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1. कथावाचक और हररहर काका के बीच क्या सं बंध है और इसके क्या कारण हैं ?

उत्तर

कथावाचक जब छोटा था तब से ही हररहर काका उसे बहुत प्यार करते थे। जब वह बडे हो गए तो वह
हररहर काका के मित्र बन गए। गााँ व िें इतनी गहरी दोस्ती और मकसी से नही ं हुई। हररहर काका उनसे
खुल कर बातें करते थे। यही कारण है मक कथावाचक को उनके एक-एक पल की खबर थी। शायद अपना
मित्र बनाने के मलए काका ने स्वयं ही उसे प्यार से बडा मकया और इतं जार मकया।

2. हररहर काका को िंहत और भाई एक ही श्रेणी के क्यों लगने लगे ?

उत्तर

हररहर काका को अपने भाइयों और िहं त िें कोई अतं र नही ं लगा। दोनों एक ही श्रेणी के लगे । उनके
भाइयों की पमियों ने कुछ मदन तक तो हररहर काका का ध्यान रखा मिर बची खु ची रोमटयााँ दी, नाश्ता
नही ं दे ते थे। बीिारी िें कोई पूछने वाला भी न था। मजतना भी उन्हें रखा जा रहा था, उनकी ज़िीन के
मलए था। इसी तरह िंहत ने एक मदन तो बडे प्यार से खामतर की मिर ज़िीन अपने ठाकुर बाडी के नाि
करने के मलए कहने लगे । काका के िना करने पर उन्हें अनेकों यातनाएाँ दी। अपहरण करवाया, िुाँह िें
कपडा ठूाँस कर एक कोठरी िें बं द कर मदया, जबरदस्ती अाँगूठे का मनशान मलया गया तथा उन्हें िारा पीटा
गया। इस तरह दोनों ही केवल ज़िीन जायदाद के मलए हररहर काका से व्यवहार रखते थे। अत: उन्हें दोनों
एक ही श्रेणी के लगने लगे ।

3. ठाकुर बाडी के प्रमत गााँ व वालों के िन िें अपार श्रद्धा के जो भाव हैं उससे उनकी मकस िनोवृ मत्त का
पता चलता है ?

उत्तर

कहा जाता है गााँ व के लोग भोले होते हैं । असल िें गााँ व के लोग अंध मवश्वासी धिमभीरु होते हैं । िंमदर जैसे
स्थान को पमवत्र, मनष्कलंक, ज्ञान का प्रतीक िानते हैं । पुजारी, पुरोमहत िंहत जैसे मजतने भी धिम के
ठे केदार हैं उन पर अगाध श्रद्धा रखते हैं । वे चाहे मकतने भी पमतत,स्वाथी और नीच हों पर उनका मवरोध
करते वे डरते हैं । इसी कारण ठाकुरबाडी के प्रमत गााँ व वालों की अपार श्रद्धा थी। उनका हर सु ख-दु ख
उससे जु डा था।
4. अनपढ़ होते हुए भी हररहर काका दु मनया की बे हतर सिझ रखते हैं । कहानी के आधार पर स्पष्ट
कीमजए।

उत्तर

हररहर काका अनपढ़ थे मिर भी उन्हें दु मनयादारी की बे हद सिझ थी। उनके भाई लोग उनसे ज़बरदस्ती
ज़िीन अपने नाि कराने के मलए डराते थे तो उन्हें गााँ व िें मदखावा करके ज़िीन हमथयाने वालो की याद
आती है । काका ने उन्हें दु खी होते दे खा है । इसमलए उन्होंने ठान मलया था चाहे िंहत उकसाए चाहे भाई
मदखावा करे वह ज़िीन मकसी को भी नही ं दें गे। एक बार िंहत के उकसाने पर भाइयों के प्रमत धोखा नही ं
करना चाहते थे परन्तु जब भाइयों ने भी धोखा मदया तो उन्हें सिझ िें आ गया उनके प्रमत उन्हें कोई प्यार
नही ं है । जो प्यार मदखाते हैं वह केवल ज़ायदाद के मलए है ।

5. हररहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले कौन थे। उन्होंने उनके साथ कैसा व्यवहार मकया?

उत्तर

हररहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले लोग िहं त के आदिी थे। उसने हररहर काका को कई बार
ज़िीन जायदाद ठाकुर बाडी के नाि कर दे ने को कहा परन्तु वो नही िान रहे थे। िं हत ने अपने चे ले
साधु संतो के साथ मिलकर उनके हाथ पैर बां ध मदए, िुहाँ िें कपडा ठूाँस मदया और जबरदस्ती अाँगूठे के
मनशान मलए, उन्हें एक किरे िें बं द कर मदया। जब पुमलस आई तो स्वयं गु प्त दरवाज़े से भाग गए।

6. हररहर काका के िािले िें गााँ व वालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?

