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स्मदृ ि में...
आपका
वेददक दिवेदी
-xi-
1.
बदं क
ू से दनकलने वाली गोली को शायद जीवन का मोल पिा होिा
है इसदलए उसे बंदक ू से बाहर दनकालने के दलए हम वैज्ञादनक िरकीबों के िारा
ज्यादा से ज्यादा बल का प्रयोग करिे हैं। हर साूँस अपने पीछे एक कहानी छोड़
रही है या दफर यों कहें दक हर दकरदार खदु में एक कहानी है। दकसी व्यदक्त का
दकरदार हम अपने मन के मिु ादबक अपनी निर में बनािे हैं। यह िकष भी
अक्सर दमलिा है दक जैसे हम स्वयं होिे हैं अपने सामने वाले में भी हम ठीक
वही दकरदार देखिे हैं।
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ramaeSvara
को दमलिा है। कच्ची उम्र में िो हम अपने दवपरीि जेंडर के प्रदि आकर्षर् को
प्रेम मानकर जन्मों िक साथ जीने-मरने की कसमें िक खा लेिे हैं लेदकन जैसे–
जैसे समझदारी नाम का शब्द हमें अपनी बाहों में जकड़ना शरू ु करिा है उसी
ददन से डर नाम की नींव हमारे अंदर पड़ने लगिी है। इस नींव के पड़ने की मख्ु य
वजह है समाज। समझदारी का पहला प्रमार् पत्र समाज से ही दमलिा है दफर
समझदारी और समाज के अटूट ररश्िे से डर का जन्म होिा है और हम िाउम्र
समझदार कहलाने के दलए हर वो काम करने को िैयार हो जािे हैं जो खदु से
ज्यादा समाज को पसंद हो। शायद यहीं से हम जीवन का मोल समझने में चक ू
जािे हैं और इसी जीवन का मोल हमसे ज्यादा बदं क ू की गोली समझिी है।
सजीव होने के नािे दनजीव वस्िु में सजीविा देखना उस िकष का प्रमार् है।
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वे ददक दिवे दी
“काफी देर कर दइ बाऊ साहब घर जाय में” - पीछे से साइदकल रोक मंगेश
पान वाला (उम्र 50) कहिा है। आगे बोलने से पहले वो दसू री िरि रोड पर
पान का पीच मारिा है।
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ramaeSvara
स्वरा (फोन कान पर लगा मस्ु कुरािे हुए) – पापा कहां रह गए आप? मम्मी ने
वकील करने को कहा है आप पर के स करने के दलए।
धनजं य – बेटा इससे पहले वो इस उम्र में मझु े िलाक देने को कहें िमु फोन
उनको दो। मस्ु कुरािे हुए धनंजय हेलमेट में फोन को फूँ सा बाइक पर बैठिे हैं
और स्वरा फोन अपनी माूँ को देिी है।
उमा (धीरे से मस्ु कुराकर) – राि भर आपको फुसषि कहाूँ रहिी है सोने की वरना
मझु े क्यों जगाना पड़े?
धनंजय (रोमादं टक अंदाज में) – शादी के पहले सोचना था आपको क्योंदक राि
को काम करने की आदि है हमें।
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बनारस में इन ददनों अपराध कुछ ज्यादा बढ़ गया था। छोटी उम्र के
बच्चों को इस पेशे में मादफया िारा लाने के दलए कई िरह के जाल दबछाए गए
थे। अवैध असलहे व कच्ची शराब के साथ गाजं े व अन्य मादक पदाथष के
सप्लाई जैसे काम करने वाले दगरोह का पदाषफाश करने के दलए धनंजय भी
पदु लस के साथ दमलकर काफी सदियिा से काम कर रहे थे।
श्रदु ि (अपनी प्लेट लेकर) – मम्मा िब िो मझु े अके ले ही खाना पड़ेगा क्योंदक
आप और दीदी िो पापा के दबना खाने से रहे।
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ramaeSvara
उमा (खाना श्रदु ि की प्लेट में रखिे हुए) – अच्छा, ऐसा क्यों..?
स्वरा ध्यान से श्रदु ि और अपनी माूँ की जगु ल बंदी सनु रही थी क्योंदक वो
जानिी है दक दोनों उसकी शादी की बाि कर रहे।
स्वरा – िेरी बाि मैं समझ रही लेदकन िेरी बत्तीसी वाले थोबड़े पर चाटे मारने
के दलए मैं कहीं नहीं जा रही।
स्वरा (दचढ़ाने के अंदाज में) – नहीं, अपने बप्पा के अखबार में घरजमाई के
दलए ऐड देन वाली ह।ं
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वे ददक दिवे दी
वह कुछ भी जान रही होिी है। भगवान राम को िो दसिष चौदह वर्ष का वनवास
हुआ था दकंिु एक बाप को अपनी बेटी को जीवनभर के दलए भेजना पड़िा है।
मदु श्कल िो िब होिी है जब अपने ही माूँ-बाप को पराया मान लेना पड़े और
पराए को अपना। ऐसी जगह िो वनवास से भी भयावह प्रिीि होिी है। दकिना
मदु श्कल होिा है एक स्त्री के दलए यह सब कुछ, शायद अगर हम खदु को एक
स्त्री की जगह रख देखें िो उसके त्याग के आगे हमारा जीवन कुछ भी नहीं। सच
में स्त्री स्वयं में शदक्त का रूप है क्योंदक एक परुु र् में शायद ही इिनी
सहनशीलिा व त्याग हो।
पदु लस स्टेशन में राि को कुछ लोग अपना काम कर रहे और कुछ लोग दशफ्ट
के दहसाब से घर जाने की िैयारी।
वेदप्रकाश – कुछ आवश्यक काम से बाहर जा रहा मैं, पत्रकार धनंजय दसंह जी
िरूरी दस्िावेि लेकर आ रहे हैं जो सफे द पोशाक में घमू रहे मादफया के काले
कारनामों को उजागर करेंगे। मेरे बारे में पछ
ू ें िो कहना दक कल उनके ऑदफस
पर ही दमलने आऊूँ गा उनसे मैं।
इस्ं पेक्टर वेदप्रकाश वहाूँ से दनकल जािे हैं। सबसे नजरें चरु ािे हुए
श्यामदास वाशरूम की िरफ जाने लगिा है। ऐसा लगा दक मानो उसकी लॉटरी
लगने वाली है दजसके बारे में दकसी को भनक िक न होने देगा।
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ramaeSvara
इब्रादहम – पादटल साब, आपने िो परू े दसस्टम को यहीं से कंट्रोल कर रखा है।
पररंदा की कहावि िो परु ानी हो चली है, इहां दररंदा भी पर नाय मार सकि है।
इब्रादहम - कभी लखनऊ की िरफ रुख करें आप, िादक आपके स्वागि का
अवसर भी प्राप्त हो। िमाम साथी आपके दशषनादभलार्ी हैं।
दददववजय – खान दमयाूँ लखनऊ आने का िरूरि कभी महससू नहीं हुआ।
हमरे इशारे पय लखनऊ खदु इहाूँ आवे के िैयार है।
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वे ददक दिवे दी
दपस्टल मेज की शोभा बढ़ा रही होिी है। दददववजय ने िोन उठाकर कान पर
लगाया।
दददववजय – कौन...?
इसबार दददववजय ने थोड़ा खीझ कर कहा। शायद इिना सवाल जवाब कोई
करिा नहीं था। लोग अक्सर दसफष काम की ही बाि करिे हैं ऐसे नंबर पर।
दददववजय को यह थोड़ा अजीब लग रहा था।
दददववजय – अबे िुम हो कौन, नाम बिाओ दजससे िुम्हारा पररचय पत्र िैयार
कर सकें । िुम सही बोल रहे इसपर यकीन भी क्यों करें ?
श्यामदास - हम कौन हैं, ई जाने खादिर परू ा उमर समय पड़ा है, अगर सबूि
थाने िक पहुचूँ ा िो आपका सारा भौकाल और प्रोटोकॉल हवा होई सकि है।
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ramaeSvara
दददववजय – पत्रकार धनंजय को कुछ ज्यादा ही नेकी की धनु सवार है। दपस्टल
की सारी गोली उनके हृदय में प्रवेश कराओ दजससे उनके खनू में हो रही
आयरन की कमी परू ी हो सके । उनके पास जो भी फाइल है कौनो भी हालि में
थाने िक न पहुचूँ ने पाए।
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वे ददक दिवे दी
धनंजय अपनी बाइक पर एक सनु सान मोड़ को जैसे ही पार करिे हैं,
एक वैन सामने से आकर उन्हें टक्कर मारिी है। धनंजय बाइक समेि नीचे दगर
जािे हैं। जब िक वो कुछ दवचार करिे उन आददमयों में से एक बाहर
दनकलकर दपस्टल की सारी गोली उनके सीने पर दाग देिा हहै राि के गहरे
सन्नाटे में गोदलयों की आवाि सनु कुत्ते भौंकने लगिे हैं। इससे पहले दक वहाूँ
कोई आिा, वे सभी फरार हो जािे हैं। इस दौरान वे धनजं य के पास से फाइल
लेना भी भल ू जािे हैं ।
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2.
भोर का समय। सरू ज अपनी लादलमा दबखेर रहा था। फरवरी महीने
का आदखरी सप्ताह और ठंड भी अब अपने आदखरी पड़ाव पर है। लोग सबु ह
घमू ने व कुछ अपनी आस्था के अनसु ार देवालयों के दलए दनकल रहे होिे हैं।
अचानक से दकसी की दनगाह सड़क पर पड़े आदमी पर पड़ी।
इिने में भीड़ इधर इकट्ठा होने लगी। भीड़ में िरह-िरह की बािें भी होना शरू
ु
हो गई।ं
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वे ददक दिवे दी
दसू रा आदमी – ठीक है लेदकन पहले हमें थाने पर सचू ना देनी चादहए।
भीड़ एक दसू रे का चेहरा देखिी है। ऐसे मामलों में लोग आगे आने
से बचना चाहिे हैं। इसके दलए दसफष समाज ही दोर्ी है, यह कहना सही नहीं।
बदल्क उिना ही दोर् दसस्टम का भी है। कोई बोलने की दहम्मि कर भी दे िो
थाने व कचहरी के चक्कर में वह भी बेमिलब दपस जािा है।
दसू री मदहला (िेज आवाज में) – समझ नहीं दमलिा दक सरकार इनको
िनख्वाह दसफष आराम करने का देिी है या काम काम करने की। बाि रही काम
करने की, वह िो पररर्ाम देख के ही पिा चल रहा है। दजम्मेदारी नाम की कोई
चीज भी है आप लोगों के जेहन में?
वेदप्रकाश – हाूँ, हम ही िो ऐसे अपरादधयों को अपना हीरो मानिे हैं। इनके धंधे
के प्रोटेक्शन की िनख्वाह पािे हैं। हर पाूँच साल पर उूँगली करने से पहले
दकसको उूँगली कर रहे पर दवचार करिे िो आिी ही नहीं ऐसी नौबि। राि को
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वे ददक दिवे दी
कमाई हमें सौंप दी। आपके एक वोट और उनके जीवन की िलु ना करने पर हर
दोर् सरकार पर थोपने की आदि से शायद ही सधु ार आ सकिा है।
मदहला एंकर – नमस्कार! आपको ले चलिे हैं वारार्सी, दजसे बाबा दवश्वनाथ
की नगरी कहा जािा है जहाूँ एक वररष्ठ पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी
गई है। हमारे सवं ाददािा ने बिाया दक देर राि कुछ िरूरी दस्िावेज के साथ वो
ऑदफस से थाने की िरफ दनकल रहे थे। इस दौरान बदमाशों ने उनपर
िाबड़िोड़ फायररंग कर दी। आदखर दकस गहरी दनद्रा में सो रहा था प्रशासन?
