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लेख़क- the_great_warrior
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19 जुलाई 2007
डियर मािरे टर्स और दोस्तों मैं यह कहानी अपनी दोस्त राधिका को िेडिकेट करता हूँ जो दे ल्ही में रहती है । हाूँ
े हहन्दी में यह कहे गा “मैं दे ल्ही में रहती हूँ…” तो वो कैर्े कहे गा?
अगर कोई अूँग्रज
हाूँ र्नु नए वो कहे गा- “मैं िेली माूँ राती हूँ…” (मैं िेली मराती हूँ)।
मैं आशा करता हूँ कक कभी मैं दे ल्ही जाऊूँ और राधिका को उर्की मर्ज़ी र्े उर्े ऐर्े चोदूँ कक वो र्ारी जर्ज़िंदगी
ve
मेरे लौड़े को याद करती रहे और उर्की जवानी का र्ारा रर् पी जाऊूँ। राधिका जरूर बताना कक यह कहानी
कैर्ी लगी (र्ारी अगर बरु ा लगा हो तो)
और हाूँ दोस्तों आप भी तो बताइए कक यह कहानी कैर्ी लगी आपको… मैं आपके ररप्लाइर् का इ़िंतज
.li े ार करूूँगा।
डियर मािारे टर्स जैर्ा कक मैंने पहले भी कहा है कक मैं गल्फ में रहता हूँ और यहा़िं बहुत र्े र्ेक्र् के या र्ेक्र्
ु ते, तो आपर्े ववनती है कक आप मेरी यह कहानी मेरे ही नाम र्े आपके ग्रप
स्टोरीर् के र्ाइट्र् नही़िं खल ु के
m
जजतनी भी लल़िंक्र् है वहा़िं पोस्ट कर दें । थैंक्र्।
पोल्री-फामस बनाने का ननर्सय ललया। पहले मैं आपको अपने घर के बारे में बता द़िं । हमारा घर बहुत ही बड़ा है ।
दो माले की परु ानी हवेली टाइप जजर्के कमरे भी बहुत बड़े-बड़े हैं और बहुत र्ारे हैं। घर का आूँगन भी बहुत
बड़ा है जहाूँ गम़ी के मौर्म में शाम को पानी का निड़काव करके बैठते हैं। आूँगन में नीमम के पेड़ भी हैं,
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घर बड़ा है तो घर की ितें (रूफ) भी बहुत ही ऊूँची-ऊूँची हैं। वही़िं एक भाग में पोल्री-फामस का र्ोचा। मेरे िैिी ने
ित पर एक टें पोरे री शेि िलवा हदया, चारों तरफ र्े जाली लगा दी गई और उर्के फशस पे िान की लेयरऱिंग भी
करवा दी गई। पोल्री का एक िोटा र्ा फामस तो तैयार हो गया। अब लाना था तो बर् धचकन को। यह पोल्री-
फामस बबर्जनेर् के ललए नही़िं खोला गया था बर् घर के ललए और आर् पड़ोर् के लोगों को फ्री में अ़िंिे दे ने के
ललए बनाया गया था।
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िैिी को उनके ककर्ी दोस्त ने ककर्ी गाूँव का पता बताया कक वहा़िं अच्िी धचकन लमल जयगी। वो गाूँव मेरे शहर
र्े बहुत ज्यादा दर तो नही़िं था पर हाूँ रे न र्े र्फर करने के ललए पहले कुि बबलभन्न िाइरे क्र्न में जाना पड़ता
था कफर वहा़िं र्े दर्री रे न पकड़ के उर् गाूँव के करीब वाले रे लवे स्टे शन तक जाना पड़ता था, उर्के बाद शायद
30 र्े 45 लमनट का रास्ता बैल-गाड़ी (बल
ु क काटस ) में तय करना पड़ता था। उर् गाूँव में मेरे िैिी का एक
क्लाइ़िंट भी रहता था जो गाूँव का मखु खया भी था तो उर्ने मेरे िैिी र्े कहा कक आप ककर्ी को भेज दीजजए मैं
र्ारा इ़िंतर्ज
े ाम कर दूँ गा और पोल्री को भी िाइरे क्ट आपके शहर के ललए लारी में बक
ु कर दूँ गा।
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र्ब
ु ह-र्ब
ु ह र्फर शरू
ु हो गया। रे न र्े पहले तो गट
ु़िं कल ज़िंक्र्न तक चला गया वहा़िं र्े दर्री रे न चें ज करके
उर् गाूँव के पार् वाले स्टे शन का हटकेट ले ललया (अब तो उर् गाूँव का नाम भी याद नही़िं)। गट
़िंु कल र्े मीटर
गेज रे न में जाना था। मीटर गेज रे न िोटी रे न होती है । उर्के डिब्बे भी िोटे होते हैं। और डिब्बे के बीच में
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रास्ता भी िोटा र्ा ही होता है । यूँ र्मझ लें कक आजकल जैर्े रे न्र् हैं वो ब्राि गेज रे न्र् हैं। मीटर गेज उर्की
तकरीबन ⅔ होती थी। (अब तो खैर मीटर गेज रे न्र् ब़िंद हो चुकी हैं पर तब चला करती थी लेककन लर्र्फस ररमोट
टाइप के इ़िंटीररयर गाूँओ़िं को करीब के शहर तक जोड़ने के ललए ही चला करती थी)। खैर मीटर गेज रे न में र्फर
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करने का और दे खने का पहला मौका था।
रे न चल पड़ी तो एक अजीब र्ा एहर्ार् हुआ, थोड़ा मजा भी आया एक नये र्फर का। वो रे न बहुत हहल रही
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थी जैर्े कोई झला झुला रहा हो। हदन का र्मय होने के बावजद रे न के झला झुलाने र्े नी़िंद आ रही थी। हदन
के तकरीबन 11:00 बजे के करीब उर् गाूँव के करीब वाले स्टे शन पे रे न पहुूँची तो मेरे िैिी के उर् क्लाइ़िंट का
or
बेटा जजर्का नाम लक्ष्मर् था वोह बैल-गाड़ी ललए स्टे शन पे मेरा इ़िंतज
े ार कर रहा था। लक्ष्मर् के र्ाथ उर्के
गाूँव तक एक घ़िंटे में पहुूँच गये। खेतों में र्े बैल-गाड़ी गज
ु र रही थी तो बहुत अच्िा लग रहा था। खेतों में उगी
हुई फर्ल (पता नही़िं कौन र्ी थी) उर्की एक अनोखी र्ी खुशब मन को बहुत भा रही थी। बैल-गाड़ी में र्फर
करने का अपना ही मजा है। एक तरफ बैठो तो एक ही झटके में दर्रे तरफ हो जाते हैं। हहलते झलते गाूँव को
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पहुूँच गये।
लक्ष्मर् के घर में खाना खाया। यह हटवपकल र्फर की वजह र्े जो घर र्े खा के ननकला था वो र्ब हजम हो
गया था और पेट परा खाली हो गया था। बहुत जोर की भख लगी थी। लक्ष्मर् की माूँ ने बहुत अच्िा और
मजेदार खाना बनाया था बहुत जम के खाया। खाने के बाद एक बड़ा र्ा ग्लार् लस्र्ी का वपलाया गया तो
तबीयत मस्त हो गई। अब तो मन कर रहा था कक थोड़ा आराम होना चाहहए।
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बर् यह र्ोच ही रहा था कक लक्ष्मर् के वपताजी जजनका नाम ववजय आऩिंद था। वो गाूँव के मखु खया भी थे।
गाूँव वाले र्ब उनको इज़्जर्जत र्े लालाजी कहकर बल
ु ाते थे। लालाजी ने मझ
ु र्े कहा- “बेटा थोड़ा र्ा आराम कर
लो थोड़ी ही दे र में चलते हैं, तम
ु धचकेन्र् दे ख लेना…”
मैं तो लेटते ही र्ो गया तो शायद दो घ़िंटे के बाद आूँख खुली। शाम के करीब 3:00 बजे हम राज के फामस पे
पहुूँचे। राज के पार् ही धचकेन्र् का आिसर दे ना था। राज का फामस लालाजी के घर र्े ज्यादा दर नही़िं था। हम
चलते-चलते ही पहुूँच गये। दे खा तो वहा़िं पे िोटी-िोटी मधु गसया़िं (धचकेन्र्) थी। मेरी र्मझ में नही़िं आया। मैं तो
र्मझ रहा था कक बड़ी-बड़ी ख़रीदनी है, लेककन यहा़िं तो िोटी-िोटी मधु गसया़िं थी।
राज ने बताया कक इतनी िोटी ही ख़रीद की जाती है और कफर उनको खखला-वपला के बड़ा ककया जाता है और
कफर वो अ़िंिे (अ़िंि)े दे ने लगती हैं और जब अ़िंिे दे ना ब़िंद कर दे ती हैं तो उनको बेच हदया जाता है , या काट के
खा ललया जाता है और कफर र्े िोटे -िोटे बच्चे पाले जाते हैं। खैर थोड़ी ही दे र में यह काम भी हो गया। राज ने
कहा कक वो उर्को बम्ब के टुकड़ों के एस्पेशली बने हुए केज में पैक करके रा़िंर्पोटस में िाल दे गा।
वापर् लालाजी के र्ाथ उनके घर चले गये। शाम हो गई थी बाहर ही बैठ के चाय पी। वहाूँ बाहर खल
ु ी हवा में
ve
बैठना बहुत अच्िा लग रहा था और अब ठ़िं िी-ठ़िं िी हवा चलना शरू ु हो गई थी, जो अपने र्ाथ खेतों की मस्तानी
र्ी र्ग
ु ि
़िं ला रही थी। हमेशा र्न
ु ते आए थे कक गाूँव में जल्दी शाम और जल्दी रात हो जाती है, जो र्च में वहा़िं
दे खने को लमला। शाम के 5:00 या 5:30 हो रहे होंगे लेककन ऐर्े लग रहा था जैर्े पता नही़िं ककतनी रात हो
गई। रे न का टाइम 7:00 बजे का था और कफर एक घ़िंटे का रास्ता स्टे शन तक का था तो लालाजी ने बैल-गाड़ी
का इ़िंतज
े ाम करके मझ
ु े स्टे शन भेज हदया।
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मैं स्टे शन पहुूँचा तो वहा़िं मेरे लर्वा और कोई नही़िं था। स्टे शन की कोई बबजल्ि़िंग जैर्ी नही़िं थी। बर् एक िोटा
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र्ा रूम था जजतना हमारे घरों में बाथरूम्र् होते हैं, करीब उर्ी र्ाइज का था। दे खने गया कक वो क्या है तो
पता चला कक वो हटकेट काउ़िं टर है जजर्में कोई भी नही़िं है । एक आदमी के बैठने की जगह है और एक चेयर
पड़ी हुई है । बैल-गाड़ी मझ
ु े स्टे शन पे िोड़ के चली गई क्योंकक उर्को वापर् गाूँव जाना था। मैं स्टे शन पे अकेला
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रह गया।
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प्लेटफामस बहुत बड़ा तो नही़िं था लेककन बहुत िोटा भी नही़िं था ल़िंबा ही ल़िंबा था बर्। मझ
ु े थोड़ा िर भी लग रहा
था कक इतने बड़े अ़िंिेरे प्लेटफामस पे मैं अकेला हूँ। ककश्मत र्े रे न भी आने का नाम नही़िं ले रही थी। थोड़ी ही
दे र में अ़िंिेरा िाने लगा और स्टे शन पे कोई लाइट का इ़िंतज
े ाम भी नही़िं था और ककश्मत र्े रात भी अ़िंिेरी थी।
शायद अमावर् की रात थी चाूँद बबल्कुल भी नही़िं था। बर् दर र्े ही ककर्ी झोपड़े र्े हदए की रोशनी आ जाती
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तो आ जाती और अब तो मझ
ु े यह भी र्मझ में नही़िं आ रहा था कक रे न ककर् तरफ र्े आएगी। थोड़ी ही दे र में
मझ
ु े एक और आदमी नजर आया तो मैं उर्के पार् गया तो पता चला कक वो हटकेट काउ़िं टर क्लकस है । मैंने
हटकेट ख़रीदा और उर्र्े पिा कक गट
ु़िं काल ज़िंक्र्न जाने वाली रे न ककर् तरफ र्े आएगी तो उर्ने एक
िाइरे क्र्न बता दी कक इिर र्े आएगी।
अ़िंिेरे डिब्बे में जब आूँखें अड्जस्ट हुई तो और डिब्बे के अ़िंदर दे खा तो पता चला कक डिब्बे के र्ारे फशस पे खेतों
में काम करने वाले मजदर र्ो रहे हैं। कोई बैठे-बैठे ही र्ो रहा है , कोई िोटी र्ी जगह में पैर मोड़ के लेट के र्ो
गया है । बड़ी मजु श्कल र्े खड़े रहने की जगह लमली वो भी दरवाजा ब़िंद करने के बाद वहा़िं की जो जगह होती है
वोही लमली बर्। हर तरफ लोग बैठे र्ो रहे थे और इतनी जगह भी नही़िं थी कक मैं दोनों पैर एक र्ाथ रख के
खड़ा रह़िं । तो मझ
ु े ऐर्ी जगह लमली जहा़िं कोई आलरे िी बैठा हुआ था तो मैं ऐर्े खड़ा हुआ कक मेरा एक पैर
उर्के एक तरफ और दर्रा पैर उर्के दर्रे तरफ था मानो कक जैर्े वो मेरी टाूँगों के बीच बैठा र्ो रहा हो मेरा
मूँह
ु दरवाजे की तरफ था और मैं बाहर की तरफ दे ख रहा था।
बाहर भी अ़िंिेरा िाया हुआ था और एक अजीब र्ा र्ाइलेन्र् था स्टे शन पे और डिब्बे में र्े मजदरों के र्ोने की
गहरी-गहरी र्ाूँर्ें र्न
ु ाई दे रही थी। रे न दो–चार लमनट में ही िीमी रफ़्तार र्े चल पड़ी। बाहर ठ़िं िी हवा चल रही
