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सामान्य निर्दे श:
• इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं- खंड ’अ’ और ’ब’ ।
• खंड ’अ’ में उपप्रश्नों सहहत 45 वस्तुपरक प्रश्न पछ
ू े गए हैं । दिए गए ननिे शों का पालन करते हुए
कुल 40 प्रश्नों के उत्तर िीजिए ।
• खंड ’ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, आंतररक ववकल्प भी दिए गए हैं ।
• ननिे शों को बहुत सावधानी से पदिए और उनका पालन कीजिए ।
• िोनों खंडों के कुल 18 प्रश्न हैं । िोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर िे ना अननवार्ण है ।
• र्थासंभव िोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमश: ललखखए ।
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बनती हैं । जिससे वे अपने िीवन से िड़
ु े हर फैसले स्वर्ं ले सकती हैं और पररवार तथा समाि में
अपना स्थान बना सकती हैं । समाि में उनके वास्तववक अधधकार को प्राप्त करने के ललए उन्हें सक्षम
बनाना ही मदहला सशजक्तकरर् है । मदहला सशजक्तकरर् का अथण है मदहलाओं को रािनैनतक,
सामाजिक, शैक्षखर्क और आधथणक क्षेत्रों में बराबर का भागीिार बनार्ा िाए । भारतीर् मदहलाओं का
सशजक्तकरर् बहुत हि तक भगोललक, शैक्षखर्क र्ोग्र्ता और सामाजिक एकता के ऊपर ननभणर करता
है । मदहला सशजक्तकरर् से मदहलाएाँ केवल आधथणक रूप से ही सुदृढ नहीं हुई हैं, अवपतु पररवार और
समाि की सोच में भी सकारात्मक पररवतणन दिखाई िे ने लगे हैं। वतयमान समय में लोग बेहटयों को
बोझ समझकर िनु नर्ा में आने से पहले ही मारे नहीं इसललए ववकास की मख्
ु र्धारा में मदहलाओं को
लाने के ललए भारत सरकार के दवारा कई र्ोिनाएाँ चलाई गई हैं ।
(1) गदयांश के अनस
ु ार महहला सशजक्तकरण की आवश्यकता महसस
ू करने का क्या कारण था ?
(क) महहलाएाँ अपना तनणयय लेने में सक्षम थीं ।
(ख) महहलाएाँ आत्मतनभयर थीं ।
(ग) समाज में महहलाओं की जस्थतत तनबयल थी ।
(घ) महहलाएाँ भशक्षक्षत थीं ।
(2) समाज की ककस सोच के पररणाम-स्वरूप लोग अब बेहटयों को बोझ नहीं समझते ?
(क) सकारात्मक (ख) परु ातन (ग) संकीणय (घ) नकारात्मक
(4) ग्रामीण सोच में पररवतयन लाने के भलए क्या ककया जा सकता है ?
(क) गााँवों में सवु वधाएाँ उपलब्ध कराना ।
(ख) सड़कें बनवाना ।
(ग) अंधववश्वास और रूहढ़यों का ववरोध ।
(घ) भशक्षा का प्रचार-प्रसार ।
(5) क्या महहलाओं के सशजक्तकरण का पक्ष मात्र आर्थयक रूप से सशक्त होना ही है ?
