You are on page 1of 26

√दुआओं में याद रखना _

अनाथ अमीरी
(उप यास)
क़ाज़ी अज़मत कमाल

लोकोदय काशन
लखनऊ
यह कहानी क पना पर आध रत है, यिद इस कहानी के पा थान या
कहानी िकसी भी जीिवत अथवा मृ य यि क ज़दगी से मेल खाती
िमल जाये तो इसे संयोग मा ही समझा जाए।
ISBN : 978-93-87149-73-1
कॉपीराइट © क़ाज़ी अज़मत कमाल
थम सं करण: िदस बर 2018
आवरण : कँु वर रवी

लोकोदय काशन ा. ल.
65/44, शंकर पुरी, छतवापुर रोड, लखनऊ- 226001
दरू भाष : 9076633657
ई-मेल: lokodayprakashan@gmail.com
अपनी बात
ि य पाठक , म ट मी डया म अपनी पहली िकताब ‘अनाथ अमीरी’
लेकर आपके सम उप थत हो रहा हूँ। इस यक़ न और िव ास के साथ िक यह
कहानी आपको रोमां चत िकये िबना नह रहेगी। ग़रीबी से जब इंसान ऊब चुका
होता है तब वो उन राह पर िनकल पड़ता है, जसे समाज अपराध क सं ा दे
चुका है। पर िक मत म जब अमीरी के साथ-साथ जीवन क खु शयाँ लखी होती
ह तो िज़ दगी म उमैरा जैसी ख़ूबसूरत नवयौवना िकसी रा शद को िमल जाती है
जो अपराध म फंसे रा शद को उनके माँ-बाप से िमला देती है। अनाथ अमीरी क
कहानी िन संदेह आप सबको जीवन के लए कई संदेश देती हुई िमलेगी और
आपको पसंद आएगी। साथ ही साथ इंसान को सतक जीवन गुजारने और यि
ारा उठाये जाने वाले कदम के लए िवशेष यान कि त करने का मा यम बनेगी।
हम अपने इस उ े य म िकतने सफल हुए ह इसक वा वकता इस िकताब को
आप तक पहुँचने के बाद ही हम पता चल सकेगी। पु तक के दस ू रे भाग म िज़ दग
के लए अ त मह वपूण, बड़ी और असहज उपयोगी बात को कम श द म बयां
करने का यास िकया है। िज़ दगी जब कभी हैरान और परेशान हो उठती है तब
हम ये जानने का यास करते ह िक आ खर ये मु कल व त िकन कारण से
जीवन म प रल त हुआ है। इस िकताब म साया क जा रही साम ी ऐसी ही है,
जो इंसान को जीवन गुजारने क बात से लेकर जीवन म यि ारा उठाये जाने
वाले कदम को िवशेष यान कि त करने का मा यम बनेगी। म अपने इस उ े य
म िकतना सफल हुआ हूँ, इसक वा वकता इस िकताब को आप तक पहुँचने के
बाद ही मुझे पता चल सकेगी।
म आशा वत हूँ ‘अनाथ अमीरी’ नामक ये िकताब न सफ आपको पसंद
आएगी अिपतु आपके िवचार म नई फू त का संचार करेगी साथ ही जीवन जीने
के लए नए िवक प नज़र आएँ गे। नए िवषय के साथ दस
ू रा सं करण ज द ही म
आपके सम लेकर आपका अथाह ेम पाने के लए उप थत हूँगा।
✍क़ाज़ी अज़मत कमाल
अनाथ अमीरी
ग़रीबी म िज़ दग जीते-जीते थक चुका था रा शद। उसने फैसला कर
लया था िक अब वो ग़रीबी को अमीरी म बदलकर ही दम लेगा। जन रा त ने घर
के बुज़ुग ने उसे न चलने क िहदायत दी थी। अमीरी उ ह रा त से होकर
गुज़रती है, ऐसा उसके अमीर दो त ने उसे बताया था। अमीरी क तड़प रा शद
को उन रा त पर चलने को उकसा रही थी जन रा त पर समाज अपरा धक
होने क मोहर लगा चुका था। माँ-बाप के लाख समझाने के बाद भी रा शद का
साथ आवारा और अपरा धक वृ के लड़क से मेलजोल कम न हुआ। अंततः
रा शद के िपता ने उसे अपने घर से िनकाल िदया। घर से िनकलने के बाद रा शद
रोज़ी-रोटी क तलाश म अनजान शहर िनकल गया। अनजान शहर अनजान लोग
के बीच उसे काम िमल गया। िफर कुछ ऐसा हुआ िक एक साल के अंदर रा शद क
िज़ दग ही बदलकर रह गई। ग़रीबी अमीरी म प रव तत हो गयी। उसे वो तमाम
चीज़ मुहयै ा होती चली गय जो रा शद को कभी वाब सी लगती थ । अमीरी और
गरीबी के सफ़र के बीच अब वो अकेला रह गया था। गु ज ता िज़ दगी म रा शद
एक सामा य सोच का लड़का हुआ करता था। पर समाज क नज़र सफ पैस
वाल पर ही जाकर िटकती है और अहिमयत भी उ ह लोग को दी जाती है
जनके पास अथाह धन-दौलत पास होती है। ग़रीब चाहे जतना अ छा इंसान हो
उसक सामा जक त ा नग य होती है। जब से रा शद ने इस सच को जाना था
रा शद म अमीर बनने क तड़प कुछ इस हद तक बढ़ती चली गई िक उसका साथ
बदनाम और आपरा धक वृ के लड़क से हो गया। िफर देखते ही देखते रा शद
घर से िनकलने के चंद िदन के बाद ही वो बड़े और आलीशान महल जैसे घर का
मा लक बन गया था। उसका बचपन गऱीबी के साथ लड़ते हुए प रवार के साथ
गुज़रा था। पर अमीरी ने उसको उसके अपने प रवार से ही जुदा कर िदया था।
रा शद क ज़दगी म प रवार क रि का का एक बोझ सा था। पर पैसे क चमक
ने उसके मन से प रवार क याद को धुध ं ला कर रखा था।
रा शद क ज़दगी म अमीरी ने पैर पसारे ही थे िक िक उसक ज़दगी म
एक ख़ुबसूरत लड़क उमैरा दा खल हो गई। चंद िदन के ेम ने एक-दस ू रे के हो
जाने का फैसला िकया। िफर एक िदन दोन ख़ुशी-ख़ुशी शादी के बंधन म बंध गए।
अब रा शद क िज़ दग पहले से कह यादा ख़ूबसूरत और हसीन हो गई। पर
कुछ िदन बाद उमैरा ने ये महसूस िकया िक रा शद अ सर रात म अपने काम के
सल सले म घर से बाहर िनकल जाया करते थे। यह बात उमैरा को सामा जक
और आम ि कोण से अजीब सी लगने लगी। एक रात उमेरा ने रा शद से पूछ ही
लया। “रा शद हर कोई काम के सल सले म िदन म बाहर रहा करता है और रात
को अपने घर। एक आप ह जो रात म अपनी बीवी को घर पर त हा छोड़कर अपने
काम के सल सले म बाहर िनकल जाते ह। ये कैसा िबज़िनस है आपका?” उमैरा
ने मासूिमयत से रा शद से पूछा। उमैरा के मुख से ये बात सुनकर रा शद कुछ बोल
न सका। “आपके सवाल का जवाब िफर कभी दँगू ा कहकर” मु कराते हुए रा शद
ने उमैरा के सवाल का जवाब िदया और उमेरा को हमेशा क तरह रात म घर पर
त हा छोड़कर अपने काम के सल सले म बाहर िनकल गया। उस रात उमैरा सो
न सक । बेपनाह चाहत के साथ गुज़र रही िज़ दगी म उमेरा के इस सवाल ने जैसे
दोन के बीच एक तनाव सा पैदा कर िदया था। िफर उमेरा जब-जब रा शद से रात
म घर से िनकल जाने क बात पूछती। रा शद, “िफर कभी बताऊँगा”, कहकर बात
को टाल देता। अब उमेरा को भी ये महसूस होने लगा था िक दाल म कुछ न कुछ
तो काला है। उमैरा समझदार थी, उसने सोचा लड़ाई झगड़ा करने से घर क बात
बाहर जाएगी इस लए उमैरा ने बात क असल जड़ तक पहुँचने के लए दस ू री
तरक ब सोची।
रात का डनर हो चुका था। दोन प त प नी जब ली पग सूट म अपने
बेड म म थे। उमैरा िमड गाउन म ग़जब क आकषक लग रही थी। काले, घने,
ल बे याह बाल, िहरनी जैसी आँ ख, छरहरा ज म, ऋिषय -मुिनय तक िक
तप या को भंग कर देने वाले उसके नयन-न श इस बात क गवाही दे रहे थे िक
उसक श सयत ज़माने भर से अलग थी। पर उस रात तो उमैरा क ग़ज़ब क
सुंदरता को देखकर रा शद दीवाना सा हो चला था। वो उमैरा को अपनी बाँह म
भरने के लए बेक़ाबू हो चुका था। पर उमेरा ने तो जैसे ये जाल ही िबछाया था
रा शद को बेकाबू करने के लए। तमाम को शश कर लेने केबाद भी उमैरा ने रा शद
को अपना ज म छूने तक न िदया। आ खरकार रा शद बोल ही पड़ा। “कौन सी
ऐसी नाराज़गी है िक आज मेरी जानू मुझे मेरे सुख से मह म कर रही है।”
“तिबयत कुछ ठीक नह ,” इतना कहकर उमेरा ने जानबूझकर दस ू री तरफ करवट
ले ली और सोने का बहाना करने लगी। उसी रात, आधी रात के बाद रा शद के घर
पर पु लस क रेड पड़ी और पु लस ने रा शद को अवैध ध ध के आरोप म
