Professional Documents
Culture Documents
1
ववकास में बार्क के रुप में बड़ा मुददा िै । िमें सोचना िोगा कक सभ्य समाि में यि
अमभर्ाप क्यों मौिद
ू िै ? जिस उम्र में बच्चों को सिी मर्क्षा ममलन चाहिए, खेल कूद के
माध्यम से अपने मजस्िष्ट्क का ववकास किना चाहिए उस उम्र में बच्चों से काम किवाने से
बच्चों का र्ािीरिक, मानमसक, बौदधर्क औि सामाजिक ववकास रुक िािा िै। मर्क्षा का
अधर्काि मल
ू अधर्काि िोिा िै । मर्क्षा से ककस भ बच्चे को वींधचि िखना अपिार् माना
िािा िै।
आि आवश्यकिा इस बाि की िै कक सिकािी स्िि से लेकि व्यजक्िगि स्िि िक सभ
लोग इसके प्रति सिग ििें औि बाल-श्रम के कािण बच्चों का बचपन न तछन िाए, इसके
मलए कुछ साथशक पिल किें | आम आदम को भ बाल मिदिू ी के वविय में िागरूक िोना
चाहिए औि अपने समाि में इसे िोने से िोकना चाहिए। बालश्रम को खत्म किना केवल
सिकाि का िी किशव्य निीीं िै िमािा भ किशव्य िै कक िम इस अमभयान में सिकाि का पूिा
साथ दें ।
(i) गदयाींर् के आर्ाि पि बिाइए कक बाल-श्रम िैस सामाजिक कुिीति को समाप्ि किने के
मलए लोगों की सोच कैस िै ?
(क) बाल-श्रम को समाप्ि किना केवल समािसेव सींस्थाओीं का दातयत्व िै |
(ख) बाल-श्रम को समाप्ि किना केवल िनिा का दातयत्व िै |
(ग) बाल-श्रम को समाप्ि किना केवल सिकाि का दातयत्व िै |
(घ) बाल-श्रम को समाप्ि किना केवल अमभभावकों का दातयत्व िै |
(ii) घिों में, ढाबों में, िोटलों में, खानों, कािखानों में अनेक बाल-श्रममकों को काम कििा
दे खकि भ िम उदास न क्यों बने िििे िैं ?
(क) िम मसर्श अपने बािे में िी सोचिे िैं |
(ख) िम िागरूक बनना निीीं चाििे |
(ग) िम उनकी सिायिा किना निीीं चाििे |
(घ) िम सींवेदना र्ून्य िो चुके िैं |
(iii) गदयाींर् के आर्ाि पि बिाइए कक बाल-श्रम को िोकने के मलए साथशक प्रयास क्यों ककए
िाने चाहिए ?
(क) बाल-श्रम के कािण बच्चों का बचपन तछन िािा िै |
(ख) बाल-श्रम के कािण वे िल्दी बड़े िो िािे िैं |
(ग) बाल-श्रम के कािण बच्चों को घि पि िी ििना पड़िा िै |
(घ) बाल-श्रम के कािण बच्चों को ववदयालय आना निीीं पड़िा |
2
(क) िागरूकिा का अभाव |
(ख) तनर्शनिा औि भख
ु मिी |
(ग) मर्क्षा का अभाव |
(घ) लोगों की मनोवतृ ि |
अथवा
तनसींदेि सिििा से िि एक हदन मभन्न-मभन्न भूममकाएँ ि िे िुए, महिलाएँ ककस भ
समाि का स्िम्भ िैं । लेककन आि भ दतु नया के कई हिस्सों में समाि उनकी भूममका
को नज़िअींदाज़ कििा िै। इसके चलिे महिलाओीं को बड़े पैमाने पि असमानिा, उत्प ड़न,
ववत्त य तनभशििा औि अन्य सामाजिक बुिाइयों का खाममयािा सिन किना पड़िा िै ।
भािि में महिला सर्जक्िकिण की आवश्यकिा के बिुि से कािण सामने आिे िैं। प्राच न
काल की अपेक्षा मध्य काल में भािि य महिलाओीं के सम्मान स्िि में कार्ी कम आय ।
जििना सम्मान उन्िें प्राच न काल में हदया िािा था, मध्य काल में वि सम्मान घटने
लगा था।
आर्तु नक यग
