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“यह पु तक एक सीधे-सादे , सम पत, धम नरपे , व न मत और व दश इनसान के

सं मरण क कथा है जो एक तर पर बलकुल ब च क तरह मासूम और भोला है। जब


डॉ. कलाम को रा प त बनाया गया तो इस पर कई लोग काफ हैरान थे ले कन रा प त के
पद पर जो काय उ ह ने कये, उससे उनको जनता से भरपूर शंसा और यार मला और
शायद इसी लए आज भी इ ह 'पीप स े ज़डे ट' कहा जाता है। ‘ट नग वॉइंट्स’ दल से
लखी गई है और पढ़ने म सरल और रोचक है। इसे पढ़कर यह बात समझ म आती है क
एक ईमानदार और च तनशील रा प त दे श के लए या कुछ कर सकता है!”
–द ह , 24 जुलाई 2012
“पूव रा प त डॉ. ए.पी.जे. अ ल कलाम के सं मरण क रोचक पु तक ‘ट नग वॉइंट्स’
कुछ प पाती मु को सामने लाती है। यह पु तक इस बात को स करती है क वा तव म
रा प त का कतना मह व है और रा प त ारा लए गये नणय राजनी तक ही होते ह। एक
लोक य धारणा बनी ई है क डॉ. कलाम एक गैर-राजनी तक रा प त थे, यह पु तक इस
धारणा को र करती है।

हमारे दे श म राजनी तक नेता क अपने सं मरण लखने क परंपरा नह है, इस लए इस


पु तक का वशेष वागत है। कुछ ववादा पद त य पर सचाई सामने रखते ए यह पु तक
इस बात का माण है क डॉ. कलाम के रा प त पद का कायकाल एक मह वपूण वरासत
है और यह दे श क राजनी त और इ तहास को समझने का अवसर दे ती है।“
–इं डयन ए स ेस, 2 जुलाई 2012
ट नग वॉइंट्स
चुनौ तय -भरा एक सफ़र

ए.पी.जे. अ ल कलाम
अनुवाद
अशोक गु ता

मू य : ₹ 225
ISBN : 9789350641002
थम सं करण : 2012, ष म् आवृ : 2016
© ए.पी.जे. अ ल कलाम 2012
ह द अनुवाद © राजपाल ए ड स ज़
TURNING POINTS by A.P.J. Abdul Kalam
(Hindi edition of Turning Points)
(Published in arrangement with HarperCollins Publishers India)
आवरण सौज य : अमृता च वत
मु क : जी. एच. ट् स, द ली

राजपाल ए ड स ज़
1590, मदरसा रोड, क मीरी गेट- द ली-110006
फोन: 011-23869812, 23865483,
फै स : 011-23867791
website : www.rajpalpublishing.com
e-mail : sales@rajpalpublishing.com
www.facebook.com/rajpalandsons

आमुख
आभार
1. म भारत का गीत कब गा सकता ? ँ
2. अ ा व व ालय म मेरा नौवां भाषण
3. मेरे जीवन के सात नणायक मोड़
4. मलनसार रा प त
5. म रा को या दे सकता ँ?
6. जो सर से सीखा
7. त पध रा बनने क ओर
8. द पक और पतंगा
9. मेरी गुजरात या ा
10. वसुधैव कुटु बकम्
11. भारत के दय का कायाक प
12. उ ान म
13. ववादा पद नणय
14. रा प त व के बाद
उपसंहार
और अंत म
प र श -I : सा ा कार
प र श -II : ल य-अ भयान काया वत करना
आमुख

मेरी पु तक व स ऑफ फायर ने मेरे जीवन के 1992 तक के समय को सामने रखा था। यह


पु तक 1999 म का शत ई थी और पाठक के बीच इसका भ वागत आ। इसक
दस लाख से यादा तयाँ बक । इस से भी कह यादा खुशी क बात यह है क इस
पु तक ने हज़ार लोग क सोच को एक नई राह द और वे अपनी ज़दगी को बेहतर बना
सके।
यह पु तक, ट नग वॉइंट्स लखते समय मेरे मन म यह सवाल उठ रहा था क म यह
पु तक य लख रहा ँ। कहा जा सकता है क मेरी इस कहानी म ब त-से भारतीय लोग
के जीवन-सरोकार, उनक उ सुकता तथा आकां ा क त वीर झलकती है। उन सब क
तरह, मेरी ज़दगी क शु आत भी ब त नचले तर से ई थी। मने अपनी मेरी पहली
नौकरी ‘सी नयर साइं ट फक अ स टट’ के तौर पर शु क । धीरे-धीरे, मुझे बड़ी
ज़ मेदा रयां मलती ग और अंतत: एक दन मने भारत के रा प त का कायभार संभाल
लया। न त प से, उसके बाद के एक दशक म ऐसा ब त कुछ आ जो बताया जाना
बाक है। कहा जा सकता है क वह एक गहरे अनुभव का संग है।
खैर, मेरे लये इस पु तक, ट नग वॉइंट्स को लखने के कारण ज़रा अलग ह। मेरी
पहली पु तक व स ऑफ फायर ने जो उ साहजनक असर दखाया उस से मुझे लगा क
अगर उसी तरह यह पु तक भी कुछ लोग को लाभ प ंचा सके, तो इसका लखना साथक
हो जाएगा। सच पूछा जाए, तो अगर यह पु तक केवल एक या केवल एक प रवार
क ज़दगी को भी बदल कर बेहतर कर सकेगी, तो मुझे संतोष होगा। इस आशा के साथ
य पाठक, यह पु तक आपके सामने तुत है।

–ए. पी. जे. अ ल कलाम


30 मई, 2012
नई द ली
आभार

य म ो, अपनी अ सी बरस क उ तक प ंचते, मने अपनी यह इ क सव पु तक,


ट नग वॉइंट्स पूरी क है। इसक शु आत ऐसे ई : एक सुबह म अपने नई द ली के
आवास 10, राजाजी माग पर, अपने स चव शे रडोन के साथ बैठा अपनी पुरानी डाय रयां
दे ख रहा था, तभी मने दे खा क उनम सात ऐसे चुनौती भरे मोड़ दे खे जा सकते ह, ज ह ने
मेरी ज़दगी को कामयाबी क राह दखाई। अगर रा प त का पद छोड़ने के बाद का समय
भी जोड़, तो आप इसे आठवाँ मोड़ भी गन सकते ह।
म उन लोग के त अपना आभार कट करता ँ ज ह ने यार और अपनेपन से
मेरी ज़दगी को अब तक भरपूर रखा। इसी तरह म उनका भी शु गुज़ार ँ ज ह ने अपनी
खु शय और मु कल को मुझसे साझा कया। म इस कृत ता ापन म अपने अन गनत
पाठक को भी शा मल करना चाहता ँ। मेरी दो पु तक ने मुझे दस लाख से यादा पाठक
दए, और सरी पांच पु तक एक लाख पाठक तक प ंच । म वशेष प से मेजर जनरल
आर. वामीनाथन का दय से ध यवाद करता ँ। वह मेरे साथ, मेरे जीवन के हर
सफल और कुछ असफल दौर म भी, तीस साल से यादा समय तक साथ रहे। वह मेरे
दो त, गु और मागदशक सब कुछ ह। मेरी इस पु तक ट नग वॉइंट्स के तैयार होने म
इनका बड़ा योगदान यह रहा क इ ह ने इसके सभी यौर क ब त बारीक से जांच क और
अपनी तस ली के बाद ही पु तक म आने दया।
इस पु तक क पांडु ल प बना धन याम शमा तथा वशाल र तोगी के अथक यास
के पूरी नह हो सकती थी। म नारायणमू त और वी. पोनराज ारा दए गये सुझाव को भी
मह वपूण मानता ँ। म हापरकॉ लस के कृशन चोपड़ा का, उनके साथक योगदान के लये
आभार कट करता ँ। उ ह ने मेरी अं ेजी पांडु ल प को सुग ठत करने और उसके संपादन
म जो काम कया, वह शंसनीय है। म रा जदर गंजू को भी ध यवाद दे ता ँ, उ ह ने जतने
कम समय म पूरी पांडु ल प को फर से टाइप कया, वह शंसनीय है। उसके बाद ही पु तक
ेस म जा सक ।
1

म भारत का गीत कब गा सकता ँ?

कृ त को यार करो और उसके आशीष का स मान करो


तभी तुम दे व व को दे ख पाओगे

व हसे जुकाम
लाई 2007 क 24 तारीख थी और मेरे रा प त पद पर होने का अं तम दन। ब त-
कये जाने थे। सुबह म अपने नजी काम म त रहा। बाद म दोपहर 3.25
बजे से टे ल वजन चैनल सी.एन.एन. आई.बी.एन. (CNN-IBN) के राजद प सरदे साई और
दलीप वकटरामन से सं त बातचीत, उसके बाद छ ीसगढ़ के रा यपाल ई. एस. एल.
नर सहन के साथ भट का काय म था। उसके बाद मुझे उ राखंड के वा य, जनक याण,
व ान और टे नोलॉजी मं ी डॉ. रमेश पोख रयाल ‘ नशंक’ से मलना था। मुझे ह
कॉलेज, द ली क छा ा क र मा थंक पन से भी मलना था जो अपने माता- पता और पांच
सा थय के साथ आ रही थ । शाम चार बजे वदे श मं ालय के श ाचार मुख सुनील लाल,
उनक प नी गीतांज ल और बेट न कता से भट करनी थी। इसी तरह कई तरह क वदाई
भट का काय म रात आठ बजे तक चलता रहा। उसके बाद नव नवा चत रा प त, उप-
रा प त, धानमं ी और उनके मं मंडल को मने रा -भोज पर आमं त कर रखा था।
वदाई के समय क मुलाकात , मी टग और म से बातचीत के दौरान मेरा थोड़ा
नजी सामान दो सूटकेस म रख लया गया। यह मने पहले ही कह दया था क बस इतना
कुल ही म अपने साथ ले जाऊँगा। ब त कुछ वह ही था जो लोग के दमाग म था ले कन
कहा नह गया था। जो कोई भी मुझसे मला या जसक भी बात मुझसे ई, उसके मन म
बस एक ही था, ‘म अब या क ँ गा? या मने कुछ सोच रखा है? या म फर से
अ यापन के काम म लौट जाऊँगा? या अब म स य जन-जीवन से मु हो जाऊँगा?’ जो
लोग मुझे जानते ह वह समझ सकते ह क यह स य जीवन से मु हो जाने वाली
संभावना मेरे साथ बेमानी है। तब तक, रा प त भवन म बताये पांच बरस मेरे मन म एकदम
ताज़े थे। पास बुलाते फूल से सजा मुग़ल गाडन, जहाँ उ ताद ब म ला खां ने अं तम बार
शहनाई वादन कया और सरे संगीतकार ने अपना नर दखाया, हबल गाडन क सुगंध,
नाचते ए मोर, और चु त मु तैद संतरी, जो कटकटाती सद और जानलेवा गम म भी अपने
काम पर डटे रहे— यह सब कुछ मेरी ज़दगी का ह सा बन गया था। इन पांच साल म यह
कतना अद्भुत अनुभव रहा!
जीवन के अलग-अलग े से जुड़े लोग ने अपने वह वचार मुझ तक प ंचाए
जनसे दे श का वकास संभव है। उनम मुझे यह बताने क एक होड़-सी दखी क कैसे
उनके छोटे -से कदम ने अपना योगदान दया। हर तर पर राजनेता ने अपना कोण मेरे
सामने रखा क कैसे वह अपने संसद य े का वकास कर सकते ह। वै ा नक ने त काल
सुधार के मु पर काम करने क अपनी बेताबी दखाई। लेखक और कलाकार ने भावपूण
ढं ग से भारत के त अपना ेम कया। धा मक मागदशक ने एक मंच पर आ कर
आ या मक चेतना और वैचा रक सा य के वषय म अपनी बात कही। अलग-अलग े के
वशेष ने अपने वचार बताए क समाज म ान का व तार कैसे कया जा सकता है।
याय और कानून के जानकार लोग अ सर ताज़ा स दभ म अपनी राय दे ते रहे, क कैसे
सभी नाग रक के लये सम प व था हो, सु त चल रहे मुकदम को तेज़ी से कैसे
नपटाया जाए और फुत ली इले ॉ नक या यक प त (ई-जुडी शयरी) अपनाई जाए।
अ नवासी भारतीय (एन.आर.आई.) जब भी मुझे मले, उ ह ने अपनी मातृभू म के सुधार
और वकास म अपना योगदान दे ने क अपनी इ छा कट क ।
दे श के व भ भाग म, जहाँ भी म गया मुझे अद्भुत अनुभव मला। मुझे लोग क
अ भलाषा का पता चला, म जान पाया क ब त लोग ने अ छे -अ छे काम कये ह, और
सबसे बड़ी बात, क मुझे अपने दे श क युवा श का पता चला।
मेरी बातचीत बड़े व तार से च क सा े से जुड़े लोग से भी ई। उनम कुछ लोग
गाँव म बसे नाग रक को कफायती खच म इलाज क सु वधा दे पाने क को शश म लगे थे,
कुछ लोग शोध काय कर रहे थे तो कुछ सरे लोग अलग-अलग तरह के वकलांग लोग क
ज़दगी आसान करने का काम कर रहे थे। बुजग लोग क दे खभाल का काम कुछ लोग के
हाथ म था और कुछ ने वा य के स दभ म, इलाज के बदले बचाव क नी त को स दे श क
तरह चा रत करने का काम लया था ता क लोग के वहार- श प म यह बदलाव आये।
मुझे भारत म या बाहर वदे श म, जहाँ भी नस मल , उ ह ने वे छा से, गाँव म ब त अ छे
तर के वा य के बनाने के काम के लये अपनी सेवाएं पेश क ।
मेरा मलना कसान से भी आ, खास तौर से, कपास क खेती म लगे मु कल म
आये कसान से भी मेरी बातचीत ई। इस से मुझे उनक क ठनाइय और चुनौ तय को
समझने का मौका मला। इस अनुभव से मेरी जानकारी म व तार आ और म कृ ष
वै ा नक तक अपने वचार प ंचा पाया।
डा कय से बातचीत के दौरान मेरे मन म एक नया वचार क धा, क डाक वभाग
समाज म ान और सूचना के व तार म अपनी साथक भू मका नभा सकता है। इस
व था म डा कय को गाँव म ान अ धकारी बना कर भेजा जा सकता है।
मुझे पु लस म काम करने वाले लोग मले। उ ह ने मुझे पु लस व था म सुधार के
बारे म अपनी राय द । मुझे बताया क पु लस टे शन क ढांचागत संरचना म या बदलाव
लाया जाना चा हए और पु लस के कामकाज म सूचना तं टे नोलॉजी का उपयोग होना
चा हए। इस सुयोग के आधार पर म उस वभाग को बता पाया क पु लस व था म या-
या सुधार हो सकते ह।
पंचायत के मु खया, वशेष प से म हला मु खया त न धय से मुझे ाम सुधार से
संबं धत उनके काय म और योजना के बारे म पता चला। मने गाँव म उनक बाधा के
बारे म भी जानकारी पाई।
जब भी मेरी मुलाक़ात अ यापक से ई, उ ह ने मुझे व ास दलाया क उनका
ल य युवा को रा के नमाण के लये तैयार करना है। उ ह ने कहा क वह युवा म उन
मू य के संचार के काम म लगे रहगे, जनसे वह एक जाग क नाग रक बन सक।
इन समृ अनुभव से उस तब ता का व प तैयार आ जसके आधार पर
समाज के हर वग के लये, चाहे वे ब चे ह , माता- पता, अ यापक, नौकरीपेशा लोग,
सेनानी, शासक, वक ल, डॉ टर, नस और अ य सभी, उनक कायवाही तय क गई। इस
तब ता का संचालन, कसी भी वग से होने वाले वहार का सहज ह सा बन गया।
आम तौर पर, इस तब ता सू म समाज के उस वग के काम से जुड़े पांच, सात या दस
वा य रखे गये। ायः इनके संचालन के समय लोग क ब त भीड़ इकठ् ठा ई और इन
तब ता वा य के सामू हक पाठ ने समूचे जनसमुदाय को एक ल य के साथ मंच पर
एकजुट कर दया जसका स दे श यह गया क वे लोग आजीवन इस तब ता का नवाह
करगे।
जस बात ने मुझे अपने रा प त होने के दौरान बराबर हैरत म डाले रखा, वह थी उन
च य , ई-मेल तथा सरे प क तादाद, जो हर रोज़ मेरे पास प ंचते थे। यह प ब च ,
युवा और वय क , अ यापक , वै ा नक या कह सभी वग के लोग ारा भेजे जाते थे।
व ास नह होता, हज़ार खत—हर रोज़। यह संभव नह था क हर प का जवाब दया
जाए या उसम बताई गई क ठनाई का हल दया जाए, ले कन हम अपनी ऐसा करने क
को शश म नह चूके। कई मामल म हमने ये प संबं धत वभाग को अगली कायवाही के
लये भेज दये। अगर वह बीमारी या इलाज से संबं धत ए तो हमने उपयु अ पताल क
जानकारी भजवाई। कई बार हमने खुद ही सुझाव और परामश दये। यहाँ तक क कई बार
हमारी ओर से कुछ आ थक सहायता भी भेजी गयी। यह हैरत क बात थी क तमाम गरीबी,
तकलीफ और पीड़ा से घरे होने के बावजूद दे शवा सय म आशा, व ास और उ मीद क
रोशनी भरपूर है। एक प जसने मुझे हला कर रख दया, वह एक छोट लड़क ने भेजा
था। उसका प रवार घोर वप य से जूझ रहा था। उस लड़क के मम पश प म मुझे ऐसे
भावा मक आवेश का एहसास आ जो थ तय को अनुकूल दशा म बदल सकता है।
हमने वह प कसी ऐसे को भेज दया जो शायद इस मामले म आशातीत मदद कर सकता
था।
‘मेरा प रवार क ठनाई म है। प रवार के साथ यह मु कल पछले तेईस साल से
जारी ह। हमारे प रवार क याद म एक भी दन ऐसा नह है जसम कोई खुशी का पल जुड़ा
हो। म पढ़ाई म अ छ चल रही थी। पांचव क परी ा म मने अपने सटर से पहला थान
पाया था। म एक डॉ टर बनना चाहती थी। ले कन उसके बाद मने कभी पहला थान नह
पाया, म हमेशा सरे या तीसरे नंबर पर आती रही। बी. ए. म मुझे केवल 50 तशत अंक
मले। म डॉ टरी क पढ़ाई म नह जा सक य क म हमेशा तनाव क थ त म रहती ।ँ
म पछले चौदह साल से तनाव क हालत म ँ...’
ऐसे ब त-से प आते थे। उनम जो न छल ईमानदारी और रा प त के कायालय क
मता के त आ था दखती थी, वह रोमां चत करने वाली थी।
इसके ठ क उलट, ब त-से सं थान क ओर से ऐसे प भी आते थे : ‘मा यवर
रा प त महोदय कलाम साहब, हम उ च तरीय नैनो टे नोलॉजी (या ऐसा ही कोई गूढ़
वषय, जैसे बायो-डायव सट , काबन यौ गक , रॉकेट णोदन, दय श य च क सा, फैलने
वाली बीमा रयाँ, यायालय म लं बत मुकदम को ज द नपटाने क रणनी त या ई-गवनस)
पर एक अ धवेशन आयो जत कर रहे ह और हम चाहते ह क इस अवसर पर आप अपना
मह वपूण व द...’ दरअसल ऐसे प के उ र दे ना आसान था। केवल काय म क
तारीख और वषय पर मेरे ान क बात थी। यह दोन ही थ तयां, एक ऐसी लड़क क
हालत जो अपनी ज़दगी को बेहतर बनाने के लये अवसर खोज रही है, और ऐसे अ धवेशन
जो चम कारपूण टे नोलॉजी क राह खोज रहे ह, दो ऐसे स दभ के सच ह, ज ह
भारत-2020 म जगह दे ने क ज़ रत है।
इ ह वचार को मन म रखते ए मने अपने-आप से पूछा क मुझे आगे या करना
चा हए। मुझे या सफ अपने सं मरण लख कर परे हो जाना चा हए, या कुछ और भी है
जो म कर सकता ँ? यह नणय लेना आसान नह था। जस एक घटना ने मेरे इस काम को
आसान कर दया, वह थी, अपने वदाई समारोह म रा को दए जाने वाले मेरे स दे श क
तैयारी।
मने तय कया क म अपने भाषण म दे श के नाग रक का ध यवाद करते ए, उनसे
दे श के वकास का वह न शा साझा क ँ गा जो मने उ ह के साथ रह कर इन पांच वष म
बनाया है।
सारांशतः, मने कहा : य दे शवा सयो, हम यह ण लेना है क हम ऐसे रा के
नमाण के हत म काम करगे जसम समृ हो, व थ नाग रक ह , सुर ा हो, खुशहाल
शां तपूण और संजो कर रखी जा सकने वाली ग त का नबाध रा ता हो। जहाँ गाँव और
शहर क खुशहाली म कम से कम अ तर हो। और जहाँ शासन- बंधन संवेदनशील,
पारदश तथा ाचार-मु ह ।—कुछ और मु े भी ह, ज ह मने वक सत भारत क
संक पना म दस सू ीय प दया है। म उनका वणन इस पु तक म आगे क ँ गा।
इसी स दभ से मुझे अपने जीवन का ल य फर याद आता है। वकास के दस ख भ
के सहारे दे श के एक अरब दल और दमाग को अपने ऐसे समाज से जोड़ कर रखना
जसम ब ल सं कृ त का प रवेश है। साथ ही नाग रक म ऐसा आ म व ास पैदा करना क
वह ‘हम कर सकते ह’ जैसी मनः थ त म बने रह। य नाग रको, म भारत को 2020 तक
वक सत दे श बना दे ने के अपने महान ल य को लेकर हमेशा आप के साथ र ँगा।

ये कुछ ऐसी घटनाएं ह ज ह ने मेरी सोच को रोशन कया है, जनसे मेरे
ह ठ पर मु कान आई है और ज ह ने मुझे अपने दे शवा सय से ेम करना
और उनसे जुड़ना सखाया है।
2

अ ा व व ालय म मेरा नौवां भाषण

इस पृ वी पर, ऊपर आकाश म और धरती के नीचे भी,


इन सबम, सबसे सश संसाधन, स य सचेत
युवा म त क है

ज◌ा मुआनंन कदे मयपेड़होपरजाता


एक पीली च ड़या अपनी तान छे ड़ती है और मेरा सुबह का घूमना
है। मेरी नज़र धनेश प ी के जोड़े को खोजती ह, जो कभी-
कभी मेरे बगीचे म फुदकता दखता है। रा प त भवन के बाद मेरा नवास 10, राजाजी माग
पर है। मुझे बताया गया क कसी समय यहाँ द ली के श पकार, एड वन लु टयन रहा
करते थे। समय हवा क तरह भागता है, और मुझे अ यापन और शोध के सल सले म दे श-
वदे श म त रखता है। म युवा के चेहरे पर उ साह-भरा दमखम दे खता ँ और लास
म भी मुझे ऊजा दे ता है।
पछले कुछ साल ने मुझे भरोसा दलाया है क लोग म वक सत भारत का सपना
सच होते दे खने क गहरी ललक है और वह इसके लये भरसक सब कुछ दे ने के लये तैयार
ह। जब म ठहर कर अपने रा प त होने के दन को सोचता ँ, कुछ मह वपूण घटनाएं मुझे
याद आती ह। उन व वध ल ण वाली घटना म मुझे अपने व वधतापूण दे श के दशन
होते ह, जसका अतीत गौरवशाली रहा है और जसके सामने अब चुनौती-भरा भ व य है।
ले कन एक बात न त है क भारत 2020 तक एक वक सत दे श बन जाएगा।
~
अ ा यूनीव सट के खुशनुमा माहौल म, जहाँ म दसंबर 2001 से अ यापन कर रहा था, 10
जून, 2002 क सुबह हमेशा क तरह गुलज़ार थी। म वहां के वशाल और शां तमय प रवेश
म, शोध कर रहे ज ासु छा को पढ़ाने म और अ य ोफ़ेसर के साथ अपना समय सुख
से बता रहा था। कायदे से तो मेरी लास म बस साठ ब चे थे ले कन मेरे ले चर के दौरान
मेरे लास म म कभी भी 350 से कम ब चे नह दे खे गये। इस पर कसी तरह का
नयं ण लगाने का कोई उपाय नह था। मेरा मकसद हमेशा छा क अपे ा समझना रहता
था। वह मेरे उन अनुभव को जानना चाहते थे जो मने कई रा ीय काय म के दौरान पाये
ह। मने उन अनुभव से टे नोलॉजी के उपयोग से सामा जक प रवतन लाने वाला एक वशेष
कोस वक सत कया था जो नातको र (पो ट ेजुएट) छा को दस स म स म बनाता
था।
रा ीय ल य से मेरा या ता पय है? यहाँ मेरा इशारा ‘ पेस लॉ च वे हकल’
(एसएलवी-3), ‘इंट ेटेड गाइडेड मसाइल डवेलपमट ो ाम’ (आई.जी.एम.डी.पी.),
1998 के परमाणु परी ण तथा ‘भारत-2020’ क रपोट क ओर था जसे ‘टे नोलॉजी
इ फॉमशन, फोरका टं ग एंड एसे मट क सल’ (ट .आई.एफ.ए.सी.) ने बनाया था। शु से
अंत तक, इन ल य का बाकायदा जांच सकने यो य असर भारत के वकास के ल य तय
करने और उ ह हा सल करने के रा ते पर पड़ा था। एसएलवी-3 इस लए बनाया गया था
ता क कसी दे शज सैटेलाईट के ज़ रये चालीस कलो ाम वज़न के रो हणी उप ह को पृ वी
क नज़द क क ा म प ंचाया जा सके। इस उप ह को आइनो फे रक अनुमापन करने के
लये बनाया गया था। आई.जी.एम.डी.पी. को रा ीय सुर ा के लये ‘फ़ोस म ट लायर
मसाइल स टम’ क ज़ रत पर तैयार कया गया था। यह एक साम रक मह व क यु
रणनी त क मांग थी। अ न-5 मसाइल इस म म एक ताज़ा सफलता है। परमाणु परी ण
1998 म 11 और 13 मई को कये गये थे। इन परी ण के बाद भारत परमाणु ह थयार से
लैस दे श बन गया था। ट .आई.एफ.ए.सी. ने वह राह बनाई थी जसके ज़ रये भारत-2020
तक आ थक प से वक सत रा बन जाएगा।
मेरे नौव ले चर का वषय था, ‘संक पना से ल य तक’। उसम ब त-सी वचारणीय
बात शा मल थ । ले चर के पूरा होने पर मुझे ब त-से पूछे गये का उ र दे ना पड़ा। इस
से मेरा एक घंटे का स जा कर दो घंटे म पूरा आ। ले चर के बाद म हमेशा क तरह अपने
द तर म वापस आ गया और मने ब त-से छा के साथ दोपहर का भोजन कया। मेरे
रसोइये संगम ने मधुर मु कान के साथ वा द खाना खलाया। खाने के बाद मने अपनी
अगली लास क तैयारी पूरी क और शाम को म अपने कमरे म वापस आ गया।
वापस लौटते समय अ ा यूनीव सट के उप कुलप त ोफ़ेसर ए. कला न ध मेरे साथ
हो लये। उ ह ने बताया क मेरे ऑ फस म मेरे लये दन-भर टे लीफोन आते रहे। कोई ब त
उ े जत भाव म, मुझसे बात करने क को शश कर रहा था। म जैसे ही अपने कमरे म
प ंचा, फोन फर बजने लगा। मेरे फोन उठाने पर सरी तरफ से स दे श आया, “ धानमं ी
आप से बात करना चाहते ह।” इससे पहले क म धानमं ी से जुड़ पाता, मेरे नजी
मोबाइल पर आं दे श के मु यमं ी चं बाबू नायडू का फोन आ गया। उ ह ने बताया क
मेरे पास कसी भी ण धानमं ी का फोन आ सकता है। आगे उ ह ने मुझे राय द क म
इनकार न क ँ ।
म चं बाबू नायडू से बात कर ही रहा था क अटल बहारी वाजपेयी जी का फोन आ
गया। उ ह ने पूछा, “कलाम, तु हारा अ यापन कैसा चल रहा है?”
“ब त अ छा!” मने जवाब दया।
वाजपेयी जी ने अपनी बात जारी रखी, “हमारे पास तु हारे लये एक ब त मह वपूण
खबर है। म अभी एक वशेष मी टग से आ रहा ँ, जसम गठबंधन के सभी दल के नेता
शा मल थे। हम सब ने एकमत हो कर तय कया है क दे श को तु हारी रा प त के प म
ज़ रत है। म यह घोषणा आज रात को ही कर रहा ँ। म तु हारी सहम त लेना चाहता ँ
और म चाहता ँ क तुम ‘हां’ ही कहो, ‘ना’ नह । यहाँ यह बताया जा सकता है क
वाजपेयी जी ‘नेशनल डेमो े टक एलाएंस’ (एन.डी.ए.) के नेता थे जो करीब दो दजन
व भ दल क गठबंधन पाट थी। ऐसे म एकमत न वरोध नणय होना कोई आसान बात
नह थी।
कमरे म प ँचने के बाद मुझे चैन से बैठने का भी व नह मला था। भ व य क
अलग-अलग त वीर मेरे आगे घूम रही थ । एक म मेरे चार ओर छा और ा यापक का
घेरा था और सरे म यह, क म पा लयामट म रा के लये कोई सपना ले कर अपनी बात
कह रहा ँ। मेरे दमाग म एक नणया मक च कर चलने लगा था। मने कहा, ‘वाजपेयी जी
(म उ ह हमेशा यही संबोधन दे ता ँ), या आप मुझे तय करने के लये दो घंटे का समय दे
सकते ह? यह भी ज़ री है क रा प त पद के लये मेरे नामांकन पर सभी राजनी तक दल
क सहम त हो।’
वाजपेयी जी ने कहा, ‘तु हारी सहम त के बाद हम उन सब क सहम त पर भी काम
करगे।’
अगले दो घंट म मने कोई तीस फोन अपने घ न म को कये ह गे। उनम कुछ
ा यापक थे, कुछ स वल सेवा अ धकारी और कुछ वे भी जो राजनी तक े म काम कर
रहे थे। एक राय यह आई क म अ यापन के े म रमा आ ँ और पढ़ाना मेरा यार, मेरा
जुनून भी है, तो फर मुझे खुद को भटकाना नह चा हए। एक सरा मश वरा यह मला क
यह मेरे लये एक मौका है जो म अपने भारत-2020 के सपने को रा क संसद के सामने
रख सकता ँ, इस लए मुझे इस अवसर को खोना नह चा हए। ठ क दो घंटे बाद मने
धानमं ी को फोन लगाया। मने कहा, ‘वाजपेयी जी, म इसे एक मह वपूण संक प क
तरह वीकार करता ँ, ले कन म एक सवदलीय याशी क तरह सामने आना चा ँगा।’
उ ह ने कहा, ‘ठ क है, हम इसके लये ही कदम बढ़ाएंगे।’
यह खबर तेज़ी से फैली। प ह मनट के अंदर रा प त पद के याशी के प म मेरे
चयन का समाचार सारे दे श को पता चल गया। त काल ही, लगातार फोन आने लगे। मेरी
सुर ा बढ़ा द गयी और ब त-से लोग मेरे कमरे म आ प ंचे।
उसी दन, वाजपेयी जी ने याशी के उनके चयन के बारे म ीमती सो नया गाँधी से
बात क , जो वप क नेता थ । जब ीमती सो नया गाँधी ने पूछा क या एन.डी.ए. का
इस बारे म फैसला हो चुका है, तो धानमं ी ने सकारा मक उ र दया। उसके बाद, अपने
दल के सद य और गठबंधन के सहयो गय के साथ वचार- वमश के बाद ीमती गांधी ने
17 जून, 2002 को यह घो षत कया क इं डयन नेशनल कां ेस मेरे नामांकन के प म
मत दे गी। अगर मुझे वामपंथी दल का भी समथन मलता तो मुझे अ छा लगता, ले कन
उ ह ने तय कया क वह अपना याशी अलग से उतारगे। जैसे ही मने रा प त पद का
उ मीदवार बनना वीकार कया, मेरे बारे म भारी सं या म आलेख लखे जाने लगे। मी डया
ने भी ब त-से सवाल खड़े कये। सबका सार यह ज ासा थी क कोई गैरराजनी तक
, वह भी एक वै ा नक, कैसे रा प त बन सकता है?
~
18 जून को, रा प त पद के लये मेरा नामांकन-प भर दए जाने के बाद, मेरी पहली ेस
कॉ स म प कार ने मुझसे ब त-से सवाल गुजरात के बारे म पूछे (उस समय रा य दं ग
के दौर से गुज़र चुका था और यह सवाल था क उनसे कैसे नपटा गया) अयो या के बारे म
सवाल ए (रामज म भू म का मु ा तो हमेशा ही खबर म रहता है) परमाणु परी ण के बारे
म पूछा गया और यह, क रा प त भवन प ँचने के बाद मेरी या योजनाएं ह। मने बताया
क भारत को एक संवेदनशील और श त राजनी तक वग क ज़ रत है जो नणायक
संग म आधार शला क भू मका म आ सक। अयो या के मामले म मने कहा क इस
थ त म श ा सं कार और आ थक थरता के साथ-साथ इस बात क भी ज़ रत थी क
लोग के मन म मानव-मा के त स मान का भाव हो। आ थक वकास के साथ
सामा जक भेदभाव कम होता जाएगा। मने अपनी यह तब ता भी क क म
रा प त भवन क शानो-शौकत के आगे अपने जीवन क सादगी बनाए रखूँगा। रा प त के
प म, ज टल संग के आने पर म दे श के मुख सं वधान वशेष से वमश क ँ गा।
रा प त शासन लगाये जाने के नणय ऐसे मु पर म इस बात को मुखता ँ गा क लोग के
लये या हतकर है, न क इस पर क कुछ लोग क या मज़ है।
जब म चे ई से द ली अपने ए शयाड- वलेज थत लैट म प ंचा तो वहां तैया रयां
ज़ोर से चल रही थ । भारतीय जनता पाट के मोद महाजन मेरे चुनाव एजट थे। मने अपने
लैट म ही एक कै प ऑ फस बना लया। वह कोई बड़ा लैट नह था ले कन कुछ
स लयत थ । मने एक आगंतुक क ( व ज़टस म) बनाया और स मेलन क को ठ क-
ठाक कया गया। बाद म एक इले ॉ नक कै प ऑ फस भी बनाया गया। उसके बाद सारे
आँकड़े उसी के मा यम से भेजे गये। एक प लोकसभा और रा यसभा के सांसद के लये
तैयार कया गया, जनक सं या करीब आठ सौ थी। इस प म मेरा रा प त के प म
कोण दे ते ए यह अपील क गयी क वह मुझे वोट द। मोद महाजन क राय के
अनुसार यह तय कया गया क म यह प येक रा य के मतदाता को, बना उनसे
आमने-सामने मलने क क ठनाई उठाए, भेज ँ । यह व था कामयाब ई और म 18
जुलाई को भारी मत से वजयी घो षत हो गया।
उसके बाद आने वाल से मलने का सल सला शु हो गया, जो सारे दन चलता
रहा। इसी म म मी डया से इंटर ू ए, मेरा प ाचार और या ाएं तो होती ही रह । मुझे
ब च से मलना, बात करना ब त मन भाया और मुझे जब भी समय मला मने ब त-से मु
पर उनके वचार सुन।े ए शयाड वलेज का लैट न बर 833 ब त-सी ग त व धय का के
बन गया। 25 जुलाई को होने वाले शपथ हण समारोह म आमं त लोग क सूची बनाना
ही एक ब त बड़ा काम था। पा लयामट का से ल हॉल केवल एक हज़ार लोग के लये ही
ठ क था। सांसद , दोन सदन के अ धका रय , नौकरशाह तथा अ य मं य तथा
अ त थय , वदा हो रहे रा प त के.आर. नारायणन आ द को गनने के बाद केवल सौ और
लोग के जुड़ने क गुंजायश बचती थी। इसे हमने ख च-तान कर के डेढ़ सौ कर लया
ले कन वह डेढ़ सौ लोग कौन ह गे, यह बड़ी सम या थी। प रवार के सद य ही सतीस थे।
मेरे पुराने भौ तक शा के गु जी ोफ़ेसर च ा रै, म ास इं ट टयूट ऑफ टे नोलॉजी के
ोफ़ेसर के. वी. पंडालाई, रामे रम मं दर के मु य पुरो हत प ी वकटासु ाम नयम
शा गल, रामे रम मस जद के इमाम नु ल खुदा, रामे रम चच के रवरड ए. जी.
लयोनाड, व यात ने च क सा वशेष डॉ. जी. वकट वामी, ज ह ने अर वद ने
सं थान क न व रखी थी, यह सब आये। अ त थय म नतक सोनल मान सह भी थ । इनके
साथ-साथ ब त-से उ ोगप त, प कार, मेरे नजी म गण भी इस अवसर पर आमं त थे।
वशेष बात वह थी क अ त थ के तौर पर दे श के व भ रा य से आये ए सौ ब चे भी
उप थत थे, जनके लये एक अलग थान क व था क गयी थी। उनको एक व र
सहायक क नगहबानी द गयी थी। यह एक गम दन था ले कन हर कोई औपचा रक
स जा धारण कये, उस समारोह म भाग लेने से ल हॉल प ंचा था।

