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ए.पी.जे. अ ल कलाम
अनुवाद
अशोक गु ता
मू य : ₹ 225
ISBN : 9789350641002
थम सं करण : 2012, ष म् आवृ : 2016
© ए.पी.जे. अ ल कलाम 2012
ह द अनुवाद © राजपाल ए ड स ज़
TURNING POINTS by A.P.J. Abdul Kalam
(Hindi edition of Turning Points)
(Published in arrangement with HarperCollins Publishers India)
आवरण सौज य : अमृता च वत
मु क : जी. एच. ट् स, द ली
राजपाल ए ड स ज़
1590, मदरसा रोड, क मीरी गेट- द ली-110006
फोन: 011-23869812, 23865483,
फै स : 011-23867791
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म
आमुख
आभार
1. म भारत का गीत कब गा सकता ? ँ
2. अ ा व व ालय म मेरा नौवां भाषण
3. मेरे जीवन के सात नणायक मोड़
4. मलनसार रा प त
5. म रा को या दे सकता ँ?
6. जो सर से सीखा
7. त पध रा बनने क ओर
8. द पक और पतंगा
9. मेरी गुजरात या ा
10. वसुधैव कुटु बकम्
11. भारत के दय का कायाक प
12. उ ान म
13. ववादा पद नणय
14. रा प त व के बाद
उपसंहार
और अंत म
प र श -I : सा ा कार
प र श -II : ल य-अ भयान काया वत करना
आमुख
व हसे जुकाम
लाई 2007 क 24 तारीख थी और मेरे रा प त पद पर होने का अं तम दन। ब त-
कये जाने थे। सुबह म अपने नजी काम म त रहा। बाद म दोपहर 3.25
बजे से टे ल वजन चैनल सी.एन.एन. आई.बी.एन. (CNN-IBN) के राजद प सरदे साई और
दलीप वकटरामन से सं त बातचीत, उसके बाद छ ीसगढ़ के रा यपाल ई. एस. एल.
नर सहन के साथ भट का काय म था। उसके बाद मुझे उ राखंड के वा य, जनक याण,
व ान और टे नोलॉजी मं ी डॉ. रमेश पोख रयाल ‘ नशंक’ से मलना था। मुझे ह
कॉलेज, द ली क छा ा क र मा थंक पन से भी मलना था जो अपने माता- पता और पांच
सा थय के साथ आ रही थ । शाम चार बजे वदे श मं ालय के श ाचार मुख सुनील लाल,
उनक प नी गीतांज ल और बेट न कता से भट करनी थी। इसी तरह कई तरह क वदाई
भट का काय म रात आठ बजे तक चलता रहा। उसके बाद नव नवा चत रा प त, उप-
रा प त, धानमं ी और उनके मं मंडल को मने रा -भोज पर आमं त कर रखा था।
वदाई के समय क मुलाकात , मी टग और म से बातचीत के दौरान मेरा थोड़ा
नजी सामान दो सूटकेस म रख लया गया। यह मने पहले ही कह दया था क बस इतना
कुल ही म अपने साथ ले जाऊँगा। ब त कुछ वह ही था जो लोग के दमाग म था ले कन
कहा नह गया था। जो कोई भी मुझसे मला या जसक भी बात मुझसे ई, उसके मन म
बस एक ही था, ‘म अब या क ँ गा? या मने कुछ सोच रखा है? या म फर से
अ यापन के काम म लौट जाऊँगा? या अब म स य जन-जीवन से मु हो जाऊँगा?’ जो
लोग मुझे जानते ह वह समझ सकते ह क यह स य जीवन से मु हो जाने वाली
संभावना मेरे साथ बेमानी है। तब तक, रा प त भवन म बताये पांच बरस मेरे मन म एकदम
ताज़े थे। पास बुलाते फूल से सजा मुग़ल गाडन, जहाँ उ ताद ब म ला खां ने अं तम बार
शहनाई वादन कया और सरे संगीतकार ने अपना नर दखाया, हबल गाडन क सुगंध,
नाचते ए मोर, और चु त मु तैद संतरी, जो कटकटाती सद और जानलेवा गम म भी अपने
काम पर डटे रहे— यह सब कुछ मेरी ज़दगी का ह सा बन गया था। इन पांच साल म यह
कतना अद्भुत अनुभव रहा!
जीवन के अलग-अलग े से जुड़े लोग ने अपने वह वचार मुझ तक प ंचाए
जनसे दे श का वकास संभव है। उनम मुझे यह बताने क एक होड़-सी दखी क कैसे
उनके छोटे -से कदम ने अपना योगदान दया। हर तर पर राजनेता ने अपना कोण मेरे
सामने रखा क कैसे वह अपने संसद य े का वकास कर सकते ह। वै ा नक ने त काल
सुधार के मु पर काम करने क अपनी बेताबी दखाई। लेखक और कलाकार ने भावपूण
ढं ग से भारत के त अपना ेम कया। धा मक मागदशक ने एक मंच पर आ कर
आ या मक चेतना और वैचा रक सा य के वषय म अपनी बात कही। अलग-अलग े के
वशेष ने अपने वचार बताए क समाज म ान का व तार कैसे कया जा सकता है।
याय और कानून के जानकार लोग अ सर ताज़ा स दभ म अपनी राय दे ते रहे, क कैसे
सभी नाग रक के लये सम प व था हो, सु त चल रहे मुकदम को तेज़ी से कैसे
नपटाया जाए और फुत ली इले ॉ नक या यक प त (ई-जुडी शयरी) अपनाई जाए।
अ नवासी भारतीय (एन.आर.आई.) जब भी मुझे मले, उ ह ने अपनी मातृभू म के सुधार
और वकास म अपना योगदान दे ने क अपनी इ छा कट क ।
दे श के व भ भाग म, जहाँ भी म गया मुझे अद्भुत अनुभव मला। मुझे लोग क
अ भलाषा का पता चला, म जान पाया क ब त लोग ने अ छे -अ छे काम कये ह, और
सबसे बड़ी बात, क मुझे अपने दे श क युवा श का पता चला।
मेरी बातचीत बड़े व तार से च क सा े से जुड़े लोग से भी ई। उनम कुछ लोग
गाँव म बसे नाग रक को कफायती खच म इलाज क सु वधा दे पाने क को शश म लगे थे,
कुछ लोग शोध काय कर रहे थे तो कुछ सरे लोग अलग-अलग तरह के वकलांग लोग क
ज़दगी आसान करने का काम कर रहे थे। बुजग लोग क दे खभाल का काम कुछ लोग के
हाथ म था और कुछ ने वा य के स दभ म, इलाज के बदले बचाव क नी त को स दे श क
तरह चा रत करने का काम लया था ता क लोग के वहार- श प म यह बदलाव आये।
मुझे भारत म या बाहर वदे श म, जहाँ भी नस मल , उ ह ने वे छा से, गाँव म ब त अ छे
तर के वा य के बनाने के काम के लये अपनी सेवाएं पेश क ।
मेरा मलना कसान से भी आ, खास तौर से, कपास क खेती म लगे मु कल म
आये कसान से भी मेरी बातचीत ई। इस से मुझे उनक क ठनाइय और चुनौ तय को
समझने का मौका मला। इस अनुभव से मेरी जानकारी म व तार आ और म कृ ष
वै ा नक तक अपने वचार प ंचा पाया।
डा कय से बातचीत के दौरान मेरे मन म एक नया वचार क धा, क डाक वभाग
समाज म ान और सूचना के व तार म अपनी साथक भू मका नभा सकता है। इस
व था म डा कय को गाँव म ान अ धकारी बना कर भेजा जा सकता है।
मुझे पु लस म काम करने वाले लोग मले। उ ह ने मुझे पु लस व था म सुधार के
बारे म अपनी राय द । मुझे बताया क पु लस टे शन क ढांचागत संरचना म या बदलाव
लाया जाना चा हए और पु लस के कामकाज म सूचना तं टे नोलॉजी का उपयोग होना
चा हए। इस सुयोग के आधार पर म उस वभाग को बता पाया क पु लस व था म या-
या सुधार हो सकते ह।
पंचायत के मु खया, वशेष प से म हला मु खया त न धय से मुझे ाम सुधार से
संबं धत उनके काय म और योजना के बारे म पता चला। मने गाँव म उनक बाधा के
बारे म भी जानकारी पाई।
जब भी मेरी मुलाक़ात अ यापक से ई, उ ह ने मुझे व ास दलाया क उनका
ल य युवा को रा के नमाण के लये तैयार करना है। उ ह ने कहा क वह युवा म उन
मू य के संचार के काम म लगे रहगे, जनसे वह एक जाग क नाग रक बन सक।
इन समृ अनुभव से उस तब ता का व प तैयार आ जसके आधार पर
समाज के हर वग के लये, चाहे वे ब चे ह , माता- पता, अ यापक, नौकरीपेशा लोग,
सेनानी, शासक, वक ल, डॉ टर, नस और अ य सभी, उनक कायवाही तय क गई। इस
तब ता का संचालन, कसी भी वग से होने वाले वहार का सहज ह सा बन गया।
आम तौर पर, इस तब ता सू म समाज के उस वग के काम से जुड़े पांच, सात या दस
वा य रखे गये। ायः इनके संचालन के समय लोग क ब त भीड़ इकठ् ठा ई और इन
तब ता वा य के सामू हक पाठ ने समूचे जनसमुदाय को एक ल य के साथ मंच पर
एकजुट कर दया जसका स दे श यह गया क वे लोग आजीवन इस तब ता का नवाह
करगे।
जस बात ने मुझे अपने रा प त होने के दौरान बराबर हैरत म डाले रखा, वह थी उन
च य , ई-मेल तथा सरे प क तादाद, जो हर रोज़ मेरे पास प ंचते थे। यह प ब च ,
युवा और वय क , अ यापक , वै ा नक या कह सभी वग के लोग ारा भेजे जाते थे।
व ास नह होता, हज़ार खत—हर रोज़। यह संभव नह था क हर प का जवाब दया
जाए या उसम बताई गई क ठनाई का हल दया जाए, ले कन हम अपनी ऐसा करने क
को शश म नह चूके। कई मामल म हमने ये प संबं धत वभाग को अगली कायवाही के
लये भेज दये। अगर वह बीमारी या इलाज से संबं धत ए तो हमने उपयु अ पताल क
जानकारी भजवाई। कई बार हमने खुद ही सुझाव और परामश दये। यहाँ तक क कई बार
हमारी ओर से कुछ आ थक सहायता भी भेजी गयी। यह हैरत क बात थी क तमाम गरीबी,
तकलीफ और पीड़ा से घरे होने के बावजूद दे शवा सय म आशा, व ास और उ मीद क
रोशनी भरपूर है। एक प जसने मुझे हला कर रख दया, वह एक छोट लड़क ने भेजा
था। उसका प रवार घोर वप य से जूझ रहा था। उस लड़क के मम पश प म मुझे ऐसे
भावा मक आवेश का एहसास आ जो थ तय को अनुकूल दशा म बदल सकता है।
हमने वह प कसी ऐसे को भेज दया जो शायद इस मामले म आशातीत मदद कर सकता
था।
‘मेरा प रवार क ठनाई म है। प रवार के साथ यह मु कल पछले तेईस साल से
जारी ह। हमारे प रवार क याद म एक भी दन ऐसा नह है जसम कोई खुशी का पल जुड़ा
हो। म पढ़ाई म अ छ चल रही थी। पांचव क परी ा म मने अपने सटर से पहला थान
पाया था। म एक डॉ टर बनना चाहती थी। ले कन उसके बाद मने कभी पहला थान नह
पाया, म हमेशा सरे या तीसरे नंबर पर आती रही। बी. ए. म मुझे केवल 50 तशत अंक
मले। म डॉ टरी क पढ़ाई म नह जा सक य क म हमेशा तनाव क थ त म रहती ।ँ
म पछले चौदह साल से तनाव क हालत म ँ...’
ऐसे ब त-से प आते थे। उनम जो न छल ईमानदारी और रा प त के कायालय क
मता के त आ था दखती थी, वह रोमां चत करने वाली थी।
इसके ठ क उलट, ब त-से सं थान क ओर से ऐसे प भी आते थे : ‘मा यवर
रा प त महोदय कलाम साहब, हम उ च तरीय नैनो टे नोलॉजी (या ऐसा ही कोई गूढ़
वषय, जैसे बायो-डायव सट , काबन यौ गक , रॉकेट णोदन, दय श य च क सा, फैलने
वाली बीमा रयाँ, यायालय म लं बत मुकदम को ज द नपटाने क रणनी त या ई-गवनस)
पर एक अ धवेशन आयो जत कर रहे ह और हम चाहते ह क इस अवसर पर आप अपना
मह वपूण व द...’ दरअसल ऐसे प के उ र दे ना आसान था। केवल काय म क
तारीख और वषय पर मेरे ान क बात थी। यह दोन ही थ तयां, एक ऐसी लड़क क
हालत जो अपनी ज़दगी को बेहतर बनाने के लये अवसर खोज रही है, और ऐसे अ धवेशन
जो चम कारपूण टे नोलॉजी क राह खोज रहे ह, दो ऐसे स दभ के सच ह, ज ह
भारत-2020 म जगह दे ने क ज़ रत है।
इ ह वचार को मन म रखते ए मने अपने-आप से पूछा क मुझे आगे या करना
चा हए। मुझे या सफ अपने सं मरण लख कर परे हो जाना चा हए, या कुछ और भी है
जो म कर सकता ँ? यह नणय लेना आसान नह था। जस एक घटना ने मेरे इस काम को
आसान कर दया, वह थी, अपने वदाई समारोह म रा को दए जाने वाले मेरे स दे श क
तैयारी।
मने तय कया क म अपने भाषण म दे श के नाग रक का ध यवाद करते ए, उनसे
दे श के वकास का वह न शा साझा क ँ गा जो मने उ ह के साथ रह कर इन पांच वष म
बनाया है।
सारांशतः, मने कहा : य दे शवा सयो, हम यह ण लेना है क हम ऐसे रा के
नमाण के हत म काम करगे जसम समृ हो, व थ नाग रक ह , सुर ा हो, खुशहाल
शां तपूण और संजो कर रखी जा सकने वाली ग त का नबाध रा ता हो। जहाँ गाँव और
शहर क खुशहाली म कम से कम अ तर हो। और जहाँ शासन- बंधन संवेदनशील,
पारदश तथा ाचार-मु ह ।—कुछ और मु े भी ह, ज ह मने वक सत भारत क
संक पना म दस सू ीय प दया है। म उनका वणन इस पु तक म आगे क ँ गा।
इसी स दभ से मुझे अपने जीवन का ल य फर याद आता है। वकास के दस ख भ
के सहारे दे श के एक अरब दल और दमाग को अपने ऐसे समाज से जोड़ कर रखना
जसम ब ल सं कृ त का प रवेश है। साथ ही नाग रक म ऐसा आ म व ास पैदा करना क
वह ‘हम कर सकते ह’ जैसी मनः थ त म बने रह। य नाग रको, म भारत को 2020 तक
वक सत दे श बना दे ने के अपने महान ल य को लेकर हमेशा आप के साथ र ँगा।
ये कुछ ऐसी घटनाएं ह ज ह ने मेरी सोच को रोशन कया है, जनसे मेरे
ह ठ पर मु कान आई है और ज ह ने मुझे अपने दे शवा सय से ेम करना
और उनसे जुड़ना सखाया है।
2
म◌ै अथकता
यापन और शोध के काम म ब त च लेता ँ, य क म इसे बार-बार करने म
नह । शै क जीवन मेरे वचार तं और मेरी आ व कारक मता को ाण
दे ता है। युवा और उनके गु जन से बातचीत करना मेरी वानुभू त क पहली ज़ रत है।
मने एक सचेत और ववेकपूण नणय लया क म अ यापन और शोध के े म वापस
लौटूं ।
जैसा मने बताया, क ह ता का लक घटना के कारण मुझे दे श का रा प त बनना
वीकार करना पड़ा, हालां क पूरी तरह मेरी मान सक तैयारी अ यापन म ही बने रहने क
थी। इसके साथ ही मुझे अपने जीवन क छह और घटनाएं भी याद आ रही ह ज ह ने मेरी
ज़दगी का रा ता ही बदल दया। रा प त पद से मु होने के बाद मेरा फर से भारत के
शै क प रवेश म लौटना भी एक ऐसी ही घटना के प म गना जा सकता है।
~
मेरे जीवन का पहला नणायक मोड़ 1961 म आया था। मुझे अभी तक याद है, म
‘एरोनॉ टकल डेवेलपमट इ टे लशमट’ (ए.डी.ई.) म बतौर सी नयर साइं ट फक अ स टट
काम कर रहा था और एक हे लकॉ टर के डज़ाइन के काम म चीफ डज़ाइनर नयु था।
‘नंद ’ नाम से बनाया गया हे लकॉ टर तैयार था और हम उसक उड़ान का दशन ब त-से
अ त थय के सामने करने जा रहे थे। ऐसा होता ही रहता था। एक दन ए.डी.ई. के नदे शक
डॉ. गोपीनाथ मे दर ा एक लंबे, खूबसूरत, दाढ़ वाले आगंतुक को साथ ले कर आये। उस
नये आगंतुक ने मुझसे उस है लकॉ टर के बारे म ब त-से सवाल पूछे। म उस के इतने
प वचार को दे ख कर त ध रह गया। उसने पूछा, ‘ या आप मुझे इस हे लकॉ टर म
एक बार सवारी दला सकते ह?’
हमने उस हे लकॉ टर पर दस मनट क , बस एक नाम मा -सी उड़ान भरी।
हे लकॉ टर ज़मीन से बस कुछ सट मीटर ऊपर उठा और फर नीचे आ गया। इस हे लकॉ टर
को म ही उड़ा रहा था, और वह आगंतुक इस बात से च कत था। उस ने मुझसे कुछ
सवाल मेरे बारे म भी पूछे, मुझे इस सवारी के लये ध यवाद दया और चला गया। जाते
समय उसने अपना प रचय भी नह दया। बाद म पता चला क वह ‘टाटा इं ट ट् यूट ऑफ
फंडामटल रसच’ के नदे शक ोफ़ेसर एम. जी. के. मेनन थे। एक स ताह बाद मुझे ‘इं डयन
कमेट फॉर पेस रसच’ (आई.सी.एस.आर.) से एक लफाफा मला जसम मेरा रॉकेट
इंजी नयर के पद के लये इंटर ू प था। यही सं था बाद म ‘इ डयन पेस रसच
ऑगनाईज़ेशन’ बन गयी और ‘इसरो’ कहलाने लगी।
जब म इंटर ू के लये ब बई प ंचा तो यह दे ख कर आ यच कत हो गया क वहां
ोफ़ेसर व म साराभाई, जो आई.सी.एस.आर. के चेयरमैन भी थे, इंटर ू बोड म बैठे थे।
उनके साथ ोफ़ेसर मेनन और ‘एटो मक एनज कमीशन’ (ए.ई.सी.) के उप-स चव सराफ
भी बोड म बैठे थे। म ोफ़ेसर साराभाई क गमजोशी दे ख कर च कत था। उ ह ने मेरे अपने
ान और द ता के बारे म कुछ नह पूछा, ब क वह मेरे भीतर क संभावना क पड़ताल
करते रहे। वह मेरी ओर कसी बड़े अभी क तलाश म दे ख रहे थे। मेरा सामना एक ऐसे
स चे पल से था जसक मु म मेरा सपना बंद था, और वह एक बड़े इंसान क मु थी
जसम उसका भी बड़ा सपना बंद था।
अगले दन, शाम को मुझे मेरे चयन क सूचना द गयी। मुझे 1962 म नवग ठत
इसरो म रॉकेट इंजी नयर के तौर पर नयु कर लया गया था। इस तरह मेरे जीवन क
सबसे बड़ी घटना सामने आई— ोफ़ेसर सतीश धवन का मुझे नदश दे ना क म भारत के
पहले उप ह ेपण काय म क अगुआई, उसके ोजे ट डायरे टर के प म क ँ ।
~
सरा मोड़ 1982 म आया, जब मुझे भारत के मसाइल काय म म प ँचने का मौका
मला। इसके लये ‘ डफे स इं ट टयूट ऑफ वक टडी’, मसूरी (डी.आई.ड यू.एस.) म
मेरी भट डॉ. राजा राम ा से ई। (अब यह सं थान ‘इं ट ूट ऑफ टे नोलॉजी मैनेजमट’
कहलाता है) यह सं थान डफे स स टम मैनेजमट के उन सेवा अ धका रय को श त
करता है ज ह वशेष द ता क ज़ रत होती है। चूं क म एसएलवी-3 का ोजे ट
डायरे टर रह चुका था इस लए मुझे डी.आई.ड यू.एस. म एक ा यानमाला चलाने का
काम स पा गया। मने अपने ा यान म बताया क कैसे पहला भारतीय उप ह यान,
रो हणी पृ वी क क ा म े पत कया गया। डॉ. राम ा ने 1974 म भारत म पहले
परमाणु परी ण क सफलता पर अपना ा यान दया।
अपने ा यान के बाद हम दे हरा न प ंचे, जहाँ हम वै ा नक के एक दल के साथ
चाय पीनी थी। जब म दे हरा न म ही था, तभी डॉ. राम ा ने मेरे सामने ‘ डफे स रसच एंड
डेवलपमट लेबोरेटरी’ (डी.आर.डी.एल.) हैदराबाद के लये नदे शक के पद का ताव रखा।
डी.आर.डी.एल. से ही मसाइल स टम के वकास के लये अलग योगशाला का ज म
आ, जसका बंधन ‘ डफस रसच ए ड डेवलेपमट ऑरगेनाइज़ेशन’ (डी.आर.डी.ओ.)
