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केन्द्रीय विद्यालय संगठन, भोपाल संभाग

प्रथम पूर्व परिषदीय परीक्षा-2020-21


कक्षा- बारहवीं विषय-हिंदी (आधार) विषय कोड- 302
निर्धारित समय-3 घंटे                                                                           अधिकतम अंक-80 

सामान्य निर्देश: निम्नलिखित निर्देशों का पालन कीजिए:

1. प्रश्नपत्र दो खंडों - खंड 'अ' और खंड 'ब' का होगा।


2. खंड 'अ' में वस्तुपरक प्रश्न तथा खंड 'ब' में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। 
3. खंड ‘अ’ में कुल 6 प्रश्न हैं, जिनमें कुछ प्रश्नों के वैकल्पिक प्रश्न भी सम्मिलित हैं। दिए गए
निर्देशों का पालन करते हुए प्रश्नों के सही उत्तर दीजिए।
4. खंड ‘ब’ में कुल 8 प्रश्न हैं। जिनमें कुछ प्रश्नों के वैकल्पिक प्रश्न भी सम्मिलित हैं। दिए गए
निर्देशों का पालन करते हुए प्रश्नों के सही उत्तर दीजिए।
खण्ड-अ (वस्तुपरक-प्रश्न)
अपठित गद्यांश
प्रश्न-1. निम्नलिखित में से किसी एक गद्यांश को ध्यानपर्व
ू क पढ़िए : 10×1=10
" प्राचीन भारत में शिक्षा, ज्ञान प्राप्ति का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता था। व्यक्ति के
जीवन को संतलि
ु त और श्रेष्ठ बनाने तथा एक नई दिशा प्रदान करने में शिक्षा का
महत्त्वपर्ण
ू योगदान था। सामाजिक बरु ाइयों को उसकी जड़ों से निर्मूल करने और त्रटि
ु पर्ण

जीवन में सध
ु ार करने के लिए शिक्षा की नितांत आवश्यकता थी। यह एक ऐसी व्यवस्था
थी, जिसके द्वारा संपूर्ण जीवन ही परिवर्तित किया जा सकता था। व्यक्ति को अपने
व्यक्तित्व का विकास करने, वास्तविक ज्ञान को प्राप्त करने और अपनी समस्याओं को
दरू करने के लिए शिक्षा पर निर्भर होना पड़ता था। आधुनिक युग की भाँति प्राचीन भारत
में भी मनुष्य के चरित्र का उत्थान शिक्षा से ही संभव था। सामाजिक उत्तरदायित्वों को
निष्ठापूर्वक वहन करना प्रत्येक मानव का परम उद्देश्य माना जाता है । इसके लिए भी
शिक्षित होना अनिवार्य है ।
जीवन की वास्तविकता को समझने में शिक्षा का उल्लेखनीय योगदान रहता है ।
भारतीय मनीषियों ने इस ओर अपना ध्यान केंद्रित करके शिक्षा को समाज की
आधारशिला के रूप में स्वीकार किया। विद्या का स्थान किसी भी वस्तु से बहुत ऊँचा
बताया गया है । प्रखर बुद्धि एवं सही विवेक के लिए शिक्षा की उपयोगिता को स्वीकार
किया गया। यह माना गया कि शिक्षा ही मनुष्य को व ्यावहारिक कर्तव्यों का पाठ पढ़ाने
और सफल नागरिक बनाने में सक्षम है । इसके माध्यम से व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक
और आत्मिक अर्थात ् सर्वांगीण विकास संभव है । शिक्षा ने ही प्राचीन संस्कृति को संरक्षण
दिया और इसके प्रसार में मदद की।
विद्या का आरं भ ‘उपनयन संस्कार’ द्वारा होता था। उपनयन संस्कार के महत्त्व पर
प्रकाश डालते हुए मनस्
ु मति
ृ में उल्लेख मिलता है कि गर्भाधान संस्कार द्वारा तो व्यक्ति
का शरीर उत्पन्न होता है पर उपनयन संस्कार द्वारा उसका आध्यात्मिक जन्म होता है ।
प्राचीन काल में बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए आचार्य के पास भेजा जाता था।
शतपथ ब्राह्मण के अनुसार, जो ब्रह्मचर्य ग्रहण  करता है , लंबी अवधि की यज्ञावधि ग्रहण
करता है । छान्दोग्योपनिषद में   उल्लेख मिलता है कि आरुणि ने अपने पुत्र श्वेतकेतु को
ब्रह्मचारी रूप से वेदाध्ययन के लिए गुरू के पास जाने को प्रेरित किया था। आचार्य के
पास रहते हुए ब्रह्मचारी को तप और साधना का जीवन बिताते हुए विद्याध्ययन में
तल्लीन रहना पड़ता था। इस अवस्था में बालक जो ज्ञानार्जन करता था, उसका लाभ
उसको जीवन भर मिलता था। गुरू गह ृ में निवास करते हुए विद्यार्थी समाज के निकट
संपर्क में आता था। गुरू के लिए समिधा, जल का लाना तथा गहृ कार्य करना उसका
कर्तव्य माना जाता था। गह
ृ स्थ धर्म की शिक्षा के साथ-साथ वह श्रम और सेवा का पाठ
पढ़ता था। शिक्षा केवल सैद्धांतिक और पुस्तकीय न होकर जीवन की वास्तविकताओं के
निकट होती थी।”
निम्नलिखित में से निर्देशानुसार विकल्पों का चयन कीजिए :-
(क) प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक कौन-सा हो सकता है ?
(i) प्राचीन भारत (ii) सोलह संस्कार
(iii) प्राचीन भारत में शिक्षा (iv) भारतीय शिक्षा प्रणाली