(क) नहीं, इससे महहलाओं को दोहरी जजम्मेदाररयााँ तनभानी पड़ती हैं ।
(ख) हााँ, इससे महहलाएाँ आत्मतनभयर हो जाती हैं ।
(ग) हााँ, इससे महहलाएाँ शजक्तशाली बनती हैं ।
(घ) नहीं, महहलाओं का भय-मुक्त, प्रततबंधो से मुक्त होना भी आवश्यक है ।
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II. ननम्नललखखत गदर्ांश को ध्र्ानपव
ू क
ण पिकर इसके आधार पर सवाणधधक उपर्क्
ु त उत्तर वाले ववकल्प
को चन
ु कर ललखखए । (1*5=5)
आवश्यकता के अनरू
ु प प्रत्येक जीव को कायय करना पड़ता है । कमय से कोई मक्
ु त नहीं है । अत्यंत
उच्चस्तरीय आध्यजत्मक जीव जो साधना में लीन है अथवा उसके ववपरीत वैचाररक क्षमता से हीन
व्यजक्त ही कमयहीन रह सकता है । शरीर ऊजाय का केंद्र है । प्रकृतत से ऊजाय प्रातत करने की इच्छा
और अपनी ऊजाय से पररवेश को समद
ृ ध करने का भाव मानव के सभी कायय-व्यवहारों को तनयंत्रत्रत
करता है । अत: आध्याजत्मक साधना में लीन और वैचाररक क्षमता से हीन व्यजक्त भी ककसी न
ककसी स्तर पर कमयलीन रहते ही हैं ।
गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं ’यहद तुम स्वेच्छा से कमय नहीं करोगे तो प्रकृतत तुमसे बलात ् कमण
कराएगी ।’ िीव के ललए मात्र कल्र्ार् की भावना से पोवित कमण पूज्र् हो िाता है । इस दृजटि से
िो रािनीनत के माध्र्म से मानवता की सेवा करना चाहते हैं, उन्हें उपेक्षक्षत नहीं ककर्ा िा सकता ।
र्दि वे उधचत भावना से कार्ण करें तो वे अपने कार्ों को आध्र्ाजत्मक स्तर तक उठा सकते हैं । र्ह
समर् की पुकार है । िो रािनीनत में प्रवेश पाना चाहते हैं, वे र्ह कार्ण आध्र्ाजत्मक दृजटिकोर्
लेकर करें और दिन-प्रनतदिन आत्मववश्लेिर्, अंतदृणजटि, सतकणता और सावधानी के साथ अपने आप
का परीक्षर् करें , जिससे वे सन्मागण से भिक न िाएँ । डा. रािेंद्रप्रसाि के अनुसार “सेवक के ललए
हमेशा िगह खाली पड़ी रहती है । उम्मीिवारों की भीड़ सेवा के ललए नहीं हुआ करती । भीड़ तो
सेवा के फल के बँिवारे के ललए लगा करती है , जिसका ध्र्ेर् केवल सेवा है , सेवा का फल नही,
उसओ इस धक्का-मुक्की में िाने की और इस होड़ में पड़ने की कोई ज़रूरत नहीं है ।“
(1) कमण आध्र्ाजत्मक साधना कैसे बन सकता है ?
(क) शरीर की ऊिाण के िान से
(ख) प्रकृनत से ऊिाण प्राप्त कर
(ग) गीता के उपेशानुसार
(घ) प्रत्र्ेक प्रार्ी के दहत में कमण ककए िाने पर
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(4) ककसे उपेक्षक्षत नहीं ककर्ा िा सकता ?
(क) िो रािनीनत में प्रवेश करना चाहते हैं ।
(ख) िो मानव-मात्र की सेवा करना चाहते हैं ।
(ग) िो आध्र्ाजत्मक कार्ों के इच्छुक हैं ।
(घ) िो आत्मववश्लेिर् करते हैं ।
III. ननिे शानुसार ’पिबंध’ पर आधाररत पाँच बहुववकल्पीर् प्रश्नों में से ककन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर िीजिए
। (1*4=4)
(1) कक्रर्ा-ववशेिर् पिबंध वाला वाक्र् छाँदिए ।
(क) तेज़ िौड़ने वाला घोड़ा (ख) पिने वाला वह
(ग) सुंिर पंखों वाला (घ) पेड़ के पीछे
(4) तेज़ दौड़ने वाला वह बच्चा िौड़ में प्रथम आर्ा । रे खांककत पिबंध का भेि है –