थी और रे न के चलने र्े कुि ज्यादा ही महर्र् हो रही थी और रे न के हहलने झलने र्े और र्ारा हदन काम
करने र्े थक कर लोग और मस्त हो के गहरी नी़िंद र्ो रहे थे, जैर्े उनको रे न में ही र्ोते रहना है र्ब
ु ह तक।
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रे न के अ़िंिेरे में यह भी पता नही़िं चल रहा था कक बैठे लोगों में कौन मदस है और कौन औरत है । बाहर की ठ़िं िी
हवा मझ
ु े बहुत अच्िी लग रही थी बदन में एक मस्ती की र्रर्राहट हो रही थी।
पर अब कुि नही़िं हो र्कता था इर् बात का लण्ि को तो पता नही़िं होता ना… लण्ि तो बर् इतना जानता है कक
ककर्ी ने उर्को नी़िंद र्े जगाया है और कफर मेरा लण्ि एक ही र्ेकेंि में बल खाके र्ीिा खड़ा हो गया। पैंट के
or
अ़िंदर अ़िंिरवेर भी नही़िं पहना था इर्ीललए अ़िंदर ही मेरे पैंट की जजप र्े रगड़ रहा था और बाहर ननकलने को
मचल रहा था। दो लमनट के अ़िंदर ही वो हाथ कफर र्े ऊपर आया और मेरे लण्ि पे रुक गया। मैंने र्ोचा कक
दे खते हैं कक यह हाथ क्या करवाई करता है, मैं अ़िंजान ही बना रहा। वो हाथ अब मेरे लण्ि को िीरे र्े पैंट के
ऊपर र्े ही र्हला रहा था, मर्ाज जैर्े कर रहा था।
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मेरा और मेरे लण्ि का मस्ती के मारे बरु ा हाल था। हाथ िोटा ही था तो ऐर्ा गेर् हुआ कक ककर्ी लड़की का
हाथ है और लड़की भी ज्यादा बड़ी नही़िं है । अब वो हाथ मेरे लण्ि को अच्िी तरह र्े दबा रहा था। मैं अ़िंजान ही
बना रहा। उर् हाथ ने मेरे जीन्र् की चैन खोली और वप़िंजरे में ब़िंद शेर को आजाद कर हदया। ठ़िं िी हवा का
झोंका तने हुए लण्ि र्े लगते ही वो और जोश में आ गया और हहलने लगा। उर्ने लण्ि को आगे पीिे करना
शरू
ु कर हदया। मेरे लण्ि में र्े प्री-कम ननकल रहा था। मेरा बर् नही़िं चल रहा था कक वो जो भी हो उर्को नीचे
ललटा के चोद िाल।़िं
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थोड़ी दे र तक दबाने के बाद वो अपनी जगह पे खड़ी हो गयी और मेरा हाथ पकड़ के अपने र्ीने पे रखा तो पता
चला कक वो कोई लड़की थी और उर्ने नीचे बैठे ही बैठे अपने ब्लाउर् के र्ामने के परे बटन्र् खोल हदए हैं।
खेतों के मजदर लोग तो अ़िंदर ब्रा वगैरा नही़िं पहे नते इर्ीललए मेरा हाथ िाइरे क्ट उर्की ऩिंगी िानतयों पे लगा
और मैं उर्को पकड़ के दबाने लगा।
आह्ह… क्या मस्त और शानदार िानतया़िं थी उर् लड़की की कक क्या बताऊूँ। िोटी-िोटी चधचया़िं परे हाथ में र्मा
गयी थी़िं शायद 28” इ़िंच या 30” इ़िंच का र्ाइज होगा। र्ख़्त चधचयों को मैं दबा रहा था। उर्के पार् र्े पर्ीने
की महक भी आ रही थी पर अब वो महक मझ
ु े किजस्चयन-डियार के महूँगे पर्फयम
स र्े भी ज्यादा अच्िी लग रही
थी। उर्की हाइट मझ
ु र्े कम थी। मेरे र्ीने तक की हाइट होगी उर्की। उर्का हाथ मेरे लण्ि र्े लगातार खेल
रहा था, मझु े बहुत ही मजा आ रहा था। रे न के िक्कों र्े कभी मैं र्ामने को खखर्क जाता तो मेरा तना हुआ
लण्ि उर्के खुले ब्लाउर् र्े उर्के बदन र्े लग जाता तो और ज्यादा मजा आता। मझ ु े उर्का चेहरा बबल्कुल भी
नजर नही़िं आ रहा था।
रे न में तो अ़िंिेरा था ही बाहर भी अ़िंिेरा ही था। और रे न भी िीमी गनत र्े चल रही थी। मैं अब थोड़ा और
बोल्ि हो गया और उर्की जा़िंघों को तलाश करते-करते उर्की चत पे हाथ रख हदया और उर्की चत को मर्लने
ve
लगा। उर्ने मीडियम र्ाइज की स्कटस पहनी हुई थी जो उर्के घटु ने तक आती थी। थोड़ा र्ा झुक के उर्की
स्कटस के ऊपर र्े ही उर्की चत का मर्ाज करने लगा। मेरा हाथ उर्की चत पे लगते ही पहले तो उर्ने अपनी
टा़िंगों को खोल हदया और कफर उर्ने अपने चतड़ उठा के मेरे हाथ पे अपनी चत नघर्ना शरू
ु ककया। अब मैं हाथ
र्े आहहस्ता आहहस्ता उर्की स्कटस को उठा के उर्की चत पे िाइरे क्ट हाथ रख हदया। अफ… मझ
ु े लगा जैर्े कोई
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गरम भट्टी में मेरा हाथ लगा हो उतनी गरम चत थी उर्की, जैर्े चत में आग लगी हो। पैंटी तो शायद खेतों
में काम करने वाले पहनते ही नही़िं। उर्की चत पे हल्की-हल्की और लर्ल्की र्ार्फट जैर्ी झा़िंटें भी उगी हुई थी़िं।
ऐर्ा लगता था की अभी नई-नई झा़िंटें आना शरू ु हुई हैं।
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चत के होंठों के बीचे में उ़िं गली िाला तो पता चला कक वो तो बे-इ़िंतह
े ा गीली हो चुकी है । पता नही़िं कब र्े मझ
ु े
दे ख रही थी और अ़िंदर ही अ़िंदर गरम हो रही थी। मैं एक हाथ र्े उर्की चत को मर्ल रहा था दर्रे हाथ र्े
u
एक चची को दबा रहा था और दर्री चची को चर् रहा था और उर्का हाथ मेरे लोहे जैर्े र्ख़्त लण्ि को पकड़े
हुए था। वो लण्ि पकड़ के ककर्ी एक्र्पटस की तरह आगे पीिे कर रही थी और र्ाथ में दबा भी रही थी। उर्की
or
बबल्ट बहुत बड़ी नही़िं थी उर्के कफगर को दे खते हुए लगता था के शायद 14 या 15 र्ाल की लड़की होगी।
चधचया़िं भी बहुत ज्यादा बड़ी नही़िं थी़िं पर थी़िं बड़ी र्ख़्त। मीडियम र्ाइज के र्ेब जजतना र्ाइज होगा। दबाने में
और चर्ने में बहुत मजा आ रहा था।
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अब और ज्यादा र्बर करना मजु श्कल हो रहा था तो मैंने उर्की गाण्ि को दोनों हाथों र्े पकड़ के मर्लना शरू
ु
ककया और उर्की गाण्ि पकड़ के उर्को उठा ललया। मेरे उठाते ही उर्ने तरु ़िं त अपनी टाूँगें मेरी कमर पे लपेट
ली। उर्की गाण्ि को मैंने दरवाजे की खुली खखड़की र्े हटका हदया। मेरा लण्ि अकड़ के मेरे पेट र्े हटका के
करीब 45° डिग्रीर् का आ़िंगल बना रहा था, ऊपर को उठ गया थ… जोश में और हहल रहा था। मैं एक स्टे प और
आगे हो गया और उर्की खल
ु ी स्कटस में र्े उर्की चत पे लण्ि को हटका हदया। चत तो बहुत ही गीली हो गई
थी।
मेरे लण्ि में र्े ननकलता हुआ प्री-कम उर्की गीली चत को और ज्यादा गीला और जस्लपरी बना रहा था। मैंने
अपनी गाण्ि को िक्का दे के लण्ि उर्की चत में घर्ु ेड़ना शरू
ु ककया तो वो चत के होंठों के बीच में र्े जस्लप हो
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के उर्की जक्लटोररर् र्े टकराया तो उर्के मूँह
ु र्े एक लर्र्कारी ननकल गई। ऐर्े ही एक बार कफर र्े कोलशश
ककया, लण्ि तो ऊपर को उठा हुआ था इर्ीललए एक बार कफर जस्लप हो गया तो उर्ने अपने हाथ में मेरा लण्ि
पकड़ के अपनी चत के खल ु े होंठों के अ़िंदर र्े चत के िे द र्े र्टा हदया और चत में मेरे लण्ि को नघर्ने लगी
आह्ह… बहुत मजा आ रहा था। मैं उर्के चधचया़िं को चर् रहा था और वो मेरा लण्ि पकड़े अपनी गीली-गीली
गरम चत में नघर् रही थी।
लण्ि के र्प
ु ाड़े को चत के र्रु ाख में रखे-रखे में उर्के खुले ब्लाउर् र्े उर्की चधचया़िं चर्ने लगा जो मेरे मह
ूँु के
र्ामने थी। उर्ने एक हाथ र्े मेरा र्र पकड़ के अपनी चधचयों में घर्
ु ाया हुआ था और दर्रे हाथ र्े मेरे लण्ि
ve
को पकड़ के गीली और गरम चत के िोटे र्े र्रु ाख में नघर् रही थी। दोनों मजे र्े पागल हो रहे थे। रे न के
लगातार हहलने र्े लण्ि अपने आप उर्की गीली चत में आगे पीिे हो रहा था मगर मैंने कफर भी थोड़ा र्ा
र्प
ु ाड़ा बाहर ननकल के अ़िंदर घर्
ु ा हदया तो परे का परा र्प
ु ाड़ा रे न के िक्के र्े चत के र्रु ाख में घर्
ु गया और
वो मझ
ु र्े ललपट गई। ऐर्े ही िीरे -िीरे हल्के-हल्के िक्कों र्े लण्ि को करीब आिा उर्की चत के अ़िंदर घर्
ु ेड़
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हदया। उर्की चत बहुत ही टाइट लग रही थी ऐर्े लगता था जैर्े ककर्ी ने मेरे लण्ि को जोर र्े कर् के टाइट
पकड़ ललया हो।
m
लण्ि जैर्-े जैर्े अ़िंदर घर्
ु रहा था उर्की पकड़ टाइट हो रही थी। लण्ि को अब एक लमनट के ललए उर्की चत
के अ़िंदर ही िोड़ के उर्की चधचयों को मर्लने और चर्ने लगा। आह्ह… क्या मजा आ रहा था… शानदार चधचया़िं
थी उर्की िोटी-िोटी जो कक मेरे मूँह
ु में परी र्मा गई थी़िं। चधचयों को चर्ना शरू
ु ककया तो वो और मस्ती में
u
लगता था कक उर्का जर् ननकल गया इर्ीललए उर्की चत में मेरा आिा लण्ि ईजजली अ़िंदर-बाहर हो रहा था।
चत का जर् लण्ि पे लगने र्े लण्ि धचकना और जस्लपरी हो गया था तो मैंने अपना लण्ि परे का परा बाहर
ननकाल के एक जोर का झटका मारा तो उर्के मूँह
ु र्े एक जोरदार चीख ननकल गई- “आईईई… ऊऊफर्फर्फ…
आह्ह… इस्स्र्… आह्ह… और मझ ु र्े बहुत ही जोर र्े ललपट गई। उर्की चीख रे न की र्ीटी की आवाज में दब
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आह्ह… बहुत मजा था मजदर की टाइट चत में । अब मैं अपनी गाण्ि पीिे करके लण्ि को परा र्प ु ाड़े तक बाहर
ननकाल-ननकाल के चत में घर् ु ेड़ के चोद रहा था। लण्ि उर्की चत में बहुत अ़िंदर तक घर्
ु रहा था। मझ ु े
माहर्र् हो रहा था कक मेरे जीन्र् की चैन उर्की चत को टच कर रही है तो उर्को और ज्यादा मजा आ रहा
था और उर्के मूँह
ु र्े आह्ह… उह्ह… ईईएईई… और ऊऊओह… जैर्े लर्र्काररया़िं ननकल रही थी जो लर्र्फस मेरे
कानों में र्न
ु ाई दे रही थी।
रे न के हहलने िुलने र्े और मेरे झटकों र्े उर्की चधचया़िं िान्र् कर रही थी़िं। मैं कफर र्े उनको पकड़ के मर्लने
लगा और चर्ने लगा। चुदाई परा स्पीि और परा पावर र्े चल रही थी, उर्की चत के अ़िंदर जब लण्ि कक मार
लगती तो वो मेरे बदन र्े ललपट जाती थी। लण्ि जड़ तक हथौड़े की तरह र्े अ़िंदर-बाहर हो रहा था और अब
ve
मेरे बाल्र् में भी हलचल मची हुई थी, मेरे झटके और तेज हो गये। वो तो मझ
ु र्े ललपटी हुई थी। मैंने हाथ
बढ़ाके दरवाजे की खखड़की के आइरन रोि को पकड़ा हुआ था और उर्की पकड़ र्े चत-फाड़ झटके मार रहा था
जजर्र्े वो बहुत मजे ले रही थी।
मझ
.li
ु े लगा कक मेरे बाल्र् में मेरी िीम उबलने लगी है और दे खते-दे खते लण्ि की गरम-गरम मलाई बाल्र् में र्े
चलती हुई लण्ि के र्रु ाख में र्े उर्की गीली चत में वपचकारी मारने लगी और ननकलती ही चली गई और कोई
7–8 वपचकाररया़िं ननकली और उर्की चत फुल हो गई और ओवरर्फलो होने लगी। मेरी वपचकारी ननकलते ही वो
m
मझ
ु र्े जोर र्े ललपट गई, उर्का बदन काूँप रहा था और इर्ी के र्ाथ ही उर्की चत भी झड़ने लगी।
होने लगी और उर्की गाण्ि दरवाजे की खखड़की र्े नीचे जस्लप हो के वो कफर र्े फशस पे बैठ गई। मैं गहरी-गहरी
र्ा़िंर्ें लेता हुआ लोहे के रोि को पकड़ के खड़ा अपनी तेजी र्े चलती र्ाूँर्ों को काब कर रहा था। 10 लमनट में
or
