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बड़े भाई साहब - पाठ की व्याख्या

पठन-सामग्री : मेरे भाई साहब मुझसे पााँ च साल बडे ,ले किन िेवल तीन दजे आगे। उन्होंने
भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था ,जब मैने शुरू किया ले किन तालीम जै से महत्त्व िे
मामले में वह जल्दबाजी से िाम ले ना पसन्द ना िरते थे। इस भवन िी बुकनयाद बहुत
मजबूत डालना चाहते थे ,कजस पर आलीशान महल बन सिे।एि साल िा िाम दह साल में
िरते थे। िभी िभी तीन साल भी लग जाते थे बुकनयाद ही पुख्ता न हह,तह मिान िैसे
पायेदार बने।
शब्दाथथ :
दजाथ - कक्षा
तालीम - शशक्षा
बुशनयाद - नी ींव
आलीशान - बहुत सु न्दर, भव्य
पु ख्ता - पक्का , मज़बूत
पायेदार - ऐसी वस्तु शजसके पै र हो ,मज़बूत, शिकाऊ
व्याख्या : ले खि अपने बडे भाई साहब िे बारे में बता रहे हैं कि वे पढ़ाई िह कितना अकधि
महत्व दे ते थे| ले खि िह रहे हैं कि उसिे भाई साहब उससे पााँ च साल बडे हैं ,परन्तु तीन ही
िक्षा आगे पढ़ते हैं । पढ़ाई िरना उन्होंने भी उसी उम्र में शु रू किया था कजस उम्र में ले खि ने
किया था। वे हर िक्षा में एि साल िी जगह दह साल लगाते थे और िभी िभी तह तीन साल
भी लगा दे ते थे। परन्तु कशक्षा जै से िायय में बडे भाई साहब िहई जल्दबाजी नहीों िरना चाहते
थे । ले खि प्रेमचन्द ने भाई साहब िा पररचय दे ते हुए उनिे बार–बार अनुत्तीणय
हहने िह व्योंग्यात्मि शै ली में प्रस्तुत किया है | वे िहते हैं कि भाईसाहब एि ही
िक्षा िह बार-बार दहहरािर अपनी कशक्षा रुपी नीोंव िह मजबूती प्रदान िर रहे
थे| जै से किसी भी मजबूत मिान िे कलए एि मजबूत नीोंव िा हहना आवश्यि
हहता है | यकद नीोंव िमजहर हहगी तह उस पर बना मिान भी िमजहर हहगा
क्होंकि मजबूत मिान िे बनने में उसिी नीोंव िा बहुत यहगदान है | इसी
प्रिार कशक्षा भी मनुष्य िी नीोंव है कजसिे आधार पर वह अपना भकवष्य रुपी
भवन िह खडा िरता है | अथाय त् मनुष्य िा भकवष्य उसिी आज िी कशक्षा द्वारा
कनधाय ररत हहता है | कशक्षा-दीक्षा में किसी प्रिार िी िमी रह जाने पर भकवष्य भी
अोंधिारमय हह जाता है | इसकलए वह अपने भावी जीवन रुपी भवन िह पुष्ट
िरने िे कलए िरने िे कलए कशक्षा रूपी नीोंव िह मजबूती प्रदान िर रहे हैं |
इस प्रिार वह अपने भाई साहब िे बार बार अनुत्तीणय हहने िा अप्रत्यक्ष रूप
से उपहास िरते हैं |
पठन-सामग्री : मैं छहटा था ,वे बडे थे । मेरी उम्र नौ साल िी थी और वह चौदह साल िे थे।
उन्ें मेरी तम्बीह और कनगरानी िा पूरा और जन्मकसद्ध अकधिार था और मेरी शालीनता इसी
में थी कि उनिे हुक्म िह िानून समझूाँ।
शब्दाथथ :
तम्बीह - डााँि -डपि
शनगरानी - दे खरे ख
जन्मशसद्ध - जन्म से ही प्राप्त
शालीनता - शवनम्रता
हुक्म - आज्ञा,आदे श
व्याख्या : ले खि िह रहे हैं कि भाई साहब बडे थे इसकलए उन्ें ले खि िह डााँ टने िा
पूणय अकधिार था और ले खि िी समझदारी इसी में थी कि वह उनिे हर आदे श िह
िानून समझिर उनिी हर आज्ञा िा पालन िरें ।

पठन-सामग्री : वह स्वभाव से बडे अध्ययनशील थे। हरदम किताब खहले बैठे रहते और
शायद कदमाग िह आराम दे ने िे कलए िभी िॉपी पर ,किताब िे हाकशयहों पर कचकडयहों ,िुत्तहों
,कबल्लियहों िी तस्वीरें बनाया िरते थे । िभी-िभी एि ही नाम या शब्द या वाक् दस -बीस
बार कलख डालते। िभी एि शे र िह बार-बार सुन्दर अक्षरहों में नऺल िरते । िभी ऐसी शब्द
-रचना िरते, कजसमे न िहई अथय हहता, न िहई सामोंजस्य।
शब्दाथथ :
अध्ययनशील - पढ़ाई को महत्त्व दे ने वाला
हाशशयोीं - शकनारोीं, (शकताब या कापी के शकनारोीं पर छोड़ी गई खाली जगह )।
सामींजस्य - तालमेल

व्याख्या : ले खि िह रहे हैं कि उसिे बडे भाई साहब पढ़ाई िह महत्त्व दे ने वाले थे। वे
हर वक्त किताब खहल िर बैठे रहते थे और शायद जब वे पढ़िर थि जाते थे तब किताबहों
और िॉकपयहों िे किनारहों पर िुत्तहों, कबल्लियहों और कचकडयहों िी तस्वीरें बनाया िरते थे । िभी -
िभी तह एि ही नाम िह ,शब्दहों िह और वाक्हों िह दस - बीस बार कलख दे ते थे । िभी एि
ही शे र िह बार - बार सुन्दर अक्षरहों में कलखते रहते थे । िभी तह ऐसे शब्दहों िी रचना िरते थे
कजनिा िहई अथय ही नहीों हहता और न ही उन शब्दहों िा आपस में िहई तालमेल हहता।अत:
ले खि भाई साहब िी मन:ल्लथथकत िह समझने में असमथय था|
पठन-सामग्री : मसलन एि बार उनिी िॉपी पर मैंने यह इबारत दे खी - स्पेशल ,अमीना
,भाइयहों - भाइयहों ,दरअसर ,भाई - भाई। राधेश्याम ,श्रीयुत राधेश्याम ,एि घोंटे ति - इसिे
बाद एि आदमी िा चेहरा बना हुआ था। मैंने बहुत चेष्टा िी कि इस पहे ली िा िहई अथय
कनिालूाँ , ले किन असफल रहा। और उनसे पूछने िा सहस न हुआ। वह नौवीों जमात में थे ,मैं
पााँ चवी में। उनिी रचनाओों िह समझना मेरे कलए छहटी मुाँह बडी बात थी।
शब्दाथथ :
मसलन - उदाहरणतः
इबारत - ले ख
चेष्टा - कोशशश
जमात - कक्षा
व्याख्या : ले खि उदाहरण दे ते हुए िहता है कि एि बार उसने बडे भाई साहब िी िॉपी में
यह ले ख दे खा कजसिी शब्द - रचना इस तरह से थी - स्पेशल ,अमीना ,भाइयहों -भाइयहों
,दरअसल ,भाई - भाई। राधे श्याम ,श्रीयुत राधे श्याम ,एि घोंटे ति - और उसिे बाद एि
आदमी िा चेहरा बना हुआ था। ले खि ने बहुत िहकशश िी कि वह बडे भाई साहब िे द्वारा
कलखे गए इन शब्दहों या पहे ली िह सुलझा सिे या इनिा िुछ अथय कनिल सिे । ले किन वह
हर तरह से असफल रहा। और भाई साहब से पूछने िी कहम्मत नहीों हुई। अब भाई साहब
नौवीों िक्षा में थे और वह पााँ चवी िक्षा में था। उनिे शब्दहों िा अथय जानना या उनिी िी गई
रचनाओों िह समझना उसिे कलए असोंभव था ।

पठन-सामग्री : मेरा जी पढ़ने में कबलिुल न लगता था। एि घण्टा भी किताब ले िर बैठना
पहाड था। मौिा पाते ही हहस्टल से कनिलिर मैदान में आ जाता था और िभी िोंिररयााँ
उछलता , िभी िागज िी कततकलयााँ उडाता और िहीों िहई साथी कमल गया ,तह पूछना ही
क्ा। िभी चारदीवारी पर चढ़ िर कनचे िूद रहे हैं । िभी फाटि पर सवार,उसे आगे पीछे
चलाते हुए महटरिार िा आनन्द उठा रहे हैं ,ले किन िमरे में आते ही भाई साहब िा वह
रूद्र रूप दे ख िर प्राण सूख जाते ।
शब्दाथथ :
कींकररयााँ - पत्थर के छोिे िु कड़े
रूद्र रूप - भयानक या गु स्से वाला रूप
प्राण सूख जाना – अत्यशधक डर जाना
व्याख्या : ले खि िहते हैं कि पढ़ाई में उसिा मन कबलिुल भी नहीों लगता था। अगर एि
घोंटे भी किताब ले िर बैठना पडता तह यह उसिे कलए किसी पहाड िह चढ़ने कजतना ही
मुल्लिल िाम था। जै से ही उसे जरा सा मौिा कमलता वह खेलने िे कलए मैदान में पहुाँ च जाता
था। िभी वहााँ पत्थरहों िे छहटे - छहटे टु िडहों िह उछालता ,िभी िागज िी कततकलयााँ बना
िर उडाता और अगर िहई कमत्र या साथी साथ में खेलने िे कलए कमल जाये तह बात ही िुछ
और हहती। साथी िे साथ कमल िर िभी चारदीवारी पर चढ़ िर िूदते, िभी फाटि पर चढ़
िर उसे आगे पीछे िरिे महटरिार िा आनोंद ले ते । ले किन जै से ही खेल ऻत्म िर िमरे में
आता तह भाई साहब िा वह गुस्से वाला रूप दे खा िर उसे बहुत डर लगता था।अत: लेखि
िा मन पढाई में नहीों लगता था क्होंकि उनिी रूकच खेलहों तथा मनहरों जि
गकतकवकधयहों में अकधि रहती थी |
पठन-सामग्री : उनिा पहला सवाल यह हहता -'िहााँ थे '? हमेशा यही सवाल ,इसी ध्वकन में
हमेशा पूछा जाता और इसिा जवाब मेरे पास िेवल मौन था। न जाने मेरे मुाँह से यह बात क्हों
नहीों कनिलती कि जरा बाहर खेल रहा था। मेरा मौन िह दे ता था कि मुझे मेरा अपराध
स्वीिार है और भाई साहब िे कलए उसिे कसवा और िहई इलाज न था कि स्ने ह और रहष िे
कमले हुए शब्दहों में मेरा सत्कार िरे ।
शब्दाथथ :
मौन - चुप
स्नेह - प्रे म
रोष - गु स्सा
सत्कार – स्वागत
अपराध - गलती
व्याख्या : ले खि िहते हैं कि जब भी वह खेल िर आते तह भाई साहब हमेशा एि ही
सवाल,एि ही अोंदाज से पूछते थे - 'िहााँ थे '?और इसिे जवाब में वह हमेशा चुप रह जाता
था। पता नहीों क्हों वह िभी भाई साहब िह ये जवाब नहीों दे पता था कि वह जरा बाहर खेल
रहा था।उसिे चुप रहने से भाई साहब समझ जाते थे कि वह अपनी गलती मानता है और
भाई साहब ले खि से प्यार िरते थे इसकलए थहडा गुस्सा और प्यार िे कमले जुले शब्दहों में
उसिा स्वागत िरते थे अथाय त भाई साहब िह ले खि िा खेलना कबल्कुल पसोंद
नहीों था | ले खि भाई साहब िा सम्मान िरते थे इसीकलए कसर झुिािर
उनिी डााँ ट सुनते रहते थे |

