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हाां तो आज मैं आप सबको बता रही हां कक अम्मी कहीां बाहर गई हुई थी और जैसा कक आप सबको पता
ही है मेरे अब्बु और भैया मझ
ु े कई बार चोद चुके है और दो चार बार तो साथ में भी चोदा है उन दोनों
ने। खैर करीब 15 ददन हो गये थे और मैंने उन दोनो से चुदाया नहीां था कयकां क मैं अपने बॉय फ़्रेंड से
चुदवा कर बहुत थक जाती थी साला हरामी पता नहीां कया खा कर चोदता था सारे कस बल ढीले कर
दे ता था पर वो ककसी काम के ससलससले में बाहर गया हुआ था और मेरी आदत लगभग रोज़ ही चद
ु ाने
की हो गई थी जब तक बरु में लण्ड ना डलवा लां चैन ही नहीां आता था। पर इधर करीब 15 ददन से मैंने
नहीां चुदवाया था और उस ददन रात को मैं अपने रूम में एक ब््य क़ि्म दे ख रही थी जजसमे एक
लड़की को चार चार साले मस्
ु टण्डे चोद रहे थे और वो भी साले काले काले हबशी, जजनके मोटे मोटे लण्ड
दे ख कर मेरी आांखे भी ़िट गई और उस लड़की के तो कहने ही कया साली इस तरह अपनी गाण्ड और
बरु चारों से मरवा रही थी जैसे पता नहीां कबसे चुदवातत आ रही हो। खैर जब मवी दे खने के बाद मझ
ु पे
भी मस्ती चढी तब मैं अपने अब्ब के रूम की तऱि गई और धीरे से अन्दर चली गई अब्बु सो रहे थे ।
मैंने धीरे से उनकी लग
ुां ी हटा दी और उनका मरु झाया हुआ लण्ड हाथ में लेकर सहलाने लगी। अब्बु थोड़ा
सा कुनमन
ु ाये और करवट लेकर सीधे हो गये अब मैंने अपनी तनकर उतारी और परी तरह से नांगी हो
गई और अपने जलते हुए होंठ लेकर उनके लण्ड को इतनी जोर से काटा कक वो
आआआआआह्हह्हह्हह्हह कर के उठ बैठे और मझ
ु े दे खते दह बोले मेरी रानी बेटी को आज मेरी याद
कैसे आ गई और मेरे बाल पकड़ कर क़िर से मेरे मुँह
ु में अपने लण्ड को धकेल ददया जजसे मैं मज़े से
चस रही थी तब अब्बु ने कहा आज मेरा खयाल कैसे आ गया? तब मैंने कहा अब्बु मैं आज अपने रूम में
ब््य क़ि्म दे ख रही थी उसमे एक बहुत ही कम उमर कक लड़की चार चार लोगों से एक साथ चद
ु वा रही
थी। तब अब्बु ने कहा साले क़िरां गी (अमेररकन) होगी। वहाां के लोग ऐसे ही होते है । तब मैंने कहा अब्बु
मैं भी ऐसे ही चद
ु वाउां गी। तब अब्बु ने कहा नहीां मेरी बच्ची, उस तरह तो यहाां कक अच्छी अच्छी चुद्दकड़
औरतें भी नहीां चुदा पाती, तो त तो अभी बहुत कमससन है मगर मैं जज़द पे उतर आई और कहने लगी,
नहीां अब्बु आपको मझ
ु े चार लोगों से एक साथ चुदवाना ही होगा। तब अब्बु ने कहा- अच्छा अभी चार
लोग कहाां से लाऊां । अभी तो सस़ि़ मैं ही हां और ज्यादा चुदासी हो तो जा बगल के रूम में तेरा भैया
साला हाथ कक लगा रहा होगा उसको बल
ु ा ला और मैं नांगी ही भैया के कमरे की तऱि गई तो दे खा कक
भैया हकीकत में परी तरह से नांगा होकर अपने लण्ड को सहला रहा था। मैं दरवाज़े की आड़ से छुपकर
दे खने लगी और अब भैया ज्दी ज्दी हाथ चला रहा था और उसके मुँह
ु से ऊऊऊह
ऊऊऊऊह्हह्हह्हह्हह्ह आआआआआअह्हह्हह्हह्ह आआआ आआआ ह्ह ह्हह्हह्ह की आवाज़ तनकल रही
थी। तभी मैं दौड़ कर भैया के पास पहुची और ज्दी से उसके लण्ड को अपनी चचचयों पर पटकने लगी
उसका लण्ड लम्बा होकर बस अपना रस उण्डेलने ही वाला था। जैसे ही मैंने उसके लण्ड को हाथ में
लेकर अपतन चांची पे रगड़ा तो उसके लण्ड से ढे र सारा माल तनकल पड़ा और मैं उसके गाढे रस को
ज्दी ज्दी अपनी चच
ां ी पे रगड़ते हुए बोली। अब्बु ठीक ही कह रहे थे तम
ु तो सही में हाथ की लगा रहे
हो। अरे मेरे प्यारे चोद भैया जब तेरे पास इतनी खबसरत चत है चोदने के सलये तो ककससलये हाथ की
मार रहे हो? तब भैया मेरी चची को जोर से दबाते हुए बोला, अरे मेरी चुद्दकड़ बहन, हाथ की मारने में भी
बहुत मज़ा आता है । तब मैंने कहा अच्छा, अब चलो, अब्बु अपने रूम में बल
ु ा रहे हैं और मैं उसके झड़े
हुए लण्ड को हाथ से पकड़ कर खीचते हुए अब्बु के रूम में ले आई। तब अब्बु ने कहा – कया हुअ बेटी,
बहुत दे र लगा दी। तब मैंने कहा अब्बु आपने सही कहा था भैया हाथ की लगा रहे थे, वो तो मैं सही
वकत पर पहुच गई वरना तो इन्होने अपना कीमती माल बरबाद कर ही ददया होता” तब अब्बु हसते हुए
बोले – बेटी तजुरबा भी कुछ होता है मैंने तो पहले ही कहा था ये साला हाथ की मार रहा होगा। अच्छा,
अब ज्दी से बेड पर आओ और मज़ा करो और क़िर जैसे ही मैं बेड पर चढी अब्बु मझ
ु से बोले कक
अपने दोनों पैर उनके कन्धो पर रखां और एक दसरे से लपेट ल।ां मैंने ऐसा ही ककया अब मेरी चत अब्बु
के बबलकुल मुँह
ु के पास थी और मैंने अपने दोनों पैर अब्बु कक गरदन के पीछे लपेटे हुए थे। अब अब्बु
धीरे धीरे खड़े होने लगे जजससे मझ
ु े डर लगने लगा। मैंने कहा अब्बु कया कर रहे है मैं चगर जाउां गी। तब
अब्बु ने कहा – नहीां चगरोगी, आज नया स्टाईल दे खो चत, चुसाने का इस तरह तम
ु ने ब््य क़ि्म में भी
नहीां दे खा होगा और अब खड़े हो गये। अब वो बबलकुल सीधे खड़े थे और मेरी चत को चस रहे थे। मझ
ु े
इस तरह डर भी बहुत लग रहा था पर मज़ा भी बहुत आ रहा था । तब ही अब्बु ने कहा- बेटी, अब तम
ु
अपना सर नीचे कक तऱि झुकाओ। पर मैंने मना कर ददया इस पर वो एक चपत लगाते हुए बोले, साली
जैसा कहता हां कर वरना आज दोनो जने एक साथ तेरी गाण्ड में लण्ड डाल कर ़िाड़ दे गें। तब मै अपने
सर को धीरे धीरे नीचे कक तऱि ले आई और अब मेरा मुँह
ु उनके मरु झाये हुए लण्ड के पास था जजसे वो
आगे बढाने लगे मैं उनका मतलब समझ गई थी और मैंने उनका लण्ड हाथ से पकड़ कर गप्प से मह
ुँु में
डाल सलया और चसने लगी ।वाआआआआआआआआआह्हह्हह्हह्हह्ह बबलकुल नया तरीका, बरु और लण्ड
कक चस
ु ाई का इस तरह से अब मेरा डर जाता रहा और थोड़ी दे र बाद ही मैं जोर जोर से अपना मुँह
ु
अब्बु के लण्ड पे चलाने लगी ।तो अब मैं अब्बु के कन्धे पर अपने दोनो पैर लपेटे उनका लण्ड चस रही
थी और अब्बु मेरी चत को चस रहे थे और वही ककनारे मेरा भैया अपने लण्ड को हाथ में लेकर खड़ा था
तब अब्बु ने मझ
ु े नीचे लेटा दीया और भैया से कहा आओ बेटे आज साली कक चत कक दोनों समलकर
धज्जीयाां उड़ा दे ते है साली ब््य क़ि्म दे ख कर चार लोगों से एक साथ चद
ु ाने कक जज़द्द कर रही है तो
आज तो हम दोनों ही चार के बराबर चद
ु ाई कर दे ते है बाकक कल बरु मरानी को चद
ु ाता हां चार मस्
ु टण्डों
से और क़िर अब्बु मेरी चत के मह
ांु पर अपने लण्ड को रगड़ने लगे और भैया मेरे सर के पास मेरे मह
ु
पर आया और अपने लण्ड को मेरे हाथ में दे कर चसने को बोला। तब मैं भैया के तगड़े लण्ड को हाथ से
सहलाने लगी और अब्बु जी ने अचानक बरु पर चचकोटी काट ली और मेरी बरु के दाने के साथ छे ड़खानी
करने लगे आज वाकई अब्बु के साथ अलग ही तरह का मज़ा समल रहा था जो पहले कभी नहीां समला था
। उधर भैया ने अपना लण्ड मेरे मह
ु में डाल दीया और मैं मज़े से चसने लगी अब्बु जी भी अब मेरी बरु
पे अपनी जबान रख कर चाटने लगे और क़िर मैं भी अपने चतड़ नीचे से उचकाने लगी अब मेरे मह
ु से
सससककयाां तनकलने लगी आआह्हह्ह आआअह्हह्हह अब्बु जी बहुत मज़ा आ रहा है चस डालो मेरी बरु
को …… पी जाओ साली को बहुत खाज मचती है इसमे आआह्हह्हह आज सारी खाज समटा दो और अब
अब्बु ने अपनी जबान ककसी लण्ड कक तरह अन्डर धकेल दी और मथनी कक तरह मथने लगे मेरी बरु
को।अब मझ
ु े दो तऱिा मज़ा समल रहा था एक तऱि भैया लण्ड मह
ु में डाले था और अब्बु मेरी चत को
चस रहे थे तब ही मैं आआह्हह्हह्ह आआआअह्हह्हह करते हुए झड़ गई और अब्बु मेरे सारे रस को बड़े
मज़े से चाट गये और क़िर भैया भी जोरदार धकके मेरे मह
ु में लगाते हुए झड़ गया उसके बाद थोड़ी दे र
तक हम लोग सस्
ु त से पढे रहे । करीब 20 समनट बाद अब्बु ने कहा अब बेटा, इसकी चुदाई करनी है वो
भी इस तराह कक साली ब््य क़ि्म कक चद
ु ाई भल जाय और ये कहकर मेरी चांची को कसकर दाब ददया
और भैया मेरी पीठ के पीछे से चचपक गया अब मैं अब्बु और भैया के बीच में पपसी जा रही थी। आगे
से अब्बु अपने सीने से कसकर मेरी दोनों चची दाबे हुए मेरे लबों को चस रहे थे और पीछे से मेरा भैया
अपने दोनों हाथ से मेरी बरु कक दरारों को कुरे द रहा था और उसका 9″ का कड़ा लण्ड मैं अपनी गाण्ड
पर सा़ि महसस कर रही थी। तब ही भैया ने गप्प से अपनी एक अांगल
ु ी मेरी चत में डाल दी और अब्बु
तो अब बकायदा मेरी एक चांची के तनप्पल को मह
ु में दाब कर अपने होंठ से मसल रहे थे और दसरी
चांची को हाथ से बहुत बेदरदी से दबा रहे थे। मैं सससक रही थी आआह्हह्हह्ह अब्बु ज़रा धीरे धीरे
दबाइये बहुत दद़ हो रहा है और क़िर अब्बु ने कहा बेटा अब ज़रा आसन लगाने दे आज एक साथ दो
लण्ड तेरी बरु में डलाउां गा तब मैने कहा अब्बु जी आपके पास तो एक ही है । तब अब्बु ने कहा अरी
तछनाल! ज़रा सबर तो कर और पीछे दे ख, तेरे भैया का लण्ड भी तो है और ये कहकर वो बेड पर लेट
गये उनका लण्ड ककसी साप कक तरह ़िु़िकार रहा था। इस उम्र में भी अब्बु का लण्ड बहुत मोटा और
लम्बा था मेरा ददल अन्डर से डर रहा था कक आज मेरी नन्हीां सी चत का कया होगा ? तब अब्बु ने कहा
मेरी प्यारी बेटी त अपनी चत को मेरे लण्ड पे रख कर बैठ जा और मैं अपने दोनो पैर तछतरा कर उनके
लण्ड पर बैठ गई और क़िर उनका लण्ड थोड़ा सा मेरी चत में घस
ु गया। तब अब्बु ने कहा अब त मेरी
तऱि झक
ु जा और जैसे ही उनका परा लण्ड मेरी चत में घस
ु गया और मैं जब झक
ु ी तो अब्बु ने अपने
दोनों हाथ से मझ
ु े अपनी तऱि और खीच सलया और मेरे होंठ को चसने लगे अब पीछे से भैया को
इशारा ककया कक त भी अपना लण्ड इसकी चत में घस
ु ेड़ दे पर भैया इतना समझदार नहीां था वो अपने
लण्ड को मेरी गाण्ड के छे द में घस
ु ेड़ने लगा। तब मैने कहा अब्बु भैया तो गाण्ड में मारने जा रहा है तब
भैया ने कहा साले बहनचोद मैं कह रहा हां कक बहन कक चत में डाल और त है कक गाण्ड के पीछे पड़ा है
तब भैया ने कहा कक इसमे तो आप डाले हुए है मैं कहाां से डाल?ां तब अब्बु ने कहा साले आजकल के
लड़के तो बस चत मारना और गाण्ड मारना जानते है साले बस लड़की कक टाांग उठाई और लगे चोदने,
अरे साले हरामी जजसमे मैं डाले हां उसी में त भी अपना लण्ड डाल। तब अब्बु ने मझ
ु से कहा, बेटी त ज़रा
अपनी बरु और उपर कर दे ताकक इस बहनचोद को सा़ि सा़ि नज़र आये तेरी चत और क़िर मैने अपनी
चत और उपर उठा दी । अब भैया अपने लण्ड को मेरी चत पे रख कर तघसने लगा पर मेरी समझ में
खद
ु भी नहीां आ रहा था जब अब्बु का लण्ड मेरी चत में घस
ु ा है । तब भैया का लण्ड कैसे जायेगा हाां
अगर अांगल
ु ी पेलनी होती तो वो जा सकती थी पर मैं खमोश थी आखखर भैया ने बहुत ज़ोर दे कर अपने
लण्ड कक टोपी मेरी चत में डाल ही दी और तब मझ
ु े बहुत दद़ हुआ। आआअह्हह्हह्ह्हह्ह
ऊऊऊऊओह्हह्हह्ह अम्मीईईईई अब्बु बहुत दद़ हो रहा है । तब अब्बु ने कहा कक कया भैया का परा लण्ड
चला गया अन्दर। तब मैने कहा नहीां अभी तो ससऱि टोपी ही गई है तब भैया ने एक धकका और मारा
और अब भैया का करीब चार इन्च लण्ड अन्डर घस
ु गया था। मैं चीख रही थी – आआअह्हह्हह्हह
अब्बऊऊऊऊ जीईईई पलज़्जज़ज़्जज़ज़्जज़ज़्जज़ज़्जज़ज़्जज़ रहम कीजजये, मैं मर जाउगीांईई आआआह्हह्ह , तब अबु
मेरी चांची को दबाते हुए बोले, बेटी अभी तझ
ु े बहुत मज़ा आयेगा, जब दो लोगों का लण्ड एक साथ बरु में
जाता है तब बहुत मज़ा आता है कयकां क मैने तेरी अम्मी को भी इस तरह से तेरे चचा के साथ चोद चुका
हां और तब ही मेरे भैया ने एक और धकका मारा और मेरा बेलेन्स बबगड़ गया और मैं अब्बु के सीने पर
चगर गई और मेरी आांख से आांस तनकलने लगे और मेरी सससककयाां बांध गई। अब भैया और अब्बु का
परा परा लण्ड मेरी चत में था और एक दसरे के लण्ड से रगड़ खा रहा था और मेरी चत कक दरार
़िैलती जा रही थी अब मझ
ु े भी दद़ कक जगह मज़ा आने लगा था और मैं धीरे धीरे उन दोनों का साथ
दे ने लगी थी आआआह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह अब्बु बहुत अच्छा लग रहा है और अन्दर कीजजये आअह्ह
ह्हह्हह्ह ऊऊऊऊफ़्फ़िफ़्फ़िफ़्फ़िफ़्फ़ि कसम से बहुत मज़ा आ रहा है और अब दोनो बहुत ही जोरदार धकके
लगा रहे थे साथ साथ मेरी दोनो चच
ां ी को भी मसल रहे थे तब ही कक तब का लण्ड मेरी चत में झड़ा
पर मैं समझ नहीां पाई कक ककसका पानी मेरी चत में चगरा है और क़िर कुछ दे र बाद मैने अपनी चत में
एक बार क़िर से पानी कक ़िुहार महसस कक और क़िर दोनो के लण्ड ढीले हो गये पर मैं अभी झड़ी नहीां
थी तब मैने अब्बु से कहा साला बेटी चोद कर अपना पानी तो आप लोगों ने तनकाल सलया पर मेरा तो
अभी पानी भी नहीां तनकला साले अगर जलदी ही मेरी प्यास नहीां बझ
ु ाई तो तम
ु दोनों का लण्ड काट
लग
ां ी। तब अब्बु ने मझ
ु े झट से अपने लण्ड पर बैठा सलया और मेरी चांची को चसते हुए बोले मेरी रानी
ऐसे बात ना करो आज दे खो मैने तम
ु को ककतना मज़ा ददया है और अभी तम्
ु हारा पानी भी तनकाल दे ता
हां और क़िर मझ
ु से कहा तम
ु ऐसा करो कक भैया से एक बार गाण्ड मरवा लो तम्
ु हारा पानी भी तनकल
जायेगा। तब मैने कहा, अबे जहील कहीां गाण्ड मरवाने से भी पानी तनकलता है बेटीचोद, मेरी बरु में खाज
है और त गाण्ड मरवाने कक बात कर रहा है । तब अब्बु ने कहा बेटी मैं बरु मारां गा भैया गाण्ड मारे गा
और उसके बाद भैया ने मेरी जम कर गाण्ड मारी और आगे से अब्बु मेरी चत में अपना लण्ड पेले जा
रहे थे अब मझ
ु े दो तऱि से मज़ा समल रहा था। एक साथ बरु और गाण्ड मरवाने का थोड़ी दे र बाद ही
मैं झड़ गई और मेरी चत से ़िस ़िस कक अवाज़ आने लगी। तो दोस्तों कैसे लगी मेरी कहाांनी अपने
मैल के द्वारा ज़रूर बताइयेगा और हाां लड़डड़याां भी बेदहचक अपने मेल भेज सकती है ।
चत खुजाती रहती थी भाभी
हाय, यह कहानी बब्कुल सच्ची है और सारी कहानी की घटना जयपरु पपांक ससटी में हुई है ।मेरा नाम
अभय है (बदला हुआ) मैं 27 साल का हुँ, 5 फुट 7 इांच लम्बा हुँ। मेरा लांड 7 इांच लम्बा है । मेरे बड़े भाई,
पवनोद की शादी हुए एक साल हुआ है । पपछले 6 महीने से व्यापार में बहुत तेज़ी आने से पवनोद भैया
रात को 12 बजे तक काम करते हैं। कई बार मैं भैया को भाभी को छुप कर चोदते हुए दे ख चुका था।
मेरी भाभी सन
ु ीता, 5 फुट 3 इांच लम्बी हैं, वो भी 25 साल की हैं और कफगर 36-32-36 है , बहुत गोरी और
तीखे नैन-नकश हैं। भाभी के क्हे उभरे हुए हैं और उठी हुई चचचयाुँ हैं। एक बार जब भैया ककसी काम
से 15 ददनों के सलए जयपरु से बाहर चले गए तो मैंने दे खा कक भाभी उदास-उदास सी होने लगी थी और
मैंने दे खा कक वो ददन में कई बार अपनी चत को अपने हाथ से खज
ु लाती रहती थीां। इन 4-5 ददनों में वो
कई बार मेरे सामने भी अपनी चत को खुजलाती रहती थीां और खज
ु लाते समय मेरी तऱि बड़े ही मोहक
अांदाज में , गहरी नज़रों से दे खती भी जाती थीां। मैं जान गया था कक भाभी की चत बड़ी मचल रही है , पर
मैं कया कर सकता था। एक सब
ु ह मैंने दे खा कक भाभी जब दध लेने दध वाले के पास आईं, तो उसके
सामने अपनी चत को खज
ु लाईं, दध वाला भी बड़ी गहरी नज़रों से भाभी को चत खुजलाते दे ख रहा था,
मझ
ु े एक झटका सा लगा, मैं जान गया कक मझ
ु े कुछ करना पड़ेगा, वरना घर की इज़्जज़त जाने वाली है ।
उस रात मैंने पकका सोच सलया कक मझ
ु े भाभी की मदद करनी ही पड़ेगी, वरना कुछ भी हो सकता है ।
उस रात जब सब लोग सो गए, मैं उसी तरह सन
ु ीता भाभी के पास जाकर सो गया और मैंने तो ़िैसला
कर सलया था कक आज कुछ तो करके ही रहुँगा। सबके सो जाने के बाद मैंने एक कोसशश की, मैंने पहले
उनके करीब जाकर लेट गया, कफर आदहस्ता से, उनके मम्मों पर हाथ कफराया और आदहस्ता-आदहस्ता से
दबाने लगा। मझ
ु े ऐसा लग रहा था कक वे भी मड में आ रही हैं। कफर मैंने उनके कॉटन वाले टॉप में
ह्के से हाथ डाला। जब मेरा हाथ उनकी मल
ु ायम चचचयों पर गया, तब मेरे हाथ में उनका स्पांजी ब्रा थी,
जो मझ
ु े डडस्टब़ कर रही थी। इस दौरान मेरी धड़कनें तेज़ हो रही थीां। कफर मैंने अपनी उुँ गसलयों से
उनकी ब्रा को हटाने की कोसशश की, पर नाकाम रहा कयोंकक मेरे ऐसा करने से वे थोड़ा सा दहलने लगीां
और मैंने ़िौरन अपना हाथ हटा सलया। लेककन, कुछ दे र बाद मैं खुद ही है रान हो गया, कयोंकक मेरे लांड
पर भाभी का हाथ था और दे खते ही दे खते उन्होंने ह्के से मेरे लांड को मसलना शरू
ु ककया। मझ
ु े तो
यकीन ही नहीां आ रहा था। उनके ऐसा करने से मझ
ु े भी जोश आ गया, मैंने उनकी मदद करने के सलए
अपनी जज़प खोल कर अपना लांड उनके हाथ में दे ददया- लो मसलो मेरे लौड़े को अहह.. ओह…! और
उन्होंने सच में मसलना शरू
ु कर ददया। मैं तो अपने आपे में ही नहीां रहा। हम दोनों ने एक-दसरे के
कपड़े तनकाले तो मैं पहली बार साक्षात नांगी औरत को दे ख रहा था। मैं तो भाभी को नांगी दे ख कर बहुत
खुश हो गया और चत को दे खा तो शायद भाभी ने सब
ु ह ही अपनी चत सा़ि की थी। मैंने चत पर हाथ
कफराया, तो मेरे हाथ में चचकना रस आया, मैंने भाभी से पछा- आप चुदासी हो रही हो? वो बोलीां- बहुत,
आज तो प्यारे दे वर जी, मेरी जी भर के चुदाई कर दो। बस मैंने भाभी को दोनों हाथों से उठाया और
बबस्तर पर सलटा कर दोनों टाुँगें फैला दीां और भाभी के होंठों पर चुम्बन करने लगा। कफर दोनों मम्मों को
हाथों से पकड़ कर बहुत प्यार से मसका, कफर चचुकों को मुँह
ु में लेकर खब चसा। अब तो भाभी बहुत
चुदासी हो गईं और कहती हैं- अभय, अब मेरी चत चाटो..! मैंने भाभी की दोनों टाुँगें अपने कन्धे पर रखीां
और बीच में मुँह
ु लगाया और चत की पजु ततयों को खीांच कर चसने लगा, कफर ज़ुबान से सारा रस पीने
लगा, अपनी परी ज़ुबान चत में डाल दी। चत के मक
ु ु ट (कलाइटॉररस) को दोनों होंठों में दबा कर चसने
लगा तो भाभी मस्त होकर अपने क्हे उठा रही थीां, वो बोलीां- अभय, तम्
ु हें औरत की चुदाई करना बहुत
अच्छी आती है । मैंने 10 समनट भाभी की चत चाटी और चत के मक
ु ु ट को मुँह
ु में लेकर खीांच कर जो
चसा, तो भाभी को पहला चरमोतकऱ् समल गया। वो मेरा ससर अपनी चत पर दबाने लगीां और झटके लेने
लगीां, मैं लगातार चत चाटता रहा, एक समनट तक उनकी चत झड़ती रही। कफर भाभी ने मेरा लांड मुँह
ु में
सलया और प्यार से चसने लगीां, चारों तरफ अपना हाथ लांड पर कफराने लगीां और आधा लांड 4 इांच मुँह
ु में
ले सलया। कफर वो ज़ुबान से सारे प्रीकम को चाट गईं और बोलीां- अब मेरी चुदाई करो, मैं बहुत तड़प रही
हुँ। ककतने ददन से तम्
ु हारे भैया ने मझ
ु े अच्छी तरह से नहीां चोदा है । मैंने भाभी के चतड़ों के नीचे एक
तककया रखा और दोनों टाुँगें फैला दीां कफर मैंने अपने लांड पर बहुत सारा तेल लगाया। जब मैं अपना लांड
नीचे लाया, तो भाभी ने झपट कर मेरा लांड अपने हाथ से पकड़ कर चत के छे द पर रखा। मैंने आदहस्ते
से लांड को चत में डालने के सलए दबाव ददया तो सप
ु ारा चत में अन्दर घस
ु गया और भाभी की आुँखें
़िैल कर बड़ी हो गईं। मैंने पछा- कोई तकली़ि तो नहीां हो रही है ? भाभी बोलीां- नहीां, सस़ि़ चत पसर गई
है , ऐसा महसस हुआ। मैंने और दबाव ददया और आधा लांड चत में डाल ददया, कफर मैं भाभी के होंठों पर
चुम्बन करने लगा और आदहस्ते-आदहस्ते लांड अन्दर-बाहर करके चोदना शरू
ु ककया। चार और धकके मारे
और परा 7 इांच लांड चत में घस
ु ेड़ ददया। भाभी ने मेरे चतड़ पकड़ सलए पर मैंने लांड को चत में पेलना
जारी रखा। वे बोलीां- ठहरो जरा, लौड़े को ऐसे ही चत में थोड़ी दे र रखो, बहुत मज़ा आता है । मैंने लांड को
चत में रखा और मम्मों को मसलने लगा दो समनट के बाद भाभी बोलीां- बस अब जी भर के मेरी चद
ु ाई
करो। मैंने अपना लांड आधा से ज़्जयादा अन्दर-बाहर कर के चद
ु ाई करने लगा, परी 10 समनट की चद
ु ाई के
बाद भाभी को दसरा परम-आनन्द प्राप्त हुआ। वो मझ
ु े अपनी बाहों में पकड़ कर झटके लेने लगीां, मैंने
आदहस्ते-आदहस्ते चद
ु ाई चाल रखी। दो समनट तक भाभी का ओगेज्म चला, कफर वो अपना दोनों हाथ बेड
पर फैला कर बोलीां- माय गॉड अभय, आप तो गजब के चोद हो.. ऐसे तो तम्
ु हारे भाई ने मझ
ु े कभी नहीां
चोदा। मैंने कहा- भाभी अभी चद
ु ाई ख़तम नहीां हुई है , मेरा माल तनकलेगा तब ख़तम होगी। भाभी बोलीां-
हाुँ.. मझ
ु े मालम है .. बस अपनी भाभी को जी भर के चोदो, बहुत मज़ा आता है । मैंने लांड परा बाहर
तनकाल ददया और भाभी को चाट कर सा़ि करने को कहा, कफर चत में वापस डाला, अब तो लम्बे-लम्बे
धकके मारने लगा और भाभी बहुत उततेजजत हो गईं, बोलने लगीां- फाड़ दो मेरी फाड़ दो मेरी चत… परा
लांड अन्दर डाल दो। मझ
ु े पसीना आने लगा, भाभी ने अपना पेटीकोट लेकर मेरा माथा पोंछ ददया और
चम्
ु बन दे ने लगीां। परे 10 समनट मैंने खब चद
ु ाई की, बाद में बोला- भाभी मैं आ रहा हुँ..! भाभी बोलीां- हाुँ
अन्दर ही आओ..! और मैं वीय़ की पपचकाररयाुँ चत में छोड़ने लगा, गरम-गरम पपचकाररयाां मारीां, भाभी तो
आनन्द के मारे बेहोश सी हो गईं, वो भी साथ में झड़ी थीां और उनका परा बदन झटके खाने लगा। दो
समनट तक हम दोनों झड़ते रहे , आखख़र में मैं तनढाल होकर भाभी पर ही लेट गया, मेरा लांड नरम होने
लगा। मैंने उठ कर लांड चत से बाहर तनकाला, परा लांड वीय़ और रज से भरा चमक रहा था। हम दोनों
बाथरूम में गए, भाभी कमोड पर बैठीां और तभी मेरा माल भाभी की चत से तनकल कए टपकने लगा।
भाभी बोलीां- अभय तम्
ु हारा माल तो दे खो, साण्ड की तरह परा कप भर कर तनकला है और तम्
ु हारा भाई
का तो ससफ़ एक चम्मच तनकलता है । मैंने अपना लांड साबन
ु से धोया और हम दोनों ने कपड़े पहन
सलए। मैं भाभी को बाांहों में लेकर चमने लगा और पछा- कया तम्
ु हारा दे वर चद
ु ाई के लायक है ? भाभी ने
भी मझ
ु े अपने बाहुपाश में जकड़ सलया- हाुँ जी है .! यह मेरा और भाभी का मस्त चुदाई वाल प्रकरण था
जो आपके सामने रख ददया अब आप ही इसका ‘आल-चना’ (आलोचना) करो और प्लीज़ मझ
ु े जरूर
सलखना
हाय दोस्तों, मेरा नाम अांजसल रजक है और मैं कोटा राजस्थान की रहने वाली हुँ | वैसे सबको पता है
कोटा भारत में ककस सलए जाना जाता है | यहाुँ बहुत बच्चे आते है दर दर से है जो यहाुँ है उनकी उनके
घर वाले सलए रहते है | मैंने भी दो साल आई.आई.टी. की कोचचांग की और मझ
ु े भी एक अच्छा सा
कॉलेज समल गया | कॉलेज का नाम नहीां बताउां गी लेककन वो कॉलेज उततराखांड में है | मेरा एडसमशन
हुआ और मैं उस कॉलेज के रहने में रहने चली गई | मेरे रूम में दो लड़ककयाुँ और थी सोनाली और
कृततका और दोनों ही बहुत अच्छी थी कफर बाद तो मेरा रूम चें ज हो गया लेककन जब तक हम तीनो
साथ थे बहुत मस्ती करते थे | तो आईये दोस्तों मैंने आपको अपने कुछ मस्त और रां गीन ककस्से बताती
हुँ | कॉलेज में रै चगांग होती थी लेककन जब हम सीतनयर हुए थे तो बांद हो गई थी मतलब हमारी हो गई
लेककन जब हमारी करने की बारी आई, तो कमीनी सरकार ने बैन लगा ददया | मगर हमारी रै चगांग का
ककस्सा भी गज़ब था | रात के 8:30 बज रहे थे और हम सब खाना खाके फ्री हुए थे तभी हमारे दरवाज़े
पे नॉक हुआ तो कृततका ने दरवाज़ा खोला तो हमारी सीतनयर मैडमें अन्दर घस
ु आई और हमारा लेने
लगी इांट्रो | हम तीनो को कुछ कुछ करने को कहा जैसे मझ
ु से कहा चल नाच के ददखा और कृततका से
कहा गाना गाओ | कृततका ने ऐसा गाना गाया कक उन्होंने कहा आज के बाद मत गाना और कफर आई
सोनाली की बारी, तो उन्होंने कहा तेरे तो बड़े है रे चल टॉप उतार अपना | सोनाली ससर झक
ु ाके खड़ी थी
और डर भी रही थी, तो मैम ने कहा चल त मत डर ये दोनों भी उतारें गी और उन्होंने कफर मझ
ु से और
कृततका से भी अपना टॉप उतारने को कहा | हम तीनो थोड़ी दे र सोचते रहे और कफर उनके फोस़ करने
पर अपनी टॉप और ब्रा उतार ददए | मेरे और कृततका के दध छोटे थे लेककन सोनाली के दध बहुत सही
लग रहे थे बड़े और गोल गोल और उनके बीच में गैप भी नहीां था | कफर उन्होंने मझ
ु े और कृततका को
उसके कहा चलो दबाओ और हम दोनों उसके दध दबाने लगे | हमने उसके दध दबाए और तनप्पल भी
खीांचे और उसके बाद मैडमें वापस चली गई | कफर हम तीनो नाम़ल हुए और बैठके बातें करने लगे कक
तम्
ु हारे इतने बड़े कैसे हुए ? उसने कहा ये सब नेचुरल है लेककन मझ
ु े लग रहा था ये नेचुरल नहीां है
इसमें बहुत से लड़कों की मेहनत है | एक ददन सोनाली नहा रही थी और मैं और कृततका उसका मोबाइल
चला रहे थे, तो हमने उसकी गैलरी खोली और दे खने लगे, तो थोडा नीचे जाके हमें उसके बॉयफ्रेंड की
फोटो समली और थोडा और नीचे गए तो लड़के चें ज होते गए | हम समझ गए लड़की बहुत चाल है बस
भोली भाली बनती है | एक ददन जब सोनाली ने अपना लगेज बैग खली ककया और उसमें से अपने कपड़े
तनकाल के रखे तो एकदम से एक डडलडो चगरा | डडलडो तो आपको पता ही होगा और जजनको नहीां पता
तो डडलडो एक नकली लांड होता है जो प्लाजस्टक रबर या काांच का बना होता है | हम दोनों वहीीँ बैठे थे
और जैसे ही हमारी नज़र उसपर पड़ी हम दोनों ने औऔऔ करना शरू
ु कर ददया | तो सोनाली अब अपने
असली रूप में आई, उसने कहा कया औऔ, तो हमने कहा अच्छा तो ये है तम्
ु हारी पसांद, तो उसने कहा हाुँ
कोई प्रॉब्लम है तम्
ु हें या तम्
ु हें भी चादहए | मैंने तो न कहा लेककन कृततका ने कहा दे दे ना हम भी मज़े
कर लेंगे इसी बहाने | तो सोनाली ने कहा चल अभी कर ले, तो मैंने कहा तम
ु दोनों ककतनी कमीनी हो
आपस में ही शरू
ु हो जाती हो | तो सोनाली ने कहा अब दे ख कृततका का कोई बॉयफ्रेंड है नहीां और तेरा
भी नहीां है और रही बात मेरी तो मझ
ु े तो समल जाते है लेककन अभी कुछ ददनों से मझ
ु े भी कोई नहीां
समला इससलए यही काम आता है जब कुछ नहीां समलता | तो मैंने कहा ठीक है तम
ु दोनों को जो करना
है करो लेककन मझ
ु े ये सब ठीक नहीां लगता, तम
ु दोनों ही करो और मैं उठने लगी | तो कृततका ने मझ
ु े
रोक सलया और कहा अरे एक बार करके दे ख न मज़ा आएगा | तो सोनाली ने मझ
ु से पछा अच्छा बता
कभी सैकस ककया है ? तो मैंने कहा हाुँ मेरा एक बॉयफ्रेंड था स्कल में और हमने बहुत बार ककया है | तो
उसने कहा ठीक है तो इससे तझ
ु े और मज़ा आएगा | कफर कृततका ने मझ
ु े समझाना शरू
ु ककया और तभी
सोनाली मेरी पैंट उतारने लगी | तो मैंने उसके हाुँथ पकड़े और कहा अरे कया कर रही हो ? तो कृततका ने
मेरा हाुँथ पकड़ा और कहा अरे करने दो अच्छा लगेगा और हम भी तो है साथ में और कफर सोनाली ने
खीांच के मेरी पैंट उतार दी | सोनाली मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चत सहलाने लगी और उसके एहसास से
मेरी आुँखें बांद होने लगी | मैं आुँखें बांद करके आनांद ले रही थी तभी मेरे होंठों पर ककसी के होंठ आ गए
और मझ
ु े ककस करने लगे | मैं भी ककस करने लग गई और ककस करती रही | कफर हम रके और मैंने
आखें खोली तो दे खा कक कृततका ने मझ
ु े ककस ककया था | कफर मैं बैठके सोनाली को दे खती रही और वो
वैसे ही मेरी चत को सहलाती रही | कफर कृततका ने मेरी चत सहलाना शरू
ु ककया और सोनाली ने मझ
ु े
ककस करना शरू
ु कर ददया | ककस करते समय कृततका ने मेरी पैंटी भी उतार दी थी और मेरे पैर फैला के
मेरी चत में ऊुँगली करने लगी | तो ककस करने के बाद मेरे मुँह
ु से सससककयाुँ तनकलने लगी अहह
म्मम्मम ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह उममम ऊम्म्म्म उम्म्म अम्मम्म उम्म्म्म अह्ह्ह अह्ह्ह्ह अम्मम्म | कफर
मैंने सोनाली का टॉप पकड़ा और उतार ददया कफर उसके दध चसने लग गई और अब कृततका ने भी
उसके दध चसना शरू
ु कर ददया | मैं और कृततका सोनाली के एक एक दध चस रहे थे और सोनाली
दीवाल से दटक कर बैठी थी | कफर कृततका ने सोनाली का पजामा उतारा और उसकी पैंटी भी और उसकी
चत चाटने लग गई | मैंने नीचे दे खा तो कृततका उसकी चत चाट रही थी और सोनाली की चत बबलकुल
शेव की हुई थी और मेरी चत में जबकक कुछ बाल थे | मैंने कफर से सोनाली के दध चसना शरू
ु कर
ददया और कृततका तो उसकी चत चाट ही रही थी और सोनाली अह्ह्ह अह्ह्ह उममम ऊम्म्म्म उम्म्म
अम्मम्म उम्म्म्म अह्ह्ह अह्ह्ह्ह अम्मम्म य्ह्ह्ह्हह य्ह्ह्ह्हह कर रही थी | मैं रक गई और जाके कृततका
का पजामा उतारने लगी और उतारने के बाद उसकी पैंटी भी उतारी और उसकी चत में ऊुँगली करने लगी
| कृततका की चत में भी बाल थे वो भी मेरी चत से ज्यादा | अब मैं कृततका की चत में ऊुँगली कर रही
थी और कृततका सोनाली की चत चाट रही थी | कफर कृततका रक गई और अब हम तीनो एक दसरे को
दे खने लगे, तो सोनाली ने कहा तम
ु लोग बाल सा़ि नहीां करते कया ? तो मैंने कहा नहीां, कैसे बनाए ? तो
सोनाली ने अपना रे जर ददया और जाओ बना लो कफर और मस्ती करते है | मैं और कृततका बाथरूम में
गए और अपना चत के बाल बनाने लगे | पहले कृततका ने अपना बाल सा़ि ककये और उसके बाद मैंने
और दोनों ने अपनी चत धोई और बाहर तनकले, तो हमने दे खा कक सोनाली बबस्तर पर बैठकर अपनी चत
में डडलडो डाल रही है और ससस्काररयाां ले रही है | हम दोनों उसके पास गए और कृततका ने उसका
डडलडो पकड़ा और अब कृततका उसकी चत में डडलडो अन्दर बाहर करने लगी | अब सोनाली की
ससस्काररयाां तेज़ होने लगी अह्ह्ह अह्ह्ह उममम ऊम्म्म्म उम्म्म अम्मम्म उम्म्म्म अह्ह्ह अह्ह्ह्ह
अम्मम्म य्ह्ह्ह्हह य्ह्ह्ह्हह | डडलडो के दोनों तरफ लांड था और कफर कृततका ने भी अपनी चत में डडलडो
डाला और अब दोनों आगे पीछे होके चद
ु ने के मज़े लेने लगे और मैं दे खती रही और अपने ही हाुँथ से
अपनी चत मालती रही | कफर दोनों ने अपना मन भरने तक मज़े सलए और उसके बाद मझ
ु े पकड़ सलया
और मेरी टाांगे फैला दी | मैं कफर दीवाल से दटक के बैठ गई और दोनों ने मेरी एक एक टाांग पकड़ के
फैलाई और मेरी चत में डडलडो डाल ददया | जब वो चत में गया तो मझ
ु े बहुत दद़ हुआ और मेरी चीख
भी तनकली तो सोनाली ने मेरा मह
ुँु बांद कर ददया और मेरी चत में डडलडो अन्दर बाहर करने लगी | थोड़ी
दे र तक वो ऐसे ही मेरी चत में डडलडो अन्दर बाहर करते रहे और कफर सोनाली ने मेरे मुँह
ु से हाुँथ हटा
ददया | थोड़ी दे र बाद मेरी चत से पानी तनकल गया और कफर हम तीनो वहीीँ लेट गए | उसके बाद तो
हमने कई बार डडलडो का इस्तेमाल करके मज़े सलए लेककन कफर हम अलग हो गए मतलब हमारे रूम
बदल गए लेककन आज भी जब मौका समलता है तो मज़े उठा लेते है |
हाय फ्रेंड्स, कैसे हैं आप सब ? मैं आशा करता हुँ कक आप सभी अच्छे होंगे | मेरा नाम सन
ु ील है और मैं
रीवा के रहने वाला हुँ | मेरी उम्र 26 साल है और मैं अभी जॉब ढां ढ रहा हुँ | मैं ददखने में साांवला हुँ और
मेरी हाईट 5 फुट 8 इांच है और मेरा बदन भी गठीला है | दोस्तों मैं इस साईट का बहुत परु ाना पाठक हुँ
और रोज ही यहाुँ पर कहातनयाां पढ़ कर मजे लेता हुँ | मझ
ु े इन सभी कहातनयों में ससफ़ भाभी वाली
कहातनयाां ज्यादा रोमाांचचत लगती हैं | फ्रेंड्स, आज जो मैं आप लोगो के समक्ष अपनी कहानी पेश करने
जा रहा हुँ ये मेरी पहली कहानी है और मेरे जीवन की एक दम सच्ची कहानी है | मैं उम्मीद करता हुँ
कक आप सब को मेरी कहानी जरर पसांद आएगी | तो अब मैं आप लोगो का ज्यादा समय नहीां लुँ गा और
अपनी कहानी पर आता हुँ | ये घटना कुछ समय पहले की है | मेरे घर में मेरे मम्मी पापा, दादा दादी,
हम दो और बड़े भाई रहते हैं | मैं उनमे से मांझला हुँ | मैं बहुत ही चुदककड़ ककस्म का लौंडा शरू
ु से ही
रहा हुँ | मझ
ु े चद
ु ाई बहुत पसांद है | स्कल के समय में मैंने तीन लड़ककयाुँ सेट की था और कफर उन्हें
चोदा भी था | कफर जब मैं कॉलेज में गया तब मेरी एक गल़फ्रेंड बनी पर साली ने मझ
ु े एक ककस तक
नही ददया इससलए मैंने उसके साथ ब्रेकअप कर सलया | मेरे घर वाले मेरे बड़े भाई की शादी हो चुकी है
और उनको एक छोटा सा बेटा भी है | बड़े भैया आमी मैन हैं इससलए उनकी पोजस्टां ग यहाुँ वहाां होती
रहती है | वो बहुत ही कम घर आ पते हैं | मेरा जो छोटा वाला भाई है वो बबट्स पपलाने से पढाई परी
कर रहा है | पापा ऑकफसर रैंक में है इससलए हमे कभी भी ककसी चीज़ की ददककत नहीां होती | मेरे घर
में सबसे बबगड़ा लड़का मैं ही तनकल गया कयकां क | ग्रेजुएशन होने के बाद भी मैं खाली बैठा हुँ | मेरी
भाभी का नाम सल
ु ोचना है और वो ददखने में बहुत ही खबसरत है | वो ददखने में बहुत ही सेकसी भी हैं
| उनके मस्त दध और मस्त गाांड दे ख कर तो मेरा लांड चोदने को करने लगता है | पर भाभी की मजी
के बबना चोदना ये सांभव नहीां था मेरे सलए | पर कुछ समय से मैं नोदटस कर रहा था कक भाभी मेरी
तरफ चुदासी भरी नजरो से दे खती और मझ
ु े दे ख कर कभी अपने दध के पास खज
ु लाती तो कभी अपनी
गाांड मटका मटका कर चलती | मैं भी कभी कभी मजाक में बोल दे ता की भाभी आप को तो मोडल
बनना चादहए था कयकां क आप बहुत ही सेकसी चाल चलती हो | भाभी भी मेरे मजाक को सीररयस ले लेती
| ऐसे ही हमारे बीच मस्ती मजाक चलता रहता था | लेककन एक ददन भाभी मेरे कमरे में रात को आई
और कहने लगी की मझ
ु े तम
ु से चुदाई चादहए है | तो मैंने भी कहा हाुँ भाभी चोदना तो मैं भी आपको
कबसे चाहता हुँ लेककन बबना आपकी इजाजत के नहीां | मैं कई बार आपके नाम की मट्ठ
ु मारता था और
जब आपकी ब्रा और पेंटी बाथरूम में सख
ु ाने के सलए डालती तो मैं उसके सघ
ां कर भी मट्ठ
ु मार लेता था
| कफर एक ददन जब हमारा घर खाली था तब मैंने उसे पीछे से जा कर पकड़ सलया और उसकी गाड में
अपना लांड फांसाते हुए उसको बाांहों में भर सलया | मैं अपने दोनों हाुँथ को आगे कर के मम्मो को मसलने
लगा और उसकी गरदन को चाटने लगा तो वो कहने लगी जान इतनी भी कया ज्दी है आराम से करो
न | तो मैंने उसके मम्मों को मसलते हुए कहा कक जान अब तो बस तझ
ु े चोद कर ही आराम करूुँगा |
कफर मैंने उसे अपनी तरफ ककया और उसके होंठ पर अपने होंठ रख ददए और उसके होंठ को चसने लगा
तो वो भी मेरा साथ दे ते हुए मेरे होंठ को चसने लगी | मैं उसके होंठ को चसते हुए उसके चतड़ भी
सहला रहा था और वो भी मेरे होंठ को चसते हुए मेरी गाांड दबा रही थी | हम दोनों ने 15 समनट तक
चसा एक दसरे के होंठ को | उसके बाद मैंने अपनी टी-शट़ को उतार दी और बतनयान भी | अब मैं ऊपर
से परा नांगा था | कफर वो मेरे छाती के बालो को सहलाने लगी और मेरे तनप्पलस को चसने लगी तो मैं
मजे लेने लगा | उसके बाद वो पलांग पर बैठ गई और मेरे जीन्स के बटन को खोल कर उसे उतार ददया
और उसके बाद मेरे अांडरपवयर को भी उतार कर मझ
ु े परा नांगा कर ददया | कफर वो मेरे लांड को अपने
हाुँथ में ले कर दहलाने लगी और जब मेरा लांड तन गया तो वो मेरे लांड के टोपे को पीछे खखसका कर
जीभ से सहलाने लगी तो मेरे मह
ांु से आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह
आहा ऊांह ऊम्ह की ससस्काररयाां तनकलने लगी | वो मेरे लांड को बहुत ही प्यार से चाट कर तर कर रही
थी और मैं आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह करते हुए
ससस्कररया भर रहा था | उसके बाद वो मेरे दोनों गोटों को अपने मह
ुां में ले कर चसने लगी तो मैं आहा
ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह करते हुए मट्ठ
ु मारने लगा |
उसके बाद उसने मेरे लांड को अपने मह
ुां में डाल कर चसने लगी तो मैं आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह
आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह करते हुए उसके बालो को सांवारने लगा | वो मेरे लांड को
जोर जोर से आगे पीछे करते हुए चसे लगी तो मैं भी आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह
आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह करते हुए अपना लांड उसके मह
ुां से अन्दर बाहर करने लगा | उसने मेरे
लांड को करीब 10 समनट तक चसा | उसके बाद मैंने उसकी साड़ी का प्ल नीचे ककया और ब्लाउज के
हुक को खोल कर उतार ददया | अब वो मेरे सामने ब्रा में थी और मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके बड़े मम्मों
को मसलने लगा और वो आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह
करते हुए ससस्काररयाां लेने लगी | कुछ समनट बाद मैंने उसके ब्रा को भी उतार ददया और ऊपर से नांगी
कर ददया | कफर मैंने उसके मम्मों को अपने मह
ुां में ले कर बारी बारी से चसने लगा तो वो आहा ऊांह
ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह करते हुए मेरे ससर पर हाुँथ फेरने
लगी | उसके बाद मैंने उसकी साड़ी को उतार कर अलग कर ददया और पेटीकोट भी उतार ददया | कफर
मैंने उसे लेटाया और वो उसके दोनों हाुँथ और दोनों पैर को चमने लगा तो वो आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह
ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह करते हुए आन्हे लेने लगी | कफर मैंने उसकी पें टी
कोट को भी उतार ददया और उसे भी परा नांगी कर ददया | मैंने उसके दोनों पैरो को फैला ददया और
अपनी जीभ से उसकी मादक चत को चाटने लगा तो वो आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह
आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह करते हुए जोर जोर से ससस्काररयाां लेने लगी | मैं उसकी चत चाटते हुए
उसके मम्मों को भी मसल रहा था और वो आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह
ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह करते हुए ससस्काररयाां सलए जा रही थी | कफर मैंने अपने लांड को उसकी चत पर
दटकाया और लांड से उसकी चत को सहलाने लगा | कफर मैंने अपना लांड उसकी चत में घस
ु ेड ददया और
चोदने लगा तो वो आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह करते
हुए चद
ु ाई के मजे लेने लगी | मैं जोर जोर से उसकी चत को चोद रहा था और साथ में दोनों मम्मों को
मसल रहा था और वो आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह
करते हुए ससस्काररयाां ले रही थी | उसके बाद मैंने उसके घट
ु नों को मोड़ ददया और कफर से अपने लांड
उसकी चत में डाल कर चोदने लगा तो वो आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह
ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह करते हुए मदहोश होने लगी | उसके बाद मैंने उसे कुततया बना ददया और पीछे से
लांड डाल कर चोदने लगा तो वो आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा ऊांह ऊम्ह आहा
ऊांह ऊम्ह करते हुए नीचे हाुँथ कर के मेरे दोनों गोटों को सहलाने लगी | कफर कुछ ही समनट के बाद मैंने
उसकी चत में ही झड़ गया | तो दोस्तों ये थी मेरी कहानी | मैं उम्मीद करता हुँ कक आप सब को मेरी
कहानी पसांद आई होगी |
भाभी को लांड की भख
तझ
ु े चद
ु ाई की कसम
और दोस्तों ? अच्छा ककस ककस को हरी भरी वाददयाुँ, बड़ा सा बगीचा या जांगल पसांद है | मेरे ख्याल से
बहुतों को और जजनको नहीां है उनको वहाां एक बार जाना चादहए | अच्छा बहुत से लोग वहाां गए भी होंगे
अपने दोस्तों के साथ, अपनी गल़फ्रेंड के साथ, अपने पररवार के साथ या अपनी पतत के साथ लेककन
ककतनो ने वहाां के जाके चद
ु ाई का आनांद उठाया है | ऐसा हो सकता है कक कुछ लड़के अपनी गल़फ्रेंड या
अपनी पतनी को ऐसे जगह ले जा के चोदा भी हो लेककन बहुत कम होता है कक कोई लड़की तम्
ु हें वहाां
लेके जाए और वो भी दोस्त की पतनी | तो मैं हुँ रोदहत और ये है मेरी कहानी एक साल पहले मेरी
जॉब लगी थी और मझ
ु े कांपनी की तरफ से फ्लैट समला था रहने के सलए | उस बबज्डांग में और भी
कांपनी वाले काम करते थे जजसमें से एक था राजीव | वो मझ
ु से सीतनयर था और शाददशद
ु ा भी | उसकी
पतनी बहुत मस्त लगती थी प्यारा फेस कट, जस्लम सैकसी कफगर और सबसे ज्यादा तो उसकी नशीली
आुँखें, एक तरह से जानलेवा चीज़ | हाुँ उसका रां ग बबलकुल गोरा नहीां था बस ह्का सा डल था जो बहुत
प्यारा लगता था | मैं राजीव की इज्ज़त भी इससलए करता था कयकां क उसकी बीवी हॉट थी और मझ
ु े
पसांद भी जबकक राजीव बबलकुल काला और बदसरत था | मैं उन दोनों को दे खके हमेशा यही सोचता था
कक काश भाभी जी कुछ ददन और रक जाती उनको कुछ अच्छा समल जाता | चलो जो हुआ सो हुआ
लेककन जजस चीज़ को सच्ची हवस से चाहो तो सारी कायेनात उसको तम
ु से चद
ु वाने में लग जाती है |
राजीव की शादी को दो साल हो गए थे लेककन कोई बच्चा नहीां था मझ
ु े भी अजीब लगता था कक ऐसी
पतनी को कोई चोदे बबना कैसे रह सकता है ? मेरा उनके घर आना जाना नहीां था लेककन एक बार जब
राजीव के घर में ककसी चीज़ की पजा थी तो उसने काम के सलए मझ
ु े ही बल
ु ाया और उसके बाद से मेरा
उसके घर आना जाना हो गया | मैं तो अकेला रहता था इससलए वो कभी कभी मझ
ु े खाने के सलए बल
ु ा
लेते थे और मैं भी बड़े शौक से उनके घर खाना खाने चला जाता था | मैं पहले राजीव की पतनी को मैम
बोलता था लेककन जब मेरा उनके घर आना जाना हुआ तो उसने खद
ु कहा मैम नहीां भाभी बोला करो |
उसके बाद तो हमारी अच्छी बनने लगी, मैं तो कभी भी उनके घर पहुुँच जाता था और अगर उनको कोई
काम होता था तो वो लोग भी सबसे पहले मझ
ु े ही बल
ु ाते थे | वैसे मैं जजम भी जाता हुँ और तब भी
जाता था और तब भी मेरी बॉडी बहुत अच्छी थी | एक बार शाम के वक़्त मैं जब जजम से वापस लौटा
और जैसे ही मैंने अपनी टी-शट़ उतारी तो ककसी ने दरवाज़ा खटखटाया, तो मैं ऐसे ही चला गया और
दरवाज़ा खोला तो भाभी जी बाहर खड़ी थी | उन्होंने मझ
ु े गाजर का हलवा ददया और कहा ये हलवा है
खाके बताना कैसा बना है ? तो मैंने कहा ठीक है भाभी | तभी भाभी ने कहा ऐसी बॉडी अपने राजीव
भईया की भी बनवा दो | तो मैंने कहा बॉडी अच्छी है कया ? तो उन्हीने कहा अरे बहुत अच्छी है बबलकुल
हीरो लग रहे हो | हाय मेरे तो शम़ से गाल लाल हो गए | उसके बाद वो चली गई और मैं उनकी गाांड
दे खता रहा | एक हफ्ते बाद राजीव को काम के सलए बाहर जाना था वैसे वो जाता रहता था लेककन इस
बार एक हफ्ते के सलए जाना था | जाते समय उसने मझ
ु से कहा घर पे ध्यान ददए रहना अगर कुछ काम
हो तो कर दे ना | तो मैंने कहा अरे सर ये कोई बोलने की बात है कया | बस कफर वो चलाए गए और मैं
घर वापस आ गया | रात का समय था और मैं खाना बना रहा था तभी मेरे घर के दरवाज़े पे दस्तक
हुई और हर बार की तरह भाभी जी ही थी | भाभी जी ने कहा चलो खाना खालो, तो मैंने कहा अरे भाभी
वो तो मैंने बना सलया है | अच्छा चलो ठीक है लेककन कल से मेरे यहाुँ आ जाना खाना खाने | उसके
भाभी जी ने कहा अच्छा अन्दर आ जाऊां और अन्दर आके बैठ गई | मैं खाना बनाने ककचन में गया तो
भाभी भी वहाां आ गई और कहा चलो मैं तम्
ु हारी मदद कर दे ती हुँ और उन्होंने मेरी मदद की और उसके
बाद मैंने खाना खाया और कफर हम साथ बैठके यहाुँ वहाां की बातें करने लगे | राजीव के आने से एक
ददन पहले भाभी मेरे घर आई और हम साथ बैठके बातें कर रहे थे | तभी मैंने पछा अच्छा भाभी अभी
तक कोई बच्चा नहीां, कोई प्लान नहीां है कया ? तो उन्होंने कहा नहीां ऐसा नहीां प्रॉब्लम है कुछ | तो मैंने
कहा कैसी प्रॉब्लम भाभी ? तो उन्होंने पहले तो मना ककया लेककन मेरे फोस़ करने पर उन्होंने बताया कक
राजीव में कुछ कसमयाुँ है जजसके इलाज के सलए वो दद्ली गए है | अब जाके मझ
ु े सब समझ में आया
तो मैंने पवस्तार से पछना शरू
ु ककया तो मझ
ु े पता चला कक राजीव का लांड पहले खड़ा होता था लेककन
शादी के एक महीने बाद खड़ा होना बांद हो गया और उसका लांड भी बहुत छोटा था | मैंने सोचा भाभी तो
कब से तरसी बैठी है लांड के सलए मैंने कहा भाभी अगर मैं कुछ कर सकता हुँ आपके सलए तो बताओ
मझ
ु े ? तो भाभी ने कहा आप कया करें गे जो करना है डॉकटर करे गा | मैं भी भाई के करीब गया और
उनका हाुँथ पकड़ के अपने लांड पे रखा और कहा मैं इसकी बात कर रहा था | थोड़ी दे र तक हम दोनों
एक दसरे को दे खते रहे और उसके बाद मैंने उसको ककस कर ददया | वो बस बैठी रही आुँखें बांद करके
और मैं उसको ककस करता रहा | जब हम दोनों ककस कर रहे थे तो उसने मेरा लांड भी ज़ोर से दबा रखा
था | ककस करने के बाद वो उठके चली गई बबना कुछ बोले लेककन मेरी गाांड फटती रही कक कहीां राजीव
को कुछ बता न दे | अगले ददन सब
ु ह राजीव अपने घर आया और सो गया | थोड़ी दे र बाद भाभी मेरे
घर आई और कहा चलो ज़रा काम है और मझ
ु े लेके घर के पास वाले जांगल चली गई | उसने मझ
ु े
बताया की राजीव्व जब से आया है तबसे सो रहा है और अगर उठा तो सबसे अपने घर में और कफर
तम्
ु हारे घर में ढां ढेगा इससलए मैं तम्
ु हें बाहर ले आई | हम जांगल के काफी अन्दर तक गए और कफर
चादर बबछा के बैठ गए और एक दसरे को ककस करने लगे | ककस करते हुए मैंने पहले भाभी का ब्लाउज
खोला लेककन खल
ु ा नहीां तो मैंने कोसशश ही छोड़ दी और ब्लाउज के उठा ददया | उनके दध थोड़े से बाहर
आये और मैं उतने ही दध मुँह
ु लगाकर चसने लगा | कफर मैंने बड़े मज़े से दध चसे और उसके बाद
उसने मझ
ु से कहा लेट जाओ और मैं गया | कफर उन्होंने मेरी जीन्स उतार के जब मेरा खड़ा लांड अपने
हाुँथ में पकड़ा, तो उनके चेहरे पे रौनक ही अलग थी | उन्होंने कहा राजीव का तो कोई मक
ु ाबला ही नहीां
है इसके सामने और उसके बाद मेरा लांड चाटने लगी | उसने पहले मेरा लांड ऊपर से नीचे तक चाटा और
उसके बाद चसना शरू
ु कर ददया | कफर उसने मेरा लांड थोड़ी दे र तक चसा और कफर मेरा लांड दहलाते हुए
कहा इसको परा अन्दर मत डालना, मझ
ु े इसकी आदत नहीां है | कफर मैं उठा और उनकी साड़ी उठाकर
ऊपर कर दी और पैंटी उतारकर चत में ऊुँगली करने लगा | उसकी चत काली थी लेककन उसमें बाल
बबलकुल नहीां थे एक चचकनी सपाट जैसी ब्ल कफ्मों में होती है | कफर मैं उसकी चत में ऊुँगली की और
उसके बाद उसकी चत में डालने लगा | चत तो मस्त टाइट थी और शरू
ु में तो मेरा लांड ठीक से अन्दर
जा ही नहीां रहा था लेककन जब मैंने थोडा ज़ोर लगाया तो मेरा आधे से ज्यादा लांड अन्दर चला गया और
वो मझ
ु े बाहर तनकालने को कहने लगी | मैं धीरे धीरे उसको चोदता रहा और वो अहह अह्ह्ह अहहहा
अआ आह्ह्ह अह्ह्ह ह्ह्ह्हह आआआआअ करती रही | मैं उसको उसी तरह चोदता रहा और थोड़ी दे र
बाद उसकी सससकाररयाुँ कम होने लगी तो मैंने ज़ोर ज़ोर के झटके मारना शरू
ु कर ददया और उसके बाद
कफर वही आवाजें आने लगी | मैंने उसको थोड़ी दे र तक चोदा और जब मेरा मट्ठ
ु तनकला तो उसने मझ
ु े
अन्दर चगराने को कहा तो मैंने मट्ठ
ु अन्दर ही छोड़ ददया | उसके हम घर घर चले गए और कफर जब
राजीव घर पर नहीां होता था या सो रहा होता था तो हम मौज उड़ा सलया करते थे | अभी एक महीने
पहले ही वो मेरे बच्चे की माुँ बनी है और राजीव को लगता है कक वो ठीक हो गया है और बच्चा उसका
है |
लसलता भाभी की चद
ु ाई
नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम राज है और मैं रीवा का रहने वाला हुँ। मैंने इस साईट की कई कहातनयाुँ पढ़ीां हैं
और पहले तो मैं इन सब में बब्कुल पवश्वास नहीां रखता था कयोंकक मैं यही सोचता था कक ऐसा तो
कभी हो ही नहीां सकता कक कोई अपने ही बेटे से चुदवा ले या कोई बहन अपने ही भाई से गाुँड मरवा
ले। पर यकीन मातनए जब से मेरे साथ चुदाई वाली यह घटना घटी तो मझ
ु े यकीन हो गया कक ऐसा भी
होता है । मेरे साथ कोई माुँ-बहन वाली तो नहीां पर ककरायेदार की चुदाई की घटना घटी जो मैं आप लोगों
को सन
ु ाना चाहता हुँ। यह कहानी आज से दो साल पहले की है जब मेरी उम्र २३ साल की थी और मैं
अपनी ग्रेजुएशन परा कर चक
ु ा था। हमारा घर रीवा के एक बड़ी कॉलोनी में है । हमारा घर बहुत बड़ा है ।
घर के एक दहस्से के तीन कमरों में ककरायेदार रहते हैं। हमारे घर में एक दहस्से में कमरा खाली था, उसी
में रहने के सलए एक ददन एक प्रधानमांत्री सड़क योजना के इांजीतनयर सपररवार आए। उनके पररवार में
उनके अलावा उनकी पतनी और उनकी एक बेटी थी। पतनी की उम्र ३८ साल की होगी और उनकी बेटी
की उम्र १९ साल की रही होगी। अब मैं अपनी कहानी शर
ु करता हुँ। मेरा ग्रेजए
ु शन परा होने के बाद मैं
नौकरी की तलाश में लग गया। कोई काम न होने के कारण मैं अकसर घर पर ही रहता था। एक ददन
की बात है कक मैं अपने बालकनी में कुसी लगाकर बैठा हुआ कुछ पढ़ रहा था कक इतने में मझ
ु े पानी
चगरने की आवाज़ सन
ु ाई पड़ी, जैसे कोई नहा रहा हो। मैंने खड़े होकर नीचे आुँगन में दे खा तो मेरे होश
उड़ गए। मैंने दे खा कक रानी (इांजीतनयर की पतनी) नहा रही थी और वह भी परी नांगी होकर। मैंने पहली
बार ककसी औरत को परा नांगा दे खा था। मेरे रोम-रोम खड़े हो गए, और उसका नहाना परा होने तक मैं
उसे दे खता रहा। चुँ कक मेरे घर के चारों और उुँ ची दीवारें हैं इससलए बाहर से तो कोई भी नहीां दे ख सकता,
तो इससलए जस्त्रयाुँ आुँगन में नांगी नहा सकतीां थीां। अब मैं रोज़ाना उसी बालकनी में चला जाता और जब
तक वो नहाती, मैं उसे दे खा करता। मझ
ु े पहले से चद
ु ाई के बारे में कोई जानकारी नहीां थी और न मैं यह
जानता था कक चद
ु ाई कैसे करते हैं। बस, परे बदन में एक अजीब सी हरक़त होती थी। मैं परे शान होने
लगा कक मझ
ु े यह कया हो रहा है , और कुछ ही दे र में सब शाांत हो जाता था। एक ददन जब वह नहा रही
थी और मैं उसे दे ख रहा था, तभी उसकी नज़र मझ
ु पर पड़ गई। मैं ज्दी से वहाुँ से भाग कर अन्दर
आ गया। मैं का़िी डर गया था कक अब वह मेरे घरवालों को सबकुछ बता दे गी, पर ऐसा कुछ भी नहीां
हुआ। कुछ ददन बीत गए। मैंने बालकनी की ओर जाना बन्द कर ददया। एक ददन रानी ने मझ
ु े अपने घर
बल
ु ाया। मैं वहाुँ गया, वह घर पर अकेली ही थी। उसकी बेटी कॉलेज गई थी और पतत दौरे पर जजले से
बाहर गए थे। मैं जब उसके घर गया तो उसने बैठने को कहा और अभी आने की बात कहकर अन्दर
चली गई। कुछ ही दे र बाद वो एक झीनी सी गाऊन पहनकर बाहर आई। गाऊन के अन्दर उसने कुछ भी
नहीां पहना था। गाऊन के बाहर से सबकुछ ददखाई दे रहा था। मैंने अपनी नज़रें नीची कर लीां। वह मेरे
बगल में आकर बैठ गई। उसने कहा, "आजकल तम
ु ददखाई नहीां दे ते हो, कया बात है ?" "नहीां आुँटी ऐसी
कोई बात नहीां है । इन ददनों मैं कुछ ज़्जयादा ही व्यस्त था।" "अच्छा बताओ, तम्
ु हारी कोई गल़फ्रेण्ड है ?" -
उसने बात आगे बढ़ाने के सलए पछा। मैंने ना में ससर दहलाया, तो वह चौंक कर बोली, "कया? इतने बड़े हो
गए हो, अभी तक कोई गल़फ्रेण्ड नहीां है ? तब तो तम्
ु हें बड़ी परे शानी होती होगी।" "परे शानी कैसी?" "तम
ु
तो एकदम बद्ध
ु हो, और मैं कुछ और ही समझ रही थी।" "आप कया सोच रहीां थीां?" "उस ददन तम
ु मझ
ु े
नहाते हुए दे ख रहे थे, तो मैंने सोचा कक तम
ु काफी एकसपट़ हो। पर तम
ु तो इन सब के बारे में बब्कुल
ही मख़ हो। अच्छा बताओ, तम
ु ने मेरा कया-कया दे खा।" "मैंने आपका परा शरीर दे खा।" "परे शरीर और
उसके कुछ भाग में अन्तर होता है । तम
ु ने मेरे शरीर में ऐसा कया दे खा जो तम्
ु हें अच्छा लगा हो?"
"आपकी छाती..." यह सन
ु कर वह हुँसने लगी, "इससे पहले कभी ककसी औरत या लड़की को नांगा दे खा है?"
"नहीां।" "चलो, मैं आज तम्
ु हें अपना परा नांगा बदन ददखाती हुँ," और इतना कहकर वो मझ
ु े अपने बेडरूम
में लेकर चली गी। बेडरूम में पहुुँचते ही उसने अपना गाऊन उतार कर फेंक ददया और मेरे कपड़े उतारने
लगी। कुछ ही दे र में उसने मेरे सारे कपड़े उतार ददए और मझ
ु से सलपट कर मझ
ु े बेतहाशा चमने लगी।
कुछ दे र के बाद मैं भी उसके बदन को चमने लगा। जब मेरा हात उसकी चची पर गया, मेरे बदन में
कुँपकुँपी होने लगी। कफर मैं धीरे -धीरे उन चचचयों को दबाने लगा। मझ
ु े मज़ा आ रहा था और वह
सससकाररयाुँ भर रही थी।" अब उसने मझ
ु अपने घट
ु नों पर झक
ु ा सलया और अपनी चत चसने का इशारा
ककया। मैंने अपनी जीभ उसकी चत में घस
ु ेड़ ददया। उसकी चत से नमकीन पानी तनकलने लगा और मैं
बड़े चाव से उसका पानी पी गया। कुछ दे र के बाद उसने मझ
ु े अपने बेड पर सलटा ददया और मेरे बगल
में बैठ कर मेरे ७ इांच लम्बे लांड को अपने मुँह
ु में ले सलया और उसे लॉलीपॉप की तरह चसने लगी। मझ
ु े
बड़ा मज़ा आ रहा था। कुछ दे र बाद मेरे लांड ने अपना पानी मुँह
ु में ही छोड़ ददया। पर उसने मेरे लांड
बाहर नहीां तनकाल और उसे चसती रही। थोड़ी ही दे र में मेरा लांड वापस तैयार हो गया। तब उसने मझ
ु से
कहा, "अब रहा नहीां जाता। अब मझ
ु े चोदो।" पर मझ
ु े चोदना तो आता नहीां था, मैंने उसे बताया, तो वह
मेरे ऊपर चढ़ गई और अपनी चत की छे द पर मेरे तैयार लांड को रखा और दबाव ददया। मेरा आधा लांड
उसकी चत में घस
ु गया। वह चीख़ी तो मैं डरकर अपना लांड बाहर तनकालने लगा, पर उसने मझ
ु े रोक
ददया और कहा कक ऐसा होता है । मैं ककतना भी चीख,ुँ तम
ु अपना लांड बाहर नहीां तनकालना। मैंने ऐसा ही
ककया। अब वो दबाव बढ़ाने लगी और धीरे -धीर मेरा परा लांड उसकी चत ने तनगल सलया। कुछ दे र बाद
तक वो शाांत थी, कफर जब उसका दद़ कम हुआ तो उसने अपनी गाुँड ऊपर-नीच करनी शर
ु कर दी। मज
ु े
भी बहुत मज़ा आ रहा था कफर उसने कहा कक ऐसे ही तम
ु मेरे ऊपर चढ़ कर करो। इसी को चोदना
कहते हैं। कफर वो बबस्तर पर चचतत लेट गई और मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपने लांड को परा-का-
परा उसकी चत में पेल ददया और धकके मारने लगा। परे कमरे में फच्च-फच्च की मधुर आवाज़ें आ रहीां
थीां। वो चीखती जा रही थी - और तेज़... मेरे राजा... आआ..... आ.... इइइइइईईईई... उउउउउऊऊऊ...
मरररररर... गईईईईई... मैं...तो........। मेरी उततेजना बढ़ गई और मैं उसे तेज़ी के साथ चोदता रहा। कुछ
ही दे र में वो चच्लाई कक मैं अब झड़ने वाली हुँ। मेरी समझ में नहीां आया कक झड़ना ककसे कहते हैं। पर
मेरे लांड से कुछ ही दे र में पानी तनकला जो उसकी चत ने पी सलया। उसी समय उसने भी मझ
ु े कस कर
दबोच सलया, शायद वह भी झड़ गई थी। कफर हम कुछ दे र तक युँ ही एक-दसरे से सलपट कर लेटे रहे ।
कफर जब मैं वापस घर जाने के सलए उठा तो मेरे कानों में उसकी बेटी रीना की आवाज़ें सन
ु ाई दीां, "कहाुँ
जा रहे हो, अब तो मेरी बारी है ।" हम लोगों ने घबरा बाहर की ओर दे खा तो बेडरूम के दरवाज़े पर रीना
खड़ी थी और शायद उसने हमारी चुदाई-लीला दे ख ली थी। उसकी माुँ ने हक़ला कर कहा रीना तम
ु ? तम
ु
कब आईं? तो रीना ने कहा, "अभी १० समनट पहले, पर माुँ तम्
ु हें दरवाज़ा तो बन्द कर लेना चादहए था।
दरवाज़ा खुला था, कोई और आ जाता तो तम्
ु हारी माुँ चुद जाती। चलो शि
ु है कक मैं थी और अगर तम
ु
दोनों अपनी सलामती चाहते हो तो राज तम्
ु हें मेरी भी जमकर चद
ु ाई करनी होगी।" मरता कया न करता,
मैं तैयार हो गया और रीना की माुँ भी तैयार हो गई। रीना ने तरु न्त अपने कपड़े उतार ददए और बबस्तर
पर आ गई। उसने मझ
ु े चमने शर
ु कर ददया, और मैंने उसे। उसकी माुँ ने एक बार कफर मेरे लांड को
अपने मुँह
ु में ले सलया और चसने लगी। रीना ने उसे मना ककया कक माुँ तम
ु ने तो एक बार मुँह
ु से और
एक बार अपनी चत से लांड का मज़ा ले सलया। अब मेरा मज़ा ककरककरा मत करो। तम
ु मेरी चत चसो।
मैं राज का लांड चसती हुँ, और राज मेरी चत चसेगा। हमने ऐसा ही ककया, कफर कुछ दे र बाद रीना कुततया
बन गई और बोली कक राज अब चोदो। मैं उसके पीछे आया और उसकी माुँ नीचे लेट गई। अब उसकी
माुँ की चत और रीना की चत ऊपर-नीचे थी, और बीच में मेरा लांड था। कया कक़स्मत थी मेरे लांड की कक
दो अप्सराओां की चत आज उसे समली थी। कफर मैंने रीना की चत को अपने हाथों से पकड़ कर फैलाया
और अपने लांड को उसकी कुँु वारी चत की छे द पर रखकर एक ज़ोरदार धकका मारा... वह चीख़ पड़ी...
आआअअअअअअ.... मरी....... मर जाऊुँगी... मैं......। मैंने रानी से जो सीख ली थी, उसी पर क़ायम रहते
हुए अपने लांड को वापपस खीांचकर एक बार कफर ज़ोरदार धकका मारा। उसकी चत से ख़न तनकल रहा
था। अब मैं डर गया कक शायद उसकी चत फट गई है। पर उसकी माुँ ने कहा कक पहली बार ऐसा होता
है । अब तम
ु मेरी चत चोदो, तब तक रीना की शाांत हो जाएगी। मैंने ऐसा ही ककया और रानी की चत
चोदने लगा। कुछ दे र के बाद रीना बोली कक अब वह तैयार है । तो मैंने वापपस अपने लांड को उसकी चत
में पेल ददया और धीरे -धीरे धकके मारने लगा। कुछ दे र के बाद रीना भी अपनी गाुँड आगे-पीछे करने
लगी, तो मैंने चद
ु ाई की गतत बढ़ाई। रानी कभी मेरे लांड को पीती को कभी रीना की चत को चाटती। कुछ
ही दे र में हम दोनों झड़ गए। पर चुँ कक रीना कुँु वारी थी इससलए उसकी माुँ ने कहा कक अपना पानी रीना
की चत में मत डालना, मेरे मुँह
ु में डालना, वरना रीना गभ़-धारण कर सकती है । मैंने वैसा ही ककया। जैसे
ही मेरा पानी चगरने वाला था तो मैंने अपने लांड को बाहर तनकाल सलया और रानी ने मेरे लांड को अपने
मुँह
ु में ले सलया और मेरा परा पानी वह पी गई। रीना भी झड़ चुकी थी। कफर हम-तीनों आपस में सलपटे
रहे और कुछ दे र के बाद मैं अपने घर वापस चला गया।
मैं मब
ुां ई में रहता हुँ ! मेरी उम्र २१ साल, कद ६ फीट और रां ग मध्यम है ! मेरी बॉडी एवरे ज है और मेरे
हचथयार का साइज़ ६'' है ! मझ
ु े चोदने का बहुत शौक है ! एक ददन मैं ब्ल कफ्म दे ख रहा था। तब मेरे
मन मैं एक ख्याल आया कक कयों न ककसी लड़की को आज होटल में ले जाकर चोदां ! मैं एक लड़की को
पैसे दे कर उसे होटल में ले गया और वहाां से घर में ़िोन करके बताया कक मैं आज दोस्त की बथ़डे पाटी
के सलए जा रहा हुँ, इससलए मैं कल सब
ु ह आऊांगा .. !!! दोस्तों मेरे ददन आचथ़क तौर पर बहुत ख़राब चल
रहे थे ! मैंने उस रात उस लड़की को बहुत चोदा ! जब मैंने दसरा राउां ड सलया तो वो लड़की जोर से रोने
लगी ! मैं है रान हो गया कक जो लड़की धांधा करती है वो मेरे लांड के कारण रो रही थी .................!
चोदने के बाद उस लड़की को मैंने अपनी प्रॉब्लम बता दी !वो लड़की बोली,"तम
ु ककसी जजगोलो जैसे काम
कयुँ नहीां करते ?? तम
ु में वो जोश है और तम्
ु हारा हचथयार भी बहुत तगड़ा है ........! " मैं सोचने लगा !
जब मैंने उससे पछा कक यह सब होगा कैसे ?? तब उसने कहा,"वो सब मेरे ऊपर छोड़ दो !" सब
ु ह ही मैंने
उसका नांबर और नाम सलया ! उसका नाम पप्रया था ! एक ददन के बाद मैंने पप्रया को कॉल ककया ! उसने
मझ
ु े नटराज होटल में बल
ु ाया और मेरे वहाां पहुुँचने पर बताया कक तम्
ु हें एक डॉकटर के यहाुँ कल रात को
जाना है ! उसने मझ
ु े उस पहली कस्टमर के बारे में जानकारी और उसका पता बताया ! मझ
ु े एक ससन्धी
डॉकटर की बीवी आरती को चोदना था, जजसकी उम्र २३ साल थी ! वो एक घरे ल औरत थी जजसका पतत
ददल का पवशेर्ज्ञ था ! उसकी उम्र ३१ साल की थी ! पप्रया ने कहा- आरती को मैंने जब तम्
ु हारे बारे में
बताया तो आरती ने तम्
ु हारे साथ रात गज
ु रने की जजद पकड़ी है .....! आरती का रां ग गोरा है ! उसकी
हाईट 5’7'' और उसने तम्
ु हारे सलए ५०००/- रपये ददए हैं ! पप्रया ने वो पैसे मेरे हाथ में ददए ! पैसे और
सारी जानकारी मैंने पप्रया से ली और मैंने पप्रया को मेरे ददल में आये हुए डर के बारे में बताया ! पप्रया ने
कहा कक आरती के पतत ककसी कोस़ के सलए दो ददन के सलए सब
ु ह दद्ली जा रहे हैं ! तब मैं तनजश्चांत
हो गया ! उस रात मझ
ु े नीांद नहीां आई ! मैं शाम के ६ बजे घर से तनकला और माुँ को कहा," माुँ, आज
मैं नहीां आने वाला ! मेरी राह मत दे खना ! मैं शाम ७ बजे उस पते पर पहुांचा और दरवाजे की घांटी
बजायी तो सामने एक औरत आई ! मैंने वो कोड बोला जो पप्रया ने मझ
ु े बताया था ! तब मझ
ु े उसने
अन्दर बल
ु ा सलया ! मैं समझ गया कक वही आरती है ! आरती ने दरवाजा बांद कर ददया ! शायद वो भी
मेरा इांतजार कर रही थी ! अन्दर जाने के बाद उसने कहा,"तम
ु तो रात १० बजे आने वाले थे ?" मैंने
कहा,"पहली बार मझ
ु े ककसी ने रपये ददए हैं, जजसके सलए मैंने कुछ नहीां ककया ! इसीसलए सोचा कक उसका
सब पैसा चक
ु ता होना चादहए, सो मैं ज्दी आया !" आरती मस्
ु काई और मैं पागल हो गया कयकां क आरती
(जजतना पप्रया ने बताया) उससे बहुत ज्यादा खबसरत थी ! मैंने आरती को कहा- अब अपना काम शरू
ु
करें ?? तो आरती ने मझ
ु े कहा- मैं दो समनट में आती हुँ, तम
ु बेडरूम में जा के बैठो ! और मझ
ु े बेडरूम
की तरफ इशारा ककया ! मैं बेडरूम में जा बैठा ! आरती १० समनट के बाद द्
ु हन की साड़ी पहन के हाथ
में चगलास ले आई ! वह मेरे पास आकर बैठी और दध का चगलास मझ
ु े ददया !मैंने पछा,"यह कया हैं ?"
उसने कहा,"मैं अभी तक कांु वारी हुँ ! मेरे पतत ने आज तक सह
ु ागरात का मज़ा मझ
ु े नहीां ददया !" वो मेरी
तरफ ऐसे दे ख रही थी जैसे कह रही हो,"वो सब आज तम्
ु हें ही करना है !" मैने वो दध आधा पपया !
उसके बाद उसने बाकी का पीया ! मैंने दे खा कक बेड परा फलों से सजाया था ! मैंने उसे कस के अपनी
बाुँहों में सलया और उसे ककस करने लगा ! जहाुँ मेरे होंठ रकते थे, वहाां उसे ककस करता था ! उसके बाद
मैंने उसकी साड़ी और चडड़याुँ उतार दी ! अब वो मेरे सामने ब्लाउज में थी ! मैंने उसके गद़ न को चमा
और उसके स्तन दबाने लगा ! आरती सससकारने लगी ! मैंने ब्लाउज खोल ददया ! उसके वक्ष दे ख के मैं
बहुत गरम हो गया ! मैंने उन्हें चसना और मसलना शरू
ु ककया ! तब आरती के मह
ुां से आआह्ह्ह
उफ्फ्फ, दबाओ और जोर से, तनकलने लगा ! मैं चसते चसते नीचे की तरफ गया ! आरती और सससकारने
लगी ! मैंने उसकी पैंटी खोली और उसकी चत चाटने लगा ! थोड़ी दे र के बाद आरती ने अांदर डालने के
सलए कहा ! मैंने अपने कपड़े तनकाल ददए और अपना लांड हाथ में लेकर खड़ा रहा ! आरती आुँखें फाड़-
फाड़ के उसे दे ख रही थी ! थोड़ी दे र के बाद वो प्यासी शेरनी की तरह झपट पड़ी ! वो मेरे लांड को चसने
लगी ! मैंने थोड़ी दे र के बाद लांड उसके मह
ुां से तनकाल कर उस पर दो कांडोम चढाये ! मैंने आरती की
चत को सहलाते हुए कहा," आरती, इसे अांदर लो !" मैं आरती की कमर को पकड़ कर लांड उसकी चत पे
रगड़ने लगा ! आरती आह्ह्ह्ह्ह करने लगी और मैंने उसके बब्स को पकड़ कर एक जोर का झटका ददया
! लांड चत का बाहरी ककनारा ले के कफसल गया ! आरती कुततया की तरह चच्लाई ! उसने मझ
ु े उसके
बदन से दर धकेल ददया ! मैं वापस उसको समझा कर उस पर चढ़ गया ! इस बार मैंने सही तनशाना
लगाया ! आधा लांड चत में घस
ु गया ! आरती चच्लाई,"हाय भगवान !! प्लीज़, इसे तनकाल लो !" मैंने
दसरा झटका ददया ! लांड परा अांदर तक घस
ु गया ! तभी मैंने दे खा कक आरती की आुँखों से आांस तनकल
आये ! उसके बाद मैंने चोदना शरू
ु ककया ! मेरे हर एक झटके पर आरती चच्लाती थी ! अब १० समनट
के बाद आरती मेरा साथ दे ने लगी ! थोड़ी दे र के बाद मेरी स्पीड बढ़ने लगी ! जैसे ही मैंने आखरी
झटका ददया, मेरे अांडकोर् जोर से पीछे हो गए और लांड बहुत अांदर तक चला गया ! मेरा पानी तनकाल
गया था ! थोड़ी दे र के सलए हम वैसे ही लेटे रहे ! आरती ने बेड की चादर की ओर इशारा कर के
कहा,"आज मेरा कांु वारापन टट गया !" चादर खन से लाल हो गई थी ! कफर मैंने बाथरूम में जा कर
कांडोम हटाया और कफर नीचे सो गया ! आरती ने मेरे ऊपर चढ़ कर दसरे दौर के सलए तैयाररयाां की !
जब मेरा लांड खड़ा हो गया तब मझ
ु े भी बहुत तकलीफ होने लगी और उस रात आरती ने मझ
ु े अपना
पतत मानकर मेरे साथ ५ बार सम्भोग ककया ! सब
ु ह मझ
ु े जाना था पर ससन्धी लड़की ने मेरी परी पॉवर
चस ली थी ! मैं दोपहर को नीांद से उठा ! आरती भी उठ गई ! उसने मझ
ु े लम्बा ककस ककया और कहा,"
नाश्ता करके जाना ! "हम एक साथ नहाये और कफर आरती ने नाश्ता बना के मझ
ु े ददया ! जाने के
टाइम पे उसने मझ
ु े और २०००/- ददए और बाय ककया ! मैं दोपहर काम पर गय
कुछ गीला गीला लगा
आपकी झलक
मेरा नाम रोदहत है , उम्र 22 साल है । मैं आपके सामने एक घटना लाया हुँ, यह बात मेरी मम्मी की सहे ली
सन
ु ीता की है । मेरी मम्मी की सहे ली सन
ु ीता की उमर करीब 40 ही होगी, पर वो लगती नहीां थीां। दे खने में
जही चावला सी लगती थीां। उनके पतत ऑकफस के काम से अकसर बाहर जाते थे। उनके 2 बच्चे थे, एक
लड़का, जो होस्टल में पढ़ता था और एक लड़की, जजसकी कुछ समय पहले शादी हुई थी। वो मेरी मम्मी
की कुछ समय पहले ही नई सहे ली बनी थीां, वो मेरे घर आने लगी थीां। सन
ु ीता आांटी हमेशा साड़ी ही
पहनती हैं। मैं उनके बारे मैं कभी कुछ गलत नहीां सोचता था। एक ददन आांटी मेरे घर आईं और मेरी
मम्मी से कहने लगीां- मेरे घर मैं कोई नहीां है , मैं रोदहत से कभी कुछ काम होगा तो कया उससे करा
सकती हुँ?” मेरी मामी ने ‘हाुँ’ कह ददया, “आपको कोई भी काम हो, इसको बोल ददया करो, यह कर दे गा।
कफर कया था, सन
ु ीता आांटी मझ
ु को बल
ु ा कर कुछ ना कुछ सामान मांगाती रहती थीां। और इस तरह मैं
उनके घर में जाता रहता था। मैं कभी उनके घर के अांदर नहीां जाता था। बाहर से उनको सामान दे कर
चला जाता था। एक ददन आांटी ने मझ
ु को कॉल ककया, “रोदहत मेरे साथ तम
ु माकेट चलो, मझ
ु को कुछ
सामान लेना है । उन ददनों बाररश हो रही थी, मैं आांटी के घर के बाहर आया और कॉल ककया- आांटी मैं
आ गया हुँ।कफर आांटी बाहर आईं। “कया साड़ी पहनी थी! सस्क की लाल रां ग की साड़ी ! मैंने कभी इतना
ध्यान नहीां ददया था कयोंकक मैं आांटी के बारे में कभी भी गलत नहीां सोचता था। मैं बाइक पर आांटी को
माकेट ले आया। आांटी ने कुछ घर का सामान सलया और कफर आांटी एक शॉप में गईं, जहाुँ पैन्टी और ब्रा
समलते थे। मैं शॉप के बाहर ही रक गया। आांटी बोलीां- रोदहत कया हुआ? मैं बोला- आांटी आप ही जाइए।
आांटी बोलीां- चलो ना, कोई ददककत नहीां है । मैं आांटी के साथ अांदर चला गया। आांटी ने शॉप-कीपर से कुछ
पैन्टी और ब्रा ददखाने को कहा। आांटी का साइज़ 42 था। आांटी ने 3 पैन्टी और ब्रा खरीद लीां। खरीददारी
के बाद मैं उनको घर लाने लगा। तभी बाररश होने लगीां। आांटी और मैं थोड़ा भीग गए। हम जैसे ही आांटी
के घर पहुुँच,े तभी बाररश और तेज़ हो गई। आांटी बोलीां- रोदहत अांदर चलो। मैं ज्दी से बाइक लगा कर,
आांटी के साथ उनके घर में अांदर गया। मैं आांटी के घर के अांदर पहली बार गया था। आांटी ने कहा-
रोदहत, यह लो तौसलया, ज्दी से कपड़े उतार दो, नहीां तो ठण्ड लग जाएगी। मैंने कहा- आांटी, कोई बात
नहीां। मैं बाररश कम होते ही चला जाऊुँगा। आांटी ने कहा- अरे रोदहत, तम्
ु हारी ड्रेस परी भीग गई है , तम
ु
बीमार हो जाओगे। मैंने आांटी की बात मान ली कपड़े उतार कर तौसलया लपेट सलया। आांटी भी अपने रूम
में कपड़े बदलने चली गईं। आांटी जब वापस आई तो… कया लग रही थीां ! वो गल
ु ाबी रां ग की नाइटी में
आईं और मेरे सामने आकर बैठ गईं। कफर आांटी बोलीां- रोदहत मैं चाय बना कर लाती हुँ। उस समय तक
मेरे मन में आांटी के सलए कुछ भी गलत नहीां था। आांटी चाय लेकर आईं और मेरे सामने आ कर बैठ
गईं। और हम दोनों चाय पीने लगे। आांटी इधर-उधर की बातें करने लगीां, “रोदहत तम
ु कया करते हो और
कया करना चाहते हो?” कफर आांटी कहने लगीां, “रोदहत मैं ब्रा बगैरह सब चैक कर लुँ कक साइज़ सही है या
नहीां। अगर सही नहीां होगा, तो तम
ु चें ज कर लाना। कफर आांटी अांदर गईं और थोड़ी दे र बाद आांटी ने मझ
ु
को आवाज़ दी, “राहुल ज़रा अांदर आना।” मैं टॉवल में ही अांदर गया और अांदर जाते ही मेरी आुँखें खुली
की खुली रह गईं। आांटी पैन्टी और ब्रा में थीां। ब्रा पहनने की कोसशश कर रही थीां। मैं खझझक के कारण
अांदर नहीां जा रहा था। आांटी बोलीां- अांदर आ जाओ। मैं दहम्मत कर के अांदर गया। आांटी बोलीां- रोदहत ज़रा
इस को पहनने में मेरी मदद करो प्लीज़। मझ
ु से हुक लग नहीां रहा। मैं बोला- आांटी मैं कैसे? आांटी बोलीां-
तो कया हुआ? मैं आांटी की ब्रा का हुक लगाने लगा और समरर मैं से चुपके-चुपके उनके मोटे चचे दे ख रहा
था। आांटी मझ
ु से पछने लगीां, “रोदहत तम्
ु हारी कोई गल़फ्रेंड है ? मैं चप
ु रहा तो आांटी कफर बोलीां- बताओ ना
! मैं ककसी को नहीां बताऊुँगी। मैं बोला- आांटी, ऐसी कोई बात नहीां, मेरी कोई गल़फ्रेंड नहीां है । आांटी- कयों
झठ बोल रहा है । मैं बोला- आांटी कोई समली ही नहीां। आांटी बोलीां- तम
ु को ककस तरह की लड़की चादहए? मैं
बोला- जो मझ
ु को प्यार करे । आांटी बोलीां- हाुँ, सही है । मैंने आांटी का ब्रा का हुक लगा ददया। आांटी मेरे
सामने सीधी हो कर खड़ी हो गईं। उनके बड़े-बड़े पहाड़ दे ख कर लण्ड खड़ा हो गया, और टॉवल से साफ
ददखने लगा। आांटी ने शायद दे ख सलया। कफर आांटी बोलीां- रोदहत, ज़रा वो वाली लाना, जो पीछे रखी है । मैं
उस दसरी ब्रा को लेने गया। तब तक आांटी ने अपनी ब्रा उतार दी और मेरे सामने सस़ि़ पैन्टी में थीां।
मेरा ददमाग ही काम नहीां कर रहा था। आांटी बोलीां- लाओ ! मैं उसे लेकर आांटी के पास गया। आांटी बोलीां-
कया हुआ रोदहत कभी ककसी औरत को ऐसे नहीां दे खा? मैं कहा- नहीां आांटी। मेरे लण्ड की तऱि लपकीां
और बोलीां- ये कया है ? मैं बोला- आांटी कुछ नहीां। आांटी मेरे पास आई और मेरे लण्ड को छने लगीां और
बोलीां- ये तो कुछ ‘कहना’ चाहता है । मैं आांटी की बातें सन
ु कर पागल सा हो रहा था। आांटी ने मेरे टॉवल
तनकाल ददया। मैं ससफ़ अपने अांडरपवयर में था। आांटी बोलीां- मैं इसको शाुँत करती हुँ ! और आांटी मेरे
लण्ड को अांडरपवयर के बाहर से दहलाने लगीां। मझ
ु से कांट्रोल नहीां हुआ। मैं आांटी को बाुँहों में भर सलया
और उनको चमने लगा। आांटी बोलीां- रोदहत, का़िी टाइम से तेरे अांकल ने मझ
ु को प्यार नहीां ककया।
इससलए मैंने यह सब ककया। अगर मैं तझ
ु से ये सब करने को बोलती तो त मझ
ु से बात भी नहीां करता।
तम
ु को मझ
ु में कया समलेगा? मैंने बोला- आांटी ऐसी बात नहीां है । आज से मैं आप को प्यार करूांगा। आांटी
मझ
ु को चमने लगीां। मैंने आांटी को गोद में सलया और पलांग पर सलटा ददया। आांटी की पैन्टी के ऊपर से
ही उन की चत मसलने लगा और उनके चचों को चसने लगा। आांटी मस्त आवाज़ तनकलती जा रही थीां।
मैंने आांटी की पैन्टी उतार दी। मैंने दे खा उनकी चत पर एक भी बाल नहीां है । आांटी बोलीां- मैंने आज की
साफ ककया है । आज तझ
ु से जो समलना था। मैंने कहा- कया बात है डासलिंग! वो हां सने लगीां और मेरे लण्ड
को आगे-पीछे करने लगीां। मैं उसके बब्स चसते-चसते उसकी नासभ को चाटने लगा। उसने कहा- रोदहत
अपनी आांटी को मत तड़पाओ। प्लीज़, अपने लण्ड डालो। मैंने आांटी के पैरों को फैलाया और उनकी चत
पर अपना लण्ड रखा। धीरे से अांदर डालना शरू
ु ककया। एक शॉट मारा। आांटी की चीख तनकल गई। मैंने
अपनी स्पीड बढ़ा ली और आांटी की आवाजें मझ
ु को और उततेजजत करने लगीां, “हहाआ हम्म हहा” मैं
स्पीड से अपने लण्ड को उनकी चत के अांदर-बाहर करता रहा। आांटी ने अपना पानी छोड़ ददया, पर मेरी
स्पीड चाल रही। करीब 15 समनट बाद मेरा भी तनकलने वाला था। मैंने पछा- आांटी कहाुँ तनकालुँ । वो
बोलीां- बाहर तनकाल दो। मैंने अपना लण्ड बाहर तनकाला और आांटी के ऊपर ही तनकाल ददया। आांटी बोलीां-
अरे तने अपनी आांटी को गन्दा कर ददया। मैं कहा- आांटी लो इसको चसो ना! आांटी बोलीां- ये सब अच्छा
नहीां होता। मैंने कहा- आांटी प्लीज़! वो मना करने लगीां। मैंने अपने लण्ड को जबरन उनके मुँह
ु के अांदर
डाल ददया और उनको चसने को कहा। वो मना करने लगीां पर मैंने कहा- आप मझ
ु से प्यार नहीां करतीां।
कफर आांटी ने कहा- ऐसा नहीां है , चलो मैं तम्
ु हारा लण्ड चसती हुँ। वो मेरे लण्ड को चसने लगीां, और उनने
परी तरह से साफ कर ददया। कहने लगीां- तम
ु सबको इसमें कया मज़ा आता है ? मैंने कहा- आांटी मजा
आता है । और आांटी अपने आप को साफ करने गस
ु लखाने में गईं, और थोड़ी दे र बाद मेरा लण्ड कफर से
खड़ा होने लगा। गस
ु लखाने से आांटी साफ होकर बाहर आईं। मेरा मन और कर रहा था। आांटी को मैंने
अपने हाथों से कफर से उठा कर पलांग पर लाया। आांटी बोलीां- अब कया करना है ? मैंने कहा- आांटी अभी
और करना है । आांटी खुश हो गईं, बोलीां- हाुँ हाुँ, कयों नहीां! मैं आांटी को चमने लगा और उनके बब्ु बओ
ु ां को
चसने लगा। मैंने आांटी की चत मैं कफर से अपने लण्ड को रखा और कफर से एक शॉट मारा और अपना
लण्ड परा अांदर डाल ददया और अांदर बाहर करने लगा। आांटी भी अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगीां और
मैं धकके मारता रहा। कफर आांटी को अपने ऊपर बैठाया और वो मेरे लण्ड के ऊपर चढ़कर ऊपर-नीचे होने
लगीां। करीब 15 समनट तक करता रहा। कफर मैंने आांटी को एक टे बल के ऊपर बैठाया और उनकी चत में
अपना लण्ड डाल कर शॉट मारा। मैंने उनको 5-6 पोजीशन में चोदा। मैं उनको पलांग पर लेटा कर चोदने
लगा। करीब 30 समनट बाद मेरा माल तनकलने को तैयार था। मैंने आांटी के अांदर ही छोड़ ददया। आांटी
बोलीां- रोदहत यह कया ककया? मैं कहा- आांटी, इसका असली मज़ा अांदर ही है । और वो मस्
ु कुराईं, “त बड़ा
बदमाश है , चल हट मेरे ऊपर से। मैं आांटी के ऊपर ही लेट गया और बोला- आांटी रूको ना! ज़रा आप को
चमने तो दो। मैं आांटी के स्तनों को चसता रहा और आांटी के साथ थोड़ी दे र लेटा रहा। शाम के 5 बज
गये थे। पर मेरा मन घर जाने हो नहीां कर रहा था। आांटी बोलीां- घर नहीां जाना कया? मैंने कहा- आांटी,
आपको छोड़ कर जाने का मन नहीां कर रहा है । आांटी बोलीां- तो कया हुआ ! रक जा अपनी आांटी के पास
और प्यार कर परी रात। मैं खश
ु हुआ और सोचा आज सही टाइम है । मैंने घर फोन कर के बोल ददया-
आज मैं अपने दोस्त के यहाुँ रक गया हुँ। कुछ काम है । आांटी को बाुँहों में लेकर चमने लगा। आांटी बोलीां-
रोदहत, आज तो परी रात ही तेरी है । परी तरह से मझ
ु को प्यार करो। मैंने ख़श
ु ी से आांटी को कस कर
बाुँहों में जकड़ सलया और ककस करता रहा और वो भी साथ दे ने लगीां। थोड़ी दर हम एक-दसरे को ककस
करते रहे । कफर उसने कहा- अभी थोड़ा आराम कर लो। हम बाद में प्यार करें गे। कफर वो अपनी नाईटी
पहन कर ककचन में गईं और थोड़ा खाने के सलए स्नैकस लाईं और बोलीां- चलो खाते हैं। मैंने कहा- आांटी
आप मझ
ु को अपने हाथों से खखलाओ। आांटी बोलीां- ये अच्छी बात है । चलो तम
ु टॉवल पहन लो। मैं बोला-
आांटी कुछ नहीां होता। मैं ऐसे ही आप को गोद में बबठाऊुँगा। आांटी मेरी गोद में आकर बैठ गईं और
अपने हाथों से खखलाने लगीां। हम आपस मैं बातें करने लगे। मैंने आांटी से पछा- आांटी आप ने ककतने
टाइम से सेकस नहीां ककया था? आांटी बोलीां- सेकस ककए 2 साल से ऊपर हो गया था। मैं बोला- आांटी आप
कैसे अपने आप को सांभाल रही थीां। वो बोलीां- मैं अपनी कफां गर से ही ददल खुश कर रही थी। कुछ पोऩ
कफ्म दे खती थी, और उसी में दे ख कर मैंने तेरा लांड चसा है । “आांटी आप के साथ सेकस कर के मज़ा आ
गया है , लगता ही नहीां कक आपकी उम्र 40 प्लस है ।” आांटी बोलीां- मैं आज तम
ु को और मज़ा दुँ गीां। बोला-
आांटी, आपके साथ-साथ एक और की समले तो मज़ा आ जायेगा। आांटी बोलीां- कया कह रहा है , बदमाश? मैं
बोला- आांटी आपकी और कोई सहे ली है तो उसको भी बल
ु ाओ ना प्लीज़! वो मना करने लगीां तो मैंने
कहा- आप को मझ
ु से प्यार नहीां है , इससलए आप मेरा ददल तोड़ रही हो। वो बोलीां- नहीां ऐसी बात नहीां
है । मेरी एक सहे ली है तो, उसको भी सेकस करना है । वो भी तेरे जैसा लण्ड खोज रही है । मैं कहा- बल
ु ाओ
ना! आज रात आप के और उस के साथ सेकस का मज़ा सलया जाये। आांटी बोलीां- आज रात तो नहीां हो
पाएगा, कल का ट्राई करती हुँ। त आज अपनी आांटी को चोद। कल तझ
ु को दो की चत समलेगी। मैं खुश
हुआ और आांटी को चमने लगा और उनके चचों को दबाने लगा। मैंने कहा- आांटी, आपकी गाण्ड का मज़ा
लेना है । आांटी ने कहा- नहीां, दद़ होगा। मैं कहा- आांटी लेने दो ना ! आांटी कहा- ठीक है , कफ्म में दे खा तो
है और मेरा मन भी है , चलो ले लो। आांटी कफ्रज से मकखन लेकर आईं और मेरे लण्ड में लगाने लगीां और
अपनी गाण्ड में भी लगा सलया। मैंने आांटी बेड में ले जाकर घोड़ी बना सलया और उनकी गाण्ड में अपना
लण्ड डालने लगा। मकखन लगा होने के कारण, लण्ड उनकी गाण्ड में जाने लगा। ‘आआहहाअ…’ आांटी को
दद़ होने लगा, आांटी बोलीां- रोदहत लण्ड तनकाल। मैंने कहा- आांटी रूको, अभी दद़ कम हो जायेगा और मैंने
अपनी स्पीड बढ़ा दी। मेरा लण्ड आांटी की गाण्ड में परा चला गया और आांटी तड़फती रहीां, पर मैंने उनकी
एक न सन
ु ी और अपना लण्ड आांटी की गाण्ड के अांदर-बाहर करता हुए शॉट मारता रहा। धीरे -धीरे आांटी
की आवाज़ भी कम होती रही। और उन को भी मज़ा आने लगा। मैंने आांटी की गाण्ड 15 समनट तक
मारी। मेरा लण्ड परे जोश में था। मैंने आांटी को सीधा ककया और अपना लण्ड उनकी चत में ठे ल ददया
और शॉट मारने लगा। मैं आांटी को ककस करने लगा और शॉट मारता रहा। अब मेरा तनकलने वाला था।
मैंने स्पीड तेज की और मैंने आांटी की चत में ही तनकाल ददया। मेरा लण्ड अब शाुँत हो गया था। मैंने
टाइम दे खा, 10 बज गये थे। मैंने कहा- आांटी, अब मैं चलता हुँ, कल नाइट करना है । आांटी बोलीां- आज भी
नाइट करो ना! मैंने कहा- आांटी आज नहीां रोककये, वरना कल नहीां हो पाएगा। आपको भी कल के सलए
तैयार होना है । आज आराम कर लो और कल आपकी सहे ली भी तो होगीां। आांटी बोलीां- दे खो कल बात
करती हुँ और कल रात भर महक़िल जमेगी। मैंने कहा- आांटी कल का पकका है । मैं, आप और आपकी
फ्रेंड, ओके ! आांटी हां सने लगीां और बोलीां- अरे हाुँ-हाुँ रोदहत, कल का पकका।
तौसलया छोटा है
मेरा नाम ररांक है ! मैं दद्ली का रहने वाला हुँ ! मैं आपको तीन साल परु ानी अपनी सच्ची कहानी बताने
जा रहा हुँ ! कृपा कर इसे पढें ! मेरा दावा है कक इस कहानी को पढ़ते समय भाइयों के लांड और भासभयों
की चत गीली हो जायेगी और यदद भाइयों के पास चत का जुगाड़ है तो वो चत मारने पर पववश हो
जायेंगे यदद नहीां है तो मठ
ु मारें गे ! लड़ककयों और औरतों के पास लांड का जुगाड़ है तो वो चुदवाने पर
पववश हो जाएुँगी यदद नहीां है तो वो ऊुँगली-मैथुन या अपनी चत में बेंगन जैसी लम्बी चीज़ से मठ
ु
मारें गी ! मैं आपका ज्यादा समय बबा़द न करके सीधा पॉइांट पर आता हुँ ! बात उन ददनों की है जब मैं
ग्रैजुऐशन कर रहा था ! मेरे दसरे साल के पेपर चल रहे थे ! हमारे घर में एक ककरायेदार आया, जजसकी
बीवी का नाम ममता था ! ममता ददखने में कुछ ज्यादा सद
ुां र नहीां थी पर उसके स्तन बहुत बड़े थे जो
हमेशा ब्लाउज से बाहर आने की कोसशश करते थे ! ऐसा लगता था मानो अभी ब्लाउज से बाहर आ
जायेंगे ! जजनको दे ख कर मेरा मन मचल उठा और उसकी गाांड के तो कया कहने ...............! जब वो
चलती थी तो उसका एक क्हा आगे और एक क्हा पीछे होता था, जजसे दे ख कर मेरा लांड खांभे का रूप
धारण कर लेता था ! उसे दे ख कर मेरा मन भटकने लगता और मेरा मन पढ़ाई में न लगता ! जब मैं
उसे दे खता, उसके बड़े स्तन और उठी हुई गाांड का दृश्य मेरे सामने आने लगता और मैं उसके बारे में
सोच कर मठ
ु मारता ! मठ
ु मारने के बाद मैं शाांत हो जाता और पढ़ाई में मन लगाता लेककन मन कफर
भी नहीां लग पाता ! असली ददककत तो रात को होती थी जब ममता का पतत आता था और रात को
उसको चोदता था ! उसके चीखने की आवाज़ मेरे कमरे तक आती थी, कयोंकक मेरा कमरा उसके कमरे से
चचपका था ! जब उसका पतत उसे चोदता था तो वो सससककयाुँ लेती थी ! उसकी आवाजें मेरे कानों में
गज
ां ती थी और मैं आुँखों में उसकी तस्वीर ले आता और उसका नाम लेकर मठ
ु मारता था ! एक ददन
ममता आांटी ने मझ
ु से कहा कक मैं उनके केबल कनेकशन लगवा दुँ ! तो मैंने उनसे कहा,"आांटी ! नए डडश
कनेकशन के सलए आपको २०० रपये एडवाांस केबल वाले को दे ने पड़ेंगे और १५० रपये महीना दे ना होगा
!" आांटी बोली,"यह तो बहुत मांहगा है ?” मैने कहा," आांटी ! मैं अपने केबल कनेकशन में से आपका केबल
लगा दे ता हुँ !!" वो बोली," आप ककतने पैसे लोगे ?" मैंने कहा,"जो आपकी इच्छा हो, दे दे ना .................!"
उसने कहा," लगा दो !" आांटी के टीवी में कनेकशन करने के सलए माकेट से केबल की तार खरीद कर
लाया और मैं अपनी टीवी से कनेकशन ले कर तार उनके टीवी तक ले जाने लगा, लेककन तार छोटी पड़
गई !! मैंने कहा," आांटी ! तार छोटी पड़ गई !" तो आांटी ने कहा," कुछ जुगाड़ कर के लगा दो?" मैंने
कहा,"आांटी, आपका कमरा और मेरा कमरा चचपका हुआ है , अगर मैं दीवार में छे द कर दुँ तो बहुत कम
तार लगेगी !! " वो बोली," कर लो न .........! " मैं डड्रल मशीन लाया और ऐसी जगह छे द ककया जहाुँ से
ममता आांटी की चुदाई के दश़न सा़ि तरीके से हो सके और मैंने दीवार का छे द काफी बड़ा ककया जजससे
मझ
ु े आांटी की चद
ु ाई की रासलीला का भरपर आनांद प्राप्त हो सके और आांटी की केबल लगा दी और मैं
रात का इांतज़ार करने लगा.........! रात हुई ! मैं खाना खा ही रहा था कक अांकल ने अचानक अपने कमरे
का दरवाज़ा बांद कर सलया ! मैं समझ गया कक चद
ु ाई काय़िम शरू
ु होने वाला है ! मैंने ज्दी से खाना
खाया और अपने कमरे में चला आया और केबल के तार के सलए ककये गए छे द पर आांखें लगाईं ! और
अचानक आांटी के कमरे में दे ख कर मेरे कान खड़े हो गए.........! मैंने दे खा अांकल ने टीवी पर ब्ल कफ्म
लगा रखी थी ! अांकल आांटी के गद
ु गद
ु ी कर रहे थे और आांटी हां स रही थी ! उस समय आांटी पेटीकोट-
ब्लाउज में थी ! अचानक अांकल ने आांटी के पैरों से चमना शरू
ु ककया ! पेटीकोट उठाते हुए ऊपर चत की
ओर चमते हुए आने लगे और धीरे -धीरे पेटीकोट चत से उपर हो गया ! अांकल आांटी की जाांघों को चमते
हुए आांटी की चत में जीभ दे कर कुतते की तरह आांटी की चत चाटने लगे ! आांटी सससककयाुँ ले रही थी !
पहली बार मैंने ममता आांटी की चत दे खी जजसे दे ख कर मेरा लांड काब में न रहा और नाग की तरह
फुांकार मारने लगा ! अचानक अांकल परे नांगे हो गए और आांटी को भी नांगा कर ददया और आांटी की चत
में अपना लांड डाल ददया ! मैंने दे खा कक अांकल का लांड ५ से ६ इांच का है ! अांकल आांटी पर चढ़ कर
जोरदार धकके मारने लगे !मैंने दे खा की आांटी को छोटे लांड के कारण चद
ु ने में कम मज़ा आ रहा था !
इस चुदाई के सीन को दे ख कर मैं आांटी का ध्यान लाकर मठ
ु मारने लगा ! अचानक अांकल झड़ गए
लेककन अभी तक आांटी नहीां झड़ पाई थी ! अांकल तनढाल होकर आांटी के उपर से हट गए और सोने लगे
! आांटी अांकल को अपनी ओर खीांच रही थी ! अभी आांटी प्यासी थी लेककन अांकल आांटी से हाथ छुड़ा कर
सो गए ! अांकल के सोने के बाद ममता आांटी रोने लगी और अपनी चत को मसलने और उसमें ऊुँगली
करने लगी ! यह दे ख कर मैं खुश हो गया कक अब मेरी दाल गल सकती है और मैंने अपना लांड झाड़
ददया ! आांटी भी ऊुँगली मैथुन से झड़ गई और सो गई ! सब
ु ह मैं नहा रहा था ! आांटी मेरे सामने बैठ
कर अपने घर के बत़न धोने लगी ! मैंने सोचा यह अच्छा मौका है आांटी को अपने ९ इांच के लांड के
दश़न कराने का ! आांटी सामने बत़न धो रही थी ! मैं साबन
ु लगा रहा था ! मैंने अपने कच्छे में हाथ
डालकर अपने लांड पर साबन
ु लगाना शरू
ु ककया और लांड खडा हो गया! ये सब आांटी दे ख रही थी ! आांटी
कच्छे में से मेरे लांड की लम्बाई भाांप चक
ु ी थी ! आांटी के चेहरे पर ख़श
ु ी थी ! मैं समझ गया कक आांटी
लांड दे खना और अपनी भोसड़ी में लेना चाहती है ! मैंने नहाने के बाद तौसलया पहन अपना कच्छा नीचे
उतारा ! लांड खड़ा था इससलए तौसलया भी उठा हुआ था और मैं बैठ कर अपना कच्छा धोने लगा ! आांटी
बबलकुल मेरे सामने थी इससलए उनकी नज़र मेरी टाांगों पर थी ! मझ
ु े महसस हुआ कक उनकी नज़र मेरे
लांड को दे खने के सलए बेताब है ! तभी मैंने अपनी दोनों टाांगे चौड़ी कर ली ! मेरा लांड तौसलये से बाहर
तनकलने लगा ! यह दे ख कर आांटी ने अपनी आुँखें नीचे कर ली और बोली,"ररांक, तम्
ु हारा तौसलया छोटा है
!!" मैंने कहा,"आांटी, ऐसा कयों कहा ?” उसने कहा,"तम्
ु हारा बाहर तनकल रहा है .....!" मैंने जानबझ के
पछा,"कया ...??" उसने लांड की ओर इशारा ककया ! मैंने दे खा लांड तौसलये से बबलकुल बाहर था ! मैंने
कहा,"आांटी जी ! तौसलया छोटा नहीां !!! मेरा बड़ा है ....!" आांटी बोली," वही मैं सोच रही हुँ...... तम्
ु हारा
ककतना बड़ा है .....!" मैंने कहा,"आांटी ! आपने परा दे ख सलया ...? " उसने कहा," नहीां, थोड़ा सा...!" मैंने आांटी
के सामने अपना तौसलया खोल ददया ! मेरे ९ इांच के खड़े लांड दे ख आांटी की आांखें चौंचधया गई ! मैंने
कहा," लो आांटी ! परा दे ख लो !" वो है रान थी ! मैंने आांटी का हाथ पकड़ा और अपना लांड उनके हाथ में
दे ददया ! वो मेरा लांड दहलाने लगी ! मैंने कहा ," आांटी ! मेरी ही सारी बड़ी चीज़ दे खोगी ?? अपनी भी
कुछ बड़ी चीज़ ददखाओगी???" यह कह कर मैंने उसे गोद में उठा सलया और उसके कमरे में बेड पर सलटा
कर उसके स्तन दबाने लगा ! वो सससककयाुँ लेने लगी और दे खते ही दे खते मैंने उसे नांगा कर ददया !
उसकी चत बबलकुल चचकनी थी.....! मैंने उसकी चत चाटना शरू
ु कर ददया जजससे वो तड़फ उठी और
बोली," ररांक, अब सब्र नहीां हो रहा है ..........! प्लीज़ मेरी चत में डाल दो और मझ
ु े चोद दो............!" मैंने
उसकी दोनों टाांगे चौड़ी की और उसकी चत पर अपना लांड रख कर तेज धकका ददया ! मेरा आधा लांड
उसकी चत में घस
ु गया और वो चीख उठी कयोंकक उसने इतना लांड पहली बार अपनी चत में सलया था !
मैंने दसरा धकका मारा और लांड उसकी चत में समा गया ! उसकी चत से खन आने लगा और लांड भी
काफी टाइट घस
ु रहा था ! मैंने धीरे -धीरे धकके मारना शरू
ु कर ददया और उसे मज़ा आने लगा ! उसने
मझ
ु े अपनी बाुँहों में कसना शरू
ु कर ददया ! मैं समझ गया कक उसे अतयांत आनांद आ रहा है , उसकी पकड़
और भी टाइट होती जा रही थी और मेरे धकके भी ! अचानक वो बोलने लगी," ररांक ,चोद डालो मझ
ु े !
मेरी भोसड़ी को भोसड़ा बना दो और गाांड उठा-उठा कर मेरा साथ दे ने लगी!" उसकी सससककयों से पता
चल रहा था कक वो अब झड़ने वाली है , इससलए मैंने अपने धककों की स्पीड बढ़ा दी ! वो झड़ गई और
उसके साथ मैं भी झड़ गया ! उसके बाद मैं ममता आांटी को अपनी लग
ु ाई की तरह जब चाहता चोद
लेता ! वो हमेशा कहती," ररांक, तम
ु ने मेरी भोसड़ी को भोसड़ा बना ददया......!" यह ससलससला ६ महीने तक
चला ! उसके बाद वो हमारा कमरा खाली करके चले गए !
मस्त पपछाड़ी चद
ु गई
मेरा नाम अमन गप्ु ता है । मैं अब अकेला हुँ। मेरी उम्र अभी ५९ वऱ् की है । मेरे दो लड़के हैं जो कनाडा
में रहते हैं और वहीां नौकरी करते हैं। मेरी पतनी का तनधन, जब वो ४८ वऱ् की थी, एक दघ
ु ट
़ ना में हो
गया था। तब से मैं अकेला हुँ और अपना छोटा सा बबजनेस सम्भालता हुँ। मेरी पतनी जब जीपवत थी
तभी से मेरी सेकस में रूचच कम हो गई थी। मेरे लण्ड में तनाव भी कम हो गया था और उस समय भी
मैं अपनी पतनी को सन्तटु ट नहीां कर पाता था। मेरी चोदने की इच्छा तो बहुत होती थी पर शायद मेरे में
उम्र के दहसाब से लण्ड में मामली सा कड़ापन आता था, पर मैं चुदाई नहीां कर पाता था।धीरे धीरे मेरी
पतनी भी मझ
ु से दर रहने लगी। शारीररक तौर पर भी स्तन दबाना, मसलना, चतड़ दबाना और मस्ती
करने का सख
ु भी मेरे हाथ से जाता रहा। चत चाटने का और अांगल
ु ी से उसे सन्तटु ट करने का सख
ु भी
जाता रहा। धीरे धीरे मैं इस अवसाद में ही तघर गया। मैंने हार कर अकेले ही रहने की आदत डाल दी।
कभी कभी मठ
ु भी मार लेता था, वह भी जब मझ
ु े लगता था कक ये जरूरी है । कफर मेरी पतनी एक
दघ
ु ट
़ ना में चल बसी तो मैं बब्कुल ही अकेला हो गया और अन्दर से टट गया। अब मैं अपना मन सस़ि़
काम में लगाने लग गया था, इससे मझ
ु े ़िायदा तो बहुत होने लगा पर मन में यही आता कक इन पैसो
का कया करूांगा। तब मैं एक अनाथों की सांस्था में से दो बच्चों को पालने का खच़ उठाने लगा। उन्हें
पढ़ाना, सलखाना, कपड़े यातन सभी जरूरतें परा करने लगा। लोगों ने भी मेरे इस काय़ को सराहा। कुछ
ददनों पहले मेरे एक दोस्त की लड़की को इस शहर में एक कॉलेज में दाखखला करवाया। वो एम ए कर
रही थी। मेरा घर चकां क बहुत बड़ा था सो मैंने उसे अपने ही घर में एक कमरा दे ददया। उसका नाम
सश्पा था। दे खने में सन्
ु दर थी और उसका क़िगर भी बहुत अच्छा था। वह बहुत समझदार भी थी। उसे
जब कम्प्यटर का काम करना होता था तब वो मेरे कमरे में आ जाती थी। मेरी अनप
ु जस्थतत में वो
अकसर कम्प्यटर इस्तेमाल करती थी। तभी एक प्यारी सी घटना घट गई। सश्पा ने मेरी ददल की मरु ाद
परी कर दी।मैं शाम को घर आया, नौकर खाना बना कर जा चुका था। मैंने हमेशा की तरह अपनी
जव्हस्की की बोतल खोल कर बैठ गया। मैंने कम्प्यटर ऑन ककया। जैसे ही मैंने गगल लोड ककया, सश्पा
की साईट खुल कर सामने आ गई। शायद उसने ज्दी में लोग-ओ़ि नहीां ककया होगा या जाने कैसे ये हो
गया। मैं अपनी उतसक
ु ता नहीां रोक पाया और उसके मेल दे खने लगा। अचधकतर मेल अश्लील थे। मेरी
अनप
ु जस्थतत में वो ये खेल खेलती थी। तभी मैंने दे खा कक उसकी और भी अलग नामों से आई डी भी थी
जजनके एड्रेस और पास वड़ भी अपने ही मेल में सलखे थे। मैं उन्हें भी खोल कर दे खने लगा। उन सेकसी
मेल पढ़ कर कर मेरे मन में वासना जागत
ृ हो गई।उसमें बहुत सारे नांगी और चद
ु ाई करते हुए तस्वीरें
भी थी। उसमे कुछ सलांक चद
ु ाई के वीडडयो के भी थे। और एक वीडडयो तो सश्पा ने अपने मोबाईल से
खुद की चुदाई का भी सलया था। मैं उसे ध्यान से दे खने लगा। वीडडयो सा़ि तो नहीां था पर सश्पा का
नांगा शरीर उसमें अवश्य नजर आ रहा था।सश्पा मझ
ु े सेकसी लड़की लगने लग गई। मैंने अपनी डड्रन्क
समाप्त की और भोजन करने लगा। पीसी अभी भी ओन ही था। मैंने सश्पा कक जो आईडी उसके मेल
में थी मैंने नोट कर ली। मैं अब रोज रात को उसके सेकसी मेल पढ़ता था और कभी कभी मठ
ु मार लेता
था। शायद सश्पा को अब कुछ शक होने लगा था। एक रात मैं डड्रन्कस ले रहा था और सश्पा की साईट
का आनन्द ले रहा था, कक सश्पा कमरे में आ गई और उसने मझ
ु े रां गे हाथ पकड़ सलया। वो लपक कर
आई और साईट बन्द कर दी। "अांकल ये कया कर रहे हो?" उसने जोर से कहा। मैं वास्तव में घबरा गया।
मेरे मख
ु से घबराहट में कुछ भी ना तनकल पाया। मझ
ु े अपने बड़े होने पर और ऐसा काम करने पर
शायद पहली बार शसम़न्दगी हुई। पर इतने में सश्पा सम्भल गई। "सॉरी अांकल, आपने तो मेरी सारी मेल
पढ़ ली, प्लीज इसे अपने तक ही रखना !" मेरी साांस में साांस में आई। "नहीां सश्पा, मा़िी तो मझ
ु े माांगनी
चादहये, मझ
ु े ये सब नहीां करना चादहये था, पर तम्
ु हारी साईट एक ददन अचानक ही अपने आप खुल गई
थी। कुछ सेकसी बातों पर बाहर से नजर पड़ी तो मझ
ु से रहा नहीां गया।" "अांकल ये तो बस हम अपने
मनोरां जन के सलये करते हैं, ये सब सच तो नहीां है ना।" "पर वो राहुल, पवककी, और जय उन्हें तो तम
ु
पसन्द करती हो ना, तम्
ु हारी तो एक इसमे वीडडयो भी है !" मैंने उसे भी बाांधने की कोसशश की जजससे
उसे लगे कक उसके भी कुछ रहस्यो को मैं जान गया हुँ। "अांकल प्लीज ककसी को बताना मत, मैं बदनाम
हो जाऊांगी !" उसका ससर नीचे झक
ु गया। "अरे कैसी बात करती है , मैं इन सब बातों को समझता नहीां हुँ
कया ? जवानी में मस्ती तो करनी ही चादहये ना, हमने भी खब मस्ती की थी।" मैंने उसे उतसादहत करते
हुए कहा। "अांकल, ये तीनों मेरे व्यजकतगत दोस्त हैं, आप तो जान ही गये हैं, बस पापा को मत बताना !"
"त जानती है ना, मैं भी सालों से अकेला हुँ, मेरे ददल में भी इच्छाएुँ होती हैं, पर मैं तो अब ६० साल का
होने जा रहा हुँ, दे खो मैं अपनी दबी इच्छाएुँ ककसी को नहीां बताता हुँ, मैं इन सब बातों को समझता हुँ।"
"हाय अांकल, इस उमर में भी आपकी इच्छा होती है , कफर कया करते आप?" उसे आश्चय़ हुआ। "कुछ नहीां,
बस मन मार कर रह जाता हुँ, हमें कौन समझ पाता है !" मेरे चेहरे पर तनराशा उभर आई। सश्पा मझ
ु े
दे खती रह गई। मझ
ु े लगा उसके मन में मेरे प्रतत सहानभ
ु तत उभर आई थी। "अांकल ककसी आण्टी से
दोस्ती कर लो, मैं मदद करूुँ इसमें ?" वो मेरे पास आकर हाथों में मेरा हाथ ले कर बोली। "नहीां मैं अब ये
सब नहीां कर सकता हुँ, सच !" मेरे मुँह
ु से अचानक सच्चाई तनकल आई। "तो कया हुआ, और तो सब
काम तो कर सकते हो ना !" उसके चेहरे पर अब शरारत मचलने लगी थी। मझ
ु े उसकी ये शरारतें मोहक
लग रही थी। "अब त चप
ु हो जा, मेरी इच्छाएुँ जाग जायेंगी, तझ
ु े कया है , हाल तो मेरा खराब हो जायेगा
ना !" मैंने अांधेरे में तीर छोड़ा, मझ
ु े लगा कक वो मझ
ु े बरु ा भला कहे गी। पर हुआ उ्टा ही। "अांकल, एक
बात कहुँ, मझ
ु पर भरोसा हो तो मझ
ु े अपना राजदार बना लो, मैं आपकी अधरी इच्छा परी कर दां गी.... पर
दे खो, पापा को इांटरनेट के बारे में मत बताना, प्रोसमस?" वो इठला कर बोली। मेरे शरीर में सनसनाहट होने
लगी। सश्पा मेरे साथ.... पर मझ
ु से तो होता ही नहीां है । "तेरे पापा को? कैसी बाते करती है , उन्हें मझ
ु पर
भरोसा है , और सन
ु ले ये ठीक नहीां है , त तो मेरी बेटी जैसी है और कफर मैं तो कुछ कर ही नहीां पाता
हुँ।" मैं असमांजस में था। "मैं तो कर पाती हुँ ना !" वो धीरे से मेरे पास आ गई और मेरे गाल चम
सलया। मझ
ु े इतने में ही असीम आनन्द आ गया। दसरे ही पल उसने मेरे गालों को हाथ से थाम सलया
और मेरे होंठ चमने लगी। "अांकल मैं जय, पवककी और राहुल को एक एक करके बल
ु ाऊां तो आप उन्हें यहा
आने दें गे ना?" उसने मझ
ु े ब्लैक मेल करने की कोसशश की। मझ
ु े हां सी आ गई। मझ
ु े कया ़िरक पड़ता था
भला। मझ
ु े समझ में आने लगा था कक वो मझ
ु े पटा कर अपना राज गप्ु त रखना चाहती थी और साथ
ही अपने दोस्तों के सलये इस घर का रास्ता भी खोलना चाहती थी। जवान लड़की थी, उसे भी जवान लण्ड
चादहये था, उसे भी अपने जजस्म की प्यास बझ
ु ानी थी। मैंने ददल ही ददल में अपने आप से समझौता
ककया कक तन का सख
ु चादहये तो ये सब करना ही पड़ेगा, कफर इस उम्र में मझ
ु े कौन घास डालेगा
"हाां....हाां .... जरूर, पर मेरी उपजस्थतत में, ताकक कोई गड़बड़ हो तो मैं सम्भाल लुँ !" सश्पा मेरे से चचपक
गई और मेरे सोते हुए लटके लन्ड को सहलाने लगी। “आप कया मझ
ु े उनके साथ सोता हुआ दे खना चाहते
हैं, मजा लेना चाहते हैं ?” “अरे नहीां, तम
ु एन्जोय करो, पर यदद तम
ु चाहो तो मैं भी चुपके से दे ख ल?ां ”
उसने मझ
ु े ततरछी तनगाहो से दे खा, “अच्छा जी, अब आप मझ
ु े ऐसे भी दे खना चाहें गे, कोई बात नहीां, दे ख
लेना, पर चुपके से !” “सश्पा, तम
ु कया जानो इस उम्र के लोगों की तड़प....” “मा़ि करना अांकल, मझ
ु से
आपकी तड़प दे खी नहीां जाती, मैं ये अहसास समझ सकती हुँ।” सश्पा ने मझ
ु े प्यार करते हुए कहा।“मैं
तम्
ु हारा अहसानमन्द रहां गा सश्पा, तम
ु ने मझ
ु े ददल से समझा है ।”
चत खज
ु ाती रहती थी भाभी - लांड डाल खज
ु ली समटाई और मठ
ु चस
ु ाया
मेरे बड़े भाई, चगरीश की शादी हुए एक साल हुआ है । पपछले कुछ महीनो से व्यापार में बहुत तेज़ी आने
से चगरीश भैया रात को दे र दे र तक काम करते हैं। कई बार मैं भैया को कोमल भाभी की चद
ु ाई और
गाांड ठुकाई करते हुए-छुप कर दे ख चुका था। मेरी भाभी का नाम कोमल है , वह 5 फुट 5 इांच लम्बी हैं,
वो25 साल की हैं और कफगर 36-32-36 है , बहुत गोरी और तीखे नैन-नकश हैं। कोमल भाभी के क्हे (
गाांड ) उभरे हुए हैं और उठी हुई चचचयाुँ हैं। एक बार जब भैया ककसी काम से 15 ददनों के सलए जयपरु
से बाहर चले गए तो मैंने दे खा कक कोमल भाभी उदास-उदास सी होने लगी थी और मैंने दे खा कक वो
ददन में कई बार अपनी चत को अपने हाथ से खज
ु लाती रहती थीां। इन 4-5 ददनों में वो कई बार मेरे
सामने भी अपनी चत को खुजलाती रहती थीां और खज
ु लाते समय मेरी तऱि बड़े ही मोहक अांदाज में ,
गहरी नज़रों से दे खती भी जाती थीां। मैं जान गया था कक कोमल भाभी की चत बड़ी मचल रही है , पर मैं
कया कर सकता था। एक सब
ु ह मैंने दे खा कक कोमल भाभी जब दध लेने दध वाले के पास आईं, तो उसके
सामने अपनी चत को खज
ु लाईं, दध वाला भी बड़ी गहरी नज़रों से कोमल भाभी को चत खुजलाते दे ख रहा
था, मझ
ु े एक झटका सा लगा, मैं जान गया कक मझ
ु े कुछ करना पड़ेगा, वरना घर की इज़्जज़त जाने वाली
है । उस रात मैंने पकका सोच सलया कक मझ
ु े कोमल भाभी की मदद करनी ही पड़ेगी, वरना कुछ भी हो
सकता है । उस रात जब सब लोग सो गए, मैं उसी तरह कोमल कोमल भाभी के पास जाकर सो गया और
मैंने तो ़िैसला कर सलया था कक आज कुछ तो करके ही रहुँगा। सबके सो जाने के बाद मैंने एक कोसशश
की, मैंने पहले उनके करीब जाकर लेट गया, कफर आदहस्ता से, उनके मम्मों पर हाथ कफराया और
आदहस्ता-आदहस्ता से दबाने लगा। मझ
ु े ऐसा लग रहा था कक वे भी मड में आ रही हैं। कफर मैंने उनके
कॉटन वाले टॉप में ह्के से हाथ डाला। जब मेरा हाथ उनकी मल
ु ायम चचचयों पर गया, तब मेरे हाथ में
उनका स्पांजी ब्रा थी, जो मझ
ु े डडस्टब़ कर रही थी। इस दौरान मेरी धड़कनें तेज़ हो रही थीां। कफर मैंने
अपनी उुँ गसलयों से उनकी ब्रा को हटाने की कोसशश की, पर नाकाम रहा कयोंकक मेरे ऐसा करने से वे थोड़ा
सा दहलने लगीां और मैंने ़िौरन अपना हाथ हटा सलया। लेककन, कुछ दे र बाद मैं खद
ु ही है रान हो गया,
कयोंकक मेरे लांड पर कोमल भाभी का हाथ था और दे खते ही दे खते उन्होंने ह्के से मेरे लांड को मसलना
शरू
ु ककया। मझ
ु े तो यकीन ही नहीां आ रहा था। उनके ऐसा करने से मझ
ु े भी जोश आ गया, मैंने उनकी
मदद करने के सलए अपनी जज़प खोल कर अपना लांड उनके हाथ में दे ददया- लो मसलो मेरे लौड़े को
अहह.. ओह.! और उन्होंने सच में मसलना शरू
ु कर ददया। मैं तो अपने आपे में ही नहीां रहा। हम दोनों ने
एक-दसरे के कपड़े तनकाले तो मैं पहली बार साक्षात नांगी औरत को दे ख रहा था। मैं तो कोमल भाभी को
नांगी दे ख कर बहुत खुश हो गया और चत को दे खा तो शायद कोमल भाभी ने सब
ु ह ही अपनी चत सा़ि
की थी। मैंने चत पर हाथ कफराया, तो मेरे हाथ में चचकना रस आया, मैंने कोमल भाभी से पछा- आप
चुदासी हो रही हो? वो बोलीां- बहुत, आज तो प्यारे दे वर जी, मेरी जी भर के चुदाई कर दो। बस मैंने कोमल
भाभी को दोनों हाथों से उठाया और बबस्तर पर सलटा कर दोनों टाुँगें फैला दीां और कोमल भाभी के होंठों
पर चुम्बन करने लगा। कफर दोनों मम्मों को हाथों से पकड़ कर बहुत प्यार से मसका, कफर चचुकों को
मुँह
ु में लेकर खब चसा। अब तो कोमल भाभी बहुत चुदासी हो गईं और कहती हैं- अभय, अब मेरी चत
चाटो मैंने कोमल भाभी की दोनों टाुँगें अपने कन्धे पर रखीां और बीच में मह
ुँु लगाया और चत की
पजु ततयों को खीांच कर चसने लगा, कफर ज़ब
ु ान से सारा रस पीने लगा, अपनी परी ज़ब
ु ान चत में डाल दी।
चत के मक
ु ु ट (कलाइटॉररस) को दोनों होंठों में दबा कर चसने लगा तो कोमल भाभी मस्त होकर अपने
क्हे उठा रही थीां, वो बोलीां- अभय, तम्
ु हें औरत की चद
ु ाई करना बहुत अच्छी आती है । मैंने 10 समनट
कोमल भाभी की चत चाटी और चत के मक
ु ु ट को मुँह
ु में लेकर खीांच कर जो चसा, तो कोमल भाभी को
पहला चरमोतकऱ् समल गया। वो मेरा ससर अपनी चत पर दबाने लगीां और झटके लेने लगीां, मैं लगातार
चत चाटता रहा, एक समनट तक उनकी चत झड़ती रही। कफर कोमल भाभी ने मेरा लांड मुँह
ु में सलया और
प्यार से चसने लगीां, चारों तरफ अपना हाथ लांड पर कफराने लगीां और आधा लांड 4 इांच मुँह
ु में ले सलया।
कफर वो ज़ब
ु ान से सारे प्रीकम को चाट गईं और बोलीां- अब मेरी चद
ु ाई करो, मैं बहुत तड़प रही हुँ। ककतने
ददन से तम्
ु हारे भैया ने मझ
ु े अच्छी तरह से नहीां चोदा है । मैंने कोमल भाभी के चतड़ों के नीचे एक
तककया रखा और दोनों टाुँगें फैला दीां। कफर मैंने अपने लांड पर बहुत सारा तेल लगाया। जब मैं अपना लांड
नीचे लाया, तो कोमल भाभी ने झपट कर मेरा लांड अपने हाथ से पकड़ कर चत के छे द पर रखा। मैंने
आदहस्ते से लांड को चत में डालने के सलए दबाव ददया तो सप
ु ारा चत में अन्दर घस
ु गया और कोमल
भाभी की आुँखें ़िैल कर बड़ी हो गईं। मैंने पछा- कोई तकली़ि तो नहीां हो रही है? कोमल भाभी बोलीां-
नहीां, सस़ि़ चत पसर गई है , ऐसा महसस हुआ। मैंने और दबाव ददया और आधा लांड चत में डाल ददया,
कफर मैं कोमल भाभी के होंठों पर चुम्बन करने लगा और आदहस्ते-आदहस्ते लांड अन्दर-बाहर करके चोदना
शरू
ु ककया। चार और धकके मारे और परा 7 इांच लांड चत में घस
ु ेड़ ददया। कोमल भाभी ने मेरे चतड़ पकड़
सलए पर मैंने लांड को चत में पेलना जारी रखा। वे बोलीां- ठहरो जरा, लौड़े को ऐसे ही चत में थोड़ी दे र
रखो, बहुत मज़ा आता है । मैंने लांड को चत में रखा और मम्मों को मसलने लगा। दो समनट के बाद
कोमल भाभी बोलीां- बस अब जी भर के मेरी चद
ु ाई करो। मैंने अपना लांड आधा से ज़्जयादा अन्दर-बाहर
कर के चद
ु ाई करने लगा, परी 10 समनट की चद
ु ाई के बाद कोमल भाभी को दसरा परम-आनन्द प्राप्त
हुआ। वो मझ
ु े अपनी बाहों में पकड़ कर झटके लेने लगीां, मैंने आदहस्ते-आदहस्ते चुदाई चाल रखी। दो
समनट तक कोमल भाभी का ओगेज्म चला, कफर वो अपना दोनों हाथ बेड पर फैला कर बोलीां- माय गॉड
अभय, आप तो गजब के चोद हो.. ऐसे तो तम्
ु हारे भाई ने मझ
ु े कभी नहीां चोदा। मैंने कहा- कोमल भाभी
अभी चुदाई ख़तम नहीां हुई है , मेरा माल तनकलेगा तब ख़तम होगी। कोमल भाभी बोलीां- हाुँ.. मझ
ु े मालम
है .. बस अपनी कोमल भाभी को जी भर के चोदो, बहुत मज़ा आता है । मैंने लांड परा बाहर तनकाल ददया
और कोमल भाभी को चाट कर सा़ि करने को कहा, कफर चत में वापस डाला, अब तो लम्बे-लम्बे धकके
मारने लगा और कोमल भाभी बहुत उततेजजत हो गईं, बोलने लगीां- फाड़ दो मेरी फाड़ दो मेरी चत. परा
लांड अन्दर डाल दो। मझ
ु े पसीना आने लगा, कोमल भाभी ने अपना पेटीकोट लेकर मेरा माथा पोंछ ददया
और चम्
ु बन दे ने लगीां। परे 10 समनट मैंने खब चद
ु ाई की, बाद में बोला- कोमल भाभी मैं आ रहा हुँ..!
कोमल भाभी बोलीां- हाुँ अन्दर ही आओ..! और मैं वीय़ की पपचकाररयाुँ चत में छोड़ने लगा, गरम-गरम
पपचकाररयाां मारीां, कोमल भाभी तो आनन्द के मारे बेहोश सी हो गईं, वो भी साथ में झड़ी थीां और उनका
परा बदन झटके खाने लगा। दो समनट तक हम दोनों झड़ते रहे , आखख़र में मैं तनढाल होकर कोमल भाभी
पर ही लेट गया, मेरा लांड नरम होने लगा। मैंने उठ कर लांड चत से बाहर तनकाला, परा लांड वीय़ और रज
से भरा चमक रहा था। हम दोनों बाथरूम में गए, कोमल भाभी कमोड पर बैठीां और तभी मेरा माल कोमल
भाभी की चत से तनकल कए टपकने लगा। कोमल भाभी बोलीां- अभय तम्
ु हारा माल तो दे खो, साण्ड की
तरह परा कप भर कर तनकला है और तम्
ु हारा भाई का तो ससफ़ एक चम्मच तनकलता है । मैंने अपना लांड
साबन
ु से धोया और हम दोनों ने कपड़े पहन सलए। मैं कोमल भाभी को बाांहों में लेकर चमने लगा और
पछा- कया तम्
ु हारा दे वर चद
ु ाई के लायक है? कोमल भाभी ने भी मझ
ु े अपने बाहुपाश में जकड़ सलया- हाुँ
जी है ..!
दोस्तों यह आज से 3 साल पहले की बात है , और तब मैं 12 वीां कलास में पढ़ती थी. और मेरी उम्र 19
साल की थी, मेरी लम्बाई 5.5 फुट की थी, मेरा बदन उस समय नाज़ुक था और मेरे कफगर का साइज़ 32-
28-34 का था, मेरे बब्स थोड़े छोटे थे, मैं गोरी थी, मेरे बाल बहुत लम्बे और घने काले थे. मेरी एक बड़ी
बहन भी है , जजसकी शादी भी 3 साल पहले हो चुकी थी. और अब मैं अपने मम्मी-पापा की इकलोती
लड़की थी. मम्मी-पापा के अलावा हमारी दादी भी हमारे साथ ही रहती थी. हम लोग हमारे घर में ऊपर
की तरफ रहते थे और नीचे की तरफ हमने 2 ककरायेदार रखे हुए थे. और उनमें से नीचे की तरफ एक
टीचर भी रहते थे जजनका नाम “अतनल” था जजनसे मैं ट्यशन पढ़ती थी. और वो 30-32 साल के थे,
उनके 2 बच्चे और बीवी उनके साथ ही रहते थे. अतनल जी की मैं बहुत इज्जत करती थी, और मैंने कभी
सोचा भी नहीां था कक, वो वही होगें जो मझ
ु को पहली बार चोदे गें। हालाुँकक स्कल में तो बहुत से लड़के
मझ
ु को लाइन मारते थे, पर मैं बहुत डरती भी थी. दोस्तों मेरी एक सहे ली थी “शीतल” उसको भी उसके
पडौस में रहने वाले लड़के ने कई बार चोद ददया था. और वह मझ
ु को सब कुछ बताती थी. दोस्तों उसकी
बातों को सन
ु कर मेरा मन भी बहुत करता था, पर डर भी बहुत लगता था. मा़ि करना दोस्तों मैं अपनी
कहानी बताना तो भल ही गई थी. अब मैं आपको आगे बताती हुँ। अतनल सर मझ
ु को गखणत पढ़ाते थे,
और मैंने कई बार नोट भी ककया था कक वो मेरे बदन को बहुत घरते रहते थे. पर मैंने कभी वैसा नहीां
सोचा था. और कफर एकबार मझ
ु को उन्होनें एक मैगज़ीन दी और कहा कक, चांचल इसको तम
ु अकेले में
पढ़ना और ककसी और को मत बताना. और उस ददन मैं परा ददन बेकरार रही, और कफर रात को मैंने
अपने कमरे में वह मैगज़ीन खोली तो मैं उसको दे खकर एकदम दां ग रह गई थी कयोंकक उसमें चुदाई की
तस्वीरें थी, और वो भी बब्कुल नांगी. और उनको दे खकर मैं एकदम गरम और लाल हो गई थी और मैंने
उसकी एक-एक तस्वीर दे ख डाली थी, जजससे मेरे परे बदन में आग सी ़िैल गई थी. और कफर इतने में
मेरे फोन की घन्टी बजी, और कफर मैंने फोन उठाया तो वह अतनल सर थे. और कफर उन्होंने मझ
ु से कहा
कक, चांचल कैसी लगी ककताब? दोस्तों उस समय मेरी तो आवाज़ ही नहीां तनकल रही थी. और कफर वह
बोले कक, चांचल, घबराओ मत मैं भी तम
ु को ऐसे ही मज़े दुँ गा, और तम
ु यह बात ककसी को बताना मत।
और कफर अगले ददन ट्यशन में मैं उनसे आुँख नहीां समला पा रही थी. और वह मझ
ु को दे खकर हुँस रहे
थे. और उस रात कफर से 11.30 बजे उनका फोन आया, और वह बोले कक, चांचल तम्
ु हारे ़िोन की आवाज
थोड़ी कम कर दो, कोई सन
ु ना ले. और कफर वह बोले कक, तम
ु ने कभी ककस ककया है ? तो मैंने उनसे कहा
कक, “नहीां”. कया? कया मैं तम
ु को ककस करूां? तो कफर मैंने उनसे कहा कक, “नहीां प्लीज़” अच्छा, फोन पर तो
कर ही सकते है , और कफर वह मझ
ु को मनाने लगे, और चगडचगडाने लगे। और कफर आखखर में मैंने उनसे
कहा कक, ठीक है फोन पर तो कर लो” और कफर उन्होनें फोन पर मझ
ु े एक लम्बी सी कक़स्स्सस्स दी. और
उससे मैं भी गरम होने लगी थी और एक अजीब सी ससहरन मेरे परे बदन में दौड़ने लगी थी. और कफर
वह बोले कक, यह तेरे होठ पर, यह तेरे गोरे गालों पर… और कफर ककस करते-करते यह तेरे बब्स पर, और
यह तेरी पतली कमर पर… दोस्तों मैं तो ़िोन पर ही बब्कुल गरम और लाल हो गई थी. और कफर उनके
मह
ु ुँ से “यह तेरी चत पर” सन
ु ते ही मैं काुँपने लगी थी. और कफर वह बोले कक, अब त मझ
ु को ककस कर.
लेककन मैंने उनको मना कर ददया तो, वह कफर से मझ
ु से समन्नतें करने लगे. और कफर मैंने कहा कक,
“ठीक है , यह लो कक़स्सस्स”. तो वह कहने लगे हाय मेरी जान, आई.लव.य.” और कफर वह बोले कक, कहाुँ
पर ककया है ? तो मैंने उनसे कहा “होठों पर” तो वह बोले कक, “प्लीज़ मेरे लांड पर भी करना… यह ककतना
तरस रहा है तेरे होठों के अहसास के सलए” और कफर उनके मह
ु ुँ से यह बात सन
ु कर मैं तो पागल सी हो
गई, और मेरे कानों में जैसे ककसी ने गरम लोहा डाल ददया हो. और कफर मैंने फोन रख ददया था. और
उसके बाद ़िोन की घन्टी कई बार बजी, पर मैंने उसको नहीां उठाया. और उस रात मैं ठीक से सो ना
सकी थी। और कफर अगले ददन मैंने यह सब मेरी सहेली शीतल को बताया, तो वह मेरी बात को सन
ु कर
हुँस दी थी और कफर वह मझ
ु से कहने लगी कक, “यार त चीज़ ही ऐसी है कक, कोई भी तेरे सलये पागल हो
जाए। बेचारे हमारे सर, और कफर वह मझ
ु से कहने लगी कक, सन
ु वह तो अनभ
ु वी भी है और वह तझ
ु को
खब मज़े भी दे गें एक बार उनसे चुदवाकर दे ख तो सही” और कफर उस ददन मैं ट्यशन पर नहीां गई थी,
और कफर रात को 11.45 बजे कफर से अतनल सर का फोन आया, और कफर वह फोन पर मझ
ु से माफी
माुँगने लगे. और कफर मेरा ददल भी पसीज गया, और मैंने उनसे कहा कक, “मैं नाराज़ नहीां हुँ, अब ठीक है”
और कफर वह कहने लगे कक, “कया हम फोन पर तो कर ही सकते है ?” और कफर उसने मझ
ु े मनाया तो
कफर मैं मान गई थी. और कफर उसने मझ
ु से परे 30 समनट तक फोन पर सेकसी बातें करी थी. इतनी
गन्दी-गन्दी और गरम कक, मैं 2 बार तो झड़ गई थी. और कफर वह तब तक बातें करता रहा जब तक
मैंने उनको सच में 5 ककस दे ने का वादा नहीां कर ददया था। और कफर 2 ददन के बाद उनकी बीवी और
बच्चे उनके गाुँव चले गये थे, और अब तो वह कमरे में अकेले ही रहते थे. और कफर उस रात को उन्होनें
मझ
ु े फोन ककया और मझ
ु को उनके कमरे में आने को कहा, लेककन मैं नहीां मानी और उससे कहा कक,
“अगर तम
ु ने और कुछ भी ककया तो?” तो उन्होनें कसम खाई और कहा कक, “मेरी जान, बस 5 ककस
करूुँगा, और कुछ नहीां, कसम से” और कफर बाद में , मैं मान गई थी. और कफर अपने कमरे को धीरे से
बन्द करके मैं नीचे उनके कमरे के बाहर आ गई थी, और कफर ह्के से उनके कमरे का दरवाजा खुला
और उन्होनें मझ
ु े मेरा हाथ पकड़कर अन्दर खीीँच सलया था. और उस कमरे के अन्दर बब्कुल अांधेरा था.
उन्होनें दरवाजा अन्दर से बन्द ककया. और कफर उसने मझ
ु े दीवार के सहारे खड़ा कर ददया, और कफर वह
मेरे होठों को चमने लगा, और धीरे -धीरे काटते हुए वह मेरे होठों को चसने लगा, उसकी ज़ब
ु ान मेरे दाुँतों
पर दबाव डाल रही थी, तो कफर मैं समझ गई थी कक, वह मेरे मह
ु ुँ में अपनी ज़ब
ु ान डालना चाहता है ,
लेककन मझ
ु को बहुत शरम भी आ रही थी और कफर आखख़र में मैंने अपना मह
ु ुँ खोल ही ददया और उसकी
ज़ब
ु ान मेरे मह
ु ुँ में आ गई थी, और कफर उसने मेरी ज़ब
ु ान को कस सलया और चसने लगा, जजससे मैं तो
पागल सी हो गई थी, और जैसे मझ
ु को ककसी जन्नत का मजा आ रहा हो। दोस्तों मझ
ु को नहीां मालम था
कक, इसमें इतना मजा भी आता है . और कफर मैं सोचने लगी कक, जब ककस करने में ही इतना मजा है तो
उस काम में ककतना मजा आता होगा? और उधर वह मेरी जीभ को चसे जा रहा था. और कफर मैंने
महसस ककया कक, उसके हाथ मेरी पीठ पर चल रहे थे, और उसने मझ
ु े अपनी तरफ कस भी सलया था.
और अब अब मैं उससे चचपकी हुई थी, और उसका गरम बदन और साुँसे मैं महसस कर रही थी, और
कफर उसका एक हाथ मेरे सीने पर रक गया, और कफर वह हाथ धीरे से मेरे एक बब्स पर आ गया था।
और उससे मेरी तो साुँस ही रक गई थी, और मैं परी तरह से काुँप गई थी, और मैंने कसमसाकर उसको
खद
ु से दर हटाने की नाकाम कोसशश करी, पर उसने मझ
ु को कस के दबोचा हुआ था. और कफर मैंने उससे
कहा कक, ”प्लीज़ रक जाओ, प्लीज़”. और कफर वह रक गया और कहने लगा कक, “कया हुआ?” तो मैंने कहा
कक, “प्लीज़ इनको हाथ मत लगाओ, कयोंकक हमारी बात सस़ि़ ककस तक ही थी, और यह तो बहुत ज़्जयादा
है , और मैं यह सब नहीां करूुँगी प्लीज़, और मझ
ु को अब जाने दो”. तो वह बोला कक, “ठीक है बाबा, ककस
की ही बात थी तो पाुँच ककस तो दो, अभी तो केवल एक ही हुआ है” पर मैं नहीां मानी, और वह मझ
ु को
मनाता रहा, और कफर वह करीब 10 समनट तक मझ
ु को मनाता रहा और रोने भी लग गया था, और कफर
उसकी उस हालत पर मझ
ु े बाद में तरस आ गया और मैं सस़ि़ चार बाकी ककस के सलए तैयार हो गई
थी. और कफर उसने मेरा चेहरा अपने हाथों में सलया और कफर वह मेरे नीचे वाले होंठ को चसने लगा.
और कफर उसके लगातार 5 समनट तक चसते रहने से मैं बेताब हो गई थी. और कफर उसने मेरे हाथ को
पकड़कर अपने कन्धे पर रखकर लपेट सलया था, जजससे मेरे बब्स उसकी छाती से चचपक गए थे, और
कफर उसने अपने हाथों को मेरी पीठ पर फैरना शरू
ु कर ददया था. और कफर इसी तरह से करते हुए उसने
कफर से मझ
ु को फ्रेंच कक़स में उलझा सलया था, और मैं भी परी तरह से खो गई थी. और कफर उसने
मझ
ु से कहा कक, तम
ु अब दीवार की तरफ मह
ु ुँ करके खड़ी हो जाओ. और कफर मैं उसकी बात को मान
गई और कफर मैं दीवार की तरफ मह
ु ुँ करके खड़ी हो गई थी और मेरी पीठ उसकी तरफ थी. और कफर
उसने मेरी कमर पर हाथ रखकर मेरे कान के नीचे जीभ से चाटने लगा, जजससे मैं पागल सी हो गई थी,
और मझ
ु को बहुत मजा आ रहा था. और कफर धीरे -धीरे उसने मेरी गद़ न पर काटना शरू
ु कर ददया था,
और उस मदहोशी में मैं भी अब आहें भरने लगी थी। और कफर उसने मेरे कान में कहा कक, “चांचल मेरी
जान, त बहुत नमकीन है , आई.लव.य.”. और मैं भी सस़ि़ “सररर” ही कह सकी थी. और कफर मैंने महसस
ककया कक, मेरे दोनों क्हों के बीचों-बीच उसका वह गरम लोहा लगा हुआ था, और कफर मैं सोचने लगी
कक, शायद वह मेरे पीछे बबना अांडरपवयर के ही लगा हुआ था. और मझ
ु को डर भी लग रहा था और
अच्छा भी लग रहा था. और कफर मैं उततेजजत सी हो गई थी, और कफर मैंने अपनी गाांड उसकी तरफ कर
दी थी ताकक उसका वो ठीक से सेट हो सके. और कफर अब उसके हाथ धीरे से मेरी सलवार के नाडे पर
आ गए थे. और कफर उसने मझ
ु े ककस करते हुए एक ही झटके में मेरी सलवार को खोल ददया था. और
कफर मेरी सलवार नीचे चगर गई तो कफर वह तरु न्त ही मेरी पैन्टी को भी कसके पकड़कर उतारने लगा.
और अब मेरी नांगी गाांड पर उसका लांड लगा हुआ था. और कफर उसने मेरा कुता़ ऊपर ककया तो मैंने भी
उसका साथ दे ते हुए अपने हाथ ऊपर कर ददए थे, और कफर मेरा कुता़ उतरने के बाद उसने पीछे से मेरी
ब्रा का हुक भी खोल ददया था, और कफर एक ही झटके में उसने मेरी ब्रा हटाकर दर फैं क दी थी. और
कफर मैं तो शरम से लाल हो गई थी, कयोंकक मैं पहली बार ककसी गैर मद़ के सामने नांगी हो रही थी।
और कफर उसने मेरे पीछे से ही मेरे बब्स को पकड़ सलया और वह उनको मसलने लगा. और कफर जब
उसने मेरे तनप्पल को मसलना शरू
ु ककया तो मैं चच्लाने लगी थी, लेककन उसने मेरी कोई परवा ही नहीां
करी थी ब्की उसने मझ
ु को दीवार के सहारे कसके दबोचा हुआ था, और नीचे से मेरी गाांड पर अपना लांड
भी सटाया हुआ था, और मेरे बब्स उसकी मट्ठ
ु ी में थे. वह अपने हाथ की ऊुँगली और अांगठे के बीच में
मेरे तनप्पल को बड़ी बेददी से मसल रहा था. और उससे मैं पागल सी हो गई थी. और कफर 10 समनट के
बाद उसने मझ
ु को छोड़ ददया था. और कफर उसने मझ
ु को बेड पर बैठने को कहा तो मैं बैठ गई थी. और
कफर उसने बेड के साइड वाला लेम्प जला ददया था. और कफर जैसे ही उस कमरे में रोशनी हुई तो मैं
अपने बदन को छुपाने लगी और चादर को खीांचकर अपनी तरफ करने लगी थी, पर उसने वह चादर भी
मझ
ु से छीनकर फैं क दी थी. और उस समय मैं एक सशकार की तरह अपने सशकारी के सामने थी, और वह
मझ
ु को ऊपर से लेकर नीचे तक तनहार रहा था. और उसका लम्बा और तना हुआ लांड मेरे सामने था.
और कफर मैंने शरमाकर अपनी आुँखे बन्द कर ली थी. और कफर उसने मझ
ु से कहा कक, “चांचल अपनी
आुँखें खोलो और इसको प्यार करो, पकड़ो”. तो कफर मैंने उससे कहा कक, “नहीां प्लीज़” और कफर उसने
ज़बरदस्ती मेरे हाथों को अपने लांड पर रख ददया, और कहने लगा कक, “पता है यह 7.5” लम्बा और 3”
मोटा लांड है ”, “चल साली अब इसको अपने मह
ु ुँ में ले, मेरी रां डी। और कफर उसके मह
ु ुँ से रां डी सन
ु ते ही
मैंने झट से अपनी आुँखे खोल दी थी और कफर मैंने गस्
ु से से उसको दे खा तो वह समझ गया था, और
कफर वह बोला कक, यार सेकस में थोड़ा जांगलीपना तो होना ही चादहये तभी तो मजा आता है . “चल अब
चस इसे, और चाट ले कु्फी की तरह” नहीां, प्लीज़ यह नहीां तम
ु और कुछ भी कहोगे तो मैं करूुँगी पर
मह
ु ुँ में नहीां, प्लीज़” और कफर वह मायस हो गया था. और कफर वह कहने लगा कक, “कोई बात नहीां जान,
चल अब लेट जा” और कफर मैं लेट गई थी और अब वह खड़ा था और मैं बेड पर आधी लेटी हुई थी और
मेरे पाुँव जमीन पर ही थे. और कफर उसने मेरे पैर पकड़कर फैला सलए थे, और कफर उसने अपने लांड का
टोपा मेरी चत के ऊपर रख ददया था. और कफर वह मझ
ु से कहने लगा कक, “चांचल मेरी जान, तझ
ु को थोड़ा
दद़ होगा प्लीज़” और कफर मैंने भी हाुँ में अपना ससर दहला ददया था. और कफर उसने एक झटका ददया
तो उसके लांड का आधा टोपा मेरी चत को फाड़ता हुआ अन्दर घस
ु गया था, और मैं दद़ से चच्ला उठी
थी और रोने लग गई थी. तो कफर वह भी रक गया था, और कफर उसने मेरी गाांड को थोड़ा ऊपर उठाकर
एक गोल तककया उसके नीचे रख ददया था, जजससे मेरी चत थोड़ा ऊपर हो गई थी, और कफर वह भी मेरे
ऊपर झक
ु कर मेरे होठों को अपने मह
ु ुँ में लेकर उसने अपने लांड का एक ज़ोरदार झटका ददया तो मेरी तो
चीख ही तनकलते तनकलते रह गई थी। और कफर उसने मेरे होठों को अपने होठों से सील कर ददया था,
पर मैं कफर भी दद़ से कराह रही थी. और वह कफर से रक गया था. अब तक उसका आधा लांड मेरी चत
में घस
ु चक
ु ा था, और कफर 5 समनट के बाद उसने धीरे -धीरे अपने लांड को मेरी चत में अन्दर-बाहर करना
शरू
ु ककया, लेककन मैं अभी भी दद़ से मरी जा रही थी. तो कफर उसने रककर मझ
ु से कहा कक, “साली
अगर त इसको अपने मह
ु ुँ में ले लेती तो मेरा लांड चचकना हो जाता और तझ
ु े अब इतना दद़ नहीां होता,
अब चच्ला कयों रही है चल अब सखा ही ले” और कफर थोड़ा रककर उसने एक और जोरदार झटका
ददया तो, उसका सनसनाता हुआ परा लांड मेरी चत में घस
ु गया था. और अब वह बबलकुल भी नहीां रका
और मझ
ु े चोदने लगा, बबजली की तरह उसका लांड मेरी चत में अन्दर-बाहर ही रहा था, और मैं दद़ से
तड़प रही थी. और कफर 10 समनट के बाद मझ
ु े भी खब मजा आने लगा और मैंने अपने दोनों पैर उसकी
कमर पर कैं ची की तरह कस ददए थे और कफर मैं भी अब गाांड को उठा-उठाकर उसका साथ दे ने लगी
थी. और कफर वह बोला कक, “शाबाश मेरी रानी, अब तो त परी रां डी हो गई है ” मैं भी इस बीच अब तक 3
बार झड़ चक
ु ी थी, और वह था कक, रकने का नाम ही नहीां ले रहा था. और कफर 15-20 समनट तक और
चोदने के बाद, उसने मझ
ु े घोड़ी बन जाने को कहा. और कफर मैं उठकर नीचे फश़ पर आ गई और घोड़ी
स्टाइल में हो गई थी. और कफर उसने मेरी कमर को पकड़कर अपना लांड पीछे से मेरी चत में डाल ददया
तो मझ
ु े कफर से दद़ होने लगा. लेककन कफर उसने मझ
ु े समझाया कक, बाद में तम
ु को भी बहुत मजा
आएगा और यह चुदाई की सबसे अच्छी स्टाइल है . तो कफर मैंने भी कहा कक, हाुँ मेरी सहे ली भी यही
कहती है . और कफर मैं मान गई और कफर मैं भी पीछे की तरफ धकका मारकर उसका साथ दे ने लगी थी.
और कफर 15 समनट के बाद वह मेरी चत में झड़ गया था. और कफर इस तरह से हम दोनों परी तरह से
थक चक
ु े थे. और कफर हम दोनों ही साथ-साथ लेट गए थे. और कफर उसने मझ
ु े प्यार से चमा, और कफर
थोड़ी दे र के बाद उसने मझ
ु े एक गोली दी और कहा कक, यह खा ले इससे त प्रेग्नेंट नहीां होगी। और इस
तरह से रात के 3 बज चुके थे, और कफर मैंने अपने कपड़े पहने और कफर मैं अपने कमरे में चली गई
थी. और कफर अगले ददन मैं बबस्तर से उठ भी नहीां पाई थी, और मैं स्कल भी नहीां गई थी, और बस
बख
ु ार का झुँठा बहाना मारकर लेटी रही थी। और कफर रात को कफर से 11.30 बजे उन सर का फोन
आया, और कफर लाख कोसशश करने के बावजद भी मैं अपने आप को रोक नहीां सकी थी, और कफर मैं
उसके कमरे में कफर से आ गई थी. और कफर यह सब अगली 6-7 रातों तक चलता रहा था, और उसने
मझ
ु े एक पतत के जैसा प्यार ददया था, और हर तरह से, हर स्टाइल में मझ
ु े चोदा था. उसने मझ
ु े बबस्तर
के साथ बाुँधकर भी मेरे साथ सेकस ककया था. और कफर 7 ददन के बाद जब उसकी पतनी आ गई थी तो
हमको अब वह सब रोकना पड़ा था और बाद में उसने अपने एक दोस्त के कमरे का इांतज़ाम ककया,
लेककन हम 2-3 बार ही कर पाए थे. और हमारे इस नाज़ायज ररश्ते के बारे में उसकी बीवी को पता चल
गया था, और कफर उसकी बीवी ने हमारा घर खाली कर ददया था।
मेरी लड़की की तलाश चाल थी. कभी नेट पर तो कभी फोन पर मगर मेरी कहीां भी बात नहीां बनी थी.
