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SAHODAYA SCHOOLS COMPLEX, BENGALURU

PRE-BOARD EXAMINATION, 2021-22


विषय- व िंदी ’ब’ कोड सिंख्या- 085
कक्षा- दसव ीं
SET-A
समय: 3 घींटे पूर्ाांक: 80

सामान्य निर्दे श:
• इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं- खंड ’अ’ और ’ब’ ।
• खंड ’अ’ में उपप्रश्नों सहहत 45 वस्तुपरक प्रश्न पछ
ू े गए हैं । दिए गए ननिे शों का पालन करते हुए
कुल 40 प्रश्नों के उत्तर िीजिए ।
• खंड ’ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, आंतररक ववकल्प भी दिए गए हैं ।
• ननिे शों को बहुत सावधानी से पदिए और उनका पालन कीजिए ।
• िोनों खंडों के कुल 18 प्रश्न हैं । िोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर िे ना अननवार्ण है ।
• र्थासंभव िोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमश: ललखखए ।

खंड-अ (वस्तुपरक प्रश्न)

I. ननम्नललखखत गदर्ांश को ध्र्ानपूवक


ण पिकर इसके आधार पर सवाणधधक उपर्ुक्त उत्तर वाले ववकल्प
को चुनकर ललखखए । (1*5=5)
नारी समाज रूपी मनुष्य का रीढ़ है । अत: भारतीय संस्कृतत में इन्हें अत्यंत आदरणीय माना गया
है । कहा भी गया है- ’यत्र नाययस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र दे वता: ।’ नाररयााँ ककसी भी समाज का स्तंभ
हैं क्योंकक वे बहुत सहजता से प्रत्येक हदन भभन्न-भभन्न भूभमकाएाँ तनभाती हैं । लेककन आज भी दतु नया
के कई हहस्सों में समाज उनकी भभू मका को नज़रअंदाज़ करता है । इसके चलते महहलाओं को बड़े
पैमाने पर असमानता, उत्पीड़न, ववत्तीय तनभयरता और अन्य सामाजजक बुराइयों का खाभमयाजा सहन
करना पड़ता है । भारत में महहला सशजक्तकरण की आवश्यकता के बहुत से कारण सामने आते हैं ।
प्राचीन काल की अपेक्षा मध्य काल में भारतीय महहलाओं के सम्मान स्तर में काफी कमी आयी ।
जजतना सम्मान उन्हें प्राचीन काल में हदया जाता था, मध्य काल में वह सम्मान घटने लगा था ।
आधुतनक युग में कई भारतीय महहलाएाँ बहुत सारे महत्त्वपण
ू य तथा प्राशासतनक पदों पर पदस्थ हैं, कफर
भी सामान्य ग्रामीण महहलाएाँ आज भी अपने घरों में रहने के भलए बाध्य हैं । उन्हें स्वास््य और
भशक्षा जैसी मल
ू भत
ू सवु वधाएाँ भी उपलब्ध नहीं हैं । ग्रामीण महहलाएाँ सहदयों से घर तथा खेतों में परु
ु षों
के बराबर ही काम करती आई हैं, लेककन उन्हें सामन्ती सोच के कारण दस
ू रे दजे का नागररक ही माना
जाता रहा है । अब ग्रामीण समाज की सोच बदलने का समय आ गया है । यहद सामाजजक असमानता,
पाररवाररक हहंसा, अत्याचार और आर्थयक आत्मतनभयरता आहद से महहलाओं को छुटकारा पाना है तो
िरूरत है मदहला सशजक्तकरर् की। मदहला सशजक्तकरर् से मदहलाएाँ आत्मननभणर और शजक्तशाली

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बनती हैं । जिससे वे अपने िीवन से िड़
ु े हर फैसले स्वर्ं ले सकती हैं और पररवार तथा समाि में
अपना स्थान बना सकती हैं । समाि में उनके वास्तववक अधधकार को प्राप्त करने के ललए उन्हें सक्षम
बनाना ही मदहला सशजक्तकरर् है । मदहला सशजक्तकरर् का अथण है मदहलाओं को रािनैनतक,
सामाजिक, शैक्षखर्क और आधथणक क्षेत्रों में बराबर का भागीिार बनार्ा िाए । भारतीर् मदहलाओं का
सशजक्तकरर् बहुत हि तक भगोललक, शैक्षखर्क र्ोग्र्ता और सामाजिक एकता के ऊपर ननभणर करता
है । मदहला सशजक्तकरर् से मदहलाएाँ केवल आधथणक रूप से ही सुदृढ नहीं हुई हैं, अवपतु पररवार और
समाि की सोच में भी सकारात्मक पररवतणन दिखाई िे ने लगे हैं। वतयमान समय में लोग बेहटयों को
बोझ समझकर िनु नर्ा में आने से पहले ही मारे नहीं इसललए ववकास की मख्
ु र्धारा में मदहलाओं को
लाने के ललए भारत सरकार के दवारा कई र्ोिनाएाँ चलाई गई हैं ।
(1) गदयांश के अनस
ु ार महहला सशजक्तकरण की आवश्यकता महसस
ू करने का क्या कारण था ?
(क) महहलाएाँ अपना तनणयय लेने में सक्षम थीं ।
(ख) महहलाएाँ आत्मतनभयर थीं ।
(ग) समाज में महहलाओं की जस्थतत तनबयल थी ।
(घ) महहलाएाँ भशक्षक्षत थीं ।