ु में कई भािि य महिलाएँ कई सािे मित्वपण
ू श िािनैतिक िथा प्रर्ासतनक
पदों पि पदस्थ िैं, कर्ि भ सामान्य ग्राम ण महिलाएँ आि भ अपने घिों में ििने के
मलए बाध्य िैं औि उन्िें सामान्य स्वास््य सवु वर्ा औि मर्क्षा िैस सवु वर्ाएँ भ उपलब्र्
निीीं िै। ग्राम ण महिलाएँ सहदयों से घि िथा खेिों में पुरुिों के बिाबि िी काम किि
आई िैं, लेककन विाँ उन्िें सामींि सोच के कािण दस
ू िे दिे का नागरिक िी माना िािा
ििा िै | अब ग्राम ण समाि की सोच बदलने का वक्ि आ गया िै | सामाजिक
असमानिा, पारिवारिक हिींसा, अत्याचाि औि आधथशक अतनभशििा इन सभ से महिलाओीं को
छूटकािा पाना िै िो िरुिि िै महिला सर्जक्िकिण की।
महिला सर्जक्िकिण से महिलाएँ आत्मतनभशि औि र्जक्िर्ाली बनि िैं | जिससे वे अपने
ि वन से िुड़े िि र्ैसले स्वयीं ले सकि िैं औि परिवाि औि समाि में अपना स्थान
बनाि िैं । समाि में उनके वास्िववक अधर्काि को प्राप्ि किने के मलए उन्िें सक्षम
बनाना महिला सर्जक्िकिण िै । महिला सर्जक्िकिण का अथश िै महिलाओीं को
िािन तिक, सामाजिक, र्ैक्षखणक औि आधथशक क्षेत्रों में बिाबि का भाग दाि बनाया िाए |
भािि य महिलाओीं का सर्जक्िकिण बिुि िद िक भौगोमलक (र्ििी औि ग्राम ण),
र्ैक्षखणक योग्यिा, औि सामाजिक एकिा के ऊपि तनभशि कििा िै |
3
महिला सर्जक्िकिण से महिलाएँ केवल आधथशक रूप से सुदृि िी निीीं िुई िैं, अवपिु
परिवाि औि समाि की सोच में भ सकािात्मक परिविशन हदखाई दे ने लगे िैं | विशमान
समय में लोग बेहटयों को बोझ समझकि दतु नया में आने से पिले िी मािें निीीं, इसमलए
ववकास की मख्
ु यर्ािा में महिलाओीं को लाने के मलये भािि सिकाि के दवािा कई
योिनाएीं चलाई गई िैं।
(ii) ग्राम ण सोच में परिविशन लाने के मलए क्या ककया िा सकिा िै ?
(क) गाँवों में सवु वर्ाएँ उपलब्र् किाना |
(ख) सड़कें बनवाना |
(ग) अींर्ववश्वास औि रूहियों का वविोर् |
(घ) मर्क्षा का प्रचाि-प्रसाि |
(iii) अब लोग बेहटयों को बोझ निीीं समझिे,यि समाि की ककस सोच का परिणाम िै ?
(क) पिु ािन |
(ख) सकािात्मक |
(ग) नकािात्मक |
(घ) सींकीणश |
(iv) महिला सर्जक्िकिण से परिवाि की आधथशक जस्थति पि क्या प्रभाव हदखाई हदया ?
(क) ववत्त य तनभशििा समाप्ि |
(ख) आधथशक जस्थति में दब
ु ल
श िा |
(v) क्या महिलाओीं के सर्जक्िकिण का पक्ष मात्र आधथशक रूप से सर्क्ि िोना िी िै ?
(क) िाँ, इससे वे आत्मतनभशि िो िाि िैं |
(ख) निीीं, इससे उन्िें दोििी जिम्मेदारियाँ तनभान पड़ि िैं |
4
(ग) िाँ, इससे वे र्जक्िर्ाली बनि िैं |
(घ) निीीं, उनका भय-मक्
ु ि,प्रतिबींर्ों से मक्
ु ि िोना भ आवश्यक िै |
5
(क) वन काटे िा ििे िैं |
(ख) विाश के अभाव में वनों का सख
ू ना |
(ग) वन मिोत्सव |
(घ) मन
ु ार्ाखोिी |
6
जिसे खोिि थ बिसों से अब िाकि उसको पाया।
भाग गया था मझ
ु े छोड़कि वि बचपन कर्ि से आया।।
(iii) कवतयत्र की बेटी के चेििे पि ककस कािण वविय- गवश झलक ििा था ?
