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चेतन भगत ने पांच बे टसे लग नॉवल लखे ह -फाइव पॉइंट समवन (2004), वन नाइट @
द कॉल सटर (2005), द ी म टे स ऑफ माय लाइफ (2008), 2 टे ट्स : द टोरी ऑफ
माय मै रज (2009) और रेवॉ यूशन 2020 (2011 ).
www.apub.com
eISBN: 9781503945982
म लास के बाहर द वार से टककर खड़ा था। आरती अपनी आंख प छते ए मेरे करीब से
गुजरी।
‘ ामा वीन! वह चॉकलेट केक क केवल आधी लाइस ही तो थी!’ मने सोचा।
खैर तो इसी तरह मेरी, गोपाल म ा क ेट आरती ताप धान से पहली मुलाकात
ई। हां यहां म यह ज र कहना चाहता ं क भले ही यह कहानी मेरी है ले कन आप मुझे
यादा पसंद नह करगे। आ खर दस साल का चोर कोई ब त पसंद करने लायक इंसान
होता भी तो नह है।
म वाराणसी का ं। मेरी समाज व ान क ट चर कहती ह क यह नया के सबसे
पुराने शहर म से एक है। यह शहर 1200 ईसा पूव से ही आबाद है। वाराणसी का यह नाम
दो न दय व णा और अ स के नाम पर पड़ा जो इस शहर से होकर बहती ह और आगे
जाकर गंगा म मल जाती ह। अलग-अलग जगह के लोग मेरे शहर को अलग-अलग नाम
से बुलाते ह जैसे काशी बेनारस या बनारस। कुछ लोग वाराणसी को मं दर का शहर भी
कहते ह य क यहां हजार क तादाद म मं दर ह। कुछ लोग इसे ान का शहर कहते ह
य क वाराणसी म पड़ाई- लखाई के कुछ बेहतरीन सटर ह। ले कन म वाराणसी को
केवल अपना घर कहता ं। म गढौ लया के करीब रहता ं जहां इतना शोरगुल होता है क
य द आप चैन से सोना चाहते ह तो इसके लए आपको अपने कान म ई ख सना पड़
सकती है। गढौ लया गंगा नद के घाट के करीब है इस लए य द गढौ लया क घनी आबाद
के कारण आपका जीना मुहाल हो जाए तो आप घाट पर जाकर बैठ सकते ह और गंगा
और मं दर के शखर को नहार सकते ह। कुछ लोग मेरे शहर को प व खूबसूरत और
आ या मक भी कहते ह खासतौर पर तब जब वदे शी पयटक के सामने इसक खू बयां
गनानी ह । कुछ लोग इसे गंदगी से भरपूर भी बताते ह। ले कन मुझे नह लगता क मेरा
शहर गंदा है वा तव म लोग उसे गंदा बना दे ते ह।
खैर कहते ह क जीवन म एक न एक बार वाराणसी क सैर ज र करनी चा हए।
जब क हमम से कइय ने तो अपना पूरा जीवन ही इस शहर म बता दया है।
मेरी जेब म एक प सल थी। म उससे द वार पर 5 सी लखता रहा। इससे मुझे व
काटने म भी मदद मल रही थी और 5 सी लखने के बाद म अपनी लास को अ धक
आसानी से खोज भी सकता था।
वह टॉयलेट से बाहर आई -उसका चेहरा भीगा आ था। ामा- वीन जैसे ए स ेशंस
अपनी जगह बरकरार थे और उसक नजर मुझ पर जमी ई थ । वह लास क ओर चली
जा रही थी।
जैसे-जैसे वह मेरे करीब आती गई उसक नजर लगातार मुझे घूरती रह । ‘तुम द वार
चतर रहे हो!’ उसने कहा।
‘जाओ इसक भी शकायत कर दो मने कहा। ‘जाओ।’
‘तुमने मेरा ट फन चुराने क ह मत कैसे क ?’ उसने कहा।
‘मने तु हारा ट फन नह चुराया मने कहा।’ मने केवल तु हारे चॉकलेट केक क तीन
बाइट खाई। तु ह तो पता भी नह चलता।’
‘तुम वाकई बैड बॉय हो आरती ने कहा।
‘पहले घर तक मेरे साथ चलो। उसके बाद केट ाउं ड चले जाना,’ आरती ने कहा।
हम गंगा पर बो टग करने के बाद शाम को घर लौट रहे थे। आरती और म पछले पांच
साल से हर स ताह इसी तरह बो टग करने जाते थे। अ सी घाट के ना वक फूलचंद भाई
मुझे अपनी नाव दे दे ते थे। हम एक गली से होकर गुजर रहे थे जो इतनी संकरी थी क एक
मोट गाय आसानी से उसम फंस सकती थी। हम घाट से सटे एक मु य माग पर नकले।
‘मुझे पहले ही दे री हो गई है आरती। राघव मुझ पर ब त च लाएगा।’
‘तो मुझे भी अपने साथ आने दो। म घर जाकर बोर नह होना चाहती उसने कहा।
‘नह ।’
‘ य ?’ उसने आंख झपकाते ए कहा।
‘वहां ब त लड़के ह। याद है पछली बार कतनी सी टयां बजी थ ?’
‘म हडल कर लूंगी आरती ने अपने माथे से बाल क लट हटाते ए कहा।
मने उसके खूबसूरत चेहरे को दे खा।’ तु ह पता नह तु ह दे खकर उ ह या हो जाता है
मने कहा। वा तव म म उससे कहना चाहता था क तु ह पता नह तु ह दे खकर मुझे या
हो जाता है।
आरती को उसके लु स के कारण हमेशा कूल ट चस क सराहना मलती थी। ले कन
दो साल पहले जब वह पं ह क हो गई तो पूरा कूल उसके बारे म बात करने लगा। इस
तरह क बात आम हो गई क वह सनबीम कूल क सबसे खूबसूरत लड़क है उसे तो
फ म ए टे रस बनना चा हए या वह चाहे तो मस इं डया के लए अ लाई कर सकती है।
इनम से कुछ बात वे लोग करते थे जो उसे लुभाना चाहते थे। आ खर एक सी नयर
आईएएस ऑ फसर क बेट और एक त त पूव राजनेता क पोती क गुड बु स म कौन
शा मल नह होना चाहेगा?
ले कन हां, आरती के कारण वाराणसी क दल क धड़कन ज र तेज हो गई थ ।
य द वह सगरा टे डयम केट ाउं ड म चली जाती तो न त ही खेल म खलबली
मच जाती। ब लेबाज गद खेलना भूल जाते फ स कैच टपका दे ते और बेरोजगार बौड़म
लड़के उसे दे खकर सी टयां बजाने लगते जनके कारण यूपी बदनाम हो चुका है।
‘म काफ समय से राघव से नह मली आरती ने कहा।’ चलो चलते ह। म तु ह खेलते
ए दे खूंगी।’
‘कल ट् यूशंस पर उससे तु हारी मुलाकात हो जाएगी,’ मने खेपन से कहा।’ अब घर
जाओ।’
‘तुम चाहते हो क म अकेले घर जाऊं?’
‘एक र ा कर लो मने कहा।
उसने मेरी कलाई थाम ली।’ तुम अभी मेरे साथ चल रहे हो।’ उसने मेरा हाथ पकड़ा
और जब तक म उसके साथ उसके घर नह प ंच गया तब तक वह मेरे हाथ को आगे-पीछे
झुलाती रही।
म उससे कहना चाहता था क वह अब इस तरह मेरा हाथ न पकड़ा करे। बारह क उ
तक यह ठ क है ले कन स ह क उ म नह । ये अलग बात है क स ह क उ म उसका
मेरा हाथ पकड़ना बारह क तुलना म मुझे यादा अ ा लगता था।
‘ या आ?’ उसने कहा।’ तुम घूर य रहे हो? मने तु हारा हाथ केवल इसी लए
पकड़ा है क कह तुम भाग न जाओ।’
म मु करा दया। हम शोरगुल भरी सड़क से होकर शांत कटोनमट इलाके तक चले
आए। फर हम जला जज ताप बृज धान के बंगले पर प ंचे। वे आरती के पता थे।
सांझ का आकाश गहरे नारंगी रंग का हो गया था। यह तय था क राघव मुझ पर ब त
बगड़े गा य क खेलने के लए ब त समय जाया हो चुका था। ले कन म आरती क बात
नह टाल सका।
‘थक यू’ आरती ने ब सरीखी आवाज म कहा।’ भीतर आआगे?’
‘नह , मुझे पहले ही ब त दे री हो चुक है मने कहा।
हमारी आंख मल ले कन ज द ही मने अपनी आंख हटा ल । बे ट ड् स बस हम
यही थे मने खुद से कहा।
हवा म उसके बाल लहराए और काली लट उसके चेहरे को हौले-से सहलाने लग ।
‘मुझे अपने बाल कटवा लेने चा हए। इ ह मटे न करना ब त मु कल है आरती ने कहा।
‘नह ऐसा मत करना मने ढ़ता से कहा।
‘मने केवल तु हारे लए ही अपने बाल इतने लंबे रखे ह। बाय!’ उसने कहा। म सोचने
लगा क या वह भी मेरे बारे म अलग तरह से सोचने लगी है। ले कन मुझे नह पता था क
यह बात उससे कैसे पूछ जाए।
‘ट् यूशंस पर मलते ह मने चलते-चलते कहा।
‘राघव क यप’ ट चर ने नाम पुकारा और एक आ सर-शीट ऊपर उठा द । राघव आरती
और मने गाकुंड म जेएसआर को चग लासेस जॉइन क थ ता क हम इंजी नय रग
वेश परी ा क तैयारी कर सक। जेएसआर का नामकरण उसके तीन सं ापक
म टर झा म टर सह और म टर राय के नाम पर कया गया था और वह एआईईईई (
ऑल इं डया इंजी नय रग एंटेरस ए जाम) और आईआईट जेईई (इं डयन इं टट् यूट ऑफ
टे कनालजी जॉइंट ेस ए जाम) के लए लगातार मॉक टे ट आयो जत करता था।
एआईईईई म हर साल दे शभर के दस लाख टू डट् स परी ा दे ते ह जो नेशनल इं टट् यूट्स
ऑफ टे मालॉजी (एनआईट ) के तीस हजार पद के लए त धा करते ह। इंजी नयर
बनने क चाहत रखने वाला हर छा यह परी ा दे ता है। म इंजी नयर तो नह बनना चाहता
था ले कन बाबा मुझे इंजी नयर बनते दे खना चाहते थे और इसी लए मने जेएसआर जॉइन
कया था।
राघव चालीस टू डट् स से खचाखच भरे लास म से होकर अपनी आ सर शीट लेने
आगे बढ़ा।
‘अ सी म से छयासठ। वेल डन राघव ट चर ने कहा।
‘आईआईट मटे रयल एक लड़के ने फुसफुसाते ए कहा।’ वह सनबीम का टॉपर है।’
म साफ तौर पर दे ख सकता था क राघव अपने आईआईट यन पता के कदम पर चल
रहा है, जो भेल म इंजी नयर ह। मुझे अ सी म से पचास नंबर मले। यह एक ठ क-ठाक
दशन था। यह कसी केट ट म म बारहवां खलाड़ी बनने के लए तो काफ था ले कन
खलाड़ी बनने के लए नह ।
‘फोकस, गोपाल,’ ट चर ने कहा।’ तु ह अपनी जगह सुर त करने के लए साठ से
यादा नंबर लाने ह गे।’
मने सर हला दया। म एक अ े इंजी नय रग कॉलेज म पढ़ना चाहता था। मेरे पता
ने कई साल से कोई अ खबर नह सुनी थी।
‘आरती धान!’ ट चर ने पुकारा। पूरी लास क नगाह सफेद सलवार कमीज पहने
उस लड़क क ओर घूम गई जसके कारण उबाऊ को चग लासेस भी अखरती नह थ ।
आरती ने अपनी आ सर शीट ली और खल खला द ।
‘अ सी म से बीस नंबर लाना तु ह फनी लगता है?’ ट चर ने यौ रयां चढ़ाते ए कहा।
आरती ने हथे लय से अपना चेहरा छु पा लया और अपनी सीट पर लौट आई। उसक
इंजी नयर बनने क कोई इ ा नह थी। उसने तीन कारण से जेएसआर जॉइन कया था।
पहला यह क को चग लासेस अटड करने से उसे अपनी बारहव सीबीएसई क पढ़ाई म
मदद मल सकती थी, सरा यह क मने भी जेएसआर जॉइन कया था और उसे कंपनी
मल गई थी और तीसरा यह क ट् यूशन सटर उससे फ स नह लेता था, य क उसके
पता शहर के डीएम या ड ट म ज टे रट बनने वाले थे। वैसे आरती के पता ईमानदार
छ व वाले थे, ले कन ट् यूशन लेना बेईमानी के दायरे म नह आता था।
‘मने तो एआईईईई का फॉम तक नह भरा है आरती ने मेरे कान म फुसफुसाते ए
कहा।
‘मेरी एआईईईई रक क बुरी गत होने वाली है,’ मने अपना लेमनेड हलाते ए राघव से
कहा।
हम नारद घाट के करीब जमन बेकरी म आए थे। यह फरंगी टू र ट का य जॉइंट
था, जहां गोरे लोग वाराणसी के क टाणु और दलाल दोन से सुर त महसूस करते थे।
वे सड वच और पैनके स जैसा फरंगी फूड खाने के लए लकड़ी क खप य वाले
ब तर पर बैठा करते थे। वाराणसी इफे ट दे ने के लए दो कुपो षत बूढ़े एक कोने म बैठकर
सतार बजाया करते थे य क गोर को सतार सुनते ए सड वच खाना एक सां कृ तक
अनुभव लगता था।
मने कभी इस जगह के बारे म यादा नह सोचा। ले कन आरती इसे पसंद करती थी।
‘उसने अपने बाल बांधने के लए जस तरह से काफ का इ तेमाल कया है वह मुझे
अ ा लगा आरती ने एक म हला टू र ट क ओर इशारा करते ए कहा। जा हर है उसे
मेरी एआईईईई से जुड़ी चता म कोई दलच ी न थी।
‘दस और अंक और उसके बाद यू वल बी फाइन। रलै स राघव ने कहा।
‘मेरे और उन दस अंक के बीच एक लाख टू डट् स खड़े ह मने कहा।
‘ सर के बारे म मत सोचो। अपनी पढ़ाई पर यान दो उसने कहा।
मने धीमे से अपना सर हला दया। जब आप टॉपर होते ह तो सलाह दे ना आसान
होता है। मने क पना क क म एक लाख अ य लो-रकस के साथ एक समु म ं और
सांस लेने के लए तड़प रहा ं। हम डू ब रहे थे और भारत के एजुकेशन स टम के लए
बेकार होते जा रहे थे। तीन स ताह का समय और था और उसके बाद एआईईईई नाम क
सुनामी आने वाली थी।
आरती ने मेरे चेहरे के सामने अपनी अंगु लयां लहराई।’ न द से जागो ड़ीमर सब ठ क
हो जाएगा उसने कहा।
‘तुम ए जाम नह दोगी राघव ने आरती से पूछा।
‘हां वह खल खला द ।’ इसी स ताह’ म ं ना’ रलीज हो रही है। आ खर म शाह ख
खान क फ म कैसे मस कर सकती ं? उ ह एआईईईई पो टपोन कर दे ना चा हए।’
‘वेरी फनी।’ मने मुंह बना दया।
‘अगर तुम इंजी नयर नह बनना चाहती तो फर तुम आ खर करना या चाहती हो?’
राघव ने आरती से पूछा।
‘ या कुछ करना ज री है? म भारतीय नारी ।ं शाद क ं गी घर बसाऊंगी और खाना
पकाऊंगी। या फर, नौकर को खाना पकाने का म ं गी।’
यह कहकर वह हंस पड़ी और राघव भी उसक हंसी म शा मल हो गया।
ले कन मुझे इसम कुछ भी हंसने जैसा नह लगा। म उन लाख टू डट् स से अपना
यान नह हटा पा रहा था, जो इंजी नयर बनना चाहते थे और जनसे मुझे कुछ ही दन
बाद भड़ना था।
‘इतने सी रयस य हो रहे हो, गोपाल-जी म मजाक कर रही ं। तुम तो जानते ही हो
क म घर पर नह बैठ सकती।’ आरती ने मेरा कं धा थपथपाते ए कहा।
‘चुप करो, आरती,’ मने कहा।’ मुझे पता है क तुम एयर हो टे स बनना चाहती हो।’
‘एयर हो टे स? वॉव !’ राघव ने कहा।
‘दै ट्स नॉट फेयर, गोपाल!’ आरती ने च लाते ए कहा।’ तुम नया के सामने मेरे
सी े ट् स उजागर कर रहे हो।’
‘ नया नह , वह केवल मुझे ही बता रहा है, राघव ने कहा।
आरती ने मुझे एक डट लुक द ।
‘सॉरी,’ मने कहा।
आरती से मेरा र ता यादा गहरा था। हम राघव को अपना दो त मानते थे, ले कन
गहरा दो त नह ।
‘तुम वाकई ब त अ एयर हो टे स बनोगी,’ राघव ने कहा। उसके लहजे म शरारत
थी।
‘खैर, जो भी हो,’ आरती ने कहा।’ जैसे क डै ड मुझे वाराणसी से कह जाने दगे। यहां
कोई एयरलाइंस नह ह। यहां केवल मं दर ह। शायद, म एक टे ल हो टे स बन जाऊं।
सर, लीज फश पर अपना ान हण क जए। ा थना शी ही ारंभ होने वाली है।
साद आपक सीट तक प ंचा दया जाएगा।’
राघव अपना पेट पकड़कर फर हंस पड़ा। उसका पेट ब त गठ ला था। मुझे ऐसे लोग
से घृणा होती है, ज ह ाकृ तक प से सपाट पेट मला होता है। भगवान सभी पु ष के
लए स स पैक को एक डफॉ ट टडड य नह बना दे ते? या फैट जमा करने क पेट
के सवा कोई और जगह नह हो सकती?
राघव ने आरती के हाथ पर ताली द । मेरे कान क लव सुख हो गई। सतार वादक ने
एक त धुन बजानी शु कर द ।
‘आरती, तुम भी या नॉनसस बात कर रही हो,’ मने कहा। मेरी आवाज तेज थी। मेरे
इद- गद मौजूद फरंगी, जो यहां वै क शां त क तलाश म आए थे, चौक े हो गए।
मुझे यह अ ा नह लग रहा था क राघव और आरती एक- सरे के फसड् डी जो स
का भी मजा ले रहे थे।
राघव ने अपने लेमनेड म ॉ को इतनी जोर से चूसा क क उसक नाक से बहने
लगी।
‘ ॉस!’ आरती ने कहा और दोन फर से ठहाका लगाकर हंसने लगे। म उठ खड़ा
आ।
‘ या आ?’ राघव ने कहा।
‘मुझे जाना है। बाबा मेरा इंतजार कर रहे ह.’ मने कहा।
‘अब इसका कोई फायदा नह है,’ मने मै स क नोटबुक बंद करते ए कहा।
ए जाम के एक दन पहले राघव मेरे घर आया था। उसने कहा क हम ायगोनोमे का
ला ट- मनट रवीजन कर। म इस वषय म कमजोर था। राघव ने टे सबुक उठा ली।
‘तुम सो जाओ, ओके ए जाम से पहले आराम करना ब त ज री है। और खूब सारी
धारदार प सल साथ रखना मत भूलना,’ उसने कहा।
राघव को जाता दे ख बाबा कचन से बाहर आए।’ डनर के लए को, बाबा ने कहा।
‘नह आज नह , बाबा,’ राघव ने कहा।’ गोपाल को रक मलने के बाद म एक अ -
सी दावत लूंगा।’
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‘आज एआईईईई के रज ट आने वाले थे ना? पेपर म तो नह ह,’ मेरे घर म घुसते ही बाबा
ने कहा। फश पर चार अलग-अलग अखबार फैले थे।
‘नह , अब अखबार म रज ट नह छपते। बाबा, अखबार इस तरह य फैला रखे
ह?’ मने कहा।
म अखबार समेटने के लए झुका। मने यह नह बताया क नतीजे ऑनलाइन उपल
थे।
‘तो हम रज ट कैसे पता चलगे? तारीख तो आज क ही थी ना?’ उ ह ने कहा।
म चुपचाप अखबार बटोरता रहा। म उ ह कह दे ना चाहता था क रज ट आने म अभी
कुछ व है। कुछ दन क शां त मेरे लए अ होती, फर चाहे वह अ ायी ही य न
हो। मने उनका बूढ़ा चेहरा दे खा। उनक आंख के आसपास झु रयां थ , ले कन उन आंख
म आज एक खास चमक थी।
‘एनआईट लखनऊ चलकर पता लगाएं?’ बाबा ने कहा। वे यह पता लगाने के लए
पांच घंटे का सफर करने को खुशी-खुशी तैयार थे क उनका बेटा लूजर है।
‘बाबा!’ मने झ लाते ए कहा।
‘ या?’
‘च लए लंच तैयार करते ह।’ म कचन म चला गया। बाबा आदम के जमाने का हमारा
टोव छह बार को शश करने के बाद चालू आ। मने दाल उबालने के लए बनर पर एक
कटोरी पानी चढ़ा दया।
बाबा मेरे पीछे खड़े थे।’ हम रज ट जानना ही होगा। चलो, चलते ह,’ उ ह ने कहा।
जब बुजुग लोग कसी बात क जद पकड़ लेते ह तो वे आसानी से नह मानते।
‘पहले खाना पका लेते ह,’ मने कहा।’ जब खाना बन जाएगा, तो म आपको बुला
-लूंगा।’
अपने पैरट् स को अपनी नाकामी के बारे म बताना क भी-कभी नाकाम होने से भी
यादा तकलीफदे ह होता है। म अगले एक घंटे तक खाना पकाता रहा। म सोचने लगा क
या जदगी फर कभी पटरी पर लौट पाएगी। एक टु पड ए जाम और म ट पल चॉइस
ॉ ल स म आ धा दजन गल तय ने मेरी जदगी को हमेशा के लए बदल दया था।
मेरे पता और म चुपचाप खाते रहे। उनक उ मीद से भरी आंख मुझ पर जमी थ । अब
उनसे खबर छु पाना मुम कन नह रह गया था।
खाने के बाद म उनके पास गया।’ बाबा, मुझे रज ट पता है,’ मने धीमे -से कहा।
‘और?’ उ ह ने पूछा। उनक आंख फैल गई थ ।
‘मेरी रक 52043 है।’
‘यह अ रक है?’
मने सर हला दया।
‘तु ह अ ांच नह मलेगी?’
‘म एनआईट म नह जा पाऊंगा,’ मने कहा।
बाबा के चेहरे के भाव फौरन बदल गए। उनके चेहरे पर अब वे भाव थे, जनसे हर बेटा
डरता है। वे नजर, जो कहती ह,’ मने तु ह या यही दन दे खने के लए पाल-पोसकर बड़ा
कया था!’
ऐसी नजर को झेलने से तो कनपट म गोली दाग लेना बेहतर है।
बाबा बेचैनी के साथ उठे और डाइ नग टे बल के इद - गद च कर हाटने लगे।’ ऐसा
कैसे आ क तु ह अ रक नह मल पाई?’
‘वेल, हर कसी को अ रक नह मलती, बाबा। म अकेला नह साढ़े नौ लाख और
टू डट् स को अ रक नह मली है,’ मने मन ही मन सोचा, ले कन कहा नह ।
‘अब या?’ उ ह ने पूछा।
मने सोचा क या मुझे कुछ करने के लए कुछ वक प सुझाने चा हए, जैसे क –
आ मह या, हमालय पर जाकर कठोर तप या फर मेहनत -मजूरी क खी-सूखी
जदगी?
‘आई एम सॉरी, बाबा,’ मने कहा।
‘मने तु ह और पढ़ाई करने को कहा था,’ उ ह ने कहा।
आ खर कौन बाप ऐसा नह कहता होगा!
वे अपने कमरे म चले गए। आ धे घंटे बाद म ह मत जुटाकर उनके कमरे म गया।
उ ह ने अपने सर पर गम पानी क बोतल रखी थी।
‘म बीएससी कर सकता ं, बाबा,’ मने कहा।
‘भला उससे या फायदा होगा?’ उ ह ने कहा। उनक आवाज इतनी तेज थी क
लगता नह था क वे बीमार ह।
‘म अपना ेजुएशन पूरा क ं गा और फर नौकरी क तलाश क ं गा। मुझे अनेक मौके
मल सकते ह,’ मने कहा। म बना सोचे-समझे बोले चला जा रहा था।
‘एक मामूली-से ेजुएट को भला कौन अ नौकरी दे ता है?’ बाबा ने कहा।
करे ट, एक मामूली-सा ेजुएट, जसक कोई औकात नह होती।
‘हमारे पास कसी डोनेशन कॉलेज के लए पैसे नह ह, बाबा,’ मने उ ह याद दलाया।
उ ह ने सर हला दया। कुछ समय बाद वे फर बोले,’ फर से को शश करोगे?’
बाबा ने कोई बेतुका सुझाव नह दया था, ले कन उसक टाइ मग ब त गलत थी।
एंटेरस ए जाम ही मुझे खासी मुसीबत दे चुका था। एक बार फर को शश करने के
वचार से ही मुझे तकलीफ होने लगी।’ बस करो, बाबा,’ मने चीखते ए कहा।’ य द
आपने जमीन का सेटलमट कर लया होता तो आज हमारे पास एक ाइवेट कॉलेज के
लायक पैसा होता। ले कन आपने ऐसा नह कया, इस लए मुझे तो मुसीबत उठानी ही
पड़े गी।’
बाबा ने अपने माथे पर गम पानी क बोतल घुमाई। वे सरदद के साथ ही मेरे कारण भी
तकलीफ म लग रहे थे।’ मेरे कमरे से चले जाओ, उ ह ने कहा।
‘आई एम सॉरी,’ मने यं वत् कह दया।
‘ए जाम म फेल होना, अपने पता पर च लाना, तुम एकदम सही दशा म जा रहे हो
बेटा,’ उ ह ने कहा। उनक आंख मुंद ई थ ।
‘म कुछ न कुछ ज र क ं गा। म आपको नराश नह क ं गा। म एक दन ज र
अमीर बनूंगा,’ मने कहा।
‘अमीर बनना आसान नह है। उसके लए ब त मेहनत करनी पड़ती है। ले कन तुम तो
मेहनत से जी चुराते हो,’ उ ह ने कहा।
म उ ह बताना चाहता था क मने अपनी ओर से खासी मेहनत क थी। आप बना
मेहनत के पचास हजारव रक हा सल नह कर सकते, फर चाहे उसका कोई भी य
मतलब न हो। म कहना चाहता था क म भीतर से टू टा आ महसूस कर रहा ं। म चाहता
था क वे इस बात को समझ पाएं क म फूट-फूटकर रोना चाहता था और य द वे मुझे
अपने सीने से लगा लेते ह तो इससे मुझे ब त अ ा लगेगा।
‘चले जाओ। जदगी के ये बचे-खुचे दन मुझे चैन से बता लेने दो,’ उ ह ने कहा।
म अपने कमरे म गया और चुपचाप बैठ गया। इतने साल म मने कभी अपनी मां को
मस नह कया था। ले कन, एआईईईई रज ट के इस दन म चाहता था क काश वे मेरे
साथ होत । मने वे छह एका ॉ ल स ठ क न कर पाने के लए खुद को ब त कोसा। म मन
ही मन ए जाम के दन को बार-बार दोहराता रहा, जैसे क मेरा दमाग समय म पीछे क
ओर या ा कर सकता है, उसी दन को फर से दोहरा सकता है, और म वहां जाकर अपनी
गलती सुधार सकता ं। पछतावा – शायद, पछतावे क भावना इंसान के सबसे बड़े
मै यूफे च रग डफे ट् स म से एक होगी। हम पछतावा करते रहते ह, चाहे उसक कोई
तुक न हो। म अपने ब तर म लेटा सोचता रहा।
आधी रात को म ल वग म म आया और आरती को कॉल कया।
‘अरे, तुम ठ क तो हो ना?’ उसक आवाज शांत थी।
उसे मेरे रज ट के बारे म पता था। फर भी उसने कॉल नह कया था। उसे पता था
क जब म उससे बात करने को तैयार होऊंगा, तभी उसे कॉल क ं गा। आरती मुझे ब त
अ तरह से समझती थी।
‘हम बोट पर बात करगे,’ मने कहा।
‘कल सुबह साढ़े चार बजे अ सी घाट पर,’ उसने कहा।
फोन के बाद म सोने चला गया। म लेटा रहा, ले कन न द न आई। म ब त दे र तक
करवट बदलता रहा। जब तक म बाबा के साथ अ े -से बात नह कर लेता, मुझे चैन नह
आने वाला था।
म उनके कमरे म गया। वे सो रहे थे। गम पानी क बोतल अब भी उनके सर पर थी।
मने बोतल उठाकर एक तरफ कर द । वे जाग गए।
‘आई एम सॉरी, बाबा,’ मने कहा।
उ ह ने कुछ नह कहा।
‘आप जो कहगे, म वो ही क ं गा। य द आप चाहते ह तो म एक बार फर को शश
क ं गा। म इंजी नयर बनकर दखाऊंगा, बाबा,’ मने कहा।
उ ह ने मेरे सर पर एक हाथ धर दया, मानो मुझे आशीवाद दे रहे ह । अब मेरे लए
अपनी भावना को थामकर रखना मुम कन नह था। म फूट-फूटकर रो पड़ा।
‘म ब त मेहनत क ं गा,’ मने कहा। आंसू मेरे गाल से होकर ढु लक रहे थे।
‘गॉड लेस यू। चलो, अब सो जाओ,’ उ ह ने कहा।
म सुबह साढ़े चार बजे अ सी घाट जा प ंचा। मेरा ना वक दो त फूलचंद मुझे च पू थमाते
ए मु करा दया। इतने साल म उसने मुझसे कभी एक पैसा नह लया था। म उसक
बोट एकाध घंटे के लए ले जाता था और बदले म उसे चाय और ब कट खरीदकर दे दया
करता था। जब क इतनी दे र नाव चलाने के लए फरंगी पांच सौ पए दे सकते थे।
कभी-कभी म फरं गय से अं ेजी म ब तयाने म उसक मदद कर दया करता था और
वह मुझे दस फ सद कमीशन दे दे ता था। हां, म इस तरह भी पैसा कमा सकता था।
शायद, ब त यादा नह , ले कन म इतना तो कमा ही सकता था क अपनी रोजी-रोट
कमा सकूं। काश, बाबा यह सब समझ पाते।
‘साढ़े पांच तक लौट आना, फूलचंद ने कहा।’ मेरी एक बु कग है। जापानी टू र ट् स।’
‘मुझे आधे घंटे से यादा समय नह लगेगा,’ मने वादा कया।
उसने खीस नपोर द ।’ तुम लड़क के साथ जा रहे हो, शायद तु ह व का पता ही न
चले।’
‘नह , ऐसा नह होगा।’
‘तु हारी उसके साथ से टग है?’ फूलचंद ने बोट क र सी खोलते ए कहा। छोटे शहर
म लड़का और लड़क के आपसी र त म, सभी क दलच ी होती है।
‘फूलचंद भाई, म आधे घंटे म लौट आऊंगा।’ मने कहा और बोट पर सवार हो गया।
मेरे खे जवाब पर फूलचंद ने यौ रयां चढ़ा ल ।
‘वह कूल के दन से मेरी लासमेट है। म उसे आठ साल से जानता ं,’ मने कहा।
वह मु करा दया। सुबह के नीमउजाले म उसके पान के दाग लगे दांत चमक रहे थे।
‘म जापानी टू र ट से बातचीत कराने म तु हारी मदद क ं गा हम दोन मलकर उनसे
नपट लगे,’ मने पतवार थामते ए कहा।
आरती घाट से बीस मनट आगे ना वक और सा धु क नजर से र मेरा इंतजार कर
रही थी। वह धीमे -से नाव पर चढ़ । म नाव को खेते ए तट से र ले गया।
‘चलो, उस तरफ चलते ह,’ उसने प म दशा क ओर इशारा करते ए कहा, जधर
अ धक शां त थी। पूव दशा म भीड़ भरे दशा मे ध घाट पर सुबह क आरती शु हो चुक
थी। माना जाता है क दशा मे ध घाट वह जगह है, जहां ह्मा ने दस अ मे ध य कए
थे और वह वाराणसी म गंगा तट पर होने वाली स भी धा मक ग त वाइ धय का क है।
म जैसे-जैसे नाव खेता चला गया, घं टय और मं ो ार क व नयां पीछे छू टती चली
गई। ज द ही हम केवल पानी म चल रहे चमु क ही आवाज सुन पा रहे थे।
‘लाइफ म ऐसा हो जाता है,’ आरती ने कहा।
भोर क करण के कारण उसके चेहरे पर पीली-सी रंगत थी। वह उसके लाल-
केश रया पट् टे से मैच कर रही थी।
मेरी बांह थकने लग । मने नाव खेना बंद कर दया और पतवार एक तरफ रख द ।
हमारी नाव गंगा नद के बीच म कह खड़ी थी। आरती उठ और मेरे पास आकर बैठ गई।
उसके चलने के कारण नाव जरा डगमगाई। हमेशा क तरह, उसने मेरी थक ई हथे लय
को अपने हाथ म लया और उ ह सहलाने लगी। फर उसने मेरी ठोढ़ पकड़कर मेरा चेहरा
अपनी तरफ कर लया।
‘मुझे डर लग रहा है, आरती, ‘मने धीमे-से कहा।
‘ य ?’
‘म जदगी म कभी कुछ हा सल नह कर पाऊंगा,’ मने कहा।
‘बकवास मत करो, उसने कहा।’ जो लोग एआईईईई म टॉप रक हा सल नह करते,
या वे जदगी म कुछ भी नह कर पाते?’
‘पता नह । मुझे लगता है जैसे... जैसे म हार गया ं। मने बाबा को नराश कया है।’
‘वे ठ क ह ना?’
‘वे चाहते ह क म एक बार फर को शश क ं । वे मुझे कसी भी क मत पर इंजी नयर
बनाना चाहते ह।’
‘ या तुम भी इंजी नयर बनना चाहते हो?’ आरती ने पूछा।
‘मेरे पता आईएएस म नह ह। मेरे दादा मं ी नह थे। म एक मामूली-से प रवार से ं।
हम खुद से इस तरह के सवाल नह पूछते क हम जीवन म या बनना चाहते ह। हम
अपनी रोजी-रोट अ े -से कमाना चाहते ह। इंजी नय रग से ऐसा हो सकता है मने जवाब
दया।
‘ कतनी द कयानूसी बात ह!’
‘अपना पेट भरना कभी आउट ऑफ फैशन नह हो सकता आरती मने कहा।
वह मु कराई और मेरी बांह पर अपना हाथ रख दया। मने उसे बांह म भर लया। मेरा
चेहरा उसके चेहरे के करीब था।
‘ या कर रहे हो?’ आरती ने मुझे धकेलते ए कहा।
‘म... म केवल...’
‘ऐसा मत करो आरती ने कठोरता से कहा। ‘तुम हमारी दो ती को बबाद कर दोगे।’
‘म तु ह ब त पसंद करता ं ‘मने कहा। म कहना चाहता था क म तु ह ब त यार
करता ं ले कन मुझम ऐसा कहने क ह मत नह थी।
‘म भी तु ह पसंद करती ं ‘उसने कहा।
‘तो तुम मुझे चूम य नह लेत मने कहा।
‘ य क म ऐसा नह करना चाहती। ‘उसने मेरी ओर दे खते ए कहा। ‘मुझे गलत मत
समझो। तुम कई साल से मेरे बे ट ड हो। ले कन म तु ह पहले भी कह चुक ं..’वह
चुप हो गई।
या?
‘म तु ह उस तरह से नह दे खती उसने अपनी बात पूरी क ।
म उससे र हट गया।
‘गोपाल लीज मुझे समझने क को शश करो। तुम पहले ही ड टब हो इस लए म
तु ह,..’
‘इस लए या आरती? तुम मेरी फ ल स को हट नह करना चाहत ?
वेल, तुम ऐसा कर चुक हो।’
मने घड़ी दे खी। 4.50 हो चुके थे। मुझे नाव लौटानी थी। मने फर से पतवार उठा ल ।
‘चलो तु हारे घर चलते ह मने कहा। उसने हामी भर द । घाट प ंचने तक हम खामोश रहे।
फूलचंद हम दे खकर मु करा दया ले कन जब मने नजर तरेरकर दे खा तो उसक मु कराहट
गायब हो गई।
हम नाव से नीचे उतरे।
‘तुम आज कुछ समय बाद घर आना चाहोगे?’ आरती ने कहा। ‘मुझसे बात मत करो
मने कहा।
‘तुम इ डयट क तरह बहेव कर रहे हो।’
‘म इ डयट ही ं और तुम यह जानती हो। इसी लए तो म एआईईईई लीयर नह कर
पाया मने कहा और उसक तरफ दे खे बना वहां से चला आया।
5
‘काले वाले दखाना, ‘आरती ने कानदार को बारह लॉथ हगस का एक सेट दखाते ए
कहा।
हम नादे शर रोड पर घरेलू सामान क एक कान म आए थे, ता क उन चीज क
खरीदारी क जा सके, जनक मुझे कोटा म ज रत पड़ने वाली थी।
‘म खरीदारी म तु हारी मदद कर रही ं इसका यह मतलब नह क तु ह वाराणसी से
जाता दे खकर मुझे खुशी हो रही है आरती ने कहा।
‘अगर तुम कह दो तो म अपना टकट रद्द करवा ं गा।’
उसने मेरे गाल पर अपनी हथेली रख द । ‘मुझे ब त बुरा लग रहा है क मेरा सबसे
अ ा दो त जा रहा है, ले कन तु हारे लए यही सही होगा।’
उसने हगस ले लए। उनक क मत पचास पया त सेट थी। ‘अंकल, म टॉवे स,
सोप डशेस और ढे र सरी चीज ले रही ं। आपको अ ा ड काउं ट दे ना चा हए।’
कानदार ने मुंह बनाया ले कन उसने इसे अनदे खा कर दया।
‘थक यू फॉर क मग। मुझे तो समझ ही नह आता क या लेना चा हए और या नह
मने उससे कहा।
‘तुमने खाना पकाने के बतन लए? भूल गए ना?’
‘म वहां खाना नह पकाऊंगा। ट फन बुलवा लूंगा।’
आरती ने मेरी बात अनसुनी कर द । वह बतन वाले से न क ओर गई और ट ल
का एक बड़ा-सा बडल उठा लया।
‘इमजसी के लए आरती ने कहा। ‘य द म तु हारे साथ कोटा जाती तो तु ह रोज अपने
हाथ से खाना पकाकर खलाती।’
उसने अपने गोरे हाथ म चमकदार बतन थाम रखा था। मेरे जेहन म यह त वीर क ध
गई क वह मेरे कचन म है और खाना पका रही है। आ खर आरती इस तरह क बात य
करती है? अब म उससे या क ं? ‘म अ े -से मैनेज कर -लूंगा मने कहा।
कानदार ने बल बनाया। आरती ने मेरी ओर दे खा। वह जब भी मुझे दे खती थी म
मं फ ध रह जाता था। वह दन-ब- दन और खूबसूरत होती जा रही थी।
एक छोट -सी लड़क जो अपनी मां के साथ शॉप पर आई थी आरती के पास आई।
‘ या आप ट वी पर आती ह?’
आरती ने अपना सर हलाया और मु करा द । फर वह कानदार क ओर मुड़ी।
‘अंकल ट् वट परसट ड काउं ट। ‘आरती अपने लु स को लेकर ब त सचेत नह थी। वह
बार-बार आईने म अपनी श ल नह दे खा करती थी न कभी मेकअप करती थी और यहां
तक क उसके बाल भी उसके चेहरे पर बखरे रहते थे। ले कन इससे वह और आकषक
लगती थी।
‘अब चल?’ उसने कहा।
‘ हाटे वर।’
‘ या आ?’
‘तुम जाते-जाते ऐसी बात कह जाती हो क अगर म भी तु हारे साथ कोटा चलती।’
‘म आ सकती ं। म डै ड को कह ं गी क म भी एक साल रपीट करना चाहती ं। यू
नेवर नो। ‘उसने अ ख मारते ए कहा।
मने उसक ओर दे खा। म उसक इस बात म गंभीरता क एक झलक तलाश रहा था।
या ऐसा मुम कन होगा?
‘ रयली?’ मने उसक बात पर लगभग भरोसा करते ए कहा।
‘म मजाक कर रही ं टु पड। मने तु ह बताया था ना। मने अ सेन कॉलेज म
साइकोलॉजी ऑनस के लए एनरोल कया है।’
‘मने सोचा क...’
‘तुम इतने बु य हो?’ वह यकायक ठहाका लगाकर हंस पड़ी। ‘ या कहा...?’ मने
कहा। उसने मेरे गाल ख चे। ‘ओह मने कहा और खुद को संभाला।
जा हर है वह कसी सूरत म कोटा नह आ सकती थी। म कोई बु इंसान नह ं। म
चीज को समझता ं। ले कन आरती मेरे सोचने-समझने क ताकत को कमजोर बना दे ती
थी। जब म उसके साथ होता था तो कुछ सोच नह पाता था।
मने सामान उठाया। मने दे खा क वह कानदार को पैसे दे रही है। ‘ को मने कहा।
‘पैसे म ं गा।’
‘रहने दो। चलो चलते ह उसने कहा। उसने मेरी कोहनी थामी और मुझे कान से बाहर
ले आई।
‘ कतना आ?’ मने अपना वॉलेट संभालते ए कहा।
उसने मेरा वॉलेट लया और मेरे शट क पॉकेट म ख स दया। फर उसने मेरे ह ठ पर
एक अंगुली रख द ।
आ खर लड् कयां ऐसे कं यूज करने वाले स न स य दे ती ह? उस दन बोट पर
उसने मुझे दोटू क जवाब दे दया था इसके बावजूद वह ये बो रग लॉ थ हगस खरीदने के
लए मेरे साथ कान तक आई और मुझे पे भी नह करने दया। वह दन म तीन बार मुझे
फोन कर पूछती है क मने खाना खा लया है या नह ? या वह वाकई मेरी फ करती है?
कोटा प ंचने के लए मुझे खचाखच भरी ारका ए स ेस म 23 घंटे सफर करना पड़ा।
मने वनीत को ईमेल कया था। वनीत वाराणसी का लड़का था जसने पछला साल
कोटा म बताया था। मने को चग लासेस के बारे म जानकारी हा सल क । बंसल एंड
रेजोनस सबसे जानी-मानी को चग लास थी। बहरहाल वे टू डट् स क क नग खुद अपने
टे ट से करते थे। य द म बंसल एंड रेजोनस म दा खल होने म कामयाब नह हो पाता तो
कोटा म उससे कमतर और अनेक को चग लासेस थ जनम मेरे जैसे लूजस पढ़ाई कर
सकते थे।
बहरहाल को चग लास खोजने से पहले मुझे रहने क जगह का बंदोब त करना था।
वनीत ने मुझे पेइंग गे ट सु वधा वाले कुछ घर के बारे म बताया था। मने रेलवे टे शन से
एक ऑटो पकड़ा और कहा ‘बंसल लासेस के पास महावीर नगर म गाय ी सोसायट
ब ग चलो।’
ऑटो कोटा क धूलभरी सड़क पर दौड़ता रहा। वह भारत के कसी भी अ य छोटे
शहर जैसा लग रहा था जहां ब त ै फक और षण होता है और टे लीकॉम अंडर वयर
और को चग लासेस के ज रत से यादा हो ड स होते ह। म सोचने लगा क आ खर इस
जगह म ऐसा या खास था। आ खर यह शहर नया क सबसे त धा मक परी ा
पास करने म हजार व ा थय क कैसे मदद कर पाता है?