ही रे न एक और िोटे र्े स्टे शन पे एक या दो लमनट के ललए रुकी और कफर र्े चल पड़ी। यह स्टे शन भी पहले
वाले स्टे शन की तरह र्े अ़िंिेरा ही था। जैर्े ही रे न कफर र्े चल पड़ी वो जो नीचे बैठ चुकी थी उर्के अ़िंदर कुि
हलचल हुई और वो अपने पैर मोड़ के ऐर्े बैठी कक मेरा जीन्र् में र्े लटकता हुआ लण्ि उर्के मूँह
ु के र्ामने
था और उर्ने लपक के मेरे लटकते हुए लण्ि को अपने मह ूँु में ले ललया और चर्ने लगी।
Xf
7
मेरा लण्ि उर्के गले तक घर्ु रहा था। मेरे ललए यह एक अनोखा मजा था मझ ु े बहुत ही मजा आ रहा था। मझ
ु े
र्मझ में नही़िं आ रहा था कक मैं उर्के मूँह
ु को चोद रहा हूँ या वो मेरे लण्ि को चर् रही है । एक शानदार
फीलल़िंग महर्र् हो रही थी। वो रे न की दीवार र्े टे का लगा के बैठी थी जजर्र्े उर्के मूँह
ु को चोदने का मजा
कुि और ही आ रहा था। और कफर एकाएक मझ
ु े अपने बाल्र् में हलचल होने लगी और मझ
ु े लगा कक अब मेरी
मलाई कफर र्े ननकलने को तैयार है तो एक जोर का िक्का मारा और मेरे लण्ि का र्प
ु ाड़ा उर्के गले में घर्
ु
गया।
उर्के मूँह
ु र्े आगग्घह… आागगघह… ऊवगग्गघह… की आवार्जें ननकलने लगी़िं इर्र्े पहले कक वो मेरा लण्ि अपने
मूँह
ु र्े बाहर ननकालती मेरी मलाई की वपचकारी ननकल के उर्के गले में िाइरे क्ट धगरने लगी। अफ… इतनी
मलाई ननकली की आई आम श्योर कक उर्का पेट भर गया होगा मेरी मलाई र्े और उर्को घर जा के खाने की
जरूरत नही़िं पड़ी होगी।
मैं है रान था कक आखखर यह है कौन… और यह मेरे र्ाथ इर्ने क्या कर िाला… ऐर्े ही चुदाई का मजा ले ललया
और लण्ि को चर् के खल्लार् कर हदया।
ve
उर्को शायद पता था कक अब उर्का स्टे शन आने वाला है और वो मेरे र्ामने र्े उठकर दर्री तरफ चली गई।
अ़िंिेरे में मझ
ु े पता भी नही़िं चला कक वो ककिर गई और कब स्टे शन आया और वो दर्रे मजदरों के र्ाथ बाहर
ननकल के चली गई।
रीप्लाइर् का।
or
मेरी दक
ु ान पे अच्िे शरीफ घर की लड़ककयों र्े ले के ऱिं डियों तक र्ब आते थे। जजन र्े बात करते-करते मझ
ु े
लेिीर् के र्ोचने के ढ़िं ग का पता चल गया था। मैं उनर्े बात करके उनकी तबीयत के बारे में र्मझ जाता था
और मझ
ु े अच्िी तरह र्े पता चल जाता था की लेिीर् के हदल में क्या होता है और वो क्या चाहती हैं, कौन र्ी
लड़की घम़िंिी है , तो कौन र्ी लड़की अपनी तारीफ र्न
ु के खुश होती है, और ककर् लड़की को अपनी चधचया़िं
हदखाने का शौक होता है, वगैरा वगैरा। यही र्ाइकालजी मेरे काम आई।
उन हदनों में है दराबाद र्े मेरे शहर को जाने वाली बर् रात 10:30 बजे को ननकलती थी जो अली माननिंग मेरे
शहर को पहुूँचती थी। में ख़ररदारी खतम हो जाने के बाद आम तौर पर इर्ी बर् र्े ननकलता था ताकक र्ब
ु ह-
र्ब
ु ह वापर् आ जाऊूँ और अपनी दक ु ान को अटें ि कर र्कूँ ।
8
यह घटना एक ऐर्े ही र्फर की है । मैं अपना काम खतम करके रात 10:30 बजे वाली बर् में बैठ गया लेककन
वो तकरीबन एक घ़िंटा लेट ननकली, 11:30 बजे बर् स्टैंि र्े ननकली और शहर र्े बाहर आने तक करीब रात के
12:00 बज गये थे। र्भी पर्ेंजेर्स तो बर् स्टैंि पे ही हटकेट खरीद चक
ु े थे तो क़िंिक्टर लर्र्फस रुटीन चेक करके
अपनी र्ीट पे बैठ गया और शहर र्े बाहर बर् ननकलते ही बर् की लाइटें ब़िंद कर दी गई। और बाहर तो बहुत
ही अ़िंिेरा था। शायद च़िंद्रमा आज आर्मान र्े नाराज थे इर्ीललए नही़िं पिारे थे। बाहर का मौर्म बहुत अच्िा
था हल्की र्ी ठ़िं िी हवा चल रही थी। बर् के करीब र्ारे शीशे खखड़कीया़िं ब़िंद थे। ककर्ी-ककर्ी पर्ेंजर ने थोड़ी-थोड़ी
खखड़की खोली हुई थी तो उर्ी र्े ठ़िं िी हवा आ रही थी।
लग्षरु ी और एक्र्प्रेर् बर् में जनरली एक रो में दो और दो र्ीटें एक-एक तरफ र्े होती है टोटल 4 र्ीटें होती हैं
और मैं जनरली बर् में खखड़की र्ीट को वप्रफर नही़िं करता आइल (खखड़की वाली नही़िं बलकी पैर्ेज वाली र्ीट)
वाली र्ीट को वप्रफर करता हूँ, ताकक पैर ल़िंबे करके आराम र्े र्फर कर र्क़िं । मझ
ु े ऐर्ी ही र्ीट बर् के
तकरीबन पीिे वाले हहस्र्े में लमल गई थी और मैं र्ारा हदन काम करके थक चक
ु ा था और जल्दी ही र्ो गया।
पता नही़िं रात का क्या टाइम हुआ था कक मेरी आूँख खुली तो दे खा कक बर् ककर्ी स्टाप पे रुकी है और पर्ेंजर्स
बर् में चढ़ रहे हैं। खखड़की र्े बाहर दे खा तो पता चला।
ve
पर्ेंजर्स और उनके लगेज को दे खा तो ऐर्े लगा जैर्े शायद कोई मैरेज पाटी वाले इर् बर् में चढ़ रहे हैं और
कफर एक ही लमनट में कफर र्े र्ो गया। बर् कफर र्े चलने लगी तो जो पर्ेंजर्स उर् स्टाप र्े चढ़े थे वो अपनी
अपनी जगह बना रहे थे और अपना-अपना लगेज बर् के अ़िंदर ही अड्जस्ट कर रहे थे। यूँ तो वो बर् नाम की
.li
ही एक्र्प्रेर् थी क़िंिक्टर और ड्राइवर्स एक्र्रा पैर्े बनाने के चक्कर में बर् को जहा़िं कोई पर्ेंजर ककर्ी भी िोटे
र्े स्टाप पे खड़ा हदखाई दे ता उर्को वपक कर लेते और बर् ओवरर्फलो होने तक भरते ही रहते। बर् खचा खच
भर चुकी थी।
m
मेरे बाज वाली र्ीट पे कोई मोटा पर्ेंजर आलरे िी बैठा हुआ था जजर्र्े मेरी र्ीट मझ
ु े िोटी पड़ रही थी। उर्
बर् स्टैंि पे कौन उतरा और कौन चढ़ा मझ ु े नही़िं मालम। दे खा तो पता चला कक मेरी र्ीट और दर्री वाली
u
िबल र्ीट के बीच में एक लोहे का ऱिं क रखा हुआ है । मैंने अपनी टा़िंग उर् ऱिं क के ऊपर रख हदया और अपनी
र्ीट र्े थोड़ा और ऱिं क के तरफ हट गया ताकक जो मेरी र्ीट मेरे मोटे को-पर्ेंजर ने ले ली है थोड़ा र्ा हट के
or
ठीक र्े बैठ जाऊूँ। ऱिं क बड़ा था और करीब र्ीट की ही हाइट का था तो पैर रखने में आराम लमल रहा था। उर्
ऱिं क पे कोई दर्री तरफ मह
ूँु करके बैठा था। अब पोजीशन ऐर्े थी की मैं आराम र्े करीब हाफ ऱिं क पे और हाफ
अपनी िोटी र्ी र्ीट पे था।
Xf
मझ
ु े अपनी दक
ु ान के लेिीर् के र्ाथ के र्ाइकोलाजजकल अनभ
ु व याद आने लगे और मैं र्ोचने लगा कक अब
क्या करना चाहहए। टाइम दे खा तो पता चला की रात का िेढ़ बज चक
ु ा है और पता नही़िं वो लोग ककतनी दे र
9
बर् के इ़िंतज
े ार में स्टाप पे ठ़िं ि में खड़े रहे होंगे और ककतना थक चुके होंगे, इर्ीललए वो र्ब लोग अपना र्ामान
बर् में अड्जस्ट करके गहरी नी़िंद र्ो रहे थे।
मैं मन ही मन मश्ु कुराने लगा कक चलो अ़िंिेरे का और नी़िंद का लाभ प्राप्त करना ही चाहहए। पहले तो मझ
ु े यह
दे खना था कक उर् औरत का क्या मि है और अगर मैं कुि करू़िं तो उर्का क्या ररएक्र्न होगा र्ोचते-र्ोचते
मझ
ु े एक आइडिया स्राइक कर गया। मैं अपनी दाहहने ओर थोड़ा और खखर्क के उर् महहला के करीब हो गया
और अपना हाथ उर्की र्ीट के पीिे लगे हुए लोहे के रोि पे रख हदया। उर्के बाज में कोई दर्री औरत जो
कुि मोटी भी थी र्ो रही थी।
इर्ीललए मेरी बाज वाली औरत मेरे कुि और करीब आ गई थी। उर्की र्ीट के पीिे वाले आइरन पाइप पे ऐर्े
हाथ रखा कक मेरी उ़िं गललयों के हटप्र् उर्की गदस न र्े ि रहे थे। उर्ने कोई ववरोि नही़िं ककया।मैंने हहम्मत जुटाई
और अपनी उ़िं गललया़िं थोड़ी और नीचे खखर्काइ, ऐर्े की मेरी उ़िं गललया़िं उर्की गदसन को अच्िी तरह र्े ि रही
थी। उर्ने कोई ववरोि नही़िं ककया तो थोड़ी दे र तक ऐर्े ही रखने के बाद कुि और नीचे र्रका करके उ़िं गललयों
ve
को उर्के ब्लाउर् के करीब चधचया़िं के ऊपरी भाग तक ले गया, कफर भी उर्ने कोई ववरोि नही़िं ककया। अभी
तक मैं कोई ननर्सय नही़िं ले र्का था कक वो र्च में र्ो रही है और उर्को मेरी उ़िं गललयों का टच महर्र् ही नही़िं
हो रहा है , या वो जाग रही है और इ़िंतज
े ार कर रही है के में कुि और करूूँगा और मेरे उ़िं गललयों को अपने बदन
पे लगा हुआ महर्र् करके ए़िंजाय कर रही है ।
.li
कुि दे र तक हाथ को ऐर्े ही बर् की र्ीट के लोहे के पीपे र्े धगराते हुए उर्के चधचया़िं के पार् तक उ़िं गललयों ले
गया और थोड़ी दे र इ़िंतज
े ार ककया। उर्ने कोई ववरोि नही़िं ककया अब थोड़ा र्ा और नीचे करके उर्की चधचया़िं पे
m
िने लगा और िीरे -िीरे उर्के ननपल को एक कफ़िं गर र्े आगे पीिे करने लगा। उर्ने कफर भी कोई ववरोि नही़िं
ककया। वाउ… अब तो मैं र्मझ गया कक उर्को मजा आ रहा है और मैं कुि और भी कर र्कता हूँ। अब अपने
हाथ को थोड़ा र्ा वापर् ऊपर खी़िंच के उर्के ब्लाउर् के ऊपर र्े अपना हाथ ब्लाउर् के अ़िंदर जस्लप ककया और
u
इ़िंतज
े ार ककया की क्या ररएक्र्न होता है ।
or
उर्ने कफर भी कोई ववरोि नही़िं ककया। मैं हाथ को और अ़िंदर ले गया तो वहा़िं ब्रा थी पहले ब्लाउर् के अ़िंदर और
ब्रा के ऊपर र्े ही उर्की चधचयों को पकड़ ललया तो भी उर्ने कोई ववरोि नही़िं ककया। मैं ऐर्े ही दबाता रहा
और कफर एक लमनट के अ़िंदर ही अ़िंदर उर्के ब्रा के अ़िंदर मेरा एक हाथ चला गया और मैं उर्की ऩिंगी चधचयों
को अपने हाथ र्े दबाने लगा और मर्लने लगा। वाउ… क्या मस्त चधचया़िं थी… उर्की र्ख़्त चधचयों को पकड़
Xf
के पता चला कक वो कोई बड़ी औरत नही़िं बलकी कोई लड़की है । टे जन्नर् बाल्र् के र्ाइज की मस्त कड़क
चधचया़िं हाथ में मस्त हदख रही थी़िं, मर्लने में मजा आ रहा था लगता था कोई रब्बर की मजबत गें द को दबा
रहा हूँ।
हाथ को दोनों चधचयों के बीच में करके दोनों चधचयों को एक र्ाथ मर्ल रहा था। चधचयों को हाथ लगाते ही
लण्ि का बरु ा हाल हो गया और बहुत जोर र्े अकड़ गया। अपने दर्रे हाथ र्े पैंट की जजप खोल के लण्ि को
बाहर ननकल हदया तो बाहर की ठ़िं िी हवा लगते ही वो ऐर्े हहल रहा था जैर्े शराबी परे नशे में हहलने लगता है ।
एक लमनट के ललए अपना हाथ उर्के ब्लाउर् र्े ननकाल के उर्की जा़िंघों पे रख हदया और उर्की जा़िंघों की
माललश करने लगा। बर् के अ़िंदर और बाहर अ़िंिेरा था, ककर्ी को कुि नजर नही़िं आ रहा था। मझ
ु े महर्र् हुआ
10
कक उर्की र्ाूँर्ें तेजी र्े चल रही है और उर्की टाूँगें थोड़ा और खुल गई हैं। मझ
ु े हह़िंट लमल गया और िाइरे क्ट
उर्की चत पे हाथ रख हदया।
उर्ने मस्ती में अपना एक हाथ मेरे हाथ पे रख हदया और अपनी चत में मेरे हाथ को दबाने लगी तो मैंने उर्के
हाथ को पकड़ के अपने लोहे जैर्े अकड़े हुए लण्ि पे रख हदया और अपनी शाल को जो मैं अपनी र्ीट पे ही
रखे हुए था अपने लण्ि पे ऐर्े िाल हदया के ककर्ी को पता नही़िं चल र्कता था कक क्या हो रहा है । जैर्-े जैर्े
मैं उर्की चत का मर्ाज कर रहा था और अपनी उ़िं गली उर्की चत में घर्
ु ेड़ रहा था, वो मस्ती में मेरे लोहे जैर्े
ve
र्ख़्त लण्ि को जोर-जोर र्े दबा रही थी।
