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सकंदर का रह य
टोफ़र सी. डॉयल अपने पाठक को एक ऐसी चम कारी नया म ले जाते ह, जहां
क से—कहा नय म छपे ाचीन रह य व ान और इ तहास के साथ मलकर एक
अ व मरणीय कथा बनाते ह।
शा ीय सा ह य से लेकर व ान ग प और फटे सी तक क कताब म गहरी च रखने
वाले टोफ़र को कूली दन से ही लखने का शौक रहा है। बचपन से ही उ ह ने अपने
सा ह यक गु के तौर पर ज स वन, एच जी वे स, आइजैक अ समोव और रॉबट
हेनलेन, जे आर आर टॉ कन, रॉबट जॉडन और टे री ु स जैसे लेखक को दे खा है।
अपने पहले उप यास, द सी े ट ऑफ़ महाभारत का शत करने से पहले टोफ़र का
कॉरपोरटे जगत म एक शानदार क रयर रहा है। उ ह ने द ली के सट ट फंस कॉलेज से
अथशा म नातक क ड ी ली है और आईआईएम कलक ा से बजनेस मैनेजमट क
पढ़ाई क है। अपने कॉरपोरटे क रयर के दौरान उ हान द गज ब रा ीय सं था म
सी नयर ए जी यू टव और सीईओ के तौर पर काम कया है और इसके बाद एक अमे रक
कंस टं ग फम के साथ मलकर भारत म ै टे जक कंस टसी बनाई।
अपने कॉरपोरेट क रयर के दौरान टोफ़र ने कई भारतीय और अतंरा ीय काशक
के लए मैनेजमट और बजनेस पर लेख लखे और वो नय मत तौर पर अंतरा ीय स मेलन
म व ा के तौर पर आमं त कए जाते ह। वो एक स टफाइड ए जी यू टव कोच ह और
फलहाल सी नयर ए जी यू ट स के साथ मलकर उनक कंप नय म कामयाबी और बेहतर
नतीजे लाने के लए काम करते ह।
टोफ़र एक संगीतकार भी ह और संगीत के इस शौक को वो अपने ला सक रॉक
बड मड लाइफ ाइ सस के ज रए पूरा करते ह।
टोफर अपनी प नी श मला, बेट शयनया और अपने दो यारे कु , जैक और
कोडी के साथ गुड़गांव म रहते ह।
फेसबुकः www.facebook.com/authorchristophercdoyle
वेबसाइटः www.christophercdoyle.com
अनुवाद
धीरज कुमार
westland ltd
61, II Floor, Silverline Building, Alapakkam Main Road, Maduravoyal, Chennai 600095
93, I Floor, Sham Lal Road, Daryaganj, New Delhi 110002
www.westlandbooks.in
First Published in English as The Alexander Secret by Westland ltd 2014 First published in Hindi
as Sikandar Ka Rehasya by Westland ltd, in association with Yatra Books, 2016
Christopher C. Doyle asserts the moral right to be identified as the author of this work.
ISBN: 978-93-86036-92-6
DISCLAIMER
This book is work of fiction and all characters in the book are fictional. Any resemblance to real
life characters, living or dead, is purely coincidental.
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आभूषण, काशमान, उसके हाथ म चमक रहा था;
ख ने नीचे दे खा; जो चाहा, उसने पाया।
वो झरना चांद के समान तीत होता था,
चांद क धारा क तरह जो च ान के म य से छनकर आती हो।
झरना नह ,——जो इस उ से र था;
ले कन य द, सचमुच, यह होता,——यह काश का झरना था।
ातः काल म तारा कैसा होता है?
जैसे भोर का तारा भोर म होता है,——ऐसा ही था यह।
रात म पूरा चं मा कैसा होता है?
तो यह वैसा ही था, यह चं मा से भी बड़ा था।
यूमेनीज उस तंबू म, जसम उसे कैद कया गया था, ब तर पर लेटा था और अपने भा य
को कोस रहा था। वह जानता था क वह हार चुका है। वह एंट गोनस, जो काना था, का
कैद था और जसके साथ वो पहले भी लड़ चुका था। इस बार आखरी यु म उसे धोखा
दया गया था। उसके अपने प ने उसे काने जनरल को स प दया था, सामान से लद
उस गाड़ी के बदले जसे एंट गोनस ने ज त कर रखा था। यूमेनीज क गर तारी को
एंट गोनस सावज नक तौर पर एक लंबी और तीखी मनी के अंत के ज क तरह मना
रहा था। ले कन सूया त होने पर एंट गोनस अकेले म यूमेनीज से मलने आया। तब यूमेनीज
को पता लगा क एंट गोनस सधु क भू म क तरफ सकंदर के कूच करने के फैसले क
असली वजह जानता है, साथ ही यह भी क सकंदर को वहां या मला। और वह जानता है
क कस वजह से उस महान वजेता को सफ दो साल बाद मृ यु के मुख म जाना पड़ा।
यूमेनीज ने पहले सकंदर के पता फ लप के साथ एक दो त और स चव के प म
काम कया था। फ लप क मौत के बाद वह सकंदर का मु य स चव बना था। यूमेनीज ही
था जो राजा के द तावेज क दे खरेख करता था, उन राजक य डाय रय का, जनम रा य
के रोजाना के कामकाज दज होते थे। ले कन एक अहम चीज थी जो यूमेनीज ने द तावेज
म दज नह क थी—— सकंदर क असली मह वाकां ाएं और वह महान रह य जसने उसे
एक भगवान का दजा दलाया था। सोलह साल पहले, यूमेनीज ने उस वजेता के साथ सवा
ओए सस म जयस—एमन के मं दर क या ा क थी, जहां सकंदर को बताया गया था क
वह जयस—एमन का पु है और इस लए खुद भी भगवान है।
सकंदर ने बना समय गंवाए अपने दे व व का दावा कर दया और सु र पूव म सधु नद
क तरफ बढ़ चला, अपने उस ल य को ा त करने के लए जो उसे सच म ई र बना दे ता।
उसने उस महान रह य के बारे म जो कहा नयां सुन रखी थ और जो उसे उसका ल य
हा सल करने क ताकत दे ने वाला था, उ ह ने उसे लगातार आगे बढ़ने के लए े रत कया,
भले ही उसके सै नक अपने घर लौटना चाहते थे।
यूमेनीज सकंदर के साथ उस भू मगत गुफा के बाहर तक गया था जहां ई र के रह य
छपे थे। ले कन गुफा के अंदर सकंदर अकेला गया था। जब वह लौटा, उसका चेहरा जीत
से दमक रहा था। उसने वो ढूं ढ़ लया था जसके लए वह आया था। सकंदर के गु त मशन
म कामयाबी का माण म लीज पर क जे के व मला, जब वो सधु नद के कनारे से
होकर वापस लौट रहा था। सकंदर ने आ मण का नेतृ व कया था, और जब वो एक सीढ़
के सहारे द वार पर चढ़ रहा था, सीढ़ टू ट गई और सकंदर अपनी सेना से अलग उन बबर
के बीच घर गया। उसके चेहरे के तेज और कवच क चमक दे खकर एक बार तो वो बबर
यह समझ बैठे क कोई दे वता उनके बीच आ गया है और भाग गए। ले कन ब त ज द वो
संभल गए और उ ह ने उस पर हमला कर दया। हालां क सफ दो र क क मदद से
सकंदर उनसे लड़ता रहा। पस लय म तीर लगने के बावजूद सकंदर तब तक परा म
दखाता रहा, जब तक मक नया क सेना वहां प ंचकर उसे बचा नह ले गई। ले कन जब
उसके शरीर से तीर नकालने क या चल रही थी, द ते म ये कहा नयां फैल चुक थ क
उनका राजा मर चुका है।
यूमेनीज सकंदर क नाव पर उसके के बन के बाहर कई दन तक च तत मु ा म
उसक सेहत क खबर जानने के लए इंतजार करता रहा, और अंत म सकंदर नाव के डेक
पर आया, जी वत ले कन कमजोर। उस चम कार के क से भी यूमेनीज के कान तक प ंचे
जसने सकंदर क जान बचाई। ज म जानलेवा हो सकता था य क काफ खून बह चुका
था। च क सक ने उ मीद छोड़ द थी——वो अंद नी ज म भरने के लए या खून को
बहने से रोकने के लए कुछ नह कर सकते थे। ले कन जब वो सभी असहाय बैठकर अपने
राजा क मौत का इंतजार कर रहे थे, सकंदर के ज म भरने शु हो गए। ज म भरने क
या धीमी ज र थी ले कन वो अपने आप शु हो गई थी। सकंदर क सेहत सुधरते
दे खकर च क सक ने भी अपनी तरफ से ज द से ज द उसे व थ करने क को शश शु
कर द थ । और कुछ ही दन म वो वजेता व थ हो चुका था, उसके ज म भर गए थे और
कमजोर होने के बावजूद उसने इस बात पर जोर दया था क उसे उसक सेना के बीच ले
जाया जाए।
यूमेनीज अफवाह पर भरोसा नह करता था, ले कन उस दन, बाक सेना क तरह उसे
भी यक न हो गया क सकंदर एक भगवान है। अमर, मनु य को ात कसी भी ह थयार से
अभे । और यूमेनीज जानता था क ई र क गुफा क सकंदर क या ा ने उसके इस
बदलाव म भू मका नभाई है। ले कन अब वो इस बात को न त तौर पर मान चुका था क
गुफा म चाहे जो भी महान रह य हो, सकंदर ने उस रात गुफा म अकेले जाने के बाद चाहे
जो कया हो, इस चीज का कोई ना कोई संबंध बेबीलोन म सकंदर के अं तम दन के
मान सक संताप से है, जब वो बुखार से पी ड़त था, लगातार यास लगने क वजह से उसका
गला बैठ गया था और कुछ भी बोल पाने म असमथ था। भगवान बनने क सकंदर क
मह वाकां ा तो पूरी हो गई थी, ले कन वडंबना थी क इसी ने उसक जान ले ली थी।
यूमेनीज यह भी जानता था क सकंदर के इसी रह य क वजह से मरने के छह दन
तक भी उसका शरीर उसी तरह दख रहा था जैसे क सकंदर जी वत हो और सफ गहरी
न द म हो।
और, अब, यहां वह सकंदर के एक जनरल का कैद है जो उसे न त तौर पर मार
दे गा। उसे सफ इस बात का संतोष था क सकंदर का महान रह य सुर त है। यूमेनीज ने
एक व ासपा क तरह इ तहासकार कै ल थनीज क कताब, सकंदर के काय म ये सभी
जानकारी दज क थी। ले कन आ धका रक द तावेज से उसने कताब के वो अंश हटा दए
थे जसम उस गु त मशन का वणन था, जो कै ल थनीज ने सोग डयन भू म पर, सकंदर के
उसे मौत क सजा दए जाने से पहले पूरे कए थे। इसके बजाय उसने अपनी गु त डायरी म,
जसे वो अपने तंबू म छपाकर रखता था, सकंदर के साथ अपने अनुभव और कै ल थनीज
के मशन क बात लखी थ ।
उसने एंट गोनस के साथ महायु के पहले अपने प को जंगली जानवर का झुंड
मानते ए अपने सभी कागजात और द तावेज न कर दए थे। गु त डायरी को एक
भरोसेमंद वाहक के ज रए सकंदर क मां ओ ल पयास तक प ंचा दया गया था, जो
मक नया क राजग को कैसडर क मह वाकां ा से बचाने म लगी थी।
एंट गोनस को कुछ नह मलेगा। यह सोचकर उसने चैन क सांस ली। उसने अपने
शासक के त कत नभाया था। एंट गोनस, टोलेमी, कैसडर——जो सकंदर के
सा ा य को अपने बीच बांट रहे थे——कभी भी सधु क भू म म सकंदर के महान रह य
को नह जान पाएंग।े और, ना बाक नया को यह रह य मालूम होगा।
391 ई वी
दफन आ एक रह य
जून 1990
पहला दन
को रनोस का उ री और मा क गयालोस का द णी इलाका, ीस
ए लस ने सेलफोन को अपने कान से सटाए रखा और सरी तरफ से लगातार बज रही घंट
को सुनती रही। उसके चेहरे पर हताशा थी और बार—बार कॉल करने के बावजूद एक जैसे
नतीजे आने क वजह से वो तमतमाने लगा था। इस बार भी कोई जवाब नह मला।
एक बार फर कॉल कटने पर उसने खीज म अपनी जीभ चटकाई। अब तक वो समझ
चुक थी क पलटकर कॉल नह आएगी।
म कॉल करने क जहमत ही य उठा रही ं?
वो उदास नगाह से कुछ दे र तक अपने फोन को घूरती रही और फर उसे अपनी जेब म
रख लया। लंबी री का र ता नभाना आसान नह था। वो पछले बारह महीन म
यादातर समय पडना के ीक—अमे रक आ कयोलॉ जकल मशन क इंटरनेशनल ट म
के सद य के तौर पर यहां रह रही थी।
ये मशन नया के सामने ाचीन ीस के सबसे पेचीदा रह य को सामने लाने क
कगार पर था। महीन तक अलग—अलग रहने से उसके संबंध पर बुरा असर पड़ा था और
दो ह ते पहले इसक प रण त तीखे गाली—गलौज के प म ई थी। तब से उसके
वॉय ड ने उसे फोन नह कया था। और न ही उसके कसी भी कॉल का जवाब दया था।
मूख इंसान। अगर उसम अपनी भूल के लए माफ मांगने क शालीनता नह है, तो कम
से कम वो उसका फोन तो उठा सकता था ता क वो र त को फर से पटरी पर लाने क
को शश कर सके। जब तक ऐसा नह होता… उसने इस बुरे वचार को सर हलाकर र कर
दया।
उसक सोच को तोड़ा रोमांच से भरे एक छा ने, जसक सांस सुरंग से दौड़ लगाकर
बाहर आने क वजह से फूल रही थी। सुरंग का रा ता सद क सबसे बड़ी खोज क तरफ ले
जाता था——एक मकबरा जसे 2000 साल से यादा से खोला नह गया था। वो मकबरा
जो पछले 150 साल से अटकलबाजी का वषय था। खुदाई करने वाली ट म म पचास से
यादा छा और बड़ी तादाद म थानीय मज र थे, जब क ोजे ट के दो को—डायरे टर,
एक ीक और सरा अमे रक , थेसालो नक म रह रहे थे, जो ई—75 टोल रोड से जाने पर
करीब पचास कलोमीटर र था।
‘ए लस, हमने मकबरे का वेश ार ढूं ढ़ नकाला है!’ उसक आवाज म रोमांच र से
ही महसूस कया जा सकता था। ‘चलो, ज द करो!’ उसके मुंह से ये श द नकले भर थे
और उसके कदम उस रा ते क तरफ मुड़ चुके थे जो गहराई म बने सुरंग क तरफ ले जाता
था।
वॉय ड को लेकर सारी चताएं उसके दमाग से छू मंतर हो ग , ए लस ने अपना
बैकपैक ठ क कया और छा के पीछे चल पड़ी। उसक सोच उस पल क तरफ मुड़ गई
जब 18 महीने पहले उसे इस ट म के साथ जुड़ने के लए बुलाया गया था।
यह वडंबना थी क वो अपने वॉय ड से तुरंत ही मली थी जब यह बुलावा आया। वो
उस व एक ऐसी घटना से जूझ रही थी जसके बारे म अब वो कभी बात नह करती थी।
उस व वो इसे खुद से र करने के लए संघष कर रही थी और वो इसे स दय पुराने रह य
क तरह अपने दमाग के कसी कोने म गहरे दबा दे ने म कामयाब हो गई थी। उस व
वॉय ड उसका बड़ा सहारा था और वो इस चीज के लए उसक शु गुजार थी। एकाध
महीने तक एक सरे से मलने—जुलने के बाद वो उसके साथ रहने लगी थी——जब तक
क उसे इस खुदाई के काम के लए नह बुलाया गया। और आज, जब वो ाचीन ीस के
बड़े रह य म से एक को उजागर करने वाली है, ऐसा लगता है क अब वो उसके साथ नह
है।
जब वो मकबरे क तरफ छा के पीछे —पीछे जा रही थी, उसे अरबप त परोपकारी
कुत वॉलेस के साथ अपनी मुलाकात याद आई। वॉलेस अपने वॉलेस आ कयालॉ जकल
ट, जो पुरात व व ान और ाचीन स यता के अ ययन को सम पत संगठन था, के
ज रए इस खुदाई का सारा खच उठा रहा था। “फॉरगॉटे न ट् स” अ भयान के पीछे भी
उसका हाथ था, जो उनक लखी पांच कताब पर आधा रत काउंटर इवॉ यूशन अ भयान
था। इन कताब का समान वषय यह अवधारणा थी क मानवजा त अपनी जड़ को भूल
चुक है और मक वकास के स ांत पर आधा रत एक गलत प रक पना क ओर मुड़
गई है, जब क मानवजा त का स चा ोत व भर क सं कृ त के ाचीन मथक म कह
गहरा छपा है।
ए लस ने वॉलेस के बारे म सुना और पढ़ा था ले कन कभी भी इस पर वचार नह कया
था क उसके और उसके स ांत के बारे म वो या सोचती है। ले कन वो उस क
बौ क मता और उसके कुलीन और स य वहार क कायल हो गई थी। और हां, ए लस
पर उसक हवेली के साज— ृंगार का भी असर पड़ा था जहां उसे मलने के लए बुलाया
गया था।
मुलाकात ठ क दस मनट चली थी और वॉलेस ने बातचीत क शु आत सीधे मु े से क
थी।
‘म ट म म तु ह खास तौर पर सकंदर महान के दौर और उसक मौत के पहले और बाद
के वष के बारे म तु हारी वशेष ता क वजह से चाहता था,’ अ भवादन क औपचा रकता
और जलपान के बारे म पूछने के बाद उसने यहां से शु आत क ।
इ ह शु आती श द ने उसक उ सुकता जगा द और उसने अपने अ ययन क क
खड़क के पास खड़े लंबे कद के वॉलेस क तरफ दे खा——शानदार सूट, रेशमी टाई,
रौबदार चेहरे और कुछ काले—कुछ सफेद बाल के साथ एक कुलीन पु ष क छ व उसके
सामने थी।
वॉलेस उसक तरफ दे खकर मु कुराया, वो जानता था क तीर नशाने पर लगा है। ‘ ट
क मेरी रसच ट म ने ाचीन ीस के बड़े रह य म एक का सुराग ढूं ढ़ नकाला है। और
इसका संबंध और कसी से नह , सकंदर महान से है।’
वो इस मशन के तरीक और मकसद और ट म क बनावट के बारे म पूरी बात बताता
चला गया। और जब तक उसने अपनी बात ख म क , ए लस को इस ोजे ट से जुड़ने के
लए भुगतान कया जा चुका था।
‘यहां यान से आना,’ छा क आवाज ने एक बार फर उसके वचार को भंग कर
दया। ‘यहां से सुरंग क छत नीची है।’ वो शा ट से नीचे उतर गए थे और अब सुरंग म चल
रहे थे, उस रोशनी क ओर जो पोटबल लप से आ रही थी और जैस— े जैसे वो आगे बढ़ रहे
थे, रोशनी बढ़ती जा रही थी।
छा के टॉच क रोशनी म वो जतनी तेजी से चल सकते थे, वो सुरंग म चल रहे थे और
आ खरकार वो चकने प थर क द वार वाले एक घनाकार कमरे म प ंच।े
दो पोटबल एलईडी पोल लाइट तरछे कोने म एक सरे के सामने लगे थे और उस छोट
सी जगह म उजाला कर रहे थे।
‘शु या माक ।’ ए लस ने मु कुराते ए छा को कहा, जसने अब अपनी लैशलाइट
बंद कर द थी।
‘खजाने का वेश ार है ये’, ट म के सरे पुरात व वद डैमन ने मकबरे के वेश ार
क तरफ इशारा करते ए कहा, जसे उ ह ने पछले बारह महीन तक कड़ी मेहनत क
खुदाई म नकाला था। थुलथुले शरीर का डैमन अपनी उ के पांचवे दशक म था।
ए लस ने कमरे म ड ब के ढे र को दे खा। ये ग े दार ड बे थे जनका इ तेमाल खुदाई
क जगह से नकली ाचीन कलाकृ तय को जमा करने और उ ह योगशाला तक
सुर त प ंचाने के लए होता था, ता क उनक जांच अ छ तरह से क जा सके। ‘ या हम
यहां से कुछ चीज ले जा रहे ह?’ वो थोड़ा सा च क गई थी। यह पुरात व क मानक या
के व था, जसम हर कलाकृ त को खुदाई क जगह से हटाने के पहले उसक त वीर ली
जाती ह, उस पर नशान लगाया जाता है और उसका यौरेवार मू यांकन कया जाता है।
‘मु यालय के आदे श ह, हमारे डायरे टर ने मुझे खास नदश दए ह क जो भी
कलाकृ त हट सकती है, उसे यहां से हटाकर बाहर सुर त रखा जाए।’ डैमन ने उसक
तरफ ज ासा से दे खते ए जवाब दया। ‘तुम कहां थ ?’
ए लस अपने ज बात पर काबू पाने क को शश करते ए बोली, ‘मने गौर कया क
तुमने और सभी लोग को र भेज दया है।’ शा ट म घुसते व वो एक सरे रा ते क
तरफ जाते सरे छा और मज र को पीछे छोड़ आए थे और उसने महसूस कया था क
डैमन मकबरे को सबसे पहले खुद दे खने क तैयारी कर रहा है।
‘मने उ ह र भेज दया,’ उसने ए लस को मु कुराते ए जवाब दया। ‘मने सोचा क
इस मकबरे को खोलने का वशेष अ धकार हम दोन को मलना चा हए।’ उसने छा क
तरफ दे खते ए कहा, ‘हां, माक ने भी हमारी मदद क है, खुश क मत है ये।’ उसने माक
को दे खकर आंख मारी, जो जवाब म मु कुरा दया।
ए लस क भ ह तन ग । ‘यहां कोई दरवाजा नह है। सभी यूनानी मकबर म दरवाजे
होते ह।’
डैमन ने कहा, ‘हम ढूं ढ़गे ना?’ उसका चेहरा उसक चता को छपाने क को शश कर
रहा था। या उ ह ने इतने महीन तक इतनी कड़ी मेहनत इस लए क है क अंत म नराशा
हाथ लगे?
ए लस ने गहरी सांस ली। यही सच था। उसने डैमन क तरफ दे खकर सर हलाया
जसने माक को इशारा कया। छा ने एक पोल लाइट उतारी और उसे लेकर मकबरे म
खुलने वाले रा ते क तरफ चल दया। जब ए लस और डैमन मकबरे म घुसे, डैमन सरा
लप लेने के लए बाहर आया और उसक आंख उ ेजना से चमक रही थ ।
‘यहां दो कमरे ह,’ डैमन फुसफुसाया। ‘ठ क उसी तरह जैसे मक नया के मकबर म
होते ह। बैरल वॉ ट डजाइन वाले। यह तो यूनानी ही है।’
ए लस ने खुद को एक छोटे कमरे म खड़ा पाया, जसक द वार पर रंगीन कपड़े पहने
एक म हला के भ च थे, जो सेना का नेतृ व कर रही थी, पु ष को नदश दे रही थी
और उसक भाव—भं गमा एक नेता क तरह थी।
ए लस ने डैमन क तरफ दे खा जसके चेहरे पर रोमांच के भाव थे। वो जैसा सोच रहे थे,
वो सही नकला।
डैमन गहरी सांस लेते ए बोला, ‘एक रानी का मकबरा, अब नया के सामने उसक
आरामगाह आएगी।’
ए लस पहले कमरे के दरवाजे से होते ए क के अंदर वाले कमरे म प ंची, डैमन भी
उसके पीछे था।
कमरे म घुसते ही उसक सांस तेज हो ग । वो तैयार थी क उसे ताबूत, मानव अवशेष
रखने वाला सं क, या यादा से यादा एक ममी दे खने को मलेगी। ले कन उसक आंख ने
जो य दे खा, उससे उसके र गटे खड़े हो गए।
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आर.के. पुरम, नई द ली
अनवर!
इमरान ने उस ईमेल को दे खा जो उसे अभी तुरंत मला था, उसे अपनी आंख पर
व ास नह हो रहा था।
अनवर और इमरान मेरठ म साथ—साथ पले—बढ़े थे। बाद म अनवर के माता— पता
क मौत के बाद वो अपने चाचा के साथ लखनऊ चला गया था। ये साल पहले क बात है
ले कन दोन लड़के एक— सरे के साथ संपक म रहे। इमरान ने जहां आईपीएस वॉइन कर
लया, वह अनवर ने लखनऊ म अपना एक छोटा बजनेस शु कर लया जो काफ अ छा
चल रहा था। ले कन दोन अ छे दो त बने रहे।
करीब पांच साल पहले अनवर जैसे अचानक गायब हो गया था। और अब, वो अचानक
ही सामने आ गया था। अतीत से एक भूत क तरह। इमरान के दमाग म कई उ मीद जाग
ग और उसका मन एक बार फर से अपने पुराने दो त से जुड़ने क सोचकर उ ल सत हो
उठा। उसने ईमेल खोला। और जैसे उसे चेहरे पर एक घूंसा सा लगा। इसम अं ेजी के सफ
दो श द थे——हे प अनवर।
अनवर क खोज
ए लस को धमाके क गरज उस झटके के कुछ सेकड बाद सुनाई द , जसने तेज र तार म
चल रही लड ू जर को हला दया। उसक कार धूल भरे रा ते से हटकर डामर क बनी
सड़क पर हाइवे क तरफ जा रही थी। ए लस अनायास ही तेजी से चीख उठ ।
कार के रयर ू मरर म आंसू भरी आंख से उसने दे खा क खुदाई वाली जगह के
ऊपर एक आग का गोला उभर रहा है। उसे इस पर यक न नह आ। उ ह ने क को न
कर दया! खुश क मती थी क उसने इस खोज को अपने कैमरे म कैद कर लया था। उसके
पास उसके कैमरे क मेमोरी टक अभी भी रखी थी। उसने खुद को इस बात से सां वना द
क भले ही क को न करने से इ तहास और पुरात व व ान को जो नुकसान आ है,
उसक भरपाई नह हो सकती, ले कन उसके पास अभी भी ऐसी चीज है जसे बचाया जा
सकता है।
और तभी उसके दमाग म ये बात आई क अगर ये लोग, जो भी ह, क को उड़ा सकते
ह, तो साफ तौर पर वो इसके अंदर पाई गई कसी भी चीज का कोई नशान नह छोड़ना
चाहगे।
और वो तो क के अंदर ई खोज क जदा सबूत थी। वो लोग तब तक चैन से नह
बैठगे जब तक उसे मार ना द।
लड ू जर क छत पर तभी अचानक एक धमाका सा आ। हेलीकॉ टर का पायलट
गाड़ी क छत को उसके ट से तोड़ रहा था। ए लस अपनी सीट म कूद पड़ी और और फर
से चीखी, शाम को लगा सदमा और इस बात का आभास क उसे न ु रता से मार गराया
जाएगा, उसके दलो— दमाग पर हावी था।
उसने गयर बदला और एक बार फर ए सलेटर दबा दया। आज रात चाहे जो हो जाए,
वो इतनी आसानी से हार नह मानेगी। वो लोग उसे अंत म भले पकड़ ल, ले कन वो
कायरता से ह थयार नह डालेगी।
हेलीकॉ टर के पायलट को यह बात महसूस हो गई और हेलीकॉ टर तेज र तार म एक
झटके से दाएं मुड़ा, ए लस से आगे प ंचा और गोलाई म घूमते ए उसक तरफ नीचे उतरने
लगा, जैसे वो एसयूवी क तरफ बढ़ रहा हो।
ए लस अपनी तरफ आते हेलीकॉ टर को आतंक भरी नगाह से दे खती रही। तुरंत ही
वो समझ गई क पायलट या करने क को शश कर रहा है। ये तो साफ था क वो सड़क
पर हेलीकॉ टर उतारने और उसका रा ता रोकने क योजना बना रहा था, ले कन वो उसे
डराने क को शश भी कर रहा था। पायलट उसे बताना चाहता था क वो हेलीकॉ टर से
एसयूवी को ट कर मारने जा रहा है।
ए लस खुद को संभालने क को शश कर रही थी। इस वचार ने क कोई उसे बलकुल
असहाय मानकर उसके साथ खलवाड़ करना चाहता है, उसे संभलने म मदद क ।
उसने मजबूती से खुद से कहा, ‘ठ क है, दो त, इस खेल को दो लोग खेल सकते ह। तुम
लेट का खेल खेलना चाहते हो तो यही सही।’ उसने गयर बदला, कुछ पल के लए गाड़ी
क र तार धीमी क और फर तेज र तार म सीधे हेलीकॉ टर क तरफ बढ़ चली, जो अब
जमीन से कुछ ही मीटर ऊपर था। ‘दे खते ह पहले कौन पीछे हटता है।’
कुछ पल के लए हेलीकॉ टर और एसयूवी एक सरे क तरफ गरजते ए बढ़ते रहे,
जैसे दोन एक ट कर के लए अड़े ह ।
तभी पायलट को जैसे कोई बेहतर उपाय सूझा और उसने सड़क पर हेलीकॉ टर रोक
दया, बलकुल उसी रा ते पर जस पर लड ू जर आ रहा था। उसने दमागी चाल चलना
छोड़ दया था और अब वो दमाग क बजाय शारी रक ताकत का इ तेमाल करने क सोच
रहा था।
हेलीकॉ टर के पंखे धीरे—धीरे कने लगे और उससे एक आकृ त नकली। ए लस ने
दे खा क हेलीकॉ टर म पायलट के साथ कोई नह है। वो आदमी एक तरफ खड़ा हो गया,
जैसे कोई मकड़ी अपने जाल क तरफ आती कसी म खी को दे खती है और उसे इस बात
का भरोसा रहता है क म खी तो इस रेशमी फंदे म फंसेगी ही।
ए लस ने अपने चार तरफ दे खा ता क इससे नकलने का कोई रा ता दख जाए। वो
अपने दमाग पर हावी घबराहट से भी लड़ रही थी, वह भारी—भरकम हेलीकॉ टर ने ना
सफ उसका रा ता ब क उसक नजर को भी रोक रखा था। वो ये भी जानती थी क इस
बुरी हालत से नकलने का अगर कोई तरीका है तो वो तब तक नह मलेगा जब तक वो डर
को अपने ऊपर हावी होने दे गी।
पलक झपकाते ए उसने आंसु को साफ कया और फर को शश करने लगी क
उसका पूरा यान सामने के य पर रहे।
तभी उसे एक मौका दखा, जो भले ही छोटा था ले कन उसने ए लस क उ मीद जगा
द । वो जानती थी क प र थ तयां उसके वपरीत ह ले कन उसने तय कर लया था क
बना को शश कए वो हार नह मानेगी।
ए लस ने गाड़ी क र तार धीमी क और फटाफट दमाग म कुछ हसाब लगाया। उसे
लगा क यह आइ डया काम कर सकता है।
पायलट ने र तार धीमी करने के उसके कदम को उसके कने का संकते समझा और
वो ए लस क तरफ बढऩे लगा।
को लन अपने कमरे म बैठा था और उसने अपना मोबाइल फोन दे खा। यारह साल हो गए
उसक कोई खबर आए। र ते तोड़ने के बाद उसने ईमेल तक का जवाब नह दया था।
हालां क उसे इससे ब त यादा आ य नह आ था, उसने साफ कर दया था क वो अपने
पुराने वॉय ड के साथ कोई र ता नह रखेगी। और अब, वो उसे फोन कर रही थी। इतने
लंबे समय बाद ऐसा या हो गया क उसने अपना मन बदल दया?
उसका नंबर दे खते ही उसक तुरंत इ छा ई क फोन उठा ले। ले कन वो क गया, वो
असमंसज म था और शायद डरा आ भी, खासतौर पर आज के हालात म। अगर वो उसके
पास वापस आना चाह रही है तो इससे हालात और ज टल हो जाएंग।े
उसने एक गहरी सांस ली और फोन उठा लया, बना कसी उ मीद के।
‘ए लस?’ को लन क आवाज इतनी अ छ उसे कभी नह लगी थी, इतने लंबे अंतराल के
बावजूद।
‘को लन! म… मुझे समझ नह आ रहा था क म कसको फोन क ं ।’ उसक आवाज
अभी भी कांप रही थी, ले कन इस बार वो थोड़ी राहत महसूस कर रही थी, ये जानते ए भी
क को लन उससे मील र अमे रका म है और वो इस व कोई मदद नह कर पाएगा।
‘कुछ गड़बड़ है या?’ को लन क आवाज म फ थी या कह क परेशानी झलक रही
थी। उसने ए लस क कांपती आवाज को भांप लया था। ‘ या तुम ठ क हो?’
अपराध बोध और डर से परेशान ए लस ने पछले एक घंटे क अपनी आपबीती बयान
कर द , उसके क म जाने और से लेकर अभी हाइवे पर होने तक क सारी कहानी।
जब उसने कहानी ख म क तो थोड़ी दे र दोन तरफ चु पी छाई रही, जसे को लन ने ही
तोड़ा। ‘ या थेसालो नक म तु हारे मशन से कोई नह है जो तु हारी मदद कर सके?’
‘को लन, म नह जानती क कस पर व ास क ं । अगर तावरोस और पीटर इन
सबके पीछे ह तो सर के बारे म कौन जानता है? और मुझे लगता है क डैमन भी इस
सबका ह सा था। वो मारा गया य क उसने आदे श का पालन नह कया। यही कहा था
पीटर ने।’
‘ठ क है, मुझे लगता है क सरे रा ते से थेसालो नक जाने क तु हारी योजना सही है।
उ ह उ मीद नह होगी क तुम ऐसा करोगी। तुम तावास जाओ। म इस व भारत म ं,
ले कन अमे रका म म लोग से बात करता ं और फर हम तु हारे लए इन सबसे बाहर
नकलने का रा ता नकालगे।’
‘तुम भारत म या कर रहे हो?’
को लन ने उसे बताया क वजय को उसके चाचा से उ रा धकार म कला मल रहा है,
हालां क उसने इसका यौरा नह दया।
‘अ छा, शु या को लन, मुझे ब त अ छा लगा। सब कुछ होने के बाद भी…’
‘घबराओ नह । दो त इसी लए होते ह। भले ही वो एक सरे के साथ संपक म ना ह ।’
को लन ने हच कचाते ए पूछा, ‘ या म वजय को बताऊं?’
‘अभी नह , मुझे नह मालूम क वो इस बारे म या सोचेगा।’
‘अपना याल रखना, म ज द ही तुमसे बात क ं गा।’
ए लस ने फोन काट दया।
उसने मन बना लया था, उसने इंजन टाट कया और आगे बढ़ चली। ले कन वो
मु कल से एक कलोमीटर गई होगी क उसका फोन बजने लगा।
उसने फोन उठाया और उसक न दे खने लगी। या ये वॉलेस का फोन है?
‘ए लस?’
‘ म टर वॉलेस!’ उसे काफ राहत महसूस ई।
‘मुझे बताया गया क तु ह तुरंत मदद क ज रत है।’ वॉलेस क आवाज म गहरी चता
झलक रही थी।
ए लस ने वॉलेस के सामने सब कुछ बयान कर दया। वो यक न नह कर पा रही थी
उसके क म जाने के बाद से मु कल से घंटा भर बीता होगा और उसके साथ इतना कुछ हो
गया है।
उसके सब कुछ बताने के बाद एक पल के लए खामोशी रही। फर वॉलेस ने कहा,
उसक आवाज म फैसला और अ धकार दोन झलक रहे थे। ‘तुमने बताया क तु हारे
जीपीएस के मुता बक तुम अमे रक तावास से आधे घंटे से यादा र नह हो? चीज को
त करने के लए इतना समय हमारे लए काफ है।’ उसक आवाज म नरमी थी।
सामा य प र थ तय म वो उसक भाषा को दया भाव दखाने वाला समझती। ले कन अभी
वो उसे यहां से जी वत नकालने वाला सबसे अ छा वक प दख रहा था। ‘घबराओ नह ,
तु ह कुछ नह होगा। म तुमसे वादा करता ं। बस ाइव करती रहो। अगले दस मनट के
भीतर कोई तुमसे संपक करेगा। जब तुम तावास प ंच जाओ तो मुझे फोन करना। अब
मुझे जाना होगा।’
वॉलेस ने फोन काटा, ए लस ने उसका शु या अदा कया और ाइव करने लगी। आज
क रात पहली बार उसने गौर कया क हाइवे पर और कोई नह है। कसी भी दशा म कोई
भी कार उसने पार नह क थी। यह असामा य था और थोड़ा डरावना भी।
अब वो थर मन से गाड़ी चला रही थी, उसका मन वॉलेस से ई बातचीत के बाद शांत
था। जब वो ए सयोस नद के ऊपर से गुजरी, उसका फोन फर बज उठा।
जैसे ही उसने फोन उठाया, उसके कान म ीक लहजे म एक गहरी आवाज गूंज उठ ,
‘ मस टनर? म थेसालो नक के जनरल पु लस डायरे टरेट से बोल रहा ं।’
उसका दल जोर से धड़क उठा। या वो वाकई म यही सुन रही थी?
वॉलेस ने थानीय पु लस से संपक कया था?
उसने अपनी हैरत को छपाने क को शश करते ए लड़खड़ाती आवाज म कहा, ‘हां।’
फोन कर रहे पु लस ऑ फसर ने उसे तुरंत पूरी योजना बता द । नया द ट क
आइसोडॉस के मोड़ पर उसे तीन मोटरसाइ कल पर सवार पु लस वाले मलगे, जो उसे इस
व बंद हो चुके अमे रक तावास नह , ब क एक होटल ले जाएंगे, जहां उसके कमरे के
बाहर और लॉबी म उसक सुर ा के लए ह थयारबंद गाड तैनात रहगे। तावास उससे
सीधा संपक करेगा ता क उसे थेसालो नक से अमे रका प ंचाने के लए ज री कागजात
क व था कर सक।
ए लस समझ नह पा रही थी क वो या त या दे । पछले एक घंटे के आतंक ने
उसे जैसे सु सा कर दया था और यह खबर उसके लए सूखे म मॉनसून क बा रश जैसी
थी। उसने फोन रखने के पहले पु लस ऑ फसर का दल खोलकर शु या अदा कया। फर
उसने कार रोक और बाहर नकलकर सडक़ पर आ गई, घुटन पर बैठ गई और अपने
ज बात को बाहर नकलने दया, उसक आख से राहत के आंसू बह नकले, उसका शरीर
कांपने लगा——इस बार डर से नह ब क इस खुशी से क वो अब सुर त रहेगी।
इमरान दमकल के सद य और कमांडोज के साथ खड़ा था, ख से उसके कंधे झुके ए थे।
वो लोग मे डकल सटर पर तीन घंटे पहले प ंचे थे, और दे खा क दमकल के सद य एक
भयानक आग को बुझाने म लगे ह, जसने चार मं जली इमारत क ऊपरी तीन मं जल को
बबाद कर दया था।
आग पर काबू पाने म दमकल क पं ह गा ड़य को चार घंटे तक जूझना पड़ा था।
इमरान, आईबी क ट म और उनके कमांडो वहां असहाय से खड़े थे, सफ दमकल के
सद य को उनका काम करते दे ख रहे थे, इस काम म उनक कोई मदद नह कर पा रहे थे।
जैसे ही उ ह ब डंग म अंदर जाने क इजाजत मली, इमरान कमांडोज, दमकल के
सद य और अपनी ट म को नदश दे ते ए अंदर भागा। ऊपरी मं जल जहां तहस-नहस हो
चुक थ , ाउंड लोर सही-सलामत दख रहा था।
‘इस जगह पर या काम होता है?’ इमरान ने अपने ड ट अजुन से पूछा, जैसे ही वो
लोग ब डंग म घुसे।
‘यह एक ली नकल लेबोरे है। ये लोग यहां सएटल, वॉ शगटन क कंपनी टाइटन
फामा यु टकल के लए बीमा रय पर रसच करते ह।’
इमरान ने भ ह ऊपर क । ‘अमे रका क ब रा ीय दवा कंपनी?’
‘हां, हम यादा जानकारी के लए उनसे संपक कर रहे ह। ले कन ऐसा लगता है क इस
सटर पर उनके रसच ो ाम के लए ली नकल ायल होते थे। ये पता चला है क वो लोग
कुछ ऐसे मोले यूल वक सत करने म लगे ह, जो च क सा जगत म तहलका मचा सकती
है।’
इमरान के वॉक टॉक म हरकत ई। ‘सर, आपको ऊपर आना होगा, चौथी मं जल
पर।’ ये उसके एक एजट क आवाज थी।
सी ढ़य पर भागते ए इमरान को एक डर ने जकड़ रखा था। भले ही उसक उ
चालीस के पार जा चुक थी, वो अभी भी बेहद चु त था, नय मत तौर पर ायाम करता था
और अभी एक बार म दो सी ढ़यां चढ़ रहा था।
जैसे ही वो चौथी मं जल पर प ंचा, उसके कदम ठठक गए। पूरी मं जल जलकर काली
हो गई थी। और जो कुछ चीज आग से बच गई थ , वो आग बुझाने वाली मशीन के पानी से
बबाद हो गई थ ।
लोर पर जमा पानी के बीच से चलते ए वो एक ऐसे कमरे म प ंचे, जो आईट लैब
लग रही थी, फलहाल वहां दमकल के सद य ने टॉच और हेडलप से रोशनी कर रखी थी।
उ ह आग म जले ए फन चर और काले पड़ चुके कं यूटर ट मनल दखे।
और उसका जो सबसे बड़ा डर था, वो जैसे सच सा बत होता दखा। एक कुस पर
कं यूटर ट मनल के सामने आग से बुरी तरह झुलसा आ शरीर था।
‘अनवर?’ इमरान के मुंह से पूरा नाम भी नह नकल सका।
‘मुझे ख है, सर। ले कन अभी इसे पहचाना नह जा सकता। शरीर इस कदर झुलस
चुका है क पहचान म नह आ रहा।’
इमरान एक पल के लए मौन हो गया। फर उसने अपने आप को संभाला। ‘अजुन,’
अपने एक एजट को उसने कहा। ‘म पूरी जांच चाहता ।ं इस जगह का मा लक कौन है? वो
लोग यहां या कर रहे थे? आग कैसे लगी?’ उसने आग से काले पड़ चुके शरीर को दे खा।
‘और म चाहता ं क इस बॉडी क पहचान क जाए।’
उसका वॉक टॉक फर बजा। ‘सर, बेहतर होगा क आप ाउंड लोर पर आ जाएं।
हम यहां कुछ मला है।’
इमरान ज द से नीचे क ओर भागा, और अजुन उसके पीछे था। उसक ट म का एक
सद य ल ट के शा ट क जांच कर रहा था और उसने पाया क यह ाउंड लेवल पर ख म
नह हो रही थी। ऐसा लग रहा था क यह थोड़ा और नीचे जा रही है, जैसे ब डंग के
तहखाने तक जा रही हो।
कुछ अजीब सा महसूस कर, एजट व ण झा ने ल ट को ताकत लगाकर खोल दया
था। लोर चुनने का जो पैनल था, वो इले ॉ नक टच पैनल था, उसम आमतौर पर ल ट
म मलने वाले बटन नह थे। पैनल म सब कुछ सही था, सवाय इस चीज के क उसम
तहखाने तक प ंचने का कोई ज नह था।
झा ने गौर कया क मु य पैनल के ठ क नीचे एक छोटा पैनल भी है, जो छपा आ सा
है। इस पर कुछ लखा नह था ले कन उसे संदेह आ क अगर कोई सही माण च के
साथ काड वाइप करे तो इस पैनल पर नीचे जाने के लए और लोर दखाई दगे।
एजट ने अपनी सूझबूझ का प रचय दे ते ए ये अंदाजा लगाया क अगर ब डंग म
नीचे तहखाने ह तो वहां तक प ंचने के लए ल ट के अलावा सी ढ़यां भी ह गी। और उसने
फर दमकल के सद य से बात क ।
दमकल के सद य ने सी ढ़य क पड़ताल क और पाया क सी ढ़यां नीचे क तरफ
एक छोटे से वगाकार कमरे म जा रही ह, जो खाली है। यहां से कोई रा ता नह था। झा ने
दमकल के सद य से कहा क वो टे यरवेल को घेरने वाली तीन द वार को तोड़ द। इसका
नतीजा दखा। सी ढ़य के ठ क सामने क द वार के बाहर खाली जगह थी।
इसके बाद ही झा ने इमरान को बुलाया था, जो अब वहां प ंच गया था और दमकल के
सद य को द वार तोड़ते दे ख रहा था। द वार जब तोड़ी जा रही थी, तार और ना लयां टू ट
ग और इधर—उधर लहराने लग । साफतौर पर यहां गु त प से कुछ इले ॉ नक स टम
लगाया गया था जसका इ तेमाल शायद द वार म छपे रा ते के लए होता हो।
जब काम ख म हो गया तो उ ह ल डग दखी जो ब डंग के नचले लेवल पर ले जाने
के लए बनी सी ढ़य तक जाती थी।
इमरान इस बात से भयभीत सा था क उ ह या दे खने को मलेगा। अगर कसी ने
तहखाने को छपाए रखने के लए इतनी व था क है, तो साफ है क कुछ ऐसा मह वपूण
ज र है जसे छपाया जाना है।
टॉच क व था क गई और आईबी एजट और दमकल के सद य सावधानी से
सी ढ़य से नीचे उतरने लगे। यह तो साफ था क इस जगह के इंचाज भाग गए ह गे, ले कन
हो सकता है क नीचे लोग फंसे ह ज ह बचाये जाने क ज रत पड़े।
ले कन वो लोग उस चीज के लए नह तैयार थे जो उ ह वहां दखा। तहखाने के तीन
लेवल थे। नीचे के दो लेवल को दे खकर ऐसा लगता था क वहां कसी तरह के रहने क
व था थी, जसम छोटे यु बक स बने थे, जो लंबे और पतले कॉ रडोर के साथ लगे ए
थे। बस ये कोई होटल या बो डग हाउस नह था। सभी कमरे बाहर से इले ॉ नक ताल से
बंद थे।
और इन कमर म रहने वाले सभी लोग मर चुके थे। दम घुटने से नह । इस नतीजे पर
प ंचने के लए कसी फॉर सक ए सपट क ज रत नह थी। य क सभी शरीर म
गो लयां धंसी थ । वैसे तो आग इस लेवल तक प ंची नह थी, ले कन यहां कोई भी जी वत
नह था।
इमरान अजुन क तरफ घूमा। ‘अमे रक ब रा ीय कंपनी? पता करना होगा क वो
अपनी जगह पर सौ से भी यादा लोग क लाश के बारे म या जानते ह, ज ह गो लय से
भूना गया है। म इस मामले को खुद दे खूंगा। तब तक म चाहता ं क इस कंपनी के सीईओ
और चीफ मे डकल ऑ फसर से मुलाकात तय क जाए। और मुझे इस कंपनी के भारत म
कामकाज से जुड़े सारे आंकड़े, इनका इ तहास और इनके कए जा रहे ाय स क
जानकारी चा हए। म इन लोग से मलने के पहले उनके बारे म सब कुछ जानना चाहता ं।’
अजुन ने हामी भरी। ‘आपको कल शाम तक रपोट मल जाएगी।’
इमरान ने अजुन को अपने पास इशारे से बुलाया और वो दोन बाक लोग से थोड़ा र
हट गए। इमरान ने फुसफुसाते ए उसे कहा, ‘दो और बात ह।’ अजुन सुनता रहा।
जब इमरान अपनी बात कह चुका, अजुन थोड़ा आ यच कत लग रहा था। ले कन
उसने कोई आप नह जताई। ‘म इसका इंतजाम अभी तुरंत करता ं,’ उसने वादा कया,
और इमरान के आदे श का पालन करने के लए वहां से चला गया।
इमरान ने लाश और कमर पर नजर डाली। छपा आ तहखाना। गो लय से छलनी
लाश। या हो रहा था यहां? कसी ने इस ब डंग को बबाद करने क पूरी को शश क है।
या वो लोग सबूत मटाना चाहते थे? वैसी सूरत म वो सबूत कस ओर इशारा करते?