मेरे दे श के सीधे-सादे लोग क समझ और मासू मयत मुझे हमेशा यह


व ास दलाती है क मेरा दे श व को शां त और समृ क राह
दखाएगा।
3

मेरे जीवन के सात नणायक मोड़

अपनी सम या को वयं सुलझाओ


मु कल पर वजय ा त करो

म◌ै अथकता
यापन और शोध के काम म ब त च लेता ँ, य क म इसे बार-बार करने म
नह । शै क जीवन मेरे वचार तं और मेरी आ व कारक मता को ाण
दे ता है। युवा और उनके गु जन से बातचीत करना मेरी वानुभू त क पहली ज़ रत है।
मने एक सचेत और ववेकपूण नणय लया क म अ यापन और शोध के े म वापस
लौटूं ।
जैसा मने बताया, क ह ता का लक घटना के कारण मुझे दे श का रा प त बनना
वीकार करना पड़ा, हालां क पूरी तरह मेरी मान सक तैयारी अ यापन म ही बने रहने क
थी। इसके साथ ही मुझे अपने जीवन क छह और घटनाएं भी याद आ रही ह ज ह ने मेरी
ज़दगी का रा ता ही बदल दया। रा प त पद से मु होने के बाद मेरा फर से भारत के
शै क प रवेश म लौटना भी एक ऐसी ही घटना के प म गना जा सकता है।
~
मेरे जीवन का पहला नणायक मोड़ 1961 म आया था। मुझे अभी तक याद है, म
‘एरोनॉ टकल डेवेलपमट इ टे लशमट’ (ए.डी.ई.) म बतौर सी नयर साइं ट फक अ स टट
काम कर रहा था और एक हे लकॉ टर के डज़ाइन के काम म चीफ डज़ाइनर नयु था।
‘नंद ’ नाम से बनाया गया हे लकॉ टर तैयार था और हम उसक उड़ान का दशन ब त-से
अ त थय के सामने करने जा रहे थे। ऐसा होता ही रहता था। एक दन ए.डी.ई. के नदे शक
डॉ. गोपीनाथ मे दर ा एक लंबे, खूबसूरत, दाढ़ वाले आगंतुक को साथ ले कर आये। उस
नये आगंतुक ने मुझसे उस है लकॉ टर के बारे म ब त-से सवाल पूछे। म उस के इतने
प वचार को दे ख कर त ध रह गया। उसने पूछा, ‘ या आप मुझे इस हे लकॉ टर म
एक बार सवारी दला सकते ह?’
हमने उस हे लकॉ टर पर दस मनट क , बस एक नाम मा -सी उड़ान भरी।
हे लकॉ टर ज़मीन से बस कुछ सट मीटर ऊपर उठा और फर नीचे आ गया। इस हे लकॉ टर
को म ही उड़ा रहा था, और वह आगंतुक इस बात से च कत था। उस ने मुझसे कुछ
सवाल मेरे बारे म भी पूछे, मुझे इस सवारी के लये ध यवाद दया और चला गया। जाते
समय उसने अपना प रचय भी नह दया। बाद म पता चला क वह ‘टाटा इं ट ट् यूट ऑफ
फंडामटल रसच’ के नदे शक ोफ़ेसर एम. जी. के. मेनन थे। एक स ताह बाद मुझे ‘इं डयन
कमेट फॉर पेस रसच’ (आई.सी.एस.आर.) से एक लफाफा मला जसम मेरा रॉकेट
इंजी नयर के पद के लये इंटर ू प था। यही सं था बाद म ‘इ डयन पेस रसच
ऑगनाईज़ेशन’ बन गयी और ‘इसरो’ कहलाने लगी।
जब म इंटर ू के लये ब बई प ंचा तो यह दे ख कर आ यच कत हो गया क वहां
ोफ़ेसर व म साराभाई, जो आई.सी.एस.आर. के चेयरमैन भी थे, इंटर ू बोड म बैठे थे।
उनके साथ ोफ़ेसर मेनन और ‘एटो मक एनज कमीशन’ (ए.ई.सी.) के उप-स चव सराफ
भी बोड म बैठे थे। म ोफ़ेसर साराभाई क गमजोशी दे ख कर च कत था। उ ह ने मेरे अपने
ान और द ता के बारे म कुछ नह पूछा, ब क वह मेरे भीतर क संभावना क पड़ताल
करते रहे। वह मेरी ओर कसी बड़े अभी क तलाश म दे ख रहे थे। मेरा सामना एक ऐसे
स चे पल से था जसक मु म मेरा सपना बंद था, और वह एक बड़े इंसान क मु थी
जसम उसका भी बड़ा सपना बंद था।
अगले दन, शाम को मुझे मेरे चयन क सूचना द गयी। मुझे 1962 म नवग ठत
इसरो म रॉकेट इंजी नयर के तौर पर नयु कर लया गया था। इस तरह मेरे जीवन क
सबसे बड़ी घटना सामने आई— ोफ़ेसर सतीश धवन का मुझे नदश दे ना क म भारत के
पहले उप ह ेपण काय म क अगुआई, उसके ोजे ट डायरे टर के प म क ँ ।
~
सरा मोड़ 1982 म आया, जब मुझे भारत के मसाइल काय म म प ँचने का मौका
मला। इसके लये ‘ डफे स इं ट टयूट ऑफ वक टडी’, मसूरी (डी.आई.ड यू.एस.) म
मेरी भट डॉ. राजा राम ा से ई। (अब यह सं थान ‘इं ट ूट ऑफ टे नोलॉजी मैनेजमट’
कहलाता है) यह सं थान डफे स स टम मैनेजमट के उन सेवा अ धका रय को श त
करता है ज ह वशेष द ता क ज़ रत होती है। चूं क म एसएलवी-3 का ोजे ट
डायरे टर रह चुका था इस लए मुझे डी.आई.ड यू.एस. म एक ा यानमाला चलाने का
काम स पा गया। मने अपने ा यान म बताया क कैसे पहला भारतीय उप ह यान,
रो हणी पृ वी क क ा म े पत कया गया। डॉ. राम ा ने 1974 म भारत म पहले
परमाणु परी ण क सफलता पर अपना ा यान दया।
अपने ा यान के बाद हम दे हरा न प ंचे, जहाँ हम वै ा नक के एक दल के साथ
चाय पीनी थी। जब म दे हरा न म ही था, तभी डॉ. राम ा ने मेरे सामने ‘ डफे स रसच एंड
डेवलपमट लेबोरेटरी’ (डी.आर.डी.एल.) हैदराबाद के लये नदे शक के पद का ताव रखा।
डी.आर.डी.एल. से ही मसाइल स टम के वकास के लये अलग योगशाला का ज म
आ, जसका बंधन ‘ डफस रसच ए ड डेवलेपमट ऑरगेनाइज़ेशन’ (डी.आर.डी.ओ.)
के अधीन है। मने इस ताव को तुरंत वीकार कर लया य क म शु से ही रॉकेट
टे नोलॉजी का उपयोग मसाइल टे नोलॉजी म करना चाहता था। इसके लये मेरा अगला
कदम अपने मुख ोफ़ेसर धवन को राज़ी करना था, जो इसरो के चेयरमैन थे।
कई महीने बीत गये, इसरो और डी.आर.डी.ओ. के बीच प ाचार होता रहा। र ा
सं थान के स चवालय अंत र वभाग के बीच कई बैठक ता क इस वषय म दोन के
बीच कोई कायनी त तय हो सके। डॉ. वी. एस. अ णाचलम तथा र ा मं ी के वै ा नक
सलाहकार आर. वकटरमन क म य थता म मं ी जी तथा ोफ़ेसर धवन के बीच वचार-
वमश आ और उसके आधार पर फरवरी 1982 म यह नणय आ क म डी.आर.डी.एल.
म नदे शक का पद संभाल लूँ।
~
मेरे जीवन का तीसरा नणायक मोड़ जुलाई 1992 म तब आया जब मने डॉ. अ णाचलम
के बाद र ा मं ी तथा ‘ डपाटमट ऑफ डफे स रसच एंड डेवेलपमट’ के स चव के
वै ा नक सलाहकार का पद हण कया। 1993 म त मलनाडु के त कालीन गवनर डॉ.
चे ारे ी ने मुझे म ास यू नव सट का उप-कुलप त बनने के लये आमं त कया। इस
संबंध म मने सरकार से अनुरोध कया क वह मेरी बासठ वष क आयु हो जाने पर
यू नव सट म मेरी नयु को अपनी वीकृ त दे । उस समय पी. वी. नर सह राव दे श के
धानमं ी थे और र ा मं ी का भी पद संभाल रहे थे। उ ह ने कहा क चूं क मेरे पास अभी
रा ीय मह व के कई काम चल रहे ह इस लए मुझे अभी वै ा नक सलाहकार का दा य व
संभालते रहना चा हए। म यहाँ बता ँ क मने नर सह राव के साथ कई वष तक काम कया
था और मने पाया था क वह र ा संबंधी मामल म, वशेष प से र ा संबंधी वदे शी
संसाधन के वकास के प म थे। सु ढ़ र ा व था बनाने क दशा म वे रदश थे।
इस लए मने उनक बात मान ली और स र वष क आयु तक वै ा नक सलाहकार का
दा य व संभाले रखा।
~
1998 का परमाणु परी ण मेरे लये चौथा नणायक मोड़ था। इसके पीछे एक रोचक
कहानी है। हम मई 1996 के समय म लौटते ह। उसी वष चुनाव ए थे। चुनाव प रणाम
आने के कुछ ही दन पहले मेरी नर सह राव से भट ई थी। उ ह ने कहा था, ‘कलाम, अपने
दल के साथ परमाणु परी ण के लये तैयार हो जाओ। म त प त जा रहा ँ।। तुम बस मुझे
इन परी ण के लए वीकृ त मलने तक इंतज़ार करो। डी.आर.डी.ओ. और ‘ डपाटमट
ऑफ एटॉ मक एनज ’ (डी.ए.ई.) के दल इसके लये तैयार रह।’
उनक त प त क या ा, न त प से, ई र से सफलता क कामना के लये हो
रही थी। ले कन 1996 के चुनाव प रणाम हमारी उ मीद के वपरीत नकले। कां ेस क
सीट क सं या गर कर केवल 136 रह गयी। अटल बहारी वाजपेयी के नेतृ व म भारतीय
जनता पाट स ा म आ गयी। ले कन यह सरकार केवल दो स ताह ही टक पाई, उसके बाद
तीसरे मोच के एच. डी. दे वगौड़ा धानमं ी बन गये। ले कन उन दो ह त म वाजपेयी
सरकार ने परमाणु परी ण करने क दशा म भरपूर काम कया।
रात के नौ बज रहे थे। मेरे पास 7, रेस कोस से एक स दे श आया क म तुरंत नये
धानमं ी तथा पदमु राव से भट क ँ । राव ने मुझसे कहा क म वाजपेयी जी को परमाणु
परी ण से संबं धत ववरण दे ँ ता क नई सरकार तक मह वपूण योजना व धवत प ँच
जाए।
लगभग दो साल बाद वाजपेयी जी फर से धानमं ी बने। 15 माच, 1998 आधी
रात को मुझे वाजपेयी जी का फोन आया। उ ह ने बताया क वे मं य क सूची तैयार कर
रहे ह और मुझे भी मं मंडल म लाना चाहते ह और अगली सुबह 9 बजे मलने का समय
दया। चूँ क व कम था, मने आधी रात को ही कुछ करीबी दो त को इक ा कया और
हम सुबह तीन बजे तक इस बात पर वचार करते रहे क मुझे मं मंडल म शा मल होना
चा हए क नह । राय यह बन रही थी क चूं क म दो रा ीय तर के मह वपूण ोजे ट् स म
पूरी तरह से त था और वे अपनी मं ज़ल तक प ंचने वाले थे, ऐसे म मुझे इनको छोड़कर
राजनी त म वेश नह करना चा हए।
अगली सुबह म 7, सफदरजंग माग प ँच गया जहाँ धानमं ी का आवास था।
उ ह ने मुझे अपने ाइंग म म बैठाया और मुझे घर क बनी मठाई खलाई। उसके बाद
मने कहा, ‘म और मेरी ट म दो मह वपूण काय म पर काम कर रहे ह। एक काम तो अ न
मसाइल क तैयारी का है। सरा परमाणु काय म से जुड़े कई परी ण क अं तम तैयारी,
जो डी.ए.ई. के साथ मल कर कये जाने ह। म समझता ँ क य द म इन दोन काय म
पर अपना पूरा समय ँ गा तो उससे रा का बड़ा हत स होगा। कृपया मुझे इसे जारी
रखने द।’
वाजपेयी जी ने उ र दया, ‘म तु हारी भावना क शंसा करता ँ। ई र तु ह
सफल करे!’ उसके बाद ब त कुछ आ। अ न मसाइल ेपण के लये तैयार आ, पांच
परमाणु परी ण एक के बाद एक कये गये और इस तरह भारत परमाणु श संप रा
बन गया। मेरे कै बनेट तर के पद को अ वीकार करने से म दो मह वपूण काय म पूरे कर
पाया जनसे दे श को गौरवपूण प रणाम मले।
~
मेरा पांचवां नणायक मोड़ 1999 के अंत म तब आया जब म भारत सरकार का मुख
वै ा नक सलाहकार नयु कया गया, जो क कै बनेट मं ी क है सयत के बराबर का पद
है। मेरी ट म म डॉ. वाई. एस. राजन, इले ॉ न स तथा संचार तं के वशेष डॉ. एम.
एस. वजयराघवन, जनके साथ म ट .आई.एफ.ए.सी. म काम कर चुका ँ, तथा मेरे नजी
स चव एच. शे रडोन थे। जब म वै ा नक सलाहकार था तब एच. शे रडोन मेरे टाफ
ऑ फसर थे। जब मने यह काम शु कया तब हमारे पास कोई ऑ फस नह था। हमने
ऑ फस खुद बनाया। इसके लये हम डी.आर.डी.ओ. वशेष प से स वल व स एंड
ए टे ट के चीफ ए ज़ी यू टव के. एन. राय, मेजर जनरल आर. वामीनाथन, चीफ कं ोलर,
आर. एंड. डी. के अथक यास का ध यवाद करते ह। मुझे लगा क भारत-2020 का ल य
भारत सरकार ने वीकार कर लया है, तो मु य वै ा नक सलाहकार का कायालय
द तावेज़ म लखी योजना के या वन का उपयु मंच होगा। इस संक प को सबसे
पहले दे वगौड़ा सरकार के सामने रखा गया था। उसके बाद आई. के. गुजराल धानमं ी
बने। 1998 म वाजपेयी बारा आये। इन तीन क सरकार ने अनुमोदन को लागू करने के
लये इसे आगे बढ़ाया। व ान भवन क ‘एने सी’ म हमारा ऑ फस था। यह एक बड़ी
इमारत है जसम ब त से जांच-आयोग के तथा सरे अ य सरकारी कायालय ह। यह एक
शांत जगह है। बगल म थत व ान भवन ज़ र एक मश र जगह है, इसम बड़े रा ीय
और अंतररा ीय स मेलन होते रहते ह। एने सी उप-रा प त के आवास के पास बनी है और
यह नॉथ लॉक और साउथ लॉक क गहमागहमी से हट कर काम करने के लये एक बेहतर
जगह है।
मुझे अपने काय के दौरान काफ या ाएँ करनी पड़ती थ । 30 सत बर, 2001 को
एक हे लकॉ टर घटना म म मौत से बाल-बाल बचा। यह घटना तब ई जब हे लकॉ टर
झारखंड के बोकारो ट ल लांट म उतर रहा था। यह एक चम कारी बचाव था। जैसे ही म
बाहर कूदा, म भाग कर अपने पायलट और सह-पायलट के पास प ँच गया और मने कहा,
‘ध यवाद, आप लोग ने मुझे बचा लया। ई र आपका क याण करे!’ पायलट लोग क
आँख भर आई थ , ले कन मने उनको समझाया क यह होता रहता है। हम बस यह कर
सकते ह क सम या का कारण समझ और उसे हल कर। उस शाम मेरे पांच काय म थे।
मुझे ा यान दे ना था और मेरे ोता म ट ल लांट के अ धकारी, इंजी नयस, टॉफ के
लोग तथा बोकारो के कूल के छा थे। घटना क खबर तेज़ी से फ़ैल चुक थी। समाचार
चैनल भी वहां आ प ंचे थे। जब म ब च से मला, वह ब त घबराए ए थे। मने उन सबसे
हाथ मलाया और उनके साथ उ साह का संचार करने वाला एक भजन गाया। जससे वह
स ए। वह एक सुगम उपदे श गीत था :

साहस

साहस, लीक से हट कर सोचने का


साहस, आ व कार का
साहस, अनजान रा त पर चल पड़ने का
साहस, सम या से मुठभेड़ का और सफल होने का
यह सब युवा के अनोखे गुण ह
अपने दे श के एक युवा के प म
म काम क ं गा, और सभी ल य को स करने के लये साहस बनाए रखूँगा।

उसी दन एक खांत वमान घटना ई थी, जसम माधव राव स धया के साथ छह
और लोग, जनम प कार, उनके नजी टॉफ के लोग तथा वमान के कमचारी थे, सभी
मौत क गोद म सो गये थे। इन दोन समाचार को रामे रम म मेरे प रवार वाल ने, और मेरे
म ने दे श- वदे श म सुना। वह सब मेरा हाल जानने के लये बेचैन थे। मुझे अपने भाई से
बात करनी पड़ी ता क वह मेरे प रवार के अ य लोग को बता सके क म ठ क ँ। मेरा भाई
मी डया से सुनी ई खबर पर भरोसा नह कर रहा था।
जब म उसी दन शाम को द ली प ँचा, मुझे धानमं ी कायालय से स दे श मला
क म वाजपेयी जी से भट क ँ । म वाजपेयी जी के पास प ंचा। वे मले। उ ह ने मेरी
घटना के बारे म पूछा। वह मुझे भला-चंगा दे ख कर खुश ए। आगे उ ह ने बताया क
उ ह ने भारत-2020 के बारे म उ ोगप तय और कै बनेट से बात क है और पा लयामट म
इस पर कायवाही क घोषणा कर द है। मने उ ह बताया क इसम कई बाधाएं ह। म इसी
वषय म सोच रहा था।
इस वमान- घटना ने दो मह वपूण घटना को ज म दया। पहली तो यह क इसने
मुझे मेरी पु तक, इ नाइटे ड माइंड्स लखने के लए े रत कया, जसका उ े य युवा को
इस बात के लये े रत करना था क वे ‘म कर सकता ँ’ का भाव अपनाएं। सरी घटना
यह थी क मने खुद को आ या मक प से जागृत करने के लये अ मा–माता
अमृतानंदमयी से मलने जाने का मन बना लया, और इस तरह मेरी रांची से वलोन क
या ा तय हो गयी। जैसा क संयोग बना, मेरी पु तक इ नाइटे ड माइंड्स मेरे रा प त बनने के
ठ क पहले का शत ई थी। इसका शीषक यूज़ मी डया को भा गया और मेरे रा प त
बनने के दन म इसे शीष खबर म कई बार दे खा गया। इस पु तक को असाधारण सफलता
मली और यह थायी प से बकने वाली पु तक हो गयी। अ मा एक संत व वाली
पु या मा ह और वशेषत: श ा और वा य के े म जन-क याण के काम म त
रहती ह। लाचार और अनाथ लोग का सहारा बनती ह। इस या ा म मेरे साथ मेरे दो म भी
थे और मने उनसे यह बात साझा क थी क मने मुख वै ा नक सलाहकार (पी.एस.ए.) के
पद से यागप दे दया है और इस आशय का प म धानमं ी को भेज चुका ँ। मेरी भट
अ मा से बलकुल तनावमु मनः थ त म ई। मने अ मा से भारत-2020 क अपनी
अवधारणा, और मू य-आधा रत श ा के बारे म बात क ।
यह संग नव बर 2001 का है, जब मुझे मुख वै ा नक सलाहकार के पद पर
लगभग दो वष हो चुके थे। मने अपने एक प म लखा क म अपने शै क उ े य क ओर
लौटना चाहता ँ। न त प से, इसके गंभीर कारण थे। मुझे एहसास आ था क
‘ ोवाइ डग अबन ए म नट ज़ इन रल ए रयाज़’ (पी.यू.आर.ए.) जैसे काय म और
भारत-2020 का बंधन, ज ह म दे ख रहा था, उ ह समु चत वरीयता नह मल रही थी।
सम या कहाँ पर थी? जहाँ तक संभव हो सके, म कसी भी ल य या ग त व ध को एक
ोजे ट क तरह, नधा रत समय और आ थक सीमा के भीतर, ज़ मेदारी से पूरा करना
चाहता ।ँ काम का ऐसा प रवेश पूरे सरकारी तं म अपना पाना मु कल है, जहाँ ल य को
ब त सारे ऐसे मं ालय और वभाग ारा स करना हो जनके अपने ल य और काय म
भी ह । जैस,े अगर कृ ष के स दभ म कोई यह ल य रखे क तवष चार तशत उपज
बढ़ानी है, तो उसे जल मं ालय, खाद, रसायन, ामीण वकास, पंचायत राज और खाद के
प रवहन के लये रेल वभाग आ द के सहयोग क ज़ रत पड़ेगी, जन सब के लये कोई
एक ल य तय नह कया गया है। इसके अलावा, पी.एस.ए. कोई एकछ य अ धकार
ा त इकाई नह है, उसक भू मका केवल परामश दे ने और संयोजन करने तक सी मत है,
जसका कोई लाभ ल य पूरा करने म नह मल सकता। इस नणय ने मुझे अ ा यू नव सट
के समाज प रवतन वभाग म टे नोलॉजी के ोफ़ेसर का काम संभालने के लये े रत
कया। यह मेरे जीवन का छठा नणायक मोड़ था।
मेरे रा प त पद के कायकाल के अं तम तीन महीन म मुझसे एक सवाल पूछा जा
रहा था क या म सरी बार इस पद के लये याशी बनूँगा? मने पहले ही मन बना लया
था क म अपने अ यापन के जीवन म वापस जाऊँगा और भारत-2020 क अपनी
संक पना को आगे बढ़ाऊंगा। अचानक, जुलाई माह क ओर बढ़ते दन म स ाधारी पाट
कां ेस ने संभा वत लोग के नाम सामने रखे। वप का नज़ रया सरा था, दे श म
राजनी तक ग त व धय क हलचल ज़बरद त थी, और व भ राजनी तक दल से झु ड के
झु ड नेता लोग मेरे पास आ रहे थे क म बारा चुनाव म आऊँ। मेरे पास ब त-से जन
त न धय के, मह वपूण लोग के और युवा के संवाद गत भट के दौरान या ई-मेल
और प के मा यम से आये क म सरी बार यह पद वीकार क ँ । नामांकन भरने क
अं तम तारीख के पास राजनी तक नेता का एक दल मेरे पास आया क य द म इसके
लये तैयार होऊं तो सारे राजनी तक दल, स ा दल स हत मेरा समथन करगे।
मने उनसे कहा क अगर सारे राजनी तक दल समथन दगे तो म इस संभावना पर
वचार कर सकता ँ। इस पर नेता लोग वापस आये और मुझे बताया क स ाधारी दल मुझे
समथन दे ने को तैयार नह है, ले कन उ ह ने व ास कया क अगर म चुनाव म
उतरता ँ तो मेरी वजय न त है। बना कसी हच कचाहट के मने कहा क इस दशा म म
चुनाव म याशी नह बनूँगा; य क मेरा मत है क रा प त भवन को दलगत राजनी त म
नह ख चा जाना चा हए। अनमने-से होकर नेता ने मेरी बात मान ली। एक ेस व त
जारी हो गई क म रा प त के चुनाव म याशी नह ।ँ मने सचेत नणय लया क म अपने
शै क और शोध के े म वापस जाऊँगा और अपनी इस गहरी च को आगे बढ़ाऊंगा
क 2020 तक भारत आ थक प से वक सत रा बनेगा।
मने हमेशा यही माना है क कायर लोग कभी इ तहास नह बनाते, इ तहास
ववेक और साहस से स प लोग से बनता है। साहस वैय क
चा र कता है और ववेक अनुभव से आता है।
4

मलनसार रा प त

सश करण एक भीतरी या है
ई र के अ त र कोई सरा इसे स प नह कर सकता

र◌ा आगे
प त का दा य व नभाना मेरे लये एक चुनौती थी। यह भारत-2020 काय म को
बढ़ाने का मंच बन गया, जो म समझता ँ क केवल सभी नाग रक , सांसद ,
शासक , कलाकार , लेखक , और दे श के युवा के सहयोग से ही पूरा हो सकता है। इस
अ भयान के प म कसी को भी सहमत कर पाने का एकमा तरीका आमने-सामने का
संवाद है, जसके ज़ रये सरे का वैचा रक कोण भी जाना जा सकता है।
रा प त पद ने मुझे यह अवसर दया। म यहाँ से सामा जक प र य म लोग के साथ
सीधा संवाद कर सका, वशेष प से युवा और राजनी तक नेता को अपने अ भयान का
दे श के लये मह व बता सका, और यह क इसे या वत कया जाना चा हए।
इस से मुझे रा प त के प म एक अ त र भू मका मली। संवैधा नक भू मका के
स दभ म, रा प त को यह न त करना होता है क सरकार और वधायक का हर एक
कदम सं वधान क मूल वृ के अनुकूल ही उठे । सरकार का हर एक कदम भारत के
रा प त के नाम पर उठता है। संसद म जो बल और अ यादे श पा रत होते ह, उ ह सरकार
रा प त तक उसक सहम त पाने के लये लाती है। रा प त को नणय लेने के पहले यह
आ त करना होता है क यह बल या अ यादे श ापक जन हत म है। उसे यह भी दे खना
होता है क कसी पूवा ह त नणय क परंपरा तो नह शु हो रही है। म रा प त क
काय णाली क अ त र व तार से चचा नह क ँ गा। फर भी, जैसा क म समझता ँ,
सं वधान, परंपरा और प रपाट के दा य व के अ त र उसे और भी ब त कुछ करना होता
है, वह केवल नाममा का रा प त नह होता।
ब त-से े म ठोस काम करने क अनेक संभावनाएं ह, चाहे वह समाज के व भ
वग से संवाद के ज़ रये वकास काय म तेज़ी लाना हो, या राजनी तक स दभ म, जैसे अपने
तर पर वह दल और उनके सहयोगी घटक क संयु ताकत का अनुमान रखे, जससे
राजनी तक दल कमज़ोर ब मत क थ त म कोई नणय न ल। रा प त रा यपाल को
रद शतापूण सुझाव दे ता रहे और वह उनके रा य के कामकाज के बारे म सचेत जानकारी
रखे। जस तरह सश सेना का कमांडर अपने दल को बेहतरीन काम करने के लये े रत
करता रहता है, वैसी ही भू मका रा प त भी नभाए।
इसके अ त र , रा का सव च होने के कारण रा प त पर जनता क नज़र होती
है। मेरा उ े य था क म रा प त भवन को जनता क प ँच के लये सुलभ कर ँ । म इस
तरह जनता म यह भावना जगाना चाहता था क वह दे श म वकास और समृ लाने वाले
काम म ह सेदार है और बंधन कैसा हो रहा है इस से उनका भी हत भा वत होता है।
इस तरह, रा प त के प म म लोग के जीवन म जगह बनाने क राह पर चल नकला और
व था काफ कुछ मलनसार हो गयी।
मने सबसे पहले तो रा प त भवन म ‘ई-गवनस’, यानी इले ॉ न स शासन णाली
क शु आत क । कं यूटर तो पहले से इ तेमाल हो रहे थे ले कन मुझे लगा क उनका और
भी अ धक उपयोगी योग कया जा सकता है। हमने ऐसा तरीका लागू कया जससे
रा प त स चवालय म आने वाले सभी प , फाइल और द तावेज़ को ‘ कैन’ करके उ ह
इले ॉ नक प म बदला जाए और येक पर ‘बार कोड’ अं कत हो जाएँ ता क वह
कं यूटर क पहचान म रह। उसके बाद सारे प , फाइल सरकारी अ भलेख रकाड म चले
जाएं और उनके मह व के अनुसार उ ह संबं धत अ धका रय , नदे शक और सरकारी
वभाग तक, या रा प त के पास केवल कं यूटर के मा यम से (इले ॉ नक ढं ग से) भेजा
जाए।
मेरा सपना था क हम ऐसा तरीका अपनाएं जससे रा प त भवन, धानमं ी का
कायालय, रा यपाल के कायालय, और व भ मं ालय एक सुर त संचार तं से जुड़
जाएँ, जसम G2G के ज़ रये इले ॉ नक ह ता र तथा ई-गवनस संभालने क मता हो।
हमने एक तं (system) का परी ण कया और वह लागू कये जाने के लये तैयार था।
मुझे व ास है क एक दन मेरा सपना सच होगा। हमने ई-गवनस का यह तरीका रा प त
स चवालय के नौ वभाग म लागू कया और उसका प रणाम दे खा। आमतौर पर, जब
जनता क अ ज़यां जन-1 वभाग (प लक-1 सै शन) म प ंचती थ , तो बीस अ ज़य के
नपटारे म सात दन का समय लगता था। इस ई-गवनस के लागू होने के बाद, केवल पांच
घंट म चालीस अ ज़य का नपटारा हो पाने लगा। म उ मीद करता ँ क ऐसा तरीका
ब त-से रा य और के सरकार के वभाग म लागू कया जा सकता है।
~
रा य और के शा सत दे श के सांसद के साथ रा प त भवन म सुबह के ना ते पर
उनको आमं त करना और उनके रा य म वकास क थ त और ग त का सीधा हाल
जानना, यह मेरे रा प त काल के ारं भक दन क एक मह वपूण ग त व ध थी। ऐसी
बैठक वष 2003 म 11 माच से लेकर 6 मई तक चल और इनका मेरी सोच पर गहरा असर
पड़ा।
यह बैठक एक तयशुदा ल य को लेकर क जाती थ , और इनक तैयारी म म और
मेरी ट म ह त पहले लग जाते थे। हमने येक रा य क वकास संबंधी ज़ रत और
उनक मता के बारे म शोध कया। इसके लये ज़ री सूचनाएँ योजना आयोग, के तथा
रा य के सरकारी वभाग से मंगवाई गय । रा ीय और अंतररा ीय अनुमापन संबंधी ब त
से द तावेज़ का अ ययन कया गया।
इस तरह ा त आंकड़ का व ेषण कया गया, इ ह ाफ तथा म ट -मी डया
तरीके से तुत कये जाने लायक बनाया गया। इस तरह ा त जानकारी को पॉवर वाइंट
तु तय के ज़ रये सांसद को दखाया गया और इन तीन े पर ज़ोर दया गया—1.
वक सत भारत क संक पना, 2. उस रा य या यू नयन टे रटरी क स पदा, 3. उस रा य
क वश मताएं।
इस ग त व ध का अभी इस बात को प करना था क दे श के वकास का म इन
तीन बात से जुड़ा आ है। फर एक चौथा प और तैयार कया गया। वह था वकास के
इन े के लये ग त के संकेतक का चुनाव, जनके आधार पर ग त नापी जा सके। इस
तरह मने खुद को ब त आनं दत महसूस कया। व भ दल से आये सांसद से मेल-
मुलाक़ात ने मुझे दे श के अलग-अलग ह स क खा सयत से प र चत कराया।
पहली मी टग बहार के सांसद के साथ ई। सद य आंकड़ क तु त को लेकर
जोश म थे और मने सद य के जोश से खुद को उ सा हत महसूस कया। इस तु त म
बहार से जोड़ कर समूचे दे श के वकास को दखाया गया था। इसम बहार क मता
का संकेत था जन के सहारे बहार वकास के बड़े ल य छू सकता था। जब हमने इस
मी टग क अव ध एक घंटे से बढ़ा कर डेढ़ घंटे कर द , तब भी सुखद अनुभव यह था क
मी टग ख म होने के बाद, और ो र स के ख म होने के बाद भी ब त-से सद य अपने
रा य के आंकड़ को चपूवक दे खते-समझते रहे। इन बैठक का यौरा, द तावेज़ स हत
रकाड म रखा गया।
नजी तौर पर मने इन बैठक का एक-एक पल चकर पाया। यह मेरे लये हर एक
े क जानकारी से स प असली श ा जैसे थे। हमारी तु तय म र थ े के
सांसद ारा भेजी गयी जानकारी भी शा मल क गयी थी। ब त-से सद य ने मुझे बताया
क यह आँकड़े और तु त उनके लये उपयोगी ह। दरअसल, यह यौरे और वचार- वमश
मेरे और सांसद के बीच मुख संवाद-सेतु बने और मेरे रा प त पद से मु होने के बाद भी
बने रहे। अभी भी, जब हम उनसे मलते ह तो वकास का संग हमारे बीच बातचीत और
वचार- वमश का वषय बन जाता है।
अनेक वशेष क राय के आधार पर भारत-2020 के उद्भव ने मेरा यान
सामा जक प रवतन के ब त-से प क ओर आक षत कया। रा य के वह ववरण, जो
हम ना ते क बैठक के दौरान सांसद से मले, उसम भी मुझे ग त स ब धी ब त नई और
उपयोगी बात जानने को मल । सांसद ने मुझे ब त-से ब मू य वचार दए। मने नौ बार
संसद म भारत-2020 क संक पना पर अपना व रखा और बारह रा य वधान
सभा म उस रा य से संबं धत समृ के रा ते क चचा क । इन बैठक म सांसद से जन
और सुझाव से मेरा आमना-सामना आ उनसे यह पता चलता है क रा य के वकास
के लये कस े म कस संसाधन क ज़ रत है, जैसे जल-संसाधन, रोज़गार के अवसर,
जन- वा य के क थापना, ामीण े के आपसी जुड़ाव क व था और शै क
व था म सुधार। जब मने भारत-2020 क संक पना पर रा ीय और रा य तरीय कॉमस
और उ ोग चै बस, बंधन सं थान और टे नीकल सं थान से 2020 क संक पना स
करने पर बात क तो मने सांसद से ा त इ ह आंकड़ को सामने रखा। बाद म इसी
संक पना के अगले म म, ता कक प से वक सत दस तंभ का वचार था पत कया
गया। आज जब म वशेष , ावसा यक द गज और शोध म लगे लोग से बात करता ँ
तो म उ ह बताता ँ क वकास के इन दस तंभ क प रक पना म नए वचार से वे कैसे
योगदान दे सकते ह।
वह दस तंभ यह ह :
1. एक रा जसम ामीण और शहरी े के बीच का अंतर कम से कमतर हो
जाए।
2. एक रा जसम ऊजा और अ छे पानी का पया त और सुचा वतरण हो।
3. एक रा जसम कृ ष, उ ोग और सेवा के े एक साथ एक सुर म काम कर।
4. एक रा जसम मू य-आधा रत श ा से, कसी मेधावी याशी को सामा जक
और आ थक आधार पर वं चत न कया जाए।
5. एक रा जो यो य व ा थय , वै ा नक और नवेशक को अपने लये सव े
लगे।
6. एक रा जसम अ छ च क सा-सु वधा सबको उपल ध हो।
7. एक रा जसम शासन और बंधन संवेदनशील, पारदश और ाचार से मु
ह।
8. एक रा जसम गरीबी न हो, नर रता न हो, य और ब च के त अपराध
न हो और समाज का कोई भी वग अलगाव महसूस न करे।
9. एक रा जो समृ , व थ, सुर त, शां तमय तथा स हो तथा ऐसे वकास के
रा ते पर चल रहा हो, जो संजोए रखा जा सकता हो।
10. एक रा जो रहने के लये सव े हो और जसे अपने नेतृ व पर गव हो।
ना ते पर होने वाली इन बैठक से यह भी जानकारी मली क पाट -प पात से हट
कर दे श के नेता कैसे वकास के मु पर बात कर सकते ह। वा तव म, रा प त भवन ही
एकमा ऐसा थान है जहाँ दलगत मता तर ख म हो जाता है और येक सांसद रा हत
को एक स पूण इकाई के प म दे खता है।
रा प त भवन म सांसद के साथ बैठक के अलावा, मुझे दोन सदन को संबो धत
करने का मौका दस से यादा बार मला।
ऐसे संबोधन भ समारोह क तरह होते ह। और उनम मुझे हर बार, खचाखच भरे
ए हॉल म बेहद शां तपूवक सुना गया। मेरे सांसद से दो तरह के संवाद होते थे। एक तो
पूरी तरह सरकारी, जैसे बजट स के वह पांच भाषण जो मने दए। सरे वह जनम मेरे
वचार और वक प कहे गये। मने तो सरकारी भाषण म भी अपने कुछ ऐसे वचार के लये
जगह बनाई जन पर म बात करना चाहता था। वाजपेयी जी और डॉ. सह, दोन ने ही मेरे
सुझाव को वीकृ त द ।
मने इस मंच से सांसद से इस पर भी चचा क , क रा के त उनक या
ज़ मेदारी है। वष 2007 म दे श के 1857 म लड़े गए थम वातं य संघष का 150वां
मरणो सव मनाते समय मने अपने भाषण म सांसद को बताया था क उनक अपने चुनाव-
े , अपने रा य और अपने दे श के त या ज़ मेदा रयां ह। मने कहा था, ‘स ची
वतं ता और वाधीनता के लये हमारा आंदोलन अभी भी पूरा नह आ है।...सांसद और
वधायक के लये अब और समय आ गया है क वह नये संक प और नेतृ व के साथ दे श
को न केवल, स प , एकताब , सामंज यपूण, वपुल एवं समृ कर ब क इसे सुर त
रा , कसी भी अ त मण तथा सीमा पार से घुसपैठ के लये अभे बनाएँ।
रा ीय नेतृ व को अपने जनमानस म, अपने नये रा ीय काय म और समयब
ल य के ज़ रये, व ास जगाना चा हए। न त प से भारत अ धकारपूवक, अपने पछले
साठ वष म जुटाई आ थक, सामा जक और राजनी तक उपल धय पर गव कर सकता है।
ले कन हम अपनी पछली उपल धय पर ग वत होते ए अपनी उन ताज़ा सचाइय से मुंह
नह मोड़ सकते, जो तकनीक, उ ोग और कृ ष के े म बदलाव क मांग कर रही ह।
ब त-सी चुनौ तयां ह जनका मुकाबला कया जाना है। कई राजनी तक दल से मल कर
बनी गठबंधन सरकार क जगह, दो दल वाला राजनी तक तं , मज़बूत आतं रक सुर ा
तं क ज़ रत, जो वै क आतंकवाद का सामना करे तथा कानून और व था क नई
तरह क सम या से नपटे । उ च उपज के बावजूद दे श म आ थक वषमता क चौड़ी
होती जा रही खाई, ापक और संवे समृ सूचक तं का अभाव, केवल ‘ ॉस डोमे टक
ोड ट’ जी.डी.पी. (सकल घरेलू उ पाद) का मापन, तेज़ी से घटता जा रहा वै क खनन
धन का भ डार। इसके लये नरपे ऊजा काय म क आव यकता तथा हमारी सीमांत
सुर ा टु क ड़य पर बढ़ते जा रहे नये साम रक श प के खतरे...।
मने यह भी कहा—स माननीय सांसदो, वशेष प से युवा सद यो, जब भी म आप
सब को दे खता ँ, मुझे आप म महा मा गांधी, डॉ. राजे साद, पं डत जवाहरलाल नेह ,
सरदार पटे ल, सुभाष चं बोस, डॉ. अ बेडकर, अबुल कलाम आज़ाद, राजाजी और रा के
अनेक बड़े व ा क छ व नज़र आती है। या आप भी ऐसे संक पवान नेता बन
सकते ह जो रा को खुद से ऊपर रख कर सोच? या आप भारत के लये उन जैसा बन
सकते ह? जी हां, आप बन सकते ह। बशत आप अपने भीतर संसद का पंदन महसूस
करते ए दे श को वह नेतृ व दान कर जस से भारत-2020 के पहले आ थक प से
समृ , खुशहाल, मज़बूत और सुर त रा बन जाए। माननीय सद यो, यह सब होने के
लये आपको अपने लये बड़ा ल य चुनना होगा और संसद म तथा बाहर, उस पर काम
करना होगा। इ तहास तब आपको याद करेगा क आपने दे श के हत म एक नभ क कदम
उठाया और छोटे तथा खं डत मसल को परे छोड़ते ए आप बड़े ल य क ओर बढ़े ।
~
भारत-2020 के अ भयान के दौरान मेरा संपक सांसद और वधायक से लगातार हो रहा
था। इसी म म मुझे यह भी ज़ री लगा क म रा यपाल के कायालय का भी उपयोग
क ँ । रा यपाल का कायालय भी उसी ल य के लये काम करने वाला एक संवैधा नक थल
है। इस से 2003 और 2005 म रा प त भवन म आयो जत रा यपाल के स मेलन
का मह वपूण योगदान रहा।
2003 का स मेलन धानमं ी वाजपेयी क वचनब ता के आलोक म आ था
जसम उ ह ने पछले वष लाल कले से और संसद म यह आ ासन दया था क भारत
2020 तक वक सत दे श म शा मल हो जाएगा। 2005 के रा यपाल स मेलन म धानमं ी
मनमोहन सह ने भी भारत को इसी दशा म ले जाने क इ छा जताई थी।
स मेलन म दए गये भावशाली भाषण भुला दए जाते ह, ले कन मने वहां जो कहा
गया उसे मू यवान मानते ए यही याद रखा क यह वकास क ओर तेज़ी से बढ़ते जाने के
संकेत ह। वाजपेयी ने कहा क शासन तं के हर एक खंड को वकास क आव यकता को
पहचानना चा हए, खास तौर पर यह कदम हम अपने ल य तक तयशुदा ज द ही
प ंचाएगा। उन मु कल को दे खते ए जो संयु ल य के हत म अलग-अलग वभाग को
उ सा हत करने म आती ह, मुझे यह बात उ साहजनक लगी। भाग ले रहे रा यपाल ने भी
इस अवसर पर बोलते ए कसी नषेध के न होने का संकेत दया। वह खुल कर बोले। कुल
मला कर, ऐसा प रवेश बना जसम सभी भागीदार ने सम या और उनके हल पर बातचीत
क।
2005 के स मेलन म डॉ. मनमोहन सह अपने सभी कै बनेट मं य के साथ श ा,
आतंकवाद, आपदा- बंधन तथा ‘वै यू ऐडेड टे सेशन’ (वैट) लागू करने के मु े पर बात
करने के लये उप थत थे और उनक वचार- वमश योजना रा प त कायालय ारा दये
गये ावधान के अनुकूल थी। ब त-से े म वकास बंध के काम म रा यपाल के
योगदान क शंसा करते ए धानमं ी ने आ ासन दया क वह और उनके सहयोगी,
रा प त के ेरक दशा- नदश के अनुसार इस ल य पर काम करगे। यह सब म यह समझाने
के लये कह रहा ँ क कस तरह रा प त कायालय मेरे लये मेरे य ल य के हत म एक
मंच बना।
~
भारत म नचली अदालत , उ च यायालय और सव च यायालय म लं बत मुकदम क
गनती ब त बड़ी है। उसके बाद नये मुकदमे आने और दज होने के बाद यह गनती लाख
म प ँच गयी है। जो लोग इन मुकदम म संल न ह वह धन, समय और तकलीफ का भारी
दौर झेल रहे ह।
2005 म मुझे एक अ खल भारतीय से मनार म बोलने का अवसर मला, जसका
वषय था, अदालत म लं बत मुकदम के नपटार के ज़ रये याय-तं म सुधार। तब मने
‘नेशनल ल टगेशन पडसी लअरस मशन’ (एन.एल.पी.सी.) का ज़ कया था। इसम
मेरा आशय एक ऐसे अ भयान से था जो अदालत म लं बत मुकदम को तेज़ी से नपटाने
का संक प ले। मने दे र से याय मलने के कारण का व ेषण कया और यह कारण बताए
: 1. अपया त यायालय 2. अपया त या यक अ धकारी 3. या यक अ धका रय के पास
संसाधन -सूचना क कमी 4. आरो पय और उनके वक ल ारा द तावेज़ दे ने म दे री
और इस तरह तारीख टालना 5. यायालय म शासन क भू मका।
अपने व ेषण के आधार पर मने सुझाव दया क ववाद का नपटारा मानवीय
सोच के आधार पर कया जाए—लोक-अदालत को और सश बनाया जाए,
एन.एल.पी.सी. क शु आत, ववाद के हल क वैक पक व ध समझौते और ‘ त
अदालत ’ (‘फा ट ै क कोट’) का गठन कया जाए।
मने सरे और कई तरीके बताए, जो खास तौर से उ च यायालय म लं बत मुकदम
से संबं धत थे। इनम एक था क लं बत मुकदम को उनके लं बत समय के आधार पर
ेणीब कया जाए। और उन मुकदम क पहचान क जाए जनम वतमान पीढ़ के
त न ध मुकदमे को आगे बढ़ाने म च नह रखते ह ।
इन सब सुझाव म इले ॉ नक याय व था लागू करना सबसे अ धक बु नयाद
सुझाव था। इस स दभ म मने कहा क पहले स य मुकदम को उनके समयगत आधार पर
क यूटर म डाल लया जाए। इससे उन मुकदम क गनती ज़ र घट जाएगी जो अभी तक
लं बत ह। हमारे पास यह आंकड़ा होने क ज़ रत है जो मुक़दमे को उसके शु होने क
तारीख से ले कर फैसला सुने जाने तक का यौरा रखे। इस इले ॉ नक तं से कसी भी
मुकदमे क खोज, ज़ रत पर उसे फर से दे खे जाने क को शश, उसे कसी और मुकदमे से
जोड़ कर दे खने का काम, कसी के कानूनी रकाड को तलाशने का काम और मुकदमे का
नपटारा— यह सब ज द करना सरल और पारदश हो जाएगा। शकायत करने वाला
कभी भी यह दे ख पाएगा क उसका मुक़दमा कस दौर म है और आगे कस अदालत म
उसक सुनवाई होनी है। वह यह भी जान पाएगा क अदालत कस मु े पर जरह करेगी।
इससे वह पहले से ही तैयार हो कर आएगा। इस से पूरी पारद शता तो आएगी ही, इस से
जज को भी यह पता करने म सरलता होगी क मुकदमे म कतनी बार तारीख बढ़ाने क
अज़ द गयी है, उनके कारण या थे, वह कतने ठ क थे। जज को इस जानकारी से
फैसला दे ने म मदद मलेगी।
इसके साथ ही, मुकदमे क वी डयो कॉ सग का भी योग कया जा सकता है।
इससे वह अनाव यक खच और भागदौड़ बचेगी जो पु लस को अ भयु के साथ करनी
पड़ती है।
वी डयो कॉ सग इन मुकदम म तो ब त उपयोगी स होगी जनम एक से
अ धक अ भयु दज ह। गवाह क पहचान अपराध क क ड़याँ जोड़ने के काम म भी
‘इ फॉरमेशन ए ड क यू नकेशन टे नोलॉजी’ (आई.सी.ट .) ब त उपयोगी हो सकती है।
ब त-से दे श जैसे सगापुर और ऑ े लया, ‘इ टरनेट अदालत ’ के साथ-साथ
कानूनी सलाह सेवा को आज़मा रहे ह। जो कानूनी बारी कयां बताते ए मुकदम के यौरे
मुव कल को बताती ह। यह मुव कल के लये एक वै छक सेवा है। सभी मुकदम म
आई.सी.ट . के ज़ रये मुकदम का नपटारा तेज़ी से आ है और इनम कसी धोखाधड़ी क
गुंजाइश नह है। यह कुल व था मुकदम का यायपूण नपटारा तेज़ी से करेगी।
अंतत:, मने न न ल खत नौ सुझाव भी दए ता क हमारी या यक व था नाग रक
को यथासमय याय दला सके :
1. यायाधीश और बार के सद य इस बात पर ग भीरता से वचार कर क इसक
एक सीमा नधा रत हो जानी चा हए क कसी मुकद्दमे को कतनी बार तारीख
द जा सकती है।
2. ई-जु ड शयरी क णाली सभी अदालत म लागू होनी चा हए।
3. मुकदम को उनके त य और संबं धत कानून के अनुसार वग कृत कया जाए।
4. वशेष शाखा , जैसे सेना के कानून, सेवा के मामले, टै स, साइबर कानून आ द
के मामल के लये इन े के वशेष को बतौर जज नयु कया जाए।
5. सभी यू नव स टज़ म कानूनी श ा के तर म सुधार हो और उ ह ( वदे श के) लॉ
कूल के तर पर लाया जाए।
6. अनाव यक कारण पर तारीख बढ़ाने और झूठे मुकदमे दायर करने पर भारी द ड
क व था हो।
7. ज़ला और उ च यायालय के जज भी सव च अदालत को सुझाया मॉडल
अपनाएं और नपटाए जाने वाले मुकदम क सं या उसके अनुसार बढ़ाएँ, इसको
पूरा करने के लये सामा य दन म और श नवार को अ त र घंटे वै छक प
से काम कर।
8. अदालत म एक से अ धक स चलाए जाएँ जनके समय म अंतर हो। इससे
मता का बेहतर उपयोग होगा, अ त र जनश मलेगी, बेहतर बंधन होगा।
9. एन.एल.पी.सी. का गठन, दो वष के लये कया जाए जसम वह समयब ढं ग से
लं बत मुकदम का नपटारा कर।
कुछ समय बाद मने पाया क हमारे या यक तं ने इन सुझाव पर वचार कया है
और इ ह धीरे-धीरे लागू करना भी शु कया है। उदाहरण के लए, यह जान कर मुझे खुशी
ई क एक ब त समय से लं बत तलाक का मुक़दमा वी डयो कॉ सग के ज़ रये नपटाया
गया। इसम प त भारत म था और उसक प नी अमे रका म।
~
भारत के पास नया क सबसे अ छ सश सेना है, वफादार, साहसी, और अनुशा सत।
दे श का रा प त सश सेना का सव च कमांडर है। उस मता म, म यह जानने के लये
ब त उ सुक था क हमारे सेनानी कस प रवेश म काम करते ह, उनक तैयारी का तर या
है, उनक सम याएँ और क ठनाइयाँ या ह। इस ज ासा के साथ म थल सेना, वायु सेना
और नौसेना क कई इकाइय म गया। मेरी अ धका रय और जवान से जो बातचीत ई
उसने मुझे े रत कया क म इन इकाइय के गम े म जाऊं। इस तरह, मने सबसे पहले
सया चन ले शयर क कुमार चौक जाने का नणय लया। यह नया का सबसे ऊंचा
लड़ाई का मैदान है, जहाँ हमारे जवान भयंकर सद म डटे रहते ह। मने वशाखाप नम के
सागरतट से र समु क सतह के नीचे जा कर दे खा। म सुखोई-30 एम.के.आई. वमान म
उड़ा, जसक ग त आवाज़ क ग त से करीब गुनी थी। मुझे यह अनुभव उ ेजक लगे और
म इ ह आपके साथ बांटना चा ँगा।
~
मेरा जहाज़ 2 अ ैल, 2004 को सया चन ले शयर क कुमार चौक पर उतरा। यह चौक
समु तल से सात हज़ार मीटर क ऊँचाई पर थत है। उस समय वहां पर बफबारी हो रही
थी, तापमान शू य से 35 ड ी से सयस नीचे था और तेज़ हवा चल रही थी। जब म फ ड
टे शन पर प ंचा वहां पर तीन जवान तैनात थे, नाइक- कनाटक से, व लयम- प म बंगाल
से और सलीम उ र दे श से थे। इ ह ने मुझसे हाथ मलाया। इनके हाथ मलाने म वह
गमजोशी थी क मौसम क सद र हो गयी। इसने मुझे भरोसा दया क हमारा रा उन
सपा हय के हाथ म सुर त है जो इस क ठन वातावरण म हमारी र ा कर रहे ह। इतनी
क ठन प र थ त म फौ जय म इस तर का व ास बनाए रखने के लये असाधारण तरह
क नेतृ व- मता चा हए।
~
13 फरवरी, 2006 को मने भारतीय नौसेना क पनडु बी ‘आई.एन.एस. स धुर क’ से
समु क सतह से नीचे क या ा क । पनडु बी ने सतह से करीब तीस मीटर नीचे गोता
लगाया, उसके बाद सीधे आगे जाने लगी। मने वहां कं ोल म दे खा। वहां मुझे पनडु बी के
काम करने का ढं ग बताया गया, जसम पनडु बी का चलना, घूमना और पानी म तैरने का
ढं ग उ साहपूवक बताया गया। यह मेरे लये एक रोमांचक अनुभव था। मेरे साथ नौसेना के
मुख एड मरल अ ण काश और युवा अ धकारी तथा ना वक थे। इसी म म मुझे समु
क सतह के नीचे से होने वाली संचार व था, ल य पर नशाना साधना और ग तमान होने
जैसे तं समझाए गये। इसके बाद एक तारपीडो (समु ेपा ) छोड़ कर एक नकली
मुठभेड़ के ज़ रये मुझे साम रक मता का दशन दखाया गया। तारपीडो ने मार कर लौटने
क अद्भुत मता का दशन कया। इस अवसर पर मुझे पानी के भीतर यु शैली क
ज टलता का अंदाज़ा आ। उस जलपोत म म न बे अ धका रय और ना वक से मला। सब
अपने-अपने काम म त थे। उनका काम सरल नह है ले कन उ ह अपने इस चुनौतीपूण
ल य पर गव है। मुझे वहां वा द शाकाहारी भोजन दया गया और फर नौसेना क
पनडु बय के अगले तीस वष क योजना का तुतीकरण दया गया। तीन घंटे के समु के
नीचे का अनुभव ले कर हम तट पर वापस लौटे । यह सचमुच एक यादगार या ा थी।
~
8 जून, 2006 को मने सुखोई-30 लड़ाकू वमान म एक उड़ान भरी। एक रात पहले वग
कमांडर अजय राठौर ने मुझे यह सखाया क कैसे उड़ना है। उ ह ने सखाया क कैसे
जहाज़ को उड़ाया और ह थयार का नयं ण रखा जाता है। कुछ ऐसा ही करने क मेरी
तम ा वष 1958 से थी, जब म इंजी नयर बना था। जैसे ही हमने अपनी पेट कसी, सुखोई
चल पड़ा और 7500 मीटर यानी 25000 फट क ऊँचाई पर प ँच गया। उसक ग त
1200 कलोमीटर त घंटे से अ धक थी। वग कमांडर अजय राठौर ने कुछ घुमाव और
कलाबा ज़यां दखा । लड़ाकू वमान उड़ाना एक गहरा अनुभव हो सकता है। मने करीब
3Gs (G-Suit) गु वाकषण बल महसूस कया, न त प से हम जी-सूट पहने ए थे
जससे हम लैक आउट म जाने से बचे ए थे। उड़ान के बीच म मने व भ तं को
समझने क को शश क ज ह भारतीय वै ा नक ने वक सत कर के वमान म था पत
कया था। म वमान म यु दे शज कं यूटर, राडार चेतावनी सूचक तथा अ य मह वपूण
यं दे ख कर ब त खुश आ। मुझे दखाया गया क कैसे हवा म उड़ते ए ज़मीनी ल य पर,
वशेष यं ( स थ टक अपचर राडार) से नशाना साधा जाता है। हमारी उड़ान छ ीस मनट
से यादा क थी। मुझे लगा क मेरा एक ब त पुराना मनचाहा सपना पूरा आ।
मुझे अपने पैरा म लटरी फ़ोस के सद य से, के तथा रा य के पु लस क मय से
और आतं रक सुर ा बल के लोग से भी मलने का मौका मला है। उनक बहा री और
उनके समपण भाव ने मेरे ऊपर गहरी छाप छोड़ी है।