हदया और उर्का मूँह ु अपने आप खल ु गया और मेरे अकड़े हुए लण्ि को पहले तो ककर् ककया और कफर लण्ि के
ि़िंिे को पकड़ के र्प
ु ाड़े को अपने मूँह
ु में ले के ऐर्े चर्ने लगी जैर्े कोई लालीपोप चर् रही हो। अब ऐर्े
पोजीशन में मैंने उर्के ब्लाउर् के र्ामने के बटन्र् को खोल हदया और अपना हाथ उर्के ब्रा के नीचे र्े अ़िंदर
घर्
ु ा के मर्लने लगा।
Xf
आह्ह… क्या मस्त चधचया़िं थी उर्की… बहुत मजा आ रहा था उर्की चधचया़िं दबाने में और मर्लने में । लगता
था कक कभी उन चधचयों को ककर्ी ने ना तो टच ककया होगा और ना तो दबाया होगा इतनी कर्ी हुई और
र्ख़्त चधचया़िं थी उर्की।
मेरे लण्ि को वो मस्ती र्े चर् रही थी और ाा उर्की चधचयों को दबा रहा था। मझु े बहुत मजा आ रहा था,
उर्के गरम मूँह
ु का स्पशस मेरे लण्ि के धचकने र्प
ु ाड़े को और मस्त कर रहा था। मैं भी अपनी र्ीट र्े थोड़ा
और आगे की ओर खखर्क गया और अपने लण्ि पे उर्के चर्ने के मजे लेने लगा। वो लण्ि को अपने गले के
अ़िंदर तक ले के मस्ती र्े चर् रही थी और कफर मझ
ु े लगा की अब मेरा वीयस मेरे बाल्र् में तैयार हो रहा है,
11
ननकलने के ललए। मैंने अपने हाथ र्े उर्के र्र को पकड़ ललया और अपनी गाण्ि उठा-उठा के उर्के मूँह
ु को
चोदने लगा। आह्ह… क्या मजा था उर्के मूँह
ु में ।
और वो मस्त चर् रही थी, ऐर्ा लग रहा था जैर्े ककर्ी िोटे बच्चे को बहुत हदनों के बाद इतनी मजेदार टाफी
चर्ने को लमली हो। मेरे मह
ूँु र्े आह्ह… और उउह्ह जैर्ी लर्र्काररया़िं ननकल रही थी। मेरी र्ाूँर् तेजी र्े चलने
लगी और मैंने अपनी गाण्ि को जोर र्े ऊपर उठा हदया, जजर्र्े मेरा तना हुआ लोहे जैर्ा र्ख़्त मोटा लण्ि
उर्के मूँह
ु के अ़िंदर गले तक चला गया और उर्की आागगज्घह… की आवाज ननकलने लगी और ऐर्े ही उर्के
र्र को मजबती र्े पकड़े लण्ि को उर्के गले तक घर्
ु ाए हुए मेरे लण्ि में र्े मेरे वीयस की वपचकाररया़िं ननकलनी
शरू
ु हो गई और ननकलती ही चली गई, जो िाइरे क्ट उर्के गले र्े उर्के पेट में चली गई। जब गरम-गरम और
गाढ़ी-गाढ़ी िीम ननकलनी ब़िंद हो गई तब मेरा बदन ढीला पड़ गया था थोड़ी ही दे र में उर्ने अपना मूँह
ु शाल में
र्े बाहर ननकल ललया और अपनी र्ीट पे पहले जैर्े बैठ गई जैर्े कुि हुआ ही ना हो।
ve
वो ऐर्ा क्यों कर रही है ।
नये हैं और गोल्ि की ज्यलरी भी पहन रखी है । मैं र्मझ गया की वो दल्
ु हन है और उर्का दल्हा मेरी पीठ र्े
पीठ लगाए दर्री तरफ मूँह
ु करके बैठा है ।
or
मझ
ु े एक ही लमनट में र्मझ में आ गया की शायद वो र्मझ रही थी कक उर्की चधचयों को मर्लने वाला और
उर्की चत में उ़िं गली र्े मर्ाज करने वाला कोई और नही़िं उर्का नया नवेला पनत होगा, इर्ीललए वो अपना
आत्मर्मपसर् ककए हुए थी और जब उर्को मैंने ककर् ककया तो उर्को पता चल गया कक यह मूँिों वाला उर्का
Xf
पनत नही़िं हो र्कता क्योंकक उर्के पनत की मिें नही़िं थी़िं। मैंने भी कुि और करना र्ही नही़िं र्मझा और
खामोश बैठा रहा।
12
मैं यह र्ोचता हुआ बर् र्े नीचे उतर गया के पता नही़िं वो कहा़िं र्े आई है और कहा़िं जा रही है और जजर्ने
मझ
ु े यह र्ब करने हदया और मेरे लण्ि को चर्-चर् के मेरी मलाई खा गइ आखखर वो कौन थी…
पता नही़िं आपको यह कहानी कैर्ी लगी… जरूर बताना की कैर्ी लगी यह कहानी मैं इ़िंतज
े ार करूूँगा आपके
रीप्लाइर् का।
यूँ तो कालेज में बहुत र्ारे दोस्त थे लेककन कुि दोस्त बहुत करीबी थे जजर्में एक अरुर् भी था। हम दोनों
हमेशा ही र्ाथ रहते, र्ाथ खेलते और अपने र्ीिेटर् भी एक दर्रे र्े शेयर करते थे। दोनों की कालेज की
प्रेलमकाए़िं भी थी और हम उनके र्ाथ चुदाई भी कर चक
ु े थे और कभी-कभी तो हम एक दर्रे की प्रेलमकाओ़िं को
ve
अदल-बदल के भी चोद चुके थे।
मेरा लण्ि भी बहुत अच्िा ल़िंबा, मोटा और र्ख़्त है । लण्ि के र्ामने का गैर-जरूरी जस्कन कटा होने र्े लण्ि का
ु ाड़ा एकदम र्े धचकना और हे ल्मेट जैर्ा है और नोकीला है, जो चत के अ़िंदर घर्
र्प .li ु के बच्चेदानी को िाइरे क्ट
हहट करता है और चुदवाने वाली लड़की या औरत को बहुत मजा आता है । और जजर्ने एक बार मझ
ु र्े चुदवा
ललया वो मेरे लण्ि की दीवानी हो जाती है और बार-बार मझ
ु र्े चुदवाना चाहती है।
m
अरुर् की शादी को तकरीबन एक र्ाल हो रहा था और मेरी शादी को तकरीबन 6 महीने हुए थे। अरुर् ने मझ ु े
बताया की उर्की वाइफ को हमारे कालेज के र्ारे ककस्र्े र्न
ु ा चुका है तो उर् हदन र्े मझ
ु े उर्की वाइफ ऊषा
र्े शरम आने लगी है । ऊषा भाभी एक बहुत ही र्द ु़िं र लड़की हैं, उमर भी उतनी ज्यादा नही़िं है, होगी कोई 23
u
खैर… हुआ ऐर्े के अरुर् की ककर्ी कजजन की शादी थी और वो प्रेशर िाल रहा था कक मैं भी अपनी वाइफ के
र्ाथ वो शादी में उन लोगों के र्ाथ कोलकता जाऊूँ। शादी कोलकता में थी। मेरी र्मझ में नही़िं आ रहा था कक
क्या करूूँ… जाऊूँ या ना जाऊूँ। मेरी वाइफ अपने मैके गई हुई थी। मैं अकेला ही था। इिर जाब का भी मर्ला
था।
Xf
अरुर् ने कहा कक- “अरे यार ऐर्े मौके बार-बार नही़िं आते और त ने अभी तक कोलकता दे खा भी नही़िं है और
एक आूँख दबा के बोला कक बेंगाल का रर्गल्
ु ला तो बहुत माशहर है खाएगा नही़िं क्या…”
इतना र्न
ु ना था कक मेरे बदन में जैर्े एलेजक्रलर्टी दौड़ गई और मैंने कहा कक- “दे खो मैं कोलशश करता हूँ और
अगर मझ
ु े िुट्टी लमल जाती है तो मैं चलता हूँ, नही़िं तो जाने दो कफर कभी दे खेंग…
े ”
वो मान गया। अगले हदन मैंने एक वीक की िुट्टी की अजप्लकेशन दे दी जो थोड़ी र्ी आगे पीिे करके अप्रव हो
गई। यूँ तो अरुर् था गज
ु राती और हमेशा ही कहता था कक यार कभी मेरे र्ाथ अहमदाबाद चल और ककर्ी
13
गज
ु राती चत का मजा ले। गज् ु ज चतें बहुत र्ेक्र्ी, गरम और गीली होती हैं। मैंने र्ोचा कक अरुर् के ररश्तेदार
तो जरूर आए़िंग।े तो मैं भी दे खूँ की आखखर गज्ु ज लड़ककया़िं होती कैर्ी हैं। मैंने कभी कोई गज
ु राती लड़की को
इतने करीब र्े दे खा नही़िं था इर्ीललए दे खने की और चोदने की तमन्ना थी हदल में ।
कमला अरुर् र्े तकरीबन 5-6 र्ाल बड़ी थी। उर्की शादी हो चक
ु ी थी पर अभी तक उर्की कोई ऱ्िंतान नही़िं
हुई थी। गठीला बदन, गोरा ऱिं ग, काली बड़ी-बड़ी लाइट ब्राउन आूँखें, ल़िंबे बाल, मस्त चधचया़िं, होंगी तकरीबन 36”
के र्ाइज की। कुल लमलाकर कमला एक र्द ु़िं र औरत थी लेककन वो मेरे दोस्त की बहन थी और मझ ु र्े बड़ी थी
इर्ीललए मैंाझ
ु े कमला के र्ाथ चद
ु ाई का ध्यान भी नही़िं आया। मैंने कमला की आूँखों में एक प्यार् दे खी है ,
ऐर्ी प्यार् जजर्की चत प्यार्ी हो और अच्िे ल़िंबे मोटे लण्ि र्े चुदवा के अपनी प्यार्ी चत की प्यार् को
बझ
ु ाना चाहती हो। वो मझ
ु े र्े िबल मीनऩिंग के मजाक करती थी जैर्े ऊषा भाभी क्या करती हैं तो मेरी हालत
बरु ी हो जाती।
कभी-कभी तो लण्ि भी उठ खड़ा होता और उर्की नजर मेरे खड़े लण्ि पे पड़ती तो वो मश्ु कुराकर कहती- “लगता
ve
है वाइफ की बहुत याद आ रही है … कहो तो कुि खखला द़िं या कुि वपला द़िं …”
मैं उर्की र्रत दे खता का दे खता ही रह जाता। कभी-कभी खयाल आता कक शायद उनका पनत उनको र्ही तरीके
र्े चोदता नही़िं होगा। वो अधिकतर र्मय खामोश ही रहा करती थी, जजर्र्े यह यकीन होता हदखाई दे ता कक वो
र्च में अच्िी और ल़िंबी चद
.li
ु ाई का मजा नही़िं ले र्की होगी अभी तक, और इर्ीललए उर्की चत प्यार्ी की
प्यार्ी ही रह गई होगी। कभी-कभी तो मन करता कक हहम्मत करके उर्को इतनी जोर र्े िक्के मार-मार के
चोद िाल़िं कक उर्की प्यार् हमेशा के ललए बझ
ु जाए और उर्की आूँखों की चमक वापर् आ जाए।
m
और दर्री है शा़िंता। शा़िंता अरुर् र्े तीन या चार र्ाल िोटी है, बहुत च़िंचल। हमेशा उिल कद करती रहती,
िमाल मचाती रहती, कालेज में पढ़ती थी। बहुत र्द ु़िं र थी, गोरा ऱिं ग, काले बाल, चमकती आूँखें, कड़क र्ाब जैर्ी
u
चधचया़िं तकरीबन 32” या 34” के र्ाइज की होंगी, जजन्हें दे ख के कोई भी अपने हाथों में ले के मर्लने की
तमन्ना करे ।
or
लड़ककयों में ब्रा और पैंटी पहे नने का फैशन तकरीबन खतम ही हो गया है, और वो जब घर में उिल कद करती
तो उर्की मस्त चधचया़िं िान्र् करती बहुत अच्िी लगती थी़िं। कमला और शा़िंता मझ ु र्े काफी क्लोज थी़िं और
दोनों मझ
ु र्े मजाक भी करती ही रहती थी़िं। मैं भी दोनों को र्ताता रहता था। शा़िंता को तो कभी-कभी मैं अपनी
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बाहों में पकड़ भी लेता, कभी-कभी ऐर्ा भी होता कक मैं शा़िंता को अपने र्े ललपटा लेता तो उर्की चधचया़िं मेरे
बदन र्े धचपक जाती, जजर्र्े मेरे बदन में एक तफान आ जाता और कभी-कभी तो ललपटा के जब उर्की पीठ
पे हाथ घम
ु ाता तो उर्के चतड़ तक भी हाथ कफर्ल जाता था और मैं उर्के चतड़ों को िीरे र्े दबा भी दे ता तो
वो हूँर् दे ती।
कभी तो अपने बदन र्े एकाएक ऐर्े जोर ललपटा लेता कक उर्े मेरे लण्ि का स्पशस उर्के बदन पे महर्र् हो
जाए और कफर िोड़ दे ता था। शा़िंता को चोदने का खयाल मेरे मन में कई बार आया लेककन क्या करू़िं दोस्त की
बहन जो थी। अब यह भी तो हो र्कता है कक कमला और शा़िंता दोनों मझ
ु र्े चद
ु वाने की इच्िा रखती हों,
लेककन शायद कभी मौका नही़िं लमला हो या मझ
ु े बता ना र्की हों।
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मैं अरुर् के घर बहुत र्ाल र्े आता जाता रहता था तो र्ब ही मझ ु र्े अच्िी तरह रीट करते थे। अरुर् की
वाइफ ऊषा चटज़ी ब़िंगाली है । अरुर् र्े उर्की लोव-मैरेज थी। ऊषा भाभी भी बहुत र्दु़िं र हैं। हाइट होगी तकरीबन
5’6”, गोरा ऱिं ग, काले ल़िंबे बाल जो उनके चतड़ तक आते हैं, और काली हहरनी जैर्े चमकती आूँखें जजनमें मस्ती
भरी रहती है , शायद हमेशा ही अपनी अरुर् के र्ाथ चुदाई को याद कर रही हों इर्ीललए हमेशा उनके मूँह
ु पे
एक र्ीिेट र्ी मश्ु कान रहती है ।
नाजुक र्ा बदन लेककन चधचया़िं बहुत मस्त थी उनकी। कभी तो उनकी शटस में र्े तने हुए ननपल्र् भी नजर आ
जाते तो मन करता कक बर् इन्हें पकड़ के मर्ल िाल,़िं और चर् लूँ , शायद 36” का र्ाइज होगा उनकी मस्त
और टाइट चधचयों का। उनकी चधचयों को दे ख के मन करता है कक बर् पकड़ के बेि पे धगरा द़िं और चोद िाल़िं
और ऩिंगा करके चधचयों को चर्-चर् के उनका र्ारा रर् पी जाऊूँ और जोर र्े चोद के उनकी चत फाड़ िाल…
़िं
इतनी र्ेक्र् अपील थी ऊषा भाभी के अ़िंदर। ऊषा भाभी का धचकना बदन और गोरा ऱिं ग दे खते हुए यह मैं यकीन
