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कक्षा 12

विषय - हिंदी केंद्रीक

निम्न अध्यायों के प्रश्नोत्तर अपनी हिंदी उत्तरपस्ति


ु का में सद
ंु र लिखने के लिख लें ।।

आरोह गद्य भाग 2

पाठ 3 काले मेघा पानी दे

लेखक - धर्मवीर भारती

प्रश्नोत्तर ।।

प्रश्न 1 लोगों ने लड़कों की टोली को में ढक मंडली नाम किस आधार पर दिया ? यह टोली अपने आपको इन्दर
सेना कहकर क्यों बल ु ाती थी ?

उत्तर गाँव में अकाल पड़ने पर कुछ नंग- धड़ंग लड़कों की टोली पानी मांगने गाँव में निकल पड़ती । गाँव के लोग
लडको की टोली पर अपनी छत से बाल्टी भर-भर कर पानी फेंकते हैं। सभी लड़के ऊपर से फेंके गए पानी में भीगकर
कीचड़ में लौटने लगते । उनके शोर - शराबे, उछल - कूद व कीचड़ में सने सरीर को दे खकर गाँव के कुछ लोग
उनको बरु ा बताकर में ढक -मंडली कहते है । गाँव के लोगों को यह अंधविश्वास भी लगता था पर यह टोली स्वयं
को इन्दर - सेना कहती हैं क्योंकि भगवान इंद्र बारिश के दे वता है और इनसे पानी मांगने के लिए घर घर जाकर
पानी मांगते हैं।

प्रश्न 2 जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह से सही ठहराया ?

उत्तर -अपने घर की छत से इंदर सेना पर पानी फेंकना जीजी ने सही ठहराया है । उसने लेखक को समझाया कि
जिस प्रकार बिना बीज के फसल पैदा नहीं होती उसी
प्रकार से इंद्र दे वता को अर्घ्य दिए बिना बारिश की कामना नहीं की जा सकती। हमारी संस्कृति में दान का।बड़ा
महत्त्व है । किसी भी चीज़ को प्राप्त करने के लिए मनष्ु य को पहले उसका दान करना पड़ता है । जो चीज अपने पास
कम हो और अपनी जरूरत को पीछे रखकर भी दस ू रों के कल्याण के लिए उस चीज का त्याग करना दान माना
जाता है इसलिए इन्दर सेना पर पानी फेंकना बरबादी नहीं वरन ये तो पानी प्राप्त करने के लिए एक
पज ू ा है ।

प्रश्न 3 " गगरी फूटी बैल पियासा " इन्दर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासे रहने की बात क्यों मख
ु रित है ?

उत्तर - गगरी फूटी बैल पियासा के दो अर्थ निकलते हैं।


पहले अर्थ में बैल खेती का प्रमख
ु पशु माना जाता है ।इनको खेती की रीढ़ भी कहा जाता है । गर्मी में यदि वर्षा नहीं
होगी तो अनावष्टिृ ( अकाल ) का सामना इन पशओ ु ं को भी करना पड़ता है । प्यासे बैलों के साथ-अन्य पश-ु पक्षी
भी परे शान रहें गे। खेती का काम इन प्यासे व भख
ू े बैलों से नहीं हो पाएगा।
दस
ू रे अर्थ में गगरी फटी का अर्थ सरकार की अरबों रूपयों की कल्याणकारी योजनाओं से है । जिसे
जनता के लिए लागू किया गया। बैल पियासा का
अर्थ यहाँ पर गरीब लोगों को इन सरकारी योजनाओं से
किसी भी प्रकार का कोई फायदा नहीं मिलने से है जिसके कारण ये गरीब लोग इन योजनाओं से वंचित रह जाते
हैं। इसलिये कहते है गगरी तो फुट गयी पर बैल प्यासे रह गये ।

प्रश्न 4 - इन्दर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है । नदियों का भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक
परिवेश में क्या महत्व है ?

