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Chapter 4
Chapter 4
ां ।’
5. ‘यू है व लमस्ड समथथग
उत्तर: यह वातय डॉ. अंबालाल ने मन्नू के पपताजी से कहा।
प्रसांग : प्रस्तत
ु गद्यांश हमारी पाठ्य पस्
ु तक ‘साटहत्य गौरव’ के ‘एक कहानी यह भी’
नामक पाठ से सलया गया है ब्जसकी लेखिका मन्नू भण्डारी हैं।
सांदभि : प्रस्तत
ु वातय में लेखिका स्वयं अपने पपता के स्वभाव का पररचय दे ते हुए इसे
कहती हैं।
स्पष्टीकरण : मन्नू भण्डारी के पपताजी एक सुसशक्षित संवद
े नशील व्यब्तत थे। जब वे
इन्दौर में थे, तब उनकी बडी प्रततष्ठा थी, सम्मान था, नाम था। राजनीतत के साथ-साथ
समाज-सि
ु ार के कारण वे बेहद क्रािा गए। गगरती आमिारण, अपनों के हा कामों से भी
जड
ु े हुए थे। लेककन एक बडे आगथिक झटके के कारण, अपनों के हाथों पवश्वासघात ककए
जाने के कारण वे इंदौर से अजमेर आ गए। गगरती आगथिक ब्स्थतत, नवाबी आदतें , अिरू ी
महत्वाकााँिाएाँ आटद के कारण वे बेहद क्रोिी और शतकी समजाज के बन गए।
प्रसांग : प्रस्तत
ु गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साटहत्य गौरव’ के ‘एक कहानी यह भी’
नामक पाठ से सलया गया है ब्जसकी लेखिका मन्नू भण्डारी हैं।
प्रसांग : प्रस्तत
ु गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साटहत्य गौरव’ के ‘एक कहानी यह भी’
नामक ‘ पाठ से सलया गया है ब्जसकी लेखिका मन्नू भण्डारी हैं।
सांदभि : एक बार कॉलेज से पप्रंससपल का पत्र आया कक पपता जी आकर समलें । पत्र पढते ही
पपता जी आग-बबल
ू ा होकर यह वातय अपनी पत्नी से कहते हैं।
स्पष्टीकरण : यश-कामना पपताजी की सबसे बडी दब
ु ल
ि ता थी। वे हमेशा सोचा करते कक
कुछ ऐसे काम करने चाटहए कक समाज में उनका नाम हो, सम्मान हो, वचिस्व हो। अपने
वचिस्व को ितका लगनेवाली ककसी भी बात को वे बदािश्त नहीं कर पाते। एक बार कालेज
से पप्रंससपल का पत्र आया कक आपकी बेटी के खिलाफ अनश
ु ासनात्मक कारवाई तयों न की
जाए। पत्र पढते ही मन्नू के पपताजी आग-बबल
ू ा होकर उपरोतत वातय कहते हैं।
प्रश्न 4.‘वे बोिते जा रहे थे और पपता ज़ी के चेहरे का सांतोष ि़ीरे -ि़ीरे गवि में बदिता जा
रहा था।’
प्रसांग : प्रस्तत
ु गद्यांश हमारी पाठ्य पस्
ु तक ‘साटहत्य गौरव’ के ‘एक कहानी यह भी’
नामक पाठ से सलया गया है ब्जसकी लेखिका मन्नू भण्डारी हैं।
संदभि : जब डॉ. अंबालाल जी पपता जी से मन्नू की तारीफ सुन रहे थे उस वतत पपता जी
के चेहरे का संतोष िीरे -िीरे गवि में बदल रहा था।
स्पष्टीकरण : आजाद टहन्द फौज के मुकदमे का ससलससला था। सभी कालेज, स्कूलों,
दक
ु ानों के सलए हडताल का आह्वान था। शाम को अजमेर के पूरे पवद्याथी वगि को
सम्बोगित करते हुए मन्नू भण्डारी ने एक बडा भाषण टदया। इस बीच उसके पपताजी के
एक दककयानस
ू ी समत्र ने घर आकर पपताजी से सशकायत की, व्यंग्य ककया तो पपताजी
आग बबूला हो गए। लेककन पपताजी के एक बेहद अंतरं ग समत्र डॉ. अंबालाल ने मन्नू की
िूब प्रशंसा करते हुए बिाई दी। वे बोलते जा रहे थे और पपताजी का संतोष िीरे -िीरे गवि
में बदलता जा रहा था।
प्रश्न 5.‘कया पपता ज़ी को इस बात का बबिकुि भ़ी अहसास नहीां था कक इन दोनों का
रास्ता ही टकराहट का है?’
प्रसांग : प्रस्तत
ु गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साटहत्य गौरव’ के ‘एक कहानी यह भी’
नामक पाठ से सलया गया है ब्जसकी लेखिका मन्नू भण्डारी हैं।
सांदभि: इस वातय में लेखिका अपने पपता जी एवं स्वयं की पवचार सभन्नता के बारे में
कहती है ।
स्पष्टीकरण : प्रस्तुत वातय में लेखिका अपने पपता के एवं स्वयं की पवचार सभन्नता के
बारे में कहती हैं कक ककतनी तरह के अन्तपविरोिों के बीच जीते थे वे! एक ओर ‘पवसशष्ट’
बनने और बनाने की प्रबल लालसा, तो दस
ू री ओर अपनी सामाब्जक छपव के प्रतत
सजगता। पर तया यह संभव है? तया पपता जी को इस बात का बबल्कुल भी अहसास नहीं
था कक इन दोनों का तो रास्ता टकराहट का है?
V. ननम्नलिखित वाकयों को सच
ू नानस
ु ार बदलिए :
1.एक बहुत बडे आथथिक झटके के कारण वे इांदौर से अजमेर आ गए थे। (वतिमानकाि में
बदलिए)
उत्तर:एक बहुत बडे आगथिक झटके के कारण वे इंदौर से अजमेर आ गये हैं।
3.उनका भाषण सन
ु ते ही बिाई दे ता हूाँ। (भपवष्यत्काि में बदलिए)
उत्तर:उनका भाषण सन
ु ते ही बिाई दं ग
ू ा।
1. पाप × पुण्य
2. नैततक × अनैततक
3. सही × गलत
4. सम्भव × असम्भव
5. सरु क्षित × असरु क्षित
6. सकक्रय × तनब्ष्क्रय
7. व्यवब्स्थत × अव्यवब्स्थत