पठन-सामग्री : "इस तरह अोंग्रेजी पढ़हगे, तह कजोंदगी भर पढ़ते रहहगे और एि हर्फय न


आएगा। अोंग्रेजी पढ़ना िहई हाँ सी खेल नहीों है कि जह चाहे , पढ़ ले , नहीों ऐरा - गैरा नत्थू-खैरा
सभी अोंग्रेजी िे कवद्वान हह जाते। यहााँ रात - कदन आाँ खें फहडनी पडती है और खून जलाना
पडता है , तब िही यह कवद्या आती है । आती क्ा है , हााँ िहने िह आ जाती है । बडे -बडे
कवद्वान भी शु द्ध अोंग्रेजी नहीों कलख सिते, बहलना तह दू र रहा। और मैं िहता हाँ , तु म कितने
घहोंघा हह, कि मुझे दे ख िर भी सबि नहीों ले ते। मैं कितनी मेहनत िरता हाँ , यह तु म अपनी
आाँ खहों से दे खते हह, अगर नहीों दे खते, तह यह तुम्हारी आाँ खहों िा िसूर है , तु म्हारी बुल्लद्ध िा
िसूर है ।
शब्दाथथ :
हफ़थ - अक्षर
ऐरा - गै रा नत्थू खैरा - कोई भी आम व्यक्ति
खून जलाना - कड़ी / अत्यशधक मेहनत करना
घोींघा – बेवकूफ़ / मूखथ
सबक - सीखना
कसूर - गलती
व्याख्या : यहााँ ले खि भाई साहब िे द्वारा उसे िैसे समझाए जाने िा वणय न िर रहे हैं |
ले खि िहते हैं कि बडे भाई साहब हमेशा िहते थे कि " अगर वह इसी तरह अोंग्रेजी
पढ़े गा तह अपनी पूरी कजों दगी में उसे एि भी अक्षर नहीों आएगा । अोंग्रेजी पढ़ना िहई आसान
िाम नहीों है कि जह भी चाहे पढ़ सिता है , अगर ऐसा हहता तह बेिार आदमी आज अोंग्रेजी
िा कवद्वान हहता। अोंग्रेजी सीखना िे कलए रात कदन किताबें पढ़नी पडती है और कदन रात
मेहनत िरनी पडती है , तब जािर िही अोंग्रेजी आती है । आती क्ा है , हााँ िहने िह आ
जाता है कि हमें अोंग्रेजी आती है । बडे बडे कवद्वान भी सही अोंग्रेजी नहीों कलख पाते बहलना तह
दू र िी बात हैं ।" और बडे भाई साहब छहटे भाई िह डााँ टते हुए िहते हैं कि ले खि इतना
सुस्त है कि बडे भाई िह दे खिर िुछ नहीों सीखता । बडा भाई कितनी मेहनत िरता है ये तह
ले खि अपनी आाँ खहों से दे खता ही है ले किन अगर नहीों दे खता तह ये ले खि िी आाँ खहों और
बुल्लद्ध िी गलती है ।

पठन-सामग्री : इतने मेले -तमाशे हहते हैं , मुझे तु मने िभी दे खने जाते दे खा है ? रहज ही
कििेट और हॉिी मैच हहते हैं । मैं पास नहीों फटिता। हमेशा पढ़ता रहता हाँ । उस पर भी
एि - एि दरजे में दह -दह तीन - तीन साल पडा रहता हाँ , कफर भी तु म िैसे आशा िरते हह
कि तु म यहों खेल िूद में वक्त गवािर पास हह जाओगे? मुझे तह दह ही तीन साल लगते हैं , तु म
उम्र भर इसी दरजे में पडे सडते रहहगे? अगर तुमने इस तरह उम्र गाँवानी है , तह बेहतर है घर
चले जाओ और मजे से गुिी-डों डा खेलह। दादा िी गाढ़ी िमाई िे रुपयहों िह क्हों ऻराब
िरते हह।
शब्दाथथ :
दजाथ - कक्षा
गाढ़ी कमाई - मेहनत की कमाई
व्याख्या : बडा भाई किस तरह अपनी इच्छाओों िह दबाता है यहााँ इसिा वणय न है | बडे भाई
साहब छहटे भाई िह िहते हैं कि इतने सारे मेले - तमाशे हहते है ,क्ा उसने िभी भाई िह
उनमें जाते दे खा है ? हर रहज कितने ही कििेट और हॉिी िे मैच हहते हैं ।बडे भाई साहब
िभी उनिे आस पास भी नहीों भटिते। हमेशा ही पढ़ते रहते हैं । इतना सब िुछ िरने िे
बाद भी बडे भाई साहब िह एि ही िक्षा में दह या तीन साल लग जाते हैं ,कफर भी ले खि ऐसा
िैसे सहच सिता है कि वह इस तरह खेल िूद िर या वक्त गवािर भी पास हह जायेगा ?
बडे भाई साहब िह तह एि िक्षा में दह या तीन ही साल लगते हैं ,अगर ले खि इसी तरह समय
बबाय द िरता रहा तह अपनी पूरी कजों दगी एि ही िक्षा में लगा दे गा । अगर ले खि अपनी उम्र
इसी तरह गाँवाना चाहता है तह उसे घर चले जाना चाकहए और वहााँ मजे से गुिी - डों डा खेलना
चाकहए। िम से िम दादा िी मेहनत िी िमाई तह ऻराब नहीों हहगी। अत: भाई साहब
ले खि िह उसिी लापरवाही, मटरगश्ती और पढ़ाई न िरने िे कलए डााँ टते हुए
कवषयहों िा भय कदखािर कदखाते हैं |
पठन-सामग्री : मैं यह लताड सुनिर आाँ सू बहाने लगता। जवाब ही क्ा था। अपराध तह मैने
किया, लताड िौन सहे ? भाई साहब उपदे श िी िला में कनपूणय थे। ऐसी - ऐसी लगती बाते
िहते, ऐसे - ऐसे सूल्लक्त-बाण चलाते कि मेरे कजगर िे टु िडे हह जाते और कहम्मत टू ट जाती।
इस तरह जान तहड िर मेहनत िरने िी शल्लक्त मैं अपने में ना पाता था और उस कनराशा में
जरा दे र िे कलए मैं सहचने लगता -"क्हों ना घर चला जाऊाँ। जह िाम मेरे बूते िे बाहर है ,
उसमे हाथ डाल िर क्हों अपनी कजों दगी ऻराब िरू ाँ ।"
शब्दाथथ :
लताड़ - डााँि फिकार
शनपू णथ - बहुत अच्छे
सूक्ति-बाण - व्यींग्यात्मक कथन, चुभती बातें
शजगर - हृदय,शदल
शनराशा - दु ःख
बूते - बस
व्याख्या : ले खि बडे भाई िी डााँ ट िा अपने ऊपर हहने वाले असर िा वणय न िर रहा है |
भाई साहब िी डााँ ट - फटिार सुनिर ले खि िी आाँ खहों से आाँ सू बहने लगते। ले खि िे
पास उनिी बातहों िा िहई जवाब ही नहीों हहता था। गलती तह ले खि ने िी थी, परन्तु डााँ ट -
फटिार सुनना किसे पसोंद हहता है ? भाई साहब उपदे श बहुत अच्छा दे ते थे । ऐसी -ऐसी बाते
िरते थे जह सीधे कदल में लगती थी, ऐसी-ऐसी चुभती बाते िरते कि ले खि िे कदल िे टु िडे -
टु िडे हह जाते, और ले खि िी बाते सुनने िी कहम्मत टू ट जाती। भाई साहब िी तरह िडी
मेहनत वह नहीों िर सिता था और दु खी हहिर िुछ दे र िे कलए वह सहचने लगता कि "क्हों
ना वह घर ही चला जाए। जह िाम उसिे बस से बाहर है वह वह िाम िरिे अपनी कजों दगी
और समय क्हों बबाय द िरे । "
पठन-सामग्री : मुझे अपना मुखय रहना मोंजूर था,ले किन उतनी मेहनत से मुझे तह चक्कर आ
जाता था। ले किन घोंटे-दह घोंटे िे बाद कनराशा िे बादल फट जाते और मैं इरादा िरता कि
आगे से खूब जी लगािर पढ़ूाँगा। चटपट एि टाइम टे बल बना डालता। कबना पहले से नक्शा
बनाए कबना िहई स्कीम तै यार किये िाम िैसे शु रू िरू ाँ । टाइम टे कबल में खेल - िूद िी मद
कबलिुल उड जाती।
शब्दाथथ :
मींज़ूर - स्वीकार
िाइम िे बल - समय सारणी
स्कीम - योजना
व्याख्या : ले खि िहता है कि उसे अपने आप िह मुखय िहना स्वीिार था ,ले किन भाई
साहब िे बराबर मेहनत िरने िी सहचने पर भी उसे चक्कर आ जाता था। ले किन भाई
साहब िी डााँ ट - फटिार िा असर एि दह घोंटे ति ही रहता था और वह इरादा िर ले ता था
कि आगे से खूब मन लगािर पढ़ाई िरे गा। यही सहच िर जल्दी जल्दी एि समय सारणी
बना दे ता। समय सारणी बनाने से पहले वह न तह िहई नक्शा तै यार िरता था और न ही िहई
यहजना बनाता था कि किस तरह से िाम शु रू किया जाये। समय सारणी में खेल िूद िे कलए
िहई समय ही नहीों कदया जाता था।
पठन-सामग्री : प्रातःिाल छः बजे उठना, मुाँह हाथ धह ,नाश्ता िर ,पढ़ने बैठ जाना। छः से
आठ ति अोंग्रेजी, आठ से नौ ति कहसाब, नौ से साढ़े नौ ति इकतहास, कफर भहजन और
स्कूल। साढ़े तीन बजे स्कूल से वाकपस हहिर आधा घोंटा आराम, चार से पाों च ति भूगहल, पाों च
से छः ति ग्रामर, आधा घोंटा हॉस्टल िे सामने ही टहलना,साढ़े छः से सात ति अोंग्रेजी
िम्पहकजशन, कफर भहजन िरिे आठ से नौ ति अनुवाद, नौ से दस ति कहों दी, दस से ग्यारह
ति कवकवध कवषय, कफर कवश्राम।
शब्दाथथ :
प्रातः काल - सुबह का समय
िहलना – घूमना
व्याख्या : यहााँ पर ले खि िी समय सारणी िा वणय न किया गया है | सुबह छः बजे
उठना,कफर मुाँह हाथ धह िर नाश्ता िरिे सीधे पढ़ने बैठ जाना। छः से आठ बजे ति अोंग्रेजी
पढ़ने िा समय रखा गया, आठ से नौ बजे िा समय गकणत िे कलए ,नौ से साढ़े नौ िा समय
इकतहास िे कलए रखा गया, कफर भहजन िरने िे बाद स्कूल। साढ़े तीन बजे स्कूल से वाकपस
आिर कसफय आधा घोंटा आराम िे कलए रखा गया, चार से पाों च बजे िा समय भूगहल िे कलए
कनधाय ररत किया गया, पाों च से छः बजे िा समय ग्रामर, उसिे बाद आधा घोंटा िेवल हॉस्टल
िे बाहर ही घूमने िे कलए रखा गया, साढ़े छः से सात बजे ति अोंग्रेजी िोंपहकजशन, कफर
भहजन िरिे आठ से नौ ति अनुवाद, नौ से दस ति कहों दी, दस से ग्यारह बजे िा समय
अलग अलग कवषयहों िे कलए रख कदया गया और अोंत में आराम।

