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पाठ- एक कहानी यह भी

लेखिका-- मन्नू भंडारी जी

I. एक शब्द या वाकयाांश या वाकय में उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.मन्नू भांडारी का जन्म ककस गााँव में हुआ?


उत्तर:मन्नू भंडारी का जन्म मध्य प्रदे श के भानपरु ा गााँव में 1931 ई. में हुआ।

प्रश्न 2.अजमेर से पहिे मन्नू के पपता कहााँ थे?


उत्तर:अजमेर से पहले मन्नू के पपता इंदौर में थे।

प्रश्न 3.िेखिका की बड़ी बहन का नाम लिखिए।


उत्तर:लेखिका की बडी बहन का नाम सुशीला था।

प्रश्न 4.पााँच भाई-बहनों में सबसे छोटी कौन है ?


उत्तर:पााँच भाई-बहनों में सबसे छोटी मन्नू भंडारी है ।

प्रश्न 5.महानगर के फ्िैट में रहनेवािे िोग कया भि


ू गए हैं?
उत्तर:महानगर के फ्लैट में रहनेवाले लोग ‘पडोस-कल्चर’ भल
ू गए थे।

प्रश्न 6.पपता ज़ी का आग्रह कया था?


उत्तर:पपता जी का आग्रह था कक मन्नू रसोईघर से दरू रहे ।

प्रश्न 7.पपता ज़ी रसोई घर को कया कहते थे?


उत्तर:पपता जी रसोई घर को भटटयारिाना कहते थे।

प्रश्न 8.मन्नू भांडारी को प्रभापवत करनेवािी हहन्दी प्राध्यापपका का नाम लिखिए।


उत्तर:मन्नू भंडारी को प्रभापवत करनेवाली टहन्दी प्राध्यापपका का नाम शीला अग्रवाल है ।

प्रश्न 9.कॉिेज से ककसका पत्र आया?


उत्तर:कॉलेज से पप्रंससपल का पत्र आया।
प्रश्न 10.पपता ज़ी के अांतरां ग लमत्र का नाम लिखिए।
उत्तर:पपता जी के अंतरं ग समत्र का नाम डॉ. अंबालाल जी था।

प्रश्न 11.शताब्दी की सबसे बड़ी उपिब्ब्ि कया है ?


उत्तर:शताब्दद की सबसे बडी उपलब्दि 15 अगस्त 1947 है ।

प्रश्न 12.‘एक कहाऩी यह भ़ी’ की िेखिका कौन हैं?


उत्तर:‘एक कहानी यह भी’ की लेखिका मन्नू भंडारी जी हैं।

II. ननम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.मन्नू भांडारी के बचपन के बारे में लिखिए।


उत्तर:मन्नू भण्डारी का जन्म मध्य प्रदे श के भानपरु ा नामक गााँव में हुआ। उनका बचपन
अजमेर के ब्रह्मपरु ी मोहल्ले के दो मंब्जला मकान में गजु रा। वे अपने पााँच भाई-बहनों में
सबसे छोटी थीं। उन्होंने बडी बहन सुशीला के साथ घर के बडे से आाँगन में बचपन के सारे
िेल िेले – सतोसलया, लंगडी टााँग, पकडम-पकडाई, काली-टीलो। उन्होंने गड्
ु डे-गुडडयों के
दयाह रचाए और भाइयों के साथ गगल्ली-डंडा भी िेला। उनका रं ग काला और बचपन में
बहुत ही दब
ु ली और मररयल भी थीं। गोरा रं ग पपता की कमजोरी थी। इस काले रं ग ने
उनके भीतर हीन भावना पैदा कर दी ब्जससे नाम, सम्मान और प्रततष्ठा पाने के बावजदू
वे उबर नहीं पाईं।

प्रश्न 2.पपता ज़ी के प्रनत िेखिका के कया पवचार थे?