(ख) प्राचीन काल में विद्यार्थियों के कर्तव्यों में निम्नलिखित में से कौन-सा नहीं था ?
(i) ब्रह्मचर्य का पालन करना (ii) गुरू के साथ रहना
(iii) गुरू की सेवा करना (iv) गह
ृ स्थ जीवन व्यतीत करना

(ग) प्राचीन काल में विद्या का आरं भ जिस संस्कार से होता था, उसके बारे में वर्णन किस
ग्रंथ में मिलता है ?
(i) छांदोग ्योपनिषद (ii) कठोपनिषद
(iii) महाभारत (iv) मनुस्मति

(घ) निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है ?


(i) छांदोग ्योपनिषद के अनुसार आरुणि का पुत्र श्वेतकेतु था।
(ii) ब्रह्मचर्य के लाभ का उल्लेख शतपथ ब्राह्मण में है ।
(iii) भारतीय मनीषियों ने शिक्षा को समाज की आधारशिला के रूप में स्वीकार किया।
(iv) प्राचीन भारत में मनष्ु य का उत्थान धर्म-कर्म में लीन रहकर ही संभव था।

(ङ) प्राचीन भारत में शिक्षा कैसी होती थी?


(i) केवल पुस्तकीय (ii) सैद्धांतिक
(iii) जीवन की वास्तविकताओं से परिपूर्ण (iv) इनमें से कोई नहीं

(च) प्रस्तत
ु गद्यांश में निम्नलिखित में से किस ग्रंथ का उल्लेख नहीं है ?
(i) शतपथ ब्राह्मण (ii) मनस्
ु मति

(iii) छांदोग ्योपनिषद (iv) कठोपनिषद

(छ) शिक्षा की उपयोगिता को किसके लिए स्वीकार किया गया है ?


(i) प्रखर बुद्धि एवं सही विवेक के लिए (ii) धन उपार्जन के लिए
(iii) ज्ञान में वद्धि
ृ के लिए (iv) इनमें से कोई नहीं

(ज) विद्या का आरं भ किस संस्कार से होता था ?


(i) पस
ुं वन संस्कार (ii) समावर्तन संस्कार
(iii) उपनयन संस्कार (iv) चूड़ाकर्म संस्कार

(झ) शिक्षा ग्रहण करते समय बालक को कौन-से आश्रम को ग्रहण करना होता था?
(i) गह
ृ स्थ आश्रम (ii) ब्रह्मचर्य आश्रम
(iii) वानप्रस्थ आश्रम (iv) संन्यास आश्रम

(ञ) आज की शिक्षा पद्धति कैसी है ?