पठन-सामग्री : ले किन टाइम टे कबल बना ले ना अलग बात है ,उस पर अमल िरना दू सरी
बात। पहले ही कदन उसिी अवहे लना शु रू हह जाती। मैदान िी वह सुखद हररयाली, हवा िे
हलिे हलिे झहोंिे, फूटबाल िी वह उछल िूद, िबड्डी िे वह दााँ व घात, वॉलीबाल िी वह
ते जी और फुती, मुझे अज्ञात और अकनवायय रूप से खीोंच ले जाती और वहााँ जािर में सब िुछ
भूल जाता। वह जानलेवा टाइम टे कबल, वह आाँ खफहड पुस्तिें, किसी िी याद न रहती और
भाई साहब िह नसीहत और र्फजीहत िा अवसर कमल जाता।
शब्दाथथ :
अमल करना - पालन करना
अवहे लना - शतरस्कार
अज्ञात - शजसे जानते न हो
अशनवायथ - जरुरी
जानले वा - जान के शलए खतरा
नसीहत - सलाह
फ़जीहत - अपमान
व्याख्या : यहााँ ले खि टाइम टे कबल िा पालन क्हों नहीों िर पाया इसिा वणय न है |
ले खि ने टाइम टे कबल तह बना कदया था परन्तु समय सारणी बनाना अलग बात हहती है और
उसिा पालन िरना अलग बात हहती है । ले खि िहता है कि पहले कदन भी समय सारणी
िा पालन िरने में उसे िकठनाई िा अनुभव महसूस हहता और पहले कदन से ही टाइम टे कबल
िह नजरों दाज िरने लगता। मैदान िी वह सुख दे ने वाली हररयाली, धीरे - धीरे चलने वाली
हवा िे वह हल्के हल्के झहोंिे ,फूटबाल िी वह उछल िूद ,िबड्डी िा वह खेल और दाव
घात, वालीबाल िी वह ते जी और फुरती ये सब ऐसी चीजे थी जह उसे न जाने किस िारण से
ऐसे बाहर मैदान में खीोंच ले जाते जै से िहई बहुत जरुरी िाम हह और वहाों जा िर वह सब
िुछ भूल जाता। वह उसिी जान िे कलए खतरा समय सारणी, वह कदन रात पुस्तिहों में आाँ खे
लगा िर बैठना उसे किसी बात िा ध्यान नहीों रहता और वह सब िुछ भूल जाता। इस पर
भाई साहब िह उसे सलाह दे ने िा अवसर कमल जाता और साथ ही वह उसिा अपमान
िरना भी नहीों भूलते। लेखि भाई साहब िी डााँ ट िह गलत समझ ले ता है और सहचता है कि
वे कसफय उसे सलाह दे रहे हैं और उसिा अपमान िर रहे हैं |

पठन-सामग्री : मैं उनिे साये से भागता, उनिी आाँ खहों से दू र रहने िी चेष्टा िरता ,िमरे में
इस तरह दबे पााँ व आता कि उन्ें खबर न हह। उनिी नजर मेरी ओर उठी और मेरे प्राण
कनिले । हमेशा कसर पर एि नोंगी तलवार - सी लटिती मालू म हहती। कफर भी मौत और
कवपकत्त िे बीच भी आदमी महह और माया िे बोंधन में जिडा रहता है , मैं फटिार और
घुडकियााँ खािर भी खेलिूद िा कतरस्कार न िर सिता था।
शब्दाथथ :
चेष्टा - कोशशश
दबे पााँव - शबना आवाज़ के / चुपचाप
शवपशि - मुसीबत
फिकार - डााँि
घुड़शकयााँ - गु स्से से भरी बातें सुनना
शतरस्कार – अपमान
व्याख्या : टाइम टे कबल िा पालन न िरने पर क्ा हरित िरता यहााँ इसिा वणयन है | जब
ले खि समय सारणी िा अनुसरण न िरिे खेल िर मैदान से वाकपस आता तह ले खि भाई
साहब िी परछाइ से भी डर िर भाग जाता ,िहकशश िरता कि उनिी नजरे उस पर ना पडे ,
िमरे में कबना आवाज किये इस तरह आता कि भाई साहब िह िहई खबर न लगे कि वह
आया है । जब भाई साहब उसे आते हुए दे ख ले ते तह उसिी तह मानह जान ही चली जाती। उसे
हमेशा लगता था कि उसिे सर पर िहई तलवार लटि रही है जह िभी भी उसिे टु िडे िर
सिती है । कफर भी कजस तरह मृत्यु और मुसीबत िे बीच र्फाँसा आदमी महह-माया िह
छहडने में नािाम रहता है उसी तरह वह भी भाई साहब िी डााँ ट और गुस्से से भरी बातहों पर
ध्यान दे िर खेलिूद िा अपमान नहीों िर सिता था अथाय त खेलिूद नहीों छहड सिता था।
(2)
पठन-सामग्री : सालाना इल्लिहान हुआ। भाई साहब फेल हह गए और मैं पास हह गया और
दरजे में प्रथम आया। मेरे और उनिे बीच िेवल दह साल िा अोंतर रह गया। जी में आया,
भाई साहब िह आडे हाथहों लूाँ -'आपिी वह घहर तपस्या िहााँ गई ? मुझे दे ल्लखये मजे से खेलता
भी रहा और दरजे में अव्वल भी हाँ । ' ले किन वह इतने दु खी और उदास थे कि मुझे उनसे
कदली हमददी हुई और उनिे घाव पर नमि कछडिने िा कवचार ही लज्जास्पद जान पडा।
हााँ ,अब मुझे अपने ऊपर िुछ अकभमान हुआ और आत्मसम्मान भी बडा।
शब्दाथथ :
सालाना - वाशषथक
इक्तिहान - परीक्षा
अव्वल - प्रथम
लज्जास्पद - शमथनाक
अशभमान - घमण्ड
व्याख्या : वाकषयि परीक्षा हुई। भाई साहब फेल हह गए और ले खि पास हह गया और ले खि
अपनी िक्षा में प्रथम आया। अब ले खि और भाई साहब िे बीच िेवल दह साल िा ही अोंतर
रह गया था। ले खि िे मन में तह आया कि वह भाई साहब िह सीधे जा िर पूछ ले कि िहााँ
गई उनिी घहर तपस्या अथाय त क्ा फायदा हुआ उनिा इतनी मेहनत िरने िा।लेखि िह
दे ल्लखये वह सारा साल मजे से अपने खेल िा आनन्द भी ले ता रहा और अपनी िक्षा में प्रथम
भी आ गया। ले किन भाई साहब इतने उदास और दु खी थे कि ले खि िह उनसे कदल से
हमददी हह रही थी और उनिे दु ःख पर उनिा मजाि बनाना उसे बहुत शमयनाि लगा।
ले किन इस बात से उसे अपने ऊपर घमण्ड हह गया था और उसिे अोंदर आत्मसम्मान भी
बड गया था।

पठन-सामग्री : भाई साहब िा वह रौब मुझ पर न रहा। आजादी से खेलिूद में शरीि हहने
लगा। कदल मजबूत था। अगर उन्होंने कफर मेरी र्फजीहत िी,तह साफ िह दू ाँ गा -'आपने
अपना खून जलािर िौन सा तीर मार कलया। मैं तह खेलते - िूदते दरजे में अव्वल आ गया।
'जबान से यह हे िडी जताने िा साहस न हहने पर भी मेरे रों ग - ढों ग से सार्फ जाकहर हहता था
िी भाई साहब िा वह आों ति मुझ पर नहीों था।
शब्दाथथ :
रौब - डर
शरीक - शाशमल
हे कड़ी - घमण्ड
ज़ाशहर - स्पष्ट
आीं तक - भय
व्याख्या : भाई साहब िे फेल हहने िी वजह से ले खि िे व्यवहार में क्ा अोंतर आया यहााँ
इसिा वणयन किया गया है | भाई साहब िा ले खि पर अब िहई डर नहीों रहा ले खि जब
चाहता कजतना चाहता खेलिूद में उतना शाकमल हहने लगा। मन में यह ठान रखी थी कि अगर
उन्होंने कफर से उसिी बेईज्जती िी या कफर से उसे िहई सलाह दी तह वह उनसे साफ िह
दे गा - 'आपने इतनी िडी मेहनत िर िे िौन सा तीर मार कलया ,मुझे दे खह मैं खेलता िूदता
भी रहा और अपनी िक्षा में प्रथम भी आ गया। ले खि िह अपने ऊपर इतना घमोंड हहने िे
बाद भी जु बान में इतनी कहम्मत नहीों हुई कि ये सब भाई साहब से िह सिे परन्तु ले खि िे
व्यवहार से यह सार्फ पता चलता था कि उस पर अब भाई साहब िा वह पहले जै सा डर नहीों
रहा था।

