Professional Documents
Culture Documents
स्मृति 1
स्मृति 1
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1. भाई के बुलाने पर घर लौटिे समय लेखक के मन में तकस बाि का डर था?
उत्तर- भाई के बुलाने पर घर लौटिे समय लेखक डर गया था। उसे लगा तक उसके बडे भाई झरबेरी से
बेर िोड-िोडकर खाने के तलए डााँटेंगे और उसे खूब पीटें गे।
प्रश्न 2. मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्ोों की टोली रास्ते में पडने वाले कुएाँ में ढे ला क्ोों फेंकिी थी?
उत्तर- लेखक के गााँव से मक्खनपुर जाने वाली राह में 36 फीट के करीब गहरा एक कच्ा कुआाँ था।
उसमें एक सााँप न जाने कैसे तगर गया था। मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्ोों की टोली उस कुएाँ में
इसतलए ढे ले फेंकिी थी िातक सााँप क्रुद्ध होकर फुफकारे और बच्े उस फुफकार को सुन सकें।
प्रश्न 3. ‘सााँ प ने फुसकार मारी या नहीों, ढे ला उसे लगा या नहीों, यह बाि अब िक स्मरण नहीों’–यह कथन लेखक
की तकस मनोदशा को स्पष्ट करिा है ?
उत्तर- यह कथन लेखक की बदहवास मनोदशा को स्पष्ट करिा है । जैसे ही लेखक ने टोपी उिारकर कुएाँ में
ढे ला फेंका, उसकी ज़रूरी तितियााँ कुएाँ में जा तगरी। उन्हें कुएाँ में तगरिा दे खकर वह भौोंिक्का रह गया। उसका
ध्यान तितियोों को बिाने में लग गया। वह यह दे खना भूल गया तक सााँ प को ढे ला लगा या नहीों और वह फुसकारा
या नहीों।
प्रश्न 5.
सााँप का ध्यान बाँटाने के तलए लेखक ने क्ा-क्ा युखियााँ अपनाईों?
उत्तर-
सााँप का ध्यान बाँटाने के तलए लेखक ने तनम्नतलखखि युखियााँ अपनाईों-
प्रश्न 6. कुएाँ में उिरकर तितियोों को तनकालने सोंबोंधी साहतसक वणणन को अपने शब्ोों में तलखखए।
उत्तर कुएाँ में तितियााँ तगर जाने पर लेखक ने रोना-धोना छोडकर भयानक तनणणय तलया। उसने अपनी
और अपने छोटे भाई की पााँिोों धोतियोों को एक-दू सरे से बााँधा। इसके एक छोर में डों डा बााँधकर उसे
कुएाँ में उिार तदया और दू सरे तसरे को कुएाँ की डें ग में बााँधकर भाई को पकडा तदया। अब उन धोतियोों
के सहारे लेखक कुएाँ में उिर गया और कुएाँ के धरािल से िार पााँि गज ऊपर लटककर सााँप को दे खने
लगा। सााँप भी फन फैलाए लेखक की प्रिीक्षा कर रहा था। लेखक ने कुएाँ की दीवार में पैर जमाकर कुछ
तमट्टी तगराई। इससे सााँप का ध्यान बाँट गया। वह तमट्टी पर मुाँह मार बैठा।इस बीि लेखक ने डों डे से जब
तितियााँ सरकाईों िो सााँ प ने जोरदार प्रहार तकया और अपनी शखि के प्रमाण स्वरूप डों डे पर िीन-िार जगह
तवषवमन कर तदया। इससे लेखक का साहस बढ़ा। उसने तितियााँ उठाने का प्रयास तकया िो सााँ प ने वार तकया
और डों डे से तलपट गया। इस क्रम में सााँ प की पूाँछ का तपछला भाग लेखक को छू गया। यह दे ख लेखक ने डों डे को
पटक तदया और तितियााँ उठाकर धोिी में बााँ ध तदया, तजन्हें उसके भाई ने ऊपर खीोंि तलया। अब लेखक ने कुएाँ
की दीवार से कुछ तमट्टी सााँ प की दातहनी ओर फेंकी। सााँ प उस पर झपटा। अब लेखक ने डों डा खीोंि तलया।
लेखक ने मौका दे खा और जैसे-िैसे हाथोों के सहारे सरककर छत्तीस फुट गहरे कुएाँ से ऊपर आ गया।
प्रश्न 7. इस पाठ को पढ़ने के बाद तकन-तकन बाल-सुलभ शरारिोों के तवषय में पिा िलिा है ?
