेगा?’ मने कहा।
‘हां, मॉम आई ह। डै ड नह आ सके। वे टू र पर ह।’
‘ओह,’ मने कहा।’ चलो कम से कम म उ ह वश तो कर ं ।’ हम बाहर आए। आरती
क मां आगे क कतार म बैठ थ और वे टट म मौजूद शु आती मेहमान म से एक थ ।
‘हैलो, औट ,’ मने हाथ जोड़ते ए कहा।
‘कॉ े यूलेशंस, गोपाल। हाट अ लवली कै स उ ह ने कहा।
‘ले कन अभी यह अंडर कं न ही है,’ मने एक वेटर को चाय और नै स लाने का
इशारा करते ए कहा।
‘हमारी फ मत करो,’ आरती ने कहा।’ तुम अपने काय म पर यान दो। तु ह तो
ब त हाई - ोफाइल मेहमान को अटड करना होगा।’
उसने जाने से पहले मुझे हग कया। मने दे खा क उसक मां क आंख मुझ पर जमी
थ।
मने एक बार फर हाथ जोड़कर नम कार कया और अपनी तता के लए माफ
मांगी।

ओप नग सेरेमनी आराम से नपट गई, हालां क मु यमं ी के नह आने से काय म क


कुछ चमक ज र जाती रही। श ा रा यमं ी ने कॉलेज के शलालेख का अनावरण
कया। लैक ेनाइट प र पर खुदे मु यमं ी के नाम के ऊपर उनका नाम चपका दया
गया था। मु यमं ी के नह आने के कारण मी डया के लोग म खुसफुसाहट थी।
‘एक मु कल त न मत होने के कारण मु यमं ी महोदय को अं तम समय म
अपनी या ा रद्द करनी पड़ी,’ शु ला-जी ने मंच पर आते ए कहा। उ ह ने अपनी ीच
के लए एक मनट से भी कम समय लया। ेस के लोग उनसे सवाल पूछने के लए
एकजुट हो गए। वे सभी’ दै नक’ म छपे लेख के बारे म बात करना चाह रहे थे। ले कन
वधायक उनको झांसा दे ते ए पो डयम से गेट तक चले गए।
‘माफ क जए, आज कोई सवाल नह । मुझे गांव के दौरे पर जाना है। कसान को
मेरी ज रत है। यहां से गोपाल म ा सारी ज मेदारी संभालगे।’
चंद मनट के भीतर वे अपनी कार म बैठकर कै स से चले गए। हाईवे से उ ह ने मुझे
फोन लगाया।
‘म’ दै नक’ के लडी ए डटर से बात करना चाहता ं,’ उ ह ने कहा।
‘ योर, म उसका बंदोब त कर ं गा,’ मने कहा।’ बाय द वे, एड मशन फॉ स ब त
अ तादाद म भरे जा रहे ह।’
‘ या उन हरामजाद को पता नह क हम उनके अखबार को कतने व ापन दे ते ह?’
उ ह ने अपनी बात जारी रखी।
‘शु ला-जी, एड मशन...’ मने कहा।
ले कन तब तक वे फोन काट चुके थे।

हम उ मीद कर रहे थे क कसी एड कै ेन क मदद से बाक बची सीट भी भरने म


कामयाब ह गे।
‘हम साल भर व ापन दे ना चाहते ह, मने’ वाराणसी टाइ स’ के माक टग हेड से
कहा।’ इस लए हम बेहतर ड काउं ट क उ मीद रखते ह।’
मने पूरा दन यादा से यादा व ापन बुक करने के लए अखबार के च कर लगाते
ए बताया था। म’ वाराणसी टाइ स’ के माक टग हेड अमर वेद के ऑ फस म बैठा
था।
‘आप हम अपना मी डया पाटनर य नह बना लेते?’ उसने कहा।
‘उससे या होगा?’ मने पूछा।
‘हम थोडी-सी ए ा फ स लेकर आपके कॉलेज के बारे म पॉ ज टव आ टक स
छापगे। हम खबर मलगी, आपक एक इमेज बनेगी। इट इज अ वन- वन पाटनर शप,’
उसने कहा।
‘मुझे कैसे पता चलेगा क आप पॉ ज टव खबर ही छापगे?’ मने कहा। म एक बार जल
चुका था और अब छाछ भी फूंक-फूंककर पीना चाहता था।
‘आ टक स आप लोग ही बनाकर हम भजवाना,’ अमर ने कहा।
मने उससे कहा क वह मुझे एक फॉमल पोजल बनाकर भजवाए।’
‘वाराणसी टाइ स’ के बाद म बंसफाटक त ‘दै नक’ के द तर प ंचा।
‘वेलकम गोपाल-जी,’’ दै नक’ के से स मैनेजर शैलेष गु ता ने ब ग के एंटेरस पर
मेरा अ भवादन करते ए कहा।
मने उसे एक खी मु कराहट द । हम दोन द तर म चले आए।
‘आप या लगे, सर?’ उसने पूछा।
मने सर हला दया।
‘चाय? कॉफ ??’
‘झूठ से भरपूर आ टक स!’ मने कहा।
‘ या?’ उसने कहा।
‘शैलेष, हमने आपको सबसे यादा व ापन दए और आपने हमारे साथ या कया?
और वह भी हमारी ओप नग के दन?’
शैलेष समझ गया क म कस बारे म बात कर रहा ं और उसने नजर फेर ल ।
‘मुझे अगले महीने व ापन पर पांच लाख पए और खच करना ह। आप ही मुझे
बताइए क मुझे सारे व ापन’ वाराणसी टाइ स’ को य नह दे ने चा हए?’ मने ट क
चेकबुक उसके सामने लहराते ए कहा।
‘गोपाल भाई,’ शैलेष ने म म आवाज म कहा,’ आप या कह रहे ह? हम नंबर वन
अखबार ह।’
‘तो? इसका मतलब आप हमारी ऐसी-तैसी करगे?’
‘गोपाल भाई,’ यह मने नह कया था।’
‘हमारा कॉलेज ाचार के पैस से बना है? ले कन आपने तो हमारे कॉलेज से भी पैसे
कमाए ह!’
‘यह ए डटो रयल वाल का काम है। वे बेवकूफ और नॉन ै टकल लोग ह शैलेष ने
कहा।
मने टे बल पर मु का मारा।
‘म आपके ए डटर-इन-चीफ से मलना चाहता ं य द आप चाहते ह क म आगे भी
आपको व ापन दे ता र ं तो,’ मने कहा।
शैलेष ने मेरी चेकबुक को दे खा और उठ खड़ा आ।
‘च लए,’ उसने कहा। म उसके पीछे -पीछे ए डटो रयल लोर पर चला गया।
ए डटर -इन-चीफ अशोक कुमार अपने कांच के कै बन म बैठे थे और कुछ सब-
ए डटस क मी टग ले रहे थे। शैलेष भीतर गया और सभी सब-ए डटस बाहर आ गए।
शैलेष ने मुझे भीतर आने का इशारा कया।
अशोक ने मुझे सर से पैर तक दे खा।’ आप व धायक शु ला के ऑ फस से आए ह?’
उ ह ने कहा।
‘म गंगाटे क कॉलेज का डायरे टर ं,’ मने कहा और अपना हाथ आगे बढ़ाया। उ ह ने
सरसरी तौर पर मुझसे हाथ मलाया और मुझे बैठने को कहा।
‘मने फुल -पेज व ापन दे खे ह,’ अशोक ने अपनी बात शु क । वे मुझे अपने कै बन
म दे खकर थोड़े हैरान थे।
‘ या आपने अपने अखबार म वह आ टकल दे खा, जो हमारे बारे म है?’ मने कहा।
‘ न त ही मने दे खा होगा। कसने लखा था वह आ टकल?’ अशोक ने कहा। उ ह ने
च मा पहना और रपोटर का नाम खोजने के लए कं यूटर चालू कर दया।
‘शायद सर को रपोटर का नाम याद न हो, शैलेष ने कहा।’ हम डे ट से खोज?’
‘वह आ टकल राघव क यप ने लखा था,’ मने कहा।
‘वह नया लड़का अशोक ने कहा। वे पहली बार कुछ उ सा हत नजर आ रहे थे।
उ ह ने अपने कं यूटर पर ज द से वह आ टकल खोज नकाला। फर मेरी तरफ मॉ नटर
घुमाते ए पूछा,’ यह वाला?’ मने सर हला दया।
‘मुझे रपोटर को कां े यूलेट करना चा हए। वह नया है, इसके बावजूद उसक खबर
पर लोग का यान जा रहा है।’
‘हां, य द आप बकवास लखगे तो लोग का यान आपक ओर जाएगा ही,’ मने कहा।
‘ या बात है शैलेष-जी। आपके घइंट इतने अपसेट य नजर आ रहे ह? हमने तो
उनके कॉलेज पर आ धे पेज क ोफाइल द है,’ अशोक ने कहा।
‘आ खरी के दो पैरा ाफ और हैडलाइन का या मतलब है?’ मने ऐतराज भरे लहजे म
कहा।
‘ या?’ अशोक ने कहा और आ टकल पर एक बार फर नजर दौड़ाई। ‘ओह, करथन
वाली बात। उसम या बड़ी बात है?’
‘इससे हमारी इमेज को नुकसान प ंचता है,’ मने टे बल पर अपनी हथे लयां जोर से
पटकते ए कहा।
अशोक को मेरे ारा इस तरह भावना का दशन करना अ ा नह लगा। उ ह ने
मुझे घूरकर दे खा। मने टे बल से हाथ उठा लया।’
‘य द आपको अपनी इमेज क इतनी ही चता थी तो व धायक शु ला के साथ
मलकर कॉलेज य खोला?’ अशोक ने कहा।
शैलेष समझ गया क अब बात का बतंगड़ बन रहा है।
‘सर, गंगाटे क हमारा सबसे बड़ा व ापनदाता हो सकता है,’ शैलेष ने कहा।
‘तो, या हम खबर को ठ क तरह से छापना बंद कर द?’ अशोक ने कहा।
‘आरोप सा बत नह कए गए ह,’ मने कहा।’ तीन साल पुराने घसे- पटे मामले को
उठाकर हमारी ओप नग के दन छापा गया है। या यह ठ क है?’
‘अशोक सर, लीज दो मनट के लए मुझसे ाइवेट म बात क जए,’ शैलेष ने कहा।
म बाहर जाकर खड़ा हो गया और वे ब तयाने लगे। म इ धर-उ धर दे खने लगा। मने
एक पयून से पूछा क राघव क यप कहां बैठता है। उसने मुझे इशारे से बताया। मने
उसका छोटा -सा यू बकल दे खा। वह मेरे ऑ फस के सोफे से भी छोट जगह घेरे ए था।
फर मने राघव को दे खा। वह अपने कं यूटर पर पागल क तरह कुछ टाइप कए जा रहा
था, और ऐसा लग रहा था जैसे उसे नया-जहान का कोई होश नह है।
शैलेष ने मुझे फर बुलाया।’ ड ट वरी, हमने सब ठ क कर लया है। अशोक सर सीधे
व धायक-जी से बात करगे। हम मामला सुलझा लगे। लीज, हमारे साथ आपका जो
एसो सएशन है, उसे जारी र खए,’ शैलेष ने कहा।

‘ओके,’ मने कहा।’ ले कन रपोटर के बारे म या?’


‘उसके बारे म या?’ शैलेष ने कहा।’ वह तो े नी है।’
‘म चाहता ं क वह मुझसे माफ मांगे,’ मने कहा।
शैलेष ने अशोक क ओर दे खा।

‘यह तो उसी पर नभर करता है,’ अशोक ने कहा। उ ह ने फोन उठाया और अपनी
से े टरी से कहा क राघव को अंदर भजवा दे ।
पांच मनट बाद राघव ने दरवाजे पर द तक द ।
‘सर, आपने मुझे बुलाया?’ राघव ने कहा। फर उसने मुझे दे खा।’ हे, गोपाल। तुम
यहां?’
‘आप लोग एक- सरे को जानते ह?’ अशोक ने कहा, उनक एक भ ह तन गई थी।
‘इसने मेरा इंटर ू लया था, मने कहा।
राघव मेरे खे-से जवाब से हैरान आ। वह समझ गया क म यादा याराना नह
दखाना चाहता ं।
‘ या बात है?’ उसने कमरे के गंभीर माहौल को भांपते ए पूछा।
शैलेष ने पूरी कहानी सुनाई।
‘माफ ?’ राघव ने कहा।’ गोपाल, तुम चाहते हो क म तुमसे माफ मांगू
‘आप दोन एक- सरे को इससे पहले भी जानते थे?’ अशोक ने राघव के बात करने के
लहजे से अंदाज लगाते ए कहा।
‘हम एक ही कूल म थे,’ मने कहा।
‘और हमने एक ही डे क पर बैठकर पढ़ाई क है। हम ब त गहरे दो त रहे ह,’ राघव ने
कहा।’ तुम इ ह यह य नह बताते?’
‘म इ ह यह य नह बताता क तुमने मुझसे मेरी आरती छ न ली, यू एस-होल,’ म
कहना चाहता था। या यह क’ तुम मेरी कामयाबी से इतना जल गए क तुमने एक
स ड़यल -सा आ टकल लख मारा।’
ले कन मने कहा,’ ये ाचार के आरोप बेबु नयाद ह। और कसी कॉलेज क
ोफाइल म उनका ज करने क कोई ज रत नह थी।’
‘मुझे बैल लेख लखना था, ‘राघव ने कहा।’ शु ला जाना-माना गुंडा है।’
‘बकवास,’ मने जोर से कहा।
‘ म टर गोपाल, कृपया अपनी आवाज नीचे र खए। राघव, तु ह अपनी हर खबर म
ए ट व ट बनने क ज रत नह है, अशोक ने कहा।
‘सर, मने बामु कल ही कुछ लखा था। मसाल के तौर पर कॉलेज क इमारत बनने म
जो अ नय मतताएं ई, उनका तो मने ज तक नह कया।’
‘कोई अ नय मतताएं नह ई ह। हमारे सारे ला स अ ू ड ह,’ मने कहा।
‘और शु ला ने ये अ ूवल कैसे लए? खैर, मने इस सबके बारे म कुछ भी नह लखा
है।’
‘यहां तक क गंगा ए यान लान भी अब एक पुरानी खबर है, राघव,’ अशोक ने
कहा।’ जब तक तु हारे पास नए, ठोस सबूत न ह , उसे बार-बार दोहराने का कोई मतलब
नह है। हम इस तरह लोग के नाम पर बट् टा नह लगाते रह सकते।’
राघव ने अनमने ढं ग से अपने बाल म अंगु लयां घुमाई।’ फाइन, जब तक मुझे कोई
ठोस सबूत नह मल जाते, म कुछ नह क ंगा। या म अब जा सकता ं?’
‘तुमने गोपाल सर से माफ नह मांगी, शैलेष ने कहा।’ गंगाटे क हमारा लाइंट है।’
‘ए डटो रयल केवल गंभीर गल तय के लए माफ मांगता है, राघव ने कहा।
‘या जब चीफ ए डटर माफ मांगने को कह, तब,’ शैलेष ने ठोस आवाज म कहा।
राघव ने अशोक क ओर दे खा। वे चुप रहे।
‘सर, आप आ खर कैसे...’ राघव ने अपनी बात शु क।
‘राघव, बात को यह ख म करो। मुझे एक घंटे म अगला ए डशन छोड़ना है,’ अशोक
ने कं यूटर न क ओर मुड़ते ए कहा।
तकरीबन दस सेकंड तक खामोशी छाई रही।
‘आई एम सॉरी राघव ने ठं डी सांस लेते ए कहा।
‘इट् स ओके,’ मने कहा, ले कन राघव तब तक कमरे से बाहर जा चुका था।
23

‘तु हारी राघव से बहस ई थी?’ आरती ने कहा। उसने मुझे हमेशा क तरह दे र रात फोन
लगाया था।
‘उसने तु ह बताया?’ मने कहा।
‘मने बस इतना ही कहा था क हम तीन को कह मलना चा हए और उसने तो मेरी
जान ही ले ली, उसने कहा।
‘अरे नह ! तु हारी जान मुझे यारी है,’ मने कहा।
‘होटल अगले ह ते खुल रही है। मने सोचा क म पर मशन लेकर तुम दोन को होटल
खुलने से पहले ही वहां घुमा लाती। वह बेहद खूबसूरत है,’ उसने कहा।
‘तुम उसे अलग से भी दखा सकती हो,’ मने कहा।
‘ या बात है?’ आरती ने कहा।’ तुम उससे मले थे ना? आ खर मुझे कोई कुछ बताता
य नह ?’
‘वह काम से संबं धत बात थी। डट वरी। अब सब ठ क हो गया है।’
‘तुम कहते हो तो मान लेती ं। कल आ सकते हो?’
‘ ब कुल।’
‘गुड नाइट, डायरे टर साहब!’

म रमाडा होटल के -हंस पर आरती का इंतजार कर रहा था। स यो रट ने मुझे भीतर नह


जाने दया। आरती आई, अपना टाफ काड दखाया और म उसके पीछे -पीछे हो लया।
उसने म न बनारसी साड़ी पहन रखी थी, जो उसक यू नफॉम थी।’ आरती ताप धान
-गे ट रलेशंस े नी, उसके बैज पर लखा था।
‘वॉव, तुम कतनी डफट लग रही हो,’ मने कहा।
‘ ड ट? फॉमल? बस तुम इतना ही बोलना जानते हो?’ उसने झूठमूठ का गु सा
दखाते ए कहा।
‘नह , यू लुक ेट। ले कन मने उ मीद नह क थी क तु ह साड़ी म दे खूंगा,’ मने कहा।
‘उ मीद या नह क थी? यही क तु हारी टु पड कूल लासमेट को एक जॉब भी
मल सकता है?’ उसने भ ह उचकाते ए कहा। उसके हाथ अपनी कमर पर थे।
‘हां। तुम टु पड तो हो,’ म भी झूठमूठ म उससे राजी हो गया। उसने मजाक म मेरी
बांह पर एक धौल जमाया।
हम होटल लॉबी म आ गए। कं न वकस इटै लयन माबल पर पॉ ल शग मशीन
चला रहे थे। मशीन ब त शोरगुल कर रही थ , जब क इटै लयन माबल पहले ही चमचमा
रहे थे। हवा म पट क ग ध फैली ई थी। वह मुझे रे टोरट ले गई, जहां मखमल क
शानदार कु सयां सजी थ ।
‘यह हमारा बार होगा -टॉ सक।’
होटल यह तय कर दे ना चाहता था क भले ही लोग इस शहर म अपने पुराने पाप
मटाने आए ह , ले कन वे नए पाप करने म भी कोताही न बरत। हम बाक सु व धाएं दे खने
के लए होटल म घूमते रहे।
‘तो, आ खर तुम लोग मुझे बताते य नह ?’ उसने कहा।
‘ या?’ मने कहा।
‘वही जो राघव और तु हारे बीच आ था।’
‘हमारे कॉलेज को उसके अखबार म छपी एक खबर अ नह लगी। उसने इसके
लए माफ मांगी। कहानी ख म।’
फर मने दो मनट म उसे पूरी कहानी सं ेप म सुनाई, ले कन मने उसे कसम खलाई
क वह यह राघव को नह बताएगी। उसने मुझे बताया क उसने तो राघव को यह भी नह
बताया है क वह मुझसे मल रही है, इस लए और कुछ बताने का तो सवाल ही नह
उठता। आ खर इंसानी र ते इसी का तो नाम ह -चु नदा लोग से ही अपनी बात शेयर
करना और े जी कमलन क हद तक हक कत को छु पाना। फर हम ए थ नक -थीम
रे टारट म चले आए।’ आंगन, भारतीय भोजन के लए,’ उसने मुझे समझाया। फर वह
मुझे जम म ले गई। मने टे रड म स दे ख जनके साथ ट वी अटै च थ ।
‘इंपोटड?’ मने पूछा।
उसने सर हलाकर हामी भरी।’ कभी-क भी मुझे ब त ग ट फ ल होती है, उसने
कहा। लड़ कयां एक साथ अलग-अलग वषय के बारे म आराम से बात कर सकती ह।
‘ य ?’
‘मने तु हारी और राघव क दो ती म दरार डाल द ,’ उसने कहा।
‘ऐसी बात नह है,’ मने कहा।
वह एक बच- ेस पर बैठ गई। मने एक बैल सग बॉल ली और उसे टू ल बनाकर उस
पर बैठ गया।
‘बचपन म हम तीन दो त आ करते थे। अब या हो गया?’ उसने कहा। उसक
आंख नम होने लगी थ ।
‘ जदगी, मने कहा।’ जदगी इसी का नाम है।’
‘अगर म नह होती तो तुम दोन के र त म आज इतनी कडु वाहट न होती,’ उसने
कहा।
‘नह , यह गलत है। म ही तु हारे लायक नह था। इसम राघव का कोई दोष नह है,
मने कहा।
‘ऐसी बात कभी मत कहना,’ आरती ने कहा। खाली जम म उसक आवाज गूंज रही
थी।’ ऐसा नह है क तुम मेरे लायक नह हो। तुम ब त अ े लड़के हो, गोपाल। और हम
एक- सरे के साथ ब त कंफटबल रहते ह।’
‘ले कन मुझे पता है, मुझे पता है क तुम मेरे बारे म वैसा नह सोचत । अब मुझे भूख
लग रही है। लंच कहां मलेगा?’
‘ऐसी बात नह है,’ उसने कहा।
‘‘ या?
‘लड़ कय के साथ ऐसा नह होता। सवाल सही व का है। और इस बात का भी है
क कौन कतनी को शश करता है।’
‘ या मने को शश नह क थी?’ मने कहा।
‘तुमने ज रत से यादा को शश क थी,’ उसने कहा और अपनी आंख प छ ल ।
मुझे समझ नह आ रहा था क उसके करीब जाकर उसे मनाने क को शश क ं या
नह । एक कारण तो यह था क वह कसी और क थी और सरा कारण यह था क हम
उसके वक लेस म बैठे थे।
मने उसे मनाने के बजाय 20 पाउं ड का डं बबेल उठा लया। वह भारी था, ले कन
आरती के सामने मने ऐसा दखावा कया मानो म उसे आसानी से उठा पा रहा ं। राघव
शायद इससे दोगुना वजन का डं बबेल उठा सकता है, मने सोचा। आ खर मुझे हर बात पर
राघव से तुलना करने क या ज रत है?
‘आई एम सॉरी,’ मने कहा।’ आई एम सॉरी, य द मने तुम पर ज रत से यादा दबाव
बनाया हो तो।’
‘तुम ऐसे समय को शश कर रहे थे, जब म कसी भी बात के लए खुद को तैयार नह
महसूस करती थी। तुम ब त यादा चाहते थे। तुम मुझ पर पूरी तरह नभर हो जाना चाहते
थे। ले कन मुझे नह लगता था क म एक ब त अ मददगार सा बत हो सकती ं।’
‘आज या है? मेरा परफॉमस इवो युशन डे ?’ मने कहा। मने डं बल को पांच बार
उठाया और फर नीचे रख दया।
‘म तो बस इतना ही कह रही ं क... पता नह । मुझे लगा शायद मुझे बात इस बारे म
करनी चा हए थी।’
‘बात करनी थी या अपनी बात सुनानी थी?’ मने कहा।
हमने एक - सरे को दे खा।
‘हां, यही बात है। तुम मुझे कतनी अ तरह से समझते हो, गोपाल?’
‘ज रत से यादा अ तरह से, मने कहा और मु करा दया।
‘लंच से पहले तुम स दे खना चाहोगे?’ उसने कहा।
‘ ब कुल। हम लंच कहां लगे?’ मने पूछा।
‘ टाफ कट न म,’ उसने कहा।
हम टे नलेस- ट ल के एलीवेटस क मदद से थड लोर पर प ंचे। उसके पास हर म
का मा टर क काड था।
‘बाय द वे, मुझसे यह उ मीद क जाती है क म होटल म कसी को भी लेकर न
आऊं,’ उसने कहा।
‘तो?’ मने कहा। म सोचने लगा क या इसका मतलब यह है क अब मुझे यहां से
चल दे ना चा हए?
‘म तु ह यह बताने क को शश कर रही ं क तुम कतने खास हो। म तु हारे लए
अपनी नौकरी को खतरे म डाल रही ं।’
‘य द उ ह ने तु ह फायर कर दया, तो म तु ह हायर कर लूंगा।’
हमारी आंख मल । हम एक साथ हंस पड़े । पछले कई साल से हमारे बीच ऐसा कोई
पल नह आया था। कूल के दन म हम इस तरह हंसा करते थे -एक साथ और छोट -
छोट बात पर। हम अपनी लास के शैतान ब े आ करते थे। वह ट चस क म म
करती थी और म ह के पी रयड के दौरान सो जाने का नाटक करता था।
उसने म नंबर 3103 खोला। मने अपने जीवन म इससे यादा ल ज रयस और कुछ
नह दे खा था। ‘कूल,’ मने कहा।
‘है ना?’ वह बड़े -से बेड पर बैठ गई, जस पर चमक ले लाल रेशम के छह त कये रखे
थे।’ और यह बेड तो कमाल ही है! आओ, बैठकर दे खो।’
‘आर यू योर?’ मने कहा।
‘आओ ना,’ उसने कहा।
हम एक- सरे के करीब बैठ गए। म बेड के कोने पर था।
‘इट् स नाइस,’ मने कहा, जैसे क म कोई ोफेशनल मैटेरस इं े टर होऊं।
‘इस पर लेटना तो और कंफटबल लगेगा,’ उसने कहा।
मने ह का-ब का होकर उसक तरफ दे खा। उसने मेरा ए स ेशन दे खा तो पेट
पकड़कर हंस पड़ी।
‘मने यह नह कहा क साथ-साथ लेट जाते ह, उसने कहा।’ तुम इतने सी रयस य
हो गए?’
हमने अगले बीस मनट बजली के वच और बाथ म के नल के साथ खेलते ए
बताए। म इससे पहले कभी उसके साथ इतने अकेले ान पर नह रहा था। मुझे हवा म
एक खास क म का तनाव महसूस हो रहा था, ले कन शायद वह तनाव केवल मेरे दमाग
म ही था।
‘चलो, अब चलते ह।’ मने घड़ी दे खते ए कहा। मुझे ज द से ज द कै स प ंचना
था।
‘ओके,’ उसने कहा और वॉशबे सन का नल बंद कर दया।
हम म से बाहर चले आए। नया-चक सूट पहने एक आदमी ने हम बाहर नकलते ए
दे खा।
‘आरती?’ उसने हैरानी से कहा।
आरती के चेहरे का रंग उड़ गया।
‘सर,’ उसने कहा। मने उसके सूट पर लगा टै ग पड़ा। बनायक शा ी, बा े मैनेजर।
‘तुम यहां या कर रही हो?’ उ ह ने कहा।
‘सर,’ उसने कहा,’ ये म टर गोपाल म ा है। हमारे घइंट।’
‘ले कन अभी तो हमारा होटल खुला भी नह , उ ह ने कहा। वे अब भी संदेह से भरे ए
लग रहे थे।
‘हाय,’ मने अपना हाथ बढ़ाते ए कहा।’ म गंगाटे क मुप ऑफ कॉलेजेस का
डायरे टर ं।’
उ ह ने मुझसे हाथ मलाया।
‘हम यहां एक कॉलेज ईवट करने के बारे म सोच रहे थे,’ मने कहा।
हम एलीवेटर तक चले आए। म उ मीद कर रहा था क वे इससे आगे कुछ नह पूछगे।
तभी उ ह ने पूछ लया,’ कस तरह का ो ाम?’
‘हम लेसमट के लए जन टॉप कंप नय को बुलाएंगे, उनके लए डनर,’ मने कहा।
आरती हम दोन से नजर बचाती रही।
‘ योर, हम आपको अ स ट करके अ ा लगेगा,’ बनायक ने मुझे अपना काड थमाते
ए कहा।
मने सोचा क शायद अब हम टाफ कट न म लंच के अपने ो ाम को तलांज ल दे नी
होगी।
‘मुझे दे र हो रही है, ले कन मेरी ट म ज द ही आपसे कॉ टै ट करेगी,’ लॉबी म आते ही
मने कहा।
आरती ने मुझे एक ोफेशनल माइल द और रसेशन डे क के पीछे चली गई।
बनायक मेरी कार आने तक मेरे साथ के रहे।
‘आप स य दे खना चाहते थे?’ बनायक ने पूछा।
‘हमारे कुछ गे ट फैक ट आएंगे। शायद वदे श से,’ मने कहा। और शु है क ठ क त
भी पोच म मेरा ड़ाइवर आ गया।
24

अगले दो महीन म हम अपनी फ ट बैच क दो सौ म से एक सौ अ सी सीट भरने म


कामयाब रहे। मने पहली बार शु ला-जी के अकाउं टट के पास पैसा जमा कराया। अनेक
टू डट् स ने कैश म फ स भरी थी। खासतौर पर कसान के लड़के बोर म भरकर पैसा लाए
थे, जसे साल तक धीरे-धीरे जमा कया गया था।
‘मेरे बेटे को इंजी नयर बना दे ना,’ एक कसान ने हाथ जोड़ते ए वनती क थी।
हां, इंजी नयर बनना फायदे मंद होता है, य क बी-टे क ड ी के कारण जॉब भी
आसानी से मल जाता है और दहेज भी ब त मलता है। डीन ीवा तवा और उनक बीस
फैक ट क गग लासेस संभालती थी। म सरे ोजे ट् स म त रहता था जैसे हो टल
के मेस का बंदोब त, नया टाफ रखना और यह सु न त करना क कं न का बाक
बचा काम शेड्यूल पर पूरा हो जाए। मेरी सोशल लाइफ ब त सी मत रह गई थी। म ह ते
म एक बार फैक ट मबस के साथ डनर करता था, जसके दौरान आमतौर पर हम
कामकाज क ही बात करते थे। कभी-कभी म शु ला-जी के घर भी चला जाता था।
‘तुम इं टट् यूट के डायरे टर हो। तुम अपने पुराने घर म कैसे रह सकते हो?’ एक दन
उ ह ने ब त सारी ह क पी लेने के बाद कहा।
‘फैक ट बंगला ब त ज द बनकर तैयार हो जाएगा। वैसे भी म यादातर समय
ऑ फस म ही सोता ं,’ मने कहा।
हां, ले कन आरती ज र मेरी जदगी म फर से लौट आई थी। वह इकलौती ऐसी
श स थी, जसके साथ म समय बताता था और म उससे कामकाज के बारे म बात नह
करता था। रमाडा होटल खुल गई थी, आरती ने काम शु कर दया था और वह लॉबी म
गे ट रलेशंस डे क पर बैठती थी। उसके पहले व कग डे पर मने उसे चॉकलेट का एक
बॉ स और फूल भजवाए। शायद मुझे ऐसा नह करना चा हए था ले कन मुझे लगा क
यह दन उसके लए ब त मायने रखता है। हालां क मने इस बात का ज र यान रखा क
बुके म केवल सफेद गुलाब ह , लाल गुलाब नह ।
‘हे थ स। रयली वीटे ट ऑफ यू!! :)’ उसका एसएमएस आया। मने उस मैसेज को
पचास बार पड़ा। आ खरकार मने एक जवाब लखा -’ यू आर वेलकम। फॉर अ ेट यूचर
कै रयर वूमन।’
दस मनट बाद उसका जवाब आया -‘तुम मुझ पर इतने मेहरबान य हो?’
मेरे पास इस बात का कोई जवाब नह था। मने लड़ कय क ट् क का इ तेमाल कया।
जब डाउट म ह तो माइली भेज दो।
मने तीन माइली भेज द । ‘:) :) :)’
उसने मैसेज कया -‘काम के बाद मलोगे? 7 बजे। सीसीडी म?’
‘ योर,’ मने फौरन जवाब दया।
म उससे मलने के लए कै स से सगरा तक गाड़ी चलाकर गया। उसने मुझे उस दन
के अपने काम के बारे म बताया। उसने होटल का चयन करने म पांच जमन क मदद क
थी, एक दस सद यीय जापानी डे लगेशन के लए कार का बंदोब त कया था और एक
अमे रकन को उसके म म सर ाइज बथडे केक भजवाया था। वह खुश नजर आ रही
थी। मुझे नह लगता था क वह एयर हो टे स न बन पाने को मस कर रही थी।
‘तो, आज हम मलने का मौका मला। वैसे तुम शाम को करते या हो?’ उसने पूछा।
‘कुछ खास नह । कै स म रहता ं। काम करता ं,’ मने कहा।
‘दै ट्स हॉ रबल! तु हारे कोई दो त नह ह?’ आरती ने कहा।
मने कंधे उचका दए।’ कॉलेज म मेरे कली स ह। उनका साथ ही ब त है।’
उसने मेरे हाथ पर चपत लगाई।’ तु हारे कुछ दो त होने चा हए। मुझे दे खो। तुम मेरे
दो त हो।’
‘और राघव?’
‘वह तो दे र रात तक अखबार म काम करता है। उसके पास समय ही नह है...’ उसने
अपना हाथ हटाते ए कहा। उसने मुझे यह नह बताया क हमारे इस तरह मलने के बारे
म राघव या सोचेगा। वा तव म मने उससे यह पूछा भी था, जस पर उसने जवाब दया
था क राघव को पता ही नह चलेगा।
‘तु ह काम के बाद दो त से मलना-जुलना चा हए।’ ऐसा लगा जैसे वह खुद को
क वस करने क को शश कर रही हो।
‘शायद म तु ह अपने होटल क कहा नयां सुना-सुनाकर बोर कर ं गी, ले कन...’
‘तुम मुझे कभी बोर नह करत । चाहे तुम एक भी श द न कहो,’ मने कहा।
और इसी के साथ काम के बाद मेरा आरती से मलना-जुलना शु हो गया। हम ह ते
म दो बार मलते थे। कभी-कभी तीन बार। हम नए-नए रे टोरट् स म खाना खाते थे, कैफे म
जाते थे, र वदास पाक म घूमते थे और कभी-कभी फ म भी दे खते थे।
ले कन हमने अपने लए कुछ अनकहे नयम भी तय कर रखे थे। हम फोन पर लंबी
बात नह करते थे और आमतौर पर एक- सरे को टे ल मैसेज करते थे। हम कभी अपने
पा ट क बात नह करते थे या टची वषय को नह छू ते थे। म उसे कभी नह छू ता था
ले कन वह ज र कभी-कभी बातचीत के दौरान मेरी बांह थाम लेती थी। मूवी थएटस म
हम अलग-अलग जाते और अलग-अलग बाहर नकलते थे। वाराणसी म लड़के और
लड़ कयां वैसे भी ऐसा ही करते थे। जब राघव का फोन आता था तो म चुपचाप उससे र
हो जाता था, ता क म उनक बात न सुन सकूं। जब राघव का काम ख म हो जाता था, तो
वह भी चली जाती थी।
म समझ नह पाया क मने उसके साथ व बताना य शु कया। म उसके लए
एक बफर बन गया था, जो उसके बॉय ड के काम से होने तक उसके काम आता था।
शायद म अपने काम से भी थोड़ा आराम चाहता था। और वैसे भी, जब बात आरती क हो
तो मेरे होशोहवास तो गुम हो ही जाया करते थे।
‘तो राघव को पता नह है क हम मलते ह?’ एक दन मने उससे पूछा।
उसने सर हला दया और कॉफ के मग से बनी मूंछ प छ डाल ।

राघव मुझसे अपनी पछली मुलाकात के बाद से मेरी जदगी से र था। हालां क वह अपनी
हरकत से फर भी बाज नह आया।

‘वाराणसी नगर नगम पैसा खाती है, ब स धोखाधड़ी करते ह’ राघव क यप,
टाफ रपोटर

हमारी ओप नग के एक महीने बाद सुबह उठते ही अखबार म मने यह हेडलाइन दे खी।


वह अ सर राशन क कान म होने वाली कालाबाजारी, एलपीजी सलडस क गैरकानूनी
ब , आरट ओ अ धका रय ारा र तखोरी आ द ट न क भारतीय चीज के बारे म
लखता था, जनक कोई परवाह नह करता था। म उसके इस लेख को भी नजरंदाज कर
जाता, बशत उसने उसम गंगाटे क का ज न कया होता।
मने कुछ पं य को सरसरी तौर पर पड़ा।

लेख म लखा था, ‘बड़ी अजीब बात है क अनुपयु अ ूवल और उनके कारण
होने वाले गैरकानूनी नमाण हमारी आंख के ऐन सामने ह। ाचार के सरे
मामल , जहां क करतूत छपी ई रहती है (जैसे गंगा ए यान लान
घोटाला) से उलट नमाण के इन मामल म खुले सबूत हमारे सामने ह। खेती क
जमीन पर कॉलेज बना दए जाते ह, जो मनचाहा नमाण करने के लए सभी
नयम-कायद को ताक पर रख दे ते ह। ज द ही कॉलेज के पास म मल ह गे।
राजनेता का काम होता है हमारी र ा करना और इन तमाम हरकत पर रोक
लगाना, ले कन अ सर वे ही इन तमाम चीज गैरकानूनी चीज के पीछे होते ह।
इतना ही नह , शहर म नई होटल, रहवासी टॉवस और द तर क इमारत भी बन
गई ह, जनके नमाण से वीएनएन ने मुनाफा खाया है। हमारे पास इस बात के
सबूत ह क वा तव म कस नमाण क अनुम त द जानी चा हए थी और उसक
तुलना म वीएनएन ने कन नमाण को अनुम त द है...’