(i) व ्यावहारिक (ii) सैद्धांतिक
(iii) पुस्तकीय (iv) सैद्धांतिक एवं पुस्तकीय

अथवा
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए :-
‘गोदान’ प्रेमचंद जी की अमर कृतियों में से एक हैं , जिसमें ग्रामीण भारत की आत्मा का करुण
चित्र साकार हो उठा है । इसी कारण कई मनीषी आलोचक इसे ग्रामीण भारतीय परिवेशगत
समस्याओं का महाकाव्य मानते हैं , तो कई विद्वान इसे ग्रामीण-जीवन और कृषि-संस्कृति का
शोकगीत स्वीकारते हैं। कुछ विद्वान तो ऐसे भी हैं कि जो इस उपन्यास को ग्रामीण भारत की
आधुनिक ‘गीता’ तक स्वीकार करते हैं , जो कुछ भी हो, ‘गोदान’ वास्तव में मुंशी प्रेमचंद का एक
ऐसा उपन्यास है जिसमें आचार-विचार, संस्कार और प्राकृतिक परिवेश, जो गहन करुणा से यक्
ु त
है , प्रतिबिंबित हो उठा है ।
डॉक्टर गोपाल राय का कहना है कि ‘गोदान’ ग्राम-जीवन और ग्राम संस्कृति को
उसकी संपर्ण
ू ता में प्रस्तत
ु करने वाला अद्वितीय उपन्यास है , न केवल हिंदी के वरन ्
किसी भी भारतीय भाषा के किसी भी उपन्यास में ग्रामीण समाज का ऐसा व्यापक यथार्थ
और सहानभ
ु ति
ू पर्ण
ू चित्रण नहीं हुआ है । ग्रामीण जीवन और संस्कृति के अंकन की दृष्टि
से इस उपन्यास का वही महत्त्व है , जो यग ु जीवन की अभिव्यक्ति की दृष्टि से
महाकाव्यों का हुआ करता था। इस प्रकार डॉ. राय गोदान को आधुनिक युग का
महाकाव्य ही नहीं स्वीकारते, वरन ् सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य भी स्वीकारते हैं। उनके इस कथन
का यही आशय है कि प्रेमचंद जी ने ग्राम-जीवन से सम्बद्ध सभी पक्षों का न केवल
अत्यंत विशद चित्रण किया है , वरन ् उनकी गहराइयों में जाकर उनके सच्चे चित्र भी
प्रस्तुत कर दिए हैं।
प्रेमचंद जी ने जिस ग्राम-जीवन का चित्र गोदान में प्रस्तुत किया है , उसका संबंध
आज के ग्रामीण परिवेश से न होकर, तत्कालीन ग्राम-जीवन से है । ग्रामीण जीवन को
वास्तविक आधार प्रदान करने के लिए प्रेमचंद जी ने चित्र के अनुरूप ही कुछ ऐसे खाँचे
अथवा चित्रफलक निर्मित किए हैं, जो चित्र को यथार्थ बनाने में सहयोगी सिद्ध हुए हैं।
ग्रामीण किसानों के घर-द्वार, खेत-खलिहान और प्राकृतिक दृश्यों का ऐसा वास्तविक
चित्रण अन्यत्र दर्ल
ु भ है ।
निम्नलिखित में से निर्देशानुसार विकल्पों का चयन कीजिए :-
(क) गोदान की विधा क्या है ?
(i) काव्य ग्रंथ (ii) उपन्यास (iii) कथाकृति (iv) महाकाव्य

(ख) ‘गोदान’ को किसने महाकाव्य माना है ?


(i) डॉ. रामलाल शर्मा ने (ii) डॉ. गोपाल राय ने
(iii) उपर्युक्त दोनों ने (iv) इनमें से कोई नहीं

(ग) ’गोदान’ के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है ?


(i) इसमें ग्रामीण प्रवेश का चित्रण है ।
(ii) इसमें कृषकों की समस्याओं का चित्रण है ।
(iii) इसमें प्राकृतिक दृश ्यों का चित्रण नहीं है |
(iv) इसमें ग्राम्य जीवन की सभी पहलओ
ु ं का चित्रण है ।
(घ) गोदान को निम्नलिखित में से क्या नहीं कहा गया है ?
(i) महाकाव्य (ii) गीता
(iii) कृषि संस्कृति का शोकगीत (iv) खण्डकाव्य

(ङ) ‘विशदता’ से क्या तात्पर्य है ?


(i) विस्तत
ृ रूप से (ii) विशालता सहित
(iii) परिपूर्णता (iv) इनमें से कोई नहीं

(च) महाकाव्य में कौन सा समास है ?


(i) अव्ययीभाव समास (ii) तत्पुरुष समास
(iii) द्वंद्व समास (iv) कर्मधारय समास

(छ) गोदान को ग्रामीण जीवन का महाकाव्य कहने का क्या तात्पर्य है ?


(i) गोदान में ग्रामीण जीवन के सभी पहलुओं का विस्तत
ृ चित्रण हुआ है ।
(ii) गोदान ग्रामीण जीवन का काव्य ग्रंथ है ।
(iii) गोदान ग्रामीण जीवन के सभी काव्य-ग्रंथों में श्रेष्ठ है ।
(iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं।

(ज) ‘गोदान’ शब्द से क्या तात्पर्य है ?


(i) जमीन का दान (ii) गाय का दान
(iii) कुछ वस्तु का दान करना (iv) धन का दान

(झ) ‘गोदान’ के पक्ष में कौन-सा कथन असत्य है ?


