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GENERAL INSTRUCTIONS :
Students must use their REVISION TEST COPY [PROVIDED BY THE SCHOOL]. Similar
pages available at students’ end can also be used .
Students must write their NAME , CLASS , SECTION, ROLL AND SUBJECT ON THE FIRST
PAGE BEFORE UPLOADING THE ANSWER SCRIPTS IN THE PDF FORMAT RENAMING WITH
THE SCHOOL CODE USED IN THE ZOOM CLASS AND GOOGLE CLASSROOM followed by
subject name.
Students must use BLACK/ BLUE DOT PEN FOR WRITING THE ANSWERS.
STUDENTS SHOULD WRITE THE QUESTION NUMBER, CORRECT OPTION (a/b/c/d)
ALONG WITH THE ANSWER. Marks will be deducted if only option or only answer is
written.
The question paper will be visible in the respective subject’s Google Classroom 2 minutes
prior to the scheduled time.
Students must submit their work within due time as submission of the answer script on time
to be treated as ones priority.
ननदेश:
* "खंड 'क' में कु ल 2 प्रश्न पूछे गए हैं। दोनों प्रश्नों के कु ल 20 ईपप्रश्न ददए गए हैं। ददए गए ननदेशों
का पालन करते हुए कु ल 10 ईपप्रश्नों के ईत्तर दीनजए।
* खंड 'ख' में 5 प्रश्न हैं तथा आन सभी के 16 ईपप्रश्न हैं। आनमें से ननदेशानुसार 16 ईपप्रश्नों के
ईत्तर दीनजए।
* खंड 'ग' में कु ल 3 प्रश्न हैं तथा 14 ईपप्रश्न सनममनलत हैं सभी ईपप्रश्नों के ईत्तर दीनजए।
प्रश्न 1. नीचे दो गद्ांश ददए गए हैं। दकसी एक गद्ांश को ध्यानपूर्वक पद़िए और ईस पर अधाठरत प्रश्नों
के ईत्तर सही नर्कल्प चुनकर दीनजए. (1x5=5)
यदद अप आस गद्ांश का चयन करते हैं तो कृ पया ईत्तर पुनततका में नलनखए दक अप प्रश्न संख्या 1 में
ददए गए गद्ांश-1 पर अधाठरत प्रश्नों के ईत्तर नलख रहे हैं।
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तर्ाधीनता प्रानि के पश्चात् से ही देश में ऄनेक समतयाएँ ईत्पन्न होती रही हैं। आन समतयाओं में
सांप्रदानयकता की समतया प्रमुख है। भारत का नर्भाजन भी आसी सांप्रदानयक अधार पर हुअ। अज भी
यही समतया र्तवमान है। यही समतया भारत के गणतंत्र की एकता को नछन्न-नभन्न करने के दुःतर्प्न देखती
है। यदद हम भारतर्ासी नछन्न-नभन्न हो गए, तो यह न भूलें दक दूसरे देश हम पर अँख जमाए बैिे हैं।
पारतपठरक फू ट को देखकर ऄन्य देश हमारी तर्तंत्रता को हड़प लेने का प्रयास करें गे। ऄपनी तर्तंत्रता की
रक्षा के नलए तथा ईन्ननत के नलए राष्ट्रीय एकता अर्श्यक है। क्षेत्रफल, जनसंख्या, र्ेशभूषा अदद की दृनि
से भारत को ईपमहाद्वीप कहा जाता है। यहाँ के नर्नभन्न राज्यों के ननर्ासी बाहरी दृनि से बहुत नभन्न
प्रतीत होते हैं ककतु आतनी नर्नभन्नता होने पर भी यहाँ एक ऐसी एकता पाइ जाती है जो संपूणव देश को
एक सूत्र में बाँधे हुए है। ईसमें सांप्रदानयकता के नलए कोइ तथान नहीं है।
i) गद्ांश के ऄनुसार तर्ाधीनता के पश्चात् देश की कौन-सी प्रमुख समतया रही है?
(क) हमारे देश का बँटर्ारा करें गे। (ख) हमारी समतयाओं में र्ृनि करें गे।
(ग) हमारी तर्तंत्रता हड़पने का प्रयास करें गे। (घ) हमारा नर्कास रोक देंगे।
(v) क्षेत्रफल, जनसंख्या, भाषा, र्ेशभूषा की दृनि से भारत को क्या कहा जाता है?