(क) ववशेिर् पिबंध (ख) कक्रर्ा-ववशेिर् पिबंध
(ग) अव्र्र् पिबंध (घ) सवणनाम पिबंध
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कथन (A) : आकाश में उड़नेवाली वह धचड़ड़र्ा कहाँ चली गई । रे खांककत में ववशेिर् पिबंध है।
कारर् (R) : वह का प्रर्ोग सवणनाम पिबंध के ललए ककर्ा िाता है ।
(क) कथन(A) सही है लेककन कारर् (R) उसकी गलत व्र्ाख्र्ा करता है ।
(ख) कथन(A) तथा कारर् (R) िोनों सही हैं तथा कारर् (R) कथन(A) की सही व्र्ाख्र्ा करता
है ।
(ग) कथन(A) और कारर् (R) िोनों गलत हैं ।
(घ) कथन(A) गलत है लेककन कारर् (R) सही है ।
IV. ननिे शानुसार ’रचना के आधार पर वाक्र्-भेि’ पर आधाररत पाँच बहुववकल्पीर् प्रश्नों में से ककन्हीं चार
प्रश्नों के उत्तर िीजिए । (1*4=4)
(1) ’तताँरा और वामीरो िोनों चुपचाप एक-िस
ू रे को िे खते रहते ।’ रचना के आधार पर र्ह वाक्र् है-
(क) सरल वाक्र् (ख) लमधित वाक्र्
(ख) संर्ुक्त वाक्र् (घ) इच्छावाचक वाक्र्
(3) उसने अँगीठी सुलगाकर उसपर चार्िानी रख िी । इस वाक्र् का लमधित वाक्र् होगा-
(क) चार्िानी रखने के ललए उसने अँगीठी सुलगाई ।
(ख) उसने अँगीठी सुलगाई और उस पर चार्िानी रखी ।
(ग) िब उसने अँगीठी सुलगाई तब उस पर चार्िानी रखी ।
(घ) उसने अँगीठी सुलगाई । उसने उस पर चार्िानी रखी ।
(4) इस संसार में दिखाई िे ने वाली सभी चीज़े नश्वर हैं । रचना के आधार पर र्ह वाक्र् है -
(क)लमधित वाक्र् (ख) ववधानवाचक वाक्र्
(ग) सरल वाक्र् (घ) संर्ुक्त वाक्र्
V. ननिे शानुसार ’समास’ पर आधाररत पाँच बहुववकल्पीर् प्रश्नों में से ककन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर िीजिए।
(1*4=4)
(1) ’अधमण’ में कौन-सा समास है ?
(क) बहुव्रीदह समास (ख) कमणधारर् समास
(ग) नञ ् तत्परु
ु ि समास (घ) अव्र्र्ीभाव समास
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(iv) मँह
ु लगाना - बहुत छूि िे ना
(क) (i) और (iii)
(ख) (i) और (iv)
(ग) (ii) और (iv)
(घ) केवल (ii)
(2) तुम्हारी कड़ी बातों से वह _______ गर्ा । ररक्तस्थान के ललए उधचत मुहावरा चुननए ।
(क) कलेिा ठं डा होना (ख) आपे से बाहर होना
(ग) पौ बारह होना (घ) ईि का चाँि होना
(3) सुरेश बहुत आलसी है । उसका कक्षा में बबना पिे प्रथम आना _______ लगने के समान है।
ररक्तस्थान के ललए उपर्ुक्त मुहावरा चुननए ।
(क) अंधे की लाठी होना (ख) पुरस्कार लमलना
(ग) अंधे के हाथ बिे र लगना (घ) भाग्र् खुल िाना
(4) बड़े भाई साहब परीक्षा में पास होने के ललए बहुत पररश्रि करते थे । रे खांककत अंश के स्थान पर
कौन-सा मुहावरा प्रर्ुक्त होगा ?
(क) िाँतों पसीना आना (ख) हे कड़ी िताना
(ग) खून पीना (घ) खून िलाना
(5) गांधी िी के अफ्रीका से भारत आते ही भारतीर्ों में स्वतंत्रता की _________ । ररक्तस्थान के
ललए उपर्ुक्त मुहावरा चुननए ।
(क) होश उड़ िाना (ख) खून का घूँि
(ग) लहर िौड़ िाना (घ) सातवें आसमान पर होना
(6) हमें बड़ों की बात को सदा याद रखना चाटहए । रे खांककत अंश के स्थान पर कौन-सा मह
ु ावरा
प्रर्क्
ु त होगा ?