उत्तर - इन्दर सेना घरों से पानी माँगने से पहले गंगा मैया की जय बोलती यी । हमारे दे श में नदियों को माता का
रूप दिया गया है । गंगा पहले स्वर्ग में बहती थी और प्राचीन काल में भागीरथ जी के प्रयास से इस धरती पर आयी
। अब इस धरती पर यह गंगा नदी करोड़ों लोगों को अपने पापों से मक्ति ु दिला रही है । पावन व कल्याणकारी नदी
के रुप में सभी के लिए पजू नीया है । हमारी संस्कृति में नदियों को पवित्र मानकर पज ू ा करने का विधान है । सारी
बड़ी सम्यता नदियों के किनारे विकसित हुई है । सभी बड़े तीर्य स्थान, बड़े- बडे नगर नदियों के किनारे स्थित है
इसलिए इन्हें माता के समान माना गया है ।

प्रश्न 5 -" रिश्तों में हमारी भावना - शक्ति का बँट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बद्
ु धि
की शक्ति को कमज़ोर करती है "। पाठ में जीजी के प्रति
लेखक की भावना के संदर्भ में इस कयन के औचित्य की समीक्षा कीजिए ।

उत्तर - लेखक अपनी जीजी से बहुत स्नेह करता है । दोनों का भावनात्मक संबध
ं बहुत गहरा है । इन्दर सेना पर
पानी फेंकने की बात पर लेखक ने जीजी के विरवास का विरोध किया और इसे अंधविरवास बताया । जीजी ने
अपनी भावना व तर्क के माध्यम से लेखक को विश्वास के जंगल में सत्य को खोजने की राह प्रदान की। धीरे -धीरे
लेखक की बद् ु धि भावना के समक्ष डगमगाने लगी। लेखक
चाहकर भी अंधविश्वास का विरोध नहीं कर सका और बद् ु धि की जगह भावना जीत गयी।

वितान पस्
ु तक भाग 2

―पाठ 1 सिल्वर वैडिग ं ,-


कार्य- प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1 - यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है , लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं।
ऐसा क्यो ?
उत्तर - यशोधर बाबू की पत्नी मॉडर्न होकर आधनिु क जमाने का पक्ष लेती है । बदलते समय को अच्छी तरह से
पहचानकर कहती है कि हमारे बच्चों को आधनि ु क
जमाने के साय चलना चाहिए। स्वयं मॉडर्न कपड़े पहनकर बालों में खिजाब लगाकर व होंठो पर लाली के साथ सद ंु र
दिखने का प्रयास करती । बेटी को बिना बाँह वाला टॉप व जीन्स पहना दे ख पिताजी टोकते है तो उसकी माँ समर्थन
करती है और कहती है कि हमारे बच्चे वही करें गे जो दनि
ू यां कर रही हैं। यशोधर बाबू को बचपन में ही अनाथ होना
पड़ा जिसके कारण उन पर जिम्मेदारियों का बोझ आ गया । वे परू ाने लोगों के साथ रहकर परं पराओं का पालन
करने व सिद्धांतों में विश्वास
करने वाले व्यक्ति थे। घोर संस्कारी किशनदा से बहुत प्रभावित रहे । उन्हें आधनि
ु क ज़माना पसंद नहीं था ।
प्रश्न 2 - समहाउ इम्प्रोपर वाक्यांश का प्रयोग यशोधर बाबू एक जमु ले ( तकिया कलाम ) की तरह करते हैं। इस
वाक्य का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से क्या
संबध ं बनता है ?
उत्तर - समाहाउ इम्प्रोपर का अर्थ है कुछ न कुछ गलत होना या सब कुछ अनचि ु त है । यशोधर बाबू ने इसका
प्रयोग एक जम ू ले की तरह किया । उनको लगता है कि आजकल समाज व राष्ट्र में कुछ बदलाव आ रहे हैं जिसको
रोका नहीं जा सकता। इनमें कुछ ना कुछ कमी है । वे प्राचीन परं पराओं को मानने वाले हैं इसलिए इनके नियमों में
कोई बदलाव नहीं चाहते हैं । उनको बेटी का मॉडर्न बनना , बेटे की मासिक आय ज्यादा होना, स्कूटर पर सवार
होना, व परिवार सदस्यों में परायापन की भावनाएँ उत्पन्न होना, फ्रिज का बासी खाना खाना, केक काटने की
विदे शी परम्परा उनको ठीक नहीं लगती है । कुछ लोग परु ानी परं परा को नहीं छोड़कर, आधनि ु क जीवनशैली को
अपनाकर भी उसके साथ ताल-मेल नही बिठा पा रहे है इसलिए बार-बार
यशोधर बाबू किशनदा के इस जम ु ले को याद करते है ।

