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दशमेश पब्लिक स्कूल

विषय – हिंदी
कक्षा -11 अंक- 40 समय -90 मिनट
निर्देश-

1. दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए प्रश्नों के सही उत्तर दीजिए ।


2. सभी प्रश्नों के उत्तर दे ना अनिवार्य है I
3. लेख साफ-साफ लिखें ।

प्रश्न-1- निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर उत्तर दीजिए - 1x5=5


जिस प्रकार हमारे शरीर के लिए भोजन आवश्यक है ,उसी प्रकार हमारे मस्तिष्क को भी भोजन की
आवश्यकता होती है । मस्तिष्क का सर्वोत्तम भोजन पुस्तकें हैं। इनका अपना ही आनंद है जो किसी अन्य
वस्तु से नहीं मिल सकता । अध्ययन करते समय हम जीवन की चिंताओं और दख
ु को भूल जाते हैं ।
अध्ययन कई प्रकार का होता है पहला प्रकार हल्का-फुल्का अध्ययन अर्थात समाचार पत्रों, पत्र-पत्रिकाओं
आदि की पढ़ाई करना होता है । जिनसे वर्तमान की घटनाओं के बारे में विस्तत
ृ ज्ञान प्राप्त होता है ।
इनके द्वारा ही हमें विश्व के प्रत्येक भाग की घटनाओं और क्रियाकलापों के विषय में सब कुछ पता चलता

ु में हम इस प्रकार के हल्के-फुल्के अध्ययन से अलग नहीं रह सकते। बिना


रहता है । आज के यग
समाचार पत्रों के हम कंु ए के मेंढक के समान हो जाएंगे। इसलिए ऐसे अध्ययन को जो आनंदमय है और
शिक्षाप्रद भी अनदे खा नहीं किया जा सकता।इसके बाद सामान्य साहसिक कार्यों से संबंधित पुस्तकें आती
हैं। व्यक्ति दै निक जीवन की कठोर वास्तविकता से दरू भागना चाहता है । किं तु साहसिक कार्य करने की
भावना मानव के रक्त में होती है । यात्रा और साहसिक कार्यों का वर्णन करने वाली पुस्तकें हमारे मन में
साहस और निर्भीकता की भावना पैदा करती हैं। खाली समय को आनंद से बिताने का सबसे अच्छा साधन
है , उपन्यास । शाम के समय अथवा गाड़ी में यात्रा करते समय उपन्यास पढ़ने से बेहतर कोई मनोरं जन
नहीं है। इससे अपार सुख मिलता है , इसके अतिरिक्त गंभीर अध्ययन की पुस्तकें होती हैं। जिनमें
साहित्य, इतिहास, दर्शन आदि की पुस्तकें भी आती हैं ।जो सभी काल में पढ़ी जाने योग्य कृतियां होती हैं ।
साहित्य का चिंतन करना उपयोगी माना जाता है । इससे जीवन में अनेक मूल्यों की पूरी जानकारी मिलती
है । इस प्रकार वह अपने जीवन को श्रेष्ठ और महान बनाती है । उसका दृष्टिकोण व्यापक हो जाता है तथा
मानव के प्रति उसकी सहानभ ू बढ़ जाती है। बेकन ने कहा था कि 'कुछ पस्
ु ति ु तकों का केवल स्वाद चखना
चाहिए ,कुछ को निगल जाना चाहिए और कुछ को अच्छी तरह से चबा लेना चाहिए। किसी पुस्तक को
पाठ्य पुस्तक के रूप में पढ़ने से अनिवार्यता की भावना आ जाती है । पुस्तकों का वास्तविक प्रेमी तो हर
समय संगति के आनंद का अनुभव करता है । पढ़ने की आदत मनुष्य के सभ्य होने का चिन्ह है ।यह
मनोरं जन का बहुत अच्छा साधन है और खाली समय को व्यतीत करने का सबसे अच्छा उपाय है। पुस्तकों
का खजाना किसी भी राजा के खजाने से बड़ा होता है । पुस्तकें कला , साहित्य, विज्ञान और ज्ञान रूपी सोने
की खाने हैं।
क- साहित्य ,इतिहास, दर्शन आदि से संबंधित पुस्तकें किस श्रेणी में आती हैं ?
ख- अध्ययन करते समय मनुष्य किस मनोदशा में पहुंच जाता है ?
ग-समाचार पत्रों के अभाव में मनुष्य की दशा कैसी हो सकती है ?
घ -व्यक्ति के मन में साहस और निर्भीकता की भावना कब पैदा होती है ?
ड़ -लेखक के अनुसार खाली समय को आनंद के साथ बिताने का सबसे अच्छा साधन क्या है ?