‘आईआईट या मे डकल?’ ऑटो ड़ाइवर ने पूछा। उसके बाल सफेद थे और उसके
दांत के रंग से मेल खाते थे।
म समझ गया क कोटा म या खास था। यहां के सभी लोग को -ऐस ए जा स के बारे
म जानकारी होती है।
‘आईआईट , ‘मने कहा।
‘बंसल बे ट है। ले कन उनक एं स ए जाम अगले ह ते शेड्यू है।’
‘तु ह यह सब पता है?’ म ड़ाइवर के नॉलेज से हैरान था।
वह हंस पड़ा। उसने पीछे मुड़ते ए कहा ‘मेरी पूरी फै मली एजुकेशन बजनेस म है।
मेरी वाइफ ट फन बजनेस चलाती है। तु ह ट फन क ज रत है?’
मने सर हला दया।
‘मेरा नाम शंकर है। म अलवर से ं ‘उसने कहा। उसने ीज म सना अपना हाथ आगे
बढ़ाया।
मने उससे जरा-सा हाथ मलाया। ‘म गोपाल ं वाराणसी से।’
उसने मुझे ट फन स वस के लए एक बजनेस काड दया। दन म दो बार के खाने के
लए पं ह सौ पया तमाह।
‘आपके खान-पान क चता हम करने द जए। आप केवल पढ़ाई क जए ए जाम
ब त क ठन है।’
‘कौन-सा ए जाम?’ मने कहा।
‘आईआईट के लए जेईई। या गोपाल भाई हम इतने अनएजुकेटे ड भी नह ह।’
हम गाय ी सोसायट कंपाउं ड प ंचे। एक जंग लगा लोहे का दरवाजा अपाटमट् स के जजर
लॉक क पहरेदारी कर रहा था। सफाई करने के मकसद से एक वीपर अपनी
वशालकाय झाडू क मदद से हवा म धूल का गुबार उड़ा रहा था। म ब ग के -हंस पर
बनी छोट -सी गाड पो ट पर गया। भीतर एक वॉचमैन बैठा था।
‘ कससे मलना है?’ वॉचमैन ने कहा।
‘मुझे एक कमरा कराये से चा हए, ‘मने कहा।
वॉचमैन ने मुझे ऊपर से नीचे तक दे खा। फर उसने मेरे खचाखच भरे फटे -पुराने दो
सूटकेस दे खे। एक म कपड़े भरे थे और सरे म वे कताब जो मुझे जदगी म कोई भी
मुकाम दला पाने म नाकाम रही थ । मेरे कंधे पर लटके झोले म वह सामान था, जो आरती
ने मुझे खरीदकर दया था। म उसे मस कर रहा था। म सोच रहा था क या मुझे यहां
कोई एसट डी बूथ मलेगा, जहां जाकर म उसे फोन लगा सकूं।
‘आईआईट या मे डकल? ‘वॉचमैन ने सैनी रगड़ते ए कहा। कोटा के लोग तब तक
बाहरी लोग को अपने यहां नह रखते जब तक वे यह नह जान लेते क वे यहां या करने
आए ह।
‘आईआईट मने कहा। म चाह रहा था क वह अपने लए नको टन का बंदोब त करने
के बजाय मुझे थोड़ी और तव ो दे गा।
‘फ ट टाइम है या रपीट कर रहे हो?’ वॉचमैन ने अगला सवाल दागा। वह अब भी मेरी
ओर नह दे ख रहा था।
‘ या इससे कोई फक पड़ता है?’ मने कहा। अब म खीझ रहा था।
‘हां फक पड़ता है उसने कहा और अपने मुंह म सैनी उड़े ल द । ‘य द तु हारा फ ट
टाइम है तो तुम एक कूल भी जॉइन करोगे और अ धकतर समय घर से बाहर रहोगे।
ले कन रपीटस केवल को चग लासेस के लए बाहर जाते ह। उनम से कई तो दनभर
सोते रहते ह। कुछ मकान मा लक को यह पसंद नह है। इस लए मुझे सही-सही बताओगे
तो म तु ह सही जगह दखा सकता ं।’
‘ रपीटर मने कहा। पता नह य यह कहते ए मेरी नजर झुक गई। मेरा याल है क
जब आप कसी एंटेरस ए जाम म फेल हो जाते ह तो सैनी चबाने वाले वॉचमैन के सामने
भी खुद को छोटा महसूस करने लगते ह।
‘हे भगवान एक और रपीटर वॉचमैन ने कहा। ‘कोई बात नह म को शश क ं गा।
पहले मेरी फ स तय कर लेते ह।’
‘ या?’ मने कहा।
‘म महीने भर के कराये का आधा लेता ं। तु हारा बजट या है?’
‘दो हजार पया महीना।’
‘बस इतना ही?’ वॉचमैन ने कहा। ‘चार हजार तक का बजट बनाओ। म तु ह एक
ब ढ़या शेयड एयर कंडीशंड म दला ं गा।’
‘म इतना खच अफोड नह कर सकता मने कहा।
वॉचमैन उपहासपूण तरीके से मु कराया जैसे क कसी ने कसी पांच सतारा बार म
दे शी ठरा मांग लया हो।
‘ या?’ मने कहा। म सोच रहा था क या मुझे कोटा म अपनी पहली रात सड़क पर
बतानी होगी।
‘आ जाओ उसने कहा। उसने दरवाजा खोला और मेरे सूटकेस अपने के बन म रखवा
लए। वह पहले अपाटमट लॉक क सी ढ़यां चढकर ऊपर चला गया।
‘ सरे लडु क के साथ शेयर करोगे? एक म है वॉचमैन ने कहा। ‘कर सकता ं ‘मने
कहा ‘ले कन म पढ़ाई कैसे क ं गा? मुझे ाइवेट कमरा चा हए, चाहे छोटा ही सही।’
सवाल पढ़ाई का नह था म अकेला रहना चाहता था।
‘ओके फ य लोर पर चलो वॉचमैन ने कहा।
हम तीन मं जल और चढ़े । थकान के कारण म हांफने लगा। बेहद गम क वजह से भी
द कत हो रही थी। ‘कोटा ब त गम शहर है ज द से ज द इस मौसम के आद हो जाओ
वॉचमैन ने कहा।’बाहर तो गम के मारे जान ही नकल जाती है। इसी लए यह घर म
घुसकर रहने और पढ़ाई करने के लए एक अ जगह है।’
हम चौथी मं जल पर प ंचे। म अब भी हांफ रहा था। ले कन वॉचमैन लगातार बोले
चला जा रहा था। ‘तो तुम वाकई पढ़ाई करना चाहते हो या बस यूं ही...’वह कहते-कहते
क गया।
‘बस यूं ही या?’ मने कहा।
‘टाइमपास। कई टू डट् स यहां इस लए आते ह य क उनके पैरट् स उ ह यहां भेज
दे ते ह। वे जानते ह क वे पास नह हो पाएंगे। ले कन यहां आने के कारण वे कम से कम
एक साल तक अपने पैरट् स क झड़ कय से तो मु पा जाते ह उसने कहा।
‘म पास होना चाहता ं और म पास होकर ही र ंगा मने कहा उससे यादा अपने आप
से।
‘गुड। ले कन य द तु ह बीयर या सगरेट जैसी चीज क ज रत हो तो मुझे बताना।
इस हाउ सग सोसायट म इस सब क इजाजत नह है।’
‘तो?’
‘जब तक बरजू तु हारा दो त है तु ह फ करने क कोई ज रत नह है। ‘उसने मुझे
अ ख मारते ए कहा।
हमने पांचव मं जल पर मौजूद लैट क घंट बजाई। एक बुजुग म हला ने दरवाजा
खोला।
‘ टू डट, ‘वॉचमैन ने कहा।
म हला ने हम भीतर आने दया। कमरा दवाइय और नमी क गंध से भरा था। वॉचमैन
ने मुझे वह कमरा दखाया जो कराये पर दे ना था। म हला ने एक टोर म को टडी और
बेड म म कनवट कर दया था। कमरा इतना छोटा था क उसम हम तीन लोग मु कल से
ही खड़े हो पा रहे थे।
‘पढ़ाई के लए यह परफे ट है,’ वॉचमैन ने कहा, जसने शायद अपने जीवन म एक
दन भी पढ़ाई नह क होगी। ‘यह कमरा ले लो, यह तु हारे बजट म भी है।’
मने सर हला दया। कमरे म खड़ कयां नह थ । बुजुग म हला या तो बहरी थी या
बद मजाज, या शायद दोन ही। पूरे समय उसका मुंह बना रहा। म यहां नह रहना चाहता
था। आ खर म वाराणसी म य नह पढ़ाई कर सकता था? आ खर इस जगह म ऐसा या
खास था? म ज द से ज द कोटा से चले जाना चाहता था।
म लैट से बाहर चला आया। वॉचमैन दौड़ा–दौड़ा मेरे पीछे आया।
‘य द तुम ऐसे ही नखरे दखाते रहोगे तो तु ह कुछ नह मलेगा।’
‘तो म वाराणसी लौट जाऊंगा,’ मने कहा।
मने सोचा क य द मने छह और म ट पल– चॉइस वे ंस के जवाब दे दए होते तो
मेरी जदगी कतनी अलग होती। मने राघव के बारे म सोचा जो शायद इस व बीएचयू
कै स म अपना ओ रएंटेशन अटड कर रहा होगा। मने आरती और हमारी दली बातचीत
के बारे म सोचा। मने बाबा क खराब सेहत और इस कूड़ागाह म मुझे झ क दे ने क उनक
ढ़ इ ा के बारे म सोचा। मेरा गला ं ध गया। म सी ढ़यां उतरने लगा।
‘या अपना बजट बढ़ाओ,’ वॉचमैन ने मेरे पीछे आते ए कहा।
‘म ऐसा नह कर सकता। मुझे खाने और को चग लासेस के लए भी पैसा बचाना
है,’ मने कहा।
अब हम ाउं ड लोर पर आन प ंचे थे। ‘पहली बार घर से बाहर नकले हो?’ वॉचमैन
ने कहा, ‘अपनी मां को याद कर रहे हो?’
‘वे अब इस नया म नह ह,’ मने कहा।
‘उनक मौत हाल ही म ई है?’ वॉचमैन ने पूछा। कुछ लोग को अजन बय से
नयाभर के सवाल पूछना ब कुल सामा य लगता है।
‘उनक मौत चौदह साल पहले हो गई थी,’ मने कहा।
म गाड क पो ट पर आया और अपने बै स उठा लए। ‘थक यू, बरजू,’ मने कहा।
‘अब तुम कहां जाओगे? कोई शेयड म ले लो,’ उसने अनुरोध करते ए कहा।
‘अभी तो म कसी स ती–सी होटल म बसेरा बनाऊंगा। मुझे अकेले रहने क आदत है।
म ज द ही कोई न कोई रा ता नकाल लूंगा।’
बरजू ने मुझसे सूटकेस लए और उ ह नीचे रख दया। ‘मेरे पास एक अ ा कमरा
है,’ उसने कहा, ‘तुमने जैसा कमरा दे खा है, उससे दोगुना बड़ा। उसम खड़ कयां भी ह
और एक बड़ा पंखा है। एक रटायड दं पती वहां रहते ह। वह तु हारे बजट म होगा...’
‘ फर तुमने वह मुझे पहले य नह दखाया?’
‘उसके साथ एक ॉ लम है।’
‘ या?’
‘उस घर म कसी क मौत ई थी।’
‘कौन?’ मने कहा। मेरे लए यह कोई बड़ी बात नह थी। म वाराणसी से था, जहां पूरी
नया अपने आ खरी दन बताने के लए आती है।
‘वहां कराये से रहने वाला एक टू डट। वह पास नह हो सका तो उसने आ मह या
कर ली। यह दो साल पुरानी घटना है, ले कन वह कमरा तभी से खाली पड़ा है।’
मने कुछ नह कहा।
‘अब समझे, मने तु ह पहले उसके बारे म य नह बताया था,’ बरजू ने कहा।
‘म वह कमरा लूंगा,’ मने कहा।
‘वाकई?’
‘मने ताउ लाश को जलते और नद म तैरते दे खा है। य द कसी लूजर ने फांसी लगा
ली तो इससे मुझे कोई फक नह पड़ता।’
वॉचमैन ने मेरे सूटकेस उठा लए। वह तीसरे लोर पर अगले लैट म चला गया। वहां
एक दं पती रहते थे, जनक उ साठ पार कर चुक थी। उनका घर चकाचक साफ रहता
था। टु –लेट म म एक बैड, टे बल, कबड और पंखा था।
‘पं ह सौ,’ मने कहा। वॉचमैन ने मुझे डट लुक द ।
बुजुग दं पती ने एक– सरे क ओर दे खा।
‘मुझे पता है यहां या आ था और मुझे उससे कोई फक नह पड़ता,’ मने कहा।
बुजुग ने सर हलाया। ‘म आरएल सोनी ं, म पीड यूडी म काम करता था।’
उ ह ने अपना हाथ आगे बढ़ाया।
मने स ती के साथ उनसे हाथ मलाया। ‘म गोपाल ं, आईआईट रपीटर। और इस
बार मेरा पास होने का इरादा है,’ मने कहा।
7
मने ोशर को ब तर पर फका और अपने जूते और जुराब नकाल लए। मने पूरा दन
अलग– अलग को चग कू स के च कर काटते ए बताया था। दोपहर के तीन बजे थे
और ऐसा लग रहा था जैसे मेरे कमरे म बस आग ही लगने वाली हो।
म टर सोनी ने धीमे–से मेरे कमरे के दरवाजे पर द तक द । ‘तु हारा लंच,’ उ ह ने
कहा और मेरी टडी टे बल पर ट फन रख दया।
मने कृत ता म सर हलाया। गम इतनी थी क खुशी–खुशी अ भवादन करने का जी
न आ। मने अपने रहने और खाने का बंदोब त कर लया था। बहरहाल, कोटा म मेरी
सबसे बड़ी चुनौती, आरती के याल से जूझने के अलावा, यह थी क म कसी अ े
टडी ो ाम म एनरोल क ं । मेरे पछले तीन दन हर को चग कूल के च कर काटते ए
ही बीते थे। मने उन को चग कू स के इन बुलंद दाव को बदा त कया क वे कसी भी
उ लू के पट् ठे को आईआईट यन बना सकते ह। मने उनके बेहद लचीले (और न त ही
बेहद महंगे) फ स चर पर नजर दौड़ाई। बंसल, रेजोनस और कै रयर पाथ हर कसी क
टॉप चॉइस लगते थे। इन सभी के अपने खुद के क ठन –ऐस ए जा स थे। वा तव म अब
कोटा म ऐसी छोट को चग कान भी थ , जो इन टॉप को चग लासेस म दा खल होने म
आपक मदद कर सकती थ और वे टॉप को चग लासेस कसी इंजी रय रग कॉलेज म
दा खल होने म आपक मदद करती थ । एक बार वहां प ंच जाने के बाद आप इंजी नयर
बनने के लए जी तोड़ पढ़ाई करते ह। न त ही ब तेरे इंजी नयर एमबीए भी करना चाहते
ह। लहाजा, को चग लास का यही दौर एक बार फर शु हो सकता है। मेरे जैसे हर
मामूली भारतीय छा को एक अ ा जीवन बताने के लए टे ट् स, लासेस, चयन और
तैयारी के इस पेचीदे भंवर से होकर गुजरना ही पड़ता है। नह तो मुझे वॉचमैन बरजू जैसा
कोई जॉब करने या इससे भी सरल श द म क ं तो मुझसे पहले मेरे कमरे म रहने वाले
मनोज द क तरह खुद को फांसी के फंदे पर लटका दे ने के लए तैयार रहना होगा।
मने पंखा चलाया। यह वही पंखा था, जस पर लटककर मनोज जीवन के एं स
ए जाम से बाहर हो गया था। पंखा गम हवा को ही फर से कमरे म फक रहा था।
‘घर पर फोन लगाया था?’ म टर सोनी ने पूछा।
‘हां,’ मने कहा। म टर सोनी मुझसे दन म कम से कम दो बार यह सवाल पूछते थे।
मुझे लगता है मनोज द अपने घर अ सर फोन नह लगाता होगा और शायद यही उसके
अकेलेपन और अवसाद का कारण रहा होगा।
‘उ ह अपने बारे म बताते रहना, ठ क है? तु ह अपने पैरट् स से यादा कोई यार नह
कर सकता,’ म टर सोनी ने कमरे से बाहर नकलते ए कहा।
मने दरवाजा बंद कर दया और अपनी कमीज नकाल ली। मुझे नाव चलाए दस दन
हो गए थे। मुझे लग रहा था जैसे मेरी बांह ढ ली पड़ गई ह । म कसरत करना चाहता था,
ले कन पहले मुझे ढे र ोशस पड़ डालने थे।
मने वा तव म दन म दो बार बाबा को फोन लगाया था। वे ठ क ही लग रहे थे। मने
उ ह बताया था क मने अगले साल के लए तैयारी शु कर द है, जब क मने अभी तक
कताब भी खोलकर नह दे खी थी। मुझे इसक फ भी नह थी। म जस भी को चग
लास को जॉइन करता वह मुझसे ज द ही कड़ी मेहनत करवाने वाली थी।
म पहले आरती से बात करना चाहता था। मने उसे चार बार फोन लगाया था, ले कन
एक बार भी उससे बात न हो सक । पहली दो बार उसक मां ने फोन उठाया था। उ ह ने
मुझे बताया था क एक बार तो आरती अपने दो त के साथ बाहर गई थी और सरी बार
अपने कॉलेज का एड मशन फॉम जमा करने के लए। मने अगले दन भी उसे दो बार फोन
लगाया और इस बार भी दोन ही बार उसक मां ने फोन उठाया। मने बना कुछ कहे फोन
रख दया। म नह चाहता था क आरती क मां उससे कहे क आ खर यह लड़का तु ह
इतनी र होने के बावजूद बार– बार फोन य लगाता है? इससे अ ा असर नह पडता
है। आरती ने कहा था क वह ज द ही एक सेलफोन ले लेगी। म भी यही चाहता था। ऐसा
लगता था क आजकल हर के पास सेलफोन है, अमीर के पास तो न त ही।
आरती के पास मुझे फोन लगाने के लए कोई नंबर नह था। मुझे ही कल फर को शश
करनी थी।
मने हरे रंग का ोशर उठाया। कवर पर नया के कुछ सबसे बदसूरत लोग के फोटो
थे। ये उस इं टट् यूट के आईआईट टॉपस थे। उ ह ने टू थपे ट का व ापन करने वाले
मॉड स से भी यादा खीस नपोर रखी थ , अलब ा उनके दांत इतने अ े नह थे।
चूं क व जाया करना मेरा सबसे पसंद दा शौक था, इस लए म शाम को ोशस क
आपस म तुलना करना रहता था। नह , म कोस मटे रयल, स सेस रेट्स या फ स चस
क तुलना नह करता था, य क सभी तो अपने आपको इन े म सव े बताते थे। म
उनके सबसे सफल टू डट् स क त वीर क तुलना कया करता था, कसके यहां सबसे
बदसूरत लड़का है, कसके यहां सबसे वरट लड़क है, वगैरह–वगैरह। इस सबका कोई
मतलब नह था, ले कन मेरे कोटा म होने का भी तो कोई मतलब नह था।
मने बंसल का ोशर दे खा, जो क कोटा के इस लोक का अमृत पा था। बसलाइट् स
कोटा के कूल टू डट् स आ करते थे। मुझे बंसल का ही इ तहान पास करना था। ले कन,
तीन दन बाद होने वाले टे ट के लए मेरी न के बराबर तैयारी थी। वा तव म, अनेक को चग
लासेस के ए जा स एक ह ते के भीतर ही होने वाले थे। अगले ए जा स एक महीने बाद
थे। अब मुझे कसी न कसी को जॉइन करना ही था। य द म अब भी कुछ नह करता तो म
मनोज द से भी अ धक तेजी से पागल हो सकता था।
हर इं टट् यूट ए लकेशन फॉम के लए हजार पए मांग रहा था। चाहे वे आपको
सले ट कर या न कर, चाहे आप जॉइन कर या न कर, फ स चुकानी ही थी। मेरे पास
पचास हजार पए थे और बाबा ने मुझसे वादा कया था क छह महीने बाद वे मुझे और
पैसा दगे। मेरे पास सी मत सं या म पैसा था, इस लए मुझे उसे ब त चु नदा तरीके से ही
खच करना था।
मने पांच को चग इं टट् यूट्स को शॉट ल ट कया – बंसल, कै रयर पाथ, रेजोनस,
और दो नए व इन तीन क तुलना म अ धक स ते – एम – आईआईट और
कै रयरइ नाइट।
एम – आईआईट के ोशर पर लखा था – हम हर टू डट के इस लोकतां क
अ धकार म व ास करते ह क उसे को चग मले, इस लए हम एं स ए जा स नह लेते।
यानी इसका मतलब यह था क एम – आईआईट े को चग लासेस क ेणी म
शा मल नह था। अगर वे अपने ोशर पर यह लखते तो भी चलता – ‘य द आपके पास
नगद पया है तो आपका वागत है।’
मने अपनी बाक क शाम उबाऊ और दोहराव से भरे फॉ स भरते ए बताई। म खुद
को यह कहते ए े रत करता रहा क म डनर से पहले एक बार फर आरती से बात करने
क को शश क ं गा।
शाम सात बजे म ईव नग वॉक के लए बाहर नकल आया। सड़क उन पढ़ाकू टू डट् स से
भरी पड़ी थ , जो ताजा हवा क अपनी रोजमरा क खुराक लेने बाहर नकल आए थे।
मुझे एक एसट डी बूथ नजर आया।
‘हैलो?’ म टर धान क रौबदार आवाज सुनाई द । मने फौरन फोन काट दया।
एसट डी बूथ का मीटर जरा– सा घराया।
‘तु ह पे करना पड़े गा,’ कानदार ने उखड़े ए ढं ग से कहा। मने सर हला दया।
मुझे कसी से बात करने क ज रत महसूस हो रही थी। म बाबा को सुबह फोन लगा
चुका था। मने राघव को कॉल कया।
‘राघव, म बोल रहा ं। गोपाल। कोटा से,’ मने कहा। मने अं तम श द को कोमलता से
कहा था।
‘गोपाल! ओह, वॉव, हम तु हारे बारे म ही बात कर रहे थे,’ राघव ने कहा।
‘मेरे बारे म? रयली? कसके साथ?’ मने कहा।
‘आरती यहां है। तुम कैसे हो, मैन? कोटा म कैसा लग रहा है? वी मस यू।’
‘आरती तु हारे यहां है?’ मने उलझन भरे मन से पूछा।
‘हां, वह चाहती थी क म कोस चुनने म उसक मदद क ं । वह साइकोलॉजी को
लेकर मन नह बना पा रही है।’
आरती ने बीच म राघव से फोन झपट लया।
‘गोपाल! कहां हो तुम?’
‘कोटा म, और कहां। मने तु ह फोन लगाया था,’ मने कहा। म उससे पूछना चाहता था
क वह राघव के यहां य आई है। बहरहाल, यह मुझे बातचीत शु करने का सबसे
अ ा तरीका नह लगा।
‘ फर तुमने बाद म फोन य नह लगाया? मेरे पास तु ह कॉल करने के लए कोई नंबर
तक नह है,’ उसने कहा।
‘म अपने लडलॉड से पूछूंगा क या म उनके फोन पर अपने कॉ स रसीव कर सकता
ं। घर कब जाओगी? मुझे तुमसे बात करना है।’
‘अभी बोलो ना। या बात है?’
‘अभी म कैसे बात कर सकता ं?’
‘ य ?’
‘तुम राघव के साथ हो मने कहा।
‘तो?’
‘तुम राघव के यहां या कर रही हो?’
‘कुछ नह । बस यूं ही।’
जब लड़ कयां ‘बस यूं ही’ जैसे गोल–मोल श द का इ तेमाल करती ह, तो उसके
कारण हम सीधे–सीधे कुछ चताएं होने लगती ह। या शायद ऐस न हो, मेरा दमाग ही कुछ
यादा सोच रहा हो।
‘मुझे अपने लए एक कोस चुनना है। साइकोलॉजी क ं या बीएससी होम साइंस?’
उसने कहा।
‘तुम या करना चाहती हो?’ मने कहा।
‘म एयर हो टे स बनने से पहले अपना ेजुएशन पूरा कर लेना चाहती ं। म केवल
इसी लए यह कर रही ं। मुझे एक सीधा–सरल कोस चा हए।’
‘ओह, तो एयर हो टे स बनने के तु हारे इरादे अभी भी बरकरार ह,’ मने कहा।
‘वेल, राघव कहता है क हम इतनी ज द सपने दे खना नह छोड़ दे ना चा हए। शायद
बीएससी होम साइंस यादा बेहतर होगा, है ना? यह कुछ–कुछ हॉ टै लट इंड से
मलता–जुलता है। या मुझे अ सेन छोड़कर होटल मैनेजमट जॉइन कर लेना चा हए?’
म चुप रहा। राघव उसे सलाह–मश वरा दे रहा है? आ खर वह है कौन? कै रयर
काउं सलर? या एक स ड़यल जेईई रक हा सल कर लेने भर से उसे वचन दे ने का
लाइसस मल गया है?
‘बोलो ना, गोपी,’ आरती ने कहा। ‘आई एम सो कं यू ।’ फर मने उसक दबी ई
खल खलाहट सुनी।
‘ या बात है?’ मने कहा।
‘राघव एक एयर हो टे स क नकल कर रहा है। उसके पास े भी है,’ उसने मजे लेते
ए कहा।
‘म तु ह बाद म फोन लगाता ं,’ मने कहा।
‘ओके, ले कन बताना ज र क मुझे कौन–सा कोस लेना चा हए,’ उसने कहा। अब
उसक आवाज ज र कुछ गंभीर लग रही थी।
‘राघव से पूछो, वह बेहतर टू डट है,’ मने कहा।
‘कम ऑन, गोपी। तुम नॉनसस बात कर रहे हो।’
‘हम तब बात करगे, जब तुम अकेली होओगी,’ मने कहा।
‘कल इसी समय मुझे फोन लगाना।’
‘ओके, बाय।’
‘बाय,’ आरती ने कहा।
‘आई मस यू,’ मने कहा। शायद मुझे यह कहने म एक पल क दे री हो गई थी। मुझे
जवाब म केवल एक लक क आवाज सुनाई द ।
म अपने कमरे पर लौट आया, जहां मेरा डनर ट फन और ोशस मेरी राह दे ख रहे थे।
म सोचने लगा क आरती राघव के यहां है और हंसी–ठ ा कर रही है। मेरे भीतर कुछ
सुलगने लगा।
मने उखड़े मन से एक ोशर उठाया। शे वग कट से एक लेड नकाली, आईआईट –
सले टे ड टू डट् स के कवर च काटे और उ ह पुजा–पुजा कर दया।
बंसल लासेस वाराणसी के छोटे –से अपाटमट म लगने वाले मामूली ट् यूशन सटस जैसी
कतई नह लगती थी। वह कसी इं टट् यूट या बड़े कॉप रेट ऑ फस जैसी लगती थ । म
उसक वशालकाय लॉबी म खड़ा रहा और सोचता रहा क अब मुझे आगे या करना
चा हए। मेरे इद– गद टू डट् स और ट चस क गहमागहमी थी और वे सभी ब त त
नजर आ रहे थे, मानो वे ेस म सैटेलाइट् स लॉ च करने जा रहे ह । कोटा क अनेक अ य
को चग लासेस क ही तरह यहां के टू डट् स क भी खास यू नफॉ स थ । यहां द ली के
वे अमीर ब े थे, जनके पैरट् स उ ह इतनी पॉकेट मनी दे ते थे, जतना पैसा मेरे पता
सालभर म कमा पाते ह गे। सरी तरफ, मेरे जैसे वाराणसी से आए लूजस थे, जनके पास
न तो यहां होने के लए पया त पैसा था, न पया त अ ल।
ले कन कपड़ क समानता का यह मतलब नह था क बंसल म सभी टू डट् स को
समान माना जाता था। यहां भी एक क म क वग णाली थी, जसका आ धार यह था क
–एं स ए जाम ै क करने के आपके अवसर कतने उजले ह।
एड मशन ऑ फस म बैठे एक ने मुझसे फॉम लया। ‘हाई परफॉमर?’ उसने
पूछा।
म सोचने लगा क आ खर कोई इस तरह के सवाल का या जवाब दे सकता है।
‘ए स यूज मी?’
‘य द आपके बारहव म 85 तशत से अ धक अंक ह, या य द आपक एआईईईई म
40 हजार तक क रक है तो आपको 30 तशत का ड काउं ट मलता है,’ उसने मुझे
समझाया।
‘मुझे 79 तशत अंक मले थे और मेरी एआईईईई रक थी 52043,’ मने कहा।
‘ओह, तब तो आपको फुल –रेट ो ाम के लए अ लाई करना होगा,’ एड मशन
ऑ फसर ने कहा। मने कभी नह सोचा था क एआईईईई रक इस तरह सीधे– सीधे
ड काउं ट के पैस म भी बदल सकती है।
‘मुझे ड काउं ट नह मल सकता?’ मने कहा। म सोच रहा था क या यहां मोल –
भाव करने से बात बन सकती है।
‘यह इस पर डपड करता है क एं स ए जाम म आपका दशन कैसा है,’ ऑ फसर ने
कहा और मेरे फॉम पर ठ पा लगा दया। उसने मुझे एं स ए जाम के लए एक रसी ट–
कम – एड मट काड दया।
‘ या मुझे आपके – एं स ए जाम के लए पढ़ाई करने क ज रत होगी?’ मने कहा।
‘अब दो दन म तुम भला या पढ़ लोगे? खैर, तु हारे मा स दे खकर लगता नह क
तुम ब त ाइट टू डट हो। म तो यही सुझाव ं गा क तुम कसी सरे इं टट् यूट म अ लाई
करो,’ उसने जवाब दया।
‘थ स, म ऐसा ही क ं गा,’ मने कहा।
ऑ फसर ने आसपास दे खा क कह कोई उनक बात तो नह सुन रहा। फर उसने
फुसफुसाते ए कहा, ‘मेरे क जन ने हाल ही म एक इं टट् यूट खोला है। म तु ह वहां
फ ट परसट ड काउं ट दला सकता ं।’
म चुप रहा। उसने मुझे एक व ज टग काड थमा दया – ‘ड़ीम आईआईट ’।
‘पैसा य बबाद करना? कोस मटे रयल तो वही है। मेरा क जन ए स–बंसल फैक ट
है।’
मने काड का मुआयना कया।
‘ले कन इस बारे म कसी को मत बताना, ओके?’ उसने कहा।
सरे इं टट् यूट्स म भी मुझे ऐसी ही घटना का सामना करना पड़ा। सफल जेईई
क डडे ट्स, जो वांटेड आतंकवा दय जैसे लग रहे थे, क टा –साइ त वीर से लद –
फद द वार मुझे हर जगह नजर आई। मने यह भी पाया क त त इं टट् यूट्स
‘ रपीटस’ के बारे म कुछ यादा ही हो–ह ला करते थे। आ खर, रपीटस एक बार नाकाम
हो चुके थे और इं टट् यूट्स अपने आंकड़ पर पलीता नह लगाना चाहते थे। टॉप
इं टट् यूट्स दावा करते थे क वे एक साल म पांच सौ तक टू डट् स को आईआईट
भजवाते ह। न त ही, ये इं टट् यूट्स यह कभी नह बताते ह क वे दस हजार टू डट् स
को एनरोल करते ह, जनम से केवल पांच सौ ही कामयाब हो पाते ह। इसका मतलब यह
था क सले न का अनुपात महज पांच फ सद ही था। बहरहाल, जेईई का ओवरऑल
सले न रे शयो दो फ सद से भी कम का था और कोटा इं टट् यूट्स उससे बेहतर
दशन करने का दावा करते थे। क डडै ट्स क ी– नग औसत से अ धक सले न
का एकमा कारण हो सकती थी। खैर, दे शभर से आए मेरे जैसे टू डट् स तो यूं भी उनके
इद– गद मंडराते रहते थे और अपने एड मशन फॉ स सब मट करने के लए कतार लगाकर
खड़े रहते थे।
एम– आईआईट और कै रयरइ नाइट के यहां कम टू डट् स थे। वा तव म उ ह ने तो
मुझे ॉट पर ही ऑफर दे डाले और कै रयरइ नाइट ने तो बीस फ सद ड काउं ट का भी
ताव रखा।
‘ ड काउं ट केवल तभी ए लकेबल होगा, जब आप त काल साइन अप कर, अगली
बार आने पर नह ,’ आ ामक से समैन–कम–एड मशन–इन–चाज ने मुझसे कहा।
‘ले कन मने अभी तक अपना मन नह बनाया है,’ मने कहा।
‘तुम बंसल जाने क को शश कर रहे हो, है ना?’ उसने कहा और मुझे इस तरह दे खा,
मानो उसे सब कुछ पता हो।
म चुप रहा।
‘म ए स–बंसलाइट ं,’ उसने कहा।
‘ या कोटा म कोई ऐसा है, जो ए स–बंसलाइट न हो?’ मने कहा और वहां से
बाहर चला गया।
8
गोपालकोटाफै टरी : या आ?
लाइंगआरती : म बीएचयू कै स म ं। उनके कं यूटर सटर पर!!
गोपालकोटाफै टरी : कैसे?
लाइंगआरती : राघव ने कॉलेज जॉइन कर लया है। वही मुझे यहां लाया है।
उसने कहा है क म यहां कभी भी आ सकती ं और कं यूटर यूज कर सकती ं।
गोपालकोटाफै टरी : या ब त दे र नह हो गई है? तुम वापस कैसे जाओगी?
लाइंगआरती : मेरे पास डै ड क लाल ब ती वाली कार है। कसम ह मत होगी
जो मुझसे पंगा ले?
गोपालकोटाफै टरी : तुम राघव से कतनी बार मलती हो?
लाइंगआरती: हाट?
मने सोचा कुछ दे र उसे भी इंतजार कराया जाए। ले कन, म दस सेकंड से यादा दे र तक
खुद को रोक नह सका।
मुझे पता नह था क XOXO का या मतलब होता है। X का मतलब माना जाता है हास
और O का मतलब माना जाता है कसेस। मुझे नह लगता आरती का यही मतलब रहा
होगा।
उसने लॉग आउट कर दया। मेरे पास बीस मनट का इंटरनेट टाइम बाक था। मने इन
बीस मनट का इ तेमाल वही करने के लए कया, जो सायबर कैफे आने वाले अ धकतर
लड़के करते ह – या तो ऑ फ शयल आईआईट वेबसाइट पर सफ करना या पोन दे खना।
मेरे याल से लड़के कोटा म ये दो चीज ही सबसे यादा चाहते थे। को चग सटस कम से
कम इनम से एक को पाने म आपक मदद कर सकते थे।
9
आरती का ज म दन आने तक म कोटा म तीन महीने बता चुका था। पहली बार म एक
लास टे ट म टॉप 25 परसटाइल तक प ंचने म कामयाब रहा था। बैलस–जी ने मुझे
बधाई द । मेरे के म कोर म बीस अंक क बढ़ोतरी हो चुक थी। अलब ा म टर पुली
को फ ज स म मेरा औसत दशन नह भाया। श शर सर, ज ह पर यूटेशन गु के नाम
से भी जाना जाता था, मेरी सीट के पास आकर कुछ सेकंड के लए के। वजह – मेरे मै स
के मा स म भी दस फ सद अंक क बढ़ो री ई थी।
फ ज स लास म बैठते ही मने आ सर–शीट अपने बैग म रख ली। मने तीन सौ सीट
वाले इस ले चर म म चार तरफ दे खा। म टर पुली हाथ म माइक थामे बोल रहे थे।
जब भी उ ह लगता क लास का यान उनक ओर नह है, वे माइक थपथपा दे ते।
मुझे अब भी एक लंबा सफर तय करना था। आईआईट सीट के लए का फडट
महसूस करने के लए कै रयर पाथ म कम से कम टॉप–फाइव परसटाइल तक प ंचना
ज री था।
‘आईआईट सीट हा सल करना कोई मजाक नह है,’ म टर पुली ने कहा, अलब ा
ऐसा कसी ने भी नह कहा था क वह मजाक है।
एक हायपर–का ी ट टव लास म अपना परसटाइल बढ़ाना आसान नह है। आपको
आईआईट को पूरी तरह से जीना पड़ता है।
हर लास टे ट के टॉप बीस टू डट् स को रॉयल टमट दया जाता था। उ ह जे स
कहा जाता था और यह टाइ टल अब भी मुझसे र था। जे स का मतलब होता था ‘ ुप
ऑफ एक ा मे रटो रयस टू डट् स’। जे स वे अ ा–गी स होते थे जो से स करने के
बजाय फ ज स क ॉ ल स सुलझाने को ाथ मकता दे ते थे और जनके लए मौज–
म ती का मतलब था पी रयॉ डक टे बल को रट लेना। कै रयर पाथ अपने इन जे स का ब त
यान रखता था, य क उनम जेईई क टॉप सौ रै स ै क करने क मता होती थी और
इस कारण वे कै रयर पाथ के लए व ापन क तरह थे। जे स को ब त अह मयत द
जाती थी, ठ क वैसे ही, जैसे हम क पना कर सकते ह ल स साबुन के अ धका रय ारा
अपनी ांड एंबेसेडर कैटरीना कैफ को द जाती होगी।
म अभी जे स बनने के करीब नह प ंचा था। बहरहाल, टॉप–25 परसटाइल भी अ
त थी। म आरती से यह शेयर करना चाहता था। साथ ही मने उसे कहा था क उसे
ज म दन वश करने वाल म सबसे पहला नाम मेरा ही होगा।
आधी रात के करीब म एसट डी बूथ पर गया। 11.58 पर मने फोन उठाया और उसका
नंबर घुमाया। मुझे बजी सगनल मला। मने फर को शश क , ले कन घंट नह बजी। मने
पांच बार को शश क , ले कन लाइन लगातार इंगेज थी।
‘ सरे क टमस को भी कॉल करने द जए,’ शॉपक पर ने कहा।
गनीमत थी क लाइन म केवल एक ही खड़ा था। वह एक टू डट था और
गुवाहाट म अपनी म मी को है पी बथडे वश करने का इंतजार कर रहा था। उसका कॉल
12.05 बजे ख म आ। म इ मीनान से इंतजार करता रहा।
उसके बाहर नकलते ही म फौरन भीतर घुसा और आरती को फर कॉल कया। लाइन
अब भी बजी थी। अनेक बार को शश करने के बाद शॉपक पर ने मुझे सहानुभू त के साथ
दे खा। उसने मुझे कहा क 12.30 पर उसे अपनी कान बंद करना होगी। म दो–दो मनट के
अंतराल से बार–बार को शश करता रहा, ले कन कामयाब नह आ।
पता नह य , मने राघव के घर पर फोन लगाने का सोचा। चूं क शु वार क शाम थी,
इस लए मुझे पता था क राघव वीकड के लए घर पर ही होगा। म नंबर डायल करने से
पहले पलभर को झझका। जा हर है, य द इतनी रात को फोन क घंट घनघनाती है तो
इससे पूरा घर ड टब हो जाएगा। बहरहाल, मने नंबर लगाया और मेरा शक सही नकला।
लाइन बजी थी।
मने बार–बार राघव और आरती के नंबर लगाने क को शश क , ले कन म कामयाब
नह हो पाया।
आरती के लए मेरी गुड वशेस ख म हो गई और रोमांच गु से म बदल गया।
आ खर राघव को उसे आधी रात को वश करने क या ज रत आन पड़ी? और या
बथडे वशेस म इतना समय लगता है?
शॉपक पर ने मेरी बूथ वडो थपथपाई। ‘य द मने कान और दे र तक खुली रखी तो
पु लस मुझे परेशान करने लगेगी।’
‘ या आप मुझे बता सकते ह क इस व एसट डी बूथ कहां खुले ह गे?’ मने कहा।
‘रेलवे टे शन,’ शॉपक पर ने कहा और ब ी बुझा द ।
उस समय कोई भी ऑटो– र ा वाला कम दाम पर रेलवे टे शन जाने को तैयार नह
था। ले कन य द म दौड़ लगाता तो आधे घंटे म पांच कलोमीटर क री तय कर सकता
था।
रात एक बजे म कोटा टे शन के लेटफॉम नंबर एक पर प ंचा। पांच कलोमीटर
जॉ गग करने के कारण म हांफ रहा था। इस समय भी टे शन पर चहल–पहल थी। एक
टे रन आई और जनरल–कोटा पैसजस सीट पाने के लए दौड़ पड़े ।
मुझे एक एसट डी बूथ मला और मने आरती को कॉल लगाया। इस बार फोन क घंट
बजी। मने गहरी सांस ली। उस समय मेरा मजाज ब त अ ा नह था। बथडे गल के
फोन उठाने पर म अपने आपको नयं त रखना चाहता था।
‘हैलो?’ डीएम धान क आवाज आई।
‘हैलो अंकल? अंकल, गोपाल,’ म बना जाने-बूझे कहने लगा, हालां क मुझे फोन रख
दे ना था। ले कन इतनी को शश करने के बाद मेरे लए आरती से बात करना ब त ज री हो
गया था।
‘ओह, येस। हो ऑन,’ उ ह ने कहा और आरती को पुकारा।
आरती फोन के पास आई। म उसके पता के साथ उसक बातचीत सुन सकता था।
‘फोन पर कतना बात करोगी? तु हारे दो त के फोन तो कने का नाम नह ,’ लेते
उसके पता ने बड़बड़ाते ए कहा।
‘ये मेरा बथडे है, डै ड,’ आरती ने कहा और फोन उठा लया।
‘है पी बथडे , आरती,’ मने कहा। म को शश कर रहा था क मेरी आवाज से रोमांच
झलके।
‘हे, गोपाल! थ स। दै ट्स सो वीट ऑफ यू। तुम मुझे वश करने के लए इतनी रात
तक जागते रहे?’ उसने कहा।
‘म इतनी रात तक जागने के अलावा पांच कलोमीटर दौड़ा भी ं और अब मुझे फर
लौटकर जाना है’, म उसे कहना चाहता था, ले कन कहा नह । ‘म एक घंटे से तु ह कॉल
करने क को शश कर रहा था।’
‘ रयली?’ आरती ने कहा।
‘हां, लाइन बजी थी। तुम कससे बात कर रही थ ? म तु ह सबसे पहले वश करना
चाहता था,’ मने कहा।
‘ओह, मेरे क ज स, वही जो अमे रका म ह। वहां मेरी औट रहती ह ना?’
उसक आवाज ज रत से यादा ही बेपरवाह लग रही थी। आरती भूल गई क म उसे
आठ साल से जानता था। म बड़ी आसानी से समझ सकता था क वह कब झूठ बोल रही
है और कब सच।
‘वे इतनी र से एक घंटे तक बात करते रहे?’
‘एक घंटा या? मने उनसे केवल दो मनट बात क । शायद मने फोन ठ क से नह रखा
होगा। लीव इट। तुम कैसे हो? काश तुम भी यहां होते।’
‘वाकई?’
‘हां, ऑफ कोस! म तु ह मस करती ं,’ आरती ने कहा। उसक आवाज इतनी
ईमानदार थी क यह व ास करना क ठन लग रहा था क दस सेकंड पहले उसने मुझसे
झूठ बोला था।
‘य द तुमने फोन गलत रख दया था तो फर उसे अब कसने ठ क कर दया?’
‘गोपाल! मुझसे इस तरह पूछताछ मत करो। आई हेट दस। आज मेरा बथडे है।’
‘और तुमने अपने बथडे के दन झूठ बोला?’
‘ या?’
‘हमारी दो ती क कसम खाकर कहो क राघव ने कॉल नह कया था?’ मने कहा।
‘ या?’ आरती ने कहा। उसक आवाज तेज थी। ‘कसम खाऊं? हमारी उ या है?
दस साल?’