ऄथर्ा
यदद अप आस गद्ांश का चयन करते हैं तो कृ पया ईत्तर पुनततका में नलनखए दक अप प्रश्न संख्या 1 में
ददए गए गद्ांश-2 पर अधाठरत प्रश्नों के ईत्तर नलख रहे हैं।
नीचे ददए गए गद्ांश को ध्यानपूर्वक पद़िए और ईस पर अधाठरत प्रश्नों के ईत्तर सही नर्कल्प चुनकर
नलनखए।
पठरश्रम को सफलता की कुं जी माना गया है। जीर्न में सफलता पुरुषाथव से ही प्राि होती है। कहा भी है-
ईद्ोगी पुरुष ससह को लक्ष्मी र्रण करती है। जो भाग्यर्ादी हैं ईन्हें कु छ नहीं नमलता। र्े हाथ-पर-हाथ
धरे बैिे रह जाते हैं। ऄर्सर ईनके सामने से ननकल जाता है। भाग्य कठिन पठरश्रम का ही दूसरा नाम है।
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प्रकृ नत को ही देनखए। सारे जड़-चेतन ऄपने कायव में लगे रहते हैं। चींटी को भी पल-भर चैन नहीं।
मधुमक्खी जाने दकतनी लंबी यात्रा कर बूँद-बूँद मधु जुटाती है। मुरगे को सुबह बाँग लगानी ही है। दफर
मनुष्य को बुनि नमली है, नर्र्ेक नमला है। र्ह ननिल्ला बैिे तो सफलता की कामना करना व्यथव है। नर्श्व
में जो देश अगे ब़िे हैं, ईनकी सफलता का रहतय कठिन पठरश्रम ही है। जापान को दूसरे नर्श्व युि में
नमट्टी में नमला ददया गया था। ईसकी ऄथवव्यर्तथा नछन्न-नभन्न हो गइ थी। ददन-रात जी-तोड़ श्रम करके
र्ह पुनः नर्श्व का प्रमुख औद्ोनगक देश बन गया। बड़े-बड़े धन-कु बेर ननरं तर श्रम से ही ऄसीम संपनत्त के
तर्ामी बने हैं। फोडव साधारण मैकेननक था। धीरूभाइ ऄंबानी नशक्षक थे। लगन और दृ़ि-संकल्प पठरश्रम को
साथवक बना देते हैं। भारतीय कृ षक के पठरश्रम का ही फल है दक देश में हठरत क्ांनत हुइ। ऄमेठरका के
सड़े गेहँ से पेट भरने र्ाला देश अज गेहँ का ननयावत कर रहा है। ईन्नत औद्ोनगक देश भी हमसे र्ैज्ञाननक
ईपकरण खरीद रहे हैं।
(ii) दूसरे नर्श्व युि ने दकस देश को नमट्टी में नमला ददया?
प्रश्न 2 नीचे दो गद्ांश ददए गए हैं। दकसी एक गद्ांश को ध्यानपूर्वक पद़िए और ईस पर अधाठरत प्रश्नों
के ईत्तर सही नर्कल्प चुनकर दीनजए. (1x5=5)
यदद अप आस गद्ांश का चयन करते हैं तो कृ पया ईत्तर पुनततका में नलनखए दक अप प्रश्न संख्या 2 में
ददए गए गद्ांश-1 पर अधाठरत प्रश्नों के ईत्तर नलख रहे हैं।
जानतयाँ आस देश में ऄनेक अइ हैं। लड़ती-झगड़ती भी रही हैं, दफर प्रेमपूर्वक बस भी गइ हैं। सभ्यता की
नाना सीद़ियों पर खड़ी और ऄनेक ओर मुख करके चलने र्ाली आन जानतयों के नलए एक सामान्य धमव
खोज ननकालना कोइ सहज बात नहीं थी। भारतर्षव के ऋनषयों ने ऄनेक प्रकार से ऄनेक ओर से आस
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समतया को सुलझाने की कोनशश की थी। पर एक बात ईन्होंने लक्ष्य की थी। समतत र्णों और समतत
जानतयों का एक सामान्य अदशव भी है। र्ह है ऄपने ही बंधनों से ऄपने को बाँधना । मनुष्य पशु से दकस
बात में नभन्न है? अहार-ननद्रा अदद पशु-सुलभ तर्भार् ईसके िीक र्ैसे ही हैं, जैसे ऄन्य प्रानणयों के