और कफर मैं ऐसे ही एक ददन खाली बैठा हुआ इन्टरनेट पर चेदटांग कर रहा था तो वहाुँ पर मझ
ु े एक फ्रेंड
समला मगर वह साला तो एक गब्ु बा था. और कफर मैंने उससे उसका नम्बर माुँगा तो उसने अपना नम्बर
मझ
ु को ददया, और कफर मैंने उससे लड़ककयों के नम्बर भी माुँगे तो उसने मझ
ु को का़िी सारी लड़ककयों के
नम्बर भी दे ददए थे. मगर उनमें से कोई भी मझ
ु से सेट नहीां हुई थी, कयोंकक मैं तो एक अमीर और
शादीशद
ु ा औरत को तलाश कर रहा था, मगर मझ
ु को एक लड़की समली जजसकी उम्र 30 साल की थी और
वह पवधवा थी. वह अपना और अपने बेटे का खचा़ नौकरी करके तनकालती थी और वह एक बहुत ही
अच्छी लड़की थी। मेरी उससे फोन पर लगातार ही बात होती रही. और कफर एक ददन उसने मझ
ु से बोला
कक, उसको कुछ पैसों की ज़रूरत है . तो मैंने सोचा कक, यह तो उ्टा वार पड़ गया और यहाुँ पर तो लेने
के दे ने पड़ रहे है . मगर कफर उसकी मज़बरी को दे खकर मैं उसको पैसे दे ने को राज़ी हो गया था. और
कफर जब मैं पहलीबार उससे समलने गया तो वह ददखने में ज्यादा खबसरत नहीां लग रही थी, मगर मैंने
अपने वादे के अनस
ु ार उसको 3000 रूपये दे ददए और कफर मैं वहाुँ से वापस आ गया था. और उसने
मझ
ु े बहुत बार धन्यवाद बोला और उसने मझ
ु से सांपक़ बनाए रखा, मगर मेरा उसके साथ सेकस करने को
बबलकुल भी ददल नहीां हुआ. और कफर एक ददन मैंने उसे फोन ककया तो उसने मझ
ु से कहा कक, तम
ु इतने
ददन से कहाुँ थे? तो मैंने भी उससे पछा कक, कयों तम
ु ऐसा कयों पछ रही हो? तो उसने मझ
ु से कहा कक,
उसने एक सेकसी कफ्म दे खी थी और उसका ददल कर रहा था िबत्रम सेकस करने का, और कफर उसने
मझ
ु से एक वाइब्रेटर लाने की जज़द करी. और कफर मैंने माकेट में उसको बहुत तलाशा मगर वह नहीां
समला और मेरी सारी कोसशश बेकार गई, और कफर उसका फोन आया तो मैंने उससे कहा की मैंने बहुत
तलाश ककया मगर वह मझ
ु को कहीां भी नहीां समला. और कफर मैंने उसको मज़ाक में ही बोला कक, वाइब्रेटर
की कया ज़रूरत है , मैं खुद ही आ जाता हुँ ना. तो कफर उसने मझ
ु को मना कर ददया मगर कफर हम लोग
फोन सेकस करने लगे. दोस्तों उस ददन के बाद तो जब भी मेरा ददल करता था तो मैं उसके साथ फोन
सेकस कर लेता था. और जब उसका ददल करता तो वह भी कर लेती थी. और कफर यह ससलससला ऐसे
ही चलता रहा. और कफर एक ददन मेरी पतनी कुछ ददनों के सलए घर से बाहर गई हुई थी तो मैंने मेरी
सेदटांग को फोन ककया तो उसने मझ
ु से कहा कक, वह तो ऑफीस में है और शाम को 5 बजे यहाुँ से
तनकलेगी. और कफर मैंने उससे कहा कक, यार आज बहुत ददल कर रहा है तो उसने शाम को समलने के
सलए बोला. और कफर जब मैंने उससे उसके बेटे और ससरु जी के बारे में पछा तो उसने कहा कक, वह सब
लोग तो घमने गये है 2-3 ददन के सलए. और कफर मैंने उसे शाम को 5 बजे अपनी गाड़ी में उसके
ऑकफस के पास से बैठाया और कफर हम उसके घर की तरफ चले गए, और रास्ते में मैंने उसे अपनी
जररत बताई तो वह भी मान गई थी. और कफर वह मझ
ु को अपने घर ले आई थी. दोस्तों उसका घर
ज्यादा बड़ा तो नहीां था मगर हम दोनों के सलए का़िी था. और कफर उसने मझ
ु े बैठाया और कफर चाय के
सलए पछा। मगर मैं वहाुँ पर चाय पीने के सलए नहीां बज्क उसकी जवानी के रस को पीने के सलए गया
था. दोस्तों उसके पतत की मौत को हुए 5 साल हो गये थे. और कफर मैं उसपर झपट पड़ा था और वह
भी ककसी जांगली बब्ली की तरह मझ
ु पर टट पड़ी थी. और कफर हम दोनों एक दसरे के साथ चम्
ु मा चाटी
करते रहे . उसने सट पहन रखा था तो मैंने उससे उसके सट की कीमत पछी तो उसने कहा कक, 350
रूपये का है . तो मैंने उसका सट झट से फाड़ ददया और कफर मझ
ु को उसकी ब्रा नज़र आने लगी. दोस्तों
उसने लाल रां ग की पारदशी ब्रा पहन रखी थी, और कफर मैंने उसकी ब्रा खोली. दोस्तों उसके बब्स ना तो
ज़्जयादा बड़े थे और ना ही ज्यादा छोटे थे, उसके तनप्पल बब्कुल कड़क हो गये थे. और कफर मैंने एक-एक
करके उसके तनप्पल चसे तो वह गरम होती गई. और कफर उसके मह
ु ुँ से आहहह… उह्ह्ह… की आवाज़ें
आने लगी थी. और कफर उसने मेरा लांड मेरी पेन्ट के ऊपर से ही पकड़ सलया था, मेरी जीन्स टाइट थी
इसीसलए वह उसको ठीक से मसल नहीां पा रही थी. और कफर उसने मझ
ु े रोक के मेरी जीन्स के बटन
खोले और कफर मेरा लांड बाहर तनकाला. और उसे दे खकर वह तो चौंक गई थी। और कफर वह मझ
ु से
बोली कक, चन्दर इतना मोटा और इतना लम्बा लांड तो मैंने कभी नहीां दे खा. और कफर मैंने उसको अपना
लांड चसने को कहा तो उसने सा़ि मना कर ददया. लेककन कफर मैंने उससे कहा कक, इसमें हम दोनों को
ही बहुत मज़ा आएगा तो कफर वह राजी हो गई थी. और कफर उसने मेरे लांड को अपने मह
ु ुँ में ले सलया
था और कफर वह उसको चसने लग गई थी. पहले तो उसे उ्टी सी आने लग गई थी, मगर बाद में उसे
मज़ा भी आने लगा था. और कफर वह बड़े ही प्यार से उसको चसने लग गई थी. और कफर मैंने उसको
रोका और कफर उसको खड़ा ककया और कफर मैंने उसकी सलवार भी उतार दी थी. उसने सलवार के नीचे
लाल रां ग की पैन्टी पहन रखी थी और वह भी जालीदार थी. और कफर मैंने उसको भी फाड़ ददया था. और
कफर हम दोनों 69 की पोजज़शन में आ गए थे. और अब मैं उसकी चत को चाट रहा था, और वह मेरे लांड
को चस रही थी. और कफर 10-15 समनट तक हम लोग वैसे ही करते रहे । और कफर उसके बाद मैंने उसे
सीधा ककया और कफर मैं उसकी चत पर अपने लांड को रगड़ने लगा तो उसको भी मज़ा आने लगा और
कफर वह मझ
ु से बोलने लगी कक, चन्दर अब मझ
ु को और मत तड़पाओ 5 साल से मेरी इस चत में कोई
लांड नहीां गया और कफर उसकी इस बात को सन
ु कर मैं और भी जोश में आ गया था. और उसकी चत में
अपना लांड घस
ु ाने लगा मगर जब मेरा लांड मैं उसकी चत में घस
ु ा रहा था तो मझ
ु को पता चला कक, सच
में 5 साल से इस चत में कोई लांड नहीां गया कयोंकक उसकी चत बहुत टाइट थी. और कफर मैंने उससे
थोड़ा सा तेल माुँगा तो उसने मझ
ु े तेल लाकर ददया. और कफर मैंने अपने परे लांड पर तेल लगाया और
कफर उसकी चत के मह
ु ुँ पर अपना लांड रखकर एक जोरदार धकका मारा तो मेरा लांड आधा उसकी चत में
घस
ु गया था जजससे वह थोड़ी सी चच्ला उठी थी. और कफर मैंने उससे पछा कक, कया हुआ तो उसने
बोला बहुत दद़ हो रहा है । दोस्तों ये कहानी आप कामलीला डॉट कॉम पर पढ़ रहे है । तो कफर मैंने कहा
कक, 5 साल के बाद लोगी तो दद़ तो होगा ही. और कफर मैंने एक और झटका मारा तो मेरा लांड उसकी
चत में परा सेट हो गया था. और इसबार मैंने उसके मह
ु ुँ पर अपना हाथ रख ददया था. और उसकी
आुँखों से आुँस तनकलने लग गए थे. और कफर मैं थोड़ी दे र तक रक गया था और कफर मैं उसके बब्स
को चसने लग गया था 10 समनट तक उसके बब्स को चसने के बाद वह थोड़ा शान्त हुई और कफर वह
भी मेरा साथ दे ने लग गई थी. और कफर मैंने भी धीरे -धीरे अपना लांड उसकी चत में आगे-पीछे ककया तो
उसको भी मज़ा आने लगा और वह भी बोलने लगी कक, चन्दर 5 साल के बाद आज मेरी इस चत ने
कोई लांड खाया है कसम से आज तो बहुत मज़ा आ रहा है , अच्छे से चोदो मझ
ु को और कफर पता नहीां
कफर मौका समले या ना समले। और कफर मैंने उसकी चद
ु ाई अपनी परी रफ़्फतार से चाल कर दी थी और वह
भी आवाज़ें तनकालने लग गई थी आहहह… चन्दर मज़ा आगय्ह्या मेरे राजा तम
ु तो खब अच्छी चद
ु ाई
करते हो मेरे पतत के मरने के बाद 5 साल तक मैंने मेरी इस चत को कैसे शान्त रखा है , यह तो मैं ही
जानती हुँ, मगर आज मैं रक नहीां सकती हुँ, फाड़ दो मेरी चत को आज और चोद-चोदकर इसका भोसड़ा
बना दो. तम
ु जैसे चाहो मझ
ु को वैसे चोद लो, मैं आज तम
ु को बबलकुल भी नहीां रोकुँ गी मेरी जान मैं
हमेशा के सलए तेरी रां डी बन के रहां गी. चोद डाल फाड़ दे मेरी चत को राजा. और मैं उसे अपनी परी
स्पीड से धकके मारता रहा और उसके मह
ु ुँ से मादक सी आवाज़ें आती रही आहहह… तम
ु ने आज तो
मझ
ु को जन्नत का मज़ा ददया है . और हम लोगों की चद
ु ाई ऐसे ही चलती रही और कफर 30 समनट के
बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने उससे पछा कक, मेरी जान अब मेरा माल तनकलने वाला है . तो कफर उसने
मझ
ु को बोला कक, तम
ु अपना माल मेरी चत के अन्दर ही तनकाल दो मेरे सरु क्षक्षत ददन चल रहे हैं. और
कफर मैंने अपनी स्पीड को थोड़ा और बड़ा ददया, और कफर 5-7 समनट के बाद हम दोनों ही एकसाथ झड़
गये थे और हम दोनों ही ह्के-ह्के झटकों के साथ झड़ने का मजा ले रहे थे तो उसके बाद जब मैंने
उससे पछा कक, मेरी जान मज़ा आया ना। तो उसने मझ
ु से कहा कक, इतना मज़ा तो मझ
ु े अपने पतत के
साथ भी कभी नहीां आया जजतना मजा तम
ु ने मझ
ु को आज ददया है . मैं आज पहली बार 3 बार झड़ी हुँ।
और कफर मैं उससे दब
ु ारा समलने का वादा करके वहाुँ से चला गया और अगली बार मैंने उसकी गाांड भी
मारी मगर उसकी मजी से।
हम चारो (मै, हस्बेंड, सम्धन और समधी) प्राइवेट टै कसी से जयपरु अपने ररस्तेदार की लडकी की शादी मे
शासमल होने 18 अप्रैल को गये थे। शादी अटें ड करने के अगले ददन शाम को वापस लौटे । थकान के
कारण हमको टै कसी मे नीांद आ गई। जब हस्बेंड की नीांद खुली तो पता चला कक हम जजस रास्ते जयपरु
गये थे उस रास्ते वापस नही आ रहे है । वो ड्राइवर से बहस कर रहे थे हम सभी जाग गये। आगे जाकर
एक ढाबे पर रककर चाय पीते पीते पता ककया कक हम गलती से बाई तरफ मड
ु गये थे और हम इस
वकत नांगल चौधरी नारनौल रोड के आस पास है । रात के नौ बज रहे थे। कुछ दर जाने के बाद ड्राइवर
ने टै कसी रोड के ककनारे लगाकर बौनट खोला और बताया कक गाडी गरम हो गई है शायद कलेंट खतम
हो गया है । पांद्रह बीस समनट के बाद उसने रे डडयेटर मे पानी डाला और हम तनकल पडे। दो या तीन
ककलोमीटर के बाद टै कसी कफर से गरम हो गई। कफर से पानी डालकर रोड के ककनारे एक कच्चे ढाबे पर
रोक दी। ढाबे पर एक लम्बी लम्बी मछों वाला लम्बे कद का अधेड उम्र का आदमी बैठा था। हस्बेंड,
समधी और ड्राइवर उसके पास गये कुछ बात चीत की और हम दोनो को भी चाय पीने के सलये बल
ु ा
सलया। ढाबे के आस पास रे त ही रे त था। दर दर तक कुछ ददखाई नही दे रहा था ससवाय अांधेरे के। चाय
पीने के बाद ड्राइवर ने गाडी स्टाट़ करने की बहुत कोसशस की लेककन अब तो गाडी स्टाट़ ही नही हो रही
थी। पता चला कक एक पाइप फट गया है । उस ढाबे वाले ने राजस्थानी भार्ा मे बताया कक पाांच छै
कीलोमीटर के बाद एक बडा ढाबा है उसके बगल मे एक पेट्रोल पम्प है और एक वकशा़प भी है जो सारी
रात खुली रहती है लेककन वहा तक जाया कैसे जाय। ढाबे वाले ने हमे खाने के बारे मे पछा। भख तो
सबको लग रही थी। उसने कहा कक हमको उसके घर जाना पडेगा कयोंकक ढाबे पर वो ससफ़ चाय समोसे
और ब्रेडपकोडे बनाता है और इस वकत ससवाय चाय के कुछ नही समलेगा। उसने ढाबे के पीछे से ददखाया
कक वो जहा रोशनी जल रही है वो उसका घर है पाांच समनट लगें गे जाने मे। हमने तय ककया कक हम
सभी उसके घर जायेंगे खाना खायेंगे और ड्राइवर उसकी मोटर साइकल लेकर पाइप और समस्त्री लेकर
आयेगा जब तक हम वही आराम करें गे। टै कसी को धकका दे कर थोडा अांदर ढाबे के सामने खडा ककया
और हम उसके घर को तनकल गये। वो चारो ड्राइवर, हस्बेंड, समधी और ढाबे वाला (उसका नाम दे श राज
था) बाते करते रहे । दे श राज ठे ठ राजस्थनी मे बात कर रहा था उसको दहांदी ढां ग से बोलनी नही आती
थी। उसने बताया कक उसके घर मे उसकी बीबी और उसकी पवधवा साली रहती है । साली के पती की
सडक हादसे मे मौत के बाद उसने बीबी बनाकर ही अपने पास रखा है कयोंकक साली के ससरु ाल वालो ने
उसको रखने से इांकार कर ददया था कक वो उनके लडके को खा गई। कया मज़ाक है ..... ये मानससकता
हमारे दे श मे हज़ारो लाखो औरतो का जीवन बरबाद कर रही है । उसके घर पहुांचकर उसने अपनी भार्ा मे
उनको हमारे बारे मे बताया तो पहले उन दोनो ने सबको राम राम कहा और मझ
ु े और समधन को उनके
रसवाडे की तरफ ले गई। कच्चा समट्टी का घर था। वो चारो बाहर आांगन मे ही चारपाइयो पर बैठ गये।
बहुत आव भगत करने लगी वो हमारी। लगा ही नही कक हम उनसे पहली बार इस तरह से समल रहे है ।
पांद्रह बीस समनट मे उन्होने प्याज की सब्जी, चटनी और रोटी हमारे सामने परोस दी। बहुत स्वाददस्ट
खाना था। चटनी तो गजब की थी, पतथर पर पीस कर बनाई थी। हमने रसोडे मे ही खाना खाया और
उन चारो ने बाहर आांगन मे ही। खाना खाने के बाद दे श राज ने ड्राइवर के साथ जाने के सलये मोटर
साइकल तनकाली तो उसने अपने माथे पर हाथ मारा। पता चला कक मोटर साइकल का पपछला टायर
पांचर है । ड्राइवर ने टै कसी की चाबी समधी को पकडाकर बोला कक आप ये चाबी रखो मै बाहर से ककसी
ट्रक से सलफ्ट लेकर कुछ कोसशस करता ह। उन दोनो औरतो ने रसोडे मे ही हमारे सलया और अपने सलये
बबस्तर डाल ददये और बोली जीजी थम आराम कर लो (जो मैंने उनकी भार्ा मे समझा कयोंकक वो तो
और भी दटपपकल रजास्थानी मे बोल रही थी) वो हमसे सारी जानकारी लेने लगी कक हम कौन है हमारा
कया ररस्ता है , कहा से आ रहे है और कहा जा रहे है । करीब दर समनट के बाद दे श राज ने सीता नाम से
आवाज दी तो उसकी बीवी बाहर चली गई। उनकी बहुत दे र तक खुसर फुसर चलती रही मझ
ु े कुछ भी
समझ नही आ रहा था। कुछ दे र बाद वो सरमाते हुये अांदर आई और मेरे कान मे कुछ बोली तो मै चौंक
गई....। उसने कहा कक जबतक ड्राइवर आता है तबतक समधी और हसबेंड उन दोनो औरतो के साथ
सेकस करें गे और वो हम दोनो के साथ। ये अचानक कैसे हो गया। मै उसको कया जवाब दे ती। वो अपनी
भार्ा मे बोली कक दे श राज हमको दे खकर कफसल गया है और उसने हसबेंड और समधी से बात की
जजसके सलये वो तैयार हो गये। मैंने उससे पछा कक इससे पहले भी उन दोनो ने ककसी और के साथ
सेकस ककया है तो उन्होने इांकार कर ददया लेककन दे श राज के कहने पर वो पहली बार तैयार हो गई।
हम बात कर ही रहे थे कक दे श राज रसोडे मे ही आ गया कफर ना जाने उसने कया बोला कक वो दोनो
बाहर तनकल गई। दे श राज ने दरवाजा बांद कर ददया और हमारे पास आकर उकड होकर बैठकर समधन
की छाती पर हाथ रखकर पता नही कया बोला। दे श राज ने बैठे बैठे पहले अपना कुता़ और बतनयान
उतारी कफर धोती और धारी वाले कपडे का कच्छा। मेरी पसांद का था आगे से परा माांस (जस्कन) से ढका
हुआ नक
ु ीला सा लेककन चपटा सा था गोलाई मे नही था। उसने समधन की टाांगो को खीांचकर सीधा
ककया और सलवार का नाडा खोलकर एक पैर से बाहर तनकलकर उनकी टाांगे चौडी कर सीधे लांड चत पर
रखते ही पेल ददय। समधन ऊऊऊऊ करके रह गई। उसकी आांखे लाल हो रही थी। मै दीवार के साहारे
बैठी थी लेककन मेरी चत से पानी ररसने लगा था। मै उसकी बडी बडी लम्बी मछो को दे ख रही थी और
सोच रही थी कक अगर इससे मै चटवाऊ तो ककतना मज़ा आयेगा। उसको पसीना उतर आया था। उसने
मझ
ु े राजस्थानी मे मेरा प्लाज्मा उतारने को बोला। मेरे उतारते ही उसने मेरी टाांगो के बीच मे दे खा और
चमकती आांखो से जो उसने राजस्थानी मे बोला और मै समझी कक ओ थारी मस्त सथ
ु री चत है बब्कुल
उसकी ऊांटनी की जैसी। मै ऊांटनी सन
ु कर हां स पडी। उसने मेरी दाई टाांग पकडकर नीचे खीांचा और मेरी
गीली चत पर उां गसलया फेरने लगा। वो बोला कक कयािं ते पैलाां ई पानी छोडगी सस
ु री। समधन के ऊपर
से हटकर वो मेरी टाांगो के बीच मे आया तो मैंने उसको चाटने को कहा तो ना जाने उसने कया गाली दी
और मेरा एक बब जोर से भीांच सलया। मै कसमसा कर रह गई। उसने जबरदस्ती मेरी टाांगे चौडी की मैंने
कफर भीांच ली और चाटने को बोला। वो टाांगो के बीच मे मह
ु लेगया और गाली दे कर बोला कक बदब आ
रही है । मैंने उठकर रसोडे के कोने मे जहा वो बरतन धोने की जगह पर जाकर लोटे के पानी से अपनी
चत को अच्छी तरह उां गली डालकर धोकर आई। उसने पता नही राांड के साथ कया गाली दी और चत पर
अपना मह
ु दटका ददया। उसकी बडी बडी मछों से गद
ु गद
ु ी हो रही थी बडा मज़ा आने लगा और कफर से
मेरा पानी तनकल गय। हट सस
ु री ..... ककतो पानी छोडे..... राांड बोलते हुये झटके से वो हटा और घट
ु नो
के बल बैठकर लांड को मेरी चत पर दटका ददया। मैंने कुछ सोचकर उसके लांड को हाथ से पकडा और बैठ
गई। उसके लांड के सप
ु ाडे की जस्कन को पीछे सरकाने लगी तो वो बोला कोई नी हो....खडे होण के पाछे ।
पहली बार जैसे ही लांड थोडा अांदर घस
ु ा मै उचक गई। औरो का तो मझ
ु े पता नही लेककन चाहे चत
ककतनी भी गीली हो पहली बार लण्ड अांदर जाने पर मझ
ु े दद़ होता है थोडी दे र तक। वो परी तरह मेरे
ऊपर आ गया। उसकी छाती मेरे मह
ु के पास थी पसीने की बदब आ रही थी। कोई चुम्मा चाटी नही, कोई
बब नही दबाये सीधे पेलम पेल शरू
ु कर दी। मेरी गरदन को दोनो हाथो की चग्रप मे सलया और दे दना
दन दे दना दन... मस्ती मे एक बार और मेरा पानी तनकल गया। वो बडबडाया कक ककतना पानी
तनकलता है जैसे कुवें से तनकलता है । मै अपनी सससकाररयो मे मस्त हो गई। कुछ दे र बाद उसके धकको
के रकते ही मै दो तीन बार उचक गई। इसके बाद उसने अपने दोनो हाथो से नीचे से मेरे दहप्स को
पकडा और एक साथ ऊपर से धकका मारता और नीचे से मेरे दहप्स को ऊपर धकेलता। मै महसस कर
रही थी कक परा का परा जड तक अांदर जा रहा था। उसके लण्ड के पास की ऊपर की हड्डी मेरी चत के
पास ऊपर की हड्डी से टकरा रही थी। गजब का मज़ा आ रहा था। पता नही पसीना या मेरी चत का
पानी मेरी गाण्ड के छे द के ऊपर से बह रहा था। पसीने के कारण नाभी के नीचे के दहस्से के टच होने
पर जोर जोर की थप थप की आवाज आ रही थी। मेरे पेट के अांदर मज़े के कारण बल पडने लगे। मैंने
कसके उसकी कमर को दोनो हाथो से जकडा और ऊऊऊऊऊऊऊ स्स्स्स्सस्स ऊऊऊऊऊऊ करते हुये नीचे
से सात आठ धकके मारे । मै आखरी बार तनचड
ु गई। वो लगा ही रहा। अब मेरे उपर से उतरकर वो
समधन के ऊपर सवार हो गया। कुछ दे र के बाद वो जोर से बडबडाय... धारी भान को भोशडो....और ढे र
हो गया। आधे समनट के बाद वो कफर से धकके मारने लगा तो समधन भी हऊऊऊऊऊऊऊऊ करते हुये
झड गई। अपने मझ
ु ा़ये गीले लांड को जब उसने बाहर तनकाला तो मैंने उसको जस्कन उपर सरकाने का
इशारा ककया। अबकी बार मजु श्कल से उसने सप
ु ाडे को जस्कन से बाहर तनकाला । उसके सप
ु ाडे की गाांठ
बहुत मोटी थी शायद इसी सलये खडा होने पर और मोटी हो जाती है जजससे जस्कन उपर नही आ पाती
होगी। वो कपडे पहनकर बाहर तनकल गया और हमने भी अपने कपडे पहने ही थे कक वो दोनो औरते
मह
ु ां ढककर हां सती हुई अांदर आई और हमारे पास बैठ गई। मैंने उनसे उनकी चुदई के बारे मे पछा तो
सीता बोली कक उनको आज तक इतना मज़ा नही आया था। जब शादी हुई थी तब आया था। वो दोनो
बेहद खुश थी और मै भी। समधन बोली कक दे श राज ने उनको कम चोदा और मझ
ु े जादा। रात के डेढ
बज गया था। चाय बनाई गई। चाय पी रहे थे कक ड्राइवर का फोन आ गया कक चाबी लेकर आओ वो
मैकेतनक को साथ लेकर आया है । दे श राज बोला कक हम आराम से चाय पी ले वो चाबी दे कर आता है ।
उसके जाने के बाद मैंने समधी और हस्बेंड से पछा कक कैसी रही। समधी बोले मस्त चुद्दकड है यार ये
गॉव की औरते। कया गद
ु गद
ु ी चुते है इनकी। दोनो ने बारी बारी से बदल बदल कर उन दोनो चोदा। दोनो
ने बताया कक सीता जादा मज़े दार है । हर धकके पर परा परा खद
ु धकके मारकर साथ दे ती है । दोनो के
बब्स एक दम सौसलड है ... हाड़ जैसे कभी दबाए ही नही है । दोनो को जादा मज़ा उनके बब्स चसने मे
आये। दे श राज ने कभी भी उनके बब्स नही चसे है कक बब्स चसेगा तो वो उसकी मा जैसी हो जाएांगी।
उनकी बाते सन
ु कर मझ
ु े लगा कक गॉव की चाहे चत हो चाहे बब या लण्ड सौसलड ही होते है । मेहनत
मशककत करने वाले लोग घर का खाना सब मैटर करता है । सब
ु ह चार बजे टै कसी ठीक होने पर एक एक
चाय पीकर हम लोग दे श राज के घर से तनकले। अभी सलख रही ह तो दे श राज के लांड को अपनी चत
मे महसस कर रही ह।
मैं अपनी मौसी जी के घर अपने भाई की शादी अटें ड करने गया था। मेरी बहन जजसका नाम सन
ु ीता है ,
मझ
ु से दो साल बड़ी है और ददखने में एकदम आएशा टाककया है , 40″ के बब्स.. 34″ के चतड़ और 28 की
कमर। मेरे कजजन की शादी 25 नवम्बर की थी लेककन मैं 15 नवम्बर को ही अपनी मौसी के घर चला
गया था शादी के काम में हे ्प करवाने के सलए.. मेरी अपने कजज़न्स से बहुत अच्छी पटती थी.. मैं
सन
ु ीता से अपनी हर बात शेयर कर लेता था और वो मझ
ु से अपनी हर बात शेयर कर लेती थी। तो 16
नवम्बर के ददन मैं और सन
ु ीता ऐसे ही बेड पर लेट कर बात कर रहे थे, वो अपनी पीठ के बल लेती हुई
थी और उसके बब्स उसकी साुँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे जजससे मेरा 7 इांच लांबा मोटा लण्ड खड़ा
हो गया। हम ऐसे ही इधर उधर की बातें कर रहे थे.. कफर उसने अचानक से मझ
ु से मेरा ़िोन माुँग सलया
और मेरे ़िोन में बहुर सारी पॉऩ वीडडयो पड़ी थी.. तो मैंने ज्दी से उनमें पासवड़ लगाया और उसे दे
ददया। पर पता नहीां उसने कैसे पासवड़ खोल सलया और उसने सीधा ही गॅलरी में जाकर दे खा और पॉऩ
वीडडयो दे ख कर कहा- तम
ु ये सब कया रखते हो ़िोन में …? मैंने उसे सॉरी कहा और कहा कक प्लीज़
मम्मी-पापा को मत बताना..वो थोड़ा गस्
ु सा करने लगी लेककन बीच बीच में उसके चेहरे पर भी हां सी
झलक जाती थी जजसे वो छुपाने की कोसशश कर रही थी.. मैंने यह सब नोदटस कर सलया और सोचा कक
यही सही मौका है , लोहा गम़ है हथोड़ा मार दे ना चादहए। मैंने उससे पछा कक तम
ु ने कभी पॉऩ मवीस
दे खी है ? उसने थोड़ी दे र तो कुछ नहीां बोला, चुपचाप लेटी रही तो मैंने उसके पेटपरहाथ रख ददया.. वो
थोड़ी शरमाई ओर उसने अपनी आुँखें बांद कर ली और थोड़ी थोड़ी मस्
ु कुराने लगी..मैंने उससे कहा- चलो
साथ समलकर पॉऩ दे खते हैं.. और मैंने उससे अपना मोबाइल लेकर पॉऩ वीडडयो चला दी। वो बड़े ही गौर
से उस मवी को दे ख रही थी, मेरा लौड़ा तो मेरी पैंट फाड़ कर बाहर आने को हो रहा था। वो भी गम़ हो
गई थी और उसकी साुँसें भी थोड़ी तेज़ हो गई थी… मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर रख ददया,
उसने मेरे लण्ड को दबोच सलया.. मैं भी अपना हाथ उसके बब्स पर रख कर धीरे धीरे दबाने लगा.. वो
कुछ बोल नहीां रही थी.. बस चुपचाप मज़े सलए जा रही थी। मैंने भी सोच सलया कक कुछ भी हो जाए
आज तो इसकी ़िुद्दी मारनी ही है । कफर मैंने पॉऩ वीडडयो बांद करके ़िोम साइड में रख ददया और उसको
बेड पर लेटा ददया और उसके ऊपर लेट कर उसे ककस करने लगा। वो भी मेरा परा साथ दे रही थी। मैंने
अपनी जीभ उसके मख
ु में घम
ु ानी शरू
ु कर दी, वो उसे चस रही थी और परा मज़ा ले रही थी। क़िर मैं
उसके टॉप के अांदर हाथ डाल कर उसके बब्स को दबाने लगा और टॉप के ऊपर से ही दसरे बब्स को
चसने लगा। क़िर मैंने उसका टॉप और ब्रा दोनों एक साथ उतार दी, एक हाथ से उसके एक बब को दबाने
लगा और दसरे बब्स को चसने लगा, दसरा हाथ उसकी चत पर रख ददया। उसकी चत एकदम गरम भट्टी
की तरह तप रही थी, मैंने फट से उसका लोवर तनकल ददया और पैंटी के ऊपर से ही उसकी चत को
सहलाने लगा। वो अपनी आुँखें बांद करके और अपने होठों को दाुँतों के बीच में दबाकर मज़े सलए जा रही
थी और मेरी पैन्ट में हाथ डाल कर मेरे लण्ड को सहला रही थी। कफर मैंने उसे अपना लण्ड मुँह
ु में लेने
के सलए कहा, उसने 1-2 बार तो मना ककया लेककन कफर ज्दी ही मान गई। और पहले तो उसने मेरे
लण्ड के सप
ु ारे के ऊपर ककस ककया और कफर एक बार में ही परा मुँह
ु में ले गई.. मैं तो एकदम जन्नत
में था। वो एकदम ककसी पोऩस्टार की तरह मेरा लण्ड चस रही थी। 20 समनट बाद मैं झड़ने वाला था,
मैंने अपना लण्ड उसके मुँह
ु से बाहर तनकाला और कफर मैंने उसकी चत चाटनी शरू
ु कर दी। जैसे ही मैंने
अपनी जीभ उसकी चत पर रखी, वो एकदम तड़प गई और सससकाररयाुँ भरने लगी। कफर मैंने अपनी
उां गसलयों से उसकी चत को खोला ओर उसकी चत के अांदर अपनी जीभ डाल कर घम
ु ाने लगा। वो तो
एकदम बबना पानी की मछली की तरह तड़पने लगी और ज़ोर ज़ोर से सससकाररयाुँ भरने लगी। उसने
मझ
ु से कहा- बस करो आकाश, अब अांदर डाल दो अपना.. और मत तड़पाओ अब.. मैंने अपना अांडरवीयर
परा उतारा, उसके दोनों पैर अपने कन्धों पर रखे और अपने लण्ड का सप
ु ारा उसकी चत पर रखा और
रगड़ने लगा, और कफर एक ही झटके में अपना आधा से ज़्जयादा लण्ड उसकी चत में घस
ु ा ददया। उसकी
चत फट चक
ु ी थी और उसमें से खन तनकालने लगा। वो चच्लाना चाहती थी लेककन मैंने उसके होठों को
अपने होठों से बांद कर ददया.. वो चीखना चाहती थी लेककन चच्ला नहीां पा रही थी, उसने हाथ पैर मारने
शरू
ु कर ददए लेककन मैंने उसे कस के पकड़ा और उसे ककस करता रहा कभी बब्स पर तो कभी होठों पर!
कफर धीरे धीरे उसका दद़ कम हुआ और मैंने उसको धीरे धीरे धकके लगाने शरू
ु ककया। अब उसे भी मज़ा
आ रहा था और वो भी अपनी गाण्ड उछाल उछाल कर चद
ु वा रही थी और ज़ोर ज़ोर से चच्ला रही थी-
आआह… आआहह.. ऊऊऊओह… ओह ऊऊहह.. ऊऊहह आकाश… फक मी फक मी हाड़र… आआहह.. ऊऊओह
एस… फाड़ दो मेरी चत को… कम ओन आकाश… आई लव य आकाश… फक मी लाइक ए बबच… ऊऊओह..
आआहह.. डॉन्ट स्टॉप… चोदते रहो… और ज़ोर से छोड़ो…वो तब तक 2 बार झड़ चक
ु ी थी, 15 समनट की
चुदाई के बाद मैं भी झड़ने वाला था, वो भी तीसरी बार झड़ने वाली थी.. मैंने उसको कहा- जानेमन कहाुँ
तनकालुँ ? उसने कहा- अांदर ही.. और मैंने उसकी चत में ही अपना पानी तनकाल ददया। वो भी मेरे साथ ही
झड़ गई और मैं थक कर उसके ऊपर ही चगर गया। थोड़ी दे र बाद मेरा लण्ड अपने आप उसकी चत में
से तनकल गया और कफर हम दोनों एक दसरे से सलपट कर लेट गये और चमाचाटी करने लगे। उस ददन
से लेकर मैंने उसे शादी के ददन तक बहुत चोदा-ठोका… आज भी जब भी कभी हम समलते हैं, हम खब जी
भर के चुदाई करते हैं।
यह मेरी चचेरी बहन को चोदने की पहली कहानी है जजसे मैं आपके सलए लाया हुँ। मेरा नाम रोदहत है
और मैं आगरा का रहने वाला हुँ। मैं अब एक कॉल बॉय हुँ। कुँु वारी लड़ककयों, भाभी, और आांटी की चुदाई
करता हुँ पैसे लेकर। आपका अचधक समय खराब न करते हुये कहानी पर आता हुँ। बात उन ददनों की है
जब मेरी उम्र 19 साल से कुछ कम थी, मैं नया नया जवान हुआ था। मेरी चाचा की बड़ी लड़की जो बहुत
सेकसी है उसकी उम्र मेरे जजतनी ही थी कुछ ही महीने कम थी मझ
ु से… उसके मस्त मम्मे, मस्त चतड़
कया बताऊुँ दोस्तो, लौड़ा खड़ा हो जाता था। मेरी नजर चचेरी बहन बहुत ददन से थी और मैं सेकस का
बहुत दीवाना था, लड़ककयों के नांगे पोस्टर दे ख कर मठ मारता था। एक ददन मेरी चचेरी बहन मेरे घर पर
गसम़यों की छुट्टी में रहने के सलए आई। मेरा मन उसे चोदने का करने लगा, मैं योजना बनाने लगा कक
उसे कैसे चोदा जाए। एक ददन मौका समल ही गया, घर से सभी लोग बाहर ककसी काम से चले गए तीन
चार ददन के सलए। मैं और मेरी चचेरी बहन अकेले घर पर थे, उस रात वो मेरे पास सो गई रात के
करीब 11 बजे मैंने अपना काम शरू
ु कर ददया। पहले मैंने उसके मम्मों को जजसे हम दध कहते हैं, उन
पर हाथ फेरना चाल ककया। उसके बाद जब कुछ दे र तक उसने कोई प्रततकिया नहीां की तो मेरा हाथ धीरे
धीरे उसकी चत पर गया, जजसे मैं कपड़ों के ऊपर से सहलाने लगा। मेरी चचेरी बहन की आुँख खुल गई
और उसने मझ
ु े अलग कर ददया और आुँखें ददखाने लगी। मझ
ु े डर लगने लगा कक यह ककसी से कह न
दे तो मैं अलग जाकर सो गया। दसरे ददन जब वो उठी तो उसके चेहरे पर जहरीली मस्
ु कान थी, मझ
ु े
कुछ समझ नहीां आ रहा था कक मैं कया करूुँ। जब वो नहाने के सलए गई तो मैंने दरवाजे की खझरी से
झाांक कर दे खा तो वो अपनी चत में उां गली डाल कर अपनी चत से खेल रही थी। मेरी दहम्मत बढ़ गई।
वो नहा कर बाहर आई, उसके का़िी दे र बाद हमने दोपहर का खाना खाया और वो सोने के सलए चली
गई। ददन का एक बज रहा था और मेरा मन उसे चोदने का कर रहा था। मैं दहम्मत करके उसके पास
गया, दे खा कक वो गहरी नीांद में सो रही थी। मैंने अपने सारे कपड़े पहले ही उतार सलए थे, कफर मैंने उसके
मम्मे दबाना चाल ककया और उसकी तनप्पल को मसलने लगा, वो थोड़ी आहें भरने लगी। कुछ समय बाद
वो उठ गई और मेरा हाथ हटा ददया पर मेरी तरफ उसकी जब नजर गयी तो वो मझ
ु े नांगा दे ख कर
दे खती ही रह गई। उसकी नजर मेरे 7″ के लण्ड पर दटकी रही। मैंने मोका पाकर उसके मम्मे दबाना
चाल कर ददया, वो पवरोध करने लगी पर मैं नहीां माना। उस समय मेरे ऊपर उसे चोदने का भत सवार
था। मैं तेज तेज उसके मम्मे मसल रहा था तो उससे भी रहा नहीां गया और कफर वो आहें भरने लगी।
थोड़ी दे र बाद वो भी मेरा साथ दे ने लगी और मेरे लण्ड को अपने हाथों से सहलाने लगी, मेरा लन्ड अपने
परे सरूर पर था, कफर मैंने उसके सारे कपड़े उतार कर फेंक ददये और उसकी दोनों टाुँगों को चौड़ा कर
उसकी रस भरी चत को चाटने लगा जो पानी छोड़ चक
ु ी थी। कम से कम 15 समनट उसकी चत चाटी
और वो दो बार मेरे मुँह
ु में छड़ गई, मैंने उसकी चत का सारा पानी पी सलया। उसके बाद मैंने उसकी
गीली चत मे अपना लौड़ा डाल ददया, उसकी चत से खन तनकलना चाल हो गया और वो दद़ से तड़प
उठी। थोड़ी दे र तक मैंने उसके मम्मों को चसा, जब उसका दद़ थोड़ा कम हुआ तो मैंने उसकी चुदाई चाल
कर दी। लगभग 15 समनट की चद
ु ाई में उसकी चत ने तीन बार पानी छोड़ा और मेरे भी लन्ड ने
पपचकारी छोड़ दी। मस्त चद
ु ाई के बाद हम दोनों सो गए। कफर दो ददन तक मैंने अपनी चचेरी बहन की
खब चद
ु ाई की।
मझ
ु े सेकस करने का बड़ा शौक है शरू
ु से ही… पर कभी मौका नहीां समला। 12 कलास में मैंने बहुत सारी
लड़ककयों के नाम पर बहुत मठ मारी थी। अब आपको ज़्जयादा बोर ना करते हुए सीधा कहानी पर आता
हुँ। मेरी मौसी की दो लड़ककयाुँ हैं, बड़ी की शादी हो चक
ु ी है और छोटी अभी B.A. कर रही है उसका नाम
क्पना है , क्पना दे खने में इतनी सद
ुां र और सेकसी है कक कोई भी उसे एक बार दे ख ले तो मठ मारे
बबना नहीां रह सकता। हालाांकक उसके मम्
ु मे ज़्जयादा बड़े नहीां हैं पर कफर भी वो कमाल की चीज़ है , मैंने
कई बार उसके नाम से मठ मारी थी और अब उसे चोदना चाहता था। ददसांबर महीने की बात है , मौसी
की दे वरानी के घर कोई प्रोग्राम था, हमारी ़िैसमली को भी बल
ु ाया गया था, पर मम्मा-पापा को ककसी और
काम से कहीां बाहर जाना था इससलए मौसी के घर मैं चला गया। प्रोग्राम अगले ददन सब
ु ह था, इससलए
मेरी तरह बाकी सब ररश्तेदार भी आ गये थे। रात को जब सोने की बारी आई तो जगह कम होने के
कारण सबको अड्जस्ट करना पड़ा… मैंने मौका दे खा और मैं क्पना के रूम में जाकर सो गया और अांदर
ही अांदर बहुत खश
ु था कक आज मेरे सपनों की रानी मेरे साथ सोएगी। जैसा मैंने सोचा था, ठीक वैसा ही
हुआ, थोड़ी दे र बाद क्पना भी आ गई और आकर मेरे बगल में लेट गई। कमरे में एक ही रज़ाई थी जो
मैंने एक तरफ से औढ़ रखी थी। थोड़ी दे र बाद जब क्पना को भी ठां ड लगने लगी तो वो भी रज़ाई में
आ गई। सब सो गये थे पर मैं कहाुँ सोने वाला था। थोड़ी दे र बाद मझ
ु े लगा कक क्पना भी सो गई है
कफर मैंने बड़ी दहम्मत करके अपना एक हाथ क्पना के पेट पर रख ददया, वो सोई थी इससलए उसने
कुछ नहीां कहा। कफर मैं धीरे धीरे हाथ उसके मम्
ु मों पर ले गया और धीरे धीरे दबाने लगा। शायद वो सो
गई थी इससलए मैंने थोड़ी और दहम्मत की और हाथ उसके शट़ के अांदर डाल ददया पर उसने ब्रा बहुत
टाइट डाली हुई थी इससलए कोई फायदा नहीां हुआ। अपना हाथ नीचे उसकी सलवार तक ले गया और
धीरे धीरे उसकी सलवार का नाड़ा खोल ददया, नाड़ा खोलते ही उसने थोड़ी हलचल की और साइड चें ज
करके सो गई। मैं तो परा डर गया था पर मेरी ककस्मत अच्छी थी कक वो कफर से सो गई थी। थोड़ी दे र
और इांतज़ार करके मैंने अपना हाथ उसकी सलवार में डाल ददया, हाथ सीधा जाकर उसकी फुद्दी के ऊपर
लगा और मैं समझ गया कक उसने पें टी नहीां पहनी थी। मैं बहुत खुश हो गया कक आज पहली बार ककसी
लड़की की फुद्दी को छने का मौका समला है और वो भी अपनी मौसी की लड़की की… मैं यह सोच सोच के
पागल हुया जा रहा था। थोड़ी दे र ऊपर हाथ फेरने के बाद मैं अपना हाथ उसकी टाुँगों के बीच ले गया
और उसकी फुद्दी को महसस ककया जो एकदम रूई जैसी मल
ु ायम थी, कफर मैंने ़िुद्दी के दोनो होठों को
टच ककया और अपनी एक उां गली से उसकी ़िुद्दी को दबा ददया.. अचानक क्पना जाग गई, मैंने फटाफट
अपना हाथ बाहर तनकाला और दसरी तरफ मुँह
ु करके सोने का नाटक करने लगा। वो उठ कर बैठ गई
और उसने इधर उधर दे खा और कफर सो गई… इधर मेरी जान में जान आई। कफर मैं उठ कर बाथरूम
गया और वहाुँ क्पना के नाम की मठ मारने लगा, आज मठ मारने में एक अलग ही मज़ा था, मझ
ु े ऐसा
लग रहा था कक जैसे मेरा लौड़ा हाथ में नहीां बज्क क्पना की ़िुद्दी के अांदर बाहर हो रहा हो! कफर 10
समनट के बाद मेरा छट गया और मेरे लांड से पपचकारी सीधी दीवार पर चगरी, कफर मैंने अपना लांड साफ
ककया और जाकर सो गया, इसके बाद और कुछ नहीां हो पाया। कफर अगले ददन जब सोने की बारी आई
तो सब रात को 1:30 बजे तक बातें करते रहे मैं कफर से क्पना के कमरे में ही सोया था। ज़्जयादा रात
होने के कारण मझ
ु े भी नीांद आ गई थी। कफर जब मेरी नीांद खुली तो मैंने दे खा कक क्पना अलग रज़ाई
लेकर सोई हुई थी। उसको दे ख कर मेरा ददमाग शैतान हो गया और मैं उसकी रज़ाई में जाकर लेट गया,
उसने लोअर और टी-शट़ पहनी थी। थोड़ा इांतज़ार करने के बाद मैंने अपना हाथ सीधा उसके मम्
ु मों पर
रख ददया और दबाने लगा। आज उसे कोई होश नहीां थी शायद सारा ददन काम करके वो थक गई थी,
मैंने उसकी टी-शट़ ऊपर की और उसके पेट पर हाथ फेरने लगा, कफर मैंने उसका लोअर थोड़ा नीचे सरका
ददया, मैंने उसकी पेंटी भी नीचे सरका दी और जाकर उसकी टाुँगों के बीच बैठ गया और उसकी ़िुद्दी में
अपनी जीभ दे ने लगा। थोड़ी दे र चाटने के बाद वो हुआ जजसकी मझ
ु े उम्मीद नहीां थी, उसके हाथ मेरे ससर
पर थे, वो जागी हुई थी और अब वो मेरा ससर अपनी ़िुद्दी में दबा रही थी। बस कफर कया था मझ
ु े तो
ग्रीन ससगनल समल गया अब मैं परे जोश में उसकी ़िुद्दी चाटने लगा। थोड़ी दे र के बाद मैं उसके ऊपर
आ गया और उसकी टी-शट़ और पपांक ब्रा भी खोल दी, कफर मैंने उसके लबों में लब डाल ददए और चसने
लगा और एक हाथ से उसके मम्
ु मे दबाने लगा। अब वो भी गरम हो रही थी। थोड़ी दे र लब चसने के
बाद मैंने उसके मम्
ु मे भी चसे, मैंने कफर मैंने उसका लोअर और पें टी परी उतार कर टाुँगों से अलग कर
दी और कफर खद
ु भी नांगा हो गया। आज मैंने पहली बार ककसी लड़की को परा नांगी दे खा था और वो तो
एकदम जन्नत की हर लग रही थी, उसके गोल गोल छोटे छोटे मम्
ु मे कया मस्त लग रहे थे… ददल कर
रहा था कक इन्हें अभी खा लुँ … मेरे नांगा होते ही वो मझ
ु से सलपट गई… मैं तो जैसे जन्नत में था! मेरी हर
परी नांगी मझ
ु से सलपटी हुई थी थोड़ी दे र ऐसे ही सलपटे रहने के बाद हम अलग हुए और मैंने उसे लेटने
को कहा, कफर मैंने उसकी टाांगें खोली और उसकी ़िुद्दी चाटने लगा, अब क्पना को भी जोश चढ़ रहा
था… कया महक थी उसकी ़िुद्दी की… मझ
ु े तो मजा आ रहा था… क्पना के मुँह
ु से ‘आआहहह आहहह’ की
आवाज़ें आ रही थी। थोड़ी दे र के बाद उसकी बॉडी अकड़ने लगी और उसकी ़िुद्दी ने नमकीन पानी छोड़
ददया और वो बोली- अब मत तड़पओ, डाल दो मेरे अांदर! मैंने उसे अपना लांड चसने को बोला पर उसने
मना कर ददया, मेरे ज़ोर दे ने पर वो मान गई और मैंने अपना परा लौड़ा उसके मुँह
ु में दे ददया, वो उसे
लोलीपाप की तरह चस रही थी। उसने करीब 10 समनट तक मेरा लण्ड चसा और मेरा माल उसके मुँह
ु में
छट गया, उसका मुँह
ु मेरी िीम से भर गया था, उसने सारा अांदर कर सलया और मैं लेट गया। वो भी मेरी
बगल में लेटी थी, मैंने बोला- अब तम
ु ही इसे खड़ा करो! वो बोली- कैसे? तो मैंने बोला- चसो इसे
दोबारा…वो चसने लगी 2 समतनट में ही मेरा लण्ड कफर से अकड़ गया और मैंने टाइम ना गांवाते हुए उसे
नीचे लेटाया और उसे टाांगें खोलने को कहा। उसने टाांगें खोल दी और मैं अपना लांड उसकी ़िुद्दी पर
रगड़ने लगा, उसके मख
ु से ‘आह… आहह आआहहह…’ की आवाज़ें आ रही थी। मैंने एक जोरदार झटका
मारा तो उसके मुँह
ु से चीख तनकल गई ‘उउउईईईई…’ और वो चच्लाने लगी- बाहर तनकालो इसे… मैं मर
जाऊुँगी! मैंने ज्दी से अपने मुँह
ु से उसके मुँह
ु को दबा ददया और कफर एक और झटका मारा, अबकी बार
वो पहले से ज़्जयादा ज़ोर से चीखी पर मेरा मुँह
ु होने के कारण उसकी चीख दबी रह गयी। कफर मैंने 2
झटके और मारे और मेरा लांड उसकी ़िुद्दी में समा चक
ु ा था, उसकी आुँखों से पानी बह रहा था। कफर मैंने
कुछ दे र ऐसे ही रहने ददया, जब उसका दद़ थोड़ा कम हुई तो मैंने उसके मुँह
ु से अपना मुँह
ु अलग ककया
और दे खा कक उसकी ़िुद्दी से खन तनकल रहा था जजससे बेड की चादर खराब हो गई थी। वो ये सब दे ख
कर डर गई थी पर कफर मैंने उसे समझाया कक पहली बार ऐसा होता है । जब उसका दद़ का़िी कम हो
गया तो मैंने धीरे धीरे झटके लगाने चाल कर ददए, अब उसे भी मजा आने लगा और वो भी ‘फक मी…
फक मी…’ कर रही थी और उसके मह
ुँु से ‘आहहह आआहह हहआ… आहह… आआहह…’ की आवाज़ें आ रही
थी, अब वो भी नीचे से मेरा साथ दे रही थी। अचानक उसकी बॉडी अकड़ गई और उसने पानी छोड़ ददया
और बोली- अब बस करो… पर मेरा अभी नहीां हुया था तो मैंने झटके लगाना चाल रखा, थोड़ी दे र में उसे
कफर से मजा आने लगा और कफर से मेरा साथ दे ने लगी। का़िी दे र की चद
ु ाई के बाद मेरा छटने वाला
था, मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और कफर अपना सारा माल उसकी ़िुद्दी में चगरा ददया। इस दौरान वो 3
बार झड़ चक
ु ी थी। कफर उसी रात हमने एक बार और चद
ु ाई का मजा सलया।
मेरी गल़फ़्रेंड तो चत चद
ु वाने को तैयार बैठी थी
यह स्टोरी मेरी और मेरी गल़फ्रेण्ड ककरण (बदला हुआ नाम) के बीच की है । मैं ककरण को का़िी समय से
दे खता था.. वो भी मझ
ु े लाइन दे ती थी पर कभी उससे बात करने की मेरी दहम्मत नहीां हुई। कफर एक
बार मैंने अपने दोस्त से उसके बारे में बात की, उसने अपनी गल़फ़्रेंड के थ्र उसका नम्बर ला कर ददया
और कफर उसको मैसेज ककया.. पर उसने कोई जवाब नहीां ददया, मझ
ु े बहुत बरु ा लगा।
जब उसकी कॉल आई तो मैं फोन से बताए स्थान पर आ गया। आज मैंने गौर से दे खा कक ककरण का
रां ग एकदम साफ था और उसकी साइज़ 32-28-34 की थी। मैंने उससे कोई बात नहीां की बस ज्दी से
बाइक पर बैठा कर पास के एक रे स्टोरें ट में चला आया जहाुँ अलग से केबबन बने हुए थे। हम एक
केबबन में आमने सामने बैठने की बजाए एक ही साइड में बैठ गए। वेटर हम दोनों को पानी आदद दे
गया और हम दोनों ने उसे ऑड़र दे ददया। इसके बाद ककरण और मैं आपस में बात करने लगे, मैंने उसे
‘आई लव य..’ बोला और उसने मझ
ु े भी ‘आई लव य’ कहा। हम दोनों ने एक दसरे को हग ककया। मैंने
उसके गाल पर ककस ककया.. जजसका उसने कोई पवरोध नहीां ककया। कुछ दे र बाद वेटर आकर सामान
दे कर चला गया। इसके बाद हम दोनों थोड़ा खाया.. और कफर एक-दसरे को बाांहों में लेकर चमाचाटी करने
लगे। वो कया कमाल की फ्रेंच ककस कर रही थी। मैं उसे चमते-चमते उसके मम्मों को सहलाने लगा जब
उसने कुछ नहीां कहा तो मैंने उसके कपड़ों के ऊपर से ही उसके चचों को दबाने लगा। हम दोनों ऐसे ही
दस समनट तक फ्रेंच ककस की। उसकी बाद अलग हुए.. कफर थोड़ी दे र बात करने के बाद हम कफर शरू
ु
हो गए। अबकी बार मैंने अपने हाथ उसके टॉप के अन्दर डाल कर उसके मम्मों को मसलने लगा। वो भी
ज़ोर-जोर से मज़े लेते हुए मझ
ु े ककस करने लगी। मैंने उसका हाथ अपने लांड पर रख ददया.. जो उसने
हटा सलया। कफर मैंने उसकी दोनों कबतरों को ब्रा को हटा कर तनकाल सलया, उसकी टी-शट़ को ऊपर
करके उसके तनप्पल पीने लगा। कया बताऊुँ दोस्तो.. ककतना मज़ा आ रहा था, मैं तो छोटे बच्चे की तरह
लपलप करते हुए उसके चचे चस रहा था, वो सससकाररयाां ले रही थी। ऐसे ही बारी-बारी उसके दोनों मम्मों
को चसा। उसके बाद मैंने ककरण को अपनी बाांहों में खीांच सलया.. उसकी आुँखें भी अब वासना की आग
में लाल हो गई थीां। इस बार हम कफर से चमने लगे लेककन अब हम दोनों की जब
ु ाने एक-दसरे के मह
ुँु
में लड़ रही थीां। इससे चद
ु ास एकदम से भड़क गई और मैंने कुछ आगे बढ़ते हुए उसकी पैन्ट का बटन
खोल कर अपने हाथ को उसकी दहकती भट्टी जैसी चत पर ले गया.. जो बब्कुल गीली हो गई थी। वो
भी मेरी छाती पर अपना हाथ घम
ु ा रही थी। कफर उसने भी अपना हाथ मेरी पैन्ट पर बुँधी बे्ट पर रख
ददया.. तो मैंने मौके को दे खते हुए कहा- अगर खोलना है तो खोल लो। वो कुछ नहीां बोली और मैंने
बे्ट खोल कर उसका हाथ अपने लांड पर रख ददया। उसने भी मेरा लांड अपने हाथों में पकड़ कर
मसलना शरू
ु कर ददया। उसकी आुँखें परी तरह से सेकस से भरी हुई थीां।
गल़फ़्रेंड चत चद
ु वाने को तैयार थी
मैंने उससे पछा- कया सेकस करने का मन कर रहा है ? तो उसने ससर ‘हाुँ’ में दहलाया। मझ
ु े तो मानो बबन
माुँगे जन्नत समल रही थी, मैंने कहा- तो चलो। उसके बाद बबल पे करके हम दोनों वहाुँ से तनकल कर
पास में ही एक होटल में चले गए। वहाुँ जाने से पहले रास्ते में मैंने उसको एक तरफ रोक कर मेडडकल
स्टोर से कांडोम का एक पैकेट सलया। यह सरु क्षा के सलए ज़रूरी था। कफर होटल में जाकर एक रूम बक
ु
कर सलया। कमरे में जाकर तो बस हम एक-दसरे पर समझो टट पड़े। पहले उसको बाांहों में लेकर मैंने
उसके नरम-नरम होंठों को 5-10 समनट तक ककस ककया.. वो भी ककस करने में मेरा परा साथ दे रही थी।
ककस करते करते ही मैंने उसके कपड़े उतारने शरू
ु कर ददए। उसने उस ददन ब्लैक जस्कन टच पैन्ट और
ऑरें ज टी-शट़ पहनी हुई थी। उसकी जब टी-शट़ उतरी तो उसके नीचे उसने लाइट पपांक कलर की ब्रा
पहनी थी.. जजसमें से उसके चचे बाहर आने को तड़़ि रहे थे। पता नहीां वो छोटी सी ब्रा उसके इतने बड़े
साइज़ के मम्मों को कैसे सांभाल रही होगी। मैं तो बस टट पड़ा उन पर.. और एक-एक करके दोनों चचे
को अपनी मट्ठ
ु ी में भर कर मसलने लगा और उनके तनप्पलों को चसने लगा। इससे उसे भी बहुत मज़ा
आ रहा था.. वो भी मेरे बालों में अपना हाथ फेर रही थी, वो इस पल का परा मज़ा ले रही थी। कफर मैंने
पीछे हाथ ले जाकर उसकी ब्रा उतार दी और उसके दोनों कबतर जो का़िी दे र से ब्रा में क़ैद थे.. एकदम
से उछल कर बाहर आ गए। कया बड़े-बड़े मम्मे थे उसके.. मैं कभी एक चचे के तनप्पल को चसता.. तो
कभी दसरे को.. उसके मह
ुँु से बहुत मादक आवाजें आ रही थीां ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मैं उसके मम्मों
को जबरदस्त तरीके से चसने में लगा हुआ था। उसके बाद मैंने उसको नीचे सलटाया और उसकी पैन्ट का
बटन खोल कर उसकी पैन्ट को उतार ददया। जजसमें उसने मेरी परी हे ्प की। कसम से रे ड कलर की
पें टी में वो बहुत ही खबसरत लग रही थी। उसकी इस खबसरती तो दे ख कर मझ
ु े उस पर बहुत प्यार
आया और कफर हमारे होंठ समल गए.. जो कक 2-3 समनट तक आपस में ही उलझे रहे । इस पल का हम
दोनों ने परा मज़ा सलया। इसके बाद जब मैंने उसकी पें टी उतारनी चाही.. तो उसने मझ
ु े रोक ददया ‘तम
ु
भी तो पहली अपने कपड़े उतारो।’ मैंने कहा- तम
ु ही उतार दो न.. पहली उसने मेरी शट़ कफर बतनयान
उतार दी और मेरे मुँह
ु पर ककस करते हुए वो मेरी छाती कफर पेट पर आ गई और कफर उसने मेरी पैन्ट
को खोलना शरू
ु कर ददया। मझ
ु े झटका लगा जब उसने मेरी पैन्ट और अांडरपवयर को एक साथ खीांच कर
उतार ददया और मेरे खड़े हुए लांड को अपने हाथ में पकड़ कर मेरे लांड से खेलने लगी। मझ
ु े है रानी तो
तब हुई जब उसने मेरे बबना कहे ही मेरे लांड को चसना शरू
ु कर ददया, मैं तो जन्नत की सैर करने लगा।
उसने मेरा लांड परे 5 समनट तक चसा, उसके बाद मैंने उसके होंठों पर ककस ककया, उसके होंठों को मैं
का़िी दे र चसता रहा, वो भी मेरा परा साथ दे रही थी। उसकी बाद उसकी रसीले मम्मों को बारी-बारी
चसा.. तो वो कामक
ु सससकाररयाां लेने लगी। कफर मैंने उसकी गम़-गम़ चत पर अपना मुँह
ु लगा ददया..
जो पहले ही पानी-पानी हुई पड़ी थी। उसके नमकीन पानी के कया कहने.. चत चसने में मज़ा आ गया।
ऐसे ही 5 समनट चत चाटने के बाद मैंने उसकी टाांगें फैलाईं और लांड को चत में पेल ददया ‘आह्ह..
उम्म्ह… अहह… हय… याह… उह्ह..’ उसको थोड़ा दद़ हुआ पर कफर मजा आने लगा, धकापेल चुदाई होने
लगी। मैंने काफी दे र तक उसको अलग-अलग पोज़ में चोदा और वो मेरा साथ परा दे ती रही। उसके बाद
उस ददन हम दोनों और दो बार सेकस ककया। बाद में मैंने उसे उसके घर के पास छोड़ ददया। कुछ ददन
के बाद उसके ररश्ते की बात शरू
ु हो गई.. सो उसने मझ
ु से बात करना कम कर ददया। उसका ररश्ता तो
नहीां हुआ.. पर पता नहीां कयों उसने मझ
ु से दरी बना ली।मैंने बहुत पछा और जानने की कोसशश भी की..
पर उसने कभी कोई उततर नहीां ददया।
जब मैं 18 वऱ् का था। मैं हमेशा सेकस के सलए सोचता रहता था.. पर कोई साथी समल ही नहीां रहा था।
तभी मेरी मम्मी और पापा को ककसी काम के सलए गाुँव जाना था.. उनके साथ मामा जी भी जाने के
सलए तैयार हो गए। मामा जी नवी मम्
ु बई रहते थे। मेरी पढ़ाई की वजह से मैं गाुँव नहीां जा पा रहा था।
उधर मेरे घर पर मामी को आना भी पड़ा.. कयोंकक मामा नहीां चाहते थे कक वो वहाुँ घर में अकेली रहें ।
मेरी मामी की उम्र उस समय 35 वऱ् की रही होगी.. उनके तीन बच्चे थे.. पर उनको दे ख कर कोई
अांदाजा नहीां लगा सकता था कक ये 3 बच्चे की माुँ होगीां और इनकी उम्र 35 साल की होगी। वे एकदम
सेकसी और गठीले बदन की थीां। कोई भी उनको दे खे तो बस दे खता ही रह जाए। पर मैं इन बातों से
बेखबर होकर अपने में मस्त था। बाकी के ददनों में तो मैं बाहर रहता था लेककन रपववार को परा ददन
घर पर ही था।
उस ददन दोपहर में यही कोई 2 बज रहे होंगे। मैं सोकर उठा औऱ सीधे बाथरूम की तरफ गया। वहाुँ जो
कुछ मैंने दे खा तो मैं दां ग रह गया, पहली बार मैंने ककसी औरत का परा नांगा शरीर दे खा था। मैं दे ख ही
रह गया, वहाुँ मेरी मामी परी नांगी नहा रही थी और अपनी चत में कुछ कर रही थी। मामी ने मझ
ु े वहाुँ
से जाने को कहा। मेरा ध्यान टटा तो मैं वहाुँ से शमा़ कर वापस आ गया। पर अब मेरे ददमाग पर मामी
को कमनीय जजस्म छाया हुआ था। बाद में मामी आईं और मझ
ु े समझाते हुए बोलीां- ये सब ककसी को
मत बोलना। मैंने शरमाते हुए सर दहला ददया। उस ददन हम दोनों शाम को खाना खाकर सोने के सलए
कमरे में चले आए। मामी अपने बबस्तर में से ही मझ
ु से बोलीां- त ककसी को बताएगा तो नहीां? मैंने कहा-
नहीां..
मामी की अन्तवा़सना
कफर बोलीां- त मझ
ु े वहाुँ दे ख कर हटा कयों नहीां.. अच्छा बता तने कुछ ज्यादा तो नहीां दे खा था। मझ
ु े
उनकी इस तरह की बातों पर शक होने लगा, मझ
ु े लगा कक इनका कुछ मड ददख रहा है तो आज बाजी
मार ही लेता हुँ। मैंने कहा- दे खा तो था.. पर ठीक से नहीां दे ख पाया था। तो वो मस्
ु कुराते हुए बोलीां-
अच्छा.. तो कया सब कफर से दे खना चाहता है ? मैंने तरु ां त ‘हाुँ’ कहा.. तो बोलीां- पर एक शत़ है .. ककसी को
कहे गा तो नहीां? मैंने कहा- कभी नहीां.. कुछ पल बाद मझ
ु े ऐसा लगा कक मामी जी मेरे ऊपर अपना हाथ
सहला रही हैं। मैंने उनकी तरफ दे खा तो उन्होंने मझ
ु े अपने आगोश में ले सलया। मैंने भी तरु ां त उन्हें बाांहों
भर सलया और चमने लगा। कुछ समनट की ककससांग के बाद मामी ने मेरे परे कपड़े उतार कर मेरे लांड को
दहलाने लगीां। अभी मैं कुछ समझ पाता.. उन्होंने बैठते हुए मेरे लांड को अपने मुँह
ु में ले सलया और चसने
लगीां, मेरे परे शरीर में बबजली दौड़ने लगी। मैं भी उनकी चची को चसने लगा। कफर धीरे -धीरे करके मैंने
उनके सारे कपड़े उतार ददए और उनके परे मदमस्त बदन को चमने लगा। जैसे ही उनकी पेंटी को
उतारा.. तो दे खा एक बहुत प्यारी चत जजसमें से कुछ पानी का ररसाव हो रहा था।
मैंने चत के पानी को पोंछने के सलए अपने उां गली को चत पर रखा ही था कक अचानक मेरी उां गली
उनकी सलससलसी चत में घस
ु गई और वो उछल पड़ीां ‘आह्ह..’ मैं बोला- कया हुआ? वो बोलीां- कुछ नहीां..
अच्छा लगा। तो मैं बोला- और करूुँ? बोलीां- हाुँ राजा.. अब नहीां रहा जा रहा है । मैं कुछ समनट तक
उनकी चत में उां गली करता रहा। अब मामी बोलीां- राजा.. अब नहीां रहा जा रहा.. प्लीज चोद दो। मैं खुश
हो गया कयोंकक वही हाल मेरा भी था। मैंने जैसे ही उनकी चत पर लांड रखा तो वो चुदास से एकदम से
अकड़ गईं। मैंने ताव दे खा न ताव.. और हथौड़ा मार ददया और मेरा परा लांड एक बार में उनकी चत में
घस
ु गया। करीब 5 समनट तक लांड को चत में तेजी से अन्दर-बाहर करने पर अचानक मझ
ु े लगा मैं
झड़ने वाला हो गया था। मैंने पछा- मेरा तनकलने वाला है .. कहाुँ चगराऊुँ? तो वो बोलीां- मेरा भी होने वाला
है .. तम
ु भी अपना माल अन्दर ही चगरा दो। मात्र 7-8 धकके मारने पर मेरे लांड से वीय़ मामी जी की
चत में पपचकारी मारते हुए तनकलने लगा। मामी का शरीर ऐांठने लगा और उन्होंने भी पानी छोड़ ददया।
उनकी चत में ‘फच्च.. फच्च..’ की आवाज के साथ धकका मारने की स्पीड घट गई और लांड सस्
ु त पड़
गया। कुछ पल यां ही पड़े रहने के बाद मैंने उनको चमते हुए पछा- औऱ चद
ु वाना है मेरी जान? वो मस्ती
में मेरे लांड को मसलते हुए बोलीां- नहीां मेरे चोद राजा.. पर कुछ ही समय बाद वो मेरे लांड को मसलते-
मसलते लांड को चसने लगीां। तो मैं बोला- लग तो रहा है कक और चद
ु वाना है । वो मस्
ु कुरा कर बोलीां-
जब भान्जे से रां डी बन कर चद
ु वा रही हुँ.. तो जी भर कर चद
ु वा ही लुँ । तभी मामी के मुँह
ु के अन्दर की
गरमाहट से मेरा लौड़ा कफर से टाईट हो गया और मामी की चत में घस
ु ने के सलए तैयार हो गया। अब
मैंने ब्ल-कफ्मों की तरह 90 डडग्री में होकर लांड को उनकी चत में पेला और कुछ पल बाद उनके पीछे
जाकर लांड को चत में घस
ु ा ददया, वो मादक सससकाररयाां भरने लगीां, मैं जोर-जोर से धकके ददए जा रहा
था। लगभग 20 समनट के बाद भी ना लांड साला सस्
ु त पड़ रहा था.. ना झड़ ही रहा था। मैं भी अपनी
धुन में मामी की चत को रौंद रहा था। मामी दद़ से कराहते हुए बोलीां- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अब
रहने दे .. त कोरा लौंडा है .. तेरा झड़ने में टाइम लगेगा.. पर मेरी हालत खराब हो गई है मैं 3 बार झड़
चुकी हुँ। मैं बोला- बस थोड़ा टाइम और लुँ गा.. मेरा भी चगरने वाला है । तभी 4-5 समनट के अन्दर मेरे
लांड ने पानी छोड़ ददया और दोनों बबस्तर पर तनढाल हो कर चगर गए।मेरा लांड मामी की चत में ही
ससकुड़ गया और हम दोनों एक-दसरे से सलपट गए। कुछ पल बाद मेरा लांड मामी की चत से बाहर
तनकल आया और हम दोनों का पानी बबस्तर पर टपकने लगा।
बहन और मेरी सह
ु ागरात भल ना पाऊुँगा
मैं सीधे अपनी लाइफ की एक सच्ची और खबसरत घटना बताता हुँ…बात उन ददनों की है जब मैं
बी.कॉम फस्ट़ ईअर में था… उस टाइम मेरे समर वेकेशन्स शर
ु हुए थे तो मेरा मन नहीां लग रहा था तो
मैंने मम्मी से कह कर अपनी मौसी के घर जाने की बात कही तो मम्मी ने हाुँ कर दी। मैने अपनी
मौसेरी बहन पलक को अपने आने का बताया तो सन
ु कर मेरी बहन भी का़िी खुश हुई… मेरी बहन का
नाम पलक(बदला हुआ नाम) है … हम दोनों बचपन से का़िी फ़्रैंक थे… हम लोग हर चीज़ शेयर करते थे
एक दसरे से.. मेरे मौसी के घर में तीन बेडरूम हैं जजनमें दो बेडरूम अटै च हैं और एक अलग… मैंने कभी
अपने बहन के बारे में उ्टा नहीां सोचा था… एक बार पलक नहाने गई बाथरूम में और बाथरूम में घस
ु ने
के बाद उसने मझ
ु े आवाज़ दी शैम्प पकड़ाने के सलए.. उस टाइम घर पर कोई नहीां था.. मौसा जी और
मौसी जी दोनों ऑक़िस गये हुए थे और पलक की छोटी बहन स्कल गई हुई थी। मैं उसे शैम्प दे ने गया
तो वो तौसलया लपेटी हुई थी, मैंने पहली बार अपनी बहन को ऐसे अधनांगी दे खा था। मैं वापस चला गया
पर मेरे से ये सब दे ख कर बदा़श्त नहीां हो रहा था.. मेरे मन में उ्टे सीधे ख़याल आने लगे थे। कफर
पलक नहा कर अपने रूम चली गई और बाल झाड़ने लगी। कफर हम दोनों बैठ कर टीवी दे खने लगे… मैंने
पलक को बहाने से छने का एक भी मौका नहीां छोड़ा..कफर हम दोनों खाना खाते वकत टीवी दे खने लगे…
खाना खाने के बाद हम दोनों एक ही बेड पर लेट गये कर टीवी दे खने लगे.. अचानक मैंने चैनल बदला
तो एक बहुत ही अड्ट गाना चल गया टीवी पर जजसमें लड़का लड़की के ऊपर चढ़ कर ककस कर रहा
था। पलक ने कहा- कया दे ख रहे हो… मैंने कहा- ककतना अच्छा गाना है… तम्
ु हें नहीां दे खना तो सो जाओ!
मैं वही गाना दे खता रहा। मैंने ततरछी नज़रों से दे खा तो पलक भी टी वी दे ख रही थी। कफर वो सो गई
और मैं टीवी दे खता रहा। पलक ने शॉट़ स्कट़ और स्लीवेलेस टॉप पहनी थी… वो परी नीांद में थी.. मेरी
तनयत डोलने लगी.. पलक गहरी नीांद में होने के कारण उसका स्कट़ घट
ु ने से परी ऊपर उठ चक
ु ी थी… मैं
उसकी नांगी टाांगें दे खता ही रह गया.. पलक की जाुँघ दध सी गोरी थी। मैं पलक को धीरे से सलप्स पे
ककस करने लगा.. मझ
ु े लगा कक मैं जन्नत में हुँ.. कफर मैंने उसकी गोल चचचयों को छुआ, उसकी चचचयाुँ
बहुत ही कड़क थी.. 32″ की थी, मैंने उससे बाद में पछा था। मैंने अपना परा हाथ चची पे रख ददया और
धीरे धीरे दबाने लगा.. मझ
ु े बहुत मज़ा आ रहा था। कफर मैंने उसका टॉप उठा ददया और चचचयों को धीरे
से चसने लगा, उसने ब्रा नहीां पहनी थी… डर तो बहुत लग रहा था कक कहीां उठ गई तो कया सोचेगी मेरे
बारे में .. लेककन कया करूुँ, मेरे से बदा़श्त नहीां हो रहा था, मेरा लांड परा तन चुका था, ऐसा लग रहा था
कक कोई डड्रसलांग मशीन हो! मैं थोड़ा और ज़ोर से चसने लगा और चची को परा में लेने की कोसशश करने
लगा… इतने में पलक ने हरकत की और मैं पलट कर सोने की एजकटां ग करने लगा.. कफर से उसके सोने
के बाद मैं पलटा तो दे खा कक पलक ने अपने दोनों टाांगे फैला दी हैं। मैं अांदर से बहुत खुश हुआ और
सोचा कक पलक भी एकसाइटे ड हो रही है .. कफर मैं नीचे सरका और पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चत को
चाटने लगा.. उसकी चत के दश़न के सलए मैं बेकरार था.. कफर मैंने धीरे से उसकी कच्छी उतारी.. मैं तो
दे खता ही रह गया… पलक की परी चत एकदम साफ थी.. पलक ने शेव कर रखी थी अपनी चत.. कफर
अपने हाथ से मैं उसकी चत सहलाने लगा… कफर मह
ुां से उसकी चत को धीरे धीरे चाटने लगा.. पलक
हरकत करने लगी थी.. उसके मख
ु से ‘अयाया… म्म्म्मन्न ओम्मन्न…’ की आवाज़ें आने लगी.. मैं समझ
गया कक पलक भी यही चाहती है .. कफर कया था, मैंने भी अपने कपड़े उतार ददए और परा नांगा हो गया।
पलक जाग चुकी थी.. और उठते ही उसने मेरा लण्ड दे खा और इतना बड़ा लौड़ा दे ख कर डर गई वो…
बोलने लगी- भैया यह सब मत करो.. मझ
ु े डर लगता है … मैंने कहा- कुछ नहीां होगा, मैं धीरे धीरे करूुँगा…
वो कुछ दे र तक राज़ी नहीां हुई कफर मेरे बहुत मनाने के बाद वो मान गई… मैंने पलक के सारे कपड़े
उतार ददए, कया बदन था पलक का… बहुत गोरी लचकती कमर.. सेकसी जाुँघ…
ें मैं परा पागल हो गया था…
मैंने पलक को बेड पे सलटाया, कफर उसे पागल की तरह ककस करने लगा, वो भी मेरा सहयोग करने लगी
थी अब… मैंने परी चची मुँह
ु में ले ली… पलक परी पागल हो चुकी थी। पलक- भैया…प्लीज़ कुछ करो मेरे
से अब रहा नहीां जा रहा.. प्लीज़ कुछ करो! मैंने झट से अपना लांड उसकी चत पे रख ददया और रगड़ने
लगा… वो और पागल होते जा रही थी.. कफर मैंने धीरे से अपने लांड उसकी चत में डाला.. वो दद़ के मारे
चच्ला उठी- भैया प्लीज़ बाहर तनकालो…प्लीज़्जज़ बहुत दद़ हो रहा ह…प्लीज़्जज़्जज़ ! मैंने कफर थोड़ा शाांत
रहने के बाद एक झटका ददया ज़ोर का और लांड परा अांदर चला गया… वो परा दद़ से पागल हो गई…
उसके आुँस तनकल गये… उसकी चत से खन तनकलने लगा.. उसकी यह पहली चद
ु ाई थी… कफर मैं धीरे
धीरे अांदर-बाहर करने लगा.. वो दद़ के मारे चच्ला री थी- …आहह आअह आअहह हमम्म… ममन्ण…
ऊहह आआहह.. मैं करता रहा.. कफर थोड़ी दे र बाद उसे भी मज़ा आने लगा, कफर उसने भी मेरा साथ दे ना
शरू
ु कर ददया… पलक की आवाज़ें सन
ु कर मैं और पागल हो रहा था- …म्म्मणन म्म्म्मांणन ऊऊहह
हमम्मांणन…पलक झड़ने वाली थी, उसने कहा- आई लव य भैया… आप बहुत अच्छे हो… और करो.. और
करो.. ज़ोर से… आआहह म्ममांणन हमम्न्नपलक दसरी बार झड़ चक
ु ी थी, मैंने अपनी रफ़्फतार तेज़ की और
ज़ोर जोर से करने लगा। बीस समनट के बाद मैं भी झड़ गया और पलक के ऊपर ही ढे र हो गया। कफर
हम दोनों एक दसरे को ककस करने लगे। मौसा और मौसी जी का भी आने का टाईम हो चक
ु ा था… कफर
हम दोनों एक साथ नहाने चले गये…..हम दोनों बब्कुल नांगे थे… हनने शॉवर चला ददया… हम दोनों शॉवर
के नीचे थे… मैंने पहले बहुत ककस की पलक को… कफर मैंने पलक को डॉगी पोज़ में होने को कहा तो वो
पछने लगी- कय?ुँ मैंने कहा- अब मैं तेरी गाण्ड मारूुँगा… तो वो मना करने लगी… मैंने कहा- कुछ नहीां
होगा पलक घबराओ मत… तब वो मान गई… मैंने बाथरूम में ही रखे कोकोनट आयल को उठाया और
अपने लांड में लगा सलया और पलक की गाण्ड के छे द में भी लगा ददया.. इससे लांड आसानी से अांदर
जाता… कफर पलक डॉगी पोज़ में हुई और मैंने अपना लांड उसकी गाांद के छे द में रख ददया.. पहले तो लांड
जा नहीां रहा था कयकां क बहुत छोटी सी गाण्ड थी पलक की और टाइट भी.. कफर मैंने थोड़ा ज़ोर लगा कर
धकका लगाया तो लांड थोड़ा सा अांदर गया.. पलक दद़ से उछल गई.. उसने कहा- प्लीज़ मत करो भैया,
बहुत दद़ हो रहा है … कफर मैंने एक और ज़ोर का झटका लगाया और लांड परा अांदर चला गया… मैंने
पलक को ज़ोर से पकड़ सलया.. कफर धीरे धीरे अांदर बाहर करने लगा.. मैं अपने दोनों हाथों से पलक की
चचचयाुँ दबा रहा था और उसकी गाण्ड मार रहा था.. मैंने अपनी रफ़्फतार तेज़ कर दी और पलक भी खब
मज़े लेकर चद
ु ने लगी… कुछ दे र बाद मैं कफर झड़ गया और पलक के ऊपर ही चगर गया… कफर हम दोनों
नहा कर तनकले और फ्रेश होकर टीवी दे खने लगे। कफर मौसा और मौसी जी भी आ गई… हम अब जब
भी मौका समलता है , सेकस करते हैं।
मैं एक सामान्य कद का सामान्य आदमी हुँ और सरकारी नौकर हुँ.. मेरी उम्र 28 साल है , मेरी शादी हो
चुकी है .. मेरी बीवी का नाम रोमा है । उसकी उम्र 24 साल है .. वो ददखने में बहुत सेकसी है .. उसका रां ग
दध जैसा सफेद है .. वो थोड़ी मोटी जरूर है .. और कद भी सामान्य है .. पर उसके मम्मे बड़े-बड़े है और
चतड़ भी बाहर को तनकले हुए हैं। वो एकदम मस्त पटाखा है .. जो भी उसे एक बार दे ख ले.. तो उसका
लांड खड़ा हो जाए। रोमा के पपता मर चुके हैं.. उसका एक छोटा भाई रोहन है .. जो 21 साल का है और
उसकी माुँ भी है ।शादी से पहले से ही मेरा चुदाई में बहुत इांटरे स्ट रहा है .. इांटरनेट पर पोऩ साईट दे ख
दे ख कर खब मठ्ठ
ु मारी है .. एक-दो बार कॉलगल़ को भी चोदा है । शादी होते ही मैं अपनी बीवी पर टट
पड़ा.. जो कुछ इन्टरनेट पर दे खा और पढ़ा था.. सब बीबी के साथ आजमा कर दे खा। ककस्मत से बीबी
भी चुदवाने की शौकीन तनकली.. बबस्तर पर अपने आप नांगी होकर ही आती थी। उसे उजाले में चद
ु वाने
या घोड़ी बनने में कोई शम़ नहीां आती थी। वो ससफ़ दो काम नहीां करती थी.. एक उसने लांड को मुँह
ु में
कभी भी नहीां सलया.. दसरा मैं कभी भी उसकी गाण्ड नहीां मार सका। उसे मैं जब भी चोदता.. दो स्टाइल
में जरूर चोदता। पहला स्टाइल यह था कक मैं उसे परी नांगी करता.. कफर उसे खड़ी करके उसकी एक
टाांग सोफे पर रखता.. और खड़े-खड़े ही उसे चोद डालता.. वो भी परे मजे ले कर चुदवाती थी। दसरा
स्टाइल यह था कक हम दोनों परे नांगे हो जाते.. कफर रोमा नांगी ही इधर-उधर भागती.. मैं लांड लेकर उसे
चोदने दौड़ता.. वो हुँसती जाती और मझ
ु े ललचा-ललचा कर बोलती- पकड़ो.. पकड़ो.. वो परे घर में
भागती.. रसोई.. बेडरूम.. हॉल.. बाथरूम.. सब जगह भागती और जहाुँ पकड़ में आ जाती.. मैं उसे वहीां
चोद डालता। वो कई बार तो चुदते-चुदते ही भाग जाती थी.. तो कफर उसे दब
ु ारा पकड़ना पड़ता। चोदते
समय उसे कस कर दबोचना पड़ता ताकक कफर न भाग जाए। अभी हमें साथ रहते हुए 3 महीने ही हुए थे
कक उसका छोटा भाई रोहन उसे लेने आ गया। मैंने रोहन से कहा- तम
ु पहली बार यहाुँ आए हो.. तीन-
चार ददन तक रको.. कफर अपनी बहन को लेकर चले जाना। वो मान गया। इसके दो ददन बाद जब मैं
ऑकफस पहुुँचा तो पता चला कक अभी थोड़ी दे र पहले ही बबजली के तार में आग लग गई थी.. इससलए
पॉवर ऑफ करके इलेकट्रीसशयन सध
ु ार काय़ कर रहे हैं। इलेकट्रीसशयन का कहना था कक परी वायररांग
काफी परु ानी हो गई है .. इससलए सारी ही बदलना पड़ेगी। मैंने समझ सलया कक आज ददन भर कोई काम
नहीां हो सकता.. कयोंकक ददन भर बबजली के तार बदली होंगे.. और पॉवर ऑफ रहेगा.. तो मैं बॉस के
पास गया और बोला- सर.. मझ
ु े आज छुट्टी दे दो.. मेरे घर पर मेहमान आए हैं। बॉस बोले- कोई बात
नहीां.. आज वैसे भी कुछ काम नहीां होने वाला.. तम
ु जा सकते हो। मैं खश
ु होकर जा रहा था कक आज
रोमा और रोहन को कहीां घम
ु ाने ले जाऊुँगा.. मझ
ु े अचानक आया दे ख कर वो भी बहुत खुश होगी..
इससलए मैंने उसे ़िोन भी नहीां ककया और घर पहुुँचा और दबे पाांव दरवाजे पर आया। दरवाजा अन्दर से
बांद था.. तभी मझ
ु े अन्दर से रोमा की धीमी आवाज सन
ु ाई दी- पकड़ो.. पकड़ो.. इस तरह की आवाज तो
रोमा चुदाई वाले खेल में लगाती है .. मैं उसे सरप्राइज दे ने आया था.. और खुद ही सरप्राइज हो गया।
मझ
ु े शांका हुई कहीां अन्दर चुदाई.. का खेल तो नहीां चल रहा। मैं अपनी शांका दर करने के सलए दबे पाांव
पीछे गया और पीछे की बाउां ड्री वाल को चोर की तरह पार करके पीछे के कमरे की खखड़की के पास पहुुँच
गया। मैंने धीरे से खखड़की इतनी खोली कक अन्दर झाांक सकुँ । बेडरूम से हॉल के बीच का दरवाजा भी
खुला था.. इससलए मैं बेडरूम और हॉल का नजारा भी दे ख सकता था। अन्दर रोमा परी नांगी होकर भाग
रही थी और उसको चोदने के सलए उसका सगा भाई रोहन परा नांगा होकर उसका पीछा कर रहा था।
रोहन का लांड मेरे लांड से बड़ा और सख्त था.. मेरी बीबी मम्मों को और चतड़ों को दहलाती हुई भाग रही
थी। रोहन अपना गोरा और लाल-गल
ु ाबी सप
ु ारे वाला लांड दहलाते हुए उसे पकड़ने की कोसशश कर रहा था।
रोमा हां स रही थी.. बोली- रोहन मजा आ रहा है ? रोहन दौड़ा.. मेरी बीबी भाग कर सोफे पर चढ़ गई।
रोहन ने उसकी दोनों टाांगें पकड़ कर उसे खीांच कर फश़ पर चचतत चगरा ददया और ऊपर से चढ़ कर
अपना लांड उसकी चत में डाल ददया। मेरी बीवी उसे हटाने का प्रयास करने लगी.. पर रोहन ने उसे दबोच
सलया और उसकी अच्छी तरह से चद
ु ाई करने लगा। अब मेरी बीवी भी जजस्म ढीला करके चद
ु ने लगी।
कफर अचानक उसने रोहन को धकका दे कर अलग कर ददया और भागने लगी.. बोली- पकड़ो.. पकड़ो..
रोहन बोला- दीदी आप बड़ी मजु श्कल से तो हाथ आई थीां.. दीदी ज्दी से आ जाओ.. मैं ज्यादा दे र तक
नहीां सांभाल पाऊुँगा.. तम
ु शादी के बाद कैसे-कैसे खेल सीख गई हो। रोमा बोली- हाुँ.. पर इस खेल की
शर
ु आत तो तम्
ु हारे साथ ही हुई थी। रोहन बोला- दीदी आज अपन
ु अब नया खेल खेलते हैं.. तम
ु कुततया
की तरह बनो.. मैं कुतता बनता हुँ.. मैं तम्
ु हें कुतते की तरह चोदने का प्रयास करूुँगा.. तम
ु कुततया की
तरह बचने की कोसशश करना.. पर आखखरी समय तक हमें कुतता-कुततया ही बने रहना है । रोमा मान
गई। मेरी बीबी कुततया बन कर.. जैसे छोटे बच्चे को जब चलना नहीां आता तो ऐसे चार पैर पर चलते
हैं.. चलने लगी। पीछे से उसके ऊपर रोहन कुतते जैसे चढ़ कर उसे चोदने की कोसशश करने लगा। वो जैसे
ही लांड डालने की कोसशश करता मेरी बीबी चतड़ों को नीचे करके कुततया की तरह आगे बढ़ जाती और
रोहन उसके पीछे कुतता बना दौड़ता। दौड़ते समय मेरी बीबी के चतड़ों व मम्मे खब दहल रहे थे। मैंने
कभी इतनी गोरी.. इतने बड़े चतड़ों वाली और इतने बड़े मम्मों वाली कुततया नहीां दे खी थी। चद
ु ाई का
यह मस्त नजारा दे ख कर मेरा लांड खड़ा हो गया.. मझ
ु े बीबी को चद
ु ते दे ख कर बहुत मजा आ रहा था।
इतना मजा तो ब्ल-कफ्म और खुद की चुदाई में भी कभी नहीां आया। कुततया बने मेरी बीवी को सरकते
और बचते अांत में दीवार आ गई.. अब मेरी बीवी और आगे नहीां जा सकती थी। रोहन को मौका समल
गया वो उसके ऊपर चढ़ा और पीछे से लांड घस
ु ाने लगा। मेरी बीवी कमर दहला कर बचने का ससफ़ नाटक
कर रही थी.. इससलए रोहन लांड घस
ु ाने में कामयाब रहा और उसने कुततया की तरह मेरी बीवी को खब
चोदा। कुछ दे र बाद मेरी बीबी ने उसे रोका और फश़ पर चचतत लेट गई और ककसी रण्डी की तरह
अपनी दोनों टाुँगें फैला दीां और इशारे से रोहन को वापस से चोदने को कहा। रोहन कफर से अपना लवड़ा
चत में पेल कर चाल हो गया। मेरी बीवी को चुदाई का मजा आ रहा था.. वो ‘हाय.. हाय..’ करने लगी-
और जोर से रोहन.. जोर से पेल बहनचोद.. अह.. आहा… ऊह.. रोहन.. अब तम्
ु हें पहले की तरह कांडोम
लगाने की जरूरत नहीां है .. कया मस्त चोदते हो.. अहह हाय… साले पानी अन्दर ही छोड़ना.. मैं तम्
ु हारे
लौड़े से ही अपना बच्चा चाहती हुँ.. ताकक वो तम्
ु हारे जैसा गोरा और लम्बा हो.. आअह.. मजा आ रहा
है .. जोर से.. प्लीज जोर से.. आह.. मैं गई.. मेरा हो गया.. आह.. रोमा के झड़ जाने के कुछ दे र बाद
रोहन भी झड़ कर शाांत हो गया। मैं वापस लौट कर एक चाय की दक
ु ान पर पहुुँचा.. चाय पीते हुए मैं
सोच रहा था कक बीवी की चुदाई दे खने में बहुत मजा आता है । मैं घर आकर सीधा बाथरूम में गया और
आुँख बांद करके बीवी और उसके भाई के चुदाई के दृश्यों को याद करके मैं मठ्ठ
ु मारने लगा.. मझ
ु े इतना
मजा कभी नहीां आया था। तभी मेरे लांड ने जोर से पपचकारी छोड़ दी। अब मझ
ु े जब भी बीवी की चद
ु ाई
दे खने का मन करता है .. मैं रोहन को बल
ु ा लेता हुँ.. और बेडरूम में हम तीनों सो जाते हैं। मैं सोने का
नाटक करता हुँ और चुपचाप से उनकी चुदाई दे ख कर मठ
ु मार लेता हुँ। अब तक वो तो दोनों भी समझ
गए होंगे कक मैं बारबार रोहन को बेडरूम में कयों सल
ु ाता हुँ.. पर कभी खल
ु कर बात नहीां हुई।
मैं 7 साल से अमेररका में रहता हुँ। कफर भी में अमेररकन लोगों की तरह खुला नहीां हुँ। यह आज से 1
साल पहले की बात है जब में 12वीां कलास में था। मेरे साथ एक इांडडयन लड़की पढ़ती थी, उसका नाम
पप्रया था, उसका कफगर सामान्य था। उसकी हाईट 5 फुट 4 इांच थी और वो बहुत सेकसी थी। पप्रया
चांडीगढ़ की रहने वाली थी और अमेररका में नयी-नयी आई थी तो इससलए उसकी इांजग्लश अच्छी नहीां
थी। हमारी सभी कलास एक साथ थी, लेककन उसने कभी भी मझ
ु से बात नहीां की थी। कफर एक ददन हम
लोग केसमस्ट्री की कलास में बैठे थे, तो एक चाइनीज लड़के ने उसे इांडडयन होर कहा और उसकी बेज्जती
की। कफर तब पप्रया को इतना समझ में नहीां आया, लेककन मैंने उठकर उस चाइनीज को पकड़ा और सर
के पास ले गया, तो सर ने उसे एक हफ्ते के सलए सस्पें ड कर ददया, तो पप्रया बहुत खुश हुई। अब मझ
ु े
भी एक इांडडयन लड़की की मदद करके बड़ा अच्छा लगा था। कफर उस ददन के बाद से उसने मेरे पास
बैठना शरू
ु कर ददया और मेरे साथ बातचीत करना शरू
ु कर ददया। अब हम धीरे -धीरे बहुत ही अच्छे फ्रेंड
बन गये थे। अब ककसी भी चीज में कोई मदद चादहए होती तो वो मझ
ु े कॉल कर लेती थी, तो में उसकी
मदद कर दे ता था। मैंने कभी भी पप्रया को गलत नजर से नहीां दे खा था और में उसके बारे में भी यही
सोचता था कक वो भी मझ
ु े सस़ि़ एक अच्छा दोस्त समझती है । कफर एक ददन उसने मझ
ु े कॉल ककया
और बोली कक जीत मझ
ु े लऩर पसम़ट के सलए टे स्ट दे ने जाना है (अमेररका में ड्राइपवांग लाइसेन्स लेने से
पहले लऩर पसम़ट के सलए ररट़ न टे स्ट दे ना पड़ता है ) तो मैंने उससे बोला कक नो प्रोब्लम और कफर में
अपनी कार लेकर उसे लेने चला गया। कफर जब में उसके घर पहुुँचा, तो आांटी यातन उसकी माता जी ने
मझ
ु े चाय पपलाई और पप्रया को आशीवा़द ददया (पप्रया की मम्मी थोड़े परु ाने ख्यालों वाली औरत है ) कफर
हम लोग घर से तनकले और कार में बैठ गये। अब रास्ते में पप्रया अपने टे स्ट के सलए ररव्य कर रही थी,
तो अचानक से एक गाड़ी वाले ने जो हमारे सामने जा रहा था ब्रेक लगा दी और हमारी गाड़ी का
एजकसडेंट होने से बाल बाल बच गयी। कफर मैंने बाहर तनकलकर दनादन उसे गासलयाुँ दी मदरफुककर,
इडडयट, लेककन वो कमीना भाग गया था। कफर जब में वापस से कार में बैठा तो पप्रया मझ
ु से पछने लगी
कक यह मदरफुककर कया होता है ? तो मेरा मुँह
ु बांद हो गया और सोचने लगा कक अब इसको कया कहुँ? तो
वो जज़द करने लगी की जीत बताओ वरना में टे स्ट में अच्छा नहीां करूुँगी। तो मैंने कहा कक इसका
मतलब होता है मादरचोद। तो वो बोली कक यह मादरचोद कया होता है ? तो में सोचने लगा कक साली
ककतना ससर खा रही है? तो मैंने कहा कक यह गांदी बातें है , तम
ु नहीां समझोगी। तो वो कहने लगी कक हाुँ-
हाुँ में कयों समझांगी? मझ
ु े कौन है जो समझाएगा? तो मझ
ु े बरु ा लगा तो मैंने उससे बोला कक ज़्जयादा
नौटां की मत करो और चुपचाप बैठो। कफर थोड़ा आगे जाकर पता नहीां पप्रया के ददमाग में कया आया? वो
कहने लगी कक जीत सच बताना कक में तम्
ु हें कैसी लगती हुँ? तो मैंने कहा कक तम
ु मेरी सबसे अच्छी
दोस्त हो। तो वो कहने लगी कक प्यार का पहला स्टे प दोस्ती होता है और में दोस्ती वाला स्टे प पीछे
छोड़ना चाहती हुँ और प्यार वाले स्टे प पर पैर रखना चाहती हुँ। अब में है रान सा हो गया और सोचने
लगा था। तो पप्रया बोली कक मझ
ु े अपनी दोस्ती की खाततर हाुँ मत कहना और घर जाकर सोचना और
मझ
ु े बताना, तो मैंने कहा कक ठीक है । कफर उस ददन से पप्रया के सलए मेरे मन में पवचार एकदम बदल
गये। अब धीरे -धीरे में भी उसके प्यार में पड़ने लगा था और कफर एक ददन मैंने उसे फोन ककया और
बोला कक पप्रया तम्
ु हारी तरह में भी दोस्ती वाला स्टे प पीछे छोड़ना चाहता हुँ और प्यार वाले स्टे प पर
चढ़ना चाहता हुँ। तो पप्रया बहुत खुश हो गयी और कफर हमने का़िी दे र तक बातें की और फोन काटने
के टाईम पप्रया ने मझ
ु से बोला कक आई लव य। तो मेरी आवाज़ काुँपने लगी, लेककन मैंने भी सांभलते हुए
बोल ददया कक आई लव य ट पप्रया और फोन रख ददया। दोस्तो ककसी लड़की को आई लव य बोलने का
यह मेरा पहला अनभ
ु व था। कफर अगले ददन हम लोग स्कल गये, तो पप्रया ने भागकर मझ
ु े हग ककया
और एक लांबा ककस ककया और कहने लगी कक जीत में तो पहले ददन से तम्
ु हारी बन गयी थी, एक तम
ु
ही थे जो दोस्ती की माला जपते रहते थे। कफर में कुछ नहीां बोला और उसे ककस ककया और कफर हम
कलास में चले गये। अब पप्रया बहुत ज़्जयादा खुश रहने लगी थी, मानो उसे पर लग गये हो। अब में भी
बहुत खुश था कयोंकक पप्रया बहुत खबसरत थी। अब का़िी ददन गज
ु र गये थे। कफर एक ददन पप्रया ने
बोला कक चलो स्कल छोड़कर मवी दे खने चलते है , तो मैंने बोला कक ओके और कफर में अपने घर से
अपनी गाड़ी ले आया और हम दोनों मवी दे खने चले गये। अब रास्ते में जब भी हम स्टॉप ससग्नल पर
रकते, तो पप्रया मझ
ु े कसकर पकड़ती और ककस करने लगती। अब यह करते-करते हम लोग मवी चथयेटर
पहुुँच गये थे। कफर हमने अमेररकन पाट़ -4 मवी दे खना डडसाइड ककया, जो कक बहुत सेकसी मवी थी। अब
हम लोग मवी दे खने बैठ गये थे। कफर थोड़ी दे र के बाद उस मवी में एक सीन आया, जब लड़का लड़की
के बब्स दबाता है । तो पप्रया यह दे खकर गम़ हो गयी और मेरा हाथ पकड़कर अपने बब्स पर रख ददया
और मेरे कान में बोली कक जीत अब कांट्रोल नहीां होता है , जान अब मेरी आग बझ
ु ाओ ना। कफर में उसका
बब्स दबाने लगा, अब में भी बहुत गम़ हो गया था। दोस्तों ये कहानी आप कामक
ु ता डॉट कॉम पर पड़
रहे है । कफर मैंने पप्रया के कान में कहा कक पप्रया यह मवी छोड़ो, हम खद
ु कुछ करते है । कफर पप्रया बोली
कक हाए मेरे राजा, ये कही ना मेरे ददल की बात और कफर हम लोग मवी के बीच में ही उठकर बाहर आ
गये। कफर मैंने बाहर आकर दे खा तो पप्रया का रां ग एकदम लाल हो गया था। कफर मैंने कहा कक जान
कहाुँ चलने का इरादा है ? तो वो बोली कक कहीां भी ले चलो। कफर मैंने होटल में जाने का डडसाइड ककया
और हम पास वाले होटल में चले गये। अब रूम में पहुुँचकर पप्रया कांबल लेकर बेड पर लेट गयी थी और
में भी अपने जतते उतारकर कांबल में घस
ु गया था। अब हम लोग ज़ोर-ज़ोर से ककस करने लगे थे। अब
पप्रया बहुत ही ज़्जयादा उततेजजत हो गयी थी। कफर करीब 10 समनट तक ककस करने के बाद में पप्रया की
टी- शट़ उतारने लगा, तो पप्रया बोली कक नहीां, तो मैंने बोला कक आग तो ऐसे ही बझ
ु ेगी। तो वो हां स पड़ी
और बोली कक में मज़ाक कर रही हुँ। आज तो बस परी तरह से तम्
ु हारी बनना है । कफर में बहुत खुश
हुआ और उसकी टी-शट़ और ब्रा उतार दी, ओह माई गॉड अब उसके छोटे -छोटे बब्स मेरे सामने थे। अब
में उसके बब्स दे खकर दहल गया था, अब में पागलों की तरह उन्हें चसने लगा था। कफर पप्रया बोलने लगी
कक दद़ हो रहा है । तो मैंने कहा कक पहले दद़ होगा, लेककन बाद में तम्
ु हें मज़ा आएगा। कफर थोड़ी दे र के
बाद पप्रया भी ज़ोर-ज़ोर से आहें भरने लगी। कफर मैंने उसका एक हाथ पकड़कर अपने लांड जो कक 7 इांच
लांबा और 3 इांच मोटा है उस पर रख ददया, तो उसने कसकर मेरे लांड को पकड़ सलया। कफर मैंने उसके
बब्स को सक करना बांद ककया और बोला कक जान इसे शेजम्पयन की बोतल की तरह दहलाओ, तो वो मेरे
लांड को दहलाने लगी। कफर मैंने उससे कहा कक इसे अपने मुँह
ु में लो। तो वो कहने लगी कक नहीां यह
बहुत गन्दा है । कफर मैंने कहा कक नहीां यही तो है जो तम्
ु हें स्वग़ की सैर करवाएगा। कफर थोड़ी दे र तक
नहीां-नहीां करने के बाद उसने मेरे लांड को अपने मुँह
ु में ले सलया और उसे चसने लगी। कफर 15 समनट
तक चसने के बाद में उसके मुँह
ु में ही झड़ गया, तो उसने मेरा सारा वीय़ बाहर थक ददया और बोलने
लगी कक यह कया था? तो मैंने कहा कक यह मेरा वीय़ था। कफर मैंने उसकी स्कट़ उतार दी और उसकी
पें टी भी उतार दी। उसकी चत एकदम साफ थी जैसे साली को पता हो कक आज चुदना है । कफर में उसकी
दोनों टाुँगों के बीच में आ गया और उसकी चत को चाटने लगा। अब वो बहुत उततेजजत हो गयी थी और
मेरा ससर पकड़कर अपनी चत में दबाने लगी थी। कफर वो 3-4 समनट में ही झड़ गयी। अब इतने में मेरा
लांड कफर से खड़ा हो गया था तो मैंने अब ज़्जयादा दे र करना ठीक नहीां समझा। कफर में उठा और अपने
लांड पर थोड़ा तेल लगाया और अपने लांड का टोपा उसकी चत पर रखकर धीरे से दबा ददया तो पप्रया
चच्ला उठी और कहने लगी कक में हाथ जोड़ती हुँ, यह दद़ करे गा। कफर में बोला कक थोड़ा दद़ होगा और
यह तम्
ु हारे प्यार का इजम्तहान है । कफर पप्रया यह बात सन
ु कर बोली कक जीत तम्
ु हारे सलए तो मेरी जान
हाजज़र है और यह कहकर वो लेट गयी। कफर मैंने अपना लांड उसकी चत पर रखा और थोड़ा पश
ु ककया
तो मेरे लांड का टोपा उसकी चत के अांदर चला गया। अब पप्रया की आुँखें आुँस से भर गयी और वो बोली
कक जीत थोड़ी दे र रक जाओ, में मर रही हुँ, तो में ऐसे ही अपना लांड अांदर डाले उसके ऊपर लेट गया।
कफर थोड़ी दे र के बाद मैंने एक ह्का सा धकका मारा तो मेरा लांड आधा अांदर चला गया। अब पप्रया
अपने हाथ जोड़ने लगी थी और रोने लगी और बोली कक जीत और मत डालना, में मर जाऊांगी। कफर मैंने
कहा कक साली पहले तो कहती थी कक तम्
ु हारे सलए जान हाजज़र है , अब कया हुआ? तो वो चप
ु चाप लेट
गयी, अब उसने अपनी मदु ठया बांद की हुई थी। कफर मैंने थोड़ी दे र के बाद एकदम से एक धकका मारा तो
मेरा परा लांड उसकी चत के अांदर चला गया। पप्रया कफर से रोने लगी, तो मझ
ु े गस्
ु सा आया तो में ज़ोर-
ज़ोर से धकके लगाने लगा। अब मेरे हर धकके से पप्रया की चीख तनकल रही थी, लेककन मैंने उसकी कोई
परवाह नहीां की। कफर थोड़ी दे र के बाद पप्रया का दद़ कुछ कम हुआ और उसको भी मज़ा आने लगा।
अब वो भी नीचे से अपनी कमर दहलाने लगी थी, अब उसने मझ
ु े कसकर हग ककया हुआ था और मेरे
होंठो को चस रही थी। कफर करीब 15 समनट के बाद में झड़ गया, अब इस बीच पप्रया 2 बार झड़ चक
ु ी
थी। कफर मैंने अपना लांड उसकी चत में से बाहर तनकाला तो मैंने दे खा कक पप्रया की चत सजकर मोटी
हो गयी थी और चादर पर खन लगा हुआ था। कफर पप्रया यह दे खकर डर गयी, तो मैंने कहा कक घबराओ
नहीां पहली बार लड़की की चत से खन तनकलता है । कफर हमने बाथरूम में जाकर शॉवर सलया और अपने
कपड़े पहनकर वहाुँ से चलने लगे। कफर तभी पप्रया ने मेरा हाथ पकड़ सलया था और बोलने लगी कक जीत
मेरा ददल कर रहा है । तो में नॉटी होते हुए पछने लगा कक जान कया करने को ददल कर रहा है ? तो वो
बोली कक वही जो अभी ककया था। कफर मैंने उससे बोला कक जान हमारा होटल का टाईम ख़तम होने
वाला है । अब हमारे पास बस 20 समनट है । कफर वो बोली कक तम
ु कपड़े मत उतारो बस अपनी चैन
खोलो और में पानी स्कट़ ऊपर उठा लेती हुँ। कफर मैंने कहा कक ठीक है और कफर मैंने अपना लांड बाहर
तनकाला और पप्रया के मुँह
ु में दे ददया, तो उसने 5 समनट में मेरे लांड को चसकर उसे तैयार कर ददया था।
कफर मैंने पप्रया की स्कट़ ऊपर उठाई और थोड़ा सा थक लगाया, कयोंकक हमारा तेल ख़तम हो गया था।
कफर मैंने एक झटके में पप्रया की चत में अपना लांड डाल ददया और दनादन गोल करने लगा। कफर में
10-15 समनट में झड़ गया। तो तभी इतने में होटल वालों का फोन भी आ गया कक हमारा टाईम ख़तम
हो गया है । कफर मैंने पप्रया को पें टी पहनाई और गोद में उठा सलया, कयोंकक उसे दद़ हो रहा था। कफर
मैंने उसे उसके घर छोड़ा और उसकी मम्मी से कहा कक पप्रया आज स्कल के जजम में चगर गयी थी
इससलए वो चल नहीां पा रही है । कफर उस ददन के बाद से हम लोग हर रोज चुदाई करने लगे और कफर
हमने भरपर मजा ककया ।।
नमस्कार समत्रो, मैं मज्लका राय, यह कहानी दीपपका जी की है , जो मैं उनके बताये अनस
ु ार सलख कर
आपके सामने पेश कर रही हुँ! मेरा नाम दीपपका है , उम्र 34 साल है हाइट 5.5 फीट, मेरे पतत की उम्र 36
साल हाइट 5.8 फीट है । हमारी शादी को 16 साल हो गए हैं, यातन कक 18 वऱ् की उम्र होते ही मेरे घर
वालों ने मेरी शादी कर दी थी, तब मैं सेकस के बारे में थोड़ा ही जानती थी। मैंने ससफ़ मेरे पतत के साथ
ही सम्भोग ककया है और उनके साथ ही करुँ गी, वे मझ
ु े हर तरह से खुश रखते हैं, मैं भी उनसे बहुत खुश
हुँ। मैं अभी भी दब
ु ली हुँ एक एकट्रे स की तरह, मम्मे जरूर 2-3 माह में बहुत बड़े हो गए हैं बबलकुल
खरबजे जैस,े तने हुए और कड़क तो पहले से ही हैं, इतने कक पततदे व दोनों हाथों में भरकर चसते हैं,
तनप्पल भरे हैं, चत हमेशा साफ रखती हुँ। आपने मेरी पपछली कहानी मेरी कांु वारी गाांड की शामत आ गई
पढ़ी और उसका समला जुला रे स्पॉन्स समला, बहुत बहुत धन्यवाद। जब मेरी गाांड एक बार फट गई तो
उसके बाद तो पततदे व हर 2-3 में ही मेरी गाांड को बजाकर रख दे त।े अब मझ
ु े भी गाांड की चद
ु ाई में मजा
आने लग गया, इतना कक कई बार मेरी गाांड खुद ही उनके लांड से चद
ु ने के सलए बेताब हो जाती है । मेरी
गाांड जो पहले समतल थी, अब कुछ उभर भी आई है । यह कहानी जन्माटटमी के अगले ददन की है । मैं
राखी से लगभग डेढ़ माह पहले मेरे मायके गई हुई थी, कयोंकक मेरा स्वास््य कुछ ठीक न होने की वजह
से मैं परे साल नहीां गई थी। मेरा मन नहीां कर रहा था इतनी ज्दी जाने के सलए, पर मायके वालों की
जजद थी कक मैं ज्दी ही आऊुँ! और पततदे व ने भी मेरी एक नहीां सन
ु ी। लेककन मैं इतने ददनों तक उनके
लांड के बबना कैसे रही, बता नहीां सकती। फोन सेकस करना चाहा, पर उन्होंने फोन पर ही मझ
ु े बहुत तेज
डाुँट ददया। हस्तमैथुन करके इतने ददन और रात तनकाल ददए। जन्माटटमी से दो ददन पहले पततदे व मझ
ु े
मेरे घर ले आये। मैं बहुत खुश हुई, लेककन मेरी सास-ससरु और बच्चे उनके मायके गए हुए थे घर आकर
सबसे पहले मैंने चत के बाल सा़ि ककए, उसके बाद कमरे की सफाई करने लग गई जो कक पततदे व ने
मेरी गैरमौजदगी में परा बबखेर ददया था। रात को मैं परी नांगी होकर आईने के सामने खड़ी होकर खुद के
परे बदन को बहुत दे र तनहारती रही।अचानक ही पततदे व कमरे आये, मैं थोड़ी घबराई, पर उन्हें दे खकर
सम्भल गई और मझ
ु े परी नांगी दे खकर सीटी बजाकर मेरे करीब आये, दोनों गालों पर एक एक चुम्मा
ददया, कफर मेरे मम्मों के सहलाया, कफर मेरी जाुँघों को, मेरी कमर, पीठ, चतड़, यानी कक मेरे सारे अांगों को
बहुत दे र तक ऐसे ही सहलाते रहे ।उसके बाद उन्होंने मेरी उां गसलयों में उां गसलयाुँ फांसाकर मेरे मम्मों के
चसा, दोनों मम्मों के बीच में भी जीभ से चाटा, अब बारी मेरी नासभ की थी।लगभग 15 समनट उन्होंने
मेरी नासभ के साथ मस्ती की। मैं बहुत ही गम़ हो गई थी। अब खड़े होकर वो मझ
ु े ककस करने लगे और
मेरे नीचे के होंठ को उनके दाांतों से काट भी रहे थे और जीभ से जीभ भी समला रहे थे। कुछ थक भी
तनकल रहा था।अचानक ही पततदे व ने मेरी चत पर हमला बोल ददया, वे मेरी चत को चाटने लगे। पहले
तो मेरी खुली हुई फाांकों को उनके होंठों से दबाकर खीांचने लगे एक गद
ु गद
ु ी से होने लगी और कफर एक
बार खड़े होकर मेरे तनप्पल को काटने लगे। मझ
ु े इस हरकत में बहुत मजा आ रहा था। वैसे तो पततदे व
की हर हरकत में मझ
ु े मजा ही आता है । तनप्पल काटने के बाद कफर से मझ
ु े ककस करने लगे। अब बारी
कफर से मेरी चत की थी, पहले तो मेरी चत पर थका और चसा और कफर जीभ से चाटा कया बताऊुँ
ककतनी गद
ु गद
ु ी और आनन्द आ रहा था! मैं तो मस्ती में ही डबे जा रही थी और एक कामक
ु हुँसी भी
मख
ु तनकल रही थी। पततदे व थोड़ी दे र चत चसकर मख
ु हटाते और कफर झटके से चत पर हमला बोल
दे त।े अब मेरा परा शरीर काांपने लगा था और थोड़ी दे र में ही मेरी चत ने पानी छोड़ ददया और पततदे व
सारा रस चाट गए। पर एक बार से उन्हें तस्ली नहीां हो रही थी, उन्होंने चत चसना जारी रखा। आधे
घण्टे से अचधक खड़े रहने के कारण और मेरी लगातार चत चसने से मेरे पैर अब लड़खड़ाने लग गए थे
मैंने अपनी उुँ गसलयों जजसे पततदे व ने अभी तक नहीां छोड़ा था और कसकर पकड़ सलया और मेरी
सससकाररयाुँ व कामक
ु हां सी और बड़ गई। दस समनट तक जैसे तैसे मैंने सांतल
ु न बनाये रखा और इतनी
ही दे र में कफर से झड़ गई और कफर से पततदे व मेरी चत का सारा रस पी गए। मझ
ु े भी थोड़ी राहत
समली, पततदे व ने मझ
ु े गोदी में उठाया तो मैंने भी उनकी कमर को दोनों टाांगों से कसकर जकड़ सलया।वो
कुछ दे र मेरे मम्मों के साथ मस्ती करते और कुछ दे र उन्हें चसते। अब बबस्तर पर बैठकर मेरी पीठ को
सहला रहे थे और मैं भी उनकी पीठ को सहला रही थी। जब मैं उनके कपड़े तनकालने लगी तो उन्होंने
मझ
ु े रोक ददया और बोला- बहुत तक गया हुँ, कफर कभी करें गे। मैं जानती थी कक मझ
ु े तड़पाने के ये ऐसा
बोल रहे हैं। पर कफर भी मैंने उनसे काफी दे र तक पवनती की, कोई फायदा नहीां हुआ। जब सोने लगे तो
मैंने उनकी तरफ एक बार कामक
ु भरी तनगाहों से दे खा, तो उन्होंने ससफ़ चत चाटने का ही बोला। मैंने भी
हाुँ कह ददया कयोंकक ना कहने का भी कोई फायदा नहीां था और मेरी चत पर ककसी भखे शेर की तरह
टट पड़े। मेरे पततदे व वैसे भी मेरी चत चाटने के बहुत शौकीन हैं और उसका रस पीने का भी।7-8 समनट
में मेरी चत ने पानी छोड़ ददया पर मझ
ु े चत चटवाने से सन्तजु टट नहीां समल रही थी, मैंने पततदे व से कहा
भी, तो उन्होंने कफर मेरी चत चाटना शरू
ु कर ददया, उन्होंने 4 बार मेरी चत को चाट कर थोड़ी सन्तजु टट
दी और मैं नांगी ही उनके कन्धे पर सर रखकर सो गई। सब
ु ह जब उठकर दे खा तो पततदे व मझ
ु से पहले
ही जाग चुके थे और मैं ब्रश करने बाथरूम में चली गई। जैसे ही मैं कु्ला करने लगी तो पततदे व ने
अचानक मझ
ु े पीछे से जकड़ सलया, मेरी नांगी पीठ को चम कर गड
ु मॉतनिंग बोला और मेरे मम्मों को
मसलने लगे। मझ
ु े चाय पीने के सलए बोला और वे बेडरूम में आ गए। मझ
ु े सस
ु ु आ रही थी पर मैंने
नहीां की और बाथरूम से आकर मैं उनकी टीशट़ पहनने लगी तो उन्होंने उन्होंने नांगी ही रहने के सलए
बोला। मैं नांगी ही उनके साथ बैठकर चाय पीकर बात करने लगी। कफर थोड़ी दे र बाद मैं टॉवल लेकर
नहाने गई तो पततदे व भी मेरे पीछे नांगे होकर आ गए, मैंने भी खद
ु को उनके हवाले कर ददया। और वो
मझ
ु े नहलाने लगे, उन्होंने मेरे बदन के हर दहस्से पर साबन
ु लगाया और उसे पानी से साफ ककया। इस
बीच मझ
ु े बहुत तेज स स आने लगी जजसे मैंने बहुत दे र से रोक रखा था। जब सब्र से बाहर हुई तो मैंने
पततदे व को घट
ु नों के बल बैठाकर उनका सर पकड़कर उनके मख
ु को मेरी चत पर लगा ददया और इतनी
दे र में मेरा पेशाब भी अपने आप तनकल गई पर मैंने उसकी गतत थोड़ी धीमी ही रखी। पततदे व मेरी स
स को बबलकुल पानी की तरह पी रहे थे वो भी बबना एक बन्द व्यथ़ बहाये वैसे वो मेरा मत बहुत ही
कम पीते हैं, केवल तब ही पीते हैं जब उनका मड होता है । जब वो हटने लगे तो मैंने उन्हें नहीां हटने
ददया और आखखरी बुँद तक उनके मख
ु को मेरी चत से ही लगाये रखा, जब स स करके मैंने उन्हें उठाया
तो थोड़ा स स मह
ुँु में रखा हुआ था और खड़े होकर उन्होंने मझ
ु े ततरछा कर मेरे मह
ांु पर ह्के ह्के थक
ददया। मैं जब तक उन्हें रोकती तब बहुत दे र हो चक
ु ी थी। अब मझ
ु े फश़ पर बैठाकर कफर से उन्होंने मेरे
बदन पर साबन
ु लगाया, कफर से परे बदन को पानी से सा़ि ककया। नहाने के बाद सबसे पहले उन्होंने
खद
ु के बदन को पौंछा कफर उसी टॉवल से पहले मेरे गालों को सा़ि ककया, कफर मेरे मम्मों को, पेट को
मेरी चत, जाुँघों को और कफर मेरे बालों को… मैं उन्हें ऐसे ही मस्
ु कुराते हुए दे ख रही थी। और कफर मैं
उनसे सलपट गई तो उन्होंने मेरी पीठ को पौंछना शरू
ु कर ददया, मैं भी उनके क्हों को सहला रही थी।
मेरे पतत मझ
ु े गोदी में उठाकर बैडरूम में ले आये और हे यर ड्रायर से मेरे बालों को सख
ु ाया और कहा-
चोटी मत करना, बालों को ऐसे ही बाुँध लेना हे यर बैंड से। मैंने भी हुँसकर हाुँ कह ददया और बालों को
बाांधने लगी। पततदे व साड़ी, पेटीकोट ब्रा पैंटी लेकर आये और बोले- मैं तम्
ु हें साड़ी पहनाऊुँगा। मैंने भी हाुँ
तो कह ददया पर पें टी और ब्रा पहनाने से मना कर ददया। उन्होंने साड़ी तो पहनाई पर नासभ के इतने
नीचे कक आधा इांच भी नीचे और कर दी जाए तो मेरी चतड़ों की दरार ददखने लग जाती। वैसे तो मैं भी
पपछले कई वर्ों से साड़ी नासभ से बहुत नीचे ही बाांधती आई हुँ पर इतनी नहीां जजतनी पततदे व ने आज
पहनाई थी। पर उनको तो मैं आज ऐसे ही अच्छी लग रही थी तो मैंने भी ऐसा ही ककया। मझ
ु े साड़ी
पहनाने के बाद मैंने उनके गालों पर एक ककस दी और कफर उनके लांड पर और उनको भी मैंने कपड़े
पहनाये। जब रात आई तो मैं कफर नांगी होकर उनसे चुदने के सलए कहने लगी पर आज कफर चत चाट
कर सन्तजु टट दी। मैं समझ नहीां पा रही रही थी कक मझ
ु े इस तरह से कयों तड़पा रहे हैं? अगले ददन
जन्माटटमी थी और रात को कफर उन्होंने वही किया दोहराई। मझ
ु े बहुत तेज गस्
ु सा आ गया था और
रोना भी इतना कक मेरे आुँस तनकल आये थे। मेरी सेकस कहानी अगले भाग में जारी रहे गी। मझ
ु े बहुत
गस्
ु सा आया, रोना भी इतना कक मेरे आुँस तनकल आए और रोते रोते ही मैं उन्हें गासलयाुँ दे रही थी-
मादरचोद, माुँ के लौड़े! यातन मदों वाली गासलयाुँ और उनकी पीठ पर ह्के हाथों से मार ददया था। वो
मझ
ु े चमते चमते मझ
ु े चुप करा रहे थे पर मेरा गस्
ु सा कम नहीां हुआ और गस्
ु से में उनके गालों पर भी
तमाचा जड़ ददया। पर इसका भी उन पर कोई असर नहीां हुआ और मझ
ु े बबस्तर पर लेटाकर मेरे ऊपर ही
सो गए। मैं उनसे छुटने की कोसशश कर रही थी पर असफल रही। 15 समनट मैं ऐसे ही रोकर आांस
बहाती रही और पता नहीां कब मेरी नीांद लग गई। सब
ु ह लगभग 5:30 बजे जब उठी तो दे खा कक पततदे व
मझ
ु से पहले ही जाग चुके हैं और नांगे ही कमरे में घम रहे हैं। मैं रात भर से ही नांगी ही थी। मैं उठकर
फ्रेश होकर आई तो पततदे व चाय लेकर आये। हमने चाय पी पर मेरा गस्
ु सा अभी भी कम नहीां हुआ था।
वो अपना लांड सहलाने लगे और थोड़ी दे र में ही उनका लांड तन गया। यह दे खकर मैं भी गम़ हो गई
और बाथरूम चली गई।
मैं ग्वासलयर शहर में भाड़े पर कमरा लेकर रहता था, मैं वहाां लगभग 6 साल तक रहा. इस बीच उस
बबज्डांग में कई ककराएदार आए और गए. कुछ लोग तो मझ
ु े मकान का चौकीदार या मासलक समझने
लगे थे। जो भी नए लोग आते, मैं उन्हें कमरे ददखाता और उनसे ककराया लेकर मकान मालककन को दे
आता. अब तो ये मेरा हर ददन का काम हो गया था कक ककसी की कोई भी प्रॉब्लम हो मझ
ु े आवाज लगा
दे ते थे. इससे मझ
ु े थोड़ी प्रॉब्लम होने लगी थी कयोंकक मैं वहाां पढ़ने के सलए रहता था और मेरी पढ़ाई
बब्कुल भी नहीां हो पा रही थी। मकान मालककन के पररवार में वो और उसके दो बच्चे थे. वो मझ
ु से
हमेसा खुश रहती थी कयोंकक मैं उसकी बबज्डांग का लगभग परा काम करवाता था। मकान मालककन एक
नम्बर की पटाखा माल थी, वो दे खने में ज्यादा उम्र की तो नहीां थी, शायद 38-40 की होगी. अमीर
खानदान होने के कारण खब खाती पीती और ऐशो आराम से रहती थी तो उम्र का पता नहीां चलता था।
उसके बब्स ऐसे कसे व बड़े-बड़े थे कक जैसे ककसी ने एक एक ककलो के दो पपीते ब्लाउज में छुपा रखें हों
लेककन उसकी बाहर को उभरी हुई गाांड भी कुछ कम नहीां लगती थी. मैं तो हमेशा यही सोचता था कक
काश इसका ये ब्लाउज फट जाए और मझ
ु े मजा आ जाए… लेककन ऐसा हो नहीां सकता था. मैं जब भी
उसके घर जाता तो वो मझ
ु े पानी व चाय ऑफर करती, पानी दे ने के सलए जब वो कुसी के पास झक
ु ती
तो मझ
ु े ह्की सी झलक समल जाती उसके पपीतों की…एक ददन उसने मझ
ु े अपने पपीतों को घरते हुए
दे ख सलया और बोली- कया हुआ? कहाुँ खोए हो?तो मैं बोला- कुछ नहीां!और वहाां से अपना काम खतम
करके वापपस आ गया. चुँ कक उसके पतत की डेथ हो चुकी थी जजससे कई सालों से सेकस की भखी थी
जजस भख को मेरे ह्के से खड़े लांड और घरती नजरों ने और भी बढ़ा ददया। उस ददन के बाद से वो
कुछ ज्यादा ही फ्रैंक होने लगी, सालों के बाद हमारी ककराएदार वाली बबज्डांग में आने लगी, मझ
ु से कुछ
ज्यादा बात करने लगी और अपने पपीतों को ज्यादा ददखाने लगी। एक ददन वो बीमार हो गई, उस समय
उसके बच्चे भी कहीां दट्रप पर गए थे. मैं उसके घर गया तो दरवाजा खुला था तथा अांदर वो जमीन पर
बेहोश पड़ी थी, उसकी साड़ी उसकी जाांघों से ऊपर उठी थी जजससे उसकी लाल रां ग की पें टी सा़ि ददख रही
थी.मैं करने को तो बहुत कुछ कर सकता था लेककन मैंने कुछ नहीां ककया, उसे कैसे भी करके उसके
बबस्तर पर उठा ले गया और उसे होश में लाने की कोसशश करने लगा. थोड़ी दे र बाद वो होश में आई.
उसे बहुत तेज बख
ु ार आ रहा था, उसने मेरा हाथ पकड़ा और पास पड़ी एक डायरी की ओर इशारा ककया.
मैंने उस डायरी को खोला, उसमें कुछ नांबर नोट थे तो उनमें से मैंने डॉकटर का नांबर दे ख कर डॉकटर को
बल
ु ा सलया और डायरी को और खोलने लगा.वो मझ
ु े डायरी खोलने से रोक रही थी, उसमें ताकत तो बची
नहीां थी लेककन कफर भी!मैंने डायरी रख दी. तब तक डॉकटर आ गया, उसने उसे चेक करके कुछ ब्लड
सेम्पल सलए और कुछ दवाइयाुँ सलखकर चला गया.मैंने भी सोचा कक कुछ दे र यहीां रक जाता हुँ. मैं
उसके साथ टीवी दे खने लगा तथा उसकी सेवा करने लगा. थोड़ी दे र में डॉकटर का ़िोन आया जजससे हमें
पता चला कक उसे एडवाांस स्टे ज पे मलेररया है जजसका ट्रीटमें ट लांबा चल सकता है तथा मझ
ु े उनके साथ
रूकने को कहा.तो मैं उसके कहने पर रक गया, मेरा काम उसे दवाई दे ना, टॉयलेट ले जाना, खाना खखलाना
तथा दे ख रे ख करना था. इस बीच मैंने उसे कई बार बबना कपड़ों के दे खा, एक बार तो वो बाथरूम में
बेहोश हो गई जहाुँ से मझ
ु े उसे कपड़े पहना कर लाना पड़ा. इससे मेरा भी थोड़ा बहुत मजेदार टाइम पास
हो जाता. पहले तो वो थोड़ा शमा़ती रही, कफर नॉटी बातें करती… कभी कभी तो मझ
ु े शम़ आने लगती. ये
लगभग तीन ददनों तक चला. जब वो बब्कुल ठीक हुई तो मेरी भी उसके काम से छुट्टी हो गई. मैं एक
बार उसके हालचाल पछने गया तो वो अपनी कमर पर आयोडेकस लगा रही थी जजससे उसे ददककत हो
रही थी.उसने कहा- बीमारी में लेटे रहने के कारण बदन में दद़ होने लगा है .और मझ
ु से मासलश करने को
पछा. मैंने भी हाुँ कर दी और उसकी कमर पर मासलश करने लगा. मैं कमर के साथ कभी कभी ह्के से
उनकी गाांड भी सहला दे ता. उनके इशारे पर मैं कमर से थोड़ा ऊपर उनकी पीठ पर आ गया. मैंने उनको
तेल डालने को कहा तो उन्होंने मझ
ु े तेल लाकर दे ददया, मैंने तेल को धीरे धीरे उनकी पीठ पर फैलाना
शरू
ु ककया. मैं उनकी पीठ को मस्ती के साथ सहला रहा था तथा मासलश भी कर रहा था. तेल से शायद
उनकी साड़ी ख़राब हो रही थी जजसे उसने उतार दी, अब पेटीकोट से उभरी हुई गाांड को मैं दे ख सकता
था. उन्होंने पीठ से और ऊपर आने को कहा ब्लाउज होने के कारण मैं बबना तेल के दबाने लगा तो
उन्होंने कहा- एक समनट रक!और पीछे घमकर अपना ब्लाउज और ब्रा भी उतार दी और मेरी ओऱ पीठ
करके लेट गईं, मैं तेल लगाने लगा. मझ
ु े पीछे से बबस्तर के साथ दबे हुए उनके बब्स ददखाई दे रहे थे
जजन्हें मैं बीच बीच मैं मासलश के बहाने छ रहा था, वो भी मजे से आुँखें बांद करके लेटी हुई थी. अब
उन्होंने पैरों पर जाने को कहा तो मैं उनके पेटीकोट को घट
ु नों तक उठाकर पैरों की मासलश करने लगा.
मैं पेटीकोट से अांदर दे खने की कोसशश भी कर रहा था, उन्होंने पें टी नहीां पहनी थी जजससे मझ
ु े उनकी
चत के बाल नजर आ रहे थे जजससे मेरा लांड भी खड़ा हो चुका था जजस पर मेरा ध्यान नहीां था. मैं
उनके कहने पर धीरे धीरे ऊपर बढ़ रहा था, मैंने पेटीकोट को जाांघों तक कर ददया और उनकी जाांघों को
दबाने सहलाने लगा. उलटे लेटे होने के कारण मैं उनकी चत नहीां दे ख सकता था कफर भी कभी थोड़ा
ऊपर बढ़कर उनकी चत को छ लेता था जजससे उनकी उततेजना भी बढ़ रही थी. थोड़ी दे र बाद उनके मह
ुां
से ह्की ह्की आवाज आने लगी उम्म्ह… अहह… हय… याह… और उन्होंने धीरे से पैरों को खोल ददया.
अब मैं भी मासलश न करके उनकी चत के साथ खेलने लग गया लेककन मैं ऐसे कर रहा था जैसे उन्हें
लगे कक मझ
ु े कुछ पता ही नहीां है कक मेरे हाथ मासलश के साथ साथ कया कर रहे हैं। हम दोनों कुछ दे र
तक यों हीां मजे लेते रहे , थोड़ी दे र बाद शायद उनका पानी तनकलने वाला था तो वो बाथरूम में चली गईं
लेककन मैंने उनकी चत के ससवाय और कुछ नहीां दे खा था। थोड़ी दे र बाद वो मेरे और अपने सलए चाय
बनाकर लाई, हमने समलकर चाय पी, उन्होंने कहा- बड़ी अच्छी मासलश कर लेते हो तम
ु !तो मेरे भी मह
ुां से
तनकल गया- करने को तो और भी अच्छी कर सकता हुँ!वो मेरी बात काटते हुए बोली- कया बोले?तो मैंने
कहा- कुछ नहीां, चाय अच्छी बनी है । उन्होंने पछा- कया तम्
ु हारी कोई गल़फ्रेंड है?मैंने कहा- नहीां है !वो
बोलीां- एक भी नहीां?मैंने कहा- मैंने कभी बनाने की कोसशश ही नहीां की! उस समय मैं कुसी पर बैठा था
तो वो मेरी जाुँघों पर आकर बैठ गईं और मेरे गाल पर बड़े सेकसी अांदाज में उां गली घम
ु ाते हुए बोली-
कया मझ
ु े अपनी गल़फ्रेंड बनाना पसांद करोगे?तब वो मेरी जाांघों पर बैठी थी और मेरा लांड ठीक उनकी
चत के सामने था जो खड़ा होकर एकदम कड़क हो चक
ु ा था.मैंने कहा- जरूर, कयों नहीां!तो उन्होंने मेरे
गले के आसपास अपने हाथ डाले और मेरे होंटों अपने होंठ रख ददए और ककस करने लगी. इस समय
मझ
ु े बहुत तकलीफ हो रही थी शायद कयोंकक इतना भारी पीस मेरे जाुँघों पर चढ़ा था लेककन सेकस और
ककस के नशे में कुछ पता नहीां चल रहा था, हम बेतहाशा चमे जा रहे थे. तभी उनका एक हाथ मेरे पैन्ट
के ऊपर से मेरे लांड पर गया और मेरे दोनों हाथ उनके दोनों पपीतों पर… हम दोनों अतयन्त नशे में खोए
हुए थे.थोड़ी दे र बाद मेरे लांड ने पैन्ट में ही पानी छोड़ ददया और हमारी ककस ख़तम हुई. हमारे होंठ
एकदम लाल हो गए थे, वो मेरे ऊपर से उठी, जजससे मझ
ु े थोड़ी राहत समली. अब उन्होंने मेरी पैन्ट की
जजप खोली और बबना सा़ि ककए ही उस गांदे लांड को चसने लगीां.थोड़ी दे र में मैं कफर से जोश में आ
गया और उन्हें बेड पर ले गया और उनके कपड़े उतारने लगा. थोड़ी दे र में वो केवल पें टी में थीां… शायद
वो बाथरूम से पहन आई हों। मैंने उनके बब्स चसने और मसलने शरू
ु ककए तथा एक हाथ से उनकी चत
में उां गली कर रहा था और उनके चत के दाने को खीांच व मसल रहा था. वो अपने मह
ुां से बड़ी मादक
आवाजें तनकाल रहीां थी। लगभग 5 समनट के बाद मैं उनकी चत चाटने लगा, वो मेरा सर अपने हाथों से
अपनी चत पर दबाने लगी जजससे मझ
ु े लगा कक अब ये तैयार हैं, तो मैंने उनसे अपना लांड थोड़ा चुसवाया
और उनके चत के छे द से लगाकर एक ही धकके में आधा अांदर घस
ु ा ददया.वो बहुत सालों से नहीां चुदी
थी तो वो चच्लाने लगी. चत थोड़ी टाइट होने से मेरे लांड में भी दद़ होने लगा लेककन मैंने उन्हें
चच्लाते रहने ददया और दसरे धकके में परा लांड जड़ तक अांदर घस
ु ा ददया. वो और जोर से चीखीां
लेककन मैंने धकके दे ना शरू
ु ककया, पहले कुछ 15-20 धककों में थोड़ी परे शानी हुई लेककन इसके बाद मेरे
साथ उन्हें भी मजा आने लगा. मैं धकके दे ते रहा. थोड़ी दे र में मैं थक गया और बेड पर आ गया और
वो मेरे ऊपर उछलने लगीां. इस पोजीशन में हम धककों के साथ ककस भी करते रहे . इसी तरह हम
पोजीशन बदल बदलकर लगे रहे .बहुत दे र बाद हम दोनों ने पानी छोड़ा जजसमें उनका पानी मझ
ु से दो
समनट पहले छट गया। कफर कया था… हमें जब भी टाइम समलता था और जब भी मड होता… हम शरू
ु हो
जाते थे. कुछ ददनों के बाद उनके बच्चे आ गए. उन्होंने मझ
ु े हमारी बबज्डांग से अपनी बबज्डांग में सशफ्ट
करवाया. जब उनके बच्चे स्कल में होते थे हम मजे करते थे.
मेरे पप्रय दोस्तों, मेरा नाम सनी ससांह है , मैं राजस्थान में रहता हुँ. मैं अन्तवा़सना का तनयसमत पाठक हुँ.
मझ
ु े इस साईट की सभी सेकस कहातनयाां पसन्द हैं. यह कहानी मेरे प्रथम सेकस अनभ
ु व की है , मेरी सभी
भाभी के साथ की है और अन्तवा़सना पर मैं यह मेरी पहली चुदाई स्टोरी सलख रहा हुँ. मेरे पररवार में
हम दो भाई हैं और हमारी एक बहन है , बहन की शादी तीन साल पव़ हो चक
ु ी है , वो अपने पतत के साथ
अपनी ससरु ाल में रहती है . मेरे बड़े भाई का भी पववाह डेढ़ साल पहले हो चुका है . तो अब हमारे घर में
मैं, मेरे मम्मी पापा और भैया भाभी हैं. भैया घर से तीस ककलोमीटर दर एक कम्पनी के ऑकफस में जॉब
करते हैं हैं तो वे सब
ु ह सब
ु ह ही घर से तनकल कर बस लेते हैं. बात उन ददनों की है , जब मैं बारहवीां में
पढ़ रहा था. इस कलास में पढ़ाई का काफी भार रहता है तो मैं ज्यादातर पढ़ाई में ही व्यस्त रहता था,
इस कारण से भाभी से ज्यादा बात हो ही नही पाती थी. मेरी भाभी का नाम सम
ु न है . मेरी भाभी ददखने
में बहुत सेकसी हैं, मझ
ु े उन के होंठ चचे और चतड़ बहुत सेकसी लगते हैं. उनका साइज होगा करीब 34
30 36… हाईट भी अच्छी थी पाांच फुट साढ़े चार इांच. गोरा रां ग, तीखे नयन नकश… जैसे परु ानी दहरोइन
सायरा बानो ददखती थी. भाभी के बाल भी काफी लम्बे थे. भाभी हर दो तीन हफ्ते बाद ब्यटी पाल़र
जाती थी, अपना और अपने रूप का बहुत ध्यान रखती थी. बारहवी की परीक्षा के बाद मैं फ्री हो गया था
तो मैं भाभी से बात करने लगा था और कुछ खुलने लगा था. मझ
ु े महसस हुआ कक भाभी मेरे में कुछ
ज्यादा ही रूचच लेने लगी हैं, मेरी ओर आकपऱ्त हो रही हैं. भाभी कभी बातों बातों में मेरे गाल पकड़ लेती
तो कभी कभी मजाक में मेरी पीठ पर हाथ मारतीां. उस समय मझ
ु े सेकस की समझ तो थी पर मैं
अनभ
ु वी ना होने के कारण से मैं भाभी की कामक
ु ता से भरपर हरकतें समझ नहीां पाया. मैं कॉलेज में आ
गया था, बी ए जॉइन कर सलया. मझ
ु े कॉलेज की हवा लगी तो मझ
ु े भाभी की हरकतों का मतलब समझ
आने लगा था. मेरी कामक
ु ता भी अब जवान होने लगी थी. एक बार मेरे मम्मी पापा कुछ ददनों के सलए
मेरे मामा के घर गए हुए थे. मेरे अलावा मेरे भैया और भाभी ही घर पर रके थे. भाई सब
ु ह ही जॉब पर
चले जाते तो घर में भाभी और मैं ही रहते थे तो मैं और भाभी ज्यादातर बातें करते रहते थे. अब भाभी
का कामक
ु बदन मेरी नज़र में चढ़ गया, मझ
ु े लगने लगा कक भाभी मेरी प्यास बझ
ु ा सकती हैं. कफर
मम्मी पापा वापस आ गए. अब मैं घर पर ज़्जयादा नहीां पढ़ता था, मैं भाभी की तरफ ज्यादा आकपऱ्त
होने लगा. भाभी तो पहले से ही मेरी तरफ आकपऱ्त थीां, पर मेरी तरफ से ही कोई प्रतत उततर ना दे ने के
कारण से भाभी खुल नहीां पाई थीां. एक ददन भाभी अपने कमरे में आराम कर थीां तो मैं भी उन के पास
चला गया और हुँसी मजाक करने लगा. मैंने मजाक मजाक में भाभी का चम्
ु बन ले सलया, तो उन्होंने मझ
ु
से कुछ नहीां कहा. बस ‘अरे … अरे … सनी कया कर रहे हो?’ कह कर शाांत हो गईं. मैंने ऐसे ही मजाक
मजाक में एक दो बार और भाभी को चुम्बन कर सलया तो भाभी कुछ नाराज नहीां हुई, बस अपने दोनों
हाथों से अपने गालों को छुपा सलया. मैं जब भी भाभी का चम्
ु बन लेने के सलए आगे बढ़ता तो भाभी
अपने दोनों हाथ अपने गालों पर रख लेती. मैंने भाभी से कहा- भाभी, एक चुम्मा तो और लेने दो ना!
भाभी ने मना कर ददया तो मैंने कहा- जब तक एक और चम्
ु मा नहीां दोगी, मैं यहाुँ से नहीां जाऊांगा.
लेककन भाभी ने मना कर ददया. मैं भी जज़द पर अड़ गया तो भाभी मान गईं.. और मैं बड़े प्यार से भाभी
के गालों की चुम्मी लेकर चला गया. अब जब भाभी मझ
ु े अकेले में समलतीां, मैं उन्हें चम लेता. शायद
भाभी को भी मेरी ऎसी हरकत से मजा आता था. ऐसे ही मेरी और भाभी की ककससांग चलती रही. एक
ददन मैं और भाभी उन के कमरे में बैठे बातें कर रहे थे तो बातों के बीच में भाभी ने मझ
ु से पछा- सनी,
तम
ु यह तो बताओ कक तम
ु मझ
ु े कक़स कयों करते हो? तो मैंने कहा- बस भाभी… आप मझ
ु े अच्छी लगती
हो. इससलए! भाभी ने कहा- कयों तम्
ु हारी गल़फ्रेंड अच्छी नहीां है कया? उसे तम
ु ककस नहीां करते? मैंने
भाभी को खश
ु करने के सलए कहा- भाभी, मेरी कोई गल़फ्रेंड ही नहीां है . भाभी ने कहा- ऐसा हो ही नहीां
सकता कक तम्
ु हारी कोई गल़फ्रेंड नहीां हो. तम
ु तो इतने सन्
ु दर हो, स्माट़ हो! तम
ु पर तो लड़ककयाां मरती
होंगी. मैंने कहा- भाभी, कॉलेज में मझ
ु े कोई लड़की पसांद नहीां है , मझ
ु े तो बस आप ही बहुत अच्छी लगती
हो और सेकसी भी.. भाभी मस्
ु कुराने लगीां और कहा- मझ
ु में तम्
ु हें कया सेकसी लगता है ? बताओ ज़रा?
मैंने कहा- भाभी… आपके होंठ… भाभी- और? मैंने कहा- और… आपके बब्ज़! भाभी मस्
ु कुराने लगीां और
पछा- और कया कया? सब बता दो आज! मैंने कहा- आप की बैक भी.. तो भाभी हां सने लगीां और बोलीां-
अब बस करो. मैंने कहा- सच में भाभी, आप मझ
ु े बहुत सेकसी लगती हो. इतना कह कर मैंने भाभी के
होंठों पर चम्
ु बन कर सलया. ये मेरा भाभी के होंठों पर पहला चम्
ु बन था. भाभी बोलीां- अऱ… अरे ये नहीां..
मैं कफर भाभी के गाल पर कक़स करने लगा तो भाभी ने कहा- सनी, यार मान जाओ… कोई आ जाएगा. मैं
हट गया और इस तरह मैं कभी भाभी के गाल पर ककस करता तो कभी भाभी के होंठों पर.. कभी कभी
तो मैं भाभी की बैक पर हाथ फेरता रहता था, भाभी बस मस्
ु कुरा दे ती थीां. मेरी दहम्मत बढ़ती गई. एक
ददन मैं रसोई में पानी लेने गया था तभी भाभी भी वहाां आ गईं, तो मैंने दहम्मत कर के भाभी के गाल
पर चुम्मा करते हुए भाभी के मम्मों को भी छ ददया. भाभी चौंक गईं और ज्दी से अपने कमरे में चली
गईं. मैं थोड़ा सा डर गया था कक कहीां भाभी भैया या मम्मी से कुछ कह नहीां दें , पर भाभी ने कुछ नहीां
कहा.इस तरह से अब मैं कभी कभी भाभी के मम्मों को भी दबाने लगा. मैंने दे खा कक भाभी भी इस का
मजा लेती थीां. उन ददनों गसम़यों का मौसम था, ज्यादातर घर वाले छत पर सोना पसांद करते हैं और मैं
भी. भाभी और मम्मी नीचे सोती थीां कयोंकक भैया रात में 11-12 बजे तक आते थे कयोंकक आजकल
उनके ऑकफस में ज़्जयादा काम चल रहा था. एक ददन मम्मी और भैया एक साथ ककसी काम से आउट
ऑफ स्टे शन चले गए थे. पापा भाभी और मैं ही घर पर बचे थे उस ददन ददन भर कॉलेज में रहने से मैं
थक गया था सो घर आ कर सो गया. जब उठा तो घर के काम में लग गया. इसी वजह से मझ
ु े भाभी
के साथ टाइम नहीां समल पाया. शाम को मैं अपने दोस्तो के साथ घमने चला गया. जब रात में आया तो
भाभी खाना बना कर सोने चली गई थीां. मैं भी खाना खा कर छत पर सोने के सलए जा रहा था तो पापा
ने कहा- आज तम
ु नीचे सो जाओ, तेरी भाभी नीचे अकेली है . मैं नीचे सोने के सलए चला गया. ददन में
सो लेने की वजह से मझ
ु े नीांद नहीां आ रही थी. मैं टीवी दे खने लगा, तभी लाइट चली गई तो मैं बोर
होने लगा था. अचानक मेरे ददमाग में भाभी के बारे में याद आया कक मैं और भाभी नीचे अकेले हैं, तब
मैंने सोचा कक कयों ना आज अपनी ककस्मत को आजमा कर दे खा जाए. मैंने भाभी के रूम के पास जा
कर दे खा कक भाभी गहरी नीांद में सो रही हैं तो मैं भाभी के पास बेड पर जा कर लेट गया. मैं ज्यादातर
सोते टाइम सस़ि़ शॉट़ पहनता हुँ और कुछ नहीां, यहाुँ तक कक अांडरपवयर भी नहीां पहनता हुँ. मैंने धीरे
धीरे भाभी के मम्मों को सहलाना स्टाट़ कर ददया. कुछ दे र मम्मों को सहलाने के बाद मझ
ु से कांट्रोल नहीां
हो रहा था तो मैंने भाभी के कुते को ऊपर कर ददया. भाभी ने ब्रा नहीां पहनी थी, ये दे ख कर मैं और
पागल हो गया. भाभी ददन भर थकी होने के कारण बहुत गहरी नीांद में सो रही थीां. ये उन्हें दे ख कर ही
लग रहा था. अब मैंने भाभी के एक चचे को मुँह
ु में लेकर चसना आरम्भ कर ददया. मझ
ु े बहुत अच्छा
लग रहा था कयोंकक ये मेरा पहला एकसपीररयन्स था. मझ
ु से कांट्रोल नहीां हो रहा था तो मैं भाभी के
ऊपर चढ़ गया और ज़ोर जोर से उनके चचे चसने लगा. कुछ ही दे र में भाभी की आुँख खल
ु गईं और
उन्होंने मझ
ु े अपने ऊपर से हटा ददया. अपने मम्मों को कुते से छुपा सलया- ये कया कर रहे हो सनी?
मैं- भाभी, आज आप मझ
ु े बहुत सेकसी लग रही थी तो मैं खद
ु पर कांट्रोल नहीां रख पा रहा था.
भाभी- नहीां सनी, ये सब इतनी ज्दी नहीां. मैं- भाभी प्लीज आज मझ
ु से कांट्रोल नहीां हो रहा है .
भाभी- नहीां सनी, तम्
ु हारे भाई आने वाले हैं. मैं- अभी नहीां आएांगे कयोंकक अभी सस़ि़ दस बजे हैं.
भाभी- नहीां, सनी जाओ और जा कर सो जाओ. मैं- नहीां भाभी आज मैं आप को प्यार कर के ही जाऊांगा.
भाभी- नहीां सनी प्लीज़ जाओ सो जाओ. मैं- नहीां भाभी मैं आज नहीां सोऊांगा. ये कह कर मैंने भाभी को
बाांहों में भर सलया और चम्
ु बन करने लगा. भाभी- नहीां सनी प्लीज़.. तम्
ु हारे भाई आ जाएांगे. मैं- नहीां
भाभी आज कोई नहीां आएगा. भाभी- सनी आखख़र तम
ु आज करना कया चाहते हो? मैं- आज मैं आपके
साथ सेकस करूुँगा.भाभी- नहीां सेकस नहीां सनी… तम्
ु हारे भाई आ जाएांगे. मैं- दे खो भाभी कांट्रोल नहीां हो रहा
है . मैंने भाभी को अपने शॉट़ स के ऊपर से अपना छह इांच लांबा और तीन इांच मोटा लांड ददखाते हुए कहा,
जो शॉट़ स में तम्ब बना रहा था. भाभी- जाओ सनी इसे अपने हाथ से ठण्डा कर लो. मैं- नहीां भाभी, आज
मैं इसे अपने हाथ से ठण्डा नहीां करूुँगा आज तो इसे आप ही ठण्डा करें गी. भाभी- अच्छा सनी, मैं तम्
ु हारा
लांड अपने हाथ से ठण्डा कर दे ती हुँ. मैं- हाथ से तो मैं भी अपना लांड ठण्डा कर सकता हुँ तो कफर आप
की कया जरूरत. भाभी- अच्छा तो मैं अपने मुँह
ु से चस कर तम्
ु हारा लांड ठण्डा कर दुँ गी. मैंने सोचा कक
आज ये ब्लोजोब का एकसपीररयन्स भी ले कर दे खा जाए और मैं तैयार हो गया. भाभी- अपनी शॉट़ स तो
उतारो. मैं- आप अपने हाथों से उतारो! भाभी ने अपने हाथों से मेरा शॉट़ उतार ददया तो मेरा लांड उछल
कर बाहर आया और भाभी को सै्यट करने लगा. मैंने नोदटस ककया कक मेरा खडा लांड दे ख कर भाभी
का चेहरा कामक
ु ता से लाल हो गया था. भाभी- सनी तम्
ु हारा लांड बहुत ही लांबा और मोटा है , तम्
ु हारी
पतनी तम
ु से बहुत ही खुश रहे गी. बस भाभी ने इतना कहा और मेरा लांड मुँह
ु में लेकर चसने लगीां. मैं-
आआअहह.. भाभी और प्यार से आआअहह.. भाभी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… भाभी- उउन्नां आहह. भाभी
मेरा लांड चस रही थीां और मैं भाभी के मम्मों को दबा रहा था. मैंने दे खा भाभी भी गम़ होने लगी थीां. मैं
भी बहुत गम़ हो गया था. भाभी- बस अब मेरा मुँह
ु तम्
ु हारा लांड चसते चसते थक गया है . मैं- भाभी
बस कुछ दे र और मैं कुछ ही दे र में शाांत हो जाऊांगा. लांड चुसाई कफर शरू
ु हो गई. ‘आहह उउउन्ननह..’
मैं- भाभी, मैं झड़ने वाला हुँ, मेरा सारा माल अपने मुँह
ु में ही लेना, मेरा लांड अपने मुँह
ु से तनकालना नहीां..
आअहह… मेरा पानी तनकलने वाला है . भाभी- आांआहह ऊांउउहह.. कफर मैं भाभी के मुँह
ु में झड़ गया और
भाभी ने मेरे परा वीय़ अपने अांदर कर सलया. मैं शाांत हो गया और कुछ दे र बाद मैं अपने कमरे में सोने
चला गया. मझ
ु े आशा है आपको मेरी यह मुँह
ु चुदाई की कहानी अच्छी लगी होगी.