‘उसने फोन लगाया था ना? तुम उसी से बात कर रही थ । तुम दोन के बीच आ खर
चल या रहा है?’
‘इट् स माय बथडे । या तुम इसे इतना टे रसफुल बनाना चाहते हो?’
‘तुमने मेरे सवाल का जवाब नह दया।’
‘ब त दे र हो चुक है। डै ड आसपास मंडरा रहे ह। कल नेट पर चैट कर? मेरे कॉलेज के
बाद?’
‘मेरी लासेस ह,’ मने कहा।
‘संडे। संडे को चैट करते ह, दोपहर म, ओके?’
‘आरती, मेरे साथ ईमानदारी से पेश आने क को शश करो। म ईमानदारी को ब त
अह मयत दे ता ं,’ मने कहा।
‘ऑफ कोस। ओके, बाय नाऊ। डै ड मुझे डट लु स दे रहे ह। ईमानदारी से!’
‘बाय,’ मने कहा।
म लौटकर वापस चला आया, अपनी लाई रोकता आ।
‘संडे तक इंतजार करो’, मने खुद को दलासा दे ते ए कहा।
वह संडे को ऑनलाइन नह आई। मने सायबर कैफे म दो घंटे गुजारे। बारह के एक और
एक के दो बज गए। आप इससे यादा समय तक पोन नह दे ख सकते। मने इतनी ए स-
रेटेड ल स डाउनलोड कर ली थ क म अब उनसे एक वी डयो लाय ेरी खोल सकता
था। अब म उसे और बदा त नह कर सकता था।
एक छोटा-सा वादा नभाना भी कतना मु कल सा बत हो रहा था! मने उससे बात
करने के लए संडे तक का बेस ी से इंतजार कया था। समय भी उसी ने तय कया था,
मने नह । म अपने गु से का इजहार करना चाहता था, ले कन मुझे कोई रा ता नजर नह
आ रहा था।
मने झ लाहट म कं यूटर के सीपीयू को ठोकर मारी। उसक बजली गुल हो गई।
‘तुम या कर रहे हो?’ सायबर कैफे का मा लक दौड़ता आ मेरे पास आया।
‘सॉरी, मेरे साथ टे र ॉ लम है। म इस ॉ लम को त करने क को शश कर रहा
ं,’ मने कहा और बाहर चला गया।
म एसट डी बूथ पर गया और उसके घर फोन लगाया। इस बार उसक मां ने फोन
उठाया।
‘गुड आ टरनून, औट । गोपाल हयर।’
‘हैलो, गोपाल,’ आरती क मां ने खेपन से कहा। उनके प तदे व भले ही डीएम ह ,
ले कन उनम अपने प त से भी यादा ए टट् यूड था।
‘आंट , आरती घर पर है?’
‘वह तो सुबह ही राघव के साथ कानपुर चली गई।’
‘कानपुर?’ म हैरान रह गया। वह वाराणसी से तीन सौ कलोमीटर र राघव के साथ
गई थी।
‘हां, आई आईट कानपुर म कोई फे टवल है। राघव डबे टग ट म म है। वह भी
पा ट सपेट कर रही है। स गग, शायद।’
‘ओके,’ मने कहा। मुझे समझ नह आ रहा था क अब इससे यादा और या पूछूं।
‘कोई खास बात थी?’ आरती क मां ने पूछा।
हेल, ब त खास बात थी, आंट । म जानना चाहता था क आपक बेट का या सीन
चल रहा है।
‘कोई खास बात नह । वे आज रात तक लौट आएंगे ना? रा ता सेफ नह है,’ मने
कहा।
‘ऑफ कोस। वह सरकारी गाडी़ म गई है। उसके साथ स यो रट गाड भी है।’
म आरती के इद- गद अपने खुद के स यो रट गाड् स तैनात कर दे ना चाहता था।
‘थ स, आंट ,’ मने कहा।
‘ओके। खूब पढ़ाई करो। तब तुम भी एक ॉपर कॉलेज म होओगे और राघव क तरह
मजे कर सकोगे।’
‘येस, आंट ,’ मने कहा और फोन रखने से पहले एक ॉपर कॉलेज जॉइन करने के
लए अपनी न ा एक बार फर जा हर क ।
मने अपना बटु आ टटोला। मेरे महीनेभर के एक हजार पय के बजट म से अब महज
सौ पए बचे थे। नवंबर का महीना पूरा होने म अब भी दस दन बाक थे। मने कॉ स पर
इतना पैसा खच करने के लए खुद को ब त कोसा।
मने खुद से कहा क अब म उसक परवाह नह क ं गा। अब वही मुझे कॉल या मेल
करेगी। ले कन अगले ही पल म फर उसके बारे म सोचने लगा। मेरी अपने आप से पागल
जैसी बातचीत होने लगी।
‘वह उसके साथ डे टग नह कर रही होगी। उसने मुझे कहा था क वह कसी
रलेशन शप के लए तैयार नह है। और य द है, तो वह मुझे ही चुनेगी’, म टर आशावाद
गोपाल ने कहा।
बहरहाल, म टर नराशावाद गोपाल यह बात मानने को तैयार नह थे।
‘तो या आ य द राघव दखने म मुझसे बेहतर है, ले कन आरती इतनी सतही लड़क
नह है। म उसे कतने साल से जानता ं’, म टर आशावाद ने फर अपनी बात रखी।
‘ले कन राघव का भ व य कतना उजला है’, म टर नराशावाद ने कहा।
‘ले कन या वह कसी लड़के को केवल जेईई रक के आधार पर चुनेगी? वह लड़क
है, कोई वा हयात इं टट् यूट नह ’, म टर आशावाद ने फर कहा।
‘उसको वह एक मजेदार इंसान लगता है’, म टर नराशावाद ने कहा।
‘ले कन उसको तो सकस के जोकस भी मजेदार लगते ह’, म टर आशावाद ने कहा।
मेरे भीतर मौजूद ये दोन कने का नाम नह ले रहे थे और उनके कारण मेरा सर खने
लगा। लड़ कय को कभी इस बात का अंदाजा नह हो सकता क उनके वहार का
लड़क पर या असर पड़ता है। मुझे आरती से बात करनी ही थी।
मेरा गु सा फर उफनने लगा। म दौड़कर कोटा टे शन प ंच जाना चाहता था और बना
रजवशन वाराणसी प ंच जाना चाहता था। म बैलस-जी या मेरे परसटाइल या टु पड
कै रयर पाथ के बारे म कुछ नह सोच रहा था।
य द राघव ने आरती के साथ कुछ कया, तो म उसे जदा नह छोडू ं गा।
घर प ंचने पर मने छह बार डोरबेल बजाई।
‘सब ठ क तो है ना?’ अंकल ने कहा।
‘जो भी हो, म फांसी के फंदे पर नह लटकने वाला, ओके?’ च लाने से तनाव कम
करने म मदद मलती है।
‘ या?’ उ ह ने कहा। वे मेरी बात से शॉ थे।
‘सॉरी,’ मने कहा। आप अपने मकान मा लक के साथ इस तरह बात नह कर सकते।
म पूरी रात नह सो सका। म उसके बारे म इतना सोचने के लए अपने आपको कोस
रहा था।
वह झूठ है, डचर है और प र दल लड़क है, मने अपने आपसे पचास बार कहा।
ले कन म उसे अपने याल से र नह कर पा रहा था। यार, यक नन, एक वा हयात
चीज है!
10
मुझे यह बात अजीब लगी क उसे मने सॉरी कहा, जब क वा तव म उसे मुझसे सॉरी
कहना चा हए था। या कभी कोई लड़क भी कोई गलती करती है? खैर, इंटरनेट पर
चै टग के साथ सबसे अ बात यह है क हम अपने को काबू म रखकर बात कर सकते
ह। मने गहरी सांस ली और एक सामा य-सा सवाल टाइप कर दया।
मने अंत म सोच-समझकर माइली लगाई थी। इससे मेरे सवाल के पीछे छपी ज ासा
और गु सा दोन छु प गए।
तो, अब वह मुझे मेरे नकनेम से पुकारने लगी थी। उसका मूड अ ा हो रहा था।
मने इतनी सारी माइली इस लए लगा द , ता क वह बात करने म कंफटबल महसूस करे।
लाइंगआरती: वेल, कोई खास है।
मुझे लगा जैसे जंग लगे लोहे का एक खंजर मेरे सीने म घ प दया गया हो। ले कन मने
अपने दद को छु पाया और टाइप कया।
गोपालकोटाफै टरी::-)
लाइंगआरती: तुम उसे जानते हो।
गोपालकोटाफै टरी::-)
लाइंगआरती: वा तव म, तुम उसे ब त अ तरह जानते हो।
गोपालकोटाफै टरी: कहो ना, कौन है?:-)
लाइंगआरती: म टर बीएचयू, और कौन?
खंजर अब मेरे दल के टु कड़े -टु कड़े कर दे रहा था। मने अपने दांत को कसकर भ च
लया।
गोपालकोटाफै टरी: रयली?:-)
म खुद से कह रहा था: गहरी सांस लेते रहो, माइली लगाते रहो।
लाइंगआरती: हां वह पागल है। यमला पगला राघव!!! उसने मुझे फंसा ही
लया।
गोपालकोटाफै टरी: तो... तुम दोन एक- सरे के करीब हो?
लाइंगआरती: कुछ-कुछ।
उसने कोई जवाब नह दया। म समझ गया क म कुछ यादा ही कह गया था। खैर, आप
चैट पर भेजी कसी लाइन को अन-डू नह कर सकते। और म उससे फर माफ नह
मांगना चाहता था।
म उसके जवाब का इंतजार करता रहा।
तीन मनट बाद मेरी न पर एक मैसेज लैश आ - लाइंगआरती इज ऑफलाइन।
मने अपनी न र े श क । मुझे एक और नो ट फकेशन मला – लाइंगआरती इज
नो लॉगर अ कॉ टै ट।
उसने मुझे अपनी ड ल ट से नकाल दया था।
‘तु ह और व चा हए?’ कैफे ऑनर ने मुझसे पूछा।
‘नह , अब इसक कोई ज रत नह होगी,’ मने कहा।
मेरा ज म दन मेरे कोटा आने के पांच महीने बाद आया था। मने इसे कोई ेशल डे नह
माना था और मने सोचा था क म रोज क तरह लासेस अटड क ं गा। ले कन, मेरी बथडे
वाली रात म टर सोनी ने मेरे दरवाजे पर द तक द ।
‘कोई फोन पर है और तु हारे बारे म पूछ रहा है।’ उनक न द म डू बी ई आवाज
सुनाई द ।
‘इस व कौन होगा?’ मने कहा। म हैरान था। ‘बाबा?’
‘कोई लड़क है,’ म टर सोनी ने कहा। ‘और है पी बथडे , बाय द वे।’
‘थ स,’ मने कहा और फोन उठा लया। आ खर कौन हो सकता था? मने सोचा।
कै रयर पाथ क कोई ट चर? या मने कुछ गलत कर दया था?
‘है पी बथडे गोपाल।’ आरती के अद्भुत श द मेरे कान म इस तरह पड़े , जैसे कोटा
क गम दोपहर म बा रश हो जाए। मेरे भीतर भावनाएं उफन रही थ । मेरी खुशी का कोई
पारावार न था।
‘आरती?’ म अपने आसु को नह रोक सका और वे मेरे गाल पर ढु लक पड़े ।
‘तो तुम अब भी मेरी आवाज पहचानते हो? मने तो सोचा था क म कुछ दे र गे सग गेम
खेलूंगी। हम बात कर सकते ह? म तु ह ड टब तो नह कर रही?’
म आरती से बातचीत करने के इस य क हजार बार क पना कर चुका था। मने
सोचा था क य द उसने मुझे क भी फोन लगाया तो म उसके साथ खा वहार क ं गा,
जैसे क मुझे कोई परवाह न हो क वह कौन है और या है। या म ऐसा दखावा क ं गा
कमब त त ं। न त ही, वह तमाम े स रहसल एक झटके म हवा हो गई। ‘नह ,
नह , आरती,’ मने कहा। ‘तुम मुझे ब कुल ड टब नह कर रही हो।’
मने कई महीन से इससे बेहतर महसूस नह कया था। आ खर बथडे साल म एक बार
ही य आता है?
‘तो, बथडे पर कुछ खास करने का इरादा है?’ आरती ने कहा।
‘नॉट रयली। शायद कसी दो त के साथ डनर पर जाऊं।’
‘दो त? डे ट, य ?’ उसने अपनी चर-प र चत शरारती आवाज म कहा।
‘ तीक। वह लड़का है,’ मने कहा।
‘ओह, ओके,’ आरती ने कहा। ‘दै ट्स नाइस।’
‘मुझे पछली बार क चैट के लए खेद है।’
वह चुप रही।
‘मुझे वे सारी बात नह कहनी थ । ले कन तुमने कॉ टै ट ही बंद कर दया...’
‘आज तक मुझसे कसी ने इस तरह बात नह क ।’
‘आई एम सॉरी।’
‘इट् स ओके। एनीवे, आज तु हारा बथडे है। म नह चाहती क तुम खराब महसूस
करो।’
‘राघव कैसा है?’ मने कहा। म अपने आपको रोक नह पा म उनके रलेशन शप टे टस
के बारे म जानने के लए बेकरार था।
‘वह अ ा है। उसने बीएचयू म अपना पहला सेमे टर पूरा लया है।’
‘तब तो वह मजे कर रहा होगा।’
‘नह , उतना नह । इन फै ट, अब वह कै स क मै जीन संपादन करता है। वह उसी
के बारे म बात करता रहता है।’
‘दै ट्स ेट,’ मने कहा। उसने मुझे अभी तक उन दोन के र त के बारे म नह बताया
था। म भी पछली बार क तरह ब त उतावला नजर नह आना चाहता था।
‘वह ब त बेहतरीन इंसान है, गोपाल। तु ह दे खना चा हए क वह नया के लए
कतना कुछ कर गुजरना चाहता है।’
मुझे इस बात से कोई सरोकार नह था क राघव नया के लए कतना कुछ कर
गुजरना चाहता था। म बस यही चाहता था क वह नया के एक इंसान को मेरे लए छोड़
दे । ‘मने तो कभी नह कहा क वह बुरा है,’ मने कहा।
‘गुड, और म उसके साथ खुश ं। य द तुम एक दो त के प म मेरी फ करते हो तो
तु ह इसे वीकार करना चा हए।’
‘ या हम दो त ह?’ मने पूछा।
‘य द हम दो त नह होते तो या म तुमसे अभी बात कर रही होती?’ उसने कहा।
म उसे बताना चाहता था क उसने मुझसे पछले तीन महीन से बात नह क थी। खैर,
य द लड़ कय के सामने उनके ारा कही गई बात से उलट सबूत पेश कए जाएं तो वे ब त
अपसेट हो जाती ह।
‘येस, आई गैस,’ मने कहा और चुप हो गया। फर मने कहा। ‘तो हम बात कर सकते
ह?’
‘हां, बशत तुम मुझे अनकंफटबल महसूस न कराओ। और...’
‘और या?’
‘राघव और मेरे र ते को ए से ट कर लो।’
‘ या मेरे पास कोई और चॉइस है भी?’ मने कहा।
‘दै ट्स द पॉइंट। म चाहती ं क तुम खुशी-खुशी इसे ए से ट कर लो। य द तु ह अपने
सपन क लड़क मल जाए तो मुझे भी ब त खुशी होगी।’
ते ये ही बात थी, राघव उसके सपन का लड़का था।
जंग लगा चाकू मेरे भीतर और गहरे धंसने लगा। मुझे समझ नह आया क या क ं।
‘म ए से ट करता ं,’ मने थोड़ी दे र बाद कहा। म एक बार फर उससे र नह होना चाहता
था। उससे बातचीत बंद होने के बाद कोटा म मेरी जदगी नक जैसी हो गई थी।
‘कूल, य क म तु ह मस करती ं,’ उसने कहा, ‘एक दो त क तरह।’ उसने इस
आ खरी वा य को जोर दे कर कहा।
लड़ कयां हमेशा इस तरह क बात करती ह। वे यह यान रखती ह क उनके ारा कही
गई बात के आ धार पर बाद म उ ह मु कल म न डाला जा सके। जैसे क य द म उसे
कहता, ‘तु ह ने तो कहा था क तुम मुझे मस करती हो तो वह तपाक से कहती, ‘ले कन
मने यह भी कहा था क एक दो त क तरह मस करती ं!’ जैसे क हम कसी अदालत म
ह । लड़ कय को समझ पाना मु कल है। म शत लगाकर कह सकता ं क कै रयर पाथ
के जे स भी लड़ कय को समझने म नाकाम सा बत होते।
‘यू दे यर?’ उसने पूछा और मेरे वचार का सल सला टू ट गया।
‘हां,’ मने कहा।
‘ओके, अब मुझे जाना है। है पी बथडे अगेन!’
‘थक यू, बाय। म तुमसे बात क ं गा या चैट क ं गा...’ मने कहा और क गया।
‘म तु ह बाद म चैट म एड कर लूंगी,’ वह हंस पड़ी।
‘सॉरी अगेन,’ मने कहा।
‘ड ट बी टु पड, बथडे बॉय। य द तुम यहां होते तो म तु हारे गाल ख च’, लेती उसने
कहा।
तो, उसने एक बार फर वही हरकत कर डाली – इस तरह क यारभरी बात से मुझे
कं यूज करना। वह मुझे पसंद करती थी या नह ? अरे हां, उसका यार तो राघव है, मने
खुद को याद दलाया।
‘चैट सून,’ उसने कहा और फोन रख दया।
म इतना अ ा महसूस कर रहा था क मेरी डे क पर रखी फ ज स सॉ यूशंस गाइड
भी चूमने लायक लग रही थी। म पढ़ाई करना चाहता था। म जीना चाहता था।
गोपालकोटाफै टरी:???
गोपालकोटाफै टरी: यू दे अर?
उसने कोई जवाब नह दया। म सोचने लगा क मने कह कोई गलत बात तो नह कह द ।
मेरा दल तेजी से धड़कने लगा। पांच मनट मने फर लखा।
टे शन पर केवल वाराणसी के नजारे और गंध ही मेरा वागत करने प ंचे। मने अपने आने
के बारे म कसी को नह बताया था। म नह चाहता था क बाबा टे शन तक प ंचने के
लए ऑटो- र ा पर पैसा खच कर। उ ह ने मुझे बताया था क हम पर जो कज और
उसका याज चढ़ा था वह डे ढ़ लाख के बराबर था। लोन दे ने वाले तीन फ सद तमाह क
दर से याज ले रहे थे।
‘तुम एक अ ा कॉलेज जॉइन करोगे तो हम टे ट बक ऑफ इं डया से स ती दर पर
लोन मल जाएगा,’ बाबा ने मुझसे कहा था।
मुझे गढौ लया क गंद और भीड़भरी सड़क भी खूबसूरत लग रही थ । अपने शहर क
तुलना कसी और कोई जगह से नह क जा सकती। ले कन म आरती से मलने के लए
बेचैन था। वाराणसी का च पा-च पा मुझे उसक याद दला रहा था। लोग मेरे शहर म ई र
क मौजूदगी का अहसास करने आते ह, ले कन मुझे तो यहां हर जगह वही नजर आती
थी। बहरहाल, मुझे सबसे पहले तो बाबा के पास ही जाना था।
मने अपने घर क घंट बजाई।
‘गोपाल!’ बाबा मुझे दे खते ही चीखे और अपनी बली-पतली बांह म मुझे जकड़
लया।
‘मने वाराणसी और अपने घर को ब त मस कया, बाबा। मने आपको भी ब त मस
कया।’
घर पहले से भी बेतरतीब नजर आ रहा था। शायद बाबा उसे इससे यादा साफ-सुथरा
नह रख सकते थे। मने कमरा बुहारने के लए झाडू उठा ली।
‘अरे को, तुम एक साल बाद आए हो, यह या कर रहे हो?’ बाबा ने मेरे हाथ से झाडू
छ न ली।
हमने लंच म पतली पीली दाल और खी-सूखी चपा तयां खाई। ले कन घर का बना
खाना ब त अ ा लग रहा था। मेरे पता ने पछले काफ समय से कसी से बातचीत नह
क थी, इस लए वे मुझसे खूब दे र तक ब तयाते रहे।
‘केस क हालत पहले जैसी ही है। घन याम तो सुनवाई पर भी नह आता है। मेरे
याल से उसे लगता है क म ज द ही मर जाऊंगा। उसके बाद चीज उसके लए ब त
आसान हो जाएंगी, ‘उ ह ने कहा।’
‘आप या बात कर रहे ह, बाबा?’
‘वह सही है। आ खर मेरे शरीर क गाड़ी और कतने दन चल सकती है?’ उ ह यह
कहते-कहते खांसी का दौरा पड़ा।
‘आपको कुछ नह होगा। म वक ल से बात करता ं।’
‘कोई फायदा नह है। मेरे पास उसे दे ने के लए पैसा नह है। वह भी अब मेरे फोन नह
उठाता है। यह सब भूल जाओ। तु हारे एं स रज ट् स कब आ रहे ह?’
‘एक महीने बाद,’ मने अनमने ढं ग से कहा। म सोच रहा था क मुझे पहले आरती को
कॉल करना चा हए या अपने हाथ धो लेने चा हए।
मने जूठे हाथ से ही उसका नंबर घुमा दया।
‘हैलो?’ उसने कहा।
‘आज शाम नाव पर सैर करना चाहगी, मैडम?’ मने कहा।
‘गोपाल! तुम आ गए? कब आए?’
‘एक घंटा पहले। हम कब मल सकते ह?’ मने कहा।’ आज शाम घाट पर?’
‘येस योर। अरे को। नह यार मुझे राघव के कॉलेज जाना है। चाहो तो तुम भी साथ
चल सकते हो।’
‘नो थ स।’
‘ य नह ? वह तु हारा भी तो दो त है।’
‘म पहले तुमसे मलना चाहता ं।’
‘हम रा ते म बात कर लगे। म डै ड क गाड़ी भजवा रही ं। ओके?’
मेरे पास कोई चारा नह था। म उसे दे खने के लए एक और दन इंतजार नह कर
सकता था।
‘राघव माइंड तो नह करेगा?’
‘उसे तो ब त खुशी होगी। आज उसके लए एक खास दन जो है।’
‘खास दन?’
‘ मलने पर तु ह बताऊंगी। वॉव, तकरीबन एक साल हो गया ना?’
‘तीन सौ पांच दन,’ मने कहा।
‘कोई ब त पढ़ाकू बनकर लौटा है। सी यू।’
जब आप लाल ब ी वाली कसी सरकारी सफेद एंबेसेडर गाड़ी म बैठते ह, तो आपको
पॉवर का अहसास हो जाता है। ै फक लीयर हो जाता है, पु लस वाले न जाने य
आपको सलाम ठ कते ह, और आप सोचने लगते ह क या आपको स वल स वसेस म
नह होना चा हए था?
कार मुझे डीएम के बंगले तक ले गई। पॉश कटनमट ए रया म दो एकड़ इलाके म बसी
इस ॉपट का ड़ाइव-वे स पलाकार था।
‘आरती मैडम से कहना क म कार म ही वेट कर रहा ं’ मने ाइवर से कहा।
म उसके पैरट् स के साथ कोटा और आने वाले एं स ए जाम रज ट् स के बारे म बात
नह करना चाहता था।
उसक गुलाबी सलवार-कमीज र से ही दखाई द । जब वह करीब आई तो मने
उसका चेहरा दे खा। उसने लप लॉस के अलावा और कोई मेकअप नह कया था। पछले
तीन सौ पांच दन म मने इससे खूबसूरत कोई और चेहरा नह दे खा था। उसने कार का
दरवाजा खोला तो म अपनी भावना पर काबू पाने क को शश करने लगा।
‘हाय, आरती,’ मने कहा।
‘अरे इतने फॉमल य हो रहे हो? यहां आओ,’ आरती ने कहा और मुझे गले लगा
लया। उसका सतारेदार पट् टा मेरे सीने म चुभा और उसक खुशबू मेरे जेहन म बस गई।
‘राघव के कॉलेज,’ उसने ाइवर से कहा और वह समझ गया।
‘सो, हाऊ इज लाइफ? तु ह वापस आकर अ ा नह लग रहा?’ उसने कहा।
‘यह मेरे लए ब त खुशी का दन है। उ मीद करता ं अब मुझे कभी वाराणसी छोड़ने
को मजबूर नह होना पड़े गा।’ मने उ साह से कहा।
‘बशत तु ह आईआईट न जाना पड़े ,’ उसने आंख मारते ए कहा।
म कोई जवाब नह दे पाया।
‘ या? तुम आईआईट के लए तो वाराणसी छोड़ दोगे ना?’
मने खुद को संभाला। ‘ऐसा तो है नह क सब कुछ मेरे ही हाथ म हो। एनीवे राघव के
लए आज का दन खास य है?’
‘उसने कॉलेज क मै जीन क श ल-सूरत ही बदल द है। आज उसका नया इ यू
लॉ य होने वाला है।’
‘वह बी-टे क कर भी रहा है या नह ? मुझे केवल उसक मै जीन के बारे म ही सुनने को
मलता है।’
आरती हंस पड़ी। गॉड, मने उसक इस हंसी को कतना मस कया। म उसक हंसी
को रकॉड करके बार-बार बजाना चाहता था।
‘वह बी-टे क कर तो रहा है,’ उसने मु कराते ए कहा। ‘हालां क म उसे नकली
इंजी नयर कहकर भी बुलाती ं।’
‘उसक यूजपेपर इंटन शप कैसी चल रही है?’
‘नॉट बैड। हालां क वे उसे यादा लखने का मौका नह दे ते। उ ह लगता है क उसके
आ टक स...’ वह सही श द क तलाश करने लगी,
‘ब त रे डकल और अलग ह।’
हम लंबे-चौड़े बीएचयू कै स म दा खल हो गए। मै न योड लॉ स और ब ग के
बेहतरीन रखरखाव के कारण वह कसी और दे श क जगह लग रही थी। खासतौर पर अगर
वाराणसी के बाक ह स से उसक तुलना क जाए तो।
‘जी-14 हॉल,’ आरती ने ड़ाइवर से कहा।
हम पांच सौ सीट वाले ऑ डटो रयम म दा खल ए, जो क खचाखच भरा था। टे ज
पर नई मै जीन के कवर का एक बड़ा-सा बैनर टं गा आ था।
राघव ने सब कुछ बदल दया था – लेआउट, लुक, कंटट और यहां तक क शीषक भी।
कवर पर लखा था बीएचयू-केएएमपी यानी भूकंप। मने दे खा यू नव सट के नाम का ब त
माटनेस के साथ उपयोग कया गया था। मैगजीन क टै गलाइन थी - नया हला दो!
आरती और म सरी कतार म बैठे थे। रोशनी म म थी और हॉल म संगीत गूंज रहा
था। दशक उ साह म शोर मचा रहे थे।
‘राघव बैक टे ज म है,’ आरती ने कहा। ‘उसे ब त सारी चीज त करनी ह। वह
हमसे बाद म मलेगा।’
दस टू डट् स के एक समूह ने मंच संभाला। वे सर से पैर तक काले लबादे से ढं के थे
और उस पर अ पंजर क आकृ त बनी थी। अ ा-वायलेट लाइट् स चालू ई और
अ पंजर चमकने लगे।
अब ऑ डटो रयम म माइकल जै सन का गाना ‘मैन इन द मरर’ गूंजने लगा।
आई एम गॉना मेक अ चज
फॉर व स इन माय लाइफ
अ पंजर ए ोबै टक डांस करने लगे। दशक ने जोरदार अ भवादन कया। गाना
चलता रहा।
‘ नया ख म नह हो गई है, गोपाल। ऐसा नह है,’ उसने मेरा हाथ थामते ए कहा। ‘कुछ
तो कहो।’
एआईईईई रज ट् स के दन आरती ने मुझे अपने घर बुलाया था। उसके पास इंटरनेट
कने न था और मेरे ारा आ ह करने के बावजूद वह मुझे अकेले रज ट नह दे खने दे
रही थी।
मुझे उस ल हे से जुड़ी एक–एक चीज अ तरह याद है। कं यूटर टे बल पर लाल
और काला ए ायडड टे बल लॉथ, शोर करने वाला छत का पंखा, अनेक सरकारी ॉ फयां
जो उसके पता क थ , काले रंग का लैपटॉप और वह न जस पर मेरी रक दखाई दे
रही थी।
‘44,342,’ मेरे रोल नंबर के आगे लखा था।
एक साल तक उन कोसस से जूझने, जनसे म नफरत करता था, एक धूलभरे शहर म
अकेले रहने और अपने पता को कज म झ क दे ने के बाद म केवल यही सा बत कर पाया
था क म एक नाकाम आदमी ं।
मने कोई त या नह क । म रोया नह । न ही मुझे गु से, डर, खीझ का अहसास
आ। मुझे केवल इतना ही याद है क आरती मेरे पास थी और मुझसे बात कए जा रही
थी। खैर, म उसके श द को समझ नह पा रहा था।
म इस तरह उठ खड़ा आ, जैसे म कोई जी वत नह ं।
‘तुम ठ क तो हो ना?’ आरती ने मुझे झकझोरते ए कहा। मुझे लग रहा था क वह, म,
कं यूटर, पूरी नया ही लो मोशन म चल रही है। ‘जेईई के बारे म या?’ उसने पूछा।
‘वह तो और बुरा होगा। जेईई का पेपर अ ा नह गया था।’
वह चुप हो गई। आ खर वह कहती भी तो या?
‘म चलता ं,’ मने कहा।
‘कहां जाओगे?’ उसने पूछा। यह सबसे ज री सवाल था। हां, आ खर म कहां जा
सकता था? घर? और घर जाकर या म बाबा को यह बताता क उ ह ने जतना पैसा कज
लया था, वह मुझ पर बबाद हो गया है?
‘म तु हारे साथ चलती ं। म बाबा से बात कर सकती ं।’
मने सर हलाकर मना कर दया।
‘आर यू योर? उसने कहा।
मने कोई जवाब नह दया। दे भी नह सकता था। तेज कदम से म उसके घर से बाहर
चला आया।
म घर चला आया। ताजी हवा म एक घंटा चहलकदमी करने के बाद म बेहतर महसूस कर
रहा था। मने सोचा क मुझे बाबा से महंगे कॉलेज के बारे म बात नह करनी चा हए।
शायद मुझे उनसे इस बारे म बात करनी चा हए क या म अब और पैसा खच करने के
बजाय कसी जॉब के ज रये पैसा कमाना शु कर ं । ले कन पहले मुझे उनक नाराजगी
तोड़नी होगी।
म उनके कमरे म गया। वे ब तर पर लेटे थे।
‘म जॉब करना चाहता ं, बाबा। कॉलेज जॉइन करने का फैसला करने से पहले म कुछ
पैसा कमाना चाहता ं।’
उ ह ने एक श द भी नह कहा। मने अपनी बात जारी रखी, ‘म समझता ं क आप
नाराज ह। आपक नाराजगी वा जब है। सगरा म कैफे कॉफ डे खुलने जा रहा है। यह
हाई लास कॉफ चेन है। उ ह टाफ क ज रत है। बारहव पास अ लाई कर सकते ह।’
मुझे जवाब म केवल पंखे क ह क घरघराहट ही सुनाई द ।
‘मने अ लाई कर दया है। म पूरी जदगी तो कॉफ शॉप म काम नह क ं गा ना। वे
मुझे पांच हजार पया महीना दगे। नॉट बैड, है ना?
बाबा चुप रहे।
‘य द आप इसी तरह चु पी साधे रहे तो म मान लूंगा क आप राजी ह।’
मेरे यह कहने के बावजूद बाबा चुपचाप लेटे रहे। म चाहता था क वे मुझ पर च लाएं,
नाराज ह , ले कन कम से कम यह खामोशी तो टू टे।
म उन पर झुका। ‘बाबा, मुझे इस तरह सजा मत दो,’ मने कहा। मने उनक बांह
थामकर उ ह हलाया। उनक बांह ठं डी और बेजान थी।
‘बाबा?’ मने फर कहा। उनक दे ह अकड़ी ई लग रही थी।
‘बाबा?’ और तब जाकर म समझ सका क म अनाथ हो चुका था।
14
‘घन याम ताया–जी तीन लाख पए दे ना चाहते ह?,’ मने बे अंकल से कहा। म शॉ ड
था।
उ ह ने उन द तावेज के प े पलटाकर दे खे, ज ह उ ह ने मेरे लए तैयार करवाया था।
‘अगर तुम यहां द तखत कर दो तो तु ह तीन लाख पए मल जाएंगे। कज दे ने वाले तु हारे
इद– गद मंडरा रहे ह। वे खतरनाक लोग ह। म तु हारी मदद करने क ही को शश कर रहा
ं।’
मने द तावेज को दे खा, ले कन म उसे समझ न पाया। ‘तीन लाख तो ब त कम ह।
उ ह ने एक अरसा पहले दस लाख का ऑफर दया था’ मने कहा।
‘हां, सही है। यह एक अरसा पुरानी ही बात है। ले कन तब तु हारे पता ने वे पैसे लए
नह । अब वे जानते ह क तुम कुछ नह कर सकते। और तु ह पैस क स त ज रत है।’
म चुप रहा। बे अंकल खड़े हो गए। म सोचने लगा क हमारा वक ल आ खर कसके
प म है।
‘म समझ सकता ं यह तु हारे लए क ठन समय है। इस बारे म सोचना,’ उ ह ने
कहा।
डॉ. संपूणानंद ोट् स टे डयम म एक बड़े –से टट म कै रयर फेयर लगा था। म वहां गया।
वनीत ने मुझे वहां जाने को मजबूर कर दया था। ‘वहां जाकर मेरे दो त सुनील से
मलना। वह इस आयोजन का ईवट मैनेजर है और उसे सभी पा ट सपट् स के बारे म पता
है।’
म मु य टट म घुसा। हजार टॉ स के कारण वह कसी े ड ए सपो जैसा लग रहा
था। दे शभर के ाइवेट कॉलेज वाराणसी के टू डट् स को लुभाने क को शश कर रहे थे।
कॉलेज क बंधन सं ा के सद य चेहर पर मु कराहट लए खड़े थे। टॉ स के भीतर
लगे बैनस म कै स क त वीर इस तरह दखाई गई थ , मानो वे रयल ए टे ट ोजे ट् स
ह । जन कॉलेज क ब ग अभी बन ही रही थी, उ ह ने कलाकार क क पनाशीलता
का सहारा लया था।
‘बनकर पूरा हो जाने के बाद यह उ र दे श का सबसे बेहतरीन कै स होगा,’ मने
एक टॉल ऑनर को कुछ उ सुक पैरट् स से कहते ए सुना। ले कन उसने यह नह बताया
क नमाण के दौरान टू डट् स को कस तरह कां ट म सचस से घरी कामचलाऊ
क ा म पढ़ाई करनी होगी।
कुछ चलाऊ क म के पो टर म कॉलेज के नाम के साथ ही उनका चह्न भी था।
कॉलेज के नाम तरह–तरह के थे, ले कन वे अमूमन दे वी–दे वता या अमीर मोटर के
ांडपैरट् स के नाम पर आधा रत थे।
हर कॉलेज के चु नदा फैक ट और टू डट् स अपने– अपने टॉ स म अपनी सं ा
के चमक ले ोशस लए मलते थे। सभी ने सूट पहन रखे थे और वे इस तरह खीस नपोर
रहे थे, जैसे वे लाइट ू के सु श त सद य ह । मेरे जैसे सैकड़ लूजर टू डट् स एक
टॉल से सरे तक बेचैनी के साथ आ–जा रहे थे। स र फ सद टॉ स इंजी नय रग
कॉलेज के थे। बाक के कॉलेज मे डकल, होटल मैनेजमट, ए वएशन एकेडमीज और
बीबीए जैसे कुछ अ य कोसस के थे।
म ी गणेश वनायक कॉलेज, या एसजीवीसी के टॉल पर दोपहर को प ंचा। सुनील
से मलने के लए यही जगह और यही व तय आ था।
मने एसजीवीसी का ोशर उठाया। कवर पर उसके मु कराते ए टू डट् स क त वीर
थी। कोटा के ोशस के जेईई टॉपस म दखाए जाने वाले लडु क से भी यादा खुश ये
लड़के और उनक लड़ कय से भी यादा खूबसूरत ये लड़ कयां लग रही थ । ोशस के
बैक कवस पर इं टट् यूट क सु वधा और फैक ट का इतना बखान कया गया था क
कोई आईआईट डायरे टर भी शरमा जाए। बुकलेट म मुझे ऑफर कए गए ो ा स क
एक फेह र त दखाई द । एसजीवीसी कं यूटर साइंस से लेकर मेटालज तक सभी
इंजी नय रग कोसस पढ़ाने का वादा कर रहा था।
मने पूरा ोशर पढ़ डाला। मने सं ापक का वजन और मशन बताने वाले दावे पढ़े ।
मने श ा पर कॉलेज का नज रया भी पढ़ डाला और यह भी वे कैसे सर से ‘हटके’ थे।
मेरे पास से होकर गुजरने वाले कै रयर फेयर के सरे अनुभवी सद य मुझे दे खकर मु करा
दे ते। शायद म इकलौता ऐसा था, जो वा तव म इन द तावेज को पढ़ रहा था।
सुनील ने मुझे एसजीवीसी के टॅ ाल पर इन द तावेज क पढ़ाई म त लीन पाया।
‘गोपाल?’ उसने अनुमान लगाते ए कहा।
‘ ंह?’मने पीछे मुड़कर दे खा।’सुनील?’
सुनील ने मजबूती से मुझसे हाथ मलाया। चु गी दाढ़ और धूप का च मा उसके चेहरे
का एक बड़ा ह सा घेरे ए थे। उसने पपल शट और टाइट लैक जी स पहनी थी, जस
पर एक बड़ा–सा स वर बकल था। ‘काट द हेल आर यू डू इंग?’ उसने छू टते ही पूछा।
‘ ोशर पढ़ रहा ं,’ मने कहा।
‘आर यू टु पड? फ स और लेसमट् स पेज पर जाओ। एवरेज सेलेरी दे खो, फ स चेक
करो। य द दो साल क इंकम म लागत नकल आती है तो उसे शॉट ल ट करो, वरना आगे
बढ़ो।’
‘ले कन ट चग मैथड् स के बारे म या? ल नग...’
‘फक ल नग,’ सुनील ने कहा और मेरे हाथ से ोशर छ न लया। मुझे लगा क उसके
हावभाव और बोलचाल टफ है। उसने टॉल पर बैठे एक टू डट से कैलकुलेटर लया।
‘दे खो, ट् यूशन के पचास हजार, हो टल के तीस हजार, और वे तु ह जो बेकार क चीज
खरीदने को कहगे, उनके लए मान लो बीस हजार। तो तु ह चार साल तक हर साल एक
लाख पए चुकाने ह। एवरेज लेसमट डे ढ़ लाख है। फक इट। लेट्स गो।’
‘ले कन...’ म अभी कैलकुलेशन ही कर रहा था।
‘मूव ऑन। यहां सैकड़ टॉ स ह।’
हम अगले टॉल पर गए। लाल–सफेद बैनर पर लखा था ‘ ी चटू मल ुप ऑफ
इं टट् यूट्स, एनएच2, इलाहाबाद।’ एक छोटे –से न यो के ज रये कॉलेज क लोकेशन
दखाई गई थी। कॉलेज इलाहाबाद शहर से तीस कलोमीटर र था।
‘म चटू मल नाम वाले कसी कॉलेज म पढ़ने नह जा सकता,’ मने कहा।
शट अप। तु ह अपने कॉलेज का नाम लेने क कोई ज रत है भी नह ।’ सुनील ने एक
ोशर उठाया। चंद सेकंड म ही उसने वह पेज खोज नकाला, जो हमारे काम का था।
‘ओके, यहां एक साल म स र हजार का खच है। फाइनल लेसमट एक लाख चालीस
हजार। दे खो, यह ई न कुछ समझदारी वाली बात।’
कोई चालीसेक साल का एक थुलथुल–सा हमारे पास आया।
‘हमारा लेसमट इस साल और बेहतर होगा,’ उसने कहा। मेरा नाम यो त वमा है और
म टू डट् स का डीन ं।
मने कभी उ मीद नह क थी क कोई डीन अपने कॉलेज का व ापन इस तरह करेगा।
उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया। सुनील ने तपाक से उससे हाथ मलाया।
‘हां, आपक फ स भी उन लोग से कम है,’ मने कहा और ी गणेश टॅ ाल क ओर
इशारा कया।
‘उनके लेसमट नंबस भी फज ह। हमारे असली ह। हमारे कसी भी टू डट् स से पूछ
ली जए,’ यो त ने कहा।
उसने अपने टू डट् स क ओर इशारा कया। तीन लड़के और दो लड़ कयां, ज ह ने
अपने जीवन म पहली बार सूट पहने थे। वे सहमे –सहमे –से मु कराते रहे। मने चटू मल
टॅ ाल म कै स क त वीर पर नजर घुमाई।
ी गणेश टॉल से एक मेरे पास आया। उसने मेरा कंधा थपथपाया।
‘जी,’ मने कहा।
‘ ी गणेश से महेश वमा। या चटू मल ने हमारे बारे म कुछ नगे टव कहा?’
मने उसक ओर दे खा। महेश भी चालीसेक साल का और थुलथुल था। वह ब त कुछ
यो त वमा जैसा ही दखता था।
‘उ ह ने कुछ नगे टव कहा?’ महेश ने फर पूछा।
मने सर हला दया।
‘तुम चटू मल को कं सडर कर रहे हो? ‘उसने कहा।
मने हामी भरी।
‘ ी गणेश य नह ?’
‘महंगा है,’ मने कहा।
‘तु हारा बजट या है? शायद हम तु हारी कुछ मदद कर सक,’ उसने कहा।
‘ या?’ मने कहा। मने सोचा भी नह था क कॉलेज फ स क भी बाग नग हो सकती
है।
‘मुझे अपना बजट बताओ। य द तुम अभी साइन अप करते हो तो म तु ह टे न परसट
ड काउं ट ं गा।’
मने सुनील क ओर दे खा। मुझे समझ नह आ रहा था क अब या क ं या या क ं ।
सुनील ने मोचा संभाल लया।
‘हम थट परसट ऑफ चा हए। चटू मल हमसे इतनी ही फ स ले रहा है,’ सुनील ने
कहा।
‘उनके पास तो एक ब ग भी नह है,’ महेश ने कहा।
‘तु ह कैसे पता?’ मने कहा।
‘वह मेरा भाई है। उसने मुझसे नाता तोड़ लया और अपना खुद का कॉलेज खोल
लया। ले कन उसके कॉलेज क रपोट् स अ नह ह,’ महेश ने कहा।
यो त र से हम पर नजर बनाए ए था। तो वे दोन भाई थे, इसी लए एक जैसे लग
रहे थे।
‘हम उससे कोई मतलब नह । तुम तो हम अपना मै जमम ड काउं ट बताओ,’ सुनील
ने कहा।
‘मेरे टॅ ाल पर चलो,’ महेश ने हम अपने पीछे चलने को कहा।
‘ को,’ यो त ने हमारा रा ता रोक लया।
‘ या है?’ मने कहा।
‘तुम ी गणेश म य जा रहे हो?’
‘वह मुझे ड काउं ट दे रहा है,’ मने कहा।
‘ या तुमने मुझसे ड काउं ट क बात क ? या मने मना कया?’ यो त ने कहा।
उसके चेहरे पर बड़े गंभीर भाव थे। मने इससे पहले कभी कसी बजनेसमैन– कम–डीन
को नह दे खा था। ‘महेश भाई, लीज मेरे ट ल से चले जाइये,’ यो त ने ध स दे ते ए
कहा।
‘यह मेरा टू डट है। हमारी पहले बात हो गई थी,’ महेश भाई ने कहा और मेरी कलाई
थाम ली। ‘आओ, बेटा। तु हारा नाम या है?’