(2) समाज की ककस सोच के पररणाम-स्वरूप लोग अब बेहटयों को बोझ नहीं समझते ?
(क) सकारात्मक (ख) परु ातन (ग) संकीणय (घ) नकारात्मक

(3) महहला-सशजक्तकरण से पररवार की आर्थयक जस्थतत पर क्या प्रभाव हदखाई हदया ?


(क) आर्थयक जस्थतत में दब
ु ल
य ता
(ख) ववत्तीय तनभयरता में समाजतत
(ग) आर्थयक जस्थतत में सुदृढ़ता
(घ) ववत्तीय ऋण से मुजक्त

(4) ग्रामीण सोच में पररवतयन लाने के भलए क्या ककया जा सकता है ?
(क) गााँवों में सवु वधाएाँ उपलब्ध कराना ।
(ख) सड़कें बनवाना ।
(ग) अंधववश्वास और रूहढ़यों का ववरोध ।
(घ) भशक्षा का प्रचार-प्रसार ।

(5) क्या महहलाओं के सशजक्तकरण का पक्ष मात्र आर्थयक रूप से सशक्त होना ही है ?
(क) नहीं, इससे महहलाओं को दोहरी जजम्मेदाररयााँ तनभानी पड़ती हैं ।
(ख) हााँ, इससे महहलाएाँ आत्मतनभयर हो जाती हैं ।
(ग) हााँ, इससे महहलाएाँ शजक्तशाली बनती हैं ।
(घ) नहीं, महहलाओं का भय-मुक्त, प्रततबंधो से मुक्त होना भी आवश्यक है ।
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II. ननम्नललखखत गदर्ांश को ध्र्ानपव
ू क
ण पिकर इसके आधार पर सवाणधधक उपर्क्
ु त उत्तर वाले ववकल्प
को चन
ु कर ललखखए । (1*5=5)
आवश्यकता के अनरू
ु प प्रत्येक जीव को कायय करना पड़ता है । कमय से कोई मक्
ु त नहीं है । अत्यंत
उच्चस्तरीय आध्यजत्मक जीव जो साधना में लीन है अथवा उसके ववपरीत वैचाररक क्षमता से हीन
व्यजक्त ही कमयहीन रह सकता है । शरीर ऊजाय का केंद्र है । प्रकृतत से ऊजाय प्रातत करने की इच्छा
और अपनी ऊजाय से पररवेश को समद
ृ ध करने का भाव मानव के सभी कायय-व्यवहारों को तनयंत्रत्रत
करता है । अत: आध्याजत्मक साधना में लीन और वैचाररक क्षमता से हीन व्यजक्त भी ककसी न
ककसी स्तर पर कमयलीन रहते ही हैं ।
गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं ’यहद तुम स्वेच्छा से कमय नहीं करोगे तो प्रकृतत तुमसे बलात ् कमण
कराएगी ।’ िीव के ललए मात्र कल्र्ार् की भावना से पोवित कमण पूज्र् हो िाता है । इस दृजटि से
िो रािनीनत के माध्र्म से मानवता की सेवा करना चाहते हैं, उन्हें उपेक्षक्षत नहीं ककर्ा िा सकता ।
र्दि वे उधचत भावना से कार्ण करें तो वे अपने कार्ों को आध्र्ाजत्मक स्तर तक उठा सकते हैं । र्ह
समर् की पुकार है । िो रािनीनत में प्रवेश पाना चाहते हैं, वे र्ह कार्ण आध्र्ाजत्मक दृजटिकोर्
लेकर करें और दिन-प्रनतदिन आत्मववश्लेिर्, अंतदृणजटि, सतकणता और सावधानी के साथ अपने आप
का परीक्षर् करें , जिससे वे सन्मागण से भिक न िाएँ । डा. रािेंद्रप्रसाि के अनुसार “सेवक के ललए
हमेशा िगह खाली पड़ी रहती है । उम्मीिवारों की भीड़ सेवा के ललए नहीं हुआ करती । भीड़ तो
सेवा के फल के बँिवारे के ललए लगा करती है , जिसका ध्र्ेर् केवल सेवा है , सेवा का फल नही,
उसओ इस धक्का-मुक्की में िाने की और इस होड़ में पड़ने की कोई ज़रूरत नहीं है ।“
(1) कमण आध्र्ाजत्मक साधना कैसे बन सकता है ?
(क) शरीर की ऊिाण के िान से
(ख) प्रकृनत से ऊिाण प्राप्त कर
(ग) गीता के उपेशानुसार
(घ) प्रत्र्ेक प्रार्ी के दहत में कमण ककए िाने पर

