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एक भाई ऐसा भी

फ्रें ड्स ये कहानी मैने नेट से ली है और मैं इसका नाम चेंज करके पोस्ट कर रहा हूँ ये आशु भाई ने दूसरे फोरम पर लिखी है
कहानी अच्छी लगी इसीलये मे इसे आपके लिए पोस्ट कर रहा हूँ इस कहानी का श्रेय इसके लेखक आशु को जाता है
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07-22-2017, 01:49 PM,#2

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
काजल को जैसे ही उसके भाई का फोन आया, वो उसी वक़्त अपने ऑफीस से निकल पड़ी..उसकी माँ पिछले 20 दिनों से हॉस्पिटल में है..उन्हें
हार्ट अटॅक आया था..पर अब धीरे-2 सुधार हो रहा है..पर फिर भी डॉक्टर्स कह रहे हैं की 10 दिन और लगेंगे..

काजल एक प्राइवेट फर्म मे नौकरी करती थी और हॉस्पिटल मे उसका छोटा भाई के शव रहता था..वो एक आवारा किस्म का लड़का था और अपनी डील
-डोल की वजह से गुंडागर्दी भी सीख गया था वो..इसलिए उसकी दोस्ती भी ऐसे लड़को के साथ ही थी..पर जब से उनकी माँ हॉस्पिटल मे थी वो
आवारगार्दी कर ही नही पाता था..इसलिए 5:30 होते ही वो अपनी बहन को फोन खड़का देता और उसके आते ही अपने दोस्तो के साथ निकल
जाता..ज़िम्मेदारी का ज़रा भी एहसास नही था उसमे..

दिल्ली में रोहिणी की एक डी डी ऐ कॉलोनी मे घर था उनका..बस यही 2 मंज़िला घर था जो उनके पिताजी छोड़ गये थे...उपर वाले हिस्से में दो
बेडरूम और नीचे किचन और ड्रॉयिंग रूम.

काजल की उम्र तो शादी के लायक हो चुकी थी पर घर की पूरी ज़िम्मेदारी उसके उपर थी...इसलिए वो अभी शादी के बारे मे दूर -2 तक सोच भी
नही सकती थी..

वो थी तो काफ़ी सुंदर पर बिना मेकअप के और सादे कपड़ो मे रहने की वजह से कोई उसपर ज़्यादा ध्यान नही देता था..लड़को को वो खुद ही अपने
पास फटकने नही देती थी..क्योंकि प्यार-व्यार के चक्कर मे पड़कर वो अपनी ज़िम्मेदारियो से दूर नही होना चाहती थी.

कु ल मिलाकर काफ़ी समझदार और घरेलू किस्म की सुंदर सी लड़की थी काजल..

कु ल मिलाकर काफ़ी समझदार और घरेलू किस्म की सुंदर सी लड़की थी काजल....

और उसका भाई के शव, शक्ल से ही गुंडा टाइप का..हल्की दादी मूँछ मे रहता था हमेशा..बिखरे हुए बाल..सिगरेट की लत्त भी थी उसको...इसलिए
होंठ भी चेहरे की तरह काले हुए पड़े थे..पर अपने मोहल्ले मे काफ़ी दबदबा था उसका..और वो अपने कसरती बदन को बुरे कामो मे इस्तेमाल करके
थोड़ी बहुत कमाई भी कर लेता था...पर वो पैसे वो अपने दोस्तो और शराब मे ही उड़ाता..

घर का खर्चा चलाने की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ और सिर्फ़ काजल की ही थी.

उनके घर का खर्चा वैसे ही बड़ी तंगी मे चल रहा था.. उपर से माँ की बीमारी ने भी काफ़ी पैसे ख़त्म कर दिए..

और साथ ही साथ दीवाली भी आने वाली थी..सिर्फ़ दस दिन बाद..ऐसी हालत मे काजल बस यही सोच रही थी की कै से चलेगी ये जिंदगी..

पर उसे नही पता था की आने वाली दीवाली उसके लिए क्या-2 सर्प्राइज़ लाने वाली है..

काजल के हॉस्पिटल पहुँचते ही के शव फ़ौरन वहाँ से निकल गया...इतनी जल्दी मचाते हुए काजल ने उसे पहली बार देखा था..

रात के समय हॉस्पिटल मे किसी के भी रहने की मनाही थी..वैसे भी देखभाल के लिए नर्सेस रहती ही थी..इसलिए काजल भी घर आ जाती थी..

घर पहुंचकर उसने अपना लोवर और एक हल्की सी टी शर्ट पहनी और खाना बनाने मे लग गयी..वो रात के समय अपने अंडरगार्मेंट्स भी उतार देती
थी..यही नीयम था उसका रोज का..10 बजे तक के शव भी आ जाता था और दोनों मिलकर खाना खाते थे...सुबह वो ऑफीस निकल जाती और
के शव नहा धोकर हॉस्पिटल के लिए...पिछले दो महीने से यही नीयम चल रहा था..

पर आज 11 बजने को हो रहे थे और के शव का कहीं पता नही था...काजल को भी काफ़ी भूख लगी थी..उसने उसका नंबर कई बार ट्राइ किया
पर हर बार वो काट देता...आख़िर मे जाकर जब उसने फोन उठाया तो सिर्फ़ इतना कहकर फोन रख दिया की 'दीदी , दस मिनिट मे आया
बस...'

दस मिनिट के बाद जब के शव आया तो वो काफ़ी खुश लग रहा था...पर काजल के गुस्से वाले चेहरे को देखकर वो सहम सा गया और चुपचाप अपने
कमरे मे जाकर चेंज करने लगा..और कपड़े बदल कर नीचे आया.

काजल : "ये हो क्या रहा है आजकल...ये जानते हुए भी की माँ हॉस्पिटल में है, तुम इतनी रात को मुझे अके ला छोड़कर बाहर रहते हो..आख़िर
गये कहाँ थे..और मेरा फोन क्यो काट रहे थे..''

के शव : "वो...मैं ...जुआ खेलने गया था...''

वैसे तो जुआ खेलना उसका हमेशा का काम था, पर माँ हॉस्पिटल में है, ऐसी हालत मे भी वो जुआ खेलने से बाज नही आ रहा, ये काजल से
बर्दाश्त नही हुआ..उसके मुँह मे जो भी आया, वो उसे कहती चली गयी..काफ़ी भला-बुरा सुनने के बाद अचानक के शव ने अपनी जेब से 500 के
लगभग 20-30 नोट निकाल कर उसके सामने रख दिए..

और उन्हे देखते ही काजल की ज़ुबान पर एकदम से ताला सा लग गया..

के शव (मुस्कु राते हुए) : "ये जीते है मैने..दीदी, आपको पता है ना दीवाली आने वाली है...और इसी टाइम ऐसी बड़ी-2 गेम्स चलती है...और
जब आप फोन पर फोन कर रहे थे,मेरी एक बड़ी सी गेम फं सी हुई थी...इसलिए फोन काट रहा था..और जैसे ही ये पैसे जीता, मैं वहाँ से निकल
आया..''

इतने पैसे एकसाथ देखकर काजल हैरान थी...वो महीना भागा-दौड़ी करके सिर्फ़ 15000 कमाती थी...और उसके भाई ने लगभग उससे दुगने पैसे
कु छ ही घंटो मे लाकर उसके सामने रख दिए थे..

वो जुए को हमेशा से बुरा मानती थी...पर उनके जो हालात थे, उसमे पैसे अगर जुआ खेलकर भी आए, तो उसे उसमे कोई प्राब्लम नज़र नही आ
रही थी..
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
के शव ने वो सारे पैसे ज़बरदस्ती काजल के हाथों मे रख दिए और बोला : "दीदी, मैं उतना भी बुरा नही हू जितना आप मुझे समझती हो...मुझे भी
माँ की फ़िक्र है..अब मुझे आप की तरह कोई जॉब तो देगा नही, इसलिए जो मेरी समझ मे आता है, मैं करता हू...और ये पहली बार नही है की
मैने जुए में पैसे जीते हैं, पर हाँ , इतने पैसे एक साथ पहले कभी नही जीते..पर पहले मैं उन पैसों को उड़ा देता था..पर आज के बाद ऐसा नही
करूँ गा..मैं भी आपकी मदद करूँ गा..

अपने भाई की ऐसी समझदारी भरी बाते सुनकर काजल एक दम से अपनी सीट से उठी और के शव के सिर को अपनी छाती से लगाकर सिसकने लगी :
"मुझे माफ़ कर देना मेरे भाई...मैने तुझे इतना बुरा-भला कहा..मैं वो माँ की वजह से इतनी परेशान थी की जो मेरे मुँह मे आया, वो कहती चली
गयी...''

ये के शव के लिए पहला मौका था जब उसकी बहन के मुम्मे उसके चेहरे पर दबे पड़े थे...उसने आज तक अपनी बहन के बारे मे कोई ग़लत बात नही
सोची थी..पर आज जिस तरह से उसने के शव के सिर को पकड़कर अपनी छाती से लगाया था..और जब के शव को ये महसूस हुआ की काजल ने
पतली सी टी शर्ट के अंदर कु छ भी नही पहना है तो उसे ऐसा एहसास हुआ की उसका चेहरा सीधा उसके नंगे मुम्मो के उपर रखा हुआ है...इतने
नर्म और मुलायम थे उसके मुम्मे ...और उसके जिस्म से निकल रही एक कुँ वारी सी खुश्बू...वो तो बस अपनी आँखे बंद करके उस सुगंध को सूंघता
ही रह गया..

काजल बोलती जा रही थी : "पर के शव, ये पैसा हराम का है...आगे से कोशिश करना की अपनी मेहनत का ही पैसा घर लाया करो..''

उसकी बात से सॉफ जाहिर था की वो इन पैसो को अभी के लिए मना नही कर रही ...करती भी कै से..उसे पता था की उनसे हॉस्पिटल के बिल्स
आसानी से दिए जा सकते हैं..

के शव ने अपना सिर उपर उठाया और बोला : "नही दीदी, आप ऐसा क्यो सोच रही है...ये दीवाली के दिन है, इन दिनों में जुए से जीते गये
पैसे मेहनत किए हुए पैसों से कम थोड़े ही होते हैं...और आप कै से कह सकती है की इसमे मेहनत नही है, इसमे बहुत दिमाग़ लगता है..और दिमाग़
लगाकर कमाई हुई रकम भी तो मेहनत से कमाए हुए पैसो के बराबर हुई ना..''

काजल के पास उसकी बात का कोई जवाब नही था..उसके दोनो हाथों मे के शव का चेहरा था..जो उसकी दोनो छातियों के बीच से झाँकता हुआ
उसकी तरफ देख रहा था..इतने करीब से और इतने प्यार से तो उसने आज तक नही देखा था अपने भाई को...उसने नीचे झुककर उसके माथे को
चूम लिया और बोली : "ठीक है...पर मुझसे वादा कर, दीवाली के बाद तू ये जुआ नही खेलेगा..सिर्फ़ इन्ही दिनों के लिए खेल ले बस...और
अपनी लिमिट मे रहकर..और बाद मे कोई अच्छा सा काम करके मेरी घर चलाने मे मदद करेगा..''

के शव : "ठीक है दीदी...अब जल्दी से खाना लगाओ...बड़ी भूख लगी है मुझे..''

और फिर हंसते हुए काजल उसके लिए खाना परोसने लगी..

खाना खाते हुए अचानक काजल ने कहा : "तुम रम्मी खेलते हो या पत्ते पर पत्ता ..''

के शव खाना खाते-2 अचानक रुक गया और ज़ोर-2 से हँसने लगा , और बोला : "हा हा हा, दीदी आप भी ना, ये बच्चों वाले खेल तो घर पर
खेले जाते हैं..''

काजल ने भी ये बात इसलिए कही थी क्योंकि वो खुद अपने भाई के साथ बचपन मे यही खेल खेलती थी..और कई बार क्या, हमेशा ही के शव को
उसमें हरा देती थी..

के शव : "हम लोग खेलते हैं, तीन पत्ती ..यानी फ्ले श ''

काजल : "ये कै से होता है....''

के शव : "उम्म्म.....आप ऐसा करो...खाना खाने के बाद में आपके रूम मे आता हू...वहीं दिखाता हूँ की ये कै से होता है..''

काजल भी खुश हो गयी....वैसे भी खाना खाने के बाद वो रात को 12 बजे तक जागती रहती थी...ऐसे मे अपने भाई के साथ कु छ वक़्त गुजारने
की बात सुनकर वो काफ़ी खुश हुई..और उसने खुशी-2 हाँ कर दी.

किचन समेटने के बाद वो अपने कमरे मे गयी, जहाँ पहले से ही के शव अपने हाथ मे ताश की गड्डी लेकर उसका इंतजार कर रहा था.

आने से पहले काजल अपना मुँह अच्छी तरह फे स वॉश से धोकर आई थी...ये काम वो रोज रात को करती थी...अपने चेहरे को चमका कर रखती
थी वो हमेशा..इसलिए जब वो के शव के पास पहुँची तो उसका चेहरा ऐसे चमक रहा था जैसे वो अभी नहा धोकर आई है..

और मुँह धोने की वजह से उसकी टी शर्ट भी आगे से गीली हो गयी थी..और इसलिए उसके उभारों वाली जगह टी शर्ट से चिपक कर पारदर्शी हो गयी
थी..पर निप्पल्स वाली जगह से नही, सिर्फ़ उपर-2 से..पर इतना गीलापन भी काफ़ी था के शव के लंड की नोक पर गीलापन लाने के लिए..आज
उसके साथ लगातार दूसरी बार ऐसी घटना हो रही थी ,आज से पहले उसने अपनी बड़ी बहन को ऐसी नज़रों से देखा ही नही था...दोनो अलग-2
और अपने मे मस्त रहते थे..पर आज जिस तरह से उसने के शव के सिर को अपने सीने से लगाया और अब अपनी गीली चुचियों के दर्शन भी करवा
रही है..ऐसे मे इंसान का अपने लंड पर बस चलना काफ़ी मुश्किल हो जाता है.

काजल धम्म से आकर उसके सामने पालती मार कर बैठ गयी और बोली : "हांजी ...अब बताओ...क्या होता है ये तीन पत्ती''

के शव : "जीतने भी खेलने वाले होते हैं, उन्हे 3-3 पत्ते बाँट दिए जाते हैं...और जिसके पत्ते बड़े होंगे, वही जीत जाएगा..''

काजल : "बस....इतना सा ...ये तो बड़ी आसान सी गेम है...बिल्कु ल बच्चों वाली...हा हा ..''

वो तो ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे वो एक ही बार मे सीख चुकी है..


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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
के शव : "ये इतना भी आसान नही है, जितना लग रहा है...चलो,मैं पत्ते बाँटकर दिखाता हूँ ...''
और के शव ने गड्डी कटवाई और फिर 3-3 पत्ते आपस मे बाँट लिए..काजल ने फ़ौरन पत्ते उठा लिए.

के शव : "अरे....दीदी , ऐसे एकदम से नही उठाते...पहले ब्लाइंड चलनी पड़ती है... और अगर आपके पत्ते अच्छे हुए तो आप चाल चल
सकती हो ''

और फिर के शव उसे ब्लाइंड और चाल के बारे मे बताने लगा..और ब्लाइंड और चाल के बारे मे अच्छी तरह से समझ कर वो बोली : "कोई बात
नही...अगली बार से ध्यान रखूँगी..पर इन पत्तो का क्या करू...ये बड़े कहलाएँगे या नही..''

इतना कहकर उसने अपने तीनों पत्ते के शव के सामने फें क दिए...वो तीनों इक्के थे..

के शव : "वाव दीदी...इक्के की ट्रेल...पहली बार मे ही आपके पास इक्के की ट्रेल आई ..बहुत बाड़िया...आपको पता है, इनके आगे कु छ भी
नही चलता..ये सबसे बड़े होते हैं...सामने वाले के पास चाहे कु छ भी हो, आपसे जीत नही सकता...''

काजल (आँखे घुमाते हुए ) : "कु छ भी....आ हाँन...''

और ना चाहते हुए भी काजल की नज़रें घूमती हुई के शव के शॉर्ट्स की तरफ चली गयी...और वहाँ पर उठ रहा तंबू उसकी नज़रों से छु पा नही रह
सका..

काजल को तो अपनी आँखो पर विश्वास ही नही हुआ...ऐसा उसने जान बूझकर नही किया था..ऐसे ही उसकी नज़रें घूमती हुई वहाँ चली गयी
थी..और वो इतनी भी नासमझ नही थी की इतने बड़े उभार का मतलब ना समझ सके ..

असल मे वो दुनिया के सामने तो भोली भाली बनकर रहती थी...पर अपनी जिंदगी मे वो एक नंबर की ठरकी थी..वो होती है ना घुन्नी टाइप की
लड़कियाँ , जो अपने आप को दुनिया की नज़रों से छु पा कर रखती है...पर अंदर से बड़ी चालू होती है...ठीक वैसी ही थी काजल भी..उसने
आज तक कभी भी सेक्स नही किया था..पर सेक्स से जुड़ी बाते उसे हमेशा उत्तेजित करती थी..स्कू ल / कॉलेज में भी वो लड़को से दूर रहती
थी..पर रोज रात को उन्ही लड़को के बारे मे सोच-सोचकर फिं गरिंग किया करती थी...ये उसका अभी तक का नीयम था, इसलिए उसे सोते-2 रोज
12 बज जाते थे...अपने मोबाइल पर वी चेट पर चेटिंग करना..फे क नाम से एफ बी पर अकाउंट भी बनाया हुआ था उसने और उसमें वो लड़को से
रोज रात को चेटिंग करती थी...अपने मोबाइल से अपनी चूत की और मुम्मों की पिक्स उन्हे भेजकर उत्तेजित भी करती थी...पर किसी से फोन पर
बात नही करती थी और ना ही किसी के सामने खुलकर आती थी..यानी अपना चेहरा हमेशा छु पा कर ही रखती थी..
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
और जब के शव ने ये बात बोली तो अपनी आदत से मजबूर उसकी नज़रें उसके लंड वाली जगह पर चली ही गयी...

और फिर ना जाने क्या सोचकर उसने अपनी नज़रें घुमा ली...पर उनमे आ चुका गुलाबीपन के शव से छु पा न रह सका..

के शव : "क्या हुआ दीदी...आप एकदम से चुप सी क्यों हो गयी...''

काजल : "बस...ऐसे ही...उम्म्म्म एक बात पूछू तुझसे के शव...''

के शव : "हाँ दीदी...पूछो...''

काजल : "मैं तुझे कै सी लगती हू...''

के शव : "आप....मतलब...आप तो अच्छी ही हो दीदी...इसमे पूछने वाली क्या बात है...''

काजल : "अरे नही बुद्धू ....मेरा पूछने का मतलब...देखने में ...कै सी हूँ मैं ...''

इतना कहकर उसने अपनी ज़ुल्फो मे हाथ फे रा..अपने खुले हुए बाल पीछे किए...और अपना सीना बाहर की तरफ़ निकाल कर ऐसे पोज़ दिया जैसे
कोई फोटो सेशन हो रहा हो वहाँ...

के शव की नज़रें काजल की हर हरकत पर थी...उसके नाज़ुक हाथों का जुल्फे पकड़कर पीछे करना...अपने चेहरे पर उँगलियों को फे रना , बालों को
कान के पीछे अटकाना..सब वो ऐसे देख रहा था जैसे वो सब काजल उसके लिए ही कर रही हो..

के शव अपनी बहन की सुंदरता देखकर हैरान हुए जा रहा था...उसे पता तो था की वो सुंदर है..पर इतनी सेक्सी भी है, ये आज ही पता चला
उसको..अभी तो उसने कोई मेकअप नही किया हुआ..अपने गुलाबी होंठों पर लाल लिपस्टिक , आँखो मे काजल और चेहरे पर मेकअप करने के बाद
तो ये कयामत ही लगेगी

काजल : "क्या सोचने लगे अब....बोलो ना..''

के शव (झेंपता हुआ सा) : "बोल तो दिया दीदी...आप अच्छी हो...चलो अब आगे देखो...मैं दोबारा पत्ते बाँट रहा हू...''

और के शव ने बात बदलते हुए फिर से 3-3 पत्ते बाँट दिए..ये काम उसने इसलिए भी किया था की काजल की ऐसी बातें सुनकर उसके लंड ने अपना
पूरा आकार ले लिया था और वो अंडरवीयर में ऐसे फँ स गया था की उसे सही करने के लिए वो अपने हाथ नीचे भी नही कर पा रहा था...क्योंकि
अपनी बड़ी बहन के सामने वो कै से अपने लंड को हाथ लगाता भला..इसलिए उसने बात बदलने में ही भलाई समझी ताकी उसका लंड नीचे बैठ जाए

अब की बार काजल ने पत्ते नही उठाए..

काजल : "पर तुमने तो कहा था की ब्लाइंड चलने के लिए पैसे चाहिए होते है...अब क्या हम दोनो भी पैसो से खेलें क्या ...''

के शव : "नही...उसके बदले कु छ भी रख देते है...''

इतना कहकर वो इधर उधर देखने लगा...

काजल के मन मे तब तक एक बात आ चुकी थी, वो बोली : "एक काम करते है...ब्लाइंड या चाल के बदले हम एक दूसरे से सवाल
करेंगे...और सामने वाला उसके जवाब बिल्कु ल सच मे देगा...बोलो मंजूर है...''

के शव को समझ नही आया की उसकी बहन करना क्या चाहती है...पर वो समझ चुका था की काजल उसे फं साना चाहती है , जो भी था,उसमें वो
फं सना नही चाहता था

के शव : "क्या दीदी...आप भी ना...इसमे मज़ा नही आएगा...रूको...में पैसे लेकर आता हू...उससे ही खेलते है...या फिर माचिस की
तिल्लिया लेकर आता हू, उन्हे आपस मे बाँट लेंगे, उनसे खेलेंगे...''

काजल : "नही...अब तो मैं ऐसे ही खेलूँगी...वरना तुम उठाओ ये पत्ते और जाओ अपने कमरे मे...मुझे भी नींद आ रही है..''

दोनो ही सूरत मे काजल अपना फायदा देख रही थी...अगर वो खेलने के लिए मान जाता तो वो उससे अपनी पसंद के सवाल करके कु छ सच
उगलवाती...और अगर वो चला जाता तो रोज रात की तरह चेटिंग वगेरह करते हुए मुठ मारती ...और वैसे भी आज वो कु छ ज़्यादा ही उत्तेजित हो
रही थी...पता नही क्यो.

वापिस जाने की बात सुनते ही के शव हड़बड़ा सा गया...आज पहली बार तो उसे अपनी बड़ी बहन को ऐसे देखने का मौका मिला था..और उपर से
वो थोड़ा नॉटी भी बिहेव कर रही थी...ऐसे मे वापिस जाना मतलब हाथ में आया मौका खो देने जैसा ही था.

हमेशा अपनी 'बहन' को 'बहन' की नज़र से देखने वाला के शव अचानक से ही उसे एक 'लड़की' की नज़र से देखने लग गया..और देखे भी क्यो
ना..खूबसूरत तो थी ही वो..अपनी अदाओं का जादू वो ऐसे चला रही थी जैसे कोई किसी को पटाने के लिए करता है...अब उसकी समझ में ये
नही आ रहा था की उसकी हरकतों को वो क्या समझे...पर जो भी था अभी तक तो के शव को मज़ा ही आ रहा था...और ऐसे मज़े को वो खोना
नही चाहता था..

के शव : "ठीक है दीदी....जैसा आप कहो...''

और वो फिर से वही बैठ गया और पत्ते बाँटने लगा..काजल के होंठों पर विजयी मुस्कान तैर गयी.

काजल ने भी आज से पहले अपने भाई के बारे मे ऐसा नही सोचा था...पर वो सोच रही थी की कै से वो अब तक रोज रात को इस कमरे मे सोते
हुए अपनी चूत की मालिश करती है और बिल्कु ल साथ वाले कमरे में ही उसका जवान भाई भी सोता है...उसके इतनी पास रहते हुए वो ये सब काम
करती है..सिर्फ़ एक दीवार ही तो है बीच मे...और अगर वो दीवार भी ना हो तो...और वो उसके सामने ही नंगी होकर अपनी चूत रगड़ रही हो
तो....ये सोचते ही उसके पूरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ गयी....उसके होंठ काँपने लगे...उपर वाले भी ...और नीचे वाले भी.

के शव : "अब क्या हुआ दीदी.....आपकी ब्लाइंड है...पूछो ..क्या पूछना है...''

पूछना तो काजल बहुत कु छ चाहती थी..पर फिर भी अपने होंठों को दांतो से काटकर बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू किया और बोली :
"तेरी....तेरी...एक गर्लफ्रें ड थी ना...वो अभी भी है क्या...और क्या नाम है उसका..''

के शव की आँखे गोल हो गयी...उसने तो सोचा भी नही था की ये बातें इतनी पर्सनल भी हो सकती है...

और ये काजल को कै से पता चला की उसकी एक गर्लफ्रें ड है ...ये बात तो उसने आज तक उसे नही बताई...वो ज़्यादा बाते करता ही नही था
काजल के साथ..इसलिए वो हैरान हो रहा था की ये काजल आज एकदम से क्यों उसकी पर्सनल जिंदगी के बारे मे पूछ रही है..

के शव : "वो....थी या नही थी...आप क्यो पूछ रही हो...और आपको कै से पता की मेरी एक जी एफ थी..''

काजल : "गेम का रूल है ये...तुझे बताना पड़ेगा...मुझे कै से पता वो बात रहने दे...''

के शव फँ स चुका था...वो सोचने लगा की अगर उसे ये बात पता है तो उसके सामने झूठ बोलने का कोई फायदा नही है..

के शव : "जी...वो अभी भी है...और उसका नाम सारिका है...''


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सारिका का नाम सुनते ही काजल का दिमाग़ सुन्न सा हो गया...ये तो उसकी बचपन की सहेली थी...जिसके साथ वो पिछले 2 सालो से बात नही
कर रही...दोनो मे किसी बात को लेकर इश्यू हो गया था इसलिए..

पर उसका खुद का भाई, उसकी सबसे करीबी सहेली के साथ लगा हुआ है, ये उसने सोचा भी नही था.

काजल : "सारिका के साथ.....ओह्ह्ह्ह माय गॉड ...पर ये कब से चल रहा है...मुझे तो पता भी नही..''

के शव : "आप एक ही बार मे दो सवाल नही पूछ सकती...अब मेरी ब्लाइंड है..यानी सवाल पूछने की बारी अब मेरी है..''

के शव अपने आप को बड़ा समझदार समझ रहा था उस वक़्त...उसने मुस्कु राते हुए वही प्रश्न अपनी बहन से भी पूछ लिया : "आपका कोई बाय्फ्रें ड है
क्या...या कभी रहा हो...क्या नाम है उसका..''

काजल ने सपाट चेहरे से उत्तर दिया : "नही...कोई था ही नही तो नाम किसका बताऊ ..''

बेचारा के शव अपना सा मुँह लेकर रह गया.

वैसे इन बातो का कोई मतलब नही था...दोनो भाई बहन ने आज से पहले कभी इस विषय पर बात नही की थी...उन्हे थोड़ा अटपटा भी लग रहा
था...पर मज़ा भी बहुत आ रहा था...ख़ासकर काजल को..वो तो समझ चुकी थी की इस गेम के ज़रिए वो आज सब कु छ उगलवा लेगी के शव
से..जो वो हमेशा से उससे पूछना चाहती थी..पर शरम के मारे कभी पूछने की हिम्मत ही नही हुई.

काजल : "अब मेरी बारी...अब ये बताओ...सारिका के साथ तुमने क्या -2 किया है..''

ये उसकी ब्लाइंड थी..

के शव (झल्लाकर) : "आप भी ना दीदी...ये कै से सवाल पूछ रही है...मुझे शर्म आ रही है..''

काजल : "एक लड़का होकर भी तू ऐसे शरमा रहा है...रहने दे..मुझे नही खेलनी ये गेम शेम ..तू जा अपने कमरे में ..मुझे वैसे भी नींद आ
रही है..''

ये तो जैसे उसके स्वाभिमान पर चोट कर दी थी काजल ने...वो एकदम से तैश मे आकर बोला : "मुझे कोई शरम-वरम नही आती ...ये तो
तुम्हारा लिहाज कर रहा हू..वरना मुझे ये बाते बताने मे कोई फ़र्क नही पड़ता..''

काजल (चटखारे लेते हुए) : "तो बता ना...चुप क्यों है अभी तक...बोल, क्या-2 किया है तुम दोनो ने अभी तक..''
काजल फु ल टू मूड में आ चुकी थी अब तक...और शायद ये भी भूल चुकी थी की वो क्या पूछ रही है और किससे...

के शव : "हमने....वो किस्सस वगैरह ...हग्स....उम्म.....एंड फकिं ग भी ....''

लास्ट का वर्ड यानी फकिं ग सुनते ही काजल एकदम से सुलग कर रह गयी...दो साल पहले तक, जब तक दोनो की दोस्ती थी, उन्होने यही डिसाईड
किया था की अपनी शादी से पहले किसी को भी वो सब नही करने देंगी...पर ये सारिका कितनी चालू निकली...इन दो सालो मे वो कितनी बदल
गयी है...कहाँ से कहाँ पहुँच गयी...अपना वादा तोड़ दिया...और चुदवा भी ली...और वो भी उसके खुद के भाई से...

काजल को गुस्सा तो बहुत आया..पर वो कर भी क्या सकती थी...उसकी अपनी लाइफ थी..वो जैसे चाहे , वैसे चलाए...वो बेकार मे ही गुस्सा
करके अपना खून जला रही है.

वो थोड़ा नॉर्मल हुई...पर 'फकिं ग' शब्द सुनने के बाद वो अपने भाई से नज़रें नही मिला पा रही थी...और ये जानकार भी की छोटा होते हुए भी
उसका भाई उससे आगे निकल गया है...यानी किसी के साथ संबंध बना लिया है उसने...और एक वो है...अभी तक अपनी कुँ वारी चूत की घर
बैठकर मालिश कर रही है बस...

उसके मन मे आया की 'काश....ऐसी कोई जगह होती..जहाँ कभी भी , कोई भी जाकर चुद सके ..बिना कोई सवाल पूछे..बस वहाँ जाए, और
चुदाई करनी या करवानी शुरू कर दे...तो वो भी वहाँ जाती और अपने प्यासे जिस्म की प्यास बुझा लेती...'

ऐसे बे-सिर-पैर के ख़याल अक्सर उसके दिमाग़ मे आते रहते थे.

अब के शव की बारी थी...पर उसकी समझ में नही आ रहा था की वो पूछे भी तो क्या पूछे ...उसकी बहन ने वो काम अभी तक नही किए
थे...तो कै से वो आगे की बाते पूछे..वो पूछना चाहता था की 'दीदी,आपने किसी के साथ कोई संबंध नही रखा,पर क्या आपने आज तक मूठ भी
नही मारी..आपको कु छ होता नही है क्या अंदर से...'

पर वो ऐसा पूछ नही पाया...

फिर अचानक वो बोला : "आप ये बताओ...ये कै से पता चला की मेरी एक गर्लफ्रें ड है...मैने तो आज तक आपको बताया नही..और सारिका से
तो आपकी 2 सालो से बोलचाल बंद है..फिर पता कै से चला..''

काजल ने सिर झुकाते हुए धीरे से कहा : "वो....मैने....कई बार...तुम्हारे मोबाइल पर मैसेजस पड़े हैं...इसलिए...''

के शव : ओह तेरी.....तो ऐसे पता चला काजल को...'

और काजल को उसका नाम शायद इसलिए नही पता था क्योंकि उसने अपने मोबाइल मे सारिका को ''शोना'' के नाम से सेव किया हुआ था..और
ये नया नंबर था, इसलिए काजल समझ नही पाई की ये ''शोना'' असल मे उसकी पक्की सहेली सारिका ही है.
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07-22-2017, 02:35 PM,#7

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
के शव : "चलो कोई बात नही...अब तो आपको पता चल ही गया है...अब आप फिर से ब्लाइंड यानी कु छ और पूछना चाहती हो तो पूछो
...वरना अपने पत्ते खोलकर चाल चलो...''

काजल के पास तो काफ़ी सवाल थे...पर पहली बार मे ही वो सब पूछकर वो के शव को भगाना नही चाहती थी...उसने अपने पत्ते उठा लिए..पर
ये पत्ते उसकी समझ मे नही आए...

के शव ने भी अपने पत्ते उठा कर देखे...उसके पास 5 का पेयर आया था...वो खुश हो गया..पर काजल के प्रश्नवाचक चेहरे को देखकर बोला :
"क्या हुआ दीदी...पत्ते ठीक नही आए क्या...''

काजल : "पता नही...ये देखो ज़रा...''

उसने अपने पत्ते सामने फें क दिए...वो थे इक्का, बादशाह और बेगम...


के शव : "यार दीदी....आप तो कमाल हो...पता है ये क्या है....सबसे बड़ी सीक्वें स ...इनको तो सिर्फ़ और सिर्फ़ ट्रेल ही काट सकती
है..जो बड़ी मुश्किल से आती है...जैसी आपके पास पिछली बार आई थी..इक्के की ''

और फिर के शव ने काजल को सभी तरह के पत्तो के बारे मे बताया की क्या बड़ा होता है...क्या छोटा...सुच्ची किसे कहते हैं...कलर...पेयर
..सीक्वें स ...सभी की जानकारी दी उसने..

के शव : "ये गेम तो आप जीत गयी...''

काजल : "अब पैसे तो रखे नही है हमने ...फिर मुझे क्या मिलेगा...''

वो मंद -2 मुस्कु रा भी रही थी ये बोलते हुए...

के शव को उसकी हँसी का जो मतलब नज़र आ रहा था..वो कहना नही चाहता था...और ये भी नही बोलना चाहता था की जीतने के बाद वो क्या
माँगने की बात कर रही है...

के शव : "वो बाद मे बता देना...अभी मुझे कु छ और देखना है...''

काजल : "क्या ???"

और जान बूझकर काजल ने अपने दोनो हाथ अपनी छातियों पर रख लिए...जैसे के शव उन्हे ही देखने की बात कर रहा हो..

और फिर के शव के मासूमियत से भरे चेहरे पर पसीना देखकर वो खुद ही हंस-हंसकर लोट-पोट हो गयी...

काजल : "हा हा हा ....के शव तू भी ना....कितना बड़ा भोंदू है...पता नही तूने वो सब कै से किया होगा सारिका के साथ...वो तो तुझे
कक्चा खा गयी होगी...''

के शव : "मुझे ...और वो....आप ये बात कै से कह सकती हो ...''

वो ताश की गड्डी को पीटता हुआ बोला

काजल : "मुझे पता है...वो ऐसी ही है शुरू से...जिस तरह की बाते वो करती थी की ये करेगी...वो करेगी...मैं तो सोच भी नहीं सकती थी
वो सब...और वो बोल भी देती थी...उसकी बातें सुनकर ही मुझे पता चल गया था की इसके हाथ जो भी पहला शिकार आएगा...वो उसका क्या
हाल करेगी...और मुझे क्या पता था की उसका शिकार मेरा भाई ही होकर रहेगा...हा हा''

और वो फिर से अपना पेट पकड़कर ज़ोर-2 से हँसने लगी

अब के शव अपनी बहन को क्या बताता...पहली बार उसने सारिका की चूत यहीं मारी थी...वो भी इसी बेड पर, जहाँ वो इस समय खेल रहे
थे..काजल ऑफीस गयी हुई थी और माँ किसी काम से मार्के ट...

उस समय उसने सारिका की ऐसी चीखे निकलवाई थी की वो आज भी याद करके सहम जाती है...बाद में तो उसे के शव के मोटे लंड की आदत पड़
गयी...पर बाद मे भी हर बार वो उसकी रेल बनाकर ही चुदाई करता था...वो हारकर पस्त हो जाती है..पर के शव अपनी हार नही मानता...और
शायद इसलिए वो पिछले 1 साल से किसी और की तरफ देखती तक नही है...ऐसी चुदाई करने वाला बी एफ आसानी से थोड़े ही मिलता है
आख़िर.

के शव : "चलो , छोड़ो अब ये सब सच बुलवाने वाली गेम्स...मेरे दिमाग़ मे कु छ आ रहा है...वो चेक करने दो पहले मुझे...''

और फिर से उसने दोनों को 3-3 पत्ते बाँटे...और फिर बिना ब्लाइंड या चाल चले के शव ने दोनो के पत्ते पलट कर सीधे कर दिए..

के शव ने अपने पत्ते देखे...ऐसे ही थे..बेकार से...पर काजल के पत्ते इस बार भी कमाल के थे...उसके पास पान का कलर आया था...

के शव ने फिर से पत्ते बाँटे और फिर से उन्हे पलट कर सीधा किया...इस बार भी काजल के पास इकके का पेयर आया...

वो फिर से पत्ते बाँटने लगा

काजल : "ये तू कर क्या रहा है...मुझे भी तो बता ज़रा...''

के शव : "रूको दीदी. ...बस थोड़ी देर और...''


और उसके बाद के शव ने 3 बार और पत्ते बाँटे ...और हर बार काजल के पत्ते भारी थे...और हर बार उसके पास चाल खेलने लायक ही पत्ते आ
रहे थे...कभी पेयर ...कभी कलर...कभी सीक्वें स ...

आख़िर मे के शव बोला : "दीदी...लगता है आपके अंदर कोई शक्ति छु पी है...या कोई वरदान है ,आप देख रही हो ना...हर बार आपके पत्ते
कितने जबरदस्त आ रहे हैं...''

काजल : "हाँ तो....''

के शव (अपने चेहरे पर चालाकी भरी मुस्कान लाते हुए) : "दीदी ...मेरे पास एक प्लान है..''
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
***********
अब आगे
***********

काजल : "प्लान....? कै सा प्लान...और किसलिए.."

के शव : "देखो दीदी...आजकल दीवाली का टाइम है..और इस टाइम सभी लोग जुआ खेलते हैं...वैसे जुआ खेलने वाले तो पूरा साल खेलते हैं पर
इन दिनों और भी ज़्यादा और बड़ी-2 गेम्स होती है ...और इसलिए वो कल में इतने पैसे जीत कर लाया था...''

काजल : "हाँ ...तो ..? "

के शव : "तो अगर हम लोग ये जुआ खेले...मेरा मतलब है की तुम...तो शायद काफ़ी पैसे आ सकते हैं...मेरे जितने भी दोस्त है वो सब खेलने
वाले हैं...उनके साथ खेलेंगे..और मुझे पूरा विश्वास है की आप ही जीतोगे ..आप देख रहे हो ना, किस तरह के पत्ते आते हैं हर बार आपके
पास...''

काजल का तो दिमाग़ ही घूम गया उसकी बात सुनकर..

काजल : "तू पागल हो गया है....तू चाहता है की में तेरी तरह जुआ खेलूं ..और वो भी तेरे उन आवारा दोस्तों के साथ...तुझे शर्म नही
आएगी की तेरी बहन बाहर जाकर जुआ खेले...कभी सुना है तूने की कोई लड़की जुआ खेलती है...तुझे पता भी है की कितनी बदनामी होगी
हमारी...''

बोलते-2 उसकी आवाज़ काफ़ी तेज हो गयी थी गुस्से की वजह से.

के शव आराम से सब सुनता रहा और आख़िर मे बोला : "दीदी....सबसे पहले तो ये ख्याल मन से निकाल दो की लड़कियाँ ये काम नही
करती...ये दीवाली के दिन है...और इन दिनों लड़कियाँ और औरतें ही सबसे ज़्यादा खेलती हैं...चाहे शगुन के लिए ही सही पर इन दिवाली के
दिनों में जुआ खेलना शुभ माना जाता है..और आपको कहीं बाहर नही जाना है खेलने, मैं उन्हे यहीं बुला लूँगा...अपने घर पर..और आपको मेरे
होते हुए किसी से भी डरने की जरुरत नही है...आप शायद नही जानती की मेरा कितना दबदबा है इस मोहल्ले में...कोई आपकी तरफ आँख उठा
कर भी नही देख सकता...''

काजल उसकी बात सुनती रही..शायद उसको वो सब सही लग रहा था अब..

काजल (थोड़े नरम स्वर मे) : "पर...माँ हॉस्पिटल में है और हम लोग ऐसे घर मे बैठकर जुआ खेलेंगे...माना की तेरे दोस्त तेरे सामने नही
बोलेंगे...पर पीछे से तो हर कोई यही कहेगा ना की माँ हॉस्पिटल मे है और इन्हे जुआ खेलने की पड़ी है..''

के शव : "ये सब मै माँ के लिए ही कर रहा हू...कल मेरी डॉक्टर् से बात हुई थी..उन्हे घर लाने के लिए..तो उन्होने कहा था की या तो 10
दिन तक उनका हॉस्पिटल मे रहकर इलाज करवा लो...या फिर घर लेजाकर एक इंजेक्शन रोज लगवाना, 5 दीनो तक..जो करीब 3000 का एक
है..हम उन्हे कल ही घर ले आएँगे...और इन पैसों से उनका घर पर ही इलाज करवाएँगे..''

काजल को उसकी बात मे तर्क नज़र आया...क्योंकि ये बात डॉक्टर ने उसे भी कही थी...पर इतने पैसे कहाँ से लाती वो, यही सोचकर उसने उस
बात पर ज़्यादा ध्यान नही दिया था..कहने को तो ये सरकारी हॉस्पिटल था पर उसमे भी उनके पैसे लग ही रहे थे....और रोज -2 आने-जाने की
मशक्कत भी अलग से करनी पड़ती थी.अगर माँ को घर ले आएँ तो ये सारी चिंता और परेशानी ख़त्म हो जाएगी.

काजल : "पर असली में खेलते हुए अगर मैं हार गयी तो, मेरा मतलब है की अगर खेलते हुए लक्क ने मेरा साथ नही दिया तो ??"

के शव : "आप उसकी चिंता मत करो , मै सब संभाल लूंगा "

काजल चुप हो गयी....के शव समझ गया की वो उसकी बातों पर विचार कर रही है.

के शव : "दीदी...आप इतना मत सोचो...आजकल तो सभी के घर पर जुआ चलता है...कल भी मै अपने दोस्त गुल्लू के घर पर ही खेल रहा
था...और उसकी बीबी को तो आप जानती ही हो, रूबी, वो भी खेल रही थी उसके साथ...अब ऐसा त्योहार का माहोल हो तो घर की औरतों
का भी थोड़ा बहुत एंटरटेनमेंट हो जाता है...''

काजल तो पहले ही मान चुकी थी...के शव बेकार मे अभी तक उसे मनाने के लिए इधर-उधर की बातें कर रहा था..

वो जैसे ही बोला 'और वो जो मेरा दोस्त है ना.....'

काजल : "ओके ..बाबा ...समझ गयी....अब चुप कर जा....समझ गयी मैं...''

काजल ने हंसते हुए कहा तो के शव भी खुशी के मारे उछल पड़ा...और प्रेम भाव मे आकर वो काजल से लिपट गया..

के शव : "ओह ...दीदी ....मुझे पता था की आप ज़रूर समझोगी...भले ही ये ग़लत तरीका है पैसे कमाने का..पर हमें इस समय इन पैसो
की बहुत ज़रूरत है...''
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
काजल की साँसे तेज हो गयी...दरअसल के शव के जिस्म से निकल रही मर्दाना खुशबु उसे सम्मोहित सी कर रही थी...ऐसा लग रहा था की जैसे
कोई नशा है जो के शव के शरीर से निकल कर उसकी सांसो मे समा रहा है..और ये सब महसूस करते-2 कब उसके निप्पल बाहर निकल कर के शव
को चुभने लग गये, उसे भी पता नही चला...और के शव को लगा की शायद उसके गले मे पड़ा हुआ लॉके ट चुभ रहा है उसके सीने मे..पर फिर
उसे याद आया की वो तो काफ़ी उपर बँधा है...और तब उसे एहसास हुआ की ये कोई लोके ट नही बल्कि कु छ और है...जो दोनो तरफ से एक
बराबर चुभ रहा है..और उसे समझते देर नहीं लगी की वो क्या है

अब उत्तेजित होने की बारी के शव की थी...उसने लाख कोशिश की पर उसके लंड ने उसकी एक नही मानी और एकदम से तन कर खड़ा हो
गया..जिसे काजल ने भी अपने पेट पर महसूस किया..

और ये था उसके शरीर पर किसी खड़े लंड का पहला एहसास...

भले ही रात के समय वो कितने ही लड़को के लंड खड़े करके मज़े लेती थी पर उनके एहसास को महसूस करने का ये पहला अवसर था उसके लिए
और इस एहसास ने उसके शरीर को पसीने से भिगो दिया..और चूत को भी महका दिया

दोनो एकदम से अलग हो गये...और एक दूसरे से नज़रें चुराते हुए इधर-उधर देखने लगे..

के शव : "ओके ..दीदी ...अब मै चलता हू...अपने रूम मे..गुड नाइट. और हां आप कल ऑफीस की छु ट्टी कर लेना..हम दोनो सुबह ही
हॉस्पिटल चलेंगे और माँ को घर ले आएँगे......''

काजल : "ओक....मै सुबह ऑफीस में फोन कर दूँगी...गुड नाइट..''

उस रात काजल ने अपने वर्चुअल आशिकों से कोई भी बात नही की...पर जम कर अपनी बिना बालों वाली चूत को रगड़ा...इतना रगड़ा की उसपर
लाल निशान पड़ गये..और जब वो झड़ी तो उसके शरीर के कं पन से पूरा पलंग हिल गया..

और वो ये सोचकर मुस्कु रा उठी की जब वो किसी के लंड की वजह से झड़ेगी तो शायद ये पलंग टूट ही जाएगा..
के शव भी अपने कमरे मे जाकर पूरा नंगा हो गया..और अपने हाथ में लंड लेकर ज़ोर-2 से हिलाने लगा..वो चाहता नही था की इस समय उसकी
बहन काजल का ख़याल भी आए..इसलिए वो अपनी आँखे बंद करके सारिका के बारे में सोचने लगा..उसके नंगे शरीर के बारे मे सोचने लगा..उसे
कै से चोदा था वो याद करने लगा..पर अपने ऑर्गैस्म के करीब जाते-2 कब सारिका का चेहरा काजल मे बदल गया, वो भी समझ नही पाया...और
अंत मे आकर जब उसके लंड से पिचकारियाँ निकली तो उस सफे द पानी के साथ -2 उसके मुँह पर भी काजल का ही नाम था..

''अहह ....ओह काजल...... उम्म्म्मममममममममम''

फिर वो सब कु छ साफ़ करके सो गया...ऐसे ही नंगा.

अगली सुबह काजल की नींद जल्दी खुल गयी...जो उसकी हमेशा की आदत थी...भले ही उसे आज ऑफीस नही जाना था पर नहा धोकर वो 8
बजे तक तैयार हो गयी...घर की सफाई भी कर ली...वो रोज 8 बजे तक निकल ही जाती थी घर से..और के शव घर पर सोता रहता
था...वो 10 बजे उठता और करीब 12 बजे तक हॉस्पिटल पहुंचता था रोज...यही था दोनो का नियम पिछले एक महीने से...

काजल नीचे किचन मे अपने लिए चाय बना ही रही थी की बाहर का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई...उसने बाहर भी झाड़ू लगाया था इसलिए दरवाजा
खुला ही रह गया था..वो किचन से निकल कर जब तक बाहर निकली तो उसने देखा की सारिका जल्दी से अंदर घुसी और उसने दरवाजा अंदर से बंद
किया और हिरनी की तरह छलाँगें लगाती हुई वो उपर के शव के कमरे की तरफ चल दी..

उसने एक टी शर्ट और स्कर्ट पहनी हुई थी , जिसमे वो बड़ी सेक्सी लग रही थी

काजल के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान तैर गयी...सारिका को शायद नही पता था की आज काजल घर पर ही है...और शायद उसके ऑफीस चले
जाने के बाद पीछे से घर पर आना उसका रोज का नियम था...
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
काजल ने सोचा 'अच्छा, तो ये कारण है के शव के रोज इतनी लेट हॉस्पिटल पहुंचने का, सारिका कभी मेरे सामने तो घर पर आ नहीं सकती ,
इसलिए मेरे ऑफिस जाने के बाद के टाइम पर ही आई है ,अब मज़ा आएगा...उपर का सीन देखने लायक होगा'

उसने जल्दी से गैस को बंद किया और दबे पाँव उपर चल दी..