के अधीन है। मने इस ताव को तुरंत वीकार कर लया य क म शु से ही रॉकेट
टे नोलॉजी का उपयोग मसाइल टे नोलॉजी म करना चाहता था। इसके लये मेरा अगला
कदम अपने मुख ोफ़ेसर धवन को राज़ी करना था, जो इसरो के चेयरमैन थे।
कई महीने बीत गये, इसरो और डी.आर.डी.ओ. के बीच प ाचार होता रहा। र ा
सं थान के स चवालय अंत र वभाग के बीच कई बैठक ता क इस वषय म दोन के
बीच कोई कायनी त तय हो सके। डॉ. वी. एस. अ णाचलम तथा र ा मं ी के वै ा नक
सलाहकार आर. वकटरमन क म य थता म मं ी जी तथा ोफ़ेसर धवन के बीच वचार-
वमश आ और उसके आधार पर फरवरी 1982 म यह नणय आ क म डी.आर.डी.एल.
म नदे शक का पद संभाल लूँ।
~
मेरे जीवन का तीसरा नणायक मोड़ जुलाई 1992 म तब आया जब मने डॉ. अ णाचलम
के बाद र ा मं ी तथा ‘ डपाटमट ऑफ डफे स रसच एंड डेवेलपमट’ के स चव के
वै ा नक सलाहकार का पद हण कया। 1993 म त मलनाडु के त कालीन गवनर डॉ.
चे ारे ी ने मुझे म ास यू नव सट का उप-कुलप त बनने के लये आमं त कया। इस
संबंध म मने सरकार से अनुरोध कया क वह मेरी बासठ वष क आयु हो जाने पर
यू नव सट म मेरी नयु को अपनी वीकृ त दे । उस समय पी. वी. नर सह राव दे श के
धानमं ी थे और र ा मं ी का भी पद संभाल रहे थे। उ ह ने कहा क चूं क मेरे पास अभी
रा ीय मह व के कई काम चल रहे ह इस लए मुझे अभी वै ा नक सलाहकार का दा य व
संभालते रहना चा हए। म यहाँ बता ँ क मने नर सह राव के साथ कई वष तक काम कया
था और मने पाया था क वह र ा संबंधी मामल म, वशेष प से र ा संबंधी वदे शी
संसाधन के वकास के प म थे। सु ढ़ र ा व था बनाने क दशा म वे रदश थे।
इस लए मने उनक बात मान ली और स र वष क आयु तक वै ा नक सलाहकार का
दा य व संभाले रखा।
~
1998 का परमाणु परी ण मेरे लये चौथा नणायक मोड़ था। इसके पीछे एक रोचक
कहानी है। हम मई 1996 के समय म लौटते ह। उसी वष चुनाव ए थे। चुनाव प रणाम
आने के कुछ ही दन पहले मेरी नर सह राव से भट ई थी। उ ह ने कहा था, ‘कलाम, अपने
दल के साथ परमाणु परी ण के लये तैयार हो जाओ। म त प त जा रहा ँ।। तुम बस मुझे
इन परी ण के लए वीकृ त मलने तक इंतज़ार करो। डी.आर.डी.ओ. और ‘ डपाटमट
ऑफ एटॉ मक एनज ’ (डी.ए.ई.) के दल इसके लये तैयार रह।’
उनक त प त क या ा, न त प से, ई र से सफलता क कामना के लये हो
रही थी। ले कन 1996 के चुनाव प रणाम हमारी उ मीद के वपरीत नकले। कां ेस क
सीट क सं या गर कर केवल 136 रह गयी। अटल बहारी वाजपेयी के नेतृ व म भारतीय
जनता पाट स ा म आ गयी। ले कन यह सरकार केवल दो स ताह ही टक पाई, उसके बाद
तीसरे मोच के एच. डी. दे वगौड़ा धानमं ी बन गये। ले कन उन दो ह त म वाजपेयी
सरकार ने परमाणु परी ण करने क दशा म भरपूर काम कया।
रात के नौ बज रहे थे। मेरे पास 7, रेस कोस से एक स दे श आया क म तुरंत नये
धानमं ी तथा पदमु राव से भट क ँ । राव ने मुझसे कहा क म वाजपेयी जी को परमाणु
परी ण से संबं धत ववरण दे ँ ता क नई सरकार तक मह वपूण योजना व धवत प ँच
जाए।
लगभग दो साल बाद वाजपेयी जी फर से धानमं ी बने। 15 माच, 1998 आधी
रात को मुझे वाजपेयी जी का फोन आया। उ ह ने बताया क वे मं य क सूची तैयार कर
रहे ह और मुझे भी मं मंडल म लाना चाहते ह और अगली सुबह 9 बजे मलने का समय
दया। चूँ क व कम था, मने आधी रात को ही कुछ करीबी दो त को इक ा कया और
हम सुबह तीन बजे तक इस बात पर वचार करते रहे क मुझे मं मंडल म शा मल होना
चा हए क नह । राय यह बन रही थी क चूं क म दो रा ीय तर के मह वपूण ोजे ट् स म
पूरी तरह से त था और वे अपनी मं ज़ल तक प ंचने वाले थे, ऐसे म मुझे इनको छोड़कर
राजनी त म वेश नह करना चा हए।
अगली सुबह म 7, सफदरजंग माग प ँच गया जहाँ धानमं ी का आवास था।
उ ह ने मुझे अपने ाइंग म म बैठाया और मुझे घर क बनी मठाई खलाई। उसके बाद
मने कहा, ‘म और मेरी ट म दो मह वपूण काय म पर काम कर रहे ह। एक काम तो अ न
मसाइल क तैयारी का है। सरा परमाणु काय म से जुड़े कई परी ण क अं तम तैयारी,
जो डी.ए.ई. के साथ मल कर कये जाने ह। म समझता ँ क य द म इन दोन काय म
पर अपना पूरा समय ँ गा तो उससे रा का बड़ा हत स होगा। कृपया मुझे इसे जारी
रखने द।’
वाजपेयी जी ने उ र दया, ‘म तु हारी भावना क शंसा करता ँ। ई र तु ह
सफल करे!’ उसके बाद ब त कुछ आ। अ न मसाइल ेपण के लये तैयार आ, पांच
परमाणु परी ण एक के बाद एक कये गये और इस तरह भारत परमाणु श संप रा
बन गया। मेरे कै बनेट तर के पद को अ वीकार करने से म दो मह वपूण काय म पूरे कर
पाया जनसे दे श को गौरवपूण प रणाम मले।
~
मेरा पांचवां नणायक मोड़ 1999 के अंत म तब आया जब म भारत सरकार का मुख
वै ा नक सलाहकार नयु कया गया, जो क कै बनेट मं ी क है सयत के बराबर का पद
है। मेरी ट म म डॉ. वाई. एस. राजन, इले ॉ न स तथा संचार तं के वशेष डॉ. एम.
एस. वजयराघवन, जनके साथ म ट .आई.एफ.ए.सी. म काम कर चुका ँ, तथा मेरे नजी
स चव एच. शे रडोन थे। जब म वै ा नक सलाहकार था तब एच. शे रडोन मेरे टाफ
ऑ फसर थे। जब मने यह काम शु कया तब हमारे पास कोई ऑ फस नह था। हमने
ऑ फस खुद बनाया। इसके लये हम डी.आर.डी.ओ. वशेष प से स वल व स एंड
ए टे ट के चीफ ए ज़ी यू टव के. एन. राय, मेजर जनरल आर. वामीनाथन, चीफ कं ोलर,
आर. एंड. डी. के अथक यास का ध यवाद करते ह। मुझे लगा क भारत-2020 का ल य
भारत सरकार ने वीकार कर लया है, तो मु य वै ा नक सलाहकार का कायालय
द तावेज़ म लखी योजना के या वन का उपयु मंच होगा। इस संक प को सबसे
पहले दे वगौड़ा सरकार के सामने रखा गया था। उसके बाद आई. के. गुजराल धानमं ी
बने। 1998 म वाजपेयी बारा आये। इन तीन क सरकार ने अनुमोदन को लागू करने के
लये इसे आगे बढ़ाया। व ान भवन क ‘एने सी’ म हमारा ऑ फस था। यह एक बड़ी
इमारत है जसम ब त से जांच-आयोग के तथा सरे अ य सरकारी कायालय ह। यह एक
शांत जगह है। बगल म थत व ान भवन ज़ र एक मश र जगह है, इसम बड़े रा ीय
और अंतररा ीय स मेलन होते रहते ह। एने सी उप-रा प त के आवास के पास बनी है और
यह नॉथ लॉक और साउथ लॉक क गहमागहमी से हट कर काम करने के लये एक बेहतर
जगह है।
मुझे अपने काय के दौरान काफ या ाएँ करनी पड़ती थ । 30 सत बर, 2001 को
एक हे लकॉ टर घटना म म मौत से बाल-बाल बचा। यह घटना तब ई जब हे लकॉ टर
झारखंड के बोकारो ट ल लांट म उतर रहा था। यह एक चम कारी बचाव था। जैसे ही म
बाहर कूदा, म भाग कर अपने पायलट और सह-पायलट के पास प ँच गया और मने कहा,
‘ध यवाद, आप लोग ने मुझे बचा लया। ई र आपका क याण करे!’ पायलट लोग क
आँख भर आई थ , ले कन मने उनको समझाया क यह होता रहता है। हम बस यह कर
सकते ह क सम या का कारण समझ और उसे हल कर। उस शाम मेरे पांच काय म थे।
मुझे ा यान दे ना था और मेरे ोता म ट ल लांट के अ धकारी, इंजी नयस, टॉफ के
लोग तथा बोकारो के कूल के छा थे। घटना क खबर तेज़ी से फ़ैल चुक थी। समाचार
चैनल भी वहां आ प ंचे थे। जब म ब च से मला, वह ब त घबराए ए थे। मने उन सबसे
हाथ मलाया और उनके साथ उ साह का संचार करने वाला एक भजन गाया। जससे वह
स ए। वह एक सुगम उपदे श गीत था :
साहस
उसी दन एक खांत वमान घटना ई थी, जसम माधव राव स धया के साथ छह
और लोग, जनम प कार, उनके नजी टॉफ के लोग तथा वमान के कमचारी थे, सभी
मौत क गोद म सो गये थे। इन दोन समाचार को रामे रम म मेरे प रवार वाल ने, और मेरे
म ने दे श- वदे श म सुना। वह सब मेरा हाल जानने के लये बेचैन थे। मुझे अपने भाई से
बात करनी पड़ी ता क वह मेरे प रवार के अ य लोग को बता सके क म ठ क ँ। मेरा भाई
मी डया से सुनी ई खबर पर भरोसा नह कर रहा था।
जब म उसी दन शाम को द ली प ँचा, मुझे धानमं ी कायालय से स दे श मला
क म वाजपेयी जी से भट क ँ । म वाजपेयी जी के पास प ंचा। वे मले। उ ह ने मेरी
घटना के बारे म पूछा। वह मुझे भला-चंगा दे ख कर खुश ए। आगे उ ह ने बताया क
उ ह ने भारत-2020 के बारे म उ ोगप तय और कै बनेट से बात क है और पा लयामट म
इस पर कायवाही क घोषणा कर द है। मने उ ह बताया क इसम कई बाधाएं ह। म इसी
वषय म सोच रहा था।
इस वमान- घटना ने दो मह वपूण घटना को ज म दया। पहली तो यह क इसने
मुझे मेरी पु तक, इ नाइटे ड माइंड्स लखने के लए े रत कया, जसका उ े य युवा को
इस बात के लये े रत करना था क वे ‘म कर सकता ँ’ का भाव अपनाएं। सरी घटना
यह थी क मने खुद को आ या मक प से जागृत करने के लये अ मा–माता
अमृतानंदमयी से मलने जाने का मन बना लया, और इस तरह मेरी रांची से वलोन क
या ा तय हो गयी। जैसा क संयोग बना, मेरी पु तक इ नाइटे ड माइंड्स मेरे रा प त बनने के
ठ क पहले का शत ई थी। इसका शीषक यूज़ मी डया को भा गया और मेरे रा प त
बनने के दन म इसे शीष खबर म कई बार दे खा गया। इस पु तक को असाधारण सफलता
मली और यह थायी प से बकने वाली पु तक हो गयी। अ मा एक संत व वाली
पु या मा ह और वशेषत: श ा और वा य के े म जन-क याण के काम म त
रहती ह। लाचार और अनाथ लोग का सहारा बनती ह। इस या ा म मेरे साथ मेरे दो म भी
थे और मने उनसे यह बात साझा क थी क मने मुख वै ा नक सलाहकार (पी.एस.ए.) के
पद से यागप दे दया है और इस आशय का प म धानमं ी को भेज चुका ँ। मेरी भट
अ मा से बलकुल तनावमु मनः थ त म ई। मने अ मा से भारत-2020 क अपनी
अवधारणा, और मू य-आधा रत श ा के बारे म बात क ।
यह संग नव बर 2001 का है, जब मुझे मुख वै ा नक सलाहकार के पद पर
लगभग दो वष हो चुके थे। मने अपने एक प म लखा क म अपने शै क उ े य क ओर
लौटना चाहता ँ। न त प से, इसके गंभीर कारण थे। मुझे एहसास आ था क
‘ ोवाइ डग अबन ए म नट ज़ इन रल ए रयाज़’ (पी.यू.आर.ए.) जैसे काय म और
भारत-2020 का बंधन, ज ह म दे ख रहा था, उ ह समु चत वरीयता नह मल रही थी।
सम या कहाँ पर थी? जहाँ तक संभव हो सके, म कसी भी ल य या ग त व ध को एक
ोजे ट क तरह, नधा रत समय और आ थक सीमा के भीतर, ज़ मेदारी से पूरा करना
चाहता ।ँ काम का ऐसा प रवेश पूरे सरकारी तं म अपना पाना मु कल है, जहाँ ल य को
ब त सारे ऐसे मं ालय और वभाग ारा स करना हो जनके अपने ल य और काय म
भी ह । जैस,े अगर कृ ष के स दभ म कोई यह ल य रखे क तवष चार तशत उपज
बढ़ानी है, तो उसे जल मं ालय, खाद, रसायन, ामीण वकास, पंचायत राज और खाद के
प रवहन के लये रेल वभाग आ द के सहयोग क ज़ रत पड़ेगी, जन सब के लये कोई
एक ल य तय नह कया गया है। इसके अलावा, पी.एस.ए. कोई एकछ य अ धकार
ा त इकाई नह है, उसक भू मका केवल परामश दे ने और संयोजन करने तक सी मत है,
जसका कोई लाभ ल य पूरा करने म नह मल सकता। इस नणय ने मुझे अ ा यू नव सट
के समाज प रवतन वभाग म टे नोलॉजी के ोफ़ेसर का काम संभालने के लये े रत
कया। यह मेरे जीवन का छठा नणायक मोड़ था।
मेरे रा प त पद के कायकाल के अं तम तीन महीन म मुझसे एक सवाल पूछा जा
रहा था क या म सरी बार इस पद के लये याशी बनूँगा? मने पहले ही मन बना लया
था क म अपने अ यापन के जीवन म वापस जाऊँगा और भारत-2020 क अपनी
संक पना को आगे बढ़ाऊंगा। अचानक, जुलाई माह क ओर बढ़ते दन म स ाधारी पाट
कां ेस ने संभा वत लोग के नाम सामने रखे। वप का नज़ रया सरा था, दे श म
राजनी तक ग त व धय क हलचल ज़बरद त थी, और व भ राजनी तक दल से झु ड के
झु ड नेता लोग मेरे पास आ रहे थे क म बारा चुनाव म आऊँ। मेरे पास ब त-से जन
त न धय के, मह वपूण लोग के और युवा के संवाद गत भट के दौरान या ई-मेल
और प के मा यम से आये क म सरी बार यह पद वीकार क ँ । नामांकन भरने क
अं तम तारीख के पास राजनी तक नेता का एक दल मेरे पास आया क य द म इसके
लये तैयार होऊं तो सारे राजनी तक दल, स ा दल स हत मेरा समथन करगे।
मने उनसे कहा क अगर सारे राजनी तक दल समथन दगे तो म इस संभावना पर
वचार कर सकता ँ। इस पर नेता लोग वापस आये और मुझे बताया क स ाधारी दल मुझे
समथन दे ने को तैयार नह है, ले कन उ ह ने व ास कया क अगर म चुनाव म
उतरता ँ तो मेरी वजय न त है। बना कसी हच कचाहट के मने कहा क इस दशा म म
चुनाव म याशी नह बनूँगा; य क मेरा मत है क रा प त भवन को दलगत राजनी त म
नह ख चा जाना चा हए। अनमने-से होकर नेता ने मेरी बात मान ली। एक ेस व त
जारी हो गई क म रा प त के चुनाव म याशी नह ।ँ मने सचेत नणय लया क म अपने
शै क और शोध के े म वापस जाऊँगा और अपनी इस गहरी च को आगे बढ़ाऊंगा
क 2020 तक भारत आ थक प से वक सत रा बनेगा।
मने हमेशा यही माना है क कायर लोग कभी इ तहास नह बनाते, इ तहास
ववेक और साहस से स प लोग से बनता है। साहस वैय क
चा र कता है और ववेक अनुभव से आता है।
4
मलनसार रा प त
सश करण एक भीतरी या है
ई र के अ त र कोई सरा इसे स प नह कर सकता
र◌ा आगे
प त का दा य व नभाना मेरे लये एक चुनौती थी। यह भारत-2020 काय म को
बढ़ाने का मंच बन गया, जो म समझता ँ क केवल सभी नाग रक , सांसद ,
शासक , कलाकार , लेखक , और दे श के युवा के सहयोग से ही पूरा हो सकता है। इस
अ भयान के प म कसी को भी सहमत कर पाने का एकमा तरीका आमने-सामने का
संवाद है, जसके ज़ रये सरे का वैचा रक कोण भी जाना जा सकता है।
रा प त पद ने मुझे यह अवसर दया। म यहाँ से सामा जक प र य म लोग के साथ
सीधा संवाद कर सका, वशेष प से युवा और राजनी तक नेता को अपने अ भयान का
दे श के लये मह व बता सका, और यह क इसे या वत कया जाना चा हए।
इस से मुझे रा प त के प म एक अ त र भू मका मली। संवैधा नक भू मका के
स दभ म, रा प त को यह न त करना होता है क सरकार और वधायक का हर एक
कदम सं वधान क मूल वृ के अनुकूल ही उठे । सरकार का हर एक कदम भारत के
रा प त के नाम पर उठता है। संसद म जो बल और अ यादे श पा रत होते ह, उ ह सरकार
रा प त तक उसक सहम त पाने के लये लाती है। रा प त को नणय लेने के पहले यह
आ त करना होता है क यह बल या अ यादे श ापक जन हत म है। उसे यह भी दे खना
होता है क कसी पूवा ह त नणय क परंपरा तो नह शु हो रही है। म रा प त क
काय णाली क अ त र व तार से चचा नह क ँ गा। फर भी, जैसा क म समझता ँ,
सं वधान, परंपरा और प रपाट के दा य व के अ त र उसे और भी ब त कुछ करना होता
है, वह केवल नाममा का रा प त नह होता।
ब त-से े म ठोस काम करने क अनेक संभावनाएं ह, चाहे वह समाज के व भ
वग से संवाद के ज़ रये वकास काय म तेज़ी लाना हो, या राजनी तक स दभ म, जैसे अपने
तर पर वह दल और उनके सहयोगी घटक क संयु ताकत का अनुमान रखे, जससे
राजनी तक दल कमज़ोर ब मत क थ त म कोई नणय न ल। रा प त रा यपाल को
रद शतापूण सुझाव दे ता रहे और वह उनके रा य के कामकाज के बारे म सचेत जानकारी
रखे। जस तरह सश सेना का कमांडर अपने दल को बेहतरीन काम करने के लये े रत
करता रहता है, वैसी ही भू मका रा प त भी नभाए।
इसके अ त र , रा का सव च होने के कारण रा प त पर जनता क नज़र होती
है। मेरा उ े य था क म रा प त भवन को जनता क प ँच के लये सुलभ कर ँ । म इस
तरह जनता म यह भावना जगाना चाहता था क वह दे श म वकास और समृ लाने वाले
काम म ह सेदार है और बंधन कैसा हो रहा है इस से उनका भी हत भा वत होता है।
इस तरह, रा प त के प म म लोग के जीवन म जगह बनाने क राह पर चल नकला और
व था काफ कुछ मलनसार हो गयी।
मने सबसे पहले तो रा प त भवन म ‘ई-गवनस’, यानी इले ॉ न स शासन णाली
क शु आत क । कं यूटर तो पहले से इ तेमाल हो रहे थे ले कन मुझे लगा क उनका और
भी अ धक उपयोगी योग कया जा सकता है। हमने ऐसा तरीका लागू कया जससे
रा प त स चवालय म आने वाले सभी प , फाइल और द तावेज़ को ‘ कैन’ करके उ ह
इले ॉ नक प म बदला जाए और येक पर ‘बार कोड’ अं कत हो जाएँ ता क वह
कं यूटर क पहचान म रह। उसके बाद सारे प , फाइल सरकारी अ भलेख रकाड म चले
जाएं और उनके मह व के अनुसार उ ह संबं धत अ धका रय , नदे शक और सरकारी
वभाग तक, या रा प त के पास केवल कं यूटर के मा यम से (इले ॉ नक ढं ग से) भेजा
जाए।
मेरा सपना था क हम ऐसा तरीका अपनाएं जससे रा प त भवन, धानमं ी का
कायालय, रा यपाल के कायालय, और व भ मं ालय एक सुर त संचार तं से जुड़
जाएँ, जसम G2G के ज़ रये इले ॉ नक ह ता र तथा ई-गवनस संभालने क मता हो।
हमने एक तं (system) का परी ण कया और वह लागू कये जाने के लये तैयार था।
मुझे व ास है क एक दन मेरा सपना सच होगा। हमने ई-गवनस का यह तरीका रा प त
स चवालय के नौ वभाग म लागू कया और उसका प रणाम दे खा। आमतौर पर, जब
जनता क अ ज़यां जन-1 वभाग (प लक-1 सै शन) म प ंचती थ , तो बीस अ ज़य के
नपटारे म सात दन का समय लगता था। इस ई-गवनस के लागू होने के बाद, केवल पांच
घंट म चालीस अ ज़य का नपटारा हो पाने लगा। म उ मीद करता ँ क ऐसा तरीका
ब त-से रा य और के सरकार के वभाग म लागू कया जा सकता है।
~
रा य और के शा सत दे श के सांसद के साथ रा प त भवन म सुबह के ना ते पर
उनको आमं त करना और उनके रा य म वकास क थ त और ग त का सीधा हाल
जानना, यह मेरे रा प त काल के ारं भक दन क एक मह वपूण ग त व ध थी। ऐसी
बैठक वष 2003 म 11 माच से लेकर 6 मई तक चल और इनका मेरी सोच पर गहरा असर
पड़ा।
यह बैठक एक तयशुदा ल य को लेकर क जाती थ , और इनक तैयारी म म और
मेरी ट म ह त पहले लग जाते थे। हमने येक रा य क वकास संबंधी ज़ रत और
उनक मता के बारे म शोध कया। इसके लये ज़ री सूचनाएँ योजना आयोग, के तथा
रा य के सरकारी वभाग से मंगवाई गय । रा ीय और अंतररा ीय अनुमापन संबंधी ब त
से द तावेज़ का अ ययन कया गया।
इस तरह ा त आंकड़ का व ेषण कया गया, इ ह ाफ तथा म ट -मी डया
तरीके से तुत कये जाने लायक बनाया गया। इस तरह ा त जानकारी को पॉवर वाइंट
तु तय के ज़ रये सांसद को दखाया गया और इन तीन े पर ज़ोर दया गया—1.