(2) समर् की पुकार है-


(क) ज्र्ािा से ज्र्ािा लोग रािनीनत में प्रवेश करें ।
(ख) स्पटि दृजटिकोर् के साथ रािनीनत में प्रवेश करें ।
(ग) हम दिन-प्रनतदिन सतकण और सावधान रहें ।
(घ) रािनेता सतत आत्मपरीक्षर् करें ।
(3) कमण से मजु क्त संभव नहीं है क्र्ोंकक-
(क) कुछ आध्र्ाजत्मक िीव-साधना में लीन हैं ।
(ख) शरीर शजक्त से भरपूर है ।
(ग) कुछ िीव वैचाररक-क्षमता से हीन हैं
(घ) प्रकृनत को ऊिाण चादहए ।

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(4) ककसे उपेक्षक्षत नहीं ककर्ा िा सकता ?
(क) िो रािनीनत में प्रवेश करना चाहते हैं ।
(ख) िो मानव-मात्र की सेवा करना चाहते हैं ।
(ग) िो आध्र्ाजत्मक कार्ों के इच्छुक हैं ।
(घ) िो आत्मववश्लेिर् करते हैं ।

(5) सच्चे सेवक की पहचान क्र्ा है ?


(क) वह उम्मीिवारों की भीड़ में शालमल होगा ।
(ख) वह धक्का-मक्
ु की और मक
ु ाबले में शालमल होगा ।
(ग) वह फल का बँिवारा करे गा ।
(घ) वह हमेशा खाली पड़ी िगह भर िे गा ।

III. ननिे शानुसार ’पिबंध’ पर आधाररत पाँच बहुववकल्पीर् प्रश्नों में से ककन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर िीजिए
। (1*4=4)
(1) कक्रर्ा-ववशेिर् पिबंध वाला वाक्र् छाँदिए ।
(क) तेज़ िौड़ने वाला घोड़ा (ख) पिने वाला वह
(ग) सुंिर पंखों वाला (घ) पेड़ के पीछे

(2) इस वाक्र् में सवणनाम पिबंध है -


(क) पलु लस कमिश्नर का नोटिस ननकल चक
ु ा था ।
(ख) मैं पीछे -पीछे दौड़ रहा था ।
(ग) इसका कारण एक ज़ख्िी कुत्ता था ।
(घ) एक कोने िें बैठकर वह रोने लगा ।

(3) उसी वक्त एक किा हुआ कनकौआ हमारे ऊपर से गि


ु रा । रे खांककत पिबंध का भेि है –
(क) कक्रर्ा पिबंध (ख) संज्ञा पिबंध
(ग) सवणनाम पिबंध (घ) ववशेिर् पिबंध

(4) तेज़ दौड़ने वाला वह बच्चा िौड़ में प्रथम आर्ा । रे खांककत पिबंध का भेि है –
(क) ववशेिर् पिबंध (ख) कक्रर्ा-ववशेिर् पिबंध
(ग) अव्र्र् पिबंध (घ) सवणनाम पिबंध

(5) अधोललखखत कथन (A) तथा कारर् (R) को ध्र्ानपूवक


ण पदिए । उसके बाि दिए गए ववकल्पों में
से सही ववकल्प चुननए ।

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कथन (A) : आकाश में उड़नेवाली वह धचड़ड़र्ा कहाँ चली गई । रे खांककत में ववशेिर् पिबंध है।
कारर् (R) : वह का प्रर्ोग सवणनाम पिबंध के ललए ककर्ा िाता है ।
(क) कथन(A) सही है लेककन कारर् (R) उसकी गलत व्र्ाख्र्ा करता है ।
(ख) कथन(A) तथा कारर् (R) िोनों सही हैं तथा कारर् (R) कथन(A) की सही व्र्ाख्र्ा करता
है ।
(ग) कथन(A) और कारर् (R) िोनों गलत हैं ।
(घ) कथन(A) गलत है लेककन कारर् (R) सही है ।

IV. ननिे शानुसार ’रचना के आधार पर वाक्र्-भेि’ पर आधाररत पाँच बहुववकल्पीर् प्रश्नों में से ककन्हीं चार
प्रश्नों के उत्तर िीजिए । (1*4=4)
(1) ’तताँरा और वामीरो िोनों चुपचाप एक-िस
ू रे को िे खते रहते ।’ रचना के आधार पर र्ह वाक्र् है-
(क) सरल वाक्र् (ख) लमधित वाक्र्
(ख) संर्ुक्त वाक्र् (घ) इच्छावाचक वाक्र्