अपनी पुरानी सहेली और अपने प्यारे भाई को रंगे हाथों पकड़ने.

सारिका भागती हुई सी के शव के रूम मे पहुँची..वो चादर तान कर सो रहा था..

सारिका : "गुड मॉर्निंग जानू...देखो मैं आ गयी...''

पर वो जाग रहा होता तो जवाब देता न...रात को वो ना जाने कितनी देर तक अपनी बहन और जुए के बारे मे सोचता रहा था..

सारिका : "अब ये नाटक छोड़ो...मुझे पता है तुम जाग रहे हो...नीचे का दरवाजा तुमने मेरे लिए ही खोलकर रखा था ना आज...''

पर फिर भी कोई जवाब नही मिला..

सारिका आगे बड़ी और उसने एक ही झटके मे के शव की चादर खींच कर अलग कर दी..

और जो उसने सामने देखा , उसे अपनी आँखो पर विश्वास नही हुआ..

के शव मादरजात नंगा होकर सो रहा था...और उसका 8 इंच का लंड पूरा खड़ा होकर हुंकार रहा था..अब ये मॉर्निंग इरेक्शन था या फिर वो कोई
सपना देखा रहा था, ये अलग बात थी.

पर सारिका की आँखो मे एक अजीब सी चमक आ गयी..वो तो वैसे भी उसके लंड की दीवानी थी और अभी भी चुदवाने के लिए ही आई थी..उसने
के शव को ऐसी गहरी नींद मे सोते हुए आज तक नही देखा था..और ना ही कभी नंगा सोते हुए..वो हमेशा शॉर्ट्स और टी शर्ट पहन कर ही सोता
था..

पर उसे क्या पता की कल रात को क्या-2 हुआ के शव के साथ...और अपनी बहन काजल के बारे मे सोचकर मूठ मारने के बाद उसने कपड़े पहनने
की जहमत भी नही उठाई और ऐसे ही सो गया..ये भी बिना सोचे समझे की सुबह किसी ने देख लिया तो क्या सोचेगा..

सारिका के होंठ सूख गये उसके लंड को देखकर..पर नीचे के होंठ गीले हो गये..उसका एक हाथ अपनी चूत पर चला गया...और दूसरे से वो
अपनी ब्रेस्ट को मसलने लगी...और धीरे-2 चलती हुई वो के शव के पलंग पर बैठ गयी..

इसी बीच काजल भी उपर आ चुकी थी...और दरवाजे के बाहर छु पकर वो उनकी रासलीला देख रही थी.

पर जब उसने अंदर देखा तो उसके होश ही उड़ गये...उसका भाई पलंग पर नंगा लेटा हुआ था..यानी सो रहा था...और उसका लंड बिल्कु ल उपर
की तरफ मुँह करके हुंकार रहा था...ये काजल की जिंदगी का पहला लंड था जो उसने अपनी आँखो से देखा था...और वो भी अपने खुद के भाई
का...उसकी भी हालत सारिका जैसी हो गयी...उपर के होंठ सूख गये और नीचे के गीले हो गये.

सारिका तो निश्चिंत थी की उन दोनो के अलावा कोई भी घर पर नही है...और किसी और के एकदम से आने की भी आशा नही है..क्योंकि दरवाजा
वो खुद बंद करके आई है.

काजल ने देखा की सारिका के होंठ थरथरा रहे हैं...जैसे वो के शव के लंड को अपने मुँह मे लेकर चूसना चाहती हो...वो बाहर खड़ी होकर खुद
इतनी उत्तेजित हो रही थी, अंदर खड़ी हुई सारिका का पता नही क्या हाल हो रहा होगा..

अचानक काजल ने देखा की अपने दोनो हाथ उपर करके सारिका ने अपनी टी शर्ट को उतार कर नीचे फें क दिया...नीचे उसने एक सेक्सी सी ब्रा
पहनी हुई थी...जिसमे उसके 32 साइज़ के बूब्स क़ै द थे...फिर काजल के देखते ही देखते सारिका ने अपनी स्कर्ट भी उतार दी...और अब वो
उसके भाई के कमरे मे सिर्फ़ ब्रा-पेंटी मे खड़ी थी..पेंटी की हालत देखकर काजल समझ गयी की वो कितनी ज़्यादा उत्तेजित है...क्योंकि वो पूरी तरह
से गीली हो चुकी थी.

आज पहली बार काजल ने अपनी सहेली को ऐसी हालत मे देखा था...कपड़ो में तो वो साधारण सी ही लगती थी...पर अब उसका कसा हुआ बदन
किसी लिंगरी मॉडेल से कम नही लग रहा था...बिल्कु ल सही आकार के बूब्स थे उसके ...सपाट पेट और भरी हुई सी गांड ...

वो उसकी सुंदरता का अवलोकन कर ही रही थी की सारिका ने एक और दुसाहसी कदम उठाते हुए पहले अपनी पेंटी और फिर ब्रा भी खोल कर नीचे
गिरा दी..और अब वो पूरी नंगी होकर खड़ी थी उस छोटे से कमरे मे...जहाँ उसका भाई गहरी नींद मे सोया हुआ था...

काजल समझ गयी की अब ये क्या करने वाली है...वैसे भी कल रात को ही के शव ने बता दिया था की वो उसके साथ फकिं ग कर चुका
है...इसलिए उसे अभी चुदाई के लिए तैयार होते देखकर काजल को ज़्यादा आष्चर्य नही हुआ..

अब आगे
***********

सारिका ने अपना हाथ अपनी चूत पर रगड़ा और ढेर सारा शहद निकाल कर के शव के लंड पर मल दिया...और फिर अपना मुँह नीचे करके उसने उस
शहद से डू बे भुट्टे को अपने मुँह मे लिया और ज़ोर-2 से चूसने लगी...

के शव का शरीर कु छ देर के लिए कसमसाया...पर शायद गहरी नींद में था वो..इसलिए कु छ और नही किया...पर उसका सिर इधर-उधर होने लगा
था...क्योंकि नींद मे ही सही, उसे ये एहसास हो रहा था की उसका लंड चूसा जा रहा है...

फिर सारिका ने एक मिनट तक चूसने के बाद उसे बाहर निकाला और के शव के पलंग पर चढ़ गयी ..उसके दोनों तरफ टांगे करते हुए उसने उसके लंड
को ठीक अपनी चूत के उपर रखा और धप्प से उपर बैठ गयी..

''अहह....... उम्म्म्मममममममममम ............ ओह .... के शव .............. ''

और अपने लंड पर दबाव का एहसास और सारिका की चीख सुनकर के शव की नींद एकदम से खुल गयी..और सोते हुए वो ये सपना देखा रहा था की
उसका लंड काजल चूस रही है..और चुदाई भी वो करवा रही है...इसलिए आँखे खुलने से पहले उसके मुँह से एक उत्तेजना से भारी आवाज़ निकली
: "ओह ..... काजल ..........''

और फिर जब उसने आँखे खोलकर देखा की असल मे उसके उपर सारिका है तो उसके तो जैसे होश ही उड़ गये...

के शव : " ये...ये क्या ..... सारिका ...... तू ....यहाँ ....और ये क्या है ..... श तेरी ......''

और सारिका उसे शक भारी नज़रों से देखते हुए ,गुस्से मे भरकर बोली : "क्या बोला तू अभी....काजल बोला था न ...''
तब तक के शव की नज़र बाहर छु पकर उनकी चुदाई देख रही काजल पर जा चुकी थी..और उसे समझते देर नही लगी की असल मे हो क्या रहा है
वहाँ...

वो एकदम से बोला : "अरी बेवकू फ़...अपने पीछे देख...काजल दीदी खड़ी है..उन्हें देखकर बोला था मैं ''

और इतना कहते हुए उसने नीचे गिरी हुई चादर अपने और सारिका के नंगे जिस्म पर खींच ली..

काजल भी समझ गयी की अब छु पने का कोई फायदा नही है...वो बाहर निकल कर अंदर आ गयी..

और सारिका की हालत तो ऐसी हो रही थी जैसे कोई चोर चोरी करते हुए पकड़ा गया हो...एक तो उसकी पुरानी सहेली , उपर से उससे बोलचाल
बंद...और साथ ही वो उसके घर पर ही उसके भाई से चुदवाती हुई पकड़ी गयी..इससे ज़्यादा शरम की और क्या बात हो सकती है...

काजल के लिए ऐसे के शव के कमरे मे खड़े रहना थोड़ा अजीब सा था...कल रात को उनके बीच वो बात चीत न हुई होती तो शायद के शव के देख
लेने के बाद वो भागकर नीचे चली जाती और बाद मे इस घटना के बारे मे कोई बात भी नही करती...पर अब दोनो के बीच हालात बदल चुके थे..

दूसरी तरफ के शव को भी ज़्यादा डर नही लगा...क्योंकि इतनी अंडरस्टैंडिंग तो हो ही चुकी थी उनमें कल रात , जब वो अपनी बहन को देखकर और
उसकी बहन उसको देखकर और वैसी बाते करके कितने उत्तेजित हो रहे थे...

काजल : "तो ये सब होता है रोज मेरे जाने के बाद...''

सारिका ने अपना चेहरा चादर के अंदर छु पा लिया...बेचारी अपना मुँह तक नही दिखा पा रही थी अपनी पुरानी सहेली को..
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काजल ने एकदम से हंसते हुए कहा : "इट्स ओके सारिका ..... ऐसे शरमाने की या डरने की कोई ज़रूरत नही है... मुझे के शव ने सब बता
दिया है तुम दोनों के बारे में ...''

सारिका ने एकदम से अपना सिर चादर से बाहर निकाला...और के शव के चेहरे को घूरने लगी..

के शव : "अरे .... कल रात ही बात हुई थी तुम्हे लेकर...इसलिए बताना पड़ा...डोंट वरी ... दीदी से डरने की कोई बात नही है..''

काजल : "हाँ ...सारिका ....और मै किचन मे ही थी...जब तुम उपर आई...इसलिए मैने जब तक उपर आकर देखा की तुम क्या कर रही
हो तो.....आधे से ज़्यादा मामला निपट चुका था....''

उसके चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी..

उसकी बात सुनकर सारिका के साथ-2 के शव भी शरमा गया.

काजल : "अब जल्दी से बाकी का काम निपटा लो के शव ...और तैयार हो जाओ...हॉस्पिटल भी जाना है...में नीचे नाश्ता बना रही हू...''

इतना कहकर वो नीचे उतर गयी...उन दोनों को उसी हालत मे छोड़कर..

पर काजल ने नीचे उतरने के 5 मिनट बाद ही सारिका भी नीचे उतरी और काजल से बिना कु छ बोले बाहर निकल गयी.शायद उन्होंने काजल के घर
पर रहते चुदाई के इरादे को त्याग दिया था

आधे घंटे बाद के शव भी तैयार होकर नीचे आ गया...और दोनो हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े..

रास्ते मे दोनो के बीच सारिका वाले मामले को लेकर कोई बात नही हुई...बस नॉर्मल बातें होती रही..और जुए के बारे में भी बातें हुई.

शाम तक दोनो अपनी माँ को डिसचार्ज करवाकर घर ले आए...और उन्होने संभलकर उन्हे उपर वाले कमरे मे भी पहुँचा दिया..डॉक्टर्स के परामर्श के
अनुसार अब उन्हे अगले 5 दीनो तक वो इंजेक्शन लगना था..आज का वो लगवा कर ही आए थे....इसलिए 8 बजते-2 काजल ने खाना भी बना
दिया और उन्हे खाना खिला कर सुला भी दिया..

के शव बाहर गया हुआ था...काजल नीचे ड्रॉयिंग रूम मे बैठकर टीवी देख रही थी की बाहर की बेल बजी..

उसने दरवाजा खोला तो बाहर के शव अपने 2 दोस्तों के साथ खड़ा था.

के शव : "आ जा भाई ....अपना ही घर समझ .... ''

और काजल को उनका परिचय करवाते हुए बोला : "दीदी ...ये मेरे दोस्त है .... ये बिल्लू, इसको तो आप जानती ही हो.... और ये है
गन्नू ...मतलब गणेश ...''

दोनो ने काजल को नमस्ते की और अंदर आकर बैठ गये.

दोनो भाई बहन ने पहले से डिसाईड कर लिया था की कै से वो योजना के अनुसार खेलने के लिए मैदान में उतरेगी..

सो अंदर आते ही के शव शुरू हो गया : "दीदी ....अब आपके कहने पर ही में आज घर पर आकर खेल रहा हू...थोड़ा बहुत शोर शराबा हुआ
तो आप बुरा मत मानना ..''

काजल : "अब तेरी दीवाली के दिनों मे जुआ खेलने की जिद्द है तो में क्या कर सकती हू ... जब तूने खेलना ही है तो घर पर ही खेल
ना... माँ की तबीयत खराब हुई तो में अके ली कहाँ भागूँगी .तू घर पर रहेगा तो मुझे तसल्ली रहेगी..''

ये सब बातें वो अपनी बनाई योजना के अनुसार कर रहे थे..

उसके बाद वो तीनों वहीं टेबल के चारो तरफ बैठ गये...और पत्ते बाँटने लगे..

काजल भी के शव के पास जाकर बैठ गयी और बोली : "अब मैने बोर तो होना नही है....में भी तुम्हारे पास बैठकर ये खेल देखूँगी..''

के शव कु छ बोल पता, इससे पहले ही बिल्लू बोल पड़ा : "हां ...हां ..काजल ..क्यों नही ...ज़रूर बैठो ....''

उसकी आँखो की चमक बता रही थी की वो काजल को ऐसे पत्तो के खेल मे इंटरस्ट लेते देखकर कितना खुश हो रहा था...अब उसकी खुशी के पीछे
मंशा क्या थी,ये तो वो ही जाने, पर उसकी बात सुनकर काजल भी हँसती हुई सी के शव के साथ बैठ गयी..

और फिर शुरू हुआ..जुआ.

जो आगे चलकर कितना मजेदार और कामुक होने वाला था, ये उनमें से कोई भी नही जानता था.

काजल सोफे के साइड मे हाथ रखने वाली जगह पर बैठी थी...के शव के कं धे पर हाथ रखकर...उसके उपर झुकी हुई सी..के शव को उसकी गर्म
साँसे अपने कान और चेहरे पर सॉफ महसूस हो रही थी..

के शव ने पत्ते बाँटे..और सभी ने बूट के 100 रुपय बीच मे रख दिए..

और उसके बाद सभी ने 2 बार ब्लाइंड भी चली 100-100 की..

सबसे पहले गणेश ने अपने पत्ते उठा कर देखे..और देखने के साथ ही उसने 200 की चाल चल दी.

चाल देखते ही बिल्लू ने भी अपने पत्ते उठा कर देखे..पर देखने के साथ ही पैक भी कर दिया..

अब बारी थी के शव की

के शव ने मुड़कर काजल की तरफ देखा...उसने सिर हिला कर उसे इशारा किया और अगले ही पल के शव ने फिर से ब्लाइंड चल दी
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
गणेश बोला : "ओहो ..... इतना कॉन्फिडेन्स ....आज क्या हो गया तुझे...''

और हंसते हुए उसने फिर से 400 की चाल चल दी...डबल करते हुए.

अब तो के शव को भी डर सा लगने लगा..उसने अपने पत्ते उठा कर देखे...एक-2 करते हुए..

पहला पत्ता था इक्का..

दूसरा निकला बादशाह...

के शव का दिल ज़ोर-2 से धड़कने लगा...वो सोचने लगा की अगला पत्ता कोई भी आ जाए...बेगम आए तो सबसे बढ़िया ...वरना..एक और
इक्का...या एक और बादशाह ...कलर तो बन नही सकता था...क्योंकि अभी तक के दोनो पत्ते अलग-2 थे..

उसने भगवान का नाम लेते हुए तीसरा पत्ता भी देखा...

वो गुलाम निकला..

शिट यार....ऐसा कै से हो सकता है...शायद...मैं खेल रहा हू इसलिए...काजल खेलेगी तो उसके पास पत्ते आएँगे ना अच्छे ...मैं बेकार में ही
इतना आगे खेल गया..पर फिर भी,शो माँगने लायक तो थे ही उसके पत्ते..

और उसने 400 बीच मे फें क कर शो माँग लिया..

गणेश ने अपने पत्ते सामने फें क दिए..उसके पास पान का कलर था..

के शव ने अपने पत्ते नीचे पटक दिए..

गणेश ने हंसते हुए सारे पैसे उठा लिए..

काजल ने झुक कर गणेश के पत्ते उठा कर देखे..शायद वो ये देखने की कोशिश कर रही थी की कही बीच मे पान के अलावा कोई दूसरा लाल रंग ना
हो...

पर इतना ही समय काफ़ी था, गणेश की तीखी नज़रों ने उसके गले की गहराई नाप ली...उसकी ब्लेक ब्रा मे कसे हुए उसके दोनो मुम्मे किसी टेनिस
बॉल्स की तरह अपने जाल मे फँ से हुए दिख गये उसे...उसने गहरी मुस्कान के साथ बिल्लू की तरफ देखा...वो भी शायद उस गहराई को देख चुका
था...दोनों के चेहरों पर कु टिलता से भरी हँसी आ गयी..और आँखो ही आँखो मे उन्होने काजल की जवानी से भरी छातियों का गुणगान कर दिया..

अगली गेम शुरू हुई...इस बार दो ब्लाइंड चलने के बाद बिल्लू ने पत्ते देखे और पेक कर दिया..दो और ब्लाइंड चलने के बाद के शव ने पत्ते उठा
लिए...वो अभी के लिए ज़्यादा रिस्क नही लेना चाहता था...पर उसके पास बड़े ही बेकार पत्ते आए...7, 3, 5.

उसने बिना शो माँगे ही पैक कर दिया...

गणेश ने फिर से हंसते हुए सारे पैसे उठा लिए.

के शव : "आज तो लगता है इसी का दिन है...दो गेम में ही डेड -दो हज़ार जीत गया...''

गणेश : "के शव भाई, ये तो वक़्त-2 की बात है...कल तुम्हारा दिन था...आज मेरा दिन है...और वैसे भी, अभी तो खेल शुरू हुआ
है...शायद तुम जीत जाओ आगे चलकर...''

के शव ने मन मे सोचा 'वो तो होना ही है...एक बार काजल को आने दो बीच मे..फिर देखना, तुम्हारी जेब कै से खाली करवाता हूँ मैं...''

अगला खेल शुरू हुआ..तभी के शव बोला : "मैं ज़रा बाथरूम होकर आता हू...तुम मेरे पत्ते काजल को बाँट दो...तब तक ये खेल लेगी...''

इसमे भला उन दोनो को क्या परेशानी हो सकती थी..उनके तो चेहरे और भी ज़्यादा चमक उठे..

के शव उठकर उपर चला गया..


काजल सोफे पर बैठी..उसका दिल अब जोरो से धड़क रहा था..गणेश ने गड्डी को काजल की तरफ बढ़ाया .ताकि वो उसे काट सके ..जैसे ही
काजल ने गड्डी पर हाथ रखा, गणेश ने उसके हाथ के उपर अपना हाथ रखकर उसे दबोच लिया..

गणेश : "अर्रे...अर्रे ....ऐसे नही....इतने पत्ते मत निकालो...थोड़ा आराम से...आधे से कम काटो...आराम से...''

और ये सब कहते-2 वो काजल के नर्म और मुलायम हाथ को अपने कठोर हाथों से सहला भी रहा था..

काजल भी उसके ऐसे स्पर्श के महसूस करके कसमसा उठी..उसके शरीर के रोँये खड़े हो गये...क्योंकि आज तक उसे किसी ने इस तरह से छु आ
नही था..कल अपने भाई का स्पर्श और अब इस गणेश का...दो दिन मे दो मर्दों के शरीर ने उसे छु आ था..ये एक कुँ वारी लड़की के लिए एक
शॉक से कम नही होता..

काजल ने थोड़े से ही पत्ते उठाए और ताश को काट कर नीचे रख दिया.गणेश ने पत्ते बाँटे.

बूट के बाद सभी ने 3-3 बार ब्लाइंड चली..काजल वैसे तो निश्चिन्त ही थी, क्योंकि उसे पता था की उसके पत्ते अच्छे ही निकलेंगे..पर एक डर
भी लग रहा था..की कहीं कु छ गड़बड़ ना हो जाए...
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
***********
अब आगे
***********

और ऐसा सोचते-2 उसने एकदम से अपने पत्ते उठा लिए...उन्हे देखकर उसकी समझ मे कु छ नही आ रहा था...एक बादशाह था...दूसरी
बेगम....और तीसरा दस.

के शव ने तो कहा था की उसके पत्ते हमेशा चाल चलने लायक होते हैं...उसने गेम समझ तो ली थी..पर अभी तक सही से वो अपने दिमाग़ मे बिठा
नही पाई थी..पर फिर भी के शव की बात को याद करते हुए उसने चाल चल दी ..

बिल्लू तो काजल के हुस्न का दीदार करने मे मस्त था...वो उसकी छातियों को टकटकी लगाकर देखे जा रहा था..और उसका साइज़ क्या होगा ये
सोचने मे मग्न था...उसके निप्पल किस पॉइंट पर होंगे, वो उसकी रूपरेखा बना रहा था...ब्रा तो वो देख ही चुका था उसकी, ब्लैक कलर
की..अगर वो ब्रा में ही बैठकर खेले तो कितना मज़ा मिलेगा..

और बिल्लू को अपनी तरफ ऐसे देखते देखकर काजल का दिल भी हिचकोले खा रहा था...और उसके दोनो निप्पल एकदम से सख़्त होकर सूट के कपड़े
मे उभर आए...

और बिल्लू का अंदाज़ा बिल्कु ल सही निकला, उसने जिस जगह पर सोचा था, वहीं पर उसे हल्के -2 निप्पल्स उभरते हुए दिख गये..वो अपनी क़ाबलियत
पर खुश हो गया.

पर काजल को चाल चलते देखकर उसने एकदम से अपने पत्ते उठाए...उसके पास इक्का और दो छोटे पत्ते थे...चाल चलने या शो माँगने का सवाल
नही था, क्योंकि गणेश ने अभी तक अपने पत्ते देखे भी नही थे..

बिल्लू ने पेक कर दिया.

अब गणेश की बारी थी....उसने अपने पत्ते उठाए...उसके पास इक्का, बादशाह और दुग्गी थी...उसका एक मन तो हुआ की पेक कर
दे...क्योंकि सामने से चाल आ चुकी थी...पर वो इतने पैसे जीत चुका था अभी तक की शो माँगकर भी वो ही फायदे में ही रहता...और वैसे भी
वो देखना चाहता था की काजल के पत्ते कै से हैं...उसे खेलना भी आता है या नही..

और उसने 400 बीच मे फें क कर शो माँग लिया..

और काजल के पत्ते देखकर वो ज़ोर-2 से हँसने लगा..और सारे पैसे बीच मे से उठा कर अपनी तरफ कर लिए...बिल्लू भी काजल के पत्ते देखकर
मुस्कु रा दिया और बोला : "अभी तुम्हे सही से खेलना आता नही है काजल...या फिर तुम ब्लफ खेल रही थी...''
तब तक उपर से के शव भी आ गया...उसने भी बीच मे पड़े काजल और गणेश के पत्ते देखे...उसे तो विश्वास ही नही हो रहा था की काजल
अपनी पहली ही गेम में हार गयी...उसने तो क्या-2 सोचा हुआ था..पर ऐसे काजल को हारता हुआ देखकर उसे अपनी सारी प्लानिंग फै ल सी होती
दिख रही थी..

के शव : "अरे नही....ब्लूफ भला ये क्या जाने...हम दोनो बस घर बैठकर थोड़ा बहुत खेल लेते हैं, बस वही आता है इसे...चलो, एक बार
और बाँटो पत्ते...देखते हैं की इसकी कै सी किस्मत है ...''

काजल के साथ एक बार और खेलने की बात सुनकर बिल्लू और गणेश मुस्कु रा दिए...पर काजल ने धीरे से के शव के कान मे कहा : "नही
के शव...तुम ही खेलो...मुझे नही लगता की मैं कल की तरह जीत पाऊँ गी ..वो शायद कोई इत्तेफ़ाक था...ऐसे ही बेकार मे अपने पैसे मत बर्बाद
करो...''

के शव फु सफु साया : "नही दीदी....एक और गेम खेलो...शायद इस बार अच्छे पत्ते आ जाए..प्लीज़ ...मेरे कहने पर...''

और के शव के ज़ोर देने पर काजल फिर से खेलने लगी.

उसके निप्पल का साइज़ और भी ज़्यादा बड़ चुका था...शायद परेशानी में भी लड़कियो के निप्पल खड़े हो जाते हैं, जैसे उत्तेजना के वक़्त होते
हैं...

वो दोनो हरामी तो उसकी छातियों पर लगे छोटे-2 बल्ब देखकर अपने लंड सहला रहे थे...के शव का ध्यान इस बात पर नही था अभी...उसे तो
चिंता सता रही थी की अगली गेम वो जीतेगा या नही..

पत्ते फिर से बाँटे गये...बूट के बाद 2-2 बार ब्लाइंड भी चली गयी...बिल्लू ने फिर से अपने पत्ते उठाए...और पहली बार वो अपने पत्ते देखकर
खुश हुआ...और उसने 200 की चाल चल दी..

बिल्लू के बाद गणेश ने भी अपने पत्ते देखे और चाल चल दी..

के शव ने काजल को भी अपने पत्ते उठाने के लिए कहा..

काजल ने काँपते हाथों से एक-2 करके अपने पत्ते उठाए..

पहला 7 नंबर था..

दूसरा पत्ता 9 नंबर था...और अभी तक के दोनो पत्ते हुक्म के थे..

के शव मन ही मन खुश हो रहा था...उसे तो जैसे पूरा विश्वास था की इस बार या तो 8 आएगा, जिसकी वजह से 7,8,9 का सीक़वेंस बन
जाएगा...या फिर एक और हुक्म का पत्ता आएगा जिसकी वजह से कलर बन सके गा...अगर दोनो मे से कु छ भी नही आया तो पेयर बनाने के लिए
7 या 9 में से कु छ भी आ जाएगा..

पर जैसे ही काजल का तीसरा पत्ता देखा, उसका दिल धक से रह गया..वो ईंट का 4 था..
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07-22-2017, 02:36 PM,#15

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
ये तो हद ही हो गयी...ऐसे बेकार पत्ते तो उसके पास भी नही आते थे...और ये अब काजल के पास आ रहे हैं...ऐसा कै से हो सकता
है...क्यों कल की तरह काजल के पास अच्छे पत्ते नही आ रहे...क्यों वो हार रही है...

उसने अपने दाँत पीस लिए और काजल को पेक करने के लिए कहा..

काजल ने पत्ते फें क दिए..और के शव से धीरे से बोली : "मैने कहा था ना...कल शायद कोई इत्तेफ़ाक था...तुम बेकार मे मुझसे खिलवा रहे हो
और हार भी रहे हो...''
और इतना कहकर वो भागती हुई सी किचन मे चली गयी...ये कहकर की चाय बना कर लाती हूँ सबके लिए..

के शव कु छ नही बोल पाया..

इसी बीच बिल्लू और गणेश चाल पर चाल चल रहे थे...दोनो ही झुकने को तैयार नही थे...के शव भी समझ गया की दोनो के पास अच्छे पत्ते आए
होंगे...

बीच मे लगभग 8 हज़ार रुपय इकट्ठे हो चुके थे...आख़िर मे जाकर गणेश ने शो माँगा..बिल्लू ने अपने पत्ते दिखाए...उसके पास सीक़वेंस आया
था..5,6,7

और बिल्लू के पास कलर था, ईंट का..उसने अपना माथा पीट लिया...वो जीते हुए पैसो के अलावा अपनी जेब से भी 3 हज़ार हार चुका था..

बिल्लू ने हंसते हुए सारे पैसे समेत लिए..

बिल्लू : "हा हा हा ...सो सुनार की और एक लोहार की ...''

के शव बोला : "मैं ज़रा काजल को देखकर आता हू, उसे शायद लग रहा है की उसकी वजह से मैं हार गया...''

बिल्लू : "हाँ भाई...जाओ ...मना कर लाओ उसको ...ऐसे दिल छोटा नही करते....मैं भी तो इतनी गेम हारने के बाद जीता हूँ ..वो भी
जीतेगी..जाओ बुला लाओ उसको...तब तक हम इंतजार करते है...''

के शव भागकर किचन मे गया...काजल रुं आसी सी होकर चाय बना रही थी..

के शव : "क्या दीदी...आप भी ना....ऐसे अपना मूड मत खराब करो...''

काजल एक दम से रो पड़ी और के शव से लिपट गयी : "मैने कहा था ना, मुझसे नही होगा ये...तुमने बेकार मे अपने इतने पैसे बर्बाद किए मेरी
वजह से...ऐसे ही चलता रहा तो कल वाले सारे पैसे हार जाओगे...माँ का इलाज कै से करवाएँगे...''

के शव उसकी पीठ सहलाता हुआ बोला : "ऐसा मत सोचो दीदी ....चलो चुप हो जाओ...कोई ना कोई बात तो ज़रूर है...मेरा अंदाज़ा खाली
नही जाता ऐसे...''

और फिर कु छ देर चुप रहकर वो बोला : "दीदी...ये टोटके बाजी वाला खेल होता है...अगर तुम जीत रहे हो तो तुमने क्या पहना था ये याद
रखो..किस सीट पर बैठे थे वो याद रखो....''

काजल : "मतलब ??"

के शव : "मतलब ये की तुम शायद उन्ही चीज़ो की वजह से जीत रही थी जो उस वक़्त वहाँ मोजूद थी...जैसे तुम्हारे कपड़े...तुमने कल रात को
अपना नाइट सूट पहना हुआ था..वही पहन कर आओ...शायद उसकी वजह से तुम जीत रही थी कल...''

काजल : "तू पागल हो गया है...तेरे सामने अलग बात थी..पर इन दोनो के सामने मैं नाइट सूट क्यो पहनू ....नही मैं नही पहनने
वाली....मुझसे नही होगा..''

अब भला वो अपने भाई से क्या बोलती की वो नाइट सूट क्यो नही पहनना चाहती..उसका गला इतना चोडा है की उसकी क्लीवेज साफ दिखाई देती है
उसमे...और उसकी कसी हुई जांघों की बनावट भी उभरकर आती है उसमे क्योंकि उसका पायज़ामा काफ़ी टाइट है...

के शव : "दीदी ...आप समझने की कोशिश करो...मैने कहा ना, इनसे घबराने की ज़रूरत नही है...इन्हे भी अपना भाई समझो...जाओ जल्दी
से पहन कर आओ...मैं चाय लेकर जाता हुआ अंदर...''

और काजल की बात सुने बिना ही वो चाय लेकर अंदर आ गया...बेचारी काजल बुरी तरह से फँ स चुकी थी...वो बड़बड़ाती हुई सी उपर अपने कमरे
मे चल दी...अपना नाइट सूट पहनने...

अगली गेम से पहले सभी चाय पीने लगे...बिल्लू ने पत्ते बाँटने के लिए गड्डी उठाई ही थी की के शव बोला : "रूको ...काजल को भी आने
दो...वो बेचारी समझ रही है की उसकी वजह से मैं हार गया...एक-दो गेम और खेलने दो बेचारी को...शायद जीत जाए...वरना रोती रहेगी की
उसकी वजह से मैं हार गया.."

उन दोनो को भला क्या परेशानी हो सकती थी...वो तो खुद काजल के हुस्न को देखते हुए खेलना चाहते थे...

गणेश बोला : "पर काजल आएगी कब ?"


तभी उसके पीछे से आवाज़ आई : "आ गयी मैं ...''

और सभी की नज़रें काजल की तरफ घूम गयी...और उसे उसकी नाइट ड्रेस मे देखकर सभी की आँखे फटी रह गयी...

छोटी सी टाइट टी शर्ट और टाइट पायज़ामे में वो सेक्स बॉम्ब जैसी लग रही थी...वो दोनो तो आँखो ही आँखो मे उसे चोदने लगे...

और के शव अगली गेम में जीतने वाले पैसों के बारे मे सोचने लगा..

अब तो के शव को पूरा भरोसा था की अगली गेम काजल ही जीतेगी..उसने काजल को अपनी सीट पर बिठाया और बोला : "चलो ....अब आप
खेलो दीदी .....देखना , इस बार आप जीतकर रहोगी...''

बैठने के साथ ही उसकी दोनो बॉल्स झटके से उपर नीचे हुई...और उसकी क्लिवेज और भी ज़्यादा उभरकर बाहर आ गयी..के शव की नज़रें तो पत्तो
पर थी पर बिल्लू और गणेश के मुँह से तो पानी ही टपकने लगा बाहर...उन्होने अपनी जीभ को होंठों पर फे र कर सारा रस निगल लिया..

अगली गेम शुरू हो गयी


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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
सबने बूट के बाद 3-3 ब्लाइंड भी चल दी..

अगली ब्लाइंड की बारी काजल की थी...के शव ने 100 के बदले सीधा 500 की ब्लाइंड चल दी..

हैरान होते हुए बिल्लू ने भी 500 की ब्लाइंड चल दी..

पर गणेश इस बार डर सा गया...उसने अपने पत्ते उठा कर देखे...10 नंबर था उसका सबसे बड़ा...उसने बुरा सा मुँह बनाते हुए पॅक कर
दिया.

के शव ने फिर से 500 की ब्लाइंड चली..अब तो बिल्लू ने भी अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास सबसे बड़ा पत्ता बादशाह था...उसने रिस्क लेना
सही नही समझा और पेक कर दिया..

उसके पेक करते ही के शव खुशी से चिल्ला उठा : "देखा काजल, मैने कहा था...आप जीत गयी...''

पैसे भले ही ज़्यादा नही आए थे...पर पहली जीत थी वो काजल की, दोनों मन ही मन खुश हो गए की उनका टोटका काम कर गया

अब तो काजल भी के शव की कपड़े बदलने वाली बात को सही मान रही थी, उसने कल भी यही कपड़े पहने थे और जीत रही थी...और अभी से
पहले दूसरे कपड़े मे वो हार रही थी, पर कल वाले कपड़े पहनते ही वो फिर से जीत गयी...

के शव ने बीच मे रखे सारे पैसे अपनी तरफ खिसका लिए..

और साथ ही साथ सारे पत्ते भी उठा कर वापिस गड्डी में लगा दिए..अभी तक किसी ने भी काजल के पत्ते देखे नही क्योंकि सामने से शो ही नही
माँगा गया था..

के शव ने काजल के पत्ते उठाए और गड्डी में डालने से पहले उन्हे देखा.

वो थे 2,5, 7

इतने छोटे पत्ते और वो भी बिना कलर के ...उसने उपर वाले का शुक्र मनाया की सामने से किसी ने शो नही माँगा , वरना ये गेम भी वो हार
जाते...क्योंकि उसे पूरा विश्वास था की दोनो में से किसी ना किसी के पत्ते तो उससे बड़े ही होते...

पर ऐसा क्यों हुआ....वो तो समझ रहा था की काजल के कपड़े बदल लेने के बाद वो जीतेगा ...पर उसका ये टोटका काम क्यो नही आया...ये
उसकी समझ में नहीं आ रहा था .

उसने मन ही मन कु छ सोच लिया और अगली गेम शुरू हुई.

और पत्ते बाँटने के बाद 2-2 ब्लाइंड चली गयी , पर इस बार के शव ने तीसरी ब्लाइंड चलने से पहले ही काजल के पत्ते उठा कर देख लिए.

काजल के पास थे 9,गुलाम और बादशाह

वो भी बिना कलर के ..

पर फिर भी उसने रिस्क लेते हुए 200 की चाल चल दी.

गणेश : "क्या हुआ के शव...पिछली बार तो 500 की ब्लाइंड चल रहा था...और अब जीतने के बाद 100 से आगे ही नही बड़ा...सीधा चाल
चल दी...''

के शव कु छ नही बोला...वो तो अपनी के ल्कु लेशन मे लगा हुआ था.

पर चाल बीच मे आ चुकी थी, इसलिए गणेश ने अपने पत्ते उठा कर देखे...और देखने के साथ ही चाल चल दी.

बिल्लू ने अपने पत्ते देखे और उसने भी मंद-2 मुस्कु राते हुए चाल चल दी.

के शव ने तो ब्लफ खेला था..उसके पास वैसे भी चाल चलने लायक पत्ते नही थे...उसने फ़ौरन पेक कर दिया..

अब खेल शुरू हुआ बिल्लू और गणेश के बीच...दोनो चाल पर चाल चल रहे थे...और आख़िर मे जब बीच मे लगभग 6 हज़ार रुपय इकट्ठे हो गये
तो बिल्लू ने शो माँग लिया...

गणेश ने अपने पत्ते सामने फें के ..

वो थे 3,4,5 की सीक़वेंस..

उसे देखते ही बिल्लू ठहाका लगाकर हंस दिया...उसने अपने पत्ते सामने फें क दिए

उसके पास थे 9,10,11 की सीक़वेंस.


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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
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अब आगे
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वो जैसे ही सारे पैसे अपनी तरफ करने लगा, गणेश ने रोक दिया और बोला : "मेरे पत्ते दोबारा देख भाई...इतना खुश मत हो अभी...''

बिल्लू और के शव ने फिर से गणेश के पत्तो की तरफ देखा..वो थे तो 3,4,5 पर साथ ही साथ वो कलर मे भी थे...लाल पान का कलर..यानी
प्योर सीक़वेंस.

बिल्लू बुदबुदाया : "साला...हरामी...आज तो इसकी किस्मत अच्छी है..''

और अब ठहाका लगाने की बारी गणेश की थी...उसने सारे पैसे बीच में से अपनी तरफ खिसका लिए.

अगली गेम शुरू होने को ही थी की के शव बोल पड़ा : "यार...अभी और रहने देते हैं...माँ को दवाई भी देनी है और उन्हे इंजेक्शन भी लगाना
है...बाकी कल खेलेंगे..''
काजल बोलने ही वाली थी की दवाई और इंजेक्शन तो दे ही चुके हैं...पर के शव ने उसे इशारे से चुप करवा दिया.

अब वो दोनो भी क्या बोल सकते थे...मन मसोस कर दोनो वहाँ से चले गये.अगले दिन आने का वादा करके

उनके जाते ही काजल बोली : "तुमने ऐसा क्यो बोला...माँ को दवाई और इंजेक्शन तो दे ही चुके हो..और हम एक गेम भी तो जीत ही चुके
थे..''

के शव : "दीदी...वो गेम जो हमने जीती थी, उसमे पत्ते बड़े ही बेकार आए थे...वो तो शुक्र है की उन दोनो ने भी पेक कर दिया, वरना वो
गेम भी हम हार जाते...''

काजल : "पर तुमने तो कहा था की कल वाले कपड़े पहन कर आओ, तो जीत जाएँगे...मैने तो पहले ही कहा था की ये सब तुक्का था...कल
और बात थी...आज खेलने में सब सामने आ गया...''

के शव उसकी बाते सुनता रहा...और कु छ देर चुप रहने के बाद बोला : "दीदी .... वो .....आपने ये कल वाले ही कपड़े पहने है
ना..''

काजल : "हाँ ....ये वही है....''

के शव (झिझकते हुए) : "और अंदर....''

उसकी आवाज़ बड़ी ही मुश्किल से निकली उसके मुँह से....नज़रें ज़मीन पर थी उसकी.

काजल : "अंदर...? मतलब ....''

पर अगले ही पल उसका मतलब समझ कर वो झेंप सी गयी...के शव उसके अंडरगारमेंट्स के बारे मे पूछ रहा था..

काजल ने अपने दिमाग़ पर ज़ोर दिया , उसने अभी ब्लेक कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी ...पर कल....कल तो के शव के साथ खेलते हुए
उसने अंदर कु छ भी नही पहना था..

अब ये बात वो के शव को कै से बोलती..पर शायद ये वजह भी हो सकती है उसके हारने की..शायद कल वो बिना अंडरगारमेंट्स के थी, इसलिए जीत
रही थी...

काजल : "तुम्हारे टोटके के हिसाब से क्या कल वाले कपड़े सेम तो सेम वही होने चाहिए...तभी मैं जीतूँगी क्या ??''

के शव ने हाँ में सिर हिला दिया.

काजल : "चलो...वो भी देख लेते हैं ....तुम यही बैठो...मैं अभी आई...''

और इतना कहकर वो भागकर उपर अपने कमरे मे चली गयी..

अब के शव उसे क्या बोलता, वो तो अच्छी तरह जानता था की कल काजल ने अंदर कु छ भी नहीं पहना हुआ था...उसके खड़े हुए निप्पल उसे अभी
तक याद थे...आज तो उसने ब्रा पहनी हुई थी...उसकी बगल मे बैठकर वो ये तो अच्छी तरह से देख चुका था...पर उस वक़्त उसके मन मे ये
बात नही आई थी..पर लास्ट गेम जो उसने जीती थी, उसके बाद उसके दिमाग़ मे वो बात कोंधी थी..पर उनके सामने ये कै से बोलता, इसलिए आज
के लिए अपने दोस्तों को भगा दिया था उसने...और उनके जाने के बाद बड़ी ही मुश्किल से उसने काजल को ये बोला...अपनी बड़ी बहन को उसके
अंडरगारमेंट्स के लिए बोलना आज के शव के लिए बड़ा मुश्किल था...पर अपनी तसल्ली के लिए वो ये देख लेना चाहता था की जो वो सोच रहा है वो
सही है तो शायद कल वाली गेम में वो जीत जाएँ.

तभी उपर से काजल वापिस नीचे आती हुई दिखाई दी के शव को...और उसकी नज़रें सीधा उसकी ब्रेस्ट वाली जगह पर जा चिपकी...और उसकी
आशा के अनुरूप वहाँ ब्रा का नामोनिशान नही था ...उसकी गोल मटोल छातियाँ उस छोटी सी टी शर्ट मे अठखेलियाँ करती हुई उछल कू द मचा रही
थी..और साथ ही साथ उसके खड़े हुए निप्पल उनकी सुंदरता मे चार चाँद लगा रहे थे..
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07-22-2017, 02:37 PM,#18

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
काजल आकर के शव के सामने बैठ गयी, और बोली : "चलो...अब एक बार फिर से पत्ते बाँटो ...मैं भी देखना चाहती हू की तुम्हारी बात मे
कितनी सच्चाई है..''

के शव ने बड़ी ही मुश्किल से अपना ध्यान उसकी छातियों और खड़े हुए निप्पल्स से हटाया..और पत्ते बाँटने लगा...पत्ते बाँटने के बाद उसने पहले
अपने पत्ते उठा कर देखे, उसके पास 5 का पेयर आया था..यानी चाल चलने लायक थे वो..और फिर उसने काजल के पत्ते पलट कर देखे...

काजल के पास बादशाह का पेयर आया था.

के शव की आँखो मे चमक आ गयी, वो बोला : "देखा....मैने कहा था ना...''

काजल : "ये भी शायद इत्तेफ़ाक से आ गये हो...एक बार और बाँटो..''

के शव : "अब तो मुझे पूरा विश्वास है, जितनी बार भी बँटवा लो ये पत्ते, हर बार तुम ही जीतोगी कल की तरह..''

उसने फिर से पत्ते बाँटे...और इस बार भी काजल ही जीती...उसके पास चिड़ी का कलर आया था..

के शव ने गड्डी काजल को दी और उसे पत्ते बाँटने के लिए कहा...काजल ने पत्ते बाँटे और इस बार भी वही जीती...के शव के पास सबसे बड़ा पत्ता
इक्का था...और काजल के पास इकके का पेयर..

अगली 4 गेम्स भी काजल ही जीती...के शव ने जगह बदल कर भी देखि..गड्डी को अच्छी तरह से फें टकर भी पत्ते बांटे ..हर तरह से बदलाव करके
देख लिया, पर वो काजल से हर बार हार ही रहा था...उसने चार जगह पत्ते बांटकर भी देखे,पर उसमे भी सिर्फ काजल के पत्ते बड़े निकले और
हर बार हारने के बाद उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी आ जाती..

अंत मे के शव बोला : "देखा लिया ना दीदी...मेरी बात बिल्कु ल सही निकली...आज जब आप कपड़े बदल कर आई तो उसी वक़्त अगर ब्रा -पेंटी
उतार कर आ जाती तो शायद आज हम बहुत पैसे जीत जाते...''

यानी उसका भाई ये अच्छी तरह से नोट कर रहा था की कल उसने अंदर कु छ नही पहना हुआ था..अपने भाई के मुँह से सीधा अपनी ब्रा पेंटी का
शब्द सुनकर उसका चेहरा शर्म से लाल सुर्ख हो उठा...और उसके चेहरे पर एक अलग ही तरह की मुस्कान आ गयी..पर वो कु छ बोली नही..

के शव समझ गया की शायद उसने कु छ ज़्यादा ही बोल दिया है

के शव : "सॉरी दीदी....वो मुझे शायद ऐसे नही बोलना चाहिए था..''

और इतना कहकर वो अपनी जगह से उठा और लगभग भागता हुआ सा उपर अपने कमरे की तरफ चल दिया.ऐसे भागकर जाने की एक वजह और भी
थी , काजल से इस तरह बात करते हुए वो बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और उसका लंड टेंट बना चुका था उसके पायजामे में.

वो सीधा अपने कमरे में गया और अपने बेड पर बैठकर पायजामे को नीचे किया और . लंड हाथ मे पकड़ कर ज़ोर से मसलने लगा...

''ओह....... दीदी .................क्या करते हो आप................अहह ....... क्या चीज़ हो


यार..............''

और उसकी बंद आँखो के सामने उसकी बहन की नंगी छातियाँ घूम रही थी..

और वो ज़ोर-2 से अपने लंड को मसलते हुए मूठ मारने लगा.

काजल कु छ देर तक वहीं बैठी रही और फिर उपर की तरफ चल दी...उसने अपनी माँ को देखा तो वो गहरी नींद में सो रही थी...वो निश्चिंत हो
गयी...उसने अपना मोबाइल उठाया...आज वो कु छ ज़्यादा ही उत्तेजित थी...और अपने वी चेट और ऍफ़ बी फ्रें ड्स के साथ कु छ ख़ास करने के
मूड में थी...वो अपनी माँ की बगल मे लेटने ही वाली थी की उसे के शव के कमरे से कोई आवाज़ आई..

उसने देखा की उसके कमरे की लाइट जल रही है..और शायद दरवाजा भी खुला है..

उसने गोर से सुना तो वो आवाज़ फिर से आई....और इस बार की आवाज़ सुनकर वो समझ गयी की वो क्या है...और अगले ही पल उसके होंठों
पर एक शरारत भरी मुस्कान आ गयी...और वो बिल्ली की तरह दबे पाँव से अपने भाई के कमरे की तरफ चल दी..

एक अलग ही तरह का रोमांच महसूस कर रही थी काजल...उसके दिल की धड़कने उसे अपने कानों तक सुनाई दे रही थी..अंदर से तो वो पूरी नंगी
पहले से ही थी..इसलिए उसके खड़े हुए निप्पल टी शर्ट से रगड़ खाकर उसमे ड्रि ल करने लायक पैने हो चुके थे..

वो के शव के कमरे के बाहर जाकर खड़ी हो गयी...और उसने खुले हुए दरवाजे की झिर्री में से झाँककर अंदर देखा..

उसका भाई के शव नीचे से नंगा होकर लेटा था और अपनी आँखे बंद करके बड़ी ही तेज़ी से अपने लंड को रगड़ रहा था..ऐसा सेक्सी सीन तो उसने
आज तक नही देखा था...और ना ही सोचा था..उसकी आँखे तो के शव के लंड के उपर जम कर रह गयी..वो आज सुबह भी उसके लंड को देख
चुकी थी..जब वो सारिका की चुदाई करने जा रहा था..पर अभी वो सारिका को सोचकर मूठ मार रहा है या उसे सोचकर ये जानने की उत्सुकतता थी
काजल के मन मे..