िगर तार कर लया। ये सब इतनी ज दी हुआ िक उमेरा को कुछ भी समझ नह
आया। पु लस जब रात को रा शद को िगर तार करके ले जा रही थी, उमेरा ने
सवा लया िनशान से रा शद क तरफ देखा, पर रा शद उमेरा से आँ ख िमलाने क
भी थ त म तक न था। शम और कुछ न कह पाने के िमले-जुले भाव उसके चेहरे
पर साफ नज़र आ रहे थे।
उमेरा अब महल जैसे घर पर अकेली पड़ गई थी। शौहर के आपरा धक
मामल म सं ल होने और पु लस ारा रा शद को िगर तार कर लए जाने के
कारण आस-पड़ोस के लोग ने भी उमेरा से मेल-जोल ब द कर िदया था। उमेरा के
पेट म रा शद का ब ा पल रहा था। हालांिक उमेरा ने अपने गभवती होने क बात
उसी रात रा शद को बताने का ो ाम बनाया था जस रात को पु लस ने रा शद
को िगर तार कर लया था। पर व त ने इतना समय ही नह िदया िक उमैरा अपने
जीवन क सबसे बड़ी खुशी अपने प त रा शद से शेयर कर पाती। रा शद को
पु लस ारा िगर तार कर लए जाने के बाद उमैरा क तो जैसे खु शयाँ ही उजड़
गई थ । बड़े और भ य महल म अब वो त हा पड़ चुक थी। मुसलसल उदास रहने
के कारण धीरे-धीरे उमेरा क सेहत िगरने लगी थी। त हाई और रा शद क याद ने
जब उमेरा का जीना मु कल कर िदया। तब उमेरा का उस महल जैसे घर म रहना
मुहाल सा हो गया। उमेरा के प रवार म कोई अपना तो था नह । र ते के नाम पर
बस एक आ म ही था जहाँ वो पली-बढ़ी और जवान हुई ं थी। उमेरा को तो ये भी
ख़बर न थी िक उसके अपने सगे माँ-बाप कौन ह? कहाँ क वो रहने वाली है।
अजनबी और अनजान दिु नया म हर कोई मतलब का साथ रखना चाहता है। इस
बात को उमेरा ने बढ़ती हुई उ म ही सीख लया था। इस दःु ख क घड़ी म
आ खर वो जाये तो कहाँ जाए, सोच-सोच कर परेशान और उदास थी। तभी उमेरा
को रा शद के घरवाल क याद आई। एक रोज़ रा शद ने उमेरा से अपनेगावँ,
अपनी अ मी, अ बू और अपने प रवार के बारे म बताया था िक कैसे उसे घर
छोड़ना पड़ा था? उमेरा ने अपना ीफकेस पैक िकया और अपनी अनजान और
अप र चत ससुराल क तरफ चल पड़ी, जहाँ उसे कोई जानता तक न था।
बेहद ख़ूबसूरत और अनजान जवान लड़क को गाँव म आता देख तमाम
ब े उस हसीना जैसी लड़क के इद-िगद इक ा हो चुके थे। एक मासूम यारी सी
िदखने वाली लड़क से उस नवयौवना ने पूछा, “िबिटया आप मु तार मु खया जी
का घर जानती हो।” उस मासूम लड़क ने इशारे से “हाँ” म सर िहलाया और
उसके पीछे -पीछे आने का इशारा िकया। कुछ देर बाद वो हसीनानुमा लड़क
मु खया जी के घर के सामने थी। खपरैलयु क ा घर अपनी ग़ुरबत क कहानी
को ख़ुद बयां कर रहा था। अप र चत, अनजान और ख़ूबसूरत लड़क को घर
आया देख घर के सभी लोग दरवाजे पर इक ा हो गये और सवा लया नज़र से
उसे तकने लगे। “मेरा नाम उमेरा है, या ये घर मु तार मु खया जी का है?”
सबको अपनी तरफ देखकर उस आगंतुक लड़क ने पूछा। “जी हाँ”, जवाब देने
वाली एक अधेड़ उ क मिहला थी। जनके सर पर घूँघट था। “ या आप रा शद
क अ मी ह?” एक पल भी गंवाए िबना उसने सवाल कर िदया। रा शद का नाम
सुनते ही उस माँ का कलेजा अनजाने डर से तेज़-तेज़ धड़कने लगा। तेज़ धड़कते
िदल से उस मिहला ने कहा, “हाँ म रा शद क माँ ही हूँ, या हुआ मेरे ब े को?”
तड़पकर माँ बोल पड़ी। “कुछ नह हुआ अ मी आपके बेटे को। बस ख़ुदा का शु
है िक आप मुझे िमल गय ।” कहते-कहते उस लड़क क आँ ख म आँ सू डबडबा
आये और वो टू टे हुए दर त के मािन द सामने खड़ी रा शद क माँ के सीने से जा
लग । उसे इस तरह रोते और गले लगते देख घर के हर फद क आँ ख म आँ सू भर
आये और मन िकसी अिन क आशंका से दहल उठा। “ या हुआ बेटा, आपने
कुछ बताया नह । आप कौन हो और रा शद को कैसे जानती हो?” माँ ने उस
लड़क के सर पर सफ़क़त से हाथ रखकर पूछा। माँ का नेह से रखा गया
हाथउस ख़ूबसूरत लड़क के िदल को तड़पा गया। वह रोते हुए बोल पड़ी, “अ मी
म आपके बेटे रा शद क द ु हन और आपक बहू उमेरा हूँ।” बहू का नाम सुनते ही
माँ क ममता ज़ोर से तड़प उठी। ज़ोर से उसे अपने सीने से लगाया िफर उमेरा
के चेहरे को अपने कांधे से अलग िकया, अपने प ू से उसक आँ ख म आये
आँ सुओ ं को पोछा और घर के अंदर ले जाकर पलंग पर िबठा िदया। कुछ देर
बो झल मन को शांत करने के बाद जब उमैरा क आँ ख से आँ सू थमे तो उमेरा
अपनी दा तान बताने लगी।
अ मी, मेरा नाम उमेरा है। मेरे अ मी अ बू कौन ह, कहाँ के रहने वाले थे,
अब िज़ दा भी ह या नह , मुझे कुछ भी नह पता? जस व मने होश पाया उस
व त मने ख़ुद को एक अनाथालय/ आ म म पाया था। जब म कुछ समझदार हुई
तब अनाथालय क बं धका शकंु तला जसे वहाँ सब म मी कहा करते थे, ने मुझे
बताया था “बेटा, हम तु हारे बारे म कुछ नह जानते तु हारे माता िपता कौन ह?
तुम िकस जा त और धम से ता क ु रखती हो, िकसी को कुछ भी नह पता। जब
तुम बहुत छोटी थ तो तु ह कोई रात के अंधेरे म इस अनाथालय म छोड़ गया था।
उस व त तु हारी उ तकरीबन एक साल क रही होगी। तु हारे साथ एक प भी
िमला था जसम लखा था। ि य महोदय, इस ब ी को स त इलाज क ज़ रत
है। डॉ टर के अनुसार अगर 15 िदन के अंदर इसक चिक सा/ऑपरेशन नह
कराया गया, जसका खच तकरीबन एक लाख तक आएगा, तो यह ब ी मर
जाएगी। हम मजबूर माँ-बाप के पास इतने पैसे भी नह िक हम इसका इलाज करा
सक। 10 िदन िनकल चुके ह। हमने अपनी पूरी ताक़त और पूँजी जमा कर ली,
र तेदार और पूरे गाँव से पैसा इक ा करने के बाद भी हम लोग अब तक सफ 10
हज़ार पये ही जमा कर सके ह। ऑपरेशन के िनयत समय म सफ 5 िदन ही शेष
बचे ह और शेष 90 हज़ार सफ 5 िदन म इक ा कर पाना हमारे बस क बात नह
िदखती। अपनी यारी बेटी को अपनी आँ ख के सामने पैस क कमी से मरता भी
हम लोग देख नह सकते। लहाजा हम दोन प त-प नी ने ये अं तम फैसला िकया
है िक ये ब ी आपके आ म म छोड़ जाएँ । मुमिकन है कोई फ र ता हमारी बेटी को
नया जीवन दे जाए। बेटी के इलाज के लए जो 10 हज़ार पये हमने जमा िकये ह,
वो इस जान से यारी हमारी न ही ब ी के नीचे एक छोटे से बटु वे म रख िदए ह।
शायद हमारी फूल जैसी ब ी के िकसी काम आ जाएँ । प के अंत म लखा था।
एक अभागे और मजबूर माँ-बाप
बं धका जसे आ म क सभी लड़िकयाँ म मी कहा करती थ , उ ह ने
मुझे बताया था िक प को पढ़कर उस व त आ म का पूरा टाफ रोने लगा था।
िफर िकसी तरह आ म के टाफ ने मुझे एक अ छे अ पताल म उपचार के लए
एडिमट करा िदया, जहाँ मेरे तमाम टे ट िकये गए। इस बीच अनाथालय के दीगर
अहम लोग को मेरी थ त के बारे म खबर कर दी गई थी। आ खरकार तयशुदा
व त म मेरा एक बड़ा ऑपरेशन हुआ जो सफल हुआ और म बेव त आने वाली
मौत से बच गई। जस समय मुझे मेरे माता-िपता ने आ म म छोड़ा था उस व त
मेरे गले म मा एक तावीज़ पड़ा था जससे मेरी ज़ात और धम क िनशानदेही न
हो सक थी। प के मज़मून म जो मेरे माँ-बाप मेरे साथ छोड़कर गए थे उसम कुछ
श द उद ू के साथ िह दी म भी लखे गए थे। जससे िह द,ू मु लम होने का
अनुमान भी नह लगाया जा सका था। मेरे गले म तावीज़ को पड़ा देखकर मुझे
