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CLASS- X

SET- 4/1/3
YEAR- 2012

HINDI (Course B)
TIME: 3 hours Max Marks: 90
• कृपया जाांच करले की इस प्रश्न- पत्र में मुद्रित पृष्ठ 16 हैं।
• प्रशन- पत्र में दाद्रहने हाथ की ओर द्रदए गए कोड नांबर को छात्र
उत्तर–पुस्तिका के मख्य – पृष्ठ पर द्रलखें।
• कृपया जाांच करले की इस प्रश्न – पत्र में 18 प्रशन है।
• कृपया प्रशन का उत्तर शुरू करने से पहले, प्रश्न का क्रमाांक
अवश्य द्रलखें।
• इस प्रश्न – पत्र को पढ़ने के द्रलए 15 द्रमद्रनट का समय द्रदया गया
है। प्रश्न – पत्र का द्रवतरण पूवााह्न में 10.15 बजे द्रकया जाएगा।
10.15 बजे से 10.30 तक छात्र केवल प्रश्न – पत्र को पढ़ें गे और
इस अवद्रि के दौरान वे उत्तर – पुस्तिका पर कोई उत्तर नहीां
द्रलखेंगे।

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खण्ड 'क'
प्रश्न 1. निम्ननिखित काव्ाांश को ध्यािपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नोां के
सही उत्तर र्ािे नर्कल्प चुनकर द्रलस्तखए - 1×5=5
अभी न होगा मेरा अांत है
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे बन में मृुुदु ल बसांत, अभी न होगा मेरा अांत।
हरे -हरे ये पात,
डाद्रलयााँ, कद्रलयााँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर
फेरू
ाँ गा द्रनद्रित कद्रलयोां पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर
पुष्प-पुष्प से तांिालल लालसा खीांच लूाँगा मैं,
अपने नवजीवन का अमृत सहषा सीांच दू ाँ गा मैं,
द्वार द्रदखा दू ाँ गा द्रफर उनको,
हैं मेरे वे जहााँ अनांत-
अभी न होगा मेरा अांत।

(1) कनर् क्ोां कहता है, अभी ि होगा मेरा अांत ?


(क) अनिक जीिा चाहता है।
(ि) जीर्ांि के र्सांत को भोगिा चाहता है।
(ग) रचिाओां से अमर हो जािा चाहता है।
(घ) मीठे सपिोां में िो जािा चाहता है।

(2) जीिे की चाह के पीछे कनर् का मन्तव् है नक र्ह -

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(क) िए-िए पादपोां की कनियााँ निहारे गा।
(ि) जीर्ि रूपी र्ि में र्सांत को सजाएगा।
(ग) पौिोां को सीांचकर फूि खििाएगा।
(घ) जीर्ि भर र्सांत में िीि रहेगा।

(3) फूिोां से कनर् आिस क्ोां िीांच िेिा चाहता है?


(क) उन्हें सुगांनित करिे के निए।
(ि) उन्हें िया जीर्ि दे िे के निए।
(ग) उन्हें सहर्व भेंट करिे के निए।
(घ) उन्हें अमृत दे िे के निए।

(4) कनर् के अिुसार कोमि गात हैं-


(क) डानियााँ
(ि) कनियााँ
(ग) पनत्तयााँ
(घ) िताएाँ

(5) सोई कनियोां को कनर् कैसे जगािा चाहता है?


(क) कोमि हाथोां के स्पशव से।
(ि) िर्जीर्ि का सांदेश दे कर।
(ग) र्सांती हर्ा के झोांकोां से।
(घ) भौांरोां के गुिगुिािे से।

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प्रश्न 2. निम्ननिखित काव्ाांश को ध्यािपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नोां के
सही उत्तर र्ािे नर्कल्प चुनकर द्रलस्तखए - 1×5=5

दे शप्रेम के ओ मतवालो, उनको भूल न जाना।


महाप्रलय की अद्रि-साि लेकर जो जग में आए,
द्रवश्व बली शासन के भय द्रजनके आगे मुरझाए।
चले गए जो शीश चढ़ाकर अर्घ्ा द्रलए प्राणोां का,
चले मजारोां पर हम उनके आज प्रदीप जलाएाँ ।
टू ट गईां बांिन की कद्ऱियााँ, स्वतांत्रता की बेला,
लगता है मन आज हमें द्रकतना अवसन्न अकेला।
द्रचरतन बद्रलदानोां का द्रवप्लव ने पहचाना,
दे शप्रेम के ओ मतवालो, उनको भूल न जाना।
जीत गए हम, जीता द्रविोही अद्रभमान हमारा,
प्राणदान द्रवश्षुब्ध तरां गोां को द्रमल गया द्रकनारा।
उद्रदत हुआ रद्रव स्वतांत्रता का व्योम उगलता जीवन,
आजादी की आग अमर है, घोद्रषत करता कण-कण,
कद्रलयोां के अिरोां पर पलते रहे द्रवलासी कायर,
उिर मृत्यु पैरोां से बााँिे, रहा जूझता यौवन।
उस शहीद यौवन की सुद्रि हम क्षण भर को न द्रबसारें ,
उसके पगद्रचह्नोां पर अपने मन के मोती वारें ।

(1) कनर्ता में चचाव की गई है-


(क) दे शर्ानसयोां की।
(ि) दे श प्रेनमयोां की।

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(ग) दे श के शहीदोां की।
(घ) दे श के नर्द्रोनहयोां की।

(2) मजारोां पर हम उिके आज प्रदीप जिाएाँ ' का आशय है -


(क) उिका गुणगाि करिा।
(ि) उिको श्रद्ाांजनि दे िा।
(ग) उिकी पूजा करिा।
(घ) उिका स्मरण करिा।

(3) जीत गए हम से नकसकी ओर सांकेत नकया गया है?