(क) माँ को सींग खेलिे दे खकि |
(ख) माँ के साथ ममट्टी में खेलने के कािण |
(ग) माँ को ममट्टी खखलाने लाने के कािण |
(घ) माँ को प्रसन्न दे खकि |
7
(व्याविारिक व्याकिण) अींक-16
3 तनदे र्ानस
ु ाि ककन्िीीं चाि प्रश्नों के उत्ति मलखखए - 1x4=4
(i) बादल तघि आए औि विाश िोने लग |
िचना के आर्ाि पि वाक्य-भेद िै -
(क) सिल वाक्य |
(ख) ममश्र वाक्य |
(ग) सींयक्
ु ि वाक्य |
(घ) सार्ािण वाक्य |
(iii) आनींद चाि हदन गाँव में ििा | वि सबका वप्रय िो गया |
इस वाक्य का सींयुक्ि वाक्य में रूपाींििण िोगा -
(क) आनींद चाि हदन गाँव में ििा औि सबका वप्रय िो गया |
(ख) िब आनींद चाि हदन गाँव में ििा,िब वि सबका वप्रय िो गया |
(ग) आनींद चाि हदन गाँव में ििकि सबका वप्रय िो गया |
(घ) आनींद िब चाि हदन गाँव में ििा िो वि सबका वप्रय िो गया |
8
4 तनदे र्ानस
ु ाि ककन्िीीं चाि प्रश्नों के उत्ति मलखखए - 1x4=4
(i) तनम्नमलखखि वाक्य का वाच्य मलखखए –
पयशटकों दवािा ि थश यात्रा की िाएग |
(क) किशृ वाच्य |
(ख) भाव वाच्य |
(ग) कमश वाच्य |
(घ) किण वाच्य |
9
5 तनदे र्ानस
ु ाि ककन्िीीं चाि प्रश्नों के उत्ति मलखखए - 1x4=4
(i) िम कल हदल्ली िा ििे िैं | िे खाींककि पद का परिचय िै -
(क) िातिवाचक सींज्ञा,एकवचन, पजु ल्लींग, किाश कािक |
(ख) व्यजक्िवाचक सींज्ञा, एकवचन, पजु ल्लींग, अधर्किण कािक |
(ग) व्यजक्िवाचक सींज्ञा, एकवचन, पजु ल्लींग, कमश कािक |
(घ) िातिवाचक सींज्ञा,एकवचन, पजु ल्लींग, अपादान कािक |
10
ववकल बटोिी ब च िी, पियो मूिछा खाय ||
उपयक्
ुश ि काव्य पींजक्ियों में तनहिि िस िै -
(क) व ि िस |
(ख) करुण िस |
(ग) भयानक िस |
(घ) िौद्र िस |
उपयक्
ुश ि काव्य पींजक्ियों में तनहिि िस िै -
(क) िौद्र िस |
(ख) व भत्स िस |
(ग) भयानक िस |
(घ) व ि िस |
11
(घ) क्रोर् |
खींड – ग
(पाठ्य पस्
ु िक) अींक-14
7 तनम्नमलखखि गदयाींर् को पिकि पछ
ू े गए प्रश्नों के सिी ववकल्प चन
ु कि मलखखए- 1x5=5
निीीं साब ! वो लँ गड़ा क्या िाएगा फ़ौि में | पागल िै पागल ! वो दे खो, वो आ ििा िै |
आप उस से बाि कि लो | फ़ोटो-वोटो छपवा दो उसका किीीं |
िालदाि सािब को पानवाले दवािा एक दे र्भक्ि का इस ििि मज़ाक उड़ाया िाना अच्छा
निीीं लगा | मुड़कि दे खा िो अवाक् िि गए | एक बेिद बूिा मरियल-सा लँ गड़ा आदम
मसि पि गाींर् टोप औि आँखों पि काला चश्मा लगाए एक छोटी-स सींदक
ू च औि दस
ू िे
िाथ में एक बाँस पि टँ गे बिुि-से चश्मे मलए अभ -अभ एक गली से तनकला था औि अब
एक बींद दक
ु ान के सिािे अपना बाँस हटका ििा था | िो इस बेचािे की दक
ु ान भ निीीं !