अनवर के साथ या आ था? और वो इस जगह या कर रहा था जहां ली नकल ायल
होते ह?
सवाल कई थे। उसे एक अजीब सी बेचैनी सताने लगी। वो इस बेचैनी को समझ रहा
था। उसे यह आभास हो रहा था क यह सब कसी गंभीर और गहरे ष ं को छपाने के
मकसद के कया जा रहा है।
जबड़े भ चते ए वो अपने अगले कदम के बारे म सोचने लगा। चाहे जो हो जाए, वो
इस राज क तह तक जाकर रहेगा।
जौनगढ़ कला
वजय उस कमरे के बीच बीच खड़ा होकर कुछ सोच रहा था, जसे उसने पछले ह ते ही
ढूं ढ़ा था। कला अ छा—खासा बड़ा था, पांच तर म बना था जनम पचास से यादा कमरे
थे, और वजय को जब साल भर पहले ये कला वरासत म मला था, तबसे अब तक उसके
पास ना तो समय था और ना ऐसी इ छा थी क वो सभी कमर को दे ख पाता। यादातर
उसका समय पहली मं जल पर बने टडी म और सरी मं जल के उसके अपने कमरे म ही
बीतता था।
कले के कुछ कमर के बारे म उसे जानकारी थी, वह कई ऐसे कमरे थे जस पर उसने
कभी नजर भी नह डाली थी। पछले छह महीने से उसने ये को शश शु क थी क वो
कले को बेहतर तरीके से जान सके। इसी खोजबीन के तहत उसे कई ऐसे दलच प कमरे
मले जनसे उसे अपने चाचा क पसंद और झुकाव का अंदाजा आ।
ले कन दो ह ते पहले उसे कुछ ऐसा मला जसक उसे र— र तक कोई उ मीद नह
थी। कले क पांचव मं जल पर छत के ठ क नीचे एक कमरा था। कमरे म अपने आप म
कोई वशेष बात नह थी और लगता था क इसका इ तेमाल सामान भंडार घर के तौर पर
होता था, य क उसम पै कग वाले कागज म लपेटकर बड़े—बड़े पैकेट और ग े के ड बे
रखे थे।
वजय को उ सुकता ई ये जानने क इन ग े के ड ब म या ह, ले कन जो चीज उसे
मली, उसके लए वो बलकुल तैयार नह था।
कमरे म रखी कुछ चीज तो उसके माता— पता क थ , जो एक कार हादसे म तब मारे
गए थे जब वजय पं ह साल का था। उसने अपने चाचा से सुना था क कैसे एक क तेज
र तार म उस कार से आकर सीधे टकरा गया था जसम उसके माता— पता थे। दोन क
मौत घटना थल पर ही हो गई थी। वजय उस व उनके साथ इस लए नह था य क
अं तम मनट म ही कसी वजह से उसे क जाना पड़ा था, और जो वजह वो अब भूल
चुका था। ले कन इसने उसक जदगी बचा द थी।
उसने ग े के कुछ ड ब क जांच करने के बाद यह जान लया था क उसके चाचा ने
उसके माता— पता के नजी सामान को पैक कर कले म मंगा लया था, जहां इस कमरे म
ये सामान इतने साल से रखे थे।
अचानक, अपने पता के कागज और मां क डायरी को दे खकर उसे उन दोन क याद
आने लगी। उसके चाचा ने उसक अ छे से परव रश क थी, उसे आगे क पढ़ाई के लए
एमआईट भेजा था और कभी भी उसे अनाथ क तरह महसूस होने नह दया था। और
वजय ने पहले खुद को पढ़ाई म, और फर काम म, त कर लया था, ता क उस खद
घटना क याद उसके दमाग से चली जाएं।
ले कन जब अभी उसने अपने माता— पता क चीज दे ख तो उसे उनक कमी महसूस
होने लगी, खासतौर पर इस लए भी क अब उसके चाचा भी इस नया म नह रहे।
वजय ने उस पल तय कर लया क वो सभी ग े के ड ब क छानबीन करेगा और
अपने माता— पता क हर याद को जएगा। वो अपने माता— पता को ब त कम जानता
था, य क जब वो बड़ा हो रहा था और उ ह बेहतर तरीके से जान रहा था, तभी उसने उ ह
खो दया था। वो जानता था क उसके माता— पता दोन इ तहासकार और शोधकता थे
और आ कयालॉ जकल सव ऑफ इं डया के साथ काम कर रहे थे, ले कन उसे इससे यादा
कुछ याद नह था। वो कशोराव था के दौरान यार और फटकार के ज रए मजबूत होने वाले
अनमोल र ते को खो चुका था और अब शायद इस कमरे क चीज उसे उसके माता— पता
के करीब लाने म मददगार हो सक, भले ही वो अब इस नया म नह ह।
उसके बाद से हर रात, वो उस कमरे म एक या दो घंटे बताता था, ग े के ड ब क
चीज को छांटता था, उसम रखे द तावेज और डायरी को पढ़ता था और अपने माता—
पता के जानने क को शश करता था, जस चीज का याल उसे अपने कशोराव था के
दौरान कभी नह रहा।
उसने एक मेज पर रखे लप के वच ऑन कया जसे उसने इस कमरे म इसी मकसद
से रखा था, और मेज पर जमा कए गए द तावेज को जांचने लगा।
या आज क रात कुछ नया खुलासा होगा, जो पछली रात म नह हो सका था?
11
सरा दन
जौनगढ़ कला
जौनगढ़ कला
वजय बैठा था और उस व च फाइल म त लीन था जो उसने कुछ घंटे पहले ढूं ढ़ थी।
फाइल क वषय व तु दमाग को चकरा दे ने वाली थी। फाइल के द तावेज म आपस म
कोई संबंध नह दख रहा था, ले कन शायद उसे वो संबंध तब तक ना दखे, जब तक उसे
यह पता ना चल जाए क आ खर ये फाइल बनाई ही य गई है।
तभी उसका मोबाइल फोन बज उठा और वो च क सा गया। घड़ी म सुबह के 3 बज रहे
थे। इस समय को लन उसे फोन य कर रहा था? और वो भी तब, जब वो तो कले म ही
है।
उसने को लन को डांटने के अंदाज म कहा, ‘तुमने तो मुझे च का दया।’
को लन ने भी मसखरेपन के साथ जवाब दया, ‘भगवान का शु है, म तो घबरा गया
था क तुम इस व मेरे फोन का इंतजार कर रहे थे।’
वजय मु कुराया। ‘और इस व तुमने मुझे फोन य कया है?’
एक पल के लए कोई कुछ नह बोला। फर को लन का जवाब आया, ‘मुझे लगता है
क तु ह नीचे आकर खुद दे खना चा हए।’
‘बैठक म?’
‘हां, व ना गंवाओ।’
जय ने फाइल बंद क और कमरे के दरवाजे पर ताला लगा दया। इस कमरे को ढूं ढ़ने के
बाद से उसने इसक चाभी अपने पास ही रखी थी, यहां तक क एक और चाभी बनवाकर
उसे एक ऐसी सुर त जगह छपाकर रख द थी, जो सफ उसे पता थी। उसे एक सुनहरा
मौका मला था, अपने माता— पता को जानने—समझने का, और वो इसे गंवाना नह
चाहता था।
कभी—कभी आपको तब तक उस चीज क अह मयत नह पता चलती है जब तक
आप उसे खो नह दे त।े
यह रात हैरत से भरी सा बत हो रही थी। जैसे ही वो बैठक म प ंचा, वो जम सा गया।
ऐसा लगा जैसे उसने भूत दे ख लया हो। वो अपनी आंख पर यक न नह कर पा रहा था।
धीरे—धीरे उसने खुद को संभाला और कमरे के अंदर आ गया। ले कन वो अभी भी तय
नह कर पा रहा था क वो या त या दे ।
को लन ने अपने दो त का चेहरा पढ़ लया था ले कन कुछ कहा नह ।
‘हाय, वजय’, ए लस संकोच के साथ चमड़े के सफेद सोफे से उठते ए बोली, जस
पर वो को लन के साथ बैठ थी। वो खुद भी संदेह म थी।
वजय ने कोई जवाब नह दया। उसके जबड़े भचे ए थे, भ ह पर शकन थी। उसने
इस चीज क तो उ मीद बलकुल ही नह क थी। उसने अतीत क याद को अपने दमाग म
कह गहरे दबा दया था और सोचा था क वो अब कभी दोबारा सामने नह आएंगी। फर
भी, आज, वो उसी तरह ताजा हो गई थ , जैसे आज से यारह साल पहले थ । और इन याद
के साथ जो ज बात जुड़े थे, उ ह ने उसे वच लत कर दया। इन याद को वो कभी दोबारा
जीना नह चाहता था, ले कन अभी उसे यही करना पड़ रहा था।
अंततः उसक आवाज नकली। ‘सुबह के तीन बज रहे ह अभी।’ वो उदासीन बनने क
को शश कर रहा था। ‘तुम यहां य आई हो? तुमने कहा था क तुम मेरे साथ कभी कोई
संबंध नह रखोगी। अब या बदल गया है?’
ए लस कुछ बोल पाती, इसके पहले ही को लन बोल पड़ा, ‘वो मुसीबत म है, उसे
तु हारी मदद क ज रत है।’
इस सफाई से भी वजय का ठं डापन ख म नह आ।
‘ वजय, उसक जदगी खतरे म है। हम उसक मदद करनी चा हए,’ को लन ने दोबारा
समझाने क को शश क ।
ब त को शश करके वजय ने अपनी भावना को दबाया। ‘अमे रका से तुम इतनी र
आई हो,’ धीरे—धीरे उसने कहा। ‘अगर तुम यहां मदद के लए आई हो, तो इसका मतलब
है क तुम ज र कसी मुसीबत म हो।’
ए लस ने उसक तरफ दे खा। पुराने ज म फर से हरे हो गए। उसने उ ह भूलने क
को शश क थी, ले कन वो अभी भी अंदर कह मौजूद ह। ‘ वजय, म जानती ं तुम कैसा
महसूस कर रहे हो, और म सच कह रही ं क म यहां नह आती अगर मेरे पास कोई सरा
रा ता होता। ले कन मेरे पास और कोई रा ता नह है।’
वजय ने अपनी आवाज को सामा य रखने क को शश करते ए पूछा, ‘ या आ?’
ए लस ने ीस क अपनी पूरी आपबीती उसके सामने बयान कर द । जब वो डैमन क
ह या, माक क मौत और हाइवे पर उसके भागने क घटनाएं बता रही थी, उसक आवाज
कांप रही थी। उसने अपनी बात ख म करते ए कहा, ‘म अमे रका वापस नह जा सकती
थी। म कह भी जाती, वो मुझे ढूं ढ़ लेत।े मुझे कह और जाना था। ले कन म अमे रका के
बाहर कसी और को नह जानती जस पर म भरोसा कर सकूं। कुत वॉलेस के द ली के
लोग ने मुझे यहां तक प ंचने के लए एयरपोट से कार द । उसने कहा क यही इकलौता
तरीका है जससे उस पर कोई नजर नह रख पाएगा। ाइवेट जेट, ाइवेट कार। कागजी या
इले ॉ नक नशानी, कुछ नह ।’
उसने वजय क तरफ दे खा, इस बात क को शश करते ए क वो उसक त या
पहचान सके। यह साफ था क वजय पर उसक कहानी का असर आ था।
को लन ने चु पी तोड़ते ए कहा, ‘ या वजय, उसे रहने के लए जगह क ज रत है।
उसक जदगी खतरे म है। तु हारे पास, कले म पचास कमरे तो ह गे ही? जब तक यह
झंझट ख म नह हो जाता, तब तक या वो यहां नह रह सकती?’
वजय ने पहले उसे दे खा और फर ए लस क तरफ मुड़ा। ‘तु ह एक चीज समझनी
होगी,’ उसक आवाज म गंभीरता थी। ‘म चाहता ं क हम दोन के मन म इस चीज को
लेकर कोई वधा ना हो। म आगे बढ़ गया ं। मेरी सगाई हो गई है। तुम और म——अब
अतीत ह। म इस अतीत को अपने और राधा के बीच म नह लाना चाहता।’
को लन ने ए लस क मदद करने के अंदाज म उससे कहा, ‘राधा उसक मंगेतर है।’
ए लस ने सहम त म सर हलाया। वो इससे यादा क उ मीद भी नह कर रही थी।
कुछ भी हो, वो यहां सुर त महसूस कर रही थी। भले ही वो कभी भारत नह आई थी, वो
जानती थी क वो अपने दो त के बीच है।
‘ कले क सुर ा के लए हमने एक स टम बना रखा है,’ वजय ने बोलना जारी रखा।
‘जब तक तुम यहां रहती हो और बाहर नह नकलती हो, कोई तु ह ढूं ढ़ नह सकता।’ ऐसा
कहते ए उसे एकाएक पछले साल उसके चाचा के साथ ई घटना का याल आया,
ले कन उसने अगले ही पल उसे अपने दमाग से नकाल दया। उसके बाद से कले क
सुर ा णाली को सुधार दया गया है।
‘शु या वजय,’ ए लस ने जवाब दया। ‘म इस मदद के लए दल से तु हारी
शु गुजार ं।’
वजय ने मु कुराने क को शश क । वो जान—बूझकर अपनी भावना को र रखने
क को शश कर रहा था। ‘मुझे तु हारी मदद कर हमेशा खुशी होगी। को लन, या तुम
ए लस को एक गे ट म म ले जाओगे। कोई भी चुन लो। ठ क है, अब मुझे सोने क
ज रत है। राधा कल यहां आ रही है और म नह चाहता क जब वो यहां आए तो म सोता
र ं।’ उसने को लन क तरफ दे खा। ‘और सुबह हम इमरान से भी मलना है।’
को लन ने सहम त जताई और वजय कमरे से बाहर नकल गया।
को लन ए लस क तरफ मुड़ा। ‘कोई द कत तो नह ई ना?’
ए लस ने पूछा, ‘मुझे राधा के बारे म बताओ, कैसी है वो?
को लन क य री पर बल पड़ गए। चीज उतनी आसान नह होने वाली जतना उसने
सोचा था।
13
जौनगढ़ कला
पवत पर नद के ऊपर
जहां दन और रात एक साथ मलते ह
और शु शव के दं ड क ओर इशारा करता है
श शाली सप का त
पांच मुकुटधारी, शा त अ भभावक
उस ार का जो तु ह जीवन दे गा।’
‘यह तो वाकई रह यमय है,’ राधा उस फाइल के प े पलटते ए बोली, जसने वजय को
उलझा दया था। ‘इसक कोई वजह तो ज र होगी जससे तु हारे पताजी ने इस फाइल को
रखा है।’
वजय कंधे उचकाते ए बोला, ‘मने इस बारे म सोचा। ले कन मुझे समझ म नह आया
क या वजह हो सकती है।’
‘यह या है?’ राधा ने एक ए4 साइज के प े क तरफ इशारा कया जस पर कुछ
तीक च बने ए थे। उसने उन च क तरफ गौर से दे खा। ‘ये कसी रह यमय संकेत
क तरह दख रहे ह। और ये हाथ से लखे गए ह। या ये तु हारे पताजी क लखावट है?’
‘म नह जानता,’ वजय ने कहा। ‘मुझे उनक लखावट याद नह है। काफ सोचने पर
भी मुझे उनके बारे म यादा याद नह आता। मने उनके साथ कभी यादा समय नह
बताया। मुझे लगता था क वो हमेशा मेरे साथ रहगे और हम साथ होने के लए काफ समय
मलेगा। इस लए म अपना समय अपने पड़ोस के पाक म अपने दो त के साथ फुटबॉल
और केट खेलकर बताता था। और, अंत म या आ, कभी भी समय ही नह मला।’ वो
चुप हो गया और राधा ने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दया। वजय ने उसका हाथ ह के
से दबा दया, इस बात क कृत ता जताते ए क वो उसके साथ है।
‘यहां कसी तरह क कोई सूची बनी है,’ राधा उन कागज म से एक प े पर यान दे
रही थी। ‘ये एक इंडे स क तरह लग रहा है।’
वजय ने फाइल के उस प े को दे खा जसे राधा जांच रही थी। ‘चलो दे खते ह या इस
ल ट म और फाइल म आपस म कोई संबंध है?’
राधा ने हामी भरी। यह पहेलीनुमा था। शायद इसम कुछ भी मह वपूण ना नकले
ले कन वो समझ रही थी क वजय यह जानना चाहता है। उसने इंडे स वाले प े को फाइल
से बाहर नकाल लया। वजय ने फाइल के उन द तावेज को जमाना शु कया और वो
दे ख रही थी क ल ट म उनका ज है या नह ।
यह ब त मु कल काम था। ब त कम ऐसे द तावेज थे जो ल ट से मेल खा रहे थे।
यादातर मामल म वो द तावेज को पहचान पा रहे थे, ले कन कुछ क पहचान सफ
अंदाज और अनुमान के आधार पर हो पा रही थी।
‘इस ल ट म तीन आइटम ऐसे ह जो फाइल म नह दख रहे,’ राधा ने अंत म कहा, जब
उ ह ने पूरी फाइल दे ख डाली। उसने उनके नाम पढ़े । ‘केएस—1, केएस—2, और यह
तीसरा।’ उसने तीसरा नाम समझने क को शश क जो सफ एक तीक च था। ‘यह या
है——”ड यू”?’
वजय ने भी उस नशान को पहचानने क को शश क । ‘“ड यू” क तरह दख तो
रहा है, ले कन कुछ यादा ही लहरदार है। दे खो इसे, इसम कोई सीधी रेखा नह है।’ तभी
उसे जैसे कुछ याद आया और वो तन सा गया।
‘ या आ?’ राधा ने उसक मु ा म एकाएक आए बदलाव पर यान दया।
‘मुझे लगता है क म इनम से गायब द तावेज को कह दे ख चुका ,ं ’ वजय ने अपनी
आंख सकोड़कर याद करने क को शश क । ‘मुझे याद है क मने पहले भी कह “केएस”
दे खा है।’ वो उठा और ग े के उन ड ब को दे खने लगा ज ह वो पछले दो ह ते म दे ख
चुका था। ‘मुझे इ ह दोबारा दे खना होगा,’ कसी सोच म डू बी ई उसक आवाज नकली।
‘म तु हारी मदद करती ।ं ’ राधा ने ग े का एक ड बा अपनी तरफ ख चा और उसक
चीज बाहर नकालने लगी।
वजय उसे दे खकर मु करा दया और सरा काटन नकालकर जांचने लगा।
राधा क यही बात उसे अ छ लगती थी। वो जानता था क भले ही वो उदासीन दख
रही हो, उसे ए लस क मौजूदगी से परेशानी ई है। ले कन उसने उस चीज को खुद से र
कर दया है और हमेशा क तरह उसक मदद के लए तैयार है। उसक आंत रक श और
आ म व ास के अलावा ऐसा कुछ और भी था, जसका वो शंसक था। वो हमेशा ही अपने
दो त और प रवार के लए मौजूद रहती थी, भले ही इसके लए उसे अपनी ज रत और
ाथ मकताएं टालनी पड़। वो चाहता था क काश वो भी उस जैसा बन जाए। वो बेहद
अंतमुखी था, अपनी ही नया म खोया आ। एकाएक उसके याल ए लस क तरफ चले
गए। वो जानता था क जब वो दोन एमआईट म थे तो ए लस ने उसके साथ र ता य
तोड़ा था। र ता टू टने के बाद वो काफ बेचैन रहा था और उसने गलती सुधारने क को शश
भी क थी। और अंत म उसे समझ आ गया था। वो कभी भी ए लस के सामने खुल नह
पाया था। वैसे तो वो हमेशा से ही गंभीर और संकोची रहा था, अपने माता— पता क मौत
के बाद तो जैसे उसने खुद को एक खोल म बंद कर लया था। उसके साथ ए खद हादसे
को भुलाने का ये उसका तरीका था। उसने अपने आसपास मजबूत द वार खड़ी कर ली थ ।
और उसके लए उसके ोजे ट से यादा कोई चीज मायने नह रखती थी। जब वो ए लस से
मला था, ऐसा लगा था क चीज बदल सकती ह। ले कन वो कभी भी उन द वार को गरा
नह पाया जो उन दोन के बीच खड़ी रह ।
लंबे समय तक वो ए लस को इस बात के लए माफ नह कर पाया, जस तरीके से
उसने उसे छोड़ दया था। कोई बातचीत नह , कोई सफाई नह , उसे अपनी गलती सुधारने
का कोई मौका नह । यहां तक क गल तय का अहसास तक नह कराया। वो कठोर हो गया
था, ए लस से नाराज। यह बात उसे काफ बाद म समझ आई क अगर ए लस ने उस व
उसे समझाने क को शश भी क होती तो कोई अंतर नह आता। वो तैयार ही नह होता।
उसे ेकअप के बाद सामा य होने म दो साल का समय लग गया था। इसके बाद से उसे
कसी भी र ते से जुड़ने म घबराहट होने लगी थी। कुछ तो इस वजह से क वो अपने काम
म त रहता था और कुछ उसे लगता था क वो कसी र ते को नभा नह पाएगा। और
तब उसक मुलाकात राधा से ई। वजय के चाचा क ह या के बाद मुलाकात के दौरान
उनक दो ती साल भर पहले यार म बदल गई। पता नह कैसे, चीज ठ क हो गई थ और
अब वो खुश था। संतु था। उसे अपने लए राधा से बेहतर श स नह मल सकता था।
‘ये रहा वो!’ राधा क आवाज जैसे उसके वचार के महासागर पर तैरती ई सी आई।
वजय उस सागर से बाहर नकल आया यह दे खने के लए क उसे या मला है।
राधा के हाथ म एक पतली काडबोड फाइल थी जसम कागज का एक पु लदा था जो
एक फ ते से बंधा था। यह काफ पुराना और घसा आ लग रहा था। ‘केएस—1’, उसने
ऐलान सा कया।
वजय के चेहरे पर चमक आ गई। ‘वाह, चलो दे खते ह इसम या है।’
‘लग रहा है हाथ से लखे ए जरनल क फोटोकॉपी है,’ राधा ने फाइल खोलकर उसके
प पर नजर डालते ए कहा। ‘ दलच प है यह तो। तु हारे पता इ तहासकार थे न?’
वजय ने हामी भरी।
‘उ ह प के तौर पर अपने काम का जुनून रहा होगा तभी वो ऐसी चीज इक ा कर पाए
ह। यह जरनल उस जरनल का अनुवाद है जो सकंदर महान के समय म लखा गया था।’
वजय का मोबाइल फोन बज उठा। को लन ने फोन कया था। इमरान आ गया था।
‘दोपहर हो गई है या?’ राधा ने अपनी घड़ी दे खी और फर वजय क ओर दे खकर
मु कुरा द । ‘जब आप मजे कर रहे ह तो समय उड़ने लगता है।’ उसने जरनल को वजय
क ओर लहराते ए कहा। ‘यह बड़ी दलच प चीज है। पहले प े के अनुसार यह काफ
पुराने जरनल का अनुवाद है जसे…’ उसने नाम ढूं ढ़ने के लए जरनल म दे खा। ‘हां,
यूमेनीज ने लखा था। उसने मूल जरनल लखा था जसका कसी लॉरस फुलर ने अं ेजी म
अनुवाद कया था।’
वजय ने उससे जरनल ले लया और उसके प े पलटने लगा। उसके पता ने इसे
सुर त रखने के लए काफ मेहनत क थी। उसे ये जानना था क आ खर य । तभी
जरनल म दखे एक नाम ने उसका यान आक षत कया। उसने इसे राधा को दखाया, राधा
ने जरनल उसके हाथ से ले लया और उसक आंख उ ेजना म चमकने लग ।
17
टा क फोस क बैठक
वजय और राधा सी ढ़य से नीचे आने लगे, राधा के हाथ म वही जरनल था जो उ ह ने अभी
ढूं ढ़ा था। इमरान के जाने के बाद वो वजय के साथ जरनल पढ़ना चाहती थी।
दस मनट के बाद वजय, राधा और को लन टडी म म कॉफ टे बल के इद— गद
बैठे थे। इमरान का चेहरा गंभीर था और उसने टडी म के दरवाजे को अ छ तरह से बंद
कर दया था। यहां तक क उसके अ भवादन म गमजोशी नह थी।
‘तो,’ इमरान ने बोलना शु कया। ‘टा क फोस के पास पहला मामला आ गया है और
थक टक के सद य होने के नाते आप सबको बताया जाना ज री है। इस लए म यहां आया
ं। म इस मामले पर पैटरसन के संपक म ं जो अमे रका के ट म मबस को केस के बारे म
बताएगा।’
वो का। ‘हमारे पास जो केस है, वो जै वक आतंकवाद का मामला लगता है। दो रात
पहले, मुझे अपने बचपन के दो त अनवर का ईमेल मला जसम उसने मदद क गुहार
लगाई थी। मुझे यह उस व मालूम नह था, ले कन ऐसा लगता है क वह पांच साल पहले
टाइटन फामा यू टकल के ली नकल ायल से वॉलं टयर के तौर पर जुड़ गया था। टाइटन
फामा यू टकल अमे रक ब रा ीय कंपनी है और इसके भारत म रसच सटर ह।’ इसके
बाद उसने उस रात क घटना का वणन कया जब आयन लेबोरे ज के सटर म उ ह
लाश पड़ी मली थ ।
‘आईट लैब म मली लाश अनवर क थी,’ उसने बोलना जारी रखा। ‘ये इतनी बुरी तरह
झुलस गई थी क पहचानना नामुम कन था ले कन हमने डीएनए जांच से इस बात क पु
कर ली है।’ वो फर एक पल के लए का। उसके दो त क मौत ने उस पर गहरा असर
डाला था। ‘हम सफ अनुमान लगा सकते ह ले कन ऐसा लगता है क अनवर कसी तरह
आईट लैब तक प ंच गया था और उसने वहां से ईमेल भेजा था। ले कन उसे भी ढूं ढ़ लया
गया और मार डाला गया। शव—परी ण से पता चला है क उसक मौत सर म गोली लगने
से ई थी। बलकुल सर से सटाकर गोली मारी गई थी। उ ह जब यह समझ आ गया क
ईमेल एक आईबी अफसर को भेजा गया है, उ ह ने सभी लोग को मारकर उस जगह को
जला डालने का फैसला कया ता क हमारे साथ कोई सबूत ना लगे।’
‘तो या ये ली नकल ायल कसी जै वक ह थयार को बनाने के लए कए जा रहे
थे?’ राधा ने पूछा। ‘टाइटन का इस बारे म या कहना है?’
‘यह हमारा संदेह है,’ इमरान ने जवाब दया। ‘ले कन टाइटन का दावा है क उनके
ायो जत सभी ायल वैध थे और भारत के ग कं ोलर जनरल से मा यता ा त थे। और
हमने ली नकल ाय स र ज से भी पता कया, जहां टाइटन ने कई ली नकल ायल
र ज टर कराए ह। पैटरसन और उसक ट म ने अमे रका म टाइटन के सी नयर मैनेजमट से
बात क है, और बोड के चेयरमैन कुत वॉलेस से भी पूछताछ क है, जो टाइटन म सबसे
बड़ा शेयरधारक है।’
इस नाम ने तुरंत ही सबका यान ख चा।
‘वही श स जसने ए लस के अ भयान का खच उठाया,’ वजय च क उठा।
‘ए लस कौन है?’ इमरान ने तुरंत पूछा। ‘और उसका यहां या काम है?’
‘अमे रका से मेरी एक दो त है जो आज सुबह अचानक आई है।’ उसने तेजी से ए लस
क पूरी कहानी बता द और वॉलेस के बारे म भी वो सारी बात जो ए लस ने बताई थ ।
इमरान ने अपने ह ठ सकोड़े, जब वजय ने अपनी बात पूरी क । ‘तु हारी दो त को
जा हर तौर पर मु कल दौर से गुजरना पड़ा है। मुझे खुशी है क वो वहां से नकल पाई।
हालां क न त तौर पर यह एक दलच प संयोग है क कुत वॉलेस का नाम दोन मामल म
है। और यह भी दलच प संयोग है क तु हारी दो त उसी व यहां आई है जब हम जै वक
आतंकवाद के एक संभा वत मामले क जांच कर रहे ह।’
वजय समझ गया क इमरान या सोच रहा है। उसने उसक बात का तवाद करते
ए बोला, ‘म उसक गारंट ले सकता ं, म उसे…’ वो लड़खड़ा गया य क वो ए लस के
साथ अपने र ते को समझा नह पा रहा था जससे राधा नाराज ना हो। ‘म उसे अ छ तरह
जानता ं,’ उसने यह कहकर अपनी बात ख म क ।
इमरान वजय क तरफ दे खते ए बोला, ‘शायद तुम जानते हो। ले कन उसका यहां
आना और कुत वॉलेस से जुड़ा होना हमारे केस के त य से जुड़ता है। हो सकता है क यह
महज इ ेफाक हो। ले कन जब तक म न त ना हो जाऊं, तब तक प के तौर पर म कसी
चीज को नकार भी नह सकता।’
वजय अपनी नराशा को छपाने क को शश करते ए शांत हो गया।
इमरान ने अपनी बात आगे बढ़ाई। ‘वॉलेस और टाइटन के पूरे सी नयर मैनेजमट ने
आयन के मा लक सुमन पाहवा पर उंगली उठाई है जो आग लगने के बाद से गायब है। हमने
हर उस जगह क तलाश कर ली है, जहां वो हो सकता था, ले कन वो नह मल रहा है। इस
वजह से हमारी जांच आगे नह बढ़ रही है। हालां क कुछ को शश जारी ह। आग म हाड
ाइव को काफ नुकसान प ंचा है, ले कन हमारी शानदार आईट लैब ने काफ जानकारी
हा सल करने म कामयाबी पाई है। ये उन लोग क मे डकल फाइ स ह जन पर ली नकल
ायल चल रहा था। हमने लाश का परी ण भी कराया और उनके नमूने नई द ली के
नेशनल सटर फॉर डसीज कं ोल और पुणे म नेशनल इं ट ूट ऑफ वायरोलॉजी भेजे ह।
उनक जांच रपोट के त य क पु वॉ शगटन के सीडीसी के परी ण से भी ई है। मुझे
उनक रपोट आज सुबह ही मली है।’
उसके बाद उसने पछली शाम पैटरसन और रॉयसन के साथ ई बातचीत के बारे म उन
लोग को बताया। ‘तो हमारा अनुमान है क ये पाहवा सटर म गु त प से ली नकल ायल
करवा रहा था। हां, हमने इस संभावना को खा रज नह कया है क इसके तार अमे रका से
जुड़े हो सकते ह। हो सकता है वॉलेस खुद इसम शा मल हो, ले कन अभी इस बात के प
म कोई सबूत नह है।’
उसक बात समा त होने पर वहां थोड़ी दे र शां त छाई रही।
फर को लन ने पूछा, ‘तो हमारा अगला कदम या है?’
वजय ने भी पूछा, ‘और हम कैसे मदद कर सकते ह?’
‘अभी हमारे पास करने के लए कुछ खास नह है,’ इमरान ने वीकारो क । ‘म
चाहता था क तुम लोग को केस से जुड़े सारे त य बता ं ता क तुम लोग कसी और पहलू
पर भी सोच सको और हम उस पर काम कर सक। अभी, टा क फोस के एजट पाहवा क
तलाश म लगे ह और ली नकल ायल के बारे म और सुराग ढूं ढ़ रहे ह। वो पछले चार—
पांच साल के अखबार खंगाल रहे ह ता क उनम ली नकल ायल के व ापन का पता
लगे, साथ ही इस धंधे से जुड़े लोग से भी बात कर रहे ह। म भारत म टाइटन के सीईओ
डॉ टर व प वमा से मलने जा रहा ं। और म टाइटन के चीफ मे डकल ऑ फसर डॉ टर
व ण स सेना से भी मलूंगा।’
‘हम इसम आपक मदद कर सकते ह,’ राधा ने कहा। ‘अगर आप चाह तो म सीएमओ
से मल सकती ं।’
इमरान ने मु कुराते ए जवाब दया, ‘शु या, ले कन यह फ ड का काम है। मुझे
मालूम है क तुम लोग को टा क फोस बनने के बाद फ ड े नग द गई है, ले कन तुम
लोग को अभी इसका कोई तजुबा नह है। अगर हम जै वक आतंकवाद म वा तव म
शा मल कसी श स से मल तो इसम खतरा हो सकता है।’
‘ले कन अगर हम शु आत नह करगे तो हम कभी फ ड म काम का अनुभव ही नह
होगा,’ राधा अपनी बात पर अड़ी रही। ‘कैसा रहेगा अगर म आपके साथ र ं जब आप
सीईओ से मलने जा रहे ह , और अगर कुछ द कत आती है तो आप तो रहगे ही?’
‘इमरान, तु ह मानना पड़ेगा,’ वजय मु कुराते ए बोला। ‘वो एक बुलडॉग क तरह है।
अब वो पीछे नह हटे गी।’
राधा ने उसक पीठ पर ह का सा धौल जमाया। ‘मेरा मानना है क यह दलच प होगा।
इमरान, चलो, ऐसा करते ह।’
‘ठ क है, ठ क है,’ इमरान ने ह थयार डाल दए। ‘बातचीत म या गड़बड़ हो सकती
है? सीईओ के साथ शाम साढ़े चार बजे मी टग है। म अपने लोग को कह ं गा क सीएमओ
के साथ मी टग भी उसी समय तय कर द जाए।’
उसने जैसे ही अपना फोन हाथ म लया, वो बज उठा। इमरान ने गौर से फोन करने वाले
क बात सुनी और उसका चेहरा मुरझा गया।
‘बुरी खबर है?’ वजय ने अनुमान लगाया।
‘हम अभी—अभी पाहवा क लाश मली है। आगरा ए स ेसवे पर उसक कार हादसे
का शकार हो गई। ऐसा लग रहा है क उसक कार के े स के साथ छे ड़छाड़ क गई थी
और वो बेकार हो गए थे। वो ज र सड़क पर काफ तेज जा रहा होगा इस लए उसके पास
बचने का कोई मौका नह था।’ उसने एक ठं डी सांस ली। ‘हमारा अं तम जदा सुराग चला
गया। और इसका यह मतलब भी है क वो इस खेल म मोहरा भर था। टाइटन म कोई है जो
ये खेल खेल रहा है। बस, मामला यह है क हमारे पास ये जानने का कोई तरीका नह है क
वो कौन है।’
18
गुड़गांव
मक नया, ीस
तीसरा दन
व च सा ा कार
राधा टाइटन फामा यु टक स के भारत हेड वॉटर क आलीशान लॉबी को यान से दे ख रही
थी, जब वो सीएमओ के साथ अपनी मी टग का इंतजार कर रही थी। वो जानबूझकर इमरान
क तरफ दे खने से बच रही थी, जो उससे कुछ री पर रखे एक सरे सोफे पर बैठा था। वो
दोन एक समय पर ही वहां प ंचे थे ले कन अलग—अलग कार म। राधा को आईबी क
तरफ से एक फ ड एजट दया गया था जो उसे यहां तक लाया था और वापस भी छोड़ने
वाला था।
ब डंग अपने आप म एक साधारण छह—मं जला ढांचा थी, गुड़गांव के कई सरे
कॉरपोरेट द तर क तरह, ट ल और कांच से बनी ई। अंदर ज र साज—स जा क गई
थी, संगमरमर के फश, रसे शन के लए ेनाइट काउंटर और लॉबी के बीच —बीच एक
फ वारा। साफ दख रहा था क यहां से मुनाफे वाला और फलता—फूलता बजनेस चल
रहा है।
राधा ठ क से बैठ गई जब उसक तरफ एक लंबा और बला—पतला, अधपके बाल
वाला श स आया। उसने लेबोरे म पहना जाने वाला कोट पहन रखा था और उसक
श सयत से लग गया था क वही डॉ टर व ण स सेना है। राधा भा वत हो गई। उसने
यह उ मीद नह क थी क वो उसे लेने के लए खुद आएगा। ले कन डॉ टर व ण को
बताया गया था क राधा एक प कार है जो उनके मे डकल फे स लट म लगी आग क
रपो टग कर रही है और राधा ने अनुमान लगाया क कंपनी अपने बारे म नकारा मक खबर
नह चाहती है। यही वजह है क डॉ टर व ण ने तुरंत उससे मलने क मंजूरी दे द थी।
‘हैलो सीमा,’ बले—पतले श स ने उसके छद्म नाम से उसे संबो धत कया। उसके
चेहरे पर मु कान थी ले कन वो साफतौर पर बनावट थी। प प से, वो इस मी टग को
लेकर ब त खुश नह था और जानता था क उसके पास कोई और चारा नह है। ‘म ं
डॉ टर व ण स सेना।’
राधा ने भी बदले म अ भवादन कया। ‘इतनी ज द मी टग के लए तैयार होने का
शु या,’ उसने जोड़ा। ‘हम चाहगे क यह खबर कल चली जाए, अगर इसम बताने जैसी
कोई बात हो तो।’
स सेना ने राधा के इस शु आती हमले से संभलने क को शश क । ‘मुझे भरोसा है क
आपको ब त यादा बताने जैसी चीज नह मलगी। मुझे आपक ज रत क सारी
जानकारी दे कर खुशी होगी, ले कन मुझे नह लगता क आपको एक खबर के लए ज री
काफ मसाले मलगे।’ माहौल को ह का बनाने क अपनी को शश के साथ उसने एक
मु कान बखेर द । ‘ या हम ऊपर चलकर बात कर?’
राधा ने सहम त द और वो दोन चुपचाप चौथी मं जल क ओर चल दए। जब वो लोग
मी टग म म बैठ गए और स सेना ने उनके लए कॉफ ऑडर कर दया तो राधा ने फैसला
कया क सीधे मु े क बात क जाए।
‘मने पूव द ली म आपक फे स लट म आग को लेकर कई अफवाह सुनी ह,’ उसने
बोलना शु कया, ‘और मुझे लगा क सचाई जानने के लए सबसे अ छा तरीका है क
आपसे बात क जाए।’
‘ बलकुल, ‘ स सेना ने अपने दांत नपोर दए। ‘यह ब त अ छा कया। तो आपने या
अफवाह सुनी ह?’
‘दे खए,’ राधा एक पल के लए क जैसे वो सोच रही हो क उसे या कहना चा हए,
‘मने सुना है क कुछ ली नकल ायल डीसीजीआई से मा यता ा त नह थे। यह भी क
लोग पर जानलेवा माइ ो स के साथ योग कए जा रहे थे।’
स सेना हंस दया जैसे वो इस सवाल क उ मीद कर रहा था ले कन उसक हंसी म
बनावट पन और घबराहट दोन थी। ‘आपने जहां भी ये अफवाह सुनी ह , ये बलकुल झूठ
ह। उस फे स लट म जो भी ली नकल ायल टाइटन कर रही थी, सभी सबके सामने थे।
सभी को डीसीजीआई क मा यता ा त थी। म आपको इसके द तावेज दखा सकता ं।
और जानलेवा माइ ो स का इ तेमाल करना तो कोई सोच भी नह सकता। म आपको
बताना चा ंगा क ली नकल ायल इस तरीके से नह होते। और, टाइटन म हमने काम
करने के स त स ांत बना रखे ह जन पर हम गव है। म एक वायरोलॉ ज ट ं और मुझे
तुरंत पता चल जाएगा क कह कुछ गड़बड़ी तो नह हो रही।’
‘और फे स लट म जो लाश मल ? इस बारे म आप या कहना चाहगे?’ राधा जानती
थी क इमरान ने फैसला कया था क लाश के मलने क बात को अभी सावज नक नह
कया जाए, नह तो मी डया क नजर म आने के बाद जांच भा वत हो सकती थी। उसे इस
बात का पूरा भरोसा था क स सेना मी डया क तरफ से इस सवाल क उ मीद नह कर
रहा होगा और वो चाहती थी क वो उसे रंगे हाथ पकड़े।
स सेना च क गया। साफतौर पर वो इस सवाल क उ मीद नह कर रहा था। उसक
आंख सकुड़ ग । ‘आपसे यह कसने कह दया?’ उसने पूछा। ‘यह बलकुल झूठ है। आग
म कोई नह मारा गया है। संप और उपकरण को भारी नुकसान आ था ले कन कसी
क मौत नह ई थी।’
राधा ने गहरी सांस ली। ‘डॉ टर स सेना, मुझे भरोसा है आप जानते ह गे क हम
प कार के अलग—अलग जगह पर सू होते ह। पु लस म भी। जो मने सुना है वो आपक
बात से मेल नह खा रहा। मेरे सू के अनुसार, जब दमकल क गा ड़यां वहां प ंची तो
ब डंग म कोई नह था। कोई टाफ, लैब टे नी शयन या रसचर नह था। सभी लोग गायब
हो गए थे। सफ उन लाश को छोड़कर जो एक गु त तहखाने म मले थे, हाई—टे क से स
म, जो बाहर से बंद थे। और मने यह भी सुना है क उन लोग को गोली मारी गई थी। वो
आग म नह मरे और शायद आपक बात म इतनी ही सचाई थी।’
स सेना के कंधे झुक गए और उसके चेहरे पर घबराहट दखने लगी। ले कन उसने तुरंत
ही खुद को संभाल लया। या तो उसे ब त अ छ े नग द गई थी या फर उसे ऐसे मु कल
हालात संभालने का लंबा अनुभव था।
‘ठ क है,’ वो राधा क तरफ दे खकर मु कुराते ए बोला। ‘म सोच रहा था क कोई इस
बारे म नह जानता। म आपसे झूठ बोलने के लए माफ मांगता ।ं ले कन मेरी समझ से
आप इस मामले क गंभीरता को और इसके हमारी कंपनी पर पड़ने वाले असर को अ छे से
समझती ह गी।’ उसने अपना सर हलाया। ‘हम बलकुल नह पता क वो लाश वहां कैसे
आ या वो लोग वहां य थे। यक न मा नए, टाइटन ढ़ आदश और स ांत वाली कंपनी
है। हमारे फाउंडर और चेयरमैन कुत वॉलेस सफ अमे रका म ही नह , नया भर म
स ांत म व ास रखने वाले और स मा नत के प म जाने जाते ह। म यह नह
कह रहा क हमसे भूल नह होती। हम भी गल तयां करते ह। ले कन यह हमारी भूल नह
थी। हमारा मानना है क उस फे स लट का मा लक सुमन पाहवा वहां एक गु त अ ा चला
रहा था। अगर आप इसक वजह जानना चाहती ह तो बेहतर होगा क आप उसी से बात
कर। मतलब जब पु लस उसे ढूं ढ़ ले। मुझे यक न है क आपके सू इस बारे म आपक मदद
कर सकते ह।’ उसने अपने श द पर खासा जोर दया।
यानी इसका मतलब है क इसे पाहवा क लाश मलने क बात नह पता। राधा ने
फैसला कया क वो इसे यह बात नह बताएगी।
‘ले कन सटर पर तो सफ टाइटन के ाय स चल रहे थे।’ राधा हार मानने को तैयार
नह थी।
‘जी हां, बलकुल। म इस बात से इनकार नह करता।’
‘तो ऐसी फे स लट म, जहां ली नकल ायल हो रहे ह , आपको से स क ज रत
य थी?’
स सेना ने गहरी सांस ली। ‘आप वहां गंदगी ढूं ढ़ने क को शश कर रही ह, जहां यह है
ही नह । जैसा मने आपको बताया, ये ली नकल ायल, सरे ायल क ही तरह, बाहर
कराए जा रहे थे। इन ायल को कराने वाली लैब आयन उस फे स लट क मा लक थी।
हमने रसच को ायो जत करने के लए समझौता करने के पहले अपना त न ध भेजकर
उस फे स लट क जांच कराई थी, ले कन हम यह कैसे जान सकते थे क कोई गु त
तहखाना भी वहां हो सकता है। कसी जगह को दे खते व कोई यह थोड़े ही दे खता है क
वहां गु त कमरे ह या नह । आप गलत जगह पर गलत सवाल पूछ रही ह। म यह फर से
क ंगा क आप पाहवा से पूछ। आपको उससे पूछताछ कर गंदगी ढूं ढ़नी चा हए, टाइटन म
नह । फे स लट से जो बात सामने आई है, उसने हम भी उतना ही च काया जतना
आपको।’
राधा ने उसक बात को करीब—करीब नजरअंदाज करते ए जवाब दया, ‘एक और
अजीब बात यह थी क फे स लट क सफ तीन मं जल ही जली थ । संयोग से, यही वो
तीन मं जल थ जहां आईट सटर और फे स लट के सभी मे डकल रकॉड थे। आपको यह
अजीब नह लगता क सफ उ ह मं जल पर आग लगी? यह तो साफ—साफ लग रहा है
क फे स लट म हो रहे ायल से जुड़े रकॉड और आंकड़ को न करने के लए
जानबूझकर आग लगाई गई।’
‘मेरा जवाब वही है।’ स सेना क आवाज म अब खापन था। ‘हम नह पता क आग
कसने लगाई या कैसे लगी। इसक जांच शु हो गई है और जब यह पूरी हो जाएगी तो
न संदेह हम यादा जानकारी मलेगी। अभी हम सफ अटकल लगा सकते ह; और हमारा
मानना है क इन सबके पीछे सुमन पाहवा का हाथ है।’
राधा ने इस बात पर सर हला दया। अब जो खम लेने का समय था। ‘मने ये भी सुना
है क जो लाश मली थ , वो एक अनजान बै ट रया और वायरस से सं मत थ । यह कैसे
मुम कन है क पाहवा, अगर वो इन सबके लए ज मेदार है, को एक नह ब क दो नए
माइ ो स मल गए और उसने आपके मे डकल सटर म सौ से यादा लोग पर इसके
ली नकल ायल कर डाले और कसी को कुछ पता नह चला?’
स सेना का चेहरा स त हो गया। साफ था क इस ने एक खती रग छे ड़ द थी।
‘म सच म जानना चा ंगा क आपके सू कौन ह,’ वो कठोर लहजे म बोला। ‘ऐसा लगता है
क आप ब त सारी अनाप—शनाप चीज जानती ह। आप टाइटन के खलाफ गंभीर आरोप
लगा रही ह जनका कोई सबूत नह है। बद क मती से, इस खद घटना ने सा बत कया है
क कह ना कह हमारा शासन नाकाम रहा। सटर के टाफ सफ अपना काम कर रहे थे,
परी ण कर रहे थे या नमूने इक े करने जैसे काम कर रहे थे। वो शायद इस झूठे भरोसे म
रह गए क सभी ाय स को आ धका रक वीकृ त है। हम अपने अंद नी स टम क जांच
कर रहे ह और अब हम ऐसा ोसेस बनाएंगे जो यह सु न त करे क ऐसी घटना दोबारा ना
हो। इसके लए म आपको नजी तौर पर भरोसा दला सकता ं।’
वो राधा क तरफ झुका, उसका चेहरा प थर क तरह स त और मन म दबे डर क
वजह से काला पड़ गया था। ‘और म जानता ं क आप इस खबर को नह छापगी, मस
सीमा। आप जानती ह य ?’
राधा ने कुछ नह कहा। उसक आवाज म कुछ ऐसा था जो दहला दे ने वाला था। या
उसने यादा जो खम ले लया था?
