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CBSE Class 10 Hindi B Question Paper 2012 - Free PDF Download
CBSE Class 10 Hindi B Question Paper 2012 - Free PDF Download
SET- 4/1/3
YEAR- 2012
HINDI (Course B)
TIME: 3 hours Max Marks: 90
• कृपया जाांच करले की इस प्रश्न- पत्र में मुद्रित पृष्ठ 16 हैं।
• प्रशन- पत्र में दाद्रहने हाथ की ओर द्रदए गए कोड नांबर को छात्र
उत्तर–पुस्तिका के मख्य – पृष्ठ पर द्रलखें।
• कृपया जाांच करले की इस प्रश्न – पत्र में 18 प्रशन है।
• कृपया प्रशन का उत्तर शुरू करने से पहले, प्रश्न का क्रमाांक
अवश्य द्रलखें।
• इस प्रश्न – पत्र को पढ़ने के द्रलए 15 द्रमद्रनट का समय द्रदया गया
है। प्रश्न – पत्र का द्रवतरण पूवााह्न में 10.15 बजे द्रकया जाएगा।
10.15 बजे से 10.30 तक छात्र केवल प्रश्न – पत्र को पढ़ें गे और
इस अवद्रि के दौरान वे उत्तर – पुस्तिका पर कोई उत्तर नहीां
द्रलखेंगे।
(iii) नचनड़योां द्वारा िेत चुग निए जािे पर यनद रिर्ािा उसकी सुरक्षा
की व्र्स्था करे तो सर्वत्र
उपहास का पात्र ही बनेगा। रे खाांद्रकत पदबांि का प्रकार होगा-
(क) सांज्ञा
(ि) सर्विाम
(ग) निया
(घ) नियानर्शेर्ण
िण्ड ि'
खण्ड ग
प्रश्न 10. निम्ननिखित काव्ाांश को ध्यािपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नोां के
निए सही उत्तर र्ािे द्रवकल्प चुनकर द्रलस्तखए - 1x5=5
सोहत ओढ़ें पीत पट स्याम सलौने गात।
मनौ नीलमद्रण-सैल पर आतपु परयौ प्रभात।।
जपुमाला, छापैं, द्रतलक सरै न एकौ कामु।
मन-कााँचे नाचै बृथा, सााँचे रााँचै रामु।।
अथवा
अथवा
प्रश्न 14. द्रनम्नद्रलस्तखत में से द्रकन्हीां तीन प्रश्नोां के उत्तर दीद्रजए - 3x3=9
(क) अपिे नप्रयतम को प्राि करिे के निए जो दीप जिाया गया है,
उसकी कया नर्शेर्ताएाँ हैं?
मिुर मिुर मेरे दीपक जल' कद्रवता के आिार पर द्रलस्तखए।
(ि) 'कर चिे हम नफदा' कनर्ता में 'सानथयो' सम्बोिि नकिके निए
नकया गया है और उिसे क्ा अपेक्षा की गई है? अपनेशब्ोां में स्पि
कीद्रजए।
(ग).“मिुर-मिुर मेरे दीपक जि' कनर्ता में कर्नयत्री का स्नेहहीि
दीपक से क्ा तात्पयव है? स्पि कीनजए।
(घ) नर्हारी के दोहोां में िोकव्र्हार और िीनतज्ञाि आनद की र्ातें भी
नमिती हैं। उदाहरण सनहत स्पि कीद्रजए। .
प्रश्न 16. सपिोां के से नदि! पाठ में पी.टी. साहर् द्वारा नर्द्ानथवयोां को
अिुशानसत करिे की युखियााँ, वतामान में स्वीकृत मान्यताओां के
अनुसार कहााँ तक उद्रचत हैं? उसमें द्रनद्रहत जीवन-मूल्योां पर अपिे
तकवपूणव नर्चार प्रस्तुत कीनजए|। 4
खण्ड 'घ॑
(ग) दे शाटि
० अथा और क्षेत्र
० नए स्थानोां की जानकारी .