एक रा प त के प म मुझे दे श-भर के सभी वग के लोग से मलने का


अवसर मला। इससे म लोग को समझ पाया। उनक मु कल और उनके
जीवन क आकां ा और चुनौ तय से अवगत आ। उतना ही
मह वपूण है क म लोग को एक साझा रा ीय मंच पर ला सका।
5

म रा को या दे सकता ?

संक पना से रा स प होता है

मै◌ं राएक कोअरबयादेशदेवासकता ं? सरे दे श क नज़र म गौरव और स मान। अपने दे श के


सय के चेहरे पर मु कान। यह केवल आ थक वकास और श ा
के मा यम से हा सल हो सकता है। ग रमा पाने का सबसे बड़ा रा ता श ा है। यागवृ के
अ यास से ही दे शवासी वकास क मु यधारा म आ सकते ह।
रा प त को दे श को संबो धत करने का शुभ अवसर वतं ता दवस क पूव सं या
को और गणतं दवस को मलता है। इन दो अवसर पर वह दे श को कये गये वकास
काय से प र चत कराता है और उन चुनौ तय का भी ज़ करता है जो सामने ह।
यह ा यान पहले अं ेज़ी म होता है, फर ह द म। वैस,े हाल के दन म मने यह
अ यास कया है क म अ भवादन और उसके बाद अपने भाषण का सार-सं ेप ह द म
बताता ।ँ
जब म रा प त बना था तब मेरी ह द ब त अ छ नह थी। फर भी मुझे लगा क
भाषण के बीच म थोड़ा-सा ह द का पुट ोता के बड़े समूह को अ छा लगेगा।
गणतं दवस का भाषण हमेशा वषय-क त होता है। भाषण क तैयारी सामा यतः
काफ पहले शु हो जाती है। हम वषय तय करते ह। फर सरे वभाग से संबं धत
जानकारी जुटाते ह, और खुद उस वषय पर अंतररा ीय संग इक ा कर के भाषण म
जोड़ते ह। संबं धत वशेष को ावली भेजी जाती है। उसके बाद ा त ई सारी
सूचना का मलान कया जाता है। भाषण के कई मसौदे तैयार कये जाते ह। अगर इसके
दस या उससे अ धक ा ट भी बन तो हैरत क बात नह है। वष 2004 म गणतं दवस
का वषय था, करोड़ चेहर पर मु कान और के ब था जीवन-मू य। इसके दस ा ट
बने थे। 14 अग त, 2005 के भाषण का वषय था, ऊजा क आ म नभरता। उस भाषण के
प ह ा ट बनाने पड़े। सच क ँ तो सबसे यादा ा ट तो मेरे ही भाषण के बने। 25
अ ैल, 2007 को मुझे यूरो पयन पा लयामट को संबो धत करना था, इस भाषण का ा ट
इक ीस बार बनाया गया।
अपने कायकाल म मने दस बार रा को संबो धत कया। इन भाषण के वषय ब त
मह वपूण थे। इन भाषण म प रक पना को ल य म ढालने क बात क त थी। ऐसे वषय
भी थे, जैसे या याद रह जाएगा, मानव जीवन क ग रमा के लये श ा, रोज़गार के अवसर
तैयार करने के लये काय-योजना, एक अरब लोग : एक संक पना, रा ीय जागरण, और म
रा को या दे सकता ँ? यह सारे वषय एक ही मूल वचार से नकलते ह, वह है, भारत
का वक सत दे श के प म उद्भव। यह स दे श नाग रक और कारोबारी लोग तक प ंचा
और इस पर चचा शु हो गई और अपने-अपने े म इसके लये काय-योजना बनने लगी।
उदाहरण के लये, रोज़गार के अवसर पैदा करने के स दभ म जब मने दे श म ज ोफा के पेड़
लगाने का ताव रखा तो रा य ने इसे एक अ भयान क तरह वीकार कया और लाख
हे टे यर ज़मीन म यह पेड़ रोपे गये। इसके अलावा, हमारे वशेष ने अ का के दे श म
इस पेड़ क व ध समझाई और फर हमारे कसान के साथ मल कर उ ह ने यह फसल
वक सत क जससे वे जै वक धन पा सक। यह पेड़ बंजर भू म म भी उगाया जा सकता
है, एक बार उग जाने पर पचास साल का जीवन जीता है। हर साल इसम फल आता है।
इसके फल के बीज से तेल ा त होता है जो डीज़ल म मलाया जा सकता है।
श ा के े म, व ा थय के अलग परी ा मू यांकन के तरीक पर वचार से
सालाना परी ा के दबाव से मु दलाते ए, नया नयम बना और से ल बोड ऑफ
सेकडरी एजुकेशन (सी.बी.एस.ई.) ने अंक दे ने के बजाय ेड दे ने क था शु कर द । इस
से व ा थय को अपने नंबर के त आतुरता से छु टकारा मला और व थ तयोगी
वातावरण बना।
ऊजा आ म नभरता के स दभ म मने सुझाव दया क भारत 2030 तक पचपन
हज़ार मेगावाट बजली सौर ऊजा लांट से तैयार करने क व था कर सकता है। भारत के
ऊजा प र य को सम से दे खे जाने क ज़ रत है। भारत कोयले क कुल ज़ रत का
केवल अ सी तशत अंश जुटा पा रहा है। बजली क खपत त वष पांच तशत क दर
से बढ़ती जा रही है, जब क कोयले के उ पादन म बस एक तशत क सालाना बढ़ोतरी
मल रही है। दे श-भर म पावर कट चल रहा है और कह -कह तो बजली क कटौती आठ
घंटे क है। इस लये दे श म वैक पक व था वक सत करने क बेहद ज़ रत है।
इसी तरह, पयावरण के हत म, हम कोयले, तेल या गैस पर नभर पावर उ पादक
संयं से बचना चा हए। इस बात पर ज़ोर दे ने क ज़ रत है क हम सौर ऊजा, पवन ऊजा,
ना भक य ऊजा और पानी अथात हाइ ो तं पर क त ह । सरकार ने घोषणा क है क
वह वष 2020 तक बीस हज़ार मेगावाट सौर ऊजा क मता वक सत कर लेगी। सौर
ऊजा के वकास से जुड़े कुछ मु े और भी ह। जैस,े अभी हमारे पास सौर ऊजा उ पादन म
यु , फोटोवो टक सेल केवल प ह तशत द ता दे ते ह। इसे कम से कम पचास
तशत तक बढ़ाने क ज़ रत है जसके लये कसी अ य उपयु पदाथ क खोज क
जानी है। साथ ही इस पर भी काम हो, क सौर ऊजा का उ पादन तो दन म जब सूय का
काश हो तब होगा। रात के लये जै वक धन क व था हो, ता क बजली क नरंतरता
बनी रहे। गुजरात सरकार ने नजी े के साथ मल कर छह सौ मेगावाट मता का सौर
ऊजा लांट लगाया है जससे त दन तीस लाख यू नट बजली का उ पादन हो रहा है।
रा य सरकार को यह बजली प ह पये त यू नट क दर से मल रही है।
आज रा य सरकार और क सरकार दोन क ही संक पना है क भारत आ थक
प से वक सत रा बन जाए। उनका यह ल य पूरे दे श के नाग रक तक प ँच चुका है।
इन उदाहरण के ज़ रये यह समझा जा सकता है क रा प त पूरी तरह से, अपने
नाग रक से संवाद करने म सश है और वह उन पर वह भाव बना सकता है जो दे श के
लये उपयोगी है।
~
रा के नाम संबोधन के अ त र मेरे वह भाषण भी ह जो मने सांसद को दए ह।
वष 1999, 2000, 2001 और 2002 के लए े सांसद को पुर कृत करते समय
21 माच को 2005 को अपने भाषण म मने कुछ ज़ री बात कह ।
मने कहा : वाधीनता और लोकतं हमेशा से ही भारत क सं कृ त के अ भ अंग
रहे ह। दरअसल, हम ाचीन काल के इ तहास का भी वह समय दे ख सकते ह जब ाम
लोकतं के दो सं थान—सभा और स म त, बड़े स मान क से दे खे जाते थे और वे
आज क हमारी लोक य सं था जैसा ही दा य व नभाती थ । आज़ाद पाने के बाद
लोकतां क राजनी तक व था का हमारा चयन उसी मूल सां कृ तकता का व तार है।
हम इस बात का गव है क भारत नया का सबसे बड़ा लोकतां क संसद य
व था वाला ऐसा दे श है जसम व वध कार के धम, भाषा और सं कृ त का समावेश है।
नया-भर के लये भारतीय मतदाता क रद शता और प रप वता आ य का वषय है,
भारतीय मतदाता ने हमेशा सचेत प से अपने मता धकार का योग कया है, और यह
स कया है क दे श के सं वधान के अनुकूल, जनता सं भुतासंप है और श उ ह से
आती है। जनता का अ धकार है क वह वक सत दे श म रहे। इस से वकास-क त
राजनी त मह वपूण हो जाती है।
राजनी त के दो आयाम ह। एक तो वह, जो राजनी तक दल का अपना प रवेश है,
और जैसा क हम जानते ह, वतं ता आ दोलन के समय वह ब त ज़ री था। ले कन
आज क ज़ रत या है? दे श म 26 करोड़ लोग गरीबी क रेखा के नीचे जी रहे ह, 34
तशत जनता नर र है, 36 करोड़ लोग रोज़गार क तलाश म ह। ऐसे म हमारा अ भयान
यह होना चा हए क भारत एक वक सत रा बने जसम गरीबी, नर रता और बेरोज़गारी
का कोई थान न हो।
म एक थ त क क पना करता ँ जसम राजनी तक दल दे श म वकासशील
राजनी त का प रवेश रचते ए काम कर और तयोगी भावना के साथ अपने-अपने
घोषणाप सामने रख। यह कैसे होगा, म इसका उदाहरण दखाता ँ :
1. मान लो, राजनी तक दल ‘क’ कहता है क हम पं ह वष के भीतर भारत को
वक सत रा क राह पर ला कर खड़ा कर दगे, और वह इसके लये अपनी पांच-
पांच साल क काय-योजना सामने रखता है और उस पर काम करता है। दल ‘ख’
घो षत करता है क वह बारह वष म भारत को वक सत रा बना दे गा और
उसके लये प योजना का खुलासा करता है। दल ‘ग’ रा ीय वकास क कोई
नई रणनी त उजागर करता है, जसके लये उसके अलग मापदं ड ह। जैसे वै क
े म दे श अपनी बेहतर वैचा रक भू मका कैसे रख पाएगा? वह एक काय-
योजना इस ल य क रख सकता है क इतने समय म वह भारत को संयु
रा संघ स यो रट क सल क थायी सद यता उपल ध करा दे गा।
2. एक सरा प र य दे ख : दल ‘क’ कहता है क हम दे श को बेरोज़गारी मु बना
दगे। वह कोई ऐसी प त बताता है जससे, रोज़गार के उपल ध अवसर,
बेरोज़गार क सं या से अ धक ह गे। दल ‘ख’ कहता है क वह ऐसा प रवेश
रचेगा और ऐसी प त लागू करेगा जसम अदालत म लं बत मुकदम क गनती
शू य हो जाएगी, दे श म कानून व था म ऐसा सुधार होगा क लोग सौहादतापूण
जीवन जी सकगे। दल ‘ग’ कहता है क वह भारत म कसी को भूखा नह सोने
दे गा। उसके पास ऐसी संक पना है जस से सारा संसार भारत क ओर बौ क
नेतृ व के लये दे खेगा, ता क नया सु दर, शां तपूण और थर जीवन जीने
लायक बन सके। भारत का ल य व शां त होगा।
3. तीसरे प र य म, दल ‘क’ कहता है क हम अगले दस वष म अपने पड़ोसी दे श
से सारे सीमागत ववाद हल कर लगे। दल ‘ख’ कहेगा क हम अगले पांच वष म
न केवल पड़ोसी दे श के साथ सारे सीमा ववाद हल कर लगे ब क हम उनके
साथ सौहादपूण संबंध वक सत कर लगे। दल ‘ग’ कह सकता है क हम अपनी
यासपूण शु आत से सीमा वसाय को असीम कर दगे। वा ण य से समृ
आती है और समृ से शा त।

जब कसी राजनी तक दल को अपनी वकास योजना को लागू करने और सच स


करने का अवसर दया जाएगा, उसे सब सद य का अनुकूल सहयोग मलेगा, तभी जनता
को सांसद के स काय का लाभ मलेगा। लोकतं हर एक ी-पु ष को यह अवसर दे ता है
क वह अपनी बेहतरीन ग त व ध से दे श के सपन को सच करने म योगदान दे सक।
गरीबी को पूरी तरह हटाने क ज़ रत, इस घोर त पधा और ान संप प रवेश म
सबको समान अवसर दे ने क ज़ रत, इस ज टल नया म रा के सभी नाग रक को
सुर ा दे ने क ज़ रत, यह सब व वध ज़ रत ह जो हम पर यह दबाव बनाती ह क हम
कु टल राजनी त से वकासो मुख राजनी त क ओर कदम बढ़ाएँ।
हमारे सामने ब त-से ऐसे रा ीय मु े ह जन पर संक ण राजनी तक पाट -
वचारधारा से बाहर नकल कर काम करने क ज़ रत है। इनम वक सत रा होने क ओर
बढ़ना, सुर त पानी क व था, नबाध बजली, वा य सु वधा, दे श के सभी नाग रक
के लये छत, संचार व था क योजनाएं तथा क यूटरीकरण, और रा ीय सुर ा के स दभ
मुख ह। इन मु पर संसद य वधान के अनुसार वचार- वमश के ज़ रये एकमत नणय,
न त प से दे श को ज द ही वक सत रा के तर तक प ंचाएगा। अतः संसद को
अपनी ऊजा, व थ तयोगी ढं ग से रा हत म लगानी चा हए, ता क रा आगे बढ़ सके।
इस तरह, संसद एक ब त मह वपूण भू मका का नवाह करने वाली सं था है। इसके
लये ब त ज़ री है क हर एक सांसद उन आदश और अपे ा के अनुकूल काम करे
जसके लये उसको चुन कर भेजा गया है।
फर भी, जैसा क मने सांसद को बताया क कुछ ऐसे कड़वे सच ह, जनसे हम सब
प र चत तो ह ले कन उनके त आँख मूंदे रहते ह। मुझे उनके बारे म आपसे बात करने म
कोई संकोच नह होगा। य क म आप म से ही एक ँ, म भी संसद का उतना ही भागीदार
ँ जतना क आप—यह, आपक तरह मेरा भी सरोकार है क हमारी संसद य णाली
सफलतापूवक चले। कुछ समय से हमारी चुनाव व था ब त चरमराई है। हम अपने त
ईमानदार हो कर बात कर। वोट क गनती क बढ़त के दबाव म, और जैसा क आरोप
लगाया जाता है, कई वधानसभा क सीट क खरीद के ज़ रये, या अनु चत अलोकतां क
तरीके से जीत हा सल क जाती है, इन सब बात से लोग के मन म लोकतां क प त के
त संदेह पैदा होता है। जब राजनी त खुद को कु टल तकड़म के रा ते पर उतार दे ती है,
तब रा ऐसे अनथकारी भ व य क ओर बढ़ने लगता है, जहाँ वप और वनाश न त
है। हम ऐसे जो खम म नह पड़ना चा हए। कसी समय हम सबने आ मपरी ण कया और
हम अपने उन कणधार क अपे ा पर खरे उतरे, ज ह ने हमारा सं वधान रचा और
भारत अपना अ त व बनाए रखने म सफल रहा और भारत का नाम एक प रप व व थ
जीवंत लोकतां क रा क तरह था पत आ।
लोग भारतीय स यता क अपनी सां कृ तक वरासत, जीवन मू य और लोक
वहार को संजोते ए अपनी जीवन शैली बदलने के लये लाला यत ह। इस स दभ म,
सांसद समु चत नी तयां और कानून लागू करते ए सामा जक प रवतन क शु आत कर
सकते ह और लोग को खुश कर सकते ह। हम अ धकतर ऐसी नी तय और काय व ध का
पालन कर रहे ह जनका आधार अ व ास है। इसका नतीजा यह आ है क काय के त
च और सश करण क भावना का ास आ है, जब क भारतीय लोग ने व सनीय
वातावरण पाने पर ब त अ छा काम कर के दखाया है।
इस बात क ज़ रत है क संसद उन पुराने और ज टल कानून को चुन कर उ ह
खा रज करे जनके कारण वकासो मुख अथ व था बा धत हो रही है। इससे उन तमाम
लोग को उ मीद-भरा वातावरण मलेगा जो ईमानदारी से फलना-फूलना चाहते ह। भारत
को व ास पर आधा रत व था था पत करनी चा हए, जसे इस महान संसद के सद य
हा सल कर सकते ह। म उनसे यह आ ह करता ँ।
अपना ल य साधने क दशा म भारत के पास पांच मुख े म द ता है, जनके
नयोजन से सफलता मल सकती है : 1. कृ ष एवं खा संचयन, 2. श ा एवं वा य, 3.
बु नयाद व था : भरोसेमंद व ुत श , अ छे सड़क माग तथा अ य दे श ापी
सु वधाएं, 4. सूचना एवं संचार तं , 5. ज टल टे नोलॉजी म आ म नभरता।
यह पांच े एक- सरे से संबं धत ह और य द संयो जत ढं ग से वक सत कये
जाएं, तो खा , आ थक और रा ीय सुर ा तं को मज़बूत करगे। इन पाँच मुख ल य
े म एक सबसे ज़ री काम है, ामीण वकास के लये बु नयाद व था तैयार करना।
यह काम पी.यू.आर.ए. के ज़ रये तीन संयोजक ारा कया जा सकता है। तीन संयोजक ह
: म, इले ॉ नक और जानकारी जो आ थक संयोजन करे। समूचे दे श म अनुमा नत तौर
पर कुल 7,000 पी.यू.आर.ए. समूह क ज़ रत होगी।
हम इस बात पर खुश ह क हमारा आ थक वकास उठान पा रहा है और जी.डी.पी.
वृ क वा षक दर 9 है, जब क यह साफ़ है क ामीण और ब त-से शहरी लोग के
जीवन का गुणा मक तर इस बात को झुठला रहा है। इस लए हमने ‘नेशनल ो पे रट
इंडे स’ (एन.पी.आई.) अथात रा ीय समृ सूचकांक वक सत कया है। यह तीन
सूचकांक के योग से ा त होता है। (i) जी.डी.पी. क वा षक वृ दर, (ii) लोग , वशेष
प से उन लोग के जीवन तर म सुधार का सूचकांक, जो गरीबी रेखा के नीचे ह (iii)
हमारी स यतागत वरासत के अनुकूल मू यबोध का सूचकांक। यह वरासत भारतीय जीवन
के हर े म अनोखी है। इस तरह, एन.पी.आई. = (i+ii+iii)। खास तौर से, सूचकांक,
आवास क उपल धता, सुर त पानी क व था, पौ क आहार, यन नकास, अ छ
श ा, बेहतर वा य सु वधा, तथा रोज़गार के अवसर आ द पर नधा रत है। सूचकांक iii
का नधारण, संयु प रवार क व था, सहक मता का भाव, अ धकारपूण जीवन का
नवाह, सामा जक वषमता से मु , और सबसे ऊपर, टकरावमु सौहादपूण समाज
आ द के प रवेश अनुकूलन से नधा रत होता है। यह सूचकांक, प रवार और समाज म
शा त, ाचार म कमी, अदालती मुकदम म कमी, य और ब च के त अपराध क
समा त तथा सां दा यक तनाव म कमी आ द क थ त दशाएगा। गरीबी क रेखा के नीचे
रहने वाल क गनती म कमी आती दखनी चा हए और वष 2020 तक यह गनती शू य हो
जानी चा हए। कभी भी, हमारी रा ीय आ थक ग त का नधारण इसी एन.पी.आई. के
आधार पर होना चा हए।
हम इस संक पना को कैसे सच कर पाएंगे? वह कौन से सुधार ह जो हम त काल
लागू कर लेने चा हए?
मेरी आप सब से बातचीत, के य तथा रा य तरीय कये गये काय म, य
और गैर सरकारी संगठन ारा दखाए गये उ साह, और भारी सं या म नाग रक क रा ीय
वकास के काम म च के आधार पर, म सुझाव दे सकता ँ क आप सब लोग मल कर
दो बड़े काम का संक प ल :
1. एक ऊजा आ म नभरता बल बनाएँ। एक -आयामी ऊजा नयमन योजना, जो
व छ पयावरण बनाए रखे।
2. भारत-2020 क संक पना : ठान ल क 2020 के पहले, एन.पी.आई. का योग
करते ए, भारत एक सुर त, समृ पूण, खुशहाल और आ थक प से
वक सत रा बन जाएगा।
आप मुझसे सहमत ह गे क ऐसे सभी बल एक समयब ढं ग से या वत करना
ब त मह वपूण है।
यह ऐसे मु े ह ज ह म इतना मह वपूण मानता ँ क म इनके बारे म इस पु तक म
भी, आगे फर बात क ँ गा।
~
रा प त भवन म मुझे एक अनोखा अनुभव आ। जब भी मने कोई आंकड़ा या कसी
वशेष रा य या सं थान के बारे म मं ालय, सरकारी वभाग, योजना आयोग या रा य
सरकार के बारे म कोई सूचना मांगी, तब बना कसी चूक के ताज़ा जानकारी, उस ोत से
मुझ तक प ँच गुई और इसके लये रा प त स चवालय को अपनी मांग दोहरानी भी नह
पड़ी। कसी भी सूचना तक यह अ वल ब प ँच मेरे लये ब त उपयोगी स ई य क
मुझे उनक त काल ज़ रत, रा के नाम स दे श या संसद, वधानसभा, नजी या सरकारी
सं थान या यू नव सट के लये अपना भाषण तैयार करने के लये पड़ती थी। यह एक ब त
ही उपयोगी सु वधा थी जो पहले इस तरह उपल ध नह थी।
एक और मूल मता जो हमने रा प त भवन म वक सत क , वह थी—इ टरनेट के
ारा र-दराज़ जगह म बैठे वशेष के साथ बना उनक उप थ त के वचार- वमश
करने क मता। रा प त भवन म अपने कायकाल के दौरान, मने बारह रा यसभा को
संबो धत कया और उनके सामने रा य क समृ के अ भयान पर अपनी तु त द ।
आँकड़े एक त करना, उनका व ेषण, उनका सम वय, वशेष क राय, वचार-मंथन
स आ द का संयोजन, जसके आधार पर समृ अ भयान चलाया जा सके, यह सब ायः
पं ह दन से अ धक का समय लेते थे। इसके लये व युअल कॉ स के स का संचालन
रा प त भवन ारा वक सत म ट -मी डया सु वधा के ज़ रये होता था, जो शाम आठ बजे
से शु हो कर आधी रात तक चलते थे, य क बातचीत के लये वशेष लोग इसी समय
उपल ध हो सकते थे। इस या म जन रा य को शा मल कया गया वह थे, ज मू-
क मीर, गोवा, हमाचल दे श, बहार, म य दे श, कनाटक, केरल, आं दे श, मज़ोरम,
मेघालय, स कम तथा पुडुचेरी।
कसी भी रा य के लये समृ ल य का चुनाव जन सामा जक-आ थक मापदं ड
पर कया गया, वह ह त आय, सा रता का तर, गरीबी क रेखा के नीचे क
जनसँ या, बेरोज़गारी का तर, शशु मृ यु क दर, जनन के दौरान य क मृ यु क दर,
रा य क कृ ष उ पादन द ता, रा य म उ ोग और सेवा े क थ त। उदाहरण के
लये, बहार के लये जन ल य का चुनाव कया गया, वह थे : 1. खेती और भू म उपज म
मू य वृ 2. श ा और उ मशीलता 3. जन संसाधन 4. नालंदा अंतररा ीय व
व ालय 5. वा य सु वधा 6. बाढ़ के पानी का बंधन 7. पयटन 8. बु नयाद ढांच क
व था 9. व श आ थक े 10. इले ॉ नक बंधन (ई गवनस)। बहार क त
आय बढ़ाने के लये दस अ भयान वक सत कये गये। वष 2005-06 म त
आय छह हज़ार तीन सौ पये सालाना से बढ़ा कर 2010 म पतीस हज़ार पये सालाना
करने का ल य रखा गया। साथ ही नवेश सुलभ वातावरण बनाने क को शश शु क गयी
जससे दस करोड़ बेरोज़गार और अनुपयु रोज़गार पाए लोग के लये 31 दसंबर 2005
तक समु चत अवसर बन जाएँ। बहार को वष 2015 तक शत- तशत सा रता तथा
रोज़गारयु आबाद का ल य रखना चा हए। वहां सरकार ने कई योजनाएं चला रखी ह
और मुझे खुशी है क आज बहार दे श का सबसे तेज़ी से तर क करने वाला रा य है। अब
काम क तलाश म बहार से बाहर जाने वाले लोग क गनती म काफ कमी आयी है, इससे
पता चलता है क बहार म ापक तर पर रोज़गार के अवसर पैदा कये जा सके ह।
इसम वधायक क अ छ भागीदारी रही है। योजना अ भयान क तु त ने रा य म
ब त-सी नयी कायकारी योजना क शु आत कराई। सदन को संबो धत करने के बाद
मने रा य के व व ालय के उपकुलप तय और चबर ऑफ कॉमस को एकसाथ संबो धत
कया।
केरल म, मलयाला मनोरमा ने केरल रा य के लए वकास अ भयान के मसौदे को
मलयालम भाषा म अनू दत कर के का शत कया। ज़ला तर क कायशाला आयो जत
कर के उन तरीक पर वशेष क राय ली जनको लागू करने से ल य ा त करने म
सफलता मलेगी। फर इस तरह ा त स म तय को वधानसभा तक प ंचाया गया। सरे
रा य म भी मी डया ारा इसे ब त व तार दया गया और मुझे रा य के संगठन से अनेक
साथक ट प णयां ा त ।

एक अरब लोग को सं कृ त और मू य क डोर से बाँध लेना मेरा सपना


है। हमारी महान गाथाएं हमारे ऐ यपूण वगत क याद दलाती ह और
भ व य के त आशावान बनाती ह।
6

जो सर से सीखा

बनूँ म संर क बेसहार का


बनूँ म मागदशक प थक का
बनूँ म सेत,ु नौका और पोत
पानी पार करने के इ छु क का

—आचाय शां तदे व


8व सद के बौ धम- मुख

मै◌ं यहलयेदेएकजु
ख कर अचं भत रह जाता ँ क कैसे कई दमाग, कसी काम को पूरा करने के
ट हो जाते ह। यह कोई सरल या नह है, य क कई बार मतांतर
उपल धय क ा त म बाधा बनते ह। रॉकेट और मसाइल वक सत करने क या के
दौरान, जो क एक दल का संयु यास होता है, मने लोग के सोचने के ढं ग को समझा
और उस से ब त कुछ सीखा। भारत-2020 क संक पना- या को बढ़ाने के दौर ने मेरी
इस आदत को धार द । रा प त के प म और बाद म भी, सौभा य से मुझे ब त-से
अनुभवी और कम अनुभवी लोग क राय, उनके वचार, और आलोचना से लाभ उठाने का
अवसर मला। सब तरह के सुझाव और आतुर ान का व तार करते ह, जससे इंसान
तर क क ओर बढ़ता है। म अपने कुछ उन अनुभव को बताना चाहता ँ, ज ह ने मुझे
काम के दौरान हज़ार बार भा वत कया।

उपहार संग

मने यह बात कई बार बताई है इस लए म इसे सं ेप म दोहराऊंगा। मेरे पता, जनाब अवुल
पा कर जैनुल आ द न ने मुझे एक पाठ तब पढ़ाया जब म एक छोटा ब चा था। यह 1947
क बात है, जब भारत आज़ाद ही आ था। रामे रम प म पंचायत के चुनाव ए थे और
मेरे पता ाम सभा के अ य चुने गये थे। उनके चुने जाने के पीछे यह कारण नह था क
वह कसी खास धम या जा त के याशी थे, या उनक माली है सयत खास थी, ब क
उनके चुने जाने का कारण उनका सद्- वहार और उनक स जनता थी।
जस दन मेरे पता अ य चुने गये, उस दन एक आदमी हमारे घर आया। म तब
कूल का व ाथ था और ज़ोर-ज़ोर से अपना पाठ याद कर रहा था। तभी मने दरवाज़े पर
द तक सुनी। उन दन रामे रम म हम दरवाज़े कभी बंद नह करते थे। एक आदमी भीतर
आया और पूछने लगा क मेरे पता कहाँ ह। मने बताया क वह शाम क नमाज़ के लये गये
ह। तब उसने कहा क वह मेरे पता के लये कुछ लाया है। फर उसने पूछा क या म वह
सामान पता के आने पर उ ह दे ँ गा? मने उससे कहा क वह सामान खाट पर रख दे ।
उसके बाद म अपना पाठ याद करने म लग गया।
जब मेरे पता वापस आये, उ ह ने खाट पर एक चांद क त तरी म रखे तोहफ को
दे खा। जब उ ह ने पूछा क यह कहाँ से आये, तब मने उ ह बताया क कोई आया था और
यह सामान उनके लये छोड़ गया है। पता ने उन उपहार को खोल कर दे खा। उसम कुछ
क मती कपड़े थे, कुछ चांद के याले थे और कुछ मठाई थी। उन तोहफ को दे ख कर वह
नाराज़ हो गये। म सबसे छोटा ब चा था, मेरे पता मुझे ब त चाहते थे और म भी उ ह ब त
यार करता था। उस दन मने उ ह पहली बार गु से म दे खा था और पहली ही बार मने उनसे
मार भी खाई थी। म डर गया और रोने लगा। बाद म मेरे पता ने अपनी नाराज़गी क वजह
बतायी और समझाया क बना उनक इजाज़त के म कभी कसी से कोई तोहफा वीकार न
क ँ । उ ह ने एक हद थ सुनाते ए समझाया क, ‘जब खुदा कसी इंसान को कसी ओहदे
पर बैठाता है तो वह उसक ज़ रत का भी बंदोब त करता है। अगर कोई श स इससे
यादा कुछ लेता है तो वह गैरवा जब होता है।’
आगे उ ह ने बताया क तोहफे वीकार करना अ छ आदत नह होती। तोहफे हमेशा
कसी खास मकसद के साथ दए जाते ह इस लए उ ह लेना खतरनाक है। यह सांप को छू ने
जैसा है जसके बाद उसका ज़हर आपको मलता है। उनका यह पाठ मेरे दमाग म आज भी
ताज़ा है, जब क म आज अ सी बरस से यादा उ का हो चुका ँ। यह घटना मेरे दमाग म
गहराई से घर कर गई है, और उसने मेरा मू यबोध रचा है। अब भी, जब कोई मेरे
सामने कोई उपहार ले कर आता है, मेरा दल- दमाग कांप उठता है।
बाद म मने मनु मृ त थ (मनु के नयम) पढ़ा। इसे ह - चतन क बु नयाद कृ त
कहा जाता है। इसम भी कहा गया है क उपहार हण करने से मनु य के भीतर क
अंत य त बुझ जाती है। मनु के अनुसार उपहार ा त करना इस लए न ष है य क पाने
वाला दे ने वाले के एहसान तले दब कर अनै तक या गैरकानूनी काम करने को मजबूर हो
जाता है।

सुपो षत जीवन मू य
कुछ महीने पहले मेरे बड़े भाई, जो क उस समय 95 वष के थे, ने रामे रम से मुझे फोन
कया। उ ह ने बताया क मेरे एक भारतीय म जो अमरीका म रहते ह उनसे मलने आये
थे। मेरे बड़े भाई से बातचीत के दौरान मेरे म ने उनसे पूछा क आपका यह मकान कतना
पुराना है? मेरे बड़े भाई ने बताया क यह मकान सौ वष पहले हमारे पताजी ने बनवाया था
और अब मेरे छोटे भाई और उनके कमाऊ पोते-पो तय ने एक ताव रखा है क इस पुराने
घर को ढहाकर एक नया घर बनाया जाए। मेरे म ने मेरे भाई से कहा क इतने ऐ तहा सक
मकान को गराना ठ क नह है और उनके स मुख यह ताव रखा क इस मकान म कसी
ट क सहायता से पु तकालय या सं हालय बना दया जाए और मेरे भाई और उनके
प रवार के लए कह और रहने क व था क जाए। मेरे भाई ने मुझे यह कहने के लये
फोन कया था क, ‘दो त के ताव के खलाफ, म उसी घर म बने रहना चाहता ँ जसम
म पला-बढ़ा ँ और मने अपनी उ के पचानवे साल गुज़ारे ह। म अपने सग क कमाई से
उसी जगह नया घर बनाने के लये तैयार ँ। कोई सरा इंतज़ाम मुझे मंजूर नह है। तुम
अपने दो त को यार से समझा दो।’ मुझे लगा यह एक ऐसा इंसान है जो ज़दगी को खुद
अपनी शत पर जीना चाहता है। उसे कसी क मदद क ज़ रत नह , भले ही वह कतनी
ही सोची-समझी हो। यह मेरे लये एक बड़ा पाठ था। मने अपने भाई म अपने पता क छ व
दे खी थी, जो 103 साल जए और उ ह ने हमम इस तरह का सं कार वक सत कया।