लेख के साथ लगे बॉ स म ववा दत अपूव स क सूची थी।


मने सूची पड़ी:

1. वी-कॉन अपाटमट ब ग। दस मं जला। लो- लाइंग जोन म न मत।


2. होटल वटो, जसका नमाण एक बगीचे पर आ है।
3. गंगाटे क कॉलेज, जसके नमाण के लए रह यमय तरीके से कृ ष भू म को अ ूवल
दे दया गया। कॉलेज क ब ग लोर- ेस इंडे स का उ लंघन करते ए बनाई
गई है।

मने अखबार को र फक दया। मने ब त मु कल से शु ला-जी से अपने सबध फर


सुधारे थे। मने उ ह कह दया था क उस रपोटर ने मुझसे माफ मांग ली है और आगे से
ऐसा फर नह होगा। मुझे पता था क राघव उस दन मुझसे बोले गए’ सॉरी’ का बदला ले
रहा है। उसने अपने वीएनएन के सू से गंगाटे क का ब ग लान हा सल कर लया
होगा।
मने फोन नकाला। ले कन इससे पहले क म उसे कॉल करता, शु ला-जी का फोन
आ गया।
‘पता नह यह कैसे आ,’ मने कहा।
‘ये’ दै नक’ वाले भैनचोद ह,’ शु ला-जी ने कहा।
‘इस रपोटर को रोकना अब ज री है...’ मने कहा।
‘यह उस रपोटर का काम नह है, वप वाले इसके पीछे ह गे।’
‘पता नह , सर।’
‘या शायद मेरी ही पाट म से कोई ह ? साले, मुझसे चलने वाले हरामजादे मेरा खेल
बगाड़ना चाहते ह।’
‘मुझे ऐसा नह लगता सर।’
‘ या?’
‘यह उस रपोटर का ही कया-धरा है। म उसे पहले से जानता ं। वह समाजसेवी
क म का आदमी है। फर चूं क उसे मुझसे माफ मांगने को मजबूर होना पड़ा था, इस लए
शायद वह बदला ले रहा है।’
‘कौन है वह?’
‘राघव क यप, लेख म नाम लखा है।’
‘म उसक ऐसी-तैसी कर ं गा,’ शु ला -जी ने कहा।
‘म उसको फोन लगाऊं?’
‘नह , रहने दो। म उसके सी नयस से खुद बात क ं गा।’
मने कहा,’ और इस लेख के बारे म या? इससे हम कोई नुकसान होगा?’
‘य द वीएनएन वाल का फोन आए, तो मुझसे बात करा दे ना, शु ला-जी ने कहा।

वीएनएन वाल का फोन तो नह आया, वे खुद मेरे ऑ फस चले आए। वे अकेले नह आए


थे, उनके साथ दो बुलडोजस भी थे।
बुलडोजस का शोर सुनकर टू डट् स लास म क खड़ कय से बाहर झांककर दे खने
लगे। म दौड़ता आ गेट पर आया।
‘गेट्स खोलो, हम नमाण तोड़ने आए ह,’ स ते सन लासेस और पीला हेलमेट पहने
एक आदमी ने कहा।
‘ या?’ मने कहा।
‘हमारे पास ऑडस ह,’ वीएनएन आइ धकारी ने कहा। उसने अपनी जेब से कागज का
एक मुड़ा-तुड़ा टु कड़ा नकाला।
मेरा दल जोर-से धड़कने लगा।’ आप कौन-सा नमाण तोड़गे?’
‘मेन ब ग। यहां अवै ध नमाण आ है,’ उसने कहा। उसके लहजे से दलेरी झलक
रही थी।
सुबह क तेज धूप हमारे चेहर को झुलसा रही थी।’ हम बात कर सकते ह?’ मने
कहा।
उसने सर हला दया।
मने फोन नकाला। शु ला-जी को फोन लगाया। उ ह ने कोई जवाब नह दया।
‘यह वधायक शु ला का कॉलेज है। आपका नाम या है, सर?’ मने कहा।
‘राव। अमृत राव नाम है मेरा। तुम चाहे व धायक का नाम लो, चाहे धानमं ी का,
मुझे कोई परवाह नह ।’
म दस मनट तक उसे यह कहकर मनाता रहा क वह धैय रखे। मने पयून से कहा क
सभी के लए आइस डालकर सॉ ट क लाए। इस दौरान म लगातार शु ला-जी को फोन
लगाता रहा। उ ह ने आठव बार म फोन उठाया।
‘ या बात है, गोपाल? मुझे सीएम को फोन लगाना था। ये बेवकूफ भरे लेख भी एक
नंबर का सरदद ह।’
‘सर, यहां बुलडोजस आ गए ह।’
‘ या?’ शु ला-जी ने कहा।
मने राव को फोन थमा दया, जसने व धायक को भी अपने मशन के बारे म बताया।
हालां क सरे छोर पर व धायक क बात सुनकर वह चुप हो गया। फर वह बाहर गया
और दस मनट तक शु ला-जी से जोर-जोर से बात करता रहा।
फर राव ने मुझे फोन थमा दया। ‘लो, शु ला-जी तुमसे बात करना चाहते ह।’
‘सर?’ मने कहा। म अब भी भ चक था।
‘ऑ फस म कतना कैश है?’ शु ला-जी ने पूछा।
‘नॉट योर, सर। सेफ म दो लाख के करीब ह गे।’
‘वह पैसा इ ह दे दो। ले कन नोट सीमट के खाली बोरे म रखना और ऊपर से रेत भर
दे ना।’
‘जी, सर’ मने कहा।
‘उसके सा थय क नजर नह पड़नी चा हए। उसे ब त ईमानदार माना जाता है।’
‘ओके, सर।’
‘और उसे कुछ न कुछ तोड़ना पड़े गा। वह बना कुछ तोड़े वापस नह जा सकता।’
‘ या?’
‘कोई ऐसी जगह है जसका नमाण अभी चल रहा हो, और जसक तु ह त काल म
ज रत न हो?’
‘सर, ये लोग कुछ भी तोड़गे तो टू डट् स दे ख लगे,’ मने कहा।
‘कुछ नह कया जा सकता। तु हारे इस रपोटर दो त ने हमारी...’
‘वह अब मेरा दो त नह है, सर,’ मने कहा।
‘वह तो गया काम से। खैर, अभी तो मुझे इतना बताओ क कौन-सा नमाण आसानी
से तोड़ा जा सकता है, जसक बाद म मर मत कराने म यादा खच न आए?’
‘मशी नग लैब। हम मशीन को कह और रख सकते ह,’ मने कहा।
‘ठ क है। लैब के बाहर चॉक से ॉस का एक नशान बना दो। बाक काम वे खुद कर
लगे। और हां, सीमट क बोरी वाली बात याद रखना,’ शु ला-जी ने फोन रख दया।
मने स यो रट गाड को गेट खोलने को कहा। राव चप चपी माइल द ।
25

‘आज म कोई फ म नह दे ख सकती। मुझे दस मनट म नकलना है।’ आरती नाक-भ


सकोड़ते ए मेरी इनोवा म आ बैठ ।
म उसे लेने उसके होटल आया था। मेरे पास ‘रॉक ऑन’ के साढ़े सात बजे के शो के
टकट थे।
‘तु ह इन टकट के पैसे वापस मल जाएंगे?’
मने टकट फाड़ दए।
‘गोपाल’ उसने कहा। या कर. मुझसे पूछे बना टकट नह लेना चा हए थे।’
‘तुम इतनी परेशान य लग रही हो?’
‘राघव के कारण। मुझे अभी उसके पास जाना पड़े गा।’
‘ या?’
‘म राघव के बारे म बात नह क ं , यह नयम कसने बनाया है म टर म ा?’
‘मने। ले कन अभी म केवल इतना ही जानना चाहता ं क तुम हमारा लान य
कसल कर रही हो।’
‘म तु ह बता ं गी। अभी तुम मुझे घर पर छोड़ सकते हो?’
‘डीएम के बंगले पर, मने ड़ाइवर से कहा।
‘अपने तक ही रखना, ओके आरती ने कहा।’ उसने मुझे कहा है क म कसी को नह
बताऊं। ले कन म तुम पर भरोसा कर सकती ं, है ना?’
‘ या मुझे इस सवाल का भी जवाब दे ना पड़े गा क तुम मुझ पर भरोसा कर सकती हो
या नह ?’ मने कहा।
‘ठ क है। तो बात यह है क राघव क नौकरी चली गई है, उसने कहा।
‘ या?’ मने कहा। मेरे मन म खुशी क एक गम गुदगुदाहट दौड़ गई।
‘आई एम शॉ ।’ दै नक’ वाले तो उसे अपना टार रपोटर मानते थे, आरती ने कहा।
‘ या उ ह ने कोई कारण बताया क वे उसे य बाहर कर रहे ह?’ मने कहा। कारण
तो उसके पास ही बैठा आ था।
‘पता नह । उसने कुछ बताया नह । उसने बस इतना ही कहा क मैनेजमट ने उससे
नौकरी छोड़ दे ने को कहा।’
‘मंद ?’ मने झूठमूठ क चता जताते ए कहा।’ मंद के दन म खचा कम करने के
लए इसी तरह टाफ म कटौती क जाती है।’
‘ले कन एक रपोटर को बाहर करके कतना खचा घटाया जा सकता है? और फर’
दै नक’ तो ब त अ ा चल रहा था।’
कार आरती के घर पर प ंच गई।
‘ या वह तु हारे घर पर है?’ मने पूछा। वह कार से बाहर नकल गई। उसने सर
हलाकर इनकार कया।’ मुझे उससे मलने जाना होगा। ले कन म पहले घर आकर चज
करना चाहती थी।’
‘उसक आवाज से या लग रहा था? वह अपसेट था?’ मने पूछा।
‘वह ब त-ब त गु से म था,’ आरती ने कहा और बाहर चली गई।

मुझे राघव को फोन नह लगाना चा हए था। ले कन म आधी रात को उसे फोन लगाने से
खुद को रोक नह पाया। म दे खना चाहता था क या अब बेरोजगार होने के बाद भी वह
पहले जैसा दलेर बना रह सकेगा। मेरे दाएं हाथ म ह क का एक बड़ा-सा गलास था
और बाएं हाथ म फोन था।
मने सोचा था क वह मेरा फोन नह उठाएगा। ले कन उसने ज द ही मेरा फोन उठा
लया।
‘तुम चाहते हो क म एक बार फर माफ मांगूं ये उसके पहले श द थे।
‘हाय, राघव, मने शांत आवाज म कहा।’ या चल रहा है?’
‘ ब कुल ठ क। तु ह इतनी रात गए फोन लगाने क ज रत य महसूस ई?’
‘मुझसे अपसेट मत होओ,’ मने कहा।
‘हम केवल उन लोग के बारे म अपसेट होते ह, जनक हम परवाह करते ह, ’ राघव ने
कहा।
‘तुम अपने जॉब क तो परवाह करते थे ना?’
‘बाय, गोपाल,’ उसने कहा।
‘मने तु ह पहले ही कह दया था क हमारे बारे म ऊटपटांग बात मत लखना, मने
कहा।
‘मुझे तुमसे पूछने क ज रत नह है क म अपना काम कैसे क ं ।’
मने ह क का एक बड़ा-सा घूंट लया।’ अरे हां, तुम मुझसे पूछते भी कैसे? एक
बीएचयू पासआउट मुझ जैसे गंवार से राय लेगा?’
वह चुप रहा। मने अपना गलास भरा। ह क के कारण म अपने आपको इतना
का फडट महसूस कर रहा था, जतना पहले कभी नह कया था।
‘सवाल एजुकेशन का नह है। सवाल इस बात का है क तुम कस तरह के आदमी बन
गए हो। मुझे तो भरोसा ही नह होता!’
‘अमीर। कामयाब। तु ह भरोसा नह होता, है ना? जब क जस आदमी ने जेईई
लीयर कर लया था, वह आज बेरोजगार है।’
‘मुझे कोई न कोई नौकरी मल जाएगी। और म तु हारे उस वधायक को बता ं गा क
कसी अखबार के दे नी को नौकरी से बाहर करवा दे ने का यह मतलब नह होता क वह
सच पर परदा डालने म कामयाब हो जाएगा।’
‘म तु ह नौकरी दे सकता ं, राघव। मेरे लए काम करना चाहोगे?’ मने जवाब म केवल
फोन रखने क लक सुनाई द ।

‘रेवो युशन 2020, ’ आरती ने कहा। उसने अपना चेहरा अपने हाथ म भर रखा था और
उसक कोह नयां टे बल पर टक थ ।
हम रमाडा होटल क कॉफ शॉप म आए थे। यह उसका ऑफ-डे था ले कन वह रेगुलर
कपड़ म क टमर क तरह रे टोरट् स म आ सकती थी। वेटस उसे पहचान कर मु करा दे ते
और वह भी मु कराकर जवाब दे ती। राघव का जॉब छू टने के बाद से वह मुझसे यादा नह
मल पा रही थी। आ खर, उसके वीकली ऑफ के दन मने उसे मलने के लए राजी कर
लया।
‘मतलब?’ मने कहा।
‘यह मत पूछो।’ रेवो यूशन 2020’ -जब म तुमसे यह क ं तो सबसे पहले तु हारे
दमाग म या आता है? यह या हो सकता है?’
वह मेरे जवाब का इंतजार कर रही थी। उसक पलक झपक । मने दे खा क एक
सपल-सी ऑरज ट -शट और काली ज स म भी वह कतनी आकषक लग रही थी।
‘एक नया रे टोरट? रमाडा खोल रहा है?’
वह हंस पड़ी।
‘इसम हंसने वाली या बात है?’ मने कहा।’ आ खर यह’ रेवो यूशन 2020’ है या?’
‘यह एक नया अखबार है। राघव का अखबार।’
‘उसका खुद का अखबार?’ मने हैरत से कहा।
‘हां। उसने तय कया है क अब वह और कोई जॉब नह करेगा।’
वैसे राघव अगर चाहता तो भी उसे वाराणसी म कोई मी डया जॉब नह मल सकता
था, कम से कम टॉप के अखबार म तो कतई नह । शु ला-जी ने सभी बड़े संपादक को
उसे नह लेने के बारे म कह दया था। न त ही, आरती को यह सब नह पता था। उसे तो
यह भी नह पता था क राघव क नौकरी य गई।
‘राघव ने कहा क’ दै नक’ ने उसे बना कोई कारण बताए नौकरी
से बाहर कर दया। या यह ठ क है?’ उसने कहा।
‘हर जगह राजनी त होती है। वह धीरे-धीरे सीख जाएगा क कैसे फट आ जाए, मने
कहा।
‘ले कन वह फट नह होना चाहता। वह जन ल म को बदलकर रख दे ना चाहता है।
वह उसके नाखून पैने करना चाहता है,’ आरती ने कहा।
हमने कॉफ ऑडर क । कॉफ के साथ ही वेटस ने हम ताजा बेक क ई कुक ज और
म फ स भी दए।
‘ या हमने यह सब ऑडर कया था?’
‘कॉ टै ट् स,’ उसने कहा और मुझे दे खकर आंख मार द ।
‘ले कन वह अखबार कैसे शु कर सकता है?’ मने कहा।’ उसके लए तो पैसा
चा हए।’
‘सवाल पैसे का नह , कंटट का है,’ आरती ने कहा और कॉफ क एक चु क ली।
उसके ह ठ पर झाग क एक ह क -सी परत लगी रह गई।
‘आरती, तुम वाकई इन बात म यक न करती हो? तुम तो ै टकल लड़क हो।’
‘इट् स फाइन, गोपाल। तुमने भी तो कॉलेज खोला। तो वह अखबार य नह नकाल
सकता?’
‘मेरे पीछे कोई मेरी मदद करने वाला था। व धायक शु ला, जसके पास पैसा और
कने यांस थे।’
‘वह उससे नफरत करता है। राघव कहता है क शु ला से यादा राजनेता
वाराणसी म कोई सरा नह आ,’ आरती ने कहा।
‘यह तो केवल अटकलबाजी है, मने कहा।’ या नया म कोई ऐसा कामयाब आदमी
आ है, जसक आलोचना नह ई हो? शु ला हाई- ोफाइल है और लगातार आगे बढ़
रहा है। इसी लए लोग उसे नीचे लाने क को शश कर रहे ह।’
‘ओके, अब राजनी त पर बात करना बंद करते ह।’ आरती ने कहा।’ हमारे प रवार म
मेरे दादाजी के साथ ही राजनी त क परंपरा ख म हो गई है।’
‘तुम चाहो तो राजनी त जॉइन कर सकती हो,’ मने कहा।’ लोग अब भी तु हारे दादाजी
को याद करते ह।’
उसने अपना हाथ उठाया और झूठमूठ म नारे लगाते ए कहा,’ मुझे वोट द जए, म
आपको कॉफ के साथ मु त कुक ज ं गी।’ फर वह मु करा द ।’ नो थ स। म रमाडा म
ही खुश ं।’
म भी मु करा दया।’ एनीवे, तो आ खर वह एजै टली कस तरह अपनी रेवो यूशन
शु करेगा? रेवो यूशन.., या बताया था तुमने?’
‘’ रेवो यूशन 2020’। यही उसका मकसद है। उसका मकसद है क साल 2020 तक
भारत म ां त हो। नौजवान के हाथ म स ा हो। हम स टम को व त कर दगे और
एक नया स टम बनाएंगे।’
‘और वह इस ां त क शु आत वाराणसी से करेगा?’ मने यादा से यादा अ व ास
कट करते ए कहा।
‘येस, ऑफ कोस। बड़े शहर के ब को स टम से कोई द कत नह है। उ ह अ े
कॉलेज मलते ह, अ े जॉब मल जाते ह। ऐसे म ां त तो कसी छोटे शहर से ही शु
होगी।’
‘उसने कम से कम तुमको तो राजी कर ही लया है मने कहा।
‘इससे बेहतर और या होगा क हम एक ऐसे शहर से शु आत कर, जो लोग को
तन-मन से शु करने के लए जानी जाती है?’ उसने कहा।
वह ब त जोशोखरोश से बात कर रही थी। शायद उसे राघव क यही बात अ
लगती थी। उसे जदगी के त उसका ज वाती रवैया अ ा लगता था, फर चाहे वह
कतना ही हवा-हवाई य न हो। वैसे भी लड़ कयां वा त वकता को इतना पसंद नह
करत । न ही ावहा रक सवाल म उनक यादा दलच ी होती है।
‘ले कन यह अखबार चलेगा कैसे? ां त होने तक टग, कागज और चार का पैसा
कौन दे गा?’
वह ब त ज द गंभीर मु ा म आ गई।’ शु आत म यह एजै टली कसी अखबार जैसा
नह होगा। यह ब त कुछ यूजलेटर क तरह होगा। केवल एक बड़ी-सी शीट।’
‘ओके?’ मने उसे अपनी बात जारी रखने को कहा।
‘पेपर के एक तरफ मे मो नय स ह गे। वाराणसी के लोग शाद तय करना ब त पसंद
करते ह। तो वह ानीय वर-व धु के लए वहां व ापन छापेगा। शु म व ापन मु त
ह गे, बाद म वह उनके लए पैसे लेगा। शायद वह नौक रय के कुछ व ापन भी छापेगा।’
‘लोग कसी ा पत अखबार म व ापन दे ना य नह चाहगे?’
‘’ रेवो युशन 2020’ के व ापन के रेट्स ब त कम ह गे और वे पूरी तरह ानीय
ह गे। लोग अपनी गली म भी वर-व धू क खोज कर पाएंगे।’
मने सर हला दया।
‘अखबार के सरी तरफ राघव ानीय खबर छापेगा। और चूं क यह कोई ॉपर
अखबार नह होगा, इस लए राघव बे धड़क होकर और टग ऑपरेशंस कर सकेगा।’
‘हां, उसे यह सब करना ब त अ ा लगता है, मने सहम त जताते ए कहा।
‘तो बस इतनी ही बात है। छपाई क लागत ब त कम होगी, य क शु आत म हम
केवल एक ही बड़ी शीट छापगे। वह शु आती व ापन के लए मं दर से संपक करेगा।
दे खते ह। तु ह नाम पसंद आया?’
मने कंधे उचका दए। वह अपना म फन कुतरने लगी।
‘सभी क जदगी का कोई न कोई मकसद होता है, गोपाल, आरती,’ ने कहा। उसके
मुंह म म फन भरा आ था।’ तु हारे पास अपना कॉलेज है, उसके पास अपना यह
अखबार होगा।’
‘ले कन यह अखबार कभी पैसा नह कमा सकेगा,’ मने कहा।
‘तो या आ?’ उसने अपना म फन मेरी ओर लहराते ए कहा।’ पैसा सब कुछ तो
नह होता।’
‘जब हम कसी फाइव टार होटल म केक खा रहे ह , तब यह कहना आसान होता है
मने कहा।
वह बनावट हंस द और अपना म फन नीचे कर लया।
‘मुझे तो पैसा पसंद है, मने कहा।
‘इसम कुछ गलत भी नह है। मेरी तो सी धी सोच है -चाहे पैसा हो या रेवो युशन,
सभी को अपने दल क बात सुननी चा हए।’
‘कभी-कभी आपका दल आपको मुसीबत म भी डाल सकता है, मने कहा।
वह क गई और मेरी ओर दे खा। वह मेरी बात को समझने क को शश कर रही थी।’
आह,’ उसने च कत होने का दखावा कया ‘, ‘नाइस, तुम फर से तीर छोड़ रहे हो ना?’
‘ ब कुल नह ,’ मने कहा। मने बल बुलवाया। बल पर 20 फ सद टाफ ड काउं ट
था।
हम लॉबी म चले आए।’ या तु ह ज द जाना है?’ मने कहा।
‘कोई ब त ज द तो नह है। य , या बात है?’
‘मने साल भर से नाव क सवारी नह क है,’ मने कहा।
26

अ सी घाट के मेरे फेवरेट बोटमैन फूलचंद ने मुझे र से ही पहचान लया। मुझे फॉमल सूट
म दे खकर उसे अ ा लगा। उसने हमारे लए नाव खोल द । मने नाव पर चढ़ने म आरती
क मदद क और फूलचंद को ए ा सौ पय क ट प द । उसने मेरे हाथ म कागज क
एक छोट -सी पु ड़या थमा द ।
‘ये या है?’
‘अ चीज है। म इसे अघोरी साधु से लाया ं। आपके पास मा चस होगी?’
म समझ गया क उसने मुझे या दया है। आरती भी समझ गई और मुझे दे खकर
अथपूण ढं ग से मु कराई। मने पान क कान से कुछ सगरेट और मा चस खरीद ।
मने पानी म च पू चलाना शु कर दया और आरती और म धीरे-धीरे घाट से र जाने
लगे।
‘ कतना समय हो गया। म इसे ब त मस करती थी, राघव ‘,उसने कहा।
‘गोपाल,’ मने बना उसक ओर दे खे उसक गलती सुधारते ए कहा।
‘ या? मने राघव कह दया? ओह, सॉरी। आई एम सो सॉरी। मेरा यह मतलब नह
था...’
‘इट् स ओके,’ मने कहा।
म नाव को नद के सरे कनारे क ओर खेने लगा। मुझे च पू चलाने म मु कल आ
रही थी। अब मेरी बांह उतनी मजबूत नह रह गई थ , जतनी वे पहले आ करती थ ।
पहले म अ सर नाव चलाया करता था। वाराणसी के मु य घाट एक सरे से सरे सरे तक
मं दर और पुरानी इमारत से भरे पड़े ह। नद के सरी ओर मौजूद नम रेत के कनारे
उनक तुलना म यादा अकेलेपन से भरे लगते ह। उस तरफ चाय क एक छोट -सी कान
थी, जो कभी-कभार उस तरफ चले आने वाले पयटक को चाय पलाती थी। मने एक पेड़
के तने से नाव बांध द । शाम के सूरज के कारण वाराणसी का आकाश नारंगी हो गया था।
‘कुछ दे र चहलकदमी करते ह, आरती ने बहती हवा को महसूस करने के लए अपना
हाथ उठाते ए कहा।
हमने सरी तरफ मौजूद चहल-पहल भरे घाट को दे खा। हम वहां ब त कुछ होता
नजर आ रहा था ले कन हम कुछ सुन नह पा रहे थे। हम कुछ दे र टहलते रहे और फर
चाय क कान म जाकर टू स पर बैठ गए।
‘फूलचंद ने जो दया है, वह पओगे?’
‘य द तु ह ऐतराज न हो तो, मने कहा।
उसने कंधे उचका दए। मने सगरेट का पैकेट खोल लया। उनम से एक सगरेट क
तंबाकू बाहर नकाल द और उसम सूखी चरस डाल द । फर मने सगरेट सुलगाई और
एक कश भरा।
‘म भी ाय कर सकती ं?’ उसने कहा।
मने सर हलाकर मना कया।
उसके फोन क घंट बजी। उसने बैग से फोन नकाला। न पर नजर आ रहा था
-राघव कॉ लग।
‘ श! चुप रहना, ‘उसने मुझे इशारा कया।’ हाय‘, उसने फोन उठाकर कहा। फर
वह कुछ दे र तक राघव क बात सुनती रही।
‘यह तो ब त अ ा है। ठ क है पेपर म पं डत-जी क त वीर डाल दो। वे ब त खुश
हो जाएंगे। वे तु ह शाद लायक सभी लड़के-लड़ कय क ल ट दे दगे, उसने कहा और
खल खला द ।
‘हां, उसने अपनी बात जारी रखी,’ म अब भी होटल म ही ।ं यह ब त खराब इंड
है, ऑफ-डे पर भी काम करना पड़ता है... हां, पूरी बस भरकर च टू र ट् स आ धमके ह।’
उसने बात करते-करते मुझे इशारा कया क म धैय रखूं। मने सर हला दया। म
आकाश क ओर दे खने लगा, जसका रंग अब गहरा हो रहा था।
‘येस, बेबी, आई मस यू,’ आरती ने कहा और फोन रख दया। फर वह सगरेट का
टु कड़ा ढूं ढने लगी।
‘ या?’ मने कहा।
‘मुझे भी एक कश लेना है।’
‘पागल हो गई हो या?’
‘ य ? य क म लड़क ं? तुम तो ब कुल वाराणसी के पु ष क तरह बताव कर
रहे हो,
‘तु हारे मुंह से उसक बू आएगी।’
‘म सी धे जाकर शॉवर ले लूंगी। और फर आ खर बनारसी पान कस लए बने ह? म
घर जाने से पहले एक जी धत पान खा लूंगी, उसने कहा।
मने उसे सगरेट का टु कड़ा दे दया। उसने कुछ कश लए।’ ऐसा लगता तो नह क
मुझ पर इसका कोई असर आ हो,’ उसने भुनभुनाते ए कहा।
हमने चाय पी और उठ खड़े ए। वह नद के पास चली आई।
‘आओ, पानी म आरती के दये दे खते ह, उसने कहा।
‘दे र हो गई है, मने कहा।’ हम अब चलना चा हए।’
‘मुझे यहां अ ा लग रहा है। आओ ना, ’ उसने कहा और रेत पर बैठ गई। फर वह
धरती को थपथपाने लगी।
म भी उसके पास बैठ गया।’ तु हारा फोन फर बज उठे गा, मने कहा।
‘बजने दो, उसने कहा।’ जब वह’ दै नक’ म काम करता था, तब कभी मुझे कॉल नह
करता था। अब चूं क वह है, इस लए फोन लगाता रहता है। उसका’ रेवो यूशन 2020’
शु होने तक को।’
‘ या वह वाकई उसके बारे म सी रयस है?’ मने अ व ास जताते ए कहा।
‘अरे हां। दो ह ते बाद उसका पहला अंक छपकर आ रहा है, उसने कहा।
मने अपनी सगरेट ख म क और प व गंगा को नहारने लगा। पूरी नया इस नद म
अपने पाप धोने आती है। या उ ह ने कभी सोचा क वे अपने पीछे जो पाप छोड़ जाते ह,
उनके सा थ वाराणसी के लोग कैसे जीते ह गे? चरस ने मुझे फलासॉ फकल बना दया
था।
मने अपनी अंगु लयां चटकाई और अपने आपको वापसी के लए तैयार करने लगा।
आरती ने मेरा दायां हाथ उठाकर अपनी गोद म रख लया और उसे सहलाने लगी।
मने उसक ओर हैरत से दे खा।
‘अ ा लग रहा है ना?’ उसने कहा।
मने कुछ नह कहा। एक श द भी नह । ले कन मने अपना हाथ भी नह ख चा।
आकाश म चांद उग आया था।
‘पू णमा क रात है,’ उसने धीमे -से कहा।
हमारे नीचे रेत थी। उसका चेहरा चांदनी म चमक रहा था... अचानक वह ज द -ज द
आंख झपकाने लगी।
‘यू ओके?’ मने कहा।
उसने सर हला दया, ले कन वह अब भी अपनी आंख झपका रही थी। रेत का एक
कण उसक आंख म चला गया था। मने अपना हाथ छु ड़ाया और उसके चेहरे को अपने
हाथ म भर लया।
‘अपनी आंख खोलो,’ मने कहा।
उसने फर सर हला दया।
‘आंख खोलो आरती,’ मने कहा। मने दोन हाथ म उसका सर थाम रखा था।
उसने अपनी दाई आख खोली। मने उसम फूंक मार द ।’ तुम ठ क हो?’ मने कहा।
उसने हामी भरी। उसक आंख फर मुंद गई। मने उसे ससकते ए सुना।
‘तु ह तकलीफ हो रही है या?’ मने कहा।
अब वह सुबकने लगी और मेरे कंधे पर अपना माथा टका दया।
‘ या बात है, आरती?’
‘मुझे राघव के बारे म डर लग रहा है। कह वह जदगी म नाकाम न हो जाए।’
मने उसके सर को थामे रखा था। उसने अपना चेहरा मेरे सीने म छु पा लया। उसे
उसके बॉय ड के बारे म दलासा दे ना अजीब था, ले कन मुझे अ ा लग रहा था क वह
मेरे इतने करीब थी।
‘वह ठ क हो जाएगा। म उससे नफरत ज र करता ं, ले कन वह का बल लड़का है।
उसे कुछ नह होगा। वह बस थोड़ा-सा गैर ावहा रक है, ले कन दल का बुरा नह है,’ मने
कहा।
उसने अपना सर उठाया। वह मेरी ओर भरोसे के साथ दे ख रही थी।
म उसके बाल को सहलाता रहा। ‘तुम मेरी कतनी केयर करते हो। म यह मस करती
ं,’ उसने कहा।
हमारे चेहरे एक- सरे के बेहद करीब थे। म उसके इतने करीब होने के कारण त रह
गया था। म कुछ बोल नह सका।
‘ऐसा कोई नह है, जससे म ऐसी बात कर सकूं। थक यू,’ उसने कहा।
गंगा क बूंद हम पर पड़ रही थ । म अपने चेहरे को आगे बढ़ाने से रोक नह सका।
हमारे ह ठ मले। उसने मुझे नह चूमा। ले कन वह पीछे भी नह हट । ले कन ज द ही,
ब त ज द, उसने मुझे पीछे धकेल दया।
‘गोपाल!’ उसने कहा।
मने कुछ नह कहा। कुछ हद तक मुझे यही उ मीद थी। वा तव म, म तो चाहता था क
वह मुझ पर और नाराज हो।
‘आई एम सॉरी’ मने कहा और सरी तरफ दे खने लगा। र आरती के दये नद के
पानी म डू ब-उतरा रहे थे, मानो मुझे उलाहना दे रहे ह ।’
‘चलो, अब चलते ह। मुझे दे र हो रही है उसने कहा। वह फौरन उठ खड़ी ई और तेज
कदम से नाव क ओर चल पड़ी। मने चायवाले को पैसे दए और उसके पीछे दौड़ा।
‘मुझे तु ह सरे छोर पर लेकर जाना है। तुम इस तरह र नह भाग सकत ,’ मने
कहा।
वह चुप रही। ले कन उसने मेरी ओर दे खा तक नह । ठ क है, मने गलती क , ले कन
उसे भी मेरे साथ ऐसा नह करना चा हए था। कुछ पल पहले तक वह मेरा हाथ सहला रही
थी और मेरे सीने म अपना चेहरा छु पाकर रो रही थी। ले कन अभी वह नाव म मुझसे ब त
र बैठ थी।
म जोर से च पू चलाकर नाव खेने लगा।
‘म पहले ही सॉरी बोल चुका ं’ मने बीच रा ते म कहा।
‘ या हम चुप नह रह सकते, लीज?’ उसने कहा।
नाववाले ने हमारा उखड़ा आ मूड भांप लया।
‘माल अ ा नह लगा?’ फूलचंद ने पूछा। मने कोई जवाब नह दया। आरती जाने
लगी।
‘कहां जा रही हो? म तु ह घर छोड़ आऊंगा, मने कहा।
‘म ऑटो ले लूंगी,’ उसने कहा और मेरी नजर से ओझल हो गई।
27

बाबा क मौत से भी मेरी न द नह उड़ी थी, ले कन आरती के अ सी घाट से चले जाने के


दो दन बाद म सुबह चार बजे भी अपने द तर क द वार को ताक रहा था। म इतना नवस
था क उसे फोन या मैसेज करने क ह मत नह जुटा पा रहा था, जब क म उसके सवा
कसी और के बारे म नह सोच रहा था। जेहन म बार-बार वही सब घूम रहा था -उसका
चेहरा, उसक भीगी आंख, उसके ह ठ पर मेरे ह ठ... म अपने बनने वाले बंगले के
बाथ म के लए कॉ ै टर ारा दए गए लान पर फोकस ही नह कर पा रहा था। म
फैक ट मी ट स के दौरान चुपचाप बैठा रहता और लगातार अपने फोन पर नजर जमाए
रहता।
‘आप कोई कॉल ए सपे ट कर रहे ह, सर?’ डीन ीवा तवा ने पूछा।
मने सर हला दया, ले कन एक बार फर अपना फोन चेक करके दे खा। आ खर
भगवान लड़ कय को इतनी पॉवर कैसे दे सकता है? आ खर वे त और मह वाकां ी
पु ष को बेकार क चीज कैसे बना सकती ह?
‘सर, य द हम अगले ह ते मड-ट स कंड ट कर तो ठ क रहेगा?’ स वल
इंजी नय रग ोफेसर अनमोल ने कहा।
‘हां,’ मने जैसे-तैसे जवाब दया, जब क म केवल यही सोच रहा था क य द उसने
आज के बाद कभी फोन नह लगाया तो म या क ं गा।
अपनी लगातार तीसरी उन द रात को दो बजे मेरा फोन बीप आ।
उसका मैसेज आया था -’ मुझे कॉल या मैसेज मत करना।’
आ खर उसने यह मैसेज य भेजा? मने तो उसे कॉल नह कया था, न ही मैसेज
भेजा था।
म अपना फोन थामे बैठा क वह एक बार फर बीप आ।
‘कभी नह ’ -यह उसका अगला मैसेज था।
वह जाग रही है और मेरे बारे म सोच रही है -मेरा बेतुका आशावाद दमाग जाग उठा।
आ खर उसने ये मैसेज य भेजे? लड़ कय क भाषा म इसका या मतलब होगा?
य क लड़ कयां हमेशा जो कहती ह, उनका मतलब उसका उ टा ही होता है। तो या इन
मैसेज का यह मतलब था क म उसे कॉल क ं ?
‘ओके,’ मने जवाब दया। म एक घंटे तक इंतजार करता रहा, ले कन कोई जवाब नह
मला।
ज द ही म बोट राइड के सपन म खो गया।

सुबह के अखबार म से यूओरसट पक ए-3 साइज क शीट नीचे गरी। म समझा क यह


कसी डं बल एजसी या ट् यूशंस लासेस का लायर होगा। ले कन उस पर कसी अखबार
जैसा मा टहेड था। आहा, म बनावट ढं ग से मु करा दया, यह तो नया को बदल दे ने क
राघव क को शश है।
‘रेवो यूशन 2020, ’ उस पर बड़े बो फट म लखा था। नीचे संपादक का प था,
जसका शीषक था -’ य क ब त हो चुका।’ म आगे पढ़ने लगा।

‘एक ऐसे समाज के बारे म आपको या कहना है, जसके सबसे बड़े नेता ही
सबसे बड़े गुंडे ह? आप कसी ऐसे स टम म या करगे, जहां स ा म बैठा
लगभग हर आदमी है? भारत ने ब त तकलीफ झेल ली है। बचपन से ही हम
बताया गया है क भारत एक गरीब दे श है। य ? इस नया म ऐसे भी तो दे श ह,
जहां एक औसत आदमी एक औसत भारतीय क तुलना म पचास गुना आइ धक
कमाई करता है। पचास गुना? या उन दे श के लोग वाकई हमसे पचास गुना
यादा का बल ह? या कोई भारतीय कसान कड़ी मेहनत नह करता? या कोई
भारतीय छा जमकर पढ़ाई नह करता? या हम जदगी म कुछ कर गुजरना नह
चाहते? य , फर आ खर य हम गरीब बने रह?’