पठन-सामग्री : भाई साहब ने इसे भााँ प कलया, उनिी सहज बुल्लद्ध बडी तीव्र थी और एि कदन
जब मैं भहर िा सारा समय गुिी - डों डे िी भेंट िरिे ठीि भहजन िे समय लौटा, तह भाई
साहब ने मानह तलवार खीोंच ली और मुझ पर टू ट पडे -दे खता हाँ , इस साल पास हह गए और
दरजे में अव्वल आ गए, तह तु म्हे कदमाग हह गया है ,मगर भाईजान घमण्ड तह बडे - बडे िा
नहीों रहा, तु म्हारी क्ा हस्ती है ?
शब्दाथथ :
भााँप शलया - जान शलया
सहज बुक्तद्ध - सामान्य बुक्तद्ध
हस्ती – अक्तस्तत्व
व्याख्या : भाई साहब इस बात िह समझ गए थे कि छहटा भाई अब उनसे नहीों डरता क्होंकि
भाई साहब िी सामान्य बुल्लद्ध बहुत अकधि तेज थी। एि कदन जब ले खि सुबह िा सारा
समय गुिी डों डा खेल िर ठीि भहजन िे समय िमरे में लौटा तह भाई साहब िे िहध िी
िहई सीमा नहीों थी वे उसे बुरी तरह डााँ टने लगे कि वे भी दे खेंगे कि इस साल तह ले खि पास
हह गया और अपनी िक्षा में प्रथम भी आ गया, तह ले खि अपने आप िह कदमाग वाला
समझने लगा है , परन्तु भाईजान घमण्ड ने बडे बडहों िह झुिा कदया तह ले खि िा अभी
अल्लस्तत्व ही क्ा है ?

पठन-सामग्री : इकतहास में रावण िा हल तह पढ़ा ही हहगा। उसिे चररत्र से तु मने िौन सा
सन्दे श कलया ? या यहों ही पढ़ गए ? महज इल्लिहान पास िर ले ना िहई चीज नहीों, असल चीज
है बुल्लद्ध िा कविास। जह िुछ पढ़ह उसिा अकभप्राय समझह। रावण भूमण्डल िा स्वामी था।
ऐसे राजाओों िह चिवती िहते हैं । आजिल अोंग्रेजहों िे राज्हों िा कवस्तार बहुत बडा हुआ है
पर इन्ें चिवती नहीों िह सिते। सोंसार में अनेि राष्टर अोंग्रेजहों िा आकधपत्य स्वीिार नहीों
िरते, कबलिुल स्वाधीन हैं ।
शब्दाथथ :
चररत्र - व्यवहार
महज़ - शसफथ
भूमण्डल - पू री धरती
आशधपत्य - गु लामी
स्वाधीन - स्वतीं त्र
व्याख्या : बडे भाई साहब डााँ टते हुए िह रहे थे कि इकतहास में ले खि ने रावण िे बारे में तह
पढ़ा ही हहगा। उसिे व्यवहार से ले खि ने क्ा सीखा? िुछ सीखा भी या ऐसे ही पढ़ कलया।
कसर्फय परीक्षा ही पास िर ले ने से िुछ नहीों हहता, बुल्लद्ध िा कविास सबसे अकधि महत्त्वपूणय
है । ले खि प्रेमचन्द ने कशक्षा िे वास्तकवि उद्दे श्य अथाय त् बुल्लद्ध िे कविास पर बल
कदया हैं | वाकषयि परीक्षा िे दौरान ले खि िक्षा में अव्वल आ गए तथा बडे
भाई साहब फेल हह गए तह ले खि िह अपने ऊपर घमोंड हह गया | वह अपना
अकधितर समय खेलिूद में व्यतीत िरने लगा तथा उसने भाईसाहब िी परवाह
िरना भी बोंद िर कदया | यह दे खिर बडे भाई साहब ने लेखि िह समझाते
हुए िहा कि परीक्षा में पास हहना िहई बडी बात नहीों है | बडी बात तह बुल्लद्ध
िा कविास िरना है यकद िहई व्यल्लक्त अनेि परीक्षाएाँ पास िर ले किोंतु उसे
अच्छे बुरे में अोंतर िरना न आए तह उसिी पढ़ाई व्यथय है पुस्तिहों िह पढ़िर
उसिे ज्ञान से अपनी बुल्लद्ध िा कविास िरना ही असली कशक्षा है | जह कशक्षा
मनुष्य िह भले-बुरे िी पहचान न िरवाए, जह उसे जीवन िी समस्याओों से
लडने िा व्यावहारर ज्ञान न प्रदान िरे ऐसी कशक्षा िा िहई लाभ नहीों.| अत:
बडे भाई साहब इल्लिहान किताबे रट िे िुछ िक्षाओों िह उत्तीणय िरने मात्र
िह कशक्षा िा उद्दे श्य नहीों मानते है | जीवन िे अनुभवहों और बुल्लद्ध िे कविास से
इों सान बुल्लद्धमान बनता है ।

पठन-सामग्री : रावण चिवती राजा था। सोंसार िे सभी महीप उसे िर दे ते थे । बडे - बडे
दे वता उसिी गुलामी िरते थे । आग और पानी िे दे वता भी उसिे दास थे , मगर उसिा अोंत
क्ा हुआ ? घमण्ड ने उसिा नाम कनशान ति कमटा कदया, िहई उसे एि चुिू पानी दे ने
वाला भी नहीों बचा आदमी और जह िुिमय चाहे िरे , पर अकभमान ना िरे , इतराये नहीों।
अकभमान किया और दीन दु कनया दहनहों से गया।
शब्दाथथ :
महीप - राजा
कुकमथ - बुरा काम
अशभमान – घमण्ड
व्याख्या : यहााँ पर बडे भाई साहब छहटे भाई िह घमोंड िरने िे नुक्सान बता रहे हैं । रावण
एि चिवती राजा था अथाय त वह पुरे सोंसार िा राजा था। सोंसार िे दू सरे राजा उसिे दास थे
और उसिह िर (टे क्स) दे ते थे । बडे -बडे दे वता उसिी गुलामी िरते थे। आग और पानी िे
दे वता भी उसिे दास थे । परन्तु इतना सब िुछ हहने िे बाद भी उसिा अोंत क्ा हुआ ?
घमोंड ने उसे िहीों िा नहीों छहडा। उसिे घमोंड िे िारण उसिे पररवार िा भी नाश हह गया
िहई उसे अोंत में पानी ति कपलाने वाला नहीों बचा। इों सान चाहे िहई भी बुरा िाम िर ले
परन्तु उसे घमोंड नहीों िरना चाकहए। घमोंड िरने वाला व्यल्लक्त पररवार और दु कनया दहनहों में से
िहीों रहने लायि नहीों रहता।

पठन-सामग्री : शै तान िा हाल भी पढ़ा ही हहगा। उसे भी अकभमान हुआ था ईश्वर िा उससे
बढ़ िर सच्चा भक्त िहई है ही नहीों। अोंत में यह हुआ कि स्वगय से निय में ढ़िेल कदया गया।
शाहे रूम ने भी एि बार अहों िार किया था। भीख माों ग - माों गिर मर गया। तु मने तह िेवल
एि दजाय पास किया है और अभी से तु म्हारा कसर कफर गया, तब तह तु म आगे पढ़ चुिे।
शब्दाथथ :
सर शफर गया - लापरवाह होना
व्याख्या : यहााँ भाई साहब घमोंकडयहों िे उदाहरण दे रहे हैं | ले खि ने शै तान िे बारे में तह पढ़ा
ही हहगा कि किस तरह उसे घमोंड हह गया था कि ईश्वर िा उससे अकधि सच्चा भक्त िहई है
ही नहीों। और इस घमोंड िे िारण ऊपर स्वगय से सीधे निय में फेंि कदया गया था। शाहे रूम ने
भी एि बार घमोंड किया था और कफर पूरी कजों दगी भीख माों ग - माों ग िर खाना पडा और अोंत
में उसी तरह मर गया।ले खि ने तह िेवल अभी पहली िक्षा ही पास िी है और ले खि अभी
से लापरवाह हह गया है । इस िारण ले खि िा आगे पढ़ना मुल्लिल लग रहा है ।

पठन-सामग्री : यह समझ लह कि तु म अपनी मेहनत से नहीों पास हुए, अोंधे िे हाथ बटे र लग
गई। मगर बटे र िेवल एि बार हाथ लग सिती है , बार - बार नहीों लग सिती। िभी िभी
गुिी - डों डे में भी अाँधा चहट कनशाना पड जाता है । इससे िहई सफल ल्लखलाडी नहीों हह जाता।
सफल ल्लखलाडी वह है कजसिा िहई कनशाना खाली न जाये।
शब्दाथथ :
अींधे के हाथ बिे र लगना - अयोग्य को मूल्यवान वस्तु की प्राक्तप्त होना
अींधा चोि शनशाना - अनजाने में सही शनशाना लगाना/अचानक कोई वस्तु शमलना
व्याख्या : बडे भाई साहब िहते हैं कि ले खि िह भी यह पता है कि वह िहई अपनी मेहनत
से पास नहीों हुआ है , उसे कबना प्रयास िे ही सफलता कमली है । कबना प्रयास िे सफलता एि
बार कमल सिती है बार - बार नहीों यह ले खि अच्छी तरह जनता है । िभी - िभी अगर
गुिी - डों डे में भी अनजाने में सही कनशाना लग जाये तह इससे हम उस कनशाने लगाने वाले
िह सफल ल्लखलाडी नहीों मान सिते । सफल ल्लखलाडी उसी िह िहा जा सिता है कजसिा
एि भी कनशाना खाली ना जाये।

पठन-सामग्री : मेरे फेल हहने पर मत जाओ, मेरे दरजे में आओगे, तह दााँ तहों पसीना आ
जायेगा,जब अलजबरा और जामेटरी िे लहहे िे चने चबाने पडें गे और इों ल्लिस्तान िा इकतहास
पढ़ना पडे गा। बादशाहहों िे नाम याद रखना िहई आसान नहीों। आठ - आठ हे नरी हह गुजरें
हैं । िौन सा िाों ड किस हे नरी िे समय में हुआ, क्ा यह याद िर ले ना आसान समझते हह ?
शब्दाथथ :
दााँतोीं पसीना आ जाना - बहुत मेहनत करना / अत्यींत मुक्तिल काम करना
लोहे के चने चबाना - कठोर पररश्रम करना
काींड - घिना
व्याख्या : यहााँ भाई साहब अपनी िक्षा िी िकठन पढाई िा वणय न िर रहे हैं | बडे भाई
साहब ले खि िह िहते हैं कि वे ये मत सहचह कि वे फेल हह गए हैं , बडे भाई साहब ले खि िह
िहते हैं कि जब जब वह उनिी िक्षा में आएगा, तब उसे पता चले गा कि कितनी मेहनत
िरनी पडती है । जब अलजेबरा और जामेटरी िरते हुए िकठन पररश्रम िरना पडे गा और
इों ल्लिस्तान िा इकतहास याद िरना पडे गा तब उसे पता चले गा। बादशाहहों िे नाम याद रखने
में ही कितनी परे शानी हहती है । हे नरी नाम िे ही आठ - आठ बादशाह हुए हैं । िौन सी घटना
किस हे नरी िे समय में हुई है क्ा ले खि इसिह याद िरना इतना आसान समझता है ?

