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वै टलड

सकंदर का रह य

टोफ़र सी. डॉयल अपने पाठक को एक ऐसी चम कारी नया म ले जाते ह, जहां
क से—कहा नय म छपे ाचीन रह य व ान और इ तहास के साथ मलकर एक
अ व मरणीय कथा बनाते ह।
शा ीय सा ह य से लेकर व ान ग प और फटे सी तक क कताब म गहरी च रखने
वाले टोफ़र को कूली दन से ही लखने का शौक रहा है। बचपन से ही उ ह ने अपने
सा ह यक गु के तौर पर ज स वन, एच जी वे स, आइजैक अ समोव और रॉबट
हेनलेन, जे आर आर टॉ कन, रॉबट जॉडन और टे री ु स जैसे लेखक को दे खा है।
अपने पहले उप यास, द सी े ट ऑफ़ महाभारत का शत करने से पहले टोफ़र का
कॉरपोरटे जगत म एक शानदार क रयर रहा है। उ ह ने द ली के सट ट फंस कॉलेज से
अथशा म नातक क ड ी ली है और आईआईएम कलक ा से बजनेस मैनेजमट क
पढ़ाई क है। अपने कॉरपोरटे क रयर के दौरान उ हान द गज ब रा ीय सं था म
सी नयर ए जी यू टव और सीईओ के तौर पर काम कया है और इसके बाद एक अमे रक
कंस टं ग फम के साथ मलकर भारत म ै टे जक कंस टसी बनाई।
अपने कॉरपोरेट क रयर के दौरान टोफ़र ने कई भारतीय और अतंरा ीय काशक
के लए मैनेजमट और बजनेस पर लेख लखे और वो नय मत तौर पर अंतरा ीय स मेलन
म व ा के तौर पर आमं त कए जाते ह। वो एक स टफाइड ए जी यू टव कोच ह और
फलहाल सी नयर ए जी यू ट स के साथ मलकर उनक कंप नय म कामयाबी और बेहतर
नतीजे लाने के लए काम करते ह।
टोफ़र एक संगीतकार भी ह और संगीत के इस शौक को वो अपने ला सक रॉक
बड मड लाइफ ाइ सस के ज रए पूरा करते ह।
टोफर अपनी प नी श मला, बेट शयनया और अपने दो यारे कु , जैक और
कोडी के साथ गुड़गांव म रहते ह।

फेसबुकः www.facebook.com/authorchristophercdoyle
वेबसाइटः www.christophercdoyle.com

धीरज कुमार नेटवक 18 म सी नयर ो ूसर ह और इस संगठन से 10 वष से अ धक से


जुड़ ह। प कार के तौर पर आपक दलच पी सामा जक मु म ह, साथ ही बजनेस,
कॉरपोरेट, श ा, वा य से जुड़ कई ो ाम का ह सा रह ह।
महाभारत के राज़
सकंदर का रह य

टोफ़र सी. डॉयल

अनुवाद
धीरज कुमार
westland ltd
61, II Floor, Silverline Building, Alapakkam Main Road, Maduravoyal, Chennai 600095
93, I Floor, Sham Lal Road, Daryaganj, New Delhi 110002
www.westlandbooks.in

First Published in English as The Alexander Secret by Westland ltd 2014 First published in Hindi
as Sikandar Ka Rehasya by Westland ltd, in association with Yatra Books, 2016

Copyright © Christopher C. Doyle 2014

All rights reserved

Christopher C. Doyle asserts the moral right to be identified as the author of this work.

ISBN: 978-93-86036-92-6

DISCLAIMER
This book is work of fiction and all characters in the book are fictional. Any resemblance to real
life characters, living or dead, is purely coincidental.

No part of this book may be reproduced or transmitted in any form by any means, electronic or
mechanical, including photocopying and recording, or by any information storage and retrieval
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आभूषण, काशमान, उसके हाथ म चमक रहा था;
ख ने नीचे दे खा; जो चाहा, उसने पाया।
वो झरना चांद के समान तीत होता था,
चांद क धारा क तरह जो च ान के म य से छनकर आती हो।
झरना नह ,——जो इस उ से र था;
ले कन य द, सचमुच, यह होता,——यह काश का झरना था।
ातः काल म तारा कैसा होता है?
जैसे भोर का तारा भोर म होता है,——ऐसा ही था यह।
रात म पूरा चं मा कैसा होता है?
तो यह वैसा ही था, यह चं मा से भी बड़ा था।

प अनु छे द 69—इसकंदर नामा


अजय मागो और द पा चौधरी
को सम पत
मेरे लेखन म उनके व ास के लए
मेरी पहली कताब लखने व दशा— नदश के लए
और, लेखक के तौर पर मुझे पहला मौका दे ने के लए
आभार
यह कताब कई लोग क मदद से अ त व म आ पाई है। इस कताब को लखे जाने म
मदद के लए म हर का कृत ं। सबसे पहले, मेरी प नी श मला और बेट शयनया,
ज ह एक साल से यादा समय तक मेरे बना रहना पड़ा, जब तक म इस कताब को लख
रहा था और इस पर शोध कर रहा था। म इसे बना उनके सहयोग और समझ के नह लख
सकता था। शयनया ने मुझे इस कताब के लए भी शोध म उसी तरह मदद क , जस तरह
मेरी पछली कताब के लए क थी, वशेष प से माइथोलॉजी और इ तहास म।
अ तका ब शी, आशा म शगन और मेरी प नी श मला ने कताब के अं तम ा ट को
पढ़ा और मुझे अमू य सुझाव दए ता क कताब अपने वादे पर खरी उतरे।
डॉ. राजेश भा टया, डायरे टर—— डपाटमट ऑफ़ क यु नकेबल डसीजेज, ड यू.
एच.ओ. रीजनल ऑ फस, साउथ ई ट ए शया, ज ह ने कताब म शा मल व ान से जुड़े
मेरे सभी सवाल और स ांत को धैय से सुना। उ ह ने ना सफ ा ट को आलोचना मक
से पढ़ा, ब क मेरी समझ क कई खा मय को र भी कया, उनके सहयोग से ही म
कताब म वै ा नक और मे डकल त य , स ांत और सबूत को सही तरीके से पेश कर
पाया ं। कई अवधारणा और अनुमान को अं तम प दे ने म उ ह ने काफ मदद क है
और उनके प म वै ा नक माण भी दए ह, ले कन इसका ये अथ नह नकाला जाना
चा हए क वो इस कताब म पेश कए गए सभी स ांत , अवधारणा या ा या से
सहमत ह।
ीमती यो त वेद और ीमती आशा म शगन, ज ह ने ना सफ सं कृत भाषा को
समझने म मेरी मदद क , ब क धैयपूवक मूल सं कृत ोक क ा या से जुड़े सभी
सवाल के जवाब भी दए, और इस बात क पु क क सं कृत के कुछ श द का जो अथ
म नकाल रहा ं, वो सही ह।
आनंद काश, ज ह ने इस कताब का शानदार आवरण तैयार कया और इन प म
लखी कहा नय को जीवन दया।
म अपने राइटस रसच ुप के साथी लेखक , गेरा ड नॉडली, जैकलीन शुमैन, फ़लीस
इरीन रेडफ़ोड, के वन एं यू मफ़ , ट मा स, पैट मैकइवन, बै रट फ़थ और डेव ो ज
का कृत ं, ज ह ने मेरे उन सभी सवाल के जवाब दए ज ह ढूं ढ़ना आसान नह था और
जस वजह से कताब क स यता सु न त हो सक है।
मयंक मेहता, ज ह ने इस कताब म उस रा ते का न शा बनाया जो सकंदर ने दो
हजार साल पहले लया था, साथ ही उन जगह का भी, जनका वणन इस कताब म कया
गया है। यांकर गु ता, शानदार रेखा च के लए जनसे मेरे ववरण म जान आ गई।
वे टलड के सभी लोग का ब त—ब त ध यवाद, ख़ासतौर पर गौतम प नाभन का,
ज ह ने इस कहानी क अं तम पांडु ल प को पढ़ा़ और क मती सलाह द । और मेरी
संपादक संघ म ा ब वास का, ज ह ने मेरे लेखन को नखारा और कहानी कहने के अदांज
को लॉट के अनुसार बनाया।
मने रसच के दौरान जतनी कताब, लेख, लॉ स या वी डयो दे ख,े उन सबका नाम यहां
दे ने पर अपने आप म वो एक कताब बन जाएगी। ले कन म हर उस संदभ साम ी का
शु गुज़ार ं जसका इ तेमाल मने इस कताब को लखने म कया है। मने इस कताब म
जस तरह के अनुमान पेश कए ह, उ ह बना माण और शोध क कसौट पर परखे सामने
रख पाना बेहद मु कल होता और ये काम मेरे लए आसान बनाया इ तहास और व ान के
बारे म मौजूद वपुल जानकारी ने।
अंत म म उन सभी को ध यवाद दे ना चा ंगा, ज ह ने इस कताब को सामने लाने म
मेरा सहयोग कया। साथ ही, इस कताब म त य या ववरण से जुड़ी कसी भी भूल—चूक
के लए सफ म ज मेदार ं।
वषय-सूची
आभार
तावना
1 वतमान: पहला दन
2 आर.के. पुरम, नई द ली
3 आसमान से गरे…
4 मदद क पुकार
5 शकार
6 मदद क पुकार
7 थेसालो नक , ीस के पास, ई75 पर
8. जौनगढ़ कला
9. थेसालो नक , ीस
10. आयन लेबारे ज, नई द ली
11. सरा दन
12. तीसरा दन
13. जौनगढ़ कला
14. हाथी दांत म एक पहेली
15. कई पहे लयां
16. जौनगढ़ कला
17. टा क फोस क बैठक
18. गुड़गांव
19. एक रोचक खोज
20. 334 ईसा पूव
21. वतमान: तीसरा दन
22. गु त डायरी
23. मंडराता आ संकट
24. एक टू ट कड़ी
25. गंदे मंसूबे
26. नई द ली
27. सं हालय म एक रात
28. एक नया रह य
29. खतरे का आभास
30. या योजना काम करेगी?
31. फंदे म फंसे
32. 334 ईसा पूव
33. वतमान: तीसरा दन
34. नई द ली
35. अ पताल म
36. सतंबर, 328 ईसा पूव समरकंद, वतमान उ बे क तान
37. वतमान: तीसरा दन
38. कैद …
39. कड़ी मल गई
40. अदला—बदली का ताव
41. चौथा दन आशा क करण
42. कैद
43. पहेली का एक ह सा
44. पहला सुराग
45. जवाबी ताव
46. जुआ
47. जलालाबाद, अफगा न तान
48. सकंदर का सच
49. पांचवां दन रह य क एक झलक
50. 328 ईसा पूव बा ख, वतमान अफगा न तान
51. वतमान: पांचवां दन
52. अमर व
53. सकंदर क राह पर
54. जलालाबाद, अफगा न तान
55. एक कैद के वचार
56. पहाड़ म
57. पहला कदम
58. राधा के अ भयान क शु आत
59. मदद के हाथ
60. शु ने माग दखाया
61. शव का दं ड
62. उ मीद का एक टु कड़ा
63. तलाश क शु आत
64. ध का महासागर
65. जयपुर, राज थान
66. छठा दन
67. सव े योजना के जो खम
68. सांप क मुहर
69. अमृत और र न
70. 327 ईसा पूव: वतमान अफगा न तान
71. वतमान: वतमान
72. गोलाबारी
73. तनावपूण थ त
74. पहला आ मण
75. हताश और वफल
76. खु फया यूरो मु यालय, नई द ली
उपसंहार
लेखक क ट पणी
तावना

316 ईसा पूव

गैबीन, प शया, मौजूदा ईरान

यूमेनीज उस तंबू म, जसम उसे कैद कया गया था, ब तर पर लेटा था और अपने भा य
को कोस रहा था। वह जानता था क वह हार चुका है। वह एंट गोनस, जो काना था, का
कैद था और जसके साथ वो पहले भी लड़ चुका था। इस बार आखरी यु म उसे धोखा
दया गया था। उसके अपने प ने उसे काने जनरल को स प दया था, सामान से लद
उस गाड़ी के बदले जसे एंट गोनस ने ज त कर रखा था। यूमेनीज क गर तारी को
एंट गोनस सावज नक तौर पर एक लंबी और तीखी मनी के अंत के ज क तरह मना
रहा था। ले कन सूया त होने पर एंट गोनस अकेले म यूमेनीज से मलने आया। तब यूमेनीज
को पता लगा क एंट गोनस सधु क भू म क तरफ सकंदर के कूच करने के फैसले क
असली वजह जानता है, साथ ही यह भी क सकंदर को वहां या मला। और वह जानता है
क कस वजह से उस महान वजेता को सफ दो साल बाद मृ यु के मुख म जाना पड़ा।
यूमेनीज ने पहले सकंदर के पता फ लप के साथ एक दो त और स चव के प म
काम कया था। फ लप क मौत के बाद वह सकंदर का मु य स चव बना था। यूमेनीज ही
था जो राजा के द तावेज क दे खरेख करता था, उन राजक य डाय रय का, जनम रा य
के रोजाना के कामकाज दज होते थे। ले कन एक अहम चीज थी जो यूमेनीज ने द तावेज
म दज नह क थी—— सकंदर क असली मह वाकां ाएं और वह महान रह य जसने उसे
एक भगवान का दजा दलाया था। सोलह साल पहले, यूमेनीज ने उस वजेता के साथ सवा
ओए सस म जयस—एमन के मं दर क या ा क थी, जहां सकंदर को बताया गया था क
वह जयस—एमन का पु है और इस लए खुद भी भगवान है।
सकंदर ने बना समय गंवाए अपने दे व व का दावा कर दया और सु र पूव म सधु नद
क तरफ बढ़ चला, अपने उस ल य को ा त करने के लए जो उसे सच म ई र बना दे ता।
उसने उस महान रह य के बारे म जो कहा नयां सुन रखी थ और जो उसे उसका ल य
हा सल करने क ताकत दे ने वाला था, उ ह ने उसे लगातार आगे बढ़ने के लए े रत कया,
भले ही उसके सै नक अपने घर लौटना चाहते थे।
यूमेनीज सकंदर के साथ उस भू मगत गुफा के बाहर तक गया था जहां ई र के रह य
छपे थे। ले कन गुफा के अंदर सकंदर अकेला गया था। जब वह लौटा, उसका चेहरा जीत
से दमक रहा था। उसने वो ढूं ढ़ लया था जसके लए वह आया था। सकंदर के गु त मशन
म कामयाबी का माण म लीज पर क जे के व मला, जब वो सधु नद के कनारे से
होकर वापस लौट रहा था। सकंदर ने आ मण का नेतृ व कया था, और जब वो एक सीढ़
के सहारे द वार पर चढ़ रहा था, सीढ़ टू ट गई और सकंदर अपनी सेना से अलग उन बबर
के बीच घर गया। उसके चेहरे के तेज और कवच क चमक दे खकर एक बार तो वो बबर
यह समझ बैठे क कोई दे वता उनके बीच आ गया है और भाग गए। ले कन ब त ज द वो
संभल गए और उ ह ने उस पर हमला कर दया। हालां क सफ दो र क क मदद से
सकंदर उनसे लड़ता रहा। पस लय म तीर लगने के बावजूद सकंदर तब तक परा म
दखाता रहा, जब तक मक नया क सेना वहां प ंचकर उसे बचा नह ले गई। ले कन जब
उसके शरीर से तीर नकालने क या चल रही थी, द ते म ये कहा नयां फैल चुक थ क
उनका राजा मर चुका है।
यूमेनीज सकंदर क नाव पर उसके के बन के बाहर कई दन तक च तत मु ा म
उसक सेहत क खबर जानने के लए इंतजार करता रहा, और अंत म सकंदर नाव के डेक
पर आया, जी वत ले कन कमजोर। उस चम कार के क से भी यूमेनीज के कान तक प ंचे
जसने सकंदर क जान बचाई। ज म जानलेवा हो सकता था य क काफ खून बह चुका
था। च क सक ने उ मीद छोड़ द थी——वो अंद नी ज म भरने के लए या खून को
बहने से रोकने के लए कुछ नह कर सकते थे। ले कन जब वो सभी असहाय बैठकर अपने
राजा क मौत का इंतजार कर रहे थे, सकंदर के ज म भरने शु हो गए। ज म भरने क
या धीमी ज र थी ले कन वो अपने आप शु हो गई थी। सकंदर क सेहत सुधरते
दे खकर च क सक ने भी अपनी तरफ से ज द से ज द उसे व थ करने क को शश शु
कर द थ । और कुछ ही दन म वो वजेता व थ हो चुका था, उसके ज म भर गए थे और
कमजोर होने के बावजूद उसने इस बात पर जोर दया था क उसे उसक सेना के बीच ले
जाया जाए।
यूमेनीज अफवाह पर भरोसा नह करता था, ले कन उस दन, बाक सेना क तरह उसे
भी यक न हो गया क सकंदर एक भगवान है। अमर, मनु य को ात कसी भी ह थयार से
अभे । और यूमेनीज जानता था क ई र क गुफा क सकंदर क या ा ने उसके इस
बदलाव म भू मका नभाई है। ले कन अब वो इस बात को न त तौर पर मान चुका था क
गुफा म चाहे जो भी महान रह य हो, सकंदर ने उस रात गुफा म अकेले जाने के बाद चाहे
जो कया हो, इस चीज का कोई ना कोई संबंध बेबीलोन म सकंदर के अं तम दन के
मान सक संताप से है, जब वो बुखार से पी ड़त था, लगातार यास लगने क वजह से उसका
गला बैठ गया था और कुछ भी बोल पाने म असमथ था। भगवान बनने क सकंदर क
मह वाकां ा तो पूरी हो गई थी, ले कन वडंबना थी क इसी ने उसक जान ले ली थी।
यूमेनीज यह भी जानता था क सकंदर के इसी रह य क वजह से मरने के छह दन
तक भी उसका शरीर उसी तरह दख रहा था जैसे क सकंदर जी वत हो और सफ गहरी
न द म हो।
और, अब, यहां वह सकंदर के एक जनरल का कैद है जो उसे न त तौर पर मार
दे गा। उसे सफ इस बात का संतोष था क सकंदर का महान रह य सुर त है। यूमेनीज ने
एक व ासपा क तरह इ तहासकार कै ल थनीज क कताब, सकंदर के काय म ये सभी
जानकारी दज क थी। ले कन आ धका रक द तावेज से उसने कताब के वो अंश हटा दए
थे जसम उस गु त मशन का वणन था, जो कै ल थनीज ने सोग डयन भू म पर, सकंदर के
उसे मौत क सजा दए जाने से पहले पूरे कए थे। इसके बजाय उसने अपनी गु त डायरी म,
जसे वो अपने तंबू म छपाकर रखता था, सकंदर के साथ अपने अनुभव और कै ल थनीज
के मशन क बात लखी थ ।
उसने एंट गोनस के साथ महायु के पहले अपने प को जंगली जानवर का झुंड
मानते ए अपने सभी कागजात और द तावेज न कर दए थे। गु त डायरी को एक
भरोसेमंद वाहक के ज रए सकंदर क मां ओ ल पयास तक प ंचा दया गया था, जो
मक नया क राजग को कैसडर क मह वाकां ा से बचाने म लगी थी।
एंट गोनस को कुछ नह मलेगा। यह सोचकर उसने चैन क सांस ली। उसने अपने
शासक के त कत नभाया था। एंट गोनस, टोलेमी, कैसडर——जो सकंदर के
सा ा य को अपने बीच बांट रहे थे——कभी भी सधु क भू म म सकंदर के महान रह य
को नह जान पाएंग।े और, ना बाक नया को यह रह य मालूम होगा।

391 ई वी

दफन आ एक रह य

गांव क सुनसान सड़क पर एक खाली घोड़ागाड़ी धीरे—धीरे चल रही थी जसके उजाले का


ोत आधे चं मा क कमजोर रोशनी भर थी। घोड़ा आराम से चल रहा था, मानो वो कसी
हड़बड़ी म ना हो और उसे मालूम हो क उसका मशन ख म हो चुका है और अब हड़बड़ी
दखाने क ज रत नह है। घोड़ागाड़ी म तीन दन पहले तक कुछ क मती सामान था। कुछ
अमू य, कुछ ऐसा जसक नया ने पछले 500 वष तक पूजा क थी।
अब यह सुर त नह था। म य पूव म उ दत आ नया धम तेजी से नया भर म फैल
रहा था। ईसा मसीह कहलाने वाले एक के जीवन और मृ यु पर आधा रत यह धम
म प ंच चुका था, जहां यह मृ त च 500 साल से यादा समय तक सुर त रहा था।
नए धमात रत लोग, जो खुद को अपने नेता, जसे वो ई र का पु मानते थे, के नाम पर
ईसाई कहते थे, पुराने ई र पर सवाल उठा रहे थे। मू तयां तोड़ी जा रही थ , मं दर न कए
जा रहे थे और तमाएं बगाड़ी जा रही थ ।
ब त ज द ही यह लहर अले ज या म उस प व जगह प ंचने वाली थी, जहां पूजा
क व तु दफन थी, जसे पांच सद तक कसी ने छे ड़ा नह था।
इसक सुर ा हर हाल म क जानी थी। और इसका ज मा ऑडर ने ले लया था। अब
खाली घोड़ागाड़ी म रखी चीज अले ज या क अपनी जगह से हटाई जा चुक थ और
न दय और महासागर के पार जा चुक थ ——उन नाव , जहाज , रथ और घोड़ागा ड़य
क मदद से जन पर ऑडर के तीक च बने थे। पांच सर वाला एक सांप जो अपने फन
उठाकर हमला करने को तैयार है। इस तीक च ने इस खजाने को या ा के दौरान लोग
क उ सुक आंख और सवाल से र रखा था। य क यह तीक हर दे खने वाले के मन म
डर पैदा करता था। ऑडर एक रह य था——कोई नह जानता था क ऑडर या है या
इसके सद य कौन ह, या इसक उ प कैसे ई है——ले कन इसके काय गु त नह थे।
अपना काम पूरा करने के बाद घोड़ागाड़ी और इसका चालक रे ग तान क तरफ जा रहे थे।
चालक करमल को एक जगह और कना था।
गाड़ी एक शांत और सुनसान गांव से गुजरी। हालां क यह शां त गाड़ी के दोन तरफ बने
सांप के नशान क वजह से भी हो सकती थी। गाड़ी एक बड़े से घर क चारद वारी तक
प ंची और दरवाजे के अंदर चली गई। दरवाजा खुला था मानो करमल का आगमन तय था।
रा ते के अंत म प थर और ट से बनी एक ब मं जली इमारत खड़ी थी।
गाड़ी घर के मु य ार के पास क और करमल उसम से उतरा। उसे यादा इंतजार
नह करना पड़ा य क तुरंत ही दरवाजा खुला और सर और चेहरे को कनटोप से ढक ई
एक लंबी आकृ त बाहर आई। उस अजनबी ने गहरी आवाज म पूछा, ‘काम हो गया?’
करमल ने थके ए अंदाज म सर हलाया। यह काफ लंबा सफर था और वह थक
चुका था।
‘ब ढ़या, तब तुम जानते हो क तु ह या करना है’, यह कहकर वो आदमी जाने के लए
मुड़ा।
‘ को’, करमल ने उसका हाथ पकड़ लया।
अजनबी वापस मुड़ा, साफ तौर पर उसके चेहरे पर अचरज के भाव थे। ‘यह या है?’
‘इसे रखो।’ करमल ने उस आदमी के हाथ म कुछ रखा और गाड़ी म अपनी सीट पर
वापस बैठ गया। उसे एक अं तम काम और करना था। वो आदमी करमल को दे खता रहा
जब तक क गाड़ी दरवाजे से बाहर नह चली गई और आंख से ओझल नह हो गई। उसके
हाथ उस धातु क चीज पर मजबूती से जमे थे, जो करमल ने उसे स पी थी। फर वह तेजी
से घर म घुसा और अपना कनटोप उतार फका, अब एक पतले चेहरे, गहरी आंख और
पतले ह ठ वाली आकृ त सामने थी।
उसने अपनी मु खोली और अपनी हथेली म रखे तांबे के छोटे से कै सूल को दे खा।
फर, अपनी मु बंद करते ए वह सीढ़ चढ़ते ए पहली मं जल पर अ ययन क म
प ंचा। कमरे का दरवाजा बंद करने के बाद वह अपनी मेज पर बैठ गया। उसका चेहरा
पीला पड़ गया था और उसके हाथ कांपने लगे थे।
उस मूख करमल ने या कया था?
वह जानता था क करमल ऑडर को नराश नह करेगा। वह एक व ासपा क तरह
कुछ मील तक गाड़ी को ले जाएगा और रे ग तान म कह भीतर घोड़ को छोड़कर अपना
गला खुद रेत लेगा। य क कसी को भी मृ त च के थान का पता नह चलना चा हए।
ऑडर ने आदे श दया था क पूरी सुर ा के लए मृ त च को हमेशा के लए गायब हो
जाना चा हए।
चाकू क मदद से उसने कै सूल के एक सरे को सावधानी से खोला और उसे मेज पर
लहराया। चमड़े का एक पतला प उसम से गरा। उसके चेहरे पर ख के भाव आ गए। चम
—प क तरफ बना दे खे भी वह समझ गया था क यह एक न शा है।
उसने तेजी से उसे मोड़ा और तांबे के कै सूल म वापस डाल दया। ऑडर को इस न शे
के वजूद के बारे म कभी पता नह चलना चा हए। यह उस जगह का इकलौता सुराग था,
जसे हमेशा के लए एक राज बने रहना था।
उसने न शे को न करने क सोची, ले कन फर उसका मन बदल गया। वह एकमा
श स था जसे न शे के वजूद के बारे म पता था। यह तब काम आ सकता है जब कभी
उसके संबंध ऑडर के साथ खराब हो जाएं। ले कन न शे को चतुराई से ऐसी जगह और
ऐसे तरीके से छु पाना होगा, जसक जानकारी सफ उसे हो। और उसके बाद वो जगह एक
राज रहेगी।
और उसे कै सूल छपाने क एक ऐसी जगह मालूम थी।

जून 1990

सट जे स कॉलेज, फलाडे फया, अमे रका

माइक एशफोड ने अपने दांत भ च लए य क वो चाहता था क फोटोकॉपी मशीन तेजी से


काम करे। यह मशीन बलकुल नए मॉडल क थी जो सादे कागज का इ तेमाल कर
फोटोकॉपी कर सकती थी, इले ो टै टक या पुराने टाइप क वैसी मशीन नह थी, जो पहले
चलन म थ । इसके बावजूद यह मशीन उसके काम को तेजी से नह कर पा रही थी।
उसके माथे पर पसीने क बूंद दखने लग जब उसने दो घंटे पहले आए उस टे लीफोन
कॉल के बारे म सोचा।
‘माइक एशफोड?’ सरी तरफ से आ रही आवाज ने पूछा।
‘हां, कौन बोल रहा है?’
‘यह जानना तु हारे लए ज री नह है। यान से सुनो। मुझे तुमसे एक चीज चा हए। वो
पपीरस द तावेज जो तुमने कल ढूं ढ़े ह।’
एशफोड च क गया था। उसने पपीरस द तावेज के बारे म कसी को नह बताया था
जो उसे पु तकालय के तहखाने म एक ब से म मले थे। सफ ला स स डपाटमट क
फैक ट को इस बात क जानकारी थी। तो या डपाटमट म से ही कसी ने ये बात बाहर के
कसी आदमी को बताई है? ऐसा होना तो मु कल है। ले कन फोन कर रहे इस अनजान
श स को तो ये पता है।
‘कौन से द तावेज?’ उसने अनजान बनने क को शश करते ए कहा।
सामने से आ रही आवाज स त हो गई। ‘मेरे साथ खेल मत खेलो, एशफोड। मुझे उस
पते पर द तावेज चा हए जो म तु ह बताने जा रहा ं। द तावेज एक सीलबंद लफाफे म
होने चा हए। म नह चाहता क पपीरस मुझे छतराए ए मल, भले ही वो कतनी भी
अ छ हालत म ह ।’ इसके बाद फोन करने वाले ने फलाडे फया के कारोबारी इलाके का
एक पता बताया। एशफोड त ध था। फोन करने वाले श स को द तावेज के बारे म सब
कुछ पता था, यहां तक क पपीरस क हालत के बारे म भी!
‘और अगर म ना ं तो?’ उसने पलटकर पूछा। ‘ये द तावेज कॉलेज क संप ह।
लाइ े रयन होने के नाते इनक सुर ा मेरी ज मेदारी है, यह नह क म इ ह कसी के भी
फोन करने पर उसे दे ं ।’
फोन करने वाले क आवाज अब संयम खो चुक थी। ‘ फर ठ क है। तु ह एक मौका
दया गया था, तुमने उसे गंवा दया।’
फोन एकाएक कट गया और एशफोड को सफ उसक टोन सुनाई द ।
उसने इसे एक क कॉल मानकर इसक परवाह नह क होती अगर उसे सफ
पतालीस मनट बाद एक च काने वाली खबर ना मली होती। ला स स डपाटमट के
फैक ट मबर काल डन, जनसे उसने सबसे पहले पपीरस द तावेज का ज कया था,
को उनके घर के सामने सड़क पार करते व एक कार ने ट कर मार द थी। उनक
घटना थल पर ही मौत हो गई थी। उ ह कुचलने वाली कार बलकुल गायब हो गई थी।
हादसे का कोई य दश नह था और कार का कोई पता मलने क उ मीद भी नह थी।
यह खबर मलते ही एशफोड बेचैन हो गया। डन एक अ छे आदमी थे, पूरी तरह
धा मक कैथो लक, जो जेसुइट लबरल आट् स कॉलेज म अ छे से रम गए थे। या इस
हादसे के पीछे उसे फोन करने वाला अनजान श स है? यह एक ब त बड़ा संयोग लग रहा
था।
उसे याद आया क कैसे कॉलेज म ला स स के पूव ोफेसर और डीन लॉरस फुलर दो
ह ते पहले रह यमयी प र थ तय म गायब हो गए थे। फुलर शकागो व व ालय के
ओ रयंटल इं ट ूट के एक से मनार से लौट रहे थे। उ ह ने अपने होटल से चेक आउट
कया था और जैसे हवा म वलीन हो गए थे। होटल के दरबान और बेल वॉय ने उ ह एक
टै सी म बैठते दे खा था ले कन वो कभी एयरपोट नह प ंच।े फुलर के साथ ए करार क
शत के तहत कॉलेज ने उनक सभी च य और द तावेज को अपने पास रख लया था।
ये सभी द तावेज उस व बना कसी कैटलॉग बनाए ब स म भरकर तहखाने म रख दए
गए थे। इ ह म से एक ब से म एशफोड को पपीरस मले थे, जब वो फुलर के सामान क
जांच कर रहा था।
तो अब उसके पास या रा ता है? एशफोड ने जद करते ए फोन करने वाले क बात
ठु करा द थी। या अगला नशाना वो होगा? तेजी से सोचते ए उसने अपना मन बना
लया। वो फोन करने वाले के मुकाबले एक फायदे म था। कोई नह जानता था क उसे
पपीरस के साथ दो डायरी भी मली थ । उसने डन या कसी और को भी इस बारे म नह
बताया था। दोन डायरी अं ेजी म थ और एक म पपीरस म लखी चीज का अनुवाद था,
और यह फुलर क ह त ल प म डायरी के पहले प े पर अलंकृत थी। अगर अनुवाद ने उसे
च काया था, तो सरी डायरी ने उसे त ध कर दया था।
अगर ये दो डायरी उसी मतलब क थ जैसा वो सोच रहा था, तो यह खोज हजार साल
पुराने बेकार द तावेज को ढूं ढ़ने से कह यादा बड़ी थी।
नया का भ व य दांव पर हो सकता है।
कॉपी मशीन से आखरी कॉपी नकली। एशफोड ने ज द —ज द कागज को इक ा
कया और उ ह एक साथ टे पल कर दया। फोटोकॉ पय के दोन सेट को उसने एक
लफाफे म भरा और कांपते हाथ से उ ह पाने वाले का पता लखने लगा, साफ था क वो
डरा आ था। कुछ पल के लए उसने सीलबंद लफाफे को दे खा जैसे वो अपने फैसले पर
पुन वचार कर रहा हो। उसने आ कटे चर डपाटमट से अपने सहकम को बुलाया जो इस
पैकेट को फेडए स ऑ फस म डलीवरी के लए दे ने जाने वाला था। पांच मनट बाद पैकेट
अपनी मं जल क तरफ हफाजत से जा चुका था।
जब उसका सहकम पैकेट लेकर चला गया, एशफोड अपनी कुस म धंस गया। उसने
वो सब कुछ कया था जससे यह तय हो जाए क सफ वही नह है जसे यह मालूम है क
डायरी म या है। वह अपने कत को अ छे से नभाने वाला साधारण आदमी था। इस
हालत म भी उसके दमाग म यह बात नह आई क मूल द तावेज को उसके दो त के पास
भेजा जा सकता है। ये द तावेज कॉलेज क संप थे और इ ह यह रखा होना था, जैसे
पपीरस यहां रखे ह। उसने यही सोचा क द तावेज क फोटोकॉपी क जाए और उ ह भेजा
जाए।
एशफोड जानता था क अब उसके साथ आगे या होने वाला है। ऐसा नह लग रहा था
क उसे फोन करने वाला रह यमय श स अपने साथ कोई खलवाड़ पसंद करता है। उसे
यह समझ नह आ रहा था क वो अपनी सुर ा के लए या करे। उसने सोचा क वो भाग
जाए ले कन वो कहां जाएगा? यह कॉलेज पछले पतीस साल से उसक जदगी था और वो
इतने साल म सफ एक बार इसके कपस से बाहर नकला था, जब उसने 1983 म
वॉ शगटन डीसी म एक स मेलन म शरकत क थी। उस व उसने कॉलेज के बाहर अपना
इकलौता दो त बनाया था, भारत का एक इ तहासकार जो स मेलन म ाचीन द तावेज को
सुर त रखने के वषय पर अपनी बात रखने आया था। उ ह ने दो ती कर ली थी और
आ यजनक प से इतने साल म भी एक सरे से संपक म थे।
और, अपने इसी दो त को उसने फोटोकॉपीज भेजी थ । जो होने वाला था, खुद को
उसके हवाले कर उसने अपनी आंख बंद क और ाथना करने लगा। एक स चा कैथो लक
होने के नाते जब भी उसे सम याएं होती थ , यही उसक इकलौती राहत थी।
द तर क तरफ आते कदम क आहट से उसने अपनी आंख खोल । पांच आए
और द वार से लगकर खड़े हो गए। उनके जैकेट दे खकर उसे अंदाजा हो गया था क वो
प तौल से लैस ह। उन सभी के पास ह थयार थे, सफ एक को छोड़कर, जो बीच म खड़ा
था, लंबे कद और कोयले सी काली आंख वाले इस श स के चेहरे पर ऐसी गंभीरता थी
मानो वो हर व गहरे दाश नक वचार म डू बा रहता हो। साफ तौर पर वो इस समूह का
नेता था।
उस आदमी क आंख एशफोड क मेज पर रखे पपीरस द तावेज पर टक ग । ‘वाह,
तुमने तो इ ह मेरे लए तैयार रखा है।’ उसक आवाज से लग रहा था क वो तारीफ कर रहा
हो ले कन उसके चेहरे के डरावने भाव बलकुल नह बदले। उसके एक इशारे के बाद उसके
आद मय म से एक ने पपीरस द तावेज उठाए और अपने साथ लाए चमड़े के ीफकेस म
सावधानी से भर लए।
एशफोड नडर होकर उ ह दे खता रहा। उसके पास अभी भी एक ा था। दो डायरी
जनक उसने फोटोकॉपी क थी, वो अभी भी उसक मेज क दराज म सुर त थ ।
‘तु हारे पास मेरे लए और कुछ तो नह है?’ उन आद मय के नेता ने कहा।
‘तुम कहना या चाहते हो? मने तु ह पपीरस द तावेज दे दए ह।’ एशफोड उ मीद कर
रहा था क वो झूठ बोलने म कामयाब हो जाएगा। वो हमेशा से इसम नाकाम रहा था।
‘अं ेजी म लख दो डायरी जो तु ह इन द तावेज के साथ मली थ ।’ उसक आवाज
स त थी, ‘तुम मुझे उनके बारे म नह बताना चाहते थे ना? तुम सोच रहे थे क हम कुछ नह
पता।’
एशफोड का मुंह खुला का खुला रह गया। इ ह कैसे पता? उसने तो इस बारे म कसी
को नह बताया था।
अपने नेता का इशारा पाकर उन आद मय म से एक ने अचानक एशफोड को एक घूंसा
जड़ दया। एशफोड दद से चीख उठा, गुंडे ने घूंसा मारकर उसक नाक तोड़ द थी। उसके
चेहरे पर खून क धार बहने लगी।
‘इसक मेज क तलाशी लो।’ नेता ने आदे श दया। तीन आदमी तेजी से दराज क तरफ
बढ़े । उनम से एक ने डायरी ढूं ढ़ ली और उ ह ीफकेस म पपीरस के साथ ही डाल दया।
इसके बाद नेता एशफोड क तरफ झुका और उसे घूरते ए कहा, ‘म तु ह द तावेज लेने
के बाद मारना चाहता था। ले कन तुमने मेरा मन बदल दया है। म तु ह अपने साथ ले जा
रहा ।ं तुम गायब होने जा रहे हो, ब कुल फुलर क तरह। और इसके बाद तुम चाहोगे क
काश म तु ह मार दे ता।’
1
वतमान

पहला दन
को रनोस का उ री और मा क गयालोस का द णी इलाका, ीस

ए लस ने सेलफोन को अपने कान से सटाए रखा और सरी तरफ से लगातार बज रही घंट
को सुनती रही। उसके चेहरे पर हताशा थी और बार—बार कॉल करने के बावजूद एक जैसे
नतीजे आने क वजह से वो तमतमाने लगा था। इस बार भी कोई जवाब नह मला।
एक बार फर कॉल कटने पर उसने खीज म अपनी जीभ चटकाई। अब तक वो समझ
चुक थी क पलटकर कॉल नह आएगी।
म कॉल करने क जहमत ही य उठा रही ं?
वो उदास नगाह से कुछ दे र तक अपने फोन को घूरती रही और फर उसे अपनी जेब म
रख लया। लंबी री का र ता नभाना आसान नह था। वो पछले बारह महीन म
यादातर समय पडना के ीक—अमे रक आ कयोलॉ जकल मशन क इंटरनेशनल ट म
के सद य के तौर पर यहां रह रही थी।
ये मशन नया के सामने ाचीन ीस के सबसे पेचीदा रह य को सामने लाने क
कगार पर था। महीन तक अलग—अलग रहने से उसके संबंध पर बुरा असर पड़ा था और
दो ह ते पहले इसक प रण त तीखे गाली—गलौज के प म ई थी। तब से उसके
वॉय ड ने उसे फोन नह कया था। और न ही उसके कसी भी कॉल का जवाब दया था।
मूख इंसान। अगर उसम अपनी भूल के लए माफ मांगने क शालीनता नह है, तो कम
से कम वो उसका फोन तो उठा सकता था ता क वो र त को फर से पटरी पर लाने क
को शश कर सके। जब तक ऐसा नह होता… उसने इस बुरे वचार को सर हलाकर र कर
दया।
उसक सोच को तोड़ा रोमांच से भरे एक छा ने, जसक सांस सुरंग से दौड़ लगाकर
बाहर आने क वजह से फूल रही थी। सुरंग का रा ता सद क सबसे बड़ी खोज क तरफ ले
जाता था——एक मकबरा जसे 2000 साल से यादा से खोला नह गया था। वो मकबरा
जो पछले 150 साल से अटकलबाजी का वषय था। खुदाई करने वाली ट म म पचास से
यादा छा और बड़ी तादाद म थानीय मज र थे, जब क ोजे ट के दो को—डायरे टर,
एक ीक और सरा अमे रक , थेसालो नक म रह रहे थे, जो ई—75 टोल रोड से जाने पर
करीब पचास कलोमीटर र था।
‘ए लस, हमने मकबरे का वेश ार ढूं ढ़ नकाला है!’ उसक आवाज म रोमांच र से
ही महसूस कया जा सकता था। ‘चलो, ज द करो!’ उसके मुंह से ये श द नकले भर थे
और उसके कदम उस रा ते क तरफ मुड़ चुके थे जो गहराई म बने सुरंग क तरफ ले जाता
था।
वॉय ड को लेकर सारी चताएं उसके दमाग से छू मंतर हो ग , ए लस ने अपना
बैकपैक ठ क कया और छा के पीछे चल पड़ी। उसक सोच उस पल क तरफ मुड़ गई
जब 18 महीने पहले उसे इस ट म के साथ जुड़ने के लए बुलाया गया था।
यह वडंबना थी क वो अपने वॉय ड से तुरंत ही मली थी जब यह बुलावा आया। वो
उस व एक ऐसी घटना से जूझ रही थी जसके बारे म अब वो कभी बात नह करती थी।
उस व वो इसे खुद से र करने के लए संघष कर रही थी और वो इसे स दय पुराने रह य
क तरह अपने दमाग के कसी कोने म गहरे दबा दे ने म कामयाब हो गई थी। उस व
वॉय ड उसका बड़ा सहारा था और वो इस चीज के लए उसक शु गुजार थी। एकाध
महीने तक एक सरे से मलने—जुलने के बाद वो उसके साथ रहने लगी थी——जब तक
क उसे इस खुदाई के काम के लए नह बुलाया गया। और आज, जब वो ाचीन ीस के
बड़े रह य म से एक को उजागर करने वाली है, ऐसा लगता है क अब वो उसके साथ नह
है।
जब वो मकबरे क तरफ छा के पीछे —पीछे जा रही थी, उसे अरबप त परोपकारी
कुत वॉलेस के साथ अपनी मुलाकात याद आई। वॉलेस अपने वॉलेस आ कयालॉ जकल
ट, जो पुरात व व ान और ाचीन स यता के अ ययन को सम पत संगठन था, के
ज रए इस खुदाई का सारा खच उठा रहा था। “फॉरगॉटे न ट् स” अ भयान के पीछे भी
उसका हाथ था, जो उनक लखी पांच कताब पर आधा रत काउंटर इवॉ यूशन अ भयान
था। इन कताब का समान वषय यह अवधारणा थी क मानवजा त अपनी जड़ को भूल
चुक है और मक वकास के स ांत पर आधा रत एक गलत प रक पना क ओर मुड़
गई है, जब क मानवजा त का स चा ोत व भर क सं कृ त के ाचीन मथक म कह
गहरा छपा है।
ए लस ने वॉलेस के बारे म सुना और पढ़ा था ले कन कभी भी इस पर वचार नह कया
था क उसके और उसके स ांत के बारे म वो या सोचती है। ले कन वो उस क
बौ क मता और उसके कुलीन और स य वहार क कायल हो गई थी। और हां, ए लस
पर उसक हवेली के साज— ृंगार का भी असर पड़ा था जहां उसे मलने के लए बुलाया
गया था।
मुलाकात ठ क दस मनट चली थी और वॉलेस ने बातचीत क शु आत सीधे मु े से क
थी।
‘म ट म म तु ह खास तौर पर सकंदर महान के दौर और उसक मौत के पहले और बाद
के वष के बारे म तु हारी वशेष ता क वजह से चाहता था,’ अ भवादन क औपचा रकता
और जलपान के बारे म पूछने के बाद उसने यहां से शु आत क ।
इ ह शु आती श द ने उसक उ सुकता जगा द और उसने अपने अ ययन क क
खड़क के पास खड़े लंबे कद के वॉलेस क तरफ दे खा——शानदार सूट, रेशमी टाई,
रौबदार चेहरे और कुछ काले—कुछ सफेद बाल के साथ एक कुलीन पु ष क छ व उसके
सामने थी।
वॉलेस उसक तरफ दे खकर मु कुराया, वो जानता था क तीर नशाने पर लगा है। ‘ ट
क मेरी रसच ट म ने ाचीन ीस के बड़े रह य म एक का सुराग ढूं ढ़ नकाला है। और
इसका संबंध और कसी से नह , सकंदर महान से है।’
वो इस मशन के तरीक और मकसद और ट म क बनावट के बारे म पूरी बात बताता
चला गया। और जब तक उसने अपनी बात ख म क , ए लस को इस ोजे ट से जुड़ने के
लए भुगतान कया जा चुका था।
‘यहां यान से आना,’ छा क आवाज ने एक बार फर उसके वचार को भंग कर
दया। ‘यहां से सुरंग क छत नीची है।’ वो शा ट से नीचे उतर गए थे और अब सुरंग म चल
रहे थे, उस रोशनी क ओर जो पोटबल लप से आ रही थी और जैस— े जैसे वो आगे बढ़ रहे
थे, रोशनी बढ़ती जा रही थी।
छा के टॉच क रोशनी म वो जतनी तेजी से चल सकते थे, वो सुरंग म चल रहे थे और
आ खरकार वो चकने प थर क द वार वाले एक घनाकार कमरे म प ंच।े
दो पोटबल एलईडी पोल लाइट तरछे कोने म एक सरे के सामने लगे थे और उस छोट
सी जगह म उजाला कर रहे थे।
‘शु या माक ।’ ए लस ने मु कुराते ए छा को कहा, जसने अब अपनी लैशलाइट
बंद कर द थी।
‘खजाने का वेश ार है ये’, ट म के सरे पुरात व वद डैमन ने मकबरे के वेश ार
क तरफ इशारा करते ए कहा, जसे उ ह ने पछले बारह महीन तक कड़ी मेहनत क
खुदाई म नकाला था। थुलथुले शरीर का डैमन अपनी उ के पांचवे दशक म था।
ए लस ने कमरे म ड ब के ढे र को दे खा। ये ग े दार ड बे थे जनका इ तेमाल खुदाई
क जगह से नकली ाचीन कलाकृ तय को जमा करने और उ ह योगशाला तक
सुर त प ंचाने के लए होता था, ता क उनक जांच अ छ तरह से क जा सके। ‘ या हम
यहां से कुछ चीज ले जा रहे ह?’ वो थोड़ा सा च क गई थी। यह पुरात व क मानक या
के व था, जसम हर कलाकृ त को खुदाई क जगह से हटाने के पहले उसक त वीर ली
जाती ह, उस पर नशान लगाया जाता है और उसका यौरेवार मू यांकन कया जाता है।
‘मु यालय के आदे श ह, हमारे डायरे टर ने मुझे खास नदश दए ह क जो भी
कलाकृ त हट सकती है, उसे यहां से हटाकर बाहर सुर त रखा जाए।’ डैमन ने उसक
तरफ ज ासा से दे खते ए जवाब दया। ‘तुम कहां थ ?’
ए लस अपने ज बात पर काबू पाने क को शश करते ए बोली, ‘मने गौर कया क
तुमने और सभी लोग को र भेज दया है।’ शा ट म घुसते व वो एक सरे रा ते क
तरफ जाते सरे छा और मज र को पीछे छोड़ आए थे और उसने महसूस कया था क
डैमन मकबरे को सबसे पहले खुद दे खने क तैयारी कर रहा है।
‘मने उ ह र भेज दया,’ उसने ए लस को मु कुराते ए जवाब दया। ‘मने सोचा क
इस मकबरे को खोलने का वशेष अ धकार हम दोन को मलना चा हए।’ उसने छा क
तरफ दे खते ए कहा, ‘हां, माक ने भी हमारी मदद क है, खुश क मत है ये।’ उसने माक
को दे खकर आंख मारी, जो जवाब म मु कुरा दया।
ए लस क भ ह तन ग । ‘यहां कोई दरवाजा नह है। सभी यूनानी मकबर म दरवाजे
होते ह।’
डैमन ने कहा, ‘हम ढूं ढ़गे ना?’ उसका चेहरा उसक चता को छपाने क को शश कर
रहा था। या उ ह ने इतने महीन तक इतनी कड़ी मेहनत इस लए क है क अंत म नराशा
हाथ लगे?
ए लस ने गहरी सांस ली। यही सच था। उसने डैमन क तरफ दे खकर सर हलाया
जसने माक को इशारा कया। छा ने एक पोल लाइट उतारी और उसे लेकर मकबरे म
खुलने वाले रा ते क तरफ चल दया। जब ए लस और डैमन मकबरे म घुसे, डैमन सरा
लप लेने के लए बाहर आया और उसक आंख उ ेजना से चमक रही थ ।
‘यहां दो कमरे ह,’ डैमन फुसफुसाया। ‘ठ क उसी तरह जैसे मक नया के मकबर म
होते ह। बैरल वॉ ट डजाइन वाले। यह तो यूनानी ही है।’
ए लस ने खुद को एक छोटे कमरे म खड़ा पाया, जसक द वार पर रंगीन कपड़े पहने
एक म हला के भ च थे, जो सेना का नेतृ व कर रही थी, पु ष को नदश दे रही थी
और उसक भाव—भं गमा एक नेता क तरह थी।
ए लस ने डैमन क तरफ दे खा जसके चेहरे पर रोमांच के भाव थे। वो जैसा सोच रहे थे,
वो सही नकला।
डैमन गहरी सांस लेते ए बोला, ‘एक रानी का मकबरा, अब नया के सामने उसक
आरामगाह आएगी।’
ए लस पहले कमरे के दरवाजे से होते ए क के अंदर वाले कमरे म प ंची, डैमन भी
उसके पीछे था।
कमरे म घुसते ही उसक सांस तेज हो ग । वो तैयार थी क उसे ताबूत, मानव अवशेष
रखने वाला सं क, या यादा से यादा एक ममी दे खने को मलेगी। ले कन उसक आंख ने
जो य दे खा, उससे उसके र गटे खड़े हो गए।
2
आर.के. पुरम, नई द ली

भारतीय खु फया यूरो म पेशल डायरे टर इमरान कदवई घर लौटते व आज के दन क


घटना के बारे म सोच रहा था।
छह महीने पहले, जब जी20 दे श को मली आतंकवाद धम कय और महाभारत के
एक ाचीन रह य क खोज से ई हलचल शांत ई, अमे रका और भारत क सरकार ने
एक वाइंट टा क फोस बनाने का फैसला कया, जो तकनीक आधा रत आतंकवाद क
नगरानी और जांच का काम करेगा। इस आइ डया क न व एक संदेहा पद वै क समूह के
उस यास के बाद पड़ी, जसका मकसद आतंकवा दय क मदद से और महाभारत के
रह य पर आधा रत आधु नक तकनीक के इ तेमाल के ज रए नया पर राजनी तक और
आ थक दबदबा कायम करने का था। यह सा जश तो नाकाम हो गई थी ले कन मन का
वजूद अभी भी बना आ था। और इस पूरे घटना म से यह तो साफ हो गया था क ऐसे
लोग क कमी नह है जो अपने मकसद को हा सल करने के लए टे नोलॉजी के इ तेमाल
से भी नह हचकगे।
इमरान को टा क फोस का आइ डया पसंद आया था जसे राजनी तक समथन तो था
ही, साथ ही तकनीक आधा रत आतंकवाद घटना क पहचान करने का अ धकार और
दा य व भी था। ले कन इमरान आज पहली बार ही टा क फोस के अगुवा से मला था। और
उसने जो दे खा, वो उसे पसंद नह आया। उसके लए इससे भी बुरी थ त यह थी क
शु आत म इसका समथन करने के बाद उसके पास इस टा क फोस से बाहर नकलने का
कोई रा ता नह था। यह उसके लए मु कल क घड़ी थी।
उसके लैकबेरी पर आए ईमेल अलट ने उसके वचार को भंग कया। आज रात नह ।
आमतौर पर वो ऑ फस के घंट के बाद आए ईमेल खुशी—खुशी पढ़ता था। इसका मतलब
होता था क कोई द कत है जसे र कया जाना है। और इमरान अगर सम या सुलझाने
वाला नह होता तो कुछ नह होता। यादातर मथुन रा श वाल क तरह उसे भी कसी नए
संकट का नया पहलू सबसे यादा पसंद था। इससे उसे रोजाना वाले काम से कुछ अलग
करने का मौका मलता था। उसने अपना ईमेल इनबॉ स दे खा, और जो दखा, उसने उसे
उठकर बैठने को मजबूर कर दया। ये ईमेल एक भूत क तरफ से आया था।
एक रानी क क

डैमन और ए लस जैसे ही अंद नी कमरे म घुस,े बाहरी कमरे म रखे लप क रोशनी, जो


दरवाजे से छनकर आ रही थी, म उ ह एक डरावना य दखा।
कमरे के बीच —बीच एक प थर का ताबूत रखा था, सादा और बना कसी साज—
स जा के। कमरे म और कोई सरा सामान नह था। ले कन कमरे का खालीपन या ताबूत
क सादगी वो चीज नह थ , जन पर यान जाता था।
कमरे के दरवाजे के ठ क सामने क द वार पर प थर का एक वशाल सांप बना था, जो
मानो क के फश से नकलकर बाहर आ रहा था। सांप का घुमावदार शरीर फश से शु
होकर द वार क पूरी लंबाई को घेरते ए कमरे क छत तक प ंच रहा था, जहां वो पांच सर
वाले वशालकाय फण म बदल गया था, और ये फण द वार से करीब तीन फ ट आगे क
ओर और फश पर रखे प थर के ताबूत के ठ क ऊपर उभरा आ था। इसके वशालकाय
जबड़े खुले ए थे और वषैले दांत सामने दख रहे थे, जैसे वो सांप अवांछनीय घुसपैठ पर
नाराजगी कर रहा हो।
ब कुल ताबूत क सुर ा छतरी क तरह। ए लस के दमाग म पहला वचार यही
क धा। वैसी सुर ा जो इस रानी को जी वत रहते मलती थी, वो मौत के बाद भी मल रही
है।
इस अ त य को कमरे क बाक द वार पर क गई न काशी और भी बढ़ावा दे रही
थी। द वार पर कुंडली मारकर बैठे, फुफकारते ए और फैलकर बैठे ए सांप क न काशी
को उभारा गया था। ह क रोशनी म वो ऐसे दख रहे थे, मानो अभी द वार से नकलकर
कूद पड़गे।
माक दोन पोल लाइट् स के साथ डगमगाता आ सा प ंचा और क क व च
सजावट को दे खकर एकाएक थम गया।
‘ये या चीज है?’ डरे ए से वर म वो फुसफुसाया।
ए लस ने अपने दोन सा थय को रोमां चत नजर से दे खा। ‘यह उसक क है।’ उसक
आवाज म कसी चीज को ढूं ढ़ने के रोमांच क कंपन साफ महसूस क जा सकती थी।
पछले बारह महीन से वो अपना यह अनुमान सही सा बत हो जाने क उ मीद कर रहे थे
क यह क कसक है। अब तो कसी शक क कोई गुंजाइश ही नह थी।
‘आप सब इसे दे खना चाहोगे।’ माक कमरे म चार ओर घूमता आ न का शय को
यान से दे ख रहा था। कमरा अ छा खासा बड़ा था, कम से कम पचास फ ट लंबा। माक
अब कमरे के सरे कोने म वेश ार के सामने खड़ा था, ठ क वशालकाय सांप क कुंडली
के नीचे, जो उनके ऊपर खड़ा था।
ए लस और डैमन तेजी से ये दे खने प ंचे क उसने या खोज नकाला है। सांप क
वशाल आकृ त के पीछे एक छपा आ दरवाजा सा था। उन दोन ने एक सरे क तरफ
दे खा। या यहां एक तीसरा कमरा है? यूनानी क के लए यह एक अनोखी बात थी।
माक को कुछ बताने क ज रत नह थी। वो पहले से ही एक लप क मदद से छपे ए
दरवाजे के रा ते म उजाला कर रहा था, जस रोशनी म एक छोटा कमरा दखा। इसम
आलमा रय क दो कतार दख रही थ , जनम अलग—अलग आकार क प थर क मू तयां
और त ते लगे थे।
ए लस और डैमन उन आलमा रय म रखी चीज को दे खने के लए आगे बढ़े ।
‘उसे ज र सांप के त आकषण था,’ डैमन ने एक पांच इंच ऊंची मू त को यान से
दे खते ए कहा। यह मू त प थर से तराशी गई थी और इसम एक खूबसूरत युवती को
दखाया गया था, जसे उसके सर से पैर तक एक वशाल सांप ने अपनी कुंडली म लपेट
रखा है।
ए लस ने सहम त म सर हलाया। ‘कहा जाता है क सकंदर तृतीय का पता एक सांप
था। मुझे लगता है क रानी के सांप के त आकषण क कहा नयां सच रही ह गी।’
‘यह आ यजनक है,’ डैमन ने एक चौकोर टै बलेट के अ भलेख पढ़ते ए कहा, जो
करीब दस इंच लंबा था। ‘इसम लखी बात से हम कई चीज पता चल सकती ह क आ खर
सकंदर महान क मौत के बाद वा तव म या आ था।’
ए लस ने भी आलमा रय म रखे टै बलेट और मू तय को यान से दे खते ए सहम त
कट क ।
डैमन ने अपनी घड़ी दे खी। ‘हम हेड वाटर को जानकारी दे नी चा हए। वो हमारा इंतजार
कर रहे ह। वो इन चीज को दे खने के लए इसी व आना चाहगे।’
‘हां, य ना तुम होटल चले जाओ और उनका इंतजार करो? म तब तक क क
फोटो ाफ ख म कर लूंगी।’ ए लस अपने बैग से कैमरा नकालने लगी। ‘म इन कलाकृ तय
को टै ग कर उ ह ड ब म पैक भी कर ं गी।’
डैमन ने मु कुराते ए उसक तरफ दे खा और ध यवाद दे ते ए कहा, ‘म तु हारी मदद
के लए माक को वापस भेज ं गा।’ यह कहकर वो माक के साथ वहां से चल दया।
ए लस ने चार तरफ दे खा और एक गहरी सांस ली। एक पुरात व वद के प म यह
उसके क रयर का सबसे अ छा समय था। वो कमरे के, ताबूत के और भ च के
फोटो ाफ लेने म त हो गई।
इससे नपटने के बाद उसने छपे ए कमरे क कलाकृ तय क तरफ यान दया। उसने
सावधानीपूवक हर कलाकृ त के फोटो ाफ लए और फर उ ह ग े दार ड ब म पैक करने
लगी।
‘अरे, यह या है?’ अं तम कलाकृ त को उठाते ए वो खुद से बोली। यह कलाकृ त
पीले रंग का एक घनाकार टु कड़ा था जसक पांच भुजा पर अ भलेख लखे थे। यह अब
तक सरी मू तय और टै बलेट के पीछे छपा था। पहले उसने सोचा क यह पुरानी ह ी से
बना होगा, जसका रंग सैकड़ साल म पीला पड़ गया है। ले कन जब उसने इसे अपने हाथ
म लया और लप क रोशनी म यान से दे खा तो उसे समझ आया क यह तो हाथीदांत से
बनाया गया है। हाथीदांत के व श लहरदार डजाइन को लप क तेज रोशनी म साफ दे खा
जा सकता था।
‘दो हजार चार सौ साल पहले मक नया म हाथीदांत?’ वो खुद से फुसफुसाते ए
बोली। ‘ये तो अजीब है। इन इलाक म तो हाथी होते नह थे।’
‘तुमने अपना काम कर लया?’
ए लस जैसे कूद पड़ी और घनाकार कलाकृ त उसके हाथ से गरते— गरते बची। वो
घूमी तो उसने माक को अपनी तरफ मु कुराते ए पाया।
‘तुमने मुझे च का दया था,’ उसने ह के शकायती लहजे म कहा। ‘अंधेरी पुरानी क म
कसी अकेले इंसान के साथ ऐसा नह कया जाता।’
‘मुझे माफ करना,’ माक फर से मु कुराते ए बोला। उसक आवाज उसके रोमांच को
बयान कर रही थी। ऐसी खोज का ह सा बनने का मौका कसी छा को कभी—कभार ही
मलता है। ‘तुम खुद से बात कर रही थ इस लए म खुद को रोक नह पाया। डैमन ने
हेड वाटर म बात कर ली है। वो रा ते म ह। हां, डैमन ने कहा है क तुम घनाकार टु कड़े को
अपने साथ ले आओ। डायरे टर इसे दे खना चाहते ह।’ उसने हाथीदांत के उस घनाकार
टु कड़े क तरफ इशारा करते ए कहा जसे ए लस ने अभी भी हाथ म ले रखा था।
‘ बलकुल, मुझे बस इसक फोटो ाफ लेनी है और टै ग करना है।’ उसने घनाकार
कलाकृ त क सभी भुजा क त वीर ल , फर उसे सरी कलाकृ तय क तरह ड बे म
पैक कया और उसे कैमरे के साथ अपने बैकपैक म रख लया।
‘ब ढ़या, मेरा काम तो हो गया। अब हम इ ह डग हट ले चलते ह।’ ए लस क से बाहर
नकलने लगी। उन दोन ने साथ मलकर कलाकृ तय वाले ड ब को डग हट म प ंचा
दया और उ ह सावधानी से बीच बीच रखी एक मेज पर रख दया। ए लस जानती थी क
दोन डायरे टर इ ह ज द से ज द दे खना चाहगे, य क उ ह ने ही खासतौर पर इ ह क
से हटाने के लए कहा था।
‘हो गया।’ माक ने सफेद द ताने उतारते ए वाचक नजर से ए लस क तरफ
दे खा।
ए लस ने सहम त म सर हलाते ए कहा, ‘चलो चल।’ उ ह ने डग हट के दरवाजे पर
ताला लगा दया। इस जगह पर दो गाड तैनात थे और यह जगह आबाद से मील र थी,
इस लए इस बात क आशंका काफ कम थी क कोई इन कलाकृ तय को चुराएगा। ले कन
यह सह ा द क खोज थी इस लए इस बारे म कोई जो खम उठाने क ज रत नह थी।
होटल वापस जाकर, जो गांव के बंगल से कुछ ही बेहतर था, ए लस अपने कमरे क
तरफ बढ़ गई जब क माक ने कार लगाई और डैमन को ढूं ढ़ने चला गया। ‘म तुम लोग से
पांच मनट म मलती ं।’ उसने माक को कहा। वो जानती थी क वो सफ एक ऐसी चीज
को टालने क को शश कर रही है जो अप रहाय है। पूरी खुदाई के दौरान, वो जहां तक
मुम कन हो सका, दोन डायरे टर से मलने—जुलने से बचती रही। उनसे बात करने, ताजा
हाल बताने और ज रत पड़ने पर उनसे नदश लेने का काम उसने डैमन पर छोड़ रखा था।
ले कन आज रात तो कोई चारा नह था। उसे मशन के दोन को—डायरे टर , तावरोस
और पीटर, के साथ क पर जाना होगा। उसे दोन ही कुछ खास पसंद नह थे और वो ये भी
जानती थी क ऐसी ही भावना वो दोन भी उसके त रखते ह। ले कन इस मशन के मुख
पुरात व वद म से एक होने के नाते आज रात उसे उन दोन से तो मलना ही होगा। और उस
काल अव ध क वशेष होने के नाते, जसम यह क बनाई गई थी, वो जानती थी क
दोन डायरे टर क म खोजी गई अनोखी चीज पर उसके वचार भी जानना चाहगे।
जब वो इन सब बात पर वचार कर रही थी, तभी हेलीकॉ टर क ककश आवाज ने रात
क शां त भंग कर द । एक हेलीकॉ टर काफ कम ऊंचाई से गुजर रहा था। उसक आवाज
थोड़ी दे र तक आती रही और फर अचानक बंद हो गई, जैसे वो पास ही कह उतरा हो।
ए लस का यान अभी भी उस अ य काम पर था जो आगे आने वाला था। एक ठं डी
सांस लेकर उसने अपना लैपटॉप और कैमरा नकाला और कमरे म मेज पर रख दया। उसने
अपना मोबाइल फोन और कैमरे के मेमोरी टक को अपनी जेब म रखा और डैमन के वला
क तरफ जाने के लए उठ ।
उसने दरवाजे के द ते पर हाथ रखा ही था क उस खड़क से एक तेज आहट आई
जससे बगीचा दखाई दे ता था। इस खड़क म छड़ नह लगी थ , साथ ही इसके पद भी हटे
ए थे इस लए उसे खड़क के कांच से सटा माक का डरा आ चेहरा साफ दखाई दे
सकता था। उसका चेहरा डर से सफेद पड़ चुका था, जैसे उसके चेहरे से पूरा खून नचोड़
लया गया हो। उसने फर से खड़क थपथपाई, इस बात का इशारा करते ए क ए लस
खड़क खोल दे ।
ए लस वापस लौट और माक को खड़क से अंदर आने दया। ‘ या…’ उसने माक
के डर क वजह जानने के लए मुंह खोला ही था क माक फूट—फूटकर रोने लगा।
3
आसमान से गरे….

‘उ ह ने डैमन को मार डाला,’ माक बलखता आ बोला, वो फश पर गर गया। ‘पीटर ने


उसे गोली मार द । बस यूं ही।’
ए लस कुछ पल के लए समझ नह पाई क माक या कह रहा है। वो या बड़बड़ा
रहा है? उसक बात का कोई मतलब नह नकल रहा था। पीटर डैमन को गोली य
मारेगा?
वो घुटन के बल माक के पास बैठ और उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर आ त
करने क को शश क । ‘मुझे बताओ या आ,’ उसने धीरे से पूछा। ‘मुझे यक न है क यह
सब कोई गलतफहमी है।’
‘मने अपनी आंख से यह दे खा है!’ माक ऊंची आवाज म रोते ए बोला। ‘ तावरोस
डैमन पर च ला रहा था। वो डैमन से इस बात से नाराज था क उसने तु ह क म अकेला
छोड़ दया और कलाकृ तय क त वीर लेने द । उसका कहना था क डैमन को वो घनाकार
कलाकृ त उ ह दखाने के लए लानी चा हए थी।’ उसक आंख से आंसु क एक धार
और बह उठ और उसका गला भर आया।
ए लस ने धैय के साथ ये सब सुना और माक को ट यू बॉ स दया। अचानक उसे
महसूस आ क वो सपने म है। एक ब त ही बुरे सपने म। उसने सोचा क कोई उसे ज द
से इस न द से जगा दे ।
माक ने अपनी नाक साफ क और फर बोलने लगा। ‘तभी पीटर ने बं क नकाल ली।
उसने डैमन को कहा क वो एक बोझ है य क उसने आदे श नह माने।’ वो थोड़ी दे र के
लए का और डैमन के वला क खुली खड़क से दखे य को याद कया। ‘डैमन डरा
आ था। उसने पीटर से गड़ गड़ाते ए एक और मौके क मांग क । वो रो रहा था। ले कन
पीटर ने उसक एक नह सुनी। उसने उसे गोली मार द ।’
ए लस को उसके वला क तरफ कुछ लोग के दौड़कर आने क आवाज सुनाई द और
वो उठ गई। या ये तावरोस और पीटर ह? अचानक उसे अपने हालात का अंदाजा जाड़े म
कंपकंपाने वाली ठं डी बा रश क तरह आ और वो हरकत म आ गई।
वो दौड़कर दरवाजे क तरफ प ंची और उसे अ छे से बंद कर दया। इससे उ ह कुछ
समय तो मल ही जाएगा। अगर डैमन मारा जा चुका है तो इस बात म कोई संदेह नह है क
उसका और माक का या होगा।
उसने माक को कहा, ‘हम यहां से बाहर नकलना होगा, चलो।’
उसने अपना बैकपैक लादा और खड़क के रा ते जैसे ही बाहर नकली, कसी ने
दरवाजा खोलने क को शश क ।
‘यह बंद है!’ पीटर क आवाज आई।
‘तोड़ दो इसे!’ तावरोस ने जवाब दया।
दरवाजे पर जोर से ध का दे ने क आवाज उ ह सुनाई दे ने लगी। दरवाजे क कुंडी इस
ध के से थोड़ी हली तो ज र ले कन खुली नह ।
ए लस ने दरवाजे क तरफ दे खा और फर माक क तरफ, जो अपनी जगह पर जम
सा गया था। माक दरवाजे को उसी तरह दे ख रहा था, जैसे जंगल के रा ते पर कसी कार
क हेडलाइट क रोशनी म फंस गया हरण दे खता है। ए लस जानती थी क अब कसी भी
व वो लोग दरवाजा तोड़कर अंदर आ सकते ह।
उसने फुसफुसाते ए माक को आवाज द , ‘माक !’ अगर पीटर ये जानता है क उसे
अब तक क घटना के बारे म पता है, तो वो अंदाजा लगा लगे क वो भागने क को शश
करेगी और इस लए वो उसे रोकने म लग जाएंग।े ‘ज द यहां से नकलो!’
उसक आवाज ने माक को जैसे न द से जगा दया। वो उठ खड़ा आ और लड़खड़ाते
ए खड़क तक प ंचा। वो खड़क के रा ते नकलकर लॉन तक प ंचा भर था क दरवाजे
क कुंडी ने जवाब दे दया और पीटर तेजी से कमरे म घुसा।
‘लॉन म ह वो!’ पीटर खड़क क तरफ भागते ए चीखा।
ए लस ये नह दे खना चाहती थी क उसके पीछे या हो रहा है, ब क उसने माक का
हाथ पकड़ा और दौड़कर वला से र जाने लगी। उसे यह नह मालूम था क दोन को—
डायरे टर के साथ और कोई है या नह , ले कन उसका अंदाजा था क वो अकेले नह आए
ह गे।
दो ह क आवाज आ और उनके कान के पास से गो लयां गुजर ।
ए लस ने महसूस कया क कोई उन पर गो लयां चला रहा है और बं क म साइलसर
लगा है।
वो दौड़ती ई लॉन को पार करते ए लड ू जर के पास प ंची, और उसने माक का
हाथ लगातार पकड़ रखा था। दौड़ते—दौड़ते उसे महसूस आ क अचानक माक भारी हो
गया है। अभी तो वो उसे आगे ख च रही थी क अचानक वो अचल सामान बन गया, जैसे
प थर म जम गया हो।
ए लस ने पीछे मुड़कर माक को दे खा जब वो जमीन पर गर गया। उसका चेहरा पूरी
तरह लाल हो चुका था और उसके बाल खून म भीगे ए थे। गो लय ने उसे अपना नशाना
बना लया था।
एक पल के लए वो हच कचाई और उसक आंख म आंसू भर आए। वो खुद क
हफाजत और सामने होती ई ासद के बीच फंस सी गई थी। एक नौजवान लड़के क
जदगी को नदयता से कुचल डाला गया था। और पता नह कस चीज के लए?
तभी गो लय क और आवाज आ और जैसे उसक तं ा भंग हो गई। अ न छापूवक
उसने माक का हाथ छोड़ा और तेजी से ाइवर सीट पर धंस गई।
कार म चाभी लगी ई थी। माक ने इसे इस उ मीद म रख छोड़ा होगा क उसे को—
डायरे टर को क क जगह पर ले जाना होगा। पहले तो इंजन टाट नह आ, ले कन जब
ए लस ने ए सलेटर दबाया तो कार तेजी से चल पड़ी। ए लस ने उसे क क तरफ जाने
वाले धूल भरे रा ते क तरफ ले लया। उसे अपने पीछे से चीखने— च लाने क आवाज
सुनाई पड़ी। गो लयां फर दागी ग और धमाके क आवाज के साथ लड ू जर म धंस ग ।
उसने ए सलेटर को पूरा दबा दया। उसे क तक प ंचना था। वहां दो सश गाड थे जो
उसे इस पागलपन से बचा सकते थे जो अचानक ही सब पर हावी हो गया था।
उसे खुदाई वाली जगह पर प ंचने म यादा व नह लगा। ए लस यह दे खकर च क
गई क यहां अंधेरा था और हर तरफ खामोशी थी। इस जगह पर उजाले के लए लगे
लडलाइट बंद थे और ना ही जेनरेटर क आवाज आ रही थी।
गाड कहां गए?
वो गाड़ी से कूद और ऊंची—नीची जमीन पर लड़खड़ाते ए चलने लगी। वैसे तो उसे
रा ता मालूम था ले कन वो अंधेरा होने के बाद यहां कभी नह आई थी, और यहां तो उसे
सफ तार क रोशनी का सहारा था।
तभी अचानक उसे जमीन पर कसी भारी चीज क ठोकर लगी और वो कसी तरह
गरते— गरते बची।
वो ये महसूस कर च क गई क ये तो गयोड है, वहां तैनात गाड् स म से एक। उसने
झुककर उसक जांच क ले कन उसक धड़कन क चुक थी, वो मर चुका था।
वो सावधानी से खड़ी हो गई ले कन उसे एक वधा ने घेर लया। एक तरफ वो जानना
चाहती थी क यहां हो या रहा है, और सरी तरफ उसका ववेक कह रहा था क यहां से
भागो।
उसके दमाग म ये सारी बात दौड़ ही रही थ क तभी उसे जमीन के नीचे बने क क
तरफ ले जाने वाले शा ट से एक गहरी परछाई बाहर नकलती दखी।
ए लस डर से जम गई। और तभी उसे हेलीकॉ टर दखा, जसक बड़ी सी परछाई एक
तरफ पड़ रही थी।
उसके दमाग म एक के बाद एक परेशान करने वाले ढे र वचार आ रहे थे, जनम से
एक ब कुल साफ था। वो फंस चुक थी।
4
मदद क पुकार

अनवर!
इमरान ने उस ईमेल को दे खा जो उसे अभी तुरंत मला था, उसे अपनी आंख पर
व ास नह हो रहा था।
अनवर और इमरान मेरठ म साथ—साथ पले—बढ़े थे। बाद म अनवर के माता— पता
क मौत के बाद वो अपने चाचा के साथ लखनऊ चला गया था। ये साल पहले क बात है
ले कन दोन लड़के एक— सरे के साथ संपक म रहे। इमरान ने जहां आईपीएस वॉइन कर
लया, वह अनवर ने लखनऊ म अपना एक छोटा बजनेस शु कर लया जो काफ अ छा
चल रहा था। ले कन दोन अ छे दो त बने रहे।
करीब पांच साल पहले अनवर जैसे अचानक गायब हो गया था। और अब, वो अचानक
ही सामने आ गया था। अतीत से एक भूत क तरह। इमरान के दमाग म कई उ मीद जाग
ग और उसका मन एक बार फर से अपने पुराने दो त से जुड़ने क सोचकर उ ल सत हो
उठा। उसने ईमेल खोला। और जैसे उसे चेहरे पर एक घूंसा सा लगा। इसम अं ेजी के सफ
दो श द थे——हे प अनवर।

…और खजूर म अटके

शा ट से नकली आकृ त उसक ओर बढ़ने लगी और ए लस वहां प थर क तरह खड़ी


रही। तभी उसने दे खा क वो आकृ त एक हाथ अपनी कमर पर ले जा रही है और उसने
समझ लया क वो कोई ह थयार नकाल रही है।
अब ये समझने क को शश को एक तरफ रखकर क वहां हो या हो रहा है, ए लस
घूमी और कार क तरफ तेजी से दौड़ पड़ी, ाइवर का दरवाजा खोला और सीट म धंस गई,
तभी रात के स ाटे को भंग करती ई गो लय क आवाज गूंज पड़ी। बं क म साइलसर
नह था। इस जगह कुछ छपाने क ज रत भी नह थी।
जब तक कार टाट होती, गो लयां कार क खड़ कय पर लग और उनके कांच बखर
गए।
एक गोली उसके चेहरे के पास से गुजरी और उसक बगल क पैसजर सीट म धंस गई।
जैसे ही ए लस ने कार को रवस गयर म टॉप पीड पर डाला, लड ू जर का ताकतवर
इंजन एक गरज के साथ जदा हो उठा और टायर पथरीली जमीन पर फसलते चले गए।
फर उसने कार को फॉरवड गयर म डाला और क से र भागने लगी। एक और गोली
ट रयो स टम म लगी और ए लस डर से कांपती ई और अपनी घबराहट पर काबू पाने
क को शश करती ई ट य रग हील पर नीचे क ओर झुक गई। उसके दमाग म सफ एक
ही बात दौड़ रही थी।
उसे भागना पड़ेगा।
पीछे से उसे हेलीकॉ टर चालू होने क आवाज सुनाई द और वो समझ गई क ये लोग
उसे ढूं ढ़ लगे और मार डालगे।
ये लोग कौन थे और ये या चाहते थे?
ससकते ए और डर से कांपते ए उसने कार को थेसालो नक क तरफ जाने वाले
टोल रोड ई75 क तरफ दौड़ा दया। इस व यही वो इकलौती चीज थी जस बारे म वो
सोच पा रही थी।
और सरी चीज जो उसक सोच म थी, वो थी उसका पीछा कर रहे हेलीकॉ टर क
आवाज। उसने लड ू जर के ट य रग हील को जोर से दबाया मानो ऐसा करने से गाड़ी
और तेज चलने लगेगी।
ले कन वो जानती थी क हेलीकॉ टर उस तक प ंच जाएगा। इसम यादा दे र नह
लगेगी।

अनवर क खोज

इमरान ने ाइवर को चीखकर कहा, ‘ऑ फस वापस चलो, बीकन चला दो!’


ाइवर ने उसका आदे श मानते ए गाड़ी वापस घुमा ली और बीकन का वच ऑन कर
दया। इमरान जानता था क वो अपने वशेषा धकार क सीमा से बाहर जा रहा है। ऐसा
उसने आज तक कभी नह कया था ले कन इस व उसे इस चीज क परवाह नह थी। उसे
जो मेसेज मला था, उससे वो एक चीज प के तौर पर जानता था। उसका दो त मुसीबत म
था।
और इमरान उसक मदद के लए वो सब कुछ करने जा रहा था, जो वो कर सकता था।
आईबी हेड वॉटर क तरफ जाते ए वो अपने फोन पर कुछ—कुछ आदे श दे ता जा
रहा था। रेड बीकन इस चीज को सु न त कर रहा था क ै फक म उसे रा ता मल जाए।
ऐसा लग रहा था जैसे ै फक जाम चम का रक प से गायब हो गया है, जैसे नमक के ढे र
म बफ पघल जाती है।
ऑ फस प ंचकर इमरान ने अपनी ट म को बुलाया।
‘ या है हमारे पास?’ उसक आवाज आ यजनक प से शांत थी। उसका गु सा कभी
भी फूट सकता था, उसके चेहरे पर तस ली के भाव दरअसल उसक घबराहट को छपाने
भर को थे क वो अपने दो त क मदद करने म दे र ना कर दे । वो जानता था क जब अनवर
मेसेज टाइप कर रहा था, उसे बाधा प ंचाई गई होगी ता क वो यादा जानकारी ना दे पाए।
‘हम आईपी ए ेस का पता चल गया है,’ उसक ट म के एक सद य ने जवाब दया।
‘इसका सवर द ली म है। हम उस जगह का अंदाजा लगा चुके ह,’ उसने इमरान को एक
न शे का टआउट दखाया, जस पर उस जगह पर लाल नशान लगा था, ‘ले कन सही
जगह इसके पचास कलोमीटर के दायरे म हो सकती है।’
इमरान ने उसक तरफ दे खा। ‘मुझे बलकुल सही जगह चा हए। म इस जगह का पता
चाहता ।ं ’
‘सर, आप जानते ह ना क इसके लए अदालत के आदे श क ज रत होती है। म
इंटरनेट स वस ोवाइडर (आईएसपी) को फोन कर सकता ं…’
‘हम अदालत के आदे श का इंतजार नह कर सकते,’ इमरान ने उसे बीच म ही टोका।
हर पल क मती था। यहां तक क उन लोग के पास इस मसले पर चचा तक के लए समय
नह था। ‘हमारे पास आईएसपी को सारी चीज बताने का समय नह है। यह एक
आपातकालीन थ त है।’
उसके एजट ने उसक तरफ दे खते ए पूछा, ‘आप चाहते ह क हम आईएसपी के
डाटाबेस को हैक कर ल?’
‘यही करो। म इसक अनुम त दे ता ं।’ इमरान ये बात जानता था क ऐसा करना
उसक ताकत का पयोग है। ले कन साथ ही वो ये भी समझ रहा था क उसका दो त
गंभीर मुसीबत म है। आज क रात वो ज रत पड़ने पर हर नयम तोड़ने को तैयार था,
हालां क आईपीएस के अपने लंबे क रयर म उसने आज तक ऐसा नह कया था।
सभी आदमी एक सरे क तरफ हैरानी से दे खते ए तेज चाल से बाहर क ओर चल
दए। इमरान ने अपनी कुस से पीठ टकाई और एक गहरी सांस छोड़ी। वो सफ यही
उ मीद कर सकता था क उसके लोग समय रहते चीज का पता लगा पाएंगे।
5
शकार

ए लस को धमाके क गरज उस झटके के कुछ सेकड बाद सुनाई द , जसने तेज र तार म
चल रही लड ू जर को हला दया। उसक कार धूल भरे रा ते से हटकर डामर क बनी
सड़क पर हाइवे क तरफ जा रही थी। ए लस अनायास ही तेजी से चीख उठ ।
कार के रयर ू मरर म आंसू भरी आंख से उसने दे खा क खुदाई वाली जगह के
ऊपर एक आग का गोला उभर रहा है। उसे इस पर यक न नह आ। उ ह ने क को न
कर दया! खुश क मती थी क उसने इस खोज को अपने कैमरे म कैद कर लया था। उसके
पास उसके कैमरे क मेमोरी टक अभी भी रखी थी। उसने खुद को इस बात से सां वना द
क भले ही क को न करने से इ तहास और पुरात व व ान को जो नुकसान आ है,
उसक भरपाई नह हो सकती, ले कन उसके पास अभी भी ऐसी चीज है जसे बचाया जा
सकता है।
और तभी उसके दमाग म ये बात आई क अगर ये लोग, जो भी ह, क को उड़ा सकते
ह, तो साफ तौर पर वो इसके अंदर पाई गई कसी भी चीज का कोई नशान नह छोड़ना
चाहगे।
और वो तो क के अंदर ई खोज क जदा सबूत थी। वो लोग तब तक चैन से नह
बैठगे जब तक उसे मार ना द।
लड ू जर क छत पर तभी अचानक एक धमाका सा आ। हेलीकॉ टर का पायलट
गाड़ी क छत को उसके ट से तोड़ रहा था। ए लस अपनी सीट म कूद पड़ी और और फर
से चीखी, शाम को लगा सदमा और इस बात का आभास क उसे न ु रता से मार गराया
जाएगा, उसके दलो— दमाग पर हावी था।
उसने गयर बदला और एक बार फर ए सलेटर दबा दया। आज रात चाहे जो हो जाए,
वो इतनी आसानी से हार नह मानेगी। वो लोग उसे अंत म भले पकड़ ल, ले कन वो
कायरता से ह थयार नह डालेगी।
हेलीकॉ टर के पायलट को यह बात महसूस हो गई और हेलीकॉ टर तेज र तार म एक
झटके से दाएं मुड़ा, ए लस से आगे प ंचा और गोलाई म घूमते ए उसक तरफ नीचे उतरने
लगा, जैसे वो एसयूवी क तरफ बढ़ रहा हो।
ए लस अपनी तरफ आते हेलीकॉ टर को आतंक भरी नगाह से दे खती रही। तुरंत ही
वो समझ गई क पायलट या करने क को शश कर रहा है। ये तो साफ था क वो सड़क
पर हेलीकॉ टर उतारने और उसका रा ता रोकने क योजना बना रहा था, ले कन वो उसे
डराने क को शश भी कर रहा था। पायलट उसे बताना चाहता था क वो हेलीकॉ टर से
एसयूवी को ट कर मारने जा रहा है।
ए लस खुद को संभालने क को शश कर रही थी। इस वचार ने क कोई उसे बलकुल
असहाय मानकर उसके साथ खलवाड़ करना चाहता है, उसे संभलने म मदद क ।
उसने मजबूती से खुद से कहा, ‘ठ क है, दो त, इस खेल को दो लोग खेल सकते ह। तुम
लेट का खेल खेलना चाहते हो तो यही सही।’ उसने गयर बदला, कुछ पल के लए गाड़ी
क र तार धीमी क और फर तेज र तार म सीधे हेलीकॉ टर क तरफ बढ़ चली, जो अब
जमीन से कुछ ही मीटर ऊपर था। ‘दे खते ह पहले कौन पीछे हटता है।’
कुछ पल के लए हेलीकॉ टर और एसयूवी एक सरे क तरफ गरजते ए बढ़ते रहे,
जैसे दोन एक ट कर के लए अड़े ह ।
तभी पायलट को जैसे कोई बेहतर उपाय सूझा और उसने सड़क पर हेलीकॉ टर रोक
दया, बलकुल उसी रा ते पर जस पर लड ू जर आ रहा था। उसने दमागी चाल चलना
छोड़ दया था और अब वो दमाग क बजाय शारी रक ताकत का इ तेमाल करने क सोच
रहा था।
हेलीकॉ टर के पंखे धीरे—धीरे कने लगे और उससे एक आकृ त नकली। ए लस ने
दे खा क हेलीकॉ टर म पायलट के साथ कोई नह है। वो आदमी एक तरफ खड़ा हो गया,
जैसे कोई मकड़ी अपने जाल क तरफ आती कसी म खी को दे खती है और उसे इस बात
का भरोसा रहता है क म खी तो इस रेशमी फंदे म फंसेगी ही।
ए लस ने अपने चार तरफ दे खा ता क इससे नकलने का कोई रा ता दख जाए। वो
अपने दमाग पर हावी घबराहट से भी लड़ रही थी, वह भारी—भरकम हेलीकॉ टर ने ना
सफ उसका रा ता ब क उसक नजर को भी रोक रखा था। वो ये भी जानती थी क इस
बुरी हालत से नकलने का अगर कोई तरीका है तो वो तब तक नह मलेगा जब तक वो डर
को अपने ऊपर हावी होने दे गी।
पलक झपकाते ए उसने आंसु को साफ कया और फर को शश करने लगी क
उसका पूरा यान सामने के य पर रहे।
तभी उसे एक मौका दखा, जो भले ही छोटा था ले कन उसने ए लस क उ मीद जगा
द । वो जानती थी क प र थ तयां उसके वपरीत ह ले कन उसने तय कर लया था क
बना को शश कए वो हार नह मानेगी।
ए लस ने गाड़ी क र तार धीमी क और फटाफट दमाग म कुछ हसाब लगाया। उसे
लगा क यह आइ डया काम कर सकता है।
पायलट ने र तार धीमी करने के उसके कदम को उसके कने का संकते समझा और
वो ए लस क तरफ बढऩे लगा।

जौनगढ़ कला, नई द ली (भारत) से 130 कलोमीटर

को लन ने शकायत के लहजे म कहा, ‘म नह कह सकता क चीज जैसी हो रही ह, उनसे


म खुश ।ं ’
वजय के पु तैनी कले क बालकनी म वो और वजय बैठकर सुहाने मौसम का मजा ले
रहे थे। जाड़ा अभी तक आया नह था और रात ठं डी होने लगी थ , खासतौर पर पहाड़ी पर
बने कले म। पहाड़ी के चार तरफ खेत थे और इसके नचले इलाके म एक छोटा सा गांव
भी बसा था। यह कला वजय के चाचा का था, जो रटायड परमाणु वै ा नक थे और एक
साल पहले उनक नमम ह या कर द गई थी।
वजय को लन क तरफ दे खकर मु कुरा दया। ‘तु ह वो श स पसदं नह आया? मुझे
तो वो बेहद आकषक लगा।’
को लन ने यौ रयां चढ़ाते ए कहा, ‘ बलकुल सही समझा तुमने क मुझे वो श स
पसंद नह है। जब हमारे दो त कदवई ने सबसे पहले ये बताया था क अमे रक और भारत
सरकार मलकर यह वाइंट टा क फोस बना रही ह, तो मुझे ये ब त अ छा आइ डया लगा
था।’
‘यह तो अ छा आइ डया है ही,’ वजय बोला। ‘टे नोलॉजी आधा रत आतंकवाद का
अंदाजा लगाने और उसक छानबीन के लए वै ा नक और इंजी नयर और अपने—अपने
े के वशेष क ट म बनाने का आइ डया व क मांग है।’
‘हां, ले कन अब म जान गया ं क रडे राइ डग ड को कैसा लगा होगा जब वो जंगल
म घूमने गई थी। यह या ा तभी तक सुखद लग रही थी जब तक क भे ड़ए ने उस पर हमला
नह कया।’
वजय को हंसी आ गई। आज सुबह ही उन दोन को इंटे लजस यूरो के हेड वॉटर
माइकल लेक से मलने के लए बुलाया गया था। माइकल सीआईए का गु तचर था जसने
पछले साल एक अ भयान म आईबी के साथ काम कया था। लेक उस अमे रक बल
पैटरसन के साथ था जसे अमे रक रा प त ने वाइंट टा क फोस का मु खया नयु कया
था। इसी मी टग के लए को लन कुछ दन पहले अमे रका से उड़कर यहां आया था।
6 फ ट 3 इंच लंबे बल पैटरसन के पास शारी रक और दमागी दोन ताकत थी। उसने
मॉ ल यूलर बायलॉजी और के मकल बायलॉजी दोन म पीएचडी कर रखी थी। अमे रक
नेवी म काम कर चुका और अ क अमे रक मूल का बल अपने खे वहार से साफ
कर दे ता था क कमान उसके हाथ म है।
को लन, जसका वभाव थोड़ा व ोही था, ने जस व पैटरसन को दे खा था, उसी
व से वो उसे नापसंद था। उसके इसी वभाव क वजह से इस मसले पर तीखी बहस हो
गई थी क फैसले लेने क कसे कतनी छू ट मलेगी, ले कन को लन को इस बहस म
शक त झेलनी पड़ी थी। उसे अभी भी इस बहस म हार जाने क ट स थी।
‘दे खो, अगर अमे रका के रा प त ये सोचते ह क वो इस काम के लए अ छा है तो मुझे
इसम कोई द कत नह है। और तु ह भी नह होनी चा हए’, वजय ने कहा।
‘मुझे ये बलकुल पसंद नह है क जब भी हम कसी चीज क ज रत हो, हम उसके
पास जाना पड़े,’ को लन ने वजय क तरफ दे खकर जवाब दया।
‘अरे यार, दमाग ना खाओ! और हम हर चीज के लए उससे पूछने क ज रत नह है।
तभी पूछना होगा जब या तो कोई सै नक कारवाई हो रही हो या कसी खास े नग क
ज रत हो। इस टा क फोस का ह सा होने के नाते हमारा काम छानबीन करना और
अनुमान क जांच करना है। अगर कोई कारवाई करनी है, तो इसका ज मा उन पर छोड़
दे ना चा हए जो इस चीज के लए श त ह।’
को लन भुनभुनाया। वो जानता था क वजय सही है ले कन वो इसे मानना नह चाहता
था। उसने अपनी घड़ी दे खी। यौ रयां चढ़ाकर उसने कहा, ‘अंदर जाने का व हो गया, म
बस उ मीद करता ं क मुझे सपने म वो रा स पैटरसन ना दखे। इस व मुझे बस इसक
ज रत है।’
6
मदद क पुकार

जैसे ही हेलीकॉ टर का पायलट रा ते के बीच म प ंचा, ए लस ने अपनी दा ओर एक


झटके से गाड़ी मोड़ी और ए सलेटर दबा दया। वो हेलीकॉ टर क नाक और हाइवे क
ढलान के बीच क मामूली खाली जगह म जाना चाहती थी और रा ते के कनारे तक प ंचते
—प ंचते उसक गाड़ी ने र तार पकड़ ली।
वो फराटा मारते ए हैरान पायलट को पार कर गई जसने तेज र तार एसयूवी के पीछे
भागना शु कया। ए लस ाथना कर रही थी क उसने जो जो खम उठाया है, उसका
फायदा मल जाए। या खाली जगह क चौड़ाई उसक गाड़ी के लए पया त है?
अगले ही ण, लड ू जर अपनी दोन तरफ धातु खुरच रहा था और धातु के कटने और
रगड़ने क आवाज रात के स ाटे को तहस—नहस कर रही थी। गाड़ी एक तरफ से
हेलीकॉ टर को और सरी तरफ हाइवे क धातु के जंगले को रगड़ते ए जा रही थी।
कुछ दे र तक तो ऐसा लगता रहा जैसे व क र तार धीमी पड़ गई हो। ए लस को ऐसा
महसूस हो रहा था क हेलीकॉ टर और जंगले दोन मलकर एसयूवी को कुचल रहे ह और
रात क गोलीबारी से बची कार क खड़ कयां चकनाचूर हो रही ह।
ए लस ने अपनी आंख बंद क और एसयूवी को अपने रा ते पर चलने दे ती रही य क
धातु क ककश आवाज मानो उसके म त क म घुस रही थी।
अचानक, ऐसा लगा क लड ू जर ने सभी बाधा को पार कर एक छलांग लगाई हो।
ए लस समझ गई क गाड़ी उस खाली जगह से नकल चुक है और अब वो अपने सामने
फैले हाइवे को साफ—साफ दे ख सकती थी।
उसके अंदर जैसी एक नई ताकत आ गई और उसक उ मीद फर से जदा हो ग ।
उसने ए सलेटर को पूरी ताकत से दबा दया ता क हेलीकॉ टर और एसयूवी के बीच री
यादा से यादा हो जाए, इसके पहले क पायलट इस झटके से उबरकर दोबारा उड़ान भरे।
अपने पीछे , एसयूवी क बना कांच क खड़ कय से उसे पायलट क गा लय क
आवाज सुनाई द और वो ये अनुमान लगाकर अपनी सीट म धंस गई क एक बार फर
गो लयां चलगी। उसके सर के पास से गो लयां फर नकलने लग । कार क वड न म
एक गोली लगी और कांच के चटकने से उसम मकड़ी के जाले सी आकृ त बन गई।
ए लस कसी तरह ाइव कर पा रही थी ले कन वो जानती थी क काफ यादा दे र तक
वो ब त तेज गाड़ी नह चला पाएगी य क वड न चटकने से सामने का य धुंधला हो
गया था। उसक उ मीद एक बार फर डू बने लग य क उसे अपनी गाड़ी क र तार थोड़ी
धीमी करनी पड़ी जससे क वो सामने के रा ते पर साफ—साफ यान लगा सके।
वो हेलीकॉ टर क आवाज सुनने क को शश करती रही, ले कन कई मनट बाद भी
उसे एसयूवी के के बन से हवा के गुजरने और इसके इंजन क आवाज के अलावा कुछ
सुनाई नह दया। उसने सोचा क या हेलीकॉ टर उसके साहस क वजह से त त हो
गया या पायलट ने पीछा करने का इरादा छोड़ दया।
रात क घटना का रह य उसके दमाग पर फर हावी होने लगा। पहले वो सोच रही
थी क पुरानी कलाकृ तय के मा फया का इसम हाथ हो सकता है। क क फोटो ाफ पर
उनक नाराजगी से ये बात तो सा बत हो सकती है। अगर क के अंदर क कसी भी चीज
क फोटो बाहर आ जाएगी तो काले बाजार म कसी कलाकृ त को बेच पाना बेहद मु कल
हो जाएगा, खासतौर पर उस क क जो इतना यादा मश र हो।
ले कन उसक ये सोच क के साथ ही टु कड़े—टु कड़े हो गई थी। इसका कोई तकसंगत
प ीकरण भी नह सूझ रहा था। दो हजार साल पुरानी कसी क क बबाद से कसी को
या हा सल हो सकता है?
और अगर बबाद ही करना था तो एक साल से यादा समय तक उसक खुदाई करने का
सरदद य लया गया? इन सवाल के कोई जवाब आते नह दख रहे थे।
अब वो लु डयास नद के ऊपर ाइव कर रही थी और जानती थी क अब उसे
थेसालो नक प ंचने म यादा व नह लगेगा। उसने अब तक जो कुछ आ, उसे भूलने
क को शश क और आगे के उपाय पर यान लगाने लगी।
इस बात क ब त संभावना थी क अगर पायलट का संबंध तावरोस और पीटर से
होगा, तो उसके साथी थेसालो नक म भी ह गे। तो उसका पीछा करने क बजाय यह उसके
लए आसान रहा होगा क वो अपने सा थय को फोन कर दे और अब वो उसका
थेसालो नक म इंतजार कर रहे ह गे। उसने समझ लया था क उसके सर पर मंडरा रहा
खतरा पूरी तरह टला नह है।
ए लस ने एसयूवी रोक और अपने आंसु को रोकने क को शश करती ई बाहर
नकली। उसे खुद को संभालना था। माक मर चुका था, और डैमन भी। ले कन वो इन
सबसे जदा नकलना चाहती थी। वो पुल क रे लग पर खड़ी हो गई और तब तक उस पर
अपनी मु य से मारती रही, जब तक वो दद ना करने लग । वो अपनी हताशा को कसी भी
तरह बाहर नकालना चाहती थी। उसने माक और उसक बेवजह मौत के बारे म सोचा।
य उसक क मत ने इतनी ज द उसका साथ छोड़ दया?
उसने आंसु के ध बे भरे अपने चेहरे को आसमान क तरफ कया जो तार से भरा
था, ले कन उसे वहां से कोई तस ली नह मली।
पुल क रे लग को मजबूती से पकड़े ए वो सोचने लगी। थेसालो नक म अमे रका का
तावास है और उसे वहां प ंचना है। यही इकलौती जगह है जहां वो सही मायने म सुर त
रह सकती है। हालां क उसने अपना पासपोट होटल म ही छोड़ दया था, ले कन उसके पास
ाइ वग लाइसस था। ये उसक पहचान सा बत करने के लए काफ होगा और उसे
तावास म शरण मल सकेगी।
उसने अपना मोबाइल फोन नकाला और उसम तावास का पता दे खा, 43 स म क
ट।
फर उसे लगा क उसे कसी को फोन कर मदद मांगनी चा हए।
अपने वॉय ड को, एक पल के लए वो हचक । या वो अब उसका वॉय ड है भी?
उसे इस बारे म कोई आइ डया नह था। ले कन अभी तो सफ वही है जो उसके पास है।
एकाध दो त को छोड़कर कोई भी इतना करीबी नह था जस पर वो भरोसा कर सके।
ए लस ने उसका नंबर डायल कया। घंट कुछ दे र बजती रही और फर अचानक कट
गई। उसने समय दे खा। अमे रका म इस व सुबह होगी। उसने दोबारा को शश क और
नतीजा वही रहा। कुछ घं टयां और फर एक त टोन। नराश मन से उसने अपनी फोन
न दे खी जस पर यह मेसेज दख रहा था क जस नंबर पर वो फोन लगा रही है, वह
त है।
वो जगा आ था। इस सोच ने उसे आज क रात कुछ यादा ही चोट प ंचाई क वो
जानबूझकर उसका फोन नह उठा रहा है। ऐसा जसे इस व उसके साथ होना
चा हए था, जब वो जदगी और मौत के बीच फंसी है, वो अचानक उसक जदगी से गायब
हो चुका है। ये सोचते ए उसने बमु कल अपनी आंख से आंसु को बहने से रोका।
उसे मजबूत होना होगा अगर वो अपनी जदगी बचाना चाहती है।
एक और नाम उसके दमाग म क ध उठा और उसने एक नंबर डायल कया। इस बार ये
मोबाइल नह ब क लडलाइन नंबर था। उसके पास कुत वॉलेस का नजी सेलफोन नंबर
नह था।
दो बार घंट बजने के बाद फोन पर एक म हला क आवाज आई।
‘यह म टर वॉलेस का द तर है, म आपक या मदद कर सकती ? ं ’ ये लारा थी,
वॉलेस क सहायक।
ए लस को महसूस आ क उसक आवाज बुरे अनुभव के दबाव म कांप सी रही है।
‘मुझे म टर वॉलेस से बात करनी है, यह बेहद ज री है।’
‘ म टर वॉलेस एक मी टग म ह और उ ह इस व ड टब नह कया जा सकता।’
‘यह जदगी और मौत का मामला है! मेरी गुजा रश है क आप उनसे मेरी बात करा द,’
ए लस ने गड़ गड़ाते ए कहा, इस डर से उसके हाथ—पांव ठं डे हो गए क उसके हाथ से
अं तम सहारा भी छू टने वाला है।
‘आप अपना नाम और फोन नंबर मुझे दे द और जैसे ही म टर वॉलेस बाहर आते ह, म
उनसे क ंगी क वो आपसे बात कर ल। मुझे खेद है ले कन म अभी उन तक नह प ंच
सकती।’
ये श द उस पर हथौड़े क तरह पड़े। अब वो अकेली थी, उसके पास मदद करने वाला
कोई नह था।
7
थेसालो नक , ीस के पास, ई75 पर