मु लम होने का अनुमान लगा लया गया। िफर आ म बंधन ने मेरी परव रश
मु लम ब ी क भां त शु क । आ म बंधन ने मेरा नाम उमेरा रख िदया। मुझे
िह दी अं ेज़ी के साथ-साथ उद ू और अरबी क तालीम भी िदलायी गई। बहुत
िदन तक आ म के बंधन ारा ये आस बनाये रखी गई ं िक शायद कोई मुझे लेने
आ जाये। पर सब यथ गया। म आ म क बेटी बनकर ही रह गई। आ म म म
सबक यारी लाडली थी। हर कोई मुझसे आ मीयता रखता था। मुझसे मोह त
और नेह रखता था। सबका आ मीयता से भरा और नेिहल यवहार पाकर मुझे
कभी भी अ मी-अ बू क कमी महसूस न होती थी।
थोड़ा क भी जाओ, भाभी, साँस-वांस ले लो, पानी-वानी पी लो। िफर
आगे अपनी कहानी बता लेना। सामने खड़ी एक 20-21 साल क लड़क ने पानी
के िगलास को उमैरा के सामने करते हुए कहा। भाभी का नाम सुनते ही अनायास
ही उमेरा क आँ ख म चाहत के आँ सू भर आये और वह उस लड़क को आँ ख म
आये आँ सू लए िनहारने लगी। “मेरा नाम रफ का है। र ते म म आपक ननद
लगती हूँ भाभी।” चाहत और मोह त म डू बे रफ का के ल ज़ उमेरा के िदल को
छू से गए। अनायास ही उमेरा अपनी जगह से उठी, पानी के िगलास को एक तरफ
रखा और रफ का को अपने सीने से लगा लया। मम व और नेह का ये नज़ारा
देखकर सब क आँ ख से आँ सू बह िनकले। कुछ देर बाद उमेरा न पानी िपया और
िफर अपनी दा तान सुनाने लगी।
एक के बाद एक म ा सस पास करती चली जा रही थी। मेरी पढ़ाई और
खाने-पीने का खच सब अनाथालय क िज़ मेदारी थी। बस मेरा काम सफ पढ़ने
का था, तो म पढ़ती जा रही थी। पर कुछ िदन से कालेज जाते व अ सर म
अपने पीछे एक हीरो जैसे लड़के को देखा करती थी। वो मेरा पीछा िकया करता
था। शु -शु म तो मुझे इसम कोई खास बात नज़र नह आई। पर कालेज को
जाते और वापस आते व मुसलसल उसी लड़के को पीछा करते देखकर मुझे
कुछ अजीब सा अहसास िदल म होने लगा। िफर धीरे-धीरे मुझे ऐसा महसूस होने
लगा िक वो लड़का मुझसे उं सयत रखता है। शायद मुझसे यार करता है। मेरा ये
याल उस व त सच सािबत हुआ जब एक रोज़ म अपने फ मेल स के घर से
अपने ज म िदन क पाट मनाकर अपने घर/ आ म को लौट रही थी। तभी बीच
रा ते म वही ख़ूबसूरत लड़का गुलाब का एक खूबसूरत फूल लेकर मेरे सामने
आया और िकसी िह दी िफ म के हीरो क तरह फूल को मेरे सामने लहराते हुए
बोला। “ह पी बथ डे टू उमेरा।” पल भर के लए उस लड़के क हरकत ने मुझे
हँसने को मजबूर कर िदया। फूल का गुलद ता लेकर म हँसते हुए आ म क
तरफ दौड़ पड़ी। पास म बैठी अपनी सास का हाथ पकड़कर उमेरा ने कहा,
“अ मी, जानती ह वो लड़का कौन था? “नह ” रा शद क माँ ने “न” म सर िहला
िदया। अ मी, वो आपके बेटे रा शद थे। उस िदन के बाद िफर अ सर रा शद मेरे
करीब आने का बहाना ढू ँ ढा करते थे। मेरे भी िदल को न जाने िकया हो चुका था।
जस िदन मुझे रा शद रा ते म न िदखते तो िदल िकसी आशंका से कांप जाता।
कभी रा ते मे िमल जाने कभी न िमलने का सल सला यँू ही चलता रहा। पता ही
न चला और हम दोन एक-दस ू रे क मोह त म पूरी तरह से िगर तार हो गए।
रा शद के कुछ िदन के साथ ने मुझे ये महसूस करा िदया था िक रा शद को हर
काम को बहुत ज दी म करना पस द था। यादा िदन नह गुज़रे थे िक एक रोज़
रा शद ने मुझसे खुले ल ज़ म कह िदया। “उमेरा, यक़ न मानो म तु ह िदल क
गहराइय से पस द करता हूँ और तुमसे ही शादी करना चाहता हूँ। मने आपक
गुज़री िज़ दगी के बारे म आ म से जुड़ी सारी िपछली बात मालूम कर ली ह। मुझे
पता है आप अनाथ हो और आपक परव रश इसी अनाथालय म हुई है। आपको
तो ये भी नह पता िक आपके माँ-बाप िकस धम और जा त के थे। पर मुझे इन
बात से कोई फक नह पड़ता। मुझे फक पड़ता है तो सफ मेरी चाहत के अहसास
आपके िदल म पाए जाने से। अगर आपको म पस द हूँ तो म आपसे अभी शादी
करना चाहता हूँ। रा शद ने एक साँस म अपनी बात कह डाली। “अ मी, मुझ
अनाथ को इस तरह से कोई अपनी प नी बनाने को राजी हो जाएगा, कभी सोचा
तक न था।” रा शद के अथाह ेम और भरोसे से डू बी इन बात को सुनते ही मेरी
आँ ख म आँ सू तैर गए।
अ मी आप यक़ न मानो, उस व त मुझे रा शद इंसान नह , फ र ते के
मा नद नज़र आ रहे थे। िकसी तरह मने अपने आँ सुओ ं और ज बात को रोका,
रा शद का पहली बार हाथ पकड़ा और उ ह लेकर अपने घर/ आ म क तरफ
बढ़ने लगी। रा शद ने भी मेरे इस बताव से िकसी तरह का कोई रए शन नह
िकया, वो चुपचाप मेरे साथ चल पड़े। अनाथालय पहुँचते ही मने वहाँ क इंचाज
शकंु तला जसे म म मी कहा करती थी, उनके सामने रा शद को खड़ा िकया और
तकरीबन रोते हुए म उनसे िज़द करने लगी। म मी, इनका नाम रा शद है। ये मुझसे
बहुत यार करते ह और म भी इनसे बेइं तहा यार करती हूँ। आज ही हम दोन
आपस म शादी करना चाहते ह। मेरे मुँह से इस तरह से अचानक शादी क बात
कह देने क न रा शद को उ मीद थी और न शायद म मी को। पल भर के लए वहाँ
पर स ाटा सा छा गया गया। जो दस ू रे लोग वहाँ मौजूद थे उ ह भी मेरी कही बात
पर एतबार नह हुआ। एकदम चार तरफ खामोशी को देखकर म घबरा गई। मुझे
लगा िक शायद म मी रा शद से शादी करने को रजामंद नह ह गी। मने उनके
सामने हाथ जोड़ लए और ज़ारोकतार रोने लगी। म मी, लीज़ मुझे रा शद से
शादी करने क इजाज़त दे दी जए। म रा शद को बहुत चाहती हूँ। रा शद भी मुझे
बहुत पसंद करते ह। मुझे पूरा यक न है रा शद मुझे हमेशा खुश रखगे। मेरी िबगड़ती
हालत को देखकर शकंु तला म मी ने मेरे सर पर नेह का हाथ रखा और बोली,
“न िबिटया न, रोओ मत। जैसा तुम चाहोगी वैसा ही हम करगे।“ म मी के सर पर
नेह भरा हाथ महसूस कर मेरी जान म जान आई।
मुझे कुछ देर रो लेने के बाद म मी ने मेरे आँ सुओ ं को अपने हाथ से पोछते
हुए कहा। “उमेरा तुमने जो फैसला िकया है हम सब उसके खलाफ नह ह। पर
बेटा, इस लड़के के बारे म भी तो जानने का हक हम सबका है। कौन है ये, इसका
प रवार कौन है। रहने वाला कहाँ का है। आ खर ये जानना भी तो हम सभी क
ज मेदारी है। या मालूम कल शादी हो जाने के बाद ये तु ह यार न करे। अकेला
छोड़ दे।” कोई गुड ं ा, मवाली न हो। शकंु तला म मी अभी अपनी बात पूरी भी न कर
पाई थी िक मने उनके मुँह पर अपनी हथेली रख दी। “नह म मी, मुझे इनके बारे म
कुछ भी नह जानना। जो लड़का मुझ जैसी अनाथ लड़क को प नी बनाने को
बगैर िकसी शत के राजी हो जाए। या इस बात से ही इनके अ छे इंसान होने क
गवाही नह िमल जाती। उनके खानदानी होने क पुि नह हो जाती। मुझे इनके
बारे म कुछ नह जानना। बस आप मेरी शादी रा शद से आज नह तो कल ही
करवा दी जए।” म मी और सारा टाफ मुझे बहुत चाहता था मेरी खुशी के खा तर
उस व त सब मान गए। उस रात रा शद को उस अनाथालय म मेहमान बनाकर
रखा गया। दस ू रे िदन सब शादी क तैयारी म जुट गए। रात के दस ू रे पहर जब मेरे
और शकंु तला म मी के अलावा वहाँ पर कोई न था तब म मी ने मुझसे कहा।
“उमेरा आज वो िदन आ गया है। जब मुझे तु ह वो स ाई भी बतानी पड़ेगी जो
तु ह आज तक नह बताई गई?” शकंु तला म मी से ये रह मयी बात सुनकर मुझे