आदखर कौन लोग शादमल हैं इस घटना के पीछे ? कहीं इस घटना के पीछे
दकसी कट्टरपंथी की सादजश िो नहीं? जल्द ही नजदीक आ रहा है लोकसभा
चनु ाव…!
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इसी का लाभ उठा जािीय सगं ठन व सत्ता के बाहर बैठे लोग सत्ता पक्ष व
प्रशासन पर आरोप – प्रत्यारोप के बहाने अपना चेहरा चमकाने में लग जािे हैं।
“धनंजय दसंह जी अमर रहें...” के नारे से परू ा शहर गूँजू रहा था। धनंजय जी
समाज के हर वगष व हर धमष के व्यदक्त के न्याय की आवाि बनने में पीछे नहीं
हटिे थे। आज ये लोग भी अपने कलम के दसपाही को अदं िम दवदाई देने के
दलए ओि-प्रोि थे।
िभी दददववजय का बेटा अदभसार पादटल अपने दोस्िों के साथ यहाूँ पहुचूँ िा है।
काली गाड़ी के साथ आूँखों पर काले चश्मे। चेहरे की भाव भंदगमा से आप
उनका उद्देश्य जान सकिे हैं।
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वे ददक दिवे दी
अदभसार (छुपी हूँसी के साथ) – दबलोंदगंग फ्रॉम व्हेयर पंदडि जी? यह भी नहीं
पिा दक पत्रकार साहब के के वल दो पदु त्रयाूँ हैं। पत्रु की भदू मका में इस पनु ीि
कायष के दलए हम पधारे हैं यहाूँ।
वेदप्रकाश (आगे बढ़कर) - बेटा िमु भी अपने माूँ-बाप की सकल सपं दत्त के
इकलौिे वाररस हो। अगर िुम्हें कुछ हो गया िो...! और हाूँ, प्रशासन उनकी
सारी संपदत्त पर सरकारी मोहर लगाने ने िदनक भी देर नहीं करे गी। जाओ पछू
कर आओ उनसे दक दजिनी गमी िमु ददखा रहे हो उसकी एक भी दहस्से की
आग उनकी िीली में है दक नहीं। क्योंदक उम्र का भी दडमांड होिा है, उनका हो
भी गया है, उम्र।
अदभसार (दचढ़कर) – िुमको बाद में देख लेंगे इस्ं पेक्टर, नाउ डीयर अंकल
आपकी आत्मा को स्वगष में आसन दमले – दसहं ासन दमले।
उमा (रोिे हुए) – इन जैसे दररंदों को जवाब देने के दलए हमें अपनी बेदटयों को
बेटों के बराबर ही लाकर खड़ा करना होगा। अपने दपिा की दचिा को स्वरा ही
अदवन देगी।
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ramaeSvara
शाम को स्व. धनंजय दसंह के आवास पर इस्ं पेक्टर वेदप्रकाश पहुचूँ िे हैं। दनश्चेि
पड़ी उमा के दसरहाने श्रदु ि होिी है। स्वरा आगे बढ़कर दरवाजा खोलिी है।
दोनों साथ उमा के पास िक आिे हैं। स्वरा उन्हें सोफे पर बैठने के दलए कह
खदु माूँ को उठाने में श्रदु ि का सहयोग करिी है।
वेदप्रकाश ( दख
ु ी होकर ) – भाभी जी, मझु े अिसोस है दक धनजं य जी के
कादिलों के इिने करीब पहुचं कर भी मझु े वापस लौटना पड़ रहा है…!
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वे ददक दिवे दी
वेदप्रकाश – अभी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है बेटा। अब िमु को साहस
से काम लेना पड़ेगा। भाभी और श्रदु ि की दजम्मेदारी भी अब िुम्हारे कंधों पर
है। अपने दपिा की िरह बहादरु बनना पड़ेगा िम्ु हें। जाने से पहले सोचा दमल लूँू
एक बार, और हाूँ… मेरे लायक कोई सहायिा हो िो िुरंि कहना।
इस्ं पेक्टर साब अपनी बाइक से वहां से दनकल जािे हैं। थोड़ी ही दरू
आगे चलकर अदभसार अपने दोस्िों के साथ एक मोड़ पर उनसे दमलिा है।
गली पिली होने के नािे अदभसार गाड़ी रोकिा है और वेदप्रकाश भी बाइक
रोक देिे हैं।
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एंकर - नमस्कार मैं हूँ रंजना और आप देख रहे हैं ‘सबु ह का सच’। वररष्ठ
पत्रकार धनंजय की मडषर – दमस्ट्री ने अब नया मोड़ दलया है। यह बिाया जा
रहा दक पदु लस अधीक्षक के दनदेश पर सभी अदभयक्तु ों को दगरफ्िार कर दलया
गया है। इन अपरादधयों ने अपना गनु ाह स्वीकार करिे हुए इसे आपसी रंदजश
बिाया। जो लोग भी इस के स को व्यापारी व समादजक कायषकिाष दददववजय
पादटल से जोड़ इसे राजनीदिक मोड़ देना चाह रहे थे, उन्हें बड़ा झटका लगा है।
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वे ददक दिवे दी
दददववजय (मस्ु कुराकर) – आपके रहिे कोई हमें कष्ट हो िो उसका िात्पयष आप
जानिे हैं।
दददववजय – िरूर, आपकी कायषशल ै ी की दमसाल देिे हैं हम। आप जैसे लोगों
की ही देन है दक प्रदेश में दवपक्ष व प्रशासन की जीदवका चल रही। बाकी अगर
अपराध खत्म हो गया और अपरादधयों का भय नहीं रहा िो शासन व सत्ता की
क्या ही जरूरि पड़ेगी लोगों को?
मीदडया जो विषमान समय में स्वयं में दकसी न्यायालय से कम नहीं है।
के स भले ही अभी न्यायालय में पेंदडग पड़ा हो, लेदकन सत्रू ों के मिु ादबक ये
दकसी को भी बा- इज्िि बरी कर देिे हैं। ऐसे समय में जब न्यायालय में ढेरों
मामले लदं बि हैं, सरकार को न्यिू चैनल वालों से इनपर सनु वाई करवानी
चादहए। सत्रू ों के दहसाब से कुछ ही महीनों में सारे के स रफा- दफा कर देंगे।
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ramaeSvara
कभी – कभी दोर्ी खदु अपने ही जाल में उलझ जािा है। वही होने
वाला था अब दददववजय पादटल के साथ। वैसे भी बनारस महादेव की नगरी है।
बाबा काल भैरव अथाषि काशी के कोिवाल की माया अब शायद शरू ु हो
चक
ु ी थी। कहा भी िो गया है दक ‘हरर इच्छा बलवान’ ...!
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3.
घर पर स्वरा श्रदु ि व उसकी माूँ साथ थीं। शाम होने को है। समय
अपनी गदि से चल रहा, यह आने वाला हर सवेरा और शाम हमें ज्ञाि करािा
है। स्वरा अपनी माूँ से दहम्मि करके कहिी है…
स्वरा - माूँ मैं अब नौकरी करना चाहिी ह।ूँ जो बीि गया उसे िो हम-आप
बदल नहीं सकिे लेदकन हमें अपने दलए और पापा की लड़ाई लड़ने के दलए
आगे आना होगा।
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ramaeSvara
इिना कहकर उनकी आूँखों से आूँसू दगरने लगिे हैं िभी श्रदु ि भी
वहाूँ आ जािी है। दोनों बहन की उम्र में दसफष दो साल का अंिर था। शायद वो
एक – दसू रे के ददल की बाि को समझिी थीं। माूँ कमजोर न पड़ जाए इसदलए
दोनों बहन आगे बढ़कर उन्हें गले से लगा लेिी हैं।
थाने में आज इस्ं पेक्टर अदनरुद्ध दसहं का पहला ही ददन था। एक दसपाही इन्हें
के दबन िक छोड़िा है।
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वे ददक दिवे दी
श्यामदास – साब, ये पादटल साहब के बेटे अदभसार पादटल हैं। पत्रकार धनंजय
दसंह के के स के बारे में आपसे दमलने आए हैं।
अदनरुद्ध – “अच्छा…!”
अदनरूद्ध (आगे बाि परू ी करिे हुए) - कुछ बाकी रह गया हो िो बोल दीदजए
श्यामदास सर। वैसे अंदर कै से प्रवेश दकए दबना अनमु दि के हमारे ?
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ramaeSvara
अदनरुद्ध (इसबार गस्ु से में) – चपु , पहले इज्जि से बाहर दनकलो और इजाजि
लेकर ही अंदर आओ दफर हम सोचेंगे की िुमसे क्या बाि करना है क्या नहीं।
इससे पहले की इनमें से कोई िीसरा बोलिा इस्ं पेक्टर अदनरुद्ध बोल पड़िे
हैं।
अदनरुद्ध (अपने अंदाज में) – बड़े ढीठ हो बे िुम सब। अच्छा ज्वाइदनंग की
बाि िूने कही ( अब्दल
ु के िरफ इशारा करके ) न? हाूँ बेटा, ज्वाइदनंग लेटर िनू े
ही साइन दकया? गमी की बाि दकसने कही, हाूँ ( अदभनव की िरफ इशारा
करके ) िूने? थमाषमीटर हो क्या बे िमु ? अब मझु े कोई बाि नहीं करनी, दबना
कोई सवाल करे दनकल लो नहीं िो लॉकअप के दरवाजे पर िाला नहीं लगाने
का हुक्म जारी कर भी दे रहा हूँ अभी से।
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वे ददक दिवे दी
स्वरा अपने दपिा के दमत्र राजेश के होटल में पहुचूँ उसके के दबन में
दादखल होिी है। राजेश ने स्वरा को बैठने के दलए कहा। स्वरा बैठिी है। राजेश
ने पानी के दलए नौकर को आवाि दी।
स्वरा – अक
ं ल मैंने ररज्यमू े आपको मेल कर ददया था। उसी के दसलदसले में
आई थी दमलने आपसे।
राजेश (होटल प्रकाश के मादलक) – हाूँ, दमला मझु े। आपके दपिा मेरे अच्छे
दोस्ि थे बेटा। यकीन नहीं होिा दक अब वो हमारे बीच नहीं। यह होटल अपना
ही समझो। आज से इसकी सारी दजम्मेदारी आपकी। उम्मीद है दक िमु इसे
अच्छे से संभाल लोगी। बाकी दकसी चीज की जरूरि हो िो दनःसंदहे कहना
मझु से।
स्वरा – थैंक्स अंकल, हम सदैव आपके आभारी रहेंगे। मैं कल से ज्वाइन करिी
ह।ूँ
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ramaeSvara
देवव्रि – आओ बेटा, िम्ु हारा ही इिं जार कर रहा था मैं। िमु को यह बिाना था
दक दददववजय पादटल ने इस्ं पेक्टर वेदप्रकाश जी का ट्रांसफर करवा ही ददया।
देवव्रि – हाूँ बेटा, वेदप्रकाश जी, मैं और आपके पापा हर शाम को एक साथ
ही बैठकर ढेरों बाि दकया करिे थे। आपके पापा ने दददववजय के दखलाफ
काफी जानकारी इकट्ठी कर ली थी जो उसे जेल के दरवाजे िक ले जािे।
देवव्रि – अदनरुद्ध दसहं , अभी नई ज्वाइदनगं है। काफी यवु ा है। देखो क्या होिा
है आगे। अगर उसने हमारा साथ ददया िो के स हम ही जीिेंगे। िुम एक बार
दमल लो जाकर उससे।
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वे ददक दिवे दी
देवव्रि – राजेश जी अच्छे आदमी हैं और आपके पापा के अच्छे दोस्ि भी।
कोई भी बाि हो उनसे खल ु के कह देना।
स्वरा – जी अंकल। अब मैं चलिी ह।ूँ माूँ भी इिं जार कर रही होंगी… नमस्िे।
स्वरा स्कूटी स्टाटष कर वहाूँ से दनकल जािी है। देवव्रि स्वरा को इस िरह आगे
बढ़िा देख बेहद खश ु हो रहा था।
अच्छे कमष और ईमानदार होने का ईनाम जीिे जी िो नहीं मगर हमारे
न होने के बाद िरूर दमलिा है, वह भी हमारे पररवार को। लोग हमेशा उन्हें
सम्मान देिे हैं और उनके साथ खड़े भी होिे हैं। आपकी अच्छाई आपके
पररजनों को स्वादभमान से जीना दसखािी है।
श्यामदास (भागकर आिा है) – अरे साब जी, क्यों शदमिंदा कर रहे हैं मझु े…!