प्रश्न 3 - " किशनदा का बढ़ ु ापा सखु ी नहीं रहा" । "इस कथन के अंतर्गत उनकी जीवन शैली से क्या प्रेरणा मिलती
है ?
उत्तर - किशनदा ने अपने भविष्य के बारे में कभी नही
सोचा था । सरकारी नौकरी के दौरान उन्होंने जमीन लेकर घर बनाने का फैसला नहीं किया। वे अपने सरकारी
आवास में ही रहे । सेवानिवति ृ के बाद किशनदा को सरकारी आवास छोड़कर किराये के मकान में रहना पड़ा। जिन
लोगों की किशनदा ने मदद की, उन लोगों ने भी उनको अपने घर में रहने के लिए नहीं कहा। यहाँ तक स्वयं
यशोधर बाबू ने भी अपना बड़ा संयक् ु त परिवार होने की मजबरू ी में किशनदा को अपने घर में रखने हे तु असमर्थता
जताई। इसके बाद किशनदा अपने गाँव चले गए और एक वर्ष के भीतर उनकी मौत हो गई। जो व्यक्ति अपने
भविष्य के बारे में नहीं सोचता है तो उस व्यक्ति का बढ़ ु ापा कभी सखु ी नहीं रहता ।

प्रश्न 4 पाठ में 'जो हुआ होगा' वाक्य की आप कितनी अर्थ छवियाँ खोज सकते / सकती हैं?
उत्तर:- 'जो हुआ होगा' वाक्य पाठ में पहली बार तब आता है , जब यशोधर बाबू किशनदा के जाति भाई से उनकी
मत्ृ यु का कारण पछ ू ते हैं। उत्तर में उन्होंने कहा 'जो हुआ होगा' यानी पता नहीं। फिर यशोधरबाबू यही विचार करते
हैं कि जिनके बाल-बच्चे ही नहीं होते, वे व्यक्ति अकेलेपन के कारण स्वस्थ दिखने के बावजद ू बीमार से हो जाते हैं
और एकाकीपन से उनकी मत्ृ यु हो जाती है । यह भी कारण हो सकता है कि उन्हें उनकी बिरादरी से घोर
उपेक्षा,उदासीनता मिली, इस कारण वे दःु ख से सख ू -सखू कर मर गए हो। किशनदा की मत्ृ यु के
सही कारणों का पता नहीं चल सका। बस यशोधर बाबू यही सोचते रह गए कि किशनदा की मत्ृ यु कैसे हुई? जिसका
उत्तर किसी के पास नहीं था।

प्रश्न 5 . सिल्वर वैडिग ं वर्तमान यगु में बदलते जीवन-मल् ू यों की कहानी है । सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - .. सिल्वर वैडिग ं कहानी वर्तमान यग ु में बदलते जीवन-म ल्
ू यों की कहानी है । इस कहानी में यशोधर पंत
प्राचीन मल्ू यों के प्रतीक हैं। इसके विपरीत उनकी संतान नए यग ु का प्रतिनिधित्व करती है । दोनों पीढ़ियों के अपने-
अपने जीवन मल् ू य हैं। यशोधर के बच्चे वर्तमान समय के बदलते जीवन- मल् ू यों की झलक दिखलाते हैं। नई पीढ़ी
जन्म-दिन, सालगीरह आदि पर केक काटने में विश्वास रखती है । नई पीढ़ी तेज़ी से आगे बढ़ना चाहती है । इसके
लिए वे परं परागत व्यवस्था को छोड़ने में संकोच नहीं करते। यशोधर बाबू परं परा से जड़ ु े हुए हैं। वे सादगी का जीवन
जीना चाहते हैं। संग्रह वत्तिृ , आधन ु किता से दरू , वे आत्मीयता, परस्पर प्रेम के बोध से यक् ु त हैं।
। उनकी पत्नी बच्चों का पक्ष लेकर मॉडर्न बनती है , परं तु मल ू सं स्कारों को नहीं छोड़ पाती। बच्चों की हठ के
सम्मख ु वह मॉडर्न बन जाती है । समय के साथ-साथ मल् ू य भी बदलते जा रहे हैं।