कुछ ण तक ए लस त ध सी खड़ी रही, लारा के श द को सुनकर जैसे वो सु सी हो


गई। फर भी उसने दोबारा को शश क । अगर वो अपने बारे म बताए तो शायद…?
‘मेरा नाम ए लस टनर है। म ीस के उस मशन का ह सा ं जसके लए म टर
वॉलेस ने पैसे दए ह। कृपया आप उ ह बताएं क क को बबाद कर दया गया है, मेरी ट म
के दो लोग मार दए गए ह और कोई मेरे पीछे भी लगा है। म… म ब त डरी ई ं।’ ए लस
ये बोलते—बोलते सुबकने लगी।
लारा क आवाज म नरमी आई। ‘ मस टनर, मुझे आपक बुरी हालत के बारे म
जानकर ब त ख प ंचा है। म म टर वॉलेस को इसी व एक मेसेज भेज दे ती ं। ले कन
बद क मती से वो अपने पास नजी मोबाइल फोन नह रखते, इस लए उन तक प ंचने म
मुझे कुछ समय लग सकता है। म आपसे बस यही कह सकती ं क आप इस बात को
सु न त कर क आपके मोबाइल पर आने वाली कॉल आपको मल सके।’
ए लस ने सर हलाया, लारा को ध यवाद दया और फर अपने आंसू प छते ए
ाइवर सीट पर बैठ गई। वो अभी अकेली थी। आशा है क वॉलेस उसे ज द फोन कर और
उसक मदद कर।
ले कन तब तक उसे अपनी बु के ही भरोसे रहना होगा। और घबराने से कोई मदद
नह होगी। उसने अपना दमाग साफ करते ए एक ल य तय करने क को शश क जसे
हा सल करने के लए वो काम कर सके।
अमे रक तावास। उसे तावास प ंचना था।
उसने लड ू जर के जीपीए स टम म तावास क दशा से संबं धत जानकारी डाली
और अपना यान अगले कदम पर क त करने क को शश करने लगी।
‘ दलच प है यह तो’, उसने जीपीएस पर आए रा त को दे खते ए खुद से बुदबुदाते ए
कहा। थोड़ी र पीछे जाकर ई75 से मलने वाला ए2 रा ता आगे थोड़ी री पर ए सयोज
मोड़ पर अलग हो जाता था और फर थेसालो नक क तरफ बढ़ जाता था। ग लकोज पुल
से कुछ मील आगे जाने पर ए2 नया द ट क आइसोडॉस म मलता था, जो नवरचू
कॉ टु रयोटु क तरफ जाता था, जहां से थोड़ी र जाकर वो बाएं मुड़कर स म क के लए
जा सकती थी। जीपीएस ने यही रा ता दशाया था। ले कन उसका यान ख चा था दो
वैक पक रा त ने जो वो न पर दे ख सकती थी। पहला रा ता नया द ट क आइसोडॉस
से अलग होता था और 26 ऑ टोव रउ पर जाता था, जो वापस घूमकर उस जं शन पर
जाता था जहां से वो नवरचू कॉ टु रयोटु पर मुड़ सकती थी।
उसने अंदाजा लगाया क इन दोन रा त से उसका काम नह होगा, य क ये दोन
रा ते जस जं शन पर ले जाते थे, वहां जा हराना तौर पर गुंडे उसका इंतजार करते मल
सकते थे।
सरा वैक पक रा ता उसे बेहतर लग रहा था। 26 ऑ टोव रउ पर मुड़ने क बजाय वो
अगले ए जट से जा सकती थी जो उसे मोटरवे के नीचे से 28 ऑ टोव रउ पर ले जाता और
उसके बाद थोड़ी दे र बाद वो रा ता मोनास ट रउ पर मुड़ जाता, फर इगने टया क तरफ
जाता जहां के दाएं मुड़कर वो स म क जा सकती थी।
उसने यही रा ता लेने का फैसला कया। यह भी एक जुआ ही था य क इस बात क
कोई गारंट नह थी क गुंडे इस रा ते क नगरानी नह कर रहे ह गे, ले कन उसके पास
ब त यादा वक प नह थे।
जब वो कार क तरफ बढ़ रही थी, उसे एक और नाम सूझा था। एक ऐसा नाम जस पर
वो व ास कर सकती थी। कम से कम वो ऐसा मान रही थी। कॉलेज म उसका वॉय ड।
जब तक ये र ता चला था, ये उसके सबसे अ छे र त म एक था। ले कन वो कई साल से
उसके संपक म नह थी, हालां क लड़के ने कई बार उसे फोन भी कया था और ईमेल भेजे
थे जब क ए लस ने उनका जवाब ना दे ना ही ठ क समझा था। अंत म लड़के ने को शश
करनी छोड़ द थी और समझ गया था क अब इसका कोई मतलब नह है। ए लस के उसके
साथ संपक तोड़ने क एक वजह यह भी थी क र ता ख म होने के बाद उसके मन म बड़ी
कड़वाहट थी। उसने हमेशा यही सोचा था क यह र ता लबां चलेगा, उन दोन क शाद हो
जाएगी और फर दोन उ भर साथ रहग। ले कन ये र ता वैसा चल नह पाया।
कुछ तो अकेलेपन और दद क वजह से और कुछ मुसीबत म फंसे होने क वजह से
ए लस को कसी से बात करने क ज रत महसूस हो रही थी और उसे लगा क अपने पुराने
वॉय ड को फोन करना चा हए। हालां क वो तय नह कर पा रही थी क इतने साल बाद
ऐसा करना ठ क होगा या नह । वो ये भी नह समझ पा रही थी क इतने साल बाद वो
उसके बारे म सोच य रही है, खासतौर पर सभी र ते तोड़ने के बाद।
उसने कुछ पल के लए सोचा और अपने फाने क कॉ टै ट ल ट के कुछ और नंबर
दे ख। उसने तुरंत अपना मन बना लया और एक नंबर डायल कया। ज द से फोन उठाओ!
ऐसा तो है नह क वो उसका नंबर पहचानेगा नह , जब तक क उसने अपने कॉ टै ट ल ट
से उसे हटा न दया हो। और इतने साल बाद ऐसा होना मुम कन भी था।
8
जौनगढ़ कला

को लन अपने कमरे म बैठा था और उसने अपना मोबाइल फोन दे खा। यारह साल हो गए
उसक कोई खबर आए। र ते तोड़ने के बाद उसने ईमेल तक का जवाब नह दया था।
हालां क उसे इससे ब त यादा आ य नह आ था, उसने साफ कर दया था क वो अपने
पुराने वॉय ड के साथ कोई र ता नह रखेगी। और अब, वो उसे फोन कर रही थी। इतने
लंबे समय बाद ऐसा या हो गया क उसने अपना मन बदल दया?
उसका नंबर दे खते ही उसक तुरंत इ छा ई क फोन उठा ले। ले कन वो क गया, वो
असमंसज म था और शायद डरा आ भी, खासतौर पर आज के हालात म। अगर वो उसके
पास वापस आना चाह रही है तो इससे हालात और ज टल हो जाएंग।े
उसने एक गहरी सांस ली और फोन उठा लया, बना कसी उ मीद के।

डू बते को तनके का सहारा

‘ए लस?’ को लन क आवाज इतनी अ छ उसे कभी नह लगी थी, इतने लंबे अंतराल के
बावजूद।
‘को लन! म… मुझे समझ नह आ रहा था क म कसको फोन क ं ।’ उसक आवाज
अभी भी कांप रही थी, ले कन इस बार वो थोड़ी राहत महसूस कर रही थी, ये जानते ए भी
क को लन उससे मील र अमे रका म है और वो इस व कोई मदद नह कर पाएगा।
‘कुछ गड़बड़ है या?’ को लन क आवाज म फ थी या कह क परेशानी झलक रही
थी। उसने ए लस क कांपती आवाज को भांप लया था। ‘ या तुम ठ क हो?’
अपराध बोध और डर से परेशान ए लस ने पछले एक घंटे क अपनी आपबीती बयान
कर द , उसके क म जाने और से लेकर अभी हाइवे पर होने तक क सारी कहानी।
जब उसने कहानी ख म क तो थोड़ी दे र दोन तरफ चु पी छाई रही, जसे को लन ने ही
तोड़ा। ‘ या थेसालो नक म तु हारे मशन से कोई नह है जो तु हारी मदद कर सके?’
‘को लन, म नह जानती क कस पर व ास क ं । अगर तावरोस और पीटर इन
सबके पीछे ह तो सर के बारे म कौन जानता है? और मुझे लगता है क डैमन भी इस
सबका ह सा था। वो मारा गया य क उसने आदे श का पालन नह कया। यही कहा था
पीटर ने।’
‘ठ क है, मुझे लगता है क सरे रा ते से थेसालो नक जाने क तु हारी योजना सही है।
उ ह उ मीद नह होगी क तुम ऐसा करोगी। तुम तावास जाओ। म इस व भारत म ं,
ले कन अमे रका म म लोग से बात करता ं और फर हम तु हारे लए इन सबसे बाहर
नकलने का रा ता नकालगे।’
‘तुम भारत म या कर रहे हो?’
को लन ने उसे बताया क वजय को उसके चाचा से उ रा धकार म कला मल रहा है,
हालां क उसने इसका यौरा नह दया।
‘अ छा, शु या को लन, मुझे ब त अ छा लगा। सब कुछ होने के बाद भी…’
‘घबराओ नह । दो त इसी लए होते ह। भले ही वो एक सरे के साथ संपक म ना ह ।’
को लन ने हच कचाते ए पूछा, ‘ या म वजय को बताऊं?’
‘अभी नह , मुझे नह मालूम क वो इस बारे म या सोचेगा।’
‘अपना याल रखना, म ज द ही तुमसे बात क ं गा।’
ए लस ने फोन काट दया।
उसने मन बना लया था, उसने इंजन टाट कया और आगे बढ़ चली। ले कन वो
मु कल से एक कलोमीटर गई होगी क उसका फोन बजने लगा।
उसने फोन उठाया और उसक न दे खने लगी। या ये वॉलेस का फोन है?
‘ए लस?’
‘ म टर वॉलेस!’ उसे काफ राहत महसूस ई।
‘मुझे बताया गया क तु ह तुरंत मदद क ज रत है।’ वॉलेस क आवाज म गहरी चता
झलक रही थी।
ए लस ने वॉलेस के सामने सब कुछ बयान कर दया। वो यक न नह कर पा रही थी
उसके क म जाने के बाद से मु कल से घंटा भर बीता होगा और उसके साथ इतना कुछ हो
गया है।
उसके सब कुछ बताने के बाद एक पल के लए खामोशी रही। फर वॉलेस ने कहा,
उसक आवाज म फैसला और अ धकार दोन झलक रहे थे। ‘तुमने बताया क तु हारे
जीपीएस के मुता बक तुम अमे रक तावास से आधे घंटे से यादा र नह हो? चीज को
त करने के लए इतना समय हमारे लए काफ है।’ उसक आवाज म नरमी थी।
सामा य प र थ तय म वो उसक भाषा को दया भाव दखाने वाला समझती। ले कन अभी
वो उसे यहां से जी वत नकालने वाला सबसे अ छा वक प दख रहा था। ‘घबराओ नह ,
तु ह कुछ नह होगा। म तुमसे वादा करता ं। बस ाइव करती रहो। अगले दस मनट के
भीतर कोई तुमसे संपक करेगा। जब तुम तावास प ंच जाओ तो मुझे फोन करना। अब
मुझे जाना होगा।’
वॉलेस ने फोन काटा, ए लस ने उसका शु या अदा कया और ाइव करने लगी। आज
क रात पहली बार उसने गौर कया क हाइवे पर और कोई नह है। कसी भी दशा म कोई
भी कार उसने पार नह क थी। यह असामा य था और थोड़ा डरावना भी।
अब वो थर मन से गाड़ी चला रही थी, उसका मन वॉलेस से ई बातचीत के बाद शांत
था। जब वो ए सयोस नद के ऊपर से गुजरी, उसका फोन फर बज उठा।
जैसे ही उसने फोन उठाया, उसके कान म ीक लहजे म एक गहरी आवाज गूंज उठ ,
‘ मस टनर? म थेसालो नक के जनरल पु लस डायरे टरेट से बोल रहा ं।’
उसका दल जोर से धड़क उठा। या वो वाकई म यही सुन रही थी?
वॉलेस ने थानीय पु लस से संपक कया था?
उसने अपनी हैरत को छपाने क को शश करते ए लड़खड़ाती आवाज म कहा, ‘हां।’
फोन कर रहे पु लस ऑ फसर ने उसे तुरंत पूरी योजना बता द । नया द ट क
आइसोडॉस के मोड़ पर उसे तीन मोटरसाइ कल पर सवार पु लस वाले मलगे, जो उसे इस
व बंद हो चुके अमे रक तावास नह , ब क एक होटल ले जाएंगे, जहां उसके कमरे के
बाहर और लॉबी म उसक सुर ा के लए ह थयारबंद गाड तैनात रहगे। तावास उससे
सीधा संपक करेगा ता क उसे थेसालो नक से अमे रका प ंचाने के लए ज री कागजात
क व था कर सक।
ए लस समझ नह पा रही थी क वो या त या दे । पछले एक घंटे के आतंक ने
उसे जैसे सु सा कर दया था और यह खबर उसके लए सूखे म मॉनसून क बा रश जैसी
थी। उसने फोन रखने के पहले पु लस ऑ फसर का दल खोलकर शु या अदा कया। फर
उसने कार रोक और बाहर नकलकर सडक़ पर आ गई, घुटन पर बैठ गई और अपने
ज बात को बाहर नकलने दया, उसक आख से राहत के आंसू बह नकले, उसका शरीर
कांपने लगा——इस बार डर से नह ब क इस खुशी से क वो अब सुर त रहेगी।

खु फया यूरो मु यालय, नई द ली

इमरान ने ऊपर दे खा, जैसे ही उसक ट म का एक आदमी कमरे म हड ड़ी म दा खल आ।


उसने सवा लया अंदाज म अपनी भ ह चढा़ ।
उसने मजे पर उस आदमी के रखे गए कागज को दे खा। ‘ठ क है, चलो।’ वो दरवाजे क
तरफ बढ़ गया। ‘कमांडोज को खबर कर दो।’ उसने पहले ही कमांडोज क एक ट म को
तैयार रहने को कह रखा था। कुछ ही मनट म इमरान और आईबी क ट म आईएसपी के
डेटाबेस से नकाले गए पते क तरफ जा रही थी। उसके आदमी के पास एक फोन आया।
उसने फोन करने वाले क बात सुनी और फर इमरान क तरफ घूमकर कहा, ‘सर, जस
मे डकल फे स लट को हम जा रहे ह, वहां एक बडी़ आग लगने क खबर फायर डपाटमंटे
ने द है।’
इमरान ने अपने दांत भ चे और ाथना क क वो सब लोग समय पर पहचुं जाएं।
9
थेसालो नक , ीस

थक —मांद ए लस अपने ब तर म धंस गई, खुश थी क वो जदा है। वादे के मुता बक


पु लस ट म उसे मल गई थी और उ ह ने उसे होटल तक प ंचा दया था, जहां उसे एक
नकली नाम से चेक इन कराया गया था। वो नह जानती थी क उ ह उसके बारे म या
बताया गया है, ले कन यह साफ था क उ ह इस बात के नदश दए गए थे क उसक सही
पहचान कसी के सामने जा हर ना क जाए।
पु लस ज द ही केस दज करेगी और मामले क जांच क जाएगी, साथ ही तावरोस
और पीटर को पकड़ने के लए खोजबीन भी शु होगी। हालां क, पता नह य , ए लस को
लग रहा था क वो पकड़े नह जाएंग।े
तावास ने उसे फोन कर बताया था क दे श छोड़ने के लए ज री कागजात अगले दन
दोपहर तक तैयार हो जाएंगे। उ ह ने उसे भरोसा दलाया था क वो अब उनक नगरानी म
है और पूरी तरह सुर त रहेगी। वॉलेस ने वाकई म बड़े पैमाने पर संपक का इ तेमाल
कया था और वो उसक मदद के लए आभारी थी।
अब सफ एक चीज बच गई थी। उसे यहां से बाहर जाने के लए टकट बुक करने क
ज रत थी। वो यह काम कल करेगी। ले कन वो अमे रका अपने घर वापस नह जाएगी।
अब ये अ छा नह था। तावरोस और पीटर जानते थे क वो कहां से है और शायद उनके
पास उसके घर का पता भी हो। वो यहां तो सुर त है, ले कन अमे रका म उसक र ा कौन
करेगा? वो बार—बार वॉलेस के पास मदद के लए भी नह जा सकती। उसने उसे यहां के
झंझट से नकालने के लए काफ कुछ कया है।
वो कहां जा सकती है? नहाते ए वो इस सवाल पर ही वचार कर रही थी। और, अभी
जब वो शडने के गलास के साथ आराम के मूड म थी, तो भी उसके पास कोई जवाब नह
था।
उसने टे ली वजन चला लया। यह ीक भाषा म एक थानीय चैनल था, ले कन उसे
त वीर दे खकर ये हेडलाइंस समझने म द कत नह ई क थेसालो नक क तरफ आने
वाले हाइवे के दोन रा त पर दो अलग—अलग हादसे ए ह और ै फक क गया है। इन
हादस क खबर अ ात लोग ने द थी और जब पु लस वहां प ंची तो कोई भी घटना थल
पर मौजूद नह था। ऐसा लग रहा था क हादसे म शा मल लोग वहां से चले गए थे।
खबर सुन डर से उसके हाथ—पांव ठं डे पड़ गए।
उसने खुद को कस मुसीबत म डाल लया था?
यह कोई साधारण ष ं नह था। जो कुछ भी हो रहा था, वो काफ बड़ा था। अगर वो
लोग पागलपन क इस हद तक जा सकते ह क कुछ घंट के लए हाइवे लॉक कर द ता क
खुदाई क जगह से कोई जदा वापस नह जा सके, तो साफ है क इस मामले म काफ बड़ा
दांव खेला जा रहा है।
ले कन या है ये? उसने अपने दमाग को काफ झकझोरा, ले कन कसी भी ऐसे
नतीजे पर नह प ंच सक जसका कोई मतलब नकले।
उसक सोच को भंग करते ए फोन क घंट बजी।
‘ए लस?’ सरी तरफ से वॉलेस क आवाज आई।
‘ म टर वॉलेस, म नह जानती क कन श द म आपका शु या अदा क ं ।’ ए लस
कृत ता के बोझ तले दबी जा रही थी। ‘म थेसालो नक के एक होटल म ं।’
‘हां, म जानता ं।’ वॉलेस ने जवाब दया। ‘मुझे बताया गया। हां, वैसे मने तु ह पहले
कहा था क मुझे कुत कहकर बुलाया करो। खैर, मुझे खुशी है क तुम सुर त हो।’
‘म भी सुर त होकर खुश ं।’ ए लस ने जवाब दया। ‘ले कन मुझे अभी भी डर लग
रहा है।’ उसने वॉलेस को टे ली वजन पर दखाए गए हाइवे हादसे के बारे म बताया। ‘म
सुबह सबसे पहले अपने टकट बुक क ं गी। मुझे लगता है क मुझे यहां से ज द से ज द
नकल जाना चा हए।’
‘इस लए मने तु ह फोन कया था। म कुछ भी ऐसा वादा नह करना चाहता था जस
बारे म म सु न त नह था। मुझे नह लगता क तु ह कम से कम एक ह ते तक ीस क
कसी कम शयल एयरलाइन म सीट मलेगी। ले कन इस बारे म मने कुछ लोग से बात क है
और कल दोपहर तक तु हारे लए एक ाइवेट जेट तैयार रहेगा जो तु ह अमे रका ले
आएगा।’
ए लस का मुंह खुला का खुला रह गया। ाइवेट जेट? कुत वॉलेस के दो त ज र ऊंची
जगह पर ह। जैसे ही उसे महसूस आ क वॉलेस उसे घर वापस भेजने क तैयारी कर रहा
है, उसने भावना पर काबू पाते ए कहा, ‘कुत, म इस बारे म सोच रही थी।’ ए लस को
अचानक पता चल गया था क उसे कहां जाना है। उसने वॉलेस को अमे रका लौटने क
अपनी चता के बारे म बताया, उसका ख नरम था ले कन पूरी ढ़ता से उसने वहां
सुर त जगह ढूं ढ़ने के उसके ताव को ठु करा दया।
‘तुमने इस बारे म प का फैसला कर लया है?’ वॉलेस ने उसक पूरी बात सुनने और
उसक वां छत मं जल के बारे म जानने के बाद पूछा।
‘ बलकुल।’ ए लस के दमाग म इस बारे म कोई संदेह नह था क वो या चाहती थी।
‘और मेरी एक गुजा रश है, अगर ये मुम कन हो सके तो।’ उसने वॉलेस को बताया क वो
अपने लए उससे या काम कराना चाहती है।
‘ठ क है फर, इसका इंतजाम हो जाएगा। सुबह दस बजे के करीब तु ह फोन आ
जाएगा। तु हारी उड़ान सुर त हो और मुझे बताना क या तु ह कसी और चीज क
ज रत है।’
‘म बताउंगी।’
जब उसने फोन काटा, उसके दमाग म अचानक एक संदेह कुलबुला गया। या वो सही
कर रही है?
ए लस ने ढ़ता से इस संदेह को र कर दया। उसे अपने डर से मुकाबला करना था।
वो इनसे काफ लंबे समय से भाग रही थी।
10
आयन लेबारे ज, नई द ली

इमरान दमकल के सद य और कमांडोज के साथ खड़ा था, ख से उसके कंधे झुके ए थे।
वो लोग मे डकल सटर पर तीन घंटे पहले प ंचे थे, और दे खा क दमकल के सद य एक
भयानक आग को बुझाने म लगे ह, जसने चार मं जली इमारत क ऊपरी तीन मं जल को
बबाद कर दया था।
आग पर काबू पाने म दमकल क पं ह गा ड़य को चार घंटे तक जूझना पड़ा था।
इमरान, आईबी क ट म और उनके कमांडो वहां असहाय से खड़े थे, सफ दमकल के
सद य को उनका काम करते दे ख रहे थे, इस काम म उनक कोई मदद नह कर पा रहे थे।
जैसे ही उ ह ब डंग म अंदर जाने क इजाजत मली, इमरान कमांडोज, दमकल के
सद य और अपनी ट म को नदश दे ते ए अंदर भागा। ऊपरी मं जल जहां तहस-नहस हो
चुक थ , ाउंड लोर सही-सलामत दख रहा था।
‘इस जगह पर या काम होता है?’ इमरान ने अपने ड ट अजुन से पूछा, जैसे ही वो
लोग ब डंग म घुसे।
‘यह एक ली नकल लेबोरे है। ये लोग यहां सएटल, वॉ शगटन क कंपनी टाइटन
फामा यु टकल के लए बीमा रय पर रसच करते ह।’
इमरान ने भ ह ऊपर क । ‘अमे रका क ब रा ीय दवा कंपनी?’
‘हां, हम यादा जानकारी के लए उनसे संपक कर रहे ह। ले कन ऐसा लगता है क इस
सटर पर उनके रसच ो ाम के लए ली नकल ायल होते थे। ये पता चला है क वो लोग
कुछ ऐसे मोले यूल वक सत करने म लगे ह, जो च क सा जगत म तहलका मचा सकती
है।’
इमरान के वॉक टॉक म हरकत ई। ‘सर, आपको ऊपर आना होगा, चौथी मं जल
पर।’ ये उसके एक एजट क आवाज थी।
सी ढ़य पर भागते ए इमरान को एक डर ने जकड़ रखा था। भले ही उसक उ
चालीस के पार जा चुक थी, वो अभी भी बेहद चु त था, नय मत तौर पर ायाम करता था
और अभी एक बार म दो सी ढ़यां चढ़ रहा था।
जैसे ही वो चौथी मं जल पर प ंचा, उसके कदम ठठक गए। पूरी मं जल जलकर काली
हो गई थी। और जो कुछ चीज आग से बच गई थ , वो आग बुझाने वाली मशीन के पानी से
बबाद हो गई थ ।
लोर पर जमा पानी के बीच से चलते ए वो एक ऐसे कमरे म प ंचे, जो आईट लैब
लग रही थी, फलहाल वहां दमकल के सद य ने टॉच और हेडलप से रोशनी कर रखी थी।
उ ह आग म जले ए फन चर और काले पड़ चुके कं यूटर ट मनल दखे।
और उसका जो सबसे बड़ा डर था, वो जैसे सच सा बत होता दखा। एक कुस पर
कं यूटर ट मनल के सामने आग से बुरी तरह झुलसा आ शरीर था।
‘अनवर?’ इमरान के मुंह से पूरा नाम भी नह नकल सका।
‘मुझे ख है, सर। ले कन अभी इसे पहचाना नह जा सकता। शरीर इस कदर झुलस
चुका है क पहचान म नह आ रहा।’
इमरान एक पल के लए मौन हो गया। फर उसने अपने आप को संभाला। ‘अजुन,’
अपने एक एजट को उसने कहा। ‘म पूरी जांच चाहता ।ं इस जगह का मा लक कौन है? वो
लोग यहां या कर रहे थे? आग कैसे लगी?’ उसने आग से काले पड़ चुके शरीर को दे खा।
‘और म चाहता ं क इस बॉडी क पहचान क जाए।’
उसका वॉक टॉक फर बजा। ‘सर, बेहतर होगा क आप ाउंड लोर पर आ जाएं।
हम यहां कुछ मला है।’
इमरान ज द से नीचे क ओर भागा, और अजुन उसके पीछे था। उसक ट म का एक
सद य ल ट के शा ट क जांच कर रहा था और उसने पाया क यह ाउंड लेवल पर ख म
नह हो रही थी। ऐसा लग रहा था क यह थोड़ा और नीचे जा रही है, जैसे ब डंग के
तहखाने तक जा रही हो।
कुछ अजीब सा महसूस कर, एजट व ण झा ने ल ट को ताकत लगाकर खोल दया
था। लोर चुनने का जो पैनल था, वो इले ॉ नक टच पैनल था, उसम आमतौर पर ल ट
म मलने वाले बटन नह थे। पैनल म सब कुछ सही था, सवाय इस चीज के क उसम
तहखाने तक प ंचने का कोई ज नह था।
झा ने गौर कया क मु य पैनल के ठ क नीचे एक छोटा पैनल भी है, जो छपा आ सा
है। इस पर कुछ लखा नह था ले कन उसे संदेह आ क अगर कोई सही माण च के
साथ काड वाइप करे तो इस पैनल पर नीचे जाने के लए और लोर दखाई दगे।
एजट ने अपनी सूझबूझ का प रचय दे ते ए ये अंदाजा लगाया क अगर ब डंग म
नीचे तहखाने ह तो वहां तक प ंचने के लए ल ट के अलावा सी ढ़यां भी ह गी। और उसने
फर दमकल के सद य से बात क ।
दमकल के सद य ने सी ढ़य क पड़ताल क और पाया क सी ढ़यां नीचे क तरफ
एक छोटे से वगाकार कमरे म जा रही ह, जो खाली है। यहां से कोई रा ता नह था। झा ने
दमकल के सद य से कहा क वो टे यरवेल को घेरने वाली तीन द वार को तोड़ द। इसका
नतीजा दखा। सी ढ़य के ठ क सामने क द वार के बाहर खाली जगह थी।
इसके बाद ही झा ने इमरान को बुलाया था, जो अब वहां प ंच गया था और दमकल के
सद य को द वार तोड़ते दे ख रहा था। द वार जब तोड़ी जा रही थी, तार और ना लयां टू ट
ग और इधर—उधर लहराने लग । साफतौर पर यहां गु त प से कुछ इले ॉ नक स टम
लगाया गया था जसका इ तेमाल शायद द वार म छपे रा ते के लए होता हो।
जब काम ख म हो गया तो उ ह ल डग दखी जो ब डंग के नचले लेवल पर ले जाने
के लए बनी सी ढ़य तक जाती थी।
इमरान इस बात से भयभीत सा था क उ ह या दे खने को मलेगा। अगर कसी ने
तहखाने को छपाए रखने के लए इतनी व था क है, तो साफ है क कुछ ऐसा मह वपूण
ज र है जसे छपाया जाना है।
टॉच क व था क गई और आईबी एजट और दमकल के सद य सावधानी से
सी ढ़य से नीचे उतरने लगे। यह तो साफ था क इस जगह के इंचाज भाग गए ह गे, ले कन
हो सकता है क नीचे लोग फंसे ह ज ह बचाये जाने क ज रत पड़े।
ले कन वो लोग उस चीज के लए नह तैयार थे जो उ ह वहां दखा। तहखाने के तीन
लेवल थे। नीचे के दो लेवल को दे खकर ऐसा लगता था क वहां कसी तरह के रहने क
व था थी, जसम छोटे यु बक स बने थे, जो लंबे और पतले कॉ रडोर के साथ लगे ए
थे। बस ये कोई होटल या बो डग हाउस नह था। सभी कमरे बाहर से इले ॉ नक ताल से
बंद थे।
और इन कमर म रहने वाले सभी लोग मर चुके थे। दम घुटने से नह । इस नतीजे पर
प ंचने के लए कसी फॉर सक ए सपट क ज रत नह थी। य क सभी शरीर म
गो लयां धंसी थ । वैसे तो आग इस लेवल तक प ंची नह थी, ले कन यहां कोई भी जी वत
नह था।
इमरान अजुन क तरफ घूमा। ‘अमे रक ब रा ीय कंपनी? पता करना होगा क वो
अपनी जगह पर सौ से भी यादा लोग क लाश के बारे म या जानते ह, ज ह गो लय से
भूना गया है। म इस मामले को खुद दे खूंगा। तब तक म चाहता ं क इस कंपनी के सीईओ
और चीफ मे डकल ऑ फसर से मुलाकात तय क जाए। और मुझे इस कंपनी के भारत म
कामकाज से जुड़े सारे आंकड़े, इनका इ तहास और इनके कए जा रहे ाय स क
जानकारी चा हए। म इन लोग से मलने के पहले उनके बारे म सब कुछ जानना चाहता ं।’
अजुन ने हामी भरी। ‘आपको कल शाम तक रपोट मल जाएगी।’
इमरान ने अजुन को अपने पास इशारे से बुलाया और वो दोन बाक लोग से थोड़ा र
हट गए। इमरान ने फुसफुसाते ए उसे कहा, ‘दो और बात ह।’ अजुन सुनता रहा।
जब इमरान अपनी बात कह चुका, अजुन थोड़ा आ यच कत लग रहा था। ले कन
उसने कोई आप नह जताई। ‘म इसका इंतजाम अभी तुरंत करता ं,’ उसने वादा कया,
और इमरान के आदे श का पालन करने के लए वहां से चला गया।
इमरान ने लाश और कमर पर नजर डाली। छपा आ तहखाना। गो लय से छलनी
लाश। या हो रहा था यहां? कसी ने इस ब डंग को बबाद करने क पूरी को शश क है।
या वो लोग सबूत मटाना चाहते थे? वैसी सूरत म वो सबूत कस ओर इशारा करते?
अनवर के साथ या आ था? और वो इस जगह या कर रहा था जहां ली नकल ायल
होते ह?
सवाल कई थे। उसे एक अजीब सी बेचैनी सताने लगी। वो इस बेचैनी को समझ रहा
था। उसे यह आभास हो रहा था क यह सब कसी गंभीर और गहरे ष ं को छपाने के
मकसद के कया जा रहा है।
जबड़े भ चते ए वो अपने अगले कदम के बारे म सोचने लगा। चाहे जो हो जाए, वो
इस राज क तह तक जाकर रहेगा।

जौनगढ़ कला

वजय उस कमरे के बीच बीच खड़ा होकर कुछ सोच रहा था, जसे उसने पछले ह ते ही
ढूं ढ़ा था। कला अ छा—खासा बड़ा था, पांच तर म बना था जनम पचास से यादा कमरे
थे, और वजय को जब साल भर पहले ये कला वरासत म मला था, तबसे अब तक उसके
पास ना तो समय था और ना ऐसी इ छा थी क वो सभी कमर को दे ख पाता। यादातर
उसका समय पहली मं जल पर बने टडी म और सरी मं जल के उसके अपने कमरे म ही
बीतता था।
कले के कुछ कमर के बारे म उसे जानकारी थी, वह कई ऐसे कमरे थे जस पर उसने
कभी नजर भी नह डाली थी। पछले छह महीने से उसने ये को शश शु क थी क वो
कले को बेहतर तरीके से जान सके। इसी खोजबीन के तहत उसे कई ऐसे दलच प कमरे
मले जनसे उसे अपने चाचा क पसंद और झुकाव का अंदाजा आ।
ले कन दो ह ते पहले उसे कुछ ऐसा मला जसक उसे र— र तक कोई उ मीद नह
थी। कले क पांचव मं जल पर छत के ठ क नीचे एक कमरा था। कमरे म अपने आप म
कोई वशेष बात नह थी और लगता था क इसका इ तेमाल सामान भंडार घर के तौर पर
होता था, य क उसम पै कग वाले कागज म लपेटकर बड़े—बड़े पैकेट और ग े के ड बे
रखे थे।
वजय को उ सुकता ई ये जानने क इन ग े के ड ब म या ह, ले कन जो चीज उसे
मली, उसके लए वो बलकुल तैयार नह था।
कमरे म रखी कुछ चीज तो उसके माता— पता क थ , जो एक कार हादसे म तब मारे
गए थे जब वजय पं ह साल का था। उसने अपने चाचा से सुना था क कैसे एक क तेज
र तार म उस कार से आकर सीधे टकरा गया था जसम उसके माता— पता थे। दोन क
मौत घटना थल पर ही हो गई थी। वजय उस व उनके साथ इस लए नह था य क
अं तम मनट म ही कसी वजह से उसे क जाना पड़ा था, और जो वजह वो अब भूल
चुका था। ले कन इसने उसक जदगी बचा द थी।
उसने ग े के कुछ ड ब क जांच करने के बाद यह जान लया था क उसके चाचा ने
उसके माता— पता के नजी सामान को पैक कर कले म मंगा लया था, जहां इस कमरे म
ये सामान इतने साल से रखे थे।
अचानक, अपने पता के कागज और मां क डायरी को दे खकर उसे उन दोन क याद
आने लगी। उसके चाचा ने उसक अ छे से परव रश क थी, उसे आगे क पढ़ाई के लए
एमआईट भेजा था और कभी भी उसे अनाथ क तरह महसूस होने नह दया था। और
वजय ने पहले खुद को पढ़ाई म, और फर काम म, त कर लया था, ता क उस खद
घटना क याद उसके दमाग से चली जाएं।
ले कन जब अभी उसने अपने माता— पता क चीज दे ख तो उसे उनक कमी महसूस
होने लगी, खासतौर पर इस लए भी क अब उसके चाचा भी इस नया म नह रहे।
वजय ने उस पल तय कर लया क वो सभी ग े के ड ब क छानबीन करेगा और
अपने माता— पता क हर याद को जएगा। वो अपने माता— पता को ब त कम जानता
था, य क जब वो बड़ा हो रहा था और उ ह बेहतर तरीके से जान रहा था, तभी उसने उ ह
खो दया था। वो जानता था क उसके माता— पता दोन इ तहासकार और शोधकता थे
और आ कयालॉ जकल सव ऑफ इं डया के साथ काम कर रहे थे, ले कन उसे इससे यादा
कुछ याद नह था। वो कशोराव था के दौरान यार और फटकार के ज रए मजबूत होने वाले
अनमोल र ते को खो चुका था और अब शायद इस कमरे क चीज उसे उसके माता— पता
के करीब लाने म मददगार हो सक, भले ही वो अब इस नया म नह ह।
उसके बाद से हर रात, वो उस कमरे म एक या दो घंटे बताता था, ग े के ड ब क
चीज को छांटता था, उसम रखे द तावेज और डायरी को पढ़ता था और अपने माता—
पता के जानने क को शश करता था, जस चीज का याल उसे अपने कशोराव था के
दौरान कभी नह रहा।
उसने एक मेज पर रखे लप के वच ऑन कया जसे उसने इस कमरे म इसी मकसद
से रखा था, और मेज पर जमा कए गए द तावेज को जांचने लगा।
या आज क रात कुछ नया खुलासा होगा, जो पछली रात म नह हो सका था?
11
सरा दन

खु फया यूरो मु यालय, नई द ली

इमरान ने वी डयो कैमरे म दे खा और फर उसका एंगल ठ क कया, वो वी डयो कॉ स म


पैटरसन के जुड़ने का इंतजार कर रहा था। पेशल टा क फोस का ये अगुआ चढ़कर और
संदेह के साथ उससे बात कर रहा था, जब कुछ घंटे पहले उ ह ने उसे फोन कया था।
इमरान ने उसे वॉ शगटन म सुबह—सुबह जगा दया था, इस बात से भी वो चढ़ गया था।
ले कन इमरान का मानना था क ये चीज यादा इंतजार नह कर सकती। वो चाहता था क
जो शु आती सबूत उनके हाथ लगे ह, उनके आधार पर जांच तेज क जाए। और, अगर
इसके लए इंडो—अमे रक टा क फोस के लीडर को आधी रात म भी जगाना पड़े तो ये
उ चत है।
ले कन जब पैटरसन ने इमरान का ईमेल दे खा, उसने अपना मन बदल लया था। ईमेल
मलने के एक घंटे के भीतर ही उसने वी डयो कॉ स के लए हामी भर द थी।
टे ली वजन न झल मलाई और न के आधे ह से को ढकते ए एक बॉ स म
पैटरसन का स त चेहरा उभर आया। सरे आधे ह से म एक बले—पतले श स का
चेहरा दख रहा था, जसके सर पर सफेद बाल तेजी से गायब हो रहे थे। इमरान जानता था
क वो कौन है। वो था डॉ टर हक रॉयसन, जो सटर फॉर डजीज कं ोल एंड
वशन के वॉ शगटन द तर म काम करता था। कॉ स क पु करने वाले ईमेल म
पैटरसन ने संकेत दया था क रॉयसन भी उन लोग के साथ जुड़ेगा।
‘सु भात,’ इमरान ने दोन अमे र कय का अ भवादन कया।
‘सु भात,’ एक लय म दोन ने जवाब दया।
‘डॉ टर रॉयसन, इतने कम व म हमारे साथ जुड़ने के लए आपका ध यवाद,’
पैटरसन सीधे मु े पर आ गया। ‘उस रपोट पर आपको या कहना है, जो कदवई ने हम
भेजी है।’
रॉयसन ने अपना गला साफ करते ए बोलना शु कया, ‘सबसे पहले तो आपको ये
समझना होगा क रपोट बेहद शु आती है और इसके आधार पर कोई न कष नह नकाला
जा सकता। टॉ सक और डीएनए क यौरेवार रपोट आने म थोड़ा व तो लगेगा ही।
हमारे पास शु आती टॉ सकोलॉजी रपोट और पॉ लमरेज चेन रए शन टे टं ग या
पीसीआर टे टं ग के नतीजे ह, जो डीएनए टागट स वस को बड़ा करके दखाता है।’
‘हम जानते ह पीसीआर टे टं ग या होती है,’ पैटरसन ने बीच म ही उसक बात काट
द । ‘हम जानना चाहते ह क जो रपोट आपको भेजी गई है, उसके बारे म आपको या
कहना है।’
रॉयसन कैमरे म थोड़ी नाखुशी से दे खते ए बोला, ‘मुझे संदेह था क म टर कदवई
इस बारे म जानते ह या नह ।’
इमरान ने मु कुराते ए जवाब दया, ‘मने इसका कुछ अनुमान रपोट दे खकर लगा
लया था, और मने गूगल पर भी इसके बारे म जानकारी ली थी। ले कन आपने इतना सोचा,
इसके लए आपका शु या।’ उसने सोचा क उसे पैटरसन के कड़वेपन को थोड़ा कम ही
तो करना है।
रॉयसन ने नाक चढ़ाई। ‘तो बताता ं, ले कन ये थोड़ा ज टल है। वैसे म अंदाज से ही
बता रहा ं——हम एक अप र चत बै ट रया और एक अनजान रे ोवायरस मले ह। दोन
सभी नमून म मौजूद ह।’ उसने फर से कैमरे म दे खा। ‘सीडीसी उन सभी नमून का
परी ण खुद करेगा जो आपने हम भेजे ह और फर हम नतीज क स यता मा णत करगे।
ले कन म इस बात का भरोसा दलाना चाहता ं क इसम कोई बड़ी ु ट नह है।’ उसने
नीचे दे खा, संभवतः वो रपोट् स दे ख रहा था, और फर कैमरे म दे खा।
‘सचमुच यह अजीब है। बै ट रया ने मजबूत बायो फ म बना ली ह, जनम को शकाएं
चार तरफ से मै स के पदाथ से घरी ई ह, जो उ ह इ यून र पॉ स से बचाते ह।
शु आती टॉ सकोलॉजी रपोट से संकेत मलता है क ये बै ट रया कई तरह के जहरीले
पदाथ उगल रहे थे जनसे मौत होनी तय है।’ उसने अब इमरान को संबो धत कया। ‘ म टर
कदवई, आपको ये सपल कहां से मले?’
इमरान ने पछली रात क सारी घटनाएं सुना डाल । ‘ये सपल हमने उस ब डंग म
मली लाश म से लए ह,’ और अपनी बात ख म करते ए कहा। ‘और, ये डाटा हमने हाड
ड क से रकवर कए ह, मेरा अनुमान है आपने उ ह दे खा होगा क उनम जो मे डकल
ह है, उसम वही सूचनाएं ह, जो इन रपोट् स म ह।’
रॉयसन ने सहम त म सर हलाया। ‘हां, बलकुल। आपने जो मे डकल ह भेजी है,
वो इन रपोट से बलकुल मेल खाती ह। और कुछ मे डकल फाइल तो उन लोग क ह
जनक मौत सं मण क वजह से ई है। दलच प बात यह है क मे डकल फाइल के
मुता बक सभी मामल म मौत बै ट रया के सं मण के कम से कम चार—पांच साल बाद
ई। ऐसा लगता है, मरीज को सं मत करने के बाद बै ट रया सु त हो गए, शायद
को शका के इ यून र पॉ स क वजह से जससे सं मण क तो गया ले कन ख म नह
हो सका य क बै ट रया बायो फ म से घरे थे। साफ है क बै ट रया म ये मता थी क
वो मानव ोट स से चपक सक या उनम बदलाव कर सक, जससे उ ह धीरे—धीरे फलने
—फूलने क ताकत मल जाए, ले कन उसका कोई बाहरी रोग संबंधी ल ण ना दखे।’
इमरान ने धीरे—धीरे कहा, ‘मुझे इस समझने द। आप कह रहे ह क इन लोग को
बै ट रया ने चार—पांच साल पहले सं मत कया था। कसी तरह ये बै ट रया मानव
ोट स से बंध गए, जससे उ ह लंबी अव ध म फलने—फूलने क ताकत मल गई। साथ—
साथ उ ह ने बायो फ म बना ली जससे उ ह को शका के इ यून र पॉ स या सीएमआई
से सुर ा मल गई, और इस लए उ ह ने सं मण का कोई ल ण नह दखाया।’
‘ बलकुल सही।’ रॉयसन पहली बार मु कुराया, जससे धू पान के दाग लगे उसके दांत
दखने लगे। ‘और तब, अचानक कसी वजह से, शायद सीएमआई के कमजोर पड़ने या
कसी और कारण से, बै ट रया क रोग पैदा करने क ताकत स य हो गई जससे उनका
जहर शरीर म फैलने लगा और इससे तेज बुखार और कंपकंपी, ब त यादा यास लगने
और पसीना आने, पेट म तेज दद, कमजोरी बढ़ने जैसे ल ण पैदा हो गए, जसके बाद
कमजोरी, चड़ चड़ापन, आवाज गायब हो जाने और लकवे जैसी बीमा रयां हो ग । इन
ल ण के दखने के कुछ ही दन म उनक मौत हो गई।’
इमरान ने इस जानकारी को वीकार करने म कुछ सेकड लगाए।
पैटरसन बोल पड़ा। ‘ऐसा लगता है क तुम सही हो, कदवई। ये मुम कन है क
ली नकल ायल इन गरीब लोग पर कए जा रहे ह ता क पता लगाया जा सके क
बै ट रया कतने लंबे समय तक सु त रह सकते ह।’
‘जै वक आतंकवाद,’ इमरान ने गहरी सांस लेते ए कहा। उसे यह यक न करने म अभी
भी द कत हो रही थी क कोई कैसे इंसान का इ तेमाल इतने संवेदनहीन तरीके से कर
सकता है।
‘हम इतनी ज द कसी नतीजे पर नह प ंचना चा हए ना?’ रॉयसन एक उंगली ऊपर
उठाते ए बीच म ही बोला। ‘मौजूदा रोगाणु क डीएनए स व सग और उनके जीन बक
क जांच करने क ज रत होगी, ता क पता लग सके क या ये कोई नया बै ट रया है या
इसका मौजूदा जा तय से कोई संबंध है। इस सं मण को फैलाने वाले जीवाणु के बारे
म पता लगाने के लए और परी ण करने क ज रत होगी।’
पैटरसन ने इनकार म सर हलाते ए कहा। ‘ न त तौर पर, ले कन हमारे पास इतने
सबूत तो ह ही क टा क फोस इस मामले को ाथ मकता दे । इसी चीज के लए तो ट म
बनाई गई है।’
‘वायरस के बारे म या पता लगा?’ इमरान ने पूछा, अचानक उसे याद आया क
रॉयसन ने कसी वायरस का भी ज कया था।
रॉयसन अपना सर खुजाते ए बोला, ‘वो एक और अजीब चीज है।’ वो अपने कागज
को दे खने के लए थोड़ी दे र का। ‘हम रे ोवायरस के बारे म यादा कुछ नह जानते।
च काने वाली बात यह है क वायरस से सं मण के कोई भाव नह दख रहे। हाड ाइव
म जो मे डकल फाइल ह, उनम भी वायरस के बारे म कोई जानकारी नह है। इस बारे म
कुछ भी श तया तौर पर कहने के पहले हम पूरी जांच का इंतजार करना होगा।’
‘ठ क है,’ इमरान ने अपने द तावेज को समेटते ए कहा। उसके लए अब यह
कॉ स ख म हो चुक थी। उसे सरे काम भी थे। ‘दो त , जैसे ही सीडीसी के नतीजे आएं,
मुझे वो उपल ध कराएं। वैसे हमने सएटल म टाइटन से बात क है और उनका दावा है क
उ ह नई दवा पर हो रहे वैध ली नकल ायल के अलावा कसी चीज क जानकारी नह
है। और ब डंग के मा लक का कहना है क उसने सफ इसे टाइटन को कराये पर दया था
और उसका इसम हो रहे कामकाज से कोई लेना—दे ना नह है। ऐसा लगता है क कोई यहां
से नजी है सयत से कामकाज कर रहा था।’
पैटरसन सोचने क मु ा म तो रॉयसन ह का—ब का सा दख रहा था। ‘ सएटल वाले
मामले पर काम करने के लए म कुछ लोग को यहां लगाता ं,’ पैटरसन ने वादा कया।
‘अगर दोन मामल म कोई संबंध है, तो हम पता लगा लगे।’
इमरान ने सहम त म सर हलाया, उसका चेहरा कठोर था। ‘हम पता लगाएंगे, आपका
दन शुभ हो, दो त ।’
दोन अमे र कय ने भी सर हलाकर अ भवादन का जवाब दया और टे ली वजन न
से दोन गायब हो गए।
इमरान अपनी कुस म पीछे क ओर धंस गया। उसके दमाग का प हया तेजी से घूम
रहा था और वो तय करता जा रहा था क उसे कब—कब या— या करना है। ये मामला
अब तक उसके पास आए सबसे मु कल मामल म था। ले कन एक चीज साफ दख रही
थी।
भारत म जै वक आतंकवाद मौजूद ह।
और वो ये नह जानता क उ ह ढूं ढ़ने के लए शु आत कहां से क जाए।

जौनगढ़ कला

वजय बैठा आ था और उस फाइल को दे खकर उलझन म था जो उसने दस मनट पहले


नकाली थी। फाइल के लेबल ने उसक उ सुकता बढ़ा द थी। लेबल पर बस इतना लखा
थाः ‘???’
वाभा वक था क ग े के ड बे म फाइल के ढे र म से वो उसी फाइल को नकालता
और उसके प े पलटता। सभी कागज या तो उसके पता के लखे नोट् स थे या अखबार म
छपे लेख क कतरन, जो दे श म जगह—जगह ई पुराता वक खुदाई से संबंध रखते थे।
फाइल म इन रकॉड् स का कोई संदभ नह था, सफ आंकड़े थे। यह बलकुल वैसा था जैसे
उसके पता ने इन खुदाई से जुड़े आंकड़ को गूगल कया हो या वक पी डया पर ढूं ढ़ा हो
और जो जानकारी मली, उसे एक जगह रख दया हो। अंतर इतना था क जब ये फाइल
बनाई गई थी, वक पी डया का वजूद नह था, और पेज और न उस व कै लफो नया के
एक गैराज से ही काम कर रहे थे।
आ खर उसके पता या सोच रहे थे जब वो इन प क फाइल बना रहे थे? साफतौर
पर इतनी जानकारी जुटाने के लए काफ मेहनत लगी होगी।
वजय को इस बारे म कुछ समझ नह थी। उसने कागज को पढ़ना शु कया, वो
को शश म था क वो अपने पता क सोच को लेकर कोई सुराग ढूं ढ़ सके, वो समझना
चाहता था क आ खर ये जानकारी इतनी अहम य थी क इ ह इस तरीके से दज कया
गया है।
जतना यादा वो पढ़ता गया, उतनी यादा उसक उलझन बढ़ती गई। इतने बड़े यास
के पीछे कुछ तो ज र था।
ले कन या था वो?
12
तीसरा दन

जौनगढ़ कला

वजय बैठा था और उस व च फाइल म त लीन था जो उसने कुछ घंटे पहले ढूं ढ़ थी।
फाइल क वषय व तु दमाग को चकरा दे ने वाली थी। फाइल के द तावेज म आपस म
कोई संबंध नह दख रहा था, ले कन शायद उसे वो संबंध तब तक ना दखे, जब तक उसे
यह पता ना चल जाए क आ खर ये फाइल बनाई ही य गई है।
तभी उसका मोबाइल फोन बज उठा और वो च क सा गया। घड़ी म सुबह के 3 बज रहे
थे। इस समय को लन उसे फोन य कर रहा था? और वो भी तब, जब वो तो कले म ही
है।
उसने को लन को डांटने के अंदाज म कहा, ‘तुमने तो मुझे च का दया।’
को लन ने भी मसखरेपन के साथ जवाब दया, ‘भगवान का शु है, म तो घबरा गया
था क तुम इस व मेरे फोन का इंतजार कर रहे थे।’
वजय मु कुराया। ‘और इस व तुमने मुझे फोन य कया है?’
एक पल के लए कोई कुछ नह बोला। फर को लन का जवाब आया, ‘मुझे लगता है
क तु ह नीचे आकर खुद दे खना चा हए।’
‘बैठक म?’
‘हां, व ना गंवाओ।’
जय ने फाइल बंद क और कमरे के दरवाजे पर ताला लगा दया। इस कमरे को ढूं ढ़ने के
बाद से उसने इसक चाभी अपने पास ही रखी थी, यहां तक क एक और चाभी बनवाकर
उसे एक ऐसी सुर त जगह छपाकर रख द थी, जो सफ उसे पता थी। उसे एक सुनहरा
मौका मला था, अपने माता— पता को जानने—समझने का, और वो इसे गंवाना नह
चाहता था।
कभी—कभी आपको तब तक उस चीज क अह मयत नह पता चलती है जब तक
आप उसे खो नह दे त।े
यह रात हैरत से भरी सा बत हो रही थी। जैसे ही वो बैठक म प ंचा, वो जम सा गया।
ऐसा लगा जैसे उसने भूत दे ख लया हो। वो अपनी आंख पर यक न नह कर पा रहा था।
धीरे—धीरे उसने खुद को संभाला और कमरे के अंदर आ गया। ले कन वो अभी भी तय
नह कर पा रहा था क वो या त या दे ।
को लन ने अपने दो त का चेहरा पढ़ लया था ले कन कुछ कहा नह ।
‘हाय, वजय’, ए लस संकोच के साथ चमड़े के सफेद सोफे से उठते ए बोली, जस
पर वो को लन के साथ बैठ थी। वो खुद भी संदेह म थी।
वजय ने कोई जवाब नह दया। उसके जबड़े भचे ए थे, भ ह पर शकन थी। उसने
इस चीज क तो उ मीद बलकुल ही नह क थी। उसने अतीत क याद को अपने दमाग म
कह गहरे दबा दया था और सोचा था क वो अब कभी दोबारा सामने नह आएंगी। फर
भी, आज, वो उसी तरह ताजा हो गई थ , जैसे आज से यारह साल पहले थ । और इन याद
के साथ जो ज बात जुड़े थे, उ ह ने उसे वच लत कर दया। इन याद को वो कभी दोबारा
जीना नह चाहता था, ले कन अभी उसे यही करना पड़ रहा था।
अंततः उसक आवाज नकली। ‘सुबह के तीन बज रहे ह अभी।’ वो उदासीन बनने क
को शश कर रहा था। ‘तुम यहां य आई हो? तुमने कहा था क तुम मेरे साथ कभी कोई
संबंध नह रखोगी। अब या बदल गया है?’
ए लस कुछ बोल पाती, इसके पहले ही को लन बोल पड़ा, ‘वो मुसीबत म है, उसे
तु हारी मदद क ज रत है।’
इस सफाई से भी वजय का ठं डापन ख म नह आ।
‘ वजय, उसक जदगी खतरे म है। हम उसक मदद करनी चा हए,’ को लन ने दोबारा
समझाने क को शश क ।
ब त को शश करके वजय ने अपनी भावना को दबाया। ‘अमे रका से तुम इतनी र
आई हो,’ धीरे—धीरे उसने कहा। ‘अगर तुम यहां मदद के लए आई हो, तो इसका मतलब
है क तुम ज र कसी मुसीबत म हो।’
ए लस ने उसक तरफ दे खा। पुराने ज म फर से हरे हो गए। उसने उ ह भूलने क
को शश क थी, ले कन वो अभी भी अंदर कह मौजूद ह। ‘ वजय, म जानती ं तुम कैसा
महसूस कर रहे हो, और म सच कह रही ं क म यहां नह आती अगर मेरे पास कोई सरा
रा ता होता। ले कन मेरे पास और कोई रा ता नह है।’
वजय ने अपनी आवाज को सामा य रखने क को शश करते ए पूछा, ‘ या आ?’
ए लस ने ीस क अपनी पूरी आपबीती उसके सामने बयान कर द । जब वो डैमन क
ह या, माक क मौत और हाइवे पर उसके भागने क घटनाएं बता रही थी, उसक आवाज
कांप रही थी। उसने अपनी बात ख म करते ए कहा, ‘म अमे रका वापस नह जा सकती
थी। म कह भी जाती, वो मुझे ढूं ढ़ लेत।े मुझे कह और जाना था। ले कन म अमे रका के
बाहर कसी और को नह जानती जस पर म भरोसा कर सकूं। कुत वॉलेस के द ली के
लोग ने मुझे यहां तक प ंचने के लए एयरपोट से कार द । उसने कहा क यही इकलौता
तरीका है जससे उस पर कोई नजर नह रख पाएगा। ाइवेट जेट, ाइवेट कार। कागजी या
इले ॉ नक नशानी, कुछ नह ।’
उसने वजय क तरफ दे खा, इस बात क को शश करते ए क वो उसक त या
पहचान सके। यह साफ था क वजय पर उसक कहानी का असर आ था।
को लन ने चु पी तोड़ते ए कहा, ‘ या वजय, उसे रहने के लए जगह क ज रत है।
उसक जदगी खतरे म है। तु हारे पास, कले म पचास कमरे तो ह गे ही? जब तक यह
झंझट ख म नह हो जाता, तब तक या वो यहां नह रह सकती?’
वजय ने पहले उसे दे खा और फर ए लस क तरफ मुड़ा। ‘तु ह एक चीज समझनी
होगी,’ उसक आवाज म गंभीरता थी। ‘म चाहता ं क हम दोन के मन म इस चीज को
लेकर कोई वधा ना हो। म आगे बढ़ गया ं। मेरी सगाई हो गई है। तुम और म——अब
अतीत ह। म इस अतीत को अपने और राधा के बीच म नह लाना चाहता।’
को लन ने ए लस क मदद करने के अंदाज म उससे कहा, ‘राधा उसक मंगेतर है।’
ए लस ने सहम त म सर हलाया। वो इससे यादा क उ मीद भी नह कर रही थी।
कुछ भी हो, वो यहां सुर त महसूस कर रही थी। भले ही वो कभी भारत नह आई थी, वो
जानती थी क वो अपने दो त के बीच है।
‘ कले क सुर ा के लए हमने एक स टम बना रखा है,’ वजय ने बोलना जारी रखा।
‘जब तक तुम यहां रहती हो और बाहर नह नकलती हो, कोई तु ह ढूं ढ़ नह सकता।’ ऐसा
कहते ए उसे एकाएक पछले साल उसके चाचा के साथ ई घटना का याल आया,
ले कन उसने अगले ही पल उसे अपने दमाग से नकाल दया। उसके बाद से कले क
सुर ा णाली को सुधार दया गया है।
‘शु या वजय,’ ए लस ने जवाब दया। ‘म इस मदद के लए दल से तु हारी
शु गुजार ं।’
वजय ने मु कुराने क को शश क । वो जान—बूझकर अपनी भावना को र रखने
क को शश कर रहा था। ‘मुझे तु हारी मदद कर हमेशा खुशी होगी। को लन, या तुम
ए लस को एक गे ट म म ले जाओगे। कोई भी चुन लो। ठ क है, अब मुझे सोने क
ज रत है। राधा कल यहां आ रही है और म नह चाहता क जब वो यहां आए तो म सोता
र ं।’ उसने को लन क तरफ दे खा। ‘और सुबह हम इमरान से भी मलना है।’
को लन ने सहम त जताई और वजय कमरे से बाहर नकल गया।
को लन ए लस क तरफ मुड़ा। ‘कोई द कत तो नह ई ना?’
ए लस ने पूछा, ‘मुझे राधा के बारे म बताओ, कैसी है वो?
को लन क य री पर बल पड़ गए। चीज उतनी आसान नह होने वाली जतना उसने
सोचा था।
13
जौनगढ़ कला

वजय जैसे ही कले के डाइ नग म म घुसा, उसक भ ह चढ़ ग । को लन और ए लस


ना ता कर रहे थे। गलत समय, राधा कसी भी पल यहां प ंच रही होगी। उसने दोन का
अ भवादन कया, ‘सु भात’।
को लन ने उसक तरफ दे खकर बनावट मु कुराहट द , बलकुल चेशर ब ली क तरह,
और अब तक वजय इस मु कुराहट का आद हो चुका था। ले कन ए लस ना ते क मेज से
ही उसक तरफ दे खकर मु कुरा रही थी; वजय को फर से खुद को शांत रखने क को शश
करनी थी।
‘तु ह ठ क से न द आई?’ उसने ए लस से पूछा, ले कन इस सवाल म लगाव से यादा
वन ता थी। हालां क कल रात क बातचीत क कुछ बात उसके दमाग म रह गई थ ।
ए लस ने सर हलाते ए कहा, ‘हां, तु हारी न द पूरी ई?’
वजय ने जवाब नह दया। उसके दमाग म वो बात घूम रही थी जो ए लस ने पछली
रात बताई थी।
‘तुमने कहा था क तु ह मकबरे म हाथी दांत का एक घनाकार टु कड़ा मला था,’
मसाला ऑमलेट और पराठा खाते ए उसने कहा।
ए लस च क गई। उसने नह सोचा था क ीस म उसके साथ ई घटना म से कुछ
भी वजय को याद रही ह गी, खासतौर पर उन हालात को दे खते ए जनम पछली रात
उनक बातचीत ई थी।
‘हां,’ उसने जवाब दया। ‘उस पर न काशी भी क ई थी।’
‘और जब माक तु हारे पास आया तो उसने तु ह ये कहा क डैमन चाहता है क तुम
उस यूब को अपने साथ होटल ले चलो।’
‘ बलकुल सही।’ ए लस समझ नह पा रही थी क वजय जानना या चाहता है।
‘और तुमने उस यूब का या कया?’
‘मने उसे अपने बैकपैक म रख लया।’ और उसे बोलते—बोलते एकाएक जैसे झटका
सा लगा। अपनी घबराहट और वहां से भागने क को शश म वो तो बलकुल भूल ही गई थी
क यूब अब भी उसके पास है, उसके बैकपैक म ड बे म सुर त है, और जसे वो अपने
साथ लेकर भारत आ गई है।
‘और वो वही यूब चाहते थे,’ वजय ने फुसफुसाते ए कहा।
ए लस ने सहम त म सर हलाया। दो रात पहले क त वीर उसके दमाग म क ध उठ ।
‘वो मेरे पीछे थे य क मने मकबरा दे खा था। माक के पास कुछ नह था। ले कन वो हमारे
साथ मकबरे म था। इस लए उन लोग ने उसे भी मार डाला। वो उन सभी लोग को मार
डालना चाहते थे जो उस जगह उस शाम मौजूद थे।’
वजय कुछ सोचने लगा। ‘तुमने अपने लैपटॉप और कैमरे का या कया?’
‘मने उ ह होटल के कमरे म ही छोड़ दया।’
‘यानी उनके पास सभी कलाकृ तय क त वीर ह गी।’ वजय जैसे उलझ सा गया।
‘ले कन उससे कुछ साफ तो होगा नह ।’
ए लस ने अपनी आंख बड़ी करते ए कहा, ‘नह , उनके पास नह ह गी। मुझे लैपटॉप
म फोटो ाफ अपलोड करने का व ही नह मल पाया था। मने सोचा था क म यह काम
बाद म क ं गी, इस लए मने मेमरी टक नकालकर अपने पास रख लया था। वो मेरे पास
अभी भी है।’
वजय ने अपनी जांघ पर जोर से थपक द । ‘यानी ये यूब ही है, इसक दो वजह ह।
पहली क यूब ही वो कलाकृ त है जो वहां से गायब है। और चूं क उनके पास फोटो ाफ
भी नह ह, उ ह असली यूब चा हए। ठ क है?’
‘सही कहा,’ ए लस ने धीरे से कहा, वो अभी भी समझ नह पा रही थी।
‘ सरी बात, तुमने कहा था क तु ह वो यूब बलकुल अंत म टै बलेट और मू तय के
पीछे छपा मला था, और तब तक डैमन मकबरे से बाहर जा चुका था।’
‘ बलकुल सही।’ ए लस को अब समझ म आया क वजय या कहना चाह रहा है।
‘तो तुम यह नह समझ पा रहे हो क जब डैमन ने उसे दे खा ही नह तो उसे उसके बारे
म पता कैसे चला। ये मुम कन है क जब वो छपे कमरे म कलाकृ तय क जांच कर रहा
था, उसने उसे दे ख लया होगा। ‘
वजय ने इनकार म सर हलाया। ‘नह , यह बात नह है। म तु ह बताता ं। को—
डायरे टर ने ये आदे श दया था क सभी कलाकृ तय को हटाकर बाहर बनी झोपड़ी म
रखा जाए, ठ क है ना?’
‘हां।’
‘तो तु ह डैमन ने सफ यूब को होटल लेकर आने के लए य कहा? यूब इतना
अहम य है? और इससे भी यादा बड़ी बात, माक ने तु ह बताया था क तावरोस ने
डैमन को इस लए डांटा था क उसने तु ह यूब लेकर आने को कहा था। तावरोस के
मुता बक डैमन को उसे खुद लेकर आना चा हए था। इसका मतलब ये है क डैमन को
बताया जा चुका था क यूब बेहद अहम है और उसे होटल लाया जाना है। अब सवाल यह
है क तावरोस या पीटर, या फर कसी और को, यह कैसे पता क यूब मकबरे म था
जब क उनम से कोई वहां उसे दे खने के लए मौजूद नह था?’
ए लस ने इस पर थोड़ी दे र सोचा। ‘ये मुम कन है क डैमन ने उ ह यूब के बारे म
बताया हो और उसे कहा गया हो क इसे लेकर होटल आ जाओ।’
‘म ऐसा नह सोचता,’ वजय ने अपना तक दया, ‘तु हारी बात मानने के लए कई
संयोग को मानना होगा। पहला, डैमन ने तु हारे ढूं ढ़ने के पहले ही यूब को दे ख लया था।
इस बात क संभावना कम है। और, इस बात क संभावना भी बेहद कम है क डैमन ने
तावरोस को इसके बारे म बताया होगा और उसे सफ वही कलाकृ त लाने को कहा गया
होगा, जब तक क उसके साथ कोई खास अह मयत ना जुड़ी हो। और वो लोग सफ यूब
को य दे खना चाहते थे? मकबरे क कसी और कलाकृ त को य नह ? अंत म न कष
यही है क सफ यूब ही वो कलाकृ त है जो उनके पास नह है, और इसक कोई त वीर भी
उनके पास नह है, इस लए वो सफ यूब के पीछे पड़े ह।’
‘मुझे नह मालूम,’ ए लस ने जवाब दया। ‘तुम सही हो सकते हो। तु हारे तक म दम
है। यूब एक पहेली क तरह था, ले कन इसम ऐसा कुछ खास नह था, सवाय इसके क
यह हाथी दांत का बना था और इस पर कुछ अ प सी न काशी क ई थी।’
‘मकबरे म रखे हाथी दांत के एक यूब को लेकर इतनी मारधाड़ य होगी?’ को लन ने
ता जुब कया। ‘वैस,े यह मकबरा कसका था?’
ए लस उसक तरफ दे खकर मु कुरा द । ‘म तु ह इस खुदाई के पीछे क कुछ बात
बताती ं जससे तु ह यह समझ म आ जाएगा क हम वहां या ढूं ढ़ रहे थे।’
को लन ने उसे टोकते ए कहा, ‘दो त , अगर हम पुराता वक अवशेष और मकबर
जैसी चीज क बात कर रहे ह, तो या हम कह यादा आरामदायक जगह पर जा सकते
ह? मुझे मालूम है क ऐसी चचाएं कैसा प लेती ह और म खाने क मेज पर वैसी थ त म
नह पड़ना चाहता।’
वजय ने मु कुराते ए जवाब दया, ‘ बलकुल, टडी म म चल?’
‘ब त ब ढ़या,’ को लन ने कहा। उसे टडी म ब त पसंद था जसे वजय के चाचा ने
कले म अपने लए बनाया था। ‘सूरज चढ़ आया है इस लए उ मीद है क कमरे म अ छा
उजाला होगा।’
वो लोग टडी म क तरफ चल दए और कांच क कॉफ टे बल के इद— गद बैठ गए,
जो एक कोने म रखी थी और उसके पास ही द वार पर एलसीडी टे ली वजन लगा था।
ए लस ने शु आत क , ‘मुझे अठारह महीने पहले वॉलेस आ कयालॉ जकल ट क
तरफ से बुलाया गया था और मुझे इस खुदाई क ट म का मुख सद य नयु कया गया
था।’ उसने कमरे म मौजूद दोन पु ष क तरफ दे खा। ‘तुम लोग मै सडॉन के सकंदर
तृतीय के इ तहास के बारे म कतना जानते हो?’
‘वो कौन है?’ को लन ने चमड़े के सफेद कुशन के सहारे आराम से बैठते ए पूछा।
‘ या सकंदर महान से इसका कोई लेना—दे ना है?’
ए लस ने ठं डी सांस भरते ए कहा, ‘ सकंदर तृतीय ही सकंदर महान था।’
को लन ल जत सा होकर मु कुराते ए बोला, ‘सॉरी, इ तहास म म कभी अ छा नह
रहा।’
ए लस ने अपनी बात आगे बढ़ाई, ‘खैर, कुत वॉलेस मुझे नजी तौर पर इस मशन म
कसी वजह से शा मल करना चाहता था। और चूं क यूनानी इ तहास मेरी दलच पी का
वषय रहा है, मने इसके लए हामी भी भर द ।’
‘कुछ तो ऐसा ज र होगा जो तुम इस मशन के लए तैयार हो ग ,’ वजय ने कहा। ‘म
तु ह जानता ं। जब तक तुम इसे लेकर जुनूनी नह रही ह गी, तुम इसम शा मल नह
होत ।’
ए लस मु कुरा द । इस लए तो उसे वजय से यार हो गया था। पता नह कैसे, ले कन
वो उसे अ छ तरह जानता था। ले कन यह चल य नह पाया?
उसने कुछ बोलने के लए मुंह खोला ही था क बटलर शवजीत वहां आया। ‘ कुम,
राधा मैम डॉ टर शु ला के साथ आई ह।’
राधा ने मु कुराते ए कमरे म वेश कया, उसके पीछे —पीछे डॉ टर शु ला थे। उसने
डांटने के वर म कहा, ‘ शवजीत, तु ह हमारे बारे म मुनाद करने क ज रत नह है।’
उसने जैसे ही ए लस को दे खा, उसके कदम क गए और मु कुराहट गायब हो गई।
को लन ने ज द —ज द सबका प रचय एक सरे से कराया। वो जानता था क राधा
वजय पर कतना हक समझती है और इस लए उसने इस बात का याल रखा क ए लस
का प रचय वो वजय क पूव े मका क तरह ना दे । वजय को जब ऐसा करना होगा, वो
खुद करेगा।
वजय उठा और शु ला से गले लगकर उनका अ भवादन कया। उसने ब भाषा वद
शु ला से कहा, ‘मुझे खुशी है क आप भी आए हो।’
‘मने सोचा क तुम लोग के साथ कुछ समय बताया जाए।’ शु ला ने मु कुराते ए
कहा। ‘म को लन से एक साल से नह मला ं।’
वजय राधा क तरफ मुड़ा और उसे चूमा। उसने मु कुराते ए कहा, ‘म तु हारा बेस ी
से इंतजार कर रहा था।’
राधा ने भी मु कुराहट के साथ जवाब दया, ‘म भी।’
वो सभी एक साथ सोफे पर बैठ गए और शु ला को लन के पास बैठ गए। वजय ने उन
लोग को बताया, ‘ए लस ीस म एक डरावने तजुब से गुजरी ह, वो हम उसी के बारे म बता
रही थ ।’
राधा ने मु कुराते ए कहा, ‘बताओ, ए लस। मुझे ये सुनकर ख आ ले कन म भी
जानना चा ंगी क आ या।’
ए लस ने भी राधा क तरफ मु कुराते ए दे खा और अपनी बात जारी रखी। ‘कुत
वॉलेस ने मुझे एक सुराग के बारे म बताया जो उनक ट म को मला था और जो ाचीन ीस
के रह य म से एक को सुलझा सकता था।’
‘कुत वॉलेस एक अरबप त है जसने खनन काय का खचा उठाया,’ को लन ने राधा को
समझाया, जसने अपना सर हलाकर हामी भरी।
‘और वो रह य या था?’ शु ला क दलच पी जाग उठ थी।
‘ फ लप तीय क प नी और सकंदर महान क मां ओ ल पयास क क । उसक
क अटकल का वषय रही है ले कन ऐसा कोई सबूत नह था जो ये बताए क क है भी,
इसक जगह का पता लगाना तो र क बात थी।’
वजय को जैसे कुछ याद आया। ये नाम, ओ ल पयास, उसने कह पहले भी सुना है?
और हाल ही म, शायद पछले महीने या इसके आसपास ही। ले कन सवाल का जवाब ऐसा
था क वो बाक चीज पर यान नह दे सका। इस लए उसने इतना ही कहा, ‘वाह, ये तो
बड़ी बात है।’
ए लस उसक तरफ दे खकर मु कुरा द । ‘मुझे नह मालूम क तुम लोग यूनानी इ तहास
के बारे म कतना जानते हो, ले कन रानी के तौर पर ओ ल पयास का समय काफ उथल—
पुथल भरा था। सकंदर क मौत के बाद उसे सकंदर के बेटे सकंदर चतुथ क राजग
बचाने के लए स ा क राजनी त म उलझना पड़ गया था। पहले उसने प डकास का साथ
लया और फर पोलीपचन का, ले कन इन दोन ही यूनानी जनरल क अपनी
मह वाकां ाएं थ । ए परस से मै सडो नया ले जाते व उसे पाइडना म 316 ईसा पूव म
एंट पैटर के बेटे कैसडर ने अपने घेरे म ले लया। एंट पैटर उस व मै सडो नया म सकंदर
का वायसराय था जब वो ए शया म यु कर रहा था। इसके बाद ओ ल पयास को उन
मै सडो नया नवा सय के र तेदार ने मार डाला, ज ह रानी के तौर पर उसने मौत क
सजा द थी। इन लोग को कैसडर ने भड़काया था य क वो ओ ल पयास को मारने का
काम खुद नह करना चाहता था। कैसडर ओ ल पयास से नफरत करता था और उसने
उसका शरीर दफनाने से मना कर दया था, साथ ही आदे श दया था क इसे खुले म फक
दया जाए। हालां क, ऐसा लगता है क ओ ल पयास को चोरी— छपे दफनाया गया और
बाद म उसका मकबरा भी बनाया गया, संभवतः ए परस के पाइरस के शासनकाल म, जो
ओ ल पयास क ही तरह एक ए कड था।’
ए लस ने चार तरफ दे खा। ‘और बताओ,’ शु ला उसे उ सा हत कर रहे थे। ‘ये तो
वाकई म दलच प है।’
‘हमने मकबरा ढूं ढ़ नकाला।’ वो खुद भी च कत थी क उसने सफ चार श द म इस
यादगार खोज के बारे म बता दया।
‘तु ह कैसे पता क वो ओ ल पयास का ही मकबरा था?’ राधा जानना चाहती थी। उसे
वजय क तरफ दे खकर ए लस का मु कुराना पसंद नह आया था, जब वजय ने उसक
खोज पर उसक तारीफ क थी। कौन थी यह औरत? वजय ने राधा को कभी उसके बारे म
नह बताया था।
‘शु आत से बताती ।ं मै गयालोज गांव म बीसव सद क शु आत म ही कुछ
शलालेख मले थे जनम ओ ल पयास क क का ज मलता है। माना जाता है क
मै गयालोज ही ाचीन पाइडना है। और कुत क रसच ट म को एक खबर दखी जसम
प थर क एक पुरानी प का ज था जो आधी न हो चुक थी। उन लोग ने इस प को
ढूं ढ़ नकाला और खरीद लया। इस पर जो न काशी क गई थी उसका मकबरे से सीधा
संबंध जुड़ रहा था, और जससे संकेत मलता था क मकबरा मै गयालोज के बजाय
को रनोस के यादा नजद क है। इस लए हमने उस जगह पर खुदाई शु कर द , जसका
ज न काशी म था और सैटेलाइट रमोट स सग से भी सबूत मले थे क उस ट ले क
गहराई म मकबरे जैसा ढांचा दबा पड़ा है। हालां क जब हम मकबरे म घुसे तो भी हम यह
बात प क से नह कह सकते थे क मकबरा कसका है।’ ए लस ने यह बात मानी। ‘ले कन
जब हमने द वार पर बनी मू तयां दे ख …’
वो क , और क क म हर तरफ बने सांप के बारे म सोचने लगी। ‘अ छा, कवदं ती
के अनुसार सकंदर फ लप से पैदा नह आ था। ओ ल पयास ने सकंदर को बताया था
क वो जयस का बेटा है, जो उसके पास एक सांप के प म आया था। यह भी कहा जाता
है क ओ ल पयास को सांप से अजीब सी आस थी——वो सांप के साथ सोती तक
थी। हो सकता है, सकंदर के ज म क कहानी को इसी बात ने यादगार बना दया हो।’
उसने वणन कया क कैसे अंदर के कमरे म द वार पर बने च म एक रानी को दखाया
गया था, क क क द वार पर सांप बने थे और तीसरे गु त कमरे म मू तयां और टै बलेट्स
थे।
‘और यूब?’ वजय अपनी उ सुकता दबा नह पा रहा था। ‘ या हम उसे दे ख सकते
ह?’
14
हाथी दांत म एक पहेली

ए लस अपने कमरे से वो यूब लाने के लए उठ गई। जब वो चली गई, वजय ने राधा और


शु ला को ीस म उसक भयानक रात और यूब के बारे म उनक बातचीत के बारे म बता
दया।
‘तो, वो अमे रका वापस नह गई,’ राधा ने कहा। ‘वो यहां आ गई।’
‘जब वो वहां से नकलने क को शश कर रही थी, उसने मुझे फोन कया था,’ को लन ने
तुरंत जवाब दया, उसने राधा क आवाज म कड़वाहट महसूस कर ली थी। ‘शायद उसने
सोचा हो क उसका यहां वागत कया जाएगा।’
‘और वागत तो आ ही है ना?’ राधा ने ट पणी क ।
तभी ए लस ड बे के साथ लौट आई और उसे खोलकर कॉफ टे बल पर रख दया
जससे क सभी उसे दे ख सक। चार सर यूब क ओर झुक गए और उस फलक को गौर से
दे खने लगे जो दख रहा था।
‘इस पर या लखा है, या तुम इसे पढ़ सकती हो?’ राधा ने ए लस से पूछा।
ए लस ने ना म सर हलाया। ‘म यह ल प नह जानती। ले कन इस पर जो न काशी है
वो आयत क तरह दखती है। हालां क म गलत हो सकती ं।’
‘यह ा ी ल प है,’ शु ला बोल पड़े। वो काफ गौर से यूब क जांच कर रहे थे।
‘अजीब बात है ले कन इसक भाषा सं कृत है। यह इस लए भी अजीब है य क ा ी
ल प का इ तेमाल सं कृत लखने के लए आमतौर पर नह होता था। यह यूब भारत म
बना हो सकता है।’
ए लस, को लन और वजय ने एक सरे क तरफ दे खा। ‘भारत म बना एक यूब ीस
के एक पुराने मकबरे म या कर रहा है?’ ए लस अचरज म थी। ‘एक यूब के लए तो ये
काफ लंबी या ा है। मुझे तो यही समझ म नह आ रहा क ये ीस प ंचा कैसे होगा।’
शु ला ने ए लस क तरफ दे खा। ‘अगर तु हारी इजाजत हो तो या म इसे ड बे से
नकालकर और अ छ तरह जांच कर सकता ं?’
‘ बलकुल।’ ए लस ने हामी भरी। वो भी सर क तरह ये जानना चाहती थी क
न काशी म या लखा है।
शु ला ने यूब को उलट—पलटकर सभी छह फलक क जांच कर ली। ‘ दलच प है
यह,’ उ ह ने अपनी राय द ।
‘बताओ पापा,’ राधा ने जोर डाला। ‘हम पढ़कर सुनाओ।’
शु ला ने यूब के फलक को गौर से दे खा। ‘ यूब का एक फलक खाली है। बाक पर
न काशी है——कुल मलाकर पांच छं द ह। एक म लखा हैः

पवत पर नद के ऊपर
जहां दन और रात एक साथ मलते ह
और शु शव के दं ड क ओर इशारा करता है
श शाली सप का त
पांच मुकुटधारी, शा त अ भभावक
उस ार का जो तु ह जीवन दे गा।’

राधा क आंख इस पहेली क ा या करने क चुनौती के बारे म सोचकर चमक उठ


थ । ‘हम इन पहे लय को सुलझा सकते ह। जन चीज का उ लेख कया गया है वो
भारतीय कृ त के ह। उदाहरण के लए शव का दं ड उनका शूल हो सकता है।’
ए लस ने कहा। ‘मुझे कोई जानकारी नह है। तुम लोग को इस बारे म बेहतर पता
होगा। ले कन यह अपने आप म एक पहेली है क कैसे हाथी दांत का एक यूब, जस पर
भारत से संबं धत न काशी है, वो यूनानी मकबरे म प ंच गया।’
‘यह भारत म ही बना है,’ शु ला ने कहा। ‘ जस शु का उ लेख है, उसका ज भी
भारतीय पौरा णक कथा म मलता है। शु भृगु ऋ ष के पु थे। महाभारत के अनुसार,
वो असुर के पुरो हत थे और पुनज वन व ान के व ान थे। जो दानव दे व के ारा मारे
जाते थे, उ ह वो इस व ान क मदद से पुनज वन दे ते थे।’
‘ सरे फलक पर या लखा है?’ वजय जानना चाहता था।
शु ला ने यूब को पलटा। ‘यह एक और सबूत है क यह यूब भारतीय ही है। इस
फलक पर लखा गया हैः
तेजी से बहती ई आंख के उस पार
गहरे और लवणर हत सागर के पास
तीन भाई बना रहे ह अपनी छाया
उस तीर के अ भाग पर जो दखाता है राह
पाताल को अंक म भरने के लए
सांप क मुहर के नीचे करो गहरी खुदाई
और पाओ अपने अ वेषण का सार।’
उ ह ने यूब से नजर हटा । ‘भारतीय पौरा णक कथा म पाताल अधोलोक को कहा
जाता है। तकनीक प से यह अधोलोक के सात े म से एक है।’
‘आपका मतलब है, जैसे नरक?’ को लन ने पूछा।
‘नह , ऐसा नह है,’ शु ला ने समझाया। ‘नरक एक प मी वचार है जसका इ तेमाल
डर पैदा करने के लए होता है ता क लोग सचाई के रा ते पर चल। ह दशनशा या
पुराण म नरक क कोई संक पना नह है। यह सच म अधोलोक है, एक ऐसी नया जो
हमारी नया के नीचे मौजूद है।’
ए लस ने चार तरफ दे खा। ‘कुछ समझ म आया? मुझे तो कोई मतलब नह दख रहा।
सवाय इसके क ये कसी तरह के नदश ह जसक मदद से आप अपनी तलाश पूरी कर
सक।’
‘म सफ यह समझ पा रहा ं क यह छं द लोग को अधोलोक म वेश करने को कह
रहा है,’ को लन ने कहा। ‘म इसे वा त वकता से जोड़कर नह दे ख पा रहा। या अधोलोक
एक मथक नह है?’
‘शायद हम तब बेहतर समझ आएगा जब हम उन सभी का अनुवाद कर लगे।’ राधा ने
कहा। ‘पापा, आप आगे बताओ, सरे छं द या कह रहे ह।’
15
कई पहे लयां

‘ये रहा अगला।’ शु ला ने यूब के एक और फलक को पलटते ए कहा।


‘और पवत के चार तरफ क भू म से
तोड़ो फल और प यां और छाल
पहला जसम ह कई डंठल और फल
गहरा जामुनी, ढका हो धूसर और सफेद से
और हरे या भूरे से, अगला हो चकनी
बनावट वाला, जसम ह बगनी फल
रहना सावधान, पश से हो सकते ह छाले।’
‘ कतना साफ नदश दया गया है,’ को लन ने ं या मक अंदाज म कहा, ‘अगर आप
जानते ह क आप या तलाश कर रहे ह।’
‘ले कन यह उस चीज क पु तो कर रहा है जो अभी ए लस ने कही,’ राधा ने उसे
टोका। ‘यह यूब कसी तलाश के लए गु त दशा— नदशक हो सकता है। सफ सम या
यह है क हम नह जानते क इस तलाश का उ े य या है।’
शु ला ने अगला छं द पढ़ा।
‘याद रखो, चूं क तुम उ साही, नभ क हो
अपने जो खम पर करो चेतावनी क उपे ा
सभी त व एक साथ आएं
ती ण क सुर ा से लैस
जो ह सप क ——क अवमानना
और खो बैठोगे अपना अमू य उपहार।’
‘ठ क है,’ को लन ने तुरंत दखल दया। ‘म इस पहेली क कम से कम एक पं का
मतलब बता सकता ।ं ’ उसके चेहरे पर बनावट हंसी थी। ‘इसे हम ड लेमर मान सकते
ह। इसका मतलब यह है क अगर तुम नदश नह मानोगे और चेतावनी को नजरअंदाज
करोगे——वो जो भी ह——तुम अपनी जदगी खो बैठोगे। यही “अमू य उपहार” है।
इसके अलावा यह कुछ हो भी नह सकता।’
‘तुम सही हो सकते हो,’ राधा वचारपूवक बोली। ‘ले कन यह अभी भी नह बता रहा
क नदश को मानने से हम या मलेगा। और यहां तो कई तरह के का प नक च घुले—
मले ह——हमारे पास शव है, एक सांप है, फल तोड़ने ह, तेजी से घूमती आंख है——
कोई कैसे इनका अथ नकालेगा?’
‘ को, अं तम छं द भी दे ख लेते ह।’ जब सभी आपस म बात कर रहे थे, शु ला अं तम
छं द को पढ़ने म लगे थे। ‘यह कहता हैः
अब तुम उसके ार म वेश करो
जहां घा टयां पूव और प म को अलग करती ह
बु मानी से यहां चुनाव करो, याद रखो
जहां तुम जा रहे हो और जहां सूय रहता है।’
‘वाह, या बात है,’ को लन बोल पड़ा। ‘एक और ार और अब सूय। यह तो हम पागल
बना दे गा। सूय कौन है?’
‘नह , ऐसा नह है,’ राधा दमाग पर जोर डालते ए बोली। ‘सूय और कोई नह , सूयदे व
ह जसक भारत म पूजा होती है। और सूय पूव दशा म उगता है जसका मतलब है क यह
पहेली दो घा टय के बारे म बात कर रही है और कहा जा रहा है क उस घाट को चुनो जो
पूव दशा म है।’
‘ये तो ठ क है। ले कन कौन सी घाट ? और सूरज पूरब से प म क तरफ जाता है तो
सूरज प म म भी हो सकता है, ये इस बात पर नभर करेगा क दन का समय कौन सा है,’
वजय ने इस पहलू क तरफ इशारा कया।
राधा क आंख म आई चमक मंद पड़ गई। ‘हमारे पास इस पहेली को सुलझाने के लए
कोई संग नह है,’ उसने कंधे उचकाते ए कहा, उसक आवाज म ह क नराशा थी। ‘हम
यह भी समझना होगा क यूब का कौन सा पहलू पहले पढ़ा जाएगा। या हम यह जानना
होगा क यूब कस उ े य से बनाया गया है। इन दोन म से कसी भी एक के बना हम
यूब क पहेली को सुलझा नह सकते।’
‘ बलकुल सही,’ ए लस भी सहमत ई। ‘ यूब न त तौर पर कसी उ े य से बनाया
गया था। ले कन यह जानने का कोई तरीका नह है क वो या था।’ उसने यूब को वापस
ग े दार ड बे म रख दया।
‘चलो, यह तो अपनी जगह है। य ना हम लोग बाहर चल और कले म थोड़ा घूम?
आज का दन खूबसूरत है। हम इन पहे लय को ऐसे तो सुलझा नह सकते। म तो इससे
खुश ं। म ऐसा कुछ भी नह करना चाहता जसका संबंध डरावने सांप से हो। और मेरी
जदगी मेरा सबसे क मती तोहफा है और म कसी तलाश म पड़कर इसे खोने क इ छा नह
रखता। ये पहे लयां यूनान के हर यु लस जैसे सूरमा के लए बनाई गई ह। मेरे जैसे
बीसव सद के आदमी के लए नह ।’ को लन उठा और अपना हाथ ए लस क तरफ
बढ़ाया। उसने को लन क तरफ दे खकर मु कुरा दया और उसने भी अपना हाथ बढ़ा दया।
‘घबराओ नह ,’ वजय हंस पड़ा। ‘हम वैसे भी इन पहे लय को सुलझाने के लए कह
नह जा रहे। ीस हमसे काफ र है जहां जाकर हम इनका जवाब ढूं ढ़ सक। और, ऐसा
करने क कोई वजह भी नह है। यह हमारे लए एक बौ क चुनौती थी, और मुझे लगता है
क इसका हमारे लए कोई मतलब नह है।’
‘मुझे भी थोड़ी ताजी हवा चा हए।’ शु ला उठे और को लन और ए लस के साथ कमरे
से बाहर चले गए। राधा और वजय वहां बैठे रहे।
वजय ने उसे भरी नगाह से दे खा।
‘तो, कौन है यह?’ राधा ने पूछना शु कया। ‘गोरी, नीली आंख वाली, बाब क तरह,
आधी रात म आ रही है, और तुम दोन से काफ घुली मली है। या कर रही है वो यहां?
माजरा या है?’
राधा क आवाज म भले ही स ता थी, वजय को लगा क उसे सबकुछ बता दे ना
चा हए। उसने ए लस के साथ अपने पुराने र त के बारे म उसे बता दया। ‘ले कन घबराने
क कोई बात नह है,’ उसने उसे भरोसा दलाते ए कहा। ‘ये सब अब अतीत है। म काफ
पहले ही इससे र जा चुका ं। जब तुम और म मले थे, तो उस व मेरा संबंध सफ मेरे
काम से था।’
राधा ने सर हलाया और मु कुरा द । ले कन उसके दल म आशंकाएं थ । वो वजय
को लेकर च तत नह थी; वो उस पर आंख मूंदकर भरोसा करती थी। और कह ना कह
उसका मन कह रहा था क वजय और ए लस के र त म ए लस यादा गहरी डू बी थी।
ले कन उसने इस बात पर गौर कया था क ए लस वजय को कन नगाह से दे खती है।
उसे संदेह था क ए लस के मन म र ते टू टने के इतने साल बाद अभी भी वजय को लेकर
ज बात ह।
उसने फैसला कया क वो घबराएगी नह और जब जैसे हालात ह गे, उ ह संभालेगी।
‘इमरान यहां कब आ रहा है?’ उसने पूछा।
वजय ने अपनी घड़ी दे खी। ‘उसने दोपहर के लए कहा था। हमारे पास काफ समय
है।’ तभी उसके दमाग म एक वचार क धा। ‘अरे, चूं क हमारे पास समय है, म तु ह एक
वाकई म अजीब चीज दखाना चाहता ं। हम सबसे ऊपरी मं जल के एक कमरे म जाना
होगा।’
‘इमरान कस बारे म मलना चाहता है?’ राधा ने पूछा, जब वो पांचवी मं जल पर जाने
के लए सी ढ़यां चढ़ रहे थे।
‘उसने साफ नह बताया। बस इतना कहा क टा क फोस के पास पहला केस आ गया
है और वो हम उस बारे म बताना चाहता है। ले कन वो इसे लेकर ब त खुश नह दख रहा
था।’
16
जौनगढ़ कला

‘यह तो वाकई रह यमय है,’ राधा उस फाइल के प े पलटते ए बोली, जसने वजय को
उलझा दया था। ‘इसक कोई वजह तो ज र होगी जससे तु हारे पताजी ने इस फाइल को
रखा है।’
वजय कंधे उचकाते ए बोला, ‘मने इस बारे म सोचा। ले कन मुझे समझ म नह आया
क या वजह हो सकती है।’
‘यह या है?’ राधा ने एक ए4 साइज के प े क तरफ इशारा कया जस पर कुछ
तीक च बने ए थे। उसने उन च क तरफ गौर से दे खा। ‘ये कसी रह यमय संकेत
क तरह दख रहे ह। और ये हाथ से लखे गए ह। या ये तु हारे पताजी क लखावट है?’
‘म नह जानता,’ वजय ने कहा। ‘मुझे उनक लखावट याद नह है। काफ सोचने पर
भी मुझे उनके बारे म यादा याद नह आता। मने उनके साथ कभी यादा समय नह
बताया। मुझे लगता था क वो हमेशा मेरे साथ रहगे और हम साथ होने के लए काफ समय
मलेगा। इस लए म अपना समय अपने पड़ोस के पाक म अपने दो त के साथ फुटबॉल
और केट खेलकर बताता था। और, अंत म या आ, कभी भी समय ही नह मला।’ वो
चुप हो गया और राधा ने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दया। वजय ने उसका हाथ ह के
से दबा दया, इस बात क कृत ता जताते ए क वो उसके साथ है।
‘यहां कसी तरह क कोई सूची बनी है,’ राधा उन कागज म से एक प े पर यान दे
रही थी। ‘ये एक इंडे स क तरह लग रहा है।’
वजय ने फाइल के उस प े को दे खा जसे राधा जांच रही थी। ‘चलो दे खते ह या इस
ल ट म और फाइल म आपस म कोई संबंध है?’
राधा ने हामी भरी। यह पहेलीनुमा था। शायद इसम कुछ भी मह वपूण ना नकले
ले कन वो समझ रही थी क वजय यह जानना चाहता है। उसने इंडे स वाले प े को फाइल
से बाहर नकाल लया। वजय ने फाइल के उन द तावेज को जमाना शु कया और वो
दे ख रही थी क ल ट म उनका ज है या नह ।
यह ब त मु कल काम था। ब त कम ऐसे द तावेज थे जो ल ट से मेल खा रहे थे।
यादातर मामल म वो द तावेज को पहचान पा रहे थे, ले कन कुछ क पहचान सफ
अंदाज और अनुमान के आधार पर हो पा रही थी।
‘इस ल ट म तीन आइटम ऐसे ह जो फाइल म नह दख रहे,’ राधा ने अंत म कहा, जब
उ ह ने पूरी फाइल दे ख डाली। उसने उनके नाम पढ़े । ‘केएस—1, केएस—2, और यह
तीसरा।’ उसने तीसरा नाम समझने क को शश क जो सफ एक तीक च था। ‘यह या
है——”ड यू”?’
वजय ने भी उस नशान को पहचानने क को शश क । ‘“ड यू” क तरह दख तो
रहा है, ले कन कुछ यादा ही लहरदार है। दे खो इसे, इसम कोई सीधी रेखा नह है।’ तभी
उसे जैसे कुछ याद आया और वो तन सा गया।
‘ या आ?’ राधा ने उसक मु ा म एकाएक आए बदलाव पर यान दया।
‘मुझे लगता है क म इनम से गायब द तावेज को कह दे ख चुका ,ं ’ वजय ने अपनी
आंख सकोड़कर याद करने क को शश क । ‘मुझे याद है क मने पहले भी कह “केएस”
दे खा है।’ वो उठा और ग े के उन ड ब को दे खने लगा ज ह वो पछले दो ह ते म दे ख
चुका था। ‘मुझे इ ह दोबारा दे खना होगा,’ कसी सोच म डू बी ई उसक आवाज नकली।
‘म तु हारी मदद करती ।ं ’ राधा ने ग े का एक ड बा अपनी तरफ ख चा और उसक
चीज बाहर नकालने लगी।
वजय उसे दे खकर मु करा दया और सरा काटन नकालकर जांचने लगा।
राधा क यही बात उसे अ छ लगती थी। वो जानता था क भले ही वो उदासीन दख
रही हो, उसे ए लस क मौजूदगी से परेशानी ई है। ले कन उसने उस चीज को खुद से र
कर दया है और हमेशा क तरह उसक मदद के लए तैयार है। उसक आंत रक श और
आ म व ास के अलावा ऐसा कुछ और भी था, जसका वो शंसक था। वो हमेशा ही अपने
दो त और प रवार के लए मौजूद रहती थी, भले ही इसके लए उसे अपनी ज रत और
ाथ मकताएं टालनी पड़। वो चाहता था क काश वो भी उस जैसा बन जाए। वो बेहद
अंतमुखी था, अपनी ही नया म खोया आ। एकाएक उसके याल ए लस क तरफ चले
गए। वो जानता था क जब वो दोन एमआईट म थे तो ए लस ने उसके साथ र ता य
तोड़ा था। र ता टू टने के बाद वो काफ बेचैन रहा था और उसने गलती सुधारने क को शश
भी क थी। और अंत म उसे समझ आ गया था। वो कभी भी ए लस के सामने खुल नह
पाया था। वैसे तो वो हमेशा से ही गंभीर और संकोची रहा था, अपने माता— पता क मौत
के बाद तो जैसे उसने खुद को एक खोल म बंद कर लया था। उसके साथ ए खद हादसे
को भुलाने का ये उसका तरीका था। उसने अपने आसपास मजबूत द वार खड़ी कर ली थ ।
और उसके लए उसके ोजे ट से यादा कोई चीज मायने नह रखती थी। जब वो ए लस से
मला था, ऐसा लगा था क चीज बदल सकती ह। ले कन वो कभी भी उन द वार को गरा
नह पाया जो उन दोन के बीच खड़ी रह ।
लंबे समय तक वो ए लस को इस बात के लए माफ नह कर पाया, जस तरीके से
उसने उसे छोड़ दया था। कोई बातचीत नह , कोई सफाई नह , उसे अपनी गलती सुधारने
का कोई मौका नह । यहां तक क गल तय का अहसास तक नह कराया। वो कठोर हो गया
था, ए लस से नाराज। यह बात उसे काफ बाद म समझ आई क अगर ए लस ने उस व
उसे समझाने क को शश भी क होती तो कोई अंतर नह आता। वो तैयार ही नह होता।
उसे ेकअप के बाद सामा य होने म दो साल का समय लग गया था। इसके बाद से उसे
कसी भी र ते से जुड़ने म घबराहट होने लगी थी। कुछ तो इस वजह से क वो अपने काम
म त रहता था और कुछ उसे लगता था क वो कसी र ते को नभा नह पाएगा। और
तब उसक मुलाकात राधा से ई। वजय के चाचा क ह या के बाद मुलाकात के दौरान
उनक दो ती साल भर पहले यार म बदल गई। पता नह कैसे, चीज ठ क हो गई थ और
अब वो खुश था। संतु था। उसे अपने लए राधा से बेहतर श स नह मल सकता था।
‘ये रहा वो!’ राधा क आवाज जैसे उसके वचार के महासागर पर तैरती ई सी आई।
वजय उस सागर से बाहर नकल आया यह दे खने के लए क उसे या मला है।
राधा के हाथ म एक पतली काडबोड फाइल थी जसम कागज का एक पु लदा था जो
एक फ ते से बंधा था। यह काफ पुराना और घसा आ लग रहा था। ‘केएस—1’, उसने
ऐलान सा कया।
वजय के चेहरे पर चमक आ गई। ‘वाह, चलो दे खते ह इसम या है।’
‘लग रहा है हाथ से लखे ए जरनल क फोटोकॉपी है,’ राधा ने फाइल खोलकर उसके
प पर नजर डालते ए कहा। ‘ दलच प है यह तो। तु हारे पता इ तहासकार थे न?’
वजय ने हामी भरी।
‘उ ह प के तौर पर अपने काम का जुनून रहा होगा तभी वो ऐसी चीज इक ा कर पाए
ह। यह जरनल उस जरनल का अनुवाद है जो सकंदर महान के समय म लखा गया था।’
वजय का मोबाइल फोन बज उठा। को लन ने फोन कया था। इमरान आ गया था।
‘दोपहर हो गई है या?’ राधा ने अपनी घड़ी दे खी और फर वजय क ओर दे खकर
मु कुरा द । ‘जब आप मजे कर रहे ह तो समय उड़ने लगता है।’ उसने जरनल को वजय
क ओर लहराते ए कहा। ‘यह बड़ी दलच प चीज है। पहले प े के अनुसार यह काफ
पुराने जरनल का अनुवाद है जसे…’ उसने नाम ढूं ढ़ने के लए जरनल म दे खा। ‘हां,
यूमेनीज ने लखा था। उसने मूल जरनल लखा था जसका कसी लॉरस फुलर ने अं ेजी म
अनुवाद कया था।’
वजय ने उससे जरनल ले लया और उसके प े पलटने लगा। उसके पता ने इसे
सुर त रखने के लए काफ मेहनत क थी। उसे ये जानना था क आ खर य । तभी
जरनल म दखे एक नाम ने उसका यान आक षत कया। उसने इसे राधा को दखाया, राधा
ने जरनल उसके हाथ से ले लया और उसक आंख उ ेजना म चमकने लग ।
17
टा क फोस क बैठक