अदनरुद्ध (मस्ु कुरािे हुए) – जरा गाड़ी दनकालो, एक चक्कर लगाया जाए
बनारस की गदलयों का।
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ramaeSvara
श्यामदास – जी साब जी, अभी दनकालिा ह।ूँ वैसे भी यह शहर बड़ा कमाल है।
कोई जीना चाहे या नहीं लेदकन मरना काशी में ही चाहिा है। खदु िो वो स्वगष
में सैटल हो जािे हैं और जाूँच – पड़िाल कर हमारी दजंदगी…!
उमा (खश
ु होकर) – अच्छा। कहाूँ और काम क्या करना होगा बेटा..?
अब िब िक यह कोलाहल सनु श्रदु ि भी वहाूँ आ गई होिी है।
स्वरा– राजेश अंकल के होटल में, मझु े मैनेजर का पोस्ट दमला है।
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वे ददक दिवे दी
जाएूँ आप। मैं ऐसी िमाम यादों के वजदू को कम होने की बाि कर रहा हूँ
दजससे हमारी दजंदगी दवराम लेने लग जािी है।
दसपाही श्यामदास को इसी िरफ आिे देखा मंगेश चपु हो जािा है। अदनरुद्ध ने
पलट कर श्यामदास को देखा और बोले।
श्यामदास (जी हुजरू ी में) – अरे नहीं साहब, मैं िो ऐसे ही आपके पास आ गया।
सोचा, अके ले खड़े हैं आप।
अदनरुद्ध (ऊूँ ची आवाि में ) – िमु हमको भले न जानों ढगं से लेदकन हम
िुमसे वादकफ हैं। अगर िुम्हारा वायरलेस अभी भी बदं ना हुआ िो सारी
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ramaeSvara
फ्रीक्वेंसी ठीक जगह डालकर इन्हीं िरंगों के माध्यम से िम्ु हारा पागलपन भी
ठीक कर दगूँू ा। जाओ गाड़ी स्टाटष करो अब। मैं आिा ह…ूँ ।
श्यामदास सर झक
ु ाकर चला जािा है। उसे अब मालमू हो चक ु ा था
दक इस्ं पेक्टर साब उसके बारे में सब जान चक
ु े हैं। अगर उसने कुछ भी दकया िो
उसके दलए उलझने बढ़ जायेंगी। इस घटना के बाद लगािार इस्ं पेक्टर अदनरुद्ध
ने धनंजय दसंह के स के बारे में सारी जानकारी जटु ाना शरू
ु कर ददया। मंगेश की
मदद से उन सभी िक पहुचूँ कर अदनरुद्ध ने सच्चाई का पिा लगाया जो
दददववजय से परे शान थे। कहीं न कहीं पत्रकार धनजं य दसहं ने उन लोगों का
सहयोग भी दकया था।
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ramaeSvara
भैरव – िरूर भैया, प्रकाश होटल पर करें गे इिं जार आपका, लोके शन भेज देंगे
हम आपको।
राघव (होटल का नाम सनु हूँसिे हुए) – बेटा बजट से बाहर जा रहे हो लेदकन
ठीक है, आिे हैं हम।
आज की सबु ह खदु में कई सारे राज समेटे हुए थी। स्वरा जल्दी िैयार
हो रही थी। उसका होटल पर जॉब का आज पहला ददन था। श्रदु ि फोन का
कै मरा ऑन कर – “दीदी स्माइल”…। जैसे ही स्वरा इस िरफ मड़ु ी, एक प्यारी
सी हसीं के साथ िस्वीर फोन में कै द हो चक
ु ी थी।
“दकसी की निर ना लगे िुम्हें ” – उमा ने उसकी निर उिारिे हुए कहा।
“अच्छा माूँ अब बस भी करो” स्वरा ने मस्ु कुराकर कहा। “अब मझु े दनकलना
है। मैं नहीं चाहिी दक देर हो जाए मझु े” ।
िैयार होकर अपनी स्कूटी से स्वरा होटल के दलए दनकल जािी है।
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वे ददक दिवे दी
भैरव होटल पहुचूँ कर राघव को फोन लगािा है। फोन की घटं ी बजिी है। राघव
कार पादकिं ग में लगा कर कॉल ररसीव करिा है।
राघव गाड़ी पाकष कर नीचे उिरिा है। सामने पदु लस जीप भी आकर रुकिी
है। राघव इन्स्पेक्टर की िरफ देखिा है। अदनरुद्ध दसपादहयों को होटल के अदं र
जाने का इस्ं ट्रक्शन देकर पीछे मड़ु िा है और राघव को देखिा है।
“रघ”ु – अदनरुद्ध!
“अन्नी” – राघव!
अदनरुद्ध (गले लगे रहकर) - यार… िुम नहीं जानिे दक मैं दकिना खश ु ह।ूँ
इिने ददनों बाद हम दमल रहे, साले नंबर भी चेंज कर दलया िुमने िो?
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ramaeSvara
राघव – अबे ऐसा कुछ नहीं, दजगर हो िमु मेरे। सोचा नहीं था दक िमु दबछड़ी
हुई महबूबा की िरह दमलोगे। साले गले से हट जाओ या फ्लेवर बदल गया है
जो दलपट कर लत्ु फ उठा रहे हो मझु से और ये बिाओ दक यहाूँ कब आये?
अदनरुद्ध (उसके व्यंग पर हूँसिे हुए) – एक महीना हुआ अभी। अच्छा सारी
बािें यहीं करोगे या अदं र भी चलोगे?
दोनों होटल में प्रवेश करिे हैं। राघव ने भैरव को कॉल दकया ।
दोनों भैरव की िरफ आगे बढ़िे हैं । भैरव हैरानी से अदनरुद्ध को देखिा है।
भैरव – “राघव भैया, बनारस के भैरव हैं हम। ई शहर में हवा भी हमें बिा के
चलिी है। आप पहले दमल चक ु े हैं क्या इस्ं पेक्टर साहब से..?”
राघव – दभु ाषवय से हम रूममेट हैं। हम दोनों ने अपना ग्रेजएु शन साथ में और
एक ही कॉलेज से परू ा दकया है।
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वे ददक दिवे दी
अदनरुद्ध - पत्रकार धनजं य दसहं की हत्या से जड़ु े मामले में क्या जानकारी है
िुम्हें..?
भैरव – साब जी क्या ही कहें, काफी भले आदमी थे वो। (इनक्वायरी डेस्क पर
एम्प्लॉय से बाि कर रही लड़की की िरफ इशारा कर) उन्हीं की बड़ी बेटी
स्वरा, आज यहाूँ ज्वाइन हुई है मैनजे र की पोस्ट पर।
दोनों हैरानी से स्वरा की िरफ देखिे हैं, इिने में भैरव ने उससे आवाि लगा दी।
स्वरा जैसे ही मड़ु िी है उसकी दनगाह राघव और अदनरुद्ध पर पड़िी है। राघव –
अदनरुद्ध अपनी जगह खड़े हो कर स्वरा को देखने लगिे हैं। िीनों की दनगाहें
एक दसू रे से हट ही नहीं रही थीं। उनकी धड़कनों की रफ्िार को आसानी से
सनु ा जा सकिा था। इसे संयोग कहें या दकस्मि का खेल?
स्वयं कल्पना करें आप। एक लड़की दजससे आप कॉलेज के समय में बेपनाह
मोहब्बि करिे रहे हों और वह कई साल बाद अचानक आपके सामने आ
जाए। परू ी कहानी क्या थी यह समझने के दलए हमें अिीि में चलना होगा, जहाूँ
आप दमलेंगे 7 साल पहले के राघव, अदनरुद्ध और स्वरा से।
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4.
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वे ददक दिवे दी
अदनरुद्ध ने खश
ु ी से – हम दोनों िो पड़ोसी दनकले भाई। वैसे, कहाूँ रह रहे हो?
राघव (लंबी साूँस लेकर) - दफलहाल एक ररश्िेदार के यहाूँ। कोई रूम हो िो
बिाना भाई, मैं भी िलाश कर रहा ह।ूँ
अदनरुद्ध – मैं यहीं पास में रहिा ह,ूँ गल्सष कॉलेज के पास। मझु े भी रूममेट
चादहए। अगर चाहो िो मेरे साथ रह सकिे हो।
राघव (हूँसिे हुए) – मझु े िो कोई भी ददक्क्त नहीं भाई। कला वगष िो आपने
ददल से लगा दलया है।
अदनरुद्ध - हाूँ िरूर भाई। मेरी कोई मदद चादहए होगी िो बोलना।
दोनों एक दसू रे का नम्बर एक्सचेंज करिे हैं। अदनरुद्ध राघव को रूम ददखाने
साथ ले जािा है।
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ramaeSvara
स्वरा क्लास करके अपने दोस्िों के साथ हॉस्टल के दलए दनकल रही
थी। राघव और अदनरुद्ध आज कॉलेज नहीं गए थे वे सब्जी व अन्य सामान
लाने के दलए बाजार आए थे। अदनरुद्ध की निर सामने से आ रहीं लड़दकयों
पर पड़ी।
राघव स्वरा को देखिे हुए – हाूँ, देख िो मैं भी वहीं रहा ह।ूँ लेदकन मैं दजसको
देख रहा िमु उससे दरू ही रहना और ये लो साले साइदकल संभालो ।
अदनरुद्ध – अबे रघ,ु साले मरवाओगे क्या..! ऐसे घरू ोगे िो लोग क्या कहेंगे..?
सब इधर ही देख रहे।
“ कहने दो अन्नी” एकटक स्वरा को देखिे हुए राघव – “ कुछ िो लोग कहेंगे
ये गाना बचपन से सनु िा आ रहा ह।ं अपने स्कूल में आटष से पढ़ने वाला
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वे ददक दिवे दी
अके ला छात्र और अपने खानदान में आटष से पढ़ने वाला, अपने मां – बाप का
इकलौिा लौंडा ह।ं लोगों के कहने का अब फकष नहीं पड़िा। िुम धीरे –से
साइदकल इनके पीछे लगाओ”।
ज्योदि – स्वरा उधर देख… काफी देर से िझु को ही घरू े जा रहा है।
स्वरा ने राघव को देखकर नजरें चरु ा लीं – “ घरू ने से इन्हें कौन रोक सकिा है,
घर में अपनी माूँ – बहन को नहीं देख पािे”।
दसू री लड़की दजसका नाम साइना था – “ये बोल कौन रहा है”।
“ये बेचारे िो पीछे ही आ रहे हैं, इनको दनराश नहीं करना चादहए वरना पाप
लगेगा” - ज्योदि पीछे देखकर बोली।
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ramaeSvara
साइना – “अच्छा छोड़ ना यार इिना क्या भाव देना, वरना हॉस्टल का चक्कर
लगािे दफरें गे रोज ये”।
हॉस्टल गेट के अंदर जािे वक्त स्वरा ने मस्ु कुराकर राघव को देखा और अंदर
चली गई।
इससे पहले वाडषन इनसे सवाल जवाब करिा इन्होंने साइदकल घमु ाई
और िेजी से रूम की िरफ चल ददए। जल्दी-जल्दी सब्जी खरीदी। पनीर वाले
से पनीर पैक करने का ऑडषर दे ददया। मानो आज राघव की लॉटरी लगी हो।
पाटी का परू ा बंदोबस्ि हो चक ु ा था। मन में ढेरों िरंगें और अदनरुद्ध से ढेरों
सवाल दक स्वरा को कै से इप्रं ेस दकया जाए। अदनरुद्ध ने भी अवसर का भरपरू
लाभ उठा एक दोस्ि होने का सारा ििष अदा दकया। रूम पर पहुचूँ कर राघव ने
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वे ददक दिवे दी
राघव – अन्नी िू मेरा भाई है। मैंने िो मजाक में बोला यार। िुम्हारे दबना ये
अबोध बालक अपनी मंदजल को कै से पाएगा।
अन्नी – उसका बाप भी कालनेदम ही छोड़ेगा िुम्हारे पीछे । वैसे हसं वाला
आइदडया रामायर् से चरु ाए न िुम?