भले ही वो उसका सगा भाई था...पर अगर वो उसके बारे मे सोचकर मूठ मार रहा है तो उसे अंदर से अलग ही खुशी का एहसास होना था..शायद
काजल को भी अपने भाई मे अब इंटरस्ट आने लगा था...भाई होने से पहले वो एक मर्द था...और वो भी बड़े लंड वाला..ऐसे लंड को देखकर
ही काजल की टाँगो के बीच कु छ-2 हो रहा था..जब वो वहाँ जायेगा तो पता नही क्या होगा..

काजल ने अपनी जांघे भींच ली और अंदर देखने लगी...उसका एक हाथ उपर रेंगता हुआ आया और अपनी ब्रेस्ट को पकड़ कर धीरे-2 भींचने लगा.

वो लगातार ये भी सोच रही थी की ऐसे कब तक चलता रहेगा...उसके और के शव के बीच के बीच जो शर्म का परदा था वो तो गिर ही चुका
है...कु छ और परदे गिराने बाकी हैं,पर वो छोटा है इसलिए अपनी तरफ से पहल करने मे शायद शरमा रहा है...और उसने खुद भी अपनी तरफ से
कु छ ज़्यादा नही किया..एक लड़की होने के नाते इतनी अकल तो थी उसको...और उपर से दोनो का रिश्ता भी तो ऐसा था की कु छ भी करने से
पहले सब कु छ सोचना पड़ रहा था..पर यहाँ कौन है उन्हे देखने वाला..सारी दुनिया सो रही है...उनकी माँ भी दूसरे कमरे मे खर्राटे मार रही
है..ऐसे मे अगर थोड़ी बहुत मस्ती कर भी ले तो क्या बिगड़ेगा..
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07-22-2017, 02:37 PM,#19

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
और ये सब सोचते-2 उसने अचानक से ही दरवाजे को एक ही झटके मे खोल दिया..

और दरवाजा खुलने की आवाज़ से के शव ने अपनी आँखे एकदम से खोली और काजल को सामने खड़ा पाकर एकदम से उसने पास ही पड़ा तकिया
उठाकर अपने लंड के ऊपर लगा लिया..

के शव : "दी ...दीदी ...आप .....ये दरवाजा ......शिट .....मैं समझा मैने बंद कर दिया .....''

वो नज़रें भी नही मिला पा रहा था काजल से..पर काजल तो जैसे सोच ही चुकी थी की अब ये बेकार की ड्रामेबाजी को बीच मे से निकाल देना
चाहिए.

वो आगे आई और सीधा आकर के शव के साथ ही पलंग पर एक टाँग रखकर बैठ गयी..

काजल : "अरे कोई बात नही...ये तो सब करते हैं...मैं भी करती हू अपने कमरे मे...जब माँ सो जाती है...वो तो अभी जाग रही
थी..इसलिए मैने सोचा कु छ देर इंतजार कर लेती हू...और फिर तुम्हारा दरवाजा खुला हुआ देखा तो यहाँ चली आई...पर तुम तो यहाँ पहले से
ही... ही ही ही ..''

और वो शरारत भरी हँसी हँसने लगी..

और उसके व्यवहार से साफ़ पता चल रहा हा की के शव को ऐसी अवस्था मे देखने के बाद उसे कोई फ़र्क ही नही पड़ता...वो बिल्कु ल नॉर्मल सा
बिहेव कर रही थी.

एक टाँग मोड़कर बैठने की वजह से उसका घुटना के शव की नंगी जाँघ से टच कर रहा था..काजल का तो पता नही पर के शव के जिस्म मे जैसे कोई
करंट प्रवाह कर रहा था.

उसे तो पहले लगा की एक ही दिन मे लगातार दूसरी बार अपनी बहन के हाथो ऐसे पकड़े जाने के बाद वो पता नही उससे कभी नज़रें भी मिला पाएगा
या नही...पर काजल का दोस्ताना व्यवहार देखकर उसमे भी थोड़ी बहुत हिम्मत आ गयी.

के शव : "आई एम सॉरी दीदी...मुझे ये सब ...ऐसे नही करना चाहिए था...आज सुबह भी आपके सामने...''
काजल : "अरे मुझे बिल्कु ल भी बुरा नही लगा तेरी इन बातों का...तेरी उम्र ही ऐसी है...हो जाता है ये सब...और सुबह वाली और अब वाली
बात पर तो मुझे सॉरी बोलना चाहिए तुझे...दोनो बार ही मेरी वजह से तू बीच मे लटका रह गया..''

और ये कहकर वो अपने मुँह पर हाथ रखकर हँसने लगी..

के शव भी उसे शरारत मे हंसते देखकर बोला : "हाँ , ये बात तो सही कही आपने...अब आप क्या जानो, हम लड़कों की ये कितनी बड़ी प्राब्लम
है...जब तक अंदर से वो निकलता नही ,बड़ी टेंशन् सी फील होती है..''

काजल : "क्या नही निकलता ??"

के शव एकदम से झेंप सा गया...उसने बोल तो दिया था,पर काजल के सवाल का जवाब देने मे उसका चेहरा लाल हो उठा.
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07-22-2017, 02:37 PM,#20

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
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अब आगे
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काजल ये देखकर फिर से हँसने लगी, और बोली : "तू तो एकदम लड़कियो की तरह से शरमाता है...सीधा बोल ना, माल जब तक अंदर से बाहर
नही निकलता, परेशानी होती है..''

अपनी बहन को ऐसे बेशार्मों की तरहा बोलता देखकर के शव का मुँह खुला रह गया

काजल : "ऐसे क्या देख रहा है तू...तुझे क्या लगा, मुझे ये सब नही पता...लगता है तुझे सारिका ने कु छ भी नही बताया...की हम दोनो के
बीच कै सी-2 बातें होती थी पहले..''

के शव : "नही...उसके साथ ऐसी बातें करने का टाइम ही नही मिला कभी...''

काजल (आँखे घुमाते हुए) : "हाँ , उसके साथ तो तुझे बस एक ही काम करने का टाइम मिलता होगा...और उसमे भी मैं बीच मे टपक पड़ती हू
.. ही ही''

के शव भी हंस दिया..

काजल : "अच्छा एक बात तो बता...अभी भी तू उसके बारे मे सोचकर ही ये कर रहा था ना..''

अब मज़ा लेने की बारी के शव की थी.

के शव : "मैं ...मैं क्या कर रहा था अभी ?''

काजल : "अच्छा ...अब मुझसे छु पाने का क्या फायदा ...अभी मेरे आने से पहले तू वो कर रहा था ना...''

के शव : "नही दीदी...मैं तो बस कपड़े चेंज कर रहा था..मैने पायज़ामा नीचे उतारा ही था की आप आ गयी...''

काजल : "झूठ मत बोल...मैं सब देख रही थी दरवाजे के पीछे से...तू अपना वो रगड़ रहा था...माल निकालने के लिए...बोल ...''

के शव : "क्या रगड़ रहा था दीदी...खुल कर बोलो ना...''

अब काजल भी समझ चुकी थी की उनके बीच का एक और परदा गिर चुका है...अब खुलकर वो सब बोल सकते हैं..

काजल : "अपना लंड रगड़ रहा था तू...यही सुनना चाहता था ना ...बोल, रगड़ रहा था या नही...''
अपनी सेक्सी बहन के मुँह से लंड शब्द सुनकर तकिया थोड़ा सा और उपर हो गया...उसके लंड ने अंदर ही अंदर झटके मारने शुरू कर दिए थे.

के शव कु छ नही बोला...बस मुस्कु राता रहा...

उसकी नज़रें फिर से उसकी टी शर्ट मे उभरे निप्पल्स को घूरने लगी.....के शव की जलती हुई आँखे उसके जिस्म मे जहाँ-2 पड़ रही थी, उसे ऐसे
लग रहा था की वो हिस्सा जल रहा है..उसकी छातियाँ...उसकी नाभि...उसके होंठ...उसके कान...आँखे..और चूत भी बुरी तरह से सुलग
रही थी उसकी.

काजल : "बोल ना....उसके बारे मे ही सोच रहा था ना तू...''

वो पूछ तो अपनी सहेली के बारे मे रही थी...पर के शव के मुँह से अपना नाम सुनना चाहती थी.

के शव : "नही...उसके बारे मे सोचकर नही...किसी और के बारे मे सोचकर..''

इतना सुनते ही काजल का मन हुआ की के शव से लिपट जाए...उसके होंठों को चूस ले...और एकदम से नंगी होकर उसके लंड पर सवार हो जाए.

उसके दिल ने फिर से धाड़-2 धड़कना शुरू कर दिया.

काजल : "तो फिर किस …… किसके ...बारे मे....सोचकर....ये ...कर रहा था..''

उसके होंठ काँप से रहे थे...उसके कान लाल हो उठे...जैसे अपना नाम सुनने की तैयारी कर रहे हो..

के शव भी अब गेम में आ चुका था...वो भी काजल को तड़पाना चाहता था, जैसे वो अभी उसको तडपा रही थी..

के शव : " है कोई...उससे भी सुंदर...उससे भी हसीन...उसकी आँखे तो कमाल की हैं...और उसके बूब्स...वो तो जैसे नाप तोलकर बनाए
हुए हैं...और उसके निप्पल्स,वो तो कहर भरपा दे,उन्हे चूसने भर से ही शायद सारी प्यास बुझ जाए मेरी..''

के शव का हर शब्द काजल की चूत से रिस रहे पानी को और तेज़ी से बाहर धके ल रहा था...जो शायद के शव के बिस्तर पर आज की रात धब्बे के
रूप मे रहने वाला था.

काजल : "नाम तो बता मुझे....ऐसे नही समझ आ रहा ....''

उसकी आँखों मे लाल डोरे तैरने लगे थे..हल्का पानी भी आने लगा था उनमे...

के शव : "उसका नाम तुम मेरे दोस्त से पूछ लो...''

और के शव ने ग़जब की हिम्मत दिखाते हुए अपना तकिया नीचे गिरा दिया...और अपना विशालकाए लंड अपनी सग़ी बहन काजल की आँखो के सामने
लहरा दिया.

काजल की आँखे फै ल गयी उसके लंड को इतने करीब से देखकर.... पास से देखने से वो और भी बड़ा लग रहा था...उसके सिरे पर प्रिकम की
बूँद उभर कर चिपकी पड़ी थी...

काजल तो सम्मोहित सी होकर उसे देखे जा रही थी...जैसे आँखो ही आँखो मे उसे निगल रही हो...

के शव ने अपने लंड को हिलाते हुए उपर नीचे किया और उसे काजल की तरफ करते हुए बोला : "लो दीदी...पूछ लो मेरे दोस्त से...मैं किसके
बारे मे सोचकर इसे रगड़ रहा था...''

काजल का दाँया हाथ कांपता हुआ सा आगे की तरफ बड़ा...उसके मुँह से साँसे तेज़ी से बाहर निकलने लगी...छातियाँ उपर नीचे होने लगी...और
उसने अपने ठंडे हाथों से के शव के गरमा गर्म लंड को पकड़ लिया...

और जैसे ही काजल के ठंडे और नर्म हाथ उसके लंड से टकराए, उसने ज़ोर से सिसकारी मारते हुए कहा : "ओह.......काजल
............''

के शव के दोस्त ने तो नही,पर उसने वो नाम खुद ही बता दिया अपनी बहन को ...

और अपना नाम सुनते ही काजल का पूरा बदन झनझना उठा...और उसने अपने प्यासे होंठ तेज़ी से अपने भाई की तरफ बड़ा दिए..

तभी बाहर से उनकी माँ की आवाज़ आई : "काजल ......के शव....कहाँ हो तुम दोनो....''
काजल का तो चेहरा ही पीला पड़ गया अपनी माँ की आवाज़ सुनकर...उनके रूम का तो दरवाजा भी खुला हुआ था..काजल ने भी आते हुए के शव
के रूम का दरवाजा बंद नही किया था..अभी तो उनकी तबीयत खराब है , इसलिए वो बेड से उठ नही सकती...वरना अगर वो ऐसे वक़्त पर उस
कमरे मे आ जाती तो उन दोनो को रंगे हाथों पकड़ लेती..

काजल ने एक ही झटके मे के शव के लंड को छोड़ दिया और भागती हुई सी अपने कमरे की तरफ गयी

''आईईईई माँ ...''

और वहाँ पहुँचकर देखा तो वो बेड से उठने की कोशिश कर रही है..

काजल : "रूको माँ ...अभी उठो मत...बोलो क्या चाहिए..''

मान : "तू इतनी रात को कहाँ थी...मैं कितनी देर से तुझे आवाज़ें लगा रही थी..''

काजल : "वो ....के शव अभी-2 आया था...उसके लिए खाना गर्म कर रही थी..''

उसने बड़ी ही सफाई से झूठ बोलकर खुद को और के शव को बचा लिया..

कु छ ही देर मे उसकी माँ के खर्राटे गूंजने लगे कमरे में..पर उसके बाद काजल की हिम्मत नही हुई की वापिस के शव के कमरे मे जाए..बस अपनी चूत
को मसल कर वो वहीं सो गयी..

के शव ने भी अपने लंड को रगड़ -2 कर अपने माल से दीवार पर काजल लिख दिया..

अगले दिन के शव के उठने से पहले काजल ऑफीस के लिए निकल गयी..के शव भी लगभग 11 बजे उठा और नाश्ता वगेरह करके माँ के पास बैठा रहा
, उन्हे खाना भी खिलाया, दवाई भी दी और पास ही के डॉक्टर को बुलवा कर वो इंजेक्शन भी लगवा दिया.

उसके बाद पूरी दोपहर वो रात के बारे मे सोचता रहा...उसे अब पूरी उम्मीद हो चुकी थी की वो अपनी सेक्सी बहन काजल के साथ हर तरह के मज़े
ले सकता है...पर उसे जो भी करना था वो सब काफ़ी सोच समझ कर ही करना था.

उसने एक चीज़ नोट की, वो ये की काजल उसकी हर बात मान लेती है...चाहे वो उसके दोस्तों के सामने कपड़े बदलकर आने वाली हो, उनके
साथ जुआ खेलने वाली..या फिर कल रात को उसके कमरे मे कही गयी सारी बातें..

उसे लग रहा था की शायद काजल काफ़ी दिनों से यही सब कु छ चाहती है..और शायद इसलिए वो उसकी बात एक ही बार मे मान लेती है..उसने
मन में सोच लिया की आज वो इस बात का इत्मीनान करके रहेगा की वो जो बात सोच रहा है वो सही भी है या नही...अगर है तो उसके तो
काफ़ी मज़े होने वाले हैं..और उसके दिमाग़ के घोड़े काफ़ी दूर तक भागने लगे.

खैर, इन सब बातों के अलावा उसने अपने दोस्तों को भी फोन करके बोल दिया आज की रात को दोबारा आने के लिए...बिल्लू और गणेश तो कल
भी वापिस जाना नही चाहते थे...सेक्सी काजल के साथ 3 पत्ती खेलने का मज़ा ही कु छ और था.

शाम को 7 बजे के आस पास काजल भी आ गयी..के शव ने दरवाजा खोला तो दोनों के चेहरों पर एक अलग ही स्माइल थी ...के शव का तो मन
कर रहा था की वहीं के वहीं उसके गले लग जाए..पर वो पहले ये यकीन भी कर लेना चाहता था की कल वाली बात से वो नाराज़ तो नही है.

काजल उपर अपने कमरे मे चली गयी...कु छ देर माँ के पास बैठी...अपने कपड़े बदले और नीचे आकर किचन मे चाय बनाने लगी.

के शव अंदर बैठा टीवी देख रहा था...काजल ने किचन से ही आवाज़ लगाई : "के शव...तूने भी चाय पीनी है क्या..''

के शव सीधा उठकर किचन मे ही चला गया और बोला : "आप पिलाओगी तो कु छ भी पी लूँगा...''

काजल उसकी बात का दूसरा मतलब समझकर मंद-2 मुस्कु राने लगी...के शव ठीक उसके पीछे आकर खड़ा हो गया..और बोला : "दीदी...वो कल
रात वाली बात से...आप नाराज़ तो नही है ना..''

काजल एकदम से उसकी तरफ पलटी...वो इतना पास खड़ा था की पलटते हुए काजल के बूब्स उसकी बाजुओं से छू गये..

काजल : "तू पागल है क्या...हम छोटे बच्चे हैं जो इन बातों की समझ नही है हमें...आजकल सब कु छ ओपन है...सब चलता है...हम दोनो
ही अगर एक दूसरे की हेल्प नही करेंगे तो कौन करेगा...''

के शव : "यानी....आप भी यही चाहती हैं...थैंक गॉड ...मैं तो पूरी रात सो नही पाया...ये सोचकर की पता नही आप क्या सोच रही होंगी
...''

काजल ने उसके दोनो हाथ अपने हाथों मे पकड़ लिए : "रिलेक्स ....ज़्यादा मत सोचा करो...''

और फिर उसने के शव को अपने गले से लगा लिया...के शव ने भी अपनी बाहें उसकी कमर मे डाल कर उसे अपनी तरफ खींच लिया...और आज
की ये हग और दिनों से कु छ ज़्यादा ही ज़ोर से थी और कु छ ज़्यादा ही लंबी..

के शव के हाथ उसकी कमर पर उपर नीचे हो रहे थे..उसके दोनो बूब्स को वो अपनी छाती पर महसूस कर पा रहा था..उसके जिस्म से आ रही
खुश्बू को वो सूंघ कर मदहोश सा हुए जा रहा था..

उसका लंड खड़ा होकर काजल के नीचे वाले दरवाजे पर दस्तक दे रहा था...काजल को फिर से वही रात वाला सीन याद आ गया...जब वो उसके
लंड को पकड़कर हिला रही थी..और उसे चूमने भी वाली थी.

काजल ने एकदम से उसके लंड के उपर हाथ रख दिया...और धीरे-2 सहलाने लगी..

काजल : "इसको थोड़ी तमीज़ नही सिखाई तुमने...अपनी बहन को देखकर भी खड़ा हो रहा है ये तो...''

के शव : "बहन तो मेरी हो तुम...इसकी नही...ये तो मेरा दोस्त है...और आजकल अपने दोस्त की बहन पर ही सबसे ज़्यादा लोग लाइन मारते
हैं...''

काजल : "अच्छा जी...इसका मतलब है की तुम भी अपने दोस्तों की बहन पर लाइन मारते हो...या फिर हो सकता ही की वो मुझपर लाइन मारते
हो..''

के शव : "मैं तो बस तुम्हारी फ्रें ड पर लाइन मरता हू...वो तो आपको पता चल ही चुका है...और रही बात आपके उपर लाइन मारने की तो सबसे
पहला हक मेरे इस दोस्त का है आपके उपर..उसके बाद किसी और का..''

काजल ये सोचने मात्र से ही सिहर उठी की उसके भाई के अलावा उसके सारे दोस्त भी उसे चोदने लिए तैयार बैठे हैं..

एकदम से चाय उबल गयी

काजल : "ओहो ...चलो छोड़ो मुझे...अंदर जाओ...मैं चाय लेकर आती हू...''
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अब आगे
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के शव ने बेमन से उसे छोड़ दिया...और अंदर जाकर बैठ गया..कु छ ही देर मे काजल चाय लेकर आ गयी और दोनों चुस्कियाँ लेते हुए चाय पीने
लगे...और बातें करने लगे.

काजल : "आज भी आ रहे हैं क्या वो दोनों ...रात को खेलने''

के शव : "वो तो कल भी जाना नही चाहते थे...मैने उन्हे दिन में ही फोन कर दिया था...वो ठीक 9 बजे आ जाएँगे..''

अभी 7:30 बज रहे थे..

काजल : "ओहो ....मुझे थोड़ा जल्दी करना होगा...खाना भी बनाना है..माँ को दवाई भी देनी है बाद मे...उन लोगो के आने से पहले माँ
को सुला देना है...वरना उन्हे बेकार की परेशानी होगी.

के शव समझ गया की अभी कु छ नही हो सकता...अंदर किचन मे ही एक-दो किस्सेस ले लेनी चाहिए थी उसको...
चाय पीने के बाद काजल फटाफट काम पर लग गयी...खाना बनाकर उसने माँ को खिलाया और के शव को भी..और बाद मे खुद ऊपर कमरे में चली
गयी .ये सब करते-करते 9 बज गये.

और ठीक 9 बजे उनके घर की बेल बजी...के शव ने जाकर दरवाजा खोला तो दोनो बाहर खड़े थे...उनके मुँह से शराब की भी महक आ रही
थी..शायद शाम से ही दोनो पीने मे लगे थे..काजल के बारे मे सोच-सोचकर..

के शव ने उन्हे अंदर बिठाया और भागकर उपर गया, माँ सो चुकी थी और काजल अपना खाना खा रही थी.

के शव : "दीदी ...वो लोग आ गये हैं...आप जल्दी से चेंज करके नीचे आ जाओ..''

ये के शव का इशारा था की वो अपने वही वाले कपड़े पहन कर नीचे आ जाए, जिसमें वो जीत रही थी.

और फिर वो नीचे आकर बैठ गया और पत्ते बाँटने लगा..

वो पहली बार मे ही काजल को गेम खिलाकर उनके मन मे शक़ पैदा नही करना चाहता था.

जब पत्ते बंट गये और सभी की बूट के बाद 2-2 चाल भी आ गयी तो के शव ने सबसे पहले पत्ते उठा कर देख लिए..उसके पास सिर्फ़ एक इक्का था
और दो छोटे पत्ते...उसने पेक कर दिया.

गणेश और बिल्लू खेलने लगे..

खेलते-2 गणेश बोला : "आज काजल नही खेलेगी क्या...?"

वो दोनो शायद काफ़ी देर से वो बात पूछना चाहते थे...के शव भी मन ही मन मे उनकी बात सुनकर हंस दिया..

के शव : "पता नही....मैने बोला तो था...पर शायद कल वो काफ़ी बार हार गयी थी...इसलिए मना कर रही थी...शायद आ भी जाए..''

बिल्लू : "अरे, ये तो खेल है...कोई ना कोई तो हारता रहता है...इसमे दिल छोटा करने वाली क्या बात है..''

के शव कु छ नही बोला और दोनो की गेम चलती रही...वो गेम बिल्लू जीता , उसके पास पेयर आया था.

जैसे ही बिल्लू ने पत्ते बाँटने शुरू किए, उन्हे काजल के नीचे उतरने की आवाज़ आई...सभी के सभी सीडियों की तरफ देखने लगे..बिल्लू भी पत्ते
बाँटकर उसी तरफ देखने लगा.

और जैसे ही अपनी गेंदे उछालती हुई वो नीचे उतरी , उसके अलग ही अंदाज मे डांस करते हुए मुम्मे देखकर वो दोनो हरामी समझ गये की उसने अंदर
कु छ नही पहना है...और सभी की तेज नज़रें टी शर्ट के पतले कपड़े के नीचे उसके निप्पल ढूँढने लगे..

वैसे ये बीमारी हर मर्द में होती है....जहाँ भी कोई मोटे मुम्मों वाली लड़की या आंटी देखी, घूर-घूरकर उसके निप्पल वाली जगह पर उभार ढूँढने की
कोशिश करते हैं...

वो दोनो भी इस वक़्त यही काम कर रहे थे..और उन्हे एक ही बार मे सफलता भी मिल गयी, एक तो उसने अंदर ब्रा नही पहनी थी और उपर से
उसके निप्पल आम लड़कियों के मुक़ाबले कु छ ज़्यादा ही मोटे थे...इसलिए नन्ही-2 चोंच सॉफ दिख रही थी.

काजल : "के शव ..मुझे खेलने दो ना...''

के शव हंसता हुआ उठ गया...और काजल को सामने देखकर दोनो के मुँह से पानी टपकने लगा..

के शव : "बिल्लू...अब काजल आ गयी है, इसलिए पत्ते दोबारा बाँटो...''

बिल्लू को कोई परेशानी नही थी, उसने ताश दोबारा फें टी और फिर से पत्ते बाँटने लगा..
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07-22-2017, 02:37 PM,#23

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
काजल की तरफ से चाल चलने और पत्ते देखने का काम के शव का ही था...इसलिए 2-2 ब्लाइंड के बाद के शव ने एकदम से डबल ब्लाइंड चल
दी..उसकी देखा देखी बिल्लू और गणेश ने भी डबल ब्लाइंड चल दी..वो तो बस काजल को घूरने में लगे थे...

के शव ने फिर से ब्लाइंड का अमाउंट बड़ा दिया और 600 रुपय बीच मे फें क दिए...अब गणेश की फटने लगी..उसने अपने पत्ते उठा लिए..और
फिर कु छ सोचकर उसने 1200 बीच मे फें के और चाल चल दी..

अब चाल बीच मे आ चुकी थी, इसलिए गणेश ने भी अपने पत्ते देख लिए..वो काफ़ी देर तक सोचता रहा और आख़िर मे जाकर उसने पेक ही कर
दिया..

अब बारी थी काजल की...उसने के शव की तरफ़ देखा तो के शव ने 600 की ब्लाइंड फिर से चल दी..

बिल्लू ने भी 1200 की चाल रिपीट कर दी..

अब थी असली इम्तिहान की घड़ी...काजल के इम्तिहान की घड़ी...उसकी किस्मत के इम्तिहान की घड़ी..

के शव ने पत्ते उठाए ...उन्हे चूमा...और फिर एक-एक करते हुए उन्हे देखा..

पहला हुकु म का पत्ता था 10 नंबर..

दूसरा भी हुकु म का ही निकला ...बेगम...

अब तो के शव को पक्का विश्वास हो गया की उसके पास हुकु म का कलर आया है..

पर जैसे ही उसने तीसरा पत्ता देखा, लाल रंग देखकर उसका दिल टूट गया...

पर अगले ही पल वो खुशी से उछाल पड़ा...क्योंकि वो लाल रंग मे ही सही पर गुलाम था...

यानी उसके पास सीक़ु वेंस आया था...10,11,12..

उसने वो सब शो नही होने दिया...और बड़े ही आराम से बिल्लू की चाल से डबल चाल चलते हुए 2400 रुपय बीच मे फें क दिए..

अब बिल्लू भी समझ चुका था की के शव के पास बाड़िया वाले पत्ते आए हैं...इसलिए उसने एकदम से डबल की चाल चली है...पर उसके पास भी
पत्ते चाल चलने लायक थे, इसलिए वो अभी तक खेल रहा था...वो आगे चाल तो चलना नही चाहता था पर शो ज़रूर माँग लिया उसने...

के शव ने शो करते हुए अपने पत्ते सलीके से उसके सामने फें क दिए...

उन्हे देखकर एक दर्द सा उभर आया बिल्लू के चेहरे पर...जैसे अक्सर जुआ हारने वाले के चेहरे पर आ जाता है..

उसने भी अपने पत्ते फें क दिए..

उसके पास 9 का पेयर था..

और के शव ने हंसते हुए सारे पैसे अपनी तरफ खिसका लिए..

इतने सारे पैसे अपने सामने देखकर काजल खुशी से चिल्ला पड़ी..

वो लगभग 10 हज़ार थे , जो एक ही बार मे उनके पास आ गये थे..

हारने का गम मनाते हुए बिल्लू को काजल के उछलते हुए मुम्मो को देखकर कु छ देर के लिए सांत्वना ज़रूर मिली...पर उसका मूड खराब हो चुका था.

एकदम से काजल बोली : "मैं कु छ खाने के लिए लाती हूं अंदर से...''

और वो उठकर अंदर चली गयी..

उसके जाते ही के शव उसकी सीट पर आकर बैठ गया...ये सोचकर की एक गेम वो भी खेल ले, और हार जाए, ताकि वो खेलने के लिए बैठे
रहे...वरना जुआरियों को हमेशा यही लगा रहता है की अगर कोई बड़ी गेम हार जाते हैं तो उसके बाद निकलने की सोचते हैं..
पर उसके बैठते ही बिल्लू एकदम से बोला : "अब तुम काजल को ही खेलने दो...ऐसे बीच मे बदल-2 कर मत खेलो...''

के शव चुपचाप उठ गया...और वापिस सोफे के हत्थे पर बैठ गया..

बिल्लू और गणेश एक तरफ ही बैठे थे...दोनो एक दूसरे के पास मुँह लेजाकर ख़ुसर फु सर करने लगे..

बिल्लू : "यार...ये तो मेरा बैठे-2 निकलवा कर रहेगी आज...साली बिना ब्रा के बैठी है सामने...मन तो कर रहा है की इसके मोटे-2 निप्पल
पकड़कर ज़ोर से दबा दूं...''

गणेश फु सफु साया : "हाँ यार...साली बिल्कु ल सामने बैठकर ऐसे हिला रही है अपने दूधों को की मन कर रहा है उन्हे दबोचने का...साली रंडी लग
रही है बिल्कु ल....एक बार बस मिल जाए इसकी...ये सारे पैसे हारने का भी गम नही रहेगा...''

और दोनो खी-2 करते हुए हँसने लगे...

के शव उनकी बातें सुनने की कोशिश कर रहा था पर उसे कु छ सुनाई ही नही दे रहा था..

पर ये तो वो समझ ही चुका था की वो दोनो काजल के बारे मे ही बात कर रहे हैं..


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07-22-2017, 02:38 PM,#24

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
तभी काजल की आवाज़ आई अंदर से : "के शव...वो बेसन वाली मूँगफली कहाँ रखी है...मिल नही रही मुझे...''

के शव उठकर अंदर चला गया...

अब गणेश और बिल्लू थोड़ा खुलकर बाते करने लगे काजल के बारे मे...

के शव जैसे ही अंदर पहुँचा, काजल ने उसे अपनी तरफ खींचकर उसे अपने सीने से लगा लिया..

एकदम से काजल की इस हरकत पर वो बोखला सा गया...क्योंकि उन दोनो के बाहर बैठे हुए काजल से ऐसी हरकत की उम्मीद नही थी उसको...

पर उसके नर्म मुलायम मुम्मो के एहसास को अपनी छाती पर महसूस करके उसे मज़ा बहुत आया...और वो एक ही पल मे ये भूल गया की उसके
दोनो दोस्त कु छ ही दूर यानी बाहर बैठे हैं...

काजल की खुशी देखते ही बनती थी

काजल : "के शव....तुमने बिल्कु ल सच बोला था...हम जीत गये...वो भी इतने सारे पैसे एक साथ....वाव....आई एम सो हैप्पी
......''

और इतना कहते हुए उसने एकदम से उपर होते हुए के शव के होंठों को चूम लिया...वो स्मूच तो नही था पर उसके नर्म और ठन्डे होंठों के एहसास
को एक पल के लिए ही सही, महसूस करते ही उसके तन बदन मे आग सी लग गयी...उसने भी काजल के चेहरे को पकड़ कर उसे चूमना चाहा पर
तभी बाहर से बिल्लू की आवाज़ आई

''अरे भाई...मूँगफली मिली या नही....''

काजल एकदम से के शव से अलग हो गयी...पर उसकी आँखो की शरारत साफ़ बता रही थी की वो भी के शव के लिए अभी उतनी ही उतावली हो रही
थी ,जितना की वो हो रहा था उसके लिए..

अचानक के शव ने उसके दोनो मुम्मों को दबोच लिया और ज़ोर से दबा दिया...

काजल एक दम से चिहुंक उठी...ये उसके भाई का सीधा और प्रहार था उसके स्तनों पर...जिसे महसूस करके उसका बदन भी ऐंठने लगा..
काजल फु सफु साई : "छोड़ो के शव....वो बाहर ही बैठे हैं...कोई अंदर ना आ जाए ...छोड़ो ना...ये कर क्या रहे हो तुम....''

के शव ने भी शरारत भरी मुस्कान से कहा : "मूँगफली ढूँढ रहा हू ...''

और इतना कहते-2 उसने काजल के दोनो निप्पल पकड़ कर ज़ोर से भींच दिए..

और बोला : "मिल गयी मूँगफलियाँ....''

काजल कसमसाकर बोली : "कमीने हो तुम एक नंबर के ....जाओ अभी बाहर...ये मूँगफलियाँ रात को मिलेंगी...''

के शव बेचारा बेमन से बाहर निकल आया..पर ये सांत्वना भी थी की आज रात को ज़रूर कु छ ख़ास होकर रहेगा..

के शव के आने के एक मिनट के अंदर ही काजल भी आ गयी...और आदत के अनुसार बिल्लू और गणेश की नज़रें फिर से एक बार उसके निप्पल्स पर
चली गयी...और इस बार उन्हे ये देखकर और भी आश्चर्य हुआ की वो तो पहले से भी बड़े दिख रहे थे...ऐसा क्या हो गया काजल को एकदम
से...ऐसा तो तब होता है जब लड़की पूरी तरह से उत्तेजित होती है...

तो क्या काजल उन्हे देखकर ही उत्तेजित हो रही है...

क्योंकि मूँगफली की प्लेट नीचे रखते हुए वो जिस तरीके से उन्हे देख रही थी...सॉफ पता चल रहा था की वो भी उनमे इंटरस्ट ले रही है...

उन दोनो के लंड तो खड़े होकर बग़ावत करने लगे...

खेल की माँ की चूत ...उन्हे तो बस काजल मिल जाए इस वक़्त, वो अपने सारे पैसे ऐसे ही उसे देने के लिए तैयार थे...

पर काजल तो अलग ही दुनिया में थी...उनके मन मे क्या चल रहा है इस बात से भी अंजान..

और इस बार काजल ने पत्ते बाँटने शुरू किए...और वो बेचारे बेमन से अगली गेम खेलने लगे..
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07-22-2017, 02:38 PM,#25

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
***********
अब आगे
***********

काजल के चेहरे की हँसी जाने का नाम ही नही ले रही थी...ऐसा अक्सर होता है, नये-2 जुआरियो के साथ...

अगली गेम के लिए बूट और ब्लाइंड की राशि 500 कर दी गयी...और 3-3 ब्लाइंड चलने के बाद जब एक बार और काजल की तरफ से के शव
ने ब्लाइंड चली तो गणेश और बिल्लू का मन हुआ की पत्ते उठा कर देख ले...पर फिर ना जाने क्या सोचकर दोनो एक-2 बाजी और ब्लाइंड की खेल
गये...यही तो के शव भी चाहता था..क्योंकि उसे तो पक्का विश्वास था की काजल के पत्ते तो अच्छे होंगे ही...इसलिए उसने इस बार ब्लाइंड की
रकम भी दुगनी करते हुए 1000 कर दी.

अब तो सबसे पहले बिल्लू की फटी...क्योंकि पिछली गेम में वो काफ़ी पैसे हार चुका था...और ये ग़लती वो इस बार नही करना चाहता था..

उसने अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास 2 का पेयर आया था...पत्ते तो काफ़ी छोटे थे...पर चाल चलने लायक थे...उसका एक मन तो हुआ
की पेक कर दे..पर फिर रिस्क लेते हुए उसने 2000 बीच मे फें क कर चाल चल दी.

गणेश की बारी आई तो उसने झट से अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास इक्का और बादशाह आए थे...साथ में था 7 नंबर...कोई मेल ही नही
था...चाल चलने का तो मतलब ही नही था. उसने पेक कर दिया..
अब एक चाल बीच मे आ ही चुकी थी...पर फिर भी के शव ने काजल के पत्ते देखे बिना एक और ब्लाइंड चल दी...और हज़ार का नोट बीच मे
फें क दिया..

इतनी डेयरिंग तो आज तक इनमे से किसी ने नही दिखाई थी...ऐसा लग रहा था की के शव को पूरा विश्वास था की वो ही जीतेगा...इतना
कॉन्फिडेंस कही उसका ओवर कॉन्फिडेंस ना बन जाए..

अब बिल्लू के सामने चुनोती थी...पर एक तरह से देखा जाए तो उसका पलड़ा ही भारी था अब तक ...के शव ने पत्ते देखे नही थे...और उसके
पास पेयर था 2 का...ऐसे में उसके मुक़ाबले के पत्ते होना एक रिस्क ही था के शव के लिए...पर फिर भी वो चाल के उपर ब्लाइंड खेल
गया...शायद ये सोचकर की अगर जीत गया तो तगड़ा माल आएगा हाथ...और अगर हार भी गया तो कोई गम नही..क्योंकि पिछली गेम में वो
काफ़ी माल जीत ही चुका था..

बिल्लू की नज़रें काजल के उपर थी...तो थोड़ी टेंशन मे आ चुकी थी अपने भाई को ऐसे ब्लाइंड पर ब्लाइंड चलते देखकर..

बिल्लू ने फिर से एक बार रिस्क लेते हुए 2000 की चाल चल दी...अब तो काजल की टेंशन और भी बढ़ गयी....टेंशन के मारे उसके निप्पल
उबल कर बाहर की तरफ निकल आए...और उसने जाने अंजाने मे ही अपने दाँये निप्पल को पकड़कर ना जाने क्यो उमेठ दिया...

वैसे ये उसकी हमेशा की आदत थी...जब भी वो उत्तेजित होती थी...यानी रात के समय या फिर फ़िन्गरिंग करते समय...वो अपने खड़े हुए
निप्पल्स की खुजली को मिटाने के लिए उन्हे ज़ोर-2 से उमेठ देती थी...ऐसा करने में उसकी खुजली भी मिट जाती थी और उसे अंदर तक एक
राहत भी मिलती थी..

पर आज वो भले ही उत्तेजित नही थी..पर उसके निप्पल्स मे हो रही खुजली ठीक वैसी ही थी जैसी रात के समय हुआ करती थी....और इस
टेंशन वाली खुजली को भी उसने अपनी उंगलियों के बीच दबोच कर मिटा दिया...

भले ही ये सब करते हुए उसका खुद पर नियंत्रण नही था..पर उसकी इस हरकत को देखकर सामने बैठे दोनो ठरकियों के लौड़े कबूतर की तरह
फड़फड़ाने लगे..

अभी कु छ देर पहले ही मूँगफली की प्लेट नीचे रखते हुए जिस अदा के साथ काजल ने उन दोनो को देखा था और स्माइल किया था...अब उसे फिर
से खुले आम अपने निप्पल को मसलते देखकर उन्हे पूरा विश्वास हो गया की वो उन्हे लाइन दे रही है...एक तो पहले से वो बिन ब्रा के और ऊपर
से ऐसी रंडियों वाली हरकतें...उन्होने मन ही मन ये सोच लिया की एक बार वो भी अपनी तरफ से ट्राइ करके रहेंगे...शायद उनका अंदाज़ा सही हो
और काजल जैसा माल उन्हे मिल जाए

के शव इन सब बातो से अंजान अपने गेम को खेलने मे लगा था...उसका एक मन तो हुआ की वो एक और ब्लाइंड चल दे...पर कही कु छ गड़बड़
हो गयी तो सारे पैसे एक ही बार मे जाएँगे..

ये सोचते हुए उसने अपने पत्ते उठा लिए..

और अपने पत्ते देखकर एक पल के लिए तो उसके माथे पर भी परेशानी का पसीना उभर आया..

उसके पास 3 का पेयर आया था.

अब देखा जाए तो वो जीत ही रहा था बिल्लू से...लेकिन उसे तो ये बात पता नही थी ना..

पत्ते भले ही के शव के पास चाल चलने लायक थे..पर वो और चाल चलकर खेल को आगे नही बढ़ाना चाहता था...क्योंकि सामने से बिल्लू 2 चालें
चल ही चुका था...यानी उसके पास भी ढंग के पत्ते आए होंगे...के शव को चिंता सताने लगी की कहीं वो ये बाजी हार ना जाए...या फिर हारने
से पहले वो पेक कर दे तो कम से कम शो करवाने के 2000 और बच जाएँगे...

वो कशमकश मे पड़ गया..

फिर उसने एक निश्चय किया....काजल को उसने वो पत्ते दिखाए...और धीरे से पूछा.. : "दीदी...आप बोलो...शो माँग लू या पेक कर दू
...''
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07-22-2017, 02:38 PM,#26

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
अब काजल इतनी समझदार तो थी नही जो इस खेल को इतनी अंदर तक समझ पाती...पर उसने जब देखा की उनके पास 3 का पेयर है...और
के शव ने यही सिखाया था की पेयर ज़्यादातर गेम्स जीता कर ही जाते हैं...उसने हाँ में सिर हिलाकर शो माँगने को कहा ...और के शव ने उसके
बाद बिना कु छ सोचे समझे 2000 बीच मे फें कते हुए शो माँग लिया...

अब ये गेम अगर वो हार जाते तो अभी तक के सारे जीते हुए पैसे एक ही बार मे चले जाने थे...पर ऐसा होना नही था..क्योंकि बिल्लू ने जैसे ही
अपने पत्ते उन्हे दिखाए...के शव ने बड़े ही जोशीले तरीके से 2 के पेयर 3 का पेयर फें कते हुए सारे पैसे अपनी तरफ करने शुरू कर दिए..

और इतने सारे पैसे एक बार फिर से अपनी तरफ आते देखकर काजल तो झल्ली हो गयी...और उसने खुशी के मारे उछलते हुए अपने भाई को गले से
लगा लिया....

उसके दोनो मुम्मे बुरी तरह से बेचारे के शव के चेहरे से रगड़ खाते हुए पिस गये...

और उसकी ये हरकत देखकर बिल्लू और गणेश के शव की किस्मत को फटी हुई आँखो से देख रहे थे...

वो बड़े ही जोशीले तरीके से के शव के चेहरे को दबोच कर चिल्लाती जा रही थी : "हम जीत गये....याहूऊऊऊओ....हम जीत गये....''

के शव ने बड़ी ही मुश्किल से अपने आप को उसके नर्म मुलायम मुम्मे के हमले से छु ड़वाया ...वो ऐसा करना तो नही चाहता था पर अपने दोस्तों को
ऐसे मुँह फाड़कर उसे और अपनी बहन को हग करता देखकर वो खुद को छु ड़वाने पर मजबूर हो गया.

अब के शव लगभग 20-25 हज़ार जीत चुका था...

काजल ने सारे नोटो को सलीके से एक के उपर एक रखकर गड्डी बनानी शुरू कर दी...और एक मोटी सी गड्डी बनाकर उसे अपने कु ल्हों के नीचे दबा
कर बैठ गयी..

उफफफ्फ़....काश...हम नोट होते...बस यही सोचते रह गये बिल्लू और गणेश.

आज काफ़ी पैसे हार चुके थे वो दोनो...और उन दोनो की जेबें लगभग खाली हो चुकी थी.

बिल्लू : "के शव भाई....आज के लिए यहीं ख़त्म करते हैं....अगर गेम लंबी चली गयी तो ज़्यादा चाल चलने के पैसे नही है आज....कल
आएँगे हम...वैसे भी कल छोटी दीवाली है...और परसो दीवाली....अब तो उसके हिसाब से ही आएँगे...बस इन दो दिनों का ही खेल रह गया
है अब तो...उसके बाद तो फिर से अपने धंधे पानी की तरफ देखना पड़ेगा...''

गणेश : "हाँ भाई....आज के लिए तो मैं भी चलूँगा...आज काफ़ी माल हार गया...पर कोई गम नही इसका...इसी बहाने काजल तो खुश हुई
ना...''

वो जैसे काजल को मक्खन लगाने के लिए ये सब कह रहा था.

काजल भी उसकी बात सुनकर मुस्कु रा उठी...वैसे भी गणेश उसको शुरू से ही आकर्षक लगता था...उसकी डील डोल सबसे अलग थी...और शायद
ये सोचकर की उसका लंड भी ऐसा होगा...वो अंदर से सिहर उठी.

जाते-2 बिल्लू एकदम से पलटा और बोला : "के शव...अगर तू कहे तो कल हम राणा को भी लेते आए....उसका फोन आया था आज सुबह और
बोल रहा था खेलने के लिए...मैने तो बोल दिया की आजकल हम के शव के घर बैठते है...पर वो अगर कहेगा तभी आने के लिए कहूँगा ..''

के शव कु छ देर के लिए सोच मे पड़ गया..

राणा उनका पुराना साथी था...और एक नंबर का हरामी भी...लड़कियों को चोदने और उनके बारे मे बात करना, बस यही काम था उसका...एक-
दो बार के शव ने उसके मुँह से काजल के बारे में सुन लिया था, कहासुनी भी हुई थी दोनों में, तबसे वो उसके साथ दूरी बनाकर रखता था...और
ये बात सभी को मालूम थी..

पर जुआ खेलने मे वो एक नंबर का अनाड़ी था..चाल कब और कै से चलनी है, इसका उसे अंदाज़ा नही था...उसे बस उपर के खेल की जानकारी
थी..जैसी जानकारी काजल को थी..ठीक वैसी ही...

पर वो खुलकर पैसे लगाता था अपनी हर गेम में ...और आज जिस तरह से के शव के हाथ जुआ जीतने का मंत्र हाथ लगा था, उसके बाद तो ऐसे
ही जुआरियों के साथ जुआ खेलने का मज़ा आता है

उसने हां दी...


उनके जाने के बाद काजल ने पूछा : "ये राणा कौन है...?''

के शव : "वो कल ही देख लेना...इनकी तरह ही एक दोस्त है वो भी...पर ज़्यादा खेलना नही आता उसको..''

काजल : "पर आज मज़ा बहुत आया के शव...इतने पैसे जीत गये हम....ये देखो...''

उसने अपनी गांड के नीचे से नोटो की गड्डी निकाल कर दिखाई...जो अच्छी तरह से दबने के बाद सीधे हो चुके थे..के शव भी उन नोटो की गर्मी से
ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था की ये असल मे कौनसी गर्मी है...उसकी बहन की गांड की या हरे-2 नोटों की..
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
अब काजल इतनी समझदार तो थी नही जो इस खेल को इतनी अंदर तक समझ पाती...पर उसने जब देखा की उनके पास 3 का पेयर है...और
के शव ने यही सिखाया था की पेयर ज़्यादातर गेम्स जीता कर ही जाते हैं...उसने हाँ में सिर हिलाकर शो माँगने को कहा ...और के शव ने उसके
बाद बिना कु छ सोचे समझे 2000 बीच मे फें कते हुए शो माँग लिया...

अब ये गेम अगर वो हार जाते तो अभी तक के सारे जीते हुए पैसे एक ही बार मे चले जाने थे...पर ऐसा होना नही था..क्योंकि बिल्लू ने जैसे ही
अपने पत्ते उन्हे दिखाए...के शव ने बड़े ही जोशीले तरीके से 2 के पेयर 3 का पेयर फें कते हुए सारे पैसे अपनी तरफ करने शुरू कर दिए..

और इतने सारे पैसे एक बार फिर से अपनी तरफ आते देखकर काजल तो झल्ली हो गयी...और उसने खुशी के मारे उछलते हुए अपने भाई को गले से
लगा लिया....

उसके दोनो मुम्मे बुरी तरह से बेचारे के शव के चेहरे से रगड़ खाते हुए पिस गये...

और उसकी ये हरकत देखकर बिल्लू और गणेश के शव की किस्मत को फटी हुई आँखो से देख रहे थे...

वो बड़े ही जोशीले तरीके से के शव के चेहरे को दबोच कर चिल्लाती जा रही थी : "हम जीत गये....याहूऊऊऊओ....हम जीत गये....''

के शव ने बड़ी ही मुश्किल से अपने आप को उसके नर्म मुलायम मुम्मे के हमले से छु ड़वाया ...वो ऐसा करना तो नही चाहता था पर अपने दोस्तों को
ऐसे मुँह फाड़कर उसे और अपनी बहन को हग करता देखकर वो खुद को छु ड़वाने पर मजबूर हो गया.

अब के शव लगभग 20-25 हज़ार जीत चुका था...

काजल ने सारे नोटो को सलीके से एक के उपर एक रखकर गड्डी बनानी शुरू कर दी...और एक मोटी सी गड्डी बनाकर उसे अपने कु ल्हों के नीचे दबा
कर बैठ गयी..

उफफफ्फ़....काश...हम नोट होते...बस यही सोचते रह गये बिल्लू और गणेश.

आज काफ़ी पैसे हार चुके थे वो दोनो...और उन दोनो की जेबें लगभग खाली हो चुकी थी.

बिल्लू : "के शव भाई....आज के लिए यहीं ख़त्म करते हैं....अगर गेम लंबी चली गयी तो ज़्यादा चाल चलने के पैसे नही है आज....कल
आएँगे हम...वैसे भी कल छोटी दीवाली है...और परसो दीवाली....अब तो उसके हिसाब से ही आएँगे...बस इन दो दिनों का ही खेल रह गया
है अब तो...उसके बाद तो फिर से अपने धंधे पानी की तरफ देखना पड़ेगा...''