मुझे राघव क इन बात पर हंसी आ गई। मने अपनी सुबह क चाय चु कयां ल और आगे
पढ़ने लगा।

‘यह सब रोका जाना चा हए। हम स टम क सफाई करनी होगी। महान


ां तकारी चे वेरा ने एक बार कहा था क’ स ा कोई सेब नह होता, जो सीधे
आपक गोद म आकर गरे। स ा को उन लोग से छ नना पड़ता है, जो उस पर
पहले ही कुंडली जमाकर बैठे ह।’ हम भी एक ां त क शु आत करनी होगी।
एक ऐसी ां त, जो हमारे स टम को बदल दे । एक ऐसा स टम बनाएं, जो
लोग के हाथ म ताकत स प दे और राजनेता को कमचारी मानकर चले, राजा
नह ।
‘जा हर है यह रातोरात नह होगा। यह तब तक भी नह होगा, जब तक क
वा त वक संघष शु नह हो जाता। जैसे-जैसे भारत क युवा आबाद बढ़ती
जाएगी, हम और अ े कॉलेज और अ े ज म क दरकार होगी। ज द ही वह
व आ जाएगा, जब हमारे पास पया त सं या म कॉलेज और जॉ स नह ह गे।
तब लोग समझ जाएंगे क उ ह कौन बेवकूफ बना रहा है। इसम दस साल लग
सकते ह। म इसे’ रेवो यूशन 2020’ कहता ं वह साल जब यह ां त होगी, वह
ण, जो आ खरकार हमारे दे श क गंदगी को साफ कर दे गा। जब इंटरनेट दे श के
सभी कॉलेज को कने ट कर दे गा। जब हम हड़ताल पर चले जाएंगे, सब कुछ ठप
हो जाएगा, तब तक के लए, जब तक क कोई रा ता नह नकाल लया जाता।
जब दे श के युवा अपनी लासेस और अपने द तर छोड् कर सड़क पर उतर
आएंगे। जब भारतीय को याय मलेगा और दो षय को सजा।
‘और यह सब वाराणसी से शु होगा। इसी लए, हम आपके लए लाए ह,’
रेवो युशन 2020’।

‘आपका

राघव क यप
संपादक’

जब मने लेख के नीचे कसी नौ स खये ारा बनाया गया भारत का एक नवा दे खा तो मुझे
हंसी आ गई। न यो म वाराणसी पर एक डॉट लगा था और तीर के नशान उसे सरे शहर
से कने ट कर रहे थे। न यो के साथ ही एक छोटा-सा’ रेवो यूशन 2020 संभा वत
योजना’ भी अटै च थी। अलग-अलग शहर म ऐसे कॉलेज को सूचीब कया गया था,
जहां से ां त शु होनी थी।
मेरा अकाउं टट खात पर मेरे द तखत लेने के लए आया। मुझे मु कराता ए दे खकर
वह सोच म पड़ गया।
‘ या आ, सर? जो स पढ़ रहे ह?’ उसने कहा।
मने सर हलाकर हामी भर द ।
ं ट पेज पर यह खुलासा भी कया गया था क वाराणसी क याकम क साम ी क
कान म चंदन क लकड़ी के नाम पर नकली लक ड़यां बेची जा रही ह, जन पर सथे टक
पर यूम से े कर दया जाता है।
मेरे अकाउं टट ने गुलाबी रंग का वह पेपर दे खा।
‘यह कोई व ापन है या पो टर?’ उसने पूछा।
‘पता नह यह या है, मने कहा।
मने’ रेवो युशन 2020’ को पलटा और अपनी हंसी नह रोक पाया। जहां ं ट पेज पर
बड़े बड़े धमाके कए गए थे, वह बैक पेज पर वैवा हक के व ापन थे। म एक व ापन
को जोर से पढ़ने लगा।
‘आव यकता है -प ीस वष य वर के लए सुंदर, सु श त, गोरी, घरेलू कुंआरी
लड़क क । लड़का काय ाह्मण और इंजी नयर और एक ायी सरकारी नौकरी कर
रहा है। लड़क संयु प रवार म नभा सकने वाली और पारंप रक मू य का स मान करने
वाली होनी चा हए।’
मने अपने अकाउं टट को राघव का पेपर थमा दया।
‘आप अपने लए कोई लड़क ढूं ढ रहे ह, सर?’ उसने कहा।
मने उसे इस तरह दे खा, जैसे मने उसक इस बात से खुद को ब त अपमा नत महसूस
कया हो।
‘सॉरी, सर, उसने कहा।’ सर, हमारे पास एड मशन के लए कुछ और र वे ट आई
ह,’ उसने वषय बदलने क को शश करते ए कहा।
‘हमारी सभी सीट भर चुक ह, मने कहा,’ तुम यह बात जानते हो। हम जतने टू डट् स
को एड मशन दे ने क अनुम त मली है, उतने टू डट् स हमारे यहां पहले ही हो चुके ह।’
‘सर, य द एआईसीट ई एडज ट कर सके तो...’
मने गहरी सांस ली।’ और कतने टू डट् स ह?’
‘पांच, दस...’ उसने कहा।’ यादा से यादा बीस।’
‘सभी का एड मशन कर लो,’ मने कहा,’ व आने पर म एआईसीट ई से मैनेज कर
लूंगा।’
‘जी, सर,’ उसने कहा और ऑ फस से चला गया।
मने गुलाबी रंग का वह पेपर फर उठा लया, उसे फाड़ा और गोल-मोल करके ड ट बन
म फक दया।

हर शु वार को म लासेस के राउं ड्स लेता था। इससे पहले म तीन दन क दाढ़ बढ़ाकर
रखता था, ता क कम से कम डायरे टर क उ का तो दखूं। म एक लास म म घुसा,
जहां मै स क लास चल रही थी।
मुझे दे खते ही ोफेसर ने ले चर दे ना बंद कर दया। चालीस टू डट् स क पूरी लास
उठ खड़ी ई। मुझे यह अ ा लगता था। म आठ लास म म से कह भी जा सकता था
और हर जगह ऐसा ही होता। पैसा, टे टस और पॉवर, लोग इन चीज को भले कतना ही
बुरा बताएं, ले कन इन चीज से आपको जदगी म स मान मलता है। कुछ साल पहले म
एड मशन लेने के लए कै रयर फेयस म मारा -मारा फर रहा था, और आज मेरे आते ही
सैकड़ टू डट् स अटशन क मु ा म खड़े हो जाते ह।
‘गुड ऑ टरनून, डायरे टर सर,’ ोफेसर ने कहा।
मने जवाब म सर हला दया। ं ट रो म एक ऊटपटांग-सी ट -शट पहने एक लड़का
बैठा था।’ तु हारा नाम या है?’ मने उससे पूछा तो वह तेजी से पलक झपकाने लगा।
‘मनोज, सर,’ उसने कहा।
‘कहां के हो?’ मने कहा।
‘सारनाथ, सर,’ उसने कहा।
‘तु हारे पैरट् स वहां या काम करते ह?’ मने कहा।
‘हमारी जमीन है, सर। मेरे पता कसान ह।’
म फौरन नम पड़ गया।’ तुम कसान नह बनना चाहते?’
उसने जवाब नह दया। वह सोच रहा था क पता नह इस सवाल के जवाब से उसका
या आकलन कया जाएगा। म समझ गया।
‘यहां कोई ॉ लम?’ मने पूछा।
‘नो, सर, उसने नवस होते ए कहा।
‘शरमाओ नह , बताओ,’ मने कहा।
‘टू मच इं लश, सर,’ उसने कहा।’ म अं ेजी अ े -से समझ नह पाता।’
‘तो सीख जाओ। नह तो ये नया तु ह जीने नह दे गी। ओके मने कहा।
उसने सर हला दया।
फर म ोफेसर क ओर मुड़ा।’ सॉरी टु ड टब यू,’ मने कहा।
ोफेसर मु करा दया। उसे दे खकर मुझे कोटा वाले म टर पुली क याद आ गई।
जब म लासेस का राउं ड लेकर लौटा तो एक दजन द तावेज मेरा इंतजार कर रहे थे। मेरे
फोन ने बीप कया।
आरती ने मैसेज भेजा था -’ आर2020 दे खा?’
‘हां,’ मने जवाब दया।
‘कैसा लगा?’ वह जानना चाहती थी।
मने कोई जवाब नह दया। म अपने द तावेज को दे खने लगा। फोन फर बीप आ।
उसने मैसेज कया था -‘?’
‘गुड लक फॉर द रेवो युशन,’ मने कहा।
‘थ स, उसका जवाब आया।
म सोचने लगा क या बातचीत यह ख म हो गई।
‘यू आर वेलकम, फर भी मने कह दया।
‘जानकर अ ा लगा, उसने कहा।
‘ या?’ मने लखा।
‘यही क मुझे अब भी वेलकम कया जा रहा है,’ उसने कहा।
मुझे समझ नह आया क इस बात का या जवाब दया जाए। लड़ कय के सरल से
सरल मैसेज भी ब त ज टल अथ वाले हो सकते ह।
मने एक और मैसेज लखा -’ उस शाम के लए आई एम सॉरी’। म सोच रहा था क
यह मैसेज भेजूं या नह क फोन फर बीप आ।
‘उस शाम के लए सॉरी,’ उसका मैसेज आया।
म इस संयोग से हैरान रह गया। मने अपना मैसेज डलीट कया और एक नया मैसेज
लखा -’ इट् स फाइन। मुझे लाइन ॉस नह करनी चा हए थी।’
मुझे चंद ही सेकंड बाद एक जवाब मला -’ डट वरी अबाउट इट।’
म ब त पसोपेश म पड़ गया था, इस लए मने अपना फोन रख दया।
आ खर वह चाहती या है? लड़ कयां कभी कुछ सीधे-सीधे य नह बोल सकत ?
ड ट वरी अबाउट इट? या वह केवल फॉमल होने क को शश कर रही है? या उसका
मतलब यह था क मने उसे कस कया तो कोई बात नह और मुझे इसके लए चता करने
क ज रत नह है? सबसे ज री सवाल यह था क हमारा चै टर लोज हो गया था या
एक नया चै टर खुल गया था?
म उससे इन तमाम सवाल के जवाब जानना चाहता था, ले कन मुझम ह मत नह
थी।
ले कन म यह भी नह चाहता था क चीज इसी तरह बीच म अटक रह जाएं। एक
कस और उसके बाद उसक खामोशी ने मुझे भीतर से तोड़ दया था। म उसे केवल एक
बार कस नह करना चाहता था। म उसे लाख बार कस करना चाहता था। या म उसे
इतनी बार कस करना चाहता था, जतनी बार कोई लड़का कसी लड़क को एक पूरी
जदगी म कस कर सकता है। म नह चाहता था क उससे मैसेजेस म समटकर बात
क ं । म चाहता था क वह हमेशा मेरे साथ हो।
अब म राघव क जरा भी फ नह करता था। वह वैसे भी अपने उस गुलाबी अखबार
के साथ एक भूली ई कहानी हो चुका था। आरती एक बेहतर लड़के क हकदार थी और
मुझसे बेहतर और कौन हो सकता था? हमारा कॉलेज इस साल एक करोड़ पए कमाने
जा रहा था। जब क राघव अपनी पूरी ईमानदारी भरी ां तकारी जदगी म भी अपने खुद के
एक करोड़ पए नह दे ख सकता था। मेरे दमाग म ये सारे वचार उसी तरह उड़ने लगे,
जैसे पजरा खोल दे ने पर प रदे उड़ जाते ह।
‘ब त आ,’ मने जोर से कहा और अपना फोन उठा लया।
‘आई लव यू,’ मने मैसेज लखा और सड बटन पर अपना अंगूठा रख दया।
ले कन फर मने वह मैसेज डलीट कर दया और उसके बजाय एक और मैसेज लखा
-’ आई मस यू’। यह पहले वाली क तुलना म सॉ ट मैसेज था। ले कन फर मने उसे भी
हटा दया।
म फर अपनी फाइल के पास चला आया, ले कन म एक वा य भी नह पड़ पा रहा
था। मने अपनी आंख मूंद ल । मुझे फौरन उसके बदन क गमाहट याद हो आई, जब मने
उसे बांह म पर रखा था। मुझे हवा के कारण अपने चेहरे पर गरत उसके बाल क लट
याद हो आई। और फर मने एक बार फर उस पल क क पना क , जब मने उसे चूमा था।
मेरे फोन क घंट बजी। उसका फोन था। मेरे भीतर का एक ह सा फोन नह उठाना
चाहता था, ले कन मने एक रग म ही फोन उठा लया।
‘हाय!’ उसने कहा।
‘आरती!’
‘हां?’ उसने कहा।
‘उस दन मने अपनी हद पार कर ली थी,’ मने कहा।
‘इस बात को बार-बार मत कहो।’
‘ या सब ठ क है, रयली?’ मने कहा।
‘ रयली। तु ह पेपर कैसा लगा? ईमानदारी से जवाब दे ना।’
म हैरान था क उसने कतनी आसानी से वषय बदल लया।
‘एक पेज पर काय ाह्मण वर, सरे पेज पर मेगा-रेवो यूशन। अजीब बात नह
है?’
‘मने तु ह पहले ही बताया था ना। पेपर इसी तरह सबक नजर म आएगा,’ उसने
कहा।
‘पाठक क इस बारे म या त या है?’ मने कहा।
‘ र ॉ स तो माइंड-जोइंग है।’ दै नक’ वाले राघव के ए स-बॉस ने उसे ब धाई दे ने के
लए क. कॉल कया वह इतनी उ सा हत थी क हकलाने लगी।
‘वेल मुझे अखबार के बारे म भला या पता? य द’ दै नक’ वाले पसंद कर रहे ह तो
अ ा ही होगा,’ मने सपाट तरीके से कह दया।
‘तुमने तो अभी कुछ नह दे खा है। राघव कुछ बड़ी टोरीज पर काम कर रहा है।’
‘ ेट’ मने कहा। मेरा लहजा अब थोड़ा नम पड़ा था।
‘सॉरी, म केवल उसके बारे म बात नह करना चाहती थी, ले कन पहला अंक दे खकर
म ब त रोमां चत हो गई थी। मने होटल लॉबी म भी कुछ कॉपी रखी ह,’ उसने
खल खलाते ए कहा।
‘आई एम योर, टू र ट को यह दे खकर ब त अ ा लगेगा क हमारे दे श क कैसी
बारह बजी ई है।’
‘या शायद वे वैवा हक पसंद कर, आरती ने कहा। लगता था जैसे वह शाम अब एक
र क याद बन गई हो। लड़ कयां कतनी आसानी से ऐसा दखावा कर लेती ह, मानो कुछ
आ ही न हो। या वे अपने दमाग से याद को मटा दे ती ह उ ह एक तरफ बुहार दे ती ह,
या वे केवल ब त अ ए टस होती ह?
‘आरती, मने कहा।
‘ या?
‘ या हो य द म ..’ मने कहा और क गया।
‘ या हो य द म या?’ उसने कहा।
उसने सवाल पूछ लया था। अब यह मुझ पर था क या तो म बच नकलूं या कोई ऐसी
चलताऊ चीज कह ं , जो म साल से कहता आ रहा था जैसे’ या हो य द म क ं क तुम
अमे जग हो’। या म कसी मैन क तरह उसे कह सकता था, क म वा तव म या चाहता
ं, फर चाहे ऐसा कहने के बाद वह मुझसे कभी बात न करे। मने सरा वक प चुना।
‘ या हो य द म तु ह एक बार फर कस कर लूं?’
‘गोपाल!’ उसने कहा। उसक आवाज म हैरत भरी थी।
‘इतनी सर ाइ मत होओ। हमने कस कया था, याद है?’
‘मुझे नह पता या आ था,’ उसने कहा। आ खर ऐसा कैसे हो सकता है क उसे
कुछ पता ही न हो या आ था?
‘इस सवाल से बचने क को शश मत करो,’ मने कहा।
‘ या?’ उसक आवाज म एक अजब-सी झझक थी।
‘ या हो य द म तु ह फर कस कर लूं?’ मने अपना सवाल दोहराया।
‘मुझे नह पता,’ उसने कहा।
उसने हां तो नह कहा था, ले कन उसने गु से म आकर फोन भी नह रखा।
‘म ऐसा फर कर सकता ं,’ मने कहा।
‘नह ऐसा मत करना!’
‘मने यह नह कहा क म क ं गा, मने इतना ही कहा क कर सकता ं।’
‘ या हम कसी और चीज के बारे म बात नह कर सकते?’ उसने कहा।
‘हम फर मल?’ मने कहा।
‘कहां?’ उसने कहा। एक बार फर, उसने न ना कहा न हां। उसने यह भी नह पूछा क
कब। उसने केवल जगह पूछ । इसका यह मतलब था क वह मुझसे मलना चाहती थी,
जब क मने उसे चेतावनी द थी क म उसे फर कस कर सकता ं। मेरे दमाग म एक
दजन माइलीज तैरने लग ।
‘म काम के बाद तु ह मलूंगा। तु हारा काम कब तक पूरा हो जाता है?’
‘छह बजे। ले कन आज नह । राघव के यहां कुछ दो त आने वाले ह। पहले अंक क
खुशी म।’
‘पाट !’
‘हां, पाट जैसा ही कुछ। सादा -सा काय म रहेगा। राघव के पास पाट करने के पैसे
नह ह। सब कुछ पेपर म लग गया।’
‘तुम चाहती हो क म उसे कुछ पैसे ं ?’ मने इस वा य के एक-एक श द का मजा लेते
ए कहा।
‘ टॉप इट, गोपाल। तो, कल छह बजे?’
‘म तु ह कॉल कर लूंगा, मने कहा।
‘ओके। हम कहां जाएंगे?’ उसने कहा।
‘ कसी ाइवेट जगह पर, मने कहा।
वह एक पल के लए क ।
‘जहां हम बात कर सक,’ मने आगे जोड़ दया।
‘अ ा मुझे बता दे ना।’
28

‘आप 2105 म ह, म टर म ा।’


मने रमाडा म एक म बुक कराया था। मने एक रात बताने के पांच हजार पए
चुकाए थे।
‘ या हम लगेज ले जाने म आपक मदद कर सकते ह, सर?’ रसेशन पर खड़ी म हला
ने मुझसे पूछा।
‘मेरे पास बस यही है, मने अपने बैग क ओर इशारा करते ए कहा।
‘ये आरती ह, रसे बा न ट ने कहा,’ और ये आपको अपने म तक ले जाएंगी।’
आरती ने अपने कं यूटर से नजर उठाकर दे खा। उसका मुंह खुला का खुला रह गया।
‘हैलो,’ मने यथासंभव उदासीनता दखाते ए कहा।
‘ओह, हाय... आई मीन गुड ईव नग,’ उसने हड़बड़ाते ए कहा।
‘आरती, ये म टर गोपाल म ा ह, गंगाटे क के डायरे टर। ये 2105 म के ह। लीज,
इ ह इनके म तक ले जाओ।’
‘ योर, योर,’ आरती ने कहा। वह अब भी शॉ ड थी।
वह खड़ी हो गई। हम ए लवेटर क ओर बड़े । हाउसक पग टाफ का एक सद य
हमारे साथ ए लवेटर म दा खल आ। हम बात नह कर सके। सेकंड लोर कॉ रडोर म
जाकर ही वह कुछ कह पाई।
‘गोपाल, तुम यहां या कर रहे हो?’ उसने फुसफुसाते ए कहा। ले कन वह मुझसे दो
कदम आगे-आगे चलती रही।
मने एक कहानी गढ़ रखी थी। म उसे यह नह बता सकता था क मने हम-दोन के
लए म बुक कराया है।
‘हमारे एक सी नयर गे ट फैक ट लंदन से आने वाले थे।’
‘तो?’
‘उ ह ने आ खरी व म अपना ो ाम क सल कर दया। हम पहले ही इस म के
लए पे कर चुके थे। तो, मने सोचा क य न म ही रमाडा क हॉ टै लट के मजे लूं।’
‘ या? तुम मुझे तो बताते। म तु ह पैसा रफंड करवा दे ती।’
‘रहने दो। म इससे पहले कभी कसी फाइव टार होटल म नह का ं। एक बार इसे
भी आजमा लेते ह।’
हम 2105 म प ंचे। उसने मै ने टक क काड से म खोला। वह अपनी यू नफॉम म
खूबसूरत नजर आ रही थी। उसने फॉमल साड़ी पहन रखी थी और उसके बाल जूड़े म
कसकर गुंथे ए थे।
मने बेड पर अपना बैग रख दया।
‘तुम म के फ चस जानना चाहोगे?’ उसने पूछा।
‘नह , मने मु कराते ए कहा।’ कोई मुझे पहले ही उनके बारे म बता चुका है।’
‘तुम पागल हो, गोपाल,’ उसने कहा।’ एनीवे, अब मुझे चलना चा हए।
‘म म म एक सगल-सीटर सोफे पर बैठ गया।’ को ना,’ मने कहा।
‘नह । म ड् यूट पर ं।’
‘छह बजे के बाद? साढ़े पांच पहले ही बज चुके ह, मने कहा।
‘म गे ट म म नह जा सकती!’
‘ले कन तुम इस गे ट को जानती हो, मने कहा।’ बस, दो मनट के लए?’
वह दरवाजे तक गई और जतना हो सकता था उसे बंद कर दया, ले कन उसे लॉक
नह कया। वह डे क के करीब एक कुस पर बैठ गई और मुझे ताकने लगी।
‘ या आ?’ मने कहा।
‘तुमने यह सब लान तो नह कया था ना?’ उसने पूछा।
‘ हाट लान? फैक ट ने ही अपना लान क सल कर दया, मने कहा।
‘फैक ट का नाम या है?’ उसने पूछा।
‘ म टर एलेन,’ मने कहा।
‘ओह, रयली? कौन-से कॉलेज से?’
‘वे...’ मने झझकते ए कहा।
‘दे खा। झूठ बोलना बंद करो,’ उसने कहा।
‘भला मुझे कॉलेज के बारे म कैसे पता चलेगा? डीन को पता होगा। मुझे केवल इतना
ही पता है क हमने एक म बुक कया था और म यहां चला आया।’
उसने सर हलाया।
‘तु हारा काम ख म होने के बाद कुछ दे र यह समय बताते ह,’ मने कहा।
‘ले कन कैसे?’ उसने कहा।’ यह अलाउड नह है।’
‘तुम या हमेशा वे ही काम करती हो, जो अलाउड ह?’
‘नह तो, उसने कहा’ ले कन...’
‘तुमम ह मत नह है, मने कहा।
‘ऐसी बात नह है, उसने कहा और उठ खड़ी ई।’ तुम जानते हो।’
‘ कसी को पता नह चलेगा,’ मने कहा।’ काम ख म करो और यहां जाओ। हम खाना
खाएंगे। एकाध घंटे म चले जाना।’
‘और य द म स वस ने मुझे दे ख लया तो?’ उसने कहा।
‘जब वे आएं तब टॉयलेट म छु प जाना,’ मने कहा।
‘यह तो ब त अजीब होगा,’ उसने कहा।
‘ओके, म तु हारे आने से पहले ही ऑडर कर ं गा। सड वचेस लोगी?’
उसने अपना नचला ह ठ चबाया और मेरे सुझाव पर कुछ दे र सोचती रही।’ ‘फाइन,’
उसने सांस छोड़ते ए कहा।’ ले कन तु ह यान रखना होगा क जब म आऊं या यहां से
जाऊं, तब टाफ का कोई यहां न हो।’
‘ योर, म कॉ रडोर म ही खड़ा र ंगा। तु ह फोन पर ीन स नल दे ं गा।’
वह मेरे पास आई और मेरे सर पर ह क -सी चपत लगाई।’ तुम भी न, मुझसे कैसे
-कैसे काम करवाते हो!’ उसने कहा और कमरे से चली गई।

मने एक लब सड वच, चॉकलेट केक और वाइन क एक बॉटल ऑडर क । मने एक


शॉवर भी लया और इतने शे ू और गम पानी का इ तेमाल कया, जतना म नॉमली पूरे
ह ते म करता।
उसने मुझे साढ़े छह बजे कॉल कया।’ कॉ रडोर चेक करो।’
म म से बाहर आया।’ सब ठ क है,’ मने कहा। साथ ही म अपना सर दाएं और बाएं
घुमाते ए लगातार कॉ रडोर का मुआयना कर रहा था।
दो मनट बाद हम कमरे म थे और दरवाजा अ तरह लॉक था। श ट ख म होने के
बाद उसने चज करके एक सफेद बटन डाउन शट और जी स पहन ली थी।
‘तु ह पता है, तुम टु पड हो?’ उसने ब तर पर ध म से बैठते ए कहा। उसने अपना
हाथ नाटक य प से अपने सीने पर रख रखा था।’ मेरा दल कतनी तेजी से धड़क रहा
है!’
‘ रलै स, मने कहा।
वह हंस पड़ी।’ तुम लक हो क यहां अभी तक कॉ रडोर सीसीट वी नह लगाए गए ह।
नह तो म यह टं ट नह कर पाती।’
‘तो मेरी टाइ मग सही थी, मने कहा।’ भूख लग रही है?’
मने सड वच लेट का स वर कवर खोला।
‘भूख के मारे जान नकली जा रही है, उसने कहा।
मने सड वच पर कुछ च ाइज और सलाद लगा दया।’ आओ, चलो खाते ह।’
‘म ब त थक गई ं। म आठ घंटे तक ऐ ड़य के बल खड़ी थी। या म ब तर पर
बैठकर खा सकती ं?’
‘ योर, मने कहा। मने उसक ओर लेट बढ़ा द । फर मने अपने याले म रेड वाइन
उड़े ल द ।
‘तुमने वाइन क एक पूरी बॉटल ऑडर क थी?’ उसने कहा।
मने कंधे उचका दए।
‘तुमने कग कब से शु कर द ?’ उसने कहा।
‘शु ला -जी ने मुझे सब कुछ सखा दया है, मने कहा।
‘तु ह वाइन अ लगती है?’
‘म आमतौर पर ह क लेता ं। ले कन मने सोचा क तुम वाइन पसंद करोगी।’
‘मुझे वाइन पसंद है। ले कन मुझे अभी नह पीना चा हए। यह मेरा वक लेस है।’
‘एक गलास...’ मने जोर दे ते ए कहा।
उसने धीमे -से सर हलाया और गलास ले लया।
‘राघव यादा नह पीता। कभी-क भी तो वह ब त बोर लगता है, उसने कहा और सप
लया।’ नाइस, या है ये?’
‘जैको स क ॉम ऑ े लया, मने ऑ े लया के नाम पर जोर दे ते ए कहा। मुझे
वह बोतल दो हजार पय क पड़ी थी, ले कन
मने क मत का ज नह कया।
‘अ है। यह मुझ पर ब त ज द असर करेगी।’
‘ चता मत करो। मेरा ड़ाइवर तु ह घर छोड़ आएगा,’ मने कहा।
उसने दोन हा थ म कसकर अपनी सड वच पकड़ ली और इस तरह खाने लगी, जैसे
वह कसी सूखा त े से आई हो।
‘धीरे-धीरे मने कहा।
उसने खाते -खाते ही जवाब दया,’ मने सुबह के ना ते के बाद से ही कुछ नह खाया
है।’
‘जब तुम कूल म थ , तब भी इसी तरह अपने चेहरे पर खाना लगा लेती थ , मने उसे
छे ड़ते ए कहा।
‘बशत तुम मेरे लए कोई खाना छोड़ दे ते!’
‘हे, मने केवल एक बार तु हारा ट फन चुराया था, और वह भी आ धा। म आज तक
उस गुनाह क सजा भुगत रहा ं’ मने कहा।
‘ओह, रयली?’ उसने कहा।’ ट चर ने तो तु ह केवल एक पी रयड क सजा द थी।’
‘ले कन म अब भी तु हारे साथ अटका आ ं,’ मने उदास सूरत बनाते ए कहा।
उसने अपनी लेट से एक च ाय उठाई और मुझ पर फक मारी। उसका नशाना
चूका वह सोफे पर जा गरी।
‘ऊ स, उसे ज द से उठाओ, लीज। म अपने ही होटल को गंदा नह कर सकती,
उसने कहा।
29

उसने अपने जूते नकालकर फक दए और ब तर पर ॉसले ड बैठ गई। मने उसके याले
म और वाइन उड़े ल द ।
‘म बहक जाऊंगी,’ उसने कहा ले कन अपना गलास आगे बढ़ा दया। उसने एक सप
लया और समय दे खा। बेडसाइड -लक साढ़े आठ बजे का व बता रही थी।
‘तुम कतनी दे र तक क सकती हो?’ मने कहा।
‘नौ बजे तक,’ उसने कहा।’ आधा घंटा और।’
‘दस?’ मने पूछा।
उसने सर हलाकर मना कर दया।’ मॉम पचास सवाल पूछेगी। बशत... म उ ह यह न
कह ं क मुझे डबल श ट करनी पड़ी थी उसने कहा।
‘तो उ ह यही कह दो,’ मने फौरन कहा।
‘ले कन तब मुझे उसके लए आठ और घंटे कना पड़े गा यानी रात के दो बजे तक।’
‘परफे ट, मने कहा।
‘पागल हो गए हो या?’ उसने कहा।’ म रात दो बजे तक तु हारे म म नह रह
सकती!’
‘ य नह ?’ मने कहा।’ हम साथ-साथ व बताने का ऐसा मौका फर कब मलेगा?’
‘य द मेरे बॉय ड को पता चल जाए..’ उसने कहा और चुप हो गई। फर वह हेडबोड
पर झुक गई
हमने आ धी बोतल ख म कर द थी। मने अपने लए थोड़ी और वाइन नकाली।
‘य द उसे पता चल जाए क म इतने घंट से कसी और के कमरे म ं, तो वह तो मेरी
जान ही ले लेगा, उसने अपनी बात पूरी क ।
‘वह ऐसा करेगा?’
वह मु करा द ।’ सच म नह । ले कन हां, वह आग-बबूला ज र हो जाएगा। वह कुछ
तोड़फोड़ कर दे गा।’ उसने एक पजे सव बॉय ड का पाट नभाते ए त कया उठाया और
मुझ पर फक मारा।
‘और अगर उसे पता चल जाए क वह कोई और म ं तब तो वह यक नन तु हारी जान
ही ले लेगा।’
‘उसे कभी पता नह चलेगा, आरती ने कहा।
म सोफे से उतरा और ब तर के करीब आ गया।
‘तो तुम डबल श ट कर रही हो,’ मने फोन क ओर इशारा करते ए कहा।
‘यू योर उसने कहा।’ म सुबह दो बजे तक बक-बक कर तु हारा दमाग खा जाऊंगी!’
‘तुम बचपन से यही तो करती आ रही हो, मने कहा।
उसने एक और त कया उठाकर मुझ पर फक मारा। मने उसे पकड़ लया और एक
तरफ रख दया। फर उसने अपने ह ठ पर अंगुली रखी और मुझे चुप रहने का इशारा
कया। उसने अपने घर फोन लगाया था।
‘मॉम?’ उसने कहा।’ हां, म अभी तक काम पर ही ं। डबल श ट, अब या क ं ?’
उसक मां कुछ सेकंड तक बोलती रही। आरती ने अपनी बात जारी रखी -’ यह श ट
टु पड बेला को करनी थी। ले कन वह कोई बहाना बनाकर नह आई। अपनी इंगेजमट के
बाद वह ब त बैक मारने लगी है।’
उसक मां ने फर कुछ कहा। आरती झुंझलाने लगी।
‘बेला ने इंगेजमट कर ली तो म भी य इंगेजमट कर लूं? हां एक न एक दन कर लूंगी,
मॉम... ओके, फाइन, हां, होटल क कार मुझे घर छोड़ दे गी... बाय।’
उसने अपना फोन ब तर पर रख दया, वह परेशान नजर आ रही थी।
‘यू?’ ओके मने कहा।
‘मुझे लगता है क एक समय के बाद इं डयन पैरट् स के दमाग म कोई वच चालू हो
जाता है। वे पढ़ाई-पढ़ाई-पढ़ाई से शाद -शाद -शाद करने लग जाते ह।’
‘तुम शाद नह करना चाहत ?’
‘शाद क ं गी तो सही,’ उसने कहा और ब तर पर थप कयां दे ने लगी।’ ले कन तुम
कसी शो-पीस क तरह य खड़े हो?’
म ब तर पर साव धानी के साथ उससे र बैठ गया।
‘तुम इस म के लए ब त सारा पैसा खच कर रहे हो। लीज बी कंफटबल।’
‘अ ा?’ मने कहा।
‘मेरा काम यही तो है -अपने मेहमान को कंफटबल महसूस कराना, उसने कहा और
मुझे एक गे ट- रलेशंस माइल द । उसके दांत पर रेड वाइन के ध बे थे ले कन इसके
बावजूद उसक मु कराहट ब त खूबसूरत थी।
म अपने जूते और मोजे नकालने के लए झुका।’ तु ह राघव को कॉल नह करना
होगा?’
उसने सर हला दया।’ उसे तो कोई होश ही नह है। वह एक बड़ी टोरी पर काम कर
रहा है, उसने कहा और अपने याले म थोडी-सी और वाइन उडे ल द ।
‘य द उसने कॉल कया तो?’ मने कहा।
उसने मेरे मुंह पर अपना हाथ रख दया।’ य द उसका फोन आता है तो तुम एकदम चुप
हो जाना और बाक म संभाल लूंगी,’ उसने कहा।
उसके इस श ने जैसे मेरे भीतर आग लगा द ।
उसने अपना हाथ हटा लया।’ तो म टर डायरे टर, काम, लाइफ, सब कैसा चल रहा
है?’
‘मेरा सब कुछ मेरा काम ही है। कॉलेज चलाना कोई आसान बात नह ,’ मने कहा।
‘केवल काम?’ उसने अपनी मां क नकल करते ए कहा,’ या? तु ह शाद कर लेनी
चा हए। तुमने अब तक शाद य नह क ?’
हम हंस पड़े और अपने गलास आपस म टकराए।
‘ले कन मुझे तो वाकई अब ज द से ज द इंगेज हो जाना चा हए,’ उसने कहा।’ दबाव
बढ़ रहा है।’
‘राघव या सोचता है?’ मने कहा।
‘जा हर है, वह अभी इसके लए तैयार नह है। ले कन य द मने जोर डाला तो वह
तैयार हो जाएगा,’ उसने कहा।
‘तु हारे पैरट् स राघव के लए राजी ह गे?’ मने कहा।
‘वे तो उसे ब त चाहते ह। मेरे पता ने राजनी त म जाने क हमारी पा रवा रक परंपरा
तोड़ी थी, इस लए वे भी राघव के ज वे को ब त पसंद करते ह।’
‘वह पैसा नह कमाता, इसके बावजूद?’
‘वह कमाएगा। एक न एक दन वह ज र पैसा कमाएगा,’ आरती ने मनौती करते ए
कहा।’ और तुम मेरे रले ट ज क तरह य बात कर रहे हो?’
उसने रमोट उठाया और ट वी चालू कर लया।
‘ दस इज सो बो रग,’ उसने कहा और यूज चैनल बदल द । वह चैनल वी पर जाकर
क , जहां एक आइटम गल एक री म स वी डयो म नाच रही थी।
‘उसने न त ही अपने ह ठ क सजरी करवाई है, उसने कहा,’ और नाक क भी,
और शायद बू स क भी।’
‘ या?’ मने कहा। म उसके श द के चयन पर हैरान था।
‘बूब जॉब। अपने बू स को ठ क करवाना, ता क वे बड़े नजर आएं,’ उसने कहा।
म हैरानी से उसक ओर दे खता रह गया।
‘तुम मेरे बे ट ड हो, ‘उसने कहा और मेरी बांह पर ह के-से चपत लगाई।’ म तु हारे
सामने पूरी तरह सहज हो सकती ं।’
उसने फर चैनल बदली और अब हम कह बीच से’ हेन हैरी मेट सैली’ दे ख रहे थे।
‘आदमी और औरत कभी दो त नह हो सकते,’ बली टल ने णो रेयान से कहा।
उसके मुंह म एक टू थ पक था।
‘ ब कुल हो सकते ह। हम ही दे ख लो,’ आरती ने बेस होते ए कहा और वॉ यूम
बढ़ा दया।’ मुझे यह मूवी ब त पसंद है।’
‘तुमने यह मूवी दे खी है?’ मने पूछा।
‘हां। और तुमने?’
मने सर हला दया। म अं ेजी फ म नह दे खता था।
‘चलो, दे खते ह। म तु ह बताऊंगी क अभी तक या- या हो चुका है।’
म उसके करीब आ गया। वह मुझे सं ेप म कहानी सुनाती रही और मने बेडसाइड
पेनल से कमरे क लाइट म म कर द । हैरी और सैली क कहानी चल रही थी, वे मलते,
आपस म झगड़ते, ले कन उनके बीच वा तव म कभी कुछ नह होता, जब क ऐसा लगता है
क कुछ न कुछ ज र होना चा हए। हम चुपचाप वह फ म दे खते रहे।
‘वॉव, हमने पूरी बोतल ख म कर द ,’ उसने कुछ दे र बाद कहा। फर उसने एक
त कया उठाया उसे मेरी गोद म रखा और उस पर अपना सर रखकर बाक फ म दे खने
लगी।
‘तुम कंफटबल हो ना?’ उसने मेरी ओर दे खते ए पूछा। ट वी क लाइट म उसक
आंख चमक रही थ ।
म जरा झझका। फर अपना हाथ धीमे -से उसके सर पर रख दया और उसके बाल
को सहलाने लगा। उसने कोई ऐतराज नह कया। मुझे उसके साथ होना ब त अ ा लग
रहा था। मेरी जदगी म इससे यादा खुशीभरा ल हा इससे पहले कोई नह आया था।
‘आरती?’ मने कहा।
‘हां?’ उसने कहा। उसक आंख अब भी ट वी पर जमी ई थ ।
‘ या तु ह इस तरह मेरी गोद म लेटना अ ा लग रहा है?’
उसने सहम त म सर हला दया, ले कन उसक आंख अब भी न पर जमी ई
थ।
‘तुम उस शाम घाट से य चल ग थ ?’ मने पूछा।
‘म उस बारे म बात नह करना चाहती। मूवी दे खो, ठ क है, उसने कहा।
‘ या तुम फर ऐसे ही भाग जाओगी?’ मने कहा। मेरी आवाज भारी थी।
उसने भांप लया क म तनाव म ं। उसने ट वी को यूट कर दया और उठकर बैठ
गई।
‘तुम ठ क हो ना, गोपी?’ उसने कहा। उसक आवाज जरा लड़खड़ा रही थी। ट वी क
लाइट हमारे चेहर पर टम टमा रही थी।
‘य द तुम चाहो तो अभी जा सकती हो, मने कहा। मेरी आवाज मेरे गले से बामु कल
ही नकल पा रही थी।’ य क य द तुम मेरी जदगी म और कुछ समय रह और उसके
बाद गई, तो...’
म कुछ यादा ही बोल गया था। ऑ े लया क वाइन ने एक ह तानी के दल को
खोलकर रख दया था।
‘शट अप,’ उसने कहा और मेरे मुंह पर अपनी ह थेली रख द ।’ ामा वीन। सॉरी,
ामा कग!’
ले कन म ामा नह कर रहा था। म वाकई उससे र होना बदा त नह कर सकता था।
‘म भी अकेली ं, गोपाल,’ उसने कहा,’ ब त अकेली।’
‘ य ?’
‘राघव के पास ब कुल व नह है। मेरे पैरट् स समझ ही नह पाते क म य काम
करना चाहती ं। वे समझ नह पाते क आ खर डीएम क बेट को मेहनत करके पैसा
कमाने क ज रत य महसूस हो रही है। मेरी सभी ड् स क शाद हो रही है, वे अपने
कइस क ला नग कर रही ह और म ऐसा नह कर पा रही। म अजीब ं।’
‘तुम सबसे अलग हो,’ मने उसक बात सुधारते ए कहा।
‘म सबसे अलग य ं? म नॉमल य नह हो सकती -अपने घर पर संतु , प त का
इंतजार करती ई?’
‘यह नॉमल नह है। यह बैकवड है।’
‘राघव मुझे ब त तनाव म डाल दे ता है। म उसक मदद करना चाहती ं, ले कन मुझे
नह लगता क वह अपनी जदगी के बारे म ठ क से सोच पा रहा है। उसने अपनी आजाद
के लए अपनी नौकरी को दांव पर लगा दया। आ खर इस तरह वह कैसे पैसे कमा
पाएगा?’
‘मेरे याल से तुमने कहा था क वह एक न एक दन ज र पैसे कमाएगा,’ मने कहा।
‘वह तो मने बहा री दखाते ए कहा था। ले कन म जस बात से डरती ं, उसके बारे
म तुमसे बात कर सकती ं, है ना?’ उसने कहा।
‘ऑफ कोस, तुम कर सकती हो,’ मने कहा और उसके गाल को सहला दया।
हम फर ट वी दे खने लगे। एक रात सैली ब त अकेलापन महसूस कर रही थी। हैरी
उसके घर आता है। वह उसे दलासा दे ता है। वे कस करते ह। पता नह इस सीन ने मुझे
मो टवेट कया या यह शराब का असर था या फर शायद मुझे लगा हो क मुझे अब सरा
मौका नह मलने वाला है। म आरती को कस करने के लए उस पर झुका। उसने हैरत से
मेरी ओर दे खा। ले कन उसने वरोध नह कया। वह बस दे खती रही।
मने उसे फर चूमा। इस बार और जोर से। दो मनट तक कुछ नह आ, और उसके
बाद वह भी मुझे चूमने लगी। हमने बार-बार कस कया। मने उसके ह ठ , उसके गाल ,
उसके माथे, उसक नाक, उसके कान और एक बार फर उसके ह ठ को चूमा। मने लाइट
बुझा द ।
जब मने उसे फर अपनी बांह म लया तो उसने कहा,’ यह गलत है।’
‘मुझे पता है, मने कहा,’ ले कन म खुद को रोक नह सकता।’ मेरे हाथ उसके शट के
बट स टटोलने लगे।
‘नह , उसने कहा और मेरे हाथ को कसकर पकड़ लया।
मने अपना सरा हाथ उसके शट म डाल दया। थक गॉड, हमारे दो हाथ होते ह, वरना
हम कुछ कर ही न पाते। आ खरकार मेरी हथे लयां उसके े ट् स पर थ ।
‘गोपाल, तु ह पता है या हो रहा है?’ उसने कहा।
मने सर हला दया।
‘हम ऐसा नह ‘.. उसने कहा।
मने एक और कस से उसका मुंह बंद कर दया। वह जरा छटपटाई, ले कन म उसे
लगातार चूमता रहा। अब उसने भी र ॉ स दे ना शु कर दया। पहले धीरे, फर मेरे
साथ-साथ और फर वह मुझसे भी आगे नकल गई।
‘यह ठ क नह है, गोपाल,’ उसने कराहते ए कहा। उसने मेरे नचले ह ठ पर हाट
लया।
म कसेस से जवाब दे ता रहा। मूवी ख म हो चुक थी। मने बैक ाउं ड म शै ू के
व ापन क आवाज सुनी, जब क म उसके टॉप को नकालने के लए ख च रहा था।
‘ऐसा मत करो, गोपाल!’ उसने फुसफुसाते ए कहा, ले कन मेरा काम आसान बना
दे ने के लए अपने दोन हाथ ऊपर कर दए।
मने अपनी शट नकाल द । इस बार जब मने उसे अपनी बांह म लया तो उसक
गरमाहट और नरमाहट मेरे बदन म घुल गई।
‘म तु हारी ब त केयर करता ं..’ मने कहा।
‘बोलना बंद करो,’ उसने मुझे बीच म टोकते ए कहा।
मने उसके कंधे पर धीमे -से धकेला ता क उसे ब तर पर लेटा सकूं। फर मने अपने
बचे ए कपड़े नकाल दए।
वह सरी तरफ दे खती रही।
‘ या?’ मने कहा।
उसने मुझसे नजर मलाए बना सर हला दया।
म उसक बगल म लेट गया। वह मुझे पैशन के साथ चूमने लगी, ले कन जब भी म
उसक आंख म झांकने के लए कता, वह सरी तरफ नजर फेर लेती।
म उसक ज स उतारने के लए अपने हाथ को नीचे क ओर ले गया। उसने मुझे
आ खरी बार रोका।
‘मेरा एक बॉय ड है, ’ उसने मुझे याद दलाते ए कहा।
‘म इस हक कत के साथ साल से जी रहा ं,’ मने कहा।
‘म उस तरह क लड़क नह ं, गोपाल,’ उसने लगभग सुबकते ए कहा।
‘तुम कमाल क लड़क हो, मने कहा। मेरी अंगुली उसक ना भ पर थी। म उसे वहां
चूमने के लए का।’ नया क सबसे कमाल क लड़क ।’
मने उसका हाथ अपने शरीर पर रख दया और फर से उसक ज स उतारने क
को शश करने लगा। लड़ कयां नया क सबसे टाइट ज स पहनती ह। मुझे लगा क
उसक मदद के बना उसे उतारना नामुम कन है।
‘कुड यू?’ मने पांच मनट तक को शश करने के बाद कहा।
मेरी इस र वे ट पर वह खल खला पड़ी। उसने कसमसाकर अपनी ज स नकाल द ।
म इंतजार करता रहा और फर उसे अपने करीब ख च लया।
‘गोपाल,’ उसने कहा और मुझे कसकर थाम लया। साल से दबाई जा रही चाहत
फूटकर सामने आ गई थी। म उसे हाटता और चूमता रहा और हम एक हो गए।
मुझे पता था क इसके बाद अब मेरी जदगी कभी पहले क तरह नह रह पाएगी। जो
कुछ आ, उसके बाद उसके लए मेरा यार और बढ़ गया। कहते ह से स के बाद पु ष
पीछे हट जाते ह, ले कन म उसके और करीब जाना चाहता था। म उसे यार करना चाहता
था और हमेशा अपने करीब रखना चाहता था। मने उसे कसकर बांह म भर लया और
उसके सर पर चूम लया। वह सरी तरफ दे खती रही। उसके चेहरे पर कोई भाव नह थे।
‘तुम कयामत हो, आरती। सर से पैर तक कयामत।’
वह जरा-सा मु कराई। म एक कोहनी के बल उठ गया।
‘तु ह अ ा लगा?’ मने पूछा।
उसने सर हलाकर हामी भरी, ले कन सरी तरफ़ दे खती रही।
‘मेरी तरफ दे खो,’ मने कहा। उसने अपनी आंख मेरी ओर घुमाई, ले कन मुझसे नजर
नह मलाई।
‘तुम ठ क हो?’ मने पूछा।
उसने फर सहम त म सर हला दया।
हम फर लेट गए। सी लग पर एक छोट -सी एलईडी बीप करने लगी।
‘यह या है?’ मने कहा। मुझे डर लगा क कह यह कोई कैमरा’ न हो।
‘ मोक अलाम‘, उसने कहा।
हम कुछ मनट तक चुप रहे।
‘म तु हारे बना नह जी सकता, आरती,’ मने कहा।
‘ लीज, ऐसा मत करो,’ उसने कहा।
‘यह सच है। म तु ह यार करता ं’ मने कहा।
‘ लीज, टॉप!’ उसने कहा और ब तर पर उठ बैठ । उसने अपने आपको बेडशीट से
ढांक लया।
‘ या बात है?’ मने उसक बांह थामते ए कहा।
उसका फोन बीप आ। उसने मैसेज दे खा। उसने एक र लाई कया और गहरी सांस
छोड़ी।
‘ या म अपने कपड़े पहन सकती ं?’ उसने मुझसे र जाते ए कहा।
‘हां?’ मने कहा। ‘ योर।’
उसने अपने बदन पर बेडशीट लपेट ली, अपने कपड़े उठाए और बाथ म म चली गई।
मने फर लाइट चला ली। मले जुले इमोशंस मुझे मथ रहे थे।
जा हर है, वह मेरी केयर करती है। नह तो, उसने जो कुछ कया, वह कोई लड़क नह
करती। ले कन इसके बावजूद वह मुझसे र- र य बनी ई थी? या वह यह उ मीद
करती है क म उससे क ं क अब म जदगी म उसका साथ ं गा? या उसे अफसोस हो रहा
है? यह घटना हम और करीब ले आएगी या हम र कर दे गी।
म नेकेड और कं यू था। म अपना कं यूजन र नह कर सकता था, ले कन म कम
से कम कपड़े तो पहन ही सकता था। जब वह कमरे म आई तो म अपने शट के बटन लगा
रहा था।
‘अब मुझे चलना चा हए,’ उसने मन बनाते ए कहा।
बेडसाइड लॉक बारह बजे का व बता रही थी।
‘तुम दो बजे तक नह कोगी?’ मने पूछा।
‘म कह ं गी क श ट ज द ख म हो गई। वैसे भी, वे इतनी न द म ह गे क टाइम
चेक नह करगे,’ उसने कहा।
मेरे पास बैठो, म कहना चाहता था। म उससे बात करना चाहता था। म उसे बता दे ना
चाहता था क मेरे लए इस बात के या मायने थे। आ खर लड़ कयां भी तो यही चाहती ह,
बात करना?
‘तुम अपने ाइवर को कॉल करोगे?’ उसने कहा।
‘पांच मनट को,’ मने म त करते ए कहा। ‘ लीज?’
वह सोफे क ओर चली गई। म ब तर पर बैठ गया।
‘तुम इतने तनाव म य हो?’ मने कहा। ‘म तु हारा गोपाल ं। तुम मेरी केयर नह
करत ?’
‘तु ह अब भी सबूत चा हए?’ उसने कहा।
म उसके करीब आ गया। मने उसका हाथ थाम लया। वह ठं डा-सा लग रहा था।
‘म नह चाहता क तुम इस बारे म श मदगी अनुभव करो,’ मने कहा। ‘यह ब त
ेशल है। हम इस पर ाउड फ ल करना चा हए।’
‘ले कन म एक रलेशन शप म ं,’ उसने कहा।
‘एक ऐसे श स के साथ, जो कभी तु हारे साथ नह होता?’ मने कहा।
उसने हैरत से मेरी ओर दे खा।
‘मने कभी तु हारे और राघव के मामले म कोई कमट नह कया। इसका यह मतलब
नह क म कुछ समझ नह पाता। आरती, तुम एक बेहतर जीवनसाथी क हकदार हो। तुम
जदगी क सभी खु शय क हकदार हो।’
‘म एक सपल लड़क ं, गोपाल,’ आरती ने अपना ह ठ चबाते ए कहा।
‘ले कन एक सपल लड़क को भी यार, सुर ा, केयर, सपोट क ज रत होती है, है
ना?’ मने कहा।
वह चुप रही।
‘ सपल लड़क क ज द ही शाद हो जाएगी। उसे यह पता होना चा हए क उसका
प त उसके साथ अपना प रवार चला पाएगा या नह ,’ मने कहा। म साल से चु पी साधे
ए था। ले कन अब जब आरती मेरे साथ थी, तो मुझम ह मत आ गई थी।
‘म थक चुक ं। म घर जाना चाहती ं,’ उसने कहा और उठ खड़ी ई।
मने अपने ाइवर को बुलाया। मने उसके साथ नीचे तक चलने का ताव रखा,
ले कन उसने मना कर दया। जाने से पहले वह मेरे करीब आई। मुझे एक कस क उ मीद
थी, ले कन उसने मुझे बस धीरे-से हग कया। दरवाजा बंद हो गया। कमरे म उसक खुशबू
घंट तक और मेरे दल म अनेक दन तक बसी रही।
30

