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अधखुला ब्लाऊज

मैं एक मस्त मौला लड़का हूँ, मैं बिलासपुर छत्तीसगढ़ का रहने वाला हूँ। मुझे खूबसूरत लड़कियाँ बेहद भाती हैं, उन्हें देखकर इस दुनिया के सारे गम दूर हो जाते हैं।

मैं एक प्राइवेट स्कू ल में टीचर था। हमारे स्कू ल में जो कि शहर का नामी स्कू ल था अच्छे घरों के बच्चे पढ़ने आते थे।

हमारे स्टाफ में भी अच्छे खानदान की सुन्दर बहुएँ और बेटियाँ भी पढ़ाने आती थी।

मैं एक मध्यम वर्ग का लड़का था, मुझे घर चलने और अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए टीचर बनना पड़ा था।

खैर मैं पढ़ाने में अच्छा था और प्रिंसिपल मुझसे खुश था, मुझे स्कू ल में थोड़ी आजादी भी मिल गई थी, मैं अपने खाली समय में स्कू ल की बाउंडरी के बाहर एक दुकान
में चला जाता था।

एक दिन मैं दुकान गया तो दुकान में कोई नहीं था।

मैंने मालिक को आवाज़ लगाई तो परदे के पीछे कु छ हड़बड़ाने जैसी आवाजें आई और थोड़ी ही देर में दुकानदार लुंगी पहने आया।

उसके चेहरे से मुझे पता चल गया कि मैं कबाब में हड्डी बन चुका था। खैर मैं थोड़ी देर बात करने के बाद वापस आ गया और स्कू ल के दरवाजे के सामने वाले कमरे में
छु प गया। कु छ देर में उसी दुकान से हमारे स्कू ल की आया सुनीता चेहरा पोंछते हुए निकली।

मैं समझ गया कि माजरा क्या है। मैंने उससे खुलने के लिए सामने आकर पूछा- कहाँ गई थी?

तो उसने सर झुका कर जवाब दिया- कु छ सामान लाना था।

मैंने पूछा- कहाँ है सामान?

तो वो हड़बड़ा कर अन्दर भाग गई।

उस दिन के बाद मैं उसे देख के मुस्कु रा देता और वो मुझे देख कर भाग जाती। मैं उसके बारे में सोच कर अपने लंड को सहलाता था।

उसकी उम्र 25 के आसपास थी और उसके दोनों अनार उसके ब्लाऊज में से तने हुए क़यामत दीखते थे। उसके होंठों के ठीक ऊपर एक तिल था जो उसे और मादक
बना देता था पर उस भोसड़ी वाले दुकानदार को यह चिड़िया कै से मिली, यह सोच कर मेरा दिमाग गर्म हो जाता था।

खैर उस हसीना के ब्लाऊज में झांकते हुए मेरे दिन कट रहे थे कि इतने में 15 अगस्त आ गया, स्कू ल में रंगारंग कार्यक्रम था, स्कू ल की बिल्डिंग के बाहर मैदान में
पंडाल और स्टेज लगा था, स्कू ल की बिल्डिंग सूनी थी, मैंने राऊं ड लगाने की सोची कि शायद हसीना दिख जाये।

मैंने चुपचाप अपने कदम लड़कियों वाले बाथरूम की तरफ बढ़ाये, बाथरूम में से हमारे स्कू ल की एक मैडम की आवाज आई।

मैंने दीवार की आड़ लेकर झाँका तो देखा हमारे स्कू ल की एक मस्त मैडम जिसका नाम पिंकी था, बारहवीं क्लास की एक लड़की माया से अपने दूध चुसवा रही थी।

हाय क्या नज़ारा था !

पीले रंग की साड़ी और उस पर अधखुला ब्लाऊज ! उस ब्लाऊज से निकला हुआ पिंकी का कोमल दूधिया स्तन !

माया ने दोनों हाथ से उसके स्तन को थाम रखा था और अपने पतले होठों से निप्पल चूस रही थी।

मैं उन दोनों को देखने में मस्त था कि अचानक पिंकी की नजर मुझ पर पड़ गई। उसने हटने की कोई कोशिश नहीं की और मुझे हाथ से जाने का इशारा किया और
आँख मार दी। मैं वहाँ से हट गया और बाजू वाले कमरे में जाकर छु प गया।

पाँच मिनट बाद माया वहाँ से निकल गई, पिंकी ने मुझे आवाज दी- मनुजी...!!

मैं- हह...हाँ?

पिंकी- बाहर आइए !

मैं चुपचाप बाहर निकल आया।

मुझे देख कर वो बोली- क्यों मनुजी? लड़कियों के बाथरूम में क्या चेक कर रहे थे?

मैं बोला- यही कि कोई गड़बड़ तो नहीं हो रही, आजकल के बच्चे सूनेपन का फायदा उठा लेते हैं ना !
पिंकी- हाय... सूनेपन का फायदा तो टीचर भी उठा सकते हैं।

मैं उसके करीब जाकर सट गया और उसके होंठ चूमने लगा, वो भी मेरे होंठ चूसने लगी।

फिर मैंने उसके बदन को अपने बदन के और करीब खींचा तो वो कु नमुनाने लगी, मैंने उसके स्तन अपने हाथों में भर लिए और मसलने लगा।

कु छ मिनट बाद वो बोली- ऐसे तो मेरे कपड़े ख़राब हो जायेंगे और सब शक करेंगे।

मैंने उसे कहा- स्कू ल के बाद गेट पर मिलना !

वो मेरे लंड को मुट्ठी में मसल कर भाग गई।

मैंने योजना बनाई, मैं स्कू ल के बाहर दुकान पर गया और दूकान वाले को बोला- राजू, तेरे और सुनीता के खेल के बारे में प्रिंसिपल को पता चल गया है, तेरे खिलाफ
पुलिस में शिकायत जाएगी।

दुकानवाले की गांड फट गई, वो मेरे पैरों पर गिर गया।

मैंने उसे कहा- प्रिंसिपल ने मुझे कहा है शिकायत करने को ! मैं उसे दबा सकता हूँ पर मेरी शर्त है।

दुकान वाला खड़ा हुआ और बोला- जो आप कहें सरकार !

मैंने बोला- मेरे को तेरी दुकान का अन्दर वाला कमरा चाहिए, जब मैं चाहूँगा तब !

दुकान वाला बोला- ठीक है मालिक ! आप जब चाहो कमरा आपको दूँगा पर मुझे छु प कर देखने को तो मिलेगा ना?

मैं बोला- भोसड़ी के ! अगर तूने देखने की हिम्मत की तो तेरी गांड की फोटो निकाल कर तेरी बीवी को गिफ्ट करूँ गा।

दुकानवाला माफ़ी मांगते हुए बोला- अरे, मैं तो मजाक कर रहा था ! ही...ही...ही...

स्कू ल का कार्यक्रम ख़त्म होने के बाद मैं स्कू ल के गेट के बाहर खड़ा हो गया। पिंकी आखिर में बाहर आई। मैंने उसे दुकान की तरफ बढ़ने को कहा।

मैं दुकान में पहुँचा, दो कोल्ड ड्रिंक मंगाए और पिंकी को लेकर अन्दर के कमरे में चला गया।

पिंकी अन्दर आते ही बोली- मनुजी, मुझे घबराहट हो रही है !

मैं बोला- कमसिन लड़कियों से चुसवाते वक़्त नहीं होती? असली मजा ले लो, फिर याद करोगी।

पिंकी- हाय मनुजी ! मैं क्या करती? साली ने बाथरूम में मेरी चूचियाँ दबा दी तो मैं गर्म हो गई, आप तो समझदार हो !

मैंने कहा- पिंकी जी, आपका ज्यादा समय नहीं लूँगा !

और मैंने उसके हाथ पकड़ कर हथेली चूम ली, उसके होठों से सिसकारी निकल गई।

फिर मैंने उसे बिस्तर पर बिठाया और उसकी साड़ी का पल्लू हटा कर उसके ब्लाऊज के ऊपर चुम्मा लिया।

उसके बाद एक हाथ से उसके मम्मे दबाता हुए उसके होठो को अपने होठों से सहलाने लगा।

पिंकी के मुँह से 'हाय मनु !' निकला और वो मेरी बाहों में पिघल गई।

उसके बाद मैंने इत्मिनान से उसका ब्लाऊज खोला, उसके संतरों को प्यार से आज़ाद किया और उसके निप्पल मसलते हुए उसके नितम्बों को नंगा किया।

उसकी प्यारी सी चूत मेरे हाथों में आते ही रस से भर गई और मैं खुद को उसकी जांघों के बीच घुसने से नहीं रोक पाया। मैंने बेझिझक खुद को पूरा नंगा किया और
पिंकी के सारे कपड़े उतारे।

उसके बदन के हर हिस्से को चूमते हुए मैं उसके कटिप्रदेश में उतर गया।

मेरी जुबान ने जैसे ही उसकी भगनासा को छु आ, वो पागल हो गई और अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को दबाने लगी।

मैंने उसको और मस्ताने के लिए अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी।
"हाय मनु जी... स्स्स्स... हाय अब करो न... प्लीज़... हाय मनु... अब आ जाओ न ऊपर... !! हाय लंड दे दो... मनु... मैं तो मर गई !!"

मैं भी अब गरमा चुका था... मैंने अपना लंड उसको दिया उसने अधखुली आँखों से मेरे लंड को निहारा और शर्म-हया भूलकर उसके मुहँ से अपना मुँह मिला दिया,
उसके होंठ मेरे लंड के छेद को रगड़ रहे थे।

मेरे लंड का टोपा पूरी तरह गुलाबी होकर फू लने लगा, मेरे मुँह से निकला- हाय मादरचोद ! कहाँ से सीखा ये जादू?

मेरे मुँह से गाली सुन कर मेरी गोलियों को मुट्ठी में भर कर बोली- अरे जानू ! तुम्हारा हथियार देख कर रहा नहीं गया और खुद ही कर डाला मैंने ! अब तो मेरी मारो
न... !?!

पिंकी के स्वर में एक नशीली बात थी कि मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके होठों को अपने होठों से मसलने लगा।

उसने मेरे लंड को खुद ही अपने छेद में सेट किया और मेरे हल्के धक्के से ही मेरा पूरा लंड पिंकी की चूत में फिसल गया।

हाय क्या मजा था !

मैंने पूछा- रानी शादी तो तुमने की नहीं? फिर यह मखमली चूत कै से?

पिंकी बोली- हाय राजा ! मेरे बड़े भाई के एक दोस्त ने मुझे भाई की शादी में शराब पिला कर मेरी रात भर ली, मैं तब से अब तक सेक्स के नशे में रहती हूँ ! मैं खुद
चाहती थी कि कोई मुझे कस कर चोदे ! आह... जोर से पेलो न... मेरे भाई के दोस्त से मैंने कभी बात नहीं की पर उस रात का नशा और मेरी चूत की सुरसुराहट
हमेशा याद आती रही... म्मम्म... तुम्हारा लंड मेरी चूत... हाय... !!! और अन्दर आओ... स.स्स्स्स... हाय राजाजी... मेरी पूरी ले लो... मैं पूरी नंगी हूँ... तुम्हारे
लिए... हाय... जब बोलोगे... सस...मैं तुमसे चुद जाऊँ गी... हाय पेलो न... !!

मैं उसकी गर्म बातों से उत्तेजित हो रहा था... मेरी गोलियाँ चिपक रही थी... वीर्य निकलने को बेताब हो रहा था...

मैंने उसकी चूत से लंड निकाला और पिंकी का पलट दिया और उसकी गांड को मसलते हुए अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया...

अब तो वो भी धक्के मारने लगी...

"हाय... इस मजे का क्या कहूँ ! हाय पिंकी रानी ! आज से मैं तेरा गुलाम हो गया रे... तेरी चूत का रस पिला दे... "

"हाय... आह... सस... स्स्स्स...ले लो न मेरी आज... हाय... मैं गई..."

कहकर पिंकी मेरे लंड को अपनी चूत में दबाये हुए सामने की ओर लुढ़क गई और मैं भी उसके ऊपर लेटे हुए अपने लंड से निकल रही पिचकारियों को महसूस करता
रहा।

पाँच मिनट के बाद पिंकी ने मुझे बगल में लेटाया और मेरी बाहों में चिपक कर मुझे चूमने लगी...

हम काफी देर तक चूमते रहे... फिर हम दोनों कपड़े पहने और अपने घर चले गए...

पिंकी मेरी काफी अच्छी दोस्त बन गई, मैंने उसे सारे सुख दिए, उसने भी मुझे बहुत माना !

फिर उसकी शादी हो गई...