(2) अधोललखखत वाक्र्ों में से संर्क्


ु त वाक्र् है -
(क) कवव को कववता सन
ु ानी थी इसललए मंच पर गर्ा ।
(ख) िैसे ही कवव मंच पर गर्ा उसने कववता सन
ु ाई ।
(ग) वह कववता सन
ु ाने के ललए मंच पर गर्ा ।
(घ) कवव ने कहा कक वह कववता सन
ु ाएगा ।

(3) उसने अँगीठी सुलगाकर उसपर चार्िानी रख िी । इस वाक्र् का लमधित वाक्र् होगा-
(क) चार्िानी रखने के ललए उसने अँगीठी सुलगाई ।
(ख) उसने अँगीठी सुलगाई और उस पर चार्िानी रखी ।
(ग) िब उसने अँगीठी सुलगाई तब उस पर चार्िानी रखी ।
(घ) उसने अँगीठी सुलगाई । उसने उस पर चार्िानी रखी ।

(4) इस संसार में दिखाई िे ने वाली सभी चीज़े नश्वर हैं । रचना के आधार पर र्ह वाक्र् है -
(क)लमधित वाक्र् (ख) ववधानवाचक वाक्र्
(ग) सरल वाक्र् (घ) संर्ुक्त वाक्र्

(5) अधोललखखत कथन (A) तथा कारर् (R) को ध्र्ानपूवक


ण पदिए । उसके बाि दिए गए ववकल्पों में
से सही ववकल्प चुननए ।
कथन (A) : क्षमा माँगो र्ा सज़ा भुगतो । र्ह संर्ुक्त वाक्र् है ।
कारर् (R) : संर्क्
ु त वाक्र् में िो उपवाक्र् ककसी र्ोिक से िुड़े होते हैं ।
(क) कथन(A) सही है लेककन कारर् (R) उसकी गलत व्र्ाख्र्ा करता है ।
(ख) कथन(A) गलत है लेककन कारर् (R) सही है ।
(ग) कथन(A) और कारर् (R) िोनों गलत हैं ।
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(घ) कथन(A) तथा कारर् (R) िोनों सही हैं तथा कारर् (R) कथन(A) की सही व्र्ाख्र्ा करता
है ।

V. ननिे शानुसार ’समास’ पर आधाररत पाँच बहुववकल्पीर् प्रश्नों में से ककन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर िीजिए।
(1*4=4)
(1) ’अधमण’ में कौन-सा समास है ?
(क) बहुव्रीदह समास (ख) कमणधारर् समास
(ग) नञ ् तत्परु
ु ि समास (घ) अव्र्र्ीभाव समास

(2) ’सवोत्कृटि’ का समास ववग्रह एवं भेि होगा-


(क) सबमें है िो उत्कृटि - दववगु
(ख) सबमें है उत्कृटि िो - कमणधारर्
(ग) सब और उत्कृटि - दवंदव
(घ) सबमें है िो उत्कृटि - कमणधारर्

(3) ’बबना घर के’ का समस्तपि एवं भेि होगा-


(क) अघर - तत्पुरुि
(ख) बेघर - अव्र्र्ीभाव
(ग) न घर - नञ ् तत्पुरुि
(घ) प्रनतघर - अव्र्र्ीभाव

(4) ’चौराहा’ समस्त पि का ववग्रह होगा-


(क) चार और राहें (ख) चार राहें
(ग) चार राहों का समूह (घ) चौ राहें

(5) सही र्ुग्म चुननए ।


(क) ववदर्ाथी - दवंदव समास
(ख) लाभ-हानन - तत्पुरुि समास
(ग) िे हांत - दववगु
(घ) िरु ाचारी - बहुव्रीदह

VI. ननिे शानस


ु ार ’मह
ु ावरे ’ पर आधाररत छह बहुववकल्पीर् प्रश्नों में से ककन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर िीजिए।
(1*4=4)
(1) उधचत मह
ु ावरे एवं उसके अथण वाले ववकल्प को चुननए –
(i) उफ़न उठना – काम शरू
ु करना
(ii) आवाज़ उठाना - ववरोध में बोलना
(iii) नज़र रखना - पसंि आना

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(iv) मँह
ु लगाना - बहुत छूि िे ना
(क) (i) और (iii)
(ख) (i) और (iv)
(ग) (ii) और (iv)
(घ) केवल (ii)

(2) तुम्हारी कड़ी बातों से वह _______ गर्ा । ररक्तस्थान के ललए उधचत मुहावरा चुननए ।
(क) कलेिा ठं डा होना (ख) आपे से बाहर होना
(ग) पौ बारह होना (घ) ईि का चाँि होना