हज क तीथ-या ा

वह एक त दन था। अनेक लोग से भट करनी थी, कई नणय लेने थे और फाइल


नपटानी थ । तभी मेरे भाई के पोते ने मुझे म का से फोन कया। यह मेरे जीवन का एक
बड़ा नजी काय था। मेरे प रवार के तीन लोग एकसाथ मरणीय धा मक या ा पर प ंचे ए
थे। वे खानदान क तीन पी ढ़य का त न ध व कर रहे थे। मेरे बड़े भाई, जो उस समय
न बे साल के थे, मेरे भाई क बेट और उनका पोता दसंबर 2005 म चे ई से हज या ा पर
नकले थे।
मेरे भाई ब त वृ थे। इस लए मेरी हा दक इ छा थी क उनक हज या ा सफल हो।
यह उनका गहरा व ास ही था जो उ ह इस तीथया ा पर ले जा रहा था। सऊद अरब म
हमारे राज त को उन लोग क इस या ा का पता चला तो उसने रा प त भवन म मुझे फोन
कया क उन लोग को अगर कसी तरह क मदद चा हए हो तो म बताऊँ। मने उ ह बताया
—मेरी एक वनय है, राज त महोदय, मेरे भाई इस तीथ या ा पर एक आम आदमी क
तरह जाना चाहते ह, और वह कोई सरकारी मदद नह लेना चाहते। यह उनक नजी इ छा
है। मेरे भाई ने ज़द क क वह सामा य ढं ग से, हज कमेट ारा चुने जाने पर ही तीथया ा
पर जाना चाहगे। उनके पोते ने सामा य ढं ग से अपनी अज़ हज कमेट के सामने रखी और
खुदा क मेहरबानी से वह व धवत चुन ली गयी।
अलग-अलग थान को दे खना और तीथया ा के नयम के अनुसार पूरी या ा का
पचास दन का काय म बना।
उनके साथ उनका पोता और उनक बेट थी, जनको मने उनका याल रखने क
ज़ मेदारी स पी थी। ले कन मेरे भाई ने गहरी सहनशीलता और मज़बूती दखाते ए सभी
असु वधा और अ न तता का सामना कया। उ ह ने शां त से अपने पोते के नणय
और नदश का पालन कया। ले कन भा य से उनके पोते को या ा के दौरान तेज़ बुखार
आ गया। तब मेरे भाई ने खुद सारी ज़ मेदारी संभाली, जैसे वह हमेशा, प रवार पर कसी
क ठनाई के समय करते थे। मस जद जाने क व था, खाने-पीने का इंतज़ाम और ज़ रत
पर डॉ टर बुलाने का काम अपने सर ले लया। उनके पोते ने बताया क वह रात को उसके
ब तर के पास करीब तीन घंटे तक उसके लए ाथना करते रहे।
उनके पोते ने मुझे उस या ा के आ खरी दन म ई घटना का यौरा दया। मीना
म कुछ दन त बु म ठहरने के बाद वह अराफात क ओर चले। अराफात एक ऐसी जगह
है, जहाँ पचास लाख लोग आकर ठहरते ह। म क पना कर सकता ँ क मेरे भाई अपने
हाथ जोड़ कर आसमान क तरफ दे खते ए कैसे आ कर रहे ह।
उ ह दन एक बार, मेरे भाई का पोता ऊपर क मं ज़ल पर बनी बड़ी मस जद क
सी ढ़य से आ पढ़ने के बाद नीचे आ रहा था। भीड़ म कोई हादसा न हो जाए इस लए
‘ए कलेटर’ ( वचा लत सी ढ़याँ) बंद कर दया गया था। ले कन इतनी भीड़ म सी ढ़यां उतर
कर आना आसान नह था। तभी मेरे भाई का पोता एक ध के से भीड़ और द वार के बीच
दब-सा गया। उसक सांस घुटने लगी। तभी अचानक उसे राहत महसूस ई, लगा क उसके
ऊपर से दबाव हट गया है। आ यह, क उसे छटपटाते दे ख एक ह ा-क ा अ कन
नौजवान आगे बढ़कर उसके और भीड़ के बीच म वयं खड़ा हो गया। जब तक वह नीचे
उतर कर आया, वह नौजवान, आगे कह नकल गया था। मेरे भाई के पोते को ध यवाद
कहने का भी अवसर नह मला।
सरी घटना इस से भी यादा दल को छू लेने वाली है। जब अराफात म नमाज़ अदा
करने के बाद सब लोग मीना वापस लौट रहे थे। सभी पचास लाख तीथया य को उसी दन
पं ह कलोमीटर का रा ता तय करके लौटना था। उनक गाड़ी का एयर कंडीशनर खराब हो
गया और वे लोग रे ग तान क भयंकर गरमी म फंस गए। मेरे भाई ने कुछ भी अ -जल लेने
से इनकार कया और रा ते भर ाथना ही करते रहे। वे लगातार आठ घंट से चल रहे थे और
उनक गाड़ी ब त धीरे-धीरे खसक रही थी। इस थ त म गाड़ी के ाइवर ने सलाह द क
सब लोग उतर कर पैदल चल तो आधे घंटे म प ँच जाएंग।े ऐसा ही कया गया। मेरे भाई को
हील चेयर पर बैठाया गया, जस पर बैठना उ ह ने ब त म त कये जाने पर वीकार
कया। आगे वह एक ऐसी जगह प ंचे, जहाँ सड़क पर एक दरार थी और या य को वह
दरार फांद कर जाना था। मेरे भाई को भी अपनी हील चेयर से उतर कर दरार पार करनी
थी। तभी दो या य क नज़र मेरे भाई पर पड़ी और उ ह ने मेरे भाई को बैठे रहने का इशारा
कया। इसके पहले क मेरे भाई का पोता कुछ कह-समझ पाता, दो या ी फुत से आये और
उ ह ने मेरे भाई क हील चेयर को भाई स हत उठा कर दरार के उस पार रख दया। इस
बार भी, इसके पहले क कोई ध यवाद के श द कह पाता, वह या ी आगे बढ़ गये।
मु ा लफा नाम क एक जगह पर उन लोग को खुले आसमान तले रात गुज़ारनी
थी। वह रे ग तान क एक बेहद सद रात थी और उनके नीचे बस एक चटाई-भर बछ थी।
उ ह ने बदन पर ब त ह के कपड़े पहने ए थे, इस लए सद से ब त थोड़ा बचाव हो पा
रहा था। ब त सुबह से ही लोग का शौच के लये लाइन म लगना शु हो गया। लाइन बेहद
लंबी हो गयी। जो लोग अपने घर म थोड़ी ही दे र होने से झगड़ने लगते थे, वह भी काफ दे र
से धैयपूवक लाइन म खड़े थे। एक पं म एक म हला करीब एक घंटे से अपनी बारी का
इंतज़ार कर रही थी। तभी एक लड़क आई और उसने उस म हला से, बना बारी के, पहले
जाने दे ने क वनती क । लाइन म लगे लोग ने यह नणय उसी म हला पर छोड़ दया। उसने
उस लड़क को पहले जाने का मौका दे दया। वह लड़क भीतर चली गई। तभी एक सरी
बूढ़ औरत ने आकर उसी म हला से अपने लये भी यही याचना क । इस बार लाइन म लगे
सभी दे खने वाल को यह लग रहा था क अब, इतनी दे र इंतज़ार करने के बाद, यह म हला
अपना नंबर नह जाने दे गी। ले कन सभी लोग को भौचक करते ए, उस म हला ने बूढ़
औरत को भी पहले जाने दया। यहाँ यह गौर करने क बात है क वे दोन एक- सरे से
प र चत नह थ , यहाँ तक क उनक भाषाएँ भी एक नह थ और इसी लए वह बूढ़ औरत
इशार से काम चला रही थी। इस ा त से यह तो पता चलता है क छोटे -छोटे संग भी
हमारी ज़दगी म कैसे बदलाव ला दे ते ह।
अपने भाई क बेट ना ज़मा और उसके पोते गुलाम के. मोईनु न क ये सब बात
सुनकर मुझे यह अहसास आ क मौका मलने पर अपने सह-जी वय के त हमारे ेम
क ऐसी अ वरल धारा बहने लगती है, जो रोके नह कती, और उसका आवेग सारे शकवे-
शकायत बहा ले जाता है।

फ ड मॉशल सैम मानेकशा

वष 2006 म जब म कोय बटू र म था, तब रा प त भवन म मेरे लये फ ड मॉशल का फोन


आया था। जब मुझे इस बात क जानकारी मली, तब मने कहा क मुझे व लगटन के आम
हा पटल म उ ह दे खने जाना चा हए। म अपनी उनके साथ पहली मुलाक़ात याद करना
चाहता ँ।
1990 के साल म, एक बार म इ डयन एयरलाइंस क उड़ान म था और मने पाया
क फ ड मॉशल ‘सैम’ मानेकशा मेरे बगल वाली सीट पर बैठे ह। मने अपना प रचय र ा
मं ी के वै ा नक सलाहकार के प म दया। जब मने ऐसा बताया, उ ह ने पूछा, ‘ या वह
एक अ छे आदमी ह?’ उसके बाद उनका अगला सवाल था क मेरी उ कतनी है? मने
बताया क म 69 साल का ँ। उ ह ने जवाब दया, ‘तुम तो एक ब चे हो।’ मने कभी सोचा
भी नह था क म सश सेना के सव च कमांडर फ ड मॉशल मानेकशा से मलूँगा। जैसे
ही म उनके कमरे म प ंचा, उ ह ने सबसे बाहर चले जाने को कहा। उ ह ने मुझे अपने पास
बैठने को कहा, मेरा हाथ अपने हाथ म थामा और कहा, ‘तुम कैसे रा प त हो! जब म पद
पर नह ,ँ तब तुम एक फौजी को स मा नत कर रहे हो।’ वह मुझे दे ख कर ब त खुश ए
थे। वृ तो वह थे ही, अ पताल म ब तर पर भी पड़े थे, ले कन उनका दमाग फर भी
हमारी सश सेना क भावशाली झलक दखा रहा था। श ु और सुर ा क नई-नई
तकनीक के कारण सेना को लगातार श -संप होते रहना चा हए। उ ह ने मुझसे एक
रोचक सवाल पूछा, ‘कलाम, या कह सकते हो क अगले एक दशक म हमारे सारे मौजूदा
ह थयार बेकार हो जाएंग,े और उनक जगह इले ॉ नक और साइबर यु शैली ले लेगी?’
फ ड मॉशल का यह सवाल मेरे दमाग म लगातार घूम रहा था, और तब सामने आ गया था
जब म एक बड़े आ या मक संत से मला था और हम लोग ना भक य श क बात कर
रहे थे। जब मने फ ड माशल से पूछा, ‘ या म आपके लये कुछ कर सकता ँ?’ उ ह ने
जवाब दया, ‘मुझे नह पता, ले कन म तुम से एक बात कहना चाहता ँ, दे श के फ ड
मॉशल या इसके समतु य पद क त ा दे श के लए उसके अनु प होनी चा हए।’ उनक
यह बात मेरे दमाग म बैठ गई।
जैसे ही म द ली आया, मेरी धानमं ी से कसी अ य स दभ म भट ई। मने उनसे
कहा क हम फ ड मॉशल मानेकशा ारा द गयी सेवा के स मान म, उनके लये कुछ
वशेष करना चा हए। उस दन कुछ स मा नत लोग भोज के लये आमं त थे और मेरी
मुलाक़ात थल सेना मुख और वायु सेना मुख से ई। मने दोन से फ ड मॉशल मानेकशा
और एयर मॉशल अजन सह क सेवा को स मान दे ने क बात क । उसके बाद मने तुरंत
अपने स चव पी. एन. नायर को बुलाया और उस से कहा क वह एक प तैयार करके
धानमं ी कायालय म भजवाए जसम त काल भाव से कायवाही क बात हो। सरकार ने
मेरा ताव सहष वीकार कर लया और उनका वेतनमान रा को द गई उनक सेवा के
अनुकूल, लागू कर दया। मुझे स ता है क यह स मान फ ड मॉशल सैम मानेकशा को
उनके जीवनकाल म ही मल गया।

बे मसाल खुशवंत
न बे वष से ऊपर खुशवंत सह से मुलाकात करना एक ब त ही ब ढ़या अनुभव था।
मने उनक लखी कई पु तक पढ़ ह और म ह तान टाइ स म उनके कॉलम का उ साही
पाठक रहा ँ। ब त-से लोग मुझसे पूछते ह क म खास तौर से उनसे य मलने गया। मेरा
जवाब था क म पु तक पसंद करता ँ और उनके लेखक से मलना मुझे अ छा लगता है।
आज खुशवंत सह पचानवे साल के हो जाने के बावजूद लगातार लख रहे ह। वष 2007 म
उ ह ने अपने कॉलम म मुझ पर लखा था जनम भगवान के बारे म उनके, और मेरे वचार
का सं त ले कन रोचक यौरा यहाँ दे ना चाहता ँ :
कुछ ही महीन म भारत के यारहव रा प त अ ल कलाम अपने कायभार
से, अपना पांच साल का स पूरा कर के पदमु हो जाएंग।े वह तीसरे मु लम
ह जो दे श के इस सव च पद पर प ंचे ह। यह इस बात को सा बत करने के
लये अ छ मसाल है क हम एक धम नरपे लोकतं का नवाह कर रहे ह। यह
हमारे पड़ो सय के लये भी एक सबक है।
मुझे इस बात क जानकारी नह है क वह इसके बाद अपने वै ा नक शोध
के काम म लौटगे, कसी यू नव सट म पढ़ाएंगे या सं यास ले लगे। वह अपनी उ
के स रव वष म ह। मुझे उनके साथ आधे घंटे का समय बताने का अवसर मल
चुका है। उ ह ने मेरे घर आ कर मुझे स मान दया है। एक रा ा य , एक
साधारण-से लेखक के घर आएं—यह उनका बड़ पन ही था।
हम दोन के बीच ऐसा ब त कम है जो एक जैसा है। वह त मल ह। मुझे
त मल के केवल दो ही श द आते है, ‘वेना कम’ और ‘अई-यई-यो’। वै ा नक होने
के बावजूद कलाम ब त गहरी धा मक वृ वाले ह। म अनी रवाद ँ और
यह मानता ँ क धम और व ान का आपस म कोई मेल नह है। एक तक पर
आधा रत है तो सरा आ था पर। उनसे बात करने और उनका लखा पढ़ने के बाद
मने पाया क उनके धा मक वचार महा मा गांधी के वचार क तरह ह। इस त य
के बावजूद क म उस सब को वीकार नह करता जसक पैरवी बापू करते रहे, म
खुद को गांधीवाद कहता ँ। कलाम को व ान और धम म कोई अंत वरोध नह
लगता। जब मने उनसे पूछा क या वह फैसले के दन म, और उन द ड और
पुर कार म व ास करते ह ज ह हम मरने के बाद भुगतना पड़ता है तो उ ह ने
कहा क ‘ वग और नक केवल दमागी सोच म ह।
तो, कलाम क खुदा के बारे म या अवधारणा है? वह अ ला और ई र या
खुदा और भगवान के बीच का नह है। उसे मं दर या मस जद म तलाशने क
ज़ रत नह है। उसके लये लड़ने या शहादत दे ने क कोई ज़ रत नह है, जैसा
हमारे दे श म व भ धम के नेता लोग करते ह। जब वह एक- सरे का खून बहा
रहे होते ह, तब भगवान का गरजता आ वर सुनाई पढ़ता है :

अचानक काश से एक आवाज़ क धी


‘तुम सब सुनो, म तुम म से, कसी का भी नह ँ
यार मेरा स दे श था, और तुम सबने बस नफरत फैलाई
मेरे आनंद को मार दया, गला घ ट दया जीवन का
तुम सब जान लो, क खुदा हो या राम
दोन ही ह एक, दोन यार के ह नाम’
कोई बु जीवी कलाम के दे व व पर संशय नह खड़ा कर सकता। कुछ
लोग ई र को स य के प म दे खते ह और कुछ ेम के प म। कलाम इसे एक
अनुक पा क तरह वीकार करते ह।

म खुशवंत सह का उ रण यहाँ इस लए रख रहा ँ य क म इसे एक ब त बड़े


स मान क बात समझता ँ क कोई उस जैसा लेखक मेरे काम के व ेषण, मेरी ई र के
त अवधारणा, मेरी सोच या है, इस पर अपना इतना समय खच करे और बताए क ई र,
धम, और अ छे इंसान के बारे म मेरी या धारणा है।

दे ने म, पाने जैसा मनोभाव


आप लोग म से कुछ न त प से धन-स पदा से भरपूर ह गे। यहाँ म एक ऐसे
महान आदमी क कहानी तुत करता ँ जसने उ मु भाव से दया है और संसार को
खु शयाँ बांट ह। मुझे माच 2007 म एक नजी आमं ण मला क म ी ी शवकुमार
वामीगलु के शता द समारोह का उद्घाटन करने स गंगा मठ म आऊँ। जब म वहां
प ंचा, वहां भारी सं या म ऋ ष महाराज को णाम करने और उनका भाषण सुनने
भ गण प ंचे ए थे। मंच पर भी अनेक राजनी तक और आ या मक नेतागण वराजमान
थे। जब वह सारे लोग बोल चुके तब वामी जी उठे और बना हाथ म कोई कागज़ लये,
उ ह ने धारा वाह बोलना आर भ कर दया। म इस य से अचं भत था। सौ बरस क उ
म तन कर खड़े और चेहरे पर मु कान लये अपना भाषण दे ते वामी जी! इससे मेरे मन म
एक उठा, कैसे इ ह ने यह ऊजा और उ साह जुटाया है। इस लए, क यह मु ह त
केवल दे ते रहे ह। इ ह ने सैकड़ श ा सं थान और अनाथालय समाज को दए और यह
त दन हज़ार ज़ रतमंद लोग को सेवा दान करते ह। इनका अथक सेवा भाव, समाज
से नर रता तथा भेदभाव र करने के यास ने इनके े म ब त-से लोग का उ ार
कया है। मने उनके त अ भभूत हो कर लखा है

म या दे सकता ?

ओ मेरे दे शवा सयो,


दे ने से
तु हारी काया और मन
आनंद से भर जाता है,
तु हारे पास दे ने को सब कुछ है,
ान है य द तो बाँटो उसे
संसाधन ह, य द
उनसे वप को, थोड़ा-सा
दो अपनी बु और संवेदना से,
हर लो कसी क पीड़ा और यातना
कसी के ख भरे मन को आनं दत करो
दे ने म अतंतः आनंद का संचार है
ई र तु हारे काम के लए आशीष दे गा

धानमं य से संवाद
अपने कायकाल म, डी.आर.डी.एल. के नदे शक के प म, र ा मं ी के वै ा नक
सलाहकार के प म, कै बनेट के मुख वै ा नक सलाहकार के प म और बतौर भारत के
रा प त, मुझे ब त-सी महान वभू तय से मलने का अवसर मला है। जैसे, डॉ. सतीश
धवन, डॉ. राजा राम ा, डॉ. वी. एस. अ णाचलम, आर. वकटरमण, पी. वी. नर सह राव,
एच. डी. दे वगौड़ा, आई. के. गुजराल, अटल बहारी वाजपेयी, डॉ. मनमोहन सह। इनका
सा य मेरे लये ब त लाभदायक रहा और इ ह ने मेरे मन पर अपनी अ मट छाप छोड़ी है।
मने डॉ. सतीश धवन से, जो क इसरो के चेयरमैन और वहाँ मेरे अ धकारी थे, सीखा क
जब आप कोई ज टल ल य साधने क ओर बढ़ते ह तो आपका सामना न त प से
चुनौ तय और क ठनाइय से होगा। वे कहते थे क आप अपनी सम या को वयं
सुलझाओ। मु कल पर वजय ा त करो। यह हर उस के लये एक बड़ा पाठ है, जो
ज टल अ भयान को लेकर चल रहा है। डॉ. राजा राम ा और डॉ. अ णाचलम ने कसी
क द ता आंकने का गुर सखाया और यह, क कसी ज टल काम के लये उपयु
का चुनाव कड़ी मेहनत मांगता है। र ा मं ी के प म आर. वकटरमण दे श क , और
बढ़ सै य श के वै व यपूण सेवा तं क ज़ रत का आकलन समय से पहले करना
जानते थे। जससे वह ऐसे काय म के संचालन का नणय ले सके जो आज हम बेहतर
प रणाम दे रहे ह।
नर सह राव ब त ही प सोच के थे, उनक दे श के वकास से जुड़े येक
वषय पर मज़बूत पकड़ थी। एक बार, जब वह र ा सलाहकार कमेट के अ य थे तब
‘आम स लाई का स’ (ए.एस.सी.) के आपू त और प रवहन के महा नदे शक (डी.जी.), डेरी
फॉम के आधु नक करण पर एक तु त दे रहे थे। डी.जी. ने बताया क वह सेना के डेरी
फॉम से धीरे-धीरे भस को हटा कर जस गाय ला रहे ह। राव को तुरंत लगा क भैस हमारे
दे श के लये खास ह। वह ऊ ण क टबंध (जैसे भारतीय) े म स ते चारे पर भी रह सकती
ह और वह अ धक और पौ क ध दे ती ह। इस तरह हम दे शज स पदा के उपयोग को रोक
नह सकते। उ ह ने तुरंत आदे श दए क इस कायवाही म बना दे र कये आव यक संशोधन
हो।
इसी तरह, वष 1995 म एक बार म सुर ा तं क आ म नभरता पर अपनी रपोट
पेश कर रहा था, राव ने तुरंत यान दया क हम यह सीमा तय कर रहे ह क र ा य को
जी.डी.पी. के तीन तशत से कम होना चा हए। उ ह ने कहा क हम ऐसी हद नह बांधनी
चा हए। हम मज़बूत र ा तं बनाने के लये अपनी ज़ रत पूरी करनी होगी। जी.डी.पी. तो
लगातार बदलता रहेगा। हम इस तरह घटते-बढ़ते र ा बजट से काम नह चला सकते।
एक और बात याद आती है। डी.आर.डी.ओ. को अ न मसाइल को केवल तकनीक
दशन से आगे बढ़ाकर सेना म शा मल करने के लये काय म चलाने थे। राव ने तुरंत
ज़ रत को समझा और आठ सौ करोड़ पये, केवल एक पृ के ताव प पर, बना कोई
सवाल उठाये, वीकृत कर दए। साथ ही उ ह ने एक ऐसे तं को वक सत करने का अवसर
दया जो समयब ढं ग से सेना को मसाइल स पने का बंधन कर सके। बाद म इस
काय म को व मं ी डॉ. मनमोहन सह क मंज़ूरी मली, जसे सामा यतः, धानमं ी तक
प ँचने के पहले उन तक आना चा हए था। उनके बाद यह फ़ाइल सरकार के स चव के पास
गयी, ज ह इसे लागू करने क कायवाही करनी थी। यह काय म क अवधारणा, वीकृ त
और लागू करने क एक ‘ऊपर से नीचे वाली शैली’ का एक उदाहरण है।
बाद म, 2004 म मुझे डॉ. सह (मनमोहन सह) के साथ काम करने का मौका
मला, ज ह ने बतौर धानमं ी अपनी सारी आ थक समझ क द ता, हाल के साल म,
वकास दर को 9 तशत से ऊपर ले जाने म लगा द थी। उ ह ने धानमं ी कायालय के
वातावरण को मानवीय पश क गमाहट से भर दया था। अटल बहारी वाजपेयी म
थ तय क ता का लकता को समझ कर कदम उठाने क ज़बरद त मता मने तब दे खी,
जब 1998 म धानमं ी बनने के बाद उ ह ने मुझे पहला काम ना भक य परी ण का
स पा। मने पाया क वाजपेयी रा ीय सम या के संबंध म हमेशा नणयशील रहे जैसा क
मने पहले भी बताया है, क वह पहले थे ज ह ने अग त 2002 म लाल कले के
ाचीर से यह घोषणा क , क भारत 2020 तक वक सत रा बन जाएगा। सबसे पहले,
भारत-2020 को रा ीय काय म के प म 1998 म एच.डी. दे वगौड़ा ने मा यता द ।

अ छे लोग से मलने का अनुभव अपने-आप म एक श ा है। यह मेरा


सौभा य रहा है क जीवन के व भ चरण म ब त-से अ छे लोग से
मलने का मौका मलता रहा है।
7

त पध रा बनने क ओर

त पधा का भाव रा ीय आ थक वकास क ताकत है


त पध भाव क ताकत है ान, और ान क श का ोत है
टे नोलॉजी और नव नमाण

भ◌ा रतअसली
क अ धकतर आबाद गाँव म रहती है, और वै ा नक समुदाय के सामने यही
चुनौती है क वह टे नोलॉजी से जो हा सल है उसे पचह र करोड़ गाँव
वाल तक प ंचाएं।
व ान और टे नोलॉजी से जुड़े अपने पचास साल के कायकाल म मने हमेशा यह
महसूस कया है क कसी वकासशील दे श के वक सत दे श बनने के लये व ान और
टे नोलॉजी ही एकमा रा ता है। वह तीन े जन पर हम अपनी नज़र बनाए रखनी है,
वह ह, नैनो टे नोलॉजी, ई-गवनस और बायो डीज़ल। नये प रवतन क दशा म अनुकूल
वातावरण बनाने के लये, मने सोचा क य न रा प त भवन से शु आत क जाए।
ज टल और नये काम क शु आत के लये कई वशेष क स म लत सोच क
ज़ रत होती है। अलग-अलग वक प का मू यांकन और फर अ भयान को या वत
करने के लये स म लत यास। इस स दभ म तीन अनोखी घटनाएं रा प त भवन म और
हैदराबाद म रा प त नलयम म । वह था, नैनो टे नोलॉजी कॉ स, ई-गवनस कॉ स
तथा बायो डीज़ल कॉ स का आयोजन। दे श के भ व य के स दभ म यह ब त भावकारी
घटनाएं थ ।
म बंगलु म ‘जवाहरलाल नेह सटर फॉर एडवांस साइं ट फक रसच’ के ोफ़ेसर
सी. एन. आर. राव तथा दे श- वदे श के सरे वशेष से नैनो टे नोलॉजी तथा इसके व वध
े म उपयोग पर बात करता रहा ँ। कृ ष, औष ध व ान, तथा अंत र और ऊजा जैसे
कुछ े म इसका उपयोग हो सकता है। इ ह वचार ने मुझे े रत कया क म एक पूरे
दन क कॉ स का आयोजन रा प त भवन म क ँ । वचार- वमश और स म तय से आगे
संयोजन काय म क भू मका बनी और इसक कुल लागत एक हज़ार करोड़ पये आई।
इस काय म से ब त मह वपूण ग त और नव नमाण सामने आया। मुझे यह जान कर
खुशी ई क बनारस ह यू नव सट ने काबन नैनो ूब फ टस बनाने क एक सरल
व ध वक सत कर ली है जो पानी से नैनो आकार के षत कण और पे ो लयम से भारी
है ो-कॉबन कण को छान सकता है। एक नजी कंपनी डाबर के साथ मल कर द ली
यू नव सट ने सफलतापूवक एक औष ध वक सत कर ली है जो सीधे ूमर को शका
पर आघात करती है।
द , भावी और पारदश बंधन भारत को वक सत रा बनाने के लये तथा दे श म
ान-स प समाज बनाने के लये, पहली बु नयाद ज़ रत है। इस के लए एक सम तं
क ज़ रत है, जो रा य, ज़ला तथा ाम तर पर वके त हो कर काम करे। इसक
योजना बनाने और उसे लागू करने के लये, सु नयो जत यास क ज़ रत है, जो क और
रा य सरकार के साथ-साथ, नजी तथा सरकारी े के संयु सहयोग से काम करे। इसी
ल य को यान म रखते ए, सभी संबं धत एज सय को साथ लेकर एक ई-गवनस कॉ स
का आयोजन कया गया। हमने एक ई-गवनस स टम बना कर रा प त भवन म लागू भी
कया। मने इस वषय पर यायपा लका, ऑ डट तथा अ य सं थान को संबो धत भी कया।
कॉमनवे थ सभा म एक तु त भी द , जसे ब त पसंद कया गया। मुझे उ मीद है क ई-
गवनस स टम से येक नाग रक के लये बनाये गये माट पहचान काड भावी सेवाएँ दे ने
और अ तवाद तथा आतंकवाद को रोकने म सफल ह गे।
म समझता ँ क दो े जो भ व य म का कारण बन सकते ह, वह ह जल
तथा ऊजा। रा यपाल क एक कॉ स म पानी के मु े पर बात के दौरान जलाशय के
रख-रखाव, जल के ोत का संर ण, तथा रा ीय तर पर रा य क न दय को जोड़ने का
संग उठा था। म लगातार इस बात पर जोर दे रहा ँ क पानी, डीज़ल और कोयले से मु ,
ऊजा उ पादन के तरीक पर यान दे ना समय क मांग है। बायो धन वक सत करने का
ज इसी स दभ म आता है। इस वषय को ही संबो धत करने और इस संबंध म सभी
कार के यास पर सम प से वचार- वमश करने के लये रा प त नलयम म हमने
एक कॉ स आयो जत क थी। इस आयोजन म, अ य लोग के अलावा कसान को भी
आमं त कया गया था य क उ ह इस े म अनुभव है और वही इसके उपभो ा भी ह।
कृ ष व व ालय के उपकुलप तय ने वषय के व वध अनुसंधान प के वषय म
समझाया। बायो धन वृ के बीज क संरचना और उनक उपज के लये सचाई क
आव यकता आ द संग चचा का वषय बने। सरकारी अ धका रय ने बंजर ज़मीन के
बंटवारे का उठाया। ऑटोमोबाइल डज़ाइनस ने बायो धन और डीज़ल के एक म ण
के बारे म बताया जसके योग से इंजन म कोई प रवतन नह करना पड़ेगा। इंजन म
बदलाव क ज़ रत केवल तभी पड़ेगी जब म ण म बायो धन का अनुपात बढ़ाया जाए।
वसायी लोग ने ‘ ेकईवन वाइंट’ या न बना लाभ-हा न के नवेश के तर क बात क ।
मने बायो धन के योग क अपनी अवधारणा तुत क । म खुश ँ क अब बायो धन क
नी त वक सत हो चुक है।
इन तीन कॉ स के अलावा एक और तकनीक आयोजन आ जसक शु आत
रा प त भवन से ई।
~
वष 2006 म इसरो के त कालीन चेयरमैन ने मुझे अपनी अंत र संबंधी योजना बताते
समय, चं यान का ज़ कया जो चाँद के वातावरण क सूचना दे गा। न त प से यह
कसी नये ह क खोज के संबंध म पहला कदम होगा, जनम कोई मानव जाएगा। उ ह ने
बताया क उनका अंत र यान च मा क क ा क प र मा करते ए चाँद क धरती क
रासाय नक, ख नज, भूगभ य जैसी वै ा नक जानकारी भेजेगा। उ ह ने यह भी बताया क
यह यान ब त-से ऐसे वै ा नक यं ले जाएगा जनके बारे म इसरो अभी नणय ले रहा है।
मने सुझाव दया क अपने इस अ भयान म इसरो एक और काम जोड़ सकता है। वह यह,
क एक र थ मापन तं था पत करे जसके ज़ रये चाँद क सतह से ही घन व या दबाव
नापा जा सके या कम से कम उसके अनुमा नत सार का पता लगाया जा सके। चेयरमैन ने
वादा कया क वह इस सूचना क व था अपने तं म करगे। इस वाता से चं यान के साथ
‘मून इ पै ट ोब’ यानी चांद के संबंध म अ धक जानकारी पाने वाला अ त र यं जोड़ा
गया। यह यं चाँद क धरती पर 14 नवंबर 2008 को ठ क उसी जगह उतरा, जहाँ उसका
उतरना पहले से तय कया गया था। मने इसरो क ट म को इस कामयाबी के लये बधाई द ।
यह दो उ च तरीय शु आती तकनीक कदम रा प त भवन के आ ह पर उठाए गए।
मुझे इस साह सक काय म भागीदार बनने म ब त स ता ई।
~
नव नमाण वष 2011 क , नया-भर म नया या आ इसक सूचकांक रपोट ‘ लोबल
इनोवेशनल इंडे स’ दे ख कर पता चला क इस म म जी.आई.ई. के आधार पर
वट् ज़रलड पहले नंबर पर, वीडन सरे पर, सगापुर तीसरे पर, हांगकांग चौथे नंबर और
भारत 62व नंबर पर है। त पधा मक थ त और नव नमाण सूचकांक म एक संबंध होता
है। वष 2010-11 म भारत 56व नंबर पर था। अगर भारत खुद को अपनी मौजूदा थ त से
उठा कर वक सत रा क ेणी, अथात सव च दस म लाना चाहता है तो उसे हर हालत म
अपनी वदे शी डज़ाइन यो यता को सश करना होगा। भारत क वतमान अ भवृ उन
वै ा नक तकनीक के आधार पर ई है जनका आ व कार और पेटट अ धकार क ह और
दे श के पास दस-पं ह बरस पहले से है। व ान और तकनीक म वक सत दे श से कोई भी
ताज़ा टे नोलॉजी भारत को कम से कम दस बरस से पहले नह मलने वाली है। इस लए,
कम से कम व ान के े म शोध ब त ज़ री है, ता क वै क तयो गता मक दौड़ म
भारत मनचाही जगह बना सके। म यहाँ भारत क एक को शश का यौरा दे ना चा ँगा जहाँ
भारत ने एक वां छत टे नोलॉजी वक सत क ।
~
अभी हाल म हमने एक मह वपूण ल य ा त कया। 19 अ ैल, 2012 को उड़ीसा के
तट य े लर आइलड पर तनाव अपने चरम पर था। यहाँ से पचास टन वज़न क , साढ़े
स ह मीटर ऊंची, अ न-V मसाइल, ल बवत् थ त से े पत क गयी थी। ेपण के
पहले क जांच शु ई। सुबह 8.07 पर उलट गनती शु ई और जैसे ही मसाइल के
पहले चरण ने काम कया, आग क एक दै याकार गद उछली। जैसे ही मसाइल ने आकाश
क ओर उठना शु कया, वै ा नक ने उसक काय णाली क जांच क । उनक आवाज़
शांत थी, जब क उप थत दशक बेहद तनाव क थ त म थे। 90 सेके ड बाद पहला चरण
जल कर अलग हो गया। मसाइल ठ क उसी ग त से जा रही थी, जससे उसे जाना चा हए
था। उसके बाद, यथा योजना, सरा चरण भी जला और फर अलग हो गया।
कुछ ही मनट म मसाइल अंत र म थी, भूम य रेखा पार करने तक, दो हज़ार
कलोमीटर द ण क दशा म। फर, तीन हज़ार कलोमीटर जाने के बाद उसने फर पृ वी
के वातावरण म मकर रेखा के ऊपर वेश कया और अ का और आ े लया के द णी
सरे क ओर नीचे को आई। ेपण और इस ग त के बीच उसे बीस मनट लगे। भारतीय
समु पोत उस मसाइल के साथ सारे रा ते भर, अंत तक चलते रहे। मसाइल ने अपने
ल य पर एकदम सही नशाना, पूव न त समय पर दाग दया।
वष 1983 म 400 करोड़ पये क लागत के आई.जी.एम.डी.पी. के काय म को
वीकृ त मली। इस काय म म चार मसाइल क संक पना, उ पादन और ेपण का
काम शा मल था। यह चार मसाइल थ , ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाली मसाइल
(पृ वी), म यम री वाली ज़मीन से आकाश म मार करने वाली मसाइल (आकाश), कम
री वाली ज़मीन से आकाश म तेज़ी से मार करने वाली मसाइल ( शूल) और एक टक
भेद मसाइल (नाग)। इसके साथ ही इस काय म म अ न का तकनीक दशन भी
शा मल था, जसम लंबी री पर मार करने वाली मसाइल के अंत र तक जा कर पृ वी के
वातावरण म फर वापस आना दखाया जाना था। यह टे नोलॉजी सब से पहले मई 1989
म उड़ीसा के तट पर द शत क गई थी। उसके बाद लंबी री वाली मसाइल अ न-I, II,
III और IV उसके बाद के दो वष म द शत । फर अंततः डी.आर.डी.ओ. के
वै ा नक और इंजी नयर ने अ न-V क उड़ान का परी ण नयो जत कया जसक
मारक मता 5000 क.मी. तक है। यह सब मसाइल, ‘ मसाइल टे नोलॉजी कं ोल
रजीम’ (एम.ट .सी.आर.) तथा अ य खंड क ेणी म आती ह। इसके कारण, न तो
मसाइल स टम, न ही इसको संचा लत करने वाली टे नोलॉजी, खरीद कर पाई जा सकती
है। इस स टम को केवल गहन मब शोध से ही अ जत कया जा सकता है।
इस तरह, मसाइल का सफल परी ण गूढ़ टे नोलॉजी क दशा म आ म- नभरता
का व श माण है। यह दे श को एक वतं वदे शी नी त बनाने क श दान करता है।
मेरे म डॉ. वी. के. सार वत और उनक ट म ने अ न-V के ेपण पर मुझे
जानकारी द ।
इस स दभ म मुझे एक पुरानी बात बताने क इजाज़त द। म एक बात 1984 क
बताता ँ और सरी 1991 क । म हैदराबाद म डी.आर.डी.एल. का नदे शक था।
धानमं ी इं दरा गाँधी ने अपनी कै बनेट के मा यम से आई.जी.एम.डी.पी. क वीकृ त
1983 म द थी और उसके अगले साल वह काय म क ग त दे खने डी.आर.डी.एल.आई.
थ । जब हम अपनी ग त द शत कर रहे थे, तब ीमती इं दरा गांधी ने कॉ स हॉल म
लगा व का न शा दे खा। उ ह ने हमारा दशन कवा दया और हमारा यान उस न शे
क तरफ आक षत कराया। उ ह ने पूछा, ‘कलाम, इस न शे को दे खो, इसम दखाई गयी
रय को भी दे खो, कब हमारी योगशाला ऐसा मसाइल बना पाएगी जो क ठन प र थ त
म र के ठकान तक प ँच पाए।’ उ ह ने न शे पर, भारत क सीमा से पांच हज़ार
कलोमीटर र एक ल य पर उंगली रखी। सचमुच हमारे डी.आर.डी. ओ. के वै ा नक उस
महान राजने ी क संक पना के अनुसार यह उपल ध हा सल कर पाए।
उसके बाद, जब पृ वी मसाइल का सफल ेपण आ, तब सेना क एक सरी
ज़ रत हम तक प ंची। सेना को ज़मीनी े म एक पु करण का यं चा हए था, जससे
एक ु ट, जसे ‘सकुलर एरर ोबे ब लट ’ (सी. ई.पी.) कहा जाता है, उसका अनुमापन हो
सके। इसके लये, हम उस समय जस, म थली े म अपने परी ण कर रहे थे, वह
सुर ा और अ य भौगो लक कारण से उपयु नह था। अपने इस काम के लये हम पूव
तट य े के कसी नजन प क ज़ रत थी। अपने भू-जलीय न शे म, जो हम नौसेना
से मला था, हम कुछ प नज़र आये जो उड़ीसा के तट धमरा से हट कर बंगाल क खाड़ी
के पास थे। वहां क ह भू-भाग क संभावना थी। हमारी ट म ने, जसम डॉ. एस. के.
सलवान तथा डॉ. वी. के. सार वत शा मल थे, धमरा से एक नौका कराए पर ली और प
क तलाश म नकल पड़े। न शे पर इन प के संकेत ‘ल ग लर’, ‘कोकोनट लर’
और ‘ मॉल लर’ के नाम से लखे ए थे। ट म ने एक क पास ( दशासूचक यं ) लया
और या ा पर नकल पड़ी। वह लोग रा ता भूल गये और लर प नह खोज पाये।
सौभा य से, उ ह कुछ मछु आरे अपनी नौका म दखे। उनसे रा ता पूछा गया। उन
मछु आर को लर प का तो पता नह था ले कन उ ह ने ‘चं चूड़’ नाम के एक प का
ज़ कया। मछु आर ने सोचा क ये लोग उसी प का पता पूछ रहे ह। उ ह ने ‘चं चूड़’
प का रा ता बता दया। उनके बताए ए रा ते से ट म चं चूड़ प ंची, और बाद म पता
चला क वही ‘ मॉल प’ है और वहां हमारी ज़ रत-भर पया त जगह है।
उस प को पाने के लये हम उड़ीसा नौकरशाही का सामना करना पड़ा। यह ज़ री
आ क इसके लये उड़ीसा के त कालीन, (1993) मु यमं ी से राजनी तक नणय पाया
जाए। उस समय, श स प नेता, बीजू पटनायक मु यमं ी थे। उनके कायालय से यह
संकेत मल रहे थे क वह प क ह कारण से, उपल ध नह हो पायेगा। खैर, हमारी
वनय व प, हम बीजू पटनायक से भट करने का अवसर मला। जब हम उनके कायालय
म प ंचे, वह फ़ाइल उनके सामने रखी थी। उ ह ने कहा, ‘कलाम, मने यह पाँच प
डी.आर.डी.ओ. को बना कसी क मत के दे ने का फैसला कया है, ले कन म इस फ़ाइल पर
अपनी वीकृ त के ह ता र केवल तभी क ँ गा जब तु हारी ओर से एक वादा कया
जाएगा।’ उ ह ने मेरा हाथ अपने हाथ म थाम कर कहा, ‘तु ह एक मसाइल ऐसी बनानी
पड़ेगी जो र के मन से भी हमारी र ा कर सके।’ मने कहा, ‘सर, हम ज़ र इस पर
काम करगे।’ मने तुरंत र ा मं ी को सूचना द । मु यमं ी के ह ता र होने के बाद हम
‘ मॉल प’ मल गया।
~
पाठको, आप सब को पता ही होगा क इसरो ने 26 अ ैल, 2012 को अपना पहला ‘राडार
इमे जग सेटेलाईट’ (आर.आई.सेट-1) े पत कया था। यह उप ह ‘पोलर सेटेलाईट
लॉ च वे हकल’ (पी.एस.एल.वी-सी-19) ारा ीह रकोटा के सतीश धवन पेस सटर से
े पत कया गया था। इस उप ह को क ा म भेजने के बाद इसम सोलर पैनल और सी
बड सथे टक अपचर राडार के एंट ना पैनल सफलतापूवक लगाये गये। यह उप म
आर.आई.सेट-1 का एक मह वपूण ह सा है। उसके बाद, इस उप ह को, पोलर सन
स ोनस क ा (ऑ बट) म चार मक या से रोपा गया। इससे, गंगो ी से लेकर
भोपाल तक क , और उ री कनाटक क उ च तरीय त वीर हण क ग , ज ह 1 मई,
2012 को तैयार कर लया गया।
यह अ भयान कुछ मह वपूण तकनीक को उजागर करता है। म उनके बारे म कुछ
जानकारी सं ेप म ँ गा।
कसी अ य र थ काश संवेद उप ह से एकदम अलग, राडार इमे जग सेटेलाईट
(आर.आई.एस.ए.ट -1) छायांकन के लये अपने राडार पंदन पृ वी पर भेजता है। इस से
बादल क उप थ त और सूरज क रोशनी के बना भी छायांकन संभव हो पाता है। इस
तरह यह तं , मौसम और सूय के काश क कसी भी थ त म त वीर ले सकता है।
आर.आई.सेट-1 कई तरीक और, व वध छायांकन थ तय म काम करता है, जैसे इसका
छायानुपात, एक से पचास मीटर के बीच कह भी साधा जा सकता है, और इससे दस से दो
सौ तेईस कलोमीटर तक छाया व तार पाया जा सकता है। आर.आई.सेट-1 का मह वपूण
उपयोग कृ ष े म है, जहाँ खरीफ क फसल के दौरान धान के खेत क पहचान उनका
वग करण, तथा त एकड़ उपज का अनुमापन कया जा सकता है। इसके साथ ही उन
खेत का भी यौरा पाया जा सकता है जो बाढ़ के समय म उपजाऊ नह रह गये ह। इसके
अलावा वप -कारक समय म तथा अ य थ तय म भी इस तकनीक सु वधा का लाभ
पाया जा सकता है। यह केवल हमारी अंत र संबंधी ग त व धय क एक झलक है जो
हमारे आ म व ास को भी द शत करती है। इसके साथ म ब त-सी कामयाबी क
कहा नयां सुना सकता ँ, जैसे नौसेना के ‘लाईट कौमबैट एयर ा ट’ (एल.सी.ए.) के
परी ण-उड़ान क कथा। यह उड़ान बंगलु म, उस दन संप ई थी जस दन आसमान
म इधर-उधर बादल छाये ए थे।
इस एक अकेली, नौसेना के एल.सी.ए. क सफल उड़ान के दम पर भारत उन े तर
दे श क पं म बैठ गया था जो उ च तरीय वैमा नक डज़ाइ नग, उ पादन तथा परी ण
के लये स म ह। इसम चौथी पीढ़ के वह वमान गने जाते ह जो अपने साथ वशेष
व था ले जा सकते ह, और ‘ क टे क ऑफ बट अरे टे ड रकवरी’ ( टोबार) जैसी
टे नोलोजी से यु होते ह। यह नौसेना पोत, सामु क सेना को दया गया यह पोत, हमारी
पहली को शश है, स पूण यु मता न हत, और यह भारतीय नौसेना क इ क सव सद
क अपे ा के अनुकूल है। इसक सफलता के दौरान हमने कई डज़ाइ नग संबंधी
चुनौ तय को पार कया है।
~
सूचना तं और संचार तं अब एक साथ जुड़ कर सूचना एवं संचार तं (इनफोमशन ए ड
कॉ यू नकेशन टै नोलॉजी) बन गये और आगे उनका मलान बायोटे नोलॉजी से आ
जसके फल व प बायो-इ फोम ट स का ज म आ। इसी तरह, फोटो न स छाया
योगशाला से नकल कर इले ो न स और माइ ोइले ो न स से जुड़ गयी है, जस से
उपभो ा उ पाद को उ च ग त से प रणाम पाने का लाभ मला है। अब नैनो टे नोलॉजी
आ गयी है। यह भ व य क तैयारी है और यह इले ो न स तथा माइ ोइले ो न स को
हटा कर अपनी जगह बनाएगी। इसम भारी संभावनाएं ह। इस से औष ध, इले ो न स
तथा पदाथ व ान को ब त लाभ मलेगा।
जब नैनो टे नोलॉजी और सूचना और संचार तं का संयोग मला, इंट ेटेड
स लकॉन इले ो न स, फोटो न स का ज म आ और यह कहा जा सकता है क अब
पदाथ व ान क ओर दे खा जा सकेगा। जब यह पदाथ व ान बायो-टे नोलोजी के साथ
संयु होगा, तब एक नया व ान पैदा होगा जसे इंटे लजट बायोसाइंस (सचेत जीव
व ान) कहा जाएगा। यह व ान रोगमु समाज बनाएगा, जो मनु य को लंबा स म
जीवन दे गा।
व ान का यह एक करण फलदायी है। म एक उदाहरण दे ता ।ँ म हॉवड यू नव सट
म था और वहां के कई त त ोफ़ेसर क व ानशाला दे ख रहा था जो ‘हॉवड कूल
ऑफ इंजी नय रग एंड अ लाइड साइंस’ म कायरत थे। म याद करता ँ क कैसे ोफ़ेसर
ह कुन पाक ने मुझे अपना, नैनो सूई का आ व कार दखाया। यह सूई, छे द कर के कसी
एक ल य को शका म वां छत गुणधम रोप सकती है। नैनो कण व ान इस तरह से जीव
व ान को फर से गढ़ रहा है। फर म ोफ़ेसर वनोद मनोहरन से मला। उ ह ने दखाया
क कैसे बायो साइंस पलट कर नैनो पदाथ व ान को नया आकार दे रही है। वह डी. एन.
ए. पदाथ का उपयोग वतः संयु कण क रचना म कर रहे ह। जब एक व श कार का
डी.एन.ए., कसी पदाथ के संपक म परमाणु तर पर लाया जाता है तो वह पूव नयो जत
गुण धारण कर के उस से संयु हो सकता है। यह जै वक व था के वतः संयु होने
क संभावना को था पत कर सकता है, जसम, बना मनु य के ह त ेप के गहन अंत र
म कॉलो नयां बसाई जा सकती ह, जैसा क डॉ. के. ए रक े लर क संक पना म बताया
गया है। इस कार, जैसा मने दे खा, केवल एक शोध के नमाण से दो भ व ान एक- सरे
को स प कर रहे ह। व ान के े म उनके पार प रक आदान- दान से हमारे भ व य
क औ ो गक तथा अ य ज़ रत भा वत ह गी और हम इसके लये तैयारी करनी होगी।
हम व भ तकनीक के बीच सोचगत अवरोध को हटाना होगा, और ऐसे शोध शु करने
ह गे।
अंत म, वै क प से, इस बात क ज़ रत ज़ोर पकड़ रही है क लंबे समय तक
चल सकने वाली ऐसी व थाएं बनाई जाएँ जो े टे नोलॉजी पर आधा रत ह । यह
इ क सव सद के ान-स प समाज का नया आयाम ह, जसम व ान, टे नोलॉजी तथा
पयावरण, तीन को साथ-साथ चलना होगा। इस तरह नये युग का मॉडल चार आयाम वाला
होगा, जैसे बायो-नैनो-इ फो-इको। चार एक ही आधार पर, जोश से भर दे ने वाली
संभावनाएं उजागर करगे।