० नए लोगोां से मेलजोल
अथवा
आपके द्रवद्यालय में आयोद्रजत बन महोत्सव” के अवसर पर वृक्षारोपण
से सांबांद्रित कायविम में मुख्य अनतनथ के रूप में आमांद्रत्रत करते हए
पयावर्रण मांत्री, भारत सरकार को पत्र द्रलस्तखए।
प्रश्नोां के उत्तर
खण्ड - 'क'
उत्तर 1
(i) ख. जीवन के वसांत को भोगना चाहता है
(ii) ख. जीवन रूपी वन में वसांत को सजाएगा
उत्तर 2
(i) ग. दे श के शहीदोां की
(ii) ख. उनको श्रिाांजद्रल दे ना
(iii) ग. दे श प्रेम के दीवानोां की ओर
(iv) ग. दे श प्रेमी नवयुवक द्रनडर होकर मृत्यु से ल़िते रहे
(v) ख. शहीदोां का स्मरण कर उनके पदद्रचन्होां पर चलते रहें
उत्तर 3
(i) ग. समय पर द्रकया गया काम सफल होता है
(ii) ख. समय पर खेत की रखवाली नहीां करता
(iii) घ. द्रक्रयाद्रवशेषण
(iv) ख. फसल को लाभ ना पहुांचे
(v) घ. समय का सदु पयोग
उत्तर 4
(i) ग. द्रववेक और द्रवचारोां का
(ii) क. उत्साह
(iii) ग. कुद्रवचारोां के कारण
(iv) ग. द्रमश्र
(v) ख. द्रववेक शस्ति
उत्तर 5
क. (i) सांज्ञा पदबांि (ii) द्रवशेषण पदबांि
ख. काांद्रत से हीन - तत्पुरुष समास
ग. घु़िसवारी - सांबांि तत्पुरुष
उत्तर 6
(क)
i. सवानाम, पुरुषवाचक, मध्यम पुरुष, एकवचन, सांबांि कारक
ii. गुणवाचक द्रवशेषण, पुद्रलांग, एकवचन, व्यस्ति का द्रवशेषण
iii. सांज्ञा, भाववाचक, पुद्रलांग
(ख) पयाावरण = परर + आवरण
उत्तर 7
(क)
i. द्रमद्रश्रत वाक्
ii. सांयुि वाक्
iii. द्रमद्रश्रत वाक्
(ख) यथोद्रचत
उत्तर 8
(क)
उत्तर 9
(क) कुत्ते ने माद्रलक के द्रलए अपनी जान दे कर अपना नमक हलाल
कर द्रदया।
(ख) ये अबतक लकीर के फकीर ही हैं, टेबुल पर नहीां चौकी पर ही
खाएां गे।
(ग) उसे कुछ नहीां आता द्रफर भी द्रदखावा ऐसे करता है जैसे सब
जानता हो, द्रकसी ने ठीक कहा है, अिजल गगरी छलकत जाए।
(घ) झूठे प्यार में मत फांसना, वरना कहोगे वो चार द्रदन की चाांदनी थी
अब द्रफर अांिेरी रात है।
उत्तर 10
(i) घ. श्रीकृष्ण
(ii) ख. सुबह की िूप प़िने के कारण
(iii) ख. पीले दु पट्टे की चमक
(iv) ख. सत्यद्रनष्ठ है
(v) ग. द्रनरथाक लक्षण
अथवा
उत्तर 11
(क) द्रगरद्रगट पाठ में शासन के कमजोर पक्ष को दशााया गया है।
शासन व्यवस्था में हो रहे कुव्यवस्था को द्रदखाते हुए बताया गया है द्रक
वहाां के ज्यादातर लोग भ्रि थे। वो जनता को लूटा करते थे। वो जनता
की बेहतरी के द्रलए नहीां सोचते थे। वो केवल भ्रिाचार में सांद्रलप्त रहते
थे।
(ख) उन्होांने कई कारण बताए हैं जो द्रनम्नद्रलस्तखत है:-
i. मनुष्य के मन में स्वाथा की भावना पैदा होना
ii. मनुष्य हमेशा अपने स्वाथा पूरे करने में लगा रहता है
iii. खुद की स्वाथा की भावना दू सरोां पर हावी होना
iv. अपने स्वाथा पूरे करने हेतु गलत काया करने लगना