(क) दे श के सैनिकोां की ओर।
(ि) दे श के िर्युर्कोां की ओर।
(ग) दे श-प्रेम के दीर्ािोां की ओर।
(घ) दे श के िेताओां की ओर।

(4) उिर मृत्यु पैरोां से बााँिे, रहा जूझता यौवन' का तात्पया है -


(क) युर्ाजि मृत्यु से डरकर िड़िड़ाते रहे।
(ि) िर्युर्क नर्िानसता के कारण डगमगाते रहे।
(ग) दे श प्रेमी िर्युर्क निडर होकर मृत्यु से िड़ते रहे।
(घ) अिेक दे शर्ासी निभवय भार् से आजादी के गीत गाते रहे।

(5) कनर्ता का सांदेश है नक हम -


(क) सदा सजग होकर स्वतांत्रता की रक्षा करते रहें।
(ि) शहीदोां का स्मरण कर उिके पदनचह्ोां पर चिते रहें।

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(ग) स्वानभमाि की रक्षा के निए सर्वदा प्रयासशीि रहें।
(घ) निष्ठाभार् से कतवव्ोां के प्रनत जागरूक रहें।

प्रश्न 3. निम्ननिखित गद्ाांश को ध्यािपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नोां के


सही उत्तर र्ािे नर्कल्प चुनकर द्रलस्तखए - 1×5=5

काया का महत्व और उसकी सुन्दरता उसके समय पर सांपाद्रदत द्रकए


जाने पर ही है। अत्यांत सुघ़िता से
द्रकया हुआ काया भी यद्रद आवश्यकता के पूवा न पूरा हो सके तो
उसका द्रकया जाना द्रनष्फल ही
होगा। द्रचद्ऱियोां द्वारा खेत चुग द्रलए जाने पर यद्रद रखवाला उसकी
सुरक्षा की व्यवस्था करे तो सवात्र उपहास का पात्र ही बनेगा।
उसके दे र से द्रकए गए उद्यम का कोई मूल्य नहीां होगा। श्रम का गौरव
तभी है जब उसका लाभ द्रकसी
को द्रमल सके। इसी कारण यद्रद बादलोां द्वारा बरसाया गया जल कृषक
की फसल को फलने-फूलने में
मदद नहीां कर सकता तो उसका बरसना व्यथा ही है। अवसर का
सदु पयोग न करने वाले व्यस्ति को
इसी कारण पश्चाताप करना प़िता है।

(I)जीवन में समय का महत्व क्ोां है?


(क) समय काम के निए प्रेरणा दे ता है।
(ि) समय की परर्ाह िोग िहीां करते।
(ग) समय पर नकया गया काम सफि होता है।
(घ) समय र्ड़ा ही र्िर्ाि है।

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(ii) िेत का रिर्ािा उपहास का पात्र क्ोां र्िता है?
(क) िेत में पौिे िहीां उगते।
(ि) समय पर िेत की रिर्ािी िहीां करता।
(ग) नचनड़योां का इां तजार करता रहता है।
(घ) िेत पर मौजूद िहीां रहता।

(iii) नचनड़योां द्वारा िेत चुग निए जािे पर यनद रिर्ािा उसकी सुरक्षा
की व्र्स्था करे तो सर्वत्र
उपहास का पात्र ही बनेगा। रे खाांद्रकत पदबांि का प्रकार होगा-
(क) सांज्ञा
(ि) सर्विाम
(ग) निया
(घ) नियानर्शेर्ण

(iv) र्ादि का र्रसिा व्थव है, यनद -


(क) गमी शान्त ि हो।
(ि) फसि को िाभ ि. पहाँचे।
(ग) नकसाि प्रसन्न ि हो।
(घ) िदी-तािार् ि भर जाएाँ ।
(v) गद्याश का मुख्य भाव क्ा है?
(क) र्ादि का र्रसिा।
(ि) नचनड़योां द्वारा िेत का चुगिा।
(ग) नकसाि का पछतार्ा करिा।

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(घ) समय का सांदुपयोग।

प्रश्न 4. निम्ननिखित गद्ाांश को ध्यािपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नोां के


सही उत्तर र्ािे नर्कल्प चुनकर द्रलस्तखए - 1×5=5

मानव जाद्रत को अन्य जीविाररयोां से अलग करके महत्व प्रदान करने


वाला जो एकमात्र गुरु है, वह है
उसकी द्रवचार-शस्ति। मनुष्य के पास बुस्ति है, द्रववेक है, -तकाशस्ति
है, अथाात उसके पास द्रवचारोां की
अमूल्य पूाँजी है। अपने सद्रद्वचारोां की नीांव पर ही आज मानव ने अपनी
श्रेष्ठता की स्थापना की है
और मानव-सभ्यता का द्रवशाल महल ख़िा द्रकया है। यही कारण है
द्रक द्रवचारशील मनुष्य के पास
जब सद्रद्वचारोां का अभाव रहता है तो उसका वह शून्य मानस कुद्रवचारोां
से ग्रि होकर एक प्रकार से
शैतान के वशीभूत हो जाता है। मानवी बुस्ति जब सदभावोां से प्रेररत
होकर कल्याणकारी योजनाओां में
प्रवृत्त रहती है तो उसकी सदाशयता का कोई अन्त नहीां होता, द्रकन्तु
जब वहााँ कुद्रवचार अपना घर
बना लेते हैं तो उसकी पाशद्रवक प्रवृद्रत्तयााँ उस पर हावी हो उठती हैं।
द्रहांसा और पापाचार का दानवी
साम्राज्य इस बात का द्योतक है द्रक मानव की द्रवचार-शस्ति, जो उसे
पशु बनने से रोकती है, उसका
साथ दे ती है।

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(i) मािर् जानत को महत्व दे िे में नकसका योगदाि है?
(क) शारीररक शखि का।
(ि) पररश्रम और उत्साह का।
(ग) नर्र्ेक और नर्चारोां का।
(घ) मािर् सभ्यता का।

(ii)द्रवचारोां की पूाँजी में शाद्रमल नहीां है-


(क) उत्साह
(ि) नर्र्ेक
(ग) तकव
(घ) र्ुखद्

(iii) मािर् में पाशनर्क प्रर्ृनत्तयााँ क्ोां जागृत होती हैं?