भी हैरत हुई पर िह मत करके म सुनने लगी। “बेटा, तु ह नह पता। बचपन म जब
तुम मौत और िज़ दग के बीच झूल रही थी। तु ह डॉ टर ने ऑपरेशन के बाद बचा
तो लया गया था। पर उ ह ने एक ऐसी स ाई से भी मुझे अवगत कराया था जसे
मने तु हारी खुशी के लए तुमसे अभी तक बताना बेहतर नह समझा था।” म
आँ ख फाड़े उनक तरफ देखे जा रही थी। पूरे यान से उनक एक-एक बात को
सुन रही थी। “उमेरा बेटा, डॉ टस ने उस व त मुझसे कहा था। शकंु तला दीदी,
ऑपरेशन के बाद हमने इस ब ी को तो बचा लया। पर आपरेशन के बाद ब ी म
एक कमी प रल त हुई है, उसम ब ा पैदा करने क ताकत नह रही। वो जब भी
गभवती होगी? उसका होने वाला ब ा जीिवत रह सकेगा या िफर यह ब ी। तुम
चाहो तो अभी भी शादी से इंकार कर सकती हो। आ खर शादी से बड़ी िज़ दगी है।
“अ मी, ये बात शकंु तला म मी से पहली बार सुनकर मेरी तो जैसे जान ही िनकल
गई थी? पर शादी के फैसले को मने मु तवी नह िकया और अगले रोज़ ही मने
आपके बेटे से शादी करने का ो ाम तय करवा लया।” आ म के सभी लोग मेरी
खुशी के खा तर सहमत हो गए। िफर दसू रे िदन आ म म ही हमारा िववाह मु लम
री त रवाज से स प कराया गया।
रा शद उसी रात मुझे द ु हन बनाकर अपने घर ले आये। शादी के बाद
हमारी िज़ दगी खु शय से लबरेज़ हो गई। यक न जानो अ मी, रा शद ने मुझे
इतना यार, इतनी चाहत दी िक मुझे दिु नया क सबसे खुशिक मत लड़क होने
का गव महसूस होने लगा। इ ह चाहत म डू बे िदन गुज़र रहे थे िक अचानक मुझे
उस व त झटका लगा, जब मुझे च र से आने लगे। म डॉ टर को िदखाने पहुँच
गई। सामा य जांच के बाद डा टर ने मुझे बताया िक म माँ बनने वाली हूँ। “माँ”
श द सुनते ही मेरे चेहरे पर खु शय के साथ गम क सलवट भी उभर आई ं। िफर
शकंु तला म मी क कही वो आखरी बात भी याद आने लगी। जसम उ ह ने कहा
था डा टर के अनुसार ज ा या ब ा दोन म से कोई एक ही जीिवत रह सकेगा। म
ज द से ज द रा शद को ये बात बता देना चाहती थी और अपने िदल क वािहश
भी िक म बचूँ या न बचूँ पर म ब े को पैदा करना चाहती हूँ और तोहफे के तौर पर
रा शद को अपने यार क िनशानी क श म अपने ब े को उनके सुपुद करना
चाहती हूँ। मुझे अपनी िज़ दग क परवाह नह पर रा शद के ब े को पैदा करके म
माँ बनने क खुशी से ख़ुद को मह म नह रखना चाहती। पर उ ह िदन रा शद से
रात म घर से िनकल जाने का सबब पूछने पर वो बहाना बना जाते। बस इसी बात
को लेकर मेरे मन म शकवा बढ़ता गया और म माँ बनने वाली हूँ, क बात को
रा शद से न बता सक । इसी कशमकश म िज़ दगी गुज़र रही थी िक अचानक उस
रात घर पर पु लस क रेड पड़ी और पु लस रा शद को गैरकानूनी काम के जुम म
पकड़कर साथ ले गयी। कहते-कहते उमेरा क आँ ख म आँ सू छलछला आये।
रा शद का ब ा आज मेरे पेट म 6 माह का है। तेज़ी से िबगड़ता जा रहा मेरा
वा य और जमाने क तंगद ती नज़र ने मुझे मेरे अपन से िमलने क चाहत
पैदा क और आज म अपने वा तिवक घर आ गई। अ मी, शायद म तो अपनी
िज़ दगी जी चुक , बस िदल म यही त म ा है िक रा शद के इस ब े को आप
सबके हवाले करके म हमेशा के लए इस दिु नया से ख़सत हो सकँू । पूरी बात
कहकर उमैरा रो पड़ी और अपना सर अपनी सास के कांधे पर िटका िदया। रा शद
क माँ ने बहू उमेरा को अपने सीने से लपेट लया और बोली न बेटा न, तू क़तअन
परेशान मत हो। अ ाह ने जब तुझे हम लोग तक पहुँचा िदया है तो कोई न कोई
रा ता वो ऐसा ज़ र िनकालेगा जससे इन मु कल हालात से िनजात िमल सके।
िबिटया, तुम अभी आराम करो। सास ने अपनी बहू उमेरा के सर को अपनी गोद म
रखा और उसके सर को मोह बत से सहलाने लग । उमेरा इतनी थक चुक थी िक
ज द ही न द ने उसे अपनी आगोश म ले लया।
मु तार जो गाँव के पूव मु खया थे, शाम को घर पहुँचे तो घर का माहौल ही
कुछ अ या शत सा पाया। मु खया जी अपनी प नी को बेग़म कहकर पुकारा करते
थे। घर के बैठक म पहुँचते ही मु खया जी ने आदत के मुतािबक ज़ोर से आवाज़
दी, “बेगम, ओ बेगम” मु खया जी क आवाज़ सुनते ही घर के सभी लोग
असामा य से होने लगे। उमेरा क भी आँ ख “बेगम” नाम सुनते ही खुल चुक थी
य िक रा शद क भी यही आदत थी िक घर म क़दम रखते ही वो उमेरा को
“बेगम” कहकर पुकारता था। मु खया जी को घर आया देख, उमैरा क सास ने
आिह ता से उमेरा का सर अपनी गोद से उठाकर,तिकया पर रखा और उमेरा से
कहा, तुम आराम करो। रा शद के अ बू आ चुके ह, म उनसे िमलकर आती हूँ।
बेगम को सामने खड़ा देख, मु खया जी बोल उठे , या बात है। आज का माहौल
कुछ अजीब सा नह िदख रहा तु ह? बेगम ने कोई जवाब न िदया। िगलास म पानी
िदया और खामोशी से जाकर पास म बैठ गई। पानी पीने के बाद मु खया जी ने
िफर से बेग़म से मुखा तब होकर पूछा, अरे हुआ या है कुछ तो बताओ? “ या
या बताऊँ, सुनते सुनते जब मेरी आँ ख से आँ सू नह टू ट रहे ह तो आपको या
बताऊँ? प नी क आँ ख म अिवरल आँ सू देखकर िकसी अनहोनी क आशंका से
मु खया जी भी घबरा गए और उ सुकता से पूछा। आ खर, बताओ बेगम, हुआ या
है? “आपक बहू आई है आपके घर। बेटा, जेल म है। बहू पेट से है। बहू और ब ा
दोन क जदिगयाँ, मौत और िज़ दगी के बीच म है। बहू कहती है, मुझे रा शद के
ब े को जीवन देना है, शायद ब ा कहता होगा मुझे माँ को बचाना है। मु खया जी,
बेटा होने के बाद भी म आज तक औलाद के िबछोह म बेऔलाद सी िज़ दगी गुज़ार
रही हूँ, पर अब म अपनी बहू और उसके होने वाले ब े को नह खोना चाहती।
ल ाह कैसे भी करके मेरी बहू और होने वाले ब े को बचा ली जए। िफर उमैरा ने
जो जो बताया था वो सब मु खया जी को बताकर रा शद क माँ ज़ारो ार रोने
लगी। अ मी को िबलखता देख, बेटी रािफका और उमेरा भी भागी भागी वहाँ आ
पहुँची।
गम क छटा ने सबको अपनी िगर त म ले लया था। वहाँ एकदम मौत
जैसा स ाटा फैल गया। मु खया के कुछ समझ नह आ रहा था िक या िकया
जाए? या कहा जाए? अचानक मु खया ने उमेरा क तरफ मुखा तब होकर कहा,
िबिटया या वो प तु हारे पास है, जो आ म म छोड़ते व त तु हारे माता-िपता
ने तु हारे साथ रखा था। उमेरा ने आँ सुओ ं को पोछते हुए जवाब िदया। “हाँ, अ बू
है मेरे पास। कूल बंधन ने मेरे बा लग़ होने पर यह कहकर मुझे िदया था िक बेटा,
ये तु हारे माँ-बाप क आखरी िनशानी है, इसे हमेशा अपने पास सहेजकर रखना।
अभी लाती हूँ, इतना कहकर उमेरा अपने ीफकेस से वो प लेने चली गई।
लौटकर आई तो उसके हाथ म वही प था। मु खया जी ने प को पढ़ा तो वो भी
अपनी आँ ख म आँ सुओ ं को आने से रोक न सके। तब तक पूरे गाँव म ये ख़बर
जंगल म लगी आग क मा नद फैल चुक थी िक मु खया जी के घर उनका बेटा
रा शद तो नह आया, पर रा शद क बीवी ज़ र आई हुई है। धीरे-धीरे पूरा गाँव
मु खया जी के घर जमा हो चुका। पर यहाँ मु खया जी समेत घर के सभी लोग खुद
को रोने से नह रोक पा रहे थे। मु खया जी उस प को बार-बार पढ़ते पंर इस
नतीजे पर नह पहुँच पाते जससे ये पता चल सकता िक उमेरा के माता-िपता