है ्लो दोस्तों, में मोदहत एक बार कफर से चाहने वालों की सेवा में अपना एक और सेकस अनभ
ु व लेकर
आया हुँ। सभकारन की गाांड मारी दोस्तों यह मेरी तीसरी और अभी कुछ समय पहली की घटना है , यह
आज से करीब एक सप्ताह पहले मेरे साथ घटी और में आज इसको आपकी सेवा में लेकर हाजजर हुआ हुँ
और वैसे तो में भी आप सभी की तरह बहुत सारी कहातनयों के मज़े अब तक ले चुका हुँ और ऐसा
करना और चुदाई करना अब मेरी एक आदत के साथ जरूरत भी बन चुकी है । ऐसा करने से मेरा मन
खुश हो जाता है । दोस्तों करीब एक सप्ताह पहले मेरे सारे घर वाले ककसी मेरे करीबी ररश्तेदार की शादी
में गये हुए थे और में खुद जानबझ कर उनके साथ नहीां गया। कफर में उस ददन अपने घर में बब्कुल
अकेला था और कुछ दे र बाद अपने जरूरी कामों को खतम करके के बाद मेरे मन में पवचार आया और
मैंने मन ही मन में सोचा कक आज घर में अकेले रहने का फायदा उठाकर में एक ब्ल कफ्म लेकर आ
जाता हुँ और में उसको अकेले में परा ददन दे खकर हो सकता है कक चुदाई के कुछ नये अनभ
ु व को
हाससल करूां और मझ
ु े उसको दे खकर कुछ अलग करने को समले और कफर में तरु ां त बाजार जाकर एक
सेकसी कफ्म ले आया और उसके बाद में वो दे खने लगा। दोस्तों मझ
ु े उस कफ्म को दे खने में बड़ा मज़ा
आ रहा था और में कफ्म को दे खते हुए मन ही मन सोच रहा था कक कोई हो जजसके साथ में चद
ु ाई
करके अपने इस लांड की प्यास को बझ
ु ा लुँ । अब मैंने सोचा कक में पहले मठ
ु मार लुँ और कफर मैंने
सोचा कक कया फायदा ऐसे समय खराब करने से मज़ा भी वैसा नहीां आने वाला और अपने वीय़ को बाहर
तनकालकर अपने शरीर को कमजोर करने से कया फायदा? में अभी यह सभी बातें मन में सोच ही रहा था
कक तभी अचानक से हमारा दरवाज़ा बजने लगा। कफर मैंने तरु ां त ही जाकर दरवाजा खोल ददया और कफर
मैंने दे खा कक दरवाजे के बाहर एक बड़ी सद
ुां र सेकसी करीब 28-29 साल की औरत थी। दोस्तों कुछ दे र
तक तो में उसको चककत होकर दे खता ही रह और उसके सद
ुां र गोल बब्स गोल सद
ुां र चेहरा और थोड़ा
पीछे से दे खा तो उसकी बड़ी आकार की गाांड को दे खकर मेरे लांड में हरकत होने लगी थी। कफर अचानक
से वो कहने लगी भगवान के नाम पर मझ
ु े कुछ दे दो बाबा। अब उसके मह
ु ां से वो शब्द सन
ु कर मेरे तो
चेहरे का रां ग ही उड़ गया कयोंकक मझ
ु े बब्कुल भी पवश्वास नहीां था कक वो एक भीख माांगने वाली है ।
उसको दे खकर बब्कुल भी ऐसा नहीां लगता था, लेककन कफर मेरे ददल में पवचार आया कक इससे बात
करने पर हो सकता है कक मेरा कुछ काम बन जाए? अब मैंने उसको कहा ककतम
ु अांदर आ जाओ, में अभी
कमरे से पैसे लेकर आता हुँ मैंने उसको यह कहा और में चला गया और कफर में अपने साथ 150 रपय
ले आया। अब मैंने सबसे पहले उसको पाांच रपये ददये और वो लेकर बाहर जाने लगी और कफर मैंने
उसको रोकते हुए कहा कक एक समनट ठहरो, अगर में तम्
ु हे इससे भी कुछ ज्यादा पैसे दे ना चाहता हुँ
लेककन तम
ु मेरे सलए कया करोगी? तभी उसने कहा कक वो पैसे लेने के बाद आप जो कुछ भी मझ
ु से
कहोगे में वो सब करने को तैयार हुँ। दोस्तों उसने मझ
ु से यह बात ज़रा सेकसी अांदाज़ में कहीां जजसको
दे खकर में तरु ां त समझ गया कक यह बड़ी चाल चीज है और यह ददखाने के सलए भीख माांगती है , हो
सकता है कक यह पैसों के सलए हर ककसी से अपनी चद
ु ाई भी जरर करवाती होगी और में उसका वो
इशारा तरु ां त समझ गया। अब में भी उसके साथ उसी तरह से बोलने लगा कक कयों तम
ु ककतने पैसा लेना
चाहती हो? उसने कहा कक 100 रूपये। अब मैंने उसको कहा कक चलो अच्छा ठीक है और कफर मैंने उसको
कहा कक तम
ु अच्छी तरह करोगी तो में तम्
ु हे 150 रूपये दां गा। दोस्तों मेरे मह
ु ां से वो बात सन
ु कर वो खश
ु
होकर बोली हाुँ में सब अच्छे से करूांगी और अब में उसको अपने घर के अांदर ले आया और मैंने सबसे
पहले अपने कपड़े उतार सलए और उसके भी कपड़े मैंने उतार ददए लेककन उसने कोई भी पवरोध नहीां
ककया। कफर उसको अपने सामने परी नांगी करने के बाद जब मैंने उसकी चत की तरफ दे खा तो में
दे खकर बहुत चककत था, कयोंकक उसने अपनी चत को बड़ी अच्छी तरह से सभी बालों को साफ करके
चमका रखा था वो बड़ी सद
ांु र कामक
ु नजर आ रही थी और में तो उसकी चत को दे खकर एकदम है रान
रह गया कक एक भीख माुँगने वाली और उसकी इतनी सद
ांु र चत जो ककसी कांु वारी अमीर घर की लड़की
से भी ज्यादा आकऱ्क नजर आ रही थी। कफर एकदम मझ
ु े ध्यान आया कक मेरे पास तो एक भी कांडोम
नहीां है और अब में उसको ऐसे छोड़कर भी कहीां बाहर कांडोम लेने नहीां जा सकता था कक कहीां वो मेरे
जाते ही भाग ना जाए। अब मैंने उसको कहा कक मेरे पास एक भी कांडोम नहीां है अब तम
ु ही मझ
ु े
बताओ में कया करूां? तभी उसने कहा कक कोई बात नहीां आपको इतना परे शान होने की ज्यादा आवश्कता
नहीां है । दोस्तों उसने मझ
ु े यह बात कहकर तरु ां त ही अपने थेले से कांडोम का एक पेकेट तनकालकर मेरे
हाथ में दे ददया। अब में कांडोम दे खकर बहुत खुश हुआ कयोंकक बस सब कुछ तैयारी परी हो चुकी थी
और अब उसकी चुदाई में कुछ ही पल बाकक बचे थे। कफर मैंने उसको अपनी बाहों में लेकर लेटा ददया
और अब मैंने तरु ां त लपककर उसके दोनों गोरे गोरे बब्स को पकड़ सलया और में उसके दोनों बब्स को
दबाने लगा। दोस्तों पहले तो वो कुछ दे र तक बस लेटी हुई थी जैसे वो कोई बेजान मरत हो ऐसे पड़ी
रही और कफर कुछ दे र बाद एकदम उसको पता नहीां कया हुआ और वो भी अब मेरा साथ दे ने लगी थी।
अब में भी उसका वो जोश दे खकर जोश में आ गया और अब मैंने अपने एक हाथ से उसके बब्स दबाए
तनप्पल को ज़ोर से मसलना शरू
ु ककया, जजसकी वजह से उसके दोनों तनप्पल तनकर उठ चुके और दसरे
हाथ को मैंने उसकी चत पर रख ददया। में अब उसकी चचकनी कामक
ु चत को और उसकी गदराई हुई
जाांघो को अपने हाथ से सहलाने लगा था, जजसकी वजह से कुछ दे र में ही उसकी चत ने गीला करना शरू
ु
कर ददया। कफर करीब दस समनट के बाद मैंने उसको कहा कक मेरा गरमागरम लोहे जैसा लांड अब तम
ु
अपने मह
ु ां में डालकर इसको चसना शरू
ु करो। अब उसने मेरे कहते ही तरु ां त मेरा सात इांच लांबा लांड
अपने मह
ु ां में डाल सलया और उसको चसना शरू
ु ककया। दोस्तों उसके यह सब करने की वजह से मझ
ु े
मज़े के साथ बहुत गरमी महसस होने लगी थी और मैंने जोश में आकर अब उसके मह
ु ां में अपने लांड को
धकके दे कर चोदना शरू
ु ककया। इस काम को में पहली बार करने जा रहा था। कफर करीब दस समनट के
बाद मेरा वो गरम लावा वीय़ मैंने उसकी लांबी सरु ां ग में छोड़ ददया। कफर उसके बाद मैंने दोबारा उसको
गरम करना शरू
ु कर ददया और अब मैंने उसको कहा कक तम
ु मेरे ऊपर लेट जाओ और मज़े करो। अब
वो कहते ही मेरे ऊपर लेट गयी और में अपना सोया हुआ लांड उसकी गरम चत में डाल ददया। कफर हम
दोनों ने एक दसरे के होंठो को चसना शरू
ु ककया, लेककन मझ
ु े वो काम ज्यादा पसांद नहीां है , इससलए मैंने
कुछ दे र बाद चमना बांद कर ददया। अब तक मेरे सोए हुए लांड में जोश आने लगा था और वो अब 90
डडग्री पर तनकर खड़ा हो गया। अब मैंने उसकी चत में अपने लांड को डालकर तेज झटके दे ने शरू
ु कर
ददए, लेककन काम अच्छी तरह से नहीां हो रहा था, इससलए मझ
ु े धकके दे ने में वो मज़े नहीां आ रहे थे।
कफर उसी समय उसने मझ
ु से कहा कक तम
ु एक समनट ठहरो और कफर उसने अपने थेले से एक िीम
तनकली और मेरे सात इांच पर लगाकर मासलश करने लगी और उसने कुछ िीम अपनी चत पर भी
लगाई, जजसकी वजह से दोनों ही एकदम चचकने हो गए। अब मैंने अपने लांड को एक ही धकके में परा
अांदर उतारकर उसको तेज तेज धकके दे ने शरू
ु ककये और अब मेरा लांड बहुत आराम से चचकना होकर
उसकी चत की गहराईयों में कफसलता हुआ अांदर बाहर होने लगा था और अब में खश
ु होकर लगातार वैसे
ही तेज गतत से धकके झटके मारता रहा। दोस्तों में तो उस समय बहुत जोश में था और एक बार पहले
भी झड़ जाने की वजह से में आधे घांटे के करीब भी धकके दे ता ही रहा। में कफर भी नहीां झड़ा था, लेककन
वो इस बीच एक बार झड़ चक
ु ी थी। अब वो उठ गई और मझ
ु से कहने लगी कक चलो अब कुततया की
तरह करते है । दोस्तों में उसके मह
ु ां से यह बात सन
ु कर बब्कुल है रान हो गया कक इसको कैसे पता कक
चद
ु ाई में ऐसा भी होता है ? और कफर मैंने मन ही मन में सोचा कक शायद हो सकता है कक इसको चद
ु ाई
के काम में मझ
ु से ज्यादा अनभ
ु व होगा। अब हम दोनों ने कुततया की तरह होकर मैंने उसकी खुली हुई
चत में अपने लांड को एक तेज धकका दे कर परा अांदर कर ददया और मेरा लांड फक की आवाज के साथ
उसकी चत में समा गया, लेककन उसको जरा भी दद़ नहीां हुआ। दोस्तों कयोंकक शायद वो पहली भी ना
जाने ककतने लांड का मज़ा ले चुकी थी। अब मैंने अपने धकको की स्पीड को कम ही रखी। करीब दस
समनट तक धीरे धीरे चद
ु ाई करने के बाद मैंने अब अपनी स्पीड को पहले से तेज़ कर ददया। कफर में
करीब पाांच समनट धकके दे ने के बाद झड़ गया और मझ
ु े ठां डा होता दे खकर वो उठकर वापस पकड़े
उठाकर पहनकर जाना चादहए थी, लेककन मैंने उसको कहा कक जान अभी नहीां। कफर उसने कहा कक नहीां
अब बहुत हुआ मझ
ु े अब तम
ु जाने दो। दोस्तों में अभी भी गरम था मेरा मन उसकी चुदाई से अभी नहीां
भरा था, इससलए मैंने उसको कहा कया तम्
ु हे पैसे परे नहीां करने? उसने कहा कक हाुँ बस हो तो गये है ।
अब मैंने उसको कहा कक अभी तो बहुत कुछ करना बाकक है और इतना कहकर मैंने उसके एक हाथ को
पकड़कर अपने पास खीांच सलया और वापस बेड पर लेटा ददया। अब मैंने तरु ां त उसके मह
ु ां पर टे प लगाई
जजसकी वजह से वो चच्लना भी चाहे तो उसकी आवाज वो शोर बाहर ना जा सके, मैंने उसको पटककर
एकदम सीधा लेटा ददया और अपने लांड को मैंने दोबरा उसकी चत में डालकर तेज तेज धकके दे ने शरू
ु
ककए। में बड़े तेज़ झटके मारने लगा था। दोस्तों उन झटकों को दे ने के बाद मझ
ु े सही तरह से बड़े मस्त
मज़े आने लगे थे और में परी तरह से जोश में आकर उसकी चुदाई करने लगा था। ऐसा करने में मझ
ु े
बड़ा मज़ा आया। कफर कुछ दे र बाद मैंने उसके मह
ु ां से टे प को हटाकर अपने लांड को उसके मह
ु ां में डाल
ददया और कुछ दे र धकके दे ने के बाद दोबारा लांड को उसकी चत में डाल ददया और वहाुँ भी मैंने बहुत
जोश में आकर रगड़े मारे और उसके बाद मैंने दोबारा झड़ जाने के बाद उसको छोड़ ददया और उसको
मैंने कहा कक शायद यह हमारी चद
ु ाई इस खेल का आखरी दौर होगा, लेककन जब वो उठकर दोबारा अपने
कपड़े पहनने लगी और उसी समय वो पीछे मड़
ु कर थोड़ा सा नीचे झक
ु ी। अब एक बार कफर से उसकी
गाांड को दे खकर मझ
ु े कफर से जोश के साथ साथ चद
ु ाई का बख
ु ार चड़ गया और उसकी गाांड को दे खकर
मेरा लांड दोबारा तनकर खड़ा हो गया। अब मैंने उसको उसी तरह से नीचे झक
ु ाकर उसके दोनों क्हों को
पकड़कर पीछे खड़े होकर उसकी गाांड में अपने लांड को डाल ददया और वो दद़ की वजह से चच्ला पड़ी,
लेककन मैंने उसको चप
ु कर ददया और कफर मैंने करीब बीस समनट तक तेज गतत से धकके दे कर उसकी
गाांड मारने के भी मज़े सलए। कफर कुछ दे र बाद उसने शाांत होकर अपनी गाांड को आगे पीछे करके मेरा
साथ दे ना शरू
ु ककया और जब में झड़ने लगा तब मैंने अपने लांड को उसकी गाांड से बाहर तनकाल सलया
और में वैसे ही रक गया। कफर करीब पाांच सेककां ड के बाद मैंने एक बार कफर से अपने लांड को डाल ददया
और कुछ दे र धकके दे कर दस समनट मज़े सलये और उसके बाद मैंने लांड को वापस बाहर तनकाल सलया।
कफर उसके बाद मैंने उसको गड
ु बाय कहा और वो खश
ु होती हुई वापस मेरे घर से चली गई और कफर
उसके चले जाने के बाद मैंने सम्क शेक बनाकर उसको पपया और में उसके साथ उस चद
ु ाई के बारे में
सोचने लगा था और मन ही मन बहुत खश
ु होता गया। दोस्तों यह थी मेरी चद
ु ाई उस अांजान सभकारन
लड़की के साथ जजसमे मझ
ु े बड़े मस्त मज़े आए ।।
अठारह साल का
मैं आपको हमारे खानदान की सबसे अन्दर की बात बताने जा रहा हुँ मेरे दहसाब से मैंने कुछ बरु ा ककया
नहीां है हालाांकक कई लोग मझ
ु े पापी समझेंगे। कहानी पढ़ कर आप ही ़िैसला कीजजएगा कक जो हुआ वो
सही हुआ है या नहीां? कहानी कई साल पहले की है जब मैं अठारह साल का था और मेरे बड़े भैया काशी
राम चौथी शादी करने की सोच रहे थे। हम सब राजकोट से पचास ककलोमीटर दर एक छोटे से गाुँव में
ज़मीदार हैं एक सौ बीघा की खेती है और लांबा चौड़ा व्यवहार है हमारा। गाुँव में चार घर और कई दक
ु ानें
है । मेरे माता-पपताजी जब मैं दस साल का था तब मर गए थे। मेरे बड़े भैया काशी राम और भाभी
सपवता ने मझ
ु े पाल-पोस कर बड़ा ककया। भैया मझ
ु से तेरह साल बड़े हैं, उनकी पहली शादी के वक़्त में
आठ साल का था। शादी के पाुँच साल बाद भी सपवता भाभी को सांतान नहीां हुई। ककतने ही डॉकटरों को
ददखाया लेककन सब बेकार गया। भैया ने दसरी शादी की चम्पा भाभी के साथ ! तब मेरी आयु तेरह साल
की थी। लेककन चम्पा भाभी को भी सांतान नहीां हुई। सपवता और चम्पा की हालत बबगड़ गई, भैया उनके
साथ नौकरातनयों जैसा व्यवहार करने लगे। मझ
ु े लगता है कक भैया ने दोनों भासभयों को चोदना चाल
रखा था सांतान की आस में। दसरी शादी के तीन साल बाद भैया ने तीसरी शादी की सम
ु न भाभी के
साथ। उस वक़्त मैं सोलह साल का हो गया था और मेरे बदन में ़िक़ पड़ना शरू
ु हो गया था। सबसे
पहले मेरे वर्
ृ ण बड़े हो गये बाद में काांख में और लौड़े पर बाल उगे और आवाज़ गहरी हो गई। मुँह
ु पर
मछें तनकल आई, लौड़ा लांबा और मोटा हो गया, रात को स्वप्न-दोर् होने लगा, मैं मठ
ु मारना सीख गया।
सपवता और चम्पा भाभी को पहली बार दे खा तब मेरे मन में चोदने का पवचार तक आया नहीां था, मैं
बच्चा जो था। सम
ु न भाभी की बात कुछ और थी। एक तो वो मझ
ु से चार साल ही बड़ी थी, दसरे वो
का़िी ख़बसरत थी, या कहो कक मझ
ु े ख़बसरत नज़र आती थी। उनके आने के बाद मैं हर रात क्पना
ककए जाता था कक भैया उसे कैसे चोदते होंगे और रोज़ उसके नाम पर मठ
ु मार लेता था। भैया भी रात-
ददन उसके पीछे पड़े रहते थे, सपवता भाभी और चम्पा भाभी की कोई क़ीमत रही नहीां थी। मैं मानता हुँ
कक भैया बदलाव के वास्ते कभी कभी उन दोनों को भी चोदते थे। ताज्जुब की बात यह है कक अपने में
कुछ कमी हो सकती है ऐसा मानने को भैया तैयार नहीां थे। लांबे लण्ड से चोदे और ढे र सारा वीय़ पतनी
की चत में उड़ेल दे , इतना का़िी है मद़ के वास्ते बाप बनाने के सलए, ऐसा उनका दृढ़ पवश्वास था।
उन्होंने अपने वीय़ की जाुँच करवाई नहीां थी। उमर का ़िासला कम होने से सम
ु न भाभी के साथ मेरी
अच्छी बनती थी, हालाांकक वो मझ
ु े बच्चा ही समझती थी। मेरी मौजदगी में कभी कभी उनका प्ल
खखसक जाता तो वो शरमाती नहीां थी। इसीसलए उनके गोरे -गोरे स्तन दे खने के कई मौक़े समले मझ
ु े। एक
बार स्नान के बाद वो कपड़े बदल रही थी और मैं जा पहुुँचा। उनका अध़नग्न बदन दे ख मैं शरमा गया
लेककन वो बबना दहचककचाहट के बोली- दरवाज़ा खटख़टा कर आया करो। दो साल युँ ही गज़
ु र गए। मैं
अठारह साल का हो गया था और गाुँव के स्कल में 12वीां में पढ़ता था। भैया चौथी शादी के बारे में
सोचने लगे। उन ददनो में जो घटनाएुँ घटी, आपके सामने बयान कर रहा हुँ। बात यह हुई कक मेरी उम्र की
एक नौकरानी बसांती, हमारे घर काम पर आया करती थी। वैसे मैंने उसे बचपन से बड़ी होते दे खा था।
बसांती इतनी सद
ुां र तो नहीां थी लेककन दसरी लड़ककयों के मक
ु ाबले उसके स्तन का़िी बड़े-बड़े और लभ
ु ावने
थे। पतले कपड़े की चोली के आर-पार उसकी छोटी-छोटी चचचयाुँ सा़ि ददखाई दे ती थी। मैं अपने आप को
रोक नहीां सका, एक ददन मौक़ा दे ख मैंने उसके स्तन थाम सलए। उसने गस्
ु से से मेरा हाथ झटक डाला
और बोली- आइांदा ऐसी हरकत करोगे तो बड़े सेठ को बता दुँ गी। या के डर से मैंने कफर कभी बसांती का
नाम ना सलया। एक साल पहले बसांती को ब्याह ददया गया था। एक साल ससरु ाल में रह कर अब वो दो
महीनों के वास्ते यहाुँ आई थी। शादी के बाद उसका बदन और भर गया था और मझ
ु े उसको चोदने का
ददल हो गया था लेककन कुछ कर नहीां पाता था। वो मझ
ु से क़तराती रहती थी और मैं डर का मारा उसे
दर से ही दे ख लार टपकाता रहता था। अचानक कया हुआ कया मालम ! लेककन एक ददन माहौल बदल
गया। दो चार बार बसांती मेरे सामने दे ख मस्
ु कराई। काम करते करते मझ
ु े गौर से दे खने लगी। मझ
ु े
अच्छा लगता था और ददल भी हो जाता था उसके बड़े-बड़े स्तनों को मसल डालने को। लेककन डर भी
लगता था। इसी सलए मैंने कोई प्रततभाव नहीां ददया। वो नखरे ददखाती रही। एक ददन दोपहर को मैं अपने
कमरे में पढ़ रहा था। मेरा कमरा अलग मकान में था, मैं वहीां सोया करता था। उस वक़्त बसांती चली
आई और रोनी सरत बना कर कहने लगी- इतने नाराज़ कयां हो मझ
ु से मांगल? मैंने कहा- नाराज़? मैं कहाुँ
नाराज़ हुँ? मैं कयुँ होने लगा नाराज़? उसकी आुँखों में आुँस आ गये, वो बोली- मझ
ु े मालम है उस ददन मैंने
तम्
ु हारा हाथ जो झटक ददया था ना? लेककन मैं कया करती? एक ओर डर लगता था और दसरे दबाने से
दद़ होता था। मा़ि कर दो मांगल मझ
ु े। इतने में उसकी ओढ़नी का प्ल खखसक गया, पता नहीां कक अपने
आप खखसका या उसने जानबझ कर खखसकाया। नतीजा एक ही हुआ, गहरे गले की चोली में से उसके
गोरे -गोरे स्तनों का ऊपरी दहस्सा ददखाई ददया। मेरे लौड़े ने बगावत की पक
ु ार लगाई। मैं- उसमें मा़ि
करने जैसी कोई बात नहीां है , मैं नाराज़ नहीां हुँ, मा़िी तो मझ
ु े माांगनी चादहए थी। मेरी दहचककचाहट दे ख
वो मस्
ु करा गई और हां स कर मझ
ु से सलपट गई और बोली- सच्ची? ओह, मांगल, मैं इतनी ख़श
ु हुँ अब। मझ
ु े
डर था कक तम
ु मझ
ु से रूठ गये हो। लेककन मैं तम्
ु हें मा़ि नहीां करूांगी जब तक तम
ु मेरी चचचयों को कफर
नहीां छुओगे शम़ से वो नीचे दे खने लगी, मैंने उसे अलग ककया तो उसने मेरी कलाई पकड़ कर मेरा हाथ
अपने स्तन पर रख ददया और दबाए रखा। छोड़, छोड़ पगली, कोई दे ख लेगा तो मस
ु ीबत खड़ी हो जाएगी।
तो होने दो मांगल, पसांद आई मेरी चची ? उस ददन तो ये कच्ची थी, छने पर भी दद़ होता था। आज
मसल भी डालो, मज़ा आता है । मैंने हाथ छुड़ा सलया और कहा, 'चली जा, कोई आ जाएगा।' बोली- जाती हुँ
लेककन रात को आऊुँगी। आऊुँ ना ? उसका रात को आने का ख़याल मात्र से मेरा लौड़ा तन गया, मैंने
पछा- ज़रूर आओगी? और दहम्मत जट
ु ा कर बसन्ती के स्तन को छुआ। पवरोध ककए बबना वो बोली- ज़रूर
आऊुँगी। तम
ु ऊपर वाले कमरे में सोना। और एक बात बताओ, तम
ु ने ककस लड़की को चोदा है ?' उसने
मेरा हाथ पकड़ सलया मगर हटाया नहीां। नहीां तो ! कह कर मैंने स्तन दबाया। ओह, कया चीज़ था वो स्तन
!उसने पछा- मझ
ु े चोदना है? सन
ु ते ही मैं चौंक पड़ा। 'उन्न..ह..हाुँ.. ! लेककन? 'लेककन वेककन कुछ नहीां। रात
को बात करें गे। धीरे से उसने मेरा हाथ हटाया और मस्
ु कुराती चली गई। रात का इांतज़ार करते हुए मेरा
लण्ड खड़ा का खड़ा ही रहा, दो बार मठ
ु मारने के बाद भी। क़रीब दस बजे वो आई। सारी रात हमारी है , मैं
यहाुँ ही सोने वाली हुँ ! उसने कहा और मझ
ु से सलपट गई, उसके कठोर स्तन मेरे सीने से दब गये। वो
रे शम की चोली, घाघरी और ओढ़नी पहने आई थी। उसके बदन से मादक सव
ु ास आ रही थी। मैंने ऐसे ही
उसको अपने बाहुपाश में जकड़ सलया। 'हाय दै या, इतना ज़ोर से नहीां ! मेरी हड्डडयाुँ टट जाएांगी। वो बोली
मेरे हाथ उसकी पीठ सहलाने लगे तो उसने मेरे बालों में उां गसलयाुँ कफरानी शरू
ु कर दी। मेरा सर पकड़
कर नीचा ककया और मेरे मह
ुँु से अपना मुँह
ु समला ददया। उसके नाज़क
ु होंठ मेरे होंठों से छते ही मेरे बदन
में झुरझुरी फैल गई और लौड़ा अकड़ने लगा। यह मेरा पहला चुांबन था, मझ
ु े पता नहीां था कक कया ककया
जाता है । अपने आप मेरे हाथ उसकी पीठ से नीचे उतर कर उसके क्हों पर रें गने लगे। पतले कपड़े से
बनी घाघरी मानो थी ही नहीां। उसके भारी गोल-गोल तनतांब मैंने सहलाए और दबोचे। उसने तनतांब ऐसे
दहलाए कक मेरा लण्ड उसके पेट साथ दब गया। थोड़ी दे र तक मुँह
ु से मुँह
ु लगाए वो खड़ी रही। अब उसने
अपना मुँह
ु खोला और ज़बान से मेरे होंठ चाटे । ऐसा ही करने के वास्ते मैंने मुँह
ु खोला तो उसने अपनी
जीभ मेरे मुँह
ु में डाल दी। मझ
ु े बहुत अच्छा लगा। मेरी जीभ से उसकी जीभ खेली और वापस चली गई।
अब मैंने अपनी जीभ उसके मुँह
ु में डाली। उसने होंठ ससकोड़ कर मेरी जीभ को पकड़ा और चसा। मेरा
लण्ड फटा जा रहा था। उसने एक हाथ से लण्ड टटोला। मेरे लण्ड को उसने हाथ में सलया तो उततेजना
से उसका बदन नम़ पड़ गया। उससे खड़ा नहीां रहा गया। मैंने उसे सहारा दे कर पलांग पर लेटाया। चब
ुां न
छोड़ कर वो बोली- हाय मांगल, आज पांद्रह ददन से मैं भखी हुँ ! पपछले एक साल से मेरे पतत मझ
ु े हर
रोज़ एक बार चोदते हैं लेककन यहाुँ आने के बाद मैं नहीां चुदी। मझ
ु े ज्दी से चोदो, मैं मरी जा रही हुँ।
मस
ु ीबत यह थी कक मैं नहीां जानता था कक चुदाई में लण्ड कैसे और कहाुँ जाता है । कफर भी मैंने दहम्मत
करके उसकी ओढ़नी उतार फेंकी और पाजामा तनकाल कर उसकी बगल में लेट गया। वो इतनी उतावली
हो गई थी कक चोली-घाघरी तनकाल ही नहीां रही थी, फटाफट घाघरी ऊपर उठाई और ... मस
ु ीबत यह थी
कक मैं नहीां जानता था कक चद
ु ाई में लण्ड कैसे और कहाुँ जाता है । कफर भी मैंने दहम्मत करके उसकी
ओढ़नी उतार फेंकी और पाजामा तनकाल कर उसकी बगल में लेट गया। वो इतनी उतावली हो गई थी कक
चोली-घाघरी तनकाल ही नहीां रही थी, फटाफट घाघरी ऊपर उठाई और जाांघें चौड़ी कर मझ
ु े ऊपर खीांच
सलया। युँ ही मेरे क्हे दहल पड़े थे और मेरा आठ इांच लांबा और ढाई इांच मोटा लण्ड अांधे की लकड़ी की
तरह इधर उधर सर टकरा रहा था, कहीां जा नहीां पा रहा था। उसने हमारे बदन के बीच हाथ डाला और
लण्ड को पकड़ कर अपनी भोंस पर दटका सलया। मेरे क्हे दहलते थे और लण्ड चत का मुँह
ु खोजता था।
मेरे आठ दस धकके ख़ाली गए, हर बार लण्ड कफसल जाता था, उसे चत का मुँह
ु समला नहीां। मझ
ु े लगा कक
मैं चोदे बबना ही झड़ जाने वाला हुँ। लण्ड का अग्रभाग और बसांती की भोंस दोनों कामरस से तर-बतर हो
गए थे। मेरी नाकामयाबी पर बसांती हां स पड़ी। उसने कफर से लण्ड पकड़ा और चत के मुँह
ु पर रख कर
अपने चतड़ ऐसे उठाए कक आधा लण्ड वैसे ही चत में घस
ु गया। तरु ां त ही मैंने एक धकका जो मारा तो
परा का परा लण्ड उसकी योतन में समा गया। लण्ड की टोपी खखांच गई और चचकना सप
ु ारा चत की
दीवालों ने कस कर पकड़ सलया। मझ
ु े इतना मज़ा आ रहा था कक मैं रक नहीां सका। आप से आप मेरे
क्हे झटके दे ने लगे और मेरा लण्ड अांदर-बाहर होते हुए बसांती की चत को चोदने लगा। बसांती भी चतड़
दहला-दहला कर लण्ड लेने लगी और बोली- ज़रा धीरे चोद, वरना ज्दी झड़ जाएगा। मैंने कहा- में नहीां
चोद रहा, मेरा लण्ड चोद रहा है और इस वक़्त मेरी सन
ु ता नहीां है । मार डालोगे आज मझ
ु े ! कहते हुए
उसने चतड़ घम
ु ाए और चत से लण्ड दबोचा। दोनों स्तनों को पकड़ कर मुँह
ु से मह
ुँु चचपका कर मैं बसांती
को चोदते चला गया। धककों की रफ़्फतार मैं रोक नहीां पाया। कुछ बीस-पच्चीस झटकों बाद अचानक मेरे
बदन में आनांद का दररया उमड़ पड़ा। मेरी आुँखें ज़ोर से मद
ुां गई, मुँह
ु से लार तनकल पड़ी, हाथ पाुँव अकड़
गए और सारे बदन पर रोएुँ खड़े हो गए, लण्ड चत की गहराई में ऐसा घस
ु ा कक बाहर तनकलने का नाम
लेता ना था। लण्ड में से गरमा गरम वीय़ की ना जाने ककतनी पपचकाररयाुँ छुटी, हर पपचकारी के साथ
बदन में झुरझुरी फैल गई। थोड़ी दे र मैं होश खो बैठा। जब होश आया तब मैंने दे खा की बसांती की टाुँगें
मेरी कमर के आस-पास और बाहें गद़ न के आसपास जमी हुई थी। मेरा लण्ड अभी भी तना हुआ था और
उसकी चत फट फट फटके मार रही थी। आगे कया करना है वो मैं जानता नहीां था लेककन लण्ड में अभी
गद
ु गद
ु ी हो रही थी। बसांती ने मझ
ु े ररहा ककया तो मैं लण्ड तनकाल कर बसन्ती के ऊपर से उतरा। बाप रे
! वो बोली- इतनी अच्छी चद
ु ाई आज कई ददनों के बाद हुई। मैंने तझ
ु े ठीक से चोदा? बहुत अच्छी तरह से
! हम अभी पलांग पर लेटे थे। मैंने उसके स्तन पर हाथ रखा और दबाया। पतले रे शमी कपड़े की चोली
आर पार उसके कड़े चुचक मैंने मसले। उसने मेरा लण्ड टटोला और खड़ा पाकर बोली- अरे वाह, यह तो
अभी भी तैयार है ! ककतना लांबा और मोटा है मांगल, जा तो, इसे धो के आ। मैं बाथरूम में गया, पेशाब
ककया और लण्ड धोया। वापस आकर मैंने कहा- बसांती, मझ
ु े तेरे स्तन और चत ददखा। मैंने अब तक
ककसी की दे खी नहीां है । उसने चोली घाघरी तनकाल दी। मैंने पहले बताया था कक बसांती कोई इतनी
ख़बसरत नहीां थी। पाुँच ़िीट दो इांच की उुँ चाई के साथ पचास ककलो वज़न होगा। रां ग साांवला, चहे रा गोल,
आुँखें और बाल काले। तनतांब भारी और चचकने। सबसे अच्छे थे उसके स्तन। बड़े-बड़े गोल-गोल स्तन
सीने पर ऊपरी भाग पर लगे हुए थे, मेरी हथेसलयों में समाते नहीां थे। दो इांच के एरे योला और छोटे छोटे
काले रां ग के चच
ु क थे। चोली तनकलते ही मैंने दोनों स्तनों को पकड़ सलया, सहलाया, दबोचा और मसला।
उस रात बसांती ने मझ
ु े अपने बदन के बारे में यातन लड़की के बदन के बारे में परा पाठ पढ़ाया। टाांगें
परी ़िैला कर भोंस ददखाई, बड़े होंठ, छोटे होंठ, भगनासा, योतन, मत्र-द्वार सब ददखाया। मेरी दो उां गसलयाुँ
चत में डलवा के चत की गहराई भी ददखाई, अपना जज-स्पॉट भी ददखाया। वो बोली- यह जो भगनासा है
वो मद़ के लण्ड बराबर होती है , चोदते वक़्त यह भी लण्ड के माक़िक कड़ी हो जाती है । दसरे , तने चत की
ददवालें दे खी? कैसी करकरी है ? लण्ड जब चोदता है तब ये करकरी दीवालों के साथ तघसता है और बहुत
मज़ा आता है । हाय, लेककन बच्चे का जन्म के बाद ये ददवालें चचकनी हो जाती है चत चौड़ी हो जाती है
और चत की पकड़ कम हो जाती है । मझ
ु े लेटा कर वो बगल में बैठ गई। मेरा लण्ड ठोड़ा सा नम़ होने
चला था, उसने मेरे लण्ड को मट्ठ
ु ी में सलया, टोपी खीांच कर मटका खल
ु ा ककया और जीभ से चाटा। तरु ां त
लण्ड ने ठुमका लगाया और तैयार हो गया। मैं दे खता रहा और उसने लण्ड मुँह
ु में ले सलया और चसने
लगी। मुँह
ु में जो दहस्सा था उस पर वो जीभ क़िरा रही थी, जो बाहर था उसे मट्ठ
ु ी में सलए मठ
ु मार रही
थी। दसरे हाथ से मेरे वर्
ृ ण टटोलती थी। मेरे हाथ उसकी पीठ सहला रहे थे। मैंने हस्त-मैथुन का मज़ा
सलया था, आज एक बार चत चोने का मज़ा भी सलया। इन दोनों से अलग ककस्म का मज़ा आ रहा था
लण्ड चसवाने में । वो भी ज्दी से उततेजजत हो चली थी। उसके थक से लड़बड़ लण्ड को मुँह
ु से तनकाल
कर वो मेरी जाांघों पर बैठ गई, अपनी जाांघें चौड़ी करके भोंस को लण्ड पर दटकाया। लण्ड का मटका योतन
के मख
ु में फुँसा ही था कक बसन्ती ने तनतांब नीचे करके परा लण्ड योतन में ले सलया। उसके चतड़ मेरी
जाांघों से जुड़ गए। 'उहहहहह ! मज़ा आ गया। मांगल, जवाब नहीां तेरे लण्ड का। जजतना मीठा मुँह
ु में
लगता है इतना ही चत में भी मीठा लगता है ! कहते हुए उसने तनतांब गोल घम
ु ाए और ऊपर नीचे कर
के लण्ड को अांदर-बाहर करने लगी। आठ दस धकके मारते ही वो तक गई और ढल पड़ी। मैंने उसे बाहों
में सलया और घम कर उसके ऊपर आ गया। उसने टाुँगें पसारी और पाुँव उठा सलए। अवस्था बदलते मेरा
लण्ड परा योतन की गहराई में उतर गया। उसकी योतन फट फट करने लगी। ससखाए बबना मैंने आधा
लण्ड बाहर खीांचा, ज़रा रका और एक ज़ोरदार धकके के साथ चत में घस
ु ेड़ ददया। मेरे वर्
ृ ण बस्नती की
गाांड से टकराए। परा लण्ड योतन में उतर गया। ऐसे पाुँच-सात धकके मारे । बसांती का बदन दहल पड़ा, वो
बोली- ऐसे, ऐसे, मांगल, ऐसे ही चोदो मझ
ु े ! मारो मेरी भोंस को और फाड़ दो मेरी चत को ! भगवान ने
लण्ड कया बनाया है चत मारने के सलए कठोर और चचकना ! भोंस कया बनाई है मार खाने के सलए गद्दी
जैसे बड़े होंठों के साथ। जवाब नहीां उनका। मैंने बसांती का कहा माना। फ़्री स्टाईल से ठपाठप मैं उसको
चोदने लगा। दस पांद्रह धककों में वो झड़ पड़ी। मैंने उसे चोदना चाल रखा। उसने अपनी उां गली से अपनी
भगनासा को मसला और दसरी बार झड़ गई। उसकी योतन में इतनी ज़ोर से सांकुचन हुए कक मेरा लण्ड
दब गया, आते जाते लण्ड की टोपी ऊपर नीचे होती चली और मटका और तन कर फल गया। मेरे से अब
ज़्जयादा बरदाश्त नहीां हो सका। चत की गहराई में लण्ड दबाए हुए मैं ज़ोर से झड़ गया। वीय़ की चार-पाुँच
पपचकाररयाुँ छुटी और मेरे सारे बदन में झरु झरु ी फैल गई। मैं ढल गया। आगे कया बताऊुँ ? उस रात के
बाद रोज़ बसांती चली आती थी। हमें आधा एक घांटा समय समलता था जब हम जम कर चद
ु ाई करते थे।
उसने मझ
ु े कई तरीके ससखाए और आसन ससखाए। मैंने सोचा था कक कम से कम एक महीना तक
बसांती को चोदने का लतु ़ि समलेगा, लेककन ऐसा नहीां हुआ। एक हफ़्फते में ही वो ससरु ाल वापस चली गई।
बसांती के जाने के बाद तीन ददन तक कुछ नहीां हुआ। मैं हर रोज़ उसकी चत याद करके मठ
ु मारता
रहा। चौथे ददन मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था। लेककन एक हाथ में लण्ड पकड़े हुए ! और तभी सम
ु न
भाभी वहाुँ आ पहुांची। झटपट मैंने लण्ड छोड़ कपड़े ठीक ककए और सीधा बैठ गया। वो सब कुछ समझती
थी इससलए मस्
ु कुराती हुई बोली- कैसी चल रही है पढ़ाई दे वरजी ? मैं कुछ मदद कर सकती हुँ ? भाभी,
सब ठीक है ! मैंने कहा। आुँखों में शरारत भर कर भाभी बोली- पढ़ते समय हाथ में कया पकड़ रखा था
जो मेरे आते ही तम
ु ने छोड़ ददया ? नहीां, कुछ नहीां, ये तो ! ये ! मैं आगे बोल ना सका। तो मेरा लण्ड था,
यही ना ? उसने पछा। वैसे भी सम
ु न मझ
ु े अच्छी लगती थी और अब उसके मुँह
ु से लण्ड सन
ु कर मैं
उततेजजत होने लगा पर शम़ से उनसे नज़र नहीां समला सका, कुछ बोला नहीां। उसने धीरे से कहा- कोई
बात नहीां ! मैं समझती हुँ ! लेककन यह बता कक बसांती को चोदना कैसा रहा? पसांद आई उसकी काली
चत ? याद आती होगी ना ? सन
ु कर मेरे होश उड़ गए कक सम
ु न को कैसे पता चला होगा ? बसांती ने
बता ददया होगा ? मैंने इन्कार करते हुए कहा- कया बात करती हो ? मैंने ऐसा वैसा कुछ नहीां ककया है ।
अच्छा? वो मस्
ु कराती हुई बोली- कया वो यहाुँ भजन करने आती थी ? वो यहाुँ आई ही नहीां ! मैंने डरते
डरते कहा। सम
ु न मस्
ु कुराती रही तो यह बताओ कक उसने सखे वीय़ से अकड़ी हुई तनककर ददखा कर
पछा- यह तनककर ककसकी है , तेरे पलांग से समली है ? मैं ज़रा जोश में आ गया और बोला- ऐसा हो ही
नहीां सकता, उसने कभी तनककर पहनी ही नहीां ! मैं रां गे हाथ पकड़ा गया। मैंने कहा- भाभी, कया बात है ?
मैंने कुछ गलत ककया है ? उसने कहा- वो तो तेरे भैया ़िैसला करें गे। भैया का नाम आते ही मैं डर गया।
मैंने सम
ु न को चगड़चगड़ा कर पवनती की कक भैया को यह बात ना बताएुँ। असली खेल अब शरू
ु हुआ। मझ
ु े
कया पता कक इसके पीछे सम
ु न भाभी का हाथ था ! तब उसने शत़ रखी और सारा भेद खोल ददया। सम
ु न
ने बताया कक भैया के वीय़ में शि
ु ाणु नहीां थे, भैया इससे अनजान थे। भैया तीनों भासभयों को अच्छी
तरह चोदते थे और हर वक़्त ढे र सारा वीय़ भी छोड़ जाते थे। लेककन शि
ु ाणु बबना बच्चा हो नहीां सकता।
सम
ु न चाहती थी कक भैया चौथी शादी ना करें । वो ककसी भी तरह बच्चा पैदा करने को तल
ु ी थी। इसके
वास्ते दर जाने की ज़रूर कहाुँ थी, मैं जो मौज़द था ! सम
ु न ने तय ककया कक वो मझ
ु से चद
ु वाएगी और
माुँ बनेगी। अब सवाल उठा मेरी मांज़री का। मैं कहीां ना बोल दां तो ? भैया को बता दां तो ? मझ
ु े इसी सलए
बसांती के जाल में फांसाया गया था। सारा बखान सन
ु कर मैंने हां स कर कहा- भाभी, तझ
ु े इतना कटट लेने
की कया ज़रूरत थी ? तने कहीां भी, कभी भी कहा होता तो मैं तझ
ु े चोदने से इनकार ना करता, त चीज़
ऐसी मस्त है । उसका चहे रा लाल हो गया, वो बोली- रहने भी दो ! झठे कहीां के। आए बड़े चोदने वाले।
चोदने के वास्ते लण्ड चादहए और बसांती तो कहती थी कक अभी तो तम्
ु हारी नन्
ु नी है , उसको चत का
रास्ता मालम नहीां था। सच्ची बात ना ?' मैंने कहा- ददखा दां अभी कक नन्
ु नी है या लण्ड ? ना बाबा, ना।
अभी नहीां। मझ
ु े सब सावधानी से करना होगा। अब त चप
ु रहना ! मैं ही मौक़ा समलने पर आ जाऊुँगी
और हम तय करें गे कक तेरी नन्
ु नी है या लण्ड ! दो ददन बाद भैया दसरे गाुँव गए तीन ददन के सलए।
उनके जाने के बाद दोपहर को वो मेरे कमरे में चली आई। मैं कुछ पछुँ इससे पहले वो बोली- कल रात
तम्
ु हारे भैया ने मझ
ु े तीन बार चोदा है । सो आज मैं तम
ु से गभ़वती हो जाऊुँ तो ककसी को शक नहीां
पड़ेगा और ददन में आने की वजह भी यही है कक कोई शक ना करे । वो मझ
ु से चचपक गई और मुँह
ु से
मुँह
ु लगा कर चमने लगी। मैंने उसकी पतली कमर पर हाथ रख ददए, मुँह
ु खोल कर हमने जीभ लड़ाई।
मेरी जीभ होठों बीच लेकर वो चसने लगी। मेरे हाथ सरकते हुए उसके तनतांब पर पहुुँचे। भारी तनतांब को
सहलाते सहलाते में उसकी साड़ी और घाघरी ऊपर उठाने लगा। एक हाथ से वो मेरा लण्ड सहलाती रही।
कुछ दे र में मेरे हाथ उसके नांगे तनतांब पर कफसलने लगे तो पाजामा का नाड़ा खोल उसने नांगा लण्ड मट्ठ
ु ी
में ले सलया। मैं उसको पलांग पर ले गया और गोद में बबठा सलया। लण्ड मट्ठ
ु ी में पकड़े हुए उसने चमना
चाल रखा। मैंने ब्लाऊज़ के हुक खोले और ब्रा ऊपर से स्तन दबाए। लण्ड छोड़ उसने अपने आप ब्रा का
हुक खोल कर ब्रा उतार फेंकी। उसके नांगे स्तन मेरी हथेसलयों में समा गए। शांकु के आकार के सम
ु न के
स्तन चौदह साल की लड़की के स्तन जैसे छोटे और कड़े थे। एरे योला भी छोटा सा था जजसके बीच
नोकदार चच
ु क था। मैंने चच
ु क को चट
ु की में सलया तो सम
ु न बोल उठी- ज़रा होले से ! मेरे चुचक और
भग बहुत नाजुक हैं, उां गली का स्पश़ सहन नहीां कर सकती। उसके बाद मैंने चुचक मुँह
ु में सलया और
चसने लगा। मैं आपको बता दुँ कक सम
ु न भाभी कैसी थी। पाुँच ़िीट पाुँच इांच की लांबाई के साथ वज़न था
साठ ककलो, बदन पतला और गोरा था, चहे रा लम्बा-गोल थोड़ा सा नरचगस जैसा, आुँखें बड़ी बड़ी और काली,
बाल काले, रे शमी और लांबे, सीने पर छोटे -छोटे दो स्तन जजसे वो हमेशा ब्रा से ढके रखती थी, पेट बब्कुल
सपाट था, हाथ पाुँव सड
ु ौल थे, तनतांब गोल और भारी थे, कमर पतली थी। वो जब हां सती थी तब गालों में
गड्ढे पड़ते थे। मैंने स्तन पकड़े तो उसने लण्ड थाम सलया और बोली- दे वर जी, तम
ु तो अपने भैया जैसे
बड़े हो गए हो। वाकई यह तेरी नन्
ु नी नहीां बज्क लण्ड है और वो भी ककतना तगड़ा ! हाय राम, अब ना
तड़पाओ, ज्दी करो। मैंने उसे लेटा ददया। ख़ुद उसने घाघरा ऊपर उठाया, जाांघें चौड़ी की और पाुँव उठा
सलए। मैं उसकी भोंस दे ख कर दां ग रह गया। स्तन के माक़िक सम
ु न की भोंस भी चौदह साल की लड़की
की भोंस जजतनी छोटी थी। ़िक़ इतना था कक सम
ु न की भोंस पर काली झाांटें थी और भग लांबी और
मोटी थी। भैया का लण्ड वो कैसे ले पाती थी, यह मेरी समझ में आ ना सका। मैं उसकी जाांघों के बीच
आ गया। उसने अपने हाथों से भोंस के होंठ चौड़े करके पकड़ सलए तो मैंने लण्ड पकड़ कर भोंस पर
रगड़ा। उसके तनतांब दहलने लगे। अब की बार मझ
ु े पता था कक कया करना है । मैंने लण्ड का अग्र भाग
चत के मुँह
ु में घस
ु ाया और लण्ड हाथ से छोड़ ददया। चत ने लण्ड पकड़े रखा। हाथों के बल आगे झक
ु
कर मैंने मेरे क्हों से ऐसा धकका लगाया कक सारा लण्ड चत में उतर गया। जाांघों से जाांघें टकराई, लण्ड
ठुमक-ठुमक करने लगा और चत में फटक-फटक होने लगा मैं का़िी उततेजजत था इससलए रक नहीां
सका। परा लण्ड खीांच कर ज़ोरदार धकके से मैंने सम
ु न को चोदना शरू
ु ककया। अपने चतड़ उठा-उठा कर
वो सहयोग दे ने लगी, चत में से और लण्ड में से चचकना पानी बहने लगा। उसके मह
ुँु से तनकलती आह-
आह की आवाज़ और चत की पच्च पच्च सी आवाज़ से कमरा भर गया। परे बीस समनट तक मैंने सम
ु न
भाभी की चत मारी। इस दरसमयान वो दो बार झड़ी। आखख़र उसने चत ऐसी ससकौडी कक अांदर-बाहर
आते-जाते लण्ड की टोपी उतर-चढ़ करने लगी, मानो कक चत मठ
ु मार रही हो। यह हरकत मैं बरदाश्त
नहीां कर सका, मैं ज़ोर से झड़ गया। झड़ते वक़्त मैंने लण्ड को चत की गहराई में ज़ोर से दबा रखा था
और टोपी इतना ज़ोर से खखांच गई थी कक दो ददन तक लौड़े में दद़ रहा। वीय़ को भाभी की योतन में
छोड़ कर मैंने लण्ड तनकाला, हालाांकक वो अभी भी तना हुआ था। सम
ु न टाुँगें उठाए लेटी रही, कोई दस
समनट तक उसने चत से वीय़ तनकलने ना ददया उस ददन के बाद भैया आने तक हर रोज़ सम
ु न मेरे से
चद
ु वाती रही। नसीब का करना था कक वो गभ़ से हो गई पररवार में आनांद ही आनांद हो गया। सबने
सम
ु न भाभी को बधाई दी। भैया सीना तान कर मछ
ां मरोड़ते रहे । सपवता भाभी और चम्पा भाभी की
हालत औरर बबगड़ गई। इतना अच्छा था कक गभ़ के बहाने सम
ु न ने भैया से चद
ु वाने से मना कर ददया
था, भैया के पास दसरी दोनों को चोदने दे ससवा कोई चारा ना था। जजस ददन भैया सम
ु न भाभी को
डॉकटर के पास ले गए उसी ददन शाम वो मेरे पास आई, घबराती हुई वो बोली- मांगल, मझ
ु े डर है कक
सपवता और चम्पा को शक पड़ता है हमारे बारे में । सन
ु कर मझ
ु े पसीना आ गया। भैया जान जाएुँ तो
अवश्य हम दोनों को जान से मार डालें ! मैंने पछा- कया करें गे अब ? एक ही रास्ता है ! वो सोच कर
बोली। रास्ता है ? तझ
ु े उन दोनों को भी चोदना पड़ेगा। चोदे गा ? भाभी, तझ
ु े चोदने के बाद दसरी को चोदने
का ददल नहीां होता। लेककन कया करें ? त जो कहे , वैसा मैं करूुँगा। मैंने बाज़ी सम
ु न के हाथों छोड़ दी।
सम
ु न ने योजना बनाई। रात को जजस भाभी को भैया चोदें , वो दसरे ददन मेरे पास चली आए। ककसी को
शक ना पड़े इससलए तीनो एक साथ मेरे वाले घर आएुँ लेककन मैं चोदुँ एक को ही। थोड़े ददन बाद चम्पा
भाभी की बारी आई। माहवारी आए तेरह ददन हुए थे। सम
ु न और सपवता दसरे कमरे में बैठी और चम्पा
मेरे कमरे में चली आई। आते ही उसने कपड़े उतारने शरू
ु ककए। मैंने कहा- भाभी, यह मझ
ु े करने दे ।
आसलांगन में लेकर मैंने भाभी को चमा तो वो तड़प उठी। समय की परवाह ककए बबना मैंने उसे ख़ब
चमा। उसका बदन ढीला पड़ गया। मैंने उसे पलांग पर लेटा ददया और होले होले सब कपड़े उतार ददए।
मेरा मुँह
ु उसके एक चच
ु क पर दटक गया, एक हाथ स्तन दबाने लगा, दसरा भग के साथ खेलने लगा।
थोड़ी ही दे र में वो गम़ हो गई, उसने ख़द
ु टाांगें उठाई और चौड़ी करके अपने हाथों से पकड़ ली। मैं बीच
में आ गया। एक दो बार भोंस की दरार में लण्ड का मटका रगड़ा तो चम्पा भाभी के तनतांब डोलने लगे।
इतना होने पर भी उसने शम़ से अपनी आुँखें बन्द की हुई थी। ज़्जयादा दे र ककए बबना मैंने लण्ड पकड़
कर चत पर दटकाया और होले से अांदर डाला। चम्पा की चत सम
ु न की चत जजतनी ससकुड़ी हुई ना थी
लेककन का़िी कसी थी और लण्ड पर उसकी अच्छी पकड़ थी।मैंने धीरे -धीरे धकके लगाते हुए चम्पा को
आधे घांटे तक चोदा। इस दौरान वो दो बार झड़ी। मैंने धककों की रफ़्फतार बढ़ाई तो चम्पा भाभी मझ
ु से
सलपट गई और मेरे साथ साथ ज़ोर से झड़ी।थकी हुई वो पलांग पर लेटी रही, मैं कपड़े पहन कर खेतों में
चला गया। दसरे ददन सम
ु न अकेली आई, कहने लगी- कल की तेरी चुदाई से चम्पा बहुत ख़ुश है ! उसने
कहा है कक जब चाहे ! मैं समझ गया। अपनी बारी के सलए सपवता को पांद्रह ददन इन्तज़ार करनी पड़ी।
आखख़र वो ददन आ भी गया। सपवता को मैंने हमेशा माुँ के रूप में दे खा था इससलए उसकी चद
ु ाई का
ख्याल मझ
ु े अच्छा नहीां लगता था। लेककन दसरा चारा कहाुँ था ? सम
ु न और चम्पा समल कर सपवता
भाभी को मेरे कमरे में लाई और छोड़ कर चली गई। अकेले होते ही सपवता ने आुँखें मुँद ली। मैंने भाभी
को नांगा ककया और मैं भाभी की चचचयाुँ चसने लगा।मझ
ु े बाद में पता चला कक सपवता की चाबी उसके
स्तन थे। इस तऱि मैंने स्तन चसना शरू
ु ककया तो उस तऱि उसकी भोंस ने कामरस का ़िव्वारा छोड़
ददया। मेरा लण्ड कुछ आधा तना था और ज़्जयादा अकड़ने की गज
ांु ाइश ना थी। लण्ड चत में आसानी से
घस
ु ना सका। हाथ से पकड़ कर धकेल कर मटका चत में सरकाया कक सपवता ने चत ससकोड़ी। ठुमका
लगा कर लण्ड ने जवाब ददया। इस तरह का प्रेमालाप लण्ड और चत के बीच होता रहा और लण्ड ज़्जयादा
से ज़्जयादा अकड़ता रहा। आखख़र जब वो परा तन गया तब मैंने सपवता भाभी के पाुँव अपने कांधों पर सलए
और त्लीनता से उसे चोदने लगा। सपवता की चत इतनी कसी नहीां थी लेककन सांकोचन करके लण्ड को
दबाने की कला सपवता अच्छी तरह जानती थी। बीस समनट की चद
ु ाई में वो दो बार झड़ी। मैंने भी
पपचकारी छोड़ दी और भाभी के बदन से नीचे उतर गया। अगले ददन सम
ु न वही सांदेशा लाई जो चम्पा ने
भेजा था। तीनो भासभयों ने मझ
ु े चोदने का इशारा दे ददया था। अब तीन भासभयाुँ और चौथा मैं ! हम चारों
में एक समझौता हुआ कक कोई यह राज़ खोलेगा नहीां। सम
ु न ने भैया से चुदवाना बांद कर ददया था
लेककन मझ
ु से नहीां। एक के बाद एक ऐसे मैं अपनी तीनों भासभयों को चोदता रहा। भगवान की कृपा से
बाकी दोनों भासभयाुँ भी गभ़वती हो गई। भैया के आनांद की सीमा ना रही। समय आने पर सम
ु न और
सपवता ने लड़कों को जन्म ददया तो चम्पा ने लड़की को। भैया ने बड़ी दावत दी और सारे गाुँव में समठाई
बाुँटी। अच्छा था कक कोई मझ
ु े याद करता नहीां था। भासभयों की सेवा में बसांती भी आ गई थी और
हमारी तनयसमत चद
ु ाई चल रही थी। मैंने शादी ना करने का तनश्चय कर सलया।
शादी का सफर
सभी दोस्तों को मेरा सादर प्रणाम और प्यारी भासभयों और कांु वारी !! चत वासलओां को मेरे लांड का
प्रणाम. मई आपको मेरी अपने जीवन की रास लीला सन
ु ाने जा रहा हुँ दोस्तों मई दे व इांडडया के ददल
मध्य प्रदे श के सागर का रहने वाला हुँ. मेरी उमर 38 साल रां ग गोरा मजबत कद-काठी और 6"4" लम्
ु बा
हुँ. मझ
ु े मजलम की मदद करने मे बड़ी राहत समलती है और कांद हे अतेद हुँ जैसा की अकसर कहातनयो
मे होता है की कहानी का कैरे कटर के ऑकफस की दोस्त या पड़ोसन या ररश्तेदार वाली कोई बरु (जजसको
मे प्यार से मतु नया कहता हुँ ) समल जाती है उसे तरु त चदने लगता है पर हकीकत इससे कही अचधक
जुदा और कड़वी होती है एक चत चोदने के सलए बहुत म्हणत करनी पड़ती है ऐसी एक कोसशश की यह
कहानी है हमारा सेहर सागर नतरु ल ब्यटी और दह्स से तघरा हुआ है येह एक बहुत ही सद
ुां र लैक है
और येह के लोग बहुत ही सांतस्
ु ट और सीधे सादे है पर यह की मदहलायें बहुत चुदककर है यह मैंने
बहुत बाद मे जन मे किकेट और फुटबॉल का नेशनल प्लेयर रहा हुँ इस कारण से अपने एररया मे बहुत
फमोउस था और सद
ुां र कद काटी और रूप रां ग गोरा होने के कारण हन्द्सोमे भी दीखता था . लेककन
मझ
ु े अपने लड
ुां की प्यास ककसी न ककसी के बारे मे सोच कर और अपनी मट्ठ
ु मार कर या अपना तककया
का कोना को चुदाकर भज
ु नी परती थी मे अपनी हे ज्पांग हजब्बट्स के कारण भी बहुत फमोउस था और
सभी मझ
ु े प्यार भी इसीसलए बहुत करते थे मेरे घर के सामने ग्राउां ड है जहा मे खेलते हुए बड़ा हुआ
और अपने सभी सपने सांज्योए एक ददन हम कुछ दोस्त मोतनिंग एकस्ससस़सेस करके आ रहे थे तभी
सामने से आती हुई 3 लाकक़यों पर नज़र पड़ी उनमे से 2 को मे चेहरे से तो जानता था की वो मेरे घर
के आस पास रहत है 1 से बब्कुल अनजान था और वो कोई ख़ास भी नहीां थी. हम दोस्त अपनी बातों
मै मस्त दौड़ लगाते हुए जैसे ही उनके पास पहुचे तो बीच वाली लड़की मेरे को बहुत पसांद आई . मै
सस़ि़ साांडो बतनयान और नेककर मे था तो मेरे सारे muscles ददखाई दे रहे थे जजससे शायद वो थोडी
इम्प्रेस हुई उसने भी मझ
ु े भरपर नज़र दे खा. मेरा ध्यान उस लड़की पर लगा होने से मई नीचे पतथर
नही दे ख paya और ठोकर खादर चगर पड़ा वो तीनो लड़ककया बहुत जोरों से हां स पड़ी और भाग गई. मझ
ु े
घट
ु नों और सर में बहुत चोट लगी थी का़िी खन बहा था इस कारण मै कुछ ददन अपनी मोतनिंग
एकस्साज़ के सलए दोस्तों के पास नही जा पाया. ठां डों का मौसम चल रहा था हमारे मोह्ले मे एक शादी
थी. मेरी हर ककसी से अच्छी पटटी थी इससलए मेरे बहुत सारे दोस्त हुआ करते थे. उस शादी मै मे अपने
ऊपर एक जजम्मेदार परोसी की भसमका तनभाते हुए बहुत काम कर रहा था. और मै जयादातर मदहलाओां
के आस पास मांडराता शयद कोई पट जाए या कोई सलांक समल जाए मतु नया रानी को चोदने या दश़न
करने के पर ककश्मत ख़राब. कोई नही समली. मझ
ु से ककसी खनकती आवाज ने कहा " सतु नए आप तो
बहुत अच्छे लग रहे है आप और बहुत म्हणत भी कर रहे है येहा " मैंने जैसे ही मड़
ु कर दे खा तो वोही
बीच वाली लड़की जजसको दे खकर मै चगरा था और जजसके कारण मेरे सर पर अभी भी पट्टी बांधी हुई थी
जजसमे 4 टाुँके लगे हुए थे और घट
ु ने का भी हाल कुछ अच नही था... मैंने दे खा वो खड़ी मस्
ु कुरा रही
थी. मैंने कहा "आ आप ..... आपने मेरे से कुछ कहा" " नही येहा ऐसे बहुत सारे लोग है जो मेरे को दे ख
कर रोड पर चगरकर अपना सर फुद्वा बैठे" वो अपनी सहे सलयों से तघरी हुई चीखती बोली " आप लोग
तो हां स कर भाग गई.... मेरे सर और पैर दोनों मई बहुत चोट लगी थी" मैंने कहा मेरी ही मोह्ला की
एक लड़की ज्योतत जजसे मै पहले पटाने की कोसशस कर चुका था पर वो पाती नहीां थी बज्क मेरी उससे
लडाई हो गई थी. ज्योतत ने मेरे से मह
ु तछदाते हुए कहा इनको " च्च्च च्च छक ... अरे !! अरे !!
बेचारा..... दे व भैया अभी तक कोई समली नही तो अब लड़ककयों को दे ख कर सड़कों पर चगरने लगे "
और खखल खखला कर हस डी ..... मैंने ज्योतत के कई सपने दे खे मै ज्योतत को अपनी गाड़ी पर बबठाकर
कही ले जारहा हुँ उसके दध मेरी पीठ से छु रहे है वो मेरे लांड को पकड़ कर मोटरसाईककल पर पीछे बैठी
है उसके बब्स टच होने से मेरा लांड खड़ा हो जाता है तो मै धामोनी रोड के जांगल मै गाड़ी ले जाता हुँ
जहा उसको गाड़ी से उतार कर अपने गले से सलपटा लेता हुँ उसके सलप्स, गद़ न बब्स पर ककस कर रहा
हुँ और उसके मम्मे दबा रहा हुँ साथ ही साथ उसकी मतु नया(बरु ) को भी मसल रहा हुँ वो पहले तो न
नक
ु र करती है लेककन जब मै उसकी मतु नया और बब्स उसके कपडों के ऊपर से ककस करता हुँ और
उसकी सलवार खोल कर उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी पेशाब को चाटने लगा ज्योतत भी सीई हीई
येः कया कर रहे हो........ मई जल रही हुँ मझ
ु े कुछ होओ रहा है ....... कह रही है और मै ज्योतत को
वोही झाडडयों मे जमीन पर सलटाकर चोदने लगता हु पहले ज्योतत का पानी छटता है कफर मेरा.. जब
ख्वाब परा हुआ तो दे खा लांड मेरा मेरे हाथ मे झऱ चक
ु ा है और मट्ठ
ु ी मारने से लांड लाल हो गया है मझ
ु े
बहुत बरु ा लगा ज्योतत के तान्न से मेरी बे-इज्ज़ती हुई थी वहाां से मैंने इन दोनों को सबक ससखाने का
ठान सलया. मैंने गल
ु ाब जामन
ु का शीरा उसकी बैठने वाली सीट पर लगा ददया जजससे उसकी स़िेद ड्रेस
ख़राब हो गई और वो ऐएन्न मौके पर गन्दी ड्रेस पहने येहवाहा घमती रही और लोग उसे कुछ न कुछ
कहते रहे . पर उसका चेहरा ज्यों का तयों था .. मैंने ज्योतत को उसके हाल पर छोड़ कर अपने टारगेट
पर काांसन्त्रते काना उचचत समझा मै उससे जान पहचान करना चाहता था जब से उसको दे खा था उसके
भी नाम की कई मठ मारी जा चक
ु ी थी और तककये का कोना चोदा जा चक
ु ा था.. मेरा तककये के कोने
मेरे स्पेम्स़ के कारण कड़क होना शरू
ु हो गई थे. पर कोई लड़की अभीतक पटी नहीां थी. इस बार मैंने
दहम्मत करके उसका नाम पछ सलया.. जहा वो खाना खा रही थी वही चला गया और पछ
ु ा "आप कया
लेंगी और..... कुछ लाऊुँ स्वीट्स या स्पेशल आइटम आपके सलयी... भीड़ बहुत थी उस शादी मे वो मेरे
पास आ गई और चप
ु चाप खड़ी होकर खाना खाने लगी. मैंने उसको पछ
ु ा "आप इस ड्रेस मे बहुत सद
ांु र
लग रही है .. मेरा नाम दे व है आपका नाम जान सकता हुँ..." कफर भी चुप रही वो और एक बार बड़े
तीखे नैन करके दे खा. हलके से मस्
ु कुराते हुए बोली" अभी नही सस़ि़ हाल चाल जानना था सो जान
सलया" मैंने उसका नाम वहीीँ उसकी सहे सलयों से पता कर सलया और उसका एड्रेस भी पता कर सलया था.
उसका नाम मीन था. वो मेरे घर के ही पास रहती थी. पांजाबी फॅसमली की लड़की थी. ससांपल शोबेर
छरहरी ददखती थी. उसकी लम्बाई मेरे लायक कफट थी उसके बब्स थोड़े छोटे 32 के करीब होंगे और
पतला छरहरा बदन तीखे नैन-नकस थे उसके. वो मेरे मन को बहुत भा गई थी. शादी से लौट के मैंने
उस रात मीन के नाम के कई बार मट्ठ
ु मारी. मै उसको पटाने का बहुत अवसर खोजा करता था वो मेरे
घर के सामने से रोज तनकलती थी पर हम बात नही कर पाते थे. ऐसा होते होते करीबन 1-1½ साल बीत
गया . एक बार मै दद्ली जा रहा था गोंडवाना एकसप्रेस से. स्टे शन पर गाड़ी आने मे कुछ दे र बाकी थी
शाददयों का सीज़न चल रहा था का़िी भीड़ थी. मेरा ररज़वेशन स्लीपर मे था. तभी मझ
ु े मीन ददखी साथ
मे उसका भाई और सभी फॅसमली मेम्बेस़ भी थे उसके भाई से मेरी जान पहचान थी सो हम दोनों बात
करने लगे. मैंने पछा "कहा जा रहे हो" तो बोले "मौसी के येहा शादी है दद्ली मे वहीीँ जा रहे है ". मेरे
से पछ
ु ा " दे व जी आप कहा जा रहे हो" मैंने कहा " दद्ली जा रहा हुँ थोड़ा काम है और एक दोस्त की
शादी भी अततेंद करनी है " इतने मे ट्रे न आने का अनौंसमें ट हो चुका था तो उनके साथ बहुत सामन था
मेरे साथ सस़ि़ एक एयर बैग था उन्होंने मेरे से सामान गाड़ी मे चड़ने की रे कुएस्ट करी गाड़ी प्लेटफोम़
पर आ चुकी थी यात्री इधर उधर अपनी सीट तलासने के सलए बेतहासा भाग रहे थे बहुत भीड़ थी. मीन
के भाई ने बताया की इसी कोच मे चदना है तो हम फटाफट उनका सामान चढाने मे बीजी हो गए.
उनका सामान गाड़ी के अांदर करके उनकी सीट्स पर सामान एडजस्ट करने लगा मैंने अपना बैग भी
उन्ही की सीट पर रख ददया था मझ
ु े अपनी सीट पर जाने की कोई हड़बड़ी नही थी कयोंकक बीना जांकशन
तक तो गोंडवाना एकसप्रेस मे अपनी सीट का ररज़वेशन तो भल जाना ही बेहतर होता है . कयोंकक उप-
दोव्नेस़ भी बहुत ट्रे वल करते है इस ट्रे न से सो मै उनका सामान एडजस्ट करता रहा. गाड़ी सागर स्टे शन
से रवाना हो चक
ु ी थी. मै पसीने मे तरबतर हो गया था.. अब तक गाड़ी ने अच्छी खासी स्पीड पकड़ ली
थी. मीन की परी फॅसमली सेट हो चक
ु ी थी और उनका सामान भी. गाड़ी बीना 9 बजे रात को पहुचती
थी और कफर वहा से दसरी गोंडवाना मे जड़
ु कर दद्ली जाती थी. इससलए बीना मे भीड़ कम हो जाती
है . मै सबका सामान सेट करके थोरा चैन की साुँस लेने कोम्पतमेंट के गेट पर आ गया कफर साथ खड़े
एक मस
ु ाकफर से पछा "यह कौन सा कोच है " उसने घमांडी सा राप्लई करते हुए कहा " S4.... तम्
ु हें कौन
सो छाने ( आपको कौन सा कोच चादहए)" "अरे गर
ु जोई चाने थो .... जौन मे हम ठाडे है .....
(बन्
ु दे लखांडी) (येही चैये था जजसमे हम खड़े है)" मैंने अपनी दटकेट पर सीट नम्बर और कोच दे खा तो
समे कोच था जजसमे मीन थी बस मेरी बथ़ गेट के बगल वाली सबसे ऊपर की बथ़ थी. बीना मे मैंने
ह्का सा नास्ता ककया और घमने कफरने लगा. मझ
ु े अपने बैग का बब्कुल भी ख्याल नही था. बबना से
गाड़ी चली तो ठण्ड थोडी बड़ागई थी मझ
ु े अपने बैग का ख्याल आया. मै उनकी सीट के पास गया तो
मैंने "पछा मेरा बैग कहा रख ददया." मीन की कजजन बोली " आप येहा कोई बैग नही छोर गए आप तो
हमारा सामान चदवा रहे थे उस समाई आपके पास कोई बैग नही था" जबकक मझ
ु े ख्याल था की मैंने
बैग मीन की सीट पर रखा था. वो लोग बोली की आपका बैग सागर मे ही छट गया लगता है . मैंने कहा
कोई बात नही. उन्होंने पछ
ु ा की आपकी कौन सी बथ़ है मैंने कहा इसी कोच मे लास्ट वाली. मीन की
मम्मी बोली "बेटा अब जो हो गया तो हो गया जाने दो ठण्ड बहुत हो रही है ऐसा करो मेरे पास एक
कम्बल एकस्ट्रा है वो तम
ु ले लो" मैंने कहा "जी कोई बात नहीां मै मैनेजे कर लुँ गा" " ऐसे कैसे मनेज
कर लोगे येहा कोई माकेट या घर थोड़े ही ककसी का जो तम
ु को समल जाएगा ठण्ड बहुत है ले लो" मीन
की मम्मी ने कहा. "मझ
ु े नीांद वैसे भी नहीां आना है रात तो ऐसे ही आांखों मे ही कट जायेगी.." मैंने मीन
की ऑर दे खते हुए कहा. मीन बरु ा सा मह
ु बनके दसरे तऱि दे खने लगी. ट्रे न अपनी परी रफ्तार पर दौडी
जा रही थी. मझ
ु े ठण्ड भी लग रही थी तभी मीन की मम्मी ने कम्बल तनकालना शरू
ु ककया तो मीन ने
पहली बार बोला .. रको मम्मी मै अपना कम्बल दे दे ती हुँ और मै वो वाला ओद लग
ां ी. मीन ने अपना
कम्बल और बबछा हुआ चादर दोनों दे दी..... मझ
ु े बबन माांगे मरु ाद समल गई कयोंकक मीन के शरीर की
खुसब उस कम्बल और चादर मे समाां चुकी थी. मै फटाफट वो कम्बल लेकर अपनी सीट पर आ गया ...
मझ
ु े नीांद तो आने वाली नहीां थी आुँखों मे मीन की मतु नया और उसका चेहरा घम रहा था. मै मीन के
कम्बल और चादर को सघ
ां रहा था उसमे से काफी अच्छी सग
ुां ध
ां आ रही थी. मैं मीन का बदन अपने
शरीर से सलपटा हुआ महसस करने लगा और उसकी क्पनों मे खोने लगा.. मीन और मै एक ही कम्बल
मै नांगे लेटे हुए है मै मीन के बब्स चस रहा हुँ और वो मेरे मस्त लौडे को खखला रही है . मेरा लांड मै
जवानी आने लगी थी जजसको मै अपने हाथ से सहलाते हुए आुँखे बांद ककए गोंडवाना एकसप्रेस की सीट
पर लेटा हुआ मीन के शरीर को महसस कर रहा था. जैसे जैसे मेरे लांड मै उततेजना बड़ती जा रही थी
वैसे वैसे मै मीन के शरीर को अपने कम्बल मे अपने साथ महसस कर रहा था. इधर ट्रे न अपनी परी
रफ्तार पर थी मै मीन के बब्स प्रेस करते हुए उसके जकलटोररस( चत के दाने) को मसल रहा था और
उसके सलप्स और गद़ न पर सलक करता हुआ मीन के एक-एक तनप्प्ले को बारी बारी चस रहा था.. इधर
मीन भी कह रही थी अह्ह्ह हह सीईईई ओम्म्म मम बहुत अछा लग रहा है मै बहुत ददनोअऊ से
तम
ु को चाहती हुँ दे व ....... जबसे तम
ु को दे खा है मै रोज तम्
ु हारे नाम से अपनी चत को ऊुँगली या
मोमबतती से झरती हो...... चोदती हु ...उम म ..... आ अ अ अ .... तम्
ु हारा लांड तम्
ु हारे जैसा मस्त है
उम म म म बब्कुल लम्
ु बा चोडा दे व .... उम म म आ अअ अआ ज्दी से मेरी चत मै अपना
लड
ांु घस
ु ा दो अब सेहन नही हो रहा उ मम म आया अ अ अ और मै एक झटके मै मीन की बरु मे
लांड पेलकार धकके मारने लगा ट्रे न की रफ्तार की तरह के धकके ... फटाफट जैसे मीन झड़ रही हो उम
मम दे व ......मेरी बरु र ... सी पेशाब.... तनकलने वाली ही तम्
ु हारे लांड ने मझ
ु े मता ददया मेरी पहली
चद
ु ाई बड़ी जबरदस्त हुई उम म आ अ अ जैसे ही मीन झडी मैं भी झड़ने लगा मै भल गया की मै
ट्रे न मै हुँ और सपने मै मीन को चौद्ते हुए मट्ठ
ु मार रहा हुँ और मैं भी आ आया.... हा ह मीन... ऊऊ
मजा आ गया मै कब से तम
ु को चोदना चाहता था कहते हुई झड़ने लगा और बहुत सारा पानी अपने
रमाल मे तनकाल कुछ मीन के चादर मे भी चगर गया.. जब मै शाांत हुआ तो मेरे होश वापपस आए और
मैंने दे खा की मै तो अकेला ट्रे न मै सफर कर रहा हुँ.. शि
ु है सभी साथी यात्री अपनी अपनी बे्स़ पर
कम्बल ओड कर सो रहे थी.. ठण्ड बहुत तेज़ थी उस पर गेट के पास की बबथ़ बहुत ठां डी लगती है अब
मझ
ु े पेशाब जाने के सलए उठाना था मै हलफ पें ट मै सफर करता हुँ तो मझ
ु े ज्यादा ददककत नही हुई..
अब तक रात के 1.30 बज चुके थे मै जैसे ही नीचे उतरा तो मझ
ु े लगा जैसे मीन की सीट से ककसी ने
मझ
ु े रकने का सांकेत ककया हो मीन की सीट के पास.. कोच के सभी यात्री गहरी नीांद मै सो रहे थे और
ट्रे न अभी 1 घांटे कही रकने वाली नही thi.. मैंने दे खा मीन हाथ मै कुछ सलए आ रही है .. मेरे पास आकर
बोली "बध
ु तम
ु अपना बैग नहीां दे ख सके मझ
ु े कया सांभालोगे" ठां ड मे दठठुरते हो ..." मैंने उसकी बात
पर ध्यान नही ददया उसने कया मेसेज दे ददया मै रे प्लय ददया " मैं तम्
ु हारे कम्बल मै तम्
ु हारी खस
ु ब
लेकर मस्त हो रहा था" मै अपने लांड के पानी से भरा रमाल अपने हाथ मै सलए था. जजसको दे ख कर
वो बोली "यह कया है " मैंने कहा " रमाल है " "यह गीला कयों है " मीन ने पछा " ऐसे ही... तम्
ु हारे कारण
... कह कर मैंने टाल ददया.... मीन ने पछा "मेरे कारण कैसे......" कफर मझ
ु े ध्यान आया की अभी अभी
मीन ने मझ
ु े कुछ मेसेज ददया है .... मैंने मीन को गेट के पास सटाया और उसकी आांखों मै दे खते हुए
उसको कहा मीन आई लव य और उसके सलप्स अपने सलप्स मे भर सलए उसके मम्मे पर और गाांड पर
हाथ फेरने लगा. मीन भी मेरा ककस का जवाब दे रही थी..... मै मीन के दधों की दरार मै चसने लगा था
और बब्स को दबा रहा था... मेरा लांड जो आधा बैठा था क़िर से ताकत भरने लगा और उसके पेट से
टकराने लगा.. मीन मेरे से बोली आई लव य ठ .. इधर कोई दे ख लेगा ज्दी से इांटर कनेकट कोच की
और इशारा कर के कहने लगी उस कोच के टॉयलेट मे चलो ..... हम दोनों टॉयलेट मे घस
ु gai .... टॉयलेट
को लाक करते ही मै उसको अपने से सलपटा सलया और पागलों की भातत चमने लगा.. मीन मै तम
ु से
बहुत प्यार करता हुँ और तम
ु को ददलो जान से चाहता हुँ...... हा मेरे राजा दे व मै भी तम्
ु हारे बबना पागल
हो रही थी..... जानते हो यह प्रोग्रम्म कैसे बना दद्ली जाने का .....मेरे आने का मै तम्
ु हारे घर आई थी
मम्मी के साथ तम्
ु हारी मम्मी और मेरी मन्
ु नी सांकट मोचन मजन्दर पर रामायण मांडल की में बर है .. तो
उन्होंने बताया की दे व को परसों दद्ली जाना ही तो वो नही जा सकती उनके साथ. तब मैंने भी मम्मी
को प्रोग्राम बनने को कह ददया ... मैंने कहा यह कहानी छोड़ो अभी तो मजा लो मैंने उसको कमोड शीट
पर बबठा ददया और उसके पैर से लेकर सर तक कपडों के ऊपर से ही चसने चमने लगा..... मैंने उसकी
चत पर हाथ रखा वो "सी ई ईई आया वहा नही वाह कुछ कुछ होता है जब भी तम
ु को दे खती हु मेरी
अांदर से पेशाब तनकल जाती है वहा नही" ऐसा कहने लगी मैंने कहा "मझ
ु े पवश्वाश नही होता मझ
ु े
ददखाऊ " ऐसा कहकर मै सलवार के ऊपर से उसकी अांदरूनी जाांघ और बब्स पर हाथ से मासलश करने
लगा " हट बेशरम कभी दे खते है लड़ककयों की ऐसे वो शादी के बाद होता hai " मीन बोली मैंने मीन के
बब्स को सहलाते हुई और उसकी अांदरूनी जाांघ पर चमते हुए उसकी चत की तऱि बदने लगा और कहा
" ठीक है जैसा तम
ु कहो पर मै कपड़े के ऊपर से तो चेक कर लग
ां ा"'' मीन भी अब गरमाने लगी थी
उसकी चत भी का़िी गम़ और गीली होने लगी थी. वो अपने दोनों पैरो को ससकोड़ कर मेरे को चत तक
पहुचने से रोक रही थी... " प्लीज़ वहा नही मैई कांट्रोल नहीां कर पाऊुँगी अपने आप को कुछ हो जायेगा
.... मेरी कजजन के भरोसे आई हु उसको पटा रखा है मैंने यदद कोई जाग गया तो उसकी भी मस
ु ीबत
हो जायेगी प्लीज़ मझ
ु े जाने दो अब..." मैंने मीन के दोनों पैर अपनी ताकत से फैलाये और उसकी
सलवार की ससलाई को फाड़कर उसकी पपांक पैंटी जो की उसके चुत के रस मे सराबोर थी अपने मह
ु मे
ले सलया... उसकी पैंटी से पेशाब की समलीजुली स्मेल के साथ उसके पानी का भी स्वाद समल रहा था.....
मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चत को जोरो से चसना चाल कर ददया.. मीन कहे जा रही थी" प्लीज़ नो
मझ
ु े जाने दो उमाआम कांट्रोल खो रही उम मम मम मझ
ु े जाने दो.... और.. जोर से चाटो मेरी पेशाब मे
कुछ हो रहा है बहुत अछा लग रहा है मेरे पेट मै गद
ु गद
ु ी हो रही है मीन के तनप्पल भी खड़े हो गए थी
कयोंकक उसकी कुती मै हाथ डाल कर उसके मम्मे मसल रहा था मीन मेरे सर को अपनी चत पर दबाये
जा रही थी उमाआम मै मीन की panty को चत से साइड में खखसका के उसकी चत को चत की लम्
ु बाई
मे चस रहा था मीन अपने दोनों पैर टॉयलेट के पवण्डो पर दटकाये मझ
ु से अपनी चत चटवा रही थी मीन
की बरु बब्कुल कांु वारी थी मैंने अपनी ऊुँगली उसकी बरु मे घस
ु ेदी बरु बहुत टाइट और गीली थी मीन
हलके हलके से करह रही थी " उम्म्म आआ मर gai" मे मीन की बरु को ऊुँगली से चोद रहा था और
चत के दाने को चाट और चस रहा था.. सलवार पहने होने के कारण चत चाटने मे बहुत ददककत हो रही
थी. मीन की चत झड़ने के कगार पर थी'' आ आअ कुच्छ करो मेरा शरीर अकड़ रहा हई पहले ऐसा कभी
नही हुआ मेरी पेशाब तनकलने वाली ही अपना मह
ु हटाओ और जोर से चस अपनी उन्न्गली और घस
ु ाओ
आअ आ . उई माुँ आअ अ .... उसकी जवानी का पहला झटका खाकर मेरे मह
ु को अपने चत के अमत
ृ
से भरने लगी...... मीन के मम्मे बहुत कड़क और फल कर 32 से 34 होगये मालम होते थे... इधर मेरी
हालत ज्यादा ख़राब थी ... मैंने मीन को बोला प्लीज़ एक बार इसमे डाल लेने दो मीन ने कहा ' अभी
नही राजा मै तो ख़द
ु तड़प रही हुँ तम
ु ारी पेशाब अपनी पेशाब मे घस्
ु वाने को.. उम्म्म सन
ु ा ही बहुत मजा
आता है और दद़ भी होता है " मैंने कहा "अपन दोनों के पेशाब के और भी नाम है " "मझ
ु े शम़ आती है
वो बोलते हुई" और वो खड़ी होने लगी मै कमोड शीट पर बैठा और अपनी नेककर नीचे खखसका दीई
मेरा ह्लाबी लांड दे खकर उसका मह
ु खल
ु ा का खल
ु ा रह गया.. "ही राम... ममम म इतना बड़ा और
मोटा..........तो मैंने कभी ककसी का नही दे खा मैंने पछ
ु ा "ककसका दे खा है तम
ु ने... बताऊ " मेरे भैया जब
भाभी की चद
ु ाई करते है तो मै अपने कमरे से झाुँक कर दे खती हुँ.. भाभी भइया के इससे अद्धे से भी
कम साइज़ के पेशाब में चच्लाती है क़िर इस जैसी पेशाब मै तो मेरा कया हाल करे गी... मै कभी नही
घस्
ु वग
ां ी" मैंने कहा अछा "मत घस्
ु वाना पर अभी तो इसको शाांत करो" "मै कैसे शाांत करू" मीन ने कहा
मैंने कहा "टाइम बरबाद मत करू ज्दी से इसे हाथ मे लो और मेरी मट्ठ
ु मारो" मै उसका हाथ पकड़ कर
अपने लांड पर लगया और आगे पीछे करवाया. पहले तो मीन थोड़ा दहचकी कफर बोली " तम्
ु हारा लांड बहुत
शानदार है मेरी चत मै क़िर से खज
ु ली होने लगी है ......हीई सीइई मैई इ इकया करू ओम मम म
जफ्लच्क ककक " एक ही झटके मे मेरा सप
ु ाडा उसने ककसी आइसिीम कोण की तरह चस सलया मै जैसे
स्वग़ मै पहुच गया मैंने उसके मह
ु मै धकके मारे मैंने कहा मेरा पानी तनकलने वाला हाई.
" मेरी चत क़िर से गरम हो गई है इसका कुछ करो सी ई इ आअ आ अ ..........." मीन moan कर रही
थी मैंने मीन को फौरन कमोड शीट पर बैठाया और उसकी कुती का कपड़ा उसके मह
ु मै भर ददया.....
जजससे लांड घस
ु ने पर वो चच्लाये नही मैंने उसको समझाया भी थोड़ा दद़ होगा सेहन करना .. मैंने
उसकी दोनों टाांगें फैली और चत चाटी दो ऊुँगली उसकी चत मै भी घस
ु ी उसकी चत बहुत टाइट थी और
बहुत गीली सलजस्स्लसी सी गरम थी.मीन moan कर रही थी " हीई इ सी ई इ इ इ अब ज्दी करो..
मेरे बदन मे करोड़ों चीदटयाुँ घम रही है मेरी बरु को ना जाने कया हो गया ही" मीन ने कुती मह
ु से
तनकाल कर कहा... मैंने अपने लड
ुां पर बहुत सारा थक लगाया और कुछ उसकी गीली चत मै भी लगाया
जजससे उसकी चत के सलससलसे रस से मेरा थक समलकर और चत को चचकना कर दे .... मैंने लांड हाथ
मे लेकर सप
ु ाडा मीन की चत मे ऊपर नीचे रगडा .. मीन अपनी गाांड उठा कर मेरे लांड का स्वागत कर
रही थी अब वो बबना लांड डलवाए नही रह सकती थी उसने मेरे लड
ुां को पकड़ा और अपनी बरु पर
दटकाया मैंने पहले थोड़ा सा सप
ु ाडा अांदर कर उसको अांदर बहार कर एडजस्ट ककया.... मझ
ु े ऐसा लग रहा
था की मेरे लण्
ु ड को ककसी जलते हुए chamde के कलांप मई कास ददया हो. इतनी टाइट बरु थी मीन की
मैंने थोडी और लांड अांदर पेला मीन की मह
ु मै यदद कुती ना घस
ु ाई होती तो परे कम्पाट़ मेंट के यात्री हमें
चुदाई करते हुए पकड़ लेत.े ... मीन मेरे मोटे लांड के कारन अपना ससर इधर उदार दहलाकर और अपनी
आांखों से anssoo तनकाल कर बता रही थी की उसको ककतना दद़ हो रहा ही........ मैं थोडी दे र रक कर
फाटक से एक गहरा और चत फाड़ धकका पेला जजससे मीन की बरु की खझ्ली फटी हु लौदा उसकी
गहराई तक समाां गया मीन की तो हालत ख़राब हो गई थी.. मैंने थोड़ा रक कर लांड बहार खीांचा तो
उसके साथ खन भी बहर आया और फटा फट धकके मारने लगा. मीन की टाइट चत के कारण मेरे गें दों
मै उबाल आना शरू
ु हो गया tha.. मैंने मौके की नजाकत को ताड़ते हुए पहले लांड बहार तनकाल और
गहरी साुँस लेकर अपनी पोस्शन कांट्रोल करी और मीन के मह
ु से कुती हटी और कफर धीरे धीरे परा लांड
घस
ु ा कर शरू
ु मै हलके धकके मारे क़िर ताबड़ तोड़ धकके रगड. मै अपनी स्पीड गोंडवाना एकसप्रेस से
समला रहा था..." मीन की बरु पानी छोड़ने वाली थी क्र्योंकी उसने अपनी कुती वापपस अपने मह
ु मै डाल
ली थी और मीन की बरु मेरे लौडे को कसने लगी थे मै मीन के 32 से 34 साइज़ हुए मम्मे मसलता
हुआ चद
ु ाई कर रहा था.. मीन बहुत जोरो से झडी तभी मेरे लांड ने भी आखखरी सांसै ली तो मैंने मीन के
दोनों मम्मे परी ताकत से भीचते हुए अप लांड मीन की टाइट बरु मै आखखरी झाड़ तक पेल ददया और
मीन की ब को मैंने पहला वीय़ का स्वाद ददया मीन भी बहुत खस
ु हो गई थी. जब साुँस थमी तो मैंने
लांड मीन की बरु से भहर तनकाल जजससे मीन की बरु से मेरे वीय़ के साथ मीन की बरु से जवानी और
कांु वारा पण का सबत भी बहकर बहार आ रहा था. मैंने मीन को हटाया और कमोड मै पेशाब करी मीन
बड़े गौर से मेरे लांड से पेशाब तनकलते दे खते रही और एक बार तो उसने मह
ु भी लगा ददया. उसका परा
मह
ु मेरे पेशाब से गीला हो गया कुछ ही उसकी मह
ु मै जा पाया मैंने अपना लांड धोया नही उस पर
मीन की बरु का पानी और जवानी की सील लगी रहने ददया और नेककर के अांदर ककया मीन की बरु मै
सज
ु न आ गई थी मै इांतज़ार कर रहा था की अब मीन भी अपनी बरु सा़ि करे गी तो नांगी होगी तो
उसने मझ
ु े बहार जाने को बोला. मै उसकी बात मानकर उसको अपना रमाल बताकर आ गया. मैंने
अपनी घड़ी मै टाइम दे खा तो हम लोगो के सवा घांटा गज
ु र गया था टॉयलेट मै... शि
ु है भगवन का की
ठां ड के कारण कोई नही जागा था और ट्रे न भी नही रकी थी. थोडी दे र बाद मीन अपनी बरु पर हात
फेरती हुई कुछ लडाते हुए बहार आई मैंने पछ
ु ा कया हाल है जानेमन तम्
ु हारी बरु के " सज
ु न आ गई है
पर चुदवाने मै बहुत मजा आया क़िर से चद
ु वाने का मन कर रहा है " ये लो यह रम्मल तम
ु वहा छोड़
वीके;स फकस....इसमे यह कया लगा है सलससलसा" यह वोही रमाल था जजसमे मैंने मीन के नाम की मट्ठ
ु
मारी थी अपनी सीट पर लेते हुए वोही मझ
ु े दे ने लगी. "इसमे वोही सलससलसा है तो अभी तम्
ु हारी मतु नया
मै मेरे लांड ने उडेला है .... और तम
ु कया सलए हो" मैंने मीन को कहा... उसने पहले सघ
ां ा फले कहने लगी
" ये मेरी पैंटी ही... ख़राब हो गई थी तो मैंने तनकाल ली.. और तम्
ु हारा रमाल मै ले जा रही हुँ इसे
अपने साथ रखग
ुँ ी aur तम्
ु हारे पानी का स्वाद लेकर इसे सघ
ां कर सो जाउां गी.. तम
ु दद्ली मै कहा रकोगे..
और ककस काम से जा रहे हो" मीन ने मेरे से पछ
ु ा . तम
ु अपनी पैंटी मझ
ु े दो मैंने मीन से कहा कफर
बतओांगा मै कहा और कयों जा रहा हुँ. पहले तो मीन मझ
ु े धद्
ु की "तम
ु कया करोगे मेरी गन्दी पैंटी का"
मैंने कहा " वोही जो तम
ु मेरे रमाल के साथ करोगी और मै तम्
ु हारी पैंटी अपने लांड पर लपेट कर मट्ठ
ु
भी मारूांगा" उसने मेरे को चुम्मा दे ते हुए कहा "पागल" और अपनी पैंटी मझ
ु े दे दी मैंने वहा जाना उसकी
बरु रहती है उसको अपनी नाक से लगाया और जीव से चाटा तो मीन शमा़ गई मैंने मीन को बताया
की मझ
ु े दद्ली मै थोड़ा काम है और एक दोस्त की शादी भी है इतना सक
ु र वो कुछ अस्वस्त हुई. मैंने
कहा तम
ु मेरा सेल नो ले लो मेरे को ़िोन कर लेना मै बता दुँ गा की कहा पर रकांु गा और हम कैसे और
कब समलेंगे यह भी बता दें गे. मीन मेरा रमाल लेकर अपनी सार आ गई और मै अपनी सीट पर. अब
मेरा बैग भी आ गया था सो मैंने बैग मै से एयर पप्लो तनकाल और अपने ससराहने रख कर मीन को
याद करने लगा मेरा मेरा लांड क़िर से खडा होने लगा सो मैंने सीट पर लेटकर मीन की पैंटी सन्ग्नी लगा
उसमे से मीन की पेशाब और उसके पानी की स्मेल आ रही थी. उस स्मेल नो कमल ही कर ददया मेरा
लांड फांफनाकर बहुत कड़क हो गया मैंने मीन की पैंटी का वो दहस्सा जो की उसकी चत से चचपका रहता
था मैंने फाड़ सलया और बाकी की पैंटी लते लेते ही लांड पर लपेट ली नेककर के अांदर मैंने मीन को सपने
मै छोड़ते हुए और उसकी बरु की खस
ु ब सघ
ां ते हुए उसकी पह्साब भरी पैंटी को चाटते हुए मठ
ु मारने
लगा मैंने अपना सारा पानी मीन की फटी हुई पैंटी और अपनी चड्डी मै तनकाल ददया ३ बार झड़ने के
कारण पटा ही नही चला की कब मै सो गया" सब
ु ह मझ
ु े एहसास हुआ की कोई मझ
ु े जगा रहा है .. तो
मैंने आुँख खोलते हुए पछ
ु ा कौन है गाड़ी कौन से स्टे शन पर खड़ी है .... मझ
ु े जगाने वाला मेरा साला
मीन का भाई था बोला " दे व जी उदठए तनजामद्द
ु ीन पर गाड़ी खड़ी है पपछले १५ समतनट से सभी आपने
घर पहुच गए आप अभी तक सोये हुए हुँ" मै फटाफट उठा और अपना सामान बटोरा वैसे ही हात मै
सलया और प्लेटफोम़ पर उतर आया. वहा सबसे पहले मेरी नज़र मेरी नै चद
ु ै ल जानेमन मीन पर पड़ी वो
बब्कुल फ्रेश लग रही थी. उसके चेहरे से कटाई ऐसा नही लग रहा थी कई रात को मैंने इसी ट्रे न मै
मीन की बरु का अपने ह्लाबी लांड से उदघाटन ककया था और उसकी सील तोडी थी
प्लेटफॉम़ पर बहुत ठण्ड थी सन्
ु हे री धुप खखली थी मै टीशट़ और नेककर मै खड़ा था. मैंने मीन का
कम्बल और चादर घड़ी कर के उनको शौंपे और उनका धन्यवाद ददया मै अपने एयर पप्लो की हवा ऐसे
तनकाल रहा था जैसे मीन के दध दबा रहा हुँ और यह मीन को और उसकी कजजन को ददखा भी रहा था.
मैंने उनलोगों से पछ
ु ा की आप कहा जायेंगे मीन का भाई बोला हमको सरोजजनी नगर जाना है और
आपनो कहा जाना है . मझ
ु े भी सरोजजनी नगर जाना था वहा पर मेरे दोस्त की शादी है ... मैंने उनलोगों
को जवाब ददया. मैंने कहा मेरे साथ चसलए.... मझ
ु े लेने गाड़ी आई होदी बहार....वो लोग बोले नही नै
आप चसलउए हम बहुत सारे लोग है और इतना सारा समान है आप कयों तकलीफ करते है ....मैंने कहा
इसमे तकलीफ जैसे कोई बात नही हम आखखल एक ही मोह्ले के लोग है इसमे तकलीफ कयों और
ककसे होने लगी क़िर गाड़ी माुँ अकेला ही तो जाउां गा यह मझ
ु े अच्छा नही लगेगा. मीन की कजजन धीमे
से बोली रात की म्हणत सब
ु ह रां ग ला रही है ... और मझ
ु े मीन को दे खर हलके से मस
ु रु ा पड़ी. हम सभी
बहार आए तो दे खा की एक टाटा समो पर मेरे नाम की जस्लप लगी हुई थी मैंने मीन के भाई और
मम्मी से कहा की दे खखये ककस्मत से मेरे दोस्त ने भी बड़ी गाड़ी भेजी है . इसमे हम सब और परा
सामान भी आ जाएगा. गाड़ी मै सारा सामान लोड कर सभी को बैठा कर गाड़ी ररांग रोड पर तनकलते ही
मैंने गाड़ी साइड मै रकवाई और एक पको मै घस
ु गया वहा से अपने दोस्त को ़िोन ककया की यार मेरे
सलए एक रूम की अलग अरिं गेमेंट हो सकती है कया... उसने पछ
ु ा कयों.... मैंने कहा दे खा तेरे लौडे का
इन्तेजाम तो कल हो गया त कल ही चत मारे गा मै अपने सलए अपनी चत का इन्तेजाम सागर से ही
कर के लाया हुँ... रत मै ट्रे न मै मारी थी चत पर मजा नही aaya तस्ली से मारना छठा हुँ. मेरा दोस्त
बोला " दे व भाई तम
ु से तो कोई लड़ी पटती नही थी यह एक ही रात मै तम
ु ने कैसे तीर मार सलए और
तम
ु ने उसे चोद हख डाला वह यार वहः मझ
ु े बड़ा अच्छा तोहफा दे रहे हुँ मेरे शादी मै सब
ु ह सब
ु ह मझ
ु े ही
गोली दे रहे हुँ... मैंने कहा बोल त कर सकता है तो ठीक नही तो मै होटल जा रहा हो मझ
ु े मेरे दोस्त
ने आसरु करा ददया की वो ऐसा इन्तेजाम कर दे गा. मै ़िोन का बबल दे कर गाड़ी मै बैठ और इांतज़ार
कराने के सलए सभी को सॉरी बोला और ड्राईवर को चलने का हुकुम ददया ...मैंने पछ
ु ा आप लो सरोजजनी
नगर मै ककसके येहा जायेंग.े .. मीन की मम्मी बोली " बेटा मेरी बदहन के लड़के की शादी है ... कल की
समस्टर कपर... रोहन कपर..... " ओह क़िर तो मजा ही आ गया भाई" मै उचलता हुआ बोला.. सब मेरे
को आश्चय़ भरी तनघाहों से दे खने लगे सो मै आगे बोला " वो.. वो.. कया है की मझ
ु े बी कप्पोर साहब के
बेटे यातन ससु मत की शादी मै जाना है .. हम दोनों एक साथ नौकरी मै आए थे बतच्माते है ... "'मेरा इतना
कहना था की मेरी माससमयत पर सभी हस पड़े बैटन बैटन मै कब ससु मत का घर आ गया पटा ही नही
चला.... पर मै ससु मत से आुँख नही समला प रहा था.. जल सब घर के अांदर चले गए तो मैंने ड्राईवर को
रकने को बोला और अपना बैग गाड़ी मै छोड़ कर ससु मत को बल
ु ाने उसके घर मै गया... ससु मत आकर
मेरे से सलपट गया.. बहुत खस
ु था ससु मत पर मै उससे आुँख नही मल प रहा था मैंने ससु मत को एक
तऱि ले जाकर बोला " दे ख यारा बरु ा मत मातनय .. तम्
ु हारे यह मेहमान बहुत है मै ऐसा करता हुँ की
मै और सध
ु ीर मेरा एक और दोस्त दोनों होटल मै रक जाते है .." मेरा इतना कहते ही सम
ु ीत के चेरे के
भाव बदल गए.. ससु मत ने कहा " दे ख भाई दे व मै जानता हुँ की तम
ु होटल कयों जा रहे हो यार कोई
बात नही तम
ु ने रे खा (मीन की कजजन) को चोद ददया तो कया हुआ.. इससे कोई फक़ नही परता.. यदद
तम
ु मीन को भी चोद दे ते तो इसमे कोई ददककत नही थी मै भी उसको चोदना चाहता था पर मौका नही
इला या मेरी दहम्मत नही हुई.. इसे ददल पे मत ले यार" मौज कर यारा मैंने तेरे सलए स्पेशल रूम का
अरिं गेमेंट ककया है वो भी तम्
ु हारी डासलिंग के साथ वाले रूम मै" यह सन
ु का र मेरी जान मै जन आई. मै
ससु मत को कलेअर कर दे ना चाहता था की मै रे खा नही मीन को चोदना चाहता हुँ." सो मैंने कहा मैंने
मीन को चोदा है ट्रे न मै.... और उसको ही तस्ली से चोदना चाहता हु .."''''... ..ससु मत बोला " सेकसी तो
रे खा थी पर तम
ु ने मीन को कैसे चोद सलया.. वो बधाई हो my boy......... ..तभी मीन थोड़ा लांगडा के चल
रही थी. तम
ु ने तो ऑकफस मै अपनी मैडम को भी तगड़ा चोदा था जबकक वो शादी सद
ु ा थी वो तो २ ददन
चल क़िर भी नही सकी थी" " बजस तम
ु दोनों दरवाजे पर ही बातें करते रहोगे कया? ससु मत इसे इसके
VIP कमरे मे पहुचा दो .. कैसे हो दे ब बेटा" कहते हुए ससु मत के पापा आ रहे थे..... मैंने उनके पैर छुए
और उनसे थोडी बातें करी. क़िर सम
ु ीत मेरे को अपने रूम मे ले गया.. सम
ु ीत के पपता बहुत बड़े बबज़नस
मैंन थे बहुतबदा बन्
ु ग्लोव था उनका सम
ु ीत ने मझ
ु े सेकांड ़िलर पर जहा ससर ३ ही कमरे थे और मीन
वगैरह भी वोही रके थे रूम कफकस ककए थे.. रूम बहुत शानदार था एकडबल बेड टीवी सब कुछ था ....
ससु मत बोला " कयों दे व कैसा लगा मेरा इन्तेजाम तम्
ु हारी चत भी तम्
ु हारे ब्गल मे है और एक खास
बात बताऊ मे मीन की बाथरूम तम्
ु हारे बाथरूम से लगी है बीच मे गप्ु त दरवाजा है आओ मे तम
ु को
ददखा द उसने मेरे को वो दर ददखा ददया और कैसे खुलता है वो भी ददखा ददया मे वहा से मीन के
बाथरूम मे पहुच सकता था और वहा से उसके रूम मे. अछा चल तैयार होजा और फटाफट नीचे आजा
साथ नास्ता करें गे ... मे ससु मत को बोला " ससु मत तो मीन की चत की खस
ु ब लेना चाहे गा ." ससु मत ने
कहा कैसे मैंने मीन की पैंटी का वो फटा दहस्सा उसको दोखाया और उसको सघ
ां ने को दे ददया.. मे और
ससु मत पहले बी कैर लारककया साथ समलकर चोद चक
ु े थे उसको चत की स्मेल के बारे मे पटा था बहुत
अची है रे दे व मीन की बरु तो मे तो उसकी बरु के नाम पर मट्ठ
ु ही मारता रह गया पर तन
ु े मेरे लांड का
बदला ले सलया.. यह सब बातें बात बाथरूम मे ही हो रही थी... ससु मत मेरे रूम से चला गया घर का़िी
हो ह्ला हो रहा था सो मैंने रूम लाक करके टीवी ओां कर ददया और नांगा होकर फ्रेश होने और नहाने
बाथरूम मे घस
ु गया. बदढ़या गम़ पानी से नन्हे लगा तभी मझ
ु े दीवार पर वोही सेिेअत दरवाजे पर कुछ
टकराने की आवाज आई मैंने शोवेर बांद ककया तो उस तऱि मीन नहा रही लगता महसस हो रही थी....
मैंने धीरे से सेिेअत दरवाजा खखसकाया जो की बबना ककसी आवाज के सरकता था तो दे खा एक बब्कुल
जवान नांगा जजस्म शोवेर मे मेरी तऱि पीठ ककया अपनी बरु मे साबन
ु लगा रहा था मे भी मादरजात
नांगा था मेरे लांड को चत का दठकाना का एहसास होते ही उछाल भरने लगा मैंने आव दे खा ना ताव
सीधा जाकर उसके मह
ु पर हाथ रखा जजससे वो डरकर ना चच्ला पाए और उसकी गाांड के बीच मे
अपना ह्लाबी लौदा दटकते हुए उसकी पीठ से चचपक गया.. मेरी पकड़ जबरदस्त थी इससलए वो दहल
भी नही पाई मैंने शोवेर के नीचे ही उसके कानो मे कहा कह जानेमन अब कया इरादा है चाल एक बार
कफर से चद
ु ाई हो जाए और मे उसकी चत पर हात कफरने लगा उसने अपनी बरु मे सबरु घस
ु ा रखा था
वो सबरु से अपनी चत चोद रही थी मैंने कहा यह जगह सबरु रखने की नही लांड रखवाने की है और मे
उसके चत के दाने कओ मसलने लगा. पहले तो उसने टाुँगे ससकोडी पर दाने को मसलने से वो गरमा
गई थी उसने अपनी टाुँगे ढीले छोर दी मैंने अभी तक उसका मह
ु ताकत से बांद कर रखा था मैंने कुछ
दे र इसकी पोससशन मे उसकी बरु का दाना मसला और क़िर मैंने अपनी बीच वाली ऊुँगली उसकी बरु के
हौले मे घस
ु ा दी ... बहुत गरम और टाइट चत थी.. मैंने अपनी ऊुँगली से उसकी बरु को छोड़ने लगा था
वो मस्ताने लगी थी थी और उसकी बरु पतनयाने लगी वो दहल रही थी अपनी गाांड भी जोरो से दहला रही
थो मैंने अपनी ऊुँगली को उसकी बरु मे तेज़ी से पलना शरू
ु कर ददया यातन की स्पीड बड़ा दी इधर मेरा
ह्लाबी लांड जो की उसकी मदमाती गाांड मे फसा हुआ था फनफना रहा था उसकी भी भरु गरमा गई
थी.. तभी उसने अपने एक हात मेरी उस तेली हर रखा जजसे मैं उसकी बरु को चोद रहा था क़िर उसने
अपना हाथ मेरे लौडे को चन
ु े के सलए नीचे लगाया वो सस़ि़ मेरे सप
ु ाडे को ही तौच कर पाई वो चटपटा
रहे ई थी बहुत गरम और टाइट चत थी.. तभी उसने अपने दोनों हाथो से मेरा हाथ अपने मह
ु से हटाने
की नाकाम कोसशक करने लगी. मझ
ु े उसकी यह हरकत ठीक नही लगी तो मै उसे बाथरूम से खीच कर
अपने बेडरूम मै ले आया और उसको उ्टा ही बेद पर पटक ददया जैसे ही वो पलती मेरे होश फ्हाकता
हो गए वो ररका thi... मैंने उसको चप
ु रहने का इशारा ककया और अपने टीवी की वोल थोडी और बड़ा दी
रे खा का बदन बहुत सेकसी था उसके कड़क बब्कुल गोलाकार 36 साइज़ के मम्मे सरु ाही दार गद़ न, २-2½
इांच गहरी नासभ ह्का सा सामला रां ग रे खा की चुद डबलरोटी की तरह फली हुई थी रे खा ने अपनी झाांते
बड़ी ही कुशलता से सजा राखी थी मै तो रे खा को नांगी दे ख कर बेकाब हो रहा था रे खा अपनी चत दोनों
हात se धाक रही थी और मेरे से कहने लगी प्लीज़ मझ
ु े जाने दो .. मीन नहाकर आजायेगी तो मझ
ु े
ददककत हो जायेगी.. मैंने पछ
ु ा तम्
ु हारा रूम अांदर से तो लाक है बा.. बोली हाां है मैंने कहा तो क़िर कया
कफकर तम
ु जैसे सेकसी लड़की को नहाने मै टाइम तो लगेगा ही. रे खा तम
ु बहुत सेकसी और खब सरत
और तम्
ु हारी चत तो बहुत गजब की है इसमे जबरदस्त रस भरा हुआ है मझ
ु े यह रस पपला दो प्लीज़
और मै रे खा के ऊपर टट पडदा रे कः के औत बहुत ही रस भरे थे मैंने उसके औतह को अपने ओठों मै
कास सलए और उसके सलप्स को चसने लगा मै एक हाथ से ररका की मस्त जवानी के मम्मे भी मसल
रहा था और अपना लौड़ा उसकी बरु के ऊपर दटका कर रगड़ रहा था पहले तो ररका चतपटती रही पर
जैसे ही मैंने उसके शरीर पर अपने शरीर के दहस्सों का दबाब बढाया तो वो भी कुछ ढीली पड़ने लगी.
अब ररका ने अपनी चत से अपने हाथ हटा सलए थे मैंने ररका के शरीर को सहलाना शरू
ु ककया मै उसकी
अांदरूनी जान्ग्ह और चत पर ज्यादा ध्यान दे रहा था. रे खा भी अब जवाब दे ने लगी थी और ससससयानी
लगी थी रे खा का बदन बड़ा ही गद
ु ाज़ बदन था और ऐसे ही फुद्दी वाली उसी बरु थी मै अब ररका के
तनप्प्ले को चसने के सलए उसके औऔन्त को चमते और चाट ते हुए नीचे मम्मो की घाटी की और चल
पड़ा रे खा बहुत जोरो से ससससयाने लगी थी.. ...... मैंने जैसे ही उसके मस्त मामो की सहलाना और उनके
ककनारों से चसना चालो ककया रे खा चतपताने लगी मै एक तनप्प्ले हाथ से मसल रहा था और दसरा
नीपल की और अपनी जीव ले जारहा था मै ऐसे tease कर रहा था रे खा को रे खा को भी अब मजा आने
लगा था उसने नीचे हाथ दाल कर मेरा ह्लाबी लौड़ा pakad सलया और बोली हीई दे व मीन की बरु
ककतनी खुशनसीब है जजसको तम्
ु हारे लौडे जैसा चोद ु लोवर समला कल रात मै ट्रे न मै तम
ु ने उसकी बरु के
चीथड़े उदा ददए मैंने दे खा मीन लांगडाकर चल रही थी मैंने तम
ु दोनों की चुदाई के सपने दे खते हुए 3
बार अपनी चत ऊुँगली से झारा डाली ही रजा बहुत मस्त लौड़ा ही... मैंने कहा रे खा तम्
ु हारी जवानी मै तो
आग है तम
ु हरा बदन बहुत गद
ु ाज और सद
ुां र सेकसी है तम्
ु हारी पाव रोटी जैसे फली चत मझ
ु े बहुत अची
लगती है हीई और मै तेजी से उसे तनप्प्ले चसने लगा और एक हाथ से उसकी चत को नीब ki तरह
मसलने लगा रे खा बहुत गरमा गई थी रे खा खेने लगी अब कांट्रोल नही होता अपना लौड़ा मेरी बरु मै
घस
ु ा दो फाड़ दो मेरी बरु बहुत खुजली हो रही है तम्
ु हारा लांड जो भी लड़की एक बार दे ख लेगी बबना
चुद्वारी नही रह सकती.. और जजसने एक बार चुद्वासलया उसके तो कहने ही कया वो हमेसा अपनी चत
का दरवाजा तम्
ु हारे लौडे के सलए खोले रखेगी मझ
ु े जब मीन ने तम्
ु हारे लौडे के पानी वाला रमाल सघ
ुां ाया
तो मेरी चत ने अपने आप पानी चोर ददया मै समाज गई थी की तम्
ु हारा लांड तम्
ु हारे जैसा ही ह्लाभी
होगा जो बेरी बरु की जी भर कर चुदाई करे गा और खज
ु ली समटाएगा पर यह नही जानती थी कुछ ही
घांटो मै मझ
ु े मेरी मरु ाद परी होने का मौका समल जायेगा...हाई आब सेहन नही हो रहा ज्दी से अपना
लौड़ा मेरी बरु में पेल .... मैं रे खा के माम्मे जबरदस्त तरीके से चस रहा था और रे खा का तना चत
ka दाना मसल रहा था रे खा की चत बहुत पतनयाई हुई थी रे खा बहुत चद
ु ासी हो रही थी रे खा की बरु पर
करीने से काटी गई बेल बटे दार झाांटें बहुत सद
ुां र लग रही थी रे खा की पाव रोटी पपचक और फल रही थी
ऐसी बरु को मै पट्ट
ु ी वाली बरु कहता हुँ इसको चसने और छोड़ने मै बहुत मजा आता है मै रे खा की बरु
को उसकी लम्बाई मै कुरे द रहा था और बीच बीच मै एक ऊुँगली उसकी बरु मै घस
ु ा कर ऊुँगली से बरु
भी चद
ु दे ता रे खा की बरु मै सलससलसा सा पानी था मैंने ऊुँगली बहार तनकाल कर सतनग और चाट ली
बहुत ही बदढ़या खस
ु ब थी और तसते तो पछो ही मत मेरी चत के पानी की प्यास्सी जीव रे खा की बरु
को चसने के सलए तड़प उठी मैंने रे खा के पैर के अांगठे से चसना शरू
ु ककया और उसकी अांदरूनी जाांघ
तक चसते चसते पहुच गया मै रे खा की काली सामली पाव रोटी जैसी पट्ट
ु ी वाली बरु के आस पास अपनी
जीव कफरने लगा वह जो उसका पानी लगा हुआ था उसको चाटने मै बहुत मजा आ रहा था रे खा से रहा
नही जा रहा था.. ही दे वव यह कया हो रहा ही मेरे कोऊ ऐसा पहले कबी नही हुआ ही मेरी बरु को चसो
इसे चबा जाओ इसे खा जाओ रे खा ने मेरा सर पकड़ कर अपनी बरु पर लगा ददया उसकी पतु ती वाली
बरु को वो अपनी गाांड उठाकर मेरे मह
ु पर रगड़ रही थी मैंने रे खा की दोनों ताांगे फैलाई और उसकी बरु
पर ककस ककया सी हीई मर गैईईई आया ऐसा कह रही थी क़िर मैंने रे खा की पाव रोटी को उां गसलयों से
खोला और जीव से जबदा़स छाती शरू
ु कर दी ऊऊम्म्म्म हीईई सीईई बहुत अच्चा लग रही अदह दे व
उम्म्म्म और चस और चाट अपनी जीव परी घम
ु ा द पहले ककसी ने ऐसा मजा नही ददया ओम्म्म मेरी
चत झरने वाली है ई अईई ज्दी से कुछ करू मैंने अपनी जीव की रफ़्फतार बड़ा दी रे खा अपनी दोनों टाांगो
से मेरे सर को दबा सलया मैंने अपनी जीव रे खा की गरम और सलससलसी बरु की गफ
ु ा मै घस
ु ा कर जैसे
ही गोल गोल घम
ु ाया अरे यार यह कया कर ददया मेरी बरु तो पानी चद
ु राही ही ल और जर से चस और
पपच पपच कर के उसकी बरु ने तेज़ी से पच
ु कारी मारना चलो कर ददया मै तेज़ी से जीव चलता हुआ
उसका पानी पी गया और चत का दाना क़िर से अपनी जीव में भर सलया रे खा मेरा लांड को प्यार करना
चाहती थी सो उसने मेरे कहा तम
ु अपना लौड़ा मेरी और करो हम दोनों ६९ मै हो गए रे खा मेरा लौड़ा
बहुत तेज़ी से और अच्छे से चस रही थी ऐसा लग रहा था की रे खा पहली बार नही चुदवा रही वो पहले
भी चुदवा चुकी थी मै रे खा की बरु के दाने को तेज़ी से चस रहा था रे खा मेरे नीचे थी और मेरा लौड़ा
चस रही थी मै जजतना प्रेशर उसकी बरु पर अपनी जीब से डालता उतनी ही प्रेशर से रे खा भी मेरे लौडे
को चसती मझ
ु े ऐसा लगरहा था की मैंने अपना लांड यदद ज्दी रे खा के मह
ु से न तनकला तो यह झड़
जाएगा मै रे खा के मह
ु से लांड तनकल कर रे खा की बरु को और गहराई से चसने लगा रे खा क़िर से
तईयार थी.. हाय मेरे चोद ु रजा आज लगता ही मेरी बरु की खज
ु ली परी तरीका से शाांत होती मेरी पाव
रोटी मै कई लौडे अपने जान गवा चुके है घस
ु ते ही दम तोड़ दे ते है आज तम
ु मेरी बरु की जान तनकल
द मेरे राजा..... मैंने रे खा की गाांड के नीचे तककया लगे उसकी पाव रोटी जैसे पतु ती वाली बरु जैसे घमांड
मै और फल गई उस गद
ु ाज पतु ती वाली बरु से सलससलसा सा कुछ तनकल रहा था मझ
ु े सेहन नही हुआ
तो मैंने क़िर से अपनी जीव उसकी बरु से लगा दी.. अरे रहा तम
ु भी डर रहे हो कया मेरी पाव रोटी मै
दम तोड़ने सी हीईई कोई तो मेरी बरु की खुजली शाांत कर दे मैंने अपना लौड़ा उसकी बरु पर रखा और
थोड़ा उसे जकलटोररस से बरु के एांड तक रगडा साथ मै मै उसके माम्मे बरु ी तरह से रगड़ मसल रहा था
रे खा अपनी गाांड उठा उठा कर मेरे लड
ुां को अपनी बरु मै घस
ु ाने के सलए तड़प उठी मेरे रजा मत तड़पाओ
मै मीन नही रे खा हुँ मै चत की खज
ु ली से मर जाओांगी मेरी बरु को चोदो फादो उसने मेरा लांड पकड़ा
और अपनी बरु के छे द पर दटका सलया और थोडी गाांड उठाई तो पक
ु क की आवाज के साथ सप
ु ाडा उसकी
बरु मै घस
ु गया सप
ु ाडा का गद
ु ाज बरु मै घस
ु ना और रे खा के मह
ु से दद़ की करह तनकलना शरू
ु हो गई
उई मीन मेरी बऱ मै पहली बार ककसी ने जलता हुआ लोहा डाला ही मेरी बरु चचर गई गत गई कोई तो
बचा ले मझ
ु े बहुत मजा आ रहा था मैंने रे खा से कहा रे खा जानेमन पट्ट
ु ी वाली गद
ु ाज बरु बहुत कम
औरतों को नस्सेब होती है इनको बड़ी तस्ली से चद
ु वाना चैये तम्
ु हारी चत की तो मै आज बांद बजा
दुँ गा और मैंने रे खा के दोनों मम्मे अपने हाथ मै सलए और अपना औत उसके औत से चचपका ददया और
परा लांड एक ही झटके मै पेलने के सलए जोरदार धकका मारा एक झटके मै रे खा की बरु की दीवारों से
रागाद्खता हुआ मेरा लांड आधी से ज्यादा रे खा की पाव रोटी वाली बरु मै धस चक
ु ा था मै कुछ दे र रका
और लांड बहार खीचा सप
ु ाडा को बरु मै रहने ददया और कफर से बरु फाड़ धकका लगे इसबार मेरा लांड
रे खा की बरु की गहराई मै जाकर धस गया मझ
ु े ऐसा लग रहा था जैसे ककसी गरम मकखान वाली ककसी
चीज को मेरे लांड पर बहुत कास कर बाुँध ददया हो. उसकी बरु बहुत सलससलसी और गरम थी मै रे खा को
हलके हलके धकके दे कर छोड़ने लगा रे खा को अब मजा आ रहा था वो ही सी राजा औरर मारू यह बरु
तम्
ु हारे सलए है मेरी बरु को चोदने के इनाम मै मै तम्
ु हारी मीन के साथ सह
ु ागरात मांवऊांगी बहुत मजा
आ रहा ही पहले ककसी ने ऐसे नही चडा छोड़ते राह मझ
ु े लगता है की तम्
ु हारा लांड मेरे पेट से भी आगे
तक घस
ु ा हुआ ही मेरी चत की तो आज बांद बज गई आरे दे खो साल ऐसे चद
ु वाई और चोदी जाती है
चत उम्म्म मेरे राजा बहुत माजा आ रहा ही उई मा मेरी पेट मै खलबली हो राइ ही येह्ह मई तो झरने
वाली हुँ मई जाने वाली हुँ सो मैंने अपनी स्पीड बड़ा दी रे खा ने मेरे से कहा दे व तम
ु लेटो मझ
ु े तम्
ु हारे
लौडे की सवारी करने दो मै तरुां त लेट गया रे खा ने लौड़ा को दठकाने पर रखा और ठप्प से मेरे लौडे पर
बैठ गई और फटाफट उचकने लगी रे खा के ३६ साइज़ के मम्मे हवा मै उछाल मार रहे थी रे खा बहुत
तेजी से झारी पर मै अभी नही झरने वाला था कयोंकक पीछे ६-८ घांटो मै ३ बार झर चक
ु ा था सो मैंने
रे खा को कुततया बनाया और भत
ु बेरहमी से चडा. रे खा कहने लगी दे व बहुत दे री हो जायेगी ज्दी से
खाली करो अपना लौड़ा मेरी बरु मई क़िर मैंने और तेज़ी से धकके मारे और रे खा की बरु की गेरे मै झर
गया रे खा ने मेरा लौड़ा चाट कर सा़ि ककया और क़िर चुदवाने के वादे के साथ पवदा हो गई मैंने दद्ली
मै ससु मत के घर पर ही ससु मत की सह
ु ाग रात वाले कमरे मै मीन के साथ भी सह
ु ाग रात माने और रे खा
और मीन दोनों को चोदा पर यह सब बाद मै
दो जजस्म और एकाांत
मम्मी और पापा आज सवेरे दद्ली जाने वाले थे। मैं घर पर अकेली थी। पापा ने पड़ोस में रहने वाले
शमा़ जी को कहा था की वो मेरी और घर की दे खभाल करें । शमा़ जी की बेटी मेरी सहे ली है । उसका
भाई पवनोद २० साल का है और कॉलेज में पढता था। वो मम्मी - पापा के जाने के बाद अपनी ककताबें
ले कर घर पर आ गया था। उसे बैठक का कमरा दे ददया था। दो जवान जजस्म और एकाांत…कफर परी
आज़ादी। कुछ तो होना ही था। वो शरू
ु से ही मझ
ु े पसांद करता था। वो मझ
ु से बात करने के सलए बार
बार मेरे कमरे में आ जाता था। मैं मन ही मन उसकी बात समझती थी और मस्
ु कुराती थी। मझ
ु े भी वो
अच्छा लगता था। जजस समय वो मेरे कमरे में आया उस समय मैं बाथरूम में नहाने घस
ु ी ही थी। मैंने
बाथरूम के दरवाजे के छे द में से झाांक कर दे खा तो वो बाथरूम की तऱि ही दे ख रहा था। मैं कपड़े
उतरने लगी। तभी मझ
ु े लगा कक पवनोद दरवाजे के पास आ गया है । मझ
ु े मौका समल गया उसे पटाने
का। मैंने चुपके से दे खा कक बाथरूम के दरवाजे के उसी छे द से… एक आुँख खझलसमला रही थी। मैं समझ
गयी कक वो मझ
ु े अब दे ख रहा है । मैंने उसे अपनी और आकपऱ्त करने के सलए अनजान बनते हुए
अपना टॉप उतारा….. मेरी चचुां चयाुँ उछल कर बाहर आ गयी। मैंने चुजन्चयो को धीरे से सहलाया और नोकों
को मसल ददया। कफर मैंने छे द की ओर अपनी पीठ करते हुए अपना पजामा उतर ददया। पें टी भी उतर
दी। मेरे चतडों की गोलाईयाां और गहराइयाुँ उसकी नजरों के सामने थी। ऐसा करते समय मेरे बदन में
सनसनी ़िैल रही थी, कयोकक मझ
ु े पता था कक पवनोद मझ
ु े नांगा दे ख रहा है । मैंने अपना बदन अब उसके
सामने कर ददया जजस से उसे मेरी छट सा़ि ददख जाए। उसकी नजरे अभी भी छे द में चमक रही थी।
मैंने झरना खोला और गरम गरम पानी मेरे शरीर पर पड़ने लगा। मैंने कभी अपनी चुांचचयाुँ मलती, तो
कभी अपनी चत सा़ि करती। मैं चाहती थी वो मझ
ु े दे खे और उततेजजत हो जाए। मैं नहा चुकी तो मैंने
दरवाजे के छे द के पास अपनी चत सामने कर दी। मेरी चुांचचयाुँ कड़ी होने लगी थी। मझ
ु े लगा कक उसे
अब मेरी चत सा़ि नजर आ रही होगी। मैंने अपना बदन तोसलये से पोंछ कर कपड़े पहनने शरू
ु ककए।
अब उसकी आुँख वहाुँ नहीां थी। मैं बाथरूम से बाहर आयी और अनजान बनते हुए बोली-”अरे … पवनोद कब
आए..?” “बस अभी ही आया हुँ…” उसका झठ पकड़ में आ रहा था। उसका लांड पैंट के ऊपर से उफनता
हुआ ददख रहा था। “कया बात है ….. तम्
ु हारा मह
ांु लाल कयुँ हो रहा है …….” मैं बालों पर कांघी कर रही थी।
उसे छे ड़ने में मझ
ु े मजा आ रहा था। मैं उसके सामने बैठ गयी और झक
ु कर पांखे की हवा में बाल
सख
ु ाने लगी। उसकी नजरों के सामने मेरी उभरी हुयी चांचु चयाुँ टॉप के भीतर से झाुँकने लगी। उसकी नजरें
मेरे स्तनों पर गड़ गयी। मैंने नीचे से ही ततरछी नजरों से उसे दे खा… और उसके गमा़ते शरीर पर सीधे
चोट की……”पवनोद…. अन्दर कया दे ख रहे हो …झाांक कर ?” “हाुँ… नही…. कया….?” वो बरु ी तरह झेंप गया।
“अच्छा.. अब मैं बताऊुँ……कक कया दे ख रहे हो तम
ु …..” पवनोद एकदम से शरमा गया। “नेहा… वो… नही….
सो…. सॉरी…” “कया सॉरी….. एक तो चोरी…कफर सॉरी…….” “नेहा…. अच्छी लग रही थी…..सॉरी कहा न ” मैं
उसके पैंट पर से लांड के उभर को दे ख रही थी। उसने ऊपर हाथ रख सलया। “नही दे खो… इधर.. ” वो
शरमा गया। मैं मस्
ु कुरा उठी। “तो कान पकडो……..” पवनोद ने अपने कान पकड़ सलए…… “बस…ना…” हाथ
हटाने पर लांड का उभार कफर से ददखने लगा। मैं हां स पड़ी। वो दे खो…..जो है वो तो ददखेगा ही…. ” अब
पवनोद को समझ में आ गया था कक खल
ु ा तनमांत्रण है। उसका लांड का आकार तक ददखने लगा था।
पवनोद उठ कर मेरे पास आ गया। उसने मेरे कांधे पर हाथ रखा और कहा-”नेहा…..तम्
ु हारी भी तो उभार
है …… एक बार ददखा दो…..” “अरे …मैं तो मजाक कर रही थी…… तम
ु अन्दर दे ख रहे थे……. इससलए मजाक
ककया था…” पवनोद से रहा नही गया उसने एकदम से मेरे गालों को चम सलया। मैं शरमा गयी…….
“पवनोद….. ये कया कर रहे हो…”उसने तरुां त ही मेरे होंट पर अपने होंट रख ददए। मैंने सोचा अब इसे और
आगे बढ़ने दो। मझ
ु े मजा आने लगा था। उसने मेरे भारी स्तनों को पकड़ सलया। उसने स्तनों को
मसलना चाल कर ददया। मैं ससमटी जा रही थी। पर उसके हाथों ने मेरे उभारों को मसलना जारी रखा।
मैं अपने को बचाती भी रही…पर उसे रोका भी नहीां। जब उसने मेरे उभारों को अच्छी तरह से दबा सलया
तब मैंने जान कर के उसे पीछे की ओर धकका दे ददया-”बहुत बेशरम हो गए हो….” मेरे हाथ से कांघी
नीचे चगर गयी। मैं जैसे ही उठ कर कांघी उठाने को झुकी, मेरे पजामे में से मेरी गाांड की गोलाईयाां उभर
कर पवनोद के सामने आ गयी। पवनोद बोल उठा-”नेहा बस ऐसे ही रहो…….” मैं जान कर के वैसे ही झुकी
रही। “कया हुआ….?” उसने मेरे नरम नरम गोल चतडों को हाथ से सहला ददया। गोलाईयाां सहलाते हुए
उसके हाथ दोनों फाकों की दरार में घस
ु पड़े ओर कफर अपनी उां गली घस
ु ा कर मेरी गाांड के छे द को
सहलाने लगा। मझ
ु े बहुत आनांद आ रहा था। मैं वैसे ही जान कर के झुकी रही। अब उसके हाथ मेरी चत
की तऱि बढ गए। मैं ससहर उठी। जैसे ही उसने चत दबी… चत का गीलापन उसके हाथ में लग गया।
अब उसने मेरी चत को भीांच ददया। मैंने ज्दी से उसका हाथ हटा ददया। और सीधी खड़ी हो गयी।
पवनोद मस्
ु कुराया “नेहा… मज़ा आ गया…. तम्
ु हें कैसा लगा…?” “अब तम
ु बेशरमी ज्यादा ही ददखा रहे हो….
कालेज़ नहीां जाना कया…?” मैंने भी उसे मस्
ु कुरा कर कहा। हम दोनों ने दोपहर का खाना खाया। क़िर
पवनोद कालेज़ चला गया। मैंने अपने कपड़े बदले, पैन्टी और ब्रा उतार दी और सस़ि़ स्कट़ और ह्का सा
टाप पहन सलया। मैंने सोचा कक अब जब पवनोद आएगा तो मझ
ु े चोदे बबना नहीां छोड़ेगा। मैंने हमेशा की
तरह अपनी गाण्ड में िीम लगा कर चचकनी कर ली और बबस्तर पर लेट गई। पवनोद के बारे में सोचते
सोचते जाने कब मझ
ु े नीांद आ गई। अचानक मेरी नीांद खुल गई। मझ
ु े अपनी पीठ पर एक जजस्म का
भार महसस हुआ। मैं ससहर उठी और समझ गई कक यह पवनोद है पर मैंने आांख नहीां खोली। पवनोद मेरी
पीठ पर सवार था और उसका नांगा लण्ड मेरी गाण्ड पर स्पश़ हो रहा था। मैं नीचे दबी हुई थोड़ी इधर
उधर हुई तो उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छे द पर दटक गया। मैंने अपनी टाांगें थोड़ी और ़िैला दी।
“नेहा……. तम
ु बहुत अच्छी हो….” “आऽऽऽह… पवनोद……..” उसके लण्ड की सप
ु ारी से चचकनाई तनकलने लगी
जो मेरी गाण्ड को भी चचकना कर रही थी। उसके लण्ड ने अपनी मदा़नगी ददखानी शरू
ु कर दी, उसके
चतड़ों ने लण्ड पर जोर लगाया और सप
ु ारी छे द में आराम से घस
ु गई। “आऽऽऽऽह… अन्दर गया…ऽऽ
पवनोद…” मेरे मह
ांु से सससकारी ़िट पड़ी। उसने ह्का सा जोर लगाया तो लण्ड गाण्ड की गहराईयों में
रगड़ खाता हुआ उतरने लगा। अब मैंने अपनी गाण्ड ढीली छोड़ दी और टाांगें परी खोल दी। अब उसके
लण्ड का जोर परा लग रहा था। मैंने उसके हाथ पकड़ कर अपनी चजु न्चयों पर रख ददए. मैं कोहतनयों पर
हो गयी और आगे से शरीर को थोड़ा ऊपर कर सलया. उसने अब मेरी चांचु चयाां पकड़ ली और मसलने
लगा. मेरे ऊपर वो चचपका हुआ था. लांड उसका मेरी गाांड में परा घस
ु ा था पर वो अभी धकके नहीां मार
रहा था. वो मझ
ु े चमने चाटने में लगा था. उसके होंट मेरे होंट तक नहीां पहुुँच पा रहे थे. मैं मस्ती में
नीचे दबी पड़ी थी. अब उसने अपने दोनों हाथ बबस्तर पर रखे और मेरे बदन को उसने मक
ु त कर ददया.
अब उसने धीरे धीरे धकके मारने चाल कर ददए. मैं कफर से बबस्तर पर चचपक कर लेट गयी. और आराम
से आांखे बांद कर ली. मैं परे मन से गाांड चुदाई का आनांद ले रही थी. उसकी स्पीड अब तेज हो गयी थी.
उसके लांड से चचकनाई भी तनकल रही थी. “नेहा…… आःह्ह…… मजा आ रहा है…” ” हाुँ रे …सी सीई..
आः…..” मैं नीचे लेटे लेटे आुँखें बांद करके ससस्काररयाां भरती रही. मेरे अन्दर अब मीठी मीठी सी गद
ु गद
ु ी
बढने लगी. नीचे मेरी चत भी बहुत पानी छोड़ रही थी. सारे बदन में वासना की रां गीन कसक सी बढ रही
थी. मझ
ु े ऐसा महसस होने लगा था की पवनोद मेरे अांग अांग को दबा दे , उसे मसल डाले….. मेरा सारा
कस बल तनकाल दे . “पवनोद…. करते रहो….जोर से…करो…. हाय……” ऐसा लगा आवाज़ मेरी अांतरातमा से
तनकाल रही हो. उसके धकके मेरी गाांड में ऐसे आराम से चल रहे थे जैसे कक चत चुद रही हो. उसी
सरलता से… उसी तेजी से…..मजा भी उसी के समान आ रहा था……… “हाय…. आ अहह हह…. नेहा……. मैं
गया……. तनकला मेरा……नेहा……….” उसके लांड ने मेरी गाांड के अन्दर ही सारा वीय़ भर ददया. मेरी गाांड में
उसका लांड फलता पपचकता का सा अहसास दे रहा था. उसका परा वीय़ तनकल चुका था. पवनोद मेरे
ऊपर ही लेट गया. उसका लांड ससकुड़ कर अपने आप धीरे से गद
ु गद
ु ी करता हुआ बाहर आ गया. वो एक
तऱि लढ़
ु क गया. मेरी गाांड में से वीय़ टपक टपक कर बबस्तर पर चने लगा. मैं वैसे ही उलटी लेटी रही.
मैंने आुँख खोली और गहरी साुँस ली. मैं तरुां त बबस्तर पर से नीचे आ गयी. तौसलये से अपनी गाांड सा़ि
की, कफर पवनोद का लांड भी सा़ि ककया. अब मैं उसके ऊपर चढ़ कर लेट गयी. पवनोद ने अपनी आुँख
खोली… और मस्
ु कराया…… मैंने उसे चमना चाल कर ददया. एक हाथ नीचे ला कर उसका मरु झाया हुआ
लांड पकड़ सलया. और उसे दहलाने लगी, मसलने लगी……. उसके लांड ने कफर से अांगडाई ली और जाग
उठा. मैंने उसे अपने हाथों में भर सलया और धीरे धीरे मठ
ु मारने लगी. कुछ ही दे र में उसका लांड चोदने
के सलए तैयार था. मैं पवनोद के ऊपर लेट गयी. अपनी दोनों टाांगे फैला दी. लांड का स्पश़ मेरी चत के
आस पास लग रहा था.. मैंने उसके होंट अपने होटों में दबा सलए. हम दोनों अपने आप को दहला कर लांड
और चत को सही जगह पर लेने की कोसशश कर रहे थे. उसने अपने दोनों हाथों से मझ
ु े जकड सलया.
मैंने अपनी जीभ उसके मह
ांु में घस
ु ा दी. अचानक मेरे अन्दर आनांद की तीखी मीठी लहर दौड़ पड़ी.
उसका लांड कफर एक बार और मदा़नगी ददखने के सलए उतावला हो गया. वो मेरी चत में रास्ता बनाता
हुआ अन्दर घस
ु गया. मेरे मह
ांु से एक मीठी सी सससकारी तनकाल पड़ी…”पवनोद…. अ आह हह हह हह…..
सी ई स स स ई एई….” “मजा आ रहा है न नेहा…” “पवनोद… आआह्ह्छ… करते रहो…..आ आह हह ह……
लगाओ धकका….. आ अह ह्ह्ह्छ..” मेरे मख
ु से आहें फट पड़ी. गाांड चद
ु ाने से मेरी उततेजना पहले ही बढ़ी
हुयी थी. अब उततेजना और भी बढाती जा रही थी. उसके लांड के मोटे पन का चत में अहसास हो रहा था.
लांड जड़ तक जा रहा था.. मैं आनांद से सराबोर हो गयी थी. ससस्काररयाां…आहे …फट रही थी. मेरे चतड
ऊपर से तेजी से चल रहे थे. मैंने उसके हाथ अपनी चजु न्चयों पर रख ददए. उसने मेरे स्तनों को
मसलना…मरोड़ना… चाल कर ददया. उसने जैसे ही मेरी नोकों को मसलना और खीांचना चाल ककया. मेरी
तो जान तनकलने लगी. “जोर से खीांच…. मेरे राजा… मसल दे ….. आः ह्ह्छ… मेरे धकके तेज होने लगे… मैं
चरम सीमा पर पहुुँचने लगी थी. “पवनोद…हाय….. मैं गयी…… हाय….. मैं गयी……सी सी ई….. अरे ..पवनोद….
रे ….” मैंने अचानक ही उसके हाथ मेरी चजु न्चयो पर से हटा ददए….और चत का परा जोर उसके लांड पर
लगा ददया. “आ आह्ह ह्ह्ह… पवनोद…. तनकला…तनकला….. हाय….. रे ….तनकला…. हाय…. छट गयी..रीई……
आह्ह्ह्छ…” मैं झड़ने लगी….. मेरे चत की लहरें उसके लांड पर लग रही थी. मैं परी झड़ चक
ु ी थी. मैं
तरुां त उठी और उसका लांड चत में से तनकाल गया. मैंने उसे अपने हाथों में लेकर कस के दबा
सलया…..और तेजी से दबा कर मठ
ु मारने लगी……. जोश में उसके चतड ऊपर उठे और उसके लांड ने फुहार
छोड़ दी. उसका लांड रक रक कर पपचकाररयाुँ छोड़ रहा था. मैंने उसका सारा वीय़ उसके लांड पर लगा
कर उसकी मासलश करने लगी. थोड़ा वीय़ उसके चतडों पर और उसकी गाांड के छे द पर भी मल ददया. वो
शाजन्त से आुँखे बांद करके लेट गया था. उसने थकान से अपनी आुँखे बांद कर ली. मैं उठ कर बाथरूम में
नहाने चली गयी. मैं जब बाहर आयी तो पवनोद ने बबस्तर की चादर बदल दी थी. अब वो कपड़े पहन
रहा था. “नेहा तम
ु आराम करो… मैं चाय बना कर लता हुँ.” मैंने घड़ी दे खी….ददन के ४ बज रहे थे. मैं
बबस्तर पर लेट गयी. वो चाय कब लाया मझ
ु े पता नहीां चला। मैं गहरी नीांद में सो गयी थी…..
मेरी यातन ॠचा ससांह की तरफ से सभी सेकसी स्टोरी पढ़ने वालों को प्यार भरी नमस्ते ! मैं भी सबकी
तरह ही सेकसी स्टोरी पड़ने की तनयसमत आदी हुँ और हर ददन इसमें आने वाली एक एक कहानी का
लतु फ उठाती हुँ।आज आप सबके सामने अपनी एक मस्त चुदाई लेकर हाजज़र हुँ उम्मीद है कक सबके
लौड़ों पर खरी उतरूांगी। मेरी उम्र इस वक़्त पच्चीस साल की है । मेरा अपना एक बहुत बड़ा इलेकट्रोतनकस
शोरूम है और अब में अपने खड़स पतत से अलग हो चक
ु ी हुँ कयकुँ क मैं अपनी अब तक की जजांदगी में
माशका से लेकर पतनी के तौर पर बेव़िा ही साबबत हुईं हुँ। लेककन यह मेरे बस की बात नहीां है , मैं
जवानी शर
ु होने से पहले से ही गलत माहौल में बड़ी हुई थी। खैर उसको छोड़ो ! मझ
ु े एक मद़ के साथ
सांतजु टट नहीां हो पाती !पैसे के पीछे भागते हुए मैं शादी तो अपने से बड़ी उम्र के बड़े से कर बैठी, बहुत
पैसा था उसके पास और शादी से पहले ही उसने मझ
ु े अमत
ृ सर के सबसे पोश एररया में मेरे नाम पर
बहुत बड़ा घर मेरे जन्मददन पर उपहार में ददया। महां गे महां गे नेकलेस और बहुत कुछ अपने मदहोश कर
दे ने वाले जजस्म से पाया था मैंने ! मेरा रूप दे ख हर मद़ मेरा रस पीना चाहे गा। एक साधारण से घर से
उठ एक आसलशान घर में चली गई, नौकर-चाकर, पोश कारें घमने के सलए ! ससफ़ इससलए कक मैं तब
बीस की थी और वो पैंतीस का ! जानती थी कक यह उसकी दसरी शादी थी। स्कल से कॉलेज से आई ही
थी कक वो मेरा पीछा करने लगा। ऊपर से मैं गभ़वती हो गई डेट नहीां आई।अगले ददन में हाुँ कह दी
और माुँ को मालम हो गया, उसके सामने ही मझ
ु े उलटी हुई, माुँ ने मझ
ु े कहा कक ज्दी से उसके साथ
सांबध
ां बना ले !दो ददन बाद ही मैंने उसको कहा- आज अकेली हुँ, घर से तनकला नहीां जाएगा, खाली नहीां
छोड़ सकती ! यहीां आ जाओ, कार पीछे पाक़ करना !मैं अकेली थी, उसने मझ
ु े बाुँहों में सलया। मैंने थोड़ा
सा पवरोध ककया लेककन कफर ढीली पड़ने लगी। उस ददन उसने मझ
ु े चोद ददया। मेरा प्यार परवान चढ़ा,
एक महीने में कई बार चुदी। महीना परा होते मैंने उसको कहा- तम
ु ने मझ
ु े पेट से कर ददया है ! उसने
मझ
ु े कहा- पढ़ाई की ज़ररत नहीां ! रानी बनाऊांगा ! अपना बबज़नस खोल के दां गा !बाप का साया तो सर
पर नहीां था लेककन न जाने ककतने सौतेले बापों का साया था। माुँ ने हाां करने में एक समनट नहीां लगाया
और उसने मेरे साथ सादी शादी कर ली और बाद में अपने तरफ से बहुत बड़ी ररसेप्शन दी। मैं छोटी उम्र
में उसकी द्
ु हन बन गई और डोली में बैठ उसके आलीशान घर पहुुँच गई। बेडरूम में गल
ु ाबों की महक,
रे शमी चादर पर रात के ग्यारह बजे मैं उसके नीचे थी। उसके लौड़े में नहीां, पैसे में दम था ! उसका मैं
कई बार चत में ले चुकी थी। उसने मझ
ु े बहुत बड़ा शोरूम तोह़िे में ददया, बहुत बैंक बैलेंस था अब मेरा
कयकां क उसे था कक मैं उसके बच्चे की माुँ बनने वाली हुँ। डर यही था कक डडसलवरी एक महीने पहले होनी
थी। मैंने अपनी पसांद की गायनी-डॉकटर को अपना केस ददया, पैसे चढ़ा कर मैंने उसको समय-पव़
डडलीवरी कहने को मना सलया।मैंने एक लड़के को जन्म ददया।लेककन अब उसका लौड़ा ढीला पड़ने लगा
और मेरा बदन जजस्म अभी खखलने लगा, कसने लगा।अपने ही शोरूम के मैनज
े र और कफर अकाउां टें ट के
साथ नाजायज़ सांबध
ां बने। मैं सब
ु ह जाती, लांच करने घर आती, बच्चे के सलए आया रख ली। कफर शाम
को जाती और शटर चगरा कर रात को चुदाई करवाती। उसके बाद मेरी ननद भी अमत
ृ सर सशफ्ट कर
गई। उनका सांयक
ु त पररवार था। काफी मेल जोल बढ़ गया, उसका जेठ बहुत खबसरत था ! कया मद़ था
! कड़की मछें , दमदार शरीर, चौड़ी छाती, घने बाल, लाल आांखें ! दे ख ककसी भी औरत की चत गीली हो
जाए। उसकी नज़र मझ
ु पर थी, मेरी उस पर ! लेककन उसकी बीवी हमारे बीच में थी, हाउस वाइफ थी !
गमी के ददन थे। एक ददन सब
ु ह सब
ु ह अपने बच्चे को ननद के पास छोड़ने गई कयकां क उस ददन आया
छुट्टी पर थी। वो शेव कर रहा था ससफ़ अांडरवीयर में बाथरूम के बाहर !उसका मोटा लौड़ा सा़ि ददख रहा
था। मैं मस्
ु कुरा दी, उसने भी मझ
ु े दे ख कर खज
ु लाने के बहाने अपना लौड़ा सहला कर मझ
ु े उकसाया। मेरा
ददल अब उसकी मजबत बाुँहों में जाने बेताब था। अभी मैं ऑकफस पहुांची ही थी कक उसने मझ
ु े कॉल
करके कहा- कैसा लगा मेरा लौड़ा ? उस ददन पहली बार उसने मझ
ु े कॉल ककया था।मैं बोली- बहुत मस्त
है !बोला- कब खाओगी इसको ? मैंने कहा- तेरी बीवी बीच में बैठी है ! तम
ु ऑकफस आ जाओ !मेरा
केबबन बेसमें ट में था। उसने कुछ पल ही बैठने के बाद मेरा हाथ पकड़ सलया। मैं उठकर उसकी गोदी में
बैठ गई।खब चमा, मेरे मम्मे दबाये उसने ! क़िर जजप खोल दी। मैंने दरवाज़ा लॉक ककया और नीचे मैट
पर बैठ उसकी टाुँगे खोल उसका लौड़ा पकड़ सलया। वाह, कया लौड़ा था !अभी मुँह
ु में सलया ही था कक
पतत का ़िोन आ गया कक वो मझ
ु े लेने आ रहा है , ककसी दोस्त की पाटी में जाना है ।मैंने ज्दी से कपड़े
ठीक ककये, उसको वहाुँ से भेज ददया। उसने वादा ककया कक ज्दी ही जगह ढां ढ लेगा।उसके बाद उसने
अपने ककसी दोस्त के घर समलने का प्रोग्राम बनाया और कफर मझ
ु े वहाुँ लेकर गया और बबस्तर दे ख हम
दोनों रक ना पाए और दोस्त के सामने ही उसने मझ
ु े नांगी कर ददया। जैसे जैसे वो मझ
ु े नांगी करने
लगा, तैसे तैसे उसका जोश बढ़ने लगा और हम दोनों ने एक दसरे को तनव़स्त्र कर ददया तेज़ साुँसों से
पागलों की तरह ! उसका लौड़ा ककसी हब्शी से कम नहीां था। आज परी तरह से आज़ाद दे खा था। मैं
घोड़ी बन उसका लौड़ा चस रही थी कक उसके दोस्त ने पीछे से मेरी चत चाटनी शर
ु कर दी। मैंने पलट
के दे खा तो उसका लौड़ा भी कम नहीां था। दोस्तो, कफर कया कया हुआ और कैसे ? यह पढ़ने के सलए मेरा
अगला भाग पढे ननद का जेठ और उसका दोस्त-2
मेरी यातन ॠचा ससांह की तरफ से सभी सेकसी स्टोरी पढ़ने वालों को एक बार कफर से बहुत बहुत प्यार
भरी नमस्ते ! सब के लौड़े खड़े रहें , हर औरत को उसका मद़ रात को रोज़ चोद कर सांतटु ट करे , ककसी की
चत प्यासी न रहे ! खैर दोस्तो, अपने बारे में मैं पपछली सलखत में बता चक
ु ी हुँ कक ककस तरह पैसे के
पीछे भागते हुए मैंने बड़ी उम्र के बांदे से अपना गभ़ छुपाने के सलए शादी की।उस ददन ऑकफस में जब मैं
ननद के जेठ के लौड़े के साथ खेल रही थी तो पतत का ़िोन आने से हमारा सारा काम खराब हो गया
और पहली बार एक दसरे के कुछ ही ददनों में बने दीवानों को ससफ़ चुम्मा-चाटी करके अलग होना
पड़ा।उसके बाद उसका जेठ एक ही समशन में लग गया, मझ
ु े चोदने के सलए सरु क्षक्षत जगह और आखखर
उसको अपने दोस्त के घर का सहारा लेना ही पड़ा और मझ
ु े वहाुँ ले गया। हम दोनों एक दसरे के इतने
दीवाने बन चुके थे कक कमरे में घस
ु ते ही बबना दे खे भखे की तरह एक दसरे के जजस्मों से सलपटने लगे।
दोस्त के सामने ही एक दसरे को नांगा करके खेलने लगे।तभी पीछे चत पर जब ककसी का स्पश़ पाया तो
दे खा उसका दोस्त जजसका लौड़ा कोई कम नहीां था, मेरी चत चाटने लगा।दो हब्शी जैसे लौड़े मेरी आुँखों
के सामने थे। तभी जेठ जी ने मझ
ु े अपने नीचे सलटा कर मेरे गोल-मोल मम्मों से खेलने लगे। इतने में
उसका दोस्त अपना लौड़ा मेरे मुँह
ु के पास लाया तो मैं रोक ना पाई और पककी रां डी की तरह उसके साथ
खेलने लगी। ज्दी ही उसने मेरे मुँह
ु में घस
ु ा ददया। उसका इतना मोटा था कक चसने में तकलीफ होने
लगी। लौड़े को चाट-चाट कर उसको मजे दे ने लगी। जेठ जी मेरे मम्मों में इस कदर उलझे, इतने दीवाने
हुए कक मानो खा ही जायेंग।े तभी उनका दोस्त मझ
ु े चत चुदवाने के सलए कहने लगा। लेककन तभी जेठ
जी को होश आया और बोले- साले, मेरा माल है ! पहले मैं चोदुँ गा ! तब तक दार और चचकन का
इांतजाम करवा !उसने अपनी जजप बांद की और दार लेने चला गया। मैं अब उसका लौड़ा चसने लगी।
उसने मेरी चत पर अपना लौड़ा रख ददया और झटके से अन्दर ककया। थोड़ी सी चभ
ु न हुई, सह गई।
लेककन जब दसरा झटका लगा तो मेरी साांस अटक गई गले में ! ककतना ज़बरदस्त लौड़ा होगा जो एक
खेली-खाई को भी तकलीफ दे रहा था !चीरता हुआ परा लौड़ा मेरी चत में था, वो दोनों टाुँगे कन्धों पर
रख मेरा भरता बनाने लगा। मैं हाय हाय करके दद़ सहती हुई उसको भड़का रही थी। कुछ दे र सीधा
चोदने के बाद उसने मझ
ु े घोड़ी बना सलया और पीछे से चत में घस
ु ा ददया और घस
ु ता गया। उसकी हर
चोट से जब उसके टट्टे मेरे दाने पर लगता तो मझ
ु े स्वग़ ददखता। काफी दे र ऐसे चोदा !कया बांदा था,
झड़ने का नाम नहीां था !मैं एक बार छुट चक
ु ी थी। तभी कफर से उसने मझ
ु े अपने नीचे सलटाया और मझ
ु
पर छाने लगा। तेज़ तेज़ झटके मारता हुआ आखखर उसने अपना गाढ़ा गम़-गम़ माल मेरी चत में छोड़ा
तो मैं भी उसके साथ दब
ु ारा झड़ गई और उसको कस सलया। दोनों टाांगों का नाग बल उसकी कमर के
चफ
ु े रे (चारों ओर) डाल ददया ताकक एक एक बुँद चत में तनकले।दोस्तो, यह सख
ु मेरी जजांदगी का सबसे बड़ा
सख
ु था, अब तक का सबसे बड़ा लौड़ा मेरी चत में था।उसका दोस्त दार लेकर आया और मेरी ननद का
जेठ उठ कर पेग बनाने लगा तो उसका दोस्त मझ
ु पर छाने लगा। उसने अपना मोटा लौड़ा मेरे हाथ में
दे ददया और कफर मैंने उसका मुँह
ु में लेकर खब चसा। खड़ा होते ही कफर से तकलीफ दे ने लगा और
चाटने लगी।दोनों मेरे बदन पर दार डाल कर चाटने लगे। एक पेग अन्दर जाते मैं और गन्दी औरत बन
चुकी थी। कभी एक का चुप्पा मारती तो कभी दसरे का !मैंने पस़ से कांडोम तनकाल कर उसके दोस्त को
ददया। उसने कांडोम डाल मेरी चत में घस
ु ा ददया। कुछ दे र पहले झड़ी थी, थोड़ा चभ
ु रहा था। मैंने कहा-
एक-दो पेग लगा लो ! तब तक मेरी चत इसको सह लेगी !उसने गाांड के नीचे तककया लगा ददया जजससे
मेरी गाांड का छे द सा़ि ददखने लगा। उसने पहले थक लगा ऊुँगली गाांड में डाली। क़िर उसने बबना तैयार
करवाए एक दम से झटका दे कर गाण्ड में पेल ददया। मेरी चीखें तनकलने लगीां। उसने म्यजजक ससस्टम
लगा आवाज़ तेज की, जेठ ने मेरी दोनों बाहें पकड़ ली और उसके दोस्त ने मेरी गाांड चीर दी, फट गई
मेरी गाण्ड ! मैं रोने लगी। वो परा डालकर रका, खन से लथपथ उसका लौड़ा जब उसको तनकाल सा़ि
करते दे खा तो मैं और रोने लगी। उसने नया कांडोम डाला और कफर से घस
ु ा ददया। अब जेठ का लौड़ा
कफर से शबाब पर था। दो हजब्शयों में फांसी पड़ी थी मैं ! लेककन तीन पेग जाते ही मैं रां डी बन गई और
उसकी ओर पीठ करके उसके लौड़े पर बैठ कर गाांड मरवाने लगी। जेठ बीच में आया और एक साथ ही
मेरी चत में डालने की कोसशश करने लगा और घस
ु ा ही ददया। दोनों खुल कर फाड़ रहे थे मझ
ु े ! कमीनो,
मझ
ु े चलने लायक छोड़ोगे या नहीां ? हट बहन की लौड़ी ! कुततया ! राांड साली ! इतने लौड़े सलए हैं, कफर
भी नाटक करती है ?परा ददन मझ
ु े चोदते रहे ! सच में चलने लायक नहीां छोड़ा मझ
ु े ! नशा भी परा
!ककस्मत से पतत उस रात घर नहीां आने वाले थे, दो ददन के सलए मब
ुां ई गए हुए थे।कफर एक रात पतत ने
मझ
ु े उससे चुदवाते हुए पकड़ सलया। खब पीटा, मारा कमीने ने !यह घर मेरा है ! मेरे नाम में ! मैं नहीां
रहना चाहती तेरे साथ !उसने अपना बेटा सलया और चला गया, तलाक ले सलया।ननद की जेठानी को भी
जब पतत की करतत का पता चला तो वो भी उसको छोड़ चली गई।उसके बाद इन्टरनेट पर मेरी दोस्ती
एक असली अमेररकन हब्शी से हुई। वो मझ
ु े बहुत पसांद करने लगा। वेबकैम पर उसका लौड़ा दे ख में भी
क़िदा हो गई। उसने मझ
ु े शादी के सलए कहा, मैंने हाुँ कर दी उसने मझ
ु े स्पोंसर ककया और मैं अमेररका
गई, जहाुँ उसने मेरे साथ कोट़ मैररज़ कर ली।क़िर कया हुआ, वो अगली कड़ी में सलखांगी !
मान भी जाओ बह
आपकी कुसम
ु का चौड़ी टाांगों, मदहोश जवानी से सभी पाठकों को एक बार कफर से प्यार और नमस्कार !
अपने बारे में ज्यादा न बताती हुई कयकां क अपनी कहानी के पहले भाग में मैंने अपना परा ब्यौरा दे ददया
था। सो दोस्तो, पतत के ऑस्ट्रे सलया जाने के बाद ककस तरह मेरा ररश्ता अपने ससरु जी से बन गया, यह
आपने पढ़ सलया। अब तो मानो मैं उनकी दसरी बीवी की तरह रहती ! है रानी वाली बात थी कक ससरु जी
में इस उम्र में एक जवान लड़के से ज्यादा जोर, दम था कक उन्होंने एक कमससन, कामक
ु , आग जैसी
जवान बह को सांभाल रखा था। दोस्तो, जेठ जी को भनक पड़ गई और कफर उनकी मेरे ऊपर तनगाहें दटक
चक
ु ी थी। ऊपर से जेठानी के जनेपे के सलए उनके पीहर भेज ददया जजससे उनकी वासना और बढ़ गई।
करते भी कया ! औरत पेट से थी तो लौड़े का कया हाल होगा ! लेककन मझ
ु े तो ससरु जी ही नहीां छोड़ते
थे लेककन मेरा झक
ु ाव अब जेठ जी की तरफ भी था, चाहती थी कक उनकी प्यास बझ
ु ाऊुँ ! आखखर मौका
समल गया !एक ददन ऐसा जरूरी काम पड़ा कक ससरु जी को सास माुँ के साथ बाहर जाना ही पड़ा और
दोपहर को मैं घर में अकेली थी। लेककन जेठ जी सब
ु ह से घर नहीां थे, शायद उन्हें मालम नहीां था कक मैं
अकेली हुँ, वरना वो मौका कहाुँ छोड़ते ! कोसशश ज़रूर करते !मैंने उनके मोबाइल पर समस-कॉल दे दी।
उसके बाद वो ़िोन पर ़िोन करने लगे लेककन मैंने नहीां उठाया। आधे घांटे के अांदर मेरा अांदाजा और
तीर सही जगह लगा और वो घर आ पहुांचे। मैं अपने कमरे में कांप्यटर पर बैठी सकफिंग कर रही थी,
बारीक स़िेद नाइटी अांदर काली ब्रा-पेंटी पहन रखी थी। कुसम
ु ! तम
ु ने कॉल की थी ?मैं पलटी- नहीां तो !
वो गलती से पॉकेट में बटन दब गया होगा ! ठीक है ! कहाुँ हैं सब ? अकेली हो आज ? जी हाुँ अकेली हुँ
! बैठो ! अभी चाय लेकर आती हुँ ! नहीां भाभी ! उन्होंने मेरी कलाई पकड़ ली, खीांच कर मझ
ु े अपने
सीने से लगा सलया और मेरे गल
ु ाबी होंठों का रसपान करने लगे। मेरी और से ज़रा सा पवरोध ना दे ख
उनकी दहम्मत बढ़ चुकी थी। बहुत सन्
ु दर हो भाभी जान ! बहुत आग है आप में ! बहुत तड़पाया है
आपने अपनी जवानी से मझ
ु े ! हर पल गोली मारती रहती हो !मैं भी तो आपकी वासना आपकी आुँखों में
पढ़ती रही हुँ, लेककन पहल नहीां कर पा रही थी !ओह मेरी जान ! मझ
ु े भी सब मालम था ! मैं भी थोड़ा
सा खझझक रहा था ! मझ
ु े मालम है तने अपनी मज़ी से मझ
ु े समस-कॉल दी थी !और यह कहते ही वो
मझ
ु पर सवार होने लगे। मैंने एक पल में उनके बटन खोल उनकी कमीज़ अलग कर दी और उन्होंने
मेरी नाईटी उतार फेंकी और ब्रा के ऊपर से मेरे मम्मे दबाने लगे। मैं अश अश कर रही थी। मैंने उनकी
बे्ट भी खोल दी, अपने हाथों से जीांस का बकल खोल नीचे कर अांडरवीयर के ऊपर से ही उनके लौड़े को
मसलने लगी। उनकी आग बढ़ने लगी, लौड़ा तन कर डण्डा बन चुका था, ककतना बड़ा हचथयार था !मेरी
चत में कुछ-कुछ होने लगा। ससहरन सी उठने लगी, जवानी बेकाब हो रही थी। उन्होंने मेरी ब्रा उतार मेरे
दोनों मम्मों को बारी बारी खब चसा। मैं नीचे बैठ गई, उनकी परी जीांस शरीर से अलग कर उनके लौड़े
को आराम से चसने लगी। ककतना बड़ा है जेठ जी ! हाां रानी ! इसको तेरे जैसी राांड पसांद है ! तेरी
जेठानी तो ठां डी औरत है ! वो मेरे चसने के अांदाज़ से बहुत खुश थे, मझ
ु े बाुँहों में उठा कर बबस्तर पर
डाल सलया और मेरी टाुँगें चौड़ी करवा ली। बीच में बैठ कर पहले प्यार से मेरी परी चत पर हाथ फेरा,
कफर मेरे दाने से थोड़ी छे ड़छाड़ करने लगे। मैं बेकाब हो रही थी, ज्दी ही उन्होंने लगाम लगा ली और
अपना मोटा लौड़ा मेरी चत में डालकर मझ
ु े चोदने लगे। अह अह और तेज़ करो जेठ जी ! जोर जोर से
मारो ! अपनी जवान भाभी की जवान जवानी लट लो !यह ले यह यह साली कुततया कब से तेरा आसशक
हुँ ! त है कक मेरे बाप से चद
ु वाती है ! कया करूुँ ! वो नहीां छोड़ते मझ
ु े ! तेरे बाप में तेरे जजतना दम ही
है ! यह ले कमीनी ! अब से मझ
ु े भी ददया करे गी ? हाुँ दां गी ! लो मेरी और मजे से लो ! चल घोड़ी बन
! तेरी फाड़ता हुँ गाांड ! घोड़ी बना मेरी गाांड मारने लगे ! हाय दख
ु ती है ! तब कफर से चत में डाल मेरी
लेने लगे। पच्चीस समनट की लम्बी चद
ु ाई के बाद उनका घोड़ा छट गया और हाांफने लगा। परी दोपहर
जेठ से चद
ु वाया और कफर दोनों के साथ में अपनी जवानी लटने लगी। अगले बार मझ
ु े माससक-धम़ नहीां
हुआ। ससरु जी ने मझ
ु े पेट से कर ददया। सास माुँ बहुत खश
ु हैं ! उसके बाद मेरे अपने पड़ोसी के लड़के
से सांबध
ां बने ! वो अगली बार बताउां गी।
ये बात लगभग १ साल पहले की है . हमारे ररश्तेदारी में ककसी की डेथ हो गई थी.मेरे पतत अपने काम
धांधों में व्यस्त थे इससलए मझ
ु े ही वहाां जाना पड़ा. ट्रे न का सफरथा और मझ
ु े अकेले ही जाना था
इससलए मेरे पतत ने प्रथम श्रेणी एसी में मेरे सलएररज़वेशन करवा ददया था.रात को दस बजे की ट्रे न थी.
मझ
ु े मेरे पतत स्टे शन तक छोड़ने के सलए आए और मझ
ु ेमेरे कपे में बबठा कर दटकेट चेकर से समलने चले
गए. मेरा कपा केवल दो सीटों वालाथा. अभी तक दसरी सीट पर कोई भी पेसज
ें ेर नहीां आया था. मैंने
अपने सामान सेट ककयाऔर अपने पतत की इांतज़ार करने लगी.थोडी ही दे र में मेरे पतत वापस आ गए.
उनके साथ ब्लैक कोट में एक आदमी भी आयाथा. वो दटकेट चेकर था. उसके उम्र करीब छब्बीस साल
की थी, रां ग गोरा और करीब पौने छहफीट लांबा हें डसम नवयव
ु क लग रहा था. मेरे पतत ने उससे मेरा
पररचय करवाया. वो आदमीकेवल दे खने में ही हें डसम नहीां था बज्क बातचीत करने में भी शरीफ लग
रहा था. उसने मझ
ु से कहा ” चचांता मत कीजजये मैडम मैं इसी कोच में हुँ कोई भी परे शानी होतो मझ
ु े बता
दीजजयेगा मैं हाजज़र हो जाऊांगा. आपके साथ वाली बथ़ खाली है अगर कोईपेसज
ें र आया भी तो कोई
मदहला ही आएगी इससलए आप तनजश्चांत हो कर सो सकती हैं.”उसकी बातों से मझ
ु े और मेरे साथ साथ
मेरे पतत को भी तस्ली हो गई. ट्रे न चलनेवाली थे इससलए मेरे पतत ट्रे न से नीचे उतर गए. उसी समय
ट्रे न चल दी. मैंने अपने पततको खखड़की में से बाय ककया और कफर अपने सीट पर आराम से बैठ
गई.दोस्तों मझ
ु े आज अपने पतत से दर जाने में बब्कुल अच्छा नहीां लग रहा था. इसकाकारण ये था कक
मेरी माहवारी ख़तम हुए अभी एक ही ददन बीता था और जैसा कक आप सब लोगजानते हैं ऐसे ददनों में
चत की प्यास ककतनी बढ़ जाती है . मैं अपने पतत से जी भर करचुदवाना चाहती थी लेककन अचानक मझ
ु े
बाहर जाना पड़ रहा था. इसी कारण से मैं मन ही मनदख
ु ी थी.तभी कपे में वो हें डसम टीटी आ गया.
उसने कहा “मैडम आप गेट बांद कर लीजजये मैंकुछ दे र में आता हुँ तब आपका दटकेट चेक कर
लुँ गा.”उसके जाने के बाद मैंने सोचा की चलो कपड़े बदल लेती हुँ. कयोंकक रात भर का सफरथा और मझ
ु े
साड़ी में नीांद नहीांआती. ये सोच कर मैंने गाउन तनकालने के सलए अपनासटकेस खोला तो सर पकड़
सलया. कयोंकक मैं ज्दबाजी में गाउन के ऊपर वाला नेट का पीसतो ले आई थी लेककन अन्दर पहनने
वाला दहस्सा घर पर ही रह गया था. जो दहस्सा मैं लाईथी वो परा जालीदार था जजसमें से सब कुछ
दीखता था.करीब दो समनट बैठने के बाद मेरी अन्तवा़सना ने मझ
ु े एक नया तनण़य लेने के सलएपववश
कर ददया. मैंने सोचा कक कयों आज इस हें डसम नौजवान से चद
ु ाई का मज़ा सलया जाए.ये बात ददमाग में
आते ही मैंने वो जालीदार कवर तनकाल सलया और ज़्दी से अपनी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट तनकाल
ददए.अब मेरे बदन पर रे ड कलर की पें टी और ब्रा थी. उसके ऊपर मैंने स़िेद रां ग काजालीदार गाउन पहन
सलया. वैसे उसको पहनने का कोई फायदा नहीां था कयोंकक उसमे से सबकुछ सा़ि नज़र आ रहा था और
उससे ज्यादा मज़ेदार बात ये थी कक अन्दर पहनी हुई ब्रा औरपेंटी भी जालीदार थी. इससलए बाहर से ही
मेरे चचक
ु तक नज़र आ रहे थे. ख़द
ु को आईनेमें दे खकर मैं ख़द
ु ही गरम हो गई.सारी तैयारी करने के
बाद मैं अपनी सीट पर लेट गई और मैगज़ीन पढ़ते हुए टीटी काइांतजार करने लगी. मझ
ु े इांतज़ार करते
करते पाुँच समनट बीत गए तो मैंने सोचा कक कयुँ नपहले खाना खाकर फ्री हो लुँ ये सोच कर मैंने अपना
खाना तनकाल सलया जो मैं घर से साथलाई थी.आगे की कहानी मैं सन
ु ाता ह खाना शरू
ु करते हुए मैंने
सोचा कक खाने के बीच मैं टीटी दटकेट चेक करने आ गया तो बीच में उठ कर दटकेट तनकालना पड़ेगा ये
सोच कर मैंने अपने पस़ में रखा दटकेट तनकाल सलया.दटकेट हाथ में आते ही मेरी आुँखों के सामने उस
टीटी का जवान बदन घम गया और मेरे अन्दर की सेकसी औरत ने अपना काम करना शरू
ु कर ददया.
मैंने पहले ही जालीदार कपड़े पहने थे जजसमे से मेरा परा बदन ददखाई पड़ रहा था और कफर मैंने अपना
दटकेट भी अपने बड़े बड़े बब्स के अन्दर ब्रा के बीच मैं डाल सलया. अब वोह दटकेट दर से ही मेरे लेफ्ट
ब्रेस्ट के तनप्पल के पास ददखाई दे रहा था.परी तैयारी के बाद मैं खाना खाने लगी. तभी मेरे कपे का गेट
खुला और टीटी अन्दर आ गया. अन्दर आते ही मझ
ु े पारदशी कपडों में दे खकर बेचारे को पसीना आ
गया. वह बब्कुल सकपका गया और इधर उधर दे खने लगा. मैंने उसका होंसला बढ़ाने के सलए उसकी
तऱि मस्
ु कुरा कर दे खा और कहा "आईये टीटी साहब बैदठये, खाना लेंगे आप ?" मेरी बात सन
ु ते ही वह
बोला "न.न. नहीां मैडम आप लीजजये मैं तो बस आपका दटकेट दटक करने आया था. कोई बात नहीां मैं
कुछ दे र बाद आ जाऊांगा आप आराम से खा लीजजये." मैंने उसे सामने वाली सीट पर बैठने का इशारा
करते हुए कहा "नहीां नहीां!! आप बैठो ना, मैं अभी आप को दटकेट ददखाती हुँ."यह कह कर मैंने अपना
खाने का डडब्बा नीचे रख ददया और दटकेट ढुँ ढने का नाटक करने लगी. ये सब करते हुए मैं बार बार
नीचे झक
ु रही थी ताकक वो मेरी छाततयाुँ जी भर के दे ख ले. दोस्तों अब ये बताने की ज़रूरत तो शायद
नहीां है की मेरे बड़े बड़े बब्स ककसी को भी अपना दीवाना बना सकते हैं. मेरे कफगर से तो आप लोग
पररचचत हैं ही.ये सारी हरकतें करते हुए मैं ये इांतज़ार कर रही थी की वो ख़ुद मेरे लेफ्ट बोब्बे मैं रखे हुए
दटकेट को दे ख ले और हुआ भी ऐसा ही उसने मेरे बब्स की और इशारा करते हुए कहा " मैडम लगता है
आपने दटकेट अपने ब्लाउज में रख सलया है ."मैंने अनजान बनते हुए अपने गले की तऱि दे खा और हुँसते
हुए कहा " कहाुँ यार...मैंने ब्लाउज पहना ही कहाुँ है ये तो ब्रा में रखा हुआ है ." बोलते बोलते मैंने अपने
खाना लगे हुए हाथों से उसको तनकालने की नाकाम कोसशश की और इधर उधर से ऊुँगली डाल कर
दटकेट पकड़ने की कोसशश करते हुए उसे अपने बब्स के दश़न करवाती रही.जब मेरी ऊुँगली से टकरा कर
दटकेट और अन्दर घस
ु गया तो मैंने मस्
ु कुराते हुए उससे कहा "सॉरी..यार अब तो आप को ही मेहनत
करनी होगी." मेरी बात सन
ु ते ही वो उठकर मेरे पास आ गया और मेरे गाउन में हाथ डालता हुआ बोला
"कयों नहीां मैडम मैं ख़द
ु तनकाल लुँ गा!!" ये बात कहते हुए वो बड़ी अदा से मस्
ु कुरा उठा था. उसने डरते
डरते मेरे गाउन के अन्दर हाथ डाला और दटकेट पकड़ कर बाहर खीचने की कोसशश करने लगा. लेककन
दटकेट भी मेरा परा साथ दे रहा था. वो दटकेट उसकी ऊुँगली से टकरा कर बब्कुल मेरे तनप्पल के ऊपर
आ गया जजसे अब ब्रा में हाथ डाल कर ही तनकाला जा सकता था.वो बेचारा मेरी ब्रा में हाथ डालने में डर
रहा था इससलए मैंने उसको इशारा ककया और बोली "हाुँ.हाुँ..आप ब्रा के अन्दर हाथ डाल कर तनकाल लो
न प्लीज़ !!" मेरी बात सन
ु ते ही उसके होंसले बल
ु द
ां हो गए और उसने अपना परा हाथ मेरी ब्रा के अन्दर
घस
ु ा ददया. हाथ अन्दर डालते ही उसको दटकेट तो समल गया लेककन साथ में वो भी समल गया जजसके
सलए नौजवान पागल हो जाया करते हैं. मेरी एक चची उसके हाथ में आते ही वो बदमाश हो गया और
उसने मेरी चची को अपने हाथ से सहलाना और मसलना शरू
ु कर ककया.मैं तो यही चाहती थी इससलए मैं
उसकी तऱि दे ख कर मस्
ु कुराने लगी. मझ
ु े मस्
ु कुराता दे ख कर वो खश
ु हो गया और ज़ोर ज़ोर से मेरी
चची दबा डाली. उसके बाद उसने दटकेट तनकाल कर चेक ककया और मेरी तऱि आुँख मारते हुए बोला
"आप खाना खा लीजजये..मैं बाकी सवाररयों को चेक कर के अभी आता हुँ." मैंने भी उसको खुला तनमांत्रण
दे ते हुए कहा "ज़्दी आना..!!" वो मस्
ु कुराता हुआ ज़्दी से बाहर तनकल गया.मैंने भी ज़्दी ज़्दी
अपना खाना खाया और बड़ी बेसब्री से उसका इांतज़ार करने लगी. जजतनी ज़्दी मझ
ु े थी उतनी ही उसे
भी थी इसीसलए वो भी पाुँच-सात समनट में ही वापस आ गया. अन्दर आते ही उसने कप अन्दर से लाक
कर सलया और मेरे करीब आ कर मझ
ु े अपनी सड
ु ौल बाुँहों में भरता हुआ बोला "आओ..मैडम..आज
आपको फस्ट़ एसी का परा मज़ा ददलवाऊांगा". मैंने भी उसकी गद़ न में हाथ डालते हुए उसके होठों पर
अपने होठ रख ददए.अगले ही पल वो मेरे नीचे वाला होंठ चस रहा था और मैं उसके ऊपर वाले होंठ को
चसने लगी. इस चमा चाटी से वासना की आग भड़क उठी थी और ना जाने कब मेरी जीभ उसके मह
ुां में
चली गई और वो मेरी जीभ को बड़े प्यार से चसने लगा.-- उसके हाथ भी अब हरकत करने लगे थे और
उसका दायाुँ हाथ मेरी बायीां चची को दबा रहा था. मझ
ु े मज़ा आने लगा था और वो टी टी भी मस्त हो
गया था. करीब दो-तीन समनट की ककजस्सांग के बाद वो अलग हुआ और लगभग चगड़चगड़ाते हुए बोला
"मैडम, एक प्रॉब्लम है !"मैंने पछा "कयुँ कया हुआ ?""मैडम मेरे साथ मेरा एक साथी और है इसी कोच में ,
अगर मैं उसको ज्यादा दे र ददखाई नहीां दुँ गा तो वो मझ
ु े ढुँ ढता हुआ यहाुँ आ जाएगा." वो बोला। "अगर
आप इजाज़त दें तो कया उसको भी बल
ु ा....". उसके बात सन
ु ते ही मेरी खुशी ये सोचकर दोगन
ु ी हो गई
चलो आज बहुत ददनों बाद एक साथ दो लांड समलने वाले हैं. इससलए मैंने तरुां त जवाब ददया " हाुँ. हाुँ..
बल
ु ा लो उसको भी लेककन ध्यान रखना ककसी और को पता नहीां चलना चादहए. जाओ ज्दी से बल
ु ा
लाओ."मेरी बात सन
ु ते ही वो दरवाजा खोल कर बाहर चला गया और तीन-चार समनट बाद ही वापस आ
गया. उसके साथ एक आदमी और था. ये नया बन्दा करीब पैंतीस साल की उम्र का था. रां ग काला
लेककन शकल सरत से ठीक ठाक था बस थोड़ा मोटा ज़्जयादा था. मैंने मन ही मन सोचा चलो दो लांड से
तो मेरी प्यास बझ
ु ही जायेगी भले ही दोनों में ताकत कम ही कयों ना हो.उन दोनों ने अन्दर आते ही
कपे को अन्दर से लाक कर सलया और दोनों मेरे पास आ कर खड़े हो गए. परु ाने वाले टीटी जजसका नाम
मझ
ु े अभी तक पता नहीां था उसने अपने साथी से मझ
ु े समलवाया "मैडम ये है मेरा दोस्त वी राज."मैंने
खड़े होते हुए उससे हाथ समलाया और परु ाने वाले से बोली "ये तो ठीक है पर तम
ु ने अभी तक अपना
नाम तो बताया ही नहीां."मेरी बात पर मस्
ु कुराते हुए वो बोला "मैडम मझ
ु े दीपक कहते हैं. वैसे आप मझ
ु े
दीप भी बल
ु ा सकती हो." मैंने उन दोनों से कहा "दीप!! तम्
ु हारा नाम तो अच्छा है लेककन यार तम
ु लोगों
ने ये मैडम मैडम कया लगा रखा है . मेरा नाम प्रततभा है . वैसे तम
ु लोग मझ
ु े ककसी भी सेकसी नाम से
बल
ु ा सकते हो."आपस में पररचय परा होने के बाद हम लोग थोड़ा खल
ु गए थे. लेककन वो दोनोंकुछ
शरमा रहे थे इससलए पहल मझ
ु े ही करनी पड़ी और मैंने दीप के गले में हाथडाल कर उसके होंठ चसना
चाल कर ददए. दीप भी मेरी कमर को अपने हाथों से पकड़ते हुए मझ
ु े चचपका कर चमने लगा. उसका
साथी राज अभी तक खड़ा हुआ था. उस बेचारे की दहम्मत नहीां हो रही थी कक कुछ कर सके.मैंने ही
उसको अपने करीब बल
ु ाते हुए उसकी पैन्ट के ऊपर से उसके लांड पर हाथ फेरना चाल कर ददया. कुछ
दे र तक हम लोग खड़े खड़े ही चमा चाटी करने लगे. कभी दीप मझ
ु े चमता तो कभी राज मेरी गद़ न पर
अपने दाांत गड़ा दे ता. उन दोनों को उकसाने के सलए मैंने उन दोनों के लांडों की नाप तौल शरू
ु कर दी
थी. जैसे ही वो दोनों अपने रां ग में आए तो उन्होंने मझ
ु े उठा कर सीट पर लेटा ददया और कफर अपना
अपना काम बाुँट सलया. दीप मेरे होठों को चसते हुए मेरी छाततयों से खेलने लगा और उधर राज ने मेरी
पें टी तनकाल कर चत का रास्ता ढुँ ढ सलया.दीप मेरी एक एक चची को बारी बारी से दबा और मसल रहा
था साथ में मेरे मह
ुां में अपनी स्वाददटट जीभ भी डाल चुका था. नीचे राज चत के आस पास और नीचे
वाले होठों को चसने में मगन था.मझ
ु े ज़न्नत का समलना चाल हो गया था लेककन अभी तक उन दोनों ने
अपने कपड़े नहीां उतारे थे इससलए मैं अभी तक अपने असली हीरो के दश़न नहीां कर पायी थी. मैंने उन
दोनों को रोकते हुए कहा "रको..मेरे यारों..केवल मेरे ही कपड़े उतारोगे तो कैसे काम चलेगा तम
ु लोग भी
तो अपने अपने हचथयार तनकालो."मेरी बात सन
ु कर राज ने अपने कपड़े खोलना चाल कर ददया लेककन
दीप मेरी चत का दीवाना हो गया था और चत छोड़ने के सलए राजी नहीां था. मझ
ु े ज़बरदस्ती उसका मह
ुां
हटाना पड़ा तो वो बोला "मेरी जान पहले तम
ु भी अपने सारे कपड़े तनकालो!""कयुँ नहीां जान मैं भी
तनकालती हुँ तभी तो असली मज़ा आएगा..!" मैंने जवाब ददया और अपने बदन से गाउन और ब्रा, पेंटी
तनकाल कर एक तऱि रख दी.इसी बीच राज अपने कपड़े खोल चक
ु ा था. वोह अपना लण्ड हाथ में लेकर
मेरे मह
ुां की तऱि बड़ा. उसके लांड की शेप बड़ी अजीब थी. उसके लांड का रां ग बब्कुल स्याह काला था
और लम्बाई करीब छः इांच थी लेककन मोटाई काफी ज्यादा थी करीब तीन इांच मोटा था.मैं उसके लांड की
बनावट दे खते ही सोचने लगी कक ये तो मेरी गाांड के सलए बब्कुल कफट रहे गा. ये सोचते हुए मैंने उसका
मोटा लांड अपने मह
ुां में लेने की कोसशश की लेककन मोटाई इतनी ज्यादा थी कक मेरे मह
ुां में लांड घस
ु नहीां
पा रहा था. मैंने जीभ बाहर तनकाल कर लांड चाटना शरू
ु कर ददया. उसके लांड का सप
ु ाड़ा बहुत सद
ांु र था
और लांड से तनकलने वाला पानी भी बब्कुल नाररयल पानी के जैसा स्वाददटट था. मैं स्वाद ले लेकर
चस
ु ाई कर रही थी और मेरे मह
ांु से बहुत सेकसी आवाजें तनकल रहीां थीां. "सड़
ु प... .सद... सद.. चाट...