उत्तर- बालक प्रायः शरारिी होिे हैं। उन्हें छे डछाड करने में आनोंद तमलिा है। यतद उनकी छे डछाड
से कोई हलिल होिी हो िो वे उसमें बहुि मज़ा लेिे हैं । सााँप को व्यथण में ही फॅफकारिे दे खकर वे बडे
खुश होिे हैं। बालकोों को प्रकृति के स्वच्छों द वािावरण में तवहार करने में भी असीम आनोंद तमलिा है। वे
झरबेरी के बेर िोड-िोडकर खािे हैं िथा मन में आनोंतदि होिे हैं। वे आम के पेड पर िढ़कर डों डे से
आम िोडकर खाने में खूब आनोंद लेिे हैं।
प्रश्न 8. मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएाँ कभी-कभी तकिनी तमथ्या और उलटी तनकलिी हैं ’–का
आशय स्पष्ट कीतजए।
उत्तर- मनुष्य तकसी कतठन काम को करने के तलए अपनी बुखद्ध से योजनाएाँ िो बनािा है , तकोंिु
समस्याओों का वास्ततवक सामना होिे ही ये योजनाएाँ धरी की धरी रह जािी हैं। िब उसे यथाथण खथथति को
दे खकर काम करना पडिा है। इस पाठ में लेखक ने सोिा था तक कुएाँ में उिरकर वह डों डे से सााँप को
मार दे गा और तितियााँ उठा लेगा, परों िु कुएाँ का कम व्यास दे खकर उसे लगा तक यहााँ िो डों डा िलाया ही
नहीों जा सकिा है। उसने जब सााँप को फन फैलाए अपनी प्रिीक्षा करिे पाया िो सााँप को मारने की
योजना उसे एकदम तमथ्या और उलटी लगने लगी।
प्रश्न 9. ‘फल िो तकसी दू सरी शखि पर तनभणर है ’-पाठ के सोंदभण में इस पोंखि का आशय स्पष्ट कीतजए।
उत्तर लेखक ने कुएाँ से तितियााँ तनकालने के तलए कुएाँ में उिरने का दृढ़ तनश्चय कर तलया। इस दृढ़
तनश्चय के सामने फल की तिोंिा समाप्त हो गई। उसे लगा तक कुएाँ में उिरने िथा सााँप से लडने का फल
क्ा होगा, यह सोिना उसका काम नहीों है। पररणाम िो प्रभु-इच्छा पर तनभणर है। इसतलए वह फल की
तिोंिा छोडकर कुएाँ में घुस गया।
vfrfjDr iz”u
प्रश्न 1 . डाकखाने में पत्र डालने जािे समय लेखक ने क्ा-क्ा िैयाररयााँ कीों और क्ोों?
उत्तर- डाकखाने में पत्र डालने जािे समय लेखक ने तनम्नतलखखि िैयाररयााँ कीों-
उन्होोंने ये िैयाररयााँ इसतलए की क्ोोंतक सरदी के मौसम में िेज़ हवा हतियोों को भी काँपा रही थी।
प्रश्न 2 . लेखक को अपने डों डे से इिना मोह क्ोों था?
उत्तर- लेखक को अपने डों डे से इिना मोह इसतलए था, क्ोोंतक-
प्रश्न 4 . ‘लेखक तितियोों के बारे में घर जाकर झूठ भी बोल सकिा था, पर उसने ऐसा नहीों तकया’ इसके
आलोक में लेखक की िाररतत्रक तवशेषिाओों पर प्रकाश डालिे हुए बिाइए तक आप लेखक के िररत्र से
तकन-तकन तवशेषिाओों को अपनाना िाहेंगे?
उत्तर लेखक जानिा था तक तजस कुएाँ में उससे तितियााँ तगर गई हैं , उसमें जहरीला सााँप रहिा था।
उसके पास से तितियााँ उठाना अत्योंि जोखखम भरा था। वह तितियोों के बारे में घर आकर झूठ-भी बोल
सकिा था, पर उसने झूठ बोलने के बजाय कुएाँ से तितियााँ तनकालने का जोखखम भरा कायण तकया।
लेखक के िररत्र में सत्यतनष्ठा थी, जो उसके झूठ बोलने की सोि पर भारी पड रही थी। वह साहसी और
बुखद्धमान था, तजसके बल पर वह पहले भी कई सााँप मार िुका था। उसका सोंकल्प और आत्मबल
मज़बूि था तजसके सहारे वह असोंभव को भी सरल काम समझ रहा था। इसी के बल पर उसने
योजनानुसार अपना काम तकया। मैं लेखक के िररत्र से सत्यतनष्ठ, प्रत्युत्पन्नमति, साहसी, बुखद्ध से काम
करने की कला िथा दृढ़ सोंकल्प जैसे गुण अपनाना िाहिा हाँ।