वक सत भारत क संक पना, 2. उस रा य या यू नयन टे रटरी क स पदा, 3. उस रा य
क वश मताएं।
इस ग त व ध का अभी इस बात को प करना था क दे श के वकास का म इन
तीन बात से जुड़ा आ है। फर एक चौथा प और तैयार कया गया। वह था वकास के
इन े के लये ग त के संकेतक का चुनाव, जनके आधार पर ग त नापी जा सके। इस
तरह मने खुद को ब त आनं दत महसूस कया। व भ दल से आये सांसद से मेल-
मुलाक़ात ने मुझे दे श के अलग-अलग ह स क खा सयत से प र चत कराया।
पहली मी टग बहार के सांसद के साथ ई। सद य आंकड़ क तु त को लेकर
जोश म थे और मने सद य के जोश से खुद को उ सा हत महसूस कया। इस तु त म
बहार से जोड़ कर समूचे दे श के वकास को दखाया गया था। इसम बहार क मता
का संकेत था जन के सहारे बहार वकास के बड़े ल य छू सकता था। जब हमने इस
मी टग क अव ध एक घंटे से बढ़ा कर डेढ़ घंटे कर द , तब भी सुखद अनुभव यह था क
मी टग ख म होने के बाद, और ो र स के ख म होने के बाद भी ब त-से सद य अपने
रा य के आंकड़ को चपूवक दे खते-समझते रहे। इन बैठक का यौरा, द तावेज़ स हत
रकाड म रखा गया।
नजी तौर पर मने इन बैठक का एक-एक पल चकर पाया। यह मेरे लये हर एक
े क जानकारी से स प असली श ा जैसे थे। हमारी तु तय म र थ े के
सांसद ारा भेजी गयी जानकारी भी शा मल क गयी थी। ब त-से सद य ने मुझे बताया
क यह आँकड़े और तु त उनके लये उपयोगी ह। दरअसल, यह यौरे और वचार- वमश
मेरे और सांसद के बीच मुख संवाद-सेतु बने और मेरे रा प त पद से मु होने के बाद भी
बने रहे। अभी भी, जब हम उनसे मलते ह तो वकास का संग हमारे बीच बातचीत और
वचार- वमश का वषय बन जाता है।
अनेक वशेष क राय के आधार पर भारत-2020 के उद्भव ने मेरा यान
सामा जक प रवतन के ब त-से प क ओर आक षत कया। रा य के वह ववरण, जो
हम ना ते क बैठक के दौरान सांसद से मले, उसम भी मुझे ग त स ब धी ब त नई और
उपयोगी बात जानने को मल । सांसद ने मुझे ब त-से ब मू य वचार दए। मने नौ बार
संसद म भारत-2020 क संक पना पर अपना व रखा और बारह रा य वधान
सभा म उस रा य से संबं धत समृ के रा ते क चचा क । इन बैठक म सांसद से जन
और सुझाव से मेरा आमना-सामना आ उनसे यह पता चलता है क रा य के वकास
के लये कस े म कस संसाधन क ज़ रत है, जैसे जल-संसाधन, रोज़गार के अवसर,
जन- वा य के क थापना, ामीण े के आपसी जुड़ाव क व था और शै क
व था म सुधार। जब मने भारत-2020 क संक पना पर रा ीय और रा य तरीय कॉमस
और उ ोग चै बस, बंधन सं थान और टे नीकल सं थान से 2020 क संक पना स
करने पर बात क तो मने सांसद से ा त इ ह आंकड़ को सामने रखा। बाद म इसी
संक पना के अगले म म, ता कक प से वक सत दस तंभ का वचार था पत कया
गया। आज जब म वशेष , ावसा यक द गज और शोध म लगे लोग से बात करता ँ
तो म उ ह बताता ँ क वकास के इन दस तंभ क प रक पना म नए वचार से वे कैसे
योगदान दे सकते ह।
वह दस तंभ यह ह :
1. एक रा जसम ामीण और शहरी े के बीच का अंतर कम से कमतर हो
जाए।
2. एक रा जसम ऊजा और अ छे पानी का पया त और सुचा वतरण हो।
3. एक रा जसम कृ ष, उ ोग और सेवा के े एक साथ एक सुर म काम कर।
4. एक रा जसम मू य-आधा रत श ा से, कसी मेधावी याशी को सामा जक
और आ थक आधार पर वं चत न कया जाए।
5. एक रा जो यो य व ा थय , वै ा नक और नवेशक को अपने लये सव े
लगे।
6. एक रा जसम अ छ च क सा-सु वधा सबको उपल ध हो।
7. एक रा जसम शासन और बंधन संवेदनशील, पारदश और ाचार से मु
ह।
8. एक रा जसम गरीबी न हो, नर रता न हो, य और ब च के त अपराध
न हो और समाज का कोई भी वग अलगाव महसूस न करे।
9. एक रा जो समृ , व थ, सुर त, शां तमय तथा स हो तथा ऐसे वकास के
रा ते पर चल रहा हो, जो संजोए रखा जा सकता हो।
10. एक रा जो रहने के लये सव े हो और जसे अपने नेतृ व पर गव हो।
ना ते पर होने वाली इन बैठक से यह भी जानकारी मली क पाट -प पात से हट
कर दे श के नेता कैसे वकास के मु पर बात कर सकते ह। वा तव म, रा प त भवन ही
एकमा ऐसा थान है जहाँ दलगत मता तर ख म हो जाता है और येक सांसद रा हत
को एक स पूण इकाई के प म दे खता है।
रा प त भवन म सांसद के साथ बैठक के अलावा, मुझे दोन सदन को संबो धत
करने का मौका दस से यादा बार मला।
ऐसे संबोधन भ समारोह क तरह होते ह। और उनम मुझे हर बार, खचाखच भरे
ए हॉल म बेहद शां तपूवक सुना गया। मेरे सांसद से दो तरह के संवाद होते थे। एक तो
पूरी तरह सरकारी, जैसे बजट स के वह पांच भाषण जो मने दए। सरे वह जनम मेरे
वचार और वक प कहे गये। मने तो सरकारी भाषण म भी अपने कुछ ऐसे वचार के लये
जगह बनाई जन पर म बात करना चाहता था। वाजपेयी जी और डॉ. सह, दोन ने ही मेरे
सुझाव को वीकृ त द ।
मने इस मंच से सांसद से इस पर भी चचा क , क रा के त उनक या
ज़ मेदारी है। वष 2007 म दे श के 1857 म लड़े गए थम वातं य संघष का 150वां
मरणो सव मनाते समय मने अपने भाषण म सांसद को बताया था क उनक अपने चुनाव-
े , अपने रा य और अपने दे श के त या ज़ मेदा रयां ह। मने कहा था, ‘स ची
वतं ता और वाधीनता के लये हमारा आंदोलन अभी भी पूरा नह आ है।...सांसद और
वधायक के लये अब और समय आ गया है क वह नये संक प और नेतृ व के साथ दे श
को न केवल, स प , एकताब , सामंज यपूण, वपुल एवं समृ कर ब क इसे सुर त
रा , कसी भी अ त मण तथा सीमा पार से घुसपैठ के लये अभे बनाएँ।
रा ीय नेतृ व को अपने जनमानस म, अपने नये रा ीय काय म और समयब
ल य के ज़ रये, व ास जगाना चा हए। न त प से भारत अ धकारपूवक, अपने पछले
साठ वष म जुटाई आ थक, सामा जक और राजनी तक उपल धय पर गव कर सकता है।
ले कन हम अपनी पछली उपल धय पर ग वत होते ए अपनी उन ताज़ा सचाइय से मुंह
नह मोड़ सकते, जो तकनीक, उ ोग और कृ ष के े म बदलाव क मांग कर रही ह।
ब त-सी चुनौ तयां ह जनका मुकाबला कया जाना है। कई राजनी तक दल से मल कर
बनी गठबंधन सरकार क जगह, दो दल वाला राजनी तक तं , मज़बूत आतं रक सुर ा
तं क ज़ रत, जो वै क आतंकवाद का सामना करे तथा कानून और व था क नई
तरह क सम या से नपटे । उ च उपज के बावजूद दे श म आ थक वषमता क चौड़ी
होती जा रही खाई, ापक और संवे समृ सूचक तं का अभाव, केवल ‘ ॉस डोमे टक
ोड ट’ जी.डी.पी. (सकल घरेलू उ पाद) का मापन, तेज़ी से घटता जा रहा वै क खनन
धन का भ डार। इसके लये नरपे ऊजा काय म क आव यकता तथा हमारी सीमांत
सुर ा टु क ड़य पर बढ़ते जा रहे नये साम रक श प के खतरे...।
मने यह भी कहा—स माननीय सांसदो, वशेष प से युवा सद यो, जब भी म आप
सब को दे खता ँ, मुझे आप म महा मा गांधी, डॉ. राजे साद, पं डत जवाहरलाल नेह ,
सरदार पटे ल, सुभाष चं बोस, डॉ. अ बेडकर, अबुल कलाम आज़ाद, राजाजी और रा के
अनेक बड़े व ा क छ व नज़र आती है। या आप भी ऐसे संक पवान नेता बन
सकते ह जो रा को खुद से ऊपर रख कर सोच? या आप भारत के लये उन जैसा बन
सकते ह? जी हां, आप बन सकते ह। बशत आप अपने भीतर संसद का पंदन महसूस
करते ए दे श को वह नेतृ व दान कर जस से भारत-2020 के पहले आ थक प से
समृ , खुशहाल, मज़बूत और सुर त रा बन जाए। माननीय सद यो, यह सब होने के
लये आपको अपने लये बड़ा ल य चुनना होगा और संसद म तथा बाहर, उस पर काम
करना होगा। इ तहास तब आपको याद करेगा क आपने दे श के हत म एक नभ क कदम
उठाया और छोटे तथा खं डत मसल को परे छोड़ते ए आप बड़े ल य क ओर बढ़े ।
~
भारत-2020 के अ भयान के दौरान मेरा संपक सांसद और वधायक से लगातार हो रहा
था। इसी म म मुझे यह भी ज़ री लगा क म रा यपाल के कायालय का भी उपयोग
क ँ । रा यपाल का कायालय भी उसी ल य के लये काम करने वाला एक संवैधा नक थल
है। इस से 2003 और 2005 म रा प त भवन म आयो जत रा यपाल के स मेलन
का मह वपूण योगदान रहा।
2003 का स मेलन धानमं ी वाजपेयी क वचनब ता के आलोक म आ था
जसम उ ह ने पछले वष लाल कले से और संसद म यह आ ासन दया था क भारत
2020 तक वक सत दे श म शा मल हो जाएगा। 2005 के रा यपाल स मेलन म धानमं ी
मनमोहन सह ने भी भारत को इसी दशा म ले जाने क इ छा जताई थी।
स मेलन म दए गये भावशाली भाषण भुला दए जाते ह, ले कन मने वहां जो कहा
गया उसे मू यवान मानते ए यही याद रखा क यह वकास क ओर तेज़ी से बढ़ते जाने के
संकेत ह। वाजपेयी ने कहा क शासन तं के हर एक खंड को वकास क आव यकता को
पहचानना चा हए, खास तौर पर यह कदम हम अपने ल य तक तयशुदा ज द ही
प ंचाएगा। उन मु कल को दे खते ए जो संयु ल य के हत म अलग-अलग वभाग को
उ सा हत करने म आती ह, मुझे यह बात उ साहजनक लगी। भाग ले रहे रा यपाल ने भी
इस अवसर पर बोलते ए कसी नषेध के न होने का संकेत दया। वह खुल कर बोले। कुल
मला कर, ऐसा प रवेश बना जसम सभी भागीदार ने सम या और उनके हल पर बातचीत
क।
2005 के स मेलन म डॉ. मनमोहन सह अपने सभी कै बनेट मं य के साथ श ा,
आतंकवाद, आपदा- बंधन तथा ‘वै यू ऐडेड टे सेशन’ (वैट) लागू करने के मु े पर बात
करने के लये उप थत थे और उनक वचार- वमश योजना रा प त कायालय ारा दये
गये ावधान के अनुकूल थी। ब त-से े म वकास बंध के काम म रा यपाल के
योगदान क शंसा करते ए धानमं ी ने आ ासन दया क वह और उनके सहयोगी,
रा प त के ेरक दशा- नदश के अनुसार इस ल य पर काम करगे। यह सब म यह समझाने
के लये कह रहा ँ क कस तरह रा प त कायालय मेरे लये मेरे य ल य के हत म एक
मंच बना।
~
भारत म नचली अदालत , उ च यायालय और सव च यायालय म लं बत मुकदम क
गनती ब त बड़ी है। उसके बाद नये मुकदमे आने और दज होने के बाद यह गनती लाख
म प ँच गयी है। जो लोग इन मुकदम म संल न ह वह धन, समय और तकलीफ का भारी
दौर झेल रहे ह।
2005 म मुझे एक अ खल भारतीय से मनार म बोलने का अवसर मला, जसका
वषय था, अदालत म लं बत मुकदम के नपटार के ज़ रये याय-तं म सुधार। तब मने
‘नेशनल ल टगेशन पडसी लअरस मशन’ (एन.एल.पी.सी.) का ज़ कया था। इसम
मेरा आशय एक ऐसे अ भयान से था जो अदालत म लं बत मुकदम को तेज़ी से नपटाने
का संक प ले। मने दे र से याय मलने के कारण का व ेषण कया और यह कारण बताए
: 1. अपया त यायालय 2. अपया त या यक अ धकारी 3. या यक अ धका रय के पास
संसाधन -सूचना क कमी 4. आरो पय और उनके वक ल ारा द तावेज़ दे ने म दे री
और इस तरह तारीख टालना 5. यायालय म शासन क भू मका।
अपने व ेषण के आधार पर मने सुझाव दया क ववाद का नपटारा मानवीय
सोच के आधार पर कया जाए—लोक-अदालत को और सश बनाया जाए,
एन.एल.पी.सी. क शु आत, ववाद के हल क वैक पक व ध समझौते और ‘ त
अदालत ’ (‘फा ट ै क कोट’) का गठन कया जाए।
मने सरे और कई तरीके बताए, जो खास तौर से उ च यायालय म लं बत मुकदम
से संबं धत थे। इनम एक था क लं बत मुकदम को उनके लं बत समय के आधार पर
ेणीब कया जाए। और उन मुकदम क पहचान क जाए जनम वतमान पीढ़ के
त न ध मुकदमे को आगे बढ़ाने म च नह रखते ह ।
इन सब सुझाव म इले ॉ नक याय व था लागू करना सबसे अ धक बु नयाद
सुझाव था। इस स दभ म मने कहा क पहले स य मुकदम को उनके समयगत आधार पर
क यूटर म डाल लया जाए। इससे उन मुकदम क गनती ज़ र घट जाएगी जो अभी तक
लं बत ह। हमारे पास यह आंकड़ा होने क ज़ रत है जो मुक़दमे को उसके शु होने क
तारीख से ले कर फैसला सुने जाने तक का यौरा रखे। इस इले ॉ नक तं से कसी भी
मुकदमे क खोज, ज़ रत पर उसे फर से दे खे जाने क को शश, उसे कसी और मुकदमे से
जोड़ कर दे खने का काम, कसी के कानूनी रकाड को तलाशने का काम और मुकदमे का
नपटारा— यह सब ज द करना सरल और पारदश हो जाएगा। शकायत करने वाला
कभी भी यह दे ख पाएगा क उसका मुक़दमा कस दौर म है और आगे कस अदालत म
उसक सुनवाई होनी है। वह यह भी जान पाएगा क अदालत कस मु े पर जरह करेगी।
इससे वह पहले से ही तैयार हो कर आएगा। इस से पूरी पारद शता तो आएगी ही, इस से
जज को भी यह पता करने म सरलता होगी क मुकदमे म कतनी बार तारीख बढ़ाने क
अज़ द गयी है, उनके कारण या थे, वह कतने ठ क थे। जज को इस जानकारी से
फैसला दे ने म मदद मलेगी।
इसके साथ ही, मुकदमे क वी डयो कॉ सग का भी योग कया जा सकता है।
इससे वह अनाव यक खच और भागदौड़ बचेगी जो पु लस को अ भयु के साथ करनी
पड़ती है।
वी डयो कॉ सग इन मुकदम म तो ब त उपयोगी स होगी जनम एक से
अ धक अ भयु दज ह। गवाह क पहचान अपराध क क ड़याँ जोड़ने के काम म भी
‘इ फॉरमेशन ए ड क यू नकेशन टे नोलॉजी’ (आई.सी.ट .) ब त उपयोगी हो सकती है।
ब त-से दे श जैसे सगापुर और ऑ े लया, ‘इ टरनेट अदालत ’ के साथ-साथ
कानूनी सलाह सेवा को आज़मा रहे ह। जो कानूनी बारी कयां बताते ए मुकदम के यौरे
मुव कल को बताती ह। यह मुव कल के लये एक वै छक सेवा है। सभी मुकदम म
आई.सी.ट . के ज़ रये मुकदम का नपटारा तेज़ी से आ है और इनम कसी धोखाधड़ी क
गुंजाइश नह है। यह कुल व था मुकदम का यायपूण नपटारा तेज़ी से करेगी।
अंतत:, मने न न ल खत नौ सुझाव भी दए ता क हमारी या यक व था नाग रक
को यथासमय याय दला सके :
1. यायाधीश और बार के सद य इस बात पर ग भीरता से वचार कर क इसक
एक सीमा नधा रत हो जानी चा हए क कसी मुकद्दमे को कतनी बार तारीख
द जा सकती है।
2. ई-जु ड शयरी क णाली सभी अदालत म लागू होनी चा हए।
3. मुकदम को उनके त य और संबं धत कानून के अनुसार वग कृत कया जाए।
4. वशेष शाखा , जैसे सेना के कानून, सेवा के मामले, टै स, साइबर कानून आ द