स..उ.. सस.."मझ
ु े लांड चसने में मज़ा आ रहा था इसी बीच में दीप ने भी अपने कपड़े खोल ददए और
मेरे पास आ कर मझ
ु े चसते हुए दे खने लगा. मैंने राज का लांड मह
ांु से तनकाल कर दीप का लांड अपने
हाथ में ले सलया. उसका लांड मेरी उम्मीद से ज्यादा लांबा था. करीब सात इांच लांबा और दो इांच मोटा
बब्कुल गोरा बहुत खबसरत लौड़ा था दीप का. मैंने ज़्दी से ट्रे न की सीट पर अधलेटते हुए दीप का लांड
अपने मह
ांु में भर सलया. उधर राज मेरी टाांगों के बीच में बैठकर मेरी चत चाटने लगा.उसने मेरी चत में
अपने परी जीभ डाल दी. अचानक जीभ अन्दर डालने से मेरी सससकारी तनकल गई. "आह.. औ.. आ..
ह.ह.. मेरे..पहलवान...मज़ा आ गया...ऐसे ही चोदो आ.ह..आ.अ..हह.. मझ
ु े..जीभ सी...से.मेरी दाना.... रगड़ो
उधर... हाुँ...ऐसे..ही...करते..रहो...शाबाश...राज..वाह...." मैं मस्त होने लगी थी.मैंने क़िर एक बार दीप का
परा लांड अपने मह
ांु में भर सलया और अन्दर बाहर करते हुए अपने मह
ांु की चद
ु ाई करने लगी. राज अपनी
खरु दरी जीभ से मेरी चचकनी चत चाट रहा था और मैंने अपने मह
ांु में दीप का लांड ले रखा था. ट्रे न
अपनी फुल स्पीड पर चल रही थी. समली जल
ु ी आवाजें आ रहीां थी
"धडक..धडक..खटाक..ख़त..चड़प..चाप..औयो..औ..थाधक......." दीप के मह
ुां से भी आवाजें आने लगीां
थीां."आह...ये...या.एस...वाह...मेरी...जान... चस...चसले..ले...और अन्दर...और आदर ले...भोसड़ी...की..और
जोर..से..ले..और ले..ले...वाह..." अब उसने मेरे मह
ुां में धकके मारना चाल कर ददया था. मझ
ु े लगा कक उसे
मज़ा आ रहा है तो कुछ दे र और चस लेती हुँ कयकुँ क उधर मझ
ु े भी चत चटवाने में मज़ा आ रहा था.
लेककन अचानक दीप ने मेरे मह
ुां में धककों की स्पीड बढ़ा दी और मेरा सर पकड़ कर अपना परा लांड मेरे
मह
ुां में अन्दर बाहर करते हुए ज़ोर से चच्लाने लगा "आ..... ह.... .ह.... आ.. .ले.. .कॉम... ओां... नां...
.मेरी...जान...ले.. पीले... परा..पी..ले..माुँ..... चोद.चस.. चस...पी...ले..पी.." अचानक मेरे मह
ुां में पपचकारी
चल गई. मैं समझ गई एक तो बबना चत का स्वाद चखे ही चल बसा. दीप मेरे मह
ुां में अपना पानी डाल
चुका था मैंने उसका परा रस पी सलया. उसके रस का स्वाद अच्छा था. मैंने उसका लांड चाट चाट कर
सा़ि कर ददया. झड़ने के बाद उसने अपने लांड बाहर तनकाल सलया और हां सने लगा.उधर शायद राज भी
चत चस चस कर थक गया था इससलए वो भी उठ कर खड़ा हो गया और मेरे मह
ुां के पास लांड ला कर
बोला "प्लीज़ जान मेरा भी तो चसो.." मैंने हुँसते हुए उससे कहा "तम
ु दोनों अगर मेरे मह
ुां में ही उलटी
करके चले जाओगे तो मैं कया करूांगी.." "नहीां मेरी जान, मैं तो तम्
ु हारी चत में ही पानी डालुँ गा चचांता मत
करो." राज ने जवाब ददया.मैंने राज का लांड मह
ुां में लेकर चसना शरू
ु कर ददया. थोडी दे र तक उसका लांड
चसने के बाद उसने अपना लांड मेरे मह
ुां में से तनकाल सलया और मझ
ु से बोला. "चल..मेरी रानी.. अब..
कुततया..बन जा...आज तेरी चत का बाजा बजाऊांगा." मैंने ़िौरन उसका आदे श माना और उलटी हो कर
चत को उसकी तऱि कर ददया. उसने भी आसन लगा कर मेरी चत की छे द पर लांड लगाया और एक
करारा धकका ददया." आ.इ.ई.गई....आ..आ गया...आ. गया..मेरे राजा..परा..अन्दर..आ..गया.." मैं चच्लाने
लगी.हमारी चद
ु ाई चाल हो गई थी और उधर दीप ने ज़्दी ज़्दी अपने कपड़े पहन सलए थे. जब मैंने
दीप को कपड़े पहने हुए दे खा तो चद
ु वाते हुए ही बोली "कया..आ.अ.हुआ..दीप...तम
ु ..नहीां.. आ. आ.. हह..
डालोगे...कया..आ..हह...एक...ही..बार...में ...ठां डा..पड़.आ.ह.. ह..गया...कया ?"दीप ने मेरी बात का कोई जवाब
नहीां ददया और मझ
ु े चोद रहे राज के कान में आ कर कुछ बोला और कपे से बाहर तनकल गया. मझ
ु े
चद
ु ाई में बहुत मज़ा आ रहा था इससलए मैंने उनकी बातों पर दयाां नहीां ददया और ट्रे न के दहलने की गतत
के साथ ही दहल दहल कर लांड लेने लगी. अब राज की धकको की स्पीड बढ़ने लगी थी और ट्रे न के दहलने
की वजह से मझ
ु े भी दोगन
ु ा राज अब बड़बड़ाने लगा "या..ले...मेरी....जान..ले... परा...ले...कुततया..ले...
मेरा..लांड..तेरी...चत फाड़ डालुँ गा... बहन...चोद...ले.." मझ
ु े भी उसकी बातें सन
ु सन
ु आकर जोश आने लगा
था इससलए मैं भी बोलने लगी,"चल.. और...ज़ोर..से..दे ... हाुँ..कर...मेरे..रजा.. कर..ले... च.चल.. अगर..
तेरे..लांड..में ..दम..है ..तो.. मेरी..गाांड...में ..डाल.. डाल..न..गाांड...गाांड..में ...डाल..." मेरी बात सन
ु कर उसने
चत में से अपना लांड तनकाल सलया और मेरे गाण्ड के छे द पर लगाने लगा. मैंने भी अपनी पोजज़शन
ठीक की और गाांड का छे द ऊपर की तऱि तनकाल कर झक
ु गई और बोली "चल.. आ.जा.ज़्दी.....
डाल..दे ... गाांड...में ... धीरे ....धीरे .डालना..."राज ने गाांड के छे द पर तनशाना लगाया और एक ज़ोरदार
धकका लगा ददया लेककन उसका लांड मेरी चत के पानी से चचकना हो रहा था इससलए कफसल गया और
नीचे चला गया. उसने दब
ु ारा कोसशश की और इस बार पहले से भी ज़ोर से धकका लगाया. इस बार लांड
ने गाांड की पटरी पकड़ ली और मेरी गाांड को चीरता हुआ अन्दर चला गया.मेरी चीख तनकल गई
"आ....अ.अ.. आ..ईई. ई.ई.इ.ई. मार डाला मादरचोद... ऐसे...डालते..हैं..कया.. फाड़ डाली..मेरी..गाांड.. गाांड...
मझ
ु े एक बार थोड़ा मरवानी है ... आ..ई.ई.ई..." लेककन उसने मझ
ु े पीछे से पकड़ रखा था इससलए मैं
उसका लांड तनकाल नहीां पायी और उसने धकके लगाने चाल कर ददए.वाकई उसका लांड गज़ब का मोटा
था मझ
ु े बहुत दद़ हो रहा था लेककन उसने मेरी एक भी नहीां सन
ु ी और धकका लगाना चाल रखा. आठ
दस धककों के बाद मझ
ु े भी दद़ कम हुआ और मज़ा आने लगा. अब मैंने नीचे से हाथ डाल कर अपनी
चत को मसलना चाल कर ददया था. मेरी इच्छा हो रही थी की मेरी चत में भी कोई चीज डाल लुँ लेककन
वो दीप का बच्चा तो खेल बीच में ही छोड़ कर चला गया था.तभी अचानक कपे का दरवाजा खुला और
तीन आदमी एक साथ अन्दर आ गए. ट्रे न ककसी बड़े स्टे शन पर रकी हुई थी. अचानक उन लोगों के
अन्दर आने से मैं चौंक गई और ज्दी से अलग होकर अपने कपड़े उठा कर अपना बदन छुपाने की
कोसशश करने लगी.उन तीन लोगों के अन्दर आते ही राज ज़ोर से चहक कर बोला "आओ बॉस !! मैंआप
लोगों का ही इांतज़ार कर रहा था. उसने ज़्दी से कपे का दरवाजा अन्दर सेलॉक कर सलया और मेरी
तऱि मड
ु कर बोला " चचांता मत करो मैडम ये लोग भी अपनेदोस्त हैं, अभी तम्
ु हारी इच्छा चत में कुछ
डलवाने की हो रही थी ना इससलए इन लोगों को बल
ु वाया है . चलो शरू
ु करते हैं."मझ
ु े इस तरह से उन
लोगों का अन्दर आना अच्छा नहीां लगा. मैंने नाराज होते हुए कहा "चुप रहो तम
ु !! मझ
ु े कया तम
ु लोगों
ने रां डी समझ रखा है . जो भी आएगा मैं उससे चुदवा लग
ां ी. तम
ु लोग अभी मेरे कपे से बाहर चले जाओ
नहीां तो मैं शोर मचा दां गी."मेरे इस तरह नाराज होने से वो लोग डर गए और मझ
ु े मनाते हुए राज ने
कहा " नहीां मैडम ऐसा नहीां है अगर आप नहीां चाहोगी तो कुछ भी नहीां करें गे." जो लोग अभी अभी
अन्दर आए थे उनमें से एक ने कहा "नहीां मैडम हमें तो दीपक ने भेजा था अगर आप को बरु ा लगता है
तो हम लोग बाहर चले जाते हैं. प्लीज़ आप शोर मत मचाना हमारी नौकरी चली जायेगी."इस तरह वो
चारों ही मझ
ु े मनाने में लग गए. मैंने मन ही मन सोचा कक अब इन लोगों ने मझ
ु े नांगा तो दे ख ही
सलया है और अभी तक अपना काम भी नहीां हुआ है . सब
ु ह तो ट्रे न से उतर कर चले ही जाना है क़िर ये
लोग कौन सा कभी दब
ु ारा समलने वाले हैं. चलो आज आज तो चद
ु ाई का मजा ले ही सलया जाए. क़िर
पता नहीां कब इतने लांडों की बरात समले.ये सोच कर मैंने उनको डराते हुए कहा "ठीक है मैं तम
ु लोगों
को केवल आधा घांटे का समय दे ती हुँ तम
ु लोग ज्दी ज्दी अपना काम करो और यहाुँ से तनकल
जाओ और अब कोई और इस कपे में नहीां आना चादहए."वो चारों खश
ु हो गए और "जी मैडम ! जी
मैडम" करने लगे. राज ने उन लोगों से कहा कक चलो अब मैडम का मड दब
ु ारा से बनाना पड़ेगा तम
ु
लोग आगे आ जाओ".वो चारों मेरे करीब आ गए और दो लोगों ने मेरे एक एक बोबे को हाथ से दबाना
शरू
ु कर ददया और एक जना नीचे बैठ कर मेरी चत में जीभ डालने लगा. राज ने अपना लांड जो अब
कुछ ढीला हो गया था उसे मेरे मह
ांु में डाल ददया. अभी उसका लांड परा टाइट नहीां हुआ था इससलए मेरे
मह
ांु आराम से आ गया और मैं कफर से उसका लांड चसने लगी.थोड़ी ही दे र में मेरी आग कफर भड़क गई
और मैं क़िर से उसी मड में आ गई. मैंने राज का लांड तैयार करते हुए उससे कहा,"चलो राज तम
ु अपना
अधरा काम परा करो !"मेरी बात सन
ु ते ही राज हुँसते हुए मेरे पीछे आ गया और बोला "कयों नहीां मैडम
अभी लो !!"अब सब लोगों ने अपनी अपनी पोजज़शन ले ली. मै डौगी स्टाईल में झुक गई एक जन मेरे
नीचे था मैंने अपनी गाांड नीचे झक
ु ाते हुए उसका लांड अपनी चत में डाल सलया और पीछे से राज ने
अपना लांड मेरी गाांड में डाल ददया. मेरे मह
ुां के पास दो लोग अपने लांड तनकाल कर खड़े हो गए. इस
पोजज़शन में आने के बाद घमासान चुदाई चाल हो गई.अपने सभी छे दों में लांड डलवाने के बाद मैं ज्दी
ही अपने चरम पर पहुुँच गई और मेरे मह
ुां से कफर ना जाने कया कया तनकलने लगा. "आ..आ.ई..
आबी..अबे..हरामी... राज...ज़ोर...से. स.ऐ.ऐ.ऐ कर फाड़ दे दे .दे . आ..ऐ.ऐ.एई.. मेरी...गा..गा..न्ड. चलो
चोदो...मझ
ु े. हराम...के..पप्लों .. चोदो मझ
ु े...फाड़...दो.. मेरी..चत भी...बहुत आग..है ..इसमे......" मैं ना
जाने कया कया बोल रही थी और मेरी बातों से वो लोग और भड़क रहे थे.अचानक राज ने मेरी गाांड में
से अपना लांड बाहर तनकाल सलया और मेरे मह
ुां में लांड डाल कर खड़े आदमी से बोला "चल अब त आ
जा बे त डाल अब गाांड में मैं तो झड़ने वाला हुँ." ये बोलता हुए राज मेरे मह
ुां के पास लांड लाता हुए
बोला "ले मेरी जान मेरा रस पी ले मजा आ जाएगा." मैं भी यही चाहती थी इससलए ़िौरन उसका लांड
अपने मह
ुां में ले सलया. राज ने दो चार धककों में ही अपना रस मेरे मह
ुां में उलट ददया.उधर जजसने मेरी
चत में अपना लांड डाल रखा था उसने भी नीचे से धकके बढ़ा ददए और ज्दी ही मेरी चत में उसके वीय़
की बाढ़ आ गई. अब दो लोग बचे थे और मेरी चत की आग अभी भी नहीां बझ
ु ी थी लेककन मैं डोगी
स्टाइल में खड़े खड़े थक गई थी इससलए मैं सीट पर पीठ के बल लेट गई और उन बचे हुए दो लोगों से
कहा" चलो अब तम
ु दोनों मेरी चत में बारी बारी से अपना पानी डाल कर चलते बनो." पहले एक ने मेरी
चत में लांड डाल कर दहलाना शरू
ु ककया. मझ
ु े परा मजा जा आ रहा था. युँ तो मैं अब तक चार पाुँच बार
झड़ चक
ु ी थी लेककन चत में लांड डलवाने से होने वाली तजृ प्त अभी तक नहीां हुई थी इससलए मैं ज्दी ही
अपने चरम पर पहुुँच गई और नीचे लेटे लेटे ही अपने चतड़ उछाल उछाल कर लांड अन्दर लेने लगी.
"आ..हा. हा.अ.अ.अ. आ.जा.. आ.जा.और अन्दर... आ.जा.चोद.. हरामी...ज़ोर..से.. चोद...आ.ह, आ,आ,,जा,"
मैं झड़ने ही वाली थी कक उससे पहले वो हरामी अपना पानी छोड़ बैठा.मज़ा आ रहा था.मेरी चत उसके
गरम गरम पानी से भीग गई और मेरा आनांद दो गन
ु ा हो गया था और मैं सोच रही थी की ये पाुँच दस
धकके और मार दे तो मैं भी झड़ जाऊां. लेककन वो ढीला लांड था और उसने झड़ते ही अपना लांड बाहर
तनकाल सलया. मझ
ु े उसकी इस हरकत पर बहुत गस्
ु सा आया और मैं बोली "कया..हुआ...मादरचोद...
चोदा..नहीां..जाता..तो लांड..खड़ा..करके कयुँ आ जाते हो..चल अब त आ जा ज्दी से चोद."जो आखरी बचा
हुआ था वो मेरी गाली सन
ु कर भड़क गया और ज्दी से अपना खड़ा लांड ले कर मेरी चत के पास आया
और मेरी चत पर लांड दटकाते हुए बोला " ले..बहन..की..लौड़ी..अभी..तेर.चत का भोसड़ा बनाता हुँ. अगर
आज तेरी चत नहीां फाड़ी तो मेरा नाम भी पांवार नहीां." उसने जैसे ही अपना लांड मेरी चत में डाला वैसे
ही मैं समझ गई कक ये वास्तव में खखलाड़ी है . उसका लांड काफी मोटा और कड़क था. और क़िर उसने
बहुत तेज तेज पेलना शरू
ु कर ददया. मैं तो पहले ही झड़ने के करीब थी इससलए उसका लांड आराम से
झेल गई और चच्लाते हुए झड़ने लगी," हाुँ..ये..बात... शाबाश...त..ही...मद़ द़ ..है .. रे ..फाड़. .डाल... तेरे...
बाप..का माल.है ..और जोर..से..मैं..आ.. रही..हुँ .. मेरे..राजा... ले..मैं..आ.अ.अ. अ.अ.एई ....आ.ई.इ.इ.
अ.ऐ.इ." और मैं झड़ गई. लेककन उसने मेरी चत की चुदाई बांद नहीां की और उ्टा उसके धकके बढ़ते
चले जा रहे थे.अब मेरी नस नस में दद़ महसस हो रहा था लेककन वो ज़ोर ज़ोर से मझ
ु े चोदे जा रहा
था. करीब आधे घांटे बाद वो अपने चरम पर आ गया और बड़बड़ाने लगा "ले...मेरी जान..अब तैयार हो
जा तेरी चत की प्यास ऐसी बझ
ु ेगी ..कक त भी याद करे गी.."उसके बात सन
ु ते ही मैंने सोचा कक ऐसे लांड
का पानी तो चत की जगह मह
ुां में लेना चादहए. ये सोच कर मैंने उससे कहा," आ मेरे राजा तेरा पानी तो
मेरे मह
ुां में डाल मझ
ु े पपला दे तेरा पानी..मेरे राजकुमार.."शायद उसकी भी इच्छा ये ही थी इससलए उसने
भी मेरी बात सन
ु ते ही चत में से लांड तनकाल सलया और चत के पानी से सना हुए लांड मेरे मह
ुां में ठस
ददया. उसने अपने परा लांड मेरे मह
ुां में डाल ददया जो मझ
ु े अपने गले तक महसस होने लगा. मेरा दम
घट
ु रहा था लेककन मैंने उसके ताकतवर लांड का आदर करते हुए उसे मह
ुां से नहीां तनकाला और थोडी ही
दे र में उसने अपने लांड से दही जैसा गाढ़ा वीय़ तनकाला जजसका स्वाद गज़ब का था. मैं उसके रस का
एक एक कतरा चाट चाट कर पी गई और मझ
ु े लगा कक जैसे ककसी डडनर पाटी के बाद मैंने कोई समठाई
खाई हो.तो दोस्तों ये थी मेरी ट्रे न स्टाफ से चुदाई की दास्तान. अगली बार इस से भी खतरनाक चुदाई
के सलए तैयार रहें और अपने अपने चत और लांड की मासलश करते रहें .
मेरा नाम दे व है . मेरी उम्र २३ साल की है . मैं पढ़ाई सलखाई में बचपन से ही अच्छा हुँ. गखणत मेरी पप्रय
पवर्य है . जब मैं स्नातकी में था तब मेरी दोस्त की बहन १२ कक्षा पास करने के बाद मेडडकल प्रवेसशका
परीक्षा दे ने की तैयारी कर रही थी. मैं अपने ़िुरसत के समय ट्यशन भी ककया करता था. मैं हाई स्कल
के बच्चों को पढाता था. हमारे इलाके में मेरा काफी नाम भी हो गया था. उसी दौरान मेरे दोस्त ने मझ
ु े
अपने बहन को गखणत का ट्यशन दे ने को कहा. मैं उसे पैसे के बारे में कुछ ना बोल पाया. उसकी बहन
को ट्यशन दे ना चाल कर ददया. उसकी बहन का नाम कसशश था. उनके घर में वो दो भाई बहन और
उनकी अम्मी रहती थी. उनके पापा गज
ु र चुके थे. कसशश अपनी नाम की तरह अपने में एक अजब सी
कसशश समेटे हुऐ थी. वो नई नई जवानी की दतु नया में पाुँव रख रही थी. उसका कमरा हर वकत सजा
सांवरा और कुछ ज्यादा ही गल
ु ाबी नजर आता था. वो बला की खबसरत थी। उसकी तन पे यौवन के फल
धीरे धीरे बड़े हो रहे थे. उसके गल
ु ाबी होंठ हमेशा जैसे ककसी सवेरे गल
ु ाब की पांखुडडयाां सब
ु ह की ओस में
भीगी सी नजर आती थी. उसके लब के दाईं ओर एक छोटा सा ततल था जो उसकी सन्
ु दरता को चार
चाुँद लगाता था. मैं जब भी उसे ट्यशन दे ने पहुांचता तो वो कुछ दसरी ही बातें शरू
ु कर दे ती. उसका
कभी पढ़ाई में मन नहीां लगता था. वो बीच बीच में मझ
ु े कभी कभी आुँख मार दे ती। मैं जान के भी
अनजान सा रह जाता. एक ददन में जब ट्यशन दे ने पहुांचा तो वो अपना सर दोनों हाथों से जकड के बैठ
गयी. मैंने पछा तो उसने बताया कक जोर का सरदद़ है. उसने मझ
ु े मेंथोप्लास बाम उसके माथे पे लगाने
को कहा. मैंने पास ही में रखा में थोप्लास की डडब्बी उठाई और थोड़ा तनकाला और उसके ससर पे धीरे धीरे
मलने लगा. वो कुछ दे र तक वैसे ही बैठी रही और कफर अचानक मेरी हाथ को खीांच के अपने नन्हे बोबों
पे रख ददया. मैं उसकी इस अचानक की हरकत से भौंचकका रह गया और अपना हाथ फट से खीांच
लाया. उसने कफर मेरे हाथ को खीांच के अपने बोबों पे रख ददया. उसकी अप्सराओां वाली सन्
ु दरता और
उसकी इस हरकत से मेरी ७” वाली लांड धीरे खडा होने लगा. कफर वो उठी और मझ
ु े अपने आगोश में भर
सलया. उसकी कोमल स्पोंज जैसे बोबे मेरे चौडे सीने के नीचे दबने लगे. मैं भी अजब सी दीवानगी में उसे
जोर से अपने करीब खीांच लाया. मेरे लब उसके लब से सट गए. हम दोनों रस पान करने लगे. उसकी
नाजुक सी पतली लबों की समठास के आगे दतु नया की सबसे मीठी समठाई भी फीकी थी. उसी अवस्था में
हम करीब १० समनट रहे . कफर मैंने अपना हाथ धीरे से उसके गले की ओर लेते हुए सीधे उसके बोबों पे
रख ददया. वो धीरे से सससक उठी. अब मैं उसके बोबों को धीरे धीरे दबाने लगा था. मेरा लांड खड़ा होकर
पैंट के अन्दर से ही नजर आने लगा था और उसके टाांगों के बीच में रगड़ खा रहा था. कफर मैंने उसकी
ऊपर की टॉप उतार दी। उसने भी मेरी टी-शट़ उतार दी. अब मैंने उसकी पैंट भी उतार फेंकी. वो अब
सस़ि़ ब्रा और पैंटी में बची थी. उसका सरीर ककसी मॉडल से कम नहीां था. कफर उसने मेरी पैंट उतार दी.
अब मैं सस़ि़ एक चड्डी में था जजसको मेरा लांड फाड़ के बाहर आने को बेकरार हो रहा था. तब हम बेड
पे चगर पड़े. मैं कसशश के परे शरीर को चमता जा रहा था. वो सससकाररयाां भरती जा रही थी. उसके
उभार जो कक ब्रा के ऊपर से बाहर तनकल रहे थे, मैं उन्हें चमता ही जा रहा था. तब मैंने उसकी ब्रा का
हुक खोल ददया और उसे तनकाल कर ़िेंक ददया. अब वो सस़ि़ ब्रा में थी. उसके गोल गोल उभार ना बड़े
ना छोटे मेरे सामने रौंदे जाने को बेकरार हो रहे थे. मैं उन पर लपका, दाईं चची को अपने मह
ुां में ले
सलया और बाईं को हाथ से दबाने लगा. कसशश अपना जैसे कक होश ही खो बैठी थी. कफर मैं अपना हाथ
सरकाते हुए उसकी पैंटी तक पहुुँच गया. वो परी गीली हो चक
ु ी थी. तब कसशश ने मेरी चड्डी को नीचे
करके अलग कर ददया. मेरा ७” का लांड परा खड़ा हो के उसके जाांघो के बीच में जगह खोजने लगा. मैंने
भी मौका ताड़ के उसकी पैंटी उतार फेंकी. हम दोनों अब परे नांगे बेड पे एक दसरे के ऊपर पड़े थे. मेरा
लांड अब परी तरह तना हुआ उसके चत
ु के छोटे से छे द से घस
ु ने को बेसब्र हो रहा था. मैं कभी उसके
लबों को चसता तो कभी उसकी बोबों को.।कफर मैं नीचे सरक गया और अपनी जीभ उसकी चत से सटा
दी. वो सससक कर रह गयी. कफर मैं उसे जोर जोर से चाटने लगा. वो भी मजे लेने लगी. मैं उसकी चत
ु
के छोटे से छे द को अपनी जीभ से चोदता ही जा रहा था. उसका पानी तनकलना जारी था. वो अपनी
आुँखें बांद करके मेरे बालों को सहला रही थी और आहें भर रही थी. करीब १० समनट के बाद वो बोली कक
ज्दी ज्दी करो, मझ
ु े कुछ हो रहा है , शायद मैं झड़ने वाली हुँ, ज्दी से चोद दो ना मझ
ु े. ” मैं कफर
मौका ना गांवाते हुए उसकी ऊपर आ गया और उसकी कांु वारी चत पे अपनी लांड को रख ददया. अब मैं भी
बेचैन होने लगा था. मैंने अपना सप
ु ाडा उसकी चत के आगे रखा और धीरे से अन्दर धकेलने लगा.तभी
वो दद़ से कराहने लगी कफर बोली,” थोड़ा धीरे दे व मेरी चत अभी तक अन्छई है . इसे प्यार से चोदो”
तो मैंने अपनी रफ्तार थोडी धीमी कर दी और उसको और गरम करने के सलए उसके चचचयों को जोर
जोर से दबाने लगा और उसके लबों को चसने लगा. इसी दौरान मैं अपना लांड धीरे धीरे कसशश के चत
के अन्दर डालता जा रहा था… तभी कसशश के सब्र का बाुँध टट गया और वो चच्लाने ही वाली थी कक
मैंने उसके मह
ु ां को अपने हाथ से बांद कर ददया. मैंने नीचे दे खा तो एक धार में खन मेरी लांड से नीचे
चगर रहा था. तो मैंने एक पल न गांवाते हुए एक धकका लगाया और मेरा लांड परा कसशश की चत में
था… वो दद़ से तड़प उठी…और लांड बाहर तनकाल लेने को समन्नतें करने लगी. मगर मैं जनता था कक
यह वकत लांड तनकाल लेने के सलए ठीक नहीां है . तो मैंने कुछ दे र तक लांड को वैसे ही रहने ददया. कफर
कुछ दे र बाद धीर धीरे लांड को अन्दर बाहर करने लगा. मैं पहली मत़बा जीती जागती चत के अन्दर
अपने लांड को महसस कर रहा था… वो अनभ
ु तत अभी भी मझ
ु े याद है …चत की गीली, नम़, गम़ सतह से
लांड के जकडे होना ऐसे लग रहा था जैसे कक मैं सातवें आसमान में पहुुँच चक
ु ा हुँ और आनांद के समन्
ु दर
में गोते लगा रहा हुँ… धीरे धीरे कसशश का दद़ गायब हो गया…और वो मेरा साथ दे ने लगी.. वो उसकी
पहली चुदाई होने के बावजद एक मांझे हुए खखलाड़ी की तरह जुजम्बश दे ती जा रही थी और अपने कमर
को लचका रही थी. जब मैंने दे खा कक वो अब खब मजे लेने लगी है तो मैंने उसे डौगी के पोज़ में उ्टा
कर ददया और कफर चोदता गया… करीब ३० समनट बाद वो बोली, “दे व अब मैं नहीां रोक सकती, मैं झड़ने
वाली हुँ।” यह सन
ु के मैंने जोर जोर से धकके लगाना चाल कर ददया…और कुछ दे र बाद कसशश की चत
से ढे र सारा पानी तनकला और वो तनढाल हो कर लेट गई। मेरा भी बाुँध टटने वाला था तो मैंने झट से
लांड को चत से बाहर तनकाला और जोर जोर से मठ मारने लगा. जब मेरा माल तनकलने वाला था तब
मैं उसके मह
ुां के पास चला गया…कसशश ने अपने मह
ुां खोला और मैंने उसमें अपना सारा इकट्ठा माल
चगरा ददया… मैं अब कसशश के साथ ही बेड पे चगर गया. कुछ दे र बाद मैं और कसशश एक साथ बाथरूम
में घस
ु े और नहा सलए. अब मैं बबना दे री ककए वहाां से तनकल आया. अब मैं जब भी ट्यशन पढ़ाने जाता
था तब पढ़ाई कम और प्यार की बातें ज्यादा होती थी और हमने कई बार सेकस भी ककया. उस साल
कसशश मेडडकल में जगह न बना पाई. तब मझ
ु े अपनी गलती का एहसास हुआ. मैं एक दोस्त से
पवश्वासघात करने का दोर्ी था… कुछ साल बाद एक अच्छा ररश्ता दे खके कसशश के घरवालों ने उसकी
शादी कर दी… उसके पतत का तबादला हो के वो लोग अब हमारे शहर में ही रह रहे हैं. मझ
ु से कसशश ने
एक दो बार समलने की कोसशश की, पर मैं हर बार बहाना बना कर टालता गया…कुछ ददन बाद उसके
पतत की एक सड़क हादसे में जान चली गयी… कसशश अब अपने मायके में रहने लगी. मझ
ु से कसशश की
स़िेद साड़ी दे खी नहीां गयी. उसका खखला खखला सा चेहरा अब उदास रहने लगा था. मैंने सोचा कक मेरी
भल सधारने का इससे अच्छा मौका नहीां समल सकता. तो मैं एक ददन कसशश के घर गया और कसशश
की माुँ से उसका हाथ माांग सलया. उसकी माुँ की खश
ु ी के दठकाने नहीां रहे . कुछ ददन बाद एक मजन्दर में
हम दोनों ने शादी कर ली. अब हमारी शादी को एक साल परा होने वाला है और कसशश मेरी बच्चे की
माुँ बनने वाली है . मझ
ु े अब मेरी करनी पर कोई शसमिंदगी नही है .
भाई को पपलाया अपनी चत का पानी
दोस्तो, मैं रूपा, आपकी सेकसी दोस्त। आज मैं आपको बताने जा रही हुँ, एक बड़ी अजब सी बात, जो
शायद आपने कभी सन
ु ी न होगी। ये बात अभी कुछ ददन पहले की ही है । मेरी पहली कहानी
कामवासना पीडड़ता के जीवन में बहार से आपको पता चल ही गया होगा कक मैं अपने जजम ट्रे नर के
साथ सेट हुँ। वो भी हट्टा कट्टा मद़ है और मेरी खब तस्ली करवाता है । अब उसके साथ इतना प्यार बढ़
गया है कक अगर वो कहे तो मैं अपनी गद़ न काट कर उसके आगे रख दुँ । बेटे से भी मेरी मौन सहमतत
हो गई है कयोंकक मझ
ु े मेरे जजम ट्रे नर ने बता ददया था कक जब भी मैंने अपने जजम ट्रे नर के साथ जजम
में सेकस ककया है , मेरे बेटे ने जजम के जजम ट्रे नर के साथ मेरे अवैध सांबध
ां हो गए और कफर तो जब मेरी
दोपहर में कलास होती तो अकसर मझ
ु े जजम में ही चोदता। धीरे धीरे मैं उसे ददल से चाहने लगी, उसे
प्यार करने लगी। मगर उसके सलए मैं ससफ़ एक फुद्दी थी, ससफ़ सेकस के सलए इस्तेमाल ककए जाने वाली
रां डी। खैर मझ
ु े इस से भी कोई ऐतराज नहीां था कयोंकक मझ
ु े तो ससफ़ अपने सेकस की पतत़ चादहए थी।
कफर मझ
ु े ये भी पता चला कक सांदीप के साथ मेरी सेदटांग के पीछे मेरे बेटे का ही हाथ है । जब भी मैं
सांदीप से सेकस करती तो वो मझ
ु े सीसीटीवी पर दे खता। पहले पहले मझ
ु े बड़ी शम़ आई, कयोंकक मैं जो
कुछ भी सांदीप के साथ करती थी, वो सब मेरे बेटे को ददखता था। मगर कफर मैं भी बेशम़ हो गई कक
अब जब एक बार उसने मझ
ु े नांगी दे ख सलया, और ककसी गैर मद़ से चुदवाते हुये दे ख सलया तो अब ककस
बात की शम़ ... या ककस बात कर पदा़ करती मैं। मैं भी खुल कर सांदीप के साथ खेलती। सारा जजम
उस वक़्त खाली होता था तो हम तो सारे जजम में घम घम कर सेकस का नांगा नाच नाचते ... कभी
यहाुँ, कभी वहाां! सारे जजम में हर जगह मैं चद
ु ी। सांदीप को अपना माल पपलाना बहुत अच्छा लगता था
और मझ
ु े भी मद़ का गाढ़ा वीय़ पीना अच्छा लगता है . तो ये तो हमेशा की बात थी कक चद
ु ाई के बाद
मैं खद
ु ही उसका लांड अपने मह
ांु में ले लेती और चस चस कर उसका पानी तनकाल दे ती और सारे का
सारा पी जाती। सेकस के दौरान हम एक दसरे को खब गाली गलौच करते। माुँ बहन बेटी तो रूटीन में
चोदते एक दसरे की। पहले तो वो मेरी फुद्दी ही मारता था, और कफर धीरे धीरे मेरी गाुँड भी खोल दी. अब
तो मेरी फुद्दी, गाुँड और मह
ांु तीनों चीजों को वो भरपर चोदता। एक ददन की बात है कक मेरा भाई
सपररवार मेरे घर आया। अच्छा वो भी बबना बताए ... मझ
ु े उस ददन सब
ु ह से ही मन हो रहा था कक
आज दोपहर को सांदीप से इस पोज में फुद्दी मरवाऊुँगी। मगर भाई के आ जाने से मेरा सारा प्रोग्राम
बबगड़ गया। मेरा मन सा बझ
ु गया। खैर भाई आया था तो मैंने उसके सलए बहुत कुछ पकवान पकाए।
छोले, हलवा पड़ी, दाल सब्जी। अब वो शाकाहारी है , तो सब कुछ शाकाहारी खाना ही पकाया। दोपहर को
सांदीप का फोन आ गया- कया हुआ आई नहीां कुततया? मैंने कहा- अरे यार, भाई आया है , उसकी सेवा में
लगी हुँ। वो बोला- कयों भाई का लांड चस रही है मादरचोद? मैंने कहा- अरे नहीां भाई है , ऐसे कैसे? वो
बोला- तो ऐसा कर ... थोड़ी दे र के सलए ही सही, त आ मेरे पास। मैंने कहा- अरे ददल तो मेरा भी बहुत
मचल रहा है , पर अब भाई को घर पे छोड़ कर कैसे आऊुँ? वो बोला- त ऐसा कर, ककसी बहाने से आजा,
बस 10-15 समनट के सलए, चुदाई नहीां करें गे, कुछ और करें गे। मैं भी मन में खुश हुई कक कुछ और में
पता नहीां कया करे गा। खैर मैं खाना बनाने के बाद, भाई से बाज़ार से कुछ समान लाने का कह कर गई
और सीधा जजम में पहुांची। वहाुँ सांदीप पहले से बैठा मेरा इांतज़ार कर रहा था। मैं तो जा कर सलपट गई
उससे ... एक जोरदार चुांबन उसके होंठों पर जड़ ददया मैंने चुांबन लेकर वो भी खश
ु हो गया- कया हुआ,
साली रां डी की फुद्दी बहुत फड़क रही है आज? मैंने कहा- वो छोड़ो, ये बताओ, बल
ु ाया ककस सलए? वो बोला-
आज मैं चाहता हुँ कक तम
ु ऐसा कुछ करो, जो तम
ु ने पहले कभी नहीां ककया हो। मैंने कहा- ऐसा कया है ?
वो मझ
ु े एक तरफ ले गया और मझ
ु से बोला- चल अपनी सलवार उतार मैंने अपनी सलवार उतारी तो
उसने मझ
ु े नीचे बैठाया और एक कटोरी ला कर मेरी फुद्दी के पास रखी। कफर उसने अपना लोअर उतारा
और अपना लांड मेरे मह
ुां पर मार कर बोला- ले अब इसे चस और अपनी फुद्दी में उां गली घम
ु ा ... और
तेरी फुद्दी का सारा पानी इस कटोरी में आना चादहए। मैंने हां स कर पछा- पपएगा कया? वो बोला- हाुँ, आज
हम दोनों एक दसरे का पानी पपएांगे। मैंने उसका ढीला सा लांड अपने मह
ुां में सलया और चसने लगी. और
अपनी फुद्दी में उां गली करने लगी। एक समनट में ही मेरी फुद्दी से पानी आने लगा तो मैंने वो कटोरी
अपनी फुद्दी के नीचे सेट करी ताकक मेरी फुद्दी का सारा पानी, उस कटोरी में आए। मैं लांड चसती गई और
मेरी फुद्दी का स़िेद पानी टपक टपक कर कटोरी में चगरता रहा। मगर जब एक शानदार लांड आपके मह
ुां
में हो और आपकी फुद्दी पानी पानी हो, तो कैसे चुदास पर काब ककया जा सकता है , मैंने सांदीप से कहा-
यार बहुत मन कर रहा है , आ जा, ऊपर आ जा। मगर वो बोला- नहीां आज सेकस नहीां, आज ससफ़ माल
तनकालना है बस मेरी फुद्दी का काफी सारा पानी कटोरी में इकट्ठा हो गया था। कफर सांदीप ने मेरे मह
ुां से
लांड तनकाला और खद
ु अपने हाथ से मेरी फुद्दी का दाना सहलाने लगा, अपने दसरे हाथ की उां गली वो मेरी
फुद्दी में अांदर बाहर करने लगा। मैं तो तड़प उठी, बड़ी मजु श्कल से कटोरी सांभाल पा रही थी। बस दो
समनट में ही मेरी फुद्दी ने पानी की बौछार कर दी। धार पे धार मारी, और आधे से ज़्जयादा कटोरी भर दी।
जब मैं ठां डी हो गई तो सांदीप ने अपने हाथ मेरी फुद्दी से हटाये और कटोरी सांभाल कर मेरी टाुँगो के
नीचे से तनकाली। "ये दे ख साली, तेरी माुँ के भोंसड़े से ककतना पानी तनकला है ." और उसने पहले तो उस
पानी को सघ
ां ा, और कफर एक ह्का सा ससप सलया। कफर बोला- खट्टा पानी। मैंने कहा- तो सारा पी ले न!
वो बोला- नहीां, अभी इसमे कुछ और समलाना है , चल मेरी मट्ठ
ु मार। मैंने उसका लांड पकड़ा और उसके
लांड को आगे पीछे दहलाने लगी। अब तो मझ
ु े भी पता था कक सांदीप को कैसे अपनी मट्ठ
ु मरवानी पसांद
है । मैंने कस कर उसकी मट्ठ
ु मारी और उसके लांड का टोपा अपने मह
ांु में ले रखा था। काफी दे र मैं
उसकी मट्ठ
ु मारती रही. और जब उसका माल चगरने वाला हुआ तो सांदीप ने अपना लांड मेरे मह
ांु से
तनकाल सलया और जब उसका माल चगरा तो उसने वो सारा माल उसी कटोरी में इकट्ठा ककया जजसमें मेरी
फुद्दी का पानी भरा था। आखरी बद
ां तक मैंने उसका वीय़ उस कटोरी में तनचोड़ सलया। जब हम दोनों फ्री
हो गए तो सांदीप बोला- अब ये कटोरी ध्यान से अपने घर ले जा, और जो तम
ु ने अपने भाई के सलए
पकाया है , उसमें डाल दे । ताकक तेरा वो मादरचोद भाई जो आज आकर हमारे सेकस के ऊपर बैठ गया है ,
वो भी तेरी फुद्दी और मेरे लांड का पानी पी सके! चल जा। और मैं उस कटोरी को सांभाले सांभाले अपने
घर आई। घर आकर मैंने उस कटोरी में चम्मच से अच्छी तरह दहला कर दोनों पानी को एक जैसा कर
सलया और कफर थोड़ा सा पानी हलवे में , थोड़ा सा खीर में और थोड़ा सा सब्जी में डाल ददया। खाना पका
कर मैंने सबको ददया। सबने बड़े मज़े से खाया। ककसी को इस बात की भनक तक नहीां लगी कक इस
सब खाने में कया समला है , बज्क सबको खाना बहुत स्वाद लगा। मैं भी सोच रही थी कक कैसा पवचार
आया सांदीप के मन में और कैसी मैं उसकी दीवानी जो, उसके बोलने पर ये सब कर गई।
दीदी की चद
ु वाने की शत़
बात तब की है जब मैं दद्ली अपनी मौसी की लड़की यातन मेरी दीदी के घर गया था। उनका नाम चारू
था। धीरे -धीरे मेरी और दीदी की अच्छी पटने लगी और हम खुल कर हर बारे में बातें करने लगे। हम
सेकस के बारे में भी बात कर लेते थे। एक ददन जब मैं जब घम के घर लौटा तो मैंने दरवाज़ा खुला
पाया और जैसे मैंने अन्दर जाकर दे खा तो दीदी कपड़े धो रही थीां और उनकी साड़ी का़िी ऊपर तक उठी
हुई थी और उनके सारे कपड़े भीग गए थे, जजससे उनकी अन्दर की ब्रा सा़ि ददखाई दे रही थी। उसी
वकत मेरा लांड खड़ा हो गया। कया कफगर था उनका…! बड़े-बड़े मम्मे, भारी क्हे , पतली कमर….हय कया
मस्त जवानी थी ! मैंने अपने रूम में जाकर अपना लांड ठीक ककया और और उन्हें पेलने के बारे में
सोचने लगा। कफर मैं बाहर आ गया। दीदी रसोई में थी । मैं वहीां जाकर खड़ा हो गया और बात करने
लगा। मैंने दीदी से उनके और जीजा जी के सेकस के बारे में पछा। पहले तो दीदी कुछ नहीां बोलीां, कफर
मस्
ु कुरा कर कहा- कया जानना चाहता है ? मैंने दहम्मत करके पछा- जीजा जी तो बहुत परे शान करते होंगे
आपको? तो वो बोलीां- वो कया परे शान करें गे अब…! मझ
ु े परे शान करना इतना आसान नहीां है । मैंने कहा-
मैं परे शान करूुँ आपको? वो हुँसी और बोलीां- त कया कर पाएगा, त तो अभी बच्चा है । आज तक ऐसा
मद़ ही नहीां हुआ जो मेरी चीखें तनकलवा सके। मैं समझ गया कक वो मझ
ु े खुद को चोदने का तनमांत्रण दे
रही हैं। मैंने तरु ां त अपना गेम खेला और कहा- आपने कभी मौका ही नहीां ददया कक मैं आपकी चीखें
तनकलवा सकुँ .. और मैं बच्चा हुँ या मद़ , ये तो बाद में पता चलेगा। वो हुँसने लगीां, तो मैंने उनका हाथ
पकड़ कर कहा- चलो दीदी शत़ लगाते हैं… दे खते हैं कौन जीतता है ..! दीदी हुँसने लगीां, तो मैंने तरु ां त ही
उनके होंठों पर अपने होंठ रख ददए। हम दोनों की साुँसें तेज होने लगीां। उन्होंने कुछ नहीां कहा, तो मैं
समझ गया कक आज काम बन गया। मैंने तरु ां त उन्हें अपनी बाांहों में उठा सलया और बबस्तर पर जाकर
पटक ददया। मैंने अपने सारे कपड़े उतार ददए और नांगा हो गया। जैसे ही मैंने अपना शॉट़् उतारा तो वो
मेरे लण्ड को दे ख कर दां ग रह गईं और कहा- तम्
ु हारा लण्ड तो वाकयी बहुत बड़ा है । ये ककतना लांबा है ?
तो मैंने कहा- ये 9 इांच का है । तो उन्होंने कहा- तम्
ु हारे जीजा जी का तो सस़ि़ 5 इांच का है , उन्होंने ख़द
ु
कहा था। ये सन
ु कर मझ
ु से रहा नहीां गया तो मैंने दीदी के भी सारे कपड़े उतार फेंके और उन्हें परा नांगा
कर ददया। अब मैं और दीदी बब्कुल नांगे थे। मैं उनकी बरु चाटने लगा, दस समनट चाटने के बाद वो झड़
गईं और मैंने उनका सारा रस पी सलया। कफर मैंने उनको उठाया और मेरा लण्ड उनके मुँह
ु में दे ददया
और उनको चसने को कहा। उन्होंने खब चसा और अच्छा चसा। दस समनट के बाद मैं भी झड़ गया और
मैंने अपना सारा वीय़ उनके मुँह
ु में झाड़ ददया और उन्होंने मेरा सारा वीय़ पी सलया और कफर हम एक-
दसरे से सलपट गए। कफर 5 समनट के बाद मेरा लण्ड कफर खड़ा हो गया और मैंने उन से कहा- आज
ददखाता हुँ दीदी आपको कक असली मद़ कैसे होते हैं और कैसे चीख तनकलवाते हैं। कफर मैंने उनको सलटा
ददया और उनकी ़िुद्दी के द्वार पर लण्ड रखा और एक धकका मारा। मेरा दो इांच लण्ड ही उनकी बरु में
गया कक वो चीख उठीां और वो दद़ के कारण चच्ला रही थीां। परे कमरे में उनकी चीखें गज
ां रही थीां।
मैंने अपना काम जारी रखा और कफर एक और धकका मारा और अब मेरा आधे से ज्यादा लण्ड उन की
चत में घस
ु गया। वो बहुत तेज़ चीख उठीां और लांड तनकालने को कहने लगीां। वो कहने लगीां- मैं हार गई
समीर… पर अब अपना लांड तनकाल लो, यह मेरी बरु को फाड़ दे गा। पर मैं कहाुँ मानने वाला था, मैंने एक
जोरदार धकका मारा और परा का परा लांड उनकी बरु को फाड़ता हुआ अन्दर घस
ु गया और मैंने दे खा कक
उन की फुद्दी में से खन तनकल रहा है । मैं चौंक गया तो मैंने पछा- दीदी आपकी फुद्दी में से खन तनकल
रहा है ..! तो उन्होंने कहा- तम्हारा
ु लण्ड इतना बड़ा है न..! और कफर मैंने धकके लगाना चाल ककए और
कुछ धकके खाने के बाद उनको भी मजा आने लगा और वो भी अपने चतड़ उठा-उठा कर अपनी चत
मरवाने लगी थीां और लगातार सससकार रही थीां, “ऊऊऊ…ऊऊऊऊ श्श्श्श्शश्श्श्ह्स म्म्म्म्मम्म म्म्म और
डालो और डालो और डालो समीर, मेरी फुद्दी को फाड़ दो मेरी फुद्दी को फाड़ दो।” दीदी की चत लगातार
पानी छोड़ रही थी और मेरा लौड़ा बड़े आराम से अन्दर-बाहर आ जा रहा था। दीदी भी अपने चतड़ उठा-
उठा कर सहयोग कर रही थी। वो मदहोश हुई जा रही थीां। उनके आनन्द का कोई पारावार ना था। ऐसा
मज़ा शायद उन्हें पहले नहीां समला था। अब मैं चरमोतकऱ् तक पहुांचने वाला था। मैंने दीदी को कहा- लो
दीदी.. ! ले लो मेरा सारा रस ! पपला दे अपनी चत को ! “हाुँ.. ! भर दे मेरी चत अपने रस से मेरे समीर
!” दीदी बोलीां। और मैंने परे जोर से आखखरी धकका ददया तो मेर लन्ड दीदी के गभा़शय तक पहुांच गया
शायद और वो चीख पड़ीां- मार डालेगा कया? मेरे मुँह
ु से तनकला- बस हो गया ! मेरा लन्ड दीदी की चत
में पपचकाररयाुँ मार रहा था। दीदी भी चरम सीमा प्राप्त कर चक
ु ी थीां। क़िर कुछ रक-रक कर ह्के-ह्के
झटके मार कर मैं दीदी के ऊपर ही लेटा रहा। हम दोनों का़िी दे र तक अध़मतछ़ त से पड़े रहे । कफर हमने
परी रात बार-बार चद
ु ाई की।
रे प नहीां.मज़ा
हे ्लो दोस्तों मेरा नाम आरती है ..मेरी उम्र ३४ साल और मेरे पतत असमत ४० साल के हैं ...मेरे दो बच्चे
हैं ........मैंने यहाुँ बोहत सी कहातनया पड़ी तो सोचा की मैं अपने साथ बीती कहानी भी तम
ु को बताऊुँ
...... तीन साल पहले की बात है .असमत के ककसी ररश्तेदार के घर का महरत था नाहन में पौंटा के पास
.......उसी ददन हमारी शादी की सालचगरह भी थी ....तो असमत ने मांसरी मैं होटल बक
ु करवाया ...बच्चों
को मैंने अपने माता पता के घर छोड़ ददया ! महरत के बाद लगभग चार बजे हम मांसरी के सलए तनकले
......अभी हम दे हरादन से पांद्रह -बीस ककलोमीटर पीछे थे कक हमारी कार बांद हो गई..,.....असमत ने चेक
ककया तो पता चला कक ककसी ने पट्रोल तनकाल सलया था .....अकतबर का मदहना था और शाम हो चुकी
थी ......आस पास जांगल था .....असमत ने कहा कोई गाड़ी आएगी तो उससे मदद माांगते हैं .........बोहत
दे र बीत जाने के बाद दे हरादन कक तरफ से एक बस आई ....बस रोकने पर ड्राईवर बोला .."आज हड़ताल
है इससलए गाडडया नहीां आयेंगी ....और यह जांगल है और खतरनाक इलाका है आप बस में आ जाओ
...सब
ु ह गाड़ी ले के आगे चले जाना " पर असमत ने मन कर ददया !.बस जाने के एक घांटे बाद पोंटा कक
तरफ से एक सफारी जीप आई असमत ने उन्हें रोका सफारी में दो लड़के थे पचीस -छबीस के ...दोनों
बोहत भले लग रहे थे और हमने अपनी प्रॉब्लम बताई ..... ....तो वो बोले कक हमारी गाड़ी तो डीज़ल
वाली है ....यहाुँ से एक ककलोमीटर आगे हमारा फाम़ हाउस है वहाां पेट्रोल वाली गाड़ी है वहाां से आप तेल
डलवा के आगे चले जाना ... उन्होंने अपनी गाड़ी के पीछे हमारी कार बाांधी और चल पड़े ....अुँधेरा हो
चुका था .......एक ककलोमीटर आगे जा के उन्होंने गाड़ी एक छोटी सड़क कक तरफ मोड़ दी ....काफी आगे
जा के एक बोहत ही बड़ा फाम़ हाउस आया ....वहाां दो बड़ी कारें खड़ी थी .... उन लड़कों में से एक का
नाम सोन दसरे का पवककी था.....पवककी बोला " सोन तम
ु गाड़ी में तेल डालो तब तक यह लोग कुछ
फ्रेश हो ले और चाय पी लें " असमत ने मना ककया पर दोनों ने जब बोहत कहा तो असमत मान गया
......फाम़ हाउस अन्दर से भी बोहत बड़ा था.....मैं बाथरूम गई और असमत पवककी के साथ बैठ कर बातें
करने लगा ........दस समनट बाद जब मैं बाहर आई तो मेरे पैरो तले से जमीन ही तनकाल गई ....असमत
कुसी पर बांधा था .....उसका मह
ु ुँ भी बांधा था ........वहाां दो और लड़के भी थे .....मैं जोर से चीखी
....और असमत कक तरफ भागी ...पवककी ने मझ
ु े पकड़ सलया और सोन ने असमत कक गद़ न पर चाक रख
ददया ....पवककी बोला " अगर चीखना -चच्लाना है जजतनी मजी जोर से चीखो यहाुँ कोई सन
ु ने वाला
नहीां है ...बेहतर होगा कक आराम से बैठ कर बात सन
ु ो" मैं असमत के पास बैठ गई ! असमत बोला "यह
मेरा फारम हाउस है ....मेरे पपता बोहत बड़े आदमी है हमारा इस इलाके मैं बोहत दबदबा है ......यह मेरे
दोस्त हैं अली और समांट .....सोन को तो तम
ु समल ही चक
ु े हो.....आज हमारा यहाुँ रां डी चोदने का प्रोग्राम
था पर वोह हरामजादी ऐन मौके पर दगा दे गई .....पर हमारी ककस्मत से तम
ु समल गई........अब ये तम
ु
पर है कक आराम से चद
ु वाती हो या जबरदस्ती से" ....मैं रोने लग पड़ी और उनकी समन्नते करने लगी
पर उन पर कोई असर न हुआ .........पवककी बोला "कपडे फाड़ कर नांगी करो साली को " मैं हाथ जोड़ने
लगी .....तभी असमत सर दहलाने लगा और ग-ां गां करने लगा जैसे कुछ कहना चाहता हो.....अली ने असमत
का मह
ु ुँ खोल ददया .........असमत बोला " मझ
ु े खोल दो मैं इसे समझाता हुँ" अली बोला'' कोई चालाकी कक
तो मार कर यही गाढ़ दें गे ....और असमत को खोल ददया .......असमत बोला " आप लोग बाहर जाओ मैं
इससे बात करता हुँ .......वोह लोग बाहर चले गए ..असमत ने मझ
ु े अपनी बाुँहों में ले सलया और कहा "
दे खो आरती हम यहाुँ बरु ी तरह फांस चक
ु े है .....यह हमें ऐसे तो छोडेगे नहीां .....बेहतर हो तम
ु आराम से
इन्हें करने दो नहीां तो यह जबरदस्ती करें गे और तम्
ु हे तकलीफ भी दें गे ....में इनसे समन्नत करूुँगा कक
तम
ु से आराम से करें और तम्
ु हे ककसी तरह का नक
ु सान न पहुांचाए " मैं रोने लगी पर असमत ने बोहत
समझाया और कहा मैं हुँ न तम्
ु हारे साथ .......और असमत मझ
ु े लेकर बाहर आ गया ॥वोह चारो लोब्बी
मैं बैठ कर जव्हस्की पी रहे थे ....असमत बोले " आरती आप लोगो के साथ करने के सलए तैयार है पर
हमारी बबनती है कक आप लोग गसलयाां वागेरह मत तनकलना और जब आरती बस बोले तो उसे आराम
दे ना ....और जव्हस्की कम पपयें ताकक कोई नक
ु सान न हो प्लीज़ " पवककी बोला " हम भी आराम से
चोदना और मज़ा लेना चाहते है .....हम आप लोगो का नक
ु सान नहीां करें गे " असमत बोला " हमें भी पैग
बना कर दो'' ........मैं कभी कभी असमत के साथ आधा पैग शेयर कर लेती थी सोन पैग बनाने लगा तो
असमत बोला पैग मैं बनाऊांगा .......असमत साइड बार पर जा कर दो पैग बना लाया ....मेरे सलए कोक
वाली.........हम बैठ कर बातें करने लगे और पैग लगते रहे ......मेरे को अभी भी कुछ डर लग रहा था
...पैग ख़तम होने पर असमत दो और पैग बना लाया ...मैंने मना ककया तो असमत ने कहा पी लो ये
तम्
ु हारे भले के सलए ही है .........मझ
ु े नशा होने लगा था .....कफर असमत ने सब से कहा अब जव्हस्की
बस और सब अन्दर चलो .....हम सब बेडरूम में आ गए ......असमत मझ
ु े बेड पर ले आया और सब से
बोला आपने कपडे उतार दो ......कफर असमत मेरे को ककस करने लगा और मेरे मोमे मसलने लगा
........असमत ने मेरा टॉप उतार ददया ......... कफर मेरी जीांस को आराम से उतार ददया मेर आुँखे बांद थी
...असमत मझ
ु से बोला कक आुँखे खोलां .......चारो बेड के पास नांगे खड़े थे ......सब अपने अपने लांड को
मसल रहे थे .......सब के लांड एकदम खड़े थे ......पवककी का लांड बड़ा था पर अली का........बोहत बड़ा
और मोटा था .....आगे से तीखा और मास कटा हुआ........असमत बोला अब पैंटी भी में ही तनकलां कया
.....तो सब लड़के बेड पर आ गए और मेरे को भी नांगी कर ददया............ मैं बेड पर नांगी चारो लड़कों
के बीच पड़ी थी ..असमत बेड से उतर कर सोफे पे जा बेठा ......मैंने आुँखें बांद कर ली.....मझ
ु े खब नशा
हो चका था ........मझ
ु े वोह सब कफ्में और फोटो याद आ रही थी जो मैंने असमत के साथ कम्पटर पर
दे खी थी.....जजनमे एक औरत कई मदों के साथ सेकस करती है .....ऐसी बहुत सी कफ्म फोटो हमने
दे खी थी...........मैं वोह सब सोच कर बहुत गरम हो गई थी .....मैंने आुँखें खोल कर दे खा ....पवककी मेरी
टाांगो के बीच बैठा था ....उसने मेरी चत को सहलाना शरू
ु कर ददया .....समांट और सोन ने मेरी चचु चओां
को अपने मह
ु ुँ में ले सलया .....अली ने अपना मोटा तगड़ा लैंड मेरे मह
ु ुँ में दे ददया ......कुछ दे र बाद
पवककी ने मेरी चत को चाटना शरू
ु कर ददया .........उसने अपनी जीभ परी अन्दर कर दी ........मैं
सससक उठी .........मैं बहुत गरम हो चक
ु ी थी.......मैंने अपनी चत ऊपर नीचे करनी शरू
ु कर दी....बहुत
मज़ा आ रहा था......मैंने सोन और समांट के लांड पकड़ कर सहलाना शरू
ु कर ददया ...........मेरे बदन पर
सब हाथ फेर रहे थे........कुछ दे र बाद पवककी ने अपना लांड मेरी चत मैं डाल ददया.........उसके तीन चार
धको मैं ही मैं खलास हो गई ...पर वोह अपनी स्पीड पर धकके लगता रहा......मैं परा मज़ा ले रही थी....
थोडी ही दे र मैं मैं मस्त हो कर चत उछालने लगी .......पवककी ने भी अपनी स्पीड बढा दी.......दस
समनट बाद वोह और मैं इकठे ही खलास हो गए......पवककी सोफे पे जा बैठा .......अब समांट उसकी जगह
पर आ गया ........उसके बाद सोन..........जब तीनो का काम हो गया मैं भी थक गई थी ......मेरी चत
और टाांगे दख
ु ने लगी थी.........इतनी दे र से ऊपर जो उठी थी.........अली अब तक नहीां झडा
था..........मैंने अपनी टाांगे फैला कर लेट गई.....अली ने अपना लांड तनकल सलया और मेरी चचु चओां से
खेलने लगा ....कुछ दे र बाद अली ने मझ
ु े उ्टा सलटा ददया और मेरी गाांड पर लांड रगड़ने लगा......मैंने
मना ककया और कहा मैंने कभी ऐसा नहीां ककया है ......तो वोह बोला कभी पहले एक साथ चार से चुदवाई
थी.......नहीां न .......तो इसका भी मज़ा ले लो आज ......मैंने कहा तम्
ु हारा बहुत बड़ा है ......तो वोह बोला
....मज़ा भी बड़ा ही आएगा ........उसने पवककी और सोन को भी बेड पर बल
ु ा सलया......पवककी मेरे सामने
लेट गया और अपना लांड मेरे मह
ु ुँ में दे ददया....मैं उसका लांड चसने लगी ........सोन मेरे स्तन चसने
लगा........अली ने मझ
ु े कुततयाकी तरह कर के मेरी गाांड पर खब थक लगे ......कफर वोह अपना लांड
रगड़ने लगा .......उसने एक जोर का धकका मारा और उसका मोटा लांड मेरी गाांड मैं थोडा सा घस
ु
गया.....मैं चीखना चाहती थी पर पवककी ने मेरा सर पकड़ कर अपने लांड पर दबा ददया......उसका लांड
मेरे मह
ु ुँ मैं था और उसने जोर से मेरा सर पकड़ रखा था ......अली ने कफर धकका मारा और सारा लांड
अन्दर........मझ
ु े लगा ककसी ने मोटा पाइप गरम करके मेरी कुवारी गाांड मैं दे ददया है ...........मेरी आुँखों
मैं आांस आ गए..........अली धीरे धीरे आगे पीछे होने लगा........कुछ ही दे र मैं मेरा दद़ जाता
रहा.......और मझ
ु े मझ
ु े मज़ा आने लगा .........पवककी नै तब अपने हाथ हटा सलए.........मैंने पवककी का
लांड हाथ मैं ले सलया और साथ ही उसका लांड चसने लगी.........समांट मझ
ु े आ कर मेरी चची से खेलने
लगा........बहुत दे र यही पोजीशन रही.........कफर पवककी झड़ गया .......मैंने उसका सारा वीय़ पी
सलया.......बहुत अछी तरह से उसका लांड सा़ि कर ददया .........कफर समांट ने अपना लांड मेरे मह
ु ुँ मैं दे
ददया ...........जब उसका छुटा तभी अली का काम मझ
ु े हो गया..........उसके बाद सोन ने अपना लांड मेरी
गाांड मैं दे ददया.........जब वोह झडा ......उसके बाद मैं एकदम तनडाल हो कर बबस्तर पर पसर
गई.......और अपनी आुँखें बांद कर ली............मेरा अांग अांग दःु ख रहा था पर मझ
ु े ऐसा लग रहा था जैसे
मैं जन्नत मैं हुँ.......जव्हस्की और चार लांड का नशा मझ
ु पर छाया हुआ था .........बहुत दे र मैं ऐसे ही
लेटी रही कुछ दे र ऐसे ही आराम करने के बाद पवककी बोला चल कुछ खा पी लेते हैं ......सब लड़कों ने
अपने अांडर पवअर डाले मैंने भी पैंटी और अपना टॉप डाल सलया .....हम सब बाहर आ गए ......लड़कों ने
डडन्नर टे बल पर लगाया ........चचककेन ...मट्टन...चपततया...सलाद ....सब कुछ था ......असमत ने पछा के
यह खाना कहाुँ से आया तो पवककी बोला ..... हम सब का यहाुँ रां डी लाने का प्रोग्राम था ... मैं और सोन
रां डी लेने गए थे ....मटन --चचककन ..अली ने बनाया था ....चापततया नोकर ने......जब हम लोगो को
कॉल गल़ नहीां समली और तम
ु जब समल गए .....तो हमने अली को फोन करके नोकरो को उनके कवाटरो
में भेज ददया ....और अली ,समांट को छुप जाने को कहा था.........कफर हमने खाना खाया ...अली पैग
लगाना चाहता था पर असमत ने मना कर ददया........खाने के बाद हम सोफे पे बैठ कर बातें करने
लगे.......सब लड़कों के बड़ा कसरती बदन थे........अली बोला ...असमत भाई ..पैग नहीां red wine तो पी
सकतें हैं ...असमत बोला ठीक है .....में असमत के साथ बैठी थी....अली मेरे साथ आ के बैठ गया ....wine
पीते पीते अली मेरी लातों पर हाथ कफराने लगा ....और बोला ..हमने यहाुँ बहुत काल गल़ के साथ सेकस
ककया ....हर लड़की एक बार में एक लड़के को ही चड़ने दे ती थी...... और कोई भी इतने जोश के साथ
नहीां करती थी ......असमत भाई भाभी बहुत गरम है .......पवककी बोला ......सही बात है ....कोई भी इतने
मज़े से लांड नहीां चसती .....सारा माल पी सलया भाभी ने .....मेरा जजन्दगी में ऐसा ककसी ने नहीां चसा
......असमत बोला ....ये मेरी दी हुई ट्रे तनांग है ........वैसे भी आज हमारी शादी की सालचगरह है ........सब
लड़कों ने हमें मब
ु ारक बाद दी......मैं गम़ हो रही थी अपनी तारी़ि सन
ु कर........मैं उठ गई और बोली
चलो सोने चलतें हैं .....असमत हुँस पड़ा और बोला ...दे खो कैसे मचल रही है चुदने को.......मझ
ु े शम़ आ
गई ....मैं बोली मैं तो ऐसे ही कह रही थी.....सब हसने लगे ..........हम सब बेड रूम मैं आ गए
......असमत सोफे पे लेट गया ....मैं बेड पर बैठ गई.......अली बोला ......भाभी अब तम
ु अपनी मज़ी से
करो हमारे साथ ....मैंने असमत की तरफ दे खा ..तो असमत बोला मेरी तरफ कया दे ख रही हो ...मज़ा
करो.........जैसा तम्
ु हे अछा लगे.........मैंने अपना टॉप पैंटी उतार दी ...लड़के भी एकदम नांगे हो गए
......सब के लांड तने हुए थे .........मैंने अली को बोला की वोह लेट जाये......मैंने जब से अली का लांड
दे खा था ...मेरी चत में कुछ कुछ हो रहा था .....में कब से उसे अन्दर लेना चाहती थी.....पर वोह गाांड
मारने का शोकीन था......अली को नीचे सलटा कर में उसके ऊपर बैठ गई ......मैंने उसका लांड पकड़ कर
चत में डलवाना शरू
ु कर ददया......धीरे धीरे सारा लांड अन्दर चला गया ..........उसके बाद मैंने समांट को
बोला की मेरी चुचचओां को मसलता रहे और चसता रहे ........सोन का लांड मैंने मह
ु ुँ में ले सलया ........कफर
मैंने पवककी को बोला की अपना लांड मेरी गाांड में दे दे ........पवककी ने वैसा ही ककया.... मझ
ु े अन्दर
दोनों के लांड टककर लगाते लग रहे थे ....मेरी चत और गाांड बहुत चचकनी महसस हो रही थी अन्दर से
............मझ
ु े बहुत मज़ा आ रहा था ...मझ
ु े लग रहा था की मैं ककसी ब्ल कफ्म की हे रोइन हुँ ........मैं
जोर जोर से चत रगड़ रही थी और धकके लगा रही थी .....लांड चस रही थी ......चुचचया चुसवा रही
थी............ ..पवककी और अली भी जोर से धकके लगा रहे थे ........ मैं बहुत मस्ती में थी और
ससजस्कया ले रही थी ....दस समनट बाद पवककी झड़ गया और अपना गम़ वीय़ मेरे अांदर उडेल ददया
......पवककी दस
ु रे सोफे पे जा बैठा ....मैंने समांट को पवककी की जगह लेने को बोला .......समांट जोर जोर से
मेरी गाांड मारने लग गया .......मैं सोन का लांड चोकलेट कु्फी की तरह चस रही थी ........परा का परा
लांड ....गले तक जा रहा था ........तभी सोन झड़ गया ....सारा का सारा माल मैं पी गई .....एक बद
ां भी
ख़राब नहीां होने दी.......परी तरह से सा़ि कर ददया ..........वोह भी तनडाल हो के लेट गया ......समांट और
अली जोर जोर से धकके मार रहे थे ........कुछ दे र बाद समांट भी झड़ गया .........अली अब भी भी मैदान
में था.....मैं जोर जोर से चत उछालने लगी .........जजांदगी मैं इतना बड़ा लांड पहली बार अांदर गया था
....मैं परु े जोश में थी.......तभी अली ने जोर से मेरी चचु चया खीच ली .....वोह भी झड़ गया ...मैं तो कई
बार झड़ चक
ु ी थी.........मैंने उठ कर अली का लांड मह
ु ुँ मैं ले सलया ,.........उसके और मेरे माल का स्वाद
बहुत अछा लग रहा था मझ
ु े ........परा लांड अछी तरह से सा़ि करने के बाद मैंने दे खा ..असमत मस्
ु करा
रहा था .....मैं असमत के पास गई और उसको नांगा करके उसके ऊपर बैठ कर लांड अन्दर ले कर असमत
की सवारी करने लगी ..........कुछ ही दे र मैं वोह भी झड़ गया ......कयोंकक वोह लाइव मवी दे ख कर
काफी उतेजजत था .....मैंने उसका लांड भी चाट चाट कर सा़ि कर ददया बहुत थकावट हो रही थी इससलए
मैं बेड पर लेट गई ..कब मझ
ु े नीांद आ गई पता ही न चला .......सब
ु ह जब नीांद टटी......तो दे खा अली
,समांट, सोन मेरे साथ सो रहे थे नांगे ........असमत सोफे पर था ....पवककी दस
ु रे सोफे पर था.......मेरा सारा
बदन दःु ख रहा था .......मैं बाथ रूम गई ....फ्रेश हुई......बाहर आई तो सब उठ गए..........मैंने अपनी टी
शट़ डाल ली ......सब फ्रेश होने लगे बारी बारी ...........फ्रेश होने के बाद अली और सोन चाय और
बबस्कुट ले आये ........चाय पी कर हम बाहर आ गए ....पवककी ने हमें सारा फाम़ हाउस ददखाया ....बहुत
ही सन्
ु दर और बदढया फाम़ हाउस था............असमत बोला चलो अब नहा कर नाश्ता कर ले और हम जब
अब जाना चाहते है ..........पवककी बोला ....असमत यार आज रात और रक जाओ ......बहुत ही मज़ा
आया ....आज कहीां चलते है आसपास घम
ु ने ......रात को कफर मज़ा करें गे ............ ...वैसे तम
ु भी तो
मज़ा कर रहे हो न .......असमत बोले ....हाुँ ...बहुत सालों से मेरे मन में था की इस को कोई मेरे सामने
चोदे .......कांप्यट
ु र पर जब लोग अपनी बीवी ददखाते ....उनकी फोटो ददखाते ....तब मेरे मन भी आता था
......इसकी फोटो खीांच कर कांप्यट
ु र पर लगाऊ..........पर ये नहीां मानती थी......अली बोला .....वह भाई
जान ....कफर तो रक जाओ ....आज अपने स्टाइल से चुदवाना भाभी को........असमत बोला ......नहीां ...एक
काम करो .......अभी एक बार कर लेते हैं .....कफर हम लोग जायेंगे .......आप अपना नांबर दे दो
........अगर हमारा मड बना तो हम कल यहाुँ वापपस आ जायेंगे ...........अली पवककी सब अपने नांबर दे
ददए........मझ
ु े मज़ा आ रहा था .....मैं जाना नहीां चाहती थी ...रहना चाहती थी वहाां पर........पर ............
..कफर असमत मझ
ु े बोला ...कक नहा लो........जब मैं जब नहा कर बाहर आई ....असमत ने ओम्लेट बनवा
कर रखे थे .... असमत ने मझ
ु े टे बल पर सलटा ददया .....असमत ने मेरे बदन पर ओम्लेट रख कर ...सोस
लगा दी .....चुचचयो पर ....लातो पर ...मह
ु ुँ पर ......चत पर.......सब जगह......कफर सब लोग मेरे बदन पर
से चाट चाट कर सोस और ओम्लेट खाने लगे ............ ..पाांचो नांगो के लांड खड़े थे ..........मेरे बदन में
आग लगी थी ............पवककी ने अपना लांड सोस लगा कर मेरे मह
ु ुँ में दे ददया ......सोन समांट चचु चओां
को चसने लगे .........असमत चत चाटने लगा ........अली मेरी टाांगो से सोस चाट रहा था ......कक एकदम
दरवाज़ा खल
ु ा और ............ ..... एकदम से दरवाज़ा खल
ु ा और एक पचास पचपन साल का आदमी
अन्दर आ गया ........उसे दे खते ही सब लड़कों को साांप सघ
ां गया .......सभी भागे वहाां से ......मैं भी उठ
कर अपने कपडे ढडने लगी ........असमत भी अपनी पेंट पहन रहा था.......वोह मझ
ु े दे खते हुए बाहर चले
गए .......पवककी अली सब कपडे डाल कर आये और हमें बताया की वो पवककी के पपता है ......हम सब
बाहर लॉबी में आ गए ......राणा साहे ब वहाां बैठे थे.......लड़कों को दे ख कर राणा जी बोले ......मझ
ु े यह
तो पता था की तम
ु लोग कभी कभी मस्ती के सलए यहाुँ कॉल गल़ लाते हो .....वोह तो मैं बदा़श्त कर
लेता था ....पर कल रात जब मझ
ु े पता चला की तम
ु ने ककसी को अगवा ककया है तो मैं सीधा मब
ांु ई से
यहाुँ चला आया.......कुछ शम़ करो पवककी ......कुछ तो मेरी इज्ज़त का ख्याल करो ........पवककी राणा
जी से मा़िी माांगने लगा ........राणा जी बोले ....अब भाग जाओ यहाुँ से...........सीधे फैकट्री जाओ ...मैं
तम्
ु हे वहीीँ समलुँ गा............ ..सभी लड़के वहाां से चले गए........ राणा जी हम लोगो से बार बार पवककी की
करतत के सलए मा़िी माांगने लगे ...असमत बोला कोई बात नहीां राणा जी ....उन्हों ने गलती की आप ने
मा़िी माांग ली अब हमें भी जाने की इजाज़त दीजजए ...राणा जी बोले ...तम
ु लोग मांसरी जा रहे हो तो
वहाां मेरा एक बांगला है .....तम
ु लोग वहाां जा के रहो ...... असमत बोला नहीां हमारा होटल रूम बक
ु है तो
राणा जी बोले .....मझ
ु े अछा लगेगा अगर तम
ु वह जा के रहोगे तो.......राणा जी के बोहत जोर दे ने पर
असमत मान गया ..... राणा जी हमें बाहर छोड़ने आये .....हमें पता ददया अपने बांगले का..... रस्ते में
असमत बोला ....राणा जी पवककी की करतत के सलए मा़िी माांग रहे थे उन्हें कया पता की हम उनकी
करततों का मज़ा ले रहे थे......मैं बोली .....और कया इतना मज़ा आ रहा था की बढा बीच में ही आ गया
.....एक आधा घांटा रक कर आता तो कया बबगड़ जाता उस का.......असमत मेरी तरफ दे खने लगा
......और बोला .....जब मैं तम
ु से पछता था ककसी और के साथ करने को तब कयों मना करती थी ....अब
कया हो गया.....मैं बोली ....... जब तम
ु कहते थे यह सब करने को .....तो मैं हमेशा यही सोचती थी की
कुछ भी हो जाये ककसी दस
ु रे मद़ के साथ सेकस नहीां करुँ गी .......पर जब लड़कों ने अगवा ककया और
जबरदस्ती करने को बोलने लगे तब भी मैंने यही सोचा था की मर जाउां गी पर ककसी को हाथ नहीां लगाने
दुँ गी .......कफर जब तम
ु ने समझाया ....तो मैंने भी यही सोचा .......की करना तो उन्होंने है ही .....बेहतर
है की मज़ा ही ले सलया जाये .......जव्हस्की पीने के बाद तो मैं खुद को ब्ल कफ्म की हे रोइन समज रही
थी ......और वैसे भी मैंने कभी सपने मैं भी नहीां सोचा था की इतना मज़ा आता है ऐसे करने में .....यह
पता होता तो कब से शरू
ु कर दे ती यह ............असमत बोला ...तो अब मेरे से वादा करो की अगर
तम्
ु हारा मन ककया ककसी और से करने को तो शम़ नहीां करोगी मझ
ु े बता दोगी.......मैं बोली ....शम़ करके
अपना नक
ु सान कयों करवाउां गी मैं ......असमत हसने लगा.......हम लोग राणा जी के बांगले पहुुँच गए
....बहुत बड़ा और आसलशान बांगला था ......फाम़ हाउस से भी आसलशान .......वहाां नोकरों ने बताया की
राणा जी का फोन आया था ....हमारे बारे में ........... नोकर ने हमें हमारा कमरा ददखाया ......हम लोग
नहा कर खाना खाने के सलए लॉबी में आ गए .....बहुत शानदार खाना तयार था ......खाना खा के हम
लोग घम
ु ने जाने लगे ...... नोकर गाड़ी ले कर तयार खडा था .....हम काफी घमे....बहुत सी जगह
दे खी......रात को हम वापपस आ के कपडे बदल के बांगला दे खने लगे .........बार में बहुत ककस्म की
पवदे शी शराब की बोतलें पड़ी थी .....मैंने दो पैग बनाये और पैग पीते हुए टी वी दे खने लगे ..........दो दो
पैग लगा हम ने खाना खाया और बाहर लॉन में घम
ु ने लगे .......बातों बातों में राणा साहे ब का जजकर
आया तो मझ
ु े उनपर बहुत गस्
ु सा था सो मैं खब बोली उन के खखलाफ ......कफर हम ने अन्दर आ के दो
चगलास भरे red wine के और अपने रूम मैं आ गए .........हम लोग सोफे पे बैठ कर wine पी रहे थे की
असमत ने मेरा टॉप उतार ददया और wineमेरे स्तनों पर उडेल दी और चाटने लगा ...........कुछ दे र बाद
मझ
ु े नांगी कर बीच टे बल पर सलटा सारे बदन पर wine डाल डाल कर चाटने लगा ........मैं गम़ हो रही
थी .....मझ
ु े वोह सीन याद आने लगा जब सब लड़के मझ
ु े टे बल पर सलटा सोस चाट रहे थे ...पाांच पाांच
जीभे ....दस हाथ मेरे बदन पर कफर रहे थे ....यही सोचते सोचते मैं बहुत गम़ हो गई और मैंने उठ कर
असमत को नांगा कर बेड पर सलटा ददया और उसका लांड मह
ु ुँ मैं ले कर चसने लगी .......मैं बहुत ही
उतेजजत थी और बहुत जोर से उसका लांड चस रही थी ........एकदम से असमत का वीय़ छटा मैंने सारे
का सारा चाट सलया .......मेरा बदन जल रहा था ऐसा लग रहा था की चत के अन्दर आग लगी है
.........मैंने अपनी चत असमत के मह
ु पर दटका दी .....असमत ने अपनी साड़ी जीभ मेरी चत के अन्दर
डाल दी.....मैं जोर जोर से चत रगड़ने लगी ..........असमत खब जोर लगा के चाट रहा था ........मैं भी
बहुत जयादा उतेजजत और गम़ थी सो कुछ ही दे र मेरा भी काम तमाम हो गया..........मैं असमत के ऊपर
ही लेट गई ......पर मेरी तस्ली नहीां हुई थी अभी ...सो मैं असमत का लांड पकड़ कर सहलाने लगी
.....जब वोह कुछ उतेजजत हुआ मैंने उसे मह
ु मैं ले कर चाटने लगी ......जब परी तरह खडा हो गया मैंने
असमत के ऊपर बैठ कर अपनी चत में डाल सलया और असमत की सवारी करने लगी ......में जोर जोर से
चत रगड़ रही थी .......मैंने असमत के दोनों हाथ पकड़ कर अपने स्तनों पर रख ददए .....और उसे बोला
की जोर से मसलो और खीांचो इनको..........मैं जोर से ऊउह अआह की अव्वाज कर रही थी और जोर से
धकके लगा रही थी .....एकदम जांगली हो चुकी थी मैं ............मेरा ददल कर रहा था की असमत नोच ले
मेरे बदन को......तभी असमत का छट गया ....मेरा दो बार छट चका था ....पर मैं अभी भी असमत की
सवारी कर रही थी ......कक असमत का लांड ढीला हो कर बाहर आ गया ......मैं बेड पे लेट गई .......मैंने
कभी भी ऐसे नहीां ककया था असमत के साथ .....कुछ दे र बाद असमत बोला ....जानेमन मज़ा तो बहुत
आया आज .....पहली बार तम
ु ने इतने जोश के साथ ककया .....पर कृपया मेरा धयान रखना ....इतनी
जोर से दबा दबा कर रगडोगी तो मेरा तो टट कर अन्दर ही रह जाये गा ककसी ददन ..........मैं हां स कर
बोली ...अछा है हमेशा अन्दर ही रहे गा .....असमत बोला बहुत चाल हो गई हो एक ही ददन में .......कफर
हम दोनों सो गए............ ....सब
ु ह उठ कर तयार हो हम घम
ु ने चले गए ...शाम को हम घम कर वापपस
आये ....मैंने नहा कर ससफ़ टॉप डाला और बाहर आ गई .....असमत भी नहा कर तनककर डाल बैठ गया
.....बाहर ठण्ड थी पर कमरा गम़ था ....ब्लोवर चल रहा था ......असमत जव्हस्की ले आया ......हम दोनों
पैग लगते हुए टी वी दे खने लगे कक ककसी ने दरवाज़ा खट ख़्टाय़ा ............ ......... ...असमत बोला
....कोई नोकर होगा खाने के बारे मैं पछने के सलए .........मैंने ससफ़ टॉप डाला था सो मैं बेड पर बैठ गई
और अपने को कम्बल से ढक सलया .......असमत ने दरवाजा खोला तो सामने राणा साहे ब खड़े थे
....असमत ने उन्हें हे ्लो कहा और राणा जी को अन्दर बल
ु ा सलया ...राणा जी बोले ........आज यहाुँ एक
मीदटांग थी सो यहाुँ आया तो सोचा तम
ु लोगो से भी समलता चल..........राणा जी अन्दर आ सोफे पे बैठ
गए और मझ
ु े नमस्ते कहा ....मैंने भी नमस्ते कहा ...राणा जी बोले .....मैं पवककी और उसके दोस्तों के
ककए पे बहुत शसमिंदा हुँ ....प्लीज़ उन्हें मा़ि कर दे ना .....असमत बोला .....मा़ि तो आप के कहने पर
कल ही कर ददया था .......राणा जी हाथ जोड़ कर हम दोनों से शकु िया बोलने लगे ....और मन में सोचा
....आज कफर बढा मज़ा खराब करने आ गया ......मेरा मड खराब हो रहा था सो मैंने टी वी का ररमोट
उठा कर चें नल बदलने लगी ....राणा जी ने टे बल पर दे खा और बोले .....अरे तम
ु लोग पैग लगा रहे थे
......असमत मेरे पास एक बहुत ही बदढया शराब है मैं अमरीका से लाया था ......अभी मांगवाता हुँ वो पी
के दे खो ......असमत के मना करते करते राणा जी ने नोकर को आवाज़ दी और उसे सामान मांगवाने लगे
........कुछ ही दे र में नोकर बोतलें और बहुत सा खाने का सामान ले आया .....राणा जी ने असमत का
और खद
ु का पैग बनाया और एक दसरी बोतल से एक पैग बना मझ
ु े पकडाते हुए बोले ......यह औरतों
के सलए स्पेशल है ......पी के दे खो ......मैंने चगलास ले सलया ...मन ही मन राणा को गासलया दे ते मैंने
चगलास मह
ु ुँ को लगाया .......पर वाकई बहुत ही लाजवाब सवाद था शराब का ...बबलकुल स्ट्रा बेरी जैसा
.......राणा जी असमत से बातें करने लगे ...उसके काम के बारे में बातें करने लगे .......तभी नोकर
चचककन दटकका दे गया .....राणा जी ने उठ कर मझ
ु े प्लेट दी ......उसके बाद राणा जी असमत का एक
और पैग बना कर दे ने लगे तो मैंने असमत से कहा ......असमत अब बस करो तम
ु पहले ही दो पैग लगा
चुके हो ....असमत बोला ....अरे कफर कया हुआ ....मैं कोई बहका थोड़े ही हुँ ...वैसे भी यह पवदे शी शराबें
जयादा तेज नहीां होती ........राणा जी भी हाुँ में हाुँ समलते हुए बोले ......बबलकुल आरती यह जयादा तेज
नहीां है .......तम्
ु हारी वाली तो wine से भी कम तेज है ........उन्होंने यह कह कर मेरे वाली बोतल मेरे पास
रख दी .......असमत अपने कारोबार वगेरह के बारे में बता रहा था ....राणा जी अपने कारोबार के बारे में
.......राणा जी ने बताया उनकी बहुत सी फजकट्रया थी बहुत से शहरों में ......बहुत फैला हुआ कारोबार
था...राणा जी और असमत का पैग ख़तम हुआ तो राणा जी ने और बना सलया ...मेरा पैग ख़तम हुआ तो
मैंने भी एक और बना सलया ......कयोंकक राणा जी ने कहा था के यह ज्यादा तेज नहीां है .......मझ
ु े बहुत
गमी महसस हो रही थी ..पता नहीां शराब की गमी थी या कमरा गरम हो चुका था ...मैंने असमत से
ब्लोवेर बांद करने को कहा तो राणा जी ने उठ कर बांद कर ददया ......कुछ दे र बाद मझ
ु े अहसास हुआ की
असमत बहक गया है .....राणा जी ने उसके चगलास में और शराब डाल दी .....मैंने असमत को मना ककया
पर वोह नहीां माना ...उठ कर चगलास में छीन नहीां सकती थी ......कयोंकक मेरे तन पर ससफ़ टॉप था
........राणा जी असमत से बोले .......असमत मैं तम
ु से एक बात पछना चाहता हुँ .........असमत बोला
.......पउऊ ...छोऊऊऊओ रा ना साहे ब .......राणा जी बोले .........मैं मब
ुां ई में था तो मेरे नोकर ने फोन पर
बताया कक पवककी और उसके दोस्त ककसी दम्पतत को अगवा कर लाये है ....यह सन
ु मैं वहाां से भागा
आया ...पर जब मैं फाम़ हाउस पहुांचा तो मैंने यह दे खा कक तम
ु भी पवककी और लड़कों के साथ लगे थे
और आरती भी पवरोध नहीां कर रही थी .....यह चककर कया है .... असमत बहकती आवाज़ में बोला
.....''वोह राणा जी बात यह है अगवा तो लड़कों ने ककया था और जबरदस्ती भी करना चाही पर मैंने
सोचा कक अगर लड़के आरती से जबरदस्ती करें गे तो इस के मना करने या शोर करने पर मार पीट भी
करें गे तो कोई चोट भी लग सकती है ....बेहतर है कक वोह जो करना चाहतें है करने ददया जाए इस सलए
मैंने आरती को भी यही समझाया ''.......... ...राणा जी बोले ''''...चलो मान लेता हुँ तम्
ु हारी बात पर सब
ु ह
तम
ु भी नांगे हो साथ में कया कर रहे थे '''......... .असमत बोला '''''इसको भी मज़ा आ रहा था और मझ
ु े
भी सो मैं भी लग गया लड़कों के साथ और पता है जब आप आये तो हमें बहुत बरु ा लगा हमें आप
कवाब में हड्डी लगे कयों आरती ''......मझ
ु े शम़ आ रही थी पर मैं कुछ नहीां कर सकती थी मझ
ु े भी सरर
हो रहा था ....सर भारी हो रहा था .......मझ
ु े अब समझ आया राणा जी असमत को ज्यादा शराब पपला
बहका कयों रहे थे ..........राणा जी ने असमत को एक और मोटा सा पैग बना कर ददया ......मैं मना कर
रही थी पर वोह सन
ु ही नहीां रहा था मेरी बात .......तभी राणा जी बोले """दस साल पहले ॥दो साल
बीमार रहने के बाद मेरी बीवी चल बसी ....मैंने उसके मरने के बाद अपना सारा धयान पवककी कक
परवररश पर और काम पर लगाया ........मैंने दसरी शादी भी नहीां कक कहीां सोतेली माुँ पवककी कक
परवररश ठीक से ना कर पाए ''.....बात करते करते राणा जी कक आुँखों में आांस आ गए .......असमत पैग
ख़तम कर चुका था .....असमत ने सर सोफे पे दटका आुँखें बांद कर ली .....राणा जी सोफे से उठ गए और
धीरे धीरे बेड कक तरफ चलते हुए बोलने लगे '''''मैंने पवककी कक माुँ के बीमार होने पर या उस के मर
जाने के बाद ककसी औरत के बारे में सोचा तक नहीां ....सेकस तो दर कक बात है .....मैंने अपनी जजन्दगी
में अपनी बीवी का ही नांगा बदन दे खा था ...पर कल जब तम्
ु हे नांगे बदन दे खा तो मेरा मन बैचैन हो
गया .....मेरे ददमाग में कल से तम्
ु हारा बदन कोंध रहा है .....काम में भी ददल नहीां लगा तभी मैं यहाुँ
चला आया'' ......बोलते बोलते राणा जी बेड पर मेरे पैरों कक तरफ बैठ गए .....मैं घबरा गई थी मैंने
असमत कक तरफ दे खा तो वोह सोया पड़ा था ...राणा जी बोले '''''आरती तम
ु बहुत ही खुबसरत हो बहुत
ही कमससन और कसा हुआ बदन है तम्
ु हारा .....तम्
ु हे और तम्
ु हारे बदन को दे ख कर नहीां लगता कक तम
ु
दो बच्चों कक माुँ हो '' बोलते बोलते राणा जी ने अपने हाथ मेरे घट
ु नों पर रख ददए...मैंने उनके हाथ हटा
ददए और बोली .."आप चले जाइये यहाुँ से ......मझ
ु से ऐसी बातें मत कररए""पर राणा जी नहीां टले
'''बोले तम्
ु हारा बहुत उपकार होगा मझ
ु पर अगर तम
ु मझ
ु े सेकस करने कक इजाज़त दे दो ....मैंने ककसी
से भी सेकस नहीां ककया है बारह सालों से ......तम्
ु हारा गोरा गोरा बदन मेरे ददमाग में छाया हुआ है ....में
पागल हो रहा हुँ" .......बोलते बोलते राणा जी ने कम्बल खीांच सलया .......मैंने कुछ पहना तो था नहीां
नीचे ........मेरी टाुँगे नांगी थी और मेरी चत भी ददख रही थी ......राणा जी कक आुँखें फटी रह गई यह
दे ख कर .....मैं सकपका गई ......मैं राणा जी को भगाना चाहती थी पर मेरा बस नहीां चल रहा था मैं
राणा जी को भगाना चाहती थी .....असमत सोफे पे सोया पड़ा था एकदम बेखबर कक एक बढा उसकी
बीवी को चोदना चाहता है ......मझ
ु े असमत पर बहुत गस्
ु सा आ रहा था .......राणा जी बोले " मैंने जब
तम
ु लोगों को फाम़ हाउस में दे खा ...कक तम
ु अपनी मज़ी से अपना नांगा बदन पाांचो से चटवा रही थी
...तो मेरे ददमाग में आया हो न हो तम
ु कोई कॉल गल़ हो जजसे असमत ले कर मज़ा करने जा रहा होगा
...लड़कों ने तम
ु लोगों को अगवा कर सलया और तम
ु अपनी मज़ी से इसी सलए करवा रही हो......इसी
सलए मैंने तम
ु लोगों को यहाुँ रहने कक समन्नत की....इसी सलए मैंने असमत को ज्यादा शराब पपलाई ताकक
वोह ट्ली होकर सच बोले ........पर जब उसने बताया कक तम
ु लोग समया बीवी हो तो मैंने उसे और
मोटा पैग पपला उसे बेहोश कर ददया ........आरती मैंने जब से तम्
ु हारा बदन दे खा है मैं तम्
ु हारा दीवाना
हो गया हुँ ......मैंने ससफ़ अपनी बीवी को ही नांगा दे खा है ककसी और औरत को हाथ तक नहीां लगाया
.......मैं चाहता तो ककसी भी टॉप मोडल या टॉप की कॉल गल़ पर भी पैसा खच़ सकता था पर मैंने
अपना मन मज़बत ककए रखा ........जब मैंने तम्
ु हे दे खा तो मैं बस पागल हो गया तम
ु ने मेरी सालों कक
तपस्या भांग कर दी .......मझ
ु े लगा कक अगर तम
ु कॉल गल़ होगी तो असमत को बेहोश कर तम
ु से सोदा
करूुँगा तम्
ु हारी एक रात के सलए .....पर तम
ु असमत कक बीवी हो .......इससलए तम
ु से सोदा तो नहीां पर
बबनती कर रहा हुँ ....मझ
ु े एक बार करने दो....प्लीज़ ''' मैंने कहा '''मैं कोई कॉल गल़ तो नहीां हुँ
.....परसों रात या कल जो हुआ वोह मज़बरी थी .....या यह कह लीजजए मज़बरी थी ....या तो मार खा के
करवाती या मज़ा ले कर......मार खा के करवाने से मज़ा लेना बेहतर समझा इसी सलए चटवा रही थी
......पर अब कोई मज़बरी नहीां है ....आप यहाुँ से चले जाये ....आप कोई कॉल गल़ से कर लेना
......प्लीज़''' राणा जी बोले ''करूुँगा तो तम्
ु हारे साथ ..नहीां तो ककसी के साथ नहीां .......जैसा की मैंने
पहले भी कहा ....तम
ु दसरी औरत हो जजसका नांगा बदन मैंने दे खा है ......अगर मैं बारह सालों तक
अपने मन पर काब कर सका तो आगे भी कर सकता हुँ ....पर मैं तम
ु से बबनती करता हुँ मझ
ु पर
उपकार करो मैं जीवन भर तम्
ु हारा आभारी रहुँगा .....ससफ़ एक बार प्लीज़'' मैंने सपने में भी नहीां सोचा
था की कोई मद़ ऐसे भी चत के सलए ऐसे समनतें कर सकता है ......मैं सोचने लगी राणा जी मझ
ु े नांगी
दे ख भी चुके हैं ...अभी भी मेरी चत इनके सामने नांगी है ......असमत बेहोश है .....एक बार करने दे ती हुँ
.....और वैसे भी ये बढे हैं ...बारह सालों से ककया भी नहीां है ...दो समनट में काम तमाम हो जायेगा
इनका ...यह सोच मैंने कहा ''ठीक है ससफ़ एक बार ....और आप बाहर चले जायेंगे ......सब
ु ह हम लोग
वापपस चले जायेंगे ......असमत को कुछ पता नहीां चलना चादहए ...... राणा जी के चेहरे पर ऐसी रोनक
आ गई जैसे कोई खजाना समल गया हो .......मैं बबस्तर पर पसर गई ......राणा जी ने फटाफट अपनी
कमीज़ पें ट खोली .....बतनआन उतारी और मझ
ु पर छागए .........दोनों हाथों से मेरे स्तन दबाने लगे
.....राणा जी के हाथ काफी बड़े थे और गम़ भी थे ......मेरा सारा बदन झनझना गया ......वोह अपने हाथ
मेरे बदन पर कफराने लगे .......धीरे धीरे अपना हाथ मेरी चत पर ले गए .......और उसे सहलाने लगे
........कफर वोह मझ
ु पर लेट कर अपना लांड मेरी चत पर रगड़ने लगे ........मैंने अपना टॉप उतारा नहीां
था ..ससफ़ ऊपर ककया हुआ था ....राणा जी ने भी अांडरपवयर नहीां उतारा था ........उनका बड़ा बहुत
गठीला था .....एकदम कसरती ....कसा हुआ ......जब वोह मझ
ु पर लेटे तो मझ
ु े उनका बदन बहुत गम़
लगा ...जैसे उन्हें बहुत बख
ु ार हो .....बाहर ठण्ड थी ...उनका गम़ शरीर मझ
ु े बहुत अछा लग रहा था
.......वोह अपना शरीर मझ
ु पर रगड़ रहे थे ....मझ
ु े लगा अगर युँ ही रगड़ते रहे तो ऐसे ही इनका छुट
जायेगा ........कुछ दे र दे र बाद राणा जी लाइट बांद करने लगे ....मैंने कहा लाइट जगने दो ऐसे ही कर
लो ...पर वोह लाइट बांद करना चाहते थे ...मझ
ु े लगा कोई गड़बड़ है ....मैंने कहा ....ऐसे ही करलो वना़
रहने दो.......राणा जी के पास कोई और आप्शन न थी ......उन्होंने जब अपना अांडरपवयर उतारा तो राणा
जी ने जब अपना अांडरपवयर उतारा तो मैं उनका लांड दे ख कर है रान रह गई .......उनका लांड करीब करीब
अली जजतना लम्बा था पर मोटा बहुत ही ज्यादा था .......मैं घबरा कर बोली........मैं तो यह नहीां
लग
ां ी..........राणा जी समन्नत करते हुए बोले ......मैं बहुत आराम से करूुँगा ...तम
ु जजतना बोलोगी उतना
ही डालुँ गा ..........मैं कुछ सोच नहीां पा रही थी ....मेरा ददमाग सन्ु न हो गया था ........कफर मैंने एक
तरकीब सोची ....मैंने कहा .....आप बेड पर लेट जातयए ....जो करना है मैं करुँ गी ..आप कुछ नहीां करें गे
..........राणा जी फटाफट लेट गए .......मैंने सोचा लांड को मह
ु ुँ में डाल के ही इनका छुड़वा दां गी .....बस
.........मैंने राणा जी का लांड हाथ में पकडा और ऊपर तनचे करने लगी .......बहुत गम़ था उनका लांड
.....एकदम तराशा हुआ .....ऊपर से पतला पर जड़ तक जाते जाते मोटा ...जैसे कोई मीनार हो
.....एकदम गोरा .......मैंने ऊपर नीचे करते दे खा तो उनके लांड का मास तनचे हुआ तो दे खा ....लांड का
सप
ु ाडा एकदम लाल था ......जैसे सारा खन सप
ु ाडे में आ गया हो..........मैंने उनका सप
ु ाडा मह
ु ुँ में सलया
और चसने लगी .....साथ साथ में लांड को हाथ से ऊपर तनचे कर रही थी .......मेरी चत से पानी ररसने
लगा था .....राणा जी ने अपने हाथ बढा कर मेरी चचु चया पकड मसलने लगे ....मेरा बदन झनझना गया
.......मैं जोर से चसने लगी और हाथ तेजी से ऊपर नीचे करने लगी ........राणा जी के मह
ु ुँ से आवाजें
तनकल रही थी ....ऊऊऊऊऊऊऊउ आआआआआआआह ..........म्म्म्म्मम्म्म्म्मम्म्म्म्मम्म्म मैं परे जोश से
चस रही थी ....राणा जी ने अपने हाथ मेरे सर पर रख बालों में कफराने लगे ...........मैं बहुत दे र चुस्ती
रही पर राणा जी का नहीां छुटा..........मैंने सोचा की इसे चत में ले कर दे खती हुँ ........इससलए मैं लांड
को अपने थक से अछी तरह गीला करने लगी ........ मैं सारे लांड को अपने थक से गीला करने के बाद
राणा जी के ऊपर सवार हो गई .........मैंने अपना एक हाथ राणा जी के कांधे पे रखा और दस
ु रे हाथ से
लांड पकड़ लांड का सप
ु ाडा चत पर तघसने लगी.......कफर पॉइांट पर दटका थोडा सा लांड अांदर ले सलया
....और ऊपर नीचे चत दहलाने लगी .....जब लांड कुछ एडजस्ट हुआ तो थोडा और अन्दर ले सलया
......मेरी चत से छमाुँछम पानी छट रहा था .....एकदम गीली महसस हो रहा था अन्दर से ........इसी
तरह धीरे धीरे काफी समय लगा अपने दहसाब से मैंने परा लांड जड़ तक अांदर ले सलया .....मझ
ु े महसस
हो रहा था की जैसे कोई गरम मोटी स्टील की पाइप मेरी चत के अन्दर डली हो ......अन्दर दीवारों पर
और नासभ तक लांड महसस हो रहा था ........परा लांड लेने के बाद जैसे ही मैंने पहला घसा मारा ......मेरा
छट गया ........मैं राणा जी के ऊपर ढे ह गई ......राणा जी ने मझ
ु े अपनी बाुँहों में कास सलया ...कुछ
समय बाद मैं सीधी हो बैठ गई ...लांड अांदर ही था ...एकदम तना हुआ .......मैं ऊपर नीचे होने लगी
.........मैं कफर से उतेजजत हो चुकी थी ........मैंने राणा जी के हाथ पकड़ कर अपनी छाततयो पर रखे और
बोली ........मसल दो इनको आज अछी तरह से .......आआआआआअह ऊऊऊऊऊउह जोर से खीांचो
............ ....मैंने अपने हाथ राणा जी के कांधो पर दटका रखे थे .......मैं जोर जोर से अपनी गाांड उछाल
रही थी राणा जी भी अपने चत
ु ड उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रहे थे ........छपाक छपाक की आवाजें
आ रही थी ......राणा जी होंठ भीांच कर म्म्म्म्मम्म्म्म्मम्म्म्म्मम्म्म्म्मम्म्म्म्म म्म्म्म
ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊह की आवाजें लगा रहे थे .........बहुत दे र ऐसे ही करने के बाद मेरा
एकदम से छट गया .......मैंने कुछ और धकके लगाये और राणा जी की छाती से लग गई और जोर जोर
से साुँसे लेने लगी ....मेरा सारा बदन पसीने से भीग गया था ............ ...राणा जी बोले ....कया हुआ मेरी
जान .......मैंने कहा ''मेरा काम हो गया है ......राणा जी बोले ''पर मेरा नहीां छुटा अभी तक .......मैंने कहा
'' मेरी तो दहम्मत नहीां है आप ऊपर आ जाओ ''''' मैं राणा जी के ऊपर से जब उठी और उनका लांड बाहर
तनकाला तो दे खा उनका लांड एकदम तरबतर था .....मैं नीचे लेट गई ........राणा जी ने अपना लांड मेरी
चत पर दटका अन्दर ठे लने लगे .......मैंने भी अपनी चत ढीली कर दी .....लांड आराम से अांदर चला गया
..........राणा जी ने मेरी टाुँगे उठा अपने कन्धों पर दटका ली और धकके मारने लगे ........इस पोज़ में
मझ
ु े उनका लांड नासभ से भी ऊपर जाता लग रहा था .........राणा जी के धकके मारने का ढां ग भी सब से
जद
ु ा था .......वोह लगबग परे से कुछ कम लांड बाहर तनकाल कफर उसी वेग से अन्दर घस
ु ाते धकके लगा
रहे थे .......हरे क धकका मझ
ु े अपने शरीर के हर जोड़ पर लगता लग रहा था ..... मेरा परा बदन दहल
रहा था ..........मझ
ु े अपनी चत की दीवारें तछलती महसस हो रही थी ........मैंने अपने होंठ भीांचे हुए थे
.......मेरे मह
ु ुँ से म्म्म्म्मम्म्म्म्मम्म्म्म्मम्म्म्म्मम्म्म्म्म म्मऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ की आवाज़
तनकल रही थी ...........मझ
ु े महसस हुआ की कुछ ही पल में मेरा कफर से हो जायेगा मैंने राणा जी से
पछा " कब छुटे गा आप का ......राणा जी मससु मअत से बोले ...वही तो कोसशश कर रहा हुँ .......तबी मेरे
ददमाग में आया जब असमत ज्यादा शराब पी लेता है और उसका नहीां छटता है वही तरीका आजमाती हुँ
......मैंने दोनों हाथों से राणा जी की चुचचया पकड़ कर मसलने लगी ......राणा जी फुल सपीड से धकके
लगा रहे थे .......मैंने जब चुचचया मस्लनी शरू
ु की राणा जी के मह
ु ुँ से ईईईईईईईईई ईईईईस्स्स्स्स
स्स्स्स्सस ऊऊऊऊऊऊऊऊम्म्म की आवाजे तनकलने लगी .....मझ
ु े पता चल गया मेरा फामल
़ ा काम कर
गया ...........तभी मेरा छट गया ...मेरा बदन ऐठने लगा की तभी राणा जी भी जोर से ऊऊऊऊ
ऊऊऊऊऊऊउह्ह्ह्ह््ह्ह की आवाज़ करते मझ
ु पर आ गए .......मैंने उन्हें अपनी बाुँहों में ले सलया
......राणा जी अभी भी धकका लगा रहे थे और हरे क धकके में मझ
ु े राणा जी के गम़ गम़ वीय़ का फोवारा
अपनी चत के अन्दर महसस हो रहा था .........आठ दस जोर के धकके लगाने के बाद राणा जी मझ
ु पर
पस्त हो गए ....हम दोनों एक साथ ही छटे थे ....हमने एकदसरे को बाहों में ले रखा था .........मैं राणा
जी की धड़कने सा़ि महसस कर रही थी .........मझ
ु े बहुत अछा लग रहा था उनकी बाुँहों में ............
कुछ दे र हम ऐसे ही लेटे रहे ......मझ
ु े अपना और राणा जी का वीय़ अपनी चत से बहता महसस हो रहा
था .......मझ
ु े बबस्तर भी गीला गीला लग रहा था मैंने राणा जी को साइड में होने को कहा ....जैसे ही
राणा जी ने लांड तनकाला मझ
ु े लगा की बहुत सा वीय़ बाहर तनकला है .......मैंने उठ कर दे खा तो राणा
जी का लांड एकदम वीय़ से लथपथ था ...राणा जी अपनी बतनआन से उसे सा़ि करने लगे तो मैंने
बतनआन उनके हाथ से ले ली और बोली में सा़ि करती हुँ .......पहले मैंने अपनी चत सा़ि की .......बहुत
माल तनकला अन्दर से ...बतनआन काफी गीली हो गई थी ...कफर मैंने राणा जी का लांड मह
ु ुँ में ले कर
सा़ि करने लगी ....अछी तरह से चाट चाट कर मैंने परा लांड एकदम सा़ि कर ददया .....लांड पहले से भी
ज्यादा गोरा और लाल महसस हो रहा था ......जब मैंने परा सा़ि कर ददया तो मैं राणा जी के साथ लेट
गई ...राणा जी ने मझ
ु े खीांच कर अपनी छाती पे सलटा सलया .....और अपनी बाहों में भर सलया
........मझ
ु े बहुत अछा लग रहा था कयोंकक जब मैं और असमत करते थे तो करने के बाद हम अलग
अलग लेट जाते थे .....मझ
ु े राणा जी की छाती पे लगे ऐसा मेसस हो रहा था जैसे इनका और मेरा कोई
परु ाना सम्बन्ध हो .....मैं ऐसे ही लेटे लेटे सो गई ..........कुछ दे र बाद मझ
ु े पेशाब करने की इच्छा हुई
...मैं उठ कर पेशाब करने चली गई ,.........पेशाब करते हुए मझ
ु े कुछ जलन सी हुई ....जब मैं बाहर आई
राणा जी उठ कर जाने लगे .....मैंने पछा कया हुआ तो वोह बोले ''तम
ु ने एक बार करने की इजाज़त दी
थी अब तम
ु आराम करो .......मैंने राणा जी का हाथ पकडा और उन्हें बेड की दसरी तरफ बबठा ददया
कयोंकक जहा हमने ककया था वहाां चद्दर एकदम गीली थी ..........राणा जी पश्ु त पर पीठ दटका बैठ गए
.......मैंने शराब का एक पैग बना राणा जी के साथ बैठ गई .........मैंने पैग राणा जी को ददया और
कम्बल से अपने दोनों के शरीर ढक सर राणा जी के कांधे पे दटका राणा जी की छाती के बालों पे हाथ
कफराने लगी .......राणा जी मेरे बालों में अपनी उां गसलया कफरते हुए बोले '' आरती मैंने अपनी जजन्दगी में
कभी ऐसे सेकस नहीां ककया .....मेरी बीवी सीधी लेट जाती थी और बस ....जो करना है आप
करो.......ज्यादा खुश हुई तो घोडी बन कर करवा लेती थी ............पहली बार मैंने जजन्दगी में चस्
ु वाया है
.......और इतना मज़ा .......में कभी सोच भी नहीां सकता था..........मेरा ददल कर रहा है की तम्
ु हे अपने
पास रख ल हमेशा के सलए''' ..........मैं कुछ न बोली.........राणा जी बोले '''''जानती हो जब मैंने तम्
ु हे
पहली बार दे खा था तो मझ
ु े लगा की तम
ु से मेरा कोई परु ाना सम्बन्ध है ......कक मैं तम्
ु हे बहुत परु ाना
जानता हुँ......कक तम
ु कोई अपनी ही हो.......तम्
ु हे ऐसा महसस नहीां हुआ कया ??????...... ......... ...मैं
बोली ....... नहीां ...पहले तो ऐसा नहीां लगा था ...पर जब आप ने मझ
ु े छाती से लगाया तो मझ
ु े भी यही
लगा था '''' राणा जी बोले '''सच .......मैं तो तम्
ु हारा दीवाना हो गया हुँ ''''........और उन्होंने ने मझ
ु े बाुँहों
में ले मेरे माथे पे ककस करने लगे .......... कफर मैंने पछा ....''आप ने लगबग असमत के बराबर ही शराब
पी थी कफर आप को कयों नहीां चडी ....असमत ही ट्ली कयों हुआ'' राणा जी बोले'''''मैं कभी भी दो से
ज्यादा पैग नहीां पीता .....आज तो लगबग आधा ही पैग पपया था मैंने .......अब तम
ु से कया छुपाना
........मैं अपना पैग तम
ु लोगो कक नज़र से छुपा कर सोफे पे उडेल दे ता था .....अगर मैं भी ट्ली हो
जाता तो मझ
ु े तम्
ु हारा साथ कैसे समलता''' मैंने कहा ''शकल से तो आप बहुत भोले और मासम ददखते हो
पर हो बहुत चालाक'''राणा जी बोले '''तम्
ु हे पाने कक चाहत ने सब ससखा ददया '''मैं बोली ''अगर मैं ना
करने दे ती तो ?????? राणा जी बोले '''न करने दे ती तो तम्
ु हारी और समन्नतें करता ...कफर भी न मानती
तो चल जाता यहाुँ से ...पर जबरदस्ती न करता'' मझ
ु े बहुत प्यार आया राणा जी पर और मैंने ऊपर उठ
अपने होंठ राणा जी के होंठो पर रख राणा जी के होठों को चसने लगी ....कफर धीरे से राणा जी नीचे
सरक कर लेट गये .......मैं उनके होंठ चस रही थी .....कफर मैंने उनके चेहरे को ककस करती हुई उनका
कान मह
ु ुँ में ले चसने लगी .......मैंने कम्बल साइड में ककया और राणा जी के ऊपर सवार हो गई ....कफर
मैं धीरे धीरे उनकी गद़ न पर ककस करते हुए अपनी जीभ से उनकी छाती चाटते हुए नीचे सरक गई
.......उनकी चची पर अपनी जीभ कफराने लगी .......राणा जी के मह
ु से सससकारी तनकल रही थी
......ईईस्स्स्स्सस्स्स्स्सस्स्स्स्सस्स्स्स कफर मैं दसरी चची को अपने अांगठे और ऊुँगली से धीरे धीरे मसलने
लगी ............ ..राणा जी मस्त हो रहे थे ......उनका लांड साांप कक तरह फुफकारने लगा था .........कफर
मैंने दसरी चची भी दस
ु रे हाथ से मसलते हुए उनकी छाती कफर पेट पर ककस करते नीचे कक तरफ मह
ु ुँ
ले जाने लगी .......मैं उनके लांड के आस पास ककस कर और चाट रही थी पर लांड को नहीां .......उनका
लांड तन कर पेट से चचपका हुआ था ........मैंने जानबझ कर लांड को हाथ भी न लगाया न ही ककस
ककया ......ऐसे ही धीरे धीरे मैं ऊपर हो कफर से उनके होंठ चसने लगी ...........राणा जी परी तरह से
उतेजजत हो चक
ु े थे ........मैं उनके ऊपर से उठ कर उनकी साइड पे लेट गई .....राणा जी बोले कया हुआ
........मैंने कहा '''आप ने ही पहले कहा था एक बार करने दो .....एक बार हो चक
ु ा है अब बस ............
.....राणा जी बोले ...कयों तडफा रही हो करो न ........मैं हसने लगी और बोली ...ठीक है पर आप अब
कक बार मेरे अन्दर मत छुटना ......मझ
ु े पहले ही बता दे ना ..........और आप इतनी दे र तक रोके कयों
रखते हो .......मेरा कई बार हो गया और आप ने जान बझ कर रोके रखा ............ ..राणा जी बोले
''जानबझ कर नहीां मेरी जान ....मेरा ज्दी छटता नहीां है और वैसे भी मैं इन नौजवानों कक तरह पपज्जा
बग़र नहीां खाता ......रोज़ वजज़श करता हुँ ......मासलश करवाता हुँ .....दां ड पेलता हुँ .......बादाम पपस्ते
पीस घी का तड़का लगा दध पीता हुँ ......ये बदन ऐसे ही नहीां बना है .........मैंने मन में सोचा तभी तो
इन सबसे दमदार भी हो .......... मैंने कहा '''ठीक है पहलवान जी .....कृपया पहले बता दे ना मैंने असमत
का इांतजाम भी करना है '''राणा जी बोले '''कया मतलब ''.......... .....मैंने कहा ''आप मतलब वतलब मझ
ु
पर छोड़ दीजजए .......और मैं राणा जी का लांड हाथ में ले ऊपर नीचे करने लगी .......कफर मैंने लांड का
सप
ु ाडा मह
ु ुँ में सलया और लालीपॉप कक तरह चसने लगी ........राणा जी अपने दोनों हाथ मेरे सर पे
कफराने लगे ............मैं परे मज़े और स्वाद से सप
ु ाडा चस रही थी .......बीच बीच में मैं अपनी जीभ
सप
ु ाड़े के छे द पर घम
ु ा दे ती थी .....तब राणा जी का लांड और सख्त हो जाता था ..........मैंने चुसना छोड़
ऊपर उठी तो दे खा राणा जी का चेहरा एकदम लाल था .......मैंने उनके होंठों पर ककस ककया और उनपर
सवार हो लांड चत में लेने लगी .........परा लांड अन्दर करने के बाद मैं चत उछालने लगी .......राणा जी
मेरी छततया मसलने और दबाने लगे ............बहुत दे र ऐसे ही करने के बाद मेरा छट गया ........मैं ऊपर
से उतर घोडी बन गई ......राणा जी ने पीछे से लांड मेरी चत में घस
ु ा ददय और दोनों हाथों से मेरी
छाततया पकड़ ली ............ ......... ....... राणा लगबग सप
ु ाड़े तक लांड बाहर तनकलते कफर परे जोर से
धकका लगते हुए अांदर घस
ु ाते ..........मैंने मन मैं सोचा अभी पहलवानी तनकलती हुँ इनकी ......और जैसे
ही राणा जी आगे की तरफ धकका लगते मैं उतने ही जोर से पीछे धकका लगाती ......लांड अन्दर कहाुँ
कहाुँ टककरें मार रहा था मैं बता नहीां सकती .........मेरा जोड़ जोड़ दहल रहा था पर न मैं हार मान रही
थी न ही राणा जी ........ .पर कहाुँ मैं कहाुँ वोह पहलवान ........मेरा कफर से छट गया ...........मैं एकदम
से आगे हो लेट गई ......लांड एकदम से बाहर आ गया .........मेरी चत परी गीली थी .....मैं बरु ी तरह
थक गई थी .......मैंने राणा जी को सलटाया और उनका लांड चसने लगी ताकक मझ
ु में कुछ दम आ सके
.......कुछ ही पल बाद मैंने राणा जी को बैठाया और उनकी टाांगों से ऊपर टाुँगे उनकी कमर के चगद़ डाल
लांड अन्दर डलवा सलया .........मेरी छाततया उनके चेहरे के सामने थी ......मैंने उनका सर पकड़ चची
उनके मह
ु ुँ में दे दी .....राणा जी ने अपने दोनों हाथ से मेरे चतडो को पकड़ ऊपर उछालने लगे ...मैं भी
चत ऊपर नीचे आगे पीछे दहला रही थी ............ ......मैं जोर से .म्म्म्म्मम्म्म्म्मम्म्म्म
आआआआआआआआ की आवाजे तनकाल रही थी ...........मझ
ु े लग रहा था की मैं अभी छट जाउां गी
......और वही हुआ ......जब मेरा छुटा तो राणा जी बोले जान मेरा भी होने को है ......मैं उनसे उठ गई
....मैंने राणा जी को पलांग के साइड पर बैठाया.....और खद
ु जमीन पर घट
ु नों के बल बैठ उनका लांड
चसने लगी ......उससे पहले मैंने पैग वाला खाली चगलास साथ रख सलया था .......चसते चसते जब मझ
ु े
जब लगा की अब छुटने वाला है तो मैंने लांड को चगलास के अन्दर कर ददया और लांड दहलाने लगी
...तभी एक पपचकारी के साथ राणा जी का वीय़ छुटा .....कफर पाांच सात झटकों में लांड खाली हो गया
.......चगलास में काफी वीय़ था ......मैं जब असमत के साथ कांडोम लगा करवाती थी ....इस से चोथा
दहस्सा भी वीय़ नहीां होता था ......लड़कों का भी इतना नहीां तनकला था .......मैं चगलास को साइड मैं रख
लांड को जीभ से सा़ि करने लगी ....परा लांड सा़ि करके मैं पलांग पर लेट गई ............राणा जी मेरे
साथ लेट गए और मैंने अपना सर उनकी छाती पर रखा ....उन्होंने मझ
ु े अपनी बाुँहों में ले सलया .......मैं
अपनी टाांग उनकी टाांग पर रख उनसे परी तरह सलपट गई ...और ऐसे ही हम सो गए ............ .करीब
चार बजे मेरी नीांद खुली ......राणा जी भी उठ गए ......मैंने राणा जी से कहा की आप अब चले जाये
राणा जी ने कपडे पहन सलए ......मैंने राणा जी को बोला की असमत को बेड पर डलवा दीजजए ......राणा
जी ने अकेले ही असमत को गोद में उठा पलांग पर सलटा ददया ......राणा जी बोले असमत से कया कहोगी
........मैंने कहा ....वही कहुँ गी जो आप ने ककया है .........राणा जी बोले मजाक मत करो ....मैंने कहा मैं
सब सांभाल लुँ गी.......राणा जी ने मझ
ु े अपनी बाुँहों में सलया मेरे माथे पर ककस ककया ....मैंने उनके होंठों
पर ककस करके उन्हें बाय कहा ........राणा जी को भेज कर दरवाज़ा बांद करके मैंने असमत के सारे कपडे
उतार नांगा कर ददया .......उसका सर गीली चद्दर के पास कर ददया .....कफर चगलास उठा थोडा वीय़ उसके
लांड और आसपास मल ददया .......कुछ छाती पर और बाकी असमत के मह
ु ुँ के आस पास होंठों पर लगा
ददया .......कफर मैं उसके साथ लेट गई और सो गई .......
मेरा नाम राज है । मैं मेरठ का रहने वाला हुँ। यह मेरी पहली कहानी है । मेरी उमर 22 साल की हैं, यह
बात लगभग चार साल परु ानी है जब मैं गसम़यों की छुट्टी में एक ऑकफस में काम सीखने के सलए लगा
था। वहाुँ पर एक लड़की काम करती थी जो बहुत ही सद
ुां र थी। उसे दे खकर मझ
ु े पता नहीां कया हो गया,
मैं उससे ककसी न ककसी बहाने से बात करना चाहता था पर डर लगता था। कुछ ही ददनों में हमारी
दोस्ती हो गई। उसका नाम आांचल था पर मैं उसे अनु कहा करता था। उसकी उमर मेरे जजतनी ही थी।
अनु बहुत सेकसी थी, मैं जब भी उसे दे खता तो जी करता था कक उसके होंट चम लुँ ! हम बॉस के जाने
के बाद बहुत मस्ती करते थे। एक ददन मैंने मजाक-मजाक में उसके होंटों को चम सलया तो वह रोने
लगी। मैं डर गया कक कहीां ककसी से कह न दे ! उस ददन शाम को ऑकफस बांद करके हम चले गए पर
मैं रात भर सो नहीां पाया, डरता रहा, पर डर से ज्यादा उसके होंटों को चमने की ख़ुशी थी। अगले ददन मैं
ऑकफस गया, वह कुछ नहीां बोली, शायद नाराज थी, मैं भी कुछ नहीां बोला, पर बॉस के जाने के बाद मैंने
उसे सॉरी कहा, पर वह तब भी कुछ नहीां बोली। मैंने कहा- नहीां बोली तो कफर ककस कर दुँ गा ! इस पर
उसने गस्
ु से से मझ
ु े दे खा पर बोली कुछ नहीां ! मैं भी उसकी आुँखों में दे खता रहा, कुछ दे र तक ऐसा
लगा जैसे वकत रक गया हो ! कफर मैंने उसकी जाांघों पर हाथ रख ददया, वह मझ
ु े दे खती रही पर कुछ
नहीां बोली। मेरी दहम्मत बढ़ गई, मैं उसकी जान्घों को सहलाने लगा। उसने मझ
ु े दे खा और बोली- कया
कर रहे हो? मैंने कहा अनु में तम
ु से प्यार करता हुँ, आई लव य ! कुछ दे र हम दोनों एक दसरे को
दे खते रहे , कफर मैंने अपने होंट उसके होंटों से समला ददए और चसने लगा। करीब दस समनट तक उसने
भी मेरा साथ ददया। चसते-चसते मेरा एक हाथ उसकी चचचयों को और दसरा हाथ उसकी गाांड को
सहलाने लगा। मेरा लांड पैंट के अांदर तफान मचा रहा था, ऐसा लग रहा था कक पैंट फाड़ कर बाहर
तनकल आएगा। मैं कुछ दे र उसके बदन की खुशब लेता हुआ वहीां पड़ा रहा …. उसने कहा- मेरे बदन में
ससहरन दौड़ रही है ! प्लीज़ कुछ करो … क़िर मैंने उसके टॉप को तनकाल ददया। मैं बहुत ही प्यार से
उसके कपड़े उतार रहा था और उसे चमे जा रहा था .. अब उसके बदन पर सस़ि़ ब्रा-पैंटी ही थी …. मैंने
उसके बदन पर मेरी तनगाह डाली तो दे खता ही रह गया ..गल
ु ाबी बदन चमक रहा था ! इतनी सेकसी
लग रही थी वो कक मझ
ु े ख़द
ु पर कांट्रोल पाना मजु श्कल था, लण्ड बेहद तन गया था और दद़ कर रहा था।
मगर अभी कुछ करना, बना बनाया खेल बबगाड़ना सा लगता था …. तो मैं क़िर से उसे चम्
ु बनों से
नहलाने लगा। स्तनों से अब थोड़ा नीचे आया, उसके समतल पेट को चमा और अब उसकी नासभ की ओर
बढ़ा। अपनी जीभ को घम
ु ाया उसकी नासभ में और चाटना शरू
ु ककया ! हौले-हौले नासभ के आस पास
जीभ को गोल गोल घम
ु ाते हुए उसे चाट रहा था …उसके बदन में गमी बढ़ रही थी ….वो दबे मुँह
ु
सससककयाुँ ले रही थी और उसका गोरा सा बदन मचल रहा था। मगर अब भी वो चुपचाप मजे ले रही थी
कोई हरकत नहीां कर रही थी …. मैं चमते हुए धीरे धीरे नासभ के नीचे पहुुँचा और अब मेरा मुँह
ु उसकी
पैंटी के ऊपर था …पैंटी से ही उसकी चत को चमा और मुँह
ु को दबाया उसकी चत पर और तब मैंने दे खा
कक उसका बदन तेजी से मचल रहा है …. मैंने धीरे से उसकी पैंटी को नीचे सरकाया …वाह कया गल
ु ाबी
चत थी उसकी … बब्कुल सा़ि सथ
ु री और थोड़ी सी नम ! ऐसा लगता था मानो गल
ु ाब की पांखुडड़यों से
बनी हुई है उसकी चत जो उसकी गोरी सी चचकनी जाांघों के बीच सोई पड़ी थी, आज जाग गई है … मैंने
चत की ऊपर की ककनारी से चमना शरू
ु ककया और गोल गोल मुँह
ु को घम
ु ाते हुए उसकी चत को चमने
लगा …बहुत ही मीठी खश
ु ब उसकी चत से आ रही थी और मैं पागल हुए जा रहा था …उसकी चत के
बीच के दहस्से में मैं चम रहा था …चत गीली हो गई थी और ़िल गई थी …बीच का रास्ता खल
ु ता हुआ
नजर आ रहा था और उसमें से चत की गहराई झलक रही थी …. मैंने अपना कांट्रोल खोते हुए दोनों हाथों
से चत को फैला दी और चत में जीभ घस
ु ेड़ दी और चाटने लगा और चाटते हुए उसकी गाांड को सहलाने
लगा। उसी वकत मैंने मेरे लण्ड पर उसके हाथ को महसस ककया और मैं जोर जोर से चत चाटने लगा,
जीभ को परा चत में घस
ु ेड़ ददया और दहलाने लगा। मेरा लण्ड मेरी पैन्ट से बाहर आ चक
ु ा था और अब
उसके हाथों में खेल रहा था। अब मझ
ु े कोई परे शानी नहीां थी, मेरी जान परी तरह बेताब और तैयार थी
चद
ु ाने को ! मैं अब धीरे से ६९ की पोससशन में आ गया और अपने लण्ड को उसके मुँह
ु के पास कर
ददया … लण्ड को इतना करीब दे ख के उससे भी रहा नहीां गया और चत को चटाती रही और लण्ड को
अपने मुँह
ु में ले सलया …ऐसे चाट रही थी मानों जन्मों की प्यासी हो और खा जाने वाली हो लण्ड को !
….अब मैं अपनी परी रवानी में था, मेरा लण्ड उसके मह
ुँु में चद
ु ाई कर रहा था और मैं उसकी चत को
जीभ से चाट रहा था ….मैंने जीभ के साथ अपनी एक मैं मस्ती से गाांड मार रहा था, चत चोद रहा था
और लण्ड चस
ु वा रहा था …मानो में जन्नत की सैर कर रहा था ….उसको चोदने की मझ
ु े कोई ज्दी नहीां
थी कयकां क एक दो बार ऊुँगली से चोद के उसकी कांवारी चत को मस्त बना के क़िर चोदना था मझ
ु े ….
बहुत तेज रफ्तार से गाांड और चत की चुदाई हो रही थी और वो भी लण्ड को टट्टों से दटप तक चाट रही
थी। कभी एकदम से लण्ड को मुँह
ु में ले के आगे पीछे कर दे ती थी ….ऐसे ही कुछ पल गज
ु रे और हम
दोनों झड़ गए ….. अब मैं उसकी बगल में आ गया और उसके साथ ही लेट गया। चुँ द समनटों में मैंने
उसके हाथ को अपने बदन को सहलाता पाया और मैं भी उसके बदन को सहलाने लगा ..मैं बहुत ही
प्यार से उसके बदन को सहला रहा था। अपने पाुँव मैंने उसके पाुँव पर जमा ददए थे …. हम प्यार में डबे
जा रहे थे ! तभी उसने कहा- अब मैं सस़ि़ तम्
ु हारी हुँ राज ! जी भर के मेरे साथ जजतना प्यार करना है
करो !! आई लव य राज ….!!! मैंने उसके बदन को जोर से सहलाना शरू
ु ककया और उसकी ब्रा को अब
तनकाल ददया उसके मशरूम से बदन पर उसके स्तन क़यामत ढा रहे थे। मैं धीरे धीरे उसे सहलाने लगा,
गोल गोल मासलश करते हुए उसके स्तनों को मसल रहा था। अब उसके अनछुए होठों पर अपने गरम
होठों को रख ददया और चमने लगा, स्तन मसल रहा था और होठों का रस पी रहा था, वो भी मस्ती से
साथ तनभा रही थी ! हम दोनों अब होठों से होठों का रस पी रहे थे और उसके स्तनों को तनचोड़ रहा था
मैं ! वो भी मेरी गाण्ड को सहला रही थी। मैं उसके बब्स और होठों पर टट पड़ा था। धीरे धीरे बब्स पर
जोर बढ़ता गया मेरा और अब मैंने उसके चचक
ु ों को भी चुसना शरू
ु ककया- चचक
ु ों पर जीभ घम
ु ा रहा
था, उसके बब्स मेरे हाथो में मचल रहे थे और मैं चचक
ु ों के आगे पीछे गोल गोल जीभ घम
ु ाते हुए बब्स
चाट रहा था। ….उसी दौरा मेरा लण्ड उसकी चत पर रगड़ रहा था …उसकी चत का गीलापन मेरे लौड़े पर
महसस हो रहा था, लौड़ा मस्त हुए जा रहा था … बब्स गोरे से लाल होने चले थे अब लण्ड को चत पर
पटकते हुए मैंने उसके बाएुँ स्तन को मुँह
ु में ले सलया चसने लगा और दसरे हाथ से दायाुँ स्तन मसलने
लगा …बारी बारी ये िम चलाते हुए उसकी चत को मस्त कर रहा था मैं ….. उससे रहा नहीां गया और
पहली बार वो बोली- मेरी जान ! अब मैं सहन नहीां कर पा रही हुँ ! मझ
ु े कुछ हो रहा है कुछ करो !! मेरे
बहुत कहने पर भी वो चत और लण्ड नहीां बोल रही थी। मैंने सोचा- कोई बात नहीां ! काम वही है प्यार
से चोदने का ! चत हो या पस्सी….. उसके बब्स को छोड़ के मैंने उसके पैरो को दोनों हाथो से फैला ददए
….उसकी चत में उसकी सशजश्नका मोती सी चमक रही थी जो इस वकत सख्त हो गई थी … चत से पानी
तनकल रहा था, मैंने इस मस्त चत पर अपने लौड़े को रख ददया और उसको गाांड से ऊपर करके धकका दे
ददया, चत में लण्ड थोड़ा सा घस
ु ा और रक गया। चत इतनी कसी हुई और रसीली थी कक मेरा लण्ड चत
की गहराई नापने के सलए उतावला हो रहा था। मगर मझ
ु े पता था कक कांु वारी चत को हौले से चोदना है
…मैंने लण्ड को गहराई में ना ले जाते हुए धीरे धीरे आगे पीछे करना शरू
ु ककया …. लण्ड का मजा लेते
हुए वो इतनी मस्त हो गई कक बोली- अब कोक को घस
ु ेड़ ! दो मेरे दद़ की परवाह मत करो …… !! मैंने
तरांु त लण्ड को जोर का धकका ददया और चत में घस
ु ेड़ ददया ….उसका योतन-पटल फट चक
ु ा था और खन
तनकल रहा था। कुछ दे र मैं उसकी चत को लण्ड से सहलाता रहा और जब लगा कक अब कोई खतरा
नहीां, मैंने लौड़े की रफ्तार तेज कर दी … गाांड से चत को लण्ड पर दबाये रखे चत चोदने लगा …. बब्स
को मुँह
ु में ले के चसने लगा और चत की चद
ु ाई करता रहा …..वो चच्लाने लगी- ़िक मी ़िास्ट !और
मेरा लण्ड बरस पड़ा उसकी चत पर घमासान जांग शरू
ु हो गया ! चत और लण्ड के बीच जैसे होड़ लगी
थी कक कौन ज्यादा मस्ती दे गा लण्ड या चत …पहली बार चुदाने के बावजद इतनी मस्ती से चुदाई करा
रही थी कक मजा दग
ु ना हो रहा था … गाांड को उछाल रही थी वो ! और लण्ड तेज रफ्तार से चत फाड़
रहा था …. हाथ अपना कमाल ददखाते हुए बब्स को मसल रहे थे और मुँह
ु उसके मशरूम से बदन को
चाट रहा था ….. वो चच्लाने लगी- चोऽऽऽऽदोऽऽऽ मझ
ु े ! मैं मर जाउुँ गी बबना लण्ड के …. !! जैसे ही
उसने लण्ड बोला, मैंने उसके पैरों को अपने कांधों पर रख ददया और लोड़े को जोर का धकका दे ते हुए
उसकी चत में घस
ु ेड़ ददया …. कया चत थी उसकी ! मेरा लोहे सा गरम लण्ड उसकी चत की गमी को
ठां डा करने को मचल पड़ा …. लौड़े ने चत की गहराई नाप ली थी और जोर जोर से चत को फाड़े जा रहा
था ! बब्स हाथो में खेल रहे थे और चत चुदाई हो रही थी …. मांजजल करीब आ रही थी और लोड़े की
रफ्तार तेज हो गई थी …. वो उछल उछल के चुदाई करा रही थी … और लौड़ा परी रवानी से चत चोद
रहा था …. आखख़र हम दोनों ने मांजजल पा ली …तनढाल सा मैं उसके बदन पर पड़ा था और वो भी
तनढाल सी पड़ी हुई लम्बी साुँसे ले रही थी ……. हम दोनों एक दसरे को सहलाते हुए चुदाई के उस
स्वगीय आनांद को महसस कर रहे थे ….. ऊुँगली उसकी चत में घस
ु ेड़ दी और चद
ु ाई करता रहा। साथ
साथ एक ऊुँगली उसकी गाांड में भी घस
ु ेड़ दी।हम दोनों मांजजल की ओर बढ़ रहे थे तब मैंने लण्ड को चत
में से बाहर तनकल ददया।हमने एक ही ददन में प्यार के साथ चुदाई का मजा सलया ……दोस्तों यह मेरा
पहला प्यार आज उसकी शादी हो गई है अब मझ
ु े नई चत की तलाश है ।
कलयग
ु की द्रौपदी
हे लो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शमा़ एक ओर नई और हॉट लोन्ग स्टोरी लेकर आपके सलए
लेकर हाजजर हुँ जजसे पढ़कर आपके लांड उबाल खा जाएुँगे और चते रस से भीग जाएुँगी तो दोस्तो कहानी
का पहला सीन कुछ इस तरह से शरू
ु होता है ददल सांभाल कर कहानी पढ़ना शरू
ु कीजजए और मझ
ु े भी
बताना मत भसलएगा की कहानी आपको कैसी लगी उसके जाुँघ खन से लथपथ थे. आुँखें बाहर की तरफ
उबाल रही थी. जजस्म पर कपड़े का एक रे शा नहीां था. बर (चत) से खन रीस रहा था जो अब रकने लगा
था और उसकी सासें भी रकने लगी थी. बदन ने एक आखरी झटका सलया और ठां डा पड़ गया.१७-१८
साल से उपर की नहीां थी वो. नीांब समान चचचयाुँ, माांसल जाांघें, पतली कमर, सावला रां ग, लांबे बॉल, होठ
रसभरे , कुल समलकर चद
ु ाई का परा जुगाड़. इसी सोच से रां गा और जग्गा के बदन में हवस की आग जल
उठती थी और लांड बेकाब हो जाता था.आज के सशकार ने को-ऑपरे ट नहीां ककया वरना शायद कल का
ददन दे ख लेती. इनका लांड भी सस़ि़ कमससन लड़ककयों को ही दे ख कर खड़ा होता था. १८-२० साल. उससे
उपर पर तो ये नज़र भी नहीां डालते थे. जाने ककतने कतल, लट-पाट, बलातकार ककए थे उन्होने. रामपरु ,
जो फुलवारी शरीफ से ६० ककलोमीटर दर एक गाओां था, यहाुँ के बेताज बादशाह थे वो. लोकल पोसलसेवालों
से अच्छी साठ गाुँठ थी इससलए अपने गाओां को छोड़के दसरे गाओां में वारदातें करते थे. अब तक करीब
४०-५० लड़ककयों को अपने हवस का सशकार बना चक
ु े होंगे. जजसमे से १५-२० लड़ककयों को तो इन्होने
अपनी घरवाली बनाकर कई बच्चे भी जनवाये. २० साल की होने के बाद उन्हे कोठे पे बेच दे त.े गाओां से
२० ककलोमीटर दर जांगलों में उनका मकान था. साांड़ जैसे बल
ु ेट पे जब तनकलते तो सब सड़क खाली कर
दे त.े ४५ की उमर के आस-पास होंगे वो और कद करीब ६’५”, वजन होगा यही कोई १२०-१४०
ककलोग्राम.घनी मछ
ु े , चौड़ा पहे लवानी डील-डौल, लांड करीब १०” लांबा और २.५” मोटा.इनकी एक ख़ाससयत ये
थी की जो लड़की थोड़े समझाने पर अपनी मज़ी से अपनी आबरू लट
ु ाने पर तैयार हो जाए उसे ये बड़े
मज़े से चोद्ते थे और अपने घर पर बीवी बना के रखते थे. वरना, बाककयों का वही हाल होता जो १८
साल की कमला का हुआ था जजसे ये लोग फुलवारी के गोवेमट
ें हाइ स्कल की गेट से उठा लाए थे.दोस्तो
अब चलते हैं अपनी कहानी की मैं ककरदार के पास जजसको आगे चल कर कलयग
ु की द्रौपदी बना ददया
गया रानी ११थ कलास की स्टडेंट थी जो फुलवारी के जजलहा हाइ स्कल में पढ़ती थी.१८ साल की उस
अनचुई जवानी में इतना रस था जो ककसी भी भांवरे को प्यासा कर दे .छोटे तोतापरी आम के आकर की
उसकी चचचयों पर वो भरा सा बड़ा अांगर उसकी छाती की शोभा बढ़ाते थे. गाांद के छे द तक लांबे बॉल
और भरे भरे तनतांब. उसके होठ मोटे थे और आुँखें बड़ी-बड़ी. सावले से थोडा मांद रां ग और भारी जाांघें. १८
साल की उमर में भी २५ साला बदन. चेहरे की माससमयत ही उसे बस १४-१५ का एहसास दे ता था.
४०ककलोग्राम वजन की वो कमससन जवानी अपना रस छ्काने को परी तरह तैयार थी.सेकस का कोई
ज्ञान ना था उसे पर अपने शराबी ररककशे ड्राइवर बाप को रोज रात में मा के साथ बबस्तर पे खट-पट
करते सन
ु ा था.अभी तक उसकी मा ने उसे ब्रा नही पहनने दी थी जजसकी वजह से उसकी घड
ुां ीयाां उसके
शट़ या फ्रॉक पे से का़िी ज़ादहर होती थी. चत पे एक बॉल तक ना था ना ककसी ने कभी उसके जवान
बदन को कभी टच तक ककया था.गरीब घर की वो लड़की सब
ु ह घर का काम करती जब उसकी मा दसरों
के घर काम करती. मा के आने के बाद वो ददन में सरकारी स्कल जाती.उन्ही दीनो की बात है जब एक
ददन रानी की स्कल की छुट्टी हुई. करीब दोपहर के ४ बज रहे होंगे और तेज बाररश की वजह से बाहर
बहुत कम रोशनी थी. बाररश भी इतनी तेज की हाथ को हाथ नही सझ रहा था.करीब आधा घांटा वेट
करने पर भी जब बाररश कम ना हुई तो उसने तनकलने का ़िैसला ककया. आधे घांटे का पैदल स़िर था
उसके घर तक का. जते गीले ना हो जाए इससलए उसने उतार कर प्लाजस्टक के थैले में डाल सलया.
बस्ता कांधे पर लटकाए तेज बाररश में भीगते हुए वो तनकल पड़ी. उसके वाइट कलर का टी-शट़ भीगने
की वजह से बदन पे चचपक गया था और उसके उभारों को ददखाने लगा.वाइट फ्रॉक भी कमर और जाांघों
पे चचपक गयी थी. रां गा-जग्गा स्कल के आगे के टऩ पे अपनी बल
ु ेट पे भीगते बैठे थे. २हफ्ते से उनके
लांड ने पानी नहीां छ्चोड़ा था इससलए आज उनका पाटी का ददन था. जब रानी उनके बाज से गज
ु र रही
थी तो रां गा ने लपक कर उशे पीछे से दबोच सलया और स्टाट़ बल
ु ेट पर जग्गा के पीछे बैठ गया. उसकी
हथेली रानी के मह पर थी और उसका बदन उन दोनो के बीच में . रानी के जते इस अचानक हुए हमले
में वही चगर गया और इतनी ज्दी में उसे कुछ समझ तक ना आया. जब ददमाग सोचने की हालत में
हुआ तो पाया की वो करीब ४-५ ककलोमीटर आगे गाओां के बाहर तनकल गये थे.रां गा ने उसका बस्ता
तनकाल के सड़क के ककनारे ना्ले मैं फेक ददया और रानी के मह पर से हाथ हटा ददया. तेज बाररश की
वजह से सड़क सन
ु सान था और वैसे भी वो अब हाइवे पे शहर के बाहर आ गये थे. डेढ़ घांटे का स़िर
था उनके घर तक का. रानी मह पर से हाथ हट ते ही रोते हुए मचलने लगी की उसे छ्चोड़ दो, कहाुँ ले
जा रहे हैं हमको, हमारे घर जाना है इतयादद. रां गा ने अपनी लब
ां रामपरु ी तनकाल के उसके गद़ न पे रखा
और कहा – त कहीां नही जा रही गडु ड़या, हमारे साथ स्वग़ में चलो. कामदे व का प्यार दें गे और तम
ु को
परी बना दें गे.रानी कुछ समझ ना पाई और सब
ु क
ु ते हुए कहने लगी – मा मारे गी अगर लेट हुए तो, बाबजी
तो बे्ट से मारें गे. आज खाना भी नही समलेगा अगर घर पहचके काम नही ककए तो. रां गा प्यार भरे स्वर
में बोला – का गडु ड़या, मा और बाबजी प्यार नही करते का तम
ु को. रानी बोली – नहीां, बहुत मारते हैं कहे है
कक हम लड़का नही हैं इससलए. बाबजी मा के मारते हैं और मा हमारे उपर गस्
ु सा तनकालती है . रां गा –
कौनो बात नही गडु ड़या रानी, अब तम
ु को घर जावे की कौनो ज़रूरत नही. हमारे साथ चल खब सख
ु से
रहे गी. खब खाए पपए के समली और रानी बना के रखेंगे, का नाम बा तोहार. ( कया नाम है तम्
ु हारा )
रानी – रानी! रां गा – अरे वा तोहार तो नाम भी रानी है . चल हमारी रानी बन के रहे गी तोका कुच्छ भी
करे के ज़रूरत ना पड़ी. रानी ये बातें सन
ु के थोड़ी शाांत हुई पर उसे ये समझ नही आ रहा था कक कोई
कयुँ उसे महारानी बना के रखेगा. असमांजस में वो बोली – पर हमको कहाुँ ले जैबे ( हमको कहाुँ ले जा
रहे हो ) और काहे कुच्छ भी ना करे के पड़ी. हम तो गरीब घर के नसीब फटल लड़की बनी?अब रां गा ने
मस्
ु कुराते हुए उसके गाल पर एक पप्पी ली और कहा – गडु ड़या रानी, समझो हमको भगवान ने आपन
सबसे सद
ुां र गडु ड़या का खब अच्छा से ख़याल रखे खाततर भेजा है . हम दोनो अप्सरा जैसन सद
ुां र अपनी
रानी का खब दे खभाल करब और बदला में तम
ु हमार. रानी – धत! हम कहाुँ सद
ुां र बनी.सब हमको काली
कहके चचड़ाते है . रां गा – दरु ( हट) पागल! काली होने से कोई असद
ुां र थोड़े हो जाता है . तम
ु तो काजोल के
जैसी सद
ुां र और प्यारी हो. रानी लजा गयी और सर झक
ु ा के मस्
ु कराने लगी. रां गा जो अब तक उसके
कमर पे अपने दोनो हाथ रखे हुए था अब उसके चचचयों पर दोनो हथेसलयों को रखके बोला – गडु ड़या
रानी, तम
ु हम दोनों की लग
ु ाई बनोगी ना? रानी थोड़ा सपकपाई और पछी – दोनो की लग
ु ाई? रां गा – हाां
रानी, और इसमे बरु ाई का है. पाांडवों की भी तो एक ही लग
ु ाई थी द्रौपदी. कफर हम तो दो ही हैं . और
कफर हम दोनो जब तम्
ु हारा खब ख़याल रखें गे तो तम
ु को भी तो दोनो के तरफ आपन लग
ु ाई वाला काम
करे के पड़ी ना. रोज तोहरा के खखलौना, जेवर, कपड़ा, पकवान तो हम दोनो लाईब ना? अब दे खो हमको
भगवान ने कहा की तम
ु को परा सख
ु दे जो तह
ु रा के अभी तक ना समला. उ बोले की ददन-रात तम
ु को
प्यार दे वे और कभी अपने से अलग ना करे . और बोले की ई एक ही तरह से हो सकत है अगर हम
दोनो तम
ु से बबयाह कर के आपन द्
ु हन बना ले.रानी “ धत” कहते हुए पीछे रां गा के छाती में मह तछपा
सलया.इन अनपढ़ काले गरीब घर की लड़ककयों को चाहे कोई ज्ञान ना हो पर इतना ज़रूर एहसास होता है
की १५-१८ साल के उमर तक पहुचते ही शादी करके अपने मरद का घर सजाना होता है और लड़के
जानके घर चलाने में मदद करना.हालाकी रानी को ये एहसास ना था की मद़ की ककन ज़रूरतों का
ख़याल रखना होता है और बच्चे कैसे जनते है . कफर भी वो ये सोचके खश
ु थी की उसे अपनी मा के
जैसा पतत नही समला.इन्ही ख़यालो में वो खोई थी जब रां गा ने उसका टी-शट़ धीरे से खीांच कर स्कट़ से
तनकाल ददया और उसके अांदर हाथ डालके रानी के कमर को थाम सलया.रानी उस गमी का एहसास कर
चचहुक पड़ी.रां गा ने उसे अपने करीब खीचके अपने जाांघों पे बबठा ददया. रानी चचहुकते हुए बोली – उईईईई
माआआ! कुछ गड़ रहा है . रां गा हस्ते हुए बोला – अरे गडु ड़या इहे तो हमार प्यार करे के समान बा इहे तो
तोहरा के सद
ुां र बच्चा दे बे. रानी कुछ समझ ना पाई और उतसक
ु ता से पछी – उ कैसे? रां गा- घबराव मत
घर पहचके बता दें गे.कफर रां गा ने अपनी हथेली रानी की लेफ्ट चुचच पे रख दी. ये कया कर रहे है आप??
– रानी ने कसमसाते हुए रां गा से पछा. रां गा प्यार से उसके गद़ न पर एक चुम्मा लेते हुए बोला – कुछ
नही दल
ु ारी ये तो बस इतना दे खने के सलए था की अभी और ककतना बड़ा और सद
ुां र बनेगा तम
ु रा
चची.ऐसी गांदी बातें रानी जैसी अनछुई लड़की के सलए बब्कुल नया था सो ये सन
ु वो कफर से लजा गयी
और ‘धत’ कहते हुए रां गा की छाती में मह छुपा ददया.उसी अवस्था में वो सकुचाते हुए पछी – लेककन
हमको तो प्यार-व्यार के बारे में कुछ नही मालम है . हम कैसे आप दोनो को सख
ु ी रखें गे?? और हमसे
कुकछ कमी हो गया तो भगवान कभी हमको मा़ि नहीां करें गे.ये सन
ु कर रां गा हस्ने लगा और रानी की
राइट चची मसलते हुए उसके कानों के पास फुसफुसाते हुए बोला – गडु ड़या रानी! जब बबयाह हो जाएगा
और सह
ु ाग रात में हम लोग बबस्तर पे नांगे होंगे तो तम
ु को पता चल जाएगा की मरद को प्यार कैसे
ककया जाता है .ये कहते हुए उसने रानी के ह्के-फु्के बदन को घम
ु ा कर अपने मह के तरफ कर सलया.
अब रानी उसके तरफ मह करके नज़रें शरम से नीचे गढ़ाए बल
ु ेट पर बैठी थी.रां गा की गांदी बातें सन
ु के
और चचचयों की ततलसमलाहट से उसका जजस्म गरम हो गया था और चत पतनयाने लगी थी. ये एहसास
उसके सलए बब्कुल नया था और उसकी कुकछ समझ नहीां आ रहा था की भला चचचयों का और गांदी
बातों का और चत का आपस में कया सांबध
ां है ?कफर भी उसे अच्छा लग रहा था और घर की याद तो उस
दखु खयारी गरीब को सता ही नही रही थी. शायद उसके सलए अच्छा ही हुआ जो उसे उस नरक से
छुटकारा समल गया. ओर इस तरह ????उसी अवस्था में १० समतनट रां गा की छाती से चचपके रहने के बाद
रानी हौले बकरी जैसी समसमयाते हुए बोली – सतु नए! हमको पेसाब लगा है . ये सन
ु ते ही जग्गा के पैर ब्रेक
पर जम गये. वो समझ गया ही बाररश की ठां डक और रां गा के हाथों की गमी ने ये ककया है . सड़क के
साइड में बाइक लगाकर रां गा ने रानी को इशारा करते हुए करीब में एक झाड़ी के उधर मतने के सलए
बोला. रानी झाड़ के तरफ बढ़ने लगी तो पाया की रां गा-जग्गा भी साथ आ रहे थे. झाड़ तक पहुुँच के वो
असमांजस में खड़ी रां गा-जग्गा को दे खने लगी. दोनो उसकी बेचैनी को भाप गये और रां गा बोला – गडु ड़या,
अपने होने वाले पतत-परमेश्वर से कुच्छ भी छुपाना नहीां चादहए. फ्रॉक उठाओ और हमको भी तो छटपटा
कचौरी का दश़न दो. और कफर हमको भी तो पेसाब लगा है . तम्
ु हरे साथ ही कर लेंगे. ऐसे तम
ु को भी
हमारे प्यार का औज़ार ददख जाएगा!पता नहीां कयुँ रानी को उनकी गांदी बातें अच्छी लग रही थी. शायद
इससलए की ये सब उसके सलए बब्कुल नया था और दधा़सल के ददनों से मक
ु त एक आज़ादी. रां गा की ये
बात सन
ु के रानी ने शरारत से अपने होंठ दातों तले दबाते हुए उां गली नचाकर बनावटी अांदाज़ में कहने
लगी – आप लोग बहुत गांदे हैं! शादी के पहले ही द्
ु हन को सता रहे हैं.जग्गा ने हुँसते हुए रानी से बोला
– चलो-चलो अब ज़्जयादा शरमाओ मत और ह्का हो लो.ऐसा कहते हुए वो लपक कर रानी के करीब
आया और उसके फ्रॉक के अांदर हाथ डालके चड्डी उतारने लगा.ये दे ख रानी उसी शरारती अांदाज़ में
उछलके जग्गा के चगरफ़्फत से आज़ाद हुई और जीभ तनकालके ठें गा ददखाते हुए चचढ़ा कर बोली –
ए..ए..ए..ए..छट गयी, छट गयी!पर इतने में रां गा उसके पीछे से आया और बबजली की गतत से रानी के
फ्रॉक में हाथ डालके उसकी चड्डी नीचे खीच दी. रानी ने सकपकाकर पीछे दे खा और बनावटी मायसी से
बोली – उउउउउउउ....आप बड़े बदमास हैं. जीत गये आप.रां गा जो अपने घट
ु नो के बल था इनाम के स्वरूप
रानी की चड्डी उसके पैरों से तनकाल कर सघ
ां ने लगा. जग्गा के आुँखों में लालच थी जजसे दे ख रां गा ने
चड्डी उसकी तरफ उछाल दी. जग्गा भी पागलों के समान उस पीली चड्डी को सघ
ां ने लगा. उसकी आुँखें
मदहोशी में डबने लगी.उनकी इस हरकत को दे ख रानी को बड़ा अचरज हुआ और उसने पछा – छी-छी, ई
कया कर रहे हैं आपलोग. गांदा चीज़ को सघ
ां के इतना मज़ा ले रहे हैं??? रां गा हसा और बोला – अरे
हमारी रानी, तम्
ु हार खुश्ब में इतना नशा है जजतना हमार गाांजा के चचलम में भी नही है . चलो अब साथ
में मतेन्गे.पर रानी को अब भी थोड़ा लाज आ रहा था. दस साल के उमर के बाद तो उसके बाप ने भी
उसे कभी नांगा नही दे खा तो कफर अब तो वह जवान थी और ये बब्कुल अजनबी.वो इस सोच में डबी
थी की दे खा रां गा-जग्गा ने अपनी जज़प खोलके अपने लांड तनकाले और शरू
ु हो गये.लांड का मतने के ससवा
कया काम होता है ये मालम ना होने के बावजद भी रानी उनके लांड का साइज़ दे ख कर ससहर उठी और
बदन में एक ठां डी लहर दौड़ी जजसके वजह से उसके रोंगटे खड़े हो गये.उसकी है रानी तब टटी जब रां गा
अपने लांड को झटकते हुए जज़प में डाला और बोला – का सोच रही है बचचया! मतना नही है का? रानी के
मह से सस़ि़ इतना ही तनकला – ह....हाां. तो कफर मत – रां गा बोला.रानी तो वैसे भी समझ गयी थी की
मतना उसे इनके सामने ही पड़ेगा सो उसने आखख़र ट्राइ ककया – आप लोग मह तो फेर लीजजए ना!ठीक
है , ठीक है . ये कहकर दोनो ने मह फेर सलया.रानी ने धीरे से अपना गीला फ्रॉक कमर से सरकाते हुए
घट
ु नों तक लाई और नीचे बैठ कर मतने लगी.मत की धार की आवाज़ सन
ु दोनो झट से पलट गये और
रानी की आगे पीछे आकर झक
ु गये और उसकी चत और गाांद दे खने लगे. रानी बबलकुर शमा़ के झेप
गयी. पर पेसाब इतने ज़ोर से लगी थी की बीच में कांट्रोल भी नही कर पा रही थी.उसने समसमयाते हुए
चगडगीडा कर बोली – आपलोग चीदटांग ककए. ई अच्छी बात नही है .रां गा जो की आगे की तरफ था रानी के
मत की धार को सघ
ां रहा था और उसकी अनछुई फले कचौरी जैसी चत को दे खकर पागल हो गया और
छप से अपना मह रानी के चत के करीब लाया और पेसाब की धार को पीने लगा.पीछे जग्गा अपना नाक
रानी के गाांद के छे द में सटा कर सघ
ां रहा था और मस्त हुआ जा रहा था. कुकछ सेकेंड्स में रानी खाली
होकर उठी और तघन से मह बनाते हुए बोली – आप लोग बहुत गांदे हैं. कही कोई पेसाब थोड़े पीता है
ककसी का?रां गा जो अभी भी उस जायके का चटखारा ले रहा था, होठों पे जीभ फेरते हुए बोला – गडु ड़या
रानी, तम
ु तो हमार जजांदगी का दहस्सा बनने वाली हो तो कफर तम
ु से कैसा शरम. हमारा सब अच्छा बरु ा
तम्
ु हारा और तम्
ु हारा सब हमारा. मा बच्चे को दध पपलाती है तो का गांदा बात है? दो प्रेमी चम्
ु मा लेते है
तो एक दसरे क़ा थक
ु पीते है , का वो गांदी बात है ? जब ई गांदा नही है तो हमारी रानी का पेसाब हम पपए
तो कौन सा तघन है??रां गा का ये तक़ बनावटी थे रानी को सन
ु के ऐसा लगा जैसे वो दोनो उसे बहुत
चाहते है और वो सचमच
ु उसके सलए भगवान द्वारा भेजे हुए फररश्ते है .रानी ने नेज़रें नीचे झक
ु ाए बोली
– हमका मा़ि कर दो. हम बहुत छ्होटे हैं ई सब बात समझने के सलए. आप दोनो सचमच
ु फररश्ता है जो
हमको नरक से तनकालके स्वग़ ले जा रहे हैं.फाररग होने के बाद रानी ने उनसे अपनी चड्डी माुँगी तो
रां गा ने उसे दर झाडड़यों में उच्छाल ददया और बोला – अब इसका कौनो ज़रूरत नाही है . और वैसे भी
गीली चड्डी पहे नोगी तो ठां ड लग जाएगी.रानी को भी उसकी बात सही जान पड़ी.जग्गा ने बाइक स्टाट़
की और रानी पहले की तरह रां गा के तरफ मह करके थकान की वजह से उसके छातत में सर च्छपा के
सो गयी. बाकी परे 1 घांटे के स़िर में रां गा के हाथ रानी के नांगे चतडो पर सरसराते रहे और कभी उसके
गाांद तो कभी चत पर िीड़ा करते रहे . कभी बीच बीच में रानी चचहुक कर उठ जाती अगर रां गा उसके
चत के दानो पर हरकत करता. पर रां गा ने अपनी हद सलसमटे ड रखी और रानी को ज़्जयादा परे शान नही
ककया.उन दोनों को मालम था की ये सस़ि़ शरू
ु वात है और आज रात शादी और सह
ु ाग रात के बाद अभी
उन्हे रानी के साथ और भी खेल खेलने है !रानी की नीांद खुली जब एक झटके से बाइक रकी और उसका
सर रां गा के ठुड्डी से टकराया. उसने अचकचाते हुए आुँखें खोली तो दे खा की वो जांगल के मॅदढया में कही
थे और वहाुँ एक दो मांजज़ल का पकका मकान था. रां गा ने उसे गोद में उठाया और जग्गा के साथ अांदर
आ गया. यह ड्रॉतयांग रूम था. कुछ सोफा-कुसस़यों के अलावा यहाुँ एक छ्होटा टे बल बार भी था जजसमे
दे सी-पवदे शी सब तरह के पवस्की-रूम और बबयर रखे थे. अगला बेडरूम था. उफ्फ…. ऐसा इांटीररयर जजसे
दे खकर ककसी इांपोटें ट इांसान का भी लांड खड़ा होकर झाड़ जाए. ये एक गोलाकार कमरा था जजसमे चारो
तरफ दीवारों पर अश्लील फोटो चचपके हुए थे. कामसत्र
ु ा के सारे आसान भी डेपपकटे ड थे. कमरे के बीचो-
बीच 8’*8’ का बड़ा गद्देदार पलांग था जजसपर मखमल का चादर और कांबल था. बबस्तर के दोनो तरफ
शोकेस थे जजसमे प्राचीन पतथरों की मतत़याुँ थी जो स्त्री-पर
ु र् के सांभोग की व्याख्या कर रहे थे.ये सब
दे खकर रानी शरम से लाल हुए जा रही थी. उसका ददल जोरो से धड़क रहा था और ना जाने कयुँ उन
तस्वीरों को दे ख उसे एक मीठा एहसास हो रहा था जो उसके जाांघों के बीच बार-बार एक ससरहन पैदा कर
रही थी.इन्ही एहसासों में खोई थी जब रां गा ने उसे गोद से नीचे उतरा और एसी ऑन कर ददया.हालाुँकक
गमी का मौसम ना था पर इन साांड़ों को तो हमेशा ही गमी होती रहती थी.रूम की शाांतत भांग करते हुए
जग्गा ने पछा – का रे गडु ड़या, कैसन लगा हमारा शयन-कक्ष? रानी शरमाते हुए बोली – खब सद
ांु र है पर ई
सब गांदा फोटो काहे लगा रखे हैं. जग्गा बोला – अरे मेरी चचडड़या! अब तो त हमारी लग
ु ाई बन रही है तो
तम
ु को मालम तो होना चादहए ना की बबयाह के बाद का करते हैं. और कफर ई सब से सीख कर ही तो
तम
ु हमको खश
ु कर पाओचग ना. और मरद-लग
ु ाई के बीच में कुछ भी गांदा नहीां होता है . ई तो तम
ु को
समझ में आ ही गया होगा जब हम तम्
ु हरा पेसाब पीए थे.रानी को जैसे एहसास हुआ की उसने कुछ
गलत कह ददया और वो अ़िसोस भरे लहजे में बोली – हमको मा़ि कर दीजजए. हमको लग
ु ाई का कौनो
कत़व्य का ज्ञान नही है इसी से पछ सलए. रां गा हुँसते हुए बोला – कोई बात नही गडु ड़या, अब तो अपना
जनम-जनमान्तर का साथ होगा. धीरे -धीरे सब सीखा दें गे. रानी ने कफर जजग्यासा से पछा – ई रूम में
खाली एक ही पलांग कयुँ है? इस बार जग्गा के हुँसने की बारी थी – अरे लाडो रानी, जब हम तम्
ु हारे मरद
बन जाएुँगे तो कया हमसे अलग सोओगी? और अलग सोओगी तो हमारे बीच प्यार कैसे होगा और कफर
नन्ही रानी कैसे आएगी. बोलो?रानी की शरम से नज़रें ज़मीन में गढ़ गई.इतने में रां गा बाज के कपाट में
से एक लाल घट
ु नों तक का घाांघरा, लाल डोररयों वाली चोली और एक लाल दप
ु ट्टा ले कर आया और रानी
को दे ते हुए बोला – ले लाडो पहीन ले. नहा धो के रसोई में जाकर ज़रा सबके सलए चाइ और नाश्ता बना
दे .रानी ने कपड़े हाथ में लेकर उलट-पल
ु ट कर दे खने लगी तो रां गा पछा – कया हुआ गडु ड़या? रानी
उतसक
ु ता से पछी – सब ठीक है पर इसमे कछी कयुँ नही है . इसपर जग्गा हुँसते हुए बोला – अरे पगली!
यहाुँ हमारे घर में चड्डी तो छ्चोड़ो कोई कपड़ा ही नही पहीनता है . धीरे -धीरे तम
ु को सब समझ जाएगा.
पर इतना याद रखना की अगर कभी चड्डी पहना तो हम लोग नाराज़ हो जाएुँग.े रानी को कुछ अजीब
लगा पर वो उन्हे नाराज़ नही करना चाहती थी इससलए हौले से ससर हाां में दहला ददया और कपड़े लेकर
अटॅ च्ड बाथरूम में घस
ु गयी.बाररश से भीगा बदन जब झरने के गन
ु गन
ु े पानी से नहाया तो सारी थकान
और नीांद उड़ गयी. करीब आधे घांटे बाद रानी फाररग होकर बाहर तनकली. वो अपने गीले कपड़े सलए
दसरे कमरे में पहुुँची तो हकबका गयी. रां गा-बब्ला बब्कुल जनमजात अवस्था में सोफे पे बैठ टीवी दे ख
रहे थे. परे बदन पर कपड़े का एक भी रे शा नही था. उनके शरीर पे ससर-से-पाव तक भाल जैसे बॉल थे.
चेहरे पर घनी दाढ़ी, सर पे लांबे बाल, छाती और पीठ बालों से भरे , और झाुँटे तो इतनी घनी की लांड उस
वक़्त 5” होने पर भी ददखाई नही दे रहा था. परे पैरों में भी घाने बाल थे. परे -के-परे शेलेट-कफरते आदद
मानव.रानी को दे ख दोनो आसचय़चककत थी. रानी बब्कुल लाल परी लग रही थी. उन्हे अपने सशकार पर
गव़ हो रहा था और आगे की क्पना कर उनके लांड फुल टाइट हो गये.दोस्तो टाइट आपका भी हो रहा
होगा शाांतत रखो यार अभी तो सह
ु ाग रात मनानी बाकी है अब कफर से चौकने की बारी रानी की थी जो
उन घने झाटों में लांड को ताड़ नही पायी थी. अब उन लपलपाते घोड़े जैसे लौड़ों को दे ख उसका सारा
जजस्म सर-से-पाव तक काप गया.कुछ पल की चप्ु पी को रां गा ने तोड़ा और छे ड़ते हुए बोला – अरे वाह
गडु ड़या, खब जच रही है ई कपड़ों में . एक दम घरवाली जैसन लग रही है ! अच्छा जाओ और कुकछ
सामान है रसोई में , चाइ और नाश्ता बना लो. कफर थोड़ी दे में पज
ु ारीन आती होगी!!रानी ताज्जब
ु से पछी
– पज
ु ारीन! वो कय?ुँ घर में कोई पजा करवाना है कया. रां गा बोला – पजा ही तो है रानी जान. हमारा
बबयाह होगा तो पजा तो होगा ही ना?धात कहते हुए रानी रसोई की तरफ लपक ली.रां गा जजसकी बात कर
रहा था वो कोई और नही बज्क पास के गाओां की एक वैश्या थी जो जवानी में उनका सशकार बनी थी.