र्े कह र्कता हूँ कक उनकी चत भी मक्खन जैर्े धचकनी होगी।
ऊषा भाभी भी कमला की तरह मेरे र्ाथ िबल मीनऩिंग वाला मजाक करती थी और हूँर् दे ती थी और मैं कभी-
ve
कभी तो शरम र्े लाल हो जाता लेककन ऊषा को मैं अपनी भाभी मानता था और उनको चोदने का खयाल मेरे
मन में नही़िं आया। पर कभी र्ोचता कक जैर्े कक अरुर् अपनी वाइफ को हमारे कालेज के र्मय की प्रेलमकाओ़िं
को अदल-बदल के चोदने के ककस्र्े र्न
ु ा चक
ु ा था तो शायद उनके मन में चद
ु वाने का खयाल हो लेककन मैं कुि
यकीन र्े नही़िं कह र्कता।
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हाूँ यह जरूर है कक अगर वोही अपनी तरफ र्े पहल करती चुदवाने के ललए तो मैं ऐर्े चोदता… ऐर्ी चत फाड़
चुदाई करता की वो ऐर्ी चद
ु ाई को कभी भल नही़िं पाती और हमेशा याद रखती।
m
मैं तो बर् यह चाहता था कक शादी में एक रर्भरी बबगाली और एक गरम गज
ु राती चत का मजा मेरे मोटे
लण्ि को लमल जाए तो मेरे लण्ि की और मेरी हदली तमन्ना परी हो जाए और मजा आ जाए।
u
हम दे ल्ही र्े कोलकता के ललए ननकल के कोलकता पहुूँच गये। शादी के ग्रप
ु में हम र्ब लमला के तकरीबन 60
or
या 70 आदमी थे। उर्का कजजन जजर्की शादी थी वो भी दे ल्ही में ही रहता था और उर्की होने वाली दल्
ु हन
भी उर्के ही ककर्ी ररश्तेदारों में र्े थी। रे न में मस्ती करते रहे कुि लड़ककया़िं भी थी, और कुि औरतें भी थी,
कुि बहु ढ़या़िं भी थी। रे न का परा डिब्बा ररजवस कर ललया गया था, मैरेज पाटी के ललए। मस्ती करते करते र्ारी
रात रे न में जागते रहे ।
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अरुर् के कजजन जजर्का नाम अशोक था उर्को र्ताते रहे । रात जागते ही गज
ु र गई, पता ही नही़िं चला की
कब हदन ननकल गया और वैर्े भी ररजर्विस कम्पाटस मेंट में कोई और आ भी नही़िं र्कता था। र्ब
ु ह-र्ब
ु ह टी काफी
वाले आ गये तो जो नी़िंद आ रही थी वो भी चली गई।
15
र्ाइज का घर जैर्ा था। ग्राउ़िं ि प्लर् वन का था। जजर्में 60–70 लोग ऐर्े र्माए थे जैर्े लगता था की कोई
मेला लगा हो।
मैं भी घर के हर काम में हाथ बटाने लगा। कही़िं जाना हो, कुि लाना हो या जो भी हो, मैं ऐर्े बबजी हो गया
था जैर्े मेरे ही कजजन की शादी हो। मैं र्ारी रात का जागा हुआ था और र्ारा हदन मस्ती करता रहा और
इिर-उिर के काम र्े शाम तक तबीयत अच्िी खार्ी थक चक ु ी थी। र्रहदयों के हदन थे जैर्-े जैर्े रात बढ़ रही
ve
थी, ठ़िं ि भी बढ़ती जा रही थी। और कफर थोड़ी ही दे र में ठ़िं िी ठ़िं िी हवायें चलने लगी जजर्र्े ठ़िं ि बहुत होने लगी।
घर के कमरे कुि िोटे , कुि बड़े थे। मझ
ु े आइडिया नही़िं था कक मेल्र् के र्ोने का इ़िंतज े ाम कहा़िं हुआ है । र्ारे
कमरों में बड़ी-बड़ी बेिशीट्र् बबिा दी गई थी ताकक ज्यादा र्े ज्यादा लोग र्ो र्कें। मैं ऊपर जा के एक िोटे र्े
कमरे के आखखरी कानसर में दीवार के करीब जा के लेट गया।
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उर् कमरे में तकरीबन आिे हहस्र्े में चावल की बोररया़िं बड़े र्लीके र्े ऊपर तक जमी हुई थी। चावल की
बोररया़िं ऐर्े रखी कक यहा़िं बर् 8 या 10 आदमी ही र्ो र्कते थे लाइन र्े और थोड़ी र्ी जगह और रहती थी
m
चलने कफरने के ललए।
जब मैं उर् कमरे में गया तो पैर्ेज वाले हहस्र्े में ककर्ी के र्ोने का इ़िंतज
े ाम नही़िं था या यह भी हो र्कता था
u
कक बाद में अगर जगह कम पड़ जाए तो शायद उर् पैर्ेज वाले हहस्र्े को भी इश्तेमाल ककया जा र्कता था।
उर् कमरे में एक खखड़की थी जो चावल के हवा के ललए थी जो खुली हुई थी। उर् खखड़की में र्े ठ़िं िी हवा आ
or
मझ
ु े पता नही़िं था की यह कमरा लेिीर् के ललए र्ेपरे ट है या मदों को ललए या लमक्र् है जजर्े जहा़िं जगह लमले
र्ो जाए। मैं तो बर् लेटा और गहरी नी़िंद र्ो गया। रात का पता नही़िं क्या र्मय हुआ था मझ
ु े लगा कक कोई
मेरे बदन र्े खेल रहा है । थोड़े र्े अपने होश-ओ-हवर् में आया तो पता चला कक मेरा लण्ि एकदम र्े अकड़ा
हुआ है और कोई लण्ि को ककर् कर रहा है । मेरा लण्ि अच्िा खार्ा बड़ा और मोटा है । जब अकड़ जाता है तो
लोहे जैर्ा र्ख़्त हो जाता है और कुतब
ु मीनार जैर्े खड़ा हो जाता है । हाूँ तो मैं परे र्र र्े क़िंबल ओढ़ा हुआ था
16
और कोई मेरे क़िंबल के अ़िंदर मेरी फैली हुई टाूँगों के बीच र्े ही मेरे लण्ि को चर् रहा था। पहले तो मेरी र्मझ
में कुि नही़िं आया।
थोड़ा र्ा र्र क़िंबल के बाहर ननकाला तो पता चला कक कमरे में घप ु अ़िंिेरा िाया हुआ है शायद लाइट चली गई
थी और र्ारे घर में र्न्नाटा िाया हुआ है और इर् रूम में ककर्ी ककर्ी के ग्ग्गहररर… ग्ग्गररर… खरासटों की
आवार्जें आ रही हैं। यह र्मझ में नही़िं आ रहा था कक यह खरासटे लेिीर् के हैं या जेंट्र् के।
मैंने महर्र् ककया कक मेरा बाक्र्र्स शाटस र् नीचे को र्रका हुआ है और तकरीबन मेरे घट ु नों र्े नीचे है और कोई
मेरी टाूँगों के बीच में लेटा है और मेरे लण्ि के ि़िंिे को हाथ र्े पकड़ के चर् रहा है । लण्ि का र्प ु ाड़ा और आिे
र्े ज्यादा ि़िंिा उर्के मूँह
ु में है । यह र्ब कुि इतनी खामोशी र्े हो रहा था कक अगर कोई जाग भी रहा होता तो
पता नही़िं चलता कक कौन क्या कर रहा है ।
ve
चर् रही थी और ल़िंबे मोटे लण्ि को मजे ले ले के चर् रही थी। मैं उर्के र्र को पकड़ के उर्के मूँह
ु में लण्ि
पेल रहा था, परा लण्ि तो अ़िंदर नही़िं घर्
ु रहा था और मैं परा घर्
ु ाने को िर भी रहा था कक कही़िं लण्ि परा
उर्के हलाक तक चला जाए और वो चीखे और ककर्ी की आूँख खल
ु जाए तो मजु श्कल हो र्कती थी। इर्ीललए
बर् िीरे -िीरे ही चोद रह था।
मझ ु े उर्का मूँह
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ु अपने लौड़े पे बहुत अच्िा लग रहा था। गीला-गीला गरमा गमस मूँह ु … आह्ह… पता नही़िं ककतनी
दे र र्े वो चर् रही थी। बर् थोड़ी ही दे र में मेरा बदन टाइट होने लगा। उर्ी टाइम मझ ु े लगा जैर्े उर्ने मेरा
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लण्ि अपने हलाक तक ले ललया हो। मझ
ु े उर्के हलाक का र्रु ाख अपने लण्ि के र्प
ु ाड़े पे महर्र् हो रहा था।
एक दो िक्के जोर-जोर र्े मारे और मेरी गाढ़ी-गाढ़ी गरम-गरम मलाई लण्ि में र्े ननकल के उर्के हलाक में
िाइरे क्ट चली गई जजर्े वो ननगल गई।
u
उर्ने चर्ना नही़िं िोड़ा। लगता था जैर्े र्ारी मलाई ननचोड़-ननचोड़ के पी जाना चाहती हो। वो लण्ि को लगातार
or
चर्ती जा रही थी। थोड़ी ही दे र में जब र्ारी मलाई ननकल गई तो लण्ि थोड़ा र्ा र्ार्फट हुआ। मैंने कुि उर्के
अ़िंदर हलचल महर्र् की, शायद वो पलट गई थी। मेरे मूँहु के र्ामने उर्की चत की महक आ रही थी। वो
अपनी दोनों टाूँगें मेरे र्र की तरफ ल़िंबी करके लेटी थी, उर्के जा़िंघें मेरे र्र के दोनों तरफ थी़िं, उर्की चत मेरे
मूँह
ु के र्ामने और मेरे लण्ि के पार् उर्का मूँह
ु पफेक्ट 69 पोजीशन में थी।
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17
मेरी जीभ उर्की चत के अ़िंदर घर् ु ी हुई थी। हम दोनों के ऊपर क़िंबल पड़ा हुआ था। जब मैंने उर्की परी चत
को अपने दा़िंतों में पकड़ के काटा तो वो उईईई… आह्ह… की आवाज ननकालने लगी और चत को मेरे मह ूँु र्े
ननकाल ललया और उतनी दे र मेरे लण्ि र्े मूँह
ु हटा ललया और जब मैं उर्की चत को पान जैर्ा चबा रहा था तो
उर्का बदन एकदम र्े अकड़ गया। वो अपने हाथ मेरे बाज में टे क के थोड़ा र्ा उठ गई और मेरे मूँह
ु को अपनी
चत र्े चोदने लगी और एकाएक उर्की र्ा़िंर्ें गहरी-गहरी चलने लगी़िं और कफर उर्का बदन का़िंपने लगा और
एक ही र्ेकेंि के अ़िंदर वो झड़ने लगी। उर्की चत में र्े मीठा-मीठा अमत
ृ जैर्ा जर् ननकलने लगा जजर्े मैं मजे
र्े पी गया। थोड़ी दे र तक उर्का आगगज
स म चलता रहा। जैर्े ही उर्की चत ने झड़ना ब़िंद ककया वो मेरे ऊपर
जैर्े धगर पड़ी।
ve
लण्ि उर्के चर्ने की वजह र्े गीला था और उर्की चत भी गीली थी इर्ीललए मेरे लण्ि पे उर्की चत कफर्ल
के लण्ि को अपने अ़िंदर लेने लगी। वो मेरे ऊपर थी। उर्की दोनों टा़िंगें मेरे बदन के दोनों तरफ थी़िं और वो मेरे
ु र्े आह्ह… ऊऊईई… म्म्म्माूँ… जैर्े हल्की-हल्की
लण्ि पे बैठ रही थी। लण्ि अ़िंदर ज रहा था और उर्के मूँह
आवार्जें ननकल रही थी़िं। िीरे -िीरे मेरा ल़िंबा मोटा लोहे जैर्ा र्ख़्त लण्ि उर्की टाइट गीली चत में परा जड़ तक
अ़िंदर घर्
ु चक
ु ा था और उर्के मह
.li
ूँु र्े एक ल़िंबी आह्ह… ननकल गई। अब मैंने दे खा कक वो नाइटी पहने थी, जो
र्ामने र्े परी खुली हुई थी। वो मेरे लण्ि पे उिल-उिल के लण्ि की र्वारी कर रही थी जैर्े जाकी घोड़े की
र्वारी करते हैं।
m
उर्की टाइट चत मेरे लण्ि को अपनी मा़िंर्पेलशयों र्े टाइट पकड़ी हुई थी। बहुत अच्िा लग रहा था, मोटा तना
हुआ लण्ि टाइट गीली चत के अ़िंदर। उर्के दोनों हाथ मेरे बदन के दोनों तरफ थे। जब वो मेरे लण्ि पे कफर्ल
u
चधचयों को ऐर्े दबाने लगा जैर्े मौर्म्बी का रर् ननकालने र्े पहले मर्ल रहा हूँ। उर्को झक
ु ा ललया और
उर्की चधचयों को अपने मह
ूँु में ले के चर्ने लगा। आह्ह… शानदार चधचया़िं थी उर्की र्ाइज होगा तकरीबन 36”
इ़िंच।
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लण्ि अ़िंदर-बाहर हो रहा था। मैं अपनी गाण्ि ऊपर उठा-उठा के उर्को चोद रहा था। वो ऊपर नीचे हो के उिल
रही थी मेरे लण्ि पे। मैंने उर्को झुका ललया और अपनी गाण्ि उठा के उर्की चत में अपना मर्ल जैर्ा लण्ि
घर्
ु ा-घर्
ु ा के चोदने लगा। जब वो उिल के लण्ि पे बैठती तो मेरा लण्ि उर्की चत की परी गहराईयों में घर्
ु के
उर्की बच्चेदानी को ि लेता तो वो जोर र्े मस्ती की लर्र्कारी भरती और आह्ह… उह्ह… ईईईईईह्ह… और
इस्स्र्… जैर्ी आवार्जें ननकालती।
अब मैं उर्को झक ु ा के उर्की चधचया़िं चर् रहा था और मेरे हाथ उर्के क़िंिों को जोर र्े पकड़े हुए थे और लण्ि
अ़िंदर-बाहर, अ़िंदर-बाहर चदु ाई कर रहा था। मेरा मन कर रहा था कक उर्की चत में जोर-जोर र्े िक्के मारू़िं
इर्ीललए अचानक मैंने उर्को पलटाया और उर्को नीचे ललटा हदया और मैं उर्के ऊपर आ गया तो उर्की टाूँगें
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मेरी पीठ र्े अपने आप ललपट गईं। मैंने अपने पैर पीिे करके दीवार र्े हटका हदया और गाण्ि उठा-उठा के
चोदने लगा। परा लण्ि र्प
ु ाड़े तक चत र्े बाहर ननकाल-ननकाल के अ़िंदर जोर र्े घर्
ु ा दे ता तो वो बहुत िीरे र्े
