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जवानी की मिठास

लेख़क- अज्ञात
सावधान- दोस्तों, ये कहानी मााँ और बहन की चद
ु ाई पर आधाररत है जिन भाइयों को इन ररश्तों की कहाननयाां
पढ़ने में अरुचच होती है कृपया वो इस कहानी को ना पढ़ें ।

***** *****
वविय अपनी मोटरबाइक पर 70 की रफ़्तार में उड़ा िा रहा था, तभी अचानक तीन-चार पोलिस वािों ने दरू से
वविय की बाइक को हाथ दे कर रोक लिया और वविय ने अपनी बाइक की रफ़्तार कम करके एक तरफ खड़ी
कर िी।

वविय- क्या हुआ साहब?

पोलिस- गाड़ी के पेपर और िाइसेन्स ददखाओ।

वविय ने अपनी िेब से िाइसेन्स ननकािकर ददया तब पोलिस वािे ने पेपर मााँग।े तब वविय ने कहा कक गाड़ी
के पेपर तो उसके घर पर ही रह गये हैं। पोलिस वािों ने वविय को गाड़ी एक ओर िगाने को कहा और तभी
एक लसपाही ने, जिसका नाम िखनलसांह था, साहे ब से कहा- “अरे साहे ब, यह हमारे गााँव का है इसे िाने दो, और
साहे ब आप कहो तो मैं भी गााँव तक इसके साथ चिा िाऊाँ, बड़ा िरूरी काम है …”

वविय- अरे धन्यवाद िखन, तम


ु ना आते तो पता नहीां मझ
ु े ककतनी दे र परे शान होना पड़ता।

िखन- अरे नहीां वविय भैया हमारे रहते आप कैसे परे शान होंगे, पर यह बताओ कक आि गााँव की तरफ कैसे
चि ददए?

वविय- अरे िखन भैया, मेरी नौकरी शहर में है और वहाां से गााँव 50-60 ककिोमीटर पड़ता है तो मैं हर सनडे
गााँव आ िाता हूाँ। आखखर मााँ और गड़ु ड़या से भी तो लमिना पड़ता है ना।

िखन- अच्छा चिो मझ


ु े भी गााँव तक चिना है । मैं भी तम्
ु हारे साथ ही चिा चिता हूाँ। साहे ब से भी छुट्टी मााँग
िी है ।

वविय- क्यों नहीां िखन बैठो।

वविय िखन को िेकर गााँव की ओर चि दे ता है, वविय एक 30 साि का हट्टा-कट्टा िवान था और शहर में
सरकारी नौकरी करता था और अपना परू ा नाम ववियलसांह ठाकुर लिखता था, गााँव में उसकी मााँ रुक्मणी और
बहन गड़ु ड़या रहते थे। रुक्मणी करीब 48 साि की एक भरे बदन की औरत थी और करीब 10 साि पहिे ही
उसके पनत की मौत हो चक
ु ी थी उसे िोग गााँव में ठकुराइन के नाम से ही पक
ु ारते थे। वविय की बहन गड़ु ड़या
अब 25 बरस की हो चिी थी, िेककन अभी तक दोनों भाई-बहन में से ककसी की शादी नहीां हुई थी, िेककन सभी
की कामनाएां दबी हुई थीां।

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िखन- वविय भैया, कहो तो आि थोड़ा मददरापान हो िाए, कहो तो एक बोति िे िाँ ू गााँव के हरे भरे पेड़ों के
नीचे बैठकर पीने का मिा ही कुछ और आता है ।

वविय िानता था कक िखन एक रां गीन लमिाि का आदमी है और वविय एक-दो बार पहिे भी िखन और एक
दो िोगों के साथ बैठकर पी चक
ु ा था। उसने सोचा चिो अब शाम भी हो रही है और गााँव भी 10 ककमी होगा,
थोड़ा मड
ू फ्रेश कर ही लिया िाए। िखन और वविय गााँव से 3-4 ककमी दरू एक तािाब के ककनारे िगे पेड़ों के
नीचे बैठकर पीना शरू
ु कर दे ते हैं।

िखन- अच्छा वविय भैया कोई माि वगैरह पटाया है कक नहीां शहर में या ऐसे ही नीरस जिांदगी िी रहे हो?

वविय- अरे बबना औरत के क्या जिांदगी नीरस रहती है ?

िखन- अरे और नहीां तो क्या? अब हमको ही दे ख िो, तमु से दो साि छोटे हैं पर िबसे हमारी शादी हुई है तब
से हमको अपनी औरत को चोदे बबना नीांद ही नहीां आती है ।

वविय को िखन की बातों मैं बड़ा मिा आ रहा था और उसका नशा चढ़ता ही िा रहा था, उधर िखन की यह
कमिोरी थी कक वह पीने के बाद लसर्फ़ और लसर्फ़ चत
ू और चद
ु ाई की ही बातें करता था।

वविय- तो क्या तम
ु अपनी औरत को रोि चोदते हो?

िखन शराब का बड़ा सा घट


ूाँ गटकते हुए- “हााँ भैया, मझ
ु े तो बबना अपनी औरत की चूत मारे नीांद ही नहीां आती
है ।

वविय- िगता है तेरी बीबी बहुत सद


ुां र है ।

िखन- सद
ांु र तो है भैया, िेककन िैसे माि की हमें चाहत थी वैसा माि नहीां है ।

वविय- क्यों तझ
ु े कैसे माि की चाहत थी?

िखन- अब क्या बताऊाँ भैया, मझ


ु े िौंड़डयों को चोदने में उतना मिा नहीां आता है जितना मिा बड़ी उमर की
औरतों को चोदने मैं आता है ।

वविय- बड़ी उमर की मतिब, ककस तरह की औरत?

िखन- भैया, मझ
ु े तो अपनी मााँ की उमर की औरतों को चोदने में मिा आता है।

वविय- क्यों, मााँ की उमर की औरतों में कुछ खास बात होती है क्या?

िखन- अच्छा पहिे यह बताओ कक तम


ु ने कभी अपनी मााँ की उमर की औरत को परू ी नांगी दे खा है?

वविय- नहीां दे खा क्यों?

िखन- अगर दे खा होता तो िानते, मैं तो शादी के पहिे ऐसी ही औरतों को सोच-सोचकर खूब अपना िण्ड
दहिाता था।

2
वविय- अच्छा, तो क्या तन
ू े ककसी को परू ी नांगी भी दे खा था?

िखन नशे में मश्ु कुराते हुए- “दे खो भैया, तम


ु से बता रहा हूाँ क्योंकी तम
ु मेरे भाई िैसे हो पर ये बात कहीां और
ना करना।

वविय- िखन, क्या तझ


ु े मझ
ु पर भरोसा नहीां है ?

िखन- भरोसा है तभी तो बता रहा हूाँ भैया, एक बार मैंने अपनी अम्मा को परू ी नांगी दे खा था, क्या बताऊाँ भैया
इतनी भरे बदन की है मेरी अम्मा की उसकी गदराई उफान खाती िवानी दे खकर मेरा िण्ड ककसी डांडे की तरह
तन गया था, बस तब से ही भैया मझ
ु े अपनी अम्मा िैसी औरतें ही अच्छी िगती हैं और िब भी मैं अपनी
औरत को चोदता हूाँ तो मझ
ु े ऐसा िगता है िैसे मैं अपनी अम्मा को परू ी नांगी करके चोद रहा हूाँ।

वविय िखन की बात सन ु कर है रान रह िाता है िेककन उसका िण्ड उसके पैंट में परू ी तरह तना हुआ था, पछ
ू ा-
पर तन
ू े अपनी अम्मा को परू ी नांगी कैसे दे ख लिया?

िखन- अरे वविय भैया तम


ु इन औरतों को नहीां िानते। इनकी उमर जितनी बढ़ती िाती है उनकी िवानी और
उठने िगती है । मेरी अम्मा को चूत में खूब खुििी मची होगी इसीलिए वह परू ी नांगी होकर घर के आाँगन में
नहा रही थी और मैं चुपचाप छुपकर उसकी गदराई िवानी दे ख रहा था।

वविय- तब तो तू रोि अपनी अम्मा को नांगी दे खता होगा?

िखन- “अब भैया घर में ऐसा चोदने िायक माि हो तो उसे परू ी नांगी दे खे बबना रहा भी तो नहीां िाता। पता
नहीां तम
ु 30 बरस के हो चिे हो और तम्
ु हारा मन क्यों नहीां होता है , िबकक तम्
ु हारी मााँ तो…”

वविय- बोि-बोि क्या कह रहा था?

िखन- माफ करना भैया, गिती से माँह


ु से ननकि गया।

वविय उसकी बोति िेकर एक साांस में तीन-चार घट ूाँ खीांचते हुए- “अरे बोि ना क्या कह रहा था मेरी मााँ के
बारे में ? िब मैं तेरी मााँ के बारे में सन
ु सकता हूाँ तो अपनी मााँ के बारे में भी सन ु सकता हूाँ। बोि तू क्या
कहना चाहता है? तू मेरा दोस्त है मैं तेरी बात का बरु ा नहीां मानाँग
ू ा और अगर मझ
ु े बात बरु ी िगी तो मैं तझ
ु े
करने के लिए मना कर दाँ ग
ू ा, अब बोि भी दे …”

िखन वविय की बात सन


ु कर थोड़ा िोश में आ चक
ु ा था- “और भैया मैं तो यह कह रहा था की इस परू े गााँव मैं
अगर सबसे गदराया बदन और नशीिी िवानी अगर ककसी की है तो वह है आपकी मााँ ठकुराइन की। क्या
आपका िण्ड आपकी मााँ को दे खकर खड़ा नहीां होता है ? िबकक आप तो हमेशा उनके साथ घर पर ही रहते हो।
ठकुराइन िब गााँव में चिती हैं तो अच्छों-अच्छों के िण्ड खड़े हो िाते हैं…”

वविय नशे मैं बहुत मस्त हो रहा था और िब उसने िखन के माँह ु से अपनी मााँ की गदराई िवानी की बात
सनु ी तो उसका मोटा िण्ड झटके खाने िगा था- क्या इतनी मस्त िगती है मेरी मााँ?

िखन- सच कहूां वविय भैया, अगर तम्


ु हारी िगह मैं ठकुराइन का बेटा होता तो ददन रात ठकुराइन को खूब
कस-कसकर चोदता, सच वविय भैया आपकी मााँ बहुत मािदार औरत है, ककतने सािों से उन्होंने कोई िण्ड भी
नहीां लिया है । उनकी चत
ू तो परू ी काँु वारी िौंड़डयों िैसी हो गई होगी।

3
वविय- अच्छा तो एक बात बता िखन, तन
ू े कभी अपनी अम्मा को चोदने की कोलशश नहीां की?

िखन- अरे नहीां वविय भैया, मेरी मााँ बहुत गरम लमिाि की औरत है और इसीलिए मेरी गाण्ड फाटती है इन
सब कामों से।

वविय- तन
ू े ठीक ही ककया है , कोई मााँ अपने बेटे से अपनी चूत थोड़े ही चुदवा िेगी?

िखन- हााँ वो तो है भैया, पर जिस औरत को िांबे समय से िण्ड ना लमिा हो, वो औरत अगर ककसी िवान
िोंडे का मस्त िण्ड दे ख िे तो उसकी चूत वपघि सकती है और िब औरत खूब चुदासी हो िाती है तो कफर वह
ककसी का भी िण्ड िे सकती है ।

वविय बात िखन से कर रहा था िेककन िखन की बातों के कारण उसके ददमाग में लसर्फ़ उसकी मााँ रुक्मणी
का ही ख्याि आ रहा था और उसे कभी रुक्मणी की मोटी िहराती गाण्ड, कभी उसके मोटे -मोटे कसे हुए दध

और कभी उसके रसीिे होंठ और उभरा हुआ पेट ही निर आ रहा था। वविय ने कहा- “अच्छा यह बता िखन
और कौन औरत गााँव में सबसे पटाका िगती है तझ
ु …
े ”

िखन- अरे भैया, हमें िगने से क्या होता है? सच कहूां तो असिी माि तम्
ु हारे घर में है और तम
ु हो कक
एकदम नीरस आदमी हो।

वविय- तो मझ
ु े क्या करना चादहए िखन?

िखन- भैया, औरत की दबी हुई आग अगर भड़का दो तो कफर तम्


ु हें कुछ करने की िरूरत नहीां पड़ेगी, औरत
खुद ही सब कुछ कर िेगी।

वविय- तन
ू े अपनी बीबी को अपनी अम्मा को नांगी दे खने वािी बात बताई है कक नहीां?

िखन- अरे वह तो सब िानती है , कई बार तो वह खद


ु कहती है कक मझ
ु े अपनी अम्मा समझकर चोदो, िब
तम
ु मझ
ु े अपनी अम्मा समझकर चोदते हो तो बहुत अच्छे से चोदते हो।

वविय मश्ु कुराता हुआ- “सािे अपनी औरत को भी पटा लिया है तन


ू …
े ”

वविय- चि अब चिते हैं बहुत दे र हो रही है ।

िखन- कफर कभी बैठने का मड


ू हो भैया तो उसी नाके पर आ िाना, िहाां तम्
ु हारी गाड़ी रोकी थी मेरी ड्यट
ू ी
उसी चौकी पर रहती है ।

वविय- क्यों नहीां िखन अब तो तेरे साथ बैठना ही पड़ेगा, तेरी बातें परू ा मड
ू फ्रेश कर दे ती हैं।

िखन- अगर ऐसी बात है भैया तो अगिी बार िब हम साथ बैठेंगे तब मैं तम्
ु हें और भी कई मस्त बातें
बताऊाँगा।

वविय मश्ु कुराते हुए- “ककसके बारे में? अपनी अम्मा के बारे में या मेरी मााँ के बारे में ?

4
िखन- तम ु जिसके बारे में सन
ु ना चाहोगे भैया उसके बारे में बता दाँ ग
ू ा। पोलिस वािा हूाँ सबकी खबर रखता हूाँ,
और हााँ भैया आपसे एक बात कहना भि ू गया। बरु ा मत मानना पर मेरी सिाह है कक अपनी बहन गड़ु ड़या को
अपने साथ शहर में रखो, यहाां गााँव का महौि बड़ा खराब रहता है , ककसी ददन कुछ ऊाँच नीच ना हो िाए।

वविय- तू कुछ छुपा रहा है िखन, साफ-साफ बता क्या बात है ?