(क) नहांसार्ुखद् के कारण।
(ि) असत्य र्ोििे के कारण।
(ग) कुनर्चारोां के कारण।
(घ) स्वाथव के कारण।

(iv) मिुष्य के पास र्ुखद् है, नर्र्ेक है, तकवशखि है।


रचना की दृद्रि से उपयुाि वाक् है-
(क) सरल
(ि) सांयुि
(ग) नमश्र
(घ) जनटि

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(v) गद्ाांश का उपयुि शीर्वक हो सकता है -
(क) मिुष्य का गुरु
(ि) नर्र्ेक शखि
(ग) दािर्ी शखि
(घ) पाशनर्क प्रर्ृनत्त

िण्ड ि'

प्रश्न 5, (क) निम्ननिखित में रे िाांनकत पदर्ांिोां के प्रकार निखिए -

(I) सामिे र्ािे पाकव में मैं रोज टहिता हाँ| 1


(ii) मेर पड़ोस र्ािे भाईसाहर् आज जा रहे हैं। 1
(ि) समास-नर्ग्रह कर समास का िाम निखिए- 1
काांद्रतहीन
(ग) समस्त पद र्िाकर समास का िाम निखिए- 1
घो़िे की सवारी

प्रश्न 6. (क) निम्ननिखित र्ाक्ोां में रे िाांनकत पदोां का पररचय दीनजए -

(i) तुम्हारा घर कहााँ है? . 1


(ii) र्ह एक र्ुखद्माि व्खि है। 1
(iii) हमें र्ड़ोां को सम्माि दे िा चानहए। 1
(ि) सखि-नर्च्छे द कीनजए. - 1

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पयाावरण

प्रश्न 7. (क) रचिा की दृनि से वाक्ोां के प्रकार र्ताइए -


(i) जो ििर्ाि हैं उन्हें उदार होिा चानहए। 1
(ii) र्े र्ाजार गए और पुस्तक िेकर आए | 1
(iii) तुम ही हो नजिकी र्ात मैं सुि सकता हाँ। 1

(ि) सखि कीनजए - 1


यथा+उद्रचत

प्रश्न 8) (क) द्रनम्नद्रलस्तखत र्ाकक््् योां को शुद् रूप में निखिए -

(i) घास पर चििा निर्ेि है।


(ii) तुम सपररर्ार सनहत आिा।
(iii) तुम जैसा करोगे सो भरोगे।

(ि) सखि-नर्च्छे द कीनजए : 1


मदाांि

प्रश्न 9. निम्ननिखित मुहार्रोां तथा िोकोखियोां का र्ाक्ोां में प्रयोग इस


प्रकार कीनजए द 1x4=4
द्रक उनका अथा स्पि हो जाए -
(क) िमकहिाि होिा

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(ि) िकीर का फ़कीर होिा
(ग) अिजि गगरी छिकत जाय
(घ) चार नदि की चााँदिी नफर अाँिेरी रात

खण्ड ग
प्रश्न 10. निम्ननिखित काव्ाांश को ध्यािपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नोां के
निए सही उत्तर र्ािे द्रवकल्प चुनकर द्रलस्तखए - 1x5=5
सोहत ओढ़ें पीत पट स्याम सलौने गात।
मनौ नीलमद्रण-सैल पर आतपु परयौ प्रभात।।
जपुमाला, छापैं, द्रतलक सरै न एकौ कामु।
मन-कााँचे नाचै बृथा, सााँचे रााँचै रामु।।

(i) दोहे में नकसके सौन्दयव का नचत्रण है -


(क) िीिमनण शैि
(ि) प्रभात की िूप
(ग) रािाजी
(घ) श्रीकृष्ण

(ii)नीलम के पवात से श्रीकृष्ण की तुलना क्ोां की गई है?


(क) नर्शािता और महािता के कारण।
(ि) सुर्ह की िूप पड़िे के कारण।
(ग) रां ग और दीसखि के कारण।
(घ) स्याम सिौिे होिे के कारण।
(iii) सुर्ह की िूप की कल्पिा का आिार है-

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(क) प्रातःकाि का सौन्दयव।
(ि) पीिे दु पट्टे की चमक।
(ग) िीिम के पर्वत का सौांदया।
(घ) श्रीकृष्ण के चेहरे की दमक।

(iv) ईश्वर को र्ही नप्रय है जो -


(क) तपस्या करता है।
(ि) सत्यनिष्ठ है।
(ग) भखि करता है।
(घ) मािा जपता है।

(v) जपु-मािा, छापैं, नतिक हैं -


(क) नहांदू होिे की पहि््ाि।
(ि) िमव के र्ाहरी नचह्र।
(ग) निरथवक िक्षण।
(घ) कच्चे मि का सहारा।

अथवा

चलो अभीि मागा में सहषा खेलते हुए,


द्रवपद्रत्त, द्रवध्न जो प़िें उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेलमेल हााँ, बढ़े न द्रभन्नता कभी, ._
अतका शक पांथ के सतका पांथ होां सभी।

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तभी समथा भाव है द्रक तारता हुआ तरे ,
वही मनुष्य है द्रक जो मनुष्य के द्रलए मरे ।।

(i) अभीि मागव से क्ा तात्पयव है?