विषय हिन्दी केंद्रीक


वितान भाग 2 -
पाठ - 2 जझ

लेखक - आनंद यादव

प्रश्न 1. 'जझू ' शीर्षक के औचित्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें कि क्या यह शीर्षक कथा नायक की किसी
केंद्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता है ?

उत्तर:- 'जझ
ू ' का अर्थ है - संघर्ष। इसमें कथानायक आनंद की पढ़ाई-लिखाई बीच में रोककर उसे खेती-बारी के कार्यों
में लगा दिया गया था किन्तु लेखक पढ़ना चाहता था इसलिए उसने पिता की इच्छा के विरूद्ध पाठशाला जाने के
लिए संघर्ष किया।जिसे पाठ का शीर्षक पर्ण ू त: अभिव्यक्त करता है ।
आनंदा के पिता ने उसे स्कूल जाने से मना कर दिया, लेकिन लेखक पढ़ना चाहता था । विद्यालय जाने के लिए
पिता ने जो शर्ते रखी थी उनका लेखक ने पालन किया। वह विद्यालय जाने से पहले बस्ता लेकर खेतों में जाता
और वहां फसलों को पानी दे ता। वह ढोर चराने भी जाता फिर भी उसके पिता ने उसका पाठशाला जाना बंद करवा
दिया था किंतु उसने हिम्मत नहीं हारी, परू े आत्मविश्वास के साथ योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ा और सफल
हुआ। आनंदा ने मास्टर सौंदलगेकर से प्रभावित होकर काव्य में रुचि लेना प्रारम्भ किया। इससे उसमें पढ़ने की
तीव्र लालसा,लक्ष्य के प्रति एकाग्रता, वचनबद्धता,
आत्मविश्वास,लगन एवं कर्मठता तथा कविता लेखन के प्रति रूचि व झक ु ाव आदि चारित्रिक विशेषताएँ दे खने
मिलती है ।

प्रश्न 2. स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ?

उत्तर:- मराठी के अध्यापक सौंदलगेकर कविता के अच्छे रसिक व मर्मज्ञ थे। वे कक्षा में सस्वर कविता-पाठ करते
थे तथा लय, छं द गति, आरोह-अवरोह आदि का ज्ञान कराते थे।एक बार मास्टर जी ने घर में निकली मालती लता
पर एक कविता लिखी और उसका वाचन किया तो लेखक उससे बहुत प्रभावित हुआ क्योंकि प्रत्यक्ष दे खने पर
उसका वर्णन एकदम सटीक था । उनसे प्रेरित होकर
लेखक भी कुछ कविता लिखने लगा। उन्हें यह ज्ञान हुआ कि कवि भी उनकी तरह ही होते हैं । वे भी अपने
आस-पास के दृश्यों पर कविता बना सकते हैं। धीरे -धीरे उन्होंने तक
ु बंदी आरं भ की,मास्टरजी के प्रोत्साहन से उनमें
आत्मविश्वास पैदा हुआ।

प्रश्न 3. श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन विशेषताओं को रे खांकित करें जिन्होंने कविताओं के प्रति लेखक के
मन में रूचि जगाई।