के मामल के लये इन े के वशेष को बतौर जज नयु कया जाए।
5. सभी यू नव स टज़ म कानूनी श ा के तर म सुधार हो और उ ह ( वदे श के) लॉ
कूल के तर पर लाया जाए।
6. अनाव यक कारण पर तारीख बढ़ाने और झूठे मुकदमे दायर करने पर भारी द ड
क व था हो।
7. ज़ला और उ च यायालय के जज भी सव च अदालत को सुझाया मॉडल
अपनाएं और नपटाए जाने वाले मुकदम क सं या उसके अनुसार बढ़ाएँ, इसको
पूरा करने के लये सामा य दन म और श नवार को अ त र घंटे वै छक प
से काम कर।
8. अदालत म एक से अ धक स चलाए जाएँ जनके समय म अंतर हो। इससे
मता का बेहतर उपयोग होगा, अ त र जनश मलेगी, बेहतर बंधन होगा।
9. एन.एल.पी.सी. का गठन, दो वष के लये कया जाए जसम वह समयब ढं ग से
लं बत मुकदम का नपटारा कर।
कुछ समय बाद मने पाया क हमारे या यक तं ने इन सुझाव पर वचार कया है
और इ ह धीरे-धीरे लागू करना भी शु कया है। उदाहरण के लए, यह जान कर मुझे खुशी
ई क एक ब त समय से लं बत तलाक का मुक़दमा वी डयो कॉ सग के ज़ रये नपटाया
गया। इसम प त भारत म था और उसक प नी अमे रका म।
~
भारत के पास नया क सबसे अ छ सश सेना है, वफादार, साहसी, और अनुशा सत।
दे श का रा प त सश सेना का सव च कमांडर है। उस मता म, म यह जानने के लये
ब त उ सुक था क हमारे सेनानी कस प रवेश म काम करते ह, उनक तैयारी का तर या
है, उनक सम याएँ और क ठनाइयाँ या ह। इस ज ासा के साथ म थल सेना, वायु सेना
और नौसेना क कई इकाइय म गया। मेरी अ धका रय और जवान से जो बातचीत ई
उसने मुझे े रत कया क म इन इकाइय के गम े म जाऊं। इस तरह, मने सबसे पहले
सया चन ले शयर क कुमार चौक जाने का नणय लया। यह नया का सबसे ऊंचा
लड़ाई का मैदान है, जहाँ हमारे जवान भयंकर सद म डटे रहते ह। मने वशाखाप नम के
सागरतट से र समु क सतह के नीचे जा कर दे खा। म सुखोई-30 एम.के.आई. वमान म
उड़ा, जसक ग त आवाज़ क ग त से करीब गुनी थी। मुझे यह अनुभव उ ेजक लगे और
म इ ह आपके साथ बांटना चा ँगा।
~
मेरा जहाज़ 2 अ ैल, 2004 को सया चन ले शयर क कुमार चौक पर उतरा। यह चौक
समु तल से सात हज़ार मीटर क ऊँचाई पर थत है। उस समय वहां पर बफबारी हो रही
थी, तापमान शू य से 35 ड ी से सयस नीचे था और तेज़ हवा चल रही थी। जब म फ ड
टे शन पर प ंचा वहां पर तीन जवान तैनात थे, नाइक- कनाटक से, व लयम- प म बंगाल
से और सलीम उ र दे श से थे। इ ह ने मुझसे हाथ मलाया। इनके हाथ मलाने म वह
गमजोशी थी क मौसम क सद र हो गयी। इसने मुझे भरोसा दया क हमारा रा उन
सपा हय के हाथ म सुर त है जो इस क ठन वातावरण म हमारी र ा कर रहे ह। इतनी
क ठन प र थ त म फौ जय म इस तर का व ास बनाए रखने के लये असाधारण तरह
क नेतृ व- मता चा हए।
~
13 फरवरी, 2006 को मने भारतीय नौसेना क पनडु बी ‘आई.एन.एस. स धुर क’ से
समु क सतह से नीचे क या ा क । पनडु बी ने सतह से करीब तीस मीटर नीचे गोता
लगाया, उसके बाद सीधे आगे जाने लगी। मने वहां कं ोल म दे खा। वहां मुझे पनडु बी के
काम करने का ढं ग बताया गया, जसम पनडु बी का चलना, घूमना और पानी म तैरने का
ढं ग उ साहपूवक बताया गया। यह मेरे लये एक रोमांचक अनुभव था। मेरे साथ नौसेना के
मुख एड मरल अ ण काश और युवा अ धकारी तथा ना वक थे। इसी म म मुझे समु
क सतह के नीचे से होने वाली संचार व था, ल य पर नशाना साधना और ग तमान होने
जैसे तं समझाए गये। इसके बाद एक तारपीडो (समु ेपा ) छोड़ कर एक नकली
मुठभेड़ के ज़ रये मुझे साम रक मता का दशन दखाया गया। तारपीडो ने मार कर लौटने
क अद्भुत मता का दशन कया। इस अवसर पर मुझे पानी के भीतर यु शैली क
ज टलता का अंदाज़ा आ। उस जलपोत म म न बे अ धका रय और ना वक से मला। सब
अपने-अपने काम म त थे। उनका काम सरल नह है ले कन उ ह अपने इस चुनौतीपूण
ल य पर गव है। मुझे वहां वा द शाकाहारी भोजन दया गया और फर नौसेना क
पनडु बय के अगले तीस वष क योजना का तुतीकरण दया गया। तीन घंटे के समु के
नीचे का अनुभव ले कर हम तट पर वापस लौटे । यह सचमुच एक यादगार या ा थी।
~
8 जून, 2006 को मने सुखोई-30 लड़ाकू वमान म एक उड़ान भरी। एक रात पहले वग
कमांडर अजय राठौर ने मुझे यह सखाया क कैसे उड़ना है। उ ह ने सखाया क कैसे
जहाज़ को उड़ाया और ह थयार का नयं ण रखा जाता है। कुछ ऐसा ही करने क मेरी
तम ा वष 1958 से थी, जब म इंजी नयर बना था। जैसे ही हमने अपनी पेट कसी, सुखोई
चल पड़ा और 7500 मीटर यानी 25000 फट क ऊँचाई पर प ँच गया। उसक ग त
1200 कलोमीटर त घंटे से अ धक थी। वग कमांडर अजय राठौर ने कुछ घुमाव और
कलाबा ज़यां दखा । लड़ाकू वमान उड़ाना एक गहरा अनुभव हो सकता है। मने करीब
3Gs (G-Suit) गु वाकषण बल महसूस कया, न त प से हम जी-सूट पहने ए थे
जससे हम लैक आउट म जाने से बचे ए थे। उड़ान के बीच म मने व भ तं को
समझने क को शश क ज ह भारतीय वै ा नक ने वक सत कर के वमान म था पत
कया था। म वमान म यु दे शज कं यूटर, राडार चेतावनी सूचक तथा अ य मह वपूण
यं दे ख कर ब त खुश आ। मुझे दखाया गया क कैसे हवा म उड़ते ए ज़मीनी ल य पर,
वशेष यं ( स थ टक अपचर राडार) से नशाना साधा जाता है। हमारी उड़ान छ ीस मनट
से यादा क थी। मुझे लगा क मेरा एक ब त पुराना मनचाहा सपना पूरा आ।
मुझे अपने पैरा म लटरी फ़ोस के सद य से, के तथा रा य के पु लस क मय से
और आतं रक सुर ा बल के लोग से भी मलने का मौका मला है। उनक बहा री और
उनके समपण भाव ने मेरे ऊपर गहरी छाप छोड़ी है।
म रा को या दे सकता ?
ँ
जो सर से सीखा
मै◌ं यहलयेदेएकजु
ख कर अचं भत रह जाता ँ क कैसे कई दमाग, कसी काम को पूरा करने के
ट हो जाते ह। यह कोई सरल या नह है, य क कई बार मतांतर
उपल धय क ा त म बाधा बनते ह। रॉकेट और मसाइल वक सत करने क या के
दौरान, जो क एक दल का संयु यास होता है, मने लोग के सोचने के ढं ग को समझा
और उस से ब त कुछ सीखा। भारत-2020 क संक पना- या को बढ़ाने के दौर ने मेरी
इस आदत को धार द । रा प त के प म और बाद म भी, सौभा य से मुझे ब त-से
अनुभवी और कम अनुभवी लोग क राय, उनके वचार, और आलोचना से लाभ उठाने का
अवसर मला। सब तरह के सुझाव और आतुर ान का व तार करते ह, जससे इंसान
तर क क ओर बढ़ता है। म अपने कुछ उन अनुभव को बताना चाहता ँ, ज ह ने मुझे
काम के दौरान हज़ार बार भा वत कया।
उपहार संग
मने यह बात कई बार बताई है इस लए म इसे सं ेप म दोहराऊंगा। मेरे पता, जनाब अवुल
पा कर जैनुल आ द न ने मुझे एक पाठ तब पढ़ाया जब म एक छोटा ब चा था। यह 1947
क बात है, जब भारत आज़ाद ही आ था। रामे रम प म पंचायत के चुनाव ए थे और
मेरे पता ाम सभा के अ य चुने गये थे। उनके चुने जाने के पीछे यह कारण नह था क
वह कसी खास धम या जा त के याशी थे, या उनक माली है सयत खास थी, ब क
उनके चुने जाने का कारण उनका सद्- वहार और उनक स जनता थी।
जस दन मेरे पता अ य चुने गये, उस दन एक आदमी हमारे घर आया। म तब
कूल का व ाथ था और ज़ोर-ज़ोर से अपना पाठ याद कर रहा था। तभी मने दरवाज़े पर
द तक सुनी। उन दन रामे रम म हम दरवाज़े कभी बंद नह करते थे। एक आदमी भीतर
आया और पूछने लगा क मेरे पता कहाँ ह। मने बताया क वह शाम क नमाज़ के लये गये
ह। तब उसने कहा क वह मेरे पता के लये कुछ लाया है। फर उसने पूछा क या म वह
सामान पता के आने पर उ ह दे ँ गा? मने उससे कहा क वह सामान खाट पर रख दे ।
उसके बाद म अपना पाठ याद करने म लग गया।
जब मेरे पता वापस आये, उ ह ने खाट पर एक चांद क त तरी म रखे तोहफ को
दे खा। जब उ ह ने पूछा क यह कहाँ से आये, तब मने उ ह बताया क कोई आया था और
यह सामान उनके लये छोड़ गया है। पता ने उन उपहार को खोल कर दे खा। उसम कुछ
क मती कपड़े थे, कुछ चांद के याले थे और कुछ मठाई थी। उन तोहफ को दे ख कर वह
नाराज़ हो गये। म सबसे छोटा ब चा था, मेरे पता मुझे ब त चाहते थे और म भी उ ह ब त
यार करता था। उस दन मने उ ह पहली बार गु से म दे खा था और पहली ही बार मने उनसे
मार भी खाई थी। म डर गया और रोने लगा। बाद म मेरे पता ने अपनी नाराज़गी क वजह
बतायी और समझाया क बना उनक इजाज़त के म कभी कसी से कोई तोहफा वीकार न
क ँ । उ ह ने एक हद थ सुनाते ए समझाया क, ‘जब खुदा कसी इंसान को कसी ओहदे
पर बैठाता है तो वह उसक ज़ रत का भी बंदोब त करता है। अगर कोई श स इससे
यादा कुछ लेता है तो वह गैरवा जब होता है।’
आगे उ ह ने बताया क तोहफे वीकार करना अ छ आदत नह होती। तोहफे हमेशा
कसी खास मकसद के साथ दए जाते ह इस लए उ ह लेना खतरनाक है। यह सांप को छू ने
जैसा है जसके बाद उसका ज़हर आपको मलता है। उनका यह पाठ मेरे दमाग म आज भी
ताज़ा है, जब क म आज अ सी बरस से यादा उ का हो चुका ँ। यह घटना मेरे दमाग म
गहराई से घर कर गई है, और उसने मेरा मू यबोध रचा है। अब भी, जब कोई मेरे
सामने कोई उपहार ले कर आता है, मेरा दल- दमाग कांप उठता है।
बाद म मने मनु मृ त थ (मनु के नयम) पढ़ा। इसे ह - चतन क बु नयाद कृ त
कहा जाता है। इसम भी कहा गया है क उपहार हण करने से मनु य के भीतर क
अंत य त बुझ जाती है। मनु के अनुसार उपहार ा त करना इस लए न ष है य क पाने
वाला दे ने वाले के एहसान तले दब कर अनै तक या गैरकानूनी काम करने को मजबूर हो
जाता है।
सुपो षत जीवन मू य
कुछ महीने पहले मेरे बड़े भाई, जो क उस समय 95 वष के थे, ने रामे रम से मुझे फोन
कया। उ ह ने बताया क मेरे एक भारतीय म जो अमरीका म रहते ह उनसे मलने आये
थे। मेरे बड़े भाई से बातचीत के दौरान मेरे म ने उनसे पूछा क आपका यह मकान कतना
पुराना है? मेरे बड़े भाई ने बताया क यह मकान सौ वष पहले हमारे पताजी ने बनवाया था
और अब मेरे छोटे भाई और उनके कमाऊ पोते-पो तय ने एक ताव रखा है क इस पुराने
घर को ढहाकर एक नया घर बनाया जाए। मेरे म ने मेरे भाई से कहा क इतने ऐ तहा सक
मकान को गराना ठ क नह है और उनके स मुख यह ताव रखा क इस मकान म कसी
ट क सहायता से पु तकालय या सं हालय बना दया जाए और मेरे भाई और उनके
प रवार के लए कह और रहने क व था क जाए। मेरे भाई ने मुझे यह कहने के लये
फोन कया था क, ‘दो त के ताव के खलाफ, म उसी घर म बने रहना चाहता ँ जसम
म पला-बढ़ा ँ और मने अपनी उ के पचानवे साल गुज़ारे ह। म अपने सग क कमाई से
उसी जगह नया घर बनाने के लये तैयार ँ। कोई सरा इंतज़ाम मुझे मंजूर नह है। तुम
अपने दो त को यार से समझा दो।’ मुझे लगा यह एक ऐसा इंसान है जो ज़दगी को खुद
अपनी शत पर जीना चाहता है। उसे कसी क मदद क ज़ रत नह , भले ही वह कतनी
ही सोची-समझी हो। यह मेरे लये एक बड़ा पाठ था। मने अपने भाई म अपने पता क छ व
दे खी थी, जो 103 साल जए और उ ह ने हमम इस तरह का सं कार वक सत कया।
हज क तीथ-या ा
बे मसाल खुशवंत
न बे वष से ऊपर खुशवंत सह से मुलाकात करना एक ब त ही ब ढ़या अनुभव था।
मने उनक लखी कई पु तक पढ़ ह और म ह तान टाइ स म उनके कॉलम का उ साही
पाठक रहा ँ। ब त-से लोग मुझसे पूछते ह क म खास तौर से उनसे य मलने गया। मेरा
जवाब था क म पु तक पसंद करता ँ और उनके लेखक से मलना मुझे अ छा लगता है।
आज खुशवंत सह पचानवे साल के हो जाने के बावजूद लगातार लख रहे ह। वष 2007 म
उ ह ने अपने कॉलम म मुझ पर लखा था जनम भगवान के बारे म उनके, और मेरे वचार
का सं त ले कन रोचक यौरा यहाँ दे ना चाहता ँ :
कुछ ही महीन म भारत के यारहव रा प त अ ल कलाम अपने कायभार
से, अपना पांच साल का स पूरा कर के पदमु हो जाएंग।े वह तीसरे मु लम
ह जो दे श के इस सव च पद पर प ंचे ह। यह इस बात को सा बत करने के
लये अ छ मसाल है क हम एक धम नरपे लोकतं का नवाह कर रहे ह। यह
हमारे पड़ो सय के लये भी एक सबक है।
मुझे इस बात क जानकारी नह है क वह इसके बाद अपने वै ा नक शोध
के काम म लौटगे, कसी यू नव सट म पढ़ाएंगे या सं यास ले लगे। वह अपनी उ
के स रव वष म ह। मुझे उनके साथ आधे घंटे का समय बताने का अवसर मल
चुका है। उ ह ने मेरे घर आ कर मुझे स मान दया है। एक रा ा य , एक
साधारण-से लेखक के घर आएं—यह उनका बड़ पन ही था।
हम दोन के बीच ऐसा ब त कम है जो एक जैसा है। वह त मल ह। मुझे
त मल के केवल दो ही श द आते है, ‘वेना कम’ और ‘अई-यई-यो’। वै ा नक होने
के बावजूद कलाम ब त गहरी धा मक वृ वाले ह। म अनी रवाद ँ और
यह मानता ँ क धम और व ान का आपस म कोई मेल नह है। एक तक पर
आधा रत है तो सरा आ था पर। उनसे बात करने और उनका लखा पढ़ने के बाद
मने पाया क उनके धा मक वचार महा मा गांधी के वचार क तरह ह। इस त य
के बावजूद क म उस सब को वीकार नह करता जसक पैरवी बापू करते रहे, म
खुद को गांधीवाद कहता ँ। कलाम को व ान और धम म कोई अंत वरोध नह
लगता। जब मने उनसे पूछा क या वह फैसले के दन म, और उन द ड और
पुर कार म व ास करते ह ज ह हम मरने के बाद भुगतना पड़ता है तो उ ह ने
कहा क ‘ वग और नक केवल दमागी सोच म ह।
तो, कलाम क खुदा के बारे म या अवधारणा है? वह अ ला और ई र या
खुदा और भगवान के बीच का नह है। उसे मं दर या मस जद म तलाशने क
ज़ रत नह है। उसके लये लड़ने या शहादत दे ने क कोई ज़ रत नह है, जैसा
हमारे दे श म व भ धम के नेता लोग करते ह। जब वह एक- सरे का खून बहा
रहे होते ह, तब भगवान का गरजता आ वर सुनाई पढ़ता है :
म या दे सकता ?