(क) नक्शा बनाना (ख) धगरह बाँधना
(ग) आग पर चलना (घ) िे खते रह िाना
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(क) अज्ञान को नटि कर दिर्ा
(ख) मोह-मार्ा का बंधन समाप्त कर दिर्ा
(ग) घर को िलाकर नटि कर दिर्ा
(घ) घर में आग लगा िी
(5) ’हम घर िाल्र्ां आपर्ाँ’ ननम्नललखखत में से ककन ववकल्पों से कवव का आशर् स्पटि होता है -
(i) सांसाररक मोह-मार्ा में ललप्त रहना
(ii) अज्ञान की समाजप्त
(iii) घर को आग लगा िे ना
(iv) सांसाररक मोह-मार्ा से मक्
ु त होना
(क) केवल (iv)
(ख) (ii) और (iv)
(ग) (ii) और (i)
(घ) (i), (ii) और (iii)
VIII. ननम्नललखखत प्रश्नों के उत्तर िे ने के ललए उधचत ववकल्प का चर्न कीजिए । (1*2=2)
(1) ’तभी समथण भाव है’ इसमें समथण भाव से तात्पर्ण है –
(क) िस
ू रों को धमकाकर समथण बनाना ।
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(ख) िस
ू रों की ननंिा कर स्वर्ं की प्रशंसा करना ।
(ग) िस
ू रों को धमकाकर समथण बनना ।
(घ) िस
ू रों की सफलता के बाि स्वर्ं सफलता प्राप्त करना ।
(3) तताँरा पारं पररक पोशाक पहनता था । पारं पररक पोशाक कौन पहनता है ?
(क) िो अच्छा दिखना चाहता है ।
(ख) िो फैशन का अनुकरर् करता है ।
(ग) िो आधुननकता को मानता है ।
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(घ) िो परं पराओं को मानता है ।
(4) तताँरा के गाँव में पवण-त्र्ोहारों का आर्ोिन ककर्ा िाता था । पवण-त्र्ोहार क्र्ों मनाए िाते हैं ?
(क) खलु शर्ाँ मनाने के ललए
(ख) अपनी आधथणक जस्थनत का प्रिशणन करने के ललए
(ग) िस
ू रों को िख
ु ी करने के ललए
(घ) शोर मचाने के ललए
(2) डार्री का एक पन्ना पाठ में बंगालवालसर्ों ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने को लेकर बंगाल पर
लगे कलंक को लमिाने का प्रर्ास ककर्ा । लोग अपने मकानों व सावणिननक स्थलों पर राटरीर्
झंडा फहराकर ककस बात का संकेत िे ना चाहते थे ?
(क) भाईचारे की भावना
(ख) िे शभजक्त की भावना
(ग) संघिण की भावना ।
(घ) घर को सज़ाने की बात
खंड-ब (वणणनात्िक प्रश्न)
XI. ननम्नललखखत प्रश्नों में से ककन्हीं िो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्िों में िीजिए । (3*2=6)
(1) हम जीवन में बहुत कुछ पाना चाहते हैं । इस प्रततयोर्गता के यग
ु में सब को पीछे छोड़ते हुए
हम आगे बढ़ना चाहते हैं । इस क्रम में हम अपनी प्रततभा एवं रुर्चयों का आकलन ककए त्रबना
लक्ष्य को पाने के भलए अग्रसर रहते हैं जिससे वे शारीररक रोग एवं मानलसक तनाव से ग्रस्त हो
िाते हैं । आपके अनुसार वतणमान काल में इस समस्र्ा से कैसे ननकला िा सकता है ?