उत्तर:- मास्टर सौंदलगेकर कुशल अध्यापक, मराठी भाषा के ज्ञाता व कवि थे। वे सरु ीले ढं ग से स्वयं की व दस ू रों
की कविताएँ गाते थे। परु ानी-नयी मराठी कविताओं के साथ-साथ उन्हें अनेक अंग्रेजी कविताएँ भी कंठस्थ थीं।
पहले वे एकाध गाकर सन ु ाते थे - फिर बैठे-बैठे अभिनय के साथ कविता का भाव ग्रहण कराते।वे अन्य कवियों से
जड़
ु े संस्मरण सन ु ाते बीच -बीच में अपनी कविताएँ भी परू े हाव-भाव के साथ इतनी तन्मयता से सन ु ाते थे कि
लेखक भावविभोर हो जाता था। आनन्दा को कविता या तक ु बन्दी लिखने के प्रारम्भिक काल में उन्होंने उसका
मार्गदर्शन व सधु ार किया,उन्हें अलं क ार छं द का ज्ञान कराया। अलग-अलग कविता संग्रह दे कर काव्य विधा से
परिचित कराया तथा उसका आत्मविश्वास बढ़ाया जिससे वह धीरे -धीरे कविताएँ लिखने में कुशल होकर प्रतिष्ठित
कवि बन गया।

प्रश्न 4. कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया?
उत्तर:- कविता के प्रति लगाव से पहले लेखक ढोर ले जाते समय, खेत में पानी डालते और अन्य काम करते समय
अकेलापन महसस ू करता था।उसे लगता कि उसके साथ बात करने वाला कोई हो लेकिन कविता के प्रति लगाव के
बाद वह खेतों में पानी दे ते समय, भैंस चराते समय कविताओं में खोया रहता था। धीरे -धीरे वह स्वयं तक
ु बंदी करने
लगा। अब उसे अकेलापन अच्छा लगने लगा था वह अकेले में कविता गाता, अभिनय व नत्ृ य करता था।

प्रश्न 5 आपके खयाल से पढ़ाई-लिखाई के संबध


ं में लेखक और दत्ता जी राव का रवैया सही था या लेखक के पिता
का? तर्क सहित उत्तर दें ।

उत्तर:- लेखक का मत है कि जीवन भर खेतों में काम करके कुछ भी हाथ आने वाला नहीं है । अगर मैं पढ़-लिख गया
तो कहीं मेरी नौकरी लग जाएगी या
कोई व्यापार करके अपने जीवन को सफल बनाया जा सकता है । दत्ता जी को जब पता चलता है लेखक के पिता जी
उन्हें पढ़ने से मना करते है तो राव पिता
जी को बल ु ाकर खबू डाँटते हैं और कहते हैं कि तू सारा दिन क्या करता है । बेटे और पत्नी को खेतों में जोत कर तू
सारा दिन साँड की तरह घम ू ता रहता है । कल से बेटे को स्कूल भेज, अगर पैसे नहीं हैं तो फीस मैं दं ग
ू ा। पिता जी
दत्ता जी राव के सामने 'हाँ' करने के बावजद ू भी आनन्द को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं थे जो अनचि ु त है ।
हमारे खयाल से पढ़ाई-लिखाई के सम्बन्ध में लेखक और दत्ता जी राव का रवैया लेखक के पिता की सोच से ज्यादा
ठीक है ।

प्रश्न 6. दत्ता जी राव से पिता पर दबाव डलवाने के लिए लेखक और उसकी माँ को एक झठ ू का सहारा लेना पड़ा।
यदि झठ ू का सहारा न ले ना पड़ता तो आगे का घटनाक्रम क्या होता? अनमु ान लगाएँ ।

उत्तर:- दत्ता जी राव से पिता पर दबाव डलवाने के लिए लेखक और उसकी माँ को एक झठ ू का सहारा लेना पड़ा।
यदि झठ ू का सहारा न ले त े और सच बताते कि उन्होंने दत्ता जी राव से पिता को बलु ाकर लेखक को स्कूल भेजने के
लिए कहा है तो लेखक के पिताजी उनके घर न जाते या उनके सामने बहाना बना दे ते अथवा माँ-बेटे की पिटाई कर
दे ते ,उधर न जाने की सख्त हिदायत दे कर लेखक को खेती में झोंक दे ते और लेखक का जीवन बरबाद हो जाता।

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