(क) अपिी क्च्च्छा का मागव।
(ि) रुनच, योग्यता के अिुसार मागव।
(ग) पूर्वजोां द्वारा अपिाया मागव।
(घ) दू सरोां द्वारा र्ताया मागव।

(ii) नर्घ्न-र्ािा आिे पर क्च्‍या करिा चानहए ?


(क) ईश्वर का स्मरण करिा चानहए।
(ि) र्ािा को दू र करिा चानहए।
(ग) डटकर मुकार्िा करिा चानहए।
(घ) सहर्व िेििा चानहए।

(iii) कनर् के अिुसार सच्चा मािर् कौि है?


(क) जो दू सरोां पर प्राण न्योछावर करे ।
(ि) जो अभीि मागव में र्ढ़ता रहे।
(ग) जो नर्पनत्त-र्ािाओां की नचन्ता ि करे ।
(घ) जो औरोां को तारता हआ स्वयां तरे ।

(iv) समथा भाव क्ा है?


(क) दू सरोां को मारकर स्वयां जीनर्त रहिा।
(ि) दू सरोां की निन्दा कर स्वयां की प्रशांसा करिा।

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(ग) दू सरोां को सफिता नदिाकर स्वयां सफिता पािा।
(घ) दू सरोां को पछाड़कर स्वयां आगे र्ढ़िा।

(v) कनर् परस्पर मेिजोि र्ढ़ािे का परामशव क्ोां दे ता है?


(क) प्रेम से रहिे के निए।
(ि) भेदभार् ि र्ढ़िे दे िे के निए।
(ग) एक ही मागव से आगे र्ढ़िे के निए।
(घ) समथव भार् र्ढ़ािे के निए।

प्रश्न 11. निम्ननिखित में से नकन्हीां दो प्रश्नोां के उत्तर दीनजए -।


3+3=6
(क)‍“नगरनगट' पाठ में शासि की नकि प्रर्ृनत्तयोां का उल्लेि नकया गया
है?
(ि)‍“अर् कहााँ दू सरे के दु ि से दु िी होिे र्ािे पाठ में िेिक िे प्रेम
और अपित्व की भार्िा
के अभाव के क्या कारण बताए हैं? अपने शब्ोां में द्रलस्तखए।
(ग) 'नगन्नी का सोिा' पाठ के आिार पर निखिए नक कौि से मूल्य
शाश्वत हैं? इि मूल्योां की
जीवन में उपयोद्रगता बताइए

प्रश्न 12. नगरनगट' कहािी में िेिक िे समाज की नकि नर्सांगनतयोां की


ओर सांकेत नकया है? अपने शब्ोां में स्पि कीद्रजए। 5
अथवा

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“अर् कहााँ दू सरे के दु ि से दु िी होिे र्ािे पाठ के आिार पर निखिए
नक र्ढ़ती हई आर्ादी का पयाावरण पर क्ा प्रभाव प़िा है?

प्रश्न 13. द्रनम्नद्रलस्तखत गद्याांश को ध्यानपूवाक पढ़कर पूछे गए प्रश्नोां के


उत्तर दीद्रजए -
अकसर हम या तो गुजरे हए नदिोां की िट्टी-मीठी यादोां में उिझे रहते
हैं या भनर्ष्य के रां गीि सपिे दे खते रहते हैं। हम या तो भूतकाल में
रहते हैं या भद्रवष्यकाल में। असल में दोनोां काल द्रमथ्या हैं। एक चिा
गया है, दू सरा आया िहीां है। हमारे सामिे जो र्तवमाि क्षण है, र्ही
सत्य है। उसी में जीिा चाद्रहए। चाय पीते-पीते उसे द्रदन मेरे द्रदमाग से
भूत और भद्रवष्य दोनोां काल उ़ि गए थे। केवल वतामान क्षण सामने था
और वह अनन्तकाल द्रजतना द्रविृत था।

(क) िट्टी-मीठी यादोां और रां गीि सपिोां का तात्पयव समझाइए ? 2


(ि) हमारे समस्त प्रयास र्तवमाि के निए क्ोां होिे चानहए ? 2
(ग) चाय पीिे के र्ाद िेिक को नकि पररर्तविोां का अिुभर् हआ? 1

अथवा

नकस्सा क्ा हआ था उसको उसके पद से हटािे के र्ाद हमिे र्जीर


अिी को र्िारस पहाँचा नदया और तीन लाख रुपया सालाना वजीफा
मुकः कर द्रदया। कुछ महीने बाद गवनार जनरल ने उसे किकत्ता
(कोिकाता) तिर् नकया। र्जीर अिी कम्पिी के र्कीि के पास गया
जो र्िारस में रहता था और उससे द्रशकायत की द्रक गवनार जनरल
उसे कलकत्ता में क्ूाँ तलब करता है। वकील ने नशकायत की परर्ाह

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िहीां की। उिटा उसे र्ुरा-भिा सुिा नदया। र्जीर अिी के तो नदि में
यूाँ भी अांग्रेजोां के स्तखलाफ़ नफ़रत कूट-कूट कर भरी है, उसने खांजर से
वकील का काम तमाम कर द्रदया।

(क) र्जीर अिी कौि था? उसे नकसिे र्िारस पहाँचाया? 2


(ि) र्ांजीर अिी िे र्कीि की हत्या क्ोां की ? 2
(ग) पद से हटाए जािे के र्दिे में र्जीर अिी को क्ा नदया गया? 1