कौन थे। हाँ, प म कुछ उद ू के श द ज़ र थे जो िह दी म लखे थे। पर इतना तो
काफ नह था, िकसी को िह द ू या मुसलमान बना देने के लए। प म जो भी
व णत िकया गया था वो भाविवभोर और िदल को िवत कर देने वाला था।
अब तक गाँव के सभी छोटे-बड़े लोग मु खया के घर उप थत हो चुके थे।
मु खया क दयनीय और बेबस हालत देखकर गाँव वाल ने कहा, मु खया हम भी
तो बताओ आ खर बात या है। इतना घबराये हुए य हो और आ खर घर के
सभी लोग इतने भयभीत और रोते हुए नज़र य आ रहे ह। आ खर गाँव िकस
िदन काम आएगा। पूरे गाँव के लोग ने मु खया को भरोसा िदलाया िक बात कुछ भी
हो पूरा गाँव िमलकर सम या का हल तलाश करेगा। िफर मु खया नेपूरे गाँव को
उमेरा क पूरी दा तान बता डाली।। तब गावँ के लोग सामूिहक प से बोले,
मु खया आप क़तई परेशान मत हो, िह द-ू मु लम हम सब एक साथ िमलकर
उमेरा बेटी के लए अपनी जान लगा दगे। पर बहू और होने वाले ब े को कुछ भी
नह होने दगे। िफर पूरे गाँव के सामने उमेरा के उस प को पढ़ा जाने लगा। जो
उमेरा के माँ-बाप क आखरी िनशानी थी। जैसे-जैसे वो प पढ़ा जा रहा था,
उप थत लोग क आँ ख से आँ सू िनकलते जा रहे थे। बेबसी और मजबूरी का
ऐसा िज़क़ कभी िकसी ने सोचा तक न था। धीरे-धीरे बहते आँ सुओ ं ने लोग को
रोने पर मजबूर कर िदया। ठीक उसी व त गाँव के एक बुजुग मोह सन चाचा चीख
पड़े, “अरे मु खया बस क जा,ये प मने ही लखा था। उमेरा िबिटया, कोई पराई
नह है। ये इसी गाँव क िबिटया है। हम सब क िबिटया है। जो अपने ही गाँव के
सुखी चाचा क बेटी है। मोह सन चचा क बात सुनकर एकदम वहाँ मौत जैसी
ख़ामोशी छा गई। उमेरा ने चीख मार दी और अपने माता-िपता से िमलने क िज़द
करने लगी। पर उमेरा को कोई जवाब नह दे पा रहा था। रो-रोकर िनढाल हो चुक
उमेरा से जब रहा नह गयातो वह अपनी सास से लपटकर बोल पड़ी, अ मी, अब
जब पता चल चुका है िक मेरे माता-िपता कौन ह तब आप सब लोग मुझे उनसे
य नह िमलवाते? उस भीड़ म एक बार िफर मोह सन चचा खड़े हुए उमेरा के
पास पहुँचे और उमेरा के सर पर हाथ रखकर बोले, “न िबिटया, रो मत। हम सब
ही तेरे अ बू-अ मी ह। पूरा गाँव तेरा अपना प रवार है। दरअसल तेरे माता-िपता
पढ़े- लखे नह थे। तेरे बचपन म भी पूरे गाँव ने तुझे बचाने क को शश क थी। पर
उस व त जतने पैस क ज़ रत थी िकसी के पास उतना नगद पैसा न था। उस
व त हम सबके पास जमीन-जायदाद तो हुआ करती थी पर आज से 20-22 साल
पहले िकसी के पास एक लाख पये नह हुआ करते थे। मजबूरी और धन के
अभाव म तुझे बचाने के लए तेरे माँ-बाप आँ सुओ ं म भीगी आँ ख से तुझे बचाने क
अं तम को शश के लए उस आ म छोड़ आये थे। पर िकस आ म म छोड़कर
आये थे ये बात सुखी चाचा ने िकसी को नह बताई थी। जस िदन से सुखी चाचा
तुझे िकसी आ म म छोड़कर आये थे उस िदन से वो बहुत बेचन ै और परेशान रहा
करते थे। तेरी जुदाई और तेरे मर जाने क खबर से आशंिकत रहकर उ ह ने जीने
क क पना खो दी थी। उ ह लगने लगा था िक तेरी िज़ दगी के सफ 5 िदन ही
शेष ह, न मालूम तुझे आ म म भी कोई बचा सकेगा या नह । उ ह डर लगने लगा
था िक तुझे बचा पाने क आ खरी को शश भी कह नाकाम न हो जाये। बस यही
सोचकर उ ह ने जस िदन तेरा ऑपरेशन होने के लए डॉ टर ने बताया था, ठीक
उसी िदन तेरे माता-िपता ने आ मह या कर ली थी। बेटा, तेरे सवा दिु नया म
उनका कोई था भी तो नह । वो जीिवत रहते भी तो िकसके लए। बेटा, जब तुम
छोटे म अपनी मौत और िज़ दगी से लड़ रही थी उस व त भी ये बात पूरे गाँव के
लोग को पता थी। पर सीिमत समय म एकमु त धन के अभाव म कोई कुछ नह
कर सका था। आज िफर तुम उसी अपने गाँव म आई हो और उसी अव था म
जहाँ तु हारी िज़ दगी िफर खतरे म है। उस व त तो गाँव तु हारी कोई मदद न कर
सका था पर आज थ तयाँ ऐसी नह ह? आज हम सब अपना सब कुछ बेचकर
भी तुझे और तेरे बेटे को बचाने से नह चूकगे। पूरा गाँव एक वर म बोल उठा, “हाँ,
उमेरा हाँ! हम िकसी भी सूरत म तुझे और तेरे ब े को बचाकर ही रहगे। गाँव म
पहली बार ऐसा देखने को िमल रहा था िक पूरा गाँव एक साथ रो-रोकर उमैरा और
उमैरा के होने वाले ब े को बचा लेने क शपथ ले रहा था तथा इन दोन क
ज़दिगयाँ बचाने के लए कुछ भी कर जाने के लए तैयार था। उस समय उस गाँव
म न कोई िह द ू िदख रहा था न कोई मुसलमान। सफ इंसािनयत देखने को िमल
रही थी।
पहली बार पूरा गाँव एक जगह पर इक ा होकर उमैरा और उसके होने वाले
ब े के लए ई र से एक साथ दआ ु कर रहा था। हर िकसी क आँ ख म आँ सू और
लब पर उमैरा के लए ाथना थी। व त अपनी िनधा रत ग त से गुज़रता जा रहा
था। िफर गाँव के हर यि ने अपने आय ोत से उमैरा क डलेवरी म आने
वाली द ु ा रय से िनपटने के लए पैसे इक ा करने शु कर िदए और उमैरा को
शहर म िकसी अ छे से न सग होम म िदखाने क रणनी त तैयार कर ली थी। इस
बीच गाँववाल ने अपने-अपने घर म अपनी औरत को ये ताक द कर दी थी िक
हर रोज़ उनके घर क बहू-बेिटयाँ उमैरा के पास ज़ र जाएँ और उसका याल
रखे। िकसी भी तरह उमैरा के मन से डलेवरी म आने वाली िद त का अहसास
तारी न हो सके। इसके पीछी क मंशा ये थी िक वो उमैरा के िदल से ये बात
िनकाल देना चाहते थे िक डलवरी के व त उसक मृ यु िन त होने वाली है,
जैसा िक उसे अनाथालय क बं धका शकंु तला ने उसे बताया था। धीरे-धीरे
उमैरा ससुराल और गाँववाल का बेपनाह यार और देखभाल पाकर व थ सी
होने लगी। बेपनाह अपन व और मम व को पाकर उमैरा को भी आने वाले कल क
परेशािनय क याद तक न आती थी। नतीजा उमैरा का िबगड़ता वा य तेज़ी से
अ छा होने लगा। वो िदन पर िदन सेहतमंद होने लगी थी। उमैरा के डलेवरी के
िदन धीरे-धीरे नज़दीक आ रहे थे। िफर एक िदन उमैरा के पेट म दद शु हो गया।
गाँव के कुछ स ांत लोग और कुछ बुज़ुग मिहलाओं को मु तार मु खया ने अपने
साथ लया और फोर हीलर गाड़ी करके उमैरा को शहर के अ छे ह पताल म
चेकअप कराने के उ े य से िनकल पड़े। इधर गाँववाल ने एक अलग से िकराए
क बस कर ली और उसम िज़ मेदार लोग उमैरा क देखभाल के लए पीछे -पीछे
चल िदये। सभी लोग उमैरा को बाहरी मन से िदलासा तो देते जा रहे थे पर उन
सबके मन अंदर ही अंदर िकसी अनजान अनहोनी से भयभीत था। हर कोई ये
सोच रहा था, न जाने या होगा उमैरा ब ी का, या होगा उसके होने वाले ब े
का। हर कोई आ म क बं धका शकंु तला क बात सोच-सोचकर घबराया और
परेशान था।
अंततः वो पल भी आ गया। जब सब लोग उमैरा को लेकर ह पताल जा
पहुँचे। डॉ टस ने उमैरा के ढेर सारे चेकअप लख िदए। धीरे-धीरे अलग-अलग
साधन से पूरा गाँव उस अ पताल म आ पहुँचा जहाँ उमैरा को एडिमट कराया
गया था। पूरे गाँव को अपनी देखरेख म आया देख, उमैरा अपने भाव को काबू म न
रख सक और ज़ारोकतार रोने लगी। गाँव के सब लोग उसे िदलासा देने लगे,
उमैरा िबिटया, धैय रखो, ई र ने चाहा तो तु ह और तु हारे ब े को कुछ भी नह
होगा। सकुशल तुम ब े को ज म दे सकोगी। पर उमैरा के मन म तो अनाथालय क
बं धका शकंु तला के श द बार-बार गूज