(ग) इस पाठ के अनुसार, आदशो के मूल्य शाश्वत है। आज के लोग
प्रद्रतयोद्रगता वाले दौर में जी रहे हैं जहाां उन्हें आदशो का कोई मतलब
नहीां लगता। उनके अनुसार आदशा बेमानी है। लेद्रकन आजनके युग में
भी कोई भी सफल व्यस्ति अपने जीवन में आदशो को महत्व जरूर
दे ता है।
उत्तर 12
उत्तर 13
(क) खट्टी मीठी यादें का मतलब अपने जीवन में बीते ऐसे पल जो हम
सुख और दु ख दोनोां द्रदए है। रां गीन सपने मतलब वैसे सपने जो हम
अपने बेहतर और खुशहाल भद्रवष्य के द्रलए दे खते हैं।
(ख) हमारे समि प्रयास वतामान में इसद्रलए होने चाद्रहए क्ोांद्रक जो
वतामान का समय है वहीां सत्य है। भूतकाल और भद्रवष्य तो बस एक
द्रमथ्या है। हम अपने प्रयासोां से अपने वतामान को बेहतर बना सकते
हैं।
उत्तर 14
(क) उनके अनुसार ये दीपक जलकर अपने जीवन के एक एक कण
को गला दे गा और उस प्रकाश को सागर की तरह फैला कर दू सरे
लोगो को भी लाभ पहुांचाएगा। उनके अनुसार ये आस्था रूपी दीपक हैं
जो हमेशा प्रकाश फैलाएगा।
(ख) 'कर चले हम द्रफ़दा ' कद्रवता में 'साद्रथयोां ' सांबोिन दे शवाद्रसयोां के
द्रलए द्रकया गया है। उनसे ये अपेक्षा की गई है द्रक हर एक युवा को
राम और लक्षमण बन कर सीता रूपी मातृभूद्रम की रक्षा करनी होगी।
(ग) इस कद्रवता में कद्रवयत्री ने दीपक को स्नेहीन इसद्रलए कहा है द्रक
वो अब मस्तिम हो गया है अथाात उसका तेज अब समाप्त हो चुका है।
अब उनमें कोई स्नेह नहीां रहा।
(घ) उनके दोहोां में समाज, सांबि ां और लोगोां के साथ द्रकए जाने वाले
व्यवहार के बारे में द्रसखाया जाता है। जैसे उन्होांने कहा है द्रक माला
जपने और द्रतलक लगाने से भगवान नहीां द्रमलते बस्ति सच्चे में से
भस्ति करने से ही प्रभु द्रमलते हैं।
उत्तर 16
बच्चोां को अनुशासन में रखने के द्रलए पी टी सर इस पाठ में उनकी
क़िी द्रपटाई करते थे। हिी गलती करने पर भी उन्हें सजा दी जाती
थी और मुगाा बना द्रदया जाता था। वतामान काल में बच्चोां को शारीररक
सजा दे ना कानूनन गलत माना गया है। हम बच्चोां को सजा दे ने के
बदले प्यार से भी समझा सकते हैं। इसके अलावा उन्हें पुरस्कार दे कर
या प्रशांसा कर के उन्हें अनुशासन में रख सकते हैं।
खण्ड - घ
उत्तर 17
(क) श्रम का महत्व
जीवन में हमेशा ही श्रम का महत्व रहा है। यद्रद हम कहें द्रक श्रम
ही जीवन है तो यह कहना गलत नहीां होगा क्ोांद्रक हम अपने श्रम के
उत्तर 18
सांपादक महोदय,
द्रहांदुिान समाचार पत्र,
नई द्रदल्ली
29/11/2019
द्रवषय - प्रदशानी का समाचार प्रकाद्रशत कराने हेतु
महोदय,
अथवा
पयाावरण मांत्री,
भारत सरकार
29/11/2019
द्रवषय - वृक्षारोपण कायाक्रम के द्रनमांत्रण हेतु
महोदय,
हमारे द्रवद्यालय में आने वाले गुरुवार को वन महोत्सव का
आयोजन द्रकया जा रहा है। इस कायाक्रम का आयोजन पयाावरण को