You are on page 1of 14

प्रतिदर्श प्रश्न पत्र 2020- 21 तिषय- त दिं ी 'ब' (कोड- 85) कक्षा- 10

तिर्ाशरिि समय- 3 घिंटे अतर्किम अिंक – 80


सामान्य निर्देश: तिम्ितितिि तिदेर्ों को ब ुि सािर्ािी से पतिए औि उिका पािि कीतिए:
इस प्रश्न-पत्र में दो खडं हैं- खडं 'अ' और 'ब'
खडं 'अ' में कुल 9 वस्तपु रक प्रश्न पछ ू े गए हैं| सभी प्रश्नों में उपप्रश्न ददये गये हैं । ददए गए दिदेशों का पालि करते
हुए प्रश्नों के ही उत्तर दीदिए|
खडं 'ब' में कुल 8 वर्णिा्मक प्रश्न पछ ू े गए हैं| प्रश्नों में आतं ररक दवकल्प ददए गए हैं| ददए गए दिदेशों का पालि
करते हुए प्रश्नों के उत्तर दीदिए|
ििंड – अ िस्िुपिक-प्रश्न अिंक
अपतिि गद्ािंर् (10)
प्रश्न 1. िीचे 2 गद्ािंर् तदए गए ैं| तकसी गद्ािंर् को ध्यािपूिशक पतिए औि उस पि आर्ारिि प्रश्नों 5x1=5
के उत्ति दीतिए:-
गद्ािंर्-I
यतद आप इस गद्ािंर् का चयि कििे ैं िो कृपया उत्ति-पुतस्िका में तििें तक आप प्रश्न
सख् िं या 1 में तदए गए गद्ािंर्-I पि आर्ारिि प्रश्नों के उत्ति तिि ि े ैं|
वतणमाि युग कं्यरू र यगु ह| यदद भारतवर्ण पर िज़र दौड़ाकर देखें तो हम पाएँगे दक िीवि के लगभग
सभी क्षेत्रों में कं्यरू र का प्रवेश हो गया ह| बैंक, रे लवे-स्रेशि, हवाई-अड्डे, डाक खािे, बड़े-बड़े
उद्योग-कारखािे व्यवसाय दहसाब-दकताब, रुपये दगििे तक की मशीिें कं्यरू रीकृ त हो गई हैं| अब
भी यह कं्यरू र का प्रारंदभक प्रयोग ह| आिे वाला समय इसके दवस्तृत फलाव का सक ं े त दे रहा ह|
प्रश्न उठता ह दक क्या कं्यरू र आि की ज़रूरत ह? इसका उत्तर ह- कं्यरू र िीवि की मल ू भतू
अदिवायण वस्तु तो िहीं ह, दकन्तु इसके दबिा आि की ददु िया अधरू ी िाि पड़ती ह| सांसाररक
गदतदवदधयों, पररवहि और संचार उपकरर्ों आदद का ऐसा दवस्तार हो गया ह दक उन्हें सचु ारु रूप से
चलािा अ्यंत कदठि होता िा रहा ह|
पहले मिष्ु य िीवि-भर में अगर सौ लोगों के सपं कण में आता था तो आि वह दो-हज़ार लोगों के
संपकण में आता ह| पहले ददि में पाँच-दस लोगों से दमलता था तो आि पचास-सौ लोगों से दमलता
ह| पहले वह ददि में काम करता था तो आि रातें भी व्यस्त रहती हैं| आि व्यदि के संपकण बढ़ रहे
हैं, व्यापार बढ़ रहे हैं, गदतदवदधयाँ बढ़ रही हैं, आकाक्ष ं ाएँ बढ़ रही हैं, साधि बढ़ रहे हैं| इस
अदियंदत्रत गदत को सव्ु यवस्था देिे की समस्या आि की प्रमख ु समस्या ह| कहते हैं आवश्यकता
आदवष्कार की िििी ह| इस आवश्यकता िे अपिे अिसु ार दिदाि ढूँढ दलया ह|
कं्यरू र एक ऐसी स्वचादलत प्रर्ाली ह िो कसी भी अव्यवस्था को व्यवस्था में बदल सकती ह|
हड़बड़ी में होिे वाली मािवीय भल ू ों के दलए कं्यरू र राम बार् और्दध ह| दिके र के मदाि में
अपं ायर की दिर्ाणयक भदू मका हो या लाखों-करोड़ों की लबं ी-लबं ी गर्िाएँ कं्यरू र पलक झपकते
ही आपकी समस्या हल कर सकता ह| पहले इि कामों को करिे वाले कमणचारी हड़बड़ाकर काम
करते थे, एक भल ू से घबराकर और अदधक गड़बड़ी करते थे| पररर्ामस्वरूप काम कम, तिाव
अदधक होता था| अब कं्यरू र की सहायता से काफी सदु वधा हो गई ह|
तिम्ितितिि में से तिदेर्ािुसाि सिाशतर्क उपयुक्त तिकल्पों का चयि कीतिए:-
(1) वतणमाि यगु कं्यरू र का यगु क्यों ह? 1
I. कं्यरू र के दबिा िीवि की कल्पिा असभं व सी हो गयी ह|
II. कं्यरू र िे परू े दवश्व के लोगों को िोड़ ददया ह|
III. कं्यरू र िीवि की अदिवायण मल ू भतू वस्तु बि गया ह|
IV. कं्यरू र मािव सभ्यता के सभी अगं ों का अदभन्ि अवयव बि चक ु ा ह|