(i) गोदान ग्राम संस्कृति की संपूर्णता को उजागर करता है ।
(ii) गोदान में चित्रित ग्राम-जीवन का संबंध आज के ग्राम परिवेश से न होकर तत्कालीन ग्राम
जीवन से है ।
(iii) गोदान में शहर की चकाचौंध से विमुख मनुष्यता का चित्रण किया गया है ।
(iv) गोदान में ग्रामीण किसानों के घर-द्वार व आस-पास के परिवेश के चित्र खींचे गए हैं।

(ञ) ‘गोदान’ उपन्यास किसकी रचना है ?


(i) जयशंकर प्रसाद की (ii) धर्मवीर भारती की
(iii) हरिशंकर परसाई की (iv) प्रेमचंद की
प्रश्न-2. निम्नलिखित में से किसी एक पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए :- 5×1=5

“ बार बार आती है मुझको, मधुर याद बचपन तेरी।


गया ले गया, तू जीवन की सबसे मस्त खश
ु ी मेरी।
चिंता रहित खेलना खाना, वह फिरना निर्भय स्वच्छं द।
कैसे भूला जा सकता है , बचपन का अतलि
ु त आनंद।
रोना और मचल जाना भी, क्या आनंद दिखलाते थे।
बड़े-बड़े मोती-से आँसू , जयमाला पहनाते थे।
मैं रोई, माँ काम छोड़कर, आई, मुझको उठा लिया।
झाड़-पोंछकर चूम-चूमकर, गीले गालों को सुखा दिया।
आ जा बचपन! एक बार फिर, दे दे अपनी निर्मल शांति,
व्याकुल व्यथा मिटाने वाली, वह अपनी प्राकृत विश्रांति।
वह भोली-सी मधुर सरलता, वह प्यारा जीवन निष्पाप।
क्या फिर आकर मिटा सकेगा, तू मेरे मन का संताप ?
मैं बचपन को बल
ु ा रही थी, बोल उठी बिटिया मेरी।
नंदन वन-सी फूल उठी, वह छोटी-सी कुटिया मेरी।
‘माँ ओ!’ कहकर बल
ु ा रही थी, मिट्टी खाकर आई थी।
कुछ मँह
ु में कुछ लिए हाथ में , मझ
ु े खिलाने आई थी।
पल
ु क रहे थे अंग, दृगों में कौतह
ू ल था छलक रहा।
मँह
ु पर थी आह्लाद-लालिमा, विजय गर्व था झलक रहा।
मैंने पछ
ू ा, ‘यह क्या लायी?’ बोल उठी, माँ काओ!
हुआ प्रफुल्लित हृदय खश
ु ी से, मैंने कहा, तम्
ु हीं खाओ!
पाया मैंने बचपन फिर से, बचपन बेटी बन आया।
उसकी मंजू मर्ति
ू दे खकर, मुझमें नवजीवन आया॥”
निम्नलिखित में से निर्देशानुसार विकल्पों का चयन कीजिए :-
(क) कवयित्री को बार-बार किसकी याद आ रही है ?
(i) युवाकाल के जीवन की (ii) बचपन की मधुर याद
(iii) जीवन खूब निराला है (iv) मन का संताप

(ख) कवयित्री के रोने पर क्या होता था ?


(i) घर के सभी लोग दौड़कर आ जाते थे।
(ii) माँ काम छोड़कर कवयित्री को गोद में उठा लेती थी।
(iii) सभी लोग परे शान हो जाते थे
(iv) इनमें से कोई नहीं

(ग) जयमाला कौन पहनाते थे ?


(i) माता-पिता (ii) रोना और खेलना
(iii) बड़े-बड़े मोती से आँसू (iv) कोई नहीं

(घ) बिटिया कवयित्री को क्या खिलाने आई थी ?


(i) रोटी
(ii) मिठाई
(iii) मिट्टी
(iv) बिस्किट

(ङ) बचपन की सबसे मस्त खुशी क्या होती है ?