वजय और राधा सी ढ़य से नीचे आने लगे, राधा के हाथ म वही जरनल था जो उ ह ने अभी
ढूं ढ़ा था। इमरान के जाने के बाद वो वजय के साथ जरनल पढ़ना चाहती थी।
दस मनट के बाद वजय, राधा और को लन टडी म म कॉफ टे बल के इद— गद
बैठे थे। इमरान का चेहरा गंभीर था और उसने टडी म के दरवाजे को अ छ तरह से बंद
कर दया था। यहां तक क उसके अ भवादन म गमजोशी नह थी।
‘तो,’ इमरान ने बोलना शु कया। ‘टा क फोस के पास पहला मामला आ गया है और
थक टक के सद य होने के नाते आप सबको बताया जाना ज री है। इस लए म यहां आया
ं। म इस मामले पर पैटरसन के संपक म ं जो अमे रका के ट म मबस को केस के बारे म
बताएगा।’
वो का। ‘हमारे पास जो केस है, वो जै वक आतंकवाद का मामला लगता है। दो रात
पहले, मुझे अपने बचपन के दो त अनवर का ईमेल मला जसम उसने मदद क गुहार
लगाई थी। मुझे यह उस व मालूम नह था, ले कन ऐसा लगता है क वह पांच साल पहले
टाइटन फामा यू टकल के ली नकल ायल से वॉलं टयर के तौर पर जुड़ गया था। टाइटन
फामा यू टकल अमे रक ब रा ीय कंपनी है और इसके भारत म रसच सटर ह।’ इसके
बाद उसने उस रात क घटना का वणन कया जब आयन लेबोरे ज के सटर म उ ह
लाश पड़ी मली थ ।
‘आईट लैब म मली लाश अनवर क थी,’ उसने बोलना जारी रखा। ‘ये इतनी बुरी तरह
झुलस गई थी क पहचानना नामुम कन था ले कन हमने डीएनए जांच से इस बात क पु
कर ली है।’ वो फर एक पल के लए का। उसके दो त क मौत ने उस पर गहरा असर
डाला था। ‘हम सफ अनुमान लगा सकते ह ले कन ऐसा लगता है क अनवर कसी तरह
आईट लैब तक प ंच गया था और उसने वहां से ईमेल भेजा था। ले कन उसे भी ढूं ढ़ लया
गया और मार डाला गया। शव—परी ण से पता चला है क उसक मौत सर म गोली लगने
से ई थी। बलकुल सर से सटाकर गोली मारी गई थी। उ ह जब यह समझ आ गया क
ईमेल एक आईबी अफसर को भेजा गया है, उ ह ने सभी लोग को मारकर उस जगह को
जला डालने का फैसला कया ता क हमारे साथ कोई सबूत ना लगे।’
‘तो या ये ली नकल ायल कसी जै वक ह थयार को बनाने के लए कए जा रहे
थे?’ राधा ने पूछा। ‘टाइटन का इस बारे म या कहना है?’
‘यह हमारा संदेह है,’ इमरान ने जवाब दया। ‘ले कन टाइटन का दावा है क उनके
ायो जत सभी ायल वैध थे और भारत के ग कं ोलर जनरल से मा यता ा त थे। और
हमने ली नकल ाय स र ज से भी पता कया, जहां टाइटन ने कई ली नकल ायल
र ज टर कराए ह। पैटरसन और उसक ट म ने अमे रका म टाइटन के सी नयर मैनेजमट से
बात क है, और बोड के चेयरमैन कुत वॉलेस से भी पूछताछ क है, जो टाइटन म सबसे
बड़ा शेयरधारक है।’
इस नाम ने तुरंत ही सबका यान ख चा।
‘वही श स जसने ए लस के अ भयान का खच उठाया,’ वजय च क उठा।
‘ए लस कौन है?’ इमरान ने तुरंत पूछा। ‘और उसका यहां या काम है?’
‘अमे रका से मेरी एक दो त है जो आज सुबह अचानक आई है।’ उसने तेजी से ए लस
क पूरी कहानी बता द और वॉलेस के बारे म भी वो सारी बात जो ए लस ने बताई थ ।
इमरान ने अपने ह ठ सकोड़े, जब वजय ने अपनी बात पूरी क । ‘तु हारी दो त को
जा हर तौर पर मु कल दौर से गुजरना पड़ा है। मुझे खुशी है क वो वहां से नकल पाई।
हालां क न त तौर पर यह एक दलच प संयोग है क कुत वॉलेस का नाम दोन मामल म
है। और यह भी दलच प संयोग है क तु हारी दो त उसी व यहां आई है जब हम जै वक
आतंकवाद के एक संभा वत मामले क जांच कर रहे ह।’
वजय समझ गया क इमरान या सोच रहा है। उसने उसक बात का तवाद करते
ए बोला, ‘म उसक गारंट ले सकता ं, म उसे…’ वो लड़खड़ा गया य क वो ए लस के
साथ अपने र ते को समझा नह पा रहा था जससे राधा नाराज ना हो। ‘म उसे अ छ तरह
जानता ं,’ उसने यह कहकर अपनी बात ख म क ।
इमरान वजय क तरफ दे खते ए बोला, ‘शायद तुम जानते हो। ले कन उसका यहां
आना और कुत वॉलेस से जुड़ा होना हमारे केस के त य से जुड़ता है। हो सकता है क यह
महज इ ेफाक हो। ले कन जब तक म न त ना हो जाऊं, तब तक प के तौर पर म कसी
चीज को नकार भी नह सकता।’
वजय अपनी नराशा को छपाने क को शश करते ए शांत हो गया।
इमरान ने अपनी बात आगे बढ़ाई। ‘वॉलेस और टाइटन के पूरे सी नयर मैनेजमट ने
आयन के मा लक सुमन पाहवा पर उंगली उठाई है जो आग लगने के बाद से गायब है। हमने
हर उस जगह क तलाश कर ली है, जहां वो हो सकता था, ले कन वो नह मल रहा है। इस
वजह से हमारी जांच आगे नह बढ़ रही है। हालां क कुछ को शश जारी ह। आग म हाड
ाइव को काफ नुकसान प ंचा है, ले कन हमारी शानदार आईट लैब ने काफ जानकारी
हा सल करने म कामयाबी पाई है। ये उन लोग क मे डकल फाइ स ह जन पर ली नकल
ायल चल रहा था। हमने लाश का परी ण भी कराया और उनके नमूने नई द ली के
नेशनल सटर फॉर डसीज कं ोल और पुणे म नेशनल इं ट ूट ऑफ वायरोलॉजी भेजे ह।
उनक जांच रपोट के त य क पु वॉ शगटन के सीडीसी के परी ण से भी ई है। मुझे
उनक रपोट आज सुबह ही मली है।’
उसके बाद उसने पछली शाम पैटरसन और रॉयसन के साथ ई बातचीत के बारे म उन
लोग को बताया। ‘तो हमारा अनुमान है क ये पाहवा सटर म गु त प से ली नकल ायल
करवा रहा था। हां, हमने इस संभावना को खा रज नह कया है क इसके तार अमे रका से
जुड़े हो सकते ह। हो सकता है वॉलेस खुद इसम शा मल हो, ले कन अभी इस बात के प
म कोई सबूत नह है।’
उसक बात समा त होने पर वहां थोड़ी दे र शां त छाई रही।
फर को लन ने पूछा, ‘तो हमारा अगला कदम या है?’
वजय ने भी पूछा, ‘और हम कैसे मदद कर सकते ह?’
‘अभी हमारे पास करने के लए कुछ खास नह है,’ इमरान ने वीकारो क । ‘म
चाहता था क तुम लोग को केस से जुड़े सारे त य बता ं ता क तुम लोग कसी और पहलू
पर भी सोच सको और हम उस पर काम कर सक। अभी, टा क फोस के एजट पाहवा क
तलाश म लगे ह और ली नकल ायल के बारे म और सुराग ढूं ढ़ रहे ह। वो पछले चार—
पांच साल के अखबार खंगाल रहे ह ता क उनम ली नकल ायल के व ापन का पता
लगे, साथ ही इस धंधे से जुड़े लोग से भी बात कर रहे ह। म भारत म टाइटन के सीईओ
डॉ टर व प वमा से मलने जा रहा ं। और म टाइटन के चीफ मे डकल ऑ फसर डॉ टर
व ण स सेना से भी मलूंगा।’
‘हम इसम आपक मदद कर सकते ह,’ राधा ने कहा। ‘अगर आप चाह तो म सीएमओ
से मल सकती ं।’
इमरान ने मु कुराते ए जवाब दया, ‘शु या, ले कन यह फ ड का काम है। मुझे
मालूम है क तुम लोग को टा क फोस बनने के बाद फ ड े नग द गई है, ले कन तुम
लोग को अभी इसका कोई तजुबा नह है। अगर हम जै वक आतंकवाद म वा तव म
शा मल कसी श स से मल तो इसम खतरा हो सकता है।’
‘ले कन अगर हम शु आत नह करगे तो हम कभी फ ड म काम का अनुभव ही नह
होगा,’ राधा अपनी बात पर अड़ी रही। ‘कैसा रहेगा अगर म आपके साथ र ं जब आप
सीईओ से मलने जा रहे ह , और अगर कुछ द कत आती है तो आप तो रहगे ही?’
‘इमरान, तु ह मानना पड़ेगा,’ वजय मु कुराते ए बोला। ‘वो एक बुलडॉग क तरह है।
अब वो पीछे नह हटे गी।’
राधा ने उसक पीठ पर ह का सा धौल जमाया। ‘मेरा मानना है क यह दलच प होगा।
इमरान, चलो, ऐसा करते ह।’
‘ठ क है, ठ क है,’ इमरान ने ह थयार डाल दए। ‘बातचीत म या गड़बड़ हो सकती
है? सीईओ के साथ शाम साढ़े चार बजे मी टग है। म अपने लोग को कह ं गा क सीएमओ
के साथ मी टग भी उसी समय तय कर द जाए।’
उसने जैसे ही अपना फोन हाथ म लया, वो बज उठा। इमरान ने गौर से फोन करने वाले
क बात सुनी और उसका चेहरा मुरझा गया।
‘बुरी खबर है?’ वजय ने अनुमान लगाया।
‘हम अभी—अभी पाहवा क लाश मली है। आगरा ए स ेसवे पर उसक कार हादसे
का शकार हो गई। ऐसा लग रहा है क उसक कार के े स के साथ छे ड़छाड़ क गई थी
और वो बेकार हो गए थे। वो ज र सड़क पर काफ तेज जा रहा होगा इस लए उसके पास
बचने का कोई मौका नह था।’ उसने एक ठं डी सांस ली। ‘हमारा अं तम जदा सुराग चला
गया। और इसका यह मतलब भी है क वो इस खेल म मोहरा भर था। टाइटन म कोई है जो
ये खेल खेल रहा है। बस, मामला यह है क हमारे पास ये जानने का कोई तरीका नह है क
वो कौन है।’
18
गुड़गांव

गुड़गांव के वे टन होटल म े सड शयल सुइट म एक आरामकुस पर बैठकर पीटर कपू र


लैट न मॉ नटस को दे ख रहा था। कमरे के एक कोने म रैक पर कई उपकरण रखे थे,
जनम से तार के गु छे नकल रहे थे और कई सवस से जुड़े थे।
कूपर को कभी कं यूटर समझ नह आए। बावन साल क अपनी उ म वो कभी
टे नोलॉजी के साथ सामंज य नह बैठा पाया। वो इ क स साल क उ म ऑडर के साथ
जुड़ गया था। उसके अंदर कसी भी चलती ई चीज को कतनी भी री से, जो बं क क
रबीन से दख जाती हो, नशाना बनाने क अ त मता थी। साथ ही वो कसी भी चीज
को एकाध बार ही दे खकर आसानी से उसे याद रख सकता था। इन दोन खू बय ने उसे एक
भयानक ह यारा बना दया था, जसे कसी को मारकर कोई पछतावा भी नह होता था।
उसने कभी गनती नह क क उसने कतने लोग क ह या क है, जनम मद, औरत
और ब चे सभी शा मल थे। उसके लए वो कोई आंकड़ा नह थे। वो इंसान भी नह थे। वो
सफ नशाना थे ज ह ख म करना है। और वो अपना काम प ◌ी बारीक से करता था।
उसे अपनी इस खूबी पर घमंड था। उसने आज तक कोई नशाना नह चूका। और ना ही वो
कभी हच कचाया, जब उसक उंग लयां बंदकू के घोड़े पर होती थ ।
पछले कुछ साल म ऑडर म उसक है सयत बढ़ती चली गई थी। अब उसका काम
उसके कौशल पर नह , उसक रणनी तक चतुराई पर नभर था। इसका मतलब यह था क
अब उसे लोग क ह या करने के काम कम मलते थे, हालां क उसक नगाह उ बढ़ने के
बावजूद कमजोर नह ई थ । और, भले ही पछले साल म जैस— े जैसे उसक भू मका
बदलती गई, उसक कामयाबी म टे नोलॉजी क अह मयत भी बढ़ती गई थी, ले कन वो
अभी भी टे नोलॉजी के साथ जुड़ नह पाया था। उसके लए कसी रणनी तकार का सबसे
बड़ा ह थयार, जसे वो सबसे ऊंचे तर क टे नोलॉजी मानता था, उसके दमाग म होता
था। उसे बस इसी क ज रत थी। बाक सारी चीज फालतू थ ।
‘ या थ त है?’ उसने कंसोल पर बैठे श स से पूछा, जो थानीय टे नोलॉजी ट म
संभालता था। यह श स काले रंग का था, गंजा, चेहरे पर मूंछ और उसका नाम था कृ णन।
उसका रंग— प भले ही सादा था, वो इ फॉमशन टे नोलॉजी म वीण था और कूपर इस
बात को मानता था।
थेसालो नक मामले म पु लस के शा मल होने के बाद कूपर ने फैसला कया था क वो
अब धैय से काम लेगा और ए लस का पीछा करने क बजाय उस पर नजर रखेगा। यह एक
गु त मशन था और वो नह चाहता था क इस पर कसी का यान जाए। तावरोस इस बात
का याल रख रहा था क खुदाई क जगह पर ई घटना क खबर मी डया म ना आएं।
कोई नह जान पाएगा क वहां आ या था। और मशन एक रह य ही बना रहेगा।
सफ ए लस ही बची थी। वो सफ वहां ई घटना क गवाह ही नह थी, ब क उसके
पास वो चीज भी थी जसके इद गद पूरा मशन घूम रहा था। और उसे वो चीज हा सल
करनी थी, बना कसी का यान उसके या मशन क तरफ ख चे।
जब ए लस थेसालो नक से गायब ई, उसने उसक तलाश क ले कन ज द ही उसे
समझ आ गया क उसने दे श छोड़ दया है। ले कन वो इतनी आसानी से हार मानने वाला
नह था। इतनी ज द तो बलकुल नह , खासतौर पर जब वो जानता था क ए लस का
पासपोट होटल के कमरे म ही पड़ा आ था। अपने नेटवक का इ तेमाल कर उसने
थेसालो नक के अमे रक तावास म एक संपक ढूं ढ़ नकाला था। ीक म हला, जो अकेली
रह रही थी और एक ब चे क मां थी, ने पहले तो सहयोग करने से मना कर दया था।
ले कन कूपर ने उसक पांच साल क बेट का अपहरण कर लया। और इसके बाद जस
तेजी से उस म हला ने जानका रयां द , उससे वो भी अचरज म था। उसे पता चला था क
वॉ शगटन से खास आदे श आया था और असामा य तेजी से ए लस का पासपोट जारी कर
दया गया था। मां—बेट दोन क त वीर अगली सुबह अखबार म छपी थ , लाश के प म
जनका गला रेत डाला गया था। यह उसका तरीका नह था ले कन इस काम को अंजाम
दया था उसके नए सहायक ने, और वो बं क से यादा कुशल लेड का इ तेमाल करने म
था।
उसका अगला पड़ाव था ीक इ म ेशन जहां उसके नेटवक म भाड़े के संपक सू थे।
उनसे उसे पता चला क ए लस ाइवेट जेट से भारत म नई द ली गई है।
ीस को संभालने का ज मा तावरोस पर छोड़कर कूपर तुरंत अपने नजी वमान से,
जो उसे ऑडर क तरफ से मला था, नई द ली आ गया। भारत प ंचते ही उसने अपनी
थानीय इकाई से संपक कया और अपना हेड वॉटर गुड़गांव म बनाया। अब, उसे बस
इतना जानना था क ए लस कहां छपी है और कसके साथ है। जो वह जानना चाहता था,
उसे यह जानने म यादा व नह लगेगा और उसका मशन बना कसी परेशानी के जारी
रहेगा। ए लस एक मामूली सी बाधा थी, एक च ट जसने पक नक का मजा कर करा कर
दया था। अब व था उस च ट को मसल डालने का।
कृ णन अपनी कुस पर घूमा और कूपर को दे खकर बोला। ‘वो जौनगढ़ नाम क जगह
पर एक कले म है जो नई द ली से 130 कलोमीटर र है। हमने उसके साथ के लोग क
भी पहचान कर ली है।’ वो एक पल के लए का। ‘ले कन खबर अ छ नह है।’
कूपर क भ ह तन ग ।
‘उसके साथ दो अमे रक नाग रक ह। एक भारतीय मूल का है, वजय सह। सरा है
को लन बेकर। एक म हला भी है जो इं डयन डपाटमट ऑफ एटॉ मक एनज म काम
करती है——वो एक परमाणु भौ तक व ानी है और नाम है राधा शु ला। और वहां भारतीय
खु फया यूरो का पेशल डायरे टर भी है, इमरान कदवई।’
कूपर क भ ह फर तन ग । यह तो मामूली बाधा से कह बड़ी बात है। भारतीय
खु फया एज सयां भी इसम शा मल ह। कृ णन सही कह रहा है, यह तो बुरी खबर है।
‘आईबी का श स वहां या कर रहा है?’ उसने पूछा। ‘ या हम उनक बातचीत के बारे
म कुछ सुराग हा सल कर सकते ह?’
‘हमारी ट म इस चीज म लगी ई है। ले कन वो लोग एक ऐसे कमरे म ह जसम ऐसी
व था क गई है क उस पर नगरानी ना क जा सके। हमारे पास उनक आवाज सुनने
को कोई तरीका नह है। और ना ही कोई ऐसी जगह है जहां से हम उ ह दे ख भी सक। हम
यहां पर अंधे से ह।’ कूपर क नगाह उस पर जमी थ । ‘हम टं गरे का इ तेमाल करना
चा हए। इससे हम उनके फोन कॉल पर नजर रखने म मदद मलेगी और उस जानकारी का
इ तेमाल कर हम जान सकगे क वो या करने जा रहे ह।’
कूपन ने उसे आंख तरेरकर दे खा। ‘हम इस मशन को गु त रखना चाहते ह। तु ह मालूम
भी है क टं गरे को कसी दे श म लाने के लए या करना पड़ता है? यह मुम कन तो है
ले कन यह हम खतरे म भी डाल दे गा। तु ह अपनी बु का इ तेमाल करना है। जो चीज
तु ह द गई ह उनके साथ ही काम करो।’
वो सभी वक प पर सोचने लगा। अगर उसके नशाने कले म ह तो बना भारी—
भरकम आ नेया के उस जगह पर धावा बोलना आसान नह होगा। और ये लोग का यान
तो ख चेगा ही।
‘हमारी सभी ट म को सावधान कर दो,’ उसने आदे श दया। ‘म कले म रह रहे हर
श स पर नगरानी रखना चाहता ं। म जानना चाहता ं क वो कहां ह और या कर रहे
ह।’
वो पीछे टककर बैठ गया और अपनी आंख बंद कर ल । सही मौका मलने पर बं क
का घोड़ा दबाने के लए इंतजार करने के लंबे अनुभव ने उसे धैयवान बना दया था। वो
इंतजार करेगा। जब तक क सही समय खुद नह आए।
और वो जानता था क समय ज द आएगा। उसके प म चीज इसी तरह से काम
करती थ ।
19
एक रोचक खोज

वजय कले क पहली मं जल पर अपने टडी म म बैठकर लैपटॉप क न दे ख रहा


था। जबसे इमरान और राधा टाइटन फामा यु टक स म अपनी मी टग के लए नकले थे, वो
उस जरनल को पढ़ रहा था जो राधा ने ढूं ढ़ थी। बीच—बीच म वो नोटपैड पर कुछ लखता
भी जा रहा था।
जरनल पढ़ने के बाद उसने पछले आधे घंटे इंटरनेट पर उन संदभ से जुड़ी जानकारी
तलाश करते ए बताए थे, जो उसने नोट कए थे। इस बीच वो तभी का था जब वो टडी
से नकलकर पांचवी मं जल के उस कमरे म गया था जसम उसके माता— पता क चीज
रखी थ । उसने वो फाइल उठाई थी, जो वो और राधा मलकर पहले दे ख रहे थे, और वापस
टडी म म आ गया था।
तभी दरवाजे पर कसी ने द तक द । ‘तुमने यहां अपनी जड़ जमा ली ह या?’ को लन
ने दरवाजा खोला और अंदर आ गया।
वजय मु कुराया। वो जानता था क को लन सब कुछ जानने के लए बेहद उ सुक है।
यही बात च काने वाली थी क वो अब तक इंतजार कर रहा था, ये जानने के लए क वजय
या कर रहा है।
को लन ने यो रयां चढ़ाते ए उससे कहा। ‘ए लस इस बात से थोड़ी नाराज है क तुमने
उससे ये तक नह पूछा क इमरान के साथ उसक मी टग म या आ।’ इमरान ने उन लोग
को सारी बात बताने के बाद ए लस से मलने क इ छा जताई थी और उसके साथ टडी
म म आधे घंटे तक बात करता रहा था। ले कन वजय के दमाग म जरनल घूम रहा था
और जैसे ही इमरान और राधा वहां से नकले थे, उसने जरनल पढ़ने के लए टडी म पर
क जा कर लया था।
‘वो बा लग है,’ वजय ने मु कुराते ए जवाब दया। ‘ या पूछना है? और इमरान
अ छा आदमी है। भले ही वो खु फया वभाग का आदमी है, मुझे भरोसा है क सबकुछ
अ छा आ होगा।
को लन ने हामी भरी। ‘उसने उससे खुदाई, वॉलेस, उसके ट और उस रात या आ
था, इन सबके बारे म ढे र पूछे। उसने उससे यहां तक कहा क वो उसे तावरोस और
पीटर क फोटो हाट् सऐप कर दे । दरअसल वो दे खना चाहता है क या वो इन लोग के
बारे म कोई जानकारी नकाल सकता है या नह ।’
उसने जरनल और वजय के नोट् स क तरफ उ सुकता से दे खा। ‘ले कन तुम कर या
रहे हो?’
‘म तुम लोग को बुलाने ही वाला था। मुझे कुछ मला है जो बेहद दलच प है। और
ए लस तो पागल हो जाएगी अगर वो इसे दे खेगी। हम एक ाचीन रह य को सुलझाने जा रहे
ह।’
को लन क यो रयां थोड़ी और चढ़ ग । वो बड़बड़या, ‘म जान रहा था क यहां आना
एक भूल होगी। मुझे तु ह अकेला छोड़ दे ना चा हए था।’ इसके बावजूद उसक आंख म
एक चमक थी। ‘ को; म ए लस और डॉ टर शु ला को यहां लेकर आता ं।’
जब तक वो लोग आते, वजय ने जरनल और लैपटॉप को पांचव मं जल वाली फाइल
के साथ सटर टे बल पर रख दया। उसने टडी म क तजोरी म से हाथी दांत के यूब
वाला ड बा भी बाहर नकाल लया था, जहां उसे सुर त रखा गया था और उसे भी टे बल
पर ही रख दया।
ए लस जब को लन और शु ला के साथ कमरे म घुसी तो वो सवाल भरी नजर से
वजय को दे ख रही थी।
वजय ने बोलना शु कया, ‘ए लस, तु ह यक न नह होगा। ले कन तुम इसे पसंद
ज र करोगी। जब तुमने आज सुबह ओ ल पयास का ज कया था, मुझे लगा था क मने
यह नाम पहले भी सुना है, ले कन मुझे याद नह आ रहा था क कहां सुना है। दरअसल मने
यह नाम हाल ही म इसम पढ़ा था।’ उसने जरनल उठाकर उसे दखाया। ‘यह मक नया के
यूमेनीज क गु त डायरी है।’ उसने उ मीद भरी नजर से ए लस क तरफ दे खा।
ए लस भी उसे दे खने लगी। वो समझ नह पा रही थी क वजय मजाक कर रहा है या
सच बोल रहा है। ‘गु त डायरी? यूमेनीज क ?’ उसक आवाज से साफ था क वो इस बात
पर यक न नह कर रही थी। ‘तुम मजाक कर रहे हो।’
वजय मु कुराया। जरनल पढ़ने और इंटरनेट पर इस बारे म जानकारी जुटाने के बाद
उसने ीक इ तहास के बारे म अ छा—खासा जान लया था और वो ए लस से ऐसी ही
त या क उ मीद कर रहा था।
‘ठ क है,’ उसने अपने नोट् स क तरफ दे खते ए कहा। ‘म तु ह दखाता ं क म सच
बोल रहा ः इस जरनल म कै ल थनीज क गु त या ा का ज है जो उसने सॉग डयन
रॉक के पास बै या म क थी, सकंदर क ओर से। यह एक सरे गु त मशन क भी बात
करता है जो सकंदर और यूमेनीज ने कया था, उस व जब सकंदर ने भारत पर हमला
कया था।’
ए लस ने उसे उलझन भरी नगाह से दे खा। वैसे तो वजय सभी सही नाम का ज
कर रहा था, ले कन अभी भी उसे इस बात क संभावना नह लग रही थी क यूमेनीज क
कोई गु त डायरी है। और वो भी उसक आंख के सामने।
‘ या म दे ख सकती ं?’ उसने तुरंत पूछा और वजय ने उसे जरनल थमा दया।
‘एक मनट को,’ को लन ने वजय का हाथ पकड़ लया। ‘यूमेनीज कौन है?’ ‘और ये
कै ल थनीज कौन है? ऐसा लग रहा है यह वही श स है जसने कै ल थे न स का
आ व कार कया है।’
‘कै ल थनीज सकंदर महान के समय का ीक इ तहासकार था।’ ए लस ने पल भर के
लए जरनल से यान हटाकर को लन के सवाल का जवाब दया। ‘वो ीस और फो सयन
यु के वृहत इ तहास का लेखक था। ले कन उसका नाम द डीड् स ऑफ अले जडर के
लेखक के तौर पर मश र है, जो सकंदर क वजय गाथा का इ तहास है और जसम
उसने सकंदर को दे वता क तरह पेश कया है। यह माना जाता है क उसी ने सकंदर के
दै वीय ज म क दं तकथा क शु आत क थी जसम उसे जयस का पु बताया गया है।
उसी ने ीक जगत म इस कहानी का चार— सार कया क सकदं र ने सवा म ऑरेकल
के दशन कए थे ज ह ने घो षत कया था सकंदर जयस—आमन का पु है और
प फ लया म समु ने सकंदर को जाने का रा ता दया था। यह वडंबना है क उ ह ने ही
सकंदर को भगवान बनाने का काम कया, और जब सकंदर ने खुद को भगवान घो षत
कया तो उनक फटकार सकंदर क मौत का कारण बनी।’
‘अरे वाह! तु हारा मतलब यह है क सकंदर सच म खुद को भगवान मानता था?’
को लन वा तव म च कत था।
‘हां,’ ए लस उसके आ य पर मु कुराई। ‘328 ईसा पूव, म य ए शया के लोग पर
वजय पाने के बाद, सकंदर ने जब बा ख शहर म अपना पड़ाव डाला तो उसने एलान
कया क वो ई र क तरह पूजा जाना चाहता है। फारस और म य ए शया म उसक वजय,
सवा के ऑरेकल क घोषणा और कै ल थनीज ारा क गई उसक वजय तु त ने उसे
व ास दला दया होगा क वो सच म ई र है।’
‘जब क कै ल थनीज ने उसे ई र मानने से इनकार कर दया था,’ वजय बुदबुदाते ए
बोल पड़ा, उसने पछले आधे घंटे म इस बारे म रसच कया था। ए लस ने हामी भरी। ‘हां,
और उसने सफ इनकार नह कया। कहा जाता है क उसने सकंदर के सामने इ लयड क
एक पं उ रत क ः “तुमसे कह बेहतर मनु य था पै ो लस ले कन मृ यु ने उसे भी नह
ब शा।”‘
‘यह तो एक तरह का ताना है,’ को लन ने ट पणी क । ‘मेरा मतलब है क वो इस बात
को थोड़े और एह तयात के साथ कह सकता था। एक श स को और बेहतर तरीके से
बताया जा सकता है क तुम भगवान नह हो। खासतौर पर तब जब उस श स के हाथ म
तलवार हो।’
‘इस लए तो सकंदर ने उसे मरवा डाला था। इस समय तक सकंदर यह बलकुल सहन
नह कर सकता था क कोई उसके वचार से असहमत हो। उस समय सकंदर को एक
नौकर के हाथ मरवाने के लए ष ं भी आ था। कै ल थनीज पर इस ष ं म साथ
दे ने का झूठा आरोप लगाया गया और राज ोह के लए मौत क सजा द गई। सकंदर ने उसे
सूली पर लटका दया था।’
को लन कांप गया। ‘यह भयानक है। और कै ल थनीज ने सकंदर के लए जतना
कया था उसे दे खते ए तो घोर कृत नता है। मै सडो नया के यूमेनीज क या कहानी है?’
ए लस ने वजय क तरफ दे खा। ‘चूं क वजय खुद इस बारे म गु त प से लगातार
चीज तलाश रहा है, शायद वो हम बताए,’ कहकर वो मु कुरा द ।
20
334 ईसा पूव

मक नया, ीस

मक नया के राजा फ लप तीय क प नी ओ ल पयास ने अपने सामने खड़े श स पर


नजर डाली। भूरी चमड़ी, काले बाल और काली आंख, ढ ले सफेद कपड़ म लपटा आ
जैसे कपड़े उसने पहले कभी नह दे खे थे, इस को दे खकर लगता ही नह था क यह
वैसा ानी होगा जैसा उसे बताया गया था। अगर यह जानकारी ऑडर के सव च तर से
नह आई होती, तो वो बना कुछ सोचे उसे खा रज कर चुक होती।
‘मने सुना है क तुम ई र के रह य के बारे म काफ कुछ जानते हो,’ उसने उस श स
को अपनी नगाह से भेदते ए कहा।
उस श स ने सर हलाया। ‘म जानता ं। ले कन ये आपके ई र नह ह। ये पूव दे श
के ई र ह। मेरे लोग के ई र ह।’ उसका उ चारण व च था और वो ब त धीमे—धीमे
बोल रहा था, जैसे कोई उस भाषा म बात करे जो उसके लए अनजान हो।
ओ ल पयास क यो रयां चढ़ ग । इस श स क बेपरवाही और उसके शाही तबे के
त अनादर उसे ो धत कर रही थी। ले कन उसे उस श स से जानकारी चा हए थी।
इस लए उसने अपने ोध को दबाया और बात आगे बढ़ाई। एक बार जब उसे मनोवां छत
चीज मल जाए फर वो इस श स क क मत का फैसला करेगी।
‘मुझे यह पता है। ले कन यह बात मायने भी नह रखती। मुझे इस बात क कोई परवाह
नह है क वो कसके ई र ह। मेरे लए मथक क सचाई मायने रखती है। या तुम उसे
स कर सकते हो?’
भूरी चमड़ी वाला वो श स बलकुल भी वच लत नह आ। ‘ मथक सच है। म इसका
सा ी ं।’
‘म कैसे मान लूं क तुम सच बोल रहे हो?’ उसने पूछा।
उस श स ने उसी अंदाज म जवाब दया। ‘रानी सा हबा, या आप मुझ पर संदेह कर
रही ह?’ बना कसी लाग—लपेट के पूछे गए उसके इस सवाल ने ओ ल पयास को
हच कचाहट म डाल दया। वो मु कुराते ए बोला, ‘इतना अ भमान, इतनी मह वाकां ा।
अगर आपको मेरे श द पर यक न नह है तो आपको न दय और महासागर के पार इतनी
लंबी या ा क व था नह करनी थी। फर भी आपको संदेह करने के लए मा कया जा
सकता है। जो नह जानते, उनके लए मथक समझ और व ास के परे है।’
वो एक पल के लए का और फर बोला। ‘रानी सा हबा, आपके अनुसार मेरी उ या
होगी?’
ओ ल पयास ने फर अपनी यो रयां चढ़ा ल । इस श स क उ या मायने रखती है?
वो बस इतना चाहती थी क मथक के बारे म उसक जानकारी का पता चल जाए। उसने
धीरे से कंधे उचकाते ए कहा। ‘म कैसे जान सकती ं?’
‘म इस पृ वी पर 600 साल से यादा से घूम रहा ं। मने अब साल क गनती करनी
बंद कर द है और सफ दशक क गनती करता ं।’
ओ ल पयास का पूरा यान अब उस श स पर था। यह आदमी कुछ अलग सा था। यह
चालीस साल से यादा क उ का नह लगता। अगर इसका दावा सच है तो…
ओ ल पयास ने उसके श द पर वचार कया। ‘मुझे बताओ क ई र के रह य कहां
छपे ह।’ वो थोड़ा आगे क तरफ झुक , उसक आंख उ मीद से चमक रही थ ।
‘वह यहां से काफ र है रानी सा हबा,’ उस श स ने जवाब दया। ‘ सधु क भू म पर
एक गु त थान पर। उसे कोई नह ढूं ढ़ सकता जब तक उसके पास साधन ना हो।’
‘पृ वी का सरा छोर,’ ओ ल पयास फुसफुसाते ए बोली, उसके चेहरे पर चमक थी।
‘यूना नय जैसी उ त न ल से होने के नाते, यह च काने वाला है क आप इस नया के
बारे म कतना कम जानती ह, जसम हम रहते ह,’ वो दाश नक क तरह मु कुरा दया।
ओ ल पयास ने गु से से उसे घूरा। वो सच म बेहद गु ताख है। उसने अपनी एक भ ह
सवा लया अंदाज म चढ़ाई।
‘ या आपके गु ने आपको यही सखाया है? पृ वी का छोर सधु के पार है? तब
आपका पु अपनी बची ई जदगी पृ वी के छोर तक प ंचने म लगा दे गा और जब वो
मै सडो नया लौटे गा तो कोई यादा बु मान नह हो जाएगा।’ दाश नक ने अपनी आवाज
नीची क । ‘रानी सा हबा, जान ल क पृ वी सधु के भी काफ आगे तक फैली ई है,
डरावनी और महाकाय न दय के पार। वहां राज करने वाले सा ा य श शाली ह, उनके
पास ऐसे ह थयार ह जनके बारे म आप कुछ नह जानत । यह वो भू म है जहां कभी हमारे
ई र का आ धप य था। एक बार जब आपके पु को वो मल जाए, जो वह चाहता है, उसे
तुरंत लौट आना चा हए। अपनी और उसक मह वाकां ा को मै सडो नया क बबाद का
कारण ना बनने द।’
ओ ल पयास उस आदमी क गु ताखी पर अवाक थी। ले कन उसने अपना आपा नह
खोया। उसे अभी भी वो चीज नह मली थी जो वो चाहती थी। ‘और तु हारे पास मुझे दे ने के
लए या है?’ उसने पूछा।
उसने अपने ढ ले—ढाले कपड़ क जेब म से दो चीज नकाल और ओ ल पयास क
तरफ बढ़ा । ‘यह हमारे पूवज ने हमारे लए बनाया था। ले कन आप नह समझ पाएंगी क
इन पर या लखा है। य क आप हमारे ई र के बारे म कुछ नह जानत ।’ उसने अपने
चोगे म से एक चमप नकाला और ओ ल पयास को दया। ‘मने इसे या ा के दौरान आपके
लए तैयार कया है। ये लखावट ीक म है। म इसे आपको समझाउंगा, अ यथा आप इसे
समझ नह सकगी। और इसे,’ उसने एक चीज क तरफ इशारा कया, ‘हमारी जमीन पर
न त तौर पर लौटा द। जब आपका पु सधु पार करे, वो इसे कह गहरे दबा दे ता क इसे
कभी ढूं ढ़ा ना जा सके।’ अपनी बात आगे बढ़ाने के पहले वो एक पल का, उसका चेहरा
गंभीर हो चुका था। ‘ले कन सतक रह। यह एक खतरनाक काम है। अगर दए गए नदश
अ छे तरीके से नह माने गए तो आगे सफ मृ यु है।’
ओ ल पयास ने दोन चीज ले ल , उसके हाथ उ ेजना से कांप रहे थे। पहली चीज एक
घनाकार टु कड़ा थी जो ह ी से बनी ई लग रही थी। दे खने म बेहद ाचीन यह चीज पीली
पड़ चुक थी। इस यूब क ऊपरी सतह पर कुछ लखा था ले कन वो ल प उसके लए
अनजान थी। सरी चीज थी काले रंग क धातु क लेट जस पर कुछ उ क ण था।
दाश नक ने बोलना शु कया और चमप पर लखी बात को समझाने लगा, वो
ओ ल पयास को नदश दे ता जा रहा था क या कए जाने क ज रत है।
दाश नक ने चमप पर एक जगह क तरफ संकेत कया। ‘यह वो जगह है जहां आपके
पु को कना होगा। उसे यहां से आगे नह जाना होगा। उसे घर लौटना होगा या फर वो
लौट ही नह पाएगा।’
ओ ल पयास ने उसक बात पर खास यान नह दया। जैस— े जैसे उसक नजर चमप
क सतह पर दौड़ रही थ , उसक उ ेजना बढ़ती जा रही थी। यह उसके बेटे सकंदर के
लए बनाई गई योजना का चरम होने जा रहा है। वो जानती थी क पहले से ही वो अपने
सा ा य को उन सीमा से यादा फैलाना चाहता है, जो फ लप ने ख ची थ और जो खुद
भी एक जोशीला वजेता था। अब उसक प ंच म ई र के रह य ह, जनक मदद से वो
सु न त करेगी क उसका पु नया पर राज करे। ले कन एक मनु य क तरह नह , एक
ई र क तरह।
21
वतमान

तीसरा दन
व च सा ा कार

राधा टाइटन फामा यु टक स के भारत हेड वॉटर क आलीशान लॉबी को यान से दे ख रही
थी, जब वो सीएमओ के साथ अपनी मी टग का इंतजार कर रही थी। वो जानबूझकर इमरान
क तरफ दे खने से बच रही थी, जो उससे कुछ री पर रखे एक सरे सोफे पर बैठा था। वो
दोन एक समय पर ही वहां प ंचे थे ले कन अलग—अलग कार म। राधा को आईबी क
तरफ से एक फ ड एजट दया गया था जो उसे यहां तक लाया था और वापस भी छोड़ने
वाला था।
ब डंग अपने आप म एक साधारण छह—मं जला ढांचा थी, गुड़गांव के कई सरे
कॉरपोरेट द तर क तरह, ट ल और कांच से बनी ई। अंदर ज र साज—स जा क गई
थी, संगमरमर के फश, रसे शन के लए ेनाइट काउंटर और लॉबी के बीच —बीच एक
फ वारा। साफ दख रहा था क यहां से मुनाफे वाला और फलता—फूलता बजनेस चल
रहा है।
राधा ठ क से बैठ गई जब उसक तरफ एक लंबा और बला—पतला, अधपके बाल
वाला श स आया। उसने लेबोरे म पहना जाने वाला कोट पहन रखा था और उसक
श सयत से लग गया था क वही डॉ टर व ण स सेना है। राधा भा वत हो गई। उसने
यह उ मीद नह क थी क वो उसे लेने के लए खुद आएगा। ले कन डॉ टर व ण को
बताया गया था क राधा एक प कार है जो उनके मे डकल फे स लट म लगी आग क
रपो टग कर रही है और राधा ने अनुमान लगाया क कंपनी अपने बारे म नकारा मक खबर
नह चाहती है। यही वजह है क डॉ टर व ण ने तुरंत उससे मलने क मंजूरी दे द थी।
‘हैलो सीमा,’ बले—पतले श स ने उसके छद्म नाम से उसे संबो धत कया। उसके
चेहरे पर मु कान थी ले कन वो साफतौर पर बनावट थी। प प से, वो इस मी टग को
लेकर ब त खुश नह था और जानता था क उसके पास कोई और चारा नह है। ‘म ं
डॉ टर व ण स सेना।’
राधा ने भी बदले म अ भवादन कया। ‘इतनी ज द मी टग के लए तैयार होने का
शु या,’ उसने जोड़ा। ‘हम चाहगे क यह खबर कल चली जाए, अगर इसम बताने जैसी
कोई बात हो तो।’
स सेना ने राधा के इस शु आती हमले से संभलने क को शश क । ‘मुझे भरोसा है क
आपको ब त यादा बताने जैसी चीज नह मलगी। मुझे आपक ज रत क सारी
जानकारी दे कर खुशी होगी, ले कन मुझे नह लगता क आपको एक खबर के लए ज री
काफ मसाले मलगे।’ माहौल को ह का बनाने क अपनी को शश के साथ उसने एक
मु कान बखेर द । ‘ या हम ऊपर चलकर बात कर?’
राधा ने सहम त द और वो दोन चुपचाप चौथी मं जल क ओर चल दए। जब वो लोग
मी टग म म बैठ गए और स सेना ने उनके लए कॉफ ऑडर कर दया तो राधा ने फैसला
कया क सीधे मु े क बात क जाए।
‘मने पूव द ली म आपक फे स लट म आग को लेकर कई अफवाह सुनी ह,’ उसने
बोलना शु कया, ‘और मुझे लगा क सचाई जानने के लए सबसे अ छा तरीका है क
आपसे बात क जाए।’
‘ बलकुल, ‘ स सेना ने अपने दांत नपोर दए। ‘यह ब त अ छा कया। तो आपने या
अफवाह सुनी ह?’
‘दे खए,’ राधा एक पल के लए क जैसे वो सोच रही हो क उसे या कहना चा हए,
‘मने सुना है क कुछ ली नकल ायल डीसीजीआई से मा यता ा त नह थे। यह भी क
लोग पर जानलेवा माइ ो स के साथ योग कए जा रहे थे।’
स सेना हंस दया जैसे वो इस सवाल क उ मीद कर रहा था ले कन उसक हंसी म
बनावट पन और घबराहट दोन थी। ‘आपने जहां भी ये अफवाह सुनी ह , ये बलकुल झूठ
ह। उस फे स लट म जो भी ली नकल ायल टाइटन कर रही थी, सभी सबके सामने थे।
सभी को डीसीजीआई क मा यता ा त थी। म आपको इसके द तावेज दखा सकता ं।
और जानलेवा माइ ो स का इ तेमाल करना तो कोई सोच भी नह सकता। म आपको
बताना चा ंगा क ली नकल ायल इस तरीके से नह होते। और, टाइटन म हमने काम
करने के स त स ांत बना रखे ह जन पर हम गव है। म एक वायरोलॉ ज ट ं और मुझे
तुरंत पता चल जाएगा क कह कुछ गड़बड़ी तो नह हो रही।’
‘और फे स लट म जो लाश मल ? इस बारे म आप या कहना चाहगे?’ राधा जानती
थी क इमरान ने फैसला कया था क लाश के मलने क बात को अभी सावज नक नह
कया जाए, नह तो मी डया क नजर म आने के बाद जांच भा वत हो सकती थी। उसे इस
बात का पूरा भरोसा था क स सेना मी डया क तरफ से इस सवाल क उ मीद नह कर
रहा होगा और वो चाहती थी क वो उसे रंगे हाथ पकड़े।
स सेना च क गया। साफतौर पर वो इस सवाल क उ मीद नह कर रहा था। उसक
आंख सकुड़ ग । ‘आपसे यह कसने कह दया?’ उसने पूछा। ‘यह बलकुल झूठ है। आग
म कोई नह मारा गया है। संप और उपकरण को भारी नुकसान आ था ले कन कसी
क मौत नह ई थी।’
राधा ने गहरी सांस ली। ‘डॉ टर स सेना, मुझे भरोसा है आप जानते ह गे क हम
प कार के अलग—अलग जगह पर सू होते ह। पु लस म भी। जो मने सुना है वो आपक
बात से मेल नह खा रहा। मेरे सू के अनुसार, जब दमकल क गा ड़यां वहां प ंची तो
ब डंग म कोई नह था। कोई टाफ, लैब टे नी शयन या रसचर नह था। सभी लोग गायब
हो गए थे। सफ उन लाश को छोड़कर जो एक गु त तहखाने म मले थे, हाई—टे क से स
म, जो बाहर से बंद थे। और मने यह भी सुना है क उन लोग को गोली मारी गई थी। वो
आग म नह मरे और शायद आपक बात म इतनी ही सचाई थी।’
स सेना के कंधे झुक गए और उसके चेहरे पर घबराहट दखने लगी। ले कन उसने तुरंत
ही खुद को संभाल लया। या तो उसे ब त अ छ े नग द गई थी या फर उसे ऐसे मु कल
हालात संभालने का लंबा अनुभव था।
‘ठ क है,’ वो राधा क तरफ दे खकर मु कुराते ए बोला। ‘म सोच रहा था क कोई इस
बारे म नह जानता। म आपसे झूठ बोलने के लए माफ मांगता ।ं ले कन मेरी समझ से
आप इस मामले क गंभीरता को और इसके हमारी कंपनी पर पड़ने वाले असर को अ छे से
समझती ह गी।’ उसने अपना सर हलाया। ‘हम बलकुल नह पता क वो लाश वहां कैसे
आ या वो लोग वहां य थे। यक न मा नए, टाइटन ढ़ आदश और स ांत वाली कंपनी
है। हमारे फाउंडर और चेयरमैन कुत वॉलेस सफ अमे रका म ही नह , नया भर म
स ांत म व ास रखने वाले और स मा नत के प म जाने जाते ह। म यह नह
कह रहा क हमसे भूल नह होती। हम भी गल तयां करते ह। ले कन यह हमारी भूल नह
थी। हमारा मानना है क उस फे स लट का मा लक सुमन पाहवा वहां एक गु त अ ा चला
रहा था। अगर आप इसक वजह जानना चाहती ह तो बेहतर होगा क आप उसी से बात
कर। मतलब जब पु लस उसे ढूं ढ़ ले। मुझे यक न है क आपके सू इस बारे म आपक मदद
कर सकते ह।’ उसने अपने श द पर खासा जोर दया।
यानी इसका मतलब है क इसे पाहवा क लाश मलने क बात नह पता। राधा ने
फैसला कया क वो इसे यह बात नह बताएगी।
‘ले कन सटर पर तो सफ टाइटन के ाय स चल रहे थे।’ राधा हार मानने को तैयार
नह थी।
‘जी हां, बलकुल। म इस बात से इनकार नह करता।’
‘तो ऐसी फे स लट म, जहां ली नकल ायल हो रहे ह , आपको से स क ज रत
य थी?’
स सेना ने गहरी सांस ली। ‘आप वहां गंदगी ढूं ढ़ने क को शश कर रही ह, जहां यह है
ही नह । जैसा मने आपको बताया, ये ली नकल ायल, सरे ायल क ही तरह, बाहर
कराए जा रहे थे। इन ायल को कराने वाली लैब आयन उस फे स लट क मा लक थी।
हमने रसच को ायो जत करने के लए समझौता करने के पहले अपना त न ध भेजकर
उस फे स लट क जांच कराई थी, ले कन हम यह कैसे जान सकते थे क कोई गु त
तहखाना भी वहां हो सकता है। कसी जगह को दे खते व कोई यह थोड़े ही दे खता है क
वहां गु त कमरे ह या नह । आप गलत जगह पर गलत सवाल पूछ रही ह। म यह फर से
क ंगा क आप पाहवा से पूछ। आपको उससे पूछताछ कर गंदगी ढूं ढ़नी चा हए, टाइटन म
नह । फे स लट से जो बात सामने आई है, उसने हम भी उतना ही च काया जतना
आपको।’
राधा ने उसक बात को करीब—करीब नजरअंदाज करते ए जवाब दया, ‘एक और
अजीब बात यह थी क फे स लट क सफ तीन मं जल ही जली थ । संयोग से, यही वो
तीन मं जल थ जहां आईट सटर और फे स लट के सभी मे डकल रकॉड थे। आपको यह
अजीब नह लगता क सफ उ ह मं जल पर आग लगी? यह तो साफ—साफ लग रहा है
क फे स लट म हो रहे ायल से जुड़े रकॉड और आंकड़ को न करने के लए
जानबूझकर आग लगाई गई।’
‘मेरा जवाब वही है।’ स सेना क आवाज म अब खापन था। ‘हम नह पता क आग
कसने लगाई या कैसे लगी। इसक जांच शु हो गई है और जब यह पूरी हो जाएगी तो
न संदेह हम यादा जानकारी मलेगी। अभी हम सफ अटकल लगा सकते ह; और हमारा
मानना है क इन सबके पीछे सुमन पाहवा का हाथ है।’
राधा ने इस बात पर सर हला दया। अब जो खम लेने का समय था। ‘मने ये भी सुना
है क जो लाश मली थ , वो एक अनजान बै ट रया और वायरस से सं मत थ । यह कैसे
मुम कन है क पाहवा, अगर वो इन सबके लए ज मेदार है, को एक नह ब क दो नए
माइ ो स मल गए और उसने आपके मे डकल सटर म सौ से यादा लोग पर इसके
ली नकल ायल कर डाले और कसी को कुछ पता नह चला?’
स सेना का चेहरा स त हो गया। साफ था क इस ने एक खती रग छे ड़ द थी।
‘म सच म जानना चा ंगा क आपके सू कौन ह,’ वो कठोर लहजे म बोला। ‘ऐसा लगता है
क आप ब त सारी अनाप—शनाप चीज जानती ह। आप टाइटन के खलाफ गंभीर आरोप
लगा रही ह जनका कोई सबूत नह है। बद क मती से, इस खद घटना ने सा बत कया है
क कह ना कह हमारा शासन नाकाम रहा। सटर के टाफ सफ अपना काम कर रहे थे,
परी ण कर रहे थे या नमूने इक े करने जैसे काम कर रहे थे। वो शायद इस झूठे भरोसे म
रह गए क सभी ाय स को आ धका रक वीकृ त है। हम अपने अंद नी स टम क जांच
कर रहे ह और अब हम ऐसा ोसेस बनाएंगे जो यह सु न त करे क ऐसी घटना दोबारा ना
हो। इसके लए म आपको नजी तौर पर भरोसा दला सकता ं।’
वो राधा क तरफ झुका, उसका चेहरा प थर क तरह स त और मन म दबे डर क
वजह से काला पड़ गया था। ‘और म जानता ं क आप इस खबर को नह छापगी, मस
सीमा। आप जानती ह य ?’
राधा ने कुछ नह कहा। उसक आवाज म कुछ ऐसा था जो दहला दे ने वाला था। या
उसने यादा जो खम ले लया था?
‘ य क,’ स सेना ने अपनी बात जारी रखी, ‘आपके पास कोई सबूत नह है। अगर
आप टाइटन फामा यु टक स को बदनाम करने के लए ऐसी खबर छापगी, हम आपके
अखबार पर मुकदमा करगे। और म जानता ं क आपका संपादक ऐसा खतरा तो नह
उठाएगा।’
राधा ने जवाब दया। ‘और अगर हम सबूत मल जाएं तो?’
वो नडरता से सीएमओ को घूर रही थी, हालां क उसका कलेजा मुंह को आ रहा था।
स सेना उसक तरफ दे खकर नाखुशगवार तरीके से मु कुराया। ‘आपको नह मलगे।
और म आपको सलाह ं गा क आप को शश भी ना कर। यह खतरनाक हो सकता है।’
‘आप मुझे धमक दे रहे ह डॉ टर स सेना,’ राधा खुद पर काबू पाने क को शश करते
ए बोली। उसका नचला ह ठ कांपने लगा था।
स सेना क आवाज एकाएक बदल गई। उसने सामा य होने का मुखौटा वापस ओढ़
लया था। ‘नह , बलकुल नह ,’ जबरन मु कान उसके चेहरे पर लौट आई। ‘म बस इतना
कह रहा था क अगर कोई हमारे प रसर का इ तेमाल गैर कानूनी ली नकल ायल के लए
कर रहा था, और वो लोग हमसे इतने लंबे समय तक इस बात को छपाने म कामयाब रहे,
तो वो इस बात क पूरी को शश करगे क वो और उनक घृ णत योजनाएं सबसे छपी रह।
वो इस बात से नाराज हो सकते ह क कोई रपोटर उनके राज का पदाफाश करने क
को शश करे।’ वो खड़ा हो गया, ये इशारा करने के लए क मी टग ख म हो चुक है। ‘आप
एक अ छ नौजवान म हला ह,’ उसने अपनी बात पूरी क । ‘मुझे यह बलकुल अ छा नह
लगेगा क आपको कुछ हो जाए। इस लए अपना याल र खए।’
राधा ने चुपचाप सर हला दया। जो कुछ वो सुन रही थी उसे लेकर उसके मन म कोई
म नह था। उसने तुरंत स सेना से हाथ मलाया और वहां से चल द ।
जब वो चली गई, स सेना अपनी कुस म बैठा, थोड़ी दे र तक छत पर लगी लाइट् स को
दे खता रहा। फर उसने ठं डी सांस भरी और अपना मोबाइल फोन नकाला।
‘स सेना बोल रहा ं,’ कॉल लगने के बाद उसने कहा। ‘कुछ ऐसा है जो तु ह जानने क
ज रत है।’
22
गु त डायरी

‘ बलकुल,’ वजय अपना गला साफ करते ए बोला। ‘दे खते ह। यह थोड़ा उलझन म डालने
वाला है। यूमेनीज के बारे म अलग—अलग जगह पर अलग—अलग चीज मलती ह।
ले कन मुझे जतना पता चल सका, उससे लगता है क वो सकंदर का एक जनरल था जो
उसक मौत के बाद गृह यु म फंस गया था। उसने ओ ल पयास को उसके पोते को
मक नया क ग पर बैठाने क को शश म साथ भी दया था और इसे करते ए उसने
अपनी जान गंवा द थी। ये भी लगता है क वो एक व ान था और सकंदर के ए शया
अ भयान के दौरान राजसी रोजनामचे क दे खरेख करता था।’
‘तुमने सं ेप म काफ अ छे से बता दया, खासतौर पर अगर इस बात को यान म रखा
जाए क तु ह कै ल थनीज और यूमेनीज पर रसच करने के लए यादा व नह मला
था,’ ए लस ने कहा। ‘यूमेनीज सकंदर के पता फ लप तीय का स चव भी रहा था। और
फ लप क मौत के बाद यूमेनीज सकंदर का मु य स चव बन गया, साथ ही वो उसके
मुख सेनाप तय म भी एक था। सकंदर क मौत के बाद उसके सेनाप तय म सा ा य के
वभाजन को लेकर भीषण लड़ाई ई। यादातर जगह पर इस बात का ज है क
यूमेनीज एक का बल सेनाप त था, ले कन ऐसा लगता है क उसक क मत उसके साथ
नह थी। यह एक लंबी कहानी है ले कन म सं ेप म बताती ।ं एक बार प डकास, जो
सकंदर का नवा चत उ रा धकारी था, के खलाफ व ोह करने वाले सेनाप तय ने उसे
मौत क सजा सुना द थी ले कन उस व उसने मौत को मात दे द थी। ले कन सकंदर के
ही एक और सेनाप त एंट गोनस के साथ यु म मौत उसका पीछा कर रही थी। एंट गोनस
को परा जत करने के बावजूद यूमेनीज को उसके ही प ने धोखा दया और 316 ईसा
पूव म उसे एंट गोनस ने मार डाला। यह कहा जाता है क उसने एंट गोनस के साथ यु के
पहले सभी द तावेज और जरनल न कर दए थे। हालां क कसी भी ऐ तहा सक द तावेज
म उसक कसी गु त डायरी का कोई ज नह मलता।’
‘तु हारे अनुसार यह नकली है?’ वजय ने थोड़े गु से म पूछा। उसक आवाज म
आ ामकता को दे खकर को लन ने भ ह चढ़ा ।
ए लस अब डायरी को यान से पढ़ रही थी। उसने शायद इस पर गौर ही नह कया था।
‘ऐसा तो नह लगता,’ उसने धीरे से कहा, जैसे खुद से ही कह रही हो। ‘अनुवादक लॉरस
फुलर क शु आती ट पणी के अनुसार, उसने 1954 म म म पुरानी चीज के एक
कानदार से ठ क—ठाक हालत म पपीरस द तावेज का एक द ता लया था, जब वो
का हरा के पास खुदाई के लए गई एक ट म का ह सा था। फुलर ने बड़े पैमाने पर ट का—
ट पणी भी जोड़ी है। ले कन मुझे यह नह समझ आ रहा क यह डायरी म कैसे प ंच
गई। यूमेनीज उस इलाके म मारा गया था जो आज ईरान है।’ उसने वजय क तरफ दे खा।
‘तु ह यह कहां से मली?’
वजय ने उसे बताया क कैसे उसने और राधा ने इस डायरी को आज सुबह ही ढूं ढ़
नकाला था। ‘मेरे माता— पता इ तहासकार थे,’ उसने अपनी बात ख म करते ए कहा,
‘वो आ कयालॉ जकल सव ऑफ इं डया म काम करते थे।’
‘अ त,’ ए लस फुसफुसाई, और फर डायरी पढ़ने लगी। ‘ऐसा लगता है क पपीरस
द तावेज ठ क—ठाक हालत म तो थे ले कन कुछ ह से गायब थे। फुलर, जो भी वो था, ने
अनुवाद करते व अपनी तरफ से पूरी को शश क थी क इसका अथ समझ म आए,
ले कन गायब श द के साथ इसे पढ़ने और समझने म द कत हो रही है।’
‘तु हारे माता— पता को यह डायरी कहां से मली,’ को लन ने आ य जताया। ‘हो
सकता है वो इस फुलर को जानते ह ।’
वजय ने कंधे उचकाते ए जवाब दया। ‘म ब त छोटा था, और बद क मती से उस
समय उनके कामकाज म मेरी दलच पी भी नह थी। मुझे बलकुल नह पता क उनके
दो त कौन थे या यह फुलर भी उनका दो त था। हालां क आज म सोचता ं क काश मुझे
पता होता। कतना अ छा होता अगर म उससे संपक कर पाता और अपने माता— पता के
बारे म बात कर पाता।’ उसक आवाज म एक उदासी सी उतर आई।
‘अभी मेरे पास इतना धैय नह है क म पूरी डायरी पढूं ,’ ए लस ने ज द से अपनी बात
ख म क , उसक आवाज म रोमांच क झलक थी। ‘मुझे इसका सार बता दो।’
‘फुलर के मुता बक यह डायरी दो ह स म है और इसम एक अ र भी है,’ वजय ने
अपनी बात शु क । ‘कै ल थनीज वाला ह सा लगता है कै ल थनीज ने खुद लखा है,
ले कन साफतौर पर ये यूमेनीज क ‘द डीड् स ऑफ अले जडर’ से नकाला गया था, जसे
कै ल थनीज ने अपनी डायरी का ह सा बना लया। कै ल थनीज के मुता बक सकंदर ने
सॉग डयन रॉक अ भयान के दौरान उसे एक गु त मशन पर भेजा था। इस कहानी म कई
चीज गुम ह य क डायरी के इस ह से को काफ नुकसान प ंचा था। इस लए यह ब त
साफ नह है क इस मशन के उ े य या थे। ले कन इस बात का वणन है क वो बै या
के जंगल म घूम—घूमकर पेड़ और प य का परी ण कर रहा था। इसका कोई मतलब
समझ नह आता।’
‘बस इतना ही?’ ए लस ने सोचा यह तो एंट — लाइमे स हो गया।
‘उस कहानी म बस यही है। कै ल थनीज लौटा, उसका मशन कामयाब रहा, और
सकंदर ने उसके इस काम के लए कृत ता जताई।’
‘और थोड़े दन बाद ही उसे मरवा डाला,’ को लन हंस दया। ‘यह उसक मनोदशा के
उतार—चढ़ाव को दखाता है।’
‘ या डायरी इस बारे म बताती है क कै ल थनीज को बै या म मला या था?’
शु ला ने धीरे से पूछा। वो अब तक चुपचाप बैठे, हाथी दांत के यूब का नरी ण कर रहे थे
और उनक बातचीत सुन रहे थे।
वजय ने अपने नोट् स दे खे और फर ना म सर हला दया। ‘फुलर के अनुवाद म ऐसा
कुछ नह है। हो सकता है क मूल पपीरस द तावेज म यह हो और वो ह सा बबाद हो
चुका हो।’
‘यह मुम कन लगता है,’ ए लस क ट पणी आई। ‘कै ल थनीज सकंदर के ए शया पर
आ मण के दौरान कई वै ा नक मशन पर गए थे। ले कन यह च काने वाली बात है क इस
कहानी म यादा कुछ नह है। मसाल के लए वो बै या के जंगल म या कर रहा था।’
‘यूमेनीज क कहानी थोड़ी यादा दलच प है। तुम लोग उसके लए तैयार हो जाओ।’
वजय क आंख म एक चमक थी। ‘यूमेनीज के मुता बक सकंदर को उसक मां ने एक
चमप दया था जस पर छह छं द लखे थे, जसक मदद से उसे उस चीज को ढूं ढ़ने म
मदद मलती, जसे वो ‘ई र का रह य’’ कहते थे। यूमेनीज ने इस बात का खुलासा नह
कया है क वह रह य या था, ले कन वो कहता है क चमप पर लखे छं द दशा— नदश
थे जो सकंदर को रह य का पता लगाने म मदद करते। उन दोन ने एक रात अपनी सेना को
छोड़ा और अपने साथ एक छोटा चमड़े का थैला और एक मोमजामे का थैला रखा, हालां क
उनम या था, यह यूमेनीज को नह पता था। उ ह ने उस गु त थान को ढूं ढ़ नकाला, जो
एक ऐसे पहाड़ म था जसक आकृ त पांच सर वाले सांप क थी। सकंदर ने यूमेनीज को
पीछे छोड़ा और थोड़ी दे र के लए अंदर गया। जब वो लौटा, उसक छाती के कवच गीले थे,
जैसे वो कसी तालाब म डु बक लगाकर आया हो। यूमेनीज नह जानता था क उस रात
या आ, ले कन वो यह कहकर अपनी बात ख म करता है क सकंदर को ई र का रह य
मल गया था और उस रात के बाद से, वो भी ई र बन गया था।’
जब वजय ने अपनी बात ख म क तो वहां चु पी छाई थी।
‘यह कुछ कहानी ई,’ अंत म ए लस ने कहा। ‘यह न त तौर पर ऐ तहा सक
अ भलेख से मेल खाती है जसम बताया गया है क सकंदर ने वयं को ई र घो षत कर
दया था और वो पूजा जाना चाहता था। ले कन यह कहानी ऐसी लगती है जैसे सकंदर पर
लखे उप यास म एक हो।’
‘मने उस बारे म सुना है,’ को लन ने कहा। ‘दे ख लो, म ीक इ तहास से बलकुल
अनजान नह ं। सकंदर के बारे म एक कहानी सं ह है ना?’
‘को लन, म उसे ीक इ तहास नह क ंगी,’ ए लस मु कुराती ई बोली। ‘ सकंदर पर
उप यास कसी अनजान ीक लेखक ने लखे थे जसे आज छ —कै ल थनीज कहकर
संबो धत कया जाता है। ये उप यास तीन सं करण म ह और काफ मजेदार ह। सबसे
पुरानी पांडु ल प तीसरी सद क है। उनम सकंदर के बारे म कहा नयां ह जो इतनी मजेदार
ह क उन पर यक न नह कया जा सकता। सच पूछो तो उसम इ तहास से यादा क पना
है।’
को लन मु कुराया। ‘हां—हां, म भी जानता था ये, सच म।’
ए लस उस बारे म सोच रही थी जो वजय ने अभी—अभी उ ह बताया था। ‘ सकंदर
का इकलौता अ भयान जस पर वो गया था, वो था नया जीतने का। यह तो इ तहास म
काफ अ छे से दज है।’ वो अभी भी अपनी बात पर कायम थी। ‘और, अगर हम एक पल
के लए यह भी मान ल क वो एक गु त अ भयान पर गया था “ई र के रह य” क तलाश
म तो भी यूमेनीज ने इस बात का वणन तो कया नह है क उसे कोई क मती चीज मली
हो। वो बस इतना कहता है क सकंदर पहाड़ के अंदर अकेला गया और जब बाहर लौटा तो
उसके कवच गीले थे।’
‘शायद उसने ई र का तालाब ढूं ढ़ नकाला हो,’ को लन फर से मु कुरा दया। ‘वो भी
तो बेहद खास होगा ना?’
ए लस ने उसक ओर दे खकर बुरा सा मुंह बनाया। ‘अ छा मजाक था, को लन। ले कन
सच तो यही है क यह कहानी भी सकंदर के उप यास म जो कहा नयां ह, उनक तरह लग
रही है। उप यास के सभी सं करण म सकंदर को ई र क तरह तुत करना सामा य है।
हो सकता है इसी लए यूमेनीज ने इस कहानी को अपने आ धका रक अ भलेख म शा मल
नह कया हो। इसम इतनी क पना है क इसे सच नह माना जा सकता।’
शु ला ने अपना गला साफ कया और वजय को संबो धत कया। ‘ या यूमेनीज यह
बता रहा है क वो छह छं द कस बारे म थे?’ उ ह ने धीरे से यह पूछा।
‘मने सोचा क आप लोग नह पूछगे,’ वजय के हाव—भाव से लगा क वो अब कुछ
बड़ी चीज का खुलासा करने जा रहा है। ‘उसने डायरी म हर छं द को दज कया है और
फुलर ने हर छं द का अनुवाद करने क को शश क है। कुछ श द गायब ह ले कन आप हर
छं द का सार तो समझ ही जाएंग।े ये रहे वो छं द।’
उसने अपनी नोटबुक का एक प ा पलटा और पढ़ना शु कया।
23
मंडराता आ संकट

कूपर े सड शयल सुइट के अपने बेड म म बैठा था और अपने नजी कं यूटर पर


यन वान लुएक का चेहरा दे ख रहा था। उसने वान लुएक को अभी तुरंत बताया था
क मशन का काम कतना आगे बढ़ा है। वान लुएक पूरी बातचीत के दौरान सर हलाता
जा रहा था और संकेत दे रहा था क वो कॉल को ज द से ख म करना चाहता है।
ले कन, जब कूपर ने उन लोग के बारे म बताया, जो ए लस के साथ थे, इस ऑ यन
बजनेसमैन का पूरा यान उसक बात पर गया। उसक बाज जैसी तीखी आंख थान और
समय क री के परे कूपर पर धंस ग ।
‘म इन नाम को पहचानता ं।’ वान लुएक क आवाज म पैनापन था। वो उन लोग
को नह भूला था ज ह ने पछले साल महाभारत के उस राज को हा सल करने क ऑडर
क को शश को वफल कर दया था, जो पछले दो हजार साल से गु त था। ‘वो रा ते के
ब त बड़े कांट ह। उ ह लोग क वजह से पछले साल हम ऑडर के एक अहम सद य को
खोना पड़ा था।’ उसने ज द —ज द कूपर को उन घटना के बारे म बता दया।
‘हमने उ ह ख म य नह कर दया?’ कूपर च कत था क ऑडर ने इन लोग को
आसानी से जाने य दया। उनका अभी तक जी वत रहना ऑडर के काम करने के तरीके
से मेल नह खाता। “कोई जदा ना बचे, कोई गवाह ना बचे” ऑडर का मागदश स ांत
था। ऑडर के साथ काम करने वाला हर श स इस स ांत से वा कफ था। इसका कोई
अपवाद नह हो सकता था। इस मामले म इस स ांत से य हटा गया, कूपर समझ नह
पा रहा था।
वान लुएक ने कूपर के मन म चल रहे सवाल को महसूस कर लया था। वो वा तव म
ऑडर का मबर नह था, सफ एक कमचारी था। ‘ जतनी पीछे तक कसी क याददा त जा
सकती है, ऑडर तब से काम कर रहा है, इ तहास क शु आत से। ये गत तशोध से
कह बड़ा है। कोई नह जानता ऑडर का उ े य या है। यह सफ ऑडर के सद य को
पता है। ले कन जो लोग मायने रखते ह, वो जानते ह क हम या कर सकते ह। और वो
हा सल कया जा रहा है चुपचाप रहकर, पद के पीछे से काम करके, राजनी त, यु ,
अथ व था , ापार और व ीय बाजार के चालाक से इ तेमाल के ज रए। और
इस लए तु हारा मशन इतना मह वपूण है।’
‘यह सम या खड़ी कर सकता है,’ कूपर ने कुछ सोचने क मु ा म अपनी ठु ी खुजाई।
‘भारतीय खु फया वभाग के इस मामले म शा मल होने क वजह से कुछ भी हा सल कर
पाना मु कल होगा।’
वान लुएक ने फ क मु कान बखेरी। ‘म तु ह जानता ं। तुम अपने काम को छपाए
रखोगे। ये लोग हमारे लए कोई मह व नह रखते। और हमारा इस काम के पीछे कोई वाथ
नह है। इस लए अगर कोई भी तु हारे रा ते म आता है तो जो तु ह सही लगे, वो करो। कोई
जदा ना बचे, कोई गवाह ना बचे। तुम नयम जानते ही हो।’
कूपर ने हामी भरी और बातचीत ख म हो गई।
तभी बेड म के दरवाजे पर द तक ई। कृ णन आया था जो कुछ बेचैन सा था।
‘कोई परेशानी है?’ कूपर ने पूछा।
‘आईबी अफसर और राधा शु ला दोन टाइटन फामा यु टक स म ह।’
अगले ही पल कूपर सुइट के ल वग म म था। ‘यह नह हो सकता।’
कृ णन ने एक मॉ नटर क तरफ इशारा कया जसम दो जगह पर लाल रोशनी
टम टमा रही थी। ‘यह टाइटन है। और ये दो हमारे शकार ह।’
कूपर अपनी आंख पर यक न नह कर सका। या भारतीय खु फया एज सय को
उनक योजना क भनक लग गई है? यह तो मुम कन ही नह था। कोई नह जानता था।
यहां तक क वो भी पूरी बात नह जानता है। वो बस इतना जानता है क यह मशन प चीस
साल पहले शु आ है। उसे कहा गया था क तावरोस को काम पर लगाया जाए और
ओ ल पयास के मकबरे पर खुदाई के काम क अगुवाई म हाथ बंटाए। उसे बताया गया था
क मकबरे से या चीज नकालनी ह। और उसे इस बात का भी नदश दया गया था क
एक बार जब कलाकृ तयां मल जाएं तो उनका या करना है। वो इससे यादा नह जानता
था।
तो ऐसा या है जो आईबी जानती है और वो नह ?
जो भी हो, उसे कारवाई तो करनी होगी। उसने तुरंत अगले कदम का फैसला कर लया।
सबसे पहले उसे एक फोन करना है। और उसके बाद उसे अपने शकार को ख म करना था।
वो लोग सच जानने के बेहद करीब प ंच रहे थे।
और वो ऐसा नह होने दे सकता था।
24
एक टू ट कड़ी

वजय ने सभी छह छं द पढ़े , वो तभी क रहा था जब उसे हर छं द को एक नंबर दे ना होता


था और वो गुम श द को छोड़ता जा रहा था।
‘पहला छं द,’ उसने शु कया। ‘यह छं द ऐसा है जो करीब—करीब पूरा है।
तब… छल का ज म थान
जो ज मा है मृ यु से, क र तशोध से
जसने ख म कर दया एक स ाट के वंश को
जो था साहसी यो ा… पासा फको!
और… भा य तु ह राह दखाएगा!
सरे छं द म कई श द गायब ह,’ उसने आगे पढ़ने के पहले ये बात जोड़ द ।
‘तेजी से… आंख के उस पार
…लवणर हत सागर के पास
तीन भाई…
उस तीर के अ भाग पर जो… राह
वेश करने के लए… हेडस के
खुदाई करो… सांप क मुहर
और पाओ… अ वेषण।’
‘तीसरा छं द,’ वो आगे बढ़ा।
‘और… पवत…
तोड़ो… और… और छाल
पहला जसम ह … और फल
गहरा… ढका हो… सफेद
और… या… अगला है चकना
फल का….
रहना सावधान… छाले ह गे… पश।
‘चौथा छं दः
अब वेश करो… ार…
घा टयां… पूव…
चुनाव करो…. यहां, याद रखो जहां
तुम… अपोलो रहता है।’
‘पांचवां छं द हैः
पवत… के ऊपर
जहां… और रात… मलते ह
और… पोजीडॉन का दं ड
….को …सप
पांच… अ भभावक
ार… जीवन… दे गा।’
‘और ये रहा अं तम और छठा छं दः
‘याद रखो… नभ क हो…
करो उपे ा… अपने जो खम पर
त व… एक साथ
सुर ा से लैस… ती ण
…क …अवमानना
और खो बैठो… अमू य उपहार।’
वजय ने अब ऊपर दे खा। सब तरफ चु पी छाई थी।
‘तो इसका मतलब है क सकंदर ने जो चमप अपने साथ रखा था और हाथी दांत का
जो यूब ए लस को उसक मां के मकबरे म मला है, उनम आपस म कोई संबंध है।’
को लन ने चु पी तोड़ी। ‘पहले छं द के अलावा, बाक सभी वैसे ही ह जो यूब पर लखे ह।
ये साफ दख रहा है, भले ही कुछ श द गायब ह।’
शु ला ने को लन क बात का समथन कया। ‘मुझे लगता है क ये मामला कुछ ऐसा
था। जब तुमने कै ल थनीज के बै या के जंगल म मशन का ज कया था, मेरा दमाग
तुरंत उस छं द क तरफ चला गया था जसम प य , छाल और एक पौधे का वणन कया
गया है। और जब तुमने बताया क सकंदर का अ भयान पांच सर वाले एक सांप के साथ
ख म आ था, मेरा न कष इस बात से और पु हो गया। यूब का एक छं द रा ते के
अ भभावक के तौर पर एक ऐसे सांप क बात करता है जसने पांच मुकुट पहन रखे ह, इसे
पांच सर वाले सांप के तौर पर दे खा जा सकता है। ले कन म खुद तय नह कर पा रहा था
क या म इन क ड़य को जोड़कर वो संबंध बनाने क को शश कर रहा था जो था ही
नह ।’
‘यह दलच प है,’ ए लस ने धीरे से बोला। ऐसा लग रहा था क वो बोलते ए सोच भी
रही है। ‘ यूब म भारतीय दे वता का ज है और एक ाचीन भारतीय भाषा और ाचीन
भारतीय ल प म लखा है। सरी ओर सकंदर के पास जो चमप था, उसम भारतीय
दे वता के बदले ीक दे वता ह। सूय क जगह अपोलो है, शव क जगह पोजीडॉन है।
और सफ दे वता ही नह ——पाताल क जगह हेडस ने ले ली है। इस बात क संभावना
यादा है क चमप पर लखा भी ीक म गया हो। इसका मतलब यह है क यूब भारत म
तैयार कया गया और कसी ने उसका अनुवाद ीक म कया। इससे सकंदर के लए छं द
अ धक ासं गक हो गए और सं कृत छं द क तुलना म आसानी से समझ भी आ गए।’
‘इससे तो और नए सवाल खड़े होते ह,’ वजय ने कहा। ‘सबसे पहले तो यही क यूब
आया कहां से? और कसने मूल सं कृत छं द का अनुवाद ीक म कया? ये तो वही कर
सकता है जसे सं कृत और ीक दोन भाषाएं आती ह । फर, वो अ भयान कौन सा था
जसक बात चमप म क गई है? यह न त प से सकंदर के लए बेहद मह वपूण रहा
होगा तभी तो वो इसके लए ीस से भारत तक आ गया। यूमेनीज के अनुसार यह अ भयान
ई र का रह य ढूं ढ़ने के लए था। ले कन इससे कोई बात साफ नह होती।’
‘और उस प का या?’ ए लस ने वजय से पूछा। ‘तुमने कहा था क डायरी के साथ
एक प भी था।’
वजय ने हामी भरी। ‘फुलर के मुता बक, वो प डायरी के लए ा या प जैसा है।
यह यूमेनीज ने ओ ल पयास को संबो धत करते ए लखा था। फुलर का मानना है क यह
प डायरी के साथ ही यूमेनीज ने ओ ल पयास के पास भेजा था। शायद उसने अपनी मृ यु
के कुछ समय पहले ही इसे ओ ल पयास के पास भेजा हो?’
ए लस ने भ ह तानते ए जवाब दया। ‘यूमेनीज क मौत 316 ईसा पूव म ई थी। और
ओ ल पयास क भी। हो सकता है उसे यह प मला ही ना हो। शायद फुलर का अनुमान
सही है। और कसी तरह ये सभी द तावेज म प ंच गए।’ उसने कंधे उचकाए। ‘ये सब
अटकल ह। हमारे पास कोई त य या माण नह ह।’
वजय मु कुरा दया। ए लस के अंदर का पुरात ववे ा बाहर आ रहा था, जो
ऐ तहा सक द तावेज से बाहर क कसी भी चीज को तब तक वीकार नह करता जब तक
कोई पुराता वक या अ भलेखीय माण ना ह ।
उसने कहा, ‘जो भी हो, प ओलं पयास को जानकारी दे ता है क सकंदर का सधु क
भू म का अ भयान सफल आ। प म यह भी कहा गया है क उसने सकंदर को जो
वृ ाकार धातु प का द थी, उसे उसके नदश के मुता बक सकंदर के दै वीय पता जयस
क वेद के नीचे जमीन म गाड़ दया गया है। यह उन बारह वे दय म एक था ज ह सकंदर
ने बेबीलोन वापसी के पहले ास नद के तट पर बनवाया था। और यूमेनीज के मुता बक
यह धातु प का ई र के रह य को ढूं ढ़ने क चाभी थी।’
‘तो तुम मानते हो क यह धातु प का वो मा यम हो सकती है जो यूब पर लखे छं द
का मतलब समझा सकती है?’ को लन ने अनुमान लगाया क वजय या सोच रहा है।
‘यह संभव हो सकता है,’ शु ला ने भी सहम त जताई। ‘ यूब पर लखे छं द का कोई
अथ नह है, जब तक क, जैसा राधा ने पहले कहा था, हमारे पास कोई संदभ ना हो ता क
हम समझ सक क उनका मतलब या है। शायद यह धातु क प का हम संदभ दे सकती
है। और अगर सचमुच म यह रह य क चाभी थी, तो यह बात भी समझ म आती है क य
ओ ल पयास ने उसे जमीन म गाढ़ दे ने के लए कहा होगा। आ खर वो भी तो नह चाहती
होगी क ई र के रह य का पता उसके बेटे के बाद कोई और लगा पाए।’
‘म अभी भी ये नह समझ पा रही ं क ओ ल पयास को यूब और मेटल लेट कहां से
मले,’ ए लस अभी भी इस पहेली म उलझी ई थी। ‘ कसने ये चीज उसे द ह गी? और
य ? यह अ छा रहता क वो मेटल लेट भी उसके साथ ही उसके मकबरे म दफन कर द
गई होती। इससे हम उसक जांच कर पाते और खुद भी दे ख पाते क या उसका संबंध
यूब से हो सकता है।’
वजय उसक ओर दे खकर मु कुराया। उसके पास अभी भी एक च काने वाली चीज
मौजूद थी। उसने उस फाइल पर थपक द जसम उसे पहली बार डायरी का ज मला
था।
‘मने तु ह एक फाइल के बारे म बताया था जसने हम यूमेनीज क डायरी तक
प ंचाया,’ वजय ने समझाते ए कहा। ‘यह वही फाइल है। कुछ सोचकर, मेरे पता ने उस
समय नया भर म चल रहे खनन काय से संबं धत कई अखबार के लेख और द तावेज
जमा कए थे। मुझे नह पता क उ ह ने ऐसा य कया था, ले कन जब म डायरी पढ़ रहा
था, मुझे इस फाइल के एक लेख म लखी कसी चीज का याल आया था।’
वो फाइल म रखे कागज को पलटने लगा जब तक क उसे वह लेख नह मल गया
जसक उसे तलाश थी। ‘यह खबर 1985 क है। म इसे पढ़कर सुनाऊं?’
सभी लोग ने सर हलाया और इंतजार करने लगे।
‘ सकंदर महान क बनवाई गई वे दय के अवशेष मले,’ वजय ने उस लेख का शीषक
पढ़ा। ‘हो शयारपुर जले म दासूया शहर के पास सधु घाट के अवशेष क खुदाई कर रहे
पुरात ववे ा को बड़ी सं या म वशाल ढांच क न व मली है, जो म क ट से बने
लगते ह। न व के हसाब से लगता है क हर ढांचे का आधार कम से कम 17 वग मीटर रहा
होगा। पुरात ववे ा का अनुमान है क ये उन बारह वे दय के अवशेष हो सकते ह जनके
बारे म माना जाता है क उ ह सकंदर ने अपनी वापसी क लंबी या ा शु करने से पहले
ास नद के तट पर बनवाया था। करीब दो हजार साल तक ये वे दयां नजर से ओझल रही
ह, जब क सकंदर के बाद करीब 400 साल तक भारतीय राजा ने इन वे दय क पूजा
क थी।’
उसने नजर उठाकर सभी के चेहरे दे ख।े ‘अब इसे यान से सुनो। एक वेद का परी ण
करते व एक छोट वृ ाकार धातु प का मली, जो कसी अनजान काली धातु से बनी थी
और एक आधार शला के नीचे दबी थी। इस लेट क उ प और यह वहां कैसे प ंची, यह
एक रह य है य क यह लेट ीक मूल क नह लगती। खनन काय म लगी ट म इस बारे म
कुछ नह बता रही है, सफ इतना बताया जा रहा है क धातु क प का काफ ाचीन है,
सकंदर के समय से भी पुरानी, और इस पर रह या मक तीक च खुदे ह जो च ल प
क तरह दखते ह। इस लेट को नई द ली म रा ीय सं हालय म भेजा जा रहा है जहां
इसक जांच होगी और इसे संर त रखा जाएगा।’
शु ला मु कुराने लगे। वो जानते थे क वजय अब या कहने जा रहा है। ‘तो तुम एक
और र क कौड़ी लाए हो और कहना चाह रहे हो क यह रह यमयी धातु प का वही है
जसका वणन यूमेनीज ने अपने प म कया है?’
‘ बलकुल सही।’ वजय ने फाइल मेज पर वापस रख द । ‘म नह मानता क ये र क
कौड़ी है। पहली बात क लेट सकंदर के समय से भी पुरानी लग रही है। सरी बात क ये
सकंदर क वे दय क आधार शला के नीचे कैसे प ंची? जब तक क सकंदर ने खुद उसे
वहां नह रखा हो? और यूमेनीज ने यही कहा है क सकंदर ने ऐसा कया था।’
‘मुझे इस तक म अभी भी कमी दख रही है वजय।’ ए लस के माथे पर लक र उभर
आई थ और वो अपने वचार को साफ—साफ कर रही थी। ‘एक ब त साधारण सा
अनुमान पुरात ववे ा ने लगा लया था क वो ढांचे सकंदर क वे दय के अवशेष थे।
एक बार फर कोई पु ता सबूत नह है इस दावे के प म। अगर वो सफ दो हजार साल
पुराने अवशेष ह , जनका सकंदर से कोई संबंध ना हो तो?’
शु ला के माथे पर भी बल पड़े। ‘प का 1985 म ढूं ढ़ गई थी। मने उसे कभी भी
रा ीय सं हालय म नह दे खा है।’
‘हम सं हालय म फोन करके य ना पूछ ल?’ को लन ने सलाह द । ‘हो सकता है क
यह आम लोग के दे खने के लए ना रखी गई हो। कई सं हालय म चीज उनके तहखाने म
ग े के ड ब या लकड़ी के ब स म रखी रहती ह। म जानता ं क का हरा का सं हालय
यही करता है। आमतौर पर जनता को ऐसी चीज दे खने क इजाजत नह मलती है, ले कन
ए लस तो खुद पुरात ववे ा है। वो ये कह सकती है क वो इसे अपने रसच के मकसद से
दे खना चाहती है?’
ए लस ने हामी भरी। ‘ बलकुल, म यह जानने के लए उ सुक ं क या लेट का यूब
से वाकई म कोई संबंध है। इससे इस डायरी म कए गए दाव क पु भी करने म मदद
मलेगी या फर यह सा बत हो जाएगा क ये भी सकंदर पर लखे गए उप यास का एक
ह सा है।’
‘एक बार को शश तो क जा सकती है।’ वजय उठा और उस मेज क तरफ बढ़ा जहां
उसका मोबाइल फोन रखा था।
‘शायद म मदद कर सकता ं,’ शु ला ने कहा। ‘मेरा एक दो त था जो रा ीय सं हालय
म नरी क था। वो हमारी मदद कर सकता है।’ उ ह ने वजय को नंबर दया।
अगले कुछ मनट म वजय ने शु ला के दो त से बात कर ली थी, पुरात व वभाग के
नरी क का नंबर हा सल कर लया था जो पुराता वक सं ह का रखवाला भी था और लेट
दे खने के लए सं हालय जाना भी तय कर लया था।
वजय ने मोबाइल फोन नीचे रखा, उसक आंख चमक रही थ । ‘दे खते ह क हमारे
अनुमान का कोई मतलब भी है या नह । अभी तो हम यूब क पहेली को सुलझा नह पा
रहे ह। हम यहां तक नह पता क सकंदर क मां को यह चीज मली कैसे। ले कन जैसा
ए लस ने कहा था, ये दे खना अ छा रहेगा क हम एक पुराने रह य क क ड़यां जोड़ पाते ह
या नह और या डायरी म लखी कहानी म सचाई है या नह ।’
‘तुम बलकुल सही कह रहे हो क हम यूब क इस पहेली को सुलझाने नह जा रहे,’
को लन ने जोर दे कर कहा। ‘ पछली बार जब हम छं द का मतलब नकालने गए थे, हम
आतंकवा दय से उलझ गए थे और मौत के मुंह से बाहर नकले थे। यह एक रोचक चचा थी
ले कन इसे बस यह ख म होना चा हए। हम धातु प का दे ख, पता लगाएं क यूमेनीज ने
हमारा समय बबाद कया या नह और उस अ याय को वह बंद कर द।’
वजय मु कुराया। ‘ बलकुल, म तु हारे साथ ं। म इस बार कोई जद नह क ं गा। यह
यूब हमारे लए कोई मह व नह रखता। जो भी इसके राज ह, वो हमेशा के लए दफन ही
रहगे।’
वो यह नह जानता था क वो कतना गलत स होने वाला है।
25
गंदे मंसूबे

‘वो कह जा रहे ह,’ कृ णन ने बताया।


कूपर ने न पर दख रहे ब —गु छ पर नजर डाली। वो मु कुराया। ‘वो कले से
बाहर नकल रहे ह। ब त अ छा।’ वो इसी मौके क तलाश म था। कले के बाहर उ ह
नशाना बनाया जा सकता था। ‘उन पर नगरानी रखो और मुझे बताते रहना।’
वो अपने पास खड़े एक ब ल नौजवान क तरफ घूमा, जो छह फ ट लंबा था, उसके
घुंघराले सुनहरे भूरे बाल कनार पर बखरे से थे, और यान ख चने वाली नीली आंख थ ।
राइली उसके ह यार क ट म म एक साल पहले ही शा मल आ था ले कन अपने क ल के
तरीके से उसे भा वत कर चुका था—— नमम और अचूक। ले कन राइली चाकू, र सी
और अपने हाथ का इ तेमाल करता था। ‘म अपने शकार को महसूस करना चाहता ं जब
वो मर रहे ह ; जब कोई अं तम सांस लेता है तो मौत क तरफ बढ़ते उसके शरीर का ठं डा
पश मुझे पसंद है,’ उसने कूपर को यही बताया था जब उससे पूछा गया था क उसे बं क
य नापसंद ह।
उसके इसी झुकाव क वजह से वो काफ कसरत करता था और डील डौल को बढ़ाने
वाली दवाएं लेता था ता क उसक शारी रक ताकत बढ़ती रहे। कसी को करीब से मारने के
लए आपको अपने शकार से यादा मजबूत होना ज री होता है। आप कामयाब नह ह गे
अगर आपका शकार आपको दबोच ले।
उसे जब दो रात पहले ीस म दो बार बं क का इ तेमाल करना पड़ा था तो उसे यह
नागवार गुजरा था। उस रात उसे आदे श दया गया था क जस मकबरे क कूपर और
तावरोस ने खुदाई क है, उसम व फोटक लगाए जाएं। ले कन एक म हला पुरात ववे ा
वहां अचानक आ गई थी जब वो वहां मौजूद था। उसे मजबूरन गोली चलानी पड़ी थी ता क
वो वहां से भाग ना जाए, ले कन उसके लए बं क कभी भी पसंद दा ह थयार नह थी और
उसका नशाना चूक गया था। उसका सामना उस म हला से दोबारा तब आ था जब उसने
अपना हेलीकॉ टर हाइवे पर उतारा था। उस रात उसने बेमन से बं क का सहारा लया था
जब वो म हला खु लमखु ला उसे चुनौती दे ते ए उसके हेलीकॉ टर को ट कर मारकर वहां
से भाग नकली थी। वो जदा बच गई थी। और दे श छोड़कर भाग गई थी। ले कन उन लोग
ने उसे अब ढूं ढ़ नकाला है।
‘म चाहता ं क तुम इसे खुद संभालो,’ कूपर ने राइली को कहा। ‘पता करो क वो या
जानते ह। और फर तीन को ख म कर दो। अगर वो द ली जा रहे ह तो तुम तुरंत चले
जाओ और वहां हमारी ट म से मलो।’
राइली ने सर हलाकर हामी भरी। यह उसके लए मौका था उस काम को पूरा करने
का, जो वो उस रात नह कर सका था। उसे बदला लेना था। ‘ बलकुल, म इसे संभाल लूंगा।
आप बाक दो के पीछे जा रहे ह?’ उसक आवाज म टे सास म बताए लंबे समय क छाप
थी।
कूपर ने हां म जवाब दया। ‘हमने फैसला कया है क हम म हला को जदा पकड़गे।
हम उसे ख म करने के पहले पता करना है क वो या जानती है।’ उसने एक सरी न
पर एक लाल ब क तरफ इशारा कया। ‘ले कन उसके पहले म एक और शकार को
संभालूंगा।’ वो राइली क तरफ दे खकर मु कुराया। ‘म तु ह भेजता ले कन हम इसके लए
लंबी री के ह थयार क ज रत पड़ेगी।’
‘चीयस।’ राइली क आवाज म नरमी थी।
कूपर सुइट से बाहर नकला और ल ट के बटन पर घूंसा मारा। अगर चीज योजना के
मुता बक चल , मशन का ये दौर आज क रात ख म हो जाएगा। हमेशा क तरह, कोई
जदा नह बचेगा।
26
नई द ली

राधा शाम क भीड़वाले ै फक के बीच से रा ता नकालते ए धीरे—धीरे गाड़ी चला रही


थी। टाइटन फामा यु टक स के द तर से नकलने के बाद उसने इमरान को फोन करने क
को शश क थी ले कन उसे कोई जवाब नह मला था। यह सोचकर क वो शायद अभी भी
टाइटन के सीईओ के साथ मी टग म होगा, उसने वजय को फोन कया था।
वजय ने उसे सं ेप म डायरी पर ई बातचीत के बारे म बताया, साथ म यह भी कहा
क वो लोग रा ीय सं हालय जा रहे ह। ‘हम तु हारे पताजी को यहां का काम ख म कर
छोड़ दगे,’ उसने उसे बताया था। तब उसने फैसला कया था क वो सीधे घर जाएगी और
बा कय का इंतजार करेगी। गु त डायरी, मेटल लेट और हाथी दांत के यूब के साथ इसके
संभा वत र ते क कहानी ने उसे भी कौतूहल म डाल दया था और वो जानना चाहती थी
क सं हालय म या आ।
उसने द णी द ली म सफेद द वार वाले अपने बंगले के दरवाजे के बाहर कार खड़ी
क , जहां वो अपने पता के साथ रहती थी। जब वो घर म घुस रही थी, उसने इमरान का
नंबर एक बार और डायल कया। इस बार, उसने फोन उठा लया।
उसने बोला, ‘माफ करना, मेरी मी टग दे र से शु ई और खचती चली गई य क
सीईओ को बार—बार फोन कॉल आ रहे थे। मने अपना काम तुरंत ख म ही कया है और म
तु ह फोन करने वाला था। तु हारी मी टग कैसी रही?’
राधा ने उसे स सेना के साथ उसक बातचीत क जानकारी द ।
‘तुमने जा हर तौर पर उसे झुंझला दया था। मुझे लगता है क हम स सेना पर नजर
रखनी पड़ेगी। वो ज र कुछ छपा रहा है।’ इमरान इसके बाद अपनी मी टग के बारे म
बताने लगा। ‘कुछ खास नह है बताने को। उसने भी वह बात कह जो स सेना ने तु ह
बता । हां, उसका लहजा नरम था और धमकाने वाला नह था। उसने मुझे आ त कया है
क वो पूरा सहयोग दे गा और उनके सभी रकॉड मुहैया कराएगा, और मुझे ये दलच प लग
रहा है। अगर उनके पास छपाने के लए कुछ भी है तो वो इतनी आसानी से हम अपने
आंत रक द तावेज जांचने नह दगे। म सोच रहा ं क म पैटरसन को अमे रका म उनके
द तावेज क जांच के लए भी बोलू,ं ’ कहकर उसने फोन रख दया।
राधा ने सोचा क सभी लोग कले म वापस लौटने के पहले कुछ खाना ज र चाहगे।
जौनगढ़ काफ र था और वो लोग जब तक वहां प ंचगे, भूख से उनक हालत खराब हो
चुक होगी। ले कन इसके पहले क वो उनके लए रात के खाने क तैयारी करे, तुरंत नहा
लेना अ छा रहेगा।
वो ज द से नहाकर और कपड़े बदलकर खाना बनाने लगी। जब उसने काम ख म
कया तो अपनी घड़ी दे खी। साढ़े आठ बज चुके थे। ये लोग अब तक प ंचे य नह ? या
उ ह सं हालय म ऐसा कुछ दलच प मल गया क वो वहां क गए? एक पल के लए
उसक इ छा ई फोन करने क । ले कन वो जानती थी क अगर वजय ने अभी तक फोन
नह कया है तो ज र कोई वजह होगी।
टे ली वजन चलाकर वो चैनल बदलने लगी। वो इस बारे म सुनने के लए इंतजार करेगी।

नामो नशान ख म

इमरान ने पैटरसन के साथ फोन पर बातचीत ख म होने के बाद ठं डी सांस ली। टा क फोस
के इस लीडर के बारे म उसका शु आती आंकलन बलकुल सही था। पैटरसन ज था,
उसे कसी चीज के लए मनाना मु कल था और हर चीज म तक ढूं ढ़ता था। इमरान क
आईपीएस और आईबी म ऐसी त ा थी क अ धकतर समय उसे चीज अपने हसाब से
करने क आदत हो चुक थी। और जब चीज उसके हसाब से नह होती थ , वो नयम
तोड़कर जो चाहता था वो हा सल कर लेता था। कसी प र थ त या क पहचान
करने क अपनी वल ण मता और सही पूवानुमान के सहारे उसने यादातर मौक पर वो
नतीजे दखाए थे, जो उसके सी नयर चाहते थे। उसे कभी अपने पूवानुमान को लेकर ना तो
खुद को सही सा बत करने क ज रत पड़ी और ना ही सफाई दे ने क ।
पैटरसन अलग क म का था। वो त य चाहता था, अनुमान नह । सबूत चा हए थे,
ज बात नह । और वो इमरान के इस अनुमान को मानने को तैयार नह था क टाइटन का
कोई आदमी ठे के पर चल रही मे डकल फे स लट क घटना म शा मल था।
‘तु ह जो बात पता चली ह उनम कुछ भी असाधारण नह है,’ उसने उनक बात खा रज
करते ए कहा था, जब इमरान ने उसे टाइटन के सीएमओ के साथ राधा क मी टग और
सीईओ के साथ अपनी मी टग के बारे म बताया था। ‘मने खुद कुत वॉलेस से बात क है
और उस श स ने ना सफ मुझे पूरे सहयोग का भरोसा दलाया है ब क अमे रका या भारत
म टाइटन क मैनेजमट ट म के कसी भी सद य के इस घटना म शा मल ना होने का यक न
दलाया है। यह कसी थानीय गरोह का काम लगता है। हो सकता है क इसे कसी
अंतरा ीय आतंकवाद संगठन से मदद मल रही हो, इस लए म तु ह सलाह ं गा क तुम
टाइटन पर फोकस करने क बजाय मामले क गहरी जांच करो और पता लगाओ क इसके
पीछे कौन है।’
इमरान ने एक बार सोचा क उसे ए लस के वहां अचानक प ंचने और कुत वॉलेस के
साथ उसके संबंध के बारे म बताया जाए और दोन घटना को जै वक आतंकवाद से
जोड़कर दे खा जाए। ले कन उसने इस वचार को आने के साथ ही छोड़ भी दया। उसे
ए लस से बात करने के बाद यक न हो गया था क वह सच बोल रही है। ले कन उसे कोई
ऐसा तरीका नह दख रहा था जससे वो ीस म उसके अनुभव को यहां क घटना से
जोड़ सके, भले ही दोन घटना के तार कह ना कह कुत वॉलेस से जुड़ रहे ह।
तभी उसे याद आया; ए लस ने उसे तावरोस और पीटर क फोटो द थ , वो दोन को
—डायरे टर जन पर उसने अपनी ट म के सद य क ह या का आरोप लगाया था। उसने
एक इंटरनेशनल डाटाबेस म इन त वीर को डालकर दे खा और तभी एक कामयाबी हाथ
लग गई।
इमरान ने वजय का नंबर डायल कया और उससे थोड़ी दे र बातचीत क , और बताया
क उ ह या पता चला है।
उसक कार रहायशी कॉ ले स के मु य दरवाजे क तरफ मुड़ी। गाड ने उसे सलामी
द और इमरान ने मु कुराकर उसका जवाब दया। गाड कम तन वाह पाने वाले कॉ सटे बल
थे और एक नाशु और मु कल काम करते थे। उसने दे खा था क कैसे सरे व र पु लस
अफसर या तो उ ह नजरअंदाज कर दे ते थे या गुजरते व घूरकर दे खते थे। इमरान का
वभाव ऐसा नह था। उसका मानना था क वो सर के लए कम से कम इतना तो कर ही
सकता है क उ ह दे खकर मु कुरा दे और उनके काम के लए शु या अदा कर।
इमरान अपने अपाटमट लॉक तक प ंचकर कार से उतरा और ाइवर को मु कुराकर
जाने को कहा। उसने ाउंड लोर पर ल ट बुलाई और छठ मं जल पर अपने अपाटमट म
जाने के लए उसम सवार हो गया। ल ट क छत से लगा ब ब फड़फड़ा रहा था। उसने
इसक शकायत मटनस म कराने क सोची और अपने अपाटमट के दरवाजे का ताला
खोला।
उसके ल वग म म अंधेरा था जब उसने उसम कदम रखा। उसने लाइट जलाई और
खड़क क तरफ गया, सड़क के पार बन रहे एक टॉवर के बेढंगे नजारे को दे खकर उसने
बुरा सा मुंह बनाया। पांच मं जल बन चुक थ और छठ मं जल बनाई जा रही थी जो उसके
अपाटमट क बराबरी पर थी। पहले वो कभी ब डंग पर यान नह दया करता था ले कन
अब वो रोज ही मज र को दे खता था।
यह रोज का नयम था। उसके घर क दे खरेख करने वाला नौकर रोज पद खुला रखता
था और वो शाम म लौटकर उ ह तुरंत लगा दे ता था ता क टॉवर का नजारा छप जाए। जैसे
ही वो कमरे म घुसा, उसके लैकबेरी पर बीप क आवाज आई। उसने अपने बेड म क
तरफ कदम बढ़ाते ए न पर नजर डाली और जो दखा, उससे उसका मुंह खुला रह
गया।
इमरान को उस टे ट मेसेज को दे खकर झटका सा लगा। इतना बड़ा झटका क वो पद
लगाने के लए खड़क क तरफ भी नह गया। उसने सड़क के उस पार बन रही ब डंग
क छठ मं जल पर उस आकृ त को भी नह दे खा जसक झलक दख रही थी।
वो अपने बेड म से मु कल से दो कदम ही र था, जब खड़ कय के कांच छतरा
गए, एक सीट सी आवाज आई और कुछ कमरे म उड़ता आ आया।
उसक सूझबूझ और श ण इस व काम आया और उसने तुरंत समझ लया क यह
या है। रॉकेट क मदद से फका गया बम उसके और दरवाजे के बीच गरा था, जो अभी भी
खुला था।
इमरान तेजी से बा ओर छलांग लगाकर अपने बेड म म प ंच गया और तब तक बम
उसके ल वग म म फट चुका था। बम के धमाके से अपाटमट हल गया और उसक धमक
बाहर तक गूंजती रही।
बेड म क द वार ने धमाके से पैदा ई ताकत को तो झेल लया ले कन इमरान को
अपने सीने म तेज दद महसूस आ और वो अपने बेड म के फश पर गर गया। उसने दे खा
क फश पर खून फैल रहा है।
उसका खून। उस चोट लगी थी। वो नह जानता था क कससे। बम के टु कड़े से? उड़ते
ए कांच से? जो भी हो, वो घायल हो चुका था। बुरी तरह।
तभी उसक आंख के आगे अंधेरा छाने लगा।
उसका लैकबेरी उसके नज व हाथ से तीन फ ट र पड़ा था। उसक न पर अभी
भी वो मेसेज दख रहा थाः “कूपर आज इ म ेशन से गुजरा।”
27
सं हालय म एक रात