शादी से पहले उसने मुझे कहा- ...मनुजी, आपने मुझे बहुत सुख दिए हैं... पर शादी घर वालों की मर्जी से करना... फिर मैं तो आपके लंड का स्वाद चख चुकी, अब
दूसरा खाऊँ गी ! आप भी किसी कुं वारी मुनिया को चोद कर अपने लंड को नया मजा देना...

मैंने उसके होंठ चूम कर उसे विदा कर दिया...

मुझे उसके बाद सिर्फ शादीशुदा औरतों में ही मज़ा आता है, जिनके पति उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाते उनकी मदद करने में मुझे सुख मिलता है।

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प्रस्तुतकर्ता Hindi Sexy Stories पर रविवार, नवम्बर 04, 2012 0 टिप्पणियाँ
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रिसेप्शनिस्ट के साथ चुदाई-कार्यक्रम
सबसे पहले तो नमस्कार मेरे सभी प्यारे दोस्तों को।

मेरा नाम है राहुल रॉय और मैं एक दिल्ली की सॉफ्टवेर कं पनी में सॉफ्टवेयर इंजिनियर हूँ। वैसे मुझे यह जॉब बिल्कु ल पसंद नहीं थी लेकिन मैं यह जॉब सिर्फ सैलरी पॅके ज
के लिए कर रहा था क्यूंकि यह कं पनी मुझे एक बहुत अच्छा सैलरी पैके ज दे रही थी। मुझे टीचिंग बहुत पसंद थी और मैंने बहुत बार सोचा भी था लेकिन इतना सैलरी
पैके ज के बारे में सोच कर रह गया। दिल्ली में मैंने एक खुद का फ्लै ट खरीद रखा था, लेकिन उस फ्लै ट में रहने वाला सिर्फ मैं ही अके ला था। मेरी जिन्दगी एकदम बोरिंग हो
चुकी थी।

मेरे एक दोस्त ने एक बार मुझे एक इंस्टिट्यूट का पता दिया और कहा कि यह एक कं प्यूटर इंस्टिट्यूट है जो कं प्यूटर कोर्सेस करवाता है और इस इंस्टिट्यूट में एक
कं प्यूटर इंजिनियर की जरुरत है।

यह सुनते ही मैंने अप्लाई कर दिया और मुझे उस इंस्टिट्यूट से कॉल आई। मैं एकदम तैयार हो गया और इन्टरव्यू के लिए गया, और उन्होंने मुझे पास भी कर दिया। मैंने
उनसे वीकें ड क्लास्सेस के लिए कहा तो उन्होंने मेरा आग्रह मान लिया।

बस फिर क्या था रोज काम के दिनों पर मैं अपने ऑफिस में काम करता था और सप्ताहान्त पर मैं इंस्टिट्यूट में क्लास लिया करता था। मेरी इंस्टिट्यूट में शनिवार और
रविवार को 5 घंटे की क्लास चलती थी। मैं सुबह 9 बजे जाता, 10 बजे क्लास शुरू हो जाती,10 से 2 बजे तक क्लास चलती और 2 से 3 का ब्रेक और फिर 3 से 4
बजे तक चलती। 5 बजे मैं वहां से निकल जाता। अब क्यूंकि यह एक कं प्यूटर इंस्टिट्यूट है तो यहाँ पर बहुत कं प्यूटर थे और मेरी लैब में 8 कं प्यूटर थे। सुबह सुबह मैं
9 बजे आता और किसी भी एक सिस्टम पे बैठ जाता और इन्टरनेट खोल कर कु छ न कु छ सर्च करता रहता लेकिन जयादातर मैं पोर्न साईट खोल कर पोर्न मूवी देखता
रहता था।

इंस्टिट्यूट के रिसेप्शन पर अंजलि नाम की एक लड़की बैठती थी। उसकी उम्र यही कोई 21 और फिगर तो लाजवाब था। कोई भी उसे देखे तो बस उसका मुँह खुला
का खुला रह जाये। क्या फिगर था, चूचे होंगे 34 के , कमर एकदम पतली, कू ल्हे एकदम गोल ओर सेक्सी।

मैं तो उसे जब भी देखता तो देखता ही रह जाता। लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि उसके के बिन में रखा कं प्यूटर का लिंक सारे कं प्यूटरों से था मतलब अगर हम
इंस्टिट्यूट के कोई भी कं प्यूटर पर कु छ भी करे तो वो रिसेप्शन पर रखे कं प्यूटर पर देखा जा सकता हैं और मैं तो हर रोज अपने कं प्यूटर पर ब्लू फिल्म देखता था।

एक दिन मैं ऐसे ही पोर्न देख रहा था और मैंने देखा कि अंजलि मेरे के बिन की तरफ आ रही थी। मैंने तुरंत ही ब्लू फिल्म बंद कर दी और कु छ और ही खोल लिया।

वो आई और मुझे देख कर चली गई। मैंने सोचा कि यह ऐसे देख कर क्यूँ गई। लेकिन बात तो कु छ और ही थी उसने उस दिन हिस्टरी चैक कर ली थी और इसलिए वो
देखने आई थी।

लेकिन मुझे तो इसके बारे में कु छ भी नहीं पता था। पर अंजलि को मेरे ऊपर शक हो गया था कि मैं लैब में बैठ कर ब्लू फिल्म देखता हूँ।

एक दिन हम सब लोग बैठ कर लंच कर रहे थे तो तब मुझे पता चला कि यहाँ के सारे कं प्यूटर रिसेप्शन के कं प्यूटर से कनेक्ट हैं। यह सुन कर तो मेरी हवा निकल गई
क्यूँकि मैं हर रोज ब्लू-फिल्म देखता था और इसका सारा रिकॉर्ड अंजलि के पास है। मैं अब अंजलि से नजर छु पा कर चलने लगा क्यूंकि मुझे काफी शर्म आती थी।

एक दिन मैं लैब में बैठ कर अपना अकाउंट चेक कर रहा था, मैंने देखा कि एक संजना नाम की लड़की का मेल आया है। मैंने उस मेल को रिप्लाई कर दिया और एक
दिन वो संजना मुझे ऑनलाइन मिल गई तो मैंने उससे उसके बारे में पूछा तो उसने मुझे सिर्फ यह कहा कि वो मेरी बहुत बड़ी फ़ै न है और मुझे पसंद करती है।

फिर धीरे धीरे हमारी बातें शुरू हो गई और उसने बातों बातों में मेरा नंबर मांग लिया और मैंने भी दे दिया।

फिर मैंने उसे जल्दी कॉल करने के लिए कहा लेकिन उसने कॉल नहीं किया और ना ही दो दिन तक ऑनलाइन आई।

फिर एक दिन रात को मैं अपने लैपटॉप पर पोर्न मूवी देख रहा था तभी उसकी कॉल आई। पहले तो मैं घबरा गया कि अज्ञात नंबर से कॉल आ रही है लेकिन पता चला
तो यह उसी संजना की कॉल थी, मैंने उससे बात की, क्या सेक्सी आवाज थी उसकी।

उसका हर रात को फ़ोन आता था और हम अब काफी खुल चुके थे।मैंने कई बार तो उससे मिलने के लिए कहा लेकिन उसने मना कर दिया मैंने सोचा कि यह तो सच
में ही एक पागल लड़की है।

एक बार मै उसे कु छ नग्न तस्वीरें भेज दी और उसे फ़ोन किया, बात करने लगा। बात करते करते मेरी नजर रिसेप्शन पर गई, मैंने देखा कि रिसेप्शन में अंजलि भी किसी
से बात कर रही थी। मैंने तुरंत ही फ़ोन काट दिया तो उसने भी फ़ोन हटा लिया। मैंने फिर कॉल लगाई तो उसने भी फ़ोन उठा लिया।

मुझे उस पर थोड़ा थोड़ा शक होने लगा। मैंने सोचा कि कै से भी करके इसका मोबाइल नंबर निकलना पड़ेगा। तो यह मौका भी मुझे मिल गया।

एक दिन हम लोग सब बैठ के लंच कर रहे थे तो अंजलि भी मेरे सामने बैठी थी। वो उठी और बाथरूम चली गई। मैंने तुरंत उसका मोबाइल जो मेज पर रखा था उठाया
और अपने सेल पर कॉल की तो पता चला कि यह तो वही नंबर है जो संजना का नंबर है।

मैं हैरान रह गया लेकिन फिर मुझे एक खुला मौका मिल गया अंजलि के साथ सेक्स करने का। बस फिर क्या था अब तो मैं अंजलि को चलते चलते आँखों ही आँखों मैं
इशारे करता रहता था, कभी कभी उसे छू लेता था।

एक बार उसने मुझे बुलाया और कहा- यह फाइल ओपन नहीं हो रही, इसे ओपन कर दो।

मैंने कहा- ठीक है।


और उसके पास चला गया और मैंने कं प्यूटर के माउस को इस तरह पकड़ लिया कि मेरा एक हाथ उसके वक्ष से छू रहा था और मैं धीरे-धीरे दबाने लगा। उसकी सांसें
तेज़ हो रही थी, इसका मुझे एहसास होने लगा था।

अब मैंने आखिरकार प्रोग्राम बनाया और एक दिन मैं शाम को उसके घर जा पहुँचा। वो मुझे देख कर हैरान रह गई। उसने मुझे अन्दर आने को कहा, मैं अन्दर गया और
सोफा पर बैठ गया। उसने टीशर्ट और स्कर्ट पहन रखी थी। स्कर्ट उसके घुटनों तक थी।

वो मेरे लिए कॉफ़ी बनाने के लिए रसोई में चली गई। मैं भी उसके पीछे पीछे चला गया। वो मेरे सामने खड़ी थी, मैंने पीछे से आकर उसे पकड़ लिया और चूमने लगा,
उसने मुझे धक्का मार कर अलग कर दिया। मैं फिर लिपट गया, उसे कस कर पकड़ लिया और उसके स्तन दबाने लगा। वो सेक्सी आवाज निकालने लगी और धीरे-धीरे
मदहोश होने लगी।

मैंने उसे अपने हाथों में उठाया और सोफे पर लिटा दिया और उसे बुरी तरह से चूमने लगा। मैं उसकी टीशर्ट उठाने लगा तो उसना मुझे रोका और वहाँ से चली गई। मैंने
उसका हाथ पकड़ा और बोला- क्या हुआ? तुम्हें पसंद नहीं?

अंजलि : तुम यहाँ से चले जाओ !

मैं : आज तुम कु छ भी कर लो, मैं नहीं जाऊँ गा।

अंजलि : प्लीज़ !

मैंने : क्यूँ? फोन पर तो बहुत सेक्सी आवाज निकालती थी?

अंजलि : कै सा फ़ोन?

मैंने : कै सा फ़ोन? बताऊँ कै सा फ़ोन?

और मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे जकड़ लिया और कहा- तुम्हें क्या लगा कि मुझे कु छ नहीं पता? मुझे सब पता है, हर रात को तुम ही फ़ोन करती थी ना?

वो बोली- कै सा फ़ोन?

मैंने कहा- अच्छा कै सा फ़ोन?

और उसकी गांड में अपनी उंगली घुसा दी, वो चीख उठी।

मैंने कहा- समझ आया?

उसने कहा- ठीक है, मुझे माफ़ कर दो।

मैंने कहा- मैं तुम्हें माफ़ तब ही करूँ गा जब जो तुम फ़ोन पर करती थी अब असलियत में करो।

उसने तुरंत ही अपनी आँखें बंद कर ली।

मैंने स्मूचिंग शुरू कर दी और करते करते उसे बेड पर लेटा दिया। उसके होंठ तो मैं ऐसे चूस रहा था जैसे उसका अन्दर का सारा रस आज ही पी जाऊँ गा।

मैं उसके ऊपर लेटा था और वो मेरे नीचे। उसके बाद मैंने उसकी टीशर्ट फाड़ दी और उसके उरोज़ दबाने लगा। उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहन रखी थी। उसके स्तन मुझे
इतने प्यारे लगे कि उन पर से नजर और हाथ हटने का नाम ही नहीं ले रहे थे।

उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी- आह ! ह !