(i) चिंता रहित खेलना
(ii) माता का प्रेम
(iii) स्वच्छं द और निर्भय जीवन
(iv) ये सभी
अथवा 
पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें :-
“एक दिन, जब मैं संध्या को आँगन में
टहल रहा था, - तब सहसा मैंने दे खा,
उससे हर्ष विमूढ़ हो उठा मैं विस्मय से !
दे खा, आँगन के कोने में कई नवागत
छोटे -छोटे छाता ताने खड़े हुए हैं!
छाता कहूँ कि विजय पताकाएँ जीवन की,
या हथेलियाँ खोले थे वे नन्हीं, प्यारी,
जो भी हो, वह हरे -हरे उल्लास से भरे ,
पंख मारकर उड़ने को उत्सक
ु लगते थे,
डिंब तोड़कर निकले चिड़ियों के बच्चों-से !
निर्निमेष, क्षण भर, मैं उनको रहा दे खता,
सहसा मझ
ु े स्मरण हो आया, - कुछ दिन पहले,
बीज सेम के रोपे थे मैंने आँगन में ,
और उन्हीं से बौने पौधों की यह पलटन,
मेरी आंखों के सम्मख
ु अब खड़ी गर्व से,
नन्हे नाटे पैर पटक, बढ़ती जाती है !
तब से उनको रहा दे खता धीरे -धीरे ,
अनगिनती पत्तों से लद, भर गई झाड़ियाँ,
हरे -भरे टं ग गए कई मखमली चंदोवे,
बेलें फैल गयीं बल खा, आँगन में लहरा,
और सहारा लेकर बाड़े की पट्टी का,
हरे -हरे सौ झरने फूट पड़े ऊपर को,
ओह! समय पर उनमें कितनी फलियाँ फूटी,
कितनी सारी फलियाँ, कितनी प्यारी फलियाँ,
पतली चौड़ी फलियाँ, उफ! उनकी क्या गिनती
लंबी-लंबी अँगलि
ु यों-सी नन ्हीं-नन ्हीं
तलवारों-सी पन्ने के प्यारे हारों-सी
झूठ न समझें चंद्रकलाओं-सी नित बढ़तीं,
सच्चे मोती की लड़ियों-सी, ढे र-ढे र खिल,
झुंड-झड
ुं में मिलकर कचपचिया तारों-सी
आह! इतनी फलियाँ टूटीं, जाड़ों भर खाईं,
सुबह शाम वे घर-घर पकीं, पड़ोस पास के,
जाने-अनजाने सब लोगों में बंटवाईं,
बंधु-बांधवों, मित्रों, अभ्यागत, मँगतों ने,
जी भर-भर दिन-रात मोहल्ले भर ने खाईं,
कितनी सारी फलियाँ, कितनी प्यारी फलियाँ,
यह धरती कितना दे ती है ! धरती माता
कितना दे ती है अपने प्यारे पुत्रों को।”
निम्नलिखित में से निर्देशानुसार विकल्पों का चयन कीजिए :-
(क) कवि संध्या के समय कहाँ टहल रहा था?
(i) बगीचे में (ii) आँगन में
(ii) सड़क पर (iv) मैदान में

(ख) नन्हें पौधों को कवि ने किसकी उपमा दी है ?


(i) हरे पेड़ों की (ii) चिड़ियों की
(iii) विजय-पताकाओं की (iv) कोई नहीं

(ग) ऊपर बढ़ती बेलों की तल


ु ना कवि ने किससे की है ?
(i) झरनों से (ii) नदी से
(ii) आँधी से (iv) तफ
ू ानों से

(घ) कवि विस्मय से क्यों भर उठा ?


(i) कवि ने आँगन में साँप दे ख लिया था।
(ii) कवि का परु ाना मित्र उससे मिलने आया था।
(iii) कवि के बोए हुए सेम के बीज अब छोटे पौधे बनकर बाहर आ गए थे।
(iv) कवि ने आँगन में नन्हीं चिड़िया के बच्चे दे ख लिए थे।

(ङ) निर्निमेष का क्या अर्थ है ?


(i) शेष रहना (ii) बिना पलक झपकाए एकटक दे खना
(iii) निकट होना (iv) बार-बार पलक झपका कर दे खना ।

कार्यालयी हिंदी और रचनात्मक लेखन


प्रश्न-3. निम्नलिखित में से सही विकल्प का चयन कर उत्तर दीजिए :- 5×1=5

(क) वे पत्र, जिनके द्वारा किसी भी मंत्रालय या कार्यालय के कर्मचारियों को आदे श दिए
जाते हैं, क्या कहलाते हैं?
(i) कार्यालय आदे श (ii) कार्यालय ज्ञापन
(iii) अनुज्ञप्ति (iv) अनुस्मारक

(ख) निम्नलिखित में से कौन सा कार्यालयी पत्र के अंतर्गत नहीं आता है ?


(i) आवेदन-पत्र (ii) प्रार्थना-पत्र
(iii) निमंत्रण-पत्र (iv) परिपत्र

(ग) एक ही विषय का पत्र जब अनेक विभागाध्यक्षों को भेजा जाता है , उस पत्र को क्या


कहा जाता है ?
(i) सूचना (ii) अधिसूचना
(iii) प्रार्थना-पत्र (iv) परिपत्र
(घ) हिंदी का पहला साप्ताहिक समाचार पत्र कौन सा था ?
(i) बंगाल गज़ट (ii) समाचार सध
ु ा वर्षण
(iii) उदं त मार्तण्ड (iv) बनारस अखवार