वजय ने फोन काटा और अपने आसपास सर क तरफ दे खा। ‘इमरान का फोन था,’
उसने उ ह बताया। ‘ए लस ने उसे जो फोटो ाफ दए थे उसने उनक जांच क । एक फोटो
मेल खा गई। पीटर का नाम अंतरा ीय अपरा धय के डाटाबेस म है। उसे “द रीपर” के नाम
से जाना जाता है। उसका असली नाम पीटर कूपर है और वो पछले तीस साल म दजन
ह या के लए ज मेदार रहा है। वो एक द नशानेबाज है, रबीन वाली बं क का
इ तेमाल करने म मा हर है और उसका नशाना कभी नह चूकता। इ क स दे श उसक
तलाश म ह। वो तु हारी खनन क ट म म कैसे आ गया?’
‘म नह जानती।’ ए लस क आवाज कांप रही थी। ‘वो… बस वहां… था। तावरोस के
साथ। वो दोन को—डायरे टर थे। वॉलेस ट ारा नयु कए गए। तावरोस
पुरात ववे ा था। पीटर यादातर व ीय और संपक के मामले दे खता था। वो पुरात व या
खुदाई के बारे म कुछ नह जानता था। ले कन म उसके बारे म बस इतना ही जानती ।ं मने
अनुबंध के बाद कोई नह पूछा। म इस बात से ही इतनी रोमां चत थी क म
ओ ल पयास क क क खुदाई करने जा रही ं क म सफ खुदाई के ही बारे म सोचती
थी। तावरोस के बारे म या पता चला?’
वजय ने सर हलाते ए जवाब दया। ‘कुछ नह , इमरान के मुता बक डाटाबेस म
उसका नाम नह है। हालां क इसका कोई ब त यादा मतलब नह है। हो सकता है क वो
इंटरपोल के रडार पर ना हो या कसी और खु फया एजसी को उसक तलाश ना हो।’
‘घबराओ नह ,’ को लन ने ए लस के डर को भांपकर उसे दलासा दे ते ए कहा। ‘तुम
इस कूपर को ीस म काफ पीछे छोड़ आई हो। कोई तरीका नह है जससे वो तुम तक
भारत प ंच सके। वो ये कैसे अंदाजा लगाएगा क तुम अमे रका जाने के बजाय यहां
आओगी? और अगर उसने यह पता भी लगा लया तो जौनगढ़ न शे से इतना र है क यहां
के लोग को भी नह पता क ये है कहां।’
‘ले कन अभी हम जौनगढ़ म नह ह।’ ए लस को अचानक इस बात का अहसास आ
क कले म, खासतौर पर सुर ा णाली मजबूत होने क वजह से, वो कतने आराम से और
सुर त थी। ‘हम उसके लए यहां आसान चारा ह।’
‘अगर कूपर ने तु हारे भारत और जौनगढ़ म होने क बात पता भी लगा ली, जो इतना
आसान नह है जैसा को लन ने कहा, वो ये कैसे जान लेगा क तुम आज द ली आ रही
हो?’ वजय हंसा। ‘म जानता ं क तु ह ीस म ब त मु कल वाली रात बतानी पड़ी थी।
ले कन वो अब पीछे छू ट चुक है। और इमरान ने भारतीय इ म ेशन अथॉ रट ज को इस बारे
म सावधान भी कर दया है। जैसे ही उसे उस आदमी क अस लयत पता चली, उसने ये
काम कर दया था। अगर कूपर भारत आता है हम पता चल जाएगा। इमरान ने तो यहां तक
व था क है क अगर ऐसा होता है तो तु ह आईबी क नगरानी म एक महफूज घर म
रखा जाए। तुम यहां सुर त हो। चलो, हम यहां प ंच गए।’
वो लोग सं हालय प ंच चुके थे। मु य दरवाजे बंद थे य क दशक के लए तय समय
ख म हो चुका था। वजय ने तुरंत यूरेटर को फोन लगाया जो उनका इंतजार कर रहा था।
सं हालय के एक गाड ने दरवाजा खोला, कार को अंदर आने दया और फर उसे बंद कर
दया।
‘अरे वाह, उसे दे खा या?’ को लन ने एक अहाते म रखे वशालकाय रथ क तरफ
इशारा कया जब वो लोग उधर से गुजर रहे थे। ‘वाकई म काफ पुराना लगता है।’
वजय ने कार लगाई और सभी उतरे। गाड आया और उसने बताया क वो उ ह यूरेटर
के पास ले जाएगा। उ ह ने स ाट अशोक के गरनार के आ ाप क तकृ त को पार
कया, जो सं हालय क अंद नी चारद वारी से सटाकर लगाई गई थी और उस भवन म
वेश कया जो एक खुली छत वाले गोलाकार भवन के चार तरफ बना था।
यूरेटर का द तर पहली मं जल पर था। जैसे ही वो लोग अंदर आए वो अ भवादन के
लए उठा।
‘डॉ टर शु ला,’ यूरेटर ने सबसे पहले शु ला के साथ हाथ मलाया।
‘म राजीव सा ं, नरी क——पुरात व व ान और कलाकृ तय का रखवाला।
आपसे मलकर खुशी ई।’ फर वो ए लस क तरफ मुड़ा। ‘और आप ज र मस टनर
ह गी।’ उसने उससे हाथ मलाया। ‘आपसे मलकर खुशी ई। बताइए म आपके या काम
आ सकता ं?’
को लन ने वजय क तरफ योरी चढ़ाकर दे खा और फुसफुसाया, ‘तो या हम
अंगर क ह?’
वजय मु कुराया और खुद का और को लन का प रचय सा को दया।
‘अरे हां, हमने बात क थी,’ सा वजय क तरफ दे खकर मु कुराया और को लन से
बना कुछ कहे उससे भी हाथ मलाया।
ए लस असमंजस म थी। उसने सोचा था क मेटल लेट क बात हो चुक है। ‘अअअ..
म वो लेट दे खना चाहती ं जो दासूया के पास 1985 म मली थी। वो लेट जो माना जाता
है क सकंदर महान ने उस वेद के आधार म दफनाई थी जो उसने ास के तट पर ीस
लौटने के पहले बनवाई थी।’
‘ बलकुल, बलकुल,’ सा वह खड़ा रहा। ‘मुझे समझ नह आ रहा था क आपको
उस कलाकृ त म इतनी दलच पी य ह। आपको तो पता ही है क वो लोग के दे खने के
लए नह रखी गई है।’
‘हमने बात क थी म टर सा ,’ वजय ने बीच म टोका। ‘हम डॉ टर द ा ने आपका
नाम सुझाया था। और आप हम वो लेट दखाने के लए राजी भी ए थे।’
‘म आपको दशक के लए तय समय के बाद भी सं हालय म आने दे ने के लए राजी
आ था,’ सा ने वजय क ओर दे खे बना जवाब दया। उसक आंख अभी भी ए लस पर
टक थ । ‘जो अपने आप म सरकारी नयम—कायद के व है। ले कन म आपसे पूछ
भी नह रहा था। म मस टनर से जानना चाहता ं क उ ह उस लेट म दलच पी य है।
वो एक ऐसी कलाकृ त दे खना चाहती ह जो लोग के दे खने के लए रखी नह गई है। न त
तौर पर आप यह तो नह सोचते ह गे क म हर कसी को, जो पुरात ववे ा होने का दावा
करे, इन दरवाज से आगे जाने दे ता ंगा? भले ही उसे डॉ टर द ा ने मेरे पास भेजा हो।’
वो ए लस क तरफ उ मीद भरी नगाह से दे ख रहा था।
‘म एक पुरात व वद ं,’ ए लस ने अ न छा से जवाब दया। ‘आपको मेरी यो यता पर
संदेह है? आप मेरे बारे म इंटरनेट पर दे ख सकते ह। मुझे ाचीन ीक इ तहास म काफ
दलच पी है। खासतौर पर यूनानी कालाव ध म। जब मुझे पता चला क आपके पास एक
ऐसी कलाकृ त है जसका संबंध सकंदर महान से है, मुझे लगा क इसे मुझे ज र दे खना
चा हए।’
‘मुझे भरोसा है क आपके पास कोई ना कोई पहचान प ज र होगा,’ सा ने ऐसे
कहा जैसे उसने ए लस क बात सुनी ही ना हो। ‘ मसाल के लए आपका प रचय प ? कोई
ऐसी चीज जो उस बात का समथन करे जो आपने अभी कही?’
ए लस का चेहरा तमतमा गया ले कन उसने अपने पस म ढूं ढ़ा और ीस म वाइंट
मशन का अपना प रचय प नकालकर सा को दया। यूरेटर ने उसे एक पल के लए
दे खा और ए लस को लौटा दया।
‘आप मेटल लेट दे ख सकती ह।’ सा ने अपनी जेब से चा बय का छ ला नकाला
जसम एक ही चाबी थी। ‘म आपको दखाउंगा क वो कहां रखी है। यह सरी मं जल पर
है।’ उसने बाक लोग क तरफ ऐसे दे खा जैसे वो उ ह नापसंद करता हो। ‘ या ये सभी
लोग आपके साथ आएंग? े ’
‘हां, वो आएंग,े ’ ए लस ने ढ़ता से कहा। ‘आपका ब त—ब त शु या।’
‘मेरे पीछे आइए,’ सा ने कहा और चल दया। वो उ ह सी ढ़य से ऊपर ले गया और
ह थयार क गैलरी पार करने लगा, जसम शीशे के ब स म तलवार, भाले और सभी कार
के ाचीन और म यकालीन अ —श थे। गैलरी के एक छोर पर एक दरवाजा था जस
पर लखा था “ ाइवेट”। सा ने दरवाजे का ताला खोला।
उन सभी के मन म एक उ सुकता थी। पता नह उ ह या दे खने को मलेगा?
28
एक नया रह य

कमरे म अंधेरा था। वजय ने अपने मोबाइल फोन के टॉच क मदद से लाइट वच ढूं ढ़ और
उसे ऑन कर दया। छत से लटकती ई एक लाइट ने अंधेरे को चीरते ए उजाला कर दया
और ए लस च क पड़ी।
कमरे म कई आलमा रयां थ जनम हर आकार— कार के टै बलेट रखे थे, जन पर
अलग—अलग ल पय म कुछ लखा गया था, और उनम से कसी के बारे म ए लस नह
जानती थी। उसने महसूस कया क यह इ तहास का खजाना है। शु ला को भी ऐसा ही
महसूस आ। उसने अपने चार तरफ ऐसे दे खा जैसे कोई ब चा कसी खलौने क कान म
चला जाए और यह समझने क को शश करे क उसे सबसे पहले कस खलौने के साथ
खेलना है।
‘हम जो लेट ढूं ढ़ रहे ह वो कौन सी है?’ यह वजय क आवाज थी।
‘यहां है वो।’ सा ने एक छोट काले रंग क धातु क लेट उठाई, जो वृ ाकार थी, और
उ ह दखाई। इस टै बलेट पर छह तीक बने ए थे।
वो सभी लेट को नहारते रहे। वो छह तीक उ ह कुछ समझ नह आ रहे थे।
सा ने अपनी घड़ी दे खी। ‘म आपको यादा से यादा पं ह मनट दे सकता ं। आप
लोग अपना काम ख म करने के बाद ताला लगा द। म आपको अपने द तर म मलूंगा।’
इतना कहकर वो सी ढ़य से उतरकर नीचे चला गया।
कुछ पल के लए वो सभी उस लेट को दे खते रहे और समझने क को शश करते रहे।
‘तो, कुछ कहना है कसी को?’ ए लस ने कहा जब सभी थोड़ी दे र तक टै बलेट को दे ख
चुके।
शु ला ने अपना सर हलाते ए कहा, ‘मुझे इसम ऐसा कुछ भी नह दख रहा जो इसे
यूब से जोड़े। मेरा अनुमान है क म गलत था।’ वो ं यपूवक मु कुरा दए। ‘वैस,े उ मीद
करने या अंदाज लगाने म कोई नुकसान नह होता। अगर म सही होता तो काफ दलच प
होता।’
‘मुझे भी कुछ दख नह रहा। इस टै बलेट का तो कोई मतलब ही समझ नह आ रहा,’
वजय भी शु ला क बात से सहमत था।
‘ठ क है, यहां से बाहर नकलते ह और राधा के घर चलते ह,’ को लन अपने हाथ
रगड़ते ए बोला। ‘मुझे उसके हाथ का खाना ब त पसंद है।’
‘ को, मुझे इसक फोटो लेने दो।’ वजय ने अपने मोबाइल फोन से कई फोटो ले लए।
उ ह ने कमरा बंद कया और गैलरी को पार कया। ह के अंधेरे म भी वहां रखे ह थयार
डरावने लग रहे थे। वो बस क पना कर सकते थे क यु के मैदान म वो कतने भयानक
होते ह गे।
जब वो सी ढ़य क तरफ ले जाने वाले ग लयारे से गुजर रहे थे, एक तेज ददभरी चीख
आई। यह यूरेटर के ऑ फस क तरफ से आई थी। इसके बाद एक के बाद एक कई चीख
आ , तीखी और दद से भरी।

सं हालय म आफत

सा अपने ऑ फस क तरफ बढ़ा, वो थोड़ा चढ़ा आ था। वो आज समय से ऑ फस से


नकलना चाहता था ले कन द ा के अचानक आए फोन ने उसक योजना पर पानी फेर
दया था। वो द ा के आ ह को ठु करा नह सका य क द ा ने कहा था क इसम ब त
यादा दे र नह लगेगी। ले कन उसे अभी भी समझ नह आ रहा था क एक अमे रकन
पुरात व वद को एक अ ात धातु प का म इतनी दलच पी य है जो करीब तीन दशक
पहले मली थी। उस व सकंदर क वे दय क खोज ने सु खयां बटोरी थ , कोई भी यह
सा बत नह कर पाया था क मले अवशेष सचमुच म वही मश र वे दयां ह। पूरा स ांत
ज द ही खा रज कर दया गया था और माना जाने लगा था क सकंदर क वे दय को
आज भी कोई ढूं ढ़ नह सका है।
मी डया क दलच पी भी इस कहानी म ज द ही ख म हो गई थी और मेटल लेट को
भुला दया गया था और वो ऊपर कमरे म तबसे ऐसे ही पड़ी है। उसे यह भी नह समझ
आया था क उस म हला को इसके बारे म पता कैसे चला, ले कन द ा ने कहा था क
शु ला एक अ छा दो त है इस लए उसे उसक बात माननी पड़ी थी।
सा अपने ऑ फस म घुसते—घुसते क गया। कमरे म दो थे। वैसे तीन थे,
अगर उसने मरे ए गाड को भी गना होता जो फश पर खून से लथपथ पड़ा था, उसका
गला रेत दया गया था।
एक लंबा गोरा नौजवान सा क कुस के पीछे खड़ा था और चुपचाप एक बड़े और
भ े से दखने वाले बोवी चाकू को सा के ट यू बॉ स से ट यू नकालकर साफ कर रहा
था। जब क सरा आदमी दरवाजे पर खड़ा था जसके हाथ म बं क थी। सा ने गौर कया
क भले ही बं कधारी ने मुखौटा लगा रखा था जससे उसका पूरा चेहरा तो नह दख रहा
था, ले कन उसक नाक, आंख और हाथ बता रहे थे क वो एक गोरा है।
सा भागने के लए तुरंत मुड़ा ले कन उसे समझ आ गया क भागने के सारे रा ते बंद
ह। बं कधारी उसके और दरवाजे के बीच आ चुका था। वो वहां फंस गया था।
राइली ने चाकू को अपनी कमर म लगी यान म डाला और मोबाइल फोन पर दे खा।
‘राजीव सा ,’ उसने फोन से पढ़ते ए कहा। ‘पुरात व वभाग का नरी क।’ उसने फोन र
रखा और सा क तरफ दे खा। ‘जो लोग तुमसे मलने आए थे, वो कहां ह?’
सा ने उसक तरफ पलटकर दे खा, सदमे से उसक आवाज नह नकल रही थी। कौन
है यह आदमी? यह सं हालय म घुस आया है, गाड को मार डाला है और अब वो उन लोग
के बारे म पूछ रहा है ज ह वो अभी—अभी टै बलेट म म छोड़कर आया है।
कसी तरह उसक आवाज लौट । ‘ऊपर,’ वो हकलाते ए बोला, उसने अपने अंगूठे से
सरी मं जल क तरफ इशारा कया।
राइली ने सर हलाते ए कहा, ‘ या हम लोग बैठ? म तुमसे मलने आए लोग को
दे खने के पहले तुमसे कुछ सवाल करना चाहता ं।’
जब कृ णन ने उसे बताया था क चार शकार गुड़गांव से गुजरते ए द ली क तरफ
जा रहे ह, राइली होटल से नकलकर द ली क ट म से मलने चला गया था। जब उसे पता
चला क उसके शकार रा ीय सं हालय म के ह, राइली ने समझ लया था क उ ह ने
बना सोचे—समझे इस मं जल को नह चुना है। उसने कूपर को फोन कया था जसने उसे
शकार का पीछा करने, सं हालय म उनक ग त व धय क जांच करने और उ ह ख म
करने के पहले यादा से यादा जानकारी जुटाने का नदश दया था।
और यह यूरेटर उ ह सारी जानकारी दे ने के लए सबसे अ छा श स था।
‘अब मुझे बताओ ये लोग या चाहते थे,’ राइली ने पूछा जब सा अपनी मेज पर बैठ
गया।
सा आंख फाड़कर राइली को दे ख रहा था, उसके शरीर के रोम—रोम से डर टपक रहा
था। राइली मु कुरा दया। इस श स से डर क गंध आ रही थी। और राइली को अपने
शकार को मारने के पहले उससे आती यह गंध पसंद थी। इससे उस पर ऐसा नशा छाता था
जो कसी नशीली दवा से भी नह होता।
‘उनम से एक पुरात व वद है,’ सा क जुबान लड़खड़ा रही थी।
‘वो अमे रक म हला। म यह पहले से जानता ं।’ राइली क आवाज स त थी। वो
अपना धीरज खो रहा था। ‘मुझे वो बताओ जो म नह जानता, वो यहां य आए ह?’
उसने बं कधारी क तरफ कुछ इशारा कया जो सा के पास आया, उसक कलाई
पकड़ी और उसके हाथ को मेज पर पटक दया, हथे लयां उलट थ , उंग लयां फैली ई थ ।
राइली ने अपना चाकू नकाला, यूरेटर क बांह दे खी और उस पर चाकू क लेड को
फराया। फर, उसने सा के हाथ पर एक जगह चुनी और मांस का एक टु कड़ा काट डाला।
खून क धार बहने लगी।
सा दद से चीख पड़ा जसक गूंज खाली ग लयार और सं हालय क गैलरी म सुनाई
पड़ी। दद असहनीय था। राइली ने एक और जगह चुनी और थोड़ा और मांस काट डाला।
यूरेटर बार—बार चीखने लगा, जैसे चीखने से दद कम हो जाएगा।
‘अब, म तुमसे एक बार और पूछ रहा ,ं ’ राइली ने धीमी और डरावनी आवाज म कहा।
‘पुरात व वद तुमसे या चाहती थी? वो सं हालय म य आई है?’
29
खतरे का आभास

‘यह सा क आवाज है,’ वजय ने कहा। ‘म जाकर दे खता ं, तब तक तुम लोग दरवाजा
बंद करो।’
वजय सी ढ़य से नीचे दौड़ पड़ा और ग लयार से होते ए सा के द तर क तरफ
जाने लगा। जब वो द तर के पास प ंच रहा था, उसने सा क दद भरी चीख के अलावा
एक आदमी क आवाज सुनी, धीमी और डरावनी।
‘अब, म तुमसे एक बार और पूछ रहा ं,’ उस आदमी ने कहा। ‘पुरात व वद तुमसे या
चाहती थी? वो सं हालय म य आई है?’
वजय के कदम क गए। डर से उसके हाथ—पांव जैसे ठं डे पड़ गए। कोई ए लस के
बारे म पूछ रहा था। कोई जानता था क ए लस यहां सं हालय म है। या ये कूपर है? ये
कैसे हो सकता है? कूपर बना इमरान क जानकारी के इ म ेशन को पार नह कर सकता
था। और इमरान उ ह तुरंत सावधान कर दे ता।
तभी जैसे उसके अंदर से आवाज आई और सारे सवाल एक तरफ हो गए। उसके
दमाग म चेतावनी क घंट बजने लगी। उसे सर को सावधान करना होगा।

पता लग गया

राइली ने बाहर ग लयारे म कसी के दौड़ने क आहट सुनी और बं कधारी को दे खने का


इशारा कया। वो आदमी कमरे से बाहर नकल गया। राइली ने अपना यान फर से यूरेटर
क तरफ कया।
‘म इंतजार कर रहा ,ं ’ उसने कहा। अपने खाली हाथ से उसने यूरेटर के सरी बांह
को पकड़ा और उस पर चाकू फराया, सरे हाथ से भी मांस का टु कड़ा काटने के लए। मेज
पर हर तरफ खून फैला आ था।
‘मेटल लेट,’ सा लड़खड़ाती जुबान म आंसु के बीच बोला और अपने बंद कता क
मजबूत गर त से अपनी सरी बांह छु ड़ाने क नाकाम को शश करने लगा। ‘यह सकंदर
क वेद क न व के नीचे गड़ा आ मला था!’
यह खबर राइली के कान म चुभ सी गई। वो इ तहास या पुरात व व ान के बारे म
यादा नह जानता था——इनम उसक दलच पी भी नह थी——ले कन वो ये जानता था
क मशन ीक इ तहास के बारे म है। और उसने ीस म खुद मकबरे को दे खा था। उसने
खुदाई क जगह पर बनी झ पड़ी म रखी कलाकृ तय को भी दे खा था जब उसने उ ह
धमाके म उड़ाया था। इस लए वो जानता था क, कुछ भी हो, यह मेटल लेट अह मयत
रखती थी।
‘वो गाड नह था। म उसे अ छ तरह नह दे ख पाया और ग लयार म इतनी कम रोशनी
है, ले कन इतना अंदाजा म लगा सकता ं।’ बं कधारी ने राइली के ईयरपीस म यह
जानकारी प ंचाई। ‘वो ऊपर चला गया। हमारे शकार म से एक रहा होगा। म सर को
बुला रहा ं और उसके पीछे जा रहा ं।’
‘यही करो।’ राइली फर से यूरेटर क तरफ मुड़ा। ‘वो अब कहां ह? मेटल लेट कहां
है?’
अब तक सा टू ट चुका था। उसने राइली को वो सब कुछ बता दया जो वो जानना
चाहता था।
‘ सरी मं जल, ह थयार का कमरा,’ राइली ने अपने आद मय को नदश दया। ‘उ ह
वहां इक ा करो और मेरा इंतजार करो। म एक मनट म ऊपर आ रहा ं। उ ह मारने के
पहले म उनसे बात करना चाहता ं।’

तर ा

वजय ग लयारे के छोर तक तेजी से दौड़ता आ प ंचा और दो सी ढ़यां एक बार म चढ़ने


लगा। बाक लोग करीब—करीब आधी सी ढ़यां नीचे उतर चुके थे।
‘वापस चलो!’ वो हांफते ए बोला। ‘हम वापस ऊपर जाना होगा।’ उसने ए लस क
तरफ दे खा। ‘वो जानते ह क तुम यहां हो।’
अभी सवाल—जवाब के लए कोई समय नह था। वजय क आवाज म छपी ताक द
और हड़बड़ी उ ह सी ढ़यां वापस चढ़ाने के लए काफ थी।
जब वो वापस लौट रहे थे वजय के दमाग म एक योजना बन रही थी। उसने ज द से
सभी को इस बारे म बता दया जब वो लोग सरी मं जल क गैलरी क तरफ जा रहे थे।
‘हम नह जानते क वो लोग कतने ह,’ वो फुसफुसाया। ‘और हम यह भी नह जानते क
या यहां से सं हालय के वेश ार तक प ंचने का सरा रा ता भी है या नह । हम सी ढ़य
वाले मु य रा ते से नह जा सकते य क वो लोग हमारे पीछे आ रहे ह गे। और हम मानकर
चलना होगा क उनके पास ह थयार ह गे। तो यान से सुनो क हम लोग या करने जा रहे
ह। हम लोग सबसे पहले जो भी ह थयार और ब तर मल, वो हा सल कर ल।’
‘बेटे, हम उनसे लड़ नह सकते,’ शु ला ने धीरे से कहा। ‘खासतौर पर अगर उनके पास
बं क ह । यहां दख रहे तलवार और भाले बं क के सामने हमारी कोई मदद नह कर
पाएंगे।’
वजय ने अपना सर हलाया और अब तक वो ह थयार वाले ग लयारे म प ंच चुके थे।
‘म यह नह कह रहा ं क हम यहां उ ह रोकने के लए खड़े रह। ह थयार सफ एह तयात
के लए ह। म मानता ं क हम उनसे लड़ नह सकते——ये मूखता होगी। ले कन हम
ह थयार क ज रत होगी अगर कुछ गलत होता हो तो। यही है जो हम करना चा हए।
हमारे पास यही रा ता है।’ उसने योजना बताई और बाक सभी ने उस पर रजामंद दे द ।
वजय और को लन ने ग लयारे म रखी मू तय म से प थर क एक छोट मू त उठाई
और उन शीशे के ब स को तोड़ दया जनम वो ह थयार रखे थे जो उ ह ने अपने लए चुने।
शु ला ने यु म इ तेमाल होने वाली कु हाड़ी चुनी जो ना दरशाह क थी, 1739 ई वी
क । इसक लंबाई 52 सट मीटर थी, आकार और वजन म ये ऐसी थी क वो बना कसी
द कत के चला सक।
को लन ने ट पू सुलतान क तलवार चुनी और वजय ने क मीर क बनी एक गदा चुनी
जो अठारहव सद क थी।
‘तुमने अपनी तरह ही भारी—भरकम ह थयार चुना है,’ को लन वजय क तरफ
दे खकर मु कुराया, ऐसे गंभीर माहौल म भी उसक मजाक करने क आदत गई नह थी।
‘तु ह भरोसा है क जब ज रत होगी तो तुम इसे आसानी से घुमा सकोगे?’
‘उ मीद करते ह क मुझे इसक ज रत ही ना पड़े,’ वजय ने गंभीर भाव से कहा। ‘तुम
या चुन रही हो, ए लस?’
ए लस भयभीत और असमंसज म दख रही थी, जानती थी क समय ब त कम है, फर
भी वो तय नह कर पा रही थी क कौन सा ह थयार वो इ तेमाल कर सकती है। इस सोच ने
ही उसके मन म घबराहट पैदा कर द थी क ीस म उसके पीछे लगे शकारी यहां तक प ंच
गए ह। अंत म वजय ने उसके लए ह थयार चुना, लकड़ी और हाथी दांत से बना एक
राजपूती भाला जो 16व शता द का था। लंबाई सफ 38.5 सट मीटर थी, और इतना
ह का था क ए लस उसे आसानी से अपने पास रख सकती थी। वो भी उ मीद कर रही थी
क उसे इसका इ तेमाल करने क नौबत ना आए।
अपने ह थयार से लैस होकर उ ह ने वजय क योजना के मुता बक अपनी—अपनी
जगह पकड़ ली और इंतजार करने लगे। मौजूदा हालात म उनके पास इस चीज पर भरोसा
करने के अलावा कोई वक प नह था क योजना काम करेगी।
30
या योजना काम करेगी?

तीन बं कधारी सी ढ़य के पास मले जो सरी मं जल पर जाती थ । उनम से दो ाउंड


लोर पर तैनात थे, दोन ग लयार क नगरानी कर रहे थे जो सं हालय के मु य क तक
ले जाती थ , और सु न त कर रहे थे क कोई सं हालय म आए—जाए नह ।
कांच टू टने क आवाज उनके कान तक प ंची और उ ह ने एक साथ ऊपरी मं जल क
तरफ दे खा।
मु य बं कधारी ने उ ह सी ढ़य पर चढ़ने का संकेत दया और वो ऊपर चढ़ने लगे,
तेजी से ले कन चुपचाप।
जब वो जीने के अंत तक प ंचे वहां सरी मं जल पर स ाटा था। और ह का अंधेरा
भी। ग लयारे क ब यां बुझा द गई थ , साथ ही उनके पास क गैल रय क ब यां भी
बुझी थ । उन तक जो रोशनी आ रही थी वो गोलाकार कमरे म काफ र दख रही गैल रय
क थी।
उ ह ने चार तरफ दे खा, सं हालय के साइन बोड क मदद से वो उस गैलरी को ढूं ढ़ने
क को शश कर रहे थे जनम ह थयार और ब तर रखे थे। उनम से एक ने चुपचाप लोर
लान क तरफ इशारा कया जो जीने के पास द वार पर लगा आ था। मु य बं कधारी ने
अपना सर हलाया और एक लैशलाइट नकाली। उसके पास कोई वक प नह था और
उसे इस बात का जो खम उठाना पड़ा क उसके शकार उसे दे ख सकते ह। यह साफ था क
वो समझदार लोग के समूह से मुकाबला कर रहे थे, जो रोशनी क कमी को अपने फायदे के
लए इ तेमाल कर रहे थे।
उसने न शे पर उस गैलरी को ढूं ढ़ लया जसक उ ह तलाश थी और इसे बाक दोन
को भी दखाया। तभी उसे यह याल आया और उसने यह इशारा भी कर दया क उनके
शकार के पास ह थयार हो सकते ह। इस बारे म प के से कोई नह कह सकता। भले ही
राइली ने उ ह बताया था क वो साधारण लोग ह। वो ऐसे कई लोग को जानता था ज ह ने
अपने मन को कम आंका और जान गंवा द । वो उन लोग म शा मल होने वाला नह था।
जहां वो खड़े थे, तीन आदमी गैलरी का वेश ार दे ख सकते थे। दरवाजा खुला था।
अंदर घु प अंधेरा था।
मु य बं कधारी ने फर इशारा कया। उ ह ग लयारे क ब य क मु य वच ढूं ढ़नी
थी। तीन आदमी अलग—अलग होकर द वार को दे खने लगे।
‘ मल गया,’ उनम से एक फुसफुसाया, उसके गले के पास लगा माइ ोफोन उसक
गदन क कंपन को ले रहा था जस वजह से उसक फुसफुसाहट सं हालय के स ाटे म भी
मु कल से सुनाई द थी।
उसने एक वच को झटका दया और ग लयारे क ब यां जल ग , तीन आद मय क
आंख पल भर के लए च धया ग ।
मु य बं कधारी ने अपने क —मा क के अंदर से ही मुंह बनाया। ग लयारे क ब य
से अंधेरी गैलरी म, ह क सी ही सही, कुछ रोशनी तो होगी, ले कन उनके लए रोशनी से भरे
ग लयारे म से घु प अंधेरे वाले कमरे म जाना मु कल होगा। कोई और वक प तो था नह ।
तीन आदमी धीरे—धीरे गैलरी के वेश ार क तरफ बढ़ने लगे।

चूहे— ब ली का खेल

वजय तनकर खड़ा हो गया जब उसने दे खा क बाहर क ब यां जल गई ह। उसने अंदाजा


लगाया था क बं कधारी एक घु प अंधेरे कमरे म नह आएंगे, और उनका यान लाइट
वच ढूं ढ़ने क तरफ मोड़ दे ना ही उसे इकलौता रा ता सूझा था ता क उन लोग को खुद को
संभालने के लए कुछ अ त र समय मल जाए।
उसने कोई आवाज नह सुनी, ले कन एक परछाई उसे दरवाजे क तरफ दखी। सधे ए
ह यारे, उसने मन म सोचा। वो बलकुल द थे।
वो परछाई गायब हो गई और उसक जगह सरी परछाई आई और फर तीसरी
परछाई। तीन परछाई गैलरी के अं धयारे म घुलती चली ग , जैसे—जैसे बं कधारी दरवाजे
क सीध से और बाहर से आ रही रोशनी से हटते गए।
अब या? वजय सोच म था। यह पता करने का कोई तरीका नह था क सरे लोग भी
योजना के मुता बक चल रहे ह या नह । उसे सफ इंतजार करना होगा और उ मीद करनी
होगी क उनक योजना सफल हो।

मं जल के करीब…

राइली ने अपने ईयरपीस म बं कधारी क आवाज सुनी और सर हलाया। उसने सा को


बुरी तरह झकझोरा। ‘तुम मेरे साथ चलो,’ उसने कहा। ‘हम ऊपर कुछ काम है।’
वो खून से लथपथ यूरेटर को लगभग घसीटता आ सी ढ़य से ऊपर ले गया, उसक
को शश थी क वो गैलरी तक प ंच जाए जहां उसके शकार छपे थे और वो भाग ना सक।
नाकाम!

वजय ने अपने ह ठ सकोड़ लए जब उसने द वार पर धुंधली सी परछा बनती दे ख ।


बाक लोग योजना के मुता बक चुपचाप कमरे से बाहर नकलने क को शश कर रहे थे।
ले कन, योजना क कामयाबी इस बात पर नभर थी क उनके ह यार को वो कमरे म घुसते
दे खगे, ले कन उ ह ने ये नह सोचा था क उ ह भी कमरे से बाहर नकलते दे खा जा सकता
है। और वो नह जानता था क या बाहर या सी ढ़य से नीचे और लोग ह या नह । ले कन
उनके पास यही मौका था।
उसने इंतजार कया। ले कन कोई तीसरी परछाई दरवाजे से बाहर जाती नह दखी। तो
कौन गायब था? और उसे इस बात से भी आ य आ था क उनक तलाश म आए तीन
आद मय म से कसी ने उसके साथ आए लोग के गैलरी से बाहर नकलने पर उनका पीछा
नह कया था। कुछ तो गड़बड़ है।
तभी बना कसी चेतावनी के, गैलरी क ब यां जल ग । उसने एकाएक आई रोशनी म
अपनी आंख को अ य त करने के लए पलक झपका । या हो रहा है?
31
फंदे म फंसे

जैसी उन लोग ने योजना बनाई थी, ए लस गैलरी से छपते ए बाहर नकली। उन लोग ने
कमरे म रखे अलग—अलग कांच के ब से के पीछे अपनी जगह बनाई थी——इन लंबे
ब स म शरीर के अलग—अलग कवच दखाए गए थे, पुतले राजा के ब तर पहने खड़े
थे——और इंतजार कर रहे थे।
उ ह ने ग लयारे क ब य के जलने के बाद आद मय के कमरे म घुसने क गनती क
थी। योजना थी क आखरी आदमी के घुसने के बाद 20 सेकड तक इंतजार करगे, यह
सु न त करने के लए क कोई और ना हो, और फर दस सेकड के अंतराल पर एक—एक
कर बाहर नकलगे।
को लन कुछ पल बाद उसके साथ हो लया और वो वहां खड़े रहे, शु ला के इंतजार म।
वजय ने खुद कहा था क वो अंत म नकलेगा। ‘चूं क मेरे पास सबसे ताकतवर ह थयार है,’
उसने बलकुल गंभीरता से कहा था। उन लोग ने कोई बहस नह क थी। उनके पास व
ब त कम था।
समय बीत गया ले कन शु ला बाहर नह आए। को लन ने घबराकर ए लस क तरफ
दे खा। वो शु ला या वजय को छोड़कर नह जाना चाहते थे। को लन तय नह कर पा रहा
था क उ ह या करना चा हए। अंदर वापस जाना कोई चारा नह था। भले ही उनके
शका रय ने बाहर आते व उनका पीछा नह कया था, हो सकता है क वो उनके लौटने
का इंतजार कर रहे ह ।
तभी उसके मन म एक बुरा वचार आया। कह शु ला को पकड़ ना लया गया हो?
उसे फैसला लेने का व नह मला जब राइली सरी मं जल पर प ंच गया, अपने पीछे
खून से लथपथ सा को घसीटते ए। ‘गैलरी क ब यां जलाओ,’ उसने सा को आदे श
दया, और उसने ए लस और को लन क तरफ एक ं य भरी मु कान फक । सा ने तुरंत
उसक बात मानी।
ए लस और को लन जहां खड़े थे, वह जम से गए। वो नह जानते थे क यह आदमी
कौन है, ले कन सा को, जसका दा हना हाथ खून से लथपथ था और राइली के हाथ म
बोवी चाकू को दे खकर उ ह ने एक चीज तो समझ ली थी।
वो फंदे म फंस चुके थे।

रखवाले क क मत

वजय दहशत भरी नगाह से अपने सामने के य दे खता रहा। ए लस और को लन को


दरवाजे से अंदर लाया जा रहा था, और साथ म खून से लथपथ सा भी था, जो सुनहरे
बाल वाले एक लंबे और ब ल गोरे आदमी के साथ था जसके हाथ म एक बड़ा सा बोवी
चाकू लहरा रहा था। साफ था क इस गोरे आदमी ने ए लस और को लन को गैलरी के बाहर
दबोच लया था; ले कन उसने सा के साथ या कया है? वजय को अब समझ म आया
क सा य दद से चीख रहा था। यूरेटर का चेहरा अब पीला पड़ चुका था, दद क जगह
आघात ने ले ली थी, उसके होश ढ ले पड़ गए थे।
कमरे क सरी तरफ तीन बं कधारी खड़े थे, उनके चेहरे काले क —मा क से ढके थे,
उ ह ने तीन कै दय को नशाने पर ले रखा था।
राइली ने अपने फोन म दे खा। ‘ए लस टनर, ठ क है, को लन बेकर।’ उसने को लन क
तरफ दे खा। ‘यह तु ह ह गे। तु ह इस कमरे म सरे गोरे हो।’ उसने चार तरफ दे खा।
‘ कले म तुम पांच लोग थे। दो लोग जो मुख बरी कर रहे थे उनका तो पता लग चुका है।
इसका मतलब है क एक आदमी गायब है।’ उसने अपनी आवाज ऊंची क । ‘ वजय सह!
म जानता ं क तुम यहां हो। तुम छप नह सकते। अगर तुम खुद सामने आ जाओ तो म
इन दोन के साथ नरमी से पेश आऊंगा।’
उस पल म वजय को दो चीज समझ म आ ग । पहली तो ये क कले म उन पर
नगरानी रखी जा रही थी। वो समझ नह पा रहा था कैसे, ले कन यह आदमी उनके नाम
जानता था और यह भी जानता था क उनम से तीन एक साथ कले म थे। उसे इस बात क
भी जानकारी थी क इमरान और राधा भी उनके साथ थे। सरी बात यह क इस आदमी क
जानकारी पूरे तौर पर सही नह थी। वो शु ला के बारे म नह जानता था। वजय समझ नह
पाया क शु ला के बारे म उसे पता य नह लगा, ले कन उसने उ मीद जताई क वो भाषा
व ानी इस बात को समझ गए ह गे और छपे रहगे।
वो एक शीशे के ब से के पीछे से बाहर आया जसम ब तरबंद रखे थे, वो अपने साथ
गदा ख चता आ रहा था। ‘म यहां ं,’ उसने बस इतना कहा।
राइली का चेहरा चमक गया, चीज उसके मनमुता बक हो रही थ । तभी एकाएक वो
सा क तरफ मुड़ा, उसे जकड़ा और एक झटके म उसका गला रेत दया, यूरेटर का शरीर
फश पर गर पड़ा, और वहां उसका खून जमा होने लगा था। ‘हम अब इसक ज रत नह
है,’ उसने सर को समझाने के अंदाज म कहा।
जब तक बाक लोग इसे दहशत से दे ख रहे थे, उसने ए लस को जकड़ा और चाकू क
नोक को उसके गले पर दबाते ए पूछा, ‘अब मुझे बताओ, वो मेटल लेट कहां है?’
दो बं कधारी वजय और को लन के पास आ गए थे, और उ ह अपने नशाने पर ले
लया था। उन लोग से मु कल से एक हाथ र, ले कन इतने करीब क बलकुल सही
नशाना लग सके। ए लस के गले पर एक छोटा लाल ध बा दखने लगा जहां चाकू क नोक
दबी थी। उसने बोलने क को शश क ले कन उसके मुंह से श द नह नकले।
राइली दबी हंसी के साथ बोला, ‘दे खते ह क यह तु हारे पास तो नह है।’
‘ को,’ वजय एक कदम आगे बढ़ा, वो खुद को रोक नह पा रहा था। वो दे ख सकता
था क ए लस डर से कांप रही है। ‘उसके पास मेटल लेट नह है। यह उस दरवाजे के पीछे
कमरे म है।’ उसने दरवाजे क तरफ इशारा कया जो उ ह ने थोड़ी दे र पहले ही बंद कया
था। ‘मेरे पास चाभी है।’ उसने उस बं कधारी क तरफ दे खा जसने उस पर बं क तान
रखी थी।
बं कधारी ने सर हलाया। ‘आराम से,’ उसने वजय को चेतावनी द , उसक आवाज
क मा क क वजह से धीमी आ रही थी। ‘कोई चालाक दखाई तो मेरा नशाना नह
चूकेगा।’
वजय ने धीरे से चाभी के छ ले को बाहर नकाला और राइली क तरफ फक दया। वो
गोरा ए लस को कुछ तो घसीटते ए और कुछ लादते ए दरवाजे क तरफ चल दया और
उसे खोल दया। उसने अंदर टै बलेट और मुहर के भंडार को दे खा। ‘कौन सी है यह?’ उसने
गु से म पूछा।
ए लस ने उसे लेट दखा द । राइली ने उसे तीसरे बं कधारी क तरफ बेतरतीबी से
धकेल दया जो लड़खड़ाती ई ए लस को पकड़ने के लए आगे आया। गोरे श स ने चाकू
को यान म रखा, लेट उठाई और उसे दे खने लगा।
वजय और को लन एकाएक च क गए य क कुछ ऐसा आ जसक बलकुल उ मीद
नह थी।
32
334 ईसा पूव

मक नया

सकंदर महल के अपने कमरे म था, खड़क से बाहर झांक रहा था, अपनी सोच म डू बा
आ, तभी उसक मां एकाएक अंदर आ गई।
‘बेटे,’ ओ ल पयास ने कहा। ‘म तु हारे लए एक तोहफा लाई ं।’
सकंदर मुड़ा, उसक भ ह तनी ई थ । वो अपनी मां क सनक के साथ बड़ा आ था,
ले कन उसे अभी भी इसक आदत नह ई थी। उसक मां का कभी भी खुशी से नाचने
लगना, सांप के साथ यार करना और उसके कमरे म बना कसी पूव सूचना के आ जाना
——इन सबसे कभी—कभी उसे चढ़ आती थी। ले कन वो उससे ब त यार करता था
और कभी भी उसके साथ कोई डांट—डपट नह कर सकता था।
उसक गहरी आंख ने अपनी मां के हाथ म उस तोहफे को ढूं ढ़ा जसक वो बात कर
रही थी, ले कन वो तो खाली थे, सामने क तरफ जुड़े ए।
‘मां,’ नौजवान राजा बोला। ‘अभी कोई खेल नह । मुझे बताओ या है यह, तुम तो
जानती हो क मुझे तोहफे पसंद ह।’
‘उसके पहले मुझे तुमसे एक वादा चा हए,’ उसने जवाब दया, सकंदर क तरफ
दे खकर मु कुराते ए। शायद वही एकमा था जसका वो कोई फायदा नह उठाना
चाहती थी। वो सफ इतना चाहती थी क उसका बेटा एक महान आदमी बने, जसका गौरव
अमर हो। और वो इस चीज को सु न त करने के लए कुछ भी करने को तैयार होती।
सकंदर क यो रयां फर चढ़ ग । ‘इस पर नभर करता है क यह है या,’ उसने
जवाब दया।
‘ठ क है, मेरा मानना है क तुम इस वादे को पूरा करके खुश होगे,’ उसक मां उसक
उ सुकता को और बढ़ा रही थी। ‘यह तु हारे फारस अ भयान के बारे म है।’
सकंदर ने उसे भेदने वाली नगाह से दे खा। ‘मां, तुम जानती हो क यह मेरे लए या
मायने रखता है। फारस वाल ने जो हमारी बेइ जती क है, हमारी जमीन पर आकर जो हम
हराया है, उसका बदला लेना——अभी मेरे लए एकमा ल य है। म तब तक चैन से नह
बैठं ू गा जब तक फारस सा ा य को मक नया के शासन तले ना ले आऊं।’
‘म जानती ं, बेटे,’ ओ ल पयास नेहपूवक मु कुराते ए बोली। ‘ले कन वह य
कना है? फारस के आगे, पूव क तरफ और भी जमीन है।’ उसक आवाज अब
फुसफुसाहट म बदल गई। ‘पूव के ई र क भू म, जहां सधु और सरी बड़ी न दयां बहती
ह।’
‘पृ वी का सरा छोर! मां, मने उस भू म क समृ के बारे म सुना है,’ सकंदर अब
कुछ सोचने लगा था। उसने सधु घाट म सोने और क मती प थर क कहा नयां सुनी थ
और ये भी सुना था क कैसे वहां के नवासी फारस के लोग को उपहार म सोना दे ते ह।
‘ले कन इसका मतलब ये होगा क घर से र कुछ और साल बताऊं। या यह इस लायक
होगा? फारस का सा ा य हम उतनी संप दे दे गा जतनी हम ज रत है।’
‘उस भू म पर तु ह सांसा रक संप नह ढूं ढ़नी है।’ उसक मां क आंख म एक चमक
थी। ‘तुम एक ई र से पैदा ए हो। जयस के बेटे हो। मने तु ह पहले भी बताया है। ले कन
तुम अभी भी एक मनु य हो।’ वो क और सकंदर क आंख म दे खा। ‘ सधु क भू म क
एक पौरा णक कहानी है। ाचीन कहानी, एक महान रह य के बारे म जो तु ह ई र बना
दे गा। यही वो रह य है जसे ढूं ढ़ने के लए म तु ह कह रही ं।’
ओ ल पयास ने सकंदर को पूव भू म से आए एक दाश नक के साथ अपनी मुलाकात
के बारे म बताया। उसने सकंदर को चमप और धातु प का द , जो दाश नक ने उसे दए
थे और सकंदर को उस पर उ क ण लखावट और न काशी के बारे म समझाया, ठ क उसी
तरह जैसे उसे समझाया गया था।
‘ले कन इस मशन को गोपनीय रखना होगा। अगर तु हारी सेना को पता चलेगा क तुम
कस चीज क तलाश म हो, तो मु कल होगी। वो तु हारे साथ पृ वी के सरे छोर पर नह
जाएंगे य क वो यक न नह करगे।’
जब उसक बात ख म हो गई, सकंदर ने चमप को यान से दे खा। ‘यह मेरी नय त
है,’ उसने कहा। ‘ई र से पैदा आ, और म भी ई र बनूंगा।’
33
वतमान

तीसरा दन
बुलावा

राधा ने दरवाजे क घंट बजने क आवाज सुनी और ज द से दरवाजा खोलने गई। या


वजय है?
दरवाजे पर एक आदमी सफारी सूट म खड़ा था, खी लग रहा था। ऐसा लग रहा था
क वो कोई बुरी खबर लेकर आया है और राधा को घबराहट होने लगी।
‘ मस राधा शु ला?’ उस आदमी ने पूछा।
राधा ने हामी भरी, उसका कलेजा मुंह को आ रहा था।
‘म खु फया यूरो से हो शयार सह ।ं ’ उस आदमी ने उसके सामने अपना प रचय प
लहराया। राधा बमु कल उसे दे ख सक । वो जानना चाहती थी क इतनी रात गए वो यहां
या करने आया है।
‘ म टर इमरान कदवई अ पताल म ह,’ हो शयार सह ने अपनी बात जारी रखी।
‘ कसी ने रॉकेट से फके गए बम का इ तेमाल करके उनके अपाटमट म उ ह जान से मारने
क को शश क है। उनक हालत नाजुक है। मुझे आपको सू चत करने को कहा गया ता क
अगर आप चाह तो हमारे साथ अ पताल चल सक।’
राधा को एक झटका लगा। इमरान अ पताल म? बम? उसे यक न नह हो रहा था जो
उसने सुना था। उसने अभी थोड़ी दे र पहले ही उससे बात क थी।
‘एक मनट को,’ उसने कहा और अपना फोन लेने के लए अंदर गई। उसने ज द से
वजय को सारी जानकारी दे ने वाला और उससे अ पताल म मलने वाला एक मेसेज टाइप
कया। ‘चलो,’ उसने उस आदमी से कहा, घर म ताला लगाया और तेजी से बगीचे वाले
रा ते से इंतजार कर रही कार क तरफ चल द ।
अ व सनीय उ ारक

शु लाजी उस शीशे के ब से के पीछे छपकर सब कुछ दे ख रहे थे, जसम मुगल बादशाह
औरंगजेब का ब तरबंद सूट रखा था। उ ह ने दे खा क ए लस को ख चकर टै बलेट वाले
कमरे म ले जाया गया। वजय क तरह उ ह ने भी समझ लया था क राइली उनक
मौजूदगी के बारे म नह जानता। वो नह समझ पा रहे थे क इसका कोई फायदा है या नह ,
ले कन उ ह ने तय कया क वो अभी छपे रहगे। और कुछ नह तो, अगर बा कय को बंद
बनाकर ले जाया जाता है तो वो इमरान को मदद के लए टे लीफोन कर सकते ह। उ ह ने
खुद को कोसा। जदगी म पहली बार उ ह इस बात का अफसोस हो रहा था क उनके पास
मोबाइल फोन नह है। साल तक उनका मन बदलने क राधा क को शश को उ ह ने
नाकाम कया था। ‘जब मोबाइल फोन नह थे तब भी म हमेशा सबक प ंच म रहता था,’
उनका कहना होता था। ‘अगर कसी को मुझे संपक करने क ज रत है, उसे पता होगा क
म कहां मलूंगा।’
आज उ ह महसूस आ क ऐसी प र थ त म मोबाइल फोन कतना उपयोगी सा बत
हो सकता था। इस व एक मेसेज भी मदद बुलाने के लए काफ होता।
इस बीच उ ह ने दे खा क ए लस को राइली ने ध का दया और वो लड़खड़ाती ई आगे
गर रही है। तीसरा बं कधारी उसे गरने से बचाने के लए आगे आया, और वो उस जगह से
एक फुट करीब प ंच गया जहां शु ला छपे ए थे।
बं कधारी ने ए लस को पकड़ा, ले कन इस या म उसने करीब-करीब अपना
संतुलन खो दया था।
शु ला के दमाग म एकाएक जैसे कुछ क ध गया।
वो ब से के पीछे से बाहर आए और कु हाड़ी से बं कधारी के सर पर तेज हार कया,
जब तक वो बं कधारी खुद का संतुलन बनाने और ए लस को पकड़ने क को शश साथ—
साथ कर रहा था।
कु हाड़ी ने अपना काम कया और बं कधारी सीधे नीचे गरा और ब से के कांच म
जाकर टकरा गया, उसके गरने के साथ ए लस भी गर गई थी।
अचानक जैसे उथल—पुथल मच गई।
वजय और को लन ने गौर कया क शु ला अपनी जगह से बाहर नकलकर कु हाड़ी
लहरा रहे थे। एक पल के लए तो वो दोन इस अ या शत चाल से च क गए, ले कन अगले
ही पल उ ह अपने पास खड़े बं कधा रय से नपटने का मौका मल गया।
बं कधा रय का पूरा यान अपने बं दय पर था और जब उनका सहयोगी फश पर गरा
तो वो बुरी तरह च क गए थे। कुछ पल के लए उनका यान भटक गया।
वजय और को लन ने इसी पल का फायदा उठाया। को लन नीचे झुका और एक घुटने
पर च कर खाते ए उसे नशाने पर ले रखे बं कधारी के पास प ंच गया और अपने सरे
पैर से तेज हार कया। उसका नशाना बं कधारी के घुटन पर लगा। उस आदमी क टांग
मुड़ और बं क नीचे गर गई। को लन ने छलांग लगाकर बं क उठाई और उस आदमी के
सर पर बं क के कुंदे से हमला कया, वो ठं डा पड़ गया।
शु ला ने ए लस को उठाया और वो दरवाजे क तरफ दौड़ पड़े। जब को लन अपने
बंद कता से नपट रहा था, वजय फश पर फसला, पलट खाई और अपने पीछे खड़े
बं कधारी क तरफ गदा लहरा द । जब गदा उसके ऊपर से उड़ती ई गई, वो इसके रा ते
से हट गया ता क वो पलटकर उस पर हमला ना कर दे । गदा म आठ लेड थ जो एक
बेलनाकार डंडे पर लगी थ और इसक ताकत म कोई कमी नह आई थी। गदा बं कधारी
क जांघ पर लगी, उसक मांसपे शय को चीर दया और वो फश पर गरकर छटपटाने
लगा।
कुछ सेकड म ही ये सारी घटनाएं हो ग और राइली को हरकत म आने का कोई मौका
ही नह मला। जब तक उसने अपना चाकू यान से बाहर नकाला, चार बंद कमरे से बाहर
नकलते ए अपने पीछे गैलरी का दरवाजा बंद कर चुके थे।
राइली ने शु आती झटके से खुद को तुरंत संभाला और तेजी से दरवाजे क तरफ
भागा। तभी गैलरी म अंधेरा हो गया और वो बुरा—भला कहने लगा। उन लोग म से कसी
ने समझदारी दखाते ए सी ढ़य से नीचे जाने के पहले ब यां बुझा द थ ।
उसने अंधेरे म ही धीरे—धीरे रा ता ढूं ढ़ने क को शश क , वहां रखी चीज से टकराते
ए वो दरवाजे क तरफ जा रहा था। जब वो दरवाजे तक प ंचा और उसे खोला, उसने
दे खा क ग लयारा भी अं धयारे म डू बा आ है। खुली खड़क से उसने सं हालय के बाहर
कार का इंजन टाट होने क आवाज सुनी।
वो गु से से भर उठा और उसने सी ढ़य के लकड़ी के जंगले म जोर से चाकू घुसेड़
दया। उसे कूपर को बताना होगा। ले कन वो कूपर क त या से च तत नह था। आज
रात क घटना उसके रकॉड पर एक कलंक थी। उसके आद मय ने उसे नाकाम कर दया
था।
यह दोबारा नह होगा।
34
नई द ली

सं हालय से आनन—फानन म नकलने के बाद वजय स ल द ली क ग लय म तेजी से


कार चला रहा था, ै फक से गुजरते ए उसक को शश थी क वो सं हालय से जतना र
हो सके, चला जाए। उनम से कोई भी अपना यान उस यूरेटर क तरफ से नह हटा पा रहा
था जसक उनक आंख के सामने नमम ह या कर द गई थी।
कुछ दे र बाद वो थोड़ा संयत आ हालां क ट य रग हील पर उसक मजबूत पकड़ से
साफ था क वो अभी भी तनाव त है। ‘ या वो कूपर था?’ उसने ए लस से पूछा।
ए लस ने जड़वत अपना सर हला दया। वो अभी भी सदमे म थी। वो नह जानती थी
क कमरे म वो गोरा आदमी कौन था ले कन वो समझ गई थी क उसका पीछा करने वाले
लोग ने हार नह मानी थी। वो लोग, कसी भी तरह, उसका पीछा करते ए ीस से द ली
प ंच गए थे। और वो लोग यह भी जानते थे क वो वजय के कले म छपी है!
‘हम इमरान को बताना होगा। भले ही कूपर यहां हो या नह , आज क घटना अचानक
नह ई है। कोई तुम पर नगरानी रख रहा है, ए लस,’ वजय ने वही कह दया जो ए लस
सोच रही थी। उसने अपना फोन को लन को थमाया। ‘इमरान को फोन करो, वो पीड
डायल पर है।’
को लन ने हामी भरी और माटफोन पर दख रहे नसेवर को हटाने के लए वाइप
कया, फर वजय का पासवड टाइप कया। ‘तु ह राधा ने एक टे ट मेसेज भेजा है,’ उसने
बताया।
‘मेसेज या है?’ वजय आ य म था।
को लन का चेहरा लटक गया जब उसने मेसेज पढ़ा।
‘ या द कत है?’ शु ला ने पीछे क सीट से पूछा जहां वो ए लस के साथ बैठे थे।
‘यह इमरान के बारे म है,’ को लन क आवाज भरी ई थी। वो यक न नह कर पा रहा
था जो वह पढ़ रहा था। ‘आज शाम उसके अपाटमट को बम से उड़ा दया गया। वो
अ पताल म है। राधा आईबी के लोग के साथ अ पताल गई है और उसने हम वहां बुलाया
है।’ उसने वजय को अ पताल का पता दया और वजय ने कार तुरंत ही घुमा ली।
अ पताल वहां से यादा र नह था जहां वो लोग थे और वो वहां पं ह मनट से भी कम म
प ंच जाएंग।े

आईबी या कुछ और?

राधा कार म बैठ और अपने चार तरफ ै फक को उदासी से दे खने लगी। उसके दमाग म
कई सवाल घूमने लगे। इमरान को नशाना य बनाया गया? कोई उसे य मारना चाहेगा?
या इसका टाइटन म उनक मुलाकात से कोई लेना—दे ना है? और अगर इमरान पर
जानलेवा हमले और टाइटन क मुलाकात म कोई संबंध है तो फर वो भी नशाना हो सकती
है?
उसने अपने कंधे झुकाए और इस बात के लए शु या अदा कया क वो खु फया यूरो
के तीन आद मय के साथ एक कार म थी। इससे उसने खुद को सुर त महसूस कया।
‘डॉ टर ने इमरान के बारे म या कहा?’ वो अपने पास बैठे आईबी एजट क तरफ
मुड़ी, जो घनी मूंछ वाला एक खा आदमी था।
उसने अपने कंधे उचका दए। हो शयार सह, जो आगे क सीट पर बैठा था, पीछे घूमा
और उसने जवाब दया। ‘हम बस इतना जानते ह क उनका काफ खून बह गया है। इससे
यादा तभी पता चलेगा जब हम प ंच जाएंग।े ’
राधा अपने आंसु को रोक रही थी। पछले साल उसका इमरान के साथ बेहद खास
बंधन जुड़ गया था। उसका अपहरण कर लया गया था और करीब—करीब उसे मार ही
दया जाता ले कन इमरान ने उसे बचा लया था। वो नह मर सकता। अभी नह ।
कार एक गोल च कर के पास आई और वहां से बा ओर मुड़ गई। राधा ने खड़क से
बाहर दे खा, अभी भी अपनी सोच म डू बी ई थी, ले कन उसने एकाएक गौर कया। वो अब
तक उस रा ते पर यादा यान नह दे रही थी, जससे वो लोग गुजर रहे थे। वो लोग द णी
द ली से अ पताल के रा ते पर ही जा रहे थे। ले कन इमरान को खोने क आशंका से बेचैन
राधा ने इस पर गौर नह कया था क अब वो ऐसी दशा म जा रहे ह जो उ ह अ पताल से
र ले जा रही है। उसे समझ आया क वो लोग चाण यपुरी से गुजर रहे ह, और धौलाकुआं
क तरफ बढ़ रहे ह, ऐसा रा ता जो उ ह गुड़गांव ले जाएगा।
उसने अपने पास बैठे खे एजट को दे खा और सामने के दोन एजट पर भी तुरंत गौर
कया। ऐसा नह लग रहा था क उनम से कोई भी जानता है क वो लोग गलत रा ते पर जा
रहे ह, और अगर वो जानते थे, तो इससे च तत भी नह लग रहे थे। कार का रे डयो बज रहा
था और हो शयार सह एक नए बॉलीवुड गाने को गुनगुना रहा था, जो कार म चल रहा था।
कुछ तो गड़बड़ है। उसे घबराहट होने लगी। या ये लोग सच म आईबी एजट ह? या
कह यह टाइटन फामा यु टक स म उसक मुलाकात का नतीजा तो नह है? उसने एजट के
प रचय प को याद करने क को शश क , ले कन उसे समझ आया क उसने तो उसे गौर से
दे खा ही नह था। हो सकता है वो उसे अपना ाइ वग लाइसस दखा रहा था। उसने इस
लापरवाही के लए खुद को कोसा।
ले कन अगर ये लोग आईबी एजट नह ह, तो उ ह ने उसे तुरंत मार य नह डाला?
उसके घर पर ऐसा करना बड़ा आसान होता य क कोई गवाह नह मलता। इमरान को
दे खने के नाम पर उसे कार म ले जाने का या मतलब है? या इमरान के बारे म द गई
खबर उसे घर से बाहर नकालने क एक चाल थी? इस वचार के साथ ही उसके मन म
उ मीद क एक करण जगी। शायद इमरान पूरी तरह ठ क हो। ले कन उ मीद क यह करण
खुद क मुसीबत का अहसास होते ही बुझ गई।
राधा अपनी सीट म धंसकर बैठ गई। शायद वो ब त घबरा रही है। ले कन अगर वो सही
सोच रही है, तो उसे सु न त करना होगा क इन आद मय को उसक आशंका का पता ना
चले। उसने दोन तरफ के दरवाज क तरफ दे खा। वो स ल लॉ कग मेके न म से बंद थे।
ले कन इसका यह मतलब नह था क वो खुल नह सकते थे। बस, वो एक चलती कार से
कूदने का यास नह कर सकती थी। ऐसा करके वो खुद को घायल ही करेगी और उन लोग
के लए उसे कार म दोबारा ठूं स दे ना बड़ा आसान होगा।
उसे समझ आया क उसके पास भागने का सफ एक मौका है। अगर वो नाकाम रहा तो
ये लोग दोगुने सावधान हो जाएंगे और उसक सारी उ मीद म म मल जाएंगी।
राधा ने अपनी आंख बंद क और खुद को शांत रखने क को शश करने लगी। उसे
धीरज से काम लेना होगा और इंतजार करना होगा जब तक क वो लोग कसी चौराहे पर ना
आएं जहां उ ह कना पड़े। उसके पास वही इकलौता मौका होगा।
उसने सड़क पर सामने क ओर दे खा और वो लोग एक अनजान मं जल क तरफ चलते
रहे। उसके साथ या होने जा रहा था?
35
अ पताल म

वजय अ पताल के पा कग थल क तरफ घूमा और एक खाली जगह पर कार रोक द ।


कार म बैठे चार श स एक साथ ही कार से बाहर नकले और अ पताल के इमरजसी वग
क तरफ भागे। वजय और को लन रसे शन पर एक साथ प ंचे, ए लस उनके ठ क पीछे
थी। शु ला उनके पीछे —पीछे आ रहे थे य क वो बाक लोग क तरह तेज नह दौड़
सकते थे।
‘इमरान कदवई,’ वजय ने रसे शन पर हांफते ए पूछा। ‘हम उसके दो त ह।’
‘बस एक मनट,’ रसे श न ट ने छोटा सा जवाब दया। उसने कुछ द तावेज दे खे, फर
कुछ टाइप कया और अपने सामने रखे कं यूटर मॉ नटर म दे खने लगी। अंत म उसने सर
हलाते ए वजय को बताया, ‘इस नाम का तो यहां कोई नह है।’
को लन और वजय ने एक सरे क तरफ दे खा। ‘आपको प का यक न है?’ वजय ने
संदेह करते ए पूछा। ‘हम बताया गया था क उसे थोड़ी दे र पहले ही यहां लाया गया था।
वो बम धमाके का शकार आ था। वो खु फया यूरो म है।’
रसे श न ट ने ढ़ता से अपना सर हलाया। ‘मने सारे रकॉड् स दे ख लए ह। यहां बम
धमाके का कोई मरीज नह है। और खु फया यूरो से तो न त तौर पर कोई नह है। मुझे
खेद है। शायद आप लोग गलत अ पताल म आ गए ह।’
शु लाजी उनके पास प ंच गए और उ ह ने रसे श न ट क बात सुन । उ ह ने उन
लोग क तरफ दे खा, उनके चेहरे पर डर झलक रहा था। उ ह अपना डर करने के
लए श द क ज रत नह थी। वो सभी एक ही बात सोच रहे थे। अगर इमरान अ पताल म
नह ह, राधा कससे मली और वो लोग उसे कहां ले जा रहे थे?

मौके क द तक

कार धौला कुआं प ंच चुक थी। उ ह ने अभी—अभी धौला कुआं लाइओवर पार कया
था और पास म ही एयरपोट ए स ेस मे ो लाइन चल रही थी, और बा तरफ सड़क के
ऊपर वो थोड़ी दे र के लए धौला कुआं मे ो टे शन पर गायब हो जा रही थी और फर
इंटरनेशनल एयरपोट क तरफ जाती दख रही थी।
मे ो टे शन के अगले स नल पर काफ ै फक था, जब उ ह ने लाइओवर पार कया,
रग रोड से आने वाले हर तरह के वाहन वहां मल रहे थे, जसके ऊपर से लाइओवर जाता
था। दाएं जाने वाली कार, बस और दोप हया वाहन मनमाने तरीके से लेन बदल रहे थे और
सीधे जाने वाले ै फक म मल रहे थे, जस वजह से वहां भारी ै फक जाम लग गया था जो
लाइओवर के नचले ह से तक प ंच गया था।
राधा चुपचाप तनकर बैठ गई थी। यही उसका मौका था। एक बार उ ह ने इस स नल
और अगले को पार कर लया, वो उस ए स ेसवे पर ह गे जो द ली से गुड़गांव जाता है।
उस सड़क पर तेज र तार से चलते ै फक के म े नजर कार के धीमी होने क कोई सूरत
नह होगी।
उसने खड़क से बाहर क तरफ दे खा। उनके पास वाली कार बलकुल सटकर चल रही
थी, मु कल से दोन वाहन के बीच म एक फुट का अंतर था। कोई तरीका नह था जससे
वो दरवाजा खोलकर बाहर नकल पाती। कार धीरे—धीरे आगे बढ़ने लगी, ाइवर अलग—
अलग दशा म जा रही गा ड़य के बीच से रा ता नकालने क को शश कर रहा था। कार
के बीच का अंतर थोड़ा बढ़ा और राधा क चता बढ़ने लगी। ै फक लाइट हरी हो चुक थी
और जाम तेजी से छं टने लगा था य क गा ड़यां अपनी—अपनी दशा म जाने लगी थ ।
यह उसके लए अभी नह या कभी नह वाली हालत थी, और उसने चुपके से अपना
हाथ दरवाजे को खोलने के लए बढ़ाया।
तभी उसका मोबाइल फोन बजने लगा। कार म बैठे तीन आदमी उसक तरफ दे खने
लगे। और यही वो नह चाहती थी।

सच या है?

‘वो फोन नह उठा रही है,’ वजय ने बा कय को बताया, उसके चेहरे पर चता थी और
शु ला भी च तत लग रहे थे। उस पल एक पता और एक मंगेतर दोन ही एक जैसे बेचैन
थे।
‘इमरान को लगाओ,’ को लन ने सुझाव दया। ‘हम उसे वैसे भी पीटर के बारे म बताना
है। शायद वो राधा का पता लगाने म हमारी मदद कर सके?’ वो यह बोलते ए खुद भी
आशंका त था, ले कन वो ह मत नह हारना चाहता था——इससे वजय और शु ला
दोन और टू ट जाएंग।े
वजय ने सर हलाया और इमरान का नंबर डायल कया। एक अजीब और अनजान
आवाज ने उ र दया। ‘क हए?’
‘म… म इमरान कदवई से बात करना चाहता ं,’ वजय हच कचाते ए बोला।
‘आप कौन ह?’ आवाज का लहजा आदे शा मक था।
वजय एक मनट के लए तो त ध रह गया। जस आदमी ने फोन उठाया था, ऐसा लग
रहा था क वो इमरान को जानता है। फर भी, इमरान ने फोन नह उठाया। इसका या
मतलब हो सकता है?
‘म… म उसका दो त ,ं ’ वो कसी तरह बोल पाया। ‘ वजय सह।’
‘इंतजार क जए,’ उस आवाज ने कहा और फर कुछ पल के लए स ाटा छाया रहा।
फर वो आदमी फोन पर वापस आया।
‘ठ क है, आप अमे रका—भारत टा क फोस म ह। मुझे खेद है, वजय, ले कन मुझे
जांचना पड़ा क फोन सच म आप ही कर रहे ह। इन प र थ तय म हम कोई ढ ल नह दे
सकते।’
वजय का आ य और बढ़ गया। और एक घबराहट सी उसे महसूस होने लगी। ऐसी
या प र थ तयां ह? इमरान कहां था?
उसने यही सवाल पूछा।
‘आपको बताया नह गया?’ उस आदमी क आवाज म आ य था। ‘इमरान पर आज
जानलेवा हमला आ है। काफ पास से उसके अपाटमट पर रॉकेट से बम फका गया।
अपाटमट तहस—नहस हो गया। इमरान क हालत इस व काफ नाजुक है। उसक सजरी
हो रही है। हम नह जानते क वो जदा बचेगा या नह ।’
वजय का दमाग तेजी से घूम रहा था। यानी इमरान पर हमले क खबर सही थी! उसके
दमाग ने तुरंत सभी सूचना को एक साथ गूंथ दया। अगर इमरान क वाकई म सजरी हो
रही है और वो लोग एक गलत अ पताल म ह, इसका मतलब है क राधा को फंसाया गया
है। और अगर राधा से मलने वाले जो लोग आईबी एजट बनकर गए थे, जानते थे क
इमरान पर बम से हमला आ है, तो ये राधा के लए अ छा शकुन नह है। वो इस बात का
दावा करने को तैयार था क नकली आईबी एजट उसी के लए काम कर रहे थे जसने
इमरान को मारने क को शश क है।
‘ वजय,’ उस आदमी क आवाज आई, ‘तुम फोन पर हो?’
वजय को एक पल के लए कोई जवाब नह सूझा। फर उसने पूछा, ‘आप कौन ह?’
उस आदमी क आवाज म थोड़ी स ती आ गई। ‘म अजुन वैद ं, आईबी डायरे टर,
हम लोग मल चुके ह।’
वजय श मदा सा हो गया। वो वैद को जानता था। इमरान का बॉस है वो। ले कन वो यह
कैसे जान सकता था क इमरान का बॉस फोन उठाएगा। ‘मुझे खेद है, म टर वैद,’ वो
हकलाते ए बोला, ‘म आपक आवाज नह पहचान पाया। ले कन म बलकुल उ मीद नह
कर रहा था…’
‘ठ क है,’ वैद क पहले क आवाज लौट आई। ‘तुम इस व कहां हो? और या राधा
तु हारे साथ है? हम इस बात से इनकार नह कर सकते क उनके टाइटन फामा यु टक स
जाने से इस घटना का संबंध ज र है।’
वजय डर से कांप गया। उसके और राधा के बीच इस मामले पर कई बार बात ई थ ।
जब इमरान ने टा क फोस म उ ह शा मल करने का ज आ था, वजय ने पहले मना कर
दया था। राधा ही थी जसने उसे टा क फोस म शा मल करने के लए मनाया था।
‘टा क फोस म जुड़ने के लए तुमसे बेहतर कौन हो सकता है,’ उसने तक दया था। वो
उसके राज के बारे म जानती थी और को लन भी। उसने अपनी जदगी के दो सबसे
मह वपूण लोग के साथ यह राज बांटा था। ‘यह तु हारे लए ना सफ दे श क , ब क पूरी
नया क मदद करने का मौका होगा। ऐसे मौके जीवन म एक बार ही मलते ह, अगर मल
भी तो।’
इस लए वो ना चाहते ए भी मान गया था। ले कन वो राधा के टा क फोस म शा मल
होने क इ छा के खलाफ था। इमरान चाहता था क राधा शा मल हो, ले कन वजय नह ।
उसने काफ को शश क थी राधा को मनाने क , ले कन वो हार गया था।
‘यह बेहद खतरनाक है,’ उसने डांटते ए कहा था।
‘अ छा, यह मेरे लए खतरनाक है ले कन तु हारे लए नह ,’ उसने पलटकर कहा था,
अपने चरप र चत अंदाज म आंख मटकाते ए। ‘ य क म एक म हला ं और तुम एक
पु ष?’
‘नह , ऐसा नह है,’ उसने वरोध करते ए कहा। अपने मन म उसने राधा के बयान म
छपे ताने पर सोचा। वही थी जसने उसे टा क फोस म शा मल होने के लए मनाया था। तो
वो कैसे उसके खलाफ बोल सकता था? अंत म उसने ह थयार डाल दए थे।
अब यही चीज उसे परेशान करने आ रही थी। और उसका सबसे बड़ा डर सच सा बत
होने जा रहा था। राधा ने पहली बार अपने जीवन म और इमरान के समझाने के बावजूद
एक फ ड मशन म ह सा लया था। और अब वैद भी नह जानता था क वो कहां है।
उसने वैद को सारी चीज क जानकारी द । वैद ने उसके इस अंदाज से सहम त जताई
क नकली आईबी एजट और इमरान पर बम से हमला करने वाले लोग मले ए ह।
‘ चता मत करो,’ वैद ने उसे भरोसा दलाया। ‘हम इसी व राधा के फोन क नगरानी
शु कर दगे। अगर फोन म जीपीएस होगा और वो चालू होगा तो हम तुरंत उसक थ त
का पता लगा लगे। और म तु ह इमरान क हालत का ताजा हाल भी बताता र ंगा। हम सभी
चाहते ह क वो इस मु कल घड़ी से नकल जाएं। तुम अभी वह को जहां हो। म वहां
एजट् स भेज रहा ं। तुमम से कसी के लए भी अभी खतरा टला नह है।’
‘शु या,’ वजय ने फोन काटा और बा कय को बातचीत क जानकारी द । बोलते—
बोलते उसके दमाग म एक वचार क धा। यह एक बयान था जो वैद ने दया था। एकाएक
वो समझ गया क गोरे आदमी को उन सबके कले म एक साथ होने का पता कैसे चला।
और इसी से यह भी समझ म आ गया क उस गोरे को शु ला के बारे म पता य नह चला।
36
सतंबर, 328 ईसा पूव समरकंद, वतमान उ बे क तान

सॉ डयन महल चराग और मशाल से जगमगा रहा था। हर तरफ हलचल और मौज—
म ती का माहौल था। वजेता ने महल म एक दावत का आयोजन कया था। एक
अ या शत हार के बाद, उसने बा ख म वापसी क थी और अपनी सेना को दोबारा संग ठत
कया था। इसके बाद उसने नद घा टय के पार, आज के ता ज क तान म, अपनी चार
इकाइयां भेजी थ और एक इकाई को आज के उ बे क तान के पार समरकंद म एक होने
के लए भेजा था। बागी कबील के सरदार और उनके प रवार वाले सॉ डयन पवत पर जमा
ए थे, जो सकंदर का अगला पड़ाव होने वाला था। इसक कई वजह थ । ले कन अभी
सकंदर ज मना रहा था। वो फारस का बादशाह बन चुका था। और कल, वो इस पवत को
जीत लेगा। मानो उसके रा ते म कोई बाधा नह थी।
महल के अंदर दावत अपने पूरे शबाब पर थी। शराब पानी क तरह बह रही थी और
मेज पर तरह—तरह के सॉ डयन पकवान सजे ए थे।
या सेनाप त या सै नक, चाहे मक नयन ह या गैर—मक नयन, सभी उस हॉल म
मल—जुलकर खाने—पीने का मजा ले रहे थे। कुछ समय के लए त पधा और राजनी त
भुला द गई थी, अतीत और भ व य के यु गुमनाम से हो गए थे, और हर तरफ
खुश मजाजी थी।
ले कन यह ब त यादा दे र तक नह रही।
हॉल के एक ह से म सकंदर, हेफे टयन और अपने खास आद मय के साथ अ ा
जमाए बैठा था। ऊंची आवाज और अ हास संकेत दे रही थ क हॉल के इस कोने म नशा
कस कदर छा चुका है।
इससे पहले क शराब का नशा सभी लोग को पूरी तरह अपनी गर त म लेता,
हेफे टयन आगे बढा।
‘दो त , शांत हो जाओ!’ पास के कुछ सेनाप तय और सै नक ने उसक बात पर यान
दया ले कन यादातर ने उस हंगामे के बीच उसक बात नजरअंदाज कर द । कसी ने
हेफे टयन पर भ ट पणी क और सकंदर जोर से हंस पड़ा, अपने साथ ए मजाक के
बावजूद हेफे टयन के चेहरे पर भी मु कुराहट आ गई।
उसने मौजूद लोग को दखाने का फैसला कया क यहां कसका दबदबा है। वो खाने
क चीज से भरी एक मेज पर कूदकर चढ़ गया, कांसे के दो बतन म रखी चीज फक द
और दोन बतन को कई बार जोर—जोर से टकराने लगा।
हॉल म हो रहा शोर—शराबा फुसफुसाहट म बदल गया और कांसे के बतन क आवाज
ने लोग का यान अपनी तरफ ख चा। कुछ हो तो रहा था और लोग जानना चाहते थे क
आ खर या हो रहा है। अगर सकंदर का चहेता एक मेज पर चढ़कर बतन को टकरा रहा है
और राजा खुद हंसकर लोटपोट हो रहा है, तो इस पर यान जाना वा जब था।
इस बात से संतु होकर क उसने काफ लोग का यान ख च लया है, हेफे टयन ने
सकंदर के करीब बैठे एक श स क तरफ इशारा कया।
‘दो त , हमारे थानीय क व ै नचस क रची क वता क तरफ यान द,’ हेफे टयन
ने हंसते ए कहा और मेज से नीचे कूद गया।
लोग क वाहवाही से े रत होकर ै नचस ने मेज पर हेफे टयन क जगह ले ली और
अपनी क वताएं सुनाने लगा।
यह उस रात को नया मोड़ दे ने वाली घटना थी। हॉल म मौजूद लोग का एक बड़ा
ह सा ै नचस क क वताएं सुनकर हंस रहा था, मजाक कर रहा था या आपस म ट का—
ट पणी कर रहा था। ले कन ऐसे भी लोग का ह सा था जनके चेहरे क वता के आगे
बढ़ते जाने के साथ ही स त होते जा रहे थे।
ये पुराने लोग थे, व र लोग ज ह ने सकंदर के पता फ लप के अधीन काम कया
था। ये लोग भी नौजवान राजा क तरफ से यु म शा मल ए थे और कई मौक पर काम
के भी सा बत ए थे। इनम गॉगामेला का यु भी था जसका पासा मक नयन सेना के प
म पलटने का काम इ ह ने कया था। वो जो सुन रहे थे, उ ह पसंद नह आ रहा था।
क वताएं समरकंद म सकंदर के सेनाप तय क पराजय पर आधा रत थ , जस
पराजय ने सकंदर को पछले साल स दय म बा ख लौटने पर ववश कर दया था।
क वता म उन सेनाप तय का मखौल बनाया जा रहा था ज ह बै या के कबीलाई
लोग ने शक त दे द थी।
ये व र लोग आपस म फुसफुसाकर बात करने लगे। उनम से एक, स टस, जसे हाल
ही म बै या और सॉ डया का छ प नयु कया गया था, खासतौर पर नाराज था।
‘बबर और मन के सामने मक नयाई लोग को अपमा नत कया जा रहा है,’ उसने
दांत भ चकर कहा, उसका गु सा बढ़ता जा रहा था। ‘हम चुपचाप खड़े रहकर ऐसा कैसे
दे ख सकते ह? या हमम से कोई भी आगे बढ़कर अपनी मदानगी नह दखा सकता? या
हम यहां खड़े रह और वो हमारा मजाक बनाते रह?’
‘जब जीत मलती है तो सकंदर को ेय जाता है। जब हार होती है सेनाप त ज मेदार
होते ह,’ एक और व र सेनाप त ने शकायत क । ‘ फ लप के समय म ऐसा कभी नह
होता था।’
स टस उसक तरफ घूमा। ‘ फर तुम बोल य नही रहे हो? इस बकवास को अभी
रोको! हम फ लप के राज म हमेशा बोलने क आजाद रही है और सकंदर के समय भी।
न त तौर पर उ ह हमारी बात समझ म आएगी।’
‘वो नशे म ह,’ एक सरे श स ने चेताया। ‘उनके दमाग म ब त यादा शराब घुस
चुक है। अ छा होगा क इस व कोई दखलंदाजी नह क जाए। याद है ना पसपो लस म
या आ था।’ वो फारस सा ा य क राजधानी पसपो लस म सकंदर क वजय के बाद
ई दावत का ज कर रहा था। उस ज के दौरान नशे म चूर सकंदर ने पसपो लस को
आग के हवाले करने का फैसला कया था। और ऐसा करके उसने उस समय नया के भ
शहर म से एक को तहस—नहस कर दया था।
‘और उस घटना को भी नह भूलो जब फ लप शराब के नशे म था और सकंदर को
जान से मारने क को शश क थी,’ एक और व र सेनाप त बोल पड़ा। वो फ लप क
लयोपे ा, ऊंचे घराने क एक मक नयन लड़क , से शाद के मौके का ज कर रहा था।
लयोपे ा के चाचा एटे लस ने ट पणी क थी क फ लप एक वैध उ रा धकारी उ प
करेगा और उसके कहने का मतलब यह था क सकंदर अवैध है। और, वैसे तो ओ ल पयास
ने खुद ही दावा कया था क सकंदर का पता फ लप नह , ब क जयस है, इस ट पणी
से सकंदर गु से म लाल—पीला हो उठा था। उसने एटे लस पर अपना याला फक मारा था
जस पर फ लप ने खड़े होकर सकंदर को मारने के लए तलवार नकाल ली थी। नशे क
उस हालत म उसने सकंदर पर हमला कया ले कन संतुलन खो बैठा और मुंह के बल गर
पड़ा था।
ले कन इसने दखाया था क ब त यादा पीने के बाद घटनाएं कस हद तक बगड़
सकती ह। और आज क रात भी ब त अलग नह है। व र लोग कसी घटना को उकसाना
नह चाहते थे। ले कन स टस ने तय कर लया था। ‘इसे रोकना होगा,’ उसने जद पकड़
ली थी। ‘अब, अगर तुमम से कोई मद नह है तो म इसे क ं गा। मने ै नकस म सकंदर क
जदगी बचाई थी। और भूलो नह क फलोटस के वध के बाद उसने आधी सेना मुझे और
बाक आधी हेफे टयन को द है। वो मेरी बात को अनसुना नह करेगा।’
वो भीड़ को ध का दे ता आ रा ता बनाकर उस मेज पर प ंच गया जहां ै नचस ने
क जा जमा रखा था।
‘ब त आ!’ उसने ै नचस को आदे श दे ते ए कहा। ‘अब और नह !’
ै नचस क वता पाठ के बीच म क गया और उसने हेफे टयन और सकंदर क तरफ
दे खा।
नौजवाना राजा शराब के नशे म झूमता आ उठा।
‘ य के वो?’ सकंदर ने स टस से पूछा। ‘वो सच कह रहा है।’
हॉल म स ाटा छा गया। अब यह स टस और ै नचस के बीच का मामला नह रह
गया था। सकंदर ने खुद को इसम डाल लया था। ै नचस चुपचाप मेज से उतरा और
अपनी जगह पर लौट गया, वह सकंदर स टस से उलझा आ था।
‘महाराज, आपके पता के समय से परंपरा रही है क जीत का ेय और हार क
ज मेदारी…’ स टस ने बोलना शु ही कया था क सकंदर ने उसे बीच म ही टोक दया।
‘मेरे पता!’ उसके मुंह से नकला। ‘तुम मेरे पता के बारे म ऐसे बोल रहे हो क जैसे वो
बड़े याय य थे। या उ ह ने मुझे उनक जीत म कभी ेय दया? तुम मेरे पता क परंपरा
के बारे म बोल रहे हो? म सफ एक परंपरा जानता ं क वो मेरे बारे म या सोचते थे, जस
व े ष से वो मुझे दे खते थे। उनका या? या ये एक स चे आदमी क नशानी ह?’ सकंदर
ने स टस क तरफ गु से से दे खा और अपने याले से शराब का एक और बड़ा घूंट लया।
‘महाराज,’ स टस ने जवाब दया, ‘आप अपने पता क याद के साथ याय नह कर
रहे। उ ह ने फारस पर हमले क शु आत क थी और साल पहले उ ह ने वो कर लया होता
जो आपने आज कया है, अगर एक ह यारे के छु रे ने उनक जदगी ख म नह क होती।’
वो का, अपमान और ोध अब उबल रहे थे, तक क जगह भावना ने ले ली थी। ‘आप
भूल रहे ह महाराज, आप आज जो भी ह अपने पता क वजह से ह। जो आज आपने
हा सल कया है इन सबक बु नयाद उ ह ने ही रखी थी। उनक उपल धयां आपक आज
तक क उपल धय से कह यादा ह। और आज आप खुद को इतना महान मानने लगे ह
क आप अपने आप को एमन क संतान मानते ह और अपने ही पता को मानने से इनकार
करते ह!’
उसके अं तम श द ने वहां स ाटा पैदा कर दया। ऐसा लग रहा था जैसे उस पल सभी
लोग ने सांस भी लेनी बंद कर द है।
‘ !’ सकंदर क त या आई, शराब ने उसक सोचने—समझने क ताकत पर
पदा डाल दया था। ‘तु ह लगता है क तु ह मेरी नदा करने और मक नयाई लोग म
असंतोष फैलाने क इजाजत मलेगी, और वो भी बना कसी सजा के?’
ले कन स टस पर इसका कोई असर नह पड़ा। ‘अगर आप सच नह सुन सकते तो
आपने आजाद याल लोग को बुलाया य ? यही अ छा होगा क आप बबर और गुलाम
के साथ रह। वो आपक खुशामद करगे और आपके फारसी कमरबंद और धारीदार कुत को
चूमगे।’
सकंदर गु से से फट पड़ा। उसने अपना कप स टस क तरफ फका, जससे शराब
उस पर और स टस दोन पर फैल गई। लोग इधर—उधर छतरा गए जब सकंदर दावत
क मेज क तरफ दौड़ा और वहां लगे फल स टस पर फकने लगा। उसने चार तरफ दे खा
ले कन आसपास कोई ह थयार नह था।
‘ ह रय को बुलाओ!’ सकंदर च लाया, उसक आवाज लड़खड़ा रही थी। ‘ ह रय
को बुलाओ! कहां ह मेरे हरी?’
स टस के कुछ दो त ने उसे पकड़ा और उसे ख चते ए महल से बाहर ले गए,
सकंदर के गु से से र और खाई के पार, जहां वो सुर त रहे। एक बार जब सकंदर का
गु सा शांत हो जाएगा, स टस वापस लौट सकता है और दावत म शा मल हो सकता है,
अगर तब तक यह ख म ना हो जाए।
सकंदर के अंगर क तब तक घटना थल पर प ंच गए थे और उसके चार ओर
सुर ा मक घेरा बना लया था।
स टस को बचाने वाले दो त भी लौट आए और उ सव फर से शु करने का इशारा
कया। झगड़ा अब ख म हो चुका था और रात क दावत के बाद क खुमारी म कल सुबह
तक सब कुछ भुला दया जाएगा।
ले कन यह रात इस तरह ख म होने के लए नह आई थी।
दरवाजे पर कुछ हो—ह ला मचा और स टस अंदर आया। उसके वभाव म नह था
क वो लड़ाई से भाग जाए। उसने यु का मैदान कभी नह छोड़ा और वो यहां भी वो हार
नह मानेगा।
‘ओह म! ीस म एक बुरे रवाज का राज है!’ उसक आवाज हॉल म गूंजी और वो
राजा क तरफ बढ़ने लगा, वो यूरी पडस क एं ोमैस का एक वा य पढ़ता आ रहा था और
उसक आवाज म गु ताखी साफ झलक रही थी।
सकंदर, जो अपने दो त के पास बैठने के लए जा रहा था, घूमा। स टस को दे खते ही
उसक ोधा न भड़क उठ । उसक त या आने म पलक झपकने भर क दे र थी। उसने
अपने र क म से एक का भाला लया और स टस क तरफ दौड़ा, भाला सीधे स टस के
आर—पार हो गया।
‘तुम बेसस से अलग नह हो!’ वो च लाया और स टस जमीन पर गर गया, जहां से
भाले ने उसके शरीर म वेश कया था, वहां से खून का फ वारा फूट पड़ा। दावत क के
फश पर खून ही खून फैल गया था और मौजूद लोग ऐसे पीछे हटने लगे थे जैसे खून शा पत
हो। उ ह ने सकंदर का ऐसा प पहले कभी नह दे खा था। ऐसा लग रहा था जैसे उसके
शरीर म कसी और क आ मा घुस गई हो।
जब स टस के खून के साथ उसक आ मा भी शरीर से बाहर चली गई, सकंदर उसके
घुटन पर गर गया। शराब के नशे के बीच ही एकाएक उसे अहसास आ क उसने या कर
दया है। वो आंसु म डू बा आ स टस के नज व शरीर पर लोट गया। स टस के खून से
उसक च पल और चोगा भीग गए ले कन उसने इसक परवाह नह क ।
जदगी म पहली बार सकंदर ने कसी को इस वजह से मारा था क उसने उसे चुनौती
द थी और उससे अलग राय रखता था। और ऐसा करके, उसने मक नया क दो परंपरा
को तोड़ा था। पहली परंपरा थी क कसी को सेना क उप थ त म बना कसी मुकदमे के
सजा दे ना। सरी परंपरा था जयस का मेहमाननवाजी का नयम, जो सकंदर ने अपनी मेज
पर एक मेहमान क जान लेकर तोड़ा था। एक ऐसा मेहमान जसने उसक जान बचाई थी
और शाही प रवार क सेवा वफादारी के साथ क थी।
वो रात ऐ तहा सक थी। इस दन पहली बार सकंदर ने अपनी मह वाकां ा को अपने
ऊपर हावी होने दया था।
ले कन यह आखरी बार नह था।
37
वतमान

तीसरा दन
पलायन

राधा ने सूझ—बूझ से काम लया। जैसे ही वो तीन चेहरे उसक तरफ घूम,े उसने दरवाजे के
ताले क घुंडी ख ची और अपने मोबाइल फोन क लगातार बजती घंट क परवाह कए
बगैर दरवाजे को धड़ से खोल दया। दरवाजा पास क कार के फडर से टकराया, उस कार
का ाइवर तुरंत का और बाहर नकलकर दे खने लगा क या नुकसान आ है।
राधा उस ाइवर क चीख और पीछे के कार के हॉन को नजरअंदाज करते ए ै फक
के बीच से अपना रा ता बनाते ए मे ो टे शन क तरफ भागी, जो कुछ ही मीटर र था।
इधर वो ाइवर जब पैर पटकता आ ट कर दे ने वाली कार के ाइवर क तरफ प ंचा
तो उसका सामना लॉक प टल क नली से आ। वो तुरंत वापस हो लया और उसके गु से
क आग पर जैसे डर और आ मर ा का ठं डा पानी गर गया।
कार म बैठे तीन आद मय ने राधा का पीछा कया और तब तक वो फुटपाथ पार कर
मे ो टे शन क वचा लत सी ढ़य क तरफ जा रही थी। सड़क पर ाइवर ने पहले तो
गु से से उन आद मय पर हॉन बजाया और जब उनके हाथ म बं क दे ख तो उतनी ही तेजी
से शांत भी हो गए।
‘ े न आ रही है!’ उनम से एक च लाया, जैसे ही आती ई े न क पीली रोशनी से
टे शन का एक ह सा नहा गया। उ ह ने अपनी र तार बढ़ाई और बं क दे खकर क ई
कार के बीच से नकलते ए राधा के पीछे —पीछे वचा लत सी ढ़य तक प ंचे।
राधा ने पीछे मुड़कर दे खा और पाया क ै फक उन आद मय को नह रोक पाया था।
उनक बं क साफ दख रही थ हालां क वो उस पर नशाना नह लगा रहे थे। वो नह
जानती थी य ।
ले कन यह समय अंदाजा लगाने का नह था। े न लेटफॉम पर प ंची और ककश
आवाज के साथ क गई, इतने म राधा वचा लत सी ढ़य से उतर चुक थी। ना तो उसके
पास एक ज मेदार नाग रक बनने का समय था और ना टकट के लए लंबी कतार म लगने
का। राधा ने लेटफॉम तक प ंचने के लए बने घूमने वाले दरवाजे के ऊपर से छलांग लगाई
और अपने पीछे च लाते लोग को नजरअंदाज कर दया। वो लेटफॉम के अं तम छोर तक
दौड़कर प ंची और अं तम कोच म चढ़ गई, इस उ मीद म क े न उन आद मय के
लेटफॉम तक प ंचने के पहले ही चल दे गी।
े न का दरवाजा बंद आ और उसने डरते—डरते खड़क से बाहर दे खा। उसका पीछा
करने वाले तीन आदमी अभी भी लेटफॉम पर थे। उनम से एक से उसक नजर मल
जसने उसे धमक भरी नजर से दे खा, ले कन तब तक े न र तार पकड़ चुक थी और
टे शन से बाहर जा चुक थी।
तभी अचानक कुछ हंगामा आ और उसक तरफ घूरकर दे ख रहे आदमी ने अपने
सा थय क चीख सुनकर आसपास दे खा और भागने लगा। तेज र तार े न से भी राधा को
समझ आ गया क उसके अपहरणकता य भाग रहे थे। सादे कपड़ म पांच आदमी
वचा लत सी ढ़य से भागते ए और घूमने वाले दरवाजे से छलांग लगाकर नकली आईबी
एजट् स का पीछा करते ए वहां प ंचे थे। इन लोग के हाथ म भी बं क थ । वो नह जानती
थी क ये लोग कौन ह, ले कन चूं क वो उसके अपहरणकता का पीछा कर रहे थे, वो
ज र अ छे आदमी रहे ह गे।
वो एक खाली सीट म धंस गई और अपनी भ ह पोछ । अब जाकर उसे फोन कॉल क
याद आई जसका वो जवाब नह दे सक थी और कार से भागने क को शश म लगी थी।
उसने फोन बाहर नकाला और नंबर दे खकर अपना सर हलाया। यह वजय का फोन था।
ऐन व पर ही उसने फोन कया था, राधा ने मन म सोचा और नंबर लगाया।
वजय ने तुरंत फोन उठाया। ‘राधा, तुम ठ क तो हो?’ उसक आवाज म झलक रही
चता और उसक हफाजत को लेकर डर ने राधा का दल छू लया और उसे काफ राहत
महसूस ई।
‘म ठ क ं,’ उसने वजय को पूरी आपबीती बताई, साथ ही यह भी क उसके
अपहरणकता कैसे उन पांच लोग से डरकर भागे थे जो अं तम मनट म ही वहां प ंचे थे।
वजय ने फ क मु कान द । ‘वो वैद के भेजे गए आईबी के लोग ह गे। उसने तु हारे
जीपीएस पर नगरानी रखी थी और एक ट म तु हारी मदद के लए भेजी थी। लगता है
उसक योजना काम कर गई।’
राधा मु कुराई ले कन उसक मु कान तुरंत ही गायब हो गई जैसे ही उसे कुछ याद
आया। ‘इमरान के अ पताल म होने क खबर झूठ थी?’
‘नह , झूठ नह थी।’ अब वजय क बारी थी उसे खबर दे ने क । ‘तुम दस मनट म
एयरपोट प ंचो। म वहां प ंच रहा ं। तुम वहां एक शांत जगह दे खकर इंतजार करो जब
तक हम ना प ंच।’
राधा वजय के इस अमे रक अंदाज पर मु कुरा द । इससे उसे लुइस ला’मूर के वो
उप यास याद आ गए जो वो पढ़ा करती थी। जन चीज से उसे गुजरना पड़ा था, उसके बाद
मु कुराना और यह जानना क वजय ज द ही एयरपोट पर उसे लेने प ंचेगा, उसके लए
सुखद था।
उसने फोन को अपनी ज स क जेब म वापस रखा और अपनी आंख मूंद ल । उसे नह
पता था क उस पर शाम क घटना का तनाव हावी था या जौनगढ़ से गुड़गांव और फर
द ली के सफर क थकान।
उसे बस इतना पता चला क े न क गई थी और उसे हलाकर जगाया जा रहा था। वो
जगी, खुद म खोई सी और धुंधली नजर से अपने सामने खड़े आद मय को दे खा।
धीरे—धीरे उसे साफ दखने लगा और उसे समझ आया क उसके सामने एक लंबा गोरा
आदमी खड़ा है जसके साथ छह लोग और ह। उन सभी के हाथ म ह थयार थे। गोरे
आदमी ने उसके चेहरे पर बं क सटा रखी थी। कोच खाली हो चुका था। सभी या ी या तो
चले गए थे या भाग गए थे।
गोरा आदमी उसके चेहरे के भाव दे खकर मु कुराया। ‘हम एयरपोट पर ह मोहतरमा,’
उसके चेहरे पर बनावट मु कान थी। ‘इं दरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोट पर आपका वागत
है।’ उसने एयरपोट पर होने वाली उ ोषणा क नकल क , उसका लहजा काफ हद तक
एयरपोट पर होने वाली अं ेजी उ ोषणा से मल रहा था। ‘अपनी सीटबे ट बांध लो बेबी।
तु ह अभी काफ लंबी री तय करनी है।’

आईजीआई इंटरनेशनल एयरपोट, मे ो टे शन

वजय हैरान होकर टे शन पर चार तरफ दे ख रहा था। वो दस मनट पहले वहां प ंचा था
और स ल द ली के लए जाने वाली े न टे शन से नकल चुक थी। लेटफॉम पर राधा का
नामो नशान तक नह था। उसके आसपास सफ वो या ी थे जो अभी—अभी अपनी
लाइट से वहां आए थे और अगली े न का इंतजार कर रहे थे।
कहां गई वो?
उसने पूरे टे शन का एक बार फर च कर लगाया, हो सकता है वो राधा को दे ख ना
पाया हो। वैसे ऐसा होने क गुंजाइश तो ब त कम थी, फर भी वो कोई मौका चूकना नह
चाहता था।
उसने बाक लोग को वैद के वादे के मुता बक एजट् स का इंतजार करने को कह दया
था और एयरपोट के लए नकल आया था। ै फक काफ यादा था ले कन वो जानता था
क राधा बाहर नह नकली होगी, खासतौर पर तब जब वो जानती थी क वो उसे लेने आ
रहा है। उसका दमाग काम नह कर पा रहा था। उसे फोन करके भी कोई फायदा नह हो
रहा था। फोन बंद था। इस चीज से भी वो परेशान था। वो अपना फोन वच ऑफ य
करेगी?
कसी भी चीज का कोई मतलब उसे समझ नह आ रहा था। जब तक उसका अपहरण
ना कर लया गया हो, जब उन लोग क बातचीत ई थी। शायद उसने अपने
अपहरणकता के दबाव म झूठ बोला हो। यह सोच खद थी ले कन इमरान के साथ जो
आ था, उसके बाद कसी भी संभावना से इनकार नह कया जा सकता था।
वजय ने को लन को फोन कया और उसे सारी जानकारी द । को लन, ए लस और
शु ला, जनके साथ तीन आईबी एजट भी थे, एयरपोट के रा ते म थे। वजय के वहां से
नकलने के तुरंत बाद ही एजट वहां प ंच गए थे और उनके साथ होने के पहले वैद से उनक
पहचान क पु कर ली गई थी।
योजना थी क आईबी एजट उनके साथ जौनगढ़ तक चलगे। इस बारे म लंबी—चौड़ी
बहस ई थी क वो कहां जा सकते ह। कोई भी जगह इस व सुर त नह लग रही थी।
वजय के इस तक म सबको दम लगा क मन भले ही यह जानते थे क ए लस जौनगढ़ म
है, उ ह ने तब तक उस पर हाथ नह डाला जब तक वो, सर के साथ, कले से बाहर नह
नकली।
‘मुझे लगता है क इस व सबसे सुर त जगह कला ही है,’ वजय ने यह कहकर
अपनी बात ख म क थी और बाक सब उससे सहमत हो गए थे।
राधा को ढूं ढ़ पाने का और कोई तरीका नह सूझा तो वजय ने इमरान का नंबर एक बार
फर डायल कर दया। वैद, जो उसे अपना मोबाइल नंबर नह दे सकता था, ने उसे फलहाल
इसी नंबर का इ तेमाल करने क सलाह द थी।
‘सब ठ क तो है ना?’ वैद ने फोन उठाते ही पूछा।
‘सच पूछो तो नह ।’ वजय ने उसे पूरी थ त क जानकारी द । ‘मेरी एक गुजा रश है,
या हम एक बार फर से राधा के मोबाइल फोन क थ त जान सकते ह?’
‘म अभी कसी को इस चीज के लए लगाता ,ं ’ वैद ने जवाब दया। ‘ले कन हम जगह
का पता तभी लगा पाएंगे जब फोन चालू हो। अगर फोन बंद होगा, जैसा तुमने बताया, तो
हम यादा कुछ नह कर सकगे।’
वजय का दल बैठ गया। अगर राधा का अपहरण आ होगा, जैसा उसे डर था, तो इस
बात क संभावना बेहद कम है क उसके अपहरणकता उसका फोन वच ऑन करगे। और
अगर वो ऐसा करगे भी तो यह सु न त करगे क उसका जीपीएस न य कर दया जाए
ता क उसक जगह का पता ना लग सके।
उसने अंदाजा लगा दया था क सं हालय म उन पर हमला करने वाले लोग ने
आधु नक तकनीक का इ तेमाल करके उ ह पहचान लया था, साथ ही उनके माटफोन के
जीपीएस क मदद से उन पर नजर भी रख रहे थे। शु ला के अलावा बाक सभी लोग क
ग त व धय और पहचान के बारे म उन आद मय को पता होना इसी बात क ओर इशारा
कर रहा था। सफ शु ला के ही पास मोबाइल फोन नह था और वो लोग उसके बारे म नह
जानते थे। इस चीज को महसूस करके उन सभी लोग ने अपने फोन के जीपीएस बंद कर
दए थे।
वजय डरा आ था। जो भी लोग थे, वो शौ कया नह थे। और अगर उनके पास वही
तकनीक है, जैसी आईबी के पास है, तो इसका मतलब है क वो लोग ताकतवर भी ह।
उसका सबसे बुरा सपना सच होने वाला था। वो हमेशा के लए राधा को खो सकता था।
38
कैद …

राधा ने अपनी आंख खोल और उसके म ं से कराह नकली। पहली चीज उसे दखी उसके
आसपास का रंग।
सफदे , साफ, उ वल। सफदे छत, सफदे द वार, शायद सफेद फश भी। जैसे ही उसे
यह याल आया, उसने महसूस कया क उसे एक ब तर से बांधा गया है, उसक कलाई
और टखने बंधे ए थे; वो बलकुल हल—डु ल नह सकती थी। उसके बाएं बाजू म एक सुई
चुभोई ई थी जो एक प से जुड़ी थी।
उसने अपने बधंन से नकलने क को शश क ले कन समझ गई क इसका कोई
फायदा नह है और फर खुद को हालात पर छोड़ दया।
उसके सर और पूरे शरीर म एक भारीपन था। कहां है वो? और वो यहां कैसे प ंची?
उसे एक धुंधली सी याद थी क एक आदमी ने ने म उसक तरफ बंदकू तान रखी थी। उसे
े न से बाहर नकाला गया था, लेटफॉम पर। और फर उसके आगे उसे कुछ याद नह आ
रहा था।
उसके नथुन म अभी भी उस के मकल क तीखी गंध भरी ई थी, जो उसे जबरन
सुंघाया गया था। उसक गदन के नचले ह से पर मजबूत पकड़ ने, जसने उसके चेहरे को
एक गीले कपड़े से ढक दया था, खर चे का नशान और ह का सा दद छोड़ रखा था।
उसे अब महसूस आ क वो एक हॉ पटल गाउन म है। उसके ज स और टॉप कहां गए
जो उसने े न म पहन रखे थे? उसके कपड़े कसने बदले? एक अनजान श स के हाथ
शील भंग होने क अपमानजनक भावना उस पर हावी हो गई और इसने उसके अंदर
एकाएक गु से क आग भड़का द ।
उसे एक झटका लगा, गु से से वो कांपने लगी, सभी तक एक तरफ हो गए और वो जोर
से चीखने लगी। साथ ही वो इस ताकत और जुनून के साथ अपने बंधन से छू टने क
को शश कर रही थी जो उसे भी नह मालूम थे क उसके अंदर ह।

…या गनी पग?