(2) गद्यांश के अिसु ार कं्यरू र के महत्त्व के दवर्य में कौि-सा दवकल्प स ी ह:- 1
I. कं्यरू र काम के तिाव को समाप्त करिे का उपाय ह|
II. कं्यरू र कई मािवीय भल ू ों को दिर्ाणयक रूप से सधु ार देता ह|
III. कं्यरू र के आिे से सारी हड़बड़ाहर दरू हो गई ह|
IV. मािव की सारी समस्याओ ं का हल कं्यरू र से सभं व ह|
(3) गद्यांश के अिसु ार दकस आवश्यकता िे कं्यरू र में अपिा दिदाि ढूँढ दलया ह? 1
I. अदियंदत्रत कमणचाररयों को अिश ु ादसत करिे की|
II. अदियदं त्रत गदत को सव्ु यवस्था देिे की|
III. अदधक से अदधक लोगों से िड़ु िि- िागरर् लािे की|
IV. अदधक से अदधक कायण कभी भी व कहीं भी करिे की|
(4) कं्यरू र के प्रयोग से पहले अदधक तिाव क्यों होता था? 1
I. लंबी-लंबी गर्िाएँ करिी पड़ती थीं|
II. ग़लदतयों के डर से कमणचारी घबराए रहते थे|
III. दिके र मचों में गलत दिर्णय का ख़तरा रहता था|
IV. मािवीय भल ू ों के कारर् बड़ी दघु रण िायें होती थीं|
(5) कं्यरू र के दबिा आि की ददु िया अधरू ी ह क्योंदक- 1
I. सारी व्यवस्था, उपकरर् और मशीिें कं्यरू रीकृ त हैं|
II. कं्यरू र ही मािव एकीकरर् का आधार ह|
III. कं्यरू र िे सारी प्रदियायें आसाि बिा दी हैं|
IV. कं्यरू र द्वारा मािव सभ्यता अदधक समथण हो गयी ह|
अथवा गद्ािंर्-II
यतद आप इस गद्ािंर् का चयि कििे ैं िो कृपया उत्ति-पतु स्िका में तििें तक आप प्रश्न
सिंख्या 1 में तदए गए गद्ािंर्-II पि आर्ारिि प्रश्नों के उत्ति तिि ि े ैं|
पाठक आमतौर पर रूदढ़वादी होते हैं, वे सामान्यतः सादह्य में अपिी स्थादपत मयाणदाओ ं की
स्वीकृ दत या एक स्व्ि-िगत में पलायि चाहते हैं| सादह्य एक झरके में उन्हें अपिे आस-पास के
उस िीवि के प्रदत सचेत करता ह, दिससे उन्होंिे आँखें मदँू रखी थीं| शतु रु मग़ु ण अफ्रीका के रे दगस्तािों
में िहीं दमलते; वे हर िगह बहुतायत में उपलब्ध हैं| प्रौद्योदगकी के इस दौर का ितीिा िीवि के हर
गोशे में िक़द फ़सल के दलए बढ़ता हुआ पागलपि ह; और हमारे राििीदतज्ञ, सत्ता के दलाल,
व्यापारी, िौकरशाह- सभी लोगों को इस भगदड़ में िहीं पहुचँ िे, िसा दसू रे करते हैं वसा करिे,
चहू ादौड़ में शादमल होिे और कुछ-ि-कुछ हांदसल कर लेिे को दिए िा रहे हैं| हम थककर साँस
लेिा और अपिे चारों ओर दिहारिा, हवा के पेड़ में से गज़ु रते वक़्त पदत्तयों की मिहर लय-गदतयों
को और फूलों के िादईु रंगों को, फूली सरसों के चमकदार पीलेपि को, दखले मदािों की घिी
हरीदतमा को ममणर ध्वदि के सौन्दयण, दहमाच्छाददत दशखरों की भव्यता, समद्रु तर पर पछाड़ खाकर
दबखरती हुई लहरों के घोर् को देखिा-सिु िा भल ू गए हैं|
कुछ लोग सोचते हैं दक पदिम का आधदु िकतावाद और भारत तथा अदधकांश तीसरी ददु िया के
िव-औपदिवेदशक दचंति के साथ अपिी िड़ों से अलगाव, व्यदिवादी अििदबयत में हमारा
अदिवायण बे-लगाम धँसाव, अचेति के दबंब, बौदिकता से दवद्रोह, यह घोर्र्ा दक 'ददमाग़ अपिी
रस्सी के अदं तम दसरे पर ह', यथाथणवाद का दवध्वसं , काम का ऐदन्द्रक सख ु मात्र रह िािा और
मािवीय भाविाओ ं का व्यावसायीकरर् तथा दिम्िस्तरीयकरर् इस अधं ी घारी में आ फँ सिे की
विह ह| लेदकि वे भल ू िाते हैं दक आधदु िकीकरर् इदतहास की एक सच्चाई ह, दक िई समस्याओ ं
को िन्म देिे और दवज्ञाि को अदधक िदरल बिािे के बाविदू आधदु िकीकरर्, एक तरह से, मािव
िादत की दियदत ह|
मेरा सझु ाव ह दक दववेकहीि आधदु िकता के बाविदू आधुदिकता की ददशा में धयणपवू क ण सयु ोदित