उत्तर

कहानी के आधार पर गााँ व के लोगों को मबना बताए पता चल गया मक हररहर काका को उनके भाई नही ं
पूछते । इसमलए सु ख आराि का प्रलोभन दे कर िंहत उन्हें अपने साथ ले गया। भाई िन्नत करके काका को
वामपस ले आते हैं । इस तरह गााँ व के लोग दो पक्ों िें बाँट गए कुछ लोग िंहत की तरफ़ थे जो चाहते थे
मक काका अपनी ज़िीन धिम के नाि पर ठाकुर बाडी को दे दें तामक उन्हें सु ख आराि मिले, िृत्यु के बाद
िोक्, यश मिले। िंहत ज्ञानी है वह सब कुछ जानता है । लेमकन दू सरे पक् के लोग कहते मक ज़िीन
पररवार वालो को दी जाए। उनका कहना था इससे उनके पररवार का पेट भरे गा। िंमदर को ज़िीन दे ना
अन्याय होगा। इस तरह दोनों पक् अपने-अपने महसाब से सोच रहे थे परन्तु हररहर काका के बारे िें कोई
नही ं सोच रहा था। इन बातों का एक कारण यह भी था मक काका मवधु र थे और उनके कोई सं तान भी
नही ं थी। पंद्रह बीघे ज़िीन के मलए इनका लालच स्वाभामवक था।

7. कहानी के आधार पर स्पष्ट कीमजए मक लेखक ने यह क्यों कहा, "अज्ञान की स्स्थमत िें ही िनुष्य िृत्यु
से डरते हैं । ज्ञान होने के बाद तो आदिी आवश्यकता पडने पर िृ त्यु को वरण करने के मलए तै यार हो
जाता है ।"

उत्तर

जब काका को असमलयत पता चली और उन्हें सिझ िें आ गया मक सब लोग उनकी ज़िीन जायदाद के
पीछे हैं तो उन्हें वे सभी लोग याद आ गए मजन्होंने पररवार वालों के िोह िाया िें आकर अपनी ज़िीन
उनके नाि कर दी और िृत्यु तक मतल-मतल करके िरते रहे , दाने-दाने को िोहताज़ हो गए। इसमलए
उन्होंने सोचा मक इस तरह रहने से तो एक बार िरना अच्छा है । जीते जी ज़िीन मकसी को भी नही ं दें गे।
ये लोग िुझे एक बार िें ही िार दे । अत: लेखक ने कहा मक अज्ञान की स्स्थमत िें िनुष्य िृत्यु से डरता है
परन्तु ज्ञान होने पर िृ त्यु वरण को तै यार रहता है ।

8. सिाज िें ररश्तों की क्या अहमियत है ? इस मवषय पर अपने मवचार प्रकट कीमजए।

उत्तर

आज सिाज िें िानवीय िूल्य तथा पाररवाररक िूल्य धीरे -धीरे सिाप्त होते जा रहे हैं । ज़्यादातर व्यस्ि अपने
स्वाथम के मलए ररश्ते मनभाते हैं , अपनी आवश्यकताओं के महसाब से मिलते हैं । अिीर ररश्ते दारों का सम्मान
करते हैं , उनसे मिलने को आतु र रहते हैं जबमक गरीब ररश्ते दारों से कतराते हैं । केवल स्वाथम मसस्द्ध की
अहमियत रह गई है । आए मदन हि अखबारों िें सिाचार पढ़ते हैं मक ज़िीनजाय़दाद, पैसे जेवर के मलए
लोग हत्या व अपहरण जैसे नीच कायम कर जाते हैं ।

9. यमद आपके आसपास हररहर काका जैसी हालत िें कोई हो तो आप उसकी िदद कैसे करें गे ?

उत्तर

यमद हिारे आसपास हररहर काका जैसी हालत िें कोई हो तो हि उसकी पूरी तरह िदद करने की
कोमशश करें गे । उनसे मिलकर उनके दु ख का कारण पता करें गे , उन्हें अहसास मदलाएाँ गे मक वे अकेले नही ं
हैं । सबसे पहले तो यह मवश्वास कराएाँ गे मक सभी व्यस्ि लालची नही ं होते हैं । इस तरह िौन रह कर दू सरों
को िौका न दें बस्ि उल्लास से शेष जीवन मबताएाँ । ररश्ते दारों से मिलकर उनके सं बंध सु धारने का प्रयि
करें गे । स्वयं सेवी सं स्था से मिलकर भी उनकी सिस्या को सु लझाने का प्रयास करें गें ।
10. हररहर काका के गााँ व िें यमद िीमडया की पहुाँ च होती तो उनकी क्या स्स्थमत होती? अपने शब्ों िें
मलस्खए।

उत्तर

अगर काका के गााँ व िें िीमडया पहुाँ च जाती तो सबकी पोल खु ल जाती, िंहत व भाइयों का पदाम िाश हो
जाता। िीमडया उनके साथ हुए अत्याचारों का लाइव कवरे ज मदखाता। वे सभी व्यस्ियों को अन्याय की ये
तस्वीर मदखाते और बतलाते मक बू ढ़े व्यस्ि के मलए मकस तरह लोगों के ख्याल बदल जाते हैं और वे
िायदा उठाने का सोचने लगते हैं । मिमडया वहााँ पहुाँ चकर सबकी पोल खोल दे ती, िंहत व भाईयों का
पदाम िाश हो जाता। अपहरण, धिकाने और जबरन अाँगूठा लगवाने के अपराध िें उन्हें जेल हो जाती।

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