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पूरक पुस्तक संचयन भाग 2

प्रश्न अभ्यास:- पाठ हररहर काका

प्रश्न 1 - कथावाचक और हररहर काका के बीच क्या सम्बन्ध है और


इसके क्या कारण है?

उत्तर - हररहर काका लेखक को बचपन से ही बहुत ज्यादा प्यार करते


थे। वे लेखक को अपने कंधे पर बैठा कर घुमाया करते थे। एक पपता
का अपने बच्चों के ललए जितना प्यार होता है , लेखक के अनुसार
हररहर काका का उसके ललए प्यार उससे भी अधधक था। िब लेखक
व्यस्क हुआ या थोडा समझदार हुआ तो उसकी पहली दोस्ती भी
हररहर काका के साथ ही हुई थी। उससे पहले हररहर काका की गााँव
में ककसी से इतनी गहरी दोस्ती नहीं हुई थी। लेखक कहता है कक िब
हररहर काका उसके पहले दोस्त बने तो उसे ऐसा लगा िैसे हररहर
काका ने भी लेखक से दोस्ती करने के ललए इतनी लम्बी उम्र तक
इन्तिार ककया हो। हररहर काका उससे कभी भी कुछ नहीं छुपाते थे,
वे उससे सबकुछ खल
ु कर कह दे ते थे। इस तरह हम कह सकते हैं
कक लेखक और हररहर काका का बहुत ही घननष्ठ सम्बन्ध था।

प्रश्न 2 - हररहर काका को महं त और अपने भाई एक ही श्रेणी के


क्यों लगने लगे?

उत्तर - कुछ ददनों तक तो हररहर काका के पररवार वाले हररहर काका


की सभी चीजों का अच्छे से ध्यान रखते थे, परन्तु किर कुछ ददनों
बाद हररहर काका को कोई पूछने वाला नहीं था। हररहर काका के
सामने िो कुछ बच िाता था वही परोसा िाता था। कभी-कभी तो
हररहर काका को बबना तेल-घी के ही रूखा-सूखा खाना खा कर प्रसन्न
रहना पडता था। अगर कभी हररहर काका के शरीर की जस्थनत या
मन की जस्थनत ठीक नहीं होती तो हररहर काका पर मस
ु ीबतों का
पहाड ही धगर िाता। क्योंकक इतने बडे पररवार के रहते हुए भी हररहर
काका को कोई पानी भी नहीं पूछता था। बारामदे के कमरे में पडे हुए
हररहर काका को अगर ककसी चीज की िरुरत होती तो उन्हें खद
ु ही
उठना पडता।
महं त हररहर काका को समझाता था कक उनके दहस्से में जितने खेत
हैं वे उनको भगवान के नाम ललख दें । ऐसा करने से उन्हें सीधे स्वगग
की प्राजप्त होगी। तीनों लोकों में उनकी प्रलसद्धध का ही गण
ु गान
होगा। िब तक इस दनु नया में चााँद-सूरि रहें गे, तब तक लोग उन्हें
याद ककया करें गे। साधु-संत भी उनके पााँव धोएंगें। महं त हररहर काका
से कहता था कक उनके दहस्से में िो पंद्रह बीघे खेत हैं। उसी के
कारण उनके भाइयों का पररवार उनसे िुडा हुआ है । ककसी ददन अगर
हररहर काका यह कह दें कक वे अपने खेत ककसी और के नाम ललख
रहे हैं तो वे लोग तो उनसे बात करना भी बंद कर दें गें। खून के
ररश्ते ख़त्म हो िायेंगे।
असल में हररहर काका को समझ आ गया था की दोनों ही उनसे
उनकी िमीन के ललए अच्छा व्यवहार करते हैं, नहीं तो कोई उन्हें
पछ
ू ता तक नहीं। इसीललए हररहर काका को महं त और अपने भाई
एक ही श्रेणी के लगने लगे थे।

प्रश्न 3 - ठाकुरबारी के प्रनत गााँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के


िो भाव हैं उससे उनकी ककस मनोवनृ त का पता चलता है ?

उत्तर - गााँव के लोगों को भोला और अंधपवश्वासी मनोवनृ त का माना


िाता है क्योंकक गााँव के ज्यादातर लोगों का पवश्वास यह बना होता है
कक अगर उनकी िसल अच्छी हुई है तो उसे वे अपनी मेहनत नहीं
बजकक भगवान की कृपा मानते हैं। ककसी की मक़
ु दमे में िीत होती है
तो उसका श्रेय भी भगवान को ददया िाता है । लडकी की शादी अगर
िकदी तय हो िाती है तो भी माना िाता है कक भगवान से मन्नत
मााँगने के कारण ऐसा हुआ है । अपनी ख़श ु ी से गााँव के लोग भगवान
को बहुत कुछ दान में दे ते हैं, कुछ तो अपने खेत का छोटा-सा भाग
भगवान के नाम कर दे ते हैं। इसी बात का िायदा महं त -पुिारी और
साधु-संत लोग उठाते हैं िो ठाकुरबारी के नाम पर और भगवान को
भोग लगाने के नाम पर ददन के दोनों समय हलवा-पड
ू ी बनवाते हैं
और आराम से पडे रहते हैं। सारा काम वहााँ आए लोगो से सेवा करने
के नाम पर करवाते हैं। लोग ठाकुर बारी को पपवत्र, ननष्कलंक और
ज्ञान का प्रनतक मानते हैं।