प्रयास होिे चादहए| एक आलोचक दकसी िाली में भी झाँक सकता ह, पर वह िाली-दिरीक्षक िहीं
होता| लेखक का कायण ददु िया को बदलिा िहीं, समझिा ह| सादह्य िांदत िहीं करता; वह मिष्ु यों
का ददमाग बदलता ह और उन्हें िांदत की आवश्यकता के प्रदत िागरूक बिाता ह|
तिम्ितितिि में से तिदेर्ािुसाि सिाशतर्क उपयुक्त तिकल्पों का चयि कीतिए:-
(1) गद्याशं में ‘शतु रु मग़ु ण’ की सज्ञं ा दकसे दी गई ह? 1
I. लेखक, िो संसार को समझिा चाहता ह|
II. राििीदतज्ञ, िो अपिे स्वाथण साधिा चाहता ह|
III. पाठक, िो सपिों की ददु िया में रहिा चाहता ह|
IV. िौकरशाह, िो दसू रों िसा बििे को होड़ में शादमल ह|
(2) आधदु िकता की ददशा में सयु ोदित प्रयास क्यों होिे चादहएँ? 1
I. इससे िीवि सगु म हो िायेगा तथा मािव प्रकृ दत का आिदं ले सके गा|
II. िई समस्याओ ं को िन्म लेिे के पहले ही रोका िा सके गा|
III. आधदु िक होिे की प्रदिया सदा से मािव सभ्यता का अगं रही ह |
IV. इससे दवज्ञाि सरल होअदधक मािव कल्यार्ी हो सके गा|
(3) 'िक़द फ़सल के दलए बढ़ता हुआ पागलपि' से क्या ता्पयण ह? 1
I. लोग तरु ं त व अदधक से अदधक लाभ कमािा करिा चाहते हैं|
II. लोग प्रकृ दत को समय िहीं देिा चाहते हैं|
III. लोग थके हुए हैं पर दवश्राम िहीं करिा चाहते|
IV. लोग भौदतकतावादी तथा अमीर लोगों की िकल करिा चाहते हैं|
(4) पाठक सादह्य से आमतौर पर क्या अपेक्षा रखते हैं? 1
I. सादह्य को हमारे मि की बात कहिी चादहए|
II. सादह्य को संसार को यथावत समझिा चादहए|
III. सादह्य तिाव कम करिे वाला होिा चादहए|
IV. सादह्य को िीवि कौशलों व मल्ू यों की दशक्षा देिी चादहए|
(5) लेखक के अिसु ार सादह्य क्या कायण करिे के दलये प्रेररत करता ह? 1
I. लोगों को यथाथण से अवगत करा बदलाव के दलए|
II. लोगों को िीवि की समस्याओ ं को भल ु ा आगे बढ़ते िािे के दलए|
III. लोगों को यथाथणवाद का दवध्वसं करिे के दलए|
IV. लोगों को भाविाओ ं व ऐदन्द्रक सख ु से ऊपर उठ कायण करिे के दलए|
प्रश्न 2. िीचे 2 गद्ािंर् तदए गए ैं| तकसी 1 गद्ािंर् को ध्यािपिू शक पतिए औि उस पि आर्ारिि 5x1=5
प्रश्नों के उत्ति दीतिए:-
गद्ािंर्-I
यतद आप इस गद्ािंर् का चयि कििे ैं िो कृपया उत्ति-पुतस्िका में तििें तक आप प्रश्न
सख् िं या 2 में तदए गए गद्ािंर्-I पि आर्ारिि प्रश्नों के उत्ति तिि ि े ैं|
पशु को बाँधकर रखिा पड़ता ह, क्योंदक वह दिरंकुश ह| चाहे िहाँ-तहाँ चला िाता ह, इधर-उधर
महँु मार देता ह| क्या मिष्ु य को भी इसी प्रकार दसू रों का बन्धि स्वीकार करिा चादहए? क्या इससे
उसमें मिष्ु य्व रह पाएगा| पशु के गले की रस्सी को एक हाथ में पकड़ कर और दसू रे हाथ में एक
लकड़ी लेकर िहाँ चाहो हाँककर ले िाओ| दिि लोगों को इसी प्रकार हाँके िािे का स्वभाव पड़
गया ह, दिन्हें कोई भी दिधर चाहे ले िा सकता ह, काम में लगा सकता ह, उन्हें भी पशु ही कहा
िाएगा| पशु को चाहे दकतिा मारो, चाहे दकतिा उसका अपमाि करो, बाद में खािे को दे दो, वह
पँछू और काि दहलािे लगेगा| ऐसे िर पशु भी बहुत से दमलेंगे िो कुचले िािे और अपमादित होिे
पर भी िरा-सी वस्तु दमलिे पर चर संतष्टु और प्रसन्ि हो िाते हैं| कुत्ते को दकतिा ही ताड़िा देिे के
बाद उसके सामिे एक रुकड़ा डाल दो, वह झर से मार-पीर को भल ू कर उसे खािे लगेगा| यदद हम
भी ऐसे ही हैं तो हम कौि हैं, इसे स्पष्ट कहिे की आवश्यकता िहीं| पशओ ु ं में भी कई पशु मार-पीर