‘गोपाल,’ मने कहा। इतने म यो त ने मेरी सरी कलाई थाम ली। ‘ले कन लीज मुझे
लेकर यह ख चतान बंद क जए।’
दोन भाइय ने मेरी इस गुजा रश को नजरअंदाज कर दया।
‘म तु ह बे ट ड काउं ट ं गा। ी गणेश म जाकर अपनी जदगी मत बरबाद करना।
उनके पास लै स तक नह ह। ोशर म दखाई गई त वीर कसी सरे कॉलेज क ह,’
यो त ने कहा।
‘सर, म तो यह भी नह जानता...’ मने कहा और सुनील क ओर दे खा। वह भी मेरी ही
तरह भ चक नजर आ रहा था।
‘शट अप, यो त!’ अभी तक नम से पेश आ रहे महेश एकदम से गम हो गए।
‘मेरे टॅ ाल म मुझी पर मत च लाओ। चले जाओ यहां से,’ यो त ने कहा।
महेश ने हम सभी को एक डट लुक द । और फर दे खते ही दे खते उसने चटू मल का
बैनर फाड़ दया।
यो त का चेहरा उसके कॉलेज के चह्न जतना ही लाल–सुख हो गया। वह ी गणेश
के टॉल पर गया और ोशस के बॉ स को नीचे फक दया।
मने टॉल से बच भागने क को शश क , ले कन यो त ने मेरी कॉलर पकड़ ली।
‘ को, म तु ह पचास हजार सालाना के रेट पर एक सीट ं गा।’
‘मुझे... जाने... दो...,’ मने छटपटाते ए कहा।
महेश तीन लोग के साथ लौटा, जो दखने म बॉलीवुड क फ म के गुंड जैसे लग रहे
थे। ले कन वे फैक ट थे। उ ह ने चटू मल टॅ ाल के सभी बैनर फाड़ने शु कर दए।
यो त ने भी अपने स यो रट मेन को म दया क वे जाकर उनसे भड़ जाएं।
म एक बार फर बच नकलने क को शश कर रहा था क ी गणेश के एक भाड़े के
टट् टू ने मुझे पीछे धकेल दया। म मुंह के बल सफेद शीट से ढं क लकड़ी क एक टे बल पर
जा गरा। उसम एक क ल बाहर नकली ई थी, जससे मेरा गाल कट गया। मेरे चेहरे के
एक ह से पर खून क लक र बहने लगी। मेरे माथे पर पसीने क भी बूंद थ । आ खर मने
पढ़ाई के लए अपना खून–पसीना एक कर ही दया था।
सुनील ने उठने म मेरी मदद क । मने सफेद शीट पर खून दे खा तो मुझे उबकाई आने
लगी। हमारे आसपास भीड़ जमा हो गई थी। मने कुछ नह कहा और वहां से नकल
भागा। म टे डयम से नकला और मु य सड़क पर दो सौ मीटर तक दौड़ता रहा।
फर म सांस लेने के लए का। मुझे अपने पीछे सुनील के कदम क आवाज सुनाई
द।
हम दोन एक– सरे के सामने खड़े हांफ रहे थे।
‘फक,’ सुनील ने कहा। ‘बाल–बाल बचे।’
फर हम के म ट के यहां गए, जहां मने अपने गाल पर कुछ े सग करवाई।
‘चलो, म तु ह सीसीडी पर ले चलता ं। वह पछले ह ते ही खुला है,’ सुनील ने कहा।
आरती और म एक लंबी बोट राइड पर गए। अलसुबह क बयार म उसका हरा पट् टा पीछे
क ओर उड़ रहा था। ‘तुमने कुछ तय कया क अब आगे या करोगे?’ उसने पूछा।
‘म ाइवेट इंजी नय रग कॉलेज दे ख रहा ं।’
‘और?’
‘वे सभी ब त महंगे और ब त बुरे ह,’ मने कहा।
म कुछ दे र के लए का। नाव नद के बीच म ठहरी ई थी। म सोचने लगा क या
आरती मेरे पास आएगी और मेरी हथे लयां सहलाएगी। उसने ऐसा नह कया।
‘तो? अब या?’ आरती ने पूछा।
‘कोई प ाचार ड ी और जॉब।’
‘और लोन के बारे म या?’
‘उसे मैनेज कया जा सकता है। बाबा उसम से ब त कुछ सेटल कर चुके थे,’ म झूठ
बोल गया। म नह चाहता था क म उस पर अपनी मुसीबत का बोझ डालूं और उसके सा
थ मुझे जतना व बताने का मौका मला है, उसे गंवा ं ।
‘गुड। चता मत करो। सब ठ क हो जाएगा।’ वह उठ और मेरे पास बैठ गई। फर
उसने मेरा हाथ अपने हाथ म लया और जैसे कुछ सोचते ए मेरी अंगु लयां चटखाने
लगी।
‘तुम राघव के साथ खुश हो ना?’ मने पूछा।
म उ मीद कर रहा था क काश वह कहती नह , ले कन म ऐसा दखावा कर रहा था
मानो म इससे उलटा चाहता ं।
‘ओह येस।’ उसने मेरी ओर दे खा। उसक आंख चमक रही थ । ‘राघव ब त अ ा
है।’
मने अपना हाथ ख च लया। वह मेरी नराशा को समझ गई।
‘मने तो कभी नह कहा क वह अ ा नह है,’ मने सरी तरफ दे खते ए कहा।
‘तुम ठ क तो हो?’
‘हां,’ म एक नकली मु कराहट मु करा दया। ‘और वह कैसा है?’
‘उसने अपने पैरट् स को कह दया है क वह इंजी नयर नह बनना चाहता। वे इस बात
से खुश नह ह।’
‘वह इ डयट है। अब भला वह या करेगा?’
‘जन ल म,’ उसने कहा। ‘उसे जन ल म से यार है। वह यही करना चाहता है। वह
कुछ बदलाव लाना चाहता है। उसने यू नव सट क पॉ ल ट स भी जॉइन कर ली है।’
‘टोटली टु पड,’ मने कहा। मने फर पतवार उठा ली। आरती अपनी जगह पर जाकर
बैठ गई।
वापसी के दौरान हम चु पी सा धे रहे। नद म पतवार क छपाक क आवाज ही
खामोशी को तोड़ रही थी। आरती के बाल और बड़े हो गए थे और अब वे उसक कमर तक
आने लगे थे। म उसक पलक का झपकना दे खता रहा। लगता था जैसे सुबह का सूय
उसके भीतर है और उसक वचा से उसक रोशनी फूट रही है। मने उसके होठो को
नजरअंदाज कर दया। य द म उ ह दे खता तो मेरे मन म उ ह चूम लेने क इ ा जाग
जाती।
‘अब वह कसी और क है, तु हारे जैसे कमअ ल को भी यह बात अब तक समझ म
आ जानी चा हए।’ हां, मेरा दमाग इस बात को जानता था, ले कन दल इसे मानने को
राजी न था।
‘आ खर हम बड़े ही य ए, गोपाल?’ आरती ने कहा। ‘पहले चीज कतनी सीधी–
सरल आ करती थ ।’
म इससे पहले कभी कसी वधायक के घर नह गया था। दोपहर तीन बजे हम कचहरी
े म शु ला–जी के लंबे–चौड़े बंगले पर प ंचे। बाहर पु लस क जीप खड़ी थ और
स यो रट गाड् स हर जगह तैनात थे। सुनील ने गेट पर अपना प रचय दया तो हम भीतर
जाने दया गया।
ं ट लॉन म अनेक ामीण बैठे थे और वधायक से मलने क अपनी बारी आने का
इंतजार कर रहे थे। सुनील ने बताया था क वधायक शु ला अकेले ही रहते थे। उनके
प रवार के सद य अ धकतर समय वदे श म बताते थे। उनके दोन बेटे भी वदे श म ही
पढ़ाई कर रहे थे। वधायक के घर म पाट के इतने कायकता मौजूद थे क वह घर से
यादा पाट का ऑ फस लग रहा था।
सुनील अपने साथ गरीश बेद को लाया था, जो क एक ‘अनुभवी एजुकेशन
कंस टट’ था। मेरे पास अटै ची भरके ॉपट के द तावेज और अदालती कागजात थे।
वधायक के ऑ फस प ंचने से पहले गाड् स ने तीन बार हमारा बैग जांचा।
एक खूबसूरत पॉ ल ड लकड़ी क मेज पर अधेड़ उ का एक कड़क कलफदार
कुता–पायजामा पहने बैठा था। अपनी छोट –सी त द के बावजूद शु ला– जी को हडसम
कहा जा सकता था, खास तौर पर इस बात के मद्दे नजर क वे वधायक थे। उ ह ने हम
बैठने का इशारा कया और सेलफोन पर ब तयाते रहे।
‘साइं ट ट से कहो शु ला पहले रपोट को दे खना चाहता है। हां, मेरे लए उसे दे खना
ब त ज री है। गंगा मेरी भी है। येस, ओके, अभी मेरी एक मी टग है, बाय।’
वधायक ने हमसे बातचीत शु करने से पहले अपनी मेज पर रखी फाइल का ढे र
एक तरफ खसकाया।
‘सुनील सर। सनशाइन इवट् स। हम... हम कै रयर फेयर करते ह,’ सुनील ने कहा। वह
हकला रहा था, जब क वह आमतौर पर ब त कां फडट रहता था।
‘काम क बात बताओ,’ शु ला–जी ने कहा।
‘जमीन का मामला है, सर,’ सुनील ने कहा।
‘कहां है? कतनी है?’ शु ला–जी ने कहा। उनक आंख फाइल पर जमी रह , ले कन
उनके कान हमारी बात पर लगे थे। राजनेता कसी भी अ य क तुलना म कह
अ े से म ट टा कग कर सकते ह।
‘तीस एकड़। शहर से दस कलोमीटर बाहर लखनऊ हाईवे पर,’ सुनील ने कहा।
वधायक लखते– लखते क गए। उ ह ने नजर उठाई।
‘ कसक जमीन है?’ उ ह ने कहा। उ ह ने अब अपनी फाइल बंद कर द थी ता क
हमारी बात पर यान क त कर सक।
‘मेरी है, सर,’ मने कहा। मुझे नह पता मने वधायक को सर य बोला। ‘मेरा नाम
गोपाल म ा है।’ मने अटै ची खोली और मेज पर ॉपट के द तावेज रख दए।
‘और तुम?’ शु ला–जी ने बेद से पूछा।
‘एजुकेशन कंस टट है। नए कॉलेज क डजाइन बनाने और उ ह तैयार करने म मदद
करता है। अपना आदमी है,’ सुनील ने कहा।
‘नया कॉलेज?’ शु ला–जी ने कहा।
‘वह ए ीक चरल जमीन है, सर,’ सुनील ने कहा।
‘आप ए ीक चरल जमीन को एजुकेशनल यूज के लए पर मशन दला सकते ह,’
बेद ने पहली बार अपना मुंह खोला।
‘तुम कमउ दखते हो,’ शु ला–जी ने मुझसे कहा। ‘तु हारे पैरट् स कौन ह?’
‘उनक मौत हो चुक है, सर,’ मने कहा।
‘ मम। तो ॉ लम या है?’ शु ला–जी ने कहा। उनक अंगु लयां जमीन क
लोकेशन शहर के बीच म कह खोज रही थ ।
‘मेरे अंकल,’ मने कहा।
‘यह नए बन रहे एयरपोट के ब त करीब है,’ शु ला–जी ने न ा समझते ए कहा।
‘जी हां,’ मने कहा।
शु ला–जी ने अपना इंटरकॉम उठाया। उ ह ने अपने टाफ को बोला क मी टग पूरी
होने तक उ ह ड टब न कया जाए।
‘गोपाल, इस जमीन ववाद के बारे म मुझे व तार से बताओ,’ शु ला–जी ने कहा।
अगले एक घंटे तक म उ ह पूरी कहानी सुनाता रहा। ‘और हक कत यह है क मुझ पर
आपके आद मय का भी दो लाख पए कज है,’ मने अपनी बात ख म करते ए कहा।
‘चाय पओगे? सॉ ट क?’ शु ला–जी ने कहा।
मने सर हला दया।
‘मेरे आद मय का तुम पर कजा है?’ शु ला–जी ने पूछा।
‘नह सर, वे आपके आदमी नह ह,’ सुनील ने कहा और मेरे पैर पर धीमे–से एक
ठोकर मारी। ‘बेद सर, इ ह बताइए क आप या सोचते हो।’
मुझे नह पता था क कज उगाहने वाले वधायक के आशीवाद से ही काम करते थे,
ले कन उनसे कसी तरह के ता लुकात से इनकार भी करते थे।
‘इंजी नय रग कॉलेज के लए इससे बेहतर कोई जमीन नह हो सकती, सर,’ बेद ने
कहा। ‘इसका जो पं ह एकड़ का ह सा है, वह काफ है।’
‘पं ह ही य ? जब पूरी तीस एकड़ जमीन हो तो हम केवल पं ह य ल?’ शु ला–
जी ने कहा।
म बेहद भावुक हो गया। जीवन म पहली बार ऐसा आ था क कसी पॉवरफुल
आदमी ने मेरा सपोट कया हो। ले कन म यह भूल गया क व धायक ने ‘हम’ श द का
इ तेमाल कया था।
सुनील मुझे दे खकर शा तर ढं ग से मु करा दया। आ खर वह मुझे ब कुल ठ क जगह
जो लाया था।
‘पं ह भी काफ ह, सर,’ मने कहा। म तो यह भी नह समझ पा रहा था क इतनी
जमीन भी कैसे हा सल क जाएगी।
‘तीस। बाक के बारे म बाद म सोचगे। जमीन शहर के पास है... एक बार कॉलेज खुल
जाए और एयरपोट बनकर तैयार हो जाए तो हम वहां रे सड शयल या कम शयल जोन भी
बना सकते ह,’ शु ला–जी ने कहा।
म समझ नह पा रहा था क वे या कह रहे ह, ले कन म इतना ज र समझ गया था
क उ ह मुझसे यादा पता है। फर, वे आ खर मेरे फायदे क ही तो बात कर रहे थे।
‘ले कन हम उतनी जमीन भी कैसे पाएंगे?’ मने कहा। मेरे अंकल पछले अनेक साल
से उस जमीन पर कुंडली मारकर बैठे थे।
‘ये तुम हम पर छोड़ दो,’ शु ला–जी ने कहा। ‘तुम तो मुझे बस इतना ही बताओ क
या तुम एक कॉलेज चला सकते हो?’
‘म?’
‘हां, य क कॉलेज का चेहरा और नाम तु ह होओगे। म तो पीछे से चुपचाप अपना
काम करता र ंगा,’ उ ह ने कहा।
‘ले कन कैसे?’ मने कहा। ‘मेरे पास अनुभव नह है। पैसा नह है।’
‘अनुभव तु ह म टर बेद दे दगे, और पैसा म दे ं गा। तुम उससे कं न और बाक
के काम कर सकते हो।’
शायद मुझसे कोई गलती हो रही है। आ खर नया अचानक मेरी मदद करने को
आमादा य हो गई है? माजरा या है?
सुनील मेरी वधा समझ गया।
‘शु ला–जी सर, य द आप इसे अपनी ट स बता दे ते तो अ ा होता। और हां, आप
मेरे लए भी जो ठ क समझ,’ सुनील ने कहा और मेरी तरफ दे खकर चापलूस क तरह
खीस नपोरने लगा।
‘मुझे कुछ नह चा हए। बस कॉलेज खोलो, मेरे शहर का भला इसी म है,’ शु ला–जी
ने कहा।
कसी ने भी उनक बात पर भरोसा नह कया। फर भी हम उनका मन रखना ही था।
‘सर, लीज,’ सुनील ने कहा, ‘यह तो वा जब नह होगा।’
‘अपने ट स के बारे म म खुद सोच लूंगा। ले कन तुम लोग तु हारे बारे म बताओ। तुम
यह कर लोगे ना?’ शु ला–जी ने मेरी ओर दे खा। मुझे लगा क उनके इस तरह दे खने भर
से ही मेरी उ दस साल बढ़ गई हो।
मने जतना संभव हो सकता था, अपनी झझक छु पाने क को शश क । ‘कैसा हो
अगर हम जमीन हा सल कर ल और बस उसे बेच द?’ मने कहा।
‘ जस जमीन पर इतने सारे केस चल रहे ह , उसे बेचना मु कल है,’ शु ला–जी ने
कहा। ‘जमीन का क जा तु ह दे ना एक बात है और उसके लए नया ाहक ढूं ढना सरी
बात।’
‘वही तो। हम उन सारे केसेस को कैसे नपटाएंगे?’ मने कहा।
शु ला–जी हंस पड़े । ‘हम केस नह नपटाते। हम उन लोग को नपटा दे ते ह, जो केस
म शा मल ह।’
वधायक भले ही हंस रहे ह , ले कन उनक आख से लग रहा था क उ ह ने मन बना
लया है। उ ह दे खकर वाकई लगता था क वे लोग को नपटा सकते ह। वैसे भी म जमीन
हा सल करने से भी यादा अपने र तेदार को सबक सखाना चाहता था।
‘य द आप ऐसा कर पाएं तो आप जतना चाहे उतना शेयर ले सकते ह,’ मने कहा।
‘म पं ह एकड़–लूंगा,’ शु ला–जी ने कहा। ‘म वह जमीन तब तक अपने पास रखूंगा,
जब तक क वह ए रया कम शयल या रे सड शयल यूज के लए री–जो नह हो जाता।
बाक क पं ह एकड़ जमीन म हम कॉलेज बनाएंगे।’
‘कॉलेज म आपको कतनी ऑनर शप चा हए?’ मने कहा।
‘ जतनी तुम दे ना चाहो। कॉलेज ट है, उसम कोई ॉ फट नह है,’ शु ला–जी ने
कहा। उनके चेहरे पर कोई भाव नह थे।
‘वाकई?’ मने हैरानी से कहा।
‘हां, सच है,’ बेद ने लंबे समय बाद मुंह खोला। ‘हर कॉलेज नॉन– ॉ फट टक
तरह होता है। उसम कोई शेयर हो स नह होते, केवल ट होते ह।’
‘ फर कोई ाइवेट लेयर एक नॉन– ॉ फट कॉलेज य खोलना चाहेगा?’ मने कहा।
बेद ने पहले तो गहरी सांस भरी और फर मुझे समझाने लगा। ‘वेल, ॉ फट होता है।
ट ट से कैश नकाल सकते ह और उसे खच बता सकते ह। या वे कैश म कोई फ स
ले सकते ह और उसे खाते म दज नह कर सकते ह। या वे कसी कॉ े टर से कह सकते
ह क य द हम तु ह कॉ े ट दगे तो बदले म तुम हम या दोगे। और भी कई तरीके ह’
बेद बोलता रहा। मने उसे रोका। ‘एक मनट। या ये सब गैरकानूनी तरीके नह ह?’
सभी चुप हो गए।
थोड़ी दे र बाद शु ला–जी बोले, ‘मुझे नह लगता क यह लड़का हमारे कसी काम का
सा बत हो सकता है। तुमने मेरा व बरबाद कया।’
बेद और सुनील ने शम से अपना सर झुका लया। ईमानदारी के बारे म मेरी ज ासा
के कारण उ ह श मदगी झेलनी पड़ी थी।
‘आई एम सॉरी। म तो बस समझने क को शश कर रहा ं,’ मने कहा।
‘ या?’ बेद ने कहा। उसक आवाज से झ लाहट झलक रही थी।
‘ या तुम मुझे यह बताना चाह रहे हो क कसी कॉलेज से पैसा कमाने का एकमा
तरीका यही है क गैरकानूनी हथकंड का इ तेमाल कया जाए? सॉरी, म नै तकता का
उपदे श नह दे रहा, केवल एक सवाल पूछ रहा ं।’
‘वेल,’ बेद ने कहा, ‘वा तव म कॉलेज पैसा कमाने के लए नह होते।’
‘तो फर कोई कॉलेज खोलना ही य चाहेगा?’ मने कहा।
‘समाज के भले के लए, जैसा क हम राजनेता चाहते ह,’ शु ला–जी ने कहा।
मेरे सवा सभी हंस पड़े । शायद वे मेरी बेवकूफ पर ही हंस रहे थे।
‘सुनो, गोपाल,’ सुनील ने कहा, ‘ नयम–कायदे ऐसे ही टु पड होते ह। अब यह हम
पर है क या तो उनसे बचने का कोई रा ता नकाल, या बेवकूफ क तरह चुपचाप खड़े
रह। कॉलेज है तो ट भी होगा। तुम और शु ला–जी ट बन जाएंगे। बेद तु ह सब
समझा दे गा।’
बेद ने मेरी ओर दे खकर इशारा कया क चता मत करो, सब समझा ं गा। हां, उस
आदमी को स टम के बारे म अ तरह पता था और वह यह भी जानता था क स टम
को कैसे झुकाया जाए।
‘बेद बाबू, इस लड़के को यह भी सखा दो क यादा कानून–कायद क बात न करे।
नह तो वह एजुकेशन का बजनेस नह कर पाएगा,’ शु ला–जी ने कहा।
‘ऑफ कोस,’ बेद मु करा दया। ‘शु ला सर, ट से पैसा नकालना बाएं हाथ का
खेल है। आप तो यह बताइए क तमाम पर मशन और अ ुवल कैसे मलगे? हर कदम पर
ेशल मैनेजमट क ज रत है।’
‘यही तो इस लड़के को करना है। म तो कसी प चर म नह ं। म केवल ट ं,
समाज के भले के लए,’ शु ला –जी ने कहा।
‘मुझे या करना होगा?’ मने कहा।
‘ड ट वरी, म समझा ं गा,’ बेद ने कहा। ‘तु ह ब ग ला स के लए वाराणसी नगर
नगम का अ ुवल लेना होगा, कॉलेज के लए एआईसीट ई का अ ुवल लेना होगा।
इं े न होगा। हर चीज का यान रखना होगा। टडड है।’
‘ र त दे नी होगी?’ मने कहा।
‘ श!’ शु ह–जी ने घुड़क दे ते ए कहा। ‘ये बात यहां मत करो। जो भी बात करनी
हो, बाहर जाकर करो। जाओ।’
हम जाने के लए उठ खड़े ए।
‘एक मनट को, गोपाल,’ वधायक ने कहा।
‘जी?’ मने सुनील और बेद के बाहर चले जाने के बाद कहा।
‘ या तुम यह सब कर पाओगे?’ शु ला–जी ने कहा, ‘म अपना व बरबाद नह
करना चाहता। य द तुम यह सब नह कर सकते तो अभी बता दो।’
म कुछ दे र सोचता रहा। ‘यह आसान तो नह है,’ मने वीकारा।
‘ जदगी म बड़ा आदमी बनना कभी आसान नह होता,’ शु ला–जी ने कहा। म चुप
रहा।
‘तुम बड़ा आदमी बनना चाहते हो या नह , गोपाल?’
म नीचे दे खता रहा। मने गौर कया क वधायक के घर का फश इटै लयन माबल से
बना था।
‘या तुम केवल एक मामूली आदमी बने रहना चाहते हो, जसके दो त उससे ब त आगे
नकल गए ह ?’
मेरा गला ं ध गया, ले कन मने उसे जा हर नह होने दया। मने नजर उठाई।
‘तु हारी कोई गल ड है?’
मने सर हलाकर मना कर दया।
‘पता है य ? य क तु हारी कोई औकात नह है।’
मने हामी पर द । मुझे याद आया क बीएचयू कार पा कग म आरती और राघव ने कस
तरह एक– सरे को शद्दत से चूमा था। य द म बीएचयू गया होता और राघव कोटा गया
होता, तब भी या आरती राघव को ही चुनती? मने शु ला–जी को दे खा। यह आदमी सर
से पैर तक गलत था, ले कन उसने मुझे एक मौका दया था। आ खर जदगी म हम इसी
बात क तो ज रत होती है – एक जॉब, एक एड मशन, एक मौका।
‘म क ं गा। ऐसा तो है नह क पूरे दे श म केवल म ही इकलौता ऐसा इंसान ं, जो
र त दे गा,’ मने कहा। ‘ले कन म ब त बड़ा आदमी बनना चाहता ं।’
शु ला–जी खड़े ए। वे अपनी मेज के करीब से बाहर नकले और मेरी पीठ थपथपाई।
‘तुम तो पहले ही बड़े आदमी बन चुके हो,’ उ ह ने कहा, ‘ य क तु हारे सर पर अब मेरा
हाथ है। अब जाओ, और अपने हरामी अंकल के डटे स बाहर मेरे से े टरी के पास छोड़
जाओ।’
‘और मुझ पर जो आपके लोग का कजा है, उस बारे म या?’ मने कहा।
‘दो लाख पए? इतने पैसे मेरे लए कोई मायने नह रखते। उसे भूल जाओ,’ शु ला–
जी ने कहा। वे अपनी मेज पर गए और दराज खोली। उसम से दस हजार पय के दो
बंडल नकाले और मेरी ओर उछाल दए। ‘एक सुनील के लए और एक तु हारे लए,’
उ ह ने कहा।
‘मेरे लए य ?’ मने पूछा।
‘मेरा कॉलेज चलाने के लए, डायरे टर सर।’ उ ह ने खीस नपोरते ए कहा।
आधी रात को म दरवाजे क घंट सुनकर जागा। मने अपनी आख मसल और दरवाजे तक
प ंचा। म अब भी आधी न द म था। बाहर मेरे अंकल, औट और उनका बेटा, 30 साल का
मेरा क जन अजय खड़े थे।
‘घन याम ताया–जी?’ मने कहा। ‘ या आ? लीज अंदर आइए।’
वे बैठकखाने म एक टू टे–फूटे सोफे पर बैठ गए। पांच मनट तक उनके मुंह से एक भी
श द नह नकला।
‘आप लोग इतनी रात गए मुझसे मलने इस लए तो यक नन नह आए ह क आप मुझे
मस कर रहे थे, है ना?’ मने कहा।
‘तुम हमारे साथ ऐसा य कर रहे हो?’ अजय फूट पड़ा।
‘म या कर रहा ं?’ मने कहा। ‘आपको पानी चा हए? या चाय?’
‘नह ,’ मेरे अंकल ने कहा। ‘गोपाल, अपने कम पर यान दो, भगवान तु ह दे ख रहे ह।
तु ह एक न एक दन इसक क मत चुकानी पड़े गी। हमारे साथ ऐसा मत करो।’
‘ले कन म कर या रहा ं?’ मने कहा। आ खर वे इतनी रात गए मेरे घर य आए थे?
‘ बट् टू अभी तक नसरी कूल से घर नह लौटा है,’ आंट ने कहा और फूट– फूटकर
रोने लग । अब ये लोग पूरी तरह वा त वक लग रहे थे, बाबा के अं तम सं कार म तो वे
मगरम क तरह लग रहे थे।
वे बट् टू क वजह से मेरे घर आए थे। बट् टू अजय का चार साल का बेटा था, जसे
मने केवल एक बार दे खा था ( बाबा के अं तम सं कार के दौरान उसक मां क गोद म) और
अब वह लापता था।
‘अरे, यह तो वाकई ब त बुरा आ है,’ मने कहा। ‘और या इसका मेरे कम से कोई
सब ध है?’
‘ये उन लोग क हरकत है, जो जमीन खरीदना चाहते ह,’ मेरे अंकल ने कहा। ‘हम
जानते ह वे तु हारे साथ ह।’
‘आप लोग या बात कर रहे ह?’ मने कहा।
अंकल ने दोन हाथ जोड लए। ‘हमारे साथ ऐसा मत करो,’ उनह ने कहा।
‘म कुछ नह कर रहा ।ं कुछ लोग मेरे पास भी वह जमीन खरीदने के लए आए थे।
ले कन मने उ ह कह दया क म उसे नह बेच सकता,’ मने कहा।
‘वाकई?’ अजय ने कहा।
‘आ खर म वह जमीन कैसे बेच सकता ं? वह तो ववा दत जमीन है ना?’ मने कहा।
‘ले कन जो लोग हमारे पास आए थे, वे उस जमीन को खरीदना नह चाहते। वे चाहते
ह क हम बक के केस सेटल कर द, ववाद ख म कर द और वह पूरी जमीन तु ह दे द,’
अंकल ने कहा।
‘दै ट्स ज। तो अब सवाल यह है क आपके लए जमीन यादा क मती है या बट् टू ?
करे ट?’
‘शट अप,’ अजय ने कहा। ‘हम पता है क वह जमीन तुम खरीदना चाहते हो।’
‘मेरे पास खाना खरीदने का पैसा नह है, जमीन कहां से खरी ं गा?’ मने सर खुजाते
ए कहा।
‘वे लोग कौन ह?’ अंकल ने पूछा।
‘पता नह । आप चाह तो पु लस क मदद ले सकते ह,’ मने कहा ‘ले कन लगता है
शायद वे गुंडे–बदमाश ह।’
‘हम पु लस–बु लस के पास नह जाना,’ औट ने कहा।
‘वे लोग कुछ भी कर सकते ह। बट् टू छोटा है। उनके लए उसक बॉडी छु पाना कोई
मु कल काम नह होगा। वैसे भी, यह वाराणसी है, यहां डे ड बॉडी को बड़ी आसानी से
ड ोज कया जा सकता है,’ मने कहा।
अजय सोफे से उठा और मेरी कॉलर पकड़ ली। ‘मुझे पता है क तुम इसम इनवॅा ह
हो। तु हारे पता सीधे–सादे थे, ले कन तुम टे ढ़े हो, उसने कहा। उसक आंख से आग बरस
रही थी।
‘मेरे भाई, कॉलर छोड़ दो, अभी इसी व ,’ मने शांत ले कन ठोस आवाज म कहा।
अजय क मां ने अपने बेटे का हाथ थपथपाया। उसने मुझे छोड़ दया।
‘वे लोग कतने पए दे रहे ह?’ मने पूछा।
‘आठ लाख,’ अंकल ने कहा।
‘नॉट बैड,’ मने कहा।
‘यह माकट ाइज के सामने र ी भर भी नह है।’
‘ले कन आपने मेरे सामने जतने पैस क पेशकश रखी थी, उससे तो यह दोगुना से भी
अ धक है,’ मने कहा।
‘इसका मतलब तुम इस मामले म इनवॅा ह हो।’ अजय ने मुझे घूरकर दे खा।
‘घर जाइए, ताया–जी, और ठं डे दमाग से सो चए। हम बट् टू को जमीन से यादा
चाहते ह।’
‘हमारे साथ यह सब या हो रहा है?’ आंट ने दरवाजे पर कहा।
‘यह सब कम का खेल है। ताया–जी आपको समझा दगे।’ मने मु कराते ए दरवाजा
बंद कर दया।
जब बट् टू तीन रात तक घर नह आया, तब जाकर मेरे रले ट स को आठ लाख के ऑफर
क वै यू समझ आई। जैसे ही म टर घन याम म ा और म टर अजय म ा ने पेपर
साइन कए, मुझे वधायक के ऑ फस से फोन आया।
शमा हयर, पीए टु शु ला–जी,’ कॉलर ने कहा। ‘आज रात एमएलए साहब ने आपको
डनर पर बुलाया है।’
‘चीयस,’ शु ला–जी ने कहा। हमने ह क के गलास टकराए।
बेद , सुनील और म उनके बड़े –से बैठकखाने म बैठे थे। उसम तीन अलग– अलग
स टग ए रया थे, जनम वेलवेट सोफे, कॉफ टे बल, सजी–धजी लै और फानूस थे। तीन
वेटर नैप कन–लाइ चायना लेट्स म कबाब, नट् स और मनी–समोसे परोस रहे थे। मने
दे खा क बैठकखाने क द वार पर शु ला–जी के प रवार के च टं गे ह।
‘ये मेरे बेटे ह – न खल और अ खल,’ शु ला–जी ने कहा। ‘दोन अमे रका म पढ़ रहे
ह। म उ ह यहां से अभी कुछ समय र रखूंगा।’
कुछ लोग का कहना था क शु ला–जी तलाकशुदा थे। कुछ अ य का कहना था क
लखनऊ म उनका एक और प रवार है। ले कन मुझे यह सब जानने म कोई दलच ी नह
थी।
‘जमीन हा सल करना एक बड़ी कामयाबी है,’ बेद ने कठोरता से कहा। ‘ले कन हम
अब भी एक लंबा सफर तय करना है। हम अगले ह ते वीएनएन वाल से मल रहे ह। तब
तक हम ट क औपचा रकताएं पूरी कर लेनी चा हए।’
बेद ने समझाया क कस तरह वीएनएन, यानी वाराणसी नगर नगम, हम हमारे लए
बेहद ज री ए ीक चरल–टु –एजुकेशनल लड री–जो नग पर मट दे गी, ता क हम नमाण
शु कर सक।
‘री–जो नग ज द से ज द करा लो। मने आठ लाख पए इस बात के लए नह दए ह
क उस जमीन पर धान क खेती हो,’ शु ला–जी ने कहा।
‘हम ज द से करवा लगे,’ बेद ने कहा। ‘उ ह पता है क इसके पीछे कौन है। आप
कोई छोट –मोट श सयत तो ह नह , सर जी।’
‘हां, ये तो है,’ शु ला–जी ने इस तरह कहा, मानो बेद कोई ब त ही जानी–मानी बात
दोहरा रहा हो। ‘ले कन हम वीएनएन का याल रखना होगा, है ना?’
‘जी हां, यक नन,’ बेद ने कहा। ‘यह री–जो नग है। इसके बाद जमीन क क मत पांच
गुना बढ़ जाती है। यह कोई स ता सौदा नह है।’
‘ कतने लगगे?’ शु ला–जी ने पूछा।
‘ऑफ कोस, आपके लए रेट अलग ह। मेरे याल से दस लाख लगगे।’
‘ या?’ शु ला–जी ने हैरत से कहा।
बेद ने ज द से एक घूंट म अपनी क ख म क । ‘सर, वह तीस एकड़ जमीन है।
एक नॉमल आदमी को उसके लए चालीस दे ने पड़गे।’
‘दे खो, इसी लए मेरे जैसे लोग के लए एजुकेशन से टर म आना ज री है। आ खर
इस दे श का या होगा?’ शु ला–जी ने कहा।
‘डीएम को भी इसके लए अनुम त दे नी होगी। ले कन धान ईमानदार है। वैसे भी,
य द जमीन पर कॉलेज बनाया जा रहा है और वीएनएन क रकमडे शन हो तो वह भी इसे
अ ूव कर दे गा।’
‘ईमानदार कतना है?’ शु ला–जी ने कहा।
‘इतना ईमानदार तो है ही क खुद पैसा न ले, ले कन इतना भी नह है क सर को
लेने से रोके।’
‘तब ठ क है। य द तुम ईमानदार हो, तो अपनी ईमानदारी अपने पास रखो,’ सुनील ने
कहा। वह उस शाम पहली बार कुछ बोला था।
‘सुनील,’ शु ला–जी ने कहा।
‘ या, सर?’
‘अब तुम जाओ। म तु हारे लए कुछ भजवाऊंगा। ले कन आज से हम इस ोजे ट
पर यान दे ना होगा,’ शु ला–जी ने कहा।
‘सर, ले कन...’ सुनील ने कहा।
‘तु हारा काम पूरा हो गया,’ शु ला–जी ने कहा और उसे जॉनी वॅाकल लैक लेबल क
एक बोतल थमा द ।
सुनील समझ गया। उसने बोतल के लए शु या अदा कया, इतना झुका, जतनी
कसी मनु य क रीढ़ इजाजत दे सकती थी, और वहां से चला गया।
‘म डीएम धान को जानता ं, उनक बेट मेरी दो त है,’ मने शु ला–जी से कहा।
‘उस मामले म कोई यादा द कत नह है। फर भी, डीएम का आशीवाद मल जाए
तो बुरा या है,’ शु ला–जी ने कहा।
‘ योर,’ मने कहा।
शु ला–जी अपने बेड म म गए और एक भारी ला टक बैग लेकर लौटे । उ ह ने वह
मुझे दे दया।
‘ये या है?’ मने कहा।
‘दस लाख पए,’ उ ह ने कहा, ‘वीएनएन के लए।’
‘दस लाख?’ मने कहा। उस भारी बैग को थामते समय मेरे हाथ कांप रहे थे। मने
इससे पहले कभी इतना पैसा दे खा या उठाया नह था।
‘दस लाख केवल एक आंकड़ा है,’ वधायक ने कहा। ‘बेद –जी, इस लड़के क मदद
करो। और अपने आपक भी मदद करो। मुझे खाली गलास पसंद नह ह।’
‘ योर, शु ला–जी,’ बेद ने कहा और वेटर को पुकारा।
‘एजुकेशन वाले लोग बस पैस से ही खुश रहते ह या उ ह सरी चीज भी चा हए?’
शु ला–जी ने बेद से पूछा।
‘जैसे क?’ बेद ने पूछा।
‘लड़ कयां, मौज–म ती के लए। मेरा एक आदमी है वनोद, वह उसका भी बंदोब त
करवा सकता है,’ वधायक ने कहा।
‘अ ा, ज रत ई तो आपको बता दगे। वैसे पैसा आने से उसका बंदोब त अपने
आप हो जाता है,’ बेद ने कहा।
‘गुड।’ उ ह ने ै क बदला। ‘ या गोपाल कुछ समय के लए तु हारे ऑ फस से काम
कर सकता है? जब तक क उसका अपना ऑ फस नह बन जाता?’
‘ऑफ कोस, शु ला–जी।’
वेटर हमारे गलास फर से भरने के लए दौड़े ।
‘ ट के कागजात तैयार ह। हम उ ह इस ह ते साइन कर सकते ह। ले कन एक
सवाल, गोपाल,’ बेद ने कहा।
‘ या?’ मने कहा।
‘कॉलेज का नाम या होगा?’ बेद ने कहा।
मने इस बारे म तो सोचा ही नह था।
‘पता नह । शायद कोई ऐसा नाम, जसम तकनीक पर जोर दया गया हो।’
‘और हमारे शहर पर भी,’ शु ला–जी ने कहा। ‘ता क म व आने पर लोग से कह
सकूं क मने यह उनके लए कया है।’
‘गंगाटे क?’ मने कहा।
शु ला–जी ने मेरी पीठ थपथपाई। ‘वेल डन, तुम मुझे पसंद हो, गोपाल। तुम ब त
आगे जाओगे।’ शु ला–जी ने खुद मेरा ह क का गलास पूरा भर दया।
17
‘तुम ही इसे फोड़,’ शु ला-जी ने मुझे कॉलेज साइट के -हंस पर एक ना रयल थमाते ए
कहा। उनके आसपास उनके चमच क भीड़ थी।
भू मपूजन सेरेमनी के साथ ही नमाण क शु आत ई। यह दन दे खने के लए मुझे
तीन महीन तक यहां-वहां दौड़कर दो दजन अ ूवल लेने पड़े थे। यूजीसी और एआईसीट ई
इन- सपल अ ूवल भी मल गए थे। अं तम इं े न कॉलेज खुलने पर होना था। अभी
तो हमारे पास नमाण शु करने क अनुम त थी।
अब बस हम भगवान का आशीवाद चा हए था। गनीमत है क भगवान का आशीवाद
पाने के लए नोट का बंडल दे ने क ज रत नह थी।
मने हाथ म ना रयल थामा और इधर-उधर दे खा। आरती अभी तक नह आई थी।
‘ना रयल फोड़ा, बेटा,’ शु ला-जी ने कहा।
म उसका और दे र तक इंतजार नह कर सकता था। मेरे याल से इस दन का उससे
यादा मह व मेरे लए था।
मने यह क पना करते ए ना रयल फोड़ा क वह राघव का सर है। ना रयल फोड़ते
समय मेरी अंगुली कट गई। लोग ने ता लयां बजाई। मने कट ई अंगुली मुंह म रख ली
और खून चूसने लगा।
‘गंगाटे क इंजी नय रग कॉलेज’ -दो मज र ने क चड़ भरी जमीन पर मेटल का एक
हो डग लगा दया। इस मौके पर मुझे यादा भावुक होना था। आ खर मने इस दन के लए
महीन तक मेहनत क थी। ले कन इसके बावजूद मुझे कुछ महसूस नह आ। शायद
इसक वजह यह थी क मुझे पता था यह दन दे खने के लए मुझे कतनी पूस दे ना पड़ी है।
मुझे बजली कने यान से लेकर कं न साइट लेबर अ ूवल तक के लए कुल बह र
लाख तेईस हजार और चार सौ पए खच करने पड़े थे।
शु ला-जी ने सौ से आइ धक मेहमान को बुलाया था, जनम ेस के सद य भी
शा मल थे। हमने एक कैटरर भी रखा था, जो छोटे सफेद ब स म मेहमान को गम समोसे
और जले बयां परोस रहा था।
शु ला-जी ने सभी को एक कामचलाऊ मंच से संबो धत कया।’
बस तीन साल और उसके बाद यह सपना हक कत बन जाएगा। यह मेरे शहर को मेरी
तरफ से एक तोहफा है, जसके वह का बल भी है उ ह ने कहा।
म आगे क कतार म बैठा था। म बार-बार मुड़ मुड़कर दे खता रहा क आरती आई है या
नह । शु ला-जी क ीच के बाद ेस ने कुछ सवाल पूछे। उनम से आइ धकतर सवाल
सीधे -सरल थे। वे कॉलेज म पढ़ाए जाने वाले कोसस और अ य सु व धा के बारे म थे।
बहरहाल, कुछ स त प कार उ ह आड़े हाथ लेने का मौका नह चूके।
‘शु ला सर, या आप इस कॉलेज के मा लक ह? तो इसम आपक ह सेदारी कतनी
है?’ एक प कार ने पूछा।
‘म ट ं। मेरी कोई ह सेदारी नह है। यह एक नॉन- ॉ फट सं ा है,’ शु ला-जी ने
कहा।
‘जमीन और कं न के लए कौन फं डग कर रहा है?’
‘ म टर गोपाल म ा यहां मौजूद ह और वे ही इस जमीन के मा लक ह। चूं क म यंग
टै लट को इनकरेज करना चाहता ं, इस लए मने फंड जुटाने म उनक थोड़ी मदद भर क
है, शु ला-जी ने कहा और एक माल से अपना माथा प छ लया।
‘फंड कहां से जुटाया गया?’ प कार ने आगे पूछा।
‘अगल-अलग हत ा हय से। फ मत क जए कसी ने पैसा लगाया ही है लया
नह है। आजकल का मी डया कतना श क हो गया है,’ शु ला-जी ने कहा।
‘सर, गंगा एकशान लान घोटाले म या चल रहा है? उसम आपका नाम आया है,’
पीछे क कतार से एक प कार ने पूछा।
‘अब वह पुरानी कहानी हो गई है। कोई घोटाला नह आ था। हमने नद क साफ-
सफाई के लए पैसा खच कया था,’ शु ला-जी ने कहा।
इस नए वषय ने सभी प कार को उ े जत कर दया। सभी ने सवाल पूछने के लए
हाथ खड़े कर दए।
‘नो मोर वे ंस, थक यू -बेरी मच,’ शु ला-जी ने कहा।
वे साइट से चले गए। प कार उनके पीछे -पीछे हो लए। म साइट पर ही रहा और यह
सु न त करता रहा क सभी मेहमान को र े शमट् स सव कया जाए।
ईट , लोहे के स रय और अ य नमाण साम य से लदा एक टू क आया। उसके पीछे
लाल ब ी वाली एक एंबेसेडर कार थी।
आरती कार म से बाहर नकली और मेरी तरफ आई।’ आई एम सो सो सॉरी,’ उसने
कहा।’ पूजा हो गई?’