िखन- भैया, बरु ा मत मानना पर एक ददन मैंने दे खा की मनोहर काका अपना िण्ड ननकािकर मत
ू रहा था और
गड़ु ड़या झाड़ड़यों के पीछे छुपकर उसका मोटा िण्ड दे ख रही थी। अब वह बड़ी हो गई है , उसका भी मन अब इन
चीिों की तरफ िाने िगा है ।

वविय- “अरे िखन, तन ू े बहुत अच्छा ककया िो मझ


ु े पहिे से ही इन बातों के बारे में बता ददया। मैं कि ही
गड़ु ड़या को यहाां के माहौि से बाहर शहर िे िाता हूाँ, वहाां कुछ लसिाई-बन
ु ाई सीख िेगी तो ससरु ाि में उसके
काम आएगी…” दोनों बातें करते हुए गााँव पहुाँच िाते हैं और कफर िखन अपने और वविय अपने घर की ओर आ
िाता है ।

वविय का िण्ड अभी-अभी बैठा ही था कक घाघरा चोिी पहने गड़ु ड़या दौड़कर आती है और वविय के सीने से
िग िाती है । वविय के सीने में गड़ु ड़या की पपीते िैसी बड़ी-बड़ी ठोस छानतयाां परू ी तरह से चुभने िगती हैं,
वविय गड़ु ड़या को पहिी बार इस तरह महसस
ू कर रहा था और वह गड़ु ड़या को अपने सीने से परू ी तरह कसकर
उसके गािों को चम
ू िेता है ।

गड़ु ड़या उसके सीने से अिग होकर उसके सीने पर मक्


ु के मारकर हाँसती हुई- “क्या भैया, आपने तो कहा था कक
ददन में ही आ िाओगे और आप आधी रात को आ रहे हो, मैं कब से आपका रास्ता दे ख रही थी…”

वविय शराब के नशे में परू ी तरह मदहोश था और गड़ु ड़या की गदराई िवानी को पहिी बार इतनी गौर से दे ख
रहा था, उसे गड़ु ड़या के मोटे -मोटे दध
ू इतना मस्त कर रहे थे कक वह अपनी निरें अपनी बहन के दध
ू से हटा ही
नहीां पा रहा था।

गड़ु ड़या- अच्छा भैया मेरे लिए क्या िाए हो?

वविय कुसी पर बैठता हुआ- पहिे यह बता मााँ कहा है?

गड़ु ड़या- मााँ तो िमन


ु ा काकी के यहाां बैठी है ।

वविय- “दे ख मैं तेरे लिए ये पायि िेकर आया हूाँ…”

पायि दे खते ही गड़ु ड़या चहक कर वविय से लिपट िाती है ।

वविय भी कोई मोका छोड़ना नहीां चाहता था इसलिए वह गड़ु ड़या को अपनी गोद में बबठाकर अपने हाथ उसकी
भरी हुई कठोर चूचचयों पर िेिाकर धीरे -धीरे उसे सहिाता हुआ गड़ु ड़या के गािों को चूमता हुआ बोिा- “मेरी
प्यारी बहना रानी अब तो खशु है अपने भैया से?”

गड़ु ड़या- हााँ िेककन यह पायि तम्


ु हें ही पहनानी होगी मेरे पैरों में ।

वविय उसे खड़ी करके- “क्यों नहीां मेरी रानी बहना, िा पैर उठा…” और कफर वविय अपनी बहन के पैरों को
पकड़कर अपनी िाांघों में रख िेता है और दस
ू रे हाथ से उसका घाघरा उसके घटनों तक चढ़ा दे ता है जिससे एक
5
पैर की गोरी वपांडलिया और दस
ू रे पैर की मोटी िाांघें भी वविय को निर आने िगती हैं। वविय का िण्ड खड़ा
हो िाता है और वह अपने िण्ड को अपनी पैंट में अड्िस्ट करना चाहता है, पर सोचता है कक गड़ु ड़या दे खेगी तो
क्या सोचेगी? िेककन कफर उसे याद आता है कक गड़ु ड़या की चूत भी अब खुििाने िगी है तभी तो मनोहर काका
का िण्ड छुपकर दे ख रही थी। वविय उसे पायि पहनाते हुए अपने मोटे िण्ड को गड़ु ड़या के सामने ही मसि
दे ता है ।

िब वविय उसे पायि पहना रहा था तब वह बीच-बीच में गड़ु ड़या की वपांडलियों और िाांघों का भी िायिा िे रहा
था और िब वह अपनी बहन की गदराई िाांघों को छू रहा था तो उसकी िाांघों के गद
ु ाि स्पश़ से उसका िण्ड
भनभना चुका था।

गड़ु ड़या अपने दोनों पैरों को नीचे करके अपने घाघरे को घट


ु नों तक उठाकर अपने भैया को ददखाती हुई- “दे खो
भैया कैसी िग रही है मेरी पायि…”

वविय- बहुत अच्छी िग रही है तेरे पैरों में ।

गड़ु ड़या- “अब दे खना भैया, िब मैं इन्हें पहनकर चिग


ूां ी तब कैसी िगती हूाँ बताना…” और कफर गड़ु ड़या अपनी
मोटी-मोटी गाण्ड को मटकाती हुई िब पायि पहनकर चिती है ।

तो वविय से रहा नहीां िाता है और वह उठकर गड़ु ड़या के पीछे से िाकर उससे कसकर चचपक िाता है और उसे
अपनी गोद में उठा िेता है । वविय अपने हाथों को अपनी िवान बहन की माांसि गाण्ड के नीचे दबाए हुए उसे
अपनी गोद में उठाकर िब उसके गािों को चूमने िाता है तभी गड़ु ड़या अपना माँह
ु उसके माँह
ु की ओर कर दे ती
है और वविय के होंठ अपनी बहन के रसीिे होंठों से चचपक िाते हैं और वविय एक पि के लिए अपनी बहन
के रस भरे होंठों का रस पीने िगता है । और गड़ु ड़या उसके सीने से कसकर चचपक िाती है , िेककन कफर
अचानक वविय को ध्यान आता है और वह अपनी बहन को नीचे उतार दे ता है ।

गड़ु ड़या- भैया, ककतने ददन रुकोगे यहाां?

वविय- इस बार तो मैं दो ददन की छुट्टी िेकर आया हूाँ पर एक बात और कहना थी तझ
ु से।

गड़ु ड़या- वह क्या?

वविय- इस बार तू मेरे साथ शहर चिेगी, मझ


ु े खाना बनाने में बड़ा परे शान होना पड़ता है और कफर तू भी शहर
का माहौि दे ख िेगी।

गड़ु ड़या- “मैं तो तैयार हूाँ भैया पर मााँ िाने दे तब ना…”

वविय- तू कफकर ना कर मैं मााँ से बात कर िाँ ग


ू ा। अब िरा अपने भैया को पानी भी पीिा दो।

गड़ु ड़या- “अभी िाई…” और गड़ु ड़या अांदर चिी िाती है ।

तभी दरवािे से रुक्मणी का आना होता है- आ गया बेटे?

वविय िैसे ही अपनी मााँ को दे खता है, हर बार की तरह उसका निररया कुछ अिग था और उसकी निर सीधे
इस बार अपनी मााँ के उठे हुए गहरी नालभ वािे पेट पर पड़ती है और कफर बड़े-बड़े दध
ू और भरे -भरे गाि, रसीिे
होंठोंपर। वविय अपने मन में सोचता है उसकी मााँ तो वाकई बहुत तगड़ा माि है, िखन ठीक ही कह रहा था,
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मेरी मााँ परू ी नांगी ककतनी िबरदस्त निर आती होगी? कुछ ही पिों में यह सब सोचते हुये वविय का िण्ड परू ी
तरह खड़ा हो िाता है, और वविय आगे बढ़कर अपनी मााँ के पर छूता है और कफर िैसे ही उसकी बड़ी-बड़ी
कठोर चूचचयों को अपने सीने से िगाता है उसका िण्ड झटके मारने िग िाता है ।

रुक्मणी वविय के चेहरे पर हाथ फेरती हुई- “वहाां तझ


ु े खाना पीना नहीां लमिता है क्या ककतना दब
ु िा हो गया
है …”

वविय- नहीां मााँ, वह तो मैं तम्


ु हारी याद में दब
ु िा हो िाता हूाँ।

रुक्मणी- ऐसा होता तो मैं तो तझ


ु े ददन रात याद करती हूाँ पर दे ख मैं ककतनी मोटी होती िा रही हूाँ।

वविय अपनी गदराई मााँ के गोरे -गोरे उठे हुए पेट की खाि को अपने हाथों से दबाता हुआ- “नहीां मााँ, तम ु मोटी
कहााँ हो? तम्
ु हारे बदन पर तो यह हल्का फुल्का मोटापा बहुत अच्छा िगता है । हााँ मााँ मझ
ु े दनु नयाां की हर औरत
में सबसे अच्छी तम
ु ही िगती हो।

रुक्मणी मश्ु कुराकर- “अच्छा-अच्छा अब बातें बनाना बांद कर, मैं तेरे लिए खाना िेकर आती हूाँ…”

और कफर िैसे ही रुक्मणी िाने िगती है वविय िब गौर से अपनी मााँ की भारी भरकम मोटी गाण्ड की चथरकन
दे खता है तो उसका िण्ड झटके पर झटके मारने िगता है और वह अपनी मम्मी को परू ी नांगी दे खने के ख्याि
से ही पागि होने िग िाता है ।

वविय उधर अपनी मााँ के सामने बैठकर खाना खाने िगता है और दस


ू री ओर गड़ु ड़या पड़ोस में रहने वािी चांपा
के पास बातें करने पहुाँच िाती है ।

गड़ु ड़या… दे खा िाए तो वविय को बहुत सीधी सादी और भोिी िगती होगी िेककन गड़ु ड़या के ददमाग में क्या
चिता है इसका ख्याि वविय को नहीां था, और गड़ु ड़या का मन बदिने वािी कोई और नहीां चांपा ही थी। चांपा
गड़ु ड़या की ही उम्र की िड़की थी और अपने बाप और भाई के साथ रहती थी। चांपा अपने भैया से रोि रात को
चद
ु वाती थी और अपने भैया के िण्ड की दीवानी थी, और यह सब बातें उसने गड़ु ड़या को भी बता रखी थीां। तब
से ही गड़ु ड़या उसकी बातों में कुछ ज्यादा ही मिा िेने िग गई थी, इसी कारण गड़ु ड़या को िब मोका लमिता
वह चांपा के पास चिी िाती थी।

चांपा- क्या बात है आि बड़ी खश


ु िग रही है?

गड़ु ड़या- बात ही कुछ ऐसी है , दे ख मेरे भैया मेरे लिए क्या िेकर आए हैं?

चांपा गड़ु ड़या की पायि दे खकर- “अरे वाह… बड़ी सद


ुां र पायि है , ऐसी पायि तो िोग अपनी बीबी को भी नहीां दे ते
हैं, कही तेरा भाई तझ
ु े अपनी बीबी तो नहीां बनाना चाहता है ?”

गड़ु ड़या तन
ु क कर- “मेरा भाई है , वह िो चाहे वह करे , मझ
ु े अपनी बहन बनाए या बीबी तझ
ु े उससे क्या?”

चांपा गड़ु ड़या के दध


ू को कसकर दबाती हुई,- “हाय मेरी बन्नो, िगता है बड़ा मन कर रहा है अपने भैया का मोटा
िण्ड िेने का…”

गड़ु ड़या- मेरा कर रहा हो या नहीां? तू तो अपने भाई का िण्ड िे चुकी है ना।

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चांपा उसके दध ू को दबाती हुई- “अरे रानी, िे चुकी हूाँ और बड़ा मिा भी आता है अपने भाई के मोटे िण्ड से
चद ु वाने में, इसीलिए तो तझु े भी कहती हूाँ, एक बार अपने भैया के मोटे िण्ड पर बैठ िाएगी ना तो कफर जिांदगी
भर उठने का मन नहीां करे गा…”

गड़ु ड़या अपने घाघरे के अांदर हाथ डािकर अपनी चूत को खुििाती हुई- “अरे चांपा मेरी ऐसी ककश्मत कहााँ?”

चांपा गड़ु ड़या के घाघरे से उसका हाथ ननकािते हुए- “अरे महरानी, तमु क्यों कष्ट कर रही हो िब तम्
ु हारी गि
ु ाम
तम्
ु हारे पास बैठी है …” और कफर चांपा अपने हाथ से गड़ु ड़या की चूत को सहिाते हुए- “खूब मन कर रहा है ना
अपने भैया के मोटे िण्ड को िेने का, िगता है यह पायि भी तेरे भैया ने ही तझ
ु े पहनाई है …”

गड़ु ड़या- हााँ, उन्होंने अपने हाथों से मेरे पैरों में पायि पहनाई है ।

चांपा- तो थोड़ा घाघरा उठाकर उन्हें अपनी इस गि


ु ाबी चूत के दश़न भी करवा दे ती।

गड़ु ड़या- अरे कहााँ से करवा दां ,ू कही भैया गस्


ु सा हो गये तो?

चांपा- “िगता है तू अपने भैया से ज्यादा चचपकती नहीां है , एक बार अपनी इस गदराई िवानी का एहसास उन्हें
करा दे … तेरी िवानी की महक पाते ही दे ख िेना तेरे भैया का मोटा िण्ड खड़ा ना हो िाए तो कफर कहना…”

गड़ु ड़या- “तझ


ु े एक बात तो बताना भि
ू ही गई, भैया मझ
ु े अपने साथ शहर िे िाना चाहते हैं…”

चांपा मश्ु कुराकर- “िगता है तेरे भैया को तेरी पकी िवानी की महक आ चक
ु ी है तभी तो वह तझ
ु े शहर िेिाकर
आराम से चोदना चाहते हैं…”

दोनों बातें मैं मगन थी तभी रुक्मणी की आवाि आई- “गड़ु ड़या ओ गड़ु ड़या… दे ख तेरे भैया बि
ु ा रहे हैं…”

और कफर गड़ु ड़या फुदक कर अपने घर में आ िाती है ।

रुक्मणी- दोनों भाई बहन सो िाओ और मैं िरा पड़ोस में िमन
ु ा के यहाां से होकर आती हूाँ।

अपनी मााँ के िाने के बाद वविय अपनी खदटया बबछाकर िेट िाता है और गड़ु ड़या उसके पास िाकर बैठ िाती
है ।

वविय गड़ु ड़या की पीठ सहिाता हुआ- मेरी बहना अब बड़ी हो गई है , है ना?

गड़ु ड़या अपना माँह


ु फुिाकर- “हााँ बड़ी हो गई हूाँ इसीलिए आप मझ
ु से अब पहिे िैसा प्यार नहीां करते…”

वविय- अरे ककसने कहा मैं तझ


ु े प्यार नहीां करता?