और अपमाि को िहीं सहते| वे कई ददि तक दिराहार रहते हैं, कई पशओ ु ं िे तो प्रार् ्याग ददए, ऐसा
सिु ा िाता ह| पर इस प्रकार के पशु मिष्ु य-कोदर के हैं, उिमें मिष्ु य्व का समावेश ह, यदद ऐसा कहा
िाए तो कोई अ्युदि ि होगी|
तिम्ितितिि में से तिदेर्ािुसाि सिाशतर्क उपयुक्त तिकल्पों का चयि कीतिए:-
(1) कई पशओ ु ं िे प्रार् ्याग ददए| क्योंदक:- 1
I. उन्हें दवद्रोह करिे की अपेक्षा प्रार् ्यागिा उदचत लगा|
II. उन्हें दतरस्कृ त हो िीवि िीिा उदचत िहीं लगा|
III. वह यह दशक्षा देिा चाहते थे की ्यार, मार पीर से अदधक कारगर ह|
IV. वह यह ददखािा चाहते थे दक लोगों को उिकी आवश्यकता अदधक ह ि दक उन्हें लोगों
की|
(2) बंधि स्वीकार करिे से मिष्ु य पर क्या प्रभाव पड़ेंग-े 1
I. मिष्ु य सामादिक और व्यदिगत रूप से कम स्वतंत्र हो िाएगा|
II. मिष्ु य्व में व्यदिगत इच्छा व दिर्णय का त्व समाप्त हो िाएगा|
III. मिष्ु य बँधे हुए पशु समाि हो िाएगा|
IV. मिष्ु य की दिरकंु शता में पररवतणि हो िाएगा|
(3) मिष्ु य्व को पररभादर्त करिे हेतु कौिसा मल्ू य अदधक मह्वपर्ू ण ह? :- 1
I. स्वतंत्रता|
II. न्याय|
III. शांदत|
IV. प्रेम|
(4) गद्ािंर् के अिुसाि कौि-सी उद्घोषणा की िा सकिी ै? 1
I. सभी पशओ ु ं में मिष्ु य्व ह|
II. सभी मिष्ु यों में पश्ु व ह|
III. मािव के दलए बंधि आवश्यक िहीं ह|
IV. माि-अपमाि की भाविा के वल मािव ही समझता ह|
(5) गद्यांश में िर और पशु की तल ु िा दकि बातों को लेकर की गई ह? - 1
I. दपरिे की क्षमता|
II. पँछ ू -काि आदद को दहलिा|
III. बधं ि स्वीकार करिा|
IV. लकड़ी द्वारा हाँके िािा|
अथवा गद्ािंर्-II
यतद आप इस गद्ािंर् का चयि कििे ैं िो कृपया उत्ति-पतु स्िका में तििें तक आप प्रश्न
सिंख्या 2 में तदए गए गद्ािंर्-II पि आर्ारिि प्रश्नों के उत्ति तिि ि े ैं|
व्यदि दचत्त सब समय आदशों द्वारा चादलत िहीं होता| दितिे बड़े पमािे पर मिष्ु य की उन्िदत के
दवधाि बिाए गए, उतिी ही मात्रा में लोभ, मोह िसे दवकार भी दवस्तृत होते गए, लक्ष्य की बात भल

गए, आदशों को मज़ाक का दवर्य बिाया गया और सयं म को ददकयािसू ी माि दलया गया| पररर्ाम
िो होिा था, वह हो रहा ह| यह कुछ थोड़े-से लोगों के बढ़ते हुए लोभ का ितीिा ह, परंतु इससे
भारतवर्ण के परु ािे आदशण और भी अदधक स्पष्ट रूप से महाि और उपयोगी ददखाई देिे लगे हैं|
भारतवर्ण सदा काििू को धमण के रूप में देखता आ रहा ह| आि एकाएक काििू और धमण में अतं र
कर ददया गया ह| धमण को धोखा िहीं ददया िा सकता, काििू को ददया िा सकता ह| यही कारर् ह
दक िो धमणभीरू हैं, वे भी त्रदु रयों से लाभ उठािे में सक
ं ोच िहीं करते|
इस बात के पयाणप्त प्रमार् खोिे िा सकते हैं दक समाि के ऊपरी वगण में चाहे िो भी होता रहा हो,
भीतर-बाहर भारतवर्ण अब भी यह अिभु व कर रहा ह दक धमण काििू से बड़ी चीज़ ह| अब भी सेवा,
ईमािदारी, सच्चाई और आध्याद्मकता के मल्ू य बिे हुए हैं| वे दब अवश्य गए हैं, लेदकि िष्ट िहीं
हुए हैं| आि भी वह मिष्ु य से प्रेम करता ह, मदहलाओ ं का सम्माि करता ह, झठू और चोरी को
गलत समझता ह, दसू रों को पीड़ा पहुचँ ािे को पाप समझता ह|
गद्ािंर् के आर्ाि पि तिम्ितितिि में से तिदेर्ािुसाि सिाशतर्क उपयुक्त तिकल्पों का चयि
कीतिए:-
(1) मिष्ु य िे आदशों को मज़ाक का दवर्य दकस कारर् बिा दलया- 1
I. काििू
II. उन्िदत
III. लोभ
IV. धमणभीरुता
(2) धमण एवं काििू के सदं भण में भारत के दवर्य में कौि-सा कथि सबसे अदधक स ी ह:- 1