‘ या आरती के बना कभी कोई पूजा हो सकती है?’ मने जवाब दया।
वाराणसी
तीन और साल बाद
तेज संगीत और लोग क बातचीत के शोरगुल के बीच मेरे आने पर कसी का यान ही नह
गया। हाई- लास पा टयां मुझे नवस कर दे ती ह और य द मुम कन होता तो म उस दन
राघव के ेजुएशन क पाट से खुशी-खुशी चला जाता। ले कन म वहां केवल इसी लए
गया था, ता क यह न समझा जाए क म उससे जल रहा ं।
मुझे वाकई उससे कसी तरह क कोई जलन नह थी। तीन महीने बाद मेरा कॉलेज
गंगाटे क खुलने वाला था। तीन साल तक दन-रात मेहनत के बाद आ खरकार मेरा कॉलेज
बनकर तैयार था। मुझे ज द ही फैक ट र ू टमट के इंटर ू लेने थे और एआईसीट ई के
इं े न क डे ट भी मुझे मल चुक थी। ऐसे म बीएचयू क कोई टु पड ड ी मेरे लए
कोई मायने नह रखती थी, य क ज द ही म खुद टू डट् स को ड यां बांटने वाला था।
‘हे!’ राघव ने जोर से कहा। ‘बडी तुम थे कहां?’
‘कं यूटर स लायर के साथ बात कर रहा था,’ मने कहा।
ऐसा लगा जैसे राघव ने मेरी बात सुनी नह ।
‘मेरे कॉलेज के लए। हम वहां एक कं यूटर सटर चालू कर रहे ह,’ मने कहा।
राघव ने अपना हाथ उठाया। ‘गुड शो। गव मी हाई फाइव’
उसने इतनी जोर से ताली मारी क मेरा हाथ झनझना गया।
‘ क चा हए?,’ राघव ने कहा। ‘बार वहां है।’
उसने डाइ नग टे बल क ओर इशारा कया, जहां बीयर, रम और कोक रखे थे। लोग
ला टक लासेस म अपने लए क बना रहे थे। उस रात राघव के माता- पता
जानबूझकर कसी रले टव के यहां क गए थे, ता क राघव और कॉलेज के दो त दल
खोलकर मौज-म ती कर सक।
मने नजर घुमाकर राघव के दो त को दे खा। तीस लड़के, जनम से अ धकतर ने च मे
और पुरानी ट -शट पहन रखी थ और जो जॉब ऑफस के बारे म बकबक कए जा रहे थे
और केवल तीन लड़ कयां, जनके े स सस को दे खकर ही लग जाता था क वे कसी
इंजी नय रग कॉलेज क ह।
मने अपने लए रम और कोक क ड़ स तैयार क । फर म आइस खोजने लगा।
डाइ नग टे बल पर आइस नह थी, इस लए म कचन क ओर बढ़ चला। लंबी चो टय
वाली एक लड़क एक बड़े -से चॉकलेट केक पर मोमब यां सजा रही थी। उसक पीठ
मेरी तरफ थी। केक क डजाइन गयर-शे ड थी और उस पर सफेद मा जपन से लखा
आ था -है पी ेजएु शन।
‘गोपाल!’ आरती ने मुझे दे खते ही कहा। म ज से जैसे-तैसे आइस-टे र नकाल रहा
था।
उसक आवाज ने मुझे रोमां चत कर दया।
‘हम मले शायद,’ आरती ने कहा,’ एक साल हो गया होगा?’
म वाकई उसके संपक म नह था।’ हाय,’ मने कहा।
ऐसा नह है क म उससे र भागना चाहता था। ले कन मुझे उसके संपक म बने रहने
क कोई तुक भी नजर नह आती थी। मुझे लगता था क मेरे लए कं न साइट पर
मज र पर च लाना उसके मुंह से उसक डे ट्स के बारे म सुनने से यादा फायदे मंद था।
मने उसके कॉ स को नजरअंदाज करना शु कर दया था और ज द ही वह भी मुझसे र
हो गई।
‘हां, आई एम सॉरी, गलती मेरी ही है,’ मने कहा।’ म साइट पर ब त बजी हो गया
था।’
उसने मेरे हाथ से आइस- े ले ली, आइस-कसूर नकालने के लए उसे मरोड़ा और दो
यू स नकालकर मेरे लास म डाल दए।
‘म तुमसे सफाई नह मांग रही ं। म समझ सकती ं क म अब तु हारे लए इंपोटट
नह रही।’
‘यह सच नह है। मेरे पास मेरी साइट थी, तु हारे पास राघव था,’ मने कहा।’ हमारे
सामने अपनी-अपनी जद गयां थ और...’
‘मेरा बॉय ड है, इसका यह मतलब नह क वह मेरी पूरी जदगी बन गया है, ओके?’
आरती ने कहा।
‘वेल, वह लगभग तु हारी पूरी जदगी जैसा ही है, है ना?’ मने कहा।
मने उसे अपनी क ऑफर क । उसने मना कर दया। वह फर केक सजाने लगी।
‘ऐसा नह है। कोई भी इंसान आपके लए इतना इंपोटट नह हो सकता क आपक
पूरी जदगी बन जाए।’
‘ या बात है?’ मने कहा। ‘कुछ आ या?’
‘नह नह ,’ उसने कहा। मुझे लगा उसने नह कहने म कतई दे र नह लगाई थी। ‘सब
कुछ ब त अ ा चल रहा है। राघव ेजुएट हो गया है। उसे इंफो सस से जॉब का ऑफर
है। मेरा ए वएशन कोस भी ज द ही ख म होने वाला है। सब कुछ पहले क तरह मजबूत
है।’
‘ या?’ मने कहा।
‘हमारा र ता।’
‘हमारा?’
‘मेरा और राघव का,’ उसने कहा।
‘जा हर है,’ मने कहा।
उसने राघव के पास ले जाने के लए केक उठाया।
‘म अब तु हारे टच म र ंगा,’ मने कहा।
‘दै ट वुड बी नाइस। म पूरे एक साल से नाव म नह बैठ ं,’ उसने कहा और मु करा
द।
वही कं यू जग हड़बड़ाहट भरी आरती फर लौट आई थी। आ खर उसक बात का
या मतलब था? या वह हमारी नाव क सैर को मस कर रही थी? या वह मेरे साथ होने
को मस कर रही थी? या वह मुझे उकसाने क को शश कर रही थी या वह बस यूं ही बात
बना रही थी? म इ ह वचार म डू बा आ कचन से बाहर चला आया।
सभी राघव के इद- गद खड़े थे। उसके हाथ म चाकू था। आरती उसके पास खड़ी थी।
राघव ने केक काटा। सभी ने ता लयां बजाई और ट कया। मुझे लगा क शायद कसी
कॉलेज से ेजुएट होना वाकई बड़ी बात होती है। राघव ने केक का पहला टु कड़ा आरती
को खलाया। आरती ने भी उसे एक टु कड़ा दया।
जैसे ही राघव ने केक खाने को अपना मुंह खोला, आरती ने उसके चेहरे पर केक लगा
दया। सभी ने ठहाका लगाया और ता लयां पीट । मुझे लगा क म एक ऐसी जगह आ गया
ं, जहां मुझे नह आना चा हए था। आ खर म यहां कर या रहा ं? ये लोग मुझे बुलाते ही
कस लए ह?
‘ ीच! ीच!’ सभी चाहते थे क राघव कुछ कहे। आरती ने एक टशू लया और
उसका चेहरा प छ दया।
‘वेल, ड् स, आपके ेजुएशन पर आप सभी को कां े यूलेशन,’ राघव ने कहा।
‘हमने एक- सरे के साथ चार बेहतरीन साल बताए। अब जब हम जदगी म आगे बढ़ रहे
ह तो मुझे पूरा यक न है क हमारे दल म हमारे कै स के लए हमेशा एक खास जगह
बनी रहेगी।’
‘हम अब भी साथ ही रहगे, ड् यूड,’ एक च मीश लड़के ने उसे टोकते ए कहा,’
इंफो सस म।’
सात टू डट् स ने अपने गलास हवा म ऊपर उठाए। उन सभी को उस सॉ टवेयर
कंपनी से ऑफर आए थे।
‘चीयस!’ उ ह ने कहा।
राघव चुप रहा।’ ए चुअली, म कुछ अनाउं स करना चाहता ं,’ उसने कहा।’ म जॉब
नह क ं गा।’
‘ या?!’ सभी क हैरतभरी आवाज सुनाई द ।
‘हां, मने यह रहने का फैसला कया है,’ राघव ने कहा और अपना हाथ आरती क
कमर पर लपेट दया, ‘मेरे यार के करीब।’
‘हां, ठ क है,’ आरती ने राघव के गाल से आइ सग का एक ध बा प छते ए कहा।
‘सभी को सही वजह बताओ।’
‘ले कन यही तो सही वजह है,’ उसने खल खलाते ए कहा।
‘नह ,’ आरती ने लोग क ओर मुड़ते ए कहा, ‘ म टर राघव क यप यहां इस लए
क रहे ह, य क वे ‘दै नक’ म एक रपोटर क तरह जॉइन करना चाहते ह।’
लोग म हैरत भरी खुसफुसाहट दौड़ गई। राघव ने कॉलेज क प का संपा दत क थी
और उसने एक अखबार के लए इंटन शप भी क थी। बहरहाल, ब त कम लोग को यह
अंदाजा था क उसम इतना साहस होगा क वह इंफो सस का जॉब छोड् कर एक अखबार
का प कार बनना चाहेगा।
राघव अपने दो त से ब तयाने लगा। आरती केक क लाइस काटकर सभी को दे ने
लगी। संगीत फर जोर से गूंजने लगा। मने एक और क बनाया। म सोचने लगा क या
अब मुझे यहां से चल दे ना चा हए।
आरती ने मुझे कागज क एक लेट पर केक दया। मने मना कर दया।
‘तो तु हारा कॉलेज कब खुल रहा है?’ उसने पूछा।
‘तीन महीने बाद गंगाटे क के एड मशंस शु हो जाएंगे,’ मने कहा।’ रयली? कैन आई
अ लाई?’ वह हंस पड़ी।
‘य द तुम चाहो तो म तु ह यूं ही एक ड ी दे ं गा। तु ह लासेस अटड करने क भी
ज रत नह है,’ मने कहा।
‘ रयली?’ उसने अपनी एक अंगुली नचाते ए कहा।’ ठ क है, मुझे राघव क ही तरह
इले ॉ न स इंजी नय रग क एक ड ी दे दो। ले कन मुझे उससे बेहतर मा स चा हए।’
‘ योर,’ मने कहा।
वह और जोर से हंस पड़ी। मने पछले चार साल म आरती को भुलाने क ब त
को शश क थ , ले कन इसके बावजूद उसक एक ही हंसी मेरी साल क मेहनत को
नाकाम कर सकती थी। अचानक मुझे ऐसा लगा जैसे सब कुछ पहले जैसा ही हो, इस
दौरान हमारे बीच कुछ आ ही न हो।
ले कन मुझे जाना था। मने धीमे-से फुसफुसाकर कहा,’ अब मुझे चलना चा हए।’
‘ य ?’ उसने कहा,’ तुम अभी-अभी तो आए हो।’
‘म अपने आपको यहां फट नह महसूस करता।’
‘इट् स ओके। म भी इन सब लोग को कहां जानती ं। सभी नड इंजी नयस ह। चलो,
बालकनी म चलते ह।’
हम राघव क बालकनी म बैठ गए। म अपनी क क छोट चु कयां भरता रहा। हवा के
कारण आरती के बाल उड़कर मेरे चेहरे पर आ रहे थे। म उससे थोड़ा र खसक गया।
‘तुमने ए वएशन एकेडमी म अपना कोस पूरा कर लया?’ मने कहा।
‘हां, क फन दो माह पहले ही ख म हो गया था। म सभी एयरलाइंस के लए ए लाई
कर रही ं। दे खते ह वे लोग मुझे इंटर ू के लए बुलाते ह या नह ,’ उसने कहा।
‘ले कन वाराणसी म तो कोई एयरलाइन नह है।’
‘हां, मुझे द ली या मुंबई जाना पड़े गा। बगलु म भी एक नई लो-कॉ ट एयरलाइन
है। डपड करता है।’
‘ कस पर डपड करता है?’ मने पूछा।
‘इस पर क मुझे कहां जॉब मलता है। ऑफ कोस, अब चूं क राघव यहां है, इस लए
मामला कॉ लकेटे ड हो गया है।’
‘वह सरे शहर म भी प कार बन सकता है ना?’ मने कहा।
‘शायद,’ उसने अपने बाल को कान के पीछे करते ए कहा। ‘ले कन उसे वाराणसी
पसंद है। उसे इस जगह और यहां क सम या के बारे म पता है। तु हारी क कैसी है?
म एक सप ले सकती ं?’
मने उसे अपना लास दे दया।’ उसे इस’ दै नक’ के जॉब के लए कतना पैसा मलता
है?’ मने कहा। म जानना चाहता था क राघव कमा कतना रहा है।
उसने कुछ घूंट पए और लास अपने पास ही रखा।’ इंफो सस उसे जतना दे ता,
उसका एक तहाई,’ उसने कहा।
‘वॉव, और उसके पैरट् स को भी इससे कोई ऐतराज नह है?’
‘कैसे नह होगा! जब उसने उ ह बताया, तो वे तो आगबबूला हो गए। सवाल पैस का
ही नह है, वह अपनी इंजी नय रग क ड ी का कोई इ तेमाल भी नह कर रहा है। वे लोग
अब भी अपसेट ह।’
‘तो?’
‘तो या? उसे कसी बात क कोई परवाह नह है। उसका मानना है क हर रेवो यूशन
क शु आत घर से ही होती है। समाज केवल त भी बदलता है, जब घर के नयम -कायदे
तोड़े जाते ह।’
‘रेवो यूशन?’ मने कहा।
‘हां, उसका दमाग पूरी तरह से उसम लगा आ है। द ेट इं डयन रेवो यूशन। अरे, म
तो तु हारी पूरी क पी गई। आई एम सो सॉरी, उसने कहा और माफ मांगने के अंदाज म
मेरी बांह छू ली।
‘इट् स फाइन। म एक और बना -लूंगा। और तुम उसके कै रयर क चॉइस को लेकर
खुश हो?’
‘ऑफ कोस। मेरा मानना है क हम वही काम करना चा हए जो हमारा पैशन हो। म भी
तो ऐसा ही कर रही ं ना? ये अलग बात है क एक एयर हो टे स होना ां तकारी होने
जैसा नह है, ले कन फर भी, वह मेरे मन का काम तो है ही।’
‘और यह रेवो युशन एजै टली कस तरह क होगी?’ मने झ लाहट म कहा।
‘वेल, राघव को लगता है क भारत के लोग एक न एक दन वा त वक ां त करगे।
वह यही सोचता है।’
‘ य ?’
‘उसी से पूछो, वह तु ह बताएगा। को, म हमारे लए और ड़ स बना दे ती ं।’
वह फर भीतर चली गई। म बालकनी म ही इंतजार करता रहा। म घर म मौजूद
आ मतु सॉ टवेयर इंजी नयर से र रहना चाहता था। म उस दन क क पना करने
लगा, जब मेरे कॉलेज के टू डट् स को जॉब मलेगा। म सोचने लगा क या कभी बड़ी
सॉ टवेयर कंप नयां गंगाटे क म व जट करने आएंगी। ऑफ कोस, पहले तो हम एड मशन
शु करने ह गे।
वह एक े लेकर लौट । उसम दो ड़ स के साथ ही एक लेट भी थी जसम सड वच,
केक और आलू च स थ ।
‘मुझे लगा तु ह भूख लग आई होगी, उसने कहा। आरती हमेशा इसी तरह दे खभाल
करने वाली मां क तरह पेश आती थी।
‘थ स, मने अपना लास लेते ए कहा।
‘अब बताओ। तुमने मुझे य भुला दया?’ आरती ने कहा।
‘ कसने कहा क मने तु ह भुला दया है?’ मने कहा। हमारी आंख मल । तीन सेकंड
के बाद मुझे असहज लगने लगा। पहले मेरी ही पलक झपक ।
‘अब मेरे पास मोबाइल फोन है। तु ह मेरा नंबर चा हए?’ उसने कहा।’
योर, मने कहा। शु ला-जी ने मुझे सेलफोन दया था। हमने एक- सरे को अपने नंबर
दए।
‘म चलकर तु हारा कॉलेज दे खना चा ंगी,’ उसने कहा।
‘उसे खुल तो जाने दो। म उसके शुभारंभ पर काय म करवाऊंगा, मने कहा।
‘ या यह कॉलेज ही तु हारा पैशन है?’ उसने पूछा।
‘पता नह । ले कन जदगी ने मुझे इससे बेहतर मौका कोई सरा नह दया।’
‘ या तु हारे जीवन म कभी कोई पैशन रहा है, गोपाल? वह एक अद्भुत फ लग होती
है,’ आरती ने कहा।
म चुप रहा और उसक ओर दे खता रहा। वही तो मेरा पैशन थी।
‘कुछ भी?’ उसने पूछा।
‘पैसा, म खूब पैसा कमाना चाहता ं’ मने कहा।
उसने अपने हाथ को झटक दया।’ ओह कम ऑन उसने कहा’ यह पैशन नह है यह
एं बशन है।’
‘जो भी हो। चलो अब अंदर चलते ह।’ म खड़ा हो गया। म नह चाहता था क राघव
हम अकेला दे ख ले।
‘यह रहो ना,’ उसने मनुहार के अंदाज म कहा और मेरा हाथ ख चकर मुझे नीचे बठा
लया।’ हम इतने दन से नह मले ह। तु हारे जीवन म या चल रहा है? तु हारी कोई
गल ड है?’
मने सर हलाकर मना कर दया।
‘तु हारी कोई गल ड होनी चा हए। यार अद्भुत होता है। यह फ लग पैशन से भी
बेहतर होती है उसने कहा।
‘ यार करना केवल तभी अद्भुत होता है जब वह श स भी आपको यार करे, जसे
आप यार करते ह,’ मने कहा ले कन यह कहते ही मुझे अफसोस आ क मने ऐसा य
कहा।
‘आउच यह तो तुमने मुझी पर वार कर दया।’
‘आई एम सॉरी मने कहा।
‘वह ब त पुरानी बात हो गई है। और राघव और म एक- सरे के साथ खुश ह। ब त
खुश।’
‘अब हम अंदर चल?’ मने कहा।
‘य द तुम चाहो तो अपने लए भी कोई अ -सी लड़क खोज सकते हो, गोपाल।’
‘मुझे कसी चीज क ज रत नह ,’ मने कहा और सरी तरफ दे खने लगा।
उसने मेरी ठोड़ी पकड़ी और मेरे चेहरे को अपनी तरफ घुमा लया।’ तु हारे पास अपना
एक कॉलेज होगा और य द तकद र ने मेरा साथ दया तो म यादा से यादा एक घइट
अटडट बनकर लोग को च स सव करती र ंगी। तुम एक बेहतर लड़क खोज सकते हो।’
‘तुम से भी बेहतर लड़क ?’ मने कहा।
‘ ब कुल,’ उसने कहा।
‘यह मुम कन नह है, आरती, मने कहा। इससे पहले क वह कुछ कह पाती म फर
उठ खड़ा आ और पाट म चला गया।
म राघव के पास गया और उससे कहा क मुझे एक कांटेर टर से मलना है, इस लए
मुझे जाना होगा। ऐसा लगा जैसे उसे इससे कोई फक नह पड़े गा। म उसके अपाटमट से
बाहर आया और नीचे चला आया। आरती मुझे पुकारती ई मेरे पीछे चली आई।
मने पीछे मुड़कर दे खा।’ या है?’ मने कहा।
‘कह ऐसा तो नह क तु हारे मन म अब भी मेरे लए कसी तरह क फ ल स ह?’
मने कसकर थूक नगला।’ कतई नह , मने कहा और तेजी से बाहर चला गया।
19
एआईसीट ई का अ ूवल ब कुल सही समय पर आ गया, जैसा क ोफेसर ीवा तवा ने
वादा कया था। अब एड मशन ओपन करने से पहले हम एक और आ खरी काम करना
था। हम टे ट यू नव सट का ए फ लएशन चा हए था। कुलप त मंगेश तवारी महीन से
हमारी ए लकेशन पर कुंडली मारकर बैठे ए थे।
हम शु ला-जी के घर पर थे।’ ए फ लएशन यादा मु कल काम नह है। हम माकट
रेट से दोगुना ऑफर कर रहे ह, ले कन मंगेश मान नह रहा है,’ बेद ने कहा।
‘ कतना मांग रहा है वो?’ शु ला-जी ने पूछा।
‘बात केवल पैसे क ही नह है। वह हम लोग को पसंद नह करता। वह हमारे फोन
तक नह उठा रहा है,’ बेद ने कहा।
‘सॉ यूशन या है?’ मने कहा।
‘कॉ टै ट् स का इ तेमाल करो। हो सके तो नॉन-पॉ ल टकल कॉ टै ट् स। वह हमारे
डीएम का कॉलेज बैचमेट है,’ बेद ने कहा।
‘म डीएम क बेट को जानता ं। मेरी पुरानी दो त है,’ मने कहा।
‘वेल, जो बने वो करो। म कसी भी हाल म अगले ह ते तक एड मशन ओपन चाहता
ं। हर अखबार म फुल-पेज व ापन दे दो,’ शु ला-जी ने कहा।
‘ड ट वरी, अगले र ववार तक वाराणसी केवल गंगाटे क के बारे म ही बात कर रहा
होगा,’ मने कहा।
‘यह तो उसी पर नभर करता है,’ अशोक ने कहा। उ ह ने फोन उठाया और अपनी
से े टरी से कहा क राघव को अंदर भजवा दे ।
पांच मनट बाद राघव ने दरवाजे पर द तक द ।
‘सर, आपने मुझे बुलाया?’ राघव ने कहा। फर उसने मुझे दे खा।’ हे, गोपाल। तुम
यहां?’
‘आप लोग एक- सरे को जानते ह?’ अशोक ने कहा, उनक एक भ ह तन गई थी।
‘इसने मेरा इंटर ू लया था, मने कहा।
राघव मेरे खे-से जवाब से हैरान आ। वह समझ गया क म यादा याराना नह
दखाना चाहता ं।
‘ या बात है?’ उसने कमरे के गंभीर माहौल को भांपते ए पूछा।
शैलेष ने पूरी कहानी सुनाई।
‘माफ ?’ राघव ने कहा।’ गोपाल, तुम चाहते हो क म तुमसे माफ मांगू
‘आप दोन एक- सरे को इससे पहले भी जानते थे?’ अशोक ने राघव के बात करने के
लहजे से अंदाज लगाते ए कहा।
‘हम एक ही कूल म थे,’ मने कहा।
‘और हमने एक ही डे क पर बैठकर पढ़ाई क है। हम ब त गहरे दो त रहे ह,’ राघव ने
कहा।’ तुम इ ह यह य नह बताते?’
‘म इ ह यह य नह बताता क तुमने मुझसे मेरी आरती छ न ली, यू एस-होल,’ म
कहना चाहता था। या यह क’ तुम मेरी कामयाबी से इतना जल गए क तुमने एक
स ड़यल -सा आ टकल लख मारा।’
ले कन मने कहा,’ ये ाचार के आरोप बेबु नयाद ह। और कसी कॉलेज क
ोफाइल म उनका ज करने क कोई ज रत नह थी।’
‘मुझे बैल लेख लखना था, ‘राघव ने कहा।’ शु ला जाना-माना गुंडा है।’
‘बकवास,’ मने जोर से कहा।
‘ म टर गोपाल, कृपया अपनी आवाज नीचे र खए। राघव, तु ह अपनी हर खबर म
ए ट व ट बनने क ज रत नह है, अशोक ने कहा।
‘सर, मने बामु कल ही कुछ लखा था। मसाल के तौर पर कॉलेज क इमारत बनने म
जो अ नय मतताएं ई, उनका तो मने ज तक नह कया।’
‘कोई अ नय मतताएं नह ई ह। हमारे सारे ला स अ ू ड ह,’ मने कहा।
‘और शु ला ने ये अ ूवल कैसे लए? खैर, मने इस सबके बारे म कुछ भी नह लखा
है।’
‘यहां तक क गंगा ए यान लान भी अब एक पुरानी खबर है, राघव,’ अशोक ने
कहा।’ जब तक तु हारे पास नए, ठोस सबूत न ह , उसे बार-बार दोहराने का कोई मतलब
नह है। हम इस तरह लोग के नाम पर बट् टा नह लगाते रह सकते।’
राघव ने अनमने ढं ग से अपने बाल म अंगु लयां घुमाई।’ फाइन, जब तक मुझे कोई
ठोस सबूत नह मल जाते, म कुछ नह क ंगा। या म अब जा सकता ं?’
‘तुमने गोपाल सर से माफ नह मांगी, शैलेष ने कहा।’ गंगाटे क हमारा लाइंट है।’
‘ए डटो रयल केवल गंभीर गल तय के लए माफ मांगता है, राघव ने कहा।
‘या जब चीफ ए डटर माफ मांगने को कह, तब,’ शैलेष ने ठोस आवाज म कहा।
राघव ने अशोक क ओर दे खा। वे चुप रहे।
‘सर, आप आ खर कैसे...’ राघव ने अपनी बात शु क।
‘राघव, बात को यह ख म करो। मुझे एक घंटे म अगला ए डशन छोड़ना है,’ अशोक
ने कं यूटर न क ओर मुड़ते ए कहा।
तकरीबन दस सेकंड तक खामोशी छाई रही।
‘आई एम सॉरी राघव ने ठं डी सांस लेते ए कहा।
‘इट् स ओके,’ मने कहा, ले कन राघव तब तक कमरे से बाहर जा चुका था।
23
‘तु हारी राघव से बहस ई थी?’ आरती ने कहा। उसने मुझे हमेशा क तरह दे र रात फोन
लगाया था।
‘उसने तु ह बताया?’ मने कहा।
‘मने बस इतना ही कहा था क हम तीन को कह मलना चा हए और उसने तो मेरी
जान ही ले ली, उसने कहा।
‘अरे नह ! तु हारी जान मुझे यारी है,’ मने कहा।
‘होटल अगले ह ते खुल रही है। मने सोचा क म पर मशन लेकर तुम दोन को होटल
खुलने से पहले ही वहां घुमा लाती। वह बेहद खूबसूरत है,’ उसने कहा।
‘तुम उसे अलग से भी दखा सकती हो,’ मने कहा।
‘ या बात है?’ आरती ने कहा।’ तुम उससे मले थे ना? आ खर मुझे कोई कुछ बताता
य नह ?’
‘वह काम से संबं धत बात थी। डट वरी। अब सब ठ क हो गया है।’
‘तुम कहते हो तो मान लेती ं। कल आ सकते हो?’
‘ ब कुल।’
‘गुड नाइट, डायरे टर साहब!’
राघव मुझसे अपनी पछली मुलाकात के बाद से मेरी जदगी से र था। हालां क वह अपनी
हरकत से फर भी बाज नह आया।
‘वाराणसी नगर नगम पैसा खाती है, ब स धोखाधड़ी करते ह’ राघव क यप,
टाफ रपोटर
लेख म लखा था, ‘बड़ी अजीब बात है क अनुपयु अ ूवल और उनके कारण
होने वाले गैरकानूनी नमाण हमारी आंख के ऐन सामने ह। ाचार के सरे
मामल , जहां क करतूत छपी ई रहती है (जैसे गंगा ए यान लान
घोटाला) से उलट नमाण के इन मामल म खुले सबूत हमारे सामने ह। खेती क
जमीन पर कॉलेज बना दए जाते ह, जो मनचाहा नमाण करने के लए सभी
नयम-कायद को ताक पर रख दे ते ह। ज द ही कॉलेज के पास म मल ह गे।
राजनेता का काम होता है हमारी र ा करना और इन तमाम हरकत पर रोक
लगाना, ले कन अ सर वे ही इन तमाम चीज गैरकानूनी चीज के पीछे होते ह।
इतना ही नह , शहर म नई होटल, रहवासी टॉवस और द तर क इमारत भी बन
गई ह, जनके नमाण से वीएनएन ने मुनाफा खाया है। हमारे पास इस बात के
सबूत ह क वा तव म कस नमाण क अनुम त द जानी चा हए थी और उसक
तुलना म वीएनएन ने कन नमाण को अनुम त द है...’
मुझे राघव को फोन नह लगाना चा हए था। ले कन म आधी रात को उसे फोन लगाने से
खुद को रोक नह पाया। म दे खना चाहता था क या अब बेरोजगार होने के बाद भी वह
पहले जैसा दलेर बना रह सकेगा। मेरे दाएं हाथ म ह क का एक बड़ा-सा गलास था
और बाएं हाथ म फोन था।
मने सोचा था क वह मेरा फोन नह उठाएगा। ले कन उसने ज द ही मेरा फोन उठा
लया।
‘तुम चाहते हो क म एक बार फर माफ मांगूं ये उसके पहले श द थे।
‘हाय, राघव, मने शांत आवाज म कहा।’ या चल रहा है?’
‘ ब कुल ठ क। तु ह इतनी रात गए फोन लगाने क ज रत य महसूस ई?’
‘मुझसे अपसेट मत होओ,’ मने कहा।
‘हम केवल उन लोग के बारे म अपसेट होते ह, जनक हम परवाह करते ह, ’ राघव ने
कहा।
‘तुम अपने जॉब क तो परवाह करते थे ना?’
‘बाय, गोपाल,’ उसने कहा।
‘मने तु ह पहले ही कह दया था क हमारे बारे म ऊटपटांग बात मत लखना, मने
कहा।
‘मुझे तुमसे पूछने क ज रत नह है क म अपना काम कैसे क ं ।’
मने ह क का एक बड़ा-सा घूंट लया।’ अरे हां, तुम मुझसे पूछते भी कैसे? एक
बीएचयू पासआउट मुझ जैसे गंवार से राय लेगा?’
वह चुप रहा। मने अपना गलास भरा। ह क के कारण म अपने आपको इतना
का फडट महसूस कर रहा था, जतना पहले कभी नह कया था।
‘सवाल एजुकेशन का नह है। सवाल इस बात का है क तुम कस तरह के आदमी बन
गए हो। मुझे तो भरोसा ही नह होता!’
‘अमीर। कामयाब। तु ह भरोसा नह होता, है ना? जब क जस आदमी ने जेईई
लीयर कर लया था, वह आज बेरोजगार है।’
‘मुझे कोई न कोई नौकरी मल जाएगी। और म तु हारे उस वधायक को बता ं गा क
कसी अखबार के दे नी को नौकरी से बाहर करवा दे ने का यह मतलब नह होता क वह
सच पर परदा डालने म कामयाब हो जाएगा।’
‘म तु ह नौकरी दे सकता ं, राघव। मेरे लए काम करना चाहोगे?’ मने जवाब म केवल
फोन रखने क लक सुनाई द ।
‘रेवो युशन 2020, ’ आरती ने कहा। उसने अपना चेहरा अपने हाथ म भर रखा था और
उसक कोह नयां टे बल पर टक थ ।
हम रमाडा होटल क कॉफ शॉप म आए थे। यह उसका ऑफ-डे था ले कन वह रेगुलर
कपड़ म क टमर क तरह रे टोरट् स म आ सकती थी। वेटस उसे पहचान कर मु करा दे ते
और वह भी मु कराकर जवाब दे ती। राघव का जॉब छू टने के बाद से वह मुझसे यादा नह
मल पा रही थी। आ खर, उसके वीकली ऑफ के दन मने उसे मलने के लए राजी कर
लया।
‘मतलब?’ मने कहा।
‘यह मत पूछो।’ रेवो यूशन 2020’ -जब म तुमसे यह क ं तो सबसे पहले तु हारे
दमाग म या आता है? यह या हो सकता है?’
वह मेरे जवाब का इंतजार कर रही थी। उसक पलक झपक । मने दे खा क एक
सपल-सी ऑरज ट -शट और काली ज स म भी वह कतनी आकषक लग रही थी।
‘एक नया रे टोरट? रमाडा खोल रहा है?’
वह हंस पड़ी।
‘इसम हंसने वाली या बात है?’ मने कहा।’ आ खर यह’ रेवो यूशन 2020’ है या?’
‘यह एक नया अखबार है। राघव का अखबार।’
‘उसका खुद का अखबार?’ मने हैरत से कहा।
‘हां। उसने तय कया है क अब वह और कोई जॉब नह करेगा।’
वैसे राघव अगर चाहता तो भी उसे वाराणसी म कोई मी डया जॉब नह मल सकता
था, कम से कम टॉप के अखबार म तो कतई नह । शु ला-जी ने सभी बड़े संपादक को
उसे नह लेने के बारे म कह दया था। न त ही, आरती को यह सब नह पता था। उसे तो
यह भी नह पता था क राघव क नौकरी य गई।
‘राघव ने कहा क’ दै नक’ ने उसे बना कोई कारण बताए नौकरी
से बाहर कर दया। या यह ठ क है?’ उसने कहा।
‘हर जगह राजनी त होती है। वह धीरे-धीरे सीख जाएगा क कैसे फट आ जाए, मने
कहा।
‘ले कन वह फट नह होना चाहता। वह जन ल म को बदलकर रख दे ना चाहता है।
वह उसके नाखून पैने करना चाहता है,’ आरती ने कहा।
हमने कॉफ ऑडर क । कॉफ के साथ ही वेटस ने हम ताजा बेक क ई कुक ज और
म फ स भी दए।
‘ या हमने यह सब ऑडर कया था?’
‘कॉ टै ट् स,’ उसने कहा और मुझे दे खकर आंख मार द ।
‘ले कन वह अखबार कैसे शु कर सकता है?’ मने कहा।’ उसके लए तो पैसा
चा हए।’
‘सवाल पैसे का नह , कंटट का है,’ आरती ने कहा और कॉफ क एक चु क ली।
उसके ह ठ पर झाग क एक ह क -सी परत लगी रह गई।
‘आरती, तुम वाकई इन बात म यक न करती हो? तुम तो ै टकल लड़क हो।’
‘इट् स फाइन, गोपाल। तुमने भी तो कॉलेज खोला। तो वह अखबार य नह नकाल
सकता?’
‘मेरे पीछे कोई मेरी मदद करने वाला था। व धायक शु ला, जसके पास पैसा और
कने यांस थे।’
‘वह उससे नफरत करता है। राघव कहता है क शु ला से यादा राजनेता
वाराणसी म कोई सरा नह आ,’ आरती ने कहा।
‘यह तो केवल अटकलबाजी है, मने कहा।’ या नया म कोई ऐसा कामयाब आदमी
आ है, जसक आलोचना नह ई हो? शु ला हाई- ोफाइल है और लगातार आगे बढ़
रहा है। इसी लए लोग उसे नीचे लाने क को शश कर रहे ह।’
‘ओके, अब राजनी त पर बात करना बंद करते ह।’ आरती ने कहा।’ हमारे प रवार म
मेरे दादाजी के साथ ही राजनी त क परंपरा ख म हो गई है।’
‘तुम चाहो तो राजनी त जॉइन कर सकती हो,’ मने कहा।’ लोग अब भी तु हारे दादाजी
को याद करते ह।’
उसने अपना हाथ उठाया और झूठमूठ म नारे लगाते ए कहा,’ मुझे वोट द जए, म
आपको कॉफ के साथ मु त कुक ज ं गी।’ फर वह मु करा द ।’ नो थ स। म रमाडा म
ही खुश ं।’
म भी मु करा दया।’ एनीवे, तो आ खर वह एजै टली कस तरह अपनी रेवो यूशन
शु करेगा? रेवो यूशन.., या बताया था तुमने?’
‘’ रेवो यूशन 2020’। यही उसका मकसद है। उसका मकसद है क साल 2020 तक
भारत म ां त हो। नौजवान के हाथ म स ा हो। हम स टम को व त कर दगे और
एक नया स टम बनाएंगे।’
‘और वह इस ां त क शु आत वाराणसी से करेगा?’ मने यादा से यादा अ व ास
कट करते ए कहा।
‘येस, ऑफ कोस। बड़े शहर के ब को स टम से कोई द कत नह है। उ ह अ े
कॉलेज मलते ह, अ े जॉब मल जाते ह। ऐसे म ां त तो कसी छोटे शहर से ही शु
होगी।’
‘उसने कम से कम तुमको तो राजी कर ही लया है मने कहा।
‘इससे बेहतर और या होगा क हम एक ऐसे शहर से शु आत कर, जो लोग को
तन-मन से शु करने के लए जानी जाती है?’ उसने कहा।
वह ब त जोशोखरोश से बात कर रही थी। शायद उसे राघव क यही बात अ
लगती थी। उसे जदगी के त उसका ज वाती रवैया अ ा लगता था, फर चाहे वह
कतना ही हवा-हवाई य न हो। वैसे भी लड़ कयां वा त वकता को इतना पसंद नह
करत । न ही ावहा रक सवाल म उनक यादा दलच ी होती है।
‘ले कन यह अखबार चलेगा कैसे? ां त होने तक टग, कागज और चार का पैसा
कौन दे गा?’
वह ब त ज द गंभीर मु ा म आ गई।’ शु आत म यह एजै टली कसी अखबार जैसा
नह होगा। यह ब त कुछ यूजलेटर क तरह होगा। केवल एक बड़ी-सी शीट।’
‘ओके?’ मने उसे अपनी बात जारी रखने को कहा।
‘पेपर के एक तरफ मे मो नय स ह गे। वाराणसी के लोग शाद तय करना ब त पसंद
करते ह। तो वह ानीय वर-व धु के लए वहां व ापन छापेगा। शु म व ापन मु त
ह गे, बाद म वह उनके लए पैसे लेगा। शायद वह नौक रय के कुछ व ापन भी छापेगा।’
‘लोग कसी ा पत अखबार म व ापन दे ना य नह चाहगे?’
‘’ रेवो युशन 2020’ के व ापन के रेट्स ब त कम ह गे और वे पूरी तरह ानीय
ह गे। लोग अपनी गली म भी वर-व धू क खोज कर पाएंगे।’
मने सर हला दया।
‘अखबार के सरी तरफ राघव ानीय खबर छापेगा। और चूं क यह कोई ॉपर
अखबार नह होगा, इस लए राघव बे धड़क होकर और टग ऑपरेशंस कर सकेगा।’
‘हां, उसे यह सब करना ब त अ ा लगता है, मने सहम त जताते ए कहा।
‘तो बस इतनी ही बात है। छपाई क लागत ब त कम होगी, य क शु आत म हम
केवल एक ही बड़ी शीट छापगे। वह शु आती व ापन के लए मं दर से संपक करेगा।
दे खते ह। तु ह नाम पसंद आया?’
मने कंधे उचका दए। वह अपना म फन कुतरने लगी।
‘सभी क जदगी का कोई न कोई मकसद होता है, गोपाल, आरती,’ ने कहा। उसके
मुंह म म फन भरा आ था।’ तु हारे पास अपना कॉलेज है, उसके पास अपना यह
अखबार होगा।’
‘ले कन यह अखबार कभी पैसा नह कमा सकेगा,’ मने कहा।
‘तो या आ?’ उसने अपना म फन मेरी ओर लहराते ए कहा।’ पैसा सब कुछ तो
नह होता।’
‘जब हम कसी फाइव टार होटल म केक खा रहे ह , तब यह कहना आसान होता है
मने कहा।
वह बनावट हंस द और अपना म फन नीचे कर लया।
‘मुझे तो पैसा पसंद है, मने कहा।
‘इसम कुछ गलत भी नह है। मेरी तो सी धी सोच है -चाहे पैसा हो या रेवो युशन,
सभी को अपने दल क बात सुननी चा हए।’
‘कभी-कभी आपका दल आपको मुसीबत म भी डाल सकता है, मने कहा।
वह क गई और मेरी ओर दे खा। वह मेरी बात को समझने क को शश कर रही थी।’
आह,’ उसने च कत होने का दखावा कया ‘, ‘नाइस, तुम फर से तीर छोड़ रहे हो ना?’
‘ ब कुल नह ,’ मने कहा। मने बल बुलवाया। बल पर 20 फ सद टाफ ड काउं ट
था।
हम लॉबी म चले आए।’ या तु ह ज द जाना है?’ मने कहा।
‘कोई ब त ज द तो नह है। य , या बात है?’
‘मने साल भर से नाव क सवारी नह क है,’ मने कहा।
26
अ सी घाट के मेरे फेवरेट बोटमैन फूलचंद ने मुझे र से ही पहचान लया। मुझे फॉमल सूट
म दे खकर उसे अ ा लगा। उसने हमारे लए नाव खोल द । मने नाव पर चढ़ने म आरती
क मदद क और फूलचंद को ए ा सौ पय क ट प द । उसने मेरे हाथ म कागज क
एक छोट -सी पु ड़या थमा द ।
‘ये या है?’
‘अ चीज है। म इसे अघोरी साधु से लाया ं। आपके पास मा चस होगी?’
म समझ गया क उसने मुझे या दया है। आरती भी समझ गई और मुझे दे खकर
अथपूण ढं ग से मु कराई। मने पान क कान से कुछ सगरेट और मा चस खरीद ।
मने पानी म च पू चलाना शु कर दया और आरती और म धीरे-धीरे घाट से र जाने
लगे।
‘ कतना समय हो गया। म इसे ब त मस करती थी, राघव ‘,उसने कहा।
‘गोपाल,’ मने बना उसक ओर दे खे उसक गलती सुधारते ए कहा।
‘ या? मने राघव कह दया? ओह, सॉरी। आई एम सो सॉरी। मेरा यह मतलब नह
था...’
‘इट् स ओके,’ मने कहा।
म नाव को नद के सरे कनारे क ओर खेने लगा। मुझे च पू चलाने म मु कल आ
रही थी। अब मेरी बांह उतनी मजबूत नह रह गई थ , जतनी वे पहले आ करती थ ।
पहले म अ सर नाव चलाया करता था। वाराणसी के मु य घाट एक सरे से सरे सरे तक
मं दर और पुरानी इमारत से भरे पड़े ह। नद के सरी ओर मौजूद नम रेत के कनारे
उनक तुलना म यादा अकेलेपन से भरे लगते ह। उस तरफ चाय क एक छोट -सी कान
थी, जो कभी-कभार उस तरफ चले आने वाले पयटक को चाय पलाती थी। मने एक पेड़
के तने से नाव बांध द । शाम के सूरज के कारण वाराणसी का आकाश नारंगी हो गया था।
‘कुछ दे र चहलकदमी करते ह, आरती ने बहती हवा को महसूस करने के लए अपना
हाथ उठाते ए कहा।
हमने सरी तरफ मौजूद चहल-पहल भरे घाट को दे खा। हम वहां ब त कुछ होता
नजर आ रहा था ले कन हम कुछ सुन नह पा रहे थे। हम कुछ दे र टहलते रहे और फर
चाय क कान म जाकर टू स पर बैठ गए।
‘फूलचंद ने जो दया है, वह पओगे?’
‘य द तु ह ऐतराज न हो तो, मने कहा।
उसने कंधे उचका दए। मने सगरेट का पैकेट खोल लया। उनम से एक सगरेट क
तंबाकू बाहर नकाल द और उसम सूखी चरस डाल द । फर मने सगरेट सुलगाई और
एक कश भरा।
‘म भी ाय कर सकती ं?’ उसने कहा।
मने सर हलाकर मना कया।
उसके फोन क घंट बजी। उसने बैग से फोन नकाला। न पर नजर आ रहा था
-राघव कॉ लग।
‘ श! चुप रहना, ‘उसने मुझे इशारा कया।’ हाय‘, उसने फोन उठाकर कहा। फर
वह कुछ दे र तक राघव क बात सुनती रही।
‘यह तो ब त अ ा है। ठ क है पेपर म पं डत-जी क त वीर डाल दो। वे ब त खुश
हो जाएंगे। वे तु ह शाद लायक सभी लड़के-लड़ कय क ल ट दे दगे, उसने कहा और
खल खला द ।
‘हां, उसने अपनी बात जारी रखी,’ म अब भी होटल म ही ।ं यह ब त खराब इंड
है, ऑफ-डे पर भी काम करना पड़ता है... हां, पूरी बस भरकर च टू र ट् स आ धमके ह।’
उसने बात करते-करते मुझे इशारा कया क म धैय रखूं। मने सर हला दया। म
आकाश क ओर दे खने लगा, जसका रंग अब गहरा हो रहा था।
‘येस, बेबी, आई मस यू,’ आरती ने कहा और फोन रख दया। फर वह सगरेट का
टु कड़ा ढूं ढने लगी।
‘ या?’ मने कहा।
‘मुझे भी एक कश लेना है।’
‘पागल हो गई हो या?’