गड़ु ड़या उसे आाँखें ददखाती हुई- और नहीां तो क्या? पहिे तो आप मझ ु े चाहे िब अपनी गोद में बैठाकर ककतना
चूमते थे और ककतनी दे र तक मझ ु े सहिाते हुए प्यार करते थे िेककन अब पता नहीां क्यों मझ
ु से दरू -दरू रहते
हो।

वविय ने मन में सोचा- उसकी बहन ककतनी भोिी है क्यों ना मैं इसकी गदराई िवानी का मिा िे िाँ ू और कफर
उसकी ऐसी बातें सन
ु कर वविय का िण्ड अपनी िग
ांु ी में खड़ा हो चक
ु ा था।

8
वविय- “अच्छा भाई, आि हम अपनी बहन को पहिे िैसा ही प्यार करें ग,े चि आ िा मैं तझ
ु े अपनी गोद में
बैठाकर प्यार करूाँगा…” और कफर वविय अपने दोनों पैर चारपाई से नीचे झि
ु ाकर गड़ु ड़या को अपनी िग
ांु ी में खड़े
िण्ड पर बैठा िेता है ।

और गड़ु ड़या को िैसे ही अपनी मोटी गाण्ड में घाघरे के ऊपर से अपने भैया के मोटे िण्ड का एहसास होता है ,
उसकी चत
ू पानी छोड़ने िग िाती है और वह कसकर वविय से चचपक िाती है ।

वविय अपनी बहन के रसीिे होंठों और गािों को खूब िोर-िोर से चूमते हुए कभी उसके कसे हुए दध ू को हल्के-
हल्के दबाता है और कभी उसके चचकने पेट पर हाथ फेरता है ,। वविय का मोटा िण्ड गड़ु ड़या की गाण्ड में फाँसा
रहता है और गड़ु ड़या अपने भैया के िण्ड की मोटाई और िांबाई का एहसास करते हुए उसके िण्ड पर इधर-उधर
अपनी गाण्ड मारने िगती है ।

वविय उसके गािों को चम ू ता हुआ एक हाथ से उसके मोटे -मोटे दध


ू को हल्के हाथों से दबाते हुए पछ
ू ा- “बोि
गड़ु ड़या चिेगी मेरे साथ शहर?”

गड़ु ड़या- हााँ भैया, वैसे भी मझ


ु े तम्
ु हारे बबना यहाां अच्छा नहीां िगता है ।

वविय- पर वहााँ िाकर तझ


ु े इसी तरह रोि मेरी गोद में बैठना पड़ेगा क्योंकी वहाां िेिाकर मैं तझ
ु े बहुत प्यार
करूाँगा।

गड़ु ड़या- मैं भी तो यही चाहती हूाँ भैया कक तम


ु मझ
ु े ददन भर अपनी गोद में बैठाकर प्यार करो, िानते हो िब
तम
ु मझ ु े अपनी गोद में बैठाकर प्यार करते हो तो मझ ु े बहुत अच्छा िगता है और िहाां भी शरीर में दद़ होता
है वह खतम हो िाता है ।

वविय- अच्छा तझ
ु े कहााँ पर ज्यादा दद़ रहता है?

गड़ु ड़या भोिी बनते हुए अपने भैया का हाथ पकड़कर अपने मोटे -मोटे कसे हुए दध
ू पर रखकर- “यहाां बहुत दद़
रहता है भैया…”

वविय का िण्ड गड़ु ड़या की बात सन ु कर झटके मारने िगता है और, वह गड़ु ड़या के होंठों को चूमता हुआ बोिा-
“मेरी रानी, मैं अभी तेरा सारा दद़ दरू कर दे ता हूाँ…” और कफर वविय बेकफकर होकर अपनी बहन के मोटे -मोटे
खब
ू कसे हुए दध
ू को पागिों की तरह खब
ू कस-कसकर मसिने िगता है ।

गड़ु ड़या परू ी मस्ती में आकर- “ओह्ह भैया… ओह्ह भैया… ऐसे ही… हााँ भैया थोड़ा धीरे … आह्ह… ओह्ह… भैया बहुत
अच्छा िग रहा है…”

वविय अपनी बहन के दोनों दध


ू को परू ी तबीयत से मसिता रहता है , करीब आधे घांटे तक गड़ु ड़या के दध
ू को
मसि-मसिकर वविय िाि कर दे ता है । तभी दरवािे पर दस्तक होती है और गड़ु ड़या िल्दी से उठकर दरवािा
खोिने के लिए िाती है और वविय चादर डािकर चारपाई पर िेट िाता है ।

कुछ दे र बाद दोनों मााँ बेटी वहीां नीचे अपना बबस्तर िगाकर िेट िाती है । कमरे में एक हल्की रोशनी वािा
बल्ब िि रहा था और वविय की आाँखों में नीांद नहीां थी। वह करवट िेकर िेटा हुआ था और उसकी निरें
अपनी मााँ के गदराए बदन पर दटकी हुई थीां। रुक्मणी ने गमी होने की विह से केवि पेटीकोट और ब्िाउज़
पहना हुआ था और हल्की रोशनी में वविय को अपनी मााँ की गदराई मोटी-मोटी िाांघें, उठी हुआ गहरी नालभ

9
वािा पेट और खूब चौड़े-चौड़े ववशाि चूतड़ साफ निर आ रहे थे। उसका िण्ड िोहे की तरह अपनी मस्तानी मााँ
के शरीर को दे ख-दे खकर तना हुआ था और उसका ददि कर रहा था कक वह अभी उठकर अपनी मााँ के गदराए
शरीर के ऊपर चढ़ िाए और उसकी उफनती िवानी को खब ू कस-कसकर चोदे ।

अपनी मस्ती से भरपरू रसीिी मााँ को चोदने की कल्पना करते-करते ना िाने कब वविय की नीांद िग गई,
िेककन वविय को यह ध्यान नहीां रहा कक उसका मोटा िण्ड उसके कच्छे से बाहर था और कफर रात को िब
रुक्मणी को पेशाब िगी तो वह उठकर िैसे ही बैठती है उसकी निर अपने बेटे के खड़े मोटे िण्ड पर पड़ती है
तो उसकी आाँखें खि
ु ी की खि
ु ी रह िाती हैं। इतना मोटा और ववशाि िण्ड रुक्मणी ने कभी नहीां दे खा था,
उसकी चत
ू से पेशाब की िगह एक अिग ही तरह की चुदास िगने िगती है । वह, ना िाने कब अपनी चूत को
मसिते हुए अपने बेटे के िण्ड के बबल्कुि पास पहुाँचकर उसे बहुत प्यार से दे खती है । कुछ दे र अपनी चूत
रगड़ने के बाद रुक्मणी चपु चाप िेट िाती है िेककन उसकी आाँखों से नीांद गायब हो िाती है । तभी गड़ु ड़या
कसमसाकर करवट िेती है और रुक्मणी िल्दी से उठकर वविय की िग
ुां ी उठाकर उसके खड़े िण्ड पर डािकर
उसे छुपा दे ती है ।

रात भर रुक्मणी की आाँखों के सामने उसके अपने बेटे का मोटा तगड़ा िण्ड घम
ू रहा था और उसकी चचकनी
चूत गीिी हो गई थी, बड़ी मजु श्कि में रात गि
ु र पाई। सब
ु ह रुक्मणी और गड़ु ड़या काम धाम में िुट गई और
वविय दे र तक सोता रहा।

वविय िब सोकर उठा तो वह उठकर बैठा ही था कक रुक्मणी हाथ में चाय का प्यािा लिए सामने से चिी आ
रही थी, शायद वह बाथरूम से कोई काम खतम करके िौट रही थी, उसकी साड़ी उसके मोटे -मोटे दध
ू से अिग
हट गई थी और उसका उभरा हुआ गोरा मखमिी पेट और उसपर एक बड़ी सी गहरी नालभ दे खने भर की दे र थी
और वविय का मोटा िण्ड अपनी मााँ के लिए तनकर खड़ा हो चुका था।

रुक्मणी वविय के पास बैठते हुए मश्ु कुराकर- “िे बेटा चाय पी िे…”

वविय मश्ु कुराकर चाय पीते हुए- “बहुत काम है क्या मााँ? मैं कुछ मदद करूां?

रुक्मणी- “अरे नहीां बेटे, अब तू एक दो ददनों के लिए आया है तो आराम कर, काम तो चिता ही रहता है…”
रुक्मणी के मोटे -मोटे भरे हुए दध
ू उसके दो बटन खि ु े होने की विह से आधे से ज्यादा बाहर आ रहे थे,
रुक्मणी का ध्यान बार-बार वविय की िग ुां ी के नीचे छुपे िण्ड की ओर िा रहा था और उसे िरा भी ख्याि नहीां
था कक वह अपना पल्िू हटाए अपने िवान बेटे के सामने अधनांगी बैठी थी।

वविय अपनी मम्मी के मोटे -मोटे दध


ू को बड़े प्यार से दे खता हुआ चाय पी रहा था।

रुक्मणी वविय के सर पर हाथ फेरते हुए- “और वहाां टाइम से खाना खाया कर, दे ख ककतना दब
ु िा हो गया है …”

वविय चाय का प्यािा रखते हुए- “मााँ तम


ु मझ
ु े बबल्कुि बच्चों िैसे समझा रही हो, मैं सब टाइम पर कर िेता
हूाँ…”

रुक्मणी वविय का माँह


ु पकड़कर- “तो क्या तू बहुत बड़ा हो गया है , मेरे लिए तो अभी भी बच्चा ही है और मैं
तझु े हमेशा की तरह अपनी गोद में बैठाकर प्यार कर सकती हूाँ, और कफर रुक्मणी अपने बेटे के मह
ाँु को अपने
सीने से िगा िेती है और वविय अपनी मााँ के मस्ताने शरीर की कामक
ु महक को सघ
ूां ते हुए अपनी मााँ के मोटे -
मोटे दध
ू में अपना माँह
ु डाि दे ता है ।

10
दोनों मााँ बेटे चचपके होते हैं तभी दरवािे पर िमन
ु ा काकी आ िाती हैं- “क्या बात है दोनों मााँ बेटे बड़ा प्रेम कर
रहे हैं?”

रुक्मणी- आ िमन
ु ा अांदर आ िा।

वविय- “मााँ मैं फ्रेश होकर आता हूां…” कहकर वविय वहाां से उठकर बाथरूम में घस ु िाता है तभी उसका मन
होता है कक बाहर झााँक कर दे खे कक मााँ और िमन ु ा के बीच क्या बात हो रही है।

िमनु ा रुक्मणी की मोटी गाण्ड में चुटकी काटती हुई- “क्यों रुक्मणी, अपने िवान बेटे को इस उमर में अपना
दध
ू वपिाते हुए शरम नहीां आ रही थी…”

रुक्मणी- “चुप कर रां डी, ना िाने क्या-क्या बकती रहती है , वो तो मैं अपने बेटे को प्यार कर रही थी…”

िमनु ा रुक्मणी के दध
ू को एकदम से दबाती हुई- “कोई बाहर का तम ु दोनों मााँ बेटे को एक साथ ऐसे दे खे तो
वह यही सोचेगा कक वविय तेरा आदमी है, इतना मस्ु टां डा िगता है तेरा बेटा, और तू कहती है कक तू उसे प्यार
कर रही थी। िरूर तेरी चत
ू गीिी होगी चि ददखा…” और कफर िमन
ु ा अपना हाथ एकदम से रुक्मणी की साड़ी
के अांदर चूत में कर दे ती है और अपना हाथ बाहर ननकािकर- “हे राम… तेरी चूत तो सचमच
ु बहुत गीिी है,
सच बता अपने बेटे के िवान जिश्म से चचपकने से तेरी चूत गीिी हुई है ना?”

रुक्मणी मश्ु कुराकर माँह


ु बनाते हुए- “चुप कर िमन
ु ा, कहीां वविय ना सन
ु िे…”

िमन
ु ा- “अरे सन
ु ता है तो सन
ु े, उसे भी तो पता चिे कक जिस िवान मााँ के साथ वह रहता है उसकी चचकनी
चूत ददन रात खड़े िण्ड के लिए पानी छोड़ती रहती है …”

वविय का मोटा िण्ड उनकी बातें सन


ु कर परू ी तरह तना हुआ था और वहााँ से छुपकर वविय अपनी मम्मी की
गदराई िवानी को दे ख-दे खकर अपना िण्ड मसि रहा था।

िमन
ु ा- “अच्छा मैं अब िाती हूाँ, दोपहर को तेरे पास आऊाँगी, और हााँ यह अपना पल्िू अपने मोटे थनों पर
डािकर रखा कर, कहीां तेरा बेटा ही तझ
ु पर ना चढ़ने िगे…”

रुक्मणी माँह
ु बनाकर- “अरे मेरा बेटा मझ
ु पर चढ़ता भी है तो तू क्यों ििी िा रही है ?”

िमन
ु ा- अरे आि मैं तझ
ु े दोपाहर को एक बात बताऊाँगी कफर दे खना तेरा मन भी करे गा कक तेरा बेटा ही तझ

पर चढ़कर तझ
ु े चोद दे ।

रुक्मणी उसका हाथ पकड़कर- तो बना ना क्या बताने वािी है ?

िमन
ु ा- “अरे बाद मैं बताऊाँगी आराम से तझ
ु े सहिाते हुए…”

रुक्मणी- पर उस ददन िैसे मत करना, उस ददन तन


ू े सचमच
ु मेरा पानी ननकाि ददया था।

िमन
ु ा- चि मैं अब िा रही हूाँ।

वविय िमन
ु ा की बात सन
ु कर सोचने िगता है - “यह िमन
ु ा काकी ना िाने मााँ को क्या बताने वािी है? आि
चुपके से इनकी बात सन
ु ना चादहए…” कुछ दे र बाद वविय नहाकर बाहर आता है और रुक्मणी बैठी-बैठी सजब्िया

11
काट रही थी, िग
ुां ी में उसका मोटा िण्ड िटका हुआ था िेककन उसकी मोटाई का उभार िग ुां ी के बाहर भी पता
चि रहा था और रुक्मणी बार-बार अपने बेटे के मोटे िण्ड को दे खने के लिए तरस रही थी।

मााँ ये गड़ु ड़या सब


ु ह-सब
ु ह कहाां चिी गई है?

रुक्मणी- बेटे वह पड़ोस के गााँव में उसकी सहे िी के यहााँ शादी है इसलिए वह ददन भर वहीां रहे गी शाम को
वापस आ िाएगी।

वविय- एक बात कहूां मााँ?

रुक्मणी- क्या?

वविय- तम
ु कहो तो गड़ु ड़या को कुछ ददन शहर में अपने पास रख िाँ ,ू खाना बनाने में सब
ु ह बड़ी दे र हो िाती है
और ड्यट
ू ी को अक्सर िेट हो िाता हूाँ। बस कुछ ददन और कट िाए कफर आकफस के पास ही एक घर का
िग
ु ाड़ करना पड़ेगा।

रुक्मणी- पर बेटे गड़ु ड़या वहााँ रह िेगी अकेिी?

वविय- मााँ रह पाएगी तो ठीक है नहीां तो वापस पहुाँचा दाँ ग


ू ा।

रुक्मणी मश्ु कुराते हुए- “कभी अपनी मााँ को भी घम


ु ा िा शहर में …”

वविय अपनी मााँ के पास नीचे उकड़ू बैठता हुआ उसे अपनी बााँहो में भरकर चूमता है और उसके नीचे बैठने से
उसका मोटा िण्ड िग ांु ी से ननकि आता है और रुक्मणी अपने बेटे से चचपकी हुई बबल्कुि करीब से उसके मोटे
िण्ड को दे ख िेती है, रुक्मणी की चूत पानी-पानी हो िाती है ।

“क्यों नहीां मााँ, अगिी बार तम्


ु हें भी अपने साथ शहर िे चिाँ ग
ू ा…”

दोपहर को वविय खाना खाने के बाद अांदर कमरे में सो रहा था और तभी िमन
ु ा काकी अांदर आकर रुक्मणी के
पास बैठ िाती है, वविय िमन
ु ा काकी की आवाि सन
ु कर चुपचाप दरवािे के पास आकर अपने कान िगा िेता
है ।

िमन
ु ा- “हो गया काम धांधा, और तेरा बेटा वविय कहााँ है ?” और कफर िमन
ु ा रुक्मणी की दोनों िाांघों को
फैिाकर उसकी टााँगों के बीच झााँकती हुई- “कहीां अांदर तो नहीां छुपा लिया तन
ू े अपने बेटे को?”