I. मदहलाओ ं का सम्माि धमण तो ह, पर काििू िहीं ह|
II. धमण और काििू दोिों को धोखा ददया िा सकता ह|
III. भले लोगों के दलये काििू िहीं चादहये और बरु े इसकी परवाह िहीं करते हैं|
IV. भारत का दिचला वगण कदादचत अभी भी काििू को धमण के रूप में देखता ह|
(3) भारतवर्ण में सेवा और सच्चाई के मल्ू य ……………. रे खांदकत के दलए दवकल्प छाँदरए:- 1
I. मिष्ु य की समाि पर दिभणरता में कमी होिे के कारर् इिमें ह्रास हुआ ह|
II. िीवि में उन्िदत के बड़े पमािे के कारर् कहीं दछप से गये हैं|
III. न्यायालयों में काििू की स्याभासी धाराओ ं में उलझ कर रह गये हैं|
IV. परमाथण के दलये िीवि की बािी लगािे वाले यह दसि करते हैं दक यह व्यदि के मि को
अभी भी दियंदत्रत कर रहे हैं|
(4) भारतवर्ण का बड़ा वगण बाहर-भीतर कदादचत क्या अिभु व कर रहा ह? 1
I. धमण, काििू से बड़ी चीज़ ह|
II. काििू , धमण से बड़ी चीज़ ह|
III. संयम अशि और अकमणण्य लोगों के दलये ह|
IV. आदशण और उसूलों से यथाथण िीवि असंभव ह|
(5) दिम्िदलदखत में से सिाशतर्क उपयुक्त र्ीषशक का चयि कीदिए:- 1
I. उन्िदत के सन्दभण में िीवि मल्ू यों की प्रासंदगकता
II. मािव दचत्त के आकर्णर् दिवारर् में आदशों की भदू मका
III. समाि कल्यार् हेतु धमण और काििू का सहअदस्त्व
IV. धादमणक व सावणभौदमक मल्ू यों का एकीकरर्
व्याि ारिक व्याकिण (16)
प्रश्न 3. तिम्ितितिि पािंच भागों में से तकन् ीं चाि भागों के उत्ति दीतिये
(1) 'ििााँिा ब ुि बिर्ािी भी था|'- रे खांदकत में पद ह:- 1
I. संज्ञा पद
II. सवणिाम पद
III. दवशेर्र् पद
IV. दिया पद
(2) ‘िे मााँ से क ािी सुििे ि िे ैं|’- वाक्य में दिया-पदबंध ह:- 1
I. वे माँ से
II. माँ से कहािी
III. सिु ते रहते हैं
IV. कहािी सिु ते
(3) बाँगिे के पीछे लगा पेड़ दगर गया|- वाक्य में रे खादं कत पदबधं ह:- 1
I. सज्ञं ा पदबधं
II. दिया पदबंध
III. दवशेर्र् पदबंध
IV. दियादवशेर्र् पदबंध
(4) िाक्य ………………. से बिता ह|:- 1
I. स्वर
II. व्यंिि
III. शब्द
IV. पद
(5) मैं िेज़ी से दौड़िा ुआ घर पहुचँ ा|- रे खांदकत में कौि-सा पदबंध ह:- 1
I. दियादवशेर्र् पदबंध
II. दवशेर्र् पदबधं
III. संज्ञा पदबंध
IV. दिया पदबंध
प्रश्न 4. तिम्ितितिि पािंच भागों में से तकन् ीं चाि भागों के उत्ति दीतिये
(1) ‘बच्चे आए ैं औि िेि ि े ैं|’ – िाक्य-िचिा की दृदष्ट से ह:- 1
I. दमश्र वाक्य
II. सरल वाक्य
III. सयं ि ु वाक्य
IV. सामान्य वाक्य
(2) "िाम घि गया| उसिे मााँ को देिा|"- का सिंयुक्त-िाक्य बिेगा:- 1
I. राम िे घर िाकर माँ को देखा|
II. राम घर गया और उसिे माँ को देखा|
III. राम घर गया अत: उसिे माँ को देखा|
IV. िब राम घर गया तब उसिे माँ को देखा|
(3) दिम्िदलदखत में तमश्र-िाक्य ह:- 1
I. चोर को देखकर दसपाही उसे पकड़िे दौड़ा|
II. िेतािी भार्र् देकर चले गए|
III. सेठ िािता ह दक िौकर ईमािदार ह|
IV. उसिे खािा खाया और सो गया|
(4) दिम्िदलदखत में सिंयुक्त-िाक्य ह:- 1
I. वह बाज़ार पस्ु तक ख़रीदिे गया|
II. वह बाज़ार से पस्ु तक ख़रीद लाया|
III. िब वह बाज़ार गया तब पस्ु तक खरीद लाया|
IV. वह बाज़ार गया और पस्ु तक ख़रीद लाया|
(5) दमश्र वाक्य को संयि
ु वाक्य में अथवा संयिु को सरल वाक्य में बदििे को कहते हैं:- 1
I. वाक्य दिमाणर्
II. वाक्य रूपांतरर्
III. वाक्य प्रदिया
IV. वाक्य संश्लेर्र्
प्रश्न 5. तिम्ितितिि पािंच भागों में से तकन् ीं चाि भागों के उत्ति दीतिये
(1) 'म ािीि'- शब्द में कौि-सा समास ह:- 1