‘ य ? य क म लड़क ं? तुम तो ब कुल वाराणसी के पु ष क तरह बताव कर
रहे हो,
‘तु हारे मुंह से उसक बू आएगी।’
‘म सी धे जाकर शॉवर ले लूंगी। और फर आ खर बनारसी पान कस लए बने ह? म
घर जाने से पहले एक जी धत पान खा लूंगी, उसने कहा।
मने उसे सगरेट का टु कड़ा दे दया। उसने कुछ कश लए।’ ऐसा लगता तो नह क
मुझ पर इसका कोई असर आ हो,’ उसने भुनभुनाते ए कहा।
हमने चाय पी और उठ खड़े ए। वह नद के पास चली आई।
‘आओ, पानी म आरती के दये दे खते ह, उसने कहा।
‘दे र हो गई है, मने कहा।’ हम अब चलना चा हए।’
‘मुझे यहां अ ा लग रहा है। आओ ना, ’ उसने कहा और रेत पर बैठ गई। फर वह
धरती को थपथपाने लगी।
म भी उसके पास बैठ गया।’ तु हारा फोन फर बज उठे गा, मने कहा।
‘बजने दो, उसने कहा।’ जब वह’ दै नक’ म काम करता था, तब कभी मुझे कॉल नह
करता था। अब चूं क वह है, इस लए फोन लगाता रहता है। उसका’ रेवो यूशन 2020’
शु होने तक को।’
‘ या वह वाकई उसके बारे म सी रयस है?’ मने अ व ास जताते ए कहा।
‘अरे हां। दो ह ते बाद उसका पहला अंक छपकर आ रहा है, उसने कहा।
मने अपनी सगरेट ख म क और प व गंगा को नहारने लगा। पूरी नया इस नद म
अपने पाप धोने आती है। या उ ह ने कभी सोचा क वे अपने पीछे जो पाप छोड़ जाते ह,
उनके सा थ वाराणसी के लोग कैसे जीते ह गे? चरस ने मुझे फलासॉ फकल बना दया
था।
मने अपनी अंगु लयां चटकाई और अपने आपको वापसी के लए तैयार करने लगा।
आरती ने मेरा दायां हाथ उठाकर अपनी गोद म रख लया और उसे सहलाने लगी।
मने उसक ओर हैरत से दे खा।
‘अ ा लग रहा है ना?’ उसने कहा।
मने कुछ नह कहा। एक श द भी नह । ले कन मने अपना हाथ भी नह ख चा।
आकाश म चांद उग आया था।
‘पू णमा क रात है,’ उसने धीमे -से कहा।
हमारे नीचे रेत थी। उसका चेहरा चांदनी म चमक रहा था... अचानक वह ज द -ज द
आंख झपकाने लगी।
‘यू ओके?’ मने कहा।
उसने सर हला दया, ले कन वह अब भी अपनी आंख झपका रही थी। रेत का एक
कण उसक आंख म चला गया था। मने अपना हाथ छु ड़ाया और उसके चेहरे को अपने
हाथ म भर लया।
‘अपनी आंख खोलो,’ मने कहा।
उसने फर सर हला दया।
‘आंख खोलो आरती,’ मने कहा। मने दोन हाथ म उसका सर थाम रखा था।
उसने अपनी दाई आख खोली। मने उसम फूंक मार द ।’ तुम ठ क हो?’ मने कहा।
उसने हामी भरी। उसक आंख फर मुंद गई। मने उसे ससकते ए सुना।
‘तु ह तकलीफ हो रही है या?’ मने कहा।
अब वह सुबकने लगी और मेरे कंधे पर अपना माथा टका दया।
‘ या बात है, आरती?’
‘मुझे राघव के बारे म डर लग रहा है। कह वह जदगी म नाकाम न हो जाए।’
मने उसके सर को थामे रखा था। उसने अपना चेहरा मेरे सीने म छु पा लया। उसे
उसके बॉय ड के बारे म दलासा दे ना अजीब था, ले कन मुझे अ ा लग रहा था क वह
मेरे इतने करीब थी।
‘वह ठ क हो जाएगा। म उससे नफरत ज र करता ं, ले कन वह का बल लड़का है।
उसे कुछ नह होगा। वह बस थोड़ा-सा गैर ावहा रक है, ले कन दल का बुरा नह है,’ मने
कहा।
उसने अपना सर उठाया। वह मेरी ओर भरोसे के साथ दे ख रही थी।
म उसके बाल को सहलाता रहा। ‘तुम मेरी कतनी केयर करते हो। म यह मस करती
ं,’ उसने कहा।
हमारे चेहरे एक- सरे के बेहद करीब थे। म उसके इतने करीब होने के कारण त रह
गया था। म कुछ बोल नह सका।
‘ऐसा कोई नह है, जससे म ऐसी बात कर सकूं। थक यू,’ उसने कहा।
गंगा क बूंद हम पर पड़ रही थ । म अपने चेहरे को आगे बढ़ाने से रोक नह सका।
हमारे ह ठ मले। उसने मुझे नह चूमा। ले कन वह पीछे भी नह हट । ले कन ज द ही,
ब त ज द, उसने मुझे पीछे धकेल दया।
‘गोपाल!’ उसने कहा।
मने कुछ नह कहा। कुछ हद तक मुझे यही उ मीद थी। वा तव म, म तो चाहता था क
वह मुझ पर और नाराज हो।
‘आई एम सॉरी’ मने कहा और सरी तरफ दे खने लगा। र आरती के दये नद के
पानी म डू ब-उतरा रहे थे, मानो मुझे उलाहना दे रहे ह ।’
‘चलो, अब चलते ह। मुझे दे र हो रही है उसने कहा। वह फौरन उठ खड़ी ई और तेज
कदम से नाव क ओर चल पड़ी। मने चायवाले को पैसे दए और उसके पीछे दौड़ा।
‘मुझे तु ह सरे छोर पर लेकर जाना है। तुम इस तरह र नह भाग सकत ,’ मने
कहा।
वह चुप रही। ले कन उसने मेरी ओर दे खा तक नह । ठ क है, मने गलती क , ले कन
उसे भी मेरे साथ ऐसा नह करना चा हए था। कुछ पल पहले तक वह मेरा हाथ सहला रही
थी और मेरे सीने म अपना चेहरा छु पाकर रो रही थी। ले कन अभी वह नाव म मुझसे ब त
र बैठ थी।
म जोर से च पू चलाकर नाव खेने लगा।
‘म पहले ही सॉरी बोल चुका ं’ मने बीच रा ते म कहा।
‘ या हम चुप नह रह सकते, लीज?’ उसने कहा।
नाववाले ने हमारा उखड़ा आ मूड भांप लया।
‘माल अ ा नह लगा?’ फूलचंद ने पूछा। मने कोई जवाब नह दया। आरती जाने
लगी।
‘कहां जा रही हो? म तु ह घर छोड़ आऊंगा, मने कहा।
‘म ऑटो ले लूंगी,’ उसने कहा और मेरी नजर से ओझल हो गई।
27
‘एक ऐसे समाज के बारे म आपको या कहना है, जसके सबसे बड़े नेता ही
सबसे बड़े गुंडे ह? आप कसी ऐसे स टम म या करगे, जहां स ा म बैठा
लगभग हर आदमी है? भारत ने ब त तकलीफ झेल ली है। बचपन से ही हम
बताया गया है क भारत एक गरीब दे श है। य ? इस नया म ऐसे भी तो दे श ह,
जहां एक औसत आदमी एक औसत भारतीय क तुलना म पचास गुना आइ धक
कमाई करता है। पचास गुना? या उन दे श के लोग वाकई हमसे पचास गुना
यादा का बल ह? या कोई भारतीय कसान कड़ी मेहनत नह करता? या कोई
भारतीय छा जमकर पढ़ाई नह करता? या हम जदगी म कुछ कर गुजरना नह
चाहते? य , फर आ खर य हम गरीब बने रह?’
मुझे राघव क इन बात पर हंसी आ गई। मने अपनी सुबह क चाय चु कयां ल और आगे
पढ़ने लगा।
‘आपका
राघव क यप
संपादक’
जब मने लेख के नीचे कसी नौ स खये ारा बनाया गया भारत का एक नवा दे खा तो मुझे
हंसी आ गई। न यो म वाराणसी पर एक डॉट लगा था और तीर के नशान उसे सरे शहर
से कने ट कर रहे थे। न यो के साथ ही एक छोटा-सा’ रेवो यूशन 2020 संभा वत
योजना’ भी अटै च थी। अलग-अलग शहर म ऐसे कॉलेज को सूचीब कया गया था,
जहां से ां त शु होनी थी।
मेरा अकाउं टट खात पर मेरे द तखत लेने के लए आया। मुझे मु कराता ए दे खकर
वह सोच म पड़ गया।
‘ या आ, सर? जो स पढ़ रहे ह?’ उसने कहा।
मने सर हलाकर हामी भर द ।
ं ट पेज पर यह खुलासा भी कया गया था क वाराणसी क याकम क साम ी क
कान म चंदन क लकड़ी के नाम पर नकली लक ड़यां बेची जा रही ह, जन पर सथे टक
पर यूम से े कर दया जाता है।
मेरे अकाउं टट ने गुलाबी रंग का वह पेपर दे खा।
‘यह कोई व ापन है या पो टर?’ उसने पूछा।
‘पता नह यह या है, मने कहा।
मने’ रेवो युशन 2020’ को पलटा और अपनी हंसी नह रोक पाया। जहां ं ट पेज पर
बड़े बड़े धमाके कए गए थे, वह बैक पेज पर वैवा हक के व ापन थे। म एक व ापन
को जोर से पढ़ने लगा।
‘आव यकता है -प ीस वष य वर के लए सुंदर, सु श त, गोरी, घरेलू कुंआरी
लड़क क । लड़का काय ाह्मण और इंजी नयर और एक ायी सरकारी नौकरी कर
रहा है। लड़क संयु प रवार म नभा सकने वाली और पारंप रक मू य का स मान करने
वाली होनी चा हए।’
मने अपने अकाउं टट को राघव का पेपर थमा दया।
‘आप अपने लए कोई लड़क ढूं ढ रहे ह, सर?’ उसने कहा।
मने उसे इस तरह दे खा, जैसे मने उसक इस बात से खुद को ब त अपमा नत महसूस
कया हो।
‘सॉरी, सर, उसने कहा।’ सर, हमारे पास एड मशन के लए कुछ और र वे ट आई
ह,’ उसने वषय बदलने क को शश करते ए कहा।
‘हमारी सभी सीट भर चुक ह, मने कहा,’ तुम यह बात जानते हो। हम जतने टू डट् स
को एड मशन दे ने क अनुम त मली है, उतने टू डट् स हमारे यहां पहले ही हो चुके ह।’
‘सर, य द एआईसीट ई एडज ट कर सके तो...’
मने गहरी सांस ली।’ और कतने टू डट् स ह?’
‘पांच, दस...’ उसने कहा।’ यादा से यादा बीस।’
‘सभी का एड मशन कर लो,’ मने कहा,’ व आने पर म एआईसीट ई से मैनेज कर
लूंगा।’
‘जी, सर,’ उसने कहा और ऑ फस से चला गया।
मने गुलाबी रंग का वह पेपर फर उठा लया, उसे फाड़ा और गोल-मोल करके ड ट बन
म फक दया।
हर शु वार को म लासेस के राउं ड्स लेता था। इससे पहले म तीन दन क दाढ़ बढ़ाकर
रखता था, ता क कम से कम डायरे टर क उ का तो दखूं। म एक लास म म घुसा,
जहां मै स क लास चल रही थी।
मुझे दे खते ही ोफेसर ने ले चर दे ना बंद कर दया। चालीस टू डट् स क पूरी लास
उठ खड़ी ई। मुझे यह अ ा लगता था। म आठ लास म म से कह भी जा सकता था
और हर जगह ऐसा ही होता। पैसा, टे टस और पॉवर, लोग इन चीज को भले कतना ही
बुरा बताएं, ले कन इन चीज से आपको जदगी म स मान मलता है। कुछ साल पहले म
एड मशन लेने के लए कै रयर फेयस म मारा -मारा फर रहा था, और आज मेरे आते ही
सैकड़ टू डट् स अटशन क मु ा म खड़े हो जाते ह।
‘गुड ऑ टरनून, डायरे टर सर,’ ोफेसर ने कहा।
मने जवाब म सर हला दया। ं ट रो म एक ऊटपटांग-सी ट -शट पहने एक लड़का
बैठा था।’ तु हारा नाम या है?’ मने उससे पूछा तो वह तेजी से पलक झपकाने लगा।
‘मनोज, सर,’ उसने कहा।
‘कहां के हो?’ मने कहा।
‘सारनाथ, सर,’ उसने कहा।
‘तु हारे पैरट् स वहां या काम करते ह?’ मने कहा।
‘हमारी जमीन है, सर। मेरे पता कसान ह।’
म फौरन नम पड़ गया।’ तुम कसान नह बनना चाहते?’
उसने जवाब नह दया। वह सोच रहा था क पता नह इस सवाल के जवाब से उसका
या आकलन कया जाएगा। म समझ गया।
‘यहां कोई ॉ लम?’ मने पूछा।
‘नो, सर, उसने नवस होते ए कहा।
‘शरमाओ नह , बताओ,’ मने कहा।
‘टू मच इं लश, सर,’ उसने कहा।’ म अं ेजी अ े -से समझ नह पाता।’
‘तो सीख जाओ। नह तो ये नया तु ह जीने नह दे गी। ओके मने कहा।
उसने सर हला दया।
फर म ोफेसर क ओर मुड़ा।’ सॉरी टु ड टब यू,’ मने कहा।
ोफेसर मु करा दया। उसे दे खकर मुझे कोटा वाले म टर पुली क याद आ गई।
जब म लासेस का राउं ड लेकर लौटा तो एक दजन द तावेज मेरा इंतजार कर रहे थे। मेरे
फोन ने बीप कया।
आरती ने मैसेज भेजा था -’ आर2020 दे खा?’
‘हां,’ मने जवाब दया।
‘कैसा लगा?’ वह जानना चाहती थी।
मने कोई जवाब नह दया। म अपने द तावेज को दे खने लगा। फोन फर बीप आ।
उसने मैसेज कया था -‘?’
‘गुड लक फॉर द रेवो युशन,’ मने कहा।
‘थ स, उसका जवाब आया।
म सोचने लगा क या बातचीत यह ख म हो गई।
‘यू आर वेलकम, फर भी मने कह दया।
‘जानकर अ ा लगा, उसने कहा।
‘ या?’ मने लखा।
‘यही क मुझे अब भी वेलकम कया जा रहा है,’ उसने कहा।
मुझे समझ नह आया क इस बात का या जवाब दया जाए। लड़ कय के सरल से
सरल मैसेज भी ब त ज टल अथ वाले हो सकते ह।
मने एक और मैसेज लखा -’ उस शाम के लए आई एम सॉरी’। म सोच रहा था क
यह मैसेज भेजूं या नह क फोन फर बीप आ।
‘उस शाम के लए सॉरी,’ उसका मैसेज आया।
म इस संयोग से हैरान रह गया। मने अपना मैसेज डलीट कया और एक नया मैसेज
लखा -’ इट् स फाइन। मुझे लाइन ॉस नह करनी चा हए थी।’
मुझे चंद ही सेकंड बाद एक जवाब मला -’ डट वरी अबाउट इट।’
म ब त पसोपेश म पड़ गया था, इस लए मने अपना फोन रख दया।
आ खर वह चाहती या है? लड़ कयां कभी कुछ सीधे-सीधे य नह बोल सकत ?
ड ट वरी अबाउट इट? या वह केवल फॉमल होने क को शश कर रही है? या उसका
मतलब यह था क मने उसे कस कया तो कोई बात नह और मुझे इसके लए चता करने
क ज रत नह है? सबसे ज री सवाल यह था क हमारा चै टर लोज हो गया था या
एक नया चै टर खुल गया था?
म उससे इन तमाम सवाल के जवाब जानना चाहता था, ले कन मुझम ह मत नह
थी।
ले कन म यह भी नह चाहता था क चीज इसी तरह बीच म अटक रह जाएं। एक
कस और उसके बाद उसक खामोशी ने मुझे भीतर से तोड़ दया था। म उसे केवल एक
बार कस नह करना चाहता था। म उसे लाख बार कस करना चाहता था। या म उसे
इतनी बार कस करना चाहता था, जतनी बार कोई लड़का कसी लड़क को एक पूरी
जदगी म कस कर सकता है। म नह चाहता था क उससे मैसेजेस म समटकर बात
क ं । म चाहता था क वह हमेशा मेरे साथ हो।
अब म राघव क जरा भी फ नह करता था। वह वैसे भी अपने उस गुलाबी अखबार
के साथ एक भूली ई कहानी हो चुका था। आरती एक बेहतर लड़के क हकदार थी और
मुझसे बेहतर और कौन हो सकता था? हमारा कॉलेज इस साल एक करोड़ पए कमाने
जा रहा था। जब क राघव अपनी पूरी ईमानदारी भरी ां तकारी जदगी म भी अपने खुद के
एक करोड़ पए नह दे ख सकता था। मेरे दमाग म ये सारे वचार उसी तरह उड़ने लगे,
जैसे पजरा खोल दे ने पर प रदे उड़ जाते ह।
‘ब त आ,’ मने जोर से कहा और अपना फोन उठा लया।
‘आई लव यू,’ मने मैसेज लखा और सड बटन पर अपना अंगूठा रख दया।
ले कन फर मने वह मैसेज डलीट कर दया और उसके बजाय एक और मैसेज लखा
-’ आई मस यू’। यह पहले वाली क तुलना म सॉ ट मैसेज था। ले कन फर मने उसे भी
हटा दया।
म फर अपनी फाइल के पास चला आया, ले कन म एक वा य भी नह पड़ पा रहा
था। मने अपनी आंख मूंद ल । मुझे फौरन उसके बदन क गमाहट याद हो आई, जब मने
उसे बांह म पर रखा था। मुझे हवा के कारण अपने चेहरे पर गरत उसके बाल क लट
याद हो आई। और फर मने एक बार फर उस पल क क पना क , जब मने उसे चूमा था।
मेरे फोन क घंट बजी। उसका फोन था। मेरे भीतर का एक ह सा फोन नह उठाना
चाहता था, ले कन मने एक रग म ही फोन उठा लया।
‘हाय!’ उसने कहा।
‘आरती!’
‘हां?’ उसने कहा।
‘उस दन मने अपनी हद पार कर ली थी,’ मने कहा।
‘इस बात को बार-बार मत कहो।’
‘ या सब ठ क है, रयली?’ मने कहा।
‘ रयली। तु ह पेपर कैसा लगा? ईमानदारी से जवाब दे ना।’
म हैरान था क उसने कतनी आसानी से वषय बदल लया।
‘एक पेज पर काय ाह्मण वर, सरे पेज पर मेगा-रेवो यूशन। अजीब बात नह
है?’
‘मने तु ह पहले ही बताया था ना। पेपर इसी तरह सबक नजर म आएगा,’ उसने
कहा।
‘पाठक क इस बारे म या त या है?’ मने कहा।
‘ र ॉ स तो माइंड-जोइंग है।’ दै नक’ वाले राघव के ए स-बॉस ने उसे ब धाई दे ने के
लए क. कॉल कया वह इतनी उ सा हत थी क हकलाने लगी।
‘वेल मुझे अखबार के बारे म भला या पता? य द’ दै नक’ वाले पसंद कर रहे ह तो
अ ा ही होगा,’ मने सपाट तरीके से कह दया।
‘तुमने तो अभी कुछ नह दे खा है। राघव कुछ बड़ी टोरीज पर काम कर रहा है।’
‘ ेट’ मने कहा। मेरा लहजा अब थोड़ा नम पड़ा था।
‘सॉरी, म केवल उसके बारे म बात नह करना चाहती थी, ले कन पहला अंक दे खकर
म ब त रोमां चत हो गई थी। मने होटल लॉबी म भी कुछ कॉपी रखी ह,’ उसने
खल खलाते ए कहा।
‘आई एम योर, टू र ट को यह दे खकर ब त अ ा लगेगा क हमारे दे श क कैसी
बारह बजी ई है।’
‘या शायद वे वैवा हक पसंद कर, आरती ने कहा। लगता था जैसे वह शाम अब एक
र क याद बन गई हो। लड़ कयां कतनी आसानी से ऐसा दखावा कर लेती ह, मानो कुछ
आ ही न हो। या वे अपने दमाग से याद को मटा दे ती ह उ ह एक तरफ बुहार दे ती ह,
या वे केवल ब त अ ए टस होती ह?
‘आरती, मने कहा।
‘ या?
‘ या हो य द म ..’ मने कहा और क गया।
‘ या हो य द म या?’ उसने कहा।
उसने सवाल पूछ लया था। अब यह मुझ पर था क या तो म बच नकलूं या कोई ऐसी
चलताऊ चीज कह ं , जो म साल से कहता आ रहा था जैसे’ या हो य द म क ं क तुम
अमे जग हो’। या म कसी मैन क तरह उसे कह सकता था, क म वा तव म या चाहता
ं, फर चाहे ऐसा कहने के बाद वह मुझसे कभी बात न करे। मने सरा वक प चुना।
‘ या हो य द म तु ह एक बार फर कस कर लूं?’
‘गोपाल!’ उसने कहा। उसक आवाज म हैरत भरी थी।
‘इतनी सर ाइ मत होओ। हमने कस कया था, याद है?’
‘मुझे नह पता या आ था,’ उसने कहा। आ खर ऐसा कैसे हो सकता है क उसे
कुछ पता ही न हो या आ था?
‘इस सवाल से बचने क को शश मत करो,’ मने कहा।
‘ या?’ उसक आवाज म एक अजब-सी झझक थी।
‘ या हो य द म तु ह फर कस कर लूं?’ मने अपना सवाल दोहराया।
‘मुझे नह पता,’ उसने कहा।
उसने हां तो नह कहा था, ले कन उसने गु से म आकर फोन भी नह रखा।
‘म ऐसा फर कर सकता ं,’ मने कहा।
‘नह ऐसा मत करना!’
‘मने यह नह कहा क म क ं गा, मने इतना ही कहा क कर सकता ं।’
‘ या हम कसी और चीज के बारे म बात नह कर सकते?’ उसने कहा।
‘हम फर मल?’ मने कहा।
‘कहां?’ उसने कहा। एक बार फर, उसने न ना कहा न हां। उसने यह भी नह पूछा क
कब। उसने केवल जगह पूछ । इसका यह मतलब था क वह मुझसे मलना चाहती थी,
जब क मने उसे चेतावनी द थी क म उसे फर कस कर सकता ं। मेरे दमाग म एक
दजन माइलीज तैरने लग ।
‘म काम के बाद तु ह मलूंगा। तु हारा काम कब तक पूरा हो जाता है?’
‘छह बजे। ले कन आज नह । राघव के यहां कुछ दो त आने वाले ह। पहले अंक क
खुशी म।’
‘पाट !’
‘हां, पाट जैसा ही कुछ। सादा -सा काय म रहेगा। राघव के पास पाट करने के पैसे
नह ह। सब कुछ पेपर म लग गया।’
‘तुम चाहती हो क म उसे कुछ पैसे ं ?’ मने इस वा य के एक-एक श द का मजा लेते
ए कहा।
‘ टॉप इट, गोपाल। तो, कल छह बजे?’
‘म तु ह कॉल कर लूंगा, मने कहा।
‘ओके। हम कहां जाएंगे?’ उसने कहा।
‘ कसी ाइवेट जगह पर, मने कहा।
वह एक पल के लए क ।
‘जहां हम बात कर सक,’ मने आगे जोड़ दया।
‘अ ा मुझे बता दे ना।’
28
उसने अपने जूते नकालकर फक दए और ब तर पर ॉसले ड बैठ गई। मने उसके याले
म और वाइन उड़े ल द ।
‘म बहक जाऊंगी,’ उसने कहा ले कन अपना गलास आगे बढ़ा दया। उसने एक सप
लया और समय दे खा। बेडसाइड -लक साढ़े आठ बजे का व बता रही थी।
‘तुम कतनी दे र तक क सकती हो?’ मने कहा।
‘नौ बजे तक,’ उसने कहा।’ आधा घंटा और।’
‘दस?’ मने पूछा।
उसने सर हलाकर मना कर दया।’ मॉम पचास सवाल पूछेगी। बशत... म उ ह यह न
कह ं क मुझे डबल श ट करनी पड़ी थी उसने कहा।
‘तो उ ह यही कह दो,’ मने फौरन कहा।
‘ले कन तब मुझे उसके लए आठ और घंटे कना पड़े गा यानी रात के दो बजे तक।’
‘परफे ट, मने कहा।
‘पागल हो गए हो या?’ उसने कहा।’ म रात दो बजे तक तु हारे म म नह रह
सकती!’
‘ य नह ?’ मने कहा।’ हम साथ-साथ व बताने का ऐसा मौका फर कब मलेगा?’
‘य द मेरे बॉय ड को पता चल जाए..’ उसने कहा और चुप हो गई। फर वह हेडबोड
पर झुक गई
हमने आ धी बोतल ख म कर द थी। मने अपने लए थोड़ी और वाइन नकाली।
‘य द उसे पता चल जाए क म इतने घंट से कसी और के कमरे म ं, तो वह तो मेरी
जान ही ले लेगा, उसने अपनी बात पूरी क ।
‘वह ऐसा करेगा?’
वह मु करा द ।’ सच म नह । ले कन हां, वह आग-बबूला ज र हो जाएगा। वह कुछ
तोड़फोड़ कर दे गा।’ उसने एक पजे सव बॉय ड का पाट नभाते ए त कया उठाया और
मुझ पर फक मारा।
‘और अगर उसे पता चल जाए क वह कोई और म ं तब तो वह यक नन तु हारी जान
ही ले लेगा।’
‘उसे कभी पता नह चलेगा, आरती ने कहा।
म सोफे से उतरा और ब तर के करीब आ गया।
‘तो तुम डबल श ट कर रही हो,’ मने फोन क ओर इशारा करते ए कहा।
‘यू योर उसने कहा।’ म सुबह दो बजे तक बक-बक कर तु हारा दमाग खा जाऊंगी!’
‘तुम बचपन से यही तो करती आ रही हो, मने कहा।
उसने एक और त कया उठाकर मुझ पर फक मारा। मने उसे पकड़ लया और एक
तरफ रख दया। फर उसने अपने ह ठ पर अंगुली रखी और मुझे चुप रहने का इशारा
कया। उसने अपने घर फोन लगाया था।
‘मॉम?’ उसने कहा।’ हां, म अभी तक काम पर ही ं। डबल श ट, अब या क ं ?’
उसक मां कुछ सेकंड तक बोलती रही। आरती ने अपनी बात जारी रखी -’ यह श ट
टु पड बेला को करनी थी। ले कन वह कोई बहाना बनाकर नह आई। अपनी इंगेजमट के
बाद वह ब त बैक मारने लगी है।’
उसक मां ने फर कुछ कहा। आरती झुंझलाने लगी।
‘बेला ने इंगेजमट कर ली तो म भी य इंगेजमट कर लूं? हां एक न एक दन कर लूंगी,
मॉम... ओके, फाइन, हां, होटल क कार मुझे घर छोड़ दे गी... बाय।’
उसने अपना फोन ब तर पर रख दया, वह परेशान नजर आ रही थी।
‘यू?’ ओके मने कहा।
‘मुझे लगता है क एक समय के बाद इं डयन पैरट् स के दमाग म कोई वच चालू हो
जाता है। वे पढ़ाई-पढ़ाई-पढ़ाई से शाद -शाद -शाद करने लग जाते ह।’
‘तुम शाद नह करना चाहत ?’
‘शाद क ं गी तो सही,’ उसने कहा और ब तर पर थप कयां दे ने लगी।’ ले कन तुम
कसी शो-पीस क तरह य खड़े हो?’
म ब तर पर साव धानी के साथ उससे र बैठ गया।
‘तुम इस म के लए ब त सारा पैसा खच कर रहे हो। लीज बी कंफटबल।’
‘अ ा?’ मने कहा।
‘मेरा काम यही तो है -अपने मेहमान को कंफटबल महसूस कराना, उसने कहा और
मुझे एक गे ट- रलेशंस माइल द । उसके दांत पर रेड वाइन के ध बे थे ले कन इसके
बावजूद उसक मु कराहट ब त खूबसूरत थी।
म अपने जूते और मोजे नकालने के लए झुका।’ तु ह राघव को कॉल नह करना
होगा?’
उसने सर हला दया।’ उसे तो कोई होश ही नह है। वह एक बड़ी टोरी पर काम कर
रहा है, उसने कहा और अपने याले म थोडी-सी और वाइन उडे ल द ।
‘य द उसने कॉल कया तो?’ मने कहा।
उसने मेरे मुंह पर अपना हाथ रख दया।’ य द उसका फोन आता है तो तुम एकदम चुप
हो जाना और बाक म संभाल लूंगी,’ उसने कहा।
उसके इस श ने जैसे मेरे भीतर आग लगा द ।
उसने अपना हाथ हटा लया।’ तो म टर डायरे टर, काम, लाइफ, सब कैसा चल रहा
है?’
‘मेरा सब कुछ मेरा काम ही है। कॉलेज चलाना कोई आसान बात नह ,’ मने कहा।
‘केवल काम?’ उसने अपनी मां क नकल करते ए कहा,’ या? तु ह शाद कर लेनी
चा हए। तुमने अब तक शाद य नह क ?’
हम हंस पड़े और अपने गलास आपस म टकराए।
‘ले कन मुझे तो वाकई अब ज द से ज द इंगेज हो जाना चा हए,’ उसने कहा।’ दबाव
बढ़ रहा है।’
‘राघव या सोचता है?’ मने कहा।
‘जा हर है, वह अभी इसके लए तैयार नह है। ले कन य द मने जोर डाला तो वह
तैयार हो जाएगा,’ उसने कहा।
‘तु हारे पैरट् स राघव के लए राजी ह गे?’ मने कहा।
‘वे तो उसे ब त चाहते ह। मेरे पता ने राजनी त म जाने क हमारी पा रवा रक परंपरा
तोड़ी थी, इस लए वे भी राघव के ज वे को ब त पसंद करते ह।’
‘वह पैसा नह कमाता, इसके बावजूद?’
‘वह कमाएगा। एक न एक दन वह ज र पैसा कमाएगा,’ आरती ने मनौती करते ए
कहा।’ और तुम मेरे रले ट ज क तरह य बात कर रहे हो?’
उसने रमोट उठाया और ट वी चालू कर लया।
‘ दस इज सो बो रग,’ उसने कहा और यूज चैनल बदल द । वह चैनल वी पर जाकर
क , जहां एक आइटम गल एक री म स वी डयो म नाच रही थी।
‘उसने न त ही अपने ह ठ क सजरी करवाई है, उसने कहा,’ और नाक क भी,
और शायद बू स क भी।’
‘ या?’ मने कहा। म उसके श द के चयन पर हैरान था।
‘बूब जॉब। अपने बू स को ठ क करवाना, ता क वे बड़े नजर आएं,’ उसने कहा।
म हैरानी से उसक ओर दे खता रह गया।
‘तुम मेरे बे ट ड हो, ‘उसने कहा और मेरी बांह पर ह के-से चपत लगाई।’ म तु हारे
सामने पूरी तरह सहज हो सकती ं।’
उसने फर चैनल बदली और अब हम कह बीच से’ हेन हैरी मेट सैली’ दे ख रहे थे।
‘आदमी और औरत कभी दो त नह हो सकते,’ बली टल ने णो रेयान से कहा।
उसके मुंह म एक टू थ पक था।
‘ ब कुल हो सकते ह। हम ही दे ख लो,’ आरती ने बेस होते ए कहा और वॉ यूम
बढ़ा दया।’ मुझे यह मूवी ब त पसंद है।’
‘तुमने यह मूवी दे खी है?’ मने पूछा।
‘हां। और तुमने?’
मने सर हला दया। म अं ेजी फ म नह दे खता था।
‘चलो, दे खते ह। म तु ह बताऊंगी क अभी तक या- या हो चुका है।’
म उसके करीब आ गया। वह मुझे सं ेप म कहानी सुनाती रही और मने बेडसाइड
पेनल से कमरे क लाइट म म कर द । हैरी और सैली क कहानी चल रही थी, वे मलते,
आपस म झगड़ते, ले कन उनके बीच वा तव म कभी कुछ नह होता, जब क ऐसा लगता है
क कुछ न कुछ ज र होना चा हए। हम चुपचाप वह फ म दे खते रहे।
‘वॉव, हमने पूरी बोतल ख म कर द ,’ उसने कुछ दे र बाद कहा। फर उसने एक
त कया उठाया उसे मेरी गोद म रखा और उस पर अपना सर रखकर बाक फ म दे खने
लगी।
‘तुम कंफटबल हो ना?’ उसने मेरी ओर दे खते ए पूछा। ट वी क लाइट म उसक
आंख चमक रही थ ।
म जरा झझका। फर अपना हाथ धीमे -से उसके सर पर रख दया और उसके बाल
को सहलाने लगा। उसने कोई ऐतराज नह कया। मुझे उसके साथ होना ब त अ ा लग
रहा था। मेरी जदगी म इससे यादा खुशीभरा ल हा इससे पहले कोई नह आया था।
‘आरती?’ मने कहा।
‘हां?’ उसने कहा। उसक आंख अब भी ट वी पर जमी ई थ ।
‘ या तु ह इस तरह मेरी गोद म लेटना अ ा लग रहा है?’
उसने सहम त म सर हला दया, ले कन उसक आंख अब भी न पर जमी ई
थ।
‘तुम उस शाम घाट से य चल ग थ ?’ मने पूछा।
‘म उस बारे म बात नह करना चाहती। मूवी दे खो, ठ क है, उसने कहा।
‘ या तुम फर ऐसे ही भाग जाओगी?’ मने कहा। मेरी आवाज भारी थी।
उसने भांप लया क म तनाव म ं। उसने ट वी को यूट कर दया और उठकर बैठ
गई।
‘तुम ठ क हो ना, गोपी?’ उसने कहा। उसक आवाज जरा लड़खड़ा रही थी। ट वी क
लाइट हमारे चेहर पर टम टमा रही थी।
‘य द तुम चाहो तो अभी जा सकती हो, मने कहा। मेरी आवाज मेरे गले से बामु कल
ही नकल पा रही थी।’ य क य द तुम मेरी जदगी म और कुछ समय रह और उसके
बाद गई, तो...’
म कुछ यादा ही बोल गया था। ऑ े लया क वाइन ने एक ह तानी के दल को
खोलकर रख दया था।
‘शट अप,’ उसने कहा और मेरे मुंह पर अपनी ह थेली रख द ।’ ामा वीन। सॉरी,
ामा कग!’
ले कन म ामा नह कर रहा था। म वाकई उससे र होना बदा त नह कर सकता था।
‘म भी अकेली ं, गोपाल,’ उसने कहा,’ ब त अकेली।’
‘ य ?’
‘राघव के पास ब कुल व नह है। मेरे पैरट् स समझ ही नह पाते क म य काम
करना चाहती ं। वे समझ नह पाते क आ खर डीएम क बेट को मेहनत करके पैसा
कमाने क ज रत य महसूस हो रही है। मेरी सभी ड् स क शाद हो रही है, वे अपने
कइस क ला नग कर रही ह और म ऐसा नह कर पा रही। म अजीब ं।’
‘तुम सबसे अलग हो,’ मने उसक बात सुधारते ए कहा।
‘म सबसे अलग य ं? म नॉमल य नह हो सकती -अपने घर पर संतु , प त का
इंतजार करती ई?’
‘यह नॉमल नह है। यह बैकवड है।’
‘राघव मुझे ब त तनाव म डाल दे ता है। म उसक मदद करना चाहती ं, ले कन मुझे
नह लगता क वह अपनी जदगी के बारे म ठ क से सोच पा रहा है। उसने अपनी आजाद
के लए अपनी नौकरी को दांव पर लगा दया। आ खर इस तरह वह कैसे पैसे कमा
पाएगा?’
‘मेरे याल से तुमने कहा था क वह एक न एक दन ज र पैसे कमाएगा,’ मने कहा।
‘वह तो मने बहा री दखाते ए कहा था। ले कन म जस बात से डरती ं, उसके बारे
म तुमसे बात कर सकती ं, है ना?’ उसने कहा।
‘ऑफ कोस, तुम कर सकती हो,’ मने कहा और उसके गाल को सहला दया।
हम फर ट वी दे खने लगे। एक रात सैली ब त अकेलापन महसूस कर रही थी। हैरी
उसके घर आता है। वह उसे दलासा दे ता है। वे कस करते ह। पता नह इस सीन ने मुझे
मो टवेट कया या यह शराब का असर था या फर शायद मुझे लगा हो क मुझे अब सरा
मौका नह मलने वाला है। म आरती को कस करने के लए उस पर झुका। उसने हैरत से
मेरी ओर दे खा। ले कन उसने वरोध नह कया। वह बस दे खती रही।
मने उसे फर चूमा। इस बार और जोर से। दो मनट तक कुछ नह आ, और उसके
बाद वह भी मुझे चूमने लगी। हमने बार-बार कस कया। मने उसके ह ठ , उसके गाल ,
उसके माथे, उसक नाक, उसके कान और एक बार फर उसके ह ठ को चूमा। मने लाइट
बुझा द ।
जब मने उसे फर अपनी बांह म लया तो उसने कहा,’ यह गलत है।’
‘मुझे पता है, मने कहा,’ ले कन म खुद को रोक नह सकता।’ मेरे हाथ उसके शट के
बट स टटोलने लगे।
‘नह , उसने कहा और मेरे हाथ को कसकर पकड़ लया।
मने अपना सरा हाथ उसके शट म डाल दया। थक गॉड, हमारे दो हाथ होते ह, वरना
हम कुछ कर ही न पाते। आ खरकार मेरी हथे लयां उसके े ट् स पर थ ।
‘गोपाल, तु ह पता है या हो रहा है?’ उसने कहा।
मने सर हला दया।
‘हम ऐसा नह ‘.. उसने कहा।
मने एक और कस से उसका मुंह बंद कर दया। वह जरा छटपटाई, ले कन म उसे
लगातार चूमता रहा। अब उसने भी र ॉ स दे ना शु कर दया। पहले धीरे, फर मेरे
साथ-साथ और फर वह मुझसे भी आगे नकल गई।
‘यह ठ क नह है, गोपाल,’ उसने कराहते ए कहा। उसने मेरे नचले ह ठ पर हाट
लया।
म कसेस से जवाब दे ता रहा। मूवी ख म हो चुक थी। मने बैक ाउं ड म शै ू के
व ापन क आवाज सुनी, जब क म उसके टॉप को नकालने के लए ख च रहा था।
‘ऐसा मत करो, गोपाल!’ उसने फुसफुसाते ए कहा, ले कन मेरा काम आसान बना
दे ने के लए अपने दोन हाथ ऊपर कर दए।
मने अपनी शट नकाल द । इस बार जब मने उसे अपनी बांह म लया तो उसक
गरमाहट और नरमाहट मेरे बदन म घुल गई।
‘म तु हारी ब त केयर करता ं..’ मने कहा।
‘बोलना बंद करो,’ उसने मुझे बीच म टोकते ए कहा।
मने उसके कंधे पर धीमे -से धकेला ता क उसे ब तर पर लेटा सकूं। फर मने अपने
बचे ए कपड़े नकाल दए।
वह सरी तरफ दे खती रही।
‘ या?’ मने कहा।
उसने मुझसे नजर मलाए बना सर हला दया।
म उसक बगल म लेट गया। वह मुझे पैशन के साथ चूमने लगी, ले कन जब भी म
उसक आंख म झांकने के लए कता, वह सरी तरफ नजर फेर लेती।
म उसक ज स उतारने के लए अपने हाथ को नीचे क ओर ले गया। उसने मुझे
आ खरी बार रोका।
‘मेरा एक बॉय ड है, ’ उसने मुझे याद दलाते ए कहा।
‘म इस हक कत के साथ साल से जी रहा ं,’ मने कहा।
‘म उस तरह क लड़क नह ं, गोपाल,’ उसने लगभग सुबकते ए कहा।
‘तुम कमाल क लड़क हो, मने कहा। मेरी अंगुली उसक ना भ पर थी। म उसे वहां
चूमने के लए का।’ नया क सबसे कमाल क लड़क ।’
मने उसका हाथ अपने शरीर पर रख दया और फर से उसक ज स उतारने क
को शश करने लगा। लड़ कयां नया क सबसे टाइट ज स पहनती ह। मुझे लगा क
उसक मदद के बना उसे उतारना नामुम कन है।
‘कुड यू?’ मने पांच मनट तक को शश करने के बाद कहा।
मेरी इस र वे ट पर वह खल खला पड़ी। उसने कसमसाकर अपनी ज स नकाल द ।
म इंतजार करता रहा और फर उसे अपने करीब ख च लया।
‘गोपाल,’ उसने कहा और मुझे कसकर थाम लया। साल से दबाई जा रही चाहत
फूटकर सामने आ गई थी। म उसे हाटता और चूमता रहा और हम एक हो गए।
मुझे पता था क इसके बाद अब मेरी जदगी कभी पहले क तरह नह रह पाएगी। जो
कुछ आ, उसके बाद उसके लए मेरा यार और बढ़ गया। कहते ह से स के बाद पु ष
पीछे हट जाते ह, ले कन म उसके और करीब जाना चाहता था। म उसे यार करना चाहता
था और हमेशा अपने करीब रखना चाहता था। मने उसे कसकर बांह म भर लया और
उसके सर पर चूम लया। वह सरी तरफ दे खती रही। उसके चेहरे पर कोई भाव नह थे।
‘तुम कयामत हो, आरती। सर से पैर तक कयामत।’
वह जरा-सा मु कराई। म एक कोहनी के बल उठ गया।
‘तु ह अ ा लगा?’ मने पूछा।
उसने सर हलाकर हामी भरी, ले कन सरी तरफ़ दे खती रही।
‘मेरी तरफ दे खो,’ मने कहा। उसने अपनी आंख मेरी ओर घुमाई, ले कन मुझसे नजर
नह मलाई।
‘तुम ठ क हो?’ मने पूछा।
उसने फर सहम त म सर हला दया।
हम फर लेट गए। सी लग पर एक छोट -सी एलईडी बीप करने लगी।
‘यह या है?’ मने कहा। मुझे डर लगा क कह यह कोई कैमरा’ न हो।
‘ मोक अलाम‘, उसने कहा।
हम कुछ मनट तक चुप रहे।
‘म तु हारे बना नह जी सकता, आरती,’ मने कहा।
‘ लीज, ऐसा मत करो,’ उसने कहा।
‘यह सच है। म तु ह यार करता ं’ मने कहा।
‘ लीज, टॉप!’ उसने कहा और ब तर पर उठ बैठ । उसने अपने आपको बेडशीट से
ढांक लया।
‘ या बात है?’ मने उसक बांह थामते ए कहा।
उसका फोन बीप आ। उसने मैसेज दे खा। उसने एक र लाई कया और गहरी सांस
छोड़ी।
‘ या म अपने कपड़े पहन सकती ं?’ उसने मुझसे र जाते ए कहा।
‘हां?’ मने कहा। ‘ योर।’
उसने अपने बदन पर बेडशीट लपेट ली, अपने कपड़े उठाए और बाथ म म चली गई।
मने फर लाइट चला ली। मले जुले इमोशंस मुझे मथ रहे थे।
जा हर है, वह मेरी केयर करती है। नह तो, उसने जो कुछ कया, वह कोई लड़क नह
करती। ले कन इसके बावजूद वह मुझसे र- र य बनी ई थी? या वह यह उ मीद
करती है क म उससे क ं क अब म जदगी म उसका साथ ं गा? या उसे अफसोस हो रहा
है? यह घटना हम और करीब ले आएगी या हम र कर दे गी।
म नेकेड और कं यू था। म अपना कं यूजन र नह कर सकता था, ले कन म कम
से कम कपड़े तो पहन ही सकता था। जब वह कमरे म आई तो म अपने शट के बटन लगा
रहा था।
‘अब मुझे चलना चा हए,’ उसने मन बनाते ए कहा।
बेडसाइड लॉक बारह बजे का व बता रही थी।
‘तुम दो बजे तक नह कोगी?’ मने पूछा।
‘म कह ं गी क श ट ज द ख म हो गई। वैसे भी, वे इतनी न द म ह गे क टाइम
चेक नह करगे,’ उसने कहा।
मेरे पास बैठो, म कहना चाहता था। म उससे बात करना चाहता था। म उसे बता दे ना
चाहता था क मेरे लए इस बात के या मायने थे। आ खर लड़ कयां भी तो यही चाहती ह,
बात करना?