ँ
धानमं य से संवाद
अपने कायकाल म, डी.आर.डी.एल. के नदे शक के प म, र ा मं ी के वै ा नक
सलाहकार के प म, कै बनेट के मुख वै ा नक सलाहकार के प म और बतौर भारत के
रा प त, मुझे ब त-सी महान वभू तय से मलने का अवसर मला है। जैसे, डॉ. सतीश
धवन, डॉ. राजा राम ा, डॉ. वी. एस. अ णाचलम, आर. वकटरमण, पी. वी. नर सह राव,
एच. डी. दे वगौड़ा, आई. के. गुजराल, अटल बहारी वाजपेयी, डॉ. मनमोहन सह। इनका
सा य मेरे लये ब त लाभदायक रहा और इ ह ने मेरे मन पर अपनी अ मट छाप छोड़ी है।
मने डॉ. सतीश धवन से, जो क इसरो के चेयरमैन और वहाँ मेरे अ धकारी थे, सीखा क
जब आप कोई ज टल ल य साधने क ओर बढ़ते ह तो आपका सामना न त प से
चुनौ तय और क ठनाइय से होगा। वे कहते थे क आप अपनी सम या को वयं
सुलझाओ। मु कल पर वजय ा त करो। यह हर उस के लये एक बड़ा पाठ है, जो
ज टल अ भयान को लेकर चल रहा है। डॉ. राजा राम ा और डॉ. अ णाचलम ने कसी
क द ता आंकने का गुर सखाया और यह, क कसी ज टल काम के लये उपयु
का चुनाव कड़ी मेहनत मांगता है। र ा मं ी के प म आर. वकटरमण दे श क , और
बढ़ सै य श के वै व यपूण सेवा तं क ज़ रत का आकलन समय से पहले करना
जानते थे। जससे वह ऐसे काय म के संचालन का नणय ले सके जो आज हम बेहतर
प रणाम दे रहे ह।
नर सह राव ब त ही प सोच के थे, उनक दे श के वकास से जुड़े येक
वषय पर मज़बूत पकड़ थी। एक बार, जब वह र ा सलाहकार कमेट के अ य थे तब
‘आम स लाई का स’ (ए.एस.सी.) के आपू त और प रवहन के महा नदे शक (डी.जी.), डेरी
फॉम के आधु नक करण पर एक तु त दे रहे थे। डी.जी. ने बताया क वह सेना के डेरी
फॉम से धीरे-धीरे भस को हटा कर जस गाय ला रहे ह। राव को तुरंत लगा क भैस हमारे
दे श के लये खास ह। वह ऊ ण क टबंध (जैसे भारतीय) े म स ते चारे पर भी रह सकती
ह और वह अ धक और पौ क ध दे ती ह। इस तरह हम दे शज स पदा के उपयोग को रोक
नह सकते। उ ह ने तुरंत आदे श दए क इस कायवाही म बना दे र कये आव यक संशोधन
हो।
इसी तरह, वष 1995 म एक बार म सुर ा तं क आ म नभरता पर अपनी रपोट
पेश कर रहा था, राव ने तुरंत यान दया क हम यह सीमा तय कर रहे ह क र ा य को
जी.डी.पी. के तीन तशत से कम होना चा हए। उ ह ने कहा क हम ऐसी हद नह बांधनी
चा हए। हम मज़बूत र ा तं बनाने के लये अपनी ज़ रत पूरी करनी होगी। जी.डी.पी. तो
लगातार बदलता रहेगा। हम इस तरह घटते-बढ़ते र ा बजट से काम नह चला सकते।
एक और बात याद आती है। डी.आर.डी.ओ. को अ न मसाइल को केवल तकनीक
दशन से आगे बढ़ाकर सेना म शा मल करने के लये काय म चलाने थे। राव ने तुरंत
ज़ रत को समझा और आठ सौ करोड़ पये, केवल एक पृ के ताव प पर, बना कोई
सवाल उठाये, वीकृत कर दए। साथ ही उ ह ने एक ऐसे तं को वक सत करने का अवसर
दया जो समयब ढं ग से सेना को मसाइल स पने का बंधन कर सके। बाद म इस
काय म को व मं ी डॉ. मनमोहन सह क मंज़ूरी मली, जसे सामा यतः, धानमं ी तक
प ँचने के पहले उन तक आना चा हए था। उनके बाद यह फ़ाइल सरकार के स चव के पास
गयी, ज ह इसे लागू करने क कायवाही करनी थी। यह काय म क अवधारणा, वीकृ त
और लागू करने क एक ‘ऊपर से नीचे वाली शैली’ का एक उदाहरण है।
बाद म, 2004 म मुझे डॉ. सह (मनमोहन सह) के साथ काम करने का मौका
मला, ज ह ने बतौर धानमं ी अपनी सारी आ थक समझ क द ता, हाल के साल म,
वकास दर को 9 तशत से ऊपर ले जाने म लगा द थी। उ ह ने धानमं ी कायालय के
वातावरण को मानवीय पश क गमाहट से भर दया था। अटल बहारी वाजपेयी म
थ तय क ता का लकता को समझ कर कदम उठाने क ज़बरद त मता मने तब दे खी,
जब 1998 म धानमं ी बनने के बाद उ ह ने मुझे पहला काम ना भक य परी ण का
स पा। मने पाया क वाजपेयी रा ीय सम या के संबंध म हमेशा नणयशील रहे जैसा क
मने पहले भी बताया है, क वह पहले थे ज ह ने अग त 2002 म लाल कले के
ाचीर से यह घोषणा क , क भारत 2020 तक वक सत रा बन जाएगा। सबसे पहले,
भारत-2020 को रा ीय काय म के प म 1998 म एच.डी. दे वगौड़ा ने मा यता द ।
त पध रा बनने क ओर
भ◌ा रतअसली
क अ धकतर आबाद गाँव म रहती है, और वै ा नक समुदाय के सामने यही
चुनौती है क वह टे नोलॉजी से जो हा सल है उसे पचह र करोड़ गाँव
वाल तक प ंचाएं।
व ान और टे नोलॉजी से जुड़े अपने पचास साल के कायकाल म मने हमेशा यह
महसूस कया है क कसी वकासशील दे श के वक सत दे श बनने के लये व ान और
टे नोलॉजी ही एकमा रा ता है। वह तीन े जन पर हम अपनी नज़र बनाए रखनी है,
वह ह, नैनो टे नोलॉजी, ई-गवनस और बायो डीज़ल। नये प रवतन क दशा म अनुकूल
वातावरण बनाने के लये, मने सोचा क य न रा प त भवन से शु आत क जाए।
ज टल और नये काम क शु आत के लये कई वशेष क स म लत सोच क
ज़ रत होती है। अलग-अलग वक प का मू यांकन और फर अ भयान को या वत
करने के लये स म लत यास। इस स दभ म तीन अनोखी घटनाएं रा प त भवन म और
हैदराबाद म रा प त नलयम म । वह था, नैनो टे नोलॉजी कॉ स, ई-गवनस कॉ स
तथा बायो डीज़ल कॉ स का आयोजन। दे श के भ व य के स दभ म यह ब त भावकारी
घटनाएं थ ।
म बंगलु म ‘जवाहरलाल नेह सटर फॉर एडवांस साइं ट फक रसच’ के ोफ़ेसर
सी. एन. आर. राव तथा दे श- वदे श के सरे वशेष से नैनो टे नोलॉजी तथा इसके व वध
े म उपयोग पर बात करता रहा ँ। कृ ष, औष ध व ान, तथा अंत र और ऊजा जैसे
कुछ े म इसका उपयोग हो सकता है। इ ह वचार ने मुझे े रत कया क म एक पूरे
दन क कॉ स का आयोजन रा प त भवन म क ँ । वचार- वमश और स म तय से आगे
संयोजन काय म क भू मका बनी और इसक कुल लागत एक हज़ार करोड़ पये आई।
इस काय म से ब त मह वपूण ग त और नव नमाण सामने आया। मुझे यह जान कर
खुशी ई क बनारस ह यू नव सट ने काबन नैनो ूब फ टस बनाने क एक सरल
व ध वक सत कर ली है जो पानी से नैनो आकार के षत कण और पे ो लयम से भारी
है ो-कॉबन कण को छान सकता है। एक नजी कंपनी डाबर के साथ मल कर द ली
यू नव सट ने सफलतापूवक एक औष ध वक सत कर ली है जो सीधे ूमर को शका
पर आघात करती है।
द , भावी और पारदश बंधन भारत को वक सत रा बनाने के लये तथा दे श म
ान-स प समाज बनाने के लये, पहली बु नयाद ज़ रत है। इस के लए एक सम तं
क ज़ रत है, जो रा य, ज़ला तथा ाम तर पर वके त हो कर काम करे। इसक
योजना बनाने और उसे लागू करने के लये, सु नयो जत यास क ज़ रत है, जो क और
रा य सरकार के साथ-साथ, नजी तथा सरकारी े के संयु सहयोग से काम करे। इसी
ल य को यान म रखते ए, सभी संबं धत एज सय को साथ लेकर एक ई-गवनस कॉ स
का आयोजन कया गया। हमने एक ई-गवनस स टम बना कर रा प त भवन म लागू भी
कया। मने इस वषय पर यायपा लका, ऑ डट तथा अ य सं थान को संबो धत भी कया।
कॉमनवे थ सभा म एक तु त भी द , जसे ब त पसंद कया गया। मुझे उ मीद है क ई-
गवनस स टम से येक नाग रक के लये बनाये गये माट पहचान काड भावी सेवाएँ दे ने
और अ तवाद तथा आतंकवाद को रोकने म सफल ह गे।
म समझता ँ क दो े जो भ व य म का कारण बन सकते ह, वह ह जल
तथा ऊजा। रा यपाल क एक कॉ स म पानी के मु े पर बात के दौरान जलाशय के
रख-रखाव, जल के ोत का संर ण, तथा रा ीय तर पर रा य क न दय को जोड़ने का
संग उठा था। म लगातार इस बात पर जोर दे रहा ँ क पानी, डीज़ल और कोयले से मु ,
ऊजा उ पादन के तरीक पर यान दे ना समय क मांग है। बायो धन वक सत करने का
ज इसी स दभ म आता है। इस वषय को ही संबो धत करने और इस संबंध म सभी
कार के यास पर सम प से वचार- वमश करने के लये रा प त नलयम म हमने
एक कॉ स आयो जत क थी। इस आयोजन म, अ य लोग के अलावा कसान को भी
आमं त कया गया था य क उ ह इस े म अनुभव है और वही इसके उपभो ा भी ह।
कृ ष व व ालय के उपकुलप तय ने वषय के व वध अनुसंधान प के वषय म
समझाया। बायो धन वृ के बीज क संरचना और उनक उपज के लये सचाई क
आव यकता आ द संग चचा का वषय बने। सरकारी अ धका रय ने बंजर ज़मीन के
बंटवारे का उठाया। ऑटोमोबाइल डज़ाइनस ने बायो धन और डीज़ल के एक म ण
के बारे म बताया जसके योग से इंजन म कोई प रवतन नह करना पड़ेगा। इंजन म
बदलाव क ज़ रत केवल तभी पड़ेगी जब म ण म बायो धन का अनुपात बढ़ाया जाए।
वसायी लोग ने ‘ ेकईवन वाइंट’ या न बना लाभ-हा न के नवेश के तर क बात क ।
मने बायो धन के योग क अपनी अवधारणा तुत क । म खुश ँ क अब बायो धन क
नी त वक सत हो चुक है।
इन तीन कॉ स के अलावा एक और तकनीक आयोजन आ जसक शु आत
रा प त भवन से ई।
~
वष 2006 म इसरो के त कालीन चेयरमैन ने मुझे अपनी अंत र संबंधी योजना बताते
समय, चं यान का ज़ कया जो चाँद के वातावरण क सूचना दे गा। न त प से यह
कसी नये ह क खोज के संबंध म पहला कदम होगा, जनम कोई मानव जाएगा। उ ह ने
बताया क उनका अंत र यान च मा क क ा क प र मा करते ए चाँद क धरती क
रासाय नक, ख नज, भूगभ य जैसी वै ा नक जानकारी भेजेगा। उ ह ने यह भी बताया क
यह यान ब त-से ऐसे वै ा नक यं ले जाएगा जनके बारे म इसरो अभी नणय ले रहा है।
मने सुझाव दया क अपने इस अ भयान म इसरो एक और काम जोड़ सकता है। वह यह,
क एक र थ मापन तं था पत करे जसके ज़ रये चाँद क सतह से ही घन व या दबाव
नापा जा सके या कम से कम उसके अनुमा नत सार का पता लगाया जा सके। चेयरमैन ने
वादा कया क वह इस सूचना क व था अपने तं म करगे। इस वाता से चं यान के साथ
‘मून इ पै ट ोब’ यानी चांद के संबंध म अ धक जानकारी पाने वाला अ त र यं जोड़ा
गया। यह यं चाँद क धरती पर 14 नवंबर 2008 को ठ क उसी जगह उतरा, जहाँ उसका
उतरना पहले से तय कया गया था। मने इसरो क ट म को इस कामयाबी के लये बधाई द ।
यह दो उ च तरीय शु आती तकनीक कदम रा प त भवन के आ ह पर उठाए गए।
मुझे इस साह सक काय म भागीदार बनने म ब त स ता ई।
~
नव नमाण वष 2011 क , नया-भर म नया या आ इसक सूचकांक रपोट ‘ लोबल
इनोवेशनल इंडे स’ दे ख कर पता चला क इस म म जी.आई.ई. के आधार पर
वट् ज़रलड पहले नंबर पर, वीडन सरे पर, सगापुर तीसरे पर, हांगकांग चौथे नंबर और
भारत 62व नंबर पर है। त पधा मक थ त और नव नमाण सूचकांक म एक संबंध होता
है। वष 2010-11 म भारत 56व नंबर पर था। अगर भारत खुद को अपनी मौजूदा थ त से
उठा कर वक सत रा क ेणी, अथात सव च दस म लाना चाहता है तो उसे हर हालत म
अपनी वदे शी डज़ाइन यो यता को सश करना होगा। भारत क वतमान अ भवृ उन
वै ा नक तकनीक के आधार पर ई है जनका आ व कार और पेटट अ धकार क ह और
दे श के पास दस-पं ह बरस पहले से है। व ान और तकनीक म वक सत दे श से कोई भी
ताज़ा टे नोलॉजी भारत को कम से कम दस बरस से पहले नह मलने वाली है। इस लए,
कम से कम व ान के े म शोध ब त ज़ री है, ता क वै क तयो गता मक दौड़ म
भारत मनचाही जगह बना सके। म यहाँ भारत क एक को शश का यौरा दे ना चा ँगा जहाँ
भारत ने एक वां छत टे नोलॉजी वक सत क ।
~
अभी हाल म हमने एक मह वपूण ल य ा त कया। 19 अ ैल, 2012 को उड़ीसा के
तट य े लर आइलड पर तनाव अपने चरम पर था। यहाँ से पचास टन वज़न क , साढ़े
स ह मीटर ऊंची, अ न-V मसाइल, ल बवत् थ त से े पत क गयी थी। ेपण के
पहले क जांच शु ई। सुबह 8.07 पर उलट गनती शु ई और जैसे ही मसाइल के
पहले चरण ने काम कया, आग क एक दै याकार गद उछली। जैसे ही मसाइल ने आकाश
क ओर उठना शु कया, वै ा नक ने उसक काय णाली क जांच क । उनक आवाज़
शांत थी, जब क उप थत दशक बेहद तनाव क थ त म थे। 90 सेके ड बाद पहला चरण
जल कर अलग हो गया। मसाइल ठ क उसी ग त से जा रही थी, जससे उसे जाना चा हए
था। उसके बाद, यथा योजना, सरा चरण भी जला और फर अलग हो गया।
कुछ ही मनट म मसाइल अंत र म थी, भूम य रेखा पार करने तक, दो हज़ार
कलोमीटर द ण क दशा म। फर, तीन हज़ार कलोमीटर जाने के बाद उसने फर पृ वी
के वातावरण म मकर रेखा के ऊपर वेश कया और अ का और आ े लया के द णी
सरे क ओर नीचे को आई। ेपण और इस ग त के बीच उसे बीस मनट लगे। भारतीय
समु पोत उस मसाइल के साथ सारे रा ते भर, अंत तक चलते रहे। मसाइल ने अपने
ल य पर एकदम सही नशाना, पूव न त समय पर दाग दया।
वष 1983 म 400 करोड़ पये क लागत के आई.जी.एम.डी.पी. के काय म को
वीकृ त मली। इस काय म म चार मसाइल क संक पना, उ पादन और ेपण का
काम शा मल था। यह चार मसाइल थ , ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाली मसाइल
(पृ वी), म यम री वाली ज़मीन से आकाश म मार करने वाली मसाइल (आकाश), कम
री वाली ज़मीन से आकाश म तेज़ी से मार करने वाली मसाइल ( शूल) और एक टक
भेद मसाइल (नाग)। इसके साथ ही इस काय म म अ न का तकनीक दशन भी
शा मल था, जसम लंबी री पर मार करने वाली मसाइल के अंत र तक जा कर पृ वी के
वातावरण म फर वापस आना दखाया जाना था। यह टे नोलॉजी सब से पहले मई 1989
म उड़ीसा के तट पर द शत क गई थी। उसके बाद लंबी री वाली मसाइल अ न-I, II,
III और IV उसके बाद के दो वष म द शत । फर अंततः डी.आर.डी.ओ. के
वै ा नक और इंजी नयर ने अ न-V क उड़ान का परी ण नयो जत कया जसक
मारक मता 5000 क.मी. तक है। यह सब मसाइल, ‘ मसाइल टे नोलॉजी कं ोल
रजीम’ (एम.ट .सी.आर.) तथा अ य खंड क ेणी म आती ह। इसके कारण, न तो
मसाइल स टम, न ही इसको संचा लत करने वाली टे नोलॉजी, खरीद कर पाई जा सकती
है। इस स टम को केवल गहन मब शोध से ही अ जत कया जा सकता है।
इस तरह, मसाइल का सफल परी ण गूढ़ टे नोलॉजी क दशा म आ म- नभरता
का व श माण है। यह दे श को एक वतं वदे शी नी त बनाने क श दान करता है।
मेरे म डॉ. वी. के. सार वत और उनक ट म ने अ न-V के ेपण पर मुझे
जानकारी द ।
इस स दभ म मुझे एक पुरानी बात बताने क इजाज़त द। म एक बात 1984 क
बताता ँ और सरी 1991 क । म हैदराबाद म डी.आर.डी.एल. का नदे शक था।
धानमं ी इं दरा गाँधी ने अपनी कै बनेट के मा यम से आई.जी.एम.डी.पी. क वीकृ त
1983 म द थी और उसके अगले साल वह काय म क ग त दे खने डी.आर.डी.एल.आई.
थ । जब हम अपनी ग त द शत कर रहे थे, तब ीमती इं दरा गांधी ने कॉ स हॉल म
लगा व का न शा दे खा। उ ह ने हमारा दशन कवा दया और हमारा यान उस न शे
क तरफ आक षत कराया। उ ह ने पूछा, ‘कलाम, इस न शे को दे खो, इसम दखाई गयी
रय को भी दे खो, कब हमारी योगशाला ऐसा मसाइल बना पाएगी जो क ठन प र थ त
म र के ठकान तक प ँच पाए।’ उ ह ने न शे पर, भारत क सीमा से पांच हज़ार
कलोमीटर र एक ल य पर उंगली रखी। सचमुच हमारे डी.आर.डी. ओ. के वै ा नक उस
महान राजने ी क संक पना के अनुसार यह उपल ध हा सल कर पाए।
उसके बाद, जब पृ वी मसाइल का सफल ेपण आ, तब सेना क एक सरी
ज़ रत हम तक प ंची। सेना को ज़मीनी े म एक पु करण का यं चा हए था, जससे
एक ु ट, जसे ‘सकुलर एरर ोबे ब लट ’ (सी. ई.पी.) कहा जाता है, उसका अनुमापन हो
सके। इसके लये, हम उस समय जस, म थली े म अपने परी ण कर रहे थे, वह
सुर ा और अ य भौगो लक कारण से उपयु नह था। अपने इस काम के लये हम पूव
तट य े के कसी नजन प क ज़ रत थी। अपने भू-जलीय न शे म, जो हम नौसेना
से मला था, हम कुछ प नज़र आये जो उड़ीसा के तट धमरा से हट कर बंगाल क खाड़ी
के पास थे। वहां क ह भू-भाग क संभावना थी। हमारी ट म ने, जसम डॉ. एस. के.