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ramaeSvara
अन्नी (ठहाके मारकर) – अरे मैं हूँ न यार। पहले खाने का इिं जाम हो जाए दफर
कुछ करिे हैं।
खाना बनिा है। दोनों खाने के बाद पढ़ने की िैयारी करिे हैं। आगे
फाइनल ईयर का एवजाम भी आ रहा था। अदनरुद्ध ने फोन में इस्ं टाग्राम ऑन
दकया। स्िीन पर स्िॉल करिे ही एक ओपन माइक कराने वाली संस्था का
पोस्ट उसके सामने आिा है। िस्वीर देखकर मानो अदनरुद्ध की साूँसे रुक गई
हो।
अदनरुद्ध – नाम?
अदनरुद्ध – दपिा?
राघव – श्री धनंजय दसंह (जबदक पोस्टर में धनंजय दसंह है)
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वे ददक दिवे दी
अदनरुद्ध इस बाि पर राघव की िरफ देखिे हुए उसकी इस हरकि पर मस्ु करा
कर कहिा है ।
अदनरुद्ध – यहीं से चरर् पकड़ लो साले, इिनी िमीज से कभी मेरे बाप का
नाम िो नहीं लेिे।
राघव हूँसिे हुए उसके फोन से फॉलो ररक्वेस्ट कैं सल करिा है और अपना फोन
हाथ में लेिे हुए।
दोनों हूँसिे हैं। पास लेट कर दोनों एक ही फोन की स्िीन पर दनगाहें गड़ा के
रखिे हैं। राघव अपनी आईडी से स्वरा को फॉलो करिा है।
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ramaeSvara
उधर ज्योदि के पास स्वरा का फोन रहिा है। जैसे ही वो पीछा करने
वाले लड़के का चेहरा पहचानिी है, फॉलो ररक्वेस्ट एक्सेप्ट कर फॉलो बैक भी
दे देिी है।
आप कल्पना करें दक इस समय आपके मन में क्या चल रहा होिा। प्रेम स्वयं में
एक बहुि बड़ा पररविषन है।
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वे ददक दिवे दी
समझना चाहिे हैं िो आप उसे समय दें व अपने आगामी जीवन से जड़ु ी
योजनाओ ं पर चचाष करें ।
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ramaeSvara
रदववार को ओपन माइक का स्लॉट बदु कंग दलक ं भेजिे हुए दलखा दक मैं
उसकी दोस्ि ज्योदि। इस इवेंट में स्वरा अपनी पोएट्री परफॉमष करेगी।
अदनरुद्ध (हूँसिे हुए) – बेटा अच्छा मजाक हो रहा है साथ िुम्हारे । इससे पहले
दक ओपन माइक का स्लॉट फुल हो जाए, िमु रदजस्टर कर दो। मैं भी िुम्हारी
सेफ्टी के दलए साथ चल रहा ये कत्तई मि भल ू ना।
राघव (बैठकर) – साले िुम्हारा क्या काम वहाूँ?
अदनरुद्ध – िो क्या..?
अदनरुद्ध (हाथ जोड़ कर) – भाई बस करो, मैं अब रो दगूँू ा क्योंदक िुम्हारा
सच्चा प्यार िो ठीक पर उसका क्या पहले ये जान लो। भाई िुम्हारी मनोदस्थदि
ठीक नहीं लग रही इस फॉमष के साथ मेंटल हॉदस्पटल में भी एक स्लॉट बुक कर
लूँ?ू
हूँसिे हुए राघव फॉमष भरने के दलए कहिा है। अदनरुद्ध ने फॉमष भरना
शरू
ु दकया और पहले अपना ऑदडयंस के रूप में भरकर सदब्मट दकया।
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वे ददक दिवे दी
अदनरुद्ध – भाई मैं िो हो गया ऑदडयंस, अब िुम कहो, ऑदडयंस में जाना है
या परफॉमेंस?
अदनरुद्ध – दमलिा, मगर मैं िो चदू िया ह।ूँ ये लो िुम्हारा िॉमष भी सदब्मट कर
ददये हैं।
अदनरुद्ध (शॉक्ड) – कौन सी बीमारी है, दकस स्टेज पर पहुचूँ ी अभी? मिलब
प्यार का पचं नामा होना िय है िुम्हारे ?
राघव – अबे मझु े कदविा दलखने के दलए समय कम है और िुम्हें क्या सझू
रहा? वैसे भी अगर मर भी गया िो िुमको क्या?
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ramaeSvara
राघव – इिना इमोशनल कब से? मझु े िो लगा था दक िमु मझु े िभी िक याद
रखोगे जब िक हम यहाूँ साथ हैं।
अदनरुद्ध (धीमी आवाि में) – घर छोड़ने के बाद आज इिने साल हुए। कभी
घर की याद िो नहीं आई मझु े लेदकन जब भी घर रहा, िुम्हारी याद िरूर आई।
दोस्ि, साूँसे भले साथ छोड़ दें पर मैं कभी नहीं छोड़ने वाला।
स्वरा – मैं कोई जवाब नहीं देने वाली और मझु े भी सोना है अब।
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5.
यह सनु िे ही सब पीछे देखिे हैं और सबकी हूँसी अब रोके नहीं रुक रही थी।
लड़की (इवेंट हेड) – वेलकम सर, गीि लगाया जाए इनके दलए “देर लगी
आने में िमु को ...”
राघव व अदनरुद्ध मन में कई दकश्िों में गादलयाूँ उसे देकर स्थान ले लेिे हैं।
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ramaeSvara
अदनरुद्ध – क्यों?
अदनरुद्ध – अब क्या होिा है क्या नहीं बाद में। देख आगे क्या हो रहा।
अदनरुद्ध – उससे ज्यादा मझु े िेरी धड़कनें सनु ाई दे रही हैं। खदु को संभाल मेरे
दोस्ि क्योंदक िेरा सच्चा प्यार है (मजे लेिे हुए)
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वे ददक दिवे दी
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ramaeSvara
राघव – मेरा नाम राघव दीदक्षि है। मैं आप सभी के बीच अपनी कदविा पढ़िा
ह।ूँ
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वे ददक दिवे दी
सच से वादकफ हुआ,
जानू के जाने के बाद।
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ramaeSvara
राघव – िू िो है न समानाथी, परू े इवेंट में ज्योदि को िाड़ रहा था। साले िेरा
पाप लगा है मझु े जो मैंने ये कदविा सनु ायी। अगर मेरा काम दबगड़ा िो िेरा
दियाकमष आम की लकड़ी की जगह मॉदटषन से करूंगा दजससे िुझे मच्छर का
जन्म भी न दमले।
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वे ददक दिवे दी
अदनरुद्ध – िेरी िो सेदटंग हो गई यार ऊपर। दफल्हाल अभी िो मैं भौंरा हूँ और
मझु े ज्योदि के आस – पास मूँडराने दे।
स्वरा (न खश
ु होने का ददखावा कर) – उसे कहिे हैं अश्लील होना।
ज्योदि – यही िो दडमांड है अपनी मेरी जान।
स्वरा – चलो हटो, अपना शारीररक िापमान घटाने के दलए िोन कर लो अपने
आदशक को, राह देखिा होगा बेचारा।
हूँसिे हुए स्वरा अपनी छोटी बहन से कॉल पर बाि करने लगिी है और ज्योदि
भी सदचन से।
ऐसा नहीं था दक राघव ने इवेंट में अपना प्रभाव नहीं जमाया था।
बेशक उसकी कदविा में हास्य रस था लेदकन स्वरा की िरफ घमू ी हर निर खदु
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ramaeSvara
में कमाल का एहसास समेटे हुई थी। शब्द िो हर कोई समझ सकिा है लेदकन
प्रेम वही है जो आूँखें भी पढ़ ले।
स्वरा – हैलो।
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वे ददक दिवे दी
स्वरा (हूँसकर) – बेहिर होगा दक जो दकिाब में है वो याद करें क्योंदक परीक्षा
में मैं नहीं आने वाली।
राघव – कोदशश िो बहुि करिा हूँ मगर आपकी यादों से पीछा छुड़ा पाना
आसान नहीं।
स्वरा – अच्छा जी
कुछ इस िरह शरू ु होकर बािें खत्म होने का नाम कहाूँ लेिी हैं।
कभी-कभी यह भी देखने को दमल जािा है दक कुछ व्यदक्तयों का जीवन ही इन
बािों में बीि जािा है। वैसे मझु े िो यह अनुभव नहीं क्योंदक ज्यादा बाि करना
मझु े आिा भी नहीं। कभी–कभी यह भी सोचिा हं दक आदमी भला क्या ही
बाि करिा होगा। आदखर वो कौन–सी बािें हैं जो खत्म होने का नाम नहीं लेिी
हैं। लेदकन यहाूँ ऐसा नहीं था क्योंदक दोनों ही समय के महत्व को बखबू ी
समझिे थे।
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ramaeSvara
इटं रमीदडएट के बाद दजस गम से हम पार पािे हैं दफर एकबार वही
मंजर सामने आने को िैयार था। परीक्षा के फॉमष भरे जा चक ु े थे और अब िो
परीक्षा की दिदथ भी घोदर्ि हो चकु ी थी। जैसे-जैसे ददन कम होिा मानो ददल
की बेचैनी भी उिनी ही बढ़िी।
ररश्िे बनिे हैं और दबगड़िे हैं। दोनों हाल में एक छाप छोड़ जािे हैं ये
ररश्िे हमारे मन में। कभी दकसी के िारा कही बाि का याद आना या दिर दकसी
वस्िु को देखकर कोई ख्याल अचानक से मन उठना। यह सभी कहीं न कहीं
हमें एहसास ददलािे हैं दक हमारे अंदर एक ददल भी है। बढ़िी उम्र हमारी
दजम्मेदाररयों को भी बढ़ा देिी हैं। पररवार की िमाम उम्मीदें और उन्हें परू ा करने
हेिु आपको दमले कुछ साल और महज ददन के नौ घंटे।
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वे ददक दिवे दी
में आप उत्तीर्ष िब माने जािे हैं जब जीवन अपना प्रश्नपत्र आपके सामने रखे
और आप उसे दबना कोई कारर् ददए हल करें । आपके पास यहाूँ दसफष दो ही
दवकल्प होिे हैं, या िो हाूँ या िो न। इनमें से कोई नहीं का दवकल्प आपको नहीं
दमलने वाला।
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ramaeSvara
इिं जार कर रही होिी है। राघव को देख स्वरा खड़ी हो उसका अदभवादन कर
बैठने के दलए कहिी है। राघव बैठिा है।
स्वरा आगे के लट को कान पर लगािे हुए – क्यों पहले नहीं लगिी थी?
राघव – यही दक पहले मैं आपको डर के , चोरी छुपे देखा करिा था िो ठीक से
देख नहीं पािा था। जब ठीक से देख नहीं पािा था िो क्या ही बिाऊूँ ? हाूँ, अब
मैं डरिा भी नहीं और जी भर के देख भी सकिा ह।ं
स्वरा – भल
ू िो नहीं जाओगे मझु े?