(ङ) किसी समाचार-पत्र में सम्पादकीय पष्ृ ठ के सामने प्रकाशित होने वाला वह पन्ना जिसमें
विश्लेषण, फ़ीचर स्तम्भ, साक्षात्कार और विचारपूर्ण टिप्पणियाँ प्रकाशित की जाती हैं, क्या
कहलाता है ?
(i) विचार मंच (ii) पेज-थ्री
(iii) डेस्क (iv) ऑप-एड

पाठ्य-पस्
ु तक
प्रश्न-4. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपर्व
ू क पढ़िए :- 5×1=5
“हो जाए न पथ में रात कहीं,
मंजिल भी तो है दरू नहीं-
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है !
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है !
बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
नीड़ों से झाँक रहे होंगे-
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है !
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है !
मुझसे मिलने को कौन विकल ?
मैं होऊँ किसके हित चंचल ?
यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है ।
दिन जल्दी जल्दी ढलता है !”
निम्नलिखित में से निर्देशानुसार विकल्पों का चयन कीजिए :-
(क) ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है ’ गीत कवि हरिवंश राय बच्चन के किस ‘गीत-संग्रह’ से लिया
गया है ?
(i) मधुशाला (ii) आकुल-अंतर
(iii) एकांत संगीत (iv) निशा-निमंत्रण

(ख) प्रियजन से मिलने की आशा हमारे प्रयासों में ….. ला दे ती है ?


(i) धीमापन (ii) शिथिलता
(iii) तेजी (iv) जड़ता
(ग) चिड़िया के परों में चंचलता किस कारण आ जाती है ?
(i) नीड़ के नज़दीक पहुँच जाने के कारण
(ii) बच्चों के प्रति ममता के कारण
(iii) शिकारी के डर के कारण
(iv) अकारण ही

(घ) कवि के पैरों में चंचलता की जगह शिथिलता क्यों आ जाती है ?


(i) परिजन से मिलने की प्रसन्नता के कारण
(ii) प्रियजनों के प्रति नाराज़गी के कारण
(iii) अत्यधिक व्यस्तता और थकान के कारण
(iv) निराशा, उदासी और व्यर्थता-बोध के कारण ।

(ङ) विह्वलता का क्या अर्थ है ?


(i) कोमलता (ii) प्रसन्नता
(iii) भाव-आतुरता (iv) आशा

प्रश्न-5. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपर्व


ू क पढ़िए :- 5×1=5
“ बाजार में एक जाद ू है । वह जाद ू आँख की राह काम करता है । वह रूप का जाद ू है पर जैसे
चंब
ु क का जाद ू लोहे पर ही चलता है , वैसे ही इस जाद ू की भी मर्यादा है । जेब भरी हो, और मन
खाली हो, ऐसी हालत में जाद ू का असर खब
ू होता है । जेब खाली पर मन भरा न हो, तो भी जाद ू
चल जाएगा। मन खाली है तो बाजार की अनेकानेक चीजों का निमंत्रण उस तक पहुँच जाएगा।
कहीं हुई उस वक्त जेब भरी तब तो फिर वह मन किसकी मानने वाला है ! मालम
ू होता है यह
भी लँ ू, वह भी लँ ू । सभी सामान जरूरी और आराम को बढ़ाने वाला मालूम होता है । पर यह सब
जाद ू का असर है । जाद ू की सवारी उतरी कि पता चलता है कि फैं सी चीजों की बहुतायत आराम
में मदद नहीं दे ती, बल्कि खलल ही डालती है । थोड़ी दे र को स्वाभिमान को जरूर सेंक मिल
जाता है पर इससे अभिमान की गिल्टी को और खुराक ही मिलती है । जकड़ रे शमी डोरी की हो
तो रे शम के स्पर्श के मुलायम के कारण क्या वह कम जकड़ होगी ?
पर उस जाद ू की जकड़ से बचने का एक सीधा-सा उपाय है । वह यह कि बाजार जाओ तो
खाली मन न हो। मन खाली हो, तब बाजार न जाओ। कहते हैं लू में जाना हो तो पानी पीकर
जाना चाहिए। पानी भीतर हो, लू का लूपन व्यर्थ हो जाता है । मन लक्ष्य में भरा हो तो बाजार
भी फैला-का-फैला ही रह जाएगा। तब वह घाव बिल्कुल नहीं दे सकेगा, बल्कि कुछ आनंद ही
दे गा। तब बाज़ार तम
ु से कृतार्थ होगा, क्योंकि तम
ु कुछ-न-कुछ सच्चा लाभ उसे दोगे। बाज़ार की
असली कृतार्थता है - आवश्यकता के समय काम आना।”
निम्नलिखित में से निर्देशानस
ु ार विकल्पों का चयन कीजिए :-
(क) ‘बाज़ार दर्शन’ निबंध के लेखक कौन हैं ?
(i) प्रेमचंद (ii) जैनेन्द्र कुमार
(iii) मन्नू भंडारी (iv) महादे वी वर्मा

(ख) ‘बाज़ार का जाद’ू किस रास्ते से अपना असर करता है ?