उत्तर:लेखिका अपने पपता जी के बारे में कहती हैं – उनकी प्रततष्ठा थी, सम्मान था और
नाम भी था। उन्होंने कई पवद्यागथियों को घर लाकर पढाया भी था। उनकी दररयाटदल की
काफी चचािएाँ होती थीं। एक ओर वे बेहद कोमल और संवेदनशील व्यब्तत थे, तो दस
ू री
ओर बेहद क्रोिी और अहं वादी भी थे।

प्रश्न 3.िेखिका बचपन में कौन-कौन से िेि िेित़ी थ़ीां?


उत्तर:लेखिका बचपन में भाइयों के साथ गगल्ली-डंडा, पतंग उडाने, कााँच पीसकर मााँजा
सूतना तथा अपनी बहन सुशीला और पास पडोस की सहे सलयों के साथ घर में सतोसलया,
लाँ गडी-टााँग, पकडमपकडाई, काली-टीलो, गड्
ु डे-गडु डयों के दयाह आटद िेल िेलती थीं।
प्रश्न 4.‘पडोस-कल्चर’ के बारे में िेखिका कया कहत़ी हैं?
उत्तर:‘पडोस कल्चर’ के बारे में लेखिका मन्नू भंडारी कहती हैं कक उस जमाने में घर की
दीवारें घर तक ही समाप्त नहीं हो जाती थीं बब्ल्क पूरे मोहल्ले तक फैली रहती थीं।
इससलए मोहल्ले के ककसी भी घर में जाने पर कोई पाबंदी नहीं थी, बब्ल्क कुछ घर तो
पररवार का टहस्सा ही थे। लेककन आज आिुतनक दबाव ने महानगरों के फ्लैट में रहने
वालों को हमारे इस परं परागत ‘पडोस-कल्चर’ से पवब्छछन्न करके हमें संकुगचत, असहाय
और असरु क्षित बना टदया है ।

प्रश्न 5.श़ीिा अग्रवाि का िेखिका पर कया प्रभाव पडा?


उत्तर:लेखिका मन्नू भण्डारी टहन्दी प्राध्यापपका शीला अग्रवाल के बारे में कहती हैं कक
उन्होंने ही उसे साटहत्य की दतु नया में प्रवेश करवाया। शीला अग्रवाल सापवत्री गल्सि कालेज
में जहााँ मन्नू हाईस्कूल पास कर फस्ट इयर कालेज में भती हुई थीं, वहााँ टहन्दी की
प्राध्यापपका थीं। उन्होंने मन्नू की आदत मात्र पढने को, चन
ु ाव करके पढने में बदला। िद

चन
ु -चन
ु कर ककताबें दी। पढी हुई ककताबों पर बहसें की। मन्नू की साटहब्त्यक दतु नया
शरत ्-प्रेमचंद्र से बढकर जैनेंद्र, अज्ञेय, यशपाल, भगवतीचरण वमाि तक फैल गयी।
‘सन
ु ीता’, ‘शेिर एक जीवनी’, ‘नदी के द्वीप’, ‘त्याग पत्र’, ‘गचत्रलेिा’ जैसी ककताबों पर
मंथन ककया गया। शीला अग्रवाल ने मन्नू को दे श की पररब्स्थततयााँ जानने, समझने के
सलए न ससफि प्रेररत ककया बब्ल्क दे श की आजादी के सलए घर की चारदीवारी से िींचकर
उसमें सकक्रय रूप से भाग लेने के सलए भी जागत
ृ ककया।

प्रश्न 6.पपता ज़ी ने रसोई को ‘भहटयारिाना’ कयों कहा है ?