राघव – भलू ने के दलए थोड़ी दकए हैं प्यार। इस दवर्य पर हम गंभीर हैं साहब।
शादी होगी अपनी वो भी धमू – धाम से मैडम।
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वे ददक दिवे दी
स्वरा (दवचार पर्ू ष मद्रु ा में) – यार, मैं मजाक नहीं कर रही। िुमको पिा है न दक
हम दोनों का सरनेम भी अलग है। लोग क्या कहेंगे। सब हूँसगें े हम पर दक दपिा
की आजादी ने इसे दबगाड़ ददया है। दपिा जी को अगर कोई कुछ कहेगा िो मैं
बदाषश्ि नहीं कर सकिी। मेरे दपिा ही मेरी ददु नया है। मैं ऐसा कुछ नहीं करूूँगी
दजससे लोग मेरे दपिा का उपहास करें । मैं यही कहने आई थी दक अब बाि नहीं
हो पायेगी हमारी। िमु अपना ख्याल रखना और अपने कै ररयर पर ध्यान दो।
दजदं गी में बवाल मचना इसे भी कहिे हैं। यूँू मानो दक राघव के पास
कहने के दलए कोई शब्द अब शेर् नहीं था। कुछ घटनाएं जीवन को खामोशी
की िरफ बढ़ने के दलए मजबरू करिी हैं। खामोशी एक ऐसा समदं र है दजसमें
डूबने के बाद हम स्वयं को समझने लगिे हैं। प्रेम चचं ल होिा है ऐसा वो कहिे
हैं दजन्हें इसकी समझ नहीं। प्रेम को समझने के दलए जीवन कम पड़ सकिा है।
जरूरि को परू ा करना प्रेम नहीं होिा।
उम्र के ऐसे पड़ाव पर कोई क्या सोचे। जीवन में ऐसा कोई साथी होना
भी आवश्यक है जो मागषदशषन कर सके । दबना मागषदशषक के जीवन को सही
ददशा दमल पाना मदु श्कल है। यह भी कहना चाहगूँ ा दक इस समय सारा ज्ञान
फे ल हो जािा है जब ये नशा सर चढ़ के बोलने लगिा है। जो आज जाना
चाहिा है उसे जाने देना चादहए क्योंदक दकसी प्रकार उसे अगर आज रोक भी
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ramaeSvara
वैसे सही गलि कहने का अदधकार हमें िभी है जब कोई काम हमसे
पछ
ू कर दकया जाए। सलाह िो बड़ी चीज है बदल्क मैं मानिा हूँ दबना माूँगे िो
मरिे हुए को भी पानी नहीं देना चादहए क्योंदक अगर वह मरा िो उसका
इल्जाम आप पर आ सकिा है और जेल िक का सिर आपको िय करना पड़
सकिा है। कहने वाले िो कहेंगे लेदकन कुछ हम जैसे लोग भी दमलेंगे आपको।
इिना कहकर स्वरा वहाूँ से चली जािी है। राघव ने उसे रोकने की
कोदशश भी नहीं की। उधर ज्योदि ने भी अदनरुद्ध को टेक्स्ट मैसेज कर ददया था
दक वो दकसी दसू रे की अमानि है। कुछ ददन ददष भरे गाने सनु ने के बाद दोनों ने
आगे के जीवन के बारे में दवचार दकया।
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वे ददक दिवे दी
भैरव – क्या बाि है भैया जी, कमाल की लाइन कही आपने। पर कुछ समझ
नहीं पाया मैं।
भैरव – रघु भैया हम िो वहाूँ जा ही रहे, बाकी आपके थाने को भी कड़ी सरु क्षा
के दलए आदेश ददया गया है।
राघव – दसदवल ड्रेस में आना साले, थोड़ा मडू हम भी बना लेंगे क्योंदक मफ़्ु ि
की पाटी का सबसे ज्यादा मजा िमु ही उठािे हो।
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ramaeSvara
सब एक साथ हूँसिे हैं। स्वरा भी इन सभी घटनाओ ं के बाद परु ानी यादों को
समेटे हुए कुछ न याद रहने का बहाना करिी है।
दसपाही अदनरुद्ध से कुछ बरामद न होने की जानकारी देिे हैं। सभी वहाूँ से
दनकलिे हैं। राघव की दनगाहें दनकलिे वक्त स्वरा को ढूूँढ रही होिी हैं लेदकन
स्वरा मड़ु के राघव की िरफ देख पानी की दहम्मि नहीं जटु ा पािी है। राि को
स्वरा घर आिी है। हर रोि की िरह व्यवहार न करिे हुए वह आज थोड़ा उदास
लग रही थी।
उमा – मैं िो बड़ी खशु ह।ूँ सारा ददन घर के दकसी कोने में शांदि िो होिी नहीं।
न जाने दकिनी बािें करनी होिी है इसे।
स्वरा – वैसे माूँ क्यों न श्रदु ि की शादी पहले करें ? दजससे ये िोन वाली बीमारी
खत्म हो जाए।
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वे ददक दिवे दी
श्रदु ि – दी, ऐसा कुछ नहीं है। मझु े िो अपनी दोस्िों के साथ घमू ने जाना है। उसी
का प्लान हम कॉल पर कर रहे थे। वैसे भी इस बार मेरा मास्टसष खिम हो रहा।
पाटी िो बनिी है। वैसे कल शाम को बस है। मेरी पैदकंग कर देना आप दोनों
दमलकर।
राम – हाय..!
स्वरा – हैलो
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ramaeSvara
स्वरा – वो िो मैं ह…
ूँ ।
अदनरुद्ध – हाूँ जानिा हूँ दक िम्ु हारे मादलक की शैिान सिं ान के पैदा होने का
जलसा है।
श्यामदास – नहीं साब जी, अब मैं पहले जैसा नहीं। मैं िो यह बिाने आया था
आपको दक कल मंत्री संजय पादटल भी उस जश्न में शादमल होने आ रहे।
प्रोटोकॉल में िो जाना ही पड़ेगा न।
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वे ददक दिवे दी
दक उसके बुरे कमों का फल उसे दमल रहा है। अदनरुद्ध श्यामदास को रोिा देख
अपने जगह पर खड़ा होिा है।
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ramaeSvara
अब्दल
ु – नाच गाना फुल है, प्राइवेट व्यव्स्था हम दकए हैं।
अदभनव – साले िुम्हरे चक्कर में अगर ओवर डोज हुआ और मचा ड्रामा िो
चाचा हम दोनों को छोड़ेंगे नहीं। परू ा बनारस यहाूँ जटु रहा और िमु अलग
माहौल रच रहे हो।
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वे ददक दिवे दी
प्रोटोकॉल में वहाूँ हादजर होिा है। हाव – भाव के साथ लोगों का दमलना शरू
ु
हुआ व अपने आदमी को भेजकर दददववजय अपने बेटे को आने के दलए कहिा
है।
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6.
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वे ददक दिवे दी
सादहत्यकारों ने कहा है दक इन्हें ददशा दनदेश देने वाला कोई नहीं। अगर इन्हें
कोई बिाए दक ये गलि कर रहे हैं, िो ये सही रस्िे पर आ सकिे हैं।
ये उदाहरर् काल्पदनक हैं व इनका प्रयोग हास्य व्यंग के रूप में दकया
गया है। नैदिक ज्ञान ही समाज दनमाषर् व व्यदक्त दनमाषर् की प्रयोगशाला है। हमें
यह पिा हो दक रोज के जीवन में कब, कहाूँ, कै से व्यवहार करना है िो शायद
एक सभ्य व दोर्रदहि समाज हम आने वाली पीढ़ी को दे पाएूँ दकंिु अपवादों
के रहिे यह सभं व है, भला कै से माना जाए?
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ramaeSvara
से पहले उन्हें लोगों िक मफ्ु ि में पहुचूँ ा रहा था। दददववजय को यह मालमू था
दक जब िक लोग इन सभी के बारे में जानेंगे नहीं, माके ट का माहौल िैयार नहीं
हो पाएगा।
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वे ददक दिवे दी
नशे में हम शादं ि खोजिे दफर रहे हैं। िमाम प्रकार की नशीली
दवाओ ं का सेवन आज नई पीढ़ी कर रही है। क्या अब भी कहा जा सकिा है
दक लोग जागरूक नहीं? कम उम्र के उन बच्चों का भदवष्य भी सोदचए जो नशे
की िरफ बढ़ रहे हैं।
भैरव - साहब बड़े खद्दु ार हैं हम। सचू ना का सौदा करिे हैं स्वादभमान का नहीं।
राघव – वाह, क्या बाि है। वैसे अदनरुद्ध वदी की वफादारी ददखाने का मौका
दमलिा है क्या कभी?
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ramaeSvara
भैरव - वैसे, पत्रकार धनजं य दसहं हत्याकाडं में इसी सजं य पादटल ने अहम
भदू मका दनभाई थी। वेदप्रकाश जी का ट्रांसफर भी इसी ने करवाया था। अब िो
दनयम काननू बस एक खेल हो गया है।
अदनरुद्ध - हमें भी गांजे व दबना काम के कट्टे में चालान करना एवं संददवध
हालाि में भागना ददखाकर दकसी को भी गोली मारने का अदधकार प्राप्त होिा
है।
संजय – अदभसार बाबू क्या योजना है आगे? कुछ सोचा िो होगा ही आपने..।
अदभसार – सोचना क्या है, आपकी उम्र हो चली है। आपके बाद इस कुसी में
अपना भदवष्य देखने लगा ह।ूँ
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वे ददक दिवे दी
संजय (चेहरे पर प्रश्न दचन्ह के साथ) – अच्छा मजाक करिे हो अदभसार बाबू।
दददववजय – बेटा अभी िुम्हारी सोचने की उम्र नहीं जो हम बोलें उिना ही करो।
िुम्हारी महत्त्वाकांक्षा को सही समय पर महत्व दे कर उपयोग में लाने का प्रयास
दकया जाएगा।
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ramaeSvara
श्रदु ि – कुछ नहीं दीदी बस याद कर दलया आपको क्योंदक आपको िो मेरी
याद आने से रही।
स्वरा (दबी सी मस्ु कान के साथ) – शैिान, मिलब िनू े खोज ही दलया।
श्रदु ि – मेरा कोई गलि मिलब नहीं था दीदी। मझु े पिा है दक आप जो दनर्षय
लेंगी वह सही होगा।
स्वरा – पढ़ाई पर ध्यान देना। दकसी भी चीि की िरूरि हो बेदझझक बोल देना
मझु से।
स्वरा अपनी माूँ को फोन देिी है। देर िक िीनों आपस में बाि करिे
हैं व सब के चेहरे पर हूँसी भी देखने को दमलिी है। दपिा के जाने के बाद घर में
दबखरे मािम को स्वरा अच्छे से समेट रही थी।
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वे ददक दिवे दी
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ramaeSvara
अदनरुद्ध (गस्ु से में) – दांि ज्यादा साफ हो गया हो िो महूँु के अंदर छुपा के ही
रखो क्योंदक दकसी लड़की के हाथ मूँहु पर िमाचा जड़े जाने पर ये दािं बाहर
भी दनकल कर आ सकिे हैं।
सब चपु हो जािे हैं। स्वरा उस ददन के बाद आज पहली बार थाने में अदनरुद्ध से
दमली थी। उसे पिा चलिा है दक यह के स अदनरुद्ध के पास है।
स्वरा – िुम यहाूँ कै से, और कब आना हुआ? उस ददन अचानक से मैंने होटल
में देखा था।
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वे ददक दिवे दी
अदनरुद्ध – जी..!
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वे ददक दिवे दी
नहीं बदली हैं। राघव की बाि भी बड़े िरीके से कही दजससे मझु े बुरा लग रहा
या नहीं यह जान सके ।
अदनरुद्ध अपने के दबन में आकर राघव को िरु ं ि कॉल करिा है। अदनरुद्ध का
कॉल देख राघव अपनी बेंच से उठकर दकनारे आिा है।
राघव – भैया नहीं आए थे क्या? वैसे भाभी िमु से दमलने थाने पर क्यों गई,ं िुम्हें
कहीं बाहर भी िो बुला सकिी थीं न और िमु िो जानिे हो थाने का माहौल..!