प्रश्न 14. द्रनम्नद्रलस्तखत में से द्रकन्हीां तीन प्रश्नोां के उत्तर दीद्रजए - 3x3=9
(क) अपिे नप्रयतम को प्राि करिे के निए जो दीप जिाया गया है,
उसकी कया नर्शेर्ताएाँ हैं?
मिुर मिुर मेरे दीपक जल' कद्रवता के आिार पर द्रलस्तखए।
(ि) 'कर चिे हम नफदा' कनर्ता में 'सानथयो' सम्बोिि नकिके निए
नकया गया है और उिसे क्ा अपेक्षा की गई है? अपनेशब्ोां में स्पि
कीद्रजए।
(ग).‍“मिुर-मिुर मेरे दीपक जि' कनर्ता में कर्नयत्री का स्नेहहीि
दीपक से क्ा तात्पयव है? स्पि कीनजए।
(घ) नर्हारी के दोहोां में िोकव्र्हार और िीनतज्ञाि आनद की र्ातें भी
नमिती हैं। उदाहरण सनहत स्पि कीद्रजए। .

प्रश्न 15. निम्ननिखित में से नकन्हीां दो प्रश्नोां के उत्तर दीनजए - 3x2=6


(क) टोपी एक सुनर्िा-सम्पन्न पररर्ार से था, नफर भी इफ़्फि की
हर्ेिी की तरफ उसके स्तखांचे चले जाने के क्ा कारण थे? स्पि
कीद्रजए।

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(ि)‍“टोपी शुक्ला' पाठ में इफ़्फि की दादी के स्वभार् की उि
नर्शेर्ताओां का उल्लेि कीद्रजए द्रजनके कारण टोपी ने दादी बदलने
की बात कही ?
(गां) सपिोां के से नदि पाठ के आिार पर निखिए नक अनभभार्कोां को
र्च्चोां की पढ़ाई में रुद्रच क्ोां नहीां थी। पढ़ाई को व्यथा समझने में उनके
क्ा तका थे? स्पि कीनजए।

प्रश्न 16. सपिोां के से नदि! पाठ में पी.टी. साहर् द्वारा नर्द्ानथवयोां को
अिुशानसत करिे की युखियााँ, वतामान में स्वीकृत मान्यताओां के
अनुसार कहााँ तक उद्रचत हैं? उसमें द्रनद्रहत जीवन-मूल्योां पर अपिे
तकवपूणव नर्चार प्रस्तुत कीनजए|। 4

खण्ड 'घ॑

प्रश्न 17. नदए गए सांकेत नर्न्दु ओ ां के आिार पर निम्ननिखित नर्र्योां में से


नकसी एक नर्र्य पर लगभग 80-100 शब्ोां में एक अनुच्छेद द्रलस्तखए
5

(क) श्रम का महत्व


० तात्पया
० सफलता का सोपान
० भद्रवष्य का द्रनमााण

(ि) उत्तरािण्ड की त्रासदी


* कारण

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० जनजीवन की क्षद्रत
० जनसामान्य का सद्भाव

(ग) दे शाटि
० अथा और क्षेत्र
० नए स्थानोां की जानकारी .
० नए लोगोां से मेलजोल

प्रश्न 18. आपके नर्द्ािय में स्वतांत्रता नदर्स के अर्सर पर दे शभिोां


की जीर्िी, नचत्र, आद्रद की प्रदशानी लगाई गई, द्रजसे स्थानीय लोगोां ने
बहुत सराहा। द्रकसी प्रद्रतद्रष्ठत समाचार पत्र के सम्पादक को पत्र
नििकर प्रदशविी का समाचार प्रकानशत करिे का अनुरोि कीद्रजए। 5

अथवा
आपके द्रवद्यालय में आयोद्रजत बन महोत्सव” के अवसर पर वृक्षारोपण
से सांबांद्रित कायविम में मुख्य अनतनथ के रूप में आमांद्रत्रत करते हए
पयावर्रण मांत्री, भारत सरकार को पत्र द्रलस्तखए।

प्रश्नोां के उत्तर
खण्ड - 'क'
उत्तर 1
(i) ख. जीवन के वसांत को भोगना चाहता है
(ii) ख. जीवन रूपी वन में वसांत को सजाएगा

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(iii) घ. उन्हें अमृत दे ने के द्रलए
(iv) ख. कद्रलयाां
(v) क. कोमल हाथोां के स्पशा से

उत्तर 2
(i) ग. दे श के शहीदोां की
(ii) ख. उनको श्रिाांजद्रल दे ना
(iii) ग. दे श प्रेम के दीवानोां की ओर
(iv) ग. दे श प्रेमी नवयुवक द्रनडर होकर मृत्यु से ल़िते रहे
(v) ख. शहीदोां का स्मरण कर उनके पदद्रचन्होां पर चलते रहें

उत्तर 3
(i) ग. समय पर द्रकया गया काम सफल होता है
(ii) ख. समय पर खेत की रखवाली नहीां करता
(iii) घ. द्रक्रयाद्रवशेषण
(iv) ख. फसल को लाभ ना पहुांचे
(v) घ. समय का सदु पयोग

उत्तर 4
(i) ग. द्रववेक और द्रवचारोां का
(ii) क. उत्साह
(iii) ग. कुद्रवचारोां के कारण
(iv) ग. द्रमश्र
(v) ख. द्रववेक शस्ति

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खण्ड - 'ख '

उत्तर 5
क. (i) सांज्ञा पदबांि (ii) द्रवशेषण पदबांि
ख. काांद्रत से हीन - तत्पुरुष समास
ग. घु़िसवारी - सांबांि तत्पुरुष