(i) आँख के रास्ते (ii) नाक के रास्ते
(iii) कान के रास्ते (iv) उपर्युक्त मे से कोई नहीं
(ग) बाज़ार का जाद ू किन पर चलता है ?
(i) जिनका मन भरा हो।
(ii) जिनका मन बंद हो
(iii) जिनकी जेब खाली और मन भरा हो
(iv) जिनकी जेब भरी और मन खाली हो
(घ) ‘मन खाली होना’ का क्या आशय है ?
(i) मन में कोई वस्तु खरीदने का लक्ष्य होना
(ii) मन में कोई निश्चित वस्तु खरीदने का लक्ष्य न होना
(iii) मन में किसी प्रकार की इच्छा न होना
(iv) उपर्युक्त सभी
(ङ) ‘बाज़ार की सार्थकता’ किसमें है ?
(i) छल-कपट से ग्राहकों को लभ
ु ाने में
(ii) ग्राहकों का शोषण करने में
(iii) मनष्ु य की क्रय-शक्ति के प्रदर्शन में
(iv) मनुष्य की आवश्यकताओं की पर्ति
ू करने में

परू क पाठ्य-पस्
ु तक
प्रश्न-6. निम्नलिखित प्रश्नों में निर्देशानस
ु ार विकल्पों का चयन कीजिए :- 10×1=10
(क) ‘सिल्वर वेडिग
ं ’ पाठ के प्रमख
ु पात्रों में से एक ‘किशनदा’ का परू ा नाम क्या था?
(i) कृष्णानंद पांडे (ii) कृष्णकांत पांडे
(iii) कृष्ण कुमार पंत (iv) कृष्ण विहारी पांडवीय

(ख) ‘सिल्वर वेडिग


ं ’ कहानी की मल
ू संवेदना क्या है ?
(i) हाशिए पर धकेले जाते मानवीय मल्
ू य
(ii) पीढ़ी-अंतराल
(iii) पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव
(iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं

(ग) किशनदा कहते हैं- “भाऊ! सभी जन ‘जो हुआ होगा’ से ही मरते हैं’, चाहे अमीर हों, गरीब
हों, गह
ृ स्थ हों या ब्रह्मचारी हों।” यहाँ ‘जो हुआ होगा’ का क्या आशय है ?
(i) अपनों से मिली उपेक्षा, उदासीनता (ii) परायापन, असंबद्धता, अलगाव
(iii) अकेलापन व व्यर्थता बोध (iv) उपर्युक्त सभी

(घ) ‘जूझ’ शब्द का क्या अर्थ है ?


(i) पलायन (ii) प्रार्थना (iii) संघर्ष (iv) सूझबूझ

(ङ) ‘पाठशाला जाने के लिए मन तड़पता था।’ पंक्ति में आए मुहावरे ‘मन तड़पना’ का क्या अर्थ
है ?
(i) मन प्रसन्न होना (ii) मन शांत होना
(iii) मन का बेचैन होना (iv) डाँटते हुए समझाना

(च) दनि
ु या के दो सबसे पुराने नियोजित शहर कौन से हैं ?
(i) मअ
ु नजो–दड़ो और हड़प्पा (ii) जेरिको और जेरूसलम
(iii) रोम और एथेंस (iv) बगदाद और तेहरान

(छ) मुअनजो–दड़ो का क्या अर्थ है ?


(i) काले रं ग की चड़
ू ी (ii) मंदिरों का शहर
(iii) ज्ञानशाला (iv) मुर्दों का टीला

(ज) 1922 में राखलदास बनर्जी ‘मअ


ु नजो–दड़ो’ क्यों पहुँचे थे ?
(i) रे ल लाइन विछवाने (ii) बौद्ध स्तप
ू की खोजबीन करने
(iii) सिंधु नदी के जल स्तर का पता लगाने (iv) मअ
ु नजो–दड़ो का नगर-नियोजन दे खने

(झ) एन फ्रैंक ने अपनी डायरी किसको संबोधित चिट्ठी के रूप में लिखी?
(i) अपनी माँ को (ii) अपनी बहन को
(iii) अपनी सहपाठी-मित्र किट्टी को (iv) एक निर्जीव गड़ि
ु या किट्टी को