रमाडा म बताई गई रात के बाद हमने दो दन तक एक- सरे से बात नह क । ले कन फर


म अपने आप पर काबू नह रख सका और उसे कॉल कया। वह मुझसे बात नह कर
सक , य क उसके पैरट् स उसके आस-पास थे। हालां क, वह अगले दन काम से पहले
सीसीडी म मुझसे मलने को राजी हो गई।
‘आई एम सॉरी, म ठ क नह ं,’ उसने अपनी ए ा हॉट लैक कॉफ क चु कयां
लेते ए कहा। उसने घेरदार पपल कट और हाइट टे ड टॉप पहन रखा था। उसके गीले
बाल से पता चल रहा था क वह अभी-अभी नहाकर आई थी। ‘मेरे पास बस बीस मनट
का समय है, फर मुझे काम पर जाना है,’ उसने कहा।
‘उस रात तु ह या आ था?’ मने पूछा।
‘वेल, तुम जानते हो या आ था,’ उसने कहा।
‘तु ह मेरे पास आना चा हए था, आरती,’ मने कहा और उसके हाथ पर अपना हाथ
रख दया।
‘गोपाल!’ उसने कहा, और अपना हाथ ख च लया।
‘ या आ?’ मने कहा। म चाहता था क वह शमाते ए मेरी ओर दे खे, हमारे उस
ए सपी रयंस के बारे म माइल करे, और मेरे हाथ को कसकर थामे रखे। ले कन ऐसा कुछ
नह आ।
‘लोग हम जानते ह,’ उसने कहा। हमारे बीच हमारे कॉफ के कप से उठती भाप थी।
बाहर दसंबर क सद सुबह थी, ले कन कैफे के भीतर गमाहट महसूस हो रही थी।
‘तुम मुझे यार करती हो?’ मने पूछा। म कंफमशन के लए बेचैन हो रहा था। न त
ही वह मुझे यार करती होगी। ऐसा कैसे हो सकता है क वह मुझे यार न करती हो?
आरती ने झुंझलाहट म सांस छोड़ी।
‘ या बात है? कम से कम अब तो अपनी फ ल स को ए से ट कर लो,’ मने कहा।
‘तुम जानना चाहते हो म या महसूस कर रही ं?’ उसने कहा।
‘हां, म कसी भी चीज से यादा यही जानना चाहता ं,’ मने कहा।
‘ ग ,’ उसने कहा।
‘ य ?’ मने लगभग वरोध दज करते ए कहा। ‘ या जो आ, वह अद्भुत नह था?
या यह यार नह है?’
‘गोपाल, तु ह ‘ यार’ श द का इ तेमाल करना बंद करना होगा, ओके?’ उसने कहा।
लड़ कय को समझ पाना नामुम कन है। कुछ समय बीता। म चुप रहा।
‘राघव ने मेरे साथ कभी कुछ गलत नह कया,’ उसने एक मनट बाद खड़क से
बाहर झांकते ए कहा।
‘अ ा तो यह राघव के कारण है...’ म कहने लगा, ले कन उसने मेरी बात काट द ।
‘तुम कोई बात सुन सकते हो? केवल सुनना, ओके?’ उसने कहा। उसक नजर मुझे बे
ध रह थ । मुझे उसक बात माननी पड़ी। आ खर पु ष का अवतरण इस धरती पर
इसी लए तो आ है क वे लड़ कय क खरी-खोट सुन। मने सहम त म सर हला दया।
‘वह केवल एक अ ा काम करते ए अपने लए थोड़ा पैसा कमाना चाहता है। यह
आसान काम नह है,’ उसने कहा।
मने फर सर हला दया। म बुरी तरह से यह उ मीद कर रहा था क मेरे इस तरह सर
हलाने को नकली नह समझा जाएगा।
‘मुझे उससे बेवफाई नह करनी चा हए थी। म ब त बुरी लड़क ं।’
मने फर सर हला दया।
‘तु ह भी यही लगता है क म ब त बुरी लड़क ं?’ उसने पूछा।
म चुप रहा।
‘कुछ तो कहो वह च लाई।
‘तुमने कहा था क म केवल सुनूं,’ मने कहा।
‘तो वही करो उसने कहा।
‘ या?’ मने कहा।
‘कुछ तो कहो,’ उसने कहा। लड़के-लड़क क आपसी बातचीत म कुछ तो बात होती
है। मुझे नह लगता वे एक- सरे क बात को पूरी तरह समझ पाते ह।
‘आरती, तुम एक समझदार लड़क हो। तुम तब तक कोई काम नह करोगी, जब तक
तुम ऐसा करना न चाहो।’
‘तुम कहना या चाहते हो?’ उसने कहा।
‘म इतने साल से को शश कर रहा था, ले कन तुमने कभी हां नह कहा। ले कन उस
रात तु ह कुछ न कुछ तो ज र हो गया था।’
‘मने एक गलती क ,’ उसने कहा।
मुझे वीकारना होगा क उसका ऐसा कहना मुझे ब त बुरा लगा। जो दन मेरी जदगी
का सबसे ेशल दन था, उसे वह अपनी गलती बता रही थी। मने अपने गु से को काबू म
कया।
‘ या वाकई वह गलती थी? तुम आज मुझसे य मलने आई हो?’ मने कहा।
‘इट् स ज ट कॉफ ,’ उसने कहा, ले कन उसक आंख म स ाई नह थी।
‘आरती, झूठ मत बोलो। कम से कम मुझसे तो नह । य द तु हारी फ ल स बदल गई
ह, तो इसम श मदा होने जैसा कुछ भी नह है,’ मने कहा।
उसक आंख से आंसू ढु लक पड़े । मने एक ट शू उठाया और उसके आंसू प छने के
लए आगे बढ़ा। उसने आसपास दे खा और अपने आपको संभाला।
‘गोपाल, हर रलेशन म एक कमजोर होता है और सरा मजबूत होता है।
कमजोर वह है, जसे सरे क यादा ज रत होती है।’
‘सच बात है,’ मने कहा।
‘ कसी रलेशन शप म कमजोर होना अ ा नह होता। हमेशा तो कतई नह ,’ उसने
कहा।
‘म इस फ लग को समझता ं,’ मने कहा।
उसने मेरी ओर दे खा।
‘आई एम सॉरी। मुझे तो केवल सुनना था,’ मने कहा।
‘मेरे पैरट् स शाद के लए मुझ पर दबाव बना रहे ह और म लंबे समय तक उनको नह
समझा सकती,’ उसने कहा। ‘राघव इस बात को समझ नह पा रहा है।’
‘वह तुमसे शाद नह करना चाहता?’ मने पूछा।
‘ फलहाल तो नह । वह हर बार इस वषय को टाल जाता है। कभी वह कहता है क
अभी वह सेटल नह है, कभी कहता है क उसका काम ब त खतरनाक है, कभी वह ब त
बजी रहता है। ले कन मेरे बारे म या?’
मने सर हला दया। कभी-कभी लड़ कय के सामने आप यादा से यादा यही कर
सकते ह क सही समय पर सर हलाते रह। म भी अपने सर को जरा-सा हलाकर यही
कर रहा था।
‘वह मुझे यार करता है, मुझे पता है। वह अ सर मुझे ब त वीट मैसेज भेजता रहता
है। मुझे अ ा लगता है।’
म समझ गया क वह उन बात को बोल रही थी, जो उसके मन म चल रही थ । म
सुनने का दखावा करता रहा, ले कन मेरा यान उसके पपल ईयर र स पर लगा आ था,
जो उसके बोलने पर धीमे-धीमे हल रहे थे। उसक बात पांच मनट म पूरी हो गई।
‘मेरी बात सुनने के लए शु या,’ उसने कहा।
‘तुमने यह मेरे साथ ही य कया?’ मने कहा।
‘तु हारा या मतलब है? उसने कहा।
‘तुम उस रात मेरे सा थ य सोई? योर, तु ह राघव से कुछ ॉ ल स रही ह गी,
ले कन मेरे साथ ही ऐसा य ?’
उसने मेरी ओर दे खा। अपने मन क भड़ास नकालने के बाद अब वह जरा शांत हो गई
थी।
‘ य क म तु ह पसंद करती ं,’ उसने कहा।
‘पसंद करती हो?’ मने कहा।
‘ऑफ कोस। और म जानती ं क म तु हारे लए या मायने रखती ं। म कसम
खाकर कहती ं, य द तुम अपने लए कोई और लड़क ढूं ढ लो तो मुझे ब त खुशी होगी।’
‘म ऐसा नह कर सकता,’ मने कहा।
‘ या नह कर सकते?’
‘म कसी और लड़क के साथ नह जी सकता। या तो तुम या कोई नह ,’ मने सी धे
उसक आंख म झांकते ए कहा।
‘तु ह पता है इससे मुझे कतनी ग ट होती है?’ उसने कहा।
‘तो तु ह मेरे साथ सोने म ग ट होती है और मेरे साथ नह सोने म?’
वह ं यपूण ढं ग से मु करा द । ‘लड़क होना आसान नह है। हम हर बात के लए
ग ट होती है।’
‘कं यू मत होओ। मेरे पास आ जाओ,’ मने कहा।
‘और राघव का या होगा?’ उसने कहा। ‘उसे इस मौके पर मेरी ज रत है।’
‘वह जो चाहता है, वह करता है। तो तुम भी ऐसा य न करो?’
‘वह काम करता है। वह मुझे भी काम करने से नह रोकता। ले कन यह बेवफाई है।
यह अलग बात है।’
‘तुम मुझे इं ायर करती हो, आरती,’ मने कहा। ‘म तु ह बता नह सकता क य द तुम
मेरे साथ होओ तो म या कुछ नह कर गुज ं गा। म अपने कॉलेज को आगे बढ़ाना चाहता
ं। हम ए वएशन एकेडमी भी खोल सकते ह। एमबीए या मे ड सन भी।’
‘यह सब करने के लए मेरी कोई ज रत नह है,’ उसने कहा।
‘ले कन मेरे लए तुम ज री हो। तु हारे बना मेरा कोई वजूद नह है,’ मने कहा।
‘लोग के ेकअप होते रहते ह, आरती। तुम लोग ने अभी शाद नह क है। हम एक- सरे
के साथ कतने खुश रहगे!’
‘और राघव?’ उसने पूछा।
‘वह भी ठ क हो जाएगा। वह अपने लए कोई न कोई ढूं ढ लेगा, कोई जन ल ट, या
ए ट व ट या कोई भी,’ मने कहा।
वह हंस पड़ी।
‘ या आ?’ मने कहा।
‘म तु ह पसंद करती ं, गोपाल। ले कन तुम इतनी यादा को शश य कर रहे हो?’
‘सॉरी,’ मने खेपन से कहा। ‘म हर बार तो सही नह हो सकता ना।’
‘शट अप, यह सही होने या न होने क बात नह है।’
‘तुम मेरी बनोगी?’ मने अपना हाथ बढ़ाते ए कहा।
‘ लीज, मुझ पर दबाव मत बनाओ।’
मने अपना हाथ पीछे ख च लया।
‘म तुम पर दबाव नह बना रहा ं,’ मने कहा।
उसने समय दे खा। जाने का व हो गया था। मने अपने ाइवर बुलाया, जो धीरे-धीरे
एक लैक मस डीस चलाते ए ले आया।
‘वॉव!’ उसने कहा। ‘यह तु हारी है?’
‘नह , यह ट क है। यह शु ह-जी के लए है। हमने तो केवल डलेवरी ली है।’
हम कार म बैठ गए। लैक लेदर गमाहट भरा महसूस हो रहा था। ‘इसम सीट हीटस
भी ह,’ मने उसे कं ोल दखाते ए कहा।
‘एक दन, म टर गोपाल, तु हारे पास भी ऐसी होगी,’ होटल प ंचने पर उसने कहा।
‘कार या लड़क ?’ मने आंख मारते ए कहा।
‘दोन , होपफुली,’ उसने कहा और आंख मारकर जवाब दया।
‘हम कब मल सकते ह?’ मने कहा, ‘अकेले म!’
‘गोपाल!’
‘हम कुछ करने क ज रत नह है। इन फै ट, म कुछ भी नह करना चाहता।’
‘हर लड़के के रटे -रटाए श द,’ उसने कहा और होटल म चली गई।
होटल के गेट से बाहर नकलते ए गाड ने लैक मस डीज को सै यूट ठ का।

‘तु हारे पैरट् स कहां ह?’


उसने अपने कमरे के परदे ख च दए। ‘हॉ टल। डै ड के घुटन म फर से तकलीफ
उठ है।’
आरती और मने मलना जारी रखा था, हालां क हम प लक लेस पर कम ही मलते
थे। अ धकतर ऐसा होता था क उसके पैरट् स के बाहर होने पर वह मुझे अपने घर बुला
लेती थी। घर म आधा दजन नौकर के होने के बावजूद उसके कमरे म ाइवेसी थी। रमाडा
म बताई गई उस रात के बाद दो महीने बीत चुके थे। राघव से बेवफाई करने क उसक
ग ट अब कम हो गई थी, या शायद वह उसे मुझसे अ तरह छु पा पा रही थी। अब मने
उससे यह पूछना बंद कर दया था क या वह मुझे यार करती है, य क इससे हमारे
बीच रयां बढ़ती ही थ ।
लड़ कयां ब त वरोधाभासी होती ह। वे कहगी क उ ह बातचीत करना अ ा लगता
है, ले कन कुछ मसल पर वे चु पी सा ध लगी। य द वे आपको पसंद करती ह, तो वे चाहगी
क आप इस बात को खुद ही समझ ल, उ ह यह कहना न पड़े ।
‘अंगूर खाओगे?’ उसने मुझे फल क एक टे र दे ते ए कहा।
‘मुझे अपने हाथ से खलाओ,’ मने उसक आरामकुस पर पसरते ए कहा।
‘शट अप,’ उसने कहा और मेरी ओर े बढ़ा द ।
वह मेरे सामने एक कुस पर बैठ गई। हम एक अ ल खत नयम का पालन कर रहे थे
- ब तर से री बनाए रखो।
‘एक बार?’ मने कहा।
‘ या जद है!’ उसने कहा और उठ खड़ी ई। उसने अंगूर का एक गु ा उठाया और
मेरे मुंह क ओर बढ़ाया। मने जैसे ही अपना मुंह खोला, उसने पूरा गु ा मेरे मुंह म भर
दया।
‘राजा को इस तरह तो अंगूर नह खलाए जाते थे,’ मने कहा। मुझे बात करने म
द कत हो रही थी, य क मेरे मुंह से अंगूर का रस बह रहा था।
‘सभी लड़के एक जैसे होते ह। पहले लड़क का पीछा करते ह और जब वे लड़क को
पा लेते ह तो वे उस पर कूमत करना चाहते ह,’ उसने कहा।
‘तुम मेरी रानी हो, माय डयर,’ मने कहा।
‘घ टया। बकवास। बेतुक बात,’ उसने कहा।
मने उसे अंगूर के रस म भीगा ए एक कस दया।
‘मेड्स आसपास ह!’
‘वे नॉक करके आती ह। तु ह पता है,’ मने कहा।
म उसे एक बार फर कस करना चाहता था, ले कन उसने मुझे धकेल दया।
‘म तु हारे साथ ब त खराब सलूक करती ं ना?’ उसने कहा।
‘इट् स ओके,’ मने कहा।
‘ब त यादा नजद कय से मेरा दमाग उलझन म आ जाता है। तुम यह तो नह
चाहोगे क म फर कई ह त के लए खराब महसूस करती र ं?’
‘इट् स ओके। म वैसे भी ऐसा नह चा ंगा,’ मने कहा।
‘ रयली?’ उसने हैरत से कहा।
लड़के हमेशा लड़ कय के नजद क आना चाहते ह। ले कन इसके बावजूद वह जानती
थी क म झूठ नह बोल रहा ं। मने उसे कभी अपने कै स म नह बुलाया था, जहां हम
पूरी तरह से अकेले हो सकते थे। न ही मने रमाडा जैसी एक और रात बताने क को शश
क थी।
‘ रयली,’ मने गंभीरता से कहा।
‘तुम नह चाहते?’ उसने कहा। उसने एक केस रया सलवार और सफेद कमीज पहन
रखी थी। म उसे नया क कसी भी औरत या वा तव म नया क सभी औरत से यादा
चाहता था। ले कन मेरी एक शत थी।
‘तब तक नह , जब तक राघव तु हारी जदगी से बाहर नह हो जाता,’ मने कहा।
‘ या?’ उसने कहा।
‘रमाडा क उस रात मुझे तु हारा शरीर मल गया था, ले कन मन नह मला था। म
नह चाहता क ऐसा फर हो।’
‘हम रात रात कसी इंसान को अपनी जदगी से बेदखल नह कर सकते,’ उसने कहा।
‘म जानता ं। ले कन या तुम को शश कर रही हो?’
‘मुझे नह पता,’ उसने कहा। ‘म इसे चाहे जतना झुठलाने क को शश क ं , ले कन
हक कत तो यही है क म लगभग रोज तुमसे मलती ं।’
वह मेरी कुस के ह े पर बैठ गई।
‘तो, या वाकई तुम उससे अपने र ते ख म करने वाली हो?’ मने कहा।
मने अपनी बात पूरी क ही थी क उसके फोन क घंट बजी।
‘उसका फोन है,’ उसने कहा।
म चुप हो गया।
‘हे,’ उसने उससे कहा। वह मेरे इतने पास बैठ गई क म सरी तरफ से बोल रहे राघव
क बात भी सुन सकूं।
‘हमारी कॉपीज क तादाद पांच हजार तक प ंच गई है,’ वह कह रहा था।
‘कॉ े यूलेशंस!’ आरती ने कहा।
‘अब हम ज द ही व ापन के लए अ े ांड्स मलने लगगे। तुम या कर रही हो?’
‘म आज घर ज द चली आई थी,’ आरती ने कहा।
‘पैरट् स?’
‘मॉम डै ड को अ ताल ले गई ह। उनके घुटन म ब त तकलीफ है। उ ह दोन घुटन
को र लेस करवाना होगा।’
‘यह तो ब त बुरा होगा,’ उसने कहा।
म आरती के बाल से खेलता रहा। उसने मुंह बनाकर मुझे ऐसा नह करने को कहा,
ले कन म नह का।
‘तो? शाम को कुछ कर रहे हो?’ उसने कहा।
‘सोमवार के खास अंक को फाइनलाइज कर रहा ं। ब त कमाल का होगा,’ उसने
कहा।
‘ओके,’ आरती ने सांस छोड़ते ए कहा। मने उसके चेहरे पर गर रहे बाल को पीछे
कर दया। उसने बात करते -करते मेरा हाथ पकड़ लया।
‘म तुमसे रात को कॉफ के लए मल सकता ं,’ राघव ने कहा।
‘रात को तो मुझे डै ड के साथ रहना होगा। जब भी मुझे घर आने म दे र हो जाती है,
मॉम मेरी शाद कर दे ने क ला नग करने लगती ह।’
‘शाद के लए अभी तु हारी उ ही या है!’ राघव ने कहा।
‘ले कन मेरी फै मली को कौन समझाए। मेरी ही उ के क ज स क शाद हो चुक है,’
उसने कहा।
‘म इस बारे म फर से लड़ाई नह करना चाहता,’ राघव ने कहा। ‘म थक चुका ं।’
‘ले कन म नह थक ं,’ आरती ने कहा।
‘आई लव यू, बाय,’ राघव ने माटनेस के साथ कहा।
‘ या वाकई?’ आरती ने कहा।
‘आरती, कम ऑन। मुझे अभी फोन रखना पड़े गा। म तुमसे यार करता ं। तुम भी
कहो ना,’ राघव ने कहा।
‘लव यू, बाय,’ उसने कहा।
मने उसके चेहरे से अपना हाथ हटा लया।
‘ या आ?’ उसने कहा।
‘इसी लए म कहता ं क उसे अपनी जदगी से बेदखल कर दो,’ मने कहा।
‘यह तो बस एक सपल बातचीत थी,’ उसने कहा।
‘तुमने कहा क तुम उसे ‘ यार’ करती हो, ले कन जब म इस श द का इ तेमाल करता
ं, तो तु ह अ ा नह लगता।’
‘म नॉमल रहना चाहती ं। हम अपने कॉ स इसी तरह ख म करते ह,’ उसने कहा।
वह खड़क पर जाकर खड़ी हो गई और बाहर ताकने लगी।
‘आई एम सॉरी, ले कन मेरे लए यह आसान नह है क तु ह इस श द का इ तेमाल
कसी और के लए करते सुनूं,’ मने कहा।
‘ कसी से बेवफाई करना भी आसान नह होता,’ उसने कहा और उसक आख से
आंसू फूट पड़े ।
मने उसे अपनी बांह म भर लया।
‘कभी न कभी उसे यह पता चल ही जाएगा,’ आरती ने कहा। उसका चेहरा मेरे सीने म
धंसा आ था। ‘म खुद ही उसे सब कुछ बता दे ना चाहती ं।’
‘ या तुम मेरी बनोगी?’ मने कहा।
उसने ब त धीमे -से सर हलाया, ले कन अपना सर उठाया नह ।
‘म तु ह हमेशा यार क ं गा, आरती,’ मने कहा।
उसने मुझे कसकर थाम लया। कुछ दे र बाद उसने मेरी ओर दे खा।
‘ या मुझे उसे सब कुछ बता दे ना चा हए?’ उसने कहा।
मने सर हला दया।
‘म उसे बताऊंगा,’ मने कहा। म चाहता था क म उसके चेहरे पर तमाचे क तरह उसे
यह बात बताऊं।

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31

मेरे सामान को पुराने घर से नए-चक बंगले म ले जाने के लए केवल एक मनी-वैन क


ज रत पड़ी। सामान के नाम पर केवल मेरे कपड़े , बाबा क पुरानी कताब और फै मली
प चस थ । बाक चीज कॉ े टस ने खरीद ली थ । मुझे ी-बेड म डु ले स बंगले क
ज रत नह थी, ले कन डायरे टर एक छोटे -से हो टल म म तो रहने से रहा। म अपने
नए घर के लॉन म खड़े होकर श टं ग का सारा काम दे ख रहा था। सुबह का समय था।
नए सामान यानी फन चर, कापट् स, ए लायंसेस, बतन और फ न श स से लदा एक क
कंपाउं ड म आया।
एक मज र ने बाबा के कुछ पुराने फोटो ा स थाम रखे थे। ‘इ ह कहां रखना है?’
उसने पूछा। एक े म क गई त वीर म बाबा पेड़ के नीचे बैठकर का पी रहे थे और खेत
क ओर दे ख रहे थे। कुल-जमा पांच साल का म नंग-धड़ं ग उनके पास बैठा था। मेरे पता
के एक कसान दो त ने वह लैक एंड हाइट त वीर ख ची थी। जस कैमरे से वह त वीर
ख ची गई थी, उसे उसके बेटे ने वदे श से भेजा था। मने वह त वीर उठाई और बाबा का
चेहरा दे खा। जन बाबा को म जानता था, उनक तुलना म त वीर वाला यह ब त
युवा और सेहतमंद नजर आ रहा था। मने उस पेड़ को दे खा और अपने कॉलेज कै स म
उसक मौजूदा लोकेशन खोजने क को शश करने लगा। मुझे वह कह नह मला।
बाबा क मौत के बाद पछले चार साल से मने आंसू नह बहाए थे, ले कन पता नह ,
उस दन म इतना भावुक य हो रहा था। मुझे इतने बड़े घर म रहने आते दे ख बाबा ब त
खुश होते। शायद उनक मौत यही सोचते ए ई थी क उनका लूजर बेटा जदगी म कुछ
भी हा सल नह कर पाएगा। काश, वे यह दन दे खने को जी वत रहते! ‘गोपाल आंसू नह
बहाता, गोपाल नया से संघष करता है’, मेरे भीतर क एक आवाज ने मुझसे कहा।
‘इस त वीर को ं ट म म रख दो,’ मने कहा।
सुबह के दस बजे तक सारा काम पूरा हो चुका था। मेरे नए घर के पहले मेहमान वे ही
श स थे, जनके कारण यह सब मुम कन हो सका था, यानी शु ला-जी। मने उ ह लंच पर
बुलाया था। म हो टल के शेफ से ज द करने को कह रहा था। मेरे घर का गैस टोव काम
नह कर रहा था और शेफ डशेस बनाने के लए हो टल के कचन तक जाना चाहता था।
‘ टोव को यहां ले आओ!’ म च लाया। ‘एमएलए सर आ रहे ह। म हो टल क रसोई
पर भरोसा नह कर सकता।’
जा हर है, म चाहता था क आरती भी मेरे पहले मेहमान म शा मल हो। ले कन मने
खुद से वादा कया था क आरती मेरे घर म आएगी तो मेरी गल ड क तरह, कसी और
क गल ड क तरह नह ।
उसने मुझे एसएमएस कया – ‘काम कैसा चल रहा है? मुझे तु हारा घर कब दे खने को
मलेगा?’
मने जवाब दया – ‘तुम जब चाहे आ सकती हो, ले कन एक बार आने के बाद म तु ह
जाने न ं गा। इस लए मुझे पहले राघव से मल लेने दो।’
‘आर यू योर? म तु हारी और राघव क मुलाकात के बारे म ब त नवस ं।’
म उसे र लाई कर ही रहा था क मेरा फोन घनघनाया। मने शु ला-जी का कॉल
उठाया।
‘सर, हम पू रयां बनवा रहे ह। घर से कुछ भी खाकर मत आइएगा, ओके?’ मने कहा।
‘घर प ंचो, गोपाल,’ उ ह ने कहा।
‘म घर पर ही ं। अपने नए घर पर। मेरा मतलब है, यह आपका भी तो घर है।’
‘मेरी ऐसी-तैसी हो चुक है,’ शु ला-जी ने कहा। उनक आवाज ब त तनाव से भरी
ई थी।
‘ या?’
‘मेरे घर आ जाओ। तु हारा वह कमीना दो त, म उसे छोडू ं गा नह । फौरन मेरे घर
प ंचो।’
‘ले कन आ या? हमने आपके लए लंच...’ म कह रहा था, ले कन उ ह ने फोन
काट दया।
शेफ हांफता आ मेरे घर पर प ंचा। उसके कंधो पर भारी टोव था।
‘केवल एक घंटे म लंच तैयार हो जाएगा,’ उसने मुझे आ ासन दे ते ए कहा।
‘लंच कसल हो चुका है,’ मने कहा और घर से बाहर चला आया।
मेरा फोन बीप आ। आरती का एक और मैसेज था।
‘तु ह मुझे अपने घर को डे कोरेट करने का एक मौका दे ना चा हए। आ खरकार, म
होटल इंड से वा ता रखती ं।’
मने उसे जवाब म एक माइली भेज द और फोन अपनी पॉकेट म रख लया।
‘सीधे एमएलए शु ला के घर चलो,’ मने ाईवर से कहा।
शु ला-जी के बरामदे म उनके आदमी घेरा बनाकर खड़े थे। वे इतने मायूस नजर आ रहे थे
क लग रहा था अभी–अभी कसी क मौत ई हो। कॉफ टे बल पर गुलाबी रंग के कागज
बखरे पड़े थे।
‘शु ला सर कहां ह?’ मने पूछा।
उनके एक पाट कायकता ने उनके ऑ फस क ओर इशारा कया। ‘यहां को। वे एक
ज री कॉल पर ह,’ उसने कहा।
‘ या आ?’ मने कहा। कायकता ने कोई जवाब नह दया। वह गुलाबी कागज क
ओर दे खता रहा। मने एक कागज उठाया।
‘रेवो यूशन 2020,’ मा टहेड पर हमेशा क तरह बड़े -बड़े अ र म ऊटपटांग ढं ग से
लखा था। उसके लोगो म भारत का एक छोटा–सा न ा था, जसम रेवो यूशन के
तथाक थत कमांड सटस दखाए जा रहे थे।
‘एमएलए प व नद को गंदा करके पैसा कमा रहे ह!’ हेडलाइन म लखा था। शु ला-
जी क एक घ टया वा लट क लैक एंड हाइट त वीर पेज के एक-चौ थाई ह से को
घेरे ए थी।
‘ दमनापुरा सीवेज टमट लांट के लए दए गए 25 करोड़ पय म से एमएलए ने
20 करोड़ हजम कए,’ यह खबर का उपशीषक था।
‘ये तो ब त पुराने, घसे– पटे आरोप ह ना?’ मने कहा। राघव इसी तरह क हरकत
करना पसंद करता था, ले कन मुझे लगता था क कोई भी उसके इस चथड़े नुमा अखबार
म छपी चीज क परवाह नह करता होगा।
कमरे म मौजूद कसी ने मेरी बात का जवाब नह दया। पाट के आधे कायकता
तो यूं भी अखबार नह पढ़ सकते थे। बाक इतने डरे ए लग रहे थे क उनक बोलती बंद
थी। म खबर पढ़ने लगा।

‘सोमवार क सुबह नवबाग म ब का एक समूह कमर तक सीवेज वाटर म


डू बकर अपने कूल पढ़ने जाता है। अपने आसपास इतने गंदे पानी को दे खकर
कसी का भी जी घबरा जाए। हवा म बदबू फैली रहती है। आस–पड़ोस के लोग
को पता ही नह है क या आ है। वे यह जानते ह क सरकार ारा गंगा ए न
लान (जीएपी) लागू करने से पहले ऐसे हालात नह थे। हां, जो लान प व नद
को साफ करने के लए था, वही अब हमारे शहर म और गंदगी फैला रहा है।
‘कैसे? य क नद क सफाई के लए कसी भी प रयोजना को लागू ही नह
कया गया। नवबाग क बात अगर रहने भी द, तो भी नद म गंदगी बेहद बढ़ गई
है। मसाल के तौर पर पानी म फेकल कॉलीफॉम नामक एक बै ट रया क तादाद
2000 त लीटर से अ धक नह होनी चा हए, ले कन घाट पर यह तादाद पं ह
लाख त लीटर के आसपास है। हमारी नद ही गंद नह ई है, इस कारण हम
वा य क कई गंभीर सम या से भी जूझ रहे ह।’

मने शु ला–जी को उनके ऑ फस से बाहर नकलते दे खा। म दौड़कर उनके पास प ंचा।
उ ह ने मुझे कने का इशारा कया। मने दे खा क वे अब भी फोन पर बात कर रहे थे।
उ ह ने कुछ फाइल उठाई और ऑ फस म लौट गए। म फर से पढ़ने लगा।

“रेवो युशन 2020’ को जीएपी घोटाले के बारे म कई सच पता लगे। ले कन सबसे


हैरतनाक खबर वधायक रमन लाल के दमनापुर सीवेज टमट लांट के बारे म
है। 25 करोड़ पए लगाकर बनाए जाने के बावजूद यह लांट साल तक बेकार
पड़ा रहा। आ खरकार जब इसम काम शु आ तो पाया गया क यह तो पानी
को साफ ही नह कर सकता है। लांट के भीतर या- या आ, इस बारे म हमारे
पास कुछ च काने वाले त य सबूत के साथ ह।’