उत्तर 6
(क)
i. सवानाम, पुरुषवाचक, मध्यम पुरुष, एकवचन, सांबांि कारक
ii. गुणवाचक द्रवशेषण, पुद्रलांग, एकवचन, व्यस्ति का द्रवशेषण
iii. सांज्ञा, भाववाचक, पुद्रलांग
(ख) पयाावरण = परर + आवरण

उत्तर 7
(क)
i. द्रमद्रश्रत वाक्
ii. सांयुि वाक्
iii. द्रमद्रश्रत वाक्
(ख) यथोद्रचत

उत्तर 8
(क)

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i. घास पर चलना फायदे मांद है
ii. तुम सपररवार आना
iii. तुम जैसा करोगे वैसा भरोगे
(ख) मद + अांि = मदाांि

उत्तर 9
(क) कुत्ते ने माद्रलक के द्रलए अपनी जान दे कर अपना नमक हलाल
कर द्रदया।
(ख) ये अबतक लकीर के फकीर ही हैं, टेबुल पर नहीां चौकी पर ही
खाएां गे।
(ग) उसे कुछ नहीां आता द्रफर भी द्रदखावा ऐसे करता है जैसे सब
जानता हो, द्रकसी ने ठीक कहा है, अिजल गगरी छलकत जाए।
(घ) झूठे प्यार में मत फांसना, वरना कहोगे वो चार द्रदन की चाांदनी थी
अब द्रफर अांिेरी रात है।

खण्ड - 'ग '

उत्तर 10
(i) घ. श्रीकृष्ण
(ii) ख. सुबह की िूप प़िने के कारण
(iii) ख. पीले दु पट्टे की चमक
(iv) ख. सत्यद्रनष्ठ है
(v) ग. द्रनरथाक लक्षण
अथवा

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(i) ख. रुद्रच, योग्यता के अनुसार मागा
(ii) ग. डटकर मुकाबला करना चाद्रहए
(iii) ग. जो द्रवपद्रत्त - बािाओां को द्रचांता ना करे
(iv) ग. दू सरोां को सफलता द्रदलाकर स्वयां सफलता पाना
(v) घ. समथा भाव बढ़ाने के द्रलए

उत्तर 11
(क) द्रगरद्रगट पाठ में शासन के कमजोर पक्ष को दशााया गया है।
शासन व्यवस्था में हो रहे कुव्यवस्था को द्रदखाते हुए बताया गया है द्रक
वहाां के ज्यादातर लोग भ्रि थे। वो जनता को लूटा करते थे। वो जनता
की बेहतरी के द्रलए नहीां सोचते थे। वो केवल भ्रिाचार में सांद्रलप्त रहते
थे।
(ख) उन्होांने कई कारण बताए हैं जो द्रनम्नद्रलस्तखत है:-
i. मनुष्य के मन में स्वाथा की भावना पैदा होना
ii. मनुष्य हमेशा अपने स्वाथा पूरे करने में लगा रहता है
iii. खुद की स्वाथा की भावना दू सरोां पर हावी होना
iv. अपने स्वाथा पूरे करने हेतु गलत काया करने लगना
(ग) इस पाठ के अनुसार, आदशो के मूल्य शाश्वत है। आज के लोग
प्रद्रतयोद्रगता वाले दौर में जी रहे हैं जहाां उन्हें आदशो का कोई मतलब
नहीां लगता। उनके अनुसार आदशा बेमानी है। लेद्रकन आजनके युग में
भी कोई भी सफल व्यस्ति अपने जीवन में आदशो को महत्व जरूर
दे ता है।

उत्तर 12

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इस कहानी में लेखक ने समाज के कई द्रवसांगद्रतयोां पर व्यांग्य द्रकया है।
उन्होांने भ्रिाचार, ररश्वतखोरी, चापलूसी, अवसरवाद्रदता, बेमानी, दु श्मनी
जैसे अलग अलग द्रवसांगद्रतयोां पर व्यांग्य द्रकया है। उन्होांने कहा है को
पूरी व्यवस्था भेदभाव पर द्रटका है। जो चापलूस लोग होते हैं वो ब़िे
पदोां पर बैठे लोगोां की तरफदारी करते हैं। लेद्रकन जो लोग आदशो पर
चलते हैं उनका उपहास करते हैं और ऐसे लोगोां को समाज में
परे शाद्रनयोां का सामना करना प़िता है।
अथवा
बढ़ती हुई आबादी का पयाावरण पर व्यापक प्रभाव प़िा है। हम
अपनी सुद्रविाएां के द्रलए पयाावरण का दोहन कर रहे हैं। अपने घर
बनाने के द्रलए हम जांगलोां को नि कर रहे हैं। इसके कारण प्रकृद्रत का
सांतुलन द्रबग़ि रहा है और यही कारण है द्रक हमे द्रवद्रभन्न आपदाओां का
सामना करना प़ि रहा है। पशु पद्रक्षयोां की प्रजाद्रतयाां द्रवलुप्त हो रही
है। प्राकृद्रतक सांसािनोां का तेजी से इिेमाल हो रहा है द्रजसके कारण
उसकी कमी हो रही है। इसीद्रलए हम सजग होना प़िे गा और ज्यादा
से ज्यादा पे़ि लगाने होांगे ताद्रक प्रदू षण कम हो सके।