I. कमणधारय
II. दद्वगु
III. त्परुु र्
IV. अव्ययीभाव
(2) 'ििगमि'- समस्तपद का तिग्र होगा:- 1
I. वि का गमि
II. वि से गमि
III. वि को गमि
IV. वि और गमि
(3) 'पीि ै िो अम्बि'- का समस्िपद ह:- 1
I. दपतांबर
II. पीतम्बर
III. पीताम्बर
IV. पीला अबं र
(4) 'गरुु ददक्षर्ा' शब्द के स ी समास-दवग्रह का चयि कीदिए:- 1
I. गरुु से ददक्षर्ा – त्परुु र् समास
II. गरुु का ददक्षर्ा - त्परुु र् समास
III. गरुु की ददक्षर्ा- त्परुु र् समास
IV. गरुु के दलए ददक्षर्ा –त्परुु र् समास
(5) 'तदिचयाश' समस्तपद का दवग्रह ह:- 1
I. ददि की चयाण
II. ददि में आराम
III. ददि में चलिा
IV. ददि भर खािा
प्रश्न 6. तिम्ितितिि चािों भागों के उत्ति दीतिये
(1) पढ़ाई में मेहित कर मैं …… हो सकता ह|ँ महु ावरे से रिक्त स्थाि की पदू तण कीदिए:- 1
I. अधं ों में कािा रािा
II. एक पंथ दो काि
III. अपिा हाथ िगन्िाथ
IV. परों पर खड़ा होिा
(2) ‘दवपदत्त में उसकी अक्ल ....................उपयिु महु ावरे से ररि स्थाि की पदू तण कीदिए:- 1
I. खो िािा
II. ठिक िािा
III. चकिा िािा
IV. आगबबूिा ो िािा
(3) सच्चे शरू वीर देश की रक्षा में प्रार्ों की __ हैं। रिक्त स्थाि की पदू तण सरीक महु ावरे से कीदिए:- 1
I. बािी लगा देते हैं|
II. िाि लगा देते हैं|
III. ताकत लगा देते हैं|
IV. आहुदत लगा देते हैं|
(4) गरीब माँ-बाप अपिा _________________कर बच्चों को पढ़ाते हैं और वे दचंता िहीं करते। 1
ररि स्थाि की पदू तण सरीक महु ावरे से कीदिए:-
I. गला कार|
II. पेर कार|
III. खिू बहा|
IV. मि लगा|
प्रश्न पाि्य-पुस्िक (14)
प्रश्न 7. तिम्ितितिि पद्ािंर् को पिकि प्रश्नों के सिाशतर्क उपयुक्त तिकल्पों का चयि कीतिए 4x1=4
कर चले हम दफ़दा िािो-ति सादथयो
अब तम्ु हारे हवाले वति सादथयो,
साँस थमती गई, िब्ज़ िमती गई
दफर भी बढ़ते कदम को ि रुकिे ददया,
कर गए सर हमारे तो कुछ गम िहीं
सर दहमालय का हमिे ि झक ु िे ददया,
मरते-मरते रहा बाँकपि सादथयो
अब तम्ु हारे हवाले वति सादथयो…..1
दज़दं ा रहिे के मौसम बहुत हैं मगर
िाि देिे की रुत रोज़ आती िहीं,
हुस्ि और इश्क दोिों को रुस्वा करे
वो िवािी िो खँू में िहाती िहीं,
आि धरती बिी ह दल्ु हि सादथयो
अब तम्ु हारे हवाले वति सादथयो…..2
(1) 'सर दहमालय का हमिे ि झक ु िे ददया'- पंदि में 'सि' तकसका प्रिीक ह:- 1
I. स्वादभमाि
II. दसर
III. घमडं
IV. परािम
(2) पद्यांश में ' बािंकपि ' र्ब्द प्रिीक ह:- 1
I. विता
II. अद्भुत
III. छदव
IV. बेदमसालपि
(3) धरती के दल्ु हि बििे से िात्पयश ह:- 1
I. ददु ल्हि की भांदत शमाण रही ह|
II. सदिकों के ख़िू से िहा गई ह|
III. बदलदाि से गौरवादन्वत हुई ह|
IV. ददु ल्हि की भांदत अपिे दप्रयतम की आस देख रही ह|
(4) सर पर कफ़ि बाधं िे का अथण ै:- 1
I. बदलदाि के दलए तयार होिा|
II. मरिे की कोदशश करिा|
III. अपिे दलए िाि की बािी लगािा|
IV. लोगों को ददखािा दक हम मरिे से िहीं डरते|
प्रश्न 8. तिम्ितितिि गद्ािंर् को पिकि प्रश्नों के सिाशतर्क उपयुक्त तिकल्पों का चयि कीतिए:- 5x1=5
हमारे िीवि की रफ़्तार बढ़ गई ह| यहाँ कोई चलता िहीं, बदल्क दौड़ता ह| कोई बोलता िहीं, बकता
ह| हम िब अके ले पड़ते हैं, तब अपिे आप से लगातार बड़बड़ाते रहते हैं| अमेररका से हम प्रदतस्पधाण
करिे लगे| एक महीिे में परू ा होिे वाला काम एक ददि में परू ा करिे की कोदशश करिे लगे| वसे भी
ददमाग़ की रफ़्तार हमेशा तेज़ ही रहती ह| उसे 'स्पीड' का इिं ि लगािे पर वह हज़ार गिु ा अदधक