‘तुम अपने ाइवर को कॉल करोगे?’ उसने कहा।
‘पांच मनट को,’ मने म त करते ए कहा। ‘ लीज?’
वह सोफे क ओर चली गई। म ब तर पर बैठ गया।
‘तुम इतने तनाव म य हो?’ मने कहा। ‘म तु हारा गोपाल ं। तुम मेरी केयर नह
करत ?’
‘तु ह अब भी सबूत चा हए?’ उसने कहा।
म उसके करीब आ गया। मने उसका हाथ थाम लया। वह ठं डा-सा लग रहा था।
‘म नह चाहता क तुम इस बारे म श मदगी अनुभव करो,’ मने कहा। ‘यह ब त
ेशल है। हम इस पर ाउड फ ल करना चा हए।’
‘ले कन म एक रलेशन शप म ं,’ उसने कहा।
‘एक ऐसे श स के साथ, जो कभी तु हारे साथ नह होता?’ मने कहा।
उसने हैरत से मेरी ओर दे खा।
‘मने कभी तु हारे और राघव के मामले म कोई कमट नह कया। इसका यह मतलब
नह क म कुछ समझ नह पाता। आरती, तुम एक बेहतर जीवनसाथी क हकदार हो। तुम
जदगी क सभी खु शय क हकदार हो।’
‘म एक सपल लड़क ं, गोपाल,’ आरती ने अपना ह ठ चबाते ए कहा।
‘ले कन एक सपल लड़क को भी यार, सुर ा, केयर, सपोट क ज रत होती है, है
ना?’ मने कहा।
वह चुप रही।
‘ सपल लड़क क ज द ही शाद हो जाएगी। उसे यह पता होना चा हए क उसका
प त उसके साथ अपना प रवार चला पाएगा या नह ,’ मने कहा। म साल से चु पी साधे
ए था। ले कन अब जब आरती मेरे साथ थी, तो मुझम ह मत आ गई थी।
‘म थक चुक ं। म घर जाना चाहती ं,’ उसने कहा और उठ खड़ी ई।
मने अपने ाइवर को बुलाया। मने उसके साथ नीचे तक चलने का ताव रखा,
ले कन उसने मना कर दया। जाने से पहले वह मेरे करीब आई। मुझे एक कस क उ मीद
थी, ले कन उसने मुझे बस धीरे-से हग कया। दरवाजा बंद हो गया। कमरे म उसक खुशबू
घंट तक और मेरे दल म अनेक दन तक बसी रही।
30
मने शु ला–जी को उनके ऑ फस से बाहर नकलते दे खा। म दौड़कर उनके पास प ंचा।
उ ह ने मुझे कने का इशारा कया। मने दे खा क वे अब भी फोन पर बात कर रहे थे।
उ ह ने कुछ फाइल उठाई और ऑ फस म लौट गए। म फर से पढ़ने लगा।
अगली सुबह वाराणसी के हर अखबार ने दमनापुरा लांट घोटाले क खबर अपने ं ट पेज
पर लगाई। शु ला-जी के इ तीफे क खबर लोग तक प ंच चुक थी। वे अब इस शहर के
लए वलेन बन गए थे और उनका नया हीरो बन गया था राघव क यप। सभी उसके
टु पड पक पेपर क ब त तारीफ कर रहे थे। लोकल ट वी चैनल ने घोटाले को घंट तक
कवर कया।
म अपने नए फोट इंच एलसीडी ट वी पर चैनल बदलता रहा। एक चैनल पर राघव का
इंटर ू दे खकर म क गया।
‘हम घोटाले के लए सभी ज री सबूत जुटाने के लए दो महीने तक चुपचाप काम
करना पड़ा। सभी को पता था क वधायक गलत काम कर रहे ह, ले कन उनके खलाफ
कोई सबूत नह थे। हमारी ट म ने यही कया। उसने ज री सबूत जुटा लए,’ राघव ने
आ मसंतोष के साथ कहा। वह बला हो गया था। उसके चेहरे पर दाढ़ बड़ी थी और
उसके बाल बखरे ए थे। वह शायद ठ क से सोया भी नह था। ले कन इसके बावजूद
उसक आख म चमक थी।
‘आपक ट म म कौन–कौन ह?’ रपोटर ने उससे पूछा।
‘वेल, हम’ ‘रेवो युशन 2020’ नाम का एक छोटा–सा अखबार नकालते ह। उसम मेरे
स हत चार लोग काम करते ह। हम यादा अनुभव नह है, ले कन हमम कुछ कर गुजरने
का ज बा है।’
‘ या कर गुजरने का ज वा
‘बदलाव करने का। दे श को बेहतर बनाने का। हम इसी लए जी रहे ह,’ राघव ने कहा।
‘ या यह सच है क आपको लगता है वष 2020 म भारत म एक ां त होगी?’
‘हां, ले कन उसके लए हम सभी को मलकर काम करना होगा और कुबा नयां दे नी
ह गी।’
‘ ां त का मकसद या होगा?’
‘एक ऐसा समाज बनाना, जसम स ा से यादा सच, याय और समानता का स मान
हो। ऐसे समाज ही सबसे यादा तर क करते ह।’
‘ या आप थोड़ा ए स लेन करगे?’
‘जो समाज स ा क बु नयाद पर चलते ह, वे जानवर क नया क तरह होते ह।
जंगल के जानवर पर यह नयम लागू होता है क जो सबसे ताकतवर है, वही सही है।
ले कन जानवर कभी तर क नह करते, इंसान करते ह।’
मने ट वी बंद कर द । म उसक बकवास को यादा दे र तक बदा त नह कर सकता
था। न ही शु ला-जी के आदमी उसे सहन कर सकते थे।
उनक पाट के एक कायकता नतेश ने मुझे सुबह फोन लगाया।
‘तुमने या तोड़ दया?’ मने उससे पूछा।
‘उसका इकलौता कं यूटर अब टु कड़े –टु कड़े हो चुका है। हमने हथौड़ से उसक टग
ेस भी तोड़ डाली।’
‘ कसी ने तु ह दे खा तो नह ?’
‘हम रात को गए थे। हमने उसका ऑ फस तहस–नहस कर दया। हरामजादा। उसका
काम अब खतम।’
म काम के लए तैयार हो गया। बाहर मस डीज खड़ी थी। घर से ऑ फस केवल 300
गज के फासले पर था, इसके बावजूद म अपनी नई कार म बैठकर वहां जाना चाहता था।
मने राघव के बारे म सोचा। कल उसे इतनी तारीफ मली, सभी लोग का यान उसक
तरफ था, ले कन आज उसके पास केवल एक टू टा आ ऑ फस है, और कुछ नह ।
उसके पास जॉब नह था, बजनेस नह था और जैसे ही यह खबर पुरानी पड़ जाएगी,
कोई भी उसके पेपर क परवाह नह करेगा।
‘कहां चलना है, सर?’ ड़ाइवर ने कहा।
‘ऑ फस,’ मने कहा।
म मन ही मन सोचने लगा क य द मुझे राघव से कुछ कहना पड़े तो म या क ंगा।
‘मामूली आदमी–सा नजर आने वाला भ गोपाल म ा जसे तुमने यह हदायत द
थी’ क तुम अगले साल फर को शश कर सकते हो, ‘आज एक मस डीज कार म बैठा है,
जब क तु हारे पास केवल एक टू ट ई टग ेस है। और तु ह लगता है क तुम हडसम
हो, है ना? वेल ज द ही तु हारी गल ड भी मेरी बांह म होगी। वह, जसे तुमने मुझसे छ न
लया था।’
‘सर ाइवर ने कहा। हम ऑ फस प ंच चुके थे।
म ऑ फस म दा खल आ, चमड़े क कुस म धंस गया और आख मूंद ल । म क पना
करने लगा क जब म राघव को बताऊंगा क ‘आरती अब मेरी है’, तो उसके चेहरे पर या
भाव आएंगे। वह अ त नजारा होगा। मने सब लान कर रखा था। म उसके ऑ फस म
जाऊंगा। उसक टे बल पर मस डीज क चा बयां रखूंगा। मने यह भी सोच रखा था क म
उससे या क ंगा।
‘यह बात हमेशा याद रखना क कभी–कभी लूजस भी जदगी क दौड़ म आगे नकल
जाते ह,’ मने ै टस करते ए जोर से कहा।
ले कन म अभी तक यह नह सोच पाया था क आरती और मेरे बारे म उसे कस तरह
बताऊं। मने कुछ पं यां आजमाने क को शश क ।
‘मेरे दो त, मुझे यह कहते ए ब त अफसोस हो रहा है, ले कन अब आरती मेरी है,’
मने फुसफुसाते ए कहा।
ले कन मुझे लगा क इस डायलॉग म मदानगी का अहसास कम है।
‘आरती और म कपल ह। मने सोचा क तु ह बता ं ,’ मने एक कैजुअल डायलॉग
बोलने क को शश क , ले कन इससे भी काम नह बना।
आ खर हम उस वा य को इतनी आसानी से कैसे बोल सकते ह, जसे हम साल से
कहना चाह रहे ह ? म चाहता था क मेरे श द उसे बम के धमाके क तरह लग। उसे ऐसा
लगे जैसे उस पर कसी ने जानलेवा ह थयार से हमला कया हो। म उसे बता दे ना चाहता
था क उसके कारण मने अपनी पूरी जदगी अपने को कतना छोटा महसूस कया है। म
चाहता था क मेरी कार, मेरी कामयाबी को दे खकर वह जल–भुन जाए। उसे यह जानकर
गहरी ठे स प ंचे क जस लड़क को उसने मुझसे छ न लया था, वह भी अब उसके साथ
नह है। वा तव म म उसे बना कहे ही यह कह दे ना चाहता था -‘आई एम बेटर दे न यू,
एसहोल!’
आरती के कॉल ने मेरे वचार म खलल डाला।
‘उन लोग ने उसके ऑ फस को तहस-नहस कर दया है,’ उसने कहा। उसक आवाज
से लग रहा था क वह ब त परेशान है।
‘अ ा?’ मने अनजान बनने का अ भनय कया।
‘अब’ रेवो यूशन 2020 ‘नह छप सकता। ेस भी तोड़ द गई है,’ उसने कहा।
मने अपनी डे क पर रखी फाइल पर नजर दौड़ाई। मुझे इससे कोई फक नह पड़ता
था क वह टु पड अखबार छपता है या नह छपता है।
‘तुम मेरी बात सुन रहे हो?’ आरती ने कहा।
‘ वधायक शु ला को जेल जाना पड़ सकता है,’ मने कहा।
‘उसे जेल जाना ही चा हए, है ना? उसने जनता का पैसा चुरा लया और नद को गंदा
कर दया।’
‘तुम उसक तरफ हो या मेरी तरफ?’ मने झुंझलाते ए आरती से कहा।
‘ या? इसम कसी क तरफ होने वाली या बात है?’ उसने कहा।
‘तुम मेरे साथ हो?’ मने कहा।
‘ या?’ उसने कहा।
‘तुम मेरे साथ हो?’
‘हां। ले कन या हम राघव के सेटल हो जाने तक इंतजार नह करना चा हए?’
‘ या वह अपनी जदगी म कभी सेटल हो पाएगा?’
वह चुप हो गई।
‘मेरे घर आओ,’ मने कहा।
‘तु हारे घर?’ उसने कहा। ‘तुम मुझे फाइनली अपना नया घर दखाओगे?’
‘हां।’
‘कल कैसा रहेगा? मेरी मॉ नग श ट है। तीन बजे तक काम पूरा हो जाएगा।’
‘म अपनी कार भजवा ं गा,’ मने कहा।
मने अपनी गदन, कैखौ रय और दोन कलाइय पर गु ी पर यूम को पांच बार े कया।
मने इस मौके के लए एक नया लैक शट और एक क टम–मेड सूट पहना था। फर मने
रे–बैन के सन लासेस पहन लए और आईने म अपनी सूरत दे खी। सन लासेस गैरज री
नजर आ रहे थे, इस लए मने उ ह उतारकर अपने शट क जेब म रख लया।
मने शु वार को छु ट् ट ली थी। डीन सर मुझे फ ट टम म टू डट् स क एक एकेड मक
परफॉमस रपोट दखाकर बोर करने वाले थे। वैसे भी मुझे बाहर जाने के लए कसी बहाने
क दरकार थी।
‘ऑल द बे ट। को शश करना क उसे हट न करो।’ आरती ने मुझे यह मैसेज कया
था।
मने उसे भरोसा दलाया क म सचुएशन को अ तरह हडल क ं गा। वह अपनी
ओर से राघव को यह मैसेज कर चुक थी क हम बात करनी चा हए, जस पर राघव ने यह
जवाब दया था क बात करने के लए यह ठ क समय नह है। यह ठ क वैसा ही वहार
था, जसके कारण वह पहले से ही राघव से नाराज थी।
मने अपने ाइवर से नदे शर रोड चलने को कहा, जहां राघव का वक लेस था।
ऑटो रपेयर शॉ स क भीड़ म ‘रेवो यूशन 2020’ के ऑ फस को बड़ी आसानी से
नजरअंदाज कया जा सकता था। राघव ने एक गैरेज रट पर ले रखा था। ऑ फस म तीन
ए रयाज थे – भीतर टग ेस थी, बीच म उसका यू बकल था और एं स पर टाफ और
व जटस के लए एक कॉमन ए रया था।
‘मे आई हे प यू?’ एक ट न– एजर लड़के ने मुझसे पूछा।
‘म राघव से मलने आया ं,’ मने कहा।
‘वे कुछ लोग के साथ ह,’ लड़के ने कहा। ‘ या काम है?’
मने गैरेज के भीतर झांककर दे खा। राघव के ऑ फस म एक लास पा टशन भी था।
वह अपनी डे क पर बैठा था। उसके सामने पगड़ी बाधे एक दे हाती और एक बला–
पतला–सा लड़का बैठा था। दोन बाप–बेटे गरीब–बेसहारा नजर आ रहे थे। राघव दोन क
बात को यान से सुन रहा था। उसक कोह नयां डे क पर टक थ ।
‘इट् स पसनल,’ मने उस ट न–एजर लड़के से कहा।
‘ या उ ह आपके आने के बारे म पता है?’
‘नह , ले कन वह मुझे अ तरह से जानता है,’ मने कहा।
तभी राघव ने मुझे दे ख लया और वह अपने कै बन से बाहर नकल आया।
‘गोपाल?’ राघव ने कहा। वह हैरान नजर आ रहा था। अगर वह मुझसे अपसेट भी था
तो उसने यह जा हर नह होने दया।
राघव ने एक ट –शट पहन रखी थी, जस पर उसके अखबार का लोगो था। नीचे उसने
एक पुरानी–सी ज स पहन रखी थी। वह मु कल दौर से गुजर रहा था, ले कन उसे दे खकर
इसका अंदाजा लगा पाना क ठन था।
‘ या हम बात कर सकते ह?’ मने कहा।
‘ या आ?’ राघव ने कहा। ‘तु ह एमएलए शु ला ने भेजा है?’
‘नह ’, मने कहा। ‘ए चुअली, पसनल बात है।’
‘तुम मुझे दस मनट का समय दे सकते हो?’ उसने कहा।
‘मुझे यादा लंबी बात नह करनी है,’ मने कहा।
‘आई एम रयली सॉरी। ले कन ये लोग मुझसे मलने के लए सौ कलोमीटर र से
आए ह। उनके साथ ब त बुरा आ है। म ये गया और ये आया।’
मने उसके ऑ फस पर नजर दौड़ाई। अब वह दे हाती ब ा अपने पता क गोद म बैठ
गया था। वह बीमार लग रहा था।
‘ठ क है’, मने कहा और समय दे खा।
‘थ स। अं कत तु हारी दे खभाल करेगा,’ उसने कहा।
ट न–एजर लड़का मुझे दे खकर मु कराया। राघव भीतर चला गया।
‘ लीज, बैठ जाइए,’ अं कत ने खाली कु सय क ओर इशारा करते ए कहा। म एक
कुस पर बैठ गया।
समय काटने के लए म अं कत से ब तयाने लगा।
‘यहां और कोई नह है?’ मने कहा।
‘यहां दो और टाफ मबस थे,’ अं कत ने कहा, ‘ले कन यहां तोड़फोड़ होने के बाद वे
चले गए। उनके पैरट् स को लगा क यह जगह उनके लए सुर त नह है। फर, सैलेरी भी
नह मल रही थी।
‘तो तुमने काम य नह छोड़ा?’ मने कहा।
अं कत ने अपना सर हलाया। ‘म राघव सर के साथ काम करना चाहता था,’ उसने
कहा।
‘ य ?’ मने कहा।
‘ य क वे ब त अ े इंसान ह,’ अं कत ने कहा।
म मु करा दया, जब क उसके श द से मुझे भीतर तक ठे स प ंची थी।
‘ऑ फस तो इतना बुरा नजर नह आ रहा है,’ मने कहा।
‘हमने इसक सफाई क है। हालां क हमारी ेस टू ट चुक है। हमारे पास कं यूटर भी
नह है।’
‘तुम लोग ने ब त बड़ी टोरी क थी,’ मने कहा। ‘तुम लोग के ही कारण वधायक
को इ तीफा दे ना पड़ा।’
अं कत ने मेरी ओर दे खा। ‘मी डया हमारी खबर को ले उड़ा, य क तब उ ह उसक
ज रत थी। ले कन हमारी परवाह कौन करता है?’
‘ फर अभी तुम लोग कैसे काम कर रहे हो?’ मने पूछा।
अं कत ने डे क क एक दराज खोली। उसने कागज क एक बड़ी–सी शीट नकाली,
जस पर हाथ से कुछ लखा आ था।
‘ये आ टक स सर लखते ह। म मै मो नय स लखता ं। हम इनक फोटोकॉपी
करते ह और जतनी हो सकती ह, उतनी बांटते ह।
‘ कतनी?’ मने पूछा।
‘चार सौ कॉ पयां। वे हाथ से लखी और फोटोकॉपी क ई होती ह। जा हर है, ब त–
से लोग पेपर के इस प को पसंद नह करते।’
मने ए–3 शीट पर नजर दौड़ाई। राघव ने वाराणसी क राशन क कान म हो रही
कालाबाजारी पर आ टक स लखे थे। उसने हाथ से ही एक टे बल भी बनाई थी, जसम
बताया गया था क असल क मत या ह, कालाबाजार क क मत या ह और इसके चलते
कानदार कतना पैसा कमा रहे ह। मने प ा पलटाया। उस पर लगभग पचास
मै मो नय स थे। सभी सधे ए हाथ से लखे गए थे।
‘चार सौ कॉपी? इतने कम सकुलेशन के बाद तु ह व ापन कैसे मल पाते ह गे?’
अं कत ने कंधे उचका दए और कोई जवाब नह दया। ‘मुझे फोटोकॉपी शॉप पर जाना
है। य द आपको अकेले बैठकर इंतजार करना पड़े , तो ऐतराज तो न होगा?’
‘नो ॉ लम। आई वल बी फाइन,’ मने आराम से बैठते ए कहा। मने अपना फोन
दे खा। आरती का एक मैसेज आया था – ‘तुम जो भी करो, उसके साथ अ े –से पेश
करना।’
मने फोन फर अपनी जेब म रख लया। मुझे सूट म गम लग रही थी। मुझे अहसास
आ क फैन नह चल रहा था।
‘फैन का वच कहां है?’ मने अं कत से पूछा।
‘ बजली नह है। सॉरी। उन लोग ने कने यान भी काट दया था अं कत ने बाहर जाते
ए कहा।
मने अपनी जैकेट नकाली और शट के ऊपर के दो बटन खोल दए। मने सोचा क इस
जगह इंतजार करने से तो बेहतर है क म अपनी कार म बैठकर वेट क ं । ले कन अब
ाईवर को वापस बुलाना ब त पेचीदा होता। म एयर कंडीशंड माहौल का ज रत से
यादा आद हो चुका था। इस गम कमरे ने मुझे बाबा के साथ बताए अपने शु आती दन
क याद दला द । पता नह य , ले कन सरे कमरे म अपने पता क गोद म सो रहा
ब ा भी मुझे बाबा और अपनी याद दला रहा था।
मने अपनी आंख के कोने से फर भीतर दे खा। कसान क आंख से आंसू बह रहे थे।
म उसक बात सुनने के लए झुका।
‘म अपना एक ब ा और बीवी को गंवा चुका ं। म नह चाहता क अपने प रवार के
कसी और सद य को गंवाऊं। अब बस मेरे प रवार म यह ब ा ही रह गया है,’ वह हाथ
जोड़कर कह रहा था।
‘ ब ु–जी, म आपक बात समझता ,ं ’ राघव ने कहा। ‘मेरे पेपर म दमनापुरा लांट
घोटाले के बारे म बड़ी खबर छपी थी। उसी वजह से उन लोग ने मेरा ऑ फस भी तहस–
नहस कर दया।’
‘ले कन आप आकर मेरे गांव रोशनपुर क हालत दे खए। हर तरफ गंदगी मची ई है।
गांव के आधे ब े बीमार पड़ चुके ह। छह क पहले ही मौत हो चुक है।’
‘रोशनपुर म एक और लांट है। शायद वहां भी कसी ने सरकार को धोखा दया है,’
राघव ने कहा।
‘ले कन कोई भी इसक शकायत नह कर रहा है। अ धकारी कुछ नह कर रहे ह।
आप ही हमारी एकमा उ मीद ह,’ कसान ने कहा। उसने अपनी पगड़ी उतारी और राघव
क डे क पर रख द ।
‘ये आप या कर रहे ह, ब ु–जी?’ राघव ने उस लाचार आदमी को उसक पगड़ी
लौटाते ए कहा। ‘मेरी कोई है सयत नह है। मेरा अखबार बंद होने वाला है। हम हाथ से
लखी चंद कॉ पयां बांटते ह, जनम से अ धकतर तो रद्द क टोकरी म चली जाती ह।’
‘मने अपने बेटे से कहा था क आप इस शहर म सबसे बहा र और सबसे ईमानदार
आदमी ह,’ व ु ने कहा। उसक आवाज कांप रही थी।
राघव नराशा से मु करा दया। ‘ले कन उससे या फक पड़ता है?’ उसने कहा।
‘कम से कम सरकार ही हमारे ब के लए डॉ टस भजवा दे ती। हम इससे कोई
फक नह पड़ता क दो षय को सजा मलती है या नह ,’ उसने कहा।
राघव ने गहरी सांस छोड़ी। उसने कुछ कहने से पहले अपनी गरदन खुजाई। ‘ठ क है,
म आपके गांव आऊंगा और एक खबर लखूंगा। अभी तक हमारा सकुलेशन कम है,
ले कन य द हमारा अखबार बचा रहा तो हम बाद म एक बार इस पर बड़ी खबर भी करगे।
य द ऐसा नह आ, तो म आपसे कोई वादा नह कर सकता, ठ क है?’
‘ध यवाद, राघव–जी!’ उसने कहा। उसक आंख म उ मीद क चमक थी। म उसे
नजरअंदाज नह कर सका।
‘और मेरे एक दो त के पता डॉ टर ह। म उनसे बात करके दे खता ं क वे आपके गांव
जा सकते ह या नह ।’
राघव उठ खड़ा आ। वह भी खड़ा हो गया। उसका बेटा जाग गया। वह राघव
के पैर छू ने के लए आगे झुका।
‘अरे, ऐसा मत करो,’ राघव ने कहा। ‘मुझे अभी एक से मलना है। उसके बाद
आज ही तु हारे गांव चलते ह। यहां से कतनी र है?’
‘एक सौ बीस कलोमीटर। आपको वहां तक प ंचने के लए तीन बस बदलनी ह गी,’
कसान ने कहा। ‘इसम कम से कम पांच घंटे लगगे।’
‘ठ क है। तो लीज, थोडी़ दे र इंतजार क जए।’ राघव उन दोन को ऑ फस से बाहर
ले आया।
‘यहां बैठ जाइए, ब –ु जी,’ राघव ने कहा और मेरी ओर दे खा। ‘दो मनट गोपाल? म
अपना ऑ फस साफ कर लेता ं।’
मने सर हला दया। राघव भीतर गया और अपनी डे क पर बखरे कागज को जमाने
लगा।
कसान अं कत क कुस पर मेरे सामने बैठ गया। हम एक– सरे को दे खकर सरसरी
तौर पर मु कराए।
‘इसका नाम या है?’ मने ब े क ओर इशारा करते ए कहा, जो फर से उसक
गोद म सोने लगा था।
‘केशव,’ कसान ने अपने बेटे के माथे पर थप कयां दे ते ए कहा।
मने सर हलाया और चुप हो गया। म अपने फोन के साथ खेल रहा था और उसे
ऊपर–नीचे, ऊपर–नीचे लप कर रहा था। म अपनी पट क जेब म मस डीज क
डु लकेट चाबी टटोलने लगा। म उसे इस खास मौके के लए लाया था।
‘बाबा, या म भी मर जाऊंगा?’ केशव ने अपनी पतली–सी आवाज म कहा।
‘बेवकूफ लड़का। या बकवास कर रहे हो?’ कसान ने कहा।
मुझे उस ब े पर तरस आने लगा, जो शायद बड़ा होने पर अपनी मां को याद भी नह
कर पाएगा, मेरी तरह। मने अपनी जेब म रखी चाबी को कसकर पकड़ लया, मानो इतने
भर से म अ ा महसूस करने लगूंगा।
राघव अपनी डे क और कुस क धूल झाड़ रहा था। उसका अखबार एक ह ते म बंद
हो सकता था और उसके पास ब कुल पैसा नह था। इसके बावजूद वह इन लोग क
मदद करने के लए इतनी र बसे गांव को जाने के लए तैयार था। उन लोग ने उसका
ऑ फस तो तहस–नहस कर दया था, ले कन वे उसका हौसला नह तोड़ पाए थे।
मने चाबी को और कसकर पकड़ लया, ता क खुद को यह दलासा दे सकूं क यहां म
ही सबसे बेहतर त म ं।
मने पाया क वह लड़का एकटक मेरी ओर दे ख रहा था। मुझे अजीब लगने लगा। मुझे
लगा जैसे वह मुझसे कोई सवाल पूछ रहा है, जसका मेरे पास कोई जवाब नह है।
‘तुम या बन गए हो, गोपाल?’ मेरे दमाग म एक आवाज गूंजी।
मने बेचैनी के साथ अपनी जेब से सन लासेस नकाले और उ ह घुमाने लगा। मने पाया क
उस लड़के केशव क आंख सन लासेस के साथ घूम रही थ । म उसे दाएं ले जाता तो
उसक आंख भी दाएं चली जात । म उसे बाएं ले जाता तो उसक आंख भी बाएं चली
जात । म उसे दे खकर मु करा दया।
‘ या आ?’ मने अपने फसी च मे क ओर इशारा करते ए पूछा। ‘तु ह ये चा हए?’
केशव उठ खड़ा आ। वह कमजोर हो गया था, ले कन उसका उ साह बरकरार था।
हालां क उसके पता लगातार ना करते रहे, ले कन मुझे उसे अपना च मा दे कर थोड़ी राहत
मली।
‘च मा बड़ा है लड़के ने उसे पहनने क को शश करते ए कहा। बड़े च मे म उसका
चेहरा और भी दयनीय लगने लगा था।
मने अपनी आख बंद कर ल । कमरे म बेहद गम थी। मुझे लगा जैसे म भी बीमार पड़
रहा ं। राघव अब फोन पर बात कर रहा था।
मेरे दमाग म बात चलती रह । ‘तुम यहां कस लए आए थे? या तुम यहां उसे यह
दखाने आए थे क तुम बड़े आदमी बन गए हो और वह बरबाद हो चुका है? या यही
तु हारी जदगी का हा सल है? तु ह लगता है क तुम उससे बेहतर इंसान हो, य क तु हारे
पास कार और अ ा सूट है?’
‘गोपाल!’ राघव ने पुकारा।
‘ ंह?’ मने आंख खोलते ए कहा। ‘ या?’
‘अंदर आ जाओ’, राघव ने कहा।
म उसके ऑ फस म चला गया। मेरे हाथ अपनी जेब म ही थे, चा बय को कसकर
भ चे ए। लान के मुता बक, मुझे बैठने से पहले उसक टे बल पर कैजुअली कार क चाबी
रख दे नी थी। ले कन, म ऐसा नह कर पाया।
‘जेब म या है?’ राघव ने कहा। उसने दे ख लया था क मेरा हाथ जेब से बाहर नह
नकल रहा है।
‘ओह कुछ नह ’, मने कहा और चाबी छोड़ द । म उसके सामने बैठ गया।
तो तुम ‘रेवो युशन 2020’ का रा ता कैसे भूल गए? या हमने तु हारे बॉस लोग को
फर नाराज कर दया?’ राघव ने दबी ई हंसी के साथ कहा। ‘ओह वेट, तुमने कहा था क
पसनल बात है।’
‘हां’, मने कहा।
‘ या?’ राघव ने कहा।
मुझे समझ नह आ रहा था क या क ं। मने अपनी पूरी ीच लान कर रखी थी। म
उसे कहना चाहता था क आरती एक बेहतर जीवनसाथी क हकदार है और वह म ं। या
यह क कैसे म जदगी म कामयाब हो गया, जब क वह नाकाम रह गया। या यह क कस
तरह वह लूजर है, म नह । और इसके बावजूद, मुझे लग रहा था क य द मने ये तमाम बात
कह तो लूजर म ही सा बत होऊंगा, वो नह ।
‘पेपर का काम कैसा चल रहा है?’ मने कहा, ता क इस अजीब–सी खामोशी को तो
तोड़ सकूं।
उसने अपने हाथ हलाते ए कहा। ‘तुम खुद दे ख सकते हो।’
‘य द पेपर बंद हो गया तो तुम या करोगे?’ मने कहा।
राघव मु कराया नह । ‘मने अभी इस बारे म कुछ नह सोचा। शायद पहले दौर का
अंत।’
म चुप रहा।
‘उ मीद करता ं क मुझे कोई इंजी नय रग जॉब न करना पड़े । शायद मुझे अ लाई
करना पड़े ...’ राघव क थक ई–सी आवाज खामोश हो गई।
म समझ गया था क उसने अभी तक इतनी र का नह सोचा है।
‘आई एम सॉरी, गोपाल’, राघव ने कहा, ‘य द मने तु ह कभी हट कया हो तो। तुम
चाहे जो सोचो, ले कन मेरी तरफ से कुछ पसनल नह था।’
‘तुम यह सब य करते हो, राघव? तुम माट हो। तुम हम सभी क तरह पैसा य
नह कमाते?’
‘ कसी न कसी को तो कुछ न कुछ करना ही पड़े गा, गोपाल। नह तो चीज कैसे
बदलगी?’
‘पूरा स टम ही सड़ा–गला है। एक अकेला आदमी या कर सकता है?’
‘पता है।’
‘तो?’
‘हम सभी को अपना–अपना छोटा–मोटा काम तो करना ही होगा। बदलाव के लए हम
एक रेवो यूशन क ज रत है। एक वा त वक रेवो युशन केवल तभी होगी, जब लोग खुद
से यह पूछना शु कर दगे क मने या कुबानी द है?’ ‘यह तो तु हारे अखबार क
टै गलाइन लगती है,’ मने मजाक उड़ाते ए कहा।
वह चुप हो गया। म जाने के लए उठ खड़ा आ। वह मुझे बाहर तक छोड़ने आया।
मने तय कया क म अपनी कार नह बुलाऊंगा, ब क गली के बाहर तक पैदल चलकर
जाऊंगा और वह अपनी कार म सवार हो जाऊंगा।
‘तुम आए कस लए थे?’ राघव ने कहा। ‘मुझे यक न नह होता क तुम यहां केवल
मेरा हाल–चाल पूछने आए थे।’
‘मुझे इस इलाके म कुछ काम था। मेरी कार को स व सग क ज रत थी। मने सोचा
क जब तक मेरी कार त होती है, तुमसे मल आता ं।’
‘तुमसे मलकर अ ा लगा। ऐसे ही कभी आरती से भी मल लया करो’उसने कहा।
म उसका नाम सुनकर च क गया।
‘हां। वह कैसी है?’ मने कहा।
‘मेरी भी उससे कुछ समय से मुलाकात नह ई, ले कन लगता है वह भी तनाव म है।
मुझे उससे बात करनी होगी। तु ह भी उससे बात करनी चा हए। उसे अ ा लगेगा,’उसने
कहा।
मने सर हलाया और उसके ऑ फस से बाहर चला आया।
37
अं तम सं कार के लए पहने जाने वाले झक–सफेद कपड़ के कारण मेरी आंख चुं धयाने
लग । मने उन लोग के चेहरे दे खे। म उनम से कसी को पहचान न पाया।
‘यह कसक शवया ा है?’ मने अपने पास खड़े एक आदमी से पूछा।
हम घाट पर खड़े थे। मने दे खा क लाश छोटे आकार क लग रही थी। वे उसे सीधे गंगा
म वा हत करने के लए ले गए।
‘वे उसका दाह सं कार य नह कर रहे ह?’ मने पूछा। और पूछते ही म समझ गया
य । वह कसी ब े क लाश थी। म लाश के करीब गया और उसक चादर हटाई। वह
एक छोटा ब ा था। सन लासेस पहने ए।
‘इसे कसने मारा?’ म च लाया, ले कन ऐसा लग रहा था जैसे श द मेरे हलक से
नकलने को तैयार न ह ।
म चीखता आ जाग गया। मुझे ऊपर अपने बेड म क सफेद सी लग नजर आ रही
थी। कमरे म तेज रोशनी थी, य क म ब यां बुझाना भूल गया था। रात के तीन बज रहे
थे। केवल एक बुरा सपना था, मने खुद से कहा।
म ब तर म करवट बदलता रहा, ले कन फर मुझे न द नह आई।
मने राघव के बारे म सोचा। वह पूरी तरह से ख म हो चुका था। उसका पेपर ज द ही
बंद होने वाला था। उसके लए एक नया जॉब तलाशना मु कल सा बत होता, खासतौर पर
वाराणसी म। और वह जहां भी जाता, यह खतरा हमेशा उसके सर पर मंडराता रहता क
शु ला के आदमी उस पर फर हमला बोल दगे।
फर मने आरती के बारे म सोचा। मेरी आरती। मेरी जदगी का मकसद। अगले ह ते
मेरी उससे इंगेजमट हो सकती थी। तीन महीने बाद शाद हो सकती थी। एक साल बाद म
वधायक बन सकता था। मेरे एक इशारे पर मुझे यू नव सट क अ ूवल मल सकती थी।
म कसी भी फ म अपना काम बढ़ा सकता था – मे ड सन, एमबीए, को चग, ए वएशन।
भारत म एजुकेशन के लए लोग क चता को दे खते ए मेरे सामने संभावना का पूरा
आकाश था। आरती लाइट अटडट बनना चाहती थी, ले कन म उसे एक लेन खरीदकर दे
सकता था। य द म ठ क से अपना काम क ं तो म पाट र स म भी आगे बढ़ सकता था।
मने अपनी जदगी तनहाई म बताई थी, ले कन अब मेरा एक प रवार हो सकता था।
आरती और मेरे यारे– यारे ब े हो सकते थे। वे भी बड़े होकर मेरा बजनेस और
राजनी तक सा ा य संभाल सकते थे। भारत म लोग इसी तरह कामयाबी का सफर तय
करते ह। म भी ब त बड़ा आदमी बन सकता था।
‘ले कन राघव का या होगा?’ केशव मुझसे पूछ रहा था। पता नह , वह अभी जदा
था, या मर चुका था। ‘मुझे परवाह नह ,’ मने उससे कहा। ‘य द वह नाकाम होता है तो यह
उसक अपनी बेवकूफ क वजह से होगा। य द वह माट होता तो उसे ब त पहले यह
समझ आ जाता क इस तरह क बेवकू फयां करने से वह कुछ नह बन पाएगा। इस दे श म
2020 तक कोई रेवो यूशन नह होगी। यह भारत है। यहां कभी कुछ नह बदलता। फक
यू, राघव।’
ले कन केशव इतनी ज द चुप नह होने वाला था। ‘तुम कस तरह के राजनेता बनना
चाहते हो, गोपाल?’
‘म तु हारे सवाल का जवाब नह दे ना चाहता। तुम मुझे डरा रहे हो। चले जाओ यहां
से,’ मने जोर से कहा हालां क मेरे कमरे म कोई नह था। म अ तरह जानता था क
कमरे म कोई नह है।
‘आरती का या होगा?’ मेरे भीतर एक आवाज फुसफुसाई।
‘म उससे यार करता ं!’
‘ले कन उसके बारे म या? या वह भी तुमसे यार करती है?’
‘हां, वह भी मुझे चाहती है। हमने एक– सरे के साथ यार भरे ल हे बताए ह। वह
चाहती है क म उसका हसबड बनूं,’ म अपने आप से बात कर रहा था।
‘ले कन अगर उसे तु हारी अस लयत पता चल जाए, तब भी वह तु ह यार करेगी?
या हो अगर वह जान जाए क तुम एक और चालाक इंसान हो?’
‘म खूब मेहनत करता ं। म एक कामयाब आदमी ं,’ मने फर जोर से कहा। म
अपनी ही आवाज से च क जा रहा था।
‘ले कन या तुम एक भले आदमी हो?’
घड़ी पांच बजे का समय बता रही थी। भोर हो रही थी।
म कै स म वॉक करने नकल पड़ा। सुबह क ताजी हवा से मेरा दमाग थोड़ा शांत
आ। ओस भीगे पेड़ क टह नय पर छोट –छोट च ड़याएं चहचहा रही थ । उ ह पैसे,
मस डीज और बंगले क कोई परवाह नह थी। वे अपना गीत गा रह थ , य क यही
उनक जदगी थी। और उनका गाना ब त खूबसूरत था। पहली दफे मुझे अपने कै स के
पेड़ और प य के लए गव का अनुभव आ।
म समझ गया क केशव सपन म मेरा पीछा य कर रहा था। एक समय था, जब म
खुद केशव जैसा आ करता था – भोला, मासूम और नया से बेखबर। ले कन जदगी के
थपेड़ से मेरा सामना आ तो मने अपने भीतर के केशव को मार डाला, य क नया के
मन म मासू मयत क कोई क नह थी। तो फर मने कल राघव को कुचल दे ने का मौका
य गंवा दया? ‘शायद, मेरे भीतर का केशव अभी पूरी तरह से मरा नह है,’ मने खुद से
कहा। ‘शायद, हमारे भीतर का वह भोला, भला, मासू मयत भरा ह सा कभी मरता नह
है, बस हम ही कुछ व के लए उसे भूल जाते ह।’
मने आकाश क ओर दे खा, इस उ मीद से क ई र मुझे कोई रा ता दखाएगा। या
शायद मां या बाबा मेरी मदद करगे। मेरी आंख से आंसू बहने लगे। म फफक–फफककर रो
पड़ा। म एक पेड़ के नीचे बैठ गया और एक घंटे तक रोता रहा। बस यूं ही।
कभी–कभी हमारे लए जदगी का मतलब यह नह रह जाता क हम या बनना चाहते
ह, ब क यह हो जाता है क हम या करना चा हए।
शु ला–जी जेल के बरामदे म सेब खा रहे थे। एक कां टे बल उनके पास बैठा था और सेब
छ लकर उ ह दे रहा था।
‘गोपाल, मेरे ब े, आओ, आओ,’ शु ला–जी ने कहा। उ ह ने कलफदार सफेद कुता–
पायजामा पहन रखा था, जो सुबह क रोशनी म चमक रहा था।
म फश पर बैठ गया। ‘म आपसे एक मदद चाहता था,’ मने कहा।
‘हां, हां, बोलो,’ उ ह ने कहा।
मने कां टे बल क ओर दे खा। ‘ओह, यह। यह धीरज है। मेरे गांव का ही है। धीरज,
मुझे अपने ब े से जरा बात करनी है।’
कां टे बल बाहर चला गया।
‘मने उसे कह दया है क म उसका मोशन करवा ं गा,’ शु ला–जी ने कहा और
मु करा दए।
‘म एक अजीब–सी बात कहने के लए आया ं,’ मने कहा।
‘सब ठ क तो है?’
‘शु ला–जी या आप कुछ... कुछ कॉलग स मुझे हायर करवा दगे? आपने ब त
पहले उनका ज कया था।’
‘शु ला–जी, इतने जोर से हंसे क उनके मुंह से सेब का रस टपकने लगा।
‘आई एम सी रयस,’ मने कहा।
‘मेरा ब ा अब बड़ा हो गया है। तो, तु ह औरत चा हए?’
‘मेरे लए नह ।’
शु ला–जी ने मेरा घुटना थपथपाया और अथपूण ढं ग से आंख मारी। ‘यक नन नह ।
अ ा बताओ, तु हारी उ या है?’
‘अगले ह ते म चौबीस साल का हो जाऊंगा,’ मने कहा।
‘ओह, तो तु हारा बथडे आने वाला है?’ उ ह ने कहा।
‘हां, 11 नवंबर को,’ मने कहा।
‘यह तो ब त अ बात है। तुम वाकई बड़े हो गए हो। शरमाओ मत,’ उ ह ने कहा,
‘हम सभी यह करते ह।’
‘सर, यह इं े टस के लए है। अगले ह ते उनक हमारे यहां व जट है,’ मने कहा।
‘म अपनी फ स बढ़वाना चाहता ं। फैसला उ ह के हाथ म है।’
उनक यौ रयां चढ़ ग । ‘उनके लए लफाफे काफ नह ह गे?’
‘यह वाला इं े टर औरत का शौक न है। मुझे कानपुर के कुछ सरे ाइवेट कॉलेज
से पता चला है।’
‘अ ा, ठ क है,’ शु ला–जी ने कहा। उ ह ने अपने पायजामे क एक सी े ट पॉकेट
से एक सेलफोन नकाला। अपने कॉ टै ट क सूची दे खी और मुझे एक नंबर दया।
‘इसका नाम वनोद है। इसे फोन लगाओ और मेरा नाम लो। उसे बताओ क तुम या
चाहते हो। वह काम कर दे गा। तु ह कब ज रत है?’
‘अभी मेरे पास ए जै ट तारीख नह है,’ मने कहा और उठने लगा।
‘सुनो,’ शु ला–जी ने मेरे हाथ ख चकर मुझे फर बैठाते ए कहा। ‘तुम भी मजे लो।
शाद के बाद ब त मु कल हो जाती है। उससे पहले ही मौज–म ती कर लो।’
म अनमने ढं ग से मु करा दया।
‘डीएम क बेट से तु हारा च कर कैसा चल रहा है?’
‘ब ढ़या,’ मने कहा। म इस बारे म उ ह कम से कम जानकारी दे ना चाहता था।
‘तुम उसके पैरट् स से बात करोगे या उससे यार करने का वांग रचोगे?’