उत्तर:पपता जी रसोई घर को भटटयारिाना कहते थे। तयोंकक उनके टहसाब से वहााँ रहना
अपनी िमता और प्रततभा को भट्टी में झोंकना था। इसीसलए पपताजी का आग्रह रहता था
कक मैं रसोई से दरू ही रहूाँ।

प्रश्न 7.एक दककयानस


ू ़ी लमत्र ने मन्नू भांडारी के पपता से कया कहा?
उत्तर:पपता जी के एक तनहायत दककयानस
ू ी समत्र ने घर आकर अछछी तरह पपता जी की लू
उतारी। उन्होंने कहा – “अरे उस मन्नू की तो मतत मारी गई है , पर भंडारी जी आपको तया
हुआ हैं? आपने लडककयों को आजादी दी, वह लडकों के साथ हडतालें करवाती, हुडदं ग
मचाती कफर रही है । तया लडककयों को यह शोभा दे ता है ? कोई मान-मयािदा, इज्जत-
आबरू का आपको ख्याल है या नहीं?”
प्रश्न 8.मन्नू भांडारी की मााँ का पररचय दीब्जए।
उत्तर:मन्नू भंडारी की मााँ उनके पपता के ठीक पवपरीत थीं। वे पढी-सलिी नहीं थीं। उनमें
िरती से कुछ ज्यादा ही िैयि और सहनशब्तत थी। वे पपताजी की हर ज्यादती को अपना
प्राप्य और बछचों की हर उगचत-अनगु चत फरमाइश और ब्जद को अपना फजि समझकर
बडे सहज भाव से स्वीकार करती थीं। उन्होंने ब्जंदगी भर अपने सलए कुछ मााँगा नहीं,
चाहा नहीं…. केवल टदया ही टदया।

III. ननम्नलिखित वाकय ककसने ककससे कहे ?


1. ‘िौटकर बहुत कुछ गुबार ननकि जाए तब बुिाना’|’
उत्तर: इस वातय को लेखिका मन्नू भंडारी अपनी मााँ से कहती है ।

2. ‘हमारे -आपके घरों की िडककयों को शोभा दे ता है यह सब?’


उत्तर:यह वातय मन्नू भंडारी के पपता जी के एक दककयानस
ू ी समत्र ने पपताजी से कहा।

3. ‘बांद करो अब, इस मन्नू का घर से बाहर ननकिना।’


उत्तर: यह वातय मन्नू भंडारी के पपताजी ने अपनी पत्नी से कहा।

4. ‘आइ एम ररअिी प्राउड आफ य।ू


उत्तर: यह वातय डॉ. अंबालाल ने लेखिका मन्नू भंडारी से कहा।

ां ।’
5. ‘यू है व लमस्ड समथथग
उत्तर: यह वातय डॉ. अंबालाल ने मन्नू के पपताजी से कहा।

6. ‘पर पपताज़ी! ककतऩी तरह के अांतपविरोिों के ब़ीच ज़ीते थे वे|’


उत्तर:मन्नू भंडारी ने अपने मन में इसे सोचा।

IV. ससांदभि स्पष्टीकरण कीब्जए :


प्रश्न 1.‘एक ओर वे बेहद कोमि और सांवद
े नश़ीि व्यब्कत थे तो दस
ू री ओर बेहद क्रोि़ी
और अहां वादी|’

प्रसांग : प्रस्तत
ु गद्यांश हमारी पाठ्य पस्
ु तक ‘साटहत्य गौरव’ के ‘एक कहानी यह भी’
नामक पाठ से सलया गया है ब्जसकी लेखिका मन्नू भण्डारी हैं।
सांदभि : प्रस्तत
ु वातय में लेखिका स्वयं अपने पपता के स्वभाव का पररचय दे ते हुए इसे
कहती हैं।
स्पष्टीकरण : मन्नू भण्डारी के पपताजी एक सुसशक्षित संवद
े नशील व्यब्तत थे। जब वे
इन्दौर में थे, तब उनकी बडी प्रततष्ठा थी, सम्मान था, नाम था। राजनीतत के साथ-साथ
समाज-सि
ु ार के कारण वे बेहद क्रािा गए। गगरती आमिारण, अपनों के हा कामों से भी
जड
ु े हुए थे। लेककन एक बडे आगथिक झटके के कारण, अपनों के हाथों पवश्वासघात ककए
जाने के कारण वे इंदौर से अजमेर आ गए। गगरती आगथिक ब्स्थतत, नवाबी आदतें , अिरू ी
महत्वाकााँिाएाँ आटद के कारण वे बेहद क्रोिी और शतकी समजाज के बन गए।