हप्प्प्प्प… और ऊऊऊईईई… उफर्फर्फ जैर्े आवार्जें ननकालने लगती।
चुदाई परा स्पीि र्े चल रही थी। कमरे में चुदाई की प्प्प्पकक्चह्क्कक… प्प्प्पक्चह्क्क… जैर्े आवाजें भी आ रही
थी जो शायद क़िंबल के अ़िंदर र्े बाहर नही़िं ननकल रही थी। उर्के बगल के अ़िंदर र्े हाथ ननकाल के उर्के क़िंिों
को पकड़ के अपने मर्ल जैर्े लण्ि को परा र्प
ु ाड़े तक चत र्े बाहर ननकल के एक र्ेकेंि के ललए ऐर्े ही रख
के इतनी जोर र्े लण्ि उर्की चत में घर्
ु ेड़ के िक्का मरता के वो लर्र्कारी भरती और उर्के मूँह
ु र्े र्स्स्र्…
आह्ह… उफर्फर्फ… और हप्प्प्प्प ्प्प्प… जैर्ी आवाज ननकल जाती और हर झटके के र्ाथ वो मझ
ु र्े जोर र्े धचपट
जाती।
मेरे लण्ि को उर्ने चर् के एक बार झड़ा हदया था इर्ीललए अभी मैं झड़ने के मि में नही़िं था और मस्त चुदाई
कर रहा था और ऐर्ी चत को चोद के मैं एक ल़िंबी चद
ु ाई का मजा लेना चाहता था। मैं लण्ि परा बाहर ननकाल-
ननकाल के पीिे की दीवार र्े पैर हटका के परी ताकत र्े झटका मरता तो उर्का बदन काूँप उठता और उर्की
चधचया़िं ऐर्े आगे पीिे होती़िं जैर्े ककर्ी खार् स्टाइल में िान्र् कर रही हों और उर्के मूँह
ु र्े ईईईर्स्स्र्स्र्…
ve
आह्ह… ऊऊईउ… और उफर्फर्फ… जैर्ी आवाजें ननकलती। उर्की अ़िंदर की र्ाूँर् अ़िंदर और बाहर की र्ाूँर् बाहर रह
जाती, और मेरे बदन को टाइट पकड़ लेती।
उर्की चत बहुत ही गीली हो गई थी और मेरे बाल्र् में भी अब हलचल होने लगी थी, लगता था कक अब मैं भी
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झड़ने वाला हूँ तो मैं भी उर्े एक्र्प्रेर् की रफ़्तार र्े चोदने लगा और वो मझ
ु र्े परी ताकत र्े ललपट गई।
उर्का बदन अकड़ गया और वो काूँपने लगी और तेजी र्े र्ाूँर् लेत-े लेते वो झड़ने लगी। बर् उर्ी र्मय मेरे
लण्ि में र्े भी मलाई की वपचकाररया़िं ननकलने लगी़िं और उर्की चत को भरने लगी।
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मेरे झटके िीरे होते गये और मैं िीरे -िीरे झड़ता ही चला गया और उर्के ऊपर धगर गया, लण्ि उर्की गीली
चत के अ़िंदर ही था। थोड़ी ही दे र में मेरा लण्ि बाहर ननकल गया और मैं उर्के बदन र्े नीचे जस्लप हो गया
u
और कफर इर्र्े पहले कक मैं कुि पिता या बात करता वो मेरे कान में बहुत ही िीरे र्े बोली- “ऐर्ा मस्त मजा
कभी नही़िं आया… मझ
ु े लगता है कक मैं आज पहली बार चद
ु ी हूँ और ऐर्े लगा जैर्े आज ही मेरी र्ह ु ागरात हो…”
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और एक ककर् करके िीरे र्े कफर मेरे कान के लास्ट वाले हहस्र्े को पहले तो चर्ा और कफर थोड़ा र्ा अपने
दा़िंतों र्े काट के कान में कहा- “आई लोव य…” और उठ के चली गई।
अब इतना तो यकीन हो गया था कक वो जो भी थी कूँु वारी नही़िं थी और मैं र्ोचता रह गया कक क्या मैंने यह
ु ी है … क्या यह आवाज ऊषा भाभी की थी… या कमला की थी… या मेहमानों में र्े
आवाज पहले भी कही़िं र्न
ककर्ी की… आवाज भी इतनी िीमी थी कक मैं पहचा़िं नही़िं कर पाया कक वो ककर्की आवाज थी। मैं थोड़ी दे र तक
उर्का इ़िंतज
े ार करता रहा, र्ोचा कक शायद वो बाथरूम में जा के कफर वापर् आएगी। पर वो नही़िं आई और मेरी
आूँख कफर र्े लग गई और मैं एक बार कफर र्े गहरी नी़िंद र्ो गया।
19
र्ब
ु ह उठा तो कमरे में र्भी उठ चुके थे और मेरा लण्ि धचपधचपा हो रहा था, दोनों की लमक्र् मलाई मेरे लण्ि
पे र्ख चक
ु ी थी। हमाम में जा के शावर ललया और जब चें ज करके नीचे आया तो नाश्ता तैयार था। कुि लोग
नाश्ता खा रहे थे, कुि इ़िंतज
े ार कर रहे थे। मैंने इिर-उिर दे खा तो बहुत र्ारी लड़ककया़िं और औरतें भी खड़ी थी
जजर्में र्े एक लड़की मेरी तरफ दे ख के मश्ु कुरई तो मैं र्मझा शायद यही थी तो मैं भी मश्ु कुरा हदया और गौर
र्े उर्े दे खने लगा। कफर दर्री तरफ दे खा तो 4–5 लड़ककया़िं मश्ु कुरा रही थी। उनको दे ख के मैं भी मश्ु कुरा तो
हदया।
कफर ऊषा भाभी ने अपने स्टाइल में पिा- “लगता है रात में नी़िंद नही़िं आई… इर्ीललए आूँखे लाल हो रही हैं।
चाय पीओगे या दि…” दि कहते हुए उन्होंने एक आूँख ब़िंद कर ली थी। और हूँर्ते हुए बोली- “लगता है ब़िंगाल
का रर्गल्
ु ला खा ललया रात को इर्ीललए नी़िंद नही़िं आई रात भर…”
कफर कुि ही दे र में कमला भी र्ामने आ गई और इत्तेफाक र्े उर्ने भी ऐर्े ही पिा- “क्या हुआ… रात में िर
तो नही़िं लगा ना तम्
ु हें अकेले र्ोने में … र्दी तो नही़िं लगी तम्
ु हें … और नी़िंद अच्िी तो आई ना…” और कफर वो
भी एक आूँख दबाकर बोली कक- “ककर्ी भी चीज की जरूरत हो तो बता दे ना मैं इ़िंतज
े ाम कर दूँ गी…”
ve
मेरा हदमाग चकरा गया। र्मझ में नही़िं आ रहा था कक क्या करूूँ… (अब मैं उन्हें क्या बताता कक मझ
ु े क्या
चाहहए… मझ
ु े चाहहए थी चद
ु ाई के ललए उनकी चत या ऊषा की चत… क्या वो यह इ़िंतज
े ाम कर र्कती हैं मेरे
ललये… लेककन पि नही़िं पाया।) इतना र्न
ु ना और र्ोचना था मेरा कक मैं तो पागल जैर्े हो गया। अब मेरी
र्मझ में नही़िं आ रहा था कक रात जजर्ने मेरे र्ाथ चद
ु ाई की… क्या वो ऊषा भाभी थी… या वो कमला थी… या
कोई और मेहमानों में र्े कोई थी… आखखर वो कौन थी…
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नाश्ता करने के बाद हम शादी के बबलभन्न कामोँ में लग गये। शाम में शादी का महरत था। र्ारा हदन भागम
m
भाग में और कामों में गज
ु र गया और शाम में फेरों की रश्म के बाद शादी हो गई।
हाथ लगाओ तो मैली हो जाए, शादी के ड्रेर् में वो बहुत ही खबर्रत लग रही थी। शादी बहुत िम िाम र्े हुई
थी, बहुत मेहमान थे, र्बका डिनर होने होने तक रात के 12:00 बज गये। कफर नाच-गाने का लर्ललर्ला चलता
or
20
रात का तकरीबन एक बज चुका था और मैं वपिली रात भी नही़िं र्ो पाया था इर्ीललए मझ
ु े अब नी़िंद आने लगी
थी। नी़िंद का खयाल आते ही मझ
ु े वो अ़िंजान लड़की र्े चद
ु ाई याद आ गई… और कफर क्या था लण्ि एकदम र्े
फनफनता हुआ उठ खड़ा हुआ। बड़ी मजु श्कल र्े अपने लण्ि को ऱ्िंभालता हुआ मैं उर्ी रूम में आ गया जहा़िं
पहले र्ोया था। आज कमरे में कोई और दो आदमी बैठे बातें कर रहे थे। थोड़ी दे र उनर्े बात करने के बाद मैं
अपनी जगह पे आ गया और उर् अ़िंजान लड़की का इ़िंतज
े ार करते-करते र्ो गया। यह भी तो पता नही़िं था ना
कक वो आएगी भी या नही़िं।
खैर, कफर र्े वोही हुआ… गहरी नी़िंद र्े आूँख खुली तो वोही तकरीबन वैर्े ही पोजीशन थी मेरा लण्ि अकड़ा हुआ
था और उर्के हाथों में था। मैं करवट र्े लेटा हुआ था और वो मेरे दाया़िं र्ाइि में दीवार की तरफ लेटी थी
उर्की करवट मेरी तरफ थी। वोही अ़िंिेरा कमरा, वोही ठ़िं िी-ठ़िं िी हवा, र्दी के मारे र्ब अपने-अपने क़िंबल में घर्
ु े
गहरी नी़िंद र्ो रहे थे। वो मेरा हाथ ल़िंबा करके उर्पे अपना र्र रख के लेटी थी और मझ
ु े ककर् कर रही थी।
मेरे बाक्र्र्स को नीचे तक खखर्का के मेरे लण्ि को पकड़ के अपनी चत में नघर् रही थी।
उर्की एक टा़िंग मेरी कमर पे रखी थी। ऐर्ी पोजीशन में उर्की चत की फाूँकें खल ु ी हुई थी और वो मेरे लण्ि के
ि़िंिे को पकड़ के लण्ि का र्प
ु ाड़ा अपनी चत के अ़िंदर ऊपर र्े नीचे और नीचे र्े ऊपर कर रही थी। मेरे बदन र्े
ve
उर्का बदन धचपका हुआ था। लण्ि में र्े प्री-कम ननकल के उर्की आलरे िी जस्लपरी चत को और ज्यादा
जस्लपरी बना रहा था। ऐर्ी ठ़िं ि में मेरे लण्ि के र्प
ु ाड़े पर उर्की गरम और गीली चत का स्पशस बहुत अच्िा
लग रहा था।
उर्ने मझ
ु े पश
.li
ु ककया और र्ीिा ललटा हदया और मेरे ऊपर आ गई र्ेम उर्ी पोजीशन में जैर्े उर् रात थी। मेरा
लण्ि इतनी जोर र्े अकड़ गया था कक र्ीिा खड़ा होने के बजाए मेरे पेट र्े र्ट गया था। वो मेरे ऊपर आ गई
और मेरे लण्ि के ि़िंिे पे अपने चत रख दी, ऐर्े कक उर्की चत के दोनों होंठों के बीच में लण्ि का ि़िंिा था और
m
वो अपनी गीली चत मेरे लण्ि के ि़िंिे पे आगे पीिे करके कफर्लने लगी। मझ ु े बहुत ही मजा आ रहा था। मेरा
लण्ि उर्की खुली चत की फा़िंको में और मेरी जा़िंघों के बीच में र्ैंिववच बना हुआ था। मन कर रहा था कक
अपने लण्ि को उर्की चत के अ़िंदर घर्
ु ेड़ के जोर-जोर र्े चोद िाल।़िं लेककन वो ऐर्े ही कफर्लती रही, मझ
ु े भी
u
लण्ि र्े प्री-कम भी ननकल रहा था जजर्की वजह र्े मेरे लण्ि पे उर्की गीली चत बहुत आर्ानी र्े कफर्ल रही
थी। कभी-कभी उर्की गीली चत का र्रु ाख मेरे लण्ि के र्पु ाड़े पे हटक जाता तो उर्की चत का र्रु ाख बहुत
अच्िा और टाइट लगता और लण्ि में र्े ननकलता हुआ प्री-कम उर्की चत में लग जाता जजर्र्े उर्की चत
और जस्लपरी हो गई थी। पता नही़िं क्यों वो लण्ि को अपनी चत के अ़िंदर नही़िं िाल रही थी। मैं उर्की चधचयों
Xf
हाथ लगाते ही मैं चौंक गया क्योंकक यह वो चधचया़िं नही़िं थी़िं जजनको कल मैंने मर्ला था और चर्ा था। यह
चधचया़िं तो पहले वाली र्े थोड़ी र्ी िोटी थी और कुि ज्यादा ही कड़क थी, ननपल भी थोड़े र्े अलग थे। अ़िंिेरे
में नजर तो नही़िं आ रहा था लेककन मूँह
ु में लेने र्े पता चल गया कक यह ननपल्र् कुि अलग हैं और चधचयों
का र्ाइज भी अलग है । यह चधचया़िं मेरे परे मूँह
ु में र्मा रही थी जजन्हें मैं चर् रहा था। मैं कुि र्ोच में पड़
गया कफर खयाल आया कक मझ ु े क्या करना है… वो कोई भी हो… अब तो बर् मेरे ऊपर वार्ना की भख चढ़ी हुई
थी और लण्ि दीवाना हो चक
ु ा था। उर्को तो बर् यह चत चाहहए थी जो उर्के र्ाथ मस्ती कर रही थी। वो मेरे
लण्ि पे आगे पीिे हो के कफर्लती रही… कफर्लती रही।
21
मगर अब मझ
ु र्े बदासश्त नही़िं हो रहा था। मैंने उर्को भी पहले वाली की ही तरह र्े पलटा हदया और उर्के
ऊपर चढ़ गया और उर्की चधचयों को मूँह
ु में ले के चर्ने लगा, तो उर्की टा़िंगें भी अपने आप मेरी पीठ पे आ
गयी़िं और वो मझ
ु र्े ललपट गई। और मेरे र्र को पकड़ के अपनी चधचयों में घर्
ु ाने लगी। शायद यह नेचुरल था
कक उर्की टाूँगें तरु ़िं त मेरी पीठ र्े ललपट गई। मैं उर्की चधचयों को चर्ता रहा, मेरा लण्ि उर्की चत के ऊपर
ही रखा हुआ था, उर्में र्े प्री-कम ननकल रहा था। मैंने अपनी गाण्ि उठा के लण्ि को बबना दे खे ही िीरे -िीरे
िक्के मार के चत के होंठों के अ़िंदर ही आगे पीिे करने लगा। मेरा लण्ि उर्की चत के नीचे र्े ऊपर कफर्लने
लगा और जक्लटोररर् को हहट करने लगा।
उर्के मूँह
ु र्े वार्ना भरी आह्ह… उउह्ह… जैर्े िीमी-िीमी आवाज ननकल रही थी। अब मैं उर्को चोदना चाहता