प्रश्न 4 - अनपढ़ होते हुए भी हररहर काका दनु नया की बेहतर समझ
रखते हैं? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर - िब हररहर काका के भाइयों ने हररहर काका को उनके दहस्से


की िमीन को उनके नाम ललखवाने के ललए कहा, तो हररहर काका
बहुत सोचने के बाद अंत में इस पररणाम पर पहुंचे कक अपने िीते-िी
अपनी िायदाद का स्वामी ककसी और को बनाना ठीक नहीं होगा।
किर चाहे वह अपना भाई हो या मंददर का महं त। हररहर काका को
अपने गााँव और इलाके के वे कुछ लोग याद आए, जिन्होंने अपनी
जिंदगी में ही अपनी िायदाद को अपने ररश्तेदारों या ककसी और के
नाम ललखवा ददया था। उनका िीवन बाद में ककसी कुत्ते की तरह हो
गया था, उन्हें कोई पूछने वाला भी नहीं था। हररहर काका बबलकुल
भी पढ़े -ललखे नहीं थे, परन्तु उन्हें अपने िीवन में एकदम हुए बदलाव
को समझने में कोई गलती नहीं हुई और उन्होंने िैसला कर ललया कक
वे िीते-िी ककसी को भी अपनी िमीन नहीं ललखेंगे। इससे पता
चलता है कक अनपढ़ होते हुए भी हररहर काका दनु नया की बेहतर
समझ रखते थे।

प्रश्न 5 - हररहर काका को िबरन उठा ले िाने वाले कौन थे?


उन्होंने उनके साथ कैसा बतागव ककया?

उत्तर - हररहर काका को िबरन उठा ले िाने वाले महं त के आदमी


थे। उन्होंने ठाकुरबारी के एक कमरे में हररहर काका को हाथ और
पााँव बााँध कर रखा था और साथ ही साथ उनके मुाँह में कपडा ठूाँसा
गया था ताकक वे आवाज न कर सकें। वे लोग काका को उस कमरे में
इस तरह बााँध कर कही गुप्त दरवाजे से भाग गए थे और उन्होंने
कुछ खाली और कुछ ललखे हुए कागिों पर हररहर काका के अाँगूठे के
ननशान िबरदस्ती ले ललए थे। परन्तु हररहर काका दरवाजे तक
लढ़
ु कते हुए आ गए थे और दरवाजे पर अपने पैरों से धक्का लगा रहे
थे ताकक बाहर खडे उनके भाई और पलु लस उन्हें बचा सकें।

प्रश्न 6 - हररहर काका के मामले में गााँव वालों की क्या राय थी और


उसके क्या कारण थे?

उत्तर - कहानी के आधार पर गााँव के लोगों को न तो महं त िी ने


कुछ बताया था और ना ही हररहर काका के भाइयों ने कुछ बताया
था। उसके बाद भी गााँव के लोग सच्चाई से खुद ही पररधचत हो गए
थे।गााँव के लोग िानते थे कक हररहर काका के पररवार वाले हररहर
काका का ध्यान नहीं रखते और इसी विह से महं त िी हररहर काका
को सुख-समद्
ृ धध का लालच दे कर िमीन ठाकुरबारी के नाम करवाना
चाहते थे। यही कारण था कक गााँव वाले दो वगों में बााँट गए थे। किर
तो गााँव के लोग िब भी कहीं बैठते तो बातों का ऐसा लसललसला
चलता जिसका कोई अंत नहीं था। हर िगह बस उन्हीं की बातें होती
थी। कुछ लोग कहते कक हररहर काका को अपनी िमीन भगवान के
नाम ललख दे नी चादहए। इससे उत्तम और अच्छा कुछ नहीं हो सकता।
इससे हररहर काका को कभी न ख़त्म होने वाली प्रलसद्धध प्राप्त होगी।
इसके पवपरीत कुछ लोगों की यह राय थी कक भाई का पररवार भी तो
अपना ही पररवार होता है। अपनी िायदाद उन्हें न दे ना उनके साथ
अन्याय करना होगा। खून के ररश्ते के बीच दीवार बन सकती है ।

प्रश्न 7 - कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कक लेखक ने यह क्यों