गणेश : "हाँ भाई....आज के लिए तो मैं भी चलूँगा...आज काफ़ी माल हार गया...पर कोई गम नही इसका...इसी बहाने काजल तो खुश हुई
ना...''

वो जैसे काजल को मक्खन लगाने के लिए ये सब कह रहा था.

काजल भी उसकी बात सुनकर मुस्कु रा उठी...वैसे भी गणेश उसको शुरू से ही आकर्षक लगता था...उसकी डील डोल सबसे अलग थी...और शायद
ये सोचकर की उसका लंड भी ऐसा होगा...वो अंदर से सिहर उठी.
जाते-2 बिल्लू एकदम से पलटा और बोला : "के शव...अगर तू कहे तो कल हम राणा को भी लेते आए....उसका फोन आया था आज सुबह और
बोल रहा था खेलने के लिए...मैने तो बोल दिया की आजकल हम के शव के घर बैठते है...पर वो अगर कहेगा तभी आने के लिए कहूँगा ..''

के शव कु छ देर के लिए सोच मे पड़ गया..

राणा उनका पुराना साथी था...और एक नंबर का हरामी भी...लड़कियों को चोदने और उनके बारे मे बात करना, बस यही काम था उसका...एक-
दो बार के शव ने उसके मुँह से काजल के बारे में सुन लिया था, कहासुनी भी हुई थी दोनों में, तबसे वो उसके साथ दूरी बनाकर रखता था...और
ये बात सभी को मालूम थी..

पर जुआ खेलने मे वो एक नंबर का अनाड़ी था..चाल कब और कै से चलनी है, इसका उसे अंदाज़ा नही था...उसे बस उपर के खेल की जानकारी
थी..जैसी जानकारी काजल को थी..ठीक वैसी ही...

पर वो खुलकर पैसे लगाता था अपनी हर गेम में ...और आज जिस तरह से के शव के हाथ जुआ जीतने का मंत्र हाथ लगा था, उसके बाद तो ऐसे
ही जुआरियों के साथ जुआ खेलने का मज़ा आता है

उसने हां दी...

उनके जाने के बाद काजल ने पूछा : "ये राणा कौन है...?''

के शव : "वो कल ही देख लेना...इनकी तरह ही एक दोस्त है वो भी...पर ज़्यादा खेलना नही आता उसको..''

काजल : "पर आज मज़ा बहुत आया के शव...इतने पैसे जीत गये हम....ये देखो...''

उसने अपनी गांड के नीचे से नोटो की गड्डी निकाल कर दिखाई...जो अच्छी तरह से दबने के बाद सीधे हो चुके थे..के शव भी उन नोटो की गर्मी से
ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था की ये असल मे कौनसी गर्मी है...उसकी बहन की गांड की या हरे-2 नोटों की..
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अब आगे
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अपने कमरे मे जाते ही के शव ने अपने सारे कपड़े उतार फें के ..और अगल-बगल डियो लगा लिया...और फिर सिर्फ़ एक निक्कर और टी शर्ट पहन कर
अपने बेड पर लेट गया..वो और उसका लंड बड़ी ही बेसब्री से काजल का इंतजार करने लगे...रात के 12 बजने वाले थे...उसकी आँखो मे नींद
भरी हुई थी..पर वो सोना नही चाहता था...बस अपनी आँखो को बंद करके वो काजल के आने के बाद क्या-2 करेगा यही सोचने लगा...और ये
सोचते -2 कब उसकी आँख लग गयी, उसे भी पता नही चला.

''के शव.....के शव....सो गये क्या....''

दूर से आती आवाज़ सुनकर के शव की नींद खुल गयी....वो तो सपनों की दुनिया मे था...ठंडी बर्फ मे...पूरा नंगा...और काजल के पीछे भाग
रहा था...उसके बचे खुचे कपड़े उतारने के लिए...और वो भागे जा रही थी...भागे जा रही थी...

''के शव....उठो.....मैं आ गयी...''

काजल की आवाज़ सुनते ही वो एकदम से अपने सपने की दुनिया से बाहर निकला...वो उसकी बगल मे ही बैठी थी...और उसका हाथ के शव के
माथे पर आए पसीने को पोंछ रहा था.

काजल : "क्या हुआ....कोई सपना देख रहे थे क्या......बोलो ...''


के शव ने हाँ में सिर हिलाया.

काजल : "बताओ....क्या देख रहे थे...''

वो शायद जानती थी की वो उसके बारे मे ही सोच रहा था सपने मे...पर फिर भी उसके मुँह से सुनना चाहती थी.

के शव : "वो मैने बता दिया तो आप शरमा जाएँगी...बहुत कु छ हो रहा था सपने में तो...''

और के शव की ये बात सुनकर वो सच मे शरमा गयी..

के शव की नज़रें उसके चेरहरे से होती हुई नीचे तक आई....उसकी क्लिवेज उफन कर बाहर आ रही थी...इतना गहरा गला तो उसने आज तक नही
देखा था अपनी बहन का...ऐसा लग रहा था जैसे उसने जान बूझकर अपने मुम्मे बाहर की तरफ निकाले हैं, ताकि के शव उन्हे देख सके .

काजल ने उसकी नज़रों का पीछा किया और बोली : "एक नंबर के बदमाश हो तुम....मैने तो पहले सोचा भी नही था की तुम ऐसे होगे...पर
पिछले 2-3 दिनों से जो भी तुम्हारे बारे मे पता चल रहा है,उसके हिसाब से तो तुम बड़ी पहुँची हुई चीज़ हो...''

के शव ने अपना हाथ आगे करते हुए काजल की कमर को लपेटा और उसे अपनी तरफ करते हुए खींच लिया...वो आगे की तरफ होती हुई उसकी छाती
पर गिर गयी...और अब काजल का चेहरा सिर्फ़ 2-3 इंच की दूरी पर ही था...दोनों की साँसे टकरा रही थी आपस मे..काजल के दोनो मुम्मे
उसके उपर गिरकर पिचक चुके थे...और काजल की पीठ पीछे के शव का लंड अपना पूरा रूप ले चुका था.

के शव के हाथ धीरे-2 काजल की टी शर्ट के अंदर घुसने लगे..उसकी कमर के कटाव से होकर जैसे ही के शव का हाथ अंदर दाखिल हुआ...काजल
एकदम से बोली : "ये....क्या कर रहे हो के शव....मुझे शर्म आ रही है...''

उसकी आँखो मे गुलाबी लकीरें उतर आई...हल्का पानी भी आने लगा...

के शव : "दीदी...आपने ही तो कहा था की मूंगफलियां खिलाएँगी...अब हमने इतनी गेम्स जीती हैं...उनके बदले सिर्फ़ यही एक चीज़ तो माँग रहा
हू...''

काजल ने सिसक कर उसकी आँखों मे देखा...जैसे कहना चाहती हो की 'यही से तो शुरुवात होगी बाकी के खेल की...इसके बाद तो रुक नही
पाऊँ गी ..'

पर वो कु छ बोल ना सकी...

और के शव के हाथ धीरे-2 सरकते हुए अंदर जाने लगे...और जैसे ही उसकी बीच वाली उंगली ने काजल के स्तन का निचला भाग छु आ, दोनो के
शरीर सिहर उठे...काजल ने अपने होंठ अपने दांतो तले दबा लिए..ताकि उसकी सिसकी ना निकल जाए...और के शव के मुँह से जो साँसे निकल
रही थी उससे काजल के बाल पीछे की तरफ उड़ते चले जा रहे थे..

के शव ने अपनी उंगलियों को काजल के पर्वतों के उपर चढ़ाना शुरू कर दिया...टी शर्ट काफ़ी ढीली थी..इसलिए उसके हाथ आराम से उसके मुममे की
चिकनी दीवारों से होते हुए मैन पॉइंट तक पहुँच गये...और के शव ने धड़कते दिल से अपने अंगूठे और बीच वाली उंगली के बीच उसकी मूँगफली को
लेकर ज़ोर से दबा दिया..

''अहह ....... के शव ................... धीरेए sssssssssssssssssss ...............''

उसके बाद तो के शव से सब्र ही नही हुआ...उसने काजल के मुम्मे को अपनी पूरी हथेली मे भरा और ज़ोर-2 से दबाने लगा...ऐसा नर्म एहसास तो
उसने आज तक नही लिया था...और उसके निप्पल्स यानी मूँगफलियाँ तो सच मे बड़ी ही करारी थी...उन्हे वो जितना ज़ोर से दबाता वो और भी
ज़्यादा उभरकर बाहर निकल आती...और निप्पल के चारों तरफ के घेरे मे छोटे-2 दाने जो थे..उन्हे भी के शव अपनी उंगलियों से रगड़ रहा था..

के शव ने काजल को पीछे की तरफ करते हुए फिर से सीधा बिठा दिया...और अब उसकी निकली हुई छातियों को वो टी शर्ट के उपर से ही दबाने
लगा...

दोनो हाथों से दोनो बॉल्स को मसल रहा था वो...काजल तो पागल सी हुई जा रही थी...किसी मर्द का पहला स्पर्श जो था उसके जिस्म पर इस
तरह से...उसने जो भी आज तक सोचा हुआ था, वो सब महसूस कर रही थी अपने शरीर पर...

के शव ने अपनी उंगलियाँ सीधा लेजाकर उसके निप्पल्स पर रख दी...


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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
काजल ने एक गहरी साँस ली...और उसकी दोनो छातियाँ थोड़ी और बाहर निकल आई.

के शव ने आदेश सा दिया : "उतारो अपनी टी शर्ट..''

काजल का सीना उपर नीचे होने लगा ये सुनकर...पर ना जाने क्या जादू था के शव की आवाज़ में ...उसके दोनो हाथों ने टी शर्ट के निचले हिस्से
को पकड़ा और धीरे-2 उपर सरकाना शुरू कर दिया..

ज़ीरो वॉट का हल्का बल्ब जल रहा था ठीक के शव के सिर के पीछे...और हल्की मिल्की रोशनी काजल के शरीर पर पड़ रही थी...जो धीरे-2 नंगा
हो रहा था.

उसका सपाट पेट जैसे ही ख़त्म हुआ, उसके उभारों ने उजागर होना शुरू कर दिया...और धीरे-2 करते हुए एक के बाद एक दोनो पक्क की आवाज़
करते हुए उछलकर बाहर निकल आए...और काजल ने उस टी शर्ट को सिर से घुमा कर बाहर निकाल दिया.और अब वो बैठी थी अपने छोटे भाई
के शव के सामने टॉपलेस होकर...अपनी गोल-मटोल छातियाँ लेकर...के शव ने अपने हाथ ऊपर किये और उन्हें दबाने लगा

के शव उसकी सुंदरता को बड़ी देर तक निहारता रहा ...और फिर उसने एक और आदेश दिया अपनी बड़ी बहन को..

''खिलाओ...मुझे अब ये मूँगफलियाँ...''

उसका इशारा लाल रंग के निप्पल्स तरफ था, जो भुनी हुई मूंगफली जैसा लग रहा था

काजल धीरे से आगे खिसकी...अपनी एक ब्रेस्ट को अपने हाथों मे पकड़ा और के शव के चेहरे के उपर झुक कर अपने निप्पल से उसके होंठों पर
दस्तक दी...

पर वो अपना मुँह बंद किए लेटा रहा...

काजल ने अपने पैने निप्पल से उसके होंठों को रगड़ना शुरू कर दिया...पर वो तो जैसे भाव खा रहा था...मज़ा भी उसको लेना था और भाव भी
खुद ही खाने लगा..

पर इतना कु छ होने के बाद अब काजल पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी...अब कोई फ़र्क नही पड़ता था की वो पहल करे या के शव...बस दोनो किसी
भी तरह से पूरा मज़ा लेना चाहते थे...

के शव ने जब अपना मुँह नही खोला तो काजल ने दूसरी ब्रेस्ट को पकड़ा और उसके निप्पल से के शव के होंठों को रगड़ा...और इस बार उसने थोड़ा
ज़ोर लगाया तो उसका खड़ा हुआ निप्पल उसके होंठों की दीवार भेदता हुआ अंदर दाखिल हो गया...पर उसने अपने दाँत आपस मे भींच रखे थे

काजल ने सिसक कर कहा : "खोलो अब....वरना ये मूँगफलियाँ सील जाएँगी...इनका करारापन चला जाएगा...''

के शव अपनी बहन की बात एक ही बार मे मान गया...और जैसे ही उसने अपना मुँह खोला, काजल ने पूरा भार उसके उपर डालते हुए अपना पूरा
का पूरा मुम्मा उसके मुँह में ठू स दिया....मूँगफली के साथ-2 प्लेट भी अंदर घुसेड दी...के शव का मुँह काफ़ी बड़ा था...उसने बड़ी ही कु शलता से
उसके पूरे मुम्मे को अपने मुँह मे एडजस्ट किया और उसे ज़ोर-2 से चूसना शुरू कर दिया..जैसे कोई दूध पीता है

और अपने भाई के दूध निकालने की इस कला से वो निहाल सी होकर सिसकारियाँ मारने लगी..

''आआययययययययययययययीीईईईईईईईईईई .,........ उम्म्म्ममममममम....... काटो भी इन्हे...... दर्द सा होता है इनमें


.......''

काजल ने डॉक्टर के शव को अपनी परेशानी बताई, और वो उसका इलाज करने में जुट गया

के शव उन्हे अपने दांतो से चुभलाने भी लगा...जीभ से उसे सहलाता और दाँत से काटकर निशान बना देता...एक-2 करके उसने दोनो मुम्मो को बुरी
तरह से चूस्कर लाल कर दिया...

जगह -2 उसके दांतो के निशान चमकने लगे...काजल ने कु छ देर के लिए उन्हे के शव के हमले से बचाया और बाहर निकाल लिया...और फिर
अपने गीले होंठों के साथ के शव पर हमला कर दिया..

जैसे ही के शव ने काजल के होंठों को टच किया...उसका मीठापन किसी शरबत की तरह के शव के गले से नीचे उतरता चला गया...और दोनो भूखे
जानवरों की तरह एक दूसरे को ज़ोर-2 से स्मूच करने लगे..

के शव तो अक्सर ये सब कर ही लिया करता था...पर आज काजल का पहला अवसर था...अपने स्तन और होंठ चुसवाने का....इसलिए वो खुद
ही लालायित सी होकर ये काम करवा रही थी और मज़े भी ले रही थी...वो जानती तो थी की इस काम मे मज़ा आता होगा..पर इतना आता है,
ये आज उसे अपने मुम्मे और होंठ चुसवाने के बाद ही पता चला...एक अलग ही दुनिया मे पहुँच गयी थी वो...दुनिया की कोई भी फीलिंग इनसे
बढ़कर नही हो सकती थी...ऐसा एहसास मिल रहा था उसे आज अपने शरीर से...असली मज़ा तो अब मिला उसको...अपने जवान शरीर
का...काश ये सब उसने पहले ही कर लिया होता...

स्मूच करते-2 काजल का हाथ के शव के लंड की तरफ बढ़ने लगा...उसने पहले भी अपने भाई के लंड को उपर-2 से महसूस किया था किचन में
.पर अब उसको नंगा करके पकड़ना चाहती थी...उसने के शव की निक्कर के उपर से ही उसके खड़े हुए लंड को अपने हाथ मे पकड़कर ज़ोर से दबा
लिया..

के शव का मुँह खुल सा गया...और दोनो की किस्स भी टूट गयी..

काजल तो अब खूंखार सी हो उठी थी...वो के शव की आँखो मे देखते-2 नीचे की तरफ खिसकने लगी...और ठीक उसके लंड के उपर जाकर उसने
अपना चेहरा रोक लिया.

काजल : "बहुत खा ली तुमने मेरी मूँगफलियाँ....अब मेरी बारी है...तुम्हारा के ला खाने की...''

और फिर काजल ने उसकी निक्कर को दोनो तरफ से पकड़कर नीचे खींच दिया..और के शव का लंड एक ही झटके में लहराकर उसकी आँखो के सामने
नाचने लगा.

उसने जब के शव और सारिका को दो दिन पहले वो सब करते देखा था, तब तो काफ़ी दूर थी वो..पर अब इतने करीब से वो उसके लंड को देखकर
घबरा रही थी..की अगर इसे अपनी चूत में लेना पड़ गया तो कै से लेगी...कहाँ उसकी चूत का 2 इंच का छेद और कहाँ ये आठ इंच लंबा
लौड़ा...

काजल को ऐसे घहबराई हुई नज़रों से अपने लंड को निहारते देखकर के शव समझ गया की वो क्या सोच रही होगी....उसने अपने लंड को पकड़कर
उसके होंठों पर लगाया और बोला : "अब ज़्यादा मत सोचो दीदी....लो...चूसो इसको...आइस्क्रीम की तरह...शाबाश..''

काजल ने अपनी आँखे बंद कर ली और एक हि झटके में उसके लंड को अपने मुँह मे डाल लिया...और धीरे-2 अपने मुँह को उपर नीचे करने
लगी..

के शव : "शाबाश दीदी..........ऐसे ही ......अहहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह...... उम्म्म्ममममममम ..... कितना मज़ा आ रहा है


..................आहह ........ चूसो इसको ................. उम्म्म्मममममममममम ....ज़ोर से
......................''

थोड़ी ही देर मे काजल उसके लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे बरसों से यही काम करती आ रही हो वो...

वैसे कु छ लड़कियों में ये गुण शुरू से ही होता है...और ऐसी लड़कियाँ ही अपने पार्टनर को खुश रख पाती है..

के शव के लॅंड को काजल पूरा का पूरा चूस रही थी....कभी उसको बाहर निकाल कर कु ल्फी की तरह सिर्फ़ जीभ से चूसती ...और कभी उसकी
बॉल्स को भी मुँह मे भरकर निगल जाती...और उसका रस रसगुल्ले की तरह निकालती...उसने तो सोचा भी नही था की लंड चूसने में इतना मज़ा
मिलता है...के शव ने लाख कोशिश की पर वो उसके लंड को छोड़ने का नाम ही नही ले रही थी...आख़िर उसके मुँह ताज़ा-2 खून जो लगा
था...

और फिर वही हुआ, जिसका के शव को डर था...उसके लंड से भरभराकर रस की पिचकारियाँ बाहर निकलने लगी...और गाड़े रस ने काजल के
मुँह, होंठ और चेहरे को पूरी तरह से अपने रंग में रंगकर भिगो दिया...
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और अपने मुँह में जैसे ही काजल को थोड़ा बहुत स्वाद का एहसास हुआ, उसने अजीब सा मुँह बनाया...और फिर अगले ही पल बिल्ली की तरह
अपनी जीभ से सारा का सारा रस चाटने लगी...लंड के आस पास गिरा रस ...और फिर के शव के लंड से अपने चेहरे को रगड़ा और उसपर लगे
रस को फिर से लंड चूस्कर निगल गयी..

काजल : "वाव .......सब कु छ कितना टेस्टी है यहाँ का.....मैं तो फै न हो गयी रे तेरे इस के ले की और इसके जूस की. ......
म्*म्म्मममम ''

अब के शव अपने बेड से उठ खड़ा हुआ...

और उसने खड़े होकर सबसे पहले तो अपने कपड़े उतार कर नीचे फें के ..और पूरा नंगा हो गया...और फिर उसने बड़े ही प्यार से काजल का
पायजामा भी नीचे खिसकाया..और उसे भी अपनी तरह नंगा कर दिया..

काजल की आँखे बंद थी...आख़िर पहली बार पूरी तरह से नंगी हो रही थी वो किसी के सामने...

काजल की चूत बिल्कु ल चिकनी थी...शायद वो पहले से ही तैयार होकर आई थी...चिकनी चूत से हल्का पानी निकल कर बाहर रिस रहा था...

के शव ने नीचे बैठे-2 ही उसकी एक टाँग को अपने कं धे पर रखा और अपना मुँह सीधा उसकी चूत पर लगा दिया...

काजल ने उसके बाल पकड़े और ज़ोर से चीख उठी ....

''अहह sssssssssssssssss...... ओह माय गॉड ....ओह माय गॉड ....ओह माय गॉड''

उसने तो सोचा भी नही था की नर्म चूत पर गर्म होंठ का संगम ऐसा एहसास देगा उसे.....

वो अपने आप को संभाल नही पाई और वो बेड की तरफ झुकती चली गयी और उसपर गिरकर चादर की तरह बिछ गयी...

के शव ने उसके दोनो पैरों को फे लाया और अपना मुँह अंदर डाल कर ज़ोर-2 से उसकी चूत को चूसने लगा...

काजल की तो आँखे चढ़ गयी....ऐसा सुखद एहसास तो उसे फिं गरिंग करने के बाद भी नही मिलता था...

वो पहले से ही उत्तेजित थी...इसलिए ज़्यादा टाइम नही लगा उसे झड़ने मे....और वो हिचकियाँ लेती हुई के शव के मुँह के अंदर ही झड़ने
लगी...

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। ................... उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म क्या मजा है अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , चूस इसको , यहाँ से ,


अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आई एम कमिंग sssssssssssss ''

और के शव तो पुराना खिलाड़ी था इस खेल का...उसने एक भी बूँद बाहर नही निकालने दी...अपना मुँह उसकी चूत से तब तक नही हटाया जब
तक वो पूरी तरह से शांत नही हो गयी..

उसके बाद के शव भी उसकी बगल मे आकर लेट गया...और दोनो एक दूसरे के होंठों को चूस्कर अपना-2 रस खुद ही चखने लगे..

2 बज चुके थे ये सब करते-2 ....के शव का लंड अपनी आख़िरी लड़ाई के लिए तैयार हो चुका था...

उसने धीरे-2 अपने शरीर को काजल से रगड़ना शुरू कर दिया....

काजल भी समझ गयी की अब वो क्या चाहता है....पर उसके अंदर हिम्मत नही बची थी कु छ भी करने की अभी...और वो डर भी था की इतना
बड़ा कै से अंदर जायेगा

एक तो काफ़ी रात हो चुकी थी...दूसरा उसे सुबह ऑफीस भी जाना था...छोटी दीवाली पर ऑफीस मे सभी को गिफ्ट लेने के लिए बुलाया गया
था...
काजल : "के शव.....आज के लिए इतना ही...बाकी कल करेंगे....ऑफीस भी जाना है...''

के शव ने भी कोई ज़बरदस्ती नही की....काजल ने उसको एक किस्स किया और अपने कपड़े पहन कर वो माँ के पास सोने के लिए चली गयी..

और के शव ऐसे ही नंगा सो गया...अगले दिन होने वाले जुए के बारे मे सोचते हुए और उसके बाद होने वाली चुदाई के बारे मे सोचते हुए...

अगले दिन काजल की नींद खुल ही नही रही थी...उसने अलार्म ना लगाया होता तो उसे पता ही नही चलता की सुबह के 7 बज चुके हैं..मन तो
नहीं था,पर ऑफीस जाना भी ज़रूरी था...वो जल्दी से उठी..नहा धोकर तैयार हो गयी और अपने लिए चाय रख दी.. उसकी माँ अभी तक सो
रही थी.. चाय का कप हाथ मे लेकर वो के शव के कमरे में गयी...और वहाँ का हाल देखकर उसे एहसास हुआ की रात को उन दोनो ने वहाँ क्या
धमाल मचाया था..

के शव के बेड की चादर निकल कर नीचे गिरी हुई थी..उसके कपड़े चारों तरफ बिखरे पड़े थे...पिल्लो भी गिरे पड़े थे इधर उधर...और वो अपने पैर
फे ला कर गहरी नींद में सो रहा था...वो पूरा नंगा था..और उसके मैन पार्ट के उपर तकिया पड़ा था...शायद वो रात को उसको अपनी टाँगो के
बीच दबोच कर ही सोया था..

काजल धीरे-2 आगे आई और उसने पिल्लो को उठा कर साइड में कर दिया...और अब के शव उसकी नज़रों के सामने पूरा नंगा था...भले ही इस
वक़्त उसका सिपाही सोया हुआ था पर फिर भी वो बड़ा ही टेम्पटिंग सा लग रहा था..इतना टेम्पटिंग की काजल के मुँह में पानी आ गया..उसने घड़ी
देखी, अभी दस मिनट थे उसके पास...उसने सोचा की चाय तो रोज पीते हैं, आज फ्रे श जूस पीया जाए..और उसने चाय का कप टेबल पर रख
दिया और दरवाजा बंद करके उसके बेड के पास आ गयी..

शेर चाहे सो रहा हो पर होता वो भी ख़तरनाक है..इसलिए काजल को उसे हाथ लगाने मे डर भी लग रहा था...पर जैसे ही उसके ठंडे हाथ गर्म
लंड को छु ए , उसके नर्म एहसास हो महसूस करके काजल रोमांच से भर उठी...पिछले 2-3 दिनों से जो भी वो देख और कर रही थी, सबमे
उसे मज़ा मिला था...और अब ये सुबह की रोशनी मे नहाया हुआ के शव का लंड , वो तो सबसे अलग ही था...वो धीरे से उसके उपर झुकी और
पहले अपनी गर्म सांसो से और फिर गर्म जीभ से उसे गुड मॉर्निंग कहा.

के शव को अभी तक मालूम नही था की उसके साथ हो क्या रहा है...वो रात को 4 बजे तक जागता रहा था..काजल के बारे मे सोच
सोचकर..अब जब तक उसके साथ कु छ ज़ोर ज़बरदस्ती ना हो, तब तक उसकी नींद नही खुलने वाली थी..

कल रात को तो उसका लंड पूरा खड़ा हुआ था, पर इस वक़्त काजल के टच से वो नींद से जागने लगा..तभी कहते हैं, लंड का अपना अलग
दिमाग़ होता है...उसका मालिक भले ही सो रहा था पर के शव का लंड अपने आप को मिल रहे स्पेशल ट्रीटमेंट से काफ़ी खुश था.और कु छ ही देर में
वो खेत की सरसों की तरह लहराने लगा..

काजल ने अपने लिप्स पर पिंक ग्लॉस लगाया हुआ था...जिसे उसने धीरे-2 के शव के लंड पर मल दिया...वो तेज़ी से उसके लंड को चूस रही
थी..कल रात के जायके को वो भूली नही थी अभी तक...इसलिए उसके जूस निकलने का बेसब्री से वेट कर रही थी...

और उसने जिस तरह से तेज झटके मारकर के शव के लंड को झटके दिए, उसे नींद से जागने के लिए उतने झटके काफ़ी थे...और वैसे भी , नींद
में ही सही, उसे ये एहसास हो रहा था की उसका बस निकलने ही वाला है...और जैसे ही वो घड़ी आई...उसके लंड की टंकी और उसकी आँखे
एक साथ खुल गयी..

लंड की टंकी से भरभराकर गाड़ा पानी काजल के मुँह में जाने लगा..और वो अपनी अधखुली आँखो से अपनी टाँगो के बीच लेटी हुई काजल को देखकर
हैरान और परेशान हुए जा रहा था..

पर जब तक वो कु छ बोल पाता वो बिल्ली उसकी सारी मलाई चट कर चुकी थी...और फिर बड़े ही सेक्सी तरीके से उसकी आँखो मे देखते हुए उसने
अपने होंठों पर जमे रस को चाटते हुए कहा : "गुड मॉर्निंग भाई ...''

और के शव उसको पकड़कर कु छ और कर पाता , वो खिलखिलाती हुई सी कमरे से बाहर निकल गयी...उसके ऑफीस का टाइम हो गया था.

फिर 5 मिनट के बाद वो अपना बेग वगेरह लेकर घर से बाहर निकल गयी..

के शव अभी तक अपने बेड पर नंगा लेटा हुआ सुबह के इस हसीन एनकाउंटर के बारे मे सोच सोचकर मुस्कु रा रहा था.

वो फिर से सो गया...करीब 10 बजे के आस पास उसकी नींद खुली, उसका मोबाइल बज रहा था...वो सारिका का फोन था.

के शव (बुदबुदाते हुए) 'इसकी चूत में भी सुबह-2 खुजली शुरू हो जाती है'

फिर फोन उठा कर बड़े ही प्यार से बोला : "हेलो डार्लिंग...कै सी हो..''

सारिका : "तुम्हे क्या पड़ी है मेरी फ़िक्र करने की...दो दिन से देख रही हू तुम मुझे इग्नोर कर रहे हो..उस दिन जब काजल ने पकड़ लिया था,
उसने कु छ बोला क्या...बोलो...''

के शव : "अरे नही बेबी...वो तो . काफ़ी खुश थी..और तुम्हारी तारीफ भी कर रही थी...बोल रही थी की तुम दोनो में कु छ ग़लतफ़हमियाँ हो
गयी है, वरना वो अभी भी तुम्हे बहुत लाइक करती है...और मेरे और तुम्हारे ऐसे रीलेशन से भी दीदी को कोई प्राब्लम नही है..''

सारिका (हैरानी से) : "क्या सच में ....तुम झूठ तो नही बोल रहे ना...''

के शव : "डार्लिंग...मैं भला क्यो झूठ बोलूँगा...सच मे, वो अभी भी तुम्हे अपना दोस्त मानती है...''

सारिका : "ग़लती मेरी ही थी पहले भी....और अब भी...इतनी अच्छी सहेली के साथ मैने ऐसा बर्ताव किया...''

के शव : "चलो, अब परेशान मत हो, अगर तुम दीदी के साथ फिर से दोस्ती करना चाहती हो तो वो मुझपर छोड़ दो...अब ये बताओ, इतनी
सुबह कै से फोन किया...''

सारिका (थोड़े नाराज़गी भरे स्वर मे) : "तुम्हे तो कु छ होता नही है...पर मेरी हालत बड़ी खराब है...बड़ा मन कर रहा है तुमसे मिलने का
(चुदवाने का)''

उसकी सेक्सी आवाज़ ने तो के शव के सोए हुए शेर को फिर से जगा दिया ...अभी 10 बज रहे थे...उसको नहाना भी था और नाश्ता भी करना
था...माँ को भी नाश्ता करवाना था...इंजेक्शन लगवाना था...

के शव : "तुम ऐसा करो, 3 बजे आ जाओ...माँ तब तक खाना खाकर सो जाएँगी...फिर बस तू और मैं ...''

सारिका : "ओक ....मैं आती हू, 3 बजे...''

फिर के शव आराम से उठा और नहाया ..अपनी किस्मत पर उसको आज बड़ा ही नाज़ हो रहा था...

काजल और सारिका की दोस्ती वो इसलिए करवाना चाहता था की उसके मन में कही ना कही एक साथ 2 के मज़े लेने की बात थी....पर उसे क्या
मालूम था की उसकी ये इच्छा इतनी जल्दी सच हो जाएगी..

क्योंकि काजल के ऑफीस में दिवाली का गिफ्ट मिलने के बाद 2 बजे छु ट्टी हो गयी...और वो घर की तरफ निकल पड़ी...ये सोचते हुए की एक
घंटे मे घर पहुँचकर वो खुलकर मज़े लेगी के शव के साथ...
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अब आगे
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और चादर निकलते ही जो सीन सारिका ने देखा, उसकी तो शायद उसने कल्पना भी नही की थी...के शव की सग़ी बहन और उसकी पुरानी सहेली
काजल घोड़ी बन कर अपने खुद के भाई का लंड चूस रही थी..

और अपने उपर से ऐसे चादर निकल जाने के बाद मस्ती मे आँखे बंद करके लंड चूसती हुई काजल ने आँखे खोली और सामने डर और आश्चर्य के भाव
लिए अपने भाई के चेहरे को देखा, जो कभी उसको और कभी उसके पीछे खड़ी सारिका को देखकर ये सोच रहा था की अब क्या होगा..

के शव को ऐसे हैरान -परेशान देखकर और उसकी आँखो का पीछा करते हुए जैसे ही काजल ने अपने पीछे खड़ी सारिका को देखा तो उसे सब समझ मे
आ गया..

इसका मतलब उसकी एंट्री ग़लत टाइम पर हो गयी...के शव और सारिका के बीच पहले से ही चुदाई का खेल चल रहा था...वो ऐसे ही बीच मे घुस
आई..

और सबसे बड़ी बात, सारिका ने उसे रंगे हाथों पकड़ भी लिया...वैसे देखा जाए तो सारिका भी नंगी-पुँगी खड़ी थी और वो भी चुदाई करते हुए रंगे
हाथो पकड़ी गयी थी..पर यहाँ मसला वो नही था..

यहाँ प्राब्लम ये थी की काजल पकड़ी गयी थी , अपने भाई के लंड को चूसते हुए..

सारिका : "काआआजल ......तुम !!!!!!!!!!!!!......और वो भी अपने भाई के साथ .......''

तब तक काजल संभल चुकी थी...और ये भी सोच चुकी थी की उसे कै से वो सिचुएशन हेंडल करनी है..

के शव भी समझ चुका था की कोई बड़िया वाला सीन होने वाला है वहाँ पर..

सारिका के गुस्से का काजल ने बड़े ही प्यार से जवाब दिया..: "हाँ ....मैं ...क्यो....इतनी परेशान क्यो हो रही है तू मुझे ये सब करते
देखकर..''

सारिका : "मतलब....तू ये भी नही जानती की मैं परेशान क्यो हूँ ...तू मेरे बाय्फ्रें ड के साथ, और उसके भी उपर अपने खुद के भाई के साथ
ये सब कर रही है...तुझे शर्म नही आती...''

काजल : "पर ये सब तो मैं तेरे कहने पर ही कर रही हू..''

अब हैरान होने की बारी सारिका के साथ-2 के शव की भी थी..

सारिका : "मेरे कहने पर ???? क्या मतलब है तेरा..!!!''

काजल : "तुझे याद है, तूने ही एक बार कहा था की हम एक दूसरे के पार्टनर्स को आपस मे शेयर करेंगे...फिर चाहे वो बाय्फ्रें ड हो या हसबैंड
''

सारिका (दिमाग़ पर ज़ोर डालते हुए) : "हाँ ...याद है...पर वो तो 2 साल पहले की बात है...और वो बात अलग थी...यहाँ तो तू अपने
खुद के भाई के साथ ये सब कर रही है..''

काजल : "देख...मुझे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ता की तेरा बाय्फ्रें ड कौन है....अगर तेरा बी एफ एक रिक्शा चलाने वाला भी होता तो भी
मैं यही करती, मेरा भाई है, तब भी मैं यही कर रही हू...''

सारिका का तो दिमाग़ ही चकरा गया उसकी दलील सुनकर...और के शव मन में अपनी बहन की तारीफ किए बिना नही रह पाया..

काजल : "पिछली बार जब मैने तुम दोनो को रंगे हाथ पकड़ा था तो मुझे भी ऐसे ही शॉक लगा था...हमारे बीच भले ही बातचीत बंद है, पर मैं
अपने वादे को आज तक नही भूली हू...जैसे की मैं अब तक अपनी दोस्ती को भी नही भूली...तुझे अपनी दोस्ती और वो वादा याद दिलाने के लिए
ही मैने ये सब किया है..''

काजल ने बड़ी ही चालाकी से सारिका का ध्यान अभी के इन्सिडेंट से हटा कर अपनी दोस्ती के इमोशनल पॉइंट की तरफ कर दिया था..

काजल : "उस दिन ही मैने सोच लिया था की भले ही तुझे ये बात याद नही है, पर मैं अपनी दोस्ती में किया हुआ वो वादा नही भूलूंगी, जो हमने
एक साथ किया था...की हम एक दूसरे के पार्टनर्स को ऐसे ही खुश करेंगे, जैसे खुद के पार्ट्नर को करते हैं...मुझे भी पता है की अपने भाई के
साथ ये सब करना ग़लत है, पर मेरे लिए भाई से बढ़कर अपनी दोस्ती में किया हुआ वादा है...जो शायद तू भूल चुकी है...अपनी दोस्ती की
तरह..''

इतना बहुत था सारिका की आँखों से पश्चाताप के आँसू निकालने के लिए..

सारिका रोती हुई उसकी तरफ आई और नंगी ही उसके गले से लिपट कर फू ट-2 कर रोने लगी

सारिका : "मुझे माफ़ कर दे काजल....मैने तुझे कितना ग़लत समझा.... पहले भी मेरी ही ग़लती थी...वरना तुझ जैसी सहेली को खोकर मुझे
भी अच्छा नही लगा...मुझे माफ़ कर दे काजल..''

सारिका के गले लगते हुए काजल का चेहरा के शव की तरफ था...और वो एक कु टिल हँसी हंसकर उसे आँख भी मार रही थी..

अचानक के शव ने काजल को इशारा किया की वो दोनो आपस मे कु छ करे...क्योंकि उसने पिछली बार ही सोच लिया था की दोनो सहेलियों को एक
साथ चोदेगा ...और वो शायद जल्द ही होने भी वाला था...पर उससे पहले वो उन दोनो का लेस्बियन सेक्स देखना चाहता था, जो आज तक
उसने सिर्फ़ मूवीस मे ही देखा था..

काजल ने बुरा सा मुँह बनाया पर के शव ने रोता हुआ चेहरा बना कर अपने दोनो हाथ उसके आगे जोड़ दिए...और फिर अपने खड़े हुए लंड को उसकी
आँखो के सामने लहराकर उसे वो लालच भी दिया, जिसके लिए वो जाने कब से तड़प रही थी...
काजल ने भी सोचा की ये भी ट्राइ कर ही लेना चाहिए...हालाँकि दोनो सहेलियों में पहले काफ़ी खुलकर बात होती थी..पर दोनो ने एक दूसरे के
अंगो को कभी टच नही किया था और ना ही एक दूसरे को कभी नंगा देखा था...पर आज काजल ने सारिका को नंगा देख ही लिया था..और अब
के शव के कहने पर उसे भी उसी की तरह नंगा होकर खेल खेलना था अपने भाई को खुश करने के लिए..

काजल ने एक गहरी साँस ली और उसके दोनो हाथ सरकते हुए आगे की तरफ आए और उसने सारिका के दोनो मुम्मे पकड़ लिए...और अपनी उंगलियों
से उसके निप्पल्स पकड़कर होले से सहला दिए..

सारिका : "अहह ..... क्या कर रही हो काजल ...''

काजल : "एक नयी दोस्ती की शुरूवात...''

सारिका ने उसको सवालिया नज़रों से देखा...और फिर एक नज़र के शव पर डाली...उसने भी गर्दन हिला कर और पलकें बंद करते हुए अपनी सहमति
दे दी..की करने दे, जो काजल करना चाहती है..उसके बाद सारिका ने कु छ नही कहा और बस देखती रही की आख़िर काजल कहाँ तक जाती है..

काजल ने सारिका के सिर के पीछे हाथ रखा और उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसके होंठों को ज़ोर-2 से चूसने लगी..
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
ये काम काजल हमेशा से करना चाहती थी...जब वो दोनो पक्की सहेलियाँ थी तब वो हमेशा ही सारिका की सुंदरता की प्रशंसक रही थी...वो खुद उसे
चूमना चाहती थी..उसके नंगे जिस्म से खेलना चाहती थी...पर ऐसा मौका ही नही मिला कभी...सिर्फ़ बातें होती थी दोनो के बीच सेक्स को
लेकर...एक दूसरे के बाय्फ्रें ड को शेयर करने के बारे मे..पर जब तक बात आगे बड़ पाती, दोनो मे झगड़ा हो गया और बातचीत बंद हो गयी...ये
तो अच्छा हुआ की आज वो ऐसी परिस्थिति मे आकर सारिका के नंगे जिस्म से फिर से मज़े ले पा रही है..वरना ऐसा कु छ वो कर पाएगी, उसने
सोचा भी नही था...और उपर से के शव ने भी काजल को उकसा दिया था..इसलिए वो अपने भाई की मरजी की आड़ मे अपनी दबी हुई इच्छा को
पूरा कर रही थी.

काजल तो सारिका के नर्म होंठों को ऐसे चूस रही थी,जैसे आज का दिन उसकी जिंदगी का आख़िरी दिन है...उसके होंठ, गाल,आँखे,गर्दन...सभी
को बुरी तरह से चूम और चाट रही थी...और फिर वो उसके मदमस्त स्तनों के उपर आकर रुक गयी...अपने दोनो हाथों में लेकर उनका वजन नापा
और बोली : "काफ़ी बड़े हो गये है ये पहले से...लगता है भाई काफ़ी मेहनत करता है इनपर...''

यही बात कु छ देर पहले के शव ने भी कही थी...और अब काजल भी कर रही थी...दोनो भाई-बहन के विचार कितने मिलते-जुलते थे...सारिका ये
सोच ही रही थी की काजल ने उसके मुम्मो पर फिर से हमला कर दिया..और उन्हे नींबू की तरह निचोड़कर उभरे हुए निप्पल्स को मुँह मे लेकर ज़ोर-
2 से चूसने लगी..

''अहह ......... धीईईईरए ..........काजल ................... तू तो के शव से भी आगे निकल रही


है............... अहह ....इतनी ज़ोर से तो वो भी नही चूसता ...............''

पर काजल ने उसकी एक ना सुनी और उसकी गोलाइयों के साथ नोच-खसोट करती रही....

सारिका के हाथ उसकी पीठ पर थे...और जैसे ही काजल ने एक बार फिर से उसके निप्पल पर दाँत मारा, सारिका जोर से चीख पड़ी और उत्तेजना
मे भरकर उसके हाथ काजल की ब्रा स्ट्रेप पर ज़ोर से कस गये और उसने उन्हे अपनी तरफ खींच डाला...और उसकी ब्रा के पिछले हुक इस बेदर्द
हमले को झेल नही पाए और वो टूटते चले गये..

पर काजल पर इसका कोई असर नही था...वो अपना काम करती रही..

सारिका ने भी आवेश मे आकर उसके सूट की कमीज़ को पकड़कर उपर खींच दिया और गले से घुमा कर निकाल दिया..ब्रा तो पहले से ही टू ट चुकी
थी...इसलिए वो भी सूट के साथ-2 बाहर आ गयी...और अब काजल उपर से नंगी होकर सारिका के मुम्मे चूस रही थी..

सारिका का ध्यान अब के शव की तरफ गया...वो देखना चाहती थी की अपनी बहन को ऐसे उपर से नंगा देखकर वो भला क्या करता है...सारिका
के हिसाब से तो आज ये भाई बहन पहली बार ही एक दूसरे को ऐसे नंगा देख रहे थे...उसे क्या पता था की पिछले कु छ दिनों से दोनो के बीच
क्या-2 हुआ है और वो दोनो कहाँ तक निकल चुके हैं...भले ही उनके बीच चुदाई नही हुई, पर बाकी के सब काम वो अच्छी तरह से कर चुके
थे..

सारिका ने देखा की काजल को टॉपलेस देखकर के शव के हाथ अपने लंड पर और तेज़ी से सरकने लगे और वो उन्हे ज़ोर-2 से मसलकर अपने लंड को
खुश करने मे जुट गया..

सारिका ने सोचा की जब इन दोनो भाई-बहन को कोई प्राब्लम नही है तो वो क्यो पीछे रहे...वैसे भी किसी लड़की ने आज पहली बार उसको इस
तरह से उत्तेजित किया था..और अपने प्रेमी के सामने वो किसी से ऐसे मज़े ले, ये बात भी उसे अंदर से उत्तेजित कर रही थी..

उसने काजल का नाड़ा खींच कर उसकी सलवार भी निकाल दी...

के शव की नाज़रों के सामने पहली बार एक साथ 2-2 जवान लड़कियाँ नंगी थी...जो उसकी फॅं टेसी रही थी हमेशा से...वो उन दोनो को एक दूसरे
से गुत्थम - गुत्था होकर चूमा चाटी करते देखकर बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था..वो चाहता तो अभी के अभी बीच मे कू द कर दोनो से अच्छी
तरह के मज़े ले सकता था..पर पहले वो उन दोनो का लेस्बियन सेक्स देखना चाहता था.

काजल भी अपने दिल की दबी हुई इच्छाओं को पूरा करती जा रही थी...सारिका के मुम्मे चूसने के बाद वो धीरे-2 नीचे बैठ गयी और उसकी चूत
पर अपने नर्म होंठ रखकर उन्हे चूसने लगी..

''अहह .... ओह सारिका ......................... आई विल डाई ...... मत करो ऐसे .....''

सारिका का वो वीक पॉइंट था...उसकी चूत को के शव जब भी चूसता था तो सारिका का बुरा हाल हो जाता था...और यही काम अब उसकी बहन
उसके साथ कर रही थी..

सारिका दीवार से जा कर सट गयी और आराम से अपनी चूत चटवाने का मज़ा लेने लगी..

उसका सिर इधर-उधर घूम रहा था...मज़ा ही ऐसा मिल रा था उसको की वो तो जैसे आसमान पर उड़ती जा रही थी..

काजल ने अपनी एक-2 करते हुए चारों उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर उतार दी...और अंदर बाहर करती हुई,जीभ से चाट्ती भी रही ...ऐसा सुखद
एहसास एक लड़की ही एक लड़की को दे सकती है...

सारिका अपने होंठों को दांतो तले दबाकर मज़े ले रही थी..

वो झड़ने के करीब पहुँच गयी...पर सारिका ये मज़े दूर तक लेना चाहती थी..

उसने काजल को उपर खींच लिया और उसके चूत के रस से भीगे होंठों को मुँह मे लेकर चूसने लगी...साथ ही वो उसके दोनो मुम्मो को भी दबा रही
थी...ऐसा सीन देखकर के शव का बुरा हाल हो रहा था..पर वो दोनो तो जैसे अब के शव के बारे मे भूल ही चुकी थी...दोनो बस आपस मे मज़े
लेकर ही एक दूसरे के अंदर समा चुके थे..

अब सारिका की बारी थी....उसने काजल को घसीट कर साइड में बनी एक शेल्फ के उपर चड़ा दिया और उसकी टांगे फे ला कर अपने होंठ वहाँ लगा
दिए...

आज उसका भी ये पहला मौका था किसी की चूत चूसने का..पर वहाँ होंठ लगते ही उसे जब चूत के रस के स्वाद का एहसास हुआ तो उसके बाद
वो रुकी ही नही...और अपनी जीभ निकाल कर अंदर तक चूसने लगी...चाटने लगी..

काजल भी एक हाथ से अपने मुम्मे को और दूसरे से सारिका के बालों को सहला कर आँखे बंद करके सिसकारियाँ मारने लगी..

''ओह ...सारिका ...............माय डार्लिंग .................... उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ......


कहाँ थी इतने दिनों से ................... अहह .....सकक्क मी बेबी .................अंदर तक चूसो मुझे
............अहह ...बहुत मज़ा आ रहा है ....... बहुत अच्छा चूस रही हो तुम ...''

काजल के मुँह से अपनी कला की तारीफ सुनकर वो और भी बावली सी होकर अपनी सहेली को मज़ा देने लगी...

और फिर जल्द ही काजल की सिसकारियाँ चीखों मे बदलने लगी...क्योंकि वो झड़ने के करीब आ गयी थी...
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
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अब आगे
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काजल ने आख़िरी वक़्त मे सारिका के सिर को पकड़कर उपर खींच लिया और उसके रस से भीगे होंठों को पकड़कर अपने मुँह मे दबोच लिया...

और सारिका ने अपनी उंगलियों को अपने होंठों की जगह लगाकर काजल की चूत को मसलना जारी रखा..

और सारिका के होंठों को चूस्टे हुए, उसकी उंगलियों को अपनी चूत पर महसूस करते हुए काजल बुरी तरह से झड़ने लगी..

उसकी चूत में से देसी घी निकलकर सारिका की उंगलियों को भिगो गया..

और काजल निढाल सी होकर उस स्लेब से नीचे आ गयी...और सोफे पर धम्म से जाकर बैठ गयी...

पर उसे मालूम था की अब उसे सारिका को भी ऐसा ही एहसास देकर झाड़ना होगा...उसने साथ बैठी सारिका को पकड़कर उसकी चूत में अपनी 2-3
उंगलियाँ पेल दी और बिना किसी वॉर्निंग के अंदर बाहर करने लगी..

सारिका भी सोफे पर लेट सी गयी....और उसने काजल के गले मे हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया...के शव तो दूर बैठा उन्हे ऐसा करते
हुए देख रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे उन दोनो के बीच रेसलिंग हो रही है...