‘ य क,’ स सेना ने अपनी बात जारी रखी, ‘आपके पास कोई सबूत नह है। अगर
आप टाइटन फामा यु टक स को बदनाम करने के लए ऐसी खबर छापगी, हम आपके
अखबार पर मुकदमा करगे। और म जानता ं क आपका संपादक ऐसा खतरा तो नह
उठाएगा।’
राधा ने जवाब दया। ‘और अगर हम सबूत मल जाएं तो?’
वो नडरता से सीएमओ को घूर रही थी, हालां क उसका कलेजा मुंह को आ रहा था।
स सेना उसक तरफ दे खकर नाखुशगवार तरीके से मु कुराया। ‘आपको नह मलगे।
और म आपको सलाह ं गा क आप को शश भी ना कर। यह खतरनाक हो सकता है।’
‘आप मुझे धमक दे रहे ह डॉ टर स सेना,’ राधा खुद पर काबू पाने क को शश करते
ए बोली। उसका नचला ह ठ कांपने लगा था।
स सेना क आवाज एकाएक बदल गई। उसने सामा य होने का मुखौटा वापस ओढ़
लया था। ‘नह , बलकुल नह ,’ जबरन मु कान उसके चेहरे पर लौट आई। ‘म बस इतना
कह रहा था क अगर कोई हमारे प रसर का इ तेमाल गैर कानूनी ली नकल ायल के लए
कर रहा था, और वो लोग हमसे इतने लंबे समय तक इस बात को छपाने म कामयाब रहे,
तो वो इस बात क पूरी को शश करगे क वो और उनक घृ णत योजनाएं सबसे छपी रह।
वो इस बात से नाराज हो सकते ह क कोई रपोटर उनके राज का पदाफाश करने क
को शश करे।’ वो खड़ा हो गया, ये इशारा करने के लए क मी टग ख म हो चुक है। ‘आप
एक अ छ नौजवान म हला ह,’ उसने अपनी बात पूरी क । ‘मुझे यह बलकुल अ छा नह
लगेगा क आपको कुछ हो जाए। इस लए अपना याल र खए।’
राधा ने चुपचाप सर हला दया। जो कुछ वो सुन रही थी उसे लेकर उसके मन म कोई
म नह था। उसने तुरंत स सेना से हाथ मलाया और वहां से चल द ।
जब वो चली गई, स सेना अपनी कुस म बैठा, थोड़ी दे र तक छत पर लगी लाइट् स को
दे खता रहा। फर उसने ठं डी सांस भरी और अपना मोबाइल फोन नकाला।
‘स सेना बोल रहा ं,’ कॉल लगने के बाद उसने कहा। ‘कुछ ऐसा है जो तु ह जानने क
ज रत है।’
22
गु त डायरी
‘ बलकुल,’ वजय अपना गला साफ करते ए बोला। ‘दे खते ह। यह थोड़ा उलझन म डालने
वाला है। यूमेनीज के बारे म अलग—अलग जगह पर अलग—अलग चीज मलती ह।
ले कन मुझे जतना पता चल सका, उससे लगता है क वो सकंदर का एक जनरल था जो
उसक मौत के बाद गृह यु म फंस गया था। उसने ओ ल पयास को उसके पोते को
मक नया क ग पर बैठाने क को शश म साथ भी दया था और इसे करते ए उसने
अपनी जान गंवा द थी। ये भी लगता है क वो एक व ान था और सकंदर के ए शया
अ भयान के दौरान राजसी रोजनामचे क दे खरेख करता था।’
‘तुमने सं ेप म काफ अ छे से बता दया, खासतौर पर अगर इस बात को यान म रखा
जाए क तु ह कै ल थनीज और यूमेनीज पर रसच करने के लए यादा व नह मला
था,’ ए लस ने कहा। ‘यूमेनीज सकंदर के पता फ लप तीय का स चव भी रहा था। और
फ लप क मौत के बाद यूमेनीज सकंदर का मु य स चव बन गया, साथ ही वो उसके
मुख सेनाप तय म भी एक था। सकंदर क मौत के बाद उसके सेनाप तय म सा ा य के
वभाजन को लेकर भीषण लड़ाई ई। यादातर जगह पर इस बात का ज है क
यूमेनीज एक का बल सेनाप त था, ले कन ऐसा लगता है क उसक क मत उसके साथ
नह थी। यह एक लंबी कहानी है ले कन म सं ेप म बताती ।ं एक बार प डकास, जो
सकंदर का नवा चत उ रा धकारी था, के खलाफ व ोह करने वाले सेनाप तय ने उसे
मौत क सजा सुना द थी ले कन उस व उसने मौत को मात दे द थी। ले कन सकंदर के
ही एक और सेनाप त एंट गोनस के साथ यु म मौत उसका पीछा कर रही थी। एंट गोनस
को परा जत करने के बावजूद यूमेनीज को उसके ही प ने धोखा दया और 316 ईसा
पूव म उसे एंट गोनस ने मार डाला। यह कहा जाता है क उसने एंट गोनस के साथ यु के
पहले सभी द तावेज और जरनल न कर दए थे। हालां क कसी भी ऐ तहा सक द तावेज
म उसक कसी गु त डायरी का कोई ज नह मलता।’
‘तु हारे अनुसार यह नकली है?’ वजय ने थोड़े गु से म पूछा। उसक आवाज म
आ ामकता को दे खकर को लन ने भ ह चढ़ा ।
ए लस अब डायरी को यान से पढ़ रही थी। उसने शायद इस पर गौर ही नह कया था।
‘ऐसा तो नह लगता,’ उसने धीरे से कहा, जैसे खुद से ही कह रही हो। ‘अनुवादक लॉरस
फुलर क शु आती ट पणी के अनुसार, उसने 1954 म म म पुरानी चीज के एक
कानदार से ठ क—ठाक हालत म पपीरस द तावेज का एक द ता लया था, जब वो
का हरा के पास खुदाई के लए गई एक ट म का ह सा था। फुलर ने बड़े पैमाने पर ट का—
ट पणी भी जोड़ी है। ले कन मुझे यह नह समझ आ रहा क यह डायरी म कैसे प ंच
गई। यूमेनीज उस इलाके म मारा गया था जो आज ईरान है।’ उसने वजय क तरफ दे खा।
‘तु ह यह कहां से मली?’
वजय ने उसे बताया क कैसे उसने और राधा ने इस डायरी को आज सुबह ही ढूं ढ़
नकाला था। ‘मेरे माता— पता इ तहासकार थे,’ उसने अपनी बात ख म करते ए कहा,
‘वो आ कयालॉ जकल सव ऑफ इं डया म काम करते थे।’
‘अ त,’ ए लस फुसफुसाई, और फर डायरी पढ़ने लगी। ‘ऐसा लगता है क पपीरस
द तावेज ठ क—ठाक हालत म तो थे ले कन कुछ ह से गायब थे। फुलर, जो भी वो था, ने
अनुवाद करते व अपनी तरफ से पूरी को शश क थी क इसका अथ समझ म आए,
ले कन गायब श द के साथ इसे पढ़ने और समझने म द कत हो रही है।’
‘तु हारे माता— पता को यह डायरी कहां से मली,’ को लन ने आ य जताया। ‘हो
सकता है वो इस फुलर को जानते ह ।’
वजय ने कंधे उचकाते ए जवाब दया। ‘म ब त छोटा था, और बद क मती से उस
समय उनके कामकाज म मेरी दलच पी भी नह थी। मुझे बलकुल नह पता क उनके
दो त कौन थे या यह फुलर भी उनका दो त था। हालां क आज म सोचता ं क काश मुझे
पता होता। कतना अ छा होता अगर म उससे संपक कर पाता और अपने माता— पता के
बारे म बात कर पाता।’ उसक आवाज म एक उदासी सी उतर आई।
‘अभी मेरे पास इतना धैय नह है क म पूरी डायरी पढूं ,’ ए लस ने ज द से अपनी बात
ख म क , उसक आवाज म रोमांच क झलक थी। ‘मुझे इसका सार बता दो।’
‘फुलर के मुता बक यह डायरी दो ह स म है और इसम एक अ र भी है,’ वजय ने
अपनी बात शु क । ‘कै ल थनीज वाला ह सा लगता है कै ल थनीज ने खुद लखा है,
ले कन साफतौर पर ये यूमेनीज क ‘द डीड् स ऑफ अले जडर’ से नकाला गया था, जसे
कै ल थनीज ने अपनी डायरी का ह सा बना लया। कै ल थनीज के मुता बक सकंदर ने
सॉग डयन रॉक अ भयान के दौरान उसे एक गु त मशन पर भेजा था। इस कहानी म कई
चीज गुम ह य क डायरी के इस ह से को काफ नुकसान प ंचा था। इस लए यह ब त
साफ नह है क इस मशन के उ े य या थे। ले कन इस बात का वणन है क वो बै या
के जंगल म घूम—घूमकर पेड़ और प य का परी ण कर रहा था। इसका कोई मतलब
समझ नह आता।’
‘बस इतना ही?’ ए लस ने सोचा यह तो एंट — लाइमे स हो गया।
‘उस कहानी म बस यही है। कै ल थनीज लौटा, उसका मशन कामयाब रहा, और
सकंदर ने उसके इस काम के लए कृत ता जताई।’
‘और थोड़े दन बाद ही उसे मरवा डाला,’ को लन हंस दया। ‘यह उसक मनोदशा के
उतार—चढ़ाव को दखाता है।’
‘ या डायरी इस बारे म बताती है क कै ल थनीज को बै या म मला या था?’
शु ला ने धीरे से पूछा। वो अब तक चुपचाप बैठे, हाथी दांत के यूब का नरी ण कर रहे थे
और उनक बातचीत सुन रहे थे।
वजय ने अपने नोट् स दे खे और फर ना म सर हला दया। ‘फुलर के अनुवाद म ऐसा
कुछ नह है। हो सकता है क मूल पपीरस द तावेज म यह हो और वो ह सा बबाद हो
चुका हो।’
‘यह मुम कन लगता है,’ ए लस क ट पणी आई। ‘कै ल थनीज सकंदर के ए शया पर
आ मण के दौरान कई वै ा नक मशन पर गए थे। ले कन यह च काने वाली बात है क इस
कहानी म यादा कुछ नह है। मसाल के लए वो बै या के जंगल म या कर रहा था।’
‘यूमेनीज क कहानी थोड़ी यादा दलच प है। तुम लोग उसके लए तैयार हो जाओ।’
वजय क आंख म एक चमक थी। ‘यूमेनीज के मुता बक सकंदर को उसक मां ने एक
चमप दया था जस पर छह छं द लखे थे, जसक मदद से उसे उस चीज को ढूं ढ़ने म
मदद मलती, जसे वो ‘ई र का रह य’’ कहते थे। यूमेनीज ने इस बात का खुलासा नह
कया है क वह रह य या था, ले कन वो कहता है क चमप पर लखे छं द दशा— नदश
थे जो सकंदर को रह य का पता लगाने म मदद करते। उन दोन ने एक रात अपनी सेना को
छोड़ा और अपने साथ एक छोटा चमड़े का थैला और एक मोमजामे का थैला रखा, हालां क
उनम या था, यह यूमेनीज को नह पता था। उ ह ने उस गु त थान को ढूं ढ़ नकाला, जो
एक ऐसे पहाड़ म था जसक आकृ त पांच सर वाले सांप क थी। सकंदर ने यूमेनीज को
पीछे छोड़ा और थोड़ी दे र के लए अंदर गया। जब वो लौटा, उसक छाती के कवच गीले थे,
जैसे वो कसी तालाब म डु बक लगाकर आया हो। यूमेनीज नह जानता था क उस रात
या आ, ले कन वो यह कहकर अपनी बात ख म करता है क सकंदर को ई र का रह य
मल गया था और उस रात के बाद से, वो भी ई र बन गया था।’
जब वजय ने अपनी बात ख म क तो वहां चु पी छाई थी।
‘यह कुछ कहानी ई,’ अंत म ए लस ने कहा। ‘यह न त तौर पर ऐ तहा सक
अ भलेख से मेल खाती है जसम बताया गया है क सकंदर ने वयं को ई र घो षत कर
दया था और वो पूजा जाना चाहता था। ले कन यह कहानी ऐसी लगती है जैसे सकंदर पर
लखे उप यास म एक हो।’
‘मने उस बारे म सुना है,’ को लन ने कहा। ‘दे ख लो, म ीक इ तहास से बलकुल
अनजान नह ं। सकंदर के बारे म एक कहानी सं ह है ना?’
‘को लन, म उसे ीक इ तहास नह क ंगी,’ ए लस मु कुराती ई बोली। ‘ सकंदर पर
उप यास कसी अनजान ीक लेखक ने लखे थे जसे आज छ —कै ल थनीज कहकर
संबो धत कया जाता है। ये उप यास तीन सं करण म ह और काफ मजेदार ह। सबसे
पुरानी पांडु ल प तीसरी सद क है। उनम सकंदर के बारे म कहा नयां ह जो इतनी मजेदार
ह क उन पर यक न नह कया जा सकता। सच पूछो तो उसम इ तहास से यादा क पना
है।’
को लन मु कुराया। ‘हां—हां, म भी जानता था ये, सच म।’
ए लस उस बारे म सोच रही थी जो वजय ने अभी—अभी उ ह बताया था। ‘ सकंदर
का इकलौता अ भयान जस पर वो गया था, वो था नया जीतने का। यह तो इ तहास म
काफ अ छे से दज है।’ वो अभी भी अपनी बात पर कायम थी। ‘और, अगर हम एक पल
के लए यह भी मान ल क वो एक गु त अ भयान पर गया था “ई र के रह य” क तलाश
म तो भी यूमेनीज ने इस बात का वणन तो कया नह है क उसे कोई क मती चीज मली
हो। वो बस इतना कहता है क सकंदर पहाड़ के अंदर अकेला गया और जब बाहर लौटा तो
उसके कवच गीले थे।’
‘शायद उसने ई र का तालाब ढूं ढ़ नकाला हो,’ को लन फर से मु कुरा दया। ‘वो भी
तो बेहद खास होगा ना?’
ए लस ने उसक ओर दे खकर बुरा सा मुंह बनाया। ‘अ छा मजाक था, को लन। ले कन
सच तो यही है क यह कहानी भी सकंदर के उप यास म जो कहा नयां ह, उनक तरह लग
रही है। उप यास के सभी सं करण म सकंदर को ई र क तरह तुत करना सामा य है।
हो सकता है इसी लए यूमेनीज ने इस कहानी को अपने आ धका रक अ भलेख म शा मल
नह कया हो। इसम इतनी क पना है क इसे सच नह माना जा सकता।’
शु ला ने अपना गला साफ कया और वजय को संबो धत कया। ‘ या यूमेनीज यह
बता रहा है क वो छह छं द कस बारे म थे?’ उ ह ने धीरे से यह पूछा।
‘मने सोचा क आप लोग नह पूछगे,’ वजय के हाव—भाव से लगा क वो अब कुछ
बड़ी चीज का खुलासा करने जा रहा है। ‘उसने डायरी म हर छं द को दज कया है और
फुलर ने हर छं द का अनुवाद करने क को शश क है। कुछ श द गायब ह ले कन आप हर
छं द का सार तो समझ ही जाएंग।े ये रहे वो छं द।’
उसने अपनी नोटबुक का एक प ा पलटा और पढ़ना शु कया।
23
मंडराता आ संकट
नामो नशान ख म
इमरान ने पैटरसन के साथ फोन पर बातचीत ख म होने के बाद ठं डी सांस ली। टा क फोस
के इस लीडर के बारे म उसका शु आती आंकलन बलकुल सही था। पैटरसन ज था,
उसे कसी चीज के लए मनाना मु कल था और हर चीज म तक ढूं ढ़ता था। इमरान क
आईपीएस और आईबी म ऐसी त ा थी क अ धकतर समय उसे चीज अपने हसाब से
करने क आदत हो चुक थी। और जब चीज उसके हसाब से नह होती थ , वो नयम
तोड़कर जो चाहता था वो हा सल कर लेता था। कसी प र थ त या क पहचान
करने क अपनी वल ण मता और सही पूवानुमान के सहारे उसने यादातर मौक पर वो
नतीजे दखाए थे, जो उसके सी नयर चाहते थे। उसे कभी अपने पूवानुमान को लेकर ना तो
खुद को सही सा बत करने क ज रत पड़ी और ना ही सफाई दे ने क ।
पैटरसन अलग क म का था। वो त य चाहता था, अनुमान नह । सबूत चा हए थे,
ज बात नह । और वो इमरान के इस अनुमान को मानने को तैयार नह था क टाइटन का
कोई आदमी ठे के पर चल रही मे डकल फे स लट क घटना म शा मल था।
‘तु ह जो बात पता चली ह उनम कुछ भी असाधारण नह है,’ उसने उनक बात खा रज
करते ए कहा था, जब इमरान ने उसे टाइटन के सीएमओ के साथ राधा क मी टग और
सीईओ के साथ अपनी मी टग के बारे म बताया था। ‘मने खुद कुत वॉलेस से बात क है
और उस श स ने ना सफ मुझे पूरे सहयोग का भरोसा दलाया है ब क अमे रका या भारत
म टाइटन क मैनेजमट ट म के कसी भी सद य के इस घटना म शा मल ना होने का यक न
दलाया है। यह कसी थानीय गरोह का काम लगता है। हो सकता है क इसे कसी
अंतरा ीय आतंकवाद संगठन से मदद मल रही हो, इस लए म तु ह सलाह ं गा क तुम
टाइटन पर फोकस करने क बजाय मामले क गहरी जांच करो और पता लगाओ क इसके
पीछे कौन है।’
इमरान ने एक बार सोचा क उसे ए लस के वहां अचानक प ंचने और कुत वॉलेस के
साथ उसके संबंध के बारे म बताया जाए और दोन घटना को जै वक आतंकवाद से
जोड़कर दे खा जाए। ले कन उसने इस वचार को आने के साथ ही छोड़ भी दया। उसे
ए लस से बात करने के बाद यक न हो गया था क वह सच बोल रही है। ले कन उसे कोई
ऐसा तरीका नह दख रहा था जससे वो ीस म उसके अनुभव को यहां क घटना से
जोड़ सके, भले ही दोन घटना के तार कह ना कह कुत वॉलेस से जुड़ रहे ह।
तभी उसे याद आया; ए लस ने उसे तावरोस और पीटर क फोटो द थ , वो दोन को
—डायरे टर जन पर उसने अपनी ट म के सद य क ह या का आरोप लगाया था। उसने
एक इंटरनेशनल डाटाबेस म इन त वीर को डालकर दे खा और तभी एक कामयाबी हाथ
लग गई।
इमरान ने वजय का नंबर डायल कया और उससे थोड़ी दे र बातचीत क , और बताया
क उ ह या पता चला है।
उसक कार रहायशी कॉ ले स के मु य दरवाजे क तरफ मुड़ी। गाड ने उसे सलामी
द और इमरान ने मु कुराकर उसका जवाब दया। गाड कम तन वाह पाने वाले कॉ सटे बल
थे और एक नाशु और मु कल काम करते थे। उसने दे खा था क कैसे सरे व र पु लस
अफसर या तो उ ह नजरअंदाज कर दे ते थे या गुजरते व घूरकर दे खते थे। इमरान का
वभाव ऐसा नह था। उसका मानना था क वो सर के लए कम से कम इतना तो कर ही
सकता है क उ ह दे खकर मु कुरा दे और उनके काम के लए शु या अदा कर।
इमरान अपने अपाटमट लॉक तक प ंचकर कार से उतरा और ाइवर को मु कुराकर
जाने को कहा। उसने ाउंड लोर पर ल ट बुलाई और छठ मं जल पर अपने अपाटमट म
जाने के लए उसम सवार हो गया। ल ट क छत से लगा ब ब फड़फड़ा रहा था। उसने
इसक शकायत मटनस म कराने क सोची और अपने अपाटमट के दरवाजे का ताला
खोला।
उसके ल वग म म अंधेरा था जब उसने उसम कदम रखा। उसने लाइट जलाई और
खड़क क तरफ गया, सड़क के पार बन रहे एक टॉवर के बेढंगे नजारे को दे खकर उसने
बुरा सा मुंह बनाया। पांच मं जल बन चुक थ और छठ मं जल बनाई जा रही थी जो उसके
अपाटमट क बराबरी पर थी। पहले वो कभी ब डंग पर यान नह दया करता था ले कन
अब वो रोज ही मज र को दे खता था।
यह रोज का नयम था। उसके घर क दे खरेख करने वाला नौकर रोज पद खुला रखता
था और वो शाम म लौटकर उ ह तुरंत लगा दे ता था ता क टॉवर का नजारा छप जाए। जैसे
ही वो कमरे म घुसा, उसके लैकबेरी पर बीप क आवाज आई। उसने अपने बेड म क
तरफ कदम बढ़ाते ए न पर नजर डाली और जो दखा, उससे उसका मुंह खुला रह
गया।
इमरान को उस टे ट मेसेज को दे खकर झटका सा लगा। इतना बड़ा झटका क वो पद
लगाने के लए खड़क क तरफ भी नह गया। उसने सड़क के उस पार बन रही ब डंग
क छठ मं जल पर उस आकृ त को भी नह दे खा जसक झलक दख रही थी।
वो अपने बेड म से मु कल से दो कदम ही र था, जब खड़ कय के कांच छतरा
गए, एक सीट सी आवाज आई और कुछ कमरे म उड़ता आ आया।
उसक सूझबूझ और श ण इस व काम आया और उसने तुरंत समझ लया क यह
या है। रॉकेट क मदद से फका गया बम उसके और दरवाजे के बीच गरा था, जो अभी भी
खुला था।
इमरान तेजी से बा ओर छलांग लगाकर अपने बेड म म प ंच गया और तब तक बम
उसके ल वग म म फट चुका था। बम के धमाके से अपाटमट हल गया और उसक धमक
बाहर तक गूंजती रही।
बेड म क द वार ने धमाके से पैदा ई ताकत को तो झेल लया ले कन इमरान को
अपने सीने म तेज दद महसूस आ और वो अपने बेड म के फश पर गर गया। उसने दे खा
क फश पर खून फैल रहा है।
उसका खून। उस चोट लगी थी। वो नह जानता था क कससे। बम के टु कड़े से? उड़ते
ए कांच से? जो भी हो, वो घायल हो चुका था। बुरी तरह।
तभी उसक आंख के आगे अंधेरा छाने लगा।
उसका लैकबेरी उसके नज व हाथ से तीन फ ट र पड़ा था। उसक न पर अभी
भी वो मेसेज दख रहा थाः “कूपर आज इ म ेशन से गुजरा।”
27
सं हालय म एक रात
वजय ने फोन काटा और अपने आसपास सर क तरफ दे खा। ‘इमरान का फोन था,’
उसने उ ह बताया। ‘ए लस ने उसे जो फोटो ाफ दए थे उसने उनक जांच क । एक फोटो
मेल खा गई। पीटर का नाम अंतरा ीय अपरा धय के डाटाबेस म है। उसे “द रीपर” के नाम
से जाना जाता है। उसका असली नाम पीटर कूपर है और वो पछले तीस साल म दजन
ह या के लए ज मेदार रहा है। वो एक द नशानेबाज है, रबीन वाली बं क का
इ तेमाल करने म मा हर है और उसका नशाना कभी नह चूकता। इ क स दे श उसक
तलाश म ह। वो तु हारी खनन क ट म म कैसे आ गया?’
‘म नह जानती।’ ए लस क आवाज कांप रही थी। ‘वो… बस वहां… था। तावरोस के
साथ। वो दोन को—डायरे टर थे। वॉलेस ट ारा नयु कए गए। तावरोस
पुरात ववे ा था। पीटर यादातर व ीय और संपक के मामले दे खता था। वो पुरात व या
खुदाई के बारे म कुछ नह जानता था। ले कन म उसके बारे म बस इतना ही जानती ।ं मने
अनुबंध के बाद कोई नह पूछा। म इस बात से ही इतनी रोमां चत थी क म
ओ ल पयास क क क खुदाई करने जा रही ं क म सफ खुदाई के ही बारे म सोचती
थी। तावरोस के बारे म या पता चला?’
वजय ने सर हलाते ए जवाब दया। ‘कुछ नह , इमरान के मुता बक डाटाबेस म
उसका नाम नह है। हालां क इसका कोई ब त यादा मतलब नह है। हो सकता है क वो
इंटरपोल के रडार पर ना हो या कसी और खु फया एजसी को उसक तलाश ना हो।’
‘घबराओ नह ,’ को लन ने ए लस के डर को भांपकर उसे दलासा दे ते ए कहा। ‘तुम
इस कूपर को ीस म काफ पीछे छोड़ आई हो। कोई तरीका नह है जससे वो तुम तक
भारत प ंच सके। वो ये कैसे अंदाजा लगाएगा क तुम अमे रका जाने के बजाय यहां
आओगी? और अगर उसने यह पता भी लगा लया तो जौनगढ़ न शे से इतना र है क यहां
के लोग को भी नह पता क ये है कहां।’
‘ले कन अभी हम जौनगढ़ म नह ह।’ ए लस को अचानक इस बात का अहसास आ
क कले म, खासतौर पर सुर ा णाली मजबूत होने क वजह से, वो कतने आराम से और
सुर त थी। ‘हम उसके लए यहां आसान चारा ह।’
‘अगर कूपर ने तु हारे भारत और जौनगढ़ म होने क बात पता भी लगा ली, जो इतना
आसान नह है जैसा को लन ने कहा, वो ये कैसे जान लेगा क तुम आज द ली आ रही
हो?’ वजय हंसा। ‘म जानता ं क तु ह ीस म ब त मु कल वाली रात बतानी पड़ी थी।
ले कन वो अब पीछे छू ट चुक है। और इमरान ने भारतीय इ म ेशन अथॉ रट ज को इस बारे
म सावधान भी कर दया है। जैसे ही उसे उस आदमी क अस लयत पता चली, उसने ये
काम कर दया था। अगर कूपर भारत आता है हम पता चल जाएगा। इमरान ने तो यहां तक
व था क है क अगर ऐसा होता है तो तु ह आईबी क नगरानी म एक महफूज घर म
रखा जाए। तुम यहां सुर त हो। चलो, हम यहां प ंच गए।’
वो लोग सं हालय प ंच चुके थे। मु य दरवाजे बंद थे य क दशक के लए तय समय
ख म हो चुका था। वजय ने तुरंत यूरेटर को फोन लगाया जो उनका इंतजार कर रहा था।
सं हालय के एक गाड ने दरवाजा खोला, कार को अंदर आने दया और फर उसे बंद कर
दया।
‘अरे वाह, उसे दे खा या?’ को लन ने एक अहाते म रखे वशालकाय रथ क तरफ
इशारा कया जब वो लोग उधर से गुजर रहे थे। ‘वाकई म काफ पुराना लगता है।’
वजय ने कार लगाई और सभी उतरे। गाड आया और उसने बताया क वो उ ह यूरेटर
के पास ले जाएगा। उ ह ने स ाट अशोक के गरनार के आ ाप क तकृ त को पार
कया, जो सं हालय क अंद नी चारद वारी से सटाकर लगाई गई थी और उस भवन म
वेश कया जो एक खुली छत वाले गोलाकार भवन के चार तरफ बना था।
यूरेटर का द तर पहली मं जल पर था। जैसे ही वो लोग अंदर आए वो अ भवादन के
लए उठा।
‘डॉ टर शु ला,’ यूरेटर ने सबसे पहले शु ला के साथ हाथ मलाया।
‘म राजीव सा ं, नरी क——पुरात व व ान और कलाकृ तय का रखवाला।
आपसे मलकर खुशी ई।’ फर वो ए लस क तरफ मुड़ा। ‘और आप ज र मस टनर
ह गी।’ उसने उससे हाथ मलाया। ‘आपसे मलकर खुशी ई। बताइए म आपके या काम
आ सकता ं?’
को लन ने वजय क तरफ योरी चढ़ाकर दे खा और फुसफुसाया, ‘तो या हम
अंगर क ह?’
वजय मु कुराया और खुद का और को लन का प रचय सा को दया।
‘अरे हां, हमने बात क थी,’ सा वजय क तरफ दे खकर मु कुराया और को लन से
बना कुछ कहे उससे भी हाथ मलाया।
ए लस असमंजस म थी। उसने सोचा था क मेटल लेट क बात हो चुक है। ‘अअअ..
म वो लेट दे खना चाहती ं जो दासूया के पास 1985 म मली थी। वो लेट जो माना जाता
है क सकंदर महान ने उस वेद के आधार म दफनाई थी जो उसने ास के तट पर ीस
लौटने के पहले बनवाई थी।’
‘ बलकुल, बलकुल,’ सा वह खड़ा रहा। ‘मुझे समझ नह आ रहा था क आपको
उस कलाकृ त म इतनी दलच पी य ह। आपको तो पता ही है क वो लोग के दे खने के
लए नह रखी गई है।’
‘हमने बात क थी म टर सा ,’ वजय ने बीच म टोका। ‘हम डॉ टर द ा ने आपका
नाम सुझाया था। और आप हम वो लेट दखाने के लए राजी भी ए थे।’
‘म आपको दशक के लए तय समय के बाद भी सं हालय म आने दे ने के लए राजी
आ था,’ सा ने वजय क ओर दे खे बना जवाब दया। उसक आंख अभी भी ए लस पर
टक थ । ‘जो अपने आप म सरकारी नयम—कायद के व है। ले कन म आपसे पूछ
भी नह रहा था। म मस टनर से जानना चाहता ं क उ ह उस लेट म दलच पी य है।
वो एक ऐसी कलाकृ त दे खना चाहती ह जो लोग के दे खने के लए रखी नह गई है। न त
तौर पर आप यह तो नह सोचते ह गे क म हर कसी को, जो पुरात ववे ा होने का दावा
करे, इन दरवाज से आगे जाने दे ता ंगा? भले ही उसे डॉ टर द ा ने मेरे पास भेजा हो।’
वो ए लस क तरफ उ मीद भरी नगाह से दे ख रहा था।
‘म एक पुरात व वद ं,’ ए लस ने अ न छा से जवाब दया। ‘आपको मेरी यो यता पर
संदेह है? आप मेरे बारे म इंटरनेट पर दे ख सकते ह। मुझे ाचीन ीक इ तहास म काफ
दलच पी है। खासतौर पर यूनानी कालाव ध म। जब मुझे पता चला क आपके पास एक
ऐसी कलाकृ त है जसका संबंध सकंदर महान से है, मुझे लगा क इसे मुझे ज र दे खना
चा हए।’
‘मुझे भरोसा है क आपके पास कोई ना कोई पहचान प ज र होगा,’ सा ने ऐसे
कहा जैसे उसने ए लस क बात सुनी ही ना हो। ‘ मसाल के लए आपका प रचय प ? कोई
ऐसी चीज जो उस बात का समथन करे जो आपने अभी कही?’
ए लस का चेहरा तमतमा गया ले कन उसने अपने पस म ढूं ढ़ा और ीस म वाइंट
मशन का अपना प रचय प नकालकर सा को दया। यूरेटर ने उसे एक पल के लए
दे खा और ए लस को लौटा दया।
‘आप मेटल लेट दे ख सकती ह।’ सा ने अपनी जेब से चा बय का छ ला नकाला
जसम एक ही चाबी थी। ‘म आपको दखाउंगा क वो कहां रखी है। यह सरी मं जल पर
है।’ उसने बाक लोग क तरफ ऐसे दे खा जैसे वो उ ह नापसंद करता हो। ‘ या ये सभी
लोग आपके साथ आएंग? े ’
‘हां, वो आएंग,े ’ ए लस ने ढ़ता से कहा। ‘आपका ब त—ब त शु या।’
‘मेरे पीछे आइए,’ सा ने कहा और चल दया। वो उ ह सी ढ़य से ऊपर ले गया और
ह थयार क गैलरी पार करने लगा, जसम शीशे के ब स म तलवार, भाले और सभी कार
के ाचीन और म यकालीन अ —श थे। गैलरी के एक छोर पर एक दरवाजा था जस
पर लखा था “ ाइवेट”। सा ने दरवाजे का ताला खोला।
उन सभी के मन म एक उ सुकता थी। पता नह उ ह या दे खने को मलेगा?
28
एक नया रह य
कमरे म अंधेरा था। वजय ने अपने मोबाइल फोन के टॉच क मदद से लाइट वच ढूं ढ़ और
उसे ऑन कर दया। छत से लटकती ई एक लाइट ने अंधेरे को चीरते ए उजाला कर दया
और ए लस च क पड़ी।
कमरे म कई आलमा रयां थ जनम हर आकार— कार के टै बलेट रखे थे, जन पर
अलग—अलग ल पय म कुछ लखा गया था, और उनम से कसी के बारे म ए लस नह
जानती थी। उसने महसूस कया क यह इ तहास का खजाना है। शु ला को भी ऐसा ही
महसूस आ। उसने अपने चार तरफ ऐसे दे खा जैसे कोई ब चा कसी खलौने क कान म
चला जाए और यह समझने क को शश करे क उसे सबसे पहले कस खलौने के साथ
खेलना है।
‘हम जो लेट ढूं ढ़ रहे ह वो कौन सी है?’ यह वजय क आवाज थी।
‘यहां है वो।’ सा ने एक छोट काले रंग क धातु क लेट उठाई, जो वृ ाकार थी, और
उ ह दखाई। इस टै बलेट पर छह तीक बने ए थे।
वो सभी लेट को नहारते रहे। वो छह तीक उ ह कुछ समझ नह आ रहे थे।
सा ने अपनी घड़ी दे खी। ‘म आपको यादा से यादा पं ह मनट दे सकता ं। आप
लोग अपना काम ख म करने के बाद ताला लगा द। म आपको अपने द तर म मलूंगा।’
इतना कहकर वो सी ढ़य से उतरकर नीचे चला गया।
कुछ पल के लए वो सभी उस लेट को दे खते रहे और समझने क को शश करते रहे।
‘तो, कुछ कहना है कसी को?’ ए लस ने कहा जब सभी थोड़ी दे र तक टै बलेट को दे ख
चुके।
शु ला ने अपना सर हलाते ए कहा, ‘मुझे इसम ऐसा कुछ भी नह दख रहा जो इसे
यूब से जोड़े। मेरा अनुमान है क म गलत था।’ वो ं यपूवक मु कुरा दए। ‘वैस,े उ मीद
करने या अंदाज लगाने म कोई नुकसान नह होता। अगर म सही होता तो काफ दलच प
होता।’
‘मुझे भी कुछ दख नह रहा। इस टै बलेट का तो कोई मतलब ही समझ नह आ रहा,’
वजय भी शु ला क बात से सहमत था।
‘ठ क है, यहां से बाहर नकलते ह और राधा के घर चलते ह,’ को लन अपने हाथ
रगड़ते ए बोला। ‘मुझे उसके हाथ का खाना ब त पसंद है।’
‘ को, मुझे इसक फोटो लेने दो।’ वजय ने अपने मोबाइल फोन से कई फोटो ले लए।
उ ह ने कमरा बंद कया और गैलरी को पार कया। ह के अंधेरे म भी वहां रखे ह थयार
डरावने लग रहे थे। वो बस क पना कर सकते थे क यु के मैदान म वो कतने भयानक
होते ह गे।
जब वो सी ढ़य क तरफ ले जाने वाले ग लयारे से गुजर रहे थे, एक तेज ददभरी चीख
आई। यह यूरेटर के ऑ फस क तरफ से आई थी। इसके बाद एक के बाद एक कई चीख
आ , तीखी और दद से भरी।
सं हालय म आफत
‘यह सा क आवाज है,’ वजय ने कहा। ‘म जाकर दे खता ं, तब तक तुम लोग दरवाजा
बंद करो।’
वजय सी ढ़य से नीचे दौड़ पड़ा और ग लयार से होते ए सा के द तर क तरफ
जाने लगा। जब वो द तर के पास प ंच रहा था, उसने सा क दद भरी चीख के अलावा
एक आदमी क आवाज सुनी, धीमी और डरावनी।
‘अब, म तुमसे एक बार और पूछ रहा ं,’ उस आदमी ने कहा। ‘पुरात व वद तुमसे या
चाहती थी? वो सं हालय म य आई है?’
वजय के कदम क गए। डर से उसके हाथ—पांव जैसे ठं डे पड़ गए। कोई ए लस के
बारे म पूछ रहा था। कोई जानता था क ए लस यहां सं हालय म है। या ये कूपर है? ये
कैसे हो सकता है? कूपर बना इमरान क जानकारी के इ म ेशन को पार नह कर सकता
था। और इमरान उ ह तुरंत सावधान कर दे ता।
तभी जैसे उसके अंदर से आवाज आई और सारे सवाल एक तरफ हो गए। उसके
दमाग म चेतावनी क घंट बजने लगी। उसे सर को सावधान करना होगा।
पता लग गया
तर ा
चूहे— ब ली का खेल
मं जल के करीब…
जैसी उन लोग ने योजना बनाई थी, ए लस गैलरी से छपते ए बाहर नकली। उन लोग ने
कमरे म रखे अलग—अलग कांच के ब से के पीछे अपनी जगह बनाई थी——इन लंबे
ब स म शरीर के अलग—अलग कवच दखाए गए थे, पुतले राजा के ब तर पहने खड़े
थे——और इंतजार कर रहे थे।
उ ह ने ग लयारे क ब य के जलने के बाद आद मय के कमरे म घुसने क गनती क
थी। योजना थी क आखरी आदमी के घुसने के बाद 20 सेकड तक इंतजार करगे, यह
सु न त करने के लए क कोई और ना हो, और फर दस सेकड के अंतराल पर एक—एक
कर बाहर नकलगे।
को लन कुछ पल बाद उसके साथ हो लया और वो वहां खड़े रहे, शु ला के इंतजार म।
वजय ने खुद कहा था क वो अंत म नकलेगा। ‘चूं क मेरे पास सबसे ताकतवर ह थयार है,’
उसने बलकुल गंभीरता से कहा था। उन लोग ने कोई बहस नह क थी। उनके पास व
ब त कम था।
समय बीत गया ले कन शु ला बाहर नह आए। को लन ने घबराकर ए लस क तरफ
दे खा। वो शु ला या वजय को छोड़कर नह जाना चाहते थे। को लन तय नह कर पा रहा
था क उ ह या करना चा हए। अंदर वापस जाना कोई चारा नह था। भले ही उनके
शका रय ने बाहर आते व उनका पीछा नह कया था, हो सकता है क वो उनके लौटने
का इंतजार कर रहे ह ।
तभी उसके मन म एक बुरा वचार आया। कह शु ला को पकड़ ना लया गया हो?
उसे फैसला लेने का व नह मला जब राइली सरी मं जल पर प ंच गया, अपने पीछे
खून से लथपथ सा को घसीटते ए। ‘गैलरी क ब यां जलाओ,’ उसने सा को आदे श
दया, और उसने ए लस और को लन क तरफ एक ं य भरी मु कान फक । सा ने तुरंत
उसक बात मानी।
ए लस और को लन जहां खड़े थे, वह जम से गए। वो नह जानते थे क यह आदमी
कौन है, ले कन सा को, जसका दा हना हाथ खून से लथपथ था और राइली के हाथ म
बोवी चाकू को दे खकर उ ह ने एक चीज तो समझ ली थी।
वो फंदे म फंस चुके थे।
रखवाले क क मत
मक नया
सकंदर महल के अपने कमरे म था, खड़क से बाहर झांक रहा था, अपनी सोच म डू बा
आ, तभी उसक मां एकाएक अंदर आ गई।
‘बेटे,’ ओ ल पयास ने कहा। ‘म तु हारे लए एक तोहफा लाई ं।’
सकंदर मुड़ा, उसक भ ह तनी ई थ । वो अपनी मां क सनक के साथ बड़ा आ था,
ले कन उसे अभी भी इसक आदत नह ई थी। उसक मां का कभी भी खुशी से नाचने
लगना, सांप के साथ यार करना और उसके कमरे म बना कसी पूव सूचना के आ जाना
——इन सबसे कभी—कभी उसे चढ़ आती थी। ले कन वो उससे ब त यार करता था
और कभी भी उसके साथ कोई डांट—डपट नह कर सकता था।
उसक गहरी आंख ने अपनी मां के हाथ म उस तोहफे को ढूं ढ़ा जसक वो बात कर
रही थी, ले कन वो तो खाली थे, सामने क तरफ जुड़े ए।
‘मां,’ नौजवान राजा बोला। ‘अभी कोई खेल नह । मुझे बताओ या है यह, तुम तो
जानती हो क मुझे तोहफे पसंद ह।’
‘उसके पहले मुझे तुमसे एक वादा चा हए,’ उसने जवाब दया, सकंदर क तरफ
दे खकर मु कुराते ए। शायद वही एकमा था जसका वो कोई फायदा नह उठाना
चाहती थी। वो सफ इतना चाहती थी क उसका बेटा एक महान आदमी बने, जसका गौरव
अमर हो। और वो इस चीज को सु न त करने के लए कुछ भी करने को तैयार होती।
सकंदर क यो रयां फर चढ़ ग । ‘इस पर नभर करता है क यह है या,’ उसने
जवाब दया।
‘ठ क है, मेरा मानना है क तुम इस वादे को पूरा करके खुश होगे,’ उसक मां उसक
उ सुकता को और बढ़ा रही थी। ‘यह तु हारे फारस अ भयान के बारे म है।’
सकंदर ने उसे भेदने वाली नगाह से दे खा। ‘मां, तुम जानती हो क यह मेरे लए या
मायने रखता है। फारस वाल ने जो हमारी बेइ जती क है, हमारी जमीन पर आकर जो हम
हराया है, उसका बदला लेना——अभी मेरे लए एकमा ल य है। म तब तक चैन से नह
बैठं ू गा जब तक फारस सा ा य को मक नया के शासन तले ना ले आऊं।’
‘म जानती ं, बेटे,’ ओ ल पयास नेहपूवक मु कुराते ए बोली। ‘ले कन वह य
कना है? फारस के आगे, पूव क तरफ और भी जमीन है।’ उसक आवाज अब
फुसफुसाहट म बदल गई। ‘पूव के ई र क भू म, जहां सधु और सरी बड़ी न दयां बहती
ह।’
‘पृ वी का सरा छोर! मां, मने उस भू म क समृ के बारे म सुना है,’ सकंदर अब
कुछ सोचने लगा था। उसने सधु घाट म सोने और क मती प थर क कहा नयां सुनी थ
और ये भी सुना था क कैसे वहां के नवासी फारस के लोग को उपहार म सोना दे ते ह।
‘ले कन इसका मतलब ये होगा क घर से र कुछ और साल बताऊं। या यह इस लायक
होगा? फारस का सा ा य हम उतनी संप दे दे गा जतनी हम ज रत है।’
‘उस भू म पर तु ह सांसा रक संप नह ढूं ढ़नी है।’ उसक मां क आंख म एक चमक
थी। ‘तुम एक ई र से पैदा ए हो। जयस के बेटे हो। मने तु ह पहले भी बताया है। ले कन
तुम अभी भी एक मनु य हो।’ वो क और सकंदर क आंख म दे खा। ‘ सधु क भू म क
एक पौरा णक कहानी है। ाचीन कहानी, एक महान रह य के बारे म जो तु ह ई र बना
दे गा। यही वो रह य है जसे ढूं ढ़ने के लए म तु ह कह रही ं।’
ओ ल पयास ने सकंदर को पूव भू म से आए एक दाश नक के साथ अपनी मुलाकात
के बारे म बताया। उसने सकंदर को चमप और धातु प का द , जो दाश नक ने उसे दए
थे और सकंदर को उस पर उ क ण लखावट और न काशी के बारे म समझाया, ठ क उसी
तरह जैसे उसे समझाया गया था।
‘ले कन इस मशन को गोपनीय रखना होगा। अगर तु हारी सेना को पता चलेगा क तुम
कस चीज क तलाश म हो, तो मु कल होगी। वो तु हारे साथ पृ वी के सरे छोर पर नह
जाएंगे य क वो यक न नह करगे।’
जब उसक बात ख म हो गई, सकंदर ने चमप को यान से दे खा। ‘यह मेरी नय त
है,’ उसने कहा। ‘ई र से पैदा आ, और म भी ई र बनूंगा।’
33
वतमान
तीसरा दन
बुलावा
शु लाजी उस शीशे के ब से के पीछे छपकर सब कुछ दे ख रहे थे, जसम मुगल बादशाह
औरंगजेब का ब तरबंद सूट रखा था। उ ह ने दे खा क ए लस को ख चकर टै बलेट वाले
कमरे म ले जाया गया। वजय क तरह उ ह ने भी समझ लया था क राइली उनक
मौजूदगी के बारे म नह जानता। वो नह समझ पा रहे थे क इसका कोई फायदा है या नह ,
ले कन उ ह ने तय कया क वो अभी छपे रहगे। और कुछ नह तो, अगर बा कय को बंद
बनाकर ले जाया जाता है तो वो इमरान को मदद के लए टे लीफोन कर सकते ह। उ ह ने
खुद को कोसा। जदगी म पहली बार उ ह इस बात का अफसोस हो रहा था क उनके पास
मोबाइल फोन नह है। साल तक उनका मन बदलने क राधा क को शश को उ ह ने
नाकाम कया था। ‘जब मोबाइल फोन नह थे तब भी म हमेशा सबक प ंच म रहता था,’
उनका कहना होता था। ‘अगर कसी को मुझे संपक करने क ज रत है, उसे पता होगा क
म कहां मलूंगा।’
आज उ ह महसूस आ क ऐसी प र थ त म मोबाइल फोन कतना उपयोगी सा बत
हो सकता था। इस व एक मेसेज भी मदद बुलाने के लए काफ होता।
इस बीच उ ह ने दे खा क ए लस को राइली ने ध का दया और वो लड़खड़ाती ई आगे
गर रही है। तीसरा बं कधारी उसे गरने से बचाने के लए आगे आया, और वो उस जगह से
एक फुट करीब प ंच गया जहां शु ला छपे ए थे।
बं कधारी ने ए लस को पकड़ा, ले कन इस या म उसने करीब-करीब अपना
संतुलन खो दया था।
शु ला के दमाग म एकाएक जैसे कुछ क ध गया।
वो ब से के पीछे से बाहर आए और कु हाड़ी से बं कधारी के सर पर तेज हार कया,
जब तक वो बं कधारी खुद का संतुलन बनाने और ए लस को पकड़ने क को शश साथ—
साथ कर रहा था।
कु हाड़ी ने अपना काम कया और बं कधारी सीधे नीचे गरा और ब से के कांच म
जाकर टकरा गया, उसके गरने के साथ ए लस भी गर गई थी।
अचानक जैसे उथल—पुथल मच गई।
वजय और को लन ने गौर कया क शु ला अपनी जगह से बाहर नकलकर कु हाड़ी
लहरा रहे थे। एक पल के लए तो वो दोन इस अ या शत चाल से च क गए, ले कन अगले
ही पल उ ह अपने पास खड़े बं कधा रय से नपटने का मौका मल गया।
बं कधा रय का पूरा यान अपने बं दय पर था और जब उनका सहयोगी फश पर गरा
तो वो बुरी तरह च क गए थे। कुछ पल के लए उनका यान भटक गया।
वजय और को लन ने इसी पल का फायदा उठाया। को लन नीचे झुका और एक घुटने
पर च कर खाते ए उसे नशाने पर ले रखे बं कधारी के पास प ंच गया और अपने सरे
पैर से तेज हार कया। उसका नशाना बं कधारी के घुटन पर लगा। उस आदमी क टांग
मुड़ और बं क नीचे गर गई। को लन ने छलांग लगाकर बं क उठाई और उस आदमी के
सर पर बं क के कुंदे से हमला कया, वो ठं डा पड़ गया।
शु ला ने ए लस को उठाया और वो दरवाजे क तरफ दौड़ पड़े। जब को लन अपने
बंद कता से नपट रहा था, वजय फश पर फसला, पलट खाई और अपने पीछे खड़े
बं कधारी क तरफ गदा लहरा द । जब गदा उसके ऊपर से उड़ती ई गई, वो इसके रा ते
से हट गया ता क वो पलटकर उस पर हमला ना कर दे । गदा म आठ लेड थ जो एक
बेलनाकार डंडे पर लगी थ और इसक ताकत म कोई कमी नह आई थी। गदा बं कधारी
क जांघ पर लगी, उसक मांसपे शय को चीर दया और वो फश पर गरकर छटपटाने
लगा।
कुछ सेकड म ही ये सारी घटनाएं हो ग और राइली को हरकत म आने का कोई मौका
ही नह मला। जब तक उसने अपना चाकू यान से बाहर नकाला, चार बंद कमरे से बाहर
नकलते ए अपने पीछे गैलरी का दरवाजा बंद कर चुके थे।
राइली ने शु आती झटके से खुद को तुरंत संभाला और तेजी से दरवाजे क तरफ
भागा। तभी गैलरी म अंधेरा हो गया और वो बुरा—भला कहने लगा। उन लोग म से कसी
ने समझदारी दखाते ए सी ढ़य से नीचे जाने के पहले ब यां बुझा द थ ।
उसने अंधेरे म ही धीरे—धीरे रा ता ढूं ढ़ने क को शश क , वहां रखी चीज से टकराते
ए वो दरवाजे क तरफ जा रहा था। जब वो दरवाजे तक प ंचा और उसे खोला, उसने
दे खा क ग लयारा भी अं धयारे म डू बा आ है। खुली खड़क से उसने सं हालय के बाहर
कार का इंजन टाट होने क आवाज सुनी।
वो गु से से भर उठा और उसने सी ढ़य के लकड़ी के जंगले म जोर से चाकू घुसेड़
दया। उसे कूपर को बताना होगा। ले कन वो कूपर क त या से च तत नह था। आज
रात क घटना उसके रकॉड पर एक कलंक थी। उसके आद मय ने उसे नाकाम कर दया
था।
यह दोबारा नह होगा।
34
नई द ली
राधा कार म बैठ और अपने चार तरफ ै फक को उदासी से दे खने लगी। उसके दमाग म
कई सवाल घूमने लगे। इमरान को नशाना य बनाया गया? कोई उसे य मारना चाहेगा?