था और शायद उर्को भी अब शक हो गया था कक अब मैं अपना लण्ि उर्की चत में घर्
ु ेड़ने वाला हूँ तो उर्ने
ककर्ी कपड़े को अपने मूँह
ु में दबा ललया ताकक कोई आवाज ना ननकले।
मझ ु े वो पोजीशन बहुत अच्िी लगती है जजर्में मैं पीिे दीवार र्े या बेि के कानसर र्े अपने पैर हटका के चोदता
हूँ, तो मझ ु े लगता है कक बहुत पावरफुल और ताकत र्े चद ु ाई होती है जजर्को लड़की पऱ्िंद करती है , तो उर्ी
ve
तरह र्े अपने पैर पीिे करके दीवार र्े हटका हदए। लण्ि उर्की चत के होंठों के बीच में था, कभी-कभी चत के
ु ेड़ ही िाल,़िं पर इ़िंतज
र्रु ाख र्े भी टकरा जाता तो मन करता के घर् े ार कर रहा था।
जब पोजीशन र्ही लमल गई और उर्की चत र्म़िंदर जैर्ी गीली और मेरे प्री-कम र्े धचकनी हो गई तो लण्ि को
एक ही झटका इतनी जोर र्े मारा कक मेरा कुतब
फाड़ के अ़िंदर जड़ तक घर्
ु गया और उर्के मूँह
.li
ु मीनार जैर्ा ल़िंबा मोटा और लोहे जैर्ा र्ख़्त लण्ि उर्की चत
ु र्े जो चीख ननकली- “ऊईईईई… म्म्म्ममाूँआआ… म्मर गईईई…
लेककन उर्के मूँह
ु में कुि कपड़ा ठुर्ा हुआ था इर्ीललए उर्की आवाज बर् क़िंबल के अ़िंदर ही अ़िंदर घट
ु के रह
m
गई और वो मझ ु र्े बहुत जोर र्े ललपट गई, उर्की ऊपर की र्ा़िंर् ऊपर और नीचे की र्ाूँर् नीचे रह गई, बदन
परा अकड़ गया।
u
मझ
ु े यकीन भी हो गया की उर्की आूँखें अपने र्ाकेट में र्े भी बाहर ननकल गई होंगी और उर्की आूँखों र्े
पानी भी ननकल गया होगा। और उर्के चेहरे का ऱिं ग भी उड़ गया होगा। र्च में बहुत ही जोर का िक्का मारा
or
मैंने अपना लण्ि उर्की चत में थोड़ी दे र के ललए ऐर्े हो िोड़ हदया। जब उर्की र्ाूँर्ें कुि ठीक हुई और उर्की
पकड़ ढीली होने लगी तो कफर चद ु ाई शरू
ु कर हदया। आह्ह… क्या टाइट चत थी उर्की… लण्ि तो गीला होने की
Xf
उर्ी के र्ाथ उर्की आवाज भी- “ऊईई… म्म्म्ममाूँअ… आह्ह… बहुत मजा आवे है रीए आह्ह… ऊऊईई… र्स्स्र्…
आह्ह… और कफर दोनों के बदन टाइट होने लगे। वो मझ ु र्े कफर र्े जोर र्े ललपट गई और जोर र्े मझ
ु े पकड़
ललया और मैं जोर-जोर र्े चोद रहा था। मझ
ु े लगा कक मेरे बाल्र् में र्े िीम अब रग वेल करके लण्ि के ि़िंिे में र्े
होती हुई र्प
ु ाड़े के र्रु ाख की तरफ आ रही है और कफर लण्ि को परा बाहर ननकाल के एक बहुत ही जोर का
िक्का मारा तो वो काूँप गई और आह्ह… की आवाज के र्ाथ ही उर्के बदन में जैर्े एलेजक्रक जैर्े झटके
लगने शरू
ु हो गये और वो जोर-जोर र्े हहलने लगी और र्ाथ ही झड़ने भी लगी। और मैं भी झड़ने लगा।
ve
मेरी मलाई की वपचकाररया़िं ननकलती रही़िं और उर्की चत को भरती रही़िं। दोनों की र्ाूँर्ें तेजी र्े चल रही थी़िं
लण्ि को चत ने टाइट पकड़ा हुआ था, जैर्े कोई लण्ि को अपने हाथ र्े मट् ु ठी में जोर र्े दबा के पकड़ लेता है
और मझ ु े लगा कक उर्की चत के मर्ल्र् मेरे लण्ि को ननचोड़ रहे हैं, ताकक लण्ि में र्े ननकली हुई मलाई का
एक-एक कतरा ननचोड़ लेना चाहती हों। मैं बेदम होके उर्के बदन पे ही धगर पड़ा। दोनों गहरी गहरी र्ाूँर्ें लेते
.li
ऐर्े ही पड़े रहे जैर्े दोनों के बदन में जान ही ना रही हो।
उर्ने मेरे होठों पे एक जबरदस्त फ्रेंच ककर् ककया और उर्ने भी मेरे कान में बहुत ही िीरे र्े कहा और इतना
m
िीरे र्े कहा कक मझ ु े भी र्न
ु के र्मझने में टाइम लगा- “यह चद
ु ाई मझ
ु े जर्ज़िंदगी भर याद रहे गी… र्च में मजा
आ गया… तम
ु ने मझ ु े खुशी है कक मैंने अपनी कूँु वारी चत की र्ील
ु े चोद के लड़की र्े औरत बना हदया… मझ
इतने कड़क और मस्त लण्ि र्े खुलवाई… और “आई लोव य…” कहते हुए मझ
ु े अपने ऊपर र्े पश
ु ककया और
u
मझ
ु े यह भी याद नही़िं कक कब मैं उर्के बदन र्े लढ़
ु क के नीचे बेिशीट पे आ गया और कब मैं र्ो गया। र्ब
ु ह
जब आूँख खुली तो रात का दृश्य हदमाग में आ गया और मैं लेटे-लेटे र्ोचने लगा कक कही मैं कोई हर्ीन और
ऱिं गीन र्पना तो नही़िं दे ख रहा था…
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दे खा तो अभी कुि लोग और भी र्ो रहे थे, कुि लोग उठ के नाश्ते के ललए जा चुके थे। मैं ऐर्े ही लेटा रहा
और रात के दृश्य को र्ोचता रहा। यकीन नही़िं हो रहा था कक वो एक हर्ीन र्पना था या हकीकत। नीचे बबिी
हुई बेिशीट बबलभन्न कलर की थी। बेिशीट पे नजर पड़ी तो पता चला कक वहा़िं तो थोड़ा र्ा खन भी धगरा हुआ
है जजर्का िब्बा बेिशीट पे लगा हुआ है । तब यकीन हो गया कक मैंने कोई र्पना नही़िं दे खा और जो भी हुआ
ररयल में हुआ। मैंने अपने लण्ि को दे खा तो पता चला कक उर्पर भी थोड़ा र्ा खन लगा हुआ है जो र्ख चक ु ा
है । अफ… तो क्या र्च में वो कोई कूँु वारी चत थी जजर्की मैंने र्ील तोड़ िाली। मैं यह र्ोचता ही रह गया कक
वो कौन र्ी कूँु वारी चत थी जजर्ने मेरे लण्ि को पऱ्िंद ककया था।
मैं ककर्ी को भी पाइ़िंट आउट करके नही़िं कह र्कता था कक जजर्े मैंने दो रातों को चोदा।
ve
लेककन जो भी थी़िं… थी दोनों ही र्ेक्र्ी। मैं आज तक नही़िं जान पाया कक जजर्ने अपनी चतें मेरे लण्ि की भेंट
चढ़ा दी़िं वो ककनकी चतें थी और आखखर वो कौन थी?
पता नही़िं आपको यह कहानी कैर्ी लगी जरूर बताना की कैर्ी लगी यह कहानी मैं इ़िंतज
े ार करूूँगा आपके
रीप्लाइर् का।
.li
***** *****04 थथयेटर में
m
मैं एक हट्टा-कट्टा नौजवान हूँ, चौड़ा र्ीना, ऱिं ग गोरा, घघ
ूँु राले बाल, हाइट भी तकरीबन 5’9” शादी को दो र्ाल
हो चुके थे। मब
ु़िं ई को अपने बबर्जनेर् के लर्ललर्ले में आया हुआ था। र्ारा हदन काम करके रात में 9:00 र्े
12:00 वाला शो दे खने के ललए एक धथयेटर में चला गया। अब यह तो याद नही़िं कक कफल्म का नाम क्या था
u
लेककन थी कोई र्ेक्र्ी इ़िंग्लीश कफल्म और उर्में हाट र्ेक्र् बाम्ब शरन स्टोन हे रोइन थी जजर्के तकरीबन 6 या
7 जक्लयर चुदाई के र्ीन्र् थे परे कफल्म में ।
or
मझ
ु े फस्टस क्लार् में र्बर्े लास्ट रो जो र्बर्े ऊपर भी होती है वहा़िं पे दाया़िं र्ाइि की लास्ट र्ीट लमली थी।
इर् के पीिे थोड़ी र्ी जगह खाली थी पैर्ेज के ललए और दरवाजे थे बाहर जाने के ललए। दाया़िं र्ाइि में थोड़ी
र्ी गली जैर्ी पैर्ज
े थी जहा़िं र्े लोग नीचे उतार के भी दरवाजे र्े बाहर जा र्कते थे।
Xf
हाूँ तो मैं लास्ट रो की र्बर्े लास्ट वाली दायी़िं र्ाइि की र्ीट पे बैठा था। धथयेटर अच्िा खार्ा फुल था। मेरे
बाज वाली र्ीट पे कोई लड़की बैठी थी जजर्की और दर्री र्ाथी लड़ककया़िं हमारी नीचे वाली रो में हमारे र्ामने
ही बैठे थे। शायद हटकेट र्ाथ नही़िं ललए होंगे इर्ीललए अलग र्े जगह लमली थी उर्को। एननहाउ मैंने शरू
ु में तो
ध्यान नही़िं हदया और शरू
ु -शरू
ु की कफल्म में तो वो अपने र्ाथ वाली लड़ककयों र्े झुक के बात भी कर रही थी।
लड़की कालेज की लगती थी, इतनी बड़ी उमर की भी नही़िं थी। कफल्म की लाइट में उर्को दे खा तो ठीक ठाक
लगी, ऱिं ग भी अच्िा था, बदन भी अच्िा मीडियम र्ाइज का था। कुल लमलाकर वो एक खबर्रत लड़की लग
रही थी।
24
लमिी स्कटस और टाप पहना हुआ था, इतना तो मैंने दे ख ही ललया था। कुि कफल्म शरू ु होने र्े पहले कुि
कफल्म के बीच में । उर्के पार् र्े एक्र्पेजन्र्व पर्फयम
स की खश
ु ब भी आ रही थी। कपड़ों र्े और बात करने के
अ़िंदाज र्े लगता था के ककर्ी बड़े घर की और पढ़ी ललखी पाश लड़की लग रही है । हमारे र्ीटों को डिवाइि करने
वाले हैंि रे स्ट पे एक बटन था जजर्े दबाने र्े र्ो वो दोनों र्ीटों के बीच में नीचे धगर जाता था और दो अलग-
अलग र्ीटें लमल के एक हो जाती थी।
वो लड़की की तरफ बार-बार मेरा ध्यान जा रहा था और मेरे लण्ि में भी हलचल मच रही थी। एक तो कफल्म
भी र्ेक्र्ी थी और कफर बाज में बैठी हुई एक र्द
ु़िं र लड़की का स्पशस पागल ककए दे रहा था। हैंि रे स्ट पे कभी-
कभी हम दोनों के हाथ एक र्ाथ रखे होते तो र्ारे बदन में करें ट जैर्े दौड़ जाता। इ़िंग्लीश कफल्म्र् िोटी होती है
इर्ीललए कफल्म र्े पहले दर्रे कफल्म्र् के रे लर्स और अड्वटासइज़्जमें ट्र् हदखाए जाते हैं और कफर इ़िंटवसल।
आक्चुयल कफल्म तो इ़िंटवसल के बाद ही शरू
ु होती है ताकक आडियेन्र् एक ही लर्ट्हट़िंग में कफल्म को र्ही ए़िंजाय
कर र्के।
कफल्म स्टाटस हो गई र्ब लोग अपनी-अपनी र्ीटों पे बैठ गये और कफल्म की र्ेक्र्ी कहानी में खो गये। ककर्ी
को होश नही़िं था कक कौन क्या कर रहा है । मैंने हमारी चेयर्स के बीचे के हैंि रे स्ट पे हाथ रखा तो उर्का हाथ
ve
वहा़िं आलरे िी रखा हुआ था। मेरा हाथ उर्के हाथ पे हटक गया तो मैंने चेक करने के ललए कक उर् लड़की का
क्या मि है … ऐर्े ही अपना हाथ उर्के हाथ पे रखा िोड़ हदया तो उर्ने कोई आब्जेक्र्न नही़िं ककया। मैंने भी
अपना हाथ उर्के हाथ के ऊपर ही रख हदया और िीरे र्े अपनी उ़िं गललया़िं उर्के हाथ पे आगे पीिे करने लगा
जैर्े िीरे र्े उ़िं गललयों र्े मर्ाज करते हैं। पर उर्ने कोई ववरोि नही़िं ककया।
अब मैंने अपने हाथ र्े उर्के हाथ को दबाया, पहले िीरे र्े तो उर्ने कोई ववरोि नही़िं ककया। मेरी हहम्मत बढ़ी
u
तो मैंने उर्का हाथ अपने हाथ र्े पकड़ ललया और मस्ती में दबाने लगा। गरम कफल्म र्े शायद वो भी गरम हो
गई थी। मैंने हैंि रे स्ट के बटन को दबाया और िीरे र्े नीचे पश
ु ककया तो वो नीचे र्रक गया और मेरा हाथ
or
उर्की जा़िंघों पे लगा तो मैंने अपना हाथ वहा़िं र्े नही़िं हटाया। उर्ने कोई ववरोि नही़िं ककया तो मैंने अपना हाथ
उर्की जा़िंघों पे आगे पीिे ककया।
धथयेटर अ़िंिेरा था बर् कफल्म की रोशनी आ रही थी लेककन र्भी लोग कफल्म दे खने में मस्त थे। अब मझ
ु े पता
Xf
चल गया था की वो भी गरम कफल्म दे ख के गरम हो चुकी है और मेरे र्ाथ कुि दे र के ललए मजे लेने को
तैयार भी है ।
मैंने अपना लेर्फट हैंि उर्की जा़िंघों पे रखे रखकर अपने दाया़िं हैंि र्े उर्की चची को पकड़ा और मर्लने लगा,
उर्ने कोई ववरोि नही़िं ककया। बलकी अपनी शटस को र्ामने र्े कुि ऐर्े पल
ु ककया की शटस ढीली हो गई, जजर्र्े
मैं आर्ानी र्े उर्की चधचयों को दबा र्कूँ और ननपल्र् को मर्ल र्कूँ । आह्ह… क्या मस्त चधचया़िं थी़िं उर्की…
एकदम मस्त र्ेब के र्ाइज की और एकदम र्े टाइट। कफर मैंने अपना लेर्फट हैंि उर्के जा़िंघों पे र्े ननकाल के
उर्के क़िंिों र्े उर्की टी-शटस के अ़िंदर िाल के उर्की चधचयों को दबाने लगा।
25
आह्ह… बहुत मजा आया। आजकल की लड़ककया़िं वैर्े भी ब्रा नही़िं पहन रही हैं, ताकक उनकी चधचया़िं चलते र्मय
र्ेक्र्ी स्टाइल में ऊपर नीचे िान्र् करें … ताकक लोग ऐर्ी मस्त चधचया़िं दे खें और अप्रीलशयेट करें । तो उर्ने भी