पठन-सामग्री : हे नरी सातवें िी जगह हे नरी आठवााँ कलखा और सब नोंबर गायब। सर्फाचट।
कसर्फर भी ना कमले गा, कसर्फर भी। हह किस खयाल में। दरजनहों तह जे म्स हुए हैं , दरजनहों
कवकलयम, िहकडयहों चार्ल्य। कदमाग चक्कर खाने लगता है । आों धी रहग हह जाता है । इन अभागहों
िह नाम भी ना जु डते थे। एि ही नाम िे पीछे दहयम, सहयम, चाहरूम, पोंचुम लगाते चले गए।
मुझसे पूछते तह दस लाख नाम बता दे ता।
शब्दाथथ :
सफ़ाचि - शबलकुल साफ़
शसफ़र – शून्य
व्याख्या : अगर हे नरी सातवें िी जगह गलती से हे नरी आठवााँ कलख कदया तह समझह सारे
नोंबर गायब। कबलिुल सार्फ। समझ लह शून्य भी नहीों कमले गा। ले खि िह लगता है कि वह
किस्मत से पास हह जाएगा। दरजनहों िे कहसाब से जे म्स, कवकलयम और चार्ल्य हुए हैं । कदमाग
िाम िरना बोंद िर दे ता है । आाँ खहों से कदखना बोंद हह जाता है । ऐसा लगता है बेचारहों िह नाम
रखने भी नहीों आते थे । एि ही नाम िे पीछे दहयम, सहयम, चाहरूम, पोंचुम लगा िर िाम
चलाते थे । बडे भाई साहब िहते हैं कि अगर उनसे नाम पूछते तह दस लाख नाम बता दे ते।

पठन-सामग्री : और जामेटरी तह बस, खुदा िी पनाह। अ ब ज िी जगह अ ज ब कलख कदया


और सारे नोंबर िट गए। िहई इन कनदय यी मुमतकहनहों से नहीों पूछता कि आल्लखर अ ब ज और
अ ज ब में क्ा र्फिय है , और व्यथय िी बात िे कलए क्हों छात्रहों िा खून िरते हह। दाल - भात -
रहटी खाई या भात - दाल -रहटी खाई इसमें क्ा रखा है , मगर इन परीक्षिहों िह क्ा परवाह।
वह तह वही दे खते हैं जह पुस्तिहों में कलखा है । चाहते हैं िी लडिे अक्षर - अक्षर रट डालें। और
इसी रटों त िा नाम कशक्षा रख छहडा है और आल्लखर इन बे-कसर-पैर िी बातहों िे पढ़ने से
र्फायदा ?
शब्दाथथ :
पनाह - शरण
शनदथ यी - शजसमें दया न हो
मुमतशहनोीं - परीक्षक
बे-शसर-पै र - शबना अथथ का
व्याख्या : यहााँ पर भाई साहब कशक्षा प्रणाली पर व्योंग्य िर रहे हैं | जामेटरी समझने िे कलए तह
ईश्वर िी शरण ले नी पडती है । अ ब ज िी जगह अ ज ब कलख कदया तह समझह सरे नोंबर िट
जायेंगे। िहई भी ऐसा नहीों है जह इन परीक्षिहों से पूछे िी अ ब ज और अ ज ब में आल्लखर क्ा
अोंतर है । दाल-भात-रहटी खाएों या भात -दाल -रहटी इसमें क्ा फिय है । मगर परीक्षिहों िह
इससे क्ा मतलब। वह तह कसफय वही सही मानते हैं जह पुस्तिहों में कलखा हहता है । वे तह बस
यही चाहते हैं िी लडिे एि -एि अक्षर रट लें। और इसी रटत प्रणाली िह कशक्षा िा नाम दे
रखा है और इन कबना अथय िी बातहों िह पढ़ने से आल्लखर र्फायदा है क्ा ?
पठन-सामग्री : इस रे खा पर यह लों ब कगरा दह, तह आधार लों ब से दु गुना हहगा। पूकछए, इससे
प्रयहजन? दु गुना नहीों, चौगुना हह जाये, या आधा ही रहे मेरी बला से, ले किन परीक्षा में पास
हहना है , तह यह खुरार्फात याद िरनी पडे गी।
शब्दाथथ :
प्रयोजन - उद्दे श्य
खुराफ़ात - व्यथथ की बातें
व्याख्या : यहााँ भाई साहब गकणत िी बात िर रहे हैं | इस रे खा पर यह लों ब कगरा दह, तह
आधार लों ब दु गुना हह जायेगा। ये गकणत िे सूत्रहों से सोंभव है । ले किन इनिा उद्दे श्य क्ा है
,िहई यह भी तह बताओ ? दु गुना न हह िर चौगुना हह जाये या आधा ही रहे बडे भाई साहब
िहते हैं कि इससे उन्ें क्ा । ले किन अगर परीक्षा में पास हहना है तह जह किताबहों में कलखा है
उससे वैसे ही कलखना पडे गा और ये व्यथय िी बाते याद िरनी पडे गी कजनिा िहई िाम नहीों।

पठन-सामग्री : िह कदया - 'समय िी पाबोंदी 'पर एि कनबोंध कलखह,जह चार पन्हों से िम ना


हह। अब आप िॉपी सामने खहले, िलम हाथ में कलए उसिे नाम िह रहइए। िौन नहीों जानता
िी समय िी पाबोंदी बहुत अच्छी बात है । इससे आदमी िे जीवन में सोंयम आ जाता है , दू सरहों
िा उस पर स्ने ह हहने लगता है और उसिे िारहबार में उन्कत हहती है , लेकिन इस जरा-सी
बात पर चार पन्ें िैसे कलखें ? जह बात एि वाक् में िही जा सिे, उसे चार पन्हों में कलखने िी
जरुरत? मैं तह इसे कहमाित िहता हाँ । यह तह समय िी किर्फायत नहीों, बल्लल्क उसिा
दु रूपयहग है कि व्यथय में किसी बात िह ठूाँस कदया जाए।
शब्दाथथ :
शहमाकत - बेवकूफ़ी
शकफ़ायत - बचत से
दु रूपयोग - अनुशचत उपयोग
व्याख्या : यहााँ भाई साहब समय िे दु रूपयहग िी बात िर रहे हैं | परीक्षा में िहा जाता है
कि -'समय िी पाबोंदी' पर कनबोंध कलखह, जह चार पन्हों से िम नहीों हहना चाकहए। अब आप
अपनी िॉपी सामने रख िर अपनी िलम हाथ में ले िर सहच-सहच िर पागल हहते रहह।
समय िी पाबोंदी बहुत अच्छी बात है ये िौन नहीों जानता। समय िी िदर िरने से आदमी
िा जीवन अच्छे से चलता है , दू सरे उससे प्यार िरते हैं और उसिा िाम भी िभी ऻराब
नहीों हहता वह हमेशा आगे बढ़ता जाता है , ले किन इतनी सी बात िे कलए िहई चार पन्ें िैसे
कलख सिते हैं ? जह बात आप एि वाक् में िह सिते हैं , उसिे कलए चार पन्ें कलखने िी क्ा
जरुरत ? बडे भाई साहब तह इसे बेविूर्फी मानते हैं । यह तह समय िी बचत नहीों, बल्लल्क
उसिा अनुकचत उपयहग है कि व्यथय में ही आप किसी बात िह ठूाँस-ठूाँस िर कलखह कजसिी
जरुरत ही नहीों है ।
पठन-सामग्री : हम चाहते हैं , आदमी िह जह िुछ िहना हह, चटपट िह दे और अपनी राह
ले । मगर नहीों, आपिह चार पन्ें रों गने पडें गे ,चाहे जै से कलल्लखए और पन्े भी पुरे फुलस्केप
आिर िे। यह छात्रहों पर अत्याचार नहीों, तह और क्ा है ? अनथय तह यह है कि िहा जाता है
कि सोंक्षेप में कलखह। समय िी पाबन्दी पर एि कनबोंध कलखह, जह चार पन्हों से िाम ना हह।
ठीि। सोंक्षेप में तह चार पन्े हुए, नहीों शायद सौ-दह-सौ पन्े कलखवाते ।
शब्दाथथ :
चिपि - फिाफि
अनथथ - अथथहीन
व्याख्या : भाई साहब चाहते हैं कि आदमी जह िुछ भी िहना चाहता हह, फटाफट िह दे
और अपने िाम से िाम रखे। ले किन नहीों, चाहे जह हह जाये आपिह चार पन्े कलखने ही
पडें गे, आप जै से मजी कलखह और पन्े भी पुरे बडे आिर िे। इसिह आप छात्रहों पर अत्याचार
नहीों िहहगे तह और क्ा िहहगे? अथय हीन बात तह ये हह जाती है कि िहा जाता है सोंक्षेप में
कलखह। अब आप ही िहह एि कनबोंध कलखना है वह भी सोंक्षेप में कफर भी चार पन्हों िा हहना
चाकहए। समझे। सोंक्षेप में चार पन्े कलखने िह िहा जाता है , नहीों तह शायद सौ-दह-सौ पन्े
कलखवाते।