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(2) हम िीवन में अपने अनभ
ु व से सीखते हैं । हमारे घर के बडे-बि
ू े अपने इसी अनभ
ु व के बल पर
बड़ी से बड़ी समस्र्ा को आसानी से सल
ु झा िे ते हैं । ’अनभ
ु व-िन्र् ज्ञान पुस्तकीर् ज्ञान से अधधक
महत्त्वपर्
ू ण होता है ’- इस कथन के संिभण में अपने ववचार उिाहरर् सदहत प्रस्तु कीजिए ।
(3) एक बार ि:ु खी प्रकृनत माता िे वेंद्र के पास गईं । सिा प्रसन्न रहने वाली प्रकृनत ने िे वेंद्र के पूछने
पर बतार्ा कक पथ्
ृ वी पर उसकी अनेक प्रकार की संतानें रहती हैं । उन्होंने पथ्
ृ वी पर हर िीव के
रहने की र्थोधचत व्र्वस्था भी की है । लेककन अब सब एक-िस
ू रे की सीमा में प्रवेश कर रहें हैं
जिससे उसका संतुलन बबगड़ रहा है । िे वेंद्र ने समझार्ा कक िहाँ बच्चों के आराम की व्र्वस्था
करना माँ का कतणव्र् है वहीं उसे अनुशालसत रखना भी माँ का ही िानर्त्व है । तभी सवणिा स्वस्थ
रहने वाली प्रकृनत माता को प्रकृनत में असामनर्क तापमान पररवतणन के कारर् सरिी हो गई ।
िैसे ही प्रकृनत माता ने छींका वैसे ही पथ्
ृ वी पर भूकंप आ गर्ा । वतणमान काल में मनुटर्ों दवारा
अपनी सुववधानुसार प्रकृनत के ननर्मों में अनतक्रमर् करने के कारर् होने वाले िटु पररर्ामों को
उिागर करते हुए इससे ननबिने का उपार् सुझाइए ।
XII. ननम्नललखखत प्रश्नों में से ककन्हीं िो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्िों में िीजिए । (3*2=6)
(1) कुछ समर् पहले हम कोरोना के िौर से गुिरे हैं जिसमें अनेक लोगों ने िस ू रों को बचाते हुए
अपने प्रार्ों का बललिान दिर्ा है । डाक्िर, नसण, सफ़ाई कमणचारी आदि लोग र्ह िानते थे कक
कोरोना संक्रलमत लोगों के संपकण में आने से उनके भी संक्रलमत होने की संभावना है कफर भी
उन्होंने सब की सहार्ता की । इसीललए उन्हें ’फ्रंि-लाइन-वाररर्सण’ कहा गर्ा । सैननक दिन-रात
सीमा पर हमारी रक्षा मे लगे रहते हैं । सैननक के िीवन का वर्णन करते हुए बताइए कक
िे शवालसर्ों से उसकी क्र्ा अपेक्षाएँ हैं ?
(2) ’इतनी शजक्त हमें िे ना िाता, मन का ववश्वास कमज़ोर होना’ इस पंजक्त में बतार्ा गर्ा है कक
मन के हारे हार है, मन के िीते िीत । हमें अपनी समस्र्ाओं के समाधान के ललए ककस पर
आधित होना चादहए ? साथ ही स्पटि कीजिए कक ककसी भी मुजश्कल का सामना करने के ललए
हमारा सबसे बड़ा हधथर्ार क्र्ा होता है ?
(3) प्रकृनत हमारी प्रथम लशक्षक्षका है । िीवन में आने-वाले उतार-चिाव एवं मानवीर्-संवेिनाओं को
प्रकृनत के माध्र्म से िाना एवं समझा िा सकता है । सलु मत्रानंिन पंत ने अपनी कववता में
प्रकृनत को मानवीर् रूप प्रिान करते हुए उसका सिीव धचत्रर् प्रस्तत
ु ककर्ा है । आपके अनस
ु ार
वे प्रकृनत का मानवीकरर् करने में कहाँ तक सफल हुए है ? उिाहरर् सदहत वर्णन कीजिए ।
XIII. ननम्नललखखत प्रश्नों में से ककन्हीं िो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्िों में िीजिए । (3*2=6)
(1) कौरव और पांडवों के बीच हुए महाभारत र्ुदध से ज्ञात होता है कक ककस प्रकार राज्र्-प्राजप्त की
चाहत ने भ्रात-ृ प्रेम का िमन कर दिर्ा । वतणमान काल में भी ऐसा प्रतीत होता है कक िीवन में
धन एवं भौनतक सुखों के सामने ररश्ते एवं मानवीर् भावनाएँ महत्त्वहीन हैं । ’हररहर काका’ पाठ
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के आलोक में स्पटि कीजिए कक ररश्ते एवं धन के बीच ककसे अधधक महत्त्व िे ना चादहए और
क्र्ों ?