डॉ टर व ण स सेना काफ दलच पी के साथ अपने सटर के कं ोल म म लगे ढे र
मॉ नटर म से एक पर नजर जमाए था। वो अपने साथी क तरफ मुड़ा और कहा। ‘तुम सही
थे, गैरी, म नह जानता था क इस दवा का ऐसा असर होता है।’
गैरी मैन मु कुराया। ‘दे खो, म यह कहना पसंद नह करता क “मने तु ह ऐसा कहा
था” ले कन मने तु ह ऐसा ही कहा था।’ उसने उस वी डयो मॉ नटर क तरफ अंगूठे से
इशारा कया जस पर राधा क चीख—पुकार दख रही थी। ‘मुझे लगता है क तु ह उसे
इसी व एंट डोट दे दे ना चा हए। अगर तुम उसे सही सलामत रखना चाहते हो। इस दवा
का असर अगले दो घंटे तक नह उतरेगा और तब तक वो अपने हाथ—पैर तोड़ लेगी।’
न पर, राधा अभी भी पूरे जुनून के साथ अपने बंधन से छू टने क को शश कर रही
थी, इस बात से भी अनजान क उसक बांह म सुई चुभी है। प उसम लगे ूब के साथ
बुरी तरह हलने लगा था और वो गु से म अपने हाथ—पांव फके जा रही थी।
स सेना ने एक बार और वी डयो मॉ नटर क तरफ दे खा, फर इंटरकॉम पर कुछ आदे श
दया। कुछ ही पल म, एक नस कमरे म आई और इंजे शन क मदद से प म कुछ डाल
दया। एंट डोट ने तुरंत काम कया, राधा क हरकत एकाएक शांत हो ग ।
‘तु ह ऐसा नजारा अपने सामा य नमून के साथ दे खने को नह मलता,’ मैन
खल खलाते ए बोला। ‘हम उन पर इतने योग कर चुके होते ह क तु ह कभी पता ही
नह चलेगा क दवा का असर आ भी है या नह । अ छा आ क यह यहां आ गई। एकदम
सही व पर।’
‘वो आई नह है,’ स सेना ने उसे बताया और वो दोन कमरे से बाहर आ गए। ‘उसे यहां
कूपर लाया है। हम उससे ज द से ज द छु टकारा पाना है। बस हम एक बार पता चल जाए
क वो ऑपरेशन महाभारत के बारे म या जानती है।’
‘सचमुच?’ मैन च तत सा दखने लगा। ‘दे खो, तुम लोग ने मुझे यहां बंद कर रखा है
और मुझे पता ही नह बाहरी नया म या हो रहा है।’
‘हमारे पास कोई रा ता भी नह है,’ स सेना पलटकर बोला। ‘हम यहां ली नकल
ायल करने के लए ह। यहां तक क म भी यहां छपते— छपाते आता ।ं हम इस
फे स लट को टाइटन के साथ जुड़ा दखाने का जो खम बलकुल नह उठा सकते। और
जस चीज का तुम अ ययन कर रहे हो, उसे सबक नजर से र रखना है। तुम तो ये जानते
ही हो। अगर बाहर पता चल जाए क इस जगह आनुवां शक संबंधी अनुसंधान चल रहे ह
तो अनथ हो जाएगा। खासतौर पर अगर यह पता चल जाए क इस अनुसंधान क अगुवाई
टाइटन म आनुवां शक वभाग का मुख कर रहा है।’
‘हां, मुझे मालूम है। ले कन म इसे लेकर खुश नह ं,’ मैन ने शकायत के लहजे म
कहा। ‘ या ऑपरेशन पर कोई खतरा है?’
स सेना कंधे उचकाते ए बोला, ‘पता नह । इस लए तो वो लड़क यहां है। हम यही
पता करना है। वो मेरे पास प कार बनकर आई थी, यह मुझे उस व पता नह था। यह तो
जब कूपर ने हम बताया क उसका और व प से मलने आए आईबी एजट का या र ता
है, हम पता चला क वो एक गु तचर है।’
मैन के ह ठ से सीट बज गई। ‘तो ये आईबी के आदमी के साथ काम कर रही थी?
ये भी भारतीय गु तचर है?’
‘हम अभी नह पता। ले कन यह मायने नह रखता। आईबी का आदमी मर चुका है…
या कम से कम मरने वाला है। कूपर उसे दे ख रहा है। और एक बार जब हम पता चल
जाएगा क वो या जानती है, वो भी उसके पास चली जाएगी। तब तक कूपर उसे एक चारे
क तरह इ तेमाल करने जा रहा है। तो भले ही हम उसे सबक नजर से र रखगे, हम
उसका अपने लए अ छा इ तेमाल कर सकते ह। अ छे नमूने बड़ी मु कल से मलते ह।’
वो गंदे तरीके से मु कुराया और मैन दोबारा खल खला दया।
39
कड़ी मल गई

वजय, को लन, ए लस और शु ला कले के टडी म म बैठे थे। आईबी के लोग उ ह यहां


छोड़कर चले गए थे। अगर उनका पीछा कया जा रहा हो या उन पर और कोई नगरानी रख
रहा हो, तो वो इस बात को लेकर सतक थे क वो खुद को सामने ना लाएं।
कले म लौटकर वजय को राहत और हफाजत महसूस ई। वो लोग यहां महफूज
रहगे। ले कन जौनगढ़ तक के सफर म और वापसी के बाद, वो सभी इस बात से परेशान थे
क राधा क कोई खबर नह मल रही। ऐसा लग रहा था क वो जैसे इस ह से ही गायब हो
गई है।
शु लाजी मायूस बैठे थे, उनके चेहरे पर अपनी बेट के लए चता साफ दख रही थी।
‘वैद टाइटन क जांच य नह कर रहा है?’ वो कई बार ये सवाल पूछ चुके थे। वजय ने
उ ह भरोसा दलाया था क वैद ने टाइटन फामा यु टक स के सीईओ व प वमा से खुद
बातचीत क थी। वो आईबी डायरे टर को अपने यहां पाकर च क गया था और ऐसा लग
रहा था क इमरान और राधा के साथ जो आ, उसे लेकर वो सच म च तत था। उसने राधा
क तलाश के लए और इस मामले क जांच के लए पूरा सहयोग दे ने का भरोसा दलाया
था, यहां तक कहा था क वो आईबी एजट् स को भारत म टाइटन के सभी द तर और उससे
जुड़ी सभी फे स लट ज क जांच करने दे ने के लए भी तैयार है।
‘आईबी सभी सुराग क जांच कर रही है,’ वजय ने शांत होकर कहा। वो शु ला के
लए अपनी चता को छपाने क को शश कर रहा था। ‘हम उनम भरोसा रखना होगा। और
उ मीद करनी होगी क कुछ नतीजा ज द नकले।’
ए लस बोल उठ । ‘म उस बारे म कुछ सोच रही ं जो सं हालय म उस गोरे ने कही
थी।’ उसने वजय क तरफ दे खा। ‘तु ह याद है जब वो हमारी गनती कर रहा था? उसने
इमरान और राधा के बारे म कुछ कहा था।’
‘उसने कहा था क “उनका याल रखा जा चुका है”,’ वजय चड़ चड़ी आवाज म
बोला। उसे उसी समय समझ जाना चा हए था क राधा और इमरान दोन नशाने पर थे।
ले कन वो यह भी जानता था क वो खुद को या कसी और को उस व यह बात नह
सोचने के लए दोषी नह मान सकता था। उस व वो सवाय अपनी जान के और कसी
चीज क परवाह नह कर सकते थे, जो एकाएक खतरे म आ गई थी। वो सच म
खुश क मत थे क उससे नकल आए थे। वो आदमी पेशेवर का तल थे।
‘हां, वो तो कहा था, ले कन उसने यह भी कहा था क वो लोग इधर—उधर सूंघते घूम
रहे ह।’ ए लस ने उसक ओर चौकस नगाह से दे खा। वो जानती थी क इस व इस मु े
को छे ड़ना गलत हो सकता है। ले कन वो यह भी सोच रही थी क इससे उ ह कोई सुराग
मल सकता है।
‘हां, मुझे याद है,’ को लन ने यो रयां चढ़ाते ए कहा, और वजय और शु ला ने भी
अनमने ढं ग से सर हलाया। को लन ने अपनी जांघ पर थपक द जैसे ही उसे समझ आया
क ए लस या कहना चाह रही है। ‘हे भगवान! दोन चीज जुड़ी ह!’
वजय और शु ला अभी भी उलझन म थे। ए लस समझ गई थी क उनके ज बात
उनक सोच पर हावी ह इस लए उसने समझाने क को शश क । ‘हम लोग अब तक मान रहे
थे क मेरे खनन काय म पीटर के शा मल होने और मेरे साथ ीस म जो भी आ, उसका
भारत म इमरान के जै वक आतंकवाद का पता लगाने से कोई संबंध नह है। ले कन या
यह संभव हो सकता है क दोन चीज वा तव म जुड़ी ह ?’
शु ला ने वजय क तरफ दे खा, वो समझ नह पा रहे थे क यह खबर अ छ है या
बुरी। वजय ने तुरंत कोई जवाब नह दया। ए लस समझ गई थी क वजय के दमाग म
कुछ चल रहा है और वो उनक बातचीत और सं हालय म ई घटना का व ेषण करने क
को शश कर रहा है। वो वजय को अ छे से जानती थी। उसके अंदर त य का व ेषण
करने क अ त मता थी, ले कन वो अपने अंत ान पर भी काफ भरोसा करता था। वो
जानती थी क वजय अभी सारे त य और अपनी समझ को परख रहा है जससे क उसक
बात क पु हो सके।
‘तुम सही हो सकती हो,’ आ खर वजय ने कहा। ‘वो डॉ टर शु ला को छोड़कर हम
सबको जानते ह। उनके पास ऐसी तकनीक है जससे वो हमारी ग त व धय पर नजर रख
सकते ह। इस लए उ ह ने कले म ए लस पर नगरानी रखी और सं हालय तक हमारा पीछा
करने म कामयाब रहे। वो राधा और इमरान क ग त व धय पर भी नजर रख रहे थे और
जानते थे क वो टाइटन फामा यु टक स गए थे। इतना तो सं हालय म उस गोरे क बात से
साफ है। और इमरान और राधा दोन को ही उस मुलाकात के बाद ही नशाना बनाया गया।
अब सवाल हैः ीस म खुदाई और जै वक आतंकवाद का आपस म या संबंध है? हम
जानते ह क वो लोग यूब के पीछे ह। हम ये भी जानते ह क सकंदर भारत क या ा के
दौरान कसी चीज क तलाश म था। कोई ऐसी चीज जसे यूमेनीज ने “ई र का रह य”
कहा है।’ वजय अब काफ श त से सोच रहा था ता क चीज साफ हो सक।
बाक सभी लोग बैठकर सुन रहे थे। को लन और ए लस वजय को अ छे से जानते थे
क जब वो चीज पर काम कर रहा हो तो उसे टोकना नह चा हए। शु ला का यान राधा के
बारे म सोच—सोचकर भटक रहा था और वो ढं ग से वजय क बात नह सुन रहे थे।
वजय ने अपनी बात जारी रखी, ‘तो न कष तो यही नकलता है क जो रह य सकंदर
ढूं ढ़ रहा था वह जै वक आतंकवाद का ोत हो सकता है। म जो सोच पा रहा ,ं वो यह क
ये कोई वायरस या बै ट रया हो सकता है जो आबाद को तहस—नहस कर सकता है।
ऐसी चीज का इ तेमाल आतंकवाद अपने फायदे के लए कर सकते ह। यह और या हो
सकता है? इसके तार उस फे स लट म मली को शका से भी जुड़ते ह जो टाइटन के
लए ली नकल ायल कर रहा था। और जांच के नतीजे भी एक अ ात बै ट रया और
वायरस क तरफ इशारा कर रहे थे। ले कन इससे कई सवाल खड़े होते ह। य कसी
बै ट रया या वायरस को “ई र के रह य” कहा जाएगा? सकंदर को इस रह य क तलाश
य थी? और जब उसने इसे हा सल कर लया तो फर कया या? या ऐसा कुछ और भी है
जो हम समझ नह पा रहे ह?’
कमरे म शां त थी और बाक सभी इन वचार को आ मसात करने क को शश कर रहे
थे। वजय का न कष तकसंगत लग रहा था। उसने जो सवाल उठाए थे, वो बलकुल सही
थे। ले कन इन सवाल के कोई साफ जवाब नह थे। खासतौर पर सकंदर क तलाश के बारे
म बात समझ नह आ रही थी क या रह य कसी बै ट रया या वायरस के बारे म था
जसका इ तेमाल जै वक आतंकवाद के लए हो सकता है।
शु ला उठे । ‘म सोचता ं क म सोने चला जाऊं,’ वो मायूसी के साथ बोले। वो इस व
अकेला रहना चाहते थे। उनक सकंदर और जै वक आतंकवाद के साथ संबंध पर चचा म
बलकुल भी दलच पी नह थी। उनक बेट का अपहरण हो गया था। कोई नह , यहां तक
क आईबी भी नह जानती थी क वो कहां है। और अगर इन मामल म जै वक आतंकवाद
शा मल ह तो उसक जदगी न त तौर पर खतरे म है। अगर वो एक व र आईबी अफसर
के अपाटमट को बम से उड़ा सकते ह, तो राधा उनक कैद म कब तक सुर त रह सकेगी?
वजय ने उनक बात समझकर हामी भरी। वो भी हताश था, ले कन इस नई चीज के
सामने आने के बाद उसे ऐसा लग रहा था क उनके पास लड़ाई म वापसी का एक मौका है।
वो यह नह जानता था क यह मौका या है और कैसे मलेगा, ले कन वो अपने मन क
आवाज पर भरोसा कर रहा था। ‘तुम लोग भी थोड़ा आराम य नह कर लेत? े ’ उसने
को लन और ए लस को कहा। ‘म इस पहलू पर थोड़ा और काम करने जा रहा ं और दे खता
ं क या कुछ ऐसा सोच पाता ं जो हमारे लए उपयोगी हो सके।’
को लन जानता था क उसका दो त अंधेरे म तीर चला रहा है। ले कन उसने कोई बहस
नह क । बजाय इसके उसने ए लस का कंधा थपथपाया और उठ गया। ‘तुम सही कह रहे
हो,’ उसने वजय से कहा। ‘सुबह मलते ह।’
जब सभी टडी म से बाहर नकल गए, वजय खड़क क तरफ गया जहां से
पहा ड़यां दखती थ जन पर कला बनाया गया था, और बाहर अंधेरे म झांकने लगा।
उसके मन म भी वैसा ही अंधेरा था जैसा कले के चार तरफ। ले कन कह गहरे उसक
नैस गक व ोही भावना ऊपर उठने लगी थी। उसके इसी गुण ने जदगी म यादातर मौक
पर उसक मदद क थी। इसने उसे उन मौक पर अड़ना सखाया था जब उसे हार मान लेनी
चा हए थी। कई मौक पर, इसने उसे ख भी प ंचाया है, ले कन यादातर समय उसने
इसके सहारे वो चीज हा सल क है जो वो करना चाहता था।
वो उ मीद कर रहा था क इस बार भी वैसा ही हो। राधा उसक जदगी क इकलौती
क मती चीज थी। हां, को लन तो था, जो उसका ब त अ छा दो त था, करीब—करीब भाई
जैसा। ले कन राधा ने उसे वो यार दया था, जो उसके माता— पता के गुजरने के बाद कभी
नह मला। यहां तक क ए लस के साथ भी, उसे अब महसूस होता था, उसके संबंध वैसे
नह रहे। राधा का ेम न वाथ था, बना कसी शत के। उसने कभी नह सोचा था क ऐसा
मुम कन होगा।
और अब वो उसे खोने जा रहा था।
40
अदला—बदली का ताव

कूपर बैठकर हालात का जायजा ले रहा था। चीज अब तक योजना के मुता बक चली थ ,
सवाय सं हालय म मली नाकामी के। राइली ने थोड़ी दे र पहले ही उसे सारी जानकारी द
थी। वो अपने शकार को खोकर नाराज दख रहा था। ‘तुम इस बारे म चता नह करो,’
कूपर ने उसे कहा था।
‘ऐसा हो जाता है। हमारे पास वो लड़क है। अब वो हमारे पास आएंग।े और हम एक
फायदा और भी है। हमारे पास मेटल लेट है। इसके बना यूब का कोई इ तेमाल नह है।’
कूपर ने फोन उठाया। अब आगे बढ़ने का समय था। एक फोन करने का समय।
उसने वजय का नंबर लगाया। यह तुरंत उठा।
‘ वजय सह?’ कूपर ने पूछा। वो सु न त करना चाहता था क वो सही आदमी से बात
कर रहा है।
‘हां, आप कौन?’
‘मेरा नाम पीटर कूपर है। तुमने मेरे बारे म अपनी दो त ए लस से सुना होगा।’
सरी तरफ खामोशी थी। कूपर सफ क पना कर सकता था क वजय को रात म इस
व उसका फोन आने से कैसा झटका लगा था। वो यह भी क पना कर सकता था क
वजय क उ मीद राधा क खबर के लए बढ़ गई ह गी। और वो यही चाहता था। उसक
योजना क कामयाबी इसी चीज पर नभर थी क वजय उसक मांग के आगे कतनी
ज द झुकता है।
कूपर ने इंतजार कया, खामोशी को और बढ़ने दया।
‘राधा कहां है?’ आ खरकार वजय बोला, अब वो क नह पा रहा था। ‘अगर तुमने
उसे नुकसान प ंचाया तो…’ उसे समझ नह आया क इस वा य को वो कैसे पूरा करे। वो
एक अनदे ख,े अनजान मन का या बगाड़ सकता था जब उसे यह तक नह पता क वो
कहां छपे ए ह?
‘बेवकूफ क तरह धमक मत दो,’ कूपर ने उसे सलाह द । ‘तु हारी मंगेतर हमारे पास
है। वो अभी सुर त है। और उसक खै रयत इस बात पर नभर करती है क तुम हमारा
कतना साथ दे ते हो।’
फर से खामोशी छा गई। इस बार कूपर ने इंतजार नह कया ब क बोलता गया।
‘मेरा एक ताव है,’ उसने कहा। ‘अदला—बदली का। तु हारे पास वो है जो हम चाहते
ह। और हमारे पास वो है जो तुम चाहते हो। तो हम उसे आपस म बदल य ना ल? सब
खुश हो जाएंगे और अंत भला तो सब भला।’
‘तुम यूब चाहते हो?’
‘हां, और ए लस टनर भी। मुझे दोन दे दो और अपनी मंगेतर को वापस ले लो।’
फर से खामोशी। कूपर अंदाजा लगा सकता था क वजय अपनी भावना से संघष
कर रहा है। यह एक मु कल चुनाव था। अपनी मंगेतर के लए पुरानी े मका। दोन क
क मत वजय के हाथ म थी।
‘म गलत दबाव डालने वाला आदमी नह ं,’ कूपर ने अपनी बात जारी रखी। ‘म तु ह
कल दोपहर बारह बजे तक का व दे ता ,ं इस बारे म सोच लो और मुझे बता दो। तब तक
म तु ह भरोसा दलाता ं क तु हारी मंगेतर का कोई बाल भी बांका नह होगा। ले कन तब
तक म तुमसे कसी फैसले पर प ंचने क उ मीद कर रहा ।ं ’
उसने फोन काट दया और अंगड़ाई ली। अब सोने का समय था। आज का दन काफ
लंबा था। अब उ द तक दे ने लगी थी। एक समय था जब वो बाहर जाकर काम करना
पसंद करता था। कसी शकार का पीछा करना, कभी उसे खो दे ना, फर उसे दोबारा नशाने
पर लेना, इन चीज का रोमांच बड़ा आकषक होता था। अब शारी रक मेहनत उसे थका दे ती
है। ले कन उसे एक काम पूरा करना है। और अगर वो चैत य नह रहेगा तो वो कुछ नह है।
कल वो वजय को दोबारा फोन करेगा। और दोन म हला क क मत का फैसला हो
जाएगा।
41
चौथा दन
आशा क करण

को लन टडी म म आया और दे खा क वजय गहरी न द म है, उसका सर मेज पर है


और उसक बांह पर टका है। मेज पर टआउट फैले थे, वजय क नोटबुक खुली थी,
उसक कलम उस पर रखी थी। साफतौर पर वजय रात भर त रहा है। को लन इस बात
पर वचार कर रहा था क उसका दो त या कर रहा था और उसने ऐसा या सोचा है
जससे उ ह मदद मलेगी।
वो वजय के पास गया और उसे धीरे से हलाया। ‘उठो यार।’
वजय ने मेज से अपना सर उठाया और को लन क तरफ धुंधली आंख से दे खा। ‘म
सो गया था,’ वो बुदबुदाया।
‘नह , अपनी हालत दे खो। अ छा होगा क तुम नीचे जाओ और साफ—सुथरे हो
जाओ।’
वजय ने अनमने ढं ग से सर हलाया। तभी अचानक जैसे उसके दमाग म कोई वचार
आया और वो पूरी तरह जाग गया।
‘मुझे कुछ मला है,’ उसने को लन को बताया। ‘पहले हम लोग ना ता करते ह और
फर म तुम लोग को बताउंगा।’
को लन को इस सोच म डालकर क उसने रात म या ढूं ढ़ नकाला है, वजय टडी म
से नकल गया।
एक घंटे बाद वो लोग टडी म म जमा ए। वजय मेज पर बैठा, कागज को छांटा
और उ ह मेज पर जमाने लगा। तीन जोड़ी आंख वजय क तरफ उ मीद और उ सुकता से
दे ख रही थ ।
‘मने सकंदर महान के बारे म काफ शोध कया,’ उसने बोलना शु कया। ‘मने
माइकल वुड क एक बीबीसी डॉ यूम डाउनलोड क और पूरी दे खी——चार घंटे तक।
मने उसके बारे म लखी गई कई कताब के ह से पढ़े । तुम लोग यक न नह करोगे क
कतने लोग ने उसके बारे म लखा है। मने इस बारे म पढ़ा क उसने मै सडो नया से भारत
आने के लए कौन सा रा ता चुना था। रा ते म उसक कनसे लड़ाई ई, अलग—अलग
शहर से गुजरते ए उसने या कया। और म उस आदमी के बारे म काफ कुछ जान चुका
ं। वो ज था। वो वपरीत प र थ तय म भी हार नह मानता था। और वो ढ़ न यी
था।’
‘काफ कुछ तु हारी तरह,’ को लन मु कुराया। ‘पता है तुम अपने बारे म भी ऐसा कह
सकते हो।’
वजय ने उसे आंख तरेरकर दे खा ले कन कुछ कहा नह ।
ए लस ने कुछ कहा तो नह ले कन वो भी ऐसा ही सोच रही थी। वजय के ढ़ न य,
मेहनत और सुनी—सुनाई बात पर यक न ना करने क मता ने उसे कई तरीक से
कामयाब बनाने म मदद क थी। यही वो खू बयां थ ज ह ने उसे वजय क तरफ आक षत
कया था। एक श स जो अपने दमाग को जानता है। और उस दमाग क बात मानने से
डरता नह है। ले कन उन दोन के अलग होने क वजह भी यही थी।
‘ऐसा लगता है क सकंदर को रा ते म हर कदम पर कोई ना कोई चीज ेरणा दे रही
थी। जब उसने मै सडो नया छोड़ा, यह वा हश थी——लालसा——फार सय के हाथ
यूना नय क हार का बदला लेने क । इस लए वो ईरान आया, डै रयस को हराया और जब
डै रयस को उसी के सामंत ने मार डाला, उसने पहाड़ के पार जाकर भी उनका पीछा कया
जब तक उसने उ ह पकड़ नह लया और मार नह दया। एक सरी वा हश भी थी जसने
उसे पूव क तरफ आगे बढ़ने के लए े रत कया। जतने भी लेखक को मने पढ़ा, उ ह ने
समझाया है क यह उसक मह वाकां ा थी ात व को जीतने और पृ वी के अं तम छोर
तक प ंचने क । वैसे, सकंदर को अर तू ने सखाया था क सधु के पार वशाल महासागर
है और पृ वी का अं तम छोर है।’
उसने ककर ए लस क तरफ दे खा जसने उसक बात से सहम त जताई। ‘आगे
बताओ,’ उसने कहा, ‘तुम ब त अ छा कर रहे हो।’
‘यह पर सारी चीज काफ रह यमय हो जाती ह,’ वजय ने अपनी बात आगे बढ़ाई।
‘पहली बात, ऐसा लगता है क सकंदर ने ीस से नकलते व अपनी सेना को कभी
बताया ही नह क वो पृ वी के अं तम छोर क तरफ जा रहे ह। यह बात उसने तब बताई
जब उ ह ने फारस को जीत लया था। और इसक एक वजह भी बताई जाती है। अगर
उसने सै नक को बताया होता क उ ह घर से इतनी र जाना है, तो उसक बात मानते ही
नह । ले कन म इस तक से सहमत नह ं। सकंदर एक बेहतरीन नेता था। उसने अपने
आद मय का मै सडो नया से भारत और फर बेबीलोन वापसी तक बीस हजार मील के
सफर म नेतृ व कया। उ ह ने खून जमा दे ने वाले पवत और झुलसा दे ने वाले रे ग तान को,
और कभी—कभी बना कसी भोजन—पानी के, पार कया था। वो लोग हर जगह उसके
पीछे गए, बना कसी वरोध के। इकलौता अपवाद है जब वो पंजाब म ास नद पर प ंचे
और उ ह ने सकंदर पर दबाव डाला क घर वापस चला जाए और वो आगे नह जाएंग।े ये
लोग उसके साथ पृ वी क गहराई म भी चले जाते अगर उसने उनसे कहा होता।’
यह दे खकर क सभी लोग उसक बात से संतु ह, उसने बात आगे बढ़ाई। ‘ले कन
हमारे पास इन लेखक से अलग स ांत है। उन लेखक के पास यूब या यूमेनीज क गु त
डायरी नह थी। वो नह जान सकते थे क एक ऐसा गु त अ भयान भी था जस पर सकंदर
गया था; ऐसा अ भयान जो सफ उसे और उसक मां को पता था। ले कन हमारा स ांत
इसक तकसंगत ा या करता है।’
‘म समझ रही ं तुम या कहने जा रहे हो,’ ए लस ने कहा। ‘अगर ओ ल पयास के
पास यूब और चम प थे जो उसने सकंदर को दए, उसने उसे बताया ही होगा क
अ भयान को गु त रखा जाए। सकंदर ने अ भयान को ात व जीतने क श ल म छपाए
रखा और नया के सरे छोर तक प ंच गया। ले कन जब उसने मै सडो नया छोड़ा, उसने
अपनी सेना को सफ फारस सा ा य पर हमले के बारे म बताया, सधु क भू म तक
आने क योजना के बारे म नह । इस लए नह क उसे डर था क उसके आदमी उसक बात
नह मानगे, ब क इस लए क वो नह चाहता था क वो “ई र के रह य” के बारे म जान।
और अगर म सही सोच रही ं तो तुम यह कहना चाहते हो क ास पर व ोह बनावट था
और इस त य को छपाने के लए रचा गया था क सकंदर का मशन पूरा हो चुका था और
वो खुद वापस लौटना चाहता था।’
‘ बलकुल सही,’ वजय का चेहरा चमक रहा था। ‘उसने ास के पास वेद क न व म
मेटल लेट को गाढ़ दया य क उसक तलाश पूरी हो चुक थी। याद है, यूमेनीज कहता है
क सकंदर उस गुफा म जाने के बाद भगवान हो गया था, जस पर पांच सर वाला सांप
पहरा दे रहा था? और हम जानते ह क सकंदर ने उस व से खुद को भगवान घो षत कर
दया था जब उसने बै या म कबीलाई लोग को हराया था——और इस लए कै ल थनीज
को मार डाला गया था।’
‘तो तुम यह कह रहे हो क,’ को लन धीरे—धीरे बोल रहा था, ‘वो चमप जो
ओ ल पयास ने सकंदर को दया था, उसम उसी माग का ज था जो सकंदर ने फारस से
भारत आने के दौरान लया। और इस लए तुम उस माग का अ ययन कर रहे थे जो उसने
लया था।’
‘वाह!’ वजय का चेहरा खुशी से चमक उठा। उसने अपनी बु से काम लया था और
उसे यह दे खकर अ छा लग रहा था क बाक लोग भी उसी तरह सोच रहे ह जैसा वो सोच
रहा था। इससे उसके वचार को बल मल रहा था। उसने पहले ही अपने आगे के कदम का
फैसला कर लया था और यह फैसला इस चचा के न कष पर नभर था।
‘तो, तुमने या पाया?’ को लन ने पूछा।
42
कैद

राधा एकाएक जग गई। कुछ पल के लए वो कुछ समझ ही नह पाई। आसपास का सफेद


शांत माहौल उसके लए अनजान सा था।
और तब उसे सब कुछ याद आ गया। एयरपोट ए स ेस। बं क ताने खड़ा श स।
उसका बेहोश होना। अ पताल का गाउन, उसके बंधन, बेचैन कर दे ने वाली अनुभू त जसके
बाद उसका ोध फूट पड़ा था। ले कन इसके बाद क कोई घटना उसे लाख को शश के
बावजूद याद नह आ रही थी। या आ था? और उसे समझ आया क उसे पहले से काफ
छोटे कमरे म ले आया गया है, जसम वो तब थी जब वो इसके पहले जगी थी।
उसने नीचे क तरफ दे खा। वो अभी भी गाउन म थी। ले कन उसे अब प य से बांधा
नह था। वो कतने समय तक बेहोश रही?
सावधानीपूवक वो उठ और ब तर पर बैठ गई, उसके पैर बगल क तरफ झूल रहे थे।
वो ब त कमजोरी महसूस कर रही थी, जैसे उसने शारी रक मेहनत करने वाला कोई काम
कया हो जसम उसक ताकत ख म हो गई हो।
तभी उसे अचानक अपनी कलाइय और टखन म दद का अहसास आ। उसने उ ह
एक—एक कर दे खा, वो च कत थी क उन पर गहरे कटने के नशान थे जो नाइलॉन क
प य के बंधने से बन गए थे।
वो ब तर से उतरी, नंगे पैर को सफेद संगमरमर क फश का ठं डापन महसूस आ।
कमरे म कोई च पल नह थी। द वार ठोस थ । कमरे म एक कांच का दरवाजा था ले कन वो
बंद था। उसने हडल पकड़कर उसे ख चा, ध का दया ले कन दरवाजा नह खुला। दरवाजे
को सफ बाहर से ही खोला जा सकता था। लोग अंदर आ सकते थे ले कन वो बाहर नह
जा सकती थी। दरवाजे म लगे ससर को ए टवेट करने के लए ए सेस काड क ज रत
पड़ती। वो अब एक कैद थी।
जैसे ही उसने दरवाजे का हडल छोड़ा, अचानक वो बाहर क तरफ खुल गया। वो पीछे
हट और च क पड़ी जैसे ही उसने स सेना और मैन को कमरे म आते दे खा।
‘हमारा मरीज आज कैसा है?’ स सेना ने बड़ी ही मलनसा रत से पूछा।
‘म मरीज नह ं!’ राधा क आंख गु से म चमकने लग । ‘मुझे यहां य लाए हो?’
‘आज म सवाल पूछूंगा।’ स सेना ने ब तर क तरफ इशारा करते ए कहा, ‘बैठो।’
राधा को एकाएक कमजोरी महसूस ई और उबकाई सी आने लगी। वो ब तर क
तरफ वापस लौट और बैठ गई, उसे अ छा लगा। कसी वजह से उसके पैर अ थर लग रहे
थे।
‘नशीली दवा का असर है ये,’ मैन ने स सेना को बताया, राधा क बेचैनी दे खकर
उसने वजह का सही अनुमान लगाया था। ‘उबकाई और कमजोरी।’
‘कौन है यह?’ राधा क आवाज म अभी भी व ोह था।
‘अरे, मने तु ह मलवाया नह ।’ स सेना ने मैन क तरफ इशारा करते ए कहा।
‘डॉ टर गैरी मैन। जेने ट स ए सपट और टाइटन फामा यु टक स म जेने ट स वभाग
के मुख। वो हमारे लए कई साल से एक गु त ोजे ट पर काम कर रहे ह। और ये ब त
ज द एक बड़ी खोज करने वाले ह। अब मुझे मेरे सवाल के जवाब दो। पहला सवाल——
आईबी को हमारे मशन के बारे म या पता है?’
राधा सकते म आ गई। वो बलकुल नह जानती थी क कस मशन के बारे म वो पूछ
रहा है। ले कन अब वो इतना जानती थी क इमरान का संदेह सही नकला है। टाइटन
फामा यु टक स कह ना कह बबाद ए मे डकल सटर के ली नकल ायल के पीछे है।
ले कन एक जेने टक ए सपट का ली नकल ायल म या काम?
स सेना के चेहरे पर खीझ दखने लगी। ‘मुझे जवाब चा हए,’ उसने स ती से कहा।
‘चुप रहने का कोई फायदा नह है। हमारे पास तु हारा मुंह खोलने के और भी तरीके ह,
ददनाक तरीके। म तु हारे साथ नरमी से पेश आ रहा ं। मेरे धैय क परी ा मत लो।’
‘मुझे नह मालूम क तुम या बात कर रहे हो।’ राधा क यह जानने म कोई दलच पी
नह थी क स सेना के पास उससे जवाब नकलवाने के या तरीके ह।
‘मुझे तु हारी बात पर भरोसा नह है। तुम मेरे ऑ फस म जासूसी करने आई थी,
प कार बनकर। तुम खु फया यूरो से जुड़ी हो। कस है सयत म, यह अभी मुझे नह मालूम।
तु हारे पास पूव द ली क मे डकल फे स लट म लगी आग से जुड़ी सारी जानकारी थी।
यहां तक क मरीज के लए बनी कोठ रय तक क । तुम साफतौर पर हमारे बारे म काफ
कुछ जानती हो।’
राधा के चेहरे पर आ य के भाव उमड़ आए। ये लोग कैसे जानते ह क म आईबी के
साथ ं? ‘मुझे सच म नह मालूम क तुम कस बारे म बात कर रहे हो,’ उसने दबी आवाज
म अपना वरोध दज कराया, वो उनक जानकारी से ह क —ब क रह गई थी। ‘मेरा
खु फया यूरो से कोई लेना—दे ना नह है।’
स सेना बनावट ढं ग से मु कुराया। ‘हम कम करके ना आंको,’ उसने उसे चेतावनी के
अंदाज म कहा। ‘हमारी सरी ट म तुम सब लोग पर नजर रख रही है। हम मालूम है क
तुम सभी, उस आईबी एजट समेत, जौनगढ़ कले म एक साथ थे, जो तु हारे मंगेतर का है।’
‘ठ क है, म मानती ं क म इमरान कदवई को जानती ं। ले कन म तु ह सच बता रही
ं,’ राधा ने अपनी बात पर जोर दया। ‘ये सब हमारा संदेह था। हमारा मानना था क जो
सटर जलकर राख आ है, वहां हो रही ग त व धय का टाइटन से संबंध है। ले कन हम यह
नह जानते थे क या।’
स सेना ने मैन क तरफ दे खा फर राधा को घूरते ए अपनी नजर उस पर जमा द ।
‘मुझे नह मालूम क तुम पर यक न कया जाए या नह । जब तुम जानती ही नह थी क हम
कस चीज पर काम कर रहे ह तो तुम हमारी जांच य कर रही थ ?’
राधा हच कचाई। उसे ब त बुरा लग रहा था क वो इस आदमी को सब कुछ बताती जा
रही है। ले कन वो डरी ई थी, दद से, चोट से, खुद पर काबू नह रख पाने से। वो जानती थी
क ये लोग कुछ भी कर सकते ह। और वो अपना काम नकालने के लए कसी भी हद तक
जाने से नह हच कचाएंगे।
‘हमारा मानना था क टाइटन जै वक आतंकवाद म शा मल है। क तुम लोग एक नए
कार का रोगाणु बना रहे हो जसका इ तेमाल आतंकवाद और तानाशाह कर सकगे।’ वो
बोल पड़ी।
एक पल के लए स सेना उसे घूरता रहा। फर वो जोर से हंस पड़ा। ‘जै वक
आतंकवाद!’ उसने मैन को कुहनी से ह का सा ध का दया और वो भी हंस पड़ा। ‘एक
नए कार का रोगाणु! तुम हमारे ोजे ट के बारे म कुछ नह जानती हो ना?’ उसने मैन
क तरफ दे खा। ‘मेरा मानना है क हम अब इसक ज रत नह है। हम कूपर से पूछना होगा
क वो इसका या करना चाहता है। ले कन वो इससे छु टकारा पाए, इसके पहले म इसका
इ तेमाल एकाध ायल के लए और करना चा ंगा।’
वो कमरे से बाहर नकल गए और राधा को अकेला, वधा त और डरा आ छोड़
गए। उसे अपनी क मत को लेकर कोई संदेह नह था। अगर उसका इ तेमाल गनी पग क
तरह नह होना था, तो वो न त तौर पर मरने वाली थी।
43
पहेली का एक ह सा

‘दे खो,’ वजय ने कागज का एक पु लदा मेज से उठाकर कॉफ टे बल पर रखा जहां सब
बैठे थे। ‘इस सफर के दौरान सकंदर ने जो माग लया था, उसके इद— गद दो रह य ह।’
उसने एक न शा नकाला जसम आज के अफगा न तान, पा क तान और भारत म
सकंदर के लए गए माग को मोट लाल लक र म दखाया गया था। ‘पहला यहां है,’ उसने
एक इलाके क तरफ इशारा कया जो पा क तान के द ण म समु के करीब था। ‘ सधु
क भू म से बेबीलोन वापसी के लए सकंदर ने अपनी सेना को बांट दया था। एक ह से
को उसने समु के रा ते फारस क खाड़ी के पार भेजा। और सरे ह से को वो खुद समु
तट से तुबत क तरफ ले गया।’ उसने न शे पर शहर को दखाया। ‘ फर वो पसनी के रा ते
से द ण म समु क तरफ गया, जसके लए उसने मकरन रे ग तान म सौ मील का बेहद
मु कल भरा रा ता चुना, य , पता नह । उसे मकरन पार करने म 60 दन लगे और अपनी
सेना के एक बड़े ह से को उसे खोना पड़ा।’
‘अजीब है यह तो,’ शु ला ने ट पणी क । ‘वो समु के रा ते वापस य नह गया?
सेना को बांटने क या ज रत थी?’
‘यही नह ,’ ए लस ने इस कहानी को आगे बढ़ाया य क वो इससे अ छ तरह वा कफ
थी। ‘तुबत से पसपो लस तक जाने का रा ता सीधा है।’ उसने न शे पर वो माग दखाया।
‘ सकंदर मकरन से पसनी गया और फर वहां से पसपो लस। मान ल क सेना को बांटने के
पीछे कोई ता कक वजह थी, ले कन अगर वो जमीन के रा ते भी पसपो लस जाना चाहता
था, उसे रे ग तान का माग लेने क कोई ज रत नह थी। आधु नक लेखक का तक है क
सकंदर रे ग तान को जीतना चाहता था, खासतौर पर इस लए भी क इसे रानी से मरा मस
और सायरस महान ने पार कर लया था।’
‘हो सकता है वो सफ अपने लोग के सामने सा बत करना चाहता हो क वो एक
भगवान है?’ को लन ने अपना अनुमान लगाया।
‘यह मायने नह रखता क य ,’ वजय ने जवाब दया। ‘मने यह बात सामने रखी
य क म दखाना चाहता था क गु त अ भयान के सबूत जुटाने के लए मेरे पास दो
वक प थे। पहला था मकरन रे ग तान। अगर सकंदर कसी गु त अ भयान पर था तो वो
मकरन रे ग तान म उस रह य क जगह ढूं ढ़ रहा होगा। और इसी बात से उसका यह माग
लेना समझ म आता है।’
‘ले कन इससे तो बात साफ नह होती,’ को लन ने कहा। ‘ य क तब तक तो उसने
ास नद के पास वेद के नीचे मेटल लेट दफना द थी। इसका मतलब है क वो पहले ही
अपने अ भयान के मकसद को हा सल कर चुका था। तो ये सरा रह य या है? मुझे लग
रहा है क तु ह यहां कुछ मला है।’
वजय उसक ओर दे खकर मु कुराया। ‘मकरन अ भयान इकलौता उदाहरण नह था,
जब सकंदर ने बना कसी प कारण के अपनी सेना का वभाजन कया था। दरअसल
यह तो सरी बार था। पहली बार वो वभाजन यहां आ था।’ उसने न शे पर उन लोग को
एक शहर दखाया। ‘ये है जलालाबाद। यहां से उसने सेना क एक टु कड़ी को हेफे टयन के
साथ खैबर दर के पार भेजा, जो अब पा क तान म है। सेना के सरे ह से क अगुवाई खुद
उसने क , वो इस नद घाट के ऊपर और नावा दर, जो खैबर दर से र उ री दशा म है, के
रा ते से पा क तान प ंचा।’ उसने एक और न शा नकाला; यह अफगा न तान का न शा
था। उसने उन लोग को न शे पर दोन दर दखाए। ‘और, कोई भी भरोसे के साथ यह नह
बता पाया है क सकंदर पहले उ री दशा म और फर पूव क तरफ य गया। कुछ
लेखक और कुछ वेबसाइट ने इसक ा या सै य से क है। वो कहते ह क सकंदर
को अपनी सेना को पहाड़ी कबील से बचाना था। ले कन पहाड़ी कबील को जीतने के लए
उसने जो लड़ाइयां लड़ वो कुनार घाट म नह ई थ । वो सब यहां लड़ी गई थ ——
पा क तानी इलाके म जो आज के अफगा न तान के साथ सीमा पर है। वो बड़ी आसानी से
खैबर दरा पार कर सकता था और फर सेना का वभाजन कर सकता था, एक ह से को
पूव म भेजता और सरे को उ र म ता क पहाड़ी कबील पर क जा कया जा सके।
कबील के साथ अं तम यु परसर म लड़ा गया था जसे यूना नय ने एयोरनोस कहा। यह
पा क तान म है, कुनार घाट म नह । म सकंदर के इस अ भयान क सै य ा या से
सहमत नह ं।’
‘कुनार नद घाट ,’ को लन ने न शे से नाम पढा़। ‘तु हारा मानना है क यही वो जगह है
जहां रह य छपा है?’
‘मुझे यह समझ नह आ रहा।’ ए लस अभी भी उलझन म थी। ‘इससे यह तो लगता है
क सकंदर के पास कुनार घाट जाने क वजह थी और उसका अ भयान वो वजह हो
सकती है। ले कन फर भी है तो यह अंदाजा ही। तो तु हारी ा या——हमारे स ांत
——को सर से यादा भरोसेमंद य माना जाए?’
‘इस वजह से।’ वजय ने यूमेनीज क अनू दत डायरी दखाई। ‘और यूब के छं द क
वजह से।’ वो शु ला क तरफ मुड़ा। ‘हमारे लए एक बार फर आप यबू पर लखे छं द
का अनुवाद करग या?’
शु ला ने हामी भरी। वो नह जानते थे क वजय के दमाग म या है ले कन वो एक
चीज जानते थे क वजय के हसाब से यह मह वपणू है। ऐसे समय म जब उसक मंगेतर
खतरे म है, वजय सफ एक रह य को सुलझाने म समय नह गंवाएगा जब तक क यह
कसी ना कसी तरह उसक मदद ना करे।
उ ह ने यबू उठाया और छं द को पढऩे लगे। वजय अपना सर हलाता जा रहा था
जैसे—जैसे शु ला छं द पढ़ते जा रहे थे। यह सल सला तब तक चला जब तक शु ला ने
तीन छदं पढ़े । चौथे छं द पर वजय ने सकारा मक तरीके से सर हलाया।
‘यही है वो छं द।’ वजय ने उनक तरफ दे खा। ‘ या आप लागे इसे दे ख रहे ह?’
44
पहला सुराग

बाक लोग वजय क तरफ भाव शू य होकर दे ख रहे थे। वो अभी भी नह समझे थे। शु ला
ने जो छं द पढ़ा था वो थाः
‘अब तुम उसके ार म वेश करो
जहां घा टयां पूव और प म को अलग करती ह
बु मानी से यहां चुनाव करो, याद रखो
जहां तुम जा रहे हो और जहां सूय रहता है।’
‘ठ क है,’ वजय ने अपने हाथ जोड़ते ए कहा। ‘मानता ं क यह आसानी से समझ
नह आएगा और यह ऐसा ही बनाया गया है। यह एक गु त अ भयान था। गूढ़ छं द से
सुर त। जब तक आपको यह नह पता क आप या तलाश कर रहे ह, आप कसी भी
छं द को समझने म कामयाब नह ह गे। ये पहे लयां इसी तरह काम करती ह ना?’
‘तो हम लोग उस चीज क तलाश कर रहे ह जसके बारे म सकंदर जानता था,’
को लन ने अंदाजा लगाने क को शश क । ‘अगर इन छह छं द वाला चमप सकंदर को
रह य के लए रा ता दखाने वाला था, तो हर छं द एक या यादा जगह को बताने वाला
होना चा हए।’
‘ बलकुल ठ क,’ वजय का चेहरा चमक उठा। ‘मने पूरी रात इस बारे म सोचा था। और
घंट तक सोचने और शोध करने के बाद मुझे इस बारे म जागृ त ा त ई।’
को लन ने खराटे क आवाज नकाली। ‘जागृ त, गधे!’ तुम खराटे भर रहे थे जब म
सुबह यहां आया।
ए लस न शे को यान से दे ख रही थी। अगर वजय जो कह रहा है, वो सही है तो न शे
म ऐसा कुछ होना चा हए जो छं द म व णत बात के अनु प हो। कुछ ऐसा जो घा टय का
माग हो।
और तभी उसे एक तेज झटका लगा। ‘जलालाबाद!’ उसने वजय क तरफ दे खा।
‘ब त ब ढ़या,’ वजय ने उसे शाबाशी द । ‘तुम न शे पर दे ख सकती हो क
जलालाबाद दो नद घा टय के वेश माग पर थत है। एक पूव क तरफ जाता है——
यानी कुनार घाट । सरा प म क तरफ जाता है——यानी लाघमन घाट । याद है ना जब
हमने पहली बार छं द सुना था तो हम सबने सोचा था क ये कसी तरह का रा ता दखा रहे
ह ले कन हम नह जानते थे क कहां का रा ता? अब हमारे पास जवाब है। छं द म व णत
“ ार” जलालाबाद है। छं द पाठक को नसीहत दे रहा है क पूव क घाट को चुनो——जहां
सूय रहता है। राधा ने सही कहा था।’ वजय राधा का नाम जुबान पर आते ही चुप सा हो
गया।
‘और कुनार घाट ही पूव म है।’ को लन ने कहा। ‘साफ तौर पर यह छं द यहां उपयु
लग रहा है।’
‘ले कन सरे छं द का या मतलब है?’ ए लस ने पूछा। ‘वो भी सकंदर के माग क
जगह को बता रहे ह गे। ले कन म कसी सरी जगह के बारे म नह सोच पा रही जो छं द से
मलान रखती ह ।’
‘उनम से एक छं द म कसी पहाड़ का ज है जो सॉ डयन रॉक हो सकता है,’ वजय
ने उसे याद दलाया। ‘अगर हम थोड़ी गहराई से सोच और थोड़ा रसच कर तो मुझे यक न है
क हम सरी जगह का भी पता लगा सकते ह। ले कन मह वपूण बात यह है क जो रह य
है वो मुझे लगता है कुनार घाट म ही है।’
‘म तु हारा मजा कर करा नह करना चाहती, ले कन हम तो अटकल ही लगा रहे ह।’
ए लस खुश नह दख रही थी। ‘हम सही हो सकते ह ले कन सफ इस वजह से क सकंदर
ने कुनार घाट क गु त या ा क थी, हम यह मतलब नह नकाल सकते ह क वो वहां
रह य क तलाश म गया था। हो सकता है क यह सफ एक पड़ाव भर हो, अं तम मं जल
नह । मेटल लेट के बना यह पता लगा पाने का कोई तरीका नह है क इन छं द को कस
म म पढ़ा जाए। और जब तक हम इन छं द का सही म नह जानते, हम भरोसे के साथ
नह कह सकते क यह छं द हम रह य क जगह तक प ंचाता है।’
‘यही वो जगह है जहां म मानता ं क तुम लोग मदद कर सकते हो,’ वजय ने जवाब
दया। ‘मने अपने रसच से जुटाई जानकारी के आधार पर काफ टआउट नकाले ह।
न शे, ववरण, गूगल अथ वगैरह। अगर हम लोग इस बात पर सहमत ह क मेरे तक अभी
तक कसी नतीजे पर प ंचा रहे ह, तो शायद अगर हम सब लोग इसम अपना दमाग लगाएं
तो हम कुछ ना कुछ ज र मलेगा।’
‘इससे राधा क मदद कैसे होगी? ‘शु ला आ खरकार बोल पड़े। उ ह वजय और उसके
फैसल म व ास था, ले कन उनसे अब चुप नह रहा गया। उनक बेट गंभीर मुसीबत म है
और वो लोग एक ाचीन पहेली पर रसच कर रहे ह। वो खुद को यक न दलाना चाहते थे
क उन लोग क ाथ मकताएं सही दशा म ह।
वजय हच कचाया। वो समझ नह पा रहा था क उ ह बताना चा हए या नह । वो उन
लोग को फोन कॉल के बारे म नह बताना चाहता था। वो कैसे बता सकता था? ले कन उसे
महसूस आ क उसे बताना होगा। उसे सफाई दे नी होगी।
‘मने सोचा था क म इसक मदद से सौदा कर सकूंगा,’ आ खरकार उसने बोल ही
दया। ‘कूपर ने मुझे पछली रात फोन कया था। उसे यूब चा हए य क वो रह य जानने
के लए ज री है। अगर हम छं द म लखी पहले को सुलझा ल तो हम इस जानकारी का
इ तमाल राधा क सलामती के लए कर सकते ह। म यह मानना नह चाहता ले कन सच
यही है क हमारे लए राधा को बचा पाने क इकलौती उ मीद यही है। अगर आईबी अभी
तक उसक थ त का पता नह लगा पाई है तो मुझे नह मालूम क हम उसे कैसे ढूं ढ़
पाएंगे। हमारे पास यही वक प है क वो लोग उसे छोड़ द और इसके लए सबसे अ छा
तरीका यही होगा।’
शु ला ने थोडी़ दे र सोचा। ‘मेरा अंदाज है क तुम सही हो,’ उ ह ने सहम त जताई।
‘दे खते ह क या हम इससे कुछ आगे बढ़ पाते ह या नह ।’
उ ह ने अपने वचार को वहां फैले कागज के ढे र पर क त कर दया जनम वजय क
रात भर क मेहनत के बाद जुटाई गई जानकारी थी। या वो लोग उस सुराग को ढूं ढ़
नकालने म कामयाब ह गे, जो उ ह वो जानकारी दे पाएगा जसक कपूर को तलाश है?
45
जवाबी ताव

कूपर ने अपनी घड़ी दे खी। दोपहर के 12 बजे थे। वजय सह को फोन लगाने का समय।
उसने वजय का नंबर डायल कया और फोन क घंट सुनता रहा य क कसी ने फोन नह
उठाया। उसक भ ह तन ग । इसका कोई मतलब नह नकल रहा था। उस आदमी क
मंगेतर उसक कैद म है। वो तो उ मीद कर रहा था क फोन कॉल का जवाब मु तैद से दया
जाएगा।
उसने दोबारा को शश क । इस बार फोन तुरंत उठा लया गया।
‘कूपर?’ वजय क आवाज म तनाव था जसे महसूस कर कूपर को खुशी ई।
‘तो, या फैसला कया तुमने?’ कूपर सीधे मु े क बात पर आ गया। ‘तु हारी मंगेतर या
तु हारी पुरानी गल ड। कौन होगी ये?’
‘मेरे पास एक जवाबी ताव है।’ वजय क आवाज म अब ढ़ता थी, हालां क कह
ना कह तनाव बना आ था।
कूपर ने अपनी भ ह चढ़ा ल । यह तो दलच प है। उसने इसक उ मीद नह क थी।
उसने इसे भी आजमाने का फैसला कया।
‘बोलो।’ उसने आदे श दे ने के अंदाज म कहा।
‘तु हारी दलच पी ए लस या राधा म नह है,’ वजय ने अपनी बात शु क । ‘तुम उस
रह य क जगह के बारे म जानना चाहते हो जसक तलाश म सकंदर सधु क भू म क
तरफ गया था।’ वजय का। ‘और म उस जगह का पता लगाने म तु हारी मदद कर सकता
ं।’
कूपर च क पड़ा। उसे याद आया क वान लुएक ने उसे इस आदमी और इसके दो त
के बारे म या बताया था। उसके मन म वजय के त इ जत थोड़ी और बढ़ गई। ले कन
इससे एक चीज और साफ हो गई——वो अपनी मंगेतर को कसी भी क मत पर वापस
चाहता है ले कन वो अपनी पुरानी गल ड को भी बचाने क को शश कर रहा है। अगर वो
इतना समय और मेहनत अपने पास मौजूद कुछ सुराग का व ेषण करने के लए दे रहा है
ता क वो सही जवाब ढूं ढ़ सके तो साफ है क वजय सह अपने र त को लेकर काफ
गंभीर है।
इसका ये मतलब भी है क कूपर ने सोचा, स सेना को पता लगाना होगा क या राधा
और उसके आईबी के सा थय को मशन के मकसद के बारे म पता है। या वजय ने इसका
अंदाजा तब लगाया जब राधा का अपहरण हो गया? वो जानता था क कसी के लए भी
उस रह य के सही मकसद का अंदाजा लगा पाना नामुम कन है, जो वो लोग ढूं ढ़ रहे थे। इस
चीज का पता तो सफ ऑडर को ही होगा। ले कन इस ोजे ट को दशक से गु त रखा गया
था। वो इस मशन को इससे यादा खतरे म नह डाल सकता था, जतने खतरे म वो पहले
ही आ चुका है, खासतौर पर जब वो कामयाब होने के इतना करीब हो।
तभी कूपर को महसूस आ क उसने जवाब दे ने म काफ लंबा व ले लया है। कह
वजय यह ना समझने लगे क उसने सही जगह पर हथौड़ा चलाया है। ले कन एक तरीका है
जससे वो इसे अपने फायदे म कर लेगा। उसके पास अभी एक तु प का प ा है।
‘और तुम हमारी मदद जगह ढूं ढ़ने म कैसे कर सकते हो?’ उस बात से इनकार करने या
उस बारे म नह जानने का बहाना करने का कोई मतलब नह था, जो अभी वजय ने क
थी।
वजय ने जब इसका जवाब दया तो उसक आवाज म जीत क धुन आ गई थी। ‘हमने
यूब के एक छं द का मतलब नकाल लया है। तुम इसे कसी भी तरह खुद से नह कर
सकते थे। हम सभी पांच छं द का मतलब नकाल सकते ह और तु ह बलकुल उसी जगह
प ंचा सकते ह, जहां रह य छपा है।’
‘यहां तुम गलत हो,’ कूपर पलटकर बोला। ‘हमारे पास वो मेटल लेट है जसे सकंदर
ने ास के पास दबाया था। यूब और मेटल लेट साथ ह तो छं द का मतलब नकालना
ब च का खेल होगा। फर हम तु हारी ज रत य होगी?’
‘इस बारे म सोचो क हमने मेटल लेट का बना इ तेमाल कए एक छं द का मतलब
नकाल लया है। हमारे पास वो चीज ह जो तु हारे पास नह ह——एक ए लस और सरे
डॉ टर शु ला। हम तु ह उससे यादा ज द जवाब दे सकते ह जतना व तुम खुद ढूं ढ़ने
म लगाओगे।’
कूपर ने इस पर वचार कया। वजय के तक म कुछ दम तो था। उसे इस बारे म कोई
संदेह नह था क उसक ट म ऑडर के संसाधन के बल पर छं द का मतलब नकाल लेगी।
ले कन अगर वो वजय क ट म क मदद से यह काम ज द कर दे तो या नुकसान है। और
अगर इन लोगो ने कोई जानकारी आईबी को दे ने क को शश क तो वो इन सभी को ख म
कर दे गा। वान लुएक ने वैसे भी उसे इस बारे म खुली छू ट दे रखी है।
‘म कैसे मान लूं क तुम धोखा नह दे रहे हो?’
उसने गौर से वो सब बात सुन जब वजय ने उसे छं द का मतलब समझाया और यह भी
क वो लोग इस न कष पर कैसे प ंच।े
कूपर ने अपना मन बना लया। ‘तु हारी या शत ह?’ वो जानता था क शत या ह गी
ले कन वो यह नह जताना चाहता था क वो आसानी से मान रहा है।
‘तुम ए लस का पीछा करना छोड़ दोगे और राधा को आजाद कर दोगे।’
कूपर मु कुराया। वो वजय के बारे म सही था। उसे दाद दे नी होगी क सब कुछ
खलाफ होते ए भी वजय ने अपना धैय और ढ़ता नह छोड़ी थी।
‘ठ क है ले कन मेरी भी दो शत ह। पहली, तुम और तु हारी ट म आज शाम 4 बजे
मुझसे इंटरनेशनल एयरपोट पर मलेगी। हम आज रात एक साथ जलालाबाद जाएंग।े वहां
से हम कल कुनार वैली जाएंग।े सरी, राधा तब तक हमारी हरासत म रहेगी जब तक म
तु हारे दाव को सही ना मान लू।ं अगर तुमने कोई चालाक क तो उसे वही दवा द जाएगी
जो तुम जानते हो क मे डकल फे स लट के मरीज के खून म मली थी।’
एक पल के लए खामोशी रही य क वजय इस खुली धमक के बाद अपने गु से पर
काबू पाने क को शश कर रहा था। ‘मेरे पास कोई रा ता नह है। ले कन सफ म तु हारे
साथ आऊंगा। बाक लोग यह कगे। और म कैसे मान लूं क तुम अपनी बात से नह
मुकरोगे?’
कूपर ने फर कुछ सोचा। अगर वो लोग जगह के बारे म सही ह, उसे इस रह य के लए
हर कसी क ज रत भी नह थी। सही मायने म तो कुनार घाट के लए सभी लोग को ले
जाने क ज रत भी नह है। उसने तो यह बस इस लए कहा था क इससे उसे सभी लोग
को एक साथ ख म करने का मौका मलता, उनके दे श से बाहर। योजना तो काम फर भी
करेगी अगर वजय उसके साथ रहे और बाक सब यहां। वो सैटेलाइट फोन क मदद से
संपक म रहगे और अफगा न तान म इसक ज रत पड़ेगी ही। वजय से काम चल जाएगा।
वैसे भी कूपर मान रहा था क वजय और उसके दो त कोई नुकसान नह प ंचा सकते।
राधा के संबंध आईबी से थे, उनके नह । और वो इस बात क व था करेगा क बाक सभी
पर नगरानी रखी जाए ता क वो कह जाएं नह । वो यह व था इस फोन कॉल के तुरंत
बाद कर दे गा।
उसका जवाब खा था। ‘जैसा तुमने अभी कहा, तु हारे पास कोई रा ता नह है। म
तुमसे ठ क 4 बजे मलूंगा। दे र नह करना।’
46
जुआ

वजय ने फोन काटा और धीरे—धीरे टडी म क तरफ बढ़ चला। वो कूपर से बात करने
के लए उन लोग से अलग हटकर नीचे के कमरे म आ गया था। वो नह चाहता था क
उसक और कूपर क बातचीत कोई और, खासतौर पर ए लस, सुने। वजय सोच रहा था क
वो कैसे इस खबर को बाक लोग को बताएगा। और वो इस बात पर भी ता जुब कर रहा
था क राधा को बचाने के च कर म, उसने सभी को कूपर और उसके सा थय के पंजे म
और फंसा दया था। राहत क बात बस इतनी थी क कूपर के साथ वो खुद जा रहा है।
बाक लोग यहां जौनगढ़ म महफूज रहगे।
जैसे ही वो टडी म म घुसा, उसने सभी के चेहर पर उ सुकता दे खी। वो जानता था
क ये लोग इस बात से च कत थे क वो य फोन पर बात करने के लए टडी म से बाहर
चला गया था।
‘कूपर का फोन था,’ वजय बोलते व हर श द पर गौर कर रहा था। ‘उसने कहा था
क वो 12 बजे दोपहर को फोन करेगा। हमने एक सौदा कर लया है।’ उसने कूपर को दए
अपने ताव के बारे म उ ह समझाया, ले कन वो बात छोड़ द , जो ए लस और राधा के बारे
म कूपर ने कही थ ।
जब उसने अपनी बात ख म क , सबके चेहर पर घबराहट थी। को लन सबसे पहले
बोला, करीब—करीब वजय क बात ख म होने के पहले। ‘ या तुम पागल हो? तुम इन
लोग के साथ… जाओगे, मुझे नह पता कौन लोग ह ये ले कन खतरनाक ह! या इस बात
को समझने के लए हम और कुछ दे खना बाक है?’
ए लस भी को लन से सहमत थी। ‘म नह जानती क तुम या सोच रहे हो, वजय। ये
जानते ए भी क उ ह ने ीस म या कया और सं हालय म उ ह ने हम पर हमला कया,
तुम कैसे यह कर सकते हो?’
वजय चुप था। वो उ ह कैसे बताए क उसक वधा से नकलने का यही इकलौता
रा ता था? वो उ ह कैसे बताए क उसे कस मान सक अव था म यह फैसला लेना पड़ा है,
और वो राधा और ए लस क क मत म एक साथ संतुलन बनाने क को शश कर रहा है?
‘राधा को बचाने के लए यही इकलौता रा ता था,’ उसने यही कहना ठ क समझा। ‘तुम
लोग इससे बाहर रहोगे। ए लस, खासतौर पर तुम। म चाहता ं क तुम लोग छं द पर काम
करो जब तक म उनके साथ ं। कुछ भी नया मले, मुझे तुरंत बताओ। जतनी ज द हम
इस पहेली को सुलझाएंग,े उतनी ज द राधा हम वापस मलेगी।’
‘तुम अकेले नह जाओगे,’ को लन खड़ा आ, वजय के पास गया और उसक आंख
म आंख डालकर बोला। ‘हम दो त ह, हम चीज साथ करते ह। म तु हारे साथ चलूंगा।’
वजय दलील दे ना बेहतर तरीके से जानता था। और, वैसे वो भी जानता था क को लन
का साथ मलने से उसे खुशी होगी। ले कन उसने इस बारे म अपना मन प का कर रखा था।
उसने ठं डी सांस लेते ए कहा। ‘मुझे माफ कर दो दो त, तुम बाक लोग के साथ इस खेल
से र ही रहोगे। और म इस बारे म कोई बहस नह करना चाहता।’
को लन ने जवाब दे ने के लए मुंह खोला ही था क वजय का फोन बज उठा। वैद का
फोन था।
‘मुझे खेद है ले कन हमारे पास राधा के बारे म कोई ताजा जानकारी नह है,’ वैद ने उसे
बताया। ‘हम अभी भी तलाश कर रहे ह। ये लोग पेशेवर लगते ह। इस पूरे दौरान वो हमारी
नजर के सामने काम कर रहे ह ले कन फर भी हमारी नजर से छपे रहने म उ ताद ह।
ले कन हम दे र—सबेर उनका पता लगा ही लगे।’
‘म ऐसी ही उ मीद करता ,ं ’ वजय ने जवाब दया। ‘मेरे पास तु हारे लए कुछ खबर
ह।’ उसने वैद को कूपर के साथ उसके सौदे के बारे म बताया।
वैद ने जवाब दे ने के पहले थोड़ा व लगाया। ‘तुम एक बड़ा खतरा उठा रहे हो,’ उसने
वजय से कहा। ‘ब त बड़ा खतरा, तुम जानते हो क वो लोग राधा को इतनी आसानी से
नह छोड़गे। और तुम लोग वैसे भी खतरे म हो। वो जानते ह क तुम सभी, राधा समेत,
आईबी से जुड़े हो। जैसा हम संदेह है, अगर इसम जै वक आतंकवाद का कोई कोण है तो
तुम उनके लए खतरा तो हो ही।’
‘म ऐसा नह सोचता,’ वजय ने जवाब दया। ‘मेरा मानना है क उ ह यक न है क
सफ राधा आईबी से जुड़ी है। वो कले म इमरान क मौजूदगी से उसका आईबी से संबंध
जोड़ रहे ह और मेरे बारे म उनका मानना है क म उसका मंगेतर ं। नह तो वो लोग हम भी
नशाना ज र बनाते। सं हालय म भी उनके नशाने पर ए लस ही थी। अगर हम वहां उसके
साथ नह होते, तो हम हमारे हाल पर छोड़ दे त।े ’
‘मुझे लगता है क तुम ऑ फस आ जाओ तो बेहतर होगा,’ वैद ने जवाब दया। ‘हम
इस बारे म पैटरसन को बताना चा हए। वो टा क फोस का मुख है। उसे बताना चा हए क
या हो रहा है। और मुझे नह लगता क वो यह जानकर खुश होगा क तुमने यह फैसला
बना उसक सलाह के ले लया।’
‘म वहां तुरंत आता ं,’ वजय ने वादा कया। ‘म वह से एयरपोट चला जाऊंगा।’
‘उसके पहले तुम अ पताल भी आ सकते हो।’ वैद क आवाज म ह क सी खुशी थी।
‘इमरान खतरे से बाहर ह। वो होश म ह और तुमसे मलना चाहते ह।’
वजय ने फोन र रखा और को लन क तरफ दे खा, जसके चेहरे पर खीझ साफ दख
रही थी।
उसने कहा, ‘खुश हो जाओ, यार। तु हारी यहां ज रत है।’ वो मु कुराया ता क माहौल
को थोड़ा ह का बनाया जा सके। ‘तुम दावा करते हो ना क तु हारे पास मुझसे यादा
दमाग है। तो अब सा बत करो। ए लस और डॉ टर शु ला क मदद करो इस पहेली को
सुलझाने म। ऐसा करके तुम मेरी सबसे यादा मदद करोगे।’
को लन तुरंत जवाब नह दे पाया। वो वजय के फैसले को वीकार करने क को शश
कर रहा था। वो अपने दो त को जानता था। एक बार उसका मन बन गया तो फर नया
क कोई ताकत उसे हला नह सकती। वो जानता था क उसे वजय को अकेले ही जाने
दे ना पड़ेगा। आ खरकार उसने सहम त जताते ए कहा। ‘म इस फैसले से खुश तो नह ं।
ले कन तुम यही चाहते हो…’ वो का और वजय को गले लगाकर कहा। ‘अपना याल
रखना यार, म वहां नह र ंगा यह करने के लए।’
वजय ने बाक सभी क तरफ दे खकर सर हलाया और टडी म से बाहर नकल
गया। वो जानता था क यह एक जुआ है। ले कन या पासा उसके पाले म आएगा?

खु फया यूरो मु यालय, नई द ली

वजय और वैद कॉ स म म मॉ नटर पर पैटरसन क छ व नहार रहे थे। इस ए ो


—अमे रक का सामा यतया स त रहने वाला चेहरा आधी रात म जगाए जाने क वजह से
पैदा ख ता के चलते और भी कठोर दख रहा था।
‘बेहतर हो क ज री बात क जाए,’ उसने कॉ स म म बैठे दोन य को
चेतावनी के लहजे म कहा। ‘मुझे कल रा प त से मलना है और मेरे पास सोने के लए
यादा व नह बचा है। म सोया ही था क तुम लोग का फोन आ गया।’
वैद ने तेजी से उसे पूरे दन क सभी घटना का यौरा दे दया जैसा वजय ने उसे
बताया था। उसक बात सुनते ए पैटरसन का चेहरा कठोर होता जा रहा था और आंख म
अंगारे चमकने लगे थे। नेवी सील होने क वजह से वो स त अनुशासन का पालन करता था
और उन लोग को बलकुल पसंद नह करता था जो नयम के मुता बक नह चलते थे।
पैटरसन ने वैद क बात ख म होने के बाद वजय क तरफ गु सैल नगाह से दे खा
ले कन तुरंत कुछ नह कहा। ऐसा लग रहा था क वो उन सूचना पर चतन कर रहा है जो
उसे अभी—अभी मली ह।
‘पहले सबसे ज री बात,’ पैटरसन कुछ पल के बाद बोला। ‘मुझे कदवई से माफ
मांगनी है। वो सही था। टाइटन फामा यु टक स और ीस क घटना म कोई संबंध ज र
है। हम इस बारे म गहराई से छानबीन करनी है और म सुबह इस बारे म कोई फैसला ले
लूंगा। ले कन हम हो शयार रहना होगा। हो सकता है क इसम खुद वॉलेस का हाथ हो। और
अगर वो इन सबम शा मल नह है तो हम इस बारे म सावधानी बरतनी होगी क हम कससे
बात करते ह और या बात बताते ह। यह एक संवेदनशील मामला है। वॉलेस कॉ ेस के
लोग , सीनेटर और यहां तक क े सडट का भी करीबी है। हम कुछ भी अटकल के
आधार पर नह कर सकते।’
वजय और वैद ने हामी भरी। वो इंतजार कर रहे थे क पैटरसन अपनी बात आगे
बढ़ाए।
‘अब अगली बात,’ पैटरसन ने वजय क तरफ भेदने वाली नगाह डाल । ‘म पहे लय
को सुलझाने क तु हारी यो यता क तारीफ करता ं, ले कन तु ह आतंकवा दय के साथ
सौदा करने का अ धकार नह है। या अनुभव भी नह है। तुम शायद भूल गए हो क तुम
टा क फोस के सद य हो। और म फैसला लेता ं क टा क फोस म कौन या करेगा। तुम
नह । तुम अपने मन से कोई भी फैसला नह ले सकते।’
वो का, जैसे अपने श द को तौल रहा हो। ‘ले कन अब चूं क तुमने फैसला ले लया
है,’ उसने अपनी बात जारी रखी, ‘हमारे पास इस मामले म यादा वक प नह ह। ले कन
म चाहता ं क तुम इसे समझो। अगर तुमने इसे अपनी मंगेतर के लए कया है, तो तुम
मूख हो। आशावाद मूख। तु हारी मंगेतर मरने वाली है। हां, वो अभी जदा हो सकती है,
ले कन अगर तुम सोचते हो क तुमसे रह य जानने के बाद वो लोग उसे तु ह स प दगे, तो
तु ह दोबारा सोचने क ज रत है। तुम भी मरोगे और वो भी। इस लए अगर तुम ऐसा कर
रहे हो तो यह उसके लए नह । तुम यह टा क फोस के लए कर रहे हो। तुम सु न त करोगे
क अफगा न तान क कंदरा म या जहां कह भी जो कुछ भी मले, वो नया के लए
कोई खतरा ना बने। इसी मकसद से टा क फोस बनाया गया है। और यह तु हारी ज मेदारी
है। बात समझ म आई ना?’
वजय ने मुंह म भर आए थूक को नगला। पैटरसन क बात क सचाई उसके दमाग म
घंट बजाने लगी थी। पैटरसन के दए गए तक को उसका पूरा वजूद नकारने क को शश
कर रहा था ले कन कह गहरे वो भी जानता था क टा क फोस का यह लीडर सही कह रहा
है।
अपने आंसु को रोकने क को शश करते ए उसने जवाब दया। ‘समझ गया, अ छ
तरह।’
पैटरसन ने अपनी बात फर आगे बढ़ाई। ‘अब, अगर इस महान रह य का कोई भी
संबंध जै वक आतंकवाद से है, हम चुपचाप बैठे नह रह सकते और इन लोग को मनमानी
करने क इजाजत नह दे सकते। हम अभी यह तक नह जानते क ये लोग कौन ह।’
‘तो आप या सुझाव दे रहे ह?’ वैद समझ गया क पैटरसन या कहना चाहता है।
‘तुम अपने सौदे के मुता बक आगे बढ़ो,’ पैटरसन ने वजय को नदश दया। ‘हम
तु हारी हफाजत यहां से करगे।’
वजय के चेहरे पर उलझन दखने लगी। ‘आप ऐसा कैसे करगे? आप अभी तक यह
नह जानते क राधा को कहां रखा गया है।’
‘ यान से सुनो।’ पैटरसन ने अपनी आवाज धीमी क और उ ह बताया। जब उसने
अपनी बात पूरी कर ली, उसने वजय क ओर तीखी डाली। ‘वहां सावधान रहना
लड़के। हम चम कार नह करते ह। पछले ह ते हमने टा क फोस का एक सद य करीब—
करीब खो दया था। म नह चाहता क अब म दो और सद य को खो ं ।’
47
जलालाबाद, अफगा न तान

वजय कूपर के साथ लड रोवर म बैठा था जो जलालाबाद क ग लय म फराटे भर रही थी।


जब वो नई द ली के हवाई अ े पर प ंचा था, उसे ध का दे ते ए ग फ म जी550 जेट
म ले जाया गया था, जो वहां इंतजार कर रहा था। वो लोग द ली से काबुल गए थे, जसम
उ ह 90 मनट लगे थे, और उनके साथ कूपर क ट म के पांच सद य थे——ह े —क े और
ब ल ——ह थयार से लैस।
जैसे ही वमान काबुल म उतरा, वजय ने गौर कया क टमक पर एक और ाइवेट जेट
खड़ा है। यह था ग फ म 650ईआर, जो लंबी री के सफर के लए इ तेमाल होता है। वो
सोच रहा था क आ खर यह है कसका। कूपर ने उसे बताया था क वो लोग सीधे
जलालाबाद नह जा सकते य क हवाई अ े का इ तेमाल सै नक उ े य से और संयु
रा के हवाई जहाज के लए हो रहा था। वहां कम शयल एयरलाइन के दो बड़े वमान तो
थे, ले कन आसपास कोई छोटा वमान नह दख रहा था।
इमी ेशन से नकलने के बाद, वो लोग एक लड रोवर म बैठे थे जो उ ह सड़क माग से
90 मनट म जलालाबाद प ंचाने वाली थी। वजय ने वैसे सफर क उ मीद नह क थी
जैसा उसे मला। सड़क अपने आप म चकनी और प क थी, जसे 2006 म यूरोपीय
यू नयन के एक ोजे ट के तहत बनाया गया था। ले कन सड़क क यह खा सयत शायद
अफगानी ाइवर को इस बात के लए े रत करती थी क वो आसपास के ाकृ तक य
के रेखा च को चुनौती द।
एक ओर जहां वो काबुल क पहा ड़य के बीच के रा ते म, काबुल नद से 2000 फ ट
ऊपर, फैले ए दलकश नजार से अपनी नजर नह हटा पा रहा था, इस पूरे सफर म मौत
और खतरे उनके पीछे लगे थे। हाइवे म सफ दो लेन थ , बमु कल इतनी जगह थी क दो
कार आसपास चल सक। अंद नी लेन पर, सड़क के ऊपर एक उजाड़ सीधी च ान थी,
जसक ढाल करीब—करीब सीधी थी। बाहरी लेन पर मु कल से एक फुट ऊंचा हा शया
बना था, जसके आगे खाली जगह और फर ढाल थी जो सीधे घाट म प ंचती थी।
पुरानी लाडा कार——जो सो वयत भाव क पहचान बनकर रह ग थ ——जजर
बस और टोयोटा टै सयां उसी सड़क पर र तार और जगह के लए एक सरे से मुकाबला
कर रही थ , मानो वो इस सड़क का यादा से यादा फायदा उठा ल; इसके पहले क यह
सड़क फर से गड् ढ़ म उसी तरह बदल जाए जैसे सो वयत हमले के बाद हो गई थी।
थानीय कार लड रोवर को पार करती जा रही थ , तीखे मोड़ और घुमावदार रा ते पर, एक
सरे से कुछ ही मलीमीटर क री पर ै फक के बीच से नकलते ए तेज र तार के साथ।
सफ सामान से लदे ै टर ही इस सड़क पर धीमे चल रहे थे, जैसे उनके लए समय कोई
मायने नह रखता।
सफर म दो बार वजय को इस हाइवे पर रोजाना होने वाले हादस के सबूत दख गए।
पहले उसे एक नाले क पद म एक कार के मुड़े—तुड़े अवशेष दखे। फर उसे दखा क
कस तरह एक कंटे नर क और सेडान कार आपस म भड़े पड़े थे। साफतौर पर बद क मत
सेडान ाइवर समय पर अपनी लेन म लौट पाने म नाकाम रहा था और तेज र तार से आते
ए क से टकरा गया था। इस हादसे ने हाइवे पर बाधा खड़ी कर द थी और कार और क
के आपस म उलझे अवशेष के पास से गुजरते ए ै फक क र तार बेहद धीमी हो जाती
थी।
हालां क, आ खरकार वो जलालाबाद प ंच गए थे और अब वो थानीय सा थय से
मलने जा रहे थे, जो उनके साथ सुबह कुनार घाट चलने वाले थे।
लड रोवर एक पुरानी ब डंग के पास आकर क , इसका ल तर उखड़ रहा था और
खड़ कय के कांच टू ट रहे थे। साफतौर पर इसे रख—रखाव और मर मत क ज रत थी।
ले कन ऐसा लगता था क आराम और सुख—सु वधा इन लोग क ाथ मकता नह थी।
वजय को एक बार फर यह सोचकर आ य आ क आ खर कूपर कन लोग के लए
काम करता है।
जब वो लोग इस दोमं जला भवन के हॉल म प ंचे, जसने करीब—करीब पूरे ाउंड
लोर को घेर रखा था, वजय को अपने सवाल का जवाब मलता सा दखा। कपड़े के एक
सोफे पर, जो अब क ड़े खा चुके थे और कभी ह का पीले रंग का रहा होगा, एक लंबा
श स बैठा था, जसका ललाट ऊंचा था, नाक कसी प ी के च च क तरह मुड़ी थी और
बाल स वर े रंग के थे। उसक भूरी आंख पर बना रम के च मे चढ़े थे और उसक नजर
वजय पर ही जमी थ ।
उसके सामने क मेज पर मेटल लेट थी जो वजय ने रा ीय सं हालय म दे खी थी——
वही लेट जसे सकंदर ने ास नद के पास जयस क वेद क न व म दबा दया था।
‘गुड इव नग, यन,’ कूपर ने उस आदमी का सर हलाते ए अ भवादन कया
जसने बना मु कुराए सर हलाकर जवाब दया।
बन बोले भी उस आदमी ने अपनी ताकत और अ धकार का दशन कर दया था।
वजय नह जानता था क वो कौन है, ले कन न संदेह वो कूपर का बॉस था। इस ोजे ट
के पीछे इसी का हाथ था।
वो यह भी नह जानता था क इस अजनबी क यहां मौजूदगी अ छ है या बुरी। ले कन
वो उ मीद कर रहा था क उसे कुछ सवाल के जवाब ज र मलगे ज ह ने उसे अभी तक
परेशान कर रखा है।
‘आ खरकार,’ लंबे श स ने वजय को नहारा, उसक भूरी आंख वचारपूवक उसे
आंक रही थ । उसने पास ही रखे सरे सोफे क तरफ इशारा कया, जो उतना ही जजर था
जस पर वो बैठा था। वजय सरे सोफे पर बैठ गया।
‘मेरा नाम है यन वान लुएक,’ उस अजनबी ने अपना प रचय दया। ‘तुमने मेरे
बारे म नह सुना है ना?’
वजय ने अपना सर हला दया। उसका नाम अप र चत था।
‘कोई फक नह पड़ता। म जानता ं क तुम कौन हो,’ वान लुएक ने कहा। उसने
कूपर क तरफ दे खा। ‘ब ढ़या काम कया, कूपर तुमने। हमेशा क तरह भरोसेमंद नकले।
या तुम कल के अ भयान के लए आद मय क व था करोगे, तब तक म इससे कुछ
बात कर लू? ं ’
कूपर ने हामी भरी और वो बाहर नकल गया, वान लुएक वजय क तरफ घूमा, जो
सोच रहा था क काबुल एयरपोट पर खड़ा ग फ म जेट इसी आदमी का रहा होगा। था
कौन यह आदमी? इस आदमी का लहजा तो यूरोपीय है। शायद जमनी या ऑ या से हो।
कोई संदेह नह क बेहद अमीर होगा। और वो वजय को जानता कैसे है?
‘तुम हमारे लए एक कांटे क तरह हो,’ वान लुएक ने वजय को बताया। हालां क यह
बात बोलते ए भी वो नाराज या खीझा आ नह लग रहा था। ‘मने पछले साल तु हारी
वजह से अपना एक अ छा दो त खो दया। और ऑडर ने अपना एक वफादार सद य।’ वो
अपना सर हलाते ए बोला। ‘म तु ह हजार साल म भी नह भूल सकता।’ अभी भी उसके
लहजे या भाव—भं गमा म कोई नाराजगी नह थी। और इस वजह से उसके श द और भी
डरावने लगने लगे थे।
वजय इन श द को सुनकर अंदर से कांप सा गया था। ‘अब यह मायने नह रखता,’
वान लुएक ने बोलना जारी रखा। ‘वो सब अतीत क बात थी और म अतीत म जीने म
यक न नह रखता। भ व य हमारा इंतजार करता है। और हम यही दे खना चा हए क आगे
या होने वाला है। काफ कुछ है हा सल करने के लए। हां, अतीत मह वपूण होता है,
नह ?’ उसक नगाह वजय को भेद रही थ । ‘हम अतीत से सीखना चा हए और अपना
भ व य सुर त करना चा हए।’
वजय को कुछ समझ नह आ रहा था क यह आदमी या बात कर रहा है। उसके लए
ये सारी बात बकवास सी थ । ले कन उसके सामने बैठा यह आदमी बकवास तो नह कर
रहा होगा। वजय को वो आदमी पूरी सफाई के साथ, योजनाब तरीके से, हर कदम को
आंककर उठाने वाला लगा। आवेग म कोई कदम नह ।
‘कूपर ने मुझे बताया क तुमने एक छं द का मतलब नकाल लया है,’ वान लुएक ने
अपनी बात जारी रखी, वजय क हैरानी से बेपरवाह। ‘तो या है कुनार घाट म?’ वो आगे
क तरफ झुका और वजय क आंख म झांकने लगा। ‘मुझे बताओ।’
पहली बार अपनी बातचीत म इस यूरोपीय ने ऐसा कुछ कहा जससे वजय प र चत
था। ले कन अभी भी, वजय के पास कोई जवाब तैयार नह था।
‘म नह जानता,’ उसने कंधे उचकाते ए जवाब दया। ‘छं द सफ जलालाबाद क
जगह का वणन करता है। कुनार घाट क जगह इस इलाके म सकंदर के लए गए माग पर
आधा रत है।’ उसने समझाया क कैसे उन लोग ने यह न कष नकाला क कुनार घाट म
ही उस रह य के होने क बड़ी संभावना है।
वान लुएक ने वजय क बात पर वचार कया। ‘तो तुम बलकुल सही जगह नह
जानते। ले कन तु हारा मानना है क यही वो जगह है जहां हमारी तलाश ख म होती है।’
वजय जवाब दे ने के पहले हच कचाया। वो इसी मौके का इंतजार कर रहा था। ‘अगर
मुझे पता चले क आप ढूं ढ़ या रहे ह तो मुझे इससे काफ मदद मलेगी। अभी हम छं द क
ा या बना इस जानकारी के कर रहे ह क वो कस ओर ले जाएंगे। सकंदर जानता था।
अगर हम भी जानते होते तो शायद हम इन छं द का मतलब और ज द नकाल पाते।’
वो वान लुएक क तीखी नगाह के सामने नडर बनने क को शश कर रहा था।
पैटरसन ने उसे बताया था क वो और राधा अब मरने वाले ह। और अगर वो मरने ही वाला
है, तो वो इसके पहले सभी जवाब जानकर रहेगा।
वान लुएक सोच म पड़ गया। उसने वजय से ऐसे साहस क उ मीद नह क थी। अंत
म उसने सर हलाया और मु कुरा दया; एक फ क मु कान। ‘शायद तुम सही हो। हो
सकता है क तुम अगर कुछ और जानो तो यादा काम के सा बत हो।’
वजय इंतजार कर रहा था और वो यूरोपीय अपने दमाग म चीज को तौल रहा था क
उसे या बताना चा हए और या राज ही रहने दे ना चा हए।
48
सकंदर का सच

‘मुझे लगता है क तुमने सकंदर के बारे म कुछ सच तो पता लगा ही लया है,’ वान लुएक
आ खरकार बोला। ‘सच यह है क उसके जीवन के बारे म हम जतना भी जानते ह, वो उन
त य पर आधा रत है ज ह तोड़ा—मरोड़ा गया है, यादातर मौक पर उस आदमी क
सोच, झुकाव और उ े य क वजह से, जसने उ ह दज कया है। नतीजतन, हमारे लए यह
पता लगाना ब त मु कल है क उस श स के बारे म ऐ तहा सक प से सच या है और
या सफ गौरवा वत करने वाली कहानी है।’
उसने इंतजार कया क वजय उसक बात को समझने का इशारा करे। जब वजय ने
सर हलाया, उसने अपनी बात आगे बढ़ाई। ‘और यह यूब जैसी कलाकृ तयां काम आती
ह। उनक मदद से हम कहानी के उन ह स क पु कर सकते ह जनके बारे म अब तक
माना जाता है क वो सकंदर के कसी घोर शंसक या चापलूस ने चम कार क तरह पेश
करते ए लखा है।’
वजय ने फर से सर हलाया, उसे याद आया क कैसे ए लस ने भी उसक ा या पर
आप जताई थी। सकंदर के बारे म दज चीज को इतना बढ़ा—चढ़ाकर पेश कया गया है
क उसके बारे म हर लखी चीज पर भरोसा करना भी मु कल है।
वान लुएक ने अपना हाथ आगे बढ़ाया। ‘ यूब दे ना।’
वजय ने उसे यूब दे दया और दे खा क उसने उसे मेटल लेट म जमा दया। वो पूरी
तरह से उसम जम गया।
‘तो आप कैसे जानते ह क सकंदर क कहानी का कौन सा ह सा सच है और कौन सा
ह सा सफ क पना?’ वजय उ सुक दख रहा था। इस आदमी को इतनी जानकारी और
ताकत कहां से मली है?
वान लुएक के चेहरे पर बनावट हंसी आ गई। ‘म तु ह एक चीज बताता ं।
ओ ल पयास हमारे ऑडर क सद य थी। और वो इस यूब के बारे म जानती थी य क
इसे ऑडर के ही शु आती सद य ने बनाया था। हजार साल पहले।’
वजय त ध रह गया। अगर वान लुएक जो कह रहा है, वो सच है तब तो ऑडर, जो
कुछ भी हो अशोक के दर ड से कह यादा ाचीन है, जसे उन लोग ने पछले साल ढूं ढ़ा
था।
वान लुएक वजय के चेहरे पर ता जुब को दे खकर खुश हो गया था। ‘इस लए हम
जानते थे क सधु क भू म म सकंदर का अ भयान कोई बनावट कहानी नह है। हमने ही
उसे वो चीज उपल ध कराई थ जनक मदद से वो उसे तलाश पाया था, जसे वो चाहता
था।’
वजय को उसक इस बात म एक कमजोर कड़ी दखी। ‘यह मुझे समझ नह आया,’
वो पलटकर बोला। ‘आज, आप वो रह य ढूं ढ़ रहे हो जो उसे मला था। ले कन अगर आपके
पास ढाई हजार साल पहले उसे ढूं ढ़ने के साधन थे, जैसा आप दावा कर रहे ह, तो फर आप
इसे ढूं ढ़ य नह पाए? य सकंदर को पहले थाली म परोस दया, फर उसे मेटल लेट
छपाने दया, और अब दो—ढाई हजार साल बाद फर से उसक तलाश कर रहे ह?’
वान लुएक का चेहरा स त हो गया। ‘वो इस लए क ओ ल पयास ने हम धोखा दया
था। यह रह य सकंदर के पहले भी हजार साल से सुर त था। याद रखो क यह ई र
का रह य है। सधु क भू म के ई र। यूब और मेटल लेट सफ इसी मकसद से बनाए गए
थे क रह य सुर त रहेगा। और वै दक पुरो हत का एक छोटा समूह बनाया गया था जो
इसके हरी थे। सफ उ ह क प ंच इस रह य तक थी। ओ ल पयास ने उनम से एक
पुरो हत को ऑडर क उ प को समझने के बहाने अपने दरबार म बुलाया था। और कसी
तरह उसने पुरो हत को रह य क जगह बताने के लए मना लया था। इस अपराध के लए
ऑडर ने सकंदर क मौत के बाद उसक सुर ा हटा ली थी। अगर ऑडर उसक सुर ा
करता तो वो इतनी अपमानजनक मौत कभी नह मरती।’
‘यह ऑडर या है जससे आप जुड़े ह?’ वजय ने एक और सवाल दाग दया।
वान लुएक ने न म अपना सर हलाया। ‘म तु ह पहले ही काफ कुछ बता चुका ।ं
बस इतना जान लो क हम उतने ही पुराने ह जतनी क मानव जा त। एक व था जब पूरी
नया हम जानती और हमसे डरती थी। ले कन हमने फैसला कया क हम अपना भाव
और ताकत लोग क आंख और सोच से र रहकर बेहतर तरीके से हा सल करगे।’
आगे बोलने के पहले वो का। ‘खैर, सकंदर ने रह य ढूं ढ़ तो लया था ले कन चीज
एकाएक बगड़ ग और वो मर गया। तुम इ तहास तो जानते ही हो। उसक शव या ा पर
टोलेमी ने क जा कर लया था और उसक ममी को अले ज या म दफना दया गया, जहां
वो चौथी सद तक थी।’
‘और तब वो अचानक रह यपूण तरीके से गायब हो गई,’ वजय अपनी रसच को याद
करते ए बुदबुदाकर बोला।
‘यह गायब नह ई थी,’ वान लुएक ने उसे आ मसंतु वर म बताया। ‘ईसाई धम
नया भर म फैल रहा था। हमने इसके संकेत दे ख लए थे। जो कुछ भी गैर—ईसाई ई र
से जुड़ा था, वो न कया जा रहा था। और सकंदर को ई र क तरह पूजा जा रहा था।
इसके पहले क उसक क को अप व कया जाता और उसक ममी को न कया जाता,
हमने इसे खुद संभालने का फैसला कया। हमने अले ज या से ममी को हटाया और एक
सरे गु त थान पर दफना दया। हम मानते थे क कसी को भी इस जगह के बारे म पता
नह है। ले कन, उस व ऑडर क जानकारी के बगैर, एक न शा बना लया गया था। ऐसा
न शा जो कई सौ साल तक सबक नजर से र रहा। तब तक, जब तक हम, संयोग से,
कुछ दशक पहले उसका पता नह चला। हमने ममी क खुदाई क , जो हमारे लए एक
वरदान सा बत आ। स दय से उसके रह य क कहानी, जो उसने ढूं ढ़ नकाला था, एक
मथक बनी ई थी। हम यक न ही नह करते थे क यह मुम कन भी हो सकता है। इस लए
हमने ममी का परी ण कया। और हम पता चला क मथक सच है। ई र का रह य सफ
एक मथक भर नह है। और सकंदर ने, सचमुच इसे ढूं ढ़ नकाला था। और तब हमने
फैसला कया क हम भी इस रह य का पता लगाएंगे। ले कन हम यूब और मेटल लेट नह
मल रहे थे। हम जानते थे क अं तम बार वो तब दे खे गए थे जब उस पुरो हत ने
ओ ल पयास से मुलाकात क थी। ले कन वो उस मुलाकात के बाद गायब हो गया था और
कोई नह जानता था क उसका या आ। जब हमने सुना क ओ ल पयास क क मलने
क संभावना है, हम लगा क हो सकता है वो यूब और मेटल लेट उसके साथ दफन मल
जाए।’
‘इस लए तुमने कूपर को खनन ट म म शा मल कराया और तावरोस को अपने साथ
मला लया ता क कलाकृ तयां हा सल क जा सक।’
‘ बलकुल। तो अब तुम जान गए हो।’
वजय क भ ह चढ़ । ‘इससे हमारे उस सवाल का जवाब तो मलता है क ये सब चल
या रहा है। म इससे यह भी अनुमान लगा सकता ं क खनन और ली नकल ायल म
या संबंध है। तुम लोग ने सकंदर क ममी का परी ण कया… और उससे जो नतीजे
नकले उनक पु के लए तु ह ली नकल ायल करने क ज रत थी, ठ क है ना?’
वान लुएक फर से मु कुराया। ‘तुम करीब तो हो, ले कन पूरे तौर पर सही नह हो।
ायल ज री थे य क सकंदर क ममी पर हमारे परी ण के जो नतीजे नकले उनके लए
हम तैयार नह थे। दे खो, यूब उस मथक के आधार पर बनाया गया था जो तुम लोग के
महाका महाभारत से लया गया है। इस महाका म एक कहानी है जो साफतौर पर उस
चीज का वणन करती है जो सकंदर को मली थी और उन परी ण का भी, जो हमने
सकंदर पर कए थे। उन परी ण के नतीज को समझने के लए हम जदा लोग पर
ली नकल ायल करने क ज रत थी।’
वजय ने अपना दमाग दौड़ाया, वो उस मथक के बारे म सोचने क को शश कर रहा
था, जसने ली नकल ायल क ज रत को ज म दया, और उस खोज के बारे म भी, जो
दो हजार साल पहले मरे एक आदमी क लाश के परी ण से ई। ले कन वो कुछ भी ऐसा
नह सोच पाया।
‘मुझे नह मालूम तुम कस बारे म बात कर रहे हो,’ आ खर म उसने बोला।
‘इस मथक को तुम लोग समु मंथन कहते हो।’ वान लुएक का इस सं कृत श द का
उ चारण बलकुल सही था ले कन वजय का यान उस पर नह गया। उसका पूरा यान
महाका के सबसे मश र मथक का ज होते ही उसक तरफ चला गया था।
‘ले कन… कैसे?’ वो अभी भी समझ नह पा रहा था। ‘वो मथक पूरी तरह का प नक
है——एक पहाड़ क मदद से और वासुक को र सी क तरह इ तेमाल करके सागर का
मंथन, जससे अमृत मला। इसम तो कोई व ान नह दखता।’
वान लुएक सहानुभू तपूवक मु कुराया। ‘हर कसी को महाभारत को महाका या
का प नक कहानी क तरह दे खने क इतनी आदत हो गई है क वो ये सोच भी नह सकते
क इसम व ान का बेहतरीन इ तेमाल भी आ हो सकता है।’
वजय इंतजार कर रहा था और अपनी उ ेजना को छपाने क को शश कर रहा था। वो
जानता था क वो महाभारत के एक और रह य को जानने क कगार पर है जो दो हजार
साल से छपा पड़ा है।
‘म तु ह इसे समझाता ं।’ वान लुएक थोड़ा सा आगे क ओर झुका और बोलने लगा।
49
पांचवां दन
रह य क एक झलक