रुक्मणी मश्ु कुराकर- “कमीनी, मेरा बेटा कोई बच्चा है िो अब इतनी सी िगह में छुप िाएगा?”

िमन
ु ा- हााँ हााँ… उस मस्
ु टां डे के आने से ही तो तेरा ये भोसड़ा ददन भर भीगा रहता है ।

रुक्मणी- अच्छा िरा धीरे बोि और अब बता तू क्या बात बताने वािी थी? क्या कफर ककसी को तन
ू े चुदते हुए
दे खा है?

िमन
ु ा- नहीां रे , मैं तो तझ
ु े ऐसी बात बता रही हूाँ कक तेरा पानी छूट िाएगा।

रुक्मणी- “तो कफर िल्दी बता ना…”

12
िमन
ु ा- अरे , मैं तझ
ु से यह बता रही थी कक तेरा 32 साि का बेटा भी तझ
ु े उतना मिा नहीां दे ता होगा जितना
आिकि कुछ ददनों से मेरा 16 साि का बेटा ररांकू दे रहा है ।

रुक्मणी आश्चया़ से- “ररांकू, भिा वह क्या मिा दे ता है तझ


ु ?
े ”

िमन ु ा- “अरे कुछ ददनों से िब मैं रात को सो िाती हूाँ तो वह मझ


ु े सोया हुआ समझकर धीरे -धीरे मेरी साड़ी
मेरी कमर तक चढ़ा दे ता है और कफर इतने प्यार से अपने हाथों से मेरी फूिी हुई चूत को सहिाता है कक क्या
बताऊाँ…”

रुक्मणी- यह तू क्या कह रही है ?

िमन
ु ा- “सच रुक्मणी, िब पहिी बार मझ
ु े िगा कक कोई मेरी चूत को बड़े प्यार से सहिा रहा है तो मैंने चुपके
से आाँखें खोिकर दे खा तो मेरा बेटा ररांकू मेरे दोनों पैरों के पास बैठकर बड़े प्यार से मेरी फूिी हुई चूत पर हाथ
फेर रहा था…”

रुक्मणी- तो तन
ू े उसे डाांटा नहीां?

िमन
ु ा- अरे मेरी डााँटने की दहम्मत ही कहााँ थी, उसका इस तरह से मेरी चूत सहिाना मझ
ु े इतना अच्छा िग
रहा था कक क्या बताऊाँ, और अब तो वह रोि िैसे ही मैं सोने का नाटक करती हूाँ, वह रात-रात भर बैठकर मेरी
फूिी हुई चूत को बड़े प्यार से सहिाता है , और उसकी अब तो दहम्मत बढ़ती ही िा रही है , कभी-कभी तो वह
मेरी फूिी हुई चत
ू को अपनी मट्
ु ठी में दबोच भी िेता है । हाय रुक्मणी… क्या बताऊाँ उस समय ककतना मिा
आता है, और कि रात तो उसने मेरी फूिी हुई चचकनी चूत पर सीधे अपना माँह ु रखकर अपने माँह
ु से िब
दबाया तो मझ
ु े ऐसा िगा िैसे मैं पानी छोड़ दाँ ग
ू ी। सच रुक्मणी, सोच िब मेरा छोटा सा बेटा अपनी मम्मी की
चत
ू इतने प्यार से सहिाता है तो कफर अगर तेरा िवान बेटा तेरी इस गदराई चत
ू को अपने माँह
ु से चस
ू ेगा तो
तझ
ु े ककतना मिा आएगा, और वैसे भी तू इतनी मस्त घोड़ी है कक तेरा बेटा एक बार तझ
ु े परू ी नांगी दे ख िेगा
तो अपनी मााँ की इस गदराई फूिी हुई रसीिी चत
ू को चोदे बबना नहीां रह पाएगा।

िमन
ु ा की बात सन
ु कर वविय का मोटा िण्ड अपनी मााँ को चोदने के लिए बरु ी तरह तन चुका था और वह
अपनी मम्मी की गदराई िवानी का रस दरवािे के पीछे छुपा हुआ अपनी आाँखों से पी रहा था।

रुक्मणी- अरे तेरी ककश्मत अच्छी है पर मेरा बेटा भिा ऐसा क्यों करे गा?

िमन
ु ा- अरे तझ
ु े क्या पता, तेरे सोने के बाद तेरा बेटा भी तेरी चूत पर हाथ मार दे ता हो?

रुक्मणी मश्ु कुराते हुए- “चि हट मेरा बेटा ऐसा नहीां है …”

िमन
ु ा- चि शत़ िगा िे, जिसकी मााँ इतनी मािदार हो उसका बेटा उसकी चूत का प्यासा ना हो ऐसा हो ही
नहीां सकता है , वह िरूर तझ
ु े चोदने की कफराक में रहता होगा पर तू ध्यान ही नहीां दे ती है ।

रुक्मणी- “अच्छा चि तेरी बात मान िेती हूाँ पर यह कैसे पता िगेगा कक मेरा बेटा मझ
ु े चोदना चाहता है?”

िमनु ा- “अच्छा तू एक काम कर आि अपने बेटे से बात करते हुए इतना कहना कक बेटा मैं पहिे से बहुत मोटी
हो गई हूाँ ना कफर दे खना तेरा बेटा सबसे पहिे तेरे मोटे -मोटे दध
ू , उठा हुआ पेट और कफर तेरे भारी भरकम

13
चूतड़ों को कैसे घरू कर दे खता है , और कफर दे खना ककसी बहाने से या तेरी तारीफ करके तझ
ु से कैसे चचपकने की
कोलशश करे गा, दे खना उसका मन करे गा कक वह तझ
ु े परू ी नांगी करके खड़े-खड़े अपने मोटे िण्ड पे चढ़ा िे…”

िब काफी दे र बाद िमन


ु ा वहााँ से चिी िाती है तब वविय आाँख मिता हुआ बाहर अपनी मााँ के पास आकर
बैठ िाता है ।

रुक्मणी- उठ गया बेटे”

वविय- हााँ मााँ।

रुक्मणी- अच्छा बेटे क्या मैं ज्यादा मोटी हो गई हूाँ?

वविय अपनी मााँ के मोटे -मोटे दध


ू , उसका उठा हुआ मखमिी पेट और कफर उसके भारी चूतड़ों को खा िाने
वािी निरों से दे खता हुआ- “अरे नहीां मााँ, तम
ु तो बहुत अच्छी ददखती हो…”

रुक्मणी- क्या मैं तझ


ु े बहुत अच्छी िगती हूाँ?

वविय अपनी मााँ को अपनी बााँहो में भरकर- “अरे मााँ, ककस बेटे को अपनी मााँ अच्छी नहीां िगेगी?”

रुक्मणी- मझ
ु े दे खकर तेरा क्या मन करता है बेटा?

वविय अपनी मााँ का भरा हुआ चेहरा अपने हाथों में थामकर- “मााँ मेरा ददि करता है अपनी मााँ को चूमता रहूाँ
और उसे खूब प्यार करूां…” और कफर वविय अपनी मााँ के गिु ाबी गािों को चूमता हुआ अपने दोनों हाथों से
उसके भारी चत
ू ड़ों को सहिाने िगता है ।

रुक्मणी अपने बेटे से परू ी तरह चचपक िाती है, उस समय दोनों मााँ बेटे के िण्ड और चूत एक दस
ू रे में समा
िाने को मचि िाते हैं।

शाम को गड़ु ड़या िब िौट आती है तो रुक्मणी अगिे ददन उसके िाने की तैयारी करने िगती है । इधर वविय
शाम को घम
ू ने ननकिता है तो उसकी मि
ु ाकात िखन से हो िाती है और दोनों बातें करते-करते शराब िेकर
एक आम के बैग में िाकर बैठ िाते हैं, दोनों के बीच िाम पर िाम शरू
ु हो िाते हैं।

िखन- अच्छा वविय भैया, एक बात पछ


ू ू ां ?

वविय- एक नहीां दो पछ
ू िखन।

िखन- भैया तम्


ु हारा कैसी औरत को चोदने का मन करता है ?

वविय नशे में मस्त हो रहा था- “अरे िखन, मेरा भी मन कुछ ददनों से ऐसी औरत को चोदने का करने िगा है
िैसा मन तेरा करता है …”

िखन नशे में टुन्न होकर- मतिब भैया?

वविय- अरे िखन िैसे तेरा मन अपनी मााँ को चोदने का करता है वैसा ही मेरा मन भी अपनी मााँ को चोदने
का करने िगा है ।

14
िखन- सच भैया, बरु ा मत मानना पर तम्
ु हारी मम्मी बहुत िोरदार माि है ।

वविय- हााँ िखन, मैं दो ददन से ददन रात अपनी मााँ की गदराई िवानी को ठोंकने के लिए तरस रहा हूाँ।

िखन- क्या तम्


ु हें अपनी मााँ बहुत अच्छी िगती है?

वविय- हााँ िखन, तू सच कहता था मैं अपनी मााँ के भारी चूतड़ों को दे ख-दे खकर पागि रहने िगा हूाँ। िब
उसकी मोटी गाण्ड और िाांघें इतनी चौड़ी निर आती है तो उसका गि
ु ाबी फूिा हुआ भोसड़ा कैसा होगा?

िखन- भैया, ठकुराइन को वैसे तम्


ु हारे िैसे मोटे िण्ड से ही मिा आएगा। सच भैया, मैंने परू े गााँव में सन
ु रखा
है कक तम्
ु हारी मााँ बहुत चद
ु ासी है , उसे अपनी चत
ू में मस्त िण्ड चादहए, सारा गााँव उसकी गदराई िवानी को
चोदने के लिए तरस रहा है पर वह ककसी को घास तक नहीां डािती है ।

वविय- अरे िखन, एक बार िब अपने बेटे का मोटा िण्ड दे खेगी तो अपने बेटे के िण्ड पर चढ़े बबना नहीां रह
पाएगी। पर यार िखन, समझ में नहीां आता अपनी मााँ को कैसे चोद?

िखन- अरे भैया, मैं भी एक समस्या से नघरा हूाँ और उसका उपाय आ िाता तो आपकी समस्या भी हि हो
िाती और आप आराम से अपनी मााँ की चूत चोद सकते थे।

वविय- वह क्या?

िखन- “भैया, मैं तो िब भी अपनी बीबी को चोदता हूाँ, मझ


ु े मेरी मााँ ही निर आती है । िब अपनी बीबी की
मस्त फूिी हुई चत
ू दे खता हूाँ तो मझ
ु े ऐसा िगता है िैसे मैं अपनी मााँ की चतू को दबा और चम ू रहा हूाँ, सच
पछ
ू ो तो िब मैं अपनी बीबी को अपनी मााँ समझकर चोदता हूाँ तो मझ ु े चदु ाई करने में बड़ा मिा आता है , पर
क्या बताऊाँ बस समझ में नहीां आता की कैसे अपनी मााँ की चूत चोदां ?
ू ”

वविय- एक आइड़डया है मेरे मन में िखन।

िखन- वह क्या?

वविय- तू अपनी मम्मी को अपनी बीबी की मदद से क्यों नहीां चोद िेता है, तेरी बीबी को पटा िे तो वह िरूर
तेरी मााँ की चूत को गरम करके तेरे सामने परोस सकती है ।

िखन- बात तो आप एकदम ठीक कह रहे हो भैया, मैं आि ही से अपनी बीबी को पटाना शरू
ु कर दे ता हूाँ।

वविय- अच्छा एक बात बता िखन, ककसी काँु वारी िौंड़डया को चोदना हो तो कैसे चोदना चादहए?

िखन- अरे क्या बताऊाँ भैया, काँु वारी िौंड़डयों को चोदने में भी बड़ा मिा लमिता है, ऐसा कसा हुआ िण्ड िाता
है उनकी चूत में कक मिा आ िाता है । पर तम ु कौन सी काँु वारी िौंड़डया को चोदने का सोच रहे हो?

वविय- “बस है यार एक िो निर में चढ़ गई है…” और कफर वविय अपने मोटे िण्ड को िो परू ी तरह तना हुआ
था को मसिने िगता है ।

िखन मश्ु कुराता हुआ- “भैया, बरु ा ना मानो तो एक बात कहूां?

वविय- हााँ, बोि ना।


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िखन- भैया, वैसे मेरी निर में एक बहुत ही मस्त िौंड़डया है और तम
ु उसे बड़ी आसानी से चोद सकते हो।

वविय- कौन है वह?

िखन- “वही जिसके बारे में सोचकर तम्


ु हारा िण्ड खड़ा हो गया है , तम
ु िरूर अपनी बहन गड़ु ड़या को ही चोदने
का सोच रहे हो ना…”

वविय उसे है रत भरी ननगाहों से दे खता हुआ- “हााँ… िेककन तन


ू े कैसे अांदािा िगाया िखन?”

िखन- मैं तो पहिे ही समझ गया था िब तम


ु ने काँु वारी िौंड़डया को चोदने की बात की, अभी तम्
ु हारे घर के
आस-पास गड़ु ड़या से मस्त िौंड़डया है भी कौन?

वविय- हााँ िखन, गड़ु ड़या मझ


ु े बहुत अच्छी िगती है मैं उसे चोदना चाहता हूाँ।

िखन- “अरे भैया, अब मैं क्या कहूां? गड़ु ड़या को तम


ु ने िगता है ठीक से दे खा ही नहीां अगर उसकी गि
ु ाबी चूत
और कसी हुई गदराई गाण्ड दे ख िो तो तम ु पागि हो िाओगे…”

वविय- क्या तन
ू े गड़ु ड़या की गाण्ड और चूत दे खी है?

िखन- हााँ भैया, एक बार खेतों में वह घाघरा उाँ चा करके मत


ू ने बैठी थी और सामने पास ही के पेड़ के पीछे मैं
दारू पी रहा था। तब मैंने गड़ु ड़या को अपनी चूत से खूब खेिते हुए दे खा था, बड़ी गि
ु ाबी चूत है भैया आपकी
बहन की। एक बार उसे अपने िण्ड पर बैठाकर दे खो सारे िमाने का मिा दे दे गी आपको।

वविय अपने िण्ड को मसिता हुआ- क्या गड़ु ड़या की चत


ू बहुत गि
ु ाबी है?

िखन- हााँ भैया, तम्


ु हारी बहन तो एकदम पका हुआ माि है अब यही समय है कक उसे तम
ु खूब तबीयत से
चोदो।

वविय- “अच्छा िखन, तू तो हमेशा गााँव में रहता है और कुछ बता ना अपने गााँव की औरतों के बारे में…”

िखन- भैया, अभी तो गााँव में बस तम्


ु हारी मााँ रुक्मणी की ही चचा़ रहती है । कहो तो तम्
ु हारी मााँ की ही बातें
बता दां ?