सलवान तथा डॉ. वी. के. सार वत शा मल थे, धमरा से एक नौका कराए पर ली और प
क तलाश म नकल पड़े। न शे पर इन प के संकेत ‘ल ग लर’, ‘कोकोनट लर’
और ‘ मॉल लर’ के नाम से लखे ए थे। ट म ने एक क पास ( दशासूचक यं ) लया
और या ा पर नकल पड़ी। वह लोग रा ता भूल गये और लर प नह खोज पाये।
सौभा य से, उ ह कुछ मछु आरे अपनी नौका म दखे। उनसे रा ता पूछा गया। उन
मछु आर को लर प का तो पता नह था ले कन उ ह ने ‘चं चूड़’ नाम के एक प का
ज़ कया। मछु आर ने सोचा क ये लोग उसी प का पता पूछ रहे ह। उ ह ने ‘चं चूड़’
प का रा ता बता दया। उनके बताए ए रा ते से ट म चं चूड़ प ंची, और बाद म पता
चला क वही ‘ मॉल प’ है और वहां हमारी ज़ रत-भर पया त जगह है।
उस प को पाने के लये हम उड़ीसा नौकरशाही का सामना करना पड़ा। यह ज़ री
आ क इसके लये उड़ीसा के त कालीन, (1993) मु यमं ी से राजनी तक नणय पाया
जाए। उस समय, श स प नेता, बीजू पटनायक मु यमं ी थे। उनके कायालय से यह
संकेत मल रहे थे क वह प क ह कारण से, उपल ध नह हो पायेगा। खैर, हमारी
वनय व प, हम बीजू पटनायक से भट करने का अवसर मला। जब हम उनके कायालय
म प ंचे, वह फ़ाइल उनके सामने रखी थी। उ ह ने कहा, ‘कलाम, मने यह पाँच प
डी.आर.डी.ओ. को बना कसी क मत के दे ने का फैसला कया है, ले कन म इस फ़ाइल पर
अपनी वीकृ त के ह ता र केवल तभी क ँ गा जब तु हारी ओर से एक वादा कया
जाएगा।’ उ ह ने मेरा हाथ अपने हाथ म थाम कर कहा, ‘तु ह एक मसाइल ऐसी बनानी
पड़ेगी जो र के मन से भी हमारी र ा कर सके।’ मने कहा, ‘सर, हम ज़ र इस पर
काम करगे।’ मने तुरंत र ा मं ी को सूचना द । मु यमं ी के ह ता र होने के बाद हम
‘ मॉल प’ मल गया।
~
पाठको, आप सब को पता ही होगा क इसरो ने 26 अ ैल, 2012 को अपना पहला ‘राडार
इमे जग सेटेलाईट’ (आर.आई.सेट-1) े पत कया था। यह उप ह ‘पोलर सेटेलाईट
लॉ च वे हकल’ (पी.एस.एल.वी-सी-19) ारा ीह रकोटा के सतीश धवन पेस सटर से
े पत कया गया था। इस उप ह को क ा म भेजने के बाद इसम सोलर पैनल और सी
बड सथे टक अपचर राडार के एंट ना पैनल सफलतापूवक लगाये गये। यह उप म
आर.आई.सेट-1 का एक मह वपूण ह सा है। उसके बाद, इस उप ह को, पोलर सन
स ोनस क ा (ऑ बट) म चार मक या से रोपा गया। इससे, गंगो ी से लेकर
भोपाल तक क , और उ री कनाटक क उ च तरीय त वीर हण क ग , ज ह 1 मई,
2012 को तैयार कर लया गया।
यह अ भयान कुछ मह वपूण तकनीक को उजागर करता है। म उनके बारे म कुछ
जानकारी सं ेप म ँ गा।
कसी अ य र थ काश संवेद उप ह से एकदम अलग, राडार इमे जग सेटेलाईट
(आर.आई.एस.ए.ट -1) छायांकन के लये अपने राडार पंदन पृ वी पर भेजता है। इस से
बादल क उप थ त और सूरज क रोशनी के बना भी छायांकन संभव हो पाता है। इस
तरह यह तं , मौसम और सूय के काश क कसी भी थ त म त वीर ले सकता है।
आर.आई.सेट-1 कई तरीक और, व वध छायांकन थ तय म काम करता है, जैसे इसका
छायानुपात, एक से पचास मीटर के बीच कह भी साधा जा सकता है, और इससे दस से दो
सौ तेईस कलोमीटर तक छाया व तार पाया जा सकता है। आर.आई.सेट-1 का मह वपूण
उपयोग कृ ष े म है, जहाँ खरीफ क फसल के दौरान धान के खेत क पहचान उनका
वग करण, तथा त एकड़ उपज का अनुमापन कया जा सकता है। इसके साथ ही उन
खेत का भी यौरा पाया जा सकता है जो बाढ़ के समय म उपजाऊ नह रह गये ह। इसके
अलावा वप -कारक समय म तथा अ य थ तय म भी इस तकनीक सु वधा का लाभ
पाया जा सकता है। यह केवल हमारी अंत र संबंधी ग त व धय क एक झलक है जो
हमारे आ म व ास को भी द शत करती है। इसके साथ म ब त-सी कामयाबी क
कहा नयां सुना सकता ँ, जैसे नौसेना के ‘लाईट कौमबैट एयर ा ट’ (एल.सी.ए.) के
परी ण-उड़ान क कथा। यह उड़ान बंगलु म, उस दन संप ई थी जस दन आसमान
म इधर-उधर बादल छाये ए थे।
इस एक अकेली, नौसेना के एल.सी.ए. क सफल उड़ान के दम पर भारत उन े तर
दे श क पं म बैठ गया था जो उ च तरीय वैमा नक डज़ाइ नग, उ पादन तथा परी ण
के लये स म ह। इसम चौथी पीढ़ के वह वमान गने जाते ह जो अपने साथ वशेष
व था ले जा सकते ह, और ‘ क टे क ऑफ बट अरे टे ड रकवरी’ ( टोबार) जैसी
टे नोलोजी से यु होते ह। यह नौसेना पोत, सामु क सेना को दया गया यह पोत, हमारी
पहली को शश है, स पूण यु मता न हत, और यह भारतीय नौसेना क इ क सव सद
क अपे ा के अनुकूल है। इसक सफलता के दौरान हमने कई डज़ाइ नग संबंधी
चुनौ तय को पार कया है।
~
सूचना तं और संचार तं अब एक साथ जुड़ कर सूचना एवं संचार तं (इनफोमशन ए ड
कॉ यू नकेशन टै नोलॉजी) बन गये और आगे उनका मलान बायोटे नोलॉजी से आ
जसके फल व प बायो-इ फोम ट स का ज म आ। इसी तरह, फोटो न स छाया
योगशाला से नकल कर इले ो न स और माइ ोइले ो न स से जुड़ गयी है, जस से
उपभो ा उ पाद को उ च ग त से प रणाम पाने का लाभ मला है। अब नैनो टे नोलॉजी
आ गयी है। यह भ व य क तैयारी है और यह इले ो न स तथा माइ ोइले ो न स को
हटा कर अपनी जगह बनाएगी। इसम भारी संभावनाएं ह। इस से औष ध, इले ो न स
तथा पदाथ व ान को ब त लाभ मलेगा।
जब नैनो टे नोलॉजी और सूचना और संचार तं का संयोग मला, इंट ेटेड
स लकॉन इले ो न स, फोटो न स का ज म आ और यह कहा जा सकता है क अब
पदाथ व ान क ओर दे खा जा सकेगा। जब यह पदाथ व ान बायो-टे नोलोजी के साथ
संयु होगा, तब एक नया व ान पैदा होगा जसे इंटे लजट बायोसाइंस (सचेत जीव
व ान) कहा जाएगा। यह व ान रोगमु समाज बनाएगा, जो मनु य को लंबा स म
जीवन दे गा।
व ान का यह एक करण फलदायी है। म एक उदाहरण दे ता ।ँ म हॉवड यू नव सट
म था और वहां के कई त त ोफ़ेसर क व ानशाला दे ख रहा था जो ‘हॉवड कूल
ऑफ इंजी नय रग एंड अ लाइड साइंस’ म कायरत थे। म याद करता ँ क कैसे ोफ़ेसर
ह कुन पाक ने मुझे अपना, नैनो सूई का आ व कार दखाया। यह सूई, छे द कर के कसी
एक ल य को शका म वां छत गुणधम रोप सकती है। नैनो कण व ान इस तरह से जीव
व ान को फर से गढ़ रहा है। फर म ोफ़ेसर वनोद मनोहरन से मला। उ ह ने दखाया
क कैसे बायो साइंस पलट कर नैनो पदाथ व ान को नया आकार दे रही है। वह डी. एन.
ए. पदाथ का उपयोग वतः संयु कण क रचना म कर रहे ह। जब एक व श कार का
डी.एन.ए., कसी पदाथ के संपक म परमाणु तर पर लाया जाता है तो वह पूव नयो जत
गुण धारण कर के उस से संयु हो सकता है। यह जै वक व था के वतः संयु होने
क संभावना को था पत कर सकता है, जसम, बना मनु य के ह त ेप के गहन अंत र
म कॉलो नयां बसाई जा सकती ह, जैसा क डॉ. के. ए रक े लर क संक पना म बताया
गया है। इस कार, जैसा मने दे खा, केवल एक शोध के नमाण से दो भ व ान एक- सरे
को स प कर रहे ह। व ान के े म उनके पार प रक आदान- दान से हमारे भ व य
क औ ो गक तथा अ य ज़ रत भा वत ह गी और हम इसके लये तैयारी करनी होगी।
हम व भ तकनीक के बीच सोचगत अवरोध को हटाना होगा, और ऐसे शोध शु करने
ह गे।
अंत म, वै क प से, इस बात क ज़ रत ज़ोर पकड़ रही है क लंबे समय तक
चल सकने वाली ऐसी व थाएं बनाई जाएँ जो े टे नोलॉजी पर आधा रत ह । यह
इ क सव सद के ान-स प समाज का नया आयाम ह, जसम व ान, टे नोलॉजी तथा
पयावरण, तीन को साथ-साथ चलना होगा। इस तरह नये युग का मॉडल चार आयाम वाला
होगा, जैसे बायो-नैनो-इ फो-इको। चार एक ही आधार पर, जोश से भर दे ने वाली
संभावनाएं उजागर करगे।
द पक और पतंगा
ए.पी.जे. : वलाप करती वधवा क याद, पथराये ए माता- पता, मेरी गोद म
पड़ा आ नद ष नवजात शशु, और ताबूत म रखे तीका मक शव, मुझे यहाँ रा प त
भवन म बैठे ए कचोटते ह। या कुछ एक राजनी तक ग त व धयां और श ाचार क
औपचा रकता उस दद और यातना को समझ पाएगी जो फ ड और योगशाला म काम
करते लोग झेल रहे ह?
ए.ट . : स दे श या है?
ए.पी.जे. : द पक होने का ढ ग मत करो, पतंगा बनो। सेवा करने म छपी ई श
को पहचानो। हम शायद राजनी त के बाहरी प से भा वत हो कर उसे भूल से रा -
नमाण मानने लगे ह। वह याग, क ठन प र म और परा म, कभी-कभी ही दखता है, जो
सचमुच रा नमाण कहलाता है।
मेरी गुजरात या ा
– मी
म व नाग रक ,ँ
सारे नाग रक मेरे वजन ह
– मी
धरती माता का स दे श
सु दर प रवेश रचता है
सु दर वचार,
सु दर वचार से
ताज़गी और कृ त व का सृजन होता है
सव े चेतना के बीच म भी कह
उपजा नकृ ,
बोये गये यु और घृणा के बीज
स दय क युयु सा और भीषण र पात
धरती और समु म वलय हो गये
अन गनत अबोध शशु,
कतने ही रा आसुं के सैलाब म डू ब गये
कतन को ःख के अजगर ने नगल लया
तब जा कर अमृत-सी संक पना हाथ आई,
गढ़ा गया
यूरोपीय संघ
ली गयी शपथ
क अब कभी नह होगी,
मानवीय ान क अवमानना
न अपने व ,
न सर के
भारत के दय का कायाक प
—महा मा गांधी
भ◌ा रतउद्भव
गाँव म बसता है। हमारी सं कृ त, वरासत, पर परा
वह से है। मेरा ज म और पालन-पोषण गाँव म
और जीवन दशन का
आ था इस लए म वहां
क जीवन-धारा का वर समझ सकता ँ। हाल के समय म गाँव से शहर क ओर
व थापन असहज प से आ है। ऐसे सभी व था पत ामीण लोग, अपनी झु गय म
तनावपूण जीवन जीते ए अपनी भूख का भरण करने के लये भरसक कमाने क को शश
म लगे रहते ह। ेम और आ मीयता क पूंजी उनसे छन जाती है। मेरा ऐसा व ास है क
गाँव का ऐसा वकास जसम गाँव के लोग, गाँव म रहते ए ही कमाई के अवसर पाएं और
अपना जीवन तर सुधार तो उस से भारत क त वीर बदल सकती है। इस से शहर क ओर
उनका पलायन केगा और वह व था पत मज़ र क ज़दगी जीने जैसी ासद से उबर
जाएंग।े इसी चतन से पी.यू.आर.ए. क संक पना का ज म आ।
रा य के वकास के लये गाँव के वकास क ज़ रत है। य अनुभव लेने के
लये मने वष 2002 म अपनी भोपाल या ा के दौरान गाँव म कुछ समय बताना तय कया।
हम तोरनी गये, जहाँ न ठ क-ठाक सड़क थ , न बजली। जैसे ही मने उस गाँव जाने का
नणय लया, रा य अ धका रय ने तुरत-फुरत कुछ व था क । सबसे पहले, कई
कलोमीटर लंबी हर मौसम को झेल सकने वाली सड़क बनवाई गयी, और ज द ही वहां
बजली प ँच गयी।
मेरे दौरे के समय गाँव के लोग, अपनी जलसंचयन व था और अपने जै वक
क टनाशक के योग दखाते ए बेहद स थे। मने ज़ला अ धका रय को सुझाया क वह
तोरनी गाँव म ए इन काम क सूचना पास के अ य गाँव म भी प ंचाएं ता क वह भी इस
अनुभव का फायदा उठा सक। मने रा य सरकार को यह सुझाव भी दया क वह गाँव के
बीच ऐसे समूह तैयार कर जो न केवल सड़क तथा प रवहन क व था कर ब क उनसे
वा य सेवा, श ा सं था तथा ज द खराब होने वाली उपज, जैसे फल, और स जी, के
सं हण क समु चत व था भी कराई जाए। गाँव म खा संसाधन उ ोग क भी व था
हो, जससे रोज़गार के अवसर बन। आजकल तरह-तरह क फसल और वन आधा रत
उ ोग ब तायत से फैल रहे ह जनके उ पाद क ब त मांग है।
मने म य दे श के मु यमं ी और रा य अ धका रय को यह भी सुझाव दया क वह
सभी गाँव के जलाशय क थ त का सेटेलाईट के ज़ रये नरी ण कर, उनका कचरा-काई
साफ़ करवाएं और उनम पानी के भराव और नकास क व था कर।
तोरनी े के युवा ने यह मांग रखी क उनके मा य मक कूल को उ चतर
मा य मक कूल बना दया जाय। रा य सरकार ने इसे वीकार कर लया।
तोरनी क इस या ा से मुझे वकास के व वध प का अंदाज़ा हो गया और मने
जाना क गाँव और शहर के बीच क खाई को कैसे कम कया जा सकता है।
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मेरा ज म और पालन-पोषण रामे रम म आ है। उस आधार पर म जान सकता ँ क गाँव
को कैसे वक सत कया जाए क वह अपने संसाधन से कमाई कर सक। मेरा कामकाज
हमेशा बड़े नगर म रहा ले कन मुझे र-दराज़ ब त से गाँव को दे खने का मौका मला है।
जब हम भारत-2020 काय म चला रहे थे तब दे श के छह लाख गाँव के वकास का
एक ब त बड़ा मु ा था। जब मेरे दो त ोफ़ेसर इ े शन ने पी.यू.आर.ए. का वचार दया
तभी मेरे भीतर एक वर झंकृत आ। मने उसके साथ व तार से बात करनी शु क , और
इस े के ब त से उन वशेष से भी चचा क जनक च गाँव के वकास म थी। यह
मेरा सौभा य था क मेरा संपक म य दे श पी.यू.आर.ए. च कूट के नानाजी दे शमुख,
त मलनाडु पी.यू.आर.ए. के पे रयार और महारा पी.यू.आर.ए. के लोनी से हो गया, जो एक
मे डकल समूह ने कराया। महारा के ता या सा हब कोरे, वारना पी.यू.आर.ए. का काम
सबसे अ णी रहा। ामीण वकास के यह अनुभव पी.यू.आर.ए. क न व को समूचे रा के
लये मज़बूत करते गये। रा प त के प म मने शहर से यादा गाँव दे ख।े इन दौर से मले
अनुभव ने मुझे पी.यू.आर.ए. सं थान को संग ठत करने म ब त मदद मली।
जब हमारी बातचीत शहरी लोग से होती, वह हमेशा शहर म बढ़ते षण, भागदौड़
भरी ज़दगी, भीड़ और सरी क ठनाइय का रोना ज़ र रोते, फर भी वह यह च नह
दखाते क वह गाँव म थत अपने ही मूल घर म लौट जाएँ। सरी ओर, गाँव के लोग,
अपने वातावरण के त लगाव रखने के बावजूद, अपना घर छोड़ते और शहर म यह सोच
कर बस जाते क वहां उ ह बेहतर जीवन मलेगा। या हम कोई ऐसा हल खोज सकते ह क
गाँव के लोग, वशेष तौर पर, युवा लोग, अपने गाँव म ही अपनी कमाई के अवसर जुटा
सक? साथ ही, या हम गाँव को शहरी लोग के लये भी आकषक थान बना सकते ह?
केवल छु मनाने या कारोबार के लये नह , ब क आ कर बस जाने के लये। यह सोच भी
पी.यू.आर.ए. को ग ठत करने का आधार बनी।
हमारे दे श म सरकार और नजी तथा सरकारी े , ाम वकास के काय म को
टु कड़ -टु कड़ म लेते ह, जैसे श ा सं थान, वा य क , सड़क और आवास व था, या
संचार व था, इन सब को कसी भी गाँव म एक-एक कर के उठाया जाता रहा। हमारा
अनुभव है क पछले कुछ दशक म हमारा काम जैसे तेज़ मूसलाधार बा रश क तरह शु
आ ले कन जब बा रश क गई तो सारी धाराएं सूख गय य क हमारे पास जलाशय
जैसी कोई व था नह थी। एकदम पहली बार पी.यू.आर.ए. ने सम और थायी वकास
योजना पर ज़ोर दया, जसम मूल प से रोज़गार व था के साथ, पुनवास, वा य
सु वधा, श ा, द ता के वकास, भौ तक और इले ौ नक जुड़ाव तथा वतरण व था
सब शा मल थ । समय क मांग है क वकास को थायी बनाये रखने के तरीके अपनाए
जाएँ जो सम ता से काम कर।
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यह बात सब लोग वीकार करते ह क गाँव के वकास का काम भारत को वक सत दे श
बनाने के लये ब त ज़ री है, ले कन गाँव के वकास का मतलब या है?