‘मने अभी इस बारे म सोचा नह है,’ मने कहा। ‘अब म चलता ं, शु ला–जी। आज
अकाउं ट्स मी टग है।’
शु ला–जी समझ गए क मेरी उनसे बात करने म दलच ी नह है। वे मुझे छोड़ने
जेल के गेट तक आए।
‘ जदगी ऐसा मौका बार–बार नह दे ती,’ उ ह ने मुझे वदा करते ए कहा।
हमारे बीच लोहे का एक बड़ा–सा दरवाजा झनझनाते ए बंद हो गया।
38
कैलडर 10 नवंबर क तारीख दखा रहा था। 23 साल क उ म यह मेरा आ खरी दन था।
मने सुबह का व अपनी डे क पर बताया था। टू डट् स र जटे टव मुझसे मलने आए
थे। वे एक कॉलेज फे टवल करवाना चाहते थे। मने उनसे कहा क वे चाह तो फे टवल
कर सकते ह, बशत वे अपने लए ॉ सस जुटा ल। टू डट् स से मलने के बाद मेरा पाला
एक मुसीबत से पड़ा। दो लास स क द वार से पानी रस रहा था। मुझे एक घंटे तक
कॉ ै टर पर च लाना पड़ा, तब जाकर उसने कुछ लोग को उसक मर मत करवाने
भजवाया।
दोपहर को घर से मेरा लंच–बॉ स आया। मने भडी, दाल और रो टयां खाई। इसके
साथ ही मने आरती को एक कॉल कया। उसने फोन नह उठाया। लंच के बाद मेरी
लगातार दो मी ट स थ । म उससे बाद म बात नह कर पाता। मने एक बार फर को शश
क।
‘हैलो,’ एक अनजान–सी आवाज ने कहा।
‘कौन बोल रहा है?’ मने पूछा।
‘ दस इज बेला, गे ट रलेशंस से आरती क कॉलीग। तुम गोपाल हो ना? मने तु हारा
नाम लैश होते दे खा था,’ उसने कहा।
‘हां, या आरती वहां है?’
‘वह एक गे ट को अटड करने गई है। म उसे तु ह फोन लगाने को क ं?’
‘हां, लीज,’ मने कहा।
‘ओह, और है पी बथडे इन एडवांस,’ उसने कहा।
‘तु ह कैसे पता चला?’ मने कहा।
‘वेल, वह तु हारा ग ट तैयार करने के लए ब त मेहनत कर रही है... ऊ स!’
‘ या आ?’
‘शायद मुझे यह तु ह बताना नह था,’ बेला ने कहा। ‘मेरा मतलब है, वह सर ाइज है।
वह तु हारे लए बथडे ग ट बना रही है। इट् स सो वरट। उसने एक केक भी ऑडर कया
है... सुनो, य द उसे पता चल गया क मने तु ह यह सब बता दया है तो वह तो मेरी जान ही
ले लेगी।’
‘ रलै स, म उसे कुछ नह बताऊंगा। ले कन य द तुम मुझे लान बताओ, तो म भी
उसके लए कुछ लान कर सकता ं।’
‘यू गाइज आर वीट। तुम दोन बचपन के दो त हो ना?’ उसने कहा।
‘हां, तो लान या है?’
‘वेल, वह तु ह कहेगी क वह तु हारे बथडे पर तुमसे नह मल सकती। जा हर है, तुम
ब त नाराज हो जाओगे, ले कन वह काम का बहाना करेगी। ले कन काम के बाद वह
दोपहर को एक केक और ग ट लेकर तु हारे यहां चली आएगी।’
‘अ ा कया जो तुमने बता दया। म उस समय घर पर ही र ंगा, मी टग म नह ।’ मने
कहा।
‘तुम अपने बथडे के दन भी काम करोगे?’ उसने कहा।
‘म पूरे समय काम करता रहता ं,’ मने कहा। ‘ या वह आ गई है?’
‘अभी तो नह । म उसे तु ह कॉल करने को कह ं गी,’ उसने कहा। ‘ले कन लीज उसे
कुछ मत बताना। ऐसा जताना जैसे तु ह कुछ पता ही न हो।’
‘ योर,’ मने कहा और फोन रख दया।
यही सही समय था। मने वनोद को कॉल कया।
‘ वनोद?’ मने कहा।
‘कौन बोल रहा है?’ उसने कहा।
‘म गोपाल ं। म वधायक शु ला के साथ काम करता ं,’ मने कहा।
‘अ ा, अ ा, बताइए या काम है?’ उसने कहा।
‘मुझे कुछ लड़ कयां चा हए,’ मने कहा।
उसने फोन काट दया। मने फर फोन लगाया, ले कन उसने उठाया नह । मने अपना
फोन एक तरफ रख दया।
दस मनट बाद एक अनजाने लडलाइन नंबर से मुझे एक कॉल आया।
‘ वनोद बोल रहा ं। आपको लड़ कय क ज रत थी?’
‘हां,’ मने कहा।
‘रात पर के लए चंद घंट के लए?’
‘ ंह?’ मने कहा। ‘दोपहर। एक दोपहर के लए।’
‘दोपहर के लए है पी–ऑवर ाइसेस ह। कतनी चा हए?’
‘एक?’ मने कुछ सोचते ए कहा।
‘दो ले ली जए। अ ा सौदा रहेगा। एक के साथ सरी हाफ रेट मलेगी।’
‘ले कन एक से काम चल जाएगा।’
‘म दो भेज दे ता ं। य द तु ह दो चा हए, तो दोन को रख लेना। नह तो उनम से कोई
एक चुन लेना।’
‘डन। कतना लगेगा?’
‘ कस तरह क लड़क चा हए?’
मुझे नह पता था उसके पास कस तरह क लड़ कयां थ । मने इससे पहले कभी
कसी कॉल गल का ‘ऑडर’ नह दया था। या उसके पास कोई मेनु था?
‘कोई... कोई नाइस लड़क ?’ मने ब कुल कसी क े खलाड़ी क तरह कहा।
‘अं ेजी बोलने वाली? जी स वगैरह पहनने वाली?’ उसने कहा।
‘हां,’ मने कहा।
‘इं डयन, नेपाली या गोरी?’ उसने कहा। वाराणसी नेपाल बॉडर से ब त र नह था।
‘तु हारे पास गोरी लड़ कयां भी ह?’ मने कहा।
‘यह टू र ट टाउन है। कुछ लड़ कयां काम–धंधे के लए यह क जाती ह। उ ह ढूं ढना
मु कल है ले कन हम ऐसा कर सकते ह।’
‘मुझे दखने म अ –भली इं डयन लड़ कयां भेज दो। ऐसी लड़ कयां, जो कॉलेज
कै स म लोग का ब त यान न ख च।’
‘कॉलेज?’ वनोद ने हैरत से कहा। ‘हम नॉमली होटल म लड़ कयां भजवाते ह।’
‘कॉलेज मेरा ही है। इट् स ओके।’
गंगाटे क के बारे म बताने के बाद वनोद मान गया। मने उसे समझा दया क उसे कस
तरह डायरे टर के बंगले तक लड़ कयां प ंचानी ह।
‘तो आपको उसक ज रत कब है?’
‘दो बजे के बाद। पूरी दोपहर। शाम छह बजे तक,’ मने कहा।
‘बीस हजार लगगे,’ उसने कहा।
‘आर यू े जी?’
‘और वह भी शु ला–जी के रेफरस पर। आमतौर पर म वदे शय से एक लड़क के
इतने पैसे लेता ं।’
‘दस।’
‘पं ह।’
मुझे दरवाजे पर द तक सुनाई द ।
‘डन। कल दो बजे। लखनऊ हाईवे पर गंगाटे क कॉलेज म,’ मने फुसफुसाते ए कहा
और फोन रख दया।
‘फैक ट मी टग,’ ीवा तवा ने दरवाजे पर खड़े होकर कहा।
‘ओह, ऑफ कोस,’ मने कहा। ‘ लीज कम इन, डीन सर।’
मने पयून से कहा क हमारे बीस फैक ट सद य के लए और कु सयां लगवाए।
‘ टू डट् स ने मुझे बताया क कल आपका बथडे है, डायरे टर गोपाल,’ डीन ने कहा।
फैक ट को जैसे ऑग म हो गया हो। बॉस होना भी ब ढ़या होता है, सभी आपक ल लो–
च पो करने को तैयार बैठे रहते ह।
‘ज ट अनादर डे ,’ मने कहा।
‘ले कन टू डट् स आपके लए केक काटना चाहते ह,’ डीन ने कहा।
‘ लीज, ऐसा मत क जए। म ऐसा नह कर सकता।’ मने कहा। दो सौ लोग के सामने
केक काटने का सोचकर ही म श मदा हो गया था।
‘ लीज, सर,’ एक युवा फैक ट मबर जयंत ने कहा। ‘ टू डट् स आपको ब त मानते ह।
यह उनके लए ब त बड़ी बात होगी।’
म सोचने लगा क य द टू डट् स को वनोद से ई मेरी बात के बारे म पता चल जाए,
या तब भी वे मेरा ब त मान–स मान करगे?
‘वे आपके लए पहले ही दस कलो के एक केक का ऑडर दे चुके ह, सर,’ ीवा तवा
ने कहा।
‘अ ा, काय म ज द से नपटा दे ना,’ मने कहा।
‘बस दस मनट लगगे। एक बजे लासेस ख म होने के फौरन बाद,’ डीन ने कहा।
फैक ट मी टग शु ई। सभी ने मुझे अपने कोस ो ाम के बारे म बताया।
‘अब ज द से ज द लेसमट् स क तैया रयां शु कर दो,’ मने कहा, ‘इसके बावजूद
क हमारी पा सग आउट बैच को अभी दो साल का समय है।’
‘जयंत लेसमट कोऑ डनेटर ह,’ डीन ने कहा।
‘सर, मने पहले ही कॉप रेट्स से मलना शु कर दया है,’ जयंत ने कहा।
‘ र ॉ स कैसा है?’ मने पूछा।
‘चूं क हम नए ह, इस लए अभी थोड़ी मु कल होगी। कुछ एचआर मैनेजस यह भी
जानना चाह रहे ह क उ ह कतना ह सा मलेगा,’ जयंत ने कहा।
‘डायरे टर गोपाल, जैसा क आप जानते ही ह...’ डीन ने कहना शु कया, ले कन
मने उ ह बीच म ही टोक दया।
‘य द एचआर मैनेजस हमारे कॉलेज से हायर करते ह तो उ ह इसके ऐवज म अपना
ह सा चा हए, करे ट?’ मने कहा।
‘जी, सर,’ जयंत ने कहा।
ाइवेट कॉलेज चलाने के हर पहलू से घूसखोरी जुड़ी ई थी, तो फर लेसमट् स कैसे
बच सकते थे? ले कन सरे मबस इस बात से हैरान लग रहे थे।
‘पसनल पेआउट?’ मैके नकल इंजी नय रग क ोफेसर मसेज अव ी ने दम लेते
ए कहा।
जयंत ने सर हला दया।
‘ले कन ये लोग तो बड़ी कंप नय के मैनेजस ह गे,’ उ ह ने कहा। वे अब भी हैरान थ ।
‘ मसेज अव ी, यह आपका डपाटमट नह है। बेहतर होगा अगर आप मुझे अपने
कोस अ लाइड मैके न स के बारे म बताएं,’ मने कहा।
मेड्स ने तीन स जय , दाल और रोट का लजीज खाना बनाया था। ले कन मने उसे छु आ
तक नह । म ब तर म लेटा रहा और अपना फोन चेक करता रहा। आरती ने दनभर से मेरे
फोन का जवाब नह दया था। मने भी उसे फर कॉल नह कया।
मने एक बार फर अपने लान के बारे म सोचा।
आधी रात को आरती का फोन आया।
‘है पी बथडे टु यू,’ आरती ने गुनगुनाते ए कहा।
‘हे, आरती,’ मने कहा, ले कन उसने नह सुना।
‘है पी बथडे टु यू,’ वह अपनी आवाज क पच बढ़ाते ए गुनगुनाती रही, ‘है पी बथडे
डयर गोपाल, है पी बथडे टु यू।’
‘ओके, ओके, अब हम ब े नह ह,’ मने कहा।
ले कन उसने गाना जारी रखा।
‘है पी बथडे टु यू। यू वर बॉन इन द जू। वद मंक ज एंड एलीफट् स, ऑल लुक ज ट
लाइक यू,’ वह मेरे लए उसी तरह गा रही थी, जैसे ाइमरी कूल म गाया करती थी।
शायद, यह सब ब त बचकाना था, ले कन मेरी आंख म आंसू आ गए। म यक न ही
नह कर पाया क मने वैसा कोई लान बनाया था।
‘कोई ब त खुश है,’ मने कहा।
‘ऑफ कोस, आज तु हारा बथडे जो है। इसी लए मने पूरे दन तु ह कॉल या मैसेज
नह कया।’
‘ओह,’ मने कहा।
‘ओह या? तुमने यान नह दया या?’ वह चढ़ गई थी।
‘ ब कुल, यान दया था। यहां तक क मेरा टाफ भी सोच रहा था क आज मेरे फोन
ने एक बार भी बीप य नह कया।’
म ब तर से उठा और ब यां चला द ।
‘एनीवे, मने खूब सोचा क तु ह या ं , ले कन तु हारे पास तो सब कुछ है।’
‘और?’
‘म कुछ सोच ही न पाई।’
‘ओह, दै ट्स ओके। मुझे वैसे भी कुछ नह चा हए।’
‘शायद, जब हम मल, तब म तु ह कुछ खरीदकर दे सकती ं,’ उसने कहा।
‘हम कब मल रहे ह?’ मने कहा, हालां क बेला मुझे उसके लान के बारे म बता चुक
थी।
‘दे खो, कल मलना तो ब त मु कल होगा, मेरी डबल श ट है।’
‘तुम मेरे बथडे के दन मुझसे नह मलोगी?’ मने कहा।
‘ या कर?’ उसने कहा। ‘आधा ं ट ऑ फस टाफ गायब है। स दयां या आई, सभी
वायरल फ वर का बहाना बनाने लगे ह।’
‘ओके,’ मने कहा। यह तो कहना ही पड़े गा क वह ब त अ ए टं ग कर लेती थी।
म उसक बात को लगभग सच ही मान बैठा।
‘है पी बथडे अगेन, बाय!’ उसने कहा।
मेरा इनबॉ स ढे र सारे बथडे मैसेजेस से भर गया। ये मैसेज उन अनेक कॉ े टस,
इं े टस और सरकारी अ धका रय ारा कए जा रहे थे, जनक जेब मने बीते समय म
गम क थ । आरती के अलावा एकमा पसनल मैसेज मुझे शु ला–जी का मला। उनका
फोन आया था।
‘तुम जयो हजार साल,’ उ ह ने कहा।
‘शु या, आपको याद था!’ मने जवाब दया।
‘तुम मेरे बेटे जैसे जो हो,’ उ ह ने कहा।
‘थक यू, शु ला–जी, एंड गुड नाइट,’ मने कहा।
मने ब यां बुझा द । कल मेरी जदगी का अहम दन था और उससे पहले म कुछ दे र
सो जाना चाहता था।
39
‘बस, बस, ब त आ,’ दसव टू डट ारा मुझे केक खलाए जाने पर मने कहा।
हम मेन कै स ब ग के एक कमरे म जमा ए थे। टाफ और टू डट् स मुझे वश
करने आए थे। फैक ट ने मुझे ग ट के तौर पर एक ट –सेट दया था। टू डट् स मेरी लंबी
उ के लए ाथना गा रहे थे।
‘सर, हम उ मीद करते ह क आपके अगले बथडे पर कै स म एक मसेज डायरे टर
भी ह गी,’ फ ट ईयर के एक चुलबुले–से टू डट ने सभी के सामने कहा, जसका सभी ने
ता लय के साथ वागत कया। म मु करा दया और व दे खा। दो बज गए थे। मने सभी
को हाथ जोड़कर शु या कहा।
म घर जाने के लए मेन ब ग से बाहर नकल पड़ा।
‘है पी बथडे !’ – आरती का मैसेज आया।
‘तुम कहां हो?’ – मने पूछा।
‘डबल श ट अभी शु ई है। :(,’ उसने जवाब दया।
सवा दो बजे मुझे वनोद का फोन आया। मेरा दल जोर से धड़क रहा था।
‘हाय,’ मने नवस होते ए कहा।
‘लड़ कयां सफेद टाटा इं डका म ह। वे हाईवे पर ह और पांच मनट म कै स प ंच
जाएंगी।’
‘म गेट पर इनफॉम कर दे ता ं,’ मने कहा।
‘तुम कैश दोगे?’
‘हां। या तुम लोग े डट काड् स लेते हो?’ मने कहा।
‘हां, फॉरेनस से। ले कन कैश इज बे ट,’ वनोद ने कहा।
मने मेड्स से उनके वाटर म जाने को कहा। साथ ही मने उ ह यह भी कह दया क
चार घंटे तक मुझे ड टब न कर। फर मने गाड–पो ट को कॉल कया और उसे कहा क
वह सफेद इं डका को भीतर आने दे । मने उसे यह भी कहा क य द कोई और मुझसे मलने
आता है तो मुझे इ फॉम कर दे ।
ज द ही दरवाजे क घंट बजी। मने दरवाजा खोला। एक अजीब–सा दखने वाला
आदमी मेरे सामने खड़ा था। उसके पीछे दो लड़ कयां थ । उनम से एक ने एक चीप लेपड–
ट टॉप और जी स पहन रखी थी। सरी ने पपल लेस का डगन और ाउन पट् स पहन
रखी थी। म उ ह दे खते ही कह सकता था क ये लड़ कयां इन वे टन कपड़ म कंफटबल
नह थ । ले कन शायद इससे उ ह अपनी यादा क मत मल जाती थी।
आदमी ने चमकदार लू शट और हाइट ाउजस पहन रखे थे।
‘ये लड़ कयां चलगी?’ उसने मुझसे पूछा।
मने लड़ कय क ओर दे खा। दोपहर का व दे खते ए उ ह ने ज रत से यादा
मेकअप कर रखा था। खैर, मेरे पास कोई चॉइस नह थी।
‘चलगी,’ मने कहा।
‘पेमट?’
मने पैसा अपनी जेब म तैयार रखा था। मने नोट का एक बंडल उसे दे दया।
‘म कार म वेट कर रहा ं,’ उसने कहा।
‘कै स के बाहर, लीज,’ मने कहा। वह आदमी चला गया। मने लड़ कय को मेरे
पीछे आने को कहा। हम भीतर जाकर सोफ पर बैठ गए।
‘म रोशनी ं। तु ह लाइंट हो?’ लेपड ट वाली लड़क ने कहा। दोन म से वह
यादा कॉ फडट लग रही थी।
‘हां,’ मने कहा।
‘हम दोन के लए?’ रोशनी ने पूछा।
‘हां,’ मने कहा।
रोशनी ने मेरा कंधा पकड़ लया।
‘ ॉ ग मैन,’ उसने कहा।
‘इसका नाम या है?’ मने पूछा।
‘पूजा,’ पपल लेस वाली लड़क ने खुद ही कह दया।
‘ये तु हारे असली नाम नह ह, राइट?’ मने कहा।
रोशनी और पूजा, या वो लड़ कयां जो खुद को रोशनी और पूजा बता रही थ ,
खल खलाकर हंस पड़ ।
‘इट् स ओके,’ मने कहा।
रोशनी ने आसपास दे खा। ‘तो हम कहां करगे?’
‘ऊपर, बेड म म,’ मने कहा।
‘तो चलो,’ रोशनी ने कहा। वह अपने काम पर ब त फोक ट थी।
‘ऐसी भी या ज द है?’ मने कहा।
पूजा दोन म से कम बोलती थी, ले कन रोशनी के इं ंस का रा ता दे खते समय
उसके चेहरे पर मु कराहट च ा रहती थी।
‘ले कन क तो भी कस लए?’ रोशनी ने पूछा।
‘मने पूरी दोपहर के लए पैसा दया है। सही व आने पर हम ऊपर चलगे,’ मने कहा।
‘ले कन हम तब तक या करगे?’ रोशनी ने कहा। उसक आवाज म जरा आ ामकता
थी।
‘बैठो,’ मने कहा।
‘हम ट वी दे ख सकती ह?’ पूजा ने नरीह भाव से पूछा। वह न क ओर इशारा कर
रही थी। मने उसे रमोट दे दया। उ ह ने एक लोकल केबल चैनल लगा ली, जस पर
सलमान खान क ‘मने यार कया’ चल रही थी। हम चुपचाप बैठकर प चर दे खते रहे।
हीरोइन ने हीरो से कहा क ड शप म न तो कोई सॉरी होता है, न थ यू। पता नह इस
बात का या मतलब था। कुछ दे र बाद हीरोइन एक गाना गाने लगी और कबूतर से हीरो
तक चट् ठ प ंचाने का कहने लगी। रोशनी उसके साथ–साथ गुनगुनाने लगी।
‘नो स गग, लीज,’ मने कहा।
मुझे ऐसा लगा जैसे रोशनी को मेरी इस बात से ठे स प ंची है। ले कन मुझे कोई परवाह
नह थी। मने उसक स गग क स के लए पैसे नह चुकाए थे।
‘ या हम यह बैठे रहगे?’ साढ़े तीन बजे उसने कहा।
‘इट् स ओके, द द ,’ पूजा ने कहा। जा हर है, वह सलमान क द वानी थी। कुछ दे र
बाद उ ह जो कुछ करना था, उसके मद्दे नजर मुझे यह सुनकर हैरानी ई क पूजा ने
अपनी को– वकर को द द कहकर बुलाया था।
चार बजे प चर ख म हो गई।
‘अब या?’ रोशनी ने कहा।
‘चैनल बदलो,’ मने सुझाव दया।
साढ़े चार बजे लडलाइन फोन बजा। म दौड़कर फोन उठाने गया।
‘सर, स यो रट गेट से राजू बोल रहा ं। एक मैडम आपसे मलने आई ह,’ उसने
कहा।
‘नाम या है?’ मने पूछा।
‘वे नाम नह बता रही ह, सर। ले कन उनके हाथ म कुछ पैकेट् स ह।’
‘उसे दो मनट म भेज दो,’ मने कहा। मने हसाब लगाया क पांच मनट म वह यहां
प ंच जाएगी।
‘ओके, सर,’ उसने कहा।
म दौड़कर बाहर गया और मेन गेट और ं ट गेट को खुला छोड़ दया। फर म लड़ कय
क ओर मुड़ा।
‘चलो, ऊपर चल,’ मने कहा।
‘ या? तुम अब मूड म आए हो?’ रोशनी खल खला द ।
‘हां अभी!’ मने अंगु लयां चटकाते ए कहा। ‘और तुम भी, पूजा, या जो भी तु हारा
नाम हो।’
मेरे लहजे से हैरान होकर लड़ कयां फौरन उठ खड़ी ई। हम तीन ऊपर प ंचे। फर
हम बेड म म घुसे और बेड पर गए।
‘तो, यह कैसे करते ह?’ मने कहा।
‘ या?’ रोशनी ने कहा। ‘यह तु हारा फ ट टाइम है?’
‘बात कम, काम यादा,’ मने कहा। ‘मेरा मतलब है क तुम लोग पहले या करते
हो?’
रोशनी और पूजा ने एक– सरे क ओर दे खा। वे मन ही मन मुझ पर हंस रही थ ।
‘अपने कपड़े नकालो,’ रोशनी ने कहा।
मने अपनी शट नकाल द ।
‘तुम भी,’ मने उन दोन से कहा। वे एक सेकंड को हच कचाई य क मने दरवाजा
कुछ – कुछ खुला छोड़ दया था।
‘घर पर कोई नह है,’ मने कहा।
लड़ कय ने अपने कपड़े उतारे। म इतना तनाव म था क क ह डटे स पर यान नह
दे पाया। ले कन रोशनी न त ही यादा भरे बदन वाली थी, उसक तुलना म बली–
पतली पूजा कुपो षत लग रही थी।
‘ ब तर म जाओ,’ मने म सुनाया।
वे दोन मेरे लहजे से हैरान होकर भीगी ब लय क तरह ब तर म सरक गई।
‘तुम चाहते हो क हम दोन सब कुछ कर?’ रोशनी ने हालात को भांपने क को शश
करते ए कहा। ‘ले बयन सीन?’
‘ को,’ मने कहा। म बेड म क खड़क तक गया। बाहर लाल लाइट वाली एक
सफेद एंबेसेडर कार पाक ई थी। उसम से आरती बाहर नकली और उसने घंट बजाई।
जब कसी ने जवाब नह दया तो वह लॉन म आ गई। उसके हाथ म एक बड़ी–सी
ै पबुक और रमाडा बेकरी का एक बॉ स था। जैसे ही वह घर म घुसी, वह मेरी नजर से
ओझल हो गई।
40
मेरे बथडे के एक ह ते बाद बेद दो कंस टट् स के साथ मेरे ऑ फस आया। उनके पास एक
बैचलर ऑफ मैनेजमट टडीज कोस खोलने का पोजल था। सा थ म डीन ीवा तवा भी
आए थे।
‘एमबीए क खासी डमांड है। ले कन वह तो ेजुएशन के बाद क बात है। य न
ेजुएशन से पहले कुछ ऑफर कर?’ बेद ने कहा। कंस टट ने मुझे अपने लैपटॉप पर एक
जटे शन दखाया। तघइड् स म एक कॉ ट-बेने फट एना ल सस था जसम हमारे ारा ली
जाने वाली फ स और फैक ट के खच क तुलना क गई थी।
‘ बजनेस मैनेजमट टडीज ( बीएमएस) बे ट है। आप इंजी नय रग जतनी ही फ स
ले सकते ह ले कन आपको लै स जैसी सु व धाएं नह मलगी एक कंस टट ने कहा।
‘फैक ट भी आसान काम है। कसी भी एम-कॉम या सीए टाइप को रख लो। इस तक
के ढे र अवेलेबल ह सरे ने कहा।
ले कन मेरा मन उचटा आ था। अब म अपना काम नह फैलाना चाहता था। मुझे हर
साल ए ा करोड़ पए कमा लेने म अब कोई तुक नह नजर आती थी। म तो ऑ फस
आना भी नह चाहता था। ‘ए साइ टग है ना?’ बेद ने कहा।
‘ ंह हां ले कन या हम इस बारे म फर कभी बात कर?’ मने कहा।
‘ य ?’ बेद ने कहा। फर उसने मेरा लटका आ चेहरा दे खा। ‘ठ क है हम बाद म
चले आएंगे वह मान गया। ‘अगले ह ते कैसे रहेगा? या जब तुम चाहो।’
बेद और उसके संगी-साथी कमरे से बाहर चले गए।
‘डायरे टर गोपाल आपक तबीयत तो ठ क है?’ डीन ने कहा। ‘म ठ क ं’ मने कहा।
‘सॉरी टु से ले कन आप पूरे ह ते ठ क नह नजर आए है। हालां क मुझे आपके मामले
म नह बोलना चा हए ले कन फर भी म आपसे बड़ा ं। या म आपक कोई मदद कर
सकता ं?’
‘पसनल मैटर है मने कहा। मेरी आवाज ठोस थी।
‘आपको अब शाद कर लेनी चा हए सर। उस टू डट क बात ब कुल सही थी उ ह ने
मुंह दबाकर हंसते ए कहा।
‘आपक बात पूरी हो गई?’
उनके चेहरे से मु कराहट नदारद हो गई। वे फौरन उठ खड़े ए और वहां से चल दए।
मेरा सेलफोन बीप आ। ‘दै नक’ के माक टग हेड शैलेष का मैसेज था -’ राघव ने हमारा
ऑफर ए से ट कर लया है। वह कल जॉइन कर लेगा।’
‘ ेट थक यू बेरी मच मने जवाब दया।
‘उ मीद करता ं आप इसी तरह हमारा साथ दे ते रहगे। संडे क बु कग के लए थक
यू’ शैलेष ने मैसेज कया।
‘दै नक’ के द तर म लैक मस डीज प ंचने से गाड़से म थोड़ी चहल-पहल मची। बड़ी
कार हमेशा लोग का यान ख चती है। म उसम से बाहर नकला और अपने नए
सन लासेस पहन लए। फर म लॉबी म रसेएा न ट के पास गया।
‘म राघव क यप से मलने आया ं’ मने कहा और उसे अपना बजनेस काड दया।
रसेएईन ट यह पता नह लगा पाई क राघव अभी कहां है। शैलेष ने मुझे ऊपर से
दे खा और दौड़ते ए नीचे आया।
‘गोपाल भाई? आपको मुझे इंकम कर दे ना चा हए था। आप यहां कसका वेट कर रहे
ह?’
‘म राघव से मलना चाहता ं’ मने कहा।
‘ओह योर उसने कहा’ ‘ लीज मेरे साथ आइए।’
हम राघव के यू बकल तक प ंचे। उसक डे क के नीचे आईट का एक लड़का घुसा
आ था और उसका कं यूटर सेट कर रहा था। कने स चेक करने के लए राघव भी
झुका आ था।
‘तुमने यहां फर जॉइन कर लया है?’ मने कहा।
राघव घूमा। ‘गोपाल?’ उसने कहा और उठ खड़ा आ।
‘म माक टग डपाटमट म आया था ले कन तुम दख गए। ‘ फर म शैलेष क ओर
मुड़ा। ‘थक यू शैलेष।’
‘ओके,’ शैलेष ने कहा। ‘सी यू गोपाल भाई।’
उसके जाने के बाद राघव ने कहा ‘अजीब बात थी। खुद संपादक ने मुझे फोन करके
बुलाया। मेरे पास यूं भी पैसा नह था। मने सोचा क म तब तक के लए रजाइन कर लेता
ं जब तक क मेरे पास’ रेवो युशन 2020 ‘को रलॉ करने के लए पया त पैसा इकट् ठा
नह हो जाता।’
‘ या हम एक कप चाय पी सकते ह?’ मने कहा।
‘ योर उसने कहा।
हम सेकंड लोर पर टाफ कट न तक चलकर गए। द वार पर अखबार के पुराने अंक
क फे द कॉपीज लूंगी थ । वहां दजन प कार अपने ड टाफोन और नोटबु स के साथ
बैठे थे और शाम के ना ते का मजा ले रहे थे। म समझ गया था क यहां पर राघव असहज
महसूस कर रहा था।
‘अब मुझे छोटे ऑ फस क आदत हो गई है’ दै नक का द तर तो ब त बड़ा है उसने
कहा। उसने दो लेट समोसे और चाय ली। मने पैसे दे ना चाहा ले कन उसने मना कर दया।
‘बड़े ऑ फस म अपने आपको छोटा महसूस कर रहे हो ना?’ मने कहा।
‘बात केवल इतनी ही नह है।’ ‘रेवो युशन 2020’ म हमने जस तरह क खबर क
वैसी म यहां कभी नह कर पाऊंगा मने कहा। म उसे कहना चाहता था क उसने
‘रेवो युशन 2020’ म जो कुछ कया उसक वजह से वह लगभग दवा लया हो चुका था।
ले कन म उसे यहां नीचा दखाने नह आया था।
‘ले कन एक जॉब का होना अ ा है। फर तु ह जन ल म अ ा भी लगता है मने
कहा।
‘इसी लए मने हां कह दया। अभी तो केवल छह महीने के लए ही यहां ायल पर
र ंगा।’
‘केवल छह महीने?’
‘वे लोग चाहते ह क म सर क खबर को ए डट क ं । हो सकता है इससे म अपने
आपको यादा सी नयर महसूस क ं ले कन मुझे रपो टग करना पसंद है। दे खते ह या
होता है।’
‘य द जॉब है तो हम बल भी पे कर सकते ह। जा हर है य द तुम शाद करना चाहो तो
जॉब से मदद मलती है मने कहा।
राघव हंस पड़ा। हमने कई साल से पसनल बात नह क थ । हालां क इस बार उसे
मेरी नेक मंशा पर शक नह था। राघव के साथ यही बात थी। एक तरफ वह बड़े से बड़े
घोटाल का खुलासा कर सकता था तो सरी तरफ बड़ी आसानी से लोग पर भरोसा कर
लेता था।
‘ कसक शाद हो रही है?’ राघव ने कहा। वह अब भी हंस रहा था।
‘तुम और आरती और कौन?’ मने कहा। मने खुद को याद दलाया क मुझे हंसते
-हंसते ये बात करनी ह।
राघव ने मेरी ओर दे खा। मने इससे पहले कभी उससे आरती के बारे म बात नह क
थी। वा तव म पछले कई साल से मने उससे कसी भी बारे म बात नह क थी।
‘आई होप म तुमसे एक दो त क तरह बात कर सकता ं। कसी जमाने म हम दो त
ही तो आ करते थे है ना?’ मने कहा। मने समोसे का एक बाइट लया और पाया क वह
बेहद तीखा था।
राघव ने गहरी सांस छोड़ते ए सर हलाया। ‘मेरे और आरती के बीच अभी सब कुछ
ठ क नह चल रहा है।’
‘ रयली?’ मने च कने का अ भनय कया।
‘मने ह त से उससे बात नह क है।’
‘ या आ?’ मने कहा।
राघव ने अपने समोसे पर टोमैटो साँस डाला।
‘गलती मेरी है। जब पेपर शु आ तो मने उसे पया त समय नह दया। धीरे -धीरे
हमारे बीच क रयां बढ़ने लग । पछले कुछ महीन से तो वह मुझसे ब त कट -कट -सी
रही है राघव ने कहा।
‘ या तुम लोग ने कभी इस बारे म बात क ?’ मने कहा।
‘नह हमने लान तो कया था ले कन बात नह कर पाए उसने कहा।
‘वह तु ह ब त चाहती है मने कहा।
‘पता नह राघव ने कहा। वह अपने समोसे को खाए बना उसे साँस म घुमाता रहा।
‘नह वह वाकई तु ह चाहती है। म उसे बचपन से जानता ं राघव। तुम हमेशा से
उसके लए सब कुछ थे। ‘राघव हैरान था। ‘ या वाकई?’
‘वह तुमसे शाद करना चाहती थी है ना?’
‘हां ले कन तब समय ठ क नह था। मेरी ओर दे खो। आज म अपने कै रयर म कसी
मुकाम पर नह ं’ राघव ने कहा।
‘तु हारा कै रयर सरे लोग से अलग है। तुम इसे पैस म नह तौल सकते। जहां तक
लोग क मदद करने का सवाल है तो तुम ब त अ ा काम कर रहे हो।’
‘ले कन मने वह मौका भी तो गंवा दया राघव ने कहा।
‘यू आर फाइन। तुम अब भी एक बड़े अखबार म सब-ए डटर हो। और य द तुम आरती
से शाद कर लो तो तुम और आगे जा सकते हो। ‘‘ या मतलब?’
‘तु ह पता है क आरती के प रवार पर राजनी त म शा मल होने का दबाव है?’ मने
कहा।
राघव चुप रहा।
‘तु ह पता है ना?’
‘हां मने सुना तो है वह फुसफुसाया।
‘आरती के पता राजनी त म जा नह सकते और आरती जाएगी नह । तो शायद
दामाद?’
राघव ने ऊपर दे खा। वह हैरत म था। ‘तुम कतनी र तक का सोच लेते हो मैन!’
मने अपनी आख घुमाई। ‘चूं क म माट नह ं इस लए मुझे सरे तरीक से इसक
खानापू त करनी पड़ती है।’
‘तुम और माट नह ?’ उसने कहा।
‘तुम उसे चाहते हो?’ मने कहा।
‘हमारे बीच सब कुछ ठ क नह चल रहा है उसने वीकारा।
‘मुझे पूरा यक न है क तुम सब ठ क कर सकते हो। आ खर इससे पहले भी तुम
उसका दल जीतने म कामयाब रहे थे मने कहा।
राघव ने एक शाय माइल द ।
‘उसे कॉल मत करो। उसके होटल म जाकर उससे मलो। उसके साथ एक पूरा दन
बता। वह बस इतना ही चाहती है तु हारा व और तु हारी तव ो। उसके बाद वह तु ह
दस गुना यादा यार करेगी मने दाएं-बाएं दे खते ए कहा।
राघव चुप रहा।
‘ ॉ मस करो तुम ऐसा ही करोगे मने कहा और अपना हाथ आगे बढ़ा दया।
उसने मुझसे हाथ मलाया और सर हला दया। म उठ खड़ा आ और शु ला-जी क
बात दोहरा द ।
‘हो सकता है जदगी तु ह फर यह मौका न दे ।’
राघव मेरी कार तक चलकर आया। हालां क उसने कार पर कतई यान नह दया।
‘तुम मेरे लए यह य कर रहे हो?’ उसने पूछा।
म कार म बैठ गया। मने खड़क का शीशा रोल-डाउन कया। ‘ य क आरती मेरे
बचपन क दो त है और...’
‘और या?’ राघव ने कहा।
‘हर कसी को अपनी तरफ से कुछ न कुछ तो करना ही चा हए मने कहा। मेरे ड़ाइवर
ने कार चला द ।
उसके बाद म राघव के टच म नह रहा। उसने कई बार फोन लगाया। मने या तो फोन
उठाया नह या उठाया तो बजी होने का बहाना बना दया। एक बार जब मेरी उससे बात
ई तब उसने मुझे बताया था क आरती और उसके बीच बातचीत फर शु हो गई है।
ले कन मने कहा क मेरे ऑ फस म इं े टस आए ए ह और फोन रख दया।
मने कसम खाई थी क आरती को कभी कॉल नह क ं गा। उसने भी मुझे कभी कॉल
नह कया। हां एक बार रात दो बजे उसका एक म ट कॉल ज र आया था। मने उसे
कॉल बैक कया य क तकनीक प से कॉल क शु आत मने नह क थी। ले कन उसने
फोन नह उठाया।
लड़का-लड़क के बीच म ट कॉल और कॉल-बैक के ड़ामे का अपना ही एक यूजर
मैनुअल होना चा हए। म समझ गया क उसने कसी कमजोर ल हे म मुझे कॉल कर दया
होगा इस लए मने उस पर यादा यान नह दया।
मने बीएमएस ो ाम टॉ स के लए बो रग कंस टट् स को बुलाया। लान म दम था।
हमने बजनेस टडीज म अपना काम बढ़ाने क या शु कर द । अब हमारा सामना
नए सरकारी अ धका रय से था ज ह हमारा लान अहव करना था। इसका मतलब था क
हम कुछ नई जेब गम करनी थ । हम पता था क यह मुनाफेदार बजनेस सा बत होगा। हर
साल लाख ब े टे ट दे ते ह रजे ट होते ह और एजुकेशन स टम से बाहर नकल जाते
ह। हम बस अपना जाल इतना मजबूत रखना था क उ ह फांस सक।
म कॉलेज फैक ट के साथ यादा समय बताने लगा। म उ ह अ सर शाम को अपने
घर बुलाता। चूं क वे मेरे लए काम करते थे इस लए वे मेरे जो स पर ठहाके लगाकर हंसते
थे और हर दस मनट म मेरी तारीफ करते थे। म उ ह दो त तो नह कह सकता था ले कन
वे कम से कम मेरे घर का अकेलापन तो र करते थे।
तीन महीने बीत गए। हमने बीएमएस लान लॉ य कया और अ माक टग के कारण
चंद ह त म सीट पर गई। म कभी-कभार ही कै स से बाहर नकलता था और कभी
नकलता भी था तो केवल आइ धका रय से मलने। इस दौरान शु ला-जी का केस
बगड़ता चला गया। उ ह ने मुझे बताया क मुकदमे म साल लग सकते ह। उ ह ने जमानत
क अज द ले कन कोट ने अज खा रज कर द । शु ह-जी को लगा क सीएम ने उ ह
दगा दया है य क पाट अ सर यह कहती थी क य द वे राजनी त छोड़ द तो जेल क
चहारद वारी से बाहर आ सकते ह। म हर महीने उनसे मलने जाता था। मेरे हाथ म
गंगाटे क ट अकाउं ट्स क कॉपी आ करती थी।
एक दन जब म घर पर था राघव का फोन आया। मने फोन नह उठाया। राघव
लगातार को शश करता रहा। मने फोन साइलट कर दया और उसे एक तरफ रख दया।
उसने मुझे मैसेज भेजा -‘गोपाल तुम कहां हो? म कब से को शश कर रहा ं।’
मने पहले -पहल तो जवाब नह दया ले कन फर मने सोचा क कह वह कसी
मुसीबत म तो नह फंस गया जैसे क उसने कसी नए घोटाले का खुलासा कर दया हो
वगैरह-वगैरह।
मने उसे मैसेज कया -‘मी टग म ं। या बात है?’
उसके जवाब से मुझे गहरा झटका -सा लगा।
‘आरती और म सगाई कर रहे ह। अगले संडे पाट है। म तु ह इनवाइट करना चाहता
ं।’
म इस मैसेज को दे खता रह गया। म चाहता था क ऐसा ही हो ले कन इसके बावजूद
मुझे ब त तकलीफ हो रही थी।
‘अनफॉ यूनेटली म अभी शहर से बाहर ं। ले कन कॉ यूलेशंस मने जवाब भेजा।
म सोच रहा था क कह मने एक ए स लेमेशन माक यादा तो नह लगा दया।
राघव ने मुझे फर कॉल कया। मने उसे नजरअंदाज कर दया। उसने दो बार फर
को शश क । आ खर मुझे फोन उठाना ही पड़ा।
‘ऐसा कैसे हो सकता है क तुम हमारी इंगेजमट म न आओ?’ उसने कहा।
‘हे म अभी एक फैक ट मी टग म ं’ मने कहा।
‘ओह सॉरी। सुनो तु ह आना ही होगा राघव ने कहा।
‘म नह आ सकता। म एक वाइंट वचर के सल सले म सगापुर जा रहा ं’ मने
कहा।
‘ या? और तुम कभी कॉल बैक य नह करते? यहां तक क म जब आरती से भी
तु हारे बारे म पूछता ं तो वह कहती है क तुम ब त बजी हो।’
‘आई एम रयली सॉरी। म वाकई बजी ं। हम अगले दो साल म अपने टू डट् स क
तादाद दोगुनी करने जा रहे ह मने कहा।
‘यानी तुम अपनी बे ट ड क इंगेजमट मस कर दोगे? या वह अपसेट नह होगी?’
‘मेरी तरफ से उससे माफ मांग लेना मने कहा।
राघव ने एक गहरी सांस छोड़ी। ‘ठ क है। ले कन दो महीने बाद हमारी शाद है। पहली
माच को। लीज तब इस शहर म ही रहना।’ ऑफ कोस म यह र ंगा मने कहा और अपने
कैलडर म उस तारीख पर गोला लगा दया।
‘और अब तुम फर से अपनी मी टग म मस फ हो सकते हो। टे क केयर बडी राघव ने
कहा।
मने फौरन आरती को एक कॉ सेट्स मैसेज भेज दया। उसने कोई जवाब नह दया।
मने अपने बड़े -से घर क ओर दे खा जो मेरी आ मा क तरह खाली था।
माच क पहली तारीख को मने ताज गंगा म एक म बुक कराया। फोथ लोर पर मौजूद
इस म म एक छोट -सी बालकनी थी, जहां से होटल के पूल और लॉ स का नजारा
दखता था। दो दन पहले मने अपने फोन का सम काड बाहर नकाल लया था। मने
अपने टॉफ से कह दया था क म ज री काम से बाहर जा रहा ं। म दनभर होटल म
अपने म म बैठा रहा। शाम को आठ बजे म बालकनी म आया। शाम क बुझती ई
रोशनी म मने वह काड फर पढ़ा।
मसेज एंड म टर अ नल क यप
आप सभी को सादर आम त करते है
अपने बेटे
राघव
के
आरती
(सुपु ी: मसेज एंड म टर ताप ज धान, डीएम)
के साथ शुभ ववाह म
शाम आठ बजे
1 माच 2010
पूलसाइड लॉ स,
ताज गंगा, वाराणसी