रफ़्तार से दौड़िे लगता ह| दफर एक क्षर् ऐसा आता ह िब ददमाग़ का तिाव बढ़ िाता ह और परू ा
इिं ि रूर िाता ह| यही कारर् ह दिससे मािदसक रोग यहाँ बढ़ गए हैं|
अकसर हम या तो गज़ु रे हुए ददिों की खट्टी-मीठी यादों में उलझे रहते हैं| हम या तो भतू काल में रहते
हैं या भदवष्य काल में| असल में दोिों ही काल दमथ्या हैं| एक चला गया ह, दसू रा आया ही िहीं ह|
हमारे सामिे िो वतणमाि क्षर् ह, वही स्य ह| उसी में िीिा चादहए| चाय पीते-पीते उस ददि ददमाग
से भतू और भदवष्य दोिों ही काल उड़ गए थे| के वल वतणमाि क्षर् सामिे था| और वह अिंतकाल
दितिा दवस्तृत था|
(1) गद्यांश में मािदसक रोगों के बढ़िे का कारर् क्या बताया गया ह:- 1
I. अमेररका से प्रदतस्पधाण करिा|
II. तेज़ रफ़्तार से दौड़ते ददमाग का तिाव|
III. सामथ्यण से अदधक कायण करिे का दबाव|
IV. खट्टी-मीठी यादों में उलझे रहिा|
(2) िीवि की रफ़्तार बढ़िे का अथण ै:- 1
I. प्रदतयोगी होिा|
II. दसू रों को हरािा|
III. तीव्र गदत से कायण का दिष्पादि करिा|
IV. िल्दी बढ़ू ा होिा|
(3) ‘दोिों ही काल दमथ्या हैं’: इसका िात्पयश ह:- 1
I. समय सदा स्य िहीं रहता|
II. दोिों ही काल झठू े हैं|
III. व्यदि का दियंत्रर् के वल वतणमाि पर रहता ह|
IV. व्यदि को खट्टी-मीठी यादों में िहीं रहिा चादहए|
(4) ददमाग पर स्पीड का इिं ि क्यों लगाया िाता ह::- 1
I. अमेररका से प्रदतस्पधाण के दलए|
II. दौड़िे की गदत बढ़ािे के दलए|
III. ददमाग की स्पीड बढ़ािे के दलए|
IV. ददमाग को तिावमि ु रख अदधक कायण करिे के दलये|
(5) अिंतकाल के दवस्तृत होिे का क्या कारर् था::- 1
I. समय व्यतीत िहीं हो पािे के कारर्|
II. लेखक के बोर होिे के कारर्|
III. लेखक के वल वतणमाि के बारे में ही सोच पा रहा था|
IV. क्योंदक आकाश का दसू रा िाम अितं ह|
प्रश्न 9. तिम्ितितिि गद्ािंर् को पिकि प्रश्नों के सिाशतर्क उपयुक्त तिकल्पों का चयि कीतिए:- 5x1=5
वामीरो के रुदि स्वरों को सिु कर उसकी माँ वहाँ पहुचँ ी और दोिों को देखकर आग बबल ू ा हो उठी|
सारे गाँववालों की उपदस्थदत में यह दृश्य उसे अपमािििक लगा| इस बीच गाँव के कुछ लोग भी
वहाँ पहुचँ गए| वामीरो की माँ िोध में उफ़ि उठी| उसिे तताँरा को तरह-तरह से अपमादित दकया|
गाँव के लोग भी तताँरा के दवरोध में आवाज़ें उठािे लगे| यह तताँरा के दलए असहिीय था| वामीरो
अब भी रोए िा रही थी| तताँरा भी गस्ु से से भर उठा| उसे िहाँ दववाह की दिर्ेध परंपरा पर क्षोभ था
वहीं अपिी असहायता पर खीझ| वामीरो का दख ु उसे और गहरा कर रहा था| उसे मालमू ि था दक
क्या कदम उठािा चादहए? अिायास उसका हाथ तलवार की मठू पर िा दरका| िोध में उसिे
तलवार दिकाली और कुछ दवचार करता रहा| िोध लगातार अदनि की तरह बढ़ रहा था|
तिम्ितितिि में से तिदेर्ािुसाि सिाशतर्क उपयुक्त तिकल्पों का चयि कीतिए:-
(1) गद्यांश में िोध और अदनि की तल ु िा क्यों की गई ह:- 1
I. िोध और अदनि दोिों ही बड़े गमण होते हैं|
II. िोध और अदनि दोिों ही पर दियत्रं र् कदठि ह|
III. तताँरा का स्वभाव बहुत गस्ु से वाला था|
IV. वामीरो की माँ और तताँरा दोिों ही गस्ु से में थे|
(2) तताँरा को गस्ु सा क्यों आया-:- 1
I. वामीरो की माँ िे तताँरा से झगड़ा दकया|
II. उसे दववाह की दिर्ेध परंपरा पर क्षोभ था|
III. वामीरो अब दववाह के दलए तयार ि थी|
IV. वामीरो िे तताँरा की सहायता िहीं की|
(3) वामीरो की माँ को दृश्य अपमािििक क्यों लगा- :- 1