पठन-सामग्री : ते ज भी दौकडए और धीरे -धीरे भी। है उलटी बात, है या नहीों? बालि भी इतनी
सी बात समझ सिता है , ले किन इन अध्यापिहों िह इतनी तमीज भी नहीों। उस पर दावा है
कि हम अध्यापि हैं । मेरे दरजे में आओगे लाला, तह ये सारे पापड बेलने पडें गे और तब आटे -
दाल िा भाव मालू म हहगा। इस दरजे में अव्वल आ गए हह, तह जमीन पर पााँ व नहीों रखते।
इसकलए मेरा िहना माकनए। लाख फेल हह गया हाँ , ले किन तु मसे बडा हाँ , सोंसार िा मुझे तु मसे
ज्ादा अनुभव है । जह िुछ िहता हाँ उसे कगरह बााँ कधए, नहीों पछताइएगा।
शब्दाथथ :
तमीज़ - अच्छे -बुरे की पहचान
पापड बेलना - कशठन काम
आिे -दाल का भाव - सारी बातें पता चलना
व्याख्या : यहााँ भाई साहब छहटे भाई िह अपनी बात मानने िह िह रहे हैं | भाई साहब िा
मानना था कि यह कशक्षा प्रणाली बच्चहों िह ते ज दौडने िह भी िहती है और धीरे भी। अब ऐसी
अजीब बात िैसे हह सिती है ? छहटा बच्चा भी ये बात समझ सिता है ले किन इन अध्यापिहों
िह इतनी भी सही गलत िी पहचान नहीों है और ऊपर से दावा िरते हैं कि वे अध्यापि हैं ।
भाई साहब छहटे भाई से िहते हैं कि वह उनिी िक्षा में आएगा तब उसे इन िकठनाइयहों िा
पता चले गा और इन सारी बातहों िा पता चले गा। ले खि अपनी िक्षा में प्रथम आ गया है , तह
इतना घमोंड आ गया है । इसकलए बडे भाई साहब िहते हैं कि उनिा िहना माने । वे बहुत
बार फेल हुए हैं ले किन ले खि से बडे हैं और सोंसार िा ले खि से ज्ादा अनुभव है । बडे भाई
साहब िहते हैं कि वे जह िुछ समझा रहे हैं उन्ें समझ जाना चाकहए नहीों तह वे पछताएाँ गे।

पठन-सामग्री : स्कूल िा समय कनिट था, नहीों ईश्वर जाने यह उपदे श-माला िब समाप्त
हहती। भहजन आज मुझे कनःस्वाद-सा लग रहा था। जब पास हहने पर यह कतरस्कार हह रहा है ,
तह फेल हह जाने पर तह शायद प्राण ही ले कलए जाएाँ । भाई साहब ने अपने दरजे िी पढ़ाई िा
जह भयोंिर कचत्र खीोंचा था, उसने मुझे भयभीत िर कदया। स्कूल छहड िर घर नहीों भागा, यही
ताज्जुब है , ले किन इतने कतरस्कार पर भी पुस्तिहों में मेरी अरुकच ज्हों िी त्यहों बनी रही। खेल-
िूद िा िहई अवसर हाथ से ना जाने दे ता। पढता भी, ले किन बहुत िम। बस, इतना कि रहज
टास्क पूरा हह जाये और दरजे में जलील न हहना पडे । अपने ऊपर जह कवश्वास पैदा हुआ था,
वह कफर लु प्त हह गया और कफर चहरहों िा-सा जीवन िाटने लगा।
शब्दाथथ :
शनःस्वाद - शबना स्वाद का
ताज्जुब - आश्चयथ
ज्ोीं की त्योीं - जैसे की तै सी
जलील - बेशमथ
लु प्त – गायब

व्याख्या : यहााँ भाई साहब िी डााँ ट िे बाद छहटे भाई िी प्रकतकिया कदखाई गई है | स्कूल
जाने िा समय हह रहा था, पता नहीों भाई साहब िा ये समझाना िब ऻत्म हहगा। आज ले खि
िह भहजन में िहई स्वाद नहीों लग रहा था। ले खि सहच रहा था कि अगर पास हहने पर इतनी
बेज्जती हह रही है तह अगर वह फेल हह गया हहता तह पता नहीों भाई साहब क्ा िरते, शायद
उसिे प्राण ही ले ले ते। भाई साहब ने अपनी िक्षा िी पढाई िा जह खतरनाि रूप कदखाया
था उसिह जान िर तह ले खि डर सा गया। है रानी इस बात िी है कि ले खि ये सब जान िर
घर नहीों भागा। ले किन इतनी बेज्जती हहने िे बाद भी पुस्तिहों िे प्रकत उसिी िहई रूकच नहीों
हुई। खेल-िूद िा जह भी अवसर कमलता वह हाथ से नहीों जाने दे ता। पढ़ता भी था, ले किन
बहुत िम। बस इतना पढ़ता था िी िक्षा में बेज्जती न हह। अपने ऊपर जह कवश्वास पैदा हुआ
था कि वह कबना पढ़े भी पास हह सिता है , वह िहीों गायब हह गया और कफर से वह भाई साहब
से छु प-छु प िर जीने लगा।
(3)
पठन-सामग्री : कफर सालाना इल्लिहान हुआ और िुछ ऐसा सोंयहग हुआ कि मैं कफर पास
हुआ और भाई साहब कफर फेल हह गए। मैंने बहुत मेहनत नहीों िी, पर न जाने िैसे दरजे में
अव्वल आ गया। मुझे खुद अचरज हुआ। भाई साहब ने प्राणाों ति पररश्रम किया। िहसय िा
एि-एि शब्द चाट गए थे, दस बजे रात ति इधर, चार बजे भहर से उधर, छः से साढ़े नौ ति
स्कूल जाने िे पहले । मुद्रा िाों कतहीन हह गई थी, मगर बेचारे फेल हह गए। मुझे इन पर दया
आती थी। नतीजा सुनाया गया, तह वह रह पडे और मैं भी रहने लगा। अपने पास हहने िी ऻुशी
आधी हह गई। मैं भी फेल हह गया हहता, तह भाई साहब िह इतना दु ःख न हहता, ले किन कवकध
िी बात िौन टालें !
शब्दाथथ :
अचरज - है रानी
प्राणाींतक - बहुत अशधक कशठन पररश्रम
काींशतहीन - शबना शकसी चमक के
शवशध – शकस्मत

व्याख्या : कफर से सालाना परीक्षा हुई और िुछ ऐसा इकतफाि हुआ कि ले खि कफर से पास
हह गया और भाई साहब इस बार कफर फेल हह गए। ले खि ने बहुत अकधि मेहनत नहीों िी
थी ले किन ना जाने िैसे वह इस बार भी अपनी िक्षा में प्रथम आ गया। ले खि िह बहुत
है रानी हुई। भाई साहब ने बहुत अकधि िठहर पररश्रम किया था। अपनी पुस्तिहों िा एि -
एि शब्द रट कलया था, रात िे दस बजे ति यहााँ , सुबह चार बजे ति वहाों , छः से साढ़े नौ
ति स्कूल जाने से पहले ति लगातार पढ़ाई में व्यस्त रहते थे । चेहरे में िहई चमि बाकि नहीों
रह गई थी, ले किन बेचारे फेल हह गए। ले खि िह इन पर दया आती थी। जब परीक्षा िा
पररणाम सुनाया गया तह भाई साहब रहने लगे और ले खि भी रहने लगा। ले खि िी पास हहने
िी ऻुशी आधी रह गई थी। ले खि सहच रहा था कि वह भी फेल हह गया हहता तह भाई साहब
िह इतना दु ःख नहीों हहता, ले किन किस्मत िह िौन टाल सिता है ।
पठन-सामग्री : मेरे और भाई साहब िे बीच में अब िेवल एि दरजे िा और अोंतर रह गया।
मेरे मन में एि िुकटल भावना उदय हुई कि िहीों भाई साहब एि और साल फेल हह जाएाँ , तह
मैं उनिे बराबर हह जाऊाँ, कफर वह किस आधार पर मेरी र्फजीहत िर सिेंगे, ले किन मैंने
इस कवचार िह अपने मन से बल पूवयि कनिाल डाला। आल्लखर वह मुझे मेरे कहत िे कवचार से
ही तह डााँ टते हैं । मुझे इस वक्त अकप्रय लगता है अवश्य, मगर यह शायद उनिे उपदे शहों िा
असर है कि मैं दनादन पास हह जाता हाँ और इतने अच्छे नोंबरहों से।
शब्दाथथ :
कुशिल भावना -बुरा शवचार
फ़ज़ीहत - बेज्जज़ती
व्याख्या : ले खि और भाई साहब िे बीच अब िेवल एि ही िक्षा िा अोंतर रह गया था।
उसिे मन में एि बुरा कवचार आया कि अगर भाई साहब एि और बार इसी िक्षा में फेल हह
जाएाँ तह वह और भाई साहब एि ही िक्षा में हहोंगे। तब तह वह उसे किसी भी आधार पर नहीों
डााँ ट सिते और न ही उसिी बेज्जती िर सिते हैं । ले किन ले खि ने इस बुरे कवचार िह
अपने मन से बलपूवयि कनिाल कदया। क्होंकि लेखि िह भी यह पता था कि भाई साहब उसे
उसिी ही भलाई िे कलए डााँ टते हैं । उस समय उसे जरूर बुरा लगता है ले किन वह जनता है
कि यह उनिे ही उपदे शहों और डााँ ट िा नतीजा है कि वह फटाफट पास हह रहा है वह भी
इतने अच्छे नोंबरहों से।

पठन-सामग्री : अब भाई साहब बहुत िुछ नरम पड गए थे। िई बार मुझे डााँ टने िा अवसर
पािर भी उन्होंने धीरज से िाम कलया। शायद वे खुद समझने लगे थे कि मुझे डााँ टने िा
अकधिार उन्ें नहीों रहा, या रहा भी, तह बहुत िम। मेरी स्वच्छों दता भी बढ़ी। मैं उनिी
सकहष्णु ता िा अनुकचत लाभ उठाने लगा। मुझे िुछ ऐसी धारणा हुई कि मैं पास ही हह
जाऊाँगा, पढू ाँ या न पढू ाँ , मेरी तऺदीर बलवान है , इसकलए भाई साहब िे डर से जह थहडा बहुत
पढ़ कलया िरता था, वह भी बोंद हुआ। मुझे िनिौए उडाने िा नया शौि पैदा हह गया था
और अब सारा समय पतों गबाजी िी ही भेंट हहता था, कफर भी मैं भाई साहब िी अदब िरता
था और उनिी नजर बचािर िनिौए उडाता था। माों झा दे ना, िन्े बााँ धना, पतों ग टू नाय मेंट िी
तै याररयााँ आकद समस्याएाँ सब गुप्त रूप से हल िी जाती थीों। मैं भाई साहब िह यह सोंदेह नहीों
हहने दे ना चाहता था कि उनिा सम्मान और कलहाज मेरी नजरहों में िम हह गया है ।
शब्दाथथ :
स्वच्छीं दता - स्वतीं त्रता
सशहष्णुता - सहनशीलता
अनुशचत - गलत
कनकौए - पतीं ग
अदब - इज्जत
व्याख्या : यहााँ छहटे भाई िा परीक्षा पररणाम िे बाद िा व्यवहार प्रस्तुत किया गया है | अब
भाई साहब िा स्वभाव िुछ नरम हह गया था। िई बार ले खि िह डााँ टने िा अवसर हहने पर
भी वे ले खि िह नहीों डााँटते थे, शायद उन्ें खुद ही लग रहा था कि अब उनिे पास ले खि
िह डााँ टने िा अकधिार नहीों है और अगर है भी तह बहुत िम। अब ले खि िी स्वतों त्रता और
भी बड गई थी। वह भाई साहब िी सहनशीलता िा गलत उपयहग िर रहा था। उसिे अोंदर
एि ऐसी धारणा ने जन्म ले कलया था कि वह चाहे पढ़े या न पढ़े , वह तह पास हह ही जायेगा ।
उसिी किस्मत बहुत अच्छी है इसीकलए भाई साहब िे डर से जह थहडा बहुत पढ़ कलया िरता
था ,वह भी बोंद हह गया। अब ले खि िह पतों गबाजी िा नया शौि हह गया था और अब
उसिा सारा समय पतों गबाजी में ही गुजरता था। कफर भी ,वह भाई साहब िी इज्जत िरता
था और उनिी नजरहों से कछप िर ही पतों ग उडाता था। माों झा दे ना ,िन्े बााँ धना, पतों ग टू नाय मेंट
िी तै याररयााँ ये सब िाम भाई साहब से छु प िर किया जाता था,वह भाई साहब िह ये नहीों
लगने दे ना चाहता था कि उनिा सम्मान और इज्जत उसिी नजरहों में िम हह गई है ।