र्ेिी लगािा िै ! िालदाि सािब चक्कि में पड़ गए | पूछना चाििे थे, इसे कैप्टन क्यों
कििे िैं ? क्या यिी इसका वास्िववक नाम िै ? लेककन पानवाले ने साफ़ बिा हदया था
कक अब वि इस बािे में औि बाि किने को िैयाि निीीं|
12
(iv) िालदाि सािब पानवाले से कैप्टन चश्मेवाले के बािे में क्या पछ
ू ना चाििे थे ?
(क) चश्मेवाला र्ेिी क्यों लगािा िै ?
(ख) वि चश्मे कब से बेच ििा िै ?
(ग) इसे कैप्टन क्यों कििे िैं ?
(घ) वि किाँ िििा िै ?
(v) िालदाि सािब ककस कािण कैप्टन के बािे में औि िानकािी प्राप्ि निीीं कि सके ?
(क) पानवाले ने इस बािे में बाि किने से मना कि हदया |
(ख) पानवाला कैप्टन के बािे में अधर्क निीीं िानिा था |
(ग) िालदाि सािब के पास समय की कम थ |
(घ) कैप्टन ने िानकािी दे ने से मना कि हदया |
9 तनम्नमलखखि काव्याींर् को पिकि पूछे गए प्रश्नों के सिी ववकल्प चुनकि मलखखए- 1x5=5
नाथ सींभुर्नु भींितनिािा। िोइहि केउ एक दास िुम्िािा॥
आयेसु काि कहिअ ककन मोिी। सुतन रिसाइ बोले मुतन कोिी॥
सेवकु सो िो किै सेवकाई। अरिकिन करि करिअ लिाई॥
सुनिु िाम िेहि मसवर्नु िोिा। सिसबािु सम सो रिपु मोिा॥
सो बबलगाउ बबिाइ समािा। न ि मािे िैिहिीं सब िािा॥
सुतन मुतन बचन लखन मुसुकाने। बोले पिसुर्िहि अपमाने॥
बिु र्नुिी िोिी लरिकाईं। कबिुँ न अमस रिस कीजन्ि गोसाईं॥
13
येहि र्नु पि ममिा केहि िे िू। सुतन रिसाइ कि भग
ृ ुकुलकेिू॥
(i) पिर्िु ाम के क्रोर् को र्ाींि किने के मलए िाम ने उनसे क्या किा ?
(क) र्नुि िोड़नेवाला कोई िािकुमाि िै |
(ख) र्नुि िोड़नेवाला आपका कोई सेवक िोगा |
(ग) र्नुि िोड़नेवाला आपका कोई ममत्र िोगा |
(घ) यि र्नुि अपने आप टूट गया |
(iv) ‘भग
ृ ुकुलकेि’ू ककसे किा गया िै ?
(क) लक्ष्मण को |
(ख) िािा िनक को |
(ग) पिर्िु ाम को |
(घ) ववश्वाममत्र को |
(v) मर्व-र्नि
ु िोड़ने वाले की िल
ु ना पिर्िु ाम ने अपने ककस र्त्रु से की िै ?
(क) कणश |
(ख) सिसबािु |
(ग) घटोत्कच |
(घ) दय
ु ोर्न |
14
10 तनम्नमलखखि प्रश्नों के उत्ति सिी ववकल्प चन
ु कि मलखखए- 1x2=2
(i) गोवपयों के अनस
ु ाि ककसने िािन ति की मर्क्षा प्राप्ि कि ली िै ?
(क) कींस ने |
(ख) नींद ने |
(ग) श्र कृष्ट्ण ने |
(घ) उदर्व ने |
(ii) ‘सूिदास के पद’ के आर्ाि पि बिाइए कक गोवपयों ने व्यींग्य कसिे िुए ककसे भाग्यर्ाली
किा िै ?
(क) श्र कृष्ट्ण को |
(ख) उदर्व को |
(ग) सूिदास को |
(घ) स्वयीं को |
15