वविय अपने मोटे िण्ड को मसिते हुए- “क्यों क्या तन


ू े मेरी मााँ की भी गाण्ड और चत
ू दे खी है? अगर दे खी हो
तो बता ना िखन कक मेरी मााँ की फूिी हुई चत
ू कैसी िगती है ? उसकी नांगी गाण्ड कैसी निर आती है?

िखन- भैया, मैंने तो नहीां दे खा तम्


ु हारी मााँ को नांगा, पर हााँ यह िरूर सन
ु ा है कक तम्
ु हारी मााँ और िमन
ु ा काकी
दोनों खूब एक-दस
ू रे की चूत और गाण्ड चाटती हैं, एक बार तो मेरी मााँ ने तम्
ु हारी मााँ और िमन
ु ा काकी को परू ी
नांगी होकर एक दस
ू रे से चचपके हुए दे खा था।

वविय- तो तझ
ु े कैसे पता चिा?

िखन- मेरी मााँ िमन


ु ा काकी के घर गई थी और उनका दरवािा खुिा था िब मेरी मााँ ने उन्हें दे खा तो वह
दोनों िान नहीां पाई कक मेरी मााँ ने उन दोनों को नांगी दे खा है बस कफर यह बात मेरी मााँ ने मेरी बीबी को बता

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दी और मेरी बीबी ने मझ
ु े। सच वविय भैया, तम्
ु हारी मााँ बहुत बड़ी चुदासी है , उसे अपना मोटा िण्ड कैसे भी
करके दे ही दो।

शाम को वविय घम
ू कफर कर घर आ िाता है और उसे दे खते ही गड़ु ड़या उसके पास िाकर लिपट िाती है ।
वविय उसे अपनी बााँहो में भरकर चूमते हुए- “मेरी गड़ु ड़या रानी सब
ु ह से कहााँ गायब थी? मैं तेरे लिए ककतना
बैचैन था।

गड़ु ड़या अपने भैया का हाथ पकड़कर उसे खाट पर बैठाते हुए- “भैया, मैंने सब तैयारी कर िी है और कि से
तम्
ु हारा िब ददि करे गा अपनी बहन को अपनी गोद में बैठाकर प्यार कर िेना…”

वविय- मेरा ददि तो अभी अपनी बहन को प्यार करने का हो रहा है ।

गड़ु ड़या अपने भाई के ऊपर चढ़कर बैठ िाती है और वविय उसके पतिे से घाघरे के ऊपर से उसके भारी चत
ू ड़ों
को सहिाने िगता है । उसके भारी चत
ू ड़ों को दबाते हुए- “गड़ु ड़या, तू ककतनी दब
ु िी हो गई है …”

गड़ु ड़या अपने भाई के गािों से अपने गाि रगड़ते हुए- “भैया आप यहााँ रहते नहीां तो मझ
ु े अच्छा नहीां िगता है
ना…”

वविय- “अच्छा, अब तो तू मेरे साथ ही रहे गी…” और कफर गड़ु ड़या की मोटी गाण्ड को अपने हाथों से दबाते हुए-
“दे खना गड़ु ड़या, मैं तझ
ु े ककतनी तांदरु
ु स्त कर दाँ ग
ू ा…”

गड़ु ड़या- हााँ भैया, मेरा भी बदन बहुत दद़ करता है और िब तम


ु दबाते हो तो बहुत अच्छा िगता है ।

वविय- अच्छा मझ
ु े बता, तेरा बदन कहााँ-कहााँ दद़ करता है ?

गड़ु ड़या अपने भैया का एक हाथ पकड़कर अपने मोटे -मोटे दध


ू के ऊपर रख िेती है और दस
ू रे हाथ को अपने
भारी-भारी चत
ू ड़ों के ऊपर रख िेती है । वविय अपनी बहन को भोिी समझकर उसके मोटे -मोटे दध
ू और गदराई
गाण्ड को खूब कस-कसकर मसिने िगता है । उसका िण्ड अपनी बहन के दध
ू और मोटी गाण्ड मसिते हुए
एकदम तनकर खड़ा हो िाता है ।

वविय ने पछ
ू ा- अब अच्छा िग रहा है ?

गड़ु ड़या- “हााँ भैया, बहुत अच्छा िग रहा है, मझ


ु े अपनी गोद में बैठाकर दोनों हाथों से मेरी छानतयाां मसिो ना…”

वविय गड़ु ड़या को अपने िण्ड पर बैठाकर उसके दोनों मोटे -मोटे दध
ू ों को खब
ू कस-कसकर मसिने िगता है।
तभी अचानक रुक्मणी घर के अांदर आ िाती है और वविय और गड़ु ड़या का ध्यान उसकी ओर नहीां रहता है।
वह गड़ु ड़या को पागिों की तरह चूमता हुआ उसके मोटे -मोटे दध ू को दोनों हाथों से खूब कस-कसकर मसिता
रहता है । गड़ु ड़या आह्ह आह्ह करती हुई- “हााँ भैया, अब बहुत अच्छा िग रहा है ऐसे ही ऐसे ही करते रहो…”

रुक्मणी दोनों को उस तरह दे खकर गरम हो िाती है और चप


ु चाप दरवािे के पीछे छुपकर उन दोनों को दे खने
िगती है ।

गड़ु ड़या- “भैया, आपको इस तरह मालिश करना कहााँ से पता चिा है आप बहुत अच्छे से मसिते हो, दो लमनट
में दद़ खतम हो िाता है और मिा आने िगता है । क्या आप मम्मी की भी ऐसे ही मालिश करते हो?”

17
गड़ु ड़या के माँह
ु से ऐसी बात सन
ु कर रुक्मणी की चूत कुिबि
ु ाने िगती है ।

वविय- नहीां रे , मम्मी की ऐसी मालिश करने को कहााँ लमिता है?

गड़ु ड़या- “तो भैया, मम्मी को भी मेरी तरह दद़ रहता होगा, आप मम्मी को भी इसी तरह मसिकर मालिश कर
ददया करो ना…”

वविय गड़ु ड़या की चोिी खोिकर उसके दोनों मोटे -मोटे दध ू अपने हाथों में भरकर दबाते हुए- “हे गड़ु ड़या, मम्मी
मझु से ऐसी मालिश करवाती ही कहााँ है ? मैं तो कब से मम्मी की मालिश करने के लिए तरस रहा हूाँ…”

गड़ु ड़या- आह्ह तो क्या आपको भी भैया ऐसी मालिश करने में मिा आता है ?

वविय- “हााँ गड़ु ड़या…” तभी वविय को ऐसा िगता है िैसे कोई छुपकर खड़ा है और वविय समझ िाता है कक
उसकी मााँ रुक्मणी छुप कर खड़ी है, वह उसकी ओर बबना दे खे पहिे थोड़ा घबराता है िेककन कफर उसका िण्ड
झटके मारने िगता है और वह गड़ु ड़या के दध
ू को दबाता हुआ- “गड़ु ड़या, तू नहीां िानती मैं ऐसी मालिश करने के
लिए ककतना तरसता हूाँ…”

गड़ु ड़या- क्या आपका मन मम्मी की भी मालिश करने को करता है?

वविय- “हााँ गड़ु ड़या, मेरा मन तो मम्मी को परू ी नांगी करके मालिश करने का करता है …”

गड़ु ड़या हाँसते हुए- “क्या भैया, मम्मी कभी आपको नांगी करके मालिश करने दे गी क्या?”

वविय- “क्यों नहीां करने दे गी? मैंने तो सन


ु ा है कक मम्मी को परू ी नांगी होकर मालिश करवाने में बहुत मिा
आता है…”

गड़ु ड़या- हााँ भैया, िेककन लसर्फ़ िमन


ु ा काकी के साथ।

वविय- अच्छा चि, अब अपनी चोिी बााँध िे मााँ आती होगी।

रुक्मणी थोड़ी दे र बाद घर के अांदर आती है , रात को सभी खाना खाकर सो िाते हैं और सब
ु ह िब गड़ु ड़या बाहर
बाइक के पास समान िेकर खड़ी थी तब वविय अपनी मााँ से गिे लमिने िगा।

रुक्मणी- “िल्दी आना बेटे, तेरे बबना मन नहीां िगता है , वैसे भी तझ


ु े मेरा बबल्कुि ख्याि नहीां है , बस अपनी
बहन का ही ध्यान रहता है …”

वविय- नहीां मााँ अबकी बार आऊाँगा तो तम्


ु हारी हर लशकायत दरू कर दाँ ग
ू ा।

रुक्मणी- गड़ु ड़या का ख्याि रखना, अभी बहुत बचपाना है उसमें ।

वविय- “तम
ु कफकर ना करो मााँ, अब तम्
ु हारी बेटी बच्ची नहीां रहे गी उसे मैं तम्
ु हारी तरह समझदार बना दाँ ग
ू ा…”

कफर वविय अपनी बहन को िेकर शहर आ िाता है और उसे घर छोड़कर ड्यट
ू ी चिा िाता है । शाम को वविय
घर पहुाँचकर िब दरवािा बिाता है तब गड़ु ड़या दरवािा खोिती है और वो सीधे वविय से लिपट िाती है ।
वविय उसे अपनी गोद में उठाकर अांदर िे आता है और कफर कभी उसके होंठों को, कभी उसके गािों को चम
ू ना
शरू
ु कर दे ता है ।
18
गड़ु ड़या अपने मन में सोचती है कक आि तो मैं अपने भैया के मोटे िण्ड को अपनी चूत में भरकर उनसे खब

चत
ू मरवाऊाँगी। कफर गड़ु ड़या बोिी- “भैया, अब अपनी बहन को चम
ू ते ही रहोगे या उससे यह भी पछ
ू ोगे कक तझ
ु े
आि सबसे ज्यादा दद़ कहााँ हो रहा है ?”

वविय उसके रसीिे होंठों को चूसकर- “बता मेरी प्यारी बहना, आि तझ


ु े सबसे ज्यादा दद़ कहााँ पर हो रहा है ?”

गड़ु ड़या उसके ऊपर से उठती हुई- “भैया, पहिे अपना ये पैंट उतारकर हाथ माँह ु धो िो और िग
ुां ी पहन िो कफर
बताती हूाँ। पैंट में आप अच्छे से मझ
ु े अपनी गोद में बैठा नहीां पाते हैं…”

वविय िल्दी से अपने कपड़े उतारकर बाथरूम में हाथ माँह


ु धोकर परू ा नांगा होकर केवि अपनी िग
ांु ी पहनकर आ
िाता है और गड़ु ड़या को पकड़कर अपनी ओर उसका माँह
ु करके उसे अपनी गोद में चढ़ा िेता है । गड़ु ड़या का
घाघरा पीछे सरक िाता है और उसकी चूत सीधे अपने भैया के मोटे िण्ड से सट िाती है । वविय उसे पागिों
की तरह चम
ू ते हुए उसके मोटे -मोटे दध
ू को बरु ी तरह दबाने िगता है ।

गड़ु ड़या अपने भैया के मोटे िण्ड से अपनी चूत को बार-बार आगे पीछे करके रगड़ने िगती है ।

वविय- बोि मेरी बहना आि कहााँ तझ


ु े दद़ हो रहा है ?

गड़ु ड़या अपने भाई के मोटे िण्ड को पकड़कर कहती है - “िहााँ आपका यह मोटा डांडा मझ
ु े चुभ रहा है …”

गड़ु ड़या की बात सन


ु कर वविय उसे बेड पर िेटा दे ता है और गड़ु ड़या अपनी दोनों टााँगें फैिाकर उसे अपनी गि
ु ाबी
कसी हुई चत
ू ददखाकर कहती है - “भैया, दे खो ने यहाां आि बहुत दद़ हो रहा है दे खो कैसी िाि हो गई है…”

वविय अपनी बहन की गि


ु ाबी रस से भरी चूत दे खकर उसकी दोनों फाांकों को खब
ू कसकर फैिा दे ता है और
कफर अपनी िीभ अपनी बहन की रसीिी चत
ू की फाांकों के बीच, बहते गि
ु ाबी छे द में डािकर पागिों की तरह
अपनी िवान बहन की चत
ू का रस पीने िग िाता है ।

गड़ु ड़या- “ओह्ह… भैया आह्ह… आह्ह… भैया यहीां दद़ है बहुत दद़ है और िोर से चाट भैया आह्ह… आह्ह…”

वविय पागिों की तरह गड़ु ड़या की चत ू की फूिी हुई फाांकों को फैिाकर उसकी गि ु ाबी चत
ू चाटने िगता है।
गड़ु ड़या खूब लससककयाां िेटी हुई अपनी मोटी गाण्ड उठा-उठाकर अपने भैया के माँह
ु में मारने िग िाती है । कुछ
दे र तक वविय अपनी बहन की चूत चाट-चाटकर परू ी िाि कर दे ता है । उसके बाद गड़ु ड़या अपने भैया से परू ी
चचपक िाती है । वविय उसका घाघरा और चोिी उतारकर परू ी नांगी करके उसकी चत
ू को अपने हाथों से सहिाता
रहता है ।

गड़ु ड़या- “भैया, तम


ु मम्मी को भी ऐसे ही नांगी करके प्यार करना चाहते हो ना?”

वविय गड़ु ड़या के मोटे -मोटे दध


ू को दबाता हुआ- “हााँ मेरी बहना, मैं मम्मी को बहुत प्यार करता हूाँ और इसी
तरह मम्मी को परू ी नांगी करके उनकी मालिश करना चाहता हूाँ…”

गड़ु ड़या- भैया आपका ये तो बहुत मोटा है ।

वविय- तू इसे चाटे गी तो तझ


ु े बहुत अच्छा िगेगा।

19
गड़ु ड़या- भैया आप भी मेरी चाटो ना… मैं आपका ये मोटा डांडा चूसती हूाँ। और कफर दोनों भाई बहन एक दस
ू रे के
िण्ड और चत
ू को पागिों की तरह तब तक चस
ू ते हैं िब तक कक एक दस
ू रे का सारा रस चस
ू -चस
ू कर पी नहीां
िाते। गड़ु ड़या हाांफते हुए, अपने भैया से बरु ी तरह से लिपट िाती है और- “ओह… भैया, ककतना मिा आता है …
आपका डांडा चूसने में तो बहुत मिा आता है भैया मझ ु े और चूसना है भैया…”

वविय- “हााँ मेरी बहना, तेरा जितना मन करे चूस िेना, पर पहिे एक बार तू इस डांडे के ऊपर अच्छे से बैठ
िा। मैं तझ
ु े और भी मिा दे ना चाहता हूाँ…”

गड़ु ड़या- ओह्ह भैया, ऐसे नहीां, तम


ु खड़े होकर कफर मझ
ु े अपने डांडे पर चढ़ा िो।

वविय गड़ु ड़या की बात सन


ु कर उसकी दोनों िाांघों से उसे दबोचकर उसकी दोनों िाांघों को अपनी कमर के इद़ -
चगद़ िपेटकर उसकी कसी चूत को अपने िण्ड से लभड़ाकर िब पीछे से उसकी गाण्ड को दबोचकर एक तगड़ा
झटका मारता है और उसका मोटा िण्ड गड़ु ड़या की चत
ू को फाड़ता हुआ परू ा अांदर तक फाँस िाता है ।

और गड़ु ड़या एक िोर की चीख के साथ अपने भैया के मोटे िण्ड में अपनी चूत फाँसाए उससे बरु ी तरह चचपक
िाती है - “ओह्ह भैया, मर गई भैया… ये क्या कर रहे हो भैया?”

