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पाठ - 2 (दादी माँ) कार्य पत्रिका
पाठ - 2 (दादी माँ) कार्य पत्रिका
दिन में मैं चादर लेपेटे सोया था । दादी माँ आई ,शायद नहाकर आई थी , उसी
सर,पेट छुए। आँचल की गाँठ खोल किसी अदृश्य शक्तिधारी के चबूतरे की मिट्टी
मँह
ु में डाली,माथे पर लगाई । दिन - रात चारपाई के पास बैठी रही , कभी पंखा
झलती , कभी जलते हुए हाथ - पैर कपड़े से सहलाती , सर पर दालचीनी का लेप
करती और बीसों बार छू - छूकर ज्वर का अनुमान करती । हाँडी में पानी आया
मिल तो गई है ? कोई बीमार के घर में सीधे बाहर से आकर तो नहीं चला गया,
बुखार , दिवस
उत्तर 3. दादी माँ ने आते ही लेखक के सर , पेट छुए । आँचल की गाँठ खोल
किसी अदृश्य शक्तिधारी के चबूतरे की मिट्टी मँह
ु में डाली , माथे पर लगाई ।
प्रश्न 2. क्वार के दिनों में सिवान (नाले ) के पानी में क्या-क्या बहकर आता था?
उत्तर-क्वार के दिनों में सिवान (नाले) में साईं और मोथा की अधगली घासे,
घेऊर और बनप्याज की जड़े व नाना प्रकार की घासों के बीज बहकर आते थे।
प्रश्न 3. महामारी और विशूचिका जैसी बीमारियों के दिनों में दादी माँ क्या करती
थी ? 1
उत्तर - दादी माँ बाहर से कठोर और अंदर से कोमल स्वभाव की थीं। वे स्नेह,
उत्तर - दादी माँ रामी की चाची पर बिगड़ रही थीं क्योंकि रामी की चाची ने जो
प्रश्न 6. दादी माँ ने अपने वंश की अंतिम निशानी सोने का कंगन अपने बेटे को
क्यों दिया ?
उत्तर-घर की आर्थिक स्थिति खराब थी। उनकी परे शानी दादी माँ से दे खी नहीं
सकता है । वे कंगन को बेचकर कर्ज से मुक्ति पा सकते हैं। इसलिए दादी माँ ने
थीं, क्योंकि उन्होंने उनका सारा ऋण माफ़ कर दिया था। ब्याज के रुपये भी उसे
छोड़ दिए। इसके अलावे उन्होंने उसकी बेटी की शादी के लिए दस रुपए की
सहायता भी दी, भी कहा कि वह उनकी बेटी जैसी है । इसलिए उसके शादी में दस-