उसे ही पज
ु ारीन बनाकर वो रानी को ये एहसास ददलाना चाहते थे की उनकी शादी हो रही है ताकक वो
परी जान लगाकर बबना सशकायत ककए अपने पततयों की सेवा करे .रानी रसोई में उपमा और चाइ बनाकर
कमरे में ले आई. उनको सव़ करने के बाद वो बाज के चेर पे बैठ गयी. अभी भी वो उनके इस अवतार
को दे ख कर कांफट़ बल नही हुई थी. रां गा ये ताड़ गया और तारी़ि करते हुए बोला – वा! चाइ और उपमा
तो बहुत बदढ़या है !! गडु ड़या, त तो बहुत अच्छी रसोइया लगती है . लगता है अब हम दोनो को खब स्वाद
खाना समलेगा.उनकी तारीफ सन
ु रानी नज़रें नीची कर मस्
ु कुराने लगी. इतने में रां गा बड़े लाड से बोला –
यहाुँ आओ मेरी चचडड़या! आओ हमारी गोद में अपने हाथ से तम
ु को खखलता हुँ. रानी को कुतते की तरह
पच
ु कारते हुए वो उठा और रानी की एक बाह पकड़कर उसे अपनी तरफ हौले से खीच सलया. हालाकी रानी
उनकी नग्नता से अभी भी सकुचा रही थी पर उनके प्यार से वो छुप रही. आज तक ककसीने ने उसके
साथ इतने प्यार से व्यवहार नही ककया था. और अच्छा खाना, रहने को इतना बड़ा घर, अच्छे कपड़े, प्यार;
इन सबके एहसानों तले वो दबी जा रही थी.इन्ही सोचों में उलझी वो रां गा के गोद में जा बैठी.रां गा ने उसे
एक जाुँघ पे बैठाया और दोनो अपने बाज रानी को दोनो तरफ लपेट ददए. राइट हाथ में उपमा का प्लेट
सलए लेफ्ट हाथ में चम्मच से उठा कर खखलाने लगा. रानी को रां गा का लाड बहुत अच्छा लगा.इतने में
दरवाजे पर दस्तक हुई तो जग्गा ने लपक कर अपना धोती उठाई और कमर पर लपेट उठ गया. उसके
दरवाजा खोलते तक रां गा भी अपना धोती लपेट चुका था.जग्गा ने डोर खोला तो सामने माला को पाया.ये
वोही औरत थी जजसकी बात वो रानी से कर रहे थे.३०-३५ साल की उम्र होगी उसकी. रानी ने दे खा वो
सर से पाव तक भग्वे चोगे में थी.लांबे बॉल, माथे पे टीका, गाले में रद्राक्ष की माला, सचमच
ु ककसी मांददर
की पज
ु ारीन लग रही थी वो वैश्या.माला अांदर आकर रानी को उपर-से-नीचे तक दे खा और उसके गाल पर
चचकोटी काट बोली – तो ये है नन्ही दजु ्हन? अरे रां गा आप तो बोले थे की १८ की है पर ये तो और
मासम ददख रही है ? खब मस्त दजु ्हन लाए है अपने सलए, हाां??रानी के गाल शरम से लाल हो गये और
नज़रें नीचे गड़ गयी.माला मज़ाक करते कफर बोली – अरे वाह ई तो लजाती भी है ? कया रे गडु ड़या बबयाह
करे गी इन बैलों से?रानी के तो होंठ ही सील गये थे जैसे.माला उसकी अवस्था समझते हुए बोली – आ
तझ
ु े तैयार कर द.ये कहते हुए दोनो बेडरूम में चले गये.रां गा-जग्गा नेतब तक उस रूम के एक कॉऩर में
टे बल पे भगवान के नाम पर रतत-कामदे व (सेकस गोद-गॉडेस) की मतत़ लगाए और दीप-धप-लोबान-फल
और दसरे पजा के समान लगा ददया.उधर माला नेकमरे मैं पहुुँचके रानी को एक बार कफर उपर-से-नीचे
तक दे खा और अपनी जवानी उन दोनो के हाथ लट
ु ने की याद कर अांदर से ससहर उठी. आज कफर एक
मासम और नादान उनके चांगल
ु में फुँस के लट
ु ने वाली थी. शायद २-३ साल बाद रानी भी उसी के कोठे
की शोभा बढ़ाएगी.वो रां गा-जग्गा के ख़ौफ्फ से अांजान भी ना थी इससलए उन ख़यालों को भल वो अपने
बेग से द्
ु हन के साज़-शग
ांृ ार का सब समान तनकालने लगी. माला ने पछा – का रे गडु ड़या, सह
ु ाग रात में
का का होता है कुकछ मालम है की नही?? रानी ने माससमयत से इनकार में गदे न झक
ु ा दी.माला ने
मस्
ु कुराते हुए बोला – अरे तो कैसे खश
ु करे गी अपने मरदो को?? रानी भोलेपन से बोली – खब अच्छा
खाना खखलाएुँग,े घर सांभालेंगे, कपड़े धोएांग,े बदन दबाएुँग;े कोई दख
ु नही होने दें गे. माला ज़ोर से हुँसते हुए
बोली- अरे ई सब तो कोई नौकरानी भी कर दे गी कफर लग
ु ाई का का ़िायदा? और बच्चा कैसे पैदा करे गी
अपने मदों के सलए??ये तो रानी ने सोचा ही ना था. अचरज में डबी उसने पछा – ई तो हमको मालम ही
नही है . माला उसके बालों में हाथ फेरती बोली – बैठ यहाुँ तझ
ु े सब समझाती हुँ.कफर दोनो पलांग पर बैठ
गये और माला बोली – दे ख गडु ड़या, मरद को खश
ु करने का मतलब है भगवान को खश
ु करना. और
उनको खश
ु करने के सलए उनके सलांग को खब खश
ु रखो. जबही भी वो खड़ा हो तो उसे शाांत करने के
सलए उसका अमत
ृ पीयो.रानी आुँकें फाड़ कर उसे दे ख रही थी. माला समझाते हुए बोली – सलांग यानी
उनका लांड.कफर उसने रानी की चत पर हाथ रखते हुए बोली – यहाुँ तम्
ु हारा गड्ढा है और उनका डांडा. जब
सलांग लग
ु ाई के हर गड्ढे में घस
ु कर अपना प्रसाद यानी अमत
ृ दे गा तभी औरत को सद
ांु र और गोल-मटोल
बच्चा होगा.पर
ु र् का अमत
ृ कभी बबा़द नही हों चादहए नही तो भगवान नाराज़ हो जाते है .औरत का तो
सब छे द खाली पर
ु र् का सलांग को घस्
ु वाने के सलए बना है . और एक बात, तम्
ु हारे मदों का जजतना अमत
ृ
तनकलॉगी उतना वो तम
ु से खुश रहें गे. समझी!!समझना कया था, रानी तो हककी-बककी आखें फाड़ माला
को दे खे जा रही थी. इन बातों के बारे में ना तो उसे कुकछ मालम था ना कुकछ क्पना. अभी उसे
समझ आ रहा था की उसका बाप रात में उसकी मा के जाांघों के बीच कया ढनडता था.जब बोलने लायक
हुई तो डरते हुए बोली – माताजी, अगर ऐसा है तो हम अपने भगवान को कभी दख
ु ी नही होने दें गे. पर
हम उनका सलांग दे खे हैं, वो तो हमारे छे दों में कैसे जाएगा.सब जाएगा बेटी, तम
ु को मालम नही है पर एक
औरत १३” लांबा सलांग अपने योतन में ले सकती है . पहला बार बहुत तकली़ि होगा. समझ लेना भगवान
तम्
ु हारा इजम्तहान ले रहे है . बाद में कफर तम
ु को स्वग़ का एहसास होगा. अब तम्
ु हारे नरक के ददन ख़तम
हो गये है गडु ड़या रानी. अब तम
ु को भगवान समल गये है और वो भी दो-दो.माला की इन बातों से रानी
के चेहरे की मस्
ु कान कफर लौट आई और वो साज़ समान उलट-पल
ु ट दे खने लगी.करीब१ घांटे बाद जब
दोनो बाहर तनकले तो रां गा-जग्गा दठठक कर दे खते रह गये. दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शमा़ पाट़
२ लेकर आपके सलए हाजजर हुँ अब तक आपने पढ़ा था कैसे रां गा और जग्गा कमससन रानी को उसके
स्कल के बाहर से उठा लाए थे और उस नाडा हसीना को ककस तरह बरगला कर उसको शादी झुँ टा ख्वाब
ददखाकर उसकी नाज़ुक सी छट की चुदाई करना चाहते है अब आगेरानी के उस रूप का दीदार कर दोनो
के लांड गीले हो गये.सर से पाव तक अप्सरा जैसी लग रही थी वो. लाल चटकदार जारी वाला घाघरा,
डोररयों वाली लाल चोली चोली जजसपे छ्होटे -छोटे काुँच की बबांदी जो ससतारों जैसे चमचमा रही थी, बाल
की माुँग में बड़ा सा माुँग टीका, कानों में बड़े बुँदों वाले झुमके, नाक में नज्न जो लेफ्ट कान तक चैन में
अटॅ च्ड थी, और गले में २० तोले की चैन. चोली और घाघरा के बीच का वो नग्न पेट पर झालारदार
तगड़ी (कमरबद
ांु ) और नासभ पर एक सोने का ससकका.हाथों में लाल-सफेद और सोने की चडड़याुँ थी जो
वस्
ृ ट से कोहनी तक भरे थे. उां गसलयों में ४-४ अांगदठयाुँ और फास्ट-ड्राइ मेहांदी. गालों पर मस्कारा और
होठ पर चेररी रे ड सलपजस्टक उसकी सावली काया को और सेकसी बना रहे थे.पैरों में भी मेहांदी लगी थी
और दोनो पैरों में एक-एक सोने का घग
ुँु रू वाले पायल थे.उसके वजन से ज़्जयादा शायद रानी के बदन पर
जेवर और कपड़े थे.उन सब पर लाल बदटयों वाला दप
ु ट्टा जो उसके आधे चेहरे तक झक
ु ा हुआ था, परे
सजावट की सोभा बढ़ा रहा था.रां गा-जग्गा ही कया ककसी इांपोटें ट इांसान का भी लांड खड़ा हो जाता.उस
खामोशी को माला ने तोड़ा – कया बात है कोई साप दे ख सलया कया. ये तम्
ु हारी लग
ु ाई है !दोनो जैसे नीांद
से जागे. उनके मह में लार भर आया और धोती आगे की तरफ तांब जैसी बन गयी.माला सबको लेकर
शादी के टे बल के तरफ आई और कुछ झठ मठ पजा का स्वाांग कर दोनो को एक मांगलसत्रा ददया और
पहनाने को कहा.दोनो ने वो फॉरमॅसलटी ख़तम की और एक-एक कर रानी के माुँग में ससांदर भर
ददया.इसके पस्चात रानी ने दोनो के पाव छए. तब माला ने रानी से कहा – दजु ्हन, अब जो हम कहें गे
उसे हमारे पीछे दोहराना.रानी ने हामी में सर दहला ददया.माला बोली – आज से रां गा-जग्गा ही मेरे भगवान
है . मैं इनका परु लगन से सेवा करूुँगी और कोई भी सशकायत का मौका नही दुँ गी. मेरा परा बदन और ये
जनम सस़ि़ अपने दे वताओां के सख
ु के सलए बना है . चाहे ककतनी भी तकली़ि हो पर मैं तन-मॅन से
उनकी सेवा करूुँगी. अपने दे वताओां का अमत
ृ मयी प्रसाद का पान मैं हमेशा अपने सारे तछद्रों से करूुँगी
और उसके प्रताप से उन्हे हर २साल पर एक प्रतापी सांतान दुँ गी. अब मेरा परा जीवन इनके चरणों में
समपप़त है . रानी ने सब ररपीट ककया और झुक कर माला के चरण छ सलए.माला नेउसे आशीवा़द ददया
और कफर उसे लेकर उपर के एक कमरे में आ गयी जो की नीचे वाले बेडरूम का ड्यजप्लकेट था. पर यह
सह
ु ाग कक्ष जैसा सज़ा हुआ था. और बबस्तर पर लाल गल
ु ाब के पांखुड़ी बबखरे हुए थे.रूम के कॉऩर में
एक छ्होटी अांगीठी रखी थी जजसमे चांदन के लकडड़यों का अांगार जल रहा था.माला ने रानी से कहा की
वो अांगीठी को अपने टाुँगों के बीच रखकर खड़ी हो जाए.रानी ने जजग्यासा से माल को दे खा तो वो बोली
– गडु ड़या, ऐसे तम्
ु हारी चत और गाांद खुसबदार हो जाएगी और तम्
ु हारे मरद को अच्छा लगेगा.शरम से
लाल रानी गद़ न झुकाए अांगीठी पर खड़ी हो गयी. अांगीठी उसपे पैरों के बीच था और घाघरा के अांदर
इससलए चांदन की खुश्ब परी तरह से उसके चत और गाांद पर अपनी छ्चाप छोड़ रही थी. चड्डी तो उसने
पहन रखी नही थी सो रानी को ५ समनट बाद ह्की गमी लगने लगी तो माला ने उसे बस करने को
कहा. अटॅ च्ड बातरूम में ले जाकर माला ने रानी को पहले गल
ु ाब जल और कफर शाद से कु्ले
करवाए.अब उसने रानी को बबस्तर पर बैठा ददया और कहा थोड़ा इांतज़
े ार करो तम्
ु हारे मारद को भेजती
हुँ.नीचे आकर माला ने आुँख मारते हुए रां गा से कहा – जाओ सरकार, आपकी नन्ही परी आसमान में उड़ने
को तैयार है !जग्गा नेहुँसते हुए बोला – रक साली! जाने के पहले ज़रा मेरा लॉडा तो चस थोड़ा बहुत
टनटना गया है !माला ने आग्या का पालन ककया और घट
ु नों के बल बैठ कर जग्गा की लुँ गी उपर की.
ऐसा करते ही अचानक लांड फांफना कर उसके होठों पे लगा.माला चुटकी लेते हुए बोली – सरकार, इसको
तो सह में खाली करना होगा नही तो आपकी नाज़क
ु लग
ु ाई तो आसमान में उड़ते हुए परलोक पहुुँच
जाएगी.ये कहते हुए उसने अपने होंठ उसके लांड पर रख ददए. लांड में तो जैसे आग लगी थी. उसकी
चटख से एक बार तो माला ने लांड पे से मह हटा सलया पर कफर उसे धीरे -धीरे मह में लेकर चस
ु कने
लगी. गरम होंठों की गमी और जीभ की सरसराहट से जग्गा पागल हुआ जा रहा था. उसने माला का सर
पीछे से दोनो हाथों से थाम सलया और ज़ोर ज़ोर से उसे आगे पीछे करने लगा. उसका १०” लांबा लांड
माला के गले तक चोट कर रहा था और उसकी आुँखें बाहर की तरफ उबलने लगी थी. वासना में पागल
जग्गा परा है वान नज़र आ रहा था. उसका चेहरा तमतमा कर लाल हो गया था और उसके कानों के उधर
आग लगी हुई थी. माला के आुँखों से आुँस तनकल गये और उसके गले से गो-गो की भरराई आवाज़ आने
लगी. २समतनट में ही जग्गा के लांड से गरमा गरम वीय़ तनकला जो माला के मह में ऐसा लगा जैसे
ककसीने गरम लावा पपचकारी में भरके मारा हो. १५ सेकेंड तक जग्गा ने अपना बीज माला के मह में
चगराया और कफर अपना लॉडा बाहर तनकालके माला का मह बांद कर ददया और बोला – परा पी ले
कुततया, कुछ भी चगरना नही चादहए!माला का चेहरा भयानक लग रहा था. आुँखें लाल, होंठो की सलपजस्टक
आस-पास फैल गयी थी, आुँस की वजह से काजल चेहरे पर फैल गया था.उसने परा वीय़ पी सलया और
सहम्ते हुए बोली – सरकार, आपको पकका यकीन है ना की ये लड़की आपकी गमी से मरे गी नही?? “त डर
मत कुततया”, खद
ु से चुदने को जो तैयार हो जाए उसे हम गडु ड़या जैसा चोद्ते और रखते है . हमारी प्यारी
चचडड़या बनेगी पर पपांजरे की और उसको जब हम मसलेंगे तो उसको भी बहुत मज़ा आएगा. कुच्छ दीनो
में जब रतत-िीड़ा के बारे में सब सीख जाएगी तो वो खुद ही चुदवाने के सलए तड़प्ती रहे गी. त दे खती
जा. – रां गा बोला.माला के जाने के बाद दोनो उपर कमरे में आ गये.अांदर घस
ु ते ही रां गा ने दरवाजे की
कुण्डी लगा दी. दोनो बबस्तर के तरफ बढ़ने लगे.घघ
ुँ ट में से रानी ने दे खा की दोनो पलांग के दोनो साइड
पर खड़े हैं तो वो अपने आप में और ससमट गयी.इस पल के बारे में माला ने उसे अच्छी तरह से समझा
ददया था इससलए वो अांदर से बहुत सहमी हुई थी. रां गा ने एक साइड से उसके हाथ लगाकर घघ
ुँ ट को
धीरे से उठना चाहा तो रानी मारे शरम के अपने हाथेसलयो से चेहरा ढक सलया.दसरी तरफ से जग्गा
बबस्तर पे चढ़ आया और रानी के बाज में बैठता हुआ उसकी एक नाज़ुक हथेली अपने तगड़े हाथ से
पकड़कर हौले से खीचते हुए बोला – गडु ड़या रानी! अपने भगवान से शमा़ रही हो. अभी तो खाली घघ
ु ाट
उतरा है , आगे और कया कया उतरे गा मालम है??हालाकी उन दोनो को रानी के शरमाने से कोई एतराज़
नही था कयक
ां ी ये उनकी प्यास और बढ़ा रहा था पर साथ ही वो उसके कमससन, भोले, और सजे-धजे मख
ु
का दीदार भी करना चाहते थे.दसरे तरफ से रां गा भी रानी के बाज बैठ गया और हौले से अपने होठ
उसके कान के करीब लाकर लवो को चभ
ु लने लगा. इस अप्रतयासशत िीड़ा से रानी के हथेली अनायास ही
अपने चेहरे से हट गयी और वो बच्चों जैसे हुँसने लगी.रां गा के होठों की सरसराहट और उसकी मछों से
पैदा हुई गद
ु गद
ु ी रानी को सर से पाव तक कपकपा गयी. अब उसका सेकसी चेहरा दोनो के सामने था जो
स्वग़ की अप्सरा जैसा ददख रहा था. बड़ी-बड़ी कजरारी आखें , गालों पर मास्कारा, होठों पे सलपजस्टक
काततलाना लग रही थी.नज़रें तो उसकी नीचे ही झुको हुई थी की अचानक उसे रां गा-जग्गा की धोती में
सामने की तरफ वो तांब जैसा कफर नज़र आया. उसे अब ये ग्यात हो गया था की ये उनके पवशालकाय
लांड है . और उसी एहसास से उसके अांदर एक सद़ लहर बबजली के भाुँतत गज़
ु र गयी.माला के अनस
ु ार
आज की रात रानी के सलए का़िी दद़ भरी होगी कयक
ां ी उसके दे वता उसके पपछले जनम के पाप पहले
उतारें गे कफर दसरे ददन से उसे स्वग़ का आनांद समलेगा.गाओां की भोली, नादान रानी इन बातों को सच
जान मांन-ही-मांन अपना तन-मांन उन दोनो को समपप़त कर चक
ु ी थी.जग्गा, जजसने रानी की राइट कलाई
को थाम रखा था अब रां गा की तरह उसे कान और गद़न पर चमने लगा. रानी की आुँखें मस्ती और
मीठी गद
ु गद
ु ी से बांद होने लगी.उसी मस्ती में डबी थी जब रां गा ने अपना एक हाथ रानी के पीछे ले गया
और उसके चोली के डोररयों से खेलने लगा. उसने तीनो डोररयों को हौले से उां गसलयों की हरकत से खोल
ददया. तभी जैसे रानी को होश आया और वो बकरी की तरह समसमयाते हुए बोली - ई का कर रहे हैं जी?
हमार चोली उतर जाएगा, नांगा हो जाएुँगे हम!!रां गा गरम साुँसे लेते हुए उसके कान में फुसफुसाया – अब
बदा़श्त नही होता है गडु ड़या रानी, अपना रसीला चची से दध नही पपलाओगी का हमको?रानी रां गा की
गरम साुँसों से सनसानाते हुए अपने आप में ससकुड़ते हुए भोलेपन से बोली – ई का कह रहे है आप? भला
हमारे छाती से दध कहाुँ तनकलेगा?रां गा हुँसते हुए बोला – तनकलेगा रानी तनकलेगा! दध नही पर यौवन
रस तनकलेगा.ये कहते हुए वो धीरे -धीरे रानी के चोली की एक बाह पकड़ कर उसके हाथ से बाहर खीचने
लगा. दसरे तरफ से जग्गा ने भी सहयोग ककया और रानी के शमीले ना-नक
ु ु र पर भी चोली तनकाल कर
दर कोने में फेक दी.अपने छाती पर ए/सी का ठां डा पन रानी नेएक पल महसस कर शरमाते हुए अपने
दोनो हाथों से छाती को ढक सलया.रां गा बड़े लाड से बोला – अपने दे वता को नाराज़ नही करते चचडड़या!
आओ हमसे कया शरम. हम तो तोहरे मरद हैं. ई वीराने में दर दर तक कोई नही है जो तम
ु को दे ख
सकता है .पच
ु कारते हुए उसने रानी के हाथ उसकी छाती से हटाने में सफलता प्राप्त कर ली.उन यौवन
घादटयों का दश़न पा दोनो तनहाल हो गये और एक ठां डी साुँस बाहर छ्चोड़ी. उनकी ललचाती नज़रें रानी
के नांगे छाती पर काटो जैसी छुभन पैदा कर रहे थे. इससलए झेंप कर उसने अपनी हथेसलयों से अपना
मह तछपा सलया. हालाकी रानी सावली थी कफर भी शरम की अचधकता की वजह से उसका चेहरा लाल हो
गया था. नांगी छाती पर वो तोतापरी आम के आकार के चची और उसके एांड पर भरा सा 1 से. मी लब
ां ी
घड
ुां ी दोनो को दीवाना बना गये.उन्होने रानी को पालती मारकर बैठने को कहा जजसका पालन रानी ने
अपने चेहरा ढके ही ककया. अपने आस पास के हालात से अजन्भग्य रानी बस ये शोच रही थी की अब ये
दोनो उसकी चचचयों का कया करें गे. दोनो ने रानी के गोद में दोनो तरफ से सर रख ददया और छाती की
तरफ मह करके अपने गरम होठ उसकी चचचयों की एक-एक घड
ुां ी पर रख ददया.रानी के परु जजस्म में
एक बबजली का झटका स्सा लगा और उसने हाथ हटा कर ़िौरन बबस्तर पर पीछे सरकने को हो गयी.
पर दोनो ने शायद इसकी क्पना पहले ही कर ली थी इससलए उन्होने अपने एक-एक हाथ को रानी के
पीठ पर रख कर उसे मजबती से जाकड़ सलया.रानी १” भी पीछे ना सरक सकी और जल बबन मछ्ली की
तरह छटपटाकर रह गयी.अब तक दोनो मज़े से रानी की आधी चची को अपने पवशाल मह में भरकर
चस- रहे थे. दोनो के दाुँत जब चची पर कभी गढ़ते या वो घड
ुां ी को जानबझ कर काट लेते तो रानी के
मह से दद़ भरी सससकी तनकल जाती. १-२ समतनट बाद रां गा-जग्गा की िीड़ा जो रानी को अतयाचार लग
रही थी अब उसे मदमस्त ककए हुए थी. इस मस्ती की क्पना उसने कभी ना की थी. जब दोनो घड
ांु ी को
अपने होठों के बीच लेकर चसते तो कई बार रानी को यही लगता था की उसके परे जजस्म और छाती से
होती हुई कोई सई
ु की धार समान तरल उसके घड
ांु ीयों में पहुुँच रही हो. दोनो बच्चों के जैसे रानी के
चचचयों को चस रहे थे.रानी की उम्र की लड़ककयों के हालाकी का़िी भरे स्तन हो जाते है पर इसकी ४’५”
की काया थोड़ी नाबासलग बजच्चयों जैसी थी जजसपर ये स्तन बाककयों से हटकर तोतापरी आम जैसे थे.
कम हाइट की वजह से कमर भरी भरी लगती थी पर वजन कफर भी एक १५ साला लड़की जजतना था.
रां गा-जग्गा की गद़ न हवा में होने की वजह से थोड़ी अकड़ने लगी तो रां गा बोला – आए दजु ्हन हमरा तो
गद़ न दख
ु ने लगा और तम
ु को तो परा मज़ा आ रहा है. ई कौन सा न्याय है . चलो अब अपने हाथ से
हमको अपना चची पान कराओ. अचानक मस्ती में आए ब्रेक से रानी भी पवचसलत हो गयी पर कफर भी
लज्जा से बोली – धतत, हम कैसे अपने हाथ से ये करें गे. हमको शरम आती है .जग्गा बोला –ई तो जायज़
नही है गडु ड़या, तम
ु परा मज़ा लो और हम दद़ सहते रहे . जग्गा के इस नरम बनावटी सशकायत से रानी
मान गयी.उसने दोनो के सर अपनी गोद में रख सलए और अपने हाथों से एक-एक चची थामकर उनके
होठों पर सटा दी.अब रां गा-जग्गा मज़े से रानी की चचचयों का रास्पान करने लगे. रानी पर परे शराब के
बॉटल जजतना नशा छाया हुआ था और धीरे -धीरे वो मीठा एहसास उसे जाांघों के बीच में भी महसस हुआ.
एक अजनबी एहसास जो उसके चत के दानों पर सरसराहट कर रहे थे. रानी को ऐसा महसस हुआ जैसे
पेट के नीचे कोई बाुँध टटने वाला है और वो बेहोश होने वाली है . ये एहसास मीठा था पर बब्कुल
अांजाना इससलए डरते हुए वो बोली – अजी सन
ु ते हैं! हमको अांदर कुच्छ अजीब सा लग रहा है .दोनो ने
चची चुभलना छ्चोड़ ददया और रां गा नेउतसक
ु होके पछा- क़ा बात है हमारी चचडड़या, कहाुँ कया अजीब लग
रहा है ? रानी भोलेपन से बोली – पता नही जब आपलोग हमरी छाती पे कुछ-कुछ करते हैं तो पेट के नीचे
अजीब सा गद
ु म-गद
ु म होता है और.........रां गा ने उसकी आगे की बात काट कर बोली – छाती नही रानी
और कुछ-कुछ भी नही. बोलो, जब चची चसते हैं तो......बोलो, शरमाओ मत अब हमारे बीच में कोई परदा
थोड़े ना है .रानी शरमाते हुए बोली – हाां वही.....जब आप च...ची च...स्ते है तो पेट के नीचे कुछ होता
है .जग्गा ने जजग्यासा से पछा – कहाुँ रानी जान?? यहाुँ का??? ये कहते हुए उसने अपनी एक हथेली रानी
की चत पर रख जाुँच सलया. रानी ने लाज की अचधकता से ‘हाई राम’ कहते हुए मह फेर सलया. रां गा ने
रानी के गाल पर हाथ रख उसका मह कफर अपनी ओर ककया और बोला – इसमे घबराने की कोई बात
नही है मेरी गडु ड़या, ऐसा तो हर लड़की के साथ होता है जब वो अपने पतत परमएश्वर के साथ चुदाइ
करती है तो.जग्गा बोला- दे खो चचडड़या, आज तम्
ु हारे सलए सब कुछ नया होगा, इससलए घबराओ मत और
सब कुछ हम पर छ्चोड़ दो. गॅरेंटी दे ते है की जो होगा तम्
ु हे सख
ु दे ने के सलए होगा और तेजस्वी प्रतापी
सांतान के सलए. बबना कोई डर के खुलकर हमारे साथ मज़ा लो तभी तो तांदरस्त पत्र
ु होगा, समझी??रानी
जग्गा की इन बातों को सन
ु के थोड़ा शाांत हुई और अज्ञानता के कारण अपने आपको उनके हवाले कर
ददया. अब उसने सोच सलया की जब ये मेरे परमेश्वर है तो उसे परे शान होने की कया ज़रूरत. उसने
तनस्चय ककया की वो बबना कोई सावल-जवाब ककए उनकी एक-एक बात मानेगी और उनको खश
ु करने
का परा प्रयास करे गी.रानी ने कफर से अपनी चची थामकर दोनो के होठों पर सटा ददया. जब उसका
ध्यान चचचयों पर पड़ा तो उसने दे खा जगह-जगह पर काटने की वजह से लाल तनशान पड़ गये थे.रां गा-
जग्गा बच्चों की तरह रस-पान करने लगे. जब भी दोनो में से कोई चची या घड
ांु ी को दातों से काट लेता
तो रानी के मह से एक सससकारी तनकल जाती और तभी उस दद़ को भलने के सलए कोई उसके नांगे
बगलों में उां गसलयों से गद
ु गद
ु ी कर दे ता. इस तरह ये खेल कुछ १० समतनट तक चलता रहा और रानी भी
मस्ता कर सोचने लगी की ये स्त्री-पर
ु र् का समलन तो इतना भी बरु ा नही है जैसा माला कह रही थी.
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शमा़ आपसे पछ
ां रहा हुँ कया माला की ये सोच सही है रां गा-जग्गा ने
महसस ककया की रानी के वक्ष कड़क हो गये थे और ककशसमश के दाने भी टाइट और परी तरह तन गये
थे. अब उन्हें दसरे राउां ड की तैयारी करनी थी.जग्गा चची चसना छ्चोड़ बबस्तर पे खड़ा हो गया और
अपनी धोती खोल दी. रानी ने एक चची की मस्ती में कमी महसस की और आुँखें खोली तो सामने
जग्गा का मोटा और लांबा लांड लहराते दे खा.रूम के नाइटबलब के मचधम प्रकाश में अचानक इतना काला
और लांबा दहलता हुआ कुछ दे ख एक बार को रानी हकबका गयी और उसके मह से ह्की चीख तनकल
गयी.रां गा की तद्रा भांग हुई और उसने वो नज़ारा दे खा तो हां स पड़ा. साथ में जग्गा भी हां सते हुए बोला –
का रे गडु ड़या रानी, रां गा बाइक पे बोला था ना प्यार करे का समान के बारे में . यही है वो. इसी का तम
ु को
रोज पजा करके प्रसाद तनकाल के पान करना होगा.हालाकी सांभोग का ग्यान माला ने रानी को ददया
ज़रूर था पर अपनी कलाई जजतनी मोटे और १०“ लांबे साप की तरह फुफ्कारते लांड की उसने क्पना भी
नही की थी. गाओां के नेककर वाले लड़को को उसने तालाब के ककनारे पेसाब करते दे खा था तो कभी ये
ना सोचा था की उमर के साथ उनका लांड ककतना बढ़े गा.रानी आुँखें फाड़-फाड़के जग्गा के लांड को दे ख
रही थी तभी जग्गा कफर बोला – गडु ड़या, ये सलांग अब तम्
ु हारे सब तछद्रों में घस
ु कर तम्
ु हारे बदन को पपवत्र
करे गा और अगर तम्
ु हारी पजा सफल हुई तो प्रसाद भी दे गा. चलो इसकी पजा की शरू
ु वात इसे नमन
करके अपने हाथों में लेकर अपने मह में लो!ये सन
ु कर रानी अांदर ही अांदर घ्रणा से भर गयी पर तभी
उसे याद आया की ककस तरह दोनो ने उसका मत पपया था बबना कोई शरम के. वो याद आते ही रानी
का ददल सॉफ हो गया और उसके मॅन में एक आस्था ने जनम ले सलया की अपने पतत परमेश्वर का
ककसी भी चीज़ से घ्रणा नही करनी चादहए.सहसा उसने एक हाथ से जग्गा के लांड को नमन ककया और
उसे अपने हथेली में भरने की कोसशश करने लगी. वो घोड़े का लांड उसकी नाज़ुक और नन्हे पांजे में समा
ही नही रहा था. मजबरी में उसने अपने दसरे पांजे का प्रयोग ककया और जैसे एक ब्लेबाज बॅट को
पकड़ता है उसी तरह एक के पीछे एक हाथ से जग्गा का लांड पकड़ सलया और अपने रसभरे लाल
सलपजस्टक से सजे होठों से चम सलया. इस गरम स्पशा़ से जग्गा बौरा गया और उसका लांड अपने चरम
पर पहुुँच गया. २“ चौड़ा और १०“ लांबा. मस्ती की वजह से अनायास ही उसकी आुँखें बांद हो गयी सप
ु ाडे
पर जो च्छे द है उसपर जीभ चलाओ ग्गडडया – रां गा उसे डाइरे कसेन दे ते हुए बोला हाां, बब्कुल ठीक, अब
सप
ु ाड़ा मह में लो और धीरे -धीरे अांदर-बाहर करो. दोनो हाथ से भी चॅ म्डी पे घऱ्ण करो. हाां, शाबाश!!! रानी
वैसा ही करती गयी जैसा रां गा कह रहा था. दोनो हाथों से लांड थामने के बाद भी उपर की तरफ करीब
४“ लांड खाली था जो अपने मह में अांदर-बाहर कर रही थी.रानी का छोटा सा मह जग्गा के पवशालकाय
लॉड की वजह से परा खल
ु गया था. वो हौले-हौले अपने हाथों से लांड मदु ठयाते भी जा रही थी. होठ और
जीभ की गरमाहट और सप
ु ाडे के छे द पर होती गद
ु गद
ु ी जग्गा को पागल बना रही थी.रानी को लांड चसने
में ट्लीन दे ख रां गा उसके चची चसने में लग गया. जग्गा का चेहरा गरम लोहे जैसा तमतमाया हुआ था
और ५-७ समतनट बाद जब उसे महसस हुआ की वो झड़ने वाला है तो नशे में भरे आवाज़ में बोला –
गडु ड़या रानी, तम्
ु हे पजा का प्रसाद समलने वाला है . डरना मत जो भी समले बबना बबा़द ककए परा सेवन
कर लेना. समझी रानी को माला की बात याद आ गयी. मह में लांड भरे होने की वजह से उसने सस़ि़
इकरार में सर दहला ददया.तब जग्गा ने रानी के हाथ अपने लांड से च्छुडवाए और अपने हाथों से उसका
सर पीछे से थाम सलया और खद
ु ही अपने कमर को आगे-पीछे करने लगा. ३० सेकेंड बाद उसके कमर में
एक थररतराहट हुई और उसने अपना लांड ५-६“ रानी के मह में धकेल ददया. अचानक गरमा गरम लावे
जैसा कोई पदाथ़ रानी के गले में पपचकारी की तरह पड़ा. फव्वारे की धार बहुत तेज थी. रानी का गला
चोक होने लगा और ग....गओ.गओ की आवाज़ आने लगी. साथ ही प्रेशर की वजह से उसके आुँखों से
आुँस तनकल पड़े. उसने अपना सर पीछे खीचने की कोसशश की पर जगा के हाथों ने उसे जकड़े रखा.
१...२....३...४...५...६..७..८.....९..... जाने ककतने फव्वारे एक-के बाद एक छटने लगे. करीब ३० सेकेंड्स बाद
जग्गा का वीया़ तनकलना बद
ुँ हुआ. रानी गतगत जग्गा के वीया़ को पीते जा रही थी ताकक चोक ना हो.
अपना लांड परी तरह झाड़ने के बाद जग्गा ने बाहर तनकाला तो दे खा की रानी के लाल सलपजस्टक उसके
लांड पे कई जगह तनशान छ्चोड़ चुका था.लांड तनकलते ही रानी ने राहत की साुँस ली. आुँसओ
ु ां से भरा
उसका चेहरा जजसमे काली काजल समकस थी, बहुत ही खबसरत लग रहा था.रानी के होठों पे अभी भी
कुछ गाढ़ी मलाई रह गयी थी जो उसने अपनी उां गली में लपेटकर दे खने लगी. कया यही वो तेज पणा़
प्रसाद है ककतना गरम था करीब १ ग्लास तो होगा हीयही सोचते हुए उसने वो उां गली मह में डाली और
जीभ से टे स्ट करने लगी. इतना बरु ा भी नही है यही सोचते हुए उसे चाट गयी.रां गा जो अब तक जग्गा
को दे ख मज़े ले रहा था, अब खुद भी सेकस में बौरा गया था.जग्गा का लांड अब थोड़ा नरम पड़ गया था
पर उसे मालम था की कफर से १० समतनट में ये उतना ही वीया़ तनकाल सकता है जजतना अभी तनकाला.
मांद पड़ने पर भी जग्गा का लांड ६-७” लांबा लग रहा था.अब रां गा की बारी थी. उसने खड़े होकर अपनी
लुँ गी उतार दी. रानी ने दे खा की उसके और जग्गा के लांड में कोई असमानता नही थी बस इतना की रां गा
का लांड कोयले के जैसा काला था झाट जग्गा से घानी. जग्गा ने रां गा का स्थान ग्रहण ककया और रानी
के तोतापरी आम जैसे चचचयों से खेलने लगा.रां गा ने अपना फनफनता लांड रानी के मह में डाल ददया
और सप
ु ाडे पर उसकी जीभ की सरसराहट का मज़ा लेने लगा. उसने रानी को अपने हाथों से लांड थामने
से मना ककया और बोला – मेरी चचडड़या, ज़रा जांगल के नीचे जो गोदटयाुँ है उससे खेलो तो गडु ड़या
रानीरानी ने बेखझझक अपने हाथेसलयो से रां गा की गोदटयों को मसालने लगी धीरे -धीरे , रानी, बहुत नाज़ुक
है . आराम से मीांजो ज़रा.रानी हौले-हौले गोदटयाुँ मीसने लगी. इस प्रकिया में रां गा को अतयचधक आनांद आ
रहा था. गोदटयों के मीसने से खद
ु -बा-खद
ु उसके चेहरे पे एक नशीली मस्
ु कान चथरकने लगी. उसने रानी
कर सर पीछे से थाम रखा था. १-२ समतनट में उसका नशा बढ़ने लगा तो उसने अपना लांड रानी के मह
में ५“ धकेल ददया और धकके की रफ़्फतार बढ़ा दी.रानी का कफर से बरु रा हाल होने लगा और उसके गाले
से ग...गओ आवाज़ आने लगी. गाल आुँसओ
ु ां से तर-बतर हो गये.५ समनट बाद रां गा का बाुँध टट गया
और रानी के मह में गरम वीय़ का सैलाब आ गया.इस गमा़हट में युँ लग रहा था जैसे उसका परा
अजस्ततवा बह जाएगा. पर कफर भी अपने दे वताओां में आस्था ने उसे दहम्मत दी और उसने एक बुँद भी
बाहर चगरने ना ददया. आखख़र में उसने जीभ से होठ चाटकर बाकी वीय़ भी ग्रहण कर सलया.सब होने के
बाद दोनो रानी के आज-बाज बैठ गये और प्रशानशा भरे स्वर में बोले – वाह गडु ड़या!! त तो सबसे अच्छी
पज
ु ारीन है . इतना प्रसाद तो शायद ही ककसी भकत को समला होगा. याद रखना जजतना ज़्जयादा प्रसाद
तनकलॉगी और पीयोगी उतना तम्
ु हारा रां ग तनखरे गा, तांदर
ु स्त रहोगी, बाल मजबत रहें गे और चेहरे पे तेज
रहे गा. दोनो रानी के लांड चसने से अती प्रसन्न थे. रां गा बोला – तम
ु ने हमको बहुत प्रसन्न ककया है तो
अब हम तम
ु को इनाम दें गे. उन्होने सोच रखा था की अब वो इस नन्ही कली को फल बना दें गे, पर रानी
ने उन्हे इतना खश
ु कर ददया था की उन्होने सोचा दद़ दे ने के पहले थोड़ा रानी को और मीठा सख
ु दे दे ते
हैं.ये कहते हुए उसने रानी को बबस्तर पर सलटा ददया. अब जग्गा रानी के पावां के तरफ आया और घट
ु नों
से मोडते हुए फैला ददया. इतने में रां गा ने अपने जलते होठ रानी के नरम-नाज़ुक रसीले होठों पे रख
ददए. वो रानी के मह में अपनी जीभ धकेलकर गोल-गोल घम
ु ाने लगा. उसकी ये िीड़ा रानी को अच्छी
लगी और वो भी जवाब में अपनी जीभ से रां गा के जीभ को चाटने लगी.रानी के मह से गल
ु ाब जल और
वीया़ की समली-जुली टे स्ट आ रही थी जो रां गा जी भर कर चस चाट कर पी रहा था. पर इन सब में
रानी को रां गा की घनी मछों की वजह से चेहरे पर गद
ु गद
ु ी भी हो रही थी जो सारे िीड़ा को और
आनांदमयी बना रहा था.जग्गा ने रानी के घाघरा को कमर तक उपर उठा ददया. जाांघों पर ठां डी लहर
महसस कर रानी ने कनखखयों से नीचे दे खा तो पाया की जग्गा उसके अनछुई चत के करीब अपने सर
घस
ु ाए अधलेटा था. इतने में ही जग्गा की गरम लपलपातत जीभ का एहसास उसे अपने चत पर हुआ.
ठां डी कपकपप से उसका परा वजद दहल गया और रां गा के साथ चुांबन िीड़ा थम गयी. रां गा समझ गया
और कफर उसने रानी के लबों से अपने होठ हटा ददए ताकक रानी अपनी चत के साथ होते कलापों को
दे ख सके. अब उसने उसके गद़ न, कान के लाओां, और वाकस पर चमना-चाटना शरू
ु कर ददया.इधर जग्गा
ने पहले चुांबन के बाद रानी की चत को गौर से तनहारा जो ककसी नवजात बच्चे के होठों जैसी गल
ु ाबी
और फलों की पांखुड़ी जैसी नाज़ुक ददख रही थी. कुँु वारी होने की वजह से रानी की चत का दाना (पेशाब
की नली) भी नही ददखता था. झाट बब्कुल नाम मात्र की. जग्गा ने हौले से दोनो हाथ के अांगठे से रानी
की चत के फाकों को ह्का सा फैलाया तो दाना ददखने लगा. कफर उसने अपनी लार टपका कर जीभ
उस दाने पर रख कर चुभलने लगा.रानी के परे बदन में एक तररतराहट हुई और उसके रोंगटे खड़े हो
गये.१-२ समनट के बाद जग्गा ने रानी की गहराई नापने की सोची और अपने दाये हाथ की समड्ल उां गली
में लार लगाई और कफर से फाकों को फैलाते हुए चत के द्वार पर रखा और धीरे से अांदर घस
ु ाने
लगा.अचानक इस िीड़ा से रानी को दद़ का आभास हुआ और वो ह्की सी चीकख पड़ी. जग्गा समझ
गया शायद उसने रानी की खझ्ली टच कर दी है . उसकी उां गली मजु स्कल से २-३“ अांदर ही घस
ु ी होगी.
उसने रानी की सील लांड से ही तोड़ने का सोच कर उां गली बाहर तनकाल ली और थोड़ा और थक लगाकर
२“ पेलने लगा.रानी को अती आनांद आ रहा था. वो कमससन जवानी आने वाले दद़ नाक पलों से अांजान ये
सोचकर आांदोसलत थी की कया यही आनांद का चरम है या अभी और भी कुछ बाकी है .जग्गा का चत
चसना और रां गा के चसने-चाटने से रानी का चेहरा और छाती तो लाल हो ही गया था पर कचौरी जैसी
फली चत भी सनसना गयी थी.जग्गा कभी उसके दाने को जीभ से चाट रहा था तो कभी चत में जीभ
डालकर आग लगा रहा था. उां गसलयों के पेलने से तो मानो अांदर तफान सा आ रहा था.१० समनट में रानी
को लगा उसके बदन की सारी एनजी उसकी चत में आ गयी है और एक बाढ़ (फ्लड) बनकर बाहर
तनकल जाना चाहती है .इस अनभ
ु व से अांजान उसके बदन ने एक झटका सलया और सचमच
ु सारे बाुँध
तोड़ ददए. जग्गा को रानी के गीलेपन का अहसास अपनी उां गसलयों पर हुआ. अपना सारा रस तनकालने के
बाद रानी बेड पर तनढाल पड़ी रही. करीब ५ समनट रां गा-जग्गा ने भी उसे डडस्टब़ नही ककया और उस
बीच रां गा ने बाहर से कुछ बटी लाकर बेड के बाज मैं मेज पर रख दी.अभी तक आपने पढ़ा था कैसे रां गा
और जग्गा कमससन कली रानी को उठा लाए थे ओर ककस तरह उन्होने मासम रानी को शादी के सपने
ददखाकर झठ मठ की शादी करके उसके यौवन का रस पान करने के सलए बेताब हो रहे थे मस्ती और
थकान से तनढाल रानी ५ समनट बाद उठके बैठी तो दे खा उसका घाांघरा कमर तक उठा हुआ था और
बदन पर गहनों को छ्चोड़ कुछ भी नही था. अपनी इस अवस्था को भाप रानी शरम से लाल हो गयी
और घान्घरे को नीचे तक सरका अपनी चचचयों को हाथों से ढक सलया.ये दे ख रां गा हुँसते हुए बोला –
अभी भी शरमावत है गडु ड़या रानी अब तो बस आखरी काम बाकी है – तम
ु को परा जवान करने का काम
ये कहते हुए दोनो बबस्तर पे आ गये और रानी के हाथों को छाती पर से हटके उसे सलटा ददया.जग्गा ने
कफर से रानी के पैर घट
ु नो से मॉड्कर अपने घट
ु नों के बल चलता हुआ जाांगों के बीच आ गया. रानी ने
उसे ऐसा करता दे ख आने वाले ख़तरे को भापके सहम गयी. माला की ससखाई हुई बातें उसे कफर याद
आने लगी और वो जग्गा के मोटे -लांबे लांड को भयभीत नज़रों से दे खते हुए सोचने लगी की ये तो उसके
कलाई जजतना मोटा है कैसे उसके नन्ही सी चत में समा पाएगा इन्ही ख़यालों में खोई हुई थी जब जग्गा
ने डब्बी से वॅसलीन तनकाला और अपने लांड पे ढे र सारा लगा सलया और अपने दाए हाथ से लांड पकड़कर
सपड़ा रानी के चत पर रखके सहलाने लगा.रानी डारी हुई थी पर इस घऱ्ण से वो कफर से मस्त हो गयी.
जग्गा ने दसरे हाथ की दो उां गसलयों से चत के फाकों को फैलाया और सपड़ा ह्के दबाव से उसके चत में
½ “ घस
ु ा ददया. रानी को अभी कुछ ख़ास एहसास नही हुआ.रां गा ने रानी के सर के तरफ से आकर जग्गा
की तरफ फेस कर अपना लांड रानी के मह में घस
ु ेड ददया. इतने में लांड तनशाने पे रख जग्गा ने १“ और
घस
ु ेड ददया. इस बार रानी को गहरे दद़ का आभास हुआ पर मह लांड से भरा होने से घदु ट-घदु ट चीख
तनकली. जग्गा ने उतने पे ही रक कर १ १/२ “ लांड हौले-हौले पेलने लगा. रानी का दद़ कुछ कम हुआ ही
था की २ समनट बाद उसने एक करारा झटका ददया और लांड सारी अड़चने पार करता हुआ ५” अांदर समा
गया. ़िचक की आवाज़ के साथ रानी की चत ने खन का कु्ला ककया और लांड के साइड से रीसने
लगा. खझ्ली फॅट ते ही रानी की घदु ट चीख कफर तनकली. तभी रां गा ने लांड मह से तनकाल सलया और
रानी की दद़ भरी चीखें उस कमरे में गज
ां ने लगी.तनका…..काल लीजजए प्लीईईईईईसए हम मर जाएुँगे
आ.आ.आ…………….आ.आआआ. फॅट गया मेरा बर.............प्लीईईईईईसए. रो-रोकर रानी का बरु ा हाल था
और दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था. जग्गा बोला – रोवे से कोई फाय्ह्दा नही है गडु ड़या, ई तो होना ही
था. ५ समनट में सब ठीक हो जाएगा और तम
ु को आनांद आएगा.रानी बकरी जैसी समसमयाते हुए बोली –
हम मर जाएुँगे. प्लीज़ तनकाल लीजजए. जग्गा ने उसकी बात अनसन
ु ी कर रानी की दोनो जांघें अपने हाथ
से थामकर लांड ४” बाहर तनकाला और हौले-हौले ५” तक पेलता रहा. रानी दद़ से बबलबबला रही थी और
मह से ऐसी आवाज़ें आ रही थी जैसे बकरे के गदे न पर कसाई के चाक के रे तने पर तनकलती है .२ समनट
बाद जग्गा के ह्के धककों से रानी थोडा सामानया हुई पर दद़ अभी भी था. रां गा अभी भी रका हुआ था.
तब जग्गा एक सेकेंड के सलए ठीठका और कफर एक और जोरदार धकका ददया. रानी की आुँखें बाहर की
तरफ उबल पड़ी. उसका मह खल
ु ा का खल
ु ा रह गया पर आवाज़ ना तनकल पाई.इस बार करीब ९” अांदर
पैठ चक
ु ा था जग्गा का लांड. रानी के खल
ु े मुँह
ु में झट से रां गा ने अपना लांड घस
ु ा ददया. अब रानी सस़ि़
अांदर से दद़ महसस कर रोती जा रही थी. ५ सेकेंड के पॉज़ के बाद जग्गा ने धीरे -धीरे ९“ पेलने लगा.
रानी को ऐसा लग रहा था जैसे कोई उसे पैरों के बीच से दो टुकड़ों में काट रहा हो. रां गा के टटटे रानी के
नाक पर चोट कर रहे थे जजससे उसे साुँस लेने में भी तकली़ि हो रही थी. पर शायद उसके दे वता यही
चाहते थे.५ समनट धीरे पेलने के बाद जग्गा ने महसस ककया की रानी का रोना अब गरम आहों में बदल
गया था. तब उसने पेलने की रफ़्फतार बढ़ा दी और उसका खन से रां गा लांड रानी के घायल चत में रे ल
केइांजन के पपस्टन जैसे अांदर-बाहर करने लगा.गहरा दद़ अब ह्का मीठा सा लगने लगा था रानी को
परजब भी जग्गा का लांड १०” अांदर जाकर उसके गभ़ तक चोट करता तो रानी का बदन झटके लेता
था.रानी ने अब अपनी टाुँगें जग्गा के कमर पर लपेटने की कोसशश की जो उसके पवशालकाय जजस्म को
लपेट भी नही पा रही थी.कुछ ही समय में रानी ने अपनी कमर उचकाके जग्गा के धककों का साथ दे ने
लगी.परे कमरा मैं रानी के पायल की छमछमाहट भर गयी थी. रां गा-जग्गा-रानी की गरम साुँसें और चत
पे पड़ रहे लांड की थपथपाहट से रूम गुँज उठा.उन दोनो साांड जैसे पवशालकाय दानवों के बीच में रानी
जैसे ४.५’ की नन्ही-मन्
ु नी गडु ड़या पीसती जा रही थी. दर से कोई दे खे तो रानी की जग्गा के जाांगों के
मक़
ु ाबले नन्ही टाुँगें ही नज़र आ रही थी. मह तो रां गा के लांड से ढका था और बाकी परा जजस्म जग्गा
से.जग्गा अब रानी पर थोडा झुक गया और उसकी घड
ुां ीयों को मस्ने लगा. रानी का मीठा दद़ और बढ़
गया और उसे कफर से एक बाुँध के टटने का एहसास हुआ. यही समय था जब जग्गा ने अपनी रफ़्फतार
बढ़ा दी और कफर एक झटके साथ अपनी कमर रानी की चत पर चचपकाते हुए अांदर एक लांबी वीया़ की
पपचकारी छ्चोड़ी जो रानी के गभ़ को गरम कर गयी.रानी छटपटा उठी. इतने में रां गा ने भी अपना वीय़
का फव्वारा रानी के गले में छ्चोड़ ददया.१-१ ग्लास वीय़ अपने दोनो च्छे दों से पीने के बाद रानी थक कर
चर हो गयी थी. जग्गा ने यककीन कर सलया की सारा वीय़ गभ़ में समा गया है तो २-३ समनट बाद
अपना लांड चत से तनकाल सलया. ‘प्लप्ु प’ की आवाज़ क साथ उसका खन से सना लांड बाहर तनकल
गया.लांड तनकला तो रानी की फलती-पपचकतत चत के दश़न हुए जो १” खल
ु ी हुई ददख रही थी. आस पास
खन जम गया था जो जाांघों तक रीस कर भी आ गया था. रानी तो ऐसा लग रहा था बेहोश हो चक
ु ी हो
पर तभी रां गा ने वो बटी रानी को सुँघाई तो सपकपाते हुए उठ बैठी. अपनी चत को तनहारते हुए उसने
बब्कुल माससमयत से बोला – आखख़र फॅट ही गया ना मेरा योतन पर ठीक है अब बार बार तो नही
फटे गा नातभी उसे एहसास हुआ की होठों के साइड से वीय़ की एक धार नीचे चगर रही है तो उसने झट
से उसे उां गली में लपेट चाट सलया.नही फटे गा गडु ड़या रानी, अब तो तम
ु को हमेशा स्वग़ का आनांद आएगा
– रां गा बोला. जग्गा ने रानी के चन
ु री से अपने लांड को सॉफ ककया कफर रानी के खन से सने चत और
जाांघों को साफ ककया. दो बार ह्का होकर वो भी कफलहाल थक गये थे. रानी को बीच में सल
ु ा दोनो
उसके आज-बाज नगनवस्था में सो गये. करीब ३-४ बजे सब
ु ह की बात होगी जब रानी ने अलसाते हुए
एक मादक अांगड़ाई ली जैसे ही बेड से उठना चाहा, छाती पे एक दबाव की वजह से कफर से बेड पर चगर
गयी. ठीक से आुँखें कोला तो दे खा रां गा जो उसके दाए साइड था मह दसरी तरफ करवट कर सोया हुआ
था और जग्गा जो उसकी तरफ करवट ककए था, उसका लेफ्ट हाथ रानी के सीने पे था और लेफ्ट जाुँघ
उसके पैरों पे.रानी को बड़े ज़ोरों से सस लगी थी और उसकी कमर टट रही थी. लांबी चद
ु ाई से उसका चत
का रे शा-रे शा ढीला हो गया था. उसने जग्गा के हाथ को तो उठा कर साइड कर ददया पर उसकी जाुँघ
बेहद भारी थी. अब वो उठ बैठी थी और ककसी तरह जाुँघ उठाने का प्रयास कर रही थी. इस चहल-पहल
में जग्गा की नीांद भी उचट गयी और वो आुँखें मीचता हुआ उठ बैठा.रानी की ठुड्डी पे हाथ रख पच
ु कारते
हुए उसने पछा – का बात है गडु ड़या रानी, का हो गया आधी रात को रानी ने अ्साते हुए भोलेपन से
बोली – नीचे बहुत दख
ु रहा है और जल भी रहा है . उसपे से बहुत ज़ोर से पेसाब आया है . उसके भोलेपन
पर जग्गा मस्
ु कुराया और अपने पैर हटाके बोला – जाओ बतछया जाओ! जाओ जाके मत आओ. रानी बेड
से उठी तो एक बार को लड़खड़ा गयी कयक
ां ी उसकी थॅकी टाुँग और बहाल कमर ने जवाब दे ददया. जैसे
तैसे करती वो दरवाजे तक पहुुँची तो बाहर दे खा का़िी अांधेरा था.वो का़िी डर गयी. उसने धीरे से
समन्नत भरे स्वर में आवाज़ दी – आए जी सन
ु ते हैं??ज़रा हुमको गस
ु लखाने तक राह ददखा दीजीएना, यहाुँ
बहुत अांधेरा है !जग्गा मस्
ु कुराते हुए उठा और बरामदे की लाइट ऑन कर रानी को गोद में उठा सलया और
गस
ु लखाने तक ले आया.उनका टाय्ह्लेट-कम-बाथ था जो का़िी बड़ा था. बाथ टब भी था.अांदर घस
ु कर
उसने रानी को उतारा और बोला – मत ले गडु ड़या!रानी को ज़ोर की लगी थी पर जग्गा की उपजस्थतत से
वो मतने में शमा़ रही थी. वो समन्नांत भरी तनगाहों से बोली – आप बाहर तो जाइएना! जग्गा हां स पड़ा
और बोला – चुड़वे के बाद भी शमा़ रही है ? चल मत हमारे सामने कफर हमको भी मतना है !मजबरी में
रानी ने अपना घाांघरा दोनो हाथों से कमर तक उठाया और कॅमोड़ की तरफ बढ़ गयी. पर गाओां की उस
नादान अनपढ़ लड़की को समझ नही आ रहा था की वो इस बकेट जैसी चीज़ में मतेचग कैसे.जग्गा
उसकी पशोपेश को समझ गया और बोला – उसपे बैठ जाओ और मतो.बैठने से जाने रानी ने कया
समझा, वो कमोड़ की सीट पर अपनी दोनो पैर रखकर बैठ गयी और मतने लगी. ऐसा करने से उसकी
लाल चद
ु ी हुई बर के दशा़नजगगा को हो गये और उसका लांड कफर टनटना गया. रानी ने अपने पेसाब
की सन
ु ेहरी धार तनकालनी चाल की तो उसकी जलती चत उस गमा़हट से और जलने लगी और वो
सीसीया के रह गयी.जग्गा हमददी ददखाते हुए बोला – बहुत दरद हो रहा है हमारी रानी रानी जो अब
खाली हो चक
ु ी थी बोली – जल रहा है बहुत और दरद भी हो रहा है .ये कहके वो कमोड़ से उतरने लगी
तो जग्गा ज्दी से बोला – अरे अरे बैठे रहो! हम अभी एक दवाई लगा दे ते है जलन दर हो जाएगा.ये
कहके वो पास आया और अपने लपलपाते लांड का तनशाना रानी की चद
ु ासी चत की तरफ कर के अपने
पेसाब की सन
ु ेहरी धार परे ज़ोर से तनकाल ददया.उसकी मत की धार सीधे रानी की चत पे टकराई तो
रानी सीसीया उठी. पर ३-४ सेकेंड में ही उसकी चत पर बड़ी राहत महसस हुई. जग्गा के ब्लॅ डर में तो
मानो परा सागर समाया हुआ था. करीब 1 समनट तक वो रानी की चत पर मत ता रहा.रानी को सचमच
ु
अब का़िी अच्छा लग रहा था. वो चहकते हुए बोली – अरे वा ई तो बहुत अच्छा दवाई है . रोज
लगाइएएगा मेरी योतन पे. एकद्ूम ठीक हो जाएगा.जग्गा उसके भोलेपन पर मस्
ु कुरा ददया और रानी के
होठ पे अपने होठ रख चसने लगा और उसे गोद में उठा कर रूम में आ गया.बेड पे लेटते ही रानी रां गा
के तरफ करवट कर लेट गयी और सोने का प्रयास करने लगी.जग्गा, जजसका ह्का होने के बाद लांड कफर
से तन गया था, उसकी आुँखों से नीांद कोसों दर थी.वो भी रानी के तरफ करवटसे हो गया और उसे अपने
करीब खीच कर उसकी नांगी पीठ अपनी छाती से चचपका ददया.जग्गा ने जो ट्रीटमें ट ददया था उसकी
वजह से रानी को भी उसपर बहुत प्यार आ रहा था. और कफर वो भी ह्का होने के बाद रूम की ए/सी
की ठां डक महसस करने लगी थी इससलए जग्गा के गरम बदन का स्पश़ उसे अच्छा लगा.वो और भी
जग्गा से चचपेट गयी.जग्गा ने अपना लेफ्ट हाथ रानी के उपर से ले जाकर उसके चची पे रख ददया और
ह्के-ह्के घड
ुां ी को मीसने लगा. रानी के आुँखों में लाल डोरे तैरने लगे और उसकी आुँखें अपने आप ही
बुँद होने लगी. मीठी गद
ु गद
ु ी कफर से उसके परु बदन में दौड़ने लगी. उसने अपने लेफ्ट हाथ को जग्गा के
हथेली पर रखा और प्यार से सहलाने लगी.जग्गा के सलए तो बस इतना इशारा ही का़िी था. उसने
अपना लेफ्ट हाट हटाया और दसरे हाथ को रानी के गदे न के नीचे से ले जाते हुए रानी के चचचयों पे रख
ददया और सेम खेल खेलने लगा.हालाकी रानी को समझा नही की जग्गा ने ऐसा कयुँ ककया पर उसे
अच्छा लग रहा था की ऐसे पकड़ने से उनके जजस्म परी तरह से एक-आकार हो गये थे. अब वो जग्गा
के राइट कांधे पर सर रख कर मज़े ले रही थी.जग्गा ने अपने फ्री लेफ्ट हाथ को रानी के जाांघों पे रखा
और घाांघरा खखसकाते हुए कमर तक ले आया. तभी रानी को अपनी गाांद पर जग्गा का गरम सरसराते
लांड का एहसास हुआ तो वो समझ गयी की जग्गा ने अपनी अवस्था कयुँ बदली थी.पर वो श्योर नही थी
की वो जग्गा के लांड को कफर से झेल पाएगी या नही इससलए वो सवासलए स्वर में पछी – आए जी
सतु नएना! कफर से कीजजएगा कयाजग्गा उसके कान में फुसफुसाते हुए बोला – डरो मत, अब तम
ु को दरद
नही होगा. जो होना था वो तो हो गया है . अब तो खाली मज़ा आएगा. रानी सहम्ते हुए बोली – दे ख
लीजजए, आप ही का गडु ड़या हैं, कहीां कुछ हो गया तो आपलोग का सेवा नही कर पाएुँगे! जग्गा ने श्योर
करते हुए कहा – कुछ नही होगा, अब तो तम
ु दो-दो लांड लेने के सलए तैयार हो चक
ु ी हो मेरी रानी! एक
चत में और एक गाांद में . रानी ने उसकी धत़ बातें सन
ु कर ‘धात’ कहके शमा़ गयी.जग्गा ने अपनी बीच
की उां गली पर ढे र सारा थक लगाया और पीछे से रानी के चत पर कफराते हुए आधा अांदर घस
ु ा के पेलने
लगा. कफर से चत में कुछ महसस कर पहले तो रानी को ह्का सा दद़ हुआ पर कफर मज़ा आने लगा.
अब उसे माला और जग्गा की बात सही लग रही थी की ‘पहली बार सज़ा, बाद में कफर मज़ा’. ५ समनट में
रानी की चत गीली हो गयी और वो उखड़ी साुँसों से सीसीयाने लगी. अया ............. धीरे
कीजीएना...........अच्छा लग रहा है ...........हाआआअन हाां.....और थोडा अांदर
डासलएना.........आआआआआआः.............सीईईई...........सीईईईईईईईईईईईईई......सी....सी. जग्गा ने महसस
ककया की रानी के चची और घड
ांु ी टाइट हो गये थे तो उसने सही वक़्त जान अपने लांड को चत के मह
ु ाने
पर लाया और ह्के से एक दबाव से ३” अांदर घस
ु ा ददया. ह्के दद़ से रानी के मह से एक ह्की ‘आह’
तनकली और वो आगे की तरफ सरकी पर जग्गा ने उसे थामे रखा. उसने रानी के दोनो पैर घट
ु नो से
मॉड्कर छाती तक उपर उठा ददया था जजससे चोदने में आसानी हो रही थी. उसने रानी को अब युँ जाकड़
रखा था जैसे वो रब्बर की एक गडु ड़या हो और रई की तरह ह्की. सक-सक करता हुआ वो रानी के चत
की गहराई अपने लांड से मापता जा रहा था.८” तक पेलने के बाद रानी को थोड़ा दद़ हुआ तो वो उसके
गद़ न और कान की लाओां पर चमने-चाटने लगा. रानी झट से मस्ता गयी और धीरे -धीरे अपनी कमर को
जग्गा के धककों के साथ मेल करती हुई आगे-पीछे करने लगी. उसकी आुँखें बुँद थी और उसे लग रहा
था की वो सातवे आसमान में उड़ रही हो. चेहरे पर मस्ती से मस्
ु कुराहट छाइ हुई थी और लबों से कुछ
भी आांट-शॅंट तनकल रहा था.... हाआन.........ऐसे ही उड़ना है हमको..........एकदम हलका लग रहा
है ..................बहुत बादल है यहाुँ.................अहह........माआआअ..........ज़ोर उड़ाएना हमको............जग्गा
उसकी भोली बद
ु बद
ु ाहट सन
ु कर और मस्त हो गया और उसने एक हाथ से रानी की चचचयों को कस्के
जकड़ा और दसरे से उसकी मड़
ु े पैरो को उठा सलया और धकके की रफ़्फतार बढ़ा दी. अब उसका परा १०”
रानी के गभ़ पर दस्तक कर रहा था. च्चप्प्प्प्प..........ठप्प्प्प....ठप्प्प्प्पप्प्प.........सट-सटासट आवाज़ के
साथ पपस्टन गाड़ी की रफ़्फतार बढ़ाए जा रही था. इसके साथ रानी के पायल की चमचमाहट भी माहौल में
रां ग भर रही थी. १० समनट में रानी के बदन ने २ बार झटके लेकर ये सचचत कर ददया था की उसके
खेत में बाढ़ आ गयी थी. पर जग्गा तो १५ समनट तक अपने २” मोटे लांड से रानी की गल
ु ाबी चत को
पेलता रहा और कफर अपने कमर को एक करारा झटका दे कर रानी की गाांद पर दबा ददया और रानी के
बगीचे में पानी से सीचाई कर दी. ये पानी खाद का काम कर एक ददन मोहक फलों को जनम
दें गे.गरमागरम वीय़ की धार गभ़ में महसस करते ही रानी के मुँह
ु से एक ठां डी आआआआअहह तनकल
गयी.और ५ समनट तक ये तस्ली होने पर की सारा वीया़ रानी की कयारी में जब्त हो गया है तो जग्गा
ने धीरे से अपना लांड नहर से तनकाल सलया.इस चद
ु ाई से रानी को बहुत आनांद आया था. पहले अनभ
ु व
के बाद उसने सोचा भी नही था की ये िीड़ा इतना सख
ु दे गी.उसे जग्गा पर बहुत प्यार आया और वो
उसकी तरफ करवट कर खद
ु से उसके होठों को चमने लगी. जग्गा ने उसे अपने बाहों में भर कर अपनी
छाती से चचपका सलया और उसे प्रगाढ़ चुांबन लेने लगा. रानी की लार जी भर पीने एके बाद उसने रानी
को अलग ककया. कफर रानी ने जग्गा के पवशाल छाती में अपना सर च्छुपाया और अपनी एक जाुँघ उसके
उपर रख नन्ही गडु ड़या जैसे ससकुड़कर सो गयी.सब
ु ह करीब ९ बजे रां गा-जग्गा की नीांद खल
ु गयी. रानी
अभी भी सो रही थी. उसके दोनो पैर वी-शेप में फैले हुए थे और एक हाथ सर के उपर और दसरा बॉडी
के साइड में . परी बेकफिी से सो रही थी वो. उसके चेहरे की माससमयत और द्
ु हन जैसा सज़ा-धज़ा बदन
दे ख दोनो सोचने लगे की अच्छा हुआ जो इसने उनके बहकावे में आकर अपना सब-कुच्छ लट
ु ाने को
तैयार हो गयी नही तो उन्हे भी रानी का रे प करना पसांद नही आता.रां गा ने एक १०“ के हाइट और ३
फीट चौड़ाई वाले टब में ढे र सारा रूम डालकर रख ददया और रानी के उठने का इांतज़
े ार करने लगा.करीब
१० बजे रानी की नीांद उचट गयी और वो पलांग पर उठ बैठी. अपनी नगनवस्था पर उसके गाल लाल हो
गये और वो झॅट से अपनी चोली पहन ली और घाांघरा नीचे सरकाते हुई बेड से उतरी. चत और कमर तो
अभी भी टट रहा था इससलए वो थोड़ा लड़खड़ा गयी. खद
ु को सांभालते हुए वो नीचे रसोई में आ गयी.
दोनो उसे कहीां नज़र नही आ रहे थे. इतने में रां गा उसे बाथरूम से तनकलता नज़र आया तो उसकी तरफ
लपकी और सर पे प्ल लेते हुए झक
ु कर उसके पैर छ सलए.रां गा ने उसे आशीवा़द दे ते हुए बोला –
गडु ड़या! रात ठीक से नीांद आया रहे की ना? हमरे सोने के बाद कुच्छ आवाज़ हो रहा था और पलांग दहल
भी रहा था. वो मस्
ु कुराते हुए बोला.उसे मालम था की जग्गा ने रात में दसरी पारी खेली थी.उसके इस
सवाल पे रानी झहे प गयी और लजा कर मह फेर कर ककचन में आ गयी. रां गा उसके पीछे आया और
बोला – नही बताना चाहती तो ना बताओ, पर ई तो बताओ की हमरे प्रसाद का कब भोग करोगी बाकी
जगह.चुहलबाज़ी करते हुए रां गा ने रानी के कमर पर चुटकी काटी.रानी को जग्गा के लांड का अपनी चत
पर हुए िर प्रहार याद आ गये और उससे पैदा होने वाली मस्ती की सोच वो मस्ता गयी.वो रसोई के
बरनर वाले प्लॅ टफॉम़ से सट के खड़ी थी और उसकी पीठ रां गा की तरफ थी.रां गा ने इस बार तनरततरर
रानी के घान्घरे में हाथ डालके उसकी चत पकड़ ली.उसकी इस उनपरतयासशत हरकत से रानी सपकपा
गयी और उसके तरफ मह करके रां गा के छाती में सर छुपा के उसके बदन से सलपट गयी.रां गा अब अपने
दोनो हाथ रानी के तनतांबों पर सरसरने लगा और एक हाथेसल से उसकी चत कफर से दबाकर पछा –
बोलोना गडु ड़या रानी, ई भगवान को भोग कब चढ़ाओगी और प्रसाद कब ग्रहण करोगी ये कहके उसने
लेफ्ट हाथ से रानी का च्चेहरा उठाया तो दे खा की उसके गाल लाल हो गये हैं. शरम से उसने आुँखें बांद
कर रखी थी.रानी धीरे से शरमाते हुए बोली – आप ही की तो गडु ड़या हैं! जैसे चाहे खेल लीजजए!वो रां गा
की छाती तक भी परा नही पहुचती थी.रां गा ने अपना सर झुका कर रानी के जलते होठों पे अपने होठ
रख ददए और अपनी जीभ अांदर घस
ु ाके रानी का लार पीने लगा.रानी को जैसे मालम था की ऐसा होने
वाला है , शायद इससलए उसने अपने आधार खोल ददए थे ताकक रां गा परी तरह उस कली का रस-पान कर
सके.रानी के मह से अभी भी गल
ु ाब की ह्की खश्ु ब आ रही थी. पर टे स्ट उनके वीय़ और शहद का
समकस आ रहा था.रानी को अपने नांगे पेट पर रां गा के साप का एहसास हो रहा था जो इस वक़्त लुँ गी में
था.रां गा ने २ समनट तक तन्मयता से रानी का रस पीया और उससे अलग हट के बोला – बहुत रसीली है
हम. लग
ु ाई. पर हमारे में भी रस कम थोड़ी है .अच्छा सन
ु ो, जग्गा बाहर गया है शाम तक लौटे गा. नाश्ता
टे बल पे रखा है . पहले नहा-धो लो कफर खा लेना. आज तम
ु को कोई काम करने की ज़रूरत नही है .ये
सन
ु कर रानी को अच्छा लगा की रसोई से तो कमसे कम छुट्टी है .वो बाथरूम में आई और ब्रश से मह
धोने लगी.रां गा उसके पीछे -पीछे आया और इशारे से टब ददखाते हुए बोला – मेरी चचडड़या, सन
ु ो, ये टब में
दवाई है जजसमे नांगा होके २० समनट बैठ लेना और चत के अांदर बाहर अच्छे से मल लेना. इससे तम्
ु हारा
दरद और थकान दर हो जाएगा. और जब हो जाए तो हुमको बल
ु ा लेना.रानी ज़मीन में नज़रें गड़ाई हुई
“हाां” में सर दहला ददया.रां गा जानता था की चत को रसदार और टाइट बनाए रखने के सलए ये ज़रूरी
है .आधे घांटे बाद रानी बाथरूम से चत धोकर और नाहकार एक टवल लपेटा और दरवाज़ा खोलकर रां गा
को आवाज़ दी – आए जी, सन
ु ते हो? हमारा हो गया है .रां गा झट से वहाुँ पहुुँचा और अांदर घस
ु कर दरवाज़ा
बांद कर सलया.उसने अपनी लुँ गी तनकाल ली और बोला – सन
ु ो बतछया! अब हम तम्
ु हारा दसरा द्वार
खोलेंगे और पजा करें गे.रानी पलके झहापकती हुई असमांजस से उसे दे खती रही.रां गा ने बाथरूम के एक
छ्होटे आज्मरा में से एक तरल पदाथ़ की बॉटल तनकाली और बोला – ई 2 चम्मच पीने से तम्
ु हारा दसरा
दरवाज़ा खल
ु जाएगा और कफर हम अपने लांड से वहाुँ पजा करें गे. इससे तम्
ु हारा परा पेट सॉफ हो जाएगा
और मलद्वार यानी गाांद का छे द अ भी.समझी!! पजा करने के पहले पजा स्थान साफ तो करना होगा
नारानी उसके बातों का मतलब समझ अांदर से थरतरा़ गयी. पर उसने तो अब अपना तन-मांन सब उनको
समपप़त कर ददया था तो परे आस्था के साथ बोली - हमको तो भगवान के मतत़ पजने से ज़्जयादा प्रताप
आपको पज के समलेगा. अब तो आप ही मेरे मांददर हैं और हम आपके भकत जजसको अपपका प्रसाद
प्राप्त होता है ! आप जैसी पजा चाहते है वैसे ही होगा.ये सन
ु कर रां गा गदगद हो गया और दो स्पन
सलजकवड रानी को पीला ददया. वो का़िी कड़वी थी इससलए रानी ने मह बनाते हुए पी सलया. करीब १
समनट में ही उसे प्रेशर बब्ट-उप होता हुआ महसस हुआ और वो झट से अपनी टवल उतार कमोड़ पे बैठ
गयी. उसके पेट में दाने का अगर एक भी अांश होगा तो वो परा पानी बनकर बह गया.जब उसका पेट
परा सॉफ हो गया तो रां गा ने प्लाजस्टक पीपे को नल से लगाया और उसके एांड पर एक प्लाजस्टक टोटी
लगाई जो ४” लांबी थी. उसने रानी को बाथ टब का सहारा लेकर झक
ु ने को कहा.रानी के झक
ु ते ही उसका
गोल तनतांब उभर गया जजसमे वो डाक़ ब्राउन गाांद का च्छे द ऐसा लग रहा था मानो चेररी ओन ए
केक.रां गा ने एक हाथ की उां गली पर बेबी आतयल लगाते हुए रानी के च्छे द पर सरु सरु ाने लगा. रानी को
गद
ु गद
ु ी होने लगी. धीरे -धीरे उसने च्छे द के अांदर करीब १“ उां गली घस
ु ा कर पेलने लगा. ऐसा करने से
रानी की गाांद जस्लपरी होती जा रही थी पर उसे दद़ भी हो रहा था.अब उस १“ में रां गा ने टोटी घस
ु ा दी
और नाल ऑन कर ददया. पानी परु प्रेशर के साथ रानी को अपनी गाांद में महसस हुआ. वो ज़ोर से
सीसीया उठी.इसी प्रकार टोटी को धीरे -धीरे रां गा उसकी गाांद में धकेलटा गया. ४” घस
ु ने के बाद रानी को
पानी अपने अांतडडयों तक आता महसस हुआ. हालाकी पानी उसकी गाांद से बाहर भी तनकल जा रहा था
पर कफर भी उसे लग रहा था जैसे उसके अांदर कोई सागर बन रहा हो. जब ३-४ समनट बाद रां गा को
तस्ली हो गया की रानी का मलद्वार परी तरह खाली और कलीन हो गया है तो उसने नल बुँद कर
टोटी उसके गाांद से तनकाल ली. टोटी के तनकलते ही रानी के गाांद का च्छे द 1” साइज़ के ‘ओ’ सा ददख
रहा था. अांदर अांधकार और च्छे द धीरे -धीरे फल-पपच्छक रहा था.थोड़ी दे र में रानी का गाांद सामान्या
अवस्था में आ गयी. अब रां गा ने अपनी लुँ गी उतार दी और बाथ टब में बबल बाथ के सलए उतर गया
और रानी को भी बल
ु ा सलया. टब में रां गा ने रानी को अपनी ओर मह करके जाांघों पर बैठा सलया. रानी
के चतड़ रां गा के लांड के उपर थे और उसके दोनो पैर रां गा के कमर के दोनो तरफ.रानी को रां गा का मोटा
डांडा अपने गाांद के दरारों में महसस हो रहा था की इतने में रां गा के राइट हॅंड की समड्ल उां गली रानी गाांद
पर सरसरने लगी. उसने रानी के होठों पे अपने होठ रख ददए और चमने-चसने लगा. हर पल उसकी
उां गली रानी के च्छे द में आगे की ओर पेलते हुए बढ़ती जा रही थी. पानी साबन
ु से भरा था इससलए
उां गली और गाांद की च्छे द में अच्छा कफ्रक्षन हो रहा था. कभी उां गली के दबाव से रानी को ऐसा लगता की
उसका कलेजा मह को आ रहा है तो रां गा उसकी चची की घड
ांु ीयों को मीस दे ता.५ समनट तक ये खेल
चलता रहा जब तक रां गा का १” चौड़ा और ४” लांबी उां गली परी की परी रानी के च्छे द में समा गयी. खेल
में बदलाओ आया और रां गा ने दसरी उां गली घस
ु ाने का प्रयास ककया. रानी को ऐसा लगा जैसे कोई उसे
दो टुकड़ो में काट रहा हो. उसके मह से ह्की चीख तनकली और उसने समसमयाते हुए गह
ु ार लगाई –
सतु नएना! प्लीज़ कुच्छ और तैल लगा के कीजीएना. बहुत दख़्
ु ता है . लगता है हमरा ददल तनकल के मह
से चगर जाएगा रां गा ने थोड़ा रहम ककया और आतयल की प्लाजस्टक बॉटल को रानी के च्छे द पर रखके
ज़ोर से दबाया जजससे टे ल की पपचकारी तनकली और उसके गाांद में समा गयी. रां गा ने झतट से कफर
अपनी दो उां गली अांदर घस
ु ा दी. तैल की सलसलसाहट से अब दोनो उां गसलयाुँ आराम से पेल रही थी.५
समनट बाद रां गा ने रानी के दोनो तनतांब थाम्के उसे थोड़ा उपर उठाया और उसके च्छे द पर अपना १०”
लांबा लांड का सपड़ा टीका ददया.रानी ने उसे महसस कर आने वाले हमले के सलए खुद को अांदर से तैयार
कर सलया.उसने धीरे से रानी के चतडो को अपने लांड पे दबाया तो रानी उचक कर उपर उठ गयी.अांजानी
नवस
ु़ नेस की वजह से वो हर बार खुद को लांड पर से खीच ले रही थी.३ बार ऐसा होने पर रां गा रानी के
डर को महसस ककया और कफर उसने एक हाथ रानी के इद़ -चगद़ लपेटकर खुद से जच्चपका सलया और
दसरे से अपने लांड को पकड़ कर उसके च्छे द पर रखकर ह्का सा दबा ददया. इस बार सपड़ा अांदर समा
गया. कफ्रक्षन अच्छा होने की वजह से रानी को कुच्छ महसस ना हुआ. दसरी बार रां गा ने रानी को दोनो
बाजुओां से जाकड़ कर ज़ोर से नीचे दबाया और साथ ही अपनी कमर को भी उपर उच्छाल ददया. ऐसा
करते ही ५” लॉडा गफ
ु ा में सरसरता हुआ प्रवेश कर गया. रानी की आुँखें उबल पड़ी. उसके कांठ से एक
दबी-घदु ट चीख तनकल गयी जजसे रां गा ने अपने होठों से दबा ददया. उसके होठ रानी हो बेतहाशा चम-चाट-
चस रहे थे.जब भी रानी के लब आज़ाद होते तो उसकी आहें तनकल जाती. आआआआआआआआआ
आआआआआआआह……………..ओओओओओओओओओओओओओह………बस……..फॅट गआय
ूाआअ…..आआआअननह.रां गा को ये आवाज़ें और उततेजजत कर रही थी. उसने ५” लांड को ही धीरे -धीरे
पेलना चाल कर ददया.दर से दे खने पर ऐसा लग रहा था जैसे उस नन्ही सी जान की गाांद में ककसी लड़के
ने अपना हाथ ही घस
ु ा ददया हो इतना मोटा था रां गा का लांड.२ समनट बाद रां गा ने कफर से रानी को उपर
से पकड़ा और ज़ोर से नीचे की ओर दबा ददया. इस बार तीर सारी रकावट चीरता हुआ १०” रानी की गाांद
में प्रपवटट कर गया आआआआआआआआआआआआआआआआआआ आआआअ
…………….माआआआआआऐययईईईईईईईईईईई……………..बचाई ले हमको………ऊऊऊओ…
.माआआआआआआईयईईईईईईईई……….बस कररए मासलक…………….सब फॅट गया… .आआआआआआआहह.
रानी की दद़ भरी चीखें बांद बाथरूम में गज
ां ने लगी पर भला इस बबयाबान में कौन उस दखु खयारी की सन
ु
ने आता. उसकी चीखें दद़ भरी सससककयों में तब्दील हो गयी और आुँस आुँखों का साथ नही छ्चोड़ पा रहे
थे. सही मायने में गाांद फटना कया होता है ये आज रानी ने जान सलया था. और इस प्रकार के सांभोग में
कोई मज़ा नही होता यह भी उसके समझ में आ गया था. कफर भी वो अपने दे वता की उपासना में कोई
खलल नही डालना चाहती थी इससलए ये िरता झेल रही थी.रां गा ने उसका दद़ कम करने के सलए उसकी
चची मह में भर के चसने-चाटने लगा. इससे कुच्छ समनटों बाद रानी का दद़ थोड़ा कम हुआ और वो
अपनी छाती पर फैली मस्ती का आनांद उठाने लगी.रां गा ने धकके की रफ़्फतार बहा दी.जब उसका लांबा-
मोटा लांड रानी की नन्ही गाांद को चीरता हुआ पेले जा रहा था तो परे बाथरूम में च्चप्प-च्चप्प टब के
पानी की आवाज़ आ रही थी और साथ ही बेसध और मस्तातय रानी के मह से उउउउउउउउउउउउन्न्न्न.
.उउउउउन्न्न्न्नन्न्न्न...........ऊवऊवयवययव
ु यन्न्न की सससकारी. रानी ने इस हमले को झेलने के सलए
रां गा के पीछे टब के ककनारों को अपने दोनो हाथों से मजबती से पकड़ रखा था और अपने गाांद को उसके
धककों से मॅच करते हुए उपर-नीचे कर रही थी. रां गा इस तरह उस अनछुई कमससन कुँु वारी लड़की को
अपने दसरे च्छे द का ऐसे मज़ा लेते दे ख मस्ती से बौरा गया और ९-१० समनट एक लांबी आहह भर
वीरगतत को प्राप्त हो गया.अपना गाढ़ा वीया़ करीब एक मीां तक उसने रानी के गाांद में छ्चोड़ा और रानी
के चेहरे को हथेसलयों में भरके उसके होठ चसने लगा. रानी को अब तक तो ऐसा लग रहा था जैसे
ककसीने उसकी गाांद में जलता हुआ लोहे की छड़ पायबस्त कर दी हो पर वीय़ के छ्छटने पर ऐसा लगा
जैसे वो छड़ गल कर उसकी ही गाांद में बह गया.रां गा का लांड ससकुड़कर ६” का होगआया करीब २ समनट
में . उसने धीरे से रानी के गाांद को अपने लॉड से आज़ाद ककया तो दे खा कुच्छ वीया़ रानी के फलती-
पपचकतत गाांद से बहता हुआ पानी में चगर रहा था. उसने ज्दी से अपनी हथेली को च्छे द के नीचे रख
सारा वीया़ कलेकट ककया और रानी के होठों के करीब लाता हुआ बोला – लो गडु ड़या रानी, अपनी पजा का
प्रसाद रानी ने बबना ककसी दहचककचाहट के अपनी जीभ से रां गा की हथेली चाट ते हुए सारा वीय़ पी
सलया.रां गा ये दे ख कर बहुत प्रसन्न हुआ की रानी एक बहुत ही अच्छी लांड-चसक बनती जा रही थी.दोनो
कफर टब से तनकलकर झरने के नीचे नहाए और टॉवेल लपेटकर बाहर आ गये.रां गा ने रानी को अपने
जाांघों पर बैठाके खाना खखलाया और बबस्तर पे लाकर सलटा ददया.१२ घांटे के अांदर ३ बार रां गा-जग्गा के
मसलों से पस्त रानी को १५ समनट में ही कफर से नीांद आ गयी.दोस्तो इस पाट़ अब य्ह्यहीां बांद कर रहा
हुँ आगे कहानी के साथ कफर समलेंगे लककन बताना मत भलना कहानी कैसी लगीअब तो आपने दे ख ही
सलया है अपनी रानी यानी कलयग
ु की द्रौपदी अपने दोनो छे दों से लांड लेने लग गयी है और मज़े भी लेने
लग गयी है रानी को इतनी गहरी नीांद आई की वो शाम के ६ बजे तक सोती ही रही. जग्गा इसी समय
घर लौटा तो उसके बल
ु ेट की आवाज़ से रानी की नीांद उच्छा. गयी.उसने आज्मराह खोली तो दे खा कई
सारे ड्रेस उसके साइज़ के भरे पड़े थे. यह ड्रेस रां गा-जग्गा ने स्पेशली रानी और उस जैसी और लड़ककयों
के सलए ला कर रखे थे.रानी ने एक नेवी ब्ल कलर का सलवार-सट तनकाल कर पहन सलया और बाहर
आ गयी.ड्रॉतयांग रूम में रां गा-जग्गा कुच्छ बातें कर रहे थे जो उन्होने रानी के आने पर बांद कर दी.जग्गा
ने शरारत से पछा – का रे गडु ड़या इतना दे र सो रही थी? इतना कौन सा थकने वाला काम ककया थारानी
उसके इस सवाल पर झहे प. गयी और गाल शरम से लाल हो गये. उसका सारा बदन टट रहा था और
एक मीठा सा दद़ हो रहा था. . का छे द पर अभी भी दख
ु रहा था. रां गा बोला – अरे कुच्छ नही भाई, हम.
तो बस थोड़ी पजा की और दसरे मांददर की घांटी बजाई! यह सन
ु जग्गा हस्ने लगा और बोला – अकेले-
अकेले पजा कर सलए. हुमको भजन-कीत़न में बैठने का मौका ही नही ददया का रे रानी, ये दसरा वाला
पजा का प्रसाद एक ही भवाुँ. का कयुँ खाया रानी उनकी इस दठठोली से शरम से ज़मीन में गाड़े जा रही
थी.रां गा बोला – जाओ रानी, जाके रसोई में रात का खाना बना लो. पाुँच आदमी का खाना बनाना. कुच्छ
मेहमान आने वाले है .रानी के चेहरे पर ५ लोगों का खाना बनाना सन
ु कर जजग्यासा जाग उठी तो रां गा
बोला – आज हमारे एक परु ाने समत्रा अपनी लग
ु ाई को लेके आ रहा है . उसकी लग
ु ाई आजकल उसकी पजा
नही करती है ना ही उसका प्रसाद ग्रहण करती है . गाओां के मांददर के पज
ु ारी ने कहा की उसे हुमारे पास
ले जाने से हम उसका अच्छा से इलाज करें गे और कट्टर पज
ु ारीन बना दें गे.रानी असमांजस से बोली –
कैसी लग
ु ाई है अपने पतत परमेश्वर का तन-मॅन से पजा अच़ना करना ही तो उसका ़िज़़ है . ई भी नही
करे गी तो उसका जीवन व्यथ़ है .जग्गा ये सन
ु गड़.-गड़ हो गया और बोला – एकदम
ु सही बोली मेरी
गडु ड़या. पर सब तम्र
ु े जैसी आस्तवान नही होती है ना! इससलए आज हम उसका इलाज करें गे. तम
ु भी
हमारे साथ शासमल होके हमारी मदद करना!रानी खुश थी की दोनो उससे इतना प्यार और इज़्जज़त करते
है की १ ही ददन में उसे इतना मान दे रहे है . वाज़ शी राइटबबहार का ये इलाक़ा नॅडलाइट्स के सलए
बहुत बदनाम था. इन्ही का सारगाना था राका. ७ फीट का वो दै तया घानी. धाड़ी और बड़े बालों वाला एक
दानव था. रां गा-जग्गा जैसा ही रां गीन और खब पपयाककड़. २ लीटर रूम तो वो एक ददन में पीटा ही होगा.
आुँखें हमेशा लाल रहती थी.उसका लांड ७-८“ ही होगा पर लॉड की चौड़ाई कम-से-कम ३“. ये जासलम रां गा-
जग्गा जैसा ककसी भी लड़ककयों पर नरम नही था. जजसे भी उठाता उसकी मौत पककी थी. इसका फौलादी
लांड तो रां डडयों के भी चत से खन तनकाल दे ता था.गाओां के सबसे रईस साहकार से उसने कफरौती माुँगी
थी करीब १५ लाख जो ना अदा करने की सरत पे उसकी बेटी बबांददया को उठा लेने की धमकी दी
थी.साहकार अव्वल दजे का लालची था. वैसे भी उसकी दाल अब उस गाओां में नही गालती थी इससलए
वो सहर जाने की सोच रहा था. राका की धमकी से उसकी और भी फॅट गयी और समयाद की तारीख के
पहले वाली रात उसने बोररया-बबस्तर समेत पररवार के साथ भागने की सोच ली. बबांददया १७-१८ बरस की
गोरी-चचटी गद्रातय जवानी थी. जावानी ने अपनी सारी बहार शायद उसपर ही लट
ु ाई थी. कमससन उमर में
भी उसके चची पाके पपीतों जैसा था. बॉल उसके भरे -भरे तनतांबों तक आते थे और उसकी गोलाई की
सद
ुां रता बढ़ाते थे. आुँखें गोल-गोल और बड़ी-बड़ी, होठ मोटे और रसीले. गद़ न बब्कुल सरु हीदार और छतत
और कमर एक समान. ५ फीट की हाइट और कफगर परी ३६-२६-३६. जाुँघ केले के ताने के समान चचकनी
और माांसल थी. बातनए की बेटी को पढ़ाई से कया करना इससलए ४थ कलास के बाद च्छुत गयी थी. वो
बब्कुल अनपढ़ और गवार थी पर हुस्न ऐसा पाया था की लॉडां भांवरों की तरह उसके इद़ -चगद़ घमते
रहते थे पर वो उनमे से ककसी को घास नही ड्लती थी. अपने बड़े भाई और भाभी को उसने २-३ बार
सेकस करते हुए दे खा था इससलए काांगञान तो हो ही चक
ु ा था. कभी उां गली तो कभी पेजन्सल डालकर
अपनी प्यास शाांत कर लेती थी. एक ददन तो इसी िीड़ा में उसकी खझ्ली भी फॅट गयी ती. अब उसकी
जवानी लटने के सलए तैयार थी.राका को साहकार के रातों रात फरार होने की बात की भनक लग गयी
थी. वो लाव-लश्कर लेकर उसके घर पहुुँचा तो दे खा की घर लॉक था और सब नदारद थे.गस्
ु से से आग
बाबला राका बस-स्टॅं ड और रे ल स्ट्न पर अपने आदमी दौड़ा ददए.½ घांटे में ही उसे पता लगा की शेठ
अपने पररवार के साथ पटना कोलकाता जाने वाली बस में अपने पररवार के साथ १ घांटे पहले रवाना हुआ
है .राका ने ट्रक भरकर नॅडलाइट्स के साथ रास्ते में उस बस पर हुम्ला कर ददया.शेठ को तो उसने लटा
ही पर साथ में परे बस के लोगों को भी नही बकशा. बबांददया के हाथ पैर बाुँधा और मह में कपड़ा थस
कर अपने जीप में डाला और च्चल पड़ा.रां गा-जग्गा से उसने वादा ककया था की इस बार के सशकार को वो
उनके साथ बाट कर खाएगा. उसने जीप जांगल के तरफ घम
ु ा दी.१ घांटे में उसकी जीप रां गा-जग्गा के
दरवाज़े पर थी. रात के करीब १० बज रहे होंगे जब बाहर गाड़ी के एांजजन की आवाज़ सन
ु रां गा बाहर आ
गया.राका को दे ख वो आती प्रसन्न हो गया और गाले से लगा सलया. जीप की दसरी सीट पर गठरी जैसी
बुँधी पड़ी बबांददया को दे ख वो आनांददत हो गया और बोला – वाह दोस्त, खब वादा तनभाया तम
ु ने.इतने में
जग्गा भी बाहर आ गया और राका के गाले लग गया. रां गा ने बबांददया को उठाकर उपर वाले कमरे में ले
गया और बबस्तर पर पटक ददया. वो अभी भी बेहोश थी.रानी बाहर कमरे में जग्गा-राका की आवाज़ें सन
ु
बेडरूम से तनकल आई. राका को दे ख वो एक बार जग्गा की तरफ दे खी और दप
ु ट्टा अपने सर पर डाल
राक के पाव छने के सलए झुक गयी. राका जग्गा को दे ख मस्
ु कुराया और रानी के कांधे पकड़ उठाता हुआ
बोला – दधो नहाओ, पतों फलो. का नाम है तोहार?रानी नज़रें नीचे ककए बोली – रानी!अरे वाह, एकद्मम
सही नाम है ! हुमरे दोस्तों की लग
ु ाई का इससे अच्छा नाम हो ही नही सकता है? – राका बोला.जग्गा ने
रानी से कहा – जाओ जाके बॉटल और चखना बाहर बरामदे में लगा दो. थोड़ा दे र वहीां यार लोग जसन
मनाएुँगे कफर पजा करें गे इसकी लग
ु ाई का!रानी ने मक हामी भारी और रसोई की तरफ बढ़ गयी.रानी
बहुत गव़ महसस कर रही थी की उसके पतत का इतना सम्मान है की लोग उनसे अपने बीपवयों का
इलाज करने आते हैं.बाहर दारू-चखना लगान एके बाद रानी ने खाना बनाया और टीवी दे खने लगी. कोई
१ घांटे के बाद जब १० बजे होंगे, तीनो अांदर आ गये और रां गा ने रानी से कहा- चलो गडु ड़या रानी थोड़ा
खाना खखला दो कफर पजा करें गे.रानी ने खाना परोसते हुए राका से पछा – आपकी लग
ु ाई खाना नही
खाएुँगी कया राका हस्ते हुए बोला – अरे वो? वो तो थोड़ी दे र में हम सबका प्रसाद ग्रहण करे गी तो अपने
आप ही पेट भर जाएगा. उनके खाने के बाद रानी ने भी थोड़ा खा सलया और सॉफ-सफाई के सलए ककचन
में चली गयी.तीनो उपर आ गये और बेड पे सोती हुई बबांददया को दे खने लगे. उस मदमस्त जवानी को
दे ख उनके मह से लार टपकने लगा.राका बेड के करीब आया और झीांझोर कर बबांददया को उठाने लगा.
रां गा ने इतने में 1 ग्लास पानी उठाकर बबांददया के मह पर दे मारा. बबांददया हड़बड़ा कर उठ बैठी. तीन
दानवों को अपने इद़ -चगद़ दे ख अनायास ही उसके मह से चीख तनकल पड़ी. राका की शकल पहचान उसे
सारा वाक़या याद आया और व्हो बकरी की तरह समन्मीनाते हुए राका को हाथ जोड़कर प्राथ़ना करने लगी
– प्लीज़ हुमको जाने दीजजए,… ….उउउउ….मा-बाबजी के पास जाना है …….उ लोग हमारा इांतज
े ार करते
होंगे……….आपको हुम्से कया समलेगा……..हम बाबजी को बोलेंगे, वो आपको खब पैसा दें गे. हुमको जाने दो
प्लीएजजजज उसके आुँस भारी आुँखें और दद़ भारी चगड़चगडाहट का राका पर कोई असर ना हुआ और वो
हस्ते हुए बोला – अरे तोहार बाप को पैसा ही दे ना होता तो उ गाओां छ्चोड़ के भागता थोड़े. और शाम को
तो हम उसका सारा धन लट ही सलए तो अब पैसा का कौनो चचांता नही. अब तो जसन मनाने की घड़ी
है . और उ जसन में तम
ु को तो शासमल होना ही पड़ेगा राका के इरादों को भाप बबांददया सर-से-पाव तक
ससहर गयी. उन दानव का आकर-पवकार और बदनीयती का अांजाम उसे ददखाई दे ने लगा. शहम्ते और
रोते हुए उसने पछा – ह.ह..हुमरे साथ कककाअ करोगे आपलोग. ज्ज्ज्ज्जजने दीजीएना. हहम तो
आआअपके बेटी जैसे हैं?तीनों एक साथ हस्ने लगे और जग्गा बोला – सच बोली त, और हम सब हैं
बेटीचोड़! ये कहके तीनों कफर से अट्टहास करने लगे.बबांददया इस वक़्त एक पीले कलर के सलवार कुते में
थी. बॉल बबखरे हुए और चेहरा सफेद फक़्क़ पड़ा हुआ था.राका लपक कर बबांददया के बाज में बैठ गया
और उसके इद़-चगद़ अपनी बाहें डालने लगा. बबांददया छटपटा उठी. दसरे तरफ से रां गा ने हुम्ला ककया और
उसे बबस्तर पे सलटा ददया और अपने एक पैर से बबांददया को जाट ददया.बबांददया उनके चांगल
ु में सस़ि़
चीख और छॅ ट्पाटा ही पा रही थी.जग्गा दर खड़ा अपनी धोती ढीली कर रहा था. बबस्तर के करीब आते
तक उसके बदन पर कपड़े का एक भी रे शा ना था. बबांददया कसमसाते हुए जब कनखखयों से जग्गा को
दे खा तो उसकी आुँखें खुली की खुली रह गयी. भाल जैसे बॉल भरे पवशालकाय नांगे बदन पे मोटे सोट
जैसा लांड ने बबांददया के होश उड़ा ददए.रां गा ने रोती-कलापतत बबांददया के होठों पर अपने मछों वाले लब
रख ददया और उसका लार पीने लगा. ऐसा करने से बबांददया की आवाज़ गले में ही अटक गयी और वो
गऊव….गऊऊऊ करने लगी. अब रां गा की राइट हथेली बबांददया के लेफ्ट वक्ष स्थल पर था और पर-ज़ोर
मासलश कर रहा था.उस दानव के मोज़बत हथेली के मासलश से बबांददया की छाती दख
ु ने लगी पर होंठ बांद
होने की वजह से सस़ि़ अांदर से तड़प के रह गयी. जग्गा को नांगा दे ख राका ने भी झट से अपने कपड़े
उतार ददए और जनम जात अवस्था में आ गया. रां गा के कलापों से बबांददया छटपटा रही थी. पर उसके
पैरों पर रां गा के वजनी जाांघों के भार से वो सस़ि़ ततलसमला के रह जा रही थी.नग्न हो कर राका ने
बबांददया के पेट पर से कुता़ चची तक उठा ददया और उसके नासभ और माांसल पेट पर चमने-चाटने
लगा.इस अप्रतयासशत िीड़ा से बबांददया के बदन में एक ससरहन दौड़ गयी और उसका रोवा-रोआवा खड़ा हो
गया. पेट पर ह्की गद
ु गद
ु ी होने लगी जजस वजह से उसके छाती की पीड़ा कुछ कम हो गयी. इतने में
जग्गा बबांददया के पैरों की तरफ आया और उसके पयज़ामे का नाडा खोलने लगा. उसके इस हरकत से
बबांददया सहम गयी और अपना परा ज़ोर लगा कर रां गा को उपर की तरफ धकका ददया और उसके होठों
को अपने दातों से काट सलया.रां गा इसके सलए तैयार ना था इससलए सपकपाकर उठ बैठा. उसके चांगल
ु से
आज़ाद होते ही बबांददया दहाड़ मारकर रोने लगी और अपने हाथ जोड़कर जग्गा को बोली – प्लीज़ ई मत
कीजीएना, हम ककसी को मह ददखाने के लायक नही रह जाएुँगे. बाबजी हुमरा बबयाह करने वाले है .
जज़ांदगी खराब हो जाएगा मेरा. छ्चोड़ दीजीएना!हालाकी बबांददया के काटने से रां गा का होंठ कट गया था
और ह्का खन भी तनकल रहा था, और उसका गस्
ु सा सातवे आसमान पे था, कफर भी वो इस जवानी को
मज़े से हलाल करना चाहता था, खन बहाकर नही. उसने पहल की और बबांददया के सर पे हाथ कफराते हुए
प्यार से पच्
ु काते हुए बोला- दे खो बबदटया, तरांु ा बदन तो आज रात हुमारा घर है . इसको तो लटना ही है ,
अब मज़ी तोहार की इसको प्यार से लट
ु ाओ या बलातकार से. प्यार से करोगी तो तम
ु को कोई शारीररक
हातन नही होगी. बलातकार से तम
ु को शारीररक हातन तो होगी ही और मज़ा भी नही आएगा. हो सकता है
कक मर भी जाओ. हुमरे दहसाब से तो जब बलातकार से बचने का कोई रास्ता ना हो तो उसका मज़ा
उठना चादहए. अगर प्यार से मान जाती हो तो हम वादा करते है की तम
ु को मज़ा आएगा और कोई
नक
ु सान नही पहुचेगा. सही सलामत तम
ु को घर भी छ्चोड़ आएुँगे और कल को तम्
ु हारी शादी भी हो
जाएगी. बोला का कहती हो? बबांददया अभी भी सससक रही थी पर रां गा की बातों से उसे अपनी बेचारगी
का जकलयर एहसास होने लगा. उसने गाओां के लड़कों को अपने लटके-झटकों से बहुत तडपया था और
अपने दाने की खज
ु ली भी उां गसलयों से समटाई थी पर ऐसे साांड़ों के मसलों के बारे में कभी नही सोचा था.
बाुँवरी सेठ का बेटा सरज जो १८-१९ का होगा, उसके लांड का दश़न भी एक बार उसने छुप कर ककया था
जब वो बरगद के पीछे ह्का हो रहा था. पर वो तो समची थी और ये मला. ‘शायद ये उतना भी बरा ना
हो जैसा उसने रे प के बारे में सन
ु ा था. और कफर दसरे शहर में बसने के बाद वहाुँ लोगों को इस काांड की
जानकारी नही होगी तो उसके शादी में भी बाधा नही पड़ेगी’.इस पवचार से प्रेररत होकर बबांददया ने
आखख़रकार अपने हाथ बबस्तर पर तनढाल कर ददए और सर झुकाते हुए लाचार स्वर में बोली – ठीक है ,
आप लोग जैसा बोलेंगे, हम वैसा करें गे, पर सब
ु ह होते ही हुमको घर छ्चोड़ दीजजएगा. और कृपया कर के
हमको ज़्जयादा दद़ मत दीजजएगा!उसकी ये बात सन
ु ते तीनों के चेहरे पर एक पवजयी मस्
ु कान खखल गयी.
रां गा ने एक राहत की साुँस ली की अब उन्हे इस कली को प्यार से मस्ने को समलेगा. अब उसने भी
अपने कपड़े उतार ददए.पर राका को इस खेल में उतना मज़ा नही आया कयक
ां ी उसे तो सशकार को तडपा
कर मारने में मज़ा आता था. कफर भी यारों के फीसलांग्स और फेदटश का ख़याल कर वो मन मसोस कर
रह गया. पर अांदर-ही-अांदर उसने ठान ली कक अपनी बारी आते ही वो इस लड़की को नानी याद ददला
दे गा. शरू
ु वात रां गा ने की. सससकती बबांददया के करीब आकर वो उसके कुते को उठाने लगा. बबांददया ने तो
सारे हचथयार डाल ददए थे. लाचरचग में उसने अपने हाथ उपर कर ददए. रां गा ने उसके बाजओ
ु ां से कुता़
तनकाल फेका. कुता़ तनकलते ही बबांददया ने लाज से अपने नांगी चचचयो को अपने हाथों से ढक सलया और
सब
ु क
ु ते हुए कफर रां गा की ओर फररयादी नज़रों से दे खते हुए बोली – प्लीज़, ज़्जयादा दद़ तो नही होगा
ना?रां गा पचकारते हुए उसे अपने पालती मरी हुई जाांघों पर बैठते हुए उसके कानों में बोला – मद़ का
वचन है बतछया, दरद चाहे जजतना हो पर मज़ा परा समलेगा. अच्छा हुआ जो तम
ु खुद तैयार हो गयी, अब
दे खना तम
ु कभी घर जाने का बात नही करोगी! आज रात हम तोहार फल जैसा बदन का हर पांखुड़ी से
खेलेंगे और तम
ु को सदाबहार फल बना दें गे.उसकी बातें सन
ु ना जाने कयुँ बबांददया के चत के दानों में
चचांचीनाहट दौड़ गयी. वो रां गा की गोद में पीठ करके बैठी थी और रां गा की दोनों हाथेसल उसके दोनो
चचचयों से खेल रही थी. घड
ांु ीयों के मीसने से और कान के लाओां और गदे न पर सरसरते रां गा के गरम
लबों ने बबांददया के परे जजस्म में खलबली मचा दी. उसके सांतरे के ककशसमश टाइट हो गये……परे १” लब
ां े.
मस्ती से उसका गोरा चेहरा लाल तमतमा रहा था.बबांददया की आुँखें बांद थी इससलए उसे एहसास ना हुआ
कक कब जग्गा ने उसकी अधखल
ु ी सलवार को आदहस्ते से उसके पैरों से तनकाल ददया. जब उसके नांगी
जाांघों पर ठां डी हवा की ससरहन हुई तो उसकी आुँखें खल
ु गयी. सामने जग्गा भखे लार टपकते भेडड़ए
जैसा उसके माांसल जाांघों को और लाल लेसस वाली चड्डी में बुँद पाव-रोटी जैसी चत को ताक रहा
था.उसकी रकत-पीपासु आुँखों को दे ख बबांददया सहम गयी. रां गा की तरफ ना जाने कयुँ उसका थोड़ा
सॉफ्टनेस होने लगा था. इससलए जग्गा की नज़रों से बचने के सलए उसने मह फेक़र रां गा के छाती में
छुपा सलया.इधर जग्गा बेड पर पट लेटकर अपना सर बबांददया के चत के करीब लाया और सघ
ां ने लगा.
कौले अनछुए चत की महक उसे बौरा गयी और उसने अनायास ही बबांददया के जाुँघ फैला ददए और चत
पर चड्डी के उपर से ही अपने होठ रख ददए और चमने लगा.बबांददया इसके सलए तैयार ना थी. उसे ४४०
वो्ट का झटका सा लगा और उसके मह से एक आआहह……… तनकल गयी.जवानी और जज़ांदगी ने उसके
सलए इस रात मे कया सॅंजो के रखा था ये तो वो क्पना नही कर सकी थी पर अब तक जॉब ही हुआ
ना जाने कयुँ उसे कैसी भी भयानक क्पना से परे एक मीठा एहसास दे रही थी. ……………. पर अभी
राका तो बाकी था.
समाप्त
चत की दम पर नौकरी
बात करीब दो साल पहले ही है । हमारा बीकॉम का फाइनल ईयर था और कॉलेज में इांदौर की लोकल
कम्पनीज प्लेसमें ट के सलए आने लगी थी। मेरे मन में भी इच्छाएुँ जाग गई थीां कक हम भी नौकरी करें गे
और पैसे कमाएुँगे और ऐश करें गे और कया…! मैंने एक कम्पनी का ररटन पास ककया और कफर इांटरव्य
का इांतज़ार करने लगी। दो ददन बाद मझ
ु े उन्होंने अपने ऑकफस में इांटरव्य के सलए बल
ु ाया। मैं भी जोर-
शोर से सब भल कर इांटरव्य की तैयारी में जट
ु गई। मैं जैसे ही अन्दर गई, चार लोगों का पैनल मेरी
गाांड फाड़ने के सलए तैयार बैठा था, मेरा मतबल है कक वे लोग मेरा इांटरव्य लेने के सलए तैयार बैठे थे।
मझ
ु े बहुत डर लग रहा था कयोंकक यह मेरे सलए पहली बार था। जैसे मैंने सोचा था, इांटरव्य उसका ठीक
उलट गया। जहाुँ 3 मद़ थोड़ा बहुत पछ रहे थे, वहीां एक औरत जो बैठी थी वो तो ऐसा लग रहा था ठान
कर आई है कक गाांड फाड़ ही दे गी। सवाल पर सवाल पछे जा रही थी और मेरे पास ककसी का जवाब नहीां
था। आखखरी में उन्होंने मझ
ु े कहा- ठीक है अगर आप ससलेकट हो गई तो हम आपको ़िोन करके बता
दें गे।मैंने भी अपनी गाांड उठाई और ‘ओके.. थैंकय’ करके तनकल ली। मैं बेसब्री से ररज्ट का इांतज़ार
करने लगी। वैसे तो मझ
ु े उम्मीद थी कक वो लेने वाले नहीां हैं, पर ददल नहीां मान रहा था।रात में मेल
चेक कर रही थी तो मैंने दे खा एक मेल ककसी अनजान राजेश नाम के ककसी लड़के का था।मैंने मेल
खोल कर दे खा तो उसमें सलखा था- मझ
ु े पता है तम्
ु हारा इांटरव्य अच्छा नहीां गया है , मैं भी वहीां बैठा हुआ
था। अगर आप चाहो तो मैं आपकी हे ्प कर सकता हुँ, मैं भी एच आर हुँ। मझ
ु े एक आशा की ककरण
ददखी, इससलए मैंने बबना ज्यादा सोचे-समझे उससे बात करने की सोची। यह सोचा कक कोसशश करने में
कया जाता है । मेल में नीचे उसका ़िोन नांबर सलखा था, मैंने उसे अपना नाम सलख कर मैसज
े कर ददया।
थोड़ी दे र में उसका कॉल आ गया। हम दोनों ऐसे ही बातें करने लगे और बातों में उसने मझ
ु से समलने
की इच्छा ज़ादहर की।मैंने भी ‘हाुँ’ कर दी और अगले ददन हम ‘छप्पन’ दक
ु ान पर समले। वो मेरे पास आया
मझ
ु से गले समला और हम वहीां बैठ कर बातें करने लगे। मैंने उसको बताया- मझ
ु े नौकरी की बहुत
जरूरत है , मेरी घर के हालात ठीक नहीां हैं।कफर उसने कहा- मैं जॉब ददलवाने की कोसशश करूुँगा!पर मझ
ु े
मेरी जॉब ददखने लगी, इससलए मैंने फट से उसका हाथ पकड़ कर कहा- कोसशश मत करो प्लीज… मेरी
जॉब लगा दो, आप जो भी कहोगे… मैं करूुँगी। अब उसका लांड फड़कने लगा था, यह मझ
ु े उसके चेहरे और
बोलने के तरीके से लगने लगा था।बाररश का मौसम था, मैंने कहा- चलो कहीां घमने चलते हैं। उसने
अपने गाड़ी उठाई और हम लोग ततांछा फाल घमने चले गए। मैं उसके साथ बाइक पर ऐसे बैठ गई, जैसे
एक जोड़ा बैठा रहता है । उसने भी ऐतराज़ नहीां ककया, ऐसा लग रहा था हम दोनों बॉयफ्रेंड-गल़फ्रेंड हैं। हम
दोनों ततांछा फाल पर हाथों में हाथ डाल कर घमने लगे और मौसम का मज़ा लेने लगे।शाम हो गई थी,
इससलए हम लोग वापस आने लगे, पर इसी बीच बाररश शरू
ु हो गई और हम दोनों बहुत भीग गए थे
इससलए हमने ज्दी से घर जाने में ही भलाई समझी। राजेश का घर पास में ही खांडवा नाके के पास था
इससलए हम दोनों वहीां चले गए। दोनों बहुत भीग गए थे और सलवार-सट में से मेरी तो ब्रा और पैंटी
तक ददखने लगी थी कयोंकक मेरे कपड़े बहुत गीले हो गए थे, परा बदन पानी से भीग गया था।राजेश ने
तो फटाफट कपड़े बदल सलए कयोंकक घर तो उसी का था, पर ददककत तो मझ
ु जैसे अबला नारी की थी
वो कया करे ..! राजेश ने मझ
ु े अपनी शट़ दी और कहा- तम
ु इसे पहन लो ! पर मेरे तो अन्दर से लेकर
बाहर तक सारे कपड़े गीले थे, कया-कया बदलती। पर बदलना तो था मैंने सारे कपड़े उतार ददए और
राजेश की टी-शट़ और लोअर पहन सलए।कफर हम दोनों वहीां बैठ कर बातें करने लगे। मझ
ु े थोड़ी ठण्ड भी
लग रही थी इससलए मैं राजेश के पास सट कर बैठ गई।राजेश ने अपने हाथों को मेरी कमर से लगा कर
मझ
ु े अपने और करीब ले सलया। मैंने भी ज्यादा सांकोच नहीां ककया और चचपक कर बैठ गई। अब मौसम
के साथ ददल भी बेईमान हो गया था। जैस-े जैसे हमारी नजदीकी बढ़ी, हमारी साांसें भी तेज होने लगीां, ददल
तेजी से धड़कने लगा।हमारे होंठ एक-दसरे के होंठों की मददरा के सलए तरस रहे थे। अब ज्यादा दे र
इनका अलग रह पाना सांभव नहीां था। मैंने भी बबना सोचे पवचारे दोनों का गठबांधन कर ददया। अब हम
दोनों एक-दसरे के होंठों का जी भर के रसपान करने लगे। हम दोनों ने एक-दसरे को कस कर पकड़
सलया और चमने लगे। और कुछ ही पलों के भीतर राजेश का हाथ मेरी शट़ के अन्दर जा घस
ु ा और मेरी
मासम सी नग्न चचचयों को मसलने लगा और मेरी साुँसें और तेज होने लगीां। धीरे -धीरे राजेश तरककी
करने लगा और पहले एक हाथ और कफर दोनों हाथ घस
ु ा कर मेरी चचचयों की जान तनकालने लगा। अब
ज्यादा दे र भला शट़ भी कहाुँ दटकने वाली थी, उसे भी उसने तनकाल फेंका और चचचयों को चकनाचर
करने लगा। थोड़ी ही दे र में उसने मझ
ु े सलटा ददया और मेरे परे बदन को चमने लगा। मेरा बदन बाररश
में भीगने की वजह से ठां डा था ऊपर से उसके गरम-गरम होंठ और जीभ की छुअन मेरे अन्दर एक
अजीब सी झन
ु झन
ु ी पैदा कर कर रहे थे। मैं लेटी रही, तभी राजेश मेरे ऊपर आ गया और मेरे मम्मे
पकड़ कर साइड में लेट गया। राजेश मेरे से चचपक गया और मझ
ु े चमने लगा और मेरे मम्मे भी दबा
रहा था। मैंने भी उसका साथ ददया और उसे चमने लगी। कफर राजेश ने तेजी ददखाई और अपना एक पैर
मेरे पैरों के ऊपर रख ददया और उसका चमना जारी रहा। उसके बाद वो अपने हाथ मेरी जाुँघों पर फेरने
लगा, तो मैंने अपना हाथ पीछे से उसके पीठ पर रख ददया और सहलाने लगी। तभी राजेश ने एक हाथ
से अपने बे्ट को खोला और अपने कपड़े उतार कर मेरे ऊपर लेट गया। अब उसने मेरे दोनों हाथ अपने
हाथों से पकड़ सलए और मझ
ु े चमने लगा।मझ
ु े नीचे उसका लांड महसस हो रहा था जबकक उसने अभी
ससफ़ बे्ट खोला था और चम्
ु बन करते-करते वो मेरी गरदन को चमने लगा। कफर वो मेरे ऊपर से उठा
और साइड में लेट गया तो मैंने भी अपने घट
ु ने ऊपर ककए, वो बहुत भारी लग रहे थे।अब राजेश मेरे
बगल में लेटे-लेटे ही मझ
ु े कफर से चमने लगा, मैं भी उसे चमने लगी और दोनों हाथों से उसकी पीठ को
जकड़ सलया। राजेश ने भी मझ
ु े अपने आगोश में पकड़ कर अपनी टाुँगों के बीच में जकड़ सलया और
अपने हाथ मेरी पीठ पर कफराने लगा। हमारी चमा-चाटी जारी रही। चमते-चमते राजेश का हाथ मेरे
पजामे के नाड़े पर गए और उसने नाड़ा खोल ददया। मैंने अपने घट
ु ने ऊपर कर सलए और राजेश के बालों
को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर चमती रही। थोड़ी दे र बाद राजेश कफर से मेरी गाांड पर हाथ फेरने
लगा, थोड़ी ही दे र में राजेश मेरे लोअर को नीचे सरकाने लगा। राजेश अब उठ गया और मेरे पीछे बैठ
गया। अब वो मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगा और कफर मझ
ु े कमर से पकड़ कर खीांच कर अपनी गोद में
बबठा सलया और कफर से मेरी नरम नरम चचचयों को मसलने लगा, मैंने उसने हाथ रोकने चाहे , पर वो नहीां
माना और मझ
ु े कफर से चमने लगा और साथ ही साथ अपने हाथों से मेरी चचचयों को भी दबाता रहा।
कफर उसने मझ
ु े गोद से उठाया और मैं बबस्तर पर लेट गई। वो उठ कर बैठे और मेरा लोवर नीचे करके
तनकाल ददया और कफर उसने अपनी टी-शट़ तनकाल दी। कफर अपनी पैंट और अांडरपवयर भी उतार दी।
अब हम दोनों नांगे थे। मैं जहाुँ लेटी हुई थी वहीां वो अभी भी बैठा था। राजेश मेरे पास आ गया और मेरी
चत चाटने लगा और अपनी जीभ को मेरी चत की पुँखडु ड़यों के बीच में लगा कर अन्दर-बाहर करने
लगा।मझ
ु से सससकाररयाां आने लगीां ‘आआह्हह्हह्ह ऊऊऊह्ह्ह्ह््ह..!’ थोड़ी दे र तक वो इसी मद्र
ु ा में मेरी
चत चाटता रहा और कफर मेरे पास लेट गया और मझ
ु े कफर से चमने लगा। अब वो मेरे बगल में आकर
लेट गया और उनका लांड खड़ा था। मैंने अपने लेफ्ट है ण्ड से उसका लांड पकड़ा और सहलाने लगी, तो
राजेश ने भी अपने हाथ मेरी चत पर रख ददए और उसमें उां गली करने लगा। मैं उसका लांड दहलाती रही
और उसको दे खती रही। कफर मैंने उसी पोजीशन में उसके लांड को कांडोम पहनाया, कफर वो मेरे पास
चचपक कर कमर के बल लेट गया और अपने लांड को मेरी चत के मह
ु ाने पर लगा कर दहलाने, लगा कभी
वो अपने लांड से मेरी चत को छुआता करता तो कभी मेरे नासभ को। कफर राजेश उठा, मेरे पैर फैलाए और
और मेरी टाांगों के बीच आकर बैठ गया और मेरी टाुँगें अपने घट
ु नों के ऊपर रख लीां और अपना लांड मेरी
कोमल चत के पास ले गया। अचानक ही उसने जोर से करके अपने लांड से एक झटका मारा और चत
के आांस छट गए। मझ
ु े बहुत दद़ हुआ, आप मेरे दद़ का एहसास इसी बात से लगा सकते है कक मैं गाांड
और कमर उठा ली, इतनी ज़ोर का दद़ हुआ। दद़ इतना था कक बार-बार मेरी छाती ऊपर उठ जा रही थी।
मेरे मुँह
ु से ‘ऊऊह्ह्ह आआह्हह अस्स्स्स्स आआईईईईए’ की आवाजें आ रही थीां। उधर राजेश ने अपना
लांड तनकाल सलया और कफर से अन्दर डाला मैं कफर से उसी हालत में पहुुँच गई। “ऊऊईईई ऊऊओह्ह्ह
आआअह्ह्ह..!” राजेश मेरे ऊपर आकर लेट गया और मेरी गरदन अपने हाथों में पकड़ सलया और कफर
उसने अन्दर-बाहर करना आरम्भ कर ददया। मझ
ु े अभी भी दद़ हो रहा था। इससलए राजेश उठा कफर से
उसने लांड मेरी चत के पास लेकर आया और अन्दर-बाहर करने लगा। जहाुँ एक तरफ मेरी मुँह
ु से
‘आआअह्ह्ह्ह आआआईईईए ऊऊओईईईइस्स्स..!’ जैसी आवाजें आ रही थीां, उधर दसरी तरफ से
‘फ्फ्फऊछह्ह फफऊकछह्हह्हह..’ की आवाजें आ रही थीां।ये लांड के अन्दर और बाहर आने के कारण आ
रही थीां। राजेश मेरे ऊपर आकर लेट गया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख ददए और अपनी चद
ु ाई जारी
रखी। करीब दो समनट बाद मेरा दद़ कम होने लगा और अब लांड के अन्दर-बाहर होने से मज़ा आ रहा
था। मैं अपने हाथ राजेश के कमर पर रख कर चद
ु ाई का मज़े लेने लगी। जैसे ही राजेश को इसका
एहसास हुआ, उसने स्पीड और तेज़ कर दी और मेरा मज़ा भी दोगन
ु ा हो चला। मैंने अपने हाथों से राजेश
की पीठ को जोर से पकड़ सलया और अपनी टाांगें उसकी टाुँगों के ऊपर रख कर दबा सलया। राजेश जहाुँ
मझ
ु े जी भर कर चोद रहा था, वहीां साथ में वो मझ
ु े लगातार चम भी रहा था, ताकक मझ
ु े दद़ का अहसास
न हो। थोड़ी दे र बाद उसने स्पीड कम कर दी, पर हमारा चमना जारी रहा। थोड़ी दे र बाद जब मेरा दद़
बहुत कम हो गया, तो मैंने अपनी टाांगें सीधी कर लीां। यह दे ख कर राजेश भी अपनी टाांगें सीधी करके
मेरे ऊपर सीधे लेट कर चुदाई करने लगा। मैंने अपने हाथ राजेश की गाांड के ऊपर रख सलए और चुदाई
का आनन्द लेने लगी। थोड़ी दे र बाद राजेश उठा, उसने अपने दोनों हाथों मेरे कन्धों पर रखे और उसने
हाथ के बल पर उकडुँ हुआ और कफर मझ
ु े उसी पोजीशन में चोदने लगा। थोड़ी दे र बाद जब हम थक गए
तो वो मेरे ऊपर लेट गया और मझ
ु े चमने लगा और उसका लांड अभी भी मेरी चत में ही था। मैंने राजेश
की कमर को दोनों हाथों से पकड़ रखा था। थोड़ी दे र बाद जब राजेश की ताकत वापस आई, तो वो कफर
उठा और कफर से हाथ मेरे कन्धों पर रख कर और इांकलीन्ड पोजीशन में जैसे कक ककसी पहाड़ होता है
उस पोजीशन में मझ
ु े चोदने लगा और मझ
ु े चमता रहा। थोड़ी दे र में वो कफर थक गया और मेरे ऊपर
लेट गया। कफर से कुछ सेकण्ड्स बाद उसने लेटे-लेटे चत चोदना शरू
ु कर ददया और स्पीड तेज़ कर दी।
करीब 5 समनट तक वो ऐसे ही मझ
ु े चोदता रहा और कफर वो मेरे ऊपर से उठा और मझ
ु े अपने ऊपर
बबठा सलया। अब मेरी बारी थी, मैंने दोनों टाांगें उसकी टाुँगों के बाहर कीां और अपनी चत में उसका लांड
घस
ु ाया और उसके ऊपर लेट गई और चमने लगी और साथ ही साथ अपनी गाांड ऊपर-नीचे करने लगी।
मैं चुदाई में व्यस्त थी। थोड़ी दे र बाद जब मैं रक गई, तो राजेश ने अपने हाथ मेरी गाांड के छे द में
उां गली डाली और उां गली करने लगा। उसके बाद मैं चमने लगी। कफर राजेश ने मझ
ु े नीचे सलटाया और
कफर थोड़ी दे र बाद उसने अपना कांडोम तनकाला और कफर उसने अपना लांड चत की बजाए गाांड के छे द
में घस
ु ा ददया। और कहा- अब शरू
ु हो जाओ… मैंने अपने दोनों घट
ु ने बबस्तर में रख कर उसके दम पर
उछलने लगी और लांड मेरी गाांड के अन्दर-बाहर होने लगा। यह मैंने करीब दस समनट तक अलग-अलग
तरीके से ककया। जैसे ही कभी मैं नीचे की तरफ बढ़ती और ऊपर-नीचे करती तो कभी सीधे ऊपर-नीचे
करती थी। जब मैं थोड़ी थक गई, तो मैं इधर-उधर करने लगी और थोड़ी दे र बाद ही अलग-अलग
पोजीशन में गाांड की चद
ु ाई जारी रखी। उसके बाद जब मैं थक गई तो कर राजेश के ऊपर लेट गई।थोड़ी
दे र बाद राजेश ने कहा- बस तम
ु घट
ु ने के बल ऐसे ही रहना, अब मैं घस
ु ाता हुँ..! अब मैं उसी पोजीशन में
जस्थर थी और वो अभी कमर उठा कर लांड मेरी गाांड के अन्दर-बाहर करने लगा। जब हम थक गए तो
एक दसरे पर लेट गए।
मैं अभी अहमदाबाद में रहता हां . बात ३ साल पहले की है , हमारा एक छोटा सा घर है , लेककन मैं तो बड़े
ठाट-बाट से रहता हां . एक बार मैं और मेरा पररवार सब साथ में बैठे थे। हमारा एक नौकर था जजसका
नाम पेमजी था। पापा ने कहा कक घर का काम करने के सलए एक औरत की जररत है , तो पेमजी ने कहा
कक मेरे गाांव में एक नेपाली है , उसका पतत उसको छोड़ के भाग गया है , तो पापा ने कहा उसको यहाुँ ले
आ। अगले ददन वह उसको लेने चला गया। शाम तक वह उसको ले के आ गया। हम सब वहीां बैठे थे।
वो कसम से इतनी सद
ुां र थी आप तो जानते ही हो कक नेपाली ककतने सद
ुां र होते हैं। तो पापा ने उससे
थोड़ी पछ ताछ की, क़िर उस ददन से वह हमारे यहाुँ काम करने लगी. मेरा तो मन उस पर आ ही गया
था, अब तो मैं बस समय का इांतजार कर रहा था। उसका नाम रे न था. उसकी उम्र ३२ के आसपास होगी
लेककन अगर आप उसके ब्रेस्ट दे खो तो आपका भी खड़ा हो जाए। वह उनको अपने ब्लाउज में छुपा भी
नहीां पाती थी। उसको अपनी साड़ी का प्ल उस पर ढकना पड़ता था. एक बार रात को सब सो गए, क़िर
मैंने सोचा कक शर
ु आत तो करनी ही पड़ेगी। मैं धीरे से खाांसा तो उसकी नीांद नही खुली. मैंने सोचा कक
अब कया करू? मैं थोड़ा तेज खाांसा. क़िर उसकी नीांद खल
ु गई, उसको हम हमारे कमरे में ही सल
ु ाते थे।
मैं, मेरी दादी और रे न हम तीन एक कमरे में सोते थे और पापा मम्मी अलग कमरे में सोते थे। मैंने एक
बार और खाांसा तो वो उठी और मेरे सलए पानी लेकर आई। मैं पानी पीते हुए उसके बब्स को दे ख रहा
था तो उसने मझ
ु े दे ख सलया. उसने अपनी साड़ी का प्ल उस पर ढक सलया. मैंने तरुां त उसके सामने
दे खा, मझ
ु े हां सी आ गई वह भी हलके से मस्
ु कुरा दी। क़िर वह सो गई मेरा हाथ तो मेरे लांड पर था सोच
रहा था कक उसकी चत के दश़न कब होंगे। अगले ददन मैं दक
ु ान से पहले ही कांडोम लेकर आया। रात के
८ बजे थे, वह दादी के बाल बना रही थी। मैंने कहा मेरे भी बना दो ! उस समय मेरे बाल लांबे थे, मैं तेल
की शीशी लेकर आया और उसको दे दी तो उसने कहा- इसका मैं कया करूां? मैंने कहा- मेरे बालों पर तेल
से मासलश कर दो तो वो मेरे पीछे बैठ गई, मैं उसके आगे पीठ करके बैठ गया, दादी अन्दर वाले कमरे में
चली गई तो मैंने अपने सर से उसको बब्स पर स्पश़ ककया वो पीछे हो गई। मैंने थोडी दे र बाद क़िर
ऐसा ककया लेककन इस बार वह पीछे नही हुई। मैंने थोडी दे र तक ऐसे ही ककया तो कहने लगी कक ये
कया कर रहे हो मैंने कहा- मासलश करवा भी रहा हां और कर भी रहा हां , तो वो हां स पड़ी। मैंने कहा- रात
को मैं आऊांगा तो वह मना करने लगी, बोली- तम्
ु हारी दादी यही पर है मैंने कहा- मैं जब खाांस,ु तब तम
ु
अन्दर वाले कमरे में चली जाना। उसने कहा- नही ककसी को पता चल गया तो मझ
ु े नौकरी से हाथ धोना
पड़ेगा। मैंने कहा- उसकी चचांता तम
ु मत करो। दे खो तम्
ु हारा पतत भी तम
ु को जवानी में छोड़ कर चला
गया है । मझ
ु े पता है इच्छा तो तम
ु को भी होती ही होगी, लेककन वह कुछ बोली नही, क़िर वो वहा से उठ
कर चली गई। रात को मैं ज्दी सो गया था। मैं करीबन २ बजे उठा तब तक घर में सब सो चक
ु े थे।
रे न भी सो गई थी, मैं खाांसा लेककन वह नही उठी। मैं क़िर से जोर से खाांसा तो उसकी नीांद खल
ु गई।
ह्का सा उजाला था कमरे में , दादी दसरी तऱि मह
ु करके सोई थी। मैंने उसको अन्दर का इशारा ककया,
लेककन वह तो डरी हुई थी तो मैं ख़द
ु अन्दर चला गया और ।उसको इशारे में कहा अन्दर आ जाना।
थोडी दे र बाद वह अन्दर आई और बोली- कया है सो जाओ कोई जग गया तो? मैंने कहा कुछ नही
होगा। उसने मेरे दोनों गाल दबाए और कहा कक तम
ु बहुत शरारती हो। मेरी उम्र 21 साल की है । वह
मझ
ु से १२ साल बड़ी है . मैंने अपने हाथ उसके गालों पर रखे तो उसने अपनी आांखे बांद कर ली। मैंने
अपने हाथ धीरे धीरे नीचे ककए तो वह सकपकाने लगी। अब मेरे हाथ उसके बब्स पर थे और उनको
अदहस्ता अदहस्ता दबा रहे थे उसने मेरी तऱि दे खा और मेरे होटों को अपने मह
ु में ले सलया। वह वो
नमकीन स्वाद तो मझ
ु े आज भी याद है । मैं उसके बब्स को थोड़ा जोर से दबाने लगा तो वह स्स्स्स्स की
आवाज तनकलने लगी। उसने मेरा मह
ुां पकड़ा और अपने गोल गोल पहाड़ जैसे बब्स पर घस
ु ा ददया। मैं
उनको मदमस्त हो कर चमने लगा, मझ
ु े तो मानो प्यासे को पानी समल गया जैसी हालत हो चुकी थी।
ओम्म्म्म्म ओम्म्म करके मैं तो लगा हुआ था धीरे धीरे पर वो बोली खा जाओ इनको। दोनों हाथ से
दबाता हुआ उनको चस रहा था और वह मेरा सर पकड़ के उसमे दबा रही थी। मेरा लांड तो इतना टाइट
हो चुका था मानो जैसे सररया. और वह हलके से उसकी चत पर छुआ, थोडी दे र तक मैं ऐसे ही उसके
बब्स चाटता रहा। अचानक उसका हाथ मेरे लांड पर आया और उसको मसलने लगा मझ
ु े तो इतना मजा
आ रहा था उसका इतना कोमल हाथ मेरे टाइट लांड को छ रहा था। उसने उस समय साड़ी पहनी थी।
मैंने उसका ब्लाउज अभी तक खोला नही था। मैंने धीरे से अपने एक हाथ से उसका घगरा ऊुँचा ककया
तो पता चला कक उसने अन्दर चड्डी नही पहनी है । मेरा हाथ उसके दहप्स पर था मैंने उसके अभी तक
कपडे उतारे नही थे। मैं उसी समय नीचे बैठा और उसके घगरे के अन्दर घस
ु गया। वो बोली- कया कर
ऽऽऽ ! इतना बोली उसके बाद बोली आआह्ह्छ आःह्छ ह्ह्ह्म्मम्म्ह्ह्मम्म उस समय मैं उस की चत चाट
रहा था। वह धीरे धीरे नीचे बैठने लगी और अपने दोनों हाथों से घगरे को ऊुँचा करती हुई लेट गई। मैंने
उसकी दोनों हाथों से टाांगे ़िैला दी लेककन अपना मह
ु उसकी चत से नही हटाया। वो भी मेरे मह
ुां को
अपनी चत में दबा रही थी, बार बार अपनी कमर ऊुँची करती क़िर नीचे रखती और ह्म्म्म््म्म्म्ह्मम की
आवाजे तनकालती। वह अपने घगरे का नाड़ा खोल रही थी और मैं उसकी चत में मस्त था। उसने कहा-
बस करो, अब मेरी बारी है । मैंने कहा- कया मतलब? उसने मझ
ु े एक झटके में अपने नीचे ले सलया। अब
मैं उसके नीचे था और वो मेरे ऊपर। वो मेरे होटों को चमती हुई मेरे सीने को चमने लगी और धीरे धीरे
मेरे लांड के उपर वाली जगह को चमने लगी क़िर उसने मेरे दोनों हाथ पकडे और मेरे खड़े लांड को अपने
मह
ांु में ले सलया और हलके से काटने लगी। मैंने कहा- यह आइसिीम थोड़े ही है ? उसने मेरा लांड इतना
चसा कक वह झड़ने की तैयारी में आ गया। मैंने कहा- मैं झड़ जाऊांगा तो वो बोली रको अभी मत झड़ो।
उसने मझ
ु े अपने ऊपर आने के सलए कहा। मैं उसके ऊपर आ गया और उसके मह
ांु के दोनों तऱि टाांगे
रख के उसके मह
ु में अपना लांड डाल ददया। वो दोनों हाथों से मेरे लांड को दहलाती भी रही और जोर जोर
से चसने भी लगी। मैं अब झड़ने वाला हां , तो वो बोली- हाां ! अब झड़ जाओ और मेरा लांड एक दम से
पपचकारी छोड़ने लगा। मैं दे खता ही रह गया, उसने एक भी बद
ां को बाहर जाने नही ददया, सारा का सारा
रस पी गई। क़िर उसने अपना ब्लाउज खोला और मझ
ु े कहा- अन्दर से थोड़ा तेल लेकर आओ। मैंने
अपना पें ट चढाया और नाररयल तेल की शीशी लेकर आया उसने अपने हाथ में थोड़ा तेल सलया और मेरे
लांड पर लगाने लगी। मैंने बोला- इससे कया होगा? तो कहने लगी- इतने समय बाद चद
ु वा रही हां दद़
नहीां होगा कया ! इसको लगाने से दद़ नही होगा। उसके खल
ु े बब्स मझ
ु े तेल लगाते समय तेज तेज दहल
रहे थे, उनको दे ख कर मेरा लांड क़िर से हरकत में आने लगा और थोडी ही दे र में तन तना गया।
मैंने अपने दोनों हाथ से उसके बब्स को दबाना चाल ककया और कहा कक तम्
ु हारे बब्स इतने बड़े कयों
हैं? तो वो बोली- तेरे सलए ही ककए है मेरे राजा, उसने क़िर से मेरा लांड अपने मह
ु में ले सलया और जी
भर के चसने के बाद बोली- लो अब अच्छा चचकना हो गया है इसको चत का रास्ता ददखा दो और और
अपने दोनों हाथ से अपनी टाांगे ़िैला दी। मैंने कहा- वाह ! ककतनी उभरी हुई चत है तम्
ु हारी ! तो वो
बोली- अब बस करो, मत तड़पाओ, डाल दो। मैंने अपने टॉप पर थोड़ा सा थक लगाया और उसके अन्दर
डाला। उसने अपना हाथ मेरे लांड पर रखा हुआ था और उसको छे द बता रही थी। लांड को छे द समल गया
था, धीरे से मैंने उसको झटका ददया तो स्स्स्स करने लगी। मैंने जोर से झटका ददया तो आआआ करके
चच्लाने लगी। मैंने कहा- कया कर रही हो, सब जग जायेंगे। तो बोली थोड़ा धीरे करो। मैंने अपना हाथ
उसके मह
ुां पर रखा और दो तीन झटके जोर से दे ददए। उसकी आवाज तो नहीां तनकली लेककन आांख से
पानी तनकल गया। अब मैं धीरे धीरे झटके मारने लगा दे खा अब उसको मजा आ रहा है तो अपने झटकों
की गतत को बढाया अब तो वह कहने लगी," और जोर से डालो फाड़ डालो इसको और जोर से।" अब तो
मैं और जोश में आ गया था। करीबन ५ -७ समनट मैंने उसको वैसे चोदा और कहा कक अब तम
ु खड़ी हो
जाओ। वह खड़ी हो गई मैंने उसको घम
ु ा ददया और आगे से झुका ददया। अब मैं पीछे से उसकी चत में
लांड डालने लगा उसके दहप्स बार बार मेरे लांड के साइड में लग रहे थे उससे इतना मजा आ रहा था, मेरे
दोनों हाथ उसकी कमर में थे और उसको बार बार मेरी और खीच रहे थे। आगे से उसके स्तनों की घांटी
बज रही थी वह धम धम करके इतने तेज दहल रहे थे। मैंने उसको कहा कक अब मैं नीचे लेट जाता हां
और तम
ु ऊपर आ जाओ। क़िर मैं नीचे लेट गया और वह ऊपर आ गई ऊपर बैठ कर उसने जैसे ही मेरे
लांड को अपने अन्दर डाला क़िर बोली अब दे ख मैं तझ
ु को कैसे चोदती हां ! मेरे मह
ुां की तऱि अपना मह
ु
लाकर जोर जोर से ऊपर नीचे होने लगी। मैं आ हह आह्ह कर रहा था लेककन मझ
ु े बहुत मजा आ रहा
था। मैंने उसको कहा- मैं झड़ने वाला हां तो वो बोली मैं भी झड़ने वाली हां , लो मैं तो झड़ गई ! वो परी
तरह से झड़ चक
ु ी थी। मेरा लांड ऊपर से ले के नीचे तक परा चचकना हो गया लेककन उसने अपनी
रफ्तार रोकी नहीां। मैंने कहा- बस अब आने वाला है वह तरांु त उठी और मझ
ु े खड़ा कर ददया और हाथ से
दहलाती हुई मेरे रस का इांतजार करने लगी। मैंने कहा- वह तो क़िर से चला गया अब मझ
ु े खड़ा कर
ददया है तो अपने मह
ांु में चद
ु वा लो। मैंने एक हाथ से उसके सारे बाल पकड़े और उसके मह
ांु में लांड
अन्दर बाहर करने लगा। थोडी ही दे र में मैं झड़ गया उसने सारा रस पी सलया। मैं पहले कपडे पहन कर
अन्दर आ गया वह बाद में अन्दर आई और हम एक दसरे के सामने हां स के दे ख कर सो गए।
सखी रे सखी
यह कहानी दो सखखयों की है । दोनों आपस में बहुत ही प्यार करती थी, यां कदहये कक जान तछड़कती थी।
ये दो सखखयाां है रीता शमा़ और कोमल सकसेना। साथ साथ ही कॉलेज में पढ़ी, आपस में एक दसरे की
राजदार रही थी। रीता की शादी उसके ग्रेजुएट होते ही हो गई थी। दोनों ने पोस्ट ग्रेजुएट करने बाद एक
प्राईवेट ़िम़ में नौकरी कर ली थी। पर रीता के पतत राकेश को ये अच्छा नहीां लगा तो उसने नौकरी छोड़
दी थी। उसकी ककस्मत ने जैसे प्टी खाई, राकेश को कुवैत में अच्छा काम समल गया, वो ज्दी ही वहाुँ
चला गया। रीता ने कोमल को अपने साथ रहने के सलये बल
ु ा सलया। हालाांकक कोमल अकेली रहना पसन्द
करती थी, कयोंकक उसके पवकास और उसके दोस्त समीर से शारीररक सम्बन्ध थे। रीता को ये सब मालम
था पर उसने अपने प्यार का वास्ता दे कर कोमल को अपने घर में रहने के सलये राजी कर सलया। रीता
ने अपने घर में सामने वाला कमरा दे ददया। पवकास और समीर ने कोमल को कमरा बदलने में बहुत
सहायता की। पर शायद कोमल को नहीां पता था कक पवकास और समीर की वासना भी नजरे रीता पर
गड़ चुकी है । कोमल की ही तरह रीता भी दब
ु ली पतली थी, तीखे मयन नकशे वाली थी, बस शादी के बाद
उसने साड़ी पहनना आरम्भ कर ददया था। चुदाई का अनभ
ु व कोमल को रीता से बहुत अचधक था, वो हर
तरह से अपनी वासना शान्त करना जानती थी। इसके पवपरीत रीता शादी के बाद कांु ए के में ढक की तरह
हो गई थी। चुदाने के नाम पर पर बस वो अपना पेटीकोट ऊपर उठा कर राकेश का लण्ड ले लेती थी
और दो चार धकके खा कर, झड़ती या नहीां भी झड़ती, बस सो जाया करती थी। झड़ने का सख
ु रीता के
नसीब में जैसे बहुत कम था। आज राकेश को कुवैत गये हुये लगभग दो साल हो गये थे, हाां बीच बीच में
वो यहा आकर अपना वीसा वगैरह का काम करता था और ज्दी ही वापस चला जाता था। पर आज
रीता को दे ख कर कोमल को बहुत खराब लगा। बत़न धोना, कपड़े धोना, खाना बनाना ही उसका काम रह
गया था। आज वो नल पर कपड़े धो रही थी। उसने सस़ि़ पेटीकोट और एक ढीला ढाला सा ब्लाऊज पहन
रखा था। उसके दोनों चचां चयाुँ ब्लाऊज में से दहलती जा रही थी और बाहर से स्पटट नजर आ रही थी।
उसके अस्त व्यस्त कपड़े, उलझे हुये बाल दे ख कर कोमल को बहुत दख
ु हुआ। पवकास तो अकसर कहता
था कक इस भरी जवानी में इसका यह हाल है तो आगे कया होगा … इसे सम्भालना होगा … । कफर एक
ददन कोमल ने दे खा कक रीता अपने बबस्तर पर लेटी करवटें बदल रही थी। उसका एक हाथ चत पर था
और एक अपनी चचां चयों पर … । शायद वो अपनी चत तघस तघस कर पानी तनकालना चाह रही थी। उसे
दे ख कर कोमल का ददल भर आया। वो चुपचाप अपने कमरे में आ गई। कफर आगे भी उसने अपने कमरे
के दरवाजे के छे द में से दे खा, रीता ने अपना पेटीकोट ऊपर उठा रखा था और अांगल
ु ी अपनी चत में डाल
कर हस्त मैथुन कर रही थी। शाम को कोमल ने दहम्मत करके रीता को बहुत ही अपनेपन से कह ददया,
”मेरी प्यारी सखी … बोल री तझ
ु े कया दख
ु है ?” “मेरी कोमल, कुछ ददनों से मेरा मन, भटक रहा है … और
ये सब तेरे पवकास का ककया हुआ है !” “नहीां रे , वो तो भोला भाला पांछी है … मेरे जाल में उलझ कर
़िड़़िड़ा रहा है … वो कुछ नहीां कर सकता है …!” “सच है री सखी … उसकी कामदे व सी तनगाहों ने मझ
ु े
घायल कर ददया है … उसका शरीर मझ
ु े ककसी काम दे वता से कम नहीां लगता है … मेरे तन में उसे दे ख
कर अजग्न जल उठती है , तन मन राख हुआ जा रहा है !” रीता की आहों में वासना का पट
ु स्पटट उभर
कर कर आ रहा था, स्वर में पवनती थी। “सखी रे सखी … तझ
ु े उसका काम दे व जैसा सलांग चादहये अथवा
उसकी प्रीतत की भी चाह है?” रीता की तड़प और आसजकत दे ख उसका मन पपघल उठा। “ना रे सखी …
तेरी दया नहीां … उसका प्यार चादहये … ददल से प्यार … हाय रे …!” उसका अहम जाग उठा। कोमल ने
अपना तरीका बदला,”सखी … त उसे अपने जाल में चाहे जैसे ़िांसा ले … और तन की जलन पर शीतल
जल डाल ले … तब तक मझ
ु े ही अपना पवकास समझ ले !” कोमल के मन में रीता के सलये कोमल
भावनाएुँ उमड़ने लगी … उसे समझ में आ गया कक ये बेचारी अपने छोटे से जहाुँ में रहती है , पर ककतनी
दे र तक तड़पती रहे गी। रीता भी अपनापन और प्रीतत पा कर भावना से असभभत हो गई और कोमल के
तन से लता की तरह सलपट पड़ी, और कोमल के गल
ु ाबी गालों पर मधरु चम्
ु बनो की वर्ा़ कर दी। कोमल
ने उसकी भावनाओां को समझते हुए रीता के होंठ चम सलये और चमती ही गई। रीता के मन में कुछ
कुछ होने लगा … जैसे बाग की कसलयाुँ चटकने लग गई। उसकी चचां चयाुँ कोमल की चचां चयों से टकरा उठी
… और मन में एक मीठी टीस उठने लगी। उसे अपनी जीवन की बचगया में जैसे बहार आने का अहसास
होने लगा। “कोमल, मेरे मन में जैसे कसलयाुँ खखल रही हैं … मन में मधुर सांगीत गज
ां रहा है … मेरे अांगो
में मीठी सी गद
ु गद
ु ी हो रही है … ! ” रीता के होंठो से गीलापन छलक उठा। कोमल के भी अधर भीग कर
कांपकांपाने लगे। अधरों का रसपान होने लगा। जैसे अधरों का रसपान नहीां, शहद पी रहे हों। कफर जैसे
दोनों होश में आने लगे। एक दसरे से दोनों अलग हो गईं। “हाय कोमल, मैं यह कया करने लगी थी … ”
रीता सांकुचा उठी … और शम़ से मख
ु तछपा सलया। “रीता, तनकल जाने दे मन की भावनाएुँ … मझ
ु े पता है
… अब समय आ गया है तेरी प्यास बझ
ु ाने का !” “सन
ु कोमल, मैंने तझ
ु े और पवकास को आपस में िीड़ा-
लीन दे खा …तो मेरे मन पवचसलत हो गया था !” रीता ने अपनी मन की गाांठें खोल दी। “इसीसलये त
अपने कमरे में हस्तमैथुन कर रही थी … अब सन
ु री सखी, शाम को नहा धो कर अपन दोनों आगे पीछे
से अन्दर की परी स़िाई कर के कामदे व की पजा करें गे … और मन की पपवत्र भावनाएुँ परी करें गे …! ”
कोमल ने एक दसरे के जजस्म से खेलने का तनमांत्रण ददया। “मेरी कोमल … मेरी प्यारी सखी … मेरे मन
को तझ
ु से अच्छा कौन जान सकता है ? मेरा प्यारा पवकास कब मझ
ु े प्यार करे गा ? … हाय रे !” रीता ने
तनमांत्रण स्वीकार करते हुये उसे प्यार कर सलया। मैने मोबाईल पर पवकास को समझा ददया था … कक
उसके प्यारे लण्ड को रीता की प्यारी चत समलने वाली है । सांध्या का समय हो चला था। सय़ दे वता अपने
घर की ओर जा रहे थे। कहीां कोने में छुपा अांधकार सारे जहाां को तनगलने का इन्तज़ार कर रहा था।
शैतानी ताकतें अांधेरे की राह ताक रही थी। जैसे ही सय़ दे वता का कदम अपने घर में पड़ा और रोशनी
गायब होने लगी, शैतान ने अपने आप को आज़ाद ककया और सारे जहाुँ को अपने सशकांजे में कसने लगा।
सभी के मन में पाप उभर आये। एक वासना भरी पीड़ा उभरने लगी। कामदे व ने अपना जाद चलाया।
इन्सान के अन्दर का पागलपन उमड़ने लगा। सभी औरतें , लड़ककयाुँ भोग्य वस्तु लगने लगी। मासम से
ददखने वाले यव
ु क, जवान लड़ककयों को कामक
ु लगने लगे … उनकी नजरें उनके बदन पर आकर ठहर गई।
मदों का सलांग उन्हें कड़ा और खड़ा ददखने लगा। इधर ये दोनों सखखयाां भी इस सबसे अछती नहीां रही।
कोमल और रीता भी नहा धोकर, पण़ रूप से स्वच्छ हो कर आ गई। दोनों जवातनयाुँ कामदे व का सशकार
बन चक
ु ी थी। दोनों की योतन जैसे आग उगल रही थी। शरीर जैसे काम की आग में सभी कुछ समेटने
को आतरु था। कमरे को भली भाांतत से बांद कर ददया। दोनों ने अपनी बाहें ़िैला दी … कपड़े उतरने लगे
… चचां चयाुँ कड़क उठी, स्तनाग्र कठोर हो कर इतराने लगे। कोमल नांगी हो कर बबस्तर पर दीवार के सहारे
पाांव लम्बे करके बैठ गई और नांगी रीता को उसने अपनी जाांघों पर उ्टा लेटा सलया। रीता के चतड़ों को
कोमल ने बब्कुल अपने पेट से सटा सलया और उसके चतड़ो को सहलाने लगी और थपथपाने लगी। रीता
ने आनन्द के मारे अपनी दोनों टाांगें ़िैला दी और अपने प्यारे गोल गोल चतड़ों की ़िाांकें खोल दी।
कोमल रीता की गाण्ड को सहलाते हुये कभी उसके दरारों के बीच सन्
ु दर से भरे रां ग के ़िल को भी दबा
दे ती थी। ह्के तमाचों से चतड़ लाल हो गये थे … थक लगा लगा कर ़िल को मसलती भी जा रही थी
“कोमल … हाय अतत सन्
ु दर, अतत मोहक … मेरे पतत के साथ इतना सख
ु कभी नहीां समला … ” रीता
कसकती आवाज में बोली। “अभी तो कुछ नहीां मेरी सखी, दे ख ये दतु नया बड़ी रसीली है … मन को अभी
तो जाने कया कया भायेगा … ” कोमल ने चतड़ो के मध्य छे द पर गद
ु गद
ु ी करते हुये कहा। कोमल की
अांगसु लयाुँ उसके ़िल को दबाते हुये ़िक से भीतर घस
ु गई। रीता चचहुांक उठी। उसे एक नये अद्पवतीय
आनन्द की अनभ
ु तत हुई। दसरा हाथ उसके सन्
ु दर और रस भरे स्तनो पर था। उसके कठोर चचुकों को
मसल रहे थे। कोमल की अांगसु लयाां उसकी मल
ु ायम गाण्ड में जाद का काम कर रही थी। उसकी चत में
एक आनन्द की लहर चलने लगी और वह जैसे मस्ती महसस करने लगी। उसके चतड़ों को दबाते हुये
अांगल
ु ी छे द के अन्दर बाहर होने लगी। रीता मस्ती के मारे सससकने लगी। इस तरह उसके पतत ने कभी
नहीां ककया था। उसके मख
ु से सससकी तनकल पड़ी। “कया कर रही है कोमल … बहुत मजा आ रहा है …
हाय मैं तो गाण्ड से ही झड़ जाऊांगी दे खना … ।” उसकी उततेजना बढ़ने लगी। अब कोमल अांगल
ु ी तनकाल
कर उसकी गल
ु ाबी चत में रगड़ने लगी, उसका दाना अांगसु लयो के बीच दब गया। रीता वासना की मीठी
कसक से भर गई थी। कोमल ने उसे चौपाया बन जाने को कहा। उसने अपने चतड़ ऊपर उठा सलये,
कोमल का उसके प्यारे गाण्ड के भरे छे द पर ददल आ गया और उसकी जीभ लपलपाने लगी … और कुछ
दे र में उसके छे द पर जीभ क़िसल रही थी। स़िाई के कारण उसमें से भीनी भीनी खुशब आ रही थी …
उसके मस्त छे द को हाथों से खीांच कर खोल सलया और जीभ अन्दर ठे ल दी। खश
ु ी के मारे रीता का रोम
रोम नाच उठा। तभी पवकास का समस-कॉल आ गया। कोमल समझ गई कक पवकास दरवाजे के बाहर खड़ा
है । उसने ज्दी से अपना गाऊन लपेटा और बैठक की तऱि चल दी। “मेरी सखी, अपनी आखे बांद कर ले
और सपने दे खती रह, बाहर कौन है मैं दे ख कर आती हुँ” कोमल ने रीता से प्यार भरा आग्रह ककया और
बाहर बैठक में आ कर मख्
ु य दरवाजा खोल ददया। पवकास तरु न्त अन्दर आ गया … कोमल ने उसे ततरछी
तनगाहों से दे खा। “मेरी प्यारी सखी रीता चुदने के सलये तैयार है … उसे कामदे व का ही इन्तज़ार है … ”
कोमल ने वासना भरे स्वर में कहा। “अरे ये कामदे व कौन है … उसकी तो मै माां … ।” पवकास ने तैश में
आ कर आांखे ददखाई। “आप हैं … जो कामदे व का रूप ले कर आये हो … वो दे खो … उस बाला की प्यारी
सी चत और उभरे हुये चतड़ो के गोल गोल प्याले … तम्
ु हारे मोटे और लम्बे, प्यारे से सलांग राह दे खते हुये
अधीर हुए जा रहे हैं … ” “ओये … अधीर दी माुँ दी ़िुद्दी … मैंने जी बहुत मठ
ु मारी है रीता जी के नाम
की … ” पवकास ने दर से ही रीता ही हालत दे ख कर मचल उठा। “अपने लण्ड को जरा और भड़कने दे …
चोदने में मजा आयेगा … ” कोमल ने हां सते हुये पवकास को आांख मारी। कोमल ने पवकास को अपनी बाहो
में सलया और और उसके लण्ड को दबाने लगी। “चल रे पवकास त उसे बाद में चोदना, पहले मेरी जवानी
का मजा तो ले ले … चल यही खड़े खड़े लौड़ा लगा कर चोद दे !” कोमल से उततेजना और नहीां सही जा
रही थी। पवकास को भी अपना लण्ड कहीां तो घस
ु ेड़ना ही था। “चल यार, पहले तेरी ़िुद्दी मार लुँ , ओह्ह
मेरा लण्ड भी तो दे ख कैसा पैन्ट को ़िाड़ने पर तल
ु ा है !” कोमल ने उसका पैन्ट खोल ददया। उसने भी
अपना गाऊन तनकाल ़िेंका। कोमल ने उसका गोरा लण्ड थाम सलया और मठ
ु मारते हुये पवकास को
चमने लगी। कोमल ने अपनी एक टाांग उठा कर पास की कुसी पर रख दी और अपनी चत खोल दी।
पवकास को समीप खीांच कर उसका लौड़ा चत से सभड़ा ददया। पवकास ने अपने चतड़ो का दबाव उसकी
खल
ु ी चत पर डाल ददया और उसका प्यारा लण्ड कोमल ने अपनी चत में घस
ु ा सलया। अब दोनों ही
सलपट पड़े और अपने कमर को एक पवशेर् अन्दाज में दहलाने लगे, लण्ड ने चत में घस
ु कर सरु सरु ी करने
लगा और उसका मजा दोनों उठाने लगे। उनके चतड़ों का दहलना तेज हो गया और कोमल की चत
पतनयाने लगी। वैसे ही वो रीता के साथ पहले ही उततेजना से भरी हुई थी। कोमल की आांखें मस्ती से
बन्द होने लगी और अनन्त सख
ु मई चद
ु ाई का आनन्द उठाने लगी। अब कोमल के मख
ु से रक रक कर
सससकाररयाुँ तनकलने लगी थी और चत को जोर जोर से पवकास के लण्ड पर मारने लगी थी। कफर एक
लम्बी आह भरते हुए उसने पवकास के चतड़ों को नोच डाला और कोमल का रज तनकल पड़ा। अब उसकी
टाांगे कुसी पर से नीचे जमीन पर आ गई थी। कोमल पवकास का लण्ड चत में सलये झड़ रही थी। दोनों
सलपटे हुए थे। पर पवकास का लण्ड अभी तक उ़िन रहा था, उसे अब रीता चादहये थी जजसके सलये
कोमल ने उसे बल
ु ाया था। कोमल अपनी चुदाई समाप्त करके अन्दर कमरे की ओर बढ़ गई। कोमल और
पवकास रीता के पास जाकर खड़े हो गये। रीता वासना की दतु नया में खोई अभी तक ना जाने कया सोच
कर आांखे बांद ककये सससकाररयाुँ भरे जा रही थी। पवकास ने ललचाई तनगाहों से रीता के एक एक अांग
का रस सलया और अपने हाथ कोमलता से उसके अांगों पर रख ददये। मद़ के हाथों का स्पश़ स्त्री को
दग
ु ना मजा दे ता है … रीता को भी मद़ के स्पश़ का अनभ
ु व हुआ और सससकते हुये बोली,”कोमल, तेरे
हाथो में मद़ जैसी खश
ु ब है … मेरे अांगों को बस ऐसा ही मस्त मजा दे … काश तेरे सलांग होता … सखी रे
सखी … हाय !” पवकास ने उसकी चत, गाण्ड और चचां चयाां मस्ती से दबाई। उसका लण्ड ़िु़िकारें मारने
लगा। उसे अब बस चत चादहए थी … । “तझ
ु े सच्चा लण्ड चादहए ना … कामदे व को याद कर और महसस
कर कक तेरी चत में कामदे व का लण्ड है … ” कोमल ने रीता को चमते हुये पवकास का रास्ता खोला।
“मझ
ु े ! हाय रे सखी, कामदे व का नहीां उस प्यारे से पवकास का मदमस्त लौड़ा चादहये, मेरी इस कमीनी
चत की प्यास बझ
ु ाने के सलये !” उसकी कसकती आवाज उसके ददल का हाल कह रही थी। अपना नाम
रीता के मख
ु से सन
ु ते ही पवकास के मख
ु पर कोमलता जाग उठी, चेहरे पर प्यार का भाव उभर आया।
उसने भावना में बह कर अपनी आांखें बांद कर ली, जैसे रीता को सशरीर अपनी नयनों में कैद कर सलया
हो। पवकास ने एक आह भरते हुये रीता के उभरे हुये गोल गोल चतड़ो पर प्यार से हाथ ़िेरा और कफर
नीचे झाांक कर चत को दे खा और और अपने तन्नाये हुये लण्ड को प्यार से उसके चत के द्वार पर रख
ददया। लण्ड का मोहक स्पश़ पाते ही जैसे उसकी चत ने अपना बड़ा सा मुँह
ु खोल ददया और गीली चत
से दो बद
ां े प्यार की टपक पड़ी। लण्ड ने चत पर एक लम्बी रगड़ मारी और द्वार को खोल कर भीतर
प्रवेश कर गया। रीता को जैसे एक झटका सा लगा उसने तरु ां त आुँखें खोल दी और अपवजश्वसनीय तनगाहों
से पीछे मड़
ु कर दे खा … अपनी चत में पवकास का लण्ड पा कर जैसे वो पागल सी हो गई। एक झटके से
उसने उसका लण्ड बाहर तनकाला और लपक कर उससे सलपट गई। दो प्यार के प्यासे ददल समल गये …
जैसे उनकी दतु नया महक उठी … जैसे मन माांगी मरु ाद समल गई हो … दोनों ही नांगे थे … दोनों के शरीर
आपस में रगड़ खा रहे थे, दोनों ही जैसे एक दसरे में समा जाना चाहते थे। रीता को लगा जैसे वो कोई
सपना दे ख रही हो। “मैं सपना तो नहीां दे ख रही हुँ ना … हाय रे पवकास … आप मझ
ु े समल गये … अब
छोड़ कर नहीां जाना … ” रीता भावना में बहती हुई कहने लगी। “रीता जी, आप मझ
ु े इताना प्यार करती हैं
… ” पवकास का मन भी उसके सलये तड़पता सा लगा। “मेरे पवकास, मेरे प्राण … मेरे ददल के राजा … बहुत
तड़पाया है मझ
ु े … दे ख ये प्यासा मन … ये मनभाता तन … और ये अांग अांग … राजा तेरे सलये ही है …
तेरा मन और तन, ये अांग मझ
ु े दे दे … हाय राम जी … कोमल … मेरी प्यारी सखी, त तो मेरी जान बन
गई है रे … ” रीता की तरसती हुई आवाज में जाने कैसी कसक थी, शायद एक प्यासे मन और तन की
कसक थी। रीता को पवकास ने प्यार से ने नीचे झक
ु ा कर अपना लण्ड उसके मुँह
ु में दे ददया। “रीता, मेरा
लण्ड चसो … तम्
ु हारे प्यारे प्यारे अधरों का प्यार माांग रहा है !” “मैने कभी नहीां चसा है … प्लीज नहीां … ”
“मीठी गोली की तरह चस डालो … मजा आयेगा !” कोमल ने भी पवकास का लण्ड पकड़ कर रीता के मुँह
ु
में डालने की कोसशश की। रीता ने कोमल का हाथ ज्दी से हटा ददया … “कोमल तम
ु जाओ अब यहाुँ से
… मत छओ मेरे पवकास को … ” रीता ने पवकास का लण्ड अपने मख
ु में समा सलया और चसने लगी।
कोमल रीता की खुली हुई गाण्ड में अांगल
ु ी डाल कर उसे गद
ु गद
ु ी करने लगी। रीता की परवान चढ़ी हुई
वासना को जैसे एक सीढ़ी और समल गई। वो अपने चतड़ को दहला दहला कर मेरी अांगल
ु ी का मजा लेने
लगी। यह सब आनन्द उसे पहली बार नसीब हो रहा था, सो वह बहुत ही उततेजजत हो कर अपने कमनीय
बदन का बेशमी से सांचालन करने लगी थी। अब रीता ने लण्ड मख
ु से बाहर तनकाल सलया और पवकास
से सलपट गई। “राजा अब नहीां रहा जाता है … हाय अब अन्दर घस
ु ेड़ दो ना … ” रीता ने वासना भरी
सीतकार भरी। दोनो ही आांखे बांद ककये हुए एक दसरे में समाने की कोसशश में लग गये … कक रीता के
मख
ु से आह तनकल पड़ी। पवकास के लण्ड ने अपनी राह ढां ढ ली थी। प्यासा लण्ड चत में उतर चुका था।
पवकास रीता के ऊपर चढ़ चुका था, रीता के दोनों पाांव पवकास की कमर से सलपट कर जकड़ चुके थे।
रीता की चत अपने आप को ऊपर की उठा कर लण्ड को लील लेना चाह रही थी, और पवकास के चतड़ो
का जोर रीता की नरम चत पर दबाव डाल रहा था। दोनों ने अपना अपना काम परा कर सलया, लण्ड परा
अन्दर जा चक
ु ा था और मीठी मीठी वासना की जलन से पवकास का लण्ड रीता की चत में रस भरी बद
ां े
भी टपकाता जा रहा था। रीता भी मनपसन्द लण्ड पा कर अपनी चत का पानी बद
ां ो के रूप में तनकालती
जा रही थी। कोमल ने इन दोनों को प्यार से दे खा … और रीता के चतड़ों पर ह्के ह्के हाथों से मारने
लगी। दोनों एक दसरे के कोमल अांगो को अपने अन्दर समेटे हुये, प्यार से एक दसरे को दे रहे थे, कस
कस कर चम रहे रहे थे, रीता के स्तन जैसे मस्त हो कर कुलाांचे मार रहे थे, आगे पीछे डोलते जा रहे थे
और पवकास के हाथो में मसले जा रहे थे। वो दोनो धीरे धीरे आपस में अपने चत और लण्ड को आगे
पीछे जैसे रगड़ रहे थे … पीस रहे थे … लण्ड चत में परा घस
ु ा हुआ जैसे गहराई में गभा़शय के मख
ु को
खोलने की कोसशश कर रहा हो। उसकी परी चत में अन्दर तक समठास भरी लहर चल रही थी। चत जैसे
लण्ड को अपनी दीवारों से लपेट रही थी और दोनों एक जैसे ना खतम होने वाले आनन्द में डब गये थे।
दोनों की आांखे बांद थी और इस स्वगीय सख
ु के आनन्द में खोये हुये थे। अचानक पवकास ने अपनी
गाण्ड उठाई और चत में लण्ड मारना आरम्भ आरम्भ कर ददया। रीता भी अपने प्यारे चतड़ो को उछालने
लगी और लण्ड को अपनी चत में परा समेटने की कोसशश करने लगी। रीता से अब अपना यौवन
सम्भाले नहीां सम्भल रहा था … उसका अांग अांग मदहोशी से चर हो रहा था। पवकास का लण्ड जैसे फलता
जा रहा था … उसके जजस्म में कसावट आती जा रही थी। यौवन रस अब चत द्वार से तनकलना चाहता
था … रीता के जबड़े कस गये थे और वासना से उभर आये थे, दाांत ककटककटाने लगे थे, चेहरा पवकृत होने
लगा था, उसने अपनी आांखें बांद कर ली और अब वो एकाएक चीख उठी … तड़प उठी … यौवन रस ररसता
हुआ चत से तनकल पड़ा … उसके जजस्म में लहरे उठने लगी … रस ने जजस्म का साथ छोड़ ददया और
चत द्वार से बाहर च पड़ा। जैसे जैसे उसका रस तनकलता गया वो शाांत होने लगी … पर पवकास का
लौड़ा अभी भी बड़ी ताकत के अन्दर बाहर आ जा रहा था … उसे भी पता था कक अब उसका लण्ड
पपचकारी छोड़ने वाला है । उसने अपना लण्ड चत से बाहर तनकाल सलया और हाथ में लेकर उसे जोर से
दबा ददया। उसके मख
ु से जैसे गरु ा़हट सी तनकली और वीय़ ने एक तेज उछाल मारी। कोमल से रहा नहीां
गया … और लण्ड की तऱि लपक पड़ी और इसके पहले कक दसरा उछाल तनकलता, पवकास का लण्ड
कोमल के मख
ु में था और बाकी का वीय़ कोमल के गले में उतरने लगा … रीता तनढाल सी चचतत लेटी
हुई थी और गहरी साांसें ले रही थी। अब रीता को कोई सशकवा नहीां था … उसकी चत चुद चुकी थी और
उसे चोदने के सलये एक मोटा और लम्बा लण्ड समल गया था … जो उसे भी प्यार करने लगा था।
“पवकास, रीता को तम
ु ने इतने प्यार से चोदा … इसके सलये मैं और रीता आपके बहुत आभारी हैं !” कोमल
ने पवकास का शकु िया अदा ककया। पवकास हां स पड़ा,”आभारी … हा हा हा … कया बात है कोमल … बड़ी
़िोम़ल हो गई हो … ” पवकास की हां सी छट पड़ी। “रीता जी बहुत मस्त हो कर चद
ु ाती हैं … मेरा तो इन्होंने
ददल ही चुरा सलया है !” पवकास ने प्यार भरी नजरों से रीता को तनहारा। “चुप रहो जी … तम
ु तो कोमल
के ददल में रहते हो … मझ
ु े झाांसा मत दो !” रीता ने बबस्तर से उठते हुये कहा। “अरे नहीां रे पगली, ये तो
मेरा दोस्त है बस … ये तो मझ
ु े चोदता है … प्यार तो त करती है ना … बस अपना ददल त पवकास को दे
दे और बदले में उसका ददल ले ले !” कोमल ने दोनों को अपना रख स्पटट कर ददया। रीता और पवकास
ने एक दजे को प्यार से दे खा और कफर से एक दसरे से सलपट पड़े और कस कर जकड़ सलया, होंठ से
होंठ जड़
ु गये, प्यार करने लगे … जवानी की कसमें खाने लगे … चाांद तारे तोड़ कर लाने का वादा करने
लगे … सांग जीने और मरने की कसमें खाने लगे … कोमल ने उनके मन की तरां गो को समझा व वहाां से
खखसकने में ही अपनी भलाई समझी … ।
मेरा नाम शेखर है और मैं १८ साल का हां . मैं अपने मम्मी पापा के साथ मब
ुां ई में रहता हुँ. बात उन
ददनों की है जब मेरे चाचा जी की तबीयत खराब हो गयी थी और वो मब
ुां ई के हॉजस्पटल में भरती थे.