वविय अपने िण्ड के तगड़े झटके अपनी बहन की चत ू में मारता हुआ- “मेरी रानी, मैं अपनी बहन को चोद रहा
हूाँ…” और कफर वविय गड़ु ड़या को बेड पर लिटाकर उसकी चूत में अपने मोटे िण्ड के खूब तगड़े धक्के मारने
िगता है ।

िगभग 10 लमनट तक िब वविय अपनी बहन की टाइट चूत में अपना िण्ड खब
ू पेि-पेिकर चोदता है तब
कहीां िाकर गड़ु ड़या भी अपनी मोटी गाण्ड अपने भैया के िण्ड पर मारने िगती है - “ओह… भैया, फाड़ दो और
चोदो अपनी बहन को आह… आह… भैया ककतना मिा आता है चोदने में… खब
ू चोदो भैया…”

वविय की रफ़्तार परू ी तरह तेि हो िाती है और कफर वह कुछ िोरदार धक्के मारकर अपनी बहन की चूत में
अपना पानी चगरा दे ता है । दोनों भाई-बहन अपने चत
ू और िण्ड को खब
ू एक-दस ू रे में कसे हुए पड़े रहते हैं। कुछ
दे र बाद वविय गड़ु ड़या को उठाकर अपने ऊपर लिटा िेता है और उसे चूमते हुए उसकी गदराई गाण्ड को सहिाने
िगता है , कहा- “कहो गड़ु ड़या, तम्
ु हें मिा आया कक नहीां?”

गड़ु ड़या- ओह्ह भैया आि तो आपने वो मिा ददया है िो कभी नहीां भि


ू ेगा, मझ
ु े क्या पता था भैया इसको
चोदना कहते हैं, नहीां तो मैं कब की आपसे अपनी चूत मरवा चुकी होती।

वविय- मेरी रानी, मैं तो तझ


ु े ना िाने कब से चोदना चाहता था।

गड़ु ड़या अपने भैया का मोटा िण्ड सहिाती हुई- “भैया, तो क्या तम
ु मम्मी को भी इसी तरह चोदना चाहते हो?

अपनी मम्मी का नाम सन


ु ते ही वविय का िण्ड कफर से झटके मारने िगता है- “हााँ गड़ु ड़या, मझ
ु े मम्मी को परू ी
नांगी करके चोदने का बड़ा मन करता है …”

गड़ु ड़या- “तो चोद दो ना भैया, तम


ु इतना अच्छा चोदते हो दे खना मम्मी कभी मना नहीां करे गी…”

वविय- पर गड़ु ड़या, मैं यह भी तो नहीां िानता कक मम्मी मझ


ु से अपनी चूत मरवाना चाहती है या नहीां?

गड़ु ड़या- तम्


ु हारा मन क्या मम्मी की चत
ू दे खने का करता है ?
20
वविय- नहीां गड़ु ड़या, मेरा मन मम्मी की चूत चाटने और उसे नांगी करके चोदने का करता है ।

गड़ु ड़या- क्या तम


ु ने मम्मी की चत
ू दे खी है?

वविय- नहीां रे , अभी तक नहीां।

गड़ु ड़या- भैया, मम्मी की चत


ू तो बहुत फूिी हुई और बड़ी है बबल्कुि तम्
ु हारे मोटे िण्ड से चुदने के िायक है ।

वविय गड़ु ड़या की चूत को सहिाता हुआ- “गड़ु ड़या, क्या मम्मी भी ऐसा सोचती होगी कक वह मझ
ु े अपनी चूत पर
चढ़ाकर अपने बेटे का मोटा िण्ड अपनी चूत में िे िेगी…”

गड़ु ड़या- एक आइड़डया है भैया, अगर मम्मी तम्


ु हारे िण्ड से चद
ु वाने के लिए तड़प रही होगी तो वह यह बात
िमन
ु ा काकी से िरूर करे गी, बस हमें उनकी बातें सन
ु नी होगी, तभी पता चि पाएगा।

वविय- अच्छा गड़ु ड़या, िरा घोड़ी की तरह झक


ु कर मझ
ु े अपनी मोटी गाण्ड तो ददखा?

गड़ु ड़या िल्दी से अपनी गाण्ड अपने भैया के माँह


ु की ओर करके झक
ु िाती है ।

और वविय अपने हाथों से गड़ु ड़या की गाण्ड का छे द सहिाते हुए- “गड़ु ड़या, तन
ू े मम्मी का यह गाण्ड वािा छे द
दे खा है?”

गड़ु ड़या- आह्ह… भैया, मैंने तो नहीां दे खा िेककन िमन


ु ा काकी ने िरूर दे खा होगा। वह तो रोि ही मम्मी की चूत
और गाण्ड अपने होंठों से खूब चूसती और चाटती है ।

वविय- गड़ु ड़या, मझ


ु े मम्मी का ये वािा छे द खब
ू कसकर चाटने और सघ
ांू ने का मन होता है ।

गड़ु ड़या- भैया, तम


ु मम्मी की मोटी गाण्ड को नांगी दे ख िोगे तो उसकी गाण्ड चाटे बबना वैसे भी नहीां रह
पाओगे।

वविय गड़ु ड़या की मोटी गाण्ड से अपना माँह


ु िगाकर उसे बड़े प्यार से चत
ू से िेकर गाण्ड तक चाटना शरू
ु कर
दे ता है , और कफर धीरे से वह अपना मोटा िण्ड गड़ु ड़या की चूत में पीछे से पेिना शरू
ु कर दे ता है । कुछ दे र ऐसे
ही चोदते हुए वविय गड़ु ड़या को एक साइड में सि ु ाकर पीछे से उसकी चत ू में िण्ड फाँसाकर आराम से चचपक
कर धीरे -धीरे गड़ु ड़या को चोदते हुए उससे बातें करने िगता है । गड़ु ड़या धीरे -धीरे अपनी चूत में घस
ु ते अपने भैया
के मोटे िण्ड से आसमान में उड़ने िगती है ।

वविय- मैं कैसा चोदता हूां?

गड़ु ड़या- ओह्ह भैया, आप बहुत अच्छा चोदते हो।

वविय- गड़ु ड़या एक बात कहूां, कभी-कभी मेरा ददि करता है कक मैं तझ
ु े और मम्मी को दोनों को परू ी नांगी करके
एक साथ परू ी रात चोदां ।ू

गड़ु ड़या- ओह्ह भैया, क्या ऐसा हो सकता है? क्या मम्मी आपसे अपनी चूत मरवाने को रािी हो िाएांगी?

वविय- “हााँ गड़ु ड़या, मैं कैसे भी करके मम्मी को इस बार िरूर चोदां ग
ू ा…”

21
उस रात वविय सारी रात अपनी बहन को तबीयत से ठोंकता रहा और कफर गड़ु ड़या जितने ददन उसके पास रही
वह ददन रात उसे िी भरकर चोदता था।

***** *****

करीब 15 ददनों के बाद वविय गड़ु ड़या के िेकर गााँव गया, गड़ु ड़या की मोटी गाण्ड और दध
ू काफी बढ़ गये थे।
उसे कोई भी दे खता तो यही कहता कक यह िरूर खूब चूत मरवाकर आ रही है । रुक्मणी ने िब गड़ु ड़या को दे खा
तो तरु ां त समझ गई कक वविय ने गड़ु ड़या की इन 15 ददनों में खूब तबीयत से चद
ु ाई की है , पर उसकी आाँखें तो
अपने बेटे के िण्ड के लिए तरस रही थीां। उसने पहिे गड़ु ड़या को प्यार से अपने गिे िगाया और कफर िब
वविय को अपने सीने से िगाया तो उसका ददि करने िगा कक वविय अभी उसके भारी भरकम चूतड़ों को अपने
हाथों में खूब कसकर भर िे और खूब िोर-िोर से मसि डािे। वह ना िाने क्या सोचती हुई वविय से बहुत दे र
तक चचपकी रही और वविय अपने मोटे िण्ड को खड़ा ककए हुए बड़े प्यार से अपनी गदराई मााँ के भारी चत
ू ड़ों
को सहिाता रहा।

शाम को वविय घम
ू ने ननकि गया और घर में िमन
ु ा काकी गड़ु ड़या और रुक्मणी बैठी थीां। कुछ दे र बाद गड़ु ड़या
यह कहकर चि दे ती है कक मैं चांदा के यहाां से आती हूाँ और अपने भारी चूतड़ों को मटकाती हुई िाने िगती है ।

रुक्मणी और िमन
ु ा दोनों गड़ु ड़या के भारी भरकम चूतड़ों को माँह
ु फाड़े हुए दे खती रह िाती हैं।

िमन
ु ा- हे राम, यह िब से शहर से िौटी है, इसकी मोटी गाण्ड और दध
ू ककतना बढ़ गये हैं, रुक्मणी मझ
ु े तो
िगता है तम्
ु हारे बेटे वविय ने तम्
ु हारी गड़ु ड़या को तबीयत से चोदा है ।

रुक्मणी- चुप कर, कोई सन


ु िेगा तो क्या कहे गा?

उन्हें पता नहीां था कक गड़ु ड़या छुपकर उनकी बातें सन


ु रही है ।

िमन
ु ा- तेरा बेटा तो बड़ा छुपा रुस्तम ननकिा, ना िाने कब से बहन पर निर गड़ाए बैठा होगा? सच बता
रुक्मणी, क्या तझ
ु े पहिे से पता था कक वह गड़ु ड़या को चोदना चाहता था।

रुक्मणी- नहीां रे , मझ
ु े कुछ नहीां मािम
ू था, मैंने तो बस एक ददन वविय का।

िमन
ु ा- क्या वविय का? कहीां तन
ू े वविय का िण्ड तो नहीां दे ख लिया?

रुक्मणी- हााँ िमन


ु ा, मैंने एक ददन वविय का परू ा तना हुआ िण्ड दे ख लिया है तब से मझ
ु े िब भी उसके मोटे
डांडे का ख्याि आता है मेरे बदन में चीांदटयाां रें गने िगती हैं।

िमन
ु ा- क्या खूब मोटा और िांबा है तेरे बेटे का िण्ड?

रुक्मणी- अब क्या बताऊाँ िमन


ु ा, उसका मोटा िण्ड तो हम औरतों को चोदने के िायक है , पता नहीां इस गड़ु ड़या
ने कैसे उसका िण्ड लिया होगा?

िमन
ु ा- हे रुक्मणी, तन
ू े तो अपने बेटे के िण्ड के बारे में बताकर मेरी चत
ू से पानी छुड़वा ददया।

िमन
ु ा- अच्छा रुक्मणी, यह तो पता कर कक तेरे बेटे के मन में तेरे लिए क्या है ? कहीां ऐसा तो नहीां कक वह
तझ
ु े भी परू ी नांगी करके चोदना चाहता हो?

22
रुक्मणी- नहीां रे , िगता तो नहीां है , और कफर मैं कैसे पता करूां कक वह मझ
ु े चोदना चाहता है या नहीां?

िमनु ा- अरे रात को उससे अपने पर दबवाकर, उसे धीरे से अपनी फूिी हुई चत
ू ददखा दे ना। अगर उसके मन में
कुछ होगा तो वह तेरी भी तबीयत से मालिश कर दे गा।

उनकी बातों से गड़ु ड़या को यकीन हो िाता है कक उसकी अपनी मााँ भी उसके भाई का मोटा िण्ड दे ख चुकी है ,
और उसे िेने के लिए तड़प रही है । वह चहकती हुई चांदा के घर की ओर भाग िाती है । चांदा से बातें करते हुए
गड़ु ड़या को अपनी मााँ के आने की आहट सन
ु ाई दे ती है और वह अपनी मााँ को सन
ु ाने के लिए िोर-िोर से बात
करने िगती है- “चांदा, िैसे तझ
ु े तेरा भाई चोदता है ना वैसी ही एक बात मैं तझ
ु े बताना चाहती हूां…”

चांदा- क्या तेरे भैया ने तझ


ु े भी चोद ददया है?

रुक्मणी उन दोनों की बातें सन


ु कर एकदम से रुक कर दीवार के पीछे छुपकर उन दोनों की बातें सन
ु ने िगती है ।

गड़ु ड़या- अरे चांदा, अब तझ


ु े क्या बताऊाँ… परू े 15 ददनों तक मेरे भैया ने मझ
ु े इस तबीयत से चोदा है कक परू े
रोम-रोम में मस्ती भरी हुई है । तू अगर मेरे भैया का मोटा िण्ड दे ख िे तो तू भी उनसे चद
ु े बबना नहीां रह
पाएगी।

चांदा- क्या इतना मस्त िण्ड है तेरे भैया का?

गड़ु ड़या- हााँ बहुत ही मोटा और िांबा है उनका िण्ड। सच कहूां तो उनका िण्ड तेरे मेरे िैसी िौंड़डयों के िायक है
ही नहीां।

चांदा- तो कफर ककसके िायक है ?

गड़ु ड़या- उनका मोटा िण्ड तो मेरी मम्मी िैसी मिबत


ू और कसी हुई िवान औरतों के िायक है ।

चांदा- तो क्या तेरे भाई को तझ


ु े चोदकर मिा नहीां आया?

गड़ु ड़या- “अरे उन्हें तो बहुत मिा आया, वह तो ददन भर मझ


ु े घर में नांगी ही रखते थे और खूब मेरी चूत मारते
थे…”

चांदा- कफर तझ
ु े कैसा िगा?

गड़ु ड़या- बहुत मिा आया बहुत, िेककन एक बात कहूां चांदा… मेरे भैया को मैंने कि अपनी मम्मी के मोटे -मोटे
चत ू ड़ों को अपना िण्ड मसि-मसिकर घरू ते हुए दे खा है ।

चांदा- क्या कह रही है ? कहीां ऐसा तो नहीां कक तेरे भैया तेरी मम्मी को भी चोदना चाहते हों?