ं रहे थे, जसने उमैरा को रा शद से शादी
करने से पूव बताया था। “कभी माँ मत बनना, वरना ब ा बच सकेगा या िफर तुम”
उमैरा लगातार रोये जा रही थी। अभी तक उमैरा िक हुई जांच रपोट नह आयी
थी। डॉ टस ने बताया था 4-5 घंटे बाद ही रपोट आ सकगी। उमैरा ने अपनी
सास को अपने पास बुलाया और ं धे गले से उनके गले से जा लगी। “अ मी, आप
सबसे ये वादा चाहती हूँ िक अगर डॉ टर डलवरी के समय ये पूछे िक ज ा-ब ा
म सफ िकसी एक को बचाया जा सकता है तो लीज़ आप सब मेरे ब े को बचाने
क ही बात डॉ टर से किहएगा। रा शद को आ ख़र म िज़ दगी म साथ तो दे न
सक । जसक मने प रक पना क थी। रा शद ने तो मुझ अनाथ को अपनाया
जसको दिु नया िहकारत और नफरत क नज़र से देखती है। कोई इतने बड़े
िदलवाला नह जो हम जैसी अनाथ को िन वाथ अपनी प नी बनाने को राजी हो
जाये। रा शद ने मुझको अपनाकर मुझ पर बहुत बड़ा एहसान िकया है। बस मेरी
एक वािहश याद र खयेगा अ मी रा शद के लए म इस ब े के प म तोहफा
देकर जाना चाहती हूँ। उमैरा रोये जा रही थी। अचानक दस ू री ओर से शोरगुल
सुनाई िदया। सामने से गाँव के तमाम छोटे-बड़े लोग हँसते-मु कराते और दौड़ते
हुए उस तरफ भागे आ रहे थे जस वाड म उमैरा को एडिमट िकया गया था।
अचानक ये शोरगुल उमैरा के वाड तक आते-आते थम गया। तभी एक ककश
आवाज़ पूरे अ पताल म गूज ं उठी। “अरी, रा शद क माँ, मेरी बेगम, कहाँ हो तुम।
पूरे ह पताल को िमठाई खलाओ। अपनी बहू उमैरा से कहो, कोई चता न करे।
उमैरा िक सारी रपोट आ चुक ह। उमैरा और उमैरा के होने वाले ब े म कोई
सम या नह । ज ा-ब ा दोन सामा य और व य है। 15 िदन बाद नामल
डलवरी होनी क बात भी डॉ टस ने बताई है। मु खया क ज़ुबान से ये बात सुनते
ही वहाँ ईद जैसा माहौल हो गया। सब लोग ख़ुशी-ख़ुशी एक-दस ू रे को मुबारकबाद
और गले िमलने लगे। ये बात सुनकर उमैरा क खुशी का िठकाना न रहा। िफर पूरा
गाँव उमैरा िबिटया को बड बाजे के साथ खु शयाँ मनाते हुए एक द ु हन क तरह
अपने गाँव ले आया।
घर आने के बाद पहली बार उमैरा को रात क ख़ामोशी म अनाथालय क
माँ शकंु तला याद आने लगी। उमैरा सोचने लगी, या सचमुच बहुत बड़ा चम कार
हुआ है उसके साथ? या पूरे गाँव क दवु ाओं के सबब उसे आने वाली मुसीबत से
राहत नसीब हुई है या िफर शकंु तला माँ ने ही मुझसे झूठ बोला था। ऐसे तमाम
सवाल उसके मनोम त क म छाने लगे। न द तो उसक आँ ख से जुदा हो चुक
थी। रह-रहकर उमैरा माँ शकंु तला के बारे म सोचती जा रही थी। तभी रा शद क
एक बात उसे याद आने लगी। जब एक रोज़ रा शद शकंु तला के बारे म कुछ बुरी
बात बताना चाह रहे थे तो उमैरा ने ही उससे झगड़ा कर लया था और रा शद से
दो टू क श द म कह िदया था। “म माँ शकंु तला के बारे म कुछ भी बुरा नह सुन
सकती? उ ह ने मुझ अनाथ को पाला है पढ़ाया- लखाया है। आइंदा कभी उनके
बारे म मुझसे कुछ भी बुरा न बोलना? वो सोचने लगी आ ख़र रा शद या बताना
चाह रहे थे माँ शकंु तला के बारे म मुझसे। उमैरा के मन म पूरी रात ऐसे िवचार
उमड़ते-घुमड़ते रहे पर उमैरा को अपने िकसी सवाल का जवाब न िमल सका।
दसू रे िदन उमैरा सवेर-े सवेरे अपनी सास क पहलू म जाकर बैठ गई ं और
बड़ी आ मीयता और शरमाते हुए बोली, “अ मी, आज म आपसे एक गुज़ा रश
करना चाहती हूँ।“ “न बेटा न ये तु हारा हक़ है बताओ, या बात है।“ सास अपनी
बहू उमैरा क बात सुनकर तड़प उठी थी। अ मी, लीज़ अ बू से किहए, पुरानी
बात को भूल जाएँ , उ ह माफ कर द और रा शद का पता तो कर िक आ खर वो
िकस जेल म ह और उन पर पु लस ने िगर तारी का इ ज़ाम या लगाया है। पता
नह य , कल से मुझे आपके बेटे रा शद क बहुत याद आ रही है अ मी। कल
रात कुछ ऐसी याद आई रा शद क िक म सो तक न सक । कहते-कहते अचानक
उमैरा रो पड़ी। नह , बहू तूरो मत। ऐसी अव था म रोया नह जाता। म रा शद के
अ बू से बात करती हूँ, कहकर माँ ने उमैरा क आँ ख म छलछला आये आँ सुओ ं
को अपने दपु े से पोछा और मु खया जी के कमरे क तरफ चल द ।
“रा शद के पापा, सुनते हो, अब आप दादा बनने जा रहे हो। हाँ तो, तुम भी
तो दादी बनने वाली हो। मु खया ने भी हँसते हुए जवाब दे िदया। दपु े को कांधे से
उठाकर माथे तक लाते हुए रा शद क माँ ने कहा, दरअसल आज आपक बहू
बहुत संजीदा, उदास और परेशान है। कह रही थी, अ मी अ बू से किहए रा शद
को माफ कर द, और पता तो कर आ खर रा शद को िकस जेल म रखा गया है
और उस पर इ ज़ाम या है? उसने इस बात को इस तरह रोकर कहा िक म
आपसे रा शद के बारे म बात करने को मजबूर हो गई। रा शद क माँ से रा शद का
नाम सुनते ही मु खया ने रा शद क माँ क तरफ देखा जो सर झुकाए आँ सू बहाए
जा रही थी। उसक अव था देखकर ही ये अनुमान लगाया जा सकता था िक पु
के िवयोग म माँ क हालत कैसी होती है। जब से मु खया ने गु से म आकर रा शद
को घर से िनकाला था तब से माँ क िह मत नह थी िक वो मु खया के सामने
रा शद का नाम ही ले ले। न मु खया को ही रा शद का नाम घर के िकसी सद य से
सुनना पसंद था। मु खया ने उसक िबगड़ती आदत और रा शद को न समझने क
बात से नाराज़ होकर घर से िनकाला था। मु खया ने एक बार िफर अपनी बेगम को
देखा जो लगातार रोये जा रही थी। उसक हालत देखकर मु खया अपने थान से
उठे और बोले ठीक है। म आज ही उस शहर जा रहा हूँ जहाँ से रा शद क
िगर तारी हुई थी। बहू को िदलासा देना और कहना परेशान न हो। कहते हुए
मु खया घर से बाहर िनकल गए। माँ ने उमैरा को जब ये बताया िक मु खया जी
रा शद क तलाश म गए हुए ह तो उमैरा ख़ुशी से झूम उठी। मु खया को गए हुए दो
िदन बीत गए पर मु खया घर न लौटे। तीसरे िदन जब वो वापस आये तो मु खया
के चेहरे पर मायूसी और उदासी को देखकर रा शद क माँ बेचन ै होते हुए बोली,
“बात या है, आप बहुत परेशान से िदख रहे ह? या बताऊँ बेगम। जले के तमाम
थान म मने पता कर लया है, जस िदन क ये घटना बहू ने बताई थी। उस िदन
िकसी थाने क पु लस ने ऐसी कोई रेड कह नह डाली थी। न ही रा शद का नाम
िकसी थाने म अपरा धक वृ के लोग म दज है। पु लस ने तो उसे िगर तार ही
नह िकया।” ये सुनते ही माँ को जैसे च र सा आने लगा। वो िकसी अनजाने
षड़यं क क पना से कांपने लगी, तो िफर कहाँ गया मेरा ब ा? मु खया को गौर
से देखते हुए रा शद क माँ िकसी आशंका से आशंिकत हो उठी। बदहवास सी
अव था म अपनी बेगम को देखकर मु खया ने उसे स और धैय रखने को कहा।
जब ये बात उमैरा ने सुनी तो वो भी िकसी अनजान सा जश से भयभीत हो
उठी। इस बीच उमैरा के पेट म दद शु हो चुका था। आनन-फानन उसे गाड़ी म
शहर ले जाकर उसी ह पताल म एडिमट करा िदया गया जहाँ उसक पूव म जांच
कराई जा चुक थी। िफर दस ू रे िदन सूरज क पहली िकरण फैलते ही उमैरा ने एक
ख़ूबसूरत न हे ब े को ज म िदया। सब कुछ सामा य तरीके से होने पर सब लोग
बेहद खुश थे। खुशी के आलम म पूरे अ पताल म िमठाइयाँ बांटी जा रही थ । तभी
मु खया ने कुछ ऐसा अ पताल म देखा िक उसे सहजता से यक न कर पाना