‘यह वप का कया-धरा है,’ एक पाट कायकता ने सरे से कहा। म बैठकर वह लेख


फर से पढ़ने लगा।

‘जब अन टे ड पानी लांट म प ंचा, तो उसके अ सी फ सद ह से को व णा


नद म बहा दया गया और इस तरह उसे बना साफ कए सीधे-सीधे डं प कर दया
गया। बाक बीस फ सद पानी दमनापुर लांट के अपने ए जट से नकाला गया
और वह भी अन टे ड ही था। जब इं े टस ने लांट से पहले और बाद म इनपुट
और आउटपुट मेजरमट् स लए तो उनम षक त व म अ सी फ सद क कमी
दखा द गई। इधर व णा नद म डं प कया गया गंदा पानी कुछ कलोमीटर
चलकर गंगा नद म आ मला। नतीजा यह रहा है क टमट के नाम पर कुछ भी
नह आ और नद हमेशा क तरह षत ही रही। षण म अ सी फ सद क
कमी दखाकर शु ला ने लांट का े डट ले लया। कं न कंपनी एलीडकॉन
वधायक के चाचा रोशन शु ला क है, ज ह ने उन प के नकली बल बनाए,
जो कभी खरीदे ही नह गए थे (नीचे कैन कॉपी। )’
‘हम इस पेपर को जड़ से उखाड़ फकगे,’ मुझे इतने यान से पढ़ते दे ख एक पाट कायकता
ने मेरे कान म फुसफुसाते ए कहा।
पेज के नचले ह से म अनेक त वीर थ । इनम 15 करोड़ के प क खरीद के फज
बल भी शा मल थे। साथ म मौके क वा त वक त वीर लगाई गई थ , जहां इस तरह के
कोई प नह थे। प नमाता के एक प क कै कॉपी बता रही थी क उ ह ने कभी
कोई प स लाई नह कए। एलीडकॉन क म कयत का ढांचा शु ला–जी के प रवार से
र ते बयां कर रहा था। सबसे अंत म पेपर म व णा नद क एक त वीर द गई थी, जसम
एक डॉट लगाकर उस ऐन ब को दखाया गया था, जहां गंदा पानी छोड़ा जा रहा था।
‘सीएम लखनऊ से आ रहे ह,’ एक पाट कायकता ने कहा तो पूरे कमरे म चता भरी
खुसफुसाहट फैल गई।
यक नन, राघव ने इस खबर पर ब त मेहनत क थी। इससे पहले उसे एक ऐसी खबर
छापने का खा मयाजा भुगतना पड़ा था, जसके लए उसके पास कोई सबूत नह थे।
ले कन इस बार उसने कोई कसर नह छोड़ी थी। फज बल, ठे केदार– वधायक क
सांठगांठ और प व गंगा नद म गंदा पानी छोड़ने क हमाकत, ये तमाम सबूत शु ला–जी
के लए अ खबर सा बत नह होने जा रहे थे। वाराणसी के लोग का भड़क उठना तय
था। कसी राजनेता ारा लूटखसोट करना बुरा है, ले कन प व नद के ह से का पैसा
चुरा लेना तो सबसे संगीन गुनाह था।
‘यह तो ढं ग-से एक अखबार भी नह है,’ शु ला-जी का पीए कसी से ब तया रहा था।
‘इसक हजार-दो हजार कॉपी छपती है। इसक बात पर कोई यान नह दे गा।’
‘रेवो यूशन 2020’ का कम सकुलेशन ही वधायक के लए उ मीद क इकलौती
करण थी। पाट कायकता यूज टड से जतनी कॉ पयां हटा सकते थे, उ ह ने हटा द ।
ले कन ‘रेवो युशन 2020’ मुफा बंटता था, जैसे अखबार के भीतर ोशर डालकर भेज
दए जाते ह। उसक सभी कॉ पय को न कर दे ना नामुम कन था।
आरती का कॉल आया। म लॉन म चला आया।
‘तुमने आज का ‘आर2020’ दे खा?’ उसने कहा। मुझे नह पता था क पेपर का एक
छोटा नाम भी रख दया गया था।
‘मेरे हाथ म ही है,’ मने कहा।
उसने कुछ कहने से पहले गहरी सांस ली। ‘यह ब त यादा तो नह हो जाएगा?’
उसने कहा।
मने कटा कया। ‘राघव कभी ब त यादा से कम कुछ करता है या?’
‘ले कन यह तो हैरान कर दे ने वाली खबर है, है ना? ये लोग गंदे पानी को कह और डं प
कर दे ते ह और दावा करते ह क उ ह ने उसे साफ कर दया है!’
‘वह बड़े लोग से मनी मोल ले रहा है। उसे सावधान रहना चा हए,’ मने कहा।
‘ले कन वह तो सच ही बोल रहा है ना। आ खर कसी न कसी को तो सच बोलना
पड़े गा।’
‘मने केवल इतना ही कहा है क उसे सावधान रहना चा हए,’ मने कहा।
‘म नह चाहती क वह कसी खतरे म पड़ जाए,’ उसने कहा। उसक आवाज डरी
ई–सी थी।
‘वो खतर से र रहना भी तो नह चाहता,’ मने कहा।
‘तो या वह वाकई खतरे म है?’ उसने एक–एक श द पर कते ए कहा।
‘भला मुझे कैसे पता?’ मने कहा। मुझे घर के बाहर ै फक का शोर सुनाई दे रहा था।
‘कम ऑन, गोपाल, तुम और वधायक शु ला...’ उसने कहा और क गई।
‘म कसी घोटाले म शा मल नह ं, ओके?’ मने च लाते ए कहा।
बाहर हॉन का शोर होता रहा। म दरवाजे के करीब चला आया।
‘मने यह तो नह कहा,’ उसने धीमे–से कहा। ‘म तो बस इतना ही चाहती ं क राघव
पर कसी तरह का कोई खतरा न हो। म भले ही उसके लए वफादार नह रही ं, ले कन म
इतना ज र चाहती ं क उसे कोई तकलीफ न हो।’
‘एक सेकंड को, आरती,’ मने कहा।
म गेट पर चला आया। बाहर का नजारा दे खकर मेरी आंख फैल गई। घर के बाहर
अलग–अलग ट वी चैनल क छह वैन पाक ई थ । गाड़से रपोटस को अंदर नह आने
दे ने के लए जूझ रहे थे, जब क वे वधायक के घर को बैक ाउं ड म लेकर लाइव टे लीका ट
करने लगे थे।
‘ या बात है?’ मने एक गाड से पूछा।
‘वे अंदर जाना चाहते ह,’ गाड ने कहा। ‘उ ह पता चल गया है क मु यमं ी आ रहे
ह।’
‘सब ठ क तो है ना?’ फोन पर आरती ने घबराहट म पूछा।
‘हां, अभी तक तो।’
‘मुझे ॉ मस करो क राघव को कुछ नह होगा।’
‘यह मेरे हाथ म नह है, आरती,’ मने झ लाते ए कहा। ‘मुझे तो यह भी नह पता क
अब या होगा। उसका अखबार छोटा–सा है। शायद उसक खबर पर कोई यान ही न दे ।’
‘नह , ऐसा नह होगा,’ उसने कहा।
‘ या?’
‘सभी बड़े अखबार और चैनल अभी ‘रेवो युशन 2020’ के ऑ फस म ह,’ उसने
कहा।
‘बेड़ा गक,’ मने कहा। सफेद एंबेसेडर कार का एक कारवां घर क ओर बढ़ रहा था।
फोटो ाफस बेकाबू हो गए और हर चीज क त वीर उतारने लगे। मेरी भी।
‘राघव को तो कुछ नह होगा ना? ॉ मस मी?’
‘आरती, अभी मुझे जाना पड़े गा।’
फर म चहलकदमी करते ए घर म चला आया।
32

सीएम के घर म आते ही सभी अटशन क मु ा म खड़े हो गए। वधायक के बंगले के एक-


एक इंच म स ा का आभामंडल महसूस कया जा सकता था। शु ला–जी दौड़ते ए आए
और हाथ जोड़कर मु यमं ी को नम कार कया।
‘यहां मी डया को कसने बुलाया?’ सीएम ने सधी ई आवाज म पूछा।
‘ या?’ शु ला ने कहा। कमरे म मौजूद हर क तरह उ ह भी कुछ पता नह था।
‘अंदर चलते ह,’ सीएम ने कहा। दोन नेता वधायक शु ला के ऑ फस म चले गए।
हॉल म सीएम के चमचे और वधायक के चमचे आपस म ब तयाने लगे। चमच के बीच भी
ऊंच–नीच का भेद था। जहां सीएम के चमचे सर उठाकर खड़े थे, वह वधायक के चमचे
फश को ताक रहे थे। म इनम कह भी फट नह बैठता था।
म कमरे म एक कोने म लकड़ी क एक कुस पर बैठ गया।
‘गोपाल,’ शु ल–जी क तेज आवाज से म च क गया। मने ऊपर दे खा। उ ह ने मुझे
भीतर बुलाया।
मेरे भीतर जाते ही वधायक ने दरवाजा बंद कर लया।
‘गोपाल, सर। मेरा कॉलेज यही चलाता है। मेरा भरोसेमंद आदमी है। ाइट एंड...’
‘तुम उस आदमी को जानते हो, जसने यह सब कया है?’ सीएम ने मुझसे पूछा। उ ह
मेरे गुण और मेरी का ब लयत म कोई दलच ी नह थी।
‘राघव क यप, सर। कभी मेरा दो त आ करता था, अब नह है।’
‘तुम उसका मुंह बंद नह करा सके?’ सीएम ने कहा।
‘हमने उसे ‘दै नक’ से नकलवा दया तो उसने अपना खुद का पेपर शु कर लया,’
मने कहा। ‘ले कन उसका पेपर कोई नह पढ़ता है।’
‘मी डया को भनक लग गई है। उसका पेपर भले ही दो कौड़ी का हो, ले कन य द वह
सभी जगह जाकर बात करता है या मी डया को सबूत दे दे ता है, तो ब त बुरा होगा।’
‘उसने पहले ही यह सब करना शु कर दया है,’ मने कहा।
उन दोन ने मेरी ओर इस तरह दे खा, मानो इसके लए मुझे दोषी ठहरा रहे ह ।
‘मेरे सोसस ने मुझे बताया। म तो उसके संपक म नह ं,’ मने सफाई दे ते ए कहा।
‘ या हम उसे हडल नह कर सकते?’ सीएम ने पूछा। ‘तुम लोग को हडल कए बना
कॉलेज कैसे खोल सकते हो?’
म समझ गया क ‘हडल करने’ से उनका या मतलब था।
‘उसे खरीदा नह जा सकता, सर,’ मने कहा। एक पल को मुझे राघव पर गव आ।
मुझे लगा यह एक अ बात थी -एक ऐसा होना, जसे खरीदा न जा सके।
‘खरीदा नह जा सकता से तु हारा या मतलब है? हर आदमी क एक क मत होती
है,’ सीएम ने कहा।
‘उसक ऐसी कोई क मत नह है,’ मने कहा। ‘म उसे साल से जानता ं। वह पागल
है।’
‘वेल, तब तो इसका यह मतलब है क वह जीना नह चाहता य ?’ शु ला-जी ने
कहा। मने दे खा क उनक आंख लाल हो ग थ । मने सीएम क ओर दे खा। उ ह ने सर
हलाया।
‘शु ला–जी का दमाग अभी ठकाने नह है,’ उ ह ने कहा।
‘नह , सीएम सर म ऐसा नह ...’ शु ला-जी ने अपनी बात शु क।
‘चुप हो जाइए, शु ला-जी,’ सीएम ने कहा। उनक आवाज तेज थी। ‘आपको कुछ
पता भी है या हो गया है?’
वधायक ने गदन झुका ली।
‘आपने लांट तक नह बनाया? दस फ सद इधर-उधर हो जाने से कोई फक नह
पड़ता। आपने या सोचकर व णा नद म गंदा पानी डं प कर दया? यह गंगा मैया का
सवाल है। लोग हम जान से मार डालगे,’ सीएम ने कहा।
मने कमरे से बाहर जाना चाहा, ले कन सीएम ने मुझे वह कने को कहा।
‘अगले साल चुनाव ह। रमन, मने कभी तु हारे मामल म दखल नह दया। ले कन यह
मामला हम ले डू बेगा।’
‘म सब ठ क कर ं गा, सीएम सर,’ शु ला ने कहा, ‘म ॉ मस करता ं।’
‘ले कन कैसे? जन ल ट को जान से मारकर?’
‘मने वह गु से म कह दया था,’ शु ला–जी ने कहा। उनका बात करने का लहजा
माफ भरा था।
‘गु से म आदमी ब त-सी ऐसी चीज कर जाता है, जसक उससे उ मीद नह क जा
रही थी। गु से म आकर लोग सरकार उलट दे ते ह। मुझे पता चल जाता है क कसी
घोटाले क खबर म दम है या नह । इस खबर म दम है।’
‘आप ही बताएं म या क ं , सर,’ शु ला-जी ने कहा, ‘आप जो कहगे, म वही
क ं गा।’
‘इ तीफा दे दो,’ सीएम ने कहा और उठ खड़े ए।
‘ या?’ शु ला–जी ने कहा। उनका चेहरा कुछ इस तरह सफेद पड़ गया, मानो उसे
बीच कया गया हो।
‘यह कोई पसनल मामला नह है। इ तीफा दे कर अपनी नाक कटने से बचाओगे तो
बाद म तु ह वापसी का भी मौका मलेगा।’
‘नह तो?’ वधायक ने कुछ दे र ककर कहा।
‘मुझे तु ह बखा त करने को मजबूर मत करो, शु ला। तुम मेरे दो त हो,’ मु यमं ी ने
कहा। ‘ले कन पाट दो ती से बढ् कर होती है।’
शु ला–जी समझ गए क वे कस मुसीबत म फंस चुके ह। उ ह ने गु से म मुट् ठयां
भचल।
‘य द तुम अभी इ तीफा दे दे ते हो, तो तु ह बाद म वापस लाने क ज मेदारी मेरी,’
सीएम ने कहा।
इतना कहकर वे धीरे–धीरे अपने चमच के साथ बाहर नकल गए। बाहर ेस सीएम के
बयान का इंतजार कर रही थी। म भी उनके पीछे –पीछे गेट पर चला आया।
‘म यहां एक ट न व जट के सल सले म आया था,’ सीएम ने प कार से कहा।
‘ दमनापुरा लांट घोटाले के बारे म आप या सोचते ह?’ एक प कार ने जोर –से
च लाते ए कहा।
‘मुझे इस बारे म यादा कुछ पता नह है। लगता है यह हम बदनाम करने क सा जश
है। हमारी पाट का ाचार को लेकर साफ ख है। य द हमारे कसी नेता पर आरोप भी
लगते ह, तो हम उससे इ तीफा ले लेते ह।’
सीएम प कार को धकेलते ए आगे बड़े और अपनी कार म बैठ गए।
‘तो या वधायक शु ला इ तीफा दगे?’ प कार म से एक ने जैसे–तैसे सीएम के
चेहरे से अपना माइक सटा दया।
‘यह फैसला तो उ ह ही करना है,’ सीएम ने कहा। उ ह ने इशार ही इशार म बता
दया क वधायक को इ तीफा दे ना ही पड़े गा।
सीएम क कार चली गई। म सोचने लगा क अब मेरे गंगाटे क का या होगा। म
शु ला–जी के कमरे म चला आया।
‘हम उस अखबार के द तर को तहस–नहस कर दगे,’ एक कायकता ने शु ला-जी से
कहा।
शु ला-जी ने कोई जवाब नह दया।
‘हम बताइए, या करना है। सीएम सर ने या कहा?’ एक और चमचे ने पूछा।
‘मुझे अकेला छोड़ दो शु ला–जी ने कहा। कायकता समझ गए क उ ह या करना
है। कुछ ही सेकंड म वे ततर– बतर हो गए। ज द ही उनके बड़े –से घर म केवल म और वे
ही बचे रह गए थे।
‘सर मने कहा। ‘ या म आपके लए कुछ कर सकता ं?’
शु ला-जी ने मेरी ओर दे खा। उनक चर–प र चत दबंगई अब नदारद हो चुक थी। वे
कुस म आगे झुककर बैठे थे। उनक कोह नयां कुस के ह पर टक थ और चेहरा
हथे लय म छु पा आ था।
‘मु यमं ी भेनचोद है!’ उ ह ने कहा।
म चुप रहा।
‘जब उसको अपने चुनाव के लए फं डग क ज रत थी, तो वह मेरे पास आता था।
उसके सारे ऊटपटांग काम म करता था। पूरे रा य म दा म बांटता था। अब वह मुझे ही
ठकाने लगा रहा है।’
‘आप हमेशा क तरह इन हालात का सफलता से सामना करगे
शु ला-जी।’
‘ कसी को गंगा क सफाई से मतलब नह है। उस लान से सभी ने पैसा कमाया। तो
फर अकेला म ही इ तीफा य ं ?’
मेरे पास इस सवाल का कोई जवाब न था। मुझे जरा–सी ग महसूस ई। शायद
राघव ने शु ला–जी के सा थ ऐसा इस लए कया, य क वह मुझसे हसाब बराबर करना
चाहता था। या शायद यह सब मेरी क पना थी। राघव कसी को भी ए सपोज कर सकता
था।
‘तुम गंगाटे क को ढं ग से चलाना, ओके? म नह चाहता क यहां से कोई क चड़ वहां
तक प ंचे,’ उ ह ने कहा।
‘ऑफ कोस, सर,’ मने कहा। ‘आप तो हमारे साथ ह ही, सर। हमने वकास क बड़ी
योजनाएं बनाई ह।’
‘वे लोग मुझे बंद कर दगे, उ ह ने धीमे-से कहा। राजनी त म इतने साल बताने के बाद
वे इतने समझदार तो हो ही गए थे क आने वाली घटना का पहले से अनुमान लगा सक।
‘ या?’ मने हैरत से कहा।
‘इ तीफा दे ने के बाद मेरे पास कोई पॉवर नह होगी। जीएपी घोटाले से अनेक
वधायक ने पैसा कमाया है। इससे पहले क यह बात फैले, वे लोग मुझे जेल म बंद करवा
दगे, ता क यह दखा सक क उ ह ने कुछ कारवाई क है।’
‘आप वधायक ह, शु ला-जी। पु लस आपको छू भी नह सकती,’ मने कहा।
‘य द सीएम का म हो तो पु लस मुझे बड़ी आसानी से छू सकती है। मुझे कुछ समय
जेल म रहना होगा।’
अपने मटर के जेल जाने क बात सोचकर ही म बेचैन होने लगा। नया म ब त कम
लोग ऐसे थे, ज ह म अपना कह सकता था। शु ला-जी उ ह म से एक थे।
‘यहां को,’ शु ला-जी ने कहा और उठ खड़े ए। वे अपने बेड म म गए और
चा बय का एक गु ा लेकर लौटे ।
‘इसे रख लो,’ उ ह ने कहा। ‘मेरा ऐसी चमक-दमक क चीज के साथ दे खा जाना
अ ा नह होगा।’
मने चा बयां उठा ल । वे लैक मस डीज क चा बयां थ ।
‘आपक नई कार? नह , म इसे नह ले सकता।’ मने चा बयां फर से टे बल पर रख द ।
‘मेरे लए रख लो। तुम मेरे बेटे जैसे हो। म ट को भी कुछ पैसा दे ं गा। कॉलेज म
चार चांद लगा दे ना।’
‘अकेले? म ऐसा अकेले कैसे कर सकता ं?’ मने भराए गले से कहा। ‘आप तो मेरे
घर पर भी नह आए।’
‘अब म यहां से बाहर नह नकल सकता। मेरे भाई-बंधु बाहर कैमरा लए खड़े ह,’
उ ह ने कहा।
शु ला-जी अगले एक घंटे तक मुझे अपने अलग–अलग बक खात और धं धो के बारे
म बताते रहे। उनके आदमी हर जगह बैठे ए थे, ले कन इसके बावजूद वे कसी इमजसी
क त से बचने के लए मुझे सब कुछ बताए दे रहे थे। ‘गंगाटे क मेरा सबसे बेदाग
बजनेस है। एक दन वही मेरी वापसी म मददगार सा बत होगा।’
उ ह ने मेरे सामने अपना इ तीफा लखा और मुझे उसे लखनऊ फै स करने को कहा।
ांस मशन शु होते ही फै स मशीन ने बीप कया। ‘उसने हमारी ऐसी-तैसी कर द
है, है ना?’ शु ला-जी ने कहा।
‘कौन?’ मने कहा।
‘तु हारा दो त। मने उसे नौकरी से बाहर करवा दया, उसने मुझे नौकरी से बाहर करवा
दया।’
‘उसने मेरी जदगी बबाद करने क को शश क है म उसक जदगी बबाद करने क
को शश क ं गा,’ मने कसम खाते ए कहा।
33

अगली सुबह वाराणसी के हर अखबार ने दमनापुरा लांट घोटाले क खबर अपने ं ट पेज
पर लगाई। शु ला-जी के इ तीफे क खबर लोग तक प ंच चुक थी। वे अब इस शहर के
लए वलेन बन गए थे और उनका नया हीरो बन गया था राघव क यप। सभी उसके
टु पड पक पेपर क ब त तारीफ कर रहे थे। लोकल ट वी चैनल ने घोटाले को घंट तक
कवर कया।
म अपने नए फोट इंच एलसीडी ट वी पर चैनल बदलता रहा। एक चैनल पर राघव का
इंटर ू दे खकर म क गया।
‘हम घोटाले के लए सभी ज री सबूत जुटाने के लए दो महीने तक चुपचाप काम
करना पड़ा। सभी को पता था क वधायक गलत काम कर रहे ह, ले कन उनके खलाफ
कोई सबूत नह थे। हमारी ट म ने यही कया। उसने ज री सबूत जुटा लए,’ राघव ने
आ मसंतोष के साथ कहा। वह बला हो गया था। उसके चेहरे पर दाढ़ बड़ी थी और
उसके बाल बखरे ए थे। वह शायद ठ क से सोया भी नह था। ले कन इसके बावजूद
उसक आख म चमक थी।
‘आपक ट म म कौन–कौन ह?’ रपोटर ने उससे पूछा।
‘वेल, हम’ ‘रेवो युशन 2020’ नाम का एक छोटा–सा अखबार नकालते ह। उसम मेरे
स हत चार लोग काम करते ह। हम यादा अनुभव नह है, ले कन हमम कुछ कर गुजरने
का ज बा है।’
‘ या कर गुजरने का ज वा
‘बदलाव करने का। दे श को बेहतर बनाने का। हम इसी लए जी रहे ह,’ राघव ने कहा।
‘ या यह सच है क आपको लगता है वष 2020 म भारत म एक ां त होगी?’
‘हां, ले कन उसके लए हम सभी को मलकर काम करना होगा और कुबा नयां दे नी
ह गी।’
‘ ां त का मकसद या होगा?’
‘एक ऐसा समाज बनाना, जसम स ा से यादा सच, याय और समानता का स मान
हो। ऐसे समाज ही सबसे यादा तर क करते ह।’
‘ या आप थोड़ा ए स लेन करगे?’
‘जो समाज स ा क बु नयाद पर चलते ह, वे जानवर क नया क तरह होते ह।
जंगल के जानवर पर यह नयम लागू होता है क जो सबसे ताकतवर है, वही सही है।
ले कन जानवर कभी तर क नह करते, इंसान करते ह।’
मने ट वी बंद कर द । म उसक बकवास को यादा दे र तक बदा त नह कर सकता
था। न ही शु ला-जी के आदमी उसे सहन कर सकते थे।
उनक पाट के एक कायकता नतेश ने मुझे सुबह फोन लगाया।
‘तुमने या तोड़ दया?’ मने उससे पूछा।
‘उसका इकलौता कं यूटर अब टु कड़े –टु कड़े हो चुका है। हमने हथौड़ से उसक टग
ेस भी तोड़ डाली।’
‘ कसी ने तु ह दे खा तो नह ?’
‘हम रात को गए थे। हमने उसका ऑ फस तहस–नहस कर दया। हरामजादा। उसका
काम अब खतम।’
म काम के लए तैयार हो गया। बाहर मस डीज खड़ी थी। घर से ऑ फस केवल 300
गज के फासले पर था, इसके बावजूद म अपनी नई कार म बैठकर वहां जाना चाहता था।
मने राघव के बारे म सोचा। कल उसे इतनी तारीफ मली, सभी लोग का यान उसक
तरफ था, ले कन आज उसके पास केवल एक टू टा आ ऑ फस है, और कुछ नह ।
उसके पास जॉब नह था, बजनेस नह था और जैसे ही यह खबर पुरानी पड़ जाएगी,
कोई भी उसके पेपर क परवाह नह करेगा।
‘कहां चलना है, सर?’ ड़ाइवर ने कहा।
‘ऑ फस,’ मने कहा।
म मन ही मन सोचने लगा क य द मुझे राघव से कुछ कहना पड़े तो म या क ंगा।
‘मामूली आदमी–सा नजर आने वाला भ गोपाल म ा जसे तुमने यह हदायत द
थी’ क तुम अगले साल फर को शश कर सकते हो, ‘आज एक मस डीज कार म बैठा है,
जब क तु हारे पास केवल एक टू ट ई टग ेस है। और तु ह लगता है क तुम हडसम
हो, है ना? वेल ज द ही तु हारी गल ड भी मेरी बांह म होगी। वह, जसे तुमने मुझसे छ न
लया था।’
‘सर ाइवर ने कहा। हम ऑ फस प ंच चुके थे।
म ऑ फस म दा खल आ, चमड़े क कुस म धंस गया और आख मूंद ल । म क पना
करने लगा क जब म राघव को बताऊंगा क ‘आरती अब मेरी है’, तो उसके चेहरे पर या
भाव आएंगे। वह अ त नजारा होगा। मने सब लान कर रखा था। म उसके ऑ फस म
जाऊंगा। उसक टे बल पर मस डीज क चा बयां रखूंगा। मने यह भी सोच रखा था क म
उससे या क ंगा।
‘यह बात हमेशा याद रखना क कभी–कभी लूजस भी जदगी क दौड़ म आगे नकल
जाते ह,’ मने ै टस करते ए जोर से कहा।
ले कन म अभी तक यह नह सोच पाया था क आरती और मेरे बारे म उसे कस तरह
बताऊं। मने कुछ पं यां आजमाने क को शश क ।
‘मेरे दो त, मुझे यह कहते ए ब त अफसोस हो रहा है, ले कन अब आरती मेरी है,’
मने फुसफुसाते ए कहा।
ले कन मुझे लगा क इस डायलॉग म मदानगी का अहसास कम है।
‘आरती और म कपल ह। मने सोचा क तु ह बता ं ,’ मने एक कैजुअल डायलॉग
बोलने क को शश क , ले कन इससे भी काम नह बना।
आ खर हम उस वा य को इतनी आसानी से कैसे बोल सकते ह, जसे हम साल से
कहना चाह रहे ह ? म चाहता था क मेरे श द उसे बम के धमाके क तरह लग। उसे ऐसा
लगे जैसे उस पर कसी ने जानलेवा ह थयार से हमला कया हो। म उसे बता दे ना चाहता
था क उसके कारण मने अपनी पूरी जदगी अपने को कतना छोटा महसूस कया है। म
चाहता था क मेरी कार, मेरी कामयाबी को दे खकर वह जल–भुन जाए। उसे यह जानकर
गहरी ठे स प ंचे क जस लड़क को उसने मुझसे छ न लया था, वह भी अब उसके साथ
नह है। वा तव म म उसे बना कहे ही यह कह दे ना चाहता था -‘आई एम बेटर दे न यू,
एसहोल!’
आरती के कॉल ने मेरे वचार म खलल डाला।
‘उन लोग ने उसके ऑ फस को तहस-नहस कर दया है,’ उसने कहा। उसक आवाज
से लग रहा था क वह ब त परेशान है।
‘अ ा?’ मने अनजान बनने का अ भनय कया।
‘अब’ रेवो यूशन 2020 ‘नह छप सकता। ेस भी तोड़ द गई है,’ उसने कहा।
मने अपनी डे क पर रखी फाइल पर नजर दौड़ाई। मुझे इससे कोई फक नह पड़ता
था क वह टु पड अखबार छपता है या नह छपता है।
‘तुम मेरी बात सुन रहे हो?’ आरती ने कहा।
‘ वधायक शु ला को जेल जाना पड़ सकता है,’ मने कहा।
‘उसे जेल जाना ही चा हए, है ना? उसने जनता का पैसा चुरा लया और नद को गंदा
कर दया।’
‘तुम उसक तरफ हो या मेरी तरफ?’ मने झुंझलाते ए आरती से कहा।
‘ या? इसम कसी क तरफ होने वाली या बात है?’ उसने कहा।
‘तुम मेरे साथ हो?’ मने कहा।
‘ या?’ उसने कहा।
‘तुम मेरे साथ हो?’
‘हां। ले कन या हम राघव के सेटल हो जाने तक इंतजार नह करना चा हए?’
‘ या वह अपनी जदगी म कभी सेटल हो पाएगा?’
वह चुप हो गई।
‘मेरे घर आओ,’ मने कहा।
‘तु हारे घर?’ उसने कहा। ‘तुम मुझे फाइनली अपना नया घर दखाओगे?’
‘हां।’
‘कल कैसा रहेगा? मेरी मॉ नग श ट है। तीन बजे तक काम पूरा हो जाएगा।’
‘म अपनी कार भजवा ं गा,’ मने कहा।

मेरी एक नजर ट वी पर थी और सरी पोच पर जमी ई थी। म अपनी मस डीज के आने


का इंतजार कर रहा था, जसम बैठकर आरती आ रही थी। दोपहर को ई बा रश के
कारण ै फक क र तार धीमी पड़ गई थी। इसी कारण कार को आने म सामा य से यादा
समय लग रहा था। ट वी पर शु ला-जी क गर तारी क त वीर दखाई जा रह थ ।
‘मने कुछ भी गलत नह कया है। मुझे यक न है क म ज द ही रहा हो जाऊंगा,’
उ ह ने एक चैनल से बात करते ए कहा। उ ह ने लोग क सहानुभू त जीतने के लए
समय से पहले ही खुद को गर तार करवा दया था। जेल जाने से पहले उ ह ने मुझे कॉल
कया था। वे रलै स नजर आ रहे थे। शायद उ ह ने अपनी पाट से कोई सौदा कर लया
था। या शायद उ ह पता नह था क पाट ने उ ह ब ल का बकरा बना दया है।
‘जेल इतनी बुरी नह है। य द मुझे इसके लए पैसा चुकाना पड़े तो यह कसी होटल
क तरह होगी,’ उ ह ने मुझसे कहा था।
मने काली कार को आते दे खा। मेरा दल जोर -से धड़कने लगा। म दौड़कर बाहर
प ंचा।
34

वह कार से बाहर नकली। वह अपने काम क यू नफॉम यानी साड़ी म आई थी।


‘वॉव, तुम तो अब बंगले वाले हो गए हो!’ उसने कहा। ‘यह ‘मेरा’ नह ‘हमारा है’, म
उससे कहना चाहता था, ले कन नह कहा।
उसने मुझे हग कया, ले कन वह गंभीर नजर आ रही थी।
‘सब ठ क तो है?’ मने पूछा।
‘राघव क खबर ने ब त उथलपुथल मचा द है। यहां तक क मेरे प रवार पर भी
इसका असर पड़ा है,’ उसने कहा।
‘ या आ?’ मने कहा। ‘ले कन यह या है, पहले भीतर तो आओ!’
वह भीतर आई। उसने स क के नए कापट पर कदम रखा, जो मने उसके लए
बछाया था। उसने बड़ी-सी ट वी, वेलवेट के सोफे और आठ सीट वाली डाय नग टे बल
दे खी। एक पल को वह राघव के बारे म सबकुछ भूल गई।
‘तु हारा कॉलेज इतना अ ा चल रहा है!’ उसने कहा। उसक आंख फैल ग थ ।
‘यह तो केवल शु आत है,’ मने कहा और उसे बांह म भर लेने के लए आगे बढ़ा।
‘अगर तुम मेरा साथ दो तो दे खना म इस कॉलेज को कहां से कहां ले जाऊंगा। तीन साल
के भीतर म इसे यू नव सट टे टस दलवा ं गा।’
‘तुम तो बड़े आदमी बन गए हो, गोपाल,’ उसने कहा।
मने अपना सर हलाया। ‘ले कन तु हारे लए, म वही पुराना गोपी ं,’ मने कहा। फर
मने उसका माथा चूम लया।
म उसे अपना घर दखाने लगा। हम ऊपर गए और तीन बेड म को दे खा। मेरे म म
एक कगसाइज बेड था, जस पर बारह इंच मोटा मै े स बछा था। बेड के पास मने एक
आरामकुस रखी थी, जो बाबा क आरामकुस से मलती-जुलती थी।
म उसे घर दखाता रहा, ले कन वह चुप रही। म जब भी उसे कोई चीज दखाता, जैसे
माबल टाइ स या लट एयर कंडीशनर, वह हैरत से उसे दे खती रहती। ले कन शायद उसे
मेरे घर से यादा दलच ी मेरे चेहरे पर झलक रहे उ साह को दे खने म थी।
म ब तर पर पसर गया। वह आरामकुस पर बैठ गई। हमने खड़क क ओर दे खा,
जसके शीश पर बा रश का पानी तड़ातड़ बरस रहा था।
‘बा रश हो रही है,’ उसने उ साह के साथ कहा।
‘यह अ ा शगुन है। तुम पहली बार हमारे घर आई और बा रश होने लगी,’ मने कहा।
उसक एक भ ह तन गई।
‘यह हमारा घर है मेरा नह । यह मने हम दोन के लए बनाया है,’ मने कहा।
‘शट अप। जब कं न शु आ था, तब तु ह नह पता था क हम साथ–साथ
ह गे,’ उसने कहा और खल खलाकर हंस पड़ी।
म मु करा दया। ‘करे ट। ले कन मने यह सब हम दोन के लए ही कया है। नह तो
मुझे इतने बड़े घर क भला या ज रत थी?’
‘तुम डायरे टर हो। डायरे टर होना कोई मजाक नह होता,’ उसने कहा।
‘तुम राघव के बारे म बात करना चाहती हो?’ मने कहा। मुझे लगा क शायद उसे
इसक ज रत थी।
‘हम उस बारे म बात करने क ज रत नह है,’ उसने कहा और एक साहसी
मु कराहट के साथ अपना सर हला दया।
‘यहां आओ,’ मने ब तर पर थपक दे ते ए कहा।
वह झझक , ले कन मने अपना हाथ आगे बढ़ा दया। उसने मेरा हाथ थाम लया। मने
उसे आ ह ते–से ख च लया। मने उसे कस कया और उसने भी बदले म मुझे कस
कया। उसक आख मुंद ई थ । यह आवेशपूण और कामुक चुंबन नह था, यह प व
और शु चुंबन था, अगर इस तरह का कोई चुंबन मुम कन होता हो तो। खैर हमने एक–
सरे को ब त दे र तक चूमा। हम एक– सरे को इतने आ ह ते–से चूम रहे थे, जतने
आ ह ते–से खड़क पर बा रश गर रही थी। मने अपने गाल पर उसके आंसू महसूस
कए। म क गया और उसके कंध को थाम लया। उसने मुझे बांह म भर लया और मेरे
सीने म अपना चेहरा छु पा लया। आरती हमेशा ऐसा ही करती थी और मुझे ऐसा ब त
अ ा लगता था। इससे म खुद को ोटे टव महसूस करता था।
‘ या आ, माय लव?’ मने उससे कहा।
‘म तु हारी कामयाबी के लए ब त खुश ं, गोपाल, रयली।’
‘तु हारी नह हमारी कहो,’ मने कहा।
उसने अपने आंसू नगलते ए सर हला दया।
‘म हम दोन के लए खुश ं और म नह चाहती क तुम अपने इन क मती ल ह को
मुझे अपना घर दखाने म ही गंवा दो।’
‘इट् स फाइन,’ मने कहा।
‘तुमने यहां तक प ंचने के लए ब त मेहनत क है। तुम इस सबके लायक हो उसने
कहा।
‘तुम कस बारे म बात करना चाह रही थ ?’ मने कहा।
उसने सर हलाया और खुद को संभालने क को शश करने लगी। म उसके बोलने का
इंतजार करता रहा।
‘म ठ क ं। लड़ कयां इमोशनल होती ह। तुम ज द ही मेरी ामेबाजी के आद हो
जाओगे,’ उसने कहा।
‘म तु हारी इन ामेबा जय के लए ही जी रहा ं,’ मने कहा।
वह मु करा द ।
‘राघव कैसा है?’
‘उन लोग ने उसका ऑ फस तहस–नहस कर दया है,’ उसने कहा।
‘पॉ ल ट शयंस ब त कमीने होते ह। उसे तो कुछ नह आ ना?’ मने कहा।
‘नह , थक गॉड। ले कन कं यूटर और मशीन टू ट गई ह। वह पेपर छापना चाहता है,
ले कन उसके पास पैसा नह है।’
‘उसे पैसा चा हए? वह मुझसे कह सकता है,’ मने कहा। म चाहता था क वह घुटन
के बल आए और मेरे सामने गड़ गड़ाए।
‘तुम जानते हो वह ऐसा कभी नह करेगा। वह तो मुझसे भी पैसे नह लेगा।’
‘तो?’ मने कहा।
‘वह कुछ न कुछ करने क को शश कर रहा है।’
‘ या तुम अब भी मेरे साथ हो?’ मने कहा।
‘गोपाल!’ उसने कहा।
‘ या आ?’
‘नह तो आज म यहां तु हारे बेड पर नह बैठ होती तुम यह जानते हो...’
‘ओके, ओके,’ मने कहा। मने एक त कया उठाया और उसक आरामकुस के ह े से
टककर बैठ गया। वह मेरे सामने थी।
‘तु ह मुझसे इतने सारे सवाल पूछने बंद कर दे ने चा हए। लीज अंडर टड, यह मेरे
लए ब त मु कल है,’ उसने कहा।
‘ या?’ मने कहा।
‘उससे ेकअप करना, खासतौर पर इस समय। और तुम चाहते हो क उसे यह खबर
तुम सुनाओ।’
‘ जदगी इसी का नाम है आरती,’ मने कहा। म अगले ह ते राघव से मलने क
ला नग कर रहा था।
‘हम ससे टव होना चा हए...’ उसने कहा।
‘जब म लगातार दो साल तक अपनी–ऐस ए स लीयर नह कर पाया, तब तो कोई
मेरे लए ससे टव नह था। जब बाबा क मौत ई, तब तो कसी ने कोई परवाह नह क ।
मुझे उन हालात से अकेले ही जूझना पड़ा। आरती वह भी जदगी का मुकाबला करना
सीख जाएगा।’
‘तुम लड़के लोग... तुम हमेशा इतने कांपी ट टव य होते हो?’ उसने कहा।
‘म? आज राघव मेरी तुलना म कुछ भी नह है। म भला य उससे कांपीट क ं गा?’
‘ फर भी हम कुछ महीने वेट कर सकते है उसने कहा ले कन मने उसक बात काट द ।
‘म तु ह कसी और क गल ड क तरह दे खना बदा त नह कर सकता मने कहा। मेरी
आवाज तेज थी।
‘ रयली?’ उसने मेरे गाल पर थपक दे ते ए कहा।
‘एक पल के लए भी नह मने कहा।
मने उसक साड़ी का प लू थाम लया और उसे अपनी ओर ख च लया। हमने फर
कस कया। बा रश तेज हो गई थी और वह खड़क पर लय के साथ बरस रही थी। हम
एक– सरे को चूमते रहे और वाभा वक प से मेरे हाथ उसके लाउज म चले गए।
‘ म टर डायरे टर,’ वह मु करा द , ‘मेरे याल से आपने कहा था क जब तक वह
मेरी जदगी से बेदखल नह हो जाता तब तक आप यह सब नह करगे।’
‘ या वह तु हारी जदगी से बेदखल नह हो चुका है?’ मने कहा।’ ‘तकरीबन,’ उसने
अपनी आख बंद करते ए कहा।
‘वेल शायद इसके बाद वह पूरी तरह तु हारी जदगी से बेदखल हो जाएगा,’ मने कहा
और उसके ह ठ को फर चूम लया।
म उसे बेतरह चूम रहा था, ठ क वैसे ही जैसे खड़क पर बा रश बेतरह गर रही थी।
हमने इस बार पछली बार से यादा चौक ेपन के साथ अपने कपड़े उतारे।
‘ये मेरे वक लेस के कपड़े ह, लीज उ ह यान से रखना,’ उसने कहा। म उसक साड़ी
को फो करने क नाकाम को शश करने लगा।
सद मौसम म हमारे नंगे बदन गम और खुशनुमा लग रहे थे। हम रजाई म सरक गए
और एक– सरे को घंट तक यार करते रहे। बा रश क– ककर फर शु होती रही। वह
मेरे करीब आना चाहती थी, शायद इस बात को ज टफाई करने के लए क वह अब राघव
से र हो जाना चाहती है। म भी उसे बता दे ना चाहता था क वह मेरे लए या मायने
रखती है। म उसके लए बंगला, गाड़ी, कॉलेज सब कुछ छोड़ सकता था।
इस बार जब उसने मेरे सामने आ मसमपण कया, तब वह सीधे मेरी आख म दे ख रही
थी।
फर हमारी झपक लग गई।
‘शाम के छह बज गए ह,’ उसने साइड–टे बल पर रखा अपना मोबाइल दे खते ए
कहा।
‘दस मनट और,’ मने उसके कंधे से सटते ए कहा।
‘लेजी बो स, वेक अप,’ उसने कहा। ‘और मुझे भूख लग रही है। इतना बड़ा घर है
और खाने को कुछ भी नह !’
म उठ बैठा। मेरा शरीर अब भी अलसाया आ था। मने कहा ‘खाना है ना। कुक ने
तु हारे लए ब त सारी चीज बनाई थ । चलो नीचे चलते ह।’
35