इतने मैं मैंने देखा कि अंजलि पूरी तरह से मदहोश हो गई थी, अब वो मुझे पागलों की तरह इधर उधर चूमने लगी।

अब मैंने जल्दी से उसे पूरी नंगी कर दिया और उसकी चूत चाटने लगा। उसमें से मुझे एक अलग ही खुशबू आ रही थी। उसकी चूत चाटने की वजह से वो और मदहोश
हो गई और उसने तुरंत मेरा लंड पकड़ लिया। वो तो पहले से ही खड़ा था। वो मेरे लंड को जोर जोर से चूमने लगी। मैंने उसके बाल पकड़ लिए और अपने लण्ड को
अन्दर-बाहर करने लगा।

मैंने कहा- वाह अंजलि, आज तो तूने मज़ा ही दिला दिया।

उसने कहा- मज़ा अभी बाकी है।

और मैं अपना लंड उसकी चूत पर ले गया और चुदाई-कार्यक्रम शुरू किया। अंजलि पागल हो गई थी और बार बार चिल्लाये जा रही थी- आज जान ले लो मेरी ! जान से
मार दो मुझे। मजा दे दो मुझे !
मेरे भी स्पीड अब तेज़ हो गई थी। मैं उसे तेज़ तेज़ चोदने लगा और 10-12 मिनट बाद हम दोनों ही झड़ गए। मैं उसके ऊपर ही गिर गया और उसी के ऊपर लेटा
रहा।

हम दोनों की साँस फू ल चुकी थी लेकिन यह तो कु छ नहीं, यह तो सिर्फ पहली शिफ्ट थी, उसके बाद रात में दो शिफ्ट और चली और मैं उस रात उसी के घर सो गया।

सुबह जब होश आया तो पता चला कि हम दोनों नंगे ही पड़े थे और 8 बज चुके थे। फिर हम दोनों उठे और एक दूसरे को चूमा और साथ ही फ्रे श होने चले गए।

वहाँ से निकल कर हम सीधा इंस्टिट्यूट चले गए और दिन भर काम के बाद रात को एक साथ डिनर किया और फिर से प्रोग्राम बनाया।

अब मैंने वो इंस्टिट्यूट छोड़ दिया है लेकिन मैं अभी भी अंजलि के साथ रिलेशन में हूँ और हम अक्सर वीकें ड्स पर मिलते हैं और फिर से प्रोग्राम सेट करते हैं।

अंजलि के बाद मैंने एक लड़की के साथ और सेक्स किया, यह कोई और नहीं मेरी ही एक छात्रा थी। यह कहानी भी मैं जल्दी ही भेजूँगा लेकिन मुझे मेल जरुर करें और
बताएँ कि आपको मेरी यह कहानी कै सी लगी।

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प्रस्तुतकर्ता Hindi Sexy Stories पर रविवार, नवम्बर 04, 2012 0 टिप्पणियाँ
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सेक्सी मेघा की चुदाई
हेलो दोस्तो, पिछले कु छ दिनों से मैं सेक्सी कहानियाँ रोज़ पढ़ने लगा हूँ।

इन कहानियों को पढ़कर मैंने सोचा मुझे भी अपना अनुभव आपको बताना चाहिए।

मैं पहली बार कोई कहानी लिखने जा रहा हूँ। अगर कोई गलती हो तो मुझे माफ़ करना।

मेरा नाम है संजय, उम्र 21 साल। मैं वैसे तो राजस्थान का रहने वाला हूँ। लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए मैंने अपने 4 साल नागपुर में बिताये। अपनी
इंजीनियरिंग ख़त्म करने के बाद मुझे हॉस्टल छोड़ना पड़ा लेकिन मुझे कु छ दिन नागपुर में ही रहना था तो मुझे अपने चचेरे भैया के यहाँ रहना पड़ा। वहाँ सिर्फ भैया,
भाभी और उनका दो साल का बेटा ये तीन लोग ही रहते थे। अभी मुझे 2-3 दिन ही हुए थे कि भैया की साली आने वाली थी और भैया कोई काम की वजह से स्टेशन
नहीं जा पा रहे थे तो उन्होंने मुझे स्टेशन जा कर मेघा (भैया की साली) को लाने के लिए कहा।

मैंने मेघा को पहले कभी नहीं देखा था तो भैया ने मुझे उसका मोबाइल नंबर दे दिया। साथ ही मेघा को भी फ़ोन कर दिया कि मैं उसे लेने आने वाला हूँ। खैर मैं स्टेशन
पहुँचा, कु छ ही देर में ट्रेन आई, मेघा ने मुझे मोबाइल पर कोच नंबर दिया। मैं वह पहुँचा।

जब मैंने मेघा को देखा तो देखता ही रह गया। वो बहुत ही सुन्दर लड़की थी, उसकी उम्र होगी करीब बीस साल, कद लगभग साढ़े पाँच फ़ीट, लम्बे बाल, तीखी आँखें,
गुलाबी होंठ, और उसके चूचों का तो कहना ही क्या, तराशे हुए थे, 36 के होंगे। पतली सी कमर देख कर तो मैं हैरान रह गया। वो क्या मस्त दिख रही थी, किसी हिंदी
पिक्चर की हिरोइन लग रही थी।

उसने पीला टीशर्ट और नीली जींस पहन रखी थी। टीशर्ट से उसके उभारों के बीच की गली दिख रही थी। उसको देख कर किसी का भी दिल डोल जाये। मैं बस उसकी
ख़ूबसूरती में खोया था कि वो मेरे पास आई और हेलो कहा।

मैं एकदम से होश में आया और उसको जवाब दिया। फिर मैंने उसका बैग उठाया और हम दोनों गेट की तरफ चल पड़े। वो आगे आगे जा रही थी, मैं पीछे पीछे उसके
चूतड़ों को देखते हुए चल रहा था। क्या सेक्सी लग रही थी वो।

हम घर आये, वो अपनी दीदी यानि मेरी भाभी से मिलकर बहुत खुश हुई। मैं अपने काम से बाहर चला गया। फिर मैं रात को ही लौटा। रात में सब खाना खाने बैठे थे तो
मेरी उससे थोड़ी बहुत बात हुई। उसने इन्टीरीयर डिजाईन का कोर्स किया था और वो जॉब के सिलसिले में नागपुर आई थी।

फिर सभी सोने चले गए।

अगले दिन भी हमारी थोड़ी बहुत बात-चीत ही हुई। मैं तो बस उससे बात करने का मौका ही देखते रहता था। मैं जब भी बात करता था तब मेरी नज़र उसके वक्ष पर ही
रहती थी। शायद वो भी इस बात को समझ चुकी थी। धीरे धीरे हम दोनों में काफी अच्छी दोस्ती हो गई। मैं उसे पसंद करने लगा था पर उसको बताने से डरता था। हम
दोनों कभी कभी साथ में घूमने भी जाया करने लगे थे। लेकिन कभी भी हिम्मत नहीं हुई कि उसको कु छ दिल की बात बोलूँ।

मैं रातों में उसके नाम की मुठ मरने लगा था। फिर भी मुझे शांति नहीं मिलती थी। शायद उसकी भी यही हालत थी। हम दोनों ही एक दूसरे से कहने में डरते थे।

फिर एक दिन मुझे कहीं काम से बाहर जाना था, तो उसने मुझे एक जगह छोड़ने को कहा तो मैंने उसको हाँ कर दिया। वो बाइक के पीछे बैठी, वो दोनों पैर एक तरफ
करके बैठी लेकिन मैंने उसे लड़कों के जैसे बैठने के लिए कहा। वो मान गई।

फिर हम दोनों चल दिए। उसके और मेरे बीच में थोड़ी दूरी थी। मेरे शैतानी दिमाग ने कु छ करने की सोची। मैं जानबूझ कर गड्ढों में से बाइक चलाने लगा। जिससे वो मेरे से
सट कर बैठ गई। उसका जिस्म मेरी पीठ से लगा हुआ था। मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। उसके स्तन मेरी पीठ पर रगड़ खा रहे थे। मुझे बहुत ही मजा आ रहा था।
शायद वो भी मजे ले रही थी।

फिर रास्ते में मैंने जोर से ब्रेक लगाया, वो झटके से मेरी पीठ पर चिपक गई। मेरा लण्ड पैंट फ़ाड़ कर बाहर आने को आतुर हो रहा था। फिर मैंने उसको छोड़ दिया और
अपने काम से निकल गया। जाते हुए उसको बोल दिया- मैं तुम्हें वापिसी में ले लूँगा।

हम फिर रोज़ ऐसे ही आना-जाना करने लगे थे। हम रोज़ बाइक पर एक दूसरे के जिस्मों के साथ खिलवाड़ करने लगे थे।

एक दिन हम वापस आ रहे थे, रात के लगभग 8 बज चुके थे, अचानक बारिश आने लगी थी तो हम दोनों काफी भीग गए थे लेकिन बारिश बहुत तेज़ हो चुकी थी। मेरा
बाइक चलाना नामुमकिन सा हो गया था तो मैंने बाइक एक तरफ खड़ी कर दी और एक पेड़ के नीचे खड़े हो गए।

वो भीग कर और भी सेक्सी हो गई थी, उसके कपड़े शरीर से चिपक कर उसको और भी सेक्सी बना रहे थे। उसकी ब्रा साफ़ नज़र आने लगी थी, उसके निप्पल भी
साफ़ दिख रहे थे।

वो ठण्ड से कांप रही थी, मेरे से रहा न गया, मैंने उसको गले लगा लिया। वो भी मुझे कस कर पकड़ कर खड़ी रही। मैं तो यही चाहता था, हम दोनों एक दूसरे के
जिस्मों को गरमी प्रदान कर रहे थे। मेरा दिल जोर से धड़क रहा था, वो मेरे सीने से लिपटी हुई थी। उसके चूचे मेरे सीने से रगड़ खा रहे थे, उसका दिल भी जोर से
धड़क रहा था, वो मेरी आँखों में देखने लगी। पता नहीं कब हमारे होंठ मिल गए, हम एक दूसरे के होंठों का रसपान करने लगे।

बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और अंदर फिराने लगा। फिर उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, मैं उसकी जीभ
को अपने होंठों से चूसने लगा। मुझे लगा वक़्त यहीं रुक जाये और हम दोनों ऐसे ही चूमते रहे एक दूसरे को। कभी वो मेरे होंठ चूसती कभी मैं उसके ।

फिर अचानक ही मेरे हाथ उसके वक्ष पर चले गए। उसके शरीर में जैसे बिजली सी दौड़ गई, वो सिहर उठी। उसने झटके से मेरा हाथ हटा दिया और कान में बोली- यहाँ
नहीं, यहाँ कोई देख लेगा।मैंने कहा- ठीक है।

वैसे वहाँ कोई नहीं था। फिर भी मैंने सुरक्षा के लिए आगे बढ़ना ठीक नहीं समझा। फिर कु छ देर चूमने के बाद मैंने उसकी आँखों में देखा और उसको "आई लव यू "
बोला, वो शरमा कर नीचे देखने लगी और फिर उसने भी हिम्मत कर के 'आई लव यू टू बोला'। बारिश रुक चुकी थी। हम बाइक से घर की ओर निकल पड़े। घर में भैया
भाभी को टेंशन हो रही थी। हमें देख कर वो खुश हुए। मैंने कपड़े बदले, हाथ मुँह धोकर खाना खाने बैठे।

वो भी तब तक आ चुकी थी, वो डायनिंग टेबल पर ठीक मेरे सामने बैठी थी। हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्करा रहे थे। मुझे शरारत सूझी। मैं अपने पैर से उसके
पैर छू ने लगा। उसको भी मजा आने लगा।

फिर मैं अपने पैरों को धीरे धीरे ऊपर करने लगा, उसके पजामे के ऊपर से ही मैंने अपने पैरों से उसके घुटने सहलाने लगा। उसको मजा आने लगा। वो बीच बीच में
अपनी आँख बंद कर रही थी। लेकिन किसी को पता न चले इसलिए वो जल्दी से अपना खाना ख़त्म करके उठ गई। मैं तो बस वासना की आग में जल रहा था।

फिर भैया-भाभी अपने सोने के लिए अपने कमरे में चले गए। मैं हाल में सोता था और वो भैया के कमरे के बगल वाले कमरे में।

वो भी अपने कमरे में चली गई। पर हम दोनों की आँखों में नींद कहाँ थी, हम तो वासना की आग में जल रहे थे।

मैं सोने की कोशिश करने लगा लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी।

अचानक रात में उसके कमरे का दरवाजा खुला, वो पानी पीने के लिए रसोई में गई।मुझसे रहा न गया। मैं भी उसके पीछे पीछे चला गया। उसको पता ही नहीं चला।

मैंने पीछे से जाकर उसको कस कर पकड़ लिया। वो चिल्लाती, उससे पहले मैंने अपना मुँह उसके मुँह पर रख दिया और उसके होटों को चूसने लगा।

वो अचानक हुए इस हमले के लिए तैयार नहीं थी और छू टने की कोशिश करने लगी, लेकिन मेरी पकड़ मजबूत थी। मैंने चूमते हुए उसकी कमर कस कर अपने से सटा
दी। अब उसकी सांसें भी तेज़ हो चुकी थी, वो भी मेरा साथ देने लगी, हम दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूसने लगे।