अ़िंदर ब्रा नही़िं पहनी थी, बहुत मस्त चधचया़िं थी उर्की, दबाने और मर्लने में बहुत मजा आ रहा था, एकदम र्े
कड़क चधचया़िं थी।
वाउ… उर्की चत तो गम़ी र्े जल रही थी और बहुत ही गरम हो गई थी वो। उर्ने अपना लेर्फट पैर उठा के
ve
र्ामने वाली चेयर पे रख हदया जजर्र्े उर्की लमिी स्कटस के थ्र एक पदास जैर्ा बन गया और उर्के लेर्फट र्ाइि
पे बैठने वाले को भी पता नही़िं चल र्कता था की यहा़िं क्या हो रहा है । मेरा लौड़ा तो बर् मेरे पैंट के अ़िंदर र्े
बाहर आने को मचल रहा था। मेरा लेर्फट हैंि उर्की चत पे था और उर्की चत का मैं मर्ाज कर रहा था,
उर्की लमिी स्कटस के ऊपर र्े ही। अब मैंने उर्के दायी़िं र्ाइि वाली जा़िंघों र्े स्कटस को अपनी उ़िं गललयों र्े िीरे -
िीरे ऊपर की तरफ र्रकाना शरू
ु ककया।
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और जब परी तरह ऊपर उठ गया तो उर्की धचकनी जा़िंघों पे हाथ लगाया… आह्ह… क्या मस्त जा़िंघें थी उर्की
m
एकदम र्े मक्खन जैर्ी धचकनी। अब मैं उर्की जा़िंघों र्े होता हुआ उर्की ऩिंगी चत को मर्ाज कर रहा था
आह्ह… क्या मस्त चत थी उर्की… हल्की-हल्की, लर्ल्की र्ार्फट, िोटी र्ी झा़िंटें भी उगी हुई थी़िं। लगता था कक
नई-नई झा़िंटें आना शरू
ु हुई हों। मेरी उ़िं गली उर्की चत पे लगते ही वो अपनी र्ीट र्े थोड़ा आगे की तरफ
u
खखर्क गई थी और अपनी टाूँगें भी खोल दी थी मेरे ललए, ताकक मैं चत में अच्िी तरह र्े उ़िं गली िाल के
मर्ाज कर र्कूँ ।
or
इर् पोजीशन में उर्की चत का मैं उ़िं गली र्े मर्ाज कर रहा था और उर्की जक्लटोररर् को मर्ल रहा था।
उर्के मूँह
ु र्े हे रोइन के आह्ह… के र्ाथ उर्की भी आह्ह… ननकल रही थी। अब मैंने अपने पैंट की जजप खोल
के अपने लण्ि को बाहर ननकाल ललया था। धथयेटर के एयर क़िंिीशन की ठ़िं िक र्े लण्ि कुि ज्यादा ही मस्ती में
Xf
आ गया और जोश में हहलने लगा। मेरा लेर्फट हैंि तो उर्की चत में था तो मैंने अपने दायें हैंि र्े उर्के दायें
हैंि को पकड़ के अपने तने हुए लण्ि पे रख हदया, तो उर्ने तरु ़िं त ही मेरे लण्ि को अपने हाथ में ले ललया और
पकड़ के दबाना शरूु कर हदया।
मैं थोड़ी दे र उर्की चत का मर्ाज ब़िंद करके उर्के परी तरह र्े झड़ने का इ़िंतज
े ार करता रहा। जब उर्के
मर्ल्र् थोड़े र्े ररलक्र् हुए तो मैं अपनी उ़िं गली उर्की चत में र्े ननकाल के अपने मूँहु में िाल के चर्ने लगा।
उ़िं गली उर्की खुली चत में िालता और वो उ़िं गली मैं अपने मूँह
ु में िाल के जबु ान र्े चाट लेता, इर्ी तरह र्े
करता रहा और उर्की चत में र्े ननकला हुआ शहद र्े ज्यादा मीठे अमत ृ का मैं स्वाद लेता रहा। मझु े उर्की
चत के अमतृ का स्वाद लेते दे खा तो वो िीरे र्े मश्ु कुराते हुए मझ
ु े अजीब नजरों र्े दे ख रही थी, पता नही़िं क्या
र्ोच रही थी।
वो यह र्ब दे ख के कफर र्े मस्त हो गई और मेरे लण्ि को और जोर-जोर र्े दबाने लगी तो मैंने अपना हाथ
उर्के हाथ पे रखा। वो हाथ जजर्र्े उर्ने मेरे लण्ि के ि़िंिे को पकड़ा हुआ था और उर्को िीरे -िीरे ऊपर नीचे
करने लगा ताकक उर्े पता चल जाए कक उर्को क्या करना है । वो मेरा लर्ग्नल र्मझ गई और मेरी मठ मारने
लगी तो मैंने अपना हाथ उर्के हाथ पे र्े हटा ललया। अब वो खद
ु ही मेरा तना हुआ लण्ि पकड़ के मेरी मठ
मार रही थी।
ve
मैं अपने हाथ र्े उर्की चत का मर्ाज कर ही रहा था तो उर्ने कफर र्े अपने टाूँगें चौड़ी कर दी। तो मैं र्मझ
गया कक वो कफर र्े गरम हो रही है और र्ेक्र्ी कफल्म के र्ेक्र् में परी तरह र्े िब के मस्त हो चक
ु ी है । अब
वो मेरे लण्ि को अच्िी तरह र्े पकड़ के लण्ि का मठ मार रही थी। मेरा मोटा लण्ि उर्के परे हाथ में मजु श्कल
.li
र्े ही आ रहा था। मैं भी अपनी र्ीट र्े थोड़ा और आगे खखर्क गया ताकक उर्को अच्िी तरह र्े मठ मारने का
मौका लमले और मठ मारने में आर्ानी हो। मेरे लण्ि पे उर्के नाजक ु हाथ बहुत मजा दे रहे थे और लण्ि मस्ती
में ककर्ी शराबी की तरह झम रहा था। लण्ि के र्रु ाख में र्े धचकना प्री-कम ननकल रहा था जजर्र्े लण्ि और
m
धचकना हो गया था और वो भी मस्ती में ऐर्े मठ मार रही थी जैर्े उर्ने मठ मारने में मास्टर्स ककया हो… र्च
में बहुत मजा आ रहा था, उर्के नाजुक हाथों में मेरा लोहे जैर्ा र्ख़्त मोटा लण्ि।
u
जैर्-े जैर्े मैं उर्की चत का मर्ाज कर रहा था उतनी ही मस्ती र्े वो मेरे लण्ि को ऊपर नीचे कर रही थी और
जब वो कफर र्े झड़ने के करीब हुई तो उर्का बदन कफर र्े टाइट होने लगा और मेरे हाथ को उर्ने कफर र्े
or
अपनी चत में दबा के दोनों जा़िंघों के बीच में दबा के पकड़ ललया। मझ
ु े महर्र् हो गया कक बर् अब वो कफर र्े
झड़ने वाली है और जैर्-े जैर्े वो झड़ने के करीब हो रही थी उतनी ही जोर र्े मेरे लण्ि का वो मठ मार रही थी।
उर्की र्ाूँर् भी तेजी र्े चल रही थी, चत ओवन जैर्ी गरम और र्म़िंदर जैर्ी गीली हो चुकी थी। मेरी उ़िं गली
उर्की चत के र्रु ाख में अ़िंदर तक घर्
ु ी हुई थी।
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पता नही़िं मेरी उ़िं गली उर्की चत को चोद रही थी या शायद उर्की चत मेरी उ़िं गली को चोद रही थी और वो मेरे
लण्ि को मठ मार रही थी। वो इतनी जोर-जोर र्े उठक बैठक कर रही थी जैर्े कोई एक्र्र्ासइज कर रही हो
और मेरी उ़िं गली चोद के मजा ले रही हो। उर्के मूँह
ु र्े इस्स्र्… ओह्ह… उफर्फर्फ… जैर्े आवाजें ननकल रही थी।
वो जोर-जोर र्े मठ मार रही थी। उर्के हाथ इतनी तेजी र्े चल रहे थे जैर्े हाथ नही़िं कोई मशीन हो, जो ऊपर
नीचे हो रही हो और कफर एकदम र्े मेरे लण्ि में र्े इतनी जोर र्े गाढ़ी-गाढ़ी मलाई की वपचकारी ननकली और
उड़ कर र्ामने की चेयर पे बैठी हुई लड़की की चन ु री पे पड़ी, दर्री वपचकारी र्ामने वाली चेयर के बैकर्ाइि पे
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पड़ती लेककन फौरन ही उर्ने अपना लेर्फट हैंि मेरे लण्ि के र्ामने कर हदया और बाकी की मलाई की गाढ़ी
वपचकाररया़िं उर्की हथेली में धगरने लगी और वो जमा करती रही और कफर अपने शटस के अ़िंदर हाथ िाल के
अपनी चधचयों के ऊपर मेरी गाढ़ी-गाढ़ी और गरम फ्रेश मलाई को मलने लगी।
वाउ… मझ
ु े तो दे ख के मजा ही आ गया।
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कफर र्े उर्का हाथ मेरे लण्ि के र्ामने आया और लण्ि को पकड़ के थोड़ा और मठ मारा और लण्ि के नीचे
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वाले हहस्र्े को दबाया तो बची-खची मलाई की दो–चार बूँदें और ननकली़िं जजर्े वो अपने हाथ में ले के मूँह
ु के
र्ामने लाई और पहले तो उर्की महक को र्ूँघा और कफर र्ारी मलाई चाट गई। वाउ… बहुत ही र्ेक्र्ी लड़की
थी या र्ेक्र्ी कफल्म ने और हमारे ओरल र्ेक्र् र्े शायद वो इतनी गरम हो गई थी कक मेरी मलाई को अपने
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चधचयों पे मल ललया और कफर मलाई को चाट के खा भी ललया। इतनी दे र में कफल्म का र्ेक्र् दृश्य भी खतम
हो चुका था और हम दोनों भी झड़ चक
ु े थे और गहरी-गहरी र्ाूँर्ें ले रहे थे बाज वालों को पता भी नही़िं कक क्या
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कफल्म खतम हो चक
ु ी थी। अभी कफल्म की काजस्ट़िं ग चल रही थी और धथयेटर की लाइटें अभी भी ब़िंद थी लेककन
बहुत र्े लोग बाहर ननकलने को खड़े हो चक
ु े थे। मैंने अपने लण्ि को पैंट के अ़िंदर िाल ललया था और वो भी
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मैं अपनी जगह पे ही खड़ा रहा। वो अपनी र्ीट र्े उठी और मेरे र्ामने आ गई उर्का चेहरा मेरी तरफ था।
दोनों रोर् के चेयर्स के बीच में ऐर्ी जगह थी की मैं अपनी चेयर के र्ामने खड़ा हुआ था तो वो मझ
ु र्े रगड़े
बबना बाहर नही़िं ननकल र्कती थी तो जब वो मेरे बबल्कुल र्ामने आ के ठहर गई और दे खते ही दे खते उर्के
हाथ मेरे चतड़ पे गये और उर्ने मेरे चतड़ को पकड़ के अपनी तरफ खी़िंचा और अपनी चत को आगे करके मेरे
लण्ि पे रगड़ने लगी। कोई एक लमनट तक रगड़ के बाहर ननकली और ऐर्े चत मेरे लण्ि पे नघर्ने र्े उर्की
चधचया़िं भी मेरे बदन र्े धचपक गयी थी़िं और र्ाथ में मेरे लण्ि को एक बार कफर र्े दबा हदया और बाहर
ननकलने लगी। मेरे र्ामने र्े हटने र्े पहले वो थोड़ा र्ा ऊपर उठी (क्योंकक वो मझ
ु र्े हाइट में कम थी)
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और मेरे होंठ पे अपने होंठ रख के ककर् ककया और बोली- “बहुत मजा हदया है तम
ु ने मझ
ु …
े थैंक य वेरी मच…”
और चत रगड़ते हुए और लण्ि दबाते हुए वो धथयेटर र्े बाहर ननकलने लगी।
मैं उर्के र्ाथ ही बाहर ननकलना चाह रहा था लेककन कफल्म खतम होते ही र्ारे लोग एक र्ाथ ननकलने लगे
और वो लोगों की भीड़ में मेरी नजरों र्े कही़िं जस्लप हो गई और मेरी नजर र्े दर हो गई। मैं उर्की धचकनी
चत और मस्ती भरी चधचयों को याद करते हुए बाहर ननकला। मझु े यह तो आइडिया हो गया था कक जब वो
बाहर ननकल रही थी तब जजर् स्टाइल र्े उर्ने अपनी चत को मेरे लण्ि पे रगड़ा और कफर मेरे लण्ि को हाथ
र्े दबाया तो मझ
ु े लगा कक वो मेरे मोटे और लोहे जैर्े र्ख़्त लण्ि को अपनी चत में अ़िंदर िाल के चुदवाना
चाहती है ।
शायद वो अपने र्ाधथयों के र्ाथ बाहर ननकल गई और जब मैं धथयेटर र्े बाहर ननकला तो मेरी आूँखें उर्को ही
तलाश कर रही थी़िं। लेककन वो मझ
ु े कही़िं भी नजर नही़िं आई। यह भी हो र्कता है कक वो कही़िं और खड़ी मेरी
राह दे ख रही हो। या यह भी हो र्कता है कक उर्े मैं भीड़ में नजर ही नही़िं आया और वो थोड़ा इ़िंतज
े ार करके
अपनी र्ाथी लड़ककयों के र्ाथ चली गई हो।
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वो जो भी थी… थी बड़ी मस्त चीज। उर्की धचकनी चत और उर्का मीठा-मीठा अमत
ृ जैर्ा जर् आज भी याद
आता है, तो लौड़ा मस्ती में झम के अकड़ जाता है और बेकाब हो जाता है । आज भी र्ोचता हूँ तो है रान हो
जाता हूँ कक जजर्ने मझ
ु े इतना मजा हदया और मझ
ु र्े इतना मजा पाया आखखर वो कौन थी…
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पता नही़िं आपको यह कहानी कैर्ी लगी जरूर बताना के कैर्ी लगी यह कहानी में इ़िंतज
े ार करूूँगा आपके
रीप्लाइर् का।
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💐💐💐💐💐 समाप्त 💐💐💐💐💐
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