ना ते म गम समोसे, जले बयां, मसाला चीज टो ट और गम चाय तैयार थी।


‘यह हे द फूड नह है,’ आरती ने कहा। हम एक– सरे के सामने डाइ नग टे बल पर
बैठे थे।
‘हां, ले कन अगर बा रश हो रही हो तो इनका कोई जवाब नह ,’ मने कहा।
मने लाइट चला द , य क शाम घर आई थी। वह चुपचाप खाती रही। वह खाने के
साथ ही उस सब को भी अपने भीतर आराम से उतारने क को शश कर रही थी, जो अभी–
अभी आ था। म दोपहर के बारे म बात करना चाहता था, ले कन अपने आपको रोक
लया। लड़ कयां इं टमेट मोमट् स के बारे म बात करना पसंद नह करत , खासतौर पर तब,
जब उनसे इस बारे म पूछने क को शश क जाए। ले कन य द हम उन ल ह को बलकुल
ही नजरअंदाज कर द, तो भी वे अपसेट हो जाती ह।
‘ वाइट वंडरफुल,’ मने कहा।
‘समोसे?’ उसने कहा, हालां क वह जानती थी क मेरा इशारा कस ओर है।
‘नह जले बयां,’ मने कहा।
उसने इस घुमावदार मठाई का एक टु कड़ा मुझ पर फक मारा।
‘यह मेरी जदगी क सबसे खूबसूरत दोपहर थी,’ हमारी हंसी थमने के बाद मने कहा।
‘सभी लड़के यही तो चाहते ह उसने कहा।
म समझ गया क अब मुझे इस बारे म बात नह करनी चा हए, नह तो उस पर फर से
वही ग हावी हो जाएगी।
‘हे, तुमने कहा था क राघव के कारण तु हारी प रवार को भी द कत आ रही ह?’ मने
कहा।
‘वेल, तुम जानते ही हो क सीएम ने शु ला को हटा दया है, है ना? उसने अपनी इ ा
से इ तीफा नह दया है, जैसा क वह कहता है। पाट ने उसे इ तीफा दे ने को कहा था,’
उसने कहा।
‘हां म जानता ं,’ मने कहा।
उसने अपने लए चाय का सरा याला तैयार कया। म क पना करने लगा क मानो
वह मेरे साथ इसी घर म रहती है। कैसा हो अगर हम सुबह उठ और बेड ट पीएं। या
शायद, बेड के बजाय टे रेस म चाय पीना यादा बेहतर होगा। या लॉन म। म क पना करने
लगा क हम बांस क कु सय पर बैठे ह और घंट तक ब तया रहे ह। फर म सोचने लगा
क वह गंगाटे क कॉलेज ऑफ हॉ टै लट क सपल है। चूं क वह अब तक क सबसे
यूट सपल है, इस लए टू डट् स उसके साथ लट करते ह। म तो यह भी उ मीद कर
रहा था क वे...
‘ यान कधर है?’ उसने च मच पर अपने कप को बजाकर पूछा।
‘ ं?’ मने कहा। ‘सॉरी। हां, पाट ने ही शु ला–जी से इ तीफा लया है। तो?’
‘अगले साल चुनाव के लए पाट के पास कोई और ॉ ा क डडे ट नह है,’ आरती ने
कहा।
‘उ ह कोई न कोई ज र मल जाएगा,’ मने कहा। मने अपनी चाय पूरी क और टे बल
पर खाली कप रख दया। उसने मेरे कप म थोड़ी और चाय उड़े ल द । म लगभग फर से
एक और ड़ीम सी वस म जा रहा था ले कन मने खुद पर काबू कया और उसक बात
सुनने लगा।
‘उ ह एक ऐसा क डडे ट चा हए, जो जीत सके। वे इस शहर को नह गंवा सकते। इस
सीट से पाट क त ा जुड़ी ई है,’ उसने कहा।
‘ले कन इससे तु ह या फक पड़ता है?’
‘वे चाहते ह क डै ड क डडे ट बन,’ आरती ने कहा।
‘ओह!’ मने कहा। म पाट से आरती के दादाजी के कने यान के बारे म भूल गया था।
वे तीस साल तक लगातार इस सीट से जीतते रहे थे।
‘हां। अब हमारे घर पर रोज दजन नेता आते ह और उनसे म त करते ह क धान–
जी लीज चुनाव लड़ने को राजी हो जाइए।’
‘वे चुनाव नह लड़ना चाहते?’
आरती ने सर हला दया।
‘ य ?’ मने कहा।
‘उ ह राजनी त पसंद नह है। फर, उनक हे क भी ॉ लम है। घुटन क तकलीफ
के कारण वे यादा दे र तक चल नह सकते या खड़े नह रह सकते। वे चुनाव चार कैसे
करगे और इतनी सारी रै लय म कैसे बोलगे?’ आरती ने कहा।
‘सही है।’
‘नह बात केवल इतनी ही नह है,’ आरती ने कहा, ‘तुमने सबसे ऊटपटांग सुझाव तो
अभी सुना ही नह ।’
‘ या?
‘वे लोग तो यह भी कह रहे ह क म चुनाव लड़े ,’ आरती ने कहा और जोर से हंस
पड़ी, मानो उसने कोई ब त बड़ा जोक सुनाया हो ले कन मुझे तो इसम मजाक जैसा कुछ
नह लगा।
‘हां,’ मने कहा, ‘इस बारे म ज र कुछ सोचा जा सकता है।’
‘पागल हो गए हो या?’ आरती ने कहा। ‘म और राजनी त? हैलो? म तो समझती थी
क तुम मुझे अ तरह जानते हो। मेरे घर वाले पहले ही मेरे पंख को काटकर मुझे
लाइट अटडट से गे ट रलेशंस बना चुके ह और अब वे चाहते ह क गांव क सैर क ं
और स र साल के बूढ़ के साथ दनभर बैठ र ं?’
‘यह पॉवर है, आरती,’ मने कहा। ‘इस दे श म पॉवर क ब त अह मयत है।’
‘मुझे पॉवर क परवाह नह । न ही मुझे उसक ज रत है। म खुश ं,’ आरती ने कहा।
मने उसक आख म झांककर दे खा। उसक बात स ी लग रही थी।
‘ या तुम मेरे साथ खुश हो?’
‘खुश र ंगी। हम कुछ मसले सुलझाने ह गे, ले कन मुझे पता है म तु हारे साथ खुश
र ंगी,’ उसने कहा। ऐसा लगा, जैसे उसने यह बात मुझसे यादा खुद से कही है।
इसके कुछ ही समय बाद वह चली गई। उसके घर पर कुछ लोग आए थे। पाट के कुछ
और रसूखदार लोग जो आरती से भी मलना चाहते थे। म उसे घर छोड़ने गया, ता क मुझे
उसके साथ थोड़ा और समय बताने का मौका मले।
‘यहां से लौटते समय तुम अकेले रहोगे,’ आरती ने कहा।
मने कंधे उचका दए।
‘थ स फॉर अ लवली डे ,’ घर प ंचने पर उसने कहा।
‘माय लेजर,’ मने कहा। ‘अब तु ह नेता के साथ भी डनर करने का मौका
मलेगा।’
‘ओह, लीज। इससे तो अ ा होगा क कोई मुझे गोली से उड़ा दे ,’ उसने कहा। हम
दोन कार से बाहर नकले। वह अपने घर क ओर जाने लगी, म गाड़ी के बोनेट पर झुक
गया।
‘आर यू योर क तुम व धायक नह बनना चाहत ?’ मने पीछे से कहा।
वह मेरी ओर मुड़ी। ‘नो वे,’ उसने कहा। ‘शायद मेरा हसबड व धायक बन सकता है,
य द वह चाहे तो।’
अपने घर म घुसने से पहले उसने मुझे आंख मारी।
म वह खड़ा था। मुझे हैरानी ई थी। या वह कुछ जताने क को शश कर रही थी?
या वह चाहती है क म व धायक बनूं? इससे भी खास बात यह क या वह यह चाहती
है क म उसका हसबड बनूं?
‘आरती, तुमने या कहा?’ मने कहा।
ले कन तब तक वह भीतर जा चुक थी।

मुझे नह पता था क वाराणसी स ल जेल म ाइवेट स भी थे। म शु ला– जी के सेल


म उनसे मलने गया। जैसा क उ ह ने कहा था, म उनके लए फल के तीन बॉ स, जॉनी
वॉकर लैक लेबल क दो बोतल और एक–एक कलो नमक न काजू और बादाम ले गया
था। सुर ा कारण से मेरी जांच करने वाले पु लस वाले ने मुझसे यह सारा सामान लया
और उसे शु ला–जी तक प ंचाने का वादा कया। मने सोचा था क व धायक मुझसे
वे टग ए रया म मलगे, ले कन मुझे सी धे उनके सेल तक जाने दया गया।
वे अपने कमरे म बैठे एक छोट –सी कलर ट वी पर कुछ दे ख रहे थे और ॉ से कोला
पी रहे थे।
‘नॉट बैड, य ?’ उ ह ने कहा। उ ह ने अपना पं ह बाय दस फ ट का सेल दखाने के
लए अपने हाथ फैला दए। उसम एक बेड था, जस पर साफ चादर बछ थ । एक डे क
और कुस , लोसेट और ट वी भी थी। यक नन यह कोई बुरी जेल नह थी। वह जेल से
यादा गवनमट गे टहाउस लग रही थी। बहरहाल, शु ला–जी के आलीशान बंगले से
उसक कोई तुलना नह थी।
‘यह तो ब त बुरा है,’ मने कहा।
वे हंस पड़े ।
‘तु ह मुझसे पहले मलना चा हए था, जब मने राजनी त शु क थी,’ उ ह ने कहा।
‘म रेलवे लेटफॉम पर सोया ं।’
‘मुझे ब त बुरा लग रहा है,’ मने लकड़ी क एक कुस पर बैठते ए कहा।
‘ यादा से यादा छह महीने,’ उ ह ने कहा। ‘ फर, यहां मुझे कसी बात क कमी नह
है। तु ह ताज गंगा का खाना खाना है?
मने सर हलाकर मना कर दया।
‘कार कैसी है?’ उ ह ने कहा।
‘बेजोड़,’ मने कहा।
‘कॉलेज?’ उ ह ने कहा।
‘ब ढ़या चल रहा है। हालां क हमारी र तार कुछ धीमी पड़ी है। हमारे पास पैसा नह
है,’ मने कहा।
‘पैस का बंदोब त तो म करवा ं गा,’ शु ला–जी ने कहा।
‘कोई बात नह , शु ला–जी। अभी कसी बात क ज द नह है,’ मने कहा।
उ ह ने ट वी बंद कर द । ‘यह सब तु हारे दो त का ही कया–धरा है,’ उ ह ने कहा।
‘वह मेरा दो त नह है। सरे अब उसका काम तमाम हो चुका है। और आप ज द ही
वापसी करगे,’ मने कहा।
‘अगली बार मुझे टकट नह मलने वाला,’ उ ह ने उदास मन से कहा।
‘हां, मने सुना,’ मने कहा।
‘ कससे?’ शु ला–जी हैरान थे।
आरती ने मुझे जो बताया था वह मने उ ह बता दया। हालां क मने राघव से आरती के
संबंध के बारे म उ ह नह बताया, न ही हमारे आपसी र त के बारे म कुछ बताया।
‘ओह तुम उसे ब त समय से जानते हो ना?’ उ ह ने कहा।
‘ कूल ड,’ मने कहा।
‘तो उसके पता चुनाव नह लड़गे?’ शु ला–जी ने कहा।
मने सर हलाकर मना कर दया। ‘और न ही उनक बेट चुनाव लड़े गी। वह
पॉ ल ट स से नफरत करती है। तो शायद आपके पास अब भी एक मौका है,’ मने कहा।
‘नह अभी नह ,’ शु ला–जी ने मेरी बात खा रज करते ए कहा। ‘मुझे जेल से छू टने
के बाद इंतजार करना होगा।’
‘तो या वे कसी और क तलाश करगे?’
‘डीएम धान क फै मली न त ही जीत जाएगी,’ उ ह ने कहा। ‘लोग उ ह चाहते
ह।’
‘ले कन उन लोग क तो कोई दलच ी नह है,’ मने कहा।
‘तुम उस लड़क के कतने करीब हो?’ उनके इस तीखे सवाल ने मुझे वधा म डाल
दया।
म शु ला–जी से क भी झूठ नह बोलता था। ले कन म उ ह आरती और मेरे र त के
बारे म भी नह बताना चाहता था। म चुप रहा।
‘तुम उसे पसंद करते हो?’ उ ह ने पूछा।
‘छो ड़ए शु ला–जी। आप तो जानते ही ह मेरा पूरा यान अपने काम म लगा आ है,
’मने वषय बदलने क को शश करते ए कहा।
‘म काम क ही बात कर रहा ं, यू सली बॉय,’ शु ला–जी ने कहा।
‘ या?’ मने कहा। म हैरान था क जेल म होने के बावजूद शु ला–जी क राजनी त म
कतनी दलच ी बरकरार थी।
‘तुम उससे शाद कर लो। य द वह टू टे घुटन वाला डीएम चुनाव लड़ नह सकता और
उसक बेट चुनाव लड़ना नह चाहती, तो दामाद ही सही।’
‘ या? आप ऐसा कैसे कह सकते ह?’
‘मने राजनी त म प ीस साल बता दए ह, ब ू। जा हर है, वे लोग या करगे। दे खते
जाओ। वे ज द ही उनक बेट क शाद कर दगे।’
‘हां, उसके पैरट् स उस पर शाद के लए दबाव तो बना रहे ह।’
‘तुम उससे शाद कर लो। चुनाव लड़ी और जीतो।’ म चुप रहा।
‘तु ह कुछ अंदाजा है य द तुम व धायक बन गए तो तु हारा गंगाटे क कहां से कहां
प ंच जाएगा? म भी दे र–सबेर राजनी त म लौट आऊंगा। शायद कसी सरे व धानसभा
े से चुनाव जीतकर। और य द हम दोन पॉवर म रहे, तो हम इस शहर पर राज करगे।
शायद इस रा य पर भी। उसके दादा–जी तो वैसे भी मु यमं ी रह चुके ह!’
‘मने अभी तक शाद के बारे म सोचा नह है,’ म झूठ बोल गया।
‘सोचो मत, कर डालो। तु ह लगता है वह तुमसे शाद करेगी?’ उ ह ने पूछा।
मने अपने कंधे उचका दए।
‘उसक मां को अपनी कार और दौलत दखाओ। दहेज क मांग मत करो। य द बेट
राजी नह ई तो भी मां तो राजी हो ही जाएगी।
‘शु ला–जी म और राजनी त?’
‘हां। पॉ ल ट शयन, बजनेसमैन और एजुकेश न ट – पॉवर, मनी और र े ट –
परफे ट कॉ बनेशन। तु हारे भा य म ही बड़ा आदमी बनना लखा है। जस दन तुम मेरे
ऑ फस म आए उसी दन म यह समझ गया था,’ उ ह ने कहा।
शु ला–जी ने दो गलास म कुछ लैक लेबल ह क उड़े ली। उ ह ने गाड से कुछ
आइस मांगी। म चुप रहा। वे क तैयार करते रहे और म सोच म डू बा रहा। यक नन,
भारत म पॉवर हमेशा अ चीज ही होती है। कोई भी काम करवाने के लए पॉवर
चा हए। पॉवर का मतलब है क लोग मुझे हंसते–हंसते पैसे दे दगे मुझे अपना काम कराने
के लए उ ह पैसे नह दे ना ह गे। य द मेरे पास पॉवर हो तो गंगाटे क दस गुना बड़ा सं ान
बन सकता था। फर, म आरती से तो वैसे भी यार करता ही था। मुझे उससे शाद करना
ही थी। तो अभी य नह ? फर उसने भी तो इस ओर इशारा कया था। मने एक गहरी
सांस छोड़ी।
म अपने आपसे जूझ रहा था। ‘इट् स ओके, गोपाल’, मने खुद से कहा, ‘तु ह जदगी म
बड़े काम करने ह। तुम एआईईईई रक हा सल नह कर पाए, तुम मोली यूलर फॉमूला याद
नह कर पाए, इसका यह मतलब नह क तुम जदगी म बड़े काम नह कर सकते।’
आ खर, मने एक कॉलेज खोला था, म एक बड़े –से घर म रहता था और मेरे पास महंगी
कार थी।
शु ला–जी ने मुझे अपनी क थमा द ।
‘म शाद के लए तैयार ं,’ मने कहा।
‘बधाई हो, दामाद–जी!’ शु ला–जी ने अपना गलास उठाया।
36

‘ बजी?’ मने कहा।


मने आरती के होटल पर फोन लगाया था। एक टू र ट उस पर च ला रहा था, य क
उसके म म पया त पानी नह था। आरती ने मुझे हो पर रखा, जब क उसका गे ट च
म उसे कोसे जा रहा था।
‘म बाद म लगाता ं,’ मने कहा।
‘इट् स फाइन। हाउसक पग वाले उनक ॉ लम र कर दगे। मेरे तो कान बजने लगे
ह!’ आरती ने शोरगुल से तंग आकर कहा।
‘एक दन तु हारा अपना कॉलेज होगा। तब तु ह यह सब करने क ज रत नह होगी।’
‘इट् स ओके गोपाल। मुझे अपना काम पसंद है। बस कभी–कभी हमारा सामना
अजीबो–गरीब लोग से हो जाता है। खैर, या चल रहा है?’
‘ डनर कैसा रहा?’
‘बो रग। जब लगातार पांचव बार मुझे बताया गया क पाट के लए धान प रवार को
या करना चा हए तो मुझे तो टे बल पर ही झपक आ गई।’
‘ टकट वाले मामले म कोई नतीजा नकला?’
‘यह राजनी त है, डायरे टर सर। इसम चीज इतनी ज द तय नह होत । वैसे भी,
चुनाव अगले साल ह।’
‘बाय कहते समय तुमने कुछ कहा था,’ मने कहा।
म लगभग उसक मु कराहट सुन सकता था। ‘ या मने कुछ कहा था?’ उसने कहा।
‘तु हारे हसबड के वधायक बनने के बारे म कुछ?’
‘हो सकता है, य ?’ उसने कहा। उसक आवाज म ब –सा चुलबुलापन था।
‘म सोच रहा था क या म अ लाई कर सकता ं?’ मने कहा।
‘हसबड क पो ट के लए या एमएलए क पो ट के लए?’ उसने कहा।
‘पता नह । जसक वेट ल ट यादा छोट हो, उसके लए,’ मने कहा। वह हंस पड़ी।
‘हसबड वाली पो ट के लए तो यू जरा लंबी है,’ उसने कहा।
‘मुझे यू जप करना आता है,’ मने कहा।
‘हां, वो तो है,’ उसने कहा। ‘ओके, बाद म बात कर? एक और टू र ट गे ट आया है।’
‘म ज द ही राघव से मलने जाऊंगा।’
‘मने उससे बात करना बंद कर दया है,’ उसने कहा। उसने मेरे राघव से मलने का
वरोध नह कया। मने इसे उसक रजामंद मान लया।
‘जान–बूझकर?’
‘हां, हमारी कुछ कहा–सुनी ई थी। नॉमली सुलह के लए म पहल करती ं। ले कन
इस बार मने को शश नह क ।’
‘गुड,’ मने कहा। ‘तो तु हारे नए टू र ट या कह रहे ह?’
‘एक जापानी टू र ट है ले कन जापानी लोग वन होते ह। वह तब तक इंतजार करती
रहेगी, जब तक क म अपनी बात नह पूरी कर लेती।’
‘उसे कह दो क तुम फोन पर अपने हसबड से ब तया रही हो।’
‘शट अप। बाय।’
‘बाय,’ मने कहा और फोन को कस कर लया। फर मने अपनी डे क म रखा कैलडर
खोला और अगले शु वार को माक कर दया। इसी दन मुझे राघव से मलना था।

मने अपनी गदन, कैखौ रय और दोन कलाइय पर गु ी पर यूम को पांच बार े कया।
मने इस मौके के लए एक नया लैक शट और एक क टम–मेड सूट पहना था। फर मने
रे–बैन के सन लासेस पहन लए और आईने म अपनी सूरत दे खी। सन लासेस गैरज री
नजर आ रहे थे, इस लए मने उ ह उतारकर अपने शट क जेब म रख लया।
मने शु वार को छु ट् ट ली थी। डीन सर मुझे फ ट टम म टू डट् स क एक एकेड मक
परफॉमस रपोट दखाकर बोर करने वाले थे। वैसे भी मुझे बाहर जाने के लए कसी बहाने
क दरकार थी।
‘ऑल द बे ट। को शश करना क उसे हट न करो।’ आरती ने मुझे यह मैसेज कया
था।
मने उसे भरोसा दलाया क म सचुएशन को अ तरह हडल क ं गा। वह अपनी
ओर से राघव को यह मैसेज कर चुक थी क हम बात करनी चा हए, जस पर राघव ने यह
जवाब दया था क बात करने के लए यह ठ क समय नह है। यह ठ क वैसा ही वहार
था, जसके कारण वह पहले से ही राघव से नाराज थी।
मने अपने ाइवर से नदे शर रोड चलने को कहा, जहां राघव का वक लेस था।
ऑटो रपेयर शॉ स क भीड़ म ‘रेवो यूशन 2020’ के ऑ फस को बड़ी आसानी से
नजरअंदाज कया जा सकता था। राघव ने एक गैरेज रट पर ले रखा था। ऑ फस म तीन
ए रयाज थे – भीतर टग ेस थी, बीच म उसका यू बकल था और एं स पर टाफ और
व जटस के लए एक कॉमन ए रया था।
‘मे आई हे प यू?’ एक ट न– एजर लड़के ने मुझसे पूछा।
‘म राघव से मलने आया ं,’ मने कहा।
‘वे कुछ लोग के साथ ह,’ लड़के ने कहा। ‘ या काम है?’
मने गैरेज के भीतर झांककर दे खा। राघव के ऑ फस म एक लास पा टशन भी था।
वह अपनी डे क पर बैठा था। उसके सामने पगड़ी बाधे एक दे हाती और एक बला–
पतला–सा लड़का बैठा था। दोन बाप–बेटे गरीब–बेसहारा नजर आ रहे थे। राघव दोन क
बात को यान से सुन रहा था। उसक कोह नयां डे क पर टक थ ।
‘इट् स पसनल,’ मने उस ट न–एजर लड़के से कहा।
‘ या उ ह आपके आने के बारे म पता है?’
‘नह , ले कन वह मुझे अ तरह से जानता है,’ मने कहा।
तभी राघव ने मुझे दे ख लया और वह अपने कै बन से बाहर नकल आया।
‘गोपाल?’ राघव ने कहा। वह हैरान नजर आ रहा था। अगर वह मुझसे अपसेट भी था
तो उसने यह जा हर नह होने दया।
राघव ने एक ट –शट पहन रखी थी, जस पर उसके अखबार का लोगो था। नीचे उसने
एक पुरानी–सी ज स पहन रखी थी। वह मु कल दौर से गुजर रहा था, ले कन उसे दे खकर
इसका अंदाजा लगा पाना क ठन था।
‘ या हम बात कर सकते ह?’ मने कहा।
‘ या आ?’ राघव ने कहा। ‘तु ह एमएलए शु ला ने भेजा है?’
‘नह ’, मने कहा। ‘ए चुअली, पसनल बात है।’
‘तुम मुझे दस मनट का समय दे सकते हो?’ उसने कहा।
‘मुझे यादा लंबी बात नह करनी है,’ मने कहा।
‘आई एम रयली सॉरी। ले कन ये लोग मुझसे मलने के लए सौ कलोमीटर र से
आए ह। उनके साथ ब त बुरा आ है। म ये गया और ये आया।’
मने उसके ऑ फस पर नजर दौड़ाई। अब वह दे हाती ब ा अपने पता क गोद म बैठ
गया था। वह बीमार लग रहा था।
‘ठ क है’, मने कहा और समय दे खा।
‘थ स। अं कत तु हारी दे खभाल करेगा,’ उसने कहा।
ट न–एजर लड़का मुझे दे खकर मु कराया। राघव भीतर चला गया।
‘ लीज, बैठ जाइए,’ अं कत ने खाली कु सय क ओर इशारा करते ए कहा। म एक
कुस पर बैठ गया।
समय काटने के लए म अं कत से ब तयाने लगा।
‘यहां और कोई नह है?’ मने कहा।
‘यहां दो और टाफ मबस थे,’ अं कत ने कहा, ‘ले कन यहां तोड़फोड़ होने के बाद वे
चले गए। उनके पैरट् स को लगा क यह जगह उनके लए सुर त नह है। फर, सैलेरी भी
नह मल रही थी।
‘तो तुमने काम य नह छोड़ा?’ मने कहा।
अं कत ने अपना सर हलाया। ‘म राघव सर के साथ काम करना चाहता था,’ उसने
कहा।
‘ य ?’ मने कहा।
‘ य क वे ब त अ े इंसान ह,’ अं कत ने कहा।
म मु करा दया, जब क उसके श द से मुझे भीतर तक ठे स प ंची थी।
‘ऑ फस तो इतना बुरा नजर नह आ रहा है,’ मने कहा।
‘हमने इसक सफाई क है। हालां क हमारी ेस टू ट चुक है। हमारे पास कं यूटर भी
नह है।’
‘तुम लोग ने ब त बड़ी टोरी क थी,’ मने कहा। ‘तुम लोग के ही कारण वधायक
को इ तीफा दे ना पड़ा।’
अं कत ने मेरी ओर दे खा। ‘मी डया हमारी खबर को ले उड़ा, य क तब उ ह उसक
ज रत थी। ले कन हमारी परवाह कौन करता है?’
‘ फर अभी तुम लोग कैसे काम कर रहे हो?’ मने पूछा।
अं कत ने डे क क एक दराज खोली। उसने कागज क एक बड़ी–सी शीट नकाली,
जस पर हाथ से कुछ लखा आ था।
‘ये आ टक स सर लखते ह। म मै मो नय स लखता ं। हम इनक फोटोकॉपी
करते ह और जतनी हो सकती ह, उतनी बांटते ह।
‘ कतनी?’ मने पूछा।
‘चार सौ कॉ पयां। वे हाथ से लखी और फोटोकॉपी क ई होती ह। जा हर है, ब त–
से लोग पेपर के इस प को पसंद नह करते।’
मने ए–3 शीट पर नजर दौड़ाई। राघव ने वाराणसी क राशन क कान म हो रही
कालाबाजारी पर आ टक स लखे थे। उसने हाथ से ही एक टे बल भी बनाई थी, जसम
बताया गया था क असल क मत या ह, कालाबाजार क क मत या ह और इसके चलते
कानदार कतना पैसा कमा रहे ह। मने प ा पलटाया। उस पर लगभग पचास
मै मो नय स थे। सभी सधे ए हाथ से लखे गए थे।
‘चार सौ कॉपी? इतने कम सकुलेशन के बाद तु ह व ापन कैसे मल पाते ह गे?’
अं कत ने कंधे उचका दए और कोई जवाब नह दया। ‘मुझे फोटोकॉपी शॉप पर जाना
है। य द आपको अकेले बैठकर इंतजार करना पड़े , तो ऐतराज तो न होगा?’
‘नो ॉ लम। आई वल बी फाइन,’ मने आराम से बैठते ए कहा। मने अपना फोन
दे खा। आरती का एक मैसेज आया था – ‘तुम जो भी करो, उसके साथ अ े –से पेश
करना।’
मने फोन फर अपनी जेब म रख लया। मुझे सूट म गम लग रही थी। मुझे अहसास
आ क फैन नह चल रहा था।
‘फैन का वच कहां है?’ मने अं कत से पूछा।
‘ बजली नह है। सॉरी। उन लोग ने कने यान भी काट दया था अं कत ने बाहर जाते
ए कहा।
मने अपनी जैकेट नकाली और शट के ऊपर के दो बटन खोल दए। मने सोचा क इस
जगह इंतजार करने से तो बेहतर है क म अपनी कार म बैठकर वेट क ं । ले कन अब
ाईवर को वापस बुलाना ब त पेचीदा होता। म एयर कंडीशंड माहौल का ज रत से
यादा आद हो चुका था। इस गम कमरे ने मुझे बाबा के साथ बताए अपने शु आती दन
क याद दला द । पता नह य , ले कन सरे कमरे म अपने पता क गोद म सो रहा
ब ा भी मुझे बाबा और अपनी याद दला रहा था।
मने अपनी आंख के कोने से फर भीतर दे खा। कसान क आंख से आंसू बह रहे थे।
म उसक बात सुनने के लए झुका।
‘म अपना एक ब ा और बीवी को गंवा चुका ं। म नह चाहता क अपने प रवार के
कसी और सद य को गंवाऊं। अब बस मेरे प रवार म यह ब ा ही रह गया है,’ वह हाथ
जोड़कर कह रहा था।
‘ ब ु–जी, म आपक बात समझता ,ं ’ राघव ने कहा। ‘मेरे पेपर म दमनापुरा लांट
घोटाले के बारे म बड़ी खबर छपी थी। उसी वजह से उन लोग ने मेरा ऑ फस भी तहस–
नहस कर दया।’
‘ले कन आप आकर मेरे गांव रोशनपुर क हालत दे खए। हर तरफ गंदगी मची ई है।
गांव के आधे ब े बीमार पड़ चुके ह। छह क पहले ही मौत हो चुक है।’
‘रोशनपुर म एक और लांट है। शायद वहां भी कसी ने सरकार को धोखा दया है,’
राघव ने कहा।
‘ले कन कोई भी इसक शकायत नह कर रहा है। अ धकारी कुछ नह कर रहे ह।
आप ही हमारी एकमा उ मीद ह,’ कसान ने कहा। उसने अपनी पगड़ी उतारी और राघव
क डे क पर रख द ।
‘ये आप या कर रहे ह, ब ु–जी?’ राघव ने उस लाचार आदमी को उसक पगड़ी
लौटाते ए कहा। ‘मेरी कोई है सयत नह है। मेरा अखबार बंद होने वाला है। हम हाथ से
लखी चंद कॉ पयां बांटते ह, जनम से अ धकतर तो रद्द क टोकरी म चली जाती ह।’
‘मने अपने बेटे से कहा था क आप इस शहर म सबसे बहा र और सबसे ईमानदार
आदमी ह,’ व ु ने कहा। उसक आवाज कांप रही थी।
राघव नराशा से मु करा दया। ‘ले कन उससे या फक पड़ता है?’ उसने कहा।
‘कम से कम सरकार ही हमारे ब के लए डॉ टस भजवा दे ती। हम इससे कोई
फक नह पड़ता क दो षय को सजा मलती है या नह ,’ उसने कहा।
राघव ने गहरी सांस छोड़ी। उसने कुछ कहने से पहले अपनी गरदन खुजाई। ‘ठ क है,
म आपके गांव आऊंगा और एक खबर लखूंगा। अभी तक हमारा सकुलेशन कम है,
ले कन य द हमारा अखबार बचा रहा तो हम बाद म एक बार इस पर बड़ी खबर भी करगे।
य द ऐसा नह आ, तो म आपसे कोई वादा नह कर सकता, ठ क है?’
‘ध यवाद, राघव–जी!’ उसने कहा। उसक आंख म उ मीद क चमक थी। म उसे
नजरअंदाज नह कर सका।
‘और मेरे एक दो त के पता डॉ टर ह। म उनसे बात करके दे खता ं क वे आपके गांव
जा सकते ह या नह ।’
राघव उठ खड़ा आ। वह भी खड़ा हो गया। उसका बेटा जाग गया। वह राघव
के पैर छू ने के लए आगे झुका।
‘अरे, ऐसा मत करो,’ राघव ने कहा। ‘मुझे अभी एक से मलना है। उसके बाद
आज ही तु हारे गांव चलते ह। यहां से कतनी र है?’
‘एक सौ बीस कलोमीटर। आपको वहां तक प ंचने के लए तीन बस बदलनी ह गी,’
कसान ने कहा। ‘इसम कम से कम पांच घंटे लगगे।’
‘ठ क है। तो लीज, थोडी़ दे र इंतजार क जए।’ राघव उन दोन को ऑ फस से बाहर
ले आया।
‘यहां बैठ जाइए, ब –ु जी,’ राघव ने कहा और मेरी ओर दे खा। ‘दो मनट गोपाल? म
अपना ऑ फस साफ कर लेता ं।’
मने सर हला दया। राघव भीतर गया और अपनी डे क पर बखरे कागज को जमाने
लगा।
कसान अं कत क कुस पर मेरे सामने बैठ गया। हम एक– सरे को दे खकर सरसरी
तौर पर मु कराए।
‘इसका नाम या है?’ मने ब े क ओर इशारा करते ए कहा, जो फर से उसक
गोद म सोने लगा था।
‘केशव,’ कसान ने अपने बेटे के माथे पर थप कयां दे ते ए कहा।
मने सर हलाया और चुप हो गया। म अपने फोन के साथ खेल रहा था और उसे
ऊपर–नीचे, ऊपर–नीचे लप कर रहा था। म अपनी पट क जेब म मस डीज क
डु लकेट चाबी टटोलने लगा। म उसे इस खास मौके के लए लाया था।
‘बाबा, या म भी मर जाऊंगा?’ केशव ने अपनी पतली–सी आवाज म कहा।
‘बेवकूफ लड़का। या बकवास कर रहे हो?’ कसान ने कहा।
मुझे उस ब े पर तरस आने लगा, जो शायद बड़ा होने पर अपनी मां को याद भी नह
कर पाएगा, मेरी तरह। मने अपनी जेब म रखी चाबी को कसकर पकड़ लया, मानो इतने
भर से म अ ा महसूस करने लगूंगा।
राघव अपनी डे क और कुस क धूल झाड़ रहा था। उसका अखबार एक ह ते म बंद
हो सकता था और उसके पास ब कुल पैसा नह था। इसके बावजूद वह इन लोग क
मदद करने के लए इतनी र बसे गांव को जाने के लए तैयार था। उन लोग ने उसका
ऑ फस तो तहस–नहस कर दया था, ले कन वे उसका हौसला नह तोड़ पाए थे।
मने चाबी को और कसकर पकड़ लया, ता क खुद को यह दलासा दे सकूं क यहां म
ही सबसे बेहतर त म ं।
मने पाया क वह लड़का एकटक मेरी ओर दे ख रहा था। मुझे अजीब लगने लगा। मुझे
लगा जैसे वह मुझसे कोई सवाल पूछ रहा है, जसका मेरे पास कोई जवाब नह है।
‘तुम या बन गए हो, गोपाल?’ मेरे दमाग म एक आवाज गूंजी।

मने बेचैनी के साथ अपनी जेब से सन लासेस नकाले और उ ह घुमाने लगा। मने पाया क
उस लड़के केशव क आंख सन लासेस के साथ घूम रही थ । म उसे दाएं ले जाता तो
उसक आंख भी दाएं चली जात । म उसे बाएं ले जाता तो उसक आंख भी बाएं चली
जात । म उसे दे खकर मु करा दया।
‘ या आ?’ मने अपने फसी च मे क ओर इशारा करते ए पूछा। ‘तु ह ये चा हए?’
केशव उठ खड़ा आ। वह कमजोर हो गया था, ले कन उसका उ साह बरकरार था।
हालां क उसके पता लगातार ना करते रहे, ले कन मुझे उसे अपना च मा दे कर थोड़ी राहत
मली।
‘च मा बड़ा है लड़के ने उसे पहनने क को शश करते ए कहा। बड़े च मे म उसका
चेहरा और भी दयनीय लगने लगा था।
मने अपनी आख बंद कर ल । कमरे म बेहद गम थी। मुझे लगा जैसे म भी बीमार पड़
रहा ं। राघव अब फोन पर बात कर रहा था।
मेरे दमाग म बात चलती रह । ‘तुम यहां कस लए आए थे? या तुम यहां उसे यह
दखाने आए थे क तुम बड़े आदमी बन गए हो और वह बरबाद हो चुका है? या यही
तु हारी जदगी का हा सल है? तु ह लगता है क तुम उससे बेहतर इंसान हो, य क तु हारे
पास कार और अ ा सूट है?’
‘गोपाल!’ राघव ने पुकारा।
‘ ंह?’ मने आंख खोलते ए कहा। ‘ या?’
‘अंदर आ जाओ’, राघव ने कहा।
म उसके ऑ फस म चला गया। मेरे हाथ अपनी जेब म ही थे, चा बय को कसकर
भ चे ए। लान के मुता बक, मुझे बैठने से पहले उसक टे बल पर कैजुअली कार क चाबी
रख दे नी थी। ले कन, म ऐसा नह कर पाया।
‘जेब म या है?’ राघव ने कहा। उसने दे ख लया था क मेरा हाथ जेब से बाहर नह
नकल रहा है।
‘ओह कुछ नह ’, मने कहा और चाबी छोड़ द । म उसके सामने बैठ गया।
तो तुम ‘रेवो युशन 2020’ का रा ता कैसे भूल गए? या हमने तु हारे बॉस लोग को
फर नाराज कर दया?’ राघव ने दबी ई हंसी के साथ कहा। ‘ओह वेट, तुमने कहा था क
पसनल बात है।’
‘हां’, मने कहा।
‘ या?’ राघव ने कहा।
मुझे समझ नह आ रहा था क या क ं। मने अपनी पूरी ीच लान कर रखी थी। म
उसे कहना चाहता था क आरती एक बेहतर जीवनसाथी क हकदार है और वह म ं। या
यह क कैसे म जदगी म कामयाब हो गया, जब क वह नाकाम रह गया। या यह क कस
तरह वह लूजर है, म नह । और इसके बावजूद, मुझे लग रहा था क य द मने ये तमाम बात
कह तो लूजर म ही सा बत होऊंगा, वो नह ।
‘पेपर का काम कैसा चल रहा है?’ मने कहा, ता क इस अजीब–सी खामोशी को तो
तोड़ सकूं।
उसने अपने हाथ हलाते ए कहा। ‘तुम खुद दे ख सकते हो।’
‘य द पेपर बंद हो गया तो तुम या करोगे?’ मने कहा।
राघव मु कराया नह । ‘मने अभी इस बारे म कुछ नह सोचा। शायद पहले दौर का
अंत।’
म चुप रहा।
‘उ मीद करता ं क मुझे कोई इंजी नय रग जॉब न करना पड़े । शायद मुझे अ लाई
करना पड़े ...’ राघव क थक ई–सी आवाज खामोश हो गई।
म समझ गया था क उसने अभी तक इतनी र का नह सोचा है।
‘आई एम सॉरी, गोपाल’, राघव ने कहा, ‘य द मने तु ह कभी हट कया हो तो। तुम
चाहे जो सोचो, ले कन मेरी तरफ से कुछ पसनल नह था।’
‘तुम यह सब य करते हो, राघव? तुम माट हो। तुम हम सभी क तरह पैसा य
नह कमाते?’
‘ कसी न कसी को तो कुछ न कुछ करना ही पड़े गा, गोपाल। नह तो चीज कैसे
बदलगी?’
‘पूरा स टम ही सड़ा–गला है। एक अकेला आदमी या कर सकता है?’
‘पता है।’
‘तो?’
‘हम सभी को अपना–अपना छोटा–मोटा काम तो करना ही होगा। बदलाव के लए हम
एक रेवो यूशन क ज रत है। एक वा त वक रेवो युशन केवल तभी होगी, जब लोग खुद
से यह पूछना शु कर दगे क मने या कुबानी द है?’ ‘यह तो तु हारे अखबार क
टै गलाइन लगती है,’ मने मजाक उड़ाते ए कहा।
वह चुप हो गया। म जाने के लए उठ खड़ा आ। वह मुझे बाहर तक छोड़ने आया।
मने तय कया क म अपनी कार नह बुलाऊंगा, ब क गली के बाहर तक पैदल चलकर
जाऊंगा और वह अपनी कार म सवार हो जाऊंगा।
‘तुम आए कस लए थे?’ राघव ने कहा। ‘मुझे यक न नह होता क तुम यहां केवल
मेरा हाल–चाल पूछने आए थे।’
‘मुझे इस इलाके म कुछ काम था। मेरी कार को स व सग क ज रत थी। मने सोचा
क जब तक मेरी कार त होती है, तुमसे मल आता ं।’
‘तुमसे मलकर अ ा लगा। ऐसे ही कभी आरती से भी मल लया करो’उसने कहा।
म उसका नाम सुनकर च क गया।
‘हां। वह कैसी है?’ मने कहा।
‘मेरी भी उससे कुछ समय से मुलाकात नह ई, ले कन लगता है वह भी तनाव म है।
मुझे उससे बात करनी होगी। तु ह भी उससे बात करनी चा हए। उसे अ ा लगेगा,’उसने
कहा।
मने सर हलाया और उसके ऑ फस से बाहर चला आया।
37