काजल ने सारिका को घोड़ी बनाया और उसकी चूत को पीछे से चाटने लगी...साथ ही साथ वो अपनी जीभ से उसकी गांद के छेद को भी कु रेद रही
थी...ये काम के शव ने भी कई बार किया था उसके साथ..पर आज काजल के द्वारा ऐसा करना उसे उससे भी ज़्यादा पसंद आ रहा था..

और फिर वही हुआ, जिसके लिए इतनी मेहनत की जा रही थी...सारिका एक बार फिर झड़ने लगी...अपनी सहेली के मुँह के अंदर ही उसने अपना
सारा जूस निकाल दिया...

''अहह ........ ओह माय गॉड ................. काजल .................. यू आर अमेजिंग


............... आई एम लविंग इट ....''

और उसके मुँह के उपर अपनी गद्देदार गांड रगदकर उसने बचा खुचा रस उसके चेहरे पर मल दिया...

दोनो के चेहरे पर एक अजीब सी खुशी थी..

दोनो एक दूसरे को चूमने लगी..और चेहरे और होंठों पर लगे रस का पता भी नही चला की कहाँ चला गया...दोनो के चेहरे ऐसे चमक रहे थे जैसे
किसी ब्यूटी पार्लर से होकर आई हो..

और उन दोनो के दमकते चेहरे देखकर के शव के लंड का खून दुगनी तेज़ी से दौड़ने लगा ..

और दोनो सहेलियो ने भी आँखो -2 में इशारा करके एक दूसरे का ध्यान के शव के हिनकते लंड की तरफ खींचा...

और फिर दोनो मुस्कु राती हुई सी के शव की तरफ चल दी..

ऐसे ही...

नंगियाँ ...

के शव समझ गया की अब वो पल आ गया है जिसका उसे कब से इंतजार था...यानी काजल की चुदाई का.
वो अपने लंड को मसल-2 कर काजल की लश्कारे मार रही चूत को देखे जा रहा था..वो फू ल कर डबलरोटी जैसी हो गयी थी..और गोर से देखने
पर पता चला की वो थिरक भी रही है...जैसे एक अलग से दिल धड़क रहा हो उसकी चूत के अंदर..

वो दोनो जैसे ही के शव के बेड के पास पहुँची, मैन गेट की घंटी ज़ोर से बजने लगी

टिंग टोंग ......................... टिंग टोंग ................... टिंग टोंग

कोई बाहर खड़ा होकर लगातार घंटी बजाए जा रहा था..और के शव की तो झाँटे सुलग उठी घंटी की आवाज़ सुनकर

''अब कौन आ मरा...अपनी माँ चुदवाने ....''

ये शायद पहली बार था जब ऐसी गाली के शव ने दी थी...काजल के सामने..

उसने काजल को इशारा करके खिड़की खोलकर बाहर झाँकने को कहा, जहाँ से देखा जा सकता था की बाहर कौन है..वो तो नंगी थी...फिर भी
अपने भाई की बात मान कर उसने धीरे से खिड़की खोली और थोड़ा सा खोल कर बाहर झाँका, बाहर के शव का दोस्त बिल्लू था

काजल : "बिल्लू है बाहर...ये इस वक़्त क्या करने आ गया...''

इस बीच सारिका भी शायद समझ चुकी थी की अब ये खेल यहीं ख़त्म करना पड़ेगा..इसलिए उसने तो अपने कपड़े समेट कर पहनने भी शुरू कर दिए
थे..

के शव झल्लाता हुआ उठा और अपनी टी शर्ट पहन कर उसने पूरी खिड़की खोल दी और बाहर झाँक कर बोला : "बोल बिल्लू .... क्या काम है
..''

बिल्लू ने उपर देखा और बोला : "के शव भाई...जल्दी से दरवाजा खोलो...एक बहुत ज़रूरी बात करनी है...''

के शव (गुस्से में ) : "यार...शाम को तो मिल ही रहे हैं ना...तभी कर लेंगे...अभी मुझे सोने दे...''

वो किसी भी तरह उसे टरका देना चाहता था...क्योंकि इस वक़्त तो उसके सामने अपनी बहन की कुँ वारी चूत घूम रही थी..

बिल्लू : "नही भाई...शाम को नही...अभी...शाम को राणा भी होगा ना यहाँ ...उसके बारे में ही बात करनी है...''

अब के शव का भी दिमाग़ ठनका ...ये राणा के लिए क्या बात करना चाहता है...उसको लेकर तो वो खुद कल रात से कितने प्लान बना रहा
था...उसके जैसे बंदे से जुआ जीतने में कितना मजा मिलेगा, वो सब स्कीमें बना रहा था वो कल से..

के शव : "अच्छा रुक जा...मैं अभी आता हू...''

और इतना कहकर उसने खिड़की बंद कर दी...सारिका अपने कपड़े पहन चुकी थी और वो काजल के सूट की जीप को पीछे से बंद करने मे उसकी
हेल्प कर रही थी..
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07-22-2017, 03:44 PM,#35

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
काजल (नाराज़गी भरे स्वर मे) : "क्या के शव....तुम भी ना, उसको भगा नही सकते थे क्या...इतना सही सरूर बन चुका था ...साला एन
टाइम पर आ टपका...''

के शव : "यार दीदी .... गुस्सा तो मुझे भी आ रहा है...पर अब मैं भी क्या करू...कोई ज़रूरी बात करनी है उसे...शाम के जुए के बारे
में ...हम तो अब ये काम कभी भी कर लेंगे..''

काजल : "ओहो .... तब तो जाकर सुन ही लो .... शायद कोई काम की बात करने आया हो...और रही बात मेरी, तो मैने आज तक
इतने साल वेट ही तो किया है...कु छ देर और सही...''
वो अपनी चूत को मसलते हुए बोली..

जुए के बारे मे दोनो भाई-बहन को ऐसे बात करते देखकर सारिका चोंक गयी और बोली : "जुआ .... इसका मतलब आजकल यहाँ जुआ चल रहा
है....और ये काजल इसमे इतना इंटरस्ट क्यो ले रही है...''

के शव : "ये सिर्फ़ इंटरस्ट ही नही ले रही, बल्कि खेलती भी है...समझी....मैं नीचे चलता हू ,बाकी की कहानी तुम्हे दीदी सुना
देगी.....''

और काजल वो सब सारिका को बताने लगी जिसे सुनकर सारिका हैरान होती चली गयी...और उन दोनो को वहीं बाते करता छोड़कर के शव नीचे आ
गया और दरवाजा खोल दिया

बिल्लू अंदर आकर सोफे पर बैठ गया.

के शव : "बोल बिल्लू , क्या बोलना चाहता है...''

बिल्लू : "के शव भाई..ये राणा साला बड़ा चालू हो गया है आजकल...''

के शव : "कै से ....''

बिल्लू : "भाई...आप तो जानते ही हो, उसके पास पैसे की कमी तो है नही...पर साले को खेलना भी नही आता, ये भी वो जान ही चुका
है...इसलिए आजकल जब भी वो खेलता है तो अपने साथ जीवन को रखता है...और जीवन के बारे मे तो आप जानते ही हो भाई, वो साला एक
नंबर का जुवारी है...बड़े-2 के सिनो में जाकर जुआ खेलता है और हमेशा जीत कर ही आता है...और इसलिए उसको कोई भी अपने अड्डे पर या
के सिनो में आकर खेलने नही देता..क्योंकि कोई भी उसके साथ खेलना नही चाहता..''

जीवन के साथ भी के शव कई बार खेल चुका था...उसकी किस्मत कह लो या हाथ की सफाई, वो कभी भी हारकर गेम से नही उठता था..और
अब राणा के साथ जीवन का रहना सच में मुसीबत वाली बात थी..

के शव : "पर ऐसे कोई अपने साथ किसी को लाकर खेल नही खेल सकता...''

बिल्लू : "भाई, मैने भी यही बोला था राणा को, की अगर आना है तो अके ले आना, किसी को साथ मे लेकर जुआ खेलने का कोई रूल नही है
अपनी गेंग मे..पर भाई, काजल और आप भी तो ऐसे हो, इसलिए मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया ''

के शव : "फिर, क्या बोला वो हरामी...''

बिल्लू : "बोलना क्या था भाई...सॉफ माना कर दिया...बोला, मेरे को चूतिया बना कर आजतक जीतने लोगो ने मेरा पैसा जीतना था वो जीत
लिया...अब मेरे साथ खेलना है तो जीवन मेरे साथ रहेगा...जमता है तो बोलो...वरना रहने दो..''

के शव : "वो साला इतना अकलमंद लगता तो नही है....इसमे ज़रूर जीवन का कु छ किया धरा होगा...वरना उसे क्या पड़ी थी की अपने साथ
जीवन को लेकर घूमता...''

बिल्लू : "भाई, आप समझे नही...राणा ने जीवन के साथ 50-50 की पार्टनरशिप कर रखी है...जो भी जीत का माल होगा, उसमे से दोनो
मिलकर शेयर करेंगे...अब जीवन को जितना भी मिल रहा है, उसके लिए बहुत है...वैसे भी उसके साथ कोई जुआ नही खेलता..और दूसरी तरफ
राणा के लिए भी फायदे का सौदा है...सुना है जब से उसने जीवन को साथ मे लिया है, वो हारा नही है अब तक...हमेशा जीतकर ही निकला
है...अब पैसे जाने से अच्छा तो आने लगे है उसके पास...उसे भी ये पार्टनरशिप सही लग रही है...''

के शव गहरी सोच मे डू ब गया..

के शव : "तो तू क्या चाहता है अब...''

बिल्लू (धीरे से) : "देखो भाई....मै यहाँ सिर्फ़ एक बात बोलने आया हू...अगर आप कहो तो राणा को हाँ बोल दू ..अगर ऐसा हो जाता है
तो वो जीवन के साथ आएगा और वो दोनो मिलकर बैठेंगे..ऐसे मे अगर हम दोनो भी मिलकर खेले...मतलब दूसरो के लिए हम अलग ही होंगे...पर
आपस मे हमारी भी पार्टनरशिप होगी...तो हम दोनो मिलकर उसे और गणेश को भी आसानी से हरा सकते हैं...''

के शव ने सोचा, ये साला मेरे साथ पार्टनरशिप की बातें कर रहा है..ये इतना भी नही जानता की उसके साथ काजल है, और उसकी किस्मत में तो
हारना लिखा भी नही है..

पर अच्छी से अच्छी किस्मत भी साथ नही देती अगर जीवन हाथ की सफाई दिखाकर जुआ खेलने पर आ गया..ऐसे मे पार्टनरशिप करके कम से कम
नुकसान झेलना पड़ेगा..
काफ़ी देर तक सोचने के बाद के शव बोला : "मुझे लगता है तू सही कह रहा है...हमे भी पार्टनरशिप कर लेनी चाहिए...''

इतना कहकर उसने बिल्लू से हाथ मिलाया और कु छ और बाते करके बिल्लू चला गया..

और जब बिल्लू बाहर जा रहा था तो उपर से सारिका और काजल नीचे उतर रही थी...उन दोनो को एक साथ देखकर उसके लंड में खुजली सी होने
लगी..वो वहीं रुक गया और उपर से नीचे आ रही काजल और सारिका के उछलते हुए मुम्मे देखकर ठंडी आहें भरने लगा.

बिल्लू : "अरे वाह काजल ...लगता है पुरानी सहेलियो में फिर से दोस्ती हो गयी है...अच्छी जोड़ी लग रही है तुम दोनो की...''

उसकी ठरकी नज़रों को सारिका अच्छी तरह से पहचानती थी..क्योंकि वो बात तो काजल से कर रहा था पर उसकी नज़रें उसकी छातियों पर
थी...और उसके उभरे हुए निप्पल्स देख कर वो उत्तेजित हो रहा था...शायद काजल जल्दबाज़ी मे बिना ब्रा के नीचे आ गयी थी..

अब सारिका को क्या पता था की बिना ब्रा के तो वो पिछले 2 दीनो से घूम रही है बिल्लू और गणेश के सामने..

काजल : "अब नज़र मत लगाओ हमारी दोस्ती को तुम....''

और इतना कहती हुई वो उसकी बगल से निकल कर अंदर की तरफ चल दी.

और जब सारिका बिल्लू के पास से निकलने लगी तो बिल्लू फु सफु साकर बोला : "भर गयी हो पहले से ज़्यादा...''

ऐसी फब्तियाँ तो वो कई बार कस चुका था उसके उपर, जब भी वो गली से निकलती थी...पर वो तब भी उसको कु छ नही बोल पाती थी और ना
ही अब बोल पाई..

इसका ये मतलब नही था की वो डरती थी..बल्कि अंदर ही अंदर उसको ये सब अच्छा लगता था..अब हर लड़की तो खुलकर नही बोल पाती ना की
उसे भी ये छेड़छाड़ पसंद है...बस मुँह फिरा कर आगे निकल जाती...और अपने पीछे घूमने वाले छिछोरे लड़को में एक और नाम शामिल कर
लेती..

बिल्लू के जाने के कु छ देर बाद सारिका भी चली गयी...वैसे भी उसको काफ़ी देर हो चुकी थी.
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07-22-2017, 03:44 PM,#36

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
काजल (नाराज़गी भरे स्वर मे) : "क्या के शव....तुम भी ना, उसको भगा नही सकते थे क्या...इतना सही सरूर बन चुका था ...साला एन
टाइम पर आ टपका...''

के शव : "यार दीदी .... गुस्सा तो मुझे भी आ रहा है...पर अब मैं भी क्या करू...कोई ज़रूरी बात करनी है उसे...शाम के जुए के बारे
में ...हम तो अब ये काम कभी भी कर लेंगे..''

काजल : "ओहो .... तब तो जाकर सुन ही लो .... शायद कोई काम की बात करने आया हो...और रही बात मेरी, तो मैने आज तक
इतने साल वेट ही तो किया है...कु छ देर और सही...''

वो अपनी चूत को मसलते हुए बोली..

जुए के बारे मे दोनो भाई-बहन को ऐसे बात करते देखकर सारिका चोंक गयी और बोली : "जुआ .... इसका मतलब आजकल यहाँ जुआ चल रहा
है....और ये काजल इसमे इतना इंटरस्ट क्यो ले रही है...''

के शव : "ये सिर्फ़ इंटरस्ट ही नही ले रही, बल्कि खेलती भी है...समझी....मैं नीचे चलता हू ,बाकी की कहानी तुम्हे दीदी सुना
देगी.....''

और काजल वो सब सारिका को बताने लगी जिसे सुनकर सारिका हैरान होती चली गयी...और उन दोनो को वहीं बाते करता छोड़कर के शव नीचे आ
गया और दरवाजा खोल दिया
बिल्लू अंदर आकर सोफे पर बैठ गया.

के शव : "बोल बिल्लू , क्या बोलना चाहता है...''

बिल्लू : "के शव भाई..ये राणा साला बड़ा चालू हो गया है आजकल...''

के शव : "कै से ....''

बिल्लू : "भाई...आप तो जानते ही हो, उसके पास पैसे की कमी तो है नही...पर साले को खेलना भी नही आता, ये भी वो जान ही चुका
है...इसलिए आजकल जब भी वो खेलता है तो अपने साथ जीवन को रखता है...और जीवन के बारे मे तो आप जानते ही हो भाई, वो साला एक
नंबर का जुवारी है...बड़े-2 के सिनो में जाकर जुआ खेलता है और हमेशा जीत कर ही आता है...और इसलिए उसको कोई भी अपने अड्डे पर या
के सिनो में आकर खेलने नही देता..क्योंकि कोई भी उसके साथ खेलना नही चाहता..''

जीवन के साथ भी के शव कई बार खेल चुका था...उसकी किस्मत कह लो या हाथ की सफाई, वो कभी भी हारकर गेम से नही उठता था..और
अब राणा के साथ जीवन का रहना सच में मुसीबत वाली बात थी..

के शव : "पर ऐसे कोई अपने साथ किसी को लाकर खेल नही खेल सकता...''

बिल्लू : "भाई, मैने भी यही बोला था राणा को, की अगर आना है तो अके ले आना, किसी को साथ मे लेकर जुआ खेलने का कोई रूल नही है
अपनी गेंग मे..पर भाई, काजल और आप भी तो ऐसे हो, इसलिए मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया ''

के शव : "फिर, क्या बोला वो हरामी...''

बिल्लू : "बोलना क्या था भाई...सॉफ माना कर दिया...बोला, मेरे को चूतिया बना कर आजतक जीतने लोगो ने मेरा पैसा जीतना था वो जीत
लिया...अब मेरे साथ खेलना है तो जीवन मेरे साथ रहेगा...जमता है तो बोलो...वरना रहने दो..''

के शव : "वो साला इतना अकलमंद लगता तो नही है....इसमे ज़रूर जीवन का कु छ किया धरा होगा...वरना उसे क्या पड़ी थी की अपने साथ
जीवन को लेकर घूमता...''

बिल्लू : "भाई, आप समझे नही...राणा ने जीवन के साथ 50-50 की पार्टनरशिप कर रखी है...जो भी जीत का माल होगा, उसमे से दोनो
मिलकर शेयर करेंगे...अब जीवन को जितना भी मिल रहा है, उसके लिए बहुत है...वैसे भी उसके साथ कोई जुआ नही खेलता..और दूसरी तरफ
राणा के लिए भी फायदे का सौदा है...सुना है जब से उसने जीवन को साथ मे लिया है, वो हारा नही है अब तक...हमेशा जीतकर ही निकला
है...अब पैसे जाने से अच्छा तो आने लगे है उसके पास...उसे भी ये पार्टनरशिप सही लग रही है...''

के शव गहरी सोच मे डू ब गया..

के शव : "तो तू क्या चाहता है अब...''

बिल्लू (धीरे से) : "देखो भाई....मै यहाँ सिर्फ़ एक बात बोलने आया हू...अगर आप कहो तो राणा को हाँ बोल दू ..अगर ऐसा हो जाता है
तो वो जीवन के साथ आएगा और वो दोनो मिलकर बैठेंगे..ऐसे मे अगर हम दोनो भी मिलकर खेले...मतलब दूसरो के लिए हम अलग ही होंगे...पर
आपस मे हमारी भी पार्टनरशिप होगी...तो हम दोनो मिलकर उसे और गणेश को भी आसानी से हरा सकते हैं...''

के शव ने सोचा, ये साला मेरे साथ पार्टनरशिप की बातें कर रहा है..ये इतना भी नही जानता की उसके साथ काजल है, और उसकी किस्मत में तो
हारना लिखा भी नही है..

पर अच्छी से अच्छी किस्मत भी साथ नही देती अगर जीवन हाथ की सफाई दिखाकर जुआ खेलने पर आ गया..ऐसे मे पार्टनरशिप करके कम से कम
नुकसान झेलना पड़ेगा..

काफ़ी देर तक सोचने के बाद के शव बोला : "मुझे लगता है तू सही कह रहा है...हमे भी पार्टनरशिप कर लेनी चाहिए...''

इतना कहकर उसने बिल्लू से हाथ मिलाया और कु छ और बाते करके बिल्लू चला गया..

और जब बिल्लू बाहर जा रहा था तो उपर से सारिका और काजल नीचे उतर रही थी...उन दोनो को एक साथ देखकर उसके लंड में खुजली सी होने
लगी..वो वहीं रुक गया और उपर से नीचे आ रही काजल और सारिका के उछलते हुए मुम्मे देखकर ठंडी आहें भरने लगा.

बिल्लू : "अरे वाह काजल ...लगता है पुरानी सहेलियो में फिर से दोस्ती हो गयी है...अच्छी जोड़ी लग रही है तुम दोनो की...''

उसकी ठरकी नज़रों को सारिका अच्छी तरह से पहचानती थी..क्योंकि वो बात तो काजल से कर रहा था पर उसकी नज़रें उसकी छातियों पर
थी...और उसके उभरे हुए निप्पल्स देख कर वो उत्तेजित हो रहा था...शायद काजल जल्दबाज़ी मे बिना ब्रा के नीचे आ गयी थी..

अब सारिका को क्या पता था की बिना ब्रा के तो वो पिछले 2 दीनो से घूम रही है बिल्लू और गणेश के सामने..

काजल : "अब नज़र मत लगाओ हमारी दोस्ती को तुम....''

और इतना कहती हुई वो उसकी बगल से निकल कर अंदर की तरफ चल दी.

और जब सारिका बिल्लू के पास से निकलने लगी तो बिल्लू फु सफु साकर बोला : "भर गयी हो पहले से ज़्यादा...''

ऐसी फब्तियाँ तो वो कई बार कस चुका था उसके उपर, जब भी वो गली से निकलती थी...पर वो तब भी उसको कु छ नही बोल पाती थी और ना
ही अब बोल पाई..

इसका ये मतलब नही था की वो डरती थी..बल्कि अंदर ही अंदर उसको ये सब अच्छा लगता था..अब हर लड़की तो खुलकर नही बोल पाती ना की
उसे भी ये छेड़छाड़ पसंद है...बस मुँह फिरा कर आगे निकल जाती...और अपने पीछे घूमने वाले छिछोरे लड़को में एक और नाम शामिल कर
लेती..

बिल्लू के जाने के कु छ देर बाद सारिका भी चली गयी...वैसे भी उसको काफ़ी देर हो चुकी थी.
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
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अब आगे
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अब फिर से एक बार दोनो भाई बहन अके ले थे..जैसे ही काजल ने दरवाजा बंद किया , के शव ने पीछे से आकर उसको एक बार फिर से जकड़
लिया..और अपने हाथ आगे लेजाकर उसके मुम्मो पर टीका दिए और उसकी उभरी हुई गांड पर अपना लंड रगड़ने लगा.

काजल : "ओहो .....छोड़ो ना के शव....तुम तो हर समय तैयार रहते हो...अभी थोड़ी देर पहले अपनी जी एफ की मारी है...अब मेरे पीछे
लगकर खड़े हो गये हो...''

के शव : "तुम्हारी कसम दीदी...उसकी जब भी मारता था तो मेरी आँखो के सामने उस वक़्त भी सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारी तस्वीर रहती थी...अब
मुझसे सब्र नही होगा ...''

के शव ने उसके बिना ब्रा के बूब्स को अपनी मुट्ठी मे जकड़ते हुए कहा.

काजल : "ओके .... ओके ..... मुझे सीधा तो होने दो ना पहले...''

बड़ी मुश्किल से के शव ने उसके जिस्म को अपनी गिरफ़्त से आज़ाद किया..मन तो नही कर रहा था उसकी मखमली गांड को छोड़ने का..

और जैसे ही काजल उसकी गिरफ़्त से छू टी वो भागकर उपर की सीडिया चड़ती चली गयी और जीभ निकाल कर उसने के शव को चिढ़ाया और बोली :
"कु छ काम रात के लिए भी छोड़ दो...''

और देखते ही देखते वो भागकर अपनी माँ के कमरे मे घुस गयी..शायद वो भी तडप-2 कर उसे अपनी चूत देना चाहती थी..क्योंकि तड़पाने के बाद
जब चुदाई होती है तो उसका मज़ा ही निराला होता है... ये बात उसको अभी - २ सारिका समझा कर गयी थी

के शव शाम की तैयारी में जुट गया...खाने पीने की चीज़े लेकर आया..आज वैसे भी छोटी दीवाली थी..पूरे मोहल्ले में रोशनी फे ली हुई थी...दोनो
भाई बहन ने मिलकर घर के बाहर लाइट लगाई और अपने घर को भी सॉफ सुथरा करके चमका दिया..फिर काजल खाना बनाने मे जुट गयी.

शाम को ठीक 8 बजे बिल्लू और गणेश आ गये...और कु छ देर के बाद राणा और जीवन भी पहुँच गये..
कु छ देर की बातो के बाद खेल शुरू हुआ..

तब तक काजल उपर ही थी...माँ को खाना खिला रही थी वो..

पहली बाजी लगी.

सबने बूट के 100 रुपय बीच मे डाल दिए..

और फिर सबने 3-3 ब्लाइंड चली...और फिर सबसे पहले राणा ने 500 बीच मे फें क कर ब्लाइंड को उपर बढ़ाया ..

तब तक जीवन उसकी बगल मे ही बैठा हुआ था...ठीक वैसे ही जैसे खेलते हुए के शव और काजल साथ बैठते है.

गणेश ने ब्लाइंड नही चली और अपने पत्ते उठा कर देख लिए..उसने कु छ सोच समझ कर 1000 रूपए की चाल चल दी..चाल आते ही बिल्लू ने भी
अपने पत्ते उठा लिए..पर उसके पत्ते इतने बेकार थे की उसने बुरा सा मुँह बनाते हुए उन्हे नीचे फें क दिया.

अब बारी थी के शव की...उसने भी कु छ सोचने के बाद ब्लाइंड के 500 रूपए बीच मे फें क दिए..

चाल आने के बाद कोई ऐसा नही करता...पर के शव ने कर दिया...शायद कल के जीते पैसे उसकी जेब मे गर्मी पैदा कर रहे थे.

राणा ने जीवन की तरफ देखा, जीवन ने भी ब्लाइंड चलने के लिए ही कहा..और राणा ने ब्लाइंड को बढ़ाकर 1000 कर दिया ..

अब एक बार फिर से गणेश की बारी थी...उसके पास कोई चारा नही था...उसे तो ब्लाइंड से डबल पैसे फें कने थे बीच में ...उसने बड़ी मुश्किल
से अपनी जेब से 2000 रूपए निकाले और बीच मे फें क दिए..

हालाँकि उसके पास पेयर आया था, 2 का, पर फिर भी वो डर रहा था की कहीं दोनो में से किसी एक के पास अच्छे पत्ते आ गये तो वो बेकार में
मारा जाएगा..

के शव ने भी अपनी दरियादिली एक बार और दिखाते हुए 1000 की ब्लाइंड चल दी...

अब एक बार फिर से राणा की बारी थी...उसने जीवन को देखा और जीवन ने राणा के आगे से 2000 रुपय उठा कर एक बार फिर से ब्लाइंड
चल दी.

अब तो गणेश की फट गयी...सामने से ब्लाइंड पर ब्लाइंड चल रही थी और वो डबल करते हुए चाल पर चाल चल रहा था..ऐसे मे अगर उसके पत्ते
पिट गये तो उसका तो डबल नुकसान होगा..उसने मन मारते हुए पेयर होने के बावजूद पैक कर दिया..क्योंकि अगली चाल के लिए वो 4000 रूपए
की बलि नही चड़ा सकता था.

अब सिर्फ़ राणा और के शव बचे थे बीच में .

के शव भी जानता था की ब्लाइंड खेलकर जीवन शायद उनको डराना चाहता है...पर अभी के लिए वो कोई और रिस्क नही लेना चाहता था..क्योंकि
उसका लक यानी काजल जो नही थी उसके साथ..

उसने अपने पत्ते उठा लिए..

उसके पास सबसे बड़ा पत्ता बेगम थी.

वो काफ़ी देर तक सोचता रहा और फिर उसने 4000 बीच मे फें ककर शो माँग लिया..
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07-22-2017, 03:47 PM,#38

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
राणा ने जीवन की तरफ देखा..और उसे पत्ते उठाने के लिए कहा..
जब वो पत्ते उठा रहा था तो के शव और बिल्ली बड़े गोर से उसे देख रहे थे, की कहीं वो बीच मे अपनी हाथ की सफाई दिखा कर पत्ते ना बदल
डाले..पर ऐसा कु छ हुआ नही..क्योंकि पत्तो को अपने सामने खिसकाने के बाद जीवन ने एक-2 करते हुए अपने पत्ते सामने फें कने शुरू कर दिए.

पहला पत्ता था 10 नंबर..

दूसरा था 3 नंबर..

ये दोनो पत्ते देखकर तो के शव को यकीन सा होने लगा की आज वो बिना काजल के भी जीत सकता है...क्योंकि बीच मे लगभग 10 हज़ार रुपय
थे..

पर जैसे ही जीवन ने आख़िरी पत्ता फें का, के शव का चेहरा उतार गया.

वो बादशाह था.

के शव ने भी बुरा सा मुँह बनाते हुए अपने पत्ते ज़ोर से पटक दिए..सिर्फ़ एक पत्ते से हारा था वो..गुस्सा आना तो लाजमी था.

और के शव से ज़्यादा गुस्सा तो गणेश को आ रहा था अपने उपर...क्योंकि उसके पास पेयर था और उसके बावजूद उसने पैक कर दिया था. अगर
उसने पैक नहीं किया होता तो वो ये बाजी जीत चुका होता

पर अब कु छ नही हो सकता था..

अगली गेम की तैयारी होने लगी...

गणेश पत्तों को ज़ोर-2 से पीटने लगा , शायद अपना गुस्सा उनपर उतार रहा था वो.

और जैसे ही वो पत्ते बाँटने लगा, पीछे से काजल की सुरीली आवाज़ आई

''आज मेरे बिना ही खेल शुरू कर दिया आप लोगो ने..

बिल्लू और गणेश तो कब से उसका इंतजार कर रहे थे...पर राणा ने जब देखा की काजल भी वहाँ आकर खड़ी हो गयी है और वो भी अपनी नाइट
ड्रेस में ...तो उसकी बाँछे खिल उठी...उसके बारे मे सोचकर वो कितनी मूठ मार चुका था..कितनी लड़कियों को उसके साथ कम्पेयर कर चुका
था, पर उस जैसी लड़की उसे पुर मोहल्ले मे नही दिखी थी..

और जब उसे गोर से देखने के बाद राणा को ये एहसास हुआ की उसने ब्रा नही पहनी है तो उसका लंड जींस के अंदर बड़ी ज़ोर से कसमसाने
लगा..

उसने सोच लिया की जब सामने से वो खुद चलकर आ रही है तो उसपर एक बार तो चांस लेना बनता ही है..

सभी ने काजल का स्वागत किया खड़े होकर..और काजल लचकति हुई सी आई और के शव की बगल मे आकर बैठ गयी.

बिल्लू ने राणा को समझा दिया की वो भी एक-दो दिनों से उनके साथ खेल रही है...अपने भाई के साथ या उसकी जगह पर..इस बात से भला
राणा को क्या प्राब्लम हो सकती थी,क्योंकि वो तो खुद ही जीवन के भरोसे खेल रहा था..

पर राणा के दिमाग़ मे एक ही बात चल रही थी की कै से काजल को शीशे मे उतार कर उसके साथ मज़ा लिया जाए..

अभी तो खेल शुरू ही हुआ था...अभी तो पूरी रात पड़ी थी उस काम के लिए..
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07-22-2017, 03:47 PM,#39

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
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अब आगे
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अब तो राणा किसी भी तरह काजल को इंप्रेस करना चाहता था...उसने जीवन के कान में बोल दिया की अब वो बिना उसकी हेल्प के
खेलेगा...क्योंकि ये बात वो भी जानता था की जब जीवन उसकी हेल्प नही करता तो वो हारता ही है...और काजल के हाथो हारकर वो उसे खुश
करना चाहता था और इंप्रेस भी..

जीवन समझ गया की राणा बावला हो गया है लोंडिया देखकर...पर वो कर भी क्या सकता था...उसके पैसे तो थे नही जो वो चिंता करता..वो
आराम से पीछे होकर बैठ गया और खेल देखने लगा.

अगली गेम शुरू हुई.

सबने बूट के 100-100 रुपए बीच मे डाल दिए..सबसे पहली ब्लाइंड चलने की बारी राणा की ही आई, उसने ब्लाइंड के लिए सीधा 500 रुपय
बीच मे फें क दिए..

गणेश की तो पहले से ही फटी पड़ी थी..उसने अपने पत्ते उठा लिए, उसके पास 2,3,5 आया था...यानी सबसे छोटे और बेकार पत्ते..उसने
अपना माथा पीट लिया और पत्ते नीचे फें क दिए..

अब बिल्लू की बारी थी, उसने भी ब्लाइंड के 500 नीचे फें क दिए..

काजल तो जैसे जानती ही थी की वो ही जीतेगी, उसने ब्लाइंड को डबल करते हुए 1000 रुपए बीच में फें क दिए..इतनी दरियादिली तो जीवन ने
भी किसी में नही देखी थी..राणा भी रैरान सा होकर रह गया, वो समझ रहे थे की वो अपनी नादानी मे ऐसे 1000 की ब्लाइंड खेल गयी...पर
राणा भी पीछे रहने वालो से नही था...उसे तो काजल को वैसे भी इंप्रेस करना था..इसलिए उसने भी ब्लाइंड को .डबल करते हुए 2000 बीच में
फें क दिए..

और इन दोनो के बीच बेचारा बिल्लू फँ स कर रह गया...2000 की ब्लाइंड चलने का उसे शोंक कोई नही था..उसने झट से पत्ते उठा लिए..और
उन्हे देखते ही उसके दिल की धड़कन तेज हो गयी..उसके पास सीक़वेंस आया था..8,9,10.

उसने अपनी खुशी को चेहरे पर नही आने दिया, और कु छ सोचने के बाद 4000 की चाल चल दी.

बिल्ली जैसे बंदे की तरफ से चाल आती देखकर के शव समझ गया की उसके पास ज़रूर बढ़िया पत्ते ही आए होंगे..उसने काजल को पत्ते उठाने के लिए
कहा..पहले तो काजल ने मना कर दिया, क्योंकि वो कल से एक भी गेम नही हारी थी..और उसे विश्वास था की ये गेम भी वही जीतेगी..पर के शव
के ज़िद करने के बाद उसने पत्ते उठा लिए.

राणा की नज़रें गेम से ज़्यादा काजल का शरीर नापने मे लगी थी...वो उसके हर अंग को अपनी आँखों से चोद रहा था...अपने होंठों पर जीभ
फिराता हुआ राणा भूखी नज़रों से काजल को घूरे जा रहा था..वो सोचने लगा की काश इस वक़्त काजल बिना कपड़ों के उसके सामने बैठी होती , वो
तो अपनी सारी दौलत लुटा देता उसके उपर..

वैसे भी बिना ब्रा के वो लगभग नंगी हालत मे ही थी...क्योंकि काफ़ी गोर से देखने पर उसके उभारों के उपर हल्के -2 भूरे रंग के निप्पल सॉफ दिखाई
दे रहे थे...पर शायद इस बात का काजल और के शव को एहसास नही था, क्योंकि पास से देखने मे कु छ नही दिख रहा था, दूर बैठे राणा को वो
साफ़ दिख रहा था, शायद कपड़े के रंग की वजह से ऐसा था. वैसे एक बात और भी है, ऐसे ठरकी लोगों को अंदर तक का सामान दिख ही जाता
है, लड़कियां कितना भी छु पाना चाहे, ठरकी लड़के उनके कपड़े भेदकर सब पता लगा लेते हैं, और यहाँ तो काजल खुल्लम खुला सब दिखती हुई सी
बैठी थी , वो भला कै से बच पाती रना की चुदासी भरी नजरों से

और इधर के शव और काजल भी अपनी खुशी कं ट्रोल नही कर पा रहे थे...उनके पास पत्ते आए ही ऐसे थे..के शव तो पुराना खिलाड़ी था, इसलिए
उसने खुशी के भाव चेहरे पर नही आने दिए, पर काजल के चेहरे की चमक बता रही थी की इस बार भी उसका जलवा चलने वाला है..

के शव ने भी 4000 की चाल चल दी..

अब राणा को भी पत्ते उठाने ही पड़े, क्योंकि जिसके लिए वो पैसे लूटा रहा था वो तो खुद ही चाल चल बैठी थी.

उसने अपने पत्ते देखे...और जीवन को भी दिखाए...भले ही उसने पहले उसकी हेल्प लेने से मना कर दिया था, पर २-२ चाल आने के बाद
उसने जीवन की सलाह लेनी ही उचित समझी , पत्ते तो उनके पास अच्छे ही आए थे...कु छ देर सोचने के बाद जीवन ने उसे चाल चलने के लिए
कहा...शायद ये सोचकर की काजल के पास कु छ खास नही होगा..और ना ही बिल्लू के पास...

यहाँ राणा एक बार फिर से काजल को इंप्रेस करने के चक्कर मे चाल को डबल करते हुए 8000 पर ले गया, अब बारी फिर से बिल्लू की
थी...उसके पास पत्ते तो काफ़ी जबरदस्त थे, पर एक प्राब्लम भी थी...वो आज के लिए सिर्फ़ 30 हज़ार रुपय ही लाया था घर से...अगर ऐसी
2-3 चाले और चलनी पड़ी तो वो आगे खेल ही नही पाएगा..पर फिर भी एक चाल और चलनी तो बनती ही थी...ये सोचकर की शायद सामने से
कोई पीछे हट जाए और वो दूसरे से शो माँग ले, ऐसे मे जितने भी आ जाएँ, वही बहुत है.
पर हर जुवारी यहीं ग़लती कर देता है और हारता चला जाता है.

काजल की बारी आते ही के शव ने बिना किसी झिझक के 8 हज़ार निकाल कर नीचे फें क दिए.

और इस बार राणा ने चाल डबल नही की, पर चाल ज़रूर चल दी 8 हज़ार की..

अब तो बिल्लू का दिल धड़कने लगा...पत्ते तो उसके पास अच्छे ही थे...और जेब मे सिर्फ़ 16-17 हज़ार के आस पास बचे थे..

उसने मन को कड़ा करते हुए एक निर्णय लिया और 16000 बीच मे फें कते हुए दोनो से शो माँग ली..

अब उसकी जेब मे कु छ भी नही बचा था...पर अंदर से उसे विश्वास था की वही जीतेगा..

अपने पत्ते बिल्लू ने नीचे फें क दिए...और राणा की तरफ देखा...


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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
राणा ने भी अपने पत्ते सामने रख दिए, उसके पास इक्के का कलर आया था...पर सीक्वें स के आगे वो भी बेकार थे...बिल्लू खुश हो गया.

अब बारी थी काजल की..पर बिल्लू के पत्तो को देखने के बाद वो थोड़ी कन्फ्यूज़ थी..और वो किसलिए थी, वो भी जल्द ही पता चल गया..क्योंकि
उसने जब अपने पत्ते सामने फें के तो उसके पास भी सीक़वेंस था...और वो भी सेम टू सेम बिल्लू जैसा 8,9,10.

काजल तो ज़्यादा नही जानती थी खेल के बारे मे की ऐसी स्थिति मे क्या होता है..पर उन जुआरियों को वो पता था, और दोनो तरफ के पत्ते देखने
के बाद जीवन एकदम से बोला : "ये बाजी काजल की हुई...उसके पास हुक्म का 10 है..''

और ये सही भी था...सेम पत्तो मे जब बाजी फँ स जाती है तो सबसे बड़े पत्ते को देखा जाता है, जिसके पास हुक्म का आ जाए, वही जीत जाता
है...

बिल्लू को तो विश्वास ही नही हो रहा था की उसकी किस्मत इतनी खराब भी हो सकती है, पहली बार ढंग के पत्ते आए और वो भी क्लै श कर गये
काजल के साथ..और अंत मे वो जीत भी गयी...

करीब 45 हज़ार जीत गयी थी काजल एक ही झटके में .

वो तो खुशी से चिल्ला ही उठी...और सारे पैसे अपनी तरफ करते हुए उसके निप्पल्स भी पहले से ज़्यादा उभरकर बाहर आ चुके थे...और ये देखकर
राणा बड़ा ही खुश हुआ..जैसे उसके सारे पैसे वसूल हो गये हो..राणा ने ये भी नोट किया की पैसे देखकर काजल कितनी खुश है..वो सोचने लगा
की क्या पैसे देकर वो उसकी चूत भी ले सकता है..

पहली गेम ही इतनी मोटी हो गयी थी की आने वाली गेम्स मे क्या होगा ये सभी सोचने लगे..

पर बिल्लू की हालत खराब थी..वो अपने सारे पैसे हार चुका था, उसने के शव से कु छ पैसे उधार माँगे, क्योंकि उन दोनो मे पहले भी उधार चलता
रहता था, और के शव वैसे भी काफ़ी माल जीत चुका था, इसलिए उसने बिल्लू को आगे खेलने के लिए 20 हज़ार रुपय उधार दे दिए.

एक बार फिर से गेम शुरू हुई...पर शुरू होने से पहले ही बिल्लू बोला : "देखो भाइयों, मेरे पास तो ज़्यादा पैसे है नही...इसलिए रिक्वे स्ट है की
मोटी गेम मत खेलो...ब्लाइंड भी 500 से ज़्यादा नही और चाल भी 1000 से ज़्यादा नही...''

उसकी बात सुनकर गणेश भी बोल पड़ा : "सही कहा बिल्लू....मेरे पास भी ज़्यादा माल नही है...ऐसे तो हम आधे घंटे में ही खाली होकर बैठ
जाएँगे..आज तो पूरी रात का प्रोग्राम है ना..''

के शव तो मोटा माल जीत चुका था, इसलिए उसने आपत्ति उठाई : "अरे नही, ऐसा कै से होगा...जिसकी जितनी मर्ज़ी होगी, वो उतना
खेलेगा...''

और राणा ने भी उसका साथ दिया..वो बोला : "सही कहा के शव....ऐसे छोटी गेम में मज़ा ही नही आता...
तभी काजल बीच मे बोल पड़ी : "मेरे पास एक प्लान है...जो बड़ी ग़मे खेलना चाहते हैं, वो अलग खेले और जो छोटी खेलना चाहते हैं, वो
अलग...''

उसकी बात सभी को जाच गयी...अब बड़ी गेम खेलने वालो में सिर्फ़ काजल और राणा ही थे...और उनके निकल जाने के बाद पीछे सिर्फ़ गणेश
और बिल्लू ही बचते थे..क्योंकि जीवन और के शव तो सिर्फ़ साथ देने के लिए बैठे थे..

पर के शव का दिमाग़ बड़ी तेज़ी से चल रहा था...वो अच्छी तरह से जानता था की उसकी बहन को तो कोई हरा ही नही सकता...एक पर्सेंट शायद
हो भी सकता है की वो हार जाए अगर राणा के साथ जीवन रहा तो...इसलिए राणा और जीवन को अलग करना ज़रूरी था...पर ऐसा क्या किया
जाए की दोनो अलग हो जाए... और वो ये अच्छी तरह से जानता था की अगर काजल और राणा अके ले खेलेंगे तो काजल ही जीतेगी..

के शव अचानक से बोला : "एक काम करते हैं, मैं भी इस छोटे वाले ग्रुप में खेलता हूँ ...और जीवन तुम भी आ जाओ यहीं पर, तुम भी अपना
हाथ आजमाओ...''

अपने ग्रूप मे शामिल करके वो जीवन और राणा की जुगलबंदी को तोड़ना चाहता था..जीवन ने इसलिए कु छ नही बोला क्योंकि वो जानता था की जुआ
खेलकर वो जीतगा ही...और राणा इसलिए नही बोला की काजल के साथ अके ले में खेलने का मौका जो मिल रहा था उसको..

वो दोनो के शव की बात सुनकर खुश हो गये..

पर बिल्लू और गणेश को ये सब सही नही लगा...वो भी तो काजल के साथ खेलना चाहते थे...पर वो भी कु छ नही बोल पाए, क्योंकि छोटी गेम
खेलने की बात तो उन्होने ही शुरू की थी, काजल के साथ खेलना है तो जेब मे माल होना चाहिए..वरना के शव और जीवन के साथ ही खेलो..

राणा और काजल सोफे से उठ खड़े हुए...

के शव ने अब ऐसी बात बोली जिसे सुनकर राणा की तो बाँछे ही खिल उठी...और बिल्लू और गणेश की रही सही मुस्कान भी जाती रही ..

के शव : "काजल, तुम एक काम करो...यहाँ ज़्यादा जगह तो है नही...तुम और राणा उपर मेरे कमरे में चले जाओ...वहाँ आराम से
खेलना...हम लोग नीचे खेलते हैं...''

काजल को भी विश्वास नही हुआ की उसका भाई ऐसे क्यों बोल रहा है...लेकिन बात तो सही थी, नीचे के छोटे से कमरे मे ज़्यादा जगह तो थी
नही...सिर्फ़ एक फाइव सीटर सोफा ही बिछा था..और बाकी की जगह पर टीवी ट्रॉल्ली, अलमारी और एक बड़ा सा शो के स रखा था

पर के शव ने ये बात इसलिए भी बोली थी की उन सभी के सामने अगर वो दोनो खेलेंगे, और बीच-2 मे अगर जीवन ने राणा की मदद करने की
कोशिश की तो प्राब्लम हो जाएगी...इसलिए के शव नही चाहता था की वो वहाँ बैठकर खेले...जबकि अपनी जवान बहन को राणा जैसे ठरकी के साथ
उपर भेजना काफ़ी ख़तरनाक था..पर ये सोचकर की वो भला उनके नीचे रहते क्या कर पायेगा , उसने उन्हे उपर जाने का आदेश दे डाला ..

काजल को कोई प्राब्लम नही थी...वो तो इतने पैसे जीतने के बाद हवा मे उड़ रही थी...और काजल के साथ उपर अके ले में खेलने के बारे में
सोचकर राणा भी उसी हवा मे उसकी बगल मे उड़ रहा था..

काजल अपनी गांड मटकाती हुई उपर की तरफ चल दी...

और उसकी महीन नाईटी में थरक रही नंगी गांड को देखते -2 राणा भी सम्मोहित सा होकर उसके पीछे उपर चल दिया..

अब आगे
***********

राणा को तो विश्वास ही नही हो रहा था की वो काजल के साथ अके ला है...के शव के रूम मे जाते ही राणा तो किसी रईस अय्याश की तरह पलंग
पर लेट गया, जैसे मुज़रा सुनने आया हो वहाँ पर..और लेटने के साथ ही उसने अपनी दोनो जेबों में से पैसों की गड्डियां निकाल कर अपने सामने रख
दी..शायद काजल को इंप्रेस करने के लिए..वो लगभग 2 लाख रुपय थे..लाल नोटों की गड्डियां देखकर काजल की तो आँखे ही फटने को आ
गयी...और अंदर से तो उसे जैसे ये विश्वास भी हो चुका था की कु छ ही देर में वो सारा पैसा उसके पास होगा..

वो आँखे फाड़कर नोटों को देख रही थी और राणा उसके चेहरे और मुम्मों को..एक्ससाइटमेंट की वजह से उसके उपर नीचे हो रहे सीने को देखकर वो
काफ़ी खुश सा हो रहा था..और जब उसने देखा की काजल की नज़रें उसके आगे रखे पैसों की तरफ है तो उसके कमीने दिमाग़ में एक आइडिया
आया..वो सारे पैसे उसके लंड के बिल्कु ल आगे की तरफ रखे थे...और वो तो कब से खड़ा होकर अंदर ही अंदर हुंकार रहा था..उसने बड़ी ही
बेशर्मी का प्रदर्शन करते हुए अपने लंड को ज़ोर से खुजलाना शुरू कर दिया...जैसे अंदर से उसे कोई कीड़ा काट रहा हो..

अपनी नज़र के सामने पड़े पैसों के बिल्कु ल पीछे ऐसी हलचल होती देखकर काजल का भी ध्यान उस तरफ चला गया..और जब उसे एहसास हुआ की
वो कर क्या रहा है तो उसका चेहरा लाल सुर्ख हो उठा..क्योंकि पेंट के उपर से उसके 9 इंच के मोटे लंड की रूपरेखा साफ दिख रही थी..वो
अपने हथियार को उपर से नीचे तक सहला रहा था, उंगलियों के नाखूनों से नोच सा रहा था..और उत्तेजना में भरकर वो किसी बँधे हुए जानवर की
तरह हिनहीना रहा था अपने पिंजरे में ..

काजल ने तो अभी तक सिर्फ़ के शव का ही लंड देखा था...और अब दूसरे को लगभग देख ही लिया था...मतलब उसकी लंबाई का अंदाज़ा तो लग
ही रहा था उसकी पेंट से...उसकी लाइफ की सबसे ज़रूरी चीज़े उसके सामने थी इस वक़्त..पैसा भी और लंड भी...पर अभी तक उसने दोनो को
सही से एंजाय नही किया था...पैसे तो वो खेर कर ही लेगी..पर लंड का मज़ा लेने के लिए वो ज़्यादा इंतजार नही करना चाहती थी.

राणा भी समझ चुका था की वो अपने प्लान मे सफल रहा है.

राणा : "बैठो ना काजल...पूरी रात नही है हमारे पास...ये देखन दिखाई भी करते रहते..''

उसने उसके मोटे-2 मुम्मों को घूरते हुए कहा.