फिर अचानक मेरा हाथ उसके उरोजों पर चला गया, मैं उनको दबाने लगा, वो सिसकारियाँ लेने लगी। उसके निप्पल कठोर हो गए थे। फिर मैं उसके होंठों को छोड़
उसके गालों, गले, कान पर चूमने लगा।

वो बहुत ही गरम हो गई थी, उसके मुँह से धीमी धीमी सिसकारियाँ निकल रही थी। मैं नाइटी के ऊपर से उसके चूचे जोर जोर से मसलने लगा।

मेरे पजामे का तम्बू बन गया था। मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया और सहलाने लगा।

वो बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी। और थोड़ी जोर से सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने उसको गोद में उठाया और उसके बेडरूम में ले गया। उसको बिस्तर पर पटक कर मैं भी
उस पर कू द गया और पागलों की तरह उसके बदन को चूमने-चाटने लगा। फिर मैंने उसकी नाइटी उतार फें की।

तब वो सिर्फ काली ब्रा-पैन्टी में थी। मेरा तो लंड उछाले ले रहा था। मैं उस पर लेट गया और उसके होंटों को चूसने लगा। वो भी पागलों की तरह मेरी जीभ चूस रही थी।
फिर मैंने उसकी ब्रा उतार फें की। उसके कबूतर देख कर मैं और भी पागल हो गया।

मैं उसके स्तन चूसने लगा। उसके स्तन मेरे हाथों से फिसले जा रहे थे, इतने कोमल चूचे थे उसके ।
फिर मैं उसके निप्पल पर जीभ फे रने लगा, चूसने का जो आनंद मुझे मिल रहा था, वो शायद जिंदगी में कभी नहीं मिला था। उसकी आँखें बंद थी और वो भी इस
असीम आनन्द के मजे लूट रही थी। उसकी सिसकारियाँ मुझे और पागल कर रही थी और कभी कभी मैं उसके निप्पल चबा देता तो उससे उसके शरीर में सिहरन दौड़
जाती थी।

वो बोली- थोड़ा धीरे करो न, मैं अब तुम्हारी हूँ। जो करना है करो, मगर धीरे और प्यार से।

लेकिन मैं कहाँ सुनने वाला था। करीब आधे घंटे तक मैं उसके चूचों को चबा, मसल, चूसता रहा था।

वो बोली- अब रहा नहीं जा रहा, प्लीज़ मेरी चूत को लंड से भर दो।

उसके मुँह से इन शब्दों को सुन कर मैं और भी उत्तेजित हो गया। फिर मैं धीरे धीरे उसके पेट को चूमते हुए उसकी नाभि तक पहुँचा। उसकी गोल और गहरी नाभि में मैंने
अपनी जीभ घुसा दी तो वो और जोर से सिसकारने लगी।

वो मछली की तरह छटपटा रही थी- आ आह ऊ उई ईई ईई म्म म्म म्मह की आवाजों से कमरा गूंज रहा था।

उसका पेट ठीक मर्डर मूवी के गर्म सीन में मल्लिका शेरावत की तरह कांप रहा था। वो तड़प रही थी। उसकी नाभि का रसपान कर मैं नीचे की ओर बढ़ने लगा, वो अपनी
जांघें बंद करने लगी।

मैं उसकी जाँघों पर चूमते हुए उसकी पैंटी पर पहुँचा। वो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। उसकी चूत रह रह कर पानी छोड़े जा रही थी। मैंने धीरे से उसकी पेंटी निकल
कर अलग कर दी और खुद भी नंगा हो गया। अब हम दोनों पूरे नंगे थे। मैंने उसकी चूत पर जीभ लगा दी। वो तड़प उठी। वो इतना जोर से चिल्लाई कि मुझे लगा भैया
भाभी उठ जायेंगे। वो आआ आअह उई ईई ईईइ आआ करने लगी। मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत की फ़ांकों को अलग किया और अपनी जीभ से चूसने लगा। उसकी
अंगुलियाँ मेरे बालों में फ़िरने लगी और अपनी चूत उठा-उठा कर मुझसे चुसवाने लगी। मैं उसकी चूत का एक एक कोना अपनी जीभ से चाटने लगा। वो रह रह कर
पागलों की तरह सिसकारियाँ भर रही थी। अचानक ही मेरी जीभ उसकी चूत के दाने से मिल गई। मैं उसको चूसने लगा, चबाने लगा।

वो बहुत जोर जोर से आआ अह आ आह करने लगी, उसकी चूत सिकु ड़ने लगी। वो बिस्तर पर इधर उधर होने लगी और उसका शरीर अकड़ने लगा, वो झटके खाने
लगी और आहें भरते हुए झड़ने लगी। उसकी चूत से रस निकलने लगा, मैंने सारा रस चाट लिया। लगभग 30-40 सेकं ड तक वो कांपते हुए झड़ती रही फिर निढाल
होकर बिस्तर पर पड़ी रही।

ऐसा लग रहा था कि उसके शरीर में जान ही न हो। मैं उठ कर उसके पास आया। उसने मुझे अपनी छाती से लगाते हुए कहा- तुमने आज मुझे इतना आनन्द दिया कि मैं
तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूल सकती, अब मैं तुम्हारी हो चुकी हूँ।

इतना कहते हुए परस्पर ही हमारे होंठ मिल गए और हम एक गहरे चुम्बन में लिप्त हो गए। चूँकि मेरा लंड अभी भी खड़ा था, उसके हाथ अचानक मेरे लंड पर पड़ गए, वो
मेरा लंड सहलाने लगी।

मेरा लंड उसके हाथ लगने से उछाले मारने लगा, मुझे लगा कि मेरा लंड फट जायेगा।

चुम्बन के बाद मैंने उससे कहा- मेघा, प्लीज़ मेरा लंड चूसो न।

उसने ख़ुशी से कहा- क्यों नहीं।

मैं खड़ा हुआ। वो घुटनों के बल बैठ गई और मेरे लंड पर अपनी जीभ फे रने लगी। फिर उसने मेरा लंड लॉलीपोप की तरह मुँह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगी।

अब सिसकारियाँ मेरी निकल रही थी, मैंने उसका सिर पकड़ रखा था, 5 मिनट चूसने के बाद मुझे लगा कि मेरा छु टने वाला है, मेरी पकड़ उसके सिर पर मजबूत हो
गई। मैं आगे-पीछे होने लगा। मेरा लण्ड उसके गले तक जा रहा था। फिर अचानक ही मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं छु ट गया। मेरा लंड वीर्य की पिचकारी मारने लगा।
मैं झटके खाने लगा और ठंडा पड़ गया और बिस्तर पर लेट गया।

वो भी मेरे बगल में लेट गई। कु छ देर बाद हम दोनों फिर से एक दूसरे के शरीर से खेलने लगे। वो फिर से गर्म हो गई, सिसकारने लगी, वो बोली- अब मुझसे रहा नहीं जा
रहा। प्लीज़ मुझे चोद दो अब।

मैंने तकिया उसके कू ल्हों के नीचे रखा और अपना लंड चूत में डालने के लिए बढ़ गया। मैंने अपना लंड हाथ में लिया और उसकी चूत पर फिराने लगा। वो तड़प रही थी।
वो अपनी जांघें ऊपर नीचे कर रही थी।

वो बोली- प्लीज़ मुझे मत तड़पाओ, डाल दो न अब।

"मैं भी जोश में था, मैंने झटके से लंड उसकी चूत में डाल दिया। वो दर्द से चीख उठी, उसकी झिल्ली फट गई और उसकी चूत से खून बहने लगा।

मैं कु छ देर ऐसे ही थमा रहा। उसकी आँखों से आँसू निकल आये, मैंने उसके आँसू पी लिए और अपने होंठ उसके होंठों से मिला दिए। उसका दर्द कु छ कम हुआ तो मैं
धीरे धीरे ऊपर-नीचे होने लगा। उसको अभी भी दर्द हो रहा था लेकिन दर्द के साथ मज़ा भी आ रहा था। दोस्तो, जब सेक्स के दौरान लड़की को मज़ा और दर्द दोनों
आएँ तो उसके चेहरा बहुत सेक्सी लगता है। मैंने अपनी स्पीड थोड़ी बढ़ा दी।
अब उसका दर्द जाता रहा और वो भी मेरा साथ देने लगी। वो अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी। साथ ही वो सेक्सी आवाजें भी निकाल रही थी- आअह
हिस्स हम्म आह हाहा कर रही थी।

मेरा लंड बड़ी तेज़ी के साथ उसकी चूत को चोदे जा रहा था। अचानक उसकी चूत में मेरे लंड पर दबाव बना लिया और उसकी सिसकारियाँ चीखों में बदल गई- और
जोर से ! और जोर से ! फाड़ दो मेरी चूत को। आ अह। उई ईइ मा आ आ अह मैं झड़ रही हूँ ! मैं आ रही हूँ।

वो सीत्कार भरते हुए मुझसे लिपट गई और निढाल होकर पस्त हो गई। मैं अभी भी उसको जोर जोर से चोद रहा था। मेरे सीने से उसके स्तन पिसे जा रहे थे।

मुझे लगा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ।

वो फिर से झड़ने को तैयार हो गई। अब मेरा अपने पर कोई कण्ट्रोल नहीं था। मैं उसके होंठों को चबाने लगा। फिर अचानक ही हम दोनों एक साथ झड़ गए, वो मेरे से
लिपटी हुई, सीत्कार भरते हुए झड़ी जा रही थी तो इधर मैं भी उसकी चूत में पिचकारियाँ छोड़े जा रहा था। और आखिर में हम दोनों पस्त हो गए। मेरा वीर्य और उसका
रस उसकी चूत में समां नहीं पा रहा था, वो उसकी चूत से होता हुआ बिस्तर पर टप टप गिरने लगा।

मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में था। हम दोनों हांफने लगे। मैं उसकी छाती पर ही सो गया। हमें चुदाई करते लगभग दो घंटे हो गए थे। मुझे पता नहीं कब नींद लगी।
थोड़ी देर बाद हम उठे।

4 बज चुके थे। बिस्तर पर हमारे प्यार के रस के निशान थे। फिर हमने कपड़े पहने, उसने बिस्तर की चादर बदली, मैंने उसे चूमा और बाहर आकर अपने कमरे में सो
गया।

फिर तो हम रोज़ ही चुदाई करने लगे थे।


अनीता की चद
ु ाई
प्रेषक : संतोष कुमार

मैं अपना परिचय करवा दँ ू ! मेरा नाम कुमार है , उम्र अभी २६


साल है । वैसे तो मैं कोलकाता का रहने वाला हूँ पर जॉब की
वजह से अभी दिल्ली में हूँ। मैं साधारण कद काठी का हूँ पर
बचपन से ही जिम जाता हूं इसलिए अभी भी मेरी बॉडी अच्छे
आकार में है । बाकी बॉडी के बारे में धीरे धीरे पता चल जायेगा।

बात उन दिनों की है जब मैंने अपनी स्नातिकी पूरी की थी। उस


वक़्त मेरी उम्र २१ थी। मैं अपने मम्मी-पापा और अपनी बड़ी
बहन के साथ कोलकाता में एक किराये के मकान में रहता था।
मेरे पापा उस वक़्त सरकारी जॉब में थे। माँ घर पर ही रहती थीं
और हम भाई-बहन अपनी अपनी पढ़ाई में लगे हुए थे। मेरी और मेरी बहन की उम्र में बस एक साल का
फर्क है । इसलिए हम दोस्त की तरह रहते थे। हम दोनों अपनी सारी बातें एक दस
ू रे से कर लेते थे, चाहे
वो किसी भी विषय में हो।

मैं बचपन से ही थोड़ा ज्यादा सेक्सी था और सेक्स की किताबों में मेरा मन कुछ ज्यादा लगता था। पर
मैं अपनी पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहता था इसलिए मुझसे सारे लोग काफी खुश रहते थे।

हम जिस किराये के मकान में रहते थे उसमें दो हिस्से थे, एक में हम और दस


ू रे में एक अन्य परिवार
रहता था, जिसमें एक पति-पत्नी और उनके दो बच्चे रहते थे। दोनों काफी अच्छे स्वभाव के थे और
हमारे घर-परिवार में मिलजुल कर रहते थे। मेरी माँ उन्हें बहुत प्यार करती थीं। मैं भी उन्हें अपनी बड़ी
बहन की तरह ही मानता था और उनके पति को जीजा कहता था। उनके बच्चे मुझे मामा मामा कहते
थे।