मुमिकन न था। जस वाड म उमैरा क ड लवरी हुई थी। उसके बगल वाले वाड म
जनम पेसट के कई पलंग लगे हुए थे। उनम से एक पलंग पर उनके बेटे रा शद
जैसा एक युवक मरणास थ त म पड़ा हुआ था। उसके आसपास कोई न था।
उसक देखरेख करने वाला कोई न था। मु खया को अपनी आँ ख पर िव ास न
हुआ। वो बदहवास से दौड़ते हुए रा शद क माँ क तरफ भागे जो बगल वाले वाड
म बहू उमैरा के साथ थी। वहाँ पहुँचते ही बेगम को इशारे से बाहर बुलाया और
उ ह ने जो कुछ वहाँ देखा था, अपनी बेगम से कह सुनाया। रा शद क माँ लगभग
दौड़ते हुए वहाँ पहुँची जहाँ उसके बेटे जैसा युवक िज़ दगी और मौत के बीच झूल
रहा था। पु के िवयोग म तड़पती एक माँ को अपने बेटे को पहचानने म कतई देर
न लगी, वह फौरन पहचान गई। वो नौजवान कोई और नह उसका पु रा शद ही
था। बेटे को इस हालत म देखकर एक माँ खुद को संभाल न सक और उसक
हालत को देखकर ज़ोर से रोने लगी। कभी बेटे के माथे पर मम व का हाथ रखती
तो कभी सामने ख़ड़े मु खया को देखकर उसके पु को बचा लेने क गुहार करती।
रोना-पीटना सुनकर वहाँ डॉ टर भी आ गए। डॉ टर ने बताया कोई अनजान दो
यि कल रात इस लड़के को इसी अव था म छोड़ गए थे। जब ये अ पताल म
आया था तो इसके हाथ पैर बंधे हुए थे और िदल के पास गोली मारी गई थी। जाते
समय उ ह ने बताया था िक इसे कोई अजनबी कार से धकेलकर बीच रा ते म
मरा हुआ जानकर फक गए थे। इसे मृत अव था म बीच रा ते म पड़ा देखा तो
इसक साँस चल रहीथ । इंसािनयत के नाते हम लोग इसे आपके अ पताल ले
आए। माँ ने जब ये पूरी कहानी सुनी तो और भी तड़पकर रो पड़ी।
कुछ ही पल बाद जंगल म लगी आग क तरह ये बात फैल गयी िक मु खया
का बेटा और उमैरा का प त रा शद मरणास थ त म उसी ह पताल म पाया
गया जहाँ उमैरा ने रा शद के ब े को आज ही ज म िदया था। पूरा गाँव वहाँ पहले
से ही मौजूद था जो उमैरा िबिटया क ड लवरी के लए िकसी भी अनहोनी से
िनपटने के लए साथ आया हुआ था। िफर या था पूरा गाँव अब रा शद को बचाने
का हर स भव यास करने लगा। उमैरा को जब इस थ त म रा शद के पाए जाने
क ख़बर चली तो उसक चीख िनकल गई। िकसी भी तरह वो रा शद क एक
झलक देखने को तड़पने लगी। लेिकन घर वाले उसे रा शद से िमलने नह दे रहे
थे। एक तो ये वजह थी िक कुछ देर पहले ही उसक डलेवरी हुई थी। वो ख़ुद भी
अभी चलने-िफरने क थ त म नह थी। दस ू रे रा शद अचेत था और मौत और
िज़ दगी के बीच झूल रहा था। ऐसी थ त म घर वाले उमैरा को रा शद से दरू ही
रखना चाहते थे तािक रा शद क ऐसी अव था को देखकर उमैरा क हालत म
तकूल असर न पड़ जाए। रा शद का प रवार िमल जाने के कारण डॉ टर ने
आनन-फानन उसक चिक सा शु कर दी। उसे आई0सी0यू0 म ले जाया गया।
जहाँ 24 घंटे िनरंतर उपचार के बाद भी रा शद को होश म आ जाने क कोई सूचना
ा न हो सक । उमैरा सिहत रा शद के माँ-बाप घर-प रवार और पूरा गाँव रा शद
क तरफ से बेहद च तत और ख़ौफ़ज़दा था और ठीक उसी तरह ई र से ाथना
करता िदख रहा था जैसे उमैरा और उसके होने वाले ब े के लए दआ ु करता
िदखाई िदया था।
मुसलसल उपचार के बाद रा शद को होश आया गया। अपने इद-िगद
अपनी अ मी, अ बू और गाँववाल को अपने पास देखकर रा शद को ख़ुशी और
अच भे के भाव उभर आये। उसने उठना चाहा, पर कमज़ोरी क वजह से वो उठ न
सका। पास बैठे उसके अ मी-अ बू ने भी उसे न उठने क सलाह दी। रा शद ने नम
आँ ख से अपने िपता मु खया से माफ करने के लए अपने हाथ उठाये तो िपता ने
उन हाथ को रोककर रा शद को अपने सीने से लगा लया और बोले,”न बेटा, रो
मत। ऊपर वाले का शु अदा कर के तू मौत के मुँह से हम सबके लए वापस आ
गया। उस पल उप थत सभी लोग क आँ ख म आँ सू छलछला आये। जब कुछ
आँ सू थमे तो पास बैठी माँ ने अपने बेटे रा शद से उमैरा क घर तक पहुँचने और
उसे एक बेटे का बाप बन जाने क पूरी दा तान उसे कह सुनाई। अब तक उमैरा
भी डलेवरी के बाद सामा य हो चुक थी इस लए मु खया ने एक दस ू रे वाड म
उमैरा और अपने बेटे रा शद को एक साथ श ट करा लया था। जैसे ही ये ख़बर
पु लस को िमली िक रा शद को होश आ चुका है, तुर त पु लस रा शद का बायांन
लेने उस हॉ पटल आ पहुँची। डॉ टस के सामने और अपन के बीच रा शद ने
पु लस को अपने इस घटना म क पूरी कहानी कुछ इस तरह कह सुनाई।
“मेरा नाम रा शद है। म गरीब प रवार से ता क
ु रखता था। पर गरीबी को
बचपन से सहते-सहते म ऊब चुका था। म िकसी भी तरह खुद को अमीर बनाना
चाहता था। अमीरी बुरे और बदनाम रा त से होकर गुज़रती है ऐसा मुझे मेरे
दो त ने बताया था। िफर उ ह दो त के साथ मेरा याराना बढ़ता गया ज ह
समाज बुरे और बदनाम लड़क के नाम से जानती है। कई बार मेरे िपता ने मुझे
उनका साथ छोड़ देने क िहदायत दी। पर मुझ पर उनक बात का कोई सुधार
प रल त न होते देख उ ह ने मुझे अपने घर से िनकाल िदया। मुझे भी उस व त
िपता क बात का यादा बुरा नह लगी य िक मुझे िकसी भी तरह अमीर बनने
का भूत सवार था। घर से िनकलकर म उ ह दो त के साथ शहर आ गया। गाँव
से शहर आया तो यहाँ क ज़दगी एकदम जुदा सी पाई। यहाँ िकसी को िकसी क
िफ न थी। हर तरह क आज़ादी थी यहाँ पर। हर कोई ख़ुद के लए जीना चाहता
था यहाँ। ये सब देखकर मेरा अमीर बनने का सपना साकार होता हुआ मुझे िदखाई
देने लगा। यादा पढ़ा- लखा तो म था नह , पर मुझम िकसी भी तरह के वाहन को
दसू र से बेहतर चलाने क महारत हा सल थी। उ ह दो त क मदद से मुझे गाड़ी
चलाने का काम शहर के एक मशहूर अनाथालय म िमल गया। गाड़ी चलाने का
समय और पैसा मेरा िन त नह था। जब अनाथालय को मेरी ज़ रत पड़ती तो
वो मुझे कभी िदन तो कभी रात म फोन कर देते। म िकसी ऑटो या िकसी अ य
साधन से अनाथालय पहुँचता। आ म के सामने तैयार गाड़ी खड़ी होती। मुझे
आते देख वहाँ क मिहला बंधक मुझे गंत य थान पहुँचाने का हाथ म उस थान
का पता लखा पचा थमा देती और म उन आ म क लड़िकय और उनके समान
को उस थान तक छोड़ आता। उसके बाद वह गाड़ी पुनः उसी आ म म खड़ी
करके वापस िकसी साधन से अपने घर आ जाता। मेरा काम कभी आ म क
खूबसूरत लड़िकय को रात म अलग-अलग होटलस म छोड़ आना और सुबह
उसी होटल से उ ह लेकर वापस उसी आ म म छोड़ देने का था। तो कभी कोई
छोटा पर पैक पैिकट को िकसी खास थान पर समय से पहुँचाना हुआ करता था।
बस इतना सा काम था मेरा। पर इसके बदले जो मुझे रकम दी जाती थी वो
अ या शत थी। जो यक़ न के कािबल नह थी। मुझे सफ इतने से काम के लए
कभी-कभी पांच हज़ार पये से लेकर दस हज़ार तक िमल जाते थे। अब तक मुझे
पूरी तरह इ म हो चुका था िक आ म क बं धका शकंु तला ही आ म क आड़
म देह यापार और मादक य क त करी क सरगना है।
यादा िदन नह लगे मुझे ये समझने म िक मुझे त करी और लड़िकय के
देह यापार के लए उस अनाथालय म रखा गया गया है। मुझे यादा चता
इस लए नह हो रही थी िक मुझे पता चल चुका था िक अमीरी बुरे और बदनाम
रा त से होकर ही गुज़रती है। मुझे सफ अमीर बनना था। रा ते कैसे भी ह मुझ
पर कोई फ़क़ नह पड़ता था। मेरी ज़दगी का मकसद सफ अमीर बनने का था।