इधर मेरी चाची जी को गाुँव से लाने का काम मझ
ु े करना था इससलए मैं गाुँव (उततर प्रदे श) चला गया.
चाचा की शादी अभी २ बरस पहले ही हुई थी और शादी के कुछ ही महीने बाद से वो मब
ुां ई में काम
करने लगे थे. दो तीन महीने में एक दो ददन के सलए वो गाुँव जाते थे. इधर बीमारी के वजह से वो तीन
महीने से गाुँव नहीां जा सके थे. गाुँव में पहुुँचा तो मेरे दादा दादी जो कक चाचा जी के साथ रहते थे, अपने
ककसी ररश्तेदार से समलने ४-५ ददन के सलए चले गये और घर में सस़ि़ मैं और चाची अकेले रह गये.वैसे
तो दादाजी और मैं घर के बाहर बरामदे में सोते थे और चाची जी और दादीजी घर के अांदर, पर अब
चाची जी ने कहा कक तम
ु भी अांदर ही सो जाओ. रात में खाना खाने के बाद मैंने दरवाज़ा अांदर से बांद
कर के दादीजी के कमरे में सोने चला गया. चाची बोली कक "ल्लाजी तम
ु मेरे ही कमरे में आ जाओ,
बात करते करते सोएांगे" मैंने कहा कक ठीक है और उनके कमरे में चला गया.चाची जी के कमरे में एक
ही पलांग था और मैंने पछ
ां ा कक आप कहाुँ सोएांगी. वो बोली कक मैं नीचे ज़मीन पर सो जाउां गी. मैंने कहा
कक नहीां, आप पलांग पर सो जाओ मैं नीचे सो जाता हुँ. वो बोली नहीां तम
ु पलांग पर सो जाओ. मैं नहीां
माना और मज़ाक में बोला कक आप इसी पलांग पर सो जाओ, का़िी बड़ा तो है , ददककत नहीां होगी. पहले
तो वो हुँसी पर कफर बोली कक ठीक है , तम
ु दीवार के तरफ सरको मैं ऊपर ही आती हुँ. मैं दीवार के तरफ
सरक गया और चाचीजी ने लालटे न बब्कुल धीमा करके मेरे बगल में आकर लेट गयी. लगभग आधा
घांटा हम लोग बात करते करते सो गये. अब तक मैं सस़ि़ चाचीजी को अपनी चाची के तरह ही दे खता
था. वो जबकक का़िी जवान थी, लगभग २२-२३ साल की, पर मेरे मन में ऐसी कोई गलत भावना नहीां थी.
पर वहाुँ चाचीजी को अकेले में एक ही बबस्तर पर पाकर मेरे मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी. मेरा
लांड एक खड़ा था और ददमाग में सस़ि़ चाची की जवानी ही ददख रही थी. ककसी तरह मैंने इन सब गांदी
बातों से ध्यान हटाकर सो गया. लगभग आधी रात में मेरी नीांद खुली और मझ
ु े ज़ोर से पेशाब लगी थी.
मैं तो दीवार के तरफ था और उतरने के सलए चाची के उपर से लाुँघना पड़ता था. लालटे न भी बहुत
धीमी जल रही थी और अांधेरे में कुछ साफ ददख नहीां रहा था. अांदाज़ से मैं उठा और चाचीजी को लाुँघने
के सलए उनके पाांव पर हाथ रखा. हाथ रखा तो जैसे करें ट लग गया. चाची जी की साडी उनके घट
ु नों के
उपर सरक गयी थी और मेरा हाथ उनके नांगी जाांघों पर पड़ा था. चाचीजी को कोई आहट नहीां हुई और
मैं झट से उठकर रूम के बाहर पेशाब करने चला गया. पेशाब करने के बाद मेरा मन कफर चाचीजी के
तरफ चला गया और लांड कफर से टाइट हो गया. मैंने सोचा की चाची तो सो रही है , अगर मैं भी तोड़ा
हाथ फेर लां तो उनको मालम नहीां पड़ेगा. और अगर वो जाग गयी तो सोचेगी कक मैं नीांद में हुँ और कुछ
नहीां कहें गी. दोबारा पलांग पर आने के बाद मैं चाची के बगल में लेट गया. चाचीजी अब भी तनजश्चांत भाव
से सो रही थी. मैंने लालटे न बब्कुल बझ
ु ा दी जजससे कक कमरे में घप
ु अांधेरा हो गया. लेटने के बाद मैं
चाची के पास सरक कर अपना एक हाथ चाचीजी के पेट पर रख ददया. थोड़े इांतजार के बाद जब दे खा
कक वो अब भी सो रही थी मैंने अपना हाथ थोडा उपर सरकाया और उनके ब्लाउस के उपर तक ले गया.
उनकी एक चच
ु ी की आधी गोलाई मेरे उां गसलयों के नीचे आ गयी थी. धीरे धीरे मैंने उनकी चच
ु ी दबाना
शरू
ु ककया और कुछ ही दे र में उनकी वो परी चच
ु ी मेरे हाांथों में थी. मझ
ु े ब्लाउस के उपर से उनकी ब्रा
फील हो रही थी पर तनपल कुछ मालम नहीां पड़ रहा था. चाचीजी अब भी बेख़बर सो रही थी और मेरा
लांड एकदम फड़फड़ा रहा था. सस़ि़ ब्लाउस के उपर से चच
ु ी दबाकर मज़ा नहीां आ रहा था. मब
ांु ई के बस
और ट्रे न में ना जाने ककतने ही लड़ककयों की चच
ु ी दबाई है मैने. मैंने सोचा कक अब असली माल टटोला
जाए और अपना हाथ उठा कर चाचीजी की जाुँघ पर रख ददया. मेरा हाथ चाची की साडी पर पड़ा पर
मझ
ु े मालम था की थोडा नीचे हाथ सरकाउां तो जाुँघ खल
ु ी समलेगी. मैंने हाथ नीचे सरकाया चाची की
नांगी जाांघ मेरे स्पश़ में आ गयी कया नरम गरम जाुँघ थी चाची की। तभी मेरा स्पश़ पाकर चाचीजी ने
थोड़ी हलचल की और कफर शाांत हो गयी. मैं भी थोड़ा दे र रक कर कफर अपना हाथ उपर सरकाने लगा.
साथ में साडी भी उपर होते जा रही थी. चाचीजी कफर से कुछ दहली पर कफर शाांत हो गयी. मेरा मन अब
मेरे बस में नहीां था और मैंने अपना हाथ चाची के दोनो जाांघों के बीच में ले जाने की सोची. पर मैंने
पाया कक चाची की दोनो जाुँघ आपस में उपर सटे हुए थे और उनकी बरु तक मेरी उां गसलयाुँ नहीां पहुुँच
सकती थी. कफर भी मैंने अपना हाथ उपर सरकाया और साथ में मेरी उां गली दोनो जाांघों के बीच में
घस
ु ाने की कोसशश की. चाची कफर से दहली और नीांद में ही उन्होने अपना एक पैर घट
ु नों से मोड़ सलया
जजससे उनकी जाांघें फैल गयी.मौके का ़िायदा उठाकर मैंने भी अपना हाथ उनके जाांघों तक ले गया और
जब की मेरा अांगठा अब मेरे चाची के बरु के उपरी उभार पर था, मेरी पहली उां गली चाची के जाांघों के
बीच उनकी पैंटी के थ्र बरु के असली पाट़ पर थी. चाची की बरु की गमा़हट मेरी उां गली पर महसस हो
रही थी और कुछ कुछ गीलापन भी था. मेरा ददल अब ज़ोरो से धड़क रहा था. मेरा हाथ चाची के बरु पर
था और कमरे में बब्कुल अांधेरा था. मैंने सोचा कक अब कया करूुँ. चाची की बरु तो उनकी पैंटी से ढकी
है और पैंटी में हाथ तो डाला तो वो ज़रूर जाग जाएुँगी.कफर भी मैं नहीां माना और मैंने सोचा कक धीरे से
अपनी एक उां गली उनकी पैंटी के साइड में से अांदर डाल.ां मैंने धीरे से अपनी उां गली मोडी और उनकी
जाांघों के बीच में पैंटी को थोडा खीच कर एक उां गली अांदर डाल दी. मेरी उां गली उनकी बरु के फो्ड्स पर
पहुुँच गयी और मैंने पाया कक उनकी बरु एकदम गीली थी जजससे मेरी उां गली का दटप उनके बरु के
मह
ु ाने के अांदर आसानी से घस
ु गया. मैंने अपनी उां गली धीरे धीरे से चाची के बरु में दहलाने लगा और
तीन चार बार दहलाने पर ही चाची जी एक झटके से जाग गयी. मैं तो एकदम से सन्न रह गया और
सोचा कक अब तो मरा.पर चाची ने अपना हाथ से अपने बरु को टटोला और मेरा हाथ वहाुँ पाकर थोड़ी
दे र उनका हाथ वहीां रक गया. शायद वो भी सन्न रह गयी थी. मैं चप
ु चाप सोने का नाटक कर रहा था
और सोचा कक अब चाची मेरा हाथ वहाुँ से तनकाल कर मझ
ु े दर धकेल दें गी. पर चाची जी ने वो ककया
जो मैं सोच भी नहीां सकता था. उन्होने मेरा हाथ ना हटाते हुए अपनी बरु खज
ु ाने लगी और खज
ु ाते
खज
ु ाते अपनी पैंटी थोड़ी नीचे सरका दी जजससे कक उनका बरु आधा खल
ु गया और कफर सोने का नाटक
करने लगी. मेरी उां गली अब भी उनकी पैंटी में थी पर अब जब उन्होने पैंटी थोड़ी नीचे सरका दी तब मैं
भी समझ गया कक चाची जी चप
ु चाप मज़ा ले रही है .कफर भी मैं थोडा रका और कफर अपना हाथ
बब्कुल उनकी जाुँघ पर से उठाकर सीधे उनके बरु पर रख ददया. चाची की पैंटी का एलाजस्टक अब भी
मेरी उुँ गसलयों और उनके बरु के बीच आ रहा था तो मैंने दहम्मत करके धीरे से एलाजस्टक उठा कर
अपनी उां गसलयों को उनकी पैंटी के अांदर घस
ु ा ददया. मेरी बीच की उां गली चाची के बरु के जस्लट पर थी
और जब मैंने धीरे से अांपनी उां गली मोडी तो वो उनकी गीली बरु में चली गयी चाची ने भी अब पैर और
फैला ददए और अपना एक हाथ मेरे हाथ के उपर रख ददया. लेककन वो अब भी सोने का नाटक कर रही
थी. मैंने भी अब अपनी दसरी उां गली मोडी और वो भी चाची की बरु में पेल दी. रूम में वैसे भी सन्नाटा
था और अब चाचीजी की साुँसे ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. अब तक तो सस़ि़ मेरे हाुँथ चाची की जवानी
को टटोल रहे थे पर अब मैं बब्कुल चाची के करीब उनसे सट गया और अपना मह उनके मह के पास
ले गया. हमारी गाल आपस में छ गये और चाची ने अपना चेहरा इतना घम
ु ाया की उनके होंठ मेरे होंठों
से बस धीरे से छ भर गये. उनकी साुँस की गमी मेरे होंठों पर आ रही थी. मैं भी थोडा सा इस तरह
एडजस्ट हो गया की मेरा होंठ बब्कुल उनकी होंठों पर सट गया. उधर मेरी उां गसलयाुँ चाची की बरु में
अपना कमाल ददखा रही थी और चाची भी अपने हाथ से मेरे हाथ को अपनी बरु पर दबा के रखा था.
चाची की गरम गरम गीली बरु में अब मैं खु्लम ख्
ु ला उां गली कर रहा था और चाची अब भी नीांद में
होने का नाटक कर रही थी. मैंने सोचा अब बहुत नाटक हो गया. अब तो असली जवानी का खेल हो
जाए. मैंने चाची की बरु में अपनी तीन उां गली डाल कर ज़ोर से दबा ददया और साथ में चाची के होंठों पर
अपने होंठ चचपका ददए. चाची के मह
ुां से आह तनकल गयी और उनका मह
ुां थोडा सा खुल गया. तरु ां त ही
मैंने अपनी जीभ उनके मह
ुां में घस
ु ा दी और चाची की बरु से हाथ तनकाल कर तरुां त उनको अपने बाहों में
कस कर सलपट सलया. "उह्ह... शेखर यह कया रहा है त...छोड़ मझ
ु े त.. चाची ने मझ
ु े यह कहते हुए
धकेलना चाहा. पर मैंने भी उनको कस कर पकड़ सलया और बोला कक मझ
ु े मालम है तम
ु पपछले आधे
घांटे से जाग रही हो मेरी उां गली करने का मज़ा ले रही हो. तब चाची ने मचलना बांद कर ददया और मेरी
बाहों में शाांत हो कर पड़ी रही. चाची बोली" शैतान कहीां के, तझ
ु े डर नहीां लगा मेरे साथ यह करते हुए ?"
मैंने कहा कक डर तो बहुत लगा था पर अब डर कैसा. अब तो तम
ु ना भी बोलोगी, तब भी तम्
ु हारा रे प
कर दुँ गा इसी बबस्तर पर. कौन जानेगा कक इस घर के अांदर यह भतीजा अपनी चाची के साथ कया कर
रहा है . यह कहते हुए मैंने अपना हाथ चाची के पीठ पर से नीचे सरकते हुए उनके गाांड के गोलाईयों पर
ले गया और पीछे से उनकी पैंटी की एलाजस्टक को पकड़कर पैंटी नीचे सरका दी. वो बोली "ल्ला रे प
करने की कया ज़रूरत है . तने तो वैसे ही मझ
ु े गरम कर ददया है . अब तो मैं ही तेरा रे प कर दुँ गी" बस
अब कया था. चाची जी ने अपना पैंटी पैर में से तनकालकर साड़ी उतार दी. मैंने भी अपना लुँ गी खोल कर
अांडरवीयर तनकाल फेंका. कफर चाची को बबस्तर पर पीठ के बल दबाकर उनके ब्लाउस के बटन खोलने
लगा. "आज तम्
ु हारी जवानी का स्वाद लुँ गा मेरी जान" मैंने ब्लाउस खोलते हुए एकदम कफ्मी अांदाज़ में
चाची से बोला. चाची ने भी उसी अांदाज़ में कहा, "भगवान के सलए मझ
ु े छोड़ दो, मैं तम्
ु हारे पाांव पड़ती हुँ"
सारे बटन खोलने पर मैंने ब्लाउस को पकड़ कर साइड में कर ददया और चाची के ब्रा से ढके हुए चचु चयों
पर अपना मह
ु रख ददया. चाची ने भी अब बेशरम हो कर मेरा सर को अपनी चची पर दबा ददया और
बोली, "ल्ला कया यह पैकेट नहीां खॉलोगे" उनका इशारा उनकी ब्रा के तरफ था. मैंने तरांु त उन्हे उठाया
और पलांग के बगल में खड़ा करके उनकी ब्लाउस और ब्रा उनसे अलग कर दी. कफर पेदटकोट का नाडा
भी खीांच कर खोल ददया और वो भी उनके पैरों के पास ज़मीन पर चगर गया. चाची को इस तरह नांगा
कर उनको पलांग पर खीांच सलया और सीधे उनके उपर लेट गया. अब में उनकी चचु चयों को आराम से
चस रहा था और वो मेरा सर अपने हाथों से सहला रही थी. कुछ दे र बाद चाची ने अपना हाथ मेरे लांड
पर ले गयी और बोली" ल्ला नाश्ता हो गया. अब डडनर हो जाए?" मैं भी तैयार था, पछा वेज या नॉन
वेज ?" वो बोली की वेज तो रोज़ ही लेते हो आज नॉन वेज चख लो" यह कहते हुए चाची ने मेरा लांड
उनके बरु के मह
ु ाने पर रखा और मैंने उनको फाइनली पेल ददया. पेलते पेलते चाची एकदम मस्त हो
गयी और अपने दोनो पाांव मेरे कमर के उपर लपेट ददया. मैं उनको पेलता रहा और साथ साथ चमता
रहा. चाची ने तभी अपना हाथ मेरी गाण्ड की तरफ ले गयी और एक उां गली मेरी गाांड में घस
ु ा दी. मैंने
भी अपना एक हाथ चाची के गाांड के पीछे ले जाकर उनकी गाांड में एक उां गली घस
ु ा दी. तभी चाची
एकदम ऐांठने लगी और कस कर मझ
ु े पकड़ सलया. ल्ला और ज़ोर से चोदो...ऽउर छोड़ो ...बोलते बोलते
वो आखख़र वो झड़ गयी और कफर शाांत हो गयी. पर मेरा पेलना अभी चाल था और लगभग १०-१५
झटकों के बाद मैं भी चाची के बरु में ही झड़ गया. हम दोनो पसीने पसीने हो गये थे और में चाची के
उपर ही पड़ा हुआ था. कुछ दे र बाद चाची उठी और बाथरूम जाकर आई. मैं भी अब अांडरवीअर पहन
चुका था. चाची ने सस़ि़ पेदटकोट पहन रखा था. आकर बोली " ल्ला, तम्
ु हारे साथ जो ककया वो तो अभी
हम आगे भी बहुत बार करें गे. पर यह बात ककसी और को मालम नहीां होने पाए. सबके सामने मैं
तम्
ु हारी चाची ही हां " मैंने भी उनको अपने बाहों में लेते हुए बोला" सबके सामने कयों चाची, यहाुँ पलांग पर
भी तम
ु मेरी चाची ही हो. और तम्
ु हारी यह जवानी की समठाई तो मैं अकेले ही खाऊुँगा. सब चाचाजी को
ही मत खखला दे ना चाची हुँसी और अपना हाथ कफर से मेरे अांडरवीअर में डाल ददया.
मेरी शादी हुये दो साल हो चुके थे। मेरे पतत बी एच ई एल में काय़ करते थे। उन्हे कभी कभी उनके
मख्
ु य काया़लय में काय़ हे तु शहर भी बल
ु ा सलया जाता था। उन ददनो मझ
ु े बहुत अकेलापन लगता था।
मेरी पढ़ाई बीच में ही रक गई थी। मेरी पढ़ाई की इच्छा के कारण मेरे पतत ने मझ
ु े कॉलेज में प्रवेश
ददला ददया था। मैं कॉलेज में एडसमशन ले कर बहुत खुश थी। कॉलेज जाने से मेरी पढ़ाई भी हो जाती
थी और समय भी अच्छा तनकल जाता था। कई बार मेरे मन में भी आता था कक अन्य लड़ककयों की
तरह मैं भी लड़कों के साथ मस्ती करूुँ, पर मैं सोचती थी कक यह काम इतना आसान नहीां है । यह काम
बहुत सावधानी से करना पड़ता है , जरा सी चक होने पर बदनामी हो जाती है । कफर कया लड़के यां ही
चककर में आ जाते है , छुप छुप के समलना, और कहीां एकान्त समल गया तो पता नहीां लडके कया न कर
गज
ु रें । उन्हें कया ... हम तो चुद ही जायेंगी ना। आह ! कफर भी जाने कयां कुछ ऐसा वैसा करने को मन
मचल ही उठता है । लगता है जवानी में वो सब कुछ कर गज
ु रें जजसकी मन में तमन्ना हो। पराये मद़ से
शरीर के गप्ु त अांगों का मद़न करवाना, पराये मद़ का लण्ड मसलना, मौका पा कर गाण्ड मरवाना, प्यासी
चत का अलग अलग लण्डों से चुदवाना ...।धतत ! ये कया सोचने लगी मैं ? भला ऐसा कहीां होता है ?
मैंने अपना सर झटका और पढ़ाई में मन लगाने की कोसशश करने लगी। पर एक बार चत को लण्ड का
चस्का लग जाये तो चत बबना लण्ड सलये नहीां मानती है , वो भी पराये मदों के सलये तरसने लगती है ,
जैसे मैं ... अब आपको कैसे समझाऊां, ददल है कक मानता ही नहीां है ।मेरी कलास में एक सन्
ु दर सा लड़का
था, उसका नाम सांजय था, जो हमेशा पढ़ाई में अव्वल आता था। मैंने मदद के सलये उससे दोस्ती कर ली
थी। उससे मैं नोट्स भी सलया करती थी।एक बार मैं सांजय से नोट्स लेकर आई और मेज़ पर रख ददए।
भोजन वगैरह तैयार करके मैं पढ़ने बैठी। कॉपी के कुछ ही पन्ने उलटने के बाद मझ
ु े उसमें एक पत्र
समला। सांजय ने वो पत्र मझ
ु े सलखा था। उसमें उसने अपने प्यार का इज़हार ककया था। बहुत सी ददलकश
बातें भी सलखी थी। मेरी सन्ु दरता और मेरी सेकसी अदाओां के बारे में खुल कर सलखा था। उसे पढ़ते
समय मैं तो उसके ख्यालों में डब गई। मैंने तो सपने में भी नहीां सोचा था कक कोई मझ
ु से प्यार करने
लगेगा। कफर मझ
ु े लगा कक मैं ये कया सोचने लगी... मैं तो शादी शद
ु ा हुँ, पराये मद़ के बारे में भला कैसे
सोच सकती हुँ।तभी अचानक घर की घण्टी बजी। बाहर दे खा तो सांजय था ... मेरा ददल धक से रह
गया। यह कया ... यह तो घर तक आ गया, पर उसके चेहरे पर हवाईयाुँ उड़ रही थी। "कया हुआ सांजय
?" "वो नोट्स कहाां है सोनल?" "वो रखे हुये हैं ..."वो ज्दी से अन्दर आ गया और कॉपी दे खने लगा।
जैसे ही उसकी नजर मेज़ पर रखे पत्र पर पड़ी ... वो काांप सा गया। उसने झट से उसे उठा सलया और
अपनी जेब में रख सलया। "सोन, इसे दे खा तो नहीां ना ... " "हाां दे खा है ... कय, कया हुआ ... अच्छा
सलखते हो !" "सॉरी ... सॉरी ... सोन, मेरा वो मतलब नहीां था, ये तो मैंने यां ही सलख ददया था।" "इसमे
सॉरी की कया बात है ... तम्
ु हारे ददल में जो था... बस सलख ददया...।" उसे कुछ समझ में नहीां आया वो
सर झुका कर चला गया। मैं उसके भोलेपन पर मस्
ु करा उठी। उसके ददल में मेरे सलये कया भावना है
मझ
ु े पता चल गया था। रात भर बस मझ
ु े सांजय का ही ख्याल आता रहा : कक जैसे सांजय ने मेरे स्तन
दबा सलये और मेरे चतड़ों में अपना लण्ड घस
ु ा ददया। मैं तड़प उठी। वो मझ
ु से चचपका जा रहा था, मझ
ु े
चुदने की बेताबी होने लगी। मैंने घम कर उसे पकड़ सलया और बबस्तर पर चगरा ददया। उसका लण्ड मेरी
चत में घस
ु गया। मेरा शरीर ठण्ड से काांप उठा। मैंने उसके शरीर को और जोर से दबा सलया। मेरी नीांद
अचानक खुल गई। जाने कब मेरी आांख लग गई थी ... ठण्ड के मारे मैं रज़ाई खीांच रही थी ... और एक
मोहक सपना टट गया। मैंने अपने कपड़े बदले और रज़ाई में घस
ु कर सो गई। सवेरे मेरे पतत नाईट
ड्यटी करके आ चक
ु े थे और वो चाय बना रहे थे। मैंने ज्दी से उठ कर बाकी काम परा ककया और चाय
लेकर बैठ गये। कॉलेज में सांजय मझ
ु से दर दर भाग रहा था, पर केन्टीन में मैंने उसे पकड़ ही सलया।
उसकी खझझक मैंने दर कर दी। मेरे ददल में उसके सलये प्रेम भाव उतपन्न हो चक
ु ा था। वो मझ
ु े अपना
सा लगने लगा था। मेरे मन में उसके सलये भावनायें पैदा होने लगी थी। "मैंने आप से मा़िी तो माांग ली
थी ना !" उसने मायसी से सर झक
ु ाये हुये कहा। "सन
ु ो सांजय, तम
ु तो बहुत प्यारा सलखते हो, लो मैंने भी
सलखा है , दे खो अकेले में पढ़ना !" उसे मैंने एक कॉपी दी, और उठ कर चली आई। काऊन्टर पर पैसे ददये
और घम कर सांजय को दे खा। वो कॉपी में से मेरा पत्र तनकाल कर अपनी जेब में रख रहा था।हम दोनों
की दर से ही नजरें समली और मैं शरमा गई। उसमें मदा़नगी जाग गई ... और कफर एक मद़ की तरह
वो उठा और काऊन्टर पर आ कर उसने मेरे पैसे वापस लौटाये औए स्वयां सारा पेमेन्ट ककया। मैं सर
झक
ु ाये तेजी से कलास में चली आई।परा ददन मेरा ददल कलास में नहीां लगा, बस एक मीठी सी गद
ु गद
ु ी
ददल में उठती रही। जाने वो पत्र पढ़ कर कया सोचेगा।रात को मेरे ददल की धड़कन बढ़ गई, मैं अनमनी
सी हो उठी। उसे मैंने रात को कयों बल
ु ा सलया? यह तो गलत है ना ! कया मैं सांजय पर मरने लगी हुँ ?
कया यही प्यार है ? हाय ! वो पत्र पढ़ कर कया सोचेगा, कया मझ
ु े चररत्रहीन कहे गा ? या मझ
ु े भला बरु ा
कहे गा।जैसे जैसे उसके आने का समय नजदीक आता जा रहा था, मेरी ददल की धड़कन बढ़ती जा रही
थी। मझ
ु े लगा कक मैं पड़ोसी के यहाां भाग जाऊां, दरवाजा बन्द दे ख कर वह स्वतः ही चला जायेगा। बस !
मझ
ु े यही समझ में आया और मैंने ताला सलया और चल दी। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो ददल धक
से रह गया। सांजय सामने खड़ा था। मेरा ददल जैसे बैठने सा लगा। "अरे मझ
ु े बल
ु ा कर कहाां जा रही हो
?" "क... क... कहाां भला... कही नहीां ... मैं तो ... मैं तो ..." "ओ के, मैं क़िर कभी आ जाऊांगा ... चलता
हुँ !" "अरे नहीां... आओ ना... वो बात यह है कक अभी घर में कोई नहीां है ..." "ओह्ह ... आपकी हालत
कह रही है कक मझ
ु े चला जाना चादहये !" मैंने उसे अन्दर लेकर ज्दी से दरवाजा बन्द कर ददया। "दे खो
सांज, वो खत तो मैंने ऐसे ही सलख ददया था ... बरु ा मत मानना..." उसका सर झक
ु गया। मैंने भी शरम
से घम कर उसकी ओर अपनी पीठ कर ली। "पर आपके और मेरे ददल की बात तो एक ही है ना ..."
उसने खझझकते हुये कहा। मझ
ु े बहुत ही कोफ़्फत हो रही थी कक मैंने ऐसा कयुँ सलख ददया। अब एक पराया
मद़ मेरे सामने खड़ा था। उसकी भी भला कया गलती थी। तभी सांजय के हाथों का मधुर सा स्पश़ मेरी
बाहों पर हुआ। "सोन, आप मझ
ु े बहुत अच्छी लगती हो..." उसने प्रणय तनवेदन कर डाला। यह सन
ु ते ही
मेरे शरीर में ब़ि़ सी लहरा गई। मेरी आांखे बन्द सी हो गई। "कया कह रहे हो? ऐसा मत कहो ..." मेरे
नाजुक होंठ थरथरा उठे । "मैं ... मैं ... आपसे प्यार करने लगा हुँ सोन ... आप मेरे ददल में समा गई हो
!" वो अपने प्यार का इजहार कर रहा था। उसकी दहम्मत की दाद दे नी होगी। "मैं शादीशद
ु ा ह, सन्ज ...
यह पाप है ... " मैं उसकी ओर पलट कर बोली। उसने मझ
ु े प्यार भरी नजरों से दे खा और मेरी बाहों को
पकड़ कर अपनी ओर खीांच सलया। मैं उसकी बसलटठ बाहों में कस गई। "पत्र में आपने तो अपना ददल ही
तनकाल कर रख ददया था ... है ना ! यह ददल की आवाज है , आपको मेरे बाल, मेरा चेहरा, सभी कुछ तो
अच्छा लगता है ना !" "आह्ह्ह ... छोड़ो ना ... मेरी कलाई !" "सोन, ददल को खल
ु ा छोड़ दो, वो सब हो
जाने दो, जजसका हमें इन्तज़ार है ।" उसने अपने से मझ
ु े चचपका सलया था। पर मेरा ददल अब कुछ ओर
कहने लगा था। ये सह
ु ानी सी अनभ
ु तत मझ
ु े बेहोश सी ककये जा रही थी। सच में एक पराये मद़ का स्पश़
में ककतना मधरु आनन्द आता है ... यह अनैततक काय़ मझ
ु े अचधक रोमाांचचत कर रहा था ... । उसके
अधर मेरे गल
ु ाबी गोरे गालों को चमने लगे थे। मैं अपने आप को छुड़ाने की नाकामयाब कोसशश बस युँ
ही कर रही थी। वास्तव में मेरा अांग अांग कुचले और मसले जाने को बेताब हो रहा था। अब उसके पतले
पतले होंठ मेरे होंठों से चचपक गये थे। उसके मख
ु से एक मधरु सी सग
ु ध
ां मेरी साांसों में घल
ु गई। धीरे
धीरे मैं अपने आप को उसको समप़ण करने लगी। उसके अधर मेरे नीचे के अधर को चसने लगे। कफर
उसकी लपलपाती जीभ मेरे मख
ु में प्रवेश कर गई और मेरी जीभ से टकरा गई। मैंने धीरे से उसकी जीभ
मख
ु में दबा ली और चसने लगी। उसके हाथ मेरे जजस्म पर सलपट गये और मेरी पीठ, कमर और चतड़ों
को सहलाने लगे। मेरे शरीर में बबजसलयाुँ तड़कने लगी। उसका लण्ड भी कड़क उठा और मेरे क्हों से
टकराने लगा। मेरा धड़कता सीना उसके हाथों में दब गया। मेरे मख
ु से सससकारी ़िट पड़ी। मैंने उसे धीरे
से अपने से अलग कर ददया। "यह कया करने लगे थे हम ... !" मैं अपनी उखड़ी साांसें समेटते हुई बोली।
"वही जो ददल की आवाज है ... " उसकी आवाज जैसे बहुत दर से आ रही हो। "मैं अपने पतत का
पवश्वास तोड़ रही हुँ ! ... है ना ?" "नहीां, पवश्वास अपनी जगह है ... जजसे पाने से खुशी लगे उसमे कोई
पाप नहीां है , खुशी पाना तो सबका अचधकार है ... दो पल की खुशी पाना पवश्वास तोड़ना नहीां है ।""तम्
ु हारी
बातें मानने को मन कर रहा है ... तम्
ु हारे साथ मझ
ु े बहुत आनन्द आ रहा है ।" मैंने जैसे समप़ण भाव से
कहा।"तो शम़ काहे की ...? दो पल का सख
ु उठा लो ... ककसी को पता भी नहीां चलेगा... ! आओ !"मैं
बहक उठी, उसने मझ
ु े सलपटा सलया। मैंने भी दहम्मत करके उसकी पैन्ट की जज़प में हाथ घस
ु ा ददया।
उसका लण्ड का आकार भाांप कर मैं डर सी गई। वो मझ
ु े बहुत मोटा लगा। उसे पकड़ने का लालच मैं
नहीां छोड़ पाई। उसे मैंने अपनी मट्ठ
ु ी में दबा सलया। मैं उसे अब दबाने कुचलने लगी। लण्ड बहुत ही कड़ा
हो गया था।वो मेरी चचचयाुँ सहलाने लगा ... एक एक कर के उसने मेरे ब्लाऊज के बटन खोल ददये।
मेरी स्तन कठोर हो गये थे। तनपल भी कड़े हो कर ़िल गये थे। ब्रा के हुक भी उसने खोल ददये थे। ब्रा
के खुलते ही मेरे उभार जैसे ़िड़़िड़ा कर बाहर तनकल कर तन गये। जवानी का तकाजा था ... मस्त हो
कर अांग अांग ़िड़क उठा। मेरे कड़े तनपल को सांज बार बार ह्के से घम
ु ा कर दबा दे ता था। मेरे मन में
एक मीठी सी टीस उठ जाती थी। भरी जवानी चुदने को तैयार थी। मेरी साड़ी उतर चुकी थी, पेदटकोट का
नाड़ा खुल चुका था। मझ
ु े भला कहाुँ होश था ... उसने भी अपने कपड़े उतार ददये थे। उसका लण्ड दे ख
दे ख कर ही मझ
ु े मस्ती चढ़ रही थी।उसके लण्ड की चमड़ी खोल कर मैंने ऊपर खीांच दी। उसका लाल
़िला हुआ मस्त सप
ु ाड़ा बाहर आ गया, मैंने पहली बार ककसी का इस तरह सप
ु ाड़ा दे खा था। मेरे पतत तो
बस रात को अांधेरे में मझ
ु े चोद कर सो जाया करते थे, इन सब चीज़ों का आनन्द मेरी ककस्मत में नहीां
था। आज मौका समला था जजसे मैं जी भर कर मन भर लेना चाहती थी।इस मोटे लण्ड का भोग का
आनन्द पहले मैं अपनी गाण्ड से आरम्भ करना चाहती थी, सो मैंने उसका लण्ड मसलते हुये अपनी गाण्ड
उसकी ओर कर दी। "सांजय, यह तेरा १९ साल का मन्
ु ना, मेरे २१ साल के गोलों को मस्त करे गा कया ?"
"सोन ... इतने सन्
ु दर, आकऱ्क गोलों के बीच तछपी हुई मस्ती भला कौन नहीां उठाना चाहे गा, ये चचकने,
गोरे और मस्त गाण्ड के गोले मारने में बहुत मजा आयेगा।"मैं अपने हाथ पलांग पर रख कर झक
ु गई।
उसके लाल सप
ु ाड़े का स्पश़ होते ही मेरे जजस्म में कांपकांपी सी ़िैल गई। बबजसलयाुँ सी लहरा गई। उसका
सप
ु ाड़े का गद्दा मेरे कोमल चतड़ों के क़िसलता हुआ छे द पर आ कर दटक गया। उसके लण्ड पर शायद
चचकनाई उभर आई थी, ह्के से जोर लगाने पर ही अन्दर उतर गया था।मझ
ु े बहुत ही कसक भरा सन्ु दर
सा आनन्द आया। मैंने अपनी गाण्ड ढीली कर दी ... और अन्दर उतरने की आज्ञा दे दी। मेरे क्हों को
थाम कर और थपथपा कर उसने मेरे चतड़ो के पट को और भी खीांच कर खोल ददया और लण्ड भीतर
उतारने लगा। "सोन, आनन्द आया ना ... ?" सांज मेरी मस्ती को भाांप कर कहा। "ऐसा आनन्द तो मझ
ु े
पहली बार आया है ... तने तो मेरी आांखें खोल दी हैं यार !" मैंने अपने ददल की बात सीधे ही कह दी।
वो बहुत खश
ु हो गया कक इन सभी कामों में मझ
ु े आनन्द आ रहा है । "ले अब और मस्त हो जा...!"
उसका लण्ड मेरी गाण्ड में परा उतर चक
ु ा था। मोटा लण्ड था पर उतना भी नहीां मोटा, हाां पर मेरे पतत से
तो मोटा ही था। मांथर गतत से वो मेरी गाण्ड चोदने लगा। मेरे शरीर में इस चद
ु ाई से एक मीठी सी लहर
उठने लगी ... एक आनन्ददायक अनभ
ु तत होने लगी। जवान गाण्ड चद
ु ने का मजा आने लगा। दोनों
चतड़ों के पट खखले हुये, लण्ड उसमें घस
ु ा हुआ, यह सोच ही मझ
ु े पागल ककये दे रही थी। वो रह रह कर
मेरे कठोर स्तनों को दबाने का आनन्द ले रहा था ... उससे मेरी चत की खुजली भी बढ़ती जा रही
थी।चुदाई तेज हो चली थी पर मेरी गाण्ड की मस्ती भी और बढ़ती जा रही थी। मझ
ु े लगा कक कहीां
सांजय झड़ ना जाये, सो मैंने उसे चत मारने को कहा,"सांज, हाय रे ! अब मझ
ु े मतु नया भी तड़पाने लगी है
... दे ख कैसी च रही है ..." " सोन, गाण्ड मारने से जी नहीां भर रहा है ... पर तेरी मतु नया भी प्यारी लग
रही है !" उसने अपना हाथ मेरी चत पर लगाया तो मेरा मटर का मोटा दाना उसके हाथ से टकरा
गया,"ये तो बहुत मोटा सा है ... " और उसको ह्के से पकड़ कर दहला ददया। "हाय्ह्य्ह्य , ना कर, मैं मर
जाऊांगी ... कैसी मीठी सी जलन होती है ..."उसका लण्ड मेरी गाण्ड से तनकल चक
ु ा था। उसका हाथ चत
की चचकनाई से गीला हो गया था। उसने नीचे झक
ु कर मेरी चत को दे खा और अांगसु लयों से उसकी पलकें
अलग-अलग कर दी और खीांच कर उसे खोल ददया। "एक दम गल
ु ाबी ... रस भरी ... मेरे मन्
ु ने से
समलने दे अब इसे !" उसने मेरे गल
ु ाबी खुली हुई चत में अपना लाल सप
ु ाड़ा रख ददया। हाय कैसा गद्देदार
नम़ सा अह्सास ... कफर चत की गोद में उसे समपप़त कर ददया।उसका लण्ड बड़े प्यार से दीवारों पर
कसता हुआ अन्दर उतरता गया, और मैं सससकारी भरती रही। चांकक मैं घोड़ी बनी हुई थी अतः उसका
लण्ड परा जड़ तक पहुांच गया। बीच बीच में उसका हाथ मेरे दाने को भी छे ड़ दे ता था और मेरी चत में
मजा दग
ु ना हो जाता था। वो मेरा दाना भी जोर जोर से दहलाता जा रहा था। लण्ड के जड़ में गड़ते ही
मझ
ु े तेज मजा आ गया और दो तीन झटकों में ही जाने कया हुआ, मैं झड़ने लगी। मैं चुप ही रही, कयोंकक
वो ज्दी झड़ने वाला नहीां लगा। उसने धकके तेज कर ददये ... शनैः शनैः मैं कफर से वासना के नशे में
खोने लगी। मैंने मस्ती से अपनी टाांगें ़िैला ली और उसका लण्ड फ़्री स्टाईल में इन्जन के पपस्टन की
तरह चलने लगा। मझ
ु े बहुत खश
ु ी हो रही थी कक थोड़ी सी दहम्मत करने से मझ
ु े इतना सारा सख
ु नसीब
हो रहा है । मेरे ददल की तमन्ना परी हो रही है । मेरी आांखें खल
ु चक
ु ी थी... चद
ु ने का आसान सा रास्ता
था ... थोड़ी दहम्मत करो और मस्ती से नया लण्ड खाओ। मझ
ु े बस यही पवचार आनजन्दत कर रहा था
... कक भपवटय में नये नये लण्ड का स्वाद चखो और जवानी को भली भाांतत भोग लो। "अरे धीरे ना ...
कया ़िाड़ ही दोगे मतु नया को...? वो झड़ने के कगार पर था, मैं एक बार कफर झड़ चक
ु ी थी। अब मझ
ु े चत
में लगने लगी थी। तभी मझ
ु े आराम समल गया ... उसका वीय़ तनकल गया। उसने लण्ड बाहर तनकाल
सलया और सारा वीय़ जमीन पर चगराने लगा। वो अपना लण्ड मसल मसल कर परा वीय़ तनकालने में
लगा था। मैं उसे अब खड़े हो कर तनहार रही थी। "दे खा, सांज तम
ु ने मझ
ु े बहका ही ददया और मेरा ़िायदा
उठा सलया !" "काश तम
ु रोज ही बहका करो तो मजा आ जाये..." वो झड़ने के बाद जाने की तैयारी करने
लगा। रात के ग्यारह बजने को थे। वो बाहर तनकला और यहाुँ-वहाुँ दे खा, कफर चप
ु के से तनकल कर सनी
सड़क पर आगे तनकल गया। सांजय के साथ मेरे का़िी ददनों तक सम्बन्ध रहे थे। उसके पापा की बदली
होने से वो एक ददन मझ
ु से अलग हो गया। मझ
ु े बहुत दःु ख हुआ। बहुत ददनों तक उसकी याद आती
रही। मैंने अब राहुल से दोस्ती कर ली थी। वह एक सन्ु दर, बसलटठ शरीर का मासलक था। उसे जजम जाने
का शौक था। पढ़ने में वो कोई खास नहीां था, पर ऐसा लगता था कक वो मझ
ु े भरपर मजा दे गा। उसकी
वासनायक
ु त नजरें मझ
ु से छुपी नहीां रही। मैं उसे अब अपने जाल में लपेटने लगी थी। वो उसे अपनी
स़िलता समझ रहा था। आज मेरे पास राहुल के नोट्स आ चुके थे ... मैं इन्तज़ार कर रही थी कक कब
उसका भी कोई प्रेम पत्र नोट्स के साथ आ जाये ... जी हाां ... ज्द ही एक ददन पत्र आ गया ... पप्रय
पाठको ! मैं नहीां जानती हां कक आपने अपने पवद्याथी-जीवन में ककतने मज़े लटे । पर हाां अभी भी आप
यह सन्
ु दर सख
ु भोगने की लालसा रखती हैं तो जरूर ये सख
ु भोगे। ध्यान रहे सख
ु भोगने से पवश्वास का
कोई सम्बन्ध नहीां है । सख
ु पर सबका अचधकार है , पर हाां, इस चककर में अपने पतत को मत भल जाना,
वो तो जजन्दगी भर के सलये है ।
समाप्त
दे वर के साथ
अांगर का दाना-1
एक गहरी खाई जब बनती है तो अपने अजस्ततव के पीछे जमाने में महलों के अम्बार लगा दे ती है उसी
तरह हम गरीब बदककस्मत इांसान टट कर भी तम्
ु हें आबाद ककये जाते हैं।
अांगर का दाना-2
आओगे जब तम
ु हो साजना
सच ही है मैं भी तो आज अपनी इस नई शहजादी जोधा बनाम अांगर के आने की कब से बाट जोह रहा
हुँ।
अांगर का दाना-3
उस रात मझ
ु े और अांगर को नीांद भला कैसे आती दोनों की आुँखों में ककतने रां गीन सपने जो थे। यह
अलग बात थी कक मेरे और उसके सपने जद
ु ा थे। यह साला बाांके बबहारी सकसेना (हमारा पड़ोसी) भी
उ्ल की दम
ु ही है । रात को 12 बजे भी गाने सन
ु रहा है :
आओगे जब तम
ु हो साजना
सच ही है मैं भी तो आज अपनी इस नई शहजादी जोधा बनाम अांगर के आने की कब से बाट जोह रहा
हुँ। रपववार सब
ु ह सब
ु ह नौ बजे ही मधु के भैया भाभी आ धमके। अांगर टीवी और सीडी प्लेयर लेकर घर
चली गई थी। मधु ने उसे दो-तीन घांटे के सलए घर भेज ददया ताकक उसे घर वालों की याद ना सताए।
मधु की नज़र में तो वह तनरी बच्ची ही थी। उसे मेरी हालत का अांदाज़ा भला कैसे हो सकता था। मेरे
सलए तो यह रपववार बोररयत भरा ही था। अांगर के बबना यह घर ककतना सना सा लगता है मैं ही जानता
हुँ। बस अब तो सारे ददन रमेश और सध
ु ा को झेलने वाली बात ही थी। वो शाम को वापस जाने वाले थे।
मधु के सलए कुछ दवाइयाां भी खरीदनी थी और राशन भी लेना था इससलए मधुर ने अांगर को भी हमारे
साथ कार में भेज ददया। उन दोनों को गाड़ी में बैठाने के बाद जब मैं स्टे शन से बाहर आया तो अांगर
बेसब्री से कार में बैठी मेरा इांतज़ार कर रही थी। “आपने तो बहुत दे र लगा दी ? दीदी घर पर अकेली
होंगी मझ
ु े जाकर खाना भी बनाना है ?” “अरे मेरी रानी तम
ु चचांता कयों करती हो ? खाना हम होटल से ले
लेंग”े मैंने उसके गालों को थपथपाते हुए कहा “अच्छा एक बात बताओ ?” उसके गाल तो रजकतम ही हो
गए। उसने मस्
ु कुराते हुए पछा “कया ?” “तम्
ु हें खाने में कया कया पसांद है ?” “मैं तो कड़ाही पनीर और
रसमलाई की बहुत शौक़ीन हुँ।” “हुँ ……” मैंने मन में तो आया कह दां ‘मेरी जान रसमलाई तो में तम्
ु हें
बहुत ही बदढ़या और गाढ़ी खखलाऊांगा’ पर मैंने कहा “और नमकीन में कया पसांद हैं ?” “न... नमकीन में
तो मझ
ु े तीखी समची वाले चचप्स और पानीपरी बहुत अच्छे लगते हैं” “चलो आज कफर पानीपरी और चचप्स
ही खाते हैं। पर समची वाली चचप्स खाने से तम्
ु हारे होंठ तो नहीां जल जायेगे ?” मैंने हुँसते हुए कहा “तो
कया हुआ … आप … उनको भी मुँह
ु में लेकर चस दे ना या थक लगा दे ना ?” वो हां सते हुए बोली।
आईलाआआआ ……….. मैं तो इस कफकरे पर मर ही समटा। जी में तो आया अभी कार में इस मस्त
चचडड़या को चम लां पर साव़जतनक जगह पर ऐसा करना ठीक नहीां था। मैंने अपने आप को बड़ी मजु श्कल
से रोका। मैंने अपने आप को समझाया कक बस अब तो इन रसभरे होंठों को चम लेने का समय आने ही
वाला है थोड़ी दे र और सही। रास्ते में हमने पानीपरी, आइस िीम और रसमलाई खाई और रात के सलए
होटल से खाना पैक करवा सलया। मैंने उसके सलए एक कलाई घड़ी, रां गीन चश्मा और चडड़याुँ भी खरीदी।
उसकी पसांद के माहवारी पैड्स भी सलए। पहले तो मैंने सोचा इसे यहीां दे दां कफर मझ
ु े ख़याल आया ऐसा
करना ठीक नहीां होगा। अगर मधरु को जरा भी शक हो गया तो मेरा ककया कराया सब समट्टी हो जाएगा।
आप शायद है रान हुए सोच रहे होंगे इन छोटी छोटी बातों को सलखने का यहाुँ कया तक
ु है । ओह … आप
अभी इन बातों को नहीां समझेंगे। मैंने उसके सलए दो सेट ब्रा और पें टीज के भी ले सलए। जब मैंने उसे
यह समझाया कक इन ब्रा पेंटीज के बारे में मधु को मत बताना तो उसने मेरी ओर पहले तो है रानी से
दे खा कफर रहस्यमई ढां ग से मस्
ु कुराने लगी। उसके गाल तो इस कदर लाल हो गए थे जैसे करीना कपर
के कफ्म जब वी मेट में शादहद कपर को चम्
ु मा दे ने के बाद हो गए थे। कार में वो मेरे साथ आगे वाली
सीट पर बैठी तीखी समच़ वाली चचप्स खा रही थी और सी सी ककये जा रही थी। मैंने अच्छा मौका दे ख
कर उस से कहा “अांगर ! अगर चचप्स खाने से होंठों में ज्यादा जलन हो रही है तो बता दे ना मैं चम कर
थक लगा दां गा ?” पहले तो वो कुछ समझी नहीां बाद में तो उसने दोनों हाथों से अपना चेहरा ही तछपा
सलया। हाय अ्लाह ………. मेरा ददल इतनी जोर से धड़कने लगा और साुँसें तेज़ हो गई कक मझ
ु े तो
लगने लगा मैं आज कोई एकसीडेंट ही कर बैठुँ गा। एक बार तो जी में आया अभी चलती कार में ही इसे
पकड़ कर रगड़ दां । पर मैं ज्दबाजी में कोई काम नहीां करना चाहता था। रात को जब अांगर बाहर बैठी
टीवी दे ख रही थी मधुर ने बहुत ददनों बाद जम कर मेरा लांड चसा और सारी की सारी रसमलाई पी गई।
अगले दो तीन ददन तो दफ्तर काम बहुत ज्यादा रहा। मैं तो इसी उधेड़बन
ु में लगा रहा कक ककस तरह
अांगर से इस बाबत बात की जाए। मझ
ु े लगता था कक उसको भी मेरी मनसा का थोड़ा बहुत अांदाजा तो
जरूर हो ही गया है । जजस अांदाज़ में वो आजकल मेरे साथ आुँखें नचाती हुई बातें करती है मझ
ु े लगता है
वो जरूर मेरी मनसा जानती है । अब तो वो अपने तनतम्बों और कमर को इस कदर मटका कर चलती है
जैसे रै म्प पर कोई हसीना कैटवाक कर रही हो। कई बार तो वो झाड लगाते या चाय पकड़ाते हुए
जानबझ कर इतनी झक
ु जाती है कक उसके उरोज परे के परे ददख जाते हैं। कफर मेरी ओर कनखखयों से
दे खने का अांदाज़ तो मेरे पप्प को बेकाब ही कर दे ता है । मेरे ददमाग में कई पवचार घम रहे थे। पहले तो
मैंने सोचा था कक मधु को रात में जो दद़ तनवारक दवा और नीांद की गोसलयाुँ दे ते हैं ककसी बहाने से
अांगर को भी खखला दां और कफर रात में बेहोशी की हालत में सोये अांगर के इस दाने का रस पी जाऊां।
पर … वो तो मधुर के साथ सोती है … ? दसरा यह कक मैं रात में मधुर के सोने के बाद डीवीडी प्लेयर में
कोई ब्ल कफ्म लगाकर बाथरूम चला जाऊां और पीछे से अांगर उसे दे ख कर मस्त हो जाए। पर इसमें
जोखखम भी था। कयों ना अनारकली से इस बाबत बात की जाये और उसे कुछ रपयों का लालच दे कर
उसे इस काम की जजम्मेदारी सोंपी जाए कक वो अांगर को ककसी तरह मना ले। पर मझ
ु े नहीां लगता कक
अनारकली इसके सलए तैयार होगी। औरत तो औरत की दश्ु मन होती है वो कभी भी ऐसा नहीां होने दे गी।
हाुँ अगर मैं चाहुँ तो उसको भले ही ककतनी ही बार आगे और पीछे दोनों तरफ से रगड़ दुँ वो ख़ुशी ख़श
ु ी
सब कुछ करवा लेगी। ओह … कई बार तो मेरे ददमाग काम करना ही बांद कर दे ता है । मैंने अब तक भले
ही ककतनी ही लड़ककयों और औरतों को बबना ककसी लाग लपट और झांझट के चोद सलया था और
लगभग सभी की गाांड भी मारी थी पर इस अांगर के दाने ने तो मेरा जैसे जीना ही हराम कर ददया है ।
एक बार ख़याल आया कक कयों ना इसे भी सलांग महादे व के दश़न कराने ले जाऊां। मेरे पास मधरु के सलए
मन्नत माुँगने का बहुत खबसरत बहाना भी था। और कफर रास्ते में मैं अपनी पैंट की जजप खोल दां गा
और मोटर साइककल पर मेरे पीछे बैठी इस चचडड़या को ककसी मोड़ या गड्ढे पर इतना जोर से उछालुँ कक
उसके पास मेरी कमर और लांड को कस कर पकड़ लेने के अलावा कोई चारा ही ना बचे। एक बार अगर
उसने मेरा खड़ा लांड पकड़ सलया तो वो तो तनहाल ही हो जायेगी। और उसके बाद तो बस सारा रास्ता ही
जैसे तनटकांटक हो जाएगा। काश कुछ ऐसा हो कक वो अपने आप सब कुछ समझ जाए और मझ
ु े ख़श
ु ी
ख़श
ु ी अपना कौमाय़ समपप़त कर दे । काश यह अांगर का गच्
ु छा अपने आप मेरी झोली में टपक जाए।
मेरी प्यारी पादठकाओ ! आप मेरे सलए आमीन (तथास्त-ु भगवान करे ऐसा ही हो) तो बोल दो प्लीज। अब
तो जो होगा दे खा जाएगा। मैंने तो ज्यादा सोचना ही बांद कर ददया है । ओह … पता नहीां इस अांगर के
गच्
ु छे के सलए ककतने पापड़ बेलने पड़ेंगे। कई बार तो ऐसा लगता है कक वो मेरी मनसा जानती है और
अगर मैं थोड़ा सा आगे बढुँ तो वो मान जायेगी। पर दसरे ही पल ऐसा लगता है जैसे वो तनरी बच्ची ही
है और मेरा प्यार से उसे सहलाना और मेरी चह
ु लबाजी को वो ससफ़ मज़ाक ही समझती है । अब कल
रात की ही बात लो। वो रसोई में खाना बना रही थी। मैंने उसके पीछे जाकर पहले तो उसकी चोटी
पकड़ी कफर उसके गालों पर चुटकी काट ली। “उई …. अम्मा …….ऽऽ !” “कया हुआ ?” “आप बहुत जोर से
गालों को दबाते हैं … भला कोई इतनी जोर से भीांचता है ?” उसने उलाहना ददया। “चलो अबकी बार प्यार
से सहलाउां गा…!” “ना…. ना … अभी नहीां … मझ
ु े खाना बनाने दो। आप बाहर जाओ अगर दीदी ने दे ख
सलया तो आपको और मझ
ु े मधु मकखी की तरह काट खायेंगी या जान से मार डालेंगी !” जजस अांदाज़ में
उसने यह सब कहा था मझ
ु े लगता ही वो मान तो जायेगी बस थोड़ी सी मेहनत करनी पड़ेगी। शतनवार
था, शाम को जब मैं घर आया तो पता चला कक ददन में कपड़े बदलते समय मधु का पैर थोड़ा दहल गया
था और उसे बहुत जोर से दद़ होने लगा था। कफर मैं भागा भागा डाकटर के पास गया। उसने दद़ और
नीांद की दवा की दोगन
ु ी मात्रा दे दे ने को कह ददया। अगर कफर भी आराम नहीां समले तो वो घर आकर
दे ख लेगा। मधु को डाकटर के बताये अनस
ु ार दवाई दे दी और कफर थोड़ी दे र बाद मधु को गहरी नीांद आ
गई। इस भागदौड़ में रात के 10 बज गए। तभी अांगर मेरे पास आई और बोली, “दीदी ने तो आज कुछ
खाया ही नहीां ! आपके सलए खाना लगा दां ?” “नहीां अांगर मझ
ु े भी भख नहीां है !” “ओह … पता है मैंने
ककतने प्यार से आपकी मनपसांद भरवाुँ सभन्डी बनाई है !” “अरे वाह … तम्
ु हें कैसे पता मझ
ु े भरवाुँ सभन्डी
बहुत पसांद है ?” “मझ
ु े आपकी पसांद-नापसांद सब पता है !” उसने बड़ी अदा से अपनी आुँखें नचाते हुए
कहा। वह अपनी प्रशांन्सा सन
ु कर बहुत खुश हो रही थी। “तम
ु ने उसमें 4-5 बड़ी बड़ी साबत
ु हरी समचें
डाली हैं या नहीां ?” “हाुँ डाली है ना ! वो मैं कैसे भल सकती हुँ ?” “वाह … कफर तो जरूर तम
ु ने बहुत
बदढ़या ही बनाई होगी !” “अच्छा… जी … ?” “कयोंकक मैं जानता हुँ तम्
ु हारे हाथों में जाद है !” “आपको कैसे
पता ? मेरा मतलब है वो कैसे …. ?” “वो उस ददन की बात भल गई ?” “कौन सी बात ?” “ओह…. तम
ु भी
एक नांबर की भ्
ु लकड़ हो ? अरे भई उस ददन मैंने तम्
ु हारी अांगल
ु ी मुँह
ु में लेकर चसी जो थी। उसका
समठास तो मैं अब तक नहीां भला हुँ !” “अच्छा … वो … वो … ओह …” वह कुछ सोचने लगी और कफर
शरमा कर रसोई की ओर जाने लगी। जाते जाते वो बोली, “आप हाथ मुँह
ु धो लो, मैं खाना लगाती हुँ !” वो
जजस अांदाज़ में मस्
ु कुरा रही थी और मेरी ओर शरारत भरे अांदाज़ में कनखखयों से दे खती हुई रसोई की
ओर गई थी, यह अांदाज़ा लगाना कततई मजु श्कल नहीां था कक आज की रात मेरे और उसके सलए ख़्वाबों
की हसीन रात होगी। बाथरूम में मैं सोच रहा था यह कमससन, चल
ु बल
ु ा, नादान और खट्टे मीठे अांगर का
गच्
ु छा अब परी तरह से पक गया है । अब इसके दानों का रस पी लेने का सही वक़्त आ गया है …..
अांगर ने डाइतनांग टे बल पर खाना लगा ददया था और मझ
ु े परोस रही थी। उसके कांु वारे बदन से आती
मादक महक से मेरा तो रोम रोम ही जैसे पल
ु ककत सा हो कर झनझना रहा था। जैसे रात को अमराई
(आमों के बाग) से आती मांजरी की सग
ु ध
ां हो। आज उसने कफर वही गहरे हरे रां ग की जोधपरु ी कुती और
गोटा लगा घाघरा पहना था। पता नहीां लहां गे के नीचे उसने कच्छी डाली होगी या नहीां ? एक बार तो मेरा
मन ककया उसे पकड़ कर गोद में ही बैठा ल।ां पर मैंने अपने आप को रोक सलया। “अांगर तम
ु भी साथ ही
खा लो ना ?” “मैं ?” उसने है रानी से मेरी ओर दे खा “कयों … कया हुआ ?” “वो... वो... मैं आपके साथ कैसे
… ?” वह थोड़ा सांकोच कर रही थी। मैं जानता था अगर मैंने थोड़ा सा और जोर ददया तो वो मेरे साथ
बैठ कर खाना खाने को राज़ी हो जायेगी। मैंने उसका हाथ पकड़ कर बैठाते हुए कहा “अरे इसमें कौन सी
बड़ी बात है ? चलो बैठो !” अांगर सकुचाते हुए मेरे बगल वाली कुसी पर बैठ गई। उसने पहले मेरी थाली
में खाना परोसा कफर अपने सलए डाल सलया। खाना ठीक ठाक बना था पर मझ
ु े तो उसकी तारी़ि के पल
ु
बाांधने थे। मैंने अभी पहला ही तनवाला सलया था कक तीखी समच़ का स्वाद मझ
ु े पता चल गया। “वाह
अांगर ! मैं सच कहता हुँ तम्
ु हारे हाथों में तो जाद है जाद ! तम
ु ने वाकई बहुत बदढ़या सभन्डी बनाई है !”
“पता है यह सब मझ
ु े दीदी ने ससखाया है !” “अनार ने ?” “ओह … नहीां … मैं मधुर दीदी की बात कर रही
हुँ। अनार दीदी तो पता नहीां आजकल मझ
ु से कयों नाराज रहती है ? वो तो मझ
ु े यहाुँ आने ही नहीां दे ना
चाहती थी!” उसने मुँह
ु फुलाते हुए कहा। “अरे …. वो कयों भला ?” मैंने है रान होते पछा। “ओह... बस … आप
उसकी बातें तो रहने ही दो। मैं तो मधुर दीदी की बात कर रही थी। वो तो अब मझ
ु े अपनी छोटी बहन
की तरह मानने लगी हैं।” “कफर तो बहुत अच्छा है ।” “कैसे ?” “मधुर की कोई छोटी बहन तो है नहीां ?
चलो अच्छा ही है इस बहाने मझ
ु े भी कम से कम एक खबसरत और प्यारी सी साली तो समल गई।”
उसने मेरी ओर है रानी से दे खा। मैंने बात जारी रखी “दे खो भई अगर वो तम्
ु हें अपनी छोटी बहन मानती
है तो मैं तो तम्
ु हारा जीज ही हुआ ना?” “ओह्हो …. !” “पता है जीज साली का कया सम्बन्ध होता है ?”
“नहीां मझ
ु े नहीां मालम ! आप ही बता दो !” वो अनजान बनने का नाटक करती मांद मांद मस्
ु कुरा रही थी।
“तम
ु बरु ा तो नहीां मान जाओगी ?” “मैंने कभी आपकी ककसी बात का बरु ा माना है कया ?” “ओह... मेरी
प्यारी सालीजी… तम
ु बहुत ही नटखट और शरारती हो गई हो आजकल !” मैंने उसकी पीठ पर ह्का सा
धौल जमाते हुए कहा। “वो कैसे ?” “दे खो तम
ु ने वो मधु द्वारा छोटी बहन बना लेने वाली बात मझ
ु े
ककतने ददनों बाद बताई है ?” “कया मतलब ?” “ओह … मैं इसीसलए तो कहता हुँ तम
ु बड़ी चालाक हो गई
हो आजकल। अब अगर तम
ु मधुर को अपनी दीदी की तरह मानती हो तो अपने जीज से इतनी दर दर
कयों रहती हो?” “नहीां तो … मैं तो आपको अपने सगे जीज से भी अचधक मानती हुँ। पर वो तो बस मेरे
पीछे ही पड़ा रहता है !” “अरे …. वो ककस बात के सलए ?” “बस आप रहने ही दो उसकी बात तो … वो...
तो...वो…. तो बस एक ही चीज के पीछे …!” मेरा ददल जोर से धड़कने लगा। कहीां उस साले टीट के बच्चे
ने इस अांगर के दाने को रगड़ तो नहीां ददया होगा। अनारकली शादी के बाद शरू
ु शरू
ु में बताया करती थी
कक टीट कई बार उसकी भी गाांड मारता है उसे कसी हुई चत और गाांड बहुत अच्छी लगती है । मैंने कफर
से उसे कुरे दा “ओह … अांगर …अब इतना मत शरमाओ प्लीज बता दो ना ?” “नहीां मझ
ु े शम़ आती है …
एक नांबर का लच्
ु चा है वो तो !” उसके चहरे का रां ग लाल हो गया था। साुँसें तेज़ हो रही थी। वो कुछ
कहना चाह रही थी पर शायद उसे बोलने में सांकोच अनभ
ु व हो रहा था। मैं उसके मन की दपु वधा अच्छी
तरह जानता था। मैंने पछा “अांगर एक बात बताओ ?” “कया ?” “अगर मैं तम
ु से कुछ माांगां या करने को
कहां तो तम
ु कया करोगी ?” “आपके सलए तो मेरी यह जान भी हाजज़र है !” ‘अरे मेरी जान मैं तम्
ु हारी
जान लेकर कया करूुँगा मैं तो उस अनमोल खजाने की बात कर रहा हुँ जो तम
ु ने इतने जतन से अभी
तक सांभाल कर रखा है ।’ अचानक मेरे ददमाग में एक योजना घम गई। मैंने बातों का पवर्य बदला और
उस से पछा “अच्छा चलो एक बात बोलुँ अांगर ?” “कया ?” “तम
ु इन कपड़ों में बहुत खबसरत लग रही हो
?” “अच्छा ?” “हाुँ इनमें तो तम
ु जोधा अकबर वाली एश्वया़ राय ही लग रही हो ?” “हाुँ दीदी भी ऐसा ही
बोलती हैं !” “कौन मधरु ?” “हाुँ … वो तो कहती हैं कक अगर मेरी लम्बाई थोड़ी सी ज्यादा होती और आुँखें
बब्लोरी होती तो मैं एश्वया़ राय जजतनी ही खबसरत लगती !” “पर मेरे सलए तो तम
ु अब भी एश्वया़
राय ही हो ?” मैंने हां सते हुए उसके गालों पर चट
ु की काटते हुए कहा। उसने शरमा कर अपने नज़रें झुका
ली। हम लोग खाना भी खाते जा रहे थे और साथ साथ बातें भी करते जा रहे थे। खाना लगभग ख़तम
हो ही गया था। अचानक अांगर जोर जोर से सी ….. सी ….. करने लगी। शायद उसने सभन्डी के साथ तीखी
साबत
ु हरी समच़ परी की परी खा ली थी। “आईईइइ … सीईईई ?’ “कया हुआ ?” “उईईईइ अम्माआ …… ये
समची तो बहुत त… ती….. तीखी है …!” “ओह … तम
ु भी तनरी पागल हो भला कोई ऐसे परी समची खाता है
?” “ओह... मझ
ु े कया पता था यह इतनी कड़वी होगी मैंने तो आपको दे खकर खा ली थी? आईइइ… सीईई
…” “चलो अब वाश-बेससन पर … ज्दी से ठन्डे पानी से कु्ली कर लो !” मैंने उसे बाज से पकड़ कर
उठाया और इस तरह अपने आप से चचपकाए हुए वाशबेससन की ओर ले गया कक उसका कमससन बदन
मेरे साथ चचपक ही गया। मैं अपना बायाुँ हाथ उसकी बगल में करते हुए उसके उरोजों तक ले आया। वो
तो यही समझती रही होगी कक मैं उसके मुँह
ु की जलन से बहुत परे शान और व्यचथत हो गया हुँ। उसे
भला मेरी मनसा का कया भान हुआ होगा। गोल गोल कठोर चचों के स्पश़ से मेरी अांगसु लयाुँ तो धन्य ही
हो गई। वाशबेससन पर मैंने उसे अपनी चु्ल से पानी पपलाया और दो तीन बार उसने कु्ला ककया।
उसकी जलन कुछ कम हो गई। मैंने उसके होंठों को रमाल से पोंछ ददया। वो तो है रान हुई मेरा यह
दल
ु ार और अपनतव दे खती ही रह गई। मैंने अगला तीर छोड़ ददया “अांगर अब भी जलन हो रही हो तो
एक रामबाण इलाज़ और है मेरे पास !”
अांगर का दाना-4
“आईईइइ ... सीईईई ?’ “कया हुआ ?” “उईईईइ अम्माआ ...... ये समची तो बहुत त... ती..... तीखी है
...!” “ओह ... तम
ु भी तनरी पागल हो भला कोई ऐसे परी समची खाता है ?” “ओह... मझ
ु े कया पता था
यह इतनी कड़वी होगी मैंने तो आपको दे खकर खा ली थी? आईइइ... सीईई ...” “चलो अब वाश-बेससन पर
... ज्दी से ठन्डे पानी से कु्ली कर लो !” मैंने उसे बाज से पकड़ कर उठाया और इस तरह अपने आप
से चचपकाए हुए वाशबेससन की ओर ले गया कक उसका कमससन बदन मेरे साथ चचपक ही गया। मैं
अपना बायाुँ हाथ उसकी बगल में करते हुए उसके उरोजों तक ले आया। वो तो यही समझती रही होगी
कक मैं उसके मुँह
ु की जलन से बहुत परे शान और व्यचथत हो गया हुँ। उसे भला मेरी मनसा का कया
भान हुआ होगा। गोल गोल कठोर चचों के स्पश़ से मेरी अांगसु लयाुँ तो धन्य ही हो गई। वाशबेससन पर
मैंने उसे अपनी च्
ु ल से पानी पपलाया और दो तीन बार उसने कु्ला ककया। उसकी जलन कुछ कम हो
गई। मैंने उसके होंठों को रमाल से पोंछ ददया। वो तो है रान हुई मेरा यह दल
ु ार और अपनतव दे खती ही
रह गई। मैंने अगला तीर छोड़ ददया,“अांगर अब भी जलन हो रही हो तो एक रामबाण इलाज़ और है मेरे
पास !” “वो... कया ... सीईईईईईईई ?” उसकी जलन कम तो हो गई थी पर कफर भी वो होले होले सी...
सी.... करती जा रही थी। “कहो तो इन होंठों और जीभ को अपने मुँह
ु में लेकर चस दे ता हुँ, जलन ख़तम
हो जायेगी !” मैंने हां सते हुए कहा। मैं जानता था वो मना कर दे गी और शरमा कर भाग जायगी। पर मेरी
है रानी की सीमा ही नहीां रही जब उसने अपनी आुँखें बांद करके अपने होंठ मेरी ओर बढ़ा ददए। सच पछो
तो मेरे सलए भी यह अप्रतयासशत सा ही था। मेरा ददल जोर जोर से धड़क रहा था। मैंने दे खा उसकी साुँसें
भी बहुत तेज़ हो गई हैं। उसके छोटे छोटे गोल गोल उरोज गम़ होती तेज़ साुँसों के साथ ऊपर-नीचे हो
रहे थे। मैंने उसके नम़ नाज़ुक होंठों पर अपने होंठ रख ददए। आह ... उसके रई के नम़ फोहे जैसे सांतरे
की फाांकों और गल
ु ाब की पजततयों जैसे नाज़ुक अधरों की छुअन मात्र से ही मेरा तो तन मन सब अन्दर
तक तरां चगत ही हो गया। अचानक उसने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी और मेरे होंठों को चसने लगी।
मैंने भी दोनों हाथों से उसका ससर थाम सलया और एक दसरे से चचपके पता नहीां ककतनी दे र हम एक
दसरे को चमते सहलाते रहे। मेरा पप्प तो जैसे भखे शेर की तरह दहाड़ें ही मारने लगा था। मैंने धीरे से
पहले तो उसकी पीठ पर कफर उसके तनतम्बों पर हाथ कफराया कफर उसकी मतु नया को टटोलना चाहा।
अब उसे ध्यान आया कक मैं कया करने जा रहा हुँ। उसने झट से मेरा हाथ पकड़ सलया और कुनमन
ु ाती
सी आवाज में बोली,“उईई अम्मा ...... ओह.... नहीां !... रको !”वो कोसशश कर रही थी कक मेरा हाथ
उसके अनमोल खजाने तक ना पहुुँचे। उसने अपने आप को बचाने के सलए घम कर थोड़ा सा आगे की
ओर झुका सलया जजसके कारण उसके तनतम्ब मेरे लांड से आ टकराए। वह मेरा हाथ अपनी बरु से हटाने
का प्रयास करने लगी। “कयों कया हुआ ?” “ओह्हो... अभी मझ
ु े छोडड़ये। मझ
ु े बहुत काम करना है !” “कया
काम करना है ?” “अभी बत़न समेटने हैं, आपके सलए दध गम़ करना है .... और ... !” “ओह... छोड़ो दध-
वध मझ
ु े नहीां पीना !” “ओहो ... पर मझ
ु े आपने दोहरी कर रखा है छोड़ो तो सही !” “अांगर ... मेरी प्यारी
अांगर प्लीज ... बस एक बार मझ
ु े अपनी मतु नया दे ख लेने दो ना ?” मैंने चगड़चगड़ाने वाले अांदाज़ में कहा।
“नहीां मझ
ु े शम़ आती है !” “पर तम
ु ने तो कहा था मैं जो माांगग
ां ा तम
ु मना नहीां करगी ?” “नहीां ... पहले
आप मझ
ु े छोड़ो !” मैंने उसे छोड़ ददया, वो अपनी कलाई दसरे हाथ से सहलाती हुई बोली,“कोई इतनी जोर
से कलाई मरोड़ता है कया ?” “कोई बात नहीां ! मैं उसे भी चम कर ठीक कर दे ता हुँ !” कहते हुए मैं
दब
ु ारा उसे बाहों में भर लेने को आगे बढ़ा। “ओह... नहीां नहीां.... ऐसे नहीां ? आपसे तो सबर ही नहीां
होता....” “तो कफर ?” “ओह... थोड़ी दे र रको तो सही ... आप अपने कमरे में चलो मैं वहीां आती हुँ !” मेरी
प्यारी पादठकाओ और पाठको ! अब तो मझ
ु े जैसे इस जहाुँ की सबसे अनमोल दौलत ही समलने जा रही
थी। जजस कमससन कसल के सलए मैं पपछले 10-12 ददनों से मरा ही जा रहा था बस अब तो दो कदम दर
ही रह गई है मेरी बाहों से। हे ... सलांग महादे व तेरा लाख लाख शि
ु है पर यार अब कोई गड़बड़ मत
होने दे ना। अांगर नज़रें झक
ु ाए बबना मेरी ओर दे खे जठे बत़न उठाने लगी और मैंने ड्राइांग रूम में रखे
टे लीफोन का ररसीवर उतार कर नीचे रख ददया और अपने मोबाइल का जस्वच भी ऑफ कर ददया। मैं
ककसी प्रकार का कोई व्यवधान आज की रात नहीां चाहता था। मैं धड़कते ददल से अांगर का इांतज़ार कर
रहा था। मेरे सलए तो एक एक पल जैसे एक एक पहर की तरह था। कोई 20 समनट के बाद अांगर धीरे
धीरे कदम बढ़ाती कमरे में आ गई। उसके अन्दर आते ही मैंने कमरे का दरवाजा बांद कर सलया और उसे
कफर से बाहों में भर कर इतनी जोर से भीांचा कक उसकी तो हलकी सी चीख ही तनकल गई। मैंने झट से
उसके होंठों को अपने मुँह
ु में भर सलया और उन्हें चसने लगा। वो भी मेरे होंठ चसने लगी। कफर मैंने
अपनी जीभ उसके मुँह
ु में डाल दी। वो मेरी जीभ को कु्फी की तरह चसने लगी। अब हालत यह थी कक
कभी मैं वो मेरी जीभ चसने लगती कभी मैं उसकी मछली की तरह फुदकती मचलती जीभ को मुँह
ु में
परा भर कर चसने लगता। “ओह... मेरी प्यारी अांगर ! मैं तम्
ु हारे सलए बहुत तड़पा हुँ !” “अच्छा.... जी वो
कयों ?” “अांगर, तम
ु ने अपनी मतु नया ददखाने का वादा ककया था !” “ओह ... अरे ... वो ... नहीां... मझ
ु े शम़
आती है !” “दे खो तम
ु मेरी प्यारी साली हो ना ?” मैंने घाघरे के ऊपर से ही उसकी मतु नया को टटोला।
“नहीां... नहीां ऐसे नहीां ! पहले आप यह लाईट बांद कर दो !” “ओह, कफर अुँधेरे में मैं कैसे दे खांगा ?”
“ओह्हो... आप भी... अच्छा तो कफर आप अपनी आुँखें बांद कर लो !” “तम
ु भी पागल तो नही हुई ? अगर
मैंने अपनी आुँखें बांद कर ली तो कफर मझ
ु े कया ददखेगा ?” “ओह्हो ... अजीब मस
ु ीबत है ...?” कहते हुए
उसने अपने हाथों से अपना चेहरा ही ढक सलया। यह तो उसकी मौन स्वीकृतत ही थी मेरे सलए। मैंने होले
से उसे बबस्तर पर लेटा सा ददया। पर उसने तो शम़ के मारे अपने हाथों को चेहरे से हटाया ही नहीां।
उसकी साुँसें अब तेज़ होने लगी थी और चेहरे का रां ग लाल गल
ु ाब की तरह हो चला था। मैंने हौले से
उसका घाघरा ऊपर कर ददया। मेरे अांदाज़े के मत
ु ाबबक़ उसने कच्छी (पें टी) तो पहनी ही नहीां थी।
उफ्फ्फ़्ि ...... उस जन्नत के नज़ारे को तो मैं जजन्दगी भर नहीां भल पाऊांगा। मखमली गोरी जाुँघों के
बीच हलके रे शमी घघ
ुां राले काले काले झाांटों से ढकी उसकी चत की फाांकें एक दम गल
ु ाबी थी। मेरे अांदाज़े
के मत
ु ाबबक़ चीरा केवल 3 इांच का था। दोनों फाांकें आपस में जुड़ी हुई ऐसे लग रही थी जैसे ककसी तीखी
कटार की धार ही हो। बीच की रे खा तो मजु श्कल से 3 सत चौड़ी ही होगी एक दम कतथई रां ग की। मैं तो
फटी आुँखों से उसे दे खता ही रह गया। हालाांकक अांगर समककी से उम्र में थोड़ी बड़ी थी पर उन दोनों की
मतु नया में रतत भर का भी फक़ नहीां था। मैं अपने आप को कैसे रोक पता मैंने अपने जलते होंठ उन
रसभरी फाांकों पर लगा ददए। मेरी गम़ साुँसें जैसे ही उसे अपनी मतु नया पर महसस हुई उसकी रोमाांच के
मारे एक ककलकारी ही तनकल गई और उसके पैर आपस में जोर से भीांच गए। उसका तो सारा शरीर ही
जैसे काांपने लगा था। मेरी भी कमोबेश यही हालत थी। मेरे नथन
ु ों में हलकी पेशाब, नाररयल पानी और
गल
ु ाब के इत्र जैसी सोंधी-सोंधी खश
ु ब समा गई। मझ
ु े पता है वो जरूर बॉडी स्प्रे लगा कर आई होगी।
उसने जरूर मधु को कभी ऐसा करते दे खा होगा। मैंने उसकी मतु नया पर एक चम्
ु बन ले सलया। चम्
ु बन
लेते समय मैं यह सोच रहा था कक अगर अांगर इन बालों को सा़ि कर ले तो इस छोटी सी मतु नया को
चसने का मज़ा ही आ जाए। मैं अभी उसे मुँह
ु में भर लेने की सोच ही रहा था कक उसके रोमाांच में डबी
आवाज मेरे कानों में पड़ी,“ऊईइ ..... अम्माआआ ...” वो झट से उठ खड़ी हुई और उसने अपने घाघरे को
नीचे कर सलया। मैंने उसे अपनी बाहों में भरते हुए कहा,“अांगर तम
ु बहुत खबसरत हो !” पहले तो उसने
मेरी ओर है रानी से दे खा कफर ना जाने उसे कया सझा, उसने मझ
ु े अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी और
मझ
ु से सलपट ही गई। मैं पलांग पर अपने पैर मोड़ कर बैठा था। वो अपने दोनों पैर चौड़े करके मेरी गोद
में बैठ गई। जैसे कई बार समककी बैठ जाया करती थी। मेरा खड़ा लांड उसके गोल गोल नम़ नाज़क
ु कसे
तनतम्बों के बीच फस कर पपसने लगा। मैंने एक बार कफर से उसके होंठों को चमना चाल कर ददया तो
उसकी मीठी ससतकारें तनकालने लगी। “अांगर ...?” “हम्म्म ... ?” “कैसा लग रहा है ?” “कया ?” उसने
अपनी आुँखें नचाई तो मैंने उसके होंठों को इतने जोर से चसा कक उसकी तो ह्की सी चीख ही तनकल
गई। पहले तो उसने मेरे सीने पर अपने दोनों हाथों से हलके से मक
ु के लगाए और कफर उसने मेरे सीने
पर अपना ससर रख ददया। अब मैं कभी उसकी पीठ पर हाथ कफराता और कभी उसके तनतम्बों पर।
“अांगर तम्
ु हारी मतु नया तो बहुत खबसरत है !” “धतत ... !” वह मदहोश करने वाली नज़रों से मझ
ु े घरती
रही। “अांगर तम्
ु हें इस पर बालों का यह झुरमट
ु अच्छा लगता है कया ?” “नहीां .... अच्छा तो नहीां
लगता... पर...?” “तो इनको सा़ि कयों नहीां करती ?” “मझ
ु े कया पता कैसे सा़ि ककये जाते हैं ?” “ओह ...
कया तम
ु ने कभी गल
ु ाबो या अनार को करते नहीां दे खा...? मेरा मतलब है ... वो कैसे काटती हैं ?” “अम्मा
तो कैं ची से या कभी कभी रे ज़र से सा़ि करती है ।” “तो तम
ु भी कर सलया करो !” “मझ
ु े डर लगता है !”
“डर कैसा ?” “कहीां कट गया तो ?” “तो कया हुआ मैं उसे भी चस कर ठीक कर दां गा !” मैं हां सने लगा।
पहले तो वो समझी नहीां कफर उसने मझ
ु े धकेलते हुए कहा,“धतत ... हटो परे ...!” “अांगर प्लीज आओ मैं
तम्
ु हें इनको सा़ि करना ससखा दे ता हुँ। कफर तम
ु दे खना इसकी ख़बसरती में तो चार चाुँद ही लग जायेंगे
?” “नहीां मझ
ु े शम़ आती है ! मैं बाद में काट लग
ां ी।” “ओहो ... अब यह शमा़ना छोड़ो ... आओ मेरे साथ
!” मैं उसे अपनी गोद में उठा सलया और हम बाथरूम में आ गए। बाथरूम उस कमरे से ही जुड़ा है और
उसका एक दरवाजा अन्दर से भी खुलता है । मेरे प्यारे पाठको और पादठकाओ ! आप जरूर सोच रहे होंगे
यार प्रेम गर
ु तम
ु भी अजीब अहमक इांसान हो ? लौंडडया चुदने को तैयार बैठी है और तम्
ु हें झाांटों को
सा़ि करने की पड़ी है । अमा यार ! अब ठोक भी दो साली को ! कयों बेचारी की मतु नया और अपने खड़े
लांड को तड़फा रहे हो ? आप अपनी जगह सही हैं। मैं जानता हुँ यह कथानक पढ़ते समय पता नहीां
आपका लांड ककतनी बार खड़ा हुआ होगा या इस दौरान आपके मन में मट्ठ
ु मार लेने का ख़याल आया
होगा और मेरी प्यारी पादठकाएां तो जरूर अपनी मतु नया में अांगल
ु ी कर कर के परे शान ही हो गई होंगी।
पर इतनी दे री करने का एक बहुत बड़ा कारण था। आप मेरा यकीन करें और हौंसला रखें बस थोड़ा सा
इांतज़ार और कर लीजजये। मैं और आप सभी साथ साथ ही उस स्वग़ गफ
ु ा में प्रवेश करने का सख
ु ,
सौभाग्य, आनांद और लफ्
ु त उठायेगे और जन्नत के दसरे दरवाजे का भी उदघाटन करें गे। दरअसल मैं
उसके कमससन बदन का लतु ़ि आज ठन्डे पानी के फव्वारे के नीचे उठाना चाहता था। वैसे भी भरतपरु में
गमी बहुत ज्यादा ही पड़ती है । आप तो जानते ही हैं मैं और मधरु सन्डे को साथ साथ नहाते हैं और
बाथटब में बैठे घांटों एक दसरे के कामाांगों से खेलते हुए चह
ु लबाज़ी करते रहते हैं। कभी कभी तो मधरु
इतनी उततेजजत चल
ु बल
ु ी हो जाया करती है कक गाांड भी मरवा लेती है । पर इन ददनों में मधरु के साथ
नहाना और गाांड मारना तो दर की बात है वो तो मझ
ु े चद
ु ाई के सलए भी तरसा ही दे ती है । आज इस
कमससन बला के साथ नहा कर मैं कफर से अपनी उन सन
ु हरी यादों को ताज़ा कर लेना चाहता था।
बाथरूम में आकर मैंने धीरे से अांगर को गोद से उतार ददया। वो तो मेरे साथ ऐसे चचपकी थी जैसे कोई
लता ककसी पेड़ से चचपकी हो। वो तो मझ
ु े छोड़ने का नाम ही नहीां ले रही थी। मैंने कहा,“अांगर तम
ु
अपने कपड़े उतार दो ना प्लीज ?” “वो ... कयों भला ...?” “अरे बाबा मतु नया की सफाई नहीां करवानी कया
?” “ओह ... !” उसने अपने हाथों से अपना मुँह
ु कफर से छुपा सलया। मैंने आगे बढ़ कर उसके घाघरे का
नाड़ा खोल ददया और कफर उसकी कुती भी उतार दी। आह... ट्यब लाईट की दचधया रोशनी में उसका
सफ्फाक बदन तो कांचन की तरह चमक रहा था। उसने एक हाथ अपनी मतु नया पर रख सलया और दसरे
हाथ से अपने छोटे छोटे उरोजों को छुपाने की नाकाम सी कोसशश करने लगी। मैं तो उसके इस भोलेपन
पर मर ही समटा। उसके गोल गोल गल
ु ाबी रां ग के उरोज तो आगे से इतने नक
ु ीले थे जैसे अभी कोई तीर
छोड़ दें गे। मझ
ु े एक बात की बड़ी है रानी थी कक उसकी मतु नया और काांख (बगल) को छोड़ कर उसके
शरीर पर कहीां भी बाल नहीां थे। आमतौर पर इस उम्र में लड़ककयों के हाथ पैरों पर भी बाल उग आते हैं
और वो उन्हें वैजकसांग से सा़ि करना चाल कर दे ती हैं। पर कुछ लड़ककयों के चत और काांख को छोड़ कर
शरीर के दसरे दहस्सों पर बाल या रोयें बहुत ही कम होते हैं या कफर होते ही नहीां। अब आप इतने भोले
भी नहीां हैं कक आपको यह भी बताने कक जरूरत पड़े कक वो तो हुश्न की मज्लका ही थी उसके शरीर पर
बाल कहाुँ से होते। मैं तो फटी आुँखों से साांचे में ढले इस हुस्न के मांजर को बस तनहारता ही रह गया।
“वो... वो ... ?” “कया हुआ ?” “मझ
ु े सु सु आ रहा है ?” “तो कर लो ! इसमें कया हुआ ?” “नहीां आप
बाहर जाओ ... मझ
ु े आपके सामने करने में शम़ आती है !” “ओह्हो ... अब इसमें शम़ की कया बात है ?
प्लीज मेरे सामने ही कर लो ना ?” वो मझ
ु े घरती हुई कमोड पर बैठने लगी तो मैंने उसे रोका,“अऱ रर ...
कमोड पर नहीां नीचे फश़ पर बैठ कर ही करो ना प्लीज !” उसने अजीब नज़रों से मझ
ु े दे खा और कफर
झट से नीचे बैठ गई। उसने अपनी जाांघें थोड़ी सी फैलाई और कफर उसकी मतु नया के दोनों पट थोड़े से
खुले। पहले 2-3 बुँदें तनकली और उसकी गाांड के छे द से रगड़ खाती नीचे चगर गई। कफर उसकी फाांकें
थरथराने लगी और कफर तो पेशाब की कल-कल करती धारा ऐसे तनकली कक उसके आगे सहस्त्रधारा भी
फीकी थी। उसकी धार कोई एक डेढ़ फुट ऊांची तो जरूर गई होगी। सु सु की धार इतनी तेज़ थी कक वो
लगभग 3 फुट दर तक चली गई। उसकी बरु से तनकलती ़िीच... च्चच..... सीईई इ ....... का सससकारा
तो ठीक वैसा ही था जैसा सलांग महादे व मांददर से लौटते हुए समककी का था। हे भगवान ! कया समककी ही
अांगर के रूप में कहीां दब
ु ारा तो नहीां आ गई ? मैं तो इस मनमोहक नज़ारे को फटी आुँखों से दे खता ही
रह गया। मझ
ु े अपनी बरु की ओर दे खते हुए पाकर उसने अपना सु सु रोकने की नाकाम कोसशश की पर
वो तो एक बार थोड़ा सा मांद होकर कफर जोर से बहने लगा। आह एक बार वो धार नीचे हुई कफर जोर से
ऊपर उठी। ऐसे लगा जैसे उसने मझ
ु े सलामी दी हो।शादी के शरू
ु शरू
ु के ददनों में मैं और मधरु कई बार
बाथरूम में इस तरह की चह
ु ल ककया करते थे। मधु अपनी जाांघें चौड़ी करके नीचे फश़ पर लेट जाया
करती थी और कफर मैं उसकी मतु नया की दोनों फाांकों को चौड़ा कर ददया करता था। कफर उसकी मतु नया
से सु सु की धार इतनी तेज़ तनकलती कक 3 फुट ऊपर तक चली जाती थी। आह ... ककतनी मधरु सीटी
जैसी आवाज तनकलती थी उसकी मतु नया से। मैं अपने इन ख़यालों में अभी खोया ही था कक अब उसकी
धार थोड़ी मांद पड़ने लगी और कफर एक बार बांद होकर कफर एक पतली सी धार तनकली। उसकी लाल
रां ग की फाांके थरथरा रही थी जैसे। कभी सांकोचन करती कभी थोड़ी सी खल
ु जाती। अांगर अब खड़ी हो
गई। मैंने आगे बढ़ कर उसकी मतु नया को चमना चाहा तो पीछे हटते हुए बोली,“ओह ... छी .... छी ....
ये कया करने लगे आप ?” “अांगर एक बार इसे चम लेने दो ना प्लीज .... दे खो ककतनी प्यारी लग रही है
!” “छी .... छी .... इसे भी कोई चमता है ?” मैंने अपने मन में कहा ‘मेरी जान थोड़ी दे र रक जाओ कफर
तो तम
ु खुद कहोगी कक ‘और जोर से चमो मेरे साजन’ पर मैंने उससे कहा,“चलो कोई बात नहीां तम
ु
अपना एक पैर कमोड पर रख लो। मैं तम्
ु हारे इस घास की सफाई कर दे ता हुँ !” उसने थोड़ा सकुचाते हुए
बबना ना-नक
ु र के इस बार मेरे कहे मत
ु ाबबक़ एक पैर कमोड पर रख ददया। आह ... उसकी छोटी सी बरु
और 3 इांच का रजकतम चीरा तो अब सा़ि नज़र आने लगा था। हालाांकक उसकी फाांकें अभी भी आपस में
जुड़ी हुई थी पर उनका नज़ारा दे ख कर तो मेरे पप्प ने जैसे उधम ही मचा ददया था। मैंने अपने शेपवांग
ककट से नया डडस्पोजेबल रे ज़र तनकला और कफर हौले-हौले उसकी बरु पर कफराना चाल कर ददया। उसे
शायद कुछ गद
ु गद
ु ी सी होने लगी थी तो वो थोड़ा पीछे होने लगी तो मैंने उसे समझाया कक अगर
दहलोगी तो यह कट जायेगी कफर मझ
ु े दोर् मत दे ना। उसने मेरा ससर पकड़ सलया। उसकी बरु पर उगे
बाल बहुत ही नम़ थे। लगता था उसने कमरे में आने से पहले पानी और साबन
ु से अपनी मतु नया को
अच्छी तरह धोया था। 2-3 समनट में ही मतु नया तो दटच्च ही हो गई। आह ... उसकी मोटी मोटी फाांकें
तो बबलकुल सांतरे की फाांकों जैसी एक दम गल
ु ाबी लग रही थी। कफर मैंने उसके बगलों के बाल भी सा़ि
कर ददए। बगलों के बाल थोड़े से तो थे। जब बाल सा़ि हो गए तो मैंने शेपवांग-लोशन उसकी मतु नया पर
लगा कर है ण्ड शावर उठाया और उसकी मतु नया को पानी की ह्की फुहार से धो ददया। कफर पास रखे
तौसलये से उसकी मतु नया को सा़ि कर ददया। इस दौरान मैं अपनी एक अांगल
ु ी को उसकी मतु नया के चीरे
पर कफराने से बाज नहीां आया। जैसे ही मेरी अांगल
ु ी उसकी मतु नया से लगी वो थोड़ी सी कुनमन
ु ाई।
“ऊईईइ.... अम्माआ ....!” “कया हुआ ?” “ओह ... अब मेरे कपड़े दे दो ....!” उसने अपने दोनों हाथ कफर
से अपनी मतु नया पर रख सलए। “कयों ?” “ओह ... आपने तो मझ
ु े बेशम़ ही बना ददया !” “वो कैसे ?”
“और कया ? आपने तो सारे कपड़े पहन रखे हैं और मझ
ु े बबलकुल नांगा ....?” वह तो बोलते बोलते कफर
शरमा ही गई ...... “अरे मेरी भोली बन्नो ... इसमें कया है , लो मैं भी उतार दे ता हुँ।” मैंने अपना कुरता
और पजामा उतार फेंका। अब मेरे बदन पर भी एक मात्र चड्डी ही रह गई थी। मैंने अपनी चड्डी
जानबझ कर नहीां उतारी थी। मझ
ु े डर था कहीां मेरा खट
ां े सा खड़ा लांड दे ख कर वो घबरा ही ना जाए और
बात बनते बनते बबगड़ जाए। मैं इस हाथ आई मछली को इस तरह कफसल जाने नहीां दे ना चाहता था।
मेरा पप्प तो ककसी खार खाए नाग की तरह अन्दर फुककारें ही मार रहा था। मझ
ु े तो लग रहा था अगर
मैंने चड्डी नहीां उतारी तो यह उसे फाड़ कर बाहर आ जाएगा। “उईइ ... यह तो चन
ु मन
ु ाने लगी है ?”
उसने अपनी जाांघें कस कर भीांच ली। शायद कहीां से थोड़ा सा कट गया था जो शेपवांग-लोशन लगने से
चन
ु मन
ु ाने लगा था। “कोई बात नहीां इसका इलाज़ भी है मेरे पास !” उसने मेरी ओर है रानी से दे खा। मैं
नीचे पांजों के बल बैठा गया और एक हाथ से उसके तनतम्बों को पकड़ कर उसे अपनी और खीांच सलया
और कफर मैंने झट से उसकी मतु नया को अपने मुँह
ु में भर सलया। वो तो,“उईइ इ ... ओह ......... नहीां
.... उईईईई इ .... कया कर रहे हो ... आह ...........” करती ही रह गई। मैंने जैसे ही एक चस्
ु की लगाई
उसकी सीतकार भरी ककलकारी तनकल गई। उसकी बरु तो अन्दर से गीली थी। नमकीन और खट्टा सा
स्वाद मेरी जीभ से लग गया। उसकी कांु वारी बरु से आती मादक महक से मैं तो मस्त ही हो गया। उसने
अपने दोनों हाथों से मेरा ससर पकड़ सलया। अब मैंने अपनी जीभ को थोड़ा सा नक
ु ीला बनाया और उसकी
फाांकों के बीच में लगा कर ऊपर नीचे करने लगा। मेरे ऐसा करने से उसे रोमाांच और गद
ु गद
ु ी दोनों होने
लगे। मैंने अपने एक हाथ की एक अांगल
ु ी उसकी मतु नया के छे द में होले से डाल दी। आह उसकी बरु के
कसाव और गमी से मेरी अांगल
ु ी ने उसकी बरु के कांु वारे पन को महसस कर ही सलया। “ईईइ ..... बाब ...
उईईइ ... अम्मा ........ ओह ... रको ... मझ
ु े ... सु सु .... आ ... रहा है .... ऊईइ ... ओह ... छोड़ो
मझ
ु े.... ओईईइ ... अमाआआ .... अह्ह्ह .... य़ाआअ ..... !!”
अांगर का दाना-5
उसने मेरी ओर है रानी से दे खा। मैं नीचे पांजों के बल बैठा गया और एक हाथ से उसके तनतम्बों को पकड़
कर उसे अपनी और खीांच सलया और कफर मैंने झट से उसकी मतु नया को अपने मुँह
ु में भर सलया। वो
तो,“उईइ इ ... ओह ......... नहीां .... उईईईई इ .... कया कर रहे हो ... आह ...........” करती ही रह गई।
मैंने जैसे ही एक चुस्की लगाई उसकी सीतकार भरी ककलकारी तनकल गई। उसकी बरु तो अन्दर से गीली
थी। नमकीन और खट्टा सा स्वाद मेरी जीभ से लग गया। उसकी कांु वारी बरु से आती मादक महक से मैं
तो मस्त ही हो गया। उसने अपने दोनों हाथों से मेरा ससर पकड़ सलया। अब मैंने अपनी जीभ को थोड़ा
सा नक
ु ीला बनाया और उसकी फाांकों के बीच में लगा कर ऊपर नीचे करने लगा। मेरे ऐसा करने से उसे
रोमाांच और गद
ु गद
ु ी दोनों होने लगे। मैंने अपने एक हाथ की एक अांगल
ु ी उसकी मतु नया के छे द में हौले
से डाल दी। आह उसकी बरु के कसाव और गमी से मेरी अांगल
ु ी ने उसकी बरु के कांु वारे पन को महसस
कर ही सलया। “ईईइ ..... बाब ... उईईइ ... अम्मा ........ ओह ... रको ... मझ
ु े ... सु सु .... आ ... रहा
है .... ऊईइ ... ओह ... छोड़ो मझ
ु े.... ओईईइ ... अमाआआ .... अह्ह्ह .... य़ाआअ ..... !!” मैं जानता था
वो उततेजना और रोमाांच के उच्चतम सशखर पर पहुुँच गई है , बस अब वो झड़ने के करीब है । वह
उततेजना के मारे काांपने सी लगी थी। उसने अपनी जाांघें थोड़ी सी चौड़ी कर ली और मेरे ससर को कस
कर पकड़ सलया। मैंने अपनी जीभ ऊपर से नीचे तक उसकी कटार सी पैनी फाांकों पर कफराई और कफर
अपनी जीभ को नक
ु ीला बना कर उसके दाने को टटोला। मेरा अांदाज़ा था कक वो दाना (मदनमखण) अब
फल कर जरूर ककशसमश के दाने जजतना हो गया होगा। जैसे ही मैंने उस पर अपनी नक
ु ीली जीभ कफराई
उसका शरीर कुछ अकड़ने सा लगा। उसने मेरे ससर के बालों को जोर से पकड़ सलया और मेरे ससर को
अपनी बरु की ओर दबा ददया। मैंने कफर से उसकी बरु को चसना चाल कर ददया। उसने 2-3 झटके से
खाए और मेरा मुँह
ु कफर से खट्टे मीठे नमकीन से स्वाद वाले रस से भर गया। वो तो बस आह ... ऊुँह...
करती ही रह गई। मैं अपने होंठों पर जुबान फेरता उठ खड़ा हुआ। मैं जैसे ही खड़ा हुआ अांगर उछल कर
मेरे गले से सलपट गई। उसने मेरे गले में बाहें डाल दी और अपने पांजों के बल होकर मेरे होंठों को अपने
मुँह
ु में लेकर चसने लगी। वो तो इस कदर बावली सी हुई थी कक बस बेतहाशा मेरे होंठों को चमे ही जा
रही थी। मेरे लांड ने तो चड्डी के अन्दर कोहराम ही मचा ददया था। अब उस चड्डी को भी तनकाल फेंकने
का वक़्त आ गया था। मैंने एक हाथ से अपनी चड्डी तनकाल फेंकी और कफर उसे अपनी बाहों में कस
सलया। मेरा लांड उसकी बरु के थोड़ा ऊपर जा लगा। जैसे ही मेरा लांड उसकी बरु के ऊपरी दहस्से से
टकराया वो थोड़ा सा उछली। मैंने उसे कमर से पकड़ सलया। मझ
ु े डर था वो कहीां मेरे खड़े लांड का
आभास पाकर दर ना हट जाए पर वो तो उछल उछल कर मेरी गोद में ही चढ़ गई। उसने अपने पैरों की
कैं ची सी बना कर मेरी कमर के चगद़ लपेट ली। मेरा लांड उसके तनतम्बों की खाई में फांस गया। वो तो
आुँखें बांद ककये ककसी असीम अनांत आनांद की दतु नया में ही गोते लगा रही थी। मैं उसे अपने से सलपटाए
हुए शावर के नीचे आ गया। जैसे ही मैंने शावर चाल ककया पानी की ह्की फुहार हमारे नांगे जजस्म पर
पड़ने लगी। मैंने अपना मुँह
ु थोड़ा सा नीचे ककया और उसके एक उरोज को मुँह
ु में ले सलया। उसके चुचक
तो इतने कड़े ही गए थे जैसे कोई चने का दाना ही हो। मैंने पहले तो अपनी जीभ को गोल गोल घम
ु ाया
और कफर उसे ककसी हापस आम की तरह चसने लगा। मैं सोच रहा था कक अब अांगर चुदाई के सलए परी
तरह तैयार हो गई है । अब इसे गांगा स्नान करवाने में दे र नहीां करनी चादहए। पहले तो मैं सोच रहा था
कक इसे बाहर सोफे पर ले जाकर इसे पपवत्र ककया जाए। मैं पहले सोफे पर बैठ जाऊुँगा और कफर इसे
नांगा ही अपनी गोद में बैठा लुँ गा। और कफर इसे थोड़ा सा ऊपर करके धीरे धीरे इसकी बरु में अपना लांड
डालुँ गा। पर अब मैं सोच रहा था कक इसे उ्टा घम
ु ा कर दीवार के सहारे खड़ा कर दुँ और पीछे से अपना
लांड इसकी कमससन बरु में डाल दुँ । पर मैंने अपना इरादा बदल ददया। दरअसल मैं पहले थोड़ा उसके
छोटे छोटे आमों को चस कर उसे परी तरह कामोततेजजत करके ही आगे बढ़ना चाहता था। उसने अपना
ससर पीछे की ओर झक
ु ा सा सलया था। ऐसा करने से उसका शरीर कमान की तरह तन सा गया और
उसके उरोज तीखे हो गए। मैंने एक हाथ से उसकी कमर पकड़ रखी थी और दसरे हाथ से उसके तनतम्बों
को सहलाने लगा। अचानक मेरी एक अांगल
ु ी उसकी गाांड के छे द से जा टकराई। उसकी दरदराई ससलवटों
का अहसास पाते ही मेरे लांड ने तो ठुमके ही लगाने शरू
ु कर ददए। मैंने अपनी अांगल
ु ी थोड़ी सी अन्दर
करने की कोसशश की तो वो तो उछल ही पड़ी। शायद उसे डर था मैं अपनी अांगल
ु ी परी की परी उसकी
गाांड में डाल दां गा। वह कसमसाने सी लगी पर मैंने अपनी चगरफ्त और कड़ी कर ली। मेरी मनसा भाांप
कर उसने मेरी छाती पर हौले हौले मक
ु के लगाने चाल कर ददए। मैं थोड़ा सा नीचे झक
ु कर उसको गोद
में सलए ही दीवाल के सहारे गीले फश़ पर बैठ गया। पर वो कहाुँ रकने वाली थी उसने मझ
ु े धकका सा
ददया जजस के कारण मैं गीले फश़ पर लगभग चगर सा पड़ा। वो अपना गस्
ु सा तनकालने के सलए मेरे
ऊपर ही लेट गई और मेरे पेट पर अपनी बरु को रगड़ने लगी। ऐसा करने से मेरा लांड कभी उसकी गाांड
के छे द से टकराता और कभी उसके तनतम्बों की खाई में रगड़ खाने लगता। उसे तो दोहरा मज़ा आने
लगा था। लगता था उसकी बरु ने एक बार कफर से पानी छोड़ ददया था। उसने नीचे झक
ु कर मेरे होंठों
को इतना जोर से काटा कक मझ
ु े लगा उनमें खन ही तनकल आएगा। अब उसकी स्वग़ गफ
ु ा में प्रवेश के
मह
ु त़ का शभ
ु समय नजदीक आ गया था। अचानक अांगर अपने घट
ु ने मोड़ कर थोड़ी सी ऊपर उठी और
मेरे लांड को पकड़ कर मसलने लगी। अब उसने एक हाथ से अपनी बरु की फाांकों को चौड़ा ककया और
मेरे लांड को अपनी बरु के छे द से लगा सलया। उसने एक जोर का साांस सलया और कफर गच्च से मेरे
ऊपर बैठ गई। मेरे सलए तो यह अप्रतयासशत ही था। मेरा लांड उसकी नम़ नाज़ुक चत की खझ्ली को
फाड़ता हुआ अन्दर समाां गया जैसे ककसी म्यान में कटार घस
ु जाती है । अांगर की एक ह्की दद़ भरी
चीख तनकल गई। “ऊईईइ ...... अम्माआआअ ............” उसकी आुँखों से आांस तनकालने लगे। मझ
ु े लगा
मेरे लांड के चारों ओर कुछ गम़ गम़ तरल द्रव्य सा लग गया है । जरूर यह तो अांगर की कमससन बरु की
खझ्ली फटने से तनकला खन ही होगा। कुछ दे र वो ऐसे ही आुँखें बांद ककये चप
ु चाप मेरे लांड पर बैठी
रही। उसका परा शरीर ही काुँप रहा था। कफर उसने नीचे होकर मेरे सीने पर अपना ससर रख ददया। मैं
उसकी हालत अच्छी तरह जानता था। वो ककसी तरह अपना दद़ बदा़श्त करने की कोसशश कर रही थी।
मैंने एक हाथ से उसका ससर और दसरे हाथ से उसकी पीठ सहलानी शरू
ु कर दी। “ओह ... अांगर मेरी
रानी, तम्
ु हें ऐसा इतनी ज्दी नहीां करना चादहए था !” मझ
ु े कया पता था कक इतना दद़ होगा !” उसने
थोड़ा सा उठने की कोसशश की। मझ
ु े लगा अगर एक बार मेरा लांड उसकी बरु से बाहर तनकल गया तो
कफर दब
ु ारा वो इसे ककसी भी सरत में अन्दर नहीां डालने दे गी। मेरी तो की गई सारी मेहनत और लम्बी
तपस्या ही बेकार चली जायेगी। मैंने कस कर उसकी कमर पकड़ ली और उसके माथे को चमने लगा।
“ओह ... चलो अब अन्दर चला ही गया है , बस अब थोड़ी दे र में दद़ भी ख़तम हो जाएगा !” “ओह ...
नहीां आप इसे बाहर तनकाल लो मझ
ु े बहुत दद़ हो रहा है !” अजीब समस्या थी। ककसी तरह इसे 2-4
समनट और रोकना ही होगा। अगर 3-4 समनट यह इसे अन्दर सलए रक गई तो बाद में तो इसे भी मज़ा
आने लगेगा। बस इसका ध्यान बटाने की जरूरत है । मैंने उसे पछा “अांगर मैंने तम्
ु हें वो कलाई वाली घड़ी
लेकर दी थी वो तो तम
ु पहनती ही नहीां ?” “ओह ... वो ... वो मैंने अपनी सांदक में सांभाल कर रख छोड़ी
है !” “कयों ? वो तो तम्
ु हें बहुत पसांद थी ना ? तम
ु पहनती कयों नहीां ?” “ओह ... आप भी .... अगर दीदी
को पता चल गया तो ?” “ओह्हो ... तम
ु तो बड़ी सयानी हो गई हो ?” “यह सब आपने ही तो ससखाया है
!” उसके चहरे पर थोड़ी मस्
ु कान खखल उठी। और कफर उसने शरमा कर अपनी आुँखें बांद कर ली। मैं
अपने मकसद में कामयाब हो चक
ु ा था। मैंने उसका चेहरा थोड़ा सा ऊपर उठाया और उसके होंठों को
अपने मुँह
ु में लेकर चसना चाल कर ददया। अब तो उसकी भी मीठी सीतकार तनकालने लगी थी। उसने
अपनी जीभ मेरे मुँह
ु में डाल दी तो मैंने उसे चसना चाल कर ददया। अब तो कभी मैं अपनी जीभ उसके
मुँह
ु में डाल दे ता कभी वो। थोड़ी दे र बाद उसने अपना एक उरोज कफर से मेरे मुँह
ु से लगा ददया और
मैंने उसके ककशसमश के दाने जजतने चच
ु क चसना चाल कर ददया। “अांगर तम
ु बहुत खबसरत हो !” “आप
भी मझ
ु े बहुत अच्छे लगते हो !” कहते हुए उसने हौले से अपने तनतम्ब थोड़े से ऊपर उठा कर एक
धकका लगा ददया। थोड़ी दे र बाद तो उसने लगातार धकके लगाने चाल कर ददए। अब तो वो मीठी
सीतकार भी करने लगी थी। यह तो सच था कक उसकी यह पहली चद
ु ाई थी पर मझ
ु े लगता है वह चद
ु ाई
के बारे में बहुत कुछ जानती है । जरूर उसने ककसी ना ककसी को चद
ु ाई करते हुए दे खा होगा। “अांगर अब
मज़ा आ रहा है ना ?” “हाुँ बाब ... बहुत मज़ा आ रहा है । आप ऊपर आकर नहीां करोगे कया ?” मेरी तो
मन माांगी मरु ाद ही परी हो गई थी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और धीरे से पलटी मारते हुए उसे अपने
नीचे कर सलया। अब मैंने भी अपने घट
ु ने मोड़ सलए और कोहतनयों के बल हो गया ताकक मेरा परा वजन
उस पर नहीां पड़े। अब मैंने हौले हौले धकके लगाने चाल कर ददए। उसकी बरु तो अब बबलकुल गीली हो
कर रवाां हो गई थी। शायद वो इस दौरान कफर से झड़ गई थी। मैंने उसके उरोजों को कफर से मसलना
और चसना चाल कर ददया। हमारे शरीर पर ठण्डे ठण्डे पानी की फुहारें पड़ रही थी। और हम दोनों ही
इस दतु नया के उस अनोखे और अलौककक आनांद में डबे थे जजसे चुदाई नहीां प्रेम समलन कहा जाता है ।
“बाब एक बात बताऊुँ ?” “कया ?” “तम
ु जब मेरी चचचयों को मसलते हो और चसते हो तो बड़ा मजा
आता है !” “मैं समझा नहीां कैसे ?” “वो ... वो... एक बार ...?” कहते कहते अांगर चुप हो गई। “बताओ ना
?” “वो... एक बार जीज ने मेरे इतने जोर से दबा ददए थे कक मझ
ु े तो 3-4 ददन तक दद़ होता रहा था ?”
“अरे वो कैसे ?” “जब अनार दीदी के बच्चा होने वाला था तब मैं उनके यहाुँ गई थी। मझ
ु े अकेला पाकर
जीज ने मझ
ु े दबोच सलया और मेरे चचे दबा ददए। वो तो.... वो तो.... मेरी कच्छी के अन्दर भी हाथ
डालना चाहता था पर मैंने जोर जोर से चच्लाना शरू
ु कर ददया तो अनार दीदी आ गई !” “कफर ?” “कफर
कया दीदी ने मझ
ु े छुटाया और जीज को बहुत भला बरु ा कहा !” “ओह ..... ?” “एक नांबर का लच्
ु चा है वो
तो !” “अांगर उसका दोर् नहीां है तम
ु हो ही इतनी खबसरत !” मैंने मस्
ु कुराते हुए कहा और एक धकका
जोर से लगा ददया। “ऊईईई .... अमाआआ .... जरा धीरे करो ना ?” “अांगर तम्
ु हारे उरोज छोटे जरूर हैं
पर बहुत खबसरत हैं !” “कया आपको मोटे मोटे उरोज पसांद हैं ?” “उ... न .... नहीां ऐसी बात तो नहीां है
!” “पता है गौरी मेरे से दो साल छोटी है पर उसके तो मेरे से भी बड़े हैं !” “अरे वाह उसके इतने बड़े कैसे
हो गए ?” “वो... वो कई बार मोती रात को उसके दबाता है और मसलता भी है !” “कौन मोती ?” “ओह
... आप भी ... वो मेरा छोटा भाई है ना ?” “ओह ... अच्छा ?” “आप जब इन्हें मसलते हो और इनकी
घडांु डयों को दाांतों से दबाते हो तो मझ
ु े बहुत अच्छा लगता है !” “हुां...” अब मैंने उसके उरोजों की घडांु डयों
को अपने दाांतों से दबाना चाल कर ददया तो उसकी मीठी सीतकारें तनकलने लगी। कफर मैंने उसके उरोजों
की घाटी और गले के नीचे से कफर से चसना चाल कर ददया तो उसने भी उततेजना के मारे सीतकार
करना चाल कर ददया। अब मैंने अपने पैर सीधे कर ददए तो उसने अपने पैर मेरे क्हों के दोनों और
करके ऊपर उठा सलए और मेरी कमर के चगद़ लपेट सलए। अब धकके लगाने से उसके तनतम्ब नीचे फश़
पर लगने लगे। उसे ज्यादा दद़ ना हो इससलए मैंने बांद कर ददए और अपने लांड को उसकी बरु पर
रगड़ने लगा। मेरे छोटे छोटे नक
ु ीले झाांट उसकी बरु की फाांकों से रगड़ खाते और मेरे लांड का कुछ भाग
अन्दर बाहर होते समय उसकी मदनमखण को भी रगड़ता। मैं जानता था ऐसा करने से वो ज्दी ही कफर
से चरम उततेजना के सशखर पर पहुुँच जायेगी और उसकी बरु एक बार कफर मीठा स़िेद शहद छोड़ दे गी।
अब उसने अपने पैरों की कैं ची खोल दी और अपनी जाांघें जजतना चौड़ी कर सकती थी कर दी। वो तो
सीतकार पर सीतकार करने लगी थी और अपने तनतम्बों को कफर से उछालने लगी थी। कफर उसने मझ
ु े
जोर से अपनी बाहों में कस सलया। उसकी आह ... उन्ह ... और झटके खाते शरीर और बरु के कसाव को
दे ख और महसस करके तो मझ
ु े लगा वो एक बार कफर से झड़ गई है । हमें कोई आधा घांटा तो हो ही
गया था। अब मझ
ु े भी लगने लगा था कक मैं मोक्ष को प्राप्त होने ही वाला हुँ। मैं अपने अांततम धकके
उसे चौपाया (घोड़ी) बना कर लगाना चाहता था पर बाद में मैंने इसे दसरे राउां ड के सलए छोड़ ददया और
जोर जोर से आखखरी धकके लगाने चाल कर ददए। “ऊईइ ..... आम्माआअ ..... ईईईईईईईईईईईईई ..... ”
उसने अपनी बाहें मेरी कमर पर कस लीां और मेरे होंठों को मुँह
ु में भर कर जोर से चसने लगी। उसका
शरीर कुछ अकड़ा और कफर ह्के-ह्के झटके खाते वो शाांत पड़ती चली गई। पर उसकी मीठी सीतकार
अभी भी चाल थी। प्रथम सम्भोग की तजृ प्त और सांतजु टट उसके चहरे और बांद पलकों पर सा़ि झलक
रही थी। मैंने उसे कफर से अपनी बाहों में कस सलया और जैसे ही मैंने 3-4 धकके लगाए मेरे वीय़ उसकी
कांु वारी चत में टपकने लगा। मेरी पादठकाएां शायद सोच रही होंगे कक बरु के अन्दर मैंने अपना वीय़ कयों
तनकाला? अगर अांगर गभ़वती हो जाती तो ? आप सही सोच रही है । मैंने भी पहले ऐसा सोचा था। पर
आप तो जानती ही हैं मैं मधुर (मेरी पतनी) को इतना प्रेम कयों करता हुँ। उसके पीछे दरअसल एक
कारण है । वो तो मेरे सलए जाने अनजाने में कई बार कुछ ऐसा कर बैठती है कक मैं तो उसका बदला
अगले सात जन्मों तक भी नहीां उतार पाऊांगा। ओह ... आप नहीां समझेंगी मैं ठीक से समझाता हुँ : मैंने
बताया था ना कक मधुर ने पपछले हफ्ते मझ
ु े अांगर के सलए माहवारी पैड्स लाने को कहा था ? आप तो
जानती ही हैं कक अगर माहवारी ख़तम होने के 8-10 ददन तक सरु क्षक्षत काल होता है और इन ददनों में
अगर वीय़ योनी के अन्दर भी तनकाल ददया जाए तो गभ़धारण की सांभावना नहीां रहती। ओह ... मैं भी
फजल बातें ले बैठा।
“ऊईइ ..... आम्माआअ ..... ईईईईईईईईईईईईई ..... ” उसने अपनी बाहें मेरी कमर पर कस लीां और मेरे
होंठों को मुँह
ु में भर कर जोर से चसने लगी। उसका शरीर कुछ अकड़ा और कफर ह्के-ह्के झटके खाते
वो शाांत पड़ती चली गई। पर उसकी मीठी सीतकार अभी भी चाल थी। प्रथम सम्भोग की तजृ प्त और
सांतजु टट उसके चहरे और बांद पलकों पर सा़ि झलक रही थी। मैंने उसे कफर से अपनी बाहों में कस सलया
और जैसे ही मैंने 3-4 धकके लगाए मेरे वीय़ उसकी कांु वारी चत में टपकने लगा।मेरी पादठकाएां शायद
सोच रही होंगे कक बरु के अन्दर मैंने अपना वीय़ कयों तनकाला? अगर अांगर गभ़वती हो जाती तो ? आप
सही सोच रही है । मैंने भी पहले ऐसा सोचा था। पर आप तो जानती ही हैं मैं मधुर (मेरी पतनी) को
इतना प्रेम कयों करता हुँ। उसके पीछे दरअसल एक कारण है । वो तो मेरे सलए जाने अनजाने में कई बार
कुछ ऐसा कर बैठती है कक मैं तो उसका बदला अगले सात जन्मों तक भी नहीां उतार पाऊांगा।ओह ...
आप नहीां समझेंगी मैं ठीक से समझाता हुँ :मैंने बताया था ना कक मधुर ने पपछले हफ्ते मझ
ु े अांगर के
सलए माहवारी पैड्स लाने को कहा था ? आप तो जानती ही हैं कक अगर माहवारी ख़तम होने के 8-10 ददन
तक सरु क्षक्षत काल होता है और इन ददनों में अगर वीय़ योनी के अन्दर भी तनकाल ददया जाए तो
गभ़धारण की सांभावना नहीां रहती। ओह ... मैं भी फजल बातें ले बैठा।हम दोनों एक दसरे की बाहों में
जकड़े पानी की ठां डी फुहार के नीचे लेटे थे। मेरा लांड थोड़ा ससकुड़ गया था पर उसकी बरु से बाहर नहीां
तनकला था। वो उसे अपनी बरु के अन्दर सांकोचन कर उसे जैसे चस ही रही थी। मैं अभी उठने की सोच
ही रहा था कक मझ
ु े ध्यान आया कक अांगर की बरु से तो खन भी तनकला था। शायद अब भी थोड़ा
तनकल रहा होगा। चद
ु ाई की लज्जत में उसे दद़ भले ही इतना ना हो रहा हो पर जैसे ही मेरा लांड उसकी
बरु से बाहर आएगा वो अपनी बरु को जरूर दे खग
े ी और जब उसमें से तनकलते हुए खन को दे खेगी तो
कहीां रोने चच्लाने ना लग जाए। मैं ऐसा नहीां होने दे ना चाहता था कयों कक मझ
ु े तो अभी एक बार और
उसकी चद
ु ाई करनी थी। मेरा मन अभी कहाुँ भरा था। ओह ... कुछ ऐसा करना होगा कक थोड़ी दे र उसकी
तनगाह और ध्यान उसकी रस टपकाती बरु पर ना जा पाए। “अांगर इस पानी की ठां डी फुहार में ककतना
आनांद है !” मैंने कहा। “हाुँ बाब मैं तो जैसे स्वग़ में ही पहुुँच गई हुँ !”“अांगर अगर हम दोनों ही थोड़ी दे र
आुँखें बांद ककये चुपचाप ऐसे ही लेटे रहें तो और भी मज़ा आएगा !”“हाुँ मैं भी यही सोच रही थी।”मैं धीरे
से उसके ऊपर से उठ कर उसकी बगल में ही लेट सा गया और अपने हाथ उसके उरोजों पर हौले हौले
कफराने लगा। वो आुँखें बांद ककये और जाुँघों को चौड़ा ककये लेटी रही। उसकी बरु की फाांकें सजी हुई सी
लग रही थी और उनके बीच से मेरे वीय़, उसके कामराज और खन का समलाजुला हलके गल
ु ाबी रां ग का
समश्रण बाहर तनकल कर शावर से तनकलती फुहार से समल कर नाली की ओर जा रहा था। उसकी मोटी
मोटी सजी गल
ु ाबी लाल फाांकों को दे ख कर तो मेरा मन एक बार कफर से उन्हें चम लेने को करने लगा।
पर मैंने अपना आप को रोके रखा। कोई 10 समनट तक हम चुप चाप ऐसे ही पड़े रहे । पहले मैं उठा और
मैंने अपने लांड को पानी से धोया और कफर मैंने अांगर को उठाया। उसकी बरु में अभी भी थोड़ा सा दद़
था। उसने भी नल के नीचे अपनी बरु को धो सलया। वो अपनी बरु की हालत दे ख कर है रान सी हो रही
थी। उसकी फाांकें सज गई थी और थोड़ी चौड़ी भी हो गई थी। “बाब दे खो तम
ु ने मेरी पपककी की कया
हालत कर दी है ?” “कयों ? कया हुआ ? अच्छी भली तो है ? अरे ... वाह... यह तो अब बहुत ही खबसरत
लग रही है !” कहते हुए मैंने उसकी ओर अपना हाथ बढ़ाया तो अांगर पीछे हट गई। वो शायद यही सोच
रही थी कहीां मैं कफर से उसकी पपककी को अपने मुँह
ु में ना भर लुँ । “दीदी सच कहती थी तम
ु मझ
ु े जरूर
खराब कर के ही छोड़ोगे !” वो कातर आुँखों से मेरी ओर दे खते हुए बोली। हे भगवान कहीां यह मधरु की
बात तो नहीां कर रही ? मैंने डरते डरते पछा,“क ... कौन ? मधरु ?” “आप पागल हुए हो कया ?” “क...
कया मतलब ?” “मैं अनार दीदी की बात कर रही हुँ !” “ओह ... पर उसे कैसे पता ... ओह... मेरा मतलब
है वो कया बोलती थी ?” मेरा ददल जोर जोर से धड़क रहा था। कहीां अनार ने इसे हमारी चद
ु ाई की बातें
तो नहीां बता दी ?“वो कह रही थी कक आप बहुत सेकसी हो और ककसी भी लड़की को झट से चद
ु ाई के
सलए मना लेने में मादहर हो !” “अरे नहीां यार .... मैं बहुत शरीफ आदमी हुँ !” “अच्छाजी .... आप और
शरीफ ??? हुांह .... मैं आपकी सारी बातें जानती हुँ !!!” उसने अपनी आुँखें नचाते हुए कहा कफर मेरी ओर
दे ख कर मांद मांद मस्
ु कुराने लगी। कफर बोली,“दीदी ने एक बात और भी बताई थी ?” “क ... कया ?” मैं
हकलाते हुए सा बोला। पता नहीां यह अब कया बम्ब फोड़ने वाली थी। “वो ... वो ... नहीां... मझ
ु े शम़
आती है !” उसने अपनी मड
ांु ी नीचे कर ली। मैंने उसके पास आ गया और उसे अपनी बाहों में भर सलया।
मैंने उसकी ठोड़ी पर अांगल
ु ी रख कर उसकी मड
ांु ी ऊपर उठाते हुए पछा,“अांगर बताओ ना .... प्लीज ?”
“ओह ... आपको सब पता है ... !” “प्लीज !” “वो ... बता रही थी कक आप बरु के साथ साथ गधापच्चीसी
भी जरूर खेलते हो !” कहते हुए उसने अपनी आुँखें बांद कर ली। उसके गालों पर तो लाली ही दौड़ गई।
मेरा जी ककया इस पर कुबा़न ही हो जाऊां। “अरे उसे कैसे पता ?” मैंने है रान होते हुए पछा। “उसको मधुर
दीदी ने बताया था कक आप कभी कभी छुट्टी वाले ददन बाथरूम में उनके साथ ऐसा करते हो !” अब आप
मेरी हालत का अांदाज़ा बखबी लगा सकते हैं। मैंने तड़ातड़ कई चुम्बन उसकी पलकों, गालों, छाती, उरोजों,
पेट और नासभ पर ले सलए। जैसे ही मैं उसकी पपककी को चमने के सलए नीचे होने लगा वो पीछे हटते
हुए घम गई और अपनी पीठ मेरी और कर दी। मैंने पीछे से उसे अपनी बाहों में भर सलया। मेरा शेर इन
सब बातों को सन
ु कर भला कयों ना मचलता। वो तो कफर से सलाम बजने लगा था। मेरा लांड उसके
तनतम्बों में ठीक उसकी गाांड के सन
ु हरे छे द पर जा लगा। अांगर ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाये और मेरी
गद़ न में डाल ददए। मैंने एक हाथ से उसके उरोजों को पकड़ सलया और एक हाथ से उसकी बरु को
सहलाने लगा। जैसे ही मेरा हाथ उसकी फाांकों से टकराया वो थोड़ी सी कुनमन
ु ाई तो मेरा लांड कफसल कर
उसकी जाुँघों के बीच से होता उसकी बरु की फाांकों के बीच आ गया। उसने अपनी जाांघें कस ली। “अांगर
एक बार तम
ु भी इसका मज़ा लेकर तो दे खो ना ?” “अरे ना बाबा ... ना .... मुझे नहीां करवाना !” “कयों
?” “मैंने सन
ु ा है इसमें बहुत दद़ होता है !” “अरे नहीां दद़ होता तो मधु कैसे करवाती ?” “पर वो... वो ...
?” मझ
ु े कुछ आस बांधी। मेरा लांड तो अब रौद्र रूप ही धारण कर चक
ु ा था। मेरा तो मन करने लगा बस
इसे थोड़ा सा नीचे झुकाऊां और अपने खड़े लांड पर थक लगा कर इसकी मटकती गाांड में डाल दां । पर मैं
इतनी ज्दबाजी करने के मड में नहीां था। मेरा मानना है कक ‘सहज पके सो मीठा होय’ “अरे कुछ नहीां
होता इसमें तो आगे वाले छे द से भी ज्यादा मज़ा आता है ! मधुर तो इसकी दीवानी है । वो तो मझ
ु े कई
बार खुद कह दे ती है आज अगले में नहीां पीछे वाले छे द में करो ?” मैंने झठ मठ उसे कह ददया। थोड़ी
दे र वो चप
ु रही। उसके मन की दपु वधा और उथल-पथ
ु ल मैं अच्छी तरह जानता था। पर मझ
ु े अब यकीन
हो चला था कक मैं जन्नत के दसरे दरवाजे का उदघाटन करने में कामयाब हो जाउां गा। “वो ... वो ...
रज्जो है ना ?” अांगर ने चप्ु पी तोड़ी। “कौन रज्जो ?” “हमारे पड़ोस में रहती है मेरी पककी सहे ली है !”
“अच्छा ?” “पता है उसके पतत ने तो सह
ु ागरात में दो बार उसकी गाांड ही मारी थी ?” “अरे वो कयों ?”
“रज्जो बता रही थी कक उसके पतत ने उसे चोदना चाल ककया तो उसकी बरु से खन नहीां तनकला !”
“ओह ... अच्छा... कफर ?” “कफर वो कहने लगा कक तम
ु तो अपनी सील पहले ही तड़
ु वा चक
ु ी लगती हो।
मैं अब इस चद
ु े हुए छे द में अपना लांड नहीां डालुँ गा। तम्
ु हारे इस दसरे वाले छे द की सील तोडग
ां ा !” “अरे
... वाह ... कफर ?” “कफर कया ... उसने रज्जो को उ्टा ककया और बेचारी को बहुत बरु ी तरह चोदा।
रज्जो तो रोती रही पर उसने उस रात दो बार उसकी जमकर गाांड मारी। वो तो बेचारी कफर 4-5 ददन
ठीक से चल ही नहीां पाई !” “पर रज्जो की बरु की सील कैसे टट गई उसने बताया तो होगा ?” मैंने
पछा। “वो.... वो.... 8 नांबर वाले गप्ु ता अांकल से उसने कई बार चद
ु वाया था !” “अरे उस लांगर ने उसे
कैसे पटा सलया ?” उसने मेरी ओर ऐसे दे खा जैसे मैं ककसी सक़स का जानवर या एसलयन हुँ। कफर वह
बोली,“पता ही वो ककतने अच्छे अच्छे चगफ्ट उसे लाकर ददया करते थे। कभी नई चप्पलें , कभी चडड़याुँ,
कभी नई नई डडजाइन की नेल पोसलश ! वो तो बताती है कक अगर गप्ु ता अांकल शादीशद
ु ा नहीां होते तो
वो तो रज्जो से ही ब्याह कर लेते !” मैं सोच रहा था कक इन कमससन और गरीब घर की लड़ककयों को
छोटी मोटी चगफ्ट का लालच दे कर या कोई सपना ददखा कर ककतना ज्दी बहकाया जा सकता है । अब
उस साले मोहन लाल गप्ु ता की उम्र 40-42 के पार है पर उस कमससन लौंडडया की कांु वारी बरु का मज़ा
लटने से बाज़ नहीां आया। “स ... साला .... हरामी कहीां का !” मेरे मुँह
ु से अस्फुट सा शब्द तनकला।
“कौन ?” ओह... अब मझ
ु े ध्यान आया मैं कया बोल गया हुँ। मैंने अपनी गलती तछपाने के सलए उसे
कहा,“अरे नहीां वो ... वो मैं पछ रहा था कक उसने कभी रज्जो की गाांड भी मारी थी या नहीां ?” “पता
नहीां ... पर आप ऐसा कयों पछ रहे हैं ?” “ओह ... वो मैं इससलए पछ रहा था कक अगर उसने गाांड भी
मरवा ली होती तो उसे सह
ु ागरात में दद़ नहीां होता ?” मैंने अपनी अांगल
ु ी उसकी बरु की फाांकों पर कफरानी
चाल कर दी और उसकी मदनमखण के दाने को भी दबाना चाल कर ददया। साथ साथ मैं उसके कानो की
लटकन, गद़ न, और कन्धों को भी चमे जा रहा था। “वैसे सभी मद़ एक जैसे ही तो होते हैं !” “वो कैसे ?”
“वो... वो.... जीज भी अनार दीदी की गाांड मारते हैं और .... और ... बाप भी अम्मा की कई बार रात को
जमकर गाांड मारते हैं !” “अरे ... वाह ... तम्
ु हें यह सब कैसे पता ?” “हमारे घर में बस एक ही कमरा तो
है । अम्मा और बाप चारपाई पर सोते हैं और हम सभी भाई बहन नीचे फश़ पर सो जाते हैं। रात में कई
बार मैंने उनको ऐसा करते दे खा है ।” मझ
ु े यह सब अनारकली ने भी बताया था पर मझ
ु े अांगर के मुँह
ु से
यह सब सन
ु कर बहुत अच्छा लग रहा था। दरअसल मैं यह चाहता था कक इस सम्बन्ध में इसकी खझझक
खुल जाए और डर तनकल जाए ताकक यह भी गाांड मरवाने के सलए मानससक रूप से तैयार हो जाए और
गाांड मरवाते समय मेरे साथ परा सहयोग करे । पहले तो यह जरा जरा सी बात पर शरमा जाया करती
थी पर अब एक बार चुदने के बाद तो आसानी से लांड, चत, गाांड और चद
ु ाई जैसे शब्द खुल कर बोलने
लगी है । मैंने बात को जारी रखने की मनसा से उसे पछा,“पर गल
ु ाबो मना नहीां करती कया ?” “मना तो
बहुत करती है पर बाप कहाुँ मानते हैं। वो तो अम्मा को अपना हचथयार चसने को भी कहते हैं पर अम्मा
को तघन आती है इससलए वो नहीां चसती इस पर बाप को गस्
ु सा आ जाता है और वो उसे उ्टा करके
जोर जोर से पपछले छे द में चोदने लग जाते हैं। अम्मा तो बेचारी दसरे ददन कफर ठीक से चल ही नहीां
पाती !” “तम्
ु हारा बाप भी पागल ही लगता है उसे ठीक से गाांड मारना भी नहीां आता !” वो तो है रान हुई
मझ
ु े दे खती ही रह गई। थोड़ी दे र रक कर वो बोली,“बाब मेरे एक बात समझ नहीां आती ?” “कया ?”
“अम्मा बाप का चसती कयों नहीां। अनार दीदी बता रही थी कक वो तो बड़े मजा ले ले कर चसती है । वो
तो यह भी कह रही थी कक मधरु दीदी भी कई बार आपका .... ?” कहते कहते अांगर रक गई। मैं भी
ककतना उ्ल हुँ। इतना अच्छा मौका हाथ में आ रहा है और मैं पागलों की तरह ऊलल जल
ु ल सवाल पछे
जा रहा हुँ। ओह ... मेरे प्यारे पाठको ! आप भी नहीां समझे ना ? मैं जानता हुँ मेरी पादठकाएां जरूर मेरी
बात को समझ समझ कर हुँस रही होंगी। हाुँ दोस्तो, ककतना बदढ़या मौका था मेरे पास अांगर को अपने
लांड का अमत
ृ पान करवाने का। मैं जानता था कक मझ
ु े बस थोड़ी सी इस अमत
ृ पान कला की तारी़ि
करनी थी और वो इसे चसने के सलए झट से तैयार हो जाएगी। मैंने उसे बताना शरू
ु ककया। “अम्मा बाप
का चसती कयों नहीां। अनार दीदी बता रही थी कक वो तो बड़े मजा ले ले कर चसती है । वो तो यह भी
कह रही थी कक मधुर दीदी भी कई बार आपका .... ?” कहते कहते अांगर रक गई। मैं भी ककतना उ्ल
हुँ। इतना अच्छा मौका हाथ में आ रहा है और मैं पागलों की तरह ऊलल जुलल सवाल पछे जा रहा हुँ।
ओह ... मेरे प्यारे पाठको ! आप भी नहीां समझे ना ? मैं जानता हुँ मेरी पादठकाएां जरूर मेरी बात को
समझ समझ कर हुँस रही होंगी। हाुँ दोस्तो, ककतना बदढ़या मौका था मेरे पास अांगर को अपने लांड का
अमत
ृ पान करवाने का। मैं जानता था कक मझ
ु े बस थोड़ी सी इस अमत
ृ पान कला की तारी़ि करनी थी
और वो इसे चसने के सलए झट से तैयार हो जाएगी। मैंने उसे बताना शरू
ु ककया। “हाुँ तम
ु सही कह रही
हो। मधुर को तो इसे चसना बड़ा पसांद है । वो तो लगभग रोज़ ही रात की चद
ु ाई करवाने से पहले एक
बार चसती जरूर है !” “हाुँ मझ
ु े पता है । अनार दीदी ने तो मझ
ु े यह भी बताया था कक इससे तघन कैसी ?
इसे पीने से तो आुँखों की ज्योतत बढ़ती है । यही तो वह रस है जजससे मैं, तम
ु , रज्जो, गौरी, मीठी, काल,
सतत और मोती बने हैं। इसी रस से तो औरत माुँ बनती है और यही वो रस है जो हमारे जीवन का मल
है । यह रस नहीां होता तो ना मैं होती ना तम
ु ।” ‘वाह मेरी जान तम
ु ने तो मेरी मजु श्कल ही आसान कर दी’
मैंने अपने मन में सोचा। मैं जानता था यह पट्टी मधरु ने अनार को पढ़ाई थी और उसने इस नादान
कमससन अांगर को कभी अपनी बपु द्धमतता दशा़ने को बता दी होगी। वाह मधुर, अगर मैं तम्
ु हारा लाख
लाख बार भी धन्यवाद करूुँ तो कम है । मेरा पप्प तो अब घोड़े की तरह दहनदहनाने लगा था। वो अांगर
के तनतम्बों के नीचे लगा बार बार जैसे उफन ही रहा था। अांगर अपने तनतम्बों को भीांच कर उसका
होसला बढ़ा रही थी। मैंने अांगर से कहा,“अांगर कया तम
ु ने कभी कोसशश नहीां की ?” “धतत ?” आप भी
कैसी बातें करते हैं ?” “अच्छा एक बात बताओ ? “कया ?” “कभी तम्
ु हारे मन में चसने की बात आई या
नहीां ?” वो कुछ पलों के सलए सोचती रही और कफर बोली,“कई बार मैंने मोती को नहाते समय अपने लांड
से खेलते दे खा है और अपने मोह्ले के लड़कों को भी गली में मतते दे खा है । वो लड़ककयों को दे ख कर
अपना जोर जोर से दहलाते रहते हैं। तब कई बार मझ
ु े गस्
ु सा भी आता था और कई बार इच्छा भी होती
थी कक मैं भी कभी ककसी का पकड़ लां और चस लुँ !” “अांगर एक बार मेरा ही चस लो ना ?” वो मेरी
बाहों से तछटक कर दर हो गई। एक बार तो मझ
ु े लगा कक वो नाराज़ हो गई है पर कफर तो वो एक
झटके के साथ नीचे बैठ गई और मेरे लांड को अपने मुँह
ु में गप्प से भर कर चसने लगी। मैं सच कहता
हुँ मैंने जजतनी भी लड़ककयों और औरतों की चद
ु ाई की है या गाांड मारी है ससमरन को छोड़ कर लगभग
सभी को अपना लांड जरूर चस
ु वाया है । लांड चस
ु वाने की लज्जत तो चद
ु ाई से भी अचधक होती है । उसके
लांड चसने के अांदाज़ से तो मझ
ु े भी एक बार ऐसा लगने लगा था कक इसने पहले भी ककसी का जरूर
चसा होगा या कफर दे खा तो जरूर होगा। वो कभी मेरे लांड पर जीभ कफराती कभी उसका टोपा अपने होंठों
और दाांतों से दबाती। कभी उसे परा का परा अन्दर गले तक ले जाती और कफर हौले हौले उसे बाहर
तनकालती। हालाांकक मधरु भी लांड बहुत अच्छा चसती है पर यह तो उसे भी मात कर रही थी। मझ
ु े लगा
अगर इसने मेरा 2-3 समनट बबना रके ऐसे ही चसना जारी रखा तो मैं तो इसके मुँह
ु में ही झड़ जाऊुँगा।
दरअसल मैं पहले एक बार तस्ली से इसकी गाांड मारना चाहता था। कहीां ऐसा ना हो कक मधरु ही जाग
जाए। अगर ऐसा हो गया तो मेरी तो सारी मेहनत और योजना ही खराब हो जायेगी। मैं अभी यह सोच
ही रहा था कक वो अपने होंठों पर जीभ कफराती उठ खड़ी हुई। मैंने एक बार उसके होंठों को कफर से चम
सलया। “बाब बहुत दे र हो गई कहीां मधुर दीदी ना जाग जाए ?” “अरे तम
ु उसकी चचांता मत करो। वो
सब
ु ह से पहले नहीां जागेगी !” मैंने उसे बाहों में भर लेना चाहा। “बस बाब, अब छोड़ो मझ
ु े, जाने दो !”
“अांगर तम
ु मेरी ककतनी प्यारी साली हो !” “तो ?” “अांगर यार मेरी एक और इच्छा परी नहीां करोगी कया
?” “अब और कौन सी इच्छा बाकी रह गई है ?” “अांगर यार एक बार अपने पपछले छे द में भी करवा लो
ना ?” मैं उसे पकड़ने के सलए जैसे ही थोड़ा सा आगे बढ़ा वो पीछे हटती हुई बोली,“ना बाबा ना .... मैं तो
मर ही जाउां गी !” “अरे नहीां मेरी जान तम्
ु हें मरने कौन बेवकफ दे गा ? तम
ु तो मेरी जान हो !” मैंने उसे
अपनी बाहों में भरते हुए कहा। “इसका मतलब दीदी सच कह रही थी ना ?” उसने अपनी आुँखें नचाते
हुए कहा। “कया मतलब ?” “तम
ु सभी मद़ एक जैसे होते हो। ऊपर से शरीफ बनते हो और ... और ...?”
“ओह ... अांगर दे खो मैं बहुत प्यार से करूुँगा तम्
ु हें जरा भी दद़ नहीां होने दां गा !” कहते हुए मैंने उसके
होंठों को चम सलया। “वो.... वो ... ओह ... नहीां !” “प्लीज मेरी सबसे प्यारी साली जी !” “ओह ... पर
वो... वो.... यहाुँ नहीां !” “क ... कया मतलब ?” “यहाुँ बे-आरामी होगी, बाहर कमरे में चलो !” मैं तो उस
पर मर ही समटा। मधु तो इसे मासम बच्ची ही समझती है । मझ
ु े अब समझ आया कक लड़की ददखने में
भले ही छोटी या मासम लगे पर उसे सारी बातें मदों से पहले ही समझ आ जाती है । इसी सलए तो कहा
गया है कक औरत को तो भगवान भी नहीां समझ पाता। हमने ज्दी से तौसलये से अपना शरीर पोंछा
और कफर मैंने उसे अपनी गोद में उठा सलया। उसने अपनी बाहें मेरे गले में ऐसे डाल दी जैसे कोई
पप्रयतमा अपने प्रेमी के गले का हार बन जाती है । हम दोनों एक दसरे की बाहों में समाये कमरे में आ
गए। मैंने उसे बबस्तर पर लेटा ददया। वो अपनी जाांघें थोड़ी सी फैला कर आुँखें बांद ककये लेटी रही। मेरा
ध्यान उसकी बरु की सज कर मोटी मोटी और लाल हो गई फाांकों पर चला गया। मेरा तो मन करने
लगा कक गाांड मारने के बजाये एक बार कफर से इसकी बरु का ही मज़ा ले सलया जाए। ओह ... इस
समय उसकी बरु ककतनी प्यारी लग रही थी। मझ
ु े आज भी याद है जब मैंने ससमरन के साथ पहली बार
सम्भोग ककया था तो उसकी बरु भी ऐसी ही हो गई थी। मेरा मन उसका एक चम्
ु मा ले लेने को करने
लगा। जैसे ही मैं नीचे झक
ु ने लगा अांगर बबस्तर पर पलट गई और अपने पेट के बल हो गई। उसके
गोल गोल कसे हुए तनतम्ब इतने चचकने लग रहे थे जैसे रे शम हों। मैंने बारी बारी एक एक चम्
ु बन उन
दोनों तनतम्बों पर ले सलया। अांगर के बदन में एक हलकी सी झरु झरु ी सी दौड़ गई। मैं जानता था यह
डर, रोमाांच और पहली बार गाांड मरवाने के कौतक
ु के कारण था। मेरी भी यही हालत थी। मेरा पप्प तो
ऐसे तना था जैसे कोई फौजी जांग के सलए मस्
ु तैद हो। मैंने पास रखे टे लकम पाउडर का डडब्बा उठाया
और उसकी कमर, तनतम्बों और जाुँघों के ऊपर लगा ददया और अपने हाथ उसके तनतम्बों और कमर पर
कफराना चाल कर ददया। बीच बीच में मैंने उसकी गाांड के छे द पर भी अपनी अांगल
ु ी कफरानी चाल कर दी।
आप जरूर सोच रहे होंगे यार प्रेम अब कयों तरसा रहे हो साली को ठोक कयों नहीां दे त।े ओह ... मेरे
प्यारे पाठको और पादठकाओ ... बस थोड़ा सा सब्र और कर लो। आप तो सभी बहुत गण
ु ी और अनभ
ु वी
हैं। आप अच्छी तरह जानते हैं कक पहली बार ककसी कमससन लड़की की कांु वारी गाांड मारना और ककतना
दश्ु कर काय़ होता है । पहले िीम और बोरोलीन से इसे रवाां करके इस कसे और छोटे से छे द को ढीला
करना होगा। सबसे ज्यादा अहम बात तो यह है कक भले ही अांगर मेरे कहने पर गाांड मरवाने को राज़ी
हो गई थी पर अभी वो शारीररक रूप से इसके सलए परी तरह तैयार नहीां हुई थी। जब तक वो परी तरह
अपने आप को इसके सलए अांतम़न से तैयार नहीां कर लेगी उसकी कोरी गाांड का छ्ला ढीला नहीां होगा।
मैंने अांगर के तनतम्बों को एक बार कफर से थपथपाया और कफर उन्हें चमते हुए कहा,“अांगर अपनी जाांघें
थोड़ी से चौड़ी करो प्लीज !” मेरी बात सन
ु कर उसने एक बार मेरी ओर दे खा और कफर अपने तनतम्बों को
थोड़ा सा ऊपर करते हुए अपने घट
ु नों को मोड़ कर उसने अपना ससर झुका कर अपने घट
ु नों पर ही रख
सलया। ऐसा करने से उसके तनतम्ब जो आपस में जुड़े थे खुल गए और गाांड का साांवले रां ग का छोटा सा
छे द अब सा़ि नज़र आने लगा। वह कभी खुल और कभी बांद होने लगा था। शायद रोमाांच और डर के
कारण ऐसा हो रहा था। मैंने अपनी अांगल
ु ी पर वैसलीन की डब्बी से खब सारी वैसलीन तनकाली। और
उसकी गाांड के छे द पर लगाने में सलए जैसे ही अपना हाथ बढ़ाया, वो बोली,“बाब ... जरा धीरे करना ...
मझ
ु े डर लग रहा है ... ज्यादा दद़ तो नहीां होगा ना ?” ओह ... मेरे प्यारे पाठको और पादठकाओ ... बस
थोड़ा सा सब्र और कर लो। आप तो सभी बहुत गण
ु ी और अनभ
ु वी हैं। आप अच्छी तरह जानते हैं कक
पहली बार ककसी कमससन लड़की की कांु वारी गाांड मारना और ककतना दश्ु कर काय़ होता है । पहले िीम
और बोरोलीन से इसे रवाां करके इस कसे और छोटे से छे द को ढीला करना होगा। सबसे ज्यादा अहम
बात तो यह है कक भले ही अांगर मेरे कहने पर गाांड मरवाने को राज़ी हो गई थी पर अभी वो शारीररक
रूप से इसके सलए परी तरह तैयार नहीां हुई थी। जब तक वो परी तरह अपने आप को इसके सलए
अांतम़न से तैयार नहीां कर लेगी उसकी कोरी गाांड का छ्ला ढीला नहीां होगा। मैंने अांगर के तनतम्बों को
एक बार कफर से थपथपाया और कफर उन्हें चमते हुए कहा,“अांगर अपनी जाांघें थोड़ी से चौड़ी करो प्लीज
!” मेरी बात सन
ु कर उसने एक बार मेरी ओर दे खा और कफर अपने तनतम्बों को थोड़ा सा ऊपर करते हुए
अपने घट
ु नों को मोड़ कर उसने अपना ससर झक
ु ा कर अपने घट
ु नों पर ही रख सलया। ऐसा करने से
उसके तनतम्ब जो आपस में जड़
ु े थे खल
ु गए और गाांड का साांवले रां ग का छोटा सा छे द अब सा़ि नज़र
आने लगा। वह कभी खल
ु और कभी बांद होने लगा था। शायद रोमाांच और डर के कारण ऐसा हो रहा
था। मैंने अपनी अांगल
ु ी पर वैसलीन की डब्बी से खब सारी वैसलीन तनकाली। और उसकी गाांड के छे द पर
लगाने में सलए जैसे ही अपना हाथ बढ़ाया, वो बोली,“बाब ... जरा धीरे करना ... मझ
ु े डर लग रहा है ...
ज्यादा दद़ तो नहीां होगा ना ?” मैं तो उसके इस भोलेपन पर मर ही समटा। ओह ... वो तो शायद यही
सोच रही थी की मैं थक लगा कर एक ही झटके में अपना लांड उसकी गाांड में घस
ु ेड़ने की कोसशश
करूुँगा। “अरे मेरी रानी तम
ु चचांता कयों करती हो मैं इस तरह से करूुँगा कक तम्
ु हें तो पता भी नहीां चलेगा
?” अब मैंने उसके खल
ु ते बांद होते छे द पर वैसलीन लगा दी और धीरे धीरे उसे रगड़ने लगा। बाहर से
उसकी गाांड का छे द कुछ साांवला था पर मैं जानता हुँ अन्दर से तो वो चेरी की तरह बबलकुल लाल होगा।
बस थोड़ा सा नम़ पड़ते ही मेरी अांगल
ु ी अन्दर चली जायेगी। मझ
ु े कोई ज्दी नहीां थी। मैंने थोड़ी िीम
और तनकाली और अपनी अांगल
ु ी का एक पोर थोड़ा सा गाांड के छे द में डाला। छ्ला बहुत कसा हुआ लग
रहा था। वो थोड़ी सी कुनमन
ु ाई पर कुछ बोली नहीां। मैंने अपनी अांगल
ु ी के पोर को 3-4 बार हौले हौले
उसके छ्ले पर रगड़ते हुए अन्दर सरकाया। अब मेरी अांगल
ु ी का पोर थोड़ा थोड़ा अन्दर जाने लगा था।
मैंने इस बार बोरोलीन की ट्यब का ढककन खोलकर उसका मुँह
ु उसकी गाांड के छे द से लगाकर थोड़ा सा
अन्दर कर ददया और कफर उसे भीांच ददया। ट्यब आधी खाली हो गई और उसकी िीम अन्दर चली गई।
उसे जरूर यह िीम ठां डी ठां डी लगी होगी और गद
ु गद
ु ी भी हुई होगी। जैसे ही मैंने ट्यब हटाई उसका छे द
कफर से खुलने और बांद होने लगा और उस पर लगी स़िेद िीम चारों और ़िैल सी गई। अब तो मेरी
अांगल
ु ी बबना ककसी रकावट के आराम से अन्दर बाहर होने लगी थी। मैंने अपनी अांगल
ु ी पर कफर से िीम
लगाई और उसके नम़ छे द में अन्दर बाहर करने लगा। मैंने अांगर को अपनी गाांड को बबलकुल ढीला छोड़
दे ने को पहले ही कह ददया था। और अब तो उसे भी थोड़ा मज़ा आने लगा था। उसने अपनी गाांड का
कसाव ढीला छोड़ ददया जजससे मेरी अांगल
ु ी का पोर तो छोड़ो अब तो परी अांगल
ु ी अन्दर बाहर होने लगी
थी। अांगर पहले तो थोड़ा आह ... ऊुँह ... कर रही थी पर अब तो वो भी मीठी सीतकार करने लगी थी।
शायद उसके सलए यह नया अहसास और अनठा अनभ
ु व था। उसे यह तो पता था कक सभी मदों को गाांड
मारने में बहुत मज़ा आता है पर उसे यह कहाुँ पता था कक अगर कायदे से (सही तरीके से) गाांड मारी
जाए और गाांड मारने वाला अनाड़ी ना होकर कोई गर
ु घांटाल हो तो गाांड मरवाने औरत को चत से भी
ज्यादा मज़ा आता है । दरअसल इसका एक कारण है । पर
ु र् हमेशा स्त्री को पाने के सलए प्रेम दशा़ता है
पर स्त्री अपने प्रेमी का प्रेम पाने के सलए और उसकी ख़ुशी के सलए ही प्रेम करती है । जजस किया में
उसके पप्रयतम को आनांद समले वो कटट सह कर भी उसे परा करने में सहयोग दे ती है । अांगर की
मानससक हालत भी यही बता रही थी। हो सकता है अांगर को गाांड मरवाने में आने वाले आनांद का ना
पता हो पर वो तो इस समय मझ
ु े हर प्रकार से खश
ु कर दे ना चाहती थी। उसने रोमाांच और नए अनभ
ु व
के आनांद से सराबोर होकर मीठी सीतकारें करना भी चाल कर ददया था और अब तो उसने अपने हाथ का
एक अांगठा मुँह
ु में लेकर उसे भी चसना चाल कर ददया था। आह ... मेरी समककी ... तम
ु ने तो नया
जन्म ही ले सलया है ? कभी कभी वो अपने गाांड के छ्ले को ससकोड़ भी लेती थी। उसकी गाांड के कसाव
को अपनी अांगल
ु ी पर महसस करके मैं तो रोमाांच से लबालब भर उठा। मेरा पप्प तो झटके पर झटके
मारने लगा था। बस अब तो जन्नत के इस दसरे दरवाजे का उदघाटन करने का सही वक़्त आ ही गया
था। “ओहो... बाब अब करो ना ... कयों दे र कर रहे हो ?”
हे ्लो दोस्तो ! मेरा नाम रे हान है और मैं है दराबाद में रहता हुँ और ये कहानी मेरी और मेरी भाभी की
सच्ची कहानी है ।मेरी भाभी का नाम शबनम है और वो एक मध्यम पररवार से है । घर पर सस़ि़ हम पाुँच
लोग ही रहते हैं। मेरी भाभी का साइज़ ३६-२६-३६ है और वो एक दम सेकसी है । मेरे भाई की शादी को ३
साल हुए थे और उन की कोई औलाद नहीां थी। इसी कारण मम्मी पापा मेरी शादी करना चाहते थे और
उन्होंने एक लड़की भी दे खी थी पर वो लड़की पसांद नहीां आई थी।एक बार मेरे मम्मी और पापा को
उनके एक ररश्तेदार की शादी में जाना था और उन्होंने मझ
ु े भी चलने के सलए कहा तो मैंने मना कर
ददया कयोंकक मझ
ु े काम पर से छुट्टी नही समल रही थी तो भाभी ने भी मना कर ददया कयोंकक घर पर मैं
अकेला ही रह जाउां गा। वो लोग चले गए और भैया को भी उन के काम से शहर से बाहर जाना पड़ा था
और वो ६ महीने के सलए शहर से बाहर गए थे। उस वकत घर पर सस़ि़ हम दोनों ही थे।सब कुछ ठीक
चल रहा था कक अचानक एक ददन मैं काम से छुट्टी ले कर घर आ गया था। जब मैं कम से घर आया
तो मैंने दरवाज़ा खुला पाया। मैं अन्दर घस
ु ा तो मैंने भाभी को आवाज़ नही लगाई और उन के कमरे में
चला गया। मैंने दे खा कक भाभी एक दम नांगी हैं और वो अपनी चत और अपने बब्स को दबा रही हैं और
कुछ अजीब सी आवाज़ें तनकाल रही हैं- आआआ आआआआआ आआआआआआआ आआऊऊऊऊऊऊऊ
ऊऊऊऊऊऊ ऊऊऊ ऊऊऊओस्श्श्श्शश्श्श्श्शश ऊऊऊऊ ऊऊऊऊऊ ऊऊऊऊऊ ऊऊऊऊऊऊऊऊओ !जब भाभी ने
मझ
ु े दे खा तो एक दम हककी बककी रह गई और जैसे ही उन्होंने मझ
ु े दे खा मैं वहाुँ से चला गया और
कफर कुछ दे र बाद भाभी कमरे से बाहर आई और मझ
ु े दे ख कर सेकसी तरीके से मस्
ु कुरा दी। मैं उस
समय कुछ नहीां समझा।रात को डडनर के बाद जब मैं सोने जा रहा था तो उन्होंने मझ
ु से पछा कक कया
मैं उनके साथ सो सकता हुँ कयोंकक उनको अकेले सोने की आदत नहीां है । मैं उनके कमरे में चला गया
और मैंने अपना बबस्तर नीचे लगाया तो भाभी ने कहा कक तम
ु मेरे साथ बेड पर सो सकते हो।मैं ये सन
ु
कर एक दम उनके बेड पर चढ़ गया। कुछ दे र बाद मैं परे शानी महसस कर रहा था तो उन्होंने पछा कक
कया हुआ तो मैंने उनसे कहा कक मैं रोज़ सस़ि़ अपने कच्छे में ही सोता हुँ।तो भाभी ने कहा कक तो कया
हुआ यहाुँ भी वैसे ही सो जाओ।मैं ये सन
ु कर एक दम है रान हो गया और कफर मैंने अपने कपड़े उतारे
और सस़ि़ कच्छे में ही सो गया। ऐसा कुछ ददनों तक चलता रहा।एक ददन मैं रोज़ की तरह सोने की
तैयारी कर रहा था तो भाभी ने भी अपने कपड़े उतार ददए।मैंने पछा तो कहने लगी कक जब तम
ु अपने
अन्डरवीयर में सो सकते हो तो मैं अपनी ब्रा और पैंटी में कयोँ नही सो सकती?और कफर भाभी सस़ि़ ब्रा
और पैंटी में ही बेड पर सो गई। रात के २ बजे मैंने ककसी का हाथ अपनी छाती पर महसस ककया, दे खा
तो वो भाभी का हाथ है । मैं उन के और करीब हो गया। कफर मैंने अपना हाथ उन के बब्स पर रख ददया
जजस से मेरा लण्ड परी तरह खड़ा हो गया। मैं उनके बब्स को आदहस्ता से सहलाने लगा। मझ
ु े और थोड़ा
जोश आया तो मैंने अपना हाथ उनकी पैंटी पर रखा और अपनी ऊुँगली उनकी फुद्दी पर क़िराने लगा। वो
भी मज़ा लेने लगी, मैंने दे खा तो वो सस़ि़ अपनी ऑ ांखें बांद कर के लेटी हुई थी। कफर मैंने अपनी ऊुँगली
उनकी पैंटी के अन्दर डाल दी और उनकी फुद्दी में अपनी ऊुँगली को अन्दर बाहर करने लगा।वो जोश के
कारण आआआआआआआआआअ ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ श्ह्श्श्शश्श्श्श्शश्श्ह्स ओइ ओइओइ ऊऊऊ ओईइ
ऊइओई ओइओइ ओओइओइ ओओइओइओइओइओ अहहहह हहहहहहहछाहहछा कर रही थी। मैं समझ
गया कक भाभी को अब मेरे लण्ड के दश़न करने ही पड़ेंगे। मैंने अपना कच्छा उतार ददया और अपना
लण्ड उनके हाथ में दे ददया। जैसे ही मैंने अपना लण्ड उनके हाथ में ददया, वो झट से उठ कर बैठ गई
और मेरे लण्ड को दे ख कर बोली कक तेरा तो तेरे भैया से भी बड़ा है ।भाभी ने उसको थोडी दे र मसलने के
बाद उसे अपने मुँह
ु में ले सलया और चसने लगी। मैं जैसे सातवें आसमान में था। वो उसे ऐसे चस रही
थी जैसे कोई बच्चा लोलीपॉप चसता हो। कुछ दे र चसने के बाद मैंने भाभी से कहा कक मैं झड़ने वाला हुँ,
तो उन्होंने कहा कक मह
ुां के अन्दर झड़ जाऊुँ और मैंने उनके मुँह
ु में एक लम्बी सी पपचकारी मारी जजस
से उन का परा मुँह
ु भर गया और वो मेरा सारा रस पी गई। कफर मैंने उनको बेड पर सलटाया और उनकी
पैंटी उतारी और उनकी फुद्दी को अपनी ऊुँगली से चोदने लगा और कफर उनकी फुद्दी को अपनी जीभ से
चाटने लगा। कुछ दे र बाद वो भी झड़ गई और मैंने उनका सारा रस पी सलया।हम दोनों ऐसे लेटे रहे और
उसी दौरान मैंने उनके स्तन चसना शरू
ु ककया और उन्होंने मेरा लण्ड कफर चस कर खड़ा ककया, मैंने उन
के पैर फैलाये और मैने अपना लण्ड उन के फुद्दी में डालना चाहा पर नहीां घस
ु रहा था। कफर भाभी ने
कहा कक और थोड़ा ज़ोर लगाओ !कफर मैंने एक और जोरदार धकका मारा जजससे मेरा आधा लण्ड उनकी
फुद्दी में घस
ु गया और उनके मुँह
ु से एक चीख तनकली। कफर मैंने एक और धकका मारा तो मेरा परा का
परा लण्ड उनकी फुद्दी में घस
ु गया और भाभी को दद़ होने लगा। मैंने कहा कक मैं थोडी दे र रक जाता हुँ
तो भाभी ने कहा की नहीां रको नहीां, पहले पहले ऐसा होता है । कफर मैंने अपना काम चाल ककया और
लण्ड अन्दर बाहर करने लगा। भाभी को भी मज़ा आने लगा और कफर वो जोश में आआआआआआआ
ऊऊऊऊऊऊऊओ ईईईईईईईईईईई श्श्श्श्शश्श्श्श्शह्श्स अहहहहहहहहहहहः करने लगी और मझ
ु से कहने लगी
कक और जोर से! और जोर से! और जोर से!कफर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। जैसे ही मैंने अपनी स्पीड
बढ़ाई, भाभी को और ज्यादा मज़ा आने लगा और वो और जोर से आआआ आ आआआआअ
ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ श्श्श्श्शशश्श्श्श्शश्श्श ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ ईईईईईईईईईईईइ करने लगी। कफर आधा
घांटा चुदाई के बाद मैंने भाभी को कहा कक मैं झड़ने वाला हुँ तो उन्होंने कहा कक मैं तो दो बार झड़ चुकी
ह और त अब झड़ रहा है !कफर भाभी ने कहा कक त मेरी फुद्दी में ही झाड़ दे और मैंने ऐसा ही ककया।
उस रात हम लोगों ने सात बार चद
ु ाई की और मैंने भाभी की गाांड भी मारी।और कया मज़ा आया उनकी
गाांड मार के !
नीत भाभी अपने ख्यालों में कुच्छ डबी हुई मेरी तरफ चुपचाप दे खती रही. और कफर आदहस्ते से बोली,
"जानते हो, मझ
ु े तम
ु को यह सब सीखाना अच्छा लगता है . पता नही यह बात ठीक है कक नही. पर मझ
ु े
बहुत अच्छा लगता है . तम
ु को भी अच्छा लग रहा है ना? तम
ु भी कुच्छ कुच्छ सोचते रहते हो?""जी……"
"ज़रूर सोचते होगे…..है ना?"वो अपने अांगठे और दो उां गसलयों से मेरे लांड के सपदे को कभी पकड़कर
दबाती, कभी मसालती, कभी सपदे के टोपी के अांदर अपने नाख़न से चारो तरफ धीरे से खरोचती."यह
बहुत ज़रूरी होता है कक आपस मे इन बातों के बारें मे खुलापन हो….." वो अपनी हाथ मे मेरे खड़े लांड को
दे ख रही थी. उनकी आवाज़ कुच्छ धीमी हो रही थी, और ऐसा लग रहा था कक वो अपनी ख्यालों मे डब
गयी हैं. "मैं सोच रही थी कक तम
ु को ठीक तरह से मज़ा लेना ससखाउ…..ठीक तरह से…….कुच्छ सोचना
नही….कोई और ख्याल नही हो ददमाग मे….मज़े करते वक़्त सस़ि़ मज़े करना……."वो उां गसलयाुँ से मेरे
सपदे को बहुत ही प्यार से दबा रही थी, और बीच बीच मे आदहस्ते से सपदे के छे द में नाख़न से छे ड़
रही थी. नीत भाभी ने और रातों की तरह आज रात भी कमरे में एक छ्होटे कटोरे में कुच्छ गरम सरसो
का तेल रख सलया था. उनकी उां गसलयाुँ सरसो के तेल में डुबोई हुई थी."समझ रहे हो, कक मैं कया कह रही
हुँ?" "जी.""मज़े करते समय, और कोई ख्याल नही होना चादहए…..कुच्छ सोचना नही चादहए…..सस़ि़ मज़ा
लेना और मज़ा दे ना…बस…. सस़ि़ मज़े का ख्याल!…" वो मेरे मेरे लांड को एक नज़र से दे ख रही थी और
सपड़ा के चारो तरफ अपनी उां गली को घम
ु ा रही थी. बाहर चाुँदनी रात थी, और खखड़की से चाुँदनी की
रोशनी आ रही थी. नीत भाभी के बाल खुल गये थे और उनकी आुँचल कब का चगर चुका था. मेरे जैसे
लड़के को उनके बाल, उनका सद
ुां र चेहरा, उनकी आधी खुली हुई ब्लाउस से तनकलती हुई चुचचयाुँ और
उनका इकहरा बदन ही पागल बनाने के सलए का़िी था, पर वो तो अपनी हाथ से मेरे लांड को इस तरह
प्यार से तरह तरह से दबा रही थी, नाख़न से खरॉच रही थी मैं नशे मे मस्त हो रहा था. चाुँदनी की उस
रोशनी मे मेरा सरोसो के तेल मे मासलस ककया लांड चमक रहा था, और नीत भाभी की गें हआ रां ग की
मचु थ और उां गसलयों मे से मेरा लौदा बीच बीच में झाुँकता, और कफर छुप जाता."यह मेरी एक ख्वादहश
है ……सच पच्छो तो मज़ा तो सभी इांसान कर ही लेते हैं…पर ज़्जयादातर लोगों को बस थोरी दे र के सलए
प्यास बझ
ु ती हैं….ना मद़ परी तरह से खुश होते हैं और ना औरतें….जानते हो ना….ज़्जयादातर औरतें प्यासी
ही रह जाती हैं…..और चचचच़रर समज़ाज़ की हो जाती हैं…..और वही हाल मदों का भी!" भाभी ने इस बार
मेरे सपदे से लेकर लौदे के बब्कुल जड़ तक दबा ददया. वो मेरे गाांद के उपर अपनी उां गली भी फेर रही
थी अब. मैने पचछा, "नीत भाभी, और कया ख्वादहशें हैं?""अभी नही बताउजन्ग!…..अभी बस इतना ही!"वो
मेरे लांड को बहुत ही नाज़ुक सा सहला रही थी अब. कफर धीरे से हां स दी. कुच्छ शरमाते हुए, कफर बोली.