पठन-सामग्री : एि कदन सोंध्या समय, हॉस्टल से दू र मैं एि िनिौआ लू टने बेतहाशा दौडा
जा रहा था। आाँ खे आसमान िी ओर थीों और मन उस आिाशगामी पकथि िी ओर, जह मोंद
गकत से झूमता पतन िी ओर चला जा रहा था ,मानह िहई आत्मा स्वगय से कनिल िर कवरक्त
मन से नए सोंस्कार ग्रहण िरने जा रही हह। बालिहों िी पूरी सेना लग्गे और झाडदार बााँ स
कलए इनिा स्वागत िरने िह दौडी आ रही थी। किसी िह अपने आगे- पीछे िी ऻबर न थी।
सभी मानह उस पतों ग िे साथ ही आिाश में उड रहे थे, जहााँ सब िुछ समतल है , न
महटरिारें हैं , न टर ाम, न गाकडयााँ ।
शब्दाथथ :
सींध्या - शाम का समय
बेतहाशा - शजसे शकसी की खबर न हो
व्याख्या : एि कदन शाम िे समय, हॉस्टल से दू र ले खि एि पतों ग िह पिडने िे कलए कबना
किसी िी परवाह किये दौडा जा रहा था। ले खि प्रेमचन्द पतों ग उडाने िे प्रकत अपनी
उत्कोंठा िह दशाय ते हुए िहते हैं कि जब ले खि दू सरी बार भी िक्षा में अव्वल
आ गए और भाई साहब फेल हह गए तह उन्होंने भाईसाहब िी परवाह िरना
बोंद िर कदया | उन्ें िनिौए उडाने िा एि नया शौऺ जागृत हह गया |
िनिौए िे प्रकत उनिा आिषयण इतना अकधि था कि लेखि जब िटी हुई
पोंतग िह लू ट रहा था तह उसिी आाँ खे आसमान िी ओर थी और मन पोंतग
रूपी यात्री िी ओर थीों । वह िटी हुई पतों ग धीरे – धीरे हवा में लहराती हुई
नीचे िी ओर कगरने िह थी | उस समय वह पतों ग ऐसी प्रतीत हह रही थी जै से
िहई पकवत्र आत्मा स्वगय से कनिलिर कवरक्त मन से धरती पर नया जन्म ले ने
िे कलए उतर रही हह | जब आत्मा किसी शरीर िा त्याग िरती है तह वह
उससे जु डे सोंस्कारहों व बोंधनहों िह भी त्याग दे ती है| नए शरीर िे साथ ही वह
नए सोंस्कार ग्रहण िरती है | वह पतों ग स्वगय से कनिली आत्मा िे समान कबलिुल
कनकलय प्त व कवरक्त लग रही थी कजस पर किसी िा िहई बोंधन या अकधिार नहीों
था और अब वह कजसिे हाथहों में जाएगी उसी िा पूणय अकधिार उस पतों ग पर
हहगा| और ले खि उस पतों ग िह पाने िे कलए बेतहाशा दौड रहा था।
पठन-सामग्री : सहसा भाई साहब से मेरी मुठभेड हह गई, जह शायद बाजार से लौट रहे थे ।
उन्होंने वहीों हाथ पिड कलया और उग्र भाव से बहले -'इन बाजारी लौडहों िे साथ धेले िे
िनिौए िे कलए दौडते तु म्हें शमय नहीों आती ? तु म्हें इसिा भी िहई कलहाज नहीों कि अब
नीची जमात में नहीों हह, बल्लल्क आठवीों जमात में आ गए हह और मुझसे िेवल एि दजाय नीचे
हह। आल्लखर आदमी िह िुछ तह अपनी पहकजशन िा ख्याल िरना चाकहए।
शब्दाथथ :
मुठभेड़ - आमना -सामना
उग्र - क्रोध
शलहाज - शमथ
जमात - कक्षा
पोशज़शन - पदवी
व्याख्या : अचानि भाई साहब से उसिा आमना - सामना हुआ, वे शायद बाजार से घर लौट
रहे थे। उन्होंने बाजार में ही उसिा हाथ पिड कलया और बडे िहकधत भाव से बहले - 'इन
बेिार िे लडिहों िे साथ तु म्हें बेिार िे पतों ग िह पिडने िे कलए दौडते हुए शमय नहीों आती
? तु म्हे इसिा भी िहई फिय नहीों पडता कि अब तु म छहटी िक्षा में नहीों हह, बल्लल्क अब तु म
आठवीों िक्षा में हह गए हह और मुझसे कसफय एि िक्षा पीछे पढ़ते हह। आल्लखर आदमी िह
थहडा तह अपनी पदवी िे बारे में सहचना चाकहए।

पठन-सामग्री : एि जमाना था कि लहग आठवााँ दरजा पास िरिे नायब तहसीलदार हह


जाते थे । मैं कितने ही कमकडलकचयहों िह जानता हाँ , जह आज अव्वल दजे िे मैकजस्टर े ट या
सुपररटें डेंट हैं । कितने ही आठवीों जमात वाले हमारे लीडर या समाचार- पत्रहों िे सोंपादि हैं ।
बडे -बडे कवद्वान उनिी मातहती में िाम िरते हैं और तु म उसी आठवें दरजे में आिर
बाजारी लौोंडहों िे साथ िनिौए िे कलए दौड रहे हह। मुझे तु म्हारी इस िम अक़्ली पर दु ःख
हहता है । तु म जहीन हह, इसमें शि नहीों, ले किन यह जे हन किस िाम िा जह हमारे
आत्मगौरव िी हत्या िर डाले ।
शब्दाथथ :
शमशडलशचयोीं - दसवी ीं पास
मातहती - कहे अनुसार
ज़हीन - प्रशतभावान
व्याख्या : यहााँ भाई साहब छहटे भाई िे पतों ग िे पीछे भागने िह बेविूफी बता रहे है | एि
समय था जब लहग आठवीों पास िरिे नायब तहसीलदार लग जाते थे । बडे भाई साहब
कितने ही दसवीों पास लहगहों िह जानते हैं जह आज बडे दजे िे मैकजस्टर े ट या सुपररटें डेंट हैं । ना
जाने कितने आठवीों िक्षा पास वाले हमारे नेता या समाचार पत्रहों िे सोंपादि हैं । बडे -बडे
कवद्वान् लहग उनिे अनुसार िाम िरते हैं और ले खि उसी आठवीों िक्षा में आिर भी इन
कनिम्मे बाजारी लडिहों िे साथ पतों ग िे कलए दौड रहा है । भाई साहब िह ले खि िी िम
अक्ल पर दु ःख हहता है । ले खि में प्रकतभा थी पर जह प्रकतभा लाज शमय न कसखाए वह व्यथय है ।
पठन-सामग्री : तु म अपने कदल में समझते हहोंगें, मैं भाई साहब से महज एि दरजा नीचे हाँ
और अब उन्ें मुझे िुछ िहने िा हि नहीों है , ले किन यह तु म्हारी गलती है । मैं तु मसे पााँ च
साल बडा हाँ और चाहे आज तु म मेरी जमात में आ जाओ और परीक्षिहों िा यही हाल है , तह
कनःसोंदेह अगले साल तुम मेरे समिक्ष हह जाओगे और शायद एि साल बाद मुझसे आगे भी
कनिल जाओ, ले किन मुझमें और तु ममें जह पााँ च साल िा अोंतर है ,उसे तुम क्ा, खुदा भी नहीों
कमटा सिता। मैं तु मसे पााँ च साल बडा हाँ और हमेशा रहाँ गा। मुझे दु कनया िा और कजदगी िा
जह तजु रबा है , तु म उसिी बराबरी नहीों िर सिते, चाहे तु म एम.ए. और डी.कफल और
डी.कलट् ही क्हों न हह जाओ।
शब्दाथथ :
महज़ - शसफथ
समकक्ष - एक ही कक्षा में
तजुरबा - अनुभव

व्याख्या : यहााँ भाई साहब अपने बडे हहने िा अकधिार समझा रहे हैं | बडे भाई साहब
ले खि से िहते हैं कि ले खि िह लगता हहगा कि वह भाई साहब से कसफय एि ही िक्षा पीछे
रह गया है और अब उन्ें ले खि िह डााँ टने या िुछ िहने िा िहई हि नहीों है , ले किन ये
सहचना ले खि िी गलती है ।बडे भाई साहब लेखि से पाों च साल बडे हैं और हमेशा रहें गे
और चाहे ले खि िल बडे भाई साहब िी ही िक्षा में क्हों न आ जाए और शायद एि साल
बाद बडे भाई साहब से आगे भी कनिल जाये, लेकिन जह अोंतर ले खि िी और बडे भाई
साहब िी उम्र में है उस अोंतर िह ले खि क्ा खुदा भी नहीों कमटा सिता।बडे भाई साहब
ले खि से पाों च साल बडे हैं और हमेशा रहें गे। बडे भाई साहब िह दु कनया और कजों दगी िा जह
अनुभव है , उसिी बराबरी ले खि िभी नहीों िर सिता, ले खि चाहे एम.ए. हह जाए या
डी.फील या डी.कलट् , बडे भाई साहब िा तजु रबा हमेशा ले खि से अकधि ही रहे गा।