या इसका टाइटन म उनक मुलाकात से कोई लेना—दे ना है? और अगर इमरान पर
जानलेवा हमले और टाइटन क मुलाकात म कोई संबंध है तो फर वो भी नशाना हो सकती
है?
उसने अपने कंधे झुकाए और इस बात के लए शु या अदा कया क वो खु फया यूरो
के तीन आद मय के साथ एक कार म थी। इससे उसने खुद को सुर त महसूस कया।
‘डॉ टर ने इमरान के बारे म या कहा?’ वो अपने पास बैठे आईबी एजट क तरफ
मुड़ी, जो घनी मूंछ वाला एक खा आदमी था।
उसने अपने कंधे उचका दए। हो शयार सह, जो आगे क सीट पर बैठा था, पीछे घूमा
और उसने जवाब दया। ‘हम बस इतना जानते ह क उनका काफ खून बह गया है। इससे
यादा तभी पता चलेगा जब हम प ंच जाएंग।े ’
राधा अपने आंसु को रोक रही थी। पछले साल उसका इमरान के साथ बेहद खास
बंधन जुड़ गया था। उसका अपहरण कर लया गया था और करीब—करीब उसे मार ही
दया जाता ले कन इमरान ने उसे बचा लया था। वो नह मर सकता। अभी नह ।
कार एक गोल च कर के पास आई और वहां से बा ओर मुड़ गई। राधा ने खड़क से
बाहर दे खा, अभी भी अपनी सोच म डू बी ई थी, ले कन उसने एकाएक गौर कया। वो अब
तक उस रा ते पर यादा यान नह दे रही थी, जससे वो लोग गुजर रहे थे। वो लोग द णी
द ली से अ पताल के रा ते पर ही जा रहे थे। ले कन इमरान को खोने क आशंका से बेचैन
राधा ने इस पर गौर नह कया था क अब वो ऐसी दशा म जा रहे ह जो उ ह अ पताल से
र ले जा रही है। उसे समझ आया क वो लोग चाण यपुरी से गुजर रहे ह, और धौलाकुआं
क तरफ बढ़ रहे ह, ऐसा रा ता जो उ ह गुड़गांव ले जाएगा।
उसने अपने पास बैठे खे एजट को दे खा और सामने के दोन एजट पर भी तुरंत गौर
कया। ऐसा नह लग रहा था क उनम से कोई भी जानता है क वो लोग गलत रा ते पर जा
रहे ह, और अगर वो जानते थे, तो इससे च तत भी नह लग रहे थे। कार का रे डयो बज रहा
था और हो शयार सह एक नए बॉलीवुड गाने को गुनगुना रहा था, जो कार म चल रहा था।
कुछ तो गड़बड़ है। उसे घबराहट होने लगी। या ये लोग सच म आईबी एजट ह? या
कह यह टाइटन फामा यु टक स म उसक मुलाकात का नतीजा तो नह है? उसने एजट के
प रचय प को याद करने क को शश क , ले कन उसे समझ आया क उसने तो उसे गौर से
दे खा ही नह था। हो सकता है वो उसे अपना ाइ वग लाइसस दखा रहा था। उसने इस
लापरवाही के लए खुद को कोसा।
ले कन अगर ये लोग आईबी एजट नह ह, तो उ ह ने उसे तुरंत मार य नह डाला?
उसके घर पर ऐसा करना बड़ा आसान होता य क कोई गवाह नह मलता। इमरान को
दे खने के नाम पर उसे कार म ले जाने का या मतलब है? या इमरान के बारे म द गई
खबर उसे घर से बाहर नकालने क एक चाल थी? इस वचार के साथ ही उसके मन म
उ मीद क एक करण जगी। शायद इमरान पूरी तरह ठ क हो। ले कन उ मीद क यह करण
खुद क मुसीबत का अहसास होते ही बुझ गई।
राधा अपनी सीट म धंसकर बैठ गई। शायद वो ब त घबरा रही है। ले कन अगर वो सही
सोच रही है, तो उसे सु न त करना होगा क इन आद मय को उसक आशंका का पता ना
चले। उसने दोन तरफ के दरवाज क तरफ दे खा। वो स ल लॉ कग मेके न म से बंद थे।
ले कन इसका यह मतलब नह था क वो खुल नह सकते थे। बस, वो एक चलती कार से
कूदने का यास नह कर सकती थी। ऐसा करके वो खुद को घायल ही करेगी और उन लोग
के लए उसे कार म दोबारा ठूं स दे ना बड़ा आसान होगा।
उसे समझ आया क उसके पास भागने का सफ एक मौका है। अगर वो नाकाम रहा तो
ये लोग दोगुने सावधान हो जाएंगे और उसक सारी उ मीद म म मल जाएंगी।
राधा ने अपनी आंख बंद क और खुद को शांत रखने क को शश करने लगी। उसे
धीरज से काम लेना होगा और इंतजार करना होगा जब तक क वो लोग कसी चौराहे पर ना
आएं जहां उ ह कना पड़े। उसके पास वही इकलौता मौका होगा।
उसने सड़क पर सामने क ओर दे खा और वो लोग एक अनजान मं जल क तरफ चलते
रहे। उसके साथ या होने जा रहा था?
35
अ पताल म
मौके क द तक
कार धौला कुआं प ंच चुक थी। उ ह ने अभी—अभी धौला कुआं लाइओवर पार कया
था और पास म ही एयरपोट ए स ेस मे ो लाइन चल रही थी, और बा तरफ सड़क के
ऊपर वो थोड़ी दे र के लए धौला कुआं मे ो टे शन पर गायब हो जा रही थी और फर
इंटरनेशनल एयरपोट क तरफ जाती दख रही थी।
मे ो टे शन के अगले स नल पर काफ ै फक था, जब उ ह ने लाइओवर पार कया,
रग रोड से आने वाले हर तरह के वाहन वहां मल रहे थे, जसके ऊपर से लाइओवर जाता
था। दाएं जाने वाली कार, बस और दोप हया वाहन मनमाने तरीके से लेन बदल रहे थे और
सीधे जाने वाले ै फक म मल रहे थे, जस वजह से वहां भारी ै फक जाम लग गया था जो
लाइओवर के नचले ह से तक प ंच गया था।
राधा चुपचाप तनकर बैठ गई थी। यही उसका मौका था। एक बार उ ह ने इस स नल
और अगले को पार कर लया, वो उस ए स ेसवे पर ह गे जो द ली से गुड़गांव जाता है।
उस सड़क पर तेज र तार से चलते ै फक के म े नजर कार के धीमी होने क कोई सूरत
नह होगी।
उसने खड़क से बाहर क तरफ दे खा। उनके पास वाली कार बलकुल सटकर चल रही
थी, मु कल से दोन वाहन के बीच म एक फुट का अंतर था। कोई तरीका नह था जससे
वो दरवाजा खोलकर बाहर नकल पाती। कार धीरे—धीरे आगे बढ़ने लगी, ाइवर अलग—
अलग दशा म जा रही गा ड़य के बीच से रा ता नकालने क को शश कर रहा था। कार
के बीच का अंतर थोड़ा बढ़ा और राधा क चता बढ़ने लगी। ै फक लाइट हरी हो चुक थी
और जाम तेजी से छं टने लगा था य क गा ड़यां अपनी—अपनी दशा म जाने लगी थ ।
यह उसके लए अभी नह या कभी नह वाली हालत थी, और उसने चुपके से अपना
हाथ दरवाजे को खोलने के लए बढ़ाया।
तभी उसका मोबाइल फोन बजने लगा। कार म बैठे तीन आदमी उसक तरफ दे खने
लगे। और यही वो नह चाहती थी।
सच या है?
‘वो फोन नह उठा रही है,’ वजय ने बा कय को बताया, उसके चेहरे पर चता थी और
शु ला भी च तत लग रहे थे। उस पल एक पता और एक मंगेतर दोन ही एक जैसे बेचैन
थे।
‘इमरान को लगाओ,’ को लन ने सुझाव दया। ‘हम उसे वैसे भी पीटर के बारे म बताना
है। शायद वो राधा का पता लगाने म हमारी मदद कर सके?’ वो यह बोलते ए खुद भी
आशंका त था, ले कन वो ह मत नह हारना चाहता था——इससे वजय और शु ला
दोन और टू ट जाएंग।े
वजय ने सर हलाया और इमरान का नंबर डायल कया। एक अजीब और अनजान
आवाज ने उ र दया। ‘क हए?’
‘म… म इमरान कदवई से बात करना चाहता ं,’ वजय हच कचाते ए बोला।
‘आप कौन ह?’ आवाज का लहजा आदे शा मक था।
वजय एक मनट के लए तो त ध रह गया। जस आदमी ने फोन उठाया था, ऐसा लग
रहा था क वो इमरान को जानता है। फर भी, इमरान ने फोन नह उठाया। इसका या
मतलब हो सकता है?
‘म… म उसका दो त ,ं ’ वो कसी तरह बोल पाया। ‘ वजय सह।’
‘इंतजार क जए,’ उस आवाज ने कहा और फर कुछ पल के लए स ाटा छाया रहा।
फर वो आदमी फोन पर वापस आया।
‘ठ क है, आप अमे रका—भारत टा क फोस म ह। मुझे खेद है, वजय, ले कन मुझे
जांचना पड़ा क फोन सच म आप ही कर रहे ह। इन प र थ तय म हम कोई ढ ल नह दे
सकते।’
वजय का आ य और बढ़ गया। और एक घबराहट सी उसे महसूस होने लगी। ऐसी
या प र थ तयां ह? इमरान कहां था?
उसने यही सवाल पूछा।
‘आपको बताया नह गया?’ उस आदमी क आवाज म आ य था। ‘इमरान पर आज
जानलेवा हमला आ है। काफ पास से उसके अपाटमट पर रॉकेट से बम फका गया।
अपाटमट तहस—नहस हो गया। इमरान क हालत इस व काफ नाजुक है। उसक सजरी
हो रही है। हम नह जानते क वो जदा बचेगा या नह ।’
वजय का दमाग तेजी से घूम रहा था। यानी इमरान पर हमले क खबर सही थी! उसके
दमाग ने तुरंत सभी सूचना को एक साथ गूंथ दया। अगर इमरान क वाकई म सजरी हो
रही है और वो लोग एक गलत अ पताल म ह, इसका मतलब है क राधा को फंसाया गया
है। और अगर राधा से मलने वाले जो लोग आईबी एजट बनकर गए थे, जानते थे क
इमरान पर बम से हमला आ है, तो ये राधा के लए अ छा शकुन नह है। वो इस बात का
दावा करने को तैयार था क नकली आईबी एजट उसी के लए काम कर रहे थे जसने
इमरान को मारने क को शश क है।
‘ वजय,’ उस आदमी क आवाज आई, ‘तुम फोन पर हो?’
वजय को एक पल के लए कोई जवाब नह सूझा। फर उसने पूछा, ‘आप कौन ह?’
उस आदमी क आवाज म थोड़ी स ती आ गई। ‘म अजुन वैद ं, आईबी डायरे टर,
हम लोग मल चुके ह।’
वजय श मदा सा हो गया। वो वैद को जानता था। इमरान का बॉस है वो। ले कन वो यह
कैसे जान सकता था क इमरान का बॉस फोन उठाएगा। ‘मुझे खेद है, म टर वैद,’ वो
हकलाते ए बोला, ‘म आपक आवाज नह पहचान पाया। ले कन म बलकुल उ मीद नह
कर रहा था…’
‘ठ क है,’ वैद क पहले क आवाज लौट आई। ‘तुम इस व कहां हो? और या राधा
तु हारे साथ है? हम इस बात से इनकार नह कर सकते क उनके टाइटन फामा यु टक स
जाने से इस घटना का संबंध ज र है।’
वजय डर से कांप गया। उसके और राधा के बीच इस मामले पर कई बार बात ई थ ।
जब इमरान ने टा क फोस म उ ह शा मल करने का ज आ था, वजय ने पहले मना कर
दया था। राधा ही थी जसने उसे टा क फोस म शा मल करने के लए मनाया था।
‘टा क फोस म जुड़ने के लए तुमसे बेहतर कौन हो सकता है,’ उसने तक दया था। वो
उसके राज के बारे म जानती थी और को लन भी। उसने अपनी जदगी के दो सबसे
मह वपूण लोग के साथ यह राज बांटा था। ‘यह तु हारे लए ना सफ दे श क , ब क पूरी
नया क मदद करने का मौका होगा। ऐसे मौके जीवन म एक बार ही मलते ह, अगर मल
भी तो।’
इस लए वो ना चाहते ए भी मान गया था। ले कन वो राधा के टा क फोस म शा मल
होने क इ छा के खलाफ था। इमरान चाहता था क राधा शा मल हो, ले कन वजय नह ।
उसने काफ को शश क थी राधा को मनाने क , ले कन वो हार गया था।
‘यह बेहद खतरनाक है,’ उसने डांटते ए कहा था।
‘अ छा, यह मेरे लए खतरनाक है ले कन तु हारे लए नह ,’ उसने पलटकर कहा था,
अपने चरप र चत अंदाज म आंख मटकाते ए। ‘ य क म एक म हला ं और तुम एक
पु ष?’
‘नह , ऐसा नह है,’ उसने वरोध करते ए कहा। अपने मन म उसने राधा के बयान म
छपे ताने पर सोचा। वही थी जसने उसे टा क फोस म शा मल होने के लए मनाया था। तो
वो कैसे उसके खलाफ बोल सकता था? अंत म उसने ह थयार डाल दए थे।
अब यही चीज उसे परेशान करने आ रही थी। और उसका सबसे बड़ा डर सच सा बत
होने जा रहा था। राधा ने पहली बार अपने जीवन म और इमरान के समझाने के बावजूद
एक फ ड मशन म ह सा लया था। और अब वैद भी नह जानता था क वो कहां है।
उसने वैद को सारी चीज क जानकारी द । वैद ने उसके इस अंदाज से सहम त जताई
क नकली आईबी एजट और इमरान पर बम से हमला करने वाले लोग मले ए ह।
‘ चता मत करो,’ वैद ने उसे भरोसा दलाया। ‘हम इसी व राधा के फोन क नगरानी
शु कर दगे। अगर फोन म जीपीएस होगा और वो चालू होगा तो हम तुरंत उसक थ त
का पता लगा लगे। और म तु ह इमरान क हालत का ताजा हाल भी बताता र ंगा। हम सभी
चाहते ह क वो इस मु कल घड़ी से नकल जाएं। तुम अभी वह को जहां हो। म वहां
एजट् स भेज रहा ं। तुमम से कसी के लए भी अभी खतरा टला नह है।’
‘शु या,’ वजय ने फोन काटा और बा कय को बातचीत क जानकारी द । बोलते—
बोलते उसके दमाग म एक वचार क धा। यह एक बयान था जो वैद ने दया था। एकाएक
वो समझ गया क गोरे आदमी को उन सबके कले म एक साथ होने का पता कैसे चला।
और इसी से यह भी समझ म आ गया क उस गोरे को शु ला के बारे म पता य नह चला।
36
सतंबर, 328 ईसा पूव समरकंद, वतमान उ बे क तान
सॉ डयन महल चराग और मशाल से जगमगा रहा था। हर तरफ हलचल और मौज—
म ती का माहौल था। वजेता ने महल म एक दावत का आयोजन कया था। एक
अ या शत हार के बाद, उसने बा ख म वापसी क थी और अपनी सेना को दोबारा संग ठत
कया था। इसके बाद उसने नद घा टय के पार, आज के ता ज क तान म, अपनी चार
इकाइयां भेजी थ और एक इकाई को आज के उ बे क तान के पार समरकंद म एक होने
के लए भेजा था। बागी कबील के सरदार और उनके प रवार वाले सॉ डयन पवत पर जमा
ए थे, जो सकंदर का अगला पड़ाव होने वाला था। इसक कई वजह थ । ले कन अभी
सकंदर ज मना रहा था। वो फारस का बादशाह बन चुका था। और कल, वो इस पवत को
जीत लेगा। मानो उसके रा ते म कोई बाधा नह थी।
महल के अंदर दावत अपने पूरे शबाब पर थी। शराब पानी क तरह बह रही थी और
मेज पर तरह—तरह के सॉ डयन पकवान सजे ए थे।
या सेनाप त या सै नक, चाहे मक नयन ह या गैर—मक नयन, सभी उस हॉल म
मल—जुलकर खाने—पीने का मजा ले रहे थे। कुछ समय के लए त पधा और राजनी त
भुला द गई थी, अतीत और भ व य के यु गुमनाम से हो गए थे, और हर तरफ
खुश मजाजी थी।
ले कन यह ब त यादा दे र तक नह रही।
हॉल के एक ह से म सकंदर, हेफे टयन और अपने खास आद मय के साथ अ ा
जमाए बैठा था। ऊंची आवाज और अ हास संकेत दे रही थ क हॉल के इस कोने म नशा
कस कदर छा चुका है।
इससे पहले क शराब का नशा सभी लोग को पूरी तरह अपनी गर त म लेता,
हेफे टयन आगे बढा।
‘दो त , शांत हो जाओ!’ पास के कुछ सेनाप तय और सै नक ने उसक बात पर यान
दया ले कन यादातर ने उस हंगामे के बीच उसक बात नजरअंदाज कर द । कसी ने
हेफे टयन पर भ ट पणी क और सकंदर जोर से हंस पड़ा, अपने साथ ए मजाक के
बावजूद हेफे टयन के चेहरे पर भी मु कुराहट आ गई।
उसने मौजूद लोग को दखाने का फैसला कया क यहां कसका दबदबा है। वो खाने
क चीज से भरी एक मेज पर कूदकर चढ़ गया, कांसे के दो बतन म रखी चीज फक द
और दोन बतन को कई बार जोर—जोर से टकराने लगा।
हॉल म हो रहा शोर—शराबा फुसफुसाहट म बदल गया और कांसे के बतन क आवाज
ने लोग का यान अपनी तरफ ख चा। कुछ हो तो रहा था और लोग जानना चाहते थे क
आ खर या हो रहा है। अगर सकंदर का चहेता एक मेज पर चढ़कर बतन को टकरा रहा है
और राजा खुद हंसकर लोटपोट हो रहा है, तो इस पर यान जाना वा जब था।
इस बात से संतु होकर क उसने काफ लोग का यान ख च लया है, हेफे टयन ने
सकंदर के करीब बैठे एक श स क तरफ इशारा कया।
‘दो त , हमारे थानीय क व ै नचस क रची क वता क तरफ यान द,’ हेफे टयन
ने हंसते ए कहा और मेज से नीचे कूद गया।
लोग क वाहवाही से े रत होकर ै नचस ने मेज पर हेफे टयन क जगह ले ली और
अपनी क वताएं सुनाने लगा।
यह उस रात को नया मोड़ दे ने वाली घटना थी। हॉल म मौजूद लोग का एक बड़ा
ह सा ै नचस क क वताएं सुनकर हंस रहा था, मजाक कर रहा था या आपस म ट का—
ट पणी कर रहा था। ले कन ऐसे भी लोग का ह सा था जनके चेहरे क वता के आगे
बढ़ते जाने के साथ ही स त होते जा रहे थे।
ये पुराने लोग थे, व र लोग ज ह ने सकंदर के पता फ लप के अधीन काम कया
था। ये लोग भी नौजवान राजा क तरफ से यु म शा मल ए थे और कई मौक पर काम
के भी सा बत ए थे। इनम गॉगामेला का यु भी था जसका पासा मक नयन सेना के प
म पलटने का काम इ ह ने कया था। वो जो सुन रहे थे, उ ह पसंद नह आ रहा था।
क वताएं समरकंद म सकंदर के सेनाप तय क पराजय पर आधा रत थ , जस
पराजय ने सकंदर को पछले साल स दय म बा ख लौटने पर ववश कर दया था।
क वता म उन सेनाप तय का मखौल बनाया जा रहा था ज ह बै या के कबीलाई
लोग ने शक त दे द थी।
ये व र लोग आपस म फुसफुसाकर बात करने लगे। उनम से एक, स टस, जसे हाल
ही म बै या और सॉ डया का छ प नयु कया गया था, खासतौर पर नाराज था।
‘बबर और मन के सामने मक नयाई लोग को अपमा नत कया जा रहा है,’ उसने
दांत भ चकर कहा, उसका गु सा बढ़ता जा रहा था। ‘हम चुपचाप खड़े रहकर ऐसा कैसे
दे ख सकते ह? या हमम से कोई भी आगे बढ़कर अपनी मदानगी नह दखा सकता? या
हम यहां खड़े रह और वो हमारा मजाक बनाते रह?’
‘जब जीत मलती है तो सकंदर को ेय जाता है। जब हार होती है सेनाप त ज मेदार
होते ह,’ एक और व र सेनाप त ने शकायत क । ‘ फ लप के समय म ऐसा कभी नह
होता था।’
स टस उसक तरफ घूमा। ‘ फर तुम बोल य नही रहे हो? इस बकवास को अभी
रोको! हम फ लप के राज म हमेशा बोलने क आजाद रही है और सकंदर के समय भी।
न त तौर पर उ ह हमारी बात समझ म आएगी।’
‘वो नशे म ह,’ एक सरे श स ने चेताया। ‘उनके दमाग म ब त यादा शराब घुस
चुक है। अ छा होगा क इस व कोई दखलंदाजी नह क जाए। याद है ना पसपो लस म
या आ था।’ वो फारस सा ा य क राजधानी पसपो लस म सकंदर क वजय के बाद
ई दावत का ज कर रहा था। उस ज के दौरान नशे म चूर सकंदर ने पसपो लस को
आग के हवाले करने का फैसला कया था। और ऐसा करके उसने उस समय नया के भ
शहर म से एक को तहस—नहस कर दया था।
‘और उस घटना को भी नह भूलो जब फ लप शराब के नशे म था और सकंदर को
जान से मारने क को शश क थी,’ एक और व र सेनाप त बोल पड़ा। वो फ लप क
लयोपे ा, ऊंचे घराने क एक मक नयन लड़क , से शाद के मौके का ज कर रहा था।
लयोपे ा के चाचा एटे लस ने ट पणी क थी क फ लप एक वैध उ रा धकारी उ प
करेगा और उसके कहने का मतलब यह था क सकंदर अवैध है। और, वैसे तो ओ ल पयास
ने खुद ही दावा कया था क सकंदर का पता फ लप नह , ब क जयस है, इस ट पणी
से सकंदर गु से म लाल—पीला हो उठा था। उसने एटे लस पर अपना याला फक मारा था
जस पर फ लप ने खड़े होकर सकंदर को मारने के लए तलवार नकाल ली थी। नशे क
उस हालत म उसने सकंदर पर हमला कया ले कन संतुलन खो बैठा और मुंह के बल गर
पड़ा था।
ले कन इसने दखाया था क ब त यादा पीने के बाद घटनाएं कस हद तक बगड़
सकती ह। और आज क रात भी ब त अलग नह है। व र लोग कसी घटना को उकसाना
नह चाहते थे। ले कन स टस ने तय कर लया था। ‘इसे रोकना होगा,’ उसने जद पकड़
ली थी। ‘अब, अगर तुमम से कोई मद नह है तो म इसे क ं गा। मने ै नकस म सकंदर क
जदगी बचाई थी। और भूलो नह क फलोटस के वध के बाद उसने आधी सेना मुझे और
बाक आधी हेफे टयन को द है। वो मेरी बात को अनसुना नह करेगा।’
वो भीड़ को ध का दे ता आ रा ता बनाकर उस मेज पर प ंच गया जहां ै नचस ने
क जा जमा रखा था।
‘ब त आ!’ उसने ै नचस को आदे श दे ते ए कहा। ‘अब और नह !’
ै नचस क वता पाठ के बीच म क गया और उसने हेफे टयन और सकंदर क तरफ
दे खा।
नौजवाना राजा शराब के नशे म झूमता आ उठा।
‘ य के वो?’ सकंदर ने स टस से पूछा। ‘वो सच कह रहा है।’
हॉल म स ाटा छा गया। अब यह स टस और ै नचस के बीच का मामला नह रह
गया था। सकंदर ने खुद को इसम डाल लया था। ै नचस चुपचाप मेज से उतरा और
अपनी जगह पर लौट गया, वह सकंदर स टस से उलझा आ था।
‘महाराज, आपके पता के समय से परंपरा रही है क जीत का ेय और हार क
ज मेदारी…’ स टस ने बोलना शु ही कया था क सकंदर ने उसे बीच म ही टोक दया।
‘मेरे पता!’ उसके मुंह से नकला। ‘तुम मेरे पता के बारे म ऐसे बोल रहे हो क जैसे वो
बड़े याय य थे। या उ ह ने मुझे उनक जीत म कभी ेय दया? तुम मेरे पता क परंपरा
के बारे म बोल रहे हो? म सफ एक परंपरा जानता ं क वो मेरे बारे म या सोचते थे, जस
व े ष से वो मुझे दे खते थे। उनका या? या ये एक स चे आदमी क नशानी ह?’ सकंदर
ने स टस क तरफ गु से से दे खा और अपने याले से शराब का एक और बड़ा घूंट लया।
‘महाराज,’ स टस ने जवाब दया, ‘आप अपने पता क याद के साथ याय नह कर
रहे। उ ह ने फारस पर हमले क शु आत क थी और साल पहले उ ह ने वो कर लया होता
जो आपने आज कया है, अगर एक ह यारे के छु रे ने उनक जदगी ख म नह क होती।’
वो का, अपमान और ोध अब उबल रहे थे, तक क जगह भावना ने ले ली थी। ‘आप
भूल रहे ह महाराज, आप आज जो भी ह अपने पता क वजह से ह। जो आज आपने
हा सल कया है इन सबक बु नयाद उ ह ने ही रखी थी। उनक उपल धयां आपक आज
तक क उपल धय से कह यादा ह। और आज आप खुद को इतना महान मानने लगे ह
क आप अपने आप को एमन क संतान मानते ह और अपने ही पता को मानने से इनकार
करते ह!’
उसके अं तम श द ने वहां स ाटा पैदा कर दया। ऐसा लग रहा था जैसे उस पल सभी
लोग ने सांस भी लेनी बंद कर द है।
‘ !’ सकंदर क त या आई, शराब ने उसक सोचने—समझने क ताकत पर
पदा डाल दया था। ‘तु ह लगता है क तु ह मेरी नदा करने और मक नयाई लोग म
असंतोष फैलाने क इजाजत मलेगी, और वो भी बना कसी सजा के?’
ले कन स टस पर इसका कोई असर नह पड़ा। ‘अगर आप सच नह सुन सकते तो
आपने आजाद याल लोग को बुलाया य ? यही अ छा होगा क आप बबर और गुलाम
के साथ रह। वो आपक खुशामद करगे और आपके फारसी कमरबंद और धारीदार कुत को
चूमगे।’
सकंदर गु से से फट पड़ा। उसने अपना कप स टस क तरफ फका, जससे शराब
उस पर और स टस दोन पर फैल गई। लोग इधर—उधर छतरा गए जब सकंदर दावत
क मेज क तरफ दौड़ा और वहां लगे फल स टस पर फकने लगा। उसने चार तरफ दे खा
ले कन आसपास कोई ह थयार नह था।
‘ ह रय को बुलाओ!’ सकंदर च लाया, उसक आवाज लड़खड़ा रही थी। ‘ ह रय
को बुलाओ! कहां ह मेरे हरी?’
स टस के कुछ दो त ने उसे पकड़ा और उसे ख चते ए महल से बाहर ले गए,
सकंदर के गु से से र और खाई के पार, जहां वो सुर त रहे। एक बार जब सकंदर का
गु सा शांत हो जाएगा, स टस वापस लौट सकता है और दावत म शा मल हो सकता है,
अगर तब तक यह ख म ना हो जाए।
सकंदर के अंगर क तब तक घटना थल पर प ंच गए थे और उसके चार ओर
सुर ा मक घेरा बना लया था।
स टस को बचाने वाले दो त भी लौट आए और उ सव फर से शु करने का इशारा
कया। झगड़ा अब ख म हो चुका था और रात क दावत के बाद क खुमारी म कल सुबह
तक सब कुछ भुला दया जाएगा।
ले कन यह रात इस तरह ख म होने के लए नह आई थी।
दरवाजे पर कुछ हो—ह ला मचा और स टस अंदर आया। उसके वभाव म नह था
क वो लड़ाई से भाग जाए। उसने यु का मैदान कभी नह छोड़ा और वो यहां भी वो हार
नह मानेगा।
‘ओह म! ीस म एक बुरे रवाज का राज है!’ उसक आवाज हॉल म गूंजी और वो
राजा क तरफ बढ़ने लगा, वो यूरी पडस क एं ोमैस का एक वा य पढ़ता आ रहा था और
उसक आवाज म गु ताखी साफ झलक रही थी।
सकंदर, जो अपने दो त के पास बैठने के लए जा रहा था, घूमा। स टस को दे खते ही
उसक ोधा न भड़क उठ । उसक त या आने म पलक झपकने भर क दे र थी। उसने
अपने र क म से एक का भाला लया और स टस क तरफ दौड़ा, भाला सीधे स टस के
आर—पार हो गया।
‘तुम बेसस से अलग नह हो!’ वो च लाया और स टस जमीन पर गर गया, जहां से
भाले ने उसके शरीर म वेश कया था, वहां से खून का फ वारा फूट पड़ा। दावत क के
फश पर खून ही खून फैल गया था और मौजूद लोग ऐसे पीछे हटने लगे थे जैसे खून शा पत
हो। उ ह ने सकंदर का ऐसा प पहले कभी नह दे खा था। ऐसा लग रहा था जैसे उसके
शरीर म कसी और क आ मा घुस गई हो।
जब स टस के खून के साथ उसक आ मा भी शरीर से बाहर चली गई, सकंदर उसके
घुटन पर गर गया। शराब के नशे के बीच ही एकाएक उसे अहसास आ क उसने या कर
दया है। वो आंसु म डू बा आ स टस के नज व शरीर पर लोट गया। स टस के खून से
उसक च पल और चोगा भीग गए ले कन उसने इसक परवाह नह क ।
जदगी म पहली बार सकंदर ने कसी को इस वजह से मारा था क उसने उसे चुनौती
द थी और उससे अलग राय रखता था। और ऐसा करके, उसने मक नया क दो परंपरा
को तोड़ा था। पहली परंपरा थी क कसी को सेना क उप थ त म बना कसी मुकदमे के
सजा दे ना। सरी परंपरा था जयस का मेहमाननवाजी का नयम, जो सकंदर ने अपनी मेज
पर एक मेहमान क जान लेकर तोड़ा था। एक ऐसा मेहमान जसने उसक जान बचाई थी
और शाही प रवार क सेवा वफादारी के साथ क थी।
वो रात ऐ तहा सक थी। इस दन पहली बार सकंदर ने अपनी मह वाकां ा को अपने
ऊपर हावी होने दया था।
ले कन यह आखरी बार नह था।
37
वतमान
तीसरा दन
पलायन
राधा ने सूझ—बूझ से काम लया। जैसे ही वो तीन चेहरे उसक तरफ घूम,े उसने दरवाजे के
ताले क घुंडी ख ची और अपने मोबाइल फोन क लगातार बजती घंट क परवाह कए
बगैर दरवाजे को धड़ से खोल दया। दरवाजा पास क कार के फडर से टकराया, उस कार
का ाइवर तुरंत का और बाहर नकलकर दे खने लगा क या नुकसान आ है।
राधा उस ाइवर क चीख और पीछे के कार के हॉन को नजरअंदाज करते ए ै फक
के बीच से अपना रा ता बनाते ए मे ो टे शन क तरफ भागी, जो कुछ ही मीटर र था।
इधर वो ाइवर जब पैर पटकता आ ट कर दे ने वाली कार के ाइवर क तरफ प ंचा
तो उसका सामना लॉक प टल क नली से आ। वो तुरंत वापस हो लया और उसके गु से
क आग पर जैसे डर और आ मर ा का ठं डा पानी गर गया।
कार म बैठे तीन आद मय ने राधा का पीछा कया और तब तक वो फुटपाथ पार कर
मे ो टे शन क वचा लत सी ढ़य क तरफ जा रही थी। सड़क पर ाइवर ने पहले तो
गु से से उन आद मय पर हॉन बजाया और जब उनके हाथ म बं क दे ख तो उतनी ही तेजी
से शांत भी हो गए।
‘ े न आ रही है!’ उनम से एक च लाया, जैसे ही आती ई े न क पीली रोशनी से
टे शन का एक ह सा नहा गया। उ ह ने अपनी र तार बढ़ाई और बं क दे खकर क ई
कार के बीच से नकलते ए राधा के पीछे —पीछे वचा लत सी ढ़य तक प ंचे।
राधा ने पीछे मुड़कर दे खा और पाया क ै फक उन आद मय को नह रोक पाया था।
उनक बं क साफ दख रही थ हालां क वो उस पर नशाना नह लगा रहे थे। वो नह
जानती थी य ।
ले कन यह समय अंदाजा लगाने का नह था। े न लेटफॉम पर प ंची और ककश
आवाज के साथ क गई, इतने म राधा वचा लत सी ढ़य से उतर चुक थी। ना तो उसके
पास एक ज मेदार नाग रक बनने का समय था और ना टकट के लए लंबी कतार म लगने
का। राधा ने लेटफॉम तक प ंचने के लए बने घूमने वाले दरवाजे के ऊपर से छलांग लगाई
और अपने पीछे च लाते लोग को नजरअंदाज कर दया। वो लेटफॉम के अं तम छोर तक
दौड़कर प ंची और अं तम कोच म चढ़ गई, इस उ मीद म क े न उन आद मय के
लेटफॉम तक प ंचने के पहले ही चल दे गी।
े न का दरवाजा बंद आ और उसने डरते—डरते खड़क से बाहर दे खा। उसका पीछा
करने वाले तीन आदमी अभी भी लेटफॉम पर थे। उनम से एक से उसक नजर मल
जसने उसे धमक भरी नजर से दे खा, ले कन तब तक े न र तार पकड़ चुक थी और
टे शन से बाहर जा चुक थी।
तभी अचानक कुछ हंगामा आ और उसक तरफ घूरकर दे ख रहे आदमी ने अपने
सा थय क चीख सुनकर आसपास दे खा और भागने लगा। तेज र तार े न से भी राधा को
समझ आ गया क उसके अपहरणकता य भाग रहे थे। सादे कपड़ म पांच आदमी
वचा लत सी ढ़य से भागते ए और घूमने वाले दरवाजे से छलांग लगाकर नकली आईबी
एजट् स का पीछा करते ए वहां प ंचे थे। इन लोग के हाथ म भी बं क थ । वो नह जानती
थी क ये लोग कौन ह, ले कन चूं क वो उसके अपहरणकता का पीछा कर रहे थे, वो
ज र अ छे आदमी रहे ह गे।
वो एक खाली सीट म धंस गई और अपनी भ ह पोछ । अब जाकर उसे फोन कॉल क
याद आई जसका वो जवाब नह दे सक थी और कार से भागने क को शश म लगी थी।
उसने फोन बाहर नकाला और नंबर दे खकर अपना सर हलाया। यह वजय का फोन था।
ऐन व पर ही उसने फोन कया था, राधा ने मन म सोचा और नंबर लगाया।
वजय ने तुरंत फोन उठाया। ‘राधा, तुम ठ क तो हो?’ उसक आवाज म झलक रही
चता और उसक हफाजत को लेकर डर ने राधा का दल छू लया और उसे काफ राहत
महसूस ई।
‘म ठ क ं,’ उसने वजय को पूरी आपबीती बताई, साथ ही यह भी क उसके
अपहरणकता कैसे उन पांच लोग से डरकर भागे थे जो अं तम मनट म ही वहां प ंचे थे।
वजय ने फ क मु कान द । ‘वो वैद के भेजे गए आईबी के लोग ह गे। उसने तु हारे
जीपीएस पर नगरानी रखी थी और एक ट म तु हारी मदद के लए भेजी थी। लगता है
उसक योजना काम कर गई।’
राधा मु कुराई ले कन उसक मु कान तुरंत ही गायब हो गई जैसे ही उसे कुछ याद
आया। ‘इमरान के अ पताल म होने क खबर झूठ थी?’
‘नह , झूठ नह थी।’ अब वजय क बारी थी उसे खबर दे ने क । ‘तुम दस मनट म
एयरपोट प ंचो। म वहां प ंच रहा ं। तुम वहां एक शांत जगह दे खकर इंतजार करो जब
तक हम ना प ंच।’
राधा वजय के इस अमे रक अंदाज पर मु कुरा द । इससे उसे लुइस ला’मूर के वो
उप यास याद आ गए जो वो पढ़ा करती थी। जन चीज से उसे गुजरना पड़ा था, उसके बाद
मु कुराना और यह जानना क वजय ज द ही एयरपोट पर उसे लेने प ंचेगा, उसके लए
सुखद था।
उसने फोन को अपनी ज स क जेब म वापस रखा और अपनी आंख मूंद ल । उसे नह
पता था क उस पर शाम क घटना का तनाव हावी था या जौनगढ़ से गुड़गांव और फर
द ली के सफर क थकान।
उसे बस इतना पता चला क े न क गई थी और उसे हलाकर जगाया जा रहा था। वो
जगी, खुद म खोई सी और धुंधली नजर से अपने सामने खड़े आद मय को दे खा।
धीरे—धीरे उसे साफ दखने लगा और उसे समझ आया क उसके सामने एक लंबा गोरा
आदमी खड़ा है जसके साथ छह लोग और ह। उन सभी के हाथ म ह थयार थे। गोरे
आदमी ने उसके चेहरे पर बं क सटा रखी थी। कोच खाली हो चुका था। सभी या ी या तो
चले गए थे या भाग गए थे।
गोरा आदमी उसके चेहरे के भाव दे खकर मु कुराया। ‘हम एयरपोट पर ह मोहतरमा,’
उसके चेहरे पर बनावट मु कान थी। ‘इं दरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोट पर आपका वागत
है।’ उसने एयरपोट पर होने वाली उ ोषणा क नकल क , उसका लहजा काफ हद तक
एयरपोट पर होने वाली अं ेजी उ ोषणा से मल रहा था। ‘अपनी सीटबे ट बांध लो बेबी।
तु ह अभी काफ लंबी री तय करनी है।’
वजय हैरान होकर टे शन पर चार तरफ दे ख रहा था। वो दस मनट पहले वहां प ंचा था
और स ल द ली के लए जाने वाली े न टे शन से नकल चुक थी। लेटफॉम पर राधा का
नामो नशान तक नह था। उसके आसपास सफ वो या ी थे जो अभी—अभी अपनी
लाइट से वहां आए थे और अगली े न का इंतजार कर रहे थे।
कहां गई वो?
उसने पूरे टे शन का एक बार फर च कर लगाया, हो सकता है वो राधा को दे ख ना
पाया हो। वैसे ऐसा होने क गुंजाइश तो ब त कम थी, फर भी वो कोई मौका चूकना नह
चाहता था।
उसने बाक लोग को वैद के वादे के मुता बक एजट् स का इंतजार करने को कह दया
था और एयरपोट के लए नकल आया था। ै फक काफ यादा था ले कन वो जानता था
क राधा बाहर नह नकली होगी, खासतौर पर तब जब वो जानती थी क वो उसे लेने आ
रहा है। उसका दमाग काम नह कर पा रहा था। उसे फोन करके भी कोई फायदा नह हो
रहा था। फोन बंद था। इस चीज से भी वो परेशान था। वो अपना फोन वच ऑफ य
करेगी?
कसी भी चीज का कोई मतलब उसे समझ नह आ रहा था। जब तक उसका अपहरण
ना कर लया गया हो, जब उन लोग क बातचीत ई थी। शायद उसने अपने
अपहरणकता के दबाव म झूठ बोला हो। यह सोच खद थी ले कन इमरान के साथ जो
आ था, उसके बाद कसी भी संभावना से इनकार नह कया जा सकता था।
वजय ने को लन को फोन कया और उसे सारी जानकारी द । को लन, ए लस और
शु ला, जनके साथ तीन आईबी एजट भी थे, एयरपोट के रा ते म थे। वजय के वहां से
नकलने के तुरंत बाद ही एजट वहां प ंच गए थे और उनके साथ होने के पहले वैद से उनक
पहचान क पु कर ली गई थी।
योजना थी क आईबी एजट उनके साथ जौनगढ़ तक चलगे। इस बारे म लंबी—चौड़ी
बहस ई थी क वो कहां जा सकते ह। कोई भी जगह इस व सुर त नह लग रही थी।
वजय के इस तक म सबको दम लगा क मन भले ही यह जानते थे क ए लस जौनगढ़ म
है, उ ह ने तब तक उस पर हाथ नह डाला जब तक वो, सर के साथ, कले से बाहर नह
नकली।
‘मुझे लगता है क इस व सबसे सुर त जगह कला ही है,’ वजय ने यह कहकर
अपनी बात ख म क थी और बाक सब उससे सहमत हो गए थे।
राधा को ढूं ढ़ पाने का और कोई तरीका नह सूझा तो वजय ने इमरान का नंबर एक बार
फर डायल कर दया। वैद, जो उसे अपना मोबाइल नंबर नह दे सकता था, ने उसे फलहाल
इसी नंबर का इ तेमाल करने क सलाह द थी।
‘सब ठ क तो है ना?’ वैद ने फोन उठाते ही पूछा।
‘सच पूछो तो नह ।’ वजय ने उसे पूरी थ त क जानकारी द । ‘मेरी एक गुजा रश है,
या हम एक बार फर से राधा के मोबाइल फोन क थ त जान सकते ह?’
‘म अभी कसी को इस चीज के लए लगाता ,ं ’ वैद ने जवाब दया। ‘ले कन हम जगह
का पता तभी लगा पाएंगे जब फोन चालू हो। अगर फोन बंद होगा, जैसा तुमने बताया, तो
हम यादा कुछ नह कर सकगे।’
वजय का दल बैठ गया। अगर राधा का अपहरण आ होगा, जैसा उसे डर था, तो इस
बात क संभावना बेहद कम है क उसके अपहरणकता उसका फोन वच ऑन करगे। और
अगर वो ऐसा करगे भी तो यह सु न त करगे क उसका जीपीएस न य कर दया जाए
ता क उसक जगह का पता ना लग सके।
उसने अंदाजा लगा दया था क सं हालय म उन पर हमला करने वाले लोग ने
आधु नक तकनीक का इ तेमाल करके उ ह पहचान लया था, साथ ही उनके माटफोन के
जीपीएस क मदद से उन पर नजर भी रख रहे थे। शु ला के अलावा बाक सभी लोग क
ग त व धय और पहचान के बारे म उन आद मय को पता होना इसी बात क ओर इशारा
कर रहा था। सफ शु ला के ही पास मोबाइल फोन नह था और वो लोग उसके बारे म नह
जानते थे। इस चीज को महसूस करके उन सभी लोग ने अपने फोन के जीपीएस बंद कर
दए थे।
वजय डरा आ था। जो भी लोग थे, वो शौ कया नह थे। और अगर उनके पास वही
तकनीक है, जैसी आईबी के पास है, तो इसका मतलब है क वो लोग ताकतवर भी ह।
उसका सबसे बुरा सपना सच होने वाला था। वो हमेशा के लए राधा को खो सकता था।
38
कैद …
राधा ने अपनी आंख खोल और उसके म ं से कराह नकली। पहली चीज उसे दखी उसके
आसपास का रंग।
सफदे , साफ, उ वल। सफदे छत, सफदे द वार, शायद सफेद फश भी। जैसे ही उसे
यह याल आया, उसने महसूस कया क उसे एक ब तर से बांधा गया है, उसक कलाई
और टखने बंधे ए थे; वो बलकुल हल—डु ल नह सकती थी। उसके बाएं बाजू म एक सुई
चुभोई ई थी जो एक प से जुड़ी थी।
उसने अपने बधंन से नकलने क को शश क ले कन समझ गई क इसका कोई
फायदा नह है और फर खुद को हालात पर छोड़ दया।
उसके सर और पूरे शरीर म एक भारीपन था। कहां है वो? और वो यहां कैसे प ंची?
उसे एक धुंधली सी याद थी क एक आदमी ने ने म उसक तरफ बंदकू तान रखी थी। उसे
े न से बाहर नकाला गया था, लेटफॉम पर। और फर उसके आगे उसे कुछ याद नह आ
रहा था।
उसके नथुन म अभी भी उस के मकल क तीखी गंध भरी ई थी, जो उसे जबरन
सुंघाया गया था। उसक गदन के नचले ह से पर मजबूत पकड़ ने, जसने उसके चेहरे को
एक गीले कपड़े से ढक दया था, खर चे का नशान और ह का सा दद छोड़ रखा था।
उसे अब महसूस आ क वो एक हॉ पटल गाउन म है। उसके ज स और टॉप कहां गए
जो उसने े न म पहन रखे थे? उसके कपड़े कसने बदले? एक अनजान श स के हाथ
शील भंग होने क अपमानजनक भावना उस पर हावी हो गई और इसने उसके अंदर
एकाएक गु से क आग भड़का द ।
उसे एक झटका लगा, गु से से वो कांपने लगी, सभी तक एक तरफ हो गए और वो जोर
से चीखने लगी। साथ ही वो इस ताकत और जुनून के साथ अपने बंधन से छू टने क
को शश कर रही थी जो उसे भी नह मालूम थे क उसके अंदर ह।
कूपर बैठकर हालात का जायजा ले रहा था। चीज अब तक योजना के मुता बक चली थ ,
सवाय सं हालय म मली नाकामी के। राइली ने थोड़ी दे र पहले ही उसे सारी जानकारी द
थी। वो अपने शकार को खोकर नाराज दख रहा था। ‘तुम इस बारे म चता नह करो,’
कूपर ने उसे कहा था।
‘ऐसा हो जाता है। हमारे पास वो लड़क है। अब वो हमारे पास आएंग।े और हम एक
फायदा और भी है। हमारे पास मेटल लेट है। इसके बना यूब का कोई इ तेमाल नह है।’
कूपर ने फोन उठाया। अब आगे बढ़ने का समय था। एक फोन करने का समय।
उसने वजय का नंबर लगाया। यह तुरंत उठा।
‘ वजय सह?’ कूपर ने पूछा। वो सु न त करना चाहता था क वो सही आदमी से बात
कर रहा है।
‘हां, आप कौन?’