बहुत ज द ही मुझम दौलत क भरमार होती चली गई। इसी बीच मने उस आ म
म उमैरा को देखा। इतना कहते ही रा शद क आँ ख अनायास ही सामने दस ू रे बेड
पर बैठी उमैरा क तरफ उठ गयी। जो लगातार रा शद को ही टकटक लगाए
िनहारे जा रही थी। उमैरा को देखते ही मुझम कुछ ऐसे भाव क अनुभू त हुई जो
मने कभी महसूस नह िकये थे। उस िदन के बाद उमैरा मुझे इतनी अ छी लगने
लगी िक जस िदन म उमैरा को नह देख पाता, एक अजीब सी बेचन ै ी मेरे साथ
हुआ करती थी। म आ म क बं धका शकु तला को जानता हूँ, उसके ही इशारे
पर काम करता हूँ, इसक ख़बर उमैरा को िब कुल न थी। मुझे तो ये भी मालूम था
िक शकु तला आ म क जवान होती ख़ूबसूरत लड़िकय को पहले नशे क आदत
डलवाती थी िफर उ ह देह यापार के ध धे म वे छा से सं ल होने के लए
मजबूर करती थी। उसके बाद अमीर और बड़े लोग क पसंद के िहसाब से उ ह
उनके बताए होटल म मेरे ज़ रये उनके ऐश का साधन बनाकर भेजती थी। जनसे
शकु तला भारी रकम वसूल िकया करती थी। उमैरा मुझे बहुत पसंद थी। म उससे
िदल क गहराइय से यार करने लगा था। अंदर ही अंदर मुझ म ये डर समाता
चला गया िक शकंु तला आज नह तो कल उमैरा को भी इस गंदे काम को करने के
लए मजबूर कर देगी। ये सोचकर म तड़प उठा। कहीँ देर न हो जाये यही सोचकर
मने एक रोज िह मत करके उमैरा को अपने िदल क बात कहकर फूल का
गुलद ता देकर उससे शादी करने का ताव रख िदया।
उमैरा, जैसे-जैसे रा शद से शकु तला अ मी क अस लयत सुनती जा रही
थी। उसक आँ ख से आँ सुओ ं क धार तेज़ होती जा रही थी। वो सोच रही
थी,दिु नया म ऐसे भी लोग होते ह जो ब को यार का झूठा अहसास िदलाकर
उ ह चंद पैस के लए ज मफ़रोश के सामने उनक हवस िमटाने के लए फक
देते ह। रा शद ने िफर एक नज़र अपनी उमैरा को देखा जो सर झुकाए रोये और
अपने न हे ब े को दधू िपलाए जा रही थी। रा शद िफर अपनी कहानी बताने लगा।
ये तो अ छा ही हुआ िक त ण ही उमैरा मुझे अपने साथ उसी समय अपने
आ म ले गई और िज़द करके शकु तला और दीगर टाफ को मुझसे शादी करने
को राजी कर लया। पर उसी रात जब मुझे आ म म रखा गया था तब रात के एक
पहर शकु तला अपने गुड ं के साथ मुझे धमकाने आई थी िक तुम उमैरा से शादी
करने से इंकार कर दो वरना इसका अंजाम भुगतने को तैयार रहो। पर मने भी
उनसे उस व त खुले श द म कह िदया था िक आप मुझे मरवा तो सकती ह पर म
अपने फैसले को नह बदल सकता। बात न बनती देख िफर उ ह ने उमैरा को
छोड़ने के लए मुझे दस लाख पये देने का ऑफर िदया था। पर मने स ती के
साथ मना कर िदया था।
शादी के बाद उमैरा को म अपनी सारी हक कत बताना चाहता था। पर
उमैरा शकु तला माँ के बारे म कुछ सुनना भी नह चाहती थी। शादी के फौरन बाद
मुझम एक प रवतन सा आने लगा। गैरकानूनी काम और जवान लड़िकय के देह
यापार के धंधे म सं ल होने से मेरा मन मुझे कचोटने सा लगा। मने शकु तला के
अवैध काम और आ म से जवान लड़िकय को होटल पर ले जाना बंद कर िदया।
मेरी इस हरकत से शकु तला को ऐसा आभास हुआ िक म उमैरा को उसक
अस लयत बता न दँ।ू िफर शकु तला ने मेरे खलाफ एक ऐसी सा जश रच दी
जसका म अनुमान भी नह लगा सकता था। जस रोज़ मुझे मेरे घर से आधी रात
को गैरकानूनी जुम के सल सले म पु लस ारा िगर तार िकया गया था वो वा तव
म पु लस थी ही नह । शकु तला के ज़रखरीद गुड ं े थे। ये बात मुझे उस व त पता
चल सक , जब पु लस के भेष म मुझे िगर तार करने वाले मुझे पु लस टेशन म न
ले जाकर मुझे एक सुनसान और अनजान कोठरी म ले गए। जहाँ मुझे तिबयत से
मारा-पीटा जाने लगा। कई-कई िदन तक मुझे भूखा- यास रखा जाने लगा। जब-
जब म उनसे मुझे मारने-पीटने और यातनाएँ िदए जाने का कारण पूछता, वो लोग
मुझे और अ धक मारते-पीटते। िफर एक रात मुझे सारी अस लयत पता चल गई।
रात के लगभग एक बज रहा था। शकु तला उ ह गुड ं के साथ मेरे सामने आई
और बोली। “रा शद तुम हमारे लए आब खतरा बन चुके हो। तुम उमैरा के यार म
पड़कर मेरे िबजनेस और मुझे बबाद कर सकते हो इस लए तु ह अब मरना होगा।
िफर भी अगर तुम सच म जदा रहना चाहते हो तो म तु ह एक िवक प दे सकतीहूँ,
तुम उमैरा को छोड़ दो। उसे तलाक दे दो, उसक जदगी से दरू हो जाओ। पहले
क तरह हमारे िबजनेस म वापस लौट आओ। रा शद, मने तो कभी नह चाहा था
िक उमैरा तुम से शादी कर सके इस लए शादी से पहले ही मने उससे झूठ बोला था
िक वो शादी के बाद ब ा पैदा नह कर सकती। गभवती होते ही तुम या तु हारा
होने ब ा मर जाएगा। िफर भी वो बेवकूफ तु हारे इ क़ म पड़कर तुमसे शादी करने
से बाज़ नह आई। इतना सब बताते ही शकु तला ने मुझे अपना अं तम िनणय
सुनाते हुए बोली, बोलो, मरना चाहते हो या उमैरा को तलाक देकर ज़दा रहना
पसंद करोगे? ज़दा रहने क एक शत ये भी है तुम अपना काम उसी तरह अंजाम
देते रहोगे जैसे देते आये हो। कहते हुए शकु तला अपनी जगह से उठी और मेरे
जवाब के इंतज़ार म खड़ी हो गई। एक पल भी गंवाए िबना मने भी कह िदया जस
उमैरा ने मुझ पर इस क़ यक न िकया िक शादी से पहले मेरे बारे म जानना तक
मुना सब न समझा हो। उसके भरोसे को म कभी तोड़ नह सकता। म मर तो
सकता हूँ पर उमैरा को तलाक देकर उसके भरोसे को कभी तोड़ नह सकता। मेरा
जवाब सुनते ही शकु तला िकसी िफ म क खलना यका क तरह मुझे गु से से
देखने लगी और पास खड़े अपने गुड ं से बोली, ठीक है, अब ये हमारे िकसी काम
का नह रहा। इसे आज ही रा ते से हटा दो। िफर वहाँ से चली गई। उन गुड ं ने मेरे
हाथ-पैर बांध िदए,मुँह पर टेप लगाया। मुझे एक फोर हीलर म ज़बरद ती डाला।
िफर िकसी सुनसान गली म गाड़ी को रोककर मेरे सीने म गोली मारी िफर मुझे
गाड़ी के नीचे फक िदया। मुझे याद है सुनसान और अनजान गली म म असहनीय
दद से तड़प रहा था। पर मेरी मदद के लए वहाँ कोई नह आया। िफर मेरी आँ ख
के सामने अंधेरा सा छाने लगा। जब मुझे होश आया तो मने ख़ुद को इस ह पताल
म अपने माँ-बाप के क़रीब पाया।
पु लस ने रा शद को सरकारी गवाह बना लया और रा शद के बयान के
आधार पर पु लस ने एक गोपनीय योजना तैयार क । िफर एक रोज़ गोपनीय ढंग से
आ म म छापा मारा जहाँ कई ऐसी लड़िकयाँ िमल गय , ज ह ने अपनी दा तान
रो-रोकर पु लस को बताई िक िकस तरह शकु तला ारा ज़बद ती उनसे देह
बेचने का धंधा कराया जाता है। आ म से िमली लड़िकय और उनके बयान के
आधार पर पु लस ने शकु तला को िगर तार कर लया था। रा शद और उमैरा को
व थ हो जाने के बाद पूरा गाँव अ पताल से गाँव तक बड-बाजे-गाजे के साथ एक
बारात क तरह ले गयाजहाँ उमैरा और रा शद खुशगवार िज़ दगी गुज़ार रहे ह।
क़ाज़ी अज़मत कमाल

मूलतः िह द ु तान के बु देलख ड इलाके के जनपद


हमीरपुर क बा ‘मौदहा’ उ. . के रहने वाले ह। साधारण प रवार से ता क़
ु होने के
साथ ही सरल सोच के मा लक ह। िवला सता से काफ हद तक परहेज़ करते ह।
उ ह अगर सबसे अ धक कोई चीज़ पस द है तो वो खुशी है जसे वो हमेशा छोटी-

You might also like