गड़ु ड़या- मझ
ु े भी ऐसा ही िगता है चांदा, मेरे भैया आिकि िब भी मम्मी को दे खते हैं, उनका मोटा िण्ड खड़ा
हो िाता है । मझ
ु े तो िगता है मेरे भैया मम्मी को परू ी नांगी करके खूब कस-कसकर चोदना चाहते हैं।

चांदा- तो कफर रुक्मणी काकी अपनी चूत उनसे मरवा क्यों नहीां िेती? उन्हें तो तेरे भैया चोद-चोदकर मस्त कर
दें गे।

गड़ु ड़या- “िब मैंने भैया से पछ


ू ा कक आिकि कुछ बेचन
ै से रहते हैं…”
23
तो उन्होंने कहा- “एक बार मम्मी उनके साथ शहर चिी िाती तो उनका सारा काम बन िाता…”

तब मैंने भैया से कहा- “इसमें क्या है? िब मज़ी हो मम्मी को िे िाओ…”

तब भैया ने कहा- “िब मााँ खुद कहे गी तब ही उन्हें शहर घम


ु ाने िे िाऊाँगा, और मााँ िब िाएगी तो तू यहीां
िमन
ु ा काकी के पास ही रहे गी क्योंकी वहाां एक ही छोटा सा कमरा है …”

चांदा- “मतिब… तेरे भैया बस इस इांतिार में है कक एक बार मााँ उनके साथ शहर चिी िाए तो वहाां कफर वह
परू ी तबीयत से तेरी मााँ को नांगी करके चोदें ग…
े ”

उनकी बातें सन
ु कर रुक्मणी की मखमिी पावरोटी िैसी फूिी हुई चचकनी चत
ू पानी छोड़ने िगी, उसे इउस
एहसास ने अपनी फूिी चूत में इतनी चुदास पैदा कर दी कक वह अपनी फूिी चूत को अपने हाथों से मसिे बबना
ना रह पाई।

गड़ु ड़या- अरे चांदा, आि रात को िब मााँ सो िाएगी तो भैया को मााँ के बगि में ही लिटाकर उनके ऊपर चढ़
िाऊाँगी।

चांदा- और कहीां तेरी मााँ िाग गई तो?

गड़ु ड़या- “अरे हम दोनों भाई बहन बबना ककसी आवाि के एक दस


ू रे में समा िाएगे या कफर मैं भैया से कह दाँ ग
ू ी
कक मझ ु े अपने मोटे िण्ड पर खड़े-खड़े उठाकर इधर-उधर घम ू ते हुए ही चोद दो और आि मैं भैया से पछ
ू भी
िाँ ग
ू ी की क्या वो मााँ को भी चोदने की निर से दे खते हैं?”

चांदा- अच्छा यह बता गड़ु ड़या कक तेरा भाई अगर तेरे ही सामने तेरी मााँ को चोदे गा तो तझ
ु े कैसा िगेगा?

गड़ु ड़या- मझ
ु े िगेगा कक मैं भी अपनी मााँ के साथ अपने भाई के िण्ड पर चढ़ िाऊाँ और खूब कस-कस के उससे
चद
ु वाऊाँ। पर एक बात तो है चांदा, भैया मम्मी को परू ी नांगी करके खब
ू तबीयत से चोदना चाहते हैं।

चांदा- पर एक बात कहूां गड़ु ड़या, तेरी मााँ भी कम चद


ु ासी नहीां है । उसकी मस्तानी चूत के लिए तो तेरे भाई के
घोड़े िैसे िण्ड की ही िरूरत थी। तेरी मम्मी अगर तम ु दोनों भाई बहनों की चद ु ाई दे ख िेगी तो खद
ु भी परू ी
नांगी होकर तेरे भैया के िण्ड के ऊपर चढ़ िाएगी। वैसे गड़ु ड़या तेरी मम्मी के चत
ू ड़ हैं बड़े मोटे , परू े गााँव का हर
आदमी तेरी मम्मी की गाण्ड का दीवाना है । सच में तेरा भाई तेरी मम्मी की नांगी गाण्ड दे खेगा तो अपना मह
ाँु
सीधे तेरी मम्मी की मोटी गाण्ड में डाि दे गा।

रुक्मणी की चूत से पानी बह-बहकर उसकी िाांघों से ररसने िगा था उसकी चूत फूिकर कुप्पा हो गई थी, उसकी
निर के सामने उसके बेटे का मोटा िण्ड झूि रहा था। रुक्मणी वहााँ ना रुक सकी और पिटकर वापस घर आई
और घर आते ही उसे सामने खाट पर िग
ुां ी और बननयान पहनकर िेटे अपने बेटे को दे खा।

रुक्मणी- कब आया बेटे?

वविय- बस अभी आकर बैठा ही हूाँ मााँ।

रुक्मणी- खाना िगा दां ?


वविय- िगा दो मााँ।

24
रुक्मणी अपने बेटे के लिए खाना िगाने के बाद उसके सामने घम
ू कफर कर काम करने िगती है । वविय अपनी
मम्मी की गदराई िवानी को घरू ता हुआ खाना खाने िगा िेककन िब रुक्मणी कुछ उठाने के लिए नीचे झक
ु ती
है तो वविय का मोटा िण्ड अपनी मम्मी की गदराई चौड़ी गाण्ड दे खकर झटके मारने िगता है ।

वविय का िण्ड उसकी िग


ुां ी के अांदर परू ी तरह तन चक
ु ा था। रुक्मणी ने एक पतिी सी साड़ी और ब्िाउज़ पहन
रखा था। उसके उभरे हुए पेट और गहरी नालभ का नांगापन दे खकर वविय का िण्ड झटके पे झटके िे रहा था।
वविय ने िैसे तैसे खाना खाया और कफर वह िेट गया।

कुछ दे र बाद मााँ उसके पास आकर बैठ गई- “बेटे। आिकि तू मेरा बबल्कुि ख्याि नहीां रखता है…”

वविय अपने हाथ से अपनी मााँ की नांगी कमर और उठा हुआ पेट सहिाते हुए- “मााँ, मैं तो तेरा हर तरह से
ख्याि रखने को तैयार हूाँ बस तू हााँ कह दे …”

रुक्मणी- अच्छा तो ये बता मझ


ु े शहर कब िे चिेगा?

वविय उसकी मोटी िाांघों को सहिाता हुआ- “तू िब कहे मााँ, मैं तझ
ु े िे चिने को तैयार हूाँ…”

रुक्मणी- तो कफर कि मैं तेरे साथ ही चिग


ूां ी और दो तीन ददन तेरे साथ ही रहूांगी।

वविय अपनी मााँ के दोनों हाथ पकड़ िेता है और अपने माँह


ु से उसके गािों को चूमते हुए- “मााँ, तझ
ु े तो मैं
जिांदगी भर अपने साथ ही रखना चाहता हूाँ…”

रुक्मणी खड़ी होकर- “तो ठीक है , मैं कि तेरे साथ चिग


ांू ी पर वहाां िेिाकर तू क्या दे गा मझ
ु ?
े ”

वविय अपनी मााँ को अपनी बााँहो में भरकर- “मााँ, तम्


ु हें जिस चीि की सबसे ज्यादा िरूरत है वह दाँ ग
ू ा तम्
ु हें …”

अपने बेटे द्वारा धीरे -धीरे अपने चूतड़ दबाने से रुक्मणी की चूत में पानी आ गया था। तभी अचानक दरवािा
खि
ु ा और गड़ु ड़या अांदर आ गई, उसके आने के बाद वविय और रुक्मणी अिग हो गए।

रुक्मणी- बेटी, कि मैं तेरे भैया के साथ शहर िा रही हूाँ, यहाां तू अपना ख्याि रखना।

गड़ु ड़या- तम
ु चचांता मत करो मााँ, मैं अपना ध्यान रख िाँ ग
ू ी।

रात को करीब 12:00 बिे वविय धीरे से उठकर बैठ िाता है , गड़ु ड़या पहिे से ही इांतिार में थी। वहीां रुक्मणी
की आाँखों में नीांद नहीां थी और वह एक पेटीकोट और ब्िाउज़ पहने पड़ी हुई थी। वविय धीरे से अपनी मााँ और
गड़ु ड़या के पैरों के पास आ िाता है , वविय गड़ु ड़या की गोरी टााँगों को सहिाने िगता है तो गड़ु ड़या अपना परू ा
घाघरा अपनी कमर तक उठा िेती है और अपने भैया को अपने ऊपर चढ़ा िेती है । वविय अपनी बहन की चूत
में अपना िण्ड पेिकर सीधे उसके ऊपर िेट िाता है और गड़ु ड़या अपनी मााँ से बबल्कुि सटकर पड़ी हुई आह्ह
की आवाि इतनी िोर से ननकािती है कक रुक्मणी को बड़ी आसानी से सन ु ाई दे ती है ।

रुक्मणी पड़े-पड़े उनकी आवािें सन


ु ने िगती है ।

गड़ु ड़या- आह्ह भैया, ककतना मोटा डांडा है तम्


ु हारा बहुत कसा हुआ िा रहा है ।

वविय- मेरी रानी, इस मोटे डांडे का मन तो तझ


ु से भी बड़े-बड़े भोसड़े चोदने का करता है ।

25
गड़ु ड़या- आह्ह मैं सब िानती हूाँ तम
ु ककसको नांगी करके चोदना चाहते हो?

वविय एक करारा धक्का अपनी बहन की चत


ू में मारते हुए- ककसको चोदना चाहता हूाँ?

गड़ु ड़या- आह्ह मााँ को और ककसको?

गड़ु ड़या की बात सन


ु कर रुक्मणी की चूत फूिने िगती है , वह चुपचाप सोने का नाटक करती हुई पड़ी रहती है ।

गड़ु ड़या- भैया, तम्


ु हें मम्मी में सबसे ज्यादा क्या पसांद है ?

वविय- मझ
ु े मम्मी की यह मोटी गाण्ड सबसे अच्छी िगती है ।

गड़ु ड़या- तो एक बार अपनी मााँ की गाण्ड अपनी बहन को चोदते हुए सहिा िो ना… और ऐसा सोचो िैसे तम

मााँ की ही मोटी गाण्ड मार रहे हो।

वविय- पर कहीां मााँ िाग गई तो?

गड़ु ड़या- नहीां िागेगी, वह पक्की नीांद में सोती है । तम


ु एक बार मेरे सामने मम्मी की मोटी गाण्ड चम
ू कर दे खो
ना… पर हााँ मम्मी का पेटीकोट उसकी मोटी गाण्ड से ऊपर सरका दो।

वविय- ना बाबा मझ
ु े डर िगता है ।

गड़ु ड़या- “अच्छा हटो, मैं सरकाती हूाँ…” और गड़ु ड़या उठकर अपनी मम्मी का पेटीकोट सरकाकर उसकी गदराई
गाण्ड को परू ी नांगी कर दे ती है ।

वविय अपनी मााँ के नांगे चत


ू ड़ों को दे खकर पागि हो िाता है और अपने दोनों हाथों से िब अपनी मााँ के भारी-
भारी चूतड़ों की गहराई को फैिा-फैिाकर दे खता है तो उससे रहा नहीां िाता है और वह अपने माँह
ु को अपनी
मम्मी की मस्त गद
ु ा में भरकर चूम िेता है ।

उसकी इस हरकत से करवट िेकर सोई हुई रुक्मणी की चत


ू टनटना िाती है और वह अपने बेटे के िण्ड के
लिए व्याकुि हो िाती है ।

गड़ु ड़या अपने भैया का मोटा िण्ड बैठकर सहिाती रहती है और- “भैया अच्छा यह बताओ कक तम
ु मााँ को शहर
िेिाकर खूब चोदने वािे हो ना?”

वविय अपनी मााँ की मोटी गाण्ड को खूब कस-कसकर सहिाते हुए- “हााँ मेरी रानी बहना, मैंने िब से अपनी मााँ
की गदराई िवानी दे खी है, मैं उसे परू ी नांगी करके खब
ू चोदना चाहता हूाँ… पर अभी तो तू मेरे िण्ड पर चढ़ िा,
अब मैं तझ
ु े अपने िण्ड पर घम
ु ा-घम
ु ाकर चोदां ग
ू ा।

वविय के कहते ही गड़ु ड़या उसके मोटे िण्ड पर चढ़कर बैठ िाती है और वविय उसे खड़े होकर अपनी गोद में
बैठाकर खूब कस-कसकर चोदने िगता है । रुक्मणी धीरे से अपनी आाँखें खोिकर िब दे खती है तो उसके होश
उड़ िाते हैं। उसकी बेटी गड़ु ड़या उसके बेटे के मोटे िण्ड पर ककसी बांदररया की तरह चढ़कर बैठी उसके सीने से
चचपकी हुई थी और उसका बेटा अपने मोटे िण्ड को उसकी गाण्ड के नीचे से उसकी गि
ु ाबी चत
ू में कस-कसकर
मार रहा था।

26
रुक्मणी की हाित खराब हो चुकी थी और उससे बद़ स्त नहीां हो रहा था।

कुछ दे र बाद वविय अपनी बहन को अपनी मााँ के बगि में िेटाकर उसकी चत ू मारते हुए एक बार अपनी मााँ के
चेहरे की ओर दे खता है और उसकी मााँ अपनी आाँखें बांद ककए हुए पड़ी थी। वविय धीरे से अपनी बहन की चतू
मारते हुए अपनी मााँ के रसीिे होंठों को चूम िेता है । वविय अपने हाथों से अपनी मााँ की गोरी मोटी गाण्ड को
सहिाता हुआ अपनी बहन गड़ु ड़या की चूत खूब कस-कसकर चोदने िगता है । करीब एक घांटे तक वविय अिग-
अिग मद्र
ु ा में अपनी बहन को खूब कसकर चोदता है ।

अगिे ददन सब
ु ह-सब
ु ह वविय अपनी मााँ को िेकर शहर चिा िाता है , शहर में उसका एक ही रूम था और एक
तरफ तो वह खाना बनाने का समान रखे था, िहाां एक गैस स्टैंड बना था और उसी पर गैस रखी थी और दस
ू री
तरफ उसने िमीन पर सोने के लिए बबछा रखा था।

वविय अपनी मााँ को यह कहकर चिा िाता है कक वह शाम तक िोटे गा। रुक्मणी एक ददन रुकने के दहसाब से
आई थी और कोई कपड़े साथ िाई नहीां थी। काम करते हुए उसकी साड़ी और पेटीकोट परू े गीिे और गांदे हो गये
थे। वह सोचने िगी कक अब पहनेगी क्या?