(3) सुरेश बहुत आलसी है । उसका कक्षा में बबना पिे प्रथम आना _______ लगने के समान है।
ररक्तस्थान के ललए उपर्ुक्त मुहावरा चुननए ।
(क) अंधे की लाठी होना (ख) पुरस्कार लमलना
(ग) अंधे के हाथ बिे र लगना (घ) भाग्र् खुल िाना

(4) बड़े भाई साहब परीक्षा में पास होने के ललए बहुत पररश्रि करते थे । रे खांककत अंश के स्थान पर
कौन-सा मुहावरा प्रर्ुक्त होगा ?
(क) िाँतों पसीना आना (ख) हे कड़ी िताना
(ग) खून पीना (घ) खून िलाना

(5) गांधी िी के अफ्रीका से भारत आते ही भारतीर्ों में स्वतंत्रता की _________ । ररक्तस्थान के
ललए उपर्ुक्त मुहावरा चुननए ।
(क) होश उड़ िाना (ख) खून का घूँि
(ग) लहर िौड़ िाना (घ) सातवें आसमान पर होना

(6) हमें बड़ों की बात को सदा याद रखना चाटहए । रे खांककत अंश के स्थान पर कौन-सा मह
ु ावरा
प्रर्क्
ु त होगा ?
(क) नक्शा बनाना (ख) धगरह बाँधना
(ग) आग पर चलना (घ) िे खते रह िाना

VII. ननम्नललखखत पदर्ांश को ध्र्ानपूवक


ण पिकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के ललए सही ववकल्प का चर्न
कीजिए। (1*5=5)
हम घर िाल्र्ा आपर्ाँ ललर्ा मुराड़ा हाधथ ।
अब घर िालां तास का, िे चलै हमारे साधथ ॥
पोथी पदि-पदि िग मुवा, पंड़डत भर्ा न कोइ ।
ऐकै अविर पीव का, पिै सु पंड़डत होइ ॥
(1) कबीर का घर िलाने से र्हाँ क्र्ा आशर् है ?

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(क) अज्ञान को नटि कर दिर्ा
(ख) मोह-मार्ा का बंधन समाप्त कर दिर्ा
(ग) घर को िलाकर नटि कर दिर्ा
(घ) घर में आग लगा िी

(2) िोहे में ’मुराड़ा’ का क्र्ा अथण है ?


(क) ज्ञान रूपी मशाल
(ख) िलती हुई लकड़ी
(ग) लसर पर बाँधी िाने वाली पगड़ी
(घ) अज्ञानता की गठरी

(3) िीवन का अज्ञान कैसे समाप्त हो िाता है ?


(क) िीपक िलाने से
(ख) बबिली िाने से
(ग) ज्ञान से
(घ) पूिा करने से

(4) ककस काम से कोई पंड़डत नहीं बनता ?


(क) केवल पुस्तकें पिने से
(ख) ईश्वर की भजक्त से
(ग) प्रेमपूवणक व्र्वहार करने से
(घ) अज्ञान लमिाने से

(5) ’हम घर िाल्र्ां आपर्ाँ’ ननम्नललखखत में से ककन ववकल्पों से कवव का आशर् स्पटि होता है -
(i) सांसाररक मोह-मार्ा में ललप्त रहना
(ii) अज्ञान की समाजप्त
(iii) घर को आग लगा िे ना
(iv) सांसाररक मोह-मार्ा से मक्
ु त होना
(क) केवल (iv)
(ख) (ii) और (iv)
(ग) (ii) और (i)
(घ) (i), (ii) और (iii)

VIII. ननम्नललखखत प्रश्नों के उत्तर िे ने के ललए उधचत ववकल्प का चर्न कीजिए । (1*2=2)
(1) ’तभी समथण भाव है’ इसमें समथण भाव से तात्पर्ण है –
(क) िस
ू रों को धमकाकर समथण बनाना ।

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(ख) िस
ू रों की ननंिा कर स्वर्ं की प्रशंसा करना ।
(ग) िस
ू रों को धमकाकर समथण बनना ।
(घ) िस
ू रों की सफलता के बाि स्वर्ं सफलता प्राप्त करना ।

(2) मीरा वंि


ृ ावन की गललर्ों में क्र्ा करना चाहती हैं ?
(क) कृटर् से लमलना चाहती हैं ।
(ख) कृटर् को उलाहना िे ना चाहती हैं ।
(ग) कृटर् की प्रतीक्षा करना चाहती हैं ।
(घ) कृटर् का गुर्गान करना चाहती हैं ।