‘मेरा नाम पीटर कूपर है। तुमने मेरे बारे म अपनी दो त ए लस से सुना होगा।’
सरी तरफ खामोशी थी। कूपर सफ क पना कर सकता था क वजय को रात म इस
व उसका फोन आने से कैसा झटका लगा था। वो यह भी क पना कर सकता था क
वजय क उ मीद राधा क खबर के लए बढ़ गई ह गी। और वो यही चाहता था। उसक
योजना क कामयाबी इसी चीज पर नभर थी क वजय उसक मांग के आगे कतनी
ज द झुकता है।
कूपर ने इंतजार कया, खामोशी को और बढ़ने दया।
‘राधा कहां है?’ आ खरकार वजय बोला, अब वो क नह पा रहा था। ‘अगर तुमने
उसे नुकसान प ंचाया तो…’ उसे समझ नह आया क इस वा य को वो कैसे पूरा करे। वो
एक अनदे ख,े अनजान मन का या बगाड़ सकता था जब उसे यह तक नह पता क वो
कहां छपे ए ह?
‘बेवकूफ क तरह धमक मत दो,’ कूपर ने उसे सलाह द । ‘तु हारी मंगेतर हमारे पास
है। वो अभी सुर त है। और उसक खै रयत इस बात पर नभर करती है क तुम हमारा
कतना साथ दे ते हो।’
फर से खामोशी छा गई। इस बार कूपर ने इंतजार नह कया ब क बोलता गया।
‘मेरा एक ताव है,’ उसने कहा। ‘अदला—बदली का। तु हारे पास वो है जो हम चाहते
ह। और हमारे पास वो है जो तुम चाहते हो। तो हम उसे आपस म बदल य ना ल? सब
खुश हो जाएंगे और अंत भला तो सब भला।’
‘तुम यूब चाहते हो?’
‘हां, और ए लस टनर भी। मुझे दोन दे दो और अपनी मंगेतर को वापस ले लो।’
फर से खामोशी। कूपर अंदाजा लगा सकता था क वजय अपनी भावना से संघष
कर रहा है। यह एक मु कल चुनाव था। अपनी मंगेतर के लए पुरानी े मका। दोन क
क मत वजय के हाथ म थी।
‘म गलत दबाव डालने वाला आदमी नह ं,’ कूपर ने अपनी बात जारी रखी। ‘म तु ह
कल दोपहर बारह बजे तक का व दे ता ,ं इस बारे म सोच लो और मुझे बता दो। तब तक
म तु ह भरोसा दलाता ं क तु हारी मंगेतर का कोई बाल भी बांका नह होगा। ले कन तब
तक म तुमसे कसी फैसले पर प ंचने क उ मीद कर रहा ।ं ’
उसने फोन काट दया और अंगड़ाई ली। अब सोने का समय था। आज का दन काफ
लंबा था। अब उ द तक दे ने लगी थी। एक समय था जब वो बाहर जाकर काम करना
पसंद करता था। कसी शकार का पीछा करना, कभी उसे खो दे ना, फर उसे दोबारा नशाने
पर लेना, इन चीज का रोमांच बड़ा आकषक होता था। अब शारी रक मेहनत उसे थका दे ती
है। ले कन उसे एक काम पूरा करना है। और अगर वो चैत य नह रहेगा तो वो कुछ नह है।
कल वो वजय को दोबारा फोन करेगा। और दोन म हला क क मत का फैसला हो
जाएगा।
41
चौथा दन
आशा क करण
‘दे खो,’ वजय ने कागज का एक पु लदा मेज से उठाकर कॉफ टे बल पर रखा जहां सब
बैठे थे। ‘इस सफर के दौरान सकंदर ने जो माग लया था, उसके इद— गद दो रह य ह।’
उसने एक न शा नकाला जसम आज के अफगा न तान, पा क तान और भारत म
सकंदर के लए गए माग को मोट लाल लक र म दखाया गया था। ‘पहला यहां है,’ उसने
एक इलाके क तरफ इशारा कया जो पा क तान के द ण म समु के करीब था। ‘ सधु
क भू म से बेबीलोन वापसी के लए सकंदर ने अपनी सेना को बांट दया था। एक ह से
को उसने समु के रा ते फारस क खाड़ी के पार भेजा। और सरे ह से को वो खुद समु
तट से तुबत क तरफ ले गया।’ उसने न शे पर शहर को दखाया। ‘ फर वो पसनी के रा ते
से द ण म समु क तरफ गया, जसके लए उसने मकरन रे ग तान म सौ मील का बेहद
मु कल भरा रा ता चुना, य , पता नह । उसे मकरन पार करने म 60 दन लगे और अपनी
सेना के एक बड़े ह से को उसे खोना पड़ा।’
‘अजीब है यह तो,’ शु ला ने ट पणी क । ‘वो समु के रा ते वापस य नह गया?
सेना को बांटने क या ज रत थी?’
‘यही नह ,’ ए लस ने इस कहानी को आगे बढ़ाया य क वो इससे अ छ तरह वा कफ
थी। ‘तुबत से पसपो लस तक जाने का रा ता सीधा है।’ उसने न शे पर वो माग दखाया।
‘ सकंदर मकरन से पसनी गया और फर वहां से पसपो लस। मान ल क सेना को बांटने के
पीछे कोई ता कक वजह थी, ले कन अगर वो जमीन के रा ते भी पसपो लस जाना चाहता
था, उसे रे ग तान का माग लेने क कोई ज रत नह थी। आधु नक लेखक का तक है क
सकंदर रे ग तान को जीतना चाहता था, खासतौर पर इस लए भी क इसे रानी से मरा मस
और सायरस महान ने पार कर लया था।’
‘हो सकता है वो सफ अपने लोग के सामने सा बत करना चाहता हो क वो एक
भगवान है?’ को लन ने अपना अनुमान लगाया।
‘यह मायने नह रखता क य ,’ वजय ने जवाब दया। ‘मने यह बात सामने रखी
य क म दखाना चाहता था क गु त अ भयान के सबूत जुटाने के लए मेरे पास दो
वक प थे। पहला था मकरन रे ग तान। अगर सकंदर कसी गु त अ भयान पर था तो वो
मकरन रे ग तान म उस रह य क जगह ढूं ढ़ रहा होगा। और इसी बात से उसका यह माग
लेना समझ म आता है।’
‘ले कन इससे तो बात साफ नह होती,’ को लन ने कहा। ‘ य क तब तक तो उसने
ास नद के पास वेद के नीचे मेटल लेट दफना द थी। इसका मतलब है क वो पहले ही
अपने अ भयान के मकसद को हा सल कर चुका था। तो ये सरा रह य या है? मुझे लग
रहा है क तु ह यहां कुछ मला है।’
वजय उसक ओर दे खकर मु कुराया। ‘मकरन अ भयान इकलौता उदाहरण नह था,
जब सकंदर ने बना कसी प कारण के अपनी सेना का वभाजन कया था। दरअसल
यह तो सरी बार था। पहली बार वो वभाजन यहां आ था।’ उसने न शे पर उन लोग को
एक शहर दखाया। ‘ये है जलालाबाद। यहां से उसने सेना क एक टु कड़ी को हेफे टयन के
साथ खैबर दर के पार भेजा, जो अब पा क तान म है। सेना के सरे ह से क अगुवाई खुद
उसने क , वो इस नद घाट के ऊपर और नावा दर, जो खैबर दर से र उ री दशा म है, के
रा ते से पा क तान प ंचा।’ उसने एक और न शा नकाला; यह अफगा न तान का न शा
था। उसने उन लोग को न शे पर दोन दर दखाए। ‘और, कोई भी भरोसे के साथ यह नह
बता पाया है क सकंदर पहले उ री दशा म और फर पूव क तरफ य गया। कुछ
लेखक और कुछ वेबसाइट ने इसक ा या सै य से क है। वो कहते ह क सकंदर
को अपनी सेना को पहाड़ी कबील से बचाना था। ले कन पहाड़ी कबील को जीतने के लए
उसने जो लड़ाइयां लड़ वो कुनार घाट म नह ई थ । वो सब यहां लड़ी गई थ ——
पा क तानी इलाके म जो आज के अफगा न तान के साथ सीमा पर है। वो बड़ी आसानी से
खैबर दरा पार कर सकता था और फर सेना का वभाजन कर सकता था, एक ह से को
पूव म भेजता और सरे को उ र म ता क पहाड़ी कबील पर क जा कया जा सके।
कबील के साथ अं तम यु परसर म लड़ा गया था जसे यूना नय ने एयोरनोस कहा। यह
पा क तान म है, कुनार घाट म नह । म सकंदर के इस अ भयान क सै य ा या से
सहमत नह ं।’
‘कुनार नद घाट ,’ को लन ने न शे से नाम पढा़। ‘तु हारा मानना है क यही वो जगह है
जहां रह य छपा है?’
‘मुझे यह समझ नह आ रहा।’ ए लस अभी भी उलझन म थी। ‘इससे यह तो लगता है
क सकंदर के पास कुनार घाट जाने क वजह थी और उसका अ भयान वो वजह हो
सकती है। ले कन फर भी है तो यह अंदाजा ही। तो तु हारी ा या——हमारे स ांत
——को सर से यादा भरोसेमंद य माना जाए?’
‘इस वजह से।’ वजय ने यूमेनीज क अनू दत डायरी दखाई। ‘और यूब के छं द क
वजह से।’ वो शु ला क तरफ मुड़ा। ‘हमारे लए एक बार फर आप यबू पर लखे छं द
का अनुवाद करग या?’
शु ला ने हामी भरी। वो नह जानते थे क वजय के दमाग म या है ले कन वो एक
चीज जानते थे क वजय के हसाब से यह मह वपणू है। ऐसे समय म जब उसक मंगेतर
खतरे म है, वजय सफ एक रह य को सुलझाने म समय नह गंवाएगा जब तक क यह
कसी ना कसी तरह उसक मदद ना करे।
उ ह ने यबू उठाया और छं द को पढऩे लगे। वजय अपना सर हलाता जा रहा था
जैसे—जैसे शु ला छं द पढ़ते जा रहे थे। यह सल सला तब तक चला जब तक शु ला ने
तीन छदं पढ़े । चौथे छं द पर वजय ने सकारा मक तरीके से सर हलाया।
‘यही है वो छं द।’ वजय ने उनक तरफ दे खा। ‘ या आप लागे इसे दे ख रहे ह?’
44
पहला सुराग
बाक लोग वजय क तरफ भाव शू य होकर दे ख रहे थे। वो अभी भी नह समझे थे। शु ला
ने जो छं द पढ़ा था वो थाः
‘अब तुम उसके ार म वेश करो
जहां घा टयां पूव और प म को अलग करती ह
बु मानी से यहां चुनाव करो, याद रखो
जहां तुम जा रहे हो और जहां सूय रहता है।’
‘ठ क है,’ वजय ने अपने हाथ जोड़ते ए कहा। ‘मानता ं क यह आसानी से समझ
नह आएगा और यह ऐसा ही बनाया गया है। यह एक गु त अ भयान था। गूढ़ छं द से
सुर त। जब तक आपको यह नह पता क आप या तलाश कर रहे ह, आप कसी भी
छं द को समझने म कामयाब नह ह गे। ये पहे लयां इसी तरह काम करती ह ना?’
‘तो हम लोग उस चीज क तलाश कर रहे ह जसके बारे म सकंदर जानता था,’
को लन ने अंदाजा लगाने क को शश क । ‘अगर इन छह छं द वाला चमप सकंदर को
रह य के लए रा ता दखाने वाला था, तो हर छं द एक या यादा जगह को बताने वाला
होना चा हए।’
‘ बलकुल ठ क,’ वजय का चेहरा चमक उठा। ‘मने पूरी रात इस बारे म सोचा था। और
घंट तक सोचने और शोध करने के बाद मुझे इस बारे म जागृ त ा त ई।’
को लन ने खराटे क आवाज नकाली। ‘जागृ त, गधे!’ तुम खराटे भर रहे थे जब म
सुबह यहां आया।
ए लस न शे को यान से दे ख रही थी। अगर वजय जो कह रहा है, वो सही है तो न शे
म ऐसा कुछ होना चा हए जो छं द म व णत बात के अनु प हो। कुछ ऐसा जो घा टय का
माग हो।
और तभी उसे एक तेज झटका लगा। ‘जलालाबाद!’ उसने वजय क तरफ दे खा।
‘ब त ब ढ़या,’ वजय ने उसे शाबाशी द । ‘तुम न शे पर दे ख सकती हो क
जलालाबाद दो नद घा टय के वेश माग पर थत है। एक पूव क तरफ जाता है——
यानी कुनार घाट । सरा प म क तरफ जाता है——यानी लाघमन घाट । याद है ना जब
हमने पहली बार छं द सुना था तो हम सबने सोचा था क ये कसी तरह का रा ता दखा रहे
ह ले कन हम नह जानते थे क कहां का रा ता? अब हमारे पास जवाब है। छं द म व णत
“ ार” जलालाबाद है। छं द पाठक को नसीहत दे रहा है क पूव क घाट को चुनो——जहां
सूय रहता है। राधा ने सही कहा था।’ वजय राधा का नाम जुबान पर आते ही चुप सा हो
गया।
‘और कुनार घाट ही पूव म है।’ को लन ने कहा। ‘साफ तौर पर यह छं द यहां उपयु
लग रहा है।’
‘ले कन सरे छं द का या मतलब है?’ ए लस ने पूछा। ‘वो भी सकंदर के माग क
जगह को बता रहे ह गे। ले कन म कसी सरी जगह के बारे म नह सोच पा रही जो छं द से
मलान रखती ह ।’
‘उनम से एक छं द म कसी पहाड़ का ज है जो सॉ डयन रॉक हो सकता है,’ वजय
ने उसे याद दलाया। ‘अगर हम थोड़ी गहराई से सोच और थोड़ा रसच कर तो मुझे यक न है
क हम सरी जगह का भी पता लगा सकते ह। ले कन मह वपूण बात यह है क जो रह य
है वो मुझे लगता है कुनार घाट म ही है।’
‘म तु हारा मजा कर करा नह करना चाहती, ले कन हम तो अटकल ही लगा रहे ह।’
ए लस खुश नह दख रही थी। ‘हम सही हो सकते ह ले कन सफ इस वजह से क सकंदर
ने कुनार घाट क गु त या ा क थी, हम यह मतलब नह नकाल सकते ह क वो वहां
रह य क तलाश म गया था। हो सकता है क यह सफ एक पड़ाव भर हो, अं तम मं जल
नह । मेटल लेट के बना यह पता लगा पाने का कोई तरीका नह है क इन छं द को कस
म म पढ़ा जाए। और जब तक हम इन छं द का सही म नह जानते, हम भरोसे के साथ
नह कह सकते क यह छं द हम रह य क जगह तक प ंचाता है।’
‘यही वो जगह है जहां म मानता ं क तुम लोग मदद कर सकते हो,’ वजय ने जवाब
दया। ‘मने अपने रसच से जुटाई जानकारी के आधार पर काफ टआउट नकाले ह।
न शे, ववरण, गूगल अथ वगैरह। अगर हम लोग इस बात पर सहमत ह क मेरे तक अभी
तक कसी नतीजे पर प ंचा रहे ह, तो शायद अगर हम सब लोग इसम अपना दमाग लगाएं
तो हम कुछ ना कुछ ज र मलेगा।’
‘इससे राधा क मदद कैसे होगी? ‘शु ला आ खरकार बोल पड़े। उ ह वजय और उसके
फैसल म व ास था, ले कन उनसे अब चुप नह रहा गया। उनक बेट गंभीर मुसीबत म है
और वो लोग एक ाचीन पहेली पर रसच कर रहे ह। वो खुद को यक न दलाना चाहते थे
क उन लोग क ाथ मकताएं सही दशा म ह।
वजय हच कचाया। वो समझ नह पा रहा था क उ ह बताना चा हए या नह । वो उन
लोग को फोन कॉल के बारे म नह बताना चाहता था। वो कैसे बता सकता था? ले कन उसे
महसूस आ क उसे बताना होगा। उसे सफाई दे नी होगी।
‘मने सोचा था क म इसक मदद से सौदा कर सकूंगा,’ आ खरकार उसने बोल ही
दया। ‘कूपर ने मुझे पछली रात फोन कया था। उसे यूब चा हए य क वो रह य जानने
के लए ज री है। अगर हम छं द म लखी पहले को सुलझा ल तो हम इस जानकारी का
इ तमाल राधा क सलामती के लए कर सकते ह। म यह मानना नह चाहता ले कन सच
यही है क हमारे लए राधा को बचा पाने क इकलौती उ मीद यही है। अगर आईबी अभी
तक उसक थ त का पता नह लगा पाई है तो मुझे नह मालूम क हम उसे कैसे ढूं ढ़
पाएंगे। हमारे पास यही वक प है क वो लोग उसे छोड़ द और इसके लए सबसे अ छा
तरीका यही होगा।’
शु ला ने थोडी़ दे र सोचा। ‘मेरा अंदाज है क तुम सही हो,’ उ ह ने सहम त जताई।
‘दे खते ह क या हम इससे कुछ आगे बढ़ पाते ह या नह ।’
उ ह ने अपने वचार को वहां फैले कागज के ढे र पर क त कर दया जनम वजय क
रात भर क मेहनत के बाद जुटाई गई जानकारी थी। या वो लोग उस सुराग को ढूं ढ़
नकालने म कामयाब ह गे, जो उ ह वो जानकारी दे पाएगा जसक कपूर को तलाश है?
45
जवाबी ताव
कूपर ने अपनी घड़ी दे खी। दोपहर के 12 बजे थे। वजय सह को फोन लगाने का समय।
उसने वजय का नंबर डायल कया और फोन क घंट सुनता रहा य क कसी ने फोन नह
उठाया। उसक भ ह तन ग । इसका कोई मतलब नह नकल रहा था। उस आदमी क
मंगेतर उसक कैद म है। वो तो उ मीद कर रहा था क फोन कॉल का जवाब मु तैद से दया
जाएगा।
उसने दोबारा को शश क । इस बार फोन तुरंत उठा लया गया।
‘कूपर?’ वजय क आवाज म तनाव था जसे महसूस कर कूपर को खुशी ई।
‘तो, या फैसला कया तुमने?’ कूपर सीधे मु े क बात पर आ गया। ‘तु हारी मंगेतर या
तु हारी पुरानी गल ड। कौन होगी ये?’
‘मेरे पास एक जवाबी ताव है।’ वजय क आवाज म अब ढ़ता थी, हालां क कह
ना कह तनाव बना आ था।
कूपर ने अपनी भ ह चढ़ा ल । यह तो दलच प है। उसने इसक उ मीद नह क थी।
उसने इसे भी आजमाने का फैसला कया।
‘बोलो।’ उसने आदे श दे ने के अंदाज म कहा।
‘तु हारी दलच पी ए लस या राधा म नह है,’ वजय ने अपनी बात शु क । ‘तुम उस
रह य क जगह के बारे म जानना चाहते हो जसक तलाश म सकंदर सधु क भू म क
तरफ गया था।’ वजय का। ‘और म उस जगह का पता लगाने म तु हारी मदद कर सकता
ं।’
कूपर च क पड़ा। उसे याद आया क वान लुएक ने उसे इस आदमी और इसके दो त
के बारे म या बताया था। उसके मन म वजय के त इ जत थोड़ी और बढ़ गई। ले कन
इससे एक चीज और साफ हो गई——वो अपनी मंगेतर को कसी भी क मत पर वापस
चाहता है ले कन वो अपनी पुरानी गल ड को भी बचाने क को शश कर रहा है। अगर वो
इतना समय और मेहनत अपने पास मौजूद कुछ सुराग का व ेषण करने के लए दे रहा है
ता क वो सही जवाब ढूं ढ़ सके तो साफ है क वजय सह अपने र त को लेकर काफ
गंभीर है।
इसका ये मतलब भी है क कूपर ने सोचा, स सेना को पता लगाना होगा क या राधा
और उसके आईबी के सा थय को मशन के मकसद के बारे म पता है। या वजय ने इसका
अंदाजा तब लगाया जब राधा का अपहरण हो गया? वो जानता था क कसी के लए भी
उस रह य के सही मकसद का अंदाजा लगा पाना नामुम कन है, जो वो लोग ढूं ढ़ रहे थे। इस
चीज का पता तो सफ ऑडर को ही होगा। ले कन इस ोजे ट को दशक से गु त रखा गया
था। वो इस मशन को इससे यादा खतरे म नह डाल सकता था, जतने खतरे म वो पहले
ही आ चुका है, खासतौर पर जब वो कामयाब होने के इतना करीब हो।
तभी कूपर को महसूस आ क उसने जवाब दे ने म काफ लंबा व ले लया है। कह
वजय यह ना समझने लगे क उसने सही जगह पर हथौड़ा चलाया है। ले कन एक तरीका है
जससे वो इसे अपने फायदे म कर लेगा। उसके पास अभी एक तु प का प ा है।
‘और तुम हमारी मदद जगह ढूं ढ़ने म कैसे कर सकते हो?’ उस बात से इनकार करने या
उस बारे म नह जानने का बहाना करने का कोई मतलब नह था, जो अभी वजय ने क
थी।
वजय ने जब इसका जवाब दया तो उसक आवाज म जीत क धुन आ गई थी। ‘हमने
यूब के एक छं द का मतलब नकाल लया है। तुम इसे कसी भी तरह खुद से नह कर
सकते थे। हम सभी पांच छं द का मतलब नकाल सकते ह और तु ह बलकुल उसी जगह
प ंचा सकते ह, जहां रह य छपा है।’
‘यहां तुम गलत हो,’ कूपर पलटकर बोला। ‘हमारे पास वो मेटल लेट है जसे सकंदर
ने ास के पास दबाया था। यूब और मेटल लेट साथ ह तो छं द का मतलब नकालना
ब च का खेल होगा। फर हम तु हारी ज रत य होगी?’
‘इस बारे म सोचो क हमने मेटल लेट का बना इ तेमाल कए एक छं द का मतलब
नकाल लया है। हमारे पास वो चीज ह जो तु हारे पास नह ह——एक ए लस और सरे
डॉ टर शु ला। हम तु ह उससे यादा ज द जवाब दे सकते ह जतना व तुम खुद ढूं ढ़ने
म लगाओगे।’
कूपर ने इस पर वचार कया। वजय के तक म कुछ दम तो था। उसे इस बारे म कोई
संदेह नह था क उसक ट म ऑडर के संसाधन के बल पर छं द का मतलब नकाल लेगी।
ले कन अगर वो वजय क ट म क मदद से यह काम ज द कर दे तो या नुकसान है। और
अगर इन लोगो ने कोई जानकारी आईबी को दे ने क को शश क तो वो इन सभी को ख म
कर दे गा। वान लुएक ने वैसे भी उसे इस बारे म खुली छू ट दे रखी है।
‘म कैसे मान लूं क तुम धोखा नह दे रहे हो?’
उसने गौर से वो सब बात सुन जब वजय ने उसे छं द का मतलब समझाया और यह भी
क वो लोग इस न कष पर कैसे प ंच।े
कूपर ने अपना मन बना लया। ‘तु हारी या शत ह?’ वो जानता था क शत या ह गी
ले कन वो यह नह जताना चाहता था क वो आसानी से मान रहा है।
‘तुम ए लस का पीछा करना छोड़ दोगे और राधा को आजाद कर दोगे।’
कूपर मु कुराया। वो वजय के बारे म सही था। उसे दाद दे नी होगी क सब कुछ
खलाफ होते ए भी वजय ने अपना धैय और ढ़ता नह छोड़ी थी।
‘ठ क है ले कन मेरी भी दो शत ह। पहली, तुम और तु हारी ट म आज शाम 4 बजे
मुझसे इंटरनेशनल एयरपोट पर मलेगी। हम आज रात एक साथ जलालाबाद जाएंग।े वहां
से हम कल कुनार वैली जाएंग।े सरी, राधा तब तक हमारी हरासत म रहेगी जब तक म
तु हारे दाव को सही ना मान लू।ं अगर तुमने कोई चालाक क तो उसे वही दवा द जाएगी
जो तुम जानते हो क मे डकल फे स लट के मरीज के खून म मली थी।’
एक पल के लए खामोशी रही य क वजय इस खुली धमक के बाद अपने गु से पर
काबू पाने क को शश कर रहा था। ‘मेरे पास कोई रा ता नह है। ले कन सफ म तु हारे
साथ आऊंगा। बाक लोग यह कगे। और म कैसे मान लूं क तुम अपनी बात से नह
मुकरोगे?’
कूपर ने फर कुछ सोचा। अगर वो लोग जगह के बारे म सही ह, उसे इस रह य के लए
हर कसी क ज रत भी नह थी। सही मायने म तो कुनार घाट के लए सभी लोग को ले
जाने क ज रत भी नह है। उसने तो यह बस इस लए कहा था क इससे उसे सभी लोग
को एक साथ ख म करने का मौका मलता, उनके दे श से बाहर। योजना तो काम फर भी
करेगी अगर वजय उसके साथ रहे और बाक सब यहां। वो सैटेलाइट फोन क मदद से
संपक म रहगे और अफगा न तान म इसक ज रत पड़ेगी ही। वजय से काम चल जाएगा।
वैसे भी कूपर मान रहा था क वजय और उसके दो त कोई नुकसान नह प ंचा सकते।
राधा के संबंध आईबी से थे, उनके नह । और वो इस बात क व था करेगा क बाक सभी
पर नगरानी रखी जाए ता क वो कह जाएं नह । वो यह व था इस फोन कॉल के तुरंत
बाद कर दे गा।
उसका जवाब खा था। ‘जैसा तुमने अभी कहा, तु हारे पास कोई रा ता नह है। म
तुमसे ठ क 4 बजे मलूंगा। दे र नह करना।’
46
जुआ
वजय ने फोन काटा और धीरे—धीरे टडी म क तरफ बढ़ चला। वो कूपर से बात करने
के लए उन लोग से अलग हटकर नीचे के कमरे म आ गया था। वो नह चाहता था क
उसक और कूपर क बातचीत कोई और, खासतौर पर ए लस, सुने। वजय सोच रहा था क
वो कैसे इस खबर को बाक लोग को बताएगा। और वो इस बात पर भी ता जुब कर रहा
था क राधा को बचाने के च कर म, उसने सभी को कूपर और उसके सा थय के पंजे म
और फंसा दया था। राहत क बात बस इतनी थी क कूपर के साथ वो खुद जा रहा है।
बाक लोग यहां जौनगढ़ म महफूज रहगे।
जैसे ही वो टडी म म घुसा, उसने सभी के चेहर पर उ सुकता दे खी। वो जानता था
क ये लोग इस बात से च कत थे क वो य फोन पर बात करने के लए टडी म से बाहर
चला गया था।
‘कूपर का फोन था,’ वजय बोलते व हर श द पर गौर कर रहा था। ‘उसने कहा था
क वो 12 बजे दोपहर को फोन करेगा। हमने एक सौदा कर लया है।’ उसने कूपर को दए
अपने ताव के बारे म उ ह समझाया, ले कन वो बात छोड़ द , जो ए लस और राधा के बारे
म कूपर ने कही थ ।
जब उसने अपनी बात ख म क , सबके चेहर पर घबराहट थी। को लन सबसे पहले
बोला, करीब—करीब वजय क बात ख म होने के पहले। ‘ या तुम पागल हो? तुम इन
लोग के साथ… जाओगे, मुझे नह पता कौन लोग ह ये ले कन खतरनाक ह! या इस बात
को समझने के लए हम और कुछ दे खना बाक है?’
ए लस भी को लन से सहमत थी। ‘म नह जानती क तुम या सोच रहे हो, वजय। ये
जानते ए भी क उ ह ने ीस म या कया और सं हालय म उ ह ने हम पर हमला कया,
तुम कैसे यह कर सकते हो?’
वजय चुप था। वो उ ह कैसे बताए क उसक वधा से नकलने का यही इकलौता
रा ता था? वो उ ह कैसे बताए क उसे कस मान सक अव था म यह फैसला लेना पड़ा है,
और वो राधा और ए लस क क मत म एक साथ संतुलन बनाने क को शश कर रहा है?
‘राधा को बचाने के लए यही इकलौता रा ता था,’ उसने यही कहना ठ क समझा। ‘तुम
लोग इससे बाहर रहोगे। ए लस, खासतौर पर तुम। म चाहता ं क तुम लोग छं द पर काम
करो जब तक म उनके साथ ं। कुछ भी नया मले, मुझे तुरंत बताओ। जतनी ज द हम
इस पहेली को सुलझाएंग,े उतनी ज द राधा हम वापस मलेगी।’
‘तुम अकेले नह जाओगे,’ को लन खड़ा आ, वजय के पास गया और उसक आंख
म आंख डालकर बोला। ‘हम दो त ह, हम चीज साथ करते ह। म तु हारे साथ चलूंगा।’
वजय दलील दे ना बेहतर तरीके से जानता था। और, वैसे वो भी जानता था क को लन
का साथ मलने से उसे खुशी होगी। ले कन उसने इस बारे म अपना मन प का कर रखा था।
उसने ठं डी सांस लेते ए कहा। ‘मुझे माफ कर दो दो त, तुम बाक लोग के साथ इस खेल
से र ही रहोगे। और म इस बारे म कोई बहस नह करना चाहता।’
को लन ने जवाब दे ने के लए मुंह खोला ही था क वजय का फोन बज उठा। वैद का
फोन था।
‘मुझे खेद है ले कन हमारे पास राधा के बारे म कोई ताजा जानकारी नह है,’ वैद ने उसे
बताया। ‘हम अभी भी तलाश कर रहे ह। ये लोग पेशेवर लगते ह। इस पूरे दौरान वो हमारी
नजर के सामने काम कर रहे ह ले कन फर भी हमारी नजर से छपे रहने म उ ताद ह।
ले कन हम दे र—सबेर उनका पता लगा ही लगे।’
‘म ऐसी ही उ मीद करता ,ं ’ वजय ने जवाब दया। ‘मेरे पास तु हारे लए कुछ खबर
ह।’ उसने वैद को कूपर के साथ उसके सौदे के बारे म बताया।
वैद ने जवाब दे ने के पहले थोड़ा व लगाया। ‘तुम एक बड़ा खतरा उठा रहे हो,’ उसने
वजय से कहा। ‘ब त बड़ा खतरा, तुम जानते हो क वो लोग राधा को इतनी आसानी से
नह छोड़गे। और तुम लोग वैसे भी खतरे म हो। वो जानते ह क तुम सभी, राधा समेत,
आईबी से जुड़े हो। जैसा हम संदेह है, अगर इसम जै वक आतंकवाद का कोई कोण है तो
तुम उनके लए खतरा तो हो ही।’
‘म ऐसा नह सोचता,’ वजय ने जवाब दया। ‘मेरा मानना है क उ ह यक न है क
सफ राधा आईबी से जुड़ी है। वो कले म इमरान क मौजूदगी से उसका आईबी से संबंध
जोड़ रहे ह और मेरे बारे म उनका मानना है क म उसका मंगेतर ं। नह तो वो लोग हम भी
नशाना ज र बनाते। सं हालय म भी उनके नशाने पर ए लस ही थी। अगर हम वहां उसके
साथ नह होते, तो हम हमारे हाल पर छोड़ दे त।े ’
‘मुझे लगता है क तुम ऑ फस आ जाओ तो बेहतर होगा,’ वैद ने जवाब दया। ‘हम
इस बारे म पैटरसन को बताना चा हए। वो टा क फोस का मुख है। उसे बताना चा हए क
या हो रहा है। और मुझे नह लगता क वो यह जानकर खुश होगा क तुमने यह फैसला
बना उसक सलाह के ले लया।’
‘म वहां तुरंत आता ं,’ वजय ने वादा कया। ‘म वह से एयरपोट चला जाऊंगा।’
‘उसके पहले तुम अ पताल भी आ सकते हो।’ वैद क आवाज म ह क सी खुशी थी।
‘इमरान खतरे से बाहर ह। वो होश म ह और तुमसे मलना चाहते ह।’
वजय ने फोन र रखा और को लन क तरफ दे खा, जसके चेहरे पर खीझ साफ दख
रही थी।
उसने कहा, ‘खुश हो जाओ, यार। तु हारी यहां ज रत है।’ वो मु कुराया ता क माहौल
को थोड़ा ह का बनाया जा सके। ‘तुम दावा करते हो ना क तु हारे पास मुझसे यादा
दमाग है। तो अब सा बत करो। ए लस और डॉ टर शु ला क मदद करो इस पहेली को
सुलझाने म। ऐसा करके तुम मेरी सबसे यादा मदद करोगे।’
को लन तुरंत जवाब नह दे पाया। वो वजय के फैसले को वीकार करने क को शश
कर रहा था। वो अपने दो त को जानता था। एक बार उसका मन बन गया तो फर नया
क कोई ताकत उसे हला नह सकती। वो जानता था क उसे वजय को अकेले ही जाने
दे ना पड़ेगा। आ खरकार उसने सहम त जताते ए कहा। ‘म इस फैसले से खुश तो नह ं।
ले कन तुम यही चाहते हो…’ वो का और वजय को गले लगाकर कहा। ‘अपना याल
रखना यार, म वहां नह र ंगा यह करने के लए।’
वजय ने बाक सभी क तरफ दे खकर सर हलाया और टडी म से बाहर नकल
गया। वो जानता था क यह एक जुआ है। ले कन या पासा उसके पाले म आएगा?
‘मुझे लगता है क तुमने सकंदर के बारे म कुछ सच तो पता लगा ही लया है,’ वान लुएक
आ खरकार बोला। ‘सच यह है क उसके जीवन के बारे म हम जतना भी जानते ह, वो उन
त य पर आधा रत है ज ह तोड़ा—मरोड़ा गया है, यादातर मौक पर उस आदमी क
सोच, झुकाव और उ े य क वजह से, जसने उ ह दज कया है। नतीजतन, हमारे लए यह
पता लगाना ब त मु कल है क उस श स के बारे म ऐ तहा सक प से सच या है और
या सफ गौरवा वत करने वाली कहानी है।’
उसने इंतजार कया क वजय उसक बात को समझने का इशारा करे। जब वजय ने
सर हलाया, उसने अपनी बात आगे बढ़ाई। ‘और यह यूब जैसी कलाकृ तयां काम आती
ह। उनक मदद से हम कहानी के उन ह स क पु कर सकते ह जनके बारे म अब तक
माना जाता है क वो सकंदर के कसी घोर शंसक या चापलूस ने चम कार क तरह पेश
करते ए लखा है।’
वजय ने फर से सर हलाया, उसे याद आया क कैसे ए लस ने भी उसक ा या पर
आप जताई थी। सकंदर के बारे म दज चीज को इतना बढ़ा—चढ़ाकर पेश कया गया है
क उसके बारे म हर लखी चीज पर भरोसा करना भी मु कल है।
वान लुएक ने अपना हाथ आगे बढ़ाया। ‘ यूब दे ना।’
वजय ने उसे यूब दे दया और दे खा क उसने उसे मेटल लेट म जमा दया। वो पूरी
तरह से उसम जम गया।
‘तो आप कैसे जानते ह क सकंदर क कहानी का कौन सा ह सा सच है और कौन सा
ह सा सफ क पना?’ वजय उ सुक दख रहा था। इस आदमी को इतनी जानकारी और
ताकत कहां से मली है?
वान लुएक के चेहरे पर बनावट हंसी आ गई। ‘म तु ह एक चीज बताता ं।
ओ ल पयास हमारे ऑडर क सद य थी। और वो इस यूब के बारे म जानती थी य क
इसे ऑडर के ही शु आती सद य ने बनाया था। हजार साल पहले।’
वजय त ध रह गया। अगर वान लुएक जो कह रहा है, वो सच है तब तो ऑडर, जो
कुछ भी हो अशोक के दर ड से कह यादा ाचीन है, जसे उन लोग ने पछले साल ढूं ढ़ा
था।
वान लुएक वजय के चेहरे पर ता जुब को दे खकर खुश हो गया था। ‘इस लए हम
जानते थे क सधु क भू म म सकंदर का अ भयान कोई बनावट कहानी नह है। हमने ही
उसे वो चीज उपल ध कराई थ जनक मदद से वो उसे तलाश पाया था, जसे वो चाहता
था।’
वजय को उसक इस बात म एक कमजोर कड़ी दखी। ‘यह मुझे समझ नह आया,’
वो पलटकर बोला। ‘आज, आप वो रह य ढूं ढ़ रहे हो जो उसे मला था। ले कन अगर आपके
पास ढाई हजार साल पहले उसे ढूं ढ़ने के साधन थे, जैसा आप दावा कर रहे ह, तो फर आप
इसे ढूं ढ़ य नह पाए? य सकंदर को पहले थाली म परोस दया, फर उसे मेटल लेट
छपाने दया, और अब दो—ढाई हजार साल बाद फर से उसक तलाश कर रहे ह?’
वान लुएक का चेहरा स त हो गया। ‘वो इस लए क ओ ल पयास ने हम धोखा दया
था। यह रह य सकंदर के पहले भी हजार साल से सुर त था। याद रखो क यह ई र
का रह य है। सधु क भू म के ई र। यूब और मेटल लेट सफ इसी मकसद से बनाए गए
थे क रह य सुर त रहेगा। और वै दक पुरो हत का एक छोटा समूह बनाया गया था जो
इसके हरी थे। सफ उ ह क प ंच इस रह य तक थी। ओ ल पयास ने उनम से एक
पुरो हत को ऑडर क उ प को समझने के बहाने अपने दरबार म बुलाया था। और कसी
तरह उसने पुरो हत को रह य क जगह बताने के लए मना लया था। इस अपराध के लए
ऑडर ने सकंदर क मौत के बाद उसक सुर ा हटा ली थी। अगर ऑडर उसक सुर ा
करता तो वो इतनी अपमानजनक मौत कभी नह मरती।’
‘यह ऑडर या है जससे आप जुड़े ह?’ वजय ने एक और सवाल दाग दया।
वान लुएक ने न म अपना सर हलाया। ‘म तु ह पहले ही काफ कुछ बता चुका ।ं
बस इतना जान लो क हम उतने ही पुराने ह जतनी क मानव जा त। एक व था जब पूरी
नया हम जानती और हमसे डरती थी। ले कन हमने फैसला कया क हम अपना भाव
और ताकत लोग क आंख और सोच से र रहकर बेहतर तरीके से हा सल करगे।’
आगे बोलने के पहले वो का। ‘खैर, सकंदर ने रह य ढूं ढ़ तो लया था ले कन चीज
एकाएक बगड़ ग और वो मर गया। तुम इ तहास तो जानते ही हो। उसक शव या ा पर
टोलेमी ने क जा कर लया था और उसक ममी को अले ज या म दफना दया गया, जहां
वो चौथी सद तक थी।’
‘और तब वो अचानक रह यपूण तरीके से गायब हो गई,’ वजय अपनी रसच को याद
करते ए बुदबुदाकर बोला।
‘यह गायब नह ई थी,’ वान लुएक ने उसे आ मसंतु वर म बताया। ‘ईसाई धम
नया भर म फैल रहा था। हमने इसके संकेत दे ख लए थे। जो कुछ भी गैर—ईसाई ई र
से जुड़ा था, वो न कया जा रहा था। और सकंदर को ई र क तरह पूजा जा रहा था।
इसके पहले क उसक क को अप व कया जाता और उसक ममी को न कया जाता,
हमने इसे खुद संभालने का फैसला कया। हमने अले ज या से ममी को हटाया और एक
सरे गु त थान पर दफना दया। हम मानते थे क कसी को भी इस जगह के बारे म पता
नह है। ले कन, उस व ऑडर क जानकारी के बगैर, एक न शा बना लया गया था। ऐसा
न शा जो कई सौ साल तक सबक नजर से र रहा। तब तक, जब तक हम, संयोग से,
कुछ दशक पहले उसका पता नह चला। हमने ममी क खुदाई क , जो हमारे लए एक
वरदान सा बत आ। स दय से उसके रह य क कहानी, जो उसने ढूं ढ़ नकाला था, एक
मथक बनी ई थी। हम यक न ही नह करते थे क यह मुम कन भी हो सकता है। इस लए
हमने ममी का परी ण कया। और हम पता चला क मथक सच है। ई र का रह य सफ
एक मथक भर नह है। और सकंदर ने, सचमुच इसे ढूं ढ़ नकाला था। और तब हमने
फैसला कया क हम भी इस रह य का पता लगाएंगे। ले कन हम यूब और मेटल लेट नह
मल रहे थे। हम जानते थे क अं तम बार वो तब दे खे गए थे जब उस पुरो हत ने
ओ ल पयास से मुलाकात क थी। ले कन वो उस मुलाकात के बाद गायब हो गया था और
कोई नह जानता था क उसका या आ। जब हमने सुना क ओ ल पयास क क मलने
क संभावना है, हम लगा क हो सकता है वो यूब और मेटल लेट उसके साथ दफन मल
जाए।’
‘इस लए तुमने कूपर को खनन ट म म शा मल कराया और तावरोस को अपने साथ
मला लया ता क कलाकृ तयां हा सल क जा सक।’
‘ बलकुल। तो अब तुम जान गए हो।’
वजय क भ ह चढ़ । ‘इससे हमारे उस सवाल का जवाब तो मलता है क ये सब चल
या रहा है। म इससे यह भी अनुमान लगा सकता ं क खनन और ली नकल ायल म
या संबंध है। तुम लोग ने सकंदर क ममी का परी ण कया… और उससे जो नतीजे
नकले उनक पु के लए तु ह ली नकल ायल करने क ज रत थी, ठ क है ना?’
वान लुएक फर से मु कुराया। ‘तुम करीब तो हो, ले कन पूरे तौर पर सही नह हो।
ायल ज री थे य क सकंदर क ममी पर हमारे परी ण के जो नतीजे नकले उनके लए
हम तैयार नह थे। दे खो, यूब उस मथक के आधार पर बनाया गया था जो तुम लोग के
महाका महाभारत से लया गया है। इस महाका म एक कहानी है जो साफतौर पर उस
चीज का वणन करती है जो सकंदर को मली थी और उन परी ण का भी, जो हमने
सकंदर पर कए थे। उन परी ण के नतीज को समझने के लए हम जदा लोग पर
ली नकल ायल करने क ज रत थी।’
वजय ने अपना दमाग दौड़ाया, वो उस मथक के बारे म सोचने क को शश कर रहा
था, जसने ली नकल ायल क ज रत को ज म दया, और उस खोज के बारे म भी, जो
दो हजार साल पहले मरे एक आदमी क लाश के परी ण से ई। ले कन वो कुछ भी ऐसा
नह सोच पाया।
‘मुझे नह मालूम तुम कस बारे म बात कर रहे हो,’ आ खर म उसने बोला।
‘इस मथक को तुम लोग समु मंथन कहते हो।’ वान लुएक का इस सं कृत श द का
उ चारण बलकुल सही था ले कन वजय का यान उस पर नह गया। उसका पूरा यान
महाका के सबसे मश र मथक का ज होते ही उसक तरफ चला गया था।
‘ले कन… कैसे?’ वो अभी भी समझ नह पा रहा था। ‘वो मथक पूरी तरह का प नक
है——एक पहाड़ क मदद से और वासुक को र सी क तरह इ तेमाल करके सागर का
मंथन, जससे अमृत मला। इसम तो कोई व ान नह दखता।’
वान लुएक सहानुभू तपूवक मु कुराया। ‘हर कसी को महाभारत को महाका या
का प नक कहानी क तरह दे खने क इतनी आदत हो गई है क वो ये सोच भी नह सकते
क इसम व ान का बेहतरीन इ तेमाल भी आ हो सकता है।’
वजय इंतजार कर रहा था और अपनी उ ेजना को छपाने क को शश कर रहा था। वो
जानता था क वो महाभारत के एक और रह य को जानने क कगार पर है जो दो हजार
साल से छपा पड़ा है।
‘म तु ह इसे समझाता ं।’ वान लुएक थोड़ा सा आगे क ओर झुका और बोलने लगा।
49
पांचवां दन
रह य क एक झलक
पांचवां दन
सकंदर का रह य
‘तुम मजाक कर रहे हो!’ राधा खुद को रोक नह सक । यह व सनीयता क सीमा के परे
था। ‘ सकंदर क लाश अले ज या से सैकड़ साल पहले गायब ई थी। हर कोई जानता
है।’
‘वा तव म चौथी शता द म,’ स सेना ने उसे सही कया। ‘ठ क—ठ क कहो तो 391
ई वी म। ऑडर ने अले ज या से उसक ममी चुराई और एक सरी जगह दफना द जहां
वो अप व होने से बची रहे।’
‘ले कन ऑडर ने तो उसके शरीर से पैथोलॉ जकल टे ट के ज रए वायरस और
बै ट रया नकालकर उसे वैसे ही अप व कर दया।’ राधा को लगा क ऑडर सफ एक
चीज क परवाह करता था। अपनी। कुछ भी प व नह था। कुछ भी सीमा से परे नह था।
उस ब डंग क तरह जहां वौ कैद थी। उसे अब समझ आया, जब उसने सभी त य का
मलान कया क यही दो रोगाणु थे जो उन परी ण म मले थे जनका ज इमरान ने
कया था। स सेना और उसक ट म इन अनजान रोगाणु का परी ण भोले—भाले
वयंसेवक पर कर रही थी। उ ह एक न त मौत क तरफ बढ़ा रही थी। एक धीमी मौत।
उसे अपने अंदर गु सा फूटता महसूस आ और उसने उसे रोकने क को शश क । उसे इस
चीज का भरोसा नह थी क उ ह ने उसे जो दवाएं द थ , उनका असर ख म आ है या
नह । इस व गु से म आने का फायदा नह होगा। वो खुद को ब त बुरी तरह नुकसान
प ंचा सकती है अगर उसे संभाला नह गया तो।
स सेना ने कंधे उचकाए। ‘दे खो, व ान क उ त के लए ऐसा करना पड़ा था,’ उसके
लहजे म वहा रकता थी। ‘जो भी हो, ये दो जीवाणु उस राज को दबाए ए ह जो हम
बीमा रय के खलाफ एक और कवच बनाने म मदद करेगा।’
‘मुझे अभी भी समझ नह आ रहा।’ राधा का अ व ास उसके लहजे और चेहरे के भाव
से साफ झलक रहा था। ‘तुम कहते हो क सकंदर इस महान रह य क खोज कर रहा था।
उसे यह मल भी गया था। फर भी, दो साल बाद वो मर गया। और ली नकल ायल के
सभी शकार म कुछ साल बाद वही ल ण दखाई दए जैसे सकंदर म थे। ये जीवाणु तो
सफ मौत लाते ह।’
‘यह तुम गलत हो!’ स सेना फुफकार उठा, उसक चढ़ साफ दख रही थी। ‘ये
जीवाणु जदगी दे ते ह! तुमने कं यूटर न पर जो दे खा वो सकंदर को सं मत करने वाले
असली जीवाणु नह थे। रे ोवायरस जीवाणुभोजी होता है। एक ऐसा वायरस जो बै ट रया
को सं मत करता है।’
उसने न क त वीर को बदल दया। ‘वायरस अपने आप बढ़ नह सकते। उ ह बढ़ने
के लए को शका पर क जा करने क ज रत होती है। यह वायरस के बढ़ने क या
है।’ उसने न पर दख रहे डाय ाम क तरफ इशारा कया। ‘एक वायरस खुद को कसी
शकार को शका पर चपका लेता है और फर उसक द वार को या तो को शका के खोल के
साथ यूजन के ज रए या खोल के पार जनन पदाथ को थानांत रत करके भेद दे ता है। एक
बार जब शकार को शका का भेदन हो जाता है, वायरस उस को शका क मशीनरी का
इ तेमाल कर खुद को बढ़ाता है और फं शनल और चरल वायरल ोट न बनाता है। नए
—नए तैयार ए वायरल यू लएक ए सड और चरल ोट न मलकर वायरस का
यू लयोकै सड बनाते ह। इसके बाद नए बने वायरस या वाय रयॉन को शका अपघटन
नामक या के ज रए बाहर आते ह। इस या म शकार को शका फट जाती है और
वाय रयॉन बाहर आ जाते ह और शकार को शका क मौत हो जाती है।’
न पर एक और त वीर आई। ‘हम जस वायरस पर काम कर रहे ह,’ स सेना ने
अपनी बात जारी रखी, ‘वो रे ोवायरस है। इसक आनुवां शक जानकारी डीएनए के बजाए
आरएनए म लखी होती है। रे ोवायरस म आरएनए पर नभर डीएनए पोलीमरेज भी होता
है, जो एक रवस ांस टे ज है, और जो शकार को शका के सं मण के बाद वायरल
जीनोम के डीएनए प को बनाने का काम करता है।’
वो क गया जब उसने राधा के चेहरे के भाव दे खे, जो बता रहे थे क उसे एक श द भी
समझ नह आ रहा। ‘ठ क है,’ उसने दोबारा को शश क । ‘तुम इतना तो समझती हो क हर
ाणी म उसक आनुवां शक जानकारी डीएनए म लखी होती है, जो दोहरी लड़ी वाले होते
ह? रे ोवायरस म आनुवां शक जानकारी आरएनए म लखी होती है जो एक लड़ी वाले होते
ह। आमतौर पर, कसी भी ाणी म को शका क तकृ त बनाते समय जब आनुवां शक
जानकारी क नकल बनानी होती है, डीएनए इस जानकारी का आरएनए म अनुलेखन कर
दे ता है, जो इसके बाद ोट न बनाने के लए ज री आनुवां शक जानकारी आगे प ंचाता है
और इसी ोट न का इ तेमाल डीएनए क तकृ त बनाने म होता है।’
स सेना ये दे खने के लए का क राधा को उसक बात समझ आ रही है या नह । राधा
ने सर हलाया और स सेना ने अपनी बात आगे बढ़ाई। ‘रे ोवायरस क तकृ त बनाते
व , हालां क, आरएनए को डीएनए म बदलना होता है इस लए यह या रवस
ांस शन या वपरीत अनुलेखन कहलाता है। और इस लए रवस ांस टे ज ोट न क
ज रत होती है इस या को शु करने के लए। एक बार जब शकार को शका
रे ोवायरस का समावेशन कर लेती है, इसका आरएनए बाहर नकल आता है और एक लड़ी
वाले डीएनए म रवस ांस ाइब हो जाता है। इसके बाद यह एक लड़ी वाला डीएनए फर
से रवस ांस ाइब होकर दोहरी लड़ी वाले ो—वायरल डीएनए म बदल जाता है। यह
ोवायरस शकार को शका के जीनोम म एक और एंजाइम— जसे इंटे ेज कहते ह——का
इ तेमाल करके घुस जाता है और फर इसका अनुलेखन आरएनए म हो जाता है। इसके
बाद सामा य या क तरह आरएनए नया वायरस बनाने के लए ोट न का नमाण
करता है, और फर वायरॉन जमा होकर शकार को शका से बाहर नकल जाते ह।’
राधा सोच म थी क स सेना इतने व तार से य समझा रहा है। ‘यानी एक रे ोवायरस
वा तव म शकार को शका के जीनोम का ह सा बन जाता है?’