लेदकन र्ह दफर भी पशु से नभन्न है। ईसमें संयम है, दूसरे के सुख-दुख के प्रनत संर्ेदना है, श्रिा है,
तप है, त्याग है। यह मनुष्य के तर्यं के ईद्भानर्त बंधन है। आसीनलए मनुष्य झगड़े-दंगे को ऄपना अदशव
नहीं मानता, गुतसे में अकर च़ि दौड़ने र्ाले ऄनर्र्ेकी को बुरा समझता है और र्चन, मन और शरीर से
दकए गए ऄसत्याचरण को गलत अचरण मानता है। यह दकसी खास जानत, र्णव या समुदाय का धमव नहीं
है। र्ह मनुष्य-मात्र का धमव है। गौतम ने िीक ही कहा था दक मनुष्य की मनुष्यता यही है दक यह सबके
दुख-सुख को सहानुभूनत के साथ देखता है। यह अत्म-ननर्ममत बंधन ही मनुष्य को मनुष्य बनाता है।
ऄसहसा, सत्य और ऄक्ोधमूलक धमव का मूल ईत्स यही है। मुझे अश्चयव होता है दक ऄनजाने में भी हमारी
भाषा से यह भार् कै से रह गया है। ऄज्ञान सर्वत्र अदमी को पछाड़ता है और अदमी है दक सदा ईससे
लोहा लेने को कमर कसे हैं।
i) देश में अने र्ाली नर्नभन्न जानतयों ने क्या खोज ननकाला था?
ऄथर्ा
नर्श्व प्रनसि दाशवननक सुकरात शक्ल से ऄत्यंत कु रूप थे। एक ददन एकाकी बैिे, र्ह दपवण हाथ में नलए
ऄपना मुँह देख रहे थे, तभी ईनका एक नप्रय नशष्य कमरे में अया और सुकरात को दपवण देखता पाकर
बहुत अश्चयवचदकत हुअ। र्ह कु छ बोले नहीं, मात्र मुसकराने लगा। नर्द्वान सुकरात ने नशष्य की मुतकु राहट
देखकर सब बात समझ ली। कु छ क्षणों के पश्चात र्े बोले, "मैं तुमहारी मुसकराहट का कारण जान गया
हँ। संभर्तया तुम सोच रहे हो दक मुझ जैसा ऄसुंदर व्यनि अनखर शीशा क्यों देख रहा है?" नशष्य मौन
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रहा। ईसकी चोरी पकड़ी गइ थी। ईसका नसर लज्जा से झुक गया। र्ह धरती की ओर देखता खड़ा रहा।
सुकरात ने पुन: बोलना अरं भ दकया, "र्त्स शायद तुम नहीं जानते दक मैं यह शीशा क्यों देखता हँ?"
"नहीं गुरुजी!" नशष्य ने कहा। "मैं कु रूप हँ, आसनलए प्रनतददन शीशा देखता हँ। शीशा देखकर मुझे ऄपनी
कु रूपता का भान हो जाता है। मैं ऄपने रूप को जानता हँ, आसीनलए मैं प्रनतददन प्रयत्न करता हँ दक ऐसे
ऄच्छे काम करूँ नजनसे मेरी यह कु रूपता ढक जाए।" नशष्य को यह बड़ा नशक्षाप्रद लगा, ककतु ईसने एक
तर्ाभानर्क शंका प्रकट की, "तब तो गुरुजी, सुंदर मनुष्यों को कदानप शीशा नहीं देखना चानहए।" "ऐसी
बात नहीं है," सुकरात ने समझाते हुए कहा, "ईन्हें भी शीशा ऄर्श्य देखना चानहए, आसनलए तादक ईन्हें
तमरण रहे दक र्े नजतने सुंदर हैं, ईतने ही सुंदर काम करें , ऄन्यथा बुरे काम ईनकी सुंदरता को भी
कु रूप बना देंगे।"
(क) तादक र्े ऄच्छे काम करें (ख) र्े सुंदरता ब़िाने का ईपाय करें
प्रश्न 3 ननम्ननलनखत प्रश्नों को ध्यानपूर्वक प़िकर सही ईत्तर का चयन कीनजए – (1x2=2)
प्रश्न 4 ननम्ननलनखत प्रश्नों को ध्यानपूर्वक प़िकर सही ईत्तर का चयन कीनजए – (1x2=2)
1) ननम्ननलनखत शब्दों में से ईस शब्द को चुननए, नजसमें ईनचत तथान पर ऄनुतर्ार का प्रयोग हुअ है –