(2) कुम्हार लमट्िी के बरतन बनाते समर् एक हाथ बरतन के अंिर रखता है तथा िस
ू रे हाथ से उसे
बाहर से थपथपाते हुए आकार िे ता है । र्दि उसे बाहर से न थपथपार्ा िाए तो वह बरतन सही
आकार नहीं लेता । मास्िर प्रीतमचंि बच्चों को अनुशासन में रखने के ललए िं ड िे ते थे साथ ही
सही कार्ण करने पर उन्हें शाबासी भी िे ते थे । पी. िी. मास्िर दवारा अपनाई गई र्ुजक्तर्ों के
संबंध में अपने ववचार रखते हुए स्पटि कीजिए कक ककस प्रकार बच्चों को भी लमट्िी के बरतन
के समान आकार िे ने की आवश्र्कता होती है ।
(3) बच्चे सभी धमण, िानत एवं उम्र के बंधन से मुक्त होते हैं । वे ककसी भी दिखावे से िरू रहते हैं ।
उन्हें जिससे अपनापन एवं प्र्ार लमलता है वे उसी को अपना लेते हैं । भरे -पूरे पररवार के होने
पर भी िोपी अकेलापन क्र्ों महसूस करता था ? इससे उसकी मानलसकता एवं पिाई पर क्र्ा
प्रभाव पडा ? र्दि आप उसके लमत्र होते तो उसकी सहार्ता कैसे करते ?
XVI. ननम्नललखखत में से ककसी एक वविर् पर लगभग 80 शब्िों में सूचना ललखखए । (4*1=4)
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(1) आपका नाम शोभा है । आप िीववदर्ा ववदर्ालर् के दहंिी सादहत्र् सभा के सधचव हैं । आपके
ववदर्ालर् में आर्ोजित होने वाली वाि-वववाि प्रनतर्ोधगता का वववरर् िे ते हुए एक सूचना तैर्ार
कीजिए |
अथवा
(2) आप गल
ु मोहर सोसाइिी के अध्र्क्ष हैं । आपकी सोसाइिी में अनाथ बच्चों के ललए भोिन की
व्र्वस्था की िा रही है । इसकी िानकारी िे ते हुए एक सूचना तैर्ार कीजिए ।
XVII. ननम्नललखखत में से ककसी एक वविर् पर लगभग 60 शब्िों में ववज्ञापन तैर्ार कीजिए ।
(3*1=3)
(1) आप एक स्वास्थ्र् संगठन से िुड़े हुए हैं । अपने शहर के ननवालसर्ों को अंग-िान के ललए
िागरूक करने के ललए आकिणक ववज्ञापन तैर्ार कीजिए ।
अथवा
(2) कक्षा िसवीं के प्रनतिशण प्रश्न-पत्र (सैंपल पेपर) के प्रचार हे तु आकिणक ववज्ञापन तैर्ार कीजिए।
XVIII. (1)‘अंत भला तो सब भला’ वविर् पर लगभग 100 शब्िों में लघ-ु कथा ललखखए । (5*1=5)
अथवा
(2) आपका नाम कबीर है । आपका पता sunil00@gmail.com है । अपने शहर के पुस्तक-
ववक्रेता vidyaprakashan@gmail.com से दहंिी एवं ववज्ञान की पुस्तकें मँगवाने के ललए
(शब्ि-सीमा लगभग 100 शब्द) (5*1=5)
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