‘ बलकुल। तभी जीवन भर रहने वाला सं मण शु होता है। रे ोवायरस म शकार
को शका क संरचना पर क जा करने और उसे बदल डालने क मता होती है। यहां तक
क वो शकार को शका के जम लाइन जीनोम म घुस सकते ह और एक जगह से सरी
जगह जा सकते ह। इसका मतलब यह है क वो ऐसे डीएनए ह, जो मनमज से जीनोम म
इधर—उधर कूद—फांद कर सकते ह, उनम बदलाव कर सकते ह और शकार को शका के
डीएनए म उ प रवतन यानी युटेशन ला सकते ह। वो जीनोम म ज स को स य या
न य बना सकते ह। वो वातावरण म कुछ चु नदा ट युलस पाकर अपने ही जीनोम म
तेजी से बदलाव कर सकते ह। इस लए एचआईवी वायरस इतना जानलेवा है। यह एक
रे ोवायरस है। और यह डीएनए को उ े जत कर सकता है जो तं त लोग म आमतौर पर
सु त रहता है।’
राधा का दमाग घूमने लगा था। वो उन सारी जानकारी का मतलब नकालने क
को शश कर रही थी जो उसे अभी—अभी मली थ । ‘म समझ गई। ले कन अगर एक
रे ोवायरस इतना जानलेवा है, तो यह बीमा रय के खलाफ कवच बनाने म कैसे मदद कर
सकता है?’
52
अमर व
‘यही तो द कत है,’ स सेना लंबी सांस लेते ए बोला। ‘वायरस बदनाम ह और सही भी
है। यादातर वायरस गंभीर और लाइलाज सं मण क वजह बनते ह। वायरस को मारना
बेहद, बेहद मु कल है य क वो छोटे मगर ताकतवर ाणी ह। यहां तक क जब उनका
शकार मर भी जाता है, वो सु त पड़े रहते ह, कसी सरे शकार को सं मत करने और
वायरल साइ कल को जारी रखने का मौका ढूं ढ़ते रहते ह। वायरस को हजार साल तक
अपनी ताकत गंवाए बगैर सु त रहने क मता के लए जाना जाता है। ले कन वायरस का
एक और प है जो ब त कम लोग को पता है। तु ह पता है माइ ोबायोम या होता है?’
राधा को याद आया क उसने इस बारे म कह पढ़ा है। ‘माइ ो को पक जीवाणु का
समुदाय जो लोग के अंदर होता है।’
‘ बलकुल सही। यह सहजी वता का उदाहरण है। म तापूण सहयोग। सबसे अ छे
उदाहरण ह हमारी आंत म रहने वाले बै ट रया। भोजन और आ य के बदले बै ट रया
पाचन या म मदद करते ह और हमारे उपापचय को नय मत बनाते ह। ले कन सहजीवी
वायरस के बारे म ब त कम लोग को पता है जो हा नकारक बै ट रया को नशाना बनाते
ह। और यह पर हमारा रे ोवायरस आता है। जैसा मने पहले समझाया, यह एक
बै ट रयोफेज है। मसाल के लए, इंसान के युकस मे ेन——गले और नाक म पाए
जाने वाले नरम ऊतक——म बड़े पैमाने पर बै ट रयोफेज होते ह। और यह हमारे लए
अ छा होता है य क बलगम म बै ट रया काफ तेजी से पनपते ह। तो ये वायरस उन
बै ट रया को अपना शकार बनाकर, जो बलगम से जुड़े सं मण पैदा कर सकते ह, हमारे
लए वा तव म एक कवच या रोग तरोधक तं बना दे ते ह।’
‘तो या तु ह सकंदर के शरीर म जो रे ोवायरस मले, वो बै ट रया पर काबू रखते
ह?’
‘उससे कह यादा। और यह पर ली नकल ायल काफ उपयोगी सा बत ए ह।
उनके बना हम वो खोज नह कर सकते थे जो हम कामयाबी दलाता। तुम जानती हो क
हम सकंदर क ममी म से वायरस और बै ट रया मले। ले कन हम उनका संबंध तब तक
समझ नह आया जब तक हमने उनका सं मण लोग म अलग—अलग कराकर नतीज पर
नगरानी नह रखी। एक नतीजे म हम पता चला क रे ोवायरस बै ट रया क अनुप थ त
म मानव शरीर को ही पोषक जीव क तरह मानकर खुद को उसके अनुकूल बना लेता है।
और एक बार जब ये ऐसा कर लेता है, यह आगे जाकर ऐसे ज स को स य करने लगता है
जो उ बढ़ने क या को धीमा करने वाले ोट न बनाते ह। मसाल के लए आईजीएफ
1, जो मांसपे शयां बनाने का काम जारी रखने के लए अहम ोट न है। इस ोट न क कमी
से मांसपे शयां कमजोर होने लगती ह और मांसपे शय क मर मत करने और फर से पैदा
होने क मता कमजोर पड़ जाती है। इसके अलावा एक और अहम ोट न है टे लोमरेज,
जो उ बढ़ने क या को धीमा करने के मु े पर काफ चचा म रहा है। इस बात के
मजबूत माण ह क टे लोमरेज क गैर—मौजूदगी हमारे बूढ़े होने और मरने क बड़ी वजह
म एक है। टे लोमरेज के साथ द कत यह है क इसक मौजूदगी से को शकाएं बना के
लगातार पैदा होती रहती ह——इसे हम कसर कहते ह। ले कन रे ोवायरस क मौजूदगी से
बीआरएएफ नाम का ोट न भी पैदा होता है, जो व थ को शका क वृ और वभाजन
के च को नयं त करता है——यानी एक तरह से कसर को रोक दे ता है। रे ोवायरस एक
और ोट न पी53 को भी स य कर दे ता है, जो सभी को शका म सु त अव था म रहता
है। पी53 उन ज स को बढ़ावा दे ता है जो नुकसानदे ह को शका को फैलने से रोकते ह।
यह तो आसानी से समझ म आ जाता है। शरीर म एक नए रे ोवायरस क मौजूदगी
इंटरफेरॉन नाम के एक ोट न का उ पादन बढ़ाने का काम करती है, और यह ोट न
को शका म पी53 ोट न क मा ा बढ़ा दे ता है।’ स सेना का और राधा क तरफ
दे खा। ‘म इस मसले पर लगातार बोल सकता ं। कई नए ज स ह ज ह यह स य कर दे ता
है, कई अनजान ोट न ह जो हमारे रसच के मुता बक मानव शरीर को ताकत, पुनरो प
और मर मत से जुड़े बड़े फायदे प ंचाते ह।’
‘यह तो अ त है,’ राधा ने वीकार कया। यह तो च क सा व ान म बड़ा आ व कार
हो सकता है। ‘तुमने यह भी कहा था क वायरस बै ट रया को सं मत कर दे ते ह। तो या
ये उ ह मार दे ता है? या इसी वायरस कवच क बात तुम कर रहे थे?’
स सेना ने अपना सर हलाया। ‘यह उससे कह बड़ा है। जब हमने लोग को सफ
बै ट रया से सं मत कराया, हम दो चीज पता चल । पहली क बै ट रया इंसान के लए
जानलेवा ह। ले कन तुरंत नह । एक बार अंदर जाने के बाद वो एक बायो फ म बनाते ह
जसम को शकाएं बड़ी तादाद म मै स पदाथ से घरी होती ह। इससे बै ट रया को शरीर
क ाकृ तक रोग तरोधी मता से सुर ा मलती है। इस व को शका क रोग तरोधी
कारवाई क वजह से बै ट रया भी सु त हो जाते ह, जो सं मत तो होती है ले कन उसे र
नह कर पाती। इस लए कुछ समय तक कसी तरह के रोग संबंधी ल ण नह दखते।
हमारा संदेह है क जब रे ोवायरस बै ट रया को सं मत करता है, यह बै ट रया के
जीनोम म बदलाव ले आता है जससे वो ोट न बनने क जाते ह जो इंसान क जान ले
सकते ह। हो सकता है क बै ट रया को इस लायक भी बना दे ता है क वो इंसान के लए
फायदे मंद ोट न बनाने लगे। हम प के तौर पर नह जानते। उसके लए हम असली वायरस
चा हए।’
‘ले कन तुमने कहा था क तु ह सकंदर क ममी से वायरस और बै ट रया अलग—
अलग मले थे,’ राधा ने इस बात क तरफ इशारा कया। ‘ या वो असली वायरस नह है?’
‘नह । मने कहा था क ली नकल ायल के नतीजे म हमने दो चीज खोजी थ । मने
अभी तु ह सफ पहली खोज के बारे म बताया है। सरी चीज हम पता चली क बै ट रया
के जीनोम म ोफेज के प म वायरस पहले से मौजूद थे। कसी व रे ोवायरस ने
बै ट रया को सं मत तो कर दया ले कन उस तरह से तकृ त बनाने म कामयाब नह हो
पाया जैसा मने पहले बताया था। शायद यह कसी वजह से ख म हो गया, और बै ट रया
के जीनोम म सफ एक आनुवां शक पदाथ क तरह बच सका। और यह पर चीज दलच प
हो जाती ह। हम अभी भी नह मालूम क या——ले कन कसी चीज ने बै ट रया के
सं मण के बाद ोफेज इंड शन को े रत कया। फर रे ोवायरस मानव को शका म
लाइसोजो नक च के ज रए तकृ त बनाता है।’
स सेना को महसूस आ क उसक बातचीत म काफ यादा मे डकल श द का
इ तेमाल हो रहा है और उसने अपने हाथ ऊपर करते ए कहा। ‘इसका मतलब यह है क
रे ोवायरस का गु त प—— ोफेज——बै ट रयल ोमोसोम से नकलता है। यह
ोफेज इंड शन कहलाता है। एक बार यह होने के बाद वायरस सामा य तरीके से मानव
को शका को अ धगृहीत कर अपनी तकृ त बनाता है। यह तभी होता है जब रे ोवायरस
का सं मण होता है। ले कन, जैसा मने पहले समझाया, यह पोषक के लए अ छा है
य क रे ोवायरस फायदे मंद है।’
स सेना ने अपनी बांह मोड़ और राधा क और वजय भरी से दे खा।
‘तो तुमने दे खा यह वायरस कतना श शाली है? और कस तरह के फायदे इससे
मानव जा त को हो सकते ह? और सोचो——ऑडर इस पर नयं ण रखेगा। उ को बढ़ने
से रोकने क ताकत। कसी भी बीमारी से लड़ने क ताकत। एंट बायो ट स को भूल जाओ!
हमारे पास अमर व क ताकत होगी! नया इसे हा सल करने के लए हमारे कदम म
होगी। इस लए इसम कोई आ य नह है क उ ह ने इसे ई र का रह य कहा है!’
राधा क भ ह तन ग । कुछ कमी अभी भी है। ‘अगर वायरस इतना ही महान है, तो
सकंदर इसे लेने के बाद मर कैसे गया? इसने बै ट रया के जीनोम को बदला य नह ?’
‘ य क जब उसने इसे लया कुछ तो गलत आ था। हम असली वायरस नह मला।
सफ ोफेज मला। मुझे नह मालूम क या गलत आ था। ले कन असली वायरस के
बना बै ट रया म कोई बदलाव नह आया। वो तब तक सु त बने रहे जब तक कसी वजह
से उनक रोगजनक ताकत फर से लौट नह आई। और जब ऐसा आ, सकंदर को कोई
मौका नह मला। हमने इसे अपने मरीज म दे खा है। बार—बार दे खा है। एक बार जब
बै ट रया स य हो जाते ह, तो मरीज कुछ ही दन म मर जाता है। कभी—कभी वो
एकाध महीने तक जदा रह जाता है। और इस लए हम असली वायरस और असली
बै ट रया क ज रत है। हम उस जगह को ढूं ढ़ने क ज रत है, जहां से सकंदर को वो
मले थे। एक बार जब हम वो मल जाएंग,े हम पता लगा पाएंगे क रे ोवायरस कैसे काम
करता है।’
‘तो ओ ल पयास क क खोदने के पीछे यही वजह थी क तु ह यूब चा हए था जो
असली जीवाणु के ोत तक तु ह ले जाता।’ राधा अब सारी क ड़य को जोड़ पा रही
थी।
‘ बलकुल सही। एक बार जब हम वो मल जाएगा, हमारे हाथ म वो रह य होगा।’
‘तो तुम इतने भरोसे के साथ कैसे कह सकते हो क सकंदर ने भूल क थी? हो सकता
है न क हो। हो सकता है क ये जीवाणु घातक ही ह । मौत और पीड़ा दे ने वाले।’
स सेना ने य रयां चढ़ा । ‘दो वजह ह। एक, हमारे ली नकल ायल। उनसे वही
सा बत होता है जो मने तु ह अभी बताया। और सरी वजह काफ पुरानी है, और कह
यादा भरोसेमंद।’ वो का। ‘ य क वो माण महाभारत म है।’
राधा को झटका सा लगा। उसे इस जवाब क कोई उ मीद नह थी। स सेना उसक
त या दे खकर खुशी से मु कुराया। ‘हां, तुमने मथक सुना तो होगा। ले कन तुम जानती
नह हो क इसका वा त वक अथ या है।’
वो फर कुछ पल के लए का और फर उसे समझाता चला गया। जब उसने अपनी
बात ख म क , राधा प थर क तरह शांत बैठ रही। उसने अभी—अभी जो सुना था, वो
नया को सर के बल खड़ा कर दे गा।
और अगर वो सही था, नया इस ऑडर क गुलाम बन जाएगी।
53
सकंदर क राह पर
वान लुएक ने वजय क ओर सवा लया नजर से दे खा जैसे ही उसने फोन काटा। वो दोन
ही फोन कॉल के दौरान वहां मौजूद था, जब वजय ने घर पर फोन कया था, और उसे बात
करते दे ख रहा था। वजय और कुछ तो नह कर सकता था ले कन बाक ट म के साथ
बातचीत करके पहेली सुलझाने म मदद ज र कर सकता था।
‘कुनार घाट ही अं तम पड़ाव है।’ वजय ने वान लुएक को को लन के साथ अपनी
बातचीत सं ेप म बता द । ‘दोन छं द, जनम से एक म दन और रात और दं ड का ज है
और सरे म सांप क डरावनी नजर का, कुनार घाट के ठकान क तरफ ही इशारा कर रहे
ह।’
वान लुएक ने कूपर क तरफ दे खा जो पास ही खड़ा था। ‘हमारा गाइड या कह रहा
है?’
‘वो समझ नह पा रहा है क पवत म शव के दं ड का या अथ है,’ कूपर ने शांत वर
म जवाब दया। ‘ले कन वो यह भी कह रहा है क वो घाट का थानीय नवासी नह है। वो
जलालाबाद से है। हम घाट म बसे गांव म पूछताछ करनी पड़ेगी। यहां से असदाबाद
प ंचने म 90 मनट लगगे। सड़क अ छ हालत म है। कुछ साल पहले ही यह बनी थी और
अमे रक मदद से बने उस ोजे ट का ह सा थी जसम काबुल को पा क तान क सीमा
से जोड़ना था। मेरा मानना है क हम जाकर दे खना चा हए।’
‘मुझे नह लगता क हम असदाबाद जाने क ज रत है,’ वान लुएक कुछ सोचते ए
बोला। ‘कोई ना कोई रा ता होगा जो मु य सड़क से हटकर पहाड़ म जाता होगा। सकंदर
ने उस ठकाने को और कैसे ढूं ढ़ा होगा?’
वजय चुप था ले कन उसक बात से सहमत था। गु त डायरी के मुता बक, यूमेनीज
और सकंदर उस ठकाने पर घु प अंधेरे म गए थे, उनक मदद के लए सफ मशाल क
रोशनी थी। वो लोग ठकाने पर तभी प ंच सके ह गे, जब घाट के चार तरफ फैले पहाड़ म
जाने के लए कोई ऐसा रा ता था, जस पर पैदल चला जा सके और वो भी बना कसी
क ठनाई या पहाड़ क चढ़ाई के सामान के।
ले कन उसने कुछ कहा नह । वो उ ह गु त डायरी के बारे म नह बताना चाहता था। वो
चुपचाप दे खता रहा क वान लुएक ने नकलने क मंजूरी दे द और कूपर या ा क तैयारी
के लए अपने आद मय को जुटाने के लए चला गया।
गायब है एक कड़ी
वजय, जो सबसे आगे क लड रोवर म बैठा था, ने अपने पीछे आ रहे लड रोवर के बेड़े को
दे खा। कुल मलाकर छह एसयूवी थ , जनम सर से पैर तक ह थयारबंद आदमी भरे थे।
उसने गौर कया था क उनके गाइड को छोड़कर जो थानीय अफगान था, सभी आदमी
गोरे थे। उसने अंदाजा लगाया क ये सब यूरोप और अमे रका से आए भाड़े के सै नक ह गे।
या ऑडर क नजी सेना के अंग ह गे। जो भी हो, ऑडर के पास मौजूद बा बल डराने वाला
था।
यह सड़क उस जैसी नह थी जैसी काबुल से जलालाबाद वाली थी। गड् ढ़े और तीखी
ढाल गायब थ । अभी तक, सड़क कुनार नद के रा ते के साथ चल रही थी, जो इसके साथ
ही एक सपाट घाट म बह रही थी और इसके दोन तरफ मैदान थे। घाट कई जगह पर
संकरी हो जाती थी, अभी तक ये ठ क—ठाक चौड़ी थी। उनके दा हनी तरफ सड़क क
सीमा कुनार नद तक जाकर ख म होती थी जो घाट म बह रही थी। र द ण म, वजय
सफेद कोह पवत दे ख पा रहा था, जो पा क तान के नॉथ वे ट ं टयर ो वस क सीमा पर
था।
उनक बा तरफ ह कुश पवत थे, अफगा न तान क रीढ़ क ह ी, जो ऊंचे और
डराने वाले अंदाज म खड़े दखते थे। इ ह पवत म कह ई र का रह य छपा है।
वजय को सकंदर पर कया आ अपना शोध याद आया। फारस सा ा य का
बादशाह, डै रयस को सकंदर से हारने के बाद उसी के एक सामंत बेसस ने मार डाला था
और उसे अपमान म मरने के लए छोड़ दया था। बेसस ने इसके बाद अपना नाम
अटाजेरजेस पंचम रख लया था और ह कुश पवत के पार बै या भाग आया था, यह
सोचकर क सकंदर वहां उसका पीछा नह करेगा। ले कन सकंदर ने ह कुश को खावक
दर के रा ते पार कया, सफर के दौरान खतर क परवाह कए बगैर। उसक सेना को इस
सफर म खाने—पीने क चीज क कमी पड़ गई थी। उ ह अपने जानवर को मारकर उनका
क चा मांस खाने को मजबूर होना पड़ा था। ले कन सकंदर ने आ खरकार बेसस को पकड़
लया था, जसे ता ड़त कया गया और मार डाला गया।
इसके बाद सकंदर सॉ डयन पवत क तरफ चला गया था। और वह कह ,
कै ल थनीज सेना को छोड़कर अपने गु त मशन पर सॉ डयन पवत के इलाके म और एक
सरे ठकाने पर, जसका ज एक छं द म कया गया था और उसका पता लगाना अभी
बाक है, नकल गया था। उसने वहां या हा सल कया था जो वह सकंदर के लए लेकर
आया था? या उ ह कुनार घाट म सभी जवाब मलगे?
55
एक कैद के वचार
राधा अपनी कोठरी म फश पर घुटन को बांह से घेरकर बैठ थी। स सेना ने उसे जो बात
दन क शु आत म बताई थ , उ ह ने उसे त ध कर दया था। और उसके अलावा यह बात
कोई नह जानता था। उसे पूरा भरोसा था क ऑडर को उसका मशन पूरा करने और ल य
हा सल करने से कुछ नह रोक सकता था।
उसके लए सबसे खद बात यह थी क वो इस बारे म कुछ नह कर सकती थी। यह
बात उसे खाए जा रही थी। वो यहां से बाहर नकलना चाहती थी और नया को बताना
चाहती थी क सच म हो या रहा है, ली नकल ायल य कए जा रहे ह? ले कन वो यह
भी जानती थी क स सेना ने उसके सामने ऑडर क योजना का खुलासा इसी वजह से
कया था क उसके यहां से नकल पाने क कोई उ मीद नह है। वो एक ऐसी कोठरी म बंद
थी जसे अंदर से नह खोला जा सकता था। चौबीस घंटे उसक कोठरी क सीसीट वी
कैमरे से नगरानी होती थी जो बाहर ग लयारे म लगे थे। कसी भी तरह क असामा य
ग त व ध का तुरंत पता लग जाता था। नय मत अंतराल पर एक पहरेदार उसक नगरानी
के लए वहां आता था। और, अगर वो कसी भी तरह पहरेदार को अपने क जे म लेकर
कोठरी से बाहर नकलने म कामयाब भी हो जाती है, तो उसने बाहर पूरी ब डंग दे खी ही
थी। यह जमीन के नीचे बनी थी और उसने बाहर नकलने का कोई दरवाजा नह दे खा था।
उसे इस कड़वी सचाई से मुकाबला करना था। यहां से बच नकलने का कोई रा ता नह
है। यहां से उसके बाहर नकलने के लए इकलौता तरीका था क कोई इस जगह को ढूं ढ़
नकाले और उसे बचा ले।
ले कन ऐसा होने क संभावना ब त कम थी य क कोई जानता ही नह था क वो
कहां है।
दशासूचक क तलाश
जलालाबाद से उनके नकलने के बाद से ही चढ़ाई धीरे—धीरे बढ़ती जा रही थी। घाट अब
काफ संकरी हो चुक थी। दोन तरफ के मैदान गायब हो चुके थे और अब सड़क ह कुश
क तलहट से गुजर रही थी, उसक दा हनी तरफ नद अभी भी साथ बह रही थी।
उन लोग ने रा ते म गुजरते व कई गांव म पूछताछ क थी ले कन उस दशासूचक के
बारे म कोई सुराग नह मल पाया था जो उ ह वां छत ठकाने पर ले जाने वाला था।
अब वो लोग खतरनाक इलाके म वेश कर रहे थे। बीच—बीच म उनके कान म रॉकेट
दागने के धमाके सुनाई पड़ रहे थे। यह घाट अफगा न तान म हो रहे यु का स य मैदान
थी। सकंदर के दो हजार साल बाद भी यहां खून—खराबा का नह था। कूपर ने वान
लुएक को भरोसा दलाया था क ता लबान क थानीय इकाई को उनके घाट म होने क
बात बता द गई है।
‘वो हमारे रा ते म आज मसाइल नह दागगे,’ उसने वान लुएक को बताया था। अब
तक तो यह वादा सच सा बत होता दख रहा था। वजय उ मीद कर रहा था क यह वादा
तब तक ऐसा ही रहे, जब तक वो लोग जलालाबाद ना लौट जाएं।
आगे एक और गांव दखने लगा था जसम म क झोप ड़यां बनी थ । का फला का
और थानीय गाइड उतरकर अपनी पूछताछ करने लगा।
इस बार, लग रहा था क उसे कुछ पता चल गया है। वो लोग उसके चेहरे पर चौड़ी
मु कान और पहाड़ क तरफ उसके इशारे दे ख सकते थे।
वो तेजी से लंब— े लंबे कदम से पहली एसयूवी क तरफ आया जसम वान लुएक
कूपर और वजय के साथ बैठा था। कूपर बाहर नकला और उसके साथ कुछ बातचीत
करने के बाद वान लुएक क तरफ मुड़ा। ‘गांव वाल के मुता बक, यहां से करीब एक
कलोमीटर र एक पगडंडी है जो पहाड़ म जाती है। दो घंटे क चढ़ाई के बाद हम च ान के
बने ए कुछ ढांचे और अ भलेख के बीच ह गे जो ाचीन काल के लगते ह। हमारा गाइड
कह रहा है क हम अपना दशासूचक वह ढूं ढ़ना चा हए।’
वान लुएक ने एक ती ण गाइड पर डाली। ‘हम कैसे मान ल क वो हम कुछ
बढ़ा-चढ़ाकर नह बता रहा है? जब हम वहां प ंचे तो हो सकता है क सफ च ान पर बन
कुछ आकृ तयां मल जो चालीस हजार साल पहले गुफा म रहने वाले लोग ने बनाई ह ।’
कूपर मु कुराया। ‘मने उससे इस बारे म भी बात क है। वो हमारे साथ आ रहा है। और
अगर हम वो चीज नह मली जो हम ढूं ढ़ रहे ह तो वो नतीज के बारे म भी जानता है।’
‘ठ क है, फर तो। चलो।’
का फला फर से चल पड़ा।
भागने क योजना
राधा के दमाग म एक वचार जम गया था। यह वचार इस सचाई को समझने के बाद आया
था क बाहर से कोई जब तक इस ब डंग क सुर ा व था को भेदकर अंदर नह आता,
उसे कोई नह ढूं ढ़ सकता। और यह असंभव नह था, बशत कसी को पता हो क ढूं ढ़ना
कहां है।
अगर वो यहां से बाहर कसी तरह से अपना मेसेज भेजने का तरीका ढूं ढ़ ले तो? अनवर
ने इमरान को मेसेज ऐसे ही भेजा था। अनवर क क मत क खद याद इस वचार के साथ
ही आई और उसे उबकाई आने लगी। तुरंत ही उसने इसे अपने दमाग से हटा दया।
वो जानती थी क कसी भी तरह उसक मौत तो तय है। वो लोग उसे सफ मोल—तोल
के लए इ तेमाल कर रहे थे ता क वजय उनक मदद करे। एक बार उनका मकसद पूरा हो
जाएगा, उसे मार दया जाएगा। या इससे भी बुरा, उनके डरावने योग म गुलाम क तरह
इ तेमाल कया जाएगा। उसे मैन के ोजे ट के बारे म स सेना क ट पणी याद आई।
वो लोग या कर रहे थे जसम आनुवां शक क ज रत है?
अभी यह मायने नह रखता था। अहम यह था क वो कसी तरह आईट से शन म
प ंचे और दे खे क या वो कोई मेसेज भेज सकती है।
राधा ने ठान लया क वो को शश तो करेगी ही। वो नाकामी के नतीजे भी जानती थी।
ले कन वो इस तरह सफ बैठकर यह दे ख नह सकती क स सेना और उसक ट म अपने
मशन पर इस तरह काम करे जैसे उनक गलती पकड़ी ही ना जाएगी।
आशा क करण
को लन लैपटॉप लेकर बैठा और अपनी थक आंख को मला। बाहर अंधेरा छाने लगा था
और वो पछले कई घंट से काम कर रहा था। वो खड़ा आ और खड़क के पास गया, वहां
से पहाड़ी के तल म बसे छोटे से गांव क लाइट दख रही थ ।
वो छं द के एक ह से का मतलब नकाल पाया था। या ये कह क वो ऐसा सोच रहा था।
ले कन उससे कसी तरह क कोई मदद मल नह रही थी। लंबे समय तक सोच— वचार
करने, बाक लोग के साथ चचा करने और इंटरनेट पर रसच के बाद, उसने यह न कष
नकाला था क “लवणर हत समु ” अरल सागर को कहा गया है, एक झील जो अमू नद
से नकलती है, जसे अमू द रया भी कहा जाता है।
भले ही अरल सागर अब उस चीज क फ क परछाई भर हो, जो वो 60 साल पहले थी,
लग रहा था क यही सबसे उपयु दावेदार है। पहली वजह तो यह क ये अमू नद के सबसे
करीब थी। सरी वजह यह क अरल सागर तक प ंचने के लए अमू नद को पार करने क
ज रत पड़ती, अगर कोई बा ख से आ रहा हो। तीसरी वजह, अरल सागर मूल प से
ताजे पानी का सागर था। पछले कई दशक के दौरान इसका पानी नमक न हो गया था,
य क इसम जन न दय का पानी गरता था, उनके रा ते मोड़ दए गए थे, और सागर खुद
भी पहले के मुकाबले काफ सकुड़ चुका था। इस वजह से पानी म वषैले पदाथ और
लवण क मा ा यादा हो गई थी।
ले कन जहां अरल सागर छं द म व णत सागर होने के लए तीन शत को पूरा करता था,
उसके आगे छं द म उसे कुछ भी समझ नह आ रहा था। अमू नद या अरल सागर से जुड़े
तीन भाइय क खोज से अब तक कुछ नह नकला था। उसे “आंख” के उस अनुवाद पर
संदेह होने लगा था जो शु ला ने कया था। मान लो क वा तव म यह एक आंख ही हो और
नद क तरफ इशारा ना हो तो? ले कन यह तो एक नई पहेली क तरफ ले जाएगाः “तेजी
से बहती आंख” का या मतलब है?
को लन ने ठं डी सांस भरी। यह उतना आसान नह था जतना उसने सोचा था। वो सोच
रहा था क वजय या कर रहा होगा। उसक तरफ से कोई खबर नह थी।
वो फर से लैपटॉप पर बैठ गया। समय तेजी से बीत रहा था।
उसके लए। और वजय और राधा के लए भी।
56
पहाड़ म
शव के दं ड क तलाश
वजय बैठकर अपना दमाग दौड़ा रहा था। वो लोग छं द के बारे म सही सोच रहे थे। इसने
कुनार घाट क ही तरफ इशारा कया था। उन लोग ने नद के ऊपर ट ला ढूं ढ़ लया था।
उन लोग ने दन—रात का मलन ढूं ढ़ लया था।
ले कन शु कहां है? वो शव के दं ड को कैसे ढूं ढ़गे?
‘म बाक लोग को फोन कर रहा ,ं ’ उसने वान लुएक को बताया और सैटेलाइट फोन
से कले का लडलाइन नंबर लगाया।
‘ज द ख म करो तो बेहतर होगा,’ वान लुएक ने जवाब दया था। अब अंधेरा होने
लगा था और, वैसे तो उनके पास ऐसे हालात म रात बताने के लए ज री सामान थे, वो
चाहता था क तलाश ख म हो और वो इन सबसे नपटे ।
फोन एक—दो बार बजा और फर उस पर एक थक सी आवाज ने जवाब दया। ‘हां?’
यह को लन था।
‘सुनो, मुझे मदद चा हए।’ वजय ने को लन को तुरंत सारी बात बता द । ‘ या बाक
लोग वहां ह? या हम लोग इसे सुलझाने के लए साथ आ सकते ह?’
‘मुझे नह मालूम क वो कहां ह,’ यह जवाब था। ‘ले कन दे खते ह या म और तुम
मलकर इसको सुलझा पाते ह। तुम कह रहे हो क एक शकार का य है और उसके ऊपर
एक सतारा और सूय है।’
‘हां, और छं द के मुता बक दन और रात मलते ह और शु शव के दं ड का रा ता
दखाता है। ले कन मुझे कुछ ऐसा नह दख रहा जो शु को दशाता हो।’
‘ह म, यह तो उलझाने वाला है। ठ क है, एक बार फर से मुझे त वीर के बारे म
बताओ।’
‘ या पागलपन है,’ को लन ने शकायती लहजे म कहा। ‘हमने सोचा था क त वीर के
सभी ह से एक साथ ह गे। दन, रात, शु । एक खुशहाल प रवार। सभी एक शूल क
तरफ इशारा कर रहे ह गे। ले कन इतना आसान नह है ना ये?’
वजय को लन क बकबक सुन रहा था, जानता था क उसके दो त का सोचने और
व ेषण करने का यही तरीका है।
‘तो, अगर त वीर तु ह रा ता नह दखा रही है तो कुछ और दखाएगा।’
‘हां, ले कन या?’
‘यह है तो र क कौड़ी, ले कन तुम इसे आजमा सकते हो। जब हम लोग बात कर रहे
थे, मने शु को गूगल कया। पता है मुझे या दे खने को मला?’
58
राधा के अ भयान क शु आत
राधा फश से उठ , उसने टे जर पकड़ रखा था। उसने तय कया था क वो इसे अपने पास ही
रखेगी। गाड का ए सेस काड भी काम आने वाला था, इस लए उसने इसे उठा लया।
उसक जेब म और कुछ ऐसा नह था जो उसके काम आता।
यह पता नह था क वो होश म कब आ जाएगा इस लए राधा ने और समय बबाद नह
करने का फैसला कया और शौचालय से तुरंत नकल आई। एक बार वो गाड अगर होश म
आ गया तो वो जा हर तौर पर शोर मचाएगा और फर सब कए कराए पर पानी फर
जाएगा।
वो सोच रही थी क फर या होगा। उसके लए कुछ अ छा तो नह ही होगा, इसका
उसे पूरा भरोसा था। ले कन जब उसने ओखली म सर डाल ही दया है तो अब मूसल से
या डर है।
उसका अगला पड़ाव थी ल ट। इन मं जल पर कुछ नह था। इस ब डंग का मु य
क तहखाने म थत था।
सबसे नीचे क तीन मं जल, उसने याद कया। कै दय के लए बनी कोठ रय क आठ
मं जल वैसे भी जमीन के नीचे ही बनी थ ।
स सेना उसे जस मं जल पर ले गया था, वहां उसने आईट म नह दे खा था। हो
सकता है क यह उन मं जल म से एक पर हो, जो मैन के ोजे ट के लए इ तेमाल होते
ह।
ले कन वो अ पताल के गाउन म उन मं जल पर नह जाना चाहती थी। वो तुरंत ही
कैद के प म पहचान ली जाएगी। द कत यह थी क उसके पास बदलने के लए कपड़े
नह थे और ना ये पता लगाने का कोई तरीका था क उसके अपने कपड़े कहां रखे ह, अगर
उ ह रखा गया हो।
उसने एक मनट तक सोचा, उसके दमाग म एक वचार घर कर रहा था। उसे इस पर
प का भरोसा तो नह था, ले कन उसके पास यही इकलौता वक प था। ल ट के दरवाजे
खुले। वो सांस रोककर, इले क केन के साथ तैयार खड़ी थी अगर कोई ल ट से नकले
और उसे इसका इ तेमाल करना पड़े।
ले कन ल ट म कोई नह था। वो उसम घुस गई और उस मं जल का बटन दबा दया,
जसम वो पहले जा चुक थी। ल ट को चलाने के लए उसने गाड का ए सेस काड
इ तेमाल कर लया था।
ल ट बना कोई आवाज कए तेजी से उस मं जल पर प ंच गई जो उसने चुनी थी।
दरवाजे चुपचाप खुल गए।
राधा एक पल के लए खड़ी रही, उसका कलेजा मुंह को आ रहा था। वो आगे बढ़ने का
न य कर चुक थी ले कन उसे बार-बार अंदर से ऐसी आवाज सुनाई दे रही थी क दरवाजा
बंद कर दो और अपनी कोठरी म चली जाओ।
ले कन अब पीछे लौटने का कोई मतलब नह था। वो काफ र आ चुक थी। गाड पर
आ हमला छप नह पाएगा, और इसका बदला भी लया जाएगा।
राधा ने एक गहरी सांस ली और ल ट से बाहर नकली।
जा का इंतजार…
वजय ने फोन काट दया। को लन ने उसे जो बताया था, उसका मतलब तो नकल रहा
था। वो इसके अलावा कोई सरा रा ता चुनने क नह सोच सकता था। वो बस यही उ मीद
कर रहा था क वो दोन सही नकल।
वान लुएक ने वजय क तरफ सवा लया नगाह से दे खा जब वो बाक लोग के पास
आया।
‘हम इंतजार करना होगा,’ वजय ने उसे कहा और समझाया क को लन ने फोन पर
या कहा है। ‘बस थोड़ी दे र और। सूरज करीब—करीब डू ब चुका है। हम उ र-प म क
तरफ दे खना होगा।’
कूपर को संदेह था। ‘तुम प का कह सकते हो क यह काम करेगा? मुझे तो यह जा ई
खेल जैसा लग रहा है।’
‘जो तुम अबसे थोड़ी दे र म दे खने जा रहे हो, उसम उतना ही व ान है जतना ई र के
रह य म है,’ वजय ने पलटकर जवाब दया।
सूरज तज के नीचे चला गया और पहाड़ पर अंधेरा उतर आया। माहौल म एक
भारीपन सा छा गया था जब सभी लोग इंतजार करते ए आसमान क तरफ दे ख रहे थे।
कई मनट तक कुछ नह आ।
वजय को पसीना आने लगा था। कुछ हो य नह रहा है?
अ पताल म
इमरान अ पताल म अपने ब तर पर लेटा था और उसके मुंह से आह नकली। दद से नह ,
ब क इस सोच से क वो यहां लेटा आ था जब क उसे राधा क तलाश म लगा होना
चा हए था। और उन लोग को ढूं ढ़ नकालना चा हए था ज ह ने उसे जान से मारने क
को शश क थी।
वजय कल उससे मलने आया था और सारी घटना क जानकारी द थी। इमरान
वजय को दे खकर खुश आ था। और वजय भी उससे मलकर खुश था।
‘हम सब सोच रहे थे क तुम मरने वाले हो,’ वजय ने इमरान को कहा। ‘भगवान का
शु है क तुम बच गए।’
‘मरने ही वाला था,’ इमरान ने फ क मु कान द थी। बम के टु कड़े उसके ज री अंग
को और मह वपूण धम नय को चोट नह प ंचा पाए थे और उसक जदगी बच गई थी।
जैसे ही खड़क के कांच छतराने क आवाज आई थी, उसने हो शयारी दखाते ए बगल
के कमरे म छलांग लगा द थी और इसी से उसक जान बच पाई थी। उसक चोट से खून
काफ बह गया था और उसे काफ कमजोरी आ गई थी ले कन वो फर से लड़ाई के लए
जदा था। वो लड़ेगा, इमरान क सोच म ढ़ता थी।
उसे राधा के बारे म सुनकर झटका लगा था और वो इस बात से भी च कत था क उसके
अपहरण के दो दन बाद भी उसका कोई पता नह चल पाया था। ये तो ऐसा था जैसे उसके
अपहरणकता उसके साथ हवा म गायब हो गए ह ।
इमरान ने वजय के जाते ही वैद को फोन कया था और मांग क थी क उसे भी राधा
क तलाश और टा क फोस क ग त व धय से जोड़ा रखा जाए, अ पताल के उसके कमरे
से ही।
वैद अ न छा से राजी हो गया था, वो जानता था क इमरान से बहस का कोई फायदा
नह है। और वो समझ सकता था——अगर इमरान बाहर आकर काम नह कर सकता था,
तो वो चाहता था क वो अपने कमरे से ही इसक नगरानी कर सके। आ खरकार, वो भारत
म टा क फोस का मुख था।
इसके बाद, इमरान का कमरा एक मनी आईट सटर क तरह दखने लगा था, कमरे म
कई आलमा रय म आईट उपकरण, टर, सवर रखे थे और हर तरफ तार फैले ए थे।
अलग—अलग कोण पर तीन लैट न मॉ नटर लगाए गए थे, जनम अलग—अलग
जगह से सीधा सारण हो रहा था, जहां पर ट म इस केस पर काम कर रही थ । एक
मॉ नटर ने उसे सीधे पैटरसन से जोड़ रखा था।
इमरान ने पूरा दन ट म से बात करने म बताया था, वो समझने क को शश कर रहा
था क वो या कर रहे ह, और सुराग का व ेषण कर रहा था। ले कन कुछ भी ऐसा नह
था जो मदद कर पाता।
कुछ भी नह ।
ऐसा लग रहा था जैसे राधा का अ त व ही नह हो।
59
मदद के हाथ
राधा उस कमरे क तरफ बढ़ जहां स सेना उसे पहले ले गया था। वो तेजी से चल रही थी,
को शश कर रही थी क जहां तक मुम कन हो, वो सतक रहे। अभी तक उसक क मत ने
साथ दया था। पहले क ही तरह, ग लयारे के यादातर दरवाजे बंद पड़े थे। और जहां
दरवाजे खुले भी थे, अंदर योगशाला म काम कर रहे लोग इतने त थे क उ ह
ग लयारे म हो रही ग त व ध पर यान दे ने का व ही नह था।
जब वो ग लयारे म आगे बढ़ रही थी, उसने बंद पड़े दरवाज म बनी कांच क छोट
खड़ कय से अंदर झांका। उनम भी योगशालाएं थ जहां कई लोग स जकल मा क और
द ताने पहने अपने काम म त थे।
उसने गौर कया क कह भी कोई औरत नह थी। सफ मद थे। वो सोच रही थी क
ऐसा य । ले कन इस व यह सोचना ज री नह था। उसके मन म घबराहट मच रही थी।
और इसका डर उसके संदेह को बढ़ाता जा रहा था।
राधा ने स सेना के साथ मुलाकात म उसे गौर से दे खा था। वो इस न कष पर
प ंची थी क वो दबंग है। और सरे दबंग क तरह वो सबसे यादा खुश तब रहता था जब
उसे सरे लोग पर अ धकार जताने का मौका मलता था। उनक जदगी पर म चलाने,
उनके सुख— ख का फैसला करने, उनका जीना—मरना तय करने क उसक ताकत उसे
आ मसंतोष दे ती थी। वो मानकर चल रही थी क सरे दबंग क ही तरह, कह अंदर से वो
भी कायर ही होगा। राधा इस बारे म न त थी क उसके वहार और चाल—ढाल के पीछे
उसके अंदर क मनो ं थ और असुर ा क भावना का हाथ है। उसने अपनी उ मीद इस
त य पर टका रखी थ क अगर कसी यादा ताकतवर से उसका सामना होगा, तो
आसानी से झुक जाएगा और ह थयार डाल दे गा।
वो सफ उ मीद कर सकती थी क वो सही नकले। अगर वो नह ई तो…
राधा आगे बढ़ , इस उ मीद म क स सेना अपने ऑ फस म होगा।
उसे राहत महसूस ई, जब वो उसे वहां अपने कं यूटर मॉ नटर के सामने बैठा दखा। वो
एक नोटबुक म नाराजगी म कुछ लखता जा रहा था।
राधा एक पल के लए हच कचाई। ले कन अब वो यहां प ंच चुक थी। यहां से वो
वापस नह जा सकती थी। और समय तेजी से बीतता जा रहा था। सीसीट वी कैमर ने अब
तक उसक ग त व धयां ज र दज कर ली ह गी। कसी ना कसी ने तो गौर कया ही होगा
क वो यहां प ंच गई है। उसे तेजी से काम करना होगा।
वो कमरे म घुसी, दरवाजे को बंद कया और अंदर से ताला लगा दया, तब तक स सेना
च ककर उसे दे ख रहा था।
उसका आ य पहले झटके म, और फर गु से म बदल गया, जब उसे समझ आया क
या हो रहा है।
‘चुपचाप रहना।’ राधा ने स सेना के कोई त या दे ने के पहले ही उसक मेज पर
इले क केन से थपक द ।
स सेना ने केन को दे खा और पहचान गया क यह या है। वो तुरंत पीछे क तरफ
सकुड़ सा गया। राधा मु कुराई। इस आदमी के बारे म उसका याल सही था। वो अंदर तक
दबंग था, और अब वो डरा आ था।
‘तुम जानती हो क तुम ऐसा करके बच नह सकती,’ स सेना ने उसे चेतावनी दे ते ए
कहा, उसक आंख घबराहट म कभी केन तो कभी राधा क ओर दे ख रही थ । ‘तु ह या
लगता है क कतनी दे र तक सुर ाक मय के आने के पहले तुम ऐसा कर सकोगी?’