म आप से पूछना चा ँगा क कस प म याद रखे जाने क आपक


आकां ा है? आप उसे लख ल। यह कोई भी मह वपूण योगदान हो
सकता है, चाहे आ व कार, चाहे संक पना, या कोई बदलाव जो आप
समाज के लये लाना चाह, जसके लये दे श आपको याद करे।
8

द पक और पतंगा

चराग़ अलग अलग


मगर रोशनी एक जैसी
नयावी मौज नया को तुम वापस कर चुके,
तुम मेरी अंतरा मा म बसे ए हो

11 जनवरी, 1999 को वायुतल पर थत नगरानी के लये लगाए लेटफाम ‘एयरबोन


सवलस लेटफॉम’ के गर जाने ने मुझे बेहद व त कर दया। इस घटना ने वै ा नक
या-कलाप का एक सरा ही चेहरा सामने रखा, जो ददनाक है। मेरी, अपने दो त ोफ़ेसर
अ ण तवारी से ई बातचीत मेरी भावना को करती है क वह योग, जो हमने
कया वह हमारी योजना के अनुकूल प रणाम नह लाया और असफल हो गया। यह मेरी उन
लोग के त ांज ल है, ज ह ने इसम भाग लया था।
अ ण तवारी (ए.ट .) : जीवन से जुड़े आव यक प रवतन या आवेग पूण
घटना के समय वतः उठ खड़े होते ह। उ ह आ मपरी ण के मा यम से भी अपने सामने
रखा जा सकता है। यह वशेष प से तब जीवंत हो उठते ह जब आ म- ववेक, के
अहम को भेद कर ऊपर उठ जाता है। ज़ का का क कालजयी रचना ‘मेटामौरफो सस’
इसी वषय पर क त है।
ए.पी.जे. : म वह समझ सकता ँ। एसएलवी-3 क पहली उड़ान क असफलता
और अ न के पहले यास परी ण म आई क ठनाइय ने मुझे मेरी अस लयत से ब त
अ छ तरह प र चत करा दया था, ले कन 1999 म अराकोनम म ई घटना ने मुझे तोड़
कर रख दया, साथ ही इसने मेरे अहम को भी तहस-नहस कर दया।
ए.ट . : आपने इस बारे म कभी बात नह क । म केवल आपक पीड़ा को उतना ही
दे ख पाया जतनी समु म हमखंड क चोट दखती है। बाक़ आप अपनी तता के
समु म छपाए रहे। या अब आप मुझसे साझा करना चाहगे?
ए.पी.जे. : साझा करने से यादा, म उन आठ नौजवान के त अपनी ांज ल
करना चा ँगा ज ह ने इस वै ा नक कायकलाप म अपनी जान गंवा द । रा को उन
नायक के बारे म जानना चा हए जो अ शं सत रह गए। उनके प रवार ने जो दद सहा, वह
सामने आना चा हए।
ए.ट . : सर, या आप एयरबोन सवलस लेटफॉम (ए.एस.पी.) घटना के बारे म
बात कर रहे ह जो 1999 म घट थी?
ए.पी.जे. : हां, ए.एस.पी. घटना जो अराकोनम के पास घने जंगल म घट थी।
ए.ट . : मने इस घटना के बारे म के. रामचं से बात क थी। वह स टम इंजी नयर
थे। उ ह ने मुझे बताया क एवरो एयर ॉ ट, जसके ऊपर एयरबोन सवलस स टम बतौर
रोटोडोम लगाया गया था, दोपहर दो बजे हवाई प से उड़ा और दस हज़ार फ ट क ऊंचाई
पर जाकर चे ई तट क ओर घूम गया। अराकोनम और चे ई तट के बीच राडार टे टं ग क
गयी। परी ण उड़ान के लये ल य एयर ॉ ट ए.एन.-32 था, जो एवरो के उड़ने से पं ह
मनट पहले ही उड़ चुका था। समु तथा ज़मीन से राडार क जांच क गयी थी। मशन के
सद य क ‘वेरी हाई वसी’ (वी.एच.एफ.) रपोट के अनुसार संवाद ब त अ छा आ
था। डेढ़ घंटे क परी ण उड़ान के बाद ल य एयर ॉ ट अराकोनम म शाम करीब चार बजे
उतरा। उसके बाद ए.एस.पी. एयर ॉ ट ने चे ई से अराकोनम क ओर ख कया और
एयरफ ड से 10,000 फ ट से 5000 फ ट क ऊंचाई तक उतर आया। जब यह एयर ॉ ट
एयरफ ड से करीब पांच नौ टकल मील र और, तीन से पांच हज़ार फ ट ऊपर था, तभी
उसका रोटोडोम टू ट कर अलग हो गया। इस से एयर ॉ ट डगमगाया और आठ चालक दल
के सद य क जान लेते ए ज़मीन पर आ गरा।
ए.पी.जे. : जब मुझे इस घटना क खबर मली, म अपने साउथ लॉक के ऑ फस
म डफे स रसच क सल क मी टग म बैठा था। म तुरंत बंगलौर भागा ता क शोकम न
प रवार के साथ जुड़ सकूँ। मेरे साथ एयर मॉशल ए. वाई. टप नस भी थे। मेरे लये यह
ब त क ठन पल थे। मारे गये लोग क युवा प नयाँ बलख रही थ और उनके माता- पता
त ध खड़े थे। एक म हला ने अपने नवजात शशु को मेरी गोद म डालते ए कहा, ‘अब
इस न ही-सी जान क दे खभाल कौन करेगा?’ सरी म हला च लायी, ‘यह आपने य
कया म टर कलाम?’
ए.ट . : रामचं ने मुझे वह सूची द थी जसम मरने वाले ऑ फसस के नाम थे :
वे न लीडर पी. वकटरमण एयर ा ट उड़ा रहे थे। पी. इला गू इ सटमटे शन इंजी नयर थे
और के. पी. शाजू राडार स टम इंजी नयर, ‘सटर फॉर एयरबोन स ट स’ (सी.ए.बी.एस.)
से थे। डी. नर सह वामी राडार ोसे सग साइं ट ट थे। आई. जयकुमार स नल ोसे सग
साइं ट ट, ‘इले ॉ न स रसच एंड डेवलपमट इसटै ब लशमट’ (एल.आर.डी.ई.) से थे।
वे न लीडर एन.वी. सेश,ु आर. भटनागर और एस. र व वायुसेना के अ धकारी थे।
ए.पी.जे. : शायद ही कुछ अवशेष बचे थे। प रवार क तस ली के लये अ धका रय
ने ताबूत मंगवा लये थे और उ ह क यु नट हॉल म रखवा दया गया था।
ए.ट . : हे भगवान!
ए.पी.जे. : अपने गहरे ःख क मनः थ त म म मु कल से कुछ श द अपने शोक
स दे श म बुदबुदा पाया।
ए.ट . : ऐसे म मुझे अ ाहम लकन का प याद आ रहा है जो उ ह ने एक ी को
लखा था जसके पांच बेटे वीरतापूवक यु म मारे गये थे :
म समझ सकता ं कतने कमज़ोर और बेमानी ह गे मेरे कहे गये श द, जो
तु ह उस गहरी त से उपजे ःख से भुलावा दे ने के लये कहे जाएँग।े ले कन म
खुद को सां वना म कुछ ऐसा कहने से रोक नह पा रहा ँ जसम उस गणतं का
कृत ता ापन है जसक र ा करते ए वह मारे गये।
म ाथना करता ँ क परम पता परमा मा तु हारी गहरी वंचना क अ न
को शांत करे, तुम अपने खोये ए य पु क मृ तय से संतोष ा त करो क
तुमने अपने ब मू य याग से वतं ता क र ा क है।

ए.पी.जे. : वलाप करती वधवा क याद, पथराये ए माता- पता, मेरी गोद म
पड़ा आ नद ष नवजात शशु, और ताबूत म रखे तीका मक शव, मुझे यहाँ रा प त
भवन म बैठे ए कचोटते ह। या कुछ एक राजनी तक ग त व धयां और श ाचार क
औपचा रकता उस दद और यातना को समझ पाएगी जो फ ड और योगशाला म काम
करते लोग झेल रहे ह?
ए.ट . : स दे श या है?
ए.पी.जे. : द पक होने का ढ ग मत करो, पतंगा बनो। सेवा करने म छपी ई श
को पहचानो। हम शायद राजनी त के बाहरी प से भा वत हो कर उसे भूल से रा -
नमाण मानने लगे ह। वह याग, क ठन प र म और परा म, कभी-कभी ही दखता है, जो
सचमुच रा नमाण कहलाता है।

‘एयरबोन सवलस लेटफॉम’ क घटना मेरे जीवन क सबसे दय-


वदारक घटना थी। मने इस बातचीत को यह बताने के लए सामने रखा है
क मने इसे कतनी गहराई से महसूस कया। साथ ही, म यह भी बताना
चाहता ँ क ज टल अ भयान को पूरा करने म पूरा जीवन लग जाता है।
ले कन ये ःखद झटके हम मज़बूत भी बनाते ह।
9

मेरी गुजरात या ा

दे व त अपने ान के कारण वतं है


पशु अपनी अबोधता के कारण
इन दोन के बीच, मनु य क संतान संघष करती है

– मी

वि◌ कास का एक तंभ गरीबी और नर रता को पूरी तरह समा त कर दे ना है और इस


पर मने ब त गहराई से वचार कया है। साथ ही हम एक ऐसा समाज वक सत
करना है जसम ी और ब च के त अपराध न ह और कोई भी वग अलगाव क ासद
का शकार न हो। अग त 2002 म अपनी गुजरात क या ा के दौरान मेरे मन म यह वचार
सघन थे, और रा प त बनने के तुरंत बाद मने पहला बड़ा काम यही उठाया। रा य अभी
कुछ ही महीने पहले ए दं ग के आघात से गुज़रा था और उसक पीड़ा अभी भी हज़ार
छ - भ हो गये लोग झेल रहे थे। यह एक ज़ री और संवेदनशील काम था, य क यह
वल ण प र थ तय म आ कांड था। इसम राजनी तक माहौल ब त गम था। मने तय
कया क मेरा ल य, या आ था और या हो रहा है यह दे खना नह है, ब क यह दे खना
है क या कया जाना चा हए। या आ था, यह पहले से ही संसद और या यक व था
क कायवाही का वषय है और उस पर चचा भी जारी है।
अभी तक कोई भी रा प त ऐसी प र थ तय म कसी ऐसे े म नह प ंचा था,
इस लए मेरे जाने क ज़ रत पर भी सवाल उठाये गये थे। मं ालय और नौकरशाही तर पर
भी मुझे सलाह द जा रही थी क म इस समय गुजरात न जाऊं। खैर, मने तय कर लया क
म जाऊँगा, और रा प त भवन म इसक पूरी तैयारी होने लगी य क बतौर रा प त यह
मेरा पहला दौरा था।
धानमं ी अटल बहारी वाजपेयी ने मुझसे बस एक पूछा, ‘आप या इस समय
अपने गुजरात दौरे को ज़ री समझते ह?’ मने उनको उ र दया, ‘म इसे अपनी एक ज़ री
ज़ मेदारी समझता ँ, जससे म उनके दद कुछ कम कर सकता ँ, और वहां प ँचने वाले
राहत काम को तेज़ करवा सकता ँ। म वहां मान सक एकता का माहौल बना सकता ँ,
जस पर मने अपने शपथ हण समारोह म ज़ोर दया था।’
इस संबंध म ब त-सी शंकाएं क गयी थ । जैसे, मु यमं ी मेरे दौरे का
ब ह कार करगे, मेरा अधमना वागत होगा, मुझे ब त तरफ से वरोध का सामना करना
पड़ेगा, ले कन मेरे लये यह एक बड़ा आ य था क न केवल मु यमं ी ब क उनका पूरा
मं मंडल, ब त-से वधायक, अ धकारी और बड़ा जनसमुदाय एयरपोट पर उप थत था।
मने बारह े , तीन राहत कै प और उन नौ दं गा भा वत े का दौरा कया जनम ब त
अ धक नुकसान आ था। मु यमं ी नरे मोद मेरी या ा के समय लगातार मेरे साथ रहे।
एक तरह से, इसका फायदा मुझे यह आ क जब मेरे सामने दावे और शकायत पेश ,
वह मेरे साथ थे और म उनसे कह सका क उन पर जतनी ज द हो सकेगा, कायवाही क
जाएगी।
मुझे एक य याद है। जब म एक राहत कै प म प ंचा, एक छह बरस के ब चे ने
आकर मेरे दोन हाथ थामे और कहा, ‘रा प त जी, मुझे मेरे माता- पता चा हए,’ म न र
था। उसी समय मने ज द से ज़ला कल टर के साथ एक मी टग क । मु यमं ी ने भी
आ ासन दया क उस ब चे क पढ़ाई और दे खभाल सरकार क ओर से क जाएगी।
जब म अहमदाबाद और गांधी नगर म था, समाज के सभी वग के लोग मुझसे बात
करना चाहते थे और अपनी सम याएँ और वचार मुझ तक प ंचाना चाहते थे। ऐसे ही
गुजरात म एक मी टग म करीब दो हज़ार लोग मेरे पास प ँच गये। वह गुजराती म बोल रहे
थे और मेरा एक दो त उनका अनुवाद कर रहा था। मुझसे करीब पचास सवाल पूछे गये और
मेरे सामने डेढ़ सौ दावे पेश ए।
खास तौर पर दं ग के स दभ म, अहमदाबाद म दो जगह पर मेरा जाना ब त खास
मह व का रहा। मुझे अ रधाम म मुख वामीजी महाराज ने बुलाया और वहां मेरा वागत
आ। मने उनसे दल क एकता के अपने अ भयान के बारे म, और गुजरात रा य के लोग
के मन को सहलाने क बात क , जसने रा को कभी महा मा गाँधी, सरदार व लभभाई
पटे ल तथा व म साराभाई जैसे महान पु ष दए थे।
म साबरमती आ म भी गया और आ मवा सय से भट क । उनके चेहरे भी वेदना
से भरे ए थे, हालां क वह अपने दै नक काम म मशीनी ढं ग से, त दख रहे थे। ऐसा ही
प र य मने अ रधाम म भी दे खा था। इस बात से म भी सोच म पड़ गया था क कैसे, इन
दोन सं थान के होते ए, जहाँ के आ या मक वातावरण म ेम और मानवता का समाज
म सुर भत संचार होता हो, वहां दं ग क ददनाक प रण त बचाई नह जा सक । ऐसा म
इस लए कह रहा ँ क हमारा दे श, जसको वरासत म वक सत स यता मली है, जहाँ बड़े
महान लोग ने ज म लया है और वह पूरे व के सामने आदश च र बन कर था पत ए
ह, वहां ऐसे ासद सा दा यक दं गे, कभी नह होने चा हए।
अपनी पूरी या ा के दौरान बस एक वचार मेरे मन म बना रहा। हमारे हाथ म ब त-
से ज़ री काम ह जनसे हम जनजीवन म सुधार लाना है और वकास क ग त को तेज़
करना है। ले कन या केवल वकास ही हमारा ल य नह होना चा हए? कोई भी नाग रक,
वह चाहे कसी भी आ था से जुड़ा आ हो, आनंदपूवक जीना उसका मौ लक अ धकार है।
कसी को भी दल क एकता को खतरे म डालने का कोई अ धकार नह है, य क हमारी
वैचा रक एकता ही दे श क जीवन रेखा है और यही हमारे दे श को व श बनाती है। आ खर
याय और लोकतं का अथ या है? दे श के हर एक नाग रक को स मानपूवक, रहने का
अ धकार है और अपना वै श अ जत करने का अ धकार है। लोकतं है ही इस लए क
नाग रक उ चत रा ते से चल कर अ धक से अ धक अवसर का लाभ उठा सक और अपना
स मान और वै श बनाए रख सक। हमारा सं वधान भी इसी प रणाम का प धर है।
स चे और जीवंत लोकतं का एक ल ण जो जीवन को स पूण और जीने लायक बनाता है,
वह है व भ लोग के व ास तं और उनक जीवन शैली के त स ह णुता।
म समझता ँ क यह ब त ज़ री है क हम सब मल कर मन क एकता बढ़ाने के
लये काम कर। सर के वचार के त अस ह णुता, सर के धम और उनक जीवन शैली
के त अवमानना, और ऐसे मता तर को लेकर लोग के खलाफ हसक अ भ कसी
भी तरह से यायो चत नह ठहराई जा सकती। हम सबको मल कर येक जन के
अ धकार क र ा के हत म काम करना चा हए। यही लोकतां क मू य क बु नयाद है,
जो हमारी रा ीय वरासत है, दे श क आ मा है।
जब मने अपना दो दन का दौरा पूरा कया तो मी डया ने मेरा स दे श पाना चाहा।
इसके लये एक ेस कॉ स बुलाई गयी। मने एक व के ज़ रये अपने वचार
कये। मने कहा क एक गंभीर आंदोलन इस अभी को लेकर चलाने क ज़ रत है क
सा दा यकता और कसी भी तरह क कलह को समाज से पूरी तरह से मटाया जाए, और
मान सक एकता का वातावरण बने।

येक का यह मूलभूत अ धकार है क वह अपनी धा मक,


सां कृ तक और भाषा संबंधी आ था के अनुसार रह सके। हम उसे भंग
करने के लये कुछ नह कर सकते।
10

वसुधैव कुटु बकम्

म व नाग रक ,ँ
सारे नाग रक मेरे वजन ह

– मी

म◌े रीपासब देतशअकाधकही बवदेतश काम


या ाएं नह ई ह य क अपने काम-काज के दन म मेरे
रहा करता था। दे श का पहला नाग रक होने के नाते,
व भ दे श के रा या य का भारत आने पर उनका वागत करना और उनसे कये गये
अनुबंध पर वदे श जाना मेरे काम का ह सा हो गया। जब भी कोई वदे शी त न धमंडल
भारत आया, रा प त भवन का दल उसके भ वागत स कार म लग गया और उसे भारत
क उपल धयां दखाने म त हो गया। मेरे लये, हमेशा सबसे मह वपूण यह प रहा है
क भारत क मूलभूत द ता तुत क जाए और अपने दे श के हत म कैसे उनसे उनके
तरीके सीखे जाएँ। इस सोच ने व ान के धरातल क अवधारणा को ज म दया, जो मेरी
ब त-से वशेष और त त य से बातचीत के ज़ रये वक सत ई। हमने
पयावरण के य पर अपनी चता को साझा कया और ऊजा आ म- नभरता पर बातचीत
क । हमने आगंतुक को भारत के सूचना तं , ई-गवनस तथा औष ध व ान के े म
अ जत मता से प र चत कराया। मुझे खुशी है क हमारी हर भट का नतीजा दोन ही या
सभी दे श के लये उपयोगी काय म का आधार बना।
मेरी हर वदे श या ा कसी न कसी प म मह वपूण रही। सूडान म बातचीत दे श के
उ री भाग से लेकर खातूम तक तेल क पाइप लाइन बछाने के नणय के साथ पूरी ई।
इस योजना को पूरा करने म करीब एक अरब डॉलर का खच आएगा जसम भारत भी
सहयोग दे गा। आज सूडान से भारत तक तेल प ँच रहा है। यू े न म ब त त काय म
रहा। इस या ा से अंत र काय म को आगे बढ़ाने म सहायता मली। म यहाँ उन या ा
क कुछ झल कयाँ ही दे रहा ।ँ सत बर 2004 म म द ण अ का गया। वहां के रा प त
थाबो बेक ने अनुरोध कया क म जोहा सबग म 53 अ क दे श क पैन-अ कन
संसद को संबो धत क ँ । मने यह अनुरोध सहष वीकार कर लया। अपने दल के सद य
के साथ भाषण क तैयारी करने बैठे तो हम सबके सामने यह सवाल था क वह कौन-सी
डोर है, जो अ का के रा को भारत क मूल मता से जोड़ती है। इससे ‘पैन-अ कन
ई-नेटवक’ क अवधारणा बनी जो अ का को भारत के बारह व व ालय और स ह
वशेष सु वधा यु अ पताल से जोड़ेगा जससे अ क दे श को श ा, वा य तथा ई-
गवनस क सेवाएं ा त ह गी। भारत पैन-अ क दे श से रा ा य को भी अपनी संचार
द ता के मा यम से जोड़ेगा जस से उनके बीच म सहज संवाद आसान हो जाएगा। शु म
वशेष का अनुमान था क इस ई-नेटवक को बनने म पांच से दस करोड़ अमरीक डॉलर
खच ह गे। यह ताव पैन-अ कन संसद के सामने रखने के पहले मने धानमं ी
मनमोहन सह को इस से अवगत कराया। उ ह लगा क यह ताव भारत सरकार के
‘फोकस अ का’ ल य के अनुकूल है, और यह भारत और पैन अ क दे श के बीच
सहयोगी भू मका बनाएगा।
26 फरवरी 2009 को इस काय म का व धवत उद्घाटन भारत सरकार के हाथ
सप आ और अब तक यह भरपूर ग त पकड़ चुका है। आज ई-नेटवक व था
अंतररा ीय सामा जक ज़ मेदारी नभाने क अ छ काय व ध बन गयी है।
~
शायद यह 2006 क बात है। यूरो पयन पा लयामट के े सडट जोसेप बोरेल फ टे स ने
मुझे रा प त भवन म फोन कया। बातचीत के दौरान उ ह ने मुझसे मेरे य वषय, ान
स प नाग रक पर दे र तक चचा क । इस वषय के बारे म उ ह ने मेरी वेबसाइट पर पढ़ा
था। उ ह ने मुझसे ब त-से सवाल पूछे। वह गहरे चतन से उपजे साथक सवाल थे। बातचीत
के बाद उ ह ने मुझे यूरो पयन संसद को संबो धत करने के लये आमं त कया। इस
यूरो पयन संसद म स ाईस रा य के संघ के 785 सद य थे। उनका अनुरोध था क म
संसद का यह संबोधन अपने रा प त पद का कायकाल पूरा होने के पहले स प क ँ । खैर,
2006 म अपनी अ य धक तता के कारण म यह काम 25 अ ैल 2007 को ही कर
पाया। उस समय तक हस-गत पौ े रग ने फ टे स के बाद रा प त का पद हण कर लया
था।
चूं क यह संबोधन ब त मह वपूण था, इस लए मने इसक तैयारी अपने जाने के
ब त पहले से शु कर द थी। मने अपने म , चतक , राजनेता , वै ा नक और
युवा के साथ कई वचार-मंथन स कये। मने वशेष प से इस अवसर के लये एक
क वता ‘धरती माता का स दे श’ भी लखी। वह क वता यह बताती थी क कैसे यूरो पयन
रा आपस म लड़ते ए कई बड़ी लड़ाइय से गुज़रे और फर अंततः अपने सद य रा के
आ थक वकास, समृ , शां त तथा आनंद के हत म यूरो पयन संघ बना कर एकजुट हो
गये। यह े ीय सहयोग के साथ अ गामी स यता के ारा संभव आ।
जब म 25 अ ैल को सुबह वहां प ंचा, रा प त और उनके सहयो गय ने मेरा
वागत कया। यूरो पयन संघ के 785 सद य को एक साथ बैठा दे खना और दशकद घा का
खचाखच भरा होना एक भावशाली य था।
इस अवसर पर ‘रा क एकता का ग त स ांत’ मेरे व का वषय था जसम
मने स यता के सम वय पर ज़ोर दया था, न क स यता के टकराव पर। ान स प
नाग रकता के वकास पर क त मेरे ा यान के तीन त व थे—मू यब श ा, अ या म
क ओर क त होता धम और रा के वकास के मा यम से सामा जक प रवतन। मने भारत
और यूरोप के लये ऊजा आ म नभरता क ज़ रत पर भी अपनी बात कही, और इसे
हा सल करने के तरीके भी बताये। मेरे ा यान के बीच म ता लयाँ भी बज । अपने
ा यान के अंत म मने सब सद य क अनुम त से वह क वता पढ़ जो मने इस अवसर के
लये वशेष प से लखी थी :

धरती माता का स दे श

सु दर प रवेश रचता है
सु दर वचार,
सु दर वचार से
ताज़गी और कृ त व का सृजन होता है

य रचे गये हर ओर,


धरती और भू म को खोजने वाले
रचने वाले, सु चतन और नव नमाण
महान वै ा नक, आ व कार

अनेक अनुसंधान का म चला


खोजे गये प और अनची हे भू-भाग
अनजानी राह पर अनायास गुज़रते ए
न मत ए राजमाग

सव े चेतना के बीच म भी कह
उपजा नकृ ,
बोये गये यु और घृणा के बीज
स दय क युयु सा और भीषण र पात
धरती और समु म वलय हो गये
अन गनत अबोध शशु,
कतने ही रा आसुं के सैलाब म डू ब गये
कतन को ःख के अजगर ने नगल लया
तब जा कर अमृत-सी संक पना हाथ आई,
गढ़ा गया
यूरोपीय संघ

ली गयी शपथ
क अब कभी नह होगी,
मानवीय ान क अवमानना
न अपने व ,
न सर के

अपने वचार म एकसू


नकल पड़े रा
यूरोपीय संघ का उदय आ
क शां त और समृ वहां यूरोप म सघन होगी।
उन उ लासमयी बंधन का ताप रचा गया
वतः बंध गये लोग,
ओह, यूरोपीय संघ, तु हारा संक प,
वलय हो जाय हवा म
बने सांस जन जन क

जैसे ही मने क वता पाठ पूरा कया, म संसद म उप थत सभी सद य क त या


से अ भभूत हो गया। वहां जो लोग ने उठ खड़े हो कर अपना मनोभाव कया, वह मेरे
दे श के लए उनक ओर से ब त बड़ी श त थी। उसके उ र म मने अपने दे श के एक
अरब लोग क ओर से यूरोपीय संघ के सभी दे श के नाग रक का ध यवाद कया।
अपने ा यान के बाद, और जो मने ध यवाद ापन कया, उनके उ र म जो रा प त
पो े रग ने कहा, म उसे उ ह के श द म तुत करता ँ :
‘रा प त ी अ ल कलाम जी, यूरोपीय संघ क ओर से म आपको इस अ यंत
ेरणादायक भाषण के लये ध यवाद दे ता ँ। यह हमारे लये ब त ही असाधारण और
कसी भी राजन यक, वै ा नक और क व ारा दए गये ा यान का सव म उदाहरण है।
महान भारत दे श के लये हमारी शुभकामनाएं, महान दे श भारत और यूरोपीय संबंध के बीच
इस सहयोगी भट के लये हमारी शुभकामनाएं, आपके लये, ीमान रा प त, हमारी
शुभकामनाएँ!’
मेरे व के बाद ब त-से सद य ने मुझसे मेरे ा यान के अनेक प के बारे म
वचार- वमश कया। इन सब का सार उनका यह भाव था क भारत मानवीय मू य से
समृ एक महान रा है।
म यूरोपीय संघ म दए गये अपने ा यान को ब त अ धक मह वपूण इस से
मानता ँ, क यह व भर म मान सक एकता का भाव वक सत करने का कदम था। मेरा
ा यान ब त से दे श म उ त कया गया और वेबसाइट तथा ‘यू- ूब’ के मा यम से
सा रत आ।
भारत लौटने के बाद मने दे श क संसद को संबो धत कया और सबको बताया क
यूरोपीय संघ ब त से अ भयान म भारत के साथ जुड़ कर काम करना चाहती है, जैसे ऊजा
आ म नभरता तथा व ान का धरातल (‘व ड नौलेज लेटफॉम’) तैयार करना, जससे
भारत इस शुभारंभ को आगे बढ़ाए।
~
जब म ीस गया तो मने वशेष प से सुकरात क गुफा दे खने जाना पसंद कया। लोग
ायः वहां जाने से बचते ह य क वहां प ँचने का रा ता पहाड़ी है और क ठन भी है। मेरे
अनुरोध पर वहां मेरे जाने क व था क गयी। मने उस गुफा म बस चंद मनट गुज़ारे। वहां
बस टम टमाते काश क व था थी। उन पांच मनट म म वहां अकेला था। म यान क
मनः थ त म था। म मनन कर रहा था क सुकरात ने, जो क व का एक महान च तक
था, वषपान कर के अपना जीवन समा त य कया। मने उसके श द याद कये, क उसके
ारा उ चा रत ववेकपूण उपदे श उसके जीवन से अ धक मू यवान ह। अचानक उस अँधेरी
गुफा म कोई भी उस ता ककता का काश दे ख सकता था, जो सुकरात नया को दे गया।
~
वष 2005 म म वट् ज़रलड गया। जब म वहां प ंचा, एक व मय मेरी ती ा कर रहा था।
उप-रा प त ने बताया क मेरी या ा के स मान म 26 मई, 2005 क तारीख को वहां
‘ व ान दवस’ घो षत कया गया है। यह न संदेह वस सरकार क ओर से अ या शत
एक मनोभाव क अ भ थी। जब म रा प त से मला तब मने उ ह इसके लये ध यवाद
दया। उ ह ने बताया क उ ह ने मेरी दो पु तक, इ नाइटे ड माइंड्स और भारत-2020 : ए
वज़न फॉर द यू मले नयम पढ़ ह। उनसे भा वत हो कर उ ह ने अपनी संसद को मेरी
अंत र तथा र ा व ान संबंधी उपल धय क जानकारी द और संसद ने तय कया क
मेरी या ा के दन को वट् ज़रलड म व ान दवस के प म मनाया जाए। वहां मुझे
वै ा नक योगशालाएं दे खने और शोधा थय , व ा थय और श ा वद लोग से भट करने
का अवसर मला। म यू रख म थत ‘ वस फेडरल इं ट टयूट ऑफ टे नोलॉजी’ भी गया,
जहाँ आइं ट न पहले-पहल तब पढ़े थे, जब वह जमनी से आये थे। वहां मने बोस और
आइं ट न क वह योगशाला दे खी, जहाँ वह दोन , छह अ य वै ा नक के साथ ‘बोस-
आइं ट न स ांत’ पर योग कर रहे थे। यहाँ भी मुझे ा यापक और व ा थय को
संबो धत करने का मौका मला और मने ‘टे नोलॉजी और रा ीय वकास’ वषय पर अपना
ा यान दया। मने व ा थय को संबो धत करते ए अपने व का उपसंहार सर सी.
वी. रमन के उ रण से कया, ‘हम वजय क भावना जुटानी है। हम वह ऊजा जुटानी है जो
हम इस पृ वी पर हमारे वां छत, साथक गंत तक ले जाएगी। हम वह कृ त व जुटाना है
जो हम यह पहचान दलाएगा क हम इस ा ड म कसी भी यायो चत थान के
अ धकारी ह, य द हम म वह अद य साहस आ जाए, तो कोई भी हम अपनी वां छत नय त
पा लेने से रोक नह सकता।’
~
म डॉ. ने सन मंडेला का ज़ करने से खुद को रोक नह सकता, जनसे म वष 2004 म
मला था। कोई भी उनके महान व से दो बड़े गुण सीख सकता है। एक, अद य
साहस, और सरा ई रीय माशीलता।
केपटाउन अपने टे बल माउंटेन के लये स है। उसक तीन चो टयाँ ह : टे बल
चोट , डे वल चोट और फेक चोट । यह चो टयाँ दन भर छतरे ए बादल के कारण अपना
स दय बखेरती रहती ह। कभी गहरे रंग के बादल, कभी सफेद, जो चो टय को घेरे रहते ह।
हम हे लकॉ टर ारा केपटाउन से रो बेन प तक गये। जब हम वहां प ंचे हमारा वागत
द ण अ क अहमद क ाडा ने कया, जो डॉ. ने सन मंडेला के साथ कारावास म था। म
वह छोट -सी कोठरी दे ख कर दं ग रह गया, जसम छह फुट कद के डॉ. मंडेला छ बीस वष
तक, काले-गोर का भेद मटाने क को शश के अपराध म कैद रहे थे। उनके जीवन का
अ धकांश भाग उसी प म बीता। उ ह दन क धूप म, पास क पहाड़ी पर खदान म काम
करने के लये ले जाया जाता था। यह तब था, जब उनक नज़र ब त कमज़ोर हो गई थी।
यातनाएं दए जाने के बावजूद उनके अद य साहस म कोई कमी नह आयी। अपनी उसी
कोठरी म, वाडन के सोने चले जाने के बाद, उ ह ने अपनी पु तक, ल ग वाक टू डम
लखी जो बाद म ब त स ई।
मेरा उनसे जोहा सबग म, उनके आवास पर मलना एक ब त बड़ी घटना थी। जब
मने उनसे हाथ मलाया, मुझे लगा क म कसी महान आ मा का हाथ छू रहा ।ँ जब वह
उठ कर खड़े ए, उ ह ने अपनी छड़ी छोड़ द । मने उ ह सहारा दया। उनसे हम एक बड़ा
पाठ भी सीख सकते ह। यह पाठ त कुरल म भी लखा है : ‘जो तु हारे लये बुरा करे,
उसके लए सबसे बड़ी सज़ा यह है क तुम उसके साथ भला बताव करो।’
~
रेलगा ड़य से मेरा वा ता मेरे बचपन के दन से जुड़ा है, जब म रामे रम म बांटे जाने वाले
अखबार, ज ह रेलगाड़ी से नीचे फका जाता था, उठाता था। रेल या ाएं अपने दे श को
दे खने और उसक माट क गंध महसूस करने के लये ब त अ छा ज़ रया ह। कभी-कभी,
जब ाकृ तक य क धुंध अपने म समेट लेती है और गाँव और खेत का नज़ारा लुका-
छपी म दखता है, रेलगाड़ी म या ा के समय क ह सम या से जुड़ कर उनका हल
सोचा जा सकता है। कुल मला कर, रेल या ा एक ब त आनंददायक संग है, इसी लए मने
े सड शयल े न चलवाने का नणय लया।
े सड शयल सैलून म जुड़वां कोच का एक जोड़ा होता है, और वह सैलून केवल
रा या य के लये आर त होता है। कोच म, एक मु य कमरे के साथ भोजन क होता
है, एक कॉ स म तथा रा प त का शयन-क होता है। उसम एक रसोई, एक कमरा
जसम रा प त के स चव तथा अ य कमचारी रह सकते ह। उ ह के साथ रेलवे के वह
कमचारी भी रहते ह जो गाड़ी के साथ चलते ह। यह कोच वैभवशाली ढं ग से स जत होते
ह, इनम सागौन क लकड़ी का फन चर, ग य पर रेशमी कवर तथा परदे शोभायमान होते
ह।
इन कोच का योग 1960 म तथा 1970 के शु आती वष म आ। एक परंपरा थी
क रा प त अपना कायकाल पूरा कर के इ ह सैलून म नई द ली से अपने नवास गंत
को जाता था, जहाँ उसे आगे रहना होता था। ऐसे सैलून को सेवा नवृ रा प त के प म
1977 म नीलम संजीव रे ी ने चुना था।
इन े सड शयल कोच का योग बाद म संभवतः सुर ा कारण से बंद हो गया
ले कन उनका रख-रखाव जारी रहा। जब मने 30 मई, 2003 को इस े न म हरनौत से पटना
जाने क साठ कलोमीटर लंबी या ा करने का नणय लया, तब इसे छ बीस बरस बाद
योग म लाया गया। कोच का नया शृंगार कया गया और उनम आधु नक यं जैसे
सेटेलाईट ारा संचा लत संचार व था लगाई गयी। इस या ा के दौरान मने इस व था
का भरसक उपयोग तीन बार कया।
मने इस े न से दो और या ाएं क । एक तो 2004 म म चंडीगढ़ से द ली आया और
फर 2006 म म द ली से दे हरा न गया। मेरी यह रेल या ाएं, एक तो मौसम क
अ न तता के कारण ज़ री थ , सरे इस लए क म या ा के बीच का उपयोग मी टग के
लये कर सकूँ।
हरनौत से पटना क या ा ब -उपयोगी रही। मने हरनौत म एक नई रेलवे कायशाला
क न व का प थर रखा। रेल मं ी के प म नीतीश कुमार ब त स और फु लत थे क
उनके गृहरा य म इतना बड़ा रेलवे सं थान था पत हो रहा है। मने हरनौत क जनता को
अपने भाषण म बताया क म व ा के पुरातन क नालंदा से सीधा आ रहा ँ, मने उ मीद
ज़ा हर क क बहार अपने महान व व ालय को ऐसे नये पा म के साथ पुनज वत
करेगा जनसे व शां त के स दे श का सार होगा।
इस रेल या ा का त काल लाभ यह भी आ क मने बहार के पं ह व व ालय
के उप-कुलप तय को अपनी वापसी या ा म साथ आमं त कर लया, ता क वह रा य के
व व ालय क सम या पर मुझसे बातचीत कर सक।
मने उनसे ज़ोर दे कर कहा क वह व व ालाय म ऐसे पा म शु कर जनका
सीधा लाभ रा य के वकास काय म को मले। बहार के रा यपाल ने भी वशेष च
लेकर उन सम या को हल कया जनसे इन व व ालय क काय मता भा वत हो
रही थी। इस यास से बहार के व व ालय दे श के सरे व व ालय के सम तरीय हो
सके, यह को शश क गई। दो वष के बाद मने पाया क वे व व ालय अपनी वा षक
परी ाएं उसी कलडर वष म संप करा पाने लगे ह।
इस या ा म एक मज़ेदार संग भी आ जुड़ा। पटना रेलवे टे शन पर मने दे खा क
रा ीय जनता दल के नेता लालू साद यादव, और जनता दल (संयु ) के नेता नीतीश
कुमार, दोन मुझे लेने वहां प ंचे ए ह, ले कन उनके ख एक- सरे से वपरीत ह। म जैसे
ही टे शन पर उतरा, मने दोन राजनी तक त ं य को आमने-सामने कर दया और उन
दोन के एक- सरे से हाथ मलवाये, इस से वहां उप थत भारी जनसमुदाय ब त स
आ।
5 जनवरी 2004 को म ब च क साइंस कॉ स का उद्घाटन करने और वै ा नक
समुदाय को संबो धत करने चंडीगढ़ गया। मुझे कसी सरे ज़ री काम से 6 जनवरी को
वापस द ली लौटना था। सुबह क गहरी धुंध क अ न तता को दे खते ए मने े न से ही
वापस लौटने का नणय लया ता क ठ क समय पर द ली प ँच सकूँ। मुझे, खास तौर से,
ब च क साइंस कॉ स का उद्घाटन करने म ब त आनंद आया, जहाँ दे श-भर से हज़ार
ब चे अपने-अपने ोजे ट ले कर इक े ए थे।
तीसरी बार मेरी रेल या ा 2006 म ई जब म भारतीय सेना अकेडेमी क पा सग
आउट परेड क सलामी लेने दे हरा न गया। स दय का समय था, और सवेरे उजाले क कमी
के कारण हवाई जहाज़ से जा कर ठ क समय पर प ँच पाना न त नह था। रात को भी
गहरी धुंध थी। े न सफदरजंग टे शन से दे हरा न तक बना के गयी, ले कन फर भी रेलवे
ने सुर ा के कोण से कई जांच क बना रखे थे।
स च , श ण पूरा करके सेना म जाते अ धका रय के साथ होना एक
खुशनुमा मौका था। खास तौर पर, कई नये बने सेना अ धका रय ने मुझसे यह जानना चाहा
क उन पर कस तरह के भारत क र ा का दा य व है। उन अ धका रय के समूह को मने
वह संग बताया जसे सीमा से लगी, उ री कमांड यू नट को भी मने बताया था। वहां मने
व भ यू नट के करीब दो सौ युवा सेना अ धका रय को संबो धत कया था। अपने व
के बाद, बड़े भोज पर जाने से पहले मने उनसे एक सवाल कया था। मने कहा, ‘ यारे
नौजवान अफसरो, आपके पास फौज म काम करने के लये करीब तीस साल का व है।
इतने समय म, एक अफसर के प म आप कौन सा बड़ा ल य स कर लेना चाहगे?’ इस
पर व र अ धकारी तो चुप रहे ले कन युवा ने अपने हाथ उठाये। मने एक को चुना। मुझे
सै यूट करने के बाद उसने कहा, ‘सर, मेरा सपना है क हम अपनी वह सारी ज़मीन, जो
सर ने क ज़े म ले रखी है उसे वापस ले ल।’ उस युवा अ धकारी के उस उ र से सभी
लोग आनंद से भर उठे और सबने उस युवा अफसर क तारीफ़ क । मने यही उ र वहां
दे हरा न म युवा अ धका रय को सुनाया। उ ह ने कहा, ‘सर, हमारा भी यही संक प है।’
मेरी रेल या ा इ ह कारण से याद म संजोयी ई है।

एक मनोरम य है, जो मने सूडान म दे खा। वहाँ नील नद का नीला


पानी, सफेद नील नद क सफेद धारा से मल कर एक अलग रंग क
अलग ही नद का प लेता है। यह वैसे ही है जैसे हमारे यहाँ संगम म होता
है। लोग से मल कर हम, वही होते ए भी, बदल जाते ह।
11

भारत के दय का कायाक प

ाम आंदोलन उन लोग को गाँव से जोड़ने क को शश है जो मन म


सेवा भाव का उ साह रखते ए गाँव म बसना चाहते ह और ाम
वा सय क सेवा म आ म-अ भ का संतोष पाते ह...