अदनरुद्ध – अबे मेरी भाभी नहीं, मैं िो स्वरा की बाि कर रहा। याद करो, उस
ददन होटल मैनेजर की ड्रेस में।
अदनरुद्ध – बड़ी मस्ि लग रही थीं यार भाभी जी (दचढ़ाने के अंदाि में) ।
अदनरुद्ध (हूँसिे हुए) – गांजे के के स में अंदर जानें को िैयार रहना दफर िो।
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ramaeSvara
अदनरुद्ध – थोड़े और ददन रुक जाओ भाई। कुछ अपरादधयों को िम्ु हारे बेंच
िक पहुचूँ ा द,ूँू दजससे मेरे पाप के भागीदार िमु भी रहो।
हमारी ददु नया में दसफष वही होिा है जो हम चाहिे हैं। हमने वहाूँ पर
समय को भी पीछे करने का इिं जाम कर रखा है, इसके दलए हमें अपनी आूँखें
बंद कर ख्यालों में खो जाना होिा है। हम कलमकारों के पास जज़्बाि की कमी
नहीं होिी है। वह सब कुछ हम महससू करिे हैं जो इस धरिी पर हर जीव।
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7.
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वे ददक दिवे दी
दददववजय (दबी हुई नाराजगी दशाषिे हुए) –शब्द बड़े ही कीमिी हैं आपके । ग्रंथों
में सक
ं दलि करवायेंगे इन्हें इस चनु ाव के बाद। बाि रही अदभसार की िो ठीक
ही कहा आपने, उसकी भी उम्र हो चली है। आदखर कब िक गधों पर बाजी
लगाऊूँ मैं..! दमलिे हैं मैदान में।
इधर श्रदु ि भी घर आई हुई थी। दपिा के के स में दफर से सनु वाई होने
की खशु ी में घर पर आज छोटी–सी पाटी रखी गई थी। देवव्रि व अदनरुद्ध भी
इस पाटी का दहस्सा थे व राजेश भी स्वरा के घर आए हुए थे।
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ramaeSvara
स्वरा – मम्मा, सबकी मदद करने की भावना इनमें शरू ु से ही है। लखनऊ में
एक इवेंट के दौरान कॉलेज टाइम में मल
ु ाकाि हो चक
ु ी है हमारी।
श्रदु ि – िब िो आप दोनों दोस्ि हुए..!
अदनरुद्ध (जल्दी से) – नहीं जी, दोस्ि के दोस्ि (दफर कुछ सोचिे हुए) हाूँ
दोस्ि..!
उमा – कोई बाि नहीं बेटा कर लो यहीं बाि, हमें कोई ददक्कि नहीं।
स्वरा और श्रदु ि दोनों अपनी हूँसी दबाने की कोदशश करिे हैं लेदकन
यह कहाूँ सभं व था? दोनों की हूँसी के बावजदू अदनरुद्ध सामान्य ददखने की
कोदशश करिा है।
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वे ददक दिवे दी
अिः इस दौर में ऐसी नौबि न आने देने के दलए दोस्िों का िोन अके ले में ही
उठाएूँ। अदनरुद्ध भी िोन उठािा है।
राघव – कहाूँ मर रहे हो साले, इिनी देर से िमु को ररंग कर रहा। मैंने एक बार ये
भी सोचा दक 100 नंबर डायल करूूँ पर बाद में ये ख्याल आया दक गर्ु वत्ता व
जानकारी के दलए कॉल ररकॉडष भी होिा है और अभद्रिा करने पर कानूनी
कायषवाही हो सकिी है और िुम्हें गाली ददए दबना मेरा ददन नहीं बनिा…!
अदनरुद्ध – ह.ूँ .!
राघव – मैं िबसे बोले जा रहा और िुम हूँ कह रहे हो। साले कहीं दकसी खिरे
में िो नहीं। दकसी ने दकडनैप दकया हो िो लाल बटन दबाना दजससे मैं बच
जाऊूँ ।
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ramaeSvara
भोजन के उपरांि अदनरुद्ध सबसे दवदा लेिा है। िेजी से वहाूँ से दनकलिे हुए
वो राघव को कॉल करिा है।
अदनरुद्ध – शांदि दमली दक नहीं। कभी िो िमीज से बोल ददया करो। समझबय
नहीं करिे हो कौनो बाि का िुम। सामने सब थे िबय चपु थे हम।
राघव – अच्छा सनु भाई, मैं वारार्सी कुछ काम से आया ह।ूँ खाने के साथ
एक साफ चद्दर और एक्सटेंशन बोडष का इिं जाम करो।
अदनरुद्ध ( मस्ु कुरािे हुए ) – मैगी उबाल लेना बे। मैं खाना खा चक
ु ा हूँ भाभी
जी के हाथ का।
घर का काम दनपटा कर स्वरा और श्रदु ि साथ – साथ कमरे में आिी हैं।
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वे ददक दिवे दी
स्वरा – मझु े िो नहीं लगा दक डर रहा है और िेरा ध्यान भी उसी िरफ था।
श्रदु ि – नहीं दीदी, ऐसा कुछ नहीं पर आज जाननी है मझु े परू ी बाि।
श्रदु ि – ये राम कौन है? कहीं वो अदनरुद्ध का दोस्ि िो नहीं जो अभी कॉल पर
था..?
स्वरा – नहीं पागल। अच्छा बैठो, िम्ु हें समझािी ह।ूँ कॉलेज से लौटिे समय
एक बार अदनरुद्ध और इसके दोस्ि राघव ने हमें देखा था। दोनों काफी परे शान
थे हमारे हॉस्टल का चक्कर लगा – लगाकर। इत्तफाक से इस्ं टाग्राम पर ओपन
माइक इवेंट का पोस्टर इन्हें ददखा और ये मेरी आईडी िक पहुचूँ े। राघव का
मैसेज आया था और उसके मैसेज का जवाब मेरी एक दोस्ि ने ददया था। दफर
हम ओपन माइक इवेंट में दमले। कॉलेज के ददनों में मेरी राघव से बाि होिी थी।
हम अच्छे दोस्ि थे। राघव इस ररश्िे को लेकर काफी सीररयस था लेदकन मैं ये
सब नहीं चाहिी थी। आदखरकार वो एक ब्राह्मर् था और मैं क्षदत्रय। कोई
मानिा भी िो नहीं इस ररश्िे को। इसदलए मैंने समाज के डर से ये ररश्िा िोड़ा
और दफर कभी हमारी बाि भी नहीं हुई। उस दौरान हम आदखरी बार दमले और
अचानक से इिने सालों बाद हम दफर एक दसू रे के सामने आ गए। अदनरुद्ध भी
काफी अच्छा लड़का है। दोनों की दोस्िी बड़ी कमाल की है। वह िो आज भी
चाहिा है दक दकसी न दकसी बहाने से राघव और मेरी बाि करवा सके ।
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ramaeSvara
स्वरा (शरमा कर) – मेरा राम, दजससे मैं बहुि प्यार करिी ह।ूँ
स्वरा – वैसे अब मैं व्यस्ि रहगूँ ी। सो जाओ बाब,ू बाय एंड गडु नाईट…।
इधर राघव, अदनरुद्ध के फ्लैट पर पहुचूँ कर बेल बजािा है। राघव ने दरवाजा
खोला।
राघव – साले हमारे एक्स ससरु ाल में आहार लेके आ रहे हो और उम्मीद कर
रहे हो दक हम गाली भी न दें। शि
ु मनाओ दक बाई दमस्टेक हम वकील हो गए
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अदनरुद्ध – अबे वो क्यों..? िमु से दकिनी बार कहूँ दक स्वरा से बाि करने की
कोदशश करो। क्या पिा वो मान जाए..!
अदनरुद्ध – बकचोददयों में िमु से कोई नहीं जीि सकिा। मरो साले, रंडवा ही
मरोगे या दफर दमल जाएगी दक कोई एक दकलो पाजेब वाली, दजसका पैर अगर
गलिी से भी िुम्हारे पैर से राि को छू गया िो िुम्हें अपना कमरा भी श्मशान
नजर आएगा। नसीब में यही दलखा है िेरे कमीने।
श्रदु ि – हाूँ हाूँ, बना लीदजए बािें। वो िो काम है पदु लस वालों का।
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श्रदु ि – हा हा हा….
राघव प्लेट में मैगी लेकर अदनरुद्ध की िरफ बढ़ा चला आिा है। अदनरुद्ध ने
श्रदु ि की इस्ं टा प्रोफाइल खोल उसकी हर फोटो को लाइक करना शरू
ु कर ददया
था। राघव की नजर उस पर पड़िी है।
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वे ददक दिवे दी
है। कुछ ही लोग होिे हैं दजन्हें दोस्िी नसीब होिी है और उससे भी कम लोग
होिे हैं दजन्हें प्रेम नसीब होिा है।
इब्रादहम – पादटल साब, कै से याद करना हुआ? आदेश कररए आप। क्या कर
सकिे हैं आपके दलए?
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ramaeSvara
अब्दल
ु – चाचा जी हम सब िैयार हैं। एक सपना जैसन है हम लोग खादिर ई।
हम िो पदहले कह रहे थे दक भईया जी के ऊपर राजनीदि ही सटू करिा है।
आदखर खदु ा ने वो ददन ददखा ही ददया आज।
दददववजय – जोश का इस्िेमाल होश में करना। जो कुछ भी हो रहा है िमु जैसे
चदू ियों के प्रभाव के चलिे हो रहा। मेहनि में कमी रह गई िो चौराहे पर नंगा
टाूँग देंगे। करिे रहना प्रदशषन अपने जोश का दफर।
सब लोग हूँसिे हैं। अदभसार को सब लोग बधाई देिे हैं और सभी दमलकर यह
योजना बनाने लगिे हैं दक दकससे दमलने पर कौन-सा काम आसान होगा।
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वे ददक दिवे दी
लोकिादं त्रक समाज दल में राष्ट्रीय अध्यक्ष को सदू चि कर पाटी ज्वाइन करने
का समय ले दलया गया। दनधाषररि समय पर महूँगी गादड़यों के कादफले के बीच
दजंदाबाद के नारों के साथ अदभसार का कादफला सड़क पर आिा है।
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ramaeSvara
दबल्कुल पसदं नहीं आ रहा था। यह स्पष्ट था दक राजनीदि में कोई दकसी का
दोस्ि या दश्ु मन नहीं होिा है। संजय पादटल और दददववजय एक दसू रे के
सहयोगी थे और आज इनसे बड़ा एक – दसू रे का दवरोधी भी कोई नहीं। संजय
पादटल भी राजनीदि का मादहर दखलाड़ी और सत्ता पाटी में मंत्री भी था। समय
देख उसने अपना ट्रंप काडष खेल ददया।
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8.
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ramaeSvara
का मौका दमला। अदनरुद्ध ने अपनी िाकि का भरपरू उपयोग दकया। सत्ता पाटी
का समथषन भी अदनरुद्ध को दमल रहा था।
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वे ददक दिवे दी
में हर कोई िमाम रूदढ़यों व जािीय भावनाओ ं से मक्त ु रहिा है। हर यवु ा की
दोस्िी यारी हर जादि – वगष के लोगों के साथ है। शायद ही कोई होगा जो
कुरीदियों से ग्रदसि हो। मैं आपको यकीन ददला रहा हूँ दक यदद आपने अवसर
ददया िो अपने संसदीय क्षेत्र में मोहल्ला के मिु ादबक आधदु नक पस्ु िकालय
बनाने का काम मैं करूंगा। दशक्षा समाज के दवकास की प्राथदमक सीढ़ी है।
रोजगार के अनेकों आयाम महु यै ा कराने का काम मेरे िारा दकया जाएगा। समय
का अभाव है बस मेरी एक बाि याद रदखएगा दक जो आज िक कोई नहीं कर
पाया वो आपका ये बेटा करके ददखायेगा। जय दहदं …!