IX. ननम्नललखखत गदर्ांश को ध्र्ानपूवक


ण पिकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के ललए सही ववकल्प का चर्न
कीजिए। (1*5=5)
तताँरा एक नेक और मििगार व्र्जक्त था । वह सिै व िस
ू रे की सहार्ता के ललए तत्पर रहता । गाँव
वालों का ही नहीं अवपतु समूचे दवीपवालसर्ों की सेवा करना अपना परम कतणव्र् समझता था । उसके
इस त्र्ाग की विह से वह चधचणत था । सभी उसका आिर करते, वक्त मस
ु ीबत में उसे स्मरर् करते
और वहाँ भागा-भागा पहुँच िाता । िस
ू रे गाँव में भी पवण-त्र्ोहारों के समर् उसे ववशेि रूप से आमंबत्रत
ककर्ा िाता । उसका व्र्जक्तत्व तो आकिणक था ही, साथ ही उसके आत्मीर् स्वभाव की विह से
लोग उसके करीब रहना चाहते थे । पारं पररक पोशाक के साथ अपनी कमर में सिै व एक लकड़ी की
तलवार बाँधे रहता । लोगों का मत था कक बाविूि लकड़ी के होने पर उस तलवार में अदभुत शजक्त
थी । वह अपनी तलवार को कभी अलग न होने िे ता । उसका िस
ू रों के सामने उपर्ोग भी न करता।
तताँरा की तलवार एक ववलक्षर् रहस्र् थी ।
(1) तताँरा की तलवार बहुचधचणत थी । लोगों का उसके बारे में क्र्ा मत था ?
(क) तलवार को लसदधध प्राप्त है ।
(ख) तलवार बहुत प्राचीन है ।
(ग) तलवार में िै वीर् शजक्त है ।
(घ) तलवार बहुत ताकतवर है ।

(2) तताँरा के संबंध में कौन-सा कथन सही नहीं है ?


(क) तताँरा सबकी मिि करता था ।
(ख) तताँरा को सब पसंि करते थे ।
(ग) तताँरा ने ज़मीन में तलवार घोंपते हुए बहुत लोगों को मारा ।
(घ) तताँरा िे खने में सुंिर था ।

(3) तताँरा पारं पररक पोशाक पहनता था । पारं पररक पोशाक कौन पहनता है ?
(क) िो अच्छा दिखना चाहता है ।
(ख) िो फैशन का अनुकरर् करता है ।
(ग) िो आधुननकता को मानता है ।

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(घ) िो परं पराओं को मानता है ।

(4) तताँरा के गाँव में पवण-त्र्ोहारों का आर्ोिन ककर्ा िाता था । पवण-त्र्ोहार क्र्ों मनाए िाते हैं ?
(क) खलु शर्ाँ मनाने के ललए
(ख) अपनी आधथणक जस्थनत का प्रिशणन करने के ललए
(ग) िस
ू रों को िख
ु ी करने के ललए
(घ) शोर मचाने के ललए

(5) तताँरा-वामीरो की कथा ननकोबाररर्ों के घर-घर इसललए सुनाई िाती है क्र्ोंकक-


(क) र्ह एक लोककथा है ।
(ख) तताँरा-वामीरो के त्र्ाग से गाँव में बिलाव आर्ा ।
(ग) बच्चे उससे डरते थे ।
(घ) वामीरो को मरने से बचाने के कारर्

X. ननम्नललखखत प्रश्नों के उत्तर िे ने के ललए उधचत ववकल्प का चर्न कीजिए । (1*2=2)


(1) बड़े भाई साहब लेखक को नसीहत क्र्ों िे ते थे ?
(क) लेखक का बड़ों का आिर न करने के कारर् ।
(ख) लेखक के बहुत पिने के कारर् ।
(ग) लेखक के बहुत खेल-कूि करने के कारर् ।
(घ) लेखक के बहुत सोने के कारर् ।

(2) डार्री का एक पन्ना पाठ में बंगालवालसर्ों ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने को लेकर बंगाल पर
लगे कलंक को लमिाने का प्रर्ास ककर्ा । लोग अपने मकानों व सावणिननक स्थलों पर राटरीर्
झंडा फहराकर ककस बात का संकेत िे ना चाहते थे ?
(क) भाईचारे की भावना
(ख) िे शभजक्त की भावना
(ग) संघिण की भावना ।
(घ) घर को सज़ाने की बात
खंड-ब (वणणनात्िक प्रश्न)

XI. ननम्नललखखत प्रश्नों में से ककन्हीं िो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्िों में िीजिए । (3*2=6)
(1) हम जीवन में बहुत कुछ पाना चाहते हैं । इस प्रततयोर्गता के यग
ु में सब को पीछे छोड़ते हुए
हम आगे बढ़ना चाहते हैं । इस क्रम में हम अपनी प्रततभा एवं रुर्चयों का आकलन ककए त्रबना
लक्ष्य को पाने के भलए अग्रसर रहते हैं जिससे वे शारीररक रोग एवं मानलसक तनाव से ग्रस्त हो
िाते हैं । आपके अनुसार वतणमान काल में इस समस्र्ा से कैसे ननकला िा सकता है ?