कहा, "अज्ञान की जस्थनत में ही मनुष्य मत्ृ यु से डरते हैं। ज्ञान होने के
बाद तो आदमी आवश्यकता पडने पर मत्ृ यु को वरन करने के ललए
तैयार हो िाता है।"

उत्तर - िब हररहर काका के भाई हररहर काका को धमका रहे थे तो


वे बबलकुल नहीं डरे , अगर वे हररहर काका के अपहरण से पहले उन्हें
डराते तो शायद वे डर िाते। हररहर काका समझ गए थे कक िब
मनुष्य को ज्ञान नहीं होता तभी वह मत्ृ यु से डरता है । परन्तु िब
मनुष्य को ज्ञान हो िाता है तब वह िरूरत पडने पर मत्ृ यु का
सामना करने के ललए भी तैयार हो िाता है । हररहर काका ने सोच
ललया था कक उनके भाई उन्हें एक बार ही मार दें तो सही है , लेककन
वे िमीन उनके नाम ललख कर अपनी पूरी जिंदगी घुट-घुट कर नहीं
मरना चाहते, यह उन्हें ठीक नहीं लग रहा था। हररहर काका को
अपने गााँव और इलाके के वे कुछ लोग याद आए, जिन्होंने अपनी
जिंदगी में ही अपनी िायदाद को अपने ररश्तेदारों या ककसी और के
नाम ललखवा ददया था। पहले-पहले तो ररश्तेदार बहुत आदर-सम्मान
करते हैं, परन्तु बुढ़ापे में पररवार वालों को दो वक्त का खाना दे ना भी
बुरा लगने लगाता है । बाद में उनका िीवन ककसी कुत्ते के िीवन की
तरह हो िाता है , उन्हें कोई पछ
ू ने वाला भी नहीं होता। हररहर काका
अपनी इस तरह की हालत से अच्छा एक बार ही मर िाना सही
समझते थे।

प्रश्न 8 - समाि में ररश्तों की क्या अहलमयत है ? इस पवषय पर


अपने पवचार प्रकट कीजिए।

उत्तर - समाि में सखु ी िीवन िीने के ललए ररश्तों-नातों का बहुत


अधधक महत्त्व है । परन्तु आि के समाि में सभी मानवीय और
पाररवाररक मूकयों और कतगव्यों को पीछे छोडते िा रहे हैं। आि का
व्यजक्त स्वाथी मनोवनृ त का हो गया है । वह केवल अपने मतलब के
ललए ही लोगों से लमलता है। वह अपने अमीर ररश्तेदारों से रोि
लमलना चाहता है परन्तु अपने गरीब ररश्तेदारों से कोसों दरू भागता
है । ज्यादातर लोग केवल स्वाथग के ललए ही ररश्ते ननभाते हैं। रोि
अखबारों और ख़बरों में सन
ु ने को लमलता है कक िायदाद के ललए
लोग अपनों की हत्या करने से भी नहीं झझझकते।

प्रश्न 9 - यदद आपके पास हररहर काका िैसी हालत में कोई हो तो
आप उसकी ककस तरह मदद करें गे?

उत्तर - यदद हमारे आस-पास हररहर काका िैसी हालत में कोई
व्यजक्त होगा तो हम उसकी मदद करने की परू ी कोलशश करें ग।े आि
कल बहुत सी स्वयंसेवी संस्थाएाँ हैं िो इस तरह से पीडडत व्यजक्तयों
की मदद करती हैं, हम उनसे मदद लेंगे। उस व्यजक्त से खद ु भी बात
करें गे और कारण का पता करने की कोलशश करें गे। हम उस व्यजक्त
को ख़ुशी से अपनी बाकी जिंदगी गुिारने के ललए प्रेररत करें गे और
अगर संभव हो तो उसके पररवार वालो से भी बात करके उनके बबगडे
हुए ररश्तों को सुधारने का प्रयास करें गे।

प्रश्न 10 - हररहर काका के गााँव में यदद लमडडया की पहुाँच होती तो


उनकी क्या जस्थनत होती? अपने शब्दों में ललझखए।

उत्तर - हररहर काका के गााँव में यदद लमडडया की पहुाँच होती तो


शायद उनकी इतनी खराब हालत नहीं होती। सबकी पोल खल ु िाती,
लमडडया हररहर काका के साथ हुए अत्याचारों को सभी के सामने
लाती। वे लोग िो बेसहारा बुिुगों पर अत्याचार करते हैं, उनकी
सम्पनत को हडपने के ललए ककसी भी हद तक चले िाते हैं और यहााँ
तक की उन्हें दो वक्त का खाना भी नहीं दे ते, उन लोगो को सामने
ला कर लमडडया उन्हें सािा ददलवाने के ललए सबूतों को इकठ्ठा कर
सकता है और यही होता अगर हररहर काका के गााँव में लमडडया की
पहुाँच होती।

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