—महा मा गांधी

भ◌ा रतउद्भव
गाँव म बसता है। हमारी सं कृ त, वरासत, पर परा
वह से है। मेरा ज म और पालन-पोषण गाँव म
और जीवन दशन का
आ था इस लए म वहां
क जीवन-धारा का वर समझ सकता ँ। हाल के समय म गाँव से शहर क ओर
व थापन असहज प से आ है। ऐसे सभी व था पत ामीण लोग, अपनी झु गय म
तनावपूण जीवन जीते ए अपनी भूख का भरण करने के लये भरसक कमाने क को शश
म लगे रहते ह। ेम और आ मीयता क पूंजी उनसे छन जाती है। मेरा ऐसा व ास है क
गाँव का ऐसा वकास जसम गाँव के लोग, गाँव म रहते ए ही कमाई के अवसर पाएं और
अपना जीवन तर सुधार तो उस से भारत क त वीर बदल सकती है। इस से शहर क ओर
उनका पलायन केगा और वह व था पत मज़ र क ज़दगी जीने जैसी ासद से उबर
जाएंग।े इसी चतन से पी.यू.आर.ए. क संक पना का ज म आ।
रा य के वकास के लये गाँव के वकास क ज़ रत है। य अनुभव लेने के
लये मने वष 2002 म अपनी भोपाल या ा के दौरान गाँव म कुछ समय बताना तय कया।
हम तोरनी गये, जहाँ न ठ क-ठाक सड़क थ , न बजली। जैसे ही मने उस गाँव जाने का
नणय लया, रा य अ धका रय ने तुरत-फुरत कुछ व था क । सबसे पहले, कई
कलोमीटर लंबी हर मौसम को झेल सकने वाली सड़क बनवाई गयी, और ज द ही वहां
बजली प ँच गयी।
मेरे दौरे के समय गाँव के लोग, अपनी जलसंचयन व था और अपने जै वक
क टनाशक के योग दखाते ए बेहद स थे। मने ज़ला अ धका रय को सुझाया क वह
तोरनी गाँव म ए इन काम क सूचना पास के अ य गाँव म भी प ंचाएं ता क वह भी इस
अनुभव का फायदा उठा सक। मने रा य सरकार को यह सुझाव भी दया क वह गाँव के
बीच ऐसे समूह तैयार कर जो न केवल सड़क तथा प रवहन क व था कर ब क उनसे
वा य सेवा, श ा सं था तथा ज द खराब होने वाली उपज, जैसे फल, और स जी, के
सं हण क समु चत व था भी कराई जाए। गाँव म खा संसाधन उ ोग क भी व था
हो, जससे रोज़गार के अवसर बन। आजकल तरह-तरह क फसल और वन आधा रत
उ ोग ब तायत से फैल रहे ह जनके उ पाद क ब त मांग है।
मने म य दे श के मु यमं ी और रा य अ धका रय को यह भी सुझाव दया क वह
सभी गाँव के जलाशय क थ त का सेटेलाईट के ज़ रये नरी ण कर, उनका कचरा-काई
साफ़ करवाएं और उनम पानी के भराव और नकास क व था कर।
तोरनी े के युवा ने यह मांग रखी क उनके मा य मक कूल को उ चतर
मा य मक कूल बना दया जाय। रा य सरकार ने इसे वीकार कर लया।
तोरनी क इस या ा से मुझे वकास के व वध प का अंदाज़ा हो गया और मने
जाना क गाँव और शहर के बीच क खाई को कैसे कम कया जा सकता है।
~
मेरा ज म और पालन-पोषण रामे रम म आ है। उस आधार पर म जान सकता ँ क गाँव
को कैसे वक सत कया जाए क वह अपने संसाधन से कमाई कर सक। मेरा कामकाज
हमेशा बड़े नगर म रहा ले कन मुझे र-दराज़ ब त से गाँव को दे खने का मौका मला है।
जब हम भारत-2020 काय म चला रहे थे तब दे श के छह लाख गाँव के वकास का
एक ब त बड़ा मु ा था। जब मेरे दो त ोफ़ेसर इ े शन ने पी.यू.आर.ए. का वचार दया
तभी मेरे भीतर एक वर झंकृत आ। मने उसके साथ व तार से बात करनी शु क , और
इस े के ब त से उन वशेष से भी चचा क जनक च गाँव के वकास म थी। यह
मेरा सौभा य था क मेरा संपक म य दे श पी.यू.आर.ए. च कूट के नानाजी दे शमुख,
त मलनाडु पी.यू.आर.ए. के पे रयार और महारा पी.यू.आर.ए. के लोनी से हो गया, जो एक
मे डकल समूह ने कराया। महारा के ता या सा हब कोरे, वारना पी.यू.आर.ए. का काम
सबसे अ णी रहा। ामीण वकास के यह अनुभव पी.यू.आर.ए. क न व को समूचे रा के
लये मज़बूत करते गये। रा प त के प म मने शहर से यादा गाँव दे ख।े इन दौर से मले
अनुभव ने मुझे पी.यू.आर.ए. सं थान को संग ठत करने म ब त मदद मली।
जब हमारी बातचीत शहरी लोग से होती, वह हमेशा शहर म बढ़ते षण, भागदौड़
भरी ज़दगी, भीड़ और सरी क ठनाइय का रोना ज़ र रोते, फर भी वह यह च नह
दखाते क वह गाँव म थत अपने ही मूल घर म लौट जाएँ। सरी ओर, गाँव के लोग,
अपने वातावरण के त लगाव रखने के बावजूद, अपना घर छोड़ते और शहर म यह सोच
कर बस जाते क वहां उ ह बेहतर जीवन मलेगा। या हम कोई ऐसा हल खोज सकते ह क
गाँव के लोग, वशेष तौर पर, युवा लोग, अपने गाँव म ही अपनी कमाई के अवसर जुटा
सक? साथ ही, या हम गाँव को शहरी लोग के लये भी आकषक थान बना सकते ह?
केवल छु मनाने या कारोबार के लये नह , ब क आ कर बस जाने के लये। यह सोच भी
पी.यू.आर.ए. को ग ठत करने का आधार बनी।
हमारे दे श म सरकार और नजी तथा सरकारी े , ाम वकास के काय म को
टु कड़ -टु कड़ म लेते ह, जैसे श ा सं थान, वा य क , सड़क और आवास व था, या
संचार व था, इन सब को कसी भी गाँव म एक-एक कर के उठाया जाता रहा। हमारा
अनुभव है क पछले कुछ दशक म हमारा काम जैसे तेज़ मूसलाधार बा रश क तरह शु
आ ले कन जब बा रश क गई तो सारी धाराएं सूख गय य क हमारे पास जलाशय
जैसी कोई व था नह थी। एकदम पहली बार पी.यू.आर.ए. ने सम और थायी वकास
योजना पर ज़ोर दया, जसम मूल प से रोज़गार व था के साथ, पुनवास, वा य
सु वधा, श ा, द ता के वकास, भौ तक और इले ौ नक जुड़ाव तथा वतरण व था
सब शा मल थ । समय क मांग है क वकास को थायी बनाये रखने के तरीके अपनाए
जाएँ जो सम ता से काम कर।
~
यह बात सब लोग वीकार करते ह क गाँव के वकास का काम भारत को वक सत दे श
बनाने के लये ब त ज़ री है, ले कन गाँव के वकास का मतलब या है?
इस का मतलब है :
1. गाँव को अ छ सड़क , और जहाँ ज़ रत हो, वहां रेलमाग से जोड़ा जाए। वहां
सरी बु नयाद सु वधाएं जैस,े कूल, कॉलेज, अ पताल तथा अ य सु वधाएं ह ,
जो थानीय आबाद के अ त र वा सय के भी काम आ सक। म इ ह जुड़ाव
के भौ तक साधन कहता ँ।
2. नई आने वाली श ा के दौर म, दे शी जानकारी को भी संजो कर रखने क और
उसे टे नोलॉजी, श ण और शोध क आधु नक जानकारी के साथ संयु करने
क ज़ रत है। गाँव को, चाहे वह जहाँ भी ह , यो य अ यापक ारा अ छ
श ा दए जाने क ज़ रत है। उनको भी अ छे इलाज क सु वधा मलनी
चा हए, उन तक कृ ष, मछली पालन, उ ान वकास तथा खा उ ोग क नई से
नई जानकारी प ंचानी चा हए। म इसे इले ौ नक जुड़ाव कहता ँ।
3. जब भौ तक और इले ॉ नक जुड़ाव बन जाए तब ान का संपक भी बन जाता
है। उसम उ पादकता, बाज़ार क तलाश, गुणा मक चेतना, साझीदार से संवाद,
बेहतर यं के चुनाव म मदद, पारद शता, जीवन शैली म सुधार, समय का
स पयोग, यह सब गना जाता है और इसी को म ान का जुड़ाव कहता ँ।
4. जब यह तीन तरह के जुड़ाव हा सल हो जाएँ, तब कमाने क मता अपने-आप
बढ़ती है। पी.यू.आर.ए. को एक अ भयान क तरह अपनाने से गाँव ान के एक
समृ के बन सकते ह, और गाँव के लोग को वसायी उ मय क तरह
दे खा जा सकता है।
पे रयार पी.यू.आर.ए. सं थान क न व ‘म नअ मा कॉलेज ऑफ टे नोलॉजी फॉर
वुमेन’ ने रखी है, जो व लम म थत है। मने इस सं थान प रसर का उद्घाटन 20 दसंबर
2003 को कया था और उसके बाद म वहां 24 सत बर 2006 को गया। पी.यू.आर.ए. क
इस इकाई म पसठ गाँव का एक समूह है, जनक कुल आबाद वष 2003 म एक लाख
थी। वहां सभी तीन जुड़ाव भौ तक, इले ॉ नक और ान प ँच चुके ह, जो आ थक
जुड़ाव अ जत करने का रा ता खोलते ह। वहां प ँचने पर, म थानीय लोग का उ साह तथा
उन युवा को दे ख कर दं ग रह गया जो इस समूह के सम वकास क अवधारणा को
संभव कर रहे थे। युवा वग सं थान के वकास के संबंध म अपनी योजनाएं और अपनी
द ता का दशन करते ह। उनके यास से बड़े पैमाने पर रोज़गार के अवसर तैयार ए ह,
साथ ही, 1800 व-सेवी दल के सहयोग से कई उ ोगप तय का भी उदय आ है। दो सौ
एकड़ बंजर भू म को नई जल बंधन योजना के ज़ रये कृ ष यो य बनाया गया है। पे रयार
म नअ मा कॉलेज ने, जो अब पे रयार यू नव सट का ह सा है, अपने व ा थय और
अ यापक को टे नोलॉजी और थानीय लोग जैसी द ता से संप कर के पी.यू.आर.ए. के
वकास काय म म लगा दया है। उसने, ‘एक गाँव, एक उ पाद’ योजना क नी त पर चल
कर इन गाँव के बनाये पता लस उ पाद को बाज़ार म रखा है, जनक अंतररा ीय मांग भी
है। श ा समुदाय के अंतरंग सम वय से पसठ गाँव का ग तज वकास आ है, और उनके
नवा सय क जीवन शैली बदली है।
~
द नदयाल रसच इं ट ट् यूट (डी.आर.आई.) के नानाजी दे शमुख और उनके सहयोगी सद य
ने च कूट म पी.यू.आर.ए. का गठन कया। डी.आर.आई. एक व श सं थान है, जो ाम
वकास का काम ऐसे ढं ग से नभा रही है जो भारत के लये सवथा अनुकूल है।
इस सं था को यह एहसास है क जनश , राजनी तक श क अपे ा अ धक
थर और टकाऊ होती है। जो असहाय और द मत का प बन कर उसका साथ दे ता है,
शासन और बंधन क बागडोर उसी के हाथ आती है। सामा जक वकास और समृ
केवल तभी संभव है जब युवा पीढ़ म आ म नभरता और े ता का म फूंका जाए।
डी.आर.आई. के पास च कूट म करीब सौ ऐसे ाम समूह वक सत करने क योजना है
जनम त समूह पांच गाँव ह गे। उ ह ने सोलह समूह म अ सी गाँव वक सत भी कर लए
ह, जनम करीब पचास हज़ार लोग रहते ह।
वहां एक गाँव है, पतनी, जहाँ डी.आर.आई. ने दे शज तथा पारंप रक टे नोलॉजी,
जानकारी तथा थानीय द ता के बलबूते थायी वकास क थ त हा सल कर ली है। इस
सं थान के शोध काय तथा अ ययन के मा यम से हा सल कया गया वकास कह अ य भी
अपनाए जाने के लये, और य लाभ दे ने दे ने के लये उपल ध है। इस काय म के लागू
कये जाने से अ जत धन रा श, आधु नकतर कृ ष प त, वा य तथा व छता, गाँव के
लोग म वै ा नक सोच का वकास करने तथा शत- तशत सा रता ा त करने के ल य म
खच क जाती है। वकास काय के अ त र , वह सं थान एकजुट, तथा टकरावमु
समाज बनाए क दशा म भी काम कर रहा है। इसके प रणाम व प, च कूट के आस-
पास अ सी गाँव पूरी तरह कसी अदालती कायवाही से मु ह। गाँव वाल ने खुद-ब-खुद
यह नणय लया है क उनका कोई भी ववाद अदालत तक नह जाएगा। सारे मतभेद गाँव
म ही आपस म सुलझा लये जाएंग।े इसका कारण नानाजी दे शमुख ने यह बताया है क
अगर लोग आपसी झगड़ म ही फंसे रहगे तो उनके पास वकास काय के लये समय कहाँ
बचेगा। वह न खुद का वकास कर पाएंगे न समुदाय का। वहां लोग को यह बात समझ म
आ गयी है।
म दे खता ँ क च कूट का ोजे ट, ाम वकास क से एक सम मॉडल है।
इसका सरोकार ऐसा समाज बनाना है जसम पा रवा रक आ मीयता के गाढ़ बंधन ह ,
भारतीय सं कृ त के त गौरव भाव हो, भारतीय ववेक के साथ जसम आधु नक श ा
का समावेश हो, समाज को तनावमु रखने क वृ हो, जसम सबके, खास तौर से
य के आ थक सश करण का चलन हो, सबके लये वा य-सु वधा हो, व छता का
अ यास हो, पयावरण संर ण क चेतना हो और समाज के सभी वग के बीच धन-संप
का समता पूवक बंटवारा हो। वह अवधारणा पूरी तरह से मेरे सोच से मेल खाती है क भारत
के वकास का मतलब केवल आ थक वकास नह है ब क सम वकास है जसम कला,
सा ह य, मानवतावाद, वचार क े ता और सबसे ऊपर हमारी पांच हज़ार वष पुरानी
समृ सां कृ तक वरासत के संर ण का भाव हो।
पी.यू.आर.ए. को समझते ए उसके वागत क शु आत हो गयी है, क इसे व भ
े म नजी और सरकारी साझेदारी मानते ए एक अ भयान क तरह अपनाया जाए। म
आ त ँ क इस बात के संकेत ब त बल ह क नकट भ व य म करीब सात हज़ार
पी.यू.आर.ए. संगठन भारत के गाँव म था पत हो जाएंगे।

गांधी जी ने कहा था क असली भारत गाँव म बसता है। मानवीयता क


इसी वराट जनस पदा के बल पर भारत व को अपना स पूण योगदान दे
सकता है।
12

उ ान म

ःख या खुशी को बाँधने वाली


कोई द वार नह बनाता म,
ना ही कसी लाभ या हा न के लए
ना ही कुछ यागने या पाने के लए
म तो खुले आकाश तले
चतु दक फूल उगाता ँ
और तैराता ँ कुमु दनी न दय , सरोवर म

व षरा 1997 म, जब मुझे भारतर न क उपा ध से स मा नत कया गया, तब त कालीन


प त के.आर. नारायणन क बेट च ा नारायणन मुझे, मेरे भाई और उसके पोते-
पो तय को मुग़ल गाडन घुमाने ले गय । यह एक बेहद खुशी का मौका था और मने उस
उ ान के अ तम स दय को भरपूर चाँदनी रात म दे खने क इ छा ज़ा हर क । इसक
जानकारी रा प त और उनक प नी ऊषा नारायणन को मली और उसके बाद, जब भी मुझे
कसी वभागीय काम से आना पड़ा, रा प त और उनक प नी ने मुझे रा प त भवन म
ठहरने के लये आमं त कया। तब मुझे नह पता था क रा प त भवन म पूणमासी क
साठ रात दे खने का अवसर मलेगा।
जन दन म वहां था, मुग़ल गाडन मेरे लये एक बड़ा योग थल बन गया था। वह
एक बड़ा संवाद मंच था जस से मने कृ त के और अपने दे शवा सय के साथ मन क बात
क , जहाँ मने व वध े से आये लोग से वचार- वमश कया, जनम औष धदायक पौध
के वशेष भी शा मल ह। मुग़ल गाडन का एक खंड वशेष प से औष धदायक पौध के
लये नधा रत था। बाग म आनेवाले अनेक पशु-प ी मेरे अंतरंग हो गये थे। बगीचे का
सु व थत प रवेश और वहां उगे पेड़-पौधे मुझे शा त दान करते थे।
कई बार म वहां बगीचे म, वदे श से आये रा ा य और दे श मुख के साथ सैर पर
नकला ँ। वष 2007 म साक दे श के रा ा य के साथ मुग़ल गाडन म घूमना एक
यादगार अनुभव था। मुझे याद है क एक बार पा क तान के त कालीन धानमं ी शौकत
अज़ीज़ ने कहा था क अगर म मुग़ल गाडन म एक प ीय मी टग करवा लू,ँ तो हमारे
दे श के बीच के भेद-भाव छू मंतर हो जाएँग।े ीलंका के धानमं ी ने कहा था क बजाय
इस के क यहाँ एक घंटे के चायपान का आयोजन हो, इस खूबसूरत बाग के लॉन म तो मुझे
अपने इलाक के वकास पर काय म आयो जत करने चा हए।
मने इस बगीचे म दो झोप ड़यां बनवा थ । दोन ाकृ तक पदाथ से बनी ह और
उनका डज़ाइन पयावरण को यान म रख कर ही बनाया गया था। एक को पुरा के
कारीगर ने बनाया है, और उसे ‘ थ कग हट’, या न वचार- थली कहा जाता है। म अपने
ब त से म को वहां वचार- वमश के लये ले गया ।ँ मेरी पु तक इनडो मटे बल प रट
का ब त बड़ा ह सा वह बैठ कर लखा गया है। सरी का नाम है, इ मोरटल हट, या न
अमर- थली। यह सोलह पेड़ के झु ड से घरी है, पास म च तीस व भ कार के
औष धदायक पौध का खंड है, संगीतमय उ ान है, और बायोडायवर सट पाक है। मेरी
एक पु तक गाइ डग सोल, जो जीवन के ल य क खोज पर आधा रत है, उसका उद्भव मेरे
और मेरे म ोफ़ेसर अ ण तवारी क बातचीत से आ, जो हमने इसी ‘इ मोरटल हट’ म
बैठ कर क । जब भी रा हत म कोई वचार- वमश करना आ म इ ह कसी थली म जा
कर बैठा और सोचने लगा। साथ ही मेरी ब त सी क वता का उदय यह आ।
~
रा प त भवन का प रसर 340 एकड़ े म फैला है जसम 15 एकड़ भू म पर मुग़ल
गाडन बना है। यह बाग तीन तल म बनाया गया है, जो आयताकार, लंबी और गोल
आकृ तय म बने ह। आयताकार तल, मु य उ ान है, जसम कई खूबसूरत स जा बताई
जा सकती है। इसम चार नहर ह, छह फ वारे ह, स र वग मीटर े का से ल लॉन है।
जहाँ ऐ तहा सक मह व क रा ीय बैठक होती थ , खुशनुमा रा ीय अवसर , जैसे वत ता
दवस और गणतं दवस के भोज यह आयो जत होते ह; अपनी छत रय से स जत एक
सौ चवालीस मौलसरी के पेड़, व वध कार के गुलाब तथा अलग-अलग आकार के लॉन
इसी तल का ह सा ह। यह बाग लंबे बगीचे से एक ग लयारे के रा ते जुड़ता है, जो सरे तल
पर है। इसम एक पचास मीटर लंबा बीच का रा ता है जसके बीच म फूल क लता से
लदा एक गोल मंडप है। उस रा ते के एक तरफ गुलाब क या रयां ह और सरी तरफ
चीनी संतर के पेड़ ह। यह लंबा बगीचा प म दशा क ओर, मुग़ल गाडन के तीसरे ह से
से जुड़ता है। इसम परत म बनाई गयी फूल क या रयां ह और उनके बीच म एक फ वारा
है। अपनी गोल आकृ त के कारण इसे सकुलर गाडन कहा जाता है। जब फूल अपनी पूरी
बहार के साथ खले होते ह तब यहाँ का नज़ारा बेहद दलकश होता है। जब अमे रका के
े सडट जॉज ड यू. बुश अपनी प नी और श मंडल के साथ भारत आये थे तब उनका
ी तभोज इसी बगीचे म आयो जत कया गया था। इस ी तभोज उ सव म ब त से
कलाकार , बु जीवी और अ त व श आमं त थे। यह उ सव रा प त भवन के
ब त ही खास आयोजन म गना जाता है और रा प त द पती ने इसे ब त पसंद कया था।
मुग़ल गाडन के तीन गाडन और प रसर म बने सभी बगीचे फरवरी के म य से माच
के म य तक अपनी छटा के उ कष पर होते ह। इस दौर म यह श शर ऋतु के अनेक कार
के गुलाब , लता , सु दर झा ड़य और कई तरह के फूल क शोभा दशाते ह।
डॉ. द , उ ान श पी, जो यहाँ व श अ धकारी के प म नयु थे, उ ह ने
ब त तरह के फूल क बहार यहाँ दखा कर मो हत कया। उनम बेगो नया, कैलडु ला,
कै पेनुला, कारनेशन, को मौस, डेढ़ , डहे लया जैसे अन गनत फूल क क म शा मल ह।
इस बगीचे क शोभा हज़ार लोग को अपनी ओर आक षत करती है। इस दौरान,
गाडन जनता के लये बना कोई पैसा लये खुला रहता है। कुछ खास दन यह वशेष प
से, कसान , र ा वभाग के क मय , व र नाग रक , वकलांग और हीन के लये
खुलता है।
डॉ. द सह ने रा प त भवन के वृ पर एक स च पु तक भी का शत क
है।
~
वष 2002 के दौरान मने इस बात पर ब त वचार कया क रा प त भवन प रसर को नया
ाकृ तक प र य और व तृत ह रत े दे ते ए, और अ धक कैसे नखारा जा सकता है।
इस को शश म मेरी डी.आर.डी.ओ. के उ च पवतीय इलाक क पथरीली ज़मीन पर होने
वाली खेती क जानकारी काम आई। मने डी.आर.डी.ओ. और अ य सं था जैसे
‘इ डयन क सल ऑफ ए ीक चरल रसच (आई.सी.ए.आर.) तथा क सल ऑफ
साइं ट फक एंड इंड यल रसच (सी.एस.आई.आर.) के कृ ष वै ा नक से परामश कया।
डॉ. द सह ने भी मुझे सहयोग दया और इस तरह मुग़ल गाडन म बारह और बगीचे
तैयार ए। सबके यास का आभार।
~
भारत म, और व म भी पशनीय पौध के ब त कम बगीचे ह। लखनऊ म
सी.एस.आई.आर. ‘नेशनल बोटै नकल रसच इं ट टयूट’ (एन.बी.आर.आई.) म पशनीय
उ ान ह। उनक वशेष ता से रा प त भवन म भी वष 2004 म पशनीय बगीचा लगाया
गया। एक द घ वृ ाकार बगीचा, फ वारा, पथरीला रा ता, सुवा सत पौध क च तीस
या रयां, औष ध, मसाले, फल तथा खूबसूरत फूल लगाये गये। येक यारी पर एक
सूचना प का के ज़ रये संबं धत पौधे के बारे म ह द , अं ेज़ी भाषा और ेल ल प म
लखा है।
हीन लोग जब इस गाडन म प ंचे तो ब त स ए। उनका आनंद उनके चेहर
पर नज़र आ रहा था। तवष जब भी पशनीय बगीचा हीन के लये खोला गया, म
हमेशा उनके साथ वहां रहा।
~
संगीतमय बगीचे का वचार तब आया जब एक र ववार को म डॉ. द सह और अपने
एक म डॉ. वाई. एस. राजन के साथ ‘इ मोरटल हट’ म कुछ बातचीत कर रहे थे। तभी
हमने बरगद के पेड़ , बायो-डायवर सट पाक म तथा औष ध बगीचे क पृ भू म म
संगीतलहरी क क पना क । वष 2006 म संगीतमय फ वारा लगाया गया। इस काम म
ब त-सी टे नोलॉजी और यु य का योग आ, जैसे, ड जटल इले ॉ न स, इले ो-
मै ने ट म, हाइ ो-डायना म स, हाइ ो- टे ट स तथा मानवीय रचना मकता। संगीतमय
फ वारा एक लुभावनी दशनीय तु त दे ता है। इसम लहराती ई रोशनी पानी के फ वारे के
ऊपर पड़ती है और संगीत क लय के साथ नृ य करती ई तीत होती है। फ वारे पर
काश का संचालन पहले से रकॉड कये गये या बाहर से बजते, कसी भी कार के संगीत
से हो सकता है। पूण चं क रात को, यह जुड़वां फ वारे प व ता के भ ऐ य का प रवेश
रचते ह। इनक पृ भू म म रा प त भवन का गुंबद नज़र आता है, जो दे श के गौरव और
आ मस मान का तीक है।
पू णमा क एक रात को जब पं डत शवकुमार शमा ने 500 लोग के स मुख संतूर-
वादन कया तो यह संगीतमय बगीचे का सबसे व णम ण था।
~
बायो-डायव सट पाक को वक सत होने म बरस लग गये। ब त-से प ी लाये गये, पशु
क जा तयां आ । झरने बने, शला खंड लगे, मछ लय के पोखर, खरगोश के खोह,
ब ख के घर, बीमार पशु का कोना, प य का ठकाना और भी ब त कुछ। यह पाक न
केवल कृ त ेम का सुख पाने का ज़ रया है ब क यहाँ आ कर मन को शा त और
थरता भी मलती है। एक बार जब म अपने म डॉ. सुधीर के साथ सुबह क सैर के लये
नकला था, मुझे एक न ह हरनी मली जसे उसक मां से याग दया था। हमने दे खा
उसक दो टांग ज म के समय ही चो टल हो गयी ह इस लए वह खड़ी नह हो पा रही है।
सुधीर ने उसका इलाज शु कया। हमने ब त को शश क क उसक मां उसे वीकार कर
ले ले कन यह संभव नह हो पाया। उसके बाद म हर रोज़ उस न ह हरनी को बोतल से ध
पलाता था। एक ह ते बाद वह हरनी उठ खड़ी ई और चलने- फरने लगी। वह जब भी
मुझे दे खती, ध के लये मेरे पास भागी चली आती। कुछ ह त बाद हरण के झु ड ने उस
न ह हरनी को वीकार कर लया। म इस से ब त अ भभूत आ।

म रा प त भवन के दन के त अपने और मुग़ल गाडन तथा प रसर के


सरे बगीच ने जो आनंद क अनुभू त मुझे द , उसके त ब त भावुक
ँ। यह एक ऐसा आनंद है जसे म सर के साथ बांटना चाहता ँ, जैसे
उन बगीच म व भ बड़े कलाकार के संगीत के काय म होते थे। म इस
बात के लये सवश मान क मेहरबानी का शु या अदा करता ँ, जो
उसने मुझे कुदरत का यह सुख लेने का मौका दया।
13