अब्दल
ु – अदभनव ठीक कह रहा। खिरा िो बहुि बड़ा है। हम लोगन का िो
भल
ु ाय ही जाओगे आप सासं द बनने के बाद। आपके पास आए के दलए
अनुमदि दलऐ के पड़ी।
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ramaeSvara
अदभसार – िमु दोनों चदू िया ही रह जाओगे साले। हमारे दनजी शौक का
इिं जाम िुम्हीं लोग करोगे। ये समझो दक मेरे दनजी सदचव रहोगे यार।
अदभसार व अब्दल
ु इस बाि पर अदि प्रसन्न होिे हैं।
दोस्ि वही अच्छा जो श्री कृ ष्र् जी की िरह राह बिाए और कर्ष की
िरह सदैव आपके हर दनर्षय पर जी जान लगा दे। अगर जी हुजरू ी करने वाले
नमनू े आपके दनजी जीवन के सदचव हैं दफर आपका उद्धार होने से कोई नहीं
रोक सकिा।
अब्दल
ु व अदभनव ने अदभसार को बबाषद करने में कोई कसर नहीं
छोड़ी थी। हर शदनवार को देर राि अदभसार के ऑदफस में नशे के इिं जाम के
साथ ही रुपए की चमक ददखा कर नई उम्र की लड़दकयों को उसके कमरे िक
पहुचूँ ाने का काम करिे थे। अदभसार की ये कहानी सालों से चली आ रही थी।
न जाने दकिनी मासमू ों को बहला फुसला कर उन्हें ड्रवस का आदी बनािे।
उसके बाद वो उनका यौन शोर्र् भी करिे।
एक बार बरु ाई के दलदल में दगर जाने के बाद उभर पाना बहुि ही
मदु श्कल होिा है। ऐसी उम्र में यह खयाल रखना बहुि ही आवश्यक है दक हम
कौन सा दनर्षय दकसके कहने पर ले रहे हैं। नैदिक ज्ञान यदद आप में रहेगा,
आपका जीवन सदैव उन्नदि के मागष पर अग्रसर ही रहेगा।
अब्दल ु – भैया जी समय हो रहा है। वो आ रही होगी, आप अपने कमरे में
जाए।ं
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वे ददक दिवे दी
श्रदु ि भी बनारस में ही थी। स्वरा को नौकरी के चलिे वक्त दमल नहीं
पािा था दजससे श्रदु ि ही के स से जड़ु ी हर चीिों को सभं ाल रही थी। बढ़िी
मल
ु ाकािें दोनों को एक-दसू रे के पास ला रही थीं।
श्रदु ि और अदनरुद्ध एक दसू रे से प्रेम करने लगे थे। दोनों यह बाि
समझिे थे लेदकन पहले प्रेम का प्रदशषन कौन करे, यह खदु में एक बड़ा सवाल
होिा है। दकसी से अपने ददल की मनोदशा व्यक्त करना आसान काम नहीं।
सच्चे प्यार में शब्दों का अभाव होिा है। शब्द भी ऐसे समय में आपके
एहसासों का इम्िहान ले रहे होिे हैं। डर भी रहिा है दक कहीं सामने वाले के
ददल में ये भावना न हुई िो बाि दबगड़ जाएगी।
इधर कोटष के कामों में व्यस्ि चल रहे राघव की दिंदगी में एक अलग
ही मोड़ आ चक ु ा था। अचानक देर राि उसे बस्िी पदु लस स्टेशन से कॉल
आिी है।
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राघव – जी कदहए…!
बस्िी पदु लस – सर देर राि दकसी दववाह समारोह से लौटिे वक्त आपके
पररवार का एक्सीडेंट हो गया है। हमें दःु ख के साथ आपको यह बिाना पड़ रहा
है दक..!
बस्िी पदु लस – जी लोगों की पहचान हुई है। आपके दपिा, माूँ व बहन िीनों
इस हादसे का दशकार हुए हैं। आप दजिनी जल्दी हो सके पहुचूँ ें।
यह बिा कॉल कट हो जािा है। फोन छूट कर नीचे दगर जािा है।
राघव को यह नहीं सझू रहा था दक वह क्या करे । दकसी बेटे के दलए यह सनु ना
ठीक वैसा ही होिा है जैसे खौलिे िेल में दकसी ने ठंडे पानी का छीटा मार
ददया हो।
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वे ददक दिवे दी
अदभसार – अब्दल
ु , इिं जाम कर मेरा।
अब्दल
ु – भैया जी मदु श्कल है थोड़ा।
अदभनव – हमारे जेब में माल है लेदकन चला कै से जाए यहाूँ से? आपके दपिा
श्री नजर गड़ाए हैं हमीं पर भैया।
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ramaeSvara
अदभसार – दपिा जी कुछ यवु ा साथी को गस्ि पर लगाए हैं हम दजससे कौनों
प्रकार की गड़बड़ी न होने पाए। हम जायजा लेकर आिे हैं।
वो सभी वहाूँ से दनकल जािे हैं। सबसे पहला होटल वही था जहाूँ स्वरा काम
करिी थी। ये सभी अंदर घसु िे हैं।
अब्दल
ु बढ़ कर आगे आिा है और रौब झाड़िे हुए।
अब्दल
ु – नहीं पिा क्या हम कौन है?
स्वरा घड़ी की िरफ देखिी है दजसमें अभी 7PM हो रहा था। यह सोचकर की
कोई दववाद ना हो और वह 9 PM िक घर दनकल जाएगी।
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वे ददक दिवे दी
अदभसार – हमें कै से पिा दक 308 कहाूँ है? चदलए हमें वहाूँ िक छोड़ कर
आइए।
स्वरा आगे चलिी है और दलफ्ट के दलए बटन दबािी है। थोड़ी देर में दलफ्ट
खलु िी है। स्वरा बहुि ही असहज महससू कर रही थी। वो िीनों स्वरा को हवस
की नजरों से घरू े जा रहे थे। जैसे ही दलफ्ट का दरवाजा बदं हुआ स्वरा की
धड़कने और भी बढ़ गई। िीसरे फ्लोर पर दलफ्ट रुकिी है।
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रदजस्टर देख सीधे रूम नबं र 308 में पहुचूँ िा है। रूम का दरवाजा खोलिे ही वो
स्वरा को बेहोशी की हालि में दनवषस्त्र देखिा है। जल्दी से वह बेडशीट खींच
स्वरा के ऊपर डालिा है व भागकर होटल के मादलक राजेश को कॉल कर
सारी दास्िां सनु ािा है।
थोड़ी ही देर में राजेश और उनके साथ डॉक्टसष व अदनरुद्ध के थाना पररसर में
आने की वजह से उसके साथ मदहला पदु लसकमी भी पहुचूँ िे हैं। मदहला
कांस्टेबल अंदर कमरे में दादखल होिी है। मीदडया को भी अब िक खबर लग
चकु ी होिी है। ब्रेदकंग न्यिू में यह खबर चलने लगिी है। श्रदु ि फोन में यह खबर
देख फौरन अदनरुद्ध को कॉल करिी है।
अदनरुद्ध – श्रदु ि, संभालो अपने आपको। मैं िुम्हें बाद में कॉल करिा हूँ और
माूँ का ख्याल रखना।
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वे ददक दिवे दी
दददववजय ने इधर खेल पलट ददया था। मीदडया कॉन्फ्रेंस बुलाकर उसने यह
अपना पक्ष रखा।
दददववजय – देदखए, मेरा बेटा यह चनु ाव बड़े अंिराल से जीि रहा है। सत्तारूढ़
पाटी अपने विषमान मत्रं ी को बचाने के दलए हमारे दखलाफ ये सादजश रच रही
है। ऐसे ही धनंजय दसंह हत्याकांड में मझु े बदनाम करने का परू ा जाल दबछाया
गया था और यह भी सत्ता पक्ष के लोगों की सादजश है व जानबूझकर वररष्ठ
पत्रकार धनजं य दसहं जी की बेटी को दनशाना बनाया गया है। यह हमारे
अल्पसंख्यक व बहुजन समाज के नेित्ृ व को कमजोर करने व उन्हें भ्रदमि करने
की एक सादजश रची गई है। जनिा कल अपने एक – एक वोट से अपने यवु ा
नेिा अदभसार पादटल को दवजयी बनाने व सजं य पादटल जैसे भ्रष्ट लोगों को
सत्ता के बाहर का रास्िा ददखाने का काम करे गी।
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ऐसी बहुि सारी बािें िकष – दविकष का दहस्सा थीं। समाज की सोच
को एक अखबार की हेडलाइन िारा दकस प्रकार मोड़ा गया है आप संभविः
समझ सकिे हैं। लोकित्रं का चौथा स्िभं दकस दस्िदथ में है यह अदं ाजा लगा
लें। शेर् समाज की सोच का अंदाजा इसी बाि से लगा लें दक आज भी मिदान
प्रदिशि 50% से ज्यादा बड़ी मदु श्कल से हो पािा है। यही हैं अपने लोकिंत्र के
दजम्मेदार नागररक। मिदान की प्रदिया परू ी होिी है।
इधर श्रदु ि स्वरा के फोन से राम का नबं र दनकाल बार – बार कॉल
करिी है और अदनरुद्ध भी राघव का नबं र ट्राई करिा है। राम के नंबर पर परू ी
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वे ददक दिवे दी
घटं ी बजिी है लेदकन कॉल नहीं उठिा है और राघव का नबं र बंद आिा है।
भैरव अब िक दददववजय पर अपना जादू चलाने में कामयाब हो चकु ा था।
भैरव – पादटल साहब एक वकील को मैं जानिा हूँ जो हर कीमि पर अदभसार
बाबू को बचा सकिा है।
अदनरुद्ध भैरव को कॉल करिा है। भैरव बाहर आकर फोन उठािा है।
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ramaeSvara
से कोमा में जा चक
ु ी है। वह ठीक िो होगी मगर कब िक, इसके बारे में कुछ
नहीं कहा जा सकिा है।
उमा व श्रदु ि बाहर से ही स्वरा को देखकर रोने लगिे हैं। देवव्रि उन्हें
समझाने की कोदशश करिा है। श्रदु ि को लेकर अदनरुद्ध एकांि में आिा है।
उसके हाथों में हाथ रख अदनरुद्ध समझाने की कोदशश करिा है।
अदनरुद्ध – िुम्हारी कोई बाि हुई थी स्वरा से? उसने कभी कुछ बिाया था
िुम्हें?
श्रदु ि – ऐसी कोई बाि नहीं बिाई थी दीदी ने मझु े। एक बाि बिाना चाहगूँ ी दक
राम नाम के दकसी लड़के से दीदी की बाि होिी थी। उन्होंने बिाया था दक वो
उससे प्रेम करिी हैं।
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9.