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(2) हम िीवन में अपने अनभ
ु व से सीखते हैं । हमारे घर के बडे-बि
ू े अपने इसी अनभ
ु व के बल पर
बड़ी से बड़ी समस्र्ा को आसानी से सल
ु झा िे ते हैं । ’अनभ
ु व-िन्र् ज्ञान पुस्तकीर् ज्ञान से अधधक
महत्त्वपर्
ू ण होता है ’- इस कथन के संिभण में अपने ववचार उिाहरर् सदहत प्रस्तु कीजिए ।

(3) एक बार ि:ु खी प्रकृनत माता िे वेंद्र के पास गईं । सिा प्रसन्न रहने वाली प्रकृनत ने िे वेंद्र के पूछने
पर बतार्ा कक पथ्
ृ वी पर उसकी अनेक प्रकार की संतानें रहती हैं । उन्होंने पथ्
ृ वी पर हर िीव के
रहने की र्थोधचत व्र्वस्था भी की है । लेककन अब सब एक-िस
ू रे की सीमा में प्रवेश कर रहें हैं
जिससे उसका संतुलन बबगड़ रहा है । िे वेंद्र ने समझार्ा कक िहाँ बच्चों के आराम की व्र्वस्था
करना माँ का कतणव्र् है वहीं उसे अनुशालसत रखना भी माँ का ही िानर्त्व है । तभी सवणिा स्वस्थ
रहने वाली प्रकृनत माता को प्रकृनत में असामनर्क तापमान पररवतणन के कारर् सरिी हो गई ।
िैसे ही प्रकृनत माता ने छींका वैसे ही पथ्
ृ वी पर भूकंप आ गर्ा । वतणमान काल में मनुटर्ों दवारा
अपनी सुववधानुसार प्रकृनत के ननर्मों में अनतक्रमर् करने के कारर् होने वाले िटु पररर्ामों को
उिागर करते हुए इससे ननबिने का उपार् सुझाइए ।

XII. ननम्नललखखत प्रश्नों में से ककन्हीं िो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्िों में िीजिए । (3*2=6)
(1) कुछ समर् पहले हम कोरोना के िौर से गुिरे हैं जिसमें अनेक लोगों ने िस ू रों को बचाते हुए
अपने प्रार्ों का बललिान दिर्ा है । डाक्िर, नसण, सफ़ाई कमणचारी आदि लोग र्ह िानते थे कक
कोरोना संक्रलमत लोगों के संपकण में आने से उनके भी संक्रलमत होने की संभावना है कफर भी
उन्होंने सब की सहार्ता की । इसीललए उन्हें ’फ्रंि-लाइन-वाररर्सण’ कहा गर्ा । सैननक दिन-रात
सीमा पर हमारी रक्षा मे लगे रहते हैं । सैननक के िीवन का वर्णन करते हुए बताइए कक
िे शवालसर्ों से उसकी क्र्ा अपेक्षाएँ हैं ?

(2) ’इतनी शजक्त हमें िे ना िाता, मन का ववश्वास कमज़ोर होना’ इस पंजक्त में बतार्ा गर्ा है कक
मन के हारे हार है, मन के िीते िीत । हमें अपनी समस्र्ाओं के समाधान के ललए ककस पर
आधित होना चादहए ? साथ ही स्पटि कीजिए कक ककसी भी मुजश्कल का सामना करने के ललए
हमारा सबसे बड़ा हधथर्ार क्र्ा होता है ?

(3) प्रकृनत हमारी प्रथम लशक्षक्षका है । िीवन में आने-वाले उतार-चिाव एवं मानवीर्-संवेिनाओं को
प्रकृनत के माध्र्म से िाना एवं समझा िा सकता है । सलु मत्रानंिन पंत ने अपनी कववता में
प्रकृनत को मानवीर् रूप प्रिान करते हुए उसका सिीव धचत्रर् प्रस्तत
ु ककर्ा है । आपके अनस
ु ार
वे प्रकृनत का मानवीकरर् करने में कहाँ तक सफल हुए है ? उिाहरर् सदहत वर्णन कीजिए ।

XIII. ननम्नललखखत प्रश्नों में से ककन्हीं िो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्िों में िीजिए । (3*2=6)
(1) कौरव और पांडवों के बीच हुए महाभारत र्ुदध से ज्ञात होता है कक ककस प्रकार राज्र्-प्राजप्त की
चाहत ने भ्रात-ृ प्रेम का िमन कर दिर्ा । वतणमान काल में भी ऐसा प्रतीत होता है कक िीवन में
धन एवं भौनतक सुखों के सामने ररश्ते एवं मानवीर् भावनाएँ महत्त्वहीन हैं । ’हररहर काका’ पाठ

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के आलोक में स्पटि कीजिए कक ररश्ते एवं धन के बीच ककसे अधधक महत्त्व िे ना चादहए और
क्र्ों ?