काजल ने शरमा कर अपना मुँह झुका लिया....वो समझ गयी की उसका इशारा किस तरफ है...

काजल उसके सामने अपनी टांगे मोड़ कर बैठ गयी ... राणा ने पत्ते बाँटे और खेल शुरू हुआ.

जैसा की डिसाईड हो चुका था, ब्लाइंड 500 की चली गयी...3-3 ब्लाइंड चलने के बाद एकदम से राणा ने ब्लाइंड को बढ़ाकर 1000 कर
दिया...काजल ने भी 1000 की ब्लाइंड चल दी..

2 ब्लाइंड चलने के बाद ना जाने काजल के मन मे क्या आया, उसने अपने पत्ते उठा लिए...राणा तो सोच कर बैठा था की वो तब तक नही
उठाएगा, जब तक काजल नही उठाती...पैसे की कमी तो थी नही उसके पास...इसलिए वो पीछे नही हटना चाहता था..

काजल के पास हमेशा की तरह चाल चलने लायक पत्ते आए थे...9 का पेयर था उसके पास..

उसने अगले ही पल 2 हज़ार की चाल चल दी..अब राणा ने भी अपने पत्ते उठा लिए..उसके पास सबसे बड़ा पत्ता बादशाह था...कु छ ख़ास नही
था उसके पास, और सामने से चाल भी आ चुकी थी...पर फिर भी काजल के चेहरे पर थोड़ी और खुशी देखने के लिए उसने भी 2 हज़ार बीच में
फें के और शो माँग लिया..

राणा ने अपने पत्ते सामने रखे और काजल ने अपने...और दोनो तरफ के पत्ते देखकर काजल ने खुशी से एक चीख मार दी...और सारे पैसे अपनी
तरफ कर लिए.

नीचे बैठे के शव को वो खुशी से भरी चीख सुनाई दे गयी...और वो समझ गया की उपर की कमाई शुरू हो चुकी है..

राणा : "काजल...तुम्हारी किस्मत सच मे बड़ी कमाल की है...वैसे तो मैने आज तक किसी लड़की के साथ जुआ नही खेला...आज खेला भी तो
तुम्हारे साथ , जिसके हाथों हारने में भी कोई परेशानी नही है मुझे...''

काजल समझ गयी की वो उसके उपर लाइन मार रहा है...अब खूबसूरत लड़कियों की ये सबसे बड़ी प्राब्लम होती है...उन्हे पता होता है की एक
बंदा पहले से सेट है उनके हाथ (के शव) पर फिर भी नये आशिक़ों को वो मना नही करती..अपने उपर मरने वालों मे एक और नाम लिखवाने में भला
किसे प्राब्लम हो सकती है..

राणा की दिलफें की वैसे भी पूरे मोहल्ले मे माशूर थी..गली से निकलते हुए पहले भी वो कई बार उसकी भूखी आँखों का सामना कर चुकी थी...पर
आज माहौल अलग था...वो अपने पैसे लुटवाने के लिए उसके सामने तैयार बैठा था...और उपर से उसपर लाइन भी मार रहा था...दोनो ही बातें
काजल को पसंद आ रही थी.

काजल ने गोर किया की राणा का हाथ अभी भी उसके लंड के उपर सरक रहा है...जैसे वो जान बूझकर उसे अपने लंड को दिखाना चाहता
था..काजल की चूत में भी खुजली सी होने लगी...शायद के शव होता उसके सामने तो वो भी अपनी चूत वाले हिस्से को रगड़कर वहाँ की खुजली
मिटा लेती..पर राणा के सामने ऐसा करना उसे सही नही लगा...वो बस अपनी दोनो जांघों को भींच कर आपस मे रगड़ने लगी..ताकि राणा को पता
ना चले की वो कर क्या रही है.
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
पर आना तो एक नंबर का हरामी था , उसके पैरों की हल्की हरकत को देखकर वो एक ही पल मे समझ गया की वो क्या कर रही है...यानी वो
इस समय उत्तेजित है और अगर वो अपनी तरफ से थोड़ी सी कोशिश करे तो उसका काम बन सकता है.

राणा ने अपनी टांगे थोड़ी और फे ला कर रख दी...और ऐसा करने से उसके आगे वाला हिस्सा और भी ज़्यादा फू ल कर बाहर की तरफ निकल
आया..ऐसा लग रहा था की उसकी पेंट के अंदर बाँस का बंबू लगा कर टेंट बनाया गया है...और बेशरम राणा उसे छु पाने के बजाए और भी ज़्यादा
उभारकर दिखाने की कोशिश कर रहा था.

अगले पत्ते काजल ने बाँटे...पर उसका ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ तंबू और बंबू पर ही था..

3 ब्लाइंड चलने के बाद राणा ने 1000 की दो ब्लाइंड और चल दी...इस बार काजल ने भी सोच लिया था की वो पत्ते नही उठाएगी..उसने 2
हज़ार की ब्लाइंड कर दी..राणा ने भी उसका साथ दिया...अगली 3 ब्लाइंड 2 हज़ार की आई...ब्लाइंड मे ही इतना पैसा इकट्ठा हो चुका था ,
जितना की नीचे बैठे जुआरी चाल चलने के बाद भी इकट्ठा नही कर पा रहे थे..

अब राणा ने थोड़ा और आगे बढ़ने की सोची...

अभी तक होता क्या था, राणा जब भी ब्लाइंड या चाल चलता था,अपने पैसे चूम कर नीचे फें कता था...और पत्ते भी पहले चूमता था और उसके
बाद देखता था..ये उसका टोटका था, जो अभी तक चला नहीं था

इस बार जब उसने अपनी अगली चाल चली तो पैसे अपने होंठों से चूमने के बदले अपने खड़े हुए लंड पर घिस कर दिए...पहली बार राणा को ऐसा
करते देखकर काजल हैरान भी हुई और शरम से लाल भी..पर जब अगली बार उसने फिर से ऐसा किया तो उससे रहा नही गया, वो बोल पड़ी :
"अब ये क्या तरीका है...''

उसने उसकी टाँगो के बीच इशारा करते हुए कहा..

राणा (मुस्कु राते हुए) : "ये मेरा टोटका है...जब मैं हारने लगता हू तो अपने दोस्त की मदद लेता हू...अब जीवन तो नीचे बैठा है, इसलिए
अपने दूसरे दोस्त की मदद ले रहा हू..''

काजल (हँसते हुए, शरारती आवाज में बोली ) : "ऐसा थोड़े ही होता है...''

काजल को अपनी बातों में फँ सता देखकर राणा बोला : "अब ये तो इस गेम के बाद ही पता चलेगा...''

काजल को भी डर सा लगने लग गया...वैसे भी बीच मे लगभग 15 हज़ार आ ही चुके थे...उसने अपने पत्ते उठा कर देख लिए..इस बार पहली
दफ़ा उसके पास ढंग के पत्ते नही आए थे...बादशाह, बेगम और चोक्की...पर फिर भी उसने 2000 बीच मे फें कते हुए शो माँग लिया.

राणा ने उसके पत्ते देखे..और फिर अपने पत्ते उठा लिए..और उन्हे फिर से एक बार अपने खड़े हुए लंड पर रगड़ा और खुद बिना देखे उन्हे नीचे
फें क दिया..

उसके पास 1,2,3 की सीक़वेंस आई थी...राणा को तो खुद ही विश्वास नही हुआ की उसके पास इतने बढ़िया पत्ते आए हैं...और वो भी उस
वक़्त जब उसने लंड पर रगड़ने वाले टोटके का तुक्का मारा था...आज से पहले उसने ऐसा कु छ भी नही किया था...वो तो बस काजल को उकसाने
के लिए और उसे अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए उसने बोल दिया था..पर वो नही जानता था की असल में वो जीत जाएगा..पर जो भी था,
वो अंदर से काफ़ी खुश हो रहा था..क्योंकि अब काजल को उसकी बात पर विश्वास हो जाएगा..और वो खुलकर वो सब कर सके गा जो उसने पहले
से सोच लिया था..

काजल भी पहली बार हारकर थोड़ा मायूस थी...जब से उसने तीन पत्ती खेलना शुरू किया था, वो हारी ही नही थी..शायद ओवर कॉन्फिडेंट हो चुकी
थी वो...वो सोचने लग गयी की ऐसा क्यो हुआ, क्या राणा ने जो टोटका अपनाया उसकी वजह से...वो सही भी था शायद..क्योंकि अभी तक वो
खुद भी तो बिना अंडरगारमेंट्स के खेल रही थी..वो भी तो एक टोटका ही था, क्योंकि पहले जब वो के शव के साथ अंदर के कपड़े पहन कर खेली
थी तो वो हारती जा रही थी..के शव ने ही उसे ये सलाह दी थी..और जब से उसने अपनी ब्रा और पेंटी उतार कर खेलना शुरू किया वो हारी ही
नही..पर अब हार गयी...और वो शायद इसलिए की शायद उसका टोटका ज़्यादा भारी पड़ गया उसके उपर..

अब वो बेचारी उन बातों में इतनी अंदर तक घुस गयी थी की ये भी नही समझ पा रही थी की ये मात्र इत्तेफ़ाक़ था...ऐसे पत्तों पर किसी का भी
ज़ोर नही चलता..और अभी तक सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी किस्मत ही उसका साथ दे रही थी..के शव ने भी सिर्फ मजे लेने के लिए उसके अंडरगारमेंट्स
निकलवाए थे, और वो उसके मजे भी ले चूका था, पर बेचारी काजल समझ कर बैठी थी

राणा ने पैसे समेट लिए और गोर से उसके चेहरे को देखते हुए ये जानने की कोशिश करने लगा की काजल के दिमाग़ में चल क्या रहा है..

खेर, जब अगली गेम शुरू हुई तो राणा ने फिर से वही हरकत करनी शुरू कर दी...और इस बार तो वो और भी ज़्यादा बेशर्मी पर उतर आया..ये
जानते हुए भी की काजल घूर-2 कर वहीं देख रही है, वो अपने खड़े लंड पर लाल नोटों को ज़ोर-2 से रगड़कर नीचे फें कने लगा..
इस बार काजल ने चांस नही लिया..वो देखना चाहती थी की क्या इस बार भी राणा का टोटका काम करेगा..उसने अपने पत्ते उठा लिए..उसके पास
3 का पेयर आया था..पत्ते एक बार फिर से चाल चलने लायक थे..इसलिए उसने 2000 की चाल चल दी..पर राणा ने बिना पत्ते देखे, एक बार
फिर 1000 का नोट अपने खड़े लंड पर मसल कर नीचे फें क दिया..अब काजल फिर से घबराने लगी, क्योंकि राणा एक दम कॉन्फिडेंट होकर वो
ब्लाइंड चल रहा था..जैसे वो जानता हो की उसके पास बड़िया पत्ते ही आएँगे..

अब के शव भी उसके साथ नही था, जिससे पूछ कर वो कोई डिसीसन ले सकती...उसने अपने दिल की बात मानते हुए शो माँग लिया.
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
राणा ने फिर से एक बार बिना देखे ही अपने तीनों पत्ते उसके सामने पलट दिए..और उन्हे देखकर काजल को पक्का विश्वास हो गया की अब उसका
नही बल्कि राणा का टोटका हावी है गेम पर..

क्योंकि उसके पास 10 का पेयर आया था..

राणा ने मुस्कु राते हुए एक बार फिर से वो सारे पैसे समेट लिए.

राणा : "देखा ...मैने कहा था ना...मेरा टोटका है ये...''

काजल ने भी सोच लिया की वो भी ये टोटका ट्राइ करेगी..

अगली ब्लाइंड चलने से पहले काजल ने वो किया जो राणा ने सोचा भी नही था..काजल ने 1000 का नोट लेकर सीधा अपने मुम्मे पर रगड़ा और
उसे नीचे फें क दिया..

राणा : "हा हा हा ...तो तुम भी इन बातों पर विश्वास करती हो...''

काजल : "हाँ ..तभी तो मैने अंदर कु छ भी नही .....''

वो बोलते-2 रुक गयी....पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी...राणा को उसकी ब्रा और पेंटी के गायब होने का राज पता चल चुका था..और वो
ये सुनकर बड़ी ही बेशर्मी से अपने होंठों पर जीभ फे रता हुआ मुस्कु राने लगा.

राणा : "इसमें शरमाने की क्या बात है...सही है...अगर तुम उसकी वजह से जीत रही हो तो इसमे नुकसान ही क्या है...बस सामने बैठे लोगो
को थोड़ी परेशानी हो जाती है, पर उससे तुम्हे क्या, तुम्हे तो जीतने से मतलब है बस..''

काजल उसकी बात सुनकर शर्म से गड़ी जा रही थी..

अगली बार फिर से राणा ने हज़ार का नोट अपने लंड से रगड़ा...और फिर उसके बाद काजल ने भी अपने मुम्मे पर ..अब वो ऐसा करते हुए शरमा
भी नही रही थी...अपने ही हाथों अपने मुम्मे को रगड़ना और वो भी राणा के सामने, उसे पूरी तरह से उत्तेजित कर रहा था...उसके बदन मे
चींटियाँ सी काट रही थी..वो करारे नोट को जब अपने खड़े हुए निप्पल के उपर रगड़ती तो एक अजीब सी झनझनाहट होती उसके जिस्म में ..और
वो बेचारी सिसक भी नही सकती थी..बस दाँतो से होंठ दबा कर ब्लाइंड चलती रही..

कु छ देर बाद काजल ने अपने पत्ते उठा ही लिए..उसके पास सिर्फ़ इक्का और 5, 9 नंबर आए थे...इकके के बल पर चाल चलना काफ़ी रिस्की
था, पर वो देखना चाहती थी की उसका ये टोटका भी काम कर रहा है या नही..इतना सोचते हुए उसने शो माँग लिया

राणा ने हर बार की तरह गहरी मुस्कान के साथ अपने पत्ते उठाए , उन्हे अपने खड़े लंड से रगड़ा...और बिना देखे ही सामने फें क दिए.

उसके पास 2,3 और 9 नंबर आए थे...यानी ये गेम सिर्फ इक्के के बल पर काजल जीत चुकी थी...और काजल ने खुशी की किल्कारी मारते हुए
वो सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..

और उसे जीतता देखकर राणा भी काफ़ी खुश था...दरअसल वो चाहता भी यही था..क्योंकि अगर वो जीत जाता तो काजल उसकी इस झूटी टोटके
वाली बात पर कभी विश्वास नही करती...अब तो राणा को एक तरीका मिल गया था उसे उत्तेजित करने का...उसे अपनी तरफ आकर्षित करने
का..
अगली गेम शुरू हुई...और काजल ने ब्लाइंड चल दी...और इस बार उसने एक-2 करते हुए अपने दोनो मुम्मों पर नोट रगड़ा ...उसके मुम्मों की
थिरकन से राणा की आँखे चुंधिया सी रही थी..और वो बड़ी मुश्किल से अपने आप पर कं ट्रोल रखकर बैठ हुआ वो देख रहा था.

राणा की बारी आई तो उसने एक और डेयरिंग दिखाई...उसने धीरे से अपनी जीप खोल दी..उसके अंडरवीयर मे फँ से लंड को थोड़ा और फे लने की
जगह मिल गयी..और फिर उसने अपने खड़े हुए लंड को अपने हाथ से मसला..उसे सहलाया..और फिर हज़ार के नोट को उसने अंदर डाल कर
उससे टच करवाया..यानी अपने नंगे लंड से ..और फिर वो नोट नीचे फें क दिया.

राणा : "मुझे लगता है इसको सीधा टच करवाने से ही असली असर आएगा ...मेरा जादू तभी चलेगा...''

काजल उसकी बातें सुन रही थी और अपनी फटी हुई आँखों से उसके उभार को देखकर साँस लेना भी भूल गयी थी..

ऐसा लग रहा था की उसने अंडरवीयर मे नाग पाल रखा है..जो किसी भी पल बाहर निकल कर उसपर हमला कर देगा..

काजल मे इतनी भी हिम्मत नही हुई की वो उसे ऐसा करने से मना कर दे...उसके कमरे में वो राणा अपनी बेशर्मी दिखा रहा था, वो चाहती तो उसे
ऐसा करने से मना कर सकती थी..खेल को छोड़ सकती थी...अपने भाई को आवाज़ देकर उपर बुला सकती थी और उसे बता सकती थी की देखो,
तुम्हारा दोस्त कै सी गंदी हरकत कर रहा है...पर ये सब तो तब होता ना जब वो ऐसा करना चाहती....वो तो ऐसा सीन देखकर खुद ही उत्तेजना
के शिखर पर पहुँच चुकी थी...उसकी नंगी चूत में से पानी निकल कर उसके पायजामे में गीला धब्बा बना चुका था...उसके कड़क निप्पल टी शर्ट में
ड्रि ल करके छेद बनाने की कोशिश कर रहे थे..और ये सब उसे इतना रोमांचित कर रहा था की वो बस यही चाह रही थी की ये सब ऐसे ही चलता
रहे...कोई उन्हे डिस्टर्ब ना करे...आज बात बढ़ती है तो बड़ जाए...वो भी देखना चाहती थी की ये खेल कहाँ तक चलता है..

काजल ने अपनी ब्लाइंड चली...पर सिर्फ़ अपने मुम्मों के उपर से ही रगड़कर ...राणा की तरह अंदर डालकर नही.

राणा ने 2 ब्लाइंड ऐसे ही चल दी...काजल ने सोचा की अब फिर से चांस नही लेना चाहिए...तो उसने अपने पत्ते उठा लिए...और इस बार
उसके चेहरे पर खुशी आ ही गयी...क्योंकि उसके पास कलर आया था...लाल पान का कलर..3,5,9 नंबर..

उसने 2 हज़ार उठाए..उन्हे अपने मुम्मों पर बुरी तरह से रगड़ा और नीचे फें क दिए..

राणा समझ गया की उसके पास ढंग के पत्ते आ चुके हैं...अब वो मन ही मन उपर वाले से दुआ माँग रहा था की वो ये बाजी जीत जाए...क्योंकि
ये आख़िरी प्रयास था काजल को बोतल मे उतारने का..अपनी झूटी बात का उसपर प्रभाव डालने का..

और इस बार उसने बेशर्मी का एक और परदा गिराते हुए जब अपने लंड पर नोट रगड़ा तो अपने अंडरवीयर को थोड़ा नीचे खिसका दिया...और ऐसा
करते ही उसका भूरे रंग का लंड काजल की आँखो के सामने प्रकट हो गया...आधे से ज़्यादा उसने लंड को नंगा करके काजल के सामने परोस
दिया..और बड़े ही आराम से उसपर नोट को रगड़कर वो ये दिखाने की कोशिश कर रहा था की वो कोई मंत्र पड़ रहा है...और फिर उसने एक और
ब्लाइंड चल दी..

काजल की बारी थी..पर वो तो एकटक उसके लंड को घूरने में लगी थी.

राणा समझ गया की चिड़िया ने दाना चुग लिया है..वो बोला : "चल काजल ...अपनी चाल चल...इसे देखने के लिए तो पूरी रात पड़ी
है...''

काजल झेंप गयी..उसने फिर से 2 हज़ार की चाल चल दी...वैसे ही..अपने मुम्मों से नोटों को रगड़कर..

अब राणा ने अपने पत्ते उठा लिए....और उसे ऐसा लगा की उपर वाले ने उसकी फरियाद सुन ली है..क्योंकि उसके पास एक बार फिर से सीक़वेंस
आया था...7,8,9 नंबर..
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07-22-2017, 03:48 PM,#44

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
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अब आगे
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उसने चाल को डबल करते हुए 4 हज़ार कर दिया और इस बार अपने अंडरवीयर को पूरा नीचे खिसका कर लंड और टटटे पूरी तरह से उजागर कर
दिए काजल के सामने और उनसे रगड़कर उसने हर बार की तरह चाल चली...

अब आलम ये था की राणा काजल के सामने नीचे से लगभग नंगा होकर बैठा था...उसका पठानी लंड अपने पूरे शबाब पर था..लगभग 9 इंच के
आस पास...जो के शव से भी बड़ा था...अपने सामने ऐसे खड़े हुए लंड को देखकर काजल तो पागल सी हुई जा रही थी..ऐसा नज़ारा देखने को
मिलेगा, उसने तो सोचा भी नही था.

पर साथ ही साथ उसका ध्यान गेम पर भी था...अब इतना तो उसे पता चल ही गया था की सामने से जब डबल चाल आए, इसका मतलब सामने
वाले के पास भी बाड़िया पत्ते आए हैं...4 हज़ार की ब्लफ तो नही करेगा कोई...

उसने भी 4 हज़ार नीचे फें कते हुए शो माँग लिया...

काजल ने पत्ते नीचे रखे...और राणा ने भी अपने पत्ते उसके सामने फें क दिए..जिन्हे देखकर उसके मन में फिर से एक बार मायूसी छा गयी...वो
समझ गयी की राणा अपनी जगह पर सही है...और उसके टोटके उसपर तभी भारी पड़ते हैं जब वो थोड़ा बड़-चड़कर उन्हे करता है...

और इस बार काजल ने भी सोच लिया की उसे क्या करना है..

और जब अगली गेम शुरू हुई तो काजल ने बिना राणा की तरफ देखे, अपनी टी शर्ट के गले की जीप नीचे करी..और ऐसा करते ही उसके दूधिया
मुम्मे राणा की भूखी आँखों के सामने प्रकट हो गये..वो किसी दूध के पर्वत की तरह कठोरता लिए हुए कड़क अंदाज में खड़े हुए थे...सिर्फ़ निप्पल
को छोड़कर सब सॉफ दिख रहा था राणा को...

काजल ने नोट लिया और उन्हे अपने दूधिया पर्वत पर घिसा...और उसे नीचे फें क दिया..

राणा को और क्या चाहिए था...वो अपनी तरकीब में कामयाब हो गया था..अब वो इस खेल को एक नये आयाम तक ले जाना चाहता था....

राणा तो जैसे इसी पल का वेट कर रहा था...उसने भी अपनी पेंट और अंडरवीयर घुटनो से नीचे खिसका दिया..और हज़ार के नोट को बुरी तरह से
घिस कर नीचे फें क दिया.

काजल के सामने अब राणा का लंड पूरी तरह से नंगा था...उपर से नीचे तक...एकदम कठोर, कु तुब मीनार की तरह खड़ा था वो..काजल की
आँखो में उसके लंड को पाने का लालच साफ़ झलक रहा था..राणा भी इस गेम के ज़रिए ज़्यादा देर तक तड़पना नही चाहता था..पर उसे बोले भी
तो कै से बोले...वो कु छ बोलने ही वाला था की नीचे से किसी के उपर आने की आवाज़ आई...

राणा ने झट से अपनी पेंट उपर खींच ली..और काजल ने भी अपनी जीप को बंद कर लिया..

उपर आने वाला के शव के अलावा कौन हो सकता था..उसके हाथ मे दारू का ग्लास था..शायद राणा और काजल के उपर आते ही नीचे दारू शुरू हो
चुकी थी...के शव की हालत देखकर सॉफ लग रहा था की उसे चढ़ चुकी है..

के शव : "कौन जीत रहा है अभी तक....ह्म्*म्म्म''

राणा : "यार के शव...तेरी बहन ने तो मेरी हालत ही खराब कर रखी है...देख ना कितने नोट ले गयी मेरे...''

राणा ने काजल की जाँघ के नीचे दबे नोटों की तरफ इशारा करते हुए कहा..

के शव तो नशे मे था, ये सुनकर वो और मस्ती मे आ गया..और उसने झुक कर काजल को गले से लगा लिया..और उसके चेहरे पर चूम भी लिया
: " ये तो मेरी चेम्पियन है...देखना अभी तू...तेरे सारे पैसे लूट लेगी..''

राणा : "मैं तो कब से लुटने के लिए बैठा हू...पता नही कब लूटेगी ये...''

राणा की बात के शव के तो उपर से निकल गयी..पर काजल की तिरछी निगाहों और स्माइल ने सब बयान कर दिया की वो समझ चुकी है की राणा
क्या कहना चाहता है..

काजल : "के शव , तुम नीचे जाओ अब...ऐसे डिस्टर्ब करोगे तो मैं इसको लूटूँगी कै से...''

उसने अपने होंठों को दाँत तले दबाकर कहा..

रसगुल्ले को निचोड़ने से जिस तरह से रस निकलता है, वैसे ही रस टपक गया काजल के होंठों से, जब उसने अपने दाँतों के बीच उन्हे भींचा..
राणा तो उसके रसीले होंठों को चूसने के लिए पागल सा हुआ जा रहा था..और अब तो काजल ने भी लाइन देनी शुरू कर दी थी...पर उसने भी
सोच लिया था, अभी तक जैसे चल रहा था, वैसे ही चलने देगा..क्योंकि खेल खेलने में और धीरे-2 बेपर्दा करने मे जो मज़ा उसे मिल रहा था,वो
उसे खोना नही चाहता था..

के शव : "ओके ...ओके ...मैं जा रहा हू ....मैं तो बस राणा के लिए ये पेग बना कर लाया था...चीयर्स ...''

और दारू का पेग राणा को देकर के शव नीचे चल दिया..


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07-22-2017, 03:48 PM,#45

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
राणा ने वो पेग एक ही साँस मे पी डाला...एक गर्मी सी उतरती चली गयी उसके सीने के अंदर..और एक झटके में पीने से हल्का सरूर भी एकदम
से ही आ गया..

अपनी नशीली आँखों से काजल को देखते हुए उसने अपनी पेंट एक बार फिर से नीचे खिसका दी..वैसे तो ब्लाइंड चलने की बारी काजल की थी..पर
फिर भी उसने एक नोट लिया और थोड़ा सा मुरझा गये लंड को फिर से घिसकर खड़ा कर लिया..

काजल ने भी बड़े ही सेक्सी तरीके से राणा को देखते हुए अपनी टी शर्ट की जीप खोली, पहले की तरह ही उसकी छातियाँ उभरकर बाहर निकल
आई..और फिर उसने वो किया जो अभी तक राणा ने सोचा भी नही था..और जिसे देखने के लिए वो ये सब ड्रामा कर रहा था अभी तक...

काजल ने अपना दाँया हाथ अंदर की तरफ घुसेड़ा और अपने बांये मुम्मे को कान से पकड़कर बाहर ले आई..उसके पिंक कलर के निप्पल्स देखकर राणा
की आँखे ही चुंधिया गयी...और राणा की आँखो की भूख को देखते-2 काजल ने अपना नोट उसपर रगड़ा और बड़े ही स्टाइल से उसे नीचे लहरा
दिया..

और अपने मुम्मे को अंदर करने की भी जहमत नही उठाई काजल ने...उसका एक उभार अब पूरी तरह से नंगा होकर बाहर लटक रहा था..

राणा : "काजल....क्या कमाल के बूब्स है तुम्हारे...मन कर रहा है इन्हे दबोच लू...चूस लू...निचोड़ डालु...''

काजल पर तो पहले से ही ठरक सवार थी...राणा की ऐसी गंदी बातें सुनकर वो और भी ज़्यादा उत्तेजना से भर उठी..

उसने मन ही मन कहा 'तो कर ले ना राणा...रोका किसने है तुझे..'

अब एक लड़की होकर उसने अपनी तरफ से इतना कु छ कर दिया, और कु छ करके वो एक रंडी जैसी नही बनना चाहती थी..

राणा भी उसकी हालत का अंदाज़ा लगाता हुआ अंदर से खुश हो रहा था..अब एक बात तो पक्की थी की वो उसकी चुदाई कर ही लेगा..के शव के
उपर आने से पहले राणा अपनी तरफ से पहल करके प्यार का खेल शुरू करना चाहता था..पर अब जब काजल ने खुद ही अपने जिस्म की नुमाइश
करनी शुरू कर दी है , इसका मतलब वो भी उतनी ही उतावली है जितना की वो, और एक उतावली लड़की से प्यार करवाने में जो मज़ा मिलता है,
वो अपना उतावलापन दिखाकर उसे प्यार करने मे नही है..राणा वैसे भी अपने आप को किसी राजा से कम नही समझता था..वो आराम से लेट कर
मज़े लेने वालो में से था, यानी सामने वाली से अपने आप को प्यार करवाकर मज़ा लेने वालो में से...

राणा ने काजल की आशा के अनुसार कु छ नही किया और फिर से अपनी गेम के अंदर घुस गया..हज़ार के दो नोट लिए और उन्हे लंड से मसल कर
नीचे फें क दिया.

काजल थोड़ी हैरान ज़रूर हुई पर फिर ये सोचकर की शायद वो के शव के नीचे बैठे होने की वजह से घबरा रहा है, इसलिए कु छ नही कर रहा ..

काजल : "अब शायद के शव उपर नही आएगा...वो सब पीने मे मस्त हो चुके हैं..''

जैसे वो राणा को ये बताना चाहती हो की कर ले घोंचू , जो भी करना है, के शव नही आने वाला अब उपर..

राणा भी उसकी बात का मतलब समझ गया, फिर भी उसने बात घुमा दी और बोला : "हाँ ...पर उसका अपना घर है, कभी भी आ सकता
है...ऐसे खेल के बीच में डिस्टर्ब नही होना चाहता मैं बार -2...''
काजल समझ नही पा रही थी की उसके मन मे आख़िर चल क्या रहा है...ऐसा भी कोई चूतिया होता है क्या जो एक लड़की के नंगे मुम्मे को देखकर
भी अडिग रहे...और वो भी राणा जैसा हरामी, जो उसे देखकर गली में भी छेड़ता था...और अब जब वो खुद उसके सामने ऐसी हालत मे बैठी
है, वो साधु बना बैठा है.

काजल ने भी ठान लिया की वो भी रम्भा बनकर इस विश्वामित्र की तपस्या भंग करके दिखाएगी..

पर अब तक बीच मे काफ़ी पैसे इकट्ठे हो चुके थे...और वो ये भी देखना चाहती थी की इस बार उसका टोटका सही काम कर रहा है या
नही..इसलिए उसने अपने पत्ते उठा लिए..

उसके पास 5 का पेयर आया था...वो खुश हो गयी...और इसी खुशी मे उसने अपने दूसरे मुम्मे को भी बाहर खींच निकाला और राणा की अदालत
के सामने नंगा कर दिया..

अब तो राणा का ईमान बुरी तरह से डोलने लगा..सिर्फ़ गले वाले हिस्से से बाहर निकालने की वजह से उसके दोनो मुम्मे अकड़ से गये थे...और उसे
जिप भी चुभ रही थी उनपर..वो कभी इधर से तो कभी उधर से उन्हे सहलाने लगी..
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07-22-2017, 03:48 PM,#46

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
राणा का ध्यान उसके मुम्मों के साथ-2 गेम पर भी था..काजल की तरफ से चाल आती देखकर उसने भी पत्ते उठा लिए..उसके पास चिड़ी का कलर
आया था..उसने भी अपने लंड से रगड़कर 4 हज़ार की चाल चल दी..

चाल के उपर चाल आती देखकर काजल डर गयी...अब इतना तो वो समझने ही लगी थी की ऐसी हालत मे गेम किसी की भी हो सकती है...वैसे
भी एक पेयर ही तो आया था उसके पास और वो भी काफ़ी बड़ा नही था..इसलिए उसने मन मसोस कर शो माँग लिया..और अपने दोनो मुम्मों से
अच्छी तरह से पैसे रगड़ने के बाद उन्हे नीचे फें क दिया..

उत्तेजना और उपर से लगातार मिल रही रगड़ाई से उसके निप्पल लाल हो चुके थे...और बुरी तरह से अकड़ भी गये थे..काजल को हल्का -2 दर्द
भी होने लगा था उनमे..जो किसी के दबाने से ही निकलने वाला था..

काजल ने अपने पत्ते राणा के सामने फें क दिए..

बीच मे लगभग 30 हज़ार रुपय थे..

राणा ने उसके पत्ते देखे..उसके पत्ते तो बड़े थे ही..इसलिए वो जीत ही चुका था ये गेम ..पर इस समय उसे इन पैसों से ज़्यादा अपने प्लान की
चिंता थी...जिसे अपनाकर वो उसे धीरे-2 नंगा कर देना चाहता था..

राणा ने उसके पत्ते देखे और अपने पत्ते बिना उसे दिखाए उल्टे करके वापिस गड्डी में रख दिए और बोला : "ओह्ह्ह्ह .....ये गेम तो तुम जीत
गयी...''

और खुशी से फू ली ना समाते हुए काजल ने एक बार और जोरदार चीख मारकर वो सारे पैसे अपनी तरफ खींच लिए..राणा के पत्ते देखने की उसने भी
जहमत नही उठाई...उसके मुम्मे बुरी तरह से हिल रहे थे...राणा ने जान बूझकर ये गेम हारी थी..ताकि काजल यही समझे की अपने मुम्मे नंगे करने
वाले टोटके की वजह से ही वो ये बाजी जीती है..

राणा (थोड़ा बनावटी गुस्सा दिखाते हुए) : "तुम अपने टोटके मुझसे ज़्यादा चला रही हो अब...मैं भी देखता हू की अगली गेम तुम कै से जीतोगी
..''

इतना कहते हुए उसने अपनी पूरी की पूरी पेंट और साथ मे अंडरवीयर भी उतार दिया

अब वो नीचे से नंगा होकर बैठा था काजल के सामने..

काजल ने पत्ते बाँटे और राणा के नंगे बदन को निहारती रही...उसका तो बस मन कर रहा था की टूट पड़े वो राणा के उपर..पर उससे पहले वो
उसके बचे हुए पैसों को जीतना चाहती थी...अभी भी राणा के पास लगभग 20 हज़ार रूपए बचे थे...और काजल ने ये सोच लिया था की वो इसी
गेम में वो सारे पैसे जीत लेगी..
और उसके बाद वो करेगी सब...जिसे सोचकर ही उसकी चूत से पानी निकले जा रहा है...

पर उससे पहले वो खेल को थोड़ा और गर्म करना चाहती थी..ताकि राणा जो अपनी तरफ से ये ड्रामे कर रहा है, वो बंद कर दे..और उसपर टूट
पड़े, इसलिए जैसे ही उसकी ब्लाइंड की बारी आई, उसने अपनी टी शर्ट को उपर उठाया और गले से घुमा कर निकाल फें का..

अब वो टॉपलेस होकर बैठी थी राणा के सामने...

राणे ने अपने हाथ मे हज़ार का नोट पकड़ा हुआ था, जिसे वो अपने लंड पर घिस रहा था..काजल के टॉपलेस होते ही वो उसकी सुंदरता देखता रह
गया...और कब उसके हाथ से नोट निकल कर गिर गया उसे भी पता नही चला..

और वो उसके उपर से नंगे बदन को देखते हुए ज़ोर-2 से मूठ मारने लगा..

काजल भी उसकी हालत देखकर मुस्कु रा दी..

अब खेल सच मे काफ़ी गर्म हो चुका था.


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07-22-2017, 03:48 PM,#47

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
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अब आगे
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राणा जिस लड़की को एक बार देखने के लिए तरसता था, आज वो उसके सामने लगभग नंगी बैठी हुई थी... पैसों में कितनी ताक़त होती है ये आज
उसे पता चला..पर पैसों के साथ -2 लंड में भी जान होनी चाहिए, तभी लड़कियां आकर्षित होती है..

पर काजल को ऐसी हालत में अपने सामने बैठा देखकर राणा के हाथ मचल उठे, उसने जैसे ही अपने हाथ आगे करते हुए काजल के स्तनों तक
पहुँचाए, काजल ने उसे टोक दिया और बोली : "ना जी ना, इतनी जल्दी नही, गेम पर ध्यान दो पहले... मैं जब खुश होउंगी , तभी तुम इसे
छू पाओगे...''

राणा : "और तुम खुश कै से होगी ??"

काजल (अपने दाँत दिखाते हुए) : "जब मैं जीतूँगी अगली बाजी ...''

काजल ने बड़ी ही चालाकी से राणा के सामने अपनी शर्त रख दी... मज़े और पैसे एक साथ लेने के मूड मे थी काजल..

राणा को भला क्या परेशानी हो सकती थी, अभी तक का खेल जिस तरह से चल रहा था, उसके हिसाब से ही उसको काफ़ी मज़ा मिल चुका था..

राणा : "लेकिन अगली बाजी मैं जीत गया तो...''

काजल : "तो तुम्हे मुझे छू ने के लिए वो जीते हुए पैसे मुझे देने होंगे..''

यानी काजल मज़ा और पैसे दोनों लेना चाहती थी...उसकी इस शर्त के अनुसार तो दोनो ही सूरत में पैसे उसके पास पहुँचने वाले थे..

अब खेल सच मे रोमांचक हो चुका था.

4-4 ब्लाइंड चलने के बाद राणा ने अपने पत्ते उठा लिए...उसे तो हर गेम के ख़त्म होने की जल्दी थी..क्योंकि अगर वो जीतेगा तो अपने पैसे
काजल को देकर , या फिर हारेगा तो भी काजल की खुशी को देखकर वो मज़े लेना चाहता था.

राणा के पास सिर्फ़ इक्का ही आया था, बाकी के दोनों छोटे पत्ते थे..
उसने झट से शो माँग लिया..अभी बीच मे सिर्फ़ 10 हज़ार रुपय थे..राणा ने अपने पत्ते सामने फें क दिए.

काजल ने भी अपने पत्ते उठाए..उसके चेहरे पर मायूसी छा गयी..उसके पत्ते तो राणा से भी बेकार थे..उसने जब अपने पत्ते राणा के सामने रखे तो
राणा भी हंस दिया..उसके पास 4,6,9 नंबर आए थे..

राणा ने सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..फिर उन नोटों की गड्डी बना कर उसने काजल की तरफ बड़ा दिया और बोला : "अब तो छू सकता हूँ
ना...इन पैसों के बदले..''

काजल के होंठ लरज कर रह गये...उसने राणा के हाथ से पैसे ले लिए..और उन्हे फिर से अपनी जाँघ के नीचे दबा लिया.

राणा : "अब इधर आओ...मेरे पास...''

राणा ने अपनी उंगली का इशारा करके काजल को अपनी तरफ बुलाया..

वो बेचारी मना भी नही कर पाई...आख़िर उसने पैसे जो दिए थे..

वो अपनी सीट से उठी और धीरे-2 चलती हुई राणा के पीछे जाकर खड़ी हो गयी...राणा अपने लंड को मसलता हुआ उसके हिलते हुए मुम्मे देख रहा
था..और जब वो उसके पास आकर खड़ी हुई तो उसने अपना सिर उपर करके उसकी आँखो में देखा और बोला : "नीचे करो इन्हे...''

वो उसपर ऐसे हुक्म चला रहा था जैसे 10 हज़ार मे उसने उसके मुम्मों को खरीद लिया है..पर काजल भी उसकी बात मान रही थी, क्योंकि अंदर
ही अंदर वो भी तो इस मज़े को महसूस करना चाहती थी...हारने के बाद 10 हज़ार भी वापिस मिल गये और अब मज़ा भी मिलेगा, ऐसा सौदा तो
काजल को काफ़ी उत्साहित कर रहा था..

काजल धीरे से नीचे झुकी और राणा ने अपना देतयाकार मुँह खोल दिया...और उसके अंगूर के दानों जैसे निप्पल सीधा उसके मुँह के अंदर घुस गये
और राणा उन्हे बड़ी ज़ोर से चूसने लगा...साथ ही साथ उसने काजल के सिर के पीछे हाथ रखकर अपनी तरफ ज़ोर से दबा लिया..दूसरे हाथ से
उसका दूसरा स्तन पकड़ लिया और उसे मसलने लगा..कु ल मिलाकर वो अपने 10 हज़ार रुपय सही तरीके से वसूल कर रहा था..

काजल तो उसके हमले से कराह उठी...एक तो उसके दाँत काफ़ी तेज थे और उपर से वो काफ़ी एक्ससाईटिड भी था,पैसे देकर वो काजल के जिस्म
पर कु छ देर के लिए ही सही पर अपना पूरा अधिकार जता रहा था...

राणा ने उसके निप्पल को पकड़कर अपनी उंगलियों से मसलना शुरू कर दिया, जैसे बकरी का दूध निकाल रहा हो..और साथ ही साथ अपने दांतो से
भी वही काम उसके दूसरे स्तन पर कर रहा था...और करीब दस मिनट तक अच्छी तरह से उसका दूध पीने के बाद जैसे ही राणा ने उसकी चूत की
तरफ हाथ बदाया, काजल छिटक कर दूर हो गयी...और बोली : "ना ना ना ....इतने में सिर्फ़ इतना ही मिलेगा...''

और वो अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उसको चिढ़ाती हुई वापिस अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी..
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
राणा भी सोचने लगा की इतनी उत्तेजना बढ़ाने के बाद भी वो कै से कं ट्रोल कर पा रही है...आज तक जितनी भी लड़कियों की उसने चुदाई की थी,
वो तो सिर्फ़ उसके हाथ लगाने भर की वेट करती थी...और खुद ब खुद नंगी होकर उसके लंड पर टूट पड़ती थी...काजल ना जाने किस मिट्टी की
बनी थी..कभी तो उसकी आँखो मे सेक्स की भूख एकदम साफ़ दिखाई देती थी..और कभी वो एकदम से पीछे होकर उसपर कं ट्रोल करती दिखाई देती
थी..

पर राणा से अब कं ट्रोल नही हो रहा था...भले ही वो खुद को राजा समझ कर उसपर पैसे लुटाता हुआ अभी तक मज़े ले रहा था, पर अब अपनी
सेक्स की भूख उससे बर्दाश्त नही हो रही थी...वो काजल को पाने के लिए राजा से भिखारी बनने के लिए भी तैयार था अब...

राणा : "ऐसा ना करो काजल...देखो ना, मेरे लंड की क्या हालत हो रही है...सिर्फ़ एक बार इसको सक्क कर लो ...प्लीज़ ...मैं तुम्हारे हाथ
जोड़ता हू...मेरी हालत पर तरस खाओ ...''

राणा तो अब भीख माँगने पर उतर आया था..


काजल की नज़रें अभी भी उसके पास पड़े पैसों के उपर थी...जो करीब 20 हज़ार रुपय थे..

काजल की आँखो का इशारा राणा समझ गया...उसने अपने 20 हज़ार रुपय एकदम से निकाल कर काजल के आगे रख दिए..

काजल : "तूने मुझे कोई धंधे वाली समझा है क्या...जो इन पैसों के बदले तेरी सेवा करूँ गी... जो भी करूँ गी, गेम खेलकर ही, पैसे जीतकर,
ऐसे भीख लेने की आदत नही है मेरी..''

राणा सहम सा गया, वैसे भी वो काजल को नाराज़ करके अपने लिए कोई घाटे का सौदा नही करना चाहता था..

यानी काजल का मतलब साफ़ था...अगली गेम शुरू करो..

राणा को भी सारे पैसे हारने की जल्दी थी, इसलिए उसने अगली गेम शुरू कर दी..

पत्ते बाँटे गये, और इस बार राणा ने सीधा 2 हज़ार की ब्लाइंड चल दी, अपने लंड से रगड़कर ..

राणा का उठा हुआ लंड काजल को काफ़ी लालायित कर रहा था..इसलिए उसके हाथ अपने आप ही चूत की तरफ बड़ जाते थे...उसने अपने
पायजामे को नीचे खिसका दिया और पहली बार राणा ने उसकी नयी नवेली चूत के दर्शन किए...
काजल भी अब कोई परदा नही रखना चाहती थी...इसलिए उसने धीरे-2 करते हुए अपने पायजामे को घुटनो से नीचे कर दिया..और अब उसकी
सफाचत चूत राणा की नज़रों के सामने पूरी नंगी थी...पर बेचारा चाह कर भी उसे छू नही सकता था वो...उसकी चूत की चिकनाहट देखकर राणा
का मन उसे चूसने का करने लगा..

काजल भी समझ नही पा रही थी की कै से वो इतनी बेशर्मी से अपने जिस्म से कपड़े हटाती जा रही है और नंगेपन की नुमाइश राणा के सामने कर रही
है..पर ना जाने क्यो उसे ये सब अच्छा भी लग रहा था..वो शायद इसलिए भी क्योंकि वो कु छ ऐसा ही के शव के साथ भी कर चुकी थी..अपने
भाई के साथ करते हुए जब उसे शरम नही आई तो इसके साथ क्यो आए और वो भी तब जब वो उसके उपर अँधा होकर पैसे भी लूटा रहा था..

राणा ने अगली ब्लाइंड जब चली तो नोट पर उसके लंड से निकला पानी साफ़ चमक रहा था...ऐसा सीन देखकर अच्छे -2 का प्रीकम निकल जाता
है...काजल का तो मन किया की वो नोट उठाए और उसे चाट कर सॉफ कर दे..साला कै से तरसा रहा है उसे वो राणा...काजल ने भी उसको
सताने की सोची और अपनी रसीली चाशनी में हज़ार के दो नोटों को अच्छी तरह से घुसा कर उन्हे पूरा गीला कर लिया और फिर उन्हे नीचे फें क
दिया...

राणा ने तुरंत वो नोट उठा लिए और बड़ी ही बेशर्मी से उन्हे चाटने लगा..सारा रस चाट गया वो उन नोटों से..

काजल उसे ऐसा करते हुए देखती रही..और फिर उसने भी राणा वाला वो नोट उठा लिया जिसपर उसका प्रीकम लगा हुआ था..और धीरे से उसपर
अपनी जीभ लगाई...एकदम टेस्टलेस था वो...पर उसकी महक बड़ी ही कामुक और मदहोशी से भरी थी..काजल ने एक लंबी साँस लेकर उसे अंदर
तक महसूस किया और अपनी जीभ पर उसके स्वाद को काफ़ी देर तक महसूस करती रही..

राणा भी समझ चुका था की अब तो नाम मात्र की दीवार रह गयी है दोनो के बीच..

दोनो एक दूसरे के सामने नंगे होकर खेल रहे थे...राणा के पास अभी भी लगभग 10 हज़ार रुपय थे, जो उसको गँवाने थे..

काजल ने अगली ब्लाइंड नही चली और अपने पत्ते उठा लिए..और उन्हे देखकर उसे एक बार फिर से विश्वास हो गया की उसकी हर बार टोटके को
बड़ चड़कर करना इस बार भी सफल हो गया है...क्योंकि इस बार उसके पास ऐसे पत्ते आए थे जिनका शायद ही कोई तोड़ होता...बादशाह की
ट्रेल..यानी 3 बादशाह आए थे उसके पास..

उसने एक ही बार में 4 हज़ार की चाल चल दी..राणा तो पहले से ही लूटने के लिए बैठा था..इसलिए उसने अपने पत्ते नही देखे बल्कि अपनी
ब्लाइंड को भी डबल करते हुए 4 हज़ार कर दिया और लंड से रगड़कर फिर से पैसे नीचे फें क दिए..

काजल तो पूरे कॉन्फिडेंस में थी..उसने भी चाल को डबल किया और आठ हज़ार बीच मे फें क दिए..और इस बार उसने हर नोट को ऐसे अपनी चूत
पर रगड़ा जैसे उसपर अपने रस की परत चड़ा देना चाहती हो...गीले-2 नोटों का अंबार सा लगता जा रहा था बीच में ..किसी पर काजल की चूत
का रस था तो किसी पर राणा के लंड का पानी...

अब तो राणा के पास सिर्फ़ 2 हज़ार ही थे...इसलिए उसने अपने पत्ते उठा लिए..और अपने पत्ते देखकर वो भी दंग रह गया..उसके पास सीक़वेंस
आई थी, और वो भी सुच्ची , पाने के पत्तो की, 8,9,10 नंबर...

ऐसे पत्ते तो कभी कभार ही आते हैं..पर उसके पास चलने के लिए पैसे ही नही थे...सिर्फ़ 2 हज़ार थे और शो माँगने के लिए भी कम से कम
उसे 8 हज़ार चाहिए थे...पर ऐसे पत्तों के साथ वो शो नही माँगना चाहता था, बल्कि गेम को आगे खेलकर जीतना चाहता था, और जीते हुए पैसों
को वापिस करके वो काजल से मज़े लेना चाहता था..इसलिए उसने काजल से 20 हज़ार उधार माँग लिए..काजल ने भी दे दिए क्योंकि वो जानती थी
की उससे अच्छे पत्ते राणा के पास हो ही नही सकते..
राणा ने पैसे लिए और 8 हज़ार की चाल चली..काजल ने 14 हज़ार की चाल चली ...क्योंकि अब राणा के पास उतने ही पैसे बचे थे...राणा ने
भी ना चाहते हुए शो माँग ही लिया..वैसे तो उसे विश्वास ही था की वही जीतेगा..पर जैसे ही काजल ने अपने पत्ते उसके सामने रखे तो काजल के
3 बादशाह देखकर उसका सिर ही चकरा गया...उसने अपनी कल्पना में भी ऐसा नही सोचा था की काजल के पास ट्रेल आएगी...