सब कुछ ठीक ठाक ही चल रहा था। अचानक मेरे पापा की तबीयत कुछ ज्यादा ही ख़राब हो गई और
उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा। हम लोग तो काफी घबरा गए थे पर हमारे पड़ोसी यानि कि
मेरे मँुहबोले जीजाजी ने सब कुछ सम्हाल लिया। हम सब लोग अस्पताल में थे और डॉक्टर से मिलने
के लिए बेताब थे। डॉक्टर ने पापा को चेक किया और कहा की उनके रीढ़ की हड्डी में कुछ परे शानी है
और उन्हें ऑपरे शन की जरूरत है ।

हम लोग फ़िर से घबरा गए और रोने लगे। जीजाजी ने हम लोगों को सम्हाला और कहा कि चिंता करने
की कोई जरूरत नहीं है सब ठीक हो जायेगा। उन्होंने डॉक्टर से सारी बात कर ली और हम सब को घर
जाने के लिए कहा। पहले तो हम कोई भी घर जाने को तैयार नहीं थे पर बहुत कहने पर मैं, मेरी बहन
और अनीता दीदी मान गए, अनीता मेरी मँह
ु बोली बहन का नाम था।

हम तीनों लोग घर वापस आ गए। रात जैसे तैसे बीत गई और सुबह मैं अस्पताल पहुँच गया। वहां सब
कुछ ठीक था। मैंने डॉक्टर से बात की और जीजा जी से भी मिला। उन लोगों ने बताया कि पापा की
शगू र थोड़ी बढ़ी हुई है इसलिए हमें थोड़े दिन रुकना पड़ेगा, उसके बाद ही उनकी सर्जरी की जायेगी।
बाकी कोई घबराने वाली बात नहीं थी। मैंने माँ को घर भेज दिया और उनसे कहा कि अस्पताल में
रुकने के लिए जरूरी चीजें शाम को लेते आयें। माँ घर चली गईं और मैं अस्पताल में ही रुक गया।
जीजा जी भी अपने ऑफिस चले गए।

जैसे-तैसे शाम हुई और माँ सारी चीजें लेकर वापस अस्पताल आ गईं। हमने पापा को एक निजी कमरे
में रखा था जहाँ एक और बिस्तर था परिचारक के लिए। माँ ने मुझसे घर जाने को कहा। मैं अस्पताल
से निकला और टै क्सी स्टैंड पहुँच गया। मैंने वहाँ एक सिगरे ट ली और पीने लग। तभी मेरी नज़र वहीं
पास में एक बुक-स्टाल पर चली गई। मैंने पहले ही बताया था कि मुझे सेक्सी किताबें, खासकर मस्त
राम की किताबों का बहुत शौक है । मैं उस बुक-स्टाल पर चला गया और कुछ किताबें खरीदी और अपने
घर के लिए टै क्सी लेकर निकल पड़ा।

घर पहुंचा तो मेरी बहन ने जल्दी से आकर मझ


ु से पापा के बारे में पछ
ू ा और तभी अनीता दीदी भी अपने
घर से बाहर आ गईं और पापा की खबर पछ
ू ी। मैंने सब बताया और बाथरूम में चला गया। सारा दिन
अस्पताल में रहने के बाद मझु े फ्रेश होने की बहुत जल्दी पड़ी थी। मैं सीधा बाथरूम में जाकर नहाने
लगा। बाथरूम में जाने से पहले मैंने मस्तराम की किताबों को फ़्रिज पर यँू ही रख दिया। हम दोनों भाई
बहन ही तो थे केवल इस वक़्त घर पर, और उसे पता था मेरी इस आदत के बारे में । इसलिए मैंने ज्यादा
ध्यान नहीं दिया।

जब मैं नहा कर बाहर आया तो मेरी बहन को दे खा कि वो किताबें दे ख रही है । उसने मुझे दे खा और
थोड़ा सा मुस्कुराई। मैंने भी हल्की सी मुस्कान दी और मैं अपने कमरे में चला गया। मैं काफी थक गया
था इसलिए बिस्तर पर लेटते ही मेरी आँख लग गई।

रात के करीब ११ बजे मुझे मेरी बहन ने उठाया और कहा- खाना खा लो !

मैं उठा और हाथ मँह


ु धोकर खाने के लिए मेज़ पर गया, वहां अनीता दीदी भी बैठी थी। असल में आज
खाना अनीता दीदी ने ही बनाया था। मैंने खाना खाना शुरू किया और साथ ही साथ टीवी चला दिया।
हम इधर उधर की बातें करने लगे और खाना खा कर टीवी दे खने लगे।

हम तीनों एक ही सोफे पर बैठे थे, मैं बीच में और दोनों लड़कियाँ मेरे आजू-बाजू । काफी दे र बात चीत
और टीवी दे खने के बाद हम लोग सोने की तैयारी करने लगे। मैं उठा और सीधे फ़्रिज की तरफ गया
क्यूंकि मुझे अचानक अपने किताबों की याद आई। मुझे वहां पर बस एक ही किताब मिली जबकि मैं
तीन किताबें लेकर आया था। सामने ही अनीता दीदी बैठी थी इसलिए कुछ पछ
ू भी नहीं सकता था
अपनी बहन से। खैर मैंने सोचा कि जब अनीता दीदी अपने घर में चली जाएँगी तो मैं अपनी बहन से
पछ
ू ू ं गा।

थोड़ी दे र तक तो मैं अपने कमरे में ही रहा, फिर उठ कर बाहर हॉल में आया तो दे खा मेरी बहन अपने
कमरे में सोने जा रही थी, मैंने उसे आवाज़ लगाई,” नेहा, मैंने यहाँ तीन किताबें रखी थीं, एक तो मुझे
मिल गई लेकिन बाकी दो और कहाँ हैं ?”

“मेरे पास हैं, पढ़कर लौटा दं ग


ू ी मेरे भैया !” और उसने बड़ी ही सेक्सी सी मुस्कान दी।

मैंने कहा,” लेकिन तुम्हें दो दो किताबों की क्या जरुरत है ? एक रखो और दस


ू री लौटा दो, मुझे पढ़नी
है ।”

उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और बस कहा कि आज नहीं कल दोनों ले लेना।

मैं अपना मन मारकर अपने कमरे में गया और किताब पढ़ने लगा। पढ़ते-पढ़ते मैंने अपना लण्ड अपनी
पैन्ट से बाहर निकला और मुठ मारने लगा। काफी दे र तक मुठ मारने के बाद मैं झड़ गया और अपने
लण्ड को साफ़ करके सो गया।

रात को अचानक मेरी आँख खुली तो मैं पानी लेने के लिए हॉल में फ़्रिज के पास पहुंचा। जैसे ही मैंने
फ़्रिज खोला कि मुझे बगल के कमरे से किसी के हं सने की आवाज़ सुनाई दी। मैंने ध्यान दिया तो पता
लगा कि मेरी बहन के कमरे से उसकी और किसी और लड़की की आवाज़ आ रही थी। नेहा का कमरा
हॉल के पास ही है । मैं उसके कमरे के पास गया और अपने कान लगा दिए ताकि मैं यह जान सकूँ कि
अन्दर कौन है और क्या बातें हो रही हैं।

जैसे ही मैंने अपने कान लगाये मझ


ु े नेहा के साथ वो दस
ू री आवाज़ भी सन
ु ाई दी। गौर से सन
ु ा तो वो
अनीता दीदी थी। वो दोनों कुछ बातें कर रहे थे। मैंने ध्यान से सन
ु ने की कोशिश की, और जो सन
ु ा तो
मेरे कान ही खड़े हो गए।

अनीता दीदी नेहा से पूछ रही थी,” हाय नेहा, ये कहाँ से मिली तुझे? ऐसी किताबें तो तेरे जीजा जी लाते
थे पहले, जब हमारी नई-नई शादी हुई थी !”

“अच्छा तो आप पहले भी इस तरह की किताबें पढ़ चुकी हैं ?”


“हाँ, मुझे तो बहुत मज़ा आता है । लेकिन अब तेरे जीजू ने लाना बंद कर दिया है । और तुझे तो पता है
कि मैं थोड़ी शर्मीली हूँ इसलिए उन्हें फिर से लाने को नहीं कह सकती, और वो हैं कि कुछ समझते ही
नहीं।”

“कोई बात नहीं दीदी, जब भी आपको पढ़ने का मन करे तो मुझसे कहना, मैं आपको दे दं ग
ू ी।”

“लेकिन तेरे पास ये आई कहाँ से ?”

“अब छोड़ो भी न दीदी, तम


ु बस आम खाओ, पेड़ मत गिनो।”

“पर मझ
ु े बता तो सही !”

“लगता है तुम नहीं मानोगी !”

“मैं कितनी जिद्दी हूँ, तझ


ु े पता है न। चल जल्दी से बता !”

“तम
ु पहले वादा करो कि तुम किसी को भी नहीं बताओगी !”

“अरे बाबा, मुझ पर भरोसा रखो, मैं किसी को भी नहीं बताउं गी।”

“ये किताबें सोनू लेकर आता है ।’

” हे भगवान ् ..” अनीता दीदी के मँह


ु से एक हल्की सी चीख निकल गई,” तू सच कह रही है ? सोनू
लेकर आता है ?”

नेहा उनकी शकल दे ख रही थी,”तम


ु इतना चौंक क्यँू रही हो दीदी ?”

अनीता दीदी ने एक लम्बी साँस ली और कहा,” यार, मैं तो सोनू को बिलकुल सीधा-साधा और शरीफ
समझती थी। मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि वो ऐसी किताबें भी पढ़ता है ।”

” इसमें कौन सी बरु ाइ है दीदी, आखिर वो भी मर्द है , उसका भी मन करता होगा !”

” हाँ यह तो सही बात है !” दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा,” लेकिन एक बात बता, ये किताब पढ़कर तो
सारे बदन में हलचल मच जाती है , फिर तम ु लोग क्या करते हो ? कहीं तमु दोनों आपस में ही
तो…….??”

अनीता दीदी की आवाज़ में एक अजीब सा उतावलापन था। उन्हें शायद ऐसा लग रहा था कि हम भाई-
बहन आपस में ही चुदाई का खेल न खेलते हों।
इधर उन दोनों की बातें सुनकर मेरी आँखों की नींद ही गायब हो गई। मैंने अब हौले से अन्दर झांका
और उन्हें दे खने लगा। वो दोनों बिस्तर पर एक दस
ू रे के साथ लेटी हुई थी और दोनों पेट के बल लेट कर
एक साथ किताब को दे ख रही थीं।

तभी दीदी ने फिर पूछा,” बोल न नेहा, क्या करते हो तम


ु दोनों ?” अनीता दीदी ने नेहा की बड़ी बड़ी
चूचियों को अपने हाथो से मसल डाला।

” ऊंह, दीदी….क्या कर रही हो ? दर्द होता है ..” नेहा ने अपने उरोजों को अपने हाथों से सहलाया और
अनीता दीदी की तरफ दे ख कर मस्
ु कारने लगी।

अनीता दीदी की आँखों में एक शरारत भरी चमक थी और एक सवाल था…. नेहा ने उनकी तरफ दे खा
और कहा,” आप जैसा सोच रही हैं वैसा नहीं है दीदी। हम भाई-बहन चाहे जितने भी खुले विचार के हों,
पर हमने आज तक अपनी मर्यादा को नहीं लांघा है । हमारा रिश्ता आज भी वैसे ही पवित्र है जैसे एक
भाई बहन का होता है ।”

यह सच भी है , हम भाई-बहन ने कभी भी अपनी सीमा को लांघने की कोशिश नहीं की थी। खैर, अनीता
दीदी ने नेहा के गलों पर एक चुम्बन लिया और कहा,” मैं जानती हूँ नेहा, तम
ु दोनों कभी भी ऐसी
हरकत नहीं करोगे।”

“अच्छा नेहा एक बात बता, जब तू यह किताब पढ़ती है तो तझ


ु े मन नहीं करता कि कोई तेरे साथ कुछ
करे और तेरी चत
ू को चोद-चोद कर शांत करे , उसकी गर्मी निकाले ?” अनीता दीदी के चेहरे पर अजीब
से भाव आ रहे थे जो मैंने कभी भी नहीं दे खा था। उनकी आँखे लाल हो गई थीं।

“हाय दीदी, क्या पूछ लिया तुमने, मैं तो पागल ही हो जाती हूँ। ऐसा लगता है जैसे कहीं से भी कोई लंड
मिल जाये और मैं उसे अपनी चूत में डाल कर सारी रात चुदवाती रहूँ !”

“फिर क्या करती हो तम


ु ?”