(2) कुम्हार लमट्िी के बरतन बनाते समर् एक हाथ बरतन के अंिर रखता है तथा िस
ू रे हाथ से उसे
बाहर से थपथपाते हुए आकार िे ता है । र्दि उसे बाहर से न थपथपार्ा िाए तो वह बरतन सही
आकार नहीं लेता । मास्िर प्रीतमचंि बच्चों को अनुशासन में रखने के ललए िं ड िे ते थे साथ ही
सही कार्ण करने पर उन्हें शाबासी भी िे ते थे । पी. िी. मास्िर दवारा अपनाई गई र्ुजक्तर्ों के
संबंध में अपने ववचार रखते हुए स्पटि कीजिए कक ककस प्रकार बच्चों को भी लमट्िी के बरतन
के समान आकार िे ने की आवश्र्कता होती है ।

(3) बच्चे सभी धमण, िानत एवं उम्र के बंधन से मुक्त होते हैं । वे ककसी भी दिखावे से िरू रहते हैं ।
उन्हें जिससे अपनापन एवं प्र्ार लमलता है वे उसी को अपना लेते हैं । भरे -पूरे पररवार के होने
पर भी िोपी अकेलापन क्र्ों महसूस करता था ? इससे उसकी मानलसकता एवं पिाई पर क्र्ा
प्रभाव पडा ? र्दि आप उसके लमत्र होते तो उसकी सहार्ता कैसे करते ?

XIV. ननम्नललखखत में से ककसी एक वविर् पर संकेत-बबंिओ


ु ं के आधार पर लगभग 100 शब्िों में
अनुच्छे ि ललखखए । (5*1=5)
(1) र्ुवाओं पर पड़ता वविे शी प्रभाव
संकेत-बबंि:ु हमारा िे श और उसकी संस्कृनत, वविे शी प्रभाव, पररर्ाम

(2) सब दिन रहत न एक समान


संकेत-बबंि:ु परस्पर ववरोधी पररजस्थनतर्ाँ, कभी िख
ु कभी सुख, न िख
ु में ननराश न सुख में घमंड

(3) मोबाइल बबना सब सून


संकेत-बबंि ु : महत्त्व, लाभ-हानन, उपर्ोधगता, िीवन का अलभन्न अंग

XV. ननम्नललखखत में से ककसी एक वविर् पर पत्र ललखखए । (5*1=5)


(1) आप लखनऊ में रहने वाले मोदहत खन्ना हैं । आपके शहर में आए दिन बस चालकों की
असावधानी के कारर् हो रही िघ
ु ि
ण नाओं पर धचंता व्र्क्त करते हुए नवभारत िाइम्स के संपािक
को पत्र ललखखए ।
अथवा
(2) आप है िराबाि शहर के ननवासी लमदहर / मोननका हैं । आपके घर के पास वाले माल से िे र
रात तक लाउडस्पीकर की आवाज़ आती है । इस पर रोक लगवाने हे तु नगर-ननगम अधधकारी
को पत्र ललखखए ।

XVI. ननम्नललखखत में से ककसी एक वविर् पर लगभग 80 शब्िों में सूचना ललखखए । (4*1=4)

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(1) आपका नाम शोभा है । आप िीववदर्ा ववदर्ालर् के दहंिी सादहत्र् सभा के सधचव हैं । आपके
ववदर्ालर् में आर्ोजित होने वाली वाि-वववाि प्रनतर्ोधगता का वववरर् िे ते हुए एक सूचना तैर्ार
कीजिए |
अथवा
(2) आप गल
ु मोहर सोसाइिी के अध्र्क्ष हैं । आपकी सोसाइिी में अनाथ बच्चों के ललए भोिन की
व्र्वस्था की िा रही है । इसकी िानकारी िे ते हुए एक सूचना तैर्ार कीजिए ।

XVII. ननम्नललखखत में से ककसी एक वविर् पर लगभग 60 शब्िों में ववज्ञापन तैर्ार कीजिए ।
(3*1=3)
(1) आप एक स्वास्थ्र् संगठन से िुड़े हुए हैं । अपने शहर के ननवालसर्ों को अंग-िान के ललए
िागरूक करने के ललए आकिणक ववज्ञापन तैर्ार कीजिए ।
अथवा
(2) कक्षा िसवीं के प्रनतिशण प्रश्न-पत्र (सैंपल पेपर) के प्रचार हे तु आकिणक ववज्ञापन तैर्ार कीजिए।

XVIII. (1)‘अंत भला तो सब भला’ वविर् पर लगभग 100 शब्िों में लघ-ु कथा ललखखए । (5*1=5)
अथवा
(2) आपका नाम कबीर है । आपका पता sunil00@gmail.com है । अपने शहर के पुस्तक-
ववक्रेता vidyaprakashan@gmail.com से दहंिी एवं ववज्ञान की पुस्तकें मँगवाने के ललए
(शब्ि-सीमा लगभग 100 शब्द) (5*1=5)

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