I. माँ को गाँव के समक्ष अपमाि महससू हुआ|
II. माँ को वामीरो के दलए तताँरा पसंद िहीं था|
III. माँ गाँव की परंपरा से बधं ी थी|
IV. माँ वामीरो से बहुत ्यार करती थी|
(4) तताँरा-वामीरो कथा समाि की दकस समस्या की ओर ध्याि इदं गत कराती ह: 1
I. िादत-प्रथा
II. बेमल े -दववाह
III. दववाह के परंपरागत दियम
IV. बाल-दववाह
(5) आग बबल ू ा हो उठिे का क्या अथण ह:- 1
I. अ्यदधक िोध आिा
II. आग की प्रचंड लपरों की तरह लहरािा
III. बच्चों की दचतं ा करिा
IV. बहुत परे शाि हो उठिा
ििंड 'ब' िणशिात्मक प्रश्न
पाि्य-पुस्िक एििं पूिक पाि्य-पुस्िक (14)
प्रश्न 10. तिम्ितितिि प्रश्नों में से तकन् ीं 2 प्रश्नों के उत्ति िगभग 25-30 र्ब्दों में तितिए:- 2x2=4
(i) एकांकी 'कारतसू ' के अिसु ार वज़ीर अली एक िाँबाि दसपाही कसे था? 2
(iii) कहािी 'बड़े भाई साहब' के अिसु ार िीवि की समझ कसे आती ह? 2
(iii) कबीर के अिसु ार व्यदि अपिे स्वभाव को दिमणल कसे रख सकता ह? 2
प्रश्न 11. तिम्ितितिि प्रश्न का उत्ति िगभग 60-70 र्ब्दों में तितिए:- 1x4=4
‘मिष्ु यता’ कदवता और ‘अब कहाँ दसू रे के दख ु से दखु ी होिे वाले’ पाठ का कें द्रीय भाव एक ही ह| 4
दसि कीदिए|
प्रश्न 12. तिम्ितितिि प्रश्नों में से तकन् ीं 2 प्रश्नों के उत्ति िगभग 40-50 र्ब्दों में तितिए:- 2x3=6
(i) 'सपिों के से ददि' पाठ के लेखक और 'रोपी शक्ु ला' िामक पात्र का बचपि एक िसा-सा ह| आपके 3
बचपि से इिकी कथा कसे दमलती-िल ु ती ह?
(ii) रामदल ु ारी की मार से रोपी पर क्या प्रभाव पड़ा? 'रोपी शक्ु ला' पाठ के आधार पर स्पष्ट करें | 3
(iii) महतं और अपिे भाई हररहर काका को एक िसे क्यों लगिे लगते हैं? 'हररहर काका' कहािी के 3
आधार पर स्पष्ट कीदिए|
प्रश्न िेिि (26)
प्रश्न 13. दिम्िदलदखत में से दकसी 1 दवर्य पर ददए गए संकेत-दबन्दओ ु ं के आधार पर लगभग 80-100 1x6=6
शब्दों में एक अिच्ु छे द दलदखए:-
1. िब म चाि ििों से तपछड़ ि े थे
दखलादड़यों की मिोदशा
दशणकों की मिोदशा
प्रयास और पररर्ाम
2. देर् पि पड़िा तिदेर्ी प्रभाि
हमारा देश और संस्कृ दत
दवदेशी प्रभाव
पररर्ाम और सझु ाव
3. तमत्रिा
आवश्यकता
कौि हो सकता ह दमत्र
लाभ
प्रश्न 14. आपसे अपिे बचत खाते की चेक-बक ु खो गई ह| इस संबंध में बैंक-प्रबंधक को उदचत कायणवाही 1x5=5
करिे के दलए पत्र दलदखए|
अथवा
िगर दिगम को एक पत्र दलदखए दिसमें िादलयों की सफ़ाई एवं कीरिाशक दवाओ ं के दछड़काव का
सझु ाव हो|
प्रश्न 15. दवद्यालय के वादर्णको्सव समारोह के आयोिि के दलए आपको संयोिक बिाया गया ह| दवद्यालय 1x5=5
की ओर से सभी दवद्यादथणयों के दलए लगभग 30-40 शब्दों में एक सचू िा तयार कीदिए|
अथवा
दवद्यालय में छुट्टी के उपरांत फुरबॉल खेलिा सीखिे की दवशेर् कक्षाएँ आयोदित की िाएँगी|
इच्छुक दवद्यादथणयों द्वारा अपिा िाम देिे हेतु सचू िा-पट्ट के दलए लगभग 30-40 शब्दों में एक सचू िा
तयार कीदिए|
प्रश्न 16. दवद्यालय के 'अहगं समहू ' द्वारा प्रस्ततु तािमहल िारक के बारे में िाम, पात्र, ददि, समय, दरकर 1x5=5
आदद की सचू िा देते हुए लगभग 25-50 शब्दों में एक दवज्ञापि तयार कीदिए|
अथवा
अपिी दक ु ाि को दकराए पर उठािे के दलए लगभग 25-50 शब्दों में एक दवज्ञापि तयार कीदिए|
प्रश्न 17. 'यदद मैं समाचार-पत्र होता'- दवर्य पर लगभग 100-120 शब्दों में एक लघक ु था दलदखए| 1x5=5
अथवा
'गगं ा और मैं'- दवर्य पर लगभग 100-120 शब्दों में एक लघक ु था दलदखए|

You might also like