प्रश्न 2: निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के विकल्प चुनिए- 1x5=5


रोटी उसकी जिसका अनाज, जिसकी जमीन है ,जिसका श्रम है ।
अब कौन उलट सकता स्वतंत्रता का सुसिद्ध सीधा क्रम है ।
आजादी है अधिकार परिश्रम का, पन
ु ीत फल पाने का ।
आजादी है , अधिकार शोषणों की धज्जियां उड़ाने का
गौरव की भाषा नई सीख भिखमंगो की आवाज बदल, सिमटी बाहों को
खोल गरुड़ उड़ाने का अब अंदाज बदल।
स्वाधीन मनुज की इच्छा के आगे पहाड़ हिला सकते हैं, रोटी क्या
ये अंबर वाले सारे सिंगार मिल सकते हैं।
क-कवि के अनस
ु ार सही अर्थों में रोटी पर किसका अधिकार है ?
ख- आजादी को आवश्यक क्यों माना गया है ? ग-स्वाधीन व्यक्ति जीवन में
क्या-क्या कर सकता है ?
घ- 'गौरव की भाषा नई सीख' पंक्ति का क्या आशय है -
ड़ -दृढ़ इच्छा शक्ति के माध्यम से स्वाधीन मनुष्य क्या कर सकता है ?

प्रश्न 4-गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए


पंडित अलोपीदीन का लक्ष्मी जी पर अखंड विश्वास था ।वह कहा करते थे कि संसार का तो कहना ही क्या ,स्वर्ग
में भी लक्ष्मी का ही राज्य है । उनका यह कहना यथार्थ ही था। न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं
,इन्हें वह जैसे चाहती है ,नचाती है ।लेटे- ही -लेटे गर्व से बोले - चलो हम आते हैं। यह कहकर पंडित जी ने बड़ी
निश्चितता से पान के बीड़े लगाकर खाए, फिर लिहाफ ओढे हुए दरोगा के पास आकर बोले - बाबू जी ,आशीर्वाद !
कहिए ,हमसे ऐसा कौन - सा अपराध हुआ कि गाड़ियां रोक दी गई। हम ब्राह्मणों पर तो आपकी कृपा -दृष्टि रहनी
चाहिए ।‌
वंशीधर रुखाई से बोले - सरकारी हुक्म !

क -लक्ष्मी जी के बारे में पंडित जी का क्या विश्वास था ? 1


ख-गाड़ी पकड़े जाने की खबर पर आलोपीदीन की क्या प्रतिक्रिया थी और क्यों ? 1
ग-वंशीधर की रुखाई का क्या कारण था ? 1
घ - प्रस्तत
ु गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
1

प्रश्न 5-निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

क - नमक का दरोगा कहानी में अलोपिदीन के व्यक्तित्व के कौन से दो पहलू उभर कर आते ? 2

ख - मियां नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया | वर्तमान समय में प्राय: लोग अपने
पारम्परिक व्यवसाय को नहीं अपना रहें हैं |ऐसा क्यों ? 2

ग- कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है ? 2

घ - कबीर ने परमात्मा को पाने के लिए किन दोषों से दरू रहने की सलाह दी है ? 2


ड़ - नमक का दरोगा कहानी में कौन सा पात्र आपको सर्वाधिक प्रभावित करता है और क्यों ? 2

प्रश्न 6- आशय स्पष्ट कीजिए-

क- दनि
ु या सोती थी, पर दनि
ु या की जीभ जागती थी। 2

ख - तालीम की तालीम भी बड़ी चीज होती है । 2


ग -दे वताओं की तरह गर्दने चलाना 2

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़ कर निम्न प्रश्नों के सही विकल्पों का चयन कीजिए-


(1X5=5)

हम तौ एक –एक करि जानां |

दोइ कहैं तिनहीं कौ दोजग जिन नाहिंन पहिचानां ||

एकै पवन एक ही पानी एकै जोति समानां |

एकै खाक गढ़े सब भांडै एकै कोंहरा सांना ||

जैसे बाढी काष्ट ही काटें अग्नि न काटे कोई |

सब घटि अंतर तँू ही व्यापक धरै सरूपे सोई ||

माया दे खि के जगत लभ
ु ांना काहे रे नर गरबांना |

निरभै भया कछू नहिं ब्यापै कहै कबीर दिवांना ||

क. कबीर ने ईश्वर के बारे में कौन से मत को स्वीकार किया है ?


ख. कबीरने “जैसे बाढी काष्ट ही काटे अग्नि न काटे कोई” पंक्ति के माध्य से क्या स्पष्ट करना चाहा है
?

ग. कबीर के अनुसार व्यक्ति को घमंड कब होता है ?

घ. निर्भय होने पर क्या नहीं व्यापता ?

ड़. ``दोइ कहैं तिनहीं कौ दोजग``पंक्ति में कौनसा अलंकार है ?

प्रश्न 11-निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर अनुच्छे द लिखिए- 2.5


1-भारत की सांस्कृतिक एकता ।

2-जीवन संघर्ष है स्वप्न नहीं

3-अपनी किसी ऐसी आदत का वर्णन कीजिए जिसे आप बदलना चाहते हैं ।

प्रश्न 12-सड़क दर्घ


ु टनाओं को रोकने हे तु सुझाव प्रस्तुत करते हुए दै निक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।

2.5

या

पलि
ु स विभाग द्वारा महिलाओं की सरु क्षा के लिए चलाए जा रहे आत्म सरु क्षा प्रशिक्षण अभियान की सराहना करते
हुए दिल्ली के पुलिस आयक्
ु त को पत्र लिखिए।

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