म रात को अपने आरामदे ह ब तर म लेटा रहा। ले कन मेरी आंख से न द कोस र थी।


आरती के तीन म ट कॉल थे। मने कॉल बैक नह कया। म नह कर सका। मुझे नह पता
था क म उससे या कहता।
‘कैसा रहा?’ उसने मुझे मैसेज कया।
म समझ गया क य द मने उसे कुछ बताया नह तो वह लगातार पूछती रहेगी। मने उसे
कॉल कया।
‘तुम फोन य नह उठा रहे थे?’ उसने कहा।
‘सॉरी, घर पर डीन आए थे। वे बस अभी गए ह।’
‘तुम राघव से मले?’ उसने पूछा। वह बेस हो रही थी।
‘हां,’ मने ठं डी सांस छोड़ते ए कहा।
‘तो?’
‘उसके ऑ फस म ब त सारे लोग थे। म उससे उस बारे म बात ही नह कर पाया,’ मने
कहा।
‘गोपाल, आई होप तुम इस बात को समझ रहे हो क जब तक मेरा उससे ेकअप नह
हो जाता, तब तक म उससे ची टग कर रही ं। या म उससे बात क ं ?’
‘नह , नह , वेट। म उससे अकेले म मलूंगा।’
‘और मुझे अपने पैरट् स से भी बात करनी पड़े गी,’ उसने कहा।
‘ कस बारे म?’
‘अगले ह ते एक के बाद एक तीन लड़के वाले मुझे दे खने आ रहे ह। सभी राजनी तक
प रवार से ह।’
‘ या तु हारे पैरट् स अपने होशो–हवास गंवा बैठे ह?’ म बफर गया।
‘जब बात बे टय क आती है तो वाकई भारतीय पैरट् स अपने होशो–हवास गंवा बैठते
ह,’ उसने कहा। ‘म उ ह टाल सकती ं, ले कन यादा समय तक नह ।’
‘ठ क है, म कुछ करता ं,’ मने कहा।
मने दो त कए अपने पास ख च लए।
‘दे खो, से स के बाद यही होता है। भू मकाएं बदल जाती ह। अब लड़क को लड़के का
पीछा करना पड़ता है।’
‘ऐसी कोई बात नह है, आरती। मुझे दो दन का समय दो।’
‘ओके। नह तो म खुद राघव से बात कर लूंगी। और इन केस य द वह कुछ पूछता है
तो याद रखो, हमारे बीच कुछ भी नह आ है।’
‘तु हारा या मतलब है?’ मने कहा।
‘मने उसे धोखा नह दया। हमने एक– सरे का साथ चुना है, ले कन केवल उससे
ेक–अप के बाद। ओके?’
‘ओके,’ मने कहा।
कभी–कभी मुझे लगता है क लड़ कयां अपनी जदगी को उलझा दे ना पसंद करती ह।
मने फोन रखा और ब तर म लेट गया। म थककर चूर हो रहा था।

अं तम सं कार के लए पहने जाने वाले झक–सफेद कपड़ के कारण मेरी आंख चुं धयाने
लग । मने उन लोग के चेहरे दे खे। म उनम से कसी को पहचान न पाया।
‘यह कसक शवया ा है?’ मने अपने पास खड़े एक आदमी से पूछा।
हम घाट पर खड़े थे। मने दे खा क लाश छोटे आकार क लग रही थी। वे उसे सीधे गंगा
म वा हत करने के लए ले गए।
‘वे उसका दाह सं कार य नह कर रहे ह?’ मने पूछा। और पूछते ही म समझ गया
य । वह कसी ब े क लाश थी। म लाश के करीब गया और उसक चादर हटाई। वह
एक छोटा ब ा था। सन लासेस पहने ए।
‘इसे कसने मारा?’ म च लाया, ले कन ऐसा लग रहा था जैसे श द मेरे हलक से
नकलने को तैयार न ह ।
म चीखता आ जाग गया। मुझे ऊपर अपने बेड म क सफेद सी लग नजर आ रही
थी। कमरे म तेज रोशनी थी, य क म ब यां बुझाना भूल गया था। रात के तीन बज रहे
थे। केवल एक बुरा सपना था, मने खुद से कहा।
म ब तर म करवट बदलता रहा, ले कन फर मुझे न द नह आई।
मने राघव के बारे म सोचा। वह पूरी तरह से ख म हो चुका था। उसका पेपर ज द ही
बंद होने वाला था। उसके लए एक नया जॉब तलाशना मु कल सा बत होता, खासतौर पर
वाराणसी म। और वह जहां भी जाता, यह खतरा हमेशा उसके सर पर मंडराता रहता क
शु ला के आदमी उस पर फर हमला बोल दगे।
फर मने आरती के बारे म सोचा। मेरी आरती। मेरी जदगी का मकसद। अगले ह ते
मेरी उससे इंगेजमट हो सकती थी। तीन महीने बाद शाद हो सकती थी। एक साल बाद म
वधायक बन सकता था। मेरे एक इशारे पर मुझे यू नव सट क अ ूवल मल सकती थी।
म कसी भी फ म अपना काम बढ़ा सकता था – मे ड सन, एमबीए, को चग, ए वएशन।
भारत म एजुकेशन के लए लोग क चता को दे खते ए मेरे सामने संभावना का पूरा
आकाश था। आरती लाइट अटडट बनना चाहती थी, ले कन म उसे एक लेन खरीदकर दे
सकता था। य द म ठ क से अपना काम क ं तो म पाट र स म भी आगे बढ़ सकता था।
मने अपनी जदगी तनहाई म बताई थी, ले कन अब मेरा एक प रवार हो सकता था।
आरती और मेरे यारे– यारे ब े हो सकते थे। वे भी बड़े होकर मेरा बजनेस और
राजनी तक सा ा य संभाल सकते थे। भारत म लोग इसी तरह कामयाबी का सफर तय
करते ह। म भी ब त बड़ा आदमी बन सकता था।
‘ले कन राघव का या होगा?’ केशव मुझसे पूछ रहा था। पता नह , वह अभी जदा
था, या मर चुका था। ‘मुझे परवाह नह ,’ मने उससे कहा। ‘य द वह नाकाम होता है तो यह
उसक अपनी बेवकूफ क वजह से होगा। य द वह माट होता तो उसे ब त पहले यह
समझ आ जाता क इस तरह क बेवकू फयां करने से वह कुछ नह बन पाएगा। इस दे श म
2020 तक कोई रेवो यूशन नह होगी। यह भारत है। यहां कभी कुछ नह बदलता। फक
यू, राघव।’
ले कन केशव इतनी ज द चुप नह होने वाला था। ‘तुम कस तरह के राजनेता बनना
चाहते हो, गोपाल?’
‘म तु हारे सवाल का जवाब नह दे ना चाहता। तुम मुझे डरा रहे हो। चले जाओ यहां
से,’ मने जोर से कहा हालां क मेरे कमरे म कोई नह था। म अ तरह जानता था क
कमरे म कोई नह है।
‘आरती का या होगा?’ मेरे भीतर एक आवाज फुसफुसाई।
‘म उससे यार करता ं!’
‘ले कन उसके बारे म या? या वह भी तुमसे यार करती है?’
‘हां, वह भी मुझे चाहती है। हमने एक– सरे के साथ यार भरे ल हे बताए ह। वह
चाहती है क म उसका हसबड बनूं,’ म अपने आप से बात कर रहा था।
‘ले कन अगर उसे तु हारी अस लयत पता चल जाए, तब भी वह तु ह यार करेगी?
या हो अगर वह जान जाए क तुम एक और चालाक इंसान हो?’
‘म खूब मेहनत करता ं। म एक कामयाब आदमी ं,’ मने फर जोर से कहा। म
अपनी ही आवाज से च क जा रहा था।
‘ले कन या तुम एक भले आदमी हो?’
घड़ी पांच बजे का समय बता रही थी। भोर हो रही थी।
म कै स म वॉक करने नकल पड़ा। सुबह क ताजी हवा से मेरा दमाग थोड़ा शांत
आ। ओस भीगे पेड़ क टह नय पर छोट –छोट च ड़याएं चहचहा रही थ । उ ह पैसे,
मस डीज और बंगले क कोई परवाह नह थी। वे अपना गीत गा रह थ , य क यही
उनक जदगी थी। और उनका गाना ब त खूबसूरत था। पहली दफे मुझे अपने कै स के
पेड़ और प य के लए गव का अनुभव आ।
म समझ गया क केशव सपन म मेरा पीछा य कर रहा था। एक समय था, जब म
खुद केशव जैसा आ करता था – भोला, मासूम और नया से बेखबर। ले कन जदगी के
थपेड़ से मेरा सामना आ तो मने अपने भीतर के केशव को मार डाला, य क नया के
मन म मासू मयत क कोई क नह थी। तो फर मने कल राघव को कुचल दे ने का मौका
य गंवा दया? ‘शायद, मेरे भीतर का केशव अभी पूरी तरह से मरा नह है,’ मने खुद से
कहा। ‘शायद, हमारे भीतर का वह भोला, भला, मासू मयत भरा ह सा कभी मरता नह
है, बस हम ही कुछ व के लए उसे भूल जाते ह।’
मने आकाश क ओर दे खा, इस उ मीद से क ई र मुझे कोई रा ता दखाएगा। या
शायद मां या बाबा मेरी मदद करगे। मेरी आंख से आंसू बहने लगे। म फफक–फफककर रो
पड़ा। म एक पेड़ के नीचे बैठ गया और एक घंटे तक रोता रहा। बस यूं ही।
कभी–कभी हमारे लए जदगी का मतलब यह नह रह जाता क हम या बनना चाहते
ह, ब क यह हो जाता है क हम या करना चा हए।

शु ला–जी जेल के बरामदे म सेब खा रहे थे। एक कां टे बल उनके पास बैठा था और सेब
छ लकर उ ह दे रहा था।
‘गोपाल, मेरे ब े, आओ, आओ,’ शु ला–जी ने कहा। उ ह ने कलफदार सफेद कुता–
पायजामा पहन रखा था, जो सुबह क रोशनी म चमक रहा था।
म फश पर बैठ गया। ‘म आपसे एक मदद चाहता था,’ मने कहा।
‘हां, हां, बोलो,’ उ ह ने कहा।
मने कां टे बल क ओर दे खा। ‘ओह, यह। यह धीरज है। मेरे गांव का ही है। धीरज,
मुझे अपने ब े से जरा बात करनी है।’
कां टे बल बाहर चला गया।
‘मने उसे कह दया है क म उसका मोशन करवा ं गा,’ शु ला–जी ने कहा और
मु करा दए।
‘म एक अजीब–सी बात कहने के लए आया ं,’ मने कहा।
‘सब ठ क तो है?’
‘शु ला–जी या आप कुछ... कुछ कॉलग स मुझे हायर करवा दगे? आपने ब त
पहले उनका ज कया था।’
‘शु ला–जी, इतने जोर से हंसे क उनके मुंह से सेब का रस टपकने लगा।
‘आई एम सी रयस,’ मने कहा।
‘मेरा ब ा अब बड़ा हो गया है। तो, तु ह औरत चा हए?’
‘मेरे लए नह ।’
शु ला–जी ने मेरा घुटना थपथपाया और अथपूण ढं ग से आंख मारी। ‘यक नन नह ।
अ ा बताओ, तु हारी उ या है?’
‘अगले ह ते म चौबीस साल का हो जाऊंगा,’ मने कहा।
‘ओह, तो तु हारा बथडे आने वाला है?’ उ ह ने कहा।
‘हां, 11 नवंबर को,’ मने कहा।
‘यह तो ब त अ बात है। तुम वाकई बड़े हो गए हो। शरमाओ मत,’ उ ह ने कहा,
‘हम सभी यह करते ह।’
‘सर, यह इं े टस के लए है। अगले ह ते उनक हमारे यहां व जट है,’ मने कहा।
‘म अपनी फ स बढ़वाना चाहता ं। फैसला उ ह के हाथ म है।’
उनक यौ रयां चढ़ ग । ‘उनके लए लफाफे काफ नह ह गे?’
‘यह वाला इं े टर औरत का शौक न है। मुझे कानपुर के कुछ सरे ाइवेट कॉलेज
से पता चला है।’
‘अ ा, ठ क है,’ शु ला–जी ने कहा। उ ह ने अपने पायजामे क एक सी े ट पॉकेट
से एक सेलफोन नकाला। अपने कॉ टै ट क सूची दे खी और मुझे एक नंबर दया।
‘इसका नाम वनोद है। इसे फोन लगाओ और मेरा नाम लो। उसे बताओ क तुम या
चाहते हो। वह काम कर दे गा। तु ह कब ज रत है?’
‘अभी मेरे पास ए जै ट तारीख नह है,’ मने कहा और उठने लगा।
‘सुनो,’ शु ला–जी ने मेरे हाथ ख चकर मुझे फर बैठाते ए कहा। ‘तुम भी मजे लो।
शाद के बाद ब त मु कल हो जाती है। उससे पहले ही मौज–म ती कर लो।’
म अनमने ढं ग से मु करा दया।
‘डीएम क बेट से तु हारा च कर कैसा चल रहा है?’
‘ब ढ़या,’ मने कहा। म इस बारे म उ ह कम से कम जानकारी दे ना चाहता था।
‘तुम उसके पैरट् स से बात करोगे या उससे यार करने का वांग रचोगे?’
‘मने अभी इस बारे म सोचा नह है,’ मने कहा। ‘अब म चलता ं, शु ला–जी। आज
अकाउं ट्स मी टग है।’
शु ला–जी समझ गए क मेरी उनसे बात करने म दलच ी नह है। वे मुझे छोड़ने
जेल के गेट तक आए।
‘ जदगी ऐसा मौका बार–बार नह दे ती,’ उ ह ने मुझे वदा करते ए कहा।
हमारे बीच लोहे का एक बड़ा–सा दरवाजा झनझनाते ए बंद हो गया।
38

कैलडर 10 नवंबर क तारीख दखा रहा था। 23 साल क उ म यह मेरा आ खरी दन था।
मने सुबह का व अपनी डे क पर बताया था। टू डट् स र जटे टव मुझसे मलने आए
थे। वे एक कॉलेज फे टवल करवाना चाहते थे। मने उनसे कहा क वे चाह तो फे टवल
कर सकते ह, बशत वे अपने लए ॉ सस जुटा ल। टू डट् स से मलने के बाद मेरा पाला
एक मुसीबत से पड़ा। दो लास स क द वार से पानी रस रहा था। मुझे एक घंटे तक
कॉ ै टर पर च लाना पड़ा, तब जाकर उसने कुछ लोग को उसक मर मत करवाने
भजवाया।
दोपहर को घर से मेरा लंच–बॉ स आया। मने भडी, दाल और रो टयां खाई। इसके
साथ ही मने आरती को एक कॉल कया। उसने फोन नह उठाया। लंच के बाद मेरी
लगातार दो मी ट स थ । म उससे बाद म बात नह कर पाता। मने एक बार फर को शश
क।
‘हैलो,’ एक अनजान–सी आवाज ने कहा।
‘कौन बोल रहा है?’ मने पूछा।
‘ दस इज बेला, गे ट रलेशंस से आरती क कॉलीग। तुम गोपाल हो ना? मने तु हारा
नाम लैश होते दे खा था,’ उसने कहा।
‘हां, या आरती वहां है?’
‘वह एक गे ट को अटड करने गई है। म उसे तु ह फोन लगाने को क ं?’
‘हां, लीज,’ मने कहा।
‘ओह, और है पी बथडे इन एडवांस,’ उसने कहा।
‘तु ह कैसे पता चला?’ मने कहा।
‘वेल, वह तु हारा ग ट तैयार करने के लए ब त मेहनत कर रही है... ऊ स!’
‘ या आ?’
‘शायद मुझे यह तु ह बताना नह था,’ बेला ने कहा। ‘मेरा मतलब है, वह सर ाइज है।
वह तु हारे लए बथडे ग ट बना रही है। इट् स सो वरट। उसने एक केक भी ऑडर कया
है... सुनो, य द उसे पता चल गया क मने तु ह यह सब बता दया है तो वह तो मेरी जान ही
ले लेगी।’
‘ रलै स, म उसे कुछ नह बताऊंगा। ले कन य द तुम मुझे लान बताओ, तो म भी
उसके लए कुछ लान कर सकता ं।’
‘यू गाइज आर वीट। तुम दोन बचपन के दो त हो ना?’ उसने कहा।
‘हां, तो लान या है?’
‘वेल, वह तु ह कहेगी क वह तु हारे बथडे पर तुमसे नह मल सकती। जा हर है, तुम
ब त नाराज हो जाओगे, ले कन वह काम का बहाना करेगी। ले कन काम के बाद वह
दोपहर को एक केक और ग ट लेकर तु हारे यहां चली आएगी।’
‘अ ा कया जो तुमने बता दया। म उस समय घर पर ही र ंगा, मी टग म नह ।’ मने
कहा।
‘तुम अपने बथडे के दन भी काम करोगे?’ उसने कहा।
‘म पूरे समय काम करता रहता ं,’ मने कहा। ‘ या वह आ गई है?’
‘अभी तो नह । म उसे तु ह कॉल करने को कह ं गी,’ उसने कहा। ‘ले कन लीज उसे
कुछ मत बताना। ऐसा जताना जैसे तु ह कुछ पता ही न हो।’
‘ योर,’ मने कहा और फोन रख दया।
यही सही समय था। मने वनोद को कॉल कया।
‘ वनोद?’ मने कहा।
‘कौन बोल रहा है?’ उसने कहा।
‘म गोपाल ं। म वधायक शु ला के साथ काम करता ं,’ मने कहा।
‘अ ा, अ ा, बताइए या काम है?’ उसने कहा।
‘मुझे कुछ लड़ कयां चा हए,’ मने कहा।
उसने फोन काट दया। मने फर फोन लगाया, ले कन उसने उठाया नह । मने अपना
फोन एक तरफ रख दया।
दस मनट बाद एक अनजाने लडलाइन नंबर से मुझे एक कॉल आया।
‘ वनोद बोल रहा ं। आपको लड़ कय क ज रत थी?’
‘हां,’ मने कहा।
‘रात पर के लए चंद घंट के लए?’
‘ ंह?’ मने कहा। ‘दोपहर। एक दोपहर के लए।’
‘दोपहर के लए है पी–ऑवर ाइसेस ह। कतनी चा हए?’
‘एक?’ मने कुछ सोचते ए कहा।
‘दो ले ली जए। अ ा सौदा रहेगा। एक के साथ सरी हाफ रेट मलेगी।’
‘ले कन एक से काम चल जाएगा।’
‘म दो भेज दे ता ं। य द तु ह दो चा हए, तो दोन को रख लेना। नह तो उनम से कोई
एक चुन लेना।’
‘डन। कतना लगेगा?’
‘ कस तरह क लड़क चा हए?’
मुझे नह पता था उसके पास कस तरह क लड़ कयां थ । मने इससे पहले कभी
कसी कॉल गल का ‘ऑडर’ नह दया था। या उसके पास कोई मेनु था?
‘कोई... कोई नाइस लड़क ?’ मने ब कुल कसी क े खलाड़ी क तरह कहा।
‘अं ेजी बोलने वाली? जी स वगैरह पहनने वाली?’ उसने कहा।
‘हां,’ मने कहा।
‘इं डयन, नेपाली या गोरी?’ उसने कहा। वाराणसी नेपाल बॉडर से ब त र नह था।
‘तु हारे पास गोरी लड़ कयां भी ह?’ मने कहा।
‘यह टू र ट टाउन है। कुछ लड़ कयां काम–धंधे के लए यह क जाती ह। उ ह ढूं ढना
मु कल है ले कन हम ऐसा कर सकते ह।’
‘मुझे दखने म अ –भली इं डयन लड़ कयां भेज दो। ऐसी लड़ कयां, जो कॉलेज
कै स म लोग का ब त यान न ख च।’
‘कॉलेज?’ वनोद ने हैरत से कहा। ‘हम नॉमली होटल म लड़ कयां भजवाते ह।’
‘कॉलेज मेरा ही है। इट् स ओके।’
गंगाटे क के बारे म बताने के बाद वनोद मान गया। मने उसे समझा दया क उसे कस
तरह डायरे टर के बंगले तक लड़ कयां प ंचानी ह।
‘तो आपको उसक ज रत कब है?’
‘दो बजे के बाद। पूरी दोपहर। शाम छह बजे तक,’ मने कहा।
‘बीस हजार लगगे,’ उसने कहा।
‘आर यू े जी?’
‘और वह भी शु ला–जी के रेफरस पर। आमतौर पर म वदे शय से एक लड़क के
इतने पैसे लेता ं।’
‘दस।’
‘पं ह।’
मुझे दरवाजे पर द तक सुनाई द ।
‘डन। कल दो बजे। लखनऊ हाईवे पर गंगाटे क कॉलेज म,’ मने फुसफुसाते ए कहा
और फोन रख दया।
‘फैक ट मी टग,’ ीवा तवा ने दरवाजे पर खड़े होकर कहा।
‘ओह, ऑफ कोस,’ मने कहा। ‘ लीज कम इन, डीन सर।’
मने पयून से कहा क हमारे बीस फैक ट सद य के लए और कु सयां लगवाए।
‘ टू डट् स ने मुझे बताया क कल आपका बथडे है, डायरे टर गोपाल,’ डीन ने कहा।
फैक ट को जैसे ऑग म हो गया हो। बॉस होना भी ब ढ़या होता है, सभी आपक ल लो–
च पो करने को तैयार बैठे रहते ह।
‘ज ट अनादर डे ,’ मने कहा।
‘ले कन टू डट् स आपके लए केक काटना चाहते ह,’ डीन ने कहा।
‘ लीज, ऐसा मत क जए। म ऐसा नह कर सकता।’ मने कहा। दो सौ लोग के सामने
केक काटने का सोचकर ही म श मदा हो गया था।
‘ लीज, सर,’ एक युवा फैक ट मबर जयंत ने कहा। ‘ टू डट् स आपको ब त मानते ह।
यह उनके लए ब त बड़ी बात होगी।’
म सोचने लगा क य द टू डट् स को वनोद से ई मेरी बात के बारे म पता चल जाए,
या तब भी वे मेरा ब त मान–स मान करगे?
‘वे आपके लए पहले ही दस कलो के एक केक का ऑडर दे चुके ह, सर,’ ीवा तवा
ने कहा।
‘अ ा, काय म ज द से नपटा दे ना,’ मने कहा।
‘बस दस मनट लगगे। एक बजे लासेस ख म होने के फौरन बाद,’ डीन ने कहा।
फैक ट मी टग शु ई। सभी ने मुझे अपने कोस ो ाम के बारे म बताया।
‘अब ज द से ज द लेसमट् स क तैया रयां शु कर दो,’ मने कहा, ‘इसके बावजूद
क हमारी पा सग आउट बैच को अभी दो साल का समय है।’
‘जयंत लेसमट कोऑ डनेटर ह,’ डीन ने कहा।
‘सर, मने पहले ही कॉप रेट्स से मलना शु कर दया है,’ जयंत ने कहा।
‘ र ॉ स कैसा है?’ मने पूछा।
‘चूं क हम नए ह, इस लए अभी थोड़ी मु कल होगी। कुछ एचआर मैनेजस यह भी
जानना चाह रहे ह क उ ह कतना ह सा मलेगा,’ जयंत ने कहा।
‘डायरे टर गोपाल, जैसा क आप जानते ही ह...’ डीन ने कहना शु कया, ले कन
मने उ ह बीच म ही टोक दया।
‘य द एचआर मैनेजस हमारे कॉलेज से हायर करते ह तो उ ह इसके ऐवज म अपना
ह सा चा हए, करे ट?’ मने कहा।
‘जी, सर,’ जयंत ने कहा।
ाइवेट कॉलेज चलाने के हर पहलू से घूसखोरी जुड़ी ई थी, तो फर लेसमट् स कैसे
बच सकते थे? ले कन सरे मबस इस बात से हैरान लग रहे थे।
‘पसनल पेआउट?’ मैके नकल इंजी नय रग क ोफेसर मसेज अव ी ने दम लेते
ए कहा।
जयंत ने सर हला दया।
‘ले कन ये लोग तो बड़ी कंप नय के मैनेजस ह गे,’ उ ह ने कहा। वे अब भी हैरान थ ।
‘ मसेज अव ी, यह आपका डपाटमट नह है। बेहतर होगा अगर आप मुझे अपने
कोस अ लाइड मैके न स के बारे म बताएं,’ मने कहा।

मेड्स ने तीन स जय , दाल और रोट का लजीज खाना बनाया था। ले कन मने उसे छु आ
तक नह । म ब तर म लेटा रहा और अपना फोन चेक करता रहा। आरती ने दनभर से मेरे
फोन का जवाब नह दया था। मने भी उसे फर कॉल नह कया।
मने एक बार फर अपने लान के बारे म सोचा।
आधी रात को आरती का फोन आया।
‘है पी बथडे टु यू,’ आरती ने गुनगुनाते ए कहा।
‘हे, आरती,’ मने कहा, ले कन उसने नह सुना।
‘है पी बथडे टु यू,’ वह अपनी आवाज क पच बढ़ाते ए गुनगुनाती रही, ‘है पी बथडे
डयर गोपाल, है पी बथडे टु यू।’
‘ओके, ओके, अब हम ब े नह ह,’ मने कहा।
ले कन उसने गाना जारी रखा।
‘है पी बथडे टु यू। यू वर बॉन इन द जू। वद मंक ज एंड एलीफट् स, ऑल लुक ज ट
लाइक यू,’ वह मेरे लए उसी तरह गा रही थी, जैसे ाइमरी कूल म गाया करती थी।
शायद, यह सब ब त बचकाना था, ले कन मेरी आंख म आंसू आ गए। म यक न ही
नह कर पाया क मने वैसा कोई लान बनाया था।
‘कोई ब त खुश है,’ मने कहा।
‘ऑफ कोस, आज तु हारा बथडे जो है। इसी लए मने पूरे दन तु ह कॉल या मैसेज
नह कया।’
‘ओह,’ मने कहा।
‘ओह या? तुमने यान नह दया या?’ वह चढ़ गई थी।
‘ ब कुल, यान दया था। यहां तक क मेरा टाफ भी सोच रहा था क आज मेरे फोन
ने एक बार भी बीप य नह कया।’
म ब तर से उठा और ब यां चला द ।
‘एनीवे, मने खूब सोचा क तु ह या ं , ले कन तु हारे पास तो सब कुछ है।’
‘और?’
‘म कुछ सोच ही न पाई।’
‘ओह, दै ट्स ओके। मुझे वैसे भी कुछ नह चा हए।’
‘शायद, जब हम मल, तब म तु ह कुछ खरीदकर दे सकती ं,’ उसने कहा।
‘हम कब मल रहे ह?’ मने कहा, हालां क बेला मुझे उसके लान के बारे म बता चुक
थी।
‘दे खो, कल मलना तो ब त मु कल होगा, मेरी डबल श ट है।’
‘तुम मेरे बथडे के दन मुझसे नह मलोगी?’ मने कहा।
‘ या कर?’ उसने कहा। ‘आधा ं ट ऑ फस टाफ गायब है। स दयां या आई, सभी
वायरल फ वर का बहाना बनाने लगे ह।’
‘ओके,’ मने कहा। यह तो कहना ही पड़े गा क वह ब त अ ए टं ग कर लेती थी।
म उसक बात को लगभग सच ही मान बैठा।
‘है पी बथडे अगेन, बाय!’ उसने कहा।
मेरा इनबॉ स ढे र सारे बथडे मैसेजेस से भर गया। ये मैसेज उन अनेक कॉ े टस,
इं े टस और सरकारी अ धका रय ारा कए जा रहे थे, जनक जेब मने बीते समय म
गम क थ । आरती के अलावा एकमा पसनल मैसेज मुझे शु ला–जी का मला। उनका
फोन आया था।
‘तुम जयो हजार साल,’ उ ह ने कहा।
‘शु या, आपको याद था!’ मने जवाब दया।
‘तुम मेरे बेटे जैसे जो हो,’ उ ह ने कहा।
‘थक यू, शु ला–जी, एंड गुड नाइट,’ मने कहा।
मने ब यां बुझा द । कल मेरी जदगी का अहम दन था और उससे पहले म कुछ दे र
सो जाना चाहता था।
39

‘बस, बस, ब त आ,’ दसव टू डट ारा मुझे केक खलाए जाने पर मने कहा।
हम मेन कै स ब ग के एक कमरे म जमा ए थे। टाफ और टू डट् स मुझे वश
करने आए थे। फैक ट ने मुझे ग ट के तौर पर एक ट –सेट दया था। टू डट् स मेरी लंबी
उ के लए ाथना गा रहे थे।
‘सर, हम उ मीद करते ह क आपके अगले बथडे पर कै स म एक मसेज डायरे टर
भी ह गी,’ फ ट ईयर के एक चुलबुले–से टू डट ने सभी के सामने कहा, जसका सभी ने
ता लय के साथ वागत कया। म मु करा दया और व दे खा। दो बज गए थे। मने सभी
को हाथ जोड़कर शु या कहा।
म घर जाने के लए मेन ब ग से बाहर नकल पड़ा।
‘है पी बथडे !’ – आरती का मैसेज आया।
‘तुम कहां हो?’ – मने पूछा।
‘डबल श ट अभी शु ई है। :(,’ उसने जवाब दया।
सवा दो बजे मुझे वनोद का फोन आया। मेरा दल जोर से धड़क रहा था।
‘हाय,’ मने नवस होते ए कहा।
‘लड़ कयां सफेद टाटा इं डका म ह। वे हाईवे पर ह और पांच मनट म कै स प ंच
जाएंगी।’
‘म गेट पर इनफॉम कर दे ता ं,’ मने कहा।
‘तुम कैश दोगे?’
‘हां। या तुम लोग े डट काड् स लेते हो?’ मने कहा।
‘हां, फॉरेनस से। ले कन कैश इज बे ट,’ वनोद ने कहा।
मने मेड्स से उनके वाटर म जाने को कहा। साथ ही मने उ ह यह भी कह दया क
चार घंटे तक मुझे ड टब न कर। फर मने गाड–पो ट को कॉल कया और उसे कहा क
वह सफेद इं डका को भीतर आने दे । मने उसे यह भी कहा क य द कोई और मुझसे मलने
आता है तो मुझे इ फॉम कर दे ।
ज द ही दरवाजे क घंट बजी। मने दरवाजा खोला। एक अजीब–सा दखने वाला
आदमी मेरे सामने खड़ा था। उसके पीछे दो लड़ कयां थ । उनम से एक ने एक चीप लेपड–
ट टॉप और जी स पहन रखी थी। सरी ने पपल लेस का डगन और ाउन पट् स पहन
रखी थी। म उ ह दे खते ही कह सकता था क ये लड़ कयां इन वे टन कपड़ म कंफटबल
नह थ । ले कन शायद इससे उ ह अपनी यादा क मत मल जाती थी।
आदमी ने चमकदार लू शट और हाइट ाउजस पहन रखे थे।
‘ये लड़ कयां चलगी?’ उसने मुझसे पूछा।
मने लड़ कय क ओर दे खा। दोपहर का व दे खते ए उ ह ने ज रत से यादा
मेकअप कर रखा था। खैर, मेरे पास कोई चॉइस नह थी।
‘चलगी,’ मने कहा।
‘पेमट?’
मने पैसा अपनी जेब म तैयार रखा था। मने नोट का एक बंडल उसे दे दया।
‘म कार म वेट कर रहा ं,’ उसने कहा।
‘कै स के बाहर, लीज,’ मने कहा। वह आदमी चला गया। मने लड़ कय को मेरे
पीछे आने को कहा। हम भीतर जाकर सोफ पर बैठ गए।
‘म रोशनी ं। तु ह लाइंट हो?’ लेपड ट वाली लड़क ने कहा। दोन म से वह
यादा कॉ फडट लग रही थी।
‘हां,’ मने कहा।
‘हम दोन के लए?’ रोशनी ने पूछा।
‘हां,’ मने कहा।
रोशनी ने मेरा कंधा पकड़ लया।
‘ ॉ ग मैन,’ उसने कहा।
‘इसका नाम या है?’ मने पूछा।
‘पूजा,’ पपल लेस वाली लड़क ने खुद ही कह दया।
‘ये तु हारे असली नाम नह ह, राइट?’ मने कहा।
रोशनी और पूजा, या वो लड़ कयां जो खुद को रोशनी और पूजा बता रही थ ,
खल खलाकर हंस पड़ ।
‘इट् स ओके,’ मने कहा।
रोशनी ने आसपास दे खा। ‘तो हम कहां करगे?’
‘ऊपर, बेड म म,’ मने कहा।
‘तो चलो,’ रोशनी ने कहा। वह अपने काम पर ब त फोक ट थी।
‘ऐसी भी या ज द है?’ मने कहा।
पूजा दोन म से कम बोलती थी, ले कन रोशनी के इं ंस का रा ता दे खते समय
उसके चेहरे पर मु कराहट च ा रहती थी।
‘ले कन क तो भी कस लए?’ रोशनी ने पूछा।
‘मने पूरी दोपहर के लए पैसा दया है। सही व आने पर हम ऊपर चलगे,’ मने कहा।
‘ले कन हम तब तक या करगे?’ रोशनी ने कहा। उसक आवाज म जरा आ ामकता
थी।
‘बैठो,’ मने कहा।
‘हम ट वी दे ख सकती ह?’ पूजा ने नरीह भाव से पूछा। वह न क ओर इशारा कर
रही थी। मने उसे रमोट दे दया। उ ह ने एक लोकल केबल चैनल लगा ली, जस पर
सलमान खान क ‘मने यार कया’ चल रही थी। हम चुपचाप बैठकर प चर दे खते रहे।
हीरोइन ने हीरो से कहा क ड शप म न तो कोई सॉरी होता है, न थ यू। पता नह इस
बात का या मतलब था। कुछ दे र बाद हीरोइन एक गाना गाने लगी और कबूतर से हीरो
तक चट् ठ प ंचाने का कहने लगी। रोशनी उसके साथ–साथ गुनगुनाने लगी।
‘नो स गग, लीज,’ मने कहा।
मुझे ऐसा लगा जैसे रोशनी को मेरी इस बात से ठे स प ंची है। ले कन मुझे कोई परवाह
नह थी। मने उसक स गग क स के लए पैसे नह चुकाए थे।
‘ या हम यह बैठे रहगे?’ साढ़े तीन बजे उसने कहा।
‘इट् स ओके, द द ,’ पूजा ने कहा। जा हर है, वह सलमान क द वानी थी। कुछ दे र
बाद उ ह जो कुछ करना था, उसके मद्दे नजर मुझे यह सुनकर हैरानी ई क पूजा ने
अपनी को– वकर को द द कहकर बुलाया था।
चार बजे प चर ख म हो गई।
‘अब या?’ रोशनी ने कहा।
‘चैनल बदलो,’ मने सुझाव दया।
साढ़े चार बजे लडलाइन फोन बजा। म दौड़कर फोन उठाने गया।
‘सर, स यो रट गेट से राजू बोल रहा ं। एक मैडम आपसे मलने आई ह,’ उसने
कहा।
‘नाम या है?’ मने पूछा।
‘वे नाम नह बता रही ह, सर। ले कन उनके हाथ म कुछ पैकेट् स ह।’
‘उसे दो मनट म भेज दो,’ मने कहा। मने हसाब लगाया क पांच मनट म वह यहां
प ंच जाएगी।
‘ओके, सर,’ उसने कहा।
म दौड़कर बाहर गया और मेन गेट और ं ट गेट को खुला छोड़ दया। फर म लड़ कय
क ओर मुड़ा।
‘चलो, ऊपर चल,’ मने कहा।
‘ या? तुम अब मूड म आए हो?’ रोशनी खल खला द ।
‘हां अभी!’ मने अंगु लयां चटकाते ए कहा। ‘और तुम भी, पूजा, या जो भी तु हारा
नाम हो।’
मेरे लहजे से हैरान होकर लड़ कयां फौरन उठ खड़ी ई। हम तीन ऊपर प ंचे। फर
हम बेड म म घुसे और बेड पर गए।
‘तो, यह कैसे करते ह?’ मने कहा।
‘ या?’ रोशनी ने कहा। ‘यह तु हारा फ ट टाइम है?’
‘बात कम, काम यादा,’ मने कहा। ‘मेरा मतलब है क तुम लोग पहले या करते
हो?’
रोशनी और पूजा ने एक– सरे क ओर दे खा। वे मन ही मन मुझ पर हंस रही थ ।
‘अपने कपड़े नकालो,’ रोशनी ने कहा।
मने अपनी शट नकाल द ।
‘तुम भी,’ मने उन दोन से कहा। वे एक सेकंड को हच कचाई य क मने दरवाजा
कुछ – कुछ खुला छोड़ दया था।
‘घर पर कोई नह है,’ मने कहा।
लड़ कय ने अपने कपड़े उतारे। म इतना तनाव म था क क ह डटे स पर यान नह
दे पाया। ले कन रोशनी न त ही यादा भरे बदन वाली थी, उसक तुलना म बली–
पतली पूजा कुपो षत लग रही थी।
‘ ब तर म जाओ,’ मने म सुनाया।
वे दोन मेरे लहजे से हैरान होकर भीगी ब लय क तरह ब तर म सरक गई।
‘तुम चाहते हो क हम दोन सब कुछ कर?’ रोशनी ने हालात को भांपने क को शश
करते ए कहा। ‘ले बयन सीन?’
‘ को,’ मने कहा। म बेड म क खड़क तक गया। बाहर लाल लाइट वाली एक
सफेद एंबेसेडर कार पाक ई थी। उसम से आरती बाहर नकली और उसने घंट बजाई।
जब कसी ने जवाब नह दया तो वह लॉन म आ गई। उसके हाथ म एक बड़ी–सी
ै पबुक और रमाडा बेकरी का एक बॉ स था। जैसे ही वह घर म घुसी, वह मेरी नजर से
ओझल हो गई।
40