राणा बेचारा सिर झुका कर बैठ गया..

काजल ने हंसते हुए सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..

काजल ने राणा के उदास चेहरे को देखा और बोली : "ऐसे मुँह लटका कर क्यो बैठ गये...मैने कहा था ना की जब मैं खुश होउंगी तब भी तुम्हारा
ही फायदा है...''

राणा की आँखे चमक उठी...उसने ललचाई हुई आँखों से काजल को देखा..

काजल बड़े स्टाइल में बोली : "कब तक मेरे जूस को नोटों के उपर से चाटते रहोगे...सीधा ही आ जाओ...''
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राणा को तो जैसे इसी बात का इंतजार था...वो उछलकर काजल के पास पहुँचा और एक ही झटके में उसे बेड पर लिटाकर उसकी जांघों के बीच
झुक गया...और एक गहरी साँस लेने के बाद अपनी पेनी जीभ निकाल कर उसकी गुल्लक के छेद जैसी चूत में डाल दी...

''आआआआआआआआहह ....... ओह .......... येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ... कब से तरस रही थी इसके लिए


................... अहह ssssssssssssssssssssssss ...और अंदर तक डालो जीभ ...............
और अंदर ............. उम्म्म्ममममममममममममम ....''

दूसरी तरफ राणा ऐसी कुँ वारी चूत को चाट कर काफ़ी खुश था...ऐसी महक और स्वाद सिर्फ़ कुँ वारी चूत का ही हो सकता था...वो ज़ोर-2 से
अपनी जीभ के ब्रश से उसकी चूत की दीवारों की पुताई करने लगा...उसकी जीभ के हर प्रहार से काजल की गांड उछल जाती और वो अपनी तरफ
से झटके देकर उसके मुँह पर और ज़ोर से अपनी चूत का दबाव डालती...

काजल ने काफ़ी देर से अपने आप को संभाला हुआ था...और आख़िरकार वो झड़ ही गयी...और झड़ी भी तो ऐसे की उसके रस को अपने मुँह में
समेटना राणा के लिए काफ़ी मुश्किल हो गया..और इधर-उधर से रिसकर चादर पर गिरने लगा...

''अहह ssssssssssssssssssssssssssssss ...... आई एम कमिंग .........................


उम्म्म्मममममममममममम .....''

राणा ने घड़ी देखी ...1 बजने वाला था... उसके पास ज़्यादा समय नही था...उसने काजल को अपनी तरफ खींचा और अपने खड़े हुए लंड को
उसके मुँह के हवाले कर दिया...

काजल तो अपनी खुमारी से अभी तक निकली भी नही थी...इसलिए राणा के लंड को मुँह मे रखकर लेटी रही...राणा ने उसके नर्म मुलायम मुँह के
अंदर धीरे-2 झटके देने शुरू कर दिए...और फिर धीरे-2 अपना पूरा लंड अंदर उतार दिया...और जब काजल को अपनी हलक तक उसका लंड
महसूस हुआ तो वो होश में आई और उसने अपनी आँखे खोली ...

वो भी इस काम को जल्द से जल्द निपटाना चाहती थी..क्योंकि के शव कभी भी उपर आ सकता था...अपनी चुदाई करवाने का उसका कोई इरादा नही
था अभी...क्योंकि वो अपना कुँ वारापन अपने भाई को देना चाहती थी आज...
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इसलिए उसने राणा के लंड को ज़ोर-2 से चूसना और चुभलाना शुरू कर दिया...और साथ ही साथ वो उसके अंडकोष को भी सहला रही
थी...और फिर अचानक बिना किसी वॉर्निंग के राणा ने अपने लंड से उसके चेहरे को सींचना शुरू कर दिया..

गरमा गर्म गाड़े पानी की बूंदे उसके चेहरे पर पड़ने लगी और वो उन्हे महसूस करती हुई आनंद सागर मे गोते लगाने लगी..

काजल : "अब जल्दी से अपने कपड़े पहनो और निकलो यहाँ से...''

राणा : "पर....वो .... कु छ और नही करना क्या ...''

काजल समझ गयी की वो क्या कहना चाहता है...वो बोली : "तुम मरवाओगे मुझे ....मेरे ही घर में ये सब कै से पॉसिबल है...इसके बारे में
बाद में बात करेंगे..''

इतना कहते-2 वो अपनी टी शर्ट और पायजामा पहन चुकी थी और टावल से अपना चेहरा भी सॉफ कर लिया उसने..

राणा ने भी मन मसोस कर अपने कपड़े पहन लिए...और नीचे उतर आया..

नीचे भी बाजी ख़त्म हो चुकी थी, बिल्लू ने जीत लिए थे सारे पैसे...के शव भी अपने 10 हज़ार हार चुका था ...और गणेश भी कं गला हो चुका
था..अब वो आराम से बैठकर दारू पी रहे थे..

के शव ने राणा का लटका हुआ चेहरा देखा तो वो समझ गया की वो अपने सारे पैसे हार चुका है...भले ही वो खुद नीचे बैठकर 10 हज़ार हार गया
था पर वो ये जानता था की उपर बैठकर उसकी बहन ने काफी रूपए जीते है आज, वो करीब 90 हज़ार जीत गयी थी ...कु ल मिलाकर वो काफ़ी
फायदे में था...

रात काफ़ी हो चुकी थी...इसलिए सभी अपने-2 घर चल दिए...अगले दिन दीवाली थी, इसलिए सबने जम कर जुआ खेलने की बात कही...

के शव ने भी सब कु छ समेटा और दरवाजा बंद करके उपर चल दिया...

वो सीधा अपनी माँ के रूम में गया पहले..वो सो रही थी...पर काजल वहाँ नही थी...वो शायद उसके कमरे में ही थी अब तक..

वो झूमता हुआ सा अपने कमरे की तरफ चल दिया..

और जैसे ही वो अंदर पहुँचा, काजल उसके पीछे से आई और अपनी बाहें उसके गले मे डालकर उसकी कमर पर झूल गयी...

के शव ने उसका भार संभालने के लिए जैसे ही अपने हाथ पीछे करके उसे पकड़ा तो उसका नशा एक ही बार मे उड़ गया..

वो पूरी नंगी थी...के शव के हाथ सीधा उसके नंगे चूतड़ों पर जा लगे...

और काजल तो बदहवास सी होकर उसकी गर्दन को अपने होंठों से चूस रही थी..उसे चूम रही थी...

के शव समझ गया की आज की रात वो अपनी बहन के साथ वो सब करने वाला है, जिसके लिए वो ना जाने कब से तरस रहा था...

उसकी चुदाई..

उसने काजल को लेजाकर अपने बिस्तर पर पटक दिया...और वो बिस्तर पूरा नोटों से ढका पड़ा था..जो काजल ने आज जुए में जीते थे...और वो
उन्ही नोटों के बिस्तर पर अपने कुं वारेपन को लुटाना चाहती थी...

गरमा गरम करारे नोटों के उपर काजल का नंगा जिस्म मचल रहा था...वो पूरी तरह से सुलगी हुई थी...उसने बदन से उठ रही गर्मी ने बेड पर पड़े
नोटों की गर्मी को और बड़ा दिया था...उसके अंदर से निकल रही गर्मी से वो नोट और करारे हो गये थे..

काजल बड़े ही सेक्सी तरीके से उसे देखने लगी..आज वो बड़ी ही बेशर्मी से इस तरह से खुल कर अपने भाई के सामने लेटी थी...शायद जो थोड़ी
बहुत शुरूवाती शरम थी वो राणा के साथ जुआ खेलते हुए नंगी होकर निकल चुकी थी...वो राणा की हवस भरी आँखो के सामने अपने आपको रखकर
उतनी खुश नही थी, जितनी अब के शव के सामने रखकर हो रही थी..
काजल ने अपनी दोनो टांगे फे ला दी...उसकी गुलाबी चूत की फांके रस से भरी होने की वजह से आपस मे चिपकी हुई थी...पर फिर भी अंदर का
गुलाबीपन देखकर के शव की आँखे उबल कर बाहर आने को हो गयी..

उसने अपनी बाहें भी उपर करते हुए उसे अपनी तरफ बुलाया : "आओ ना के शव...और कितना तड़पाओगे ...आज कर लो मुझे अपना...समा
जाओ मुझमे...''

के शव ने उसके नंगे बदन को देखते हुए अपने कपड़े निकालने शुरू कर दिए

और कु छ ही देर मे वो पूरा नंगा होकर खड़ा था काजल के सामने..अपनी तोप की सलामी देता हुआ ..

और के शव जंप मारकर सीधा काजल के उपर कू द गया..

पर उसके कू दने से पहले ही काजल बेड से फिसलकर साइड में हो गयी..और खड़ी होकर हँसने लगी..

अब के शव की जगह पर वो खड़ी थी और काजल की जगह पर के शव लेटा हुआ था..

काजल (उसको चिड़ाते हुए) : "हा हा हा ... बड़ी जल्दी हो रही है तुझे ... ह्म्*म्म्म ...''

उसने अपने दोनो हाथ अपनी कमर पर रखे हुए थे..और एक पैर उठा कर उसने बेड पर रख दिया..ठीक के शव की टाँगो के बीच..

के शव : "मुझे पता है दीदी,आप भी यही चाहती है...कल से तड़प रहा हू मैं भी...अब और ना तरसाओ...''

काजल : "तरस तो मैं भी रही हू ना के शव...और साथ ही मेहनत भी कर रही थी..देख ले, जिन नोटों पर तू लेटा हुआ है वो मैने जीते
है...''

के शव : "वो तो है...पर आप शायद ये भूल रही है की ये खेल भी मैने ही सिखाया है आपको..''

काजल : "अपनी किस्मत की भी बात होती है...मुझसे अच्छा तो तू खेलता है, फिर भी तू हमेशा हारता ही है...और साथ ही साथ मेरे हुस्न का
भी कमाल है ये...इसके बिना भी ये पैसे कमाने मुश्किल थे....''

के शव उसकी ये बात सुनकर चोंक गया..और बोला : "कहीं आपने अपने इसी हुस्न का इस्तेमाल करके ही तो ये पैसे नही कमाए ना...मतलब कहीं
आपने राणा के साथ कु छ...''

काजल : "अरे मेरे लल्लू भाई...तू इतना क्यो सोचता है...अगर थोड़े बहुत मज़े ले भी लिए तो तेरे पेट मे क्यो दर्द हो रहा है...''

के शव की नज़र सीधा उसकी चूत पर जा टिकी .शायद वो सोच रहा था की कहीं राणा ने उसकी कुँ वारी चूत तो नही फाड़ डाली..और काजल भी
उसको अपनी चूत की तरफ देखती हुई समझ गयी की वो क्या सोच रहा है..

वो बोली : "फ़िक्र मत कर...वहाँ तक बात नही पहुँची...यहाँ तो सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे भाई का हक है...''

के शव ने राहत की साँस ली...पर वो इतना तो समझ ही चुका था की चाहे पूरे ना सही पर कु छ तो मज़े लिए ही है राणा ने उसकी बहन के
साथ..तभी वो नीचे आकर इतना खुश सा लग रहा था..अपने सारे पैसे हारने के बाद भी..

काजल ने अपना पैर खिसका कर और आगे किया और सीधा उसके लंड पर रख दिया , के शव तड़प उठा...उसके पैर के नाख़ून चुभ रहे थे उसके
लंड पर..

वो समझ गया की काजल उसको देगी ज़रूर पर तडपा-2 कर..

काजल बेड पर चढ़ गयी और उसके मुँह पर अपने पैर का पंजा रख कर बोली : "चाटो इसको...''

के शव के लिए ये पल इतना उत्तेजना से भरा था की उसका दिमाग़ तक सुन्न हो गया...वो हमेशा से यही चाहता था की उसका पार्ट्नर बेड पर अपना
हुक्म चलाए और वो किसी गुलाम की तरह उसका पालन करता रहे, बिना कु छ बोले..

और यहा इस वक़्त काजल उसपर अपना हुक्म चला रही थी...अपना स्लेव बना कर ..

उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके पैर के अंगूठे को चाट लिया...काजल पहले से ही ये सब सोच कर आई थी, इसलिए उसने अपने पैरों
को अच्छी तरह से धो रखा था...उसके पैर की गुलाबी उंगलियाँ तड़प उठी जब उनके साथी अंगूठे को के शव ने चूसना शुरू किया...
और फिर धीरे-2 के शव ने उसके पैर की हर उंगली को चूसा...उनका रस पिया..और वहां से मिल रही गुदगुदी से काजल का पूरा शरीर ऐंठ रहा
था...वो हर चुस्के से सिसक उठती...तड़प उठती...

''अहह ssssssssssssssssssssss ...... ऑश के शव .................. ज़ोर से चूसो इन्हे ....''

और धीरे-2 करते हुए वो नीचे बैठ गयी....के शव ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया...और अपने दहकते हुए होंठ उसके लबों पर रख दिए..

''उम्म्म्मममममममममममम पुचह ssssssssssssssssssssssssssssssssssss ''

और एक लंबे चुंबन मे डू ब गये दोनो...

के शव ने उसको बेड पर लिटा दिया...और उसकी टाँगो को फे ला कर उसकी चूत को चूम लिया...

काजल ने उसके सिर पर हाथ रखकर अपनी तरफ खींच लिया...और उसके गीले-2 होंठों ने काजल की रसीली चूत को अपने कब्ज़े मे ले लिया..

''ओह के शव ..................... सकक्क मी ....हार्डर sssssssssssssssssssssssssssssss ..... अहह


..... ओह ....... जैसे सारिका की चूस रहा था.... वैसे ही कर ................. अहह .... ओह ...मेरी क्लिट
..................अहह ....हन ..............उसको चूस ....सही से ..............अंदर ले उसको
....................उम्म्म्मममममममममम ..अहह ....ओह के शव .............. मेरी
जान sssssssssssssssssssssss ....''

उसे अपने भाई पर एकदम से बड़ा प्यार आ गया...वो इतनी अच्छी तरह से सेवा जो कर रहा था उसकी..

के शव बीच-2 मे खड़ा हो जाता और काजल से अपने लंड को मसलवा कर फिर से उसकी चूत को चूसने मे लग जाता..
वो बड़े ही मज़े ले-लेकर उसकी चूत का रस पी रहा था.... अपनी जीभ से उसे चुभलाता...उसकी फांको को खोलता और उनके बंद होने से
पहले ही अपने होंठ अंदर रखकर उसकी उभरी हुई क्लिट को दबोच लेता और चूस लेता..

काजल भी अपने भाई की कलाकारी देखकर तड़प रही थी नोटों से भरे बिस्तर पर..

काफ़ी देर तक चूसने के बाद जैसे ही वो झड़ने के करीब पहुँची, के शव ने उसको चूसना छोड़ दिया...और उसे घोड़ी बना दिया...क्योंकि उसके मन
मे शुरू से ही ये इच्छा थी की जब भी वो काजल की कुं वारी चूत पहली बार मारेगा, ऐसे ही मारेगा, उसको घोड़ी बनाकर...

काजल भी अपना सिर नीचे टीका कर और अपनी गांड को हवा मे लहरा कर लेट गयी...उसका दिल जोरों से धड़क रहा था...पहली बार जो था
उसके साथ...उसे डर भी लग रहा था की के शव का लंबा लंड उसकी चूत में जाएगा भी या नही....उसने बेड की चादर को मुँह मे ठू स लिया ,
ताकि उसकी चीख भी निकले तो दब कर रह जाए..

पर के शव जानता था की ऐसा कु छ नही होगा, उसने चूसा ही इतना था उसे की उसकी चूत बुरी तरह से रस मे डू ब चुकी थी...ऐसे मे उसके लंड
को अंदर जाने मे कोई परेशानी नही होनी चाहिए थी...

के शव ने उसके भरे हुए कु ल्हों को पकड़ा और अपने लंड को धीरे से उसकी चूत के होंठों पर लगाया...और एक जोरदार झटका दिया....काजल ने
भी उसी वक़्त अपनी कमर को पीछे की तरफ झटका मार दिया...ताकि जो भी होना है एक ही बार में हो जाए...और वो हो भी गया एक ही बार
में ...

के शव का लंबा साँप उसकी सुरंग मे सरसरता हुआ घुसता चला गया....

''आआआआआआआआआआआआआआअहह ................ सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ......... आआआआआआआआअहह


..... ओह के शव ................... म्*म्म्ममममममममममममममममममममम ''

हल्का दर्द भी हुआ काजल को...आख़िर उसकी सील जो टूटी थी अंदर से...और खून की दो बूँद भी टपक गयी बाहर...जो सीधा जाकर गिरी
जीते हुए हज़ार के नोट पर...

थोड़ी देर तक ऐसे ही खड़ा रहा के शव...और फिर उसने झुक कर काजल की पीठ को चूम लिया...और फिर धीरे से अपने लंड को बाहर
खींचा...और फिर वैसे ही धीरे-2 वापिस अंदर डाल दिया...
ये घिसाई का एहसास काजल को अंदर तक हिला गया....ऐसा सेंसेशन तो उसने आज से पहले कभी महसूस नही किया था....ऐसा लग रहा था
की उसके अंदर रेशम से बनी कोई चीज़ फिसल रही है...उसकी गुदगुदाहट को महसूस करके वो अपना वो थोड़ा बहुत दर्द भी भूल गयी...और फिर
से अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी...

''उम्म्म्ममममममममममम येस्स्स्स ............ ओह के शव ...... बहुत अक्चा लग रहा है ............


अहह sssssssssssssssssssssss ...क्या फीलिंग है .......... आई एम लविंग इट ................
उम्म्म्मममममममम .....करते रहो .... ऐसे ही ....''
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07-22-2017, 03:49 PM,#53

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
***********
अब आगे
***********

पहली बार में ही जैसे काजल को चस्का लग गया चुदाई का...उसका मन कर रहा था की वो जिंदगी भर ऐसे ही लेटी रहे और के शव पीछे से उसकी
चूत मारता रहे...

पर ऐसा हो सकता तो दुनिया के सारे लड़के -लड़कियाँ इसी काम मे लगे रहते...उपर वाले ने आख़िर झड़ने का भी रूल बनाया है...अगर सेक्स
करने के बाद कोई झड़े नही तो कितने भी घंटे या दिनों तक लगे रहते ये कोई नही जानता...

और इस समय अपने लंड पर झड़ने का दबाव के शव महसूस कर रहा था...क्योंकि काजल की करारी चूत थी ही इतनी कसी हुई की वो उसके लंड
को निचोड़ सा रही थी...

इसलिए वो हर एंगल से मज़े लेना चाहता था....उसने काजल की चूत से लंड बाहर खींच लिया...काजल को तो लगा जैसे किसी ने उसकी जान ही
निकाल ली है...वो उसको वापिस अंदर लेने के लिए तड़प सी उठी...

के शव ने उसको पीठ के बल लिटा दिया और उसकी दोनो टांगे खोल दी...और अपने लंड को बीच मे रखकर उसके उपर झुक गया...के शव का लंड
एक बार फिर से सरसराता हुआ उसके अंदर प्रवेश कर गया...और आनंद मे भरकर काजल की आँखे अपने आप बंद हो गयी...उसने अपनी दोनो
टांगे फे ला दी..और अपने हाथ भी दोनो दिशा मे फे ला कर अपने आप को के शव के सामने पूरा खोल कर रख दिया..

के शव भी उसके सेक्स से भरे चेहरे को देखता हुआ, उसे चूमता हुआ, ज़ोर-2 से झटके मारने लगा...

ऐसी कामुक चुदाई तो उसने सारिका के साथ भी नही की थी...काजल के हिलते हुए मुम्मे बड़े ही दिलकश लग रहे थे..इसलिए वो एक झटका धीरे
और दूसरा तेज मारता जिसकी वजह से वो मुम्मे थोड़ा रुकते और फिर उपर उछलते...

के शव : "ओह दीदी ................... सच मे ................. कमाल हो आप........... ऐसा मज़ा तो


मुझे सारिका के साथ भी नही मिला आज तक ................ आई लव यू दीदी ..................''

अपनी ऐसी तारीफ सुनकर काजल भी खुश हो गयी और उसने उपर होकर के शव को चूम लिया, चूम क्या लिया उसे चूस सा लिया..

और फिर काजल ने उसको नीचे पटका और खुद उसके लंड पर चढ़ गयी....उसका चेहरा इस बार के शव के पैरों की तरफ था...इसलिए के शव के
सामने उसकी भरी हुई गांड थी....जिसे हाथ मे लेकर वो उसे अपने लंड जोरों से पटक रहा था ...

और काफ़ी देर से चुदाई करने की वजह से अब वो झड़ने के बिल्कु ल करीब था...अब वो खुद को रोकना नही चाहता था...इसलिए उसने काजल
को पीछे करते हुए अपना लंड बाहर निकालना चाहा...पर काजल ने उसे रोक दिया और बोली : "नही ......मत निकालो ...अंदर ही करो
...... मैं गोली ले लूँगी ..... पहली बार मे मैं तुम्हे पूरा महसूस करना चाहती हू .....''

वो भी झड़ने के बिल्कु ल करीब थी.....इसलिए वो ज़ोर-2 से उसके लंड पर कू दने लगी...

और फिर उसे अपने अंदर एक गोली सी छू टती हुई महसूस हुई...जो के शव के लंड से निकली थी....उसके लंड का रस किसी गोली की तरह
महसूस हुआ उसे अपने अंदर...और उसे महसूस करते ही उसकी चूत की दीवारों ने भी नमी छोड़नी शुरू कर दी...और वो भी के शव के साथ-2
झड़ने लगी..

''अहह ..... ओह के शव ............. वॉट ए फीलिंग ................ उम्म्म्मममममममममममममममम .....मज़ा आ


गया ................... अहह ...''

के शव के लंड से मिलकर उसका रस भी इतना अधिक हो गया की झटके के साथ-2 वो भी बाहर निकलने लगा....

सारा का सारा रस निकल कर उसी वक़्त के शव की जांघों पर आ गिरा....और वो भी हाँफती हुई सी उसके पैरों पर गिर पड़ी...

थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद वो पलटी और खिसक कर उसकी छाती से लग गयी...और कु छ ही देर में सो भी गयी...

के शव के लंड से और उसकी चूत से रस निकल कर ना जाने कितनी देर तक नीचे पड़े नोटों पर गिरता रहा...

सुबह काजल की नींद जल्दी खुल गयी..और उसने अपने कपड़े पहने, और अपनी माँ के पास जाकर लेट गयी..

दीवाली का दिन था, इसलिए सोई नही वो उसके बाद...पूरे घर की अच्छी तरह से सफाई की...के शव के कमरे में गयी और उसे नहाने के लिए
भेजा...बिस्तर की हालत देखकर उसे खुद ही बड़ी शर्म आई...काफ़ी नोट फट चुके थे..कई नोटों पर खून की बूंदे और कई पर उनके प्यार की
मिली जुली निशानी चमक रही थी...उसने उन ख़ास नोटों को अलग रख लिया निशानी के तोर पर और बाकी नोटों को समेट कर अलमारी में रख
दिया...
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07-22-2017, 03:49 PM,#54

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
अब दोनो को शाम का इंतजार था..और वो शाम कितनी कामुक होने वाली थी ये तो काजल को भी नही पता था..

दीवाली का दिन था इसलिए पूरे दिन घर में कोई ना कोई मेहमान या गली में रहने वाले लोग आते-जाते रहे...दीवाली की शुभकामनाए और मिठाई के
साथ... काजल ने भी काफ़ी गिफ्ट और मिठाइयाँ ली और अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घर जाकर दे आई...ये सब करते-2 कब शाम हो गयी
उसको भी पता नही चला..के शव घर पर ही था..सुबह से माँ की तबीयत ठीक नही लग रही थी इसलिए वो उनके साथ ही रुका हुआ था.

शाम को जब तक काजल घर पहुँची, डॉक्टर उनके घर से निकल रहा था..जिसे देखकर काजल घबरा गयी..वो भागती हुई उपर के कमरे में गयी,
के शव अपनी माँ के पास बैठा था. पूछने पर पता चला की उन्हे साँस लेने मे तकलीफ़ हो रही है...शायद नजला जम गया है और उसकी वजह से
उनके हार्ट पर भी ज़ोर पड़ रहा है..इसलिए डॉक्टर ने सलाह दी की इन्हे एक दिन के लिए हॉस्पिटल में एडमिट कर दो और नेबोलाइस करवा
लो...साथ ही साथ हार्ट पर जो दबाव पड़ रहा है उसकी भी जाँच हो जाएगी...

प्रोसिज़र तो सिंपल था और सिर्फ़ एक ही दिन का था..पर मुसीबत ये थी की त्योहार का दिन था..पर माँ की तबीयत पहले है, इसलिए दोनो भाई
बहन उसी वक़्त माँ को हॉस्पिटल ले आए...वैसे भी उनके पास अब पैसों की कमी तो थी ही नही ..माँ को एडमिट करवाया , के शव ने कहा की
वो उनके साथ ही रुके गा..और काजल को वापिस घर भेज दिया...और साथ ही साथ उसने सारिका को भी फोन करके बोल दिया की वो आज रात
के लिए उसके घर पर ही रुक जाए, क्योंकि काजल को वो अके ला नही छोड़ना चाहता था.

काजल करीब 9 बजे घर वापिस पहुँची..और थोड़ी ही देर मे सारिका भी आ गयी..उसकी माँ छोड़ने आई थी उसको..दोनो ने मिल कर खाना
खाया..

काजल ने टाइम देखा, राणा और दूसरे जुआरियों के आने का टाइम होने वाला था...वो दुविधा में थी की क्या करे..उसने के शव को फोन किया,
उसने काजल को निश्चिंत होकर खेलने की सलाह दी...माँ तो ठीक ही थी..और काजल के साथ सारिका भी थी, इसलिए के शव ने बिना डरे उसे
आज भी खेलने के लिए कहा..क्योंकि वो अच्छी तरह से जानता था की आज दीवाली का दिन है, और अगर आज काजल की किस्मत ने साथ दिया
तो काफ़ी पैसे जीत सकती है वो..काजल के मन में भी लालच था..पर पैसों का नही , किसी और चीज़ का..

खैर, दस बजे के करीब सभी आना शुरू हो गये..और आधे घंटे के अंदर-2 सभी वहाँ पर थे..और सभी अंदर ही अंदर ये सोचकर काफ़ी खुश थे
की आज की रात काजल अके ली है घर पर और वो उनके साथ खेलेगी..वो मन ही मन उसके साथ कै से मज़े लेंगे, ये सोचने के उपाय निकालने
लगे..
आज सभी के पास काफ़ी पैसे थे..क्योंकि दीवाली का दिन था, इसलिए जुआ भी मोटा होने वाला था.

सारिका को भी ये सब देखकर काफ़ी रोमांच का एहसास हो रहा था..पिछली बार भी उसे बड़ी उत्सुकतता थी की कै से काजल इस खेल को खेलती
है...आज वो उसके साथ पूरी रात यही रहने वाली थी, इसलिए पूरी गेम को देखकर वो भी कु छ नया सीखना चाहती थी...पर उसे क्या पता था
की काजल किस तरह के खेल खेलती है..

काजल के कहने पर सारिका ने किचन संभाल ली और सबके लिए कु छ स्नेक्स का इंतज़ाम करने लगी..और बाकी सभी लोग टेबल के चारों तरफ बैठ
गये और खेल शुरू कर दिया.

राणा तो कल काजल के हुस्न का दीदार कर ही चुका था..उसे पूरा नंगा देखकर...उसे चूस्कर...बस चुदाई की कमी रह गयी थी..वो ये बात भी
जान चुका था की काजल अभी तक कुँ वारी है..पर बेचारे को ये बात नही पता थी की कल रात ही के शव ने उसकी चुदाई करके उसे कली से फू ल
बना दिया है..

और बिल्लू और गणेश भी अपनी ललचाई हुई नज़रों से काजल के जिस्म को देख रहे थे..आज त्योहार का दिन था इसलिए उसने काफ़ी सेक्सी रेड कलर
का टॉप पहना हुआ था..जिसमे से उसकी क्लीवेज साफ़ दिख रही थी

सारिका भी कम नही लग रही थी...उसने भी डोरी वाला येल्लो टॉप पहना था और स्लीवलेस होने की वजह से उसकी गोरी और सुडोल बाहें काफ़ी
सेक्सी लग रही थी..नीचे की जीन्स मे उसकी फं सी हुई गांड , जिसे के शव ने मार-मारकर इतना टेंप्टिंग कर दिया था की हर लोंडे की नज़र उसके
मोटे उभारों से पहले नीचे की फे लावट पर जाती थी..

कु ल मिलाकर आज की रात दोनो सहेलियाँ कयामत ढा रही थी..

खेल शुरू हुआ..आज की रात राणा अके ला ही आया था..जीवन किसी बड़े क्लब में अपनी किस्मत आज़माने गया हुआ था..आख़िर दीवाली पर जुआ
खेलने का मौका रोज-2 तो आता नही है ना..

राणा ने पत्ते बाँटे...और पहली बाजी शुरू हुई..सारिका भी तब तक सबके लिए कबाब तल कर ले आई और काजल की बगल मे बैठकर खेल को
समझने की कोशिश करने लगी..

आज पहले ही तय हो चुका था की 500 की ब्लाइंड होगी, इसलिए सबने एक के बाद एक ब्लाइंड फें कनी शुरू कर दी..4 ब्लाइंड चलने के बाद
बिल्लू ने अपने पत्ते उठाए और उसने खुशी -2 दो हज़ार की चाल चल दी..

उसकी चाल आते ही गणेश ने भी पत्ते उठा लिए और काफ़ी सोचने के बाद उसने भी चाल चल ही दी..
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07-22-2017, 03:49 PM,#55

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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
पर काजल ने अपने पत्ते नही उठाए और एक हज़ार की ब्लाइंड चल दी...और उसकी देखा देखी राणा ने भी हज़ार की ब्लाइंड चल दी..

अब दो लोग चाल पर थे और दो ब्लाइंड पर..

बिल्लू ने बड़े ही आराम से एक बार फिर से चाल को डबल किया और 4 हज़ार की चाल चल दी..गणेश के पास पेयर था 4 का..इसलिए उसकी
फटने लगी थी...उसे पता चल गया की हो ना हो बिल्लू के पास 3 पत्तों वाला कु छ आया है...कलर या सीक़वेंस..इसलिए उसने पेक कर दिया
..

अब काजल ने अपने पत्ते उठा ही लिए...पर बड़े ही बेकार से थे वो...इसलिए उसने भी पेक कर दिया..

और वो इस पहली हार मे ही समझ चुकी थी की हर बार की तरह अभी उसका लक क्यो काम नही कर रहा ...क्योंकि उसने आज अंडरगार्मेंट्स पहने
हुए थे...कल वो देख ही चुकी थी की अंदर के कपड़े उतारने के बाद ही उसका टोटका काम कर रहा था..इसलिए वो उठी और उपर के कमरे की
तरफ चल दी..ये बोलकर की बस 1 मिनट में आई...

सारिका पीछे से बैठकर उन लोगो का खेल देखने लगी..


राणा ने जब देखा की काजल ने पेक कर दिया है तो उसकी रूचि भी खेल मे ख़त्म हो गयी और उसने अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास 9 का
पेयर आया था...पर फिर भी बिल्लू का कॉन्फिडेंस देखकर उसने शो माँग लिया..

बिल्लू ने अपने पत्ते दिखाए , उसके पास सीक़वेंस था..और वो भी 1,2,3 का..

उसने मुस्कु राते हुए सारे पैसे समेट लिए..करीब 15 हज़ार आए उसके पास..

तभी काजल भी वापिस आ गयी..और किसी ने तो नही पर राणा ने उसके हिलते हुए मुम्मे देखकर ये अंदाज़ा लगा ही लिया की वो ब्रा उतारकर आई
है...वो भी राणा की आँखो मे देखकर मुस्कु राती हुई अपनी सीट पर बैठ गयी..

सारिका वापिस सोफे के हत्थे पर चड़कर बैठ गयी...और अचानक उसने नोट किया की वो काजल के गले में काफ़ी अंदर तक देख पा रही
है...जबकि पहले ऐसा नही था..उसकी ब्रा गायब थी...

उसने काजल के कान मे फु सफु साते हुए कहा : "तेरी ब्रा कहाँ गयी...सब सॉफ-2 दिख रहा है..''

काजल (धीरे से) : "वो मैने उतार दी...चुभ रही थी निगोडी..''

सारिका : "पर ये सब देख रहे हैं...राणा को देख ज़रा..तेरे बूब्स को कै से घूर रहा है..''

काजल : "तभी तो उतारी है...ताकि ये घूर सके मुझे...''

काजल के मुँह से ऐसी बेशर्मी भरी बात सुनकर सारिका चोंक गयी...वो बेचारी नही जानती थी की ये गेम आगे चलकर किस लेवल तक जाने वाली
है...

अगली गेम शुरू हुई,और 3 ब्लाइंड के बाद इस बार काजल ने अपने पत्ते उठा लिए..और फिर उसने वो किया जिसकी उम्मीद राणा को तो थी पर
और किसी को नही..उसने अपने पत्ते दाँये हाथ मे पकड़े हुए थे...और अचानक उसी हाथ को अपनी टॉप के गले से अंदर डालकर अपने मुम्मों पर
रगड़ डाला और जब सभी उसकी इस हरकत को देखकर आँखे फाड़ने लगे तो वो बोली : "उफफफफ्फ़.... ये मच्छर भी ना....''

सारिका का तो मुँह खुला का खुला रह गया...काजल ने जिस बेशर्मी से अपनी गहरे गले की टॉप में हाथ डालकर अपने मुम्मो को रगड़ा था, सामने
बैठे हर इंसान ने वो हरकत देखी थी...पहले तो वो ब्रा उतार आई और उसके बाद इतनी बेशर्मी से वो हाथ अंदर डालकर अपने बूब्स रगड़ रही थी
जैसे उन्हे नोच डालेगी..

अब उसे क्या पता था की वो तो अपना टोटका बैठाने की कोशिश कर रही थी...अपने मुम्मों पर अपने पत्ते रगड़कर वो उनकी किस्मत बदल देना
चाहती थी..और अपनी भी..

और उसके मुम्मों से रगड़ खाकर जैसे उन पत्तों की किस्मत सच मे बदल चुकी थी...उसके पास पान के पत्तों का कलर आया था..उसने मुस्कु राते
हुए 2 हज़ार डाल दिए बीच में और चाल चल दी..और वो भी हल्के से अपनी चूत से रगड़कर ...जिसे राणा के अलावा किसी और ने नोट ही नही
किया...बिल्लू और गणेश तो अभी तक उसके बिना ब्रा के मुम्मों के उपर लगे निप्पल के इंप्रेशन को देखकर सकते में थे...

राणा ने भी अपने पत्ते उठाए...और टोटके पर टोटका चलाते हुए उसने भी उतनी ही बेशर्मी से अपने लंड के उपर उन्हे रगड़ा और पत्ते देखे..
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
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अब आगे
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उसके पास भी कलर आया था...और वो भी पान का...पर जाहिर सी बात थी , दोनो के नंबर्स अलग थे...और ये बात तो तब साबित होती
जब दोनो का शो होता..
गणेश ने पत्ते उठाए और देखते ही पेक कर दिया..बिल्लू का भी यही हाल था...उसके पास भी सिर्फ़ इक्का आया था और दो छोटे पत्ते...सामने से
दो चाल आ चुकी थी, इसलिए उसने भी पेक कर दिया..

अब बचे थे सिर्फ़ राणा और काजल...

राणा सोचने लगा की काश कल की ही तरह वो लोग आज भी अके ले में होते तो इतने नाटक ना करने पड़ रहे होते अभी तक..सीधा अपने वाले खेल
में आ चुके होते दोनो..जिसमे जीतने के बाद काजल खुश होकर खुद ही अपने कपड़े उतार कर उसके साथ मज़े ले रही थी..

मज़े लेने के मूड में तो वो आज भी थी..और वो तो हमेशा से ही तैयार रहता था..पर बिल्लू और गणेश के सामने वो कै से करे, यही पंगा था..और
उपर से सारिका भी साथ मे थी ...ऐसे मे आज की रात कु छ भी कल जैसा होना मुश्किल सा लग रहा था उसे..

पर वो नही जानता था की काजल के दिमाग़ में क्या चल रहा है..पैसे जीतना आज काजल की मंशा नही थी..आज की रात तो वो कल की रात से
भी ज़्यादा मज़े लेना चाहती थी..और वो भी सब के साथ..क्योंकि कल की ताज़ा चुदी चूत में एक बार फिर से खुजली होनी शुरू हो चुकी
थी...और वो ये सोच रही थी की जब के शव के अके ले लंड ने उसे इतने मज़े दिए हैं तो इन तीनो के लंड मिलकर उसे कितना मज़ा देंगे..

इसलिए उसने अपनी योजना को अंजाम तक ले जाने के लिए अपने जलवे बिखेरने शुरू कर दिए..

और उसने हज़ार के 2 नोट लेकर एक बार फिर से अपनी टॉप के अंदर डाला और अच्छी तरह से घुमा कर उन्हे नीचे फें क दिया..

सारिका एक बार फिर से बेहोश होती-2 बची...

गणेश और बिल्लू भी समझ चुके थे की वो काजल का कोई टोटका है..क्योंकि ऐसे खेल के खिलाड़ी सब जानते हैं..और ये जानकार की काजल का
टोटका इतना सेक्सी है , उनकी तो साँसे उपर की उपर और नीचे की नीचे रह गयी..

काजल बड़े ही कामुक तरीके से राणा को देखते हुए वो सब कर रही थी...इसलिए बिल्लू और गणेश को ये समझते भी देर नही लगी की कल उपर
वाले कमरे में क्या-2 हुआ होगा...जब उनके सामने बैठकर ही काजल इतनी बेशर्मी दिखा रही है तो उपर उसने क्या नही किया होगा..

सारिका एक बार फिर से फु सफु साई : "काजल, तू पागल हो गयी है क्या...ये क्या बेशर्मी है...कर क्या रही है तू...''

उसकी बात पास बैठे बिल्लू ने सुन ली, और बोला : "ये शायद इसका टोटका है...और ऐसे टोटके करने से बाजी जीती जाती है...क्यो राणा
भाई, सही कहा ना मैने...''

और ये सुनकर तीनो बड़े ही भद्दे तरीके से ठहाका लगाकर हँसने लगे...

राणा : "हाँ बिल्लू, तूने बिल्कु ल सही पकड़ा...और मैने कल उपर देखा था, काजल के ऐसे टोटकों की वजह से ही मैं पूरा नंगा हो गया था
कल..''

सबने उसकी तरफ घूर कर देखा

राणा : "मेरा मतलब , मेरे सारे पैसे लूट लिए थे इसने...सच मे बड़े कमाल के टोटके होते हैं इसके ...''

वो एक बार फिर से उसके मोटे-2 मुम्मों को घूरता हुआ बोला ..

सारिका की तो कु छ समझ मे नही आ रहा था...वो सोच रही थी की जब इस बात का के शव को पता चलेगा तो वो कै से रिएक्ट करेगा...उसकी
बहन उसके दोस्तों के सामने कितनी बेशर्मी से पेश आ रही है..

और सारिका को ये बात पता नही थी की ऐसे टोटके अपनाने के लिए उसे के शव ने ही उकसाया था..

राणा की बारी आई...और वो तो था ही एक नंबर का हरामी..उसने भी 2 हज़ार रुपय उठाए और उन्हे अपने लंड से रगड़ने लगा...इतना रगड़ा
की पेंट के नीचे से उसका उभार खड़ा होकर सॉफ दिखाई देने लगा...उसकी लंबाई का अंदाज़ा सॉफ लगाया जा सकता था..

बिल्लू और गणेश भी उसकी बेशर्मी पर एक दूसरे को आँख मारकर मज़े लेने लगे...

और काजल अगली चाल के लिए फिर से अपने मुम्मों पर नोट रगड़ने लगी..

पर इन सबके बीच सारिका की हालत खराब थी...उसे वैसे ही के शव की बड़ी याद आ रही थी..और अपने सामने राणा को इतनी बेशर्मी से अपने
लंड को रगड़ते देखकर और फिर उसके लंड की लंबाई को देखकर उसके अंदर धुंवा सा उठने लगा था..चूत की भट्टी में कोयले सुलगने लग गये
थे..वहाँ से आँच निकलनी शुरू हो गयी...और उसकी जांघों के बीच चिपचिपाहट महसूस होने लगी उसे..
अपने मुम्मों से रगड़ने के बाद काजल ने एक और डेयरिंग दिखाई और उन्ही पैसों को अपनी चूत वाले हिस्से से भी रगड़कर एक ही झटके में नीचे फें क
दिया...

उसका डबल अटैक था ये...मुम्मे और चूत की रगड़ाई एक साथ...


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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
अब ये काम राणा तो कर नही सकता था...लड़कियों की तरह लड़कों के पास 2-3 चीज़ें तो होती नही है, यानी मुम्मे ,चूत और गांड ...उनके
पास तो ले देकर सिर्फ़ और सिर्फ़ लंड ही है...वो उसी पर फिर से पैसे रगड़कर अपनी चाल चलने की तैयारी करने लगा..और इस बार वो भी एक
कदम और आगे बड़ गया...उसने पेंट की जीप खोली और पैसे अंदर डालकर उन्हे नंगे लंड से रगड़ दिया..

बिल्लू और गणेश ने ऐसा मुँह बनाया जैसे उन्हे वो देखकर घिन्न आ रही है...पर काजल और सारिका ही जानते थे की राणा की इस हरकत से उनकी
चूत से कितनी चिंगारियाँ निकली हैं...

काजल तो कल वो सब अच्छी तरह से महसूस कर ही चुकी थी, पर फिर भी आज एक नये सिरे से और वो भी सबके सामने महसूस करने का
एहसास अलग ही था...वो कल से भी ज़्यादा उत्तेजित महसूस कर रही थी अपने आप को..

और सारिका का तो पूछो ही मत...वो तो सोफे के कु शन वाले हत्थे पर दोनो तरफ टांगे करके ऐसे बैठ गयी जैसे घोड़ी पर बैठी है...और धीरे-2
हिलते हुए उसपर अपनी चूत रगड़ने लगी...और काजल को तो क्या , उस रूम मे बैठे हर इंसान को उसकी चूत से निकल रही खुश्बू आ रही
थी...इतना तेल निकल रहा था उसकी चूत की फै क्टरी से...

उसकी हिलने की स्पीड काफ़ी स्लो थी, इसलिए पास बैठी काजल ही महसूस कर पा रही थी,क्योंकि दोनो सट कर बैठी हुई थी.....और काजल
खुश थी की सारिका भी इस खेल के मज़े ले रही है...उसका मज़े लेना ज़रूरी था, क्योंकि वो अगर साथ नही देगी तो आज की रात वो सब नही
कर पाएगी,जो उसने सोच रखा था...

काजल के टॉप का गला काफ़ी नीचे आ चुका था...और उसके मुम्मे आधे से ज़्यादा दिखाई दे रहे थे...

अगली चाल चलने के लिए उसने 4 हज़ार रुपय निकाले और उन्हे फिर से उनपर रगड़ने लगी...और अचानक उसे घूर-2 कर देख रहे बिल्लू को
उसका निप्पल दिखाई दे गया..काजल ने आवेश मे आकर शायद कु छ ज़्यादा ही ज़ोर से अपनी टॉप के गले को नीचे खींच दिया था..पर जब तक वो
गणेश को इशारे से बता पाता ,उसका पिंक निप्पल अंदर जा चुका था..पर वो खुश था अपनी किस्मत पर की उसने वो मोटा सा निप्पल देख
लिया...वो ये सोचने लगा की जब वो अपने दाँतों के बीच रखकर उसे चबायेगा और काजल सिसकारियाँ मारकर उसे अपनी छाती से दबा लेगी, कितना
मज़ा आएगा...

इतना सोचते हुए उसके मुँह से लार निकल कर उसकी शर्ट पर गिर गयी...शायद सोचते-2 वो अपना मुँह बंद करना भूल गया था..

राणा भी समझ चुका था की गेम फँ स चुकी है...दोनो के पास बड़िया पत्ते ही आए हैं..

पर उसे पैसे हारने की नही बल्कि जल्द से जल्द कल वाले खेल को पूरा करने की चिंता थी...इसलिए एक बार फिर से काजल को उकसाने के लिए
वो बोला : "तुम चाहे जीतने भी जतन कर लो..अपने हुस्न का इस्तेमाल करके ,चाहे जो भी टोटके अपना लो, मुझसे आगे नही निकल पाओगी
...''

अपनी पेंट की जीप तो वो खोल ही चुका था, और उसके लंड का उभार सिर्फ़ अंडरवीयर में क़ै द होकर सॉफ दिखाई दे रहा था..इस बार उसने अपने
अंडरवीयर को नीचे खींचा और लंड को नंगा कर दिया...उसका काला नाग फ़ु फ़कारता हुआ सा सबकी नज़रों के सामने आ गया..

काजल वो देख चुकी थी, पर फिर भी उसके मुँह से आह निकल ही गयी...बिल्लू और गणेश के लिए ये कोई नया नही था, उन सबने मिलकर पहले
भी कई रंडियों को चोदा था, इसलिए एक दूसरे का लंड देखना आम बात थी उनके लिए..

पर सारिका का क्या, वो तो नयी थी इन सबके लिए...उसने तो आज तक अपनी लाइफ मे सिर्फ़ और सिर्फ़ के शव का 6 इंची लंड ही देखा
था..उसके लिए ऐसा 8 इंची लंड देखकना किसी बड़े झटके से कम नही था...और उपर से राणा ने उसे वापिस अंडरवीयर में धके लने की भी कोई
जहमत नही उठाई...पेंट की जीप की लंबाई के पीछे उसका लंड किसी खीरे जैसा लग रहा था..बस फ़र्क ये था की उसपर मोटी-2 नसें चमक रही
थी..जिसे देखकर घोड़ी पर बैठी सारिका की स्पीड थोड़ी और तेज हो गयी और इस बार सबने उसकी हिलने की हरकत को नोट किया और समझ भी
लिया की वो कर क्या रही है..

काजल ने उसे ऐसा ना करने के लिए कहा, क्योंकि सबकी नज़रें सारिका पर ही थी इस वक़्त..

काजल ने इस बार 4 हज़ार रुपय फें क कर शो माँग ही लिया..क्योंकि उसे अंदर से लगने लग गया था की वो ये गेम हारने वाली है..

उसके पास पान का कलर था, और नंबर थे 4,5 और गुलाम...

राणा ने अपने पत्ते फें के , उसके पास भी पान का कलर था था, और नंबर थे 2,9, और बेगम...

यानी राणा वो गेम जीत गया...उसने सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..और उनमे से कु छ नोट उठा कर अपनी खड़े हुए लंड से छु आ दिए...और
इस बार अपने लंड को पूरा बाहर खींचकर...और उसमे से निकल रहा प्रीकम उन नोटों पर लगाकर...

उसकी हँसी मे बिल्लू और गणेश भी उसका साथ दे रहे थे...शायद तीनों ने आँखों ही आँखों मे ये डिसाईड कर लिया था की आज की रात वो क्या
करने वाले हैं..

और राणा को अपने लंड की कलम से लाल नोटों पर कु छ लिखता देखकर सारिका तो बावली हो गयी...उसने पहली बार उसकी लंबाई को पूरी तरह
से देखा...वो काफ़ी लंबा था...के शव के मुक़ाबले काफ़ी लंबा..उसक तो दिल कर गया उसे अपने अंदर लेने का..

उसका तो मन किया की राणा के लंड को हाथ में लेकर उसकी मुठ मार दे , और उसकी खुली आँखों के सामने वो दृशय एकदम से आ गया जिसमे
उसके कोमल हाथों में राणा का कड़क लंड था और वो उसे आगे पीछे कर रही थी

और ऐसा सोचते ही उसका हाथ अपने आप अपनी चूत की तरफ चला गया...और तब उसे पता चला की उसने वहाँ कितना कीचड़ फे ला रखा है...