नेहा ने एक गहरी सांस ली और कहा,” बस दीदी, कभी कभी ऊँगली या मोमबत्ती से काम चला लेती हूँ
!”

दीदी ने नेहा को अपने पास खींच लिया और उसके होठों पर एक चुम्मा धर दिया। नेहा को भी अच्छा
लगा। दोनों ने एक दस
ू रे को पकड़ लिया और सहलाना शुरू कर दिया।

यहाँ बाहर मेरी हालत ऐसी हो रही थी जैसे मैं तेज़ धूप में खडा हूँ, मैं पसीने पसीने हो गया था और मेरे
लंड की तो बात ही मत करो एक दम खड़ा होकर सलामी दे रहा था। मैंने फिर उनकी बातें सुननी शुरू
कर दी।
तभी अचानक मैंने दे खा कि अनीता दीदी ने नेहा की टी-शर्ट के अन्दर अपना हाथ डाल दिया और
उसकी चचि
ू यों को पकड़ लिया और धीरे धीरे सहलाने लगी। नेहा को बहुत मज़ा आ रहा था। उसके मँह

से प्यार भरी सिस्कारियां निकल रही थी।

“ऊफ दीदी….मुझे कुछ हो रहा है ……आपकी उँ गलियों में तो जाद ू है ।”

फिर अनीता दीदी ने पछ


ू ा,” अच्छा नेहा एक बात बता, तन
ू े कभी किसी लण्ड से अपनी चत
ू की चद
ु ाई
करवाई है क्या ?”

“नहीं दीदी, आज तक तो मौका नहीं मिला है । आगे भगवान ् जाने कौन सा लण्ड लिखा है मेरे चूत की
किस्मत में ।” नेहा अपनी आँखें बंद करके बाते किये जा रही थी,” दीदी, तुमने तो खूब चुदाई करवाई
होगी अपनी, बहुत मज़े लिए होंगे जीजाजी के साथ…. बताओ न दीदी कैसा मज़ा आता है जब सचमुच
का लण्ड अन्दर जाता है तो ….?”

“यह तो तझ ु े खुद ही महसूस करना पड़ेगा मेरी बन्नो रानी…. इस एहसास को शब्दों में बताना बहुत
मुश्किल है …”

“हाय दीदी मुझे तो सच में जानना है कि कैसा मज़ा आता है इस चूत की चुदाई में …. तम
ु ने तो बहुत
मज़े किये है जीजाजी के साथ, बोलो न कैसे करते हो आप लोग? क्या जीजा जी आपको रोज़ चोदते हैं?”

तभी अनीता दीदी थोड़ा सा उदास हो गई और नेहा की तरफ दे ख कर कहा,”अब तझ


ु े क्या बताऊँ, तेरे
जीजा जी तो पहले बहुत रोमांटिक थे । मुझे एक मिनट भी अकेला नहीं छोड़ते थे। जब भी मन किया
मुझे जहाँ मर्ज़ी वहा पटक कर मेरी चूत में अपना लंड डाल दे ते थे और मेरी जमकर धुनाई करते थे।”

“क्या अब नहीं करते ?” नेहा ने पछ


ू ा।

“अब वो पहले वाली बात नहीं रही, अब तो तेरे जिज्जाजी को टाइम ही नहीं मिलता और मैं भी अपने
बच्चों में खोई रहती हूँ। आज कल तेरे जिज्जाजी मुझे बस हफ़्ते एक या दो बार ही चोदते हैं वो भी
जल्दी जल्दी से, मेरी नाइटी उठा कर अपना लंड मेरी चूत में डाल कर बस १० मिनट में ही लंड का माल
चूत में झाड़ दे ते हैं।”

यह बात सुनकर मेरा दिमाग ठनका। मैंने पहले कभी भी अनीता दीदी को सेक्स की नज़रों से नहीं दे खा
था। अब मेरे दिमाग में कुछ शैतानी घूमने लगी। मैं मन ही मन उनके बारे में सोचने लगा….। ऐसा
सोचने से ही मेरा लंड अब बिल्कुल स्टील की रॉड की तरह खड़ा हो गया।

अनीता दीदी को उदास दे ख कर नेहा ने उनके गालों पर एक चुम्मा लिया और कहा,” उदास न हो दीदी,
अगर मैं कुछ मदद कर सकँू तो बोलो। मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करुँ गी, मेरा वादा है तुमसे।”
दीदी हल्के से मुस्कुराई और कहा,” मेरी प्यारी बन्नो, जब जरूरत होगी तो तुझसे ही तो कहूँगी,
फिलहाल अगर तू मेरी मदद करना चाहती है तो बोल !”

“हाँ हाँ दीदी, तुम बोलो मैं क्या कर सकती हूँ ?”

“चल आज हम एक दस
ू रे को खश
ु करते हैं और एक दस
ू रे का मज़ा लेते हैं….” नेहा थोड़ा सा मस्
ु कुराई
और अनीता दीदी को चम
ू लिया।

अनीता दीदी ने नेहा को बिस्तर से उठने के लिए कहा और खुद भी उठ गई। दोनों बिस्तर पर खड़े होकर
एक दस
ू रे के कपड़े उतारने लगी। नेहा की पीठ मेरी तरफ थी और अनीता दीदी का चेहरा मेरी तरफ।
नेहा ने अनीता दीदी की नाईटी उतार दी और दीदी ने उसकी टी-शर्ट।

हे भगवान ् ! मेरे मँह


ु से तो सिसकारी ही निकल गई, आज से पहले मैंने अनीता दीदी को इतना
खूबसूरत नहीं समझा था। वो बिस्तर पर सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में खड़ी थी। दधि
ू या बदन ,
सुराहीदार गर्दन, बड़ी बड़ी आँखें, खुले हुए बाल और गोरे गोरे जिस्म पर काली ब्रा जिसमे उनके 36
साइज़ के दो बड़े बड़े उरोज ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने दो सफेद कबूतरों को जबरदस्त कैद कर दिया
हो। उनकी चूचियां बाहर निकलने के लिए तड़प रही थीं। चूचियों से नीचे उनका सपाट पेट और उसके
थोड़ा सा नीचे गहरी नाभि, ऐसा लग रहा था जैसे कोई गहरा कुँआ हो। उनकी कमर २६ से ज्यादा किसी
भी कीमत पर नहीं हो सकती। बिल्कुल ऐसी जैसे दोनों पंजो में समां जाये। कमर के नीचे का भाग
दे खते ही मेरे तो होंठ और गला सूख गया। उनकी गांड का साइज़ ३६-३७ के लगभग था। बिल्कुल गोल
और इतना ख़ूबसूरत कि उन्हें तुंरत जाकर पकड़ लेने का मन हो रहा था। कुल मिलाकर वो पूरी सेक्स
की दे वी लग रही थीं…..

हे भगवान ् मैंने आज से पहले उनके बारे में कभी भी नहीं सोचा था।

इधर नेहा के कपड़े भी उतार चुकी थी और वो भी ब्रा और पैंटी में आ चुकी थी। उसका बदन भी कम
सेक्सी नहीं था। 32 / 26/ 34…वो भी ऐसी थी किसी भी मर्द के लंड को खड़े खड़े ही झाड़ दे ।

“हाय नेहा, तू तो बड़ी खूबसूरत है रे , आज तक किसी ने भी तुझे चोदा कैसे नहीं। अगर मैं लड़का होती
तो तुझे जबरदस्ती पटक कर तुझे चोद दे ती।”

“ओह दीदी, आप के सामने तो मैं कुछ भी नहीं, पता नहीं जिज्जाजी आपको क्यूँ नहीं चोदते ..”

“उनकी बातें छोडो, वो तो हैं ही बेवकूफ !” अनीता दीदी ने नेहा की ब्रा खोल दी और नेहा ने भी हाथ बढ़ा
कर दीदी की ब्रा का हुक खोल दिया।
मेरी तो सांस ही रुक गई, इतने सुन्दर और प्यारे उरोज मैंने आज तक नहीं दे खे थे। अनीता दीदी के दो
बच्चे थे पर कहीं से भी उन्हें दे ख कर ऐसा नहीं लगता था कि दो-दो बच्चों ने उनकी चचि
ू यों से दध
ू पिया
होगा….

खैर, अब नेहा की बारी थी तो दीदी ने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और साथ ही साथ उसकी पैंटी को
भी उसके बदन से नीचे खिसकाने लगी। दीदी का उतावलापन दे ख कर ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें कई
जन्मों की प्यास हो।

नेहा ने भी वैसी ही फुर्ती दिखाई और अनीता दीदी के पैंटी को हाथों से निकालने के लिए खींच दिया।

संगेमरमर जैसी चिकनी जांघों के बीच में फूले हुए पावरोटी के जैसे बिल्कुल चिकनी और गोरी चूत को
दे खते ही मेरे लंड ने अपना माल छोड़ दिया……..

मेरे होठों से एक सेक्सी सिसकारी निकली आर मैंने दरवाज़े पर ही अपना सारा माल गिरा
दिया…….मेरे मँह
ु से निकली सिसकारी थोड़ी तेज़ थी । शायद उन लोगों ने सुन ली थी, मैं जल्दी से
आकर अपने कमरे में लेट गया और सोने का नाटक करने लगा। कमरे की लाइट बंद थी और दरवाज़ा
थोड़ा सा खुला ही था। बाहर हॉल में हल्की सी लाइट जल रही थी जिसमें मैंने एक साया दे खा। मैं
पहचान गया। यह नेहा थी जो अपने बदन पर चादर डाल कर मेरे कमरे की तरफ ये दे खने आई थी कि
मैं क्या कर रहा हूँ और वो सिसकारी किसकी थी।

थोड़ी दे र वहीं खड़े रहने के बाद नेहा अपने कमरे में चली गई और उसके कमरे का दरवाजा बंद हो गया,
जिसकी आवाज़ मझ
ु े अपने कमरे तक सन
ु ाई दी। शायद जोर से बंद किया गया था। मझ
ु े कुछ अजीब
सा लगा, क्यंकि
ू आमतौर पर ऐसे काम करते वक़्त लोग सारे काम धीरे धीरे और शांति से करते हैं।
लेकिन यह ऐसा था जैसे जानबझ
ू कर दरवाजे को जोर से बंद किया गया था। खैर जो भी हो, उस वक़्त
मेरा दिमाग ज्यादा चल नहीं पा रहा था। मेरे दिमाग में तो बस अनीता दीदी की मस्त चिकनी चत
ू ही
घम
ू रही थी।

थोड़ी दे र के बाद मैं धीरे से उठा और वापस उनके दरवाज़े के पास गया, और जैसे ही मैंने अन्दर झाँका
…….
तप्ति
ृ लण्ड की प्यास बुझाने दो
तप्ति
ृ रविवार को मेरे ऑफिस में आई तो मैंने उससे अपने दिल की बात कही। मैंने कहा- जब से तम
ु ने
ज्वाइन किया है , मैं तब से तम
ु पर फ़िदा हो गया था और मैं नहीं चाहता था कि कोई और मेरे और
तुम्हारे बीच में आये, इसी लिए मैंने तम
ु को पाने के लिए अपनी जी जान लगा दी।

मुझे पता चल चुका था कि तप्ति


ृ सिर्फ पैसे वालों को लाइन दे ते थी और मेरे पास पैसे की कोई कमी
नहीं थी, लिहाजा मैंने उसको पूरी तरह से इम्प्रेस कर लिया था। मैं शादी-शुदा था ये बात भी उसको पता
थी पर फिर भी वो मुझको मन ही मन पसंद करने लगी थी और मुझे क्या टाइम पास चाहिए था।

बस वो मेरे जाल में फंसती चली गई और मैंने भी सोचा एक दिन, इससे पहले कि वो ऑफिस छोड़ के
जाए मुझे इसके काम लगाना है । बस इसीलिए मैं उसे काम के बहाने रविवार को भी ऑफिस बल
ु ाता
था।

उस दिन मैंने तप्ति


ृ की चच
ू ी दबाने का मन बना लिया था तो मैंने कुछ काम के बहाने उसे अपने पास
बिठा लिया और अपने पीसी पर काम करने को कहा। वो मान गई। वो मेरे ऊपर झक
ु कर मेरे पीसी पर
काम करने लगी और मैंने धीरे से अपने नजर तप्ति
ृ की चच
ू ी की तरफ घम
ु ाई तो मझ
ु े तप्ति
ृ की परू ी
चच
ू ी उसकी कुरते के अंदर नजर आ गई। उसने काले रं ग की ब्रा पहनी थी। उसकी बड़ी बड़ी चच
ू ी दे ख
कर मेरा लण्ड आउट ऑफ़ कण्ट्रोल होने लगा।

मैंने उससे और पास आने को कहा वो मेरे बिलकुल करीब आ गई अब मैं उसकी चूची की खुशबू को सूंघ
सकता था। मैंने धीरे धीरे उसकी चूची की तरफ अपना हाथ बढाया और उसकी एक चूची को पकड़
लिया। वो तुंरत पीछे हट गई और कहने लगी- सर, ये क्या कर रहे हैं? मैंने उसे समझाया- इसमें कुछ
भी गलत नहीं है और मुझ पर शक न कर ! मैं तो शादी-शुदा हूँ, कुछ भी गलत नहीं करूंगा।

काफी न नुकुर के बाद तप्ति


ृ मान गई- केवल चूची दबा लीजिये और कुछ नहीं करवाउं गी।

मेरा क्या ! आज वो अपनी चूची दबवाने को मान गई है एक दिन वो मुझसे चुदवाने को भी मान जायेगी
! नहीं तो जबरदस्ती चोद दं ग
ू ा साली को !