"ख्याल तो बहुत हैं, पर कया करूुँ, थोरी शरम भी तो आती है !" मैं भाभी की चुचचयों को ब्लाउस के अांदर
ही हाथ डालकर आदहस्ते से दबा रहा था. वो चप
ु हो गयी. कफर आुँखें मद
ां कर एक गहरी साुँस लेकर
बोली," तम्
ु हारे हाथों में तो जाद है …..आह…आहह …...तम
ु को इतनी कम उमर मे ही औरतों के बदन का
परा पता है …. तम्
ु हारे हाथ तो सारे बदन में ससहरन ला दे ते हैं….हाअन्न्न्न!" अब मैने नीत भाभी की सारी
को उतारने लगा. ब्लाउस के हुकस खल
ु े हुए थे और ब्रा भी उतर चक
ु ा था. उनकी चचु च के घड
ांु ी को मैं
मसल रहा था, और भाभी ने अपने पेदटकोट के नाडे को खोल ददया. नीत भाभी कफर खरी हो गयी पर
मझ
ु से कहा कक मैं उसी तरह बबस्तर के ककनारे लेटा रहां . अपनी पेदटकोट तनकाल कर भाभी आई और मेरे
टाुँगों के दोनो तरफ अपने पैरों को फैलाकर मेरे उपर आ गयी. मेरे सख़्त लांड को उन्होने कफर गौर से
दे खा और उसको अपनी हाथों मे पकड़े रखा. कफर अपनी चतड़ कुच्छ उपर उठाकर उन्होने सपदे को
अपनी चत की पजततयों मे फुँसा ददया, मानो उनकी चत के पांखरु रयाुँ मेरे सपदे को प्यार से, ह्के से चम
रही हो!मैं ने अपना कमर थोड़ा उठाया,"एम्म." "अच्छा लग रहा है ?" "जी……….…. हाां" "आदहस्ते से? ……इस
तरह?" "म्म्म, जी."उनकी नज़र मेरे चेहरे पर थी. मेरे चेहरे को गौर से दे ख रही थी कक मझ
ु े कैसा लग
रहा है उनका मेरे सपदे को अपनी बरु की पदट्टयों पर रगड़ना. ह्का ह्का रगड़ना, और कभी कभी बरु के
झाुँत मे ज़ोसे रगड़ना. बोली, "जब मेरे हाथ में तम्
ु हारा लांड सख़्त होने लगता है ना, तो मझ
ु े बहुत मज़ा
आता है…. मरु झाया हुआ लांड जब बड़ा होने लगता है ….बड़ा होता जाता है ….बड़ा और गरम!" वो अब अपने
घट
ु नों के बल बैठ गयी और मझ
ु से कहा, " लो, तम
ु मेरी चत के दाने को प्यार करो….जब तक मैं तम्
ु हारे
इस लौदे को एक गरम लोहे का हथौरा बना दे ती हुँ!" मैने उनकी चत को खोलकर उनके अांदर के दाने
को सहलाने लगा, उसपर उां गली को फेरने लगा. उनसे पचछा, "इस तरह?" उन्होने आुँख मद
ां ली, जैसे की
बब्कुल मशगल होकर ककसी चीज़ का ज़ायज़ा ले रही हों. जैसे कुच्छ माप रही हों. " हाां….इसी तरह……
आदहस्ता…….आदहस्ता….हाअन्न्न्न" वो मेरे उपर ही घट
ु नों के बल बैठी रहीां और मेरे लौदे को और भी
गरम करती रहीां, और जैसे मैं उनके चत में अपनी उां गली घम
ु ा रहा था मैं ने अपने गद़ न को आगे
बढ़ाकर उनकी चचु च को अपने मुँह
ु में लेने लगा. उनकी खबसरत, गोल-गोल कश्मीरी सेब जैसी चुचचयाुँ मेरे
मॅन को लभ
ु ा रही थी. जैसे मैने चुचच के घड
ुां ी को मुँह
ु मे लेकर चसा, वो ससहर गयी और बोली, "बस….इसी
तरह से..मुँह
ु मे लेकर आदहस्ते से चसो ….हाां…..अभी ज़ोसे नही…..हान्न्न्न…..इसी तरह…….अभी बस चसो."
अब उनकी साुँसें बढ़ने लगी. ज्दी ही उन्होने कहा, "अब लो….", और अपने घट
ु नों के बल उठकर उन्होने
नीचे मेरे लौदे के तरफ गौर ककया और उसको बब्कुल सीधा खरा ककया. अपने साुँस को रोकते हुए और
मेरे लौदे को अपने मचु थ में उसी तरह से पकरे हुए अब उन्होने अपनी गीली चत पर उपर से नीचे, कफर
नीचे उपर रगड़ कर मेरी तरफ प्यार से दे खा. मेरी तो हालत खराब हो रही थी; अब रकना बेहद मजु श्क़ल
हो रहा था. मेरे मुँह
ु से सससकारी तनकलने लगी. "अच्छा लग रहा है ?", उन्होने पचछा. "म्म्म्मम….जी"
"मझ
ु े भी मज़ा आ रहा है……म्म्म्मममम…………अहह…." नीचे दे खते हुए वो बोली, "जानते हो……..उमर के
दहसाब से तम्
ु हारा लौदा का़िी बड़ा है …… बहुत कम मदों का इतना तगड़ा लौदा होता है …… मझ
ु े तो
ताज्जुब होता है कक तम
ु ककतने सख़्त और गरम हो जाते हो! अहह …. ह्म्म्म्मम" वो मेरे सपदे के दटप
को अपनी बरु के अांदर लेकर मेरे कांधों पर अपनी हथेली रख दी. " अब तम
ु आराम से मज़ा लो, जबतक
मैं तम्
ु हारे लौदे को अपनी चत में लेती हुँ. आराम से….मज़ा लो……कोई जज्दबाज़ी नही… जब लगे कक
झरने लगॉगे….तो उस से पहले बता दे ना…..ठीक?" "जी….ठीक!" वो मेरे चेहरे को बब्कुल ध्यान से दे खती
रही और बहुत सावधानी से आधे लांड को चत के अांदर लेकर रक गयी. और कमर को सीधा ककया. कफर
पचछा, "ठीक हो?" "जी." "बब्कुल ठीक?… हनन्न….. ……बब्कुल?" "हन्णन्न……बहुत मज़ा आ रहा है , पर
अभी झरूुँगा नही." "कफर ठीक है !" वो गहरी साुँस लेकर और आुँखें मद
ां कर अपनी चत को नीचे मेरे लांड
पर दबाकर लेने लगी, बहुत धीरे धीरे , एक बार में आधे इांच से ज़्जयादा नही….और धीरे से बोली, "आदहस्ते
से …. आदहस्ते……महसस करो कक अांदर कैसा लगता है…. कया होता है !….. जैसे मैं तम्
ु हारे लौदे को अांदर
लेती हुँ……तो महसस करो कक वो मेरी चत में ककस तरह तघस रहा हैं….बरु उसको ककस तरह से लेती
है …." वो गहरे साुँस लेकर अपने होंठों पर जीभ चलाकर होंठों को गीला ककया. "गौर करो….. अब मैं तम्
ु हारे
परे लॉड को ककस तरह चत में ले रही हुँ, ककस तरह तम्
ु हारा लौदा मेरी चत को परी तरह से खोल रहा
है …..बब्कुल अांदर तक……दे खी ककतनी गहराई मे है …… म्म्म्मममम…. …… अब मझ
ु े थोरे आराम से महसस
करने दो…..म्म्म्मममममम." मेरा लौदा उनकी चत के बब्कुल अांदर था, हमारी झाुँतें बब्कुल समल गयी
थी, उनकी चत मेरे लॉडा के जड़ पर बैठी थी. "म्म्म्मममम," वो बोली, " …… झरोगे तो नही?" मैने अपनी
साुँस रोके हुए सर दहला ददया. धीरे से बोला, "नही." "बहुत अच्छा," और वो कफर अपना ध्यान चत में लांड
पर लगाने लगी. "अपने आप को ठीक से रोकना, जजस से हम दोनो परा मज़ा ले सकें. ठीक?" वो अपनी
बरु को और नीचे लाई, करीब आधा इांच, कफर थोरा उपर उठाकर, मानो मेरे लॉडा के ककसी ख़ास पाट़ का
ज़ायक़ा ले रही हों. मझ
ु े लगा कक नीत भाभी बब्कुल सही कह रही थी: इस वक़्त कोई और ख्याल नही
आना चादहए.अब कफर से परे लॉड को लेने के बाद उन्होने कहा,`हाआांन्नणणन!" कफर एक पल साुँस लेने
के बाद मेरी आुँखों में दे खते हुए उन्होने पचछा, "मज़ा आ रहा है ?" "म्म्म्मम…ह" मैने अपने सर को थोरा
पीछे कर के ज़ोसे साुँस छोड़ा और नीत भाभी को जवाब तो दे ना चाहता था, पर मुँह
ु से सस़ि़ आवाज़
तनकली, "व्ह" " अब एक समतनट रूको, बस इसी तरह……", और भाभी ने गहरी साुँस लेकर अपने चेहरे पर
से अपने बाल को हटाकर एक लज जड़ा बना सलया, कफर कहा, "और बस बरु में पड़े हुए लांड का मज़ा
लेना सीखो! महसस करो कक बरु के अांदर लांड ककस तरह से चथरकता है , ……ककस तरह बरु लौदे को
चमती है , ककस तरह बरु और लोड्ूा एक दसरे के साथ खेलते हैं." वो अब मेरे उपर पीठ सीधी करके बैठ
गयी, और कफर कहा, " अपने उपर काब रखने की कोसशश करना….ठीक?……तम
ु झरना चाहो तो झार सकते
हो ….पर कोसशश करना कक जजतनी दे र तक अपने आप को रोक सको, रोकना…….. ठीक? जीतने दे र तक
अपने लौदा को इसी तरह अांदर रखोगे, उतना ही मज़ा आएगा ……तम
ु को भी……और मझ
ु े भी
……म्म्म्ममममममम…….. जानते हो ना ……..धीरे -धीरे साजना ……हौले हौले साजना ….. हम भी पीछे हैं
तम्
ु हारे …….! मेरी तो मस्ती से जान तनकल रही थी. मैं ने गहरी साुँस ली, और कफर कुच्छ बोलने की
कोसशश करने लगा, पर मुँह
ु से वाज़ तनकली बस, "व्ह" "कर सकोगे?……सस़ि़ महसस करो…. और कुच्छ
करने की ज़रूरत नही है … सस़ि़ मज़ा लो! …….करोगे ना?" "हान्णन्न." उन्होने अपनी आुँखें कफर मद
ां ली
और एक लांबी "अहह" भर के मेरे कांधों पर अपनी पकड़ को थोडा ढीला छ्चोड़ ददया. कुच्छ समय तक
हम दोनो चप
ु रहे , मेरे उपर भाभी बब्कुल खामोश और रकी रही. कफर मझ
ु े समझ में आने लगा कक वो
मझ
ु े कया महसस कराना चाहती थी. अब मझ
ु े महसस होने लगा कक ककस तरह मेरा लौदा उनकी बरु में
उसके गीलेपान से बब्कुल नाहया हुआ था और बरु के अांदर की बनावट को, बरु के अांदर के सभी खबबयों
का ज़ायक़ा ले रहा था. अब मैं समझा कक बरु की गहराइयों मे हर जगह एक जैसा नही होता, पर हर
गहराई का एक अपनी ही खबी है . यह सब महसस करते हुए मेरा लौदा और भी सख़्त होता जा रहा था,
और एक बार ज़ोसे चथरक गया. भाभी की बरु ने भी जवाब में मेरे लौदा को जाकड़ सलया. नीत भाभी
बोली," इसी तरह रहो अभी…. आराम से. ………..और कुच्छ मत करो… बस… इसी तरह."मैं ने वैसा ही ककया.
पर मेरे कोसशश के बावजद मेरा लौदा बीच बीच में चथरक जाता था. भाभी के गीली बरु के जकड़ने से
मेरा लौदा मस्ती में था और मझ
ु े नही लग रहा था कक मैं अपने लौडे को परी तरह से काब में रख
पाउन्गा भाभी आुँखें मद
ां ी ही हुई थी, पर मस्
ु कुराते हुए पच्ची, " कय,ुँ नही रका जाता कया?" मैने अपना सर
दहलाते हुए कहा, "नही, पर मज़ा बहुत आ रहा है …अहह." "हान्न्न, मझ
ु े भी, मेरे राजा. बहुत मज़ाअ आ रहा
है …ह". और मेरे कांधों को पकड़े हुए ही उन्होने अपने चेहरे को मेरे कान के पास रख ददया. वो
फुसफुसकर बोली, "ककतना मज़ा आता है …… इसी तरह से बरु में लौदा डालकर …….. सस़ि़ महसस करने
में ….कुच्छ सोचो मत …….कोई और कयाल नही ……सस़ि़ बरु में लॉडा…….सस़ि़ लॉड की सख्ती…..लॉड की
गमी……और बरु की मखमली, रस भरी सकदती हुई जाकरन! ….सस़ि़ जजस्म का ख्याल रखो….और कुच्छ
भी नही…. आअहह." भाभी रक कर कुच्छ शस्
ु ता रही थी. कमरे में टे बल कलॉक की चलने की `दटक दटक'
आवाज़ आ रही थी. मैं ने उसी `दटक दटक' पर अपना ध्यान लगाया. उनकी साुँसों की आवाज़ मेरे कान में
बहुत ही मीठे गीत की तरह लग रही थी, बीच बीच में भाभी "अहह" कहते हुए अपनी बरु से मेरे लौदे को
जाकड़ लेती थी. कोई चारा नही था. जैसे ही बरु को भाभी स्कवीज़ करती थी, मेरा लौदा चथरक जाता था!
कुच्छ दे र बाद नीत भाभी ने अपने जाांघों को मेरे उपर थोरा तघसकाया. अब उनके बरु का दाना मेरे लॉडा
के जड़ से तघस रहा था. उनके मुँह
ु से एक मज़े की "ह्म्म्म" तनकली और उन्होने धीरे से दो तीन बार
अपने दाने को मेरे लांड के जड़ में तघसने लगी. मेरे कान में धीरे से बोली, "यह बहुत मज़ा दे रहा
है …..अहह" अब उनकी चतड़ पहले की तरह बब्कुल बैठी नही रही. वो अपनी चतड़ को आदहस्ते से, बहुत
ख़ास अांदाज़ में घम
ु ाने लगी. लौदा चत की परी गहराई में , और उनके चत का दाना मेरे लौदा के जड़ पर
उगी झाांतों से रगड़ रहा था. अब नीत भाभी कुच्छ मस्ती में आ रही थी. उन्होने मझ
ु से मस्
ु कुरकर पचछा,
"अब कुच्छ ज़्जयादा मज़ा आ रहा है ? कुच्छ चुदाई का मज़ा? आहह …..हाआांणन्न?" "जी!………. हाआन्न!!!"
"मझ
ु े भी!" अब उन्होने अपने चतर को थोरा उठाया, और मझ
ु से कहा, " तम
ु मत दहलना इसी तरह रहो…
इसी तरह ……मेरे चत के अांदर …" वो अपनी चत को आगे कर के तघसने लगी, उनकी बरु का दाना मेरे
झाुँत में रगड़ रहा था. कुच्छ दे र तक वो इसी तरह, कुच्छ सावधानी बरतते हुए रगड़ती रही, पर बीच बीच
में , लगता था कक उनको भी मस्ती बढ़ने लगती थी, और वो ज़ोसे रगड़ना चाहती हैं, पर कफर अपने आपको
रोक कर वो अपनी चतड़ मेरी झांघों पर बैठा दे ती. वो बोली,"अब ज़रा," और उन्होनें अपने गले को सॉफ
ककया और गहरी साुँस ली," अब ज़रा अपने आप को काब में रखना!" और उन्होने अपने दाने को कफर
रगड़ना शरू
ु ककया, अपनी चतड़ को चककी की तरह घम
ु ाते हुए, और मेरे चेहरे पर मेरी हालत दे खकर मेरी
कान में धीरे से बोली, " झरना नही….. अपने आप को काब में रखो …….दे खो ककतना मज़ा आएगा अभी!"
मैने उनसे हामी भर दी, और वो बोलती रही , "दे खो, मैं ककतनी गीली हो रही हुँ ….ककस तरह मेरी बरु
बब्कुल रससया गयी है ….. ओहो…..ह्म्म्म्मम… मेरे खाततर…. हान्न्न…… रके रहो… मैं एक बार झार
जाउजन्ग….. आअहह ….. मेरे राजा … इसी तरह ……अब झरनेवाली हुँ" और उनकी आवाज़ बब्कुल धीमी
होती गयी, पर उनकी चतड़ मस्ती में चकई की तारह ज़ोसे चलने लगी. चार तरफ घम रही थी, कफर रक
कर एक बार अच्छी तरह से आगे, कफर उसी तरह से पीछे की तरफ, कफर गोल चककर. उनके बर से
कुच्छ रस तनकलकर हमारी झाांतों में बह गया था, पर बरु और लांड के इस समलन में हम दोनो बब्कुल
मगन थे. वो और ज़ोसे साुँस लेने लगी, और जैसे उनका मस्ती में हाुँफना उसी तरह से उनके कमर का
नाचना: उनकी चतड़ ज़ोसे, और ज्दी ज्दी चककर लगाती रही और बर का मह
ुँु मेरे लौदे के जड़ पर
रगड़ती रही. मझ
ु े लग गया कक नीत भाभी अब झरने वाली हैं, और मैं ककसी तरह से अपने आप को रोके
रहा, परी कोसशश कर के सस़ि़ टे बल कलॉक के "दटक-दटक'" पर ध्यान लगाए रखा. कफर उन्होने अपना
चेहरा मेरे गाल पर रख ददया, उनकी साुँस रकी हुई थी, उनके हाथ मेरे कांधों पर ज़ोसे पकड़े हुए थे, और
उनकी चत लगा जैसे मेरे लौदे को हाथ में लेकर मचु थ में मसल रही हो, उनकी चत बार बार कभी मेरे
सपदे को, कभी बीच लौदे को दबा रही थी. और लौदे को उपर से नीचे तक चत का रस बब्कुल सभगो
ददया था. उनका दाना मेरे लौदे को और ज़ोसे रगड़ने लगा, और मैं ने अपने लौदे को उचका ददया. मेरा
लांड उचकाना भाभी को शायद अच्छा लगा, और वो और सससकारी भरने लगी, "आआहह……..है दै या……
हाआांणन्न ….. है …रे ………..दै यय्ह्याअ ……….हमम्म्मम …… हाआांन्नणणन"; और मझ
ु े लगा कक वो कुच्छ दे र
तक इसी तरह से झरती रही. मेरे हाथ उनके चतड़ को सहला रहे थे. वो ज़ोसे साुँस लेते हुए,
"ऊऊहह….हमम्म्म …. आअहहानां" करते हुए रक गयी. आुँखें मद
ां ी हुई थी, पर चेहरे पर खुशी झलक रही
थी. मैं ने उनके कांधों को चमा, चमता रहा, और उनके चुचचयों को आदहस्ते से दबाता रहा, घड
ुां ीयों को
मसलता रहा. नीत भाभी इससतरह से मेरे उपर लेटी रही. मेरा सख़्त लौदा अभी उनके रसभरी बरु में
लथपथ होकर आराम कर रहा था. कफर उन्होने कहा, "दै यय्ह्याअ…. रे …दै ययूाआ …… ह्म्म्म्ममम… …..वाह,
मेरे राजा…… आहह…. …..ककतने ददन बाद मैं इस तरह से झारी हुँ ….बहुत मज़ा ददया है तम
ु ने……. बहुत
खुसशयाुँ दे ते हो तम
ु औरतों को इस तरह से…. काश हर मद़ तम्
ु हारे तरह होता!" वो अपना सर उठाकर
मेरे तरफ अब दे खी और बोली, " अब आओ, …..तम
ु को मज़ा करती हुँ." मैंने उनसे पचछा, "आप थॅकी नही
हैं?" उनकी साुँस अभी भी कुच्छ फली हुई थी, पर उन्होने मेरी आुँखों में मस्
ु कराते हुए दे खा और बोली,
"अभी सीखना ख़तम नही हुआ है ! यह तो सस़ि़ शरू
ु का लेसन था! और अभी तो रात जवान है …… कय?ुँ "
और उन्होने मेरे कांधों पर हाथ ज़ोसे दबाए और मझ
ु से कहा, " इस बार मैं तम
ु को झरना ससखौजन्ग. तम
ु ने
मेरा झरना महसस ककया… ..पर जानते हो… हम दोनो के परे मज़े के सलए तम
ु को भी अच्छी तरह से
झरना ज़रूरी है . जब लोग जज्दबाज़ी में करते हैं तो वे झरते तो हैं ….पर झरने का असल मज़ा नही
आता… मैं चाहती हुँ कक तम
ु अपने लौदे से एक एक बद
ुँ मझ
ु े दे दे ना ….हाुँ ….एक एक बुँद….और तब
जाकर तम
ु सही मतलब में खलाश होगे…. ठीक है ?.. समझे?…. एक एक बद
ुँ तनचोर लेगी मेरी बरु !" मैने
पहले के तरह उनसे हामी भर दी, और उन्होने अपने बदन को सीधा हारते हुए आगे कहा, "मैं बहुत
जज्दबाज़ी नही करूुँगी…. और जब तम
ु झरने लगॉगे तब तो मैं और आदहस्ते से करूुँगी, ताकक मेरे बरु मे
मझ
ु े भी अच्छी तरह से महसस हो कक तम्
ु हारा फुहारा चलने लगा है … चल रहा है… ठीक?" उन्होने आगे
समझाया, " अपनी बरु मे मैं यह तो नही महसस कर पाउजन्ग कक तम्
ु हारी ककतनी बुँद तनकल रही हैं, पर
हर फुहारे के साथ मेरी बरु में एक गरम लहर गहराई में जाती लगेगी. समझे?" मैं उनके मस्
ु कुराते चेहरे
को दे खकर अपने आप को अब तो बब्कुल ही काब मे नही रख पा रहा था...पर दे खना भी चाहता था
कक नीत भाभी कया ससखाने जा रही हैं. मैने कहा, " आप ज्दी ही महसस करें गी. अब शायद मैं अपने
आप को रोक नही पाउन्गा!" वो मेरी आुँखों में दे खती हुई मस्
ु कुराइ, एक ममता भरी मस्
ु कुरात. "मज़ा
आता है ना ?…… जब लौदा झरने के सलए तैयार रहता है , पर अभी झारा नही होता? …… ह्म्म्म…उस हालत
में …..खब मज़ा …… आता है ना?" मैने हामी भर दी. मैं ने ज़ोसे एक साुँस ली, और तैयार होने लगा. सच
पजच्हए तो मैं तो कब से तैयार था, बस ककसी तरह से अपने को काब में रखा था. भाभी मस्
ु कुराती रही,
उन्हें तो अच्छी तरह से पता था कक मेरी कया हालत हो रही थी. उन्होने अपने घट
ु नों को ठीक से जमाया
और मेरे कांधों को जमकर पकड़ सलया. बोली, "अब मेरी कफकर मत करना, समझे?… अब तम
ु मज़ाय लो!
ह्म … सस़ि़ अपने लौडे का ख्याल करो ……." "जी." अब वो अपनी चचु च को मेरे मह
ुँु के उपर रगड़ते हुए,
मझ
ु े चोदने लगी. वो उपर मेरे सपदे के दटप तक आई और कफर बरु के बब्कुल अांदर तक चली गयी.
जज्दबाज़ी में नहीां, बब्कुल धीरे धीरे , पाुँच या च्छे ः बार, और जब लगा कक ठीक आांगल से चुदाई हो रही
है तो उन्होने मझ
ु से कहा. " अब दे खो!…..लो मेरी बरु !" और उन्होने मेरी आुँखों मे दे खते हुए इसी रफ़्फतार
में ठप ठप धकके लगाने शरू
ु ककए. उनकी नज़र मेरे चेहरे पर से कभी नही गयी, और वो मेरी आुँखों में
आुँखें डालकर मेरे चेहरे के भाव पढ़ती रही.कुच्छ धककों के बाद उन्होने पचछा, " मज़ा आ रहा है ?" मैं ने
कहा, "हाां" पर यह भी बताया कक वो अपनी चतड़ उतनी उपर नही उठायें. मेरा रोकना बहुत मजु श्क़ल हो
रहा था. वो मान गयी और और मेरे लौदे को बरु के गहराई मे लेकर अब सस़ि़ आधे लौदे तक चतड़
उपर उठाती. एक-दो बार ऐसा करने के बाद उन्होने पचछा, "अब ठीक है ?" मैने अपना सर दहलाया. वो
बोली, "तो तम
ु को ज़्जयादा मज़ा आता है जब मैं तम्
ु हारे लौदे को बब्कुल अांदर लेती हुँ और जब उठती हुँ
तो सस़ि़ आधे लौदे तक और बाकी लौदा बरु के अांदर" मैं मस्ती में पागल हो रहा था, और मैं ताज़्जज़ज़ब
करता रहा कक नीत भाभी को इस वक़्त इतने आराम से सवाल पच्छने की कया ज़रूरत पर गयी है ! मैं
तो नशे मे पागल था! भाभी ने अपने धकके कफर जारी ककए, मेरे लौदे को बरु के बब्कुल गहराई में ले
जाकर कफर आधे लौदे तक उपर तनकलना, और कफर पचछा, "इस तरह?" मैने कहा, "हाुँ", और और धीरे से
हां सकर बोली, "ठीक है…. पर कही मेरा घट
ु ना ना जवाब दे दे !" पर उनके घट
ु ने तो कमाल के थे. मैं तो
बस उनके थाप दे ने के अांदाज़ को दे ख रहा था. ककस तरह से उनक टाुँगें, उनके माांसल जाुँघ, उनका
बब्कुल सपाट पेट और लचीली कमर मेरे लौदे की हालत ख़स्ता कर रहे थे. कुच्छ दे र के बाद, करीब 15-
20 थाप उन्होने ददए थे, मेरा लौदा बेहद सख़्त हो गया और मझ
ु े लगा कक अब मैं खलाश हुांगा. वो मेरे
चेहरे को दे खकर समझ गयी थी, और उन्होने कहा, "हाुँ…मेरे राजा!", और मैने कहा कक अब शायद मैं और
नही रोक पाउन्गा, तो उन्होने "टह्ह्ह …हाां… मैं महसस कर रही हुँ". अब वो रक गयी, और बरु को मेरे
लौदे पर ज़ोसे दबाती रही. उनका चतड़ अब बब्कुल रक गया. वो बोली, "सन
ु ो…….थोरा रक जाओ! तम
ु
अभी भी कुच्छ सोच रहे हो…सभी ख्यालों को हटाओ…….. " मैं कुच्छ चौंक गया और कहा, "अच्छा?!" मेरा
लौदा उनकी चत के अांदर बब्कुल बाुँस की तरह खरा था. वो बोली, "तम्
ु हारी आुँखें बता रही हैं! तम
ु थोरी
ज्दबाज़ी कर रहे हो….. तम
ु करीब हो ….पर अभी वहाुँ पहुुँचे नही …….कया ज्दबाज़ी ह्म्म्म्म…… आराम
से मज़ा लो…….!" मझ
ु से नही रहा गया, और मैं ने पचछा, "नीत भाभी, आप भी गज़ब की हैं! …आपको
कैसे पता चला कक मैं अभी तक वहाुँ पहुुँचा नही?" मझ
ु े सच में लग रहा था कक अब ककसी भी वक़्त मेरा
लौदा फुहारा खोल दे गा. भाभी मस्
ु करती हुई बोली, "तज़ब
ु े से कह रही हुँ, मेरे भोले राजा!…… तम्
ु हारी आुँखों
मे सॉफ है ……थोरा रूको……आराम से मज़ा लो!" वो मेरे चेहरे को दे खती रही, आुँख में आुँख समलाकर, जैसे
मझ
ु े और मेरे लौदे का टे स्ट ले रही हो. कफर मेरे गाल को सहलाते हुए, वो मेरे माथे पर प्यार से चमने
लगी, और कफर मेरी तरफ दे खते हुए कहा, "ठीक से मज़्जज़े करो… आराम से….आदहस्ते आदहस्ते…. हम वहाुँ
आराम से पहुुँच जाएुँगे …….कोई ज्दबाज़ी नही!" वो अपने सर को अब उठाकर, अपनी पीठ को कफर
सीधा कर, चचु चयों को मस्ती से उपर उठाकर, मेरी तरफ दे खी और मस्
ु कुरकर पतछ, `तैयार हो?!!" मैं ने सर
दहलाकर "हाां" कहा. "कफर आ जाओ, मेरे राजा!" उन्होने अपने चतड़ को उपर उठाया, कफर नीचे ककया. कफर
उपर.. "दे खो ….आदहस्ते से..आदहस्ते." कफर नीचे. मेरी तरफ दे खती रही. "सन
ु ो, मेरी तरफ दे खते रहो….मेरी
आुँखों में !" अब उनकी कमर एक नये अांदाज़ में लचाकने लगी, बहुत ही धीरे , पर चककी की तरह. वो मझ
ु े
समझाती रही, " चद
ु ाई का मज़ा सस़ि़ बरु में लांड डालने में नही है ….. ह्म … वो और बहुत कुच्छ है ! …..
कहते हैं कक सांभोग ही समाचध भी है…..हन्न्न…. इस मज़ा में हमें वो एहसास होता है जो हम और ककसी
भी तरह से नही जान सकते….एम्म्म …. अपने जजस्म से दर, अपने ददमाग से दर ……ह्म्म्म्मम.. …… मेरी
तरफ दे खते रहो, मेरी आुँखों में . ……तम्
ु हारी आुँखों से मझ
ु े पता लग जाएगा कक तम
ु अभी बब्कुल तैयार
हो की नही……..ह्म्म्म्मम……..इसी तरह" उनकी गीली चत मेरे लौदे को चस रही थी और वो मेरी आुँखों
मे अपनी आुँखें डाले हुए मझ
ु े चोद कया रही थी, जन्नत का नज़ारा ददखा रही थी. कुच्छ ही दे र में कफर
से मेरे लौदे में ससहरन होने लगी और मेरे मुँह
ु से "अघ़" आवाज़ आने लगी, पर भाभी ने मझ
ु से कहा,
`मेरी तरफ दे खते रहो, मेरे राजा!….. चोदते हुए आुँख नही चुराते!!" मेरी आुँखें खुल गयी और वो मझ
ु से
आुँखें समलाते हुए बोली, " अब तम
ु बहुत करीब आ गये हो ….मेरे बर में तम्
ु हारे लांड की गमी बता रही
है ……पर बब्कुल तैयार तम
ु अभी भी नही हो. सोचना बब्कुल छ्चोड़ो …… सस़ि़ मज़ा लो. …..सस़ि़ मेरे
बरु की चाल को महसस करो…..हाआांन्ननननणणन" वो थोरी रकी, और मझ
ु े दे खती रही, दे खती रही, और
बरु को आधे लौदे तक उठाकर, कफर रकी, और तब धीरे से चतड़ नीचे करके बरु के बब्कुल अांदर मेरे
लौदे को ले सलया. वो 2-3 बार कफर उपर नीचे अपने चतड़ को घम
ु ाती रही, कफर उसी तरह से आगे पीछे ,
आगे पीछे , और तब आधे लौदे तक कफर उठाकर मझ
ु से प्यार से कहा," सस़ि़ मज़ा लो…… कुच्छ भी सोचो
मत इस वक़्त…….सस़ि़ मज़ा…. हायेतययी!" इसी तरह नीत भाभी बार बार अपनी चतड़ की चककी चलाती
रही, और मेरा लौदा उनकी बरु में कोई गरम लोहे के हथौरे की तरह जमा रहा. उसकी सख्ती से अब मझ
ु े
मझ
ु े ऐसी परे शानी हो रही थी कक लगता नही था कक अब 10 सेकेंड भी अपने आपको रोक सकुँ गा, पर
मस्ती ऐसी थी कक ककसी भी हालत में अपने आपको काब में रखना ही था. वो अब रकी, चतड़ को मेरे
लौदे के सपदे के दटप तक उपर उठाया, और कफरे आदहस्ते, रगड़ते हुए मेरे परे लॉड को अपनी बरु में
तनगलती गयी. बोलती रही, " चद
ु ाई का मज़ा तभी है जब और कोई ख्याल नही हो….हान्णन्न ….कोई और
ख्याल नही…….सस़ि़ सख़्त लौदे की गमी, सस़ि़ बरु की प्यास …..हमम्म्म…." अब वो उपर उठ रही थी,
धीरे , बहुत धीरे से, और बरु ससकुर रही थी, मेरे लौदा को जैसे ककसी बच्चे का हाथ मचु थ में पकड़ रहा
हो…पकड़ सलया हो…और छ्चोड़े ही ना. " मैं तम्
ु हारे चेहरे पर मस्ती दे खना चाहती हुँ, …सस़ि़ मस्ती…….मज़े
का नशा!" उनकी चत मेरे लौदे को इसी तरह से जकड़े हुए रही, और वो मेरी आुँखों में दे खती रही. उनकी
चत लौदे को दबाती जा रही थी, दबाती जा रही थी. मेरे होश उड़ रहे थे, लौदे की हालत कया बताउ, और
मैं ने अपनी कमर को थोरे उठाने की कोसशश की जजस से कक लौदा उनकी चत में कुच्छ और अांदर जा
सके, कुच्छ इधर उधर घमे. उन्होने मझ
ु े यह करते दे ख, अपनी चत को ससकुरना बांद कर ददया, और धीरे
से मस्
ु कुराने लगी. मैं कफर से पहले की तरह लेटा रहा. मेरे रक जाने के बाद अब नीत भाभी ने कफर
अपनी चत को ससकुरना शरू
ु ककया. मस्ती के मारे मेरे मुँह
ु से सससकारी तनकल रही थी… "ऊऊऊहह
……..म्म्म्मममममम". इस बार मैं भी उनकी आुँखों में उसी तरह से दे खने लगा जैसे वो दे खती रही थी.
वो कफर चत को ससकुरने लगी, उसी तरह से, और मैं ने कहा, "ह्बीयेयन्न्न्न्न," और वो मस्
ु कुराते हुए मझ
ु े
दे खी. उनके आुँखों में अब कुच्छ शरारत थी. बोली, " मेरी तरफ दे खते रहो!……….आुँख नही मद
ां ना!" उनकी
चत मेरे लौदे को रगड़ती रही, और दबाती रही. कफर वो अपनी चतड़ को उठाई, बब्कुल मेरे लौदे के सपदे
के उपर तक, और मेरे कान में फुसफुसाई," अब मेरी तरफ दे खते रहो, …. महसस करो कक मेरी चत तम्
ु हारे
लौदे को ककस तरह मज़ा दे ती है !" अपने चतड़ को अब नीचे करने लगी, पर बहुत ही धीरे धीरे , और साथ
ही कमर को घम
ु ाती रही, आधा घम
ु ान एक तरफ, कफर आधा घमन दसरी तरफ, धीरे ……धीरे . उनकी रफ़्फतार
बस ऐसी थी कक मेरा लौदा काब में रह सके, पर बस उतना ही. बब्कुल धीरे नही! पर ऐसे कुच्छ ही
नाज़ुक थाप के बाद, उन्होने दे खा होगा कक मैं उनके चेहरे पर गौर कर रहा था, और मैं समझने लगा कक
अगर मैं इसी तरह भाभी को दे खता रहां , सस़ि़ उनके चत के कमाल पर गौर करता रहां , तो अपने लौदे को
काब में ना रखने का डर अपने आप ख़तम हो जाएगा. बस भाभी ने 2-3 और थाप ददए, और मझ
ु े लगा
कक दतु नया में और कुच्छ भी नही, उनकी आुँखें की शरारत और चमक, और मेरे लौदे के उपर हौले-हौले
नाचती हुई उनकी चत! मैं अपने चेहरे पर की मस्
ु कुराहट को चाह कर भी नही रोक सकता था…सारी
दतु नया मेरेसलए दर जा रही थी….बस भाभी की आुँखें, और उनके चत के गहराई में जाता और कफर
तनकलता मेरा लौडा अब तो मस्ती ऐसी कक मझ
ु से सहा नही जा रहा था. अभी तक मैं ने इतने दे र तक
कभी भी अपने आप को काब मे नही रख पाया था, ऐसी मस्ती का तो कभी अांदाज़ा भी नही ककया था.
अब मझ
ु े समझ मे आने लगा कक नीत भाभी मज़े कया सीखाना चाहती हैं. उनकी चत का हर बार लौदे
के उपर आना, और हर बार लौदे को बब्कुल चत के गहराई तक लेना, उनका हर ताप मझ
ु े नशे से
झकझोड़ दे ता था. मेरे होंठ सख रहे थे. बब्कुल सख गये थे.. हमारी आुँखें अभी भी समली थी. मैं ने धीरे
से कहा, `भाभी…..थोरा आदहस्ते!" भाभी के भौंह थोरे उपर उठे , और उनकी मस्
ु कुराहट में अब एक हर या
अप्सरा की सी मादकता थी. वो कुच्छ रकी, अपनी कमर को सीधा करते आधे लौदे तक चत को उठाया,
मझ
ु े शरारत और प्यार से दे खा, और कफर कुच्छ और धीरे से अपनी चककी चलाने लगी, धीरे , ….धीरे ,
…..और धीरे से. उनके चेहरे पर मस्
ु कुराहट बनी रही. उन्होने कफर अपने चतड़ को उपर उठाया, बब्कुल
सपदे के नोक तक, नोक को थोडा अपने चत के पदट्टयों से रगड़ ददया, और कफर अपने परु ानी रफ़्फतार से
चककी चल पड़ी. उनकी आुँखें मझ
ु से बातें करती ददखी. कह रही थी: "अब समझे, मज़े कैसे ककए जाते हैं!"
उनकी चत जब नीचे मेरे लौदे के जड़ तक आती थी तो वो अपने चत से लौदे को चारो तरफ घमाकर
रगड़ती थी, पर जब उपर उठती तो अपनी चत से लौदे को इस तरह जाकड़ लेती की मेरे लौदे को खीांचती
जाए और छ्चोड़े ही नही. परी गहराई तक लौदे को लेती थी, कफर सपदे के नोक तक उठा लेती थी. मेरी
हालत दे ख कर उनकी मस्
ु कुराहट रकती ही नही थी. उनकी चत मेरे लौदे को तनचोड़ती जा रही थी, और
उनकी मस्
ु कुराहट, उनके आुँखों की शरारत, मेरे ददमाग से हर ख्याल को तनचोड़ कर कहीां बाहर फेक चक
ु ी
थी. उनका हर थाप लगता था कक एक नयी तरह की मस्ती लाता था, हर थाप में एक नयापन. जैसे
समद्र
ु ा के बीच पर हर लहर का अपना ही नयापन होता है , नीत भाभी की चत में मेरा लोहे सा तप्ता
हुआ लौदा उनकी चुदाई के हर एक लहर का नयापन, हर एक लहर की अपनी ख़ास मस्ती से जन्नत का
मज़ा ले रहा था. उनकी रफ़्फतार अब कुच्छ बढ़ गयी, वो मझ
ु े गौर से दे ख रही थी, और मेरा लौदा चत के
अांदर और अकड़ गया, और लगा कक उनकी आुँखों ने मझ
ु े कहा हो कक उसे अच्छी तरह से महसस कर
रही हैं….कफर उन्होने आुँखों से ही पचछा कक कया मैं अब झरने वाला हुँ. मैंने धीरे से कहा, "नाहह…..अभी
नही!" उनके चेहरे पर खखलकर हुँसी आ गई, चद
ु ाई मे लड़ककयों की अपनी ख़ास, शरारती हुँसी, वो खुशी से
बोली, "हान्न्न!" अब मझ
ु े समझ मे आने लगा कक यह भी बहुत ज़रूरी सीख नीत भाभी ने अभी दी है कक
चुदाई में बातें आुँखों से ही होती हैं …..चुदाई का असली मज़ा तभी है जब आुँख में आुँख बब्कुल लीन हो
जाए! सब से बड़ी बात तो यह कक दतु नया के सभी ख्याल छ्चोड़कर मज़े को पहचाने, उसको समझे, उसको
आराम से महसस करना सीखें . उनके चत की गहराई में चगरफ़्फत मेरा लौदा कफर एक बार ज़ोसे चथरकने
लगा. नीत भाभी मेरी आुँखों में दे खकर मस्
ु कुराने लगी, और इशारे से बताया की ठीक है , वो समझ रही हैं
कक मेरी मस्ती ककस लेवेल पर पहुुँच रही है . अब हम दोनो एक दसरे के आुँखों से ही बातें कर रहे थे,
एक दसरे को बब्कुल अच्छी तरह से समझ रहे थे. दो जजस्म, पर ऐसी मस्ती की चुदाई मे दोनो एक
होते जा रहे थे! मेरा लौडा कफर काब के बाहर होने लगा. ऐसा लगने लगा कक अब और नही रोक पाउन्गा
अपने आप को. कफर भी मैं ने कोसशश की, अपने मुँह
ु को सख्ती से बांद ककया, दाुँत पर दाुँत बबठाया, और
भाभी की कमर को ज़ोसे पकड़ने की कोसशश की. भाभी ने मझ
ु े अपने आपको झरने से रोकते हुए दे खकर,
कफर अपनी मादक अांदाज़ मे मस्
ु कुराइ, और उनकी आुँखें मे उनकी समझदारी, नशा और थोरा थोरा
तछन्पन की समली-जुली नज़र मझ
ु े तो एक दसरी दतु नया में ले जा रही थी. मेरी गद़ न कड़ी हो रही थी,
और जब भाभी को यह एहसास हो गया कक मैं भी इतनी आसानी से हार नही माननेवाला हुँ, तो उनकी
आुँखें चमकने लगी, और अब हम दोनो अपनी अलग अलग प्यास को छ्चोड़कर आगे बढ़ चक
ु े थे….हमारी
प्यास अब एक हो गयी थी. मेरे चेहरे पर भी अब एक चोद ु की मस्
ु कुरात थी, जैसे कोई पहलवान कुश्ती
के मक़
ु ाबले में दसरे को चन
ु ौती दे रहा हो, " आ जाओ…,. दे खें कक ककतनी ताक़त है तम
ु में ." मैंने अब
अपने पेट को सटका कर बब्कुल अांदर कर सलया, साुँस रोक ली, और पेट को उसी तरह सटा रखा: मेरा
लौदा और भी कड़क गया चत के अांदर, लोहार के हथौरे की तरह गरम और सख़्त, और जैसे ही नीत
भाभी ने महसस ककया कक मेरा लौदा अकड़ने लगा है , पर अभी भी काब में है , उनकी मस्
ु कुराहट हुँसी मे
बदल गयी. कमरे में तो अांधेरा था, पर उस चाुँदनी रात की रोशनी में , उनके दाुँत खखल रहे थे. चचु चयों पर
झलता हुआ उनका "मांगलसत्रा" चमक रहा था. अब उनकी चत अच्छी रफ़्फतार में चककी चलाते जा रही
थी, उपर से नीचे, नीचे से उपर, और मेरे मुँह
ु से "अहह," सस़ि़ आहें . कुच्छ मस्
ु कुराते हुए, कुच्छ शरारती
अांदाज़ में , अब उन्होने पचछा, "कय…
ुँ . अब मज़ा आ रहा है ? …ह्म?" "हा आअन्णन्न…
……!!!!!….ह्म्म्म्मम…….और आपको?!!!" "हाआांणन्न….. ….. पच्छो मत!!! ………… असली चद
ु ाई का
मज़ा!!!….. ह्म्म्म्मम!" इस लम्हे मे लगा कक वाक़ई हम दोनो एक हो गये हैं, हमारे बदन जड़
ु े हुए थे,
हमारी ख्वादहश एक थी, एक ही प्यास. हमारे आुँखों में एक ही चाह थी! नीत भाभी ने अब अपने मुँह
ु में
दाुँतों को कड़ा कर सलया और लौदे को चत के बब्कुल अांदर दबोच सलया, उनकी जांघें मेरे कमर को
बब्कुल जाकड़ चक
ु ी थी. उनकी आुँखें बता रही थी की उनको महसस हो रहा है कक झरने से पहले मेरा
लौदा अब बब्कुल फल कर तैयार है , सख़्त, बब्कुल अकड़ कर उनके बच्चेदतन के मुँह
ु पर सपड़ा तैयार है
फुहारा छ्चोड़ने के सलए. मेरे मुँह
ु से "आअरऱ घह" की आवाज़ तनकली और मेरा लौदा झरने लगा, और
भाभी की थाप अब चककी नही, बब्कुल सीधी और आदहस्ते हो गयी, सपदे से लेकर जड़ तक, कफर जड़ से
सपड़ा तक. मई झाड़ता गया, झाड़ता गया,….नीत भाभी की चत भरती गयी, और नीत भाभी मेरी तरफ
मस्
ु कुराते हुए अपने रस भरी चत से मझ
ु े तनचोड़ती रही, तनचोड़ती रही, बार बार. लग रहा था जैसे मेरे
अांदर अब एक भी बुँद नही बचेगी, भाभी की चत हर बुँद को तनचोड़ कर छ्चोड़ेगी. मेरी आुँखें बांद हो गयी
थी, मेरा लौदा फला हुआ तो अभी भी था, पर उसकी गमी अब भाभी की चत में कुच्छ कम होती जा रही
थी….भाभी अभी भी आदहस्ते से, हौले हौले उसको तनचोड़ रही थी."आआआहह…..," बस मैं इतना ही कह
पाया. लगा जैसे मझ
ु में एक भी बुँद नही बची है , जैसे मेरे बदन में एक हड्डी नही, ददमाग में एक भी
ख्याल नही. बब्कुल खलाश. …..और नीत भाभी के ससखाए हुए चद
ु ाई के मस्ती का एहसास! उस रात मैं
नीत भाभी को दे खता रहा. हम एक पाटी से अभी लौटे थे. रात का़िी हो रही थी. भाभी की सहे ली के घर
एक बच्चे के बबथ़डे के मौके पर उनके जान-पहचान के कुच्छ दोस्तों की पाटी थी. कुच्छ अकेले मद़ ,
कुच्छ अकेली औरतें , और कुच्छ कप्स. सभी कोई आछे नौकररयों में थे. भाभी ने उन सभी लोगों से मेरा
पररचय कराया. उन लोगों से समलकर मझ
ु े बहुत खुशी हुई. और वे लोग भी मझ
ु से बहुत प्यार से
समले.पाटी से लौटने के बाद भाभी अपने कपड़े उतार रही थी. अपनी खबसरत रे शमी सारी को उन्होने
उतार कर ठीक से अलमारी में रखा. कफर अपने रे शमी ब्लाउस को. अब वो सस़ि़ अपनी ब्रा और पेदटकोट
मे. पाटी वाला मेक-अप, बेहद सद
ुां र जोड़ा, मन को बब्कुल मोहने वाला टीका, सलपजस्टक, और बेली के
माला के साथ बुँधा हुआ जड़ा. मेरा लौडा कसक रहा था. मैं ने कपड़े पहले ही उतार सलए थे, और सस़ि़
अपने अांडरवेर मे था. पाटी मे 6-7 बहुत खबसरत औरतें थी, और भाभी की एक सहे ली तो मझ
ु े बहुत ही
नमकीन लगी थी, पर उन सारी औरतों में मेरी नीत भाभी ककसी से कम नही लगी. भाभी अभी पाटी की
बात कर रही थी. अब अपनी अच्छी वाली लेस ब्रा के हुकस को अपने हाथ पीछे कर के खोल रही थी.
जैसे ही हुकस खल
ु ,े उनकी मस्ती भरी चचु चयाुँ आज़ाद होकर खखलने लगी, और अब मैं अपने आपको काब
मे नही रख सका. कमरे में सस़ि़ बेडसाइड लॅं प जल रही थी, मैं ने जाकर उसको बांद कर ददया, और सस़ि़
खखड़ककयों से आती रोशनी में उनको दे खता रहा. भाभी अचानक लाइट बांद हो जाने कुच्छ चौंकी, पर तब
तक मैं उनकी चचु चयों के पास अपने मुँह
ु को नीचा करके एक तनपल को मुँह
ु मे लेकर चाटने लगा. दसरा
तनपल मेरे हाथ में , उसको सहला रहा था, धीरे धीरे मसल रहा था. दोनो तनप्स को मैं बारी बारी चसने
लगा. भाभी हां सते हुए बोली, "अच्छा?!! …… लगता है कक पाटी में तम
ु को खब मज़ा आया ……. खब गरम
हो गये ……… कय?ुँ " वो अपनी चचु च को थोरा उठाकर मेरे मुँह
ु में दे रही थी, और मैं धीरे धीरे , प्यार से चस
रहा था. मैं सर उठाकर उनके छाती और गद़ न और कांधों पर चमने लगा, और अपने हाथों में उनकी
चचु चयों को दबाता रहा. भाभी भी आहें भरने लगी, पर मैं तो उनके सरु दहदार गद़न को हर जगह चमता
रहा, चाटते रहा. उनके बदन की अपनी खस
ु ब, और उसके उपर चांदन की खबसरत इत्र की खस
ु ब से मैं
मस्ती मे आ रहा था. मैं ने उनकी तरफ दे खा और कफर चमने लगा, इस बार उनके कान को. भाभी
खखलखखलती हुई बोली, " ह्म ……. वाहह ……. बहुत अच्छी तरह से चम रहे हो …… … लगता है वाक़ई तम
ु
बहुत गरम हो गये……. कय?ुँ !" भाभी की आुँखों में कफर वोही शरारत वाली मस्
ु कुराहट. मैं ने उनको कांधो से
पकड़े हुए उनको बबस्तर पर सलटा ददया. उनके पैर नीचे फश़ को छ्छ रहे थे. उन्होने ने अपने पैर फैलाए
रखे, और मस्
ु कुराती रही. मैने उनपने अांडरवेर उतारा, और उनके पेदटकोट को उपर खीांचकर कमर के पास
लपेट कर छ्चोड़ ददया. मेरा लौदा खड़ा हो रहा था, पर अभी उसकी सख्ती बहुत बढ़ने वाली थी. उनके
टाुँगों के बीच मैं घट
ु नों पर बैठ गया. अब भाभी नेअपने घट
ु नों को उपर उठाकर अपनी चत को खोल
ददया. मैं ने गद़ न झुका कर अपना मुँह
ु उनकी चत पर रख ददया, उां गसलयों से उनकी चत को प्यार से
खोला, और मुँह
ु में कुच्छ थक बनाते हुए, उनकी चत के पांखुरे को उपर से नीचे चाता, अच्छी तरह से थक
लगाते हुए, कफर नीचे से उपर, दोनो पांखुरीओां को, और उनके दाने तक जाकर रका. भाभी का बदन मस्ती
से थोड़ा ससहर उठा, और वो बोली, "तो आज तम
ु इधर उधर की बातों में बब्कुल वक़्त नही बबा़द करना
चाहते हो….. कया? …… बब्कुल पॉइांट पर आ गये ….. हनन्न?" मैं उसी तरह उनकी चत को चट रहा था,
आदहस्ते से, थक को जीभ से ही चारो तरफ मलते हुए. चत के चारो तरफ जीभ को घम
ु ाता रहा, एक बार
चत के कुच्छ अांदर, कफर चत के उपर, धीरे धीरे चत का स्वाद लेता रहा. भाभी अपनी "आहह", "एम्म्म",
"ऊऊहह" से बता रही थी मेरे चाटने का उनपर असर हो रहा था. पता नही कैसे, पर शायद मेरी भखी
नज़रें और मेरे चाटने और चसने से नीत भाभी बहुत ज्दी गरम हो गयी. मैं ने सर उठाकर दे खा तो
उनकी खबसरत चत झाांतों के बीच फल गयी थी, थक और अपने रस से चमकती हुई, अपने फली हुए
पजततयों को आधी खखली हुई फल के तरह. कुच्छ ही दे र के चसने के बाद उनका दाना बाहर तनकल चुका
था, फलकर तैयार. भाभी अपने आपको बब्कुल ढीली छ्चोड़कर, घट
ु नों को उसी तरह उठाए हुए, मझ
ु े दे ख
रही थी. मैं ने अब अपनी जीभ को का़िी बाहर तनकालकर, उां गसलयों से उनके चत को फैलाए हुए, उनके
दाने पर जीभ के नोक को घम
ु ाने लगा, चाटने लगा. वो धीरे से, पर परी मज़े लेती हुई बोली, "आहह!", और
अपने दाुँतों को कासके बांद कर सलया. उन्होने दे खा कक मेरी नज़र उनके चेहरे पर है . उनकी पलकें अब
बांद हो गयी, उनकी गद़ न तन गयी, अपनी जाांघों को उन्होने और भी फैला ददया, उनकी चत और भी खल
ु
गयी थी, और मेरे अपने कांधों और गद़ न पर भाभी के जकड़ते जाांघों से मैं सॉफ महसस कर था कक भाभी
के में ककतनी गमी आ गयी है . मैं ने अब उनके दाने को चाटना छ्चोड़कर, उनके चत के चारो तरफ उसी
तरह से जीभ को नोककला बनाकर घमता रहा. उपर से नीचे नही, खल ु ी हुई, फली हुई चत के बाहरी पट्टी
के चारो तरफ, कफर उसी तरह से चत के अांदर की पजततयॉ ां के चारो तरफ, चारो तरफ जीभ के नोक से
थक मालता रहा, चारो तरफ पर दाने को नही!. इसी तरह कुच्छ दे र तक जीभ घम
ु ाने के बाद, मैं ने दे खा
कक भाभी उतावली हो रही हैं अपनी चत के दाने को चटवाने के सलए. वो अपने चतड़ को उठाने की
कोसशश कर रही थी कक दाना मेरी जीभ से रगड़ा खाए, पर मई भी उनको इतनी ज्दी छ्चोड़नेवाला नही
था! चारो तरफ घम आकर, छत कर, पर अब मई ने कफर एक बार दाने को जीभ के नोक से चटा, धीरे
धीरे , और कफर दाने के चारो तरफ उसी तह से घमने लगा. भाभी को कुच्छ राहत समली. बॉई, "अहह
……..वाअहह!" अब मैने भाभी की चत पर अपना मुँह
ु ठीक से डाल ददया. और उनके दाने को उसी तरह
से चसने लगा जैसे कक चुचच के घड
ुां ी चस्ते हैं. अ पने होंठों को गीला करके उनको भाभी के फले हुए दाने
के उपर डालकर दाने को अांदर ले लेता, कफर जीभ से चट कर उसके बाहर आ जाता. भाभी की जांघें अब
मेरे कांधों पर कड़क होने लगी. भाभी ने कुच्छ अस्चय़ से "ओह्ह्ह?!!" ककया, और उन्होने अपने सर को
ढीला छ्चोड़कर अपनी चतड़ को अब उठाने लगी. उनकी साुँस तेज हो गयी. पर मैं रका नही. अपने होंठों
को उसी तरह से दाने को प्यार से चट रहा था, उसके चारो तरफ जीभ घम
ु ाता रहा, एक अच्छे रफ़्फतार से.
भाभी की चत इस तरह मेरे मुँह
ु में रगड़ रही थी कक मैं उसके हर भाग को एक हद तक रगड़ रहा था.
उनकी चतड़ अब कुच्छ घमने लगी थी, पर मेरा मुँह
ु उन की चत से बब्कुल सटा हुआ, उसका दाना मेरे
होंठों के बीच, मेरे जीभ के नोक पर सटा हुआ.. भाभी अब ज़ोसे सससकारी लेते हुए बोली, " हाई दै याआआ,
…………..म्म्म्मह ………….ऊऊहह ……ककतना मज़ा दे रहे हो……. ऊऊहह!" मझ
ु े लग गया कक अब भाभी
कुच्छ दे र में झड़ने लगेगी. उनका परा बदन ससहरने लगा था, जाांघें और भी खुलकर मझ
ु को ज़ोसे जाकड़
ली थी, और ह अपने कमर को इस तरह घम
ु ाने लगी जैसे मेरे मुँह
ु को चोद रही हो. मैं ने चसना जड़ी
रखा, उसी तरह, जजस से की रफ़्फतार ना टटे , और कुच्छ ही दे र में उनकी साुँस, उनके जाुँघ और कमर सॉफ
बता रहे थे कक वो काब से बाहर हो रही है . अब वो ठहड़ने वाली नही. मैं ने एक उपाय सोचा.भाभी को
मस्ती की उस उुँ चाई पर लाने के बाद, मैं रक गया. बब्कुल रक गया. भाभी मज़े में अभी भी छॅ ट्पाटा
रही थी. मैं उठा. कमरे में आती रोशनी मे मेरे लौदा का सपड़ा चमक रहा था. मैं उठकर भाभी के मुँह
ु के
पास अपने कड़े लोड को दहलाने लगा, कफर उनके गल
ु ाबी होंठ पर सपदे को रगड़ने लगा. भाभी अब
शरारती अांदाज़ से मझ
ु े दे खती हुई, मेरी आुँखों मे दे खती हुई, पतछ, "हान्न्न….?!!" वो हाथ पीछे करके अपनी
एक तककया (पप्लो) को अपने सर के नीचे रख सलया, जजस से उनकी गद़ न को कुच्छ आराम समले. मेरी
तरफ मस्
ु कुते हुए उन्होने अपने मुँह
ु के अांदर जीभ को थक से लेपकर मेरे लौदे को आदहस्ते से चटकार
गीला करने लगी. वो अपने मुँह
ु से बार बार थक बनाकर तनकलती और कफर प्पोरे लौदे को चमते हुए,
उस पर थक मालती जा रही थी. कफर सारे थक को अपनी जीभ से प्यार से चाटने लगी, परे लौदे में मले
हुए थक को बब्कुल साफा कर ददया उन्होने जैसे चॉकलेट आइस िीम के चम्मच को हम चटकार आइस
िीम के हर बुँद का हम मज़ा लेते हैं. दे खनेवाले कोई नही बता सकते कक अभी अभी मेरा लौदा थक में
बब्कुल डुबोया हुआ था. उन्होने कफर अपने मुँह
ु में थक बनाकर मेरे लौदे के सपदे को गीला ककया और
कफर उसी तरह से चाटना. मुँह
ु मे लेकर वो मेरे लौदे को इस तरह चाट और चस रही थी कक वो और भी
सख़्त होता गया. मेरा लौदा अब बेहद सख़्त और बेहद गरम! मेरे मुँह
ु से आवाज़ तनकलने लगी,
हाआांणन्न …. भाभी ….इसी तरह …….हाआअन्णन्न!" मेरी मस्ती बहुत ज़ोसे बढ़ती जा रही थी, अपनी हाथों
को ज़ोसे मट्ठ
ु ी बनाए हुए, मैं ने कहा, " हाआांन्न …….चऊसो …… हाआन्न …..इसी तरह …. चवस…..!"अब
तककये पर अपने सर को थोड़ा ठीक से सेट करते हुए, भाभी ने अपना मुँह
ु आगे ककया, और मेरे परे लौदे
को अपने मुँह
ु में ले सलया. मुँह
ु की अपनी गमी और उसपर गरम थक, और सबसे बढ़कर भाभी की
कॅमाल की जीभ ! थक मे डुबोया मेरा लौदा अब भाभी के जीभ में बब्कुल सलपटा हुआ था, और भाभी
अपने मुँह
ु को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगी. मेरे परे लौदे को चाटती रही, चस्
ु ती रही, और कफर मेरी
चेहरे पर नज़र डाले हुए ही उन्होने सपदे को ज़ोसे चुस्कर छ्चोड़ ददया. मेरी मस्ती का पजच्हए मत! अब
वो सस़ि़ सपदे को मुँह
ु में लेकर आपने होंठ के अांदर वाले तरफ से चाट रही थी. मेरा लौदा चथरक रहा
था, कभी उपर, कभी नीचे, मस्ती में चर. `ह्म्म्म्म," वो आह भरी. उनके नज़र में कफर वोही शरारत, मेरी
तरफ मस्
ु कुराते हुए बोली, " है …. बहुत मज़ा आ रहा है …..!" मैं ने धीरे से कहा, " हाआांणन्न ….. चसीए ना
…….हान्न्न ….. बहुत मज़ा दे ती हैं आप!" उन्होने मेरी तरफ गौर से दे खा, और मेरे लौदे को कफर से मुँह
ु में
ले सलया. उनको सर आदहस्ते से आगे पीछे होता रहा, मेरे लौदे को हौले हौले चस्ते हुए, थक मलते हुए,
चाटते हुए. उनकी गद़ न बहुत नही घम रही थी, बस एक या 2 इांच, पर उनके होंठ खुलकर अपने उ्टे
साइड से मेरे सपड़ा को थक मल कर मज़ा दे रहे थे. और साथ में उनकी जीभ मेरे सपदे के चीड़ के
नीचे की तऱि दबाती रही, चाटती रही.मैंने एक गहरी साुँस ली, उनकी तऱि दे खता हुआ. कफर से एक बार
यह ख्याल आया की नीत भाभी वाक़ई में लौदे को चुजस्त या चाटती नही है . ये तो लौदे को अपने मुँह
ु से
चोदती हैं, ये तो चोदने का परा मज़ा अपने होंठ और जीभ से ही दे दे ती हैं. वो जानती हैं कक ककस तरह
एक औरत के मन को बब्कुल एक प्यारी, चस्
ु ती हुई चत बनाई जा सकती है , और ज्दी ही मेरा सपड़ा
उनके मुँह
ु के अांदर उसके उपर वाले भाग को चथरक कर रगड़ने लगा.मैं समझ गया कक अगर ऐसे ही
चलता रहा तो मैं ज्दी ही झड़ने लगग
ां ा. मैं ने धीरे से अपने लौदे को उनके मह
ुँु से तनकाल सलया, मेरे
लौदे और उनके होंठ और जीभ पर मले थक के कारण लोडा तनकलते ही "फच" की आवाज़ तनकली.उनकी
आुँखों में भोखी नज़रों से दे खते हुए, मैं अब नीचे तघसकने लगा, अपने पैर सीधे ककए, और भाभी के उपर
लेटने लगा. भाभी के चेहरे पर एक ताज़्जज़ब , पर जब मैं अपने हाथों के बल उठा और अपने लौदे के
सपड़ा को उनके चत के मह
ुँु पर तनशाना लगाने लगा, तो उनकी ताज़्जज़ब खश
ु ी में बदल गयी. उनकी
आहहें अभी चलती रही, साुँसें कुच्छ फली ही रही, और उनकी आुँखें मझ
ु े याद ददला रही थी कक अभी भी
वो झड़ने के करीब ही हैं, झड़ी नही. उनकी आुँखें मझ
ु े यह बार-बार याद ददलाना चाह रही थी. मेरा सपड़ा
उनके फले हुए, गीली पदट्टयों को रगड़ता रहा, और उनकी जांघें बब्कुल खल
ु गयी. उन्होने अपने को कुच्छ
उपर उठा ददया, और चतड़ को ह्के से घमते हुए, उनके चत का मुँह
ु मेरे सपदे को अब चम रहा था, मेरे
सपदे को चारो तरफ घमते हुए रगड़ रहा था. मैं थोड़ा आगे खखसका. उनकी आुँखों में अब चमक आ
गयी, मैं ने भी एक लांबे आआआहह के साथ अपना लौदा नीत भाभी की मखमली चत के गहराई में
घस
ु ेड़ता गया, बब्कुल अांदर तक. अांदर पहुुँचकर, मेरे सपदे ने भाभी के चत के एक ख़ास जगह को अपना
सर उठाते हुए, कुच्छ अकड़ कर "नमस्ते" ककया, और भाभी की चत ने भी अपनी ससकास्ती को और भी
ससांकुते हुए जवाब में "नमस्ते" ककए. मेरे लोड्ूे ने अब धीरे रफ़्फतार से ही, पर लांब,े और कुच्छ जोरदार
धकके लगाने शरू
ु ककए. मैं ने अपने गाांद को थोड़ा ससांकुर सलया, और जब लौदा बब्कुल अांदर जाता तो
भाभी और मेरे पेट बब्कुल समले होते, पर बराबर एक रफ़्फतार से अब मैं भाभी की चत में लौदा पेलते जा
रहा था. भाभी के चेहरे पर खश
ु ी की चमक थी. अपनी आुँखों से मझ
ु े उकसाती हुई, ह बोली, " चोदो
…मझ े … ज़ोसे … चोदो… इसी तरह… हाआांणन्न!" भाभी मेरे एक-एक धकके का जवाब अपने चतड़ को घम
ु … ु ा
घमकर मेरे लॉड के जड़ तक चत के मुँह
ु को उठाकर दे ती रही. मैं ने उनके चेहरे को दे खा, उनके चत का
कुच्छ ससकुरना महसस ककया. मैने अपनने पेट और गॅंड को ज़ोसे कसने की कोसशश की, और अब धकके
दे ते हुए कुच्छ आगे की तरफ तघसकता रहा. आइ से हर धकके में उनके चत के दाने को मेरा लौडा रगड़
दे ता था, घस
ु ेड़ते हुए भी और तनकलते हुए भी, और नीत भाभी के चेहरे पर मस्
ु कुराहट खखलने लगी. मैं ने
शरती अांदाज़ में पचछा, "कय?ुँ …. झड़नेवाली हैं?" भाभी ने उसी मस्
ु कुराहट के साथ ज्दी ज्दी सर
दहलाया, उनकी आुँखें मेरे चेहरे पर दटकी रही, उनकी साुँसें वैसी ही चदढ़ रही. अब उनकी आुँखें बब्कुल
खुल गयी. और जाइए वो ककसी नशे में हों, एन्होने अपने होंठ खोले और कुच्छ कहने की कोसशश की, पर
कुच्छ भी बोल नही सकी. एक गहरी साुँस लेते हुए वो अपनी चत के गहराई में मेरे लौदे को जकड़ी हुई
थी. उनकी आुँखों में सस़ि़ चाहत, और वे मेरे आुँखों पर दटकी रही. अपने नाख़न से वे मेरे कांधे को थोड़ी
खरॉच रही थी, और उनके बाुँहों से मेरे कमर की जाकड़ भी कुच्छ जोरदार हो रही थी. उनको मैं चोद्ते
रहा, पर मैं ने अपने बायें हाथ के बल कुच्छ उठकर अपने दादहने हाथ को नीत भाभी के कमर के नीचे ले
जाकर, उनकी पतली कमर और पीठ के बीच उनको ज़ोसे पकड़ सलया. मेरी बाुँहों और जाुँघ और लौदे में
उस पाटी के वक़्त से ही इतनी गमी थी नीत भाभी को बबकुल ही नही छ्चोड़ने का ददल कर रहा था,
उनके चत और चुचचयाुँ और जाांघों को बब्कुल करीब रखा. उनके झाांग में चथरकन हो रही थी, और मैं ने
पचछा, " झड़ेंगी अब?…….. झड़ेंगी?!" उनकी मुँह
ु खुली हुई थी, आुँखों में चमक, और वो कुच्छ जवाब तो नही
दे पाई, पर उनका कमर, उनके हाथ अकड़ गये! वो अपने दाने को मेरे लौदा मे ज़ोर ज़ोसे रगड़ती रही.
और अब सससकारी लेती रही, "आआहह …….. हाआआन्न्ननणणन.. ……..मैं झाड़ रही हऊांणन्न ……
हाआांन्न…….. उउउइईईईईईई… दै या….रे …..ददाययय्ह्या……..आआआहह … हहाूाईयइ ….. दै या ….. !!!" मझ
ु े मज़ा
तो बहुत आ रहा था, पर मैं अपने आप को बब्कुल काब में रखने की कोसशश करता रहा. उनकी आकड़ी
हुआ गद़ न और कड़ी हुई कमर दे खकर मैं बहुत खश
ु था, भाभी वाक़ई में बहुत मस्त में थी, और उनको
कहता रहा, " और झाड़ीए ………. इसी तरह से ……..मझ
ु े भी बहुत मज़ा आ रहा है……हाआांन्णणन!" उनकी
चत का जाकड़ और बढ़ गया था, और मुँह
ु से कोई सॉफ बात नही, सस़ि़ "ऊऊओउउउइईईईईई ……..
आआआहह ………. डैय्ह्य्ह्याआआआआआ …….डायय्ह्या रे दै ययय्ह्याअ ………..ऊऊओउुउउइईईई….. !!!!!" अब मैं
ने अपनी चद
ु ाई की रफ़्फतार कुच्छ कम कर दी, ताकक भाभी का मज़ा कुच्छ दे री तक रहे , पर पेलता रहा
बब्कुल अांदर तक. कुच्छ दे र में भाभी का परा बदन अकड़ कर काुँपने लगा, जैसे उनको अपने बदन पर
कोई काब नही हो. उनकी आुँखें तो खल
ु ी थी, पर उन में खश
ु ी ऐसी कक वो कुच्छ और नही दे ख सकती
थी. जब उनके गद़ न की अकड़न कुच्छ कम हुआ, तो वो अपने सर को आगे करके मझ
ु े अपने बाुँहों में
ज़ोसे भीांच ली, और मेरे कांधे पर अपने मुँह
ु को खोल कर धीरे धीरे दाुँत काटने लगी, चमती रही, उनका
एक हाथ मेरे गाल को सहलाता रहा. भाभी ने बहुत कोसशश करके मझ
ु से कहा, " आओ तम
ु भी …… तम
ु
भी मेरे अांदर झड़ो ….. हाअन्न्न्न!" अपने दोनो हाथों पर उठकर मैं ने भाभी के बदन को खखड़की से आती
हुई रोशनी में ठीक से दे खा. मेरा लौदा चत के मुँह
ु के थोड़ा अांदर था. भाभी की मस्त चचु चयाुँ, उनकी
पतली कमर, और उनके नासभ के नीचे उनके झाुँत और फले हुए चत की पांखरु रयों को दे खकर मेरी मस्ती
और बढ़ गयी, और अपना रफ़्फतार बढ़ते हुए, अब मैं ज़ोसे लौदा पेलने लगा. एक झटके में चत के बब्कुल
अांदर तक जाता था, और कफर हाथ के बल कमर को बब्कुल उठाकर, सपदे को चत के मुँह
ु पर ले आता
था. बब्कुल अांदर, बच्चेदतन के मुँह
ु तक, कफर बाहर, चत के मुँह
ु पर. ज़ोसे पेलता रहा, चत तो गीली थी
ही, मेरा लौदा पपस्टन की तरह अांदर, बाहर……कफर अांदर, …… कफर बाहर….भाभी चीखने लगी, "आआआआहह
……. हाूाआअन्न्ननणणन …. और ज़ोसे च*डऊऊ…. हाआांणन्न ….. इसी तरह ………. चोदते रहो
……..हाआऐययईई दै ययय्ह्याआआ ……. बहुत गज़ब के चोदते हो ………….ह्हयाययीतययीतययी ………..चोदो
और ज़ोसा़आयययी …..हयाययीतययैतययीतययी रे दै ययय्ह्याआअ!"मझ
ु े लगने लगा कक अब कुच्छ दे र में मैं
भी झड़ने लगग
ां ा. मेरे लौदे को लगा कक जैसे भाभी कफर चत को ज़ोसे ससकुरकर जाकड़ रही हैं. मैं ने
मस्ती में रफ़्फतार वही रखी, पर सर को नीचे को तरफ घमकर दे खा. मेरा ख्याल सच तनकला.भाभी अपने
पेट को ज़ोसे ससकुर रही थी, और उनकी चत मेरे लौदे को जाकड़ रही थी. भाभी के अपने चत पर ककस
तरह का कांट्रोल था, कया बताउ! लगा जैसे लौदे को वो मट्ठ
ु ी में लेकर तनचोड़ने लगी! मैं अपना पेलने की
रफ़्फतार रखने की कोसशश तो कर रहा था, पर मज़े को सहना मजु श्कल हो गया. भाभी की कमर आदहस्ते
आदहस्ते घमती जा रही थी, चतड़ चककर लगा रही थी, और उनकी चत अपनी ससकास्ती से मेरे लौदा को
दबाते जा रही थी. मेरा लौदा अब मेरे काब में नही रहा! मैं ने एक लांबी आहह भरी, "अहह….. ………….. ……
हाआांन्नणणन ……. भाभी!" और उधर मेरा लौदा झड़ने लगा, फुहारे की तरह, शरू
ु में रक रक कर, कफर
ज़ोसे… भाभी बोली, "म्म्म्मममम…. …..हाआांणन्न!" मैं उनके चुचच पर मुँह
ु रखे हुए खलाश होता रहा. भाभी
अपनी बाुँहों में मझ
ु े ज़ोसे दबा ली, और उसी तरह मेरे लौदे को तनचोड़ती रही, मेरे गरम साुँस उनके गद़ न
पर लग रहे थे. भाभी कुच्छ दे र तक मेरे लौदे को उसी तरह चत से दबाती रही, और उसकी गरमी को
काम करती रही. कफर उन्होनेलौदे को चत में रहते ही एक आखरी झटका ददया अपने कमर से, और मेरे
लौदे का चत के अांदर चथरकना अब रक गया.. भाभी ने अपनी टाुँगों को मेरे उपर डालकर मेरे कमर को
अपने जाांघों से जाकड़ ली, और मझ
ु े में चगरफ़्फत में रख ली! हम दोनो ने गहरी साुँस ली. मेरे कान के पास
मुँह
ु लाकर उन्होने धीरे से पचछा, "हाआांन्णणन?" मैं ने भी कहा, "हाआांणन्न!" भाभी मस्
ु कुराती हुई बोली, "
बहुत ज़बरदस्त चद
ु ाई कक….तम
ु ने …….!" मेरे मुँह
ु से कुच्छ भी नही तनकला. मेरी सारी गमी को नीत
भाभी ने कफलहाल तो तनचोड़ सलया था. "अहह!" कुच्छ दे र तक उसी तरह लेट रहने के बाद, नीत भाभी
मेरे नीचे से हटने की कोसशश करने लगी. मैं उनके उपर से हटकर ककनारे हो गया. भाभी बाथरूम जाने
के सलए उठी, पर बीच मे रक कर मझ
ु से कहते गयी, "ओईइ…… तम
ु तो इसको बब्कुल भर ददए हो…. मेरी
चत बहती जा रही है…. " और वो ज्दी से बाथरूम को भागी. शायद हुांदोनो का समला हुआ रस वाक़ई
बहते हुए फश़ पर चगरने लगा हो. बाथरूम का दरवाज़ा खल
ु ा ही था, और मैं लेते हुए ही उनके पेशाब
करने की आवाज़ सन
ु ता रहा. वो दे र तक ज़ोर की रफ़्फतार से पेशाब करती रही, कफर ज़ोसे "ऊऊओह" कह
कर कमरे में आई. मेरे बगल में बब्कुल सटकार भाभी अपना हाथ मेरे लौदे पर कफर रख ददया. अपनी
चचु चयों को मेरे पीठ में धीरे से रगड़ते हुए, भाभी मझ
ु से बोली, "बहुत मज़ा आया अभी, …….. बब्कुल अांदर
तक दहला ददया तम
ु ने!" और धीरे धीरे मेरे लौडा को मठ मारने लगी. मेरा लौदा कफर से थोरा खड़ा होने
लगा. भाभी और मैं दोनो करवट से लेते हुए थे. भाभी अपनी जाुँघ को मेरे जाांघों के उपर डाल दी थी
और मेरे लौदे को कभी दबाती, कभी सरकती."कय,ुँ पाटी अच्छी थी ना? ….. तम
ु बोर तो नही हुए?" मैं ने
कहा, "नही ……. मझ
ु े तो बहुत मज़ा आया! बहुत आछे लोग थे." "ह्म्म्म …… बहुत गरम होकर लौटे तम
ु !
….. कय?ुँ …….. मैं भी गरम हो गयी थी …….!" "जी …. " और मैं ने करवट बदल कर नीत भाभी के होंठों को
अपने मुँह
ु में लेकर उनको चसने लगा. लौदे पर भाभी के हाथ का जाद मझ
ु े कफर से खब गरम बना रहा
था. आुँखों के सामने उस शाम की पाटी के लोगों की झलक आ जा रही थी. भाबी और उनके सहे सलयों
का मज़ाक़, उनके इशारों-इशारों में बातचीत और उनका खखलखखलाना. मैं उन के चुचचयों के शेप, उनके
चतड़ के शेप और साइज़ के बारे में ही सोच रहा था, पर भाभी उस पाटी के माहौल में ककसी से भी कम
नही लग रही थी. मैं ने भाभी के होंठों को चस्ते हुए अब उनके दाुँतों को अपने ज़ुबान से चाटने लगा,
और उसको उनके मुँह
ु में घस
ु ने लगा. भाभी अपनी ज़ुबान मेरे मुँह
ु में डाल रही थी, और मेरे मुँह
ु में चारो
तरफ अपनी ज़ुबान फेर रही थी. मैं उनके ज़ुबान को अपनी ज़ुबान में लपेटकर चस्ता, और कफर वो मेरी
ज़ुबान को उसी तरह लपेटकर कभी अपनी तरफ खीांचती, तो कभी मेरे मुँह
ु में घस
ु ेड़ती. अपने हाथ से मेरे
लौदा को वो उसी तरह तैयार करती रही. सपड़ा के नीचे, कफर चारो तरफ वो कभी अपने उां गसलयों से, कभी
अपने नाख़न से दबाती, मसालती, करोंछती जा रही थी. और हमारे मुँह
ु एक दसरे के ज़ुबान के खेल में
बब्कुल लीां थे. भाभी नेअपनी ज़ुबान से ढे र सारा थक मेरे मुँह
ु में डाल दी, और कफर मेरे मन के चारो
तरफ, अपनी ज़ब
ु ान घम
ु ा घम
ु ा कर वो मेरे मुँह
ु को चाटने लगी, मेरे ज़ुबान से खेलने लगी, कभी उसको
अपनी तरफ खीांचती, कभी उसको लपेटकर चारो त़ि घमती, और इसी तरह मेरे मुँह
ु का सारा थक चाट
गयी. मैं ने उनके मुँह
ु मे उसी तरह थक डालकर, उनकी ज़ुबान को चाटने लगा, चसने लगा, कभी ज़ोसे,
कभी धीरे . हम दोनो को कोई जज्दबाज़ी नही थी. एक बार अच्छी तरह से झड़ने के बाद हुांदोनो आराम
से मज़ा लेने के मड में थे. सारी रात जो अपनी थी!मेरे हाथ अब भाभी के चचु चयों पर गये, और उनकी
तनपल जो कड़क हो गयी थी अब मेरे अांगठे और उां गसलयों के बीच मसलवाने के सलए बेकरार हो रही थी.
उसी तरह एक दसरे के ज़ब
ु ान से चद
ु ाई के धकके के अांदाज़ में हुांदोनो एक दसरे के चस्ते रहे , पर अब मैं
उनके चचु च को भी मसलता रहा. मेरे लौदे पर भाभी की पकड़ ओर ज़ोर की हो रही थी, और हमारा
चमना-चसना जारी रहा. बीच बीच में भाभी सससकारी लेती, और मझ
ु े भी बढ़ती मस्ती के कारण गहरी
साुँस लेनी पड़ रही थी. भाभी ने कफर मेरे लौदे को जड़ से सपदे तक दबाकर दे खा, जैसे वो उसकी सख्ती
को माप रही हो. मैं अब उनके मुँह
ु से अपनी ज़ब
ु ान तनकालकर, उनके होंठों को एक बार ज़ोसे चस्
ु कर,
उनकी चचु च को मुँह
ु में लेकर चसने लगा. उनके कड़े हुए घड
ांु ी पर ज़ुबान फेरने लगा, और उसको एक
अांगर की तरह चसने लगा. भाभी मस्ती में "अहह ……….. हाअन्न्न्न्नन्न्न' की आहें भरने लगी, पर मेरे
लौदे को अपनी मट्ठ
ु ी में जकड़े ही रखा.मैं ने एक हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर भाभी के चत को छ्छ
कर दे खना चाहा कक उस की कया हालत है . अभी तक मैं ने उनके चत पर थोरा भी ख्याल नही ददया
था. पर चत तो बब्कुल रससया गयी थी! भाभी हर वक़्त पेशाब करने के बाद चत को धोकर तौसलए से
पोछ लेती है , पर लगा कक सस़ि़ चमने-चाटने और चचु च के मसलवाने से ही चत बब्कुल गीली हो गयी.
पपछली चद
ु ाई के कारण चत की पांखरु रयाुँ तो फली हुई थी ही. मैं अब अपने हाथों के बल थोरा उठा और
भाभी के उपर आने की तैयारी करने लगा, पर भाभी ने कहा, " ह्म्म्म ……. एक समतनट रूको ……ह्म्म्म्म
…. इस तरह आओ."भाभी ने अपना सर ड्रेससांग टे बल के आईने की तरफ घमकर घोरी बनकर अपने चतड़
को मेरे सामने कर ददए. उनके चतड़ की गोलाई दे खकर मेरी मस्ती और बढ़ गयी. भाभी के कमर और
चतड़ बहुत ही खबसरत थे. वैसे भी छरहरा बदन, पर जब वे बैठती थी, तो उनके चतड़ का आकर पीछे से
दे खने वाले को बब्कुल एक ससतार के जैसे लगता होगा. बहुत बड़े चतड़ नही, सस़ि़ 34 या 35 इांच के
(उन्होने एक ददन मझ
ु े बताया था), पर बेहद चस्
ु त, और जब वो इस तरह अपने पांजों और घट
ु नों के बल
उकड़ हुईं तो उनकी चत बीच में मस्
ु कुराती हुई बब्कुल मेरे सामने थी. मैंने चतड़ को सहलाया और
चमा. उनकी गाांड पर उां गली फेरता रहा. भाभी बोल उठी, "अहह ……. हाआांन्ननननणणन!", और तभी मैं ने
अपने हाथों को नीचे से ले जाकर उनकी चचु चयों को दोनो हाथ में लेकर मस्ने लगा, और साथ साथ
उनकी गाांड को चमने और चाटने लगा. गाांड और चत के बीच के जगह को चाट रहा था. और अपनी
ज़ुबान को नोककला बनाकर कभी गाांड के छे द पर फेरता तो कभी चत के थोरा अांदर घस
ु ेड दे ता. भाभी की
सससकाररयाुँ अब और बढ़ने लगी. "आअहह …….. म्म्म्मममम …… हे न्न्नन्न्न्न …… इसी तरहह …..
हाअन्न्न्न्नन्न!" चत तो रससया गयी थी, और पपच्छली चुदाई के कारण अभी भी कुच्छ कुच्छ फली हुई
थी, और इस सलए मेरे ज़ुबान को अांदर ले लेती थी, पर भाभी के गाांड के छे द पर मैं सस़ि़ थक मालता
रहा. बीच बीच में उनकी गाांद कुच्छ और भी ससकुर जाती. भाभी के मुँह
ु से आवाज़ आती रही, "ऊव …..
हाआांन्णणन ……" मैं ने एक हाथ को नीचे से चचु च से हटाकर चतड़ पर लाया, उसको मुँह
ु में लेकर थक से
गीला करके, भाभी के गाांड पर फेरने लगा, और कुच्छ अांदर घेसेदने लगा. भाभी सससकारी लेती रही, "
ऊओह …….. हान्णन्न …… उां गली डाल दो ……….." मैं ने उां गली को करीबन 1 इांच अांदर डालकर उां सको
अांदर बाहर करने लगा. भाभी अब अपनी चतड़ को घम
ु ाने लगी और मेरे उां गली को अांदर लेती रही. मैं
भाभी के चतड़ चमता रहा, चाटता रहा. "ऊऊऊः. …... हाआांन्णणन ……. इसी तरह ……… ज़्जयादा अांदर नही
…….. " भाभी के चतड़ घमने से मझ
ु े कफर लगा कक अब वो तैयार हो रही हैं, और उन्होने कहा भी, " अब
आ जाओ …….. आ जाओ ….. अपने जगह पे ………" पर मैं उनको कुच्छ और मस्ती में लाना चाहता था.
इस सलए मैं ने उनकी गाांड में उां गली करते हुए ही उनको जाांघों को थोरा फैलाकर, अब उनकी चत में
अच्छी तरह से ज़ब
ु ान को घस
ु ेदने लगा. भाभी की सससकारी ज़ोसे चलने लगी, "आआहह …….. हाआांणन्न
……… बहुत गीली हो रही हुँ ………… अब आ जाओ …….. और नही ले सकती ………अब आ भी जाओ
……हाआांन्णणन!", पर मैं तो उसी तरह एक छे द में उां गली और दसरे छे द में ज़ब
ु ान से उनको चोद्ता रहा.
मेरा लौदा तो सख़्त और मस्त था ही, पर मझ
ु े भाभी को तड़पने में बहुत मज़ा आ रहा था. मैं ने ज़ब
ु ान
को और भी अांदर डालकर उनके चत को जमकर चाट रहा था, उनके दाने को भी बार बार चाट लेता था,
और सब कुच्छ इस तरह की कोई ज्दबाज़ी नही है . भाभी कफर कराह उठी, "ऊऊहह ………उउउम्म्म्मम
…….अब पेलो अपना मसल जैसा लौदा …….. बहुत गीली हो गयी हुँ ……….आआहह!" पर मझ
ु े तो भाभी को
चचढ़ाना था, उनको मस्ती से तड़पाना था. मैं उसी तरह उनकी चत को चस्ता रहा, और कुच्छ दे र के बाद
भाभी बोलने लगी, "ऊऊहह …….. अब अांदर नही आओगे…….. तो मैं ऐसे ही झड़ने… …. लगग
ां ी …….
हाईयईईई!" यह सन
ु कर मैं ने चत चाटने का रफ़्फतार कुच्छ कर कुच्छ कम कर ददया और भाभी के
चुचचयों को कफर से मसालने लगा. चतड़ को चाटना जारी रखा. भाभी का सर अब बबस्तर था, पे उनका
चतड़ अब घमता ही नही, मेरे मुँह
ु को धकेल रहा था, पर मैं उनकी चुचच के घड
ुां ीयों को ज़ोसे मसलता रहा,
और उनको तड़प्ते दे ख कर मज़ा ले रहा था. मैं भाभी को ज्दी नही झड़ने दे ना चाहता था, पर साथ ही
अभी उनको मस्ती के उस हद तक ले जाना चाहता था कक वो झड़नेवाली मस्ती के करीब तो हों, पर झदें
नही. कुच्छ दे र के बाद नीत भाभी अपने आप को काब में नही रख सकी. मेरे चाटने से उनकी चत में
बहुत खलबली मच गयी, और वो ज़ोसे सससकारी लेते हुए अपनी चतड़ को मेरे मुँह
ु पर ज़ोसे रगड़ते हुए
तनढाल सी होती गयी. " ऊऊहह ……दै ययय्ह्याआ रे दै यययययाआआअ …….आअहह
………हाऐईयईईईईईईईईईईईई रे ………. दै यय्ह्यूाआआअ ……… मैं तो गयी उउफफफफफफफफफफफफफ़्ि
………….हऊऊऊऊ…… आअहह हाआआअन्न्ननननननणणन!" भाभी ने अपने चतड़ को बबस्तर चगरा ददया,
और सससकारी लेती ही रही. मैं उसी तरह बबस्तर पर घट
ु नों के बल बैठे हुए भाभी को दे खता रहा. कफर
हाुँफती रही. मई उनके चतड़ पर हाथ फेरता रहा, कमर सहलाता रहा. मेरा लौडा सख्ती से बब्कुल खड़ा
था, इस तरह से खड़ा की उसपर एक बड़े साइज़ के तौसलए को भी आराम से टां गा सकता था. भाभी कुच्छ
सस
ु ताने के बाद मेरी तरफ दे खी. और मस्
ु कुराइ. बोली, "बहुत गीली हो गयी हुँ ……. उफफफफ़्ि ………
ककतने ददनों के बाद इतनी गीली हुई हुँ……..!" मेरे लौदे के तरफ दे खकर उनकी आुँखें चमकने लगी,
"इसको दे खो ……… ककतना ज़ासलम लौडा है तम्
ु हारा! …… हाऐईयइ ……… अभी चखती हुँ इसको मज़ा
…………कैसा अकड़ कर खरा है ……… अभी इस बच्च को बताती हुँ…….." और मेरी तरफ आुँखों में आुँख
डालकर बोली, " अभी तम
ु को बताती हुँ…….. मैं इतनी ज्दी हारनेवाली नही! ……... हान्न्न्न्न. ……." अब
भाभी कफर अपने चतड़ को कफर उठाकर घोरी की तरह अपने मुँह
ु के बैठ गयी, और मझ
ु े इशारा ककया कक
मैं पीछे से चोदना शरू
ु करूुँ. हम ड्रेससांग टे बल के बब्कुल सामने बबस्तर पर थे, और हुांदोनो अपनी चद
ु ाई
को आयने में सॉफ सॉफ दे ख रहे थे. भाभी की नज़र भी मेरी तरह आयने पर थी. मैं ने लौदा को चत के
मुँह
ु पर अच्छी तरह से रगड़ते हुए, चोदना शरू
ु ककया. भाभी की सरु ां ग वाली चत में बब्कुल अांदर ले
जाकर, मैं ने अपने गाांड को ससकुरकर लौडे को थोडा घम
ु ाने लगा. भाभी की मस्ती इस से खब बढ़ने लगी,
और मेरे लौदे के अांदर घम
ु ाने का जवाब उन्होने अपने चतड़ को उ्टी तरफ से घमकर ददया. हम इसी
तरह कुच्छ धकके दे ते रहे , पर आयने के सामने होने कारण, हम दोनो की नज़र आयने पर बनी रही.
चद
ु ाई हो रही थी, पर हमारा ख्याल आयने पर था. कुच्छ दे र तक तो हम लोगो ने इस तरह चद
ु ाई की,
पर वैसा मज़ा नही आ रहा था. भाभी अपने चतड़ को घम
ु ाना छ्चोड़ कर, अपने हाथ को पीछे लाकर मेरे
लौडा को पकड़कर रोक सलया, और मझ
ु से कहा, "ऐसे नही मज़ा आ रहा ……..इधर आओ …….. तम
ु लेतो!"
मैं सर के नीचे दोनो हाथ लेकर लेट गया, और भाभी अपने टाुँगों को फैलाकर मेरे सपदे के नीचे ठीक से
पकड़कर अपनी चत के दाने को सपदे से रगड़ती रही. कफर अपने कमर को सीधा करके, अपने चचु चयों को
थोरा उचकते हुए भाभी मेरे लौदे को अपनी चत में आदहस्ते आदहस्ते, पर बबना रके हुए, बब्कुल गहराई
में ले सलया. वो अपनी चतड़ को थोरा इधर-उधर घम
ु ाई , और कफर अपने सर को नीचे कर के दे खी की
लौदा बब्कुल जड़ तक गया है , और अपनी चतड़ अब चलाने लगी. मैं उनकी कमर पकड़ कर उनके थाप
को थोरा सपोट़ दे रहा था, पर भाभी का खुद का कांट्रोल ज़बरदस्त था. "फच ….फच्छ…" की आवाज़ के
साथ उनका थाप चलने लगा. चत इतनी गीली हो गयी थी हर धकके के साथ मेरे लौदे के जड़ पर कुच्छ
रस लग जाती थी. भाभी एक मादहर चककी चलाने वाली औरत की तरह मेरे लौदे पर बैठकर अपने चतड़
की चककी चलाकर मसाला पीस रही थी. ऐसी पीसने वाली जो बब्कुल महीन मसाला पीस कर ही खुश
हो सकती है ! मैं नीचे से उनके थाप का जवाब दे रहा था, हर थाप के बाद अपने कमर को उठाकर, थोरा
अपना गाांद को ससकुरकर, लौदा को पेलते हुए कुच्छ घम
ु ाता था, और कफर भाभी की जानलेवा चककी! इस
तरह कुच्छ दे र तक हुांदोनो एक दसरे के साथ झला झलने के दहलोर दे ते रहे . पर भाभी कफर ज़ोसे धकके
दे ने लगी, और चककी भी उसी रफ़्फतार में . उनकी आवाज़ भी बदल रही थी. मैं ने जब दे खा कक भाभी एक
बार कफर झड़नेवाली हैं, मैं ने अपने लौदा को इस तरह घस
ु ेड़ना शरू
ु ककया कक वो भाभी के दाने को भी
रगड़ता अांदर जाए, और उसी तरह रगड़ते हुए बाहर भी आए. भाभी "हाआअांन्न …. मैं तो कफर झाड़ रही
हवान्न्न्न.. ……!" कहते हुए मेरे छाती पर सर रखकर तनढाल हो कर लेट गयी. उनकी चत मेरे लौदे को
दबा रही थी, और मैं अपने लौदे को उनका मज़ा बढ़ने के सलए चत के अांदर घम
ु ाता रहा. "हाआांन्न …….
ऊऊहह …. हाआऐ रे दै य्ह्य्ह्याआ …….ऊऊहह! ……. हाआांन्नणणन ……. ऊववउ
ु ववैयीतययी ….. मेररइईई
चऊऊओट ककतनीईईइ चगसलइीईईई हो रही है .. …..ऊऊओह ……. ह्हयाययीयीतययी रे ….. दै यया
……..ऊऊओह!"एक गहरी साुँस लेकर नीत भाभी उसी तरह मेरी छाती को पकड़े लेटी रही. पसीना चल रहा
था. बाल बब्कुल खुल गये थे. माथे पर का टीका सलप गया था. साुँस फली हुई थी. पर कुच्छ दे र के जी
बाद, भाभी एक बाुँह के सहारे अपना सर उठाकर मेरी तरफ दे खी, और झठा गस्
ु सा ददखाते हुए पतछ," कय,ुँ
तम
ु अपने को बहुत उस्ताद समझने लगे हो? …… मझ
ु े उस तरह से तडपा रहे थे ……कब से मैं झड़ना
चाहती थी ….. और तम
ु …… बार बार …... मझ
ु े रोक रहे थे ……..उफफफफफफफफफफफ़्ि!" "आपको अच्छा
नही लगा कया?" "व्हऊऊ! …….पागल ……..बहुत मज़ा आया ………बहुत मज़ा करते हो तम
ु !" वो अपने सर
को उठाकर मेरी तरफ दे खते हुए बोली. कफर पतछ, " तम
ु तो नही झाडे हो अभी ना?" मैं ने सर दहलाकर
बताया कक नही."मस्ती से झादोगे?" "हाुँ!" "अच्छा! ……ह्म्म्म्मम …….कफर आओ….. अब झड़ना चाहते हो?
मैं उसी तरह लेटा रहा, पर मैं समझ गया कक अब भाभी कुच्छ शोख अांदाज़ में कुच्छ शरू
ु करनेवाली हैं.
वो अपने दोनो हाथ बबस्तर पर जमाए अपनी चत को मेरे लौदे पर रखकर धीरे धीरे चतड़ घम
ु ा रही थी.
"बोलो ….." "जी……."वो अपनी शोख और शरारतवाली मस्
ु कुराहट के साथ पतछ, " कयुँ ……….झड़ना चाहते
हो? ……..हुन्ह ……….बोलो! मझ
ु े तो झड़ने नही दे रहे थे …….और तम
ु खद
ु झड़ना चाहते हो! ……..
हन्न्नममम ……….बोलो" " आआहह ……. भाभी…..शायद मैं ……आहह …….समझ नही सका ……. ……..मझ
ु े
लगा कक आप को और मज़ा क़राउ!" "हान्णन्न? ……..तो? …….. भाभी को झड़ने से रोक रहे थे……? ….
बोलो!" " …… इसी सलए …..आअहह ……आपको थोरा रोक रहा था …….आअहह!" भाभी उपर से तो बहुत
कम घम रही थी, और अभी जोरदार थाप न्ही नही लगा रही, पर अांदर ही अांदर उनकी चत मेरे लौदा की
तरह से दबा रही थी, जैसे चत के अांदर मेरे लौदा को दहा जा रहा हो. `अच्छा ? ……… "थोडा" रोक रहे थे?
…… "थोरा" ककतना होता है ? . ……अभी बताती हुँ …….तम
ु को …….!" भाभी धीरे धीरे चककी पीसने लगी
कफर, पर अभी भी चत के अांदर लौदे को उसी तरह दबाती रही. मस्
ु कुराते हुए. "थोरा…… कय?ुँ "थोरा" कहीां
ज़्जयादा तो नही हो गया?" "हो सकता है !" "अच्छा? …….हो सकता है ?" यह कटे हुए भाभी ने अपनी चत को
कुच्छ इस तरह घम
ु ाया कक मेरे परा सपदे , जजसकी सख्ती का अांदाज़ा आप लगा सकते हैं, चत के जकड़न
में बब्कुल दब गया. कभी सपड़ा जकड़न में दबाता था, कभी लौदे के जड़ का दहस्सा, कभी बीच का
दहस्सा. बहुत कम ही दहलाते हुए, भाभी अपने चत की कमाल ददखा रही थी. और मैं मस्ती के नशे में
पागल हो रहा था!मेरे मुँह
ु से आवाज़ तनकालने लगी, "ऊऊहह!" "कयुँ ……..सही जगह जकड़ा?" "हान्न्न
………….भाभी!""ओह्ह्ह ……तब तो ठीक है ………जगह समल गया मझ
ु े!" वो कफर उसी तरह से चत को
ससांकुरने लगी, और मेरा लौदा मस्ती में कफर अकड़ने लगा अांदर, और मझ
ु े कफर अपने गाांद को ससांकुर कर
काब में रखना परा अपने आप को. " कय?ुँ …….लगता है कक अब झड़ने वाले हो? …….ह्म्म्म्म?" `जी…"
`अच्छा??? ……" वो कफर अपने केहुतन के सहारे उठकरसर नीचे की तरफ दे खा. उनके रस में गीला मेरा
लौदा का करीब तीन-चौथाई ददख रहा था, भाभी अपने चतड़ को उपर उठाई थी. वो अपने चतड़ को कुच्छ
और उठाई, जजस से कक आन सस़ि़ मेरा सपड़ा उनके चत के अांदर था. उनके चत का मुँह
ु मेरे सपदे पर
उां गती की तरह बैठा था. भाभी अपनी चतड़ को उसी जगह, उसी तरह रखी रही, सस़ि़ मेरे सपदे को जकड़े
हुए. "अभी नदहयैयी ….."! "अच्छाअ? ……..अब बोलो ……"थोरा" रकोगे?" उसी तरह सस़ि़ मेरे सपदे को अब
भाभी मद्धम मद्धम रफ़्फतार में दबाने लगी. मेरे लौडे में ऐसा महसस हो रहा था कक भाभी की चत उसको
चम रही है , चारो तरफ चस रही है . मैं अब आपने आप को काब में नही रख सकता था. मैं "आआहह
…… भासभईीईईईईईईईईईईई ……….ऊऊहह'" की सससकारी लगाने लगा. भाभी मेरी हालत दे ख रही थी, पर
मेरी मस्ती से वो और भी जोशीला होती जा रही थी. "अभी नदहतयइ ……" वो गाने के अांदाज़ में बोलती
रही, "अभी नदहयीई…." और अपना मुँह
ु मेरे करीब ले आई. कफर वो मेरे लौडे को अांदर लेने लगी, आदहस्ते
आदहस्ते. एक बार में एक इांच से ज़्जयादा नही ले रही थी, और हर बार लौडे को एक जकड़न से दबा दे ती
थी. भाभी के कमर का कांट्रोल बहुत ही ज़बरदस्त था, और परे लौडे को अांदर लेने के बाद वो एक गहरी
साुँस ली, और मेरे लौडे के जड़ पर अपने चत के मुँह
ु को बैठा कर रकी. हमारे झाुँत समले हुए थे. अब
शरू
ु हुई नीत भाभी की चककी कफर से. चतड़ को घम
ु ाती थी, कफर मेरे चेहरे को दे खती कक मेरी कया
हालत हो रही है , और मेरे आुँखों में आुँखें डाले चत को अांदर ही अांदर ससकोड कर मेरे लौडे को जाकड़
लेती थी. मेरा लौडा इन हरकतों से चत के अांदर ही उचक रहा था, बार बार. मेरा कमर हर बार उपर उठ
जाता था. "अभी झड़ना नही… …." वो फुसफुसकर मझ
ु से बोली, और कफर थाप दे ने लगी, मेरे आुँखों में
मस्
ु कुराहट के साथ दे खते हुए. आदहस्ते से. करीबन दो सेकेंड लगती थी उठने में , और कफर दो सेकेंड
बैठने में . "अभी नही झड़ना ….. बहुत मज़ा आ रहा है …….. अभी मज़ा करो! ……. ठीक?" इसी तरह से
करीबन 10 समतनट तक भाभी मझ
ु को मस्ती करती रही. उनका रफ़्फतार बब्कुल एक जैसा रहा, आांड हर
थाप एक जगह से उठाकर बब्कुल उसी जगह पर पहुुँचकर रकता था. हो सकता है , !0 समयनट
ु नही, 5
समतनट ही रहा हो या हो सकता है कक 20 समतनट तक चला हो. सच पजच्हए तो मैं होश में था ही नही,
मेरे सलए उस वक़्त समय का कोई मतलब नही था. "अभी नदहयीईई ……..अभी नदहयीईईई ……." भाभी
गाते हुए मेरे चेहरे पर उां गली फेक़र प्यार करती रही. बीच बीच में वो अपने चतड़ को कुच्छ और नीचे
दबा दे ती थी, और मेरा सपड़ा उनके बच्चेड़नी के मुँह
ु को छ्छ लेता था, और मैं हर बार मस्ती से ससहर
जाता था. मेरे चेहरे को दे खते हुए, हर ससहरन पर भाभी की मस्
ु कुरात और खखल जाती थी. जब उन्होने
दे खा की मेरा परा बदन अकड़ गया है , वो मेरे चेहरे को चमने लगी, मेरे आुँखों पर, मेरे गद़ न पर, मेरे गाल
पर. "तैयार हो?", उन्होने शरारत से पचछा. " जी…." मेरी मस्ती ऐसी थी की मैं अपनी आवाज़ को भी नही
पहचान सकता था. लगा जैसे कमरे के ककसी और कोने से आवाज़ आई है . मेरे टाांग बब्कुल अकड़ गये
थे. "कयुँ ….. रस का झोला भर गया है ?" "जी…" वो उसी तरह थाप दे ती रही, और मेरे चेहरे को सहला रही
थी. उनका चेहरा मेरे मुँह
ु के बब्कुल पास था. "बहुत मज़ा आ रहा है ………आअहह …….हाअन्न्न्न्न! ……है
ना?" मैं अब कुच्छ नही बोल सका. मेरा बदन इस तरह अकड़ गया था, मेरे लौडे में इस तरह की जलन
थी, की मेरे सलए "आहह" कहना भी मजु श्क़ल होता. मझ
ु े लगा कक अगर अब मैं ज्दी नही झाड़ा तो पता
नही कया हो जाएगा, शायद मैं पागलों की तरह चच्लाने ना लगुँ! मेरे मुँह
ु से चीख ना तनकलने लगे! पर
भाभी इस तरह से चककी चला रही थी कक मैं इसे भी छ्चोड़ना नही चाहता था. ककसी तरह से अपने
आपको काब मे रखे रहा, और सोचता रहा कक भाभी भी कया कमाल की औरत हैं! कया मस्ती लेना
जानती हैं! कया मस्ती करना जानती हैं! यह सब सोचते हुए ही मझ
ु े लगा कक अब मेरा लौदा काब में
नही रहा. मैं झड़ने लगा. एक फुहारा, कफर दसरा, तीसरा. ज़ोसे और परी गमी के साथ. भाभी बोली,
"हनण
ां णन!" मैं ने सोचा, " भासभईीई ……. तम
ु भी ……गज़ब की चीज़ हो!", और मैं झाड़ता रहा, झाड़ता रहा.
भाभी ने कफर से मझ
ु े उकसाया, "हान्णन्न ……. हानण
ां णन!" मेरे मह
ुँु से सस़ि़ एक लांबी "आआआआहह"
तनकल सकी.नीत भाभी मस्
ु कुरा रही थी. मेरे कान के पास मुँह
ु लाकर फुसफुसाई, " अब मज़ा लो
…..हाआांन्णणन ……..!" अब उनके कमर की रफ़्फतार धीमी हुई, कफर रक सी गयी. मेरे लौदे को उसी तरह
चत में रखे हुए, भाभी मेरा चेहरा सहला रही थी. मैं ने अपने आुँखें खोले तो दे खा की भाभी की चेहरे पर
खश
ु ी की चमक थी. "अब तम
ु को मज़ा चखाई ना? ……..कय?ुँ कैसा लगा?" "ऊऊहह," मेरे मुँह
ु से तनकली, और
मैं ने अपने मुँछ और होंठ पर से पसीने को पोच्छा."बोलो ……. कैसा लगा?" मैंने चेहरे पर से बाल हटाए,
और गहरे साुँस लेता रहा. बोला, "मज़ा आया… खब मज़ा!" "ककतना मज़ा? …… ठीक से बताओ!" मैं ने
उनकी आुँखों में दे खते हुए कहा, "कया बताउ ……. आप तो मज़े से पागल कर रही थी मझ
ु े. ……… मैं तो
होश में नही था!" "ह्म्म्म्ममम …..इस में कुच्छ बचा भी है ?", पछ्ते हुए भाभी एक दो बार कफर मेरे लौडे
को चत के अांदर दबाने लगी. "और झदोगे?" "उफफफफफफफ़्ि ……." मैं ने कहा, "कुच्छ नही बचा है
…….इसकी कया बात करती हैं …… कहा ना, मेरी जान भी नही बची है …….ऊऊओह!" "अरे ……इतनी मस्ती
से झड़ने के बाद कुच्छ मज़ेदार बात करो ….कुच्छ गांदी बातें तो करो!" "ह्म्म्म्मम…""कुच्छ तो बोलो,"
और भाभी ने अपनी चत को कफर ससनकोड सलया, और लांड का जकड़न बढ़ा ददया. मैं ने उनके तरफ
दे खा. वो भी मझ
ु े शोखी के साथ दे ख रही थी. मैं ने अपने हाथ उठाकर उनके बाल को छुते हुए कहा, "
चस लीजजए ……… अपनी चत से मेरे लौडे को चस लीजजए……चसलए!" "हाुँ?" "हमम्म्मममममम…. एक-एक
बुँद तनचोड़ लीजजए!" "अच्छा?" "हामम्म्ममममम!" "ऊग्ग़्््ह्ह…." मैने कहा, "लीजजए और!" "ह्म्म्म्म ……
और भी है?" "अब नही है … एक एक बुँद तो आप तनचोड़ ली!" "सच में? ….. एक भी बुँद नही?" भाभी
अपनी होंठ भीांच रही थी. उनकी आुँखों मे मस्ती समाई नही जा रही थी, और वो मझ
ु से कही, " हाऐ
……….. बहुत मज़ा आया!" मैं अपना एक हाथ उठाकर भाभी के गाल को सहलाया, उनके होंठ पर उां गली
फेरा. भाभी ने अपना सर कफर नीचे करके ह्के से कान को काटने लगी, अपनी गीली चत की पजततयॉ ां
और दाने को मेरे लौडे के उपर रगदकर मेरे कान में धीरे से बोली, " कय?ुँ …हो सकता है …कक थोडा सा
अभी भी बचा हो ……कहीां ककसी कोने में !… कय…
ुँ . अपने मुँह
ु से चस कर तनकाल लुँ ? ………ह्म्म्म्मममम?
….बोलो!" तो दोस्तो कैसी लगी ये दे वर भाभी की दास्तान
समाप्त
बात युँ थी की हमारे मामा का घर हाज़ीपरु जज़ले में था.जज़ला सोनपु में हर साल ,माना हुआ मेला लगता
है . हर साल की भाुँतत इस साल भी मेला लगने वाला था. मामा का खत आया की दीदी और वीना
बबदटया को भेज दो. हम लोग मेला दे खने जाएुँगे. यह लोग भी हमारे साथ मेला दे ख आएुँगे. पेर पापा ने
कहा कक तम्
ु हारी दीदी यानी की मेरी मम्मी का आना तो मजु श्कल है पर वीना को तम
ु आकर ले
जाओ,उसकी मेला घमने की इच्छा भी है . तो कफर मामा आए और मझ
ु े अपने साथ ले गये. दो ददन हम
मामा के घर रहे और कफर वहाुँ से में यानी की वीना, मेरी मामीजी , मामा और भाभी मीना आांड सेरवें ट
राम, इतयादद लोग मेले के सलए चल पड़े. सनडे को हम सब मेला दे खने तनकल पड़े. हमारा प्रोग्राम ८ ददन
का था.. सोनपरु मेले में पहुुँच कर दे खा कक वहाुँ रहने की जगह नही समल रही थी. बहुत अचधक भीड़ थी.
मामा को याद आया कक उनके ही गाओां के रहने वाला एक दोस्त ने यहाुँ पर घर बना सलया है सो सोचा
की चलो उनके यहाुँ चल कर दे खा जाए. हम मामा के दोस्त यानी की पवश्वनथजी के यहाुँ चले गये.
उन्होने तरु ां त हमारे रहने की व्यवस्था अपने घर के उपर के एक कमरे में कर दी. इस समय पवश्वनथजी
के अलावा घर पर कोई नही था. सब लोग गाओां में अपने घर गये हुए थे. उन्होने अपना ककचन भी
खोल ददया,जजसमे खाने- पीने के बत़नो की सपु वधा थी. वहाुँ पहुुँच कर सब लोगों ने खाना बनाया और
और पवश्वनथजी को भी बल
ु ा कर खखलाया. खाना खाने के बाद हम लोग आराम करने गये. जब हम सब
बैठे बातें कर रहे थे तो मैने दे खा पवश्वनथजी की तनगाहें बार-बार भाभी पर जा दटकती थी. और जब भी
भाभी की नज़र पवश्वनथजी की नज़र से टकराती तो भाभी शमा़ जाती थी और अपनी नज़रें नीची कर
लेती थी. दोपहर करीब २ बजे हम लोग मेला दे खने तनकले. जब हम लोग मेले में पहुुँचे तो दे खा कक
का़िी भीड़ थी और बहुत धकका-मक
ु की हो रही थी. मामा बोले कक आपस में एक दसरे का हाथ पकड़ कर
चलो वरना कोई इधर-उधर हो गया तो बड़ी मजु श्कल होगी. मैने भाभी का हाथ पकड़ा, मामा-मामी और
राम साथ थे. मेला दे ख रहे थे कक अचानक ककसी ने पीछे से गाांद में उां गली कर दी. में एकदम बबदक
पड़ी, कक उसी वक़्त सामने से कक़स्सी ने मेरी चची दबा दी. कुच्छ आगे बढ़ने पर कोई मेरी चत में उां गली
कर तनकल भागा. मेरा बदन सनसना रहा था. तभी कोई मेरी दोनो चचचयाुँ पकड़ कर कान में फुसफुसाया
- 'हाई मेरी जान' कह कर ह आगे बढ़ गया. हम कुच्छ आगे बड़े तो वोही आदमी कफर आक़र मेरी थाइस
में हाथ डाल मेरी चत को अपने हाथ के परे पांजे से दबा कर मसल ददया. मझ
ु े लड़की होने की गद
ु गद
ु ी
का अहसास होने लगा था. भीड़ मे वो मेरे पीछे -पीछे साथ-साथ चल रहा था,और कभी-कभी मेरी गाांद में
उां गली घस
ु ाने की कोसशश कर रहा था, और मेरे चतडो को तो उसने जैसे बाप का माल समझ कर दबोच
रखा था. अबकी धकका-मक
ु की में भाभी का हाथ छ्छट गया और भाभी आगे और में पीछे रह गयी. भीड़
का़िी थी और में भाभी की तरफ गौर करके दे खने लगी. वो पीछे वाला आदमी भाभी की टाुँगों में हाथ
डाल कर भाभी की चत सहला रहा था. भाभी मज़े से चत सह्वातत आगे बढ़ रही थी. भीड़ में ककसे
़िुस़त थी कक नीचे दे खे कक कौन कया कर रहा है . मझ
ु े लगा कक भाभी भी मस्ती में आ रही है . कयोकक
वो अपने पीछे वाले आदमी से कुच्छ भी नही कह रही थी. जब में उनके बराबर में आई और उनका हाथ
पकड़ कर चलने लगी तो उनके मह्
ु न से हाई की सी आवाज़ तनकल कर मेरे कनों में गुँजी. में कोई
बच्ची तो थी नही, सब समझ रही थी. मेरा तन भी छे ड़-छाड़ पाने से गद
ु गद
ु ा रहा था. तभी ककसी ने मेरी
गाांद में उां गली कर दी. ज़रा कुच्छ आगे बढ़े तो मेरी दोनो बगलों में हाथ डाल कर मेरी चचचयों को कस
कर पकड़ कर अपनी तरफ खीांच सलया. इस तरह मेरी चचचयों को पकड़ कर खीांचा कक दे खने वाला समझे
कक मझ
ु े भीड़-भाड़ से बचाया है . शाम का वक़्त हो रहा था और भीड़ बढ़ती ही जा रही थी. इतनी दे र में
वो पीछे से एक रे ला सा आया जजसमे मामा मामी और राम पीछे रह गये और हम लोग आगे बढ़ते चले
गये. कुच्छ दे र बाद जब पीछे मड कर दे खा तो मामा मामी और राम का कहीां पता ही नही था. अब हम
लोग घबरा गये कक मामा मामी कहाुँ गये. हम लोग उन्हे ढुँ ढ रहे थे कक वो लोग कहाुँ रह गये और
आपस में बात कर रहे थे कक तभी दो आदमी जो का़िी दे र से हमे घर रहे थे और हमारी बातें सन
ु रहे
थे वो हमारे पास आए और बोले तम
ु दोनो यहाुँ खड़ी हो और तम्
ु हारे सास ससरु तम्
ु हें वहाुँ खोज रहे हैं.
भाभी ने पचछा , कहाुँ है वो? तो उन्होने कहा कक चलो हमारे साथ हम तम्
ु हे उनसे समलवा दे ते है . {भाभी
का थोड़ा घघ
ुँ ट था.उसी घघ
ुँ ट के अांदाज़े पर उन्होने कहा था जो कक़ सच बैठा} हम उन दोनो के आगे
चलने लगे. साथ चलते-चलते उन्होने भी हमे छ्चोड़ा नही बज्क भीड़ होने का फायेदा उठा कर कभी कोई
मेरी गाांद पेर हाथ कफरा दे ता तो कभी दसरा भाभी की कमर सहलाते हुए हाथ ऊपेर तक ले जकेर उसकी
चचचओ को छ लेता था. एक दो बार जब उस दसरे वाले आदमी ने भाभी की चचचयों को ज़ोर से भीांच
ददया तो ना चाहते हुए भी भाभी के मुँह
ु से आह सी तनकल गयी और कफर तरु ां त ही सांभलकेर मेरी तरफ
दे खते हुए बोली कक इस मेले में तौ जान की आ़ित हो गयी है , भीड़ इतनी ज़्जयादह हो गयी है कक
चलना भी मजु श्कल हो गया है . मझ
ु े सब समझ में आ रहा था कक साली को मज़ा तो बहुत आरहा है पर
मझ
ु े ददखाने के सलए सती सापवत्री बन रही है . पर अपने को कया गम, में भी तो मज़े ले ही रही थी और
यह बात शायद भाभी ने भी नोटीस कर ली थी तभी तो वो ज़रा ज़्जयादा बेकफकर हो कर मज़े लट रही
थी. वो कहते है ना कक हमाम में सभी नांगे होते हैं. मैने भी नाटक से एक बड़ी ही बेबसी भरी मस्
ु कान
भाभी तरफ उच्छाल दी.इस तरह हम कब मेला छ्चोड़ कर आगे तनकल गये पता ही नही चला. का़िी
आगे जाने के बाद भाभी बोली ' वीना हम कहाुँ आ गये, मेला तो का़िी पीछे रह गया. यह सन
ु सान सी
जगह आती जा रही है , तम्
ु हारे मामा मामी कहाुँ है?' तभी वो आदमी बोला कक वो लोग हमारे घर है ,
तम्
ु हारा नाम वीना है ना, और वो तम्
ु हारे मामा मामी है , वो हमे कह रहे थे कक वीना और वो कहाुँ रह
गये. हमने कहा कक तम
ु लोग घर पर बैठो हम उन्हें ढुँ ढ कर लाते हैं. तम
ु हमको नही जानती हो पर हम
तम्
ु हे जानते हैं. यह बात करते हुए हम लोग और आगे बढ़ गये थे. वहाुँ पर एक कार खड़ी थी. वो लोग
बोले कक चलो इसमे बैठ जाओ, हम तम्
ु हे तम्
ु हारे मामा मामी के पास ले चलते हैं. हमने दे खा कक कार में
दो आदमी और भी बैठे हुए थे[ और मझ
ु े बाद में यह बात याद आई कक वो दोनो आदमी वही थे जो भीड़
मे मेरी और भाभी की गांद में उां गली कर रहे थे और हमारी चचचयाुँ दबा रहे थे}. जब हमने जाने से
इनकार ककया तो उन्होने कहा की घबराओ नही दे खो हम तम्
ु हे तम्
ु हारे मामा-मामी के पास ही ले चल रहे
है और दे खो उन्होने ने ही हमे सब कुच्छ बता कर तम्
ु हारी खबर लेने के सलए हमे भेजा है अब घबराओ
मत और कार में बैठ जाओ तो ज्दी से तम्
ु हारे मामा- मामी से तम्
ु हें समला दे . कोई चारा ना दे ख हम
लोग गाड़ी में बैठ गये. उन लोगों ने गाड़ी में भाभी को आगे की सीट पर दो आदसमयों के बीच बैठाया
और मझ
ु े भी पीछे की सीट पर बीच में बबठा कर वो दोनों मश
ु टां डे मेरी अगल-बगल में बैठ गये. कार
थोड़ी दर चली कक उनमे से एक आदमी का हाथ मेरी चची को पकड़ कर दबाने लगा, और दसरा मेरी
चची को ब्लाउस के ऊपेर से ही चमने लगा. मैने उन्हे हटाने की कोसशश करते हुए कहा ' हटो यह कया
बदतमीज़ी है .' तो एक ने कहा 'यह बदतमीज़ी नही है मेरी जान, तम्
ु हे तम्
ु हारे मामा से समलाने ले जा रहे
हैं तो पहले हमारे मामाओ से समलो कफर अपने मामा से. जब मैने आगे की तरफ दे खा तो पाया कक
भाभी की ब्लाउस और ब्रा खल
ु ी है और एक आदमी भाभी की दोनो चचचयाुँ पकड़े है और दसरा भाभी
दोनो टाुँगे फैला कर सारी और पेदटकोट कमर तक उठा कर उनकी चत में उां गली डाल कर अांदर बहे र कर
रहा है भाभी इन दोनो की पकड़ से तनकलने की कोसशश कर रही है पर तनकल नही पा रही है . उनके
लीडर ने कहा कक ' दे खो मेरी जान, हम तम्
ु हे चोदने के सलए लाए हैं और चोदे बबना छ्चोड़ेंगे नही,तम
ु
दोनो राज़ी से चद
ु ओचग तो तम्
ु हे भी मज़ा आएगा और हमे भी, कफर तम्
ु हे तम्
ु हारे घर पहुुँचा दें गे. अगर
तम
ु नखरा करोगी तो तम्
ु हे ज़बरदस्ती चोद के जान से मार कर कहीां डाल दें गे. और मेरी भाभी से कहा
कक' तम
ु तो चद
ु ाई का मज़ा लेती ही रही हो, इतना मज़ा ककसी और चीज़ में नही है , इससलए चप
ु चाप खद
ु
भी मज़ा करो और हमे भी करने दो. इतना सन
ु कर और जान के भय से भाभी और मैं दोनो ही शाांत
पड़ गये. भाभी को शाांत होते दे ख कर वो जो भाभी की टाांग पकड़े बैठा था वो भाभी की चत चाटने लगा,
और दसरा कस-कस कर भाभी की चचचयाुँ मसल रहा था. भाभी सी-सी करने लगी. भाभी को शाांत होते
दे ख मैं भी शाांत हो गयी और चप
ु चाप उन्हे मज़ा दे ने लग गयी मेरी भी चत और चची दोनो पर ही एक
साथआिमण हो रहा था. मैं भी सीस्या रही थी.तभी मझ
ु े जोरों का दद़ हुआ और मैने कहा ' हाई ये तम
ु
कया कर रहे हो?' कयों मज़ा नही आ रहा है कया मेरी जान? ऐसा कहते हुए उसने मेरीचचचयों की घड़
ां ी को
छ्चोड़ मेरी परी चची को भोंपु की तरह दबाने लग गया. मैं एकदम से गन्गना कर हाथ पावां ससकोड ली.
दसरा वाला अब मेरे तनतांबो को सहलाते हुए मेरी गांद के छे द पर उां गली कफरा रहा था. 'चीज़े तो बड़ी
उम्दा है यार', टाुँग पकड़ कर मौज करने वाले ने कहा .'एकदम प्योर दे हाती माल है ' दसरे ने कहा मैं थोडा
दहली तो दसरा वाला मेरी चचचयों को कस कर दबाते हुए मेरे मह से हाथ हटा कर ज़बरदस्ती मेरे होंटो
पर अपने होन्ट रख कर ज़ोर से चुांबन सलया कक मैं कसमसा उठी. कफर मेरे गालों को मह में भर कर
इतनी ज़ोर से दन्तो से काटा कक मैं बरी तरह से छॅ ट्पाटा उठी. ऐसा लग रहा थी कक मेरी मस्त जवानी
पा कर दोनो बरी तरहा से पागला गये थे. मैं बरी तरह छॅ ट्पाटा रही थी तभी दसरे ने मेरी चत में उां गली
करते हुए कहा कक ' बड़ी जासलम जवानी है , खब मज़ा आएगा. कहो मेरी बल
ु बल
ु कया नाम है तम्
ु हारा?तभी
दसरे वाले ने कहा अरे बढ इसका नाम वीना है . उन दोनो में से एक मेरे तनतांबों में उां गली करे बैठा था,
और दसरा मेरी चचचयों और गालों का सतयानाश कर रहा था और मैं डरी-सहमी से दहरनी की भाुँतत उन
दोनो की हरकतों को सहन कर रही थी. वैसे झठ नही बोलुँ गी कयोंकक मज़ा तो मझ
ु े भी आ रहा था पर
उस वक़्त डर भी ज़्जयादा लग रहा था. मैं दोहरे दबाव में अधमरी थी. एक तऱि शरारत की सनसनी और
दसरी तरफ इनके चांगल
ु में फुँसने का भय-.वो मस्त आुँखो से मेरे चेहरे को तनहार रहे थे और एक साथ
मेरी दोनो गदराई चचचयों को दबाते कहा चुपचाप हम लोगों को मज़ा नही डोगी तो हम तम
ु दोनो को
जान से मार दें गे.तेरी जवानी तो मस्त है . बोल अपनी मज़ी से मज़ा दे गी कक नही? कुच्छ भी हो मैं
सयानी तो थी ही, उनकी इन रां गीन हरकतों का असर तो मझ
ु पर भी हो रहा था.कफर मैने भाभी की तरफ
दे खा, . आगे वाले दोनो आदसमयों में से एक मेरी भाभी के गाल पर चमी- बॅट्क भर रहा था और जो
ड्राइवर था वो उनकी चत में उां गली कर रहा था. उन दोनो ने मेरी भाभी की एक एक थाइ अपनी थाइस
के नीचे दबा रखी थी और साडी और पेदटकोट कमर तक उठाया हुआ था. और भाभी दोनो हाथों में एक-
एक लांड पकड़ के सहला रही थी. उन दोनो के खड़े मोटे -मोटे लांडो को दे ख कर मैं डर गयी कक अब कया
होगा.तभी उनमे से एक ने भाभी से पचछा' कहो रानी मज़ा आ रहा है ना? और मैने दे खा कक भाभी मज़ा
करते हुए नखरे के साथ बोली 'उन्ह हाुँ' तब उसने कहा ' पहले तो नखरा कर रही थी, पर अब तो मज़ा आ
रहा है ना, जैसा हम कहें गे वैसा करोगी तौकसम भगवान की परा मज़ा लेकर तम्
ु हे तम्
ु हारे घर पहुुँचा दें गे.
तम्
ु हारे घर ककसी को पता भी नही लगेगा कक तम
ु कहाुँ से आ रही हो. और नखरा करोगी तो वक़्त भी
खराब होगा और तम्
ु हारी हालत भी और घर भी नही पहन्च पाओचग. जो मज़ा राज़ी-खश
ु ी में है वो
ज़बरदस्ती में नही. भाभी - ठीक है हुमको ज्दी से कर के हमे घर सभजवा दो. भाभी की ऐसी बात सन
ु
कर मैं भी ढीली पड़ गयी. मैने भी कहा कक हमे ज्दी से करो और छ्चोड़ दो. इतने में ही कार एक
सन
ु सान जगह पर पहुुँच गयी और उन लोगों ने हमे कार से उतारा और कार से एक बड़ा सा ब्लांकेट
तनकाल कर थोड़ी समतल सी जगह पर बबच्छाया और मझ
ु े और भाभी को उस पर सलटा ददया. अब एक
आदमी मेरे करीब आया और उसने पहले मेरी ब्लाउस और कफर ब्रा और कफर बाकी के सभी कपड़े उतार
कर मझ
ु े परी तरह से नांगा ककया और मेरी चचचयों को दबाने लगा. मैं गनगना गयी कयोंकक जीवन में
पहली बार ककसी पर
ु र् का हाथ मेरी चचचयों पर लगा था. मैं सीस्या रही थी. मेरी चत में कीड़े चलने लगे
थे. मेरे साथ वाला आदमी भी जोश में भर गया था, और पागलों के समान मेरे शरीर को चम चाट रहा
था.मेरी चत भी मस्ती में भर रही थी. वो का़िी दे र तक मेरी चत को तनहार रहा था.. मेरी चत के ऊपेर
भरी-भरी झाांटेन उग आई थी. उसने मेरी पाव-रोटी जैसी फली हुई चत पर हाथ फेरा तो मस्ती में भर
उठा और झक कर मेरी चत को चमने लगा, और चमते-चमते मेरी चत के टीट {कलाइटॉररस} को चाटने
लगा.अब मेरी बदा़श्त के बाहर हो रहा था और मैं ज़ोर से चीतकार रही थी. मझ
ु े ऐसी मस्ती आ रही थी
कक मैं कभी क्पना भी नही की थी. वो जजतना ही अपनी जीभ मेरी कुँु वारी चत पर चला रहा था उतना
ही उसका जोश और मेरा मज़ा बढ़ता जा रहा था. मेरी चत में जीभ घस
ु ेड कर वो उसे चककर तघन्नी की
मातनांद घम
ु ा रहा था, और मैं भी अपने चतड़ ऊपेर उचकाने लगी थी. मझ
ु े बहुत मज़ा आ रहा था. इस
आनांद की मैने कभी सपने मैं भी नही क्पना की थी. एक अजीब तरह की गद
ु गद
ु ी हो रही थी कफर वो
कपड़े खोल कर नांगा हो गया. उसका लांड भी खब लांबा और मोटा था लांड एकद्ूम टाइट होकेर साुँप की
भाुँतत फुां़िकार रहा था.और मरी चत उसका लांड खाने को बेकरार हो उठी. कफर उसने मेरे चतडो को थोडा
सा उठा कर अपने लांड को मेरी बबलबबलती चत में कुच्छ इस तरह से चाांपा की मैं तड़प उठी, चीख उठी
और चच्ला उठी हाए रे मेरी माुँ मेरी चत फटी, हाईईईईईई मैं मरीईई अहहाआ हाए बहुत दद़ हो रहा है
जासलम कुच्छ तो मेरी चत का ख्याल करो. अरे तनकालो अपने इस जासलम लांड को मेरी चत में से
हाऐईईइन मैं तो मरी आज' और मैं दद़ के मारे हाथ-पेर पटक रही थी पर उसकी पकड़ इतनी मज़बत थी
कक मैं उसकी पकड़ से छट ना सकी. मेरी कुँु वारी चत को ककड़ी की तरह से चीरता हुआ उसका लांड
नश्तर की तरह चुभता गया. आधे से ज़्जयादा लांड मेरी चत में घस
ु गया था. मैं पीड़ा से कराह रही थी
तभी उसने इतनी ज़ोर से ठप मारा कक मेरी चत का दरवाज़ा ध्वस्त होकेर चगर गया और उसका परा लांड
मेरी चत में घस
ु गया. मैं दद़ से बबलबबला रही थी और चत से खन तनकल कर बह कर मेरी गाांड तक
पहुुँच गया. वो मेरे नांगे बदन पर लेट गया और मेरी एक चची को मह
ुँु मैं लेकर चसने लगा. मैं अपने
चतडो को ऊपर उच्छालने लगी, तभी वो मेरी चचचयों को छ्चोड़ दोनो हाथ ज़मीन पर टे क कर लांड को
चत से टोपा तक खीांच कर इतनी ज़ोर से ठप मारा कक परा लांड जड़ तक हमारी चत में समा गया और
मेरा कलेज़ा थरथरा उठा.यह प्रोसेस वो तब तक चलाता रहा जब तक मेरी चत का जस्प्रांग ढीला नही पड़
गया. मझ
ु े बाहों में भर कर वो ज़ोर-ज़ोर से ठप लगा रहा था. में दद़ के मारे ओफफ़्ि उफफफफफफ़्ि
कर रही थी. कुच्छ दे र बाद मझ
ु े भी जवानी का मज़ा आने लगा और मैं भी अपने चतड़ उच्छाल-उच्छाल
कर गपगाप लांड अांदर करवाने लगी. और कह रही थी 'और ज़ोर से राजा और ज़ोर से परा पेलो , और
डालो अपना लांड' वो आदमी मेरी चत पर घमसान धकके मारे जा रहा था. वो जब उठ कर मेरी चत से
अपना लांड बाहर खीांचता था तो मैं अपने चतड़ उचका कर उसके लांड को परी तारह से अपनी चत मैं
लेने की कोसशश करती.और जब उसका लांड मेरी बच्चेदातन से टकराता तो मझ
ु े लगता मानो मैं स्वग़ मैं
उड़ रही हुँ. अब वो आदमी ज़मीन से दोनो हाथ उठा कर मेरी दोनो चचचयों को पकड़ कर हमे घापघाप
पेल रहा था. यह मेरे बदा़श्त के बाहर था और मैं खद
ु ही अपना मह्
ु न उठा कर उसके मह्
ु न के करीब
ककया कक उसने मेरे मह्
ु न से अपना मह्
ु न सभड़ा कर अपनी जीभ मेरे मह्
ु न में डाल कर अांदर बाहर करने
लगा.इधेर जीभ अांदर बहे र हो रही और नीचे चत मे लांड अांदर बहार हो रहा था . इस दोहरे मज़े के
कारण में तरु ां त ही स्खसलत हो गयी और लगभग उसी समय उसके लांड ने इतनी फोस़ से वीया़पत ककया
की मे उसकी छाती चचपक उठी. उसने भी पण़ ताक़त के साथ मझ
ु े अपनी छातत से चचपका सलया. तफान
शाांत हो गया. उसने मेरी कमर से हाथ खीांच कर बांधन ढीला ककया और मझ
ु े कुच्छ राहत समली, लेककन
मैं मदहोशी मे पड़ी रही. वो उठ बैठा और अपने साथी के पास गया और बोला ' यार ऐसा गज़ब का माल
है प्यारे मज़ा आ जाएगा. ऐसा माल बड़ी मजु श्कल से समलता है . मैने मड कर भाभी की तरफ दे खा. भाभी
के ऊपेर भी पहले वाला आदमी चढ़ा हुआ था और उनकी चत मार रहा था.भाभी भी सी हाई-हाई करते
हुए बोल रही थी ' हाई राजा ज़रा ज़ोर से चोदो और ज़ोर से हय्ह्य्ह्यीइ चचचया ज़रा कस कर दबाओ
हाईईईईई मैं बस झड़ने वाली हुँ और अपने चतडो को धड़धड़ ऊपेर नीचे पटक रही थी. हॅतययी मैं गयी
राजा कह कर उन्होने दोनो हाथ फैला ददए तभी वो आदमी भी भाभी की चचचयाुँ पकड़ कर गाल काट ते
हुए बोला ' मज़ा आ गया मेरी जान' और उसने भी अपना पानी छ्चोड़ ददया.कुच्छ दे र बाद वो भी उठा
और अपने कपड़े पहन कर साइड मैं हट गया.भाभी उस आदमी के हटने के बाद भी आुँखे बांद ककए लेटी
थी और मैने दे खा कक भाभी की चत से उन दोनो का वीय़ और रज बह कर गांद तक आ पहुुँचा था. अब
उनका दसरा साथी मेरे करीब बैठ कर मेरी चचचयों पर हाथ कफराने लगा और बचा हुआ चौथ आदमी अब
मेरी भाभी पर अपना नांबर लगा कर बैठ गया. उसके बाद हम भाभी नांद की उन दो आदसमयों ने भी
चुदाई की. अबकी बार जो आदमी मेरी भाभी पर चढ़ा था उसका लांड बहुत ही ज़्जयादा मोटा और लांबा
करीब ११ इांच का था. पर मेरी भाभी ने उसका लांड भी खा सलया. चुदाई का दसरा दौर परा होने पर जब
हम उठ कर अपने कपड़े पहनने लगे तो उन्होने कहा की पहले तम
ु दोनो नांद भाभी अपनी नांगी चचचयों
को आपस में चचपका के ददखाओ. इस पर जब हम शरमाने लगी तो कहा कक जजतना शरमाओगी उतनी
ही दे र होगी तम
ु लोगों को. तब मेरी भाभी ने उठ कर मझ
ु े अपनी कोली मैं भरा और मेरी चचचयों पर
अपनी चचचयाुँ रगड़ी और तनपपलोन से तनपल समला कर उन्हे आपस मे दबाया. वो चारों आदमी इस
दद्रश्य को दे ख कर अपने लांडो पर हाथ कफरा रहे थे. मझ
ु े कुच्छ अटपटा भी लग रह था और कुच्छ
रोमाांच भी हो रहा था. उसके बाद हमने कपड़े पहने और वो लोग हमे अपनी कार में वापस मेले के मेन
गाउां ड तक ले आए. उन्होने रास्ते मे कफर से हमे धमकाया कक यदद हमने उनकी इस हरकत के बारे मे
ककसी से कुच्छ कहा तो वो लोग हमे जान से मार दें ग.े इस पर हमने भी उनसे वादा ककया कक हम
ककसी को कुच्छ नही बताएुँगे.जब हम लोग मेले के ग्राउां ड पर पहुुँचे तो सन
ु ा कक वहाुँ पर हमारा नाम
अनाउन्स कराया जा रहा था और हमारे मामा-मामी मांडप मे हमारा इांतज़्ज
े ज़र कर रहे थे. वो चारों आदमी
हमे लेकर मांडप तक पहुुँचे. हमारे मामा हमे दे ख कर बबफर पड़े कक कहाुँ थे तम
ु लोग अब तक , हम ४
घांटे से तम्
ु हे खोज़ रहे थे. इस पर हमारे कुच्छ बोलने से पहले ही उन चार मे से एक ने कहा आप लोग
बेकार ही नाराज़ हो रहें है , यह दोनो तो आप लोगों को ही खोज रही थी और आपके ना समलने पर एक
जगह बैठी रो रही थी, तभी इन्होने हमे अपना नाम बताया तो मैने इन्हे बताया कक तौंहारे नाम का
अनाउन्स्मेंट हो रहा है और तम
ु हरे मामा मामी मांडप मे खड़े है . और इन्हे लेकर यहाुँ आया हुँ.तब हमारे
मामा बहुत खश
ु हुए ऐसे शरीफ लोगों पर और उन्होने उन अजन्बीयो का शकु िया अदा ककया. इस पर
उन चारों ने हमे अपनी गाड़ी पर हमारे घर तक छ्चोड़ने की पेशकश की जो हमारे मामा-मामी ने तरु ां त
ही कबल कर ली. हम लोग कार में बैठे और घर को चल ददए. जैसे ही हम घर पहुुँचे कक पवश्वनथजी
बहे र आए हमसे समलने के सलए. सांयोग की बात यह थी कक यह लोग पवश्वनथजी की पहचान वाले थे.
इससलए जैसे ही उन्होने पवश्वनथजी को दे खा तो तरु ां त ही पचछा ' अरे पवश्वनथजी आप यहाुँ, कया यह
आपकी फॅसमली है तो पवश्वनथजी ने कहा अरे नही भाई फॅसमली तो नही पर हमारे परम समत्रा और एक
ही गाओां के दोस्त और उनका पररवार है यह.कफर पवश्वनथजी ने उन लोगों को चाइ पीने के सलए बल
ु ाया
और वो सब लोग हमारे साथ ही अांदर आ गये.वो चारों बैठ गये और पवश्वनथजी चाए बनाने के सलए
ककचन पहुुँचे तभी मेरे ममाजी ने कहा बह ज़रा मेहमानों के सलए चाए बना दे ने और मेरी भाभी उठ कर
ककचन मे चाए बनाने के सलए गयी. भाभी ने सबके सलए चाए चढ़ा दी और चाइ बनाने के बाद वो उन्हे
चाए दे ने गयी, तब तक मेरे मामा एर मामी ऊपेर के कमरे में चले गये थे और नीचे के उस कमरे उस
वक़्त वो चारों दोस्त और पवश्वांतजी ही थे. कमरे में वो पाुँचों लोग बात कर रहे थे जजन्हे मैं दरवाज़े के
पीछे खड़ी सन
ु रही थी. मैने दे खा कक जब भाभी ने उन लोगों को चाइ थमायी तो एक ने धीरे से
पवश्वनथजी की नज़र बचा कर भाभी की एक चची दबा दी.भाभी हाई कर के रह गयी और खाली ट्रे लेकर
वापस आ गयी.वो लोग चाइ की चुस्की लगा रहे थे और बातें कर रहे थे, . पवश्वनथजी- आज तो आप
लोग बहुत ददनों के बाद समले हैं,कयों भाई कहाुँ चले गये थे आप लोग? कयों भाई रमेश तम
ु हरे कया हाल
चाल है . रमेश- हाल चाल तो ठीक है , पर आप तो हम लोगों से समलने ही नही आए, शायद आप सोचते
होगे कक हमसे समलने आएुँगे तो आपका खचा़ होगा. पवश्वनथजी- अरे खचे की कया बात है .अरे यार कोई
माल हो तो ददलाओ , खचे की परवाह मत करो, वैसे भी फॅसमली बहार गयी है और बहुत ददन हो गये है
ककसी माल को समले.अरे सरु े श तम
ु बोलो ना कब ला रहे हो कोई नया माल? सरु े श- इस मामले मे तो
ददनेश से बात करोमाल तो यही साला रखता है . ददनेश- इस समय मेरे पास माल कहाुँ? इस वक़्त
तौमहे श के पास माल है .महेश: माल तो था यार पर कल साली अपने मैके चली गयी है .पर अगर तम
ु
खच़ करो तो कुच्छ सोचें . पवश्वनथजी- खचे की हमने कहाुँ मनाई की है . चाहे जजतना खचा़ हो जाए,
लेककन अकेले मन नही लग रहा है यार कुच्छ जग
ु ाड़ बनवओ. मैं वहीां खड़े-खड़े सब सन
ु रही थी मेरे पीछे
भाभी भी आकेर खड़ी हो गयी और वो भी उन लोगों की बातें सन
ु ने लगी. सरु े श- अकेले-अकेले कैसे
तम्
ु हारे यहा तो सब लोग है. पवश्वनथजी- अरे नही भाई यह हमारे बच्चे थोड़ी ही है , हमारे बच्चे तो गाओां
गये है ,यह लोग हमारे गाओां से ही मेला दे खने आए है . महे श- कफर कया बात है . बगल मे हसीना और
नगर दढांढोरा.अगर तम
ु हमारी दावत करो तो इनमे से ककसी को भी तम
ु से चद
ु वा दें गे. पवश्वनथजी- कैसे?
महे श- यार यह मत पच्छो की कैसे, बस पहले दावत करो. पवश्वनथजी- लेककन यार कहीां बात उ्टी ना
पड़ जाएुँ , गाओां का मामला है , बहुत ़िज़ईता हो जाएगा. सरु े श- यार तम
ु इसकी कयों क़िि करते हो सब
कुच्छ हमारे ऊपेर छोड़ दो रमेश- यार एक बात है , बह की जो सास यानी मेरी मामी है उस पर भी बड़ा
जोबन है . यार मैं तो उसे ककसी भी तरह चोदन्ु गा. पवश्वनथजी- अरे यार तम
ु लोग अपनी बात कर रहे
या मेरे सलए बात कर रहे हो महे श- तम
ु कल दोपहर को दावत रखना और कफर जजसको चोदना चोहे गे
उसी को चुदवा दें ग,े चाहे सास चाहे बह या कफर उसकी ननद पवश्वनथजी- ठीक है कफर तम
ु चारों कल
दोपहर को आ जाना.
सातनया का ग्रप
ु सेकस -१
मैं हुँ बाब, उम्र ४३ साल, अपववादहत पर सेकस का मजा लेने में खुब उस्ताद। मेरी इस कहानी में जो
लड़की है उसका नाम है - सातनया खान। वो मेरे एक दोस्त प्रो़िेसर जमील अहमद खान की बेटी है ।
सातनया के पपता और मैं दोनों कौलेज के ददनों से दोस्त हैं। उनकी शादी एम०ए० करते समय हीां हो गई।
मेरी भाभी यातन उनकी बेगम ररश्ते में मौसेरी बहन थी। खैर मैं तो सातनया के बारे में कहने वाला हुँ
उसके माुँ-बाप में तो शायद हीां आप-लोगों को रचच हो। सातनया १८ साल की बी०कौम० ़िस्ट़ ईयर की
छात्रा है । बहुत सन्
ु दर चेहरे की मालककन है । एक दम गोरी, ५’५" लम्बी, पतली छरहरी काया, लहराती-
बलखाती जब वो सामने से चलती तो मेरे ददल में एक हक सी उठती। मेरे जैसे चतखोर मद़ के सलए
उसका बदन एक पहे ली था, कैसी लगेगी बबना कपड़ों के सातनया? तब मैं भल जाता कक वो मेरे गोद में
खेली है , उसके बदन को जवान होते मैने दे खा है । उसकी चुची नीांब से छोटे सेव, सांतरा, अनार होते दे खा
है , महसस ककया है । सोच-सोच कर मैंने पचासों बार अपना लांड झाड़ा होगा। पर उसका मझ
ु े चाचा कहना,
मझ
ु े रोक दे ता था कुछ भी करने से। उसके ददल की बात मझ
ु े पता नहीां थी न। वैसे सातनया का चककर
दो-तीन लड़कों से चला था, घर पर उसे खब
ु डाुँट भी पड़ी थी, पर उन लोगों ने हद पार की थी या नहीां
मझ
ु े पता न चल पाया, और जब भी मेरे दोस्त और भाभी जी ने इस बात की चचा़ की, तब उनके भार्ा
से मझ
ु े कुछ समझ नहीां आया। और एक बार...भगवान की दया से कुछ ऐसा हुआ कक - हुआ ये कक
सातनया के नाना की तबबयत खराब होने की खबर आई, और सातनया के अम्मी-अब्बा को उसके नतनहाल
मेरठ जाना पड़ा, और सातनया की कलास चलते रहने की वजह से वो उसको नहीां ले जा सके। उनके घर
में नीचे के दहस्से में जो ककरायेदार थे वो भी अपने गाुँव गए हुए थे, सो सातनया को अकेला वहाुँ न छोड़,
उन लोगों ने उसको एक सप्ताह मेरे साथ रहने को कहा। असल में ये प्रस्ताव मैंने ही उन लोगों को
परे शान दे ख कर ददया था। वो तरु ां त मान गए। मेरे दोस्त ने तब कहा भी कक यार मैं भी यही सोच रहा
था पर तम
ु अकेले रहते हो, लगा कहीां तम्
ु हें कोई परे शानी ना हो। बात-चीत करते हुए जमील ने ह्की
आवाज में बताया कक एक बार पहले भी वो सातनया को अकेले तीन ददन के सलए छोड़े थे तो आने पर
ककरायेदार से पता चला कक दो ददन लगातार सातनया के साथ कोई लड़का रहा था, जो उसके साथ स्कल
में पढ़ता था, अब कहीां इांजीतनयररांग पढ़ रहा है । वो अपनी परे शानी मझ
ु े बता रहा था और मैं सोच रहा
था कक जब सातनया अपने घर पर एक लड़के को माुँ-बाप के नहीां रहने पर रख सकती है , तो घर के बाहर
तो वो जरूर ही चुदवायी होगी। खैर..., अगले ददन सब
ु ह कोई ७ बजे वो लोग सातनया को मेरे अपाट़्मेंट
पर छोड़े, चाय पपया और मेरठ चले गये। सातनया तब अपने स्लीपपांग ड्रेस में ही थी - एक ढ़ीला सा कैप्री
और काला गोल गले का टी-शट़ । उसको को ९ बजे कौलेज जाना था, दो घांटे के सलए। मेरी नौकरानी
नास्ता बना रही थी, जब सातनया ककचेन में जा कर उससे पछी कक कोई साबन
ु है या नहीां। असल में
अकेले रहने के कारण मेरे रूम के बाथरूम में तो सब था पर दस
ु रे रूम, जजसमें सातनया का सामान रखा
गया था, वह बाथरूम कपड़े धोने के सलए ही इस्तेमाल होता था। मैं ही तब कहा-"सातनया, तम
ु मेरे रूम
का बाथरूम यज
ु कर लो, मझ
ु े अभी समय है "। और सातनया अपना कपड़ा ले कर मस्
ु कुराते हुए चली गई।
मैं बाहर वाले रूम में अखबार पढ़ रहा था, जब सातनया तैयार हो, नास्ता करके आई और बोली-"चाचा, मैं
करीब १२ बजे लौटुँ गी, तब तो घर बांद रहे गा।" मैंने उसको भीांगे बालों से तघरे सन्ु दर से चेहरे को दे खते
हुए कहा- "कोई परे शान होने की बात नहीां है , तम
ु एक चाभी रख लो", और मैने नौकरानी से चाभी ले कर
उसको दे दी, (मैंने एक चाभी उसको इससलए दी थी कक वो शाम को आ कर काम कर जाए और मेरा
खाना पका जाए) साथ हीां नौकरानी को शाम की छुट्टी कर दी कक शाम को हम लोग होटल में खाना खा
लेंगे। थोड़ी दे र में नकरानी भी काम तनपटा कर चली गई, और मैं तैयार होने बाथरूम में आया। और..
बाथरूम में सातनया की कैप्री और टी-शट़ खट
ुँ ी से टां गी थी, और नीचे गीली जमीन पर सातनया की ब्रा-
पैन्टी पड़ी थी। ऐसा लग रहा था कक उसने उन्हें धोया तो है , पर सख
ु ने के सलए डालना भल गई। मेरे
लन्ड में सरु सरु ी जगने लगी थी। मैंने उसके अन्तव़स्त्र उठा सलए और उनका मआ
ु यना शर
ु कर ददया।
स़िेद ब्रा का टै ग दे खा-लवेबल ३२बी०। सोचचए, ५’५" की सातनया ककतनी दब
ु ली-पतली है । मैंने अब उसकी
पैन्टी को सीधा ़िैला ददया। वो एक परु ानी पन्टी थी-रपा सौफ़्फट्लाईन ३२ साईज। इतनी परु ानी थी कक
उसके ककनारे पर लगे लेस उघड़ने लगे थे और वो बीच से ह्का-ह्का तघस कर ़िटना शर
ु कर चक
ु ी
थी। मैंने उसे सुँघा, पर उसमें से साबन
ु की हीां खश्ु ब आई। क़िर भी मैंने ऐसे तो कई बार उसके नाम की
मठ
ु मारी थी, पर आज उसकी पैन्टी से लन्ड रगड़-रगड़ कर मठ मरा और अपना माल उसके पैन्टी के
घीसे हुए दहस्से पर तनकला और क़िर बबना धोये ही पैन्टी-ब्रा को सख
ु ने के सलए डाल ददया। मेरे ददमाग
में अब ख्याल आने लगा कक एक बार कोसशश कर के दे ख लुँ , शायद सातनया पट जाए। पर मझ
ु े अब दे र
हो रही थी सो मैं ज्दी-ज्दी तैयार हो कर तनकल गया। शाम को करीब ७ बजे मैं घर आया, सातनया
बैठ कर टीवी दे ख रही थी। उसने ही मझ
ु े चाय बना कर दी। हम दोनों साथ चाय पी रहे थे, जब मैंने
कहा-"तैयार हो जाओ, आज बाहर हीां खाना है ।" खश
ु ी उसके चेहरे पे झलक गई, और मैं उसके उस सलोने
से चेहरे से नजर हटा न पाया। हम लोग इधर-उधर की बात कर रहे थे, तभी उसे ख्याल आया, बोली-
"सौरी चाचा, आज आपके बाथरूम में गलती से मेरा कपड़ा रह गया। असल में मेरे जाने के बाद अम्मी
जब सारे घर को ठीक करती है , तो वो ये सब भी कर दे ती है । कल से ऐसा नहीां होगा।" उसके चेहरे पे
सारी दतु नया की माससु मयत थी। मैंने भी प्यार से कहा-"अरे , कोई बात नहीां बेटा, मझ
ु े कोई परे शानी नहीां
हुई। तम
ु तो धो कर गई ही थी, मैंने तो सस़ि़ सख
ु ने के सलए तार पर डाल ददया।" क़िर थोड़ी शरारत मन
में आई तो कह ददया-"वैसे भी तम
ु तो खद
ु १० ककलो की हो, तो तम्
ु हारी ब्रा-पैन्टी तो १० ग्राम से ज्यादा
नहीां होनी चादहए न। उसको सख
ु ने डालने में कोई मेहनत तो करना नहीां पड़ा मझ
ु े।" उसने अपनी बड़ी-
बड़ी आुँखो को गोल-गोल नचाया-"परु े ४१ ककलो हुँ मैं"। मैंने तड़ से जड़ ददया-"ठीक है क़िर तो मैं सध
ु ार
कर दे ता हुँ, क़िर ४१ ग्राम होगी ब्रा-पैन्टी।" वो मस्
ु कुरा कर बोली-"मेरा मजाक बना रहें हैं, मैं तैयार होने
जा रहीां हुँ।" और वो अपने रूम में चली गई, मैं अपने रूम में । कोई आधे घन्टे बाद हम घर से तनकले।
सातनया ने एक गहरे हरे रां ग की कैप्री और गल
ु ाबी टौप पहनी थी। बालों को थोड़ा उपर उठा पोनीटे ल
बनाया था, पैर में बबना मोजा रीबौक के जते। मैं उसकी खुबसरु ती पर मग्ु ध था। हम लोग पैदल हीां एक
घांटा घम
ु े और क़िर करीब ९ बजे एक चाईनीज रे स्ट्राां मेम खाना खा कर १० बजे तक घर आ गए। थोड़ी
दे र टीवी दे खने के बाद अरीब ११ बजे सातनया अपने रूम में और मैं अपने रूम में सोने चले गए।
सातनया के बारे में सोचते सोचते बड़ी दे र बाद मझ
ु े नीांद आई। अगले ददन करीब ६ बजे सातनया ने मझ
ु े
जगाया, वो सामने चाय ले कर खड़ी थी। मेरे ददमाग में पहला ख्याल आया कक आज का ददन अच्छा हो
गया, उसकी सलोनी सरत दे ख। हमने साथ चाय पी। वो तब मेरे बबस्तर पे बैठी थी। उसने एक नाईटी
पहनी हुई थी जो उसके घट
ु ने से थोड़ा नीचे तक थी। रे डीमेड होने के कारण थोड़ा लज थी, और उसके ब्रा
के स्टै प्स ददख रहे थे। आज उसे ८.३० बजे तनकलना था, सो वो बोली-"आप बाथरूम से हो लीजजए तब मैं
भी नहा लुँ गी, आज थोड़ा पहले जाना है "। मैं जब बाथरूम से बाहर आया तो दे खा कक उसने मेरा बबस्तर
ठीक कर ददया है , और अपने कपड़े के साथ मेरे बेड पे बैठी है । जब वो बाथरूम की तऱि जाने लगी तब
मैंने छे ड़ते हुए कहा, आज भी अपना ४१ ग्राम छोड़ दे ना। वो यह सन
ु जोर से बोली-छीः, और ह्के से
हुँसते हुए बाथरूम का दरवाजा लौख कर सलया। मैं बाहर बैठ पेपर पढ़ रहा था, जब वो बोली-"मैं जा रही
हुँ चाच,ु करीब १ बजे लौटुँ गी, मेरा लांच बनवा दीजजएगा, नस्ता मै कैं टीन में कर लुँ गी।" मैं उसको पीले
टाईट सलवार कुते में जाते दे खता रहा, जब तक वो ददखती रही। उसकी सन्
ु दर सी गाांड ह्के ह्के मट्क
रही थी। थोड़ी दे र में मेरी नौकरानी मैरी आ गई, और अपना काम करने लगी, मैं भी तैयार होने बाथरूम
में आ गाया। मझ
ु े थोड़ा शक था कक आज शायद मझ
ु े ब्रा-पैन्टी ना ददखे, पर मेरी खश
ु ी का दठकाना न
रहा जब मैने दे खा कक आज क़िर उसने अपनी ब्रा-पैन्टी धो कर कल की तरह ही जमीन पर छोड़ दी है ।
कल शायद उससे ग्ती से छट गया था, पर आज के सलए मैं पकका था कक उसने जान-बझ कर छोड़ा
है । मझ
ु े लगने लगा कक ये साली पट सकती है । मैंने आज क़िर उसकी पैन्टी लांड पे लपेट मठ मारी और
माल उसके पैन्टी में डाल ददया। ये वाली पैन्टी कल वाली से भी परु ानी थी, और उसमें भी दो-एक छोटे
छे द थे। पर मझ
ु े मजा आया। मैंने अपने माल से सलपसे पैन्टी को ब्रा के साथ सख
ु ने को डाल ददया।
शाम को मझ
ु े आने में थोड़ी दे र हो गई, मैरी हम दोनों का खाना बना कर जा चुकी थी। मैं जब आया तो
सातनया चाय बनाई और हम दोनों गपसप करते हुए चाय पीने लगे। सातनया ने ही बात छे ड़ दी-"आज
क़िर आपको मजा आया मेरी सेवा करके?" मैं समझ न सका तो उसने कहा, "वही ४१ ग्राम, सब
ु ह" और
मस्
ु कुराई। मैंने भी कहा- "हाुँ, मजा तो खुब आया, पर सातनया, इतने परु ाने कपड़े पहनो, ़िटे कपड़े पहनना
शभ
ु नहीां माना जाता"। वो समझ गई, बोली- "ठीक चाचु, आगे से ख्याल रखग
ुँ ी।" मैंने दे खा कक बात सही
ददशा में है तो आगे कहा-"अच्छा सातनया, थोड़ा अपने पस़नल लाई़ि के बारे में बताओ। जमील कह रहा
था कक तम्
ु हारा ककसी लड़के के साथ चककर था। अगर न बताना चाहो तो मना कर दो।" वो थोड़ी दे र
चुप रही क़िर उसने रे हान के बारे में कहा, जो उसके साथ स्कल में ५ साल पढ़ा था। दोनो अच्छे दोस्त
थे। पर ऐसा कुछ नहीां ककया कक उसको इतना डाुँटा जाए, रे हान तो क़िर उस डाुँट के बाद कभी समला भी
नहीां। अब तो वो उसको अपना पहला िश मान ली थी। मैं तब सा़ि पछ सलया-"कयों, कया सेकस-वेकस
नहीां ककया उसके साथ?" वो अपने गोल-गोल आुँख घम
ु ा कर बोली-"छीः, कया मैं आपको इतनी गन्दी
लड़की लगती हुँ, रे हान मेरा पहला प्यार था, अब कुछ नहीां है ?" मैंने मड को हलका करने के सलए कहा-
"अरे नहीां बेटी तम
ु और गन्दी, कभी नहीां, हाुँ थोड़ी शरारती जरूर हो, बदमाश जो अपनी ब्रा-पैन्टी अपने
चाचु से सा़ि करवाती हो।" वो बोली-"गलत चाचु, सा़ि तो खुद करती हुँ, आप तो सस़ि़ सख
ु ने को डालते
हो।" हम दोनों हुँसने लगे। क़िर खाना खा कर टहलने तनकल गए। बातों बातों में वो अपने कौलेज के बारे
में तरह तरह की बात बता रही थी, और मैं उसके साथ का मजा ले रहा था तीसरे ददन भी सब
ु ह सातनया
के चेहरे पर नजर डाल कर ही शर
ु हुई। उस ददन मैरी थोड़ा सवेरे आ गयी थी, सातनया का नास्ता बना
रही थी। मैं भी अपने औक़िस के काम में थोड़ा बीजी था, कक सातनया तैयार हो कर आई। मैंन घड़ी दे खे -
८.३०। सातनया बोली- "चाचु आज भी रख ददया है मैंने आपके सलए ४१ ग्राम.... और आज धोई भी नहीां
हुँ", और वो चली गयी। मैंने भी अब ज्दी से ़िाईल समेटी और तैयार होने चला गया। आज बाथरूम में
थोड़ी सेकसी ककस्म की ब्रा-पन्टी थी और उससे बड़ी बात कक आज सातनया ने उसपर पानी भी नहीां डाला
था। दोनो एक सेट की थी, गल
ु ाबी लेस की। इतनी मल
ु ायम की दोनों मेरी एक मठ
ु ी में बन्द हो जाए।
मैंने पैन्टी ़िैलाई-जस्ट्रन्ग बबकनी स्टाईल की थी। उसके सामने का भाग थोड़ा कम चौड़ा था, करीब ४ इांच
और नीचे की तऱि पतला होते होते चत
ु के उपर २ इांच का हो गया था, क़िर पीछे की तऱि थोड़ा चौड़ा
हुआ पर ५ इांच का होते होते कमर के इलाजस्टक बैंड मे जा समला। साईड की तऱि से परु ा खल
ु ा हुआ,
बस आधा इांच से भी कम की इलजस्टक। मैंने प्यार से उस गन्दी पैन्टी का मआ
ु यना ककया। चत
ु के पास
ह्का सा एक दाग था, जो बड़े गौर से दे खने पर पता चलता, मैने उस धब्बे को सघ
ांु ा। ह्की सी खट्टे पने
की ब समली और मेरा लन्ड को सर
ु र आने लगा। मैने प्यार से उसी धब्बे पर अपना लन्ड सभड़ा, पैन्टी को
लन्ड पे लपेट मजे से मठ मारने लगा, और सारा माल उसी धब्बे पर तनकाला, क़िर उस पैन्टी-और ब्रा को
सस़ि़ पानी से धो कर सख
ु ने डाल ददया। शाम ७.३० बजे घर आया, साथ चाय पीने बैठे तो मैंने बात छे ड़
दी-"आज तो सातनया बेटी, तम
ु ने कमाल कर ददया।" वो कुछ नहीां बोली तो मैंने कह ददया-"बबना धोयी हुई
ब्रा-पैन्टी से तम्
ु हारी खुश्ब आ रही थी।" वो शमा़ने लगी, तो मैने कहा-"सच्ची बोल रहा हुँ, मैंने सुँघ
ु कर
दे खा था। तम्
ु हारे बाप की उम्र का हुँ, पर आज वाली ४१ ग्राम की खुश्ब ने मेरे ददल में अरमान जगा
ददये।" वो थोड़ा अनईजी ददखी, तो मैंने बात थोड़ा बदला, "पर मैंने भी ददल पे काब कर सलया, तम
ु परे शान
न हो।" वो मस्
ु कुराई, तब मैंने कहा-"पर आज वाली तो बहुत सेकसी थी, अब कल कया ददखाओगी मझ
ु ?े "
वो मस्
ु कुराई-"कल ३० ग्राम समलेगा"। मै-"कयों?" वो बोली-"कयोंकक आज मैंने नीचे पहनी ही नहीां है । वो
दोनो परु ानी वाली पहननी नहीां थी, और ये वाली तो आज धुली है , कल पहनुँग
ु ी।" मैंने कहा-"ऐसे बात है ,
चल आज ही खरीद कर लाते हैं। मैंने आज तक कभी लेडीज पैन्टी नहीां खरीदी, आज ये भी कर लेते हैं।"
वो थोड़ा सकुचाई, तो मैंने उसको हाथ पकड़ कर उठा ददया, बोला ज्दी तैयार हो जाओ। मैं तब जीांस और
टीशट़ में था, और वो अपने नाईटी में । वो दो समनट में चें ज करके आ गई-नीले स्कट़ और पीले टौप में
वो जान-मारू ददख रही थी। उसने आते हुए कहा-"स्कट़ में सपु वधा होगी, एक तो वहीां पहन लुँ गी, और एक
और ले लग
ां ी।" बहुत मस्त लौजन्डया थी वो। मेरे जैसे मद़ को खुब टीज करना जानती थी। जब भी मैं ये
सोचता कक साली नांगी चुत ले कर बाजार में है , मेरे ददल से एक हक तनकल जाती। हम एक लेडीज
अांडरगामेंट्स स्टोर में गए। मेरे सलए ये पहला अनभ
ु व था। दो-तीन और लेडीज ग्राहक थीां। हमारे पास
एक करीब २८-३० साल की एक से्सगल़ आई, तो मैने, उसे एक ब्र-पैन्टी सेट ददखाने को कहा। कया
साईज, और कोई खास स्टाईल, कहते हुए उसने एक कैटे लग हमें थमा ददया। एक से एक मस्त माल की
़िोटो थी, तरह तरह की ब्रा-पन्टी में । मैं ़िोटो दे खने में बीजी था, कक सातनया बोली-"सस़ि़ पैन्टी लेते हैं
ना"। मैंने नजर कैटे लग पे ही रखते हुए कहा-"एक इसमें से ले लो, क़िर दो-तीन पैन्टी ले लेना।" से्सगल़
ने पछा-"दीदी के सलए लेना है या मैडम के सलए?", मैंने सातनया की तऱि इशारा ककया। वो मस्
ु कुराते हुए
बोली-"ककस टाईप का दुँ , थोड़ी सेकसी, हौट या सोबर?" मैंने जब उसे थोड़ा सेकसी टाईप ददखाने को बोला
तो वो मस्
ु कुराई। वो समझ रही थी कक मैं उस हर के साथ लांपटचगरी कर रहा हुँ।उसने कुछ बहुत ही
मस्त सेट तनकल ददए। एक तो बस सस़ि़ पैन्टी के नाम पर २"x१" का स़िेद पारदशी जाली थी ब्रा भी
ऐसा कक जजतना छुपाती नहीां उतना ददखाती। मझ
ु वो ही खरीदने का मन हुआ, पर सातनया ने एक दस
ु रा
पसांद ककया। जब मैने कहा कक एक वह सेकसी टाईप ले कर दे खे, तो वो बोली, नही पर अगर आपका मन
है , तो सस़ि़ पैन्टी में ऐसा कुछ दे ख लेंगे, पैसा भी कम लगेगा। सातनया की पसांद की पैन्टी उसकी सेकसी
पैन्टी से थोड़ी और छोटी थी। चत
ु ड़ तो लगभग ९०% बाहर ही रहता, पर चत
ु ठीक ठाक से कवर हो
जाती। उसने उसका चटख लाल रां ग पसांद ककया। क़िर उसने हे न्स की स्ट्रीांग बबकनी पैन्टी माुँगी, तो
से्सगल़ ने एक ३ का सेट ददया। अब मैंने उस सेकसी पैन्टी के बारे में कहा और जोर दे कर एक स़िेद
और एक काली पैन्टी खरीद ली। सातनया ने हे न्स की एक पैन्टी पैक से तनकाली और ट्रायल रूम में चली
गई और पहन ली। सामान पैक करते समय से्सगल़ ने सातनया से उसकी परु ानी पैन्टी के बारे में पछा
तो सातनया ने कहा-"इट्स ओके, आई है डन्ट बीन वीयररन्ग एनी (सब ठीक है , मैने नहीां पहना हुआ था)।
से्सगल़ ने भी चट
ु की ली-"आजकल के बच्चे भी ना..., इस तरह बबना चड्ढ़ी बाजार में तनकल लेते हैं।"
दक
ु ान पर मौजद तीनों से्सगल़ और मैंने भी हुँस ददया, और सातनया झेंप गई। अगले ददन सब
ु ह चाय
पीते हुए मैंने कहा-"सातनया बेटा, अब आज का ददन मेरा कैसे अच्छा बीतेगा, आज तो ३० ग्राम ही मझ
ु े
समलेगा।" वो मस्
ु कुराई और बोई-"सब ठीक हो जायेगा, क़िि नैट।" जब वो जाने लगी तो मझ
ु े बोली-"चाचु,
जरा अपने रम में चसलए, एक बात है ।" मझ
ु े लगा कक वोह शायद कुछ कहे गी। पर वो रम में मझ
ु े लाई
और मझ
ु े बेड पे बबठा ददया, क़िर एक झटके में अपने जीन्स के बटन खोल कर उसे घट
ु ने तक नीचे कर
ददया, बोली-"दे ख कर आज ददन ठीक कर लीजजए।" उसके बदन पर वही सेकसी वाली स़िेद पैन्टी थी।
उसके बत्रभज
ु ाकार स़िेद पट्टी से उसकी बर एकदम से ढ़्की हुई थी, पर सस़ि़ बर हीां। बाकी उस पैन्टी में
कुछ था ही नहीां ससवाय डोरी के। उसकी जाुँघ, चुतड़ सब बब्कुल खुला हुआ था। एकदम सा़ि गोरा
दमकता हुआ। झाुँट की झलक तक नहीां थी। मेरा गला सख
ु रहा था। वो २०-२५ सेकेन्ड वैसे रही क़िर
अपना जीन्स उपर कर ली, और मस्
ु कुराते हुए बाय कह बाहर तनकल गई। मैंने वहीां बबस्तर पर बैठे-बैठे
मठ
ु मारी, यह भी भल गया कक मैरी घर में है । उस ददन बाथरम में मझ
ु े पता चला कक आज मेरे हीां
रे जर से सातनया झाुँट सा़ि की थी, और अपने झाुँट को वाश बेससन पे ही रख छोड़ा है । २-२" की उसकी
झाुँट के कई बाल मझ
ु े समल गये, जजन्हें मैंने कागज में समेट कर रख सलया। मैनें क़िर मठ
ु मारी। शाम
की चाय पीते हुए मैने बात शर
ु ककया-"बेटा आज मेरे सलए पैन्टी नहीां था तो तम
ु ने मेरे सलए रे जर सा़ि
करने का काम छोड़ ददया।" मेरे चेहरे पर ह्की हुँसी थी। वो शमा़ गई। तब मैंने कहा-"ककस स्टाईल का
शेव की हो?" उसके चेहरे के भाव बदले, बोली-"मतलब?" मैंने आगे कहा-"मतलब ककस स्टाईल में अपने
बाल सा़ि की हो?" उसे समझ नहीां आया तो बोली-"अब इसमें स्टाईल की कया बात है , बस सा़ि कर
दी।" मैंने अब आुँख मारी-"परु ा सा़ि कर दी?" वो अब थोड़ा बो्ड बन कर बोली-"और नहीां तो कया, आधा
करती? कैसा गन्दा लगता।" मैंने सब समझ गया, कहा-"अरे नहीां बाबा, तम
ु समझ नहीां रही हो, लड़ककयाुँ
अपने इन बालों को कई तरीके से सजा कर सा़ि करती हैं।" उसके सलए यह एक नई बात थी, पछ
ु ी-
"कैसे?"तब मैंने उसको बताया कक झाुँटों को कैसे अलग अलग स्टाईल मे बनाया जाता है , जैसे लैंडडन्ग
स्ट्रीप, ट्रायन्गल, दहटलर मश्ु टै श, बा्ड, थ्रेड, हाट़ ... आदद। उसके सलए ये सब बात अजब
ु ा था-"बोली, मझ
ु े
नहीां पता ये सब"। मैं तो हमेशा ऐसे ही परु ा सा़ि करती रही हुँ, जब भी की हुँ। अभी, दो मदहने बाद की
हुँ, तभी इतनी बड़ी-बड़ी हो गयी थी। अम्मी को पता चल जाए तो मझ
ु े बहुत डाुँटेंगी, वो तो जबद़ स्ती
बचपन में मेरा १५-१७ ददन पर सा़ि कर दे ती थी। वो तो खद
ु सप्ताह में दो ददन सा़ि करती हैं अभी
भी।" मैंने भी हाुँ में हाुँ समलाई-"हाुँ, सच बहुत बड़ी थी, २" तो मैं अपना नहीां होने दे ता, जबकक मैं मद़ हुँ।"
मैं मदहने में दो-एक बार कौल-गल़ घर लाता था। इसके सलए मैं एक दलाल राजेन्दर सरु ी की मदद लेता।
उसके साथ मेरा ५-६ साल परु ाना ररश्ता था। वो हमेशा मझ
ु े मेरे पसन्द की लड़की भेज दे ता। अब तो वो
भी मेरी पसन्द जान गया था, और जब भी कोई नई लड़की मेरे टे स्ट की उसे समलती, वो मझ
ु े बता दे ता।
ऐसे ही उस ददन शाम को हुआ। सरु ी का ़िोन आया करीब ८ बजे, तब मैं और सातनया खाना खा रहे थे।
सरु ी बताया कक एक माल आई है नई उसके पास, १७-१८ साल की। ज्यादा नहीां गई है , घरे ल टाईप है ।
आज उसकी ब्लड टे स्ट ररपोट़ सही आने के बाद वो सब
ु ह मझ
ु े बतायेगा, अगर मैं कहुँ तो वो कल उसकी
पहली बककां ग मेरे साथ कर दे गा। सातनया को हमारी बात ठीक से समझ में नहीां आई, और जब उसने
पछ
ु ा तो मैंने सोचा कक अब इस लौजन्डया से सब कह दे ने से शायद मेरा रास्ता खुले, सो मैंने उसको सब
कह ददया कक मैं कभी-कभी दलाल के मा़ि़त कौल-गल़ लाता हुँ घर पर, आज उसी दलाल का ़िोन आया
था, एक नई लड़की के बारे में । उसका चेहरा लाल हो गया। वो चुप-चाप खाई, क़िर हम टीवी दे खने लगे,
वो एक क़ि्म लगा कर बैठ गई। मझ
ु े लगा कक शायद कौल-गल़ वाली बात उसे अच्छी नहीां लगी। पर
मैंने उसे अब नहीां छे ड़ा, सोचा दे खें अब वो खुद कैसे मझ
ु े मौका दे ती है । अगली सब
ु ह क़िर सरु ी का ़िोन
आया। मझ
ु े लगा कक ये शायद ज्यादा हो रहा है , सो मैंने सरु ी को मना कर ददया। सातनया ़िोन पर मेरी
जो बात हो रही थी, वो सन
ु रही थी। मेरे ़िोन काटने पर उसने सब कुछ ठीक से जानना चाहा। एक बार
क़िर उस्की इच्छा दे ख मझ
ु े लगा कक बात क़िर पटरी पर आने लगी है । मैं चाहता था कक कैसे भी अब
आगे का रास्ता खुले जजससे मैं सातनया मे मकखन बदन का मजा लुँ । पाुँच ददन बीत गया था, और दो-
तीन ददन में उसके अम्मी-अब्ब आ जाने वाले थे। मैने गांभीर बनने की ऐकटीांग करते हुए कहा-"बरु ा मत
मानना सातनया बेटा पर तम्
ु हें पता है कक मैं अकेला हुँ, इससलए अपने जजस्म की जरूरत के सलए एक
दलाल सेट ककया हुआ है , वो हर मदहने ५ और २५ ताररख को मझ
ु े ़िोन पर कौन्टै कट करता है । मेरा
जैसा मड हो मैं उसको बता दे ता हुँ, वो लड़की भेज दे ता है । अकसर जैसी ़िमा़ईश की जाती है , वो अरे न्ज
कर दे ता है ।" वो बोली-"प्लीज चाचु आज बल
ु ा लीजजए ना। मैंने कभी कौ्गल़ नहीां दे खी।" मैंने कहा-"पर
मैं तो तम्
ु हारे बारे में सोच कर न कह रहा था, तम
ु कया समझोगी मझ
ु े अगर मै घर पे लड़की बल
ु ा लुँ
तब, न ये ठीक नहीां होगा, तम्
ु हारे रहते"। पर अब जजद कर बैठी। शतनवार का ददन था, बोली आज वो
कौलेज नहीां जायेगी, अगर मैंने हाुँ नहीां कहा। करीब एक घन्टें बाद मैने कह ददया, "ठीक है , पर..."। वो
तरु न्त मेरा ़िोन लायी, कौल-बैक ककया और स्पीकर औन कर के सामने बैठ गई। मैं कह रहा था-"हाुँ
सरु ी, भेज दे ना आज ८ बजे, कोई ठीक-ठाक, घरे लु टाईप भेजना, पर नई भेजना, रचना या प्लवी नहीां"।
सरु ी बोला-"नई वाली सही है सर, रे ट थोड़ा ज्यादा लेगी, पर मस्त माल है । आप उसकी लाइ़ि के पहले १०
कस्टमर में होंगे। मेरे से पहली बार बक
ु हो रही है । इसी साल +२ ककया है , और यहाुँ पढ़ाई के सलए इस
शहर में आई तो हौस्टल से उसको रोजी मेरे पास लाई। ददखने में तौप कलास चीज है सर, एक दम मस्त
सर, मैंने कभी गलत सप्लाई आपको ककया आज तक। ३४-२३-३६ है सर, एक दम टाईट।" मैंने रे ट पछा,
तो उसने ५५०० कहा, क़िर ५००० पर बात पककी हुई। अचानक मझ
ु े थोड़ा मस्ती का मड हुआ, मैने कहा-
"सरु ी, कहीां वो छुई-मई
ु तो नहीां, जरा उससे बात करवा सकोगे पहले?" वो बोला-"नहीां सर घरे लु है , पर मस्त
है , खब
ु मस्ती करती है , एक बार मैने भी टे स्ट ककया है उसको, तभी तो आपको कह रहा हुँ। उसको मैं
आपका नम्बर दे दे ता हुँ।" करीब १० समनट बाद मेरा ़िोन बजा, तो मैने स्पीकर औन कर के है ्लो
ककया। उधर से वही लड़की बोली-"जी, मेरा नाम राचगनी है , सरु ी साहब ने मझ
ु े आपसे बात करने को कहा
है ।" मैंने गांभीर आवाज में कहा-"हाुँ राचगनी, आज रात तम्
ु हारी मेरे साथ हीां बककां ग है । असल में मै तम
ु से
एक बात जानना चाहता हुँ, तम
ु तो नई हो। सरु ी जो पे करे गा तम्
ु को वो तो ठीक है , पर कया तम्
ु हें
ऐतराज होगा, अगर मेरे साथ कोई और भी हो तो। मैं एकस्ट्रा पे करूुँगा। थोड़ी चप्ु पी के बाद बोली-"दो के
साथ कभी ककया नहीां सर"। मेरे मन में शैतान घस
ु ा था, कक आज जब सातनया साली खद
ु मझ
ु े रन्डी
बल
ु ाने को कह रही है , तब आज उसको ददखाया जाए की रन्डी चोदी कैसे जाती है । मैं प्लान बना रहा था,
कहा-"अरे नहीां, वैसा नहीां है , करना तम्
ु हें मेरे साथ हीां होगा। असल में एक लड़की मेरे साथ होगी, वो दे खेगी
सब जो तम
ु करोगी।" मैं ये सब बोलते हुए सातनया की तऱि दे ख रहा था। उसके चेहरे पे शक
ु ु न था, जैसे
मैंने उसके मन की बात की हो। राचगनी अब थोड़ा रीलैकस हो कर कहा-"कोई ़िोटो-वोटो नहीां होगा ना?"