‘इतनी दे र तक तो ज र जसम म वो कर लूं, जो मुझे करना है,’ राधा ने पलटकर
जवाब दया। ‘इंटरनेट ाउजर खोलो।’ उसने डरावने ढं ग से इले क केन लहराई।
‘तुम ऐसा नह कर सकत ।’ स सेना ने उसे घूरते ए कहा।
‘को शश करके दे ख लो।’ राधा जानती थी क यहां से बच नकलने क संभावनाएं
काफ कम ह। और स सेना इस चीज क पूरी क मत वसूलेगा जो वो अभी कर रही है।
ले कन उसे नया को इस जगह क सचाई बतानी थी। उसक क मत का फैसला तो हो ही
चुका था। यह एकमा मौका था जब वो बाहर क नया को अपना संदेश भेज सकती थी।
उसे सरा मौका नह मलेगा।
स सेना को उसके चेहरे पर ढ़ न य दखा। एक अजीब सी भावना उसके ऊपर हावी
हो गई। उसे अब तक दबदबा दखाने क आदत थी, सजा दे ने क या इनाम दे ने क । और
उसे ऐसा करने म काफ मजा आता था। अभी, पासा पलट चुका था। और उसे यह बलकुल
पसंद नह आ रहा था। उसे बीमार सा महसूस आ, और वो ठं डा पड़ गया। ऐसा ही उसे तब
महसूस आ था जब वो कूल म लड़क के कमरे म सगरेट पीता आ पकड़ा गया था। इस
अपराध का जो दं ड उसे मला था, वो अभी तक उसक याददा त म ताजा था। उस घटना के
बाद से उसने प का इरादा कया था क वो हमेशा दबदबा दखाएगा। हमेशा वही होगा जो
सजा दे गा।
और आज, इतने साल बाद वो फर से “लड़क के कमरे” म था। और कोई ऐसा था जो
उसके सामने केन लेकर खड़ा था। कोई ऐसा जो उसे चोट प ंचा सकता था, उसका अपमान
कर सकता था।
कई साल बाद स सेना को फर से डर का अहसास आ। यह यायो चत लड़ाई नह
थी। और वो इस चीज के लए तैयार नह था क उसे कसी तरह क मान सक या शारी रक
चोट प ंच।े ‘ठ क है, म तु हारा साथ ं गा। ले कन तुम यहां से ईमेल नह भेज सकती। यह
सुर त जगह है। कोई ईमेल नह । कोई फोन नह । हम ऊपर जाना होगा। ाउंड लोर
पर।’
‘ठ क है, चलो।’ राधा दरवाजे क तरफ बढ़ चली। वो दोन ऑ फस से एक साथ बाहर
नकले, राधा स सेना के काफ करीब चल रही थी, ता क ज रत पड़ने पर वो इले क
केन का इ तेमाल कर सके।
उसे आ य आ, जब ल ट क तरफ बा ओर मुड़ने क बजाय, जस तरफ से वो
आई थी, स सेना दा तरफ मुड़ गया——ग लयारे के अंत म बने बड़े सफेद दरवाजे क
तरफ। राधा ने अनुमान लगाया था क ये दरवाजे सी ढ़य तक जाते ह गे ले कन वो गलत
थी।
स सेना ने अपना ए सेस काड लहराया और दरवाजे खुल,े जनसे सरी ल ट दखी।
यह जगह तो राधा के अनुमान से कह बड़ी थी। ले कन उसे इससे आ य नह आ, जस
तरह का काम ये लोग कर रहे थे, उसम ऐसा होना वाभा वक था।
वो लोग ल ट म चढ़े और स सेना ने एक बार फर अपना ए सेस काड इ तेमाल
कया और ाउंड लोर चुना। ल ट तेजी से ऊपर चल पड़ी।
ल ट जब ऊपर जा रही थी, राधा ने महसूस कया क यह ल ट उन आठ मं जल पर
नह जाती, जहां कैद रखे जाते ह। योगशाला म काम कर रहे कमचा रय क प ंच उन
मं जल तक नह थी। ल ट क और दरवाजे खुल गए। उसके बा और दा तरफ सफेद
दरवाजे थे, ज ह ने दोन छोर से ग लयारे को बंद कर रखा था।
स सेना दा तरफ मुड़ा और राधा उसके पीछे चलने लगी।
‘उस दरवाजे के पीछे या है?’ उसने पूछा, उस दरवाजे क तरफ इशारा करते ए जो
वो पीछे छोड़ आए थे।
‘वो दरवाजा मु य ली नक और रसे शन का है,’ स सेना ने खे वर म जवाब दया।
उसने राधा को वचारपूवक दे खा। ‘तुम मेसेज भेजने का अपना इरादा बदल सकती हो।
तु हारे लए उस चीज से मुझ पर काबू पाना बेहद आसान रहेगा,’ उसने इले क केन क
तरफ इशारा कया, ‘और मेरे ए सेस काड का इ तेमाल कर उन दरवाज को खोलकर
आजाद हो सकती हो।’
राधा के मन पर उसका दद हावी हो गया। वो जानती थी क स सेना उसका मजाक
बना रहा है। वो आजाद होने के कतने करीब थी। उसके और बाहरी नया के बीच म सफ
कुछ दरवाजे थे। ले कन वो जानती थी क कोई ऐसा तरीका नह है जससे वो खुद से यहां
से भाग सकती थी। अब तक खतरे क सूचना दे द गई होगी और लोग सीसीट वी मॉ नटर
पर दे ख रहे ह गे क वो कहां है।
आज उसके पास वक प नह था। उसे अपनी क मत के आगे सोचना था। इंसान क
उ पर नयं ण के ज रए ऑडर के पास सबसे बड़ी ताकत हो जाएगी। नया उसक
गुलाम हो जाएगी, और कसी को पता भी नह चलेगा। वो ऐसा नह होने दे सकती। वो ऐसा
नह होने दे गी।
उसके लए सबसे अ छा यही है क वो अपनी योजना पर टक रहे। वो करीब—करीब
वहां प ंच चुक थी।
‘चलते रहो,’ उसने स सेना से कहा।
स सेना उसे एक ऑ फस म ले गया और मेज पर रखे एक लैपटॉप पर वेब ाउजर
खोल दया। ‘आगे बढ़ो,’ उसने लैपटॉप क तरफ इशारा कया जसक न पर ाउजर
खुला था।
राधा ने चार तरफ दे खा। वो ईमेल टाइप करते व स सेना के पास खड़ा रहने का
जो खम नह उठा सकती थी। उसे इले क केन नीचे रखना पड़ता और फर वो असुर त
हो जाती। ले कन कमरे म कोई और ऐसी चीज भी नह थी जो उसके काम क होती।
उसने तुरंत एक फैसला लया। ‘वहां बैठो।’ उसने मेज के पास रखी कुस क तरफ
इशारा कया। स सेना चुपचाप वहां बैठ गया और दे खता रहा क राधा ने लैपटॉप को उसके
पावर केबल से अलग कया और दरवाजे क तरफ बढ़ गई। वो जानता था क राधा या
करने जा रही है।
‘इससे पहले क तुम जाओ,’ उसने कहा, ‘यह समझ लो क जब यह सब ख म हो
जाएगा और तुम अपनी कोठरी म वापस चली जाओगी, म खुद यह प का क ं गा क
तु हारी बाक जदगी तकलीफ म बीते। म इसका वादा करता ।ं ’
राधा अंदर तक डर से कांप गई थी। वो जानती थी क स सेना अपने कहे पर अमल
ज र करेगा। ले कन उसने खुद को अपनी क मत के हवाले उसी व कर दया था जब
उसने इस योजना के बारे म सोचा था। उसे यह सब तो झेलना ही था।
कमरे से बाहर आकर उसने इसे बाहर से बंद कर दया और तेजी से अपना ईमेल
अकाउंट खोलने लगी। स सेना प के तौर पर कमरे के अंदर से खतरे क घंट बजा दे गा
अगर कोठरी से उसका भागना अब तक कसी क नजर म नह आया होगा। उसके पास
अपना काम पूरा करने के लए कुछ मनट भर थे।
उसने तेजी से अपना ईमेल मेसेज टाइप कया और जतने यादा लोग को मुम कन हो
सकता था, भेज दया। इस बारे म कुछ नह कहा जा सकता था क वो कब इसे दे खगे। वो
सफ उ मीद कर सकती थी क यह ज द से ज द दे ख लया जाए। ईमेल मेसेज के भेजे
जाने क जब पु हो गई, उसने लैपटॉप नीचे रखा और फश पर गर पड़ी, उसके मन पर
आतंक और आशंका क भावनाएं हावी हो गई थ , ज ह उसने अब तक अपने से र रखा
था।
अपने ज बात से लड़ते ए उसने खुद को संभाला। अभी तक सुर ाक मय का कोई
नामो नशान नह था। शायद वो अभी भी भाग नकलने क को शश कर सकती है।
वो उठ और उन सफेद दरवाज क तरफ बढ़ चली जनक तरफ स सेना ने इशारा
करके कहा था क उनके पार आजाद है।
अभी तक तो सब अ छा था
बस कुछ फ ट और।
और तभी, उसक सबसे बड़ी आशंका सच सा बत हो गई। आजाद के दरवाजे एकाएक
नरक के दरवाजे म बदल गए। वो झटके से खुले और तीन ह थयारबंद सुर ाकम अंदर
दा खल ए, ग लयारे म दौड़ते ए वो उसक तरफ आ रहे थे, उ ह ने अपने ह थयार तान
रखे थे।
राधा ने समझ लया था क खेल ख म हो चुका है। अब वो बाहर क नया कभी नह
दे ख सकेगी।
60
शु ने माग दखाया
या वो कर पाएगी?
जब सुर ाकम ग लयार म दौड़कर आ रहे थे, आगे क तरफ का एक सुर ाकम का
और नशाना साधकर राधा पर गो लय क बौछार कर द ।
राधा को ऐसा महसूस आ जैसे उसके सीने म डायनामाइट क छड़ घुस गई है और वो
लड़खड़ा गई। उसे लगा जैसे उसे कम से कम पांच फ ट पीछे फक दया गया हो और उसके
पैर ने उसका साथ छोड़ दया। जब वो फश पर गरी, उसके आसपास क सारी चीज जैसे
धीमी र तार म चलने लगी थ । उसके पूरे शरीर म अजीब सी संवेदनाएं होने लगी थ ,
उसका दायां फेफड़ा सकुड़ने लगा था और उसक सांस छोट और ददभरी हो गई थ । हर
सांस ऐसी लग रही थी जैसे उसके दाय फेफड़े म चाकू घुमाया जा रहा हो। इस दद के बीच
भी वो एक और संवेदना महसूस कर सकती थीः गोली से ए ज म से गम खून बाहर आ
रहा था और उसके अ पताल वाले गाउन को भगो रहा था जो उसके शरीर से चपका था।
वो सोचना चाहती थी ले कन उसे आघात प ंचा था और उसके सु दमाग म वचार नह
आ पा रहे थे।
गोलीबारी क गई थी और उसके चार तरफ शोर—शराबा हो रहा था। उसने स सेना
क आवाज को थोड़ा ब त पहचान लया था। वो नाराज लग रहा था और कसी को डांट
रहा था। श द अ प थे। ऐसा लग रहा था क उसके आसपास क हर चीज को एक सफेद
फ म ने ढक रखा है और उसक धुंधली पड़ने लगी जब ब त यादा खून बह जाने के
कारण उसक हालत काफ बगड़ गई।
और फर, चार तरफ अंधेरा छा गया।
61
शव का दं ड
वजय खड़ा होकर व मय से दे ख रहा था। वो लोग उसी जगह पर खड़े थे जहां शु कट
आ था। इस जगह पर एक पवत ेणी थी।
इसी पवत ेणी म मोट न काशी म उ क ण था, और सचलाइट क रोशनी म साफ—
साफ दख रहा था——बीस फ ट लंबा शूल, शव का दं ड।
या, जैसा यूमेनीज ने लखा था, यूनानी संदभ म, पोजीडॉन का दं ड।
यह शूल का य था या यह त य क वो लोग अपनी मं जल के इतना करीब थे, इसने
पूरे समूह को इस तरह मं मु ध कर दया था क कोई भी कई पल तक हला नह ।
वान लुएक ने इस जा को तोड़ा। ‘ठ क है। तब हमारा अं तम पड़ाव कहां होगा? पांच
सर वाला सांप।’ उसने वजय को इस तरह दे खा मानो कह रहा हो ‘इस लए तुम यहां हो।
मुझे बताओ।’
वजय ने याद करने क को शश क क यूमेनीज ने डायरी म या लखा था। सकंदर
को शूल पार करने के बाद सांप को ढूं ढ़ने म यादा द कत नह ई थी। यानी वो
असामा य सी च ानी संरचना आसपास ही होनी चा हए।
यूमेनीज ने या कहा था?
‘हमलोग फैल जाएं और यहां से एक कलोमीटर के दायरे म तलाश कर,’ वजय ने
नदश दया। उसे जहां तक याद आ रहा था, यूमेनीज ने ज कया था क उ ह सप पी
च ान को ढूं ढ़ने म ठ क—ठाक समय लग गया था। यह कसी भी दशा म हो सकता था।
सभी आदमी तीन लोग के समूह म बंट गए और तलाश शु कर द । वो सभी जानते थे
क उ ह कस चीज क तलाश है। और एक बार उ ह ने उसे ढूं ढ़ लया तो ई र का रह य
उनक मु म होगा।
टू ट कड़ी
को लन लैपटॉप पर नजर गड़ाए बैठा था। उसे इस चीज क आदत नह थी। वजय आमतौर
पर रसच का काम करता था। हर वो चीज जो उ ह ने साथ क थी, वो कंपनी भी जो उ ह ने
बनाई थी और वो ोजे ट जसने उ ह अमीर बना दया था, उसम वजय ने ही सारी रसच
क थी। को लन व ेषण और तक— वतक म और कामकाज संभालने म अ छा था
जब क वजय उन दोन म वचारक क भू मका म होता था। वो दोन एक सरे क क मय
को अ छे से पूरा करते थे।
ले कन अभी, जब हालात गंभीर थे, वो उस चीज को करने म जूझ रहा था, जसे वजय
आसानी से पूरा कर लेता था।
उसने गहरी सांस ली और अपने बाल म हाथ फेरे, तभी ए लस अंदर आई।
‘कुछ मला?’ उसने पूछा। को लन ने उसे और शु ला को वजय के साथ ई बातचीत
और शु को लेकर ई चचा के बारे म बताया।
‘मेरी वजय से उसके बाद बात नह ई है, इस लए म मानकर चल रहा ं क शु
वाली बात सही नकली होगी। ले कन म अभी भी अं तम छं द को समझ पाने म कामयाब
नह रहा ।ं वो छं द जसम आंख और तीन भाइय का ज है। मने हर मुम कन चीज क
तलाश गूगल पर कर ली है। ले कन कुछ भी काम नह आ रहा है।’
ए लस ने उस न शे को दे खा जो को लन ने न पर नकाल रखा था।
‘अगर हम अरल सागर के बारे म सही ह,’ उसने कहा, ‘तब “तीन भाई” इसके द णी
दशा म कह ह गे। हम जानते ह क सकंदर अरल सागर के आगे नह गया था। और अगर
हम द ण म दे ख, हम यहां दो दे श दखते ह——उ बे क तान और कजाख तान।’
‘ बलकुल सही।’ को लन के अंदर एक नई ऊजा आ गई। ‘मने दे श को आधार मानकर
कुछ ढूं ढ़ने क को शश नह क ।’
‘एक बार को शश तो करो,’ ए लस ने उसका ह सला बढ़ाया। ‘दे खते ह।’
को लन ने टाइप कया “तीन भाई उ बे क तान” और सच इंजन से मले सभी नतीज
को दे खने लगा। वो पहले छह प े दे ख गया और फर ए लस क तरफ नराशा भरी नगाह
डाल । ‘हम यह मान भी कैसे सकते ह क गूगल तीन भाइय को जानता होगा? आ खरकार,
यूब तो हजार साल पहले बना था।’
‘कजाख तान डालकर को शश करो,’ ए लस ने उसे नरमी भरे वर म े रत कया। ‘हम
लोग हर चीज से को शश करगे।’
को लन ने हामी भरी और टाइप कया “तीन भाई कजाख तान”।
फर से, पहले प े पर कुछ भी काम का नह था। उसने अगले प े पर लक कया।
फर भी कुछ नह ।
तीसरा प ा।
वो जम गया। वह ए लस क सांस को महसूस कर सकता था जो उसके पास खड़ी थी।
न पर त वीर क एक ृंखला थी जसका शीषक थाः “तीन भाई कजाख तान”
क छ वयां।
62
उ मीद का एक टु कड़ा
इमरान पैटरसन क बात को यान से सुन रहा था। इमरान के अ पताल के इस कमरे म
उपकरण लगवाने के बाद यह उनक सरी बातचीत थी। वो मौजूदा हालात म संभा वत
वक प पर चचा कर रहे थे। इमरान क पैटरसन के बारे म शु आती राय अब उस आदमी
क समझ और रणनी तक कौशल क तारीफ म बदल गई थी। हालां क वो अभी भी मानता
था क पार प रक संबंध के मामले म पैटरसन कम बु का आदमी है, ले कन आज वो
उसके बताए एक भी रणनी तक ब पर उसक बात काट नह पाया था।
न संदेह, पैटरसन क योजना के कुछ ह से थे ज ह लेकर इमरान खुश नह था।
मसाल के लए वो ह सा जसम वो मानकर चल रहा था क वो लोग राधा को खो चुके ह।
पैटरसन इस बात पर जोर दे रहा था क उ ह उ मीद नह रखनी चा हए। जब क इमरान
महसूस कर रहा था क उ ह उ मीद नह छोड़नी चा हए और वो लोग एक न एक दन राधा
को तलाश लगे और बचा लगे।
‘यु म उ मीद करने से जीत नह मलती है, काम करने से मलती है,’ उस अ क
अमे रक क आवाज लैट न मॉ नटर म से गूंज उठ थी। ‘जहां तक राधा का सवाल है,
अगर हम कोई सुराग मलता है, उसक जगह का कोई संकेत मलता है, हम उसे ढूं ढ़ने क
अपनी को शश दोगुनी कर दगे। ले कन अभी के लए, हम कुछ नह कर सकते। सरी ओर,
इस मामले के सरे पहलु के लए हम अभी भी काफ कुछ कर सकते ह। हम बैठे रहने,
उ मीद करने और ाथना करने क बजाय उस पर यान दे ना चा हए। अगर वो जदा रहती
है, तो ब त ब ढ़या। हम टा क फोस के सद य को खोना नह चाहते। ले कन अभी हम इस
पर भरोसा ना कर।’
योजना के कुछ सरे ह से भी थे, ज ह लेकर इमरान खुश नह था। ले कन वो राजी हो
गया था य क उनके पास वक प नह था। इसम ब त यादा जो खम था। या तो सब
कुछ या कुछ नह ।
‘ठ क है, फर। तुम आज क रात अ छ न द लो। कल का दन काफ बड़ा है। इस पार
या उस पार। उ मीद है क हम बाजी मारगे,’ पैटरसन ने वदाई ली।
इमरान ने गहरी सांस ली और वो न को काला होते दे खता रहा। तभी उसे अपने
फोन क याद आई। जब वो पैटरसन से बात कर रहा थे, एक ईमेल मेसेज आया था। वो
सोच रहा था क कौन होगा। मेसेज खोलने के पहले ही भेजने वाले का नाम दे खकर उसक
आंख फट क फट रह ग ।
इमरान को अपनी आंख पर यक न नह आ। यह राधा थी! वो जदा थी! राधा ने उसे
मेसेज भेजा था। कसी तरह, कह से, उसने रा ता ढूं ढ़ नकाला था, उन लोग को यह बताने
के लए क उ ह उ मीद नह छोड़नी चा हए।
अपनी चादर फकते ए, उसे दद का अहसास आ जब वो अपने ब तर से उठा और
अ पताल का गाउन उतारकर अपने कपड़े पहने, साथ-साथ उसने अपने ऑ फस म फोन
लगाया।
‘अजुन, मुझे इसी व लेने आओ। म तु ह एक ईमेल फॉरवड कर रहा ।ं मुझे इसक
लोकेशन तुरंत जाननी है। अभी के अभी इसे करो।’
ोत
इमरान ने अपने टांक पर हाथ फेरा जब कार तेजी से एयरपोट क तरफ बढ़ रही थी। राधा
से मेसेज मले ए एक घंटा बीत चुका था। मैसेज जहां से भेजा गया था, उसक भौगो लक
थ त का जब तक पता लगाया जा रहा था, इमरान ने 30 मनट के अंदर उसके लए एक
हवाई जहाज और कमांडो ट म तैयार रखने क मांग रख द थी। दस मनट पहले, उस जगह
का पता चल गया था जो जयपुर से एक घंटे क री पर एक मे डकल फे स लट थी।
अजीब बात यह थी क यह फे स लट टाइटन फामा यु टक स के ली नकल ायल के
लए अनुबं धत क क सूची म शा मल नह थी।
जब तक क तलाश का काम बना कसी सुराग और सफ कभी ना ख म होने वाली
चचा के ज रए हो रहा था, इमरान ने खुद को अ पताल के ब तर तक सी मत कर रखा
था। अब, जब उसके ठकाने का पता लग चुका था, वो खुद को रोके नह रख सकता था।
उसे बचाव दल के साथ आना ही था। उसने ऐसा पहले भी कया था और वो इस बार भी यह
करना चाहता था। और उसका राधा के साथ एक बेहद खास बंधन था। वो एड़ी—चोट का
जोर लगा दे ता, अगर कसी ने उसे यह सलाह द होती क वो अ पताल के अपने ब तर से
राधा को बचाने क को शश पर नगरानी रखे।
वो एक घंटे से भी कम समय म जयपुर प ंच जाएंग।े एयरपोट से वो अपनी मं जल क
तरफ हेलीकॉ टर से जाएंग।े
इमरान ने टाइटन फामा यु टक स से यह बताने के लए भी कहा था क उनका सी नयर
मैनेजमट इस व कहां है। उनम से कुछ बाहर काम से गए थे ले कन एक श स
आ धका रक प से जयपुर के दौरे पर था, जहां वो एक मे डकल क वशन म बोलने वाला
था।
यह था चीफ मे डकल ऑ फसर डॉ टर व ण स सेना। यह सफ एक संयोग नह हो
सकता था।
इमरान का चेहरा स त बना आ था जब वो लोग एयरपोट पर प ंचे और तेजी से उस
हवाई जहाज क तरफ बढ़ चले जो उनका इंतजार कर रहा था।
वो राधा को सही—सलामत वापस लाने के लए जा रहा था।
जाने का समय
वजय अपने सामने के य को नहार रहा था। उसके सामने वशाल जलरा श फैली ई
थी। इतनी वशाल क इसके कनारे नह दख रहे थे, सवाय उस तट के जसके पास वो
खड़ा था। ऐसा लगता था क इस झील ने करीब—करीब पूरी गुफा को घेर रखा है।
ले कन उसे इस झील क खोज ने नह च काया। वान लुएक ने उसे इस बारे म बताया
था और वो इतनी बड़ी जलरा श को दे खने के लए तैयार था। उसे जस चीज ने च काया था,
वो था झील का रंग— प।
जतनी र तक उसक नजर जा सकती थी, झील क सतह सचलाइट के उजाले म
चांद क तरह सफेद दख रही थी। जब बाक लोग भी वहां आ गए और झील को नहारते
ए वैसे ही अ भभूत हो गए, जैसे वजय हो गया था, तो उसने सचलाइट के उजाले म दे खा
क चांद के समान सफेद पानी र— र तक फैला है, शांत और थर, बना कसी तरंग के।
‘कोई ता जुब नह क उ ह ने इसे ध का महासागर कहा,’ वान लुएक वजय के पास
आकर बोला। ‘और अब हम जानते ह य ।’
ले कन इस वशाल गुफा म कई और च काने वाली चीज भी थ । जब सचलाइट का
उजाला उन द वार पर पड़ा जनसे होकर सी ढ़यां लगी ई थ , एक म म धातु क न लयां
और प थर क ना लयां बनी ई दख । प थर क एक बड़ी नाली द वार के साथ बनी ई
थी, जो झील क दशा से आ रही थी, और प थर के ही एक बड़े कुंड म ख म होती थी।
सरी न लयां और ना लयां प थर के कई छोटे —छोटे कुंड को आपस म जोड़ती थ और
साथ ही म धातु क एक मशीन से जुड़ रही थ जो उनके ऊपर लगी थी। इस मशीन और
न लय म इ तेमाल क गई धातु काली थी। सचलाइट क रोशनी म भी उस धातु पर कसी
तरह के जंग का कोई नशान नह था। उसके लए यह पूरी णाली शराब बनाने वाली हौज
क तरह थी जो उसने अमे रका म कई छोट शराब क भ य म दे खी थी।
तभी उन आद मय म से एक च लाया। ‘वहां कुछ चल रहा है!’
सभी सचलाइट उस दशा म घूम ग जस तरफ उसने इशारा कया था। हर कोई
चुपचाप खड़ा था। कुछ दे र तक कोई चीज चलती नजर नह आई। तभी, कुछ लहराता आ
दखा। यह आकृ त बड़ी और गोलाकार प लए ए थी। हर कसी को च काते ए एक
वशालकाय कछु आ सचलाइट से नकल रही रोशनी म धीमी ग त से चलता आ दखा।
यह एक बड़ी जा त थी, कम से कम बीस फ ट लंबा। वजय को अपनी आंख पर यक न
नह आ। कछु आ धीरे—धीरे उजाले को पार करता आ सरी तरफ अंधेरे म कह गुम हो
गया।
‘ठ क है, काम पर लग जाओ,’ वान लुएक ने आदे श दया। ‘म चाहता ं क हम
अगले दस मनट म सपल जमा कर ल और सुर त रख ल। इसके बाद हम यहां से बाहर
जाएंग।े ’
वजय झील के कनारे तक प ंचा और चांद क तरह दख रही सतह को गौर से दे खने
लगा। यह व ास करना असंभव था क यह वही जलरा श है जसका ज मथक म कया
गया था। ले कन अब वो जान गया था क पानी के इस रंग के पीछे क असली वजह या है।
यह उसी बै ट रया का ोत था, जो ऑडर को सकंदर क ममी म मले थे। उसने इसी
झील से आज से दो हजार तीन सौ साल पहले उस रात पानी पया था।
ले कन वो मर य गया? इसने उसके लए काम य नह कया?
‘जाने का व आ गया है,’ वान लुएक क तीखी आवाज ने उसके वचार को भंग
कया। ‘सभी लोग बाहर चल।’ वो वजय क ओर मुड़ा। ‘बेहतर होगा क तुम अं तम छं द
का मतलब हमारे जलालाबाद लौटने तक ढूं ढ़ लो।’
पहेली सुलझ गई
समु मंथन
वजय वान लुएक के आलीशान ग फ म जेट म बैठा था। वो लोग कजाख तान के
अकताऊ अंतरा ीय हवाई अ े के लए उड़ान भर रहे थे, जहां से वो हेलीकॉ टर से उस
जगह जाने वाले थे जो को लन ने बताई थी। एक ह थयारबंद द ता तैयार खड़ा था, और
उनके आने का इंतजार कर रहा था। ऐसा लगता था क ऑडर, जहां भी वो चाहता था,
लोग और ह थयार को आसानी से जुटा लेता था।
बाहर अभी भी अंधेरा था। वान लुएक ने जोर दया था क तुरंत नकला जाए। वह
चाहता था क वो लोग सूरज उगने के पहले पठार पर प ंच जाएं। वैसे तो वो जानते थे क
उ ह कस चीज क तलाश है, ले कन वो अभी भी यह नह जानते थे क दन के कस व
उ ह वायरस के ोत के लए गु त वेश ार दखेगा। उसका वचार था क सबसे सुर त
समय वही होगा, जब वो सूरज उगने के पहले वहां प ंच जाएं।
अकताऊ से एक एडवांस ट म पहले ही नकल चुक थी, जसे करीब 400 कलोमीटर
क री चौप हए वाहन से तय करनी थी, रेत और म के रा त पर जस सफर म उ ह
करीब आधा दन लग जाता। उनका काम था इलाके का साफ करना, सुर त बनाना और
मु य ट म का इंतजार करना।
वजय को अचानक एक याल आया। कुनार घाट म झील वाली गुफा से उ ह वो चीज
मल गई थी जस बारे म वान लुएक ने उसे पहले बता दया था। ले कन वो अभी भी
उसका सामंज य महाभारत के मथक वाली चीज से नह बैठा पा रहा था।
उसने वान लुएक को अपने मन क बात बताई।
‘साफतौर पर महाभारत म उस चीज क ा या है जो हम मली है,’ वान लुएक नाक
चढ़ाकर बोला। ‘तु ह बस छं द क सही ा या करनी है।’ वो खड़ा आ और एक अलमारी
क ओर गया, एक मोट कताब नकाली और अपनी सीट पर लौट आया, कताब को उसने
मेज पर रख दया। ‘ या तुम सं कृत समझते हो?’
वजय ने न म अपना सर हला दया।
‘मुझे कोई शक नह था, यादातर भारतीय क तरह।’ वान लुएक क आवाज म
तर कार क भावना थी। ‘म इस भाषा को ब त अ छे से जानता ,ं इस लए म तु ह
समझाता ं।’
उसने कताब खोली और प े पलटता रहा। ‘यह आ द पव है, महाभारत क पहली
कताब। यही वो कताब है जसम समु मंथन का मथक मलता है।’
पहली बार वजय को महसूस आ क इस यूरोपीय श स का सं कृत उ चारण कतना
शु है। इसके उ चारण म वो लहजा बेहद कम है, जो सामा य तौर पर यूरोपीय लोग का
इस भाषा को बोलते व होता है। उसने ज र काफ शु आती उ म ही इसे सीख लया
होगा और साल दर साल, इसे बोलते और पढ़ते ए अ यास कया होगा, वजय सोच रहा
था।
‘हां, यहां,’ वान लुएक ने प े पर अपनी उंगली रखी। ‘आ द पव म कुछ ोक ह जो
बताते ह क हजार साल पहले या आ था। हालां क ोक के वा त वक अथ पर
पारंप रक ा या हावी हो गई और घटना क सचाई धीरे—धीरे मटती चली गई। सच यह
है क इस कहानी को दया गया अं ेजी नाम अपने आप म गलत है। यह सच है क
समु मंथन क ा या “महासागर के मंथन” के प म क जा सकती है। ले कन मंथन क
उ प मंथ या मथ से ई है। जसके अं ेजी म कई अथ हो सकते ह। मथना उनम से सफ
एक है। मथ का मतलब हलाना, उकसाना या म त करना भी हो सकता है। इस लए,
अगर हम इस शीषक क पारंप रक ा या को भूल जाएं तो इसका मतलब हो सकता है या
तो “महासागर को हलाना” या “महासागर को म त करना”। जो, जैसा तुम दे खोगे,
यादा उ चत है उस चीज का वणन करने के लए जो आ था। और जो मशीन हम झील के
पास मली थी, वही थी जहां म ण आ था। झील का पानी द वार से सटाकर बनी प थर
क नाली के ज रए मशीन म जाता होगा और प थर के कुंड सरी साम य को जमा करने
और मशीन म उ ह प ंचाने के लए इ तेमाल होते ह गे। यह संभव है क पानी नकालने के
लए बना यं इस बात का म पैदा करता था क झील के पानी का मंथन हो रहा है,
इस लए मथ क ा या ‘मंथन’ के तौर पर क जाने लगी। म इसे थोड़ा और समझाता ं।’
उसने कताब दे खी, और साथ—साथ अपने सर के ऊपर लगी ब ी जलाई। ‘इस
ोक को लेते ह:’
दे वैरसुरसंघै म यतां कलशोद धः
भ व य यमृतं त म यमाने महोदधौ।।12।।
इस ोक का पारंप रक अथ हैः “दे व और दानव के ारा महासागर के मंथन के बाद,
सागर का जल अमृत कलश म प रव तत होगा”। ले कन अगर तुम “मंथन” श द को
“ हलाना” या “ म ण करना” से बदल दो, मथ क उ प का इ तेमाल करते ए, तो पूरा
अथ बदल जाता है। तुम अब इसक ा या इस तरह कर सकते होः दे व और दानव ने
सागर के जल को म त कया या हलाया और यह एक अमृत कलश बन गया।’
वो अगले ोक क तरफ बढ़ा और उसे पढ़ा।
सव षधीः समावा य सवर ना न चैव ह।
म थ वमुद ध दे वा वे य वममृतं ततः।।13।।
‘यहां, पारंप रक अथ हैः “सभी औषधीय पौध और र न को ा त करने के बाद, हे
ई र, महासागर का मंथन करो तब तुम अमृत ा त करोगे।” फर से “मंथन” क जगह
“ म त करना” या “ हलाना” रखो और तुम दे ख सकते हो क या यूब पर पौध और
फल का वणन करने वाला छं द ासं गक है या नह ।’
वजय उस पर यक न नह कर सका जो वो सुन रहा था। यहां एक ऐसा मथक था जो
उसने बचपन से अब तक दजन बार सुना था और वान लुएक उस ा या से बलकुल
अलग बात कर रहा था जो उसने सीखी थी।
‘अब एक ोक है जो सीधे उस चीज क बात करता है जो हम कुनार घाट म मलीः
तत तेन सुराः साध समु मुपत थरे।
तमूचुरमृताथाय नम थ यामहे जलम्।।8।।
इस ोक का पारंप रक अथ हैः “तब दे व और दानव महासागर के तट पर खड़े ए
और कहा क अमृत के लए हम जल का मंथन करगे”। यहां, दलच प है क समु म क
ा या “पानी के एक होने” के प म क जा सकती है। साफतौर पर यह एक वशाल
जलरा श क बात करता है। और यही हम मला ना? इस लए इस ोक का वा त वक अथ
हो सकता हैः “तब दे व और दानव उस तट पर खड़े ए जहां पानी एक होता था और कहा
क अमृत के लए हम पानी को हलाएंगे या मलाएंग”े ।’
उसने कुछ और प े पलटे और एक सरे ोक को दखाया।
‘यहां व ान आ जाता है। हां, तु ह बलकुल अलग सोच से, खुले दमाग से इस ोक
क सही ा या करनी होगीः
त नानाजलचरा व न प ा महा णा।
वलयं समुपाज मुः शतशो लवणा भ स।।19।।
पारंप रक प से इसक ा या इस तरह क जाती हैः “तब, वशाल पवत के हार से,
व भ कार के जलीय जंतु अपने वनाश क ओर बढ़ गए और उ ह ने लवणयु जल म
सैकड़ गुना होकर पुनज म लया”। यहां जलचर श द का अथ “जलीय जानवर” से लगाना
गलत है। इस श द का अथ है “पानी म चलने वाले या पानी म रहने वाले” और पानी के
कसी भी ाणी से इसका संबंध हो सकता है। बै ट रया समेत जो उस झील म रहते ह जो
हम मला। ये भी यान रखो क व न प ा श द का अथ हो सकता है “पीस डालना, चूण
म बदल डालना”। फर, लवणयु जलरा श का भी ज है। अ भ स का मतलब पानी
और लवणम् मतलब नमक न, यानी हम बात कर रहे ह नमक न पानी के एक कुंड क जो
पूरी तरह उस झील के लए उपयु है जो हम मला। इस लए नया अनुवाद इस तरह हो
सकता हैः “नमक न पानी म समु ाणी, या बै ट रया, न हो गए और सैकड़ गुना होकर
फर पैदा ए”। इसे तुम उसी घटना का च ण मान सकते हो, जब रे ोवायरस बै ट रया
को सं मत करता है और उनका जीनोम बदल दे ता है——एक तरह का पुनज म कह
सकते ह ना इसे?’
‘ म टर वान लुएक,’ पायलट क आवाज पीकर म गूंजी। ‘हम अकताऊ म उतरने जा
रहे ह। 30 मनट म जमीन पर ह गे।’
वान लुएक ने कताब बंद क और वजय क तरफ उसे आंकने के अंदाज म दे खा।
‘ऐसे कई ोक ह। ले कन तुमने दे खा क कैसे महाभारत म हम बताया गया है क हजार
साल पहले एक वै ा नक घटना ई थी? और यह कोई महासागर या सागर नह था, ब क
एक बड़ा लवणयु जलकुंड था जसने इस घटना का आधार तैयार कया। जो तुमने अपनी
आंख से अब दे ख लया है।’
वजय ने सकारा मक अंदाज म सर हलाया। उसके पास श द नह थे। वो सफ
ोक के पीछे छपे गूढ़ अथ को आ मसात करने क को शश कर रहा था, जो एक अ त
घटना का वणन सतही तौर पर करते थे।
67
सव े योजना के जो खम
पैटरसन ने कैमरे क तरफ यो रयां चढ़ाकर दे खा। यह उसक पूरी रात लेने वाला था।
इमरान जयपुर से लौट आया था और अ पताल के अपने कमरे म वापस आ गया था। उसके
टांके दद कर रहे थे और वो पूरी रात मेहनत करके काफ थक चुका था। जयपुर आने—जाने
का असर दख रहा था य क वो खून बहने और सजरी होने क वजह से अभी भी कमजोर
था।
इमरान ने पैटरसन को राधा के बारे म बता दया था। उस आदमी ने इस खबर को
भावहीन तरीके से लया था। यह यु था और उसने पहले भी अपनी ट म के सद य खोये
थे। खी होने का समय बाद म होगा। अभी काफ कुछ करने क ज रत थी।
ले कन वो इस खबर से खुश नह था जो को लन ने उसे द थी।
‘उ ह सभी जगह को छोड़कर कजाख तान चुनने क ज रत य थी?’ वो गुराया था।
‘हम अभी—अभी क ग तान के सै य अ े से हटे ह। म य ए शया म कोई और अमे रक
अ ा नह है। जब तक वो लोग अफगा न तान म थे, हम वजय को अपने ोन अ क
मदद से कुछ ना कुछ मदद कर सकते थे और वहां से उसे बाहर नकालने म यादा द कत
नह आती। हमारे पास वहां अभी भी सेनाएं ह। कजाख तान म मु कल हो सकती है। वो
पागल का इलाका है। अफगा न तान से कसी भी उड़ान को उ बेक और कजाख हवाई
े से गुजरना होगा। और हम अफगानी सै य अ े से हेलीकॉ टर का इ तेमाल नह कर
सकते——उनक इतनी मता नह होगी। मुझे नह लगता क इनम से कोई भी दे श इतनी
ज द हम अपने हवाई े म हमारे लड़ाकू वमान लाने क इजाजत दे गा।’
‘ या इसका यह मतलब है क वजय अब पूरे तौर पर अपनी क मत पर नभर है?’
इमरान ने आ य जताया।
पैटरसन ने कंधे उचकाए। ‘म इस बात को सु न त करने के लए जी—जान लगा ं गा
क हम उसे अभी भी मदद कर पाएं। वो मेरी बड़ी चता नह है। म वॉ शगटन म जतनी भी
पहचान है, उनका इ तेमाल कर लूंगा। ले कन म यह प के तौर पर नह कह सकता क
हमारे पास पया त समय है या नह । अगर वो लोग कल सुबह तक, कजाख के थानीय
समय के मुता बक, अं तम ठकाने पर प ंच जाते ह, तो इसका मतलब है क मेरे पास कुछ
ही घंटे ह। उसके बाद वजय क क मत। बेहतर होगा क म अभी से लग जाऊं।’
‘मेरी शुभकामनाएं तु हारे साथ ह।’ इमरान ने वदा लया और मॉ नटर बंद कर दया।
उसके मन म एक खालीपन सा भर आया। वो पहले ही राधा को खो चुका था। और पैटरसन
वजय क मदद करने का प का भरोसा भी नह दला पा रहा था। इमरान जानता था क
चीज खलाफ जा रही ह। और, वो इस याल से लड़ तो रहा था, ले कन इसे हटा नह पा
रहा था क वो अपना एक और दो त आज खो दे गा।
तीन भाई
वजय ने हेलीकॉ टर से बाहर झांका जब वो लोग उ तुत पठार के ऊपर से गुजर रहे थे।
काफ नीचे सपाट ऊंची जमीन फैली ई थी, जस पर रेत बछ थी। सुबह होने के पहले क
रोशनी म ब त थोड़ी सी ह रयाली दख रही थी और जहां तक नजर जाती थ , पानी का
कोई ोत नह दख रहा था। यह बलकुल उजाड़ इलाका था।
रे ग तान क रेत के बने वशालकाय ट ले और चूना प थर क लंबी तीखी ढाल ऐसी
दख रही थी, जैसे वो उनके ऊपर उड़ रहे घुसपै ठय को छू ना चाहती ह । तेज धार वाली
और टू ट —फूट पहा ड़यां कम से कम 300 मीटर ऊंची थ और अलग—अलग रंग क
दख रही थ , झक सफेद से लेकर नीली और गुलाबी तक। ऐसा लग रहा था मानो आप
कसी सरे ह का च कर लगाते ए उसे ऊपर से दे ख रहे ह ।
या यही वो जगह है जहां वायरस का ोत मलेगा? उ ह ज द ही पता लग जाएगा।
जैसे उसे इसी इशारे का इंतजार था, पायलट पीछे घूमा और उ ह बताया क तीन भाइय
के नाम से मश र च ानी संरचना दखने लगी है।
‘तीर क नोक क तलाश करो,’ वान लुएक ने नदश दया। ‘म चाहता ं क हर आंख
जमीन पर रहे।’
वजय को काफ आ य आ, जब उसने दे खा क सपाट ऊंची जमीन, जसके ऊपर वो
लोग उड़ान भर रहे थे, म बड़े—बड़े तीर तराशे गए थे। उसे जमीन पर तराशे गए नाजका
च क याद आ गई, जो मील तक फैले ए ह। ले कन यहां, तीर के अलावा कोई सरी
आकृ त नह दख रही थी।
सभी तीर मलकर यू आकार का एक थैला बना रहे थे जसम से दो नुक ले तीर बाहर
क ओर नकले थे।
वजय को अब छं द का मतलब समझ म आया। वो यह भी समझ गया क वान लुएक
यहां सूरज उगने के पहले य आना चाहता था।
तीन भाइय वाली संरचना अब उनके आगे दखने लगी थी——एक साथ भावशाली
भी और भयंकर भी। चूना प थर के एक वशालकाय ट ले से तीन बलकुल सीधे प थर के
तंभ गव से सीना ताने खड़े थे। ये तंभ नंगे थे, कोई पेड़—पौधे नह , उनके पूव ह से पर
नवो दत सूय ने जैसे आग जला द थी।
वजय कृ त क इस अ त कृ त से अपनी आंख नह हटा सका जसने इस वीरान
पठार क खूबसूरती को, जतना उसने अब तक दे खा था, कह पीछे छोड़ दया था। अगर
कृ त म कह भी कोई ऐसी रचना हो सकती थी जो अ वनाशी जीवन दे सके, तो ये जगह
उसके लए बलकुल सही लग रही थी।
‘तीन भाई,’ वान लुएक बुदबुदाया, वो भी च ान क इस संरचना क खूबसूरती से
भा वत हो गया था। फर वो अपने म लौट आया और सै य कुशलता के साथ नदश दे ने
लगा। नीचे, जमीन पर, एक एसयूवी दख रही थी, जसके साथ एडवांस ट म के लोग
च टय के समान दखाई दे रहे थे।
और तब वजय ने दे खा। नुक ले तीर का एक और सं ह। पठार के प थर पर अं कत
ठ क उसी तरह जैसा उसे रा ते म दखा था। इसक नोक तीन भाई क तरफ थी, पछले
तीर क तरह नह , जनक नोक उ र दशा क तरफ थी।
तीर क नोक जो माग का संकेत दे ती है।
ले कन छं द म बताया गया तीर कौन सा है?
हर तीर च ानी संरचना क तरफ इशारा कर रहा था ले कन च ान के अलग—अलग
ह स क तरफ।
‘कौन सा है यह?’ कूपर ने हेलीकॉ टर के पंख क गरज के बीच से च लाकर पूछा।
‘परछाई उसे पश करेगी जो हम मुहर तक प ंचाएगा!’ वान लुएक ने भी च लाकर
जवाब दया। ‘दे खो, वो पीछे हटने लगे ह।’
वो सही था। सुबह के सूरज से बनी लंबी परछा सकुड़ रही थ , वो च ानी संरचना क
तरफ खुद को समेट रही थ ।
‘हम यहां काफ दे र तक मंडरा नह सकते।’ कूपर चीखते ए बोला। ‘हमारे पास इतना
ही धन बचा है क हम अकताऊ तक वापस प ंच सक।’
‘वो लोग तीर पर नशान लगा रहे ह।’ वान लुएक ने जवाब दया। ‘अब हम नीचे
जाएंग।े ’
हेलीकॉ टर ने नीचे क तरफ उतरना शु कया जब क जमीन पर एडवांस ट म अलग
—अलग तीर के चार तरफ तेजी से दौड़ लगा रही थी। वजय समझ गया क या हो रहा
था। दन क रोशनी के आने के साथ ही एडवांस ट म हर तीर के घेरे पर सफेद झंडे लगा रही
थी। जब च ानी संरचना क परछाई सही तीर पर पड़ेगी, वो सफेद झंड पर बनने वाली
परछाई दे खकर पता लगा लगे। हेलीकॉ टर धूल और रेत के तूफान के बीच जमीन पर उतरा,
पंखे क आवाज धीरे—धीरे कम होकर स ाटे म बदल गई थी। यह एक खूबसूरत य था।
उनके चार तरफ एक बड़ा पथरीला रे ग तान था, जसके बीच बीच तीन भाई के नाम से
मश र च ानी संरचना खड़ी थी। कुछ री पर, पहा ड़य ने अपना रंग बदलना शु कर
दया था जैसे—जैसे सूरज आसमान म ऊपर चढ़ता जा रहा था।
‘इसका कोई मतलब नह है,’ वजय ने कहा। ‘दोन तीर अभी परछाई के घेरे म ह। जब
च ान क परछाई पीछे हटे गी, यह दोन तीर क नोक को पश करेगी। वो एक ही दशा क
तरफ संकेत कर रहे ह।’
‘धीरज रखो,’ वान लुएक ने कहा। ‘याद रखो, यूब को ऑडर ने बनाया था। जो हम
लोग करते ह, हर उस चीज का एक मकसद होता है। अगर छं द कहता है क हम इसी तरीके
से ठकाने पर प ंचगे, तो मेरा व ास है क हम प ंचगे।’
सब लोग इंतजार करते रहे और तीन सर वाले च ान क परछाई पीछे हटती रही। दो
तीर म से कौन था जसक उ ह तलाश थी?
68
सांप क मुहर
वजय ने खुद को घरनी से बांध लया, वो दो सुर ाक मय के बीच म दबा आ था। उसे
यादा कुछ नह करना पड़ा; घरनी ने सारा काम कर दया था। उसके सामने वाला
सुर ाकम उस मुहाने म चला गया जो बस इतना बड़ा था क एक बार म एक ही आदमी जा
सकता था। वजय उसके पीछे —पीछे गया, उसके हेलमेट लप क रोशनी सुर ाकम के
पछले ह से पर पड़ रही थी। सुरंग सीधी पहाड़ के भीतर जा रही थी। यह उतनी संक ण
नह थी क बेचैनी महसूस हो। दोन तरफ और ऊपर क तरह जगह थी, ले कन वजय
अपना सर ब त ऊंचा नह उठा सकता था। सुरंग क फश और द वार चकनी थ ।
करीब तीस फ ट तक जाने के बाद, सुरंग एक बड़े कमरे म खुलती थी। वजय सुरंग से
बाहर नकला और वान लुएक और उन आद मय के साथ हो लया, जो उससे पहले यहां
प ंच चुके थे और बाक लोग को उस रा ते से आते दे ख रहे थे।
‘रोशनी करो,’ वान लुएक ने आदे श दया और ताकतवर पोटबल सचलाइट जल उठ ,
रोशनी म सी ढ़यां दख जो गहरे अंधेरे म उतर रही थ और उनक पद तक सचलाइट क
रोशनी नह प ंच पा रही थी।
कूपर का संकेत पाकर, चार आद मय क एक एडवांस ट म सी ढ़य से नीचे उतरने
लगी। कूपर उनक ग त व ध क नगरानी अपने ईयरपीस क मदद से कर रहा था, और वो
लोग अपनी ग त व ध क जानकारी उसे दे ते जा रहे थे।
सभी लोग कमरे म चुपचाप, धैय के साथ इंतजार करते रहे, काफ मनट बीत गए।
वजय ने अनुमान लगाया क कम से कम बीस मनट बीत चुके ह, तभी कूपर ने वान
लुएक को जानकारी द , ‘सब कुछ ठ क है।’
वान लुएक ने सहम त म सर हलाया और बाक लोग ने सी ढ़य से नीचे उतरना शु
कर दया।
69
अमृत और र न
अं तम बाधा
यूमेनीज ने मशाल ऊपर उठाई जब सकंदर पूव को जीतने के अपने अ भयान पर थान से
पहले उस चम—प को तरछ नगाह से दे ख रहा था, जो उसक मां ने उसे दया था।
उसक मां ने उसे बताया था क यह उसे उसी भू म से आए एक दाश नक ने दया है, जहां
पर अभी उसक सेना ने अपना पड़ाव डाला है। ले कन उसे चम—प के ोत म दलच पी
नह थी। उसक दलच पी मथक क कथा——ई र का रह य——म थी जसने उसे
अपनी सेना को ए शया के पार लाने और सधु क भू म म आने के लए े रत कया था।
उसने अपने आसपास के े पर नजर डाली और जहां तक उसक नजर प ंच रही थ ,
उनक भौगो लक थ त को चम—प पर लखे ोक के अथ से मलाने क को शश क ,
जो उसक मां ने उसे समझाए थे।
‘वो चीज यह कह आसपास होनी चा हए,’ वो बुदबुदाया, कुछ खुद को और कुछ
यूमेनीज को समझाने क को शश कर रहा था। ‘हमने अभी—अभी पोजीडॉन के दं ड को
पार कया है।’
यूमेनीज ने सर हलाया। ‘ या हम आगे बढ़? शायद वो आगे हो?’