-113-
ramaeSvara
को पीछे छोड़िे हुए पर्ू ष बहुमि हादसल कर लेिी है। अदभसार भी चनु ाव जीि
जािा है व संजय पादटल की चनु ाव में बरु ी िरह हार होिी है।
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वे ददक दिवे दी
बदलने लगा था। अदनरुद्ध से मामले को ठंडा पड़िा देख श्रदु ि की लड़ाई हो
जािी है। अदनरुद्ध श्रदु ि को समझाने की कोदशश करिा है।
श्रदु ि (रोिे हुए िेज आवाज में) – अरे कौन से न्याय और कौन से लोगों की
बाि कर रहे हो। इस शहर में न्याय और सच भला दकसे दप्रय है। कहाूँ चले गए
थे ये न्याय और सच को मानने वाले लोग जब मेरे बाप को गोदलयों से भनू
ददया गया था? कै से अपना कह दूँू इस समाज को दजसने मेरी ही बहन के साथ
रे प करने वाले को अपना नेिा चनु दलया? अरे ये सब भी रोएगं े दजस ददन इनके
घर की इज्जि सड़क पर नीलाम होगी।
यह कहकर वो रोने लगिी है। उसकी माूँ व देवव्रि उसे संभालिे हैं।
अदनरुद्ध की भी आूँख भर आिी है। भला वो कै से कहे दक दसफष वदी उसके
पास है और सारा पावर िो लोकित्रं के देविाओ ं यानी नेिाओ ं के पास है।
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वे ददक दिवे दी
िभी भैरव के साथ कोटष में राघव की एंट्री होिी है। राघव के दबखरे बाल व
बढ़ी दाढ़ी उसे सच में खलनायक के रूप में सश ु ोदभि कर रहे थे। सबकी निरें
राघव पर दटकी थीं। स्वरा के पररवार व अदनरुद्ध सदहि बहुि से पत्रकार वहाूँ
मौजदू थे। दददववजय पादटल ने पहले ही सारे सबूिों को दमटा ददया था।
मेदडकल से लेकर गवाह िक का इिं जाम उसने भली भाूँदि कर रखा था।
अदनरुद्ध, राघव को इस िरह देख हैरान था।
राघव – आराम से वकील साब। इिनी भी जल्दी क्या है? आपने कहा और हम
मान लें दक अदभसार पादटल ही दोर्ी हैं? वैसे भी जनिा ने भारी बहुमि दे
आपके सारे आरोप को पहले ही धलु ददया है। कहा भी गया है दक सबसे बड़ी
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जज – आप दोनों कोटष का समय ना जाया करिे हुए सबिू व गवाह पेश करें ।
देवव्रि – सर मैं के स को देख रहे इस्ं पेक्टर अदनरुद्ध दसहं को कटघरे में बल
ु ाने
की इजाजि चाहिा ह।ूँ
जज – इजाजि है..!
अदनरुद्ध कटघरे में आ कर खड़ा होिा है। गीिा की शपथ उसे ददलाई जािी है।
अदनरुद्ध – सर उस राि से ही उसका कुछ पिा नहीं चल रहा है। मैंने ढूंढ़ने की
बहुि कोदशश की और उसका नबं र भी बदं आ रहा है। हम जल्द ही उसे खोज
दनकालेंगे। हमें थोड़ा और वक्त चादहए।
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वे ददक दिवे दी
सभी के जाने के बाद दददववजय अपने लोगों के साथ बाहर आिा है। राघव
को रास्िे में रोक।
राघव – दजदं गी हम िमु से कमाए पैसों से बदल लेंगे। मैं जो कर रहा ये मेरे
किषव्य मात्र है। शि
ु मनाओ कोट पहनने के बाद िुम जैसे अपरादधयों का
कालाधन हम स्वीकार कर ले रहे।
राघव, भैरव के साथ उसके घर आिा है। शाम के बाद राि आिी है। श्रदु ि
अपनी माूँ को घर छोड़ खदु बहन के पास रुकिी है। वह अभी भी उस उम्मीद में
थी दक शायद राम आए क्योंदक उसने उस नंबर पर मैसेज ड्रॉप दकया था।
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दकिना भी नाराज क्यों न हो मगर ऐसी हालि में सामने िरूर आिा। कहीं ऐसा
न हो की अदभसार ही राम है और दी ने ये सोचा दक होटल में आज कोई नहीं,
लाओ उसे दमलने को बुला लें। अगर ये बाि है िो कोई अपनी प्रेदमका के साथ
ऐसा क्यों करे गा? हो सकिा है दक अदभसार यानी राम को फूँ साने के दलए कहीं
दकसी और ने ये दकया हो..!
अदनरुद्ध – कहीं इन सबके के पीछे िेरा हाथ िो नहीं? बिा क्या खेल चल रहा
है ददमाग में िेरे।
अदनरुद्ध – एक बाद याद रखना दक आज से िेरे और मेरे बीच कोई ररश्िा नहीं।
मझु े दघन आिी है दक कभी हम भी एक दसू रे के दलए जीिे और मरिे थे। अगर
इन सबके पीछे िू ही है ये सादबि हो गया िो िझु े मझु से कोई नहीं बचा पाएगा।
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वे ददक दिवे दी
राघव – खोखली धमदकयों से डर जाए उनमें से नहीं हूँ मैं। मझु े मि दसखा ये
प्यार और सच्चाई की बाि। उस ददन क्यों चपु था जब स्वरा मझु े छोड़ कर गई
थी? बहुि कुछ बिाया होगा श्रदु ि ने िझु े जो ये आरोप लगाया है मझु पर। अब
मझु े भी यकीन नहीं हो रहा दक िू मेरा दोस्ि था कभी..!
जीवन में ऐसा मोड़ आएगा शायद ही कोई सोच सकिा है। हूँसिे –
खेलिे सारे ररश्िे दबगड़ने लगे थे। मािम का माहौल हर दकरदार पर छाने लगा
था। अदनरुद्ध सदहि श्रदु ि का परू ा पररवार मन्निे माूँग रहा था दक स्वरा को होश
आ जाए।
दजस चीज की हमें दकसी मदु श्कल में सबसे ज्यादा िरूरि हो वही हमें नहीं
दमलिी है। श्रदु ि को राम नहीं दमल रहा। अदनरुद्ध को राघव का साथ नहीं दमल
रहा और इधर जनिा के लोकदप्रय सांसद अदभसार पादटल को जमानि नहीं
दमल रही।
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10 ददन यूँू ही देखिे – देखिे दनकल गए। कोटष में अदभसार व उसके दोस्िों की
पेशी होिी है।
राघव – ऑब्जेक्शन माई लॉडष, इस्ं पेक्टर साब िो दसिष आरोप लगाना ही
जानिे हैं। ऐसी ही फुिी अगर ये अपनी ड्यटू ी में ददखािे िो कुछ न कुछ िरूर
हाथ लगिा। हाथ िो िब कुछ लगिा जज साब जब अदभसार दोर्ी होिा। कोटष
को ये भी बिाना चाहगूँ ा दक कॉलेज के ददनों से ही जान पहचान है स्वरा व
इस्ं पेक्टर साब की। काफी कुछ जानकारी है इन्हें उस बेचारी के बारे में। जज
साब सनु ा है स्वरा की छोटी बहन यानी श्रदु ि दसंह से इनका प्रेम भी प्रगदि पर
है। दोनों का सरनेम यानी जादि समान है। अिः लोग यह कह रहे दक अच्छा है
दोनों एक दसू रे को पहले से ही जान रहे। िो क्या दफर सारा सच जानिे हुए
अपनी प्रेदमका के कहने पर उसके दपिा की हत्या का बदला लेने के दलए एक
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लोकदप्रय जननेिा व यवु ा सांसद को बदनाम करने के दलए मत्रं ी सजं य पादटल
के साथ दमलकर ये गंदा खेल खेला गया है? इस खेल में दकिने पैसों पर अपना
ईमान दाूँव पर दकसने लगाया ये बिाया जाएगा?
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अब्दल
ु – गाड़ी में पेट्रोल रखवा ददया ह।ूँ वकील उन दोनों को लेकर शहर के
बाहर चल रहे दब्रज कंस्ट्रक्शन के पास आ रहा है। उधर ज्यादािर कोई नहीं
आिा जािा।
अब्दल
ु और अदभनव ने अदभसार का वीदडयो बना रखा था। वह दजिनी बार
दजन – दजन लड़दकयों के साथ सोया था, उन सब की सीडी को उन दोनों ने
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वे ददक दिवे दी
भैरव को बेच ददया था। वकील देवव्रि की बेटी व भैरव की बहन भी वीदडयो में
थी। यह दोनों भी इस बाि से अंजान थे दक भैरव की कोई बहन भी है। भैरव ने
वीदडयो देखने के बाद अब्दल
ु व अदभनव को कहा दक दददववजय उन दोनों के
इनकाउंटर का जाल दबछा रहा। पदु लस की मदद से स्वरा के रे प का इल्जाम िुम
दोनों पर लगाकर यह के स बंद दकया जाना है। िुम दोनों की भलाई इसी में है
दक अदभसार को लेकर इस जगह पर पहुचूँ ो।
अदभसार को अब्दल
ु व अदभनव ने वही बिाया था जो उनसे भैरव ने कहा था।
अदभनव बीयर गाड़ी के बोनट पर रखिा है और जेब से पाउडर दनकाल कश
िैयार करिा है। अदभसार पहला कश खींचिा है िभी देवव्रि उन दोनों को
लेकर पहुचूँ िे हैं।
वह गाड़ी में रखा अपना फोन लेने के दलए भागिी है िभी अब्दल
ु आगे बढ़कर
उसे पकड़ लेिा है।
उमा (रोिे हुए) – छोड़ दो मेरी बेटी को। मैं िुम्हारे आगे हाथ जोड़िी ह।ूँ अपनी
दोनों बेदटयों को लेकर मैं इस शहर से दरू चली जाऊूँ गी।
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अदभसार – आप कष्ट न करो चाची। इस शहर से मैं ही आपको बहुि दरू भेज
देिा ह।ूँ
अब्दल
ु व अदभनव दोनों माूँ-बेटी को पास में दबजली के पोल पर बाूँध देिे हैं।
अदभसार गाड़ी से पेट्रोल दनकाल दोनों के ऊपर फें किा हैं। खदु को
छुड़ाने की लाख कोदशश दोनों कर रही होिी हैं। उनके रोने -चीखने का इनपर
कोई असर नहीं पड़ रहा था।
िीनों गाड़ी के पास आकर बीयर पीिे हैं। अदभनव दसगरेट दनकाल
अदभसार को देिा है। अदभसार दसगरे ट दनकाल कर महूँु में दबा लाइटर जलािा
है। दसगरे ट जलने के बाद जैसे ही वो लाइटर उमा व श्रदु ि की िरफ फें कने वाला
होिा है, एक भारी बोल्डर उनके ऊपर दगरिा है। इससे पहले कोई कुछ समझ
पािा गाड़ी समेि िीनों उस दवशाल दब्रज के पत्थर के नीचे दम िोड़ चक ु े होिे
हैं।
भैरव दसू री िरफ से बाहर दनकल कर आिा है। भैरव व देवव्रि श्रदु ि व उमा की
रस्सी खोलिे हैं।
भैरव (मस्ु कुराकर) – दीदी मैं उसी कमीने वकील का खास आदमी ह।ूँ आपको
दकसी राम की िलाश थी। आप अब कॉल लगाइए उस नंबर पर।
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श्रदु ि – मझु े माि कर दीदजए। मैंने आपको बरु ा भला कहा। दीदी ने मझु े राम के
बारे में बिाया था। उन्होंने मझु से कहा था दक आपकी और उनकी बाि उस ददन
आदखरी मल ु ाकाि के बाद नहीं हुई।
राघव (श्रदु ि के आूँसू पोंछिे हुए) – स्वरा ने लेदकन मझु े ये बिाया था दक बहुि
सारे सवाल करने वाली एक छोटी बहन भी है मेरी।
देवव्रि – भाभी, भैरव ने मझु े सारा सच बिाया। ये िीनों दसफष स्वरा के ही नहीं
बदल्क शहर के बहुि सारे मासमू ों के गनु हगार थे दजनको बहला फुसला कर
इन्होंने शोर्र् दकया था। इनका यही अंि होना था। अब हमें यहाूँ से दनकलना
चादहए।
सभी लोग जल्दी से वहाूँ से दनकल अस्पिाल पहुचूँ िे हैं। स्वरा सब लोगों
को एक साथ देखिी है। श्रदु ि जल्दी से स्वरा के पास जाकर गले लग जािी है।
यह सब सनु स्वरा के आूँखों से आूँसू छलक आिा है। िरु ं ि राघव आगे बढ़कर
स्वरा के आूँसू पोंछिा है।
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