इस का मतलब है :
1. गाँव को अ छ सड़क , और जहाँ ज़ रत हो, वहां रेलमाग से जोड़ा जाए। वहां
सरी बु नयाद सु वधाएं जैस,े कूल, कॉलेज, अ पताल तथा अ य सु वधाएं ह ,
जो थानीय आबाद के अ त र वा सय के भी काम आ सक। म इ ह जुड़ाव
के भौ तक साधन कहता ँ।
2. नई आने वाली श ा के दौर म, दे शी जानकारी को भी संजो कर रखने क और
उसे टे नोलॉजी, श ण और शोध क आधु नक जानकारी के साथ संयु करने
क ज़ रत है। गाँव को, चाहे वह जहाँ भी ह , यो य अ यापक ारा अ छ
श ा दए जाने क ज़ रत है। उनको भी अ छे इलाज क सु वधा मलनी
चा हए, उन तक कृ ष, मछली पालन, उ ान वकास तथा खा उ ोग क नई से
नई जानकारी प ंचानी चा हए। म इसे इले ौ नक जुड़ाव कहता ँ।
3. जब भौ तक और इले ॉ नक जुड़ाव बन जाए तब ान का संपक भी बन जाता
है। उसम उ पादकता, बाज़ार क तलाश, गुणा मक चेतना, साझीदार से संवाद,
बेहतर यं के चुनाव म मदद, पारद शता, जीवन शैली म सुधार, समय का
स पयोग, यह सब गना जाता है और इसी को म ान का जुड़ाव कहता ँ।
4. जब यह तीन तरह के जुड़ाव हा सल हो जाएँ, तब कमाने क मता अपने-आप
बढ़ती है। पी.यू.आर.ए. को एक अ भयान क तरह अपनाने से गाँव ान के एक
समृ के बन सकते ह, और गाँव के लोग को वसायी उ मय क तरह
दे खा जा सकता है।
पे रयार पी.यू.आर.ए. सं थान क न व ‘म नअ मा कॉलेज ऑफ टे नोलॉजी फॉर
वुमेन’ ने रखी है, जो व लम म थत है। मने इस सं थान प रसर का उद्घाटन 20 दसंबर
2003 को कया था और उसके बाद म वहां 24 सत बर 2006 को गया। पी.यू.आर.ए. क
इस इकाई म पसठ गाँव का एक समूह है, जनक कुल आबाद वष 2003 म एक लाख
थी। वहां सभी तीन जुड़ाव भौ तक, इले ॉ नक और ान प ँच चुके ह, जो आ थक
जुड़ाव अ जत करने का रा ता खोलते ह। वहां प ँचने पर, म थानीय लोग का उ साह तथा
उन युवा को दे ख कर दं ग रह गया जो इस समूह के सम वकास क अवधारणा को
संभव कर रहे थे। युवा वग सं थान के वकास के संबंध म अपनी योजनाएं और अपनी
द ता का दशन करते ह। उनके यास से बड़े पैमाने पर रोज़गार के अवसर तैयार ए ह,
साथ ही, 1800 व-सेवी दल के सहयोग से कई उ ोगप तय का भी उदय आ है। दो सौ
एकड़ बंजर भू म को नई जल बंधन योजना के ज़ रये कृ ष यो य बनाया गया है। पे रयार
म नअ मा कॉलेज ने, जो अब पे रयार यू नव सट का ह सा है, अपने व ा थय और
अ यापक को टे नोलॉजी और थानीय लोग जैसी द ता से संप कर के पी.यू.आर.ए. के
वकास काय म म लगा दया है। उसने, ‘एक गाँव, एक उ पाद’ योजना क नी त पर चल
कर इन गाँव के बनाये पता लस उ पाद को बाज़ार म रखा है, जनक अंतररा ीय मांग भी
है। श ा समुदाय के अंतरंग सम वय से पसठ गाँव का ग तज वकास आ है, और उनके
नवा सय क जीवन शैली बदली है।
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द नदयाल रसच इं ट ट् यूट (डी.आर.आई.) के नानाजी दे शमुख और उनके सहयोगी सद य
ने च कूट म पी.यू.आर.ए. का गठन कया। डी.आर.आई. एक व श सं थान है, जो ाम
वकास का काम ऐसे ढं ग से नभा रही है जो भारत के लये सवथा अनुकूल है।
इस सं था को यह एहसास है क जनश , राजनी तक श क अपे ा अ धक
थर और टकाऊ होती है। जो असहाय और द मत का प बन कर उसका साथ दे ता है,
शासन और बंधन क बागडोर उसी के हाथ आती है। सामा जक वकास और समृ
केवल तभी संभव है जब युवा पीढ़ म आ म नभरता और े ता का म फूंका जाए।
डी.आर.आई. के पास च कूट म करीब सौ ऐसे ाम समूह वक सत करने क योजना है
जनम त समूह पांच गाँव ह गे। उ ह ने सोलह समूह म अ सी गाँव वक सत भी कर लए
ह, जनम करीब पचास हज़ार लोग रहते ह।
वहां एक गाँव है, पतनी, जहाँ डी.आर.आई. ने दे शज तथा पारंप रक टे नोलॉजी,
जानकारी तथा थानीय द ता के बलबूते थायी वकास क थ त हा सल कर ली है। इस
सं थान के शोध काय तथा अ ययन के मा यम से हा सल कया गया वकास कह अ य भी
अपनाए जाने के लये, और य लाभ दे ने दे ने के लये उपल ध है। इस काय म के लागू
कये जाने से अ जत धन रा श, आधु नकतर कृ ष प त, वा य तथा व छता, गाँव के
लोग म वै ा नक सोच का वकास करने तथा शत- तशत सा रता ा त करने के ल य म
खच क जाती है। वकास काय के अ त र , वह सं थान एकजुट, तथा टकरावमु
समाज बनाए क दशा म भी काम कर रहा है। इसके प रणाम व प, च कूट के आस-
पास अ सी गाँव पूरी तरह कसी अदालती कायवाही से मु ह। गाँव वाल ने खुद-ब-खुद
यह नणय लया है क उनका कोई भी ववाद अदालत तक नह जाएगा। सारे मतभेद गाँव
म ही आपस म सुलझा लये जाएंग।े इसका कारण नानाजी दे शमुख ने यह बताया है क
अगर लोग आपसी झगड़ म ही फंसे रहगे तो उनके पास वकास काय के लये समय कहाँ
बचेगा। वह न खुद का वकास कर पाएंगे न समुदाय का। वहां लोग को यह बात समझ म
आ गयी है।
म दे खता ँ क च कूट का ोजे ट, ाम वकास क से एक सम मॉडल है।
इसका सरोकार ऐसा समाज बनाना है जसम पा रवा रक आ मीयता के गाढ़ बंधन ह ,
भारतीय सं कृ त के त गौरव भाव हो, भारतीय ववेक के साथ जसम आधु नक श ा
का समावेश हो, समाज को तनावमु रखने क वृ हो, जसम सबके, खास तौर से
य के आ थक सश करण का चलन हो, सबके लये वा य-सु वधा हो, व छता का
अ यास हो, पयावरण संर ण क चेतना हो और समाज के सभी वग के बीच धन-संप
का समता पूवक बंटवारा हो। वह अवधारणा पूरी तरह से मेरे सोच से मेल खाती है क भारत
के वकास का मतलब केवल आ थक वकास नह है ब क सम वकास है जसम कला,
सा ह य, मानवतावाद, वचार क े ता और सबसे ऊपर हमारी पांच हज़ार वष पुरानी
समृ सां कृ तक वरासत के संर ण का भाव हो।
पी.यू.आर.ए. को समझते ए उसके वागत क शु आत हो गयी है, क इसे व भ
े म नजी और सरकारी साझेदारी मानते ए एक अ भयान क तरह अपनाया जाए। म
आ त ँ क इस बात के संकेत ब त बल ह क नकट भ व य म करीब सात हज़ार
पी.यू.आर.ए. संगठन भारत के गाँव म था पत हो जाएंगे।
उ ान म
ववादा पद नणय
चेतना आ मा का काश है
रा प त व के बाद
—भगवद्गीता
मई 2012 क कायसारणी
मंगलवार 1 मई
बोकारो का दौरा : बोकारो ट ल लांट म च मय व ालय के इंजी नयर और
व ा थय को संबो धत करना।
रांची म ‘म या कर सकता ँ’ काय म का उद्घाटन
बुधवार 9 मई
मथुरा म ‘म या कर सकता ँ’ काय म के उद्घाटन के संबंध म सं कृ त समूह के
सं थान का दौरा।
वृ दावन म वधवा आ म के लये पागल बाबा के आ म क या ा
शु वार 11 मई
साइंस और टे नोलॉजी वभाग म ‘टे नोलॉजी दवस’ समारोह का उद्घाटन
श नवार 12 मई
आजमगढ़ म वेदांत अ पताल का उद्घाटन और आजमगढ़ म व ा थय तथा
अ यापक को संबोधन।
मंगलवार 15 मई
नैशनल को-ऑपरे टव डेवलेपमट कॉपोरेशन के ‘इ टरनेशनल ईयर ऑफ को-
ऑपरे टव 2012’ का उद्घाटन
सोमवार 21 मई
तीथकर महावीर यू नव सट मुरादाबाद के पहले द ांत समारोह म मु य अ त थ
रामपुर म ज़ला कूल के छा को स बोधन
सी. एल. गु ता. आई इं ट टयूट म डॉ टर और टाफ को स बोधन
मुरादाबाद इं ट टयूट ऑफ टे नोलॉजी के छा को स बोधन
बुधवार 23 मई
अ क दे श को पैन-अ कन ई-नेटवक स बोधन
बृह प तवार 24 मई
आई.आई.ट . गुवाहट के वा षक द ांत समारोह म स बोधन
श नवार 26 मई
लखनऊ म ह तान टाइ स— ह तान उ र दे श वकास सभा को स बोधन
यह समझा जा सकता है क इन अलग-अलग तरह के काय म के लये भाषण,
ा यान भ - भ तरह के होते ह और उनक तैयारी तो अपने आपम एक बड़ा काम है।
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लखनऊ म 26 मई को आयो जत वशेष सभा का उ े य उ र दे श के वकास के लये
वचार-मंथन करना था। मने अपनी तु त तैयार करने म कुछ समय लगाया। मुझे इस बात
क खुशी ई क वहां मने जो वचार रखे वह वहां एक त वशेष को अ छे लगे। उनम
उ र दे श के नव नवा चत मु यमं ी अ खलेश यादव भी थे। अड़तीस वष क आयु के,
वह दे श के सबसे कम उ के मु यमं ी ह।
उ र दे श क अथ व था दे श क सरी सबसे बड़ी अथ व था है, और उसके
पास समृ ाकृ तक और जन-संसाधन ह। दस करोड़ युवा वाले इस रा य म, दे श का
हर पांचवां युवा रहता है। मेरे वशेष म बताते ह क वष 2016 तक, व -भर के, द
कामगार क कुल आव यकता का आठ तशत केवल उ र दे श के लोग ारा भरा
जाएगा।
उ र दे श के बारे म मेरा आ थक अ ययन बताता है क यहाँ क तह र तशत
आबाद खेती के काम म लगी है और इसक छयालीस तशत व ीय स पदा कृ ष के
ज़ रये आती है। यारहव पंचवष य योजना क अव ध म इस दे श ने 7.3 तशत ॉस
टे ट डोमे टक ोड ट (जी.एस.डी.पी.) अ जत कया, जो क यूनतम 6.1 तशत के
नधा रत ल य से अ धक है। रा य भर म तेईस लाख लघु औ ो गक इकाइयां ह। ताज़ा
जानकारी के अनुसार, रा य म अभी पचीस लाख बेरोज़गार युवा ह, जनम नौ लाख क उ
पतीस वष से अ धक है।
इन त य को दे खते ए, मेरी तु त ने बताया था क त वा षक आय को
मौजूदा 26,051 पये से बढ़ा कर एक लाख प ंचा दे ना चा हए। इसके लये रोज़गार के
मू य आधा रत ( भावी) अवसर तैयार करना, शत तशत सा रता, शशु मृ यु दर के तर
को दस से भी नीचे लाने के उपाय और कु , कालाजार, मले रया चकुनगु नया, डगू, तथा
तपे दक जैसे रोग का उ मूलन कया जाना चा हए। मने यह व तार से समझाया क इससे
दो करोड़ लोग को रोज़गार दे ने का ल य कैसे पूरा कया जा सकता है।
मेरा एक सुझाव था क उ र दे श क द ता मता दशाने वाला एक न शा तैयार
कया जाना चा हए। इसका मतलब यह है क सब जल म यह वहां क कला, संगीत,
ह तकला, कृ ष उ पाद मता, पाक कला आ द द ता का यौरा एक जगह दज हो जसके
आधार पर वहां क संभावना समझ कर वकास क योजना बनाई जा सके।
उस तु त म और भी कई वशेष उपाय बताये गये थे। मेरी इ छा है क तेज़ी से,
दे श-भर म भावी वकास लाने के लये ऐसी ग तज योजनाएं लायी जानी चा हए जनम
आपसी संवाद क भी गुंजायश हो।
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भारत और अमे रका के बीच आ 123 समझौता इंडो-यू.एस. यू लयर डील कहलाता है।
इस समझोते के अनुसार भारत अपनी नाग रक और साम रक ना भक य इकाइय को अलग
अलग करेगा और अपनी सारी नाग रक ना भक य इकाइय को इंटरनैशनल एटो मक एनज
एजसी (आई.ए.ई.ए.) के संर ण (सेफ गाड) के अधीन करेगा उसके बदले म अमे रका ने
सहम त क क वह भारत क स पूण नाग रक ना भक य श क योजना के
वकास म भारत का सहयोग करेगा। इस पर लंबा चलने वाला वचार- वमश आ और
यूनाइटे ड ो े सव एलाएंस (यू.पी.ए.) सरकार को आई.ए.एम.ए. के इस सेफ गाड समझौते
पर द तखत करने के पहले 22 जुलाई 2008 को एक व ास मत हा सल करना पड़ा।
इस व ास मत क क ठन प र थ त यह थी, क वामपंथी दल, जो यू.पी.ए. सरकार
को बाहर से समथन दे रहे थे, वह इस समझौते के प म नह थे। समाजवाद पाट के
अ य मुलायम सह यादव और उनके मुख सहायक अमर सह इस ना भक य समझौते
के त असमंजस म थे, क वह इसके प म मत कट कर या नह । वह इस के त
आ त नह थे क अमरीका के साथ यह ना भक य समझौता सचमुच दे श के हत म है, या
यह प म, वशेष प से अमे रका के ावसा यक हत को साधने का एक तरीका है।
थ त प करने के लये मुलायम सह और अमर सह दोन ने मुझसे मेरे आवास 10,
राजाजी माग पर मलने क इ छा कट क क इस समझौते क अ छाइयां-बुराइयां जान
सक। मने उ ह बताया क आने वाले समय म भारत को थो रयम आधा रत ना भक य संयं
के योग से आ म नभर होना ही होगा। उसके लये भारत को बना कसी बाधा के, पया त
मा ा म व छ ऊजा क ज़ रत होगी। यह समझौता हम यूरे नयम क मौजूदा कमी क
सम या से उबरने म मदद करेगा।
एक और मह वपूण मु ा, इन ना भक य ऊजा संयं के खलाफ असंतोष का कारण
बना, वह था—फुकु शयामा जापान म माच 2011 क सुनामी के बाद ई तबाही दे खने के
बावजूद, कोडा कुलम त मलनाडु म ऐसे संयं का लगाया जाना। थानीय गाँव के
आंदोलनका रय को ब त सी दे शी और वदे शी गैर सरकारी सं था (एन.जी.ओ.) क
मदद मल रही थी और उनक मांग थी क इन संयं का कोडा कुलम म लगाया जाना रोका
जाए। आंदोलनकारी, इंजी नयर लोग को काम करने से रोक रहे थे। थ त क गंभीरता को
दे खते ए, मने भारत म लगाए जाने वाले ना भक य ऊजा संयं म लगी सुर ा संबंधी
व था का गहराई से अ ययन कया उसके बाद उसके लगाये जाने के प म सभी थानीय
अं ेज़ी के अखबार म अपना मत कया क भारत के वकास के लये यह संयं ब त
ज़ री ह।
साथ ही म अपनी ट म के साथ कोडा कुलम गया। म वहां, अपने वकास क े तर
तीसरी पीढ़ के दो हज़ार मेगावाट के जनरेटर क सुर ा णाली को समझना चाहता था,
जो फुकु शयामा म ई सुनामी क घटना के बाद, लोग के संशय का वषय बन गये थे। मने
वहां पूरा दन लगा कर, जनरेटर लांट के व भ तं को खुद परखा, अनेक वै ा नक और
वशेष से बात क और इस बात से पूरी तरह संतु आ क एकदम ताज़ा टे नोलॉजी से
यु , इन संयं क सुर ा व था भली भां त चाक-चौबंद है। ना भक य पॉवर लांट क
सुर ा चार कसौ टय पर जांची जाती है। मज़बूत बनावट का गठन, ताप तथा जलीय
सुर ा, वक रण अवरोधक मता और को शक य संरचना क सुर ा। मने पाया यह
जनरेटर इन चार कसौ टय पर खरे उतरने वाले थे।
बाद म मने सुझाव दया क वहां पर एक पी.यू.आर.ए. सं थान क एक वशेष इकाई
था पत होनी चा हए, जो आसपास के गाँव के थानीय लोग को श ा, श ण
सु वधा और भावी रोज़गार पाने क व था करे।
मेरे लये यह खुशी क बात है क सरकार इस बात के लये राज़ी हो गयी है क वह
इस पॉवर लांट से अ जत लाभ का दो तशत अंश कोडा कुलम के सामा जक वकास,
ाम सुधार, नाग रक के सश करण के काम के लये रखेगी। इन पॉवर लांट का चलाना
भी उजा आ म नभरता काय म का एक ह सा होगा।
व षसमझता
2007 म म पदमु आ और मने सांसद को एक भाषण दया, जसका संग म
ँ, मेरी पहले कही गयी बात से गहराई से जुड़ता है, और उससे कुछ ऐसे मु े
उभर कर आते ह जनको यान म रखना ब त ज़ री है। भारत के एक वतं लोकतां क
रा होने का अनुभव आ था का अभूतपूव माण है। जब वष 1951 म जनता को ापक
प से मता धकार मला तो यह नया क एक अनोखी मसाल थी जहाँ करोड़ नर र,
स प हीन लोग रात रात वोट दे ने के हकदार बन गये। उ मीद बनी क इस से एक शांत
और थर सामा जक ा त आएगी। सं वधान के अंतगत, नाग रक को ब त से मूल
अ धकार का आ ासन दया गया। इस व था का मंत था क दे श म एकता, सुर ा,
सौहाद तथा समृ का एक ऐसा प रवेश बनेगा जैसा हमारे पराधीनता के इ तहास से पहले
कभी नह रहा।
एक रा के प म हमने अभूतपूव ग त क है, वशेष प से आ थक व था
इतनी अ छ कभी नह रही। इसके बावजूद हमारी सफलता को बस ठ क-ठाक ही कहा जा
सकता है, य क मानव संसाधन के वकास और बंधन म हम अभी ब त कुछ करना है।
हम नये ल य और संक पनाशील नेता क ज़ रत है जो जन हत म जी-जान से जुट
जाने का उ साह रखते ह और इस तरह उनम सारी नया के हत के लए जूझने का ज बा
हो।
न संदेह संसद भारत क एक मुख सं था है, जो वा तव म त न ध लोकत का
व प है। संसद य लोकत को य द एक शासन या और रा ीय नी तय के व था
त के प म दे खा जाए तो इसने ऐ तहा सक स ा संरचना को ढ ला करने म, वत
सं था को बनाए रखने म और लोकत म आम लोग क भागीदारी का व तार करने म
अहम भू मका नभाई है। ले कन आज जब हम इ क सव सद म वेश कर रहे ह इसम
कोई संदेह नह क संसद के सामने, 1951 म उसक संरचना के बाद से पहली बार इतनी
अ धक चुनौ तयाँ ह वशेषकर मानव-संसाधन और शासन के स दभ म।
एक बात प जान लेनी चा हए क शासन तं के प म संसद क मताएं—
वचार- वमश करने, कानून बनाने और सरकार और दे श को रदश नेतृ व दान करने क
—ब त हद तक राजनी तक दल के कामकाज, उनक सोच पर नभर करती ह न क इस
बात पर क संसद अपने म एक सं था है। यही मु य कारण है, म समझता ं क आज दे श
और संसद के सामने जो चुनौ तयां ह उ ह आपके स मुख भी रखूं और सुझाव ं जससे क
भारत ग त कर सके और 2020 तक एक वक सत दे श बन जाए।