राधा ने अ या शत प से स सेना को अपनी तरफ मु कुराते दे खकर आ य से पलक


झपका । वो उसके कमरे म एकाएक आ गया था और बताया था क वो उसे मे डकल सटर
दखाने ले जाएगा।
‘मुझे कहा गया है क तु हारा अ छे से याल रखा जाए,’ उसने नरम श द म उसे
बताया था। ‘वो या है क कूपर के तु ह यहां लाने से ब त बड़ा फायदा आ है। ऐसा लग
रहा है क हम लोग ोजे ट के इस ह से का काम अब ज द ख म कर सकगे। इसका
मतलब है क मेरा काम भी ज द ही ख म हो जाएगा।’
राधा उसके श द पर वचार ही कर रही थी क उसने उसे कमरे से बाहर नकाला और
ग लयार क भूल—भुलैया से ले जाने लगा, जससे वो पहले कभी नह गुजरी थी। ले कन
सभी वचार एकाएक उसके दमाग से उड़ गए, जैसे ही वो एक आयताकर ांगण के चार
तरफ फैली एक लंबी बालकनी म प ंच।े छत पर काफ ताकतवर लाइट लगी थ और वो
बालकनी म लगे लप क मदद से उस वशालकाय थान पर उजाला कर रही थ । बालकनी
ांगण के चार तरफ फैली थी और बीच म कोई कावट नह बनी थी। उसने गना——
ब डंग म आठ मं जल थ ।
राधा आ य और भय से उस भवन क वशालता के बारे म सोच रही थी। उसे अब तक
एक ग लयारे म सफ उसक कोठरी से शौचालय तक आने—जाने क इजाजत थी। वैसे
उसने इस कैद म रहते ए शौचालय और नानघर म सरे कै दय को भी दे खा था, ले कन
उसने कभी नह सोचा था क ब डंग इतनी बड़ी होगी।
‘ढाई सौ कोठ रयां ह यहां,’ स सेना ने उसके चेहरे पर अचरज के भाव दे खकर उसे
बताया। ‘इस ब डंग क आठ मं जल जमीन के नीचे ह——जो तुम अपने सामने दे ख रही
हो। दो मं जल जमीन से ऊपर ह। बाहर से दे खने म यह छोट सी साधारण ब डंग लगती
है। कोई नह जानता क हम यहां या करते ह।’
‘कूपर कौन है?’ राधा ने पूछा, अब तक वो शु आती आ य से उबर चुक थी।
‘तुम नह जानती? मुझे लगा क उस अमे रक पुरात व वद ने तु ह बताया होगा। वो
उसक खनन प रयोजना म को—डायरे टर था। उसे हम लोग ने वहां भेजा था।’
यह राधा के लए एक और झटका था। तो या इन लोग और ीस म ए लस के साथ
ई घटना म कोई संबंध था? ले कन या? और “हम लोग ” से या मतलब है?
उसके दमाग म एक वचार क धा। उसे वजय के साथ अपनी बातचीत याद आई जब
बाक सभी लोग सं हालय क तरफ जा रहे थे। वजय ने उसे यूमेनीज क डायरी और
“ई र के रह य” क सकंदर क तलाश के बारे म बताया था। या स सेना के कामकाज
और ीस म खुदाई म यही संबंध था?
‘तो तुम उस राज को जानने क को शश कर रहे हो जो यूब क पहे लय म छपा है?’
उसने अपने मन क बात रखी, बना डायरी क बात बताए। अगर यह गु त था तो वो
स सेना को इस बारे म नह बताना चाहती थी।
स सेना ने उसक तरफ शंसा मक से दे खा। ‘तुम उससे कह यादा जानती हो
जतना बताती हो। और तुम सही हो। म अब तक के सबसे बड़े रह य पर काम कर रहा ं
जो नया ने कभी नह दे खा है। ऐसा रह य जो ऑडर को नया पर राज करने म स म
बना दे गा और कसी को इस बात का अहसास भी नह होगा। हम डोर ख चगे और लोग को
अपनी मज पर कठपुत लय क तरह नचा सकगे।’
राधा के मन म कौतूहल था। उसे और यादा जानना था। स सेना कस बारे म इतना
बढ़—चढ़कर बोल रहा था? उसने स सेना को चुनौती दे ने का फैसला कर लया। उसने
स सेना का मजाक उड़ाने के अंदाज म कहा, ‘मुझे तो यहां यही दख रहा है क ली नकल
ायल चल रहे ह जनका अंत लोग क मौत के प म होता है। हर कोई मर जाता है। इसम
बड़ा रह य या है? या ऑडर मरे लोग क नया पर राज करेगा? या जब वो रोगाणु,
जसे तुम लोग ने ढूं ढ़ा है, नया क आबाद को ख म कर दे गा, तो या ऑडर इससे बच
पाएगा? जब कोई रहेगा ही नह तो तुम लोग राज कस पर करोगे?’
स सेना ने उसे घूरा। ‘हम लोग को मारने नह जा रहे ह,’ उसने जोर दे ते ए कहा। ‘हम
जीवन दगे, लगे नह ।’
राधा ने उसक तरफ दे खा, साफतौर पर उसके चेहरे के भाव बता रहे थे क वो इस बात
पर यक न नह कर रही है। ‘तुम इस बात पर यक न करना चाहते हो क ऑडर के लए तुम
काफ अहम हो। ले कन तुम सफ ली नकल ायल कर रहे हो जो नाकाम सा बत हो रहे
ह।’
स सेना का चेहरा उसके श द को सुनकर गु से से तमतमा उठा। वो जस चीज को
हा सल करने क को शश कर रहा था, उस पर उसे बेहद गव था। वो कामयाबी के काफ
करीब था। वो उस स मान को पाने के लए तरस रहा था जसका वो पा था। ऑडर को तब
तक वो स मान हा सल नह होगा जब तक क मशन पूरा ना हो जाए। ले कन उसक
अपनी उपल धयां काफ बड़ी ह। और यह औरत, जो उसके काम के बारे म कुछ नह
जानती, उसक उपल धय को नीचा दखा रही है। वो खुद को काबू म नह रख सका।
‘तु ह मेरी बात पर यक न नह है?’ उसने राधा को चुनौती भरे श द म कहा। ‘तुम
सोचती हो क यह बस एक तु छ वायरस के बारे म है और ली नकल ाय स का कोई
नतीजा नह नकलने वाला है? तुम…’
राधा ने उसे बीच म ही रोक दया। ‘मेरा मानना है क तुम अपने कसी छोटे मशन को
काफ बढ़ा—चढ़ाकर बता रहे हो। कुछ ऐसा जसक अह मयत हो। ले कन ऐसा है नह ।
मुझे तु हारे कसी श द पर यक न नह है।’
‘ठ क है, फर,’ स सेना फुफकार उठा, स मान और तारीफ सुनने क उसक भावना
उसके दमाग पर हावी हो गई। यह औरत तो कह जाने वाली है नह । और कोई तरीका भी
नह है जससे कोई उसे ढूं ढ़ पाएगा। ‘मेरे साथ आओ। म तु ह सबूत ं गा।’
वो राधा को ल ट के पास ले गया और काड रीडर पर अपना ए सेस काड लगाकर
ब डंग क सबसे नचली मं जल पर जाने के लए बटन दबाया। ल ट च काने वाली तेजी
से नीचे गई और उ ह उनक मं जल पर प ंचा दया।
स सेना ने उसे सं ेप म ऑडर के बारे म बताया और यह भी समझाया क
ओ ल पयास को यूब कैसे मला था और उसने सकंदर को कैसे इस बात के लए राजी
कया क अपनी मह वाकां ा का व तार फारस सा ा य के आगे भी करे। ल ट का
दरवाजा खुला और सामने लंबा, सफेद ग लयारा दखा जसम दोन तरफ दरवाजे बने थे।
यादातर दरवाजे बंद पड़े थे ले कन कुछ खुले ए थे जनम से योगशालाएं दख रही थ
जहां तरह—तरह के उपकरण और यं थे, सवर और मॉ नटर थे, और सफेद कोट पहने
टे नी शयन थे।
‘यह है हमारे मशन के लए हो रहे कामकाज का क ,’ स सेना ने उसे समझाया।
‘ मैन का ोजे ट हमारे नीचे दो मं जल पर चल रहा है।’ वो राधा को ग लयारे के अंत म
बने एक ऑ फस म ले गया। इसम एक बड़ी मेज थी, कमरे के एक कोने म चमड़े क कुस
थी, और सामने वाले द वार पर ट ल का वक टे शन था। मेज के एक तरफ लंबी कताब
क आलमारी थी, जसके त ते भारी—भरकम मे डकल कताब के बोझ से झूल रहे थे।
मेज पर एक एलसीडी मॉ नटर, एक क बोड और एक माउस रखा था।
‘बैठो।’ स सेना खुद चमड़े क कुस पर बैठा और अपने सामने मेज क सरी तरफ
रखी दो कु सय क ओर इशारा करते ए बोला।
राधा बैठ गई और स सेना को कं यूटर क बोड और माउस के साथ खेलते ए दे खती
रही।
थोड़ी दे र बाद स सेना ने मॉ नटर को उसक तरफ घुमा दया। उसका बताव ऐसा था
जैसे एक वै ा नक अचंभे म पड़े दशक को कसी चीज के बारे म समझाने वाला हो।
‘तुम लोग का मानना था क हम लोग रोगाणु म बदलाव लाकर जै वक आतंकवाद
फैलाना चाहते ह,’ वो उपहासपूवक मु कुराया। ‘यह सचाई से कोस र है। वा त वकता
इसके वपरीत है। हम लोग को मारना नह चाहते। हम उ ह बीमा रय से बचाना चाहते ह।’
‘तुम सच म चाहते हो क म इस पर व ास क ं ,’ राधा ने फर से मजाक उड़ाते ए
कहा। ‘तुमने और तु हारे लोग ने जतना उ पात मचाया है, उसके बाद भी तुम चाहते हो क
म इसे एक नेक मकसद से कया काम मान लूं?’
स सेना ने उसे झड़कते ए कहा, ‘हर स के के दो पहलू होते ह। तुमने सफ एक
पहलू दे खा है। हमने जो कुछ भी कया है, सफ पछले कुछ दन म नह ब क पछले कुछ
दशक म, वो हमारी कामयाबी के लए ज री था। हम एक बड़ी वै ा नक कामयाबी पाने
क कगार पर ह; ऐसी कामयाबी जो आधु नक तकनीक तक दे पाने म नाकाम रही है। और,
च क सा े म इस ां त के पीछे का राज हमारे पास हजार साल से रहा है, पहे लय
और मथक के पद म छपा आ। ऐसा पदा जसे यादातर लोग पहचान ही नह पाते,
उसके पार दे खने क तो बात ही छोड़ दो।’
‘मुझे बलकुल समझ नह आ रहा तुम या बात कर रहे हो,’ राधा ने माना।
‘तुम अखबार तो पढ़ती हो?’
राधा ने स सेना क तरफ तीखी नजर से दे खा ले कन वो गंभीरता से अपना सवाल पूछ
रहा था। ‘ बलकुल, म पढ़ती ं,’ उसने जवाब दया।
‘ब त अ छा, फर तुमने ज र उस बड़े मु े के बारे म पढ़ा होगा जसका सामना आज
च क सा जगत कर रहा है। यह चता काफ लंबे समय से उठाई जाती रही है ले कन यह
मी डया क नजर म हाल ही म आया है। साल से लोग एंट बायो ट स का गलत या ज रत
से यादा इ तेमाल करते आ रहे ह। नतीजा या होता है? जीवाणु उ त हो गए ह और
उ ह ने मानव जा त के लए जानलेवा कई बीमा रय के त तरोधक मता वक सत कर
ली है। इनम से कुछ जीवाणु म तो कई दवा के त तरोधक मता वक सत हो गई
है। इस बात का खतरा ब त यादा है क पे न सलीन क खोज के बाद से ही जन
एंट बायो ट स ने मानव जा त क जानलेवा बीमा रय से र ा क है, वो अब बेकार हो
जाएंग।े मसाल के लए वो कवच, जो हम तपे दक जैसी जानलेवा बीमारी से बचाता था, वो
कमजोर हो रहा है और ब त ज द ख म हो जाएगा। च क सा व ान क से हम
ागै तहा सक युग म प ंच जाएंग,े ऐसे अंधेरे युग म जब जीवाणु के जानलेवा सं मण
लाइलाज होते थे।’
राधा ने सर हलाया। अंतरा ीय मी डया म इस मु े को काफ जोर—शोर से उठाया
गया है। नई तकनीक पर शोध चल रहा है और भ व य के इस डरावने हालात से नपटने के
लए नई बड़ी खोज का इंतजार है। वो इस समूह, जो भी लोग ह गे वो, के मकसद को
समझने क को शश कर रही थी। ‘तो ली नकल ायल का मकसद है ऐसी खोज करना जो
एंट बायो ट स का वक प ह ?’ वो अभी भी यह नह समझ पाई थी क स सेना इस खतरे
से कैसे नपटने क सोच रहा है।
स सेना ने क बोड पर एक बटन दबाया और न पर एक वमीय छ व आ गई जो
धीरे—धीरे घूम रही थी। यह एक ब भुजी आकृ त थी जसम बीस भुजाएं थ । उसने एक
सरा बटन दबाया और न दो ह स म बंट गया। पहली छ व क दा तरफ एक और
छ व बन गई, वो भी वमीय थी, ले कन अ नय मत च के साथ।
‘बा तरफ क त वीर एक रे ोवायरस क है,’ स सेना ने पहली त वीर क तरफ इशारा
करते ए समझाया। ‘दा हनी त वीर एक बै ट रया क है।’ वो का। ‘दोन ही अब तक
अनजान रोगाणु ह। हम ये दोन सकंदर महान के शरीर से मले ह।’
50
328 ईसा पूव
बा ख, वतमान अफगा न तान

‘तु ह या परेशान कर रहा है, य कै ल थनीज?’ सकंदर ने मु कुराते ए इ तहासकार से


पूछा। ‘चीज वैसे ही चल रही ह जैसे उ ह चलना चा हए। मेरी योजना काम कर रही है। हमने
फारस को जीत लया है। बै या के आ दवा सय को अधीन कर लया है। यहां तक क
श शाली सॉ डयन पवत को भी वश म कर चुके ह।’ उसने अपनी एक बांह के घेरे म
कै ल थनीज को लया। ‘और तुम, मेरे य इ तहासकार; तुमने वो महान मशन पूरा कर
लया जस पर मने तु ह भेजा था। अब तक का सबसे महान मशन। ऐसा मशन जो मुझे
भगवान बना दे गा!’ सकंदर ने कै ल थनीज के कंधे से अपना हाथ हटाया और उसक ओर
दे खा। ‘तुम परेशान हो। इस बारे म मुझे कोई संदेह नह है। मुझे बताओ य । मुझे यह
जानना है।’
कै ल थनीज ने सकंदर क आंख म झांका ले कन बोलने म हच कचा गया। उसक
याद म स टस का ह ताजा था। यह वो सकंदर नह था जसके साथ वो मक नया से
फारस सा ा य जीतने नकला था। वो एक ऐसा नौजवान था जसने अपने पता के सपन
और जीत को आगे बढ़ाने का फैसला कया था। जसके पास हौसला और साहस था नया
के सबसे ताकतवर सा ा य से भड़ने का। और जसके पास क र माई ताकत थी अपनी
सेना को हजार मील र उन इलाक म ले जाने क , जहां उ ह भयंकर ठं ड और अकाल,
थकान और यास से लड़ना होता। उस सकंदर के लए, कै ल थनीज अपना जीवन अपनी
इ छा से याग कर सकता था।
ले कन आज जो सकंदर उसके सामने खड़ा था, वो अलग था। या उसक कामयाबी
ने उसे घमंडी बना दया था? पहले डै रयस का पतन, फर बेसस——डै रयस का ह यारा
और फारसी राजग का दावेदार——क गर तारी, और अंत म, सॉ डयन पवत पर
वजय, साथ ही बै यन कबील पर भु व… इतना कसी समझदार इंसान का भी दमाग
फरा दे ने के लए काफ था। और सकंदर तो अभी नौजवान ही था।
या या यह उस गु त मशन क वजह से था जसके लए सकंदर तब से जुटा था जब
से वो मक नया से चला था? कै ल थनीज को यह बात कुछ महीन पहले तक पता नह
थी, जब तक क सकंदर ने ओ सस नद के पार बै या के जंगल म इस मशन के बारे म
नह बताया। जब बेसस ने ह कुश के पार भागने और बै या म शरण लेने का फैसला
कया था, इसने सकंदर को मौका दे दया था क वो पूरी सेना को पवत के पार बै या
कूच करने का आदे श दे ।
इस दौरान कई लड़ाइयां लड़ी ग , यहां तक क सकंदर को अपने वजय अ भयान पर
नकलने के बाद से पहली हार भी झेलनी पड़ी, ले कन कसी को पता नह चला क
कै ल थनीज अपने तंबू म नह था और कई दन तक गायब रहा था। ये सारी घटनाएं
सकंदर के प म घट रही थ ।
हो सकता है क सच म वो जयस का पु हो और उसके दै वीय पता उसक दे खरेख
कर रहे ह । ले कन कै ल थनीज को लग रहा था क इन सबके बावजूद उसे वैसा वहार
करने का अ धकार नह था, जैसा वो कर रहा था।
‘महाराज,’ वो संभलकर बोल रहा था, ‘आप बदल गए ह।’
‘सचमुच म बदल गया ,ं ’ सकंदर ने खुश होते ए इ तहासकार क पीठ पर धौल
जमाया। हमेशा क तरह आज भी सकंदर ने काफ शराब पी ली थी और वो फु लत मु ा
म था।
और कै ल थनीज ने दे खा था क कतनी तेजी से उसक मु ा डरावनी और तशोधी म
बदल जाती है।
‘शायद हम इस बारे म फर कभी बात करनी चा हए,’ उसने सुझाव दया, वो सकंदर
के गु से को भड़काना नह चाहता था। ऐसा कोई तरीका नह था जससे वो अपने राजा को
सच भी बता दे ता और उसे नाराज भी नह करता।
और कै ल थनीज अपने राजा से झूठ नह बोलता था। उसने उसक वजय गाथा म कई
चीज का वणन बढ़ा—चढ़ाकर ज र कया था और त य को क पना से गढ़ा भी था ता क
राजा का गौरव बढ़ सके। ले कन अपने राजा के त वो ईमानदार था। उसका यही तरीका
था।
सकंदर ने उसक आंख म झांका। उसने अपनी ठु ी रगड़ते ए कहा, ‘तो, मेरे
इ तहासकार को कुछ कहना है। कुछ ऐसा जो उसे लगता है क म पसंद नह क ं गा।’
कै ल थनीज को यह बलकुल पसंद नह होता था जब सकंदर चीज को इस तरह भांप
लेता था, जो अ सर ही होता था। उसने कुछ नह कहा।
‘अरे, कै ल थनीज,’ सकंदर ने कहा। ‘तु ह लगता है क मने कुछ यादा शराब पी ली
है? क म वो नह सुन सकता जो तु ह कहना है? तुम मेरे स मा नत इ तहासकार हो। य ,
और कसी क म उतनी नह सुनता, जतना तु हारी! बोलो, तु ह या परेशान कर रहा है!
चलो, म वादा करता ं क म तु हारी पूरी बात सुनूंगा।’
कै ल थनीज समझ गया था क वो फंस चुका है। अब अगर उसने इस बातचीत को
मु तवी करने क एक और को शश क तो सकंदर के दमाग म जतने भी नकारा मक
वचार ह गे, उ ह वो सच समझ लेगा।
‘ठ क है, महाराज,’ कै ल थनीज ने गहरी सांस ली। ‘आपने जो घोषणा क है उसने
मुझे चता म डाल दया है। क आप चाहते ह क आपक पूजा फारसी री त- रवाज के
मुता बक हो।’
सकंदर हंस पड़ा, उसक हंसी वहां गूंजने लगी थी। ‘और तुम इससे सहमत नह हो?’
कै ल थनीज चुप रहा।
सकंदर कुछ सोचने लगा। ‘तुम इसे गलत य मानते हो?’ अंत म उसने कहा। ‘तु ह ने
नया के सामने एलान कया है क म जयस—एमन का पु ं। तु हारी कताब म, जो एक
दन इ तहास रचेगी, सवा म दे व थल पर मेरे दे व व क घोषणा का वणन है। तुमने समु के
रा ता दे ने क बात क है।’ उसने अपना सर एक तरफ झुकाया और कै ल थनीज क तरफ
दे खा। ‘याद है? और भी काफ कुछ है।’ सकंदर ने कै ल थनीज के कंधे पर अपना हाथ
रखा। ‘तुम व ास करते हो क म एक भगवान ं, कै ल थनीज। न त तौर पर तुम झूठ
नह बोल सकते जब तुम लखते हो। और जब तुम व ास करते हो क म भगवान ,ं तो
फर तु ह इसम या गलत लगता है जब म लोग को अपनी पूजा करने को कहता ं?’
कै ल थनीज ने कोई जवाब नह दया। उसने महसूस कया क उसके पास सकंदर के
सवाल का कोई जवाब नह था। जो भी उसके राजा ने कहा था, सब सच था। सवाय इसके
क कै ल थनीज सकंदर के दे व व म व ास करता था। ले कन वो यह कैसे बता सकता था
क उसक कताब एक तरह क खुशामद थी? सकंदर के भगवान बन जाने के बाद भी
उसके दरबार म अपनी है सयत बनाए रखने क को शश थी?
‘तु हारी खामोशी परेशान कर रही है।’ सकंदर सोच म पड़ गया।
‘ या म इसे तु हारी हां मानूं? या ना? सफ तुम यह बता सकते हो। मने अपने वादे के
मुता बक तु हारी बात सुनी है।’
‘आपने जो कहा, वो सच है महाराज।’ कै ल थनीज इस उलझन म से नकलने क
को शश कर रहा था। ‘एक—एक श द सच है।’ उसने अपनी आवाज बेहद धीमी कर ली
थी। ‘ले कन महाराज, मशन अभी ख म नह आ है। जब आप गु त जगह पर प ंच जाएंगे
और नदश के मुता बक पानी पी लगे, तभी आप सच म भगवान ह गे! अभी नह ।’
सकंदर क आंख चमकने लग । ‘तो तुम मानते हो क म भगवान नह ं जब तक क
म उस न शे का हर कदम ना पूरा कर लूं, जो मेरी मां ने मुझे दया था?’
कै ल थनीज ने अपनी आंख झुका ल ।
सकंदर ने उसक इस हरकत को अपने सवाल का जवाब ‘हां’ म मान लया।
‘और मेरे दै वीय ज म का या? या मेरी मां झूठ बोलती है क म जयस का बेटा ं?
तुम सुन लो क म उस गंदे और नीच फ लप का बेटा नह हो सकता!’ सकंदर का गु सा
उसके मुंह से नकले हर श द के साथ बढ़ता जा रहा था। ‘और सवा म ओरेकल के श द
का या— या उनका तु हारे लए कोई मतलब नह है? या वो भी एक झूठ है?’
वो लोग एक लकड़ी क मेज से गुजर रहे थे, जसके पैर पर कांसे क लेट रखी थी।
सकंदर झुका और अपने गु सा नकालते ए कांसे क उस लेट को ग लयारे म लुढ़का
दया। ‘और तुम हो कौन, कै ल थनीज, मेरे ज म और दे व व पर फैसला करने वाले? तुम
सफ एक इ तहासकार हो! तु हारा काम घटना को दज करना है। यह सु न त करना
क इ तहास को घटना क जानकारी रहे। कोई फैसला दे ना नह । कभी नह भूलना क म
तु हारा राजा ं। तु हारा जीवन मेरे हाथ म है। उसी तरह जैसे मेरे रा य क हर जा का
जीवन मेरे हाथ म है, जो अब मक नया से बै या तक फैल चुका है। या यह भगवान
क ताकत नह है? जीवन छ न लेना?’
कै ल थनीज समझ चुका था क बातचीत को संभालने क को शश बेकार है। वो अपने
राजा को ब त अ छ तरह से जानता था। सकंदर ने उसके बारे म अपनी राय जता द थी।
वो जानता था क वो अब दोषी हो चुका है। और मौत को सामने दे खकर वो कायर नह
बनना चाहता था।
‘भगवान क ताकत,’ उसने ोध से फुफकारते राजा से शांत भाव से कहा, ‘जीवन
छ नने म नह , जीवन दे ने म है। और इस चीज को करने म आप नाकाम रहे हो।’
सकंदर का गु सा अब वालामुखी म बदल चुका था। ‘म सकंदर ं। मुझे भगवान क
तरह पूजे जाने के लए तु हारी या तु हारी सहम त क ज रत नह है,’ वो चीखते ए बोला,
ोध उसके होशो—हवास छ न चुका था। ‘मुझे भगवान होने के लए तु हारी गु त चीज क
ज रत नह है। म भगवान ं और उसी क तरह पूजा जाऊंगा। तुम और तु हारी तरह
सोचने वाले को नरक जाना होगा! हरी!’
कै ल थनीज खड़ा रहा और सकंदर क आंख म झांककर दे खा।
‘पै ो लस तुमसे कह बेहतर इंसान था, सकंदर। फर भी मौत ने उसे भी नह छोड़ा।’
हरी आगे आए और उ ह ने कै ल थनीज को पकड़ लया, सकंदर ू रता से
मु कुराया। ‘तु ह पता है..’ उसने कै ल थनीज को कहा, ‘अब म समझा क उस नौकर को
इतनी ह मत कहां से मली जो उसने मुझे मारने क को शश क । उसे व ोह करने के लए
वैसा ही कोई उकसा सकता था जो मेरे काफ करीब होता। और मौका भी वही दे सकता
था। म सोचता था कौन था वह। ले कन अब म जान चुका ं। ये तुम थे, कै ल थनीज। और
कल, तु ह इसक सजा मलेगी। राज ोह क सजा सूली है। तुम यह अ छे से जानते हो।
अल वदा, दो त।’
वो अपनी अकड़ म चलते ए पीछे मुड़ा ले कन कै ल थनीज क बात ख म नह ई
थी। उसके हरी उसे घसीटते ए ले जा रहे थे ले कन कै ल थनीज के अं तम श द ने
सकंदर के पैर जकड़ लए थे।
‘तुम भगवान होने का दखावा कर सकते हो, सकंदर। तुम मान सकते हो क तुम
भगवान हो। ले कन तुम कभी भी भगवान नह होगे। तुम मक नया लौटने के पहले मर
जाओगे! तुम अपनी मातृभू म म अपने पैर दोबारा कभी नह रख पाओगे!’
51
वतमान

पांचवां दन
सकंदर का रह य

‘तुम मजाक कर रहे हो!’ राधा खुद को रोक नह सक । यह व सनीयता क सीमा के परे
था। ‘ सकंदर क लाश अले ज या से सैकड़ साल पहले गायब ई थी। हर कोई जानता
है।’
‘वा तव म चौथी शता द म,’ स सेना ने उसे सही कया। ‘ठ क—ठ क कहो तो 391
ई वी म। ऑडर ने अले ज या से उसक ममी चुराई और एक सरी जगह दफना द जहां
वो अप व होने से बची रहे।’
‘ले कन ऑडर ने तो उसके शरीर से पैथोलॉ जकल टे ट के ज रए वायरस और
बै ट रया नकालकर उसे वैसे ही अप व कर दया।’ राधा को लगा क ऑडर सफ एक
चीज क परवाह करता था। अपनी। कुछ भी प व नह था। कुछ भी सीमा से परे नह था।
उस ब डंग क तरह जहां वौ कैद थी। उसे अब समझ आया, जब उसने सभी त य का
मलान कया क यही दो रोगाणु थे जो उन परी ण म मले थे जनका ज इमरान ने
कया था। स सेना और उसक ट म इन अनजान रोगाणु का परी ण भोले—भाले
वयंसेवक पर कर रही थी। उ ह एक न त मौत क तरफ बढ़ा रही थी। एक धीमी मौत।
उसे अपने अंदर गु सा फूटता महसूस आ और उसने उसे रोकने क को शश क । उसे इस
चीज का भरोसा नह थी क उ ह ने उसे जो दवाएं द थ , उनका असर ख म आ है या
नह । इस व गु से म आने का फायदा नह होगा। वो खुद को ब त बुरी तरह नुकसान
प ंचा सकती है अगर उसे संभाला नह गया तो।
स सेना ने कंधे उचकाए। ‘दे खो, व ान क उ त के लए ऐसा करना पड़ा था,’ उसके
लहजे म वहा रकता थी। ‘जो भी हो, ये दो जीवाणु उस राज को दबाए ए ह जो हम
बीमा रय के खलाफ एक और कवच बनाने म मदद करेगा।’
‘मुझे अभी भी समझ नह आ रहा।’ राधा का अ व ास उसके लहजे और चेहरे के भाव
से साफ झलक रहा था। ‘तुम कहते हो क सकंदर इस महान रह य क खोज कर रहा था।
उसे यह मल भी गया था। फर भी, दो साल बाद वो मर गया। और ली नकल ायल के
सभी शकार म कुछ साल बाद वही ल ण दखाई दए जैसे सकंदर म थे। ये जीवाणु तो
सफ मौत लाते ह।’
‘यह तुम गलत हो!’ स सेना फुफकार उठा, उसक चढ़ साफ दख रही थी। ‘ये
जीवाणु जदगी दे ते ह! तुमने कं यूटर न पर जो दे खा वो सकंदर को सं मत करने वाले
असली जीवाणु नह थे। रे ोवायरस जीवाणुभोजी होता है। एक ऐसा वायरस जो बै ट रया
को सं मत करता है।’
उसने न क त वीर को बदल दया। ‘वायरस अपने आप बढ़ नह सकते। उ ह बढ़ने
के लए को शका पर क जा करने क ज रत होती है। यह वायरस के बढ़ने क या
है।’ उसने न पर दख रहे डाय ाम क तरफ इशारा कया। ‘एक वायरस खुद को कसी
शकार को शका पर चपका लेता है और फर उसक द वार को या तो को शका के खोल के
साथ यूजन के ज रए या खोल के पार जनन पदाथ को थानांत रत करके भेद दे ता है। एक
बार जब शकार को शका का भेदन हो जाता है, वायरस उस को शका क मशीनरी का
इ तेमाल कर खुद को बढ़ाता है और फं शनल और चरल वायरल ोट न बनाता है। नए
—नए तैयार ए वायरल यू लएक ए सड और चरल ोट न मलकर वायरस का
यू लयोकै सड बनाते ह। इसके बाद नए बने वायरस या वाय रयॉन को शका अपघटन
नामक या के ज रए बाहर आते ह। इस या म शकार को शका फट जाती है और
वाय रयॉन बाहर आ जाते ह और शकार को शका क मौत हो जाती है।’
न पर एक और त वीर आई। ‘हम जस वायरस पर काम कर रहे ह,’ स सेना ने
अपनी बात जारी रखी, ‘वो रे ोवायरस है। इसक आनुवां शक जानकारी डीएनए के बजाए
आरएनए म लखी होती है। रे ोवायरस म आरएनए पर नभर डीएनए पोलीमरेज भी होता
है, जो एक रवस ांस टे ज है, और जो शकार को शका के सं मण के बाद वायरल
जीनोम के डीएनए प को बनाने का काम करता है।’
वो क गया जब उसने राधा के चेहरे के भाव दे खे, जो बता रहे थे क उसे एक श द भी
समझ नह आ रहा। ‘ठ क है,’ उसने दोबारा को शश क । ‘तुम इतना तो समझती हो क हर
ाणी म उसक आनुवां शक जानकारी डीएनए म लखी होती है, जो दोहरी लड़ी वाले होते
ह? रे ोवायरस म आनुवां शक जानकारी आरएनए म लखी होती है जो एक लड़ी वाले होते
ह। आमतौर पर, कसी भी ाणी म को शका क तकृ त बनाते समय जब आनुवां शक
जानकारी क नकल बनानी होती है, डीएनए इस जानकारी का आरएनए म अनुलेखन कर
दे ता है, जो इसके बाद ोट न बनाने के लए ज री आनुवां शक जानकारी आगे प ंचाता है
और इसी ोट न का इ तेमाल डीएनए क तकृ त बनाने म होता है।’
स सेना ये दे खने के लए का क राधा को उसक बात समझ आ रही है या नह । राधा
ने सर हलाया और स सेना ने अपनी बात आगे बढ़ाई। ‘रे ोवायरस क तकृ त बनाते
व , हालां क, आरएनए को डीएनए म बदलना होता है इस लए यह या रवस
ांस शन या वपरीत अनुलेखन कहलाता है। और इस लए रवस ांस टे ज ोट न क
ज रत होती है इस या को शु करने के लए। एक बार जब शकार को शका
रे ोवायरस का समावेशन कर लेती है, इसका आरएनए बाहर नकल आता है और एक लड़ी
वाले डीएनए म रवस ांस ाइब हो जाता है। इसके बाद यह एक लड़ी वाला डीएनए फर
से रवस ांस ाइब होकर दोहरी लड़ी वाले ो—वायरल डीएनए म बदल जाता है। यह
ोवायरस शकार को शका के जीनोम म एक और एंजाइम— जसे इंटे ेज कहते ह——का
इ तेमाल करके घुस जाता है और फर इसका अनुलेखन आरएनए म हो जाता है। इसके
बाद सामा य या क तरह आरएनए नया वायरस बनाने के लए ोट न का नमाण
करता है, और फर वायरॉन जमा होकर शकार को शका से बाहर नकल जाते ह।’
राधा सोच म थी क स सेना इतने व तार से य समझा रहा है। ‘यानी एक रे ोवायरस
वा तव म शकार को शका के जीनोम का ह सा बन जाता है?’
‘ बलकुल। तभी जीवन भर रहने वाला सं मण शु होता है। रे ोवायरस म शकार
को शका क संरचना पर क जा करने और उसे बदल डालने क मता होती है। यहां तक
क वो शकार को शका के जम लाइन जीनोम म घुस सकते ह और एक जगह से सरी
जगह जा सकते ह। इसका मतलब यह है क वो ऐसे डीएनए ह, जो मनमज से जीनोम म
इधर—उधर कूद—फांद कर सकते ह, उनम बदलाव कर सकते ह और शकार को शका के
डीएनए म उ प रवतन यानी युटेशन ला सकते ह। वो जीनोम म ज स को स य या
न य बना सकते ह। वो वातावरण म कुछ चु नदा ट युलस पाकर अपने ही जीनोम म
तेजी से बदलाव कर सकते ह। इस लए एचआईवी वायरस इतना जानलेवा है। यह एक
रे ोवायरस है। और यह डीएनए को उ े जत कर सकता है जो तं त लोग म आमतौर पर
सु त रहता है।’
राधा का दमाग घूमने लगा था। वो उन सारी जानकारी का मतलब नकालने क
को शश कर रही थी जो उसे अभी—अभी मली थ । ‘म समझ गई। ले कन अगर एक
रे ोवायरस इतना जानलेवा है, तो यह बीमा रय के खलाफ कवच बनाने म कैसे मदद कर
सकता है?’
52
अमर व

‘यही तो द कत है,’ स सेना लंबी सांस लेते ए बोला। ‘वायरस बदनाम ह और सही भी
है। यादातर वायरस गंभीर और लाइलाज सं मण क वजह बनते ह। वायरस को मारना
बेहद, बेहद मु कल है य क वो छोटे मगर ताकतवर ाणी ह। यहां तक क जब उनका
शकार मर भी जाता है, वो सु त पड़े रहते ह, कसी सरे शकार को सं मत करने और
वायरल साइ कल को जारी रखने का मौका ढूं ढ़ते रहते ह। वायरस को हजार साल तक
अपनी ताकत गंवाए बगैर सु त रहने क मता के लए जाना जाता है। ले कन वायरस का
एक और प है जो ब त कम लोग को पता है। तु ह पता है माइ ोबायोम या होता है?’
राधा को याद आया क उसने इस बारे म कह पढ़ा है। ‘माइ ो को पक जीवाणु का
समुदाय जो लोग के अंदर होता है।’
‘ बलकुल सही। यह सहजी वता का उदाहरण है। म तापूण सहयोग। सबसे अ छे
उदाहरण ह हमारी आंत म रहने वाले बै ट रया। भोजन और आ य के बदले बै ट रया
पाचन या म मदद करते ह और हमारे उपापचय को नय मत बनाते ह। ले कन सहजीवी
वायरस के बारे म ब त कम लोग को पता है जो हा नकारक बै ट रया को नशाना बनाते
ह। और यह पर हमारा रे ोवायरस आता है। जैसा मने पहले समझाया, यह एक
बै ट रयोफेज है। मसाल के लए, इंसान के युकस मे ेन——गले और नाक म पाए
जाने वाले नरम ऊतक——म बड़े पैमाने पर बै ट रयोफेज होते ह। और यह हमारे लए
अ छा होता है य क बलगम म बै ट रया काफ तेजी से पनपते ह। तो ये वायरस उन
बै ट रया को अपना शकार बनाकर, जो बलगम से जुड़े सं मण पैदा कर सकते ह, हमारे
लए वा तव म एक कवच या रोग तरोधक तं बना दे ते ह।’
‘तो या तु ह सकंदर के शरीर म जो रे ोवायरस मले, वो बै ट रया पर काबू रखते
ह?’
‘उससे कह यादा। और यह पर ली नकल ायल काफ उपयोगी सा बत ए ह।
उनके बना हम वो खोज नह कर सकते थे जो हम कामयाबी दलाता। तुम जानती हो क
हम सकंदर क ममी म से वायरस और बै ट रया मले। ले कन हम उनका संबंध तब तक
समझ नह आया जब तक हमने उनका सं मण लोग म अलग—अलग कराकर नतीज पर
नगरानी नह रखी। एक नतीजे म हम पता चला क रे ोवायरस बै ट रया क अनुप थ त
म मानव शरीर को ही पोषक जीव क तरह मानकर खुद को उसके अनुकूल बना लेता है।
और एक बार जब ये ऐसा कर लेता है, यह आगे जाकर ऐसे ज स को स य करने लगता है
जो उ बढ़ने क या को धीमा करने वाले ोट न बनाते ह। मसाल के लए आईजीएफ
1, जो मांसपे शयां बनाने का काम जारी रखने के लए अहम ोट न है। इस ोट न क कमी
से मांसपे शयां कमजोर होने लगती ह और मांसपे शय क मर मत करने और फर से पैदा
होने क मता कमजोर पड़ जाती है। इसके अलावा एक और अहम ोट न है टे लोमरेज,
जो उ बढ़ने क या को धीमा करने के मु े पर काफ चचा म रहा है। इस बात के
मजबूत माण ह क टे लोमरेज क गैर—मौजूदगी हमारे बूढ़े होने और मरने क बड़ी वजह
म एक है। टे लोमरेज के साथ द कत यह है क इसक मौजूदगी से को शकाएं बना के
लगातार पैदा होती रहती ह——इसे हम कसर कहते ह। ले कन रे ोवायरस क मौजूदगी से
बीआरएएफ नाम का ोट न भी पैदा होता है, जो व थ को शका क वृ और वभाजन
के च को नयं त करता है——यानी एक तरह से कसर को रोक दे ता है। रे ोवायरस एक
और ोट न पी53 को भी स य कर दे ता है, जो सभी को शका म सु त अव था म रहता
है। पी53 उन ज स को बढ़ावा दे ता है जो नुकसानदे ह को शका को फैलने से रोकते ह।
यह तो आसानी से समझ म आ जाता है। शरीर म एक नए रे ोवायरस क मौजूदगी
इंटरफेरॉन नाम के एक ोट न का उ पादन बढ़ाने का काम करती है, और यह ोट न
को शका म पी53 ोट न क मा ा बढ़ा दे ता है।’ स सेना का और राधा क तरफ
दे खा। ‘म इस मसले पर लगातार बोल सकता ं। कई नए ज स ह ज ह यह स य कर दे ता
है, कई अनजान ोट न ह जो हमारे रसच के मुता बक मानव शरीर को ताकत, पुनरो प
और मर मत से जुड़े बड़े फायदे प ंचाते ह।’
‘यह तो अ त है,’ राधा ने वीकार कया। यह तो च क सा व ान म बड़ा आ व कार
हो सकता है। ‘तुमने यह भी कहा था क वायरस बै ट रया को सं मत कर दे ते ह। तो या
ये उ ह मार दे ता है? या इसी वायरस कवच क बात तुम कर रहे थे?’
स सेना ने अपना सर हलाया। ‘यह उससे कह बड़ा है। जब हमने लोग को सफ
बै ट रया से सं मत कराया, हम दो चीज पता चल । पहली क बै ट रया इंसान के लए
जानलेवा ह। ले कन तुरंत नह । एक बार अंदर जाने के बाद वो एक बायो फ म बनाते ह
जसम को शकाएं बड़ी तादाद म मै स पदाथ से घरी होती ह। इससे बै ट रया को शरीर
क ाकृ तक रोग तरोधी मता से सुर ा मलती है। इस व को शका क रोग तरोधी
कारवाई क वजह से बै ट रया भी सु त हो जाते ह, जो सं मत तो होती है ले कन उसे र
नह कर पाती। इस लए कुछ समय तक कसी तरह के रोग संबंधी ल ण नह दखते।
हमारा संदेह है क जब रे ोवायरस बै ट रया को सं मत करता है, यह बै ट रया के
जीनोम म बदलाव ले आता है जससे वो ोट न बनने क जाते ह जो इंसान क जान ले
सकते ह। हो सकता है क बै ट रया को इस लायक भी बना दे ता है क वो इंसान के लए
फायदे मंद ोट न बनाने लगे। हम प के तौर पर नह जानते। उसके लए हम असली वायरस
चा हए।’
‘ले कन तुमने कहा था क तु ह सकंदर क ममी से वायरस और बै ट रया अलग—
अलग मले थे,’ राधा ने इस बात क तरफ इशारा कया। ‘ या वो असली वायरस नह है?’
‘नह । मने कहा था क ली नकल ायल के नतीजे म हमने दो चीज खोजी थ । मने
अभी तु ह सफ पहली खोज के बारे म बताया है। सरी चीज हम पता चली क बै ट रया
के जीनोम म ोफेज के प म वायरस पहले से मौजूद थे। कसी व रे ोवायरस ने
बै ट रया को सं मत तो कर दया ले कन उस तरह से तकृ त बनाने म कामयाब नह हो
पाया जैसा मने पहले बताया था। शायद यह कसी वजह से ख म हो गया, और बै ट रया
के जीनोम म सफ एक आनुवां शक पदाथ क तरह बच सका। और यह पर चीज दलच प
हो जाती ह। हम अभी भी नह मालूम क या——ले कन कसी चीज ने बै ट रया के
सं मण के बाद ोफेज इंड शन को े रत कया। फर रे ोवायरस मानव को शका म
लाइसोजो नक च के ज रए तकृ त बनाता है।’
स सेना को महसूस आ क उसक बातचीत म काफ यादा मे डकल श द का
इ तेमाल हो रहा है और उसने अपने हाथ ऊपर करते ए कहा। ‘इसका मतलब यह है क
रे ोवायरस का गु त प—— ोफेज——बै ट रयल ोमोसोम से नकलता है। यह
ोफेज इंड शन कहलाता है। एक बार यह होने के बाद वायरस सामा य तरीके से मानव
को शका को अ धगृहीत कर अपनी तकृ त बनाता है। यह तभी होता है जब रे ोवायरस
का सं मण होता है। ले कन, जैसा मने पहले समझाया, यह पोषक के लए अ छा है
य क रे ोवायरस फायदे मंद है।’
स सेना ने अपनी बांह मोड़ और राधा क और वजय भरी से दे खा।
‘तो तुमने दे खा यह वायरस कतना श शाली है? और कस तरह के फायदे इससे
मानव जा त को हो सकते ह? और सोचो——ऑडर इस पर नयं ण रखेगा। उ को बढ़ने
से रोकने क ताकत। कसी भी बीमारी से लड़ने क ताकत। एंट बायो ट स को भूल जाओ!
हमारे पास अमर व क ताकत होगी! नया इसे हा सल करने के लए हमारे कदम म
होगी। इस लए इसम कोई आ य नह है क उ ह ने इसे ई र का रह य कहा है!’
राधा क भ ह तन ग । कुछ कमी अभी भी है। ‘अगर वायरस इतना ही महान है, तो
सकंदर इसे लेने के बाद मर कैसे गया? इसने बै ट रया के जीनोम को बदला य नह ?’
‘ य क जब उसने इसे लया कुछ तो गलत आ था। हम असली वायरस नह मला।
सफ ोफेज मला। मुझे नह मालूम क या गलत आ था। ले कन असली वायरस के
बना बै ट रया म कोई बदलाव नह आया। वो तब तक सु त बने रहे जब तक कसी वजह
से उनक रोगजनक ताकत फर से लौट नह आई। और जब ऐसा आ, सकंदर को कोई
मौका नह मला। हमने इसे अपने मरीज म दे खा है। बार—बार दे खा है। एक बार जब
बै ट रया स य हो जाते ह, तो मरीज कुछ ही दन म मर जाता है। कभी—कभी वो
एकाध महीने तक जदा रह जाता है। और इस लए हम असली वायरस और असली
बै ट रया क ज रत है। हम उस जगह को ढूं ढ़ने क ज रत है, जहां से सकंदर को वो
मले थे। एक बार जब हम वो मल जाएंग,े हम पता लगा पाएंगे क रे ोवायरस कैसे काम
करता है।’
‘तो ओ ल पयास क क खोदने के पीछे यही वजह थी क तु ह यूब चा हए था जो
असली जीवाणु के ोत तक तु ह ले जाता।’ राधा अब सारी क ड़य को जोड़ पा रही
थी।
‘ बलकुल सही। एक बार जब हम वो मल जाएगा, हमारे हाथ म वो रह य होगा।’
‘तो तुम इतने भरोसे के साथ कैसे कह सकते हो क सकंदर ने भूल क थी? हो सकता
है न क हो। हो सकता है क ये जीवाणु घातक ही ह । मौत और पीड़ा दे ने वाले।’
स सेना ने य रयां चढ़ा । ‘दो वजह ह। एक, हमारे ली नकल ायल। उनसे वही
सा बत होता है जो मने तु ह अभी बताया। और सरी वजह काफ पुरानी है, और कह
यादा भरोसेमंद।’ वो का। ‘ य क वो माण महाभारत म है।’
राधा को झटका सा लगा। उसे इस जवाब क कोई उ मीद नह थी। स सेना उसक
त या दे खकर खुशी से मु कुराया। ‘हां, तुमने मथक सुना तो होगा। ले कन तुम जानती
नह हो क इसका वा त वक अथ या है।’
वो फर कुछ पल के लए का और फर उसे समझाता चला गया। जब उसने अपनी
बात ख म क , राधा प थर क तरह शांत बैठ रही। उसने अभी—अभी जो सुना था, वो
नया को सर के बल खड़ा कर दे गा।
और अगर वो सही था, नया इस ऑडर क गुलाम बन जाएगी।
53
सकंदर क राह पर

ए लस, को लन और शु ला ने एक सरे को नराशा भरी नजर से दे खा। दन का यादातर


ह सा बीत चुका था और उ ह कोई सफलता नह मली थी। उ ह ने सभी द तावेज क
छानबीन कर ली थी, न शे और त वीर का अ ययन कर लया था और यूब के बाक चार
छं द पर चचा भी कर ली थी, साथ ही यूमेनीज क डायरी म लखे एक अ त र छं द पर भी।
ले कन कोई फायदा नह आ था। वो अभी तक एक छं द का ही मतलब नकाल पाए थे,
वही जसम कल कामयाबी मली थी।
आज ही थोड़ी दे र पहले वजय ने उ ह कले के लडलाइन पर फोन कया था। उसने
उ ह बताया था क कूपर ने उसे सैटेलाइट फोन दया है जसक मदद से वो उन लोग के
साथ कुनार घाट के पहाड़ से भी संपक कर सकेगा, जहां मोबाइल फोन के स नल काम
नह करते। बातचीत काफ छोट थी और वो ब त यादा नह बता पाया था हालां क
उसक आवाज से रोमांच झलक रहा था। और उसने उ ह बताया था क ‘ई र का रह य’
अमृत था——अमर व का रह य—— जसका वणन महाभारत के एक मथक म मलता
है। ले कन वो इस बारे म कुछ समझा नह पाया था य क उसे फोन करने के लए सी मत
समय मला था। अंत म वो बस इतना बता पाया था क उसके पास काफ कम समय है। उन
लोग को कुछ और जवाब ज द ढूं ढ़ने पड़गे।
उ ह ने उ मीद क थी क उनके पास अब तक वजय के लए कोई खबर तैयार होगी।
उसके संभा वत आतंकवा दय और प के ह यार से घरे होने क सोचकर ही वो लोग कांप
जाते थे। और राधा समेत उनक जदगी, उसी वादे पर नभर थी जो वजय ने कया था, यह
सोच उ ह लगातार डरा रही थी।
‘एक बार फर को शश करते ह,’ ए लस ने शु ला पर दबाव डाला। शु ला भी अपनी
बेट के बारे म सोचकर च तत थे। अभी भी उसक कोई खोज—खबर नह मली थी।
ए लस ने कागज को एक बार फर उलट—पलटकर दे खा और उसके माथे पर बल पड़
गए। एक न शे पर कुछ ऐसा था जो उसे शु से परेशान कर रहा था। ले कन वो अभी तक
उसक पहचान कर पाने म नाकाम थी। या था यह?
उसने न शे को अपनी तरफ ख चा और एक बार फर से यान से दे खा। इस न शे म
अफगा न तान से होते ए सकंदर का माग दखाया गया था। वो लोग इस न शे को कई
बार दे ख चुके थे। छं द म इसी माग पर जगह का वणन था। ले कन वो लोग अभी तक छं द
और उन जगह के बीच कोई संबंध नकाल पाने म नाकाम रहे थे, जहां सकंदर भारत आने
के दौरान गया था।
को लन ने गौर कया क ए लस न शे को यान से दे ख रही है। ‘वहां कुछ दख रहा है
या?’ उसने पूछा।
ए लस ने अपने ह ठ सकोड़े। ‘मुझे कुछ परेशान कर रहा है, ले कन पता नह या।
कुछ ऐसा है जो जाना—पहचाना सा है।’ उसने अपना सर हलाया।
को लन ने न शे को थोड़ा व थत कया ता क वो भी उसे अ छे से दे ख सके।
‘ सकंदर का माग,’ उसने कहा। ‘ दलच प है यह। वो अफगा न तान आया और उ र के
पहले द णी दशा म गया कांधार, गजनी और काबुल होते ए। इसके बाद वो ह कुश
पहाड़ के पार उ री दशा म गया, सॉ डयन पवत का च कर लगाया और जलालाबाद और
कुनार घाट क तरफ मुड़ने के पहले बा ख लौट गया। दे खने म यह योजना बनाकर लया
आ रा ता लगता है। म यह नह मान सकता क ऐसा रा ता अनजाने म लया गया होगा।’
ए लस ने न शे पर नजर गड़ा द जैसे उसे अपनी आंख पर भरोसा नह हो रहा हो।
को लन ने अभी—अभी कुछ ऐसा कहा, जसने उसके दमाग क ब ी जला द थी। उसे
न शे म वो चीज अब दखी। इस पूरे दौरान वो चीज उसे मानो घूर रही थी। और वह उसका
पता लगा पाने म नाकाम हो रही थी।
‘ मल गया!’ उसने अपनी उंग लयां चटका और को लन ने उसे उ सुक नगाह से
दे खा।
‘ या मल गया?’ उसने पूछा।
‘ वजय सही कह रहा था,’ ए लस ने जवाब दया। ‘मुझे ये पहले ही दे ख लेना चा हए
था। राज कुनार घाट म ही है। यही उनक मं जल है।’
शु ला असमंजस म थे। ‘तुम इस न कष पर कैसे प ंची, ए लस?’
‘यहां दे खो।’ ए लस ने न शे पर सॉ डयन पवत को दखाने वाली जगह पर उंगली
रखी। ‘यह म दे खो। सॉ डयन पवत जलालाबाद के पहले आता है। हम मेटल लेट क
ज रत ही नह पड़ती। यह मुम कन है क यूमेनीज क डायरी म छं द को भौगो लक म म
लखा गया हो और सकंदर ने अपना माग इसी म म लया हो। अगर हम उन जगह क
पहचान कर ल जो शु आती दो छं द म बताए गए ह, तो हम इस बात को सा बत कर सकते
ह क मेरा तक सही है या नह ।’
वो लोग एक बार फर न शे पर झुक गए।
थोड़ी दे र बाद, शु ला ने ऊपर दे खा। ‘मुझे लगता है क मेरा यान भटक गया था,’
उ ह ने संकोच करते ए कहा। ‘मुझे यह पहले ही दे ख लेना चा हए था। वजय ने, आज
सुबह फोन पर, हम एक सुराग दया था। और इसके बाद भी म समझ नह सका। ले कन
जब ए लस ने डायरी म छं द के म का संबंध सकंदर के माग से होने क बात क , तो इसने
मेरा यान ख च लया।’ वो ए लस क ओर दे खते ए बोले। ‘मुझे लगता है क तुम सही
हो।’
उ ह ने न शे म एक नद क तरफ इशारा कया। ‘यह अमू नद है। और मुझे लगता है
क सरा छं द इसी नद क तरफ इशारा कर रहा है। इस छं द म एक सं कृत श द “च ”ु
इ तेमाल कया गया है जसका मतलब होता है “आंख”। और म हमेशा से इसका अनुवाद
ऐसे ही करता रहा ।ं ले कन महाभारत म अमु को च ु कहकर संबो धत कया गया है। और
अमु क तरफ इशारा करने वाला छं द सॉ डयन पवत वाले छं द के पहले आता है। अगर
ई र का रह य महाभारत म व णत अमृत है, तो इस बात क काफ संभावना है क सुराग
का संबंध भी महाभारत से हो। इससे शु के संदभ क भी ा या हो जाती है जसका
वणन महाभारत म भी है।’
ए लस ने न शे को एक बार फर गौर से दे खा। ‘मुझे लगता है आप सही ह, डॉ टर
शु ला,’ उसने कहा। ‘इसका मतलब नकल रहा है। छं द एक नदश है अमु नद को पार
करने के लए। सफ एक नद ही “तेजी से बहती ई” हो सकती है।’
‘और, पहला छं द भी है——जो यूब पर नह है, ले कन डायरी म जसका वणन है,’
शु ला ने अपनी बात जारी रखी। ‘अब जब हम जानते ह क रह य का संबंध महाभारत से
है, इस छं द का मतलब समझ म आ रहा है। जस श शाली राजा का वंश मार गराया
गया, वो कौरव का था। इस छं द म श शाली राजा से ता पय धृतरा से है। कौरव उसके
बेटे थे। वो सभी मारे गए थे। अं तम दो पं य म उस “छल” के बारे म सुराग दया गया है
जो कौरव क बबाद का कारण बनाः “पासा फको”। इसका अथ शकु न के पासा फकने से
है। वो कौरव का मामा था और धृतरा क प नी, गांधारी का भाई। धृतरा सौ कौरव
भाइय का पता था। गांधारी गांधार क राजकुमारी थी। और शकु न गांधार का राजकुमार।
महाभारत के एक सं करण के मुता बक——मेरा याल है क यह आं दे श से है——
शकु न के पता सुबल को उसके पूरे प रवार के साथ भी म ने बंद बना लया था। शकु न ने
उ ह मरते ए दे खा था य क उन सभी ने अपना खाना इस लए छोड़ दया था ता क वो
जदा रहे और उनका तशोध ले। उस कथा के मुता बक, सुबल ने शकु न को कहा था क
वो उसक ह य से पासा बनाए और उ ह पास का इ तेमाल महाभारत म आ था। यही
था “छल, मृ यु, तशोध क शपथ से ज मा।” पासा, सुबल क मृ यु और शकु न क
तशोध क शपथ के बाद बनाया गया था। गांधार कांधार का ही ाचीन नाम है।’
वो लोग न शे को चुपचाप दे ख रहे थे। सकंदर ने जो माग लया था अब वो उन छं द
का पूरा मतलब बता रहा था, जस पर उ ह ने चचा क थी। कांधार से काबुल, काबुल से
बा ख। बा ख से अमु नद के पार सॉ डयन पवत का े और जलालाबाद जाने के पहले
फर से काबुल।
‘हम अभी भी नह जानते “लवण वहीन समु ” का या मतलब है,’ को लन सोच रहा
था। ‘छदं के मुता बक कुछ मह वपूण चीज होगी वहां पर। “अ भयान का सार”।’
‘यह कुछ ऐसी चीज है जो अमु नद के उ र या प म म है,’ शु ला ने सोचते ए
जवाब दया। ‘ले कन अभी इसका मतलब समझ नह आ रहा। “तीन भाई” कौन ह? और
तीर का सरा या है? और “सप क मुहर” भी है।’
‘ सकंदर के पास तो बने-बनाए न शे का फायदा था,’ को लन झुंझला गया था। ‘और
हम यहां मु कल पहे लय का मतलब नकालने क को शश कर रहे ह।’
‘खास बात यह है क हमने यह स कर दया है क इस सफर का अं तम पड़ाव कुनार
घाट थी,’ शु ला ने न कष नकालते ए कहा। ‘इसका मतलब यह भी है क अं तम दो
छं द म जो जगह बताई गई ह वो घाट म ही ह। आ खरकार, हमारे पास वजय के लए कुछ
तो है।’ उसक आवाज म उ मीद क झलक थी।
जैसे संकेत मला हो, मेज पर रखा फोन बज उठा। को लन दौड़कर वहां तक गया और
फोन उठाया। वजय का फोन था। को लन ने उसे उनके व ेषण क जानकारी द ।
‘बात म तो दम लग रहा है,’ वजय भी उनसे सहमत दखा। ‘को लन, मेरी तरफ से
सबको शु या कहना। मुझे अब जाना है। वो लोग यहां से नकलने के लए इंतजार कर रहे
ह। अब हमारे पास आगे बढ़ने के लए काफ कुछ है।’
54
जलालाबाद, अफगा न तान

वान लुएक ने वजय क ओर सवा लया नजर से दे खा जैसे ही उसने फोन काटा। वो दोन
ही फोन कॉल के दौरान वहां मौजूद था, जब वजय ने घर पर फोन कया था, और उसे बात
करते दे ख रहा था। वजय और कुछ तो नह कर सकता था ले कन बाक ट म के साथ
बातचीत करके पहेली सुलझाने म मदद ज र कर सकता था।
‘कुनार घाट ही अं तम पड़ाव है।’ वजय ने वान लुएक को को लन के साथ अपनी
बातचीत सं ेप म बता द । ‘दोन छं द, जनम से एक म दन और रात और दं ड का ज है
और सरे म सांप क डरावनी नजर का, कुनार घाट के ठकान क तरफ ही इशारा कर रहे
ह।’
वान लुएक ने कूपर क तरफ दे खा जो पास ही खड़ा था। ‘हमारा गाइड या कह रहा
है?’
‘वो समझ नह पा रहा है क पवत म शव के दं ड का या अथ है,’ कूपर ने शांत वर
म जवाब दया। ‘ले कन वो यह भी कह रहा है क वो घाट का थानीय नवासी नह है। वो
जलालाबाद से है। हम घाट म बसे गांव म पूछताछ करनी पड़ेगी। यहां से असदाबाद
प ंचने म 90 मनट लगगे। सड़क अ छ हालत म है। कुछ साल पहले ही यह बनी थी और
अमे रक मदद से बने उस ोजे ट का ह सा थी जसम काबुल को पा क तान क सीमा
से जोड़ना था। मेरा मानना है क हम जाकर दे खना चा हए।’
‘मुझे नह लगता क हम असदाबाद जाने क ज रत है,’ वान लुएक कुछ सोचते ए
बोला। ‘कोई ना कोई रा ता होगा जो मु य सड़क से हटकर पहाड़ म जाता होगा। सकंदर
ने उस ठकाने को और कैसे ढूं ढ़ा होगा?’
वजय चुप था ले कन उसक बात से सहमत था। गु त डायरी के मुता बक, यूमेनीज
और सकंदर उस ठकाने पर घु प अंधेरे म गए थे, उनक मदद के लए सफ मशाल क
रोशनी थी। वो लोग ठकाने पर तभी प ंच सके ह गे, जब घाट के चार तरफ फैले पहाड़ म
जाने के लए कोई ऐसा रा ता था, जस पर पैदल चला जा सके और वो भी बना कसी
क ठनाई या पहाड़ क चढ़ाई के सामान के।
ले कन उसने कुछ कहा नह । वो उ ह गु त डायरी के बारे म नह बताना चाहता था। वो
चुपचाप दे खता रहा क वान लुएक ने नकलने क मंजूरी दे द और कूपर या ा क तैयारी
के लए अपने आद मय को जुटाने के लए चला गया।

गायब है एक कड़ी

को लन ने हाथीदांत के यूब पर लखे छं द के टआउट पर नजर डाली। इसके यादातर


राज सामने आ चुके थे। ले कन सकंदर के लए ए माग का एक ठकाना बताने वाला एक
छं द अभी भी ऐसा था जसका मतलब नकालना बचा था। वो छं द जसम तीन भाइय और
सांप क मुहर का ज है।
‘म संतु नह ,ं ’ उसने कहा। ‘अगर यूब के सभी छं द बराबर मह व रखते ह, तो हम
इसे नजरअंदाज नह कर सकते। इस लापता जानकारी के बना पहेली पूरी नह हो सकती।
इससे कोई फक नह पड़ता क वो कुनार घाट म या ढूं ढ़ते ह, ले कन उ ह वो नह मलेगा
जसक उ ह तलाश है। और यह “अ भयान का सार” है। अगर रह य कुनार घाट म है, तो
सार या है? यह तो सबसे अहम ह सा होना चा हए ना?’
ए लस क भ ह पर शकन दखने लगी जब वो छं द पर माथाप ची कर रही थी। ‘यह
तो सच म उलझाने वाला है। हमने अमु नद वाला ह सा तो समझ लया है। ले कन इस छं द
म और कुछ समझ नह आ रहा है।’
शु ला चुपचाप बैठे थे, उनका चेहरा भावहीन था। वो लोग उनके दमाग म मच रहे
बवंडर का सफ अंदाजा ही लगा सकते थे।
‘इसे सुलझाने का एक ही तरीका है,’ को लन ने अंत म कहा।
‘म वही करने जा रहा ं जो इस तरह के हालात म आमतौर पर वजय करता है।
इंटरनेट पर खोजते रहना जब तक समय का अंत ना हो जाए। कुछ ना कुछ तो मलेगा ही।’

कुनार घाट , अफगा न तान

वजय, जो सबसे आगे क लड रोवर म बैठा था, ने अपने पीछे आ रहे लड रोवर के बेड़े को
दे खा। कुल मलाकर छह एसयूवी थ , जनम सर से पैर तक ह थयारबंद आदमी भरे थे।
उसने गौर कया था क उनके गाइड को छोड़कर जो थानीय अफगान था, सभी आदमी
गोरे थे। उसने अंदाजा लगाया क ये सब यूरोप और अमे रका से आए भाड़े के सै नक ह गे।
या ऑडर क नजी सेना के अंग ह गे। जो भी हो, ऑडर के पास मौजूद बा बल डराने वाला
था।
यह सड़क उस जैसी नह थी जैसी काबुल से जलालाबाद वाली थी। गड् ढ़े और तीखी
ढाल गायब थ । अभी तक, सड़क कुनार नद के रा ते के साथ चल रही थी, जो इसके साथ
ही एक सपाट घाट म बह रही थी और इसके दोन तरफ मैदान थे। घाट कई जगह पर
संकरी हो जाती थी, अभी तक ये ठ क—ठाक चौड़ी थी। उनके दा हनी तरफ सड़क क
सीमा कुनार नद तक जाकर ख म होती थी जो घाट म बह रही थी। र द ण म, वजय
सफेद कोह पवत दे ख पा रहा था, जो पा क तान के नॉथ वे ट ं टयर ो वस क सीमा पर
था।
उनक बा तरफ ह कुश पवत थे, अफगा न तान क रीढ़ क ह ी, जो ऊंचे और
डराने वाले अंदाज म खड़े दखते थे। इ ह पवत म कह ई र का रह य छपा है।
वजय को सकंदर पर कया आ अपना शोध याद आया। फारस सा ा य का
बादशाह, डै रयस को सकंदर से हारने के बाद उसी के एक सामंत बेसस ने मार डाला था
और उसे अपमान म मरने के लए छोड़ दया था। बेसस ने इसके बाद अपना नाम
अटाजेरजेस पंचम रख लया था और ह कुश पवत के पार बै या भाग आया था, यह
सोचकर क सकंदर वहां उसका पीछा नह करेगा। ले कन सकंदर ने ह कुश को खावक
दर के रा ते पार कया, सफर के दौरान खतर क परवाह कए बगैर। उसक सेना को इस
सफर म खाने—पीने क चीज क कमी पड़ गई थी। उ ह अपने जानवर को मारकर उनका
क चा मांस खाने को मजबूर होना पड़ा था। ले कन सकंदर ने आ खरकार बेसस को पकड़
लया था, जसे ता ड़त कया गया और मार डाला गया।
इसके बाद सकंदर सॉ डयन पवत क तरफ चला गया था। और वह कह ,
कै ल थनीज सेना को छोड़कर अपने गु त मशन पर सॉ डयन पवत के इलाके म और एक
सरे ठकाने पर, जसका ज एक छं द म कया गया था और उसका पता लगाना अभी
बाक है, नकल गया था। उसने वहां या हा सल कया था जो वह सकंदर के लए लेकर
आया था? या उ ह कुनार घाट म सभी जवाब मलगे?
55
एक कैद के वचार

राधा अपनी कोठरी म फश पर घुटन को बांह से घेरकर बैठ थी। स सेना ने उसे जो बात
दन क शु आत म बताई थ , उ ह ने उसे त ध कर दया था। और उसके अलावा यह बात
कोई नह जानता था। उसे पूरा भरोसा था क ऑडर को उसका मशन पूरा करने और ल य
हा सल करने से कुछ नह रोक सकता था।
उसके लए सबसे खद बात यह थी क वो इस बारे म कुछ नह कर सकती थी। यह
बात उसे खाए जा रही थी। वो यहां से बाहर नकलना चाहती थी और नया को बताना
चाहती थी क सच म हो या रहा है, ली नकल ायल य कए जा रहे ह? ले कन वो यह
भी जानती थी क स सेना ने उसके सामने ऑडर क योजना का खुलासा इसी वजह से
कया था क उसके यहां से नकल पाने क कोई उ मीद नह है। वो एक ऐसी कोठरी म बंद
थी जसे अंदर से नह खोला जा सकता था। चौबीस घंटे उसक कोठरी क सीसीट वी
कैमरे से नगरानी होती थी जो बाहर ग लयारे म लगे थे। कसी भी तरह क असामा य
ग त व ध का तुरंत पता लग जाता था। नय मत अंतराल पर एक पहरेदार उसक नगरानी
के लए वहां आता था। और, अगर वो कसी भी तरह पहरेदार को अपने क जे म लेकर
कोठरी से बाहर नकलने म कामयाब भी हो जाती है, तो उसने बाहर पूरी ब डंग दे खी ही
थी। यह जमीन के नीचे बनी थी और उसने बाहर नकलने का कोई दरवाजा नह दे खा था।
उसे इस कड़वी सचाई से मुकाबला करना था। यहां से बच नकलने का कोई रा ता नह
है। यहां से उसके बाहर नकलने के लए इकलौता तरीका था क कोई इस जगह को ढूं ढ़
नकाले और उसे बचा ले।
ले कन ऐसा होने क संभावना ब त कम थी य क कोई जानता ही नह था क वो
कहां है।

दशासूचक क तलाश

जलालाबाद से उनके नकलने के बाद से ही चढ़ाई धीरे—धीरे बढ़ती जा रही थी। घाट अब
काफ संकरी हो चुक थी। दोन तरफ के मैदान गायब हो चुके थे और अब सड़क ह कुश
क तलहट से गुजर रही थी, उसक दा हनी तरफ नद अभी भी साथ बह रही थी।
उन लोग ने रा ते म गुजरते व कई गांव म पूछताछ क थी ले कन उस दशासूचक के
बारे म कोई सुराग नह मल पाया था जो उ ह वां छत ठकाने पर ले जाने वाला था।
अब वो लोग खतरनाक इलाके म वेश कर रहे थे। बीच—बीच म उनके कान म रॉकेट
दागने के धमाके सुनाई पड़ रहे थे। यह घाट अफगा न तान म हो रहे यु का स य मैदान
थी। सकंदर के दो हजार साल बाद भी यहां खून—खराबा का नह था। कूपर ने वान
लुएक को भरोसा दलाया था क ता लबान क थानीय इकाई को उनके घाट म होने क
बात बता द गई है।
‘वो हमारे रा ते म आज मसाइल नह दागगे,’ उसने वान लुएक को बताया था। अब
तक तो यह वादा सच सा बत होता दख रहा था। वजय उ मीद कर रहा था क यह वादा
तब तक ऐसा ही रहे, जब तक वो लोग जलालाबाद ना लौट जाएं।
आगे एक और गांव दखने लगा था जसम म क झोप ड़यां बनी थ । का फला का
और थानीय गाइड उतरकर अपनी पूछताछ करने लगा।
इस बार, लग रहा था क उसे कुछ पता चल गया है। वो लोग उसके चेहरे पर चौड़ी
मु कान और पहाड़ क तरफ उसके इशारे दे ख सकते थे।
वो तेजी से लंब— े लंबे कदम से पहली एसयूवी क तरफ आया जसम वान लुएक
कूपर और वजय के साथ बैठा था। कूपर बाहर नकला और उसके साथ कुछ बातचीत
करने के बाद वान लुएक क तरफ मुड़ा। ‘गांव वाल के मुता बक, यहां से करीब एक
कलोमीटर र एक पगडंडी है जो पहाड़ म जाती है। दो घंटे क चढ़ाई के बाद हम च ान के
बने ए कुछ ढांचे और अ भलेख के बीच ह गे जो ाचीन काल के लगते ह। हमारा गाइड
कह रहा है क हम अपना दशासूचक वह ढूं ढ़ना चा हए।’
वान लुएक ने एक ती ण गाइड पर डाली। ‘हम कैसे मान ल क वो हम कुछ
बढ़ा-चढ़ाकर नह बता रहा है? जब हम वहां प ंचे तो हो सकता है क सफ च ान पर बन
कुछ आकृ तयां मल जो चालीस हजार साल पहले गुफा म रहने वाले लोग ने बनाई ह ।’
कूपर मु कुराया। ‘मने उससे इस बारे म भी बात क है। वो हमारे साथ आ रहा है। और
अगर हम वो चीज नह मली जो हम ढूं ढ़ रहे ह तो वो नतीज के बारे म भी जानता है।’
‘ठ क है, फर तो। चलो।’
का फला फर से चल पड़ा।

भागने क योजना

राधा के दमाग म एक वचार जम गया था। यह वचार इस सचाई को समझने के बाद आया
था क बाहर से कोई जब तक इस ब डंग क सुर ा व था को भेदकर अंदर नह आता,
उसे कोई नह ढूं ढ़ सकता। और यह असंभव नह था, बशत कसी को पता हो क ढूं ढ़ना
कहां है।
अगर वो यहां से बाहर कसी तरह से अपना मेसेज भेजने का तरीका ढूं ढ़ ले तो? अनवर
ने इमरान को मेसेज ऐसे ही भेजा था। अनवर क क मत क खद याद इस वचार के साथ
ही आई और उसे उबकाई आने लगी। तुरंत ही उसने इसे अपने दमाग से हटा दया।
वो जानती थी क कसी भी तरह उसक मौत तो तय है। वो लोग उसे सफ मोल—तोल
के लए इ तेमाल कर रहे थे ता क वजय उनक मदद करे। एक बार उनका मकसद पूरा हो
जाएगा, उसे मार दया जाएगा। या इससे भी बुरा, उनके डरावने योग म गुलाम क तरह
इ तेमाल कया जाएगा। उसे मैन के ोजे ट के बारे म स सेना क ट पणी याद आई।
वो लोग या कर रहे थे जसम आनुवां शक क ज रत है?
अभी यह मायने नह रखता था। अहम यह था क वो कसी तरह आईट से शन म
प ंचे और दे खे क या वो कोई मेसेज भेज सकती है।
राधा ने ठान लया क वो को शश तो करेगी ही। वो नाकामी के नतीजे भी जानती थी।
ले कन वो इस तरह सफ बैठकर यह दे ख नह सकती क स सेना और उसक ट म अपने
मशन पर इस तरह काम करे जैसे उनक गलती पकड़ी ही ना जाएगी।

आशा क करण

को लन लैपटॉप लेकर बैठा और अपनी थक आंख को मला। बाहर अंधेरा छाने लगा था
और वो पछले कई घंट से काम कर रहा था। वो खड़ा आ और खड़क के पास गया, वहां
से पहाड़ी के तल म बसे छोटे से गांव क लाइट दख रही थ ।
वो छं द के एक ह से का मतलब नकाल पाया था। या ये कह क वो ऐसा सोच रहा था।
ले कन उससे कसी तरह क कोई मदद मल नह रही थी। लंबे समय तक सोच— वचार
करने, बाक लोग के साथ चचा करने और इंटरनेट पर रसच के बाद, उसने यह न कष
नकाला था क “लवणर हत समु ” अरल सागर को कहा गया है, एक झील जो अमू नद
से नकलती है, जसे अमू द रया भी कहा जाता है।
भले ही अरल सागर अब उस चीज क फ क परछाई भर हो, जो वो 60 साल पहले थी,
लग रहा था क यही सबसे उपयु दावेदार है। पहली वजह तो यह क ये अमू नद के सबसे
करीब थी। सरी वजह यह क अरल सागर तक प ंचने के लए अमू नद को पार करने क
ज रत पड़ती, अगर कोई बा ख से आ रहा हो। तीसरी वजह, अरल सागर मूल प से
ताजे पानी का सागर था। पछले कई दशक के दौरान इसका पानी नमक न हो गया था,
य क इसम जन न दय का पानी गरता था, उनके रा ते मोड़ दए गए थे, और सागर खुद
भी पहले के मुकाबले काफ सकुड़ चुका था। इस वजह से पानी म वषैले पदाथ और
लवण क मा ा यादा हो गई थी।
ले कन जहां अरल सागर छं द म व णत सागर होने के लए तीन शत को पूरा करता था,
उसके आगे छं द म उसे कुछ भी समझ नह आ रहा था। अमू नद या अरल सागर से जुड़े
तीन भाइय क खोज से अब तक कुछ नह नकला था। उसे “आंख” के उस अनुवाद पर
संदेह होने लगा था जो शु ला ने कया था। मान लो क वा तव म यह एक आंख ही हो और
नद क तरफ इशारा ना हो तो? ले कन यह तो एक नई पहेली क तरफ ले जाएगाः “तेजी
से बहती आंख” का या मतलब है?
को लन ने ठं डी सांस भरी। यह उतना आसान नह था जतना उसने सोचा था। वो सोच
रहा था क वजय या कर रहा होगा। उसक तरफ से कोई खबर नह थी।
वो फर से लैपटॉप पर बैठ गया। समय तेजी से बीत रहा था।
उसके लए। और वजय और राधा के लए भी।
56
पहाड़ म

वान लुएक एक शलाखंड पर बैठा था और अपनी ट म को चार तरफ दशासूचक क


तलाश करते ए दे ख रहा था। दन ढलना शु हो चुका था ले कन वो लोग ताकतवर
पोटबल सचलाइट लेकर आए थे ज ह ने उनके इद— गद पहाड़ और च ान म रोशनी कर
रखी थी।
चढ़ाई कहने के मुता बक ही दो घंटे म ख म हो गई थी। यह पर उनके गाइड ने कने
को कहा था और संकेत दया था क इसी ठकाने पर उ ह छं द म व णत नशा नय क
तलाश शु करनी चा हए।
उनके आसपास क जगह कम से कम छं द के एक ह से क तरफ तो इशारा कर रही
थी। वो लोग अब कुनार नद से ऊंचाई पर थे। वान लुएक ने अंदाजा लगाया था क वो
लोग घाट के तल से कम से कम 2000 फ ट ऊपर थे, एक तरह के ट ले पर। और छं द ने
ऐसी जगह क बात क थी जहां ट ला नद के ऊपर हो।
वो वहां बैठकर सोच रहा था क यहां उसका ल य पूरा होने का मतलब या होगा।
ऑडर म उसका कद बढ़ना। शीष के थोड़ा और करीब। हो सकता है वो उस गु त समूह म
शा मल हो जाए, जो ऑडर को चलाता है। उसका प रवार स दय से ऑडर का सद य रहा
है। उ ह ने वफादारी के साथ अपना काम कया था, यहां तक क उन दन म भी, जब वो
समु डाकू आ करते थे। ले कन इसके बाद से वान लुएक के प रवार ने लंबी री तय क
थी। वो यादा समृ ए थे, यादा श शाली, यादा स मा नत। और वो इन साल म
ऑडर म एक के बाद एक ऊंचे ओहदे पाने लगे थे।
आज, वो ऑडर म सबसे बड़े इनाम को पाने के काफ करीब था; ऐसा पद जो उसे उस
आदमी क बराबरी पर बैठा दे ता जो ऑडर को चलाता था। ऐसा आदमी जो मूल वंश का
था। वो वंश जो ऑडर के साथ ही शु आ था और हजार साल से चला आ रहा था,
अछू ता और खा लस।
जब वो अपने आद मय को गौर से दे ख रहा था, उसक नगाह वजय पर जाकर टक
ग । उसे वजय समझ नह आया था। या वो जानता नह था क उसक मंगेतर और वो
मरने वाले ह? वो यक नन बेवकूफ नह था। फर भी, वो वपरीत प र थ तय म भी
जबरद त ढ़ता दखाने क को शश कर रहा था। या पीछे से कोई उसक मदद कर सकता
है? ले कन वान लुएक जानता था क वजय नह था है। उसने अपना सर हलाया। इससे
कोई फक नह पड़ता। यह आदमी पहे लयां सुलझाने और उलझन को र करने म उ ताद
था। और आज, वो उनक मदद अपनी मज से कर रहा था। वान लुएक इससे यादा या
मांग सकता था।
वजय शाम के धुंधलके म घूम रहा था, उसके साथ दो ह थयारबंद लोग सचलाइट के
साथ मौजूद थे। वो को शश कर रहा था क वो अपनी क मत के बारे म ना सोचे और
च ान और पहाड़ पर ही यान लगाए। गांववाल और गाइड ने अ भलेख और रेखा च
को लेकर सही कहा था। आसपास के शलाखंड पर आड़े— तरछे तरीके से कलाकृ तयां
और लेख उकेरे गए थे। ले कन अभी तक कुछ ऐसा नह मला था जो छं द के वणन से मेल
खाता हो।
पहाड़ के एक सरे ह से क तरफ जाने पर, उसे वहां एक गहरी गुफा दखी, जो एक
छोटे रा ते क तरह यादा दख रही थी, कुछ फ ट लंबी ये गुफा च ान क द वार पर ख म
होती थी। इसका वेश ार आयताकार था, और ार के ठ क ऊपर एक वगाकार छे द बना
था जो च ान को काटकर बनाया आ लगता था। ले कन यह इतना छोटा था क कोई इससे
रगकर भी नह जा सकता था। उसने सोचा क आ खर इस छे द का या मकसद हो सकता
है, य क यह तो तय था क इससे होकर गुफा म नह जा सकते, भले ही इसका वेश ार
बंद हो जाए। उसने अपने साथ आए गाड् स को कहा क वो अपनी सचलाइट से गुफा के
पछले ह से म रोशनी कर, जहां घु प अंधेरा था।
वजय ने दे खा क वहां एक खड़ी च ान पर, जो गुफा से घरी ई थी, शकार का य
उकेरा गया है। दो तीरंदाज अपने धनुष ख चकर एक अ न त जानवर का शकार कर रहे
ह, शायद एक हरण का, और शका रय म से एक के पास एक छोटा जानवर बैठा है। यह
एक कु ा हो सकता था, हालां क कहना मु कल था य क रेखा च म सफाई नह थी।
उसक पहली त या भी वान लुएक क शु आती त या क ही तरह थी। ये
सब अ प च कारी लग रही थी जो हजार साल पहले क गई होगी, और उन लोग ने क
ह गी जो इन गुफा म रहते ह गे और जीवनयापन के लए शकार करते ह गे। इनम से
कसी भी रेखा च का उनक खोज से या संबंध हो सकता है?
वजय उन आकृ तय से अब अपना यान हटाने ही वाला था क एकाएक कसी चीज
पर उसक नजर अटक ग ।
उसने त वीर क एक खास बात पर यान नह दया था। उसने जो य अभी—अभी
दे खा था, उसके थोड़े ऊपर, प थर म कटाई करके, पांच फलक वाला एक तारा और एक
वृ बने थे, जनके चार तरफ छोट —छोट सीधी लक र थ जो बाहर क तरफ नकल रही
थ । उसे समझ आ गया क वो या दे ख रहा है।
‘यहां है यह,’ उसने पुकारा। ‘पहला दशासूचक।’ उसने च को यान से दे खा। इस
त वीर म शु कहां है? ऋ ष भृगु का बेटा? या वो यहां दखाए गए शका रय म से एक
है?
वान लुएक तेजी से वजय क खोज को दे खने के लए वहां प ंच गया था, बाक सारे
आद मय के साथ।
‘ दन और रात मलते ह,’ वजय ने समझाया। ‘सूरज और तारा, दन और रात को
दखाते ह। एक साथ एक ही च म। यही है वो।’
‘ह म।’ वान लुएक उस च को दे ख रहा था। ‘मुझे लगता है तुम सही हो। ले कन
अब, हम शव के दं ड को कैसे ढं ढ़?’
इस खोज से पैदा आ वजय का रोमांच ठं डा पड़ गया। उसके पास कोई जवाब नह
था।
57
पहला कदम

राधा ने फैसला कर लया था क अब सही समय आ गया है। वो तब तक इंतजार नह करना


चाहती थी जब काफ दे र हो जाए। उसने एक गहरी सांस ली और उस कॉल बटन को दबा
दया जो गाड को बुलाने के लए इ तेमाल कया करती थी, जब भी उसे शौचालय या
नानघर का इ तेमाल करना होता था। इस मं जल पर एक बड़ा बाथ म बना था, जसम
ढे र छोटे कंपाटमट बने ए थे और जो मं जल पर रहने वाले सभी लोग एक साथ इ तेमाल
कर सकते थे। बाथ म के करीब ही शौचालय बने थे।
अपने नयम के अनुसार गाड वहां आ गया, उसके हाथ म एक छोट बत थी जो टे जर
क तरह काम करती थी। इससे बजली के झटके लगते थे, जो कसी को अचेत कर सकता
था, या सफ झटका और चोट प ंचाने के लए भी इ तेमाल हो सकता था। गाड ने इसका
इ तेमाल राधा पर कभी नह कया था, ले कन राधा ने दे खा था क सरे कै दय पर वो
कभी—कभी इसका इ तेमाल करता है। साफ लगता था क उसे अपने कै दय को,
खासकर म हला को चीखते दे खकर मजा आता था। राधा अपनी योजना को लेकर बेचैन
तो थी, ले कन उसे गाड से कोई सहानुभू त नह थी, ना ही उस चीज से बेचैनी थी जो वो
गाड के साथ करने वाली थी।
राधा तेजी से ग लयारे म चलने लगी, जैसे उसे काफ ज द हो। गाड ने भी अपनी
र तार बढ़ा द ता क वो उसके साथ ही रहे। अपनी कन खय से राधा ने पीछे क तरफ दे खा
तो पाया क उसके चेहरे पर बड़ी सी मु कान है। साफतौर पर उसके मन म गंद भावना थी।
इससे राधा को अपनी योजना पर अमल करने क यादा ताकत मल गई।
वो शौचालय क कतार तक प ंच गई थी; हर शौचालय एक छोटा यु बकल था
जसके दरवाजे बाहर क तरफ खुलते थे। जब वो दरवाजा खोल रही थी, इस बारे म सोचती
भी जा रही थी। दरवाजा काफ पतला सा था, परतदार पा टकल बोड का बना आ। या
यह उसके काम आएगा?
यह पता करने का एक ही तरीका था। वो यू बकल म घुस गई। अंदर क तरफ
दरवाजा बंद करने क कोई चटकनी नह थी। मान लया गया था क लोग क नजता म
दखल नह होगा।
उसने इंतजार कया। उसक योजना कई चीज पर टक थी जनके होने क संभावना
को लेकर पूरा भरोसा उसे खुद भी नह था। उसने इस याल को अपने दमाग से नकाल
दया और मनाने लगी क उसक योजना काम कर जाए।
मनट बीतते जा रहे थे।
कुछ नह आ।
यु बकल के अंदर शां त थी।
और बाहर भी।
उसने खुद को मजबूत कया। धैय क ज रत है।
अभी भी, कुछ नह आ।
तब जैसे ही वो हार मानने वाली थी, उसने गाड के दरवाजे के पास आने क आहट
सुनी।
वो खड़ी हो गई। यही मौका था। उसे हमला करने के लए बलकुल सही समय का
अंदाजा लगाना होगा।
यह अनुमान लगाकर क गाड दरवाजे से इतनी ही री पर खड़ा है क उस पर हमला
कया जा सकता है, उसने दरवाजे को पूरी ताकत से ध का दया।
दरवाजा तेजी से बाहर क तरफ खुला, और गाड के चेहरे पर जोर से टकराया। इस
हमले क ताकत से वो लड़खड़ाता आ पीछे क तरफ गया, अपना संतुलन खोया और
लुढ़क गया।
जतनी जोर से राधा ने ध का दया था, उसक वजह से वो भी ठोकर खाकर गाड के
ऊपर गर पड़ी, जो फश पर अपनी नाक पकड़कर पड़ा आ था।
ले कन वो ज द ही संभल गया था। यह समझकर क राधा या करने क को शश कर
रही है, उसने बैठने क को शश क , हालां क उसक टू ट नाक से खून उसके चेहरे पर बह
रहा था। उसने दा हने हाथ म इले क केन पकड़ी और राधा पर इ तेमाल करने को तैयार
आ।
एक पल के लए तो राधा घबरा गई। उसक योजना नाकाम होने वाली थी। उसने सोचा
था क वो गाड पर काबू पा लेगी।
तभी, उसका फौलाद संक प जाग उठा। उसे याद आया क टा क फोस से जुड़ते व
उसे लड़ाई के श ण म या सखाया गया था। उसने अपने कू ह को लीवर क तरह
इ तेमाल करते ए, अपना एक पैर पूरी मजबूती से गाड क तरफ लहरा दया। उसक एड़ी
का तेज हार गाड के सर पर लगा, उसी ताकत के साथ जैसा कराटे क राउंडहाउस कक
म होता है।
गाड फर से नीचे गर पड़ा।
राधा ने उसका इले क केन उठाया और दे खा। जैसा उसने सोचा था, यह वैसा ही था
——टे जर का बेहतर सं करण। उस पर बजली का झटका दे ने के अलग—अलग तर बने
थे। उसने उसे टन पर सेट कया और गाड के शरीर से सटा दया।
गाड का शरीर एक—दो बार तेज झटके से उछला और फर थर हो गया। ले कन वो
अभी भी पूरी तरह बेहोश नह आ था, सफ असहाय आ था। राधा को नह पता था क
उसे फर से संभलने म कतनी दे र लगेगी। उसे इस समय का बेहतर इ तेमाल करना था।
राधा को महसूस आ क उसक सांस तेजी से चल रही है और उसे काफ पसीना आ
रहा है। वो यहां तक तो प ंच चुक थी।
ले कन मु कल काम तो अब शु होने वाला था।

शव के दं ड क तलाश

वजय बैठकर अपना दमाग दौड़ा रहा था। वो लोग छं द के बारे म सही सोच रहे थे। इसने
कुनार घाट क ही तरफ इशारा कया था। उन लोग ने नद के ऊपर ट ला ढूं ढ़ लया था।
उन लोग ने दन—रात का मलन ढूं ढ़ लया था।
ले कन शु कहां है? वो शव के दं ड को कैसे ढूं ढ़गे?
‘म बाक लोग को फोन कर रहा ,ं ’ उसने वान लुएक को बताया और सैटेलाइट फोन
से कले का लडलाइन नंबर लगाया।
‘ज द ख म करो तो बेहतर होगा,’ वान लुएक ने जवाब दया था। अब अंधेरा होने
लगा था और, वैसे तो उनके पास ऐसे हालात म रात बताने के लए ज री सामान थे, वो
चाहता था क तलाश ख म हो और वो इन सबसे नपटे ।
फोन एक—दो बार बजा और फर उस पर एक थक सी आवाज ने जवाब दया। ‘हां?’
यह को लन था।
‘सुनो, मुझे मदद चा हए।’ वजय ने को लन को तुरंत सारी बात बता द । ‘ या बाक
लोग वहां ह? या हम लोग इसे सुलझाने के लए साथ आ सकते ह?’
‘मुझे नह मालूम क वो कहां ह,’ यह जवाब था। ‘ले कन दे खते ह या म और तुम
मलकर इसको सुलझा पाते ह। तुम कह रहे हो क एक शकार का य है और उसके ऊपर
एक सतारा और सूय है।’
‘हां, और छं द के मुता बक दन और रात मलते ह और शु शव के दं ड का रा ता
दखाता है। ले कन मुझे कुछ ऐसा नह दख रहा जो शु को दशाता हो।’
‘ह म, यह तो उलझाने वाला है। ठ क है, एक बार फर से मुझे त वीर के बारे म
बताओ।’
‘ या पागलपन है,’ को लन ने शकायती लहजे म कहा। ‘हमने सोचा था क त वीर के
सभी ह से एक साथ ह गे। दन, रात, शु । एक खुशहाल प रवार। सभी एक शूल क
तरफ इशारा कर रहे ह गे। ले कन इतना आसान नह है ना ये?’
वजय को लन क बकबक सुन रहा था, जानता था क उसके दो त का सोचने और
व ेषण करने का यही तरीका है।
‘तो, अगर त वीर तु ह रा ता नह दखा रही है तो कुछ और दखाएगा।’
‘हां, ले कन या?’
‘यह है तो र क कौड़ी, ले कन तुम इसे आजमा सकते हो। जब हम लोग बात कर रहे
थे, मने शु को गूगल कया। पता है मुझे या दे खने को मला?’
58
राधा के अ भयान क शु आत

राधा फश से उठ , उसने टे जर पकड़ रखा था। उसने तय कया था क वो इसे अपने पास ही
रखेगी। गाड का ए सेस काड भी काम आने वाला था, इस लए उसने इसे उठा लया।
उसक जेब म और कुछ ऐसा नह था जो उसके काम आता।
यह पता नह था क वो होश म कब आ जाएगा इस लए राधा ने और समय बबाद नह
करने का फैसला कया और शौचालय से तुरंत नकल आई। एक बार वो गाड अगर होश म
आ गया तो वो जा हर तौर पर शोर मचाएगा और फर सब कए कराए पर पानी फर
जाएगा।
वो सोच रही थी क फर या होगा। उसके लए कुछ अ छा तो नह ही होगा, इसका
उसे पूरा भरोसा था। ले कन जब उसने ओखली म सर डाल ही दया है तो अब मूसल से
या डर है।
उसका अगला पड़ाव थी ल ट। इन मं जल पर कुछ नह था। इस ब डंग का मु य
क तहखाने म थत था।
सबसे नीचे क तीन मं जल, उसने याद कया। कै दय के लए बनी कोठ रय क आठ
मं जल वैसे भी जमीन के नीचे ही बनी थ ।
स सेना उसे जस मं जल पर ले गया था, वहां उसने आईट म नह दे खा था। हो
सकता है क यह उन मं जल म से एक पर हो, जो मैन के ोजे ट के लए इ तेमाल होते
ह।
ले कन वो अ पताल के गाउन म उन मं जल पर नह जाना चाहती थी। वो तुरंत ही
कैद के प म पहचान ली जाएगी। द कत यह थी क उसके पास बदलने के लए कपड़े
नह थे और ना ये पता लगाने का कोई तरीका था क उसके अपने कपड़े कहां रखे ह, अगर
उ ह रखा गया हो।
उसने एक मनट तक सोचा, उसके दमाग म एक वचार घर कर रहा था। उसे इस पर
प का भरोसा तो नह था, ले कन उसके पास यही इकलौता वक प था। ल ट के दरवाजे
खुले। वो सांस रोककर, इले क केन के साथ तैयार खड़ी थी अगर कोई ल ट से नकले
और उसे इसका इ तेमाल करना पड़े।
ले कन ल ट म कोई नह था। वो उसम घुस गई और उस मं जल का बटन दबा दया,
जसम वो पहले जा चुक थी। ल ट को चलाने के लए उसने गाड का ए सेस काड
इ तेमाल कर लया था।
ल ट बना कोई आवाज कए तेजी से उस मं जल पर प ंच गई जो उसने चुनी थी।
दरवाजे चुपचाप खुल गए।
राधा एक पल के लए खड़ी रही, उसका कलेजा मुंह को आ रहा था। वो आगे बढ़ने का
न य कर चुक थी ले कन उसे बार-बार अंदर से ऐसी आवाज सुनाई दे रही थी क दरवाजा
बंद कर दो और अपनी कोठरी म चली जाओ।
ले कन अब पीछे लौटने का कोई मतलब नह था। वो काफ र आ चुक थी। गाड पर
आ हमला छप नह पाएगा, और इसका बदला भी लया जाएगा।
राधा ने एक गहरी सांस ली और ल ट से बाहर नकली।

जा का इंतजार…

वजय ने फोन काट दया। को लन ने उसे जो बताया था, उसका मतलब तो नकल रहा
था। वो इसके अलावा कोई सरा रा ता चुनने क नह सोच सकता था। वो बस यही उ मीद
कर रहा था क वो दोन सही नकल।
वान लुएक ने वजय क तरफ सवा लया नगाह से दे खा जब वो बाक लोग के पास
आया।
‘हम इंतजार करना होगा,’ वजय ने उसे कहा और समझाया क को लन ने फोन पर
या कहा है। ‘बस थोड़ी दे र और। सूरज करीब—करीब डू ब चुका है। हम उ र-प म क
तरफ दे खना होगा।’
कूपर को संदेह था। ‘तुम प का कह सकते हो क यह काम करेगा? मुझे तो यह जा ई
खेल जैसा लग रहा है।’
‘जो तुम अबसे थोड़ी दे र म दे खने जा रहे हो, उसम उतना ही व ान है जतना ई र के
रह य म है,’ वजय ने पलटकर जवाब दया।
सूरज तज के नीचे चला गया और पहाड़ पर अंधेरा उतर आया। माहौल म एक
भारीपन सा छा गया था जब सभी लोग इंतजार करते ए आसमान क तरफ दे ख रहे थे।
कई मनट तक कुछ नह आ।
वजय को पसीना आने लगा था। कुछ हो य नह रहा है?