पठन-सामग्री : समझ किताबें पढ़ने से नहीों आती, दु कनया दे खने से आती है । हमारी अम्मााँ ने
िहई दरजा नहीों पास किया और दादा भी शायद पााँ चवी -छठी जमात से आगे नहीों गए,
ले किन हम दहनहों चाहे सारी दु कनया िी कवद्या पढ़ लें, अम्मााँ और दादा िह हमें समझने और
सुधारने िा अकधिार हमेशा रहे गा। िेवल इसकलए नहीों कि वे हमारे जन्मदाता हैं , बल्लल्क
इसकलए कि उन्ें दु कनया िा हमसे ज्ादा तजु रबा है और रहे गा। अमेररिा में किस तरह िी
राज -व्यवथथा है , और आठवें हे नरी ने कितने ब्याह किये और आिाश में कितने नक्षत्र है ,यह
बातें चाहे उन्ें न मालू म हहों, ले किन हजारहों ऐसी बातें हैं , कजनिा ज्ञान उन्ें हमसे और तु मसे
ज्ादा है ।
शब्दाथथ :
जन्मदाता - जन्म दे ने वाले
व्याख्या : यहााँ भाई साहब किताबी ज्ञान से ज्ादा तजु रबे िह महत्त्व दे रहे हैं | समझ किताबें
पढ़ ले ने से नहीों आती, बल्लल्क दु कनया दे खने से आती है ।ले खि िी और बडे भाई साहब िी
अम्मा ने िहई िक्षा नहीों पढ़ी और दादा भी शायद पााँ चवीों या छठी ति ही पढ़े हहोंगे। ले किन वे
दहनहों चाहे दु कनया िा सारा ज्ञान इिठ्ठा िर लें परन्तु अम्मााँ और दादा िह जह अकधिार उन्ें
सुधारने और समझाने िा है , यह हमेशा ही रहे गा। कसफय इसकलए नहीों कि उन्होंने ले खि और
बडे भाई साहब िह जन्म कदया है , बल्लल्क इसकलए कि उन्ें ले खि और बडे भाई साहब से
ज्ादा दु कनया और कजों दगी िा तजु रबा है । अमेररिा में किस तरह िी राज - व्यवथथा है और
आठवें हे नरी ने कितने ब्याह किये और आिाश में कितने नक्षत्र है , ये किताबी ज्ञान चाहे उन्ें
पता न हह परन्तु ऐसी हजारहों बातें हैं , कजनिा ज्ञान उन्ें उन से ज्ादा है ।

पठन-सामग्री : दै व न िरे , आज मैं बीमार हह जाऊाँ, तह तु म्हारे हाथ-पााँ व फूल जायेंगे। दादा
िह तार दे ने िे कसवा तुम्हें और िुछ न सूझेगा, ले किन तु म्हारी जगह दादा हह, तह किसी िह
तार न दें , न घबराएाँ , न बदहवास हहों। पहले खुद मरज पहचान िर इलाज िरें गे, उसमें
सफल न हुए तह किसी डॉक्टर िह बुलाएाँ गे। बीमारी तह ऻैर बडी चीज है । हम तु म तह इतना
भी नहीों जानते कि महीने भर िा खचय महीना भर िैसे चले। जह िुछ दादा भेजते हैं , उसे हम
बीस-बाइस ति खचय िर डालते हैं और कफर पै से-पैसे िह मुहताज हह जाते हैं । नाश्ता बोंद हह
जाता है , धहबी और नाई से मुाँह चुराने लगते हैं , लेकिन कजतना आज हम और तु म खचय िर रहे
हैं , उसिे आधे में दादा ने अपनी उम्र िा बडा भाग इज्जत और नेिनामी िे साथ कनभाया है
और िुटु म्ब िा पालन किया है , कजसमे सब कमलािर नौ आदमी थे ।
शब्दाथथ :
हाथ - पााँव फूल जाना - परे शान हो जाना
बदहवास - बौखलाना
मरज़ - बीमारी
मुहताज - दू सरोीं पर आशश्रत
कुिु म्ब - पररवार
व्याख्या : यहााँ भाई साहब तजुबे िे महत्त्व िह समझा रहे हैं | बडे भाई साहब ले खि िह
िहते हैं कि अगर बडे भाई साहब बीमार हह जाएाँ , तह ले खि तह परे शान हह जायेगा । दादा
िह तार कलखने िे अलावा ले खि िह और िुछ समझ नहीों आयेगा, ले किन अगर ले खि िी
जगह दादा हहों तह वे न तह किसी िह तार भेजेंगे, न घबराएों गे और न ही बहखलायेंगे। पहले खुद
कबमारी िह पहचान िर इलाज िरें गे, अगर ठीि न हुए तह किसी डॉक्टर िह बुलाएाँ गे।
कबमारी तह बहुत बडी चीज है । बडे भाई साहब और ले खि तह इतना भी नहीों जानते कि जह
उन्ें महीने िा खचय कमलता है उसे महीने -भर िैसे चलाना है । जह िुछ भी दादा भेजते है वह
तह वे बीस - बाइस कदनहों में ही ऻत्म िर दे ते हैं और कफर पैसे - पैसे िह दू सरहों पर आकश्रत
रहना पडता है । सुबह िा नाश्ता बोंद हह जाता है , धहबी और नाइ से छु पना पडता है , ले किन
कजतना बडे भाई साहब और ले खि आज खचय िर रहे है उतने में तह दादा ने अपनी उम्र िा
बडा कहस्सा इज्जत और अच्छे िामहों िह िरते हुए कजया है और पररवार िा पालन किया है ,
कजसमें नौ व्यल्लक्त हुआ िरते थे।

पठन-सामग्री : अपने हे डमास्टर साहब ही िह दे खह। एम.ए है िी नहीों और यहााँ िे


एम.ए.नहीों , ऑक्सफहडय िे। एि हजार रूपए पाते हैं ; ले किन उनिे घर िा इों तजाम िौन
िरता है ? उनिी बूढ़ी मााँ । हे डमास्टर साहब िी कडग्री यहााँ बेिार हह गई। पहले खुद घर िा
इों तजाम िरते थे। खचय पूरा न पडता था। िजय दार रहते थे । जब से उनिी माता जी ने प्रबोंध
अपने हाथ में कलया है , जै से घर में लक्ष्मी आ गई है । तह, भाई जान यह गरूर कदल से कनिल
डालह िी तु म मेरे समीप आ गए हह और अब स्वतन्त्र हह। मेरे दे खते तु म बेराह न चलने
पाओगे। अगर तु म यहों न मानहगे तह मैं (थप्पड कदखािर )इसिा प्रयहग भी िर सिता हाँ । मैं
जानता हाँ तु म्हें मेरी बातें जहर लग रही हहोंगी।
शब्दाथथ :
गरूर - घमींड
बेराह - रास्ते से भिकना
व्याख्या : बडे भाई साहब ले खि िह उदाहरण दे ते हुए िहते हैं कि अपने हे डमास्टर साहब
िह ही दे खह। उन्होंने एम.ए. िी हुई है वह भी ऑक्सफहडय से। यहााँ प्रकत महीना एि हजार
रूपए िमाते है ; ले किन उनिे घर िा इों तजाम िौन िरता है ? उनिी बूढ़ी मााँ । यहााँ पर
हे डमास्टर साहब िी कडग्री तजु रबे िे आगे बेिार हह गई। पहले खुद घर िा खचय चलाते थे ।
खचय पूरा नहीों पडता था और हमेशा िजय दार रहते थे । जबसे उनिी माता जी ने घर िा खचय
अपने हाथ में कलया है मानह लक्ष्मी आ गई हह। बडे भाई साहब ले खि िह िहते हैं कि यह
घमोंड जह अपने कदल में पाल रखा है कि कबना पढ़े भी पास हह सिते हह और भाई साहब िह
ले खि िह डााँ टने और समझने िा िहई अकधिार नहीों रहा ,इसे कनिाल डालह। बडे भाई
साहब िे रहते ले खि िभी गलत रस्ते पर नहीों जा सिता। बडे भाई साहब ले खि से िहते
हैं कि अगर ले खि नहीों मानेगा तह भाई साहब थप्पड िा प्रयहग भी िर सिते हैं और बडे
भाई साहब ले खि िह िहते हैं कि उसिह उनिी बात अच्छी नहीों लग रही हहगी।

पठन-सामग्री : मैं उनिी इस नई युल्लक्त से नत मस्ति हह गया। मुझे आज सचमुच अपनी


लघुता िा अनुभव हुआ और भाई साहब िे प्रकत मेरे मन में और श्रद्धा उत्पन् हुई। मैनें सजल
आाँ खहों से िहा-हरकगज नहीों, आप जह िुछ र्फरमा रहे हैं , वह कबलिुल सच है और आपिह
उसिे िहने िा अकधिार है ।
भाई साहब ने मुझे गले लगा कलया और बहले -मैं िनिौए उडाने से मना नहीों िरता। मेरा भी
जी ललचाता है ; ले किन िरू
ाँ क्ा, खुद बेराह चलूाँ, तह तु म्हारी रक्षा िैसे िरू
ाँ ? यह ितय व्य भी
तह मेरे कसर है ।
सोंयहग से उसी वक्त एि िटा हुआ िनिौआ मेरे ऊपर से गुजरा। उसिी डहर लटि रही
थी। लडिहों िा एि गहल पीछे -पीछे दौडा चला आता था। भाई साहब लम्बे हैं ही। उछल िर
उसिी डहर पिड ली और बेतहाशा हॉस्टल िी और दौडे । मैं पीछे - पीछे दौड रहा था।
शब्दाथथ :
युक्ति - योजना
सजल - नमी वाली
बेतहाशा - शबना सोचे समझे
व्याख्या : यहााँ पर बडे भाई द्वारा किस तरह इच्छाओों िह दबाना पडा इसिा वणयन है |
ले खि भाई साहब िी इस समझाने िी नई यहजना िे िारण उनिे सामने सर झुिािर
खडा था। आज ले खि िह सचमुच अपने छहटे हहने िा एहसास हह रहा था न िेवल उम्र से
बल्लल्क मन से भी और भाई साहब िे कलए उसिे मन में इज़्ज़त और भी बड गई। ले खि ने
उनिे प्रश्नह िा उत्तर नम आाँ खहों से कदया कि भाई साहब जह िुछ िह रहे है वह कबलिुल सही
है और उनिह ये सब िहने िा अकधिार भी है ।
भाई साहब ने ले खि िह गले लगा कदया और िहा कि वे ले खि िह पतोंग उडाने से मना नहीों
िरते हैं । उनिा भी मन िरता है कि वे भी पतों ग उडाएाँ । ले किन अगर वे ही सही रास्ते से
भटि जायेंगें तह ले खि िी रक्षा िैसे िरें गे ? बडा भाई हहने िे नाते यह भी तह उनिा ही
ितय व्य है । इकतफाि से उस समय एि िटी हुई पतों ग ले खि िे ऊपर से गुजरी। उसिी
डहर िटी हुई थी और लटि रही थी। लडिहों िा एि झुण्ड उसिे पीछे -पीछे दौड रहा था।
भाई साहब लम्बे तह थे ही, उन्होंने उछाल िर डहर पिड ली और कबना सहचे समझे हॉस्टल
िी और दौडे और ले खि भी उनिे पीछे -पीछे दौड रहा था।

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