एक आम धारणा यह बन रही है क भारत क शासन णाली के आंत रक और
बाहरी प रवेश म पछले दो दशक म ब त तेज़ी से प रवतन आ है और इनम कई प रवतन
ऐसे ह जो थायी बने रहने वाले ह। प रवेश म ए इन बदलाव के कारण जो चुनौ तयां रा
क एकजुटता और सं भुता तथा उसके आ थक वकास के सामने आई ह, उनका ब त
ज द और सुसंगत ढं ग से सामना करने क ज़ रत है। समय के साथ, अपने बढ़ते आकार
और ज टलता के कारण सामा जक सं थाएं वग लत होते ए, संकट क थ त म आने
लगती ह। ऐसा लगता है क एक समाज धान दे श, भारत क बंधन- व था ऐसे ही
संकट के दौर म प ँच गयी है। ज़ोरदार आ ान है क समाज के व च तत प रवतन और
नवीनीकरण के काम को उ च वरीयता द जाए।
यह भारत का सौभा य है क उसके पास सरकार और संसद म ब त यो य, स म
और संक पनाशील नेता ह। दे श को आज़ाद के बाद से आ थक, सामा जक और
राजनी तक े म ई उपल धय पर ग वत होने का अ धकार है। ब त क भ व यवाणी
है क भारत 2050 तक एक सु ढ़ आ थक थ त संप दे श हो जाएगा। फर भी, लोकतं
और आ थक संप ता को थायी प से तय नह माना जा सकता। सं भुता बनाए रखने के
लये सतत नगरानी रखने क ज़ रत होती है। यह एक ब त मह वपूण बात है क कसी
भी, ऊपरी तौर पर संतोषजनक नज़र आती व था को समय सापे अं तम मान लेना
उ चत नह होता। हम केवल पछली उपल धय को दे ख कर, न े बैठ जाएँ, और समाज
तथा रा के सामने नज़र आ रही बदलाव क ज़ रत को अनदे खा कर द, यह बलकुल
ठ क नह है। उदारीकरण के बाद आ थक नवीनीकरण और सकारा मक वकास क लहर
नजी े म प दे खी जा रही है। यह एक बड़ी चुनौती है क इस लहर को पहचान कर
सरकारी सं थान म भी जगह द जाए और जन व था म नये ाण फूंके जाएँ।
व वध सरकारी े म न केवल उ पादन, लाभ और बचत क से, ब क,
श ा, वा य, जल तथा प रवहन- बंधन क दशा म भी सुधार करना होगा ता क जनता
को बेहतर सु वधाएं मल सक। कई जाने-माने व ान ने भी हमारी संसद य व था का
गहराई से अ ययन कया है और उ ह ने भी उसम कुछ सं थागत चुनौ तय को पहचाना है।
मने उनके यौर को दे खा है और म उसम बताये गये कुछ मह वपूण संकेत और सरोकार
का ज़ यहाँ क ँ गा।
दे श म यह धारणा प क होती जा रही है क सं थान के प म संसद क कायशैली
म, काय के त चूक और सकल जवाबदे ही क व था होनी चा हए। संसद इस अनुमापन
के लये कई तरीके अपना सकती है, जैसे, सदन म ताव का ावधान और ऐसी नरी ण
कमे टय का गठन जो संसद क चूक पर नज़र रख और उसे सदन के पटल पर लाएं। इन
व था म भी समय-समय पर नव संचार होता रहे। यह एक त य है क भारत क
आ थक व था को, वै क होते जाने से मज़बूती मल रही है। हमारा रा पहले से अ धक
संप हो रहा है ले कन संसद के सचेत प से सश करण क भी ज़ रत है। इसके दो
मह वपूण प ह। आजकल ब त-से आ थक नणय का आधार अंतररा ीय समझौते होते
ह। भारतीय संसद, नया क उन कुछ संसद म से है, जसके पास इन समझौत के गहन
नरी ण का कोई तं नह है। यह समझौते, अ धकांशतः संसद म तब प ंचते ह, जब वे
या वत हो चुके होते ह। इस लए, आव यक प से, यह काम ब त ज द कया जाना
चा हए, क संसद के पास एक वैधा नक श संप तं हो जो वदे शी समझौत का
नरी ण करे।
ब त-से दे श क तरह भारत भी अपनी काय व ध और वैधा नक ढाँचे को पुनग ठत
करते ए, यह नी त अपना रहा है क ऐसे सं थान का भी सश करण कया जाए ज ह
जनमत के ारा नह चुना गया है। इस तरह कायभार व वध हाथ म स पे जाने का काम,
वशेष प से उदारीकरण के ब त बाद अपनाया गया है और सफल भी रहा है। इससे
व था म ज़ मेदारी क भावना और पारद शता बढ़ सकती है, और इसके अनुकूल माण
उजागर भी ए ह। इस समय, संसद य व था म ग तशीलता और उ रदा य व का गुण
लाने क त काल ज़ रत है, ता क संसद मज़बूत हो और उस क संबं धत सं था पर
नगहबानी सतक हो जाए। कायका रणी को भी सश कये जाने क आव यकता है।
इसके लये, कायका रणी अ यादे श के मा यम से काम करना कम करे, अचूक और भावी
कानून बनाये जाएं और व ीय नरी ण क काय व ध को मज़बूत कया जाए।
व ीय मामल क दे खरेख म लगे कायकारी अ धका रय के काम क जाँच संसद य
दै न दनी का ज़ री ह सा बने और इस कायवाही को मह व दया जाए। इससे संसद य
कामकाज के बेहतर प रणाम नकलगे और संसद अनुभव-संप होगी। इस ग त व ध से
हमारे युवा और थम बार नवा चत संसद सद य को वशेष लाभ होगा। हमारा संसद य
लोकतं स य सहभा गता क से ब त उवर है। दे श क पहली लोकसभा म केवल
पांच राजनी तक दल का त न ध व था। चौदहव लोकसभा म इनक सं या करीब पचास
है। संसद म राजनी तक दल क ब लता का लाभ उठाया जाना चा हए। संसद म उनक
भागीदारी ऐसे नयो जत क जानी चा हए जससे संसद भी मज़बूत हो और राजनी तक
पा टयां भी। इसके लये सामू हक काय व ध के बीच से बाधाएं हटाई जानी चा हए। इन
तरीक को अपनाने से एक तो ऐसे ज टल कानून क ज़ रत कम होगी जो सांसद पर लागू
कये जाने क मांग है, सरे, इससे सांसद म कानून के पालन के त च बढ़े गी।
वह सांसद जो अ छा काम कर रहे ह, उनक शंसा क जानी चा हए, उ ह अपने
संसद य े म, और राजनी तक दल या गठबंधन म पुर कृत कया जाना चा हए। इससे
संसद य काय म द ता दखाने के त सांसद म उ साह क भावना जगेगी। ज़ रत इस
बात क है क आज़ाद के बाद के शु आती वष क तरह, संसद राजकोषीय बंधन, और
उन आ थक तथा सामा जक नी तय के त एक वर म सजग हो जाए, जनसे भारत
वै क अथश के साथ जुड़ सकता है। संसद के सश बनने क राह म कोई ऐसा बाहरी
कारण नह है, जस पर हमारा बस न हो। सकारा मक रदश नेतृ व को ो साहन दे ने से
सांसद को कई और चुनौती भरी ज़ मेदारी लेने के लए ो सा हत कर जससे जवाबदे ही
और भावी बंध सु न त रहे।
बरस के अ ययन और मनन के बाद, अनेक व ान ने, संसद य व था म सुधार
के लये अपने सुझाव दए ह। उनम से कुछ को लागू करने क दशा म गंभीरता से वचार
कया जा सकता है।
राजनी तक तर पर
1. गठबंधन सरकार क थरता भंग करने क कसी छोटे दल क को शश से वैसे ही
नपटा जाना चा हए जैसे अभी कसी बड़े राजनी तक दल से कुछ सद य के दल-
बदल के कदम से नपटा जाता है। कसी छोट राजनी तक पाट को, जसक
लोकसभा म केवल दस या पं ह तशत सीट ह और उसने पहले गठब धन
वीकार कया था, तो गठबंधन तोड़ने क थ त म उसक वैधता र हो जानी
चा हए।
2. संसद य स दभ म, गठबंधन से जुड़े सभी राजनी तक दल को, एक ही मंच पर,
एक ही दल क वजा तले काम करना चा हए।
3. मं ालय को अपने वा षक ल य तय करने चा हए जो क संसद के स मुख रखे
जाने चा हए और इनके लये मं य को जवाबदे ह होना चा हए।
4. सं वधान म संशोधन के ज़ रये, ब मत ा त सरकार को यह अ धकार मलना
चा हए क वह यथा आव यकता, अपने मं मंडल म 25 तशत तक सद य
संसद के बाहर से शा मल कर सके।
5. चुनाव न ध म जनता क ह सेदारी शु क जाए।
6. ऐसे कानून बनाये जाएँ क कसी भी सदन क कायवाही स ताह म दो बार से
अ धक तब तक थ गत नह क जा सकती है जब तक उसके लये न द सारे
काय पूरे न हो जाएँ।
7. कसी भी वैधा नक ापार या बल के स दभ म “मौ खक सहम त/असहम त”
मा य नह होनी चा हए। वोट क गनती अ नवाय होनी चा हए।
8. सदन के पीकर/अ य को यह अ धकार होना चा हए क वह सदन क
कायवाही म बार-बार बाधा डालने वाले सद य को नलं बत कर सके।
शास नक तर पर
1. के करण : आतं रक सुर ा व था का दा य व रा य के बजाय के के ऊपर
हो।
2. वके करण : वकास काय म के लये व व था का दा य व के के
बजाय रा य के ऊपर हो।
3. एक के य स म त का गठन होना चा हये जो गरीबी-उ मूलन से संबं धत सभी
काय म के लये क ारा आबं टत सभी कार क सहायता क प ँच क पु
करे और उसके दे य व प ए काम क भी जांच करे।
4. यू.पी.एस.सी. (संघ लोक सेवा आयोग) क ही तरह, सभी वाय सं था ,
नयमन सं था , सरकारी सं था , बक और व ीय सं था तथा शै क
तथा सां कृ तक सं था म नयु काय करने के लये, वतं आयोग बनाया
जाना चा हए।
5. नजी े के पुनजागरण और उसके वकास क तेज़ ग त को दे खते ए,
सरकारी तं म ब त तेज़ी से आमूल प रवतन होना चा हए।
6. इस बात क नगरानी रखने के लये एक नये वैधा नक तं क ज़ रत है क
येक मं ी भावी ढं ग से जन हत के काम का अपना उ रदा य व संभाल रहा
है।
7. योजना आयोग यह ज़ मेदारी ले क वह संसद के पटल पर, योजना के सापे
व तुतः कये गये काम क रपोट रखे।
8. सीमा तय हो जानी चा हए जसके आगे मं ालय तर पर कोई भी ाचार सहन
नह कया जाएगा।
9. वैधा नक तर पर कानूनी ढाँचे म बदलाव अब और अ धक थ गत नह कया जा
सकता।
भारत क लोकतां क व था के प र य म, ब त से राजनी तक दल से मल कर
बनी सरकार क बड़ी भू मका है। इसके कारण संसद य काय मता उसी अनुपात म घटती
जाती है। संसद य स ा क सं भुता बनाए रखने के लये यह ज़ री है क उसके कामकाज
म, उसक जवाबदे ही म और नरी ण मता म े ता द शत हो। इस लए ऐसे सुधार
ब त ज़ री ह जो संसद य व था को अ धक सुचा और संतु लत बनाएँ ता क वह
संवैधा नक अपे ा पर खरी उतर सके। सबसे बड़ी बात, संसद य कामकाज क
यथा थ त इस बात क ओर इशारा कर रही है क हमारी भीतरी सुर ा व ापी
आतंकवाद और घरेलू अराजकता को रोक पाने म समथ नह है, उसम त काल सुधार कया
जाना चा हए।
तेज़ी से होते वकास के साथ-साथ आ थक वषमता क थ त भी गंभीर होती जा
रही है। शासन म मं य क भू मका बढ़ गयी है जसके कारण मं य के कामकाज क
जवाबदे ही भी ब त ज़ री हो गयी है। इस बात का यान रखना होगा क वह अपनी
ावसा यक और अ य वैधा नक श य के इ तेमाल के दौरान कोई नयम व काम या
जनता के धन का पयोग न कर। शासन णाली का पुन नयोजन होना चा हए जससे क
उ च राजनी तक पद के वतरण और मांग के बीच कोई बेमेल न हो; य क ऐसे पद के
बेमेल होने के कारण इनका ‘ लभता मू य’ बढ़ जाता है।
आ थक-सामा जक ल य क योजना बनाने और उसे लागू करने के काम म सांसद
क भू मका को और अ धक स य बनाने से संसद य नेतृ व का आधार ापक होगा।
इससे उन त व का अन धकृत भाव भी कम होगा जो एका धकार बनाते ए अपनी थ त
का लाभ उठाते ह। इस से सकारा मक नेतृ व क वृ भी बढ़े गी और ऐसे लोग के संसद
म वेश पर रोक लगेगी जनका आपरा धक रकाड है और जो कानून क अवहेलना के
अ य त ह। सांसद को व भ ऐसे सं थान के बीच सम वय था पत करने का दा य व
दया जा सकता है, जो संयु प से आ थक-सामा जक योजना पर काम कर रहे ह।
सांसद इस थ त पर अपना ववेक रख सकते ह क व भ सं थान और सरकार के
नज़ रये म सम पता रहे, और कसी मता तर को उनके ही तर पर सुलझाया जा सके, न
क इसके लये कसी उ चतर तर पर जाना पड़े। इससे मं मंडल क स म तयां तथा
मं य का समूह सरे ऐसे मह वपूण मु पर वचार कर सकता है जनका समाधान
वशेषा धकार ा त सांसद से भी नह नकल पाया है। जब ऐसी थ त हो क बार-बार
रा ीय, रा य तरीय और सं था चुनाव हो रहे ह और स ा म सरकार थोड़े समय के लए
बनी रह पाती है तब सांसद क प र कृत भू मका शास नक तं के भावी प रचालन म
एक मह वपूण भू मका नभा सकती है और दे श को बार-बार शासन- णाली के अभाव से
पैदा होने वाले संकट से बचा सक।
एक सु ढ़, सुर त रा जस पर कोई कभी सीमा पार से अ त मण और आ मण
न कर सके, एक समृ खुशहाल, संग ठत और बु रा जसम सभी लोग
सद्भावनापूवक रहते ह , म इन सब गुण और वशेषता क वष 2020 तक भारत म
क पना कर सकता ँ बशत क संसद आज यह ढ़ न य कर ले क उसे संक प
भारत-2020 का पूरी तरह से काया वयन करना है जससे क हमारा दे श सश और
श शाली बन सके।
भारत-2020 क संक पना को सच करने क राह पर चलते ए शासन और
वैधा नक े म नव नमाण के कई अवसर भी उजागर ह गे। जब हम इ क सव सद के
संदभ म अपनी शासन णाली और वैधा नक या को तैयार करगे उस संदभ म रा ीय
और वै क जुड़ाव और अ तररा ीय सहयोग और पधा को वो भी हम साथ रखकर चलना
होगा।
संसद सद य इन सुझाव को, एकता और सम वयपूण नेतृ व क संक पना के प
म, ठ क उसी तरह वचार- वमश के लये वीकार कर सकते ह, जैसे हमारे सं वधान का
पहला ा प वचाराथ लया गया था। इ क सव सद क संसद य व था ‘पा लयामटरी
वज़न फॉर इं डया’ क संक पना वै क और द घका लक सोच क मांग करती है। इसके
साथ उन रणनी तय का संल न होना ज़ री है जनके अ यास के ज़ रये वह सुग ठत काय
योजनाएं बनाई जा सकती ह, जो भारत को 2020 तक वक सत रा होने के रा ीय
सूचकांक, ऊजा आ म नभरता, तक वष 2030 से पहले प ंचा दे ।
यह वह अनोखी संसद य संक पना है जसके लागू कये जाने के बाद हमारे दे श के
एक अरब नाग रक के ह ठ पर मु कान आ जाएगी। हमारे सांसद के लये इस समय सबसे
यादा ज़ री यह है क रा ीय अ भयान क दशा म एकता और सम वय भाव से काम
कर। आप मुझ से सहमत ह गे क हमारे सांसद के सामने यह सबसे बड़ा ल य है।
न◌ा रहता
भक य ह थयार के वकास के े म काम करते समय मेरे मन म हमेशा यह
था क म मानवता, दाश नकता और मानवीय हत के खलाफ काम कर रहा
।ँ इस वधा म म तब तक रहा जब तक मेरी भट आचाय महा से नह ई थी। आचाय
महा ान के उद्गम ोत थे और उनके संपक म आने पर येक आ मा का शु करण
हो जाता था। वह अ टू बर 1999 म आधी रात का समय था और आचाय जी ने दे श और
दे शवा सय के क याण के लये अपने मठवा सय के साथ तीन बार ाथना क थी। अपनी
ाथना के बाद उ ह ने मुझसे जो श द कहे, वह मेरे म त क म अभी भी गूंज रहे ह। उ ह ने
कहा, ‘कलाम, तुमने अपनी ट म के साथ मल कर जो कया, ई र तु ह उसके लये
शुभाशीष दे । ले कन सवश मान भु के पास तु हारे लये उससे बड़ा ल य है, इसी लए
तुम आज मेरे पास आ प ंचे हो। मुझे पता है क आज हमारा दे श ना भक य श संप
दे श है। ले कन तु हारा ल य उससे कह अ धक बड़ा है जो तुमने और तु हारी ट म ने पूरा
कया है। ब क, सच पूछा जाए तो यह वो ल य है जसे कसी मनु य ने अब तक पूरा नह
कया है। नया म ना भक य श तो ब तायत म बन रहे ह। म तु ह, और केवल तु ह,
अपनी सारी दै वक श य से संप क ँ गा क तुम ऐसी शा त का भामंडल रचोगे,
जसके आगे सारे ना भक य श , अ भावी, अ ासं गक और राजनी तक प से न फल
हो जाएंग।े ’
जैसे ही आचाय जी ने अपना स दे श संप कया, पूरे हॉल म स ाटा छा गया। मुझे
ऐसा लगा क पूरी सृ इस संत वाणी से संघ नत हो गयी है। जीवन म पहली बार म इस
तरह कांप गया। तब से आचाय जी का यह स दे श मेरे लये पथ का काश बन गया है। इसे
स य स करने क चुनौती मेरे लये जीवन का नया अथ बन गयी है।
~
अ याय एक म मने एक लड़क का ज़ कया था जसने मुझे मदद के लए एक
प लखा था। उस प के संदभ म हमने जो कायवाही क उसका एक सुखद प रणाम
नकला। जस को मदद के लए कहा गया था वह एक बकर था। उसने लड़क के
प रवार से स पक कया और उनक आ थक वपदा से उबरने म मदद क । उस लड़क
क शाद भी हो गई और वह अब आन दपूवक अपना जीवन जी रही है। हम इस बात क
खुशी है क हमारे ज़ रये कम-से-कम, उसका एक सपना तो पूरा आ।
परश -I
सा ा कार
व षएन.ई.ट
2006 म ब त-से रा य का दौरा करते ए म मज़ोरम गया था और उस अवसर पर
.वी के मनोरंजन सह ने मेरा इंट ू लया था, जसे म साझा कर रहा ँ य क
यह बातचीत ब त-से मु , सरोकार और ग त व धय पर काश डालती है।
12. या आप अपना कायकाल पूरा करने के बाद, अपनी असीम तभा, ऊजा और
तब ता का कोई उपयोग जैसे अपने पी-एचडी. शोधा थय के दशा- नदश करने
म, करना चाहगे? या आप अ ा यू नव सट म वापस लौटगे?
2020 तक, म वक सत भारत क संक पना के काम को जारी रखूँगा। म शोध और
अ यापन का काम भी करता र ँगा और व ा थय से संवाद भी जारी रहेगा।
मेरी यह भी इ छा है क पूव र े को भी हर साल कुछ समय दे सकूँ। इस म मेरा
यान ऐसे समयब काय म वक सत करने पर होगा, जनके ज़ रये लोग के जीवन तर
म पया त सुधार आ सके और उस े के युवा को बेहतर रोज़गार के अवसर मल सक।
ल य बंधन का संगठना मक ा प