सकंदर भुनभुनाया। वो लोग करीब एक घंटे से तलाश म लगे थे, उनके काम को अंधेरे
और उबड़—खाबड़ च ानी जमीन ने और मु कल बना दया था। ले कन सकंदर को अपनी
तलाश अंधेरे म ही जारी रखनी थी। पोजीडॉन के दं ड को ढूं ढ़ने का यही इकलौता तरीका
था।
उसने चालाक से अपनी सेना को इतनी र तक आने के लए े रत कया था और अब
वो अपनी कामयाबी के रा ते म कसी को नह आने दे सकता था। शु आत म, उसने अपने
सै नक को बताया था क वो त ा के लए लड़ रहे ह। मक नया क त ा के लए।
फार सय के हाथ ए अपमान का बदला लेने के लए। वो लोग फार सय से लड़गे और
उ ह परा त कर दगे। सकंदर फारस पर राज करेगा। इससे उसक सेना म अ छा संदेश
गया था, खासतौर पर यु का अनुभव रखने वाले व र सै नक म, ज ह ने उसके पता
फ लप तीय क अगुवाई म कई लड़ाइयां लड़ी थ । वो उसक योजना म फ लप क
मह वाकां ा और उसक वजय का व तार दे ख सकते थे। सकंदर, उनके लए, अपने
पता का स चा पु था।
पछले कुछ साल के दौरान उ ह ने डै रयस को ने तनाबूद कया था, उन सामंत का
खा मा कया था ज ह ने फारसी बादशाह को धोखा दया था और सकंदर को फारस के
शासक के तौर पर था पत कया था। और फर, बा ख म जब सेनाएं घर वापसी क सोच
रही थ , सकंदर ने उन पर बम गरा दया था। वो लोग ए शया क तरफ कूच करने वाले थे।
उसने उ ह व वजय, पृ वी के सरे छोर तक कूच करने और सधु क भू म पर
मक नया के भु व क कहा नय से े रत कया था। उसके लोग, अपनी जीत से और
अपने राजा और सेना क अजेयता से उ सा हत, उसके साथ जुट गए थे।
अब, वो उस कारण, जसके लए वो यहां आया था, के काफ करीब था। ई र का
रह य। अपनी सेना को दो भाग म बांटकर, चम—प पर दए नदश के अनु प, उसने
एक भाग क अगुवाई कुनार घाट तक क थी। कै ल थनीज ने मशन का अपना ह सा
पहले ही पूरा कर लया था, जसम उसने चम—प के कुछ नदश पालन कया था, जब
सकंदर ने अपनी सेना क अगुवाई सॉ डयन पवत के व क थी और बै यन कबील
को अधीन बना लया था।
सकंदर के पास अब वो सारी चीज थ जो उसे चम—प के नदश के अनु प चा हए
थ । वो और यूमेनीज आज रात अपने खेमे से चुपचाप नकल आए थे, और अं तम
नशा नय क तलाश कर रहे थे जो उ ह रह य के ठकाने तक प ंचाते।
धीरे—धीरे, सावधानीपूवक वो आगे बढ़ते गए। वो अपने आसपास खड़ी उन च ानी
संरचना के कनारे चल रहे थे, जो उनके ऊपर मूक समा ध क तरह उठ ई थ । काफ
नीचे, पवत और अंधेरे के पद म, नद बह रही थी ले कन वो उ ह दख नह रही थी। इसने
कई वजेता को आते—जाते दे खा था और इस राजा क उप थ त से भी अनजान थी,
जो सावका लक महान वजेता म एक होने वाला था।
यूमेनीज ने च तत होकर चार तरफ दे खा। सकंदर ने अपने साथ कोई भी हरी लाने
से मना कर दया था, और उसे अपनी तलवार और सै य कौशल पर भरोसा था। ‘उस
आदमी पर कौन आ मण करेगा जसने नया जीती है?’ उसने यूमेनीज का मजाक उड़ाया
था, जब उसने सुझाव दया था क उ ह अपने साथ कुछ सै नक ले चलने चा हए। ले कन
यूमेनीज सकंदर के इस आ म व ास से सहमत नह था। सकंदर इस इलाके के पहाड़ी
कबील को अधीन बनाने क इ छा रखता था और उसका तक था क ये कबीले उसक सेना
के लए खतरा ह। यूमेनीज जानता था क दरअसल यह उस गु त मशन को छपाए रखने
क चाल थी जस पर आज रात वो आए थे। ले कन थानीय कबीले उनके आते ही भाग गए
थे और अपने गढ़ एयोरनॉस म वापस चले गए थे, उस दर से कुछ मील र जो उ ह पूव क
तरफ ले जाने वाला था। कौन बता सकता था क कह कोई गु सैल कबीलाई च ान और
पेड़ क आड़ म घात लगाकर बैठा हो, और स य नया के शासक का वध करने के लए
सही मौके का इंतजार कर रहा हो?
‘वहां!’ सकंदर क खी फुसफुसाहट ने उसके वचार को भंग कया।
यूमेनीज तनकर दे खने लगा क सकंदर ने या दे ख लया था। एक और अजीबोगरीब
च ानी संरचना उनके सामने खड़ी थी। ले कन यह थोड़ी अलग थी। ऐसा लगता था क यह
दोन तरफ से काफ घस चुक है, जसक वजह से यह एक वशालकाय लहर क श ल म
दख रही थी, जो उनके ऊपर से होती ई आसमान तक प ंच रही थी।
एक वशालकाय लहर। या पांच सर वाला सांप। जो चम—प के ोक से मेल खाता
था।
सकंदर सांप क श ल वाली च ान क तरफ आगे बढ़ा, यूमेनीज उसके पीछे
लड़खड़ाता आ चला, अपने राजा क चाल से चाल मलाने क को शश करता आ। अब,
वो च ान के सामने खड़े थे। यह उससे कह यादा ऊंचा था, जो उ ह तब लगा था जब
उ ह ने पहली बार दे खा था, उनके सर से करीब पं ह फ ट ऊपर फैला आ।
यूमेनीज ने मशाल च ान के पास कर द , वो ये ढूं ढ़ने क को शश कर रहा था क या
इस भू मगत गुफा म जाने का कोई रा ता है, जो चम—प के मुता बक इसी च ान के नीचे
था।
सकंदर ने इसे ढूं ढ़ लया। यह एक संक ण मुहाना था, जो च ान म एक मोड़ के पीछे
छपा था। जब तक कसी को यह मालूम ना हो क वो वहां है, दन के उजाले म भी इसे दे ख
पाना असंभव था।
‘यहां इंतजार करो,’ सकंदर ने आदे श दया और यूमेनीज से मशाल ले ली। ‘म ज द
लौटता ं।’
यूमेनीज ने इस पर आप क , ले कन सकंदर ने उसे तुरंत चुप कर दया। ‘यह एक
प व जगह है,’ सकंदर ने उसे कहा। ‘ सफ एक भगवान के लए उपयु है। इसके आगे म
खुद जाऊंगा।’
सकंदर उस मुहाने म गायब हो गया, और यूमेनीज को अंधेरे म अकेला छोड़ दया।
ले कन वो अपनी सुर ा को लेकर च तत नह था। उन दोन म से कोई नह जानता था क
मुहाने के पीछे या है। वो सफ एक अजनबी क बात पर व ास करके चल रहे थे। अगर
यह सकंदर को मारने क चाल ई तो?
समय बीतने लगा, धीरे—धीरे, परेशानी बढ़ाते ए और यूमेनीज स त पथरीली जमीन
पर बैठकर अपने राजा क वापसी का इंतजार करने लगा।
समय, जो बीतने का नाम नह ले रहा था, आ खरकार बीता और सकंदर मुहाने से
बाहर आया। उसका कवच भीगा आ था, और उसका चेहरा चमक रहा था।
‘हो गया,’ उसने यूमेनीज को मशाल लौटाते ए कहा। ‘अब, अंततः म भगवान हो गया
ं।’
71
वतमान
छठा दन
अ भयान का सार
वान लुएक ने दे खा क उसका आखरी आदमी भी घरनी के सहारे ढाल से नीचे आ गया
और बाक सभी लोग के साथ हो लया। पकड़े गए सांप और कलश हेलीकॉ टर म सुर त
रख दए गए थे। वो आदमी अब सारे औजार को सं क म भरने म और उ ह हेलीकॉ टर
पर चढ़ाने म त थे।
‘ तज पर प ी दख रहे ह,’ तभी एक आदमी ने अचानक कहा।
सभी क आंख उस दशा म मुड़ ग जस तरफ उस आदमी ने इशारा कया था।
औजार को जमाकर रखने और सं क को चढ़ाने का काम क गया।
प म क तरफ फैली बंजर भू म के ऊपर दो छोटे ब दख रहे थे। वो तेजी से बड़े
होते जा रहे थे।
ये हेलीकॉ टर थे, जो उनक ही तरफ आ रहे थे।
कूपर ने आद मय से ज द करने को कहा। वो नह जानता था क उन हेलीकॉ टर म
कौन था, ले कन प के तौर पर वो दो त नह थे। उनके सहयो गय म से कोई भी मशन के
इस ह से के बारे म नह जानता था। अगर हेलीकॉ टर इस तरफ आ रहे थे, तो यह अ छ
खबर नह थी।
‘ज द , ज द , ज द ,’ वो च लाया और आद मय को हाथ तेजी से चलाने को कहा।
उन आद मय ने उसके लहजे क गंभीरता को समझा और अपनी र तार बढ़ा द , पहले
जहां वो धीरे—धीरे चल रहे थे, अब दौड़ने लगे और सं क म सामान को सावधानी से
रखने क बजाय ठूं सने लगे।
हेलीकॉ टर आकार म बढ़ते गए और अब उनके पंख क तीखी आवाज उनके कान
तक प ंचने लगी। वो तेज हेलीकॉ टर थे और च ान और अपने बीच क री को तेजी से
पूरा कर रहे थे।
कूपर को समझ आ गया क उन लोग के पास सारे औजार को लादने का समय नह
है। ‘हम सामान यह छोड़ना होगा,’ उसने वान लुएक को बताया जसने इस पर रजामंद दे
द।
उन आद मय ने सं क छोड़ दए और अपने हेलीकॉ टर म चढ़ने लगे।
कूपर ने आसमान क तरफ दे खा जहां दोन हेलीकॉ टर अब इतने बड़े हो गए थे क वो
नंगी आंख से पहचाने जा सक।
‘बुरी खबर है,’ उसने वान लुएक को बताया। ‘कजाख एयरफोस के हेलीकॉ टर ह ये,
यूरोकॉ टर ईसी725एस।’
वान लुएक ने सर से इशारा कया। ‘चलो उड़ते ह। और उ मीद करते ह क उनके
पास सफ मशीनगन और बं क ह । रॉकेट लॉ चर नह ह ।’
कूपर हेलीकॉ टर म कूदकर चढ़ गया और दोन हेलीकॉ टर ऊपर उठ गए।
कजाख एयरफोस के हेलीकॉ टर तेजी से पास आ रहे थे। वान लुएक के हेलीकॉ टर
र तार के लए नह बने थे। उसके लोग एमआई—26 म थे, नया का सबसे बड़ा सबसे
भारी हेलीकॉ टर, जसम 82 लोग समा सकते थे, और 60 आद मय के लए बलकुल सही
था जनक ज रत वान लुएक को इस मशन के लए थी। इसक उड़ान मता 432
नॉ टकल मील थी और इस मशन के लए जतना सफर करना था, उस हसाब से बलकुल
सही थी। उसका अपना हेलीकॉ टर अगु ता वे टलड एड यू139एम था, जो 15 या य के
लए बना था और जसक उड़ान मता 537 नॉ टकल मील थी।
सरी ओर, कजाख हेलीकॉ टर छोटे थे। उनक अ धकतम र तार 324 कलोमीटर
त घंटा थी, अगु ता क 306 कलोमीटर त घंटे क र तार से थोड़ी यादा और
वजनदार एमआई—26 क 295 कलोमीटर त घंटे क र तार से कह यादा। इसके
अलावा, वो शायद जासूसी मशन पर थे और उनम सै नक नह थे जस तरह से ऑडर के
हेलीकॉ टर म थे। इस वजह से कजाख हेलीकॉ टर ह के थे, और तेज भी।
‘हम उनसे बच नह पाएंगे,’ कूपर ने स त लहजे म कहा।
‘रॉकेट लॉ चर नकालो,’ वान लुएक ने आदे श दया। ‘वो ह थयार से हमले क
उ मीद नह कर रहे ह गे। हम उनसे पीछा छु ड़ाना है।’
कूपर ने आदे श का पालन कया। अगु ता हेलीकॉ टर के के बन के पछले ह से म दो
रॉकेट लॉ चर रखे थे, ज ह ज द —ज द खोला गया और हमले के लए तैयार कया गया।
दो लोग उ ह दागने के लए तैयार खड़े हो गए।
बना कोई संदेह कए कजाख हेलीकॉ टर पास आते गए।
‘ को,’ वान लुएक ने आदे श दया। ‘हम नह जानते क उनके पास रॉकेट लॉ चर है
या नह । उ ह हमारे दायरे म आने दो। हमारे पास एक ही मौका है। इसका पूरा फायदा
उठाना है।’
खोजबीन
वजय सावधानी से खड़ा आ और सोच रहा था क उसे या करना चा हए। वो यहां सैकड़
सांप के साथ कैद हो गया था। बाहर नकलने का इकलौता रा ता वान लुएक ने बबाद कर
दया था।
उसके दमाग म एक वचार आया। इससे ब त यादा उ मीद तो नह थी ले कन
आजमाया जा सकता था। अगर यह कमरा महाभारत से जुड़ा है तो यह हजार साल पहले
बनाया गया होगा। सांप इतने पुराने नह हो सकते थे। उनके पालन—पोषण और उनक
आबाद को बने रहने दे ने के लए उ ह खलाने क ज रत पड़ती होगी।
इसका मतलब था क यहां से सतह पर प ंचने का कोई साधन ज र होगा। शायद
च ान म ऐसे छे द बने ह , जससे सांप अपने घर से बाहर नकलते ह गे और पठार म रहने
वाले जीव—जंतु को खाते ह गे। यहां क हवा सैकड़ साल तक बंद रहने के बावजूद
ताजी लग रही थी। हो सकता है उनम से कोई छे द इतना बड़ा हो क वो रगकर बाहर नकल
सके? इस चीज क खोजबीन तो क जा सकती थी। उसके पास जदा बचने क और कोई
उ मीद नह थी।
ले कन सबसे पहले, वो उस काम को करना चाहता था जो उसके दमाग म काफ समय
से घूम रहा था। वो अब तक यह करने म कामयाब नह हो पाया था य क वान लुएक
और उसके आदमी हमेशा आसपास रहते थे। वह उस कमरे म घुसा जसक एक द वार पर
उसक याददा त के मुता बक कुछ अ भलेख थे और उस जगह पर उसने सचलाइट से
रोशनी क । वो अ भलेख व च आकृ तय के थे, जैसे उसने पहले कभी नह दे खे थे। एक
हाथ से सचलाइट को पकड़े ए, उसने अपना माटफोन नकाला और उस अ भलेख के
कुछ फोटो लक कर लए, इसके बाद वो मु य क म चला आया।
अब, इस झमेले से नकलने का रा ता ढूं ढ़ा जाए।
उसने जमीन पर पड़े कुदाल , फावड़ और कु हा ड़य के ढे र म से, जो वो आदमी अपने
साथ लाए थे और वापस जाते व छोड़ गए थे, एक फावड़ा उठाया। यह काम आ सकता
था।
बस एक द कत थी। उसे सांप के ढे र म से जगह बनाकर नकलना पड़ेगा, जो उसके
सामने फैले ए थे।
73
तनावपूण थ त
‘वो हेलीकॉ टर पर हमला करने जा रहे ह,’ पैटरसन ने जानकारी द । वो इमरान के साथ
टे ली— लक पर था, जो अभी भी अ पताल म अपने ब तर पर था, ले कन अपने कमरे के
उपकरण क मदद से बाक नया से जुड़ा था।
पैटरसन ने वॉ शगटन म एक के बाद एक टे लीफोन खड़काए थे, सुर ा बल और
कां ेस म अपने नेटवक से संपक साधा था। वो अमे रका के रा प त तक जा प ंचा था।
बाहर उसक ट म का एक सद य मुसीबत म था और वो उसे इस हालत म छोड़ नह सकता
था। यह उसका तरीका नह था।
आ खरकार, कूटनी तक और सै य माग के ज रए, वो कजाख र ा मं ालय तक जा
प ंचा था और उ ह हालात क गंभीरता समझाई थी। हालां क, पैटरसन के हाथ इस त य ने
बांध रखे थे क जो जानकारी उसके पास थी, वो बेहद गु त थी और उसे एक पूव सो वयत
रा य के साथ नह बांटा जा सकता था। कजाख लोग को यह भरोसा दलाना ब त मु कल
था क हालात काफ गंभीर ह और उ ह उ तुत पठार म मौके पर अपने सै नक या कमांडोज
भेजने चा हए। अंत म वो दो हेलीकॉ टर को पठार पर खोजबीन करने और हालात क
जानकारी दे ने के लए भेजने को राजी हो गए थे।
पूरा ऑपरेशन कजाख एयर कमांड क नगरानी म हो रहा था और इसका वी डयो लक
पैटरसन और इमरान को उपल ध कराया गया था।
कजाख हेलीकॉ टर म लगे कैमर ने जमीन पर इंतजार कर रहे दोन हेलीकॉ टर को
जब बड़ा करके दखाया था, तो उ ह ने दे खा था क कैसे उन लोग ने पहले अपने
हेलीकॉ टर म सामान लादने म तेजी दखाई, फर उसे आधे म ही छोड़कर उड़ गए।
फर, उ ह ने दे खा क जमीन पर से एक हेलीकॉ टर उड़ा और वहां से भागने के इरादे से
पूव दशा म बढ़ चला, जब क सरा हेलीकॉ टर उसी जगह मंडरा रहा था, जैसे समझ नह
पा रहा था क उसे या करना चा हए।
तभी पैटरसन को महसूस आ क अगु ता वे टलड एड यू139एम हेलीकॉ टर पास
आ रहे हेलीकॉ टर पर हमला करने क सोच रहा है। वैसे तो अगु ता सफ मशीनगन से लैस
था, अगर वो लोग हमला करने का इंतजार कर रहे ह, तो इसका मतलब है क उनके पास
रॉकेट लॉ चर ह।
कजाख एयर कमांड ने भी इस चीज को महसूस कर लया था। पैटरसन और इमरान
सुन सकते थे क वो लोग चीखते ए अपने पायलट को चेतावनी दे रहे थे और जवाबी
हमले के लए तैयार रहने को कह रहे थे। वो ह थयार से हमले क उ मीद नह कर रहे थे।
वैसे तो कोई नह जानता था क वो लोग कौन थे, ले कन उनसे यह उ मीद नह थी क उनके
पास कसी तरह का गोला—बा द रखा होगा। और ईसी725 हेलीकॉ टर सफ मशीनगन
और बीस मलीमीटर तोप से लैस थे।
पैटरसन और इमरान आतं कत होकर दे ख रहे थे क एड यू139एम के के बन के एक
दरवाजे से दो रॉकेट लॉ चर के सरे बाहर नकले।
हवाई लड़ाई
रॉकेट लॉ चर दागे गए ले कन, एयर कमांड से मली चेतावनी के मुता बक दोन कजाख
हेलीकॉ टर इस हमले के लए तैयार थे और उ ह ने तुरंत खुद को बचाने क कारवाई क ।
दागे गए रॉकेट हवा म होते ए सीधे तीन भाई क तरफ जाने लगे।
वान लुएक के आदमी फर से रॉकेट लॉ चर को तैयार करने लगे थे, और पहले दागे
गए रॉकेट उस च ानी संरचना क ढाल पर दो बड़ी चो टय के ठ क नीचे जाकर फट गए।
इससे ई गजना बहरा कर दे ने वाली थी ले कन अगु ता हेलीकॉ टर म बैठे आद मय को
नीचे हो रही ग त व धय म कोई दलच पी नह थी।
वो कजाख हेलीकॉ टर को नशाना बना रहे थे।
उ ह ने फर से रॉकेट दागे।
एक खोज
गुफा क कोई सीमा नह पता लग रही थी। वजय के चार तरफ अंधेरा फैला था और वो
सांप के बीच पंज के बल चल रहा था।
वो च तत था। अब तक, वो कसी तरह सांप से बचे रहने म कामयाब रहा था। उ ह ने
यादातर उसे नजरअंदाज कया था, बस एकाध मौक पर उसे उनके पास से गुजरने पर
फुफकारने क आवाज सुनाई पड़ी थी। ले कन कब तक उसक क मत उसका साथ दे गी?
अपने आसपास सचलाइट क रोशनी म उसने अंदाजा लगाने क को शश क क वो
कतनी र आ गया है। अंधेरे ने गुफा के वेश ार को ऐसे ढक रखा था जैसे कसी खड़क
पर लगा काला मोटा पदा सूरज क रोशनी को रोक दे ता है। उसके दमाग म चता बढ़ाने
वाला एक और सवाल आया। सचलाइट कब तक चलेगी?
ले कन उसे आगे बढ़ना था। उसके पास और कोई वक प नह था। अभी कना
आ मह या के समान होगा।
तभी, नीचे क जमीन हली और गुफा म एक थरथराहट सी दौड़ गई। गुफा क अ य
छत और द वार से जैसे एक लंबी कराह नकली हो।
वो का और थर खड़ा हो गया। कुछ आ था। नह , कुछ हो रहा था। जमीन लगातार
कांप रही थी और सांप छतराने लगे थे। वो उससे र जा रहे थे, उस र तार से जससे उसने
कभी सोचा भी नह था क सांप भाग सकते ह।
ऐसा लग रहा था जैसे वो कसी चीज से भाग रहे थे। ले कन या?
एकाएक उसे अहसास आ क अगर वो भाग रहे सांप का पीछा करे, वो उसे यहां से
बच नकलने क जगह प ंचा सकते ह। बशत सांप जस चीज से र भाग रहे ह, वो उसके
सामने पहले ना आ जाए।
वो सांप के पीछे हो लया, जो उसे तेजी से पार करते जा रहे थे, उसके पैर के बीच से,
उसके बगल से और कभी—कभी पैर के ऊपर से भी। वो उसक मौजूदगी से उदासीन से हो
गए थे और उनका सफ एक ल य था—— र जाना।
वजय ने आगे बढ़ना जारी रखा। सांप अंधेरे म इतनी तेजी से गायब हो रहे थे क वो
उनका पीछा नह कर पा रहा था। तभी वो क गया। उसे उस पर यक न नह हो रहा था जो
उसे दख रहा था। मु कल से पं ह या बीस फ ट आगे, उसक दा हनी तरफ प थर क
सी ढ़यां थ । उसक उ मीद उछाल मारने लग । वो तेजी से आगे बढ़ा, सी ढ़य पर ज द से
ज द प ंचने के लए।
और यह कदम गलत समय पर उठाया गया था। जैसे ही वो आगे बढ़ा, दो कोबरा पास
से गुजर रहे थे। उनम से एक उसके पैर के नीचे आ गया और फुफकारते ए हमला करने
को तैयार हो गया।
जैसे ही सांप ने हमला कया, वजय पीछे क ओर हट गया, सांप उसे डसने से बस कुछ
मलीमीटर ही र रह गया, ले कन पीछे हटते—हटते वजय का पैर उस कोबरा पर पड़ गया
जो सु त चाल से उसी दशा म अपना रा ता बना रहा था। सांप ने हमला करने के लए
अपनी कुंडली समेट ली।
या सचलाइट का कोई ह सा गरने क वजह से टू ट गया था या बै यां ख म हो ग ,
वजय को समझ नह आया। रोशनी बंद हो गई और गुफा म अब सफ घना अंधकार था।
अपने चार तरफ उसे सफ सांप के रगने क आवाज सुनाई पड़ रही थी। ले कन उसे
यह नह मालूम था क प थर क सी ढ़यां कस दशा म ह।
74
पहला आ मण
सरे दौर म भी रॉकेट दागने के नतीजे पहले जैसे ही नकले। एक बार फर, कजाख
पायलट अनुमान लगाने म तेज नकले और उ ह ने खुद को बचा लया।
वान लुएक क खीझ बढ़ रही थी। ‘ या तुम लोग भगे हो?’ उसने अपने बं क चय
को डांटा। ‘हम यहां से तब तक नह नकल सकते जब तक हम उनसे पीछा ना छु ड़ा ल।’
उसने पूव क तरफ दे खा जहां उसका सरा हेलीकॉ टर लगातार छोटा होता जा रहा था।
एक कजाख हेलीकॉ टर अब उनक तरफ सीधा बढ़ रहा था, मशीनगन आग उगल रही
थ । वान लुएक जानता था क अब या होने वाला है। या तो बीस मलीमीटर क तोप
नकलेगी या 68 मलीमीटर रॉकेट लॉ चर।
‘दागो,’ वो च लाया।
एक बं कची ने नशाना लया और तीसरी बार रॉकेट लॉ चर दाग दया।
इस बार, नशाना सही लगा।
हेलीकॉ टर आग के गोले म फट गया और तीन भाई क तरफ गरने लगा, सबसे छोट
चोट पर टकराया और ढाल से फसलते ए पठार पर आ गरा, अब वो जलता आ मलबा
था।
फंदे म
कुछ पल के लए वजय चुपचाप खड़ा रहा, वो अगले कदम के बारे म कोई फैसला नह
कर पा रहा था। रोशनी ख म होने के बाद से रगने और खर चने क आवाज तेज हो गई थी।
वो नह जानता था क दे खने म असमथ होने क वजह से उसक सुनने क मता बढ़ गई है
या सांप यादा बेचैन होते जा रहे ह। ले कन यह उसे डरा रहा था। उसके ऊपर घबराहट
हावी होने का खतरा मंडरा रहा था।
उसने दमाग पर जोर लगाकर सोचा। उसने कुछ कदम आगे बढ़ाए और अंधेरे म कुछ
टटोलने क को शश क ।
वहां कुछ नह था।
उसने कदम पीछे ले जाकर फर को शश क । इससे भी फायदा नह आ।
वजय नराश होने लगा था। जब उसे सी ढ़यां दखने लगी थ , उसने सोचा था क
उसके पास, छोटा सा ही सही, यहां से बाहर नकलने का एक मौका है।
अपने अंदर पनप रहे डर और आतंक को दबाते ए, उसने अपने चार ओर सांप क
आवाज पर यान लगाने क को शश क । या वो यह पता लगा सकता है क वो कस दशा
म जा रहे ह?
बड़ा भाई
वग क सीढ़
वजय झुककर नीचे बैठ गया, उसने आंख बंद कर रखी थ और सांप क हरकत को सुनने
क को शश कर रहा था। उसने अपनी सांस थर रखने क को शश क ता क ये सांप के
बाहर नकलने क या म पैदा हो रही आवाज सुनने म बाधा ना बने।
सांप उसके पास से नकल रहे थे, कुछ उसके पैर को भी छू ते ए नकल रहे थे। वो
को शश कर रहा था क वो पश और वण श को मलाकर फैसला कर पाए क कस
दशा म उसे जाना है। कुछ मनट के बाद उसने आगे बढ़ने का फैसला कर लया। उसने
पहले फश पर एक पैर रखा, फर अगला, ता क वो सांप के ऊपर ना तो पैर रखे और ना ही
फसले।
एक और वचार उसके दमाग म क धा। ये सी ढ़यां कहां ले जाती ह? उसने अपना सर
हलाया। उसे यह पहले ही सोचना चा हए था। उसने ऊपर क तरफ दे खा। काफ ऊपर,
अंधेरे से होते ए, उसे उजाले का एक चमक ला ब दखा। बाहरी नया का एक
दरवाजा।
उसक उ मीद फर से जदा हो उठ , वो कसी तरह आगे बढ़ता रहा, उसक बांह आगे
क तरफ फैली ई थ और आंख बंद। घु प अंधेरे के बावजूद, उसे आंख खोलने क अपनी
इ छा पर काबू पाना पड़ रहा था। यह बेचैन कर दे ने वाली अनुभू त थी।
तभी, उसका फावड़ा जो उसके आगे क तरफ फैला था, कसी स त चीज से टकराया।
वो तेजी से आगे बढ़ा और उसके हाथ च ान से रगड़ गए। उसने अंधेरे म ही हाथ फेरते ए
एक सीढ़ क आकृ त महसूस क , फर सरी। वो खुशी से च ला सकता था। उसने कर
दखाया था। ले कन अभी ज का समय नह था। उसे यहां से बाहर नकलना था। जस
चीज ने भी सांप को डराया था, उसे ढूं ढ़ने का इंतजार करना सही नह रहता।
उसने फावड़ा नीचे रखा, सबसे नीचे वाली सीढ़ पर प ंचा और ऊपर क तरफ चढ़ाई
शु कर द । फावड़े को पीछे छोड़ना पड़ेगा। यह एक खतरनाक चढ़ाई थी। सी ढ़यां च ान
काटकर बनी थ और तीन फ ट से यादा चौड़ी नह थ । उसक बा तरफ गुफा क द वार
थी। उसक दा तरफ खाली जगह थी जससे वो गुफा के फश पर गर सकता था। बस एक
बार पैर फसलने क दे र थी। वो कांप गया और अपनी बा तरफ क द वार से चपककर
ऊपर चलता रहा।
यह काफ लंबी चढ़ाई थी और ऐसा लग रहा था क सी ढ़यां कभी ख म नह ह गी।
पसीने से उसके कपड़े भीग गए थे और उसके हाथ च ान से रगड़ खा—खाकर थोड़े ज मी
भी हो गए थे य क वो फसलने से बचने के लए लगातार मजबूत पकड़ बनाए रखना
चाहता था। उसक जांघ इस लंबी और धीमी चढ़ाई से खने लगी थ । ले कन वो हार नह
मानने वाला था।
वजय को अब समझ आया क वो कहां था। वो तीन भाई म से एक के अंदर था।
सी ढ़य का यह रा ता एक वशाल शखर म काटकर बनाया गया था जो इस च ानी संरचना
क ढाल से उठता था। कौन सा था, यह वो अंदाजा नह लगा सका——ले कन यह सबसे
छोटा तो नह हो सकता था य क वेश ार उसके नीचे था। ले कन यह चीज उतनी मायने
नह रखती थी। वो यह सोचने के लए नह का क जब वो शखर पर प ंच जाएगा तो या
करेगा। च ान से उतरने क सम या से तब वो नपटे गा जब वो वहां प ंच जाए। अभी तो,
बस वो यह चाहता था क इस अंधेरे से, इस गुफा से बाहर नकले और खुले म प ंच जाए।
धीरे-धीरे ही सही, उसके ऊपर का मुहाना बड़ा होता जा रहा था। और यादा चमकदार
भी। उसने अपनी र तार बढ़ा द और अपनी को शश दोगुनी कर द । वो अब करीब था।
बेहद करीब।
मुहाने से आ रही रोशनी ने सी ढ़य पर उजाला करना शु कर दया था और वो हर
सीढ़ क धुंधली आकृ त दे ख सकता था।
उ मीद से वो सराबोर हो उठा। अब बस चालीस या पचास फ ट और जाने क ज रत
थी। वो कामयाब होने जा रहा था।
उसने बची ई सी ढ़यां तेजी से चढ़नी शु कर द ।
तभी, अचानक जैसे सब कुछ अ त— त हो गया। उसके ऊपर दख रही चोट पर
एक तेज धमाका और गरजदार आवाज ई। सी ढ़य पर अचानक चमक ली रोशनी पड़ी
और प थर के टु कड़ क बा रश होने लगी।
उसने अपने चेहरे को बचाने क को शश म अपने हाथ सर पर रख लए और गरते ए
प थर से बचने क को शश करता रहा जनम से कई तो फुटबॉल के आकार के थे। प थर
नीचे गरते गए, उसके हाथ , सीने और उसके पैर से टकराते रहे, और सी ढ़य से लुढ़कते
ए अंधेरे म गुम होते गए।
तभी साथ—साथ एक और धमाका आ, यह धमाका कसी व फोटक पदाथ का लग
रहा था। सी ढ़य के रा ते को अपने घेरे म ले रखी च ान क मीनार कांप उठ । वजय को
च ान के हमल ने पीछे धकेल दया। प थर के कुछ बड़े टु कड़े उसे सीने और कू हे पर लगे,
और खून बहने लगा। एक और प थर उसके पैर पर लगा और उसक जांघ म असहनीय दद
होने लगा।
उसे अपने सर के ऊपर जेट हवाई जहाज क गजना और हेलीकॉ टर के पंख क
आवाज सुनाई द । उसका दा हना पैर सी ढ़य से फसल गया। बांह लहराते ए उसने अपना
संतुलन बनाए रखने क को शश क । एक पल के लए, वो सी ढ़य पर लड़खड़ा गया। उसने
हताशा म अपनी बांह तेजी से द वार क तरफ घुमा ता क वो सी ढ़य पर टका रहे।
तभी, वो नयं ण खो बैठा और फर अंधेरे म लुढ़कता चला गया।
75
हताश और वफल
मौत के जबड़े
दो भाई
या वो कर पाएगा?
तशोध क सोच
जारी है…
लेखक क ट पणी
य पाठक,
व ान के प से
इस कताब के लए काफ वै ा नक शोध क ज रत पड़ी है और, वैसे मने को शश क है
क जहां तक हो सके उसे आसान बनाया जाए, ले कन म जानता ं क अ छे —खासे
क ठन श द और तकनीक ववरण से म बच नह पाया ,ं ज ह दे ना अ नवाय था। म उन
वै ा नक त य का सीधा प ीकरण दे ने जा रहा ं, जो अब कहानी के आगे बढ़ने म बाधा
नह बनगे।
पीसीआर टे टं गः पोलीमरेज चेन रए शन डीएनए के छोटे स वस का व ेषण
करने क व ध है। पीसीआर डीएनए या आरएनए के ह स क वृ करते ह मतलब उ ह
फर से पैदा करते ह या तकृ त बनाते ह। डीएनए पोलीमरेज का इ तेमाल तकृ त बनाने
के लए होता है। जैस— े जैसे पीसीआर क या आगे बढ़ती है, ज म लेने वाला डीएनए
तकृ त बनाने के लए खुद को नमूने क तरह पेश करता है, और इससे एक ृंखलाब
त या शु हो जाती है जो डीएनए क कई नकल बना दे ती है।
टं गरेः यह नगरानी रखने क नई तकनीक है, एक पोटबल उपकरण जो वाहन , घर
और अलग—थलग पड़े भवन म मोबाइल फोन स नल पर नजर रखने के काम आता है।
टं गरे ै कर सेलफोन टॉवर क नकल बना दे ता है और फर फोन डाटा मसलन टे ट
मेसेज, ईमेल और उसक जगह का पता तक जुटा लेता है। इससे इस उपकरण को इ तेमाल
करने वाले को सेल फोन के ठकाने, कन नंबर पर फोन कए गए, कन लोग ने समय
बताया, इ या द जानकारी मल जाती है।
वायरस तकृ तः सभी को शकाएं वभाजन के ज रए तकृ त का नमाण करती ह
और अपने क क म रहने वाले डीएनए क वैसी ही नकल बनाती ह। एक वायरस अपने
आप तकृ त नह बना सकता। इसे एक पोषक क ज रत होती है, जो एक सजीव ाणी
हो सकता है, बै ट रया समेत। एक सामा य वायरस इनके डीएनए को आरएनए म
बदलकर तकृ त बनाता है। आरएनए और कुछ नह ब क एक तरह के नदश होते ह,
एक कं यूटर ो ाम क तरह, जो ोट न बनाते ह। ये ोट न एक नया वायरस बनाने म मदद
करते ह। तो, वायरस पोषक को शका को सं मत करता है, और इसक तकृ त बनाने
वाली णाली वायरस डीएनए को वायरस आरएनए म बदलने म मदद करती है, जो वायरस
ोट न बनाकर अंत म एक नया वायरस बनाता है। नए वायरस फर जमा होते ह और
को शका म फट जाते ह, जससे को शका मर जाती है, और वायरस नई को शका को
सं मत कर दे ते ह, और फर वही या चलने लगती है। डरावनी है ना?
ोवायरसः वायरस का जेने टक कोड जब यह एक पोषक के डीएनए म रहता है।
बै ट रयोफेजः वैसे वायरस जो बै ट रया को सं मत करते ह और बै ट रया क
को शका का इ तेमाल तकृ त बनाने के लए करते ह।
वाय रयॉनः सं ामक वायरस पदाथ
रे ोवायरस र लकेशनः रे ोवायरस यादा चालाक, यादा ज टल होता है। इनम
डीएनए क नह , ब क आरएनए क ल ड़यां होती ह। इस लए, जब ये कसी पोषक
को शका को सं मत करते ह, उनके आरएनए को पहले डीएनए म बदलना होता है। यह
एक ोट न क मदद से होता है जसे रवस ांस टे ज कहते ह। एक बार जब वायरस
डीएनए बन जाता है, यह पोषक को शका के डीएनए म वेश कर जाता है। जी हां, वायरस
पोषक को शका का ह सा हो जाता है, इस लए इंसानी डीएनए का एक बड़ी ह सा
रे ोवायरस से उ रा धकार म मलता है। तो यक न कर या नह , हमारे डीएनए म वायरस
भी ह। वायरस डीएनए फर वायरस आरएनए म बदलता है, जो एक नए वायरस को बनाने
के लए वायरस ोट न का नमाण करते ह। इस कताब म बताया गया रे ोवायरस इसी तरह
काम करता है। जब यह झील के बै ट रया को सं मत करता है, यह उनके डीएनए को
बदल दे ता है। इससे उन ोट न क कृ त बदल जाती है जो बै ट रया बनाते ह——और
यही असली जदगी म भी होता है।
फायदे मंद वायरसः जब रे ोवायरस इंसानी को शका को सं मत करता है, यह उन
ज स को स य कर दे ता है जो पहले न य थे। यह बलकुल सच है। कताब म दए गए
उदाहरण असली ह। रोजाना नई खोज हो रही है क कैसे वायरस हमारे डीएनए और ज स
को भा वत करते ह। ज स मूल प से कं यूटर ो ाम क तरह ह—— सफ यही ो ाम
वैसे ोट न बनाते ह जनका शरीर म काफ काम होता है। कताब म बताए गए सभी
ोट न, जैसे पी53, वा त वक ोट न ह। और उनके सभी काम भी वा त वक ह। वायरस
न य ज स को स य बना सकते ह। इससे वैसे ोट न का उ पादन शु हो सकता है
जनका हर तरह का असर हमारे शरीर पर पड़ सकता है, और हम इसका पता भी नह
चलता। और इस लए आजकल जेने ट स क चचा हर जगह होती है। कसी भी बीमारी का
जेने टक इलाज आज मौजूद कसी भी सरे इलाज से यादा असरदार सा बत हो सकता
है। कई ऐसे ोट न ह जो हम कई तरीक से फायदा प ंचाते ह। कताब म व णत ोट न
पी53 वा तव म कसर क को शका को मारता है। और कई ऐसे ज स ह जो वैसे ोट न
बनाते ह जनक मदद से कसर, मधुमेह, अ जाइमर और दल क बीमा रय पर काबू पाया
जा सकता है, जैसा मने कताब म भी बताया है। इन ज स म होने वाला उ प रवतन या
इनका न य हो जाना ही बीमा रय के हम अपना शकार बनाने क वजह होती है। अगर
कोई ऐसा तरीका हो (जैसे वायरस) जससे यह प का हो सके क ये ज स हमारे लए
फायदे मंद ोट न बनाएं, हम सच म बुढ़ापे क या को धीमा कर सकते ह। इस बारे म
काफ रसच हो रहा है, और कौन जानता है क अगले बीस साल म हम इसका कोई
समाधान मल भी जाए।
ोफेज इंड शनः वायरस दो तरीके से जनन कर सकते ह। पहला लाइ टक साइ कल
के ज रए, जसम वायरस एक पोषक को शका पर क जा कर लेता है और फर को शक य
णाली का इ तेमाल कर जनन करता है। वायरस क तकृ तयां को शका म भरकर उसे
फोड़ दे ती ह, जससे को शका मर जाती है और फर वायरस सरी को शका को सं मत
करते ह। सरी या है लाइसोजे नक साइ कल। वायरस एक ोफेज बनाता है, और
इसका जेने टक पदाथ पोषक के जीनोम म वेश कर जाता है। वहां वायरस तब तक सु त
पड़ा रहा है जब तक क यह जनन के लए लाइ टक टे ज तक ना प ंच।े ोफेज इंड शन
वो तरीका है जससे इन सु त वायरस को लाइ टक टे ज तक प ंचाकर तकृ त बनाने के
लए े रत कया जाता है। इंड शन को एक उ पन या ट युलस क ज रत होती है
जससे बै ट रया के ोमोसोम से ोफेज अलग हो जाता है और तकृ त बनाता है।
टे लोमीयस और बुढ़ापाः टे लोमरेज, वो ोट न जसका मने कताब म वणन कया है,
नोबेल ाइज का वषय रहा है। ऐसा दे खा गया है क टे लोमरेज इस चीज को सु न त
करता है क टे लोमीयस इतने छोटे ना हो जाएं क को शकाएं वभाजन बंद कर द या मर
जाएं। टे लोमरेज के फायद को लेकर आज वै ा नक म काफ गरमा—गरम बहस चल रही
है। बहस इस बात पर चल रही है क या टे लोमरेज क मौजूदगी से कसर क संभावना बढ़
जाती है। जब हम अपनी मां के गभ म ूण होते ह, टे लोमरेज स य होते ह, य क ूण
के वकास के लए को शका वभाजन मह वपूण है। ले कन, जब हम ज म ले लेते ह, तो वो
जीन जो टे लोमरेज का उ पादन करती है, न य हो जाती है और हमारे ज म के दन से
टे लोमीयस छोटे होने शु हो जाते ह। हमारी मौत नयत होती है। ले कन यह कृ त का
तरीका भी है यह प का करने का क को शकाएं बेलगाम होकर लगातार बढ़ती ना रह——
जो कसर क प रभाषा भी है। इस लए, टे लोमरेज एक धारी तलवार है। एक तरफ यह
बुढ़ापे को धीमा करती है, तो सरी तरफ कसर से मौत क वजह भी बन जाती है।
ज स और रोगाणु को लेकर हमारा ान, व तृत तो है, संपूण नह । हर दन, रसच से
को शका के काम करने के तरीके, ज स के काम या रोगाणु के अपने पोषक (इंसान
और सरे ाणी भी) को सं मत करने के बारे म नई जानका रयां मल रही ह। इस कताब
म जन वै ा नक त य का ज कया गया है, वो उन खोज पर आधा रत ह जो पछले दो
या तीन साल म ई ह।
शु क वशेष घटनाः जो इस कताब के अ याय 60 म व णत है, वो वा त वक है।
ऐसी ही घटना वे स के न से ल ु म ई थी, जहां शु ठ क उसी तरह चमक रहा था
जैसा कताब म बताया गया है। इस घटना पर काफ शोध हो चुका है और इसका वणन,
वै ा नक ा या के साथ, टोफर नाइट और रॉबट लोमस क कताब यू र स मशीन म
कया गया है। मने ह कुश म इस घटना के बारे म नह सुना है, इस लए वो क पना है,
ले कन घटना अपने आप म का प नक नह है। लाइटबॉ स क संक पना आयरलड म
यू ज क पहाड़ी से ली गई है, जहां सूरज (शु क बजाय) ग लयारे म चमकता है और
अंदर गुफा क द वार को का शत करता है। यह घटना भी उसी कताब म व णत है।
इ तहास के प से
कताब म ओ ल पयास, यूमेनीज और कै ल थनीज के बारे म काफ कुछ बताया गया है,
ले कन कई सरे ऐ तहा सक पा भी इसम आए ह। मने सोचा क उनके बारे म भी थोड़ी
जानकारी द जाए।
प डकासः सकंदर के मरने के बाद कई साल तक वो सकंदर के पूरे सा ा य का
शासक था। हालां क सकंदर के कई सेनाप तय ने उसके खलाफ ष ं कए और
आ खरकार उसका वध भी कर दया गया। उसका मु य सहयोगी यूमेनीज था।
एंट पैटरः जस पर फ लप और सकंदर दोन को भरोसा था। जब सकंदर ए शया म
अपने अ भयान पर था, वो यूनान और मक नया पर सकंदर के त न ध के तौर पर
शासन कर रहा था।
पोलीपचनः जसने एंट पैटर का साथ दया और उसक मौत के बाद यूनान और
मक नया का शासक बना। अंत म, कैसडर ने उसे हराकर सा ा य पर क जा कया।
कैसडरः एंट पैटर का बेटा था।
टोलेमीः सकंदर क मौत के बाद म का शासक नयु आ। वो पहले प डकास
और बाद म एंट गोनस के खलाफ व ोह भड़काने का ज मेदार था। उसने फराओ का
खताब धारण कया और टोलेमी वंश क शु आत क ।
एंट गोनसः मूल प से फ गया का शासक था। वह प डकास से अलग हो गया और
सी रया और फारस के लए यूमेनीज से यु कया। यूमेनीज ने उसे दो बार परा जत कया
ले कन बाद म धूतता से उसने यूमेनीज को गर तार कर लया और अंत म उसका वध कर
दया।
स टसः भी एक वा त वक पा है और कताब म बताई गई वो घटनाएं, जो उसक
मौत क वजह बन , लेमसन यू नव सट क ए लजाबेथ कान क द डेथ ऑफ स टस और
लुटाक क लाइफ ऑफ अले जडर से ली गई ह।
अगर आप इन सबके बारे म यादा जानना चाहते ह ले कन उन सभी कताब , लेख ,
वी डयो और वेबसाइट क मदद नह लेना चाहते, जनसे मने मदद ली है, तो दो ऐसे ोत ह
जो आपको सकंदर और ओ ल पयास और सकंदर क मौत के बाद उ रा धकार क लड़ाई
म उसके सेनाप तय क भू मका के बारे म सं ेप म जानकारी दगेः
सकंदरः http://www.ancient.eu.com/Alexander_the_Great/
ओ ल पयासः http://www.historytoday.com/robinwaterfield/olympias-
olympias-funeral-games
पौरा णक प से