एक तो पहले से ही काजल ने आतंक मचा रखा था, अपने मुम्मे दिखाकर..उपर से सारिका को ऐसी हरकत पर उतरता देखकर सबकी आँखों की चमक
और बढ़ गयी...ये सोचकर की शायद आज की रात इन दोनो को रंडियों की तरह चोदने का मौका मिलेगा..

पर वो कै से होगा और कब होगा , इसके लिए पूरी योजना बनाने कि जरूरत थी...

और इसके लिए बिल्लू के पास एक प्लान था

बिल्लू : "यार, तुम लोग जिस तरह से कर रहे हो, वैसा तो मैने एक क्लब में भी होते हुए देखा है... और उस गेम को कहते हैं स्ट्रीप पोकर
...''

स्ट्रीप पोकर का नाम सुनकर सभी चोंक गये...वो समझ गये की वो क्या कहना चाहता है..यानी खेलते-२ हारने वाला अपने कपड़े भी उतारता जाता
है

बिल्लू : "देखो, इसमें बुरा मानने वाली कोई बात नही है, राणा और काजल तो पहले से लगभग वही खेल खेलने में लगे हैं..और जैसा की सभी
जानते हैं की इस खेल मे जो हारता जाएगा वो अपने पैसों के साथ-2 एक कपड़ा भी निकालता जाएगा..जब ये दोनो मज़ा ले रहे हैं तो हम लोग क्यो
ना ले..बोलो..''

सभी उसके चेहरे को देखने लगे..गणेश और राणा को भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...वैसे काजल भी तो वही सोच कर बैठी थी , पर खुलकर
नही बोल सकती थी वो..और रही बात सारिका की तो उसे तो ऐसी ठरक चढ़ी हुई थी की इस वक़्त उससे तो कु छ भी करवा लो, वो मना नही
करने वाली थी..

राणा : "मुझे कोई प्राब्लम नही है...ऐसे खेलने में मज़ा भी आएगा और जुआ भी चलता रहेगा..पर मेरी एक शर्ट है..इसमे सारिका भी हिस्सा
लेगी..वो ऐसे बैठकर हम लोगो को नंगा होते देखकर मज़े नही ले सकती...उसे भी इस खेल मे उतरना होगा...''

सारिका तपाक से बोली : "मुझे कोई प्राब्लम नही है...''

उसकी उत्सुकतता देखकर सभी हंस दिए...और समझ भी गये की लोंडिया गरम है...वैसे भी खेल देखकर वो भी थोड़ा बहुत सीख ही चुकी थी

बस फिर क्या था...अगली गेम की तैयारी होने लगी...

अँग्रेज़ी स्टाइल का तीन पत्ती

स्ट्रीप पोकर
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
***********
अब आगे
***********

राणा ने पत्ते बाँटने शुरू किए...सारिका उसकी बगल मे बैठी थी और उसके दूसरी तरफ गणेश था..जिसकी जांघे सारिका से टच कर रही थी..

सबने बूट के 500 डाल दिए..सारिका को काजल ने अपनी तरफ से पैसे उधार दे दिए थे ,ताकि वो सबकी तरह खेल सके ..

सारिका अंदर से बड़ी ही रोमांचित थी...और वो खुशी उसके चेहरे पर सॉफ देखी जा सकती थी.

राणा, गणेश और बिल्लू तो जल्द से जल्द खेल के आख़िरी पड़ाव पर जाना चाहते थे, इसलिए किसी ने भी अगली ब्लाइंड का वेट ही नही किया,
क्योंकि हार कर वो खुद नंगे होते और जीत कर उनको नंगा करते...दोनो ही सूरत मे उन्हे ही मज़ा मिलना था..

इसलिए सबसे पहले बिल्लू ने पत्ते उठा लिए..उसके पास 2,5,8 नंबर आए थे..बड़े ही बेकार थे वो..इसलिए उसने पेक कर दिया..और रूल के
अनुसार उसे अपना एक कपड़ा उतारना था...उसने अपनी टी शर्ट उतार दी..और अब वो बनियान और पेंट मे बैठ था..उसका शरीर गोल मटोल सा
था..पर था बड़ा ही गोरा, उपर से उसने अपनी बाजुओं और छाती के बालों को शेव करा रखा था..इसलिए चिकना और गोरा शरीर काफ़ी आकर्षित
लग रहा था काजल और सारिका को..

अगली बारी काजल की थी, उसने तो ब्लाइंड ही चली..और 500 को पिछली बार की तरह ही मुम्मों से रगड़ कर नीचे फें क दिया..

फिर गणेश की बारी आई, वो भी पहले से ही अपने पत्ते उठा चुका था..उसने झट से हज़ार का नोट नीचे फें क दिया और वो भी अपने लंड से
रगड़कर ..

उसे ऐसा करते देखकर राणा बोला : "साले , तुझे भी अपने टोटके दिखाने की पड़ी है..''

वो अपनी खीँसे निपोरता हुआ बोला : "भाई, जब टोटका इतना बड़ा हो तो करने में क्या बुराई है...''

''बड़ा'' शब्द सुनते ही काजल और सारिका एक दूसरे को देखकर मुस्कु रा दी...काजल सोचने लगी की क्या राणा से भी बड़ा होगा इसका..और
सारिका ये सोचने लगी की के शव से भी बड़ा होगा क्या..

अब गणेश की बारी थी...उसके पत्ते भी बेकार थे...उसने भी अपनी शर्ट उतार दी...उसने तो नीचे बनियान भी नही पहनी थी...इसलिए टॉपलेस
होकर बैठ गया वो...वैसे भी उसका कसरती जिस्म था...इसलिए अपने मसल्स दिखाकर वो दोनो को इंप्रेस भी कर रहा था...और वो हो भी रही
थी..

वैसे भी लड़की को हमेशा कसरती जिस्म वाले या जिम मे बनी बॉडीस पसंद आती है...

अब सारिका की बारी थी...उसने अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास सिर्फ़ बादशाह आया था, बाकी के दोनो पत्ते छोटे थे...वो थोड़ी परेशान सी
हो गयी...बिल्लू पेक कर चुका था, इसलिए वो उठकर उसके पास आया और बोला : "कोई कनफु सन है तो मुझे दिखा दो...मैं बता दूँगा...''

उसने पत्ते दिखा दिए...और देखने के साथ ही वो बोला : "पेक कर दे...बेकार पत्ते हैं..''

वो इसलिए भी बोला की वो जल्द से जल्द उन दोनो को नंगा देखना चाहता था..और इसकी शुरूवात सारिका से कर दी..

सारिका का चेहरा शर्म से लाल हो गया...ये सोचकर की वो घड़ी आ गयी है जिसके बारे मे वो कु छ देर पहले सोच रही थी..

उसने तो एक येल्लो कलर का टॉप पहना हुआ था...और नीचे ब्रा थी..और नीचे उसने जीन्स पहनी थी..

अब वो सोच मे पड़ गयी की क्या उतारे...जीन्स तो सीधा उतार नही सकती थी वो...इसलिए उसने सकु चाते हुए अपने टॉप की डोरियाँ खोलनी शुरू
कर दी..

कं धे पर बँधी दोनो डोरियों को जैसे ही उसने खोला, उसके टॉप का गला नीचे खिसक गया..और उसकी वाइट ब्रा में क़ै द कसे हुए मुम्मे सबके सामने
प्रकट हो गये.

और एक पल के लिए पूरे कमरे में सन्नाटा छा गया...सिर्फ़ ठरकियों की गहरी साँसे सुनाई दे रही थी कमरे में

काजल : "अरे भई, चाल भी चलो अगली....''

तब जाके सभी को होश आया...राणा की बारी थी..उसने अपने पत्ते देखे..उसके पास इकके का पेयर आया था....उसकी आँखे चमक
उठी..उसने 2 हज़ार की चाल चली और पैसे लंड से रगड़ कर डाल दिए नीचे..

अब फिर से काजल की बारी थी, जिसने अपने पत्ते भी नही देखे थे अभी तक...

उसने अपने पत्ते उठाए..और उसके पास बादशाह का पेयर आया...उसने भी खुश होते हुए पैसे दोबारा अपने मुम्मों से रगडे और नीचे फें क दिए..

अब राणा ने पैसे फिर से डबल किए और चार हज़ार की चाल चल दी..

काजल के पास वैसे तो बड़ा पेयर था, पर उसे लगने लग गया की राणा के पास ज़रूर तीन पत्तों वाली कोई चीज़ आई है...उसने भी पैसे अपने
मुम्मों और चूत से रगडे और उन्हे नीचे फें क दिया..और शो माँग लिया..

काजल ने अपने पत्ते सामने रख दिए...

और उन्हे देखकर राणा ने भी मुस्कु राते हुए अपने पत्ते उजागर कर दिए..

बादशाह के पेयर पर इकके का पेयर भारी था..

वो जीत गया था..

और गेम के रूल के अनुसार वो हारने वाली काजल से अपनी मर्ज़ी का कोई भी कपड़ा उतरवा सकता था..

और वो ये भी अच्छी तरह से जानता था की उसने कल की तरह आज भी अंडरगार्मेंट्स नही पहने हुए..

इसलिए उसने सबसे पहले उसे अपने सूट का टॉप उतारने को कहा..
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
काजल तो उसके सामने खुल ही चुकी थी...बस थोड़ी बहुत झिझक दूसरो के सामने कपड़े उतारने की थी..और वैसे भी ये आज की रात तो होना
ही था...

इसलिए उसने एक गहरी साँस ली और आँखे बंद करके एक ही झटके में अपने सूट की कमीज़ को पकड़ा और उसे सिर से घुमा कर उतार दिया..

और अब काजल थी सबके सामने...उपर से नंगी.

गणेश और बिल्लू ने तो सोचा भी नही था की उसने अंदर ब्रा भी नही पहनी हुई...काजल ने अपने बालों से उन्हें छु पाने की कोशिश की आर उसके
बालों की चादर के पीछे उसके मुम्मे उभरकर और भी सेक्सी लग रहे थे

उसके मोटे और लचीले मुम्मे देखकर उन दोनो की तो आँखे ही फटी रह गयी...जिन्हे देखकर उन्होने ना जाने कितनी बार मूठ मारी थी...और गणेश
ने तो अपनी बीबी की चूत भी कितनी बार ये सोचकर मारी थी की उसके सामने काजल नंगी लेटी है...वही काजल आज अपने मुम्मों की नुमाइश
लगाकर उनके सामने बैठी थी...
उसके तने हुए बूब्स देखकर उन दोनो के मुँह मे पानी और लंड के सिरे पर पानी की बूँद उभर आई..

जो जल्द ही एक लावे का रूप लेकर उसपर बरसने वाली थी...

अभी तो खेल शुरू ही हुआ था.

एक गेम में ही एक टॉपलेस होकर और दूसरी सिर्फ़ ब्रा में उनके सामने थी..

अगली 2-3 बाजियों मे तो पूरी नंगी करने का प्लान था उनको..

उन सभी चुप देखकर काजल से रहा नहीं गया

काजल : "अरे, तुम तो ऐसे देख रहे हो जैसे कभी किसी के बूब्स देखे नही है...''

वो शायद थोड़ा मज़े लेने के मूड में आ चुकी थी...जब इतना कु छ खुलकर हो ही रहा था तो ऐसे चुप होकर क्यो बैठे..वैसे भी काजल ने तो सोचा
था की उसे और सारिका को ऐसे देखकर वो ज़रूर अपने दिल की ठरक निकाल कर बाहर रख देंगे..पर वो तो गूंगे कु त्तों की तरह अपनी जीभ निकाले
उन्हे आँखे फाड़ कर देखने में लगे थे..

बिल्लू संभलता हुआ बोला : "जितने भी बूब्स देखे है काजल, तुम जैसे नही थे वो...ये जो तुम्हारे बूब्स है ना, इन्हे हम सभी ने अपनी आँखो के
सामने बड़े होते हुए देखा है...पहले नींबू जैसे थे, छोटे-2 ...और शुरू में तो तुम उनपर ब्रा भी नही पहनती थी..इसलिए ये तुम्हारे लाल निप्पल
दूर से ही दिखाई देते थे..फिर ये और बड़े हुए..मौसम्मी जितने ...पर ब्रा पहनने के बाद भी तुम्हारे ये नुकीले निप्पल हमें दूर से ही दिख जाते
थे...और पता है, हम सभी चौराहे पर खड़े होकर हमेशा यही बात करते थे की तुम हो तो चुपचाप रहने वाली पर अंदर से तुम बड़ी गर्म होगी,
क्योंकि ये खड़े हुए निप्पल निशानी होती है अंदर की आग की...और देख लो, हमारी बातें सच साबित हुई, आज जिस तरह से तुम हमारे सामने बैठी
हो, वो यही साबित करता है की तुम शुरू से ही काफ़ी घुन्नी किस्म की लड़की थी, जो अब उभर कर सामने आई है..''

वो साला एक ही साँस में सब कहता चला गया...जो सही भी था..

काजल उसकी बात सुनकर मुस्कु राती रही...उसकी उंगलियाँ अपने आप अपने निप्पल्स को दबा कर उन्हे सुलाने की असफल कोशिश कर रही थी,पर
हमेशा की तरह आज भी वो नाकाम थी.

ये तो उसकी प्राब्लम थी,जब से उसके नींबू उगने शुरू हुए थे, उसने भी अपने अंदर आ रहे बदलाव महसूस किए थे, और उन माँस से भरे लचीले
हिस्से को वो अके ले मे बैठकर दबाती रहती थी, और सारिका के संपर्क मे आने के बाद जब उसे पता चला फिं गरिंग के बारे में तो नीचे से चूत को
और उपर से अपने नींबुओं को मसलने में जो असीम आनंद उसे प्राप्त होता था, उसे तो वो आज भी शब्दों में बयान नही कर सकती थी...रोजाना
नहाते हुए, शावर के नीचे नंगी खड़े होकर, गरमा गर्म पानी को अपने बदन पर महसूस करते हुए वो जब उपर और नीचे की ताल मिलाती थी तो वो
एक आग का शोला बन जाती थी...और भरभराकर झड़ती थी उस गर्म पानी के नीचे..

और उन्ही ख़यालों मे डू ब कर वो स्कू ल जाती, और शायद तभी से इन ठरकियों की नज़र उसपर थी, क्योंकि स्कू ल या कहीं भी जाते हुए उसके
निप्पल्स हमेशा खड़े ही रहते थे..

और फिर उन नींबुओं को दबा-दबाकर उसने मौसम्मी बना दिया...और रसीला भी...और आज भी उसकी वो आदत बरकरार है, सोते हुए और नहाते
हुए वो आज भी उन्हे दबाना और मसलना नही भूलती..

पर अब उसकी इस परेशानी से उसे छु टकारा मिल चुका था...पहले तो के शव के द्वारा और अब शायद इनके हाथों का कमाल चलने वाला था उसके
बूब्स पर...क्योंकि जिस तरह का खेल चल रहा था , उसके हिसाब से तो जल्द ही उन सबके हाथ रेंगने वाले थे उसपर..

खैर, अगली गेम शुरू हुई और पत्ते बाँटे गये...

राणा की बारी थी पहले, उसके पास इक्का ही आया था बस, उसने फ़ौरन पेक कर दिया..और साथ ही अपनी पेंट भी उतार दी, जुर्माने के तौर
पर..

अब वो सिर्फ़ टी शर्ट और अंडरवीयर में बैठा था...और अंडरवीयर में उसका खड़ा हुआ लंड दूर से ही चमक रहा था, जिसे देखकर सारिका और
काजल के मुँह में पानी आ गया..

अगली बारी बिल्लू की थी...और लगातार दूसरी बार भी उसके पास बेकार पत्ते ही आए...उसने तो सोचा था की शायद इस बार अच्छे पत्ते आ जाए
और जीत जाए ताकि हारने वाली काजल या सारिका से अपनी मर्ज़ी का कोई भी कपड़ा उतरवा सके या कु छ और करवा सके ..

उसने पत्ते फें क दिए और अपनी पेंट उतार दी..अब वो जोक्की और बनियान में ही था बस..

सारिका ने पत्ते देखे, उसके पास 2 का पेयर था...अब इतना तो वो समझ ही चुकी थी की एक जैसे दो पत्ते आने पर वो चाल चलने लायक होते
हैं, इसलिए उसने फ़ौरन हज़ार का नोट लिया और चाल चल दी..अपनी ब्रा से ढके मुम्मों से रगड़कर ..

गणेश ने पत्ते देखे, उसके पास भी कु छ खास नही था..सिर्फ़ इक्का , बादशाह और 7 नंबर थे...खेलने को वो इनपर भी खेल सकता था, पर
जल्दी नंगा होकर शायद वो अपने लंड को उन सुंदरियों के सामने रखना चाहता था, इसलिए उसने भी पेक कर दिया और नीचे से पेंट उतार
दी...बनियान तो उसने पहनी नही थी, इसलिए वो अब टॉपलेस होकर सिर्फ़ अपने अंडरवीयर में था..उसके कसरती जिस्म को देखकर काजल और
सारिका के जिस्म से गर्मी निकल रही थी...शायद ये सोचकर की उसके मसल्स को वो अपने नाज़ुक हाथों से रगडेंगी..
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
अब बारी थी काजल की, सारे लड़के तो पेक हो चुके थे और सिर्फ़ सारिका की चाल आई थी...अब उसके साथ भला वो क्या मुकाबला
करती,इसलिए उसने ब्लाइंड चलने के बदले पत्ते उठाना सही समझा..और पत्ते उठाते ही उसकी आँखे चमक उठी..उसके पास कलर आया था, ईंट
यानी डायमंड का, नंबर थे 3,8 और बादशाह..

इतने बाड़िया पत्तों से तो वो अच्छे ख़ासे पैसे जीत सकती थी..पर अपनी ही सहेली से भला क्या खेले वो..फिर भी उसने एक चाल चल ही दी..2
हज़ार बीच मे फें क कर..

अब अपने छोटे से पत्तों के उपर दूसरी चाल आते देखकर सारिका समझ चुकी थी की काजल के पास भी बढ़िया पत्ते आए हैं...वैसे भी चाल चलने
लायक पत्तों में सबसे छोटे पत्ते 2 का पेयर ही होते हैं...इसलिए उसने सरेंडर करना ही बेहतर समझा और 2 हज़ार फें कते हुए अपने पत्ते नीचे कर
दिए और शो माँग लिया..

और दूसरी तरफ काजल को पता था की सारिका जैसी कच्ची खिलाड़ी उसके सामने टिक नही पाएगी...और उसके मुक़ाबले के पत्ते सारिका के पास आना
तो नामुमकिन ही था...इसलिए उसकी जीत तो सुनिश्चित थी..और हारने के बाद वो अगर सारिका की जीन्स उतरवाती तो उसमे वो मज़ा नही आता
जो वो काम करवाने से आने वाला था जो वो सोच रही थी...

सारिका के पत्ते देखकर वो मुस्कु रा दी और अपने पत्ते सामने रख दिए...उसके पत्तों की सबने तारीफ की और सारिका की तरफ आस भारी नज़रों से
देखने लगे..शायद उसकी सुडोल जांघे और नंगी टांगे देखने का टाइम आ गया था...

लड़की जब एक-2 करके अपने जिस्म के कपड़े उतारती है तो उसे देखकर क्या मज़ा मिलता है वो एक लड़का ही समझ सकता है...और यही मज़ा
लेने के लिए इस वक़्त सभी हरामी अपनी आँखे फाड़े बैठे थे वहाँ...वरना जिस तरह की बेशर्मी शुरू हो चुकी थी, उसके बाद तो वहाँ कब का ग्रूप
सेक्स शुरू हो चुका होता..उन सभी को पता था की आख़िर में होना वही है,कोई रोकने वाला भी नही है, लड़कियाँ भी तैयार ही हैं...तो क्यों ना
पहले मज़े ले-लेकर उनके जिस्म से परत दर परत कपड़े उतरने का मज़ा ले और बाद में पूरे मज़े..

पर काजल के दिमाग़ में जो शैतानी आ चुकी थी, उसके बारे में तो शायद उन्होने सोचा भी नही था

सारिका जैसे ही शरमाती हुई उठी और अपनी जीन्स के बटन खोलने लगी, काजल ने उसे रोक दिया और बोली : "नही सारिका, ये नही...मुझे
तुमसे कु छ और करवाना है..''

ये सुनकर सारिका के साथ-2 सभी चोंक गये..

सारिका ने कांपती आवाज़ में पूछा : "क ... क्या करना होगा मुझे ....''

वो सोच रही थी की शायद वो मेरी जीन्स के बदले पहले ब्रा उतारने को कहेगी...ताकि वो भी उसकी तरह टॉपलेस हो जाए और देखने वालों को मज़ा
आए..

पर ऐसा कोई विचार नही था काजल के मन में .

काजल बोली : "तुम्हे मेरी स्लेव बनना पड़ेगा...''

सारिका : "स्लेव ???? यानी तुम्हारी गुलाम ....??''

अब आगे
***********

उसकी बात सुनकर सभी हैरत से एक दूसरे की तरफ देखने लगे...आख़िर काजल कहना क्या चाह रही थी...अच्छा भला, सीधा साधा सा खेल चल
रहा था...स्ट्रीप पोकर में एक दूसरे को नंगा करने का...फिर ये स्लेव बनाने से क्या होगा...इससे अच्छा तो नंगा ही कर दो उसको...

पर जीती वो थी इसलिए मर्ज़ी भी उसकी ही चलनी थी, राणा ने सभी को चुप रहकर आगे का तमाशा देखने का इशारा किया..क्योंकि वो शायद समझ
चुका था की काजल का दिमाग़ किस तरफ जा रहा है...और अगर वो सही है तो, काजल जो भी कर रही है, उसमे बहुत मज़ा आने वाला था..

काजल ने सारिका को अपने साथ उपर चलने के लिए कहा..वो बेचारी अपनी आँखों में हज़ारों सवाल लेकर उसके पीछे -2 उपर वाले कमरे की तरफ
चल दी..

और उनके जाते ही सभी एक दूसरे से ख़ुसर फु सर करने लगे...और उनके नीचे आने का इंतजार भी..

और करीब 10 मिनट के बाद उनके नीचे आने की आवाज़ सुनाई दी..

सभी टकटकी लगाकर सीढ़ियों की तरफ देखने लगे..

और उन्हे देखकर सभी अपने खड़े हुए लंड के साथ - 2 खुद भी अपनी सीट से उठ खड़े हुए ...

नज़ारा ही कु छ ऐसा था उनके सामने..

काजल ने सच मे सारिका को अपनी स्लेव बना लिया था..उन दोनो ने कु छ अजीब से कपड़े भी पहन लिए थे...जिसमे काजल एक मास्टर और
सारिका उसकी स्लेव लग रही थी..

सारिका को काजल ने एक चैन से बाँध रखा था...और वो अपने घुटनो और हाथों के बल किसी कु त्तिया की तरह चल रही थी उसके पीछे..

उन दोनो को ऐसे सेक्सी कपड़ों मे ऐसे मास्टर-स्लेव के किरदार मे आता हुआ देखकर सभी के लंड फटने वाली हालत में आ गये..

काजल ने काफ़ी इंग्लीश मूवीस देखी हुई थी और उसे बचपन से ही साइट्स पर इंग्लिश स्टोरीस पड़ने का भी शोंक था, और शायद ये आइडिया उसके
दिमाग़ में वहीं से आया था, जो शायद वो कब से करना चाहती थी..और आज तो मौका भी था और दस्तूर भी...

ऐसे मौके का फायदा उठाकर वो खेल-2 में सबका मनोरंजन भी कर रही थी और अपने -2 जिस्म की नुमाइश भी...

काजल ने हील वाले सेंडिल पहने हुए थे और उपर से उसकी सेक्सी टांगे नंगी थी...और उसने सारिका को एक सफे द शर्ट पहनाई हुई थी...जिसमें
उसके लटक रहे मुम्मों पर चिपके निप्पल काफ़ी ख़तरनाक लग रहे थे..

काजल अपनी स्लेव को लेकर सोफे तक आई

काजल : "दोस्तों....ये है मेरी स्लेव....सारिका ....''

सारिका की शर्ट के 2 बटन खुले होने की वजह से उसके गोरे-2 बूब्स सभी को साफ़ नज़र आ रहे थे...राणा, बिल्लू और गणेश तो पागल से हो
चुके थे...

और उससे भी बड़ी और मज़े की बात ये थी की सारिका को भी उन सबमे बड़ा मज़ा आ रहा था..

जब उपर जाकर काजल ने सारिका को बताया की वो क्या करना चाहती है तो सारिका को विश्वास ही नही हुआ की उसकी भोली सी दिखने वाली सहेली
इतनी ख़तरनाक सोच रखती है...वो नीचे बैठे ठरकियों को पूरी तरह से तडपा-तड़पाकर मजे लेना चाहती थी...और साथ ही उनके पैसे
भी...जिसका प्लान काजल ने उसे समझा दिया..

वैसे भी ऐसा रोल प्ले करके उन दोनो को अंदर से काफ़ी मज़ा आ रहा था...वो जब पक्की सहेलियाँ थी तो ऐसे ही रोल प्ले करके वो बंद कमरे में
काफ़ी मज़े लेती थी...कभी वो टीचर स्टू डेंट बन जाती थी और कभी इंस्पेक्टर मुजरिम...और आज उसी रोल प्ले वाली गेम को सबके सामने पेश
करके वो खुद तो मज़े ले ही रही थी उनकी हालत भी खराब कर रहीं थी..

क्योंकि जो चाल काजल के दिमाग़ में थी, उसके हिसाब से अगली गेम अगर उसके हिसाब से चली तो सबके लंड के साथ-2 वो उनके पैसे भी अंदर
ले लेगी..

काजल ने सारिका से कहा : "चलो, जाकर सभी को विश करो...''


काजल किसी मालकिन की तरह उस स्लेव बनी सारिका पर अपना हुक्म चला रही थी..

सारिका अपने हाथों और पैरों पर चलती हुई राणा की तरफ बढ़ने लगी...उसकी शर्ट से झाँक रहे मुम्मे देखकर पहले से ही राणा की हालत खराब थी,
उसे ऐसे अपनी तरफ आता देखकर वो तो सुध बुध खोकर उसकी गहरी आँखो में देखता रह गया.

वो धीरे-2 चलती हुई उसकी टाँगो के बीच पहुँची..और उसके खड़े हुए लंड के ठीक सामने जाकर उसने अपने होंठों की गर्म हवा छोड़ी और बोली :
"हैल्लो मास्टर....कै से है आप...''

जवाब मे सिर्फ़ उसके अंडरवीयर में क़ै द लंड ने एक जोरदार झटका मारा...जिसे सारिका ने बड़े ही करीब से महसूस किया...उसका तो मन कर रहा
था की उसके अंडरवीयर को नीचे खिसकाए और चूस ले उसे ..पर अभी उसकी मास्टर यानी काजल का ये हुक्म नही था..

इसलिए वो वापिस पीछे आई और उसी तरह बिल्लू और गणेश की टाँगों के बीच जाकर उन्हे भी विश किया.

बिल्लू ने तो उसके सिर पर हाथ रखकर उसे अपने खड़े हुए लंड पर झुकाने की भी कोशिश की पर तभी काजल ने अपने हाथ मे पकड़ा हुआ एक हंटर
टाइप का डंडा उसके हाथों पर मारा और बोली : "जब तक मैं नही कहूँगी, वो कु छ भी तुम्हारी मर्ज़ी का नही करेगी...''

खेल सच मे काफ़ी रोचक होता जा रहा था...

उनके मायूस चेहरों को देखकर काजल की हँसी निकल गयी और साथ ही निकला उसकी योजना का अगला चरण....

वो बोली : "अच्छा ठीक है...अगर तुम सभी इससे अपनी मर्ज़ी का कु छ करवाना चाहते हो तो इसके लिए तुम्हे पैसा खर्च करना पड़ेगा...''

सभी की आँखे चमक उठी...अपनी मर्ज़ी से वो उसके साथ कु छ भी कर सकते थे...

सभी एक साथ चिल्ला पड़े...पहले मैं...पहले मैं..

काजल : "पर वो जो भी करेगी , दूर से ही ...तुम इसको हाथ नही लगा पाओगे...''

सभी एक बार फिर से मायूस हो गये..पर फिर भी, जितना मिल रहा था उसे भी वो खोना नही चाहते थे..काजल ने हर एक्ट की कीमत भी उन्हे
बता दी, दस हज़ार रूपए ...जिसे देने में उन्हे कोई परेशानी नही थी..

सबसे पहले राणा ने अपने दिल की बात बताई : "सारिका को बोलो की ये तुम्हे पालतू कु तिया की तरह प्यार करे...तुम्हे चाटकार..अपनी जीभ
से...''

शायद ये उसकी फें टसी थी, उसने भी एक मूवी में ऐसे देखा था, और काजल और सारिका को ऐसा करता देखकर उसके मन में वो बात फिर से उभर
आई...वैसे तो वो अपने आप को चटवाना चाहता था सारिका से..पर उसके लिए काजल ने मना कर दिया था...इसलिए उसने काजल ऐसा करने
को कहा..

काजल भी मुस्कु रा दी...और सारिका की तरफ देखकर उसे अपनी तरफ खींचा..

सारिका की चूत तो पहले से ही पनिया गयी थी ये सुनकर...वो चलती हुई उसके पास आई और सीधा अपनी जीभ उसकी मोटी जाँघ पर रख
दी...

पुर कमरे मे एक नही कई सिसकियाँ गूँज उठी..

एक तो काजल की और बाकी उन तीनों की..

सारिका ने उसकी जाँघ को अच्छी तरह से चाटा ...और फिर धीरे-2 वो नीचे की तरफ जाने लगी...और उसके मखमली घुटनों के बाद उसकी
सॉलिड पिंडलियों पर भी उसने अपनी लार से गीलापन छोड़ दिया..

और वो वहीं नही रुकी...उसने काजल के पैरों पर भी अपनी जीभ की कलाकारी दिखाई...ये सब करते हुए उसको खुद भी काफ़ी मज़ा आ रहा
था...

और फिर उसने धीरे-2 अपनी जीभ से उसके लेदर के सेंडिलस को भी चाटा ...जैसा की असली स्लेव करती है...वो तो पूरी कै रेक्टर में घुस चुकी
थी...खुद भी मज़े ले रही थी और देखने वालो को भी मज़े दे रही थी...
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
सभी उसकी ऐसी परफॉर्मेंस देखकर तालियाँ बजाने लगे...

अब बिल्लू की बारी थी...

उसने दस हज़ार रूपए दिए और बोला : "मुझे तो उसको नंगा देखना है...''

वो तो वैसे भी वो हो ही जाती, शायद अगली 2-3 गेम्स में ..पर उसका उतावलापन अपनी जगह सही भी था... सारिका के जवान जिस्म को
नंगा देखने की चाहत उसे कब से थी...आज वो पूरी होने जा रही थी..

काजल ने उसे इशारा किया और सारिका अपने पैरों पर खड़ी हो गयी..

वो बिल्लू के सामने आकर बैठ गयी...और अपनी शर्ट को दोनो तरफ से पकड़कर उसने दोनो तरफ खींचना शुरू कर दिया...और एक-2 करते हुए
उसकी शर्ट के बटन टूट कर नीचे बिखरने लगे...

अब सारिका सिर्फ़ ब्रा मे बैठी थी उसके सामने...

बिल्लू तो इतनी पास से उसकी ब्रा में क़ै द मुम्मों को देखकर फिर से बावला हो गया..

और फिर सारिका ने हंसते हुए अपनी ब्रा के हुक भी खोले और उसे एक ही झटके मे उतार कर फें क दिया...

और कमरे मे हर शख्स ने पहली बार उसे टॉपलेस देखा..

एकदम कड़क थे उसके बूब्स...सामने की तरफ तने हुए...भरे हुए, दोनो हाथों मे मुश्किल ही आए..पर ज़्यादा बड़े भी नही...इतने रसीले और
बड़े रसगुल्लों को अपने सामने देखकर सभी के मुँह में पानी आ गया..

पर कोई कु छ कर तो नही सकता था ना..

और फिर सारिका ने अपनी पेंटी को पकड़ा और उसे भी उतार दिया..

और एक ताजी चूत का झोंका बिल्लू के नथुनों से आ टकराया...ऐसा लगा उसे की उसकी चूत से गर्म भाप छोड़ी गयी है ख़ास उसके लिए..जिसकी
खुश्बू में अपनी सुध बुध खोकर उसने अपनी आँखे बंद कर ली...

सारिका पूरी की पूरी नंगी खड़ी थी सबके सामने...क्या तराशा हुआ जिस्म था उसका...उपर से नीचे तक माल थी वो लड़की..

सबने बड़ी ही मुश्किल से अपने आप को रोका हुआ था...भले ही वो कु छ नही कर पा रहे थे, पर इस खेल में उन्हे मज़ा बहुत आ रहा था.

अब गणेश की बारी थी..

उसने दस हज़ार काजल को सौंप दिए और अपने दिल की इच्छा बताई..

गणेश : "काजल, तुमने जो हंटर पकड़ा हुआ है अपने हाथ मे, उससे तुम इसकी गांड की पिटाई करके इसको लाल कर दो...''

ये सुनकर सभी चोंक गये...

सारिका : "ऐसा क्यो कर रहे हो तुम....मेरे से ऐसी क्या दुश्मनी है जो मेरी लाल करने पर तुले हो...''

वो हंस भी रही थी, की ऐसा क्यो बोल रहा है वो.

गणेश : "अब ये तो मुझे नही मालूम, पर यहाँ जब सभी अपनी - 2 इच्छा बता रहे हैं तो मैने भी बोल दी, वैसे ये काम मैं अपनी बीबी के साथ
कब से करना चाहता हू...उसे नंगा करके अपनी गोद में लेकर उसकी भरी हुई गांड पर चपेटें लगाकर उसे लाल करना चाहता हू...और फिर उसे
चूमना चाहता हू..पर वो मेरी इस बात को आज तक नही मान सकी...बोलती है की मैं पागल हू...ऐसा कौन करता है भला ...अब वो मना कर
देती है तो उसकी मर्ज़ी, ये तो मना नही करेगी ना, इसको तो पैसे दे रहा हू मैं ...''

यानी अपने पैसे के बल पर वो अपने दिल की इच्छा को पूरा करवाना चाह रहा था...राणा और बिल्लू की तो जायज़ सी डिमांड थी, पर ये थोड़ी
ख़तरनाक सी थी..

पर अपनी गांड पर हंटर पड़ने की बात सुनकर सारिका काफ़ी गर्म हो चुकी थी...के शव भी अक्सर उसे घोड़ी बनाकर जब चोदता था तो उसकी गांड पर
बेतहाशा थप्पड़ मारकर उसे लाल कर देता था..उसे काफ़ी मज़ा आता था उसके हाथों की मार अपनी गांड पर खाकर...इसलिए उसने झट से वो पैसे
लिए और अपनी गांड को काजल की तरफ करके खड़ी हो गयी..

जब उसको ही कोई प्राब्लम नही थी तो भला किसी और को क्या हो सकती थी...काजल ने उसे उसी सोफे के हत्थे पर उल्टा लिटाया, जिसपर
बैठकर वो पहले खेल देख रही थी और हल्के हाथों से उसकी गोरी गांड पर हंटर बरसाने शुरू कर दिए...

हल्की डोरियाँ लगी थी हंटर के आगे...जो एक रेशमी सा एहसास छोड़ रही थी सारिका की मखमली गांड पर...और वो हर प्रहार से कराह
उठती...दर्द से नही, मज़े से...क्योंकि उसे उसमें काफ़ी मज़ा मिल रहा था..

और धीरे-2 उसकी गोरी गांड लाल सुर्ख हो गयी...जिसे चूमकर काजल ने उसकी गर्मी को शांत किया..

और इस तरहा से उसका ये मास्टर-स्लेव वाला खेल वहीं ख़त्म हुआ..

सभी को काफ़ी मज़ा आया था..


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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
***********
अब आगे
***********

अब बेकार का परदा करना बेकार था...देखा जाए तो ये खेल भी एक जुए की तरह ही खेला था काजल ने, सबसे बोली लगवाई और पैसे जीत कर
ले गयी..

राणा : "काजल, छोड़ो अब ये सब, असली बात पर आओ..पैसों की चिंता ना करो...''

काजल और सारिका उसकी बात सुनकर मुस्कु रा दी..बाकी के दोनो दोस्त भी उन्हे देखने लगे..सभी समझ गये की आख़िरी बाजी की तैयारी हो रही
है..

काजल : "कितने पैसे हार सकते हो आख़िरी गेम में ..''

राणा ने अपनी जेब के सारे पैसे निकाल कर सामने रख दिए...और उसकी देखा देखी बिल्लू और गणेश ने भी अपनी जेबें खाली कर दी...

टेबल के उपर नोटों का ढेर सा लग गया...करीब 70 हज़ार रुपय थे वो...सारिका तो पहले के जीते हुए पैसे उपर वाले कमरे में रख चुकी
थी..उन्हे कहाँ रखेगी, यही सोचकर उसकी आँखे चौड़ी होती चली गयी..

काजल ने जैसे ही वो पैसे उठाने चाहे, राणा ने रोक दिया और बोला : "इन्हे ले जाओ..पर अब जो हम कहेंगे वो करोगे तुम दोनो..हमारी मर्ज़ी
का...''

काजल ने सारिका की तरफ देखा..और आँखो ही आँखो मे सारिका ने अपनी स्वीकृ ति दे दी..राणा ने अपने हाथ हटा लिए..और काजल ने सारे पैसे
अपनी तरफ कर लिए..

यानी बिना खेल खेले वो बाजी काजल और सारिका जीत गयी


उसने सारे पैसे उपर लेजाकर रख दिए और वापिस आकर खड़ी हो गयी उनके सामने...

सभी एक साथ उठे और सबने मिलकर काजल को घेर लिया...

सभी ने एक-2 करके उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए..

गणेश ने वो हंटर उसके मुँह मे ठू स दिया...और पीछे खड़े बिल्लू ने उसके मुम्मे के उपर की ब्रा निकाल कर नीचे कर दी..

वो तीनो उसके जिस्म से जोंक की तरहा चिपके हुए थे...सारिका बेचारी अके ली खड़ी हुई अपनी चूत मसल रही थी..और सोच रही थी की उसका
नंबर कब आएगा..

बिल्लू और गणेश ने उसके कपड़े निकालते हुए उसके चेहरे को पकड़ा और उसके और राणा के मुँह को आपस मे मिला दिया...और फिर वो सारिका की
तरफ चल दिए, उन्हे एक गहरी स्मूच मे डू बा कर..

राणा ने अपनी उंगलियाँ काजल के मुँह मे डाली , जिसे वो प्यासी चुड़ैल की तरह चूसने लगी..फिर उसने झुक कर उसके मुम्मों पर अपना मुँह रख
दिया और उन्हे चूसने लगा...वो तड़प उठी..अपनी जीभ से उसके बदन को चाट्ता हुआ वो उपर आया और ज़ोर से स्मूच कर लिया..

बिल्लू और गणेश ने सारिका को घेर लिया, वो तो पागलों की तरह उसे नोचने लगे..उसके मुम्मों पर बिल्लू ने ऐसा हमला बोला जिसे महसूस करके वो
चीखे मारने लगी..और गणेश तो सीधा उसके पीछे गया और मार के कारण लाल सुर्ख गांड पर अपनी जीभ रखकर उसे चाटने लगा...शायद आज
उसकी दबी हुई इच्छा पूरी हुई थी..

फिर वो आगे की तरफ आया और उसकी चूत पर मुँह लगाकर ज़ोर-2 से सक्क करने लगा..

सारिका तो हवा ही हवा में अपनी चूत चुस्वाकार डांस करने लगी..

ऐसा मज़ा तो उसने आज तक नही लिया था..

एक से करवाने का मज़ा अलग होता है, पर ऐसे 2-2 के साथ मज़े लेना उसके लिए बिल्कु ल नया था, उसके अंदर की रंडी जाग उठी और वो ज़ोर
-2 से चीखें मारती हुई चिल्लाने लगी..

''अहह sssssssssssssssssssssssssssss .... और ज़ोर से चूस साले ..... अंदर तक डाल जीभ को....''

बिल्लू : "साली, इससे चुसवाती ही रहेगी क्या....चल मेरा लंड चूस, बड़ी देर से रोका हुआ है मैने...''

और वो दीवार के सहारे खड़ा हुआ और अपना लंड निकाल कर सारिका के सामने रख दिया...

सारिका ने पहले उसके लंड को अपने मुम्मे पर रगड़ा...

उसपर थूक डाल कर अच्छी तरह से गीला किया..

अपने मुम्मों की दीवारों से उसे अच्छी तरह से रगड़ा..

और फिर एक ही झटके मे उसे अपने मुँह मे लेकर चाट लिया..

बिल्लू सिहर उठा..और अपने पंजों पर खड़ा हो गया..

सारिका ने उसके लंड को चाटा ,चूसा और फिर झुक कर उसकी बॉल्स को भी चाट लिया..

ये बिल्कु ल नया था बिल्लू के लिए..

फिर तो सारिका रुकी ही नही...उसने चूस - कर उसके लंड को पूरी तरह खड़ा कर दिया..

फिर उसने गणेश की तरफ देखा...उसका तो पहले से ही खड़ा था..

उसे भी उसने एक बार चूसा और फिर उसे वहीं ज़मीन पर लिटा कर उल्टी होकर उसके उपर बैठ गयी.

और अपनी चूत में उसके लंड को लेकर नाचने लगी...


''अहह....उम्म्म्मममममममममममममम''

और फिर सारिका ने गणेश के पैर पकड़े और अपनी गाण्ड उपर नीचे करती हुई चुदवाने लगी....बिल्लू भी साइड में आकर खड़ा हो गया और अपना
लंड मसलने लगा उसके चेहरे के पास आकर..इतने करीब से बिल्लू के लंबे लंड को देखकर सारिका का मन उसके लिए ललचा गया...वो उसके लंड
को अंदर लेने के लिए तड़प उठी...और एक ही झटके से वो गणेश के ऊपर से उठ खड़ी हुई और नीचे लेट गयी...और बिल्लू की तरफ बाहें करके
उसे अपनी तरफ बुलाया..वो भागता हुआ सा आया और अपने खड़े हुए लंड को सीधा लेजाकर उसकी चूत में घोंप दिया..

''आआआआआआआआआआहह ..... ऊऊऊऊऊऊओह य्ाआआआआआआअ ...... उम्म्म्ममममममम ...कितना बड़ा है तेरा


................... अहह ....''

और उसके लम्बे लंड को अंदर महसूस करते हुए उसने पीछे खड़े गणेश के गीले लंड को अपने हाथ मे पकड़ा और मसलना शुरू कर दिया..
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
एक साथ दो लंड उसकी गिरफ़्त में थे..एक उसकी चूत में और दूसरा उसके हाथ मे..

दोनो के साथ वो पूरे मज़े लेने के मूड में थी..

पुर कमरे मे सिसकारियाँ गूँज रही थी..

सही मानों में कहे तो ग्रुप सेक्स चल रहा था

चारों तरफ नंगे जिस्म बिखरे पड़े थे..

काजल से भी अब रहा नही जा रहा था.

अपनी सहेली को लंड के मज़े लेती देखकर उसने राणा को नीचे पटका, और उसके उपर सवार हो गयी...

और राणा ने उसकी नशीली आँखो मे देखते-2 नीचे से अपना लंड लेजाकर उसकी मखमली चूत पर लगा दिया

और एक ही झटके मे उसके अंदर दाखिल हो गया.

''आआआआआआआआआआआआआआहह उूुुुुुुुुुुुुउउफफफफफफ्फ़ ढीईईरीई..... ''

ये सिर्फ़ दूसरा लंड था उसकी लाइफ का जो वो अंदर ले रही थी...अभी कल ही तो ताज़ा-2 चुदाई करवाई थी उसने...पर के शव के लंड से
काफ़ी बड़ा था राणा का लंड ..इसलिए थोड़ी तकलीफ़ भी हुई उसे...

पर धीरे-2 उसकी तकलीफ मजेदार सिसकारियों मे बदल गयी.

राणा ने उसके हाथ को उसकी कमर पर रखकर अपने हाथ का दबाव दिया और बाँध सा दिया और नीचे से तेज और लगातार धक्के मारकर ज़ोर-2 से
उसकी चुदाई करने लगा..

'ऊऊऊओ फक ....अहह उम्म्म्ममममममम ...येस्स....... ओह ... अहह ..... उम्म्म्मममममममम और ज़ोर से ...... अंदर तक
.............अहह ....सस्स्स्स्सस्स....''

वहाँ सारिका की चूत बज रही थी और यहाँ काजल का बेंड............

और दोनो सहेलियाँ लंड के डंडो की मार पर अपनी कमर थिरका कर क़े बरे कर रही थी..
सारिका अपने चरम पर थी...और बिल्लू भी....उसने आख़िरी मे जाकर जोरदार झटके मारते हुए अपना सारा माल उसकी चूत के अंदर निकाल
दिया..

''आआआआआआआअहह ओह ...मैं तो गया .................... उम्म्म्मममममममम''

सारिका भी उसके गर्म पानी को महसूस करते हुए ढेर हो गयी..

गणेश भी उठकर जल्दी से उसके आगे आया और सारिका के संभलने से पहले ही अपने लंड को उसकी गीली सुरंग मे डाल कर धक्के मारने लगा...

एक बार फिर से वो मालगाड़ी की तरह हिचकोले खाने लगी..और उसका माल यानी बड़े-2 मुम्मे उपर नीचे हिचकोले खाने लगे..

''ऊऊऊऊऊऊऊहह ......मार डालोगे तुम दोनो मुझे तो .................उम्म्म्मममममम ....अहह ...... ''

पर उसकी शिकायत का कोई असर नही हुआ गणेश पर और उसने धक्के चालू रखे और जल्द ही वो भी हांफता हुआ उसकी चूत में अपने रस का
योगदान देते हुए उसके रुई जैसे मुम्मों पर लुडक गया...

उधर राणा की ट्रेन तो पूरी गति से भागी जा रही थी..

और काजल भी हारने का नाम नही ले रही थी..

उसके हर झटके मे इतना ज़ोर था की हर बार ऐसा लगता की पहली बार लंड अंदर गया है उसके .

सारिका खिसक कर उसी सोफे पर आ गयी, जिसपर काजल की चुदाई चल रही थी...

शायद ये सोचकर की शायद दो लड़कियों को देखकर राणा जल्दी झड़ जाए और अगले राउंड की तैयारी हो..

काजल ने अपनी बगल मे लेटी हुई सारिका के मुम्मे चूसना शुरू कर दिया..और सारिका अपनी चूत मे इकट्ठे हुए माल को रगड़ती हुई फिर से सिसकने
लगी..

राणा अब पूरी तेज़ी से काजल की चूत में अपना लंड पंप कर रहा था...बगल मे लेटी हुई सारिका को देखते हुए..

और जल्द ही उसने भी हार मान ली...

एक जोरदार झटके से उसके लंड की पिचकारियाँ भी काजल के अंदर जाने लगी

और वो बुरी तरह से झड़ता हुआ उसके नंगे बदन से लिपट गया..

''अहह ..... ओह कााआआआजल .............. उम्म्म्मममममममममम ... मैं तो गया................ ....''

और फिर वो भी अपने सुस्ता रहे दोस्तों के पास जाकर सिगरेट के सुट्टे मारने लगा..

और दोनो सहेलियाँ एक दूसरे की गुल्लक मे हाथ डालकर ये जाने की कोशिश करने लगी की किसमे कितना माल इकट्ठा हुआ है..

अभी तो पूरी रात पड़ी थी..

पूरी रात मे कै से-2 वो चुदाई करवाएँगी..ये सोचते-2 दोनो के चेहरे पर एक अलग ही हँसी आ गयी..

और ये सिलसिला पूरी रात चला..

बाहर लोग दीवाली के पटाखे जला कर सो चुके थे

पर अंदर इन तीनो ने इन पटाखो को पूरी रात बजाया..

और दीवाली के पूरे मज़े लिए..


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समाप्त.
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