अ पताल म
इमरान अ पताल म अपने ब तर पर लेटा था और उसके मुंह से आह नकली। दद से नह ,
ब क इस सोच से क वो यहां लेटा आ था जब क उसे राधा क तलाश म लगा होना
चा हए था। और उन लोग को ढूं ढ़ नकालना चा हए था ज ह ने उसे जान से मारने क
को शश क थी।
वजय कल उससे मलने आया था और सारी घटना क जानकारी द थी। इमरान
वजय को दे खकर खुश आ था। और वजय भी उससे मलकर खुश था।
‘हम सब सोच रहे थे क तुम मरने वाले हो,’ वजय ने इमरान को कहा। ‘भगवान का
शु है क तुम बच गए।’
‘मरने ही वाला था,’ इमरान ने फ क मु कान द थी। बम के टु कड़े उसके ज री अंग
को और मह वपूण धम नय को चोट नह प ंचा पाए थे और उसक जदगी बच गई थी।
जैसे ही खड़क के कांच छतराने क आवाज आई थी, उसने हो शयारी दखाते ए बगल
के कमरे म छलांग लगा द थी और इसी से उसक जान बच पाई थी। उसक चोट से खून
काफ बह गया था और उसे काफ कमजोरी आ गई थी ले कन वो फर से लड़ाई के लए
जदा था। वो लड़ेगा, इमरान क सोच म ढ़ता थी।
उसे राधा के बारे म सुनकर झटका लगा था और वो इस बात से भी च कत था क उसके
अपहरण के दो दन बाद भी उसका कोई पता नह चल पाया था। ये तो ऐसा था जैसे उसके
अपहरणकता उसके साथ हवा म गायब हो गए ह ।
इमरान ने वजय के जाते ही वैद को फोन कया था और मांग क थी क उसे भी राधा
क तलाश और टा क फोस क ग त व धय से जोड़ा रखा जाए, अ पताल के उसके कमरे
से ही।
वैद अ न छा से राजी हो गया था, वो जानता था क इमरान से बहस का कोई फायदा
नह है। और वो समझ सकता था——अगर इमरान बाहर आकर काम नह कर सकता था,
तो वो चाहता था क वो अपने कमरे से ही इसक नगरानी कर सके। आ खरकार, वो भारत
म टा क फोस का मुख था।
इसके बाद, इमरान का कमरा एक मनी आईट सटर क तरह दखने लगा था, कमरे म
कई आलमा रय म आईट उपकरण, टर, सवर रखे थे और हर तरफ तार फैले ए थे।
अलग—अलग कोण पर तीन लैट न मॉ नटर लगाए गए थे, जनम अलग—अलग
जगह से सीधा सारण हो रहा था, जहां पर ट म इस केस पर काम कर रही थ । एक
मॉ नटर ने उसे सीधे पैटरसन से जोड़ रखा था।
इमरान ने पूरा दन ट म से बात करने म बताया था, वो समझने क को शश कर रहा
था क वो या कर रहे ह, और सुराग का व ेषण कर रहा था। ले कन कुछ भी ऐसा नह
था जो मदद कर पाता।
कुछ भी नह ।
ऐसा लग रहा था जैसे राधा का अ त व ही नह हो।
59
मदद के हाथ

राधा उस कमरे क तरफ बढ़ जहां स सेना उसे पहले ले गया था। वो तेजी से चल रही थी,
को शश कर रही थी क जहां तक मुम कन हो, वो सतक रहे। अभी तक उसक क मत ने
साथ दया था। पहले क ही तरह, ग लयारे के यादातर दरवाजे बंद पड़े थे। और जहां
दरवाजे खुले भी थे, अंदर योगशाला म काम कर रहे लोग इतने त थे क उ ह
ग लयारे म हो रही ग त व ध पर यान दे ने का व ही नह था।
जब वो ग लयारे म आगे बढ़ रही थी, उसने बंद पड़े दरवाज म बनी कांच क छोट
खड़ कय से अंदर झांका। उनम भी योगशालाएं थ जहां कई लोग स जकल मा क और
द ताने पहने अपने काम म त थे।
उसने गौर कया क कह भी कोई औरत नह थी। सफ मद थे। वो सोच रही थी क
ऐसा य । ले कन इस व यह सोचना ज री नह था। उसके मन म घबराहट मच रही थी।
और इसका डर उसके संदेह को बढ़ाता जा रहा था।
राधा ने स सेना के साथ मुलाकात म उसे गौर से दे खा था। वो इस न कष पर
प ंची थी क वो दबंग है। और सरे दबंग क तरह वो सबसे यादा खुश तब रहता था जब
उसे सरे लोग पर अ धकार जताने का मौका मलता था। उनक जदगी पर म चलाने,
उनके सुख— ख का फैसला करने, उनका जीना—मरना तय करने क उसक ताकत उसे
आ मसंतोष दे ती थी। वो मानकर चल रही थी क सरे दबंग क ही तरह, कह अंदर से वो
भी कायर ही होगा। राधा इस बारे म न त थी क उसके वहार और चाल—ढाल के पीछे
उसके अंदर क मनो ं थ और असुर ा क भावना का हाथ है। उसने अपनी उ मीद इस
त य पर टका रखी थ क अगर कसी यादा ताकतवर से उसका सामना होगा, तो
आसानी से झुक जाएगा और ह थयार डाल दे गा।
वो सफ उ मीद कर सकती थी क वो सही नकले। अगर वो नह ई तो…
राधा आगे बढ़ , इस उ मीद म क स सेना अपने ऑ फस म होगा।
उसे राहत महसूस ई, जब वो उसे वहां अपने कं यूटर मॉ नटर के सामने बैठा दखा। वो
एक नोटबुक म नाराजगी म कुछ लखता जा रहा था।
राधा एक पल के लए हच कचाई। ले कन अब वो यहां प ंच चुक थी। यहां से वो
वापस नह जा सकती थी। और समय तेजी से बीतता जा रहा था। सीसीट वी कैमर ने अब
तक उसक ग त व धयां ज र दज कर ली ह गी। कसी ना कसी ने तो गौर कया ही होगा
क वो यहां प ंच गई है। उसे तेजी से काम करना होगा।
वो कमरे म घुसी, दरवाजे को बंद कया और अंदर से ताला लगा दया, तब तक स सेना
च ककर उसे दे ख रहा था।
उसका आ य पहले झटके म, और फर गु से म बदल गया, जब उसे समझ आया क
या हो रहा है।
‘चुपचाप रहना।’ राधा ने स सेना के कोई त या दे ने के पहले ही उसक मेज पर
इले क केन से थपक द ।
स सेना ने केन को दे खा और पहचान गया क यह या है। वो तुरंत पीछे क तरफ
सकुड़ सा गया। राधा मु कुराई। इस आदमी के बारे म उसका याल सही था। वो अंदर तक
दबंग था, और अब वो डरा आ था।
‘तुम जानती हो क तुम ऐसा करके बच नह सकती,’ स सेना ने उसे चेतावनी दे ते ए
कहा, उसक आंख घबराहट म कभी केन तो कभी राधा क ओर दे ख रही थ । ‘तु ह या
लगता है क कतनी दे र तक सुर ाक मय के आने के पहले तुम ऐसा कर सकोगी?’
‘इतनी दे र तक तो ज र जसम म वो कर लूं, जो मुझे करना है,’ राधा ने पलटकर
जवाब दया। ‘इंटरनेट ाउजर खोलो।’ उसने डरावने ढं ग से इले क केन लहराई।
‘तुम ऐसा नह कर सकत ।’ स सेना ने उसे घूरते ए कहा।
‘को शश करके दे ख लो।’ राधा जानती थी क यहां से बच नकलने क संभावनाएं
काफ कम ह। और स सेना इस चीज क पूरी क मत वसूलेगा जो वो अभी कर रही है।
ले कन उसे नया को इस जगह क सचाई बतानी थी। उसक क मत का फैसला तो हो ही
चुका था। यह एकमा मौका था जब वो बाहर क नया को अपना संदेश भेज सकती थी।
उसे सरा मौका नह मलेगा।
स सेना को उसके चेहरे पर ढ़ न य दखा। एक अजीब सी भावना उसके ऊपर हावी
हो गई। उसे अब तक दबदबा दखाने क आदत थी, सजा दे ने क या इनाम दे ने क । और
उसे ऐसा करने म काफ मजा आता था। अभी, पासा पलट चुका था। और उसे यह बलकुल
पसंद नह आ रहा था। उसे बीमार सा महसूस आ, और वो ठं डा पड़ गया। ऐसा ही उसे तब
महसूस आ था जब वो कूल म लड़क के कमरे म सगरेट पीता आ पकड़ा गया था। इस
अपराध का जो दं ड उसे मला था, वो अभी तक उसक याददा त म ताजा था। उस घटना के
बाद से उसने प का इरादा कया था क वो हमेशा दबदबा दखाएगा। हमेशा वही होगा जो
सजा दे गा।
और आज, इतने साल बाद वो फर से “लड़क के कमरे” म था। और कोई ऐसा था जो
उसके सामने केन लेकर खड़ा था। कोई ऐसा जो उसे चोट प ंचा सकता था, उसका अपमान
कर सकता था।
कई साल बाद स सेना को फर से डर का अहसास आ। यह यायो चत लड़ाई नह
थी। और वो इस चीज के लए तैयार नह था क उसे कसी तरह क मान सक या शारी रक
चोट प ंच।े ‘ठ क है, म तु हारा साथ ं गा। ले कन तुम यहां से ईमेल नह भेज सकती। यह
सुर त जगह है। कोई ईमेल नह । कोई फोन नह । हम ऊपर जाना होगा। ाउंड लोर
पर।’
‘ठ क है, चलो।’ राधा दरवाजे क तरफ बढ़ चली। वो दोन ऑ फस से एक साथ बाहर
नकले, राधा स सेना के काफ करीब चल रही थी, ता क ज रत पड़ने पर वो इले क
केन का इ तेमाल कर सके।
उसे आ य आ, जब ल ट क तरफ बा ओर मुड़ने क बजाय, जस तरफ से वो
आई थी, स सेना दा तरफ मुड़ गया——ग लयारे के अंत म बने बड़े सफेद दरवाजे क
तरफ। राधा ने अनुमान लगाया था क ये दरवाजे सी ढ़य तक जाते ह गे ले कन वो गलत
थी।
स सेना ने अपना ए सेस काड लहराया और दरवाजे खुल,े जनसे सरी ल ट दखी।
यह जगह तो राधा के अनुमान से कह बड़ी थी। ले कन उसे इससे आ य नह आ, जस
तरह का काम ये लोग कर रहे थे, उसम ऐसा होना वाभा वक था।
वो लोग ल ट म चढ़े और स सेना ने एक बार फर अपना ए सेस काड इ तेमाल
कया और ाउंड लोर चुना। ल ट तेजी से ऊपर चल पड़ी।
ल ट जब ऊपर जा रही थी, राधा ने महसूस कया क यह ल ट उन आठ मं जल पर
नह जाती, जहां कैद रखे जाते ह। योगशाला म काम कर रहे कमचा रय क प ंच उन
मं जल तक नह थी। ल ट क और दरवाजे खुल गए। उसके बा और दा तरफ सफेद
दरवाजे थे, ज ह ने दोन छोर से ग लयारे को बंद कर रखा था।
स सेना दा तरफ मुड़ा और राधा उसके पीछे चलने लगी।
‘उस दरवाजे के पीछे या है?’ उसने पूछा, उस दरवाजे क तरफ इशारा करते ए जो
वो पीछे छोड़ आए थे।
‘वो दरवाजा मु य ली नक और रसे शन का है,’ स सेना ने खे वर म जवाब दया।
उसने राधा को वचारपूवक दे खा। ‘तुम मेसेज भेजने का अपना इरादा बदल सकती हो।
तु हारे लए उस चीज से मुझ पर काबू पाना बेहद आसान रहेगा,’ उसने इले क केन क
तरफ इशारा कया, ‘और मेरे ए सेस काड का इ तेमाल कर उन दरवाज को खोलकर
आजाद हो सकती हो।’
राधा के मन पर उसका दद हावी हो गया। वो जानती थी क स सेना उसका मजाक
बना रहा है। वो आजाद होने के कतने करीब थी। उसके और बाहरी नया के बीच म सफ
कुछ दरवाजे थे। ले कन वो जानती थी क कोई ऐसा तरीका नह है जससे वो खुद से यहां
से भाग सकती थी। अब तक खतरे क सूचना दे द गई होगी और लोग सीसीट वी मॉ नटर
पर दे ख रहे ह गे क वो कहां है।
आज उसके पास वक प नह था। उसे अपनी क मत के आगे सोचना था। इंसान क
उ पर नयं ण के ज रए ऑडर के पास सबसे बड़ी ताकत हो जाएगी। नया उसक
गुलाम हो जाएगी, और कसी को पता भी नह चलेगा। वो ऐसा नह होने दे सकती। वो ऐसा
नह होने दे गी।
उसके लए सबसे अ छा यही है क वो अपनी योजना पर टक रहे। वो करीब—करीब
वहां प ंच चुक थी।
‘चलते रहो,’ उसने स सेना से कहा।
स सेना उसे एक ऑ फस म ले गया और मेज पर रखे एक लैपटॉप पर वेब ाउजर
खोल दया। ‘आगे बढ़ो,’ उसने लैपटॉप क तरफ इशारा कया जसक न पर ाउजर
खुला था।
राधा ने चार तरफ दे खा। वो ईमेल टाइप करते व स सेना के पास खड़ा रहने का
जो खम नह उठा सकती थी। उसे इले क केन नीचे रखना पड़ता और फर वो असुर त
हो जाती। ले कन कमरे म कोई और ऐसी चीज भी नह थी जो उसके काम क होती।
उसने तुरंत एक फैसला लया। ‘वहां बैठो।’ उसने मेज के पास रखी कुस क तरफ
इशारा कया। स सेना चुपचाप वहां बैठ गया और दे खता रहा क राधा ने लैपटॉप को उसके
पावर केबल से अलग कया और दरवाजे क तरफ बढ़ गई। वो जानता था क राधा या
करने जा रही है।
‘इससे पहले क तुम जाओ,’ उसने कहा, ‘यह समझ लो क जब यह सब ख म हो
जाएगा और तुम अपनी कोठरी म वापस चली जाओगी, म खुद यह प का क ं गा क
तु हारी बाक जदगी तकलीफ म बीते। म इसका वादा करता ।ं ’
राधा अंदर तक डर से कांप गई थी। वो जानती थी क स सेना अपने कहे पर अमल
ज र करेगा। ले कन उसने खुद को अपनी क मत के हवाले उसी व कर दया था जब
उसने इस योजना के बारे म सोचा था। उसे यह सब तो झेलना ही था।
कमरे से बाहर आकर उसने इसे बाहर से बंद कर दया और तेजी से अपना ईमेल
अकाउंट खोलने लगी। स सेना प के तौर पर कमरे के अंदर से खतरे क घंट बजा दे गा
अगर कोठरी से उसका भागना अब तक कसी क नजर म नह आया होगा। उसके पास
अपना काम पूरा करने के लए कुछ मनट भर थे।
उसने तेजी से अपना ईमेल मेसेज टाइप कया और जतने यादा लोग को मुम कन हो
सकता था, भेज दया। इस बारे म कुछ नह कहा जा सकता था क वो कब इसे दे खगे। वो
सफ उ मीद कर सकती थी क यह ज द से ज द दे ख लया जाए। ईमेल मेसेज के भेजे
जाने क जब पु हो गई, उसने लैपटॉप नीचे रखा और फश पर गर पड़ी, उसके मन पर
आतंक और आशंका क भावनाएं हावी हो गई थ , ज ह उसने अब तक अपने से र रखा
था।
अपने ज बात से लड़ते ए उसने खुद को संभाला। अभी तक सुर ाक मय का कोई
नामो नशान नह था। शायद वो अभी भी भाग नकलने क को शश कर सकती है।
वो उठ और उन सफेद दरवाज क तरफ बढ़ चली जनक तरफ स सेना ने इशारा
करके कहा था क उनके पार आजाद है।
अभी तक तो सब अ छा था
बस कुछ फ ट और।
और तभी, उसक सबसे बड़ी आशंका सच सा बत हो गई। आजाद के दरवाजे एकाएक
नरक के दरवाजे म बदल गए। वो झटके से खुले और तीन ह थयारबंद सुर ाकम अंदर
दा खल ए, ग लयारे म दौड़ते ए वो उसक तरफ आ रहे थे, उ ह ने अपने ह थयार तान
रखे थे।
राधा ने समझ लया था क खेल ख म हो चुका है। अब वो बाहर क नया कभी नह
दे ख सकेगी।
60
शु ने माग दखाया

वजय उ र प मी आकाश को एकटक नहारता रहा, इस उ मीद म क घटना उसी तरह


हो, जैसी को लन ने बताई थी। वान लुएक, जो उसके पीछे खड़ा था, ाकुल हो रहा था।
पास खड़े कूपर का चेहरा उदासीन था। उसने पहले ही इस बारे म अपनी आशंका जता
द थी।
सूरज क आखरी करण भी गायब हो गई और रात का राज शु हो गया।
‘तुम जानते हो,’ वान लुएक ने बोलना शु कया, फर वो क गया।
वजय ने भी इसे दे खा।
यह शु हो चुका था।
‘दे खते रहना,’ उसने बा कय को रोमां चत होते ए नदश दया। ‘ठ क उस जगह को
यान म रखना जहां यह दखेगा।’ उसने ज द से पीछे क तरफ दे खा यह प का करने के
लए क छोट गुफा म कोई भी उस त वीर के सामने तो नह खड़ा है।
उ ह ने दे खा क रात के आसमान म ऊंचाई पर एक चमक ला काश ब साफ—साफ
दख रहा था। यह सरे सतार के मुकाबले यादा चमकदार था, जो इसक चमक के आगे
टम टमा रहे थे।
जैसे ही इस काश ब ने खुद को दन के काश क गर त से मु कया, जसने
मानो इसे अपना कैद बना रखा था, एक काश पुंज ने गुफा म च ान पर उकेरे गए पांच
फलक वाले सतारे को जगमगा दया।
‘ये रहा!’ वजय चीख पड़ा। ‘यही शु है। वो ह जसे प मी दे श म वीनस कहते ह।
और पहाड़ का वो सरा, जो इसके ठ क नीचे है, वह हम शव का दं ड मलगे! वो यहां से
यादा र नह है।’ उसे अब समझ आया था क गुफा के वेश ार पर वो छे द य बनाया
गया है। यह काश सं क था, जो इस तरह बनाया गया था क गुफा के पछले ह से म
उकेरे गए पांच फलक वाले सतारे को जगमगा दे ।
सभी लोग शांत थे जब वो उस जगह क चढ़ाई शु कर रहे थे जस तरफ वजय ने
संकेत दया था। कूपर ने गुफा पर एक बार और डाली जैसे उसे यक न नह हो रहा था,
जो उसने दे खा था।
कोई आ य नह क सकदं र यहां रात म आया था, वजय ने सोचा। यह सफ इस
मशन को उसक सेना से गु त रखने के लए नह था। उसका मु य उ े य यही था क
वो शु ह को शव के दं ड वाली जगह को जगमगाता दे ख सके।
श शाली सचलाइट पहाड़ म उजाला कर रही थ जब वो लोग अपनी मं जल क
तरफ एक ाकृ तक पगडंडी पर चल रहे थे।
जब वो उस ब के पास प ंच रहे थे, वजय सोच रहा था क वहां उ ह या दे खने को
मलेगा।

या वो कर पाएगी?

जब सुर ाकम ग लयार म दौड़कर आ रहे थे, आगे क तरफ का एक सुर ाकम का
और नशाना साधकर राधा पर गो लय क बौछार कर द ।
राधा को ऐसा महसूस आ जैसे उसके सीने म डायनामाइट क छड़ घुस गई है और वो
लड़खड़ा गई। उसे लगा जैसे उसे कम से कम पांच फ ट पीछे फक दया गया हो और उसके
पैर ने उसका साथ छोड़ दया। जब वो फश पर गरी, उसके आसपास क सारी चीज जैसे
धीमी र तार म चलने लगी थ । उसके पूरे शरीर म अजीब सी संवेदनाएं होने लगी थ ,
उसका दायां फेफड़ा सकुड़ने लगा था और उसक सांस छोट और ददभरी हो गई थ । हर
सांस ऐसी लग रही थी जैसे उसके दाय फेफड़े म चाकू घुमाया जा रहा हो। इस दद के बीच
भी वो एक और संवेदना महसूस कर सकती थीः गोली से ए ज म से गम खून बाहर आ
रहा था और उसके अ पताल वाले गाउन को भगो रहा था जो उसके शरीर से चपका था।
वो सोचना चाहती थी ले कन उसे आघात प ंचा था और उसके सु दमाग म वचार नह
आ पा रहे थे।
गोलीबारी क गई थी और उसके चार तरफ शोर—शराबा हो रहा था। उसने स सेना
क आवाज को थोड़ा ब त पहचान लया था। वो नाराज लग रहा था और कसी को डांट
रहा था। श द अ प थे। ऐसा लग रहा था क उसके आसपास क हर चीज को एक सफेद
फ म ने ढक रखा है और उसक धुंधली पड़ने लगी जब ब त यादा खून बह जाने के
कारण उसक हालत काफ बगड़ गई।
और फर, चार तरफ अंधेरा छा गया।
61
शव का दं ड

वजय खड़ा होकर व मय से दे ख रहा था। वो लोग उसी जगह पर खड़े थे जहां शु कट
आ था। इस जगह पर एक पवत ेणी थी।
इसी पवत ेणी म मोट न काशी म उ क ण था, और सचलाइट क रोशनी म साफ—
साफ दख रहा था——बीस फ ट लंबा शूल, शव का दं ड।
या, जैसा यूमेनीज ने लखा था, यूनानी संदभ म, पोजीडॉन का दं ड।
यह शूल का य था या यह त य क वो लोग अपनी मं जल के इतना करीब थे, इसने
पूरे समूह को इस तरह मं मु ध कर दया था क कोई भी कई पल तक हला नह ।
वान लुएक ने इस जा को तोड़ा। ‘ठ क है। तब हमारा अं तम पड़ाव कहां होगा? पांच
सर वाला सांप।’ उसने वजय को इस तरह दे खा मानो कह रहा हो ‘इस लए तुम यहां हो।
मुझे बताओ।’
वजय ने याद करने क को शश क क यूमेनीज ने डायरी म या लखा था। सकंदर
को शूल पार करने के बाद सांप को ढूं ढ़ने म यादा द कत नह ई थी। यानी वो
असामा य सी च ानी संरचना आसपास ही होनी चा हए।
यूमेनीज ने या कहा था?
‘हमलोग फैल जाएं और यहां से एक कलोमीटर के दायरे म तलाश कर,’ वजय ने
नदश दया। उसे जहां तक याद आ रहा था, यूमेनीज ने ज कया था क उ ह सप पी
च ान को ढूं ढ़ने म ठ क—ठाक समय लग गया था। यह कसी भी दशा म हो सकता था।
सभी आदमी तीन लोग के समूह म बंट गए और तलाश शु कर द । वो सभी जानते थे
क उ ह कस चीज क तलाश है। और एक बार उ ह ने उसे ढूं ढ़ लया तो ई र का रह य
उनक मु म होगा।

टू ट कड़ी

को लन लैपटॉप पर नजर गड़ाए बैठा था। उसे इस चीज क आदत नह थी। वजय आमतौर
पर रसच का काम करता था। हर वो चीज जो उ ह ने साथ क थी, वो कंपनी भी जो उ ह ने
बनाई थी और वो ोजे ट जसने उ ह अमीर बना दया था, उसम वजय ने ही सारी रसच
क थी। को लन व ेषण और तक— वतक म और कामकाज संभालने म अ छा था
जब क वजय उन दोन म वचारक क भू मका म होता था। वो दोन एक सरे क क मय
को अ छे से पूरा करते थे।
ले कन अभी, जब हालात गंभीर थे, वो उस चीज को करने म जूझ रहा था, जसे वजय
आसानी से पूरा कर लेता था।
उसने गहरी सांस ली और अपने बाल म हाथ फेरे, तभी ए लस अंदर आई।
‘कुछ मला?’ उसने पूछा। को लन ने उसे और शु ला को वजय के साथ ई बातचीत
और शु को लेकर ई चचा के बारे म बताया।
‘मेरी वजय से उसके बाद बात नह ई है, इस लए म मानकर चल रहा ं क शु
वाली बात सही नकली होगी। ले कन म अभी भी अं तम छं द को समझ पाने म कामयाब
नह रहा ।ं वो छं द जसम आंख और तीन भाइय का ज है। मने हर मुम कन चीज क
तलाश गूगल पर कर ली है। ले कन कुछ भी काम नह आ रहा है।’
ए लस ने उस न शे को दे खा जो को लन ने न पर नकाल रखा था।
‘अगर हम अरल सागर के बारे म सही ह,’ उसने कहा, ‘तब “तीन भाई” इसके द णी
दशा म कह ह गे। हम जानते ह क सकंदर अरल सागर के आगे नह गया था। और अगर
हम द ण म दे ख, हम यहां दो दे श दखते ह——उ बे क तान और कजाख तान।’
‘ बलकुल सही।’ को लन के अंदर एक नई ऊजा आ गई। ‘मने दे श को आधार मानकर
कुछ ढूं ढ़ने क को शश नह क ।’
‘एक बार को शश तो करो,’ ए लस ने उसका ह सला बढ़ाया। ‘दे खते ह।’
को लन ने टाइप कया “तीन भाई उ बे क तान” और सच इंजन से मले सभी नतीज
को दे खने लगा। वो पहले छह प े दे ख गया और फर ए लस क तरफ नराशा भरी नगाह
डाल । ‘हम यह मान भी कैसे सकते ह क गूगल तीन भाइय को जानता होगा? आ खरकार,
यूब तो हजार साल पहले बना था।’
‘कजाख तान डालकर को शश करो,’ ए लस ने उसे नरमी भरे वर म े रत कया। ‘हम
लोग हर चीज से को शश करगे।’
को लन ने हामी भरी और टाइप कया “तीन भाई कजाख तान”।
फर से, पहले प े पर कुछ भी काम का नह था। उसने अगले प े पर लक कया।
फर भी कुछ नह ।
तीसरा प ा।
वो जम गया। वह ए लस क सांस को महसूस कर सकता था जो उसके पास खड़ी थी।
न पर त वीर क एक ृंखला थी जसका शीषक थाः “तीन भाई कजाख तान”
क छ वयां।
62
उ मीद का एक टु कड़ा

इमरान पैटरसन क बात को यान से सुन रहा था। इमरान के अ पताल के इस कमरे म
उपकरण लगवाने के बाद यह उनक सरी बातचीत थी। वो मौजूदा हालात म संभा वत
वक प पर चचा कर रहे थे। इमरान क पैटरसन के बारे म शु आती राय अब उस आदमी
क समझ और रणनी तक कौशल क तारीफ म बदल गई थी। हालां क वो अभी भी मानता
था क पार प रक संबंध के मामले म पैटरसन कम बु का आदमी है, ले कन आज वो
उसके बताए एक भी रणनी तक ब पर उसक बात काट नह पाया था।
न संदेह, पैटरसन क योजना के कुछ ह से थे ज ह लेकर इमरान खुश नह था।
मसाल के लए वो ह सा जसम वो मानकर चल रहा था क वो लोग राधा को खो चुके ह।
पैटरसन इस बात पर जोर दे रहा था क उ ह उ मीद नह रखनी चा हए। जब क इमरान
महसूस कर रहा था क उ ह उ मीद नह छोड़नी चा हए और वो लोग एक न एक दन राधा
को तलाश लगे और बचा लगे।
‘यु म उ मीद करने से जीत नह मलती है, काम करने से मलती है,’ उस अ क
अमे रक क आवाज लैट न मॉ नटर म से गूंज उठ थी। ‘जहां तक राधा का सवाल है,
अगर हम कोई सुराग मलता है, उसक जगह का कोई संकेत मलता है, हम उसे ढूं ढ़ने क
अपनी को शश दोगुनी कर दगे। ले कन अभी के लए, हम कुछ नह कर सकते। सरी ओर,
इस मामले के सरे पहलु के लए हम अभी भी काफ कुछ कर सकते ह। हम बैठे रहने,
उ मीद करने और ाथना करने क बजाय उस पर यान दे ना चा हए। अगर वो जदा रहती
है, तो ब त ब ढ़या। हम टा क फोस के सद य को खोना नह चाहते। ले कन अभी हम इस
पर भरोसा ना कर।’
योजना के कुछ सरे ह से भी थे, ज ह लेकर इमरान खुश नह था। ले कन वो राजी हो
गया था य क उनके पास वक प नह था। इसम ब त यादा जो खम था। या तो सब
कुछ या कुछ नह ।
‘ठ क है, फर। तुम आज क रात अ छ न द लो। कल का दन काफ बड़ा है। इस पार
या उस पार। उ मीद है क हम बाजी मारगे,’ पैटरसन ने वदाई ली।
इमरान ने गहरी सांस ली और वो न को काला होते दे खता रहा। तभी उसे अपने
फोन क याद आई। जब वो पैटरसन से बात कर रहा थे, एक ईमेल मेसेज आया था। वो
सोच रहा था क कौन होगा। मेसेज खोलने के पहले ही भेजने वाले का नाम दे खकर उसक
आंख फट क फट रह ग ।
इमरान को अपनी आंख पर यक न नह आ। यह राधा थी! वो जदा थी! राधा ने उसे
मेसेज भेजा था। कसी तरह, कह से, उसने रा ता ढूं ढ़ नकाला था, उन लोग को यह बताने
के लए क उ ह उ मीद नह छोड़नी चा हए।
अपनी चादर फकते ए, उसे दद का अहसास आ जब वो अपने ब तर से उठा और
अ पताल का गाउन उतारकर अपने कपड़े पहने, साथ-साथ उसने अपने ऑ फस म फोन
लगाया।
‘अजुन, मुझे इसी व लेने आओ। म तु ह एक ईमेल फॉरवड कर रहा ।ं मुझे इसक
लोकेशन तुरंत जाननी है। अभी के अभी इसे करो।’

ोत

एक घंटा बीत चुका था और पांच सर वाले सांप का कोई पता नह था जो उ ह रह य तक


प ंचाने वाला था। ले कन समूह म एक नई ऊजा थी, वान लुएक उ ह ो सा हत कर रहा
था, अब वो लोग अपने ल य को हा सल करने से कुछ ही री पर थे।
कूपर का सैटेलाइट फोन बज उठा। वो एक बगल म चला गया और धीमी आवाज म
बात करने लगा। वजय ने सुनने क को शश क क वो या कह रहा था ले कन वो सफ
कुछ श द ही सुन पाया। ‘जो करना है करो… सु न त करो… म क ं गा..।’ ले कन वो
च तत लग रहा था। उसने थोड़ी दे र ही सही, ज द से फोन करने वाले से बात क और
फोन को पॉकेट म रख दया।
वजय बाक लोग के बारे म नह जानता था ले कन वो थकने लगा था। इस ऊंचाई पर
लगातार मेहनत का असर उस पर पड़ने लगा था। उसने थोड़ी दे र आराम करने का फैसला
कया। इससे कोई फक नह पड़ेगा अगर उ ह उस सांप को ढूं ढ़ने म पं ह मनट यादा
लग जाएंग।े
जैसे ही वो जमीन पर लेटने को आ, उसने वान लुएक क आवाज सुनी, जससे
रोमांच छलक रहा था। ‘यहां दे खो!’
आराम करने के सभी वचार भूलकर वजय भी सर के साथ हो लया जहां वान
लुएक खड़ा था। सचलाइट क रोशनी म जमीन से बाहर नकली एक वशालकाय च ान
दख रही थी, कम से कम पं ह फ ट ऊंची। यह एक लहर क तरह दख रही थी ले कन इसे
पांच सर वाले सांप क तरह भी दे खा जाना ब त मु कल नह था। वजय सोच रहा था क
यह च ानी संरचना कतनी पुरानी रही होगी। कसी व , उसने सोचा, यह ज र एक सांप
क तरह दखती होगी, तभी तो छं द म इस आकृ त का संकेत दया गया है। हजार साल के
घसाव के बावजूद इस संरचना क मूल आकृ त म बदलाव नह आया है। उसे अब समझ म
आया क यूब कतना पुराना है। उससे कह यादा पुराना जतना उ ह ने सोचा था।
‘इस गुफा का वेश ार ढूं ढ़ो,’ वान लुएक ने आदे श दया और समूह के लोग तलाश
म इधर—उधर फैल गए।
ब त यादा दे र नह लगी और वो संक ण छ ढूं ढ़ लया गया जससे होकर एक बार म
एक ही आदमी अंदर जा सकता था।
‘तुम पहले जाओ,’ वान लुएक वजय क तरफ दे खकर मु कुराया। ‘हम बताओ क
अंदर जाना सुर त है या नह ।’
वजय ने कूपर के एक आदमी के हाथ से सचलाइट ली और उस छे द से होकर अंदर
जाने लगा।
उसने खुद को च ान के एक संक ण ग लयारे म पाया, जो एकाएक ख म होकर
सी ढ़य म बदल जाती थी, जो पहाड़ के अंदर काटकर बनाई गई थ । उसने सी ढ़य पर
उजाला कया। वो काफ री तक नीचे जा रही थ , पहाड़ क गहराई म अंदर तक। ‘सब
ठ क दख रहा है,’ वो जोर से च लाया। ‘यहां सी ढ़यां ह जो कम से कम पांच सौ फ ट नीचे
तक जाती ह। म अगर नीचे चला गया तो तुम मुझे सुन नह पाओगे।’
जवाब क ती ा कए बगैर, उसने सी ढ़यां उतरनी शु कर द ।
वो भी ये दे खने के लए काफ उ सुक था क नीचे या है। इस राज को लेकर इतनी
रह यपूण बात थ और अब जब वो जानता है क ई र का रह य वा तव म है या, तो वो
इसे खुद दे खना चाहता था। या यह सच म वैसा ही है जैसा महाभारत म व णत कया गया
है?
जब वो नीचे जा रहा था, उसके आसपास उजाला बढ़ने लगा य क बाक लोग भी
उसके पीछे आने लगे थे। उसने सी ढ़यां उतरनी तब तक जारी रख जब तक क वो नीचे
नह प ंच गया। उसने चार तरफ उजाला कया। वो एक ब त बड़ी गुफा म था। इतनी बड़ी
क वो श द म बयान भी नह कर सकता था। ऐसा लग रहा था क यह गुफा पूरी ह कुश
ेणी के अंद नी ह से को समेटे ए है। इसक द वार कह नह दख रही थ ।
इकलौती चीज जो उसे दख रही थी, वो उसके सामने फैली थी और जसने गुफा के
यादातर ह से को घेर रखा था।
मथक का ोत। रह य का उ म।
और यह बलकुल वैसा ही था जैसा महाभारत म बताया गया था। वो वहां खड़ा था
जसके आधार पर अब तक के सबसे बड़े मथक म से एक क रचना ई थी।
63
तलाश क शु आत

इमरान ने अपने टांक पर हाथ फेरा जब कार तेजी से एयरपोट क तरफ बढ़ रही थी। राधा
से मेसेज मले ए एक घंटा बीत चुका था। मैसेज जहां से भेजा गया था, उसक भौगो लक
थ त का जब तक पता लगाया जा रहा था, इमरान ने 30 मनट के अंदर उसके लए एक
हवाई जहाज और कमांडो ट म तैयार रखने क मांग रख द थी। दस मनट पहले, उस जगह
का पता चल गया था जो जयपुर से एक घंटे क री पर एक मे डकल फे स लट थी।
अजीब बात यह थी क यह फे स लट टाइटन फामा यु टक स के ली नकल ायल के
लए अनुबं धत क क सूची म शा मल नह थी।
जब तक क तलाश का काम बना कसी सुराग और सफ कभी ना ख म होने वाली
चचा के ज रए हो रहा था, इमरान ने खुद को अ पताल के ब तर तक सी मत कर रखा
था। अब, जब उसके ठकाने का पता लग चुका था, वो खुद को रोके नह रख सकता था।
उसे बचाव दल के साथ आना ही था। उसने ऐसा पहले भी कया था और वो इस बार भी यह
करना चाहता था। और उसका राधा के साथ एक बेहद खास बंधन था। वो एड़ी—चोट का
जोर लगा दे ता, अगर कसी ने उसे यह सलाह द होती क वो अ पताल के अपने ब तर से
राधा को बचाने क को शश पर नगरानी रखे।
वो एक घंटे से भी कम समय म जयपुर प ंच जाएंग।े एयरपोट से वो अपनी मं जल क
तरफ हेलीकॉ टर से जाएंग।े
इमरान ने टाइटन फामा यु टक स से यह बताने के लए भी कहा था क उनका सी नयर
मैनेजमट इस व कहां है। उनम से कुछ बाहर काम से गए थे ले कन एक श स
आ धका रक प से जयपुर के दौरे पर था, जहां वो एक मे डकल क वशन म बोलने वाला
था।
यह था चीफ मे डकल ऑ फसर डॉ टर व ण स सेना। यह सफ एक संयोग नह हो
सकता था।
इमरान का चेहरा स त बना आ था जब वो लोग एयरपोट पर प ंचे और तेजी से उस
हवाई जहाज क तरफ बढ़ चले जो उनका इंतजार कर रहा था।
वो राधा को सही—सलामत वापस लाने के लए जा रहा था।
जाने का समय

स सेना और मैन दे ख रहे थे क राधा के न य शरीर को कमरे से नकालकर एंबुलस


म लादा जा रहा है। उसके शरीर के साथ प, एक फ डर ूब और ऑ सीजन मा क जुड़े
ए थे।
‘तुम वाकई म ब त हताश होगे,’ मैन ने कहा जब अदली राधा के शरीर के साथ चले
गए। ‘वो मरने वाली है। इतनी गो लयां खाने के बाद कोई नह बच सकता। अगर वो सदमे से
नह तो खून बह जाने क वजह से ही मर जाएगी। तु हारे पास इतना व ही नह होगा क
उसके शरीर म खून प ंचाया जा सके। और अगर कसी ज री अंग को चोट प ंची होगी,
तो तुम उसे बचाने क उ मीद ही छोड़ दो।’
स सेना का चेहरा स त था। ‘बेवकूफ सुर ाकम थे वो। उ ह उस पर गोली नह
चलानी थी। वो एक बंद थी। आप एक बंद पर तब तक गोली नह चलाते जब तक आपको
कहा ना जाए।’
‘अरे, वो लोग तो सफ अपना काम कर रहे थे,’ मैन ने उसक बात का वरोध कया।
‘वो कैसे जान सकते थे क वो एक बंद है? सुर ाक मय ने सीसीट वी पर उसक
ग त व धयां दे ख , उ ह ने जांच क , पाया क उसक मं जल पर शौचालय म एक गाड
झटका खाकर बेहोश पड़ा है। और फर तु ह उसने बंद कर दया था। तुमने खतरे क घंट
बजाई। जब सुर ाक मय ने उसे ाउंड लोर पर दे खा, उ ह बस इतना समझ आया क
एक कैद भाग नकला है और उसने तु ह खतरे म डाल दया है। इस लए उ ह ने वही कया
जो उ ह करना चा हए था। याद है ना? “कोई जी वत नह , कोई गवाह नह ”? उ ह ने यही
कया। उ ह उनके काम के लए नह फटकारो।’
‘वो लोग नरे मूख ह,’ स सेना बड़बड़ाया। ‘उ ह ने चीज को और उलझा दया है।
ले कन म हताश नह ं। अगर वो मर भी जाती है तो वजय सह को पता नह चलेगा। मने
कूपर को बता दया है। वो इसे संभाल लेगा।’
मैन को एक बात जानने क इ छा ई। ‘ फर तुमने उसे वायरस और बै ट रयम के
म ण का इंजे शन य दया? अगर गो लय से वो नह मरती है, तो ऐसे मर जाएगी। हम
यह जानते ह। अब तक कोई भी इस ायल म जदा नह बच पाया है। और तुमने उसे काफ
बड़ी तादाद म दवा द है।’
स सेना ने अपना सर हलाया। ‘मने सोचा क यह हमारे योग के लए काफ अ छा
मौका है। हमारे पास कभी कोई ऐसा तं त श स नह प ंचा जसे घातक ज म ह , और
जसे हमने यह दवा द हो। दे खते ह या होता है। यादा से यादा बुरा या होगा, वो मर
जाएगी। ले कन हो सकता है क हम कुछ दलच प चीज दे खने को मले। याद है ना हम
सकंदर क ममी म या मला था?’
मैन ने हामी भरी। ‘मुझे याद है। बस छह महीने और तुम मेरे योग के नतीजे
दे खना।’ उसने कंधे उचकाते ए कहा, ‘मेरा अंदाज है क इससे कोई तकलीफ नह होगी।’
स सेना ने चार तरफ दे खा। ‘चलो, यहां से नकल। एक तरीके से अ छा आ क जब
उसने ईमेल भेजा, म वहां था। कम से कम हम इस जगह को खाली करने का व तो मल
गया। सवर हटाए जा रहे ह ता क आईबी को कसी तरह के आंकड़े ना मल। कोई ऐसा
रा ता नह है जससे वो इस फे स लट के तार टाइटन से जोड़ पाएंगे। ले कन मने आईबी के
दे खने के लए कुछ चीज यहां छोड़ द ह।’
मैन ने हामी भरी। वो जानता था क स सेना कस बारे म बात कर रहा है। ‘हालां क
अफसोस इस बात का है क हम सारे नमून को यहां छोड़ना पड़ रहा है।’
‘कोई फक नह पड़ता है,’ स सेना ने जवाब दया। ‘हमारे पास उनक सारी जानकारी
और जांच के नतीजे ह। हम अपने पास मौजूद नतीज क मदद से, नए नमून के साथ फर
से शु आत कर सकते ह। और हो सकता है क हम नमून क ज रत ही ना पड़े। अगर
कूपर ोत के सपल हा सल करने म कामयाब हो जाता है तो हमारा काम हो जाएगा।’
उन दोन ने एक— सरे क तरफ चमकते चेहर से दे खा, जन पर साफतौर पर खुशी
झलक रही थी। कुछ भी हो, मशन कामयाब होने वाला था। उनके रा ते म अब कोई बाधा
नह थी।
64
ध का महासागर

वजय अपने सामने के य को नहार रहा था। उसके सामने वशाल जलरा श फैली ई
थी। इतनी वशाल क इसके कनारे नह दख रहे थे, सवाय उस तट के जसके पास वो
खड़ा था। ऐसा लगता था क इस झील ने करीब—करीब पूरी गुफा को घेर रखा है।
ले कन उसे इस झील क खोज ने नह च काया। वान लुएक ने उसे इस बारे म बताया
था और वो इतनी बड़ी जलरा श को दे खने के लए तैयार था। उसे जस चीज ने च काया था,
वो था झील का रंग— प।
जतनी र तक उसक नजर जा सकती थी, झील क सतह सचलाइट के उजाले म
चांद क तरह सफेद दख रही थी। जब बाक लोग भी वहां आ गए और झील को नहारते
ए वैसे ही अ भभूत हो गए, जैसे वजय हो गया था, तो उसने सचलाइट के उजाले म दे खा
क चांद के समान सफेद पानी र— र तक फैला है, शांत और थर, बना कसी तरंग के।
‘कोई ता जुब नह क उ ह ने इसे ध का महासागर कहा,’ वान लुएक वजय के पास
आकर बोला। ‘और अब हम जानते ह य ।’
ले कन इस वशाल गुफा म कई और च काने वाली चीज भी थ । जब सचलाइट का
उजाला उन द वार पर पड़ा जनसे होकर सी ढ़यां लगी ई थ , एक म म धातु क न लयां
और प थर क ना लयां बनी ई दख । प थर क एक बड़ी नाली द वार के साथ बनी ई
थी, जो झील क दशा से आ रही थी, और प थर के ही एक बड़े कुंड म ख म होती थी।
सरी न लयां और ना लयां प थर के कई छोटे —छोटे कुंड को आपस म जोड़ती थ और
साथ ही म धातु क एक मशीन से जुड़ रही थ जो उनके ऊपर लगी थी। इस मशीन और
न लय म इ तेमाल क गई धातु काली थी। सचलाइट क रोशनी म भी उस धातु पर कसी
तरह के जंग का कोई नशान नह था। उसके लए यह पूरी णाली शराब बनाने वाली हौज
क तरह थी जो उसने अमे रका म कई छोट शराब क भ य म दे खी थी।
तभी उन आद मय म से एक च लाया। ‘वहां कुछ चल रहा है!’
सभी सचलाइट उस दशा म घूम ग जस तरफ उसने इशारा कया था। हर कोई
चुपचाप खड़ा था। कुछ दे र तक कोई चीज चलती नजर नह आई। तभी, कुछ लहराता आ
दखा। यह आकृ त बड़ी और गोलाकार प लए ए थी। हर कसी को च काते ए एक
वशालकाय कछु आ सचलाइट से नकल रही रोशनी म धीमी ग त से चलता आ दखा।
यह एक बड़ी जा त थी, कम से कम बीस फ ट लंबा। वजय को अपनी आंख पर यक न
नह आ। कछु आ धीरे—धीरे उजाले को पार करता आ सरी तरफ अंधेरे म कह गुम हो
गया।
‘ठ क है, काम पर लग जाओ,’ वान लुएक ने आदे श दया। ‘म चाहता ं क हम
अगले दस मनट म सपल जमा कर ल और सुर त रख ल। इसके बाद हम यहां से बाहर
जाएंग।े ’
वजय झील के कनारे तक प ंचा और चांद क तरह दख रही सतह को गौर से दे खने
लगा। यह व ास करना असंभव था क यह वही जलरा श है जसका ज मथक म कया
गया था। ले कन अब वो जान गया था क पानी के इस रंग के पीछे क असली वजह या है।
यह उसी बै ट रया का ोत था, जो ऑडर को सकंदर क ममी म मले थे। उसने इसी
झील से आज से दो हजार तीन सौ साल पहले उस रात पानी पया था।
ले कन वो मर य गया? इसने उसके लए काम य नह कया?
‘जाने का व आ गया है,’ वान लुएक क तीखी आवाज ने उसके वचार को भंग
कया। ‘सभी लोग बाहर चल।’ वो वजय क ओर मुड़ा। ‘बेहतर होगा क तुम अं तम छं द
का मतलब हमारे जलालाबाद लौटने तक ढूं ढ़ लो।’

पहेली सुलझ गई

को लन और ए लस टडी म म बैठकर वजय के फोन का इंतजार कर रहे थे। वो उससे


संपक नह कर सकते थे य क वजय को सैटेलाइट फोन नंबर कसी को दे ने क इजाजत
नह थी। शु ला अपने कमरे म चले गए थे, सोने के मकसद से। हालां क को लन सोच रहा
था क कतनी न द वो ले पाएंग,े य क अभी भी राधा क कोई खबर नह आई थी।
फोन क घंट बजी, जसक आवाज ने रात के स ाटे को बखरा दया। को लन तेजी से
फोन उठाने दौड़ा, उसे पीकर पर डाल दया ता क ए लस भी बातचीत कर सके।
‘हलो वजय,’ उसने अपने दो त को कहा। ‘साथ म ए लस भी है।’
‘दो त , मुझे उ मीद है क तुम लोग के पास मेरे लए कुछ है। कुछ भी।’
‘ बलकुल।’ को लन क आवाज म गव झलक रहा था। ‘आखरी जगह है उ तुत पठार
जो कजाख तान और उ बे क तान म फैला है। छं द म जस जगह का ज कया गया है
वो एक ाकृ तक संरचना है जसे तीन भाई कहा जाता है, और जो पठार के कजाख ह से
म है। यह कजा ख तान के र दराज म झा ड़य से भरे इलाके म है। वहां जाना ब त
मु कल है। ए लस और मने इस खौफनाक चीज पर पतालीस मनट तक रसच कया है।’
‘शानदार! और तीर क नोक? जो रा ता दखाती है?’
को लन ने वजय को बताया क उसने इंटरनेट क मदद से या ढूं ढ़ा है।
‘सुनने म तो ठ क लग रहा है। आ यजनक तो है ले कन बलकुल मुम कन है। म इस
पर शत लगाने को तैयार ।ं ’
‘म भी, ले कन सच पूछो तो मुझे कुछ नह पता क तु ह वहां या मलेगा। म
“अ भयान का सार” का मतलब समझ नह पाया ं।’
‘म जानता ं क यह या है। यह वायरस है। पठार उस वायरस का ोत है। हम कुनार
घाट म बै ट रया का ोत मल गया है। यह वही जगह है जहां अमृत बनाया गया था।
इस लए इकलौती चीज जो अब तक गुम है, वो है वायरस का असली सं करण। और चूं क
वायरस अमृत का मह वपूण अवयव है, यही अ भयान का सार हो सकता है।’ वजय ने उ ह
बताया क उसने कुनार घाट म या दे खा था।
‘तो अब सफ उस छं द का मतलब नकालना रह गया है, जसम उस चीज का वणन है
जो कै ल थनीज ने बै या से इक ा क थी,’ ए लस ने कहा। ‘ या तुम हमसे उस पर भी
रसच कराना चाहते हो?’
थोड़ी दे र तक वजय कुछ नह बोला, फोन पर सफ अ प सी आवाज आती रह ।
फर वजय फोन पर वापस आया। वो वान लुएक के साथ सलाह—मश वरा कर रहा था।
‘कोई ज रत नह है,’ वजय ने जवाब दया। ‘वो लोग इस पर काम कर रहे ह। अब जब
उ ह मालूम है क छं द कस बारे म है और साथ म यह भी क छं द म बताई चीज कहां
मलेगी, वो लोग इसे खुद सुलझाएंग।े तुम लोग का शु या दो त । तुम लोग ने ब त मदद
क है।’ वजय ने वदा ली और फोन काट दया।
को लन ने उदासी से ए लस क तरफ दे खा। ‘उसने एक बार भी राधा का ज नह
कया।’
ए लन ने इस बारे म सोचते ए जवाब दया। ‘तुम सही कह रहे हो। वो खुश नह लग
रहा था क अब वो राधा को आजाद करने के बारे म मोल—तोल करने क थ त म है।’
‘ऐसा नह है क अगर वो को शश करेगा तो कामयाब ही हो जाएगा,’ को लन ने जवाब
दया। “ले कन मुझे ऐसा लगा क उसने राधा को वापस पाने क उ मीद ही छोड़ द है।’
वो दोन चुपचाप बैठे रहे, इस सोच म क इस व वजय कस दौर से गुजर रहा होगा।
वो उन लोग के बीच अकेला था ज ह ने उसक मंगेतर का अपहरण कया था। और अगर
उसे यक न है क राधा के लए कोई उ मीद नह है तो फर काफ गंभीर बात है।
65
जयपुर, राज थान

इमरान एमआई—26 हेलीकॉ टर म बैठा, उन दो म से एक म, जो जयपुर एयरफोस बेस से


मांगे गए थे। एमआई—26 नया का सबसे तेज हेवी ल ट म ल ांसपोट हेलीकॉ टर
है, जो इसे इस मशन के लए आदश बनाता था। ये दोन हेलीकॉ टर कमांडोज को उस
जगह पर प ंचाने के लए इ तेमाल हो रहे थे, जसक पहचान उन लोग ने राधा का मेसेज
मलने के बाद क थी।
वो लोग जयपुर के बाहरी इलाके के ऊपर उड़ान भर चुके थे, शहर क रोशनी को अपने
पीछे छोड़ते ए, और अब वो अंधेरे इलाके के ऊपर उड़ान भर रहे थे, जसम कह —कह
रोशनी दख जाती थी। रात के आसमान म इमरान सरे हेलीकॉ टर क छाया को दे ख
सकता था, जसक चमक ली लाल वॉ नग लाइट एक लय म चमक रही थी।
शहर छोड़ने के करीब दस मनट बाद, इमरान को बलकुल सामने एक बड़े से इलाके म
रोशनी दखी। यह उसी मे डकल फे स लट का अहाता था, जहां उन लोग को जाना था।
जैसे ही उन लोग ने ठकाने का ठ क—ठ क पता लगा लया था, जयपुर पु लस को इस
अहाते के आसपास नाकाबंद के लए अलट भेज दया गया था। ले कन अभी तक, पु लस
को कोई भी नह दखा था, जो मे डकल सटर से बाहर नकलने क को शश कर रहा हो।
इमरान च तत था। इसके सफ दो मतलब हो सकते थे। या तो व ण स सेना ठकाने
पर था नह या वो पु लस नाकाबंद के पहले ही वहां से नकल चुका था। इन दोन म से कुछ
भी हो, उसे डर था क टाइटन का सीएमओ उसके जाल म आने से पहले ही बचकर नकल
गया था।
जब वो लोग अपने तय ठकाने पर प ंचे, वशालकाय हेलीकॉ टर नीचे उतरने लगा। इस
ठकाने के मु य वेश ार के पहले काफ चौड़ा रा ता था। इसी रा ते म उन लोग ने
हेलीकॉ टर उतारने क योजना बनाई थी।
जैसे ही हेलीकॉ टर नीचे आए, उनके दरवाजे खुले और कमांडोज चार तरफ फैल गए,
पूरे अहाते को अपने सुर ा घेरे म ले लया, वो मह वपूण जगह पर जम गए थे। कमांडोज
का मु य द ता छपकर ब डंग क तरफ बढ़ रहा था और उनके पीछे इमरान भी था।
ब डंग म ह थयारबंद लोग के होने क उ मीद कम थी जो उनके काम म कावट डालती,
ले कन वो नह जानते थे क कब या हो जाए।
रसे शन म अंधेरा था। ब डंग वीरान और शांत लग रही थी। कोई भी आसपास नह
था। यहां तक क रात म रहने वाला सुर ाकम भी नह । कमांडोज ने रात म दखने म मदद
करने वाले च मे लगा लए थे और ब डंग म घुस गए। लाइट वच ढूं ढ़ ग । ले कन वहां
कोई नह था। कमांडोज ब डंग क दो मं जल पर फैल गए थे। वहां कुछ भी नह मला
था। साफतौर पर इस जगह को खाली करा लया गया था।
‘सीसीट वी आकाइव दे ख डालो। अगर उ ह ने इसे पूरा नह मटाया होगा तो हो सकता
है क तु ह कुछ सुराग मल जाए,’ इमरान ने अजुन को नदश दया। वो बाक आईबी ट म
के साथ आकाइव दे खने चला गया, जब क इमरान ाउंड लोर क जांच करता रहा। जब
वो ल ट के पास प ंचा, उसे द ली म पछले मे डकल सटर म तहखाना ढूं ढ़ने क बात याद
आई।
इमरान ने ल ट क जांच क और उसे तहखाने क तीन मं जल के बटन मले। उन
तक काड स यो रट स टम से ही प ंचा जा सकता था। इस बार, इमरान पूरी तैयारी के
साथ आया था। उसक ट म के इले ॉ न स ए सपट के पास ऐसा मा टर ो ामर था, जो
ल ट क स यो रट स टम को तोड़कर उ ह हर मं जल तक प ंचा सकता था।
उसके ईयरफोन म आवाज आई। यह अजुन था। ‘सर, यहां कुछ है जो आपको दे खने
क ज रत है।’
‘म अभी आ रहा ं,’ इमरान ने उसे कहा। वो कमांडो ट म के कमांडट क तरफ मुड़ा।
‘हर लोर को छान मारो। जब तु हारा काम हो जाए मुझे बताओ। म जानना चाहता ं क
नीचे या है।’
थोड़ी दे र बाद ही, वो स यो रट सटर म अजुन के पास खड़ा था।
‘सर, यहां कुछ बेहद अजीब चीज है,’ अजुन ने उस वी डयो लप को चलाने के पहले
कहा, जसे वो इमरान को दखाना चाहता था। ‘आकाइ स को पूरा मटा दया गया है। इस
रकॉ डग के अलावा बाक कुछ नह है। मुझे यह समझ नह आ रहा। वो लोग हर चीज
मटा गए ले कन बस इसे य छोड़ गए?’
‘चलो दे खते ह।’ इमरान का चेहरा स त था। उसके मन म इसे लेकर एक बुरी भावना
थी। अगर सफ एक लप को नह मटाया गया है तो यह एक मकसद से कया गया है।
च तत मु ा म वो लप के चलने का इंतजार करने लगा।
वी डयो लप म दखा क राधा फश पर बैठकर लैपटॉप पर तेज—तेज हाथ चला रही
थी।
इमरान तुरंत सतक हो गया और उसके मन पर एक ख हावी हो गया। यह ठ क नह
था। कुछ सेकड बाद, राधा ने लैपटॉप नीचे रखा और उठ गई। उसने चार तरफ सतक
नगाह से दे खा और फर आगे बढ़ । जब वो आगे बढ़ रही थी, अजुन ने न के कनार
पर हो रही ग त व धय क तरफ इशारा कया। लप म कोई आवाज तो नह थी ले कन
तीन सुर ाकम अपनी बं क से साफतौर पर राधा पर गो लयां चला रहे थे। इमरान कांपते
ए दे खता रहा क राधा खून से लथपथ नीचे गर गई। फश पर हर तरफ खून फैला था, जो
गो लय से ए ज म से नकल रहा था।
लप यहां पर एकाएक ख म हो गई थी।
इमरान उस जगह पर जम सा गया। वो सु हो गया था। उसने अभी—अभी राधा को
मरते दे खा था।
66
छठा दन

समु मंथन

वजय वान लुएक के आलीशान ग फ म जेट म बैठा था। वो लोग कजाख तान के
अकताऊ अंतरा ीय हवाई अ े के लए उड़ान भर रहे थे, जहां से वो हेलीकॉ टर से उस
जगह जाने वाले थे जो को लन ने बताई थी। एक ह थयारबंद द ता तैयार खड़ा था, और
उनके आने का इंतजार कर रहा था। ऐसा लगता था क ऑडर, जहां भी वो चाहता था,
लोग और ह थयार को आसानी से जुटा लेता था।
बाहर अभी भी अंधेरा था। वान लुएक ने जोर दया था क तुरंत नकला जाए। वह
चाहता था क वो लोग सूरज उगने के पहले पठार पर प ंच जाएं। वैसे तो वो जानते थे क
उ ह कस चीज क तलाश है, ले कन वो अभी भी यह नह जानते थे क दन के कस व
उ ह वायरस के ोत के लए गु त वेश ार दखेगा। उसका वचार था क सबसे सुर त
समय वही होगा, जब वो सूरज उगने के पहले वहां प ंच जाएं।
अकताऊ से एक एडवांस ट म पहले ही नकल चुक थी, जसे करीब 400 कलोमीटर
क री चौप हए वाहन से तय करनी थी, रेत और म के रा त पर जस सफर म उ ह
करीब आधा दन लग जाता। उनका काम था इलाके का साफ करना, सुर त बनाना और
मु य ट म का इंतजार करना।
वजय को अचानक एक याल आया। कुनार घाट म झील वाली गुफा से उ ह वो चीज
मल गई थी जस बारे म वान लुएक ने उसे पहले बता दया था। ले कन वो अभी भी
उसका सामंज य महाभारत के मथक वाली चीज से नह बैठा पा रहा था।
उसने वान लुएक को अपने मन क बात बताई।
‘साफतौर पर महाभारत म उस चीज क ा या है जो हम मली है,’ वान लुएक नाक
चढ़ाकर बोला। ‘तु ह बस छं द क सही ा या करनी है।’ वो खड़ा आ और एक अलमारी
क ओर गया, एक मोट कताब नकाली और अपनी सीट पर लौट आया, कताब को उसने
मेज पर रख दया। ‘ या तुम सं कृत समझते हो?’
वजय ने न म अपना सर हला दया।
‘मुझे कोई शक नह था, यादातर भारतीय क तरह।’ वान लुएक क आवाज म
तर कार क भावना थी। ‘म इस भाषा को ब त अ छे से जानता ,ं इस लए म तु ह
समझाता ं।’
उसने कताब खोली और प े पलटता रहा। ‘यह आ द पव है, महाभारत क पहली
कताब। यही वो कताब है जसम समु मंथन का मथक मलता है।’
पहली बार वजय को महसूस आ क इस यूरोपीय श स का सं कृत उ चारण कतना
शु है। इसके उ चारण म वो लहजा बेहद कम है, जो सामा य तौर पर यूरोपीय लोग का
इस भाषा को बोलते व होता है। उसने ज र काफ शु आती उ म ही इसे सीख लया
होगा और साल दर साल, इसे बोलते और पढ़ते ए अ यास कया होगा, वजय सोच रहा
था।
‘हां, यहां,’ वान लुएक ने प े पर अपनी उंगली रखी। ‘आ द पव म कुछ ोक ह जो
बताते ह क हजार साल पहले या आ था। हालां क ोक के वा त वक अथ पर
पारंप रक ा या हावी हो गई और घटना क सचाई धीरे—धीरे मटती चली गई। सच यह
है क इस कहानी को दया गया अं ेजी नाम अपने आप म गलत है। यह सच है क
समु मंथन क ा या “महासागर के मंथन” के प म क जा सकती है। ले कन मंथन क
उ प मंथ या मथ से ई है। जसके अं ेजी म कई अथ हो सकते ह। मथना उनम से सफ
एक है। मथ का मतलब हलाना, उकसाना या म त करना भी हो सकता है। इस लए,
अगर हम इस शीषक क पारंप रक ा या को भूल जाएं तो इसका मतलब हो सकता है या
तो “महासागर को हलाना” या “महासागर को म त करना”। जो, जैसा तुम दे खोगे,
यादा उ चत है उस चीज का वणन करने के लए जो आ था। और जो मशीन हम झील के
पास मली थी, वही थी जहां म ण आ था। झील का पानी द वार से सटाकर बनी प थर
क नाली के ज रए मशीन म जाता होगा और प थर के कुंड सरी साम य को जमा करने
और मशीन म उ ह प ंचाने के लए इ तेमाल होते ह गे। यह संभव है क पानी नकालने के
लए बना यं इस बात का म पैदा करता था क झील के पानी का मंथन हो रहा है,
इस लए मथ क ा या ‘मंथन’ के तौर पर क जाने लगी। म इसे थोड़ा और समझाता ं।’
उसने कताब दे खी, और साथ—साथ अपने सर के ऊपर लगी ब ी जलाई। ‘इस
ोक को लेते ह:’
दे वैरसुरसंघै म यतां कलशोद धः
भ व य यमृतं त म यमाने महोदधौ।।12।।
इस ोक का पारंप रक अथ हैः “दे व और दानव के ारा महासागर के मंथन के बाद,
सागर का जल अमृत कलश म प रव तत होगा”। ले कन अगर तुम “मंथन” श द को
“ हलाना” या “ म ण करना” से बदल दो, मथ क उ प का इ तेमाल करते ए, तो पूरा
अथ बदल जाता है। तुम अब इसक ा या इस तरह कर सकते होः दे व और दानव ने
सागर के जल को म त कया या हलाया और यह एक अमृत कलश बन गया।’
वो अगले ोक क तरफ बढ़ा और उसे पढ़ा।
सव षधीः समावा य सवर ना न चैव ह।
म थ वमुद ध दे वा वे य वममृतं ततः।।13।।
‘यहां, पारंप रक अथ हैः “सभी औषधीय पौध और र न को ा त करने के बाद, हे
ई र, महासागर का मंथन करो तब तुम अमृत ा त करोगे।” फर से “मंथन” क जगह
“ म त करना” या “ हलाना” रखो और तुम दे ख सकते हो क या यूब पर पौध और
फल का वणन करने वाला छं द ासं गक है या नह ।’
वजय उस पर यक न नह कर सका जो वो सुन रहा था। यहां एक ऐसा मथक था जो
उसने बचपन से अब तक दजन बार सुना था और वान लुएक उस ा या से बलकुल
अलग बात कर रहा था जो उसने सीखी थी।
‘अब एक ोक है जो सीधे उस चीज क बात करता है जो हम कुनार घाट म मलीः
तत तेन सुराः साध समु मुपत थरे।
तमूचुरमृताथाय नम थ यामहे जलम्।।8।।
इस ोक का पारंप रक अथ हैः “तब दे व और दानव महासागर के तट पर खड़े ए
और कहा क अमृत के लए हम जल का मंथन करगे”। यहां, दलच प है क समु म क
ा या “पानी के एक होने” के प म क जा सकती है। साफतौर पर यह एक वशाल
जलरा श क बात करता है। और यही हम मला ना? इस लए इस ोक का वा त वक अथ
हो सकता हैः “तब दे व और दानव उस तट पर खड़े ए जहां पानी एक होता था और कहा
क अमृत के लए हम पानी को हलाएंगे या मलाएंग”े ।’
उसने कुछ और प े पलटे और एक सरे ोक को दखाया।
‘यहां व ान आ जाता है। हां, तु ह बलकुल अलग सोच से, खुले दमाग से इस ोक
क सही ा या करनी होगीः
त नानाजलचरा व न प ा महा णा।
वलयं समुपाज मुः शतशो लवणा भ स।।19।।
पारंप रक प से इसक ा या इस तरह क जाती हैः “तब, वशाल पवत के हार से,
व भ कार के जलीय जंतु अपने वनाश क ओर बढ़ गए और उ ह ने लवणयु जल म
सैकड़ गुना होकर पुनज म लया”। यहां जलचर श द का अथ “जलीय जानवर” से लगाना
गलत है। इस श द का अथ है “पानी म चलने वाले या पानी म रहने वाले” और पानी के
कसी भी ाणी से इसका संबंध हो सकता है। बै ट रया समेत जो उस झील म रहते ह जो
हम मला। ये भी यान रखो क व न प ा श द का अथ हो सकता है “पीस डालना, चूण
म बदल डालना”। फर, लवणयु जलरा श का भी ज है। अ भ स का मतलब पानी
और लवणम् मतलब नमक न, यानी हम बात कर रहे ह नमक न पानी के एक कुंड क जो
पूरी तरह उस झील के लए उपयु है जो हम मला। इस लए नया अनुवाद इस तरह हो
सकता हैः “नमक न पानी म समु ाणी, या बै ट रया, न हो गए और सैकड़ गुना होकर
फर पैदा ए”। इसे तुम उसी घटना का च ण मान सकते हो, जब रे ोवायरस बै ट रया
को सं मत करता है और उनका जीनोम बदल दे ता है——एक तरह का पुनज म कह
सकते ह ना इसे?’
‘ म टर वान लुएक,’ पायलट क आवाज पीकर म गूंजी। ‘हम अकताऊ म उतरने जा
रहे ह। 30 मनट म जमीन पर ह गे।’
वान लुएक ने कताब बंद क और वजय क तरफ उसे आंकने के अंदाज म दे खा।
‘ऐसे कई ोक ह। ले कन तुमने दे खा क कैसे महाभारत म हम बताया गया है क हजार
साल पहले एक वै ा नक घटना ई थी? और यह कोई महासागर या सागर नह था, ब क
एक बड़ा लवणयु जलकुंड था जसने इस घटना का आधार तैयार कया। जो तुमने अपनी
आंख से अब दे ख लया है।’
वजय ने सकारा मक अंदाज म सर हलाया। उसके पास श द नह थे। वो सफ
ोक के पीछे छपे गूढ़ अथ को आ मसात करने क को शश कर रहा था, जो एक अ त
घटना का वणन सतही तौर पर करते थे।
67
सव े योजना के जो खम

पैटरसन ने कैमरे क तरफ यो रयां चढ़ाकर दे खा। यह उसक पूरी रात लेने वाला था।
इमरान जयपुर से लौट आया था और अ पताल के अपने कमरे म वापस आ गया था। उसके
टांके दद कर रहे थे और वो पूरी रात मेहनत करके काफ थक चुका था। जयपुर आने—जाने
का असर दख रहा था य क वो खून बहने और सजरी होने क वजह से अभी भी कमजोर
था।
इमरान ने पैटरसन को राधा के बारे म बता दया था। उस आदमी ने इस खबर को
भावहीन तरीके से लया था। यह यु था और उसने पहले भी अपनी ट म के सद य खोये
थे। खी होने का समय बाद म होगा। अभी काफ कुछ करने क ज रत थी।
ले कन वो इस खबर से खुश नह था जो को लन ने उसे द थी।
‘उ ह सभी जगह को छोड़कर कजाख तान चुनने क ज रत य थी?’ वो गुराया था।
‘हम अभी—अभी क ग तान के सै य अ े से हटे ह। म य ए शया म कोई और अमे रक
अ ा नह है। जब तक वो लोग अफगा न तान म थे, हम वजय को अपने ोन अ क
मदद से कुछ ना कुछ मदद कर सकते थे और वहां से उसे बाहर नकालने म यादा द कत
नह आती। हमारे पास वहां अभी भी सेनाएं ह। कजाख तान म मु कल हो सकती है। वो
पागल का इलाका है। अफगा न तान से कसी भी उड़ान को उ बेक और कजाख हवाई
े से गुजरना होगा। और हम अफगानी सै य अ े से हेलीकॉ टर का इ तेमाल नह कर
सकते——उनक इतनी मता नह होगी। मुझे नह लगता क इनम से कोई भी दे श इतनी
ज द हम अपने हवाई े म हमारे लड़ाकू वमान लाने क इजाजत दे गा।’
‘ या इसका यह मतलब है क वजय अब पूरे तौर पर अपनी क मत पर नभर है?’
इमरान ने आ य जताया।
पैटरसन ने कंधे उचकाए। ‘म इस बात को सु न त करने के लए जी—जान लगा ं गा
क हम उसे अभी भी मदद कर पाएं। वो मेरी बड़ी चता नह है। म वॉ शगटन म जतनी भी
पहचान है, उनका इ तेमाल कर लूंगा। ले कन म यह प के तौर पर नह कह सकता क
हमारे पास पया त समय है या नह । अगर वो लोग कल सुबह तक, कजाख के थानीय
समय के मुता बक, अं तम ठकाने पर प ंच जाते ह, तो इसका मतलब है क मेरे पास कुछ
ही घंटे ह। उसके बाद वजय क क मत। बेहतर होगा क म अभी से लग जाऊं।’
‘मेरी शुभकामनाएं तु हारे साथ ह।’ इमरान ने वदा लया और मॉ नटर बंद कर दया।
उसके मन म एक खालीपन सा भर आया। वो पहले ही राधा को खो चुका था। और पैटरसन
वजय क मदद करने का प का भरोसा भी नह दला पा रहा था। इमरान जानता था क
चीज खलाफ जा रही ह। और, वो इस याल से लड़ तो रहा था, ले कन इसे हटा नह पा
रहा था क वो अपना एक और दो त आज खो दे गा।

तीन भाई

वजय ने हेलीकॉ टर से बाहर झांका जब वो लोग उ तुत पठार के ऊपर से गुजर रहे थे।
काफ नीचे सपाट ऊंची जमीन फैली ई थी, जस पर रेत बछ थी। सुबह होने के पहले क
रोशनी म ब त थोड़ी सी ह रयाली दख रही थी और जहां तक नजर जाती थ , पानी का
कोई ोत नह दख रहा था। यह बलकुल उजाड़ इलाका था।
रे ग तान क रेत के बने वशालकाय ट ले और चूना प थर क लंबी तीखी ढाल ऐसी
दख रही थी, जैसे वो उनके ऊपर उड़ रहे घुसपै ठय को छू ना चाहती ह । तेज धार वाली
और टू ट —फूट पहा ड़यां कम से कम 300 मीटर ऊंची थ और अलग—अलग रंग क
दख रही थ , झक सफेद से लेकर नीली और गुलाबी तक। ऐसा लग रहा था मानो आप
कसी सरे ह का च कर लगाते ए उसे ऊपर से दे ख रहे ह ।
या यही वो जगह है जहां वायरस का ोत मलेगा? उ ह ज द ही पता लग जाएगा।
जैसे उसे इसी इशारे का इंतजार था, पायलट पीछे घूमा और उ ह बताया क तीन भाइय
के नाम से मश र च ानी संरचना दखने लगी है।
‘तीर क नोक क तलाश करो,’ वान लुएक ने नदश दया। ‘म चाहता ं क हर आंख
जमीन पर रहे।’
वजय को काफ आ य आ, जब उसने दे खा क सपाट ऊंची जमीन, जसके ऊपर वो
लोग उड़ान भर रहे थे, म बड़े—बड़े तीर तराशे गए थे। उसे जमीन पर तराशे गए नाजका
च क याद आ गई, जो मील तक फैले ए ह। ले कन यहां, तीर के अलावा कोई सरी
आकृ त नह दख रही थी।
सभी तीर मलकर यू आकार का एक थैला बना रहे थे जसम से दो नुक ले तीर बाहर
क ओर नकले थे।
वजय को अब छं द का मतलब समझ म आया। वो यह भी समझ गया क वान लुएक
यहां सूरज उगने के पहले य आना चाहता था।
तीन भाइय वाली संरचना अब उनके आगे दखने लगी थी——एक साथ भावशाली
भी और भयंकर भी। चूना प थर के एक वशालकाय ट ले से तीन बलकुल सीधे प थर के
तंभ गव से सीना ताने खड़े थे। ये तंभ नंगे थे, कोई पेड़—पौधे नह , उनके पूव ह से पर
नवो दत सूय ने जैसे आग जला द थी।
वजय कृ त क इस अ त कृ त से अपनी आंख नह हटा सका जसने इस वीरान
पठार क खूबसूरती को, जतना उसने अब तक दे खा था, कह पीछे छोड़ दया था। अगर
कृ त म कह भी कोई ऐसी रचना हो सकती थी जो अ वनाशी जीवन दे सके, तो ये जगह
उसके लए बलकुल सही लग रही थी।
‘तीन भाई,’ वान लुएक बुदबुदाया, वो भी च ान क इस संरचना क खूबसूरती से
भा वत हो गया था। फर वो अपने म लौट आया और सै य कुशलता के साथ नदश दे ने
लगा। नीचे, जमीन पर, एक एसयूवी दख रही थी, जसके साथ एडवांस ट म के लोग
च टय के समान दखाई दे रहे थे।
और तब वजय ने दे खा। नुक ले तीर का एक और सं ह। पठार के प थर पर अं कत
ठ क उसी तरह जैसा उसे रा ते म दखा था। इसक नोक तीन भाई क तरफ थी, पछले
तीर क तरह नह , जनक नोक उ र दशा क तरफ थी।
तीर क नोक जो माग का संकेत दे ती है।
ले कन छं द म बताया गया तीर कौन सा है?
हर तीर च ानी संरचना क तरफ इशारा कर रहा था ले कन च ान के अलग—अलग
ह स क तरफ।
‘कौन सा है यह?’ कूपर ने हेलीकॉ टर के पंख क गरज के बीच से च लाकर पूछा।
‘परछाई उसे पश करेगी जो हम मुहर तक प ंचाएगा!’ वान लुएक ने भी च लाकर
जवाब दया। ‘दे खो, वो पीछे हटने लगे ह।’
वो सही था। सुबह के सूरज से बनी लंबी परछा सकुड़ रही थ , वो च ानी संरचना क
तरफ खुद को समेट रही थ ।
‘हम यहां काफ दे र तक मंडरा नह सकते।’ कूपर चीखते ए बोला। ‘हमारे पास इतना
ही धन बचा है क हम अकताऊ तक वापस प ंच सक।’
‘वो लोग तीर पर नशान लगा रहे ह।’ वान लुएक ने जवाब दया। ‘अब हम नीचे
जाएंग।े ’
हेलीकॉ टर ने नीचे क तरफ उतरना शु कया जब क जमीन पर एडवांस ट म अलग
—अलग तीर के चार तरफ तेजी से दौड़ लगा रही थी। वजय समझ गया क या हो रहा
था। दन क रोशनी के आने के साथ ही एडवांस ट म हर तीर के घेरे पर सफेद झंडे लगा रही
थी। जब च ानी संरचना क परछाई सही तीर पर पड़ेगी, वो सफेद झंड पर बनने वाली
परछाई दे खकर पता लगा लगे। हेलीकॉ टर धूल और रेत के तूफान के बीच जमीन पर उतरा,
पंखे क आवाज धीरे—धीरे कम होकर स ाटे म बदल गई थी। यह एक खूबसूरत य था।
उनके चार तरफ एक बड़ा पथरीला रे ग तान था, जसके बीच बीच तीन भाई के नाम से
मश र च ानी संरचना खड़ी थी। कुछ री पर, पहा ड़य ने अपना रंग बदलना शु कर
दया था जैसे—जैसे सूरज आसमान म ऊपर चढ़ता जा रहा था।
‘इसका कोई मतलब नह है,’ वजय ने कहा। ‘दोन तीर अभी परछाई के घेरे म ह। जब
च ान क परछाई पीछे हटे गी, यह दोन तीर क नोक को पश करेगी। वो एक ही दशा क
तरफ संकेत कर रहे ह।’
‘धीरज रखो,’ वान लुएक ने कहा। ‘याद रखो, यूब को ऑडर ने बनाया था। जो हम
लोग करते ह, हर उस चीज का एक मकसद होता है। अगर छं द कहता है क हम इसी तरीके
से ठकाने पर प ंचगे, तो मेरा व ास है क हम प ंचगे।’
सब लोग इंतजार करते रहे और तीन सर वाले च ान क परछाई पीछे हटती रही। दो
तीर म से कौन था जसक उ ह तलाश थी?
68
सांप क मुहर

ह थयारबंद लोग एक साथ च ला उठे जब सकुड़ती ई परछाई ने दोन तीर क नोक को


पार कया और फर उस तीर क नोक पर टक गई जो बलकुल दाएं था। यह तीन भाई म
सबसे छोटे क तरफ संकेत कर रहा था।
वजय को अब वान लुएक के श द क सचाई समझ म आई। वो अब तक इस पर
संदेह कर रहा था। ले कन सकुड़ती परछाई, जब तीर के ऊपर से गुजर रही थी, खुद एक
तीर बन गई थी जसक नोक च ान से र जा रही थी। च ान और सूय दोन क अनूठ
थ त क वजह से, तीर क आकृ त वाली परछाई और पठार पर बने तीर क नोक अब
मल गई थी।
वान लुएक ने वजय पर एक वजयी डाली, जसने सर हलाकर उसका लोहा
मान लया। ‘चलो।’ वो यूरोपीय आगे बढ़ने लगा और बाक लोग हेलीकॉ टर से बड़े सं क
घसीटते ए उसके पीछे तीर क दशा म चल दए।
जब वो लोग सबसे छोटे शखर क तरफ प ंच,े वजय को पूवानुमान का रोमांच महसूस
आ। या होगी सांप क मुहर?
कूपर ने तीर क तरफ पीछे मुड़कर दे खा। वो अपने मन म कुछ हसाब लगा रहा था।
‘तीर क ढाल ऊपर क तरफ है,’ अंत म उसने कहा। ‘इसका मतलब है क जहां हम खुदाई
करनी चा हए, वो जगह ढाल पर है। मेरा मानना है क यह जगह इसके आसपास होगी।’
उसने च ानी संरचना क सीधी ढाल पर एक जगह क तरफ इशारा कया।
आदे श मलते ही पांच आदमी आगे बढ़े । एक सं क खोला गया और उसम से औजार
नकाले गए। उन पांच आद मय म आपस म चचा होने लगी और वो बीच—बीच म च ान
क तरफ दे खते जाते थे। वजय पवतारोही तो था नह , उसे चचा तो समझ नह आई ले कन
उसने अंदाजा लगा लया था क वो ये तय कर रहे ह क कौन सा औजार इ तेमाल कया
जाए।
उसने दे खा क उनम से एक आदमी ने एक बेलनाकार औजार चुना और उसका नशाना
उन तीन चो टय म से सबसे छोट के शखर पर साधा। एक क उसम से गोली क र तार
से नकली और च ान के शखर क तरफ जाने लगी, उसके पीछे पहाड़ पर चढ़ाई करने
वाली र सी लगी थी। वजय को समझ आ गया क यह एक तरह क कं े ड एयर कैनन है
जो पहाड़ पर क दागती है। क शखर पर एक झनझनाहट क आवाज के साथ धंस गई।
सरे आदमी ने र सी ख ची, जो कुछ इंच तक आगे फसली, फर कसकर तन गई, यानी
क च ान म अ छे से धंस चुक थी।
एक और उपकरण खोला गया और उसे र सी से जोड़ दया गया।
वजय को नह पता था क वो या है, जब तक क एक आदमी ने हारनेस नह पहना
और उसे उस उपकरण से जोड़ा। उसने एक बटन दबाया और एक मोटरयु घरनी उसे
र सी पर ऊपर क तरफ तेजी से ख चने लगी।
‘तुम या तो पहाड़ म कोई वेश ार ढूं ढ़ना या एक मुहर जसम ऑडर का तीक हो,’
कूपर ने उस पवतारोही को अपने माइ ोफोन से नदश दया। पवतारोही के पास, वजय
और वान लुएक को छोड़कर बाक सभी आद मय क तरह, बातचीत करने के लए
माइ ोफोन और छोटा ईयरपीस था।
घरनी उस आदमी को ढाल पर तब तक ख चती रही, जब तक क करीब स र फ ट
क ऊंचाई पर, वो का और र सी को च ान से बांधने लगा ता क वो हवा म झूलता ना रहे।
‘उसे मुहर मल गई है,’ कूपर ने वान लुएक को बताया। ‘यह सही—सलामत है।’
वान लुएक ने सर हलाया। ‘म भी यही सोच रहा था। अब हम जानते ह क सकंदर
को कसने मारा।’ वजय ने उसक ओर सवा लया नजर से दे खा ले कन वान लुएक ने
अपने रह यमय बयान पर व तार से कुछ नह बताया।
सभी आदमी बाक सं क को खोलने म लग गए। उनम ह के जेनरेटर, पावर ल,
जैकहैमर, छे द करने वाली इलै क मशीन और बेलचे, कुदाल और कु हा ड़य के साथ—
साथ प थर तोड़ने के लए बड़े—बड़े हथौड़े भी थे। बाक चार आद मय ने भी शखर पर
क दागे और पहले पवतारोही क ही तरह वहां प ंच गए, जसने एक र सी अपनी कमर से
बांधकर नीचे लटका द थी। औजार से भरा एक थैला र सी से बांध दया गया जसे
पवतारो हय ने ताकत लगाकर ऊपर ख च लया। बजली से चलने वाले औजार के मोटे
तार नीचे जमीन पर जेनरेटर से जोड़ दए गए थे।
‘तु ह मुहर तोड़नी है,’ कूपर ने ढाल पर खड़े उन आद मय को कहा। ‘इस बारे म नरमी
बरतने क ज रत नह है। हम वेश ार को बाद म बंद करगे।’
जेनरेटर चला दए गए थे, जनका शोर वशाल पथरीले पठार म गूंजने लगा था और
जसने कुछ खरगोश और प य को डराकर उनके घ सल से बाहर नकाल दया था।
पवतारोही च ान पर चोट करने लगे, ल और हथौड़ क मदद से मुहर को तोड़ने म लग
गए। इतनी री से वजय यह नह दे ख सकता था क मुहर दखने म कैसी है। ले कन वो यह
समझ गया था क यह छपे ए प म है। कोई नह जानता था क इस च ानी संरचना पर
कह एक मुहर छपी है।
आ खरकार, पवतारो हय क तरफ से च लाने क आवाज आई, एक धमाके के साथ
च ान के टु कड़े ढाल से नीचे आने लगे। मुहर टू ट चुक थी।
च ान म एक वगाकार, काला छे द झांकने लगा था, जो उजली ढाल के सामने और
यादा गहरे रंग का दख रहा था। यह दखने म काफ बड़ा नह था और, जब मु य
पवतारोही उसम वेश कर गया, वजय को समझ आया क यह हर तरफ से तीन फ ट से
यादा बड़ा नह है। बस इतना बड़ा था क एक बार म एक आदमी अंदर जा सके।
बजली से चलने वाले औजार पांच घर नय के साथ नीचे कर लए गए थे और वो
पवतारोही एक—एक करके उस मुहाने म अंदर जा चुके थे। वो अपने साथ हाथ से चलने
वाले औजार ले गए थे।
‘यह एक सीधी सुरंग है जो पहाड़ के भीतर ले जा रही है,’ कूपर ने वान लुएक को
जानकारी द । ‘काफ पतली है, इस लए वो अपने हाथ और घुटन के बल चल रहे ह।’
थोड़ी दे र बाद, ऐसा लगा क वो आदमी क गए थे और कूपर उनक बात पूरे यान से
ईयरपीस पर सुन रहा था। वो वान लुएक क तरफ घूमा। ‘वो एक कमरे म ह। वहां से
सी ढ़यां नीचे क तरफ जाती ह। हम अब उनके साथ हो सकते ह। एक बार वो नीचे उतरने
लगगे, हमारा संपक उनसे टू ट सकता है।’
‘चलो,’ वान लुएक ने आद मय को उसके पीछे आने का संकेत दया, और वो च ान
क पद तक प ंचा और एक घरनी को पकड़ लया।
‘यह दे खने का व है क ऑडर के पुराने अ े कैसे होते थे।’

करीब—करीब उसी थान पर

वजय ने खुद को घरनी से बांध लया, वो दो सुर ाक मय के बीच म दबा आ था। उसे
यादा कुछ नह करना पड़ा; घरनी ने सारा काम कर दया था। उसके सामने वाला
सुर ाकम उस मुहाने म चला गया जो बस इतना बड़ा था क एक बार म एक ही आदमी जा
सकता था। वजय उसके पीछे —पीछे गया, उसके हेलमेट लप क रोशनी सुर ाकम के
पछले ह से पर पड़ रही थी। सुरंग सीधी पहाड़ के भीतर जा रही थी। यह उतनी संक ण
नह थी क बेचैनी महसूस हो। दोन तरफ और ऊपर क तरह जगह थी, ले कन वजय
अपना सर ब त ऊंचा नह उठा सकता था। सुरंग क फश और द वार चकनी थ ।
करीब तीस फ ट तक जाने के बाद, सुरंग एक बड़े कमरे म खुलती थी। वजय सुरंग से
बाहर नकला और वान लुएक और उन आद मय के साथ हो लया, जो उससे पहले यहां
प ंच चुके थे और बाक लोग को उस रा ते से आते दे ख रहे थे।
‘रोशनी करो,’ वान लुएक ने आदे श दया और ताकतवर पोटबल सचलाइट जल उठ ,
रोशनी म सी ढ़यां दख जो गहरे अंधेरे म उतर रही थ और उनक पद तक सचलाइट क
रोशनी नह प ंच पा रही थी।
कूपर का संकेत पाकर, चार आद मय क एक एडवांस ट म सी ढ़य से नीचे उतरने
लगी। कूपर उनक ग त व ध क नगरानी अपने ईयरपीस क मदद से कर रहा था, और वो
लोग अपनी ग त व ध क जानकारी उसे दे ते जा रहे थे।
सभी लोग कमरे म चुपचाप, धैय के साथ इंतजार करते रहे, काफ मनट बीत गए।
वजय ने अनुमान लगाया क कम से कम बीस मनट बीत चुके ह, तभी कूपर ने वान
लुएक को जानकारी द , ‘सब कुछ ठ क है।’
वान लुएक ने सहम त म सर हलाया और बाक लोग ने सी ढ़य से नीचे उतरना शु
कर दया।
69
अमृत और र न

वजय अं तम सीढ़ से उतरा और चार तरफ आ य से दे खा। सचलाइट क रोशनी म एक


बड़ा कमरा दखा जो च ान को काटकर बनाया गया था। यह कोई गुफा नह थी, ना तो
ाकृ तक या इंसान क बनाई ई। जस कमरे म वो लोग खड़े थे, वो साफ या म तक
आकार का था। यह आयताकार था, जसक द वार चकनी थ । दोन तरफ द वार म कई
दरवाजे थे, जो अंधकार म खुल रहे थे। र क तरफ, उस द वार म जसके सामने सारे लोग
खड़े थे, एक आयताकार प थर द वार से उभरकर नकला आ था।
वान लुएक और कूपर के नदश के तहत, समूह छोटे —छोटे दल म बंट गया और इस
तलाश म लग गया क दरवाज के पीछे या है। वजय, जसके साथ लगातार दो
सुर ाकम लगे ए थे, वान लुएक के पीछे था जो एक कमरे से सरे कमरे म जा रहा था।
पहले कमरे म द वार से लगी अलमा रय म कलश रखे थे, जनक ऊंचाई करीब एक
फुट रही होगी। वहां कम से कम सौ कलश रखे थे, जो उसी काली धातु के बने थे, जसक
वो मेटल लेट बनी थी।
जब सचलाइट क रोशनी द वार के ऊपरी ह से पर पड़ी, दे वनागरी ल प म लखा एक
श द दखाई पड़ा। ‘रसकुंड।’ वजय ने उसे पढ़ तो लया ले कन उसे नह मालूम था क
इसका अथ या है।
वान लुएक ने उसका उलझन भरा चेहरा दे खा और उसके मुंह से दबी हंसी नकल गई।
‘इन बरतन म एक वशेष तरह का पेय पदाथ रखा है जसे महाभारत म अमृत कहा
गया है,’ उसने कृपा भाव से समझाना शु कया। ‘इस पेय म वो मता है जो इसे पीने वाले
को अ त श दे ती है। महाभारत म, जब भीम को य धन ने जहर दे दया था और वो
नाग के रा य म प ंच गया था, उसे यही पेय दया गया था ता क वो व थ हो जाए और
अपनी ताकत बढ़ा सके। महाका के मुता बक, भीम ने अमृत के आठ कलश पये थे, हर
कलश से उसे एक हजार हा थय के बराबर क श मली थी।’
‘तु हारे कहने का मतलब है क ये वही कलश ह जो महाभारत म व णत ह?’ वजय
उस चीज पर व ास नह कर सका जो वो सुन रहा था। वो अभी तक तो यही जानता था
क महाभारत वा त वक घटना पर आधा रत है जो हजार साल पहले ई थ । उसने
इसके माण दे खे थे। ले कन उस दौर क वा त वक चीज को दे खना बलकुल अलग बात
थी।
वान लुएक ने कंधे उचकाए। ‘हो सकता है वही कलश ना ह । ले कन लखावट तो
यही कहती है।’ वो कूपर क तरफ मुड़ा। ‘सैकड़ साल के बाद कलश तो खाली ह गे।
अमृत सूख गया होगा। पानी म रे ोवायरस ज र घुले रहे ह गे। तभी तो ये पीने वाल को
तुरंत अ त ताकत दे ता होगा। हो सकता है कुछ बचा—खुचा हो जसम वायरस ह । उनम
से पया त नमूने इक ा कर लो।’
कूपर ने सहम त द और थैले नकाले गए। वजय ने गौर नह कया था, ले कन हर
कसी ने अपनी कमर से समट जाने वाले नायलॉन के थैले बांध रखे थे। सभी आदमी कलश
क जांच करने और उनम रखे पदाथ को थैल म भरने म लग गए।
वान लुएक लंबे डग भरता आ हॉल के सरी तरफ वाले कमरे म चला गया। इस
कमरे क द वार पर गहने थे जो सचलाइट क रोशनी म जगमगा रहे थे। उस यूरोपीय
श स ने सर का इशारा कया। ‘हर चीज वैसी ही है जैसी होनी चा हए,’ उसने वजय के
मुकाबले खुद से यह बात यादा कही। ‘ ोक का यही मतलब था।’ वजय समझ गया क
वान लुएक या बुदबुदा रहा था।
कजाख तान आते ए वमान म उसने वजय को जन ोक का मतलब समझाया
था, उनम से एक म औषधीय पौध और र न का ज था। औषधीय पौध का संदभ तो
बलकुल साफ था——इसका मतलब उन पौध से था जो कै ल थनीज ने बै या के
जंगल से जमा कए थे। ले कन उस समय, वजय र न का संदभ नह समझ पाया था।
अब, वो समझ गया क र न यहां ह। और वायरस के साथ।
जब च ान पर मुहर तोड़ी जा रही थी, वान लुएक ने इस बारे म कुछ बुदबुदाया था क
कस वजह से सकंदर क मौत ई थी।
वजय अब जान गया था क उस बयान का या मतलब था। वो भी, अब जानता था क
सकंदर अमृत पीने के बावजूद य मरा था।

अं तम बाधा

‘यह एक दरवाजा है,’ वान लुएक ने उस प थर के आयताकार टु कड़े क जांच के बाद


तुरंत बता दया, जो सामने क द वार से नकला आ था। बाक लोग ने तेजी से मु य क
के दोन तरफ बने सभी छोटे कमर क तलाशी ले ली थी।
ले कन पहले कमरे म मले बरतन और सरे कमरे म मले र न के अलावा बाक कमर
म उ ह कुछ खास मह व क चीज नह मली थ । एक कमरे म ज र द वार पर कुछ
अ भलेख उ क ण थे। ऐसा लग रहा था क जो लोग भी पहले यहां रहते थे, उ ह ने इसे बंद
करने के पहले इसक सफाई कर द थी, सफ कलश और आभूषण ही यहां छोड़ गए थे।
इस चीज को पूरे तौर पर समझना मु कल था क इन चीज को वो यहां से य नह ले गए,
ले कन अभी इसका व ेषण करने या अटकल लगाने का व नह था। वान लुएक
वायरस के और यादा भरोसेमंद सपल हा सल करने क हड़बड़ी म था। और उसे पूरा
भरोसा था क यह उसे प थर के दरवाजे के पीछे ही मलेगा।
हालां क, इस न कष के बावजूद, कोई तरीका नह दख रहा था जससे दरवाजा खोला
जा सके।
‘तोड़ दो इसे,’ वान लुएक ने आदे श दया, अब वो यादा इंतजार नह कर सकता था।
प थर तोड़ने वाले बड़े-बड़े हथौड़े लाए गए और तीन आदमी उस दरवाजे को तोड़ने म
लग गए।
साफतौर पर च ानी दरवाजे के पीछे कुछ मह वपूण था तभी वो इतनी आसानी से नह
खुल रहा था। तीन आद मय ने आधे घंटे तक मेहनत क , तब जाकर उसम दरार दखनी
शु । और इस पूरे दौरान, उनके हार से प थर के छोटे —छोटे टु कड़े उड़कर पूरे क
म बखरते रहे। सरे लोग को अपने चेहर को हाथ से बचाना पड़ रहा था ता क प थर के
टु कड़े चेहरे पर ना लग। प थर तोड़ रहे पहले के तीन लोग अब पीछे हट गए और उनक
जगह तीन सरे आद मय ने ले ली, ता क काम पूरा करने म आसानी हो। और आधे घंटे क
जी—तोड़ मेहनत के बाद प थर का दरवाजा आ खरकार टु कड़ म बखर गया।
एक काला सा छे द मुंह बाए सामने था।
इस मुहाने के पीछे या छपा था?
70
327 ईसा पूव

वतमान अफगा न तान


मानव से ई र

यूमेनीज ने मशाल ऊपर उठाई जब सकंदर पूव को जीतने के अपने अ भयान पर थान से
पहले उस चम—प को तरछ नगाह से दे ख रहा था, जो उसक मां ने उसे दया था।
उसक मां ने उसे बताया था क यह उसे उसी भू म से आए एक दाश नक ने दया है, जहां
पर अभी उसक सेना ने अपना पड़ाव डाला है। ले कन उसे चम—प के ोत म दलच पी
नह थी। उसक दलच पी मथक क कथा——ई र का रह य——म थी जसने उसे
अपनी सेना को ए शया के पार लाने और सधु क भू म म आने के लए े रत कया था।
उसने अपने आसपास के े पर नजर डाली और जहां तक उसक नजर प ंच रही थ ,
उनक भौगो लक थ त को चम—प पर लखे ोक के अथ से मलाने क को शश क ,
जो उसक मां ने उसे समझाए थे।
‘वो चीज यह कह आसपास होनी चा हए,’ वो बुदबुदाया, कुछ खुद को और कुछ
यूमेनीज को समझाने क को शश कर रहा था। ‘हमने अभी—अभी पोजीडॉन के दं ड को
पार कया है।’
यूमेनीज ने सर हलाया। ‘ या हम आगे बढ़? शायद वो आगे हो?’
सकंदर भुनभुनाया। वो लोग करीब एक घंटे से तलाश म लगे थे, उनके काम को अंधेरे
और उबड़—खाबड़ च ानी जमीन ने और मु कल बना दया था। ले कन सकंदर को अपनी
तलाश अंधेरे म ही जारी रखनी थी। पोजीडॉन के दं ड को ढूं ढ़ने का यही इकलौता तरीका
था।
उसने चालाक से अपनी सेना को इतनी र तक आने के लए े रत कया था और अब
वो अपनी कामयाबी के रा ते म कसी को नह आने दे सकता था। शु आत म, उसने अपने
सै नक को बताया था क वो त ा के लए लड़ रहे ह। मक नया क त ा के लए।
फार सय के हाथ ए अपमान का बदला लेने के लए। वो लोग फार सय से लड़गे और
उ ह परा त कर दगे। सकंदर फारस पर राज करेगा। इससे उसक सेना म अ छा संदेश
गया था, खासतौर पर यु का अनुभव रखने वाले व र सै नक म, ज ह ने उसके पता
फ लप तीय क अगुवाई म कई लड़ाइयां लड़ी थ । वो उसक योजना म फ लप क
मह वाकां ा और उसक वजय का व तार दे ख सकते थे। सकंदर, उनके लए, अपने
पता का स चा पु था।
पछले कुछ साल के दौरान उ ह ने डै रयस को ने तनाबूद कया था, उन सामंत का
खा मा कया था ज ह ने फारसी बादशाह को धोखा दया था और सकंदर को फारस के
शासक के तौर पर था पत कया था। और फर, बा ख म जब सेनाएं घर वापसी क सोच
रही थ , सकंदर ने उन पर बम गरा दया था। वो लोग ए शया क तरफ कूच करने वाले थे।
उसने उ ह व वजय, पृ वी के सरे छोर तक कूच करने और सधु क भू म पर
मक नया के भु व क कहा नय से े रत कया था। उसके लोग, अपनी जीत से और
अपने राजा और सेना क अजेयता से उ सा हत, उसके साथ जुट गए थे।
अब, वो उस कारण, जसके लए वो यहां आया था, के काफ करीब था। ई र का
रह य। अपनी सेना को दो भाग म बांटकर, चम—प पर दए नदश के अनु प, उसने
एक भाग क अगुवाई कुनार घाट तक क थी। कै ल थनीज ने मशन का अपना ह सा
पहले ही पूरा कर लया था, जसम उसने चम—प के कुछ नदश पालन कया था, जब
सकंदर ने अपनी सेना क अगुवाई सॉ डयन पवत के व क थी और बै यन कबील
को अधीन बना लया था।
सकंदर के पास अब वो सारी चीज थ जो उसे चम—प के नदश के अनु प चा हए
थ । वो और यूमेनीज आज रात अपने खेमे से चुपचाप नकल आए थे, और अं तम
नशा नय क तलाश कर रहे थे जो उ ह रह य के ठकाने तक प ंचाते।
धीरे—धीरे, सावधानीपूवक वो आगे बढ़ते गए। वो अपने आसपास खड़ी उन च ानी
संरचना के कनारे चल रहे थे, जो उनके ऊपर मूक समा ध क तरह उठ ई थ । काफ
नीचे, पवत और अंधेरे के पद म, नद बह रही थी ले कन वो उ ह दख नह रही थी। इसने
कई वजेता को आते—जाते दे खा था और इस राजा क उप थ त से भी अनजान थी,
जो सावका लक महान वजेता म एक होने वाला था।
यूमेनीज ने च तत होकर चार तरफ दे खा। सकंदर ने अपने साथ कोई भी हरी लाने
से मना कर दया था, और उसे अपनी तलवार और सै य कौशल पर भरोसा था। ‘उस
आदमी पर कौन आ मण करेगा जसने नया जीती है?’ उसने यूमेनीज का मजाक उड़ाया
था, जब उसने सुझाव दया था क उ ह अपने साथ कुछ सै नक ले चलने चा हए। ले कन
यूमेनीज सकंदर के इस आ म व ास से सहमत नह था। सकंदर इस इलाके के पहाड़ी
कबील को अधीन बनाने क इ छा रखता था और उसका तक था क ये कबीले उसक सेना
के लए खतरा ह। यूमेनीज जानता था क दरअसल यह उस गु त मशन को छपाए रखने
क चाल थी जस पर आज रात वो आए थे। ले कन थानीय कबीले उनके आते ही भाग गए
थे और अपने गढ़ एयोरनॉस म वापस चले गए थे, उस दर से कुछ मील र जो उ ह पूव क
तरफ ले जाने वाला था। कौन बता सकता था क कह कोई गु सैल कबीलाई च ान और
पेड़ क आड़ म घात लगाकर बैठा हो, और स य नया के शासक का वध करने के लए
सही मौके का इंतजार कर रहा हो?
‘वहां!’ सकंदर क खी फुसफुसाहट ने उसके वचार को भंग कया।
यूमेनीज तनकर दे खने लगा क सकंदर ने या दे ख लया था। एक और अजीबोगरीब
च ानी संरचना उनके सामने खड़ी थी। ले कन यह थोड़ी अलग थी। ऐसा लगता था क यह
दोन तरफ से काफ घस चुक है, जसक वजह से यह एक वशालकाय लहर क श ल म
दख रही थी, जो उनके ऊपर से होती ई आसमान तक प ंच रही थी।
एक वशालकाय लहर। या पांच सर वाला सांप। जो चम—प के ोक से मेल खाता
था।
सकंदर सांप क श ल वाली च ान क तरफ आगे बढ़ा, यूमेनीज उसके पीछे
लड़खड़ाता आ चला, अपने राजा क चाल से चाल मलाने क को शश करता आ। अब,
वो च ान के सामने खड़े थे। यह उससे कह यादा ऊंचा था, जो उ ह तब लगा था जब
उ ह ने पहली बार दे खा था, उनके सर से करीब पं ह फ ट ऊपर फैला आ।
यूमेनीज ने मशाल च ान के पास कर द , वो ये ढूं ढ़ने क को शश कर रहा था क या
इस भू मगत गुफा म जाने का कोई रा ता है, जो चम—प के मुता बक इसी च ान के नीचे
था।
सकंदर ने इसे ढूं ढ़ लया। यह एक संक ण मुहाना था, जो च ान म एक मोड़ के पीछे
छपा था। जब तक कसी को यह मालूम ना हो क वो वहां है, दन के उजाले म भी इसे दे ख
पाना असंभव था।
‘यहां इंतजार करो,’ सकंदर ने आदे श दया और यूमेनीज से मशाल ले ली। ‘म ज द
लौटता ं।’
यूमेनीज ने इस पर आप क , ले कन सकंदर ने उसे तुरंत चुप कर दया। ‘यह एक
प व जगह है,’ सकंदर ने उसे कहा। ‘ सफ एक भगवान के लए उपयु है। इसके आगे म
खुद जाऊंगा।’
सकंदर उस मुहाने म गायब हो गया, और यूमेनीज को अंधेरे म अकेला छोड़ दया।
ले कन वो अपनी सुर ा को लेकर च तत नह था। उन दोन म से कोई नह जानता था क
मुहाने के पीछे या है। वो सफ एक अजनबी क बात पर व ास करके चल रहे थे। अगर
यह सकंदर को मारने क चाल ई तो?
समय बीतने लगा, धीरे—धीरे, परेशानी बढ़ाते ए और यूमेनीज स त पथरीली जमीन
पर बैठकर अपने राजा क वापसी का इंतजार करने लगा।
समय, जो बीतने का नाम नह ले रहा था, आ खरकार बीता और सकंदर मुहाने से
बाहर आया। उसका कवच भीगा आ था, और उसका चेहरा चमक रहा था।
‘हो गया,’ उसने यूमेनीज को मशाल लौटाते ए कहा। ‘अब, अंततः म भगवान हो गया
ं।’
71
वतमान

छठा दन
अ भयान का सार

नए खुले दरवाजे के पीछे खाली जगह थी, जसका हर ह सा कालेपन से भरा आ था और


वो मानो दरवाजे से बाहर नकलकर उस छोटे क को भर दे ना चाहता था जसम वो लोग
खड़े थे।
एक साथ सबके कलेजे धक से रह गए जब सचलाइट क रोशनी ने उस अंधेरे को चीर
दया जसने प थर के दरवाजे के पीछे एक गु त गुफा बना रखी थी।
गुफा के फश पर हर कार के और हर आकार के सांप का झुंड था। इनम कोबरा और
मूषाद सांप को आसानी से पहचाना जा सकता था। सरे सांप भी थे जो मु कल से एक
फ ट लंबे ह गे। वहां काले, हरे, भूरे और गे ए सांप भी थे।
सफ वान लुएक शांत था। वजय ने उसक ओर नजर फेरी और यह दे खकर च क
गया क उसके चेहरे पर स ती ले कन संतु के भाव थे। ऐसा लग रहा था क उसे इसका
आभास था।
‘इ ह इक ा करो,’ वान लुएक ने आदे श दया। ‘म हर तरह के दो सांप चाहता ं।
जतने यादा मुम कन हो, उतने पकड़ लो।’
वो आदमी हच कचाए। उनम से कुछ सांप के जहरीले नह होने क संभावना थी,
ले कन यादातर सांप जहरीले लग रहे थे।
कूपर ने चीखते ए आदे श दया और एक बं क लहराई। ‘म चाहता ं क हर आदमी
वहां जाए। तुम लोग के पास बं क ह। अंदर जाओ और उ ह इक ा करो। ज रत पड़ने पर
गोली चलाओ, वो काफ बड़ी तादाद म ह। दो लोग क ट म बनाओ और एक सरे क
मदद करते रहो।’
आद मय ने एक सरे क तरफ दे खा और, हच कचाते ए, गुफा म चले गए। दस
आदमी दरवाजे पर खड़े होकर सचलाइट पकड़े रहे ता क उनके सा थय का काम आसान
हो।
सांप का झुंड और यादा चढ़ गया जब उन आद मय ने दहलीज पार क । एक हाथ म
उनके थैले थे और सरे म बं क और वो सांप के बीच संभलकर चल रहे थे, ता क उनके
पैर सांप पर ना पड़े।
इस काम म कई जान का नुकसान आ। एक आदमी का पैर कोबरा पर पड़ा जसने
बजली क तेजी से उस पर हमला कर दया। वो आदमी फश पर गर गया और बाक
अपना काम करते रहे। सरा बद क मत आदमी एक कोबरा पर पैर रखने से बचाने के
च कर म सांप के एक जमघट पर लड़खड़ा गया। उस पर तुरंत कुंडली मारकर फुफकारते
सांप ने हमला कर दया, कई जगह पर डस लया और वो एक चीख के साथ नीचे गर
गया।
बाक लोग सांप के बीच सावधानी से अपना काम करते रहे, अपने सा थय क
गल तय से सीख लेते ए। दो लोग के समूह म काम करते ए उन लोग ने सतकता बरतते
ए अपने राइफल के बैरल क मदद से सांप को उठाया और उ ह थैले म डालते गए। यह
काम ब त धीमी र तार से हो रहा था ले कन आगे कसी और तरह का नुकसान नह आ।
वजय खड़ा होकर बेचैनी से यह सब दे ख रहा था। वो गुफा म आद मय क क मत
से बेचैन नह था। उसे इस बात क चता थी क अब आगे या होगा। उसका। और राधा
का।
उसके दे खते—दे खते गुफा म उन आद मय ने लौटना शु कर दया। उसने गौर
कया क, जब तक वो आदमी सांप के बीच क खाली जगह म पैर रखते थे जससे क
सांप छड़े नह , वो सुर त थे। मोटे तौर पर, भले ही सांप इस घुसपैठ से नाराज दख रहे थे,
उ ह ने आद मय को कोई नुकसान नह प ंचाया।
आ खरकार, अं तम जोड़ा भी टू टे ए प थर के दरवाजे के पार मु य क म आ गया।
उन सभी लोग के ललाट पर पसीने क बूंद थ और उनके कपड़े शरीर से चपके ए थे।
यहां वैसे तो ठं ड थी ले कन उ ह ने जो काम कया था, उसके दबाव ने उ ह पसीने से तर—
बतर कर दया था।
‘ब ढ़या।’ वान लुएक ने तारीफ करते ए मु कान बखेरी। ‘अब हमारे पास वायरस
है। यहां हमारा काम ख म आ।’
वजय ने अपनी भ ह सकोड़ । उसे समझ नह आया क वान लुएक का या मतलब
था। उ ह ने तो सांप इक े कए थे। वायरस कहां था?
ले कन वो यूरोपीय फर से बोल रहा था। ‘चलो चल।’ उसने वजय को स त नजर से
दे खा। ‘और अब, मेरा मानना है क, जैसा अमे रक कहते ह, “कज चुकाने का समय है”।
पछले साल तुमने हमलोग को काफ तकलीफ द थ । मुझे लगता है क यही समय है उस
पर रोक लगा द जाए। वैसे भी, तुम हमारे बारे म और इस ऑपरेशन के बारे म काफ कुछ
जानते हो। तो तुम समझ जाओगे जब म तु ह यह बताऊंगा क हम तु ह अपने साथ नह ले
जा रहे ह। तुम यह रहने वाले हो।’
वजय घबरा गया। भले ही वो जानता था क ऐसा होने क संभावना हमेशा थी, उसने
उ मीद क थी क यह यूरोपीय आदमी अपना वादा नभाएगा। उसे यह पहले ही जान लेना
चा हए था। खासतौर पर जब उसे यह पता चल गया था क वो कस चीज क तलाश म थे।
ले कन उसके मन म एक उ मीद अभी भी थी। ले कन यह उसके वयं के लए नह थी।
‘ले कन तुम राधा को तो जाने दोगे ना?’ उसने साहस करके पूछा।
कूपर मु कुराया। ‘हम जाने दे ते अगर हम ऐसा कर सकते।’
‘वो मर चुक है,’ वान लुएक ने अपने चरप र चत उदासीन अंदाज म उसे बताया।
‘उसने भागने क को शश क और हमारे सुर ाक मय क गो लय का शकार हो गई।’ वो
उन लोग क तरफ मुड़ा जो वहां खड़े थे। ‘चलो, हम बाहर चल।’
वजय खड़ा रहा, जैसे उसके पैर उस जगह पर जम गए थे। वो सु पड़ गया था।
उसका दमाग जैसे खाली सा हो गया था, जससे सारे वचार बाहर नकल गए थे। उसे एक
गहरा, अंधेरा खालीपन सा महसूस होने लगा। उसके पैर ने उसका साथ छोड़ दया और वो
फश पर गर पड़ा, पीठ झुक ई और चेहरा हाथ म छु पा आ।
उसने पहले भी अपने करीबी खोए थे। उसके माता— पता। उसके चाचा। ले कन कभी
भी उसे इतनी चोट नह प ंची थी जतनी राधा को खोकर प ंच रही थी। पैटरसन ने उसे
इसके लए तैयार कर दया था। ले कन कभी भी आप उस को खोने के लए कैसे
तैयार हो सकते ह, जसे आप अपनी जदगी से यादा यार करते ह?
धुंधली आंख के साथ उसने महसूस कया क वो लोग जा रहे ह। कोई उससे कुछ कह
रहा था। उसके हाथ म एक सचलाइट थमा द गई थी। ले कन उसे तो गहरे अंधेरे ने घेर रखा
था। दमाग को भी और शरीर को भी। इस नुकसान क भरपाई नह हो सकती थी। बाक
कुछ भी उसे समझ नह आ रहा था।
वो आदमी सी ढ़यां चढ़कर वापस लौटने लगे। कूपर ने वजय को एक सचलाइट थमा
द थी। ‘हम नदयी नह ह,’ वो मु कुराया। ‘हम तु ह रोशनी के साथ छोड़ रहे ह। कम से
कम तब तक जब तक बै यां चल।’
वजय बैठा रहा, घुटन के बल, उसक नजर कसी पर नह थ जब वान लुएक और
कूपर सी ढ़य के रा ते गायब हो गए।
वो अपने ख म इतना डू बा था क एक बेहद ज री सवाल उसके मन म नह आ रहा
था।
कतनी दे र तक सांप इस खुले दरवाजे से क म नह आएंगे?
भागने क जगह नह