(ञ) “यह साठ लाख लोंगों की तरफ़ से बोलनेवाली एक आवाज़ है । एक ऐसी आवाज़ जो किसी
संत या कवि की नहीं, बल्कि एक साधारण लड़की की है ।” एन फ्रैंक की डायरी के संबंध में यह
टिप्पणी किसकी है ?
(i) इल्या इहरनबर्ग
ु (ii) वंगारी मथाई
(iii) एमिली ब्रोन्टी (iv) मीना एलेग्जेंडर

खंड-ब (वर्णनात्मक प्रश्न)


कार्यालयी हिंदी और रचनात्मक लेखन
प्रश्न-7. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 150 शब्दों में रचनात्मक लेख
लिखिए:- 5 अंक
(क) झरोखे के बाहर
(ख) एक कामकाजी औरत की शाम
(ग) ऑनलाइन शिक्षा : सीखने का एक प्रभावशाली माध्यम

प्रश्न-8. कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की जाँच और उपचार हे तु अस्पताल द्वारा किए गए प्रबंध
पर संतोष व्यक्त करते हुए मख्
ु य चिकित्सा-अधिकारी को पत्र लिखिए। 5
अंक
अथवा
विद्यार्थी-परिषद के अध्यक्ष के रूप में नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को पत्र
लिखकर विद्यालय के सामने बने पार्क की सफ़ाई और दे खरे ख की ज़िम्मेदारी लेने
का प्रस्ताव रखिए।

प्रश्न-9. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 40-50 शब्दों में लिखिए :-


(क) कविता लेखन में ‘छं द’ एवं ‘बिम्ब’ का क्या महत्व है ? स्पष्ट कीजिए। 3 अंक
अथवा
‘कहानी का केंद्रीय बिंद ु कथानक होता है ’- इस कथन के आलोक में कहानी में ‘कथानक’
के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।

(ख) कहानी के चरमोत्कर्ष से क्या अभिप्राय है ? 2 अंक


अथवा
नाटक लेखन में ‘समय के बंधन’ का क्या महत्व है ?

प्रश्न-10. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 40-50 शब्दों में लिखिए :-


(क) आलेख किसे कहते हैं? आलेख किन-किन क्षेत्रों से संबंधित होते हैं ? 3 अंक
अथवा
फ़ीचर क्या है ? फ़ीचर लेखन का उद्देश्य क्या होता है ?

(ख) समाचार लेखन की ‘उल्टा पिरामिड शैली’ क्या है ? 2 अंक


अथवा
समाचार लेखन के छह ‘ककार’ कौन से हैं, तथा उनका क्या महत्व है ?

प्रश्न-11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए:-
(3×2= 6 अंक)
(क) कवितावली के कवित्तों के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि तल
ु सी को अपने युग की
आर्थिक विषमता की अच्छी समझ थी।
(ख) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ – करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है ।’ – इस
कथन की समीक्षा कीजिए।
(ग) वह क्या-क्या है , जिसे कवि ने सहर्ष स्वीकारा है और क्यों स्वीकारा है ? ‘सहर्ष
स्वीकारा है ’ कविता के आधार पर लिखिए |

प्रश्न-12. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 30-40 शब्दों में लिखिए:-
(2×2= 4 अंक)
(क) ‘जाद ू टूटता है इस उषा का अब’- उषा का जाद ू क्या है ? वह कैसे टूटता है ? ‘उषा’
कविता के आधार पर लिखिए |
(ख) भाव स्पष्ट कीजिए-
‘कविता एक खिलना है , फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला फूल क्या जाने !’
(ग) बच्चे को ‘चाँद का टुकड़ा’ कहने का क्या अभिप्राय है ? पठित रुबाई के आधार पर
उत्तर लिखिए |

प्रश्न-13. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए:-
(3×2= 6 अंक)
(क) जातिप्रथा को श्रम विभाजन का ही एक रूप न मानने के पीछे आंबेडकर के क्या तर्क
थे ?
(ख) ‘इंदर सेना’ के बारे में जीजी और लेखक की राय में क्या अंतर था ? आप किसके
विचार से सहमत हैं ?
(ग) ‘नमक’ कहानी में भारत व पाक की जनता के आरोपित भेदभावों के बीच मुहब्बत का
नमकीन स्वाद घुला हुआ है , कैसे ? ‘नमक’ पाठ के आधार पर उत्तर लिखिए |

प्रश्न-14. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 30-40 शब्दों में लिखिए:-
(2×2= 4 अंक)
(क) ढोलक की आवाज़ का पूरे गाँव पर क्या असर होता था ?
(ख) भक्तिन में आत्म-सम्मान का भाव प्रबल था- स्पष्ट कीजिए।
(ग) ‘पर्चेजिंग पावर’ का क्या तात्पर्य है ? ‘पर्चेजिंग पावर’ का गर्व बाज़ार का क्या अहित
करता है ?
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