मैंने कह-"बब्कुल नहीां"। वो राजी हो गई, क़िर पछी-"सर आपको कोई खास ड्रेस पसांद हो तो?" मैंने कहा-
"नहीां, जो तम्
ु हें सही लगे।", और कुछ याद करके पछा-"राचगनी, बरु ा मत मानना, पर तम्
ु हारी चत सा़ि है
या बाल है ?" वो बोली-"जी बाल है , करीब महीने भर पहले सा़ि ककया था, क़िर अभी तक काम चल रहा
है । सरु ी सर ने भी कहा कक जब तक कोई औबजेकट न करे मैं ऐसे हीां रहने दुँ । आप बोलेंगे तो सा़ि
करके आउुँ गी।" मैंने खुश हो कर कहा-"नहीां-नहीां, तम
ु जैसी हो वैसी आना। जररत हुई तो यहाुँ सा़ि कर
लेंगे।" और ़िोन बांद कर ददया। इसके तरु ां त बाद जमील का ़िोन आया कक उन्हें अभी वहाुँ १० ददन और
रकना होगा, जब तक औपरे शन नहीां हो जाता, सातनया के नाना का। मेरे सलए यह अच्छा शगन
ु था। मेरे
सलए राचगनी लकी साबबत हुई थी। मैं दे ख रहा था कक सातनया भी यह सब सन
ु खुश हो रही है । सातनया
सब चुप-चाप सन
ु रही थी। मैने उसके जाुँघ पे अपना हाथ ़िेरा और कहा-"अब तो खुश हो सातनया बेटी,
तम्
ु हारे मन की ही हो गई।" वो बबना बोले बस मस्
ु कुरा रही थी। मैने कहा, "आने दो राचगनी को, आज
उसकी लैंडडग स्ट्रीप स्टाईल में बना के बताउुँ गा। वो भी नई है , थोड़ा सीखेगी मेरे एकस्पीररयेंस से"। वो
बोली-"अब खाना बना लेते हैं, दो घन्टें में तो वो आ जायेगी"। सातनया ककचेन में गई, मैं टीवी में बीजी हो
गया। करीब ७.३० तक हमने डडनर कर सलया, और बैठ कर राचगनी का इांतजार करने लगे। ८.१० पे कौल-
बेल बजी, तो सातनया तरु ां त कुद कर दरवाजे तक पहुँच उसे खोला। मैंने दे खा कक एक छरहरे बदन की
थोड़ी साांवली लगभग सातनया की लम्बाई की ही लड़की सामने थी। सातनया ने उसका नाम पछा और
भीतर ले आई। मैंने राचगनी को बैठने को कहा तो वो सामने सो़िे पे बैठ गई। सातनया अभी भी खड़े हो
कर उसको घरु रही थी। राचगनी ने चटख पीले रां ग का सती सलवार सट
ु पहना हुआ था, जो उसके क़िगर
पे सही क़िट था। लौजन्डया १७-१८ की थी, ३४-२६-३६। मेरी अनभ
ु वी नजरों ने उसका माप ले सलया। मैं
अपनी ककस्मत पे खद
ु है रान था। मेरे पास दो-दो जवान लौजन्डया थी, और दोनो २० बरस से भी कम।
राचगनी तो सातनया से भी उमर में छोटी थी, सातनया ने दो साल पहले इांटर ककया था जबकक राचगनी ने
इसी साल ककया। हाुँ, उसका बदन थोड़ा सातनया से ज्यादा भरा था। पर ़िक़ सस़ि़ उन्नीस-बीस का ही
था। मैंने राचगनी से कहा-"ये सातनया है , यही साथ में रहे गी रूम में और सब दे खग
े ी।" राचगनी ने अब एक
परु े नजर से सातनया को घरा उपर से नीचे तक। मैंने पछा-"डडनर करके आई हो या करोगी?" उसने कहा
की नहीां वो जजस ददन बककां ग कराती है , रात में नहीां खाती। राचगनी ने बताया कक वो सस़ि़ शतनवार को
ही सरु ी से बककां ग कराती है और यह सब वो थोड़ा मजा और थोड़ा पैसे के सलए करती है । इजी मनी, य
नो। मैंने उसको ५००० दे ददये और कहा कक ये जो सरु ी से बात थी, अर क़िर २००० उसको ददए और कहा
कक ये उसका पस़नल हैं मेरे रीकवेस्ट को मानने के सलए। वो सांतटु ट थी, बोली, "एक बार सर मैं बाथरूम
जाना चाहुुँगी"। मैंने कहा-"ठीक है थोड़ा सा़ि कर लेना साबन से, आगे पीछे सब" और मैंने उसको आुँख
मारी, ताकक पहली बार की खझझक कम हो। मझ
ु े उसके चेहरे से लग रहा था कक वो सही में नई थी। मैंने
सातनया को उसे पानी पपलाने को कहा, और वो चली गयी। पानी पी कर राचगनी ने अपना दप्ु पटा सो़िे पे
डाला और सातनया से पछा-"बाथरूम"...।करीब दस समनट बाद वो आयी और कहा कक वो तैयार है , ककस
रूम में चलें? हम सब मेरे बेडरूम में आ गए, तब राचगनी ने पछा-"मैं खद
ु कपड़े उतारूुँ या आप दोनों में
से कोई?" मैं सातनया की तऱि दे ख रहा था, कक उसका कया समजाज है । उसे लगा कक मैं शायद उसको
कह रहा हुँ कक वो कपड़े उतारे , इससलए वो राचगनी की तऱि बढ़ गई। राचगनी ने उसकी तऱि अपनी पीठ
कर दी। जब सातनया उसके कुते की जीप नीचे कर रही थी, राचगनी ने सातनया से ह्के से पछा-"ये
आपके पापा है ?" सातनया ससटपपटा गई। उसे परे शानी से बचाने के सलए मैंने कहा-"नहीां सातनया मेरे दोस्त
की बेटी है , अभी मेरे साथ रहे गी। उसे हीां मन था कक वो एक बार ये सब दे खे।" राचगनी के मुँह
ु से एक
ह्का सा सौरी तनकला। सातनया ने उसकी कुते को खोलने के बाद उसकी समीज (स्लीप) भी तनकल दी।
राचगनी काले रां ग की एक साटन ब्रा पहने थी। राचगनी की सपाट पेट दे ख मैं मस्त हो रहा था। चचु चयाुँ
भी मस्त थी, एक दम ठ्सस्स। १८ साल की लड़की की जैसी होनी चादहए। मैं उसकी गदराई जवानी को घरु
रहा था। सातनया ने उसके सलवार की डोरी खीांची, और उसको नीचे कर ददया। उसने काले रां ग की जाली-
दार लेस वाली पैन्टी पहनी हुई थी। पैन्टी में से भी उसकी चुत अपने ़िुले होने का आभास दे रही थी।
सन्
ु दर सी लम्बी टाुँग,े एक दम ह्के ह्के रोएुँ थे जाुँघों पे। उसके जवान बदन को मस्त तनगाह से
दे खते हुए मैंने कहा-"अब रहने दो सातनया, तम
ु आराम से दे खो बैठ कर, बाकक मैं कर लुँ गा।" क़िर मैंने
प्यार से राचगनी को बाुँहों में उठाया और बेड पे सलटा उसके ओठ चुमने शर
ु ककये। दो समनट भी नहीां
लगा, और राचगनी के रे स्पौंस मझ
ु े समलने लगे। सातनया अपने कैप्री-टी-शट़ में पास ही चेयर पे बैठ गयी
थी। मैंने राचगनी की ब्रा खोल दी, और उसके चचु चयों से खेलने लगा। उसकी ठस्स चचु चयाुँ आजाद हो कर
झम
ु ने लगीां। एक बड़े से सांतरे के आकार की थी उसकी चच
ु ी, जजस पर भरे रां ग का तनप्पल मस्त लग
रहा था। मैं उन्हें कभी चम
ु ता, कभी चाटता, कभी तनप्प्ल खीांचता, कभी दबाता... मेरे दोनो हाथ भी कभी
इधर तो कभी उधर मजा ले रहे थे। करीब दस समनट चम्
ु मा-चाटी के बाद मैंने राचगनी की पैन्टी उसके
कमर से खखसकाई, तो उसकी झाुँटो भरी बरु के दश़न हुए। मैंने राचगनी की झाुँटों पे हाथ ़िेरा। उसके
झाुँट करीब आधा-पौन इांच के थे। उसकी चत
ु पर मैने अपनी ऊुँगली घम
ु ाई और अांदाजा लगाया कक सही
में उसकी अभी चद
ु ाई ऐसी नहीां हुई है , जैसी आम रन्डी की हो जाती है । अभी भी वो घर का माल ही थी,
सरु ी ने सही कहा था। उसकी चत
ु ड़ों का भी मैंने जायजा सलया, गोल-गोल, मल
ु ायम गद्देदार। उन चत
ु ड़ों को
ह्के से मैंने दबाया क़िर उनपर एक ह्की चपत लगाई। मैंने उसके चत
ु को सुँघ
ु ा, सभ
ु ान्लाह..., कया
जवानी की खश्ु ब समली मझ
ु े मेरे लन्ड ने एक अुँगराई ली। मेरे मुँह
ु से तनकला-"बहुत मस्त चीज हो मेरी
जान", उसे अब तक चप
ु दे ख मैंने कहा-"थोड़ा बात-चीत करते रहो स्वीटी, वना़ मजा नहीां आयेगा।" उसने
कहा-"ठीक है सर"। मेरे ददमाग ने मझ
ु े उकसाया तो मैं बोला, "अब ऐसे सर-सर ना करो। मझ
ु े तम
ु डासलिंग
कहो, राजा कहो, जान कहो, ऐसा कुछ कहो", तो राचगनी बोली-"अभी ऐसा सब बोलने की आदत नहीां हुई
सर, सौरी डासलिंग", क़िर बोली-"मैं डासलिंग नहीां बोल पाउुँ गी, आप मेरे से बहुत सीतनयर हैं।" मझ
ु े मौका समल
गया, मैं तो अब राचगनी में सातनया को दे ख रहा था, सो मैंने कहा-"ठीक है , तो तम
ु मझ
ु े अांकल तो कह
सकती हो?" राचगनी मस्
ु कुराई-"ठीक है अांकल"। अब मैंने कहा-"राचगनी, आज मझ
ु े अपनी झाुँट बनाने दो,
इसके तम्
ु हें मै, ५०० र० और दुँ ग
ु ा। वो चुप रही तो मैंने सातनया से कहा की वो शेपवांग ककट और पानी ले
आए। सातनया तरुां ां त उठ कर चली गई। वो जब तक आई, मैंने राचगनी को बेड पे टौवेल बबछा उस पर
बबठा ददया था। मैंने राचगनी को पहले पलट कर घोड़ी बनने को कहा, क़िर पीछे से उसकी गाुँड़ और चुत
के आस-पास के बाल पहले कैं ची से काट कर क़िर रे जर से शेव कर ददया। बड़े प्यार से मैने उसकी झाुँट
बनाई थी, और सोच रहा था काश एक ददन ये साली सातनया की झाुँट बनाने क मौका समले तो मजा
आए। मैंने राचगनी को अब सीधा सलटा ददया और साईड से उसकी झाुँटो को कैं ची से काटने लगा। चुत
की ़िाुँक के ठीक उपर और चुत की होठ पे तनकले बाल रे जर से सा़ि कर ददए। अांत में मैंने उसके झाुँटों
को दोनो तरह से तछलना शर
ु ककया। सीधा-उ्टा दोनो तऱि से रे जर चला कर मैंने उसकी झाुँट दोनो
साईड से छील दी, और बीच में जो जैसे था छोड़ ददया। करीब दस समनट बाद राचगनी की बरु एक दम
सा़ि हो चमक उठी थी, उसके बरु के ठीक उपर से जहाुँ से लड़ककयों की झाुँट शर
ु होती है वहाुँ तक
करीब आध इांच चौड़ी एक पट्टी के तरह अब झाुँट बची हुई थी। नाप के दहसाब से बोलुँ तो करीब तीन
इांच लम्बी और आधा इांच चौड़ी और करीब पौना-एक इांच लम्बी झाुँटों से अब राचगनी की बरु की
सन्
ु दरता बढ़ गई थी। मैं अपने कलाकारी से सांतटु ट हो कर कहा-"दे ख लो सातनया, यही है , लैंडडांग स्ट्रीप,
दतु नया की सबसे ज्यादा मशहर झाुँट की स्टाईल" राचगनी की भी नजरें मेरे कला की दाद दे रहीां थी। मैंने
कहा-"राचगनी, जाओ एक बार क़िर से चुत धो कर आओ।" वो टौवेल में अपने कटे हुए झाुँटों को ले कर
बाथरूम में चली गयी। सातनया भी शेपवांग ककट रखने चली गयी, तो मैंने अपने कपड़े उतार ददए, और परु ी
तरह से नांगा हो कर अपना लन्ड सहलाने लगा। मैं सोच रहा था कक कैसे सातनया मेरा लन्ड दे खेगी।
सातनया पहले लौटी। मझ
ु े नांगा दे ख थोड़ा दहचकी, पर मैं बेशम़ की तरह उससे नजरे समला कर लन्ड से
खेलते हुए बोला-"बैठो आराम से डेढ़-दो घन्टे तो पेलुँ ग
ु ा ही उसको। अगर तम्
ु हें बरु ा लगे तो तम
ु चली
जाना सोने के सलए। मझ
ु े तो अपना पैसा भी वसल करना है ।" सातनया थोड़ा लजाते हुए कुसी पे बैठ
गयी। राचगनी अब टौवेल से अपने चत
ु को पोछते हुए रूम में आई और टौवेल को एक साईड ़िेंक ददया।
मैंने उसको कहा-"आओ राचगनी, जरा लन्ड से खेलो एक बार पहले तनकाल दो, क़िर तम्
ु हारी चत
ु चस
ु कर
तम
ु को भी मजा दुँ ग
ु ा। कोई खझझक मत रखो। अब थोड़ी दे र भल जाओ कक तम
ु कौल गल़ हो और पैसे
ले कर चद
ु ाने आई हो। आराम से सेकस करो, जैसे प्रेमी-प्रेसमका करते हैं। तम्
ु हे भी मजा आयेगा और मझ
ु े
ही।" वो मेरे सामने घट
ु नों पे बैठ गयी और प्यार से मेरे लन्ड को जो अभी तक लगभग ढीला ही था
अपने कोमल हाथों में पकड़ सलया। मेरा लन्ड अभी कोई ५" का था ढ़ीला सा, काला। उसने दो चार बार
अपने हाथ से परु े लन्ड को ह्का-ह्का खीांचा और क़िर मेरे लन्ड की टोप से चमड़े को पीछे करने लगी।
पर चमड़ा तो पीछे दटकता तब जब लन्ड कड़ा होता, सो वो बार-बार आगे आ जा रहा था। मेरे हाथ उसके
कांधों तक ़िैले बालों के साथ खेल रहे थे। राचगनी ने क़िर मेरे लन्ड को मुँह
ु मे ले सलया और चस
ु ने
लगी। धीरे -धीरे मेरे लन्ड में सर
ु र आने लगा, वो अब थोड़ा खड़ा हो रहा था। करीब दो समनट की चस
ु ाई
के बाद मेरा लन्ड ठीक से खड़ा हो गया। उसकी परु ी लम्बाई करीब ८" थी। राचगनी भी मस्ती से लन्ड
चुस रही थी, और मेरे अांड्कोर् तथा झाुँटों से खेल रही थी। लड़की धांधे में नई जरर थी, पर लन्ड चुसने में
उस्ताद थी। मझ
ु े खुब मजा दे रही थी। मैं राचगनी की तारी़ि की, "वाह राचगनी मजा आ गया, तम
ु तो
बहुत उस्ताद हो यार, वाओ, मजा आ रहा है "। राचगनी ने एक नजर मेरे से समलायी और क़िर मेरे लन्ड
को दोगन
ु े जोश से चुसने लगी। कोई ७-८ समनट में मझ
ु े लगा की मैं झड़ जाऊुँगा। मैं अभी ५-७ समनट
और रक कर झड़ना चाहता था इससलए राचगनी को कहा-"आअह, अब रको बेटा। मझ
ु े जोर की स-ु सु आई
है ।" राचगनी ने लन्ड मुँह
ु से बाहर कर ददया। मैं तो थोड़ा समय चाहता था कक लन्ड एक बार थोड़ा
रे लक
ै स हो ले तो क़िर चुसवाऊुँ, सो मैं बाथरम की ओर नांगे ही चल ददया। बाथरम में मैं सन
ु रहा था कक
राचगनी और सातनया बात कर रही हैं। राचगनी ने उससे पछा कक वो कब ज्वाईन करे गी? तब सातनया ने
कहा कक वो सस़ि़ दे खेगी अभी सब। राचगनी ने कहा-"कयों आ जाईए दीदी, आपको भी मजा आयेगा"। पर
सातनया ने छोटा सा जवाब ददया, "नहीां ऐसे ही ठीक है।" मैं समझ गया कक ये साली सातनया आसानी से
नहीां चुदेगी, "साली कुततया", मैं बड़बड़ाया। अब तक पेशाब करने के बाद मैं लन्ड को पानी से धोया और
वो अब तक आधा ढ़ीला हो चुका था, जैसा मैं चाहता था। मैं रम में आ गया, बेड पर लेट कर कहा-"यहाुँ
आ जाओ और चुसो, एक पानी तनकाल दो मेरी। तम
ु भी तो नीचे बैठ कर थक गयी होगी।" राचगनी ने
क़िर से मेरे लन्ड को मुँह
ु में डाला और शर
ु हो गयी। मैं अब सातनया साली को उसके हाल पर छोड़
राचगनी से मजे लेने की मड
ु में आने लगा था। मेरे मुँह
ु से अनायास तनकलने लगा, "वाह स्वीटी, बहुत
खुब...., अच्छा चुसती हो लन्ड, मजा आ गया..."। राचगनी भी लन्ड मुँह
ु से बाहर करके कहा-"थैकय,ु
अांकल", और क़िर से चुसने लगी। मैं बोल रहा था-"बहुत खुब बेटा, चुसो और खेलो इसके साथ... आज
तम्
ु हें बहुत मजा दुँ ग
ु ा, तम
ु बहुत अच्छी हो.. थोड़ा हाथ से भी करो रानी...मैं तम्
ु हें ससखाऊुँगा कक कैसे मद़
को खश
ु ककया जाता है , वेरी गड
ु ... ऐसे ही करो" राचगनी ने हाथ से लन्ड सहलाना शर
ु ककया और
अांड्कोश को चाटने लगी, "अब ठीक है , अांकल?" मैंने जवाब ददया-"हाुँ बेटी, बहुत अच्छा... सही कर रही
हो..आआआह्ह्ह्ह मजा आ रहा है , चस
ु े अब और तनकल कर सारा माल खा जाओ.." रचगनी जोर जोर से
अब लन्ड चस
ु रही थी। मैं झड़ने की जस्थतत आने पर बेड से उठा और क़िर राचगनी को कहा, "मुँह
ु खोलो
बेटा, सब खा जाओ", और उसके मुँह
ु में झड़ गया। राचगनी भी सहयोग करते हुए सारा तनगल गयी, चस
ु
चाट कर लन्ड सा़ि कर ददया। लन्ड अब ह्के-ह्के ढीला होने लगा। मेरा परु ा ध्यान अब राचगनी पर
था, सातनया को मैंने उसके हाल पे छोड़ ददया था। मैंने अब राचगनी को कहा कक अब वो आराम से लेटे,
और मैं अपनी ऊुँगसलयाुँ उसकी ताजा ताजा सा़ि हुई चत
ु पर घम
ु ाई। उसकी चत
ु एक दम गीली हो गयी
थी, ऐसा लग रहा था कक पसीज रही हो। मैंने एक नजर सातनया पे डाली, वो एक टक बेड पे दे ख रही थी,
उसकी नजर भी राचगनी की चत
ु पर थी। मैं झक
ु ा और एक प्यारा सा चम्
ु मा उसके चत
ु की ़िाुँक की
उपर की साईड पर चचपका ददया, ’मजा आया राचगनी बेटा?" ह्के से काुँपती आवाज में उसने कहा, "हाुँ
अांकल बहुत, आप बहुत अच्छे हैं"। मैं अब अपनी जीभ उसके चत
ु की ़िाुँक पर घम
ु ा रहा था और
नमककन पानी चाट रहा था। क़िर मैंने उसके पैरों को ़िैला कर उसकी चत
ु खोल ली और उसके चत
ु तो
चाटने चुसने लगा। राचगनी कभी आह भरती, कभी सससकती, तो कभी एक ह्का सा उउउउउउम्म्म्म्मम्म
आअह्ह्ह...। उसे मजा आने लगा था। लड़की चोदते हुए मझ
ु े करीब २५ साल हो गए थे, और मैं अपने
अनभ
ु व से ककसी भी रन्डी को मस्ती करा सकता था। राचगनी तो अभी भी बतछया ही थी मेरे सलए, जब
कक मैं एक साुँढ़, जो शायद तब से चत चोद रहा था जब से इनकी मम्मी चुदाना भी नहीां शर
ु की थी। मैं
अब राचगनी को सातों आसमान की सैर एक साथ करा रहा था। थोड़ी दे र बाद मैंने राचगनी की चुत से
मुँह
ु हटाया। वो बब्कुल तनढ़ाल ददख रही थी। मैंने उसको तककये के सहारे बबठा ददया और अपने दादहने
हाथ की बीच वाली ऊुँगली चुत में घस
ु ा दी। क़िर उपर की तऱि उुँ गली को चलाते हुए राचगनी के जी-
स्पौट को खोजना शर
ु ककया, और तभी राचगनी का बदन ह्के से काुँपा। मझ
ु े अपने खोज में स़िलता
समल गयी थी। मैने अपने उुँ गली से चत
ु के भीतर उस जगह कुरे दना शर
ु ककया तो राचगनी मचलने लगी-
"आआआआआअह्ह्ह्ह्ह अांकल , उउईईईमाुँ.... इइइस्सस....। अचानक वो छटपटाई, अर क़िर एक दम से
ढीली हो गयी। मैं समझ गया कक साली को पहला चरमसख
ु समल गया। मैने ऊुँगली बाहर तनकाल ली।
उसको पहली बार जी-स्पौट का मजा समला।
सातनया का ग्रप
ु सेकस -२
-- मैं उम्मीद कर रही थी कक शायद आज अब्ब मेरी छाती छुएुँ। पर अब्ब ने मेरे हाथ से ग्लास ले सलया
और खुद पीने लगे। मैं उनकी गोदी में बैठ कर हीां खद
ु से अपनी चुची सहलाई। चाच यह दे ख बोले, "कया
जमील, बेटी को तड़पा रहे हो। दो मद़ के रहते इसे खद
ु से अपनी चच
ु ी मसलनी पर रही है ", कहते हुए वो
मझ
ु े अपनी गोदी में खीांच सलए और मेरी चुची को सहलाए। मैं उन्हें परु ा सहयोग दे रही थी। अब्ब के
सामने शमा़ने की कोई जररत थी नहीां, बज्क मैं तो चाह रही थी कक अब्ब खद
ु बेशमी करने लगें । पर वो
तो इधर उधर नजर कर रहे थे, और ऐसे कर रहे थे जैसे उन्हें मझ
ु े दे खने में कोई ददलचस्पी नहीां है । मैं
अब उन्हें भल कर चाच के साथ पर ध्यान लगा कर अपने चेहरे को थोड़ा उपर कर ददया और चाच मेरे
होठ चुमने लगे। क़िर चाच ने अपना हाथ मेरे जाुँघ पर रखा और धीरे -धीरे मेरा स्कट़ उपर करने लगे।
जैसे हीां मेरा स्कट़ परु ी तरह उपर हुआ और मेरी चत नांगी हुई, अब्ब बोल पड़े-"छीः, बहुत गन्दे हो तम
ु
दोनों। मैं यहाुँ सामने बैठा हुँ और इस तरह की हरकत कर रहे हो।" मैं चाच के सीने को सहला रही थी
और वो मेरे बर के आस-पास की चमड़ी छ रहे थे। चाच बोले-"यार जमील ऐसे भड़को मत मेरे दोस्त।
तम
ु बाजी हारे हुए हो, और शत़ के मत
ु ाबबक तो मझ
ु े सातनया को कम से कम एक बार तो तम्
ु हारे सामने
चोदना हीां है । सातनया को सब पता है और जब वो तम्
ु हारे सामने चुदवाने को तैयार है तो तम
ु भी
आराम से बैठो और दे खो आज एक दम लाईव शो। परु ी दतु नया ककतने सारे पैसे खच़ करके दे खती है
चुदाई का लाईव शो, तम्
ु हें तो हम फ़्री में ददखा रहे हैं।" क़िर वो मझ
ु से पछ
ु े -"कयों सातनया बेटा, तम्
ु हें कोई
प्रोबलेम है जमील के सामने चुदाने में?" मैं तपाक से बोली-"मझ
ु े कोई परे शानी नहीां, मझ
ु े तो अपने खुद के
मजे से मतलब है और आपके साथ बहुउउउउउउउउउउउउउत मज्जा आता है चाचा जान...।" मैंने अपनी
आवाज में एक सेकसी टोन पैदा ककया और एक सेकसी उह्ह्ह्ह्ह कर दी। चाच मझ
ु े गोदी से उतार कर
खड़े हो गये और अपने जीन्स पैंट की जजप खोल ददए। मैं इशारा समझ गयी और उनके सामने घट
ु ने पर
बैठ कर अपना हाथ पैंट के खुले जजप के भीतर डाल उनके लन्ड को पकड़ कर बाहर खीांच ली। मैंने अब्ब
के तऱि दे खा भी नहीां पर जजस ऐांगल से हम दोनो उनके सामने थे, मझ
ु े पता था कक उनको सब एक
दम सा़ि ददख रहा होगा। चाच का लन्ड आधा कड़ा था, और मैं उसको अपनी मट्ठ
ु ी से ह्के-ह्के सहलाई
तो चाच बोले कक थोड़ा चुसो सातनया। और मैंने अपने होठों पर जीभ घम
ु ा कर होठ को गीला ककया और
चाच के लन्ड को मुँह
ु में भर ली। चाच मेरे सर को पकड़ कर अपना लन्ड मेरे मह
ुँु में पेलने लगे और
तब मैंने अपने अब्ब की तऱि ततरछी नजर से दे खा। हमारी नजर समली तो वो अचानक उठ गए-"छीः
छीः..., हद हो गयी", उनके मुँह
ु से तनकला। वो वहाुँ से चले गये। पर हम दोनों अब कहाुँ रकने वाले थे।
आज पहली बार अपने घर पर अब्ब की मौजुदगी में मैं चुदाने जा रही थी। यही बात मझ
ु े एकस्ट्रा मजा
दे रही थी। करीब १० समनट एक-दस
ु रे को चुमने-चाटने के बाद चाच ने मझ
ु े जमीन पर ही सलटा ददया
और उपर से चढ़ गए। अब तक मैं ह्की ससस्कारी भर रही थी पर अब जब मेरी मस्त चद
ु ाई शर
ु हुई
तो मैं जोर-जोर से चीखने लगी। मैं बड़े गन्दे शब्द बोल रही थी। मझ
ु े पता था कक अब्ब पास हीां हैं और
वो सब सन
ु सकते हैं। मैं उन्हें सन
ु ाने के सलए खुब मस्त हो कर कराह रही थी और अनाप-शनाप बक
रही थी। चाच भी सब समझ रहे थे और मझ
ु े चोदते हुए खुब सारी गासलयाुँ बक रहे थे। वैसे तो हम दोनों
जब भी चद
ु ाई गेम खेलते, एक-दस
ु रे को गासलयाुँ दे ते रहते, पर आज की बात हीां कुछ और थी। आज हमें
पता था कक हम दोनों की आवाज आज कोई और भी सन
ु रहा है जो बहुत स्पेशल है । हमारी बातें जो हो
रहीां थी उसकी एक झलक मैं आपको बताती हुँ। मैं - "आआह्ह चाचा जान मजा आ रहा है , खुद चोददए
मझ
ु े। वाह और जोर से डासलए.." चाच - "सही बात कह रही हो, बहुत मजा आ रहा है । चुदो आज तम
ु
मस्त हो कर। यह लो एक जोर का धकका अपनी बर के भीतर, लट
ु ो मजा अपनी जवानी का।" मैं -
"वाआआअह्ह, और जोर से इइइइइइइस्स्स्स्सस्स्स्स्स, आअह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह हुम्म्म्म्म" चाच - "ये लो
बेटी, यह लो यह लो एक और लो एक धकका और लो" मै - "वाह, बहुत अच्छा से चोद रहे हो चाच,
इस्स्स्स्सस्स्स्स मेरे बर को खुब चोदो, जम कर चोदो। मेरी बर तम्
ु हें मजा दे रही है कक नहीां?" चाच -
"अरे मेरी ब्
ु बल
ु , बहुत मजा दे रही है तेरी बर। एक दम शानदार है , मकखन बर है तेरी मेरी जान। चद
ु
आज जम कर साली। मेरी रन्डी बन कर चद
ु साली आज। मैं - "मझ
ु े तो आप रन्डी बना ददए मेरे जान,
अब जैसे चोदो वैसे चुदां ग
ु ी तम
ु से मेरे राजा, मेरे चाचा, मेरे हुजर मेरे मासलक..., इस्स्स्स्सस्स्स्स्सस्स
आआआआआह्ह्ह्ह््ह्ह्ह्ह््ह्ह्ह्ह््ह मैं तेरी बाांदी हुँ, मझ
ु े खब
ु चोदो, जम कर पेलो मेरे बर में अपना लन्ड
मेरे आका इइइइस्स्स्स्सस्स आआआआआआअह्ह्ह्ह््ह्ह्ह्ह््ह्ह्ह्ह््ह्ह्ह्ह्ह।" चाच - "ले साली चद
ु , साली
कुततया, साली रन्डी साली हराम जादी मेरी बाांदी हो तो साली सड़क पर चद
ु ो एक बार गाुँड़ खोल कर
अपनी गाुँड़ मराओ ककसी कुतते से साली रन्डी। मैं - कुतते से कयों, तम
ु से गाुँड़ मराऊुँगी रे साले भुँरवें , साले
मादरचोद। अपनी भतीजी को चोद रहे हो और उसको रन्डी बना ददए। साले तम
ु तो पकके हरामी हो, बेटी-
चोद हो साले। चाच - "ज्यादा ़िऱिरा मत साली कुततया। नहीां तो तेरी इसी बर से बेटी पैदा करके उसको
तम्
ु हारे सामने चोद दुँ ग
ु ा, जैसे तम्
ु हें आज तम्
ु हरे बाप के सामने चोद रहा हुँ।" मैं - मेरा बाप यहाुँ नहीां है
साले ......... आआआअह्ह्ह्ह इस्स्स्स्सस्स्स्स्स" चाच - "तेरा बाप साला सब सन
ु रहा है , शम़ से हट गया
है , पर सब दे ख रहा होगा ककसी छे द से। साला एक कुँु वारी चत के सलए बेटी को चद
ु ा रहा है । दे खना एक
ददन वो तम्
ु हें भी चोदे गा।" मैं - "मैं तो कब से अपने बाप से चद
ु ाने के सलए तैयार हुँ, पर उसे मैं बेटी
ददखती हुँ, माल नहीां ददखती जबकक परु ी दतु नया को मैं माल ददखती हुँ। मैं आपको माल ददखती हुँ न?"
चाच - "हाुँ रे साली मेरी कुततया, त जबद़ स्त माल ददखती हो। ददखती कया हो, तम
ु माल हो माल। ऐसा
माल जजसको सब चोदना चाहें । चद
ु साली चद
ु , और चद
ु रन्डी साली।" हम दोनों अब सब कुछ सा़ि बोल
रहे थे। अब तो अब्ब को तनशाना बना कर बोल रहे थे। चाच भी जम कर मेरी बर को चोदे थे आज।
थोड़ी दे र बाद चाच ने मझ
ु े पलटने को कहा और मैं पलट गयी। अब मैं कुततया बनी हुई थी और चाच
कुतते की तरह मझ
ु े चोद रहे थे और वैसे हीां हाुँ़ि रहे थे। उनकी जाुँघ मेरे चुतड़ से टकरा टकरा कत थप-
थप की आवाज कर रही थी। मैं मजे से मदहोश हुई जा रही थी। तभी चाच बोले-"आह बेटी अब मेरा
तनकलेगा, कहाुँ लोगी ज्दी बोलो।" मैंने बोली-"मुँह
ु में मुँह
ु में " और चाचा के लन्ड के बाहर तनकालते हीां
मैं वहीां जमीन पर ह्के से ऊठी की वो अपना लन्ड मेरे मुँह
ु में ठाुँस ददए। और मेरे अब्ब को जैसे
सन
ु ाते हुए बोले-"मराओ अब मुँह
ु सातनया। तम
ु परु ा रन्डी हो गयी हो। बाजार में सबसे मांहगी बबकोगी।
चुस कर खा जाओ मेरा रस। आह्ह्् आआआआह्ह" और वो मेरे मुँह
ु में झड़ गये। मैंने उनका सब माल
पी सलया, और ऐसा तो मैं पहले भी कर चक
ु ी हुँ। जब मैं सातनया के मुँह
ु में झड़ रहा था तभी जमील घर
के भीतर से बोला-"अब ज्दी खतम करो तम
ु लोग, मझ
ु े जरा बाहर जाना है , एक काम है ।" उसके आवाज
में अब वैसी नाराजगी नहीां थी जैसी नाराजगी दे खा कर वह वहाुँ से हटा था। असल में हम बाहर वाले
कमरे में ही चद
ु ाई का खेल खेल रहे थे और घर के बाहर जाने के सलए उस रम में आना ही होता। मैं
सातनया की मुँह
ु में पपचकारी छोड़ते हुए कहा, "खतम हो गया है यार, पपचकारी छुट गयी। जाना चाहते हो
तो जाओ, रम में थोड़ा नजर ़िेर लेना अगर अधनांगा बदन न दे खना हो तो।" सातनया अपना हाथ अपने
कपड़े की तऱि बढ़ाई, तो मैंने उसका हाथ थाम सलया और इशारे से कहा की वो मेरा लन्ड अपने मुँह
ु से
सा़ि करे । सातनया समझ गयी और क़िर से अपना चेहरा मेरे लन्ड की तऱि कर दी। मैं अब खड़ा हो
गया था, और अपनी कमर पर हाथ रखे था। सातनया जमीन पर घट
ु ने के बल बैठी थी। दोनों बब्कुल
नांग-धड़ांग थे। तभी जमील कमरे में आया। सातनया अपने दादहने हाथ से मेरे ़िुले हुए मदा़ने गोलों को
सहला रही थी और अपने जीभ से मेरे लन्ड से सलपसे स़िेद माल को चाट रही थी। मैं आराम से कमर
पर हाथ रख कर उससे लन्ड चटवा रहा था। अपने अब्बा को सामने दे ख कर वो लन्ड मह
ुँु के भीतर ले
ली, और क़िर हाथ बढ़ा कर अपने कपड़े से अपने चत को ढ़क सलया। जमील ने भरपरु नजरों से हमें दे खा
और ह्के से कहा-"बेहया लड़की..."। मैं हुँस ददया और अपना लन्ड सातनया की मुँह
ु से खीांच सलया और
झक
ु कर सातनया के होठ पर अपने होठ रख ददए। उसके होठों पर मेरे लन्ड का माल सलपसा हुआ था,
पर मझ
ु े इसकी परवाह अब नहीां थी। जमील एक पल सब दे खा और क़िर घर से बाहर तनकल गया।
सातनया नांगे ही उठी और पानी लाने चली गयी। पानी पीने के बाद हमने कपड़े पहन सलए। क़िर मैंने
मोबाईल पर जमील को ़िोन ककया कक वो कहाुँ है । तब उसने कहा की उसका मन बहुत बेचैन हो गया
था मेरे और सातनया की करतत
ु दे ख कर और इसीसलए वो ऐसे हीां टहलने तनकल गया है । मैंने उसको
कहा कक अब वो आ जाए, मैं अपने घर जा रहा हुँ। एक और ग्लास पानी पी कर मैं तनकल गया। बाद में
सातनया ने मझ
ु े बताया कक जमील करीब १५ समनट बाद आया, वो चप
ु -चाप था। सातनया ने खाना लगाया
तो दोनों साथ हीां खाए। उसी डायतनांग टे बल
ु पर उसने सातनया से पहली बार खल
ु कर बात की और कहा
कक सातनया को ऐसे ककसी से नहीां चद
ु ना चादहए। सातनया को भी अब कोई खझझक रह नहीां गयी थी।
उसने खल
ु कर कह ददया कक अब वो जवान है और जवानी का मजा लट
ु ना चाहती है । उसने आगे कहा
कक जब जमील इस उम्र में कुँु वारी लड़की को चोदने जा सकता है तो कया वो अपनी मजी से मदहने में
दो-चार बार नहीां चद
ु ा सकती। उसके शब्द थे, "अब्ब, अब जब मझ
ु े पता चल गया है कक सेकस में ककतना
और कैसा मजा है तो अब मैं नहीां रक सकती इस मजा को लेने से। जब तक नहीां चुदी थी तब कक बात
और थी। पर अब जब मैं चुदाने लगी हुँ तो चुदाते समय समलने वाली मदहोशी का मजा लेना नहीां छोड़
सकती। अब्ब, आप तो मेरे से बड़े हैं, आपको तो पता है कक कैसा मजा है सेकस में। सच कहुँ तो अब्ब,
जैसे आपलोग को अलग-अलग लड़की के बदन से अलग-अलग मजा समलता है वैसे हीां एक लड़की को भी
तो अलग-अलग मद़ के लन्ड से अलग-अलग मजा आता है । दो-एक साल साल में तनकाह के बाद पता
नहीां कैसा घर समले, ककतना पदा़ करना पड़े, इसीसलए अभी हीां जजतना मजा ले सकती हुँ लेना चाहती हुँ।"
जमील कई तरह से सातनया को समझा रहा था और सातनया थी कक मान नहीां रही थी कक वो गलत है ।
सातनया हमेशा जमील को आईना ददखा दे ती कक कैसे जमील नयी लड़्की से सेकस करके मजा लेता रहा
है इन ददनों। जमील के पास सातनया के ऐसे सा़ि बोल का कोई जवाब नहीां था। वो समझ गया कक अब
सातनया नहीां रकेगी। सातनया भी जोश में कह दी-"दे खखए अब्ब, अब जो जैसे हो रहा है होने दीजजए, मैं
ध्यान रखग
ुुँ ी कक कोई गड़बड़ न हो। अगर अब आप मझ
ु े रोकेंगे तो, मैं दो-चार होटल में जा कर अपनी
़िोटो रख दुँ ग
ु ी कक मैं फ़्री में चुदने को तैयार हुँ। क़िर दे खना कैसे इस घर के दरवाजे पर लाईन लगेगी।"
जमील थोड़ा उदास हो चुप हो गया तो सातनया उसको खुश करने के सलए उसकी गोदी में बैठ गयी।
जमील अब भी चुप था तो सातनया ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी दादहनी चुची पर रख ददया और खद
ु
उसके होठ को चुम ली। वो जमील को खुल कर बोली-"अब्ब, अगर आप मझ
ु ें चोदना चाहते हों तो चोद
लीजजए ना। मैं आपको न नहीां करुँ गी, बज्क मझ
ु े खश
ु ी होगी। मैं आपको बहुत प्यार करती हुँ। एक बार
मझ
ु े मौका दीजजए, दतु नया कक ककतनी भी रन्ड़ी आप चोदे हों, मैं उन सब से बीस रहुुँगी, आप दे ख
लीजजएगा। कया मैं जवान नहीां हुँ कक सेकसी नहीां हुँ या सन्
ु दर नहीां हुँ? मेरा परु ा नांगा बदन आज आपने
दे खा, कया वो ककसी से कम है ? बोसलए अब्ब।" और उसने एक गहरा चम्
ु बन जमील के होठ पर जड़ ददया।
जमील अब एक बार गौर से सातनया को दे खा। सच तो ये था कक जमील को सातनया में माल ददखती तो
थी, पर उसके ददल में कांु ठा थी कक ये मेरी बेटी है , इसको कैसे चोदुँ ,ु पर अब इतना कुछ होने और दे खने
के बाद जमील का मन भी डोलने लगा था। उसने एक गहरी नजर से सातनया को दे खा और कहा वो सब
ठीक है बेटा पर मझ
ु े थोड़ा सोचने का वकत दो। क़िर वो खद
ु इस बार सातनया पर झक
ु ा और एक ह्का
चम्
ु बन उसकी गल
ु ाबी होंठ पर जड़ ददया और बेससन पर हाथ धोने चला गया। सातनया इतने से हीां खश
ु
हो गयी। उसे पकका यककन हो गया कक अब उसकी बर को उसका बाप जरर चोदे गा। अगली सब
ु ह जब
सातनया चाय ले कर जमील के कमरे में गयी तब वो बब्कुल नांग-धड़ांग थी। सब
ु ह-सब
ु ह जमील हुस्न की
हसीन मज्लका का यह रप दे ख चकरा गया क़िर सांभल कर बोला, "सातनया बेटा ऐसे मेरे सामने मत
आया करो, बड़ा अजीब लगता है । वैसे भी अभी थोड़ी दे र में कामवाली बाई आएगी और तम
ु ऐसे बनी हुई
हो।" सातनया ने कहा, "असल मे मैं अपने अब्ब की सब
ु ह हसीन बनाना चाहती थी इसीसलए आपको अपना
बदन ऐसे ददखाई। अब कपड़ा पहन लुँ ग
ु ी" कहते हुए उसने जमील का एक शट़ उसी कमरे के वाड्रोब से ले
कर पहने ली, जो उसकी आधी जाुँघ तक पहुुँच कर खड़े रहने पर उसकी चत को ढ़क रहा था। क़िर वो
जब चाय पीने के सलए जमील के बबस्तर पर उसके सामने पालथी मार कर बैठ रही थी तो उसने दे खा
की जमील की नजर उसकी दोनों जाुँघ के बीच क़िकस थी। वह अब अपनी जवान बेटी की बर के दश़न
करना चाह रहा था। सातनया को खुशी हुई कक उसके अब कामयाबी समल रही थी। उसका बाप अब उसके
जवान बदन में ददलचस्पी लेने लगा था। वह चाय पीते हुए अपने एक पैर को अपने छाती की ओर मोड़
सलया, दस
ु रा अभी भी बबस्तर पर वैसे हीां था जैसे पालथी मार कर बैठते समय था। इस तरह से जमील
को लगातार अपनी बेटी की चत ददख रही थी। जमील की नजर अपनी चत पर क़िकस दे ख सातनया
बोली, "ऐसे अगर आप ददन की शर
ु आत करें गे हो तो ददन अच्छा गज
ु रे गा।" जमील अपनी बेटी की बात
सन
ु कर हुँसा और कहा, "कब तक, जब तम्
ु हारी अम्मी आ जाएगी तब कैसे ऐसे ददन की शर
ु आत करा
पाओगी।" सातनया समझ गयी की अब उसके अब्ब रोज़ अपने ददन की शर
ु आत ऐसे हीां करने की चाह
रखते हैं। वह बोली, "वही तो, इसीसलए तो कह रहीां हुँ जब तक अम्मी घर पर नहीां हैं तब तक हम दोनों
जजतना मस्ती कर सकते है , कर लें। वैसे अम्मी के रहने पर भी इतना दश़न तो मैं अपने बदन का
आपको करवा हीां दुँ ग
ु ी रोज़, आप दे ख लेना। और क़िर जब मन हो तो के सलए चाच का घर है ना। वहाुँ
तो हम दोनों अकेले-अकेले जा कर मजा कर हीां सकते है और अगर आपका मन हो तो हम आपस में भी
मजा कर सकते है चाच कभी भी बरु ा नहीां मानेंगे। अच्छा अब्ब एक बात बताईए-कया आप कभी मझ
ु े
चोदें गे या बस ऐसे ही?"जमील अब सातनया के चेहरे को दे खते हुए बोला-"असल में सातनया, कल रात
सोने के पहले मैं बहुत सोचा। यह तो बब्कुल सच है कक तम
ु बहुत-बहुत ज्यादा हसीन हो और मैं हमेशा
हीां अपने को खश
ु -ककस्मत समझता रहा कक तम्
ु हारे सलए बदढ़या ररश्ता तय करते समय मझ
ु े परे शानी
नहीां होगी। मैं तो तम्
ु हारे ग्रैजुएशन के इांतजार में था, वना़ कई अच्छे ररश्ते आ रहे है तम्
ु हारी अम्मी की
ररश्तेदारी से, पर अभी तक तम्
ु हारी अम्मी हीां ना बोल रही हैं। क़िर पपछले कुछ समय में जो हुआ, मझ
ु े
पता चला कक तम
ु सेकसअ
ु ली ऐकटीव हो और मैं भी कई लड़्ककयों के साथ बाब के घर पर वह सब
ककया, तो अब मझ
ु े लगता है कक अगर तम्
ु हारा तनकाह आज तक टला तो इसकी वजह शायद यही थी कक
मझ
ु े अपनी बेटी का नांगा जजस्म दे खना था। उसको अपने दोस्त से चद
ु वाते दे खना था। अगर अ्लाह की
मजी इसमें ना होती तो कब का तम्
ु हारा तनकाह हो गया होता १६-१७ की थी तब से तम्
ु हारे सलए ररश्ते
आ रहे है । कल रात यही सोचते सोचते जब मझ
ु े यह लगा कक सब ऊपरवाले की मजी से हुआ है तब
मझ
ु े नीांद आ गयी। सो अब दे खो आगे कया होता है । तम
ु बताओ, तम
ु कब से यह सब कर रही हो और
हमें कुछ भनक भी ना लगी। जजस तरह से कल तम
ु बाब के साथ कर रही थी और जैसे बेलौस बोल रही
थी, लगता नहीां कक तम
ु नई हो इस खेल में । इतनी उमर हो गयी मेरी पर मैं ऐसा नहीां बोल सकता जैसा
तम
ु बोल रही थी और बाब के एक-एक बात का बड़ी बेहयाई से जवाब दे रही थी। तम
ु दोनों एक-दस
ु रे के
साथ मजा कर रहे हो यह जान कर भी मैं शायद घर पर रकता पर तम
ु दोनों की बात सन
ु कर मन में
अजब सा कुछ होने लगा और घर पर रकना मजु स्कल हो गया।" सातनया मस्
ु कुरा दी और बोली-"तब क़िर
आप वहीां रम में आ कर दे खे कयों नहीां हमलोग को वह सब करते, इस तरह से आपने जो चाच को वादा
ककया था वो भी परु ा हो जाता। आपको तो एक बार दे खना हीां है कक कैसे हम लोग चद
ु ाई का खेल खेलते
हैं।" जमील का जवाब था-"हाुँ सो तो है , एक बार तो मझ
ु े दे खना हीां होगा। पर उसके सलए दहम्मत जुटा
रहा हुँ। अपनी बेटी तो उसके शौहर से चद
ु वाते दे खने की तो ककसी की दहम्मत नहीां होती, यहाुँ तो मझ
ु े
अपनी बेटी को एक गैर से चुदवाते दे खना होगा।" सातनया खुशी से चहक कर बोली-"अरे कोई मजु श्कल
नहीां होगी। आप आराम से बैठ जाना, अब तो मझ
ु े आपके सामने परु ी तरह से नांगे होने में कोई दहचक
भी नहीां है और कल के सेकस गेम के बाद तो मझ
ु े बब्कुल भी खझझक नहीां रह गई है आपसे। बज्क
जैसा कक मैंने कहा भी कक मैं तो आपसे चुदाने को बेचन
ै हुँ। आप सामने बैठ कर दे खना, आपके सलए मैं
ऐसे मजे से चद
ु वाऊुँगी कक आपको भी ़िख्र होगा कक आपने भी कोई लाईव शो दे खा है ।" जमील मस्
ु कुरा
कर कहा-"हाुँ, कल के ट्रे लर को दे ख कर मझ
ु े भी समझ आ गया कक अगर इस लाईव शो को नहीां दे खा
तो अब तक का सब बेकार हो जाएगा। बस थोड़ी तैयारी करनी है , बाब से बात भी करना है ।...अच्छा अब
तम
ु जाओ और ठीक से कपड़े-वपड़े पहनो, बाई आनेवाली होगी काम करने और तम
ु ऐसे मेरे शट़ में उसके
सामने जाओगी, कया अच्छा लगेगा। ऐसे छोटे लोग दस जगह बात को नमक-समच़ लगा कर ़िैला दें ग,े
का़िी बदनामी हो जायेगी।" अब सातनया बोली-"ठीक है, जाती हुँ पर एक बार चम्
ु मा तो लीजजए प्यार
से।" जमील सातनया के होठों पर एक गहरा चुम्बन जड़ ददया। पर सातनया बोली, "और मेरे नीचे वाली
होठ का कया?" जमील दहचका-"कया बोल रही हो, तम
ु मेरी बेटी हो ना।" सातनया-"तो कया हुआ, ऐसा रहा
तो आप मझ
ु े ककस तरह चोद पाएुँगे? चसलए अब दहचक छोडड़ए और मेरे बर को एक प्यार भरा चुम्मा
दीजजए, उसको चुभलाईए एक बार तब हटुुँगी यहाुँ से नहीां तो ऐसे हीां टाुँग खोल कर आपने इसी बेड पर
लेट जाऊुँगी, बाई जो समझे।" सातनया के चेहरे पर एक कुदटल हुँसी थी। और जमील को हार मानना पड़ा।
वो सातनया की जाुँघो की तऱि झुका तो सातनया थोड़ा नीचे की ओर पसर कर ह्का सा लेट गयी और
अपनी जाुँघ खोल दी। जमील की नाक में सातनया के चत से तनकल रही एक ह्की खट्टी महक पहुुँच
रही थी। जमील बहुत एकसाईटे ड था, आज पहली बार सातनया की चत को इतने पास से दे ख रहा था।
पहली बार दे ख रहा था, उसकी चत की ह्के गल
ु ाबी होठ पर भी ८-१० बाल तनकल आए थे। उसकी झाुँट
अब थोड़ी तनकल आई थी, वैसे भी सातनया को झाुँट सा़ि ककए आज नौ ददन हो गया था। जमील के होठ
जब सातनया के बर पर चचपके तो सातनया का बदन थड़थड़ा उठा। सातनया के मह
ुँु से एक आआआहह्ह्ह्ह
तनकल गया। जमील ने उसके चत की दोनों होठों को अपने मुँह
ु में भर कर चभ
ु लाने लगा। सातनया
सससकी भर उठी। अभी १०-१५ सेकेण्ड हीां बबता कक बाहर की कौलबेल बज उठी। बाई आ गयी थी।
सातनया अपने कमरे की तऱि भागी और जमील अपने लग
ांु ी को ठीक करता हुआ दरवाजा खोलने चल
पड़ा।मैं तब शहर से बाहर था जब जमील का ़िोन मझ
ु े आया। वो आमने-सामने बैठ कर बात करने को
बेताब था। मैं समझ रहा था कक अब कोई दे र नहीां है , सातनया ने अपने बाप को पटा सलया है । खैर मैं
तीन ददन बाद शि
ु वार को सब
ु ह लौटा और शाम को जमील के घर पहुुँच गया। रास्ते में मैंने एक
पवयाग्रा की गोली खरीद कर खा ली। सातनया मझ
ु े बता चक
ु ी थी कक जमील हम दोनों की चद
ु ाई दे खने
को रे डी है , और उसने सातनया की चत पर चम्
ु मा भी सलया है । आज जब मैं जमील के घर जा रहा था
तब तय कर चक
ु ा था कक जमील दे खे या ना दे खे उस हसीन लौजन्डया की चत का बैन्ड आज दे ना था।
बस अब सोच की ददशा यह थी कक कैसे यह काम हो। क़िर मैंने अपने ददमाग को एक झटका ददया कक
चुदाई के खेल में कोई तनयम नहीां होता, बस जो होता है स्वमेव हीां होता है और वही सबसे शानदार
सेकस होता है । मेरा अपना अनभ
ु व तो यही था। और मझ
ु े पता था कक अब पवयाग्रा के असर से अब मैं
कम से कम तीन घन्टे लगातार बर में लन्ड की पजम्पांग कर सकता था, चाहे जजतनी बार भी झड़ुुँ। इतने
दे र में तो मेरे जैसा अनभ
ु वी कैसी भी औरत को पस्त कर दे ता, सातनया तो चाहे जजतना भी चद
ु ी हो आज
तक जजन औरतों का बैन्ड मैंने आज तक बजाया था, उनके सामने तो एक गाय की बतछया की तरह हीां
थी और था परु ा जवान साुँढ़। मैं पवयाग्रा कभी-कभी हीां इस्तेमाल करता था, और आज मझ
ु े लगा कक ऐसा
हीां एक ददन है । करीब ८ बजे मैं जमील के घर पहुुँचा, तो उसके चेहरे पर रौनक ददखी। सातनया भी
मस्
ु कुराते हुए समली तो मैंने उसके होठ को चुम कर उसका असभवादन ककया और बोला-"ओ सातनया,
पपछले पाुँच ददन से तम
ु मझ
ु े याद आ रही थी। आज मेरा बहुत मन है , तम
ु तैयार हो ना आज के सलए।"
सातनया का जवाब था, "मैं तो हमेशा हीां तैयार हुँ चाच आपके सलए, अभी खोलुँ ु कपड़े?" जमील बोला-"अरे
आराम से, आज रात यहीां रक जाओ हमारे साथ और साले आज तो मैं भी दे खग
ुुँ ा और अपना वादा परु ा
कर दुँ ग
ु ा।" मैं बोला-"कया बोला रे साले जमील, तु दे खग
े ा, कया सच में? सच कह रहा है ?" जमील हुँस कर
बोला-"हाुँ साले हरामी, पपछली बार तो सस़ि़ झलकी दे खी और सन
ु ा बहुत कुछ पर अबकक बार सब
दे खग
ुुँ ा।" मैं चहक कर बोला-"वाह मजा आ जायेगा, बाप के सामने बेटी की चद
ु ाई। वाह पहली बार ऐसा
मौका समलेगा मझ
ु े। दे ख साले अब तु बीच में भागने मत लगना, जब मैं सातनया की बर चोद रहा
होऊुँगा।" अब सातनया बोली-"अब नहीां भागें गे अब्ब, अब उनको भी सब की तरह मैं एक सेकसी माल
ददखने लगी हुँ", कह कर सातनया ने अपने अब्ब को दे खते हुए अपनी एक आुँख दबा कर एक मस्त
लौजन्डया की तरह आुँख मारी। यह सब दे ख और आगे की बात सोच मेरी बाछें खखल गयी। क़िर हम सब
पास के एक ढ़ाबे में गए और ह्का खाना खाया। पवयाग्रा खाए मझ
ु े करीब एक घन्टा हो गया था और
मेरा लन्ड टनटनाया हुआ था। घर लौटते समय हीां कार के भीतर हीां मैं सातनया के साथ चह
ु लबाजी करने
लगा था।
सातनया का ग्रप
ु सेकस -5
घर पहुुँचते हीां मैं तरु न्त सातनया को दबोच सलया और उसको इधर-उधर चम
ु ते हुए उसके कपड़े खो्ने
शर
ु कर ददए। सातनया भी मझ
ु े नांगा करने लगी। एक समनट से भी कम समय में हम दोनों मादरजात
नांगे थे। सातनया के चत पर ह्की-ह्की झाुँट उग आयी थी और उसकी गोरी चत पर एक कासलमा
बबखेर रही थी। साली चद
ु ने को बेताब थी। और मेरे लन्ड को बार बार पकड़ कर अपने चत से सभरा रही
थी, जबकक अभी हम दोनों हीां खड़े थे। मैं जमील के आने के इांतजार में था। तभी जमील कार को गराज
में लगा कर आ गया तो हम दोनों को नांगा दे खा और मस्
ु कुराया, "बहुत बेताबी है दोस्त..."। मैं बोला-
"साले, एक बार चोद ले तु भी सातनया की चत क़िर तु भी ऐसे हीां बेताब हुआ रहेगा अपने लन्ड को
इसकी बर के भीतर पाक़ करने के सलए। अब बोलो कहाुँ बैठ कर दे खोगे अपनी बेटी की चुदाई?" सातनया
बोली, "मेरे रम में चसलए रात को नीांद बाद में आप वहीां मेरे साथ सो जाईएगा।" हम सब सातनया के
कमरे में आ गये। सातनया ने अपने रीडडांग टे बल
ु के साथ वाली कुसी को बेड के पास खीांच ददया और
जमील को बैठने का इशारा ककया। जमील जब कुसी पर आराम से बैठ गया तब वो मेरे से सलपट गयी
और बोली-"चाच आओ और मझ
ु े आज जन्नत की सैर करा दो। अब्ब को मैंने वादा ककया है कक मैं उनके
सामने सबसे ज्यादा मस्त लड़की बन कर ददखाऊुँगी। आप मेरे वादे की लाज रखना और मझ
ु े ऐसे चोदना
कक मैं तघनी की तरह नाच उठुँ ।" मैं बोला-"क़िि मत करो सातनया बेटा, आज की चुदाई त जजन्दगी भर
नहीां भल
ु ेगी। पपछले ८ ददन से मैंने मठ
ु भी नहीां मारी है , सो आज तम्
ु हें खुब माल समलेगा, बार-बार
समलेगा। आज त एक कुतते के पप्ले की तरह कककीांया जाओगी।" जमील अब बोला-"साले हरामी, मझ
ु े त
कुतता बोल रहा है ?" मैं ़िट से जवाब ददया-"ठीक तो बोला हुँ, जब तम्
ु हारी बेटी एक कुततया बन कर मेरे
से चुदेगी, तो त भी तो कुततया का बाप कहलाएगा, और तब त कया रहे गा, सोच?" सातनया ने ह्के से
धकके के साथ मझ
ु े बबस्तर पर चगरा ददया और बोली, "अभी तो तम
ु घोड़े बनोगे और मैं तम्
ु हारी सवारी
करुँ गी।"अब मेरे कमर पर बैठ गयी थी और मेरे सीने पर चगर कर मझ
ु े चुम रही थी। क़िर वो सीधी हुई
और मेरा कड़ा लन्ड अपने हाथों से पकड़ कर अपने बर के छे द पर सेट की और क़िर उपर से धीरे -धीरे
अपना वजन डालने लगी। मेरा लन्ड भी धीरे -धीरे सातनया की पतनयाई हुई चत को परु ी तरह से खोलता
हुआ भीतर घस
ु ता चला गया। सातनया की आुँख बन्द थी, और उसके चेहरे के भाव को मैं दे ख रहा था
और जमील की नजर उस छे द पर थी जजसमें धीरे -धीरे मेरा लन्ड घस
ु रहा था। जब सातनया मेरा लन्ड
जड़ तक घस
ु ा ली तो आुँख खोल कर अब्ब को दे खा और पछी-"अब्ब आपको सब सा़ि ददखा, या एक बार
और लन्द बाहर तनकाल कर क़िर से भीतर घस
ु ाऊुँ?" जमील बोला-"ददखा तो ठीक-ठाक हीां, पर एक बार
और ददखा दोगी तो मेहरबानी होगी।" सातनया ़िट खड़ी हो गयी और मेरा लन्ड एक ’़िकक’ की आवाज
के साथ उसकी टाईट चत से तनकल गया। सातनया एल बार क़िर उसको पकड़ी और क़िर से उसको अपने
बर की छे द से सभरा कर धीरे -धीरे घस
ु ाई और इस बार उसकी नजर अपने बाप पर थी, और जमील की
नजर क़िर से सातनया के गोरी बर और उसमें घस
ु ते मेरे साुँवले लन्ड पर थी। जब परु ा भीतर घस
ु गया
तो सातनया बोली-"अब तो सब दे खे ना अब्ब, अब दे खखए कैसे मैं इस लन्ड को अपने बर से मथ दे ती हुँ,
एक मथानी की तरह", और सातनया अपना कमर ह्के-ह्के गोल-गोल घम
ु ाने लगी और मेरा लन्ड
लगभग आधा बाहर तनकल जाता क़िर भीतर घस
ु जाता। आज सातनया बब्कुल नये जोश में थी। कुछ
हीां क्षण में उसके मुँह
ु से सससकी तनकलने लगी। उसकी मस्त आवाज मझ
ु े भी मस्त बना रही थी। करीब
५ समनट बाद सातनया थक गयी और बोली-"अब चाच आप चोदो मझ
ु े उपर से थक गयी, मैं अब नीचे
लेटुुँगी।" सातनया मेरे उपर से हट गयी। उसकी बर से तनकल रहा पानी मेरे लन्ड से सलपटा हुआ था और
एक ह्की से धार उसकी बर से तनकल कर उसकी जाुँघों पर ़िैल रही थी। मैंने उसको सीध ठीक से
सलटाया और कह-"अभी हीां थक गयी, आज तो मेरा "चद
ु ाई स्पेशल" का प्लान है । कयों जमील, अब पता
चला कक तम्
ु हारी लाड़ली बेटी कैसा माल है ?" मैंने उसकी चद
ु ी हुई बर पर अपना मुँह
ु रख ददया और
आराम से उसकी चत के मदन रस का पान करने लगा। सातनया अब सनसनी से भर रही थी। मझ
ु े बार-
बार उपर आ कर चोदने को बोल रही थी, पर मैं भी पकका चुदककड़ था, ऐसे लड़की की बात कैसे मान
लेता वो भी तब जब उसका बाप सामने बैठ कर बेटी की तनगरानी कर रहा हो कक बन्दा उसकी बेटी को
ठीक से चोद रहा है या नहीां। सातनया की बर को चुस-चाट कर सा़ि करने के बाद एक दम ताजे जोश
के साथ मैंने अपना लन्ड साली की चत में पेल ददया और लगा उपर से उसकी चुदाई करने। वह अब
गले से आआह्ह्ह आअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह की आवाज तनकाल रही थी। मैं सातनया की सपाट पेट कर
अपना हाथ रख कर तेज गतत से उसकी बर चोद रहा था, और दे ख रहा था कक जामील साला लगातार
सातनया के चेहरे और उसकी चुद रही बर पर नजर गड़ाए हुए है । मैंने पछा-"ठीक से चोद रहा हुँ न
तम्
ु हारी बेटी जमील कक नहीां?" अब पहली बार हम दोनों की नजर समली। उसके चेहरे पर अजीब से लाज,
और घबड़ाहट और एकसाईट्में ट के भाव ददख रहे थे। पट्ठा अब यहाुँ से भागने वाला नहीां था। मैंने क़िर
पछा-"कैसी लग रही है बेटी की चद
ु ाई? ठीक है या कमी है कुछ मेरे चुदाई में?" वो बोला-"अब यह तो
सातनया हीां बताएगी।" सातनया बोली-"ओह चाच, चोदो मझ
ु े जोर-जोर से चोदो। मेरी बर का भोंसड़ा बना दो
आज।" मैं बोला-"पहले पापा को बता कक मैं उसकी बेटी को ठीक से चोद रहा हुँ या नहीां?" सातनया-"आह
अब्ब, चाच बहुत अच्छा चोदते हैं, मैंने जजनसे भी चद
ु ाया है आज तक चाच इज द बेस्ट। आपको दे ख कर
मजा आ रहा है या नहीां?" मैं सातनया को अब पलट रहा था, क़िर मैंने उसकी चुतड़ को उपर उठा ददया
और उसकी गाुँड़ की छे द को ऊुँगली से सहलाने लगा तो सातनया बोली, "नहीां वो सब नहीां अभी मेरी बर
की खुजली समटाओ साले भड़ुए मैं भी उस पर चढ़ गया। पीछे से उसकी बर थोड़ा ज्यादा ही सन्
ु दर
ददखती थी तो मैंने जमील को कहा कक वो एक बार थोड़ा नीचे झक
ु कर दे खे कक कैसे उसकी बेटी के बर
को पीछे से मैं चोद रहा हुँ। जमील साला, दतु नया की सारी मया़दा भल कर नीचे झक
ु गया और मैं उसकी
बेटी को चोदता जा रहा था लगातार। घच-घच-़िच-़िच की आवाज से सारा कमर गुँज
ु रहा था। मेरी जाुँघ
सातनया की चत
ु ड़ पर थाप दे रही थी और सातनया हर थाप के साथ जैसे एक हलके आआअह्ह का
आलाप कर रही थी। जमील साला आराम से नीचे बैठ कर अब अपनी बेटी की चद
ु रही बर को मजे से
दे ख रहा था। करीब २० समनट से मैं सातनया की बर चोद रहा था लगातार और अब मैं पहली बार झड़ने
वाली जस्थतत में आ गया था। जब मैंने कहा कक अब कहाुँ लोगी तो वो तरु न्त बेखझझक बोली "मुँह
ु में "
और झट मेरे लन्ड के सलए मुँह
ु खोल दी। मैं मुँह
ु तक लन्ड पहुुँचाऊुँ उसके पहले हीां पहली पपचकारी छुट
गयी और सब माल उसके चेहरे पर नाक और बाुँए गाल कर ़िैल गया। पर दस
ु री और तीसरी पपचकारी
जो छटी वो सही तनशाने पर गयी, सातनया की मुँह
ु में । सातनया अब अपने जीभ चाट चाट कर मेरा लन्ड
सा़ि की और क़िर अपनी ऊुँगली से अपने गाल पर के माल को भी पोंछ कर चाट सलया। एक-दो बद
ुँु जो
उसकी छाती पर चगरा उसे ककसी ब्ल-क़ि्म की हीरोईन की तरह उससे अपने चच
ु ी पर मसलश कर ली।
मैं तो पवयाग्रा की जोश में था और मेरा लन्ड ५% के करीब हीां ढ़ीला हुआ था। मैंने एक बार क़िर
सातनया को सलटा ददया और उस पर चढ़ गया। सातनया को ऐसी उम्मीद नहीां थी। वो जब तक समझे,
तब तक तो मैं एक बार क़िर अपना लौंड़ा उसकी बर में पेल कर उसकी बर की चद
ु ाई शर
ु कर चक
ु ा था।
वो बस आअह्ह्ह्ह््ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह््ह्ह्ह इइइइस्स्स्स्सस्स्स जैसे हीां शब्द बोल रही थी। जमील भी मेरे
इस जोश को दे ख चककत था। सातनया की बर कई बार थड़थड़ाई, वो भी चरम सख
ु पा चक
ु ी है , मझ
ु े पता
चल गया पर अभी रकने का नाम भी नहीां लेने वाला था मैं।सातनया अब थोड़ा शान्त हुई थी, पर ज्द
हीां मैं उसको पलटा और घोड़ी बनने को कहा। वो पोजजशन ले ली तो मैं उसकी चत को चुसना शर
ु कर
ददया। खुब चुस-चुस कर उसके चत के नमकीन सलससलसे पानी को मजा सलया। उसकी बर की खट्टी
महक में अब उसके बदन के पसीने की महक भी थी। पर जब मेरे जैसे मद़ पर चुदासी चढ़ी हो तो ऐसी
महक सस़ि़ और सस़ि़ खुश्ब हीां लगती है । क़िर मझ
ु े एक बात सझ
ु ी, मैंने जमील को कहा-"आओ एक बार
सुँघ
ु कर दे खो अपनी बेटी की बर। कैसी मस्त खुश्ब तनकल रही है इस छे द से। अभी-अभी झड़ी है ।"
जमील बेशम़ हो कर पछा-"कया सच में तम
ु झड़ी हो बेटा?" सातनया हाुँ़िते हुए बोली-"हाुँ अब्ब, चाच बेजोड़
हैं।" जमील पास आया और झुक कर सातनया की बर सुँघ
ु ा। मैंने कहा-"साले एक बार टे स्ट को कर", तो
वो अपने जीभ को सातनया की खुली हुई बर पर नीचे से उपर तक दो बार चलाया। मैंने कहा-"अब हट
साली घोड़ी बनी हुई है , पहले सवारी करने दे । मैं पीछे से उस पर चढ़ गया और अपना टनटनाया हुआ
लन्ड गच्च से उसकी बर में पेल ददया। मैंने उसके बाल को पकड़ कर पीछे खीांचते हुए एक बार क़िर से
उसकी चद
ु ाई शर
ु कर दी। बाल खीांचने से उसका चेहरा उपर उठ गया और उसका लाल भभक
ु ा चेहरा
उसके बाप के सामने था। आुँख बन्द था, औए मुँह
ु खल
ु ा हुआ। साली को ह्का सा दद़ दे ने के सलए मैंने
बाल को जोर से खीांच ददया और वोह करह उठी, पर अब तो उसको इन ददों की परवाह हीां नहीां थी।
जमील को उसका दद़ महसस हुआ और वो बोल पड़ा-"बाब धीरे से खीांचो, बेचारी को दद़ हो रहा होगा।"
मैंने अपनी पकड़ अब तक वैसे भी ढ़ीली कर दी थी। पर सातनया बोल पड़ी-"आह चाच ऐसे हीां करो, कोई
दद़ नहीां हो रहा मेरी चत में आग लगी हुई है , ज्दी उसको बझ
ु ाओ। चोदो खब
ु चोदो मेरी चत। आपको
मजा दे रही है कक नहीां मेरी चत। ़िाड़ दो आज इसको चोद कर, आप भी आज बहुत जोश में हैं। अब्ब
के सामने चत ़िट भी जाए तो कोई गम नहीां। आआआआआआअह्ह्ह्ह््ह्ह्ह चोद साले मादरचोद साले
हरामी, साले हरामजादे , चोद मादरचोद खब
ु चोद जोर से चोद दे खती हुँ ककतना दम है साले।" मैं अब
उसकी कमर को पकड़ कर तेज धकके लगाने लगा और दस
ु री बार उसकी चत थड़थड़ाई, वो क़िर से झड़ी
थी और यह सोचते हीां मेरी भी पपचकारी छुट गयी, पर इस बार मैं नहीां रका। जब मेरा स़िेद सा
सलससलसा माल उसकी बर से ह्का सा बाहर की तऱि आया तो जमील उठ खड़ा हो गया-"यह कया
ककया यार, इसके भीतर तनकाल ददए, अगर कुछ गड़बड़ हुई तो मैं तो कहीां मुँह
ु ददखाने लायक नहीां
रहुुँगा।" मैं अभी भी वैसे हीां पम्प ककए जा रहा था। जोश में बोल उठा-"साले आज जब बाप के सामने
बेटी चद
ु े तो मैं कयों डरूुँ, इतने ददन बाद आज एक बार इस रन्डी की बर में माल तनकालने तो दे । अब
इसको भीतर दर तक पहुुँचाना है । चल साली सीधा लेट हरामजादी, अब उपर से पेलुँ ग
ु ा तब यह सब माल
तम्
ु हारी बच्चादानी तक पहुुँचेगा।" सातनया तरु न्त पलट गई और अपने अब्ब की तऱि चेहरा करके बोली-
"आप की बदनामी नहीां होगी अब्ब, आप परे शान नहीां होईए।" जमील हकलाते हुए बोला-"पर अगर बेटी
कोई बच्चा रह गया तब कया होगा। अब तम
ु बच्ची नहीां हो जान।" मैं उपर से सातनया के बर के बाहर
तनकल रहे अपने स़िेद वीय़ को अपने लन्ड से समेट कर सब को उसकी बर के भीतर ठे लते हुए अपना
लौंड़ा भीतर घस
ु ा कर उसके चुचचयों को मसलते हुए बोला-"हाुँ रे जमील तेरी बेटी बच्ची नहीां है । इसीसलए
तो इसको चोद रहा हुँ। मस्त लौजन्डया है साली। चद
ु साली चुद।" और सातनया बोली-"अब्ब आप चचन्ता
नहीां कीजजए। अभी एक ददन पहले हीां मेरी पीररयड्स खतम हुई है , इसीसलए तो मैं आराम से चाच को
अपना माल भीतर चगराने दी। मझ
ु े जब उनका लन्ड धक
ु -धुकाया था तो पता चल गया था कक अब ये
छुटे न्गे। चोदो चाच, आराम से चोद कर भोगो मेरे चत को।" मैं ने कहा, "हाुँ रे साली, लगातार ४५ समनट
से ठुकाई हो रही है तम्
ु हारे चत की पता है तम्
ु हें ।" कहते हुए मैंने उसको बाुँए करवट कर ददय और क़िर
उसकी कमर पकड़ कर पजम्पन्ग शर
ु कर दी।" थोड़ी दे र बाद मैंने कहा, "अब बन कुततया साली।" सातनया
अब थोड़े कातर स्वर में बोली, "चाच अब आज छोड़ दो, बहुत थक गयी हुँ आज। बहुत दख
ु रही है मेरी
चत अब।" जमील भी उसका पक्ष सलया। पर मेरे जोश में कोई कमी नहीां थी, सब पवयाग्रा का कमाल था।
मझ
ु े पता था कक ऐसी मेहनत के बाद अगले दो ददन तक मेरा लन्ड दख
ु ेगा। पर अभी तो मझ
ु े अपना
मदा़ना जौहर ददखाना था जमील को उसकी बेटी को पस्त होने तक चोद कर। मैंने सातनया को अपने
हाथों से पलटा। वो तककए के सहारे ससर दटका ली तो मैंने उसकी कमर पकड़ कर उसकी चत को बबस्तर
से थोड़ा उपर उठाया। वो थकी-थकी से मव
ु मेन्ट के साथ मेरा साथ दे ने की कोसशश कर रही थी। मैंने
उसकी कमर को पकड़ा और उसकी बर को चोदने लगा। उसके मुँह
ु से कराह जैसी ससस्की तनकल रही
थी। मैं भी सोच रहा था कक अबकक बार इसकी बर में माल तनकाल कर साली को छोड़ दुँ ग
ु ा। मेरे धकके
से साथ उसकी कमर नीचे होती जा रही थी। ज्द हीां वो बबस्तर से लगभग सट गयी और मैं उसके पीठ
से चचपक कर तेज झटकों के साथ उसे चोदे जा रहा था। जोर के धकके के साथ वो सच में एक कुततया
की तरह कीांककया रही थी। मैं बोला-"अब जा कर बनी है तु असल कुततया रे साली रन्डी। सन
ु रहे हो
जमील, कैसी आवाज तनकल रही है इस कुततया की मुँह
ु से।" सातनया को अब इस सब बात से जैसे
मतलब नहीां था। जमील भी चप
ु -चाप सब दे ख रहा था कक मैं एक बार क़िर छुट गया। सातनया के बर के
भीतर हीां मैं क़िर से अपना माल तनकाल था। मैं करीब २० सेकेन्ड तक उसकी पीठ से चचपक कर लेटा
रहा क़िर उसके बदन पर से उठ गया। सातनया अभी भी वैसे ही लेटी हुई थी। मैंने उसको सीधा पलटा
और क़िर उसकी बर से बह रहे अपने स़िेद माल को अपनी ऊुँगली से काछ कर क़िर से उसकी बर में
डाल ददया। सातनया तनढ़ाल सी पड़ी थी तो मैंने एक-एक कर के अपनी दो उुँ गली उसकी ताजा चद
ु ी चत
में घस
ु ा ददया और ह्के ह्के उुँ गली से उसकी बर की माससल शर
ु कर दी। वो बब्कुल तनश्चल लेटी हुई
थी तो मैंने अपनी उुँ गली से उसकी जी-स्पौट की तलाश शर
ु कर दी। ज्दी हीां सातनया का बदन हरकत
में आया तो मैं समझ गया कक मझ
ु े उसका जी-स्पौट समल गया है । मैं अब जोर-जोर से उसके बर के
भीतर के इस जादईु बबन्द ु को अपनी बीच वाली उुँ गली से कुरे दने लगा। सातनया क़िर से करह उठी और
१० सेकेन्ड के भीतर स्खसलत हो गयी। उसके मुँह
ु से सस़ि़ एक उम्ह्ह्ह््ह्ह तनकली और उसकी आुँख
बन्द हो गयी। मैंने सातनया का चेहरा थपथपाया और पछा-"मजा आया बेटा आज? बोल न मेरी जान, मेरी
बल
ु बल
ु ।" सातनया ने आुँख खोली, उठी और मेरे सीने से सलपट गयी। मझ
ु े मेरे सवाल का जवाब समल
गया। मैंने कहा-"अब बेटा, एक बार जमील का लन्ड चस
ु कर झाड़ दो, साला का लन्ड नहीां तो बहुत दद़
करे गा। कयों बे जमील, तनकाल अपना लन्ड बाहर। मैं अब नहाने जा रहा हुँ, त चस
ु वा ले कम से कम
आज। क़िर कभी चोद लेना सातनया। आज इसको छोड़ दो अब।" कह कर हुँसते हुए मैं नांगे ही बाथरम
की तऱि चल ददया। -- करीब १० समनट बाद नांगे हीां लौटा तो दे खा कक सातनया अपने बर को जमीन पर
बैठ कर अपनी हीां पैन्टी से पोछ रही है और जमील से कुछ बात कर रही है । मझ
ु े ऐसे आते दे ख जमील
बोला, "कपड़ा कयों नहीां पहने?" मैंने मजाक ककया, "अभी तेरी बेटी चोदनी है दो-बार कम से कम और
तनकालुँ ग
ु ा उसकी चत के भीतर तब जाकर मेरा लन्ड मानेगा।" सातनया अब सच में डरी हुई आवाज में
बोली-"बाप रे , अब नहीां चाच प्लीज" और हाथ जोड़ दी, "क़िर कभी दो कया चार बार तनकल लेना मेरी बर
में पर आज प्लीज मा़ि कर दीजजए।" मैंने उसको ददलासा ददया कक मैं तो मजाक कर रहा था। उसे भी
राहत महसस हुई और वो बबस्तर पर एक सा़ि चादर बबछाने लगी। मैं अब आराम से उसी बबस्तर पर
नांगे हीां लेट गया तो जमील वहाुँ से उठा और अपना एक पैजामा लाकर मझ
ु े ददया। असल में मैं वहाुँ
रात गज
ु ारने की नीयत से आया नहीां था। मैं जमील का पैजामा ले कर अपनी साईड में रख सलया और
उसको गड
ु -नाईट बोला। वो समझ गया कक अब उसको वहाुँ से जाना चादहए। मैं आज सारी रात सातनया
से नांगे चचपक कर सोना चाहता था। जब तक सातनया नहीां आई, मैं अपने शानदार ककस्मत के सलए
भगवान को धन्यवाद दे ता रहा कक आज मेरी वर्ों की शाध परी हुई थी। आज मैंने सातनया को उसके
बाप के सामने चोदा था। मैं तो सातनया के बारे में तरह-तरह की बातें सोच-सोच कर कई सालों से मठ
मारता रहा था, ऐसा तब से मैं करता रहा था जब से सातनया १५ साल के करीब हुई थी और उसकी चची
के उभार उसकी शट़ में से ददखने लगे थे। पर तब की सोच में भी कभी यह नहीां सोचा था की जमील
की बेटी को एक ददन ऐसे चोदुँ ग
ु ा और साला जमील सामने बैठ कर अपनी बेटी को मझ
ु से चद
ु ाते दे ख
कर ऐसे खश
ु होगा और मजा लेगा। अब तो मैं सोचने लगा था कक कैसे जमील को अपनी बेटी चोदते
हुए दे ख।ुँ करीब १५ समनट बाद सातनया कमरे में आई। वो एक स़िेद साटन की ह्के बेल-बटे की
कढ़ाई वाली नाईटी पहने थी। मझ
ु े नांगा दे ख कर उसे आश्चय़ हुआ और उसे लगा की कहीां मैं क़िर से
उस पर न चढ़ जाऊुँ। वो मझ
ु े ऐसे दे ख कर थोड़ा दठठकी तो मैंने उसे कहा कक असल में मैं आज उसके
साथ नांगे ही चचपक कर सोना चाहता हुँ। वो मस्
ु कुरा कर पछी-"कयो?" तो मैंने कहा, "असल में आज का
ददन स्पेशल है । आज पहली बार जामील के सामने मैं तम्
ु हें चोदा हुँ। उसकी मजी से मैं आज उसकी बेटी
के बेडरम में हुँ और सारी रात उसकी जानकारी में मैं उसकी बेटी के साथ सोऊुँगा। तो आज को परु ी
तरह से यादगार बनाने के सलए जररी है कक हम दोनों हीां सारी रात नांगे रहे । पर तम
ु डरो मत तम
ु थक
गयी हो, मझ
ु े पता है इससलए मैं तम्
ु हें परे शान नहीां करुँ गा", कहते हुए मैंने उसकी नाईटी उतार दी। नाईटी
के भीतर तो सातनया को कुछ पहनना नहीां था और न वो पहनी थी। मैंने उसको एक भरपरु चम्
ु मा सलया
और क़िर बाहों में समेट सलया और हम दोनों सो गए। अगली सब
ु ह जब जागा तो सातनया का सेकसी
बदन दे ख मस्ती छा गयी। रात की बात याद आई और मेरा लन्ड उठान लेने लगा। मैनें अपने लन्ड को
अपने हाथ से दहला-दहला कर कड़ा ककया और क़िर सातनया को पलट कर सीधा कर ददया। उसके जाुँघ
खोले और क़िर तभी सातनया कुनमन
ु ाई और जब तक वो ठीक से जागे मैं अपना लन्ड उसके बर में
घस
ु ाना शर
ु कर चुका था। वो शान्त रही और मैं ही अपनी लन्ड की प्यास बझ
ु ाता रहा। करीब १४-१५
समनट तक लगातार धकके लगाता रहा और उसके होठ चुमता और चच
ु ी से खेलता रहा। क़िर मैं उसकी
बर में अपना माल तनकाल ददया। इसके बाद अपना लन्ड बाहर तनकाल कर सातनया की नन्हीां झाुँटों पर
उसको पोछ कर सा़ि ककया और सातनया पर से उतर गया। सातनया भी एक अांगराई ली और नांगे बदन
उठ कर बाथरम में चली गयी। मझ
ु े जोर की पेशाब महसस हुई तो मैं जमील के रम की तऱि गया। वो
अभी-अभी सो कर उठा था। मझ
ु े नांगे ही कमरे में आते दे ख अचकचाया। मैंने उसको आुँख मारी और
उसके बाथरम में घस
ु ते हुए बोला-"उस बाथरम में मेरी बेटी गयी हुई है , अभी तु ५ समनट सोया रह, तब
तक मैं ़िाररग हो कर आता हुँ।" मैं बाथरम में जाने के बाद पेशाब-टट्टी वगैरह करके बाहर आया तब
जमील सातनया को आवाज लगा कर बोला-"सातनया बेटा चाय यहीां ले आओ, इसी रम में ", क़िर मझ
ु े
बोला-"अब तो कपड़ा पहनो यार।" उसके आवाज में थोड़ी कोफ़्फत थी। मैं बोला-’अरे दोस्त मैं तम्
ु हारा
पैजामा नहीां कह्राब ककया हुँ कक कया एक रात सस़ि़ सोने के सलए तम्
ु हारे ऐसे सा़ि पैजामे की ऐसी की
तैसी करूुँ। और दोस्त सोना भी तो सातनया जैसे माल के बगल में था।" मैं कुछ और बोलता कक सातनया
चाय ले कर आ गई। हम सब चाय पी रहे थे कक मैंने जमील से पछा, "तब प्रो० जमील अहमद खान, अब
आप बताईए कक आप अपने लन्ड से अपनी बेटी की बर को कब चोदने का प्लान कर रहे हैं। मझ
ु े पहले
से पता रहे गा तो तैयार हो कर बैठुुँगा। बेटी को बाप से चुदाते दे खने का मौका बार-बार थोड़े न आता है ।"
सातनया सब सन
ु मस्
ु कुरा दी और जमील थोड़ा दहचकते हुए कहा-"सोच रहा हुँ कक जब पहली बार सातनया
के साथ करुँ तो ऐसा कुछ हो कक यह यादगार बन जाए। पर यार यह सब तम्
ु हारे सामने मझ
ु से नहीां
होगा। मैं तो बज्क पहली बार बतती बझ
ु ा कर अुँधेरे में ही सातनया की छे द में घस
ु ा सकुँु गा। सौरी दोस्त,
पर ककसी के सामने सातनया के साथ मेरे से यह सब नहीां होगा। सामने बैठ कर दे खना अलग बात है पर
खद
ु अपनी बेटी की बर में लन्ड पेलना अलग बात।" सातनया यह सन
ु कर बोली-"मझ
ु े कोई ़िक़ नहीां
पड़ता। मझ
ु े चद
ु ाने में मजा आता है , इससलए मैं मद़ से चद
ु वाती हुँ। लन्ड जब तक मेरी बर की जोरदार
मासलश करता रहे मझ
ु े मजा आता है और लन्ड ककसी का हो कया ़िक़ पड़ता है ।" ऐसी हीम बातों के
बीच तय हुआ कक अगले वीकेन्ड पर हम सब ककसी रीसौट़ पर चलेंगे और वहीां सातनया जमील से चद
ु े गी।
ररसौट़ बककां ग का जजम्मा मझ
ु े समला। मैंने सरु ी की मदद से सशमला के पास एक ररसौट़ बक
ु ककया। दो
रम वाले एक कौटे ज को चन
ु ा। वहाुँ ऐसे ५ कौटे ज थे और अकसर वहाुँ पवदे शी सैलानी आते रहते थे। पीछे
व्यास नदी बहती थी। बह्त हीां शान्त माहौल था वहाुँ, एक दम एकान्त। मैंने क़िर राचगनी से बात की।
मझ
ु े लगा कक उसको साथ ले जाने से मेरा मजा पकका हो जाएगा। मझ
ु े शक था कक वहाुँ कहीां जमील
अगर सातनया पे क़िदा हो गया तो मझ
ु े सातनया को चोदने का मौका कम हीां समलेगा। वैसे भी मेरा इरादा
ऐसे शान्त महौल में सस़ि़ और सस़ि़ लड़की चोदने का हीां था। राचगनी को जैसे मेरे कौल का इांतजार था।
तरु न्त तैयार हो गयी। राचगनी से मैं वैसे भी करीब एक मदहने से समला नहीां था। खैर मैंने जाने से एक
ददन पहले अपने झाुँट बब्कुल सा़ि कर ददए। राचगनी और सातनया दोनों के सलए मेरा बबना झाुँट वाला
लन्ड बब्कुल नया ददखने वाला था। सीने के बाल भी सा़ि कर सलए। करीब ७ बजे सब
ु ह हम तनकले
और रास्ते से हीां राचगनी को पपक-अप कर सलया। उसे मैंने बताया नहीां था कक सातनया और जमील भी
साथ हैं, पर गाड़ी में उन दोनों को दे ख कर वो चककत रह गई। उसे आश्चय़ हो रहा था उस बाप-बेटी को
एक साथ दे ख कर। क़िर जब मैंने कहा कक यह ट्रीप उन्हीां दोनों के सलए है । दोनों बाप-बेटी पहली बार
एक-दस
ु रे के साथ सेकस करें गे वहाुँ, तो राचगनी का मुँह
ु खुला का खुला रह गया। उसे इस बात की उम्मीद
नहीां थी। सच कहुँ तो मझ
ु े या ककसी को भी जो जमील को जनता था यककन नहीां होता कक जमील
अपनी बेटी को चोद लेगा। राचगनी के मुँह
ु से कुछ समय के बाद तनकला-"दीदी, कया सच में?" सातनया
चहकते हुए बोली-"हाुँ राचगनी, आखखर मेरा सेकसी बदन अब्ब के भीतर आग लगा हीां ददया। खुब मजा
आएगा उनके साथ। मैंने इस बात की क्पना कई बार की है , अब जाकर यह सच होगा। मैं तो अब्ब को
बोली एक ददन जब चाच के साथ सेकस ककया कक वो भी आ जाएुँ, पर अब्ब नहीां तैयार थे कक वो चाच
के सामने मेरे साथ करें । अभी-अभी उनका इरादा अकेले में एक बन्द कमरे में मेरे साथ सेकस करने का
है ।" जमील सब सन
ु रहा था पर खखड़की की तऱि चेहरा घम
ु ा कर बाहर का नजारा दे ख रहा था। राचगनी
अब थोड़ा मायस
ु जैसे बोली-"कया दीदी, कया हम लोग तम
ु दोनों को नहीां दे खेंगे। मझ
ु े लगा था कक हम दो
लड़ककयाुँ और ये दोनों मद़ एक साथ हीां चुदाई करें गे। बड़ा मजा आता अगर ऐसे होता।" सातनया बोली-
"नहीां ऐसी बात नहीां है , अब्ब को मेरे साथ सेकस करने में थोड़ी दहचक है , पर एक बार करने तो दो, उसके
बाद तो वो मेरे बर की गल
ु ामी करें गे, दे ख लेना।" दोनों मस्त माल अब एक साथ हुँस पड़ी। एक जगह
हम सब ने चाय पी। और उसके बाद दोनों लड़ककयाुँ पीछे की सीट पर बैठ गई और क़िर एक दस
ु रे के
बदन से खेलने लगीां। मैं कार ड्राईव कर रहा था और बीच-बीच में उन्के खेल भी दे ख रहा था। जमील भी
कभी-कभी कनखखयों से उनकी तऱि दे ख लेता था। ज्दी हीां दोनों नांगी हो गयी और क़िर चचु चयों से
खेलते-खेलते कब वो एक दस
ु रे की बर में ऊुँगली करने लगी, शायद उन्हें भी पता नहीां चला। करीब एक
घन्टे बाद दोनों पस्त हो गई। शाम को करीब ४ बजे हम सब रीसोट़ पहुुँचे। वहाुँ का मैनेजर हम-सब को
दे ख मस्
ु कुराया। उसने दो अुँधेड़ उम्र के मद़ के साथ को कम्सीन लड़ककयाुँ दे खी तो मस्
ु कुराया। वैसे भी
सरु ी के जररए बककां ग हुई तो उसको यही लगा की हम दोनों मद़ अपने साथ सरु ी की कौलगल़ हीां साथ
लाए हैं। औपचाररकताओां के बाद उसने कहा कक आपका कौटे ज रे डी है , आप अभी चाय-वाय लेंगे या क़िर
एक बार रास्ते की थकान उतारने के बाद चाय पीयेंगे। क़िर उसने सातनया से कहा-"तम
ु लोग को कुछ
चादहए या सब चीज साथ है ?" सातनया को कुछ समझ नहीां आया पर राचगनी अब तक पककी रां डी बन
चक
ु ी थी। वो समझ गई और बोली-"नहीां अभी सब चीज है हमारे साथ" और जब हम लोग अपने कौटे ज
की तऱि जा रहे थे तब उसने सातनया को समझाया कक वो मैनेजर कांडॊम के बारे में पछ रहा था हम
दोनों से। मैंने तब कहा-"मझ
ु े तो कांडोम के साथ लड़की चोदने में मजा हीां नहीां आता है , कयों जमील तम
ु
बोलो, कया तम
ु को सातनया को चोदने के सलए कांडोम चादहए?" जमील अब शमा़ गया तो सातनया बोल
पड़ी-"नहीां आज पहली बार अब्ब से चद
ु ाना है तो परु ा और एक दम असली चद
ु ाई कराऊुँगी। अब्ब आप
मेरे साथ आज सह
ु ागरात मनाना, मेरी बर के भीतर ही अपना माल तनकालना। आज के चद
ु ाई की तैयारी
में पपछले तीन ददन से लगातार मैं अपने झाुँट सा़ि कर रही हुँ और अपने बर की मासलश जैतन
ु के तेल
से कर रही हुँ। आपका लण्ड मेरे ले स्पेशल है । इसी के रस से मेरी पैदाईश है , और आज मैं अपने बीज
को अपने अांदर लुँ ग
ु ी, कसम से कह दे ती हुँ।" साली परु ा गरम थी अपने बाप से चद
ु ाने के सलए। मैं तो
रम मे आने से पहले ही राचगनी की चुतड़ सहलाने लगा और जब वो मैनेजर हमारा कौटे ज खोल रहा था
तब मैंने बेशमी के साथ राचगनी की चचु चयाुँ मसलनी शर
ु कर दी। जमील बोला-"यार, थोड़ा वेट करो, बगल
के कौटे ज में भी लोग होंगे।" मैनेजर सब दे ख कर मस्
ु कुराया और कहा-"कोई बात नहीां सर, यहाुँ अभी
कोई ़िैसमली नहीां है । सब मस्ती के सलए हीां आए है । आपके बगल की कौटे ज में पाुँच लोग हैं, दो लड़की
और तीन लड़के, सब पवदे शी। पीछे जो नदी का ककनारा है ददन भर वहीां मस्ती करते रहते है , आप दे खेंगे
तो लगेगा कक ककसी न्यडु डस्ट कलब में हैं। चार ददन से हैं सब, तीन ददन और रहें गे।" राचगनी बोली-"वाओ,
क़िर तो अांकल हम भी एक बार उधर चलेंगे, मझ
ु े एक बार खुले आसमान के नीचे प्यार करने का मौका
समले, ये मेरी बहुत परु ानी ़िैं टसी है , अब मौका समला है तो जरर परु ा करां गी।" सातनया ने कहा-"और अगर
उन पवदे सशयों ने तम्
ु हें अपनी पाटी में इन्वाईट कर ददया तो अांकल का कया होगा?", वो खखलखखला कर
हुँसी। अब मैंने तड़ से जवाब ददया क़िर मैं उनकी गोरी लौजन्डया चोद लुँ ग
ु ा बदले में । और हम सब हुँस
पड़े। रम में भीतर जाते हीां राचगनी तरु ां त मेरे लन्ड को बाहर तनकाल कर चुसने लगी, और यह दे ख
सातनया भी अपने अब्ब की लन्ड बाहर तनकालने के सलए उसके पैन्ट की जजप पकड़ी पर जमील बोला,
यहाुँ नहीां - भीतर, और दस
ु रे रम में चला गया सातनया ने हम दोनों की तऱि दे खा और एक बरु ा सा मुँह
ु
बनाया। मैंने कहा-"जाओ बेटी भीतर, साला गाांड है । अभी भी शमा़ रहा है मादरचोद।" सातनया ने
मस्
ु कुराते हुए कहा, "चाच मेरी दादीजान को गाली मत दीजजए। अब थोड़ी दे र में अब्ब तो बेटीचोद बन हीां
रहे हैं।" राचगनी मेरा लन्ड चस
ु रही थी। मैं बोला-"हाुँ पर वो मादरचोद हमें दे खने नहीां दे गा न कक तम
ु
कैसे उस हरामी को बेटीचोद बनाई।" सातनया साली पककी कमीनी कुततया बन चक
ु ी थी, साली रन्डी बोली-
"मैं रम का दरवाजा खल
ु ा छोड़ दुँ ग
ु ी और जब मैं अब्ब को बेटीचोद बोलुँ ग
ु ी तब आप लोग भीतर आ
जाईएगा। मैं उनको बेटीचोद तभी बोलुँ ग
ु ी जब पहली बार उनका लन्ड मेरे चत में घस
ु ेगा। इसके बाद मैं
उनको लण्ड बाहर थोड़े ना खीांचने दुँ ग
ु ी। तब आप लोग दे ख लीजजएगा कैसे मैं उन्हें बेटीचोद बनाती हुँ।"
राचगनी ने हाथ के इशारे से सहमती जता दी और सातनया साली उस रम में घस
ु गई जजसमें जमील गया
था।करीब बीस समनट बीता होगा, तब मैं राचगनी को पीछे से चोदने के सलए अपना पोजीशन ठीक कर रहा
था कक तभी बगल के रम से सातनया की आवाज आई-"आओ साले हरामी बेटीचोद, पेल अपना लन्ड
अपनी बेती की चत में साले मादरचोद..."। यह इशारा था हमारे सलए और मैं राचगनी की चत
ु ड़ पर चपत
लगाते हुए बबस्तर से कुदा-"आओ राचगनी अब दे खें साले गाांड को", और हम दोनों अगले पल दस
ु रे वाले
रम के भीतर थे। जबतक जमील समझे, मैंने लाईट औन कर दी। सातनया बबस्तर पर चचत लेटी थी, जाुँघ
खोल कर टाुँगे हवा में उठा कर और जमील उसके उपर चढ़ा हुआ था। साले का परु ा लन्ड सातनया की
गोरी-चचट्टी बर के भीतर घस
ु हुआ था। हमें दे ख वह हड़बड़ा कर उठने लगा, पर सातनया को तो अब तक
मैंने सब दाुँव-पेंच ससखा कर परु ा रां डी बना चक
ु ा था सो जब जमील उठना चाहा तो सातनया ने उसके
कमर को अपने पैरों से और उसकी पीठ को अपने हाथों से जकड़ सलया और जमील के उठने के साथ
अपने कमर को भी उपर उठाने लगी। नतीजा जमील का लन्ड अभी भी सातनया की चत में ़िुँसा हुआ
था और सातनया की गाुँड हवा में करीब ६" उपर उठी हुई थी। जमील अब ककसी तरह अपना लन्ड उसकी
बर से तनकालना चाह रहा था, पर सातनया की पकड़ ऐसी जबद़ स्त थी कक वो अपना लन्ड तनकाल नहीां
पा रहा था। बार-बार वह अपना कमर उपर नीचे कर रहा था और साथ साथ सातनया भी अपना कमर
चचपका कर उपर नीचे कर रही थी। नतीजा यह हुआ कक न चाहते हुए भी जमील का लन्ड सातनया की
बर को चोद रहा था। सातनया बोली-"अब आपको नहीां छोड़ुग
ां ी अब्ब, बबना अपनी गमी शान्त करवाये हुए।
चोददए जम कर आज। बहुत ददनों से इस ददन का इांतजार था मझ
ु े।" जमील बेचारा हमारे सामने थोड़ा
बेबस ददख रहा था। मैंने कहा-"अबे साले चुततया, अब जब जवान बेटी को गम़ कर ददए हो तो बेचारी को
कयों तड़पा रहे हो। चोद दो ठीक से। भल जाओ कक हम दोनों यहाुँ हैं"। सातनया क़िर बोली-"चोदो ना
अब्ब, अब रहा नहीां जा रहा। आआआआअह्ह्ह्ह््ह्ह्ह्ह्ह, अरे हरामी साले, बेटी को तड़पा रहा है । साले
कुतते, आज जो तम
ु अपना बाहर खीांचे तो माुँ-कसम बीच सड़क पर नांगी लेट जाऊुँगी जा कर और तेरे
इज्जत का ़िालद
ु ा कर दुँ ग
ु ी, समझ लेना।" मैं दे ख रहा था कक साली सातनया ककतनी ज्दी एकदम से
तछनाल बन गई थी। अभी तीन मदहने भी नहीां हुए उसको अपने बर का उदघाटन करवाए हुए, पर साली
कैसे अपने बाप को गाली दे रही थी। इसकी तल
ु ना में राचगनी जो पेशव
े र कौलगल़ थी ज्यादा शरी़ि थी
बात-चचत में । वातसायन ने सच कहा है - लड़की में चार-गण
ु ा काम होता है , आज सा़ि दे ख रहा था कक
जब लड़की चद
ु ाने पर आती है तो कैसे और कया बन जाती है । राचगनी ने भी जमील से कहा कक वो
हमारी क़िि छोड़ कर सातनया के प्यास बझ
ु ाए। जमील के पास कोई चारा नहीां था, सो साला अब अपनी
बेटी को अपने बाहों में सलपटा सलया और क़िर उपर से लगा धकाधक चोदने। ज्द ही उन दोनों की
ससस्की से रम गम़ हो गया। सातनया मस्त हो कर आह-उह-इइस्स्स कर रही थी और उसकी हर आवाज
पर जमील अपने धकके के साथ "ताल से ताल समला" कर रहा था। ज्द हीां वह हाुँ़िने लगा, तो सातनया
ने उसको पलट ददया और उसके उपर आ गई। इस िम में जमील का लन्ड बाहर तनकल गया था।
सातनया अब उसके उपर बैठ कर अपने हाथ से अपने अब्ब का लन्ड अपने बर में घस
ु ा दी, और लगी
उपर से उछल-उछल कर, कमर नचा नचा कर अपने खब
ु की बर को अपने बाप के लन्ड से चोदने।
जमील अपने हाथ से सातनया की गोल-गोल गोरी चचु चयों को मसलने लगा और सातनया
आआआआअह्ह्ह्ह््ह्ह्ह आआआआआअह्ह्ह्ह््ह करने लगी। बीच बीच में वह कुछ क्षण रकती और झक
ु
कर जमील के होठ चम
ु ती, और क़िर उपर से घचाघच करने लगती। तभी जमील बोला, "अब रको सातनया,
मेरा तनकलने वाला है "। सातनया यह सन
ु दोगन
ु े जोश में आ गई, "गड
ु , साले अब्ब अब आज मेरे भीतर
झड़ो, बेटीचोद।" जमील ससटपपटा गया, पर बेचारा नीचे सातनया से दबा हुआ था और सातनया साली अपना
बर अब उसके कमर पर नचाने लगी थी। जमील अब तघतघयाने लगा, "हटो बेटी प्लीज, मझ
ु े बाहर खीांचने
दो, प्लीज"। सातनया गरु ा़ई, "हरचगज नहीां साले हरामी, आज तम
ु को अपनी बेटी की बर में हीां झड़ना होगा।
ककतना तड़पाए हो इस ददन के सलए, आज तम
ु को नहीां छोड़ुुँगी। आज अपने बर से तम्
ु हारे लन्ड का जस
तनकाल कर पीऊुँगी।" सातनया की बात सन
ु कर मैंने कहा-"वकप सातनया, वेरी गड
ु , सही सजा दे रही हो
साले झन्ड को"। अबकक बार सातनया मझ
ु े बोली-"आप दे खते जाईए चाच, आज कैसे मैं अपने इस प्यारे
अब्ब का बलातकार करती हुँ। बहुत तड़पा चुके हैं आज तक। आज जब पकड़ में आए हैं तो ऐसे नहीां
छोड़ुुँगी, परु ा चुस जाना है आज इनको, क़िर पता नहीां पकड़ में आएुँ न आएुँ।" बेचारा जमील एकदम छुटने
के कगार पर था, छ्टपटया-"प््््लीज सातनया बेटा अब मजाक छॊड़ो"। सातनया क़िर अपने रां ग में आ
गयी, अपना चत रगड़ती हुई बोली-"अबे साले गाांड, एक बार मेरे बर के भीतर झड़ जाएगा तो तेरा कया
बबगड़ जाएगा? मझ
ु े एक बार उस रस को चखने तो दो जजससे मेरी पैदाईश हुई है ।" जमील बोला-"बेटी,
यह खतरनाक है , समझो", पर तब तक उसका लन्ड पपचकारी बन गया था। हम दे ख रहे थे कक ४ झटका
ददया था लन्ड जोर का, और उसका माल सातनया की बर के भीतर चगर रहा था। सातनया अब उसकी
छाती पर लेट गयी थी, और जमील के पास कोई चारा न था कक अब वो अपने माल को अपने लन्ड के
भीतर रोक सकता। करीब २०-२५ सेकेन्ड बाद सातनया उसके उपर से उतरी। जमील बोला, "ज्द धो जा
कर बाथरम में , ऐसा न हो कक कुछ ऊुँच-नीच हो जाए"। सातनया की बर से जमील का स़िेद माल धीरे -
धीरे बाहर की तऱि क़िसल रहा था। सातनया ने मस्
ु कुराते हुए कहा-"अब्ब अब तो सा़ि-सा़ि बोसलए सब।
कया उुँ च-नीच होगा? यही न कक मझ
ु े बच्चा ठहर जाएगा, तो कया हुआ; चाच हैं न। मैं उनके साथ तनकाह
कर लुँ ग
ु ी, आप बदनाम नहीां होंगे"। मझ
ु े उसकी यह बात पसांद आई, क़िर मैंने जोड़ ददया, "हाुँ सातनया बेटी,
पर ऐसा हुआ और तम्
ु हारी बेटी पैदा हुई तो तम्
ु हारी इस बहन की सील मैं हीां तोड़ुुँगा पकका"। सातनया
हां स पड़ी, सोचना होगा कक जजसकी आप सील तोड़ोगे, वो मेरी बहन लगेगी कक बेटी"। और उसने अपनी
उुँ गली से अपने बर के भीतर से जमील का माल तनकाल कर खुब प्यार से चाटा और एक जोर का
चटकारा सलया। मेरा लन्ड तना हुआ था तो मैंने राचगने को वहीां पलट कर पीछे से एक कुतते की तरह
उसकी चद
ु ाई करने लगा।
सातनया का ग्रप
ु सेकस -6
सातनया का ग्रप
ु सेकस -7
सब
ु ह सबसे पहले राचगनी की आुँख खुली। उसने जब खखड़की का पदा़ हटाया तो रोशनी से हम सब जग
गए। सब ऐसे हीां नांग-धड़ग सो गए थे। रां जजता उठी तो अपने हाथ से अपने बर को कवर करते हुए उठी
और बोली, बाप रे बहुत दे र हो गया, अब घर जा कर ज्दी-ज्दी सब काम करना होगा। उसको अभी
अपने छोटे भाई बहन को खाना बना कर ९ बजे तक स्कल भेजना था। पता चला कक उसकी माुँ नहीां है
और बाप शराबी है । उसका बाप एक बोतल पवदे शी शराब के बदले उसे रात भर के सलए मैनेजर के साथ
भेजा था। ऐसा आज तीसरी बार हुआ था। रां जजता ने बताया कक उसको अब २००० रू० समलेगा मैनेजर से,
तो मझ
ु े दया आ गई और मैंने उसे २००० और ददए, और अपने शेपवांग ककट से बोरोसलन ददया की वो उसे
अपने गाांद के छे द पर लगाया करे । मैंने दे खा कक कल कक गाुँड़ मराई के चककर में उसकी गाुँड़ के छे द
के ़िो्ड्स थोड़ा तछल गए थे। मैंने उसके गाांड़ के छे द पर पहली बार अपने हाथ से बोरोसलन लगाया।
साली इतना प्यार पा कर पपघल गयी, पर हम सब ने उसे पवदा कर ददया। तभी जमील के ़िोन पर
सातनया का ़िोन आया। जमील तरु ां त उससे बोला-"कैसी हो बेटा तम
ु ?" मैंने उसके हाथ से ़िोन ले कर
स्पीकर औन कर ददया। सातनया बोल रही थी-"खुब बदढ़या अब्ब, कोई परे शानी की बात नहीां है । खुब मजा
आया। अभी तो सो कर उठी हुँ, और बबल मेरी मासलश कर रहा है ।" मैंने पछा-"ये बबल कौन है बेटा? उन्हीां
में से कोई या कोई बाहर का है ?" मेरी आवाज सन
ु सातनया बोली-"ओह, गड
ु मौतनिंग अांकल। बबल और
जैक नाम है एडपवन के दोनों दोस्त का। कल रात में तीनों ने मझ
ु े साथ में चोदा। साथ में बबल और
एडपवन की गल़-फ़्रेन्ड्स भी थी, सम्ली और एसलशा। खब
ु मजा आया। कया बताऊुँ अांकल, सब ने समल कर
मझ
ु े जो मजा ददया...अ्लाह कसम, ऐसा मजा आज तक नहीां आया था।" सम्ली और एसलशा ने तो मझ
ु े
समल कर इतना गरम कर ददया कक कब और कैसे मैं चुदी कुछ होश हीां नहीां रहा। बाद में वो दोनों
आपस में मशगल
ु हो गई और तब तीनों लड़कों ने मझ
ु े चोद-चोद कर बेदम कर ददया। बारी-बारी से, तीनों
मेरे में घस
ु ा रहे थे और मझ
ु े जरा भी आराम करने का मौका नहीां दे रहे थे। एडपवन दो बार मेरे मुँह
ु में
और एक बार मेरे बर में झड़ा। जैक भी मेरे बर में दो बार झड़ा। बबल अभी तक सस़ि़ मेरे मुँह
ु में हीां
झड़ा, कल रात वो सम्ली और एसलशा के साथ ही रहा। आज वो मझ
ु े अकेले चोदे गा अभी क़िर सब समल
कर चोदें गे।" मैंने तब पछा, "ककसी ने गाुँड़ नहीां मारी तम्
ु हारी?" सातनया बोली, "नहीां वो सब आज के सलए
छोड़ा हुआ है इन लोगों ने। चाच मैंने इन्हें बता ददया कक मैं यहाुँ अपने अब्ब और चाच और एक अपनी
कजन के साथ आई हुँ तो ये सब खुब आश्चय़ कर रहे थे। उन्हें पवश्वास हीां नहीां हो रहा था कक अपने
दे श में ऐसा होता होगा। ये साले गोरे समझते हैं कक यही लोग सेकस एकस्पट़ हैं।" जमील बीच में बोला-
"तम्
ु हें ये सब ऐसे नहीां बताना चादहए था बेटा, ककतनी खराब बात है यह"। उसके चेहरे पर ह्की सी
चचन्ता उभर रही थी। सातनया अपनी हीां रौ में थी, बात काट कर बोली-"कया नहीां बताना चादहए, ये कया
यहाुँ हमारे अड़ोस-पड़ोस में , या अम्मी से कहें गे कया कक मैं अप्ने अब्ब से चुदाती हुँ। इनको मजा आया,
और मझ
ु े भी यह सब बता कर। और हाुँ अब्ब, बबल बोल रहा है कक अगर आप सब भी यहीां आ जाएुँ तो
मजा आ जाएगा। लीजजए बात कीजजए उससे।" और तब एक अांग्रेज मदा़ना स्वर ़िोन से आया-"ह्लो
अांक्स, गड
ु मौतनिंग...यरु डौटर इज सप
ु ब़, शी इज अ डासलिंग बेबी...शी नोज हौ तो एांजोय सेकस एांड लेट
अ मैन एांजोय हर बोडी...थैंकय अांकल ़िोर है पवांग सच अ नाईस गल़ पवद य.ु ..व्हाई डोंट यु कम एांड
जोईन अस ददस मौतनिंग...वी पवल है व अ ग्रेट टाईम टुगेदर...वी औल पवल चगव यु अ ग्रेट शो पवद यअ
ु र
डाटर...कम हीयर प्लीज...यु मे एन्जाय आवर ग्स़, दे आर ग्रेट कौक सकस़, य्
ु ल लव दे म।" जमील
नो..नो कर रहा था, पर मैंने कहा, "ओके वे पवल कम, आ़िटर अबाऊट ३० समतनट्स, डोंट वरी...." और
उसने कहा, वी पवल वेट दट्ल यु कम"। इसके बाद बबल ने हमें थैंकस कहा, क़िर सातनया की आवाज
आई, "चाच, आप अब्ब के साथ लाना, बहुत मजा आएगा, सब समल कर खेलेंगे। राचगनी तम
ु भी आना और
रे डी रहना, ये लोग तम्
ु हें छोड़ेगे नहीम, तम
ु मेरी कजन हो, तो सब तम
ु से भी मस्ती जरर करें गे।" राचगनी
ने कहा-"हाुँ दीदी, मझ
ु े पता है , मेरे सलए तो ये पवदे शी मजा पहली बार ही है , सस़ि़ तम्
ु हारी पहल पर
समलेगा ये सब, थैंकस दी।" बेचारा जमील अब अलग-थलग पर गया, उसे समझ में आ गया कक हम दोनों
अब उसके न कहने से रकेंगे नहीां। राचगनी ने उसको कहा कक अब वो भी तैयार हो जाए, साथ चलने के
सलए, नहीां तो बाद में अ़िसोस होगा। वो भी अब चलने को तैयार होने के सलए बाथरूम में चला गया।
करीब आधे घांटे बाद हम तीनों नहा-धो कर बगल वाली कौटे ज की तऱि बढ़ चले। मैनेजर ने हमें उस
तऱि जाते दे खा तो मस्
ु कुराया। मैंने भी उसको दे ख आुँख मारी, तो उसने अपना दादहना अुँगठ
ु ा उपर करके
हमें "गड
ु -लक" पवश ककया। वो समझ रहा था कक अब हमारा इरादा कया है । -- जब हम उनके कौटे ज में
पहुुँचे तब उनका दरवाजा सभड़ा हुआ था और हमारे नौक करने पर ककसी ने "कम-इन प्लीज" कहा। हम
अांदर गए तो दे खा कक तीनों लड़के बब्कुल नांगे हो बेड और कुसी पे बैठे हैं और तीनो लड़ककयाुँ उनके
लांडों से खेल रहीां हैं। एडपवन और जैक दोनों बेड पर थे, जबकक बबल कुसी पर। लड़ककयों में सस़ि़ सातनया
हीां नांगी थी, बाकक दोनों जीन्स और टौप पहने थीां। पास में रखे सो़िे की तऱि हम तीनों बढ़े , तो तीनों
लड़के हमारे पास आए, साथ में सब लड़ककयाुँ भी आई। बबल ने हमें वेलकम ककया और सब का पररचय
ददया। क़िर सातनया ने हमारा पररचय कराया उनसे कराया। सब एक-दस
ु रे से हाथ-वाथ समलाए। मेरी
नजर उन दोनों गोरी बालाओां पर थी। दोनों मस्त ़िीगर की मालककन थी। सम्ली बबल की गल़-फ़्रेन्ड थी
और एसलशा एड्पवन की। दोनों २२-२४ साल की हुँसमख
ु लड़ककयाुँ थी और दे ख कर लगता था कक बहनें
हैं, खुब गोरी और फ़्रेश माल। मैंने उन दोनों को घरु ते हुए कहा-"वेल, यु पीपल कैरी-औन...बबल यु टो्ड
अस थत वी’्ल हे व ग्रेट टाईम, सो वी’्ल ससट दे यर एांड एन्जाय", और हम सब सो़िे पे बैठने लगे। तभी
एडवीन ने राचगनी का हाथ पकड़ा, "कम औन बेबी, यु कम पवद अस...वी’्ल शो यु द हे वन..." और उसने
अपने बाहों का घेरा राचगनी की कमर के चारों ओर लपेट कर उसे अपने साथ बेड पर खीांचा। हम जैसे हीां
सो़िे पर बैठे, दोनों गोरी बालाओां हमारे पास आ जमीन पर बैठ गईं, घट
ु नों के बल। अब हालात यह थी
कक सातनया तो बबल का लन्ड चस रही थी, एसलशा मेरा और सम्ली जमील का पैंट से बाहर खीांच चुकी
थीां। राचगनी के बदन से कपड़ा उतारा जा रहा था और वो एड्पवन और जैक के बीच में थी जबकक दोनों
उसके आगे और पीछे से चचपके हुए थे और कपड़े खोल रहे थे। करीब ५ समनट बाद बबल ने सातनया को
अपने उपर आने का ईशारा ककया और थोड़ा कुसी पर पसर गया। सातनया ने एक नजर हमें दे खा, हम
दोनों तो उसी भी दे ख हीां रहे थे, सो हमारी नजरें समली। सातनया मस्
ु कुराई और बबल के उपर चढ़ गई।
एक ह्के से कराह के साथ उसने अपने हाथ से बबल का लांड पकड़ कर अपनी चत में घस
ु ा सलया और
क़िर हौले से उसकी गोद में बैठ गई। उस कमरे में सबसे लम्बा लन्ड बबल का ही था, करीब १०" का
होगा, या ९" तो पकका था। क़िर जब बबल थोड़ा और पसरा तो सातनया उपर से अपने कमर को उठा
चगरा कर अपने चत को उसके लन्ड से चद
ु ाने लगी। बबल उसकी चचचयों से खेल रहा था, और क़िर ज्द
हीां सातनया की ससस्की कमरे में भर गई। अब हमारे साथ वाली गोरी लड़ककयाुँ भी खड़ी हो कर अपने
कपड़े खोलने लगी थीां। राचगनी को बबस्तर पर सलटा कर दोनों दोस्त उसकी छाती और बर को चस चाट
रहे थे। जमील के सलए तो हालत था कक वह ककधर दे खे और ककधर नहीां दे खे। मैं तो अभी एसलशा के
पैन्टी पर नजर गड़ाए था जो अब हौले-हौले उसके कमर से नीचे खखसक रही थी और उसका एक दम
चचकना मकखन चत की चमक आने लगी थी। ज्द हीां एसलशा मेरे गोद में और मेरे बगल में बैठे
जमील की गोद में सम्ली चढ़ गई और हमरी तरह अपना चेहरा कर अपने बर में हमारे लन्ड घस
ु ा ली।
वो दोनों खद
ु हीां उपर से दहल-दहल कर हमें चोद रहीां थीां। हमें भी मजा आ रहा था। जमील की आुँख
बन्द थी, जबकक मैं एसलशा को अपनी ओर खीांच कर उस्कए होठ का रस पान करने लगा था। जब मैंने
कमरे में नजर घम
ु ाई तो दे खा कक एडपवन का लन्ड राचगनी की मुँह
ु में था, जबकक जैक उसके उपर चढ़
गया था, और अपने लन्ड से उसकी चुदाई शर
ु कर चक
ु ा था। सातनया अब नीचे कापेट पर केहुनी और
घट
ु ने के बल थी और बबल अपने १०" के लौंड़े से उसकी जबद़स्त चद
ु ाई कर रहा था। हर धकके के साथ
सातनया के मुँह
ु से एक आवाज तनकलती, जजसे सन
ु कर पता चल रहा था कक उसे मीठे दद़ के साथ
मस्ती भी चढ़ रही है । आवाज कीककयाने जैसी थी। जमील अब सम्ली को अपने उपर से हटाया और उसे
नीचे चगरा कर उपर से उस पर चढ़ गया। मैंने भी अपने उपर से एसलशा को उठाया और क़िर कापेट पर
बब्कुल सातनया के पास लेट गया और एसलशा को इशारा ककया कक वो मेरे उपर आ जाए। अब जब
एसलशा मझ
ु े उपर से चोद रही थी, मैं बब्कुल पास लेट आराम से सातनया की बर की १०" के लन्ड से
चुदाई दे ख रहा था। (हालाकक, पवदे शी अांग्रेजी बोल रहे थे, मैं उनकी बात भी दहन्दी में सलखग
ुुँ ा) बबल ने
मझ
ु े दे खा कक मैं सातनया की चुद रही चत से नजर दटकाए हुँ तो बोला-"कया मैं आपकी बेटी को ठीक से
चोद रहा हुँ?" मैंने उसे सध
ु ारा कक सातनया मेरी नहीां जमील की बेटी है । तब वो जमील से पछा यही बात।
बेचारा जमील शमा़ गया, और सातनया कीककयाते हुए भी हुँस दी। मैंने कहा, उसकी बेटी से ही पछ लो।
अब सम्ली बोली-"उसको तो खुब मजा आ रहा होगा, मझ
ु े पता है जब बबल इस पोज में चोदता है तो
उसका लन्ड भीतर बच्चेदानी तक पहुुँचता है । अजीब सी सरु सरु ी होती है बदन में । सही कहा न मैंने
सातनया।" सातनया आह आह आह करते हुए बोली-"हाुँ सही कह रही हो, बहुत गजब का सेन्शेसन है
यह...इइस्स्स ओ माुँ...हाुँ आआअह्ह आअह्ह्ह्ह"। बबल जोश में आ गया और गजब के धकके लगाए, अब
हर धकके के साथ सातनया की चुतड़ हवा में लहरा जाती, जमीन छट जाता एक पल को, और सातनया उन
धककों पे कराह उठती। बबल ने १५-२० जोर के धकके लगाए, और क़िर अपना लन्ड बाहर खीांच सलया।
सातनया अब तक झड़ चक
ु ी थी, शान्त पड़ी थी नीचे। तब बबल ने उसको पलट ददया और उसे सीधा सलटा
कर उसके पैर ़िैला ददये और खद
ु उसकी खल
ु ी हुई टाांगो के बीच बैठ गया। ठीक से पोजीशन ले कर
उसने एक जोर के धकके के साथ अपना परु ा लन्ड सातनया की गल
ु ाबी चचपचचपी बर में घस
ु ा कर उसकी
चद
ु ाई करने लगा। अब सा़ि ददख रहा था कक बबल का सौसलड १०" का मोटा लन्ड ककस तरह सातनया
की बर को स्ट्रे च कर रहा था और कैसे बब्कुल कसा-कसा भीतर घस
ु रहा था। बबल उसे परा लगभग ९"
तक बाहर खीांचता, उसका लाल सप
ु ाड़ा, झलकने लगता, और क़िर जोर से हुमच कर उसे परा जड़ तक
सातनया की बर में पेल दे ता, और सातनया कराह दे ती....आआह्ह्ह। कभी-कभी के धकके पर सातनया के
चेहरे पर सशकन भी ददखती। पर वो खब
ु मस्त हो कर बबल से चद
ु ा रही थी। मैं एसलशा को सीधा सलटा
उसके बर में अपना लन्ड पेल कर शान्त हो सातनया की मस्त चद
ु ाई दे ख रहा था। जमील चोर नजर से
सातनया को दे खता, और सम्ली को चोदने लगता। साला ऐसे ददखा रहा था कक सातनया से उसको कोई
मतलब हीां नहीां है । तभी जोर से चीखी-"ओ माुँ..आअस्श्ह्ह््ह" और जोर से उसका बदन काुँपा। हम सब
उसकी तऱि दे खे। वो झड़ रही थी, उसकी बर से चचपचचपा पानी बह तनकला...वो शान्त हो गई। बबल
अभी भी गम़ था और लन्ड पेल रहा था। ह्के-ह्के वो अब भी कराह रही थी, पर ये आवाज उसके
आनद को बयाां कर रही थी। मझ
ु े सातनया पर दया आया, और मैंने कहा-"बबल, तम
ु राचगनी की मुँह
ु में
अपना झाड़ लो, वो बहुत अच्छा लन्ड चसती है । राचगनी की बर को अभी एडपवन चोद रहा था और जैक
उसकी चची चस रहा था। बबल अब सातनया को छोड़ कर राचगनी के पास आया तो राचगनी ने अपना मुँह
ु
खोल ददया, और बबल का लन्ड चस-चस कर उसे झाड़ दी। उसी समय जमील ने अपना पानी सम्ली की
बर में तनकाल ददया और उसके बदन पर हाुँ़िते हुए चगर गया। और मैं भी अब एसलशा के भीतर खलास
होने की तनयत से जोर जोर से उसे चोदने लगा था। जब मैं उसकी बर में झड़ने वाला था तो वो बोली
कक मैं उसके मुँह
ु में झड़, सो मैंने अपना पानी उसकी मुँह
ु में तनकाला जजसे वो बड़ी अदा से खा गई। तभी
एडपवन को सझा कक कयों न सातनया के साथ सब समल के चोदें , इसका ररहस़ल राचगनी के साथ एक बार
कर सलया जाए। बस वो यह कह कर उसके बर से लन्ड बाहर खीांच सलया और उसको उलटा सलटा कर
उसकी गाुँड़ को चाटने लगा। बाकी दोनों गोरे साले भी उसके बदन से खेल-खेल कर उसे उततेजजत करने
लगे। राचगनी उनके इस अांदाज पर बबना चुदे ही आह-आह करने लगी, कक एडपवन ने उसे अपने गोद में
खीांच कर बबठाया और कहा कक वो उसके लन्ड को अपनी गाुँड़ में डाल कर बैठ जाए। थोड़े प्रयास के बाद
राचगनी उसके बताए तरीके से उसकी गोद में बैठने में कामयाब हो गयी। वो दोनों बबस्तर की एक ककनारे
पर थे। एडपवन ने उसके चचचयों को पीछे से पकड़ा और उन्हें ह्के से मसलते हुए राचगनी को अपने
तऱि खीांच कर उसकी पीठ को अपने सीने से लगा सलया। अब बबल सामने आया और उसकी चत को
अपनी उुँ गली से सहलाया और क़िर अपने १०" लन्ड को बड़े प्यार से राचगनी की चत पर लगा कर रका,
तभी मैंने दे खा कक एसलशा एक हैंडी-कैम कैमेरा ले कर आ गई, न जाने कब वो उठ कर गई और बगल
के रूम से ले कर आ गई। जैक अब बबस्तर के उपर चढ़ गया और अपना लन्ड राचगनी की मुँह
ु में डाल
ददया। एसलशा कैमरा औन कर दी थी, और जब सब सेट हो गया तो एसलशा बोली-"एकशन"। बबल ने एक
झटके से अपना लन्ड उसकी चत में पेल ददया। उसके मोते लांड से पहली बार चद
ु ते हुए, राचगनी के मुँह
ु
से कराह तनकली पर वो कराह सन
ु ाई नहीां दी, जैक का लांड जो उसकी मुँह
ु में था, सस़ि़ एक गों-गों जैसी
आवाज उसके मुँह
ु से तनकली। ज्द हीां बबल के धकके सही हो गये, और हर धकके के साथ राचगनी का
बदन मस्त तरीके से दहलता और उसके गाुँड़ और मुँह
ु के लन्ड उसकी गाुँड़ और मुँह
ु की चद
ु ाई कर दे त,े
बबना ककसी मेहनत के। सस़ि़ एक बबल का कमर धकके लगा रहा था और राचगने की तीनों छे द में चद
ु ाई
हो रही थी। मस्त नजारा था। जमील भी हकका-बकका सा मुँह
ु खोल कर सब दे ख रहा था। उस बेटीचोद
को पता भी नहीां चला कक सातनया मेरे और उसके बीच में आ गई है , और और मैं उसकी नांगे पीठ को
सहला रहा हुँ। मैं बोल उठा-"मस्त नजारा है , है न सातनया? ऐसे हीां तम
ु भी चद
ु ोगी थोड़ी दे र में , दे ख लो।
एसलशा ने अब कैमेरा हम लोग की तऱि घम
ु ाया, तब जमील को समझ में आया अब उसकी और सातनया
की नांगी ़िोटो कैमरे में खीांचने वाली है , तो वो बेचारा घबड़ा कर कभी अपने लन्ड को हाथ से छुपाता तो
कभी अपने चेहरे को, पर दोनों में से कु तो छुपने वाला था नहीां। सातनया बरे नजाकत के साथ अपने नांगे
बदन की ़िोटो उतरवाई और क़िर अपने हाथों कक दहला कर पवश भी ककया। मैंने तो खब
ु प्यार से उसके
एक चची को मसला और गालों पर पप्पी लेते हुए पोज ददया उस पवडडयो में , क़िर कैमेरा उस तऱि चला
गया जहाुँ राचगनी चोद रही थी तीनों से। वो तीनों मादरचोद उस बेचारी राचगनी की जबद़स्त चद
ु ाई कर
रहे थे। साली के मुँह
ु से आह-आह और इस्स्स्स्स की ही आवाज लगातार आ रही थी। तीनों लगभग साथ
साथ अब दहल रहे थे और राचगनी ने अपना बदन उन सब की दया पर ढ़ीला छोड़ ददया था और उस का
बदन कब ककस तरह से धकके खा ककधर को दहल जाता उसे भी पता नहीां चल रहा होगा। सातनया अपने
बाप की तऱि दे खी और उसे दे खते हुए मझ
ु से बोली, "चाच ये सब तो मझ
ु े भी ऐसे हीां चोदें गे न?" जमील
ने यह सन
ु कर अपना चेहरा सातनया की तऱि घम
ु ाया, तो सातनया और उसकी नजरें समली और सातनया
मस्
ु कुराई और थोड़ा चहकते हुए क़िर बोली, इस बार अपने बाप से, "अब्ब, मैं भी ऐसे हीां चुदाऊुँगी अब, सच
में खुब मजा आयेगा। जब दे ख कर ऐसी मस्ती लग रही है तो जब तीनों अपने लन्ड से मेरी तीनों छे द
को भर कर चोदे गे तो ककतना मजा आएगा।" तभी तीनों एक के बाद एक अपनी अपनी छे द में जह्ड़ गए
और राचगनी की तीनों छे द से स़िेद चचपचचपा माल बाहर ओवरफ़्फलो हुआ, पर राचगनी ने अपने मुँह
ु का
माल सब खा सलया। सम्ली से उसकी बाकी दोनों छे द चाट कर सा़ि कर दी, और मेरी प्यारी सातनया
उन मादरचोदों का लन्ड चस
ु -चुस कर सा़ि कर ददया। जब वो एडपवन का लन्ड मुँह
ु में ली तो जमील ने
उसे इशारा ककया कक वो उसे मुँह
ु से सा़ि न करे , कयोंकक यह वाला लन्ड गाुँड़ के भीतर था। सातनया सब
समझ गई और खुब प्यार से उस लन्ड को भी चाटी और मुँह
ु में ले कर चसा भी। क़िर बोली, "अब्ब, अब
मझ
ु े समझ में आ गया है कक चुदाई के खेल में जजतना गन्दा खेलो, उतना मजा है। मैं आज इन सब के
सलए रां डी बनी हुँ पैसा ले कर चुदाने आई हुँ। आप बस यहाुँ बैठ कर दे खखए कक मैं कैसे-कैसे चुदाती हुँ,
और मजा लदु टए। आप अ़िसोस मत कीजजए, अगर आपका साथ न भी होता तो मैं इस मजे के सलए
जरर रां डी बनती। आपको कम से कम यह तस्ली तो होगा कक आपकी बेटी कया कर रही है , ककससे चद
ु ा
रही है , कैसे चद
ु ा रही है यह सब पता हो। दतु नया में कम हीां बाप को पता होगा कक उसकी बेटी कब
ककसके साथ हम बबस्तर हुई। अब के समय में सब की बेटी शादी के पहले खब
ु जम कर चद
ु वाती है ,
अपने जवान बदन का मजा लेती है । आपकी यह हसीन बेटी इतने ददन तक कुँु वारी रह गई, यह सब
आपके ही अच्छे भाग्य का नतीजा है । पर अब जब आप खद
ु अपनी बेटी चोद सलए तो जब मैं दतु नया से
चद
ु ा कर मजा ले रही हुँ तो प्लीज आप दख
ु मत कीजजए। मेरा हौसला बढ़ाईए, जैसे चाच मेरा हौसला
बढ़ाते रहते हैं।" जमील बोला-"पर बेटी ऐसे तम
ु बदनाम हो जाओगी, तम्
ु हारी शादी कैसे होगी।" सातनया
परु े आतमपवश्वास से बोली-"अरे , आप क़िि मत कीजजए, मैं कोई लड़का पटा लुँ ग
ु ी, मेरे जैसी हसीना पर
कोई भी क़िदा हो जाएगा।" मझ
ु े सब सन
ु कर मजा आ रहा था। मैंने हौसला बढ़ाया-"और कुछ न हुआ तो
मैं शादी कर लुँ ग
ु ा सातनया क़िर तो तम
ु आजादी से सब से चद
ु ाना, और ढ़े र सारे बच्चे पैदा करना। अच्छी
तरह से चद
ु ी रहोगी तो बच्चे भी नौम़ल पैदा होंगे, भीतर के अांगों का कसरत तो चद
ु ाई हीां हैं। मैं तो अभी
से दे ख रहा हुँ, कक तम्
ु हारी बेटी तम
ु से भी ज्यादा जानमारूुँ माल बनेगी।" सातनया ने मस्ती में आकर मझ
ु े
खझड़का-"शट-अप, अब मेरी बेटी पर लाईन मत मारो, अभी वो बेचारी पैदा भी नहीां हुई है ", और हुँस पड़ी।
मैंने भी जड़ ददया, "मैं तो अभी से तम्
ु हारी बेटी की बककां ग कर रहा हुँ, तम्
ु हारी बेटी की जवानी का पहला
स्वाद मैं लुँ ग
ु ा। ७० साल की उमर में १७ साल की तेरी हसीन बेटी की बर की सील तोड़ने का मजा ही
असीम होगा।" यह सन
ु कर हम दोनों जोर से हुँस पड़े। यह बातें दहन्दी में हुई, पवदे सशयों को समझ तो
झाुँट न आया, पर हमें हुँसते दे ख वो भी हुँस पड़े। एसलशा अभी भी हमारा नांगा ़िोटो उतारे जा रही
थी।इन्हीां सब बातों में करीब आधा घन्टा बीत गया और इस बीच में तीनों के लन्ड राचगनी और सम्ली
ने चुस-चुस कर थोड़े ठीक ठाक कर ददए थे, तो एडपवन ने सातनया को पास आने को कहा, और सातनया
हमारे पास से उठ कर बबस्तर की तऱि चल दी। उस साली सातनया की चाल में गजब का आतमपवश्वास
था। हरामजादी जाते-जाते अपने अब्ब को आुँख मारी और अपने बर पे हाथ ़िेर कर जमील की तऱि
एक फ़्फलाईंग-ककस उछाला। आज तक मैंने लोगों को अपने होठों को सहला कर फ़्फलाईंग-ककस दे ते दे खा
था, आज पहली बार दे खा, तो जाना कक लड़ककयाुँ अपने नीचले होठ से भी फ़्फलाईंग-ककस दे सकती हैं। उस
राांड की इस अदा पर वो सब पवदे शी मादचोदों और उसकी तछनाल लड़ककयों ने खुशी से तासलयाुँ बजाई, तो
सातनया ने एक बैले डासर के तरह से ह्के घट
ु नों पर झुक कर उनका आभार जताया। सच, साली आज
तो गजब ़िौम़ में थी। इसके बाद जैसे हीां वो बेड के करीब पहुुँची, जैक ने आगे बढ़ कर उसे गोदी में उठा
सलया और उसे लेकर हीां बेड के उपर चढ़ गया। एसलशा सब शट कर रही थी, अपने कैमरे में । इसके बाद
तो तीनों हीां उस साली रां डी के बदन के पपल गए। आब सब ने सावन के मदहने में सड़कों पर कुततों के
झुांड को ककसी एक कुततया के पीछे जीभ लपलपाते हुए घम
ु ते दे खा होगा। उस बएड को दे ख कर मझ
ु े
वही सीन याद आया। यहाुँ भी एक कुततया पर जवानी की गमी चढ़ी हुई थी, और उसके चककर में ये
तीनों साले मादरचोद कुतते बने हुए थे। तीनों के तीनों यहाुँ अपना-अपना उ्ल साधने में लगे थे। पर
तभी मझ
ु े ख्याल आया कक सड़क की कुततया तो झुांड में से ककसी एक को चोदने दे ती है , पर यह साली
तो आज तीनों को चोदने दे गी, ब्की अगर मैं और उसका बाप हीां आज उस पर चढ़ जाुँए तो वो
हरामजादी न नहीां करे गी। मझ
ु े आज सातनया गमी चढ़ी कुततया (a bitch on heat)से ज्यादा हीां ददखी। यही
सब सोचते हुए मैंने जब दे खा की साली बबल की गाुँड़ अपने जीभ से चाट रही है तो मैंने जमील से कहा,
"यार, हमने तो साली से अपनी गाुँड़ चटवाई भी नहीां, दे ख रहे हो कैसा मस्त चाट रही है । बहुत मजा
आएगा अगर इस साली से हम भी कभी चटाएुँ।" जमील भी सब दे ख रहा था और अब समझ गया था
कक उसकी प्यारी बेटी सातनया अब रां डी बन चक
ु ी अपनी खश
ु ी से, और अब वो पीछे नहीां हटने वाली, सो
अब वो भी बोला-"हाुँ यार सो तो है , मझ
ु े तो जरा भी अांदाजा नहीां था कक मेरी बेटी इस कदर सेकसी है
कक ऐसा सब कुछ मदहने-दो मदहने में करने को तैयार हो जाएगी। जरा भी शमो-हया नाम की चीज हीां
बाकक नहीां उसमें । मझ
ु े तो अब यह चचांता सता रही है कक जब इसकी अम्मी लौटे गी तो कया होगा?"मैंने
उसकी बात पर ध्यान न दे सातनया के मोहक, नशीले बदन पर ध्यान ददया और बोला-"छोड़ साले अब ये
बकवास और दे ख कक बेटी कैसे मस्त हो रही है इन मादचोदों की करतत
ु ों पर"। सच, सातनया एक दम से
क़िदा थी अपने इन तीन पवदे शी चाहनेवालों पर। वो सब भी साले उसके बदन को कब, कहाुँ, कैसे मसल
रहे थे यह सब तो मझ
ु े बाद में ठीक से पता चला जब एसलशा की बनाई पवडडयो हमने दे खी। ज्द हीां
सातनया को सीधा सलटा कर सब उसकी चद
ु ाई शर
ु कर ददए। सबसे पहले एडपवन ने उसकी बर में अपना
लन्ड ठाुँसा, २५-३० धकके के बाद वो अपना बाहर तनकाला तो बबल सातनया की बर में अपना लन्ड पेला
और जब वो ३५-३० धकके के बाद हटा तो जैक ने उसकी खुली हुई चत में अपना लन्ड घस
ु ेड़ ददया। इस
तरह से तीनों बारी-बारी से लगातार करीब आधे घांटे तक उसके चत को रगड़ते रहे , वो अब कराह उठी
थी। उसकी मस्ती सब तनकल गई थी और अब उस साली के बदन को भोगा जा रहा था। हम सब ने
उसको चोदा था आज तक, आज उसको इन तीनों हरासमयों ने बताया कक कैसे एक जवान लड़की की
जवानी को भोगा जाता है मदों के द्वारा। अब वो अपनी टाांग हवा में उठाए-उठाए थक गई थी और बार-
बार कोसशश कर रही थी कक थोड़ा आराम करे , पर वो तीनों साले कहाुँ मानने वाले थे। तीनों बारी-बारी कर
रहे थे सो उन में से कोई अभी तक झड़ा भी नहीां था और हमारी प्यारी सातनया का सारा कस-बल
तनकल गया था। ऐसा तो आज तक उसके साथ हुआ नहीां था। वो अब चाह रही थी कक वो सब थोड़ा रके,
पर....बार-बार उसकी नजर हम सब से समलती और उसकी आुँख हमसे मदद चाहती, पर अब तो जमील
भी साली को ऐसे चुदाते दे ख सस़ि़ मजा लट
ु रहा था। मैं तो ऐसे कर रहा था जैसे मैं कुछ समझ हीां नहीां
रहा हुँ, पर समझ तो सबसे ज्यादा मैं ही रहा था, असल में सब तो मेरा हीां ककया धरा था। वैसे इसमें मेरा
भी कोई खास दोर् नहीां था। शर
ु आत तो उसी साली सतनया ने की थी। मैं तो उसके बारे में सोच-सोच
कर मठ हीां मारता था, पर वही साली अपना ब्रा-पैन्टी मेरे बाथरम में छोड़-छोड़ कर मझ
ु े दहन्ट की कक मैं
उसके बदन की तऱि आकपऱ्त हो जाऊुँ, क़िर मेरे जैसा चुदककड़ को जब वो खुद मौका दी कक मैं एक
रां डी उसके सामने चोदुँ , और मेरी ककस्मत से मझ
ु े राचगनी जैसी बच्ची की उमर की ताजा-ताजा मांडी में
आई रां डी समली तो मैं मौका कयों जाने दे ता। यही सब सोचता हुआ मैं अपना लन्ड सहलाते हुए उसकी
चुदाई के दे ख कर मस्त हो रहा था। खैर अब तीनों सातनया के उपर से हटे और हमें आने का न्योता
ददया। सातनया को वो सब घोड़ी बनाए हुए थे और उसकी बर और गाुँड़ दोनों की छे द परु ा खुली हुई थी।
दोनों छे द लाल भभका हो गया था। जब ऎड्पवन ने दब
ु ारा हमें ईशारा ककया तो मैं उठ गया और अपने
को नीचे की तऱि से नांगा ककया। मेरा लन्ड वैसे भी यह सब दे ख ़िऩिनाया हुआ था। तभी एक घोर
आश्चय़ की बात हुई। जमील साला भी खड़ा हो गया था अपनी बेटी की घड़्
ु सवारी करने के सलए।
हरामजादी सातनया को जब लगा कक अब हम-दोनों उसकी ठुकाई करें गे, साली अपना तकली़ि सब भल
गई और मस्
ु कुराई। जमील को नांगा होते दे ख सब ने तासलयाुँ बजाई। जमील भी थोड़ा लजाया पर अब
उसके भीतर का मद़ जागा हुआ था और जब सामने ऐसी कुततया अपना नांगा नाच ददखा रही हो तो
ककस मादरचोद में दम है कक शान्त बैठा रहे ? खैर जैसे हीां मैं और जमील सातनया की तऱि बढ़े कक बबल
को अचानक कुछ याद आया और वो एकदम से बोला-"वेट, लेट अस गेट ददस स्लट वन मोर राऊन्ड पवद
अस. ददस टाईम वी पवल लेट हर ़िील डबल पेनेट्रेशन इन हर पस्सी...कमोन एड्पवन, लेट हर गेट दी
टे स्ट ओ़ि ददस ट। (रको, हमें अभी इस रां डी के साथ एक बार और मजा लेने दो. इस बार हम उसकी
चत को दो लन्डों का मजा दें गे..आ जाओ एड्पवन, इसे यह मजा भी करा दें )। जमील को यह सब सन
ु
कर अपनी बेटी पर दया आई-"नो, नौट ददस, माई गल़ कान्ट टे क ददस काईन्ड, शी इज सो हे ्पलेस नाउ
य कैन सी दै ट, शी इज इन पेन (नहीां, यह नहीां मेरी बेटी ऐसा नहीां करा पाएगी, बेचारी अब बहुत बेबस है ,
आप सब दे ख रहे हैं, वह अब दद़ महसस कर रही है )"। बबल अब सीधे सातनया से ही कहा-"बेबी, गेट द
़िील ओ़ि डबल पेनेट्रेशन इन पस्सी, आ़िटर ददस, य पवल नौट है व एनी प्रौब््म इन एड्ट इन्डस्ट्री, ददस
इज अलटीमेट, य पवल बी अ ग्रैजुएट इन द आट़ ओ़ि ़िककन्ग (लौजन्डया, एक बार अपने चत में दो
लन्डों का मजा ले लो, इसके बाद तम्
ु हें कभी कहीां ककसी से चुदाने में परे शानी नहीां होगी (ब्ल क़ि्म की
दतु नया में भी), यह काम ही लड़की के सलए अांततम है , इसके बाद तम्
ु हें चुदाई में पवशेर् महारत हो
जाएगा)। सातनया तो जैसे चुदाई के नशे में अब थी, उसे कुछ पता न था, वो मदहोशी में बोली कक ठीक
है , और क़िर कया था। बबल ़िटाक से नीचे लेट गया और सातनया को अपने उपर खीांच सलया। वो
हरामजादी भी उसके उपर चढ़ गई और अपने चत में खुद अपने हाथ से बबल का लन्ड घस
ु ा ली और
बबल के उपर लेट कर उसके होठ चुसने लगी। इसके बाद बबल ने एडपवन को पक
ु ारा तो वो मादचोद भी
अब सातनया की पीठ पर चढ़ गया अये साले ने अपना लन्ड सातनया की लाल भभका चत में घस
ु ाने
लगा थोड़ी मशककत के बाद साले ने अपना आधा लन्ड सातनया की बर में घस
ु ा हीां ददया। साली का बर
इन दोनों हरासमयों के लन्ड से खीांच कर लाल हो रहा था। लग रहा था कक उसकी बर अब अपने ककनारों
पर से ़िट जाएगी। पर वाह उपरवाले की कलाकारी....सातनया की बर लाल भभका हो गई पर जरा भी
नहीां ़िटी और क़िर हौले-हौले उसके बर की चद
ु ाई दो-दो लन्डों से होने लगी। वो अब दद़ से बबलबबला
रही थी, गों-गों उउउम्म्म्म्ममाआआआह्ह्ह्ह््ह कर रही थी पर साथ-साथ इस नये अांदाज में चुद भी रही
थी। जमील को उसके दद़ को दे ख आुँख बन्द कर सलया, राचगनी की आुँखों में आुँस आ गए, पर वो सब
साले पवदे शी उस ़िल सी ददखने वाली हसीन, कोमल सातनया की मस्त चुदाई कर रहे थे और एसलशा इस
सब का पवडडयो बना रही थी। तभी एडपवन को थोड़ा साईड कर के जैक भी आ गया और रोती
चगड़चगड़ाती सातनया की गाुँड़ में अपना काला लन्ड पेल ददया, क़िर तो तीनों ने समल कर उस बेचारी
सातनया की गत बना दी। बेचारी रो रही थी, और चद
ु रही थी, दो-दो लन्ड उसकी बर को भोंसड़ा बना रहा
थ और एक काला भज
ु ांग लन्ड उसकी गाुँड़ की मासलश कर रहा था। करीब पाुँच समनट तक सातनया को
इसी तरह से रगड़ने के बाद वो साले हरामी हटे और हमें आगे बढ़ने को कहा। साली की बर और गाुँड़
दोनों हीां अब परी तरह से खल
ु गये थे और वो एक साुँप के बबल का आभास दे रहे थे। जमील थोड़ा
दहचका, अपनी बेटी की दशा दे ख, पर मैं कयों रकता...सातनया तो खद
ु अपनी मजी से यह सब चन
ु ी थी तो
आज साली को परु ा बता दे ना था कक मदों की जात कैसे ककसी मस्त माल के बदन को भोगती है , सो मैं
उसकी गाुँड़ में अपना लन्ड बबना ककसी भसु मका के एक जोर के धकके के साथ पेल ददया। सातनया दद़ से
कराह उठी पर क़िर चप
ु होगई जब दे खी कक अभी उसका प्यारा चाच उसकी गाुँड़ मार रहा है तो। मैं
मस्त हो कर खब
ु जोर-जोर से साली की चचु चयों को मसलते हुए गाुँड़ मार रहा था। ज्द हीां मैं झड़ने के
करीब हो गया (दे र से उस हरामजादी की ऐसी चद
ु ाई दे ख मेरा पहले से हीां बरु ा हाल था), तो मैंने पछ
ु ा
कहाुँ तनकालुँ माल, और जब तक सातनया बोले, सके पहले जैक बोला-"इन द पस्सी, हर डैड इज हीयर, लेट
हर गेट प्रेग्नेन्ट बाई हर टुडेज ़िक (उसकी बर में , उसका बाप साथ है म उसे आज की चद
ु ाई से गभ़वती
होने दो)" यह सन
ु मेरा लौड़ा झटका खाने लगा और मैं ज्दी से उसे सातनया की बर में घस
ु ाया और
लन्ड से पपचकारी छुटने लगी। साली का बर भर गया। जब मैं बाहर तनकाला तो जैक तरु न्त बहर बह रहे
मेरे स़िेद माल को अपने लन्ड से समेटा औए क़िर उसे उसी काले लन्ड से भीटर ठे ल ददया, जोर
से...जैसे सब माल को वो भीतर सातनया की गभा़शय में घस
ु ा रहा हो। सब स़िेदा को काछ कर भीतर
ठे लने के बाद जैक हटा और जमील को आने को कहा। जमील भी सातनया की गाुँड़ मारने लगा। सातनया
एक बार सर घम
ु ा कर अपने बाप को दे खी और मस्
ु कुराते हुए बोली-"अब्ब...आह मजा आ गया", और
जैसा कक मैंने ककया था वैसे हीां जमील भी जब झड़ने को हुआ तो सातनया की बर में अपना लन्ड पेल
ददया। जब जमील अपने लन्ड का माल अपनी बेटी की बर में उड़ेल कर हटा तो जैक क़िर आगे आया।
एक बार क़िर वो जमील के स़िेदा का वो दहस्सा जो सातनया की बर से बाहर तनकल रहा था, को अपने
लन्ड से समेट कर पन
ु ः उसके गभा़शय तक पहुुँचाया। क़िर इसके बाद एडपवन और बबल ने अपना माल
सातनया की बर में तनकाला और अांत में जैक के अपने काले हब्सी लन्ड से सातनया को खुब तेजी से
ज्दी-ज्दी चोदा और उसको अपने बाहों में जकड़ कर उसकी बर की जड़ में अपना माल उड़ेला।
सातनया की बर, गाुँड़, जाुँघ के दहस्से पर हम पाुँच मदों का स़िेद-स़िेद माल सलसड़ा हुआ था। जैक एक
जोर का चुम्मा उसके होठ पर सलया और थैंकयु बेबी कहते हुए हटा। हुँसते हुए जैक ने अब सातनया से
पछा-"अगर आज की चुदाई से तम
ु प्रेगनेन्ट हो गई तो कया तम
ु अपने बच्चे को बता सकोगी कक उसका
बाप कौन है ?" उसकी इस बात पर सब हुँसने लगे और सातनया का चेहरा अब असल शम़ से लाल हुआ।
ऐसी शम़ की लाली मैंने भी सातनया के चेहरे पर पहले नहीां दे खी थी। जमील बोला-"अब तो अ्लाह हीां
इस मस
ु ीबत से बचाए तो बचाए।" उसका इरादा था कक सातनया गभ़वती न हो, पर मैंने मजे के सलए जड़
ददया-"हाुँ जमील, अब तो सस़ि़ अ्लाह ही सातनया के बच्चे के बाप का नाम बता पाएुँगे या क़िर
डी.एन.ए. टे स्ट पर इसके सलए ये तीनों कहाुँ समलेंगे आज के बाद।" हम सब अब कपड़े पहनने लगे।
सातनया उठ कर नहाने चली गई। उसे चलने में भी तकली़ि हो रही थी। करीब एक घन्टे हम और वहाुँ
रहे , चाय नास्ता ककया और क़िर वो पवदे शी अब अपनी पैककां ग करने लगे। एसलशा ने हमें उस पवडडयो की
एक कौपी बना कर दी। क़िर एक दस
ु रे को बधाई दे और अपने ई-मेल एक-दस
ु रे को बाुँट हम वपस अपने
कौटे ज में आ गए और हम भी पैककां ग करने लगे। सातनया का बरा हाल था। बेचारी चप
ु -चाप लेट गई थी
और आराम कर रही थी। उसके सामान की पैककां ग भी हमीां ने की। शाम करीब चार बजे हम वापस हो
सलए।
समाप्त
" अच्छा, तब तो ठीक है , वैसे मैंने थोड़ी टाईट क़िदटांग वाली कच्छी ली है , हो सकता है इससलये काट रही
होगी. " "वाह मामी, आप भी कमाल करती हो इतनी टाईट क़िदटांग वाली कच्छी खरीदने की कया जररत
थी आपको ? " " टाईट क़िदटांग वाली कच्छी हमारे बहुत काम की होती है , ढीली कच्छी में परे शानी हो
जाती है , वैसे तेरी परे शानी तो खतम हो गई ना. " " हाां, मामी, बबना अांडरपवयर के बहुत परे शानी होती थी,
सारे लड़के मेरा मजाक उड़ाते थे। " " पर लड़ककयों को तो अच्छा लगता होगा, कयों ? " " हाय, मामी, आप
भी नाआआ,,,, " " कयों लड़ककयाुँ तझ
ु े नही दे खती कया ? " " लड़ककयाुँ मझ
ु े कयों दे खेंगी ? " " तु अब
जवान हो गया है , मद़ बन गया है . " " कहाुँ मामी, आप भी कया बात करती हो !!? " " अब जब अांडरपवयर
पहनने लगा है , तो इसका मतलब ही है की तु अब जवान हो गया है . " मदन इस पर एक दम से शरमा
गया " धत मामी,,,,,,,,,!!! " " तेरा खड़ा होने लगा है कया ? " मामी की इस बात पर तो मदन का चेहर
एकदम से लाल हो गया। उसकी समझ में नही आ रहा था कया बोले। तभी उसम़ला दे वी ने अपनी नाईटी
को एकदम घट
ु नो के ऊपर तक खीांचते हुए बड़े बबन्दास अन्दाज में अपना एक पैर जो की टे बल पर रखा
हुआ था उसको मदन की जाांघो पर रख ददया (मदन दर-असल पास के सोफे पर पलाठी मार के बैठा
हुआ था।) मदन को एकदम से झटका सा लगा। मामी अपने गोरे गोरे पैर की एड़ी से उसकी जाांघो को
ह्के ह्के दबाने लगी और एक हाथ को कफर से अपने जाांघो के बीच ले जा कर बरु को ह्के ह्के
खुजलाते हुए बोली, "बोल न कयों मैं ठीक बोल रही हुँ ना ?" "ओह मामी," "नया अांडरपवयर सलया है ,
ददखा तो सही कैसा लगता है ?" "अरे कया मामी आप भी ना बस ऐसे,,,,,,,,,,अांडरपवयर भी कोई पहन के
ददखाने वाली चीज है ." "कयों लोग जब नया कपड़ा पहनते है तो ददखाते नही है कया ?", कह कर उसम़ला
दे वी ने अपने एड़ी का दबाव जाांघो पर थोड़ा सा और बढ़ा ददया, पैर की उां गसलयों से ह्के से पेट के
तनचले भाग को कुरे दा और मस्
ु कुरा के सीधे मदन की आांखो में झाांक कर दे खती हुई बोली, " ददखा ना
कैसा लगता है , कफट है या नही ?" "छोड़ो ना मामी.." 'अरे नये कपड़े पहन कर ददखाने का तो लोगो को
शौक होता है और तु है की शरमा रहा है , मैं तो हां मेशा नये कपड़े पहनती हुँ तो सबसे पहले तेरे मामा को
ददखाती हुँ, वही बताते है की क़िदटांग कैसी है या कफर मेरे ऊपर जुँचता है या नही ।" "पर मामी ये कौन
सा नया कपड़ा है , आपने भी तो नई कच्छी खरीदी है वो आप ददखायेंगी कया ??" उसम़ला दे वी भी समझ
गई की लड़का लाईन पर आ रहा है , और कच्छी दे खने के चककर में है । कफर मन ही मन खुद से कहा
की बेटा तझ
ु े तो मैं कच्छी भी ददखाऊुँगी और उसके अन्दर का माल भी पर जरा तेरे अांडरपवयर का माल
भी तो दे ख लुँ नजर भर के कफर बोली, "हाां ददखाऊुँगी अभी तेरे मामा नही है ,,,,,ना, तेरे मामा को मैं सारे
कपड़े ददखाती हुँ." "तो कफर ठीक है मैं भी मामा को ही ददखाऊुँगा." "अरे तो इसमे शरमाने की कया बात
है , आज तो तेरे मामा नही है इससलये मामी को ही ददखा दे ." “धत मामी,,,,,,” और उसम़ला दे वी ने अपने
परे पैर को सरका कर उसकी जाांघो के बीच में रख ददया जहाां पर उसका लण्ड था। मदन का लण्ड खड़ा
तो हो ही चक
ु ा था। उसम़ला दे वी ने ह्के से लण्ड की औकात पर अपने पैर को चला कर दबाव डाला
और मस्
ु कुरा कर मदन की आांखो में झाांकते हुए बोली, "कयों मामी को ददखाने में शरमा रही है , कया ?"