ववादा पद नणय

चेतना आ मा का काश है

म◌े रेफकसोचने के ढं ग और काम के तरीके म, मेरे रा प त बनने के पहले और बाद, कोई


खोज पाना मु कल है। आ खर, तो वही है और के अनुभव एक
नरंतरता तो बनाए रखते ह। तीन थ तयां ऐसी ह ज ह ने मेरी नजी भावना को
भा वत कया ह, हालां क जो कदम मने उठाए ह वह तक और कारण पर आधा रत रहे ह।
इनम पहली घटना वह है जसम मने बहार वधान-सभा को भंग कया था। म इस मु े पर
पहले भी कई बार बात कर चुका ँ ले कन म इसे फर चचा म लाऊंगा।
मेरे रा प त काल म सूचना और संचार े म बड़ी तर क ई। रा प त भवन
इले ॉ नक संचार-तं के मा यम से पूरी तरह से ‘कनै ट’ हो गया। मै नया के कसी भी
कोने म बैठे आसानी से रा प त भवन म अपने ऑ फस से ज़ री जानकारी और सूचना पा
सकता था और अपनी सभी फाइल को पढ़ सकता था और ई-मेल के ज रए सं ेषण
त काल होने लगा। इस तरह, जब धानमं ी मनमोहन सह ने मुझे बताया क मं मंडल ने
नणय लया है क वह बहार क वधानसभा को भंग करने क सफा रश करे। ऐसा नणय
रा यपाल ारा, वधायक क आवाजाही के ांत पर लया गया है। इस बात से मुझे हैरत
ई य क वधानसभा पछले छह महीन से यादा समय से नलं बत थी। इस लए मने
धानमं ी से पूछा, यह थ त अचानक कैसे आ सकती है? धानमं ी ने कहा क वह बाद
म बात करगे। उसके बाद, मॉ को समय के अनुसार रात एक बजे फर फोन आया। मने
उनसे बात क और अपना सवाल फर उठाया। मुझे प हो गया क अगर म कै बनेट का
यह ताव वापस भी कर ँ , तो भी वह कसी न कसी तरह लागू करवा लया जाएगा। इस
तरह मने इसे सहम त दे ने का नणय ले लया।
जैसा क अदालत क खास भाषा म कहा जाए तो, ‘ बहार के रा यपाल ने भारत के
रा प त के सामने दो रपोट रख , एक 27 अ ैल 2005 को और सरी 21 मई 2005 को।
इन रपोट् स के आधार पर 23 मई 2005 को एक ापन (नो ट फकेशन) जारी कया गया,
जो, सं वधान क खंड (2) उप खंड (बी) क धारा 174, ारा पाए गये अ धकार के
अनुकूल था। ापन जी.एस.आर. 162 (ई.), दनांक 7 माच 2005 के खंड (ए) के साथ,
सं वधान क धारा 356 के अनुसार बहार क वधानसभा त काल भाव से भंग कर द
गयी।’
अब इस पर सु ीम कोट म बहस शु ई और उस के ज़ रये कई वचार उभर कर
सामने आये।
सु ीम कोट ने अपने फैसले म बताया क 23 मई 2005 का ापन अपने म एक
अनोखा मामला है। ‘इसके पहले जो भी मामले अदालत म आये उनम वधानसभा इस
आधार पर भंग करने के आदे श ए क स ा दल ने सदन का व ास खो दया है। इस बार
का यह मामला खास इस माने म है क इसम वधानसभा को, उसक पहली मी टग भी होने
से पहले, भंग करने का आदे श इस आधार पर दे दया गया क, ब मत जुटाने के लये गैर
कानूनी ढं ग के यास कये जा रहे ह और सरकार बनाने के दावे करने क को शश हो रही
है। अगर यह को शश जारी रही तो यह सं वधान से छे ड़छाड़ का मामला बनेगा।’
इस पर कोट ने चार सवाल उठाये
1. या वधानसभा को, उसक पहली मी टग होने से पहले भंग कर दे ना, धारा 174
(2) (बी) के अनुसार मा य है?
2. या 23 मई 2005 क , बहार वधानसभा को भंग कर दे ने क घोषणा,
गैरकानूनी और असंवैधा नक है?
3. य द ऊपर पूछे गये का उ र ‘हां’ है, तो या यह आव यक है क 7 माच
2005 या 4 माच 2005 क यथापूव थ त बहाल कये जाने के आदे श दए
जाएं?
4. रा यपाल क थ त को सुर त रखने के लए धारा 361 म कतनी गुंजाइश है?
जब सु ीम कोट ने इस मु े पर बहस शु क तो ब त से नज़ रये सामने आये। मने
धानमं ी को बताया क मने जस या के अधीन अपना नणय लया वह अदालत के
सामने ठ क से नह रखी गयी है। मने उ ह यह बात पहले फोन पर और फर गत प
से मल कर बताई। उ होने कहा क वह वक ल को बताएंगे क रा प त का नणय त य
पर आधा रत था। वह मा को का स दभ और उस बातचीत का भी यौरा दगे जसके आधार
पर अंततः वधानसभा भंग करने का नणय लया गया। ले कन आ खर म मुझे यह बात
प हो गयी क वक ल ने मेरे नणय का पूरा प अदालत के सामने उस तरह से नह रखा
जैसे मने सोचा था। सु ीम कोट का नणय एकमत नह था उसम कई अलग राय भी थ ।
दरअसल, यायाधीश सव च थे और वह इसके लये रा यपाल को और कुछ हद तक
सरकार को दोषी मान रहे थे। सब कुछ के बावजूद कै बनेट मेरी है और मेरी भी ज़ मेदारी
इस म बनती है।
जैसे ही फैसला आया, मने अपना यागप लखा, उस पर द तखत कये, और तैयार
रख लया क उसे उप रा प त भैर सह शेखावत को भेज ँ गा, जो एक मंजे ए
राजनी त ह। म उप रा प त से बात करना चाह रहा था ता क उ ह वह प स प सकूँ,
ले कन वह बाहर गये ए थे। इसी बीच धानमं ी ने मुझसे कसी और स दभ म बात करनी
चाही। दोपहर म हमारी मुलाक़ात मेरे ही कायालय म ई। अपनी बात करने के बाद मने
उनसे कहा क मने रा प त के पद से इ तीफा दे ने का नणय ले लया है, और म केवल उप
रा प त के वापस लौटने क इंतज़ार कर रहा ँ। मने उ ह अपना यागप दखाया।
धानमं ी त ध रह गये।
यह य मम पश था, और म उसे बयान नह करना चाहता। धानमं ी ने इस बात
क पैरवी क क मुझे ऐसे क ठन समय म इस तरह का कदम नह उठाना चा हए। उ ह ने
कहा क इस नणय से तूफान खड़ा हो जाएगा और इसके कारण सरकार के गरने क
संभावना बन सकती है। अब मेरे पास केवल एक रा ता था क म अपने अंतःकरण क सुनू।ँ
सद्- ववेक आ मा का वह काश है, जो हमारे दय के को म व लत होता है। उस
रात म सोया नह । म अपने आप से पूछता रहा, क मेरी चेतना बड़ी है या रा । अगले दन
सुबह मने हमेशा क तरह अपनी नमाज़ पढ़ और यह तय कया क म अपना इ तीफा दे ने
का नणय वापस ले लूंगा और इस तरह सरकार को अ व थत नह होने ं गा। उस समय
चाहे जो भी दल स ा म होता, मेरा फैसला यही होता।
री और समय के बंधन से मु एक सीमार हत नया म काम करने का एक सश
ह थयार है, ई-गवनस या ई-शासन णाली। ले कन ब त कम लोग इसका योग करते ह। म
चाहे दे श म ँ या वदे श म, म इसका भरसक योग करता ँ। जो आज भी केवल कागज़ी
फाइल के आ द ह, उनके लए शायद ई-गवनस क श और मह व समझना मु कल है।
बहार वधानसभा (जो क एक तरह से नलं बत थी) उसे भंग करने के स दभ म, म उस
समय चाहे जहाँ भी था मने वही कया जो मेरी अंतरा मा ने मुझसे कहा।
~
मनु येक को उपहार लेने के व चेतावनी दे ते ह। इससे उपहार लेने वाला
एहसान तले दब जाता है और गलत करने को मजबूर हो जाता है।
ापक प से, पा लयामट ए ट 1959 ( वशन ऑफ ड वा ल फकेशन)
था पत करता है क सरकार के अधीन, कसी लाभ के पद पर आसीन संसद सद य
नह हो सकता।
वष 2006 के दौरान, मुझ तक सांसद ारा भेजी ग कई शकायत आ , जनमे
कुछ संसद सद य के लाभ के पद पर कायरत होने क सूचना थी। मने उ ह मु य चुनाव
क म र के पास भेज दया क वे यथा आव यकता इसक जाँच कराएं। जब फर ऐसे दो
सद य , ीमती जया ब चन और ीमती सो नया गांधी, के वषय म भी शकायत आ तो
ब त से सद य ने कहा क रा प त ने ऐसी जांच य शु कराई? इसी बीच मुझे संसद ने
‘लाभ के पद’ (ऑ फस ऑफ ो फट) बल मेरी वीकृ त के लये भेजा।
मने उस बल का यान से अ ययन कया और पाया क उसम ब त सी क मयां थ ।
उस ता वत बल म व थत प से यह नह प कया गया था क कौन से पद लाभ
के पद माने जा सकते ह। उसम केवल उन पद के लये छू ट का ताव था जन पर वतमान
सांसद कायरत थे। मने इस पर सव च यायालय के तीन नवतमान मु य यायाधीश से
वचार कया। फर मने अपनी ट म से ई परामश वाता के अनुसार एक प बनाया और
सुझाव दया क ‘ता कक और यायो चत’ तरीके से लागू होने के लये बल को ‘ प और
पारदश ’ होना चा हए। अतः बल को साफतौर से यह बताना चा हए क कसी भी पद को
छू ट पाने के लये मा य कहने का मापदं ड या है। इसे सभी रा य और के शा सत दे श
म लागू कया जाए। मने एक मु ा और उठाया, जो क उन पद से संबं धत था, जनके लये
नये नयम के अनुसार छू ट मांगी गयी थी। उन यायाधीश ने कहा क मेरा सरोकार उ चत है
और न त प से ऐसे नदश क ज़ रत है जनके आधार पर कसी भी पद क , लाभ के
पद के स दभ म, ा या क जा सके।
उसके बाद यह उठा क मेरा, लाभ के पद से संबं धत बल वाला प मं मंडल
को जाना चा हए या संसद को। सं वधान को पढ़ने पर मने पाया क सं वधान क धारा 111
के अनुसार ताव संसद के वापस पुन वचार के लये जाना चा हए। वैसे भी, मेरे पास
अनुमोदन के लये यह ‘लाभ के पद वाला बल’ मं मंडल से नह ब क संसद से आया था।
इस लए मने इस बल को संसद के दोन सदन , लोकसभा और रा यसभा के पास
पुन वचार के लये भेज दया। लोकसभा या रा प त भवन के अब तक के इ तहास म यह
पहली बार आ था क रा प त ने कोई ताव पुन वचार के लये वापस भेजा हो। फर या
था, अगले ही दन, मेरे बल को संसद म वापस भेज दे ने क खबर सभी अखबार और
टे ल वजन के चैनल पर मु य चचा का वषय बन गयी। म गहरी चचा का वषय बन गया।
सभी दल ने मुझ पर बेहद दबाव डाला क म उस बल को उसी तरह वीकार कर के उस
पर अपने ह ता र कर ँ ।
मेरे लये लाभ या उपहार का केवल एक ही मतलब था जो मनु मृ त म लखा था,
‘उपहार वीकार करने से मनु य के अंतःकरण का काश बुझ जाता है।’ एक हद थ म
लखा है ‘जब सवश मान ई र, कसी को कसी ज़ मेदारी पर बैठाता है, तो ई र
खुद उनक ज़ रत का यान रखता है। जब वह अपने हक से यादा कुछ ले लेता
है, तो वह गैरकानूनी हो जाता है।’
मेरा, उस बल को वापस कर दे ने का यही कारण था। वह बल सुधारा गया और उसे
फर मेरे पास अनुमोदन के लये भेज दया गया। धानमं ी मुझसे मले और उ ह ने हैरत
जताई य क आम तौर पर म अगले ही दन वीकृत बल को भेज दे ता रहा ँ। ‘ बना
कसी कायवाही के उस पर ह त का समय य लग रहा है?’ उनका सवाल था। मने कहा
क उन पर संसद क ओर से कुछ कायवाही होनी है, और उसके बारे म मुझे कोई खबर नह
है। धानमं ी ने कहा क वह यह नदश दे चुके ह क संसद ‘संयु संसद य कमेट ’
(जे.पी.सी.) बनाए जो इस लाभ के पद के सभी पहलु पर, मेरे परामश के अनुसार वचार
करे। इस बीच दे र य हो रही है, इस पर आलोचना शु हो गयी। ले कन मेरा सोच एकदम
साफ़ था क इसके संबंध म यूनतम अपे ा का पालन होना चा हए, तभी बल को
वीकार कया जा सकता है।
इस वषय के संबंध म मेरे पास ब त-सी पा टय के अनेक त न धमंडल आये। म
उस समय उ र-पूव रा य के दौरे पर था और द ली आने के लये को हमा से गुवाहाट क
हवाई या ा पर था। मुझे एक स दे श मला क ‘लाभ के पद वाले बल’ पर जे.पी.सी. बनाने
के ताव को संसद ने मेरे अनुमोदन के लये भेजा है। जैसे ही मुझे इस बात क संपु
मली। क संसद ने इस पर कायवाही शु कर द है। मने उस पर ह ता र कर अपनी
वीकृ त दे द ।
कुछ महीन बाद संसद ने जे.पी.सी. क ऐसी रपोट को वीकृ त दे द , जो अधूरी थी
और उसने मेरे उठाये मु पर मेरे सुझाव के अनुसार काम नह कया था। मने कहा क
संसद को ऐसे वषय को यान से, गंभीरता पूवक संभालना चा हए अ यथा यह समझा
जाएगा क दे श क सव च सं था ारा अनु चत या-कलाप को था पत कया जा रहा
है, और उनके आधार पर बने अनु चत तरीके रा ीय तर क मा यता पा जाएँग।े
‘ऑ फस ऑफ ो फट बल’ क वापसी ने यह प प से तय कर दया क कैसे
संसद के तर पर जो याएँ सावज नक जीवन म स य न ा के मानदं ड पर खरी नह
उतरत उन पर संजीदगी और गंभीरता से वचार और अवलोकन नह होता जो क होना
ज़ री है। इसे एक शु आत माना जा सकता है जहाँ से गलत याएँ वीकार ली जाती ह
और जसके कारण रा ीय मानदं ड को रचने और कायम रखने म हर कार के समझौते
कये जाते ह।
अभी हाल म ाचार के खलाफ दो भूख हड़ताल के संग सामने आये ह, और
इसके अलावा और भी ह जो उभर सकते ह। म अपने आप से यह पूछता ँ क आ खर
हमारे लोकतां क दे श म ऐसे आ दोलन य हो रहे ह? इसका मु य कारण संसद य
मानदं ड के तर का गरते जाना है। मेरा सुझाव है क संसद को बखराव आ द क बाधा से
मु , कम से कम दो स ताह का एक स चलाना चा हए जसम गहन वचार वमश के
ज़ रये वह समय ब काय म चलाया जाए जससे जनजीवन ाचार क बुराई से
छु टकारा पा जाए। ऐसे काय म के एक ह से क तरह, सांसद के लये एक आचार सं हता
बनाई जाए। जन त न ध, अगर अपने अ भयान म असफल रह जाएँ, तो वह नाग रक
ज ह ने उसे चुन कर भेजा था, वह अपना असंतोष और वरोध कसी प म कर
सक। हर राजनी तक दल को अपने काय-कलाप को इस से परखना चा हए क उ ह ने
संसद य या ारा, ाचार को रोकने या मटाने के लये या कदम उठाये ह। अब
समय आ गया है क संसद के दोन सदन ाचार के इस मु े पर गौर कर और इस संकट
को र करने का कोई संवैधा नक तरीका नकाल, जसम वदे श के बक म जमा धन को
भी वापस लाने का काम शा मल कर। यथासमय, संसद ारा उठाये गये यह कदम जनता के
बीच संसद के त व ासभाव वापस लाएंगे और शां त तथा सौहादता का माहौल बनेगा।
ऐसा वातावरण दे श के व रत वकास के लये ब त ज़ री है।
~
मेरे लये बतौर रा प त एक क ठन काम उन मृ युद ड के फैसल पर अपना नणय लेना था,
ज ह, अदालत ने, अनेक सफा रश और अपील के बावजूद, सुनाया था। रा प त भवन म
ऐसे ब त से मामले बरस से वचाराधीन पड़े ह, और वरासत म मली यह ऐसी ज़ मेदारी
है जसे पा कर कोई भी रा प त ब त खुश नह होगा। मने सोचा क म उस सभी मृ युदंड
पाए, वचाराधीन मामल पर, उनके अपराध, अपराध क गंभीरता, और सजा पाये
क आ थक, सामा जक थ त पर गौर क ं । मेरे इस व ेषण से च का दे ने वाला त य
सामने आया क सभी लं बत मामल म अपराधी आ थक वप ता और सामा जक भेद-
भाव के शकार ह। इससे मेरी एक धारणा बनी क हम ऐसे य को द डत कर रहे थे
जो कसी श ुता म ज़रा भी शा मल नह थे और न ही उनका अपराध से कोई य हत
सध रहा था। एक मामला ऐसा ज़ र था जसम ल ट चलाने वाला सचमुच एक लड़क के
साथ बला कार और फर उसक ह या करने के अपराध का दोषी था। उस मामले म मने
उसक मौत क सज़ा को ठ क ठहराते ए, अपनी वीकृ त द ।
मेरे वचार से, जब कोई अदालत मृ युदंड के मामले क सुनवाई कर रही हो, तब
कानून और याय क थ त को बनाये रखने वाली व था को वचाराधीन अ भयु क
पा रवा रक पृ भू म क जानकारी जुटा लेनी चा हए। इस व ेषण से सही अपराधी और
अपराध के कारण का खुलासा होगा।
हम सब ई र क उ प ह। म कह नह सकता क कसी मानव र चत व था को
यह अ धकार मलना चा हए क वह नकली और गढ़े ए सबूत के आधार पर कसी सरे
इंसान क जान ले ले।
~
रा प त क एक बड़ी ज़ मेदारी यह है क लोकसभा के आम चुनाव के प रणाम घो षत
होने के बाद नई सरकार के गठन के लए धानमं ी क नयु कर या थ त वशेष म जब
थानाप धानमं ी क आव यकता हो- नयु कर। इन प र थ तय म रा प त को इस
बारे म आ त होना होता है क एक दल या गठबंधन यु दल, को थर सरकार बना
सकने के लये, ज़ री सं या म सद य का समथन ा त हो। उस दशा म यह नणय ज टल
हो जाता है जब, एक से अ धक दावेदार सरकार बनाने के अपने हक को लेकर आ जाते ह,
और कसी भी एक दल के पास सदन म प ब मत नह होता। इस स दभ म वष 2004
के चुनाव प रणाम रोचक थे। चुनाव प रणाम से प हो गया क कसी भी राजनी तक दल
को अपनी सरकार बनाने के लए ज़ री ब मत नह मला था।
कां ेस को सवा धक ब मत मला था। तीन दन बीत जाने के बावजूद कोई भी
राजनी तक दल या गठबंधन सरकार बनाने का दावा पेश करने नह आया। यह मेरे लए
चता का वषय था। मने अपने स चव से बात करके सबसे बड़ी वजेता पाट के पास प
भेजा क वह सरकार बनाने का दावा पेश करे।
मुझे बताया गया क 18 मई को, दोपहर 12:15 बजे सो नया गाँधी मुझसे मलने आ
रही ह। वह समय पर प ंच , ले कन अकेले आने क बजाय वह अपने साथ डॉ. मनमोहन
सह को ला , और उ ह ने मुझ से बात क । उ ह ने कहा क उनको पया त सद य का
समथन ा त है, ले कन वह अभी वह प नह ला पाई ह जस पर उन सद य के, समथन
म कये गये द तखत ह। वह उस प के साथ सरकार बनने के दावे के लये 19 मई, (यानी
अगले दन) तक का समय चाहती ह। मने उनसे कहा क वह दे र य कर रही ह, यह काम
शाम तक पूरा हो सकता है। वह वापस चली ग । बाद म मुझे सूचना मली क वह शाम
8:15 पर मुझसे भट करने आएंगी।
जब यह बातचीत चल ही रही थी, मेरे पास लोग , संगठन और राजनी तक पा टय
ारा भेजे गये ब त से ई मेल, और प आये, क म सो नया गाँधी को दे श का धानमं ी न
बनने ँ । मने वह सारे प वगैरह, बना अपनी कसी ट पणी के, सूचनाथ, अनेक सरकारी
एज सय को भेज दए। इसी बीच, मेरे पास ब त से राजनेता इस बात के लये मलने आये
क म कसी दबाव के आगे कमज़ोर पड़ कर, ीमती सो नया गाँधी को धानमं ी न बनने
ं । यह नवेदन कसी भी तरह संवैधा नक नह था। वह अगर अपने लये कोई दावा पेश
करगी तो मेरे पास उसे वीकार करने के अ त र कोई रा ता नह होगा।
तयशुदा समय शाम 8:15 पर ीमती गांधी रा प त भवन आ और उनके साथ डॉ.
मनमोहन सह थे। इस भट म, र मी खुशनुमा बातचीत के बाद उ ह ने मुझे अपने गठबंधन
वाले दल का समथन प दया। उसके बाद मने सरकार बनाने यो य दल के प म उनका
वागत कया और कहा क रा प त भवन उनके बताए समय पर शपथ हण समारोह के
लये तैयार है। उसके बाद उ ह ने कहा क वह धानमं ी पद के लये डॉ. मनमोहन सह को
नामां कत करना चाहती ह। वह 1991 के आ थक सुधार के नायक ह, काँ ेस पाट के
व सनीय कणधार ह तथा धानमं ी के प म नमल छ व वाले नेता ह। यह सचमुच मेरे
लये और रा प त भवन के लये एक अच भा था। स चवालय को डॉ. मनमोहन सह को
धानमं ी नयु करते ए और यथा शी सरकार बनाने का आमं ण दे ते ए, सरा प
बनाना पडा
अंततः 22 मई को डॉ. मनमोहन सह और उनके 67 मं य ने भ अशोका हॉल म
शपथ हण क ।
मने चैन क सांस ली क एक मह वपूण काम आ खर पूरा कया जा सका। फर भी
म इस हैरत से बाहर नह आ पाया क कसी और पाट ने तीन दन के भीतर अपना दावा
य नह पेश कया।

अपने कायकाल म मुझे ब त-से क ठन नणय लेने पड़े। मने हमेशा


कानूनी और संवैधा नक परामश के आधार पर, अपने ववेक से फैसले
कये। अपने हर फैसले के पीछे मेरी यही को शश रही क म सं वधान क
कृ त, प व ता और ढ़ता क र ा कर सकूँ।
14

रा प त व के बाद

एक फूल को दे ख, वह कतने उ मु भाव से अपनी सुगंध,


अपना पराग लुटाता है, ले कन अपना स पूण दे चुकने के बाद,
चुपचाप मुरझा जाता है।

—भगवद्गीता

र◌ा मेपरा तलकये थाप मकमेमरा अपने


जीवन ब त त बीता। अपने कायकाल के पहले ही वष म
सु दर दे श क या ा पर नकलू,ं सभी रा य म जाकर
खुद दे खूँ क वहां के नवा सय का जीवन कैसा है, उनके प रवेश, पयावरण और उनक
सम या को समझू,ँ और इस बात का एहसास क ँ क वह कतने खुशहाल ह। ल प,
केरल के सागरतट से लगा आ एक छोटा सा पसमूह है। बस वही एक ऐसा थान है जो
म भा य से, दे ख नह पाया। अ य सभी मने दे खे, और एक या एक से यादा बार भी वहां
गया। हर एक े क अपनी मनभावन छटा है। और सब े क सरलता म भारतीयता
क एक व श उ णता है।
मेरी यह या ा सर को कैसी लगी, यह जानना रोचक है। म, इस स दभ म
आउटलुक प का म का शत एक रपोट के कुछ अंश यहाँ दे ना चाह रहा ँ, ‘कलाम एक
ऐसे घुमंतू रा प त ह ज ह ने अपने कायकाल के केवल दस महीन म इ क स रा य क
या ा कर ली है, जो कोई सरा रा प त अपने पांच वष के कुल कायकाल म भी नह कर
पाया। वे अपने हर तूफानी दौरे म कभी तो प ह तक काय म भी पूरे करते ह। अ सर
काय म से एक रात पहले प ँचते ह जससे क अगले दन का अ धकतम उपयोग कर
सक।’
रा प त व काल के पूरा होने पर मुझे दो बात का ब त संतोष मला। जब मने
कायभार संभाला, मने पाया क व ा थय म उदासीनता और नराशा का भाव छाया आ
है। म उन तक जा कर आ त करते ए उन म उ साह भरने का काम करता था और उ ह
बताता था क कसी भी युवा को भ व य के त आशं कत होने क ज़ रत नह है, य क
भारत ग त के रा ते पर है, उसका वकास होगा और आप सब भी पीछे नह रहगे।
सचमुच, हाल के समय म वकास क ग त तेज़ी से बढ़ है। मेरा रा प त पद का कायकाल
पूरा होने तक, युवा का मानस बदल चुका था। वह वक सत भारत म रहना चाहते थे और
उसके लये काम करना चाहते थे।
लोग को ब त उ सुकता थी क म रा प त पद क त दनचया से मु हो कर
कैसे सहज नवाह कर पाऊंगा। अपने रा प त होने के पहले म अपने लेखन, अ यापन और
रा ीय तथा अंतररा ीय कूल और व व ालय म युवा को ो सा हत करने मंन त
रहता था। म अनेक से मनार और अ धवेशन म ह सा लेता था। मेरा मन था क म उसी
जीवन म फर वापस चला जाऊँ। मेरे पास अ ा यूनीव सट चे ई, इं डयन इं ट टयूट ऑफ
इ फोमशन टे नोलॉजी (आई. आई.आई. ट .) हैदराबाद, जी.बी. प त व व ालय कृ ष
एवं टे नोलॉजी पंतनगर, द ली व व ालय, आई. आई. एम. अहमदाबाद,
आई.आई.एम. इंदौर, आई.आई.ट . खड़गपुर, बनारस ह यू नव सट आ द से अ यापन
के ताव आये ए थे।
जैसा मने दे खा, 26 जुलाई 2007 के बाद से अब तक, मेरा जीवन के ल य के त
नज़ रया ब त ापक हो गया था। मेरा अ यापन और शोध काय अब प त यू नव सट म
अ छ तरह था पत हो चुका है। मेरी संक पना यह है क वहाँ के छा भारत क सरी
ह रत ा त के के ब बन। उसके पास अब ब त बड़े प रसर म, योगा मक खेती के
लये उपल ध ब त बड़ा े है। भारत के सबसे पहले आई. आई. ट . खड़गपुर म मने
वश ोफ़ेसर के प म ‘लीडर शप एंड सो शयेटल ांसफॉरमेशन’ वषय पढ़ाया था।
आई. आई. ट . हैदराबाद म मने इ फॉमशन टे नोलॉजी और संबं धत उ पाद के बारे म
पढ़ाया, भारत-2020 संक पना के वकास के लये यह ब त ासं गक वषय है। बनारस
ह यू नव सट म और अ ा यू नव सट म मने टे नोलॉजी और उसके ‘नॉन ली नयर
डाइमशन’ वषय पढ़ाया, जसक ामीण अथ व था म बदलाव लाने मब त मह वपूण
भू मका है। आई.आई.एम. अहमदाबाद म और ले सं टन अमे रका के ग न कॉलेज ऑफ
बजनेस एंड इकोनो म स म एक वशेष पा म वक सत कया गया था जसम
अ यापक और व ा थय के बीच संवाद का ावधान था। यह पा म बंधन के
नातक को रा ीय और अंतररा ीय वकास क चुनौ तय से प र चत कराता था। इसम
व ा थय ने ब त-से नये और पारंप रक सोच से हट कर, अपने वचार रखे और रणनी तयाँ
सुझा , जनके आधार पर 2020 के पहले, त पध भारत के लये दस तंभ क पहचान
क गयी। उदाहरण के लये, छा का एक समूह पी.यू.आर.ए. को सरकारी और नजी,
साझा सहयोग से चलाने क योजना पर काम कर रहा है।
मुझे वदे श से भी ब त-से आमं ण मलते ह। म शै क, राजनी तक और
औ ो गक समुदाय के लोग के वशेष आमं ण पर अमे रका, यू.के. इंडोने शया, रप लक
ऑफ को रया, नीदरलै ड, कनाडा, फनलड, नेपाल, आयरलड, संयु रा य एमीराट् स,
ताइवान, स और ऑ े लया क या ा पर गया। इन या ा के बीच मने व व ालय
और शोध सं थान को दे खा, व युवा अ धवेशन म भाग लया, और उनके साथ वक सत
भारत क संक पना को साझा कया। मने उ ह आ थक वकास और मू य आधा रत श ा
के स दभ म सरे दे श क भागीदारी का मह व समझाया। अब तक मने करीब 1200
काय म म भाग लया है और म डेढ़ करोड़ लोग से मल चुका ,ँ जनम अ धकांशतः युवा
थे। मने युवा के सपन क झलक पाई, जाना क वे कैसे अपने े म अनोखे होना चाहते
ह, और तमाम चुनौ तय का सामना करते ए कैसे उ साहपूवक वकास के अपने अ भयान
को सफल दे खना चाहते ह। अब यह अ भयान व ड वज़न 2030 का प ले चुका है।
इन सारी घटना ने मेरे जीवन को नई दशा द है। जब म मुड़ कर पीछे दे खता ँ,
म मनन करता ँ क इन घटना ारा रचे बदलाव से म या सीख सकता ँ। हर थ त म
नणय लेना एक ज टल या थी और हर घटना समय-सापे एक- सरे से ब त भ थ ।
नई चुनौ तय के लए यास करना मेरे सब नणय क न व थी और इससे मेरा जीवन समृ
आ है।
यह ब त क ठन है, क कोई वह सब कुछ करने के लये समय नकाल ले जो
वह करना चाहता है। दरअसल, मेरे काम क सूची अपना रा ता वयं तय करती है। यह मुझे
पहले से कह यादा त रखने लगी है और म इस बात पर वचार करने लगा ँ क म
अपने लये कुछ यादा समय नकाल सकूँ। एक बार म हंसी-हंसी म आर.के. साद क
खचाई कर रहा था, जो मेरे काय म तय करता है क उसने कैसे यह तय कर लया क म
शु वार को मैसूर से लौटूं गा, और सोमवार को मुरादाबाद और रामपुर म अपने चार अलग-
अलग काय म पूरे कर के दे र रात द ली प ँचूँगा, जहाँ मुझे बुधवार को पैन ई अ कन
नेटवक को संबो धत करना है। मेरा बृह प तवार गुवाहाट के लये तय है, जहाँ से मेरा
द ली लौटना शु वार रात को होगा। श नवार को सुबह मुझे लखनऊ म एक व श सभा
म भाग लेना है। अभी हाल म गये, मई महीने का तारीखवार सूची के साथ मेरा काय म यहाँ
दया जा रहा है, जसम शायद ही कुछ अन कया रह गया हो।

मई 2012 क कायसारणी

मंगलवार 1 मई
बोकारो का दौरा : बोकारो ट ल लांट म च मय व ालय के इंजी नयर और
व ा थय को संबो धत करना।
रांची म ‘म या कर सकता ँ’ काय म का उद्घाटन

श नवार एवं र ववार 5 – 6 मई


चे ई, ची और कराइकुडी का दौरा
सोमवार 7 मई
छ ीसगढ़ के तीस व ा थय और अ यापक से भट

बुधवार 9 मई
मथुरा म ‘म या कर सकता ँ’ काय म के उद्घाटन के संबंध म सं कृ त समूह के
सं थान का दौरा।
वृ दावन म वधवा आ म के लये पागल बाबा के आ म क या ा

शु वार 11 मई
साइंस और टे नोलॉजी वभाग म ‘टे नोलॉजी दवस’ समारोह का उद्घाटन

श नवार 12 मई
आजमगढ़ म वेदांत अ पताल का उद्घाटन और आजमगढ़ म व ा थय तथा
अ यापक को संबोधन।

मंगलवार 15 मई
नैशनल को-ऑपरे टव डेवलेपमट कॉपोरेशन के ‘इ टरनेशनल ईयर ऑफ को-
ऑपरे टव 2012’ का उद्घाटन

बृह प तवार एवं शु वार 17-18 मई


सी. एम. आर. इं ट टयूट ऑफ टे नोलॉजी के नातक दवस समारोह म मु य
अतथ
डफे स फ़ूड रसच लैब मैसूर क गो डन जुबली म भाषण
आल इ डया इं ट टयूट ऑफ पीच एंड हय रग का दौरा।
जे. एस. एस. यू नव सट म व ा थय के बीच ा यान

सोमवार 21 मई
तीथकर महावीर यू नव सट मुरादाबाद के पहले द ांत समारोह म मु य अ त थ
रामपुर म ज़ला कूल के छा को स बोधन
सी. एल. गु ता. आई इं ट टयूट म डॉ टर और टाफ को स बोधन
मुरादाबाद इं ट टयूट ऑफ टे नोलॉजी के छा को स बोधन

बुधवार 23 मई
अ क दे श को पैन-अ कन ई-नेटवक स बोधन

बृह प तवार 24 मई
आई.आई.ट . गुवाहट के वा षक द ांत समारोह म स बोधन
श नवार 26 मई
लखनऊ म ह तान टाइ स— ह तान उ र दे श वकास सभा को स बोधन
यह समझा जा सकता है क इन अलग-अलग तरह के काय म के लये भाषण,
ा यान भ - भ तरह के होते ह और उनक तैयारी तो अपने आपम एक बड़ा काम है।
~
लखनऊ म 26 मई को आयो जत वशेष सभा का उ े य उ र दे श के वकास के लये
वचार-मंथन करना था। मने अपनी तु त तैयार करने म कुछ समय लगाया। मुझे इस बात
क खुशी ई क वहां मने जो वचार रखे वह वहां एक त वशेष को अ छे लगे। उनम
उ र दे श के नव नवा चत मु यमं ी अ खलेश यादव भी थे। अड़तीस वष क आयु के,
वह दे श के सबसे कम उ के मु यमं ी ह।
उ र दे श क अथ व था दे श क सरी सबसे बड़ी अथ व था है, और उसके
पास समृ ाकृ तक और जन-संसाधन ह। दस करोड़ युवा वाले इस रा य म, दे श का
हर पांचवां युवा रहता है। मेरे वशेष म बताते ह क वष 2016 तक, व -भर के, द
कामगार क कुल आव यकता का आठ तशत केवल उ र दे श के लोग ारा भरा
जाएगा।
उ र दे श के बारे म मेरा आ थक अ ययन बताता है क यहाँ क तह र तशत
आबाद खेती के काम म लगी है और इसक छयालीस तशत व ीय स पदा कृ ष के
ज़ रये आती है। यारहव पंचवष य योजना क अव ध म इस दे श ने 7.3 तशत ॉस
टे ट डोमे टक ोड ट (जी.एस.डी.पी.) अ जत कया, जो क यूनतम 6.1 तशत के
नधा रत ल य से अ धक है। रा य भर म तेईस लाख लघु औ ो गक इकाइयां ह। ताज़ा
जानकारी के अनुसार, रा य म अभी पचीस लाख बेरोज़गार युवा ह, जनम नौ लाख क उ
पतीस वष से अ धक है।
इन त य को दे खते ए, मेरी तु त ने बताया था क त वा षक आय को
मौजूदा 26,051 पये से बढ़ा कर एक लाख प ंचा दे ना चा हए। इसके लये रोज़गार के
मू य आधा रत ( भावी) अवसर तैयार करना, शत तशत सा रता, शशु मृ यु दर के तर
को दस से भी नीचे लाने के उपाय और कु , कालाजार, मले रया चकुनगु नया, डगू, तथा
तपे दक जैसे रोग का उ मूलन कया जाना चा हए। मने यह व तार से समझाया क इससे
दो करोड़ लोग को रोज़गार दे ने का ल य कैसे पूरा कया जा सकता है।
मेरा एक सुझाव था क उ र दे श क द ता मता दशाने वाला एक न शा तैयार
कया जाना चा हए। इसका मतलब यह है क सब जल म यह वहां क कला, संगीत,
ह तकला, कृ ष उ पाद मता, पाक कला आ द द ता का यौरा एक जगह दज हो जसके
आधार पर वहां क संभावना समझ कर वकास क योजना बनाई जा सके।
उस तु त म और भी कई वशेष उपाय बताये गये थे। मेरी इ छा है क तेज़ी से,
दे श-भर म भावी वकास लाने के लये ऐसी ग तज योजनाएं लायी जानी चा हए जनम
आपसी संवाद क भी गुंजायश हो।
~
भारत और अमे रका के बीच आ 123 समझौता इंडो-यू.एस. यू लयर डील कहलाता है।
इस समझोते के अनुसार भारत अपनी नाग रक और साम रक ना भक य इकाइय को अलग
अलग करेगा और अपनी सारी नाग रक ना भक य इकाइय को इंटरनैशनल एटो मक एनज
एजसी (आई.ए.ई.ए.) के संर ण (सेफ गाड) के अधीन करेगा उसके बदले म अमे रका ने
सहम त क क वह भारत क स पूण नाग रक ना भक य श क योजना के
वकास म भारत का सहयोग करेगा। इस पर लंबा चलने वाला वचार- वमश आ और
यूनाइटे ड ो े सव एलाएंस (यू.पी.ए.) सरकार को आई.ए.एम.ए. के इस सेफ गाड समझौते
पर द तखत करने के पहले 22 जुलाई 2008 को एक व ास मत हा सल करना पड़ा।
इस व ास मत क क ठन प र थ त यह थी, क वामपंथी दल, जो यू.पी.ए. सरकार
को बाहर से समथन दे रहे थे, वह इस समझौते के प म नह थे। समाजवाद पाट के
अ य मुलायम सह यादव और उनके मुख सहायक अमर सह इस ना भक य समझौते
के त असमंजस म थे, क वह इसके प म मत कट कर या नह । वह इस के त
आ त नह थे क अमरीका के साथ यह ना भक य समझौता सचमुच दे श के हत म है, या
यह प म, वशेष प से अमे रका के ावसा यक हत को साधने का एक तरीका है।
थ त प करने के लये मुलायम सह और अमर सह दोन ने मुझसे मेरे आवास 10,
राजाजी माग पर मलने क इ छा कट क क इस समझौते क अ छाइयां-बुराइयां जान
सक। मने उ ह बताया क आने वाले समय म भारत को थो रयम आधा रत ना भक य संयं
के योग से आ म नभर होना ही होगा। उसके लये भारत को बना कसी बाधा के, पया त
मा ा म व छ ऊजा क ज़ रत होगी। यह समझौता हम यूरे नयम क मौजूदा कमी क
सम या से उबरने म मदद करेगा।
एक और मह वपूण मु ा, इन ना भक य ऊजा संयं के खलाफ असंतोष का कारण
बना, वह था—फुकु शयामा जापान म माच 2011 क सुनामी के बाद ई तबाही दे खने के
बावजूद, कोडा कुलम त मलनाडु म ऐसे संयं का लगाया जाना। थानीय गाँव के
आंदोलनका रय को ब त सी दे शी और वदे शी गैर सरकारी सं था (एन.जी.ओ.) क
मदद मल रही थी और उनक मांग थी क इन संयं का कोडा कुलम म लगाया जाना रोका
जाए। आंदोलनकारी, इंजी नयर लोग को काम करने से रोक रहे थे। थ त क गंभीरता को
दे खते ए, मने भारत म लगाए जाने वाले ना भक य ऊजा संयं म लगी सुर ा संबंधी
व था का गहराई से अ ययन कया उसके बाद उसके लगाये जाने के प म सभी थानीय
अं ेज़ी के अखबार म अपना मत कया क भारत के वकास के लये यह संयं ब त
ज़ री ह।
साथ ही म अपनी ट म के साथ कोडा कुलम गया। म वहां, अपने वकास क े तर
तीसरी पीढ़ के दो हज़ार मेगावाट के जनरेटर क सुर ा णाली को समझना चाहता था,
जो फुकु शयामा म ई सुनामी क घटना के बाद, लोग के संशय का वषय बन गये थे। मने
वहां पूरा दन लगा कर, जनरेटर लांट के व भ तं को खुद परखा, अनेक वै ा नक और
वशेष से बात क और इस बात से पूरी तरह संतु आ क एकदम ताज़ा टे नोलॉजी से
यु , इन संयं क सुर ा व था भली भां त चाक-चौबंद है। ना भक य पॉवर लांट क
सुर ा चार कसौ टय पर जांची जाती है। मज़बूत बनावट का गठन, ताप तथा जलीय
सुर ा, वक रण अवरोधक मता और को शक य संरचना क सुर ा। मने पाया यह
जनरेटर इन चार कसौ टय पर खरे उतरने वाले थे।
बाद म मने सुझाव दया क वहां पर एक पी.यू.आर.ए. सं थान क एक वशेष इकाई
था पत होनी चा हए, जो आसपास के गाँव के थानीय लोग को श ा, श ण
सु वधा और भावी रोज़गार पाने क व था करे।
मेरे लये यह खुशी क बात है क सरकार इस बात के लये राज़ी हो गयी है क वह
इस पॉवर लांट से अ जत लाभ का दो तशत अंश कोडा कुलम के सामा जक वकास,
ाम सुधार, नाग रक के सश करण के काम के लये रखेगी। इन पॉवर लांट का चलाना
भी उजा आ म नभरता काय म का एक ह सा होगा।

बीते पाँच वष ने मुझे मौका दया है : करोड़ ब च से मलने का; स य


प से भारत और वदे श के अलग-अलग व व ालय म अपना
अ ययन और शोध काय करने का; बड़ी सं या म ब धन पढ़ रहे छा के
लए सामा जक प रवतन का एक अ यापक बनने का; ज़ री रा ीय
मुदद् पर अपने वचार का योगदान दे ने का; और सबसे मह वपूण यह क
8 रा य म जीवन र ा के लए आपातकालीन संकट ब धन काय म
(‘इमरजसी ॉमा मैनेजमट ो ाम’) क शु आत करने म एक भू मका
अदा करने का।
उपसंहार

ओह! सांसदो, भारत माता के श पकारो


हम काश क ओर ले चलो, हमारा जीवन समृ करो
तु हारा न ापूण उ म, हम राह दखाता है
तु हारी सतत कमठता, हमारा उ कष है।

व षसमझता
2007 म म पदमु आ और मने सांसद को एक भाषण दया, जसका संग म
ँ, मेरी पहले कही गयी बात से गहराई से जुड़ता है, और उससे कुछ ऐसे मु े
उभर कर आते ह जनको यान म रखना ब त ज़ री है। भारत के एक वतं लोकतां क
रा होने का अनुभव आ था का अभूतपूव माण है। जब वष 1951 म जनता को ापक
प से मता धकार मला तो यह नया क एक अनोखी मसाल थी जहाँ करोड़ नर र,
स प हीन लोग रात रात वोट दे ने के हकदार बन गये। उ मीद बनी क इस से एक शांत
और थर सामा जक ा त आएगी। सं वधान के अंतगत, नाग रक को ब त से मूल
अ धकार का आ ासन दया गया। इस व था का मंत था क दे श म एकता, सुर ा,
सौहाद तथा समृ का एक ऐसा प रवेश बनेगा जैसा हमारे पराधीनता के इ तहास से पहले
कभी नह रहा।
एक रा के प म हमने अभूतपूव ग त क है, वशेष प से आ थक व था
इतनी अ छ कभी नह रही। इसके बावजूद हमारी सफलता को बस ठ क-ठाक ही कहा जा
सकता है, य क मानव संसाधन के वकास और बंधन म हम अभी ब त कुछ करना है।
हम नये ल य और संक पनाशील नेता क ज़ रत है जो जन हत म जी-जान से जुट
जाने का उ साह रखते ह और इस तरह उनम सारी नया के हत के लए जूझने का ज बा
हो।
न संदेह संसद भारत क एक मुख सं था है, जो वा तव म त न ध लोकत का
व प है। संसद य लोकत को य द एक शासन या और रा ीय नी तय के व था
त के प म दे खा जाए तो इसने ऐ तहा सक स ा संरचना को ढ ला करने म, वत
सं था को बनाए रखने म और लोकत म आम लोग क भागीदारी का व तार करने म
अहम भू मका नभाई है। ले कन आज जब हम इ क सव सद म वेश कर रहे ह इसम
कोई संदेह नह क संसद के सामने, 1951 म उसक संरचना के बाद से पहली बार इतनी
अ धक चुनौ तयाँ ह वशेषकर मानव-संसाधन और शासन के स दभ म।
एक बात प जान लेनी चा हए क शासन तं के प म संसद क मताएं—
वचार- वमश करने, कानून बनाने और सरकार और दे श को रदश नेतृ व दान करने क
—ब त हद तक राजनी तक दल के कामकाज, उनक सोच पर नभर करती ह न क इस
बात पर क संसद अपने म एक सं था है। यही मु य कारण है, म समझता ं क आज दे श
और संसद के सामने जो चुनौ तयां ह उ ह आपके स मुख भी रखूं और सुझाव ं जससे क
भारत ग त कर सके और 2020 तक एक वक सत दे श बन जाए।
एक आम धारणा यह बन रही है क भारत क शासन णाली के आंत रक और
बाहरी प रवेश म पछले दो दशक म ब त तेज़ी से प रवतन आ है और इनम कई प रवतन
ऐसे ह जो थायी बने रहने वाले ह। प रवेश म ए इन बदलाव के कारण जो चुनौ तयां रा
क एकजुटता और सं भुता तथा उसके आ थक वकास के सामने आई ह, उनका ब त
ज द और सुसंगत ढं ग से सामना करने क ज़ रत है। समय के साथ, अपने बढ़ते आकार
और ज टलता के कारण सामा जक सं थाएं वग लत होते ए, संकट क थ त म आने
लगती ह। ऐसा लगता है क एक समाज धान दे श, भारत क बंधन- व था ऐसे ही
संकट के दौर म प ँच गयी है। ज़ोरदार आ ान है क समाज के व च तत प रवतन और
नवीनीकरण के काम को उ च वरीयता द जाए।
यह भारत का सौभा य है क उसके पास सरकार और संसद म ब त यो य, स म
और संक पनाशील नेता ह। दे श को आज़ाद के बाद से आ थक, सामा जक और
राजनी तक े म ई उपल धय पर ग वत होने का अ धकार है। ब त क भ व यवाणी
है क भारत 2050 तक एक सु ढ़ आ थक थ त संप दे श हो जाएगा। फर भी, लोकतं
और आ थक संप ता को थायी प से तय नह माना जा सकता। सं भुता बनाए रखने के
लये सतत नगरानी रखने क ज़ रत होती है। यह एक ब त मह वपूण बात है क कसी
भी, ऊपरी तौर पर संतोषजनक नज़र आती व था को समय सापे अं तम मान लेना
उ चत नह होता। हम केवल पछली उपल धय को दे ख कर, न े बैठ जाएँ, और समाज
तथा रा के सामने नज़र आ रही बदलाव क ज़ रत को अनदे खा कर द, यह बलकुल
ठ क नह है। उदारीकरण के बाद आ थक नवीनीकरण और सकारा मक वकास क लहर
नजी े म प दे खी जा रही है। यह एक बड़ी चुनौती है क इस लहर को पहचान कर
सरकारी सं थान म भी जगह द जाए और जन व था म नये ाण फूंके जाएँ।
व वध सरकारी े म न केवल उ पादन, लाभ और बचत क से, ब क,
श ा, वा य, जल तथा प रवहन- बंधन क दशा म भी सुधार करना होगा ता क जनता
को बेहतर सु वधाएं मल सक। कई जाने-माने व ान ने भी हमारी संसद य व था का
गहराई से अ ययन कया है और उ ह ने भी उसम कुछ सं थागत चुनौ तय को पहचाना है।
मने उनके यौर को दे खा है और म उसम बताये गये कुछ मह वपूण संकेत और सरोकार
का ज़ यहाँ क ँ गा।
दे श म यह धारणा प क होती जा रही है क सं थान के प म संसद क कायशैली
म, काय के त चूक और सकल जवाबदे ही क व था होनी चा हए। संसद इस अनुमापन
के लये कई तरीके अपना सकती है, जैसे, सदन म ताव का ावधान और ऐसी नरी ण
कमे टय का गठन जो संसद क चूक पर नज़र रख और उसे सदन के पटल पर लाएं। इन
व था म भी समय-समय पर नव संचार होता रहे। यह एक त य है क भारत क
आ थक व था को, वै क होते जाने से मज़बूती मल रही है। हमारा रा पहले से अ धक
संप हो रहा है ले कन संसद के सचेत प से सश करण क भी ज़ रत है। इसके दो
मह वपूण प ह। आजकल ब त-से आ थक नणय का आधार अंतररा ीय समझौते होते
ह। भारतीय संसद, नया क उन कुछ संसद म से है, जसके पास इन समझौत के गहन
नरी ण का कोई तं नह है। यह समझौते, अ धकांशतः संसद म तब प ंचते ह, जब वे
या वत हो चुके होते ह। इस लए, आव यक प से, यह काम ब त ज द कया जाना
चा हए, क संसद के पास एक वैधा नक श संप तं हो जो वदे शी समझौत का
नरी ण करे।
ब त-से दे श क तरह भारत भी अपनी काय व ध और वैधा नक ढाँचे को पुनग ठत
करते ए, यह नी त अपना रहा है क ऐसे सं थान का भी सश करण कया जाए ज ह
जनमत के ारा नह चुना गया है। इस तरह कायभार व वध हाथ म स पे जाने का काम,
वशेष प से उदारीकरण के ब त बाद अपनाया गया है और सफल भी रहा है। इससे
व था म ज़ मेदारी क भावना और पारद शता बढ़ सकती है, और इसके अनुकूल माण
उजागर भी ए ह। इस समय, संसद य व था म ग तशीलता और उ रदा य व का गुण
लाने क त काल ज़ रत है, ता क संसद मज़बूत हो और उस क संबं धत सं था पर
नगहबानी सतक हो जाए। कायका रणी को भी सश कये जाने क आव यकता है।
इसके लये, कायका रणी अ यादे श के मा यम से काम करना कम करे, अचूक और भावी
कानून बनाये जाएं और व ीय नरी ण क काय व ध को मज़बूत कया जाए।
व ीय मामल क दे खरेख म लगे कायकारी अ धका रय के काम क जाँच संसद य
दै न दनी का ज़ री ह सा बने और इस कायवाही को मह व दया जाए। इससे संसद य
कामकाज के बेहतर प रणाम नकलगे और संसद अनुभव-संप होगी। इस ग त व ध से
हमारे युवा और थम बार नवा चत संसद सद य को वशेष लाभ होगा। हमारा संसद य
लोकतं स य सहभा गता क से ब त उवर है। दे श क पहली लोकसभा म केवल
पांच राजनी तक दल का त न ध व था। चौदहव लोकसभा म इनक सं या करीब पचास
है। संसद म राजनी तक दल क ब लता का लाभ उठाया जाना चा हए। संसद म उनक
भागीदारी ऐसे नयो जत क जानी चा हए जससे संसद भी मज़बूत हो और राजनी तक
पा टयां भी। इसके लये सामू हक काय व ध के बीच से बाधाएं हटाई जानी चा हए। इन
तरीक को अपनाने से एक तो ऐसे ज टल कानून क ज़ रत कम होगी जो सांसद पर लागू
कये जाने क मांग है, सरे, इससे सांसद म कानून के पालन के त च बढ़े गी।
वह सांसद जो अ छा काम कर रहे ह, उनक शंसा क जानी चा हए, उ ह अपने
संसद य े म, और राजनी तक दल या गठबंधन म पुर कृत कया जाना चा हए। इससे
संसद य काय म द ता दखाने के त सांसद म उ साह क भावना जगेगी। ज़ रत इस
बात क है क आज़ाद के बाद के शु आती वष क तरह, संसद राजकोषीय बंधन, और
उन आ थक तथा सामा जक नी तय के त एक वर म सजग हो जाए, जनसे भारत
वै क अथश के साथ जुड़ सकता है। संसद के सश बनने क राह म कोई ऐसा बाहरी
कारण नह है, जस पर हमारा बस न हो। सकारा मक रदश नेतृ व को ो साहन दे ने से
सांसद को कई और चुनौती भरी ज़ मेदारी लेने के लए ो सा हत कर जससे जवाबदे ही
और भावी बंध सु न त रहे।
बरस के अ ययन और मनन के बाद, अनेक व ान ने, संसद य व था म सुधार
के लये अपने सुझाव दए ह। उनम से कुछ को लागू करने क दशा म गंभीरता से वचार
कया जा सकता है।