प्रश्न 2.‘पपता के ठीक पवपरीत थ़ीां हमारी बेपढी-लिि़ी मााँ।

प्रसांग : प्रस्तत
ु गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साटहत्य गौरव’ के ‘एक कहानी यह भी’
नामक पाठ से सलया गया है ब्जसकी लेखिका मन्नू भण्डारी हैं।

सांदभि : लेखिका अपनी मााँ का पररचय दे ते हुए यह वातय कहती हैं।


स्पष्टीकरण : मन्नू भण्डारी के पपताजी एक ओर बेहद कोमल और संवद
े नशील सशक्षित
व्यब्तत थे तो दस
ू री ओर बेहद क्रोिी और अहं वादी थे। एक बहुत बडे आगथिक झटके के
कारण, गगरती आगथिक ब्स्थतत, नवाबी आदतें , अिूरी महत्वाकांिाएाँ आटद के कारण वे
क्रोिी और शतकी समजाज के हो गए थे। लेककन मन्नू की मााँ पपता के ठीक पवपरीत थीं।
िरती मााँ जैसी सहनशील। पपताजी की हर ज्यादती को अपना प्राप्य और बछचों की हर
उगचत-अनुगचत फरमाइश और ब्जद को परू ा करना अपना फजि समझकर बडे सहज भाव
से स्वीकार करती थीं। उन्होंने ब्जन्दगी भर अपने सलए कुछ मााँगा नहीं, चाहा नहीं, केवल
टदया ही टदया।

प्रश्न 3.‘यह िडकी मुझे कहीां माँह


ु हदिाने िायक नहीां रिेग़ी।’

प्रसांग : प्रस्तत
ु गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साटहत्य गौरव’ के ‘एक कहानी यह भी’
नामक ‘ पाठ से सलया गया है ब्जसकी लेखिका मन्नू भण्डारी हैं।

सांदभि : एक बार कॉलेज से पप्रंससपल का पत्र आया कक पपता जी आकर समलें । पत्र पढते ही
पपता जी आग-बबल
ू ा होकर यह वातय अपनी पत्नी से कहते हैं।
स्पष्टीकरण : यश-कामना पपताजी की सबसे बडी दब
ु ल
ि ता थी। वे हमेशा सोचा करते कक
कुछ ऐसे काम करने चाटहए कक समाज में उनका नाम हो, सम्मान हो, वचिस्व हो। अपने
वचिस्व को ितका लगनेवाली ककसी भी बात को वे बदािश्त नहीं कर पाते। एक बार कालेज
से पप्रंससपल का पत्र आया कक आपकी बेटी के खिलाफ अनश
ु ासनात्मक कारवाई तयों न की
जाए। पत्र पढते ही मन्नू के पपताजी आग-बबल
ू ा होकर उपरोतत वातय कहते हैं।

प्रश्न 4.‘वे बोिते जा रहे थे और पपता ज़ी के चेहरे का सांतोष ि़ीरे -ि़ीरे गवि में बदिता जा
रहा था।’

प्रसांग : प्रस्तत
ु गद्यांश हमारी पाठ्य पस्
ु तक ‘साटहत्य गौरव’ के ‘एक कहानी यह भी’
नामक पाठ से सलया गया है ब्जसकी लेखिका मन्नू भण्डारी हैं।