‘तुम बड़े अजीब क टमर हो,’ रोशनी ने ट पणी क ।


‘ श!’ मने कहा और दोन नंगी लड़ कय के बीच जाकर लेट गया।
रोशनी फौरन मेरी गदन पर चूमने लगी, जब क पूजा मेरा बे ट खोलने के लए झुक ।
मने अपनी सांस गनना शु कर द । पचासव सांस पर मने कदम क आहट सुनी।
तब तक लड़ कयां ब त अ तरह से मेरा बे ट नकाल चुक थ और अब मेरी जी स
नकालने क तैयारी म लगी थ । साठव सांस पर दरवाजे पर द तक क आवाज सुनाई द ।
पसठव सांस पर एक साथ तीन लड़ कय के चीखने क आवाज आई।
‘है पी बथ... ओह मॉइ गॉड!!!’ आरती क आवाज कमरे म गूंज रही थी।
रोशनी और पूजा मारे डर के ह क –ब क रह गई और बेड–शीट से अपने चेहरे ढं क
लए। म ब तर पर बैठ गया। म सचुएशन के मुता बक हैरान नजर आ रहा था। ले कन
आरती को काटो तो खून न था। दोन लड़ कयां इस तरह क प र तय क आद थ ,
लहाजा वे उठ और बाथ म म चली गई।
‘गोपाल!’ आरती ने जोर से कहा। वह यक न नह कर पा रही थी।
‘आरती,’ मने कहा और ब तर से बाहर नकला। जब तक म अपनी जी स के बटन
लगाता और शट पहनता, तब तक वह दौड़कर कमरे से बाहर जा चुक थी।
मने सी ढ़य तक उसका पीछा कया। ले कन वह तेजी से भाग रही थी। उसने ग ट् स
के पैकेट बीच रा ते म ही फक दए। मुझे उस तक प ंचने के लए जमीन पर बखरे केक
बॉ स और ै पबुक को पार करना पड़ा। वह मेन डोर तक प ंचती, उसके पहले ही मने
उसक कोहनी पकड़ ली।
‘मेरा हाथ छोड़ दो,’ आरती ने कहा, ले कन उसके मुंह से आवाज नह नकल पा रही
थी।
‘आई कैन ए स लेन, आरती,’ मने कहा।
‘मने कहा ड ट टच मी,’ उसने कहा।
‘जैसा तुम सोच रही हो, वैसा नह है,’ मने कहा।
‘तो फर कैसा है? म यहां तु ह सर ाइज दे ने आई तो तु ह इस हालत म दे खा। कौन
जानता है... मने अपनी पूरी जदगी म इससे, इससे यादा वा हयात और कुछ नह दे खा,’
आरती ने कहा और क गई। वह अपना सर हला रही थी। उसे श द नह सूझ रहे थे।
फर वह फूट– फूटकर रो पड़ी।
‘इन लड़ कय को वधायक शु ला ने भेजा था, बथडे ग ट के तौर पर,’ मने कहा।
उसने मेरी ओर दे खा। वह अब भी अपना सर हला रही थी, जैसे क उसने अभी–
अभी जो दे खा और सुना, उस पर वह भरोसा ही न कर पा रही हो।
‘ यादा नाराज मत होओ। अमीर लोग ऐसा ही करते ह,’ मने कहा।
चटाक!
उसने मुझे जोर से एक तमाचा मारा। ले कन उस तमाचे क चोट से यादा उसक
आंख से झलक रही नराशा ने मुझे तकलीफ प ंचाई।
‘आरती, ये तुम या कर रही हो?’
उसने कुछ नह कहा, बस मुझे एक और तमाचा जड़ दया। मेरे हाथ अपने गाल पर
चले गए। तीन सेकंड के भीतर वह घर से बाहर जा चुक थी। दस सेकंड बाद मने कार का
दरवाजा बंद होते सुना। पं ह सेकंड बाद उसक कार मेरे पोच से जा चुक थी।
म सोफे म धंस गया। ऐसा लग रहा था, जैसे मेरे घुटन म कोई जान न रह गई हो।
पूजा और रोशनी पूरे कपड़े पहनकर एक– एक कर नीचे आई। पूजा ने सी ढ़य से केक
बॉ स और ै पबुक उठाई और मेरे सामने टे बल पर रख द ।
‘जब तुमने हमारे साथ ही कुछ नह कया तो तीसरी लड़क को य बुलाया?’ रोशनी
जानना चाहती थी।
‘यहां से चली जाओ,’ मने कहा। मेरी आवाज धीमी थी।
उ ह ने अपने साथी को फोन लगाया। चंद मनट बाद म अपने घर म अकेला था।
म वहां दो घंटे तक बैठा रहा, जब तक क बाहर अंधेरा न हो गया। मेड्स लौट आई
और ब यां चला द । उ ह ने मुझे वहां बैठे दे खा तो मुझे ड टब नह कया।
ै पबुक का कवर लाइट म चमक रहा था। मने उसे उठा लया।
‘एक नॉट बॉय और एक नॉट–सो–नॉट गल क कहानी,’ उसके काले कवर पर लखा
था, जस पर सफेद रंग से हड–प टग क गई थी। उस पर एक लड़के और लड़क क
माइली बनी थी और दोन आंख मार रहे थे।
मने ै पबुक को खोला।
‘एक समय क बात है। एक नॉट बॉय ने एक गुड गल का बथडे केक चुरा लया था,’
उसके पहले प े पर लखा था। इसके साथ ही मुझे डांटती ई ट चर और रोती ई आरती
का च बना था।
मने पेज पलटाया।
‘ले कन उसके बाद नॉट बॉय गुड गल का दो त बन गया। उसके बाद वह उसक हर
बथडे पाट म शा मल होने आता,’ उस पर लखा था। इसके बाद एलबम म उसक दस से
सोलह साल उ तक क सात बथडे पाट ज क त वीर थ , जनम म शा मल आ था।
मने दे खा क हम एक–एक कर कस तरह बड़े होते जा रहे थे। उसक हर बथडे पाट म
एक न एक त वीर ऐसी ज र थी, जसम फोटो म केवल हम दोन थे।
इसके अलावा आरती ने ब त मेहनत करके कूल क छोट –मोट यादगार भी संजोई
थ । उसम बारहव लास का टाइमटे बल था, जसम उसने मै स लासेस के ऊपर स ग
का नशान बनाया था। उसम नौव लास के कूल के फं न क टकट थ । दसव
लास म हम पहली बार कसी रे तरां म गए थे। उसने उस दन का बल उसम चपकाया
था। उसने आठव लास क अपनी लैमबुक से एक पेज भी फाड़कर लगाया था, जसम
उसने अपने बे ट ड के प म मेरा नाम लखा था। ै पबुक इन श द के साथ ख म
होती थी –
‘तु हारे साथ अब तक जदगी का सफर ब त खुशगवार रहा है। तु हारे साथ बताए
जाने वाले आने वाले कल का इंतजार है – मेरे हमसफर। है पी बथडे , गोपाल!’
अब म ै पबुक के अंत तक प ंच चुका था। बैक कवर पर उसने कैली ाफ करते ए
बड़े अ र म ‘जी’ और ‘ए’ लखा था।
म फौरन उसे कॉल करना चाहता था। म उसे बताना चाहता था क मुझे उसका तोहफा
कतना अ ा लगा है। शायद उसने इसे तैयार करने के लए ह त तक मेहनत क थी।
मने केक बॉ स खोला।
चॉकलेट केक का आकार कुछ-कुछ बगड़ चुका था ले कन म उसक लखावट पड़
सकता था -
‘चोरी हो गया -पहले मेरा केक और फर मेरा दल उस पर सफेद आइ सग से लखा
था और उसने नीचे छोटे अ र म’ है पी बथडे गोपाल’ लखा था।
मने केक बॉ स को र सरका दया। घड़ी ने बारह बजाए।
‘तु हारा बथडे पूरा आ गोपाल मने कमरे म मौजूद अकेले श स से जोर से ब तयाते
ए कहा।
हालां क मने खुद से वादा कया था क आरती को फोन नह लगाऊंगा इसके बावजूद मने
अगले दन उसे कॉल कया। ले कन उसने फोन नह उठाया।
मने पूरे ह ते अनेक बार उसे कॉल करने क को शश क ले कन उसने कोई जवाब नह
दया।
एक बार उसने गलती से फोन उठा लया।
‘तुम कैसी हो?’ मने कहा।
‘ लीज मुझे फोन करना बंद कर दो उसने कहा।
‘म को शश कर रहा ं’ मने कहा।
‘थोड़ी और को शश करो उसने कहा और फोन रख दया।
म झूठ नह बोल रहा था। म पूरी को शश कर रहा था क उसके बारे म न सा । खैर
अभी मेरा लान पूरा नह आ था।
मने ‘दै नक’ के संपादक अशोक को फोन लगाया।
‘ म टर गोपाल म ा उसने कहा।
‘आपका पेपर कैसा चल रहा है?’ मने कहा।
‘ब त अ ा। म दे ख रहा ं क आप हम ब त व ापन दे रहे ह। उसके लए ब त
ध यवाद।’
‘मुझे आपसे एक मदद क दरकार है मने कहा।
‘ या?’ उसने कहा। शायद वह सोच रहा होगा क म उससे कसी खबर को दबाने क
बात क ंगा।
‘म चाहता ं क आप एक को नौकरी पर रख ल मने कहा। ‘वह ब त अ ा
काम करता है।’
‘कौन?’
‘राघव क यप।’
‘वही टे रनी जसे हमने बाहर कर दया था?’ उसने कहा। ‘आपके व धायक शु ला ने
ही तो हम उसे बाहर करने को मजबूर कया था।’
‘हां अब उसे फर से नौकरी पर रख लो।’
‘ य ? उसने तो अपना खुद का पेपर नकाला था। उसने उसम दमनापुरा लांट क
बड़ी-सी खबर भी लगाई थी। सॉरी हम भी वह खबर छापनी पड़ी थी य क सभी उसे
कवर कर रहे थे।’
‘इट् स ओके मने कहा। ‘ या आप उसे फर से काम पर रख सकते ह? उसे मेरा नाम
मत बताइएगा।’
संपादक सोच म डू ब गया। ‘म उसे रख तो सकता ं ले कन वह ब त जोशीला प कार
है। म नह चाहता क आप फर से उसे लेकर अपसेट हो जाएं।’
‘उसे एजुकेशन से टर से कुछ दन तक र रखना या बेहतर तो यही होगा क उसे
घोटाल क खबर से ही र रखना।’
‘म को शश क ं गा संपादक ने कहा। ‘ले कन या वह जॉइन करेगा? उसका खुद का
एक पेपर है।’
‘उसका पेपर अब लगभग बरबाद हो चुका है। उसके पास कोई और जॉब भी नह है
मने कहा।
‘ठ क है म उसे बुलाता ं’ संपादक ने कहा।
‘तब तो आपका एक व ापन बनता है। अगले संडे के लए गंगाटे क के व ापन के
लए ं ट पेज बुक कर ली जए मने कहा।
‘थक यू। म माक टग को बता दे ता ं।’

मेरे बथडे के एक ह ते बाद बेद दो कंस टट् स के साथ मेरे ऑ फस आया। उनके पास एक
बैचलर ऑफ मैनेजमट टडीज कोस खोलने का पोजल था। सा थ म डीन ीवा तवा भी
आए थे।
‘एमबीए क खासी डमांड है। ले कन वह तो ेजुएशन के बाद क बात है। य न
ेजुएशन से पहले कुछ ऑफर कर?’ बेद ने कहा। कंस टट ने मुझे अपने लैपटॉप पर एक
जटे शन दखाया। तघइड् स म एक कॉ ट-बेने फट एना ल सस था जसम हमारे ारा ली
जाने वाली फ स और फैक ट के खच क तुलना क गई थी।
‘ बजनेस मैनेजमट टडीज ( बीएमएस) बे ट है। आप इंजी नय रग जतनी ही फ स
ले सकते ह ले कन आपको लै स जैसी सु व धाएं नह मलगी एक कंस टट ने कहा।
‘फैक ट भी आसान काम है। कसी भी एम-कॉम या सीए टाइप को रख लो। इस तक
के ढे र अवेलेबल ह सरे ने कहा।
ले कन मेरा मन उचटा आ था। अब म अपना काम नह फैलाना चाहता था। मुझे हर
साल ए ा करोड़ पए कमा लेने म अब कोई तुक नह नजर आती थी। म तो ऑ फस
आना भी नह चाहता था। ‘ए साइ टग है ना?’ बेद ने कहा।
‘ ंह हां ले कन या हम इस बारे म फर कभी बात कर?’ मने कहा।
‘ य ?’ बेद ने कहा। फर उसने मेरा लटका आ चेहरा दे खा। ‘ठ क है हम बाद म
चले आएंगे वह मान गया। ‘अगले ह ते कैसे रहेगा? या जब तुम चाहो।’
बेद और उसके संगी-साथी कमरे से बाहर चले गए।
‘डायरे टर गोपाल आपक तबीयत तो ठ क है?’ डीन ने कहा। ‘म ठ क ं’ मने कहा।
‘सॉरी टु से ले कन आप पूरे ह ते ठ क नह नजर आए है। हालां क मुझे आपके मामले
म नह बोलना चा हए ले कन फर भी म आपसे बड़ा ं। या म आपक कोई मदद कर
सकता ं?’
‘पसनल मैटर है मने कहा। मेरी आवाज ठोस थी।
‘आपको अब शाद कर लेनी चा हए सर। उस टू डट क बात ब कुल सही थी उ ह ने
मुंह दबाकर हंसते ए कहा।
‘आपक बात पूरी हो गई?’
उनके चेहरे से मु कराहट नदारद हो गई। वे फौरन उठ खड़े ए और वहां से चल दए।
मेरा सेलफोन बीप आ। ‘दै नक’ के माक टग हेड शैलेष का मैसेज था -’ राघव ने हमारा
ऑफर ए से ट कर लया है। वह कल जॉइन कर लेगा।’
‘ ेट थक यू बेरी मच मने जवाब दया।
‘उ मीद करता ं आप इसी तरह हमारा साथ दे ते रहगे। संडे क बु कग के लए थक
यू’ शैलेष ने मैसेज कया।

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41

‘दै नक’ के द तर म लैक मस डीज प ंचने से गाड़से म थोड़ी चहल-पहल मची। बड़ी
कार हमेशा लोग का यान ख चती है। म उसम से बाहर नकला और अपने नए
सन लासेस पहन लए। फर म लॉबी म रसेएा न ट के पास गया।
‘म राघव क यप से मलने आया ं’ मने कहा और उसे अपना बजनेस काड दया।
रसेएईन ट यह पता नह लगा पाई क राघव अभी कहां है। शैलेष ने मुझे ऊपर से
दे खा और दौड़ते ए नीचे आया।
‘गोपाल भाई? आपको मुझे इंकम कर दे ना चा हए था। आप यहां कसका वेट कर रहे
ह?’
‘म राघव से मलना चाहता ं’ मने कहा।
‘ओह योर उसने कहा’ ‘ लीज मेरे साथ आइए।’
हम राघव के यू बकल तक प ंचे। उसक डे क के नीचे आईट का एक लड़का घुसा
आ था और उसका कं यूटर सेट कर रहा था। कने स चेक करने के लए राघव भी
झुका आ था।
‘तुमने यहां फर जॉइन कर लया है?’ मने कहा।
राघव घूमा। ‘गोपाल?’ उसने कहा और उठ खड़ा आ।
‘म माक टग डपाटमट म आया था ले कन तुम दख गए। ‘ फर म शैलेष क ओर
मुड़ा। ‘थक यू शैलेष।’
‘ओके,’ शैलेष ने कहा। ‘सी यू गोपाल भाई।’
उसके जाने के बाद राघव ने कहा ‘अजीब बात थी। खुद संपादक ने मुझे फोन करके
बुलाया। मेरे पास यूं भी पैसा नह था। मने सोचा क म तब तक के लए रजाइन कर लेता
ं जब तक क मेरे पास’ रेवो युशन 2020 ‘को रलॉ करने के लए पया त पैसा इकट् ठा
नह हो जाता।’
‘ या हम एक कप चाय पी सकते ह?’ मने कहा।
‘ योर उसने कहा।
हम सेकंड लोर पर टाफ कट न तक चलकर गए। द वार पर अखबार के पुराने अंक
क फे द कॉपीज लूंगी थ । वहां दजन प कार अपने ड टाफोन और नोटबु स के साथ
बैठे थे और शाम के ना ते का मजा ले रहे थे। म समझ गया था क यहां पर राघव असहज
महसूस कर रहा था।
‘अब मुझे छोटे ऑ फस क आदत हो गई है’ दै नक का द तर तो ब त बड़ा है उसने
कहा। उसने दो लेट समोसे और चाय ली। मने पैसे दे ना चाहा ले कन उसने मना कर दया।
‘बड़े ऑ फस म अपने आपको छोटा महसूस कर रहे हो ना?’ मने कहा।
‘बात केवल इतनी ही नह है।’ ‘रेवो युशन 2020’ म हमने जस तरह क खबर क
वैसी म यहां कभी नह कर पाऊंगा मने कहा। म उसे कहना चाहता था क उसने
‘रेवो युशन 2020’ म जो कुछ कया उसक वजह से वह लगभग दवा लया हो चुका था।
ले कन म उसे यहां नीचा दखाने नह आया था।
‘ले कन एक जॉब का होना अ ा है। फर तु ह जन ल म अ ा भी लगता है मने
कहा।
‘इसी लए मने हां कह दया। अभी तो केवल छह महीने के लए ही यहां ायल पर
र ंगा।’
‘केवल छह महीने?’
‘वे लोग चाहते ह क म सर क खबर को ए डट क ं । हो सकता है इससे म अपने
आपको यादा सी नयर महसूस क ं ले कन मुझे रपो टग करना पसंद है। दे खते ह या
होता है।’
‘य द जॉब है तो हम बल भी पे कर सकते ह। जा हर है य द तुम शाद करना चाहो तो
जॉब से मदद मलती है मने कहा।
राघव हंस पड़ा। हमने कई साल से पसनल बात नह क थ । हालां क इस बार उसे
मेरी नेक मंशा पर शक नह था। राघव के साथ यही बात थी। एक तरफ वह बड़े से बड़े
घोटाल का खुलासा कर सकता था तो सरी तरफ बड़ी आसानी से लोग पर भरोसा कर
लेता था।
‘ कसक शाद हो रही है?’ राघव ने कहा। वह अब भी हंस रहा था।
‘तुम और आरती और कौन?’ मने कहा। मने खुद को याद दलाया क मुझे हंसते
-हंसते ये बात करनी ह।
राघव ने मेरी ओर दे खा। मने इससे पहले कभी उससे आरती के बारे म बात नह क
थी। वा तव म पछले कई साल से मने उससे कसी भी बारे म बात नह क थी।
‘आई होप म तुमसे एक दो त क तरह बात कर सकता ं। कसी जमाने म हम दो त
ही तो आ करते थे है ना?’ मने कहा। मने समोसे का एक बाइट लया और पाया क वह
बेहद तीखा था।
राघव ने गहरी सांस छोड़ते ए सर हलाया। ‘मेरे और आरती के बीच अभी सब कुछ
ठ क नह चल रहा है।’
‘ रयली?’ मने च कने का अ भनय कया।
‘मने ह त से उससे बात नह क है।’
‘ या आ?’ मने कहा।
राघव ने अपने समोसे पर टोमैटो साँस डाला।
‘गलती मेरी है। जब पेपर शु आ तो मने उसे पया त समय नह दया। धीरे -धीरे
हमारे बीच क रयां बढ़ने लग । पछले कुछ महीन से तो वह मुझसे ब त कट -कट -सी
रही है राघव ने कहा।
‘ या तुम लोग ने कभी इस बारे म बात क ?’ मने कहा।
‘नह हमने लान तो कया था ले कन बात नह कर पाए उसने कहा।
‘वह तु ह ब त चाहती है मने कहा।
‘पता नह राघव ने कहा। वह अपने समोसे को खाए बना उसे साँस म घुमाता रहा।
‘नह वह वाकई तु ह चाहती है। म उसे बचपन से जानता ं राघव। तुम हमेशा से
उसके लए सब कुछ थे। ‘राघव हैरान था। ‘ या वाकई?’
‘वह तुमसे शाद करना चाहती थी है ना?’
‘हां ले कन तब समय ठ क नह था। मेरी ओर दे खो। आज म अपने कै रयर म कसी
मुकाम पर नह ं’ राघव ने कहा।
‘तु हारा कै रयर सरे लोग से अलग है। तुम इसे पैस म नह तौल सकते। जहां तक
लोग क मदद करने का सवाल है तो तुम ब त अ ा काम कर रहे हो।’
‘ले कन मने वह मौका भी तो गंवा दया राघव ने कहा।
‘यू आर फाइन। तुम अब भी एक बड़े अखबार म सब-ए डटर हो। और य द तुम आरती
से शाद कर लो तो तुम और आगे जा सकते हो। ‘‘ या मतलब?’
‘तु ह पता है क आरती के प रवार पर राजनी त म शा मल होने का दबाव है?’ मने
कहा।
राघव चुप रहा।
‘तु ह पता है ना?’
‘हां मने सुना तो है वह फुसफुसाया।
‘आरती के पता राजनी त म जा नह सकते और आरती जाएगी नह । तो शायद
दामाद?’
राघव ने ऊपर दे खा। वह हैरत म था। ‘तुम कतनी र तक का सोच लेते हो मैन!’
मने अपनी आख घुमाई। ‘चूं क म माट नह ं इस लए मुझे सरे तरीक से इसक
खानापू त करनी पड़ती है।’
‘तुम और माट नह ?’ उसने कहा।
‘तुम उसे चाहते हो?’ मने कहा।
‘हमारे बीच सब कुछ ठ क नह चल रहा है उसने वीकारा।
‘मुझे पूरा यक न है क तुम सब ठ क कर सकते हो। आ खर इससे पहले भी तुम
उसका दल जीतने म कामयाब रहे थे मने कहा।
राघव ने एक शाय माइल द ।
‘उसे कॉल मत करो। उसके होटल म जाकर उससे मलो। उसके साथ एक पूरा दन
बता। वह बस इतना ही चाहती है तु हारा व और तु हारी तव ो। उसके बाद वह तु ह
दस गुना यादा यार करेगी मने दाएं-बाएं दे खते ए कहा।
राघव चुप रहा।
‘ ॉ मस करो तुम ऐसा ही करोगे मने कहा और अपना हाथ आगे बढ़ा दया।
उसने मुझसे हाथ मलाया और सर हला दया। म उठ खड़ा आ और शु ला-जी क
बात दोहरा द ।
‘हो सकता है जदगी तु ह फर यह मौका न दे ।’
राघव मेरी कार तक चलकर आया। हालां क उसने कार पर कतई यान नह दया।
‘तुम मेरे लए यह य कर रहे हो?’ उसने पूछा।
म कार म बैठ गया। मने खड़क का शीशा रोल-डाउन कया। ‘ य क आरती मेरे
बचपन क दो त है और...’
‘और या?’ राघव ने कहा।
‘हर कसी को अपनी तरफ से कुछ न कुछ तो करना ही चा हए मने कहा। मेरे ड़ाइवर
ने कार चला द ।
उसके बाद म राघव के टच म नह रहा। उसने कई बार फोन लगाया। मने या तो फोन
उठाया नह या उठाया तो बजी होने का बहाना बना दया। एक बार जब मेरी उससे बात
ई तब उसने मुझे बताया था क आरती और उसके बीच बातचीत फर शु हो गई है।
ले कन मने कहा क मेरे ऑ फस म इं े टस आए ए ह और फोन रख दया।
मने कसम खाई थी क आरती को कभी कॉल नह क ं गा। उसने भी मुझे कभी कॉल
नह कया। हां एक बार रात दो बजे उसका एक म ट कॉल ज र आया था। मने उसे
कॉल बैक कया य क तकनीक प से कॉल क शु आत मने नह क थी। ले कन उसने
फोन नह उठाया।
लड़का-लड़क के बीच म ट कॉल और कॉल-बैक के ड़ामे का अपना ही एक यूजर
मैनुअल होना चा हए। म समझ गया क उसने कसी कमजोर ल हे म मुझे कॉल कर दया
होगा इस लए मने उस पर यादा यान नह दया।
मने बीएमएस ो ाम टॉ स के लए बो रग कंस टट् स को बुलाया। लान म दम था।
हमने बजनेस टडीज म अपना काम बढ़ाने क या शु कर द । अब हमारा सामना
नए सरकारी अ धका रय से था ज ह हमारा लान अहव करना था। इसका मतलब था क
हम कुछ नई जेब गम करनी थ । हम पता था क यह मुनाफेदार बजनेस सा बत होगा। हर
साल लाख ब े टे ट दे ते ह रजे ट होते ह और एजुकेशन स टम से बाहर नकल जाते
ह। हम बस अपना जाल इतना मजबूत रखना था क उ ह फांस सक।
म कॉलेज फैक ट के साथ यादा समय बताने लगा। म उ ह अ सर शाम को अपने
घर बुलाता। चूं क वे मेरे लए काम करते थे इस लए वे मेरे जो स पर ठहाके लगाकर हंसते
थे और हर दस मनट म मेरी तारीफ करते थे। म उ ह दो त तो नह कह सकता था ले कन
वे कम से कम मेरे घर का अकेलापन तो र करते थे।
तीन महीने बीत गए। हमने बीएमएस लान लॉ य कया और अ माक टग के कारण
चंद ह त म सीट पर गई। म कभी-कभार ही कै स से बाहर नकलता था और कभी
नकलता भी था तो केवल आइ धका रय से मलने। इस दौरान शु ला-जी का केस
बगड़ता चला गया। उ ह ने मुझे बताया क मुकदमे म साल लग सकते ह। उ ह ने जमानत
क अज द ले कन कोट ने अज खा रज कर द । शु ह-जी को लगा क सीएम ने उ ह
दगा दया है य क पाट अ सर यह कहती थी क य द वे राजनी त छोड़ द तो जेल क
चहारद वारी से बाहर आ सकते ह। म हर महीने उनसे मलने जाता था। मेरे हाथ म
गंगाटे क ट अकाउं ट्स क कॉपी आ करती थी।
एक दन जब म घर पर था राघव का फोन आया। मने फोन नह उठाया। राघव
लगातार को शश करता रहा। मने फोन साइलट कर दया और उसे एक तरफ रख दया।
उसने मुझे मैसेज भेजा -‘गोपाल तुम कहां हो? म कब से को शश कर रहा ं।’
मने पहले -पहल तो जवाब नह दया ले कन फर मने सोचा क कह वह कसी
मुसीबत म तो नह फंस गया जैसे क उसने कसी नए घोटाले का खुलासा कर दया हो
वगैरह-वगैरह।
मने उसे मैसेज कया -‘मी टग म ं। या बात है?’
उसके जवाब से मुझे गहरा झटका -सा लगा।
‘आरती और म सगाई कर रहे ह। अगले संडे पाट है। म तु ह इनवाइट करना चाहता
ं।’
म इस मैसेज को दे खता रह गया। म चाहता था क ऐसा ही हो ले कन इसके बावजूद
मुझे ब त तकलीफ हो रही थी।
‘अनफॉ यूनेटली म अभी शहर से बाहर ं। ले कन कॉ यूलेशंस मने जवाब भेजा।
म सोच रहा था क कह मने एक ए स लेमेशन माक यादा तो नह लगा दया।
राघव ने मुझे फर कॉल कया। मने उसे नजरअंदाज कर दया। उसने दो बार फर
को शश क । आ खर मुझे फोन उठाना ही पड़ा।
‘ऐसा कैसे हो सकता है क तुम हमारी इंगेजमट म न आओ?’ उसने कहा।
‘हे म अभी एक फैक ट मी टग म ं’ मने कहा।
‘ओह सॉरी। सुनो तु ह आना ही होगा राघव ने कहा।
‘म नह आ सकता। म एक वाइंट वचर के सल सले म सगापुर जा रहा ं’ मने
कहा।
‘ या? और तुम कभी कॉल बैक य नह करते? यहां तक क म जब आरती से भी
तु हारे बारे म पूछता ं तो वह कहती है क तुम ब त बजी हो।’
‘आई एम रयली सॉरी। म वाकई बजी ं। हम अगले दो साल म अपने टू डट् स क
तादाद दोगुनी करने जा रहे ह मने कहा।
‘यानी तुम अपनी बे ट ड क इंगेजमट मस कर दोगे? या वह अपसेट नह होगी?’
‘मेरी तरफ से उससे माफ मांग लेना मने कहा।
राघव ने एक गहरी सांस छोड़ी। ‘ठ क है। ले कन दो महीने बाद हमारी शाद है। पहली
माच को। लीज तब इस शहर म ही रहना।’ ऑफ कोस म यह र ंगा मने कहा और अपने
कैलडर म उस तारीख पर गोला लगा दया।
‘और अब तुम फर से अपनी मी टग म मस फ हो सकते हो। टे क केयर बडी राघव ने
कहा।
मने फौरन आरती को एक कॉ सेट्स मैसेज भेज दया। उसने कोई जवाब नह दया।
मने अपने बड़े -से घर क ओर दे खा जो मेरी आ मा क तरह खाली था।

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42

माच क पहली तारीख को मने ताज गंगा म एक म बुक कराया। फोथ लोर पर मौजूद
इस म म एक छोट -सी बालकनी थी, जहां से होटल के पूल और लॉ स का नजारा
दखता था। दो दन पहले मने अपने फोन का सम काड बाहर नकाल लया था। मने
अपने टॉफ से कह दया था क म ज री काम से बाहर जा रहा ं। म दनभर होटल म
अपने म म बैठा रहा। शाम को आठ बजे म बालकनी म आया। शाम क बुझती ई
रोशनी म मने वह काड फर पढ़ा।
मसेज एंड म टर अ नल क यप
आप सभी को सादर आम त करते है
अपने बेटे
राघव
के
आरती
(सुपु ी: मसेज एंड म टर ताप ज धान, डीएम)
के साथ शुभ ववाह म

शाम आठ बजे
1 माच 2010
पूलसाइड लॉ स,
ताज गंगा, वाराणसी

म नीचे वे डग वे यू दे ख सकता था। समूचा गाडन ए रया फूल से सजा था और रोशनी म


नहाया आ था। मेहमान आने लगे थे। एक कोने म डीजे डांस लोर सेट कर रहे थे और
यू जक ै स टे ट कर रहे थे। लॉन के एक तरफ फूड काउं टस थे। एक छोटे -से टे ज पर
दो सजी-धजी कु सयां थ , जन पर ब े उछलकूद कर रहे थे। ये हा - हन क
कु सयां थ । शाद का पांडाल, जहां सभी र म होनी थ , गदे के फूल से सजा था।
म वहां चुपचाप खड़ा रहा। चौथे लोर पर होने के कारण मेरे कान म शहनाई क ब त
धीमी आवाज ही आ पा रही थी।
नौ बजे बारात आई। राघव घोड़ी पर बैठा था। डीजे ने यू जक का वॉ यूम बढ़ा दया।
राघव के नाते- र तेदार घोड़ी के सामने नाच रहे थे। राघव ने म कलर का बंद-गला सूट
पहन रखा था। हालां क मुझे यह वीकार करते ए अ ा नह लगेगा, ले कन वह इतनी
र से दे खने पर भी हडसम नजर आ रहा था। य द उसक जगह म होता तो और महंगी
पोशाक पहनता, ले कन इसके बावजूद म इतना अ ा नह दख सकता था। मने राघव से
फर अपनी तुलना करने के लए खुद को घुड़क दया।
साढ़े नौ बजे आरती आई। वह धीरे-धीरे टे ज क ओर बढ़ रही थी। लोग हैरान रह गए।
उ ह ने इससे खूबसूरत हन शायद कभी नह दे खी थी।
वह प रय -सी नजर आ रही थी। उसने ह के लाल रंग का लहंगा पहन रखा था, जस
पर स वर रंग के सतारे थे। और इसके बावजूद क मेरे पास रबीन नह थी, म बता
सकता था क वह एकदम परफे ट दख रही है। सेरेमनी के दौरान राघव और आरती के
क ज स उनके इद- गद जमा हो गए। उ ह ने उन दोन को उठा लया, जस कारण उनके
लए एक- सरे को फूलमाला पहनाना क ठन हो गया था।
जयमाला समारोह के बाद म और दे ख न सका। म केवल आरती को हन के पम
दे खना चाहता था, मुझे पूरी वे डग लाइव दे खने क कोई ज रत नह थी।
म अपने कमरे म चला आया, दरवाजा लगा दया और परदे ख च दए। मने ट वी को
फुल वॉ यूम म चला दया, ता क नीचे से आ रही हर आवाज को अनसुना कर सकूं।
मने अपने फोन म सम काड फर लगा लया। फोन चालू होते ही एक के बाद एक ढे र
मैसेजस आने लगे।
मुझे फैक ट क ओर से चालीस मैसेज आए थे, जनम से दस तो अकेले डीन क ओर
से आए थे। वे सभी कॉलेज क व भ सम या के बारे म बात कर रहे थे। राघव ने मुझे
पांच मैसेज भेजे थे और वह पूछ रहा था क मुझे काड मला या नह । पता नह उसने मुझे
कतने कॉल कए ह गे। ले कन एक मैसेज ने मुझे सबसे यादा च काया। यह आरती का
मैसेज था। उसम लखा था -
‘शाद म आना। ले कन य द तुम आना चाहो तो ही।’
मने र लाई करने के बारे म सोचा ले कन फर मुझे याल आया क वह टे ज पर फोन
कैसे चेक करेगी।
मने डीन को फोन लगाया।
‘आप कहां ह, डायरे टर गोपाल?’ डीन ने ऊंची आवाज म कहा। ‘हम सब कतनी
फ कर रहे थे!’
‘डीन ीवा तवा... डीन ीवा तवा...’
‘गोपाल!’ उ ह ने मेरी आवाज म पैठे तनाव को भांपते ए कहा।
‘मुझे यहां से ले जाओ,’ म पूरी तरह टू ट चुका था।
‘ले कन आप ह कहां? कहां ह आप?’
‘ताज गंगा, 405... म यहां नह रहना चाहता।’
‘म आ रहा ं,’ उ ह ने कहा।
एक घंटे बाद म डीन क कार म उनके पास बैठा था और कै स ओर बढ़ रहा था।
‘तो, आ खर बात...’ उ ह ने कहना शु कया, ले कन चुप हो गए। वे मेरी और एक
नजर डालकर समझ गए थे क मै कुछ नही कहना चाहता।
‘डीन ीवा तवा, म खूब काम करना चाहता ं। चलो गंगाटे क को नई ऊंचाइय पर ले
जाते ह। म एजुकेशन क हर फ म अपनी मौजूदगी दज कराना चाहता ं। मुझे त
र खए। इतना त क मेरे पास सोचने तक का समय न हो।’
‘ले कन आप तो पहले ही ब त त ह, सर,’ वे परेशान नजर आ रहे थे।
‘उससे भी यादा। हम को चग क फ म य नह ह?’ मने कहा। ‘उसम खूब पैसा
है। मुझे इंजी नय रग और एमबीए को चग के लए पोजल चा हए। ओके?’ मने कहा।
मेरी आवाज गूंज रही थी।
‘आप ठ क तो ह, डायरे टर गोपाल?’ डीन ने कहा।
‘आप मेरी बात सुन रहे ह या नह ? मुझे पोजल चा हए,’ मने कहा। म इतनी जोर से
च लाया क हमारा ड़ाइवर भी असहज महसूस करने लगा।
‘येस, डायरे टर,’ डीन ने कहा।
उ ह ने मुझे घर छोड़ा। म सीधे अपनी डाय नग टे बल के पास बने बार पर गया और
लैक लेबल ह क क नई बोतल खोल ली, जसे हम इं े टस के लए लाए थे। मने
एक पूरा गलास भरकर ह क नकाली। नीट। मेड्स भीतर आई।
‘आप कहां थे, साहब?’ उ ह ने पूछा।
‘मुझे काम था,’ मने कहा। ह क ब त कड़वी लग रही थी, ले कन म उसे पूरी गटक
गया।
‘ डनर?’
मने सर हलाकर मना कर दया। मेड्स बाहर चली गई। म बुकशे फ क ओर बढ़ा
और कैपबुक नकाल ली।
मने एक और गलास बनाया। म एक ही घूंट म आधा गलास पी गया, ले कन जब मेरा
शरीर जवाब दे गया, तो मुझे उसे बाहर भूकना पड़ा।
म फश पर गर पड़ा। मने कैपबुक को अपना त कया बनाया और वह सो गया।
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उपसंहार

मने समय दे खा। अ ताल क घड़ी छह बजा रही थी।


‘तो यादा शराब पीकर बेसुध हो जाना तु हारी है बट है,’मने कहा। गोपाल अथपूण
ढं ग से मु करा दया।
‘नह ऐसा केवल एक बार ही आ था,’उसने कहा। ‘आज वाली घटना से पहले, ऑफ
कोस।’
मने गोपाल के चेहरे क ओर दे खा। वह कसी टू डट क ही तरह यंग दख रहा था।
ले कन इसके बावजूद उसके चेहरे पर उसके अनुभव क इबारत पढ ़ जा सकती थ ।
जदगी ने उसे जो कड़वे सबक सखाए थे, उ ह ने उसे व से पहले ही बड़ा बना दया था।
‘तो, आरती और राघव क शाद आज से एक साल पहले ई थी?’ मने कहा।
‘हां, एक साल और बीस दन पहले,’ उसने कहा।
‘उसके बाद या आ?’ मने कहा।
‘शु ला-जी अब भी जेल म ह। म उनसे हर महीने मलता ं। म अपनी कमाई से
कॉलेज म उनका शेयर खरीद रहा ं, ता क यह कॉलेज पूरी तरह से मेरे हाथ म आ जाए।
उ ह भी अपने सरे काम के लए पैस क दरकार है। दे खते ह।’
‘और राघव और आरती का या आ?’ मने पूछा।
‘म उनके टच म नह ं। म अपने कॉलेज के काम म लगा रहता ं। दो महीने बाद
चुनाव ह। उनम वह भी शा मल होगा।’
‘मतलब?’
‘राघव चुनाव लड़ रहा है। पूरे शहर म लगे चुनावी पो टर पर उसक त वीर है,’
गोपाल ने कहा।
‘उसक जगह तुम भी हो सकते थे। तु ह इस बारे म कैसा महसूस होता है?’ मने कहा।
गोपाल ने कंधे उचका दए। ‘वह मुझसे बेहतर वधायक सा बत होगा। म वधायक
बनकर भी या करता? और यादा पैसे कमा लेता। ले कन उसके पास एक मौका होगा क
वह समाज म कुछ बदलाव करके दखाए।’
‘यह तो तु हारी उदारता है,’ मने कहा।
गोपाल सीधा उठ खड़ा आ और उसे पहनाई गई चादर बेचैनी से हटा द । ‘ले कन म
अब भी एक अ ा इंसान नह ं, है ना?’ उसने कहा।
‘मने ऐसा तो नह कहा,’ मने कहा।
‘मने आपको पहले ही कहा था, म आपक कहानी का हीरो बनने के लायक नह ं,’
गोपाल ने कहा।
म चुप रहा।
‘म वलेन ज र हो सकता ं,’ गोपाल ने कहा। उसक आंख चमक रही थ ।
‘यह म पाठक पर छोड़ दे ना चाहता ं क वे तु हारे बारे म या सोचते ह। म केवल
लोग के बारे म लखता ं। म उ ह हीरो या वलेन बनाकर पेश नह करता मने कहा।
‘राघव एक अ ा इंसान है। म उससे आ धा भी अ ा इंसान नह ं’ गोपाल ने कहा।
‘अपने को जज करना बंद करो,’ मने कहा।
‘चेतन-जी, अपने दल पर हाथ र खए और क हए, ‘ या म अ ा इंसान ं?’
म समझ गया क मेरी हां उसके लए ब त मायने रखती है। ले कन, इसके बावजूद म
सही जवाब दे ना चाहता था। मने कुछ दे र सोचा।
‘रहने द जए, सर। इस सवाल का जवाब मत द जए। च लए कुछ दे र टहलते ह।’
वह ब तर से उठ खड़ा आ। अब वह काफ बेहतर लग रहा था। हम अ ताल के
लॉ स म सुबह क चहलकदमी करने लगे।
‘मुझसे ॉ मस करो क आज के बाद कभी इतनी क नह करोगे,’ मने कहा।
उसने सर हला दया। ‘म यह ॉ मस तो नह कर सकता।’
‘तुम उसे मस करते हो?’ मने पूछा।
वह चुप रहा।
‘ या तुम उसक शाद के बाद उससे मले थे?’
उसने सर हलाकर मना कर दया। अब म समझा क वह मुझे रमाडा ॉप करने म
य झझक रहा था। मने फर समय दे खा। दो घंटे बाद मेरी लाइट थी। मुझे दौड़कर
होटल जाना था, पैकअप करना था और फर सीधे एयरपोट जाना था।
‘अब म चलता ं’ मने कहा। उसने सर हला दया। वह मुझे कार तक ॉप करने
बाहर तक आया।
‘रेवो युशन तो ज र होगी,’ गोपाल ने कहा। ‘एक दन हमारा दे श बेहतर बनेगा।’
‘मुझे पता है,’ मने कहा।
‘आप भी इस बारे म ल खए। अगर गंगाटे क ब त बड़ा इं टट् यूट बन गया तो म भी
अपनी ओर से को शश क ं गा। म लोग को लफाफे बांटते ए थक चुका ं।’
‘हम कुछ बदलाव करना ही होगा,’ मने कहा।
‘इसके लए सभी को कोई न कोई कुबानी दे नी होगी,’ गोपाल ने कहा।
‘येस, आई ए ी,’ मने कहा। ड़ाइवर ने कार टाट क ।
‘बाय, सर,’ गोपाल ने मुझे वदा करते ए कहा।

म दौड़कर अपने म पर प ंचा और तेजी से पैकअप कया। फर म चेकआउट करने के


लए नीचे होटल लॉबी म आया।
‘ डड यू हैव अ गुड टे , सर?’ एक यारी-सी लड़क ने मुझसे पूछा। उसने साड़ी पहन
रखी थी।
‘हां, यादगार रहा,’ मने कहा।
मने उसक नेम लेट दे खी। उस पर लखा था – ‘आरती क यप, गे ट रलेशन
ऑ फसर।’
वह मु करा द । ‘यह सुनकर अ ा लगा सर।’
मेरी कार कटोनमट ए रया से बाहर चली गई। ै फक सगनल पर मने एक राजनी तक
दल का बड़ा-सा हो डग दे खा। री होने के कारण म कुछ पढ़ नह पाया, ले कन उसम मुझे
एक युवा उ मीदवार क त वीर नजर आ रही थी। मने गोपाल को फोन लगाया।
‘सब ठ क तो है ना, सर। आप समय पर लाइट पकड तो लगे?’
‘हां... गोपाल?’
‘ या?’ उसने कहा।
‘तुम एक अ े इंसान हो,’ मने कहा।

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