राजनी तक तर पर
1. गठबंधन सरकार क थरता भंग करने क कसी छोटे दल क को शश से वैसे ही
नपटा जाना चा हए जैसे अभी कसी बड़े राजनी तक दल से कुछ सद य के दल-
बदल के कदम से नपटा जाता है। कसी छोट राजनी तक पाट को, जसक
लोकसभा म केवल दस या पं ह तशत सीट ह और उसने पहले गठब धन
वीकार कया था, तो गठबंधन तोड़ने क थ त म उसक वैधता र हो जानी
चा हए।
2. संसद य स दभ म, गठबंधन से जुड़े सभी राजनी तक दल को, एक ही मंच पर,
एक ही दल क वजा तले काम करना चा हए।
3. मं ालय को अपने वा षक ल य तय करने चा हए जो क संसद के स मुख रखे
जाने चा हए और इनके लये मं य को जवाबदे ह होना चा हए।
4. सं वधान म संशोधन के ज़ रये, ब मत ा त सरकार को यह अ धकार मलना
चा हए क वह यथा आव यकता, अपने मं मंडल म 25 तशत तक सद य
संसद के बाहर से शा मल कर सके।
5. चुनाव न ध म जनता क ह सेदारी शु क जाए।
6. ऐसे कानून बनाये जाएँ क कसी भी सदन क कायवाही स ताह म दो बार से
अ धक तब तक थ गत नह क जा सकती है जब तक उसके लये न द सारे
काय पूरे न हो जाएँ।
7. कसी भी वैधा नक ापार या बल के स दभ म “मौ खक सहम त/असहम त”
मा य नह होनी चा हए। वोट क गनती अ नवाय होनी चा हए।
8. सदन के पीकर/अ य को यह अ धकार होना चा हए क वह सदन क
कायवाही म बार-बार बाधा डालने वाले सद य को नलं बत कर सके।

शास नक तर पर
1. के करण : आतं रक सुर ा व था का दा य व रा य के बजाय के के ऊपर
हो।
2. वके करण : वकास काय म के लये व व था का दा य व के के
बजाय रा य के ऊपर हो।
3. एक के य स म त का गठन होना चा हये जो गरीबी-उ मूलन से संबं धत सभी
काय म के लये क ारा आबं टत सभी कार क सहायता क प ँच क पु
करे और उसके दे य व प ए काम क भी जांच करे।
4. यू.पी.एस.सी. (संघ लोक सेवा आयोग) क ही तरह, सभी वाय सं था ,
नयमन सं था , सरकारी सं था , बक और व ीय सं था तथा शै क
तथा सां कृ तक सं था म नयु काय करने के लये, वतं आयोग बनाया
जाना चा हए।
5. नजी े के पुनजागरण और उसके वकास क तेज़ ग त को दे खते ए,
सरकारी तं म ब त तेज़ी से आमूल प रवतन होना चा हए।
6. इस बात क नगरानी रखने के लये एक नये वैधा नक तं क ज़ रत है क
येक मं ी भावी ढं ग से जन हत के काम का अपना उ रदा य व संभाल रहा
है।
7. योजना आयोग यह ज़ मेदारी ले क वह संसद के पटल पर, योजना के सापे
व तुतः कये गये काम क रपोट रखे।
8. सीमा तय हो जानी चा हए जसके आगे मं ालय तर पर कोई भी ाचार सहन
नह कया जाएगा।
9. वैधा नक तर पर कानूनी ढाँचे म बदलाव अब और अ धक थ गत नह कया जा
सकता।
भारत क लोकतां क व था के प र य म, ब त से राजनी तक दल से मल कर
बनी सरकार क बड़ी भू मका है। इसके कारण संसद य काय मता उसी अनुपात म घटती
जाती है। संसद य स ा क सं भुता बनाए रखने के लये यह ज़ री है क उसके कामकाज
म, उसक जवाबदे ही म और नरी ण मता म े ता द शत हो। इस लए ऐसे सुधार
ब त ज़ री ह जो संसद य व था को अ धक सुचा और संतु लत बनाएँ ता क वह
संवैधा नक अपे ा पर खरी उतर सके। सबसे बड़ी बात, संसद य कामकाज क
यथा थ त इस बात क ओर इशारा कर रही है क हमारी भीतरी सुर ा व ापी
आतंकवाद और घरेलू अराजकता को रोक पाने म समथ नह है, उसम त काल सुधार कया
जाना चा हए।
तेज़ी से होते वकास के साथ-साथ आ थक वषमता क थ त भी गंभीर होती जा
रही है। शासन म मं य क भू मका बढ़ गयी है जसके कारण मं य के कामकाज क
जवाबदे ही भी ब त ज़ री हो गयी है। इस बात का यान रखना होगा क वह अपनी
ावसा यक और अ य वैधा नक श य के इ तेमाल के दौरान कोई नयम व काम या
जनता के धन का पयोग न कर। शासन णाली का पुन नयोजन होना चा हए जससे क
उ च राजनी तक पद के वतरण और मांग के बीच कोई बेमेल न हो; य क ऐसे पद के
बेमेल होने के कारण इनका ‘ लभता मू य’ बढ़ जाता है।
आ थक-सामा जक ल य क योजना बनाने और उसे लागू करने के काम म सांसद
क भू मका को और अ धक स य बनाने से संसद य नेतृ व का आधार ापक होगा।
इससे उन त व का अन धकृत भाव भी कम होगा जो एका धकार बनाते ए अपनी थ त
का लाभ उठाते ह। इस से सकारा मक नेतृ व क वृ भी बढ़े गी और ऐसे लोग के संसद
म वेश पर रोक लगेगी जनका आपरा धक रकाड है और जो कानून क अवहेलना के
अ य त ह। सांसद को व भ ऐसे सं थान के बीच सम वय था पत करने का दा य व
दया जा सकता है, जो संयु प से आ थक-सामा जक योजना पर काम कर रहे ह।
सांसद इस थ त पर अपना ववेक रख सकते ह क व भ सं थान और सरकार के
नज़ रये म सम पता रहे, और कसी मता तर को उनके ही तर पर सुलझाया जा सके, न
क इसके लये कसी उ चतर तर पर जाना पड़े। इससे मं मंडल क स म तयां तथा
मं य का समूह सरे ऐसे मह वपूण मु पर वचार कर सकता है जनका समाधान
वशेषा धकार ा त सांसद से भी नह नकल पाया है। जब ऐसी थ त हो क बार-बार
रा ीय, रा य तरीय और सं था चुनाव हो रहे ह और स ा म सरकार थोड़े समय के लए
बनी रह पाती है तब सांसद क प र कृत भू मका शास नक तं के भावी प रचालन म
एक मह वपूण भू मका नभा सकती है और दे श को बार-बार शासन- णाली के अभाव से
पैदा होने वाले संकट से बचा सक।
एक सु ढ़, सुर त रा जस पर कोई कभी सीमा पार से अ त मण और आ मण
न कर सके, एक समृ खुशहाल, संग ठत और बु रा जसम सभी लोग
सद्भावनापूवक रहते ह , म इन सब गुण और वशेषता क वष 2020 तक भारत म
क पना कर सकता ँ बशत क संसद आज यह ढ़ न य कर ले क उसे संक प
भारत-2020 का पूरी तरह से काया वयन करना है जससे क हमारा दे श सश और
श शाली बन सके।
भारत-2020 क संक पना को सच करने क राह पर चलते ए शासन और
वैधा नक े म नव नमाण के कई अवसर भी उजागर ह गे। जब हम इ क सव सद के
संदभ म अपनी शासन णाली और वैधा नक या को तैयार करगे उस संदभ म रा ीय
और वै क जुड़ाव और अ तररा ीय सहयोग और पधा को वो भी हम साथ रखकर चलना
होगा।
संसद सद य इन सुझाव को, एकता और सम वयपूण नेतृ व क संक पना के प
म, ठ क उसी तरह वचार- वमश के लये वीकार कर सकते ह, जैसे हमारे सं वधान का
पहला ा प वचाराथ लया गया था। इ क सव सद क संसद य व था ‘पा लयामटरी
वज़न फॉर इं डया’ क संक पना वै क और द घका लक सोच क मांग करती है। इसके
साथ उन रणनी तय का संल न होना ज़ री है जनके अ यास के ज़ रये वह सुग ठत काय
योजनाएं बनाई जा सकती ह, जो भारत को 2020 तक वक सत रा होने के रा ीय
सूचकांक, ऊजा आ म नभरता, तक वष 2030 से पहले प ंचा दे ।
यह वह अनोखी संसद य संक पना है जसके लागू कये जाने के बाद हमारे दे श के
एक अरब नाग रक के ह ठ पर मु कान आ जाएगी। हमारे सांसद के लये इस समय सबसे
यादा ज़ री यह है क रा ीय अ भयान क दशा म एकता और सम वय भाव से काम
कर। आप मुझ से सहमत ह गे क हमारे सांसद के सामने यह सबसे बड़ा ल य है।

ाचार और शासन क दशा म रा ीय जागरण का सीधा-सीधा अथ इस


बात पर ज़ोर दे ना है क हमारे सांसद थ त क ता का लकता को दे खते
ए गहरी समझ से काम ल।
और अंत म

न◌ा रहता
भक य ह थयार के वकास के े म काम करते समय मेरे मन म हमेशा यह
था क म मानवता, दाश नकता और मानवीय हत के खलाफ काम कर रहा
।ँ इस वधा म म तब तक रहा जब तक मेरी भट आचाय महा से नह ई थी। आचाय
महा ान के उद्गम ोत थे और उनके संपक म आने पर येक आ मा का शु करण
हो जाता था। वह अ टू बर 1999 म आधी रात का समय था और आचाय जी ने दे श और
दे शवा सय के क याण के लये अपने मठवा सय के साथ तीन बार ाथना क थी। अपनी
ाथना के बाद उ ह ने मुझसे जो श द कहे, वह मेरे म त क म अभी भी गूंज रहे ह। उ ह ने
कहा, ‘कलाम, तुमने अपनी ट म के साथ मल कर जो कया, ई र तु ह उसके लये
शुभाशीष दे । ले कन सवश मान भु के पास तु हारे लये उससे बड़ा ल य है, इसी लए
तुम आज मेरे पास आ प ंचे हो। मुझे पता है क आज हमारा दे श ना भक य श संप
दे श है। ले कन तु हारा ल य उससे कह अ धक बड़ा है जो तुमने और तु हारी ट म ने पूरा
कया है। ब क, सच पूछा जाए तो यह वो ल य है जसे कसी मनु य ने अब तक पूरा नह
कया है। नया म ना भक य श तो ब तायत म बन रहे ह। म तु ह, और केवल तु ह,
अपनी सारी दै वक श य से संप क ँ गा क तुम ऐसी शा त का भामंडल रचोगे,
जसके आगे सारे ना भक य श , अ भावी, अ ासं गक और राजनी तक प से न फल
हो जाएंग।े ’
जैसे ही आचाय जी ने अपना स दे श संप कया, पूरे हॉल म स ाटा छा गया। मुझे
ऐसा लगा क पूरी सृ इस संत वाणी से संघ नत हो गयी है। जीवन म पहली बार म इस
तरह कांप गया। तब से आचाय जी का यह स दे श मेरे लये पथ का काश बन गया है। इसे
स य स करने क चुनौती मेरे लये जीवन का नया अथ बन गयी है।
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अ याय एक म मने एक लड़क का ज़ कया था जसने मुझे मदद के लए एक
प लखा था। उस प के संदभ म हमने जो कायवाही क उसका एक सुखद प रणाम
नकला। जस को मदद के लए कहा गया था वह एक बकर था। उसने लड़क के
प रवार से स पक कया और उनक आ थक वपदा से उबरने म मदद क । उस लड़क
क शाद भी हो गई और वह अब आन दपूवक अपना जीवन जी रही है। हम इस बात क
खुशी है क हमारे ज़ रये कम-से-कम, उसका एक सपना तो पूरा आ।
परश -I

सा ा कार

व षएन.ई.ट
2006 म ब त-से रा य का दौरा करते ए म मज़ोरम गया था और उस अवसर पर
.वी के मनोरंजन सह ने मेरा इंट ू लया था, जसे म साझा कर रहा ँ य क
यह बातचीत ब त-से मु , सरोकार और ग त व धय पर काश डालती है।

1. या आप खुद भी इस बात पर नज़र रखते ह क रा य सरकार आपके बताए


वकास काय म के अनुसार काम कर रही है या नह ? या इस पर नगरानी रखने
का कोई भावी तं है?
मने व भ रा य क अपनी या ा के अनुभव, वहां से मली जानकारी, योजना आयोग से
मली जानकारी, के य मं य से ई बातचीत और अपने ववेक के आधार पर एक
मागदशक ताव बनाया है और जो उनको दे दया गया है। मेरी ट म ने रात को जाग कर
अपने तु तयाँ ( ेज़टे शंस) तैयार क है। मने इस बात पर ज़ोर दया क रा य क थ त
का मह व राजनी तक पाट से कह यादा है। मने इसक भी व था क क मेरी ट म
सभी शा मल लोग से वकास अ भयान के बारे म खुल कर बे झझक बात कर सके। मेरी
तु त के बाद कई रा य के वधायक ने मेरे सुझाव को लागू करने क योजना पर पूरे स
आयो जत कये। इसके अलावा, जब भी मने कसी रा य का दौरा कया, उसी म म मने
व व ालय , चबर ऑफ कॉमस, सरी ावसा यक तथा सेवा सं था से भी अपने
ल य के बारे म बात क और उनके सू रा य के वकास काय म से जोड़े। उदाहरण के
लए कनाटक, म य दे श और बहार रा य ने सभी ल य अ भयान म अ छ ग त क है
और वे इनको या वत करने म लगे ए ह। केरल म मी डया ने भी स य भू मका नभाते
ए सरकार, बु जी वय और हतधारक के बीच वचार- वमश करवाने म भू मका अदा
क । मी डया ने ल य को लागू करने का एक न त काय म बनाया और इस तरह मी डया
रा य के साथ इस अ भयान म भागीदार बन गया। उ र-पूव रा य म मने स कम,
मज़ोरम, अ णाचल दे श और मेघालय के लये ल य काय म तैयार कये। इन रा य को
वशेष प से, जल व ुत् संचयन और न दय को जोड़ने वाले काय म पर खास यान
दे ना होगा, ता क बांस के फलने के मौसम म खेती पर बुरा असर न पड़े।

2. आपके मागदशक ताव या नय मत पंचवष य योजना के वा षक काय म से


अलग ह? या इन दोन के बीच टकराव है?
जब हम यह मागदशक ताव बना रहे थे, हमने सभी मं ालय और योजना आयोग से
ववरण मंगाए थे। हमने योजना आयोग ारा आठ सूचकांक के आधार पर बनाए गये
वकास संकेतक सामने रखे थे। हमारा उ े य था क हम वकास के सभी मानक म सुधार
कर के उ ह सुग ठत कर और सभी वकास संबंधी ग त व धय को तेज़ी से फलदायी बनने
के लये तैयार कर। हमारी को शश थी हमारे ारा ता वत अ भयान, रा य क मूल मता
को यान म रखते ए, रा य क योजना तथा योजना आयोग ारा तैयार क गयी पंचवष य
योजना के पूरक अवयव क तरह काम करे। हमारी कायवाही एक रद शतापूण कदम है,
जो रा य को वष 2015 तक वक सत बना दे ना चाहता है, तभी तो वष 2020 तक भारत
एक वक सत दे श बन पाएगा।

3. अपने बौ क व तार और व ान तथा टे नोलॉजी के े म वषद अनुभव के


ज़ रये आपने इन मागद शका को बनाने का बड़ा काम कया। या यह ांत
आपके जाने के बाद उस पद पर आने वाल के सामने एक चुनौती नह बनेगा?
मेरा व ास है क य द कोई काम करने का अ छा त हो तो वह अव य ही चलता रहेगा
चाहे उस त पर कोई भी नयु हो। इन चार साल म मने पाया है क दे श आ थक
वकास के स दभ म जाग क आ है। इस दशा म सफलता के प रणाम भी दे खे गये ह।
यह भी एक कारण है क कई रा य क वधानसभा ने मुझे एक अवसर दया है क म
वकास के मु े पर उनके साथ वचार- वमश कर सकूँ। जब कुछ ही रा य वधान सभा
के साथ मने यह काम कया, तो और रा य वधायक ने भी मुझे आमं त कया क म
उनके बीच प ँच कर उ ह संबो धत क ं । इससे यह प होता है क भारतीय जनता और
भारतीय राजनी तक काय , रा ीय वकास के हत म, अ भयान क त अवधारणा को
वीकार कर रही है। इसके लये मागद शका और कायकारी योजना का होना ब त ज़ री
है, जसे काय क ग त के दौरान बीच-बीच म परखते रहा जाए।
म समझता ँ क रा प त कायालय म कायकुशल लोग क ट म होनी चा हए, जो
ऐसे द तावेज़ बना सक जैसे वधानसभा म तैयार करके तुत कये गए ह। आपने ठ क
ही कहा, रा प त कायालय के लये यह एक बलकुल नई शु आत है, जसका रा के
वकास अ भयान म मह वपूण योगदान होगा। साथ ही, इससे, रा प त को अपने नाग रक
क ज़ रत का नरंतर पता भी चलता रहेगा।

4. हालां क सं वधान म रा प त और सरकार के अ धकार और ज़ मेदा रयां प


प से बताई गयी ह, फर भी इन चार वष के समय म आपको कोई दोहराव,
टकराव या कोई ऐसी थ त नज़र आई जहाँ रा प त और धानमं ी के अंतसबंध
प नह ह?
हमारा तं ब त अ छा और लचीला है। इसम साथ-साथ काम करने के ब त अ धक
अवसर ह। जब ज़ मेदारी को इस मा यता के साथ उठाया जाता है क रा कसी भी
से बड़ा है, तो फर संबंध के बीच कोई अंत वरोध नह रहता। हाल म ए रा यपाल के दो
स मेलन से यह प आ क रा प त और धानमं ी के बीच काय का पूण सम वय
रहता है।

5. लाभ के पद संबंधी कानून का मामला एक ऐसा संग है जसम मतभेद का संग


जनता तक प ंचा। तब आपने या कया जब आपके ारा इस पर आप लगा दे ने
के बाद वह बल फर वापस आपके पास भेजा गया और आपने, अपना मत अलग
होते ए भी उसको वीकृ त दे द ?
लाभ के पद के संबंध म मु े बेहद साफ़ ह। मने जो नणय लया, वह सं वधान के ल खत
और वां छत मंत के अ रशः अनुकूल था। आपने दे खा होगा क उसके बाद, संसद के
दोन सदन ने जे.पी.सी. ( वाइंट पा लयाम कमेट ) बना कर इस नणय का प लया।
जनता और राजनी तक दल ने भी इस नणय को उ चत माना। मने भी उस बल पर अपनी
वीकृ त के ह ता र, जे.पी.सी. बनने और लाभ के पद कौन से ह, इसक कसौट तय हो
जाने के बाद ही कये।

6. अपने य े व ान और टे नोलॉजी म, और युवा क च व ान क


दशा म जगाने के आपके काम अद्भुत रहे ह। आपके वचार से अब सरकार को
कौन से नये कदम उठाने चा हए?
(i) ब च म रचना मकता के वकास के लये ाथ मक और मा य मक तर क
श ा के व प म आमूल बदलाव लाना होगा। हालां क, ‘ श ा के अ धकार’
का संसद म पा रत बल अभी रा य क वधा यका म वचाराधीन था। ‘ श ा के
अ धकार’ का बल, छह से चौदह वष क उ तक के ब च के लये अ नवाय
और मु त श ा का ावधान रखता है।
(ii) ाथ मक श ा के व प म बड़े बदलाव लाने क ज़ रत है। ाथ मक श ा के
वशेष के दल को, रचना मक पा म, रचना मक क ा थल और
रचनाशील अ यापक का ावधान करना होगा।
(iii) व ान और टे नोलॉजी श ण को भारत-2020 क दशा म आयो जत करना
होगा।
(iv) व व ालय के पा म म शोध, ज ासा, रचना मकता, अनुसंधान और
उ च तरीय टे नोलॉजी, उ मशीलता और नै तक अगुवाई का समावेश होना
चा हए ता क युवा भारत-2020 अ भयान म योगदान दे ने के लये स म हो सक।
(v) ऐसे वशेष सं थान उपल ध होने चा हए जहाँ तवष, एक हज़ार युवा व ाथ
वशु प से, वै ा नक शोध को अपना पूणका लक वसाय बना सक। इसके
लये व ान क त रोज़गार के अवसर न मत करने ह गे।

7. उदाहरण दे ख क च क सा व ान, इंजी नय रग तथा बंधन के श ण


सं थान म आवेदक क भीड़ लगी रहती है, जब क शु व ान के पा म म
पूरी सीट भी नह भर पात । या इसके लये कोई नी तगत बदलाव होना चा हए
जससे लोग म शु वै ा नक वषय और शोध के त च वक सत हो?
यह तो आपको मालूम ही होगा क सरकार ने दो रा य म इं ट ट् यूट ऑफ साइंस एंड
एजुकेशन खोले ह। हम धीरे-धीरे वै क मानव संसाधन वग वक सत करना है, जो युवा
को व ान, टे नोलॉजी, शोध या ऐसे कला मक नर म पारंगत बनाए, जसके आधार पर
रोज़गार मल सके और जससे दे श अंतररा ीय तर क त पधा म ठहर सके। मुझे लगता
है क वष 2050 तक, अब के दस तशत के मुकाबले, तीस तशत युवा उ च श ा ा त
कर सकगे और शेष स र तशत कोई उ च तर का नर सीख कर उ ोग, सेवा या कृ ष
े म अपना समु चत नवाह पा सकगे।

8. सरकार ारा ब त ज़ोर-शोर से यह नणय घो षत आ क वह व तरीय शोध


और वकास, और श ण के हत म इ डयन इं ट ट् यूट ऑफ साइंसेज
(आई.आई.एससी.) तथा अ य सं थान म सौ करोड़ पये क रा श नवेश कर रही
है। इस रा श को ब त से वै ा नक, नधा रत ल य के मुकाबले ब त कम आंक रहे
ह। एम.आई.ट . तथा टै नफोड जैसे सं थान को इस से कई गुना यादा संसाधन
मल रहे ह। आई.आई.एससी. का कहना है क उसे पया त सं या म शोध छा नह
मल रहे ह।
सरकार क ओर से यह एक शु आत-भर है। और भी योजनाएं ह जो सरे व व ालय से
संबं धत ह। इसके अलावा, बु नयाद ढांचा खड़ा करने के लये व ीय व था के ब त-से
ोत ह। अपने सुझाव के ज़ रये मने एक साइंस कैडर तैयार कया है। मुझे व ास है क
ब त-से युवा उसके मा यम से भी बु नयाद शोध करना पसंद करगे।

9. इस बात के दावे कए जाते ह क अपनी वै ा नक योगशाला म भारत ने नैनो


टे नोलॉजी, बायोटे नोलॉजी, कारबन यौ गक तथा धातु व ान आ द े म
ब त-से व तरीय शोध कर लये ह, ले कन गत साठ वष म हम अपने दे श म कये
गये काम के लये कोई भी नोबेल पुर कार नह मला। यह है क या हम
सचमुच व तरीय शोध कर रहे ह, या फर क ह अ य कारण से भारतीय काम
को सराहा नह जाता है। आपके या वचार ह?
अ धकाँश नोबेल पुर कार मूल सै ां तक शोध काय के लये दए जाते ह। हमारे यहाँ
बु नयाद शोध के लये आबं टत रा श व वध े म बांट जाती है। हम अपने युवा क
तभा को नबाध करना होगा ता क वह ब त व श , चुने ए वै ा नक वषय पर गहरे
उतर कर शोध कर, न क, ब त लंबे-चौड़े ब आयामी े म अपनी एका ता को
बखराएँ। म राय ं गा क शोध के लये, एक ल य एका नैनो टे नोलॉजी,
बायोटे नोलॉजी तथा सूचना-संचार टे नोलॉजी पर रखी जाए। व व ालय और उ च
तकनीक सं थान को अपने व श े म बु नयाद द ता और व ीय मता जुटानी
होगी। चूं क अ धकाँश शोधाथ और ोफ़ेसर लोग यू नव सट जैसे प रवेश म श त ह गे,
जससे ब त-से छा इसक ओर आक षत ह गे। इससे नवो मेषी शोध प रणाम नकलगे
और हमारी वदे शी टे नोलॉजी खुद को था पत कर पाएगी। कुछ शोध पुर कार पाने
लायक होगा। यहाँ म एक अनुभव आपसे साझा करना चाहता ँ क वै ा नक उदारता शोध
के प रवेश के लये कैसे मह वपूण है।
वै ा नक उदारता : 15 माच, 2005 को नोबेल पुर कार वजेता कृ ष वै ा नक और भारत
क पहली ह रत ा त म भारत के सहयोगी, ोफ़ेसर नोमन ई-बोल ग व ान भवन नई
द ली म एम. एस. वामीनाथन पुर कार ा त कर रहे थे। इ यानवे वष य ोफ़ेसर बोल ग
पर चार तरफ से शंसा के फूल बरस रहे थे। जब उनके बोलने का अवसर आया, वह खड़े
ए और उ ह ने कृ ष व ान और अनुसंधान के े म भारतीय वै ा नक क उपल धयां
बतानी शु कर द । उ ह ने कहा क भारत म पहली ह रत ा त के कणधार सी.
सु ाम नयम तथा डॉ. एम. एस. वामीनाथन ह जनक राजनी तक संक पना से यह संभव
आ। उ ह ने गव त हो कर डॉ. वग स कु रयन को याद करते ए कहा क उ ह ने भारत
को ेत ा त का फल दान कया। उ ह ने दशक म तीसरी, पांचव और आठव पं म
बैठे वै ा नक क ओर नज़र दौड़ाई और गे ं वशेष डॉ. राजा राम, म का वशेष डॉ.
एस. के. वसल और बीज वशेष डॉ. बी. आर. बारवाले को पहचाना। उ ह ने कहा क इन
वै ा नक ने भारत और ए शया के कृ ष व ान के े म मह वपूण योगदान दया है।
उ ह ने दशक से कहा क इन सब को खड़े हो कर स मा नत कया जाना चा हए, और ऐसा
कया गया। मने इस दे श म ऐसा य कभी नह दे खा था। म डॉ. बोल ग के इस काय को
वै ा नक उदारता कहता ँ। दो तो, अगर आप जीवन म कोई भी बड़ी उपल ध हा सल
करना चाहते ह, तो आपको अपने म वै ा नक उदारता पैदा करनी होगी। इस वै ा नक
उदारता से व ान समुदाय े रत होगा, उससे ट म भावना का व तार होगा और शोध के
े म नये आ व कार, अनुसंधान सामने आयगे।

10. आपके वचार से या रा प त क व भ म दे श क या ाएं कोई ठोस


साथकता स करती ह, या यह केवल सी मत मू य के आयोजन भर ह?
इन म से कसी भी या ा से या हा सल आ, यह इस बात पर नभर करता है क भारत
या पाना चाहता है। मने चौदह दे श क या ा क है और वहां के रा ीय सांसद , वधायक
से मेरी बातचीत ई है। मेरी या ा से भारत और उन दे श के बीच बेहतर समझ वक सत ई
है। इससे, दोन दे श के बीच संवाद और सहयोग के नये रा ते खुले ह।
उदाहरण के लये, मने द ण अ का क पैन-अ कन संसद को संबो धत कया।
वहां मने ताव रखा क हम उनके लये पैन-अ कन ई-नेटवक, पांच करोड़ अमरीक
डॉलर क ारं भक लागत पर था पत कर सकते ह। आप को जान कर खुशी होगी क यह
काम शु हो चुका है और आगे बढ़ रहा है। इस से भारतीय ट म और अ क संघ के बीच
गहरा तकनीक सहयोगी भाव वक सत आ है। म इसे एक बड़ी उपल ध मानता ँ।
जब म सूडान गया, उस समय, ओ.एन.जी.सी. का पाईप लाइन बछाने का ोजे ट
हाथ से नकल जाने वाला था। आज वह ओ.एन.जी.सी.- वदे श ारा पूरा कर लया गया है
और इसका लाभ दोन दे श उठा रहे ह।
फलीप स ने ज ोफा पेड़ लगाने का नणय हमारे उदाहरण से लया। उ ह ने इस
योजना को लागू करने के लये भारत के वशेष को आमं त कया। इसके अलावा, भारत
और फलीप स के औष ध उ ोग के बीच एक सहयोगी संबंध वक सत आ और अब
दोन को एक- सरे क तैयार क ई औष धयां कफायती मू य पर मल रही ह। नैसकॉम
(NASSCOM) ने फलीप स के साथ काम करते ए आई.ट . (IT) आई.ट .ई.एस.
(I.T.E.S.) और बीपीओ (BPO) सेवाएं था पत क ह।
अपनी साख था पत करने के हत म हमने वीकार कर लया है क हम तंज़ा नया
के कुछ ब च के दय रोग का इलाज करगे। मुझे यह बताते ए खुशी हो रही है क वे सारे
ब चे भारत लाये गये, उनका सफल इलाज आ और वे वापस तंज़ा नया लौट गये। साथ ही
तंज़ा नया के ब त-से डॉ टर भारत आये और वह दय रोग क च क सा के लये श त
ए।
अपनी सगापुर और द ण को रया क या ा के दौरान मने ताव रखा क
सहयोगी दे श के बीच ‘वै क ान मंच’ बनाया जाए। इस काय म ने बारीक द ता के
नर वाले उ पाद के संबंध म, बारह सहभागी दे श क मता क सहायता से, डज़ाइन
और उ पादन क या वक सत क । इस जानकारी को अंतररा ीय बाज़ार म उतारा।
अब सरे दे श भी ‘वै क ान मंच’ को अपनाने क तैयारी म ह।

11. अब, जब आप अपने कायकाल का बड़ा समय पूरा कर चुके ह, या आप अपने


उन काय म , जैसे पी.यू.आर.ए. क सूची दगे, जन से आपको संतोष मला है?
म कुछ ऐसे काय म का ज़ करना चा ँगा, जनसे मुझे संतोष मला है। ामीण वकास :
ाम वकास मं ालय ने रा ीय तर पर 33 पी.यू.आर.ए. समूह को था पत करने का
नणय लया है। कुछ नजी श ा सं थाएं और सामा जक संगठन भी गाँव के समूह को
वकास का लाभ प ंचाने के लये पी.यू.आर.ए. को अपना रहे ह।
ऊजा : एक ऊजा नी त क घोषणा ई है और पांच रा य ने बायो-डीज़ल बनाने के लये,
ज ोफा पेड़ लगाने शु कर दए ह।
ान के : नेशनल नॉलेज कमीशन (एन.के.सी.) एक रा ापी ान क था पत करने
क योजना बना रहा है। यह के पांच हज़ार श ा सं था , व व ालय , तथा कॉलेज
को नेटवक से जोड़ेगा और सौ मेगा बाईट त सेके ड क ग त से संचा रत होगा।
‘वचुअल’ व व ालय : एक सौ पचास साल पुराने तीन व व ालय ने वचुअल
व व ालय शु कये ह। वचुअल क ा के मा यम से मने बीस हज़ार व ा थय को
संबो धत कया है।
ाम ान के : सूचना एवं संचार मं ालय (एम.सी.आई.ट .) ने एक लाख, सामा य
जानकारी उपल ध कराने वाले के था पत कये ह, जो गाँव के लोग को मह वपूण
सेवाएँ दान कर रहे ह।
ई-शासन णाली : रा ीय तर पर पहचान प (ID) क थापना करना और G2G जैसी
सेवा के लए एक ई-शासन ड क थापना—ये सब काय ग त पर ह।

12. या आप अपना कायकाल पूरा करने के बाद, अपनी असीम तभा, ऊजा और
तब ता का कोई उपयोग जैसे अपने पी-एचडी. शोधा थय के दशा- नदश करने
म, करना चाहगे? या आप अ ा यू नव सट म वापस लौटगे?
2020 तक, म वक सत भारत क संक पना के काम को जारी रखूँगा। म शोध और
अ यापन का काम भी करता र ँगा और व ा थय से संवाद भी जारी रहेगा।
मेरी यह भी इ छा है क पूव र े को भी हर साल कुछ समय दे सकूँ। इस म मेरा
यान ऐसे समयब काय म वक सत करने पर होगा, जनके ज़ रये लोग के जीवन तर
म पया त सुधार आ सके और उस े के युवा को बेहतर रोज़गार के अवसर मल सक।

13. या आप अपने सव च पद पर रहने के दौरान कसी ऐसे संग का ज़ करना


चाहगे, जहाँ श -संप होने के बावजूद आपको नराशा का सामना करना पड़ा
हो?
म अपने दे श के भ व य के त ब त आशावान ँ। केवल वकास क ग त पर मेरी नज़र है।
अगर सभी वे लोग जनके संसाधन दांव पर लगे ह, एकजुट ढं ग से दे श के युवा को
सश करने म लग जाएँ, तो हम ब त तेज़ी से भारत-2020 का ल य पा सकते ह। हम म
से हर एक को इस भावना के साथ काम करना चा हए क दे श का हत, के हत से
बड़ा है। मुझे दे श के 54 करोड़ युवा पर ब त भरोसा है।

14. आपने पूव र रा य का दौरा कया है और उ ह उनके वकास के लये


मागद शका द है। ले कन या आपको नह लगता क जहाँ व ोह का वातावरण
पूरी तरह से हावी हो, वहां यह काय योजना काफ नह है? व ो हय ारा नवेश को
बाधा प ंचायी जा रही है, और इसके कारण युवा म असंतोष बढ़ रहा है। इस
वजह से वकास काय ठहर गये ह। इस थ त म पूव र रा य के पी ड़त लोग के
लये कोई उ मीद बाक है?
पूव र रा य क ओर से हमारे सामने ब त-से अवसर और चुनौ तयाँ ह। मुझे यह भी
लगता है क लोग को यह समझ म आने लगा है क व ोह क धारा युवा के भ व य का
अ हत कर रही है। अगर रा य म इस व ोह के खलाफ एक आ ामक आवेग से वकास
क लहर उठ खड़ी हो, तो लोग वकास के प म कोई भी याग करने के लये तैयार हो
जाएंगे और चुनौती का सामना करगे। इस तरह, के और रा य सरकार के लए मेरा
स दे श है क वह युवा को सश करते ए, वकास क आवेगपूण योजनाएं लागू कर।
हम द ता, ान और उ मशीलता का व तार करते ए, रोज़गार के अवसर क समु चत
व था करनी चा हए, भले ही व ोह और अ तवा दय ारा हसा का माहौल हो।

15. पूव और पूव र रा य के बीच रेल और सड़क माग था पत करने, संचार


व था जारी करने और ावसा यक संबंध शु करने के वषय म आपके या
वचार ह? या इससे आ थक व तार म सहायता मलेगी और रोज़गार के बेहतर
अवसर पैदा ह गे?
वकास के लये वह ब त ज़ री है। राजनी तक व था को संचार व था, सड़क-रेल
माग, ापार- व नमय को यथाशी बहाल करना चा हए। मने रा य तथा के सरकार के
अ धका रय से सीमा पार के संबंध को लेकर बात क है। मने बताया है क इस से हम
युवा को रोज़गार के बेहतर अवसर दे सकते ह।

16. या रा प त भवन पारंप रक ऊजा से गैर पारंप रक ऊजा क ओर पहल दखा


कर एक उदाहरण तुत करेगा? पता चला है क आप इस दशा म योजना बना रहे
ह।
अभी फलहाल, हमारा दे श केवल कुछ कलोवाट सौर ऊजा पर योग कर सका है।
रा प त भवन म हम पांच मेगावाट का सौर उजा संयं लगाने क योजना बना रहे ह। व ुत्
श मं ालय और गैर पारंप रक उजा ोत मं ालय ब त तेज़ी से इस दशा म काम कर रहे
ह क, यह संयं ज द से ज द लग जाए।

17. ऊजा क थ त से अपना सरोकार रखते ए या आप अपने भाव का


इ तेमाल करगे क दे श सौर ऊजा, पवन ऊजा तथा वारीय तरंग ऊजा जैसे ोत
को वक सत करे?
जैसा क आपने मेरे भाषण म पाया होगा, मने हमेशा ‘काबन नैनो ूब’ (सी.एन.ट .) के
ज़ रये सौर उजा के शोध क हमायत क है, जससे सौर उजा क द ता म सुधार आये। म
थो रयम के मा यम से ना भक य उजा के प म बात करता रहा ँ। प रवहन के े म,
बायो डीज़ल बनाने के लये, ज ोफा पेड़ लगाने क बात म लगातार कह रहा ँ। हमारे
वै ा नक इन सभी े म काम कर रहे ह।
मेरी तीन, पूव र रा य क या ा ने मुझे यह व ास दलाया है क वहां बायो-
डाइव सट , उ ान वसाय, तैयार खा तथा प रधान उ ोग क अ छ संभावना है। मेरी
इस बार क या ा ने मुझे ेरणा-भरा व ास दलाया है क यहाँ के युवा सफल जीवन के
ल य के त उ साही ह। उ ह बस, वकास क आमूल संक पना क ज़ रत है। साथ ही
इस व था क भी ज़ रत है क उ ह बाहरी नया से जुड़े रहने के लये संचार तं और
तैयार बु नयाद ढांचा मले। इससे रा य तेज़ी से वकास क थ त म प ँच सकगे।
प र श - II

ल य अ भयान काया वत करना

र◌ा एकप तयोजना


पद से मु होने से पहले मने अपने भाषण म, संसद को मज़बूत बनाने क
सामने रखी थी जनम मने सारे द घकालीन ल य का ववरण दया था।
इन ल य को स करने क ज़ मेदारी संसद और सरकार, दोन को मल कर नभानी
होगी और अवधारणा यह थी क इस काम म कसी भी राजनी तक दलगत भेद, व भ
मं ालय और वभाग के भेद मटा दे ने ह गे। यहाँ तक क इस काम को नजी तथा सरकारी
े साझा काय म मानगे, और इसे नधा रत समय-सीमा और संसाधन के भीतर, ‘ मशन
मोड’ यानी ल य अ भयान क तरह पूरा कया जाएगा। मने उ मीद क थी क इसम येक
अ भयान को संक पना के अनुकूल रदश नेतृ व कुशा सांसद के ारा मलेगा। इस
तरह, सभी सांसद, दलगत भेदभाव से ऊपर उठ कर भावी शासन क ओर कदम बढ़ाएंग।े
अपने-अपने अ भयान को वह स पूणता से हण करगे और अपनी जवाबदे ही रखगे।

ल य बंधन का संगठना मक ा प

ल य बंधन के अ म दौर म अपनाए जा सकने वाले मॉडल के अनुसार, म इसके


संगठना मक ा प को इस कार दे खता ँ :
• अ भयान के लए चुने गये सांसद अ भयान का संचालन करगे, और संबं धत
शासक य वभाग के कै बनेट तर के मं ी, अपने मं ालय के दायरे म रहते ए,
इन सांसद को दशा- नदश दगे।
• कै बनेट मं ी आव यकतानुसार वे सभी संसाधन ‘अ भयान मं ी’ को उपल ध
कराएंगे और यह अ भयान मं ी संसद के त जवाबदे ह होगा और नधा रत
वा षक ल य क ा त का दा य व उठाएगा।
कई ल य को एक साथ संचा लत करने के लये एक वैचा रक ‘मै स’ (matrix)
तं यहाँ दखाया जा रहा है जो भारत-2020 क संक पना को स कर सकेगा।
इसके लए मं ालय या वभागीय बजट का 15 से 25 तशत अंश वके त कर के
ल य के अनुसार आतं रक प से आबं टत कर दे ना होगा। येक ल य/अ भयान क
ज़ मेदारी एक सह-स चव या नदे शक तर के अ धकारी ( भारी) को स पी जाएगी।
अ भयान मं ी इस तरह कई भा रय का काम दे खेगा, जो व भ ल य पर काम कर रहे
ह गे। ल य बंधन दल का येक सद य शासक य प से उस कै बनेट तर के मं ी के
त जवाबदे ह होगा जसे वह ल य क ज़ मेदारी स पी गई है, ले कन काम के लये उसक
जवाबदे ही अ भयान मं ी के त होगी।

यहाँ दे खा जा सकता है क सांसद का काय-संचालन इस मै स के अनुसार होगा


और संगठन और जवाबदे ही के कोण से न न ल खत स ांत का पालन करने क
आव यकता होगी :
1. अ भयान मं ी का दा य व कोई भी रा य मं ी, सांसद, यहाँ तक क कसी ऐसे दल
का त न ध भी संभाल सकता है, जो स ा म न हो।
2. कै बनेट मं ी से अ भयान मं ी के बीच श य और संसाधन का वाह ऊपर से
नीचे होगा, जैसे—ऊ वाधर रेखा म दखाया गया है।
3. येक अ भयान से संबं धत व भ मं ालय / वभाग क ग त व ध का वाह
दा हने से बाएं, ै तज रेखा ारा दखाया गया है।
4. समूचे अ भयान के लये दल का चयन, उसक कायकारी योजना और उसके
संसाधन का आबंटन योजना आयोग और येक संबं धत मं ालय, भारत-2020
के ल य को यान म रख कर करगे।
5. योजना आयोग, संबं धत मं ालय, और अ भयान योजना दल के सद य मल कर
एक वहंगम योजना का ा प तैयार करगे, जो भारत-2020 क संक पना के
अनु प होगा।
6. अ भयान के लये संसाधन शु से अंत तक क आव यकता के अनुसार आबं टत
ह गे, और कसी भी अ भयान का कायकाल संसद तथा सरकार क कायाव ध से
अ धक लंबा हो सकता है।
7. आव यकतानुसार ई- बंधन व था का उपयोग कया जाएगा।
8. अ भयान मं ी सीधा संसद के त उ रदायी होगा।
9. कै बनेट मं ी कै बनेट के त उ रदायी ह गे, और कै बनेट क जवाबदे ही संसद के
त होगी।
10. भारत-2020 संक पना क इस मै स म बड़ी सं या म अ भयान मं ी अपनी
भू मका नभाएंगे, इस लए संसद क भू मका और जवाबदे ही भी बढ़े गी। व श
अ भयान के लये अनेक जन-कायालय क सं या म भी बढ़ोतरी होगी।
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लोकतां क व था क ग त व धय के संचालन के लये लोकता क सं थान क
भू मका न संदेह बड़ी है। ले कन, उ ह केवल वकास के लये इ तेमाल कये जाने वाले
ह थयार नह माना जाना चा हए। उनका सफल योग दो बात पर नभर करता है; एक—
उनसे जुड़े सामा जक मू य और दो—इनम जनता क भागीदारी कतनी भावी है और
इनक जवाबदे ही करने क व था कैसी है। अब वह समय आ गया है क व धस मत
बदलाव खोजने क दशा म रा ीय वमश एक उ ेरक भू मका अदा करे।

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