संदभि : जब डॉ. अंबालाल जी पपता जी से मन्नू की तारीफ सुन रहे थे उस वतत पपता जी
के चेहरे का संतोष िीरे -िीरे गवि में बदल रहा था।
स्पष्टीकरण : आजाद टहन्द फौज के मुकदमे का ससलससला था। सभी कालेज, स्कूलों,
दक
ु ानों के सलए हडताल का आह्वान था। शाम को अजमेर के पूरे पवद्याथी वगि को
सम्बोगित करते हुए मन्नू भण्डारी ने एक बडा भाषण टदया। इस बीच उसके पपताजी के
एक दककयानस
ू ी समत्र ने घर आकर पपताजी से सशकायत की, व्यंग्य ककया तो पपताजी
आग बबूला हो गए। लेककन पपताजी के एक बेहद अंतरं ग समत्र डॉ. अंबालाल ने मन्नू की
िूब प्रशंसा करते हुए बिाई दी। वे बोलते जा रहे थे और पपताजी का संतोष िीरे -िीरे गवि
में बदलता जा रहा था।

प्रश्न 5.‘कया पपता ज़ी को इस बात का बबिकुि भ़ी अहसास नहीां था कक इन दोनों का
रास्ता ही टकराहट का है?’

प्रसांग : प्रस्तत
ु गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साटहत्य गौरव’ के ‘एक कहानी यह भी’
नामक पाठ से सलया गया है ब्जसकी लेखिका मन्नू भण्डारी हैं।
सांदभि: इस वातय में लेखिका अपने पपता जी एवं स्वयं की पवचार सभन्नता के बारे में
कहती है ।
स्पष्टीकरण : प्रस्तुत वातय में लेखिका अपने पपता के एवं स्वयं की पवचार सभन्नता के
बारे में कहती हैं कक ककतनी तरह के अन्तपविरोिों के बीच जीते थे वे! एक ओर ‘पवसशष्ट’
बनने और बनाने की प्रबल लालसा, तो दस
ू री ओर अपनी सामाब्जक छपव के प्रतत
सजगता। पर तया यह संभव है? तया पपता जी को इस बात का बबल्कुल भी अहसास नहीं
था कक इन दोनों का तो रास्ता टकराहट का है?

V. ननम्नलिखित वाकयों को सच
ू नानस
ु ार बदलिए :
1.एक बहुत बडे आथथिक झटके के कारण वे इांदौर से अजमेर आ गए थे। (वतिमानकाि में
बदलिए)
उत्तर:एक बहुत बडे आगथिक झटके के कारण वे इंदौर से अजमेर आ गये हैं।

2.वे ब्जांदग़ी भर अपने लिए कुछ मााँगते नहीां हैं। (भत


ू काि में बदलिए)
उत्तर:उन्होंने ब्जंदगी भर अपने सलए कुछ नहीं मााँगा।

3.उनका भाषण सन
ु ते ही बिाई दे ता हूाँ। (भपवष्यत्काि में बदलिए)
उत्तर:उनका भाषण सन
ु ते ही बिाई दं ग
ू ा।

VI. पविोम शब्द लिखिए :


पाप, नैनतक, सही, सम्भव, सुरक्षित, सकक्रय, व्यवब्स्थत।

1. पाप × पुण्य
2. नैततक × अनैततक
3. सही × गलत
4. सम्भव × असम्भव
5. सरु क्षित × असरु क्षित
6. सकक्रय × तनब्ष्क्रय
7. व्यवब्स्थत × अव्यवब्स्थत

VII. ननम्नलिखित शब्दों के साथ उपसगि जोडकर नए शब्दों का ननमािण कीब्जए :


प्रनतब्ष्ठत, हद, यश, कक्रया।

1. प्रततब्ष्ठत – अ + प्रततब्ष्ठत = अप्रततब्ष्ठत


2. हद – बे + हद = बेहद
3. यश – अप + यश = अपयश
4. कक्रया – प्रतत + कक्रया = प्रततकक्रया (सु + कक्रया = सुकक्रया)

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