उस दिन से मैंने रोज़ तप्ति


ृ की चूची को दबाता और बाथरूम जाकर हाथ से मारता। कुछ दिन बाद
उसको शक हो गया कि मैं जब भी उसकी चूची दबाता हूँ तो उसके तुंरत बाद बाथरूम क्यूँ जाता हूँ।

उसने मझ
ु े पछ
ू ा कि ऐसा क्यँू ?
मैंने बता दिया कि मैंने तुमसे वादा किया है मैं सिर्फ तुम्हारी चूची दबाऊंगा, तुमको चोदं ग
ू ा नहीं,
इसीलिए अपने लण्ड को शांत करने के लिए बाथरूम जाकर हाथ से मारता हूँ।

इस पर उसने कहा- आप जब चूची दबाते हैं तो मेरा मन भी चुदवाने को होता है , पर क्या करूँ, यहाँ नहीं
हो सकता है !

इस पर मैंने उससे कहा- ऐसे बात है तो पहले क्यँू नहीं बताया? मैं तम
ु को किसी बढ़िया होटल ले के
चलता !

यह बात सुन कर तो उसकी बांछें खिल गई। वो अगले रविवार को होटल चलने के लिए तैयार हो गई।

मैं उसे अपनी कार में ले जाने की बात कही तो उसने न नहीं किया। मुझे पता था कि उसको अमीर लोग
पसंद आते हैं इसीलिए मुझे न नहीं करे गी।

मैंने रविवार के लिए एक फाइव स्टार होटल बुक कराया, तप्ति


ृ को अपनी पत्नी बना के ले गया। मैंने
उससे कहा था- तुम पहले ऑफिस आना, फिर यहाँ से चलेंगे !

मैं अपने साथ अपनी बीवी की एक साड़ी लाया था। मैंने तप्ति
ृ से कहा- यह साड़ी पहन लो ताकि किसी
को शक न हो !

उसने वैसा ही किया। होटल पहुँच कर रूम लिया, अंदर गए और रूम अंदर से लॉक कर लिया।

बस फिर क्या था हम दोनों की मुराद आज पूरी होने जा रही थी। मैंने तप्ति
ृ को बिस्त्तर पर लिटा दिया
तुंरत, और उसके ऊपर चढ़ के बैठ गया। उसकी दोनों चूची को कस के पकड़ के मसलने लगा। तप्ति
ृ को
समझ नहीं आ रहा था मुझे अचानक क्या हो गया।

मैंने कहा- मेरे जान अभी कुछ न कहो, बाद में कहना ! महीनों बाद तम
ु मिली हो ! मझ
ु े अपने लण्ड की
प्यास बझ
ु ाने दो ! फिर बात करें गे !

मैंने उसका ब्लाऊज़ उतारा, उसने सफ़ेद रं ग की ब्रा पहनी थी, तुंरत ही उसकी ब्रा भी उतार दी और तप्ति

की चूची को दबाने लगा। तप्ति
ृ भी गर्म-गर्म साँसें लेने लगी। तप्ति
ृ की चूची को अब मैं अपने मँह
ु में
लेकर चूसने लगा। मैं तप्ति
ृ की चूची को दबा दबा के मँह
ु में चूसे जा रहा था। तप्ति
ृ भी बिस्तर में
मचलने लगी थी। मैंने तुंरत तप्ति
ृ की साड़ी और चड्ढी को उतारा, अपने लण्ड तुंरत तप्ति
ृ की चूत में
डाल दिया। तप्ति
ृ की तो जैसे गांड फट गई- साली बिस्तर पर तड़पने लगी और मैं तो कई दिनों से तड़प
रहा था उसको चोदने के लिए !
इतना मोटा लण्ड तप्ति
ृ की चूत में जायेगा तो क्या हाल होगा तप्ति
ृ का ! आप सोच सकते हो ! साली
की मैया चद
ु गई ! जब मैंने परू ा लण्ड तप्ति
ृ की चत
ू में डाल दिया तो उसकी चत
ू से खन
ू बहने लगा
क्यकि
ँू यह तप्ति
ृ की पहले चद
ु ाई थी न ! अभी तक तप्ति
ृ की चत
ू की सील नहीं टूटी थी सो आज वो भी
टूट गई। मैंने तोड़ा तप्ति
ृ की सील को और मैंने ही तप्ति
ृ की चत
ू को भी चोदा ! यह मेरी किस्मत है
तप्ति
ृ ने मझ
ु से चद
ु वाना पसंद किया।

खैर मैंने साली को जम के चोदा, मादरचोद को !

तप्ति
ृ की दोनों चचि
ू यों को पकड़ के लण्ड तप्ति
ृ की चत
ू में अंदर-बाहर करने लगा और तप्ति
ृ भी जोर
जोर से सांसे लेने लगी। मैं जैसे बिस्तर पर पटक दे ता वैसे ही साली पड़ी रहती मादरचोद ! मैंने गधे की
तरह चोदा मादरचोद को ! बहुत चोदा ! मैंने तप्ति
ृ को पूरी ताकत से चोदा, तप्ति
ृ झड़ गई, फिर मैं भी
झड़ गया।

तप्ति
ृ ने पूछा- आपने ऐसा क्यूँ किया?

मैंने कहा- मैं तम


ु को चोदने के लिए इतना परे शान था कि बस मौका मिलते मैं तम
ु को चोदना चाहता था
इसीलिए तुंरत तुम को चोद डाला ! अब हमारे पास मौका भी है और टाइम भी है ! अभी फिर थोड़ी दे र में
तुम को चोदं ग
ू ा ! तुम नहा धो लो ! तब तक मैं नाश्ते का आर्डर दे ता हूँ, फिर उसके बाद चोदं ग
ू ा!

एक घंटे के बाद मैंने तप्ति


ृ से कहा- तम
ु तैयार हो चद
ु वाने को?

उसने कहा- मैं तो कब से रे डी हूँ !

मैंने तंरु त तप्ति


ृ को बिस्तर पर लिटाया और चढ़ गया साली मादरचोद पे ! और लगा चस
ू ने तप्ति
ृ की
चच
ू ी को !

इस बार बहुत टाइम था तो अब तप्ति


ृ को आराम से चोदना था !

मैंने तप्ति
ृ की दोनों टांगों को उठा के ऊपर किया और उसकी चत
ू को चाटने लगा। तप्ति
ृ की चत
ू को
चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था कि आपको क्या बताऊँ ! दोस्तो, काश आप भी होते वहां पे !

खैर अगली बार तम


ु सब भी चलना मेरे साथ तप्ति
ृ को चोदने ! लेकिन तप्ति
ृ को पहले मैं ही चोदं ग
ू ा,
फिर तम
ु सब !

क्यूँकि तप्ति
ृ मेरा माल है ना !

खैर तप्ति
ृ आधे घंटे तक तप्ति
ृ की चूत चाटने के बाद मैंने तप्ति
ृ से अपने लण्ड को चूसने को कहा तो
मादरचोद ने मना कर दिया।
मैंने कहा- चाट के दे ख मेरी जान, बहुत मज़ा आएगा ! तझ
ु े जो चाहिए, मैं दं ग
ू ा ! पहले इस दिन को तो
जी लो मेरी जान ! मैं तेरा प्रमोशन कर दं ग
ू ा!

इस पर तप्ति
ृ तैयार हो गई और मेरा लण्ड चूसने लगी। वो साली मेरा पूरा लण्ड मँह
ु में लेकर चूस रही
थी। मुझे भी बड़ा मज़ा आ रहा था !

१५ मिनट तक तप्ति
ृ ने मेरा लण्ड चस
ू ा, फिर मैं तप्ति
ृ की चच
ू ी चस
ू ने लगा, उसके निप्प्ल को खब

मसलने लगा। मैंने अपना मंह
ु तप्ति
ृ की चत
ू में लगा रक्खा था कि जब इसकी चत
ू झड़ेगी तो मैं उसकी
चत
ू चाटूंगा।

मैंने तप्ति
ृ की चूची को खूब रगड़ा और तप्ति
ृ की चूत को भी !

कहते है न कि चूत और खैनी जितना रगड़ोगे, उतनी नशीली हो जाएँगी ! थोड़ी दे र में तप्ति
ृ झड़ गई पर
मैं तो अभी भी वैसा ही था। अब तप्ति
ृ की चूत नशीली हो गई थी इसीलिए चाटने में बहुत मज़ा आने
लगा। तप्ति
ृ की चूत से जो भी माल निकला, मैंने उसे चाट लिया और तप्ति
ृ की चूची को इतना दबाया
कि उसमें से दध
ू सा निकलने लगा। फिर मैंने तप्ति
ृ का दध
ू पिया। तप्ति
ृ की चूत और तप्ति
ृ का दध

पीने के बाद तप्ति
ृ झड़ चुकी थी। उसकी गाण्ड में ज्यादा दम नहीं बचा था। तब तक मैंने अपने लण्ड
को कण्ट्रोल में रक्खा, फ़िर मेरी बारी आई। मैंने तप्ति
ृ को बिस्तर पर पटक के चोदा।

कैसे?

बताता हूँ !

तप्ति
ृ अब मेरे सामने परू ी नंगी लेटी थी, मैंने उसके परू े बदन को चाट चाट कर चस
ू ा। मैं तप्ति
ृ को दोनों
पैरों से ऊपर उठा कर बिस्तर के किनारे ले आया और तप्ति
ृ की चत
ू में अपना १० इंच मोटा लण्ड घस
ु ा
दिया। फिर उसको तप्ति
ृ तो पहले झड़ चक
ु ी थी उसके ज्यादा दम नहीं था। उसकी चच
ू ी को, उसकी चत

को चोद-चोद के भोंसड़ा बना दिया उस दिन मैंने ! अब मैं झड़ने लगा तो मैंने तप्ति
ृ को नहीं बताया कि
मेरा निकलने वाला है । मैंने अपनी गति को बढ़ा दिया, चोदने की परू ी ताकत से तप्ति
ृ की चत
ू की मैं
चुदाई कर रहा था कि तभी मेरे लण्ड से माल निकलने लगा और मैंने भी सारा माल तप्ति
ृ की चूत के
अंदर गिरा दिया।

तप्ति
ृ को पता चला कि मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में गिरा दिया तो वो थोड़ा नाराज हुई।

मैंने उसे समझा दिया कि कुछ नहीं होगा, मैंने ऑपरे शन कराया है , बच्चा नहीं होगा तम
ु को !

तो वो मान गई साली ! गधी है न !


जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था !

मुझे तो उसकी चूत को टे स्ट करना था, वो कर लिया ! उस दिन दो बार तप्ति
ृ को चोदने के बाद जो
मज़ा आया वो आज तक नहीं आया ! अभी भी हमारे पास टाइम था, तप्ति
ृ को घर जाना था उसमें भी
टाइम था।

मैंने सोचा था- आज परू ी तरह तप्ति


ृ को बर्बाद कर दं ग
ू ा ! मादरचोद किसी को मंह
ु नहीं दिखा पायेगी
साली !

मैंने उससे कहा- अभी कपड़े नहीं पहनना ! अभी एक बार और करूँगा ! टाइम है , फिर घर चलँ ग
ू ा!

तप्ति
ृ ने कहा- चाहे जितना करिये ! मेरी चूत तो अब आपकी हो गई है !

मैं खश
ु हो गया बहुत ! मैं तप्ति
ृ से चिपट कर लेट गया। थोड़ी दे र में हम दोनों फ़िर तैयार !