उत्तर 13
(क) खट्टी मीठी यादें का मतलब अपने जीवन में बीते ऐसे पल जो हम
सुख और दु ख दोनोां द्रदए है। रां गीन सपने मतलब वैसे सपने जो हम
अपने बेहतर और खुशहाल भद्रवष्य के द्रलए दे खते हैं।
(ख) हमारे समि प्रयास वतामान में इसद्रलए होने चाद्रहए क्ोांद्रक जो
वतामान का समय है वहीां सत्य है। भूतकाल और भद्रवष्य तो बस एक
द्रमथ्या है। हम अपने प्रयासोां से अपने वतामान को बेहतर बना सकते
हैं।

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(ग) चाय पीने के बाद लेखक के द्रदमाग से भूत और भद्रवष्य दोनोां का
काल उ़ि गया। केवल वतामान क्षण ही सामने था।
अथवा
(क) वजीर अली अवि के नवाब आद्रसफ उद्दौला का पुत्र था और उन्हें
अांग्रेजोां ने बनारस पहुांचाया।
(ख) वकील द्वारा बुरा भला कहे जाने के कारण और उसके मन में
अांग्रेजी हुकूमत के द्रलए नफरत होने के कारण उसने हत्या कर दी।
(ग) पद से हटाए जाने के बदले वजीर को बनारस भेज द्रदया गया और
तीन लाख रुपए सालाना वजीफा मुकरा र द्रकया गया।

उत्तर 14
(क) उनके अनुसार ये दीपक जलकर अपने जीवन के एक एक कण
को गला दे गा और उस प्रकाश को सागर की तरह फैला कर दू सरे
लोगो को भी लाभ पहुांचाएगा। उनके अनुसार ये आस्था रूपी दीपक हैं
जो हमेशा प्रकाश फैलाएगा।
(ख) 'कर चले हम द्रफ़दा ' कद्रवता में 'साद्रथयोां ' सांबोिन दे शवाद्रसयोां के
द्रलए द्रकया गया है। उनसे ये अपेक्षा की गई है द्रक हर एक युवा को
राम और लक्षमण बन कर सीता रूपी मातृभूद्रम की रक्षा करनी होगी।
(ग) इस कद्रवता में कद्रवयत्री ने दीपक को स्नेहीन इसद्रलए कहा है द्रक
वो अब मस्तिम हो गया है अथाात उसका तेज अब समाप्त हो चुका है।
अब उनमें कोई स्नेह नहीां रहा।
(घ) उनके दोहोां में समाज, सांबि ां और लोगोां के साथ द्रकए जाने वाले
व्यवहार के बारे में द्रसखाया जाता है। जैसे उन्होांने कहा है द्रक माला
जपने और द्रतलक लगाने से भगवान नहीां द्रमलते बस्ति सच्चे में से
भस्ति करने से ही प्रभु द्रमलते हैं।

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उत्तर 15
(क) टोपी के हवेली के तरफ स्तखांचे जाने की एक वजह इफ्फन द्रक
दादी भी थी द्रजससे उसे हमेशा स्नेह प्राप्त हुआ करता था। ऐसे कई
पल आए जहाां टोपी को वहाां से समथान भी प्राप्त हुआ।
(ख) टोपी में दादी बदलने की बात इसीद्रलए कहीां क्ोांद्रक इफ्फन द्रक
दादी, टोपी के दादी की तरह कठोर नहीां थी। वह टोपी के साथ
स्नेहपूणा व्यवहार करती थी। उनकी भाषा भी टोपी को अपने माां जैसे
होने के कारण बहुत भाती थी।
(ग) उनका मानना था द्रक बच्चे द्रहसाब द्रकताब सीख लें वहीां काफी है
क्ोांद्रक आगे चलके उन्हें अपना पैतृक व्यवसाय ही तो सांभालना है
इसद्रलए वो उन्हें स्कूल जाने की द्रजद नहीां करते थे।

उत्तर 16
बच्चोां को अनुशासन में रखने के द्रलए पी टी सर इस पाठ में उनकी
क़िी द्रपटाई करते थे। हिी गलती करने पर भी उन्हें सजा दी जाती
थी और मुगाा बना द्रदया जाता था। वतामान काल में बच्चोां को शारीररक
सजा दे ना कानूनन गलत माना गया है। हम बच्चोां को सजा दे ने के
बदले प्यार से भी समझा सकते हैं। इसके अलावा उन्हें पुरस्कार दे कर
या प्रशांसा कर के उन्हें अनुशासन में रख सकते हैं।

खण्ड - घ
उत्तर 17
(क) श्रम का महत्व
जीवन में हमेशा ही श्रम का महत्व रहा है। यद्रद हम कहें द्रक श्रम
ही जीवन है तो यह कहना गलत नहीां होगा क्ोांद्रक हम अपने श्रम के

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बदौलत ही अपने जीवन को सांवार सकते है या उसे बबााद कर सकते
हैं। श्रम चाहे शारीररक हो या मानद्रसक हो, अगर हम कुछ पाना है, हम
अपने लक्ष्य तक पहुांचना है तो श्रम करना प़िे गा। द्रबना श्रम द्रकए कभी
द्रकसी को कुछ नहीां द्रमला है। कोई व्यस्ति चाहे द्रकतना भी बुस्तिमान
हो, वो तब तक सफलता नहीां प्राप्त कर सकता जब तक वो मेहनत ना
करे । इसका उदाहरण हम अपने जीवन में भी दे ख सकते हैं। अगर
कोई कमजोर छात्र भी रहता है और वो श्रम करता है तो कभी ना कभी
वो सफलता जरूर पाता है। श्रम कर के हम आराम वाले भद्रवष्य का
द्रनमााण कर सकते हैं। रािर द्रनमााण में भी हमारा श्रम महत्वपूणा है।
इसीद्रलए हम सभी को श्रम करना चाद्रहए ताद्रक हमारा वतामान और
भद्रवष्य बेहतर हो।