बहुत सोचने के बाद उसने अपने सारे कपड़े उतार ददए और कफर वविय की िग
ुां ी िपेट िी और ऊपर केवि
अपना ब्िाउज़ पहन लिया। उसे थोड़ा अिीब भी िग रहा था कक वविय उसे इस छोटी सी िग ुां ी में दे खेगा तो
क्या सोचेगा? उसके भारी भरकम चत
ू ड़ और मोटी गदराई िाांघें िग
ांु ी में समा नहीां रही थीां।

शाम को िब वविय वापस आ रहा था तो रास्ते में उसने सोचा क्यों ना थोड़ी बबयर चढ़ा िी िाय, आि रात
मााँ को परू ी रात नांगी करके चोदने में मिा आ िाएगा। तभी वविय ने सोचा क्यों ना आि मााँ को भी थोड़ी
बबयर चखा दी िाय, सािी मस्त होकर अपनी चत
ू अपने बेटे से मराएगी, और कफर वविय ने दो बोति बबयर
की िे िी और घर आ गया।

िैसे ही उसने दरवािा बिाया। रुक्मणी को िग


ांु ी और ब्िाउज़ में दे खते ही उसका मोटा िण्ड खड़ा हो गया।
उसने कहा- “अरे वाह मााँ… तम
ु िग
ुां ी में बहुत अच्छी िग रही हो…”

रुक्मणी आगे चिती हुई अपने भारी चूतड़ों को छुपाने की कोलशश करती हुई- “क्या करूां बेटा, काम करते हुए मेरे
सब कपड़े खराब हो गये और मैं कुछ िेकर भी नहीां आई…”

वविय- कोई बात नहीां, यहाां तम्


ु हारे बेटे के अिावा और दे खने वािा है ही कौन? और कफर वविय अपनी मााँ के
गिे िगकर अपने दोनों हाथों को पीछे िेिाकार अपनी मााँ के भारी चूतड़ों को सहिाते हुए उसके गािों को
चूमकर, उसके उठे हुए पेट पर हाथ फेरकर कहा- “बहुत भख ू िगी है मााँ…”

रुक्मणी- मैंने खाना तैयार कर ददया है, चि खा िे।

वविय- “मााँ, तम
ु उधर माँह
ु करके खाना िगाओ मैं अपनी मााँ को बस ऐसे ही प्यार करते रहना चाहता हूाँ…”

रुक्मणी दस
ू री ओर घम
ू कर खाना िगाने िगती है और वविय अपनी मााँ की मोटी गाण्ड को अपने िण्ड से
दबाने िगता है- “मााँ, तम्
ु हारे लिए शरबत िेकर आया हूाँ…” और कफर वविय बबयर की बोति खोिकर एक ग्िाश
में भरकर अपनी मााँ को दे दे ता है ।

27
रुक्मणी िैसे ही बबयर पीती है तो उसे उसका स्वाद अच्छा नहीां िगता और वह कहती है - “हे ककतनी कड़वी है
यह शरबत…”

वविय अपनी मााँ के चूतड़ों को सहिाते हुए- “िाओ मैं तम्


ु हें अपने हाथों से वपिाउाँ गा…” और कफर वविय एक घट
ूाँ
खुद िेता है और एक घट ूां अपनी मााँ को दे ता है ।

एक ग्िाश पीते ही रुक्मणी कहती है - “बेटे, यह तो ऐसी शरबत है कक एक ग्िाश पीने के बाद इसका स्वाद
अच्छा िगता है…”

वविय- “आओ मााँ, हम सारा खाना और शरबत नीचे रखकर आराम से बैठकर खाते हैं…” और कफर वविय अपनी
मााँ के साथ नीचे आराम से बैठ िाता है और दोनों बातें करते हुए बबयर पीने िगते हैं।

िब एक बबयर परू ी खतम हो िाती है तो रुक्मणी की आाँखों में नशा चढ़ने िगता है और वह हाँसती हुई- “बेटे,
यह शरबत तो बहुत अच्छी है बड़ा मिा आ रहा है…”

वविय िब दे खता है कक उसकी मााँ अब परू ी तरह मस्ताने िगी है तो वह दीवार से दटक कर अपनी मााँ को
कहता है कक उसके पास आकर बैठ िाए। कफर वविय रुक्मणी से कहता है - “मााँ आि बहुत गमी है यह ब्िाउज़
उतार दो थोड़ी हवा िग िाएगी…”

रुक्मणी हाँसते हुए िड़खड़ाती आवाि में- “बेटे, मैं तो बहुत थक गई हूाँ तू ही उतार दे ना…”

वविय अपनी मााँ को अपने हाथों से धीरे -धीरे खाना खखिाता हुये उसके ब्िाउज़ के एक-एक बटन को खोि दे ता
है । रुक्मणी खाने के बाद िब पानी माांगती है तो वविय उसे बबयर भरकर दे दे ता है और रुक्मणी एक ही साांस
में गटक िाती है । वविय केवि चड्डी बननयान में अपनी मााँ के पास सटकर बैठा था और उसने उसका ब्िाउज़
उतारकर अिग रख ददया था। कफर एकदम से रुक्मणी के मोटे -मोटे दध
ू में अपना माँह
ु भरकरकर उन्हें खब
ू कस-
कसकर मसिने िगा। रुक्मणी परू ी तरह नशे में मस्त हो चुकी थी और अपने बेटे से अपने मोटे -मोटे कसे हुए
दध
ू खब
ू कस-कसकर दबवाते हुए अपने बेटे को चम ू ने िगती है ।

िब बबयर और खाना खतम हो गया तब वविय ने अपनी मााँ को खड़ा ककया और उसके रसीिे होंठों को खूब
िोर-िोर से चूमते हुए उसके मोटे -मोटे दध
ू को खूब िोर-िोर से मसिने िगा और कफर वविय ने अपनी मााँ की
िग
ांु ी को एकदम से खोि ददया।

रुक्मणी- बेटे, यह क्या कर रहा है ?

वविय ने तरु ां त अपना कच्छा उतारकर अपने मोटे िण्ड को अपनी मााँ के हाथों में दे ददया। अपने बेटे का मोटा
िण्ड अपने हाथ में आते ही रुक्मणी की चूत फड़कने िगी और वह अपने बेटे के ऊपर अपने शरीर का भार
दे कर उसके मोटे िण्ड और उसकी बड़ी-बड़ी गोदटयों को अपने दोनों हाथों में भर-भरकर दबाने िगी। तब वविय
ने अपनी मााँ को गैस स्टैंड पर चढ़ाकर बैठा ददया और उसकी दोनों मोटी िाांघों को खब
ू फैिाकर िब अपनी मााँ
की मस्त फूिी हुई चूत को दे खा तो पागिों की तरह वह अपनी मााँ की चूत को चाटने िगा।

रुक्मणी मस्ती से भरी हुई आह्ह… आह्ह… करती हुई अपने बेटे के सामने अपनी िाांघों को और फैिाकर अपनी
चतू उठा-उठाकर अपने बेटे के महाँु से रगड़ने िगी। वविय ने अपने दोनों हाथों से अपनी मााँ की चत
ू की फाांकों
को फैिाकर उसके गि
ु ाबी छे द को खूब चूसने िगा और एक हाथ से अपनी मााँ के मोटे -मोटे दध
ू को भी मसिने
िगा। िगभग 15 लमनट तक वविय अपनी मााँ की चत
ू को चाटता रहा। उसके बाद वविय ने अपनी मााँ को
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नीचे उतारकर उसे िमीन पर घोड़ी की तरह झुका ददया और उसकी मोटी गाण्ड को उभारकर अपने माँह
ु को सीधे
अपनी मााँ की मोटी-मोटी गोरी गाण्ड में िगाकर अपनी मााँ की गद
ु ा से िेकर चत
ू तक अपनी िीभ ननकािकर
चाटने िगा।

वविय ने अपनी मााँ की गाण्ड और चूत को चाट-चाटकर िाि कर ददया। तभी अचानक रुक्मणी को ना िाने
क्या हुआ और उसने पिटकर एकदम से अपने बेटे के मोटे िण्ड को अपने माँह
ु में भरकर पागिों की तरह चूसने
िगी। रुक्मणी खब
ू कस-कस के अपने बेटे का िण्ड चूस रही थी और वविय अपने हाथों से अपनी मााँ की चूत
को कुरे द रहा था। वविय ने अपनी मााँ की चत
ू में दो तीन उां गलियाां डािकर आगे पीछे करना शरू
ु कर ददया और
रुक्मणी अपने बेटे के िण्ड को दोनों हाथों से खूब दबोच-दबोच कर चाट रही थी।

कुछ दे र बाद रुक्मणी हाांफते हुए- “बेटे, ककतना मस्त िण्ड है तेरा… मैं कब से तेरे इस मोटे डांडे को चूसने के
लिए तड़प रही थी आि मैं इसे रात भर चस ू ग
ांू ी…”

वविय अपनी मााँ के रसीिे होंठों को चूसकर- “मााँ, मैं भी तो तेरी इस रसीिी चूत का रस पीने के लिए कब से
तड़प रहा हूाँ। आि तू अपने बेटे का िण्ड चूस, मैं अपनी मााँ की फूिी हुई चूत का रस चूसता हूाँ। और कफर
वविय ने िेटकर अपनी मााँ को उल्टा अपने ऊपर चढ़ा लिया और अपनी मााँ की मोटी गदराई गाण्ड को अपने
माँह
ु की ओर खीांचकर उसके गि
ु ाबी रस से भरी चूत को अपने माँह
ु से पीने िगा। उधर रुक्मणी अपने बेटे के
ऊपर चढ़ी-चढ़ी उसका मोटा िण्ड पीने िगी। दोनों पागिों की तरह एक दस
ू रे के चत
ू और िण्ड को चस
ू ने िगे।
दोनों ने एक दस
ू रे के चूत और िण्ड को चूस-चूसकर िाि कर ददया।

रुक्मणी एकदम से उठकर अपने बेटे के िण्ड को अपने हाथों से पकड़कर उसपर अपनी फटी चूत रखकर बैठ
गई और अपने बेटे के मोटे िण्ड पर कूदने िगी। वविय आराम से िेटा अपनी मााँ के मोटे -मोटे दध
ू को चस
ू ने
िगा। करीब 10 लमनट बाद रुक्मणी एक तरफ िढ़
ु क कर हााँफने िगती है तब वविय अपनी मााँ की दोनों िाांघों
को ऊपर तक उठाकर मोड़ दे ता है और कफर उसकी उठी हुई चत ू में अपने िण्ड का एक िोरदार झटका मरता है
कक रुक्मणी के माँह
ु से आह्ह की लससकारी ननकि िाती है ।

वविय अब ताबड़तोड़ तरीके से अपनी मााँ की चूत कूटने िगता है । वह हर धक्का इतना िोर से मारता है कक
उसका िण्ड उसकी मााँ की बच्चेदानी से टकराने िगता है । रुक्मणी हाय-हाय करती हुई अपने भारी चत
ू ड़ों को
खूब उठाने िगती है और वविय अपनी मााँ की चूत में सटासट अपने िण्ड को पेिने िगता है । बीच-बीच में
वविय िब अपनी मााँ की फूिी हुई चूत दे खता है तो अपने िण्ड को बाहर ननकािकर अपनी मााँ की चूत बरु ी
तरह चाटने िगता है ।

करीब आधे घांटे तक वविय अपनी मााँ की चूत को कभी अपनी िीभ से चाटता है , कभी अपने िण्ड से चोदता
है । रुक्मणी अपने बेटे की इस तरह की चद
ु ाई से पानी-पानी होकर अपनी चत
ू से ढे र सारा पानी छोड़ दे ती है ।
वविय अपनी मााँ की चूत से अपने िण्ड को बाहर ननकािकर उसे अपनी मााँ के माँह
ु में दे दे ता है और रुक्मणी
अपने बेटे का िण्ड कफर से पीने िगती है ।

वविय पास में रखा तेि उठाकर अपनी मााँ की गद


ु ा में उां गिी डाि-डािकर तेि िगाने िगता है और अपने होंठों
से अपनी मााँ की चूत भी चस
ू ने िगता है , वविय की पहिे एक कफर दो उां गलियाां तेि में भीगी होने से सट से
उसकी मााँ की मोटी गाण्ड के छे द में घस
ु ने िगती हैं। अब वविय अपने िण्ड पर ढे र सारा तेि िगाकर अपने
िण्ड को धीरे से अपनी मााँ की गद
ु ा से िगाकर धीरे -धीरे अपनी मााँ की गाण्ड में पेिने िगता है ।

रुक्मणी आह्ह आह्ह करती हुई अपनी गाण्ड नचाने िगती है ।


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वविय धीरे -धीरे अपना आधा िण्ड अपनी मााँ की मोटी गाण्ड में फाँसा दे ता है ।

“आह्ह बेटे ये क्या कर रहा है ? बहुत खि


ु िा रही है मेरी गाण्ड आह्ह… आह्ह…”

वविय थोड़ा िण्ड बाहर खीांचकर उसपर और तेि िगाकर एक िोरदार धक्का िब अपनी मााँ की मोटी गाण्ड में
मारता है तो उसका परू ा िण्ड अपनी मााँ की गदराई गाण्ड में परू ा का परू ा घस
ु िाता है ।

और रुक्मणी- “आह्ह… मर गई रे आह्ह…” करते हुए लसलसयाने िगती है ।

वविय का िण्ड अपनी मााँ की गाण्ड में फाँसा हुआ और भी सख़्त होकर फूिने िगता है , वविय अपनी मााँ की
गाण्ड को चीर-चीर कर अपने मोटे िण्ड को सटासट अांदर पेिने िगता है और रुक्मणी ओह्ह ओह्ह करते हुए
सीलसयती रहती है ।

वविय धीरे -धीरे अपनी मााँ की गाण्ड जितना हो सकता था अपने हाथों से फैिा-फैिाकर चोद रहा था। उसे बहुत
मिा आ रहा था और रुक्मणी भी मस्ती में अपने बेटे के मोटे िण्ड को अपनी मोटी गाण्ड में भरे हुए खब
ू कस-
कसकर मरवा रही थी।

कुछ दे र बाद वविय ने अपनी मााँ की गाण्ड पर चढ़-चढ़कर उसे चोदना शरू
ु कर ददया और इतना िोर-िोर से
अपनी मााँ की गद
ु ा को ठोंकने िगा कक परू े कमरे में उसके द्वारा उसकी मााँ की गाण्ड की ठुकाई की आवाि
गि
ांू ने िगी। रुक्मणी ने अपनी सारी जिांदगी में इतनी तगड़ी मार अपनी गाण्ड और चत
ू पर कभी नहीां खाई थी,
जितना तबीयत से आि उसका बेटा उसकी गाण्ड को चोद रहा था।

तभी वविय के िण्ड का पानी रुक्मणी की गाण्ड में गहराई तक भर गया और रुक्मणी ननढाि होकर पेट के बि
िेट गई और वविय भी अपनी मााँ की गाण्ड में अपना िण्ड फाँसाए-फाँसाए ही उसकी गाण्ड पर िेट गया, करीब
5 लमनट तक वविय वैसे ही पड़ा रहा कफर वविय उठकर एक तरफ िेट गया और रुक्मणी नशे और चद
ु ाई की
मस्ती में हााँफती हुई िेटी रही।

कुछ दे र बाद वविय का िण्ड कफर से खड़ा हो गया और वह कफर से अपनी मााँ के ऊपर चढ़कर उसकी चत

मारने िगा, इस तरह वविय उस रात अपनी मााँ को परू ी रात नांगी करके चोदता रहा और रुक्मणी ने अच्छे से
अपने बेटे से अपनी चूत की आग बझ
ु वाई।

उसके बाद वविय ने करीब 6 ददनों तक अपनी मााँ को अपने पास रखकर उसकी खूब तबीयत से चुदाई की, कफर
वविय उसे िेकर अपने गााँव आ गया, अब वविय बारी-बारी से कभी गड़ु ड़या को और कभी अपनी मााँ को अपने
साथ िे िाता था और उनकी वहाां िेिाकर िमकर चद
ु ाई करता था।

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