(क) गणतत्र (ख) ध्र्ननया
(ग) गणतंत्र (घ) ध्र्ननयां
प्रश्न 6 ननम्ननलनखत प्रश्नों को ध्यानपूर्वक प़िकर सही ईत्तर का चयन कीनजए – (1x6=6)
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4) ऄनभनंदन का पयावयर्ाची शब्द है–
(क) तर्ागत (ख) र्ंदन
(ग) तपंदन (घ) नंदन
5) ‘ऄनुज’ शब्द का नर्लोम है -
(क) मनुज (ख) दनुज
(ग) ऄग्रज (घ) ऄनुजा
6) ‘हषव’ शब्द का नर्लोम शब्द है -
(क) प्रसन्नता (ख) शोक
(ग) खुशी (घ) आनमें से कोइ नहीं
प्रश्न 7 ननम्ननलनखत प्रश्नों को ध्यानपूर्वक प़िकर सही ईत्तर का चयन कीनजए – (1x2=2)
1) ‘तुम ऄच्छे ऄंक से पास हो गए। ‘आस र्ाक्य को प्रश्न र्ाचक र्ाक्य में बदनलए –
(क) क्या तुम ऄच्छे ऄंक से पास हो गए।
(ख) तुम ऄच्छे ऄंक से पास नहीं हुए।
(ग) ऄरे! तुम ऄच्छे ऄंक से पास हो गए।
(घ) क्या तुम ऄच्छे ऄंक से पास हो गए?
प्रश्न 8 ननम्ननलनखत काव्यांश पर अधाठरत प्रश्नों के ईत्तर ईनचत नर्कल्प चुनकर नलनखए-
(1x4 =4)
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(ग) तार से (घ) कच्ची रतसी से
प्रश्न 9 ननम्ननलनखत गद्ांश पर अधाठरत प्रश्नों के ईत्तर ईनचत नर्कल्प चुनकर नलनखए-
(1x5=5)
मनुष्यों की पोशाकें ईन्हें नर्नभन्न श्रेनणयों में बाँट देती हैं। प्रायः पोशाक ही समाज में मनुष्य का ऄनधकार
और ईसका दजाव नननश्चत करती है। र्ह हमारे नलए ऄनेक बंद दरर्ाजे खोल देती है, परं तु कभी ऐसी भी
पठरनतथनत अ जाती है दक हम जरा नीचे झुककर समाज की ननचली श्रेनणयों की ऄनुभूनत को समझना
चाहते हैं। ईस समय यह पोशाक ही बंधन और ऄड़चन बन जाती है। जैसे र्ायु की लहरें कटी हुइ पतंग
को सहसा भूनम पर नहीं नगर जाने देतीं, ईसी तरह खास पठरनतथनतयों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने
से रोके रहती है।
प्रश्न 10 ननम्ननलनखत गद्ांश पर अधाठरत प्रश्नों के ईत्तर ईनचत नर्कल्प चुनकर नलनखए-
(1x5=5)
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जब ऄप्रैल में मैं बेस कैं प में थीं तेनसजग ऄपनी सबसे छोटी सुपुत्री डेकी के साथ हमारे पास अए थे ।
ईन्होंने आस बात पर नर्शेष महत्त्र् ददया दक दल के प्रत्येक सदतय और प्रत्येक शेरेपा कु ली से बातचीत की
जाए। जब मेरी बारी अइ, मैंने ऄपना पठरचय यह कहकर ददया दक मैं नबल्कु ल ही नौनसनखया हँ और
एर्रे तट मेरा पहला ऄनभयान है। तेनसजग हँसे और मुझसे कहा दक एर्रे तट ईनके नलए भी पहला ऄनभयान
था, लेदकन यह भी तपि दकया दक नशखर पर पहुँचने से पहले ईन्हें सात बार एर्रे तट पर जाना पड़ा था।
दफर ऄपना हाथ मेरे कं धे पर रखते हुए ईन्होंने कहा, “तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुमहें
तो नशखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चानहए।“
iv) तेनसजग को एर्रे तट नशखर पर पहुँचने से पहले दकतने बार एर्रे तट पर जाना पड़ा?
(क) दो बार (ख) चार बार
(ग) पाँच बार (घ) सात बार