वजय नह जानता था क वो कतनी दे र वहां सु बैठा रहा। उसे घरघराहट क एक तेज


आवाज ने जगाया, जससे कमरा हल गया था और टू टे दरवाजे के प थर के टु कड़े फश पर
कांपने लगे थे।
एक पल के लए तो वो कुछ समझ नह सका। फर उसक चेतना जगी और उसे याद
आया क वो कहां है। उसके नुकसान का तेज दद अब मंद वेदना म बदल चुका था। उसके
मन क श लौट आई थी।
सचलाइट क रोशनी म उसने दे खा क धूल के कण सी ढ़य के रा ते पर नीचे क तरफ
गर रहे ह। वो समझ गया क या आ था। वान लुएक और उसक ट म गुफा से बाहर
नकल गई थी और उ ह ने सुरंग के मुहाने को उड़ा दया था, जससे वो बंद हो जाए। और
इस वजह से प थर के टु कड़े और धूल सी ढ़य पर बखर रहे थे।
वो फंस चुका था।
ले कन इससे भी बुरा होने जा रहा था। उसने अपने आसपास कुछ खर चने क आवाज
सुनी। सचलाइट क रोशनी के कनार से फुफकार आ रही थी, जो उजाले के दायरे के बाहर
से नकल रही थी।
वजय ने कमरे के फश क ओर सचलाइट क और डर से जम सा गया।
सांप ने कमरे का पता लगा लया था और वो अंदर आ रहे थे।
72
गोलाबारी

वान लुएक ने दे खा क उसका आखरी आदमी भी घरनी के सहारे ढाल से नीचे आ गया
और बाक सभी लोग के साथ हो लया। पकड़े गए सांप और कलश हेलीकॉ टर म सुर त
रख दए गए थे। वो आदमी अब सारे औजार को सं क म भरने म और उ ह हेलीकॉ टर
पर चढ़ाने म त थे।
‘ तज पर प ी दख रहे ह,’ तभी एक आदमी ने अचानक कहा।
सभी क आंख उस दशा म मुड़ ग जस तरफ उस आदमी ने इशारा कया था।
औजार को जमाकर रखने और सं क को चढ़ाने का काम क गया।
प म क तरफ फैली बंजर भू म के ऊपर दो छोटे ब दख रहे थे। वो तेजी से बड़े
होते जा रहे थे।
ये हेलीकॉ टर थे, जो उनक ही तरफ आ रहे थे।
कूपर ने आद मय से ज द करने को कहा। वो नह जानता था क उन हेलीकॉ टर म
कौन था, ले कन प के तौर पर वो दो त नह थे। उनके सहयो गय म से कोई भी मशन के
इस ह से के बारे म नह जानता था। अगर हेलीकॉ टर इस तरफ आ रहे थे, तो यह अ छ
खबर नह थी।
‘ज द , ज द , ज द ,’ वो च लाया और आद मय को हाथ तेजी से चलाने को कहा।
उन आद मय ने उसके लहजे क गंभीरता को समझा और अपनी र तार बढ़ा द , पहले
जहां वो धीरे—धीरे चल रहे थे, अब दौड़ने लगे और सं क म सामान को सावधानी से
रखने क बजाय ठूं सने लगे।
हेलीकॉ टर आकार म बढ़ते गए और अब उनके पंख क तीखी आवाज उनके कान
तक प ंचने लगी। वो तेज हेलीकॉ टर थे और च ान और अपने बीच क री को तेजी से
पूरा कर रहे थे।
कूपर को समझ आ गया क उन लोग के पास सारे औजार को लादने का समय नह
है। ‘हम सामान यह छोड़ना होगा,’ उसने वान लुएक को बताया जसने इस पर रजामंद दे
द।
उन आद मय ने सं क छोड़ दए और अपने हेलीकॉ टर म चढ़ने लगे।
कूपर ने आसमान क तरफ दे खा जहां दोन हेलीकॉ टर अब इतने बड़े हो गए थे क वो
नंगी आंख से पहचाने जा सक।
‘बुरी खबर है,’ उसने वान लुएक को बताया। ‘कजाख एयरफोस के हेलीकॉ टर ह ये,
यूरोकॉ टर ईसी725एस।’
वान लुएक ने सर से इशारा कया। ‘चलो उड़ते ह। और उ मीद करते ह क उनके
पास सफ मशीनगन और बं क ह । रॉकेट लॉ चर नह ह ।’
कूपर हेलीकॉ टर म कूदकर चढ़ गया और दोन हेलीकॉ टर ऊपर उठ गए।
कजाख एयरफोस के हेलीकॉ टर तेजी से पास आ रहे थे। वान लुएक के हेलीकॉ टर
र तार के लए नह बने थे। उसके लोग एमआई—26 म थे, नया का सबसे बड़ा सबसे
भारी हेलीकॉ टर, जसम 82 लोग समा सकते थे, और 60 आद मय के लए बलकुल सही
था जनक ज रत वान लुएक को इस मशन के लए थी। इसक उड़ान मता 432
नॉ टकल मील थी और इस मशन के लए जतना सफर करना था, उस हसाब से बलकुल
सही थी। उसका अपना हेलीकॉ टर अगु ता वे टलड एड यू139एम था, जो 15 या य के
लए बना था और जसक उड़ान मता 537 नॉ टकल मील थी।
सरी ओर, कजाख हेलीकॉ टर छोटे थे। उनक अ धकतम र तार 324 कलोमीटर
त घंटा थी, अगु ता क 306 कलोमीटर त घंटे क र तार से थोड़ी यादा और
वजनदार एमआई—26 क 295 कलोमीटर त घंटे क र तार से कह यादा। इसके
अलावा, वो शायद जासूसी मशन पर थे और उनम सै नक नह थे जस तरह से ऑडर के
हेलीकॉ टर म थे। इस वजह से कजाख हेलीकॉ टर ह के थे, और तेज भी।
‘हम उनसे बच नह पाएंगे,’ कूपर ने स त लहजे म कहा।
‘रॉकेट लॉ चर नकालो,’ वान लुएक ने आदे श दया। ‘वो ह थयार से हमले क
उ मीद नह कर रहे ह गे। हम उनसे पीछा छु ड़ाना है।’
कूपर ने आदे श का पालन कया। अगु ता हेलीकॉ टर के के बन के पछले ह से म दो
रॉकेट लॉ चर रखे थे, ज ह ज द —ज द खोला गया और हमले के लए तैयार कया गया।
दो लोग उ ह दागने के लए तैयार खड़े हो गए।
बना कोई संदेह कए कजाख हेलीकॉ टर पास आते गए।
‘ को,’ वान लुएक ने आदे श दया। ‘हम नह जानते क उनके पास रॉकेट लॉ चर है
या नह । उ ह हमारे दायरे म आने दो। हमारे पास एक ही मौका है। इसका पूरा फायदा
उठाना है।’

खोजबीन
वजय सावधानी से खड़ा आ और सोच रहा था क उसे या करना चा हए। वो यहां सैकड़
सांप के साथ कैद हो गया था। बाहर नकलने का इकलौता रा ता वान लुएक ने बबाद कर
दया था।
उसके दमाग म एक वचार आया। इससे ब त यादा उ मीद तो नह थी ले कन
आजमाया जा सकता था। अगर यह कमरा महाभारत से जुड़ा है तो यह हजार साल पहले
बनाया गया होगा। सांप इतने पुराने नह हो सकते थे। उनके पालन—पोषण और उनक
आबाद को बने रहने दे ने के लए उ ह खलाने क ज रत पड़ती होगी।
इसका मतलब था क यहां से सतह पर प ंचने का कोई साधन ज र होगा। शायद
च ान म ऐसे छे द बने ह , जससे सांप अपने घर से बाहर नकलते ह गे और पठार म रहने
वाले जीव—जंतु को खाते ह गे। यहां क हवा सैकड़ साल तक बंद रहने के बावजूद
ताजी लग रही थी। हो सकता है उनम से कोई छे द इतना बड़ा हो क वो रगकर बाहर नकल
सके? इस चीज क खोजबीन तो क जा सकती थी। उसके पास जदा बचने क और कोई
उ मीद नह थी।
ले कन सबसे पहले, वो उस काम को करना चाहता था जो उसके दमाग म काफ समय
से घूम रहा था। वो अब तक यह करने म कामयाब नह हो पाया था य क वान लुएक
और उसके आदमी हमेशा आसपास रहते थे। वह उस कमरे म घुसा जसक एक द वार पर
उसक याददा त के मुता बक कुछ अ भलेख थे और उस जगह पर उसने सचलाइट से
रोशनी क । वो अ भलेख व च आकृ तय के थे, जैसे उसने पहले कभी नह दे खे थे। एक
हाथ से सचलाइट को पकड़े ए, उसने अपना माटफोन नकाला और उस अ भलेख के
कुछ फोटो लक कर लए, इसके बाद वो मु य क म चला आया।
अब, इस झमेले से नकलने का रा ता ढूं ढ़ा जाए।
उसने जमीन पर पड़े कुदाल , फावड़ और कु हा ड़य के ढे र म से, जो वो आदमी अपने
साथ लाए थे और वापस जाते व छोड़ गए थे, एक फावड़ा उठाया। यह काम आ सकता
था।
बस एक द कत थी। उसे सांप के ढे र म से जगह बनाकर नकलना पड़ेगा, जो उसके
सामने फैले ए थे।
73
तनावपूण थ त

‘वो हेलीकॉ टर पर हमला करने जा रहे ह,’ पैटरसन ने जानकारी द । वो इमरान के साथ
टे ली— लक पर था, जो अभी भी अ पताल म अपने ब तर पर था, ले कन अपने कमरे के
उपकरण क मदद से बाक नया से जुड़ा था।
पैटरसन ने वॉ शगटन म एक के बाद एक टे लीफोन खड़काए थे, सुर ा बल और
कां ेस म अपने नेटवक से संपक साधा था। वो अमे रका के रा प त तक जा प ंचा था।
बाहर उसक ट म का एक सद य मुसीबत म था और वो उसे इस हालत म छोड़ नह सकता
था। यह उसका तरीका नह था।
आ खरकार, कूटनी तक और सै य माग के ज रए, वो कजाख र ा मं ालय तक जा
प ंचा था और उ ह हालात क गंभीरता समझाई थी। हालां क, पैटरसन के हाथ इस त य ने
बांध रखे थे क जो जानकारी उसके पास थी, वो बेहद गु त थी और उसे एक पूव सो वयत
रा य के साथ नह बांटा जा सकता था। कजाख लोग को यह भरोसा दलाना ब त मु कल
था क हालात काफ गंभीर ह और उ ह उ तुत पठार म मौके पर अपने सै नक या कमांडोज
भेजने चा हए। अंत म वो दो हेलीकॉ टर को पठार पर खोजबीन करने और हालात क
जानकारी दे ने के लए भेजने को राजी हो गए थे।
पूरा ऑपरेशन कजाख एयर कमांड क नगरानी म हो रहा था और इसका वी डयो लक
पैटरसन और इमरान को उपल ध कराया गया था।
कजाख हेलीकॉ टर म लगे कैमर ने जमीन पर इंतजार कर रहे दोन हेलीकॉ टर को
जब बड़ा करके दखाया था, तो उ ह ने दे खा था क कैसे उन लोग ने पहले अपने
हेलीकॉ टर म सामान लादने म तेजी दखाई, फर उसे आधे म ही छोड़कर उड़ गए।
फर, उ ह ने दे खा क जमीन पर से एक हेलीकॉ टर उड़ा और वहां से भागने के इरादे से
पूव दशा म बढ़ चला, जब क सरा हेलीकॉ टर उसी जगह मंडरा रहा था, जैसे समझ नह
पा रहा था क उसे या करना चा हए।
तभी पैटरसन को महसूस आ क अगु ता वे टलड एड यू139एम हेलीकॉ टर पास
आ रहे हेलीकॉ टर पर हमला करने क सोच रहा है। वैसे तो अगु ता सफ मशीनगन से लैस
था, अगर वो लोग हमला करने का इंतजार कर रहे ह, तो इसका मतलब है क उनके पास
रॉकेट लॉ चर ह।
कजाख एयर कमांड ने भी इस चीज को महसूस कर लया था। पैटरसन और इमरान
सुन सकते थे क वो लोग चीखते ए अपने पायलट को चेतावनी दे रहे थे और जवाबी
हमले के लए तैयार रहने को कह रहे थे। वो ह थयार से हमले क उ मीद नह कर रहे थे।
वैसे तो कोई नह जानता था क वो लोग कौन थे, ले कन उनसे यह उ मीद नह थी क उनके
पास कसी तरह का गोला—बा द रखा होगा। और ईसी725 हेलीकॉ टर सफ मशीनगन
और बीस मलीमीटर तोप से लैस थे।
पैटरसन और इमरान आतं कत होकर दे ख रहे थे क एड यू139एम के के बन के एक
दरवाजे से दो रॉकेट लॉ चर के सरे बाहर नकले।

हवाई लड़ाई

रॉकेट लॉ चर दागे गए ले कन, एयर कमांड से मली चेतावनी के मुता बक दोन कजाख
हेलीकॉ टर इस हमले के लए तैयार थे और उ ह ने तुरंत खुद को बचाने क कारवाई क ।
दागे गए रॉकेट हवा म होते ए सीधे तीन भाई क तरफ जाने लगे।
वान लुएक के आदमी फर से रॉकेट लॉ चर को तैयार करने लगे थे, और पहले दागे
गए रॉकेट उस च ानी संरचना क ढाल पर दो बड़ी चो टय के ठ क नीचे जाकर फट गए।
इससे ई गजना बहरा कर दे ने वाली थी ले कन अगु ता हेलीकॉ टर म बैठे आद मय को
नीचे हो रही ग त व धय म कोई दलच पी नह थी।
वो कजाख हेलीकॉ टर को नशाना बना रहे थे।
उ ह ने फर से रॉकेट दागे।

एक खोज

गुफा क कोई सीमा नह पता लग रही थी। वजय के चार तरफ अंधेरा फैला था और वो
सांप के बीच पंज के बल चल रहा था।
वो च तत था। अब तक, वो कसी तरह सांप से बचे रहने म कामयाब रहा था। उ ह ने
यादातर उसे नजरअंदाज कया था, बस एकाध मौक पर उसे उनके पास से गुजरने पर
फुफकारने क आवाज सुनाई पड़ी थी। ले कन कब तक उसक क मत उसका साथ दे गी?
अपने आसपास सचलाइट क रोशनी म उसने अंदाजा लगाने क को शश क क वो
कतनी र आ गया है। अंधेरे ने गुफा के वेश ार को ऐसे ढक रखा था जैसे कसी खड़क
पर लगा काला मोटा पदा सूरज क रोशनी को रोक दे ता है। उसके दमाग म चता बढ़ाने
वाला एक और सवाल आया। सचलाइट कब तक चलेगी?
ले कन उसे आगे बढ़ना था। उसके पास और कोई वक प नह था। अभी कना
आ मह या के समान होगा।
तभी, नीचे क जमीन हली और गुफा म एक थरथराहट सी दौड़ गई। गुफा क अ य
छत और द वार से जैसे एक लंबी कराह नकली हो।
वो का और थर खड़ा हो गया। कुछ आ था। नह , कुछ हो रहा था। जमीन लगातार
कांप रही थी और सांप छतराने लगे थे। वो उससे र जा रहे थे, उस र तार से जससे उसने
कभी सोचा भी नह था क सांप भाग सकते ह।
ऐसा लग रहा था जैसे वो कसी चीज से भाग रहे थे। ले कन या?
एकाएक उसे अहसास आ क अगर वो भाग रहे सांप का पीछा करे, वो उसे यहां से
बच नकलने क जगह प ंचा सकते ह। बशत सांप जस चीज से र भाग रहे ह, वो उसके
सामने पहले ना आ जाए।
वो सांप के पीछे हो लया, जो उसे तेजी से पार करते जा रहे थे, उसके पैर के बीच से,
उसके बगल से और कभी—कभी पैर के ऊपर से भी। वो उसक मौजूदगी से उदासीन से हो
गए थे और उनका सफ एक ल य था—— र जाना।
वजय ने आगे बढ़ना जारी रखा। सांप अंधेरे म इतनी तेजी से गायब हो रहे थे क वो
उनका पीछा नह कर पा रहा था। तभी वो क गया। उसे उस पर यक न नह हो रहा था जो
उसे दख रहा था। मु कल से पं ह या बीस फ ट आगे, उसक दा हनी तरफ प थर क
सी ढ़यां थ । उसक उ मीद उछाल मारने लग । वो तेजी से आगे बढ़ा, सी ढ़य पर ज द से
ज द प ंचने के लए।
और यह कदम गलत समय पर उठाया गया था। जैसे ही वो आगे बढ़ा, दो कोबरा पास
से गुजर रहे थे। उनम से एक उसके पैर के नीचे आ गया और फुफकारते ए हमला करने
को तैयार हो गया।
जैसे ही सांप ने हमला कया, वजय पीछे क ओर हट गया, सांप उसे डसने से बस कुछ
मलीमीटर ही र रह गया, ले कन पीछे हटते—हटते वजय का पैर उस कोबरा पर पड़ गया
जो सु त चाल से उसी दशा म अपना रा ता बना रहा था। सांप ने हमला करने के लए
अपनी कुंडली समेट ली।
या सचलाइट का कोई ह सा गरने क वजह से टू ट गया था या बै यां ख म हो ग ,
वजय को समझ नह आया। रोशनी बंद हो गई और गुफा म अब सफ घना अंधकार था।
अपने चार तरफ उसे सफ सांप के रगने क आवाज सुनाई पड़ रही थी। ले कन उसे
यह नह मालूम था क प थर क सी ढ़यां कस दशा म ह।
74
पहला आ मण

सरे दौर म भी रॉकेट दागने के नतीजे पहले जैसे ही नकले। एक बार फर, कजाख
पायलट अनुमान लगाने म तेज नकले और उ ह ने खुद को बचा लया।
वान लुएक क खीझ बढ़ रही थी। ‘ या तुम लोग भगे हो?’ उसने अपने बं क चय
को डांटा। ‘हम यहां से तब तक नह नकल सकते जब तक हम उनसे पीछा ना छु ड़ा ल।’
उसने पूव क तरफ दे खा जहां उसका सरा हेलीकॉ टर लगातार छोटा होता जा रहा था।
एक कजाख हेलीकॉ टर अब उनक तरफ सीधा बढ़ रहा था, मशीनगन आग उगल रही
थ । वान लुएक जानता था क अब या होने वाला है। या तो बीस मलीमीटर क तोप
नकलेगी या 68 मलीमीटर रॉकेट लॉ चर।
‘दागो,’ वो च लाया।
एक बं कची ने नशाना लया और तीसरी बार रॉकेट लॉ चर दाग दया।
इस बार, नशाना सही लगा।
हेलीकॉ टर आग के गोले म फट गया और तीन भाई क तरफ गरने लगा, सबसे छोट
चोट पर टकराया और ढाल से फसलते ए पठार पर आ गरा, अब वो जलता आ मलबा
था।

फंदे म

कुछ पल के लए वजय चुपचाप खड़ा रहा, वो अगले कदम के बारे म कोई फैसला नह
कर पा रहा था। रोशनी ख म होने के बाद से रगने और खर चने क आवाज तेज हो गई थी।
वो नह जानता था क दे खने म असमथ होने क वजह से उसक सुनने क मता बढ़ गई है
या सांप यादा बेचैन होते जा रहे ह। ले कन यह उसे डरा रहा था। उसके ऊपर घबराहट
हावी होने का खतरा मंडरा रहा था।
उसने दमाग पर जोर लगाकर सोचा। उसने कुछ कदम आगे बढ़ाए और अंधेरे म कुछ
टटोलने क को शश क ।
वहां कुछ नह था।
उसने कदम पीछे ले जाकर फर को शश क । इससे भी फायदा नह आ।
वजय नराश होने लगा था। जब उसे सी ढ़यां दखने लगी थ , उसने सोचा था क
उसके पास, छोटा सा ही सही, यहां से बाहर नकलने का एक मौका है।
अपने अंदर पनप रहे डर और आतंक को दबाते ए, उसने अपने चार ओर सांप क
आवाज पर यान लगाने क को शश क । या वो यह पता लगा सकता है क वो कस दशा
म जा रहे ह?

बड़ा भाई

‘ मसाइल क चेतावनी!’ हेलीकॉ टर का पायलट च लाया। ‘ईसीएम चालू हो गया है!’


‘ शखर!’ वान लुएक च ला उठा। ‘ शखर क मदद लो और यहां से बाहर नकलो।’
वो समझ गया था क या आ था। कजाख एयर फोस न त प से उनके हेलीकॉ टर
क नगरानी कर रही होगी। उसने उ मीद नह क थी क वो लोग इतनी तेजी से जवाब दगे।
उ ह ने ज र हेलीकॉ टर पर हमले क उसक नीयत समझ ली होगी। इसके अलावा कोई
और वजह नह हो सकती जस तेजी से उ ह ने अपने लड़ाकू वमान तैयार कए ह।
‘ मग29 ह!’ उसका पायलट च लाया और हेलीकॉ टर को नीचे क ओर गहरा गोता
खलाया ता क उनके और हवा से हवा म मार करने वाली मसाइल के बीच म तीन भाई आ
जाए। अगु ता म मसाइल क चेतावनी दे ने वाला स टम लगा था, जसने पायलट को
मसाइल के बारे म सावधान कर दया था। ले कन हेलीकॉ टर म काउंटर मेजस ड प सग
स टम भी था जो मसाइल को र रखने के लए इले ॉ नक काउंटर मेजस का इ तेमाल
करता था।
वान लुएक ने दे खा क तीन भाई के ऊपर से लपट नकल रही ह और समझ गया क
उसका पायलट कोई मौका नह छोड़ना चाहता। ईसीएम के अलावा वो लेयर डकॉय और
पेशल मैट रयल ए सपडेबल डकॉय का इ तेमाल कर मसाइल को धोखा दे ने क
को शश कर रहा है।
हेलीकॉ टर नीचे क तरफ उतरा और तीन भाई को सुर ा कवच क तरह इ तेमाल
करते ए पूरी र तार से पूव दशा क तरफ बढ़ चला। उ बे क तान क सीमा यादा र
नह थी और कजाख लड़ाकू वमान सीमा के नजद क कोई आ ामक चाल नह चलगे।
मशन कामयाब होने वाला था।

वग क सीढ़

वजय झुककर नीचे बैठ गया, उसने आंख बंद कर रखी थ और सांप क हरकत को सुनने
क को शश कर रहा था। उसने अपनी सांस थर रखने क को शश क ता क ये सांप के
बाहर नकलने क या म पैदा हो रही आवाज सुनने म बाधा ना बने।
सांप उसके पास से नकल रहे थे, कुछ उसके पैर को भी छू ते ए नकल रहे थे। वो
को शश कर रहा था क वो पश और वण श को मलाकर फैसला कर पाए क कस
दशा म उसे जाना है। कुछ मनट के बाद उसने आगे बढ़ने का फैसला कर लया। उसने
पहले फश पर एक पैर रखा, फर अगला, ता क वो सांप के ऊपर ना तो पैर रखे और ना ही
फसले।
एक और वचार उसके दमाग म क धा। ये सी ढ़यां कहां ले जाती ह? उसने अपना सर
हलाया। उसे यह पहले ही सोचना चा हए था। उसने ऊपर क तरफ दे खा। काफ ऊपर,
अंधेरे से होते ए, उसे उजाले का एक चमक ला ब दखा। बाहरी नया का एक
दरवाजा।
उसक उ मीद फर से जदा हो उठ , वो कसी तरह आगे बढ़ता रहा, उसक बांह आगे
क तरफ फैली ई थ और आंख बंद। घु प अंधेरे के बावजूद, उसे आंख खोलने क अपनी
इ छा पर काबू पाना पड़ रहा था। यह बेचैन कर दे ने वाली अनुभू त थी।
तभी, उसका फावड़ा जो उसके आगे क तरफ फैला था, कसी स त चीज से टकराया।
वो तेजी से आगे बढ़ा और उसके हाथ च ान से रगड़ गए। उसने अंधेरे म ही हाथ फेरते ए
एक सीढ़ क आकृ त महसूस क , फर सरी। वो खुशी से च ला सकता था। उसने कर
दखाया था। ले कन अभी ज का समय नह था। उसे यहां से बाहर नकलना था। जस
चीज ने भी सांप को डराया था, उसे ढूं ढ़ने का इंतजार करना सही नह रहता।
उसने फावड़ा नीचे रखा, सबसे नीचे वाली सीढ़ पर प ंचा और ऊपर क तरफ चढ़ाई
शु कर द । फावड़े को पीछे छोड़ना पड़ेगा। यह एक खतरनाक चढ़ाई थी। सी ढ़यां च ान
काटकर बनी थ और तीन फ ट से यादा चौड़ी नह थ । उसक बा तरफ गुफा क द वार
थी। उसक दा तरफ खाली जगह थी जससे वो गुफा के फश पर गर सकता था। बस एक
बार पैर फसलने क दे र थी। वो कांप गया और अपनी बा तरफ क द वार से चपककर
ऊपर चलता रहा।
यह काफ लंबी चढ़ाई थी और ऐसा लग रहा था क सी ढ़यां कभी ख म नह ह गी।
पसीने से उसके कपड़े भीग गए थे और उसके हाथ च ान से रगड़ खा—खाकर थोड़े ज मी
भी हो गए थे य क वो फसलने से बचने के लए लगातार मजबूत पकड़ बनाए रखना
चाहता था। उसक जांघ इस लंबी और धीमी चढ़ाई से खने लगी थ । ले कन वो हार नह
मानने वाला था।
वजय को अब समझ आया क वो कहां था। वो तीन भाई म से एक के अंदर था।
सी ढ़य का यह रा ता एक वशाल शखर म काटकर बनाया गया था जो इस च ानी संरचना
क ढाल से उठता था। कौन सा था, यह वो अंदाजा नह लगा सका——ले कन यह सबसे
छोटा तो नह हो सकता था य क वेश ार उसके नीचे था। ले कन यह चीज उतनी मायने
नह रखती थी। वो यह सोचने के लए नह का क जब वो शखर पर प ंच जाएगा तो या
करेगा। च ान से उतरने क सम या से तब वो नपटे गा जब वो वहां प ंच जाए। अभी तो,
बस वो यह चाहता था क इस अंधेरे से, इस गुफा से बाहर नकले और खुले म प ंच जाए।
धीरे-धीरे ही सही, उसके ऊपर का मुहाना बड़ा होता जा रहा था। और यादा चमकदार
भी। उसने अपनी र तार बढ़ा द और अपनी को शश दोगुनी कर द । वो अब करीब था।
बेहद करीब।
मुहाने से आ रही रोशनी ने सी ढ़य पर उजाला करना शु कर दया था और वो हर
सीढ़ क धुंधली आकृ त दे ख सकता था।
उ मीद से वो सराबोर हो उठा। अब बस चालीस या पचास फ ट और जाने क ज रत
थी। वो कामयाब होने जा रहा था।
उसने बची ई सी ढ़यां तेजी से चढ़नी शु कर द ।
तभी, अचानक जैसे सब कुछ अ त— त हो गया। उसके ऊपर दख रही चोट पर
एक तेज धमाका और गरजदार आवाज ई। सी ढ़य पर अचानक चमक ली रोशनी पड़ी
और प थर के टु कड़ क बा रश होने लगी।
उसने अपने चेहरे को बचाने क को शश म अपने हाथ सर पर रख लए और गरते ए
प थर से बचने क को शश करता रहा जनम से कई तो फुटबॉल के आकार के थे। प थर
नीचे गरते गए, उसके हाथ , सीने और उसके पैर से टकराते रहे, और सी ढ़य से लुढ़कते
ए अंधेरे म गुम होते गए।
तभी साथ—साथ एक और धमाका आ, यह धमाका कसी व फोटक पदाथ का लग
रहा था। सी ढ़य के रा ते को अपने घेरे म ले रखी च ान क मीनार कांप उठ । वजय को
च ान के हमल ने पीछे धकेल दया। प थर के कुछ बड़े टु कड़े उसे सीने और कू हे पर लगे,
और खून बहने लगा। एक और प थर उसके पैर पर लगा और उसक जांघ म असहनीय दद
होने लगा।
उसे अपने सर के ऊपर जेट हवाई जहाज क गजना और हेलीकॉ टर के पंख क
आवाज सुनाई द । उसका दा हना पैर सी ढ़य से फसल गया। बांह लहराते ए उसने अपना
संतुलन बनाए रखने क को शश क । एक पल के लए, वो सी ढ़य पर लड़खड़ा गया। उसने
हताशा म अपनी बांह तेजी से द वार क तरफ घुमा ता क वो सी ढ़य पर टका रहे।
तभी, वो नयं ण खो बैठा और फर अंधेरे म लुढ़कता चला गया।
75
हताश और वफल

पैटरसन और इमरान अपने मॉ नटर पर उन य को दे ख रहे थे। वो आतंक भरी नजर से


दे ख रहे थे क कैसे पहले हेलीकॉ टर को मार गराया गया। जब सरा हेलीकॉ टर बचने क
को शश कर रहा था, उ ह अगु ता हेलीकॉ टर दखना बंद हो गया। ले कन कुछ ही सेकंड
म, उ ह आसमान म एक मसाइल दखी जो पूव दशा क तरफ जा रही थी, इसका इं ारेड
हो मग डवाइस अगु ता क तलाश म लगा था।
जब अगु ता से रॉकेट लॉ चर नकलते ए दखे, कजाख एयर फोस ने फौरन अपने
हेलीकॉ टर क मदद के लए कुछ मग29 रवाना कर दए थे।
तभी, जैसे ही सरा कजाख हेलीकॉ टर न पर आया, जो कजाख जेट क मदद
आने और अगु ता को भागता आ दे खकर उ सा हत हो गया था, उ ह ने दे खा क अगु ता
पूव दशा क तरफ भाग रहा है, उसके पीछे से लपट नकल रही ह।
पैटरसन के मुंह से गा लय क बौछार हो गई। ‘बेवकूफ ह साले! उ ह मने कहा था क
एयरफोस क सुर ा म अपने सै नक भेज। वो लोग पूरी तैयारी के साथ गए ह। उनके पास
ईसीएम और मसाइल से बचने के लए डसपसेबल डकॉय भी ह।’
उ ह ने दे खा क मसाइल डकॉय क तरफ बढ़ रही ह। एक मसाइल बीच के शखर से
जा टकराई, च ान को चूर—चूर कर दया, उसके टु कड़े ढाल से नीचे गरने लगे। जब यह
बीत गया, तब शखर पहले के मुकाबले कम से कम पचास फ ट छोटा हो चुका था।
सरी मसाइल च ानी संरचना म शखर के आधार पर जा टकराई, जहां से यह ऊपर
उठना शु आ था, और जो पठार क सतह के डेढ़ सौ फ ट ऊपर था।
दोन श स चुपचाप बैठकर सफ दे ख भर सकते थे क अगु ता भागने म कामयाब हो
रहा है। वमान क गजना थोड़ा भरोसा तो दला रही थी ले कन इस बात को कौन नकार
सकता था क मन भाग नकला है।

मौत के जबड़े

जैसे ही वजय सी ढ़य के कनारे से गरने लगा, उसने बेतहाशा दोन हाथ से सी ढ़य को


दबोचने क को शश क । एक हाथ कसी तरह अटका भर था क वो अपनी पकड़ खो बैठा।
ले कन तब तक उसने एक और को शश करते ए प थर क सी ढ़य पर हाथ जमा लया।
इस बार, एक हाथ से ही सही, उसक पकड़ बेहतर थी और वो सरे हाथ को भी च ान
पर जमाने के लए आगे झपटा। ले कन वो जानता था क वो ब त दे र तक ऐसे नह रह
पाएगा। उसक अंगु लय म ज म हो गए थे और वो इस वजह से ख रही थ । उसके कू हे
पर गहरा घाव हो गया था जहां एक बड़ा प थर उससे टकराया था और उसक जांघ म
काफ तेज दद हो रहा था।
उसने बस कसी तरह एक लाजमी घटना को कुछ पल के लए टाल दया था।
और जैसे उसक सोच सही होने जा रही थी, सी ढ़यां कांपने लग और उसे एक के बाद
एक जोरदार धमाके सुनाई दए।
वजय ने नीचे क तरफ अंधेरे म दे खा। कुछ हो रहा था। थरथराहट और बढ़ गई और
सी ढ़य म दरार आने लग ।
अब वो जान गया था क सांप गुफा से य भाग रहे थे। वो सफ अपनी छठ इं य क
बात सुन रहे थे। हर जानवर म आपदा को महसूस करने क अ त मता होती है, जो
मानव म नह होती। और सांप उस चीज को जान गए थे, जो वो तब समझ नह पाया था।
शखर टू ट रहा था।

दो भाई

हेलीकॉ टर पायलट ने च ान के ऊपर का एक च कर लगाया। उसे टा क फोस के एक


सद य को ढूं ढ़ने का नदश मला था, जो उस समूह का बंद था जसने उसके साथी को मार
गराया था। हालां क यह संभव था क उसे अभी भी उन दो हेलीकॉ टर म से एक म बंद
रखा गया हो, जो भाग नकले थे, उसने इलाके को छान लेने क सोची। शायद वो वहां हो।
ले कन वहां कुछ नह दख रहा था, सवाय आसमान म उठ रहे काले धुएं के, जो गराए गए
कजाख हेलीकॉ टर और शखर से टकराए मसाइल के मलबे से नकल रहा था।
को शश बेकार थी। या तो वो आदमी मर गया होगा। या चला गया होगा। कुछ भी हो,
उसका मशन तो नाकाम हो गया। और उसने दो साथी खो दए थे। वो अ छे आदमी थे।
ठं डी सांस लेकर, उसने हेलीकॉ टर को प म दशा म एयरफोस अ े क तरफ वापस
घुमा लया।
उसका साथी पायलट अचानक जोर से चीख उठा। वो उ सुकतावश शखर के मलबे म
झांक रहा था और एक आदमी उसे दखा जो च ान से चपका आ था।
पायलट ने तुरंत हेलीकॉ टर को ठ क शखर के ऊपर थर कर दया और बाहरी
हाइ ॉ लक उ ोलक णाली को स य कर दया, जो सामान या आदमी को ऊपर उठाने
के लए इ तेमाल होती थी।

या वो कर पाएगा?

जब शखर क च ानी द वार और सी ढ़यां बखर रही थ , वजय को अपने सर के ऊपर


हेलीकॉ टर के पंख क आवाज सुनाई द ।
उसने ऊपर दे खा और पाया क एक उ ोलक उसक तरफ ही झूल रहा है।
सी ढ़य को एक झटका सा लगा और वो बखरना शु हो ग ।
उ ोलक वजय क ओर थोड़ा और नीचे आया। उसने स ती से उसे पकड़ा।
बस कुछ इंच और।
करीब—करीब हो ही गया।
अब।
तभी एक कानफोड आवाज के साथ शखर क द वार ढह ग और सी ढ़यां बखर ग ,
वजय उन च ान को पकड़े हवा म लटक सा गया।
वजय को महसूस आ क उ ोलक ने उसके कंधे को छु आ है और उसने उसे दबोच
लया। उसके आसपास, शखर अंतः व फोट से धूल के वशालकाय बादल म बदल गया था
जसने उसे अपने घेरे म ले लया था। उसे तेज खांसी आ गई और आंख जलनी लग , जब
वो उ ोलक पर अपनी पकड़ को बनाए रखने क को शश कर रहा था।
तभी, उसे ऊपर ख च लया गया और मजबूत हाथ ने उसे हेलीकॉ टर म बैठा लया।
के बन का दरवाजा बंद आ और हेलीकॉ टर वजय को सही—सलामत लेकर ऊपर उठने
लगा।
76
खु फया यूरो मु यालय, नई द ली

‘ऐसा लगता है क हमने मन को काफ कम करके आंका,’ पैटरसन ने अपनी बात


समा त क । टा क फोस उस ऑपरेशन क समी ा कर रही थी जसने उ तुत पठार क
घटना को ज म दया और वजय मौत के मुंह से नकलकर बाहर आया।
वजय को कजाख एयरफोस अ े पर ज री मरहम—प के बाद अगले दन भारत के
लए रवाना कर दया गया था। वो खुश क मत था क वो बना कसी टू ट ह ी या गंभीर
चोट के लौट आया था। उसने थोड़ी दे र आराम कया था और फर को लन और शु ला के
साथ मी टग म शा मल होने के लए द ली चला आया था जो पैटरसन ने बुलाई थी। कले
म, हालां क, वजय और शु ला अपने—अपने कमर म तब तक बंद रहे थे जब तक
नकलने का समय नह हो गया। दोन म से कोई भी एक— सरे से मलने का इ छु क नह
था।
आईबी ऑ फस म, कॉ स म म, उ ह ने सभी घटना पर चचा क थी—— ीस म
खुदाई से लेकर कजाख तान क घटना और राधा को बचाने म नाकाम मशन तक पर।
अं तम चचा के बाद थोड़ी दे र तक वहां चु पी छाई रही। ट म ने अपना एक सद य खो दया
था। राधा ने साहस और ढ़ न य दखाते ए, अपने जीवन से यादा टा क फोस के
उ े य को यान म रखते ए, अपनी जान गंवाई थी।
इमरान इस मी टग के लए अ पताल के ब तर को छोड़कर आया था। उसने जोर दया
था क वो इसम वयं शा मल होगा। अमे रक प से, रॉयसन और टा क फोस का
जेने ट स ए सपट पस गै लपोस शा मल ए थे।
पैटरसन मायूस लग रहा था। उन सभी लोग के लए पछले चौबीस घंटे ख भरे रहे थे।
और, उनके सव े यास के बावजूद, मन उ ह चकमा दे गया था।
‘ जस तरह क गोलीबारी उ ह ने कजाख तान म क , उसक हम उ मीद नह थी,’ वो
अभी भी बोल रहा था। ‘और अफगा न तान म, जैसा वजय ने हम बताया, वो लोग
ता लबान को भी रोके रखने म कामयाब थे जब तक उनका मशन पूरा नह हो गया। हम
अभी भी नह जानते क ऑडर या है या इसके सद य कौन ह। इ तहास म उनका कोई
ज नह मलता। कसी तरह, सैकड़ साल से उ ह ने अपनी पहचान छपाए रखने म
कामयाबी हा सल क है। हमारे पास अब कुछ नाम तो ह, ले कन यादा कुछ नह । हम बस
इस बात को प के तौर पर कह सकते ह क वो ताकतवर ह और उनके पास संसाधन क
कोई कमी नह है। कई दे श म सरकारी द तर म उनक प ंच है, जनम आपका और मेरा
दे श भी शा मल है।’
‘और वो ाचीन ह,’ वजय ने कहा। ‘काफ ाचीन। अगर वान लुएक सच कह रहा
था, तो यह ऑडर ही था जसने हजार साल पहले गुफा का नमाण कया था। और ऑडर
क अमृत बनाने म भी कोई भू मका थी।’ तभी जैसे उसे कुछ याद आया। ‘ लीज ए स यूज
मी? मुझे एक फोन करना है। मुझे अभी—अभी कुछ याद आया है।’
पैटरसन ने इजाजत द और वजय कमरे से बाहर नकल गया। वो कुछ मनट म वापस
भी आ गया। उसके चेहरे पर चमक थी।
बाक लोग ने उसक तरफ वाचक नगाह डाल । साफ था क उसके पास बताने के
लए कुछ ज र था।
‘यह उस चीज से संबं धत था जो आपने कही थी,’ वजय ने पैटरसन को संबो धत
करके बोलना शु कया। ‘आपने उ ह मन कहा था। तभी मेरे दमाग म एक घंट बजी
थी। पता है, इ तहास म एक जगह पर उनका ज है।’ उसने एक छोट नोटबुक नकाली।
‘मने अभी ए लस को फोन कया था और उसे एक डायरी पढ़ने को कहा था जो हम पछले
साल द गई थी। यह एक जमन ूनो बेगर क थी। आप यह कहानी तो जानते ही ह।’
सभी ने सहम त जताई। जो लोग इस अ भयान म शा मल नह थे, उ ह सं ेप म बता
दया गया।
‘उस डायरी म, एक जगह पर कुछ लखा है, जो स ाट अशोक के दरबारी सूरसेन के
लखे एक द तावेज का अनुवाद है। म उसका पहला अनु छे द पढ़ता ं:
‘म, सूरसेन, गु त पु तकालय के अंश के तौर पर मेरी एक खोज क बात बताना चाहता
ं, यह खोज नौ अ ात पु ष क है, उस गौरवशाली ातृ-संघ क जसका नमाण हमारे
य स ाट महान अशोक, दे वानाम य यदश ने कया था। म यह नह क ंगा क वो
खोज या है, य क स ाट ने इसका कोई माण रखने से मना कया है, इसके श ु के
हाथ म जाने का जो खम है; य क यही वो वजह है जसके लए नौ लोग का ातृ-संघ
था पत कया गया था।’
उसने नोटबुक बंद क और बाक लोग क तरफ दे खा। ‘मुझे प का भरोसा है क
ऑडर ही वह “श ु” है जससे अशोक उस खोज को छपाने क को शश कर रहा था। और
वो दो हजार साल तक इसम कामयाब रहा। अगर हम जानना है क ये लोग कौन ह, हम
अपनी पौरा णक कथा क गहरी छानबीन करनी होगी। यह साफ है क उनक उ प
भारत म ई थी और तब से अब तक वो एक वै क सं थान के तौर पर उभर चुके ह।’
‘अब जब तुमने सूरसेन क बात क है, मुझे उस फोन टै प क रकॉ डग याद आ रही है,
जो लेक ने तब बजाई थी जब म उससे पहली बार मला था। उस बातचीत म भी इस बात
का ज था मफ भारत म ऑडर के एक सद य के अधीन रहेगा,’ इमरान ने याद कया।
‘हम एक अ य दानव से जूझ रहे ह। नया क कोई खु फया एजसी ऑडर के वजूद के
बारे म नह जानती ह। फर भी, उनके पास कैसे संसाधन और ताकत है, हमने दे ख लया
है।’
‘और अब, वो न ु र तरीके से हमारा पीछा करगे,’ शु ला ने गंभीरता से कहा। ‘वो
जानते ह क हम कौन ह। हम कहां रहते ह। और हम या करते ह। वो हमारे पीछे आएंग।े
उ ह ने हमारे सामने खुद को जा हर कर दया है। और वो इस भूल को सुधारने क को शश
करगे। हमम से कोई भी सुर त नह है।’
‘ये सच है,’ पैटरसन ने वीकार कया। ‘ले कन वो टा क फोस के बारे म नह जानते।
यह मत भूलो क हमारे पास भी संसाधन ह। हम यह लड़ाई ज र हारे ह ले कन यु तो
अभी शु आ है। इस बार, हम तैयार नह थे। अब जब हम उनके बारे म थोड़ा ब त
जानते ह, हम बेहतर तरीके से खुद को तैयार कर सकते ह।’
उसने वजय क तरफ दे खा। ‘और तुम कह रहे हो क ऑडर का ये पूरा मशन
महाभारत के एक मथक से े रत था?’
वजय ने हामी भरी।
‘हम इस बारे म बताओ।’
वजय ने एक पल के लए कुछ सोचा। वो कहां से शु करे? ‘म महाभारत के उन
ोक को ठ क से नह जानता जो इस मथक को बयान करते ह,’ उसने कहा, ‘ले कन
वान लुएक ने मुझे कुछ ोक और उनके अनुवाद सुनाए थे। यह मथक समु मंथन
कहलाता है।’
उसने शु ला क तरफ दे खा। ‘मुझे लगता है क आप इस मथक के बारे म सबसे अ छे
तरीके से बता सकते ह।’
शु ला हच कचाए, फर राजी हो गए। ‘मुझे व ास है क हमारी तरफ के सारे लोग
इस मथक के बारे म जानते ह, ले कन म अपने अमे रक दो त के लए इसका सार बता
दे ता ।ं महाभारत के अनुसार, दे व और असुर या दानव ने एक साथ मलकर अमृत के
लए ध के महासागर का मंथन कया——अमृत जसे पीकर कोई भी अमर हो जाता।
उ ह ने वासुक , एक सांप को मंथन क र सी क तरह और मंदार पवत को मंथन क छड़ी
क तरह इ तेमाल कया। अंत म, साल के मंथन के बाद, ध के महासागर से सरी चीज
के साथ अमृत भी नकला।’
गै लपोस क भ ह तन ग । ‘मने इस मथक के बारे म सुना है,’ उसने कहा। ‘ले कन
इसका बै ट रया और वायरस से या संबंध है?’
‘वान लुएक से सुने अनुवाद के मुता बक,’ वजय ने जवाब दया, ‘ ोक म जो बात
लखी ह, वो पारंप रक ा या से बलकुल अलग ह। हजार साल पहले, एक ऐसे पेय क
खोज ई जो पीने वाले को अमर कर दे । ह कुश क गुफा म, एक वशालकाय भू मगत
झील है जसम वही बै ट रया ह जो हम आयन लेबोरे ज म मले थे। बै ट रया सफ
काफ नमक न वातावरण म रह सकता है। झील नया के सभी महासागर से कह यादा
नमक न है। और इसम रहने वाले बै ट रया इसे चांद क तरह सफेद रंग दे ते ह——पानी
दे खने म ध क तरह लगता है। इस लए मथक म इसे ध का महासागर बताया गया है।’
‘आ कया बै ट रया क तरह ज ह फलने—फूलने के लए नमक क ज रत होती है,’
रॉयसन बुदबुदाया। पैटरसन क भ ह तनती दे खकर उसने इसम ज द से जोड़ा, ‘मृत सागर
म रेड लू स।’
‘तो, ये बै ट रया अपनी ाकृ तक अव था म वैसे वषैले पदाथ उ प करते ह जो
इंसान के लए जानलेवा ह,’ वजय ने अपनी बात आगे बढ़ाई। ‘ले कन, ऐसा लगता है,
सैकड़ साल पहले उस व , कसी ने रे ोवायरस का अ त व ढूं ढ़ नकाला जो बै ट रया
को सं मत करता है।’
‘एक बै ट रयोफेज,’ रॉयसन फर से बोल पड़ा।
‘ बलकुल। आपका ध यवाद। म इस श द को भूल गया था। इस रे ोवायरस के बारे म
दलच प यह है क एक बार जब यह इन बै ट रया को सं मत कर दे ता है, यह उनका
डीएनए बदल दे ता है और उन ोट स म बदलाव ले आता है जो ये उ प करते ह। वषैले
पदाथ क जगह वो ो टस ले लेते ह जो इंसान के लए या तो फायदे मंद ह या उनसे कोई
नुकसान नह होता। ले कन, चूं क वायरस नमक न पानी म नह रह सकते, और बै ट रया
नमक न पानी के बाहर नह रह सकते, सं मण क या कुछ औषधीय पौध और थोड़ी
मा ा म र न के साथ कराई जाती है। म नह जानता कैसे, ले कन यह कसी तरह वायरस
पर नमक न पानी के असर को ख म कर दे ती है। महाभारत म इसे ही मंथन के तौर पर
व णत कया गया है। इसका ता पय मथने से नह ब क सभी अवयव को एक साथ मलाने
से ह। एक बार जब सं मण क या पूरी हो जाती है, अमृत सेवन के लए तैयार हो
जाता है।’
‘तुमने कहा था क ऑडर ने गुफा म से सांप को सपल क तरह इक ा कया था,’
पैटरसन ने ट पणी क । ‘म इसका यह मतलब नकाल रहा ं क उनका व ास था क
वायरस ने सांप को सं मत कया है।’
वजय ने कंधे उचकाते ए जवाब दया। ‘मुझे इस बारे म कुछ नह पता। उ ह ने मुझे
कुछ नह बताया। ले कन मुझे भी उस व यही याल आया था। हालां क म इसे समझ
नह पाया। सांप के अंदर वो वायरस कैसे हो सकता है जो इंसान को सं मत करे?’
‘यह संभव हो सकता है,’ कसी और के बोलने के पहले ही रॉयसन बोल पड़ा। ‘यह
ऐसा नह है जसे हम तुरंत खा रज कर द। कुछ साल पहले, सैन ां स को म कै लफो नया
यू नव सट ने एक वायरस ढूं ढ़ा था जो अरेनावायरसेज के प रवार से संबंध रखता था। ये
तनधा रय को, आमतौर पर चूहे, गलहरी जैसे जानवर म सं मण फैलाते ह। ऐसा कोई
माण तो नह है क यह वायरस सांप से इंसान म फैल सकता है, इस वायरस समूह का
एक जीन उस वायरस प रवार से काफ मेल खाता है जसम इंसान म सं मण फैलाने वाला
इबोला वायरस भी है। यह खोज ऐसी थी जस बारे म कोई सोच भी नह सकता था। कौन
जानता है क ऐसे वायरस भी ह जो सांप और इंसान को सं मत कर सकते ह ? और यह
हजार साल तक कसी वायरस को संर त रखने का सबसे अ छा तरीका है। एक जी वत
पोषक म।’
‘और वो पौधे कौन से थे जनका वणन छं द म है?’ इमरान ने पूछा।
वजय ने जवाब दया। ‘वान लुएक ने मुझे बताया था, जब हम कजाख तान प ंचे थे
क उसक ट म ने छं द म व णत पौध को ढूं ढ़ लया है। मुझे उनम से कुछ के नाम याद थे
और मने इस मी टग म आने के पहले कले म उनके बारे म जानकारी जुटाई थी।’ उसने फर
से अपनी नोटबुक म दे खते ए कहा, ‘बगनी फल वाले पौधे का नाम है ांगोस पबुल रया
लडल। यह लै टन नाम है। सच पूछो तो यह उ बे क तान के चु नदा ांत म ही पाया जाता
है और इतना थानीय है क इसका कोई अं ेजी नाम नह है। गहरे जामुनी रंग के फल वाला
पौधा ुनस सॉ डयाना वै सलेज कहलाता है। अं ेजी म इसे सॉ डयन लम कहते ह। इस
पौधे क पुरानी शाखाएं गहरे धूसर रंग क होती ह और नई शाखाएं भूरा लए ए हरे रंग
क । फूल सफेद या जामुनी रंग के——इस लए छं द म कहा गया ‘ढका हो धूसर और सफेद
से और हरे या भूरे से’। यह भी उ बे क तान और क गज तान के चु नदा ांत म मलता
है। और, जब मने इनके बारे म इंटरनेट पर ढूं ढ़ा तो पता चला क दोन पौधे एक साथ
उ बे क तान के सफ दो ांत म मलते ह: ताशकंद और सुख नदारयो। और, यक न कर
या नह , सुख नदारयो करीब—करीब उसी इलाके म है जहां सॉ डयन पवत रहा होगा। यह
पवत कभी भी ढूं ढ़ा नह जा सका है। ले कन सकंदर द ण दशा क तरफ जाने के पहले
इस इलाके से होकर गया था।’
‘और इस पेय से अमर व मलता है?’ रॉयसन ने पूछा।
‘ मथक के अनुसार, हां।’
‘ या तुम हम अमृत के बारे म बता सकते हो?’ रॉयसन ने पूछा। ‘ले कन, वै ा नक
कोण से। म जानता ं तुमने हम बताया है क खोज का मकसद असली बै ट रया और
रे ोवायरस का पता लगाना था, जनका ोफेज हम ली नकल ायल के मरीज म मला
था। ले कन म यह जानने को उ सुक ं क जब पेय का सेवन कया जाता है तो वा तव म
होता या है? या उ ह ने तु ह यह जानकारी द थी?’
वजय ने सर हलाया। ‘मुझे सभी वै ा नक श द याद नह ह,’ उसने वीकार कया।
‘ले कन म आपको वो बता सकता ं जो मुझे याद है। दरअसल, रे ोवायरस मानव शरीर के
लए अनुकूल बन जाता है और इसे वो अपनी तकृ तयां बनाने के लए पोषक बना लेता
है, इस काम के लए वो इंसानी जीनोम म अपना डीएनए वेश करा दे ता है। ऐसा करके, वो
कुछ ऐसे ज स को स य कर दे ता है जो उ बढ़ने और इससे जुड़ी बीमा रय को नयं त
करने वाले ोट न बनाते ह।’
‘ दलच प,’ गै लपोस ने ट पणी क । ‘ या तु ह उन ोट न के जेने ट स के बारे म
कुछ भी याद है?’
वजय ने याद करने क को शश क । ‘दे खते ह। वान लुएक ने कहा था क उ बढ़ने
क कई वजह ह। उदाहरण के लए, टे लोमीयस का छोटा होना जो को शका क मौत और
ऊतक के सकुड़ने क वजह बनता है। उसने कहा था क टे लोमीयस ोमोसो स के ऊपरी
सरे पर होते ह।’
गै लपोस को जैसे अपनी हो शयारी दखाने का मौका मला और उसने कहा,
‘ ोमोसोम एक बड़ा और घुमावदार डीएनए मॉले युल होता है। हर ोमोसोम के सरे पर
टे लोमीयर होता है जो जेने टक कोण से अथहीन होता है। यह बलकुल वैसा ही होता है,
जैसे जूते के फ ते के अंत म धातु का सरा लगा होता है जो उसे उधड़ने से बचाता है। हर
बार जब एक ोमोसोम क तकृ त बनती है, टे लोमीयर का एक छोटा ह सा छू टता जाता
है। तो आप दे ख सकते ह क कैसे, जब बार—बार तकृ त बनती जाती है, तो टे लोमीयर
इतना छोटा हो जाता है क आगे क तकृ त बनने पर ज रत वाले ज स बाहर नकलने
लगगे। इस लए उस व को शका का वभाजन क जाता है। दलच प यह है क जो
को शकाएं वभा जत नह होत ले कन जदा रहती ह, वो उ बढ़ाने और को शका क
मौत के अलावा व थ को शका पर नुकसानदे ह असर भी डालती ई दखती ह।’
‘हां,’ वजय उसक बात से सहमत आ। ‘तो, जो ज स स य होते ह, उनम से एक
टे लोमरेज के उ पादन को नयं त करता है जससे टे लोमीयस क मर मत म मदद मलती
है। इस लए को शकाएं तकृ त बनाती रहती ह और को शका क मौत नह होती,
जससे उ बढ़ने क या उलट जाती है।’
गै लपोस ने सर हलाते ए कहा, ‘ दलच प है यह। ले कन टे लोमरेज का उ पादन
अ नयं त को शका वभाजन और तकृ त बनाने क या क वजह बन जाएगा——
जो ूमर कहलाता है। या हम जसे सरे नाम कसर से भी जानते ह। तो यह मदद कैसे
करता है?’
‘यह काफ दलच प ह सा है। होता या है क वायरस एक ऐसे ोट न के उ पादन को
भी भा वत करता है जो को शका के आ मह या क वजह बनता है। यह ोट न बूढ़
होने वाली और नुकसान प ंचाने वाली को शका को नशाना बनाता है। यानी शरीर म
कसी भी तरह क गैर—ज री वृ को ख म कर दे ता है।’
गै लपोस के मुंह से सीट नकल गई। ‘यह सुनने म पी53 क तरह लग रहा है। ऐसा
ोट न जो को शका वभाजन को रोकता है और को शका को संकेत दे ता है क वो खुद
को ख म कर ल। यह उन को शका को नशाना बनाता है जनम आनुवां शक खराबी
होती है, कसर क को शकाएं भी ऐसी ही होती ह, और इन को शका को आ मह या करने
को े रत करता है। तो, वायरस बेलगाम को शका पर काबू भी रखता है। बेहद दलच प
है यह।’
‘उसने बताया था क कुछ और सरे ज स होते ह, जो वैसे ोट न बनाते ह जससे दल
क बीमा रयां, मधुमेह, उ च र चाप और यहां तक क अ जाइमर जैसे रोग नयं त रहते
ह। ये जीन शरीर क मांसपे शय के कामकाज को सुधारते ह या ऊतक क पुनरो प को
बढ़ावा दे ते ह। सभी रे ोवायरस के ारा स य कर दए जाते ह। ले कन मुझे अब उन सभी
का नाम याद नह है। हां, वान लुएक ने यह भी बताया था क वो ली नकल ायल
इस लए कर रहे ह ता क वो समझ सक क वायरस आ खर काम कस तरह करता है। और
इस लए उ ह असली वायरस क ज रत थी। ोफेज ने उस तरीके से काम नह कया था।
ले कन वो अं तम नतीज को लेकर काफ उ सा हत था।’
‘यह सुनने म चम कारी उपचार क तरह लग रहा है,’ को लन ने अपनी राय रखी।
‘यह है,’ रॉयसन ने जोर दे कर कहा। ‘कोई आ य नह क वो इसे अपने क जे म करना
चाहते ह… इस म ण को।’ उसने अपना सर इस तरह हलाया, जैसे उसे व ास नह हो
रहा हो, जो वह सुन रहा था।
‘आप लोग मुझे यह कहने के लए माफ क जएगा,’ को लन ने कहा। ‘म जानता ं क
इस कमरे म स मा नत वै ा नक ह और मुझे इस बारे म अपनी आलोचना करने क
वशेष ता भी नह है। ले कन फर भी, म ईमानदारी से क ं तो मुझे यह सब काफ र क
कौड़ी लगती है। मेरा मतलब है क ऐसा चम कारी वायरस जसक वजह से बुढ़ापे को
रोकने वाले ोट न का उ पादन हो, और बै ट रया क कृ त बदल जाए और कसर क
को शका को भी नशाना बनाए। यह व ास करना थोड़ा मु कल है। यह तो व ान
ग प क तरह लग रहा है।’
‘वा तव म नह ।’ बचाव म यह तक एक असंभा वत ोत क तरफ से आया। पैटरसन
इसम कूद गया था। ‘मानव जीनोम और वायरस के बारे म ऐसा काफ कुछ है जो हम अभी
तक नह ढूं ढ़ पाए ह। हर दन नई खोज हो रही ह। उदाहरण के लए, ए डनो—एसो सएटे ड
वायरस टाइप 2 या एएवी2, जो इंसान को सं मत तो करता है ले कन बीमार नह करता।
चूह पर कए गए कई अ ययन म पाया गया है क एएवी2 कै पेज नाम के ोट न को
स य कर दे ता है, जो तन कसर क 100 तशत को शका को मार दे ता है। कै पेज
कसी को शका क वाभा वक मौत के लए ज री है। एएवी2 से सं मत कसर
को शका ने एक और ोट न केआई—67 का भी यादा उ पादन कया, जो रोग
तरोधक णाली को स य करता है, साथ ही उस ोट न सी—माइक का यादा उ पादन
कया जो को शका क वृ म उनक वाभा वक मौत क या म मदद करता है।’
‘यही नह ,’ रॉयसन ने इसम जोड़ा, ‘8 तशत मानव जीनोम म वायरस के ज स और
उनके अवशेष होते ह। लाख साल पहले रे ोवायरस से सं मत ए उन ाथ मक मनु य से
जो वक सत होते चले गए। और हम उन वायरस को भी जानते ह जो उन डीएनए को
स य कर दे ते ह जो सामा यतया इंसान म सु त होते ह—— मसाल के लए एचआईवी
वायरस। यह ब त हद तक मुम कन है क रे ोवायरस डीएनए से जुड़ने वाले ऐसे ोट न
पैदा करते ह जो ज स को स य कर दे ते ह और हम उनके बारे म कुछ पता ही ना हो।
इंसानी जीनोम अभी भी एक बड़ा रह य है। इसका खाका ख च लया गया है ले कन हम
अभी भी यह पता लगाने क को शश कर रहे ह क इसका बड़ा ह सा करता या है। लंबे
समय तक, जीनोम का एक काफ बड़ा ह सा——न बे तशत से यादा——”जंक
डीएनए” कहलाता था, य क यह ोट न के लए कूटब नह था। आज इस लेबल को
हटाया जा रहा है य क नई खोज सामने आ रही है।’
गै लपोस ने अब इस कहानी को आगे बढ़ाया। ‘यह सही है। एनकोड ोजे ट से पता
चला है क करीब 70 तशत डीएनए क नकल आरएनए म होती है, जब क पहले इससे
काफ कम समझा जाता था। यह पूरी तरह मुम कन है क करोड़ ज स वहां ह । बस हम
नह जानते। हावड यू नव सट म ए ताजा अ ययन ने दखाया है क एक जेने टक लास
—— लकआरएनए——के लए 83 तशत से यादा म जगह बदलने वाले त व हो सकते
ह। ये “कूदने वाले ज स” कहलाते ह य क वो जीनोम के भीतर ही इधर—उधर कूद सकते
ह। और इन “कूदने वाले ज स” म से कई वा तव म ाचीन रे ोवायरस के वंशज ह जो पीढ़
दर पीढ़ बाक ज स के साथ चले आ रहे ह। यह माना जाता है क कई रे ोवायरस के ये
अवशेष ज स को स य या न य बनाने का काम कर रहे हो सकते ह। इस लए यह
सोचना क एक रे ोवायरस इंसानी शरीर म घुसकर नए ज स को स य कर सकता है और
जसे हम नह जानते, बलकुल भी अ तशयो नह है।’
‘तो फर सकंदर अमृत पीने के बाद भी मर य गया?’ को लन अपनी बात पर अड़ा
था। ‘अगर उसे यह चम कारी उपचार मल गया था और उसने इसका सेवन कर लया था,
उसे तो अमर हो जाना चा हए था।’ वो कांप उठा। ‘ हालां क, म भगवान का शु गुजार ं
क वो अमर नह आ।’
‘म बताता ं य ,’ वजय ने जवाब दया। ‘कै ल थनीज क वजह से।’
‘ या?’ गै लपोस उलझन म दख रहा था।
को लन खल खला उठा। ‘यूनानी इ तहासकार जसे सकंदर ने मौत क सजा द थी।’
उसने वजय क तरफ दे खा। ‘तो कै ल थनीज ने या कया था?’
वजय ने अपना सर हलाया। ‘ऐसा नह क उसने कुछ कया था। ऐसा इस लए आ
क वो कुछ कर नह पाया था। जब हम तीन भाई प ंच,े सांप क मुहर टू ट नह थी। जब से
कमरे को बंद कया गया था, तब से उसे छु आ तक नह गया था। कै ल थनीज कमरे म कभी
गया ही नह । और वो दरवाजे के पार जा भी नह पाता, अगर वो च ान पर चढ़कर मुहर
तोड़ भी लेता। उसे ज री पौधे और फल तो मल गए थे। ले कन उसे वायरस नह मला
था।’
को लन के मुंह से सीट क आवाज नकली। ‘तो उसने सकंदर के मरने दे ने क योजना
बनाई थी? मेरा मतलब यह है क छं द म तो साफ—साफ लखा है। अगर तुम नदश को
नह मानोगे, तु ह कुछ मलने क संभावना नह है। और अब जब हम वायरस के बारे म जो
जानते ह, उसे दे खते ए इसम आ य क कोई बात भी नह है।’
‘नह , ऐसा नह है,’ वजय ने जवाब दया। ‘मुझे नह लगता क कै ल थनीज ने कोई
योजना बनाई थी। मेरा मानना है उसे सफ यह महसूस आ क कोई तरीका नह है जससे
वो च ान पर चढ़कर मुहर तोड़ सके। उसने शायद सोचा था क मुहर के पीछे जो भी हो, वो
इतना ज री नह है। और वो सकंदर को इस बारे म नह बताना चाहता था। और इसम
आ य इस लए भी नह है क तब तक सकंदर ब त ही असहनशील हो गया था।’
थोड़ी दे र के लए वहां चु पी छा गई जब सभी लोग इसे समझने म लगे थे। महाभारत के
एक मथक क वजह से एक वजेता क जान गई। अगर सकंदर अपने ततीसव ज म दन
के पहले ही नह मरता तो नया आज काफ अलग होती।
‘टाइटन का या हाल है?’ वजय ने पूछा। जब इमरान ने पाया क आठ गु त मं जल म
ली नकल ायल के मरीज अभी भी बंद ह, उसने तुरंत उ ह जयपुर भेजने का इंतजाम
कराया था। जयपुर से ही, उसने पैटरसन को फोन कया था और इस बारे म जानकारी द
थी।
‘हमने वॉलेस से बात क थी,’ पैटरसन ने थके ए अंदाज म जवाब दया। ‘वो मे डकल
फे स लट के बारे म सुनकर सकते म था। ले कन उसने इस बात पर यान दलाया, जसम
वो सही भी था क वो भवन टाइटन का नह था। ना ही जयपुर क फे स लट कसी तरह से
टाइटन से जुड़ी थी। कदवई उसके मा लक क तलाश म लगा था।’
‘वो भागे ए ह,’ इमरान ने जानकारी द । ‘हमने रेड अलट जारी कर रखा है ले कन उन
लोग ने खुद को काफ अ छ तरह छपा रखा है। यह एक सु नयो जत ऑपरेशन था। उन
लोग ने इस तरह क इमरजसी क व था कर रखी थी क कह वो ढूं ढ़ ना लए जाएं।’
‘ या आपको वॉलेस पर यक न है?’ को लन ने पूछा। ‘उसका नाम अजीब—अजीब
जगह पर दख रहा है। कुछ यादा ही संयोग है यह, जसे पचा पाना बेहद मु कल है। आप
लोग इसे दे ख। उसने ओ ल पयास के मकबरे क खुदाई के लए पैसे दए। उसके ट ने
तावरोस और पीटर को भत कया, जो ह यारे नकले। वो टाइटन फामा यु टक स का
चेयरमैन है। और हम पता चला क उसक कंपनी से संबं धत एक मे डकल सटर पर
संदेहा पद योग कए जा रहे ह। भले ही वो सटर उनके ठे के पर था, कोई ना कोई संबंध तो
ज र था!’
कुछ दे र के लए फर चु पी थी। तब पैटरसन बोला। ‘तुमने जो कहा मुझे उससे कोई
आप नह है, ले कन हमारे पास कोई सबूत नह है। वॉलेस टाइटन का नॉन—
ए जी यू टव चेयरमैन है। इसका मतलब है क वो कंपनी के रोजमरा के फैसले नह लेता
है। भले ही उन फैसल म ठे के पर ली नकल ायल कराने का फैसला भी शा मल हो। इस
बात क भी संभावना है क वो जानता ही नह हो क द ली सटर ऑडर के लए काम कर
रहा था। और जयपुर सटर का तो टाइटन के साथ कोई संबंध था ही नह । इतनी वजह काफ
ह वॉलेस के यह यान दलाने के लए क दोन सटर का आपस म संबंध हो सकता है और
इसका टाइटन से कोई लेना—दे ना नह है।’
‘और खुदाई के बारे म या?’ को लन ने पूछा, वो हार मानने को तैयार नह था। उसे
राधा से बड़ा नेह था और वो चाहता था क कसी को राधा क मौत का ज मेदार ठहराया
जाए।
पैटरसन ने अपना सर हलाया। ‘यहां भी कोई सबूत नह ह। वॉलेस का ट सेमूर
पाकर नाम का श स चलाता है। पाकर ही सभी नयु यां करता है। वॉलेस नह । उसने
कभी तावरोस या कूपर के बारे म सुना ही नह था। हमने पाकर के बारे म पता लगाया,
उसक पृ भू म बलकुल साफ है। कूपर के द तावेज फज थे। ब त बड़ा फज वाड़ा था।
सीआईए क गुणव ा के करीब। ये लोग पेशेवर ह। अगर म भी तु हारे साथ जाता और
पाकर पर संदेह करता, तो भी ऐसा कोई सबूत नह मलता जसके आधार पर म कह
सकता क उ ह ने जो कया जानबूझकर कया। उनके खलाफ कोई सबूत नह ह।’
‘ले कन आप उन पर नजर तो रखने जा रहे ह ना?’ को लन अभी भी हार नह मान रहा
था।
‘हम इस बारे म सतकता बरतनी होगी,’ पैटरसन ने जवाब दया। ‘टा क फोस क तरह
अभी हमारा भरोसा इतना पु ता नह आ है क हम अपने मामले को ऊपर ले जा सक।
पहली बार जब हमने कारवाई क , हम नाकाम हो गए। जी हां, हम नाकाम ए ह। जो आ,
इसे बताने का और कोई तरीका नह है। इससे कोई फक नह पड़ता क या वजह थ या
या बहाने थे, नतीजे पर तो कोई ववाद नह है। अगर हम कसी पर आरोप लगाएं तो कौन
हम पर व ास करेगा? कौन उन लोग क जासूसी के लए तैयार होगा जन पर हम
नगरानी रखना चाहते ह?’
‘हम हाथ पर हाथ रखकर उ ह भागने नह दे सकते,’ को लन ने अपना वरोध दज
कराया।
‘तु हारे ज बात बोल रहे ह या तु हारे पास कोई त य भी ह?’ पैटरसन ने पलटकर
पूछा। ‘म भी वैसा ही सोचता ं जैसा तुम। टा क फोस के सद य मेरे लए सबसे मह वपूण
ह। बाक सब जाएं भाड़ म। ले कन म ज बात म बह नह सकता। और त य यही बताते ह
क अभी हम कसी पर आरोप नह लगा सकते। अगर हम सबूत जुटाते ह तो म पहला
आदमी ं जो उनके खून का यासा होऊंगा। ले कन अभी नह ।’
फर से चु पी छा गई। को लन इस मुंहतोड़ जवाब के बाद पीछे हट गया और पैटरसन
क बात क वा त वकता को वीकार कर लया। यह कड़वी थी ले कन वो सही कह रहा
था। उसने अभी—अभी जो कहा था उसके खलाफ कोई तक नह था।
‘स सेना का या आ?’ वजय ने जानना चाहा।
‘कोई सबूत नह ,’ पैटरसन ने जवाब दया। ‘हम स सेना को उस सटर से नह जोड़
सकते। कोई गवाह नह है यह सा बत करने के लए क वो वहां था भी।’
‘आपका मतलब है क वो खुलेआम घूमेगा?’ वजय को भरोसा नह हो रहा था।
‘इमरान पर जानलेवा हमले और उनके राधा को मारने के बावजूद?’ जब उसने राधा का
नाम लया उसका गला भर आया। ‘ या यह साफ नह दख रहा क वो इसम शा मल है?’
‘हम उसे गर तार नह कर सकते,’ इमरान ने नरमी से जवाब दया। ‘तुम और म उस
पर संदेह करते ह। ले कन बना सबूत के, हम कुछ नह कर सकते। हम उस पर बाज क
तरह नजर रखने जा रहे ह। वो आज नह तो कल गलती ज र करेगा। और तब हम उसे
दबोच लगे।’
‘हम नयम—कायद से चलना पड़ेगा,’ पैटरसन ने समझाया।
‘हम जो भी कर, हम जस पर भी आरोप लगाएं, हम उसे अदालत म सा बत करना
होगा।’
वजय चुप हो गया। उसक कड़वाहट उसके चेहरे पर दख रही थी।
‘ठ क है, फर। मुझे लगता है क मेरे पास अमे रक और भारतीय सरकार को रपोट
दे ने के लए सारी जानकारी आ गई है,’ पैटरसन ने मी टग ख म करने का संकेत दया।
‘टा क फोस के लए यह अ छ शु आत नह थी। हमारा मन भाग गया। और उनके पास
वायरस है। हम काफ कुछ करना है। उ ह वायरस को अलग करने, तरतीब से बठाने और
फर जो घोल वो वक सत कर रहे ह, उसे बनाने म यादा समय नह लगेगा। हम उ ह
रोकना है। ले कन हमारे पास आगे बढ़ने के लए यादा कुछ नह है। हमलोग काम पर जुट
और दे ख क हम या नकाल पाते ह। कोई ना कोई नशानी तो ज र होगी। इ तहास ने
ऑडर पर गौर भले ना कया हो, ले कन उसे पूरी तरह नजरअंदाज तो नह कया होगा।’
बाक सभी ने उसक बात का समथन कया। अभी कोई आराम नह है। उ ह ऑडर को
ढूं ढ़ना था। और उसे रोकना था। इससे पहले क दे र हो जाए।
पैटरसन ने संकेत दया और सभी बाहर नकलने के लए खड़े हो गए। उसने वजय क
ओर इशारा करते ए कहा। ‘ को।’
वजय को छोड़कर बाक सभी कमरे से बाहर नकल गए। पैटरसन भी उस तरफ
अकेला था। उसने पहले नीचे दे खा और फर वजय क तरफ।
‘म इस बात को जानने का ढ ग नह कर सकता क तुम कैसा महसूस कर रहे हो,’
उसने कहा। ‘ले कन म तुमसे वादा करता ं, म तु हारी भावना समझ सकता ं। मने लड़ाई
के मैदान म दो त खोए ह। उन लड़क को, जनके साथ म बड़ा आ, घूमा— फरा, बीयर
पी…।’ उसने अपना सर हलाते ए कहा, ‘जो एक चीज मने यु से सीखी है, वो यही है।
आशा मत करो। यु आशा नह लेकर आता। यह आशा को र ले जाता है। यह शां त है
जो आशा लाती है। और इसी के लए हम काम करना चा हए। मुझे राधा के लए ख है। म
सच म खी ं। ले कन तु ह आगे बढ़ना होगा। मेरा अनुमान है क तुम उसक मौत का
बदला लेने क सोच रहे होगे। यह वाभा वक है। ले कन म चाहता ं क तुम इस सोच को
दबा दो। हम ऑडर को हराने के लए काम करना है। अगर हम नह करगे तो अराजकता
फैल जाएगी। यह यु है, बेटे। यह राधा के लए नह है। यह नया के भ व य के लए है।
इस लए इस बारे म सोचो।’
वजय थोड़ी दे र के लए चुपचाप खड़ा रहा। ‘म समझता ं।’ वो पैटरसन क आंख म
आंख डालकर बोला। ‘स सेना, वान लुएक और बाक सभी; वो इस लए खुलेआम नह
घूम सकते क हमारे पास सबूत नह ह। अगर हम सबूत इक ा नह कर सकते तो हम
यादा कुछ करना होगा। और म ऑडर को हराने के लए काम क ं गा। सफ यह महसूस
करने के लए नह क मने बदला ले लया है। उ ह इस लए भी रोकना होगा ता क वो सर
के करी बय को ना छ न। जैसे वो मरीज जो ली नक ायल से गुजर रहे थे। हम ऑडर को
रोकगे। ई र ही जानता है क हम यह कैसे करगे। ले कन म जानता ं क हम रा ता ढूं ढ़
लगे। हर क मत पर।’
पैटरसन ने हामी भरी। हर क मत पर।
कतनी जदगी पहले ही दांव पर लग चुक ह? और ना जाने इसके ख म होने तक
कतनी और दांव पर लगगी?

तशोध क सोच

जब वजय कॉ स म से बाहर नकला तो वो यह दे खकर च क गया क शु ला उसके


रा ते म खड़े थे। उनक आंख चमक रही थ और उनके चेहरे पर ढ़ न य था जसे
नजरअंदाज कर पाना मु कल था। वजय शु ला के सामने चुपचाप खड़ा रहा। वो जानता
था क शु ला उससे अकेले म बात करना चाहते ह। बाक सभी जा चुके थे। सफ वो दोन
वहां थे।
शु ला बात शु करने के पहले थोड़ी दे र के, जैसे वो अपनी भावना को काबू म
रखने क को शश कर रहे ह ।
आ खरकार वो बोल पड़े। ‘मने अपनी बेट का शरीर नह दे खा है,’ वो हर श द पर जोर
दे रहे थे। ‘तुम जानते हो क एक पता के लए बेट कतनी क मती होती है?’ वजय दे ख
सकता था क वो अपने आंसु को रोकने क को शश कर रहे ह और उसे अपने अंदर ऐसी
ही भावना महसूस ई।
‘एक बेट अपने पता क जदगी होती है। वो दद महसूस करता है जब बेट को दद
होता है। वो रोता है जब बेट रोती है। वो उसे हर तरह क खुशी दे ना चाहता है, जो बेट
चाहती है, भले ही वो उसक प ंच से बाहर हो।’ वो के, साफतौर पर दोबारा खुद को
संभाल रहे थे। ‘म बस उसके लए जी रहा था। और अब… अब, वो जा चुक है!’
शु ला अब अपने ऊपर संयम नह रख सके और आंसू उनके गाल पर बहने लगे। वो
अपनी भावना पर नयं ण रखने म नाकाम थे। वजय वहां खड़ा रहा, उसक अपनी
भावनाएं उसके मन म बवंडर मचा रही थ । शु ला के श द ने उसे फर से याद दला दया
क उसने या खोया है। एक नः वाथ इंसान जसने उसे यार कया, सारी क मय के साथ,
जैसा भी वो है।
उसने शु ला क बांह पकड़ी और उनक आंख म झांका। ‘म उसे वापस लाऊंगा,’
उसने शु ला को भरोसा दलाया। ‘म उसक मदद के लए कुछ नह कर सका। म उसे बचा
नह सका।’ वो जानता था क उसके मुंह से नकल रहे श द के पीछे उसक भावनाएं ह
ले कन वो खुद को काबू म नह रखना चाहता था। ‘म आपसे वादा करता ं क आप उसे
दोबारा दे खगे। म उसे वापस लाऊंगा। म नह जानता कैसे, ले कन म उनका पीछा क ं गा
और राधा का शरीर ढूं ढ़ नकालूंगा। और म यह प का क ं गा क उ ह उनके कए क
क मत चुकानी पड़े।’
वजय जानता था क वो जो कह रहा है, वह पैटरसन से कुछ समय पहले ही कही ई
बात का ठ क उलटा है। ले कन उसे परवाह नह थी। वो परवाह करना भी नह चाहता था।
वो एक नायक नह है। वो यहां नया को बचाने के लए नह आया है। यह कहने म बड़ा
अ छा और नेक लगता है क यह प का कया जाएगा क सरे लोग अपने करी बय को ना
खोएं। ले कन उसका खुद का या? राधा का या? उसक वापसी के तो सारे रा ते बंद थे।
उसने शु ला को गले लगा लया जो अब फूट—फूटकर रो रहे थे।
दोन कॉ स म के ह के अंधेरे कमरे म खड़े थे, एक— सरे का ख बांट रहे थे।
उस पल, दोन क सोच और ज बात एक हो गए थे।
उपसंहार

परेशान करने वाली कॉल


वजय कले के टडी म म बैठा ह क पी रहा था। वो अकेला था। को लन उसी रात
अमे रका चला गया था। वो टा क फोस क मी टग से नकलकर सीधा एयरपोट चला गया
था। ए लस भी उसके साथ गई थी। उन दोन ने एक ही लाइट म टकट बुक क थ ।
पैटरसन ने इस बात क व था क थी ए लस को अमे रका म सुर ा मले। उसने खुलासा
नह कया था क व था या थी और ना कसी ने पूछा था। यही तरीका सबको बेहतर
लगा था।
अपने जीवन म पहली बार, वजय सच म अकेला महसूस कर रहा था। जब उसके माता
— पता क मौत ई थी, उसके चाचा उसके साथ थे। जब उसके चाचा क ह या ई थी,
उसके साथ को लन था। और, बाद म, राधा।
अभी, कोई नह था। यह सच है, वो सोच रहा था क हर कोई नया म अकेला आता है
और अकेला ही जाता है। कसी वजह से, उसक सोच खद और नराशाजनक थी। वो मौत
के बारे म सोचने से खुद को रोक नह पा रहा था। उसे यह च का भी नह रहा था, य क
कतनी बार मौत ने उसके करी बय को उससे छ ना है।
उसने मेज पर अपना गलास रखा। और कुछ नह , तो वो खुद को इतना त कर लेगा
क उसक सोच उस पर हावी नह हो सकेगी। बेहतर होगा क वो पांचव मं जल के कमरे म
रखे ग े के ड ब को दे ख ले, जब तक क वो थक ना जाए। इसके बाद वो सो जाएगा।
फोन के बजने से उसक सोच टू ट गई। उसक यो रयां तन ग । इस व कौन हो
सकता है? उसने अपनी घड़ी दे खी। रात के यारह बजे थे। कसी यार—दो त के फोन के
लए तो थोड़ी दे र हो चुक थी।
यह एक अप र चत नंबर था। उसने बात करने का फैसला कया। ‘हां?’
‘ वजय सह?’
उसक भ ह फर तन ग । फोन करने वाले ने गलत नंबर तो नह लगाया था। ले कन
आवाज पहचान म नह आ रही थी।
‘बोल रहा ं।’
‘तुम मुझे नह जानते।’ आवाज म हच कचाहट थी। थोड़ी कांप रही थी। जैसे बोलने
वाला न य नह कर पा रहा हो क उसे वजय को फोन करना चा हए था या नह । वो
संभलकर बोल रहा था। सतक।
‘कौन बोल रहा है?’
‘म ताप सह का दो त ं,’ जवाब आया। ‘बेहद करीबी दो त।’
वजय उठकर बैठ गया। ताप सह उसके पता का नाम था। ‘आपका नाम या है?’
‘म… या हम मल सकते ह?’
‘मुझे जानना है क आप कौन ह।’
‘हम मलने क ज रत है।’ बोलने वाला अब जोर दे रहा था। हच कचाहट जा चुक
थी। ‘मुझे तु ह कुछ बताना है। तु हारे पता मरने के पहले मुझे कुछ दे गए थे।’ बोलने वाले
ने फर खुद को सही कया। ‘कार हादसे के पहले।’
‘ या था वह?’
‘म फोन पर नह बता सकता। हम मलना होगा।’
‘और आपने मुझसे संपक करने के लए पं ह साल इंतजार य कया?’
‘मुझे ज रत नह पड़ी। अब, मुझे ज रत है।’
वजय ने इस बारे म सोचा। आ खर ऐसी या ज रत हो सकती है, जसने इस
रह यमय आदमी को पं ह साल बाद फोन करने पर ववश कर दया?
‘म कैसे मान लूं क आप चालबाज नह ह? मेरे पता को जानने क झूठ कहानी गढ़
रहे ह?’
‘अपना ईमेल चेक करो।’
‘ कए।’ वजय ने लैपटॉप अपनी तरफ ख चा और उसे वच ऑन कया। उसने तुरंत
अपना ईमेल चेक कया। वा तव म एक ईमेल था जो कुछ मनट पहले ही आया था। एक
ऐसे ईमेल ए ेस से जससे वो अनजान था। उसने ईमेल पर लक कया।
और वो जम सा गया। उसे व ास नह हो रहा था जो वो न पर दे ख रहा था। इसका
मतलब तो नकल रहा था। उसके पता के द तावेज क फाइल। अखबार क कतरन और
लेख। पुराता वक खुदाई पर रसच। वो च क गया था। ले कन उसे यादा जानना था।
‘ या तुम फोन पर हो?’ फोन करने वाले ने थोड़े च तत वर म पूछा।
वजय अपने याल से बाहर आया। ‘म ं यहां,’ उसने जवाब दया। ‘हम कब मल
सकते ह?’
‘अभी से छह महीने बाद। टारब स। साइबर हब, गुड़गांव। म तु ह दो दन पहले फोन
क ं गा और समय बताऊंगा।’
‘इतना लंबा इंतजार य अगर यह ज री है?’ वजय को समझ नह आया।
‘मुझे तैयारी करने के लए समय चा हए,’ यह था छोटा सा जवाब।
फोन कट गया। वजय ने अपना फोन नीचे रखा और सोचने लगा। उसका दमाग घूम
रहा था। कौन था यह रह यमय आदमी? साफतौर पर वो ज द मलना चाहता था। फर
छह महीने तक इंतजार य ? उसके प ीकरण का कोई मतलब नह नकल रहा था। उसे
या तैयारी करनी होगी? और जब वो लोग मलगे तो वो वजय के सामने या खुलासा
करेगा? कई थे जो अनु रत थे।
आज से छह महीने बाद यह पहली सुलझेगी।
उसे इंतजार करना पड़ेगा।

जारी है…
लेखक क ट पणी

य पाठक,

कताब म आपक च के लए ध यवाद।


यह कताब ृंखला क पहली कड़ी है। मेरे पछले उप यास, द महाभारत सी े ट क
तरह इसक कहानी यहां ख म नह होती ब क आगे भी जारी रहेगी।
अब जब आपने इसे पढ़ लया है, मुझे यक न है क कई ह गे जो आपके लए
अनु रत ह गे और आपके दमाग म उनके जवाब उमड़ रहे ह गे। इस कताब को पढ़ते
व कई ऐसे त य या प र थ तयां या ऐसे पा भी हो सकते ह, जो आपको पूरी तरह
समझ नह आए ह गे। यह जानबूझकर कया गया है य क कहानी इस कताब के ख म
होने के बाद भी जारी रहती है। आप भरोसा रख क आपके का उ र मलेगा और जैसे
—जैसे ृंखला आगे बढ़े गी, आपक उलझन और संदेह र होते जाएंग।े
म उ मीद करता ं क असमंजस और संदेह आपको बांधकर रखगे और जब कहानी
ख म होगी, आपको आपके जवाब मल जाएंग।े इस लए, मेरी गुजा रश है क आप धीरज
बनाए रख और अपने के उ र के लए अगली कुछ कताब क ती ा कर।
म आपसे वादा करता ं क आपक ती ा थ नह जाएगी।
इस बीच, इसी कताब म कई ऐसे त य ह जन पर थोड़े और प ीकरण क ज रत है
और म मानता ं क पाठक को समझाने क ज मेदारी मेरी है। इस लए उन त य को अब
म समझाने जा रहा ं।

व ान के प से
इस कताब के लए काफ वै ा नक शोध क ज रत पड़ी है और, वैसे मने को शश क है
क जहां तक हो सके उसे आसान बनाया जाए, ले कन म जानता ं क अ छे —खासे
क ठन श द और तकनीक ववरण से म बच नह पाया ,ं ज ह दे ना अ नवाय था। म उन
वै ा नक त य का सीधा प ीकरण दे ने जा रहा ं, जो अब कहानी के आगे बढ़ने म बाधा
नह बनगे।
पीसीआर टे टं गः पोलीमरेज चेन रए शन डीएनए के छोटे स वस का व ेषण
करने क व ध है। पीसीआर डीएनए या आरएनए के ह स क वृ करते ह मतलब उ ह
फर से पैदा करते ह या तकृ त बनाते ह। डीएनए पोलीमरेज का इ तेमाल तकृ त बनाने
के लए होता है। जैस— े जैसे पीसीआर क या आगे बढ़ती है, ज म लेने वाला डीएनए
तकृ त बनाने के लए खुद को नमूने क तरह पेश करता है, और इससे एक ृंखलाब
त या शु हो जाती है जो डीएनए क कई नकल बना दे ती है।
टं गरेः यह नगरानी रखने क नई तकनीक है, एक पोटबल उपकरण जो वाहन , घर
और अलग—थलग पड़े भवन म मोबाइल फोन स नल पर नजर रखने के काम आता है।
टं गरे ै कर सेलफोन टॉवर क नकल बना दे ता है और फर फोन डाटा मसलन टे ट
मेसेज, ईमेल और उसक जगह का पता तक जुटा लेता है। इससे इस उपकरण को इ तेमाल
करने वाले को सेल फोन के ठकाने, कन नंबर पर फोन कए गए, कन लोग ने समय
बताया, इ या द जानकारी मल जाती है।
वायरस तकृ तः सभी को शकाएं वभाजन के ज रए तकृ त का नमाण करती ह
और अपने क क म रहने वाले डीएनए क वैसी ही नकल बनाती ह। एक वायरस अपने
आप तकृ त नह बना सकता। इसे एक पोषक क ज रत होती है, जो एक सजीव ाणी
हो सकता है, बै ट रया समेत। एक सामा य वायरस इनके डीएनए को आरएनए म
बदलकर तकृ त बनाता है। आरएनए और कुछ नह ब क एक तरह के नदश होते ह,
एक कं यूटर ो ाम क तरह, जो ोट न बनाते ह। ये ोट न एक नया वायरस बनाने म मदद
करते ह। तो, वायरस पोषक को शका को सं मत करता है, और इसक तकृ त बनाने
वाली णाली वायरस डीएनए को वायरस आरएनए म बदलने म मदद करती है, जो वायरस
ोट न बनाकर अंत म एक नया वायरस बनाता है। नए वायरस फर जमा होते ह और
को शका म फट जाते ह, जससे को शका मर जाती है, और वायरस नई को शका को
सं मत कर दे ते ह, और फर वही या चलने लगती है। डरावनी है ना?
ोवायरसः वायरस का जेने टक कोड जब यह एक पोषक के डीएनए म रहता है।
बै ट रयोफेजः वैसे वायरस जो बै ट रया को सं मत करते ह और बै ट रया क
को शका का इ तेमाल तकृ त बनाने के लए करते ह।
वाय रयॉनः सं ामक वायरस पदाथ
रे ोवायरस र लकेशनः रे ोवायरस यादा चालाक, यादा ज टल होता है। इनम
डीएनए क नह , ब क आरएनए क ल ड़यां होती ह। इस लए, जब ये कसी पोषक
को शका को सं मत करते ह, उनके आरएनए को पहले डीएनए म बदलना होता है। यह
एक ोट न क मदद से होता है जसे रवस ांस टे ज कहते ह। एक बार जब वायरस
डीएनए बन जाता है, यह पोषक को शका के डीएनए म वेश कर जाता है। जी हां, वायरस
पोषक को शका का ह सा हो जाता है, इस लए इंसानी डीएनए का एक बड़ी ह सा
रे ोवायरस से उ रा धकार म मलता है। तो यक न कर या नह , हमारे डीएनए म वायरस
भी ह। वायरस डीएनए फर वायरस आरएनए म बदलता है, जो एक नए वायरस को बनाने
के लए वायरस ोट न का नमाण करते ह। इस कताब म बताया गया रे ोवायरस इसी तरह
काम करता है। जब यह झील के बै ट रया को सं मत करता है, यह उनके डीएनए को
बदल दे ता है। इससे उन ोट न क कृ त बदल जाती है जो बै ट रया बनाते ह——और
यही असली जदगी म भी होता है।
फायदे मंद वायरसः जब रे ोवायरस इंसानी को शका को सं मत करता है, यह उन
ज स को स य कर दे ता है जो पहले न य थे। यह बलकुल सच है। कताब म दए गए
उदाहरण असली ह। रोजाना नई खोज हो रही है क कैसे वायरस हमारे डीएनए और ज स
को भा वत करते ह। ज स मूल प से कं यूटर ो ाम क तरह ह—— सफ यही ो ाम
वैसे ोट न बनाते ह जनका शरीर म काफ काम होता है। कताब म बताए गए सभी
ोट न, जैसे पी53, वा त वक ोट न ह। और उनके सभी काम भी वा त वक ह। वायरस
न य ज स को स य बना सकते ह। इससे वैसे ोट न का उ पादन शु हो सकता है
जनका हर तरह का असर हमारे शरीर पर पड़ सकता है, और हम इसका पता भी नह
चलता। और इस लए आजकल जेने ट स क चचा हर जगह होती है। कसी भी बीमारी का
जेने टक इलाज आज मौजूद कसी भी सरे इलाज से यादा असरदार सा बत हो सकता
है। कई ऐसे ोट न ह जो हम कई तरीक से फायदा प ंचाते ह। कताब म व णत ोट न
पी53 वा तव म कसर क को शका को मारता है। और कई ऐसे ज स ह जो वैसे ोट न
बनाते ह जनक मदद से कसर, मधुमेह, अ जाइमर और दल क बीमा रय पर काबू पाया
जा सकता है, जैसा मने कताब म भी बताया है। इन ज स म होने वाला उ प रवतन या
इनका न य हो जाना ही बीमा रय के हम अपना शकार बनाने क वजह होती है। अगर
कोई ऐसा तरीका हो (जैसे वायरस) जससे यह प का हो सके क ये ज स हमारे लए
फायदे मंद ोट न बनाएं, हम सच म बुढ़ापे क या को धीमा कर सकते ह। इस बारे म
काफ रसच हो रहा है, और कौन जानता है क अगले बीस साल म हम इसका कोई
समाधान मल भी जाए।
ोफेज इंड शनः वायरस दो तरीके से जनन कर सकते ह। पहला लाइ टक साइ कल
के ज रए, जसम वायरस एक पोषक को शका पर क जा कर लेता है और फर को शक य
णाली का इ तेमाल कर जनन करता है। वायरस क तकृ तयां को शका म भरकर उसे
फोड़ दे ती ह, जससे को शका मर जाती है और फर वायरस सरी को शका को सं मत
करते ह। सरी या है लाइसोजे नक साइ कल। वायरस एक ोफेज बनाता है, और
इसका जेने टक पदाथ पोषक के जीनोम म वेश कर जाता है। वहां वायरस तब तक सु त
पड़ा रहा है जब तक क यह जनन के लए लाइ टक टे ज तक ना प ंच।े ोफेज इंड शन
वो तरीका है जससे इन सु त वायरस को लाइ टक टे ज तक प ंचाकर तकृ त बनाने के
लए े रत कया जाता है। इंड शन को एक उ पन या ट युलस क ज रत होती है
जससे बै ट रया के ोमोसोम से ोफेज अलग हो जाता है और तकृ त बनाता है।
टे लोमीयस और बुढ़ापाः टे लोमरेज, वो ोट न जसका मने कताब म वणन कया है,
नोबेल ाइज का वषय रहा है। ऐसा दे खा गया है क टे लोमरेज इस चीज को सु न त
करता है क टे लोमीयस इतने छोटे ना हो जाएं क को शकाएं वभाजन बंद कर द या मर
जाएं। टे लोमरेज के फायद को लेकर आज वै ा नक म काफ गरमा—गरम बहस चल रही
है। बहस इस बात पर चल रही है क या टे लोमरेज क मौजूदगी से कसर क संभावना बढ़
जाती है। जब हम अपनी मां के गभ म ूण होते ह, टे लोमरेज स य होते ह, य क ूण
के वकास के लए को शका वभाजन मह वपूण है। ले कन, जब हम ज म ले लेते ह, तो वो
जीन जो टे लोमरेज का उ पादन करती है, न य हो जाती है और हमारे ज म के दन से
टे लोमीयस छोटे होने शु हो जाते ह। हमारी मौत नयत होती है। ले कन यह कृ त का
तरीका भी है यह प का करने का क को शकाएं बेलगाम होकर लगातार बढ़ती ना रह——
जो कसर क प रभाषा भी है। इस लए, टे लोमरेज एक धारी तलवार है। एक तरफ यह
बुढ़ापे को धीमा करती है, तो सरी तरफ कसर से मौत क वजह भी बन जाती है।
ज स और रोगाणु को लेकर हमारा ान, व तृत तो है, संपूण नह । हर दन, रसच से
को शका के काम करने के तरीके, ज स के काम या रोगाणु के अपने पोषक (इंसान
और सरे ाणी भी) को सं मत करने के बारे म नई जानका रयां मल रही ह। इस कताब
म जन वै ा नक त य का ज कया गया है, वो उन खोज पर आधा रत ह जो पछले दो
या तीन साल म ई ह।
शु क वशेष घटनाः जो इस कताब के अ याय 60 म व णत है, वो वा त वक है।
ऐसी ही घटना वे स के न से ल ु म ई थी, जहां शु ठ क उसी तरह चमक रहा था
जैसा कताब म बताया गया है। इस घटना पर काफ शोध हो चुका है और इसका वणन,
वै ा नक ा या के साथ, टोफर नाइट और रॉबट लोमस क कताब यू र स मशीन म
कया गया है। मने ह कुश म इस घटना के बारे म नह सुना है, इस लए वो क पना है,
ले कन घटना अपने आप म का प नक नह है। लाइटबॉ स क संक पना आयरलड म
यू ज क पहाड़ी से ली गई है, जहां सूरज (शु क बजाय) ग लयारे म चमकता है और
अंदर गुफा क द वार को का शत करता है। यह घटना भी उसी कताब म व णत है।

इ तहास के प से

कताब म ओ ल पयास, यूमेनीज और कै ल थनीज के बारे म काफ कुछ बताया गया है,
ले कन कई सरे ऐ तहा सक पा भी इसम आए ह। मने सोचा क उनके बारे म भी थोड़ी
जानकारी द जाए।
प डकासः सकंदर के मरने के बाद कई साल तक वो सकंदर के पूरे सा ा य का
शासक था। हालां क सकंदर के कई सेनाप तय ने उसके खलाफ ष ं कए और
आ खरकार उसका वध भी कर दया गया। उसका मु य सहयोगी यूमेनीज था।
एंट पैटरः जस पर फ लप और सकंदर दोन को भरोसा था। जब सकंदर ए शया म
अपने अ भयान पर था, वो यूनान और मक नया पर सकंदर के त न ध के तौर पर
शासन कर रहा था।
पोलीपचनः जसने एंट पैटर का साथ दया और उसक मौत के बाद यूनान और
मक नया का शासक बना। अंत म, कैसडर ने उसे हराकर सा ा य पर क जा कया।
कैसडरः एंट पैटर का बेटा था।
टोलेमीः सकंदर क मौत के बाद म का शासक नयु आ। वो पहले प डकास
और बाद म एंट गोनस के खलाफ व ोह भड़काने का ज मेदार था। उसने फराओ का
खताब धारण कया और टोलेमी वंश क शु आत क ।
एंट गोनसः मूल प से फ गया का शासक था। वह प डकास से अलग हो गया और
सी रया और फारस के लए यूमेनीज से यु कया। यूमेनीज ने उसे दो बार परा जत कया
ले कन बाद म धूतता से उसने यूमेनीज को गर तार कर लया और अंत म उसका वध कर
दया।
स टसः भी एक वा त वक पा है और कताब म बताई गई वो घटनाएं, जो उसक
मौत क वजह बन , लेमसन यू नव सट क ए लजाबेथ कान क द डेथ ऑफ स टस और
लुटाक क लाइफ ऑफ अले जडर से ली गई ह।
अगर आप इन सबके बारे म यादा जानना चाहते ह ले कन उन सभी कताब , लेख ,
वी डयो और वेबसाइट क मदद नह लेना चाहते, जनसे मने मदद ली है, तो दो ऐसे ोत ह
जो आपको सकंदर और ओ ल पयास और सकंदर क मौत के बाद उ रा धकार क लड़ाई
म उसके सेनाप तय क भू मका के बारे म सं ेप म जानकारी दगेः
सकंदरः http://www.ancient.eu.com/Alexander_the_Great/
ओ ल पयासः http://www.historytoday.com/robinwaterfield/olympias-
olympias-funeral-games

पौरा णक प से

समु मंथनः हर कोई इस मथक को जानता है। इस कताब के लए मने जो दो ोत


इ तेमाल कए वो ह कसारी मोहन गांगुली क द महाभारत ऑफ ास (मूल सं कृत रचना
का अं ेजी अनुवाद) और सैन सरीन क समु मंथन, जसम मूल सं कृत ोक और उनके
पारंप रक अथ दए गए ह।
समु मंथन क ा या और उसका व ान, जो मने तुत कए ह, दोन ही संभा वत
प र य ह। जो अनुवाद और वै ा नक अवधारणा मने कताब म द ह, उ ह सं कृत भाषा
और मे डकल े के वशेष ने सराहा है। या यह वा तव म हो सकता था? यह असंभव
नह है। इस कताब के पीछे छपे व ान के बारे म यादा जानकारी और व ेषण के लए
आप मेरी वेबसाइट (www.christophercdoyle.com) या मेरे फेसबुक पेज
(www.facebook.com/authorchristophercdoyle) पर व जट कर सकते ह। अगर
आप मुझे लखना चाह या आपके मन म व ान से संबं धत कोई हो तो आप मुझे
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