तप्ति
ृ को मैंने नहीं बताया पर इस बार मैंने तप्ति
ृ की गांड मारने की सोची थी।

मैं तप्ति
ृ की चूची मसलने लगा और मुंह में ले के चूसने लगा, तप्ति
ृ का दध
ू पीने लगा।

तप्ति
ृ से मैंने अपना लण्ड चूसने को कहा तो तप्ति
ृ ने मेरा लण्ड चूस कर खड़ा कर दिया। जब मेरा लण्ड
खड़ा हो गया तो मैंने तप्ति
ृ को कुतिया की तरह बिस्तर पे खड़ किया और तप्ति
ृ की चूत में लण्ड डाल
के तप्ति
ृ को दब
ु ारा चोदने लगा। जब मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया और तन गया तो मैंने अपना लण्ड
तप्ति
ृ की चूत से निकाल कर तप्ति
ृ की गांड में डाल दिया। तप्ति
ृ की तो मैया चुद गई, लेकिन मेरा मन
तप्ति
ृ की गांड मारने को था तो वही किया।

१५ मिनट तक तप्ति
ृ की मैं गांड मारता रहा और फ़िर जो मेरे लण्ड से माल निकला वो मैंने दब
ु ारा
तप्ति
ृ की चत
ू में अपना लण्ड डाल के तप्ति
ृ की चत
ू में गिरा दिया।

इतना होने के बाद मैंने तप्ति


ृ से कहा- मेरा पूरा जिस्म चाटो और लण्ड भी !

तप्ति
ृ ने वही किया और तब मेरा लण्ड खडा नहीं हुआ तो मैं समझ गया कि अब आज के लिए हो गया।

अगले इतवार फिर आऊंगा यहाँ पे तम


ु को लेके !

तप्ति
ृ ने कहा- अब हम हर रविवार ऑफिस के बहाने यहाँ आयेंगे और मज़े करें गे !

अब मैं तप्ति
ृ को हर रविवार ऑफिस के बहाने बल
ु ाता और तप्ति
ृ को साड़ी पहना कर अपनी कार में
होटल ले के जाता, वहाँ पूरा दिन में तप्ति
ृ को चोदता रहता।
यह सिलसिला तप्ति
ृ के साथ आज भी चल रहा है क्यूँकि अभी तप्ति
ृ की शादी नहीं हुई है और मैं इतनी
आसानी से तप्ति
ृ की शादी होने भी नहीं दं ग
ू ा!

नहीं तो मेरा क्या होगा !

तप्ति
ृ ने दो बार बच्चा गिराया है , अब तप्ति
ृ मझ
ु े कुछ नहीं कहती क्यँकि
ू मैंने सारा इन्तज़ाम करवा
दिया है , मेरे जब मर्ज़ी होती है मैं तप्ति
ृ को चोद दे ता हूँ और वो चद
ु वा भी लेती है । मैं उसको परू ी रण्डी
बना दं ग
ू ा।
मेरी चत
ू में लंड घस
ु ा दो

प्रेषक : आकाश

मेरा नाम आकाश, मैं इंदौर का रहने वाला हूँ। मैंने अपनी सामने रहने वाली सोनी से अपने प्यार का
इज़हार किया। शायद वो भी मझु े प्यार करती थी, हम दोनों फ़ोन पर ही प्यार की बातें करते थे।

एक दिन उसके घर पर कोई नहीं था, उसका फ़ोन आया और उसने मुझे घर पर आने को कहा। उसके
घरवाले तीन दिन के लिए भोपाल गए थे। मैं समझ गया कि आज तो मेरी जिन्दगी का पहला मौका आ
ही गया सेक्स करने का !

मैं मस्त नहा कर, दस


ू रों की नज़रें बचाकर सोनी के घर पहुँच गया। सोनी भी नहा कर मेरा इंतज़ार कर
रही थी। मैं उसके पहुँचने के बाद उसके कमरे में गया। सोनी ने पीले रं ग का सलवार-कमीज़ पहना था।
वो अपने बाल संवार रही थी, उसने मुझे दे ख कर बैठने को कहा बाहर हॉल में !

मैं उसका इन्तज़ार कर रहा था, सोनी मेरे लिए पानी लेकर आई, मैंने पानी पिया। फिर वो मेरे पास बैठ
गई, हम दोनों एक दस
ू रे को दे खने लगे। फिर मैंने हिम्मत करके सोनी का हाथ पकड़ लिया।
सोनी बोली- दरू क्यों बैठे हो ? मेरे पास आकर बैठो !

मैं सोनी से बिल्कुल चिपक कर बैठ गया। अचानक सोनी से मुझे चूमना चालू कर दिया, मैं भी उसका
साथ दे ना लगा। उसकी साँसें तेज़ी से चलने लगीं। मैं उसके स्तन ऊपर से ही सहलाने लगा। उसके मँह

से अहह्ह्ह्ह्हह की सिसकरियाँ निकलने लगीं। मैंने अपना हाथ नीचे की तरफ़ खिसकाना शुरू किया,
मेरे दिल की धड़कनें बढती ही जा रहीं थीं। मैंने अपना हाथ अब उसकी सलवार के अन्दर घुसा दिया
और पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा।

सोनी अब बिल्कुल गरम हो चक


ु ी थी, वो अब सेक्स के लिए बेकरार थी। मैंने उसका सलवार-कुर्ता उतार
दिया। अब सोनी केवल ब्रा और पैंटी में ही थी। गुलाबी रं ग की ब्रा-पैंटी में वह बहुत ही सेक्सी लग रही
थी। उसकी बोबे ब्रा में से निकलने को बेताब हो रहे थे। मैंने उसकी ब्रा को अलग किया। सोनी के दोनों
दध
ू अलग हो गए। सोनी के बोबे कठोर हो रहे थे। मैंने जैसे ही सोनी के बोबे के निप्पल को मँह
ु में लेकर
चूसा, उसकी सिसकारी निकल गई।

सोनी ने भी अब अपना हाथ मेरे पैंट के अन्दर डाल दिया। मैं उसकी चुचियों को पागलों की तरह चूस
रहा था। उसने अपने हाथ से मेरा लंड मसलना शुरू कर दिया।

मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी योनि का एक चुम्बन लिया, सोनी पागलों की तरह चिल्ला उठी।
मैंने उसकी पैंटी को उतार दिया। सोनी अपनी चूत को अपने हाथों से छुपा रही थी, उसे शरम आ रही
थी। मैंने उसके हाथों को हटा कर उसकी चूत को जैसे ही दे खा मैं है रान रह गया। गुलाबी रं ग की चूत
बिना बालों के बड़ी ही सुंदर लग रही थी। मैंने उसके जिस्म को पैरों से लेकर उसके होठों तक बड़ी ही
जोश से चूमा, कोई भी अंग और जगह खाली नहीं बची होगी, जहाँ मैंने उसे नहीं चूमा हो।

अब सोनी बोली- प्लीज़ जल्दी करो, मेरे बदन में आग लग रही है !

मैं बोला- मेरी जान ऐसी भी क्या जल्दी है । पहले मुझे तुम्हारी चूत को चूसने तो दो।

और मैंने उसकी चत
ू को चस
ू ना शरू
ु कर दिया। सोनी के मँह
ु से जोर-जोर की सिसकारियाँ निकल रहीं
थीं- हाय ये क्या कर रहे हो ? मेरे तो आआ उस्स्स्स्स ्स ………. स्स्स्स्स ्स ् .. धीरे … प्लीज़… दर्द हो
रहाआआआ है … उईए… म्माआआआ…. आआआहह….. रुक्ककक….. जाओ…..

मैं उसकी चूत में अपनी ऊँगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा।

सोनी बोली- प्लीज़ अब मुझे मत तरसाओ, प्लीज़ अपना लंड मेरी चूत में घुसा दो।
मैं बोला- अभी नहीं डार्लिंग… अभी तो मज़ा आया है । मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर जैसे ही
अन्दर बाहर किया, उसने मेरा सिर अपने हाथों से ज़ोर से पकड़ कर अपनी जांघों से जोरों से दबा लिया
और उसकी चत
ू से पानी निकलने लगा, सोनी झड़ने वाली थी।

मैं रुक गया और बोला- अब तुम मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसो।

सोनी शरमाने लगी, पर वो मान गई और मँह


ु में मेरा लंड लेकर चस
ू ने लगी। उसने काफी दे र तक मेरा
लंड चस
ू ा और मैं अपने एक हाथ की ऊँगली उसकी चत
ू में करने लगा। उसके मंह
ु से फुच्च-फुच्च की
आवाज़ आ रही थी। अब मैं अपना लंड उसके मंह
ु से निकाल कर उसके चत
ू की फाँकों पर रगड़ने लगा,
सोनी के मँह
ु से सिसकरियाँ निकल रहीं थीं। सोनी पागल हो रही थी चुदने के लिए।

मैंने अपने लंड का टोपा चूत पर रख कर थोड़ा सा धक्का लगाया, उसकी चूत ने पूरा लंड अंदर ले लिया,
सोनी की चीख निकल गई और वह बोली- हाय मैं मर गई, प्लीज़ बाहर निकालो !

मैं बोला- अभी एक मिनट में दर्द बन्द हो जाएगा और तुम्हें मज़ा आने लगेगा।

अब मैंने थोड़ा सा लंड और अन्दर किया, सोनी चिल्लाने लगी, बोली,”प्लीज़ बाहर निकाल लो, नहीं तो
मर जाऊँगी ! रुक जाओ प्लीज़ ! दर्द हो रहा है , अभी इतना ही अंदर डाल कर चोदो मुझे।”

उसकी सील टूट चुकी थी और वो अब मेरा लंड अपनी चूत में आराम से अंदर ले रही थी। मैंने उसे धीरे -
धीरे चोदना शुरू कर दिया। दो-तीन मिनटों में उसका दर्द जब कुछ कम हुआ तो उसे मज़ा आने लगा।
वो बोली,”थोड़ा और अंदर डाल कर और तेज़ी… से चोदो… मुझे !”

मैंने थोड़ा और अंदर दबाया तो मेरा लंड उसकी चत


ू में ४” तक घस
ु गया। मैं अपनी गति को बढ़ाते हुए
उसे चोदने लगा। वो अपना चत ू ड़ आगे-पीछे करते हुए मेरा साथ दे रही थी। पाँच मिनट तक चोदने के
बाद वो बहुत ज्यादा जोश में आ गई। मैंने अपना परू ा लंड एक ही बार में उसकी चत ू में धकेल दिया,
सोनी को बहुत दर्द हुआ और उसकी चत
ू से खन
ू भी निकल आया। वो डरने लगी पर खन
ू ज़ल्दी ही बंद
हो गया।

अब मैंने धीरे -धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए अब सोनी को मज़ा आने लगा और वो भी अपने चूतडों को
हिला-हिला कर मेरा साथ दे ने लगी। उसके मँह
ु से बड़ी ही मादक-मादक आवाजें निकल रहीं थीं। सोनी
कहने लगी- प्लीज़ ज़ोर से धक्का लगाओ और सारा लंड अन्दर कर दो, बड़ा ही मज़ा आ रहा है ।

मैंने अब अपना सारा ६ इंच का लंड उसकी चूत के अन्दर घुसा दिया। सोनी के मुंह से स्स्स्स्स ्स्स्स
आह आह्ह्ह उस्सुसस
ु ू जैसी मादक आवाजें निकाल रही थी। मैंने अब सोनी की चूत में से अपना लंड
निकाल कर उसको घोड़ी स्टाईल में खड़ा कर उसकी चूत में लंड घुसा दिया और धक्के मारने लगा।
उसको और मज़ा आने लगा। उसके चूतड़ मुझे बहुत ही आनंद दे रहे थे। २ मिनट में ही वो अपनी चूतड़
उठा-उठा कर मेरे हर धक्के का जवाब दे ने लगी। मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी।

सोनी बोली- मुझे कुछ हो रहा है । लगता है मेरी चूत से पानी निकलने वाला है । खूब ज़ोर-ज़ोर से धक्का
लगाओ।”

मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है । मैंने बहुत ही तेज़ी के साथ उसकी चद
ु ाई शरू
ु कर दी।

वो बोली, “आआआ!!! मैंऽऽऽ आआआऽऽऽ रहीऽऽऽ हूँऽऽऽ और तेज़ ऽऽऽ और तेज़ ऽऽऽ” उसकी चूत से
पानी निकलने लगा और मेरा सारा लंड भीग गया। मैं भी बिना रुके उसे आँधी की तरह चोदता रहा।
लगभग २० मिनट तक चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। इस दौरान वो भी ३ बार झड़ चुकी
थी। लंड का पूरा पानी उसकी चूत में निकल जाने के बाद मैं हट गया।

उस दिन मैंने उसे ६ बार चोदा और जब कभी मौका मिलता उसे चोदता हूँ।

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