(ख) उत्तराखांड की त्रासदी


उत्तराखांड में 2013 में आई त्रासदी भयावह थी। वहाां बादल फट जाने
से बेतहाशा बाररश हुई द्रजसके कारण ऐसी भयावह स्तस्थद्रत उत्तपन्न हो
गई। द्रपछले कई वषो में भारत में प्राकृद्रतक सौांदया बटोरें इन पहाद्ऱियोां
में कई आपदा झेले हैं। उत्तराखांड त्रासदी उनमें से एक है। ये इतनी
ब़िी त्रासदी थी द्रक उसने पूरे द्रवश्व का ध्यान अपनी ओर आकद्रषात कर
द्रलया। जून के माह में बादल फटने से हुई अती तेज बाररश ने बहुत
ताांडव मचाया। तेज बाररश के कारण मांदाकनी नदी ने द्रवशाल और
भयावह रूप ले द्रलया। बाढ़ और भूस्खलन ने घर, स़िक और बस्तियोां
को बहा द्रदया। उत्तराखांड के केदारनाथ में ऐसी भयावह स्तस्थद्रत पहले
कभी नहीां हुई थी। ये त्रासदी हमारे द्रलए एक ब़िा सबक है। द्रदन
प्रद्रतद्रदन प्रकृद्रत से हो रहे छे ़ि छार ही ऐसे त्रासदी की वजह है। हम
अपने सुख सुद्रविा के द्रलए प्रकृद्रत का सोषण कर रहे हैं। अगर शोषण

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नहीां रुका तो पृथ्वी का जीवन भी तबाह हो जाएगा। इसीद्रलए हमे
सजग होने की जरूरत है ताद्रक ऐसे त्रसद्रडांको कम द्रकया जा सके।
(ग) दे शाटन
हर मनुष्य में घूमने की चाह जरूर होती। उनमें नई नई चीजोां को
दे खने की प्रवृद्रत होती है। इसका कारण इां सान का द्रजज्ञासु मन है।
अपने द्रजज्ञासा को शाांत करने के द्रलए लोगो अलग अलग जगहोां पर
जाना पसांद करते हैं। इसी भ्रमण की प्रद्रक्रया को दे शाटन कहा जाता
है। इससे लोगो को नई जानकारी लेने का अवसर प्राप्त होता है। अगर
लोग दे श के द्रवद्रभन्न पयाटन स्थल पर जाते हैं तो उसे उससे जु़िी
जानकाररयाां प्राप्त होती है। द्रजससे उनका ज्ञान विान होता। इसके
अलावा जब हम कहीां जाते हैं तो अलग अलग प्राांत के लोगो से द्रमलते
जुलते हैं। उनके जीवन शैली के बारे में हमे पता चलता है। हम अलग
अलग खाने का स्वाद लेते हैं। इसके अलावा हम उनके पररवेश प्रिान
के बारे में जानते हैं। हमारे दे शाटन से रोजगार के अवसर भी प्राप्त
होते हैं। सरकार द्वारा भी इससे बढ़ावा दे ने के द्रलए प्रयास द्रकए जा रहे
हैं।

उत्तर 18
सांपादक महोदय,
द्रहांदुिान समाचार पत्र,
नई द्रदल्ली
29/11/2019
द्रवषय - प्रदशानी का समाचार प्रकाद्रशत कराने हेतु
महोदय,

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सद्रवनय द्रनवेदन है द्रक हम आपके लोकद्रप्रय समाचारपत्र में
अपने द्रवद्यालय में हुए आयोजन की खबर प्रकाद्रशत कराना चाहते हैं।
हमारे द्रवद्यालय में स्वतांत्रता द्रदवस के अवसर पर एक प्रदशानी
आयोद्रजत की गई थी। ये प्रदशानी दे शभिोां के जीवनी पर आिाररत
थी। इनमे उनके द्रचत्र और योगदान द्रक बारे में दशााया गया था। मुख्य
अद्रतद्रथ के तौर पर आए द्रजलाद्रिकारी ने इस प्रदशानी का शुभारां भ
द्रकया तथा ऐसे आयोजन की सराहना की। प्रदशानी में आस पास से
आए लोगोां में काफी उत्साह द्रदखा और उन्होांने प्रदशानी की काफी
तारीफ की।
अतः श्रीमान से द्रनवेदन है द्रक प्रदशानी की खबर को अपने समाचार
पत्र में प्रकाद्रशत करें । इसके द्रलए हम आपके आभारी रहेंगे।
िन्यवाद!
आपका द्रवश्वासी,
रमेश सुमन,
गाद्रजयाबाद।

अथवा

पयाावरण मांत्री,
भारत सरकार
29/11/2019
द्रवषय - वृक्षारोपण कायाक्रम के द्रनमांत्रण हेतु
महोदय,
हमारे द्रवद्यालय में आने वाले गुरुवार को वन महोत्सव का
आयोजन द्रकया जा रहा है। इस कायाक्रम का आयोजन पयाावरण को

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ध्यान में रखकर द्रकया गया है। इस अवसर पर वृक्षारोपण का
कायाक्रम होना है। इस अवसर पार मुख अद्रतद्रथ के रूप में हम
आपको आमांद्रत्रत करना चाहते हैं। आपके आने से हमारे आयोजन को
बल द्रमलेगा और कायाक्रम सफल हो सकेगा।
अतः श्रीमान से द्रनवेदन है द्रक आप मुख्य अद्रतद्रथ के रूप में आकर
इस कायाक्रम को सफल बनाएां । आपका आगमन अपेद्रक्षत है।
आपका द्रवश्वासी,
रमेश राज,
प्राचाया,
